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Sleeping
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{ | |
"title": "१. कत्थपञ्ञत्तिवारो", | |
"book_name": "पञ्चवग्गो", | |
"chapter": "१. पाराजिककण्डं", | |
"gathas": [ | |
"उपालि दासको चेव, सोणको सिग्गवो तथा।", | |
"मोग्गलिपुत्तेन", | |
"ततो", | |
"भद्दनामो च पण्डितो॥", | |
"एते", | |
"विनयं ते वाचयिंसु, पिटकं तम्बपण्णिया॥", | |
"निकाये", | |
"ततो अरिट्ठो मेधावी, तिस्सदत्तो च पण्डितो॥", | |
"विसारदो काळसुमनो, थेरो च दीघनामको।", | |
"दीघसुमनो च पण्डितो॥", | |
"पुनदेव", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, देवत्थेरो", | |
"पुनदेव", | |
"बहुस्सुतो चूळनागो, गजोव दुप्पधंसियो॥", | |
"धम्मपालितनामो च, रोहणे", | |
"तस्स सिस्सो महापञ्ञो खेमनामो तिपेटको॥", | |
"दीपे तारकराजाव पञ्ञाय अतिरोचथ।", | |
"उपतिस्सो च मेधावी, फुस्सदेवो महाकथी॥", | |
"पुनदेव सुमनो मेधावी, पुप्फनामो बहुस्सुतो।", | |
"महाकथी महासिवो, पिटके सब्बत्थ कोविदो॥", | |
"पुनदेव उपालि मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"महानागो महापञ्ञो, सद्धम्मवंसकोविदो॥", | |
"पुनदेव अभयो मेधावी, पिटके सब्बत्थ कोविदो।", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, विनये च विसारदो॥", | |
"तस्स सिस्सो महापञ्ञो, पुप्फनामो बहुस्सुतो।", | |
"सासनं", | |
"चूळाभयो च मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, सद्धम्मवंसकोविदो॥", | |
"चूळदेवो", | |
"सिवत्थेरो च मेधावी, विनये सब्बत्थ कोविदो॥", | |
"एते", | |
"विनयं दीपे पकासेसुं, पिटकं तम्बपण्णियाति॥", | |
"मेथुनादिन्नादानञ्च", | |
"पाराजिकानि चत्तारि, छेज्जवत्थू असंसयाति॥", | |
"उपालि दासको चेव, सोणको सिग्गवो तथा।", | |
"मोग्गलिपुत्तेन पञ्चमा, एते जम्बुसिरिव्हये॥", | |
"ततो महिन्दो इट्टियो, उत्तियो सम्बलो तथा।", | |
"भद्दनामो च पण्डितो॥", | |
"एते नागा महापञ्ञा, जम्बुदीपा इधागता।", | |
"विनयं ते वाचयिंसु, पिटकं तम्बपण्णिया॥", | |
"निकाये पञ्च वाचेसुं, सत्त चेव पकरणे।", | |
"ततो अरिट्ठो मेधावी, तिस्सदत्तो च पण्डितो॥", | |
"विसारदो", | |
"दीघसुमनो च पण्डितो॥", | |
"पुनदेव काळसुमनो, नागत्थेरो च बुद्धरक्खितो।", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, देवत्थेरो च पण्डितो॥", | |
"पुनदेव सुमनो मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"बहुस्सुतो चूळनागो, गजोव दुप्पधंसियो॥", | |
"धम्मपालितनामो च, रोहणे साधुपूजितो।", | |
"तस्स सिस्सो महापञ्ञो, खेमनामो तिपेटको॥", | |
"दीपे तारकराजाव, पञ्ञाय अतिरोचथ।", | |
"उपतिस्सो च मेधावी, फुस्सदेवो महाकथी॥", | |
"पुनदेव", | |
"महाकथी महासिवो, पिटके सब्बत्थ कोविदो॥", | |
"पुनदेव उपालि मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"महानागो महापञ्ञो, सद्धम्मवंसकोविदो॥", | |
"पुनदेव अभयो मेधावी, पिटके सब्बत्थ कोविदो।", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, विनये च विसारदो॥", | |
"तस्स सिस्सो महापञ्ञो, पुप्फनामो बहुस्सुतो।", | |
"सासनं अनुरक्खन्तो, जम्बुदीपे पतिट्ठितो॥", | |
"चूळाभयो च मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, सद्धम्मवंसकोविदो॥", | |
"चूळदेवो च मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"सिवत्थेरो च मेधावी, विनये सब्बत्थ कोविदो॥", | |
"एते नागा महापञ्ञा, विनयञ्ञू मग्गकोविदो।", | |
"विनयं दीपे पकासेसुं, पिटकं तम्बपण्णियाति॥", | |
"विस्सट्ठि", | |
"सञ्चरित्तं कुटी चेव, विहारो च अमूलकं॥", | |
"किञ्चिदेसञ्च भेदो च, तस्सेव", | |
"दुब्बचं कुलदूसञ्च, सङ्घादिसेसा तेरसाति॥", | |
"उपालि", | |
"मोग्गलिपुत्तेन पञ्चमा, एते जम्बुसिरिव्हये॥", | |
"ततो", | |
"भद्दनामो च पण्डितो॥", | |
"एते नागा महापञ्ञा, जम्बुदीपा इधागता।", | |
"विनयं ते वाचयिंसु, पिटकं तम्बपण्णिया॥", | |
"निकाये पञ्च वाचेसुं, सत्त चेव पकरणे।", | |
"ततो अरिट्ठो मेधावी, तिस्सदत्तो च पण्डितो॥", | |
"विसारदो काळसुमनो, थेरो च दीघनामको।", | |
"दीघसुमनो च पण्डितो॥", | |
"पुनदेव", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, देवत्थेरो च पण्डितो॥", | |
"पुनदेव सुमनो मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"बहुस्सुतो चूळनागो, गजोव दुप्पधंसियो॥", | |
"धम्मपालितनामो च, रोहणे साधुपूजितो।", | |
"तस्स सिस्सो महापञ्ञो, खेमनामो तिपेटको॥", | |
"दीपे तारकराजाव पञ्ञाय अतिरोचथ।", | |
"उपतिस्सो च मेधावी, फुस्सदेवो महाकथी॥", | |
"पुनदेव सुमनो मेधावी, पुप्फनामो बहुस्सुतो।", | |
"महाकथी महासिवो, पिटके सब्बत्थ कोविदो॥", | |
"पुनदेव उपालि मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"महानागो महापञ्ञो, सद्धम्मवंसकोविदो॥", | |
"पुनदेव", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, विनये च विसारदो॥", | |
"तस्स सिस्सो महापञ्ञो, पुप्फनामो बहुस्सुतो।", | |
"सासनं अनुरक्खन्तो, जम्बुदीपे पतिट्ठितो॥", | |
"चूळाभयो च मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, सद्धम्मवंसकोविदो॥", | |
"चूळदेवो च मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"सिवत्थेरो च मेधावी, विनये सब्बत्थ कोविदो॥", | |
"एते नागा महापञ्ञा, विनयञ्ञू मग्गकोविदा।", | |
"विनयं दीपे पकासेसुं, पिटकं तम्बपण्णियाति॥", | |
"अलङ्कम्मनियञ्चेव, तथेव च न हेव खो।", | |
"अनियता सुपञ्ञत्ता, बुद्धसेट्ठेन तादिनाति॥", | |
"दसेकरत्तिमासो च, धोवनञ्च पटिग्गहो।", | |
"अञ्ञातं तञ्च", | |
"कोसिया सुद्धद्वेभागा, छब्बस्सानि निसीदनं।", | |
"द्वे च लोमानि उग्गण्हे, उभो नानप्पकारका॥", | |
"द्वे च पत्तानि भेसज्जं, वस्सिका दानपञ्चमं।", | |
"सामं वायापनच्चेको, सासङ्कं सङ्घिकेन चाति॥", | |
"मुसा ओमसपेसुञ्ञं, पदसेय्या च इत्थिया।", | |
"अञ्ञत्र विञ्ञुना भूता", | |
"भूतं अञ्ञाय उज्झायि", | |
"पुब्बे निक्कड्ढनाहच्च, द्वारं सप्पाणकेन च॥", | |
"असम्मता अत्थङ्गते, उपस्सयामिसेन च।", | |
"ददे सिब्बे विधानेन, नावा भुञ्जेय्य एकतो॥", | |
"पिण्डं गणं परं पूवं, पवारितो पवारितं।", | |
"विकालं सन्निधि खीरं, दन्तपोनेन ते दस॥", | |
"अचेलकं उय्योखज्ज", | |
"निमन्तितो पच्चयेहि, सेनावसनुय्योधिकं॥", | |
"सुरा", | |
"जोति नहान दुब्बण्णं, सामं अपनिधेन च॥", | |
"सञ्चिच्चुदककम्मा", | |
"थेय्यइत्थिअवदेसं", | |
"सहधम्मिकविलेखा, मोहो पहारेनुग्गिरे।", | |
"अमूलकञ्च सञ्चिच्च, सोस्सामि खिय्यपक्कमे॥", | |
"सङ्घेन चीवरं दत्वा, परिणामेय्य पुग्गले।", | |
"रञ्ञञ्च रतनं सन्तं, सूचि मञ्चो च तूलिका।", | |
"निसीदनं कण्डुच्छादि, वस्सिका सुगतेन चाति॥", | |
"मुसा भूता च ओवादो, भोजनाचेलकेन च।", | |
"सुरा सप्पाणका धम्मो, राजवग्गेन ते नवाति॥", | |
"अञ्ञातिकाय वोसासं, सेक्खआरञ्ञकेन च।", | |
"पाटिदेसनीया चत्तारो, सम्बुद्धेन पकासिताति॥", | |
"परिमण्डलं पटिच्छन्नं, सुसंवुतोक्खित्तचक्खु।", | |
"उक्खित्तोज्जग्घिका सद्दो, तयो चेव पचालना॥", | |
"खम्भं ओगुण्ठितो चेवुक्कुटिपल्लत्थिकाय च।", | |
"सक्कच्चं", | |
"सक्कच्चं पत्तसञ्ञी च, सपदानं समसूपकं।", | |
"थूपकतो पटिच्छन्नं, विञ्ञत्तुज्झानसञ्ञिना॥", | |
"न महन्तं मण्डलं द्वारं, सब्बं हत्थं न ब्याहरे।", | |
"उक्खेपो छेदना गण्डो, धुनं सित्थावकारकं॥", | |
"जिव्हानिच्छारकञ्चेव", | |
"हत्थो", | |
"छत्तपाणिस्स", | |
"एवमेव दण्डपाणिस्स, सत्थआवुधपाणिनं॥", | |
"पादुका उपाहना चेव, यानसेय्यागतस्स च।", | |
"पल्लत्थिका निसिन्नस्स, वेठितोगुण्ठितस्स च॥", | |
"छमा नीचासने ठाने, पच्छतो उप्पथेन च।", | |
"ठितकेन न कातब्बं, हरिते उदकम्हि चाति॥", | |
"परिमण्डलउज्जग्घि, खम्भं पिण्डं तथेव च।", | |
"कबळा सुरुसुरु च, पादुकेन च सत्तमाति॥", | |
"कत्थपञ्ञत्ति", | |
"समुट्ठानाधिकरणा समथो, समुच्चयेन चाति॥", | |
"उपालि दासको चेव, सोणको सिग्गवो तथा।", | |
"मोग्गलिपुत्तेन पञ्चमा, एते जम्बुसिरिव्हये॥ …पे॰…।", | |
"एते", | |
"विनयं दीपे पकासेसुं, पिटकं तम्बपण्णियाति॥", | |
"उपालि दासको चेव, सोणको सिग्गवो तथा।", | |
"मोग्गलिपुत्तेन पञ्चमा, एते जम्बुसिरिव्हये॥ …पे॰…।", | |
"एते नागा महापञ्ञा, विनयञ्ञू मग्गकोविदा।", | |
"विनयं", | |
"उपालि दासको चेव, सोणको सिग्गवो तथा।", | |
"मोग्गलिपुत्तेन पञ्चमा, एते जम्बुसिरिव्हये॥", | |
"ततो महिन्दो इट्टियो, उत्तियो सम्बलो तथा।", | |
"भद्दनामो च पण्डितो॥", | |
"एते", | |
"विनयं ते वाचयिंसु, पिटकं तम्बपण्णिया॥", | |
"निकाये पञ्च वाचेसुं, सत्त चेव पकरणे।", | |
"ततो अरिट्ठो मेधावी, तिस्सदत्तो च पण्डितो॥", | |
"विसारदो काळसुमनो, थेरो च दीघनामको।", | |
"दीघसुमनो च पण्डितो॥", | |
"पुनदेव", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, देवत्थेरो च पण्डितो॥", | |
"पुनदेव सुमनो मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"बहुस्सुतो चूळनागो, गजोव दुप्पधंसियो॥", | |
"धम्मपालितनामो च, रोहणे साधुपूजितो।", | |
"तस्स सिस्सो महापञ्ञो, खेमनामो तिपेटको॥", | |
"दीपे तारकराजाव पञ्ञाय अतिरोचथ।", | |
"उपतिस्सो च मेधावी, फुस्सदेवो महाकथी॥", | |
"पुनदेव सुमनो मेधावी, पुप्फनामो बहुस्सुतो।", | |
"महाकथी महासिवो, पिटके सब्बत्थ कोविदो॥", | |
"पुनदेव उपालि मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"महानागो महापञ्ञो, सद्धम्मवंसकोविदो॥", | |
"पुनदेव अभयो मेधावी, पिटके सब्बत्थ कोविदो।", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, विनये च विसारदो॥", | |
"तस्स", | |
"सासनं अनुरक्खन्तो, जम्बुदीपे पतिट्ठितो॥", | |
"चूळाभयो च मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"तिस्सत्थेरो च मेधावी, सद्धम्मवंसकोविदो॥", | |
"चूळदेवो च मेधावी, विनये च विसारदो।", | |
"सिवत्थेरो च मेधावी, विनये सब्बत्थ कोविदो॥", | |
"एते नागा महापञ्ञा, विनयञ्ञू मग्गकोविदा।", | |
"विनयं", | |
"मेथुनादिन्नादानञ्च", | |
"कायसंसग्गं छादेति, उक्खित्ता अट्ठ वत्थुका।", | |
"पञ्ञापेसि महावीरो, छेज्जवत्थू असंसयाति॥", | |
"उपालि दासको चेव, सोणको सिग्गवो तथा।", | |
"मोग्गलिपुत्तेन पञ्चमा, एते जम्बुसिरिव्हये॥ …पे॰…।", | |
"एते नागा महापञ्ञा, विनयञ्ञू मग्गकोविदा।", | |
"विनयं दीपे पकासेसुं, पिटकं तम्बपण्णियाति॥", | |
"उस्सयचोरि", | |
"किं ते कुपिता किस्मिञ्चि, संसट्ठा ञायते दसाति॥", | |
"पत्तं अकालं कालञ्च, परिवत्ते च विञ्ञापे।", | |
"चेतापेत्वा अञ्ञदत्थि, सङ्घिकञ्च महाजनिकं।", | |
"सञ्ञाचिका पुग्गलिका, चतुक्कंसड्ढतेय्यकाति॥", | |
"लसुणं", | |
"भुञ्जन्तामकधञ्ञानं, द्वे विघासेन दस्सना॥", | |
"अन्धकारे", | |
"पुरे पच्छा विकाले च, दुग्गहि निरये वधि॥", | |
"नग्गोदका विसिब्बेत्वा, पञ्चाहिकं सङ्कमनीयं।", | |
"गणं विभङ्गसमणं, दुब्बलं कथिनेन च॥", | |
"एकमञ्चत्थरणेन, सञ्चिच्च सहजीविनी।", | |
"दत्वा संसट्ठअन्तो च, तिरोवस्सं न पक्कमे॥", | |
"राजा आसन्दि सुत्तञ्च, गिहि वूपसमेन च।", | |
"ददे चीवरावसथं, परियापुणञ्च वाचये॥", | |
"आरामक्कोसचण्डी", | |
"वासे पवारणोवादं, द्वे धम्मा पसाखेन च॥", | |
"गब्भी पायन्ती छ धम्मे, असम्मतूनद्वादस।", | |
"परिपुण्णञ्च", | |
"कुमारी द्वे च सङ्घेन, द्वादस सम्मतेन च।", | |
"अलं सचे च द्वेवस्सं, संसट्ठा सामिकेन च॥", | |
"पारिवासिकानुवस्सं, दुवे वुट्ठापनेन च।", | |
"छत्तयानेन सङ्घाणि, इत्थालङ्कारवण्णके॥", | |
"पिञ्ञाकभिक्खुनी चेव, सिक्खा च सामणेरिका।", | |
"गिहि भिक्खुस्स पुरतो, अनोकासं सङ्कच्चिकाति॥", | |
"लसुणन्धकारा न्हाना, तुवट्टा चित्तगारका।", | |
"आरामं", | |
"सप्पिं तेलं मधुञ्चेव, फाणितं मच्छमेव च।", | |
"मंसं खीरं दधिञ्चापि, विञ्ञापेत्वान भिक्खुनी।", | |
"पाटिदेसनीया अट्ठ, सयं बुद्धेन देसिताति॥", | |
"उपालि", | |
"मोग्गलिपुत्तेन पञ्चमा, एते जम्बुसिरिव्हये॥ …पे॰…।", | |
"एते", | |
"विनयं दीपे पकासेसुं, पिटकं तम्बपण्णियाति॥", | |
"उपालि दासको चेव, सोणको सिग्गवो तथा।", | |
"मोग्गलिपुत्तेन पञ्चमा, एते जम्बुसिरिव्हये॥ …पे॰…।", | |
"एते नागा महापञ्ञा, विनयञ्ञू मग्गकोविदा।", | |
"विनयं दीपे पकासेसुं, पिटकं तम्बपण्णियाति॥", | |
"अनिच्चा", | |
"निब्बानञ्चेव पञ्ञत्ति, अनत्ता इति निच्छया॥", | |
"बुद्धचन्दे अनुप्पन्ने, बुद्धादिच्चे अनुग्गते।", | |
"तेसं सभागधम्मानं, नाममत्तं न नायति॥", | |
"दुक्करं विविधं कत्वा, पूरयित्वान पारमी।", | |
"उप्पज्जन्ति महावीरा, चक्खुभूता सब्रह्मके॥", | |
"ते देसयन्ति सद्धम्मं, दुक्खहानिं सुखावहं।", | |
"अङ्गीरसो सक्यमुनि, सब्बभूतानुकम्पको॥", | |
"सब्बसत्तुत्तमो सीहो, पिटके तीणि देसयि।", | |
"सुत्तन्तमभिधम्मञ्च, विनयञ्च महागुणं॥", | |
"एवं नीयति सद्धम्मो, विनयो यदि तिट्ठति।", | |
"उभतो च विभङ्गानि, खन्धका या च मातिका॥", | |
"माला सुत्तगुणेनेव, परिवारेन गन्थिता।", | |
"तस्सेव परिवारस्स, समुट्ठानं नियतो कतं॥", | |
"सम्भेदं", | |
"तस्मा सिक्खे परिवारं, धम्मकामो सुपेसलोति॥", | |
"विभङ्गे द्वीसु पञ्ञत्तं, उद्दिसन्ति उपोसथे।", | |
"पवक्खामि समुट्ठानं, यथाञायं सुणाथ मे॥", | |
"पाराजिकं", | |
"सञ्चरित्तानुभासनञ्च, अतिरेकञ्च चीवरं॥", | |
"लोमानि पदसोधम्मो, भूतं संविधानेन च।", | |
"थेय्यदेसनचोरी च, अननुञ्ञाताय तेरस॥", | |
"तेरसेते समुट्ठान नया, विञ्ञूहि चिन्तिता॥", | |
"एकेकस्मिं समुट्ठाने, सदिसा इध दिस्सरे॥", | |
"मेथुनं", | |
"पुब्बूपपरिपाचिता, रहो भिक्खुनिया सह॥", | |
"सभोजने रहो द्वे च, अङ्गुलि उदके हसं।", | |
"पहारे", | |
"अधक्खगामावस्सुता, तलमट्ठञ्च सुद्धिका।", | |
"वस्संवुट्ठा च ओवादं, नानुबन्धे पवत्तिनिं॥", | |
"छसत्तति इमे सिक्खा, कायमानसिका कता।", | |
"सब्बे एकसमुट्ठाना, पठमं पाराजिकं यथा॥", | |
"अदिन्नं", | |
"अमूला अञ्ञभागिया, अनियता दुतियिका॥", | |
"अच्छिन्दे परिणामने, मुसा ओमसपेसुणा।", | |
"दुट्ठुल्ला पथवीखणे, भूतं अञ्ञाय उज्झापे॥", | |
"निक्कड्ढनं", | |
"एहि अनादरि भिंसा, अपनिधे च जीवितं॥", | |
"जानं सप्पाणकं कम्मं, ऊनसंवासनासना।", | |
"सहधम्मिकविलेखा, मोहो अमूलकेन च॥", | |
"कुक्कुच्चं धम्मिकं चीवरं, दत्वा", | |
"किं ते अकालं अच्छिन्दे, दुग्गही निरयेन च॥", | |
"गणं विभङ्गं दुब्बलं, कथिनाफासुपस्सयं।", | |
"अक्कोसचण्डी मच्छरी, गब्भिनी च पायन्तिया॥", | |
"द्वेवस्सं", | |
"कुमारिभूता तिस्सो च, ऊनद्वादससम्मता॥", | |
"अलं ताव सोकावासं, छन्दा अनुवस्सा च द्वे।", | |
"सिक्खापदा सत्ततिमे, समुट्ठाना तिका कता॥", | |
"कायचित्तेन न वाचा, वाचाचित्तं न कायिकं।", | |
"तीहि द्वारेहि जायन्ति, पाराजिकं दुतियं यथा॥", | |
"सञ्चरी", | |
"विञ्ञत्तुत्तरि अभिहट्ठुं, उभिन्नं दूतकेन च॥", | |
"कोसिया सुद्धद्वेभागा, छब्बस्सानि निसीदनं।", | |
"रिञ्चन्ति रूपिका चेव, उभो नानप्पकारका॥", | |
"ऊनबन्धनवस्सिका, सुत्तं विकप्पनेन च।", | |
"द्वारदानसिब्बानि", | |
"रतनं सूचि मञ्चो च, तूलं निसीदनकण्डु च।", | |
"वस्सिका च सुगतेन, विञ्ञत्ति अञ्ञं चेतापना॥", | |
"द्वे सङ्घिका महाजनिका, द्वे पुग्गललहुका गरु।", | |
"द्वे विघासा साटिका च, समणचीवरेन च॥", | |
"समपञ्ञासिमे धम्मा, छहि ठानेहि जायरे।", | |
"कायतो न वाचाचित्ता, वाचतो न कायमना॥", | |
"कायवाचा न च चित्ता", | |
"वाचाचित्ता", | |
"छसमुट्ठानिका एते, सञ्चरित्तेन सादिसा॥", | |
"भेदानुवत्तदुब्बच", | |
"छन्दं उज्जग्घिका द्वे च, द्वे च सद्दा न ब्याहरे॥", | |
"छमा नीचासने ठानं, पच्छतो उप्पथेन च।", | |
"वज्जानुवत्तिगहणा, ओसारे पच्चाचिक्खना॥", | |
"किस्मिं संसट्ठा द्वे वधि, विसिब्बे दुक्खिताय च।", | |
"पुन संसट्ठा न वूपसमे, आरामञ्च पवारणा॥", | |
"अन्वद्धं", | |
"सत्ततिंस", | |
"सब्बे एकसमुट्ठाना, समनुभासना यथा॥", | |
"उब्भतं कथिनं तीणि, पठमं पत्तभेसज्जं।", | |
"अच्चेकं चापि सासङ्कं, पक्कमन्तेन वा दुवे॥", | |
"उपस्सयं परम्परा, अनतिरित्तं निमन्तना।", | |
"विकप्पं रञ्ञो विकाले, वोसासारञ्ञकेन च॥", | |
"उस्सयासन्निचयञ्च, पुरे पच्छा विकाले च।", | |
"पञ्चाहिका सङ्कमनी, द्वेपि आवसथेन च॥", | |
"पसाखे", | |
"कायवाचा न च चित्ता", | |
"द्विसमुट्ठानिका सब्बे, कथिनेन सहासमा॥", | |
"एळकलोमा", | |
"गणविकालसन्निधि, दन्तपोनेन चेलका॥", | |
"उय्युत्तं सेनं", | |
"दुब्बण्णे द्वे देसनिका, लसुणुपतिट्ठे नच्चना॥", | |
"न्हानमत्थरणं सेय्या, अन्तोरट्ठे तथा बहि।", | |
"अन्तोवस्सं", | |
"वेय्यावच्चं सहत्था च, अभिक्खुकावासेन च।", | |
"छत्तं यानञ्च सङ्घाणिं, अलङ्कारं गन्धवासितं॥", | |
"भिक्खुनी सिक्खमाना च, सामणेरी गिहिनिया।", | |
"असंकच्चिका आपत्ति, चत्तारीसा चतुत्तरि॥", | |
"कायेन न वाचाचित्तेन, कायचित्तेन न वाचतो।", | |
"द्विसमुट्ठानिका सब्बे, समा एळकलोमिकाति॥", | |
"पदञ्ञत्र", | |
"तिरच्छानविज्जा", | |
"सत्त सिक्खापदा एते, वाचा न कायचित्ततो", | |
"वाचाचित्तेन जायन्ति, न तु कायेन जायरे॥", | |
"द्विसमुट्ठानिका सब्बे, पदसोधम्मसदिसा॥", | |
"अद्धाननावं", | |
"धञ्ञं निमन्तिता चेव, अट्ठ च पाटिदेसनी॥", | |
"सिक्खा पन्नरस एते, काया न वाचा न मना।", | |
"कायवाचाहि जायन्ति, न ते चित्तेन जायरे॥", | |
"कायचित्तेन जायन्ति, न ते जायन्ति वाचतो।", | |
"कायवाचाहि चित्तेन, समुट्ठाना चतुब्बिधा॥", | |
"पञ्ञत्ता", | |
"थेय्यसत्थं", | |
"रत्तिछन्नञ्च ओकासं, एते ब्यूहेन सत्तमा॥", | |
"कायचित्तेन जायन्ति, न ते जायन्ति वाचतो।", | |
"तीहि द्वारेहि जायन्ति, द्विसमुट्ठानिका इमे॥", | |
"थेय्यसत्थसमुट्ठाना, देसितादिच्चबन्धुना॥", | |
"छत्तपाणिस्स सद्धम्मं, न देसेन्ति तथागता।", | |
"एवमेव", | |
"पादुकुपाहना यानं, सेय्यपल्लत्थिकाय च।", | |
"वेठितोगुण्ठितो चेव, एकादसमनूनका॥", | |
"वाचाचित्तेन जायन्ति, न ते जायन्ति कायतो।", | |
"सब्बे एकसमुट्ठाना, समका धम्मदेसने॥", | |
"भूतं", | |
"वाचतो च समुट्ठाति, न काया न च चित्ततो॥", | |
"कायवाचाय", | |
"भूतारोचनका", | |
"चोरी वाचाय चित्तेन, न तं जायति कायतो।", | |
"जायति तीहि द्वारेहि, चोरिवुट्ठापनं इदं।", | |
"अकतं द्विसमुट्ठानं, धम्मराजेन भासितं", | |
"अननुञ्ञातं वाचाय, न काया न च चित्ततो।", | |
"जायति कायवाचाय, न तं जायति चित्ततो॥", | |
"जायति वाचाचित्तेन, न तं जायति कायतो।", | |
"जायति", | |
"समुट्ठानञ्हि सङ्खेपं, दस तीणि सुदेसितं।", | |
"असम्मोहकरं ठानं, नेत्तिधम्मानुलोमिकं।", | |
"धारयन्तो इमं विञ्ञू, समुट्ठाने न मुय्हतीति॥", | |
"आपत्ति आपत्तिक्खन्धा, विनीता सत्तधा पुन।", | |
"विनीतागारवा चेव, गारवा मूलमेव च॥", | |
"पुन विनीता विपत्ति, समुट्ठाना विवादना।", | |
"अनुवादा सारणीयं, भेदाधिकरणेन च॥", | |
"सत्तेव समथा वुत्ता, पदा सत्तरसा इमेति॥", | |
"समुट्ठाना कायिका अनन्तदस्सिना।", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता कति।", | |
"पुच्छामि तं ब्रूहि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता पञ्च।", | |
"एतं", | |
"समुट्ठाना वाचसिका अनन्तदस्सिना।", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता कति।", | |
"पुच्छामि तं ब्रूहि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना वाचसिका अनन्तदस्सिना।", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता चतस्सो।", | |
"एतं ते अक्खामि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना कायिका वाचसिका अनन्तदस्सिना।", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता कति।", | |
"पुच्छामि", | |
"समुट्ठाना", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता पञ्च।", | |
"एतं ते अक्खामि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना कायिका मानसिका अनन्तदस्सिना।", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता कति।", | |
"पुच्छामि तं ब्रूहि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता छ।", | |
"एतं ते अक्खामि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना वाचसिका मानसिका अनन्तदस्सिना।", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता कति।", | |
"पुच्छामि तं ब्रूहि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना वाचसिका मानसिका अनन्तदस्सिना।", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता छ।", | |
"एतं ते अक्खामि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना कायिका वाचसिका मानसिका अनन्तदस्सिना।", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता कति।", | |
"पुच्छामि तं ब्रूहि विभङ्गकोविद॥", | |
"समुट्ठाना", | |
"अक्खाता लोकहितेन विवेकदस्सिना।", | |
"आपत्तियो तेन समुट्ठिता छ।", | |
"एतं", | |
"कतिपुच्छा समुट्ठाना, कतापत्ति तथेव च।", | |
"समुट्ठाना विपत्ति च, तथाधिकरणेन चाति॥", | |
"अधिकरणं", | |
"समथा साधारणिका, समथस्स तब्भागिया॥", | |
"समथा सम्मुखा चेव, विनयेन कुसलेन च।", | |
"यत्थ समथसंसट्ठा, सम्मन्ति न सम्मन्ति च॥", | |
"समथाधिकरणञ्चेव, समुट्ठानं भजन्ति चाति॥", | |
"उपसम्पदं", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"उपसम्पदं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं द्वे आपत्तियो॥", | |
"उपोसथं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"उपोसथं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं तिस्सो आपत्तियो॥", | |
"वस्सूपनायिकं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"वस्सूपनायिकं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं एका आपत्ति॥", | |
"पवारणं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"पवारणं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं तिस्सो आपत्तियो॥", | |
"चम्मसञ्ञुत्तं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"चम्मसञ्ञुत्तं", | |
"समुक्कट्ठपदानं तिस्सो आपत्तियो॥", | |
"भेसज्जं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"भेसज्जं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं तिस्सो आपत्तियो॥", | |
"कथिनकं", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"कथिनकं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं नत्थि तत्थ आपत्ति", | |
"चीवरसञ्ञुत्तं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"चीवरसञ्ञुत्तं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं तिस्सो आपत्तियो॥", | |
"चम्पेय्यकं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"चम्पेय्यकं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं एका आपत्ति॥", | |
"कोसम्बकं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"कोसम्बकं", | |
"समुक्कट्ठपदानं एका आपत्ति॥", | |
"कम्मक्खन्धकं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"कम्मक्खन्धकं", | |
"समुक्कट्ठपदानं एका आपत्ति॥", | |
"पारिवासिकं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"पारिवासिकं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं एका आपत्ति॥", | |
"समुच्चयं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"समुच्चयं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं एका आपत्ति॥", | |
"समथं", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"समथं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं द्वे आपत्तियो॥", | |
"खुद्दकवत्थुकं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"खुद्दकवत्थुकं", | |
"समुक्कट्ठपदानं तिस्सो आपत्तियो॥", | |
"सेनासनं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"सेनासनं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं तिस्सो आपत्तियो॥", | |
"सङ्घभेदं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"सङ्घभेदं", | |
"समुक्कट्ठपदानं द्वे आपत्तियो॥", | |
"समाचारं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"समाचारं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं एका आपत्ति॥", | |
"ठपनं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"ठपनं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं एका आपत्ति॥", | |
"भिक्खुनिक्खन्धकं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"भिक्खुनिक्खन्धकं", | |
"समुक्कट्ठपदानं द्वे आपत्तियो॥", | |
"पञ्चसतिकं", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"पञ्चसतिकं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं नत्थि तत्थ आपत्ति॥", | |
"सत्तसतिकं पुच्छिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं कति आपत्तियो।", | |
"सत्तसतिकं विस्सज्जिस्सं सनिदानं सनिद्देसं।", | |
"समुक्कट्ठपदानं नत्थि तत्थ आपत्तीति॥", | |
"उपसम्पदूपोसथो", | |
"चम्मभेसज्जकथिना, चीवरं चम्पेय्यकेन च॥", | |
"कोसम्बक्खन्धकं कम्मं, पारिवासिसमुच्चया।", | |
"समथखुद्दका सेना, सङ्घभेदं समाचारो।", | |
"ठपनं भिक्खुनिक्खन्धं, पञ्चसत्तसतेन चाति॥", | |
"करा आपत्ति लहुका, सावसेसा च दुट्ठुल्ला।", | |
"पटिकम्मदेसना", | |
"किरियाकिरियं पुब्बा, अन्तरा गणनूपगा।", | |
"पञ्ञत्ति अनानुप्पन्न, सब्बसाधारणा च एकतो", | |
"थुल्लगिहिनियता", | |
"अधम्मधम्मनियतो, अभब्बोक्खित्तनासिता।", | |
"समानं ठपनञ्चेव, उद्दानं एकके इदन्ति॥", | |
"सञ्ञा", | |
"सच्चं भूमि निक्खमन्तो, आदियन्तो समादियं॥", | |
"करोन्तो देन्तो गण्हन्तो, परिभोगेन रत्ति च।", | |
"अरुणाछिन्दं छादेन्तो, धारेन्तो च उपोसथा॥", | |
"पवारणा कम्मापरा, वत्थु अपरा दोसा च।", | |
"अपरा द्वे च सम्पत्ति, नाना समानमेव च॥", | |
"पाराजिसङ्घथुल्लच्चय, पाचित्ति पाटिदेसना।", | |
"दुक्कटा दुब्भासिता चेव, सत्त आपत्तिक्खन्धा च॥", | |
"भिज्जति", | |
"न वत्थब्बं न दातब्बं, अभब्बाभब्बमेव च॥", | |
"सञ्चिच्च सातिसारा च, पटिक्कोसा निस्सारणा।", | |
"ओसारणा", | |
"उपघाति चोदना च, कथिना च दुवे तथा।", | |
"चीवरा पत्तमण्डला, अधिट्ठाना तथेव द्वे॥", | |
"विकप्पना च विनया, वेनयिका च सल्लेखा।", | |
"आपज्जति च वुट्ठाति, परिवासापरे दुवे॥", | |
"द्वे मानत्ता अपरे च, रत्तिच्छेदो अनादरि।", | |
"द्वे लोणा तयो अपरे, परिभोगक्कोसेन च॥", | |
"पेसुञ्ञो च गणावस्स, ठपना भारकप्पियं।", | |
"अनापत्ति अधम्मधम्मा, विनये आसवे तथाति॥", | |
"तिट्ठन्ते", | |
"वेदना चोदना वत्थु, सलाका द्वे पटिक्खिपा॥", | |
"पञ्ञत्ति", | |
"हेमन्ते सङ्घो सङ्घस्स, छादना च पटिच्छादि॥", | |
"पटिच्छन्ना विवटा च, सेनासनगिलायना।", | |
"पातिमोक्खं परिवासं, मानत्ता पारिवासिका॥", | |
"अन्तो अन्तो च सीमाय, आपज्जति पुनापरे।", | |
"वुट्ठाति अपरे चेव, अमूळ्हविनया दुवे॥", | |
"तज्जनीया नियस्सा च, पब्बाजपटिसारणी।", | |
"अदस्सना पटिकम्मे, अनिस्सग्गे च दिट्ठिया॥", | |
"आगाळ्हकम्माधिसीले, दवानाचार घातिका।", | |
"आजीवापन्ना तादिसिका, अवण्णुपोसथेन च॥", | |
"पवारणा सम्मुति च, वोहारपच्चेकेन च।", | |
"न वत्थब्बं न दातब्बं, ओकासं न करे तथा॥", | |
"न करे सवचनीयं, न पुच्छितब्बका दुवे।", | |
"न विस्सज्जे दुवे चेव, अनुयोगम्पि नो ददे॥", | |
"साकच्छा", | |
"उपोसथतिका तीणि, पवारणतिका तयो॥", | |
"आपायिका अकुसला, कुसला चरिता दुवे।", | |
"तिकभोजनसद्धम्मे, सम्मुति पादुकेन च।", | |
"पादघंसनिका चेव, उद्दानं तिकके इदन्ति॥", | |
"सकवाचाय कायेन, पसुत्तो च अचित्तको।", | |
"आपज्जन्तो च कम्मेन, वोहारा चतुरो तथा॥", | |
"भिक्खूनं भिक्खुनीनञ्च, परिक्खारो च सम्मुखा।", | |
"अजानकाये मज्झे च, वुट्ठाति दुविधा तथा॥", | |
"पटिलाभेन चोदना, परिवासा च वुच्चति।", | |
"मानत्तचारिका चापि, सामुक्कंसा पटिग्गहि॥", | |
"महाविकटकम्मानि, पुन कम्मे विपत्तियो।", | |
"अधिकरणा", | |
"गमिको वत्थुनानत्ता, सभागुपज्झायेन च।", | |
"आचरियो पच्चया वा, दुच्चरितं सुचरितं॥", | |
"आदियन्तो पुग्गलो च, अरहो आसनेन च।", | |
"काले च कप्पति चेव, पच्चन्तिमेसु कप्पति॥", | |
"अन्तो अन्तो च सीमाय, गामे च चोदनाय च।", | |
"पुब्बकिच्चं पत्तकल्लं, अनञ्ञा सम्मुतियो च॥", | |
"अगति", | |
"पुच्छितब्बा दुवे चेव, विस्सज्जेय्या तथा दुवे।", | |
"अनुयोगो च साकच्छा, गिलानो ठपनेन चाति॥", | |
"आपत्ति आपत्तिक्खन्धा, विनीतानन्तरेन च।", | |
"पुग्गला छेदना चेव, आपज्जति च पच्चया॥", | |
"न उपेति उपेति च, कप्पन्तुसङ्कितेलञ्च।", | |
"वसं ब्यसना सम्पदा, पस्सद्धि पुग्गलेन च॥", | |
"सोसानिकं खायितञ्च, थेय्यं चोरो च वुच्चति।", | |
"अविस्सज्जि अवेभङ्गि, कायतो कायवाचतो॥", | |
"देसना", | |
"कम्मानि यावततियं, पाराजिथुल्लदुक्कटं॥", | |
"अकप्पियं कप्पियञ्च, अपुञ्ञदुविनोदया।", | |
"सम्मज्जनी अपरे च, भासं आपत्तिमेव च॥", | |
"अधिकरणं वत्थु ञत्ति, आपत्ता उभयानि च।", | |
"लहुकट्ठमका एते, कण्हसुक्का विजानथ॥", | |
"अरञ्ञं पिण्डपातञ्च, पंसुरुक्खसुसानिका।", | |
"अब्भोकासो चीवरञ्च, सपदानो निसज्जिको॥", | |
"सन्थति", | |
"उपोसथं", | |
"कण्हसुक्कपदा एते, भिक्खुनीनम्पि ते तथा।", | |
"अपासादिकपासादि, तथेव अपरे दुवे॥", | |
"कुलूपके अतिवेलं, बीजं समणकप्पि च।", | |
"विसुद्धि अपरे चेव, विनयाधम्मिकेन च।", | |
"धम्मिका च तथा वुत्ता, निट्ठिता सुद्धिपञ्चकाति॥", | |
"अगारवा गारवा च, विनीता सामीचिपि च।", | |
"समुट्ठाना छेदना चेव, आकारानिसंसेन च॥", | |
"परमानि च छारत्तं, चीवरं रजनानि च।", | |
"कायतो चित्ततो चापि, वाचतो चित्ततोपि च॥", | |
"कायवाचाचित्ततो च, कम्मविवादमेव च।", | |
"अनुवादा दीघसो च, तिरियं निस्सयेन च॥", | |
"अनुपञ्ञत्ति आदाय, समादाय तथेव च।", | |
"असेक्खे समादपेता, सद्धो अधिसीलेन च।", | |
"गिलानाभिसमाचारी, आपत्ताधम्मधम्मिकाति॥", | |
"आपत्ति आपत्तिक्खन्धा, विनीता सामीचिपि च।", | |
"अधम्मिका धम्मिका च, अनापत्ति च सत्ताहं॥", | |
"आनिसंसा परमानि, अरुणसमथेन च।", | |
"कम्मा आमकधञ्ञा च, तिरियं गणभोजने॥", | |
"सत्ताहपरमं", | |
"न होति होति होति च, अधम्मा धम्मिकानि च॥", | |
"चतुरो विनयधरा, चतुभिक्खू च सोभने।", | |
"सत्त चेव असद्धम्मा, सत्त सद्धम्मा देसिताति॥", | |
"न सो भिक्खु परेसम्पि, यावततियदूसना।", | |
"मातिका कथिनुब्भारा, पाना अभिभूतेन च॥", | |
"लोकधम्मा गरुधम्मा, पाटिदेसनीया मुसा।", | |
"उपोसथा च दूतङ्गा, तित्थिया समुद्देपि च॥", | |
"अब्भुता अनतिरित्तं, अतिरित्तं निस्सग्गियं।", | |
"पाराजिकट्ठमं वत्थु, अदेसितूपसम्पदा॥", | |
"पच्चुट्ठानासनञ्चेव, वरं ओवादकेन च।", | |
"आनिसंसा परमानि, अट्ठधम्मेसु वत्तना।", | |
"अधम्मिका धम्मिका च, अट्ठका सुप्पकासिताति॥", | |
"आघातवत्थुविनया, विनीता पठमेन च।", | |
"भिज्जति च पणीतञ्च, मंसुद्देसपरमानि च॥", | |
"तण्हा माना अधिट्ठाना, विकप्पे च विदत्थियो।", | |
"दाना पटिग्गहा भोगा, तिविधा पुन धम्मिका॥", | |
"अधम्मधम्मसञ्ञत्ति, दुवे द्वे नवकानि च।", | |
"पातिमोक्खट्ठपनानि, अधम्मधम्मिकानि चाति॥", | |
"आघातं", | |
"मिच्छत्ता चेव सम्मत्ता, अकुसला कुसलापि च॥", | |
"सलाका", | |
"भासाधिकरणञ्चेव, ञत्तिलहुकमेव च॥", | |
"लहुका गरुका एते, कण्हसुक्का विजानथ।", | |
"उब्बाहिका च सिक्खा च, अन्तेपुरे च वत्थूनि॥", | |
"रतनं", | |
"पंसुकूलधारणा च, दसाहसुक्कइत्थियो॥", | |
"भरिया दस वत्थूनि, अवन्दियक्कोसेन च।", | |
"पेसुञ्ञञ्चेव सेनानि, वरानि च अधम्मिका॥", | |
"धम्मिका यागुमंसा च, परमा भिक्खु भिक्खुनी।", | |
"वुट्ठापना गिहिगता, दसका सुप्पकासिताति॥", | |
"नासेतब्बा पादुका च, पत्ता च चीवरानि च।", | |
"ततिया पुच्छितब्बा च, अधिट्ठानविकप्पना॥", | |
"अरुणा", | |
"निस्सयावन्दिया चेव, परमानि वरानि च।", | |
"सीमादोसा च अक्कोसा, मेत्तायेकादसा कताति॥", | |
"एकका", | |
"छसत्तट्ठनवका च, दस एकादसानि च॥", | |
"हिताय सब्बसत्तानं, ञातधम्मेन तादिना।", | |
"एकुत्तरिका विमला, महावीरेन देसिताति॥", | |
"अत्थसतं धम्मसतं, द्वे च निरुत्तिसतानि।", | |
"चत्तारि ञाणसतानि, अत्थवसे पकरणेति॥", | |
"पठमं अट्ठपुच्छायं, पच्चयेसु पुनट्ठ च।", | |
"भिक्खूनं सोळस एते, भिक्खुनीनञ्च सोळस॥", | |
"पेय्यालअन्तरा भेदा, एकुत्तरिकमेव च।", | |
"पवारणत्थवसिका, महावग्गस्स सङ्गहोति॥", | |
"एकंसं", | |
"आसीसमानरूपोव", | |
"द्वीसु विनयेसु ये पञ्ञत्ता।", | |
"उद्देसं आगच्छन्ति उपोसथेसु।", | |
"कति ते सिक्खापदा होन्ति।", | |
"कतिसु नगरेसु पञ्ञत्ता॥", | |
"भद्दको ते उम्मङ्गो, योनिसो परिपुच्छसि।", | |
"तग्घ ते अहमक्खिस्सं, यथासि कुसलो तथा॥", | |
"द्वीसु विनयेसु ये पञ्ञत्ता।", | |
"उद्देसं आगच्छन्ति उपोसथेसु।", | |
"अड्ढुड्ढसतानि ते होन्ति।", | |
"सत्तसु नगरेसु पञ्ञत्ता॥", | |
"कतमेसु सत्तसु नगरेसु पञ्ञत्ता।", | |
"इङ्घ मे त्वं ब्याकर नं", | |
"तं वचनपथं", | |
"पटिपज्जेम हिताय नो सिया॥", | |
"वेसालियं", | |
"कोसम्बियञ्च सक्केसु, भग्गेसु चेव पञ्ञत्ता॥", | |
"कति", | |
"सावत्थियं कति होन्ति, कति आळवियं कता॥", | |
"कति कोसम्बियं पञ्ञत्ता, कति सक्केसु वुच्चन्ति।", | |
"कति भग्गेसु पञ्ञत्ता, तं मे अक्खाहि पुच्छितो॥", | |
"दस", | |
"छऊन तीणिसतानि, सब्बे सावत्थियं कता॥", | |
"छ आळवियं पञ्ञत्ता, अट्ठ कोसम्बियं कता।", | |
"अट्ठ सक्केसु वुच्चन्ति, तयो भग्गेसु पञ्ञत्ता॥", | |
"ये वेसालियं पञ्ञत्ता, ते सुणोहि यथातथं", | |
"मेथुनविग्गहुत्तरि, अतिरेकञ्च काळकं॥", | |
"भूतं परम्परभत्तं, दन्तपोनेन", | |
"भिक्खुनीसु च अक्कोसो, दसेते वेसालियं कता॥", | |
"ये राजगहे पञ्ञत्ता, ते सुणोहि यथातथं।", | |
"अदिन्नादानं राजगहे, द्वे अनुद्धंसना द्वेपि च भेदा॥", | |
"अन्तरवासकं रूपियं सुत्तं, उज्झापनेन च पाचितपिण्डं", | |
"गणभोजनं विकाले च, चारित्तं नहानं ऊनवीसति॥", | |
"चीवरं दत्वा वोसासन्ति, एते राजगहे कता।", | |
"गिरग्गचरिया तत्थेव, छन्ददानेन एकवीसति॥", | |
"ये", | |
"पाराजिकानि चत्तारि, सङ्घादिसेसा भवन्ति सोळस॥", | |
"अनियता च द्वे होन्ति, निस्सग्गिया चतुवीसति।", | |
"छपञ्ञाससतञ्चेव, खुद्दकानि पवुच्चन्ति॥", | |
"दसयेव च गारय्हा, द्वेसत्तति च सेखिया।", | |
"छऊन तीणिसतानि, सब्बे सावत्थियं कता॥", | |
"ये आळवियं पञ्ञत्ता, ते सुणोहि यथातथं।", | |
"कुटिकोसियसेय्या च, खणने गच्छ देवते।", | |
"सप्पाणकञ्च सिञ्चन्ति, छ एते आळवियं कता॥", | |
"ये कोसम्बियं पञ्ञत्ता, ते सुणोहि यथातथं।", | |
"महाविहारो दोवचस्सं, अञ्ञं द्वारं सुराय च।", | |
"अनादरियं सहधम्मो, पयोपानेन अट्ठमं॥", | |
"ये", | |
"एळकलोमानि पत्तो च, ओवादो चेव भेसज्जं॥", | |
"सूचि आरञ्ञिको चेव, अट्ठेते", | |
"उदकसुद्धिया", | |
"ये भग्गेसु पञ्ञत्ता, ते सुणोहि यथातथं।", | |
"समादहित्वा विसिब्बेन्ति, सामिसेन ससित्थकं॥", | |
"पाराजिकानि चत्तारि, सङ्घादिसेसानि भवन्ति।", | |
"सत्त च निस्सग्गियानि, अट्ठ द्वत्तिंस खुद्दका॥", | |
"द्वे", | |
"छसु नगरेसु पञ्ञत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना॥", | |
"छऊन तीणिसतानि, सब्बे सावत्थियं कता।", | |
"कारुणिकेन बुद्धेन, गोतमेन यसस्सिना॥", | |
"यं तं", | |
"तं तं ब्याकतं अनञ्ञथा।", | |
"अञ्ञं तं पुच्छामि तदिङ्घ ब्रूहि।", | |
"गरुक लहुकञ्चापि सावसेसं।", | |
"अनवसेसं दुट्ठुल्लञ्च अदुट्ठुल्लं।", | |
"ये च यावततियका॥", | |
"साधारणं असाधारणं।", | |
"विभत्तियो च", | |
"सब्बानिपेतानि वियाकरोहि।", | |
"हन्द वाक्यं सुणोम ते॥", | |
"एकतिंसा", | |
"ये", | |
"पाराजिकं सङ्घादिसेसो, ‘‘सीलविपत्ती’’ति वुच्चति॥", | |
"थुल्लच्चयं", | |
"दुब्भासितं यो चायं, अक्कोसति हसाधिप्पायो।", | |
"अयं सा आचारविपत्तिसम्मता॥", | |
"विपरीतदिट्ठिं", | |
"अब्भाचिक्खन्ति सम्बुद्धं, दुप्पञ्ञा मोहपारुता।", | |
"अयं सा दिट्ठिविपत्तिसम्मता॥", | |
"एकादस यावततियका, ते सुणोहि यथातथं।", | |
"उक्खित्तानुवत्तिका, अट्ठ यावततियका।", | |
"अरिट्ठो चण्डकाळी च, इमे ते यावततियका॥", | |
"कति जानन्ति पञ्ञत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना॥", | |
"सोदस", | |
"वीसं", | |
"उद्देसं आगच्छन्ति उपोसथेसु।", | |
"तीणि सतानि चत्तारि भिक्खुनीनं सिक्खापदानि।", | |
"उद्देसं आगच्छन्ति उपोसथेसु॥", | |
"छचत्तारीसा भिक्खूनं, भिक्खुनीहि असाधारणा।", | |
"सतं तिंसा च भिक्खुनीनं, भिक्खूहि असाधारणा॥", | |
"सतं सत्तति छच्चेव, उभिन्नं असाधारणा।", | |
"सतं सत्तति चत्तारि, उभिन्नं समसिक्खता॥", | |
"वीसं", | |
"उद्देसं आगच्छन्ति उपोसथेसु।", | |
"ते सुणोहि यथातथं॥", | |
"पाराजिकानि चत्तारि, सङ्घादिसेसानि भवन्ति तेरस।", | |
"अनियता द्वे होन्ति॥", | |
"निस्सग्गियानि तिंसेव, द्वेनवुति च खुद्दका।", | |
"चत्तारो", | |
"वीसं द्वे सतानि चिमे होन्ति भिक्खूनं सिक्खापदानि।", | |
"उद्देसं आगच्छन्ति उपोसथेसु॥", | |
"तीणि सतानि चत्तारि, भिक्खुनीनं सिक्खापदानि।", | |
"उद्देसं आगच्छन्ति उपोसथेसु, ते सुणोहि यथातथं॥", | |
"पाराजिकानि", | |
"निस्सग्गियानि तिंसेव, सतं सट्ठि छ चेव खुद्दकानि पवुच्चन्ति॥", | |
"अट्ठ पाटिदेसनीया, पञ्चसत्तति सेखिया।", | |
"तीणि सतानि चत्तारि चिमे होन्ति भिक्खुनीनं सिक्खापदानि।", | |
"उद्देसं आगच्छन्ति उपोसथेसु॥", | |
"छचत्तारीसा भिक्खूनं, भिक्खुनीहि असाधारणा।", | |
"ते सुणोहि यथातथं॥", | |
"निस्सग्गियानि", | |
"द्वेवीसति खुद्दका, चतुरो पाटिदेसनीया।", | |
"छचत्तारीसा चिमे होन्ति, भिक्खूनं भिक्खुनीहि असाधारणा॥", | |
"सतं तिंसा च भिक्खुनीनं, भिक्खूहि असाधारणा।", | |
"ते सुणोहि यथातथं॥", | |
"पाराजिकानि", | |
"निस्सग्गियानि द्वादस, छन्नवुति च खुद्दका।", | |
"अट्ठ पाटिदेसनीया॥", | |
"सतं तिंसा चिमे होन्ति भिक्खुनीनं, भिक्खूहि असाधारणा।", | |
"सतं सत्तति छच्चेव, उभिन्नं असाधारणा।", | |
"ते सुणोहि यथातथं॥", | |
"पाराजिकानि चत्तारि, सङ्घादिसेसानि भवन्ति सोळस।", | |
"अनियता द्वे होन्ति, निस्सग्गियानि चतुवीसति।", | |
"सतं अट्ठारसा चेव, खुद्दकानि पवुच्चन्ति।", | |
"द्वादस पाटिदेसनीया॥", | |
"सतं सत्तति छच्चेविमे होन्ति, उभिन्नं असाधारणा।", | |
"सतं सत्तति चत्तारि, उभिन्नं समसिक्खता।", | |
"ते सुणोहि यथातथं॥", | |
"पाराजिकानि चत्तारि, सङ्घादिसेसानि भवन्ति सत्त।", | |
"निस्सग्गियानि अट्ठारस, समसत्तति खुद्दका।", | |
"पञ्चसत्तति सेखियानि॥", | |
"सतं सत्तति चत्तारि चिमे होन्ति, उभिन्नं समसिक्खता।", | |
"अट्ठे", | |
"पण्डुपलासो पुथुसिला, सीसच्छिन्नोव सो नरो।", | |
"तालोव मत्थकच्छिन्नो, अविरुळ्ही भवन्ति ते॥", | |
"तेवीसति", | |
"द्वे", | |
"अट्ठासीतिसतं पाचित्तिया, द्वादस पाटिदेसनीया॥", | |
"पञ्चसत्तति सेखिया, तीहि समथेहि सम्मन्ति।", | |
"सम्मुखा च पटिञ्ञाय, तिणवत्थारकेन च॥", | |
"द्वे उपोसथा द्वे पवारणा।", | |
"चत्तारि कम्मानि जिनेन देसिता।", | |
"पञ्चेव उद्देसा चतुरो भवन्ति।", | |
"अनञ्ञथा आपत्तिक्खन्धा च भवन्ति सत्त॥", | |
"अधिकरणानि", | |
"द्वीहि चतूहि तीहि किच्चं एकेन सम्मति॥", | |
"‘पाराजिक’न्ति यं वुत्तं, तं सुणोहि यथातथं।", | |
"चुतो परद्धो भट्ठो च, सद्धम्मा हि निरङ्कतो।", | |
"संवासोपि तहिं नत्थि, तेनेतं इति वुच्चति॥", | |
"‘सङ्घादिसेसो’ति यं वुत्तं, तं सुणोहि यथातथं।", | |
"सङ्घोव देति परिवासं, मूलाय पटिकस्सति।", | |
"मानत्तं देति अब्भेति, तेनेतं इति वुच्चति॥", | |
"‘अनियतो’ति यं वुत्तं, तं सुणोहि यथातथं।", | |
"अनियतो न नियतो, अनेकंसिकतं पदं।", | |
"तिण्णमञ्ञतरं ठानं, ‘अनियतो’ति पवुच्चति॥", | |
"‘थुल्लच्चय’न्ति यं वुत्तं, तं सुणोहि यथातथं।", | |
"एकस्स", | |
"अच्चयो तेन समो नत्थि, तेनेतं इति वुच्चति॥", | |
"‘निस्सग्गिय’न्ति यं वुत्तं, तं सुणोहि यथातथं।", | |
"सङ्घमज्झे गणमज्झे, एकस्सेव च एकतो।", | |
"निस्सज्जित्वान देसेति, तेनेतं इति वुच्चति॥", | |
"‘पाचित्तिय’न्ति", | |
"पातेति कुसलं धम्मं, अरियमग्गं अपरज्झति।", | |
"चित्तसंमोहनट्ठानं, तेनेतं इति वुच्चति॥", | |
"‘पाटिदेसनीय’न्ति", | |
"भिक्खु अञ्ञातको सन्तो, किच्छा लद्धाय भोजनं।", | |
"सामं गहेत्वा भुञ्जेय्य, ‘गारय्ह’न्ति पवुच्चति॥", | |
"निमन्तनासु भुञ्जन्ता छन्दाय, वोसासति तत्थ भिक्खुनिं।", | |
"अनिवारेत्वा तहिं भुञ्जे, गारय्हन्ति पवुच्चति॥", | |
"सद्धाचित्तं", | |
"अगिलानो तहिं भुञ्जे, गारय्हन्ति पवुच्चति॥", | |
"यो चे अरञ्ञे विहरन्तो, सासङ्के सभयानके।", | |
"अविदितं तहिं भुञ्जे, गारय्हन्ति पवुच्चति॥", | |
"भिक्खुनी अञ्ञातिका सन्ता, यं परेसं ममायितं।", | |
"सप्पि तेलं मधुं फाणितं, मच्छमंसं अथो खीरं।", | |
"दधिं सयं", | |
"‘दुक्कट’न्ति यं वुत्तं, तं सुणोहि यथातथं।", | |
"अपरद्धं विरद्धञ्च, खलितं यञ्च दुक्कटं॥", | |
"यं मनुस्सो करे पापं, आवि वा यदि वा रहो।", | |
"‘दुक्कट’न्ति पवेदेन्ति, तेनेतं इति वुच्चति॥", | |
"‘दुब्भासित’न्ति यं वुत्तं, तं सुणोहि यथातथं।", | |
"दुब्भासितं दुराभट्ठं, संकिलिट्ठञ्च यं पदं।", | |
"यञ्च विञ्ञू गरहन्ति, तेनेतं इति वुच्चति॥", | |
"‘सेखिय’न्ति यं वुत्तं, तं सुणोहि यथातथं।", | |
"सेक्खस्स सिक्खमानस्स, उजुमग्गानुसारिनो॥", | |
"आदि", | |
"सिक्खा एतादिसी नत्थि, तेनेतं इति वुच्चति॥", | |
"तस्मा छन्नं विवरेथ, एवं तं नातिवस्सति॥", | |
"गति मिगानं पवनं, आकासो पक्खिनं गति।", | |
"विभवो गति धम्मानं, निब्बानं अरहतो गतीति॥", | |
"सत्तनगरेसु पञ्ञत्ता, विपत्ति चतुरोपि च।", | |
"भिक्खूनं", | |
"सासनं अनुग्गहाय, गाथासङ्गणिकं इदन्ति॥", | |
"अधिकरणं", | |
"निदानहेतुपच्चया, मूलं समुट्ठानेन च॥", | |
"आपत्ति होति यत्थ च, संसट्ठा निदानेन च", | |
"हेतुपच्चयमूलानि, समुट्ठानेन ब्यञ्जना।", | |
"विवादो अधिकरणन्ति, भेदाधिकरणे इदन्ति॥", | |
"चोदना", | |
"सङ्घो किमत्थाय, मतिकम्मं पन किस्स कारणा॥", | |
"चोदना सारणत्थाय, निग्गहत्थाय सारणा।", | |
"सङ्घो परिग्गहत्थाय, मतिकम्मं पन पाटियेक्कं॥", | |
"मा खो तुरितो अभणि, मा खो चण्डिकतो भणि।", | |
"मा खो पटिघं जनयि, सचे अनुविज्जको तुवं॥", | |
"मा खो सहसा अभणि, कथं विग्गाहिकं अनत्थसंहितं।", | |
"सुत्ते विनये अनुलोमे, पञ्ञत्ते अनुलोमिके॥", | |
"अनुयोगवत्तं निसामय, कुसलेन बुद्धिमता कतं।", | |
"सुवुत्तं सिक्खापदानुलोमिकं, गतिं न नासेन्तो सम्परायिकं।", | |
"हितेसी अनुयुञ्जस्सु, कालेनत्थूपसंहितं॥", | |
"चुदितस्स च चोदकस्स च।", | |
"सहसा वोहारं मा पधारेसि।", | |
"चोदको आह आपन्नोति।", | |
"चुदितको आह अनापन्नोति॥", | |
"उभो", | |
"पटिञ्ञा लज्जीसु कता, अलज्जीसु एवं न विज्जति।", | |
"बहुम्पि अलज्जी भासेय्य, वत्तानुसन्धितेन", | |
"अलज्जी कीदिसो होति, पटिञ्ञा यस्स न रूहति।", | |
"एतञ्च", | |
"सञ्चिच्च आपत्तिं आपज्जति, आपत्तिं परिगूहति।", | |
"अगतिगमनञ्च गच्छति, एदिसो वुच्चति अलज्जीपुग्गलो॥", | |
"सच्चं अहम्पि जानामि, एदिसो वुच्चति अलज्जीपुग्गलो।", | |
"अञ्ञञ्च ताहं पुच्छामि, कीदिसो वुच्चति लज्जीपुग्गलो॥", | |
"सञ्चिच्च आपत्तिं नापज्जति, आपत्तिं न परिगूहति।", | |
"अगतिगमनं", | |
"सच्चं", | |
"अञ्ञञ्च ताहं पुच्छामि, कीदिसो वुच्चति अधम्मचोदको॥", | |
"अकाले", | |
"फरुसेन अनत्थसंहितेन।", | |
"दोसन्तरो चोदेति नो मेत्ताचित्तो।", | |
"एदिसो वुच्चति अधम्मचोदको॥", | |
"सच्चं अहम्पि जानामि, एदिसो वुच्चति अधम्मचोदको।", | |
"अञ्ञञ्च ताहं पुच्छामि, कीदिसो वुच्चति धम्मचोदको॥", | |
"कालेन चोदेति भूतेन, सण्हेन अत्थसंहितेन।", | |
"मेत्ताचित्तो चोदेति नो दोसन्तरो।", | |
"एदिसो वुच्चति धम्मचोदको॥", | |
"सच्चं", | |
"अञ्ञञ्च ताहं पुच्छामि, कीदिसो वुच्चति बालचोदको॥", | |
"पुब्बापरं न जानाति, पुब्बापरस्स अकोविदो।", | |
"अनुसन्धिवचनपथं न जानाति।", | |
"अनुसन्धिवचनपथस्स अकोविदो।", | |
"एदिसो वुच्चति बालचोदको॥", | |
"सच्चं अहम्पि जानामि, एदिसो वुच्चति बालचोदको।", | |
"अञ्ञञ्च", | |
"पुब्बापरम्पि जानाति, पुब्बापरस्स कोविदो।", | |
"अनुसन्धिवचनपथं जानाति, अनुसन्धिवचनपथस्स कोविदो।", | |
"एदिसो वुच्चति पण्डितचोदको॥", | |
"सच्चं अहम्पि जानामि, एदिसो वुच्चति पण्डितचोदको।", | |
"अञ्ञञ्च ताहं पुच्छामि, चोदना किन्ति वुच्चति॥", | |
"सीलविपत्तिया चोदेति, अथो आचारदिट्ठिया।", | |
"आजीवेनपि चोदेति, चोदना तेन वुच्चतीति॥", | |
"दिट्ठं दिट्ठेन समेति दिट्ठेन संसन्दते दिट्ठं।", | |
"दिट्ठं पटिच्च न उपेति असुद्धपरिसङ्कितो।", | |
"सो पुग्गलो पटिञ्ञाय कातब्बो तेनुपोसथो॥", | |
"सुतं सुतेन समेति सुतेन संसन्दते सुतं।", | |
"सुतं पटिच्च न उपेति असुद्धपरिसङ्कितो।", | |
"सो पुग्गलो पटिञ्ञाय कातब्बो तेनुपोसथो॥", | |
"मुतं मुतेन समेति मुतेन संसन्दते मुतं।", | |
"मुतं पटिच्च न उपेति असुद्धपरिसङ्कितो।", | |
"सो पुग्गलो पटिञ्ञाय कातब्बो तेनुपोसथो॥", | |
"उपोसथो किमत्थाय, पवारणा किस्स कारणा।", | |
"परिवासो किमत्थाय, मूलायपटिकस्सना किस्स कारणा।", | |
"मानत्तं किमत्थाय, अब्भानं किस्स कारणा॥", | |
"उपोसथो सामग्गत्थाय, विसुद्धत्थाय पवारणा।", | |
"परिवासो मानत्तत्थाय, मूलायपटिकस्सना निग्गहत्थाय।", | |
"मानत्तं अब्भानत्थाय, विसुद्धत्थाय अब्भानं॥", | |
"छन्दा", | |
"कायस्स भेदा दुप्पञ्ञो, खतो उपहतिन्द्रियो।", | |
"निरयं गच्छति दुम्मेधो, न च सिक्खाय गारवो॥", | |
"न च आमिसं निस्साय।", | |
"न च निस्साय पुग्गलं।", | |
"उभो एते विवज्जेत्वा।", | |
"यथाधम्मो तथा करे॥", | |
"कोधनो उपनाही च।", | |
"चण्डो च परिभासको।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"उपकण्णकं जप्पति जिम्हं पेक्खति।", | |
"वीतिहरति", | |
"अनापत्तिया", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"अकालेन चोदेति अभूतेन।", | |
"फरुसेन अनत्थसंहितेन।", | |
"दोसन्तरो चोदेति नो मेत्ताचित्तो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"धम्माधम्मं न जानाति।", | |
"धम्माधम्मस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"विनयाविनयं न जानाति।", | |
"विनयाविनयस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"भासिताभासितं", | |
"भासिताभासितस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"आचिण्णानाचिण्णं", | |
"आचिण्णानाचिण्णस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"पञ्ञत्तापञ्ञत्तं न जानाति।", | |
"पञ्ञत्तापञ्ञत्तस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"आपत्तानापत्तिं न जानाति।", | |
"आपत्तानापत्तिया अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"लहुकगरुकं न जानाति।", | |
"लहुकगरुकस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"सावसेसानवसेसं न जानाति।", | |
"सावसेसानवसेसस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"दुट्ठुल्लादुट्ठुल्लं", | |
"दुट्ठुल्लादुट्ठुल्लस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"पुब्बापरं", | |
"पुब्बापरस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानं॥", | |
"अनुसन्धिवचनपथं न जानाति।", | |
"अनुसन्धिवचनपथस्स अकोविदो।", | |
"अनापत्तिया आपत्तीति रोपेति।", | |
"तादिसो चोदको झापेति अत्तानन्ति॥", | |
"चोदना अनुविज्जा च, आदि मूलेनुपोसथो।", | |
"गति चोदनकण्डम्हि, सासनं पतिट्ठापयन्ति॥", | |
"अनुयोगवत्तं निसामय, कुसलेन बुद्धिमता कतं।", | |
"सुवुत्तं सिक्खापदानुलोमिकं, गतिं न नासेन्तो सम्परायिकं॥", | |
"वत्थुं", | |
"पुब्बापरं न जानाति, कताकतं समेन च॥", | |
"कम्मञ्च अधिकरणञ्च, समथे चापि अकोविदो।", | |
"रत्तो दुट्ठो च मूळ्हो च, भया मोहा च गच्छति॥", | |
"न च सञ्ञत्तिकुसलो, निज्झत्तिया च अकोविदो।", | |
"लद्धपक्खो अहिरिको, कण्हकम्मो अनादरो।", | |
"स वे", | |
"वत्थुं विपत्तिं आपत्तिं, निदानं आकारकोविदो।", | |
"पुब्बापरञ्च जानाति, कताकतं समेन च॥", | |
"कम्मञ्च अधिकरणञ्च, समथे चापि कोविदो।", | |
"अरत्तो अदुट्ठो अमूळ्हो, भया मोहा न गच्छति॥", | |
"सञ्ञत्तिया च कुसलो, निज्झत्तिया च कोविदो।", | |
"लद्धपक्खो हिरिमनो, सुक्ककम्मो सगारवो।", | |
"स वे तादिसको भिक्खु, सप्पटिक्खोति वुच्चतीति॥", | |
"नीचचित्तेन", | |
"सुत्तं संसन्दनत्थाय, विनयानुग्गहेन च।", | |
"उद्दानं चूळसङ्गामे, एकुद्देसो", | |
"छन्दा दोसा भया मोहा, यो धम्मं अतिवत्तति।", | |
"निहीयति तस्स यसो, काळपक्खेव चन्दिमाति॥", | |
"छन्दा", | |
"आपूरति तस्स यसो, सुक्कपक्खेव चन्दिमाति॥", | |
"दिट्ठं दिट्ठेन समेति, दिट्ठेन संसन्दते दिट्ठं।", | |
"दिट्ठं पटिच्च न उपेति, असुद्धपरिसङ्कितो।", | |
"सो पुग्गलो पटिञ्ञाय, कातब्बा तेन पवारणा॥", | |
"सुतं सुतेन समेति, सुतेन संसन्दते सुतं।", | |
"सुतं पटिच्च न उपेति, असुद्धपरिसङ्कितो।", | |
"सो पुग्गलो पटिञ्ञाय, कातब्बा तेन पवारणा॥", | |
"मुतं मुतेन समेति, मुतेन संसन्दते मुतं।", | |
"मुतं पटिच्च न उपेति, असुद्धपरिसङ्कितो।", | |
"सो पुग्गलो पटिञ्ञाय, कातब्बा तेन पवारणाति॥", | |
"वत्थु निदानं आकारो, पुब्बापरं कताकतं।", | |
"कम्माधिकरणञ्चेव, समथो छन्दगामि च॥", | |
"दोसा मोहा भया चेव, सञ्ञा निज्झापनेन च।", | |
"पेक्खा पसादे पक्खोम्हि, सुतथेरतरेन च॥", | |
"असम्पत्तञ्च सम्पत्तं, धम्मेन विनयेन च।", | |
"सत्थुस्स सासनेनापि, महासङ्गामञापनाति॥", | |
"पक्कमनन्तिको", | |
"एतञ्च ताहं पुच्छामि, कतमो पलिबोधो पठमं छिज्जति॥", | |
"पक्कमनन्तिको", | |
"एतञ्च ताहं विस्सज्जिस्सं, चीवरपलिबोधो पठमं छिज्जति।", | |
"तस्स सह बहिसीमगमना, आवासपलिबोधो छिज्जति॥", | |
"निट्ठानन्तिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं पुच्छामि, कतमो पलिबोधो पठमं छिज्जति॥", | |
"निट्ठानन्तिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं विस्सज्जिस्सं, आवासपलिबोधो", | |
"चीवरे निट्ठिते चीवरपलिबोधो छिज्जति॥", | |
"सन्निट्ठानन्तिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं पुच्छामि, कतमो पलिबोधो पठमं छिज्जति॥", | |
"सन्निट्ठानन्तिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं विस्सज्जिस्सं, द्वे पलिबोधा अपुब्बं अचरिमं छिज्जन्ति॥", | |
"नासनन्तिको", | |
"एतञ्च ताहं पुच्छामि, कतमो पलिबोधो पठमं छिज्जति॥", | |
"नासनन्तिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं विस्सज्जिस्सं, आवासपलिबोधो पठमं छिज्जति।", | |
"चीवरे नट्ठे चीवरपलिबोधो छिज्जति॥", | |
"सवनन्तिको", | |
"एतञ्च ताहं पुच्छामि, कतमो पलिबोधो पठमं छिज्जति॥", | |
"सवनन्तिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं विस्सज्जिस्सं, चीवरपलिबोधो पठमं छिज्जति।", | |
"तस्स सह सवनेन, आवासपलिबोधो छिज्जति॥", | |
"आसावच्छेदिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं पुच्छामि, कतमो पलिबोधो पठमं छिज्जति॥", | |
"आसावच्छेदिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं विस्सज्जिस्सं, आवासपलिबोधो पठमं छिज्जति।", | |
"चीवरासाय उपच्छिन्नाय चीवरपलिबोधो छिज्जति॥", | |
"सीमातिक्कमनन्तिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं पुच्छामि, कतमो", | |
"सीमातिक्कमनन्तिको कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं विस्सज्जिस्सं, चीवरपलिबोधो पठमं छिज्जति।", | |
"तस्स बहिसीमे", | |
"सहुब्भारो कथिनुद्धारो", | |
"एतञ्च ताहं पुच्छामि, कतमो पलिबोधो पठमं छिज्जति॥", | |
"सहुब्भारो कथिनुद्धारो, वुत्तो आदिच्चबन्धुना।", | |
"एतञ्च ताहं विस्सज्जिस्सं, द्वे पलिबोधा अपुब्बं अचरिमं छिज्जन्तीति॥", | |
"कस्स किन्ति पन्नरस, धम्मा निदानहेतु च।", | |
"पच्चयसङ्गहमूला, आदि च अत्थारपुग्गला", | |
"तिण्णं", | |
"पलिबोधाधिना, सीमाय उप्पादनिरोधेन चाति", | |
"उपोसथं", | |
"अभिसमाचारलज्जी च, अधिसीले दवेन च॥", | |
"अनाचारं उपघाति, मिच्छा आपत्तिमेव च।", | |
"यायापत्तिया बुद्धस्स, पठमो वग्गसङ्गहोति॥", | |
"आपन्नो यायवण्णञ्च, अलज्जी सङ्गामेन च।", | |
"उस्सिता उस्सादेता च, पसय्ह परियत्तियाति॥", | |
"आपत्ति अधिकरणं, पसय्हापत्ति जानना।", | |
"कम्मं वत्थुं अलज्जी च, अकुसलो च ञत्तिया।", | |
"सुत्तं न जानाति धम्मं, ततियो वग्गसङ्गहोति॥", | |
"दिट्ठाविकम्मा अपरे, पटिग्गहानतिरित्ता।", | |
"पवारणा पटिञ्ञातं, ओकासं साकच्छेन च।", | |
"पञ्हं अञ्ञब्याकरणा, विसुद्धि चापि भोजनाति॥", | |
"परिसुद्धञ्च", | |
"अत्तादानं अधिकरणं, अपरेहिपि वत्थुञ्च।", | |
"सुत्तं धम्मं पुन वत्थुञ्च, आपत्ति अधिकरणेन चाति॥", | |
"आरञ्ञिको पिण्डिपंसु, रुक्खसुसानपञ्चमं।", | |
"अब्भो तेचीवरञ्चेव, सपदाननेसज्जिका।", | |
"सन्थतेकासनञ्चेव, खलुपच्छा पत्तपिण्डिकाति॥", | |
"मुसावादो", | |
"आपत्तिञ्च अपरेहि, वेरा वेरमणीपि च।", | |
"ब्यसनं सम्पदा चेव, सत्तमो वग्गसङ्गहोति॥", | |
"भिक्खुनीहेव", | |
"भिक्खुनीनं तयो कम्मा, न ठपेतब्बा द्वे दुका।", | |
"न गहेतब्बा द्वे वुत्ता, साकच्छासु च द्वे दुकाति॥", | |
"न", | |
"पसारेता छन्दागतिं, अकुसलो तथेव च॥", | |
"सुत्तं धम्मञ्च वत्थुञ्च, आपत्ति अधिकरणं।", | |
"द्वे द्वे पकासिता सब्बे, कण्हसुक्कं विजानथाति॥", | |
"आपत्तिं", | |
"वत्थुञ्च अकुसलो च, पुग्गलो आमिसेन च।", | |
"भिज्जति सङ्घराजि च, सङ्घभेदो तथेव चाति॥", | |
"विनिधाय", | |
"अनुस्सावने सलाकेन, पञ्चेते दिट्ठिनिस्सिता।", | |
"खन्तिं रुचिञ्च सञ्ञञ्च, तयो ते पञ्चधा नयाति॥", | |
"अविनिधाय दिट्ठिं कम्मेन, उद्देसे वोहरेन च।", | |
"अनुस्सावने सलाकेन, पञ्चेते दिट्ठिनिस्सिता॥", | |
"खन्तिं रुचिञ्च सञ्ञञ्च, तयो ते पञ्चधा नया॥", | |
"हेट्ठिमे कण्हपक्खम्हि, समवीसति विधी यथा।", | |
"तथेव सुक्कपक्खम्हि, समवीसति जानथाति॥", | |
"आवासिकब्याकरणा", | |
"भण्डचीवरग्गाहो च, चीवरस्स च भाजको॥", | |
"यागु फलं खज्जकञ्च, अप्पसाटियगाहको।", | |
"पत्तो आरामिको चेव, सामणेरेन पेसकोति॥", | |
"कथिनत्थारनिद्दा", | |
"पुरे च पारिवासि च, वन्दियो वन्दितब्बकन्ति॥", | |
"अनिस्सितेन कम्मञ्च, वोहाराविकम्मेन च।", | |
"चोदना च धुतङ्गा च, मुसा भिक्खुनिमेव च॥", | |
"उब्बाहिकाधिकरणं, भेदका पञ्चमा पुरे।", | |
"आवासिका कथिनञ्च, चुद्दसा सुप्पकासिताति॥", | |
"अचित्तकुसला चेव, समुट्ठानञ्च सब्बथा।", | |
"यथाधम्मेन ञायेन, समुट्ठानं विजानथाति॥", | |
"छादेन्तस्स कति आपत्तियो, कति संसग्गपच्चया॥", | |
"छापत्तियो कायिका, छ वाचसिका कता।", | |
"छादेन्तस्स तिस्सो आपत्तियो, पञ्च संसग्गपच्चया॥", | |
"अरुणुग्गे कति आपत्तियो, कति यावततियका।", | |
"कतेत्थ अट्ठ वत्थुका, कतिहि सब्बसङ्गहो॥", | |
"अरुणुग्गे तिस्सो आपत्तियो, द्वे यावततियका।", | |
"एकेत्थ अट्ठ वत्थुका, एकेन सब्बसङ्गहो॥", | |
"विनयस्स कति मूलानि, यानि बुद्धेन पञ्ञत्ता।", | |
"विनयगरुका कति वुत्ता, दुट्ठुल्लच्छादना कति॥", | |
"विनयस्स द्वे मूलानि, यानि बुद्धेन पञ्ञत्ता।", | |
"विनयगरुका द्वे वुत्ता, द्वे दुट्ठुल्लच्छादना॥", | |
"गामन्तरे कति आपत्तियो, कति नदिपारपच्चया।", | |
"कतिमंसेसु थुल्लच्चयं, कतिमंसेसु दुक्कटं॥", | |
"गामन्तरे", | |
"एकमंसे थुल्लच्चयं, नवमंसेसु दुक्कटं॥", | |
"कति वाचसिका रत्तिं, कति वाचसिका दिवा।", | |
"ददमानस्स कति आपत्तियो, पटिग्गण्हन्तस्स कित्तका॥", | |
"द्वे", | |
"ददमानस्स तिस्सो आपत्तियो, चत्तारो च पटिग्गहे॥", | |
"कति देसनागामिनियो, कति सप्पटिकम्मा कता।", | |
"कतेत्थ अप्पटिकम्मा वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना॥", | |
"पञ्च", | |
"एकेत्थ अप्पटिकम्मा वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना॥", | |
"विनयगरुका कति वुत्ता, कायवाचसिकानि च।", | |
"कति विकाले धञ्ञरसो, कति ञत्तिचतुत्थेन सम्मुति॥", | |
"विनयगरुका द्वे वुत्ता, कायवाचसिकानि च।", | |
"एको विकाले धञ्ञरसो, एका ञत्तिचतुत्थेन सम्मुति॥", | |
"पाराजिका कायिका कति, कति संवासकभूमियो।", | |
"कतिनं", | |
"पाराजिका कायिका द्वे, द्वे संवासकभूमियो।", | |
"द्विन्नं रत्तिच्छेदो, पञ्ञत्ता द्वङ्गुला दुवे॥", | |
"कतत्तानं", | |
"कतेत्थ पठमापत्तिका, ञत्तिया करणा कति॥", | |
"द्वे अत्तानं वधित्वान, द्वीहि सङ्घो भिज्जति।", | |
"द्वेत्थ पठमापत्तिका, ञत्तिया करणा दुवे॥", | |
"पाणातिपाते कति आपत्तियो, वाचा पाराजिका कति।", | |
"ओभासना", | |
"पाणातिपाते तिस्सो आपत्तियो।", | |
"वाचा पाराजिका तयो।", | |
"ओभासना तयो वुत्ता।", | |
"सञ्चरित्तेन वा तयो॥", | |
"कति पुग्गला न उपसम्पादेतब्बा, कति कम्मानं सङ्गहा।", | |
"नासितका कति वुत्ता, कतिनं एकवाचिका॥", | |
"तयो पुग्गला न उपसम्पादेतब्बा, तयो कम्मानं सङ्गहा।", | |
"नासितका तयो वुत्ता, तिण्णन्नं एकवाचिका॥", | |
"अदिन्नादाने कति आपत्तियो, कति मेथुनपच्चया।", | |
"छिन्दन्तस्स कति आपत्तियो, कति छड्डितपच्चया॥", | |
"अदिन्नादाने तिस्सो आपत्तियो, चतस्सो मेथुनपच्चया।", | |
"छिन्दन्तस्स तिस्सो आपत्तियो, पञ्च छड्डितपच्चया॥", | |
"भिक्खुनोवादकवग्गस्मिं", | |
"कतेत्थ नवका वुत्ता, कतिनं चीवरेन च॥", | |
"भिक्खुनोवादकवग्गस्मिं", | |
"चतुरेत्थ नवका वुत्ता, द्विन्नं चीवरेन च॥", | |
"भिक्खुनीनञ्च अक्खाता, पाटिदेसनिया कति।", | |
"भुञ्जन्तामकधञ्ञेन, पाचित्तियेन दुक्कटा कति॥", | |
"भिक्खुनीनञ्च अक्खाता, अट्ठ पाटिदेसनीया कता।", | |
"भुञ्जन्तामकधञ्ञेन, पाचित्तियेन दुक्कटा कता॥", | |
"गच्छन्तस्स कति आपत्तियो, ठितस्स चापि कित्तका।", | |
"निसिन्नस्स", | |
"गच्छन्तस्स चतस्सो आपत्तियो, ठितस्स चापि तत्तका।", | |
"निसिन्नस्स चतस्सो आपत्तियो, निपन्नस्सापि तत्तका॥", | |
"कति पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"अपुब्बं अचरिमं, आपज्जेय्य एकतो॥", | |
"पञ्च पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"अपुब्बं अचरिमं, आपज्जेय्य एकतो॥", | |
"कति पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"अपुब्बं अचरिमं, आपज्जेय्य एकतो॥", | |
"न", | |
"अपुब्बं अचरिमं, आपज्जेय्य एकतो॥", | |
"कति", | |
"कति वाचाय देसेय्य, वुत्ता आदिच्चबन्धुना॥", | |
"पञ्च पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"एकवाचाय देसेय्य, वुत्ता आदिच्चबन्धुना॥", | |
"कति पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"कति वाचाय देसेय्य, वुत्ता आदिच्चबन्धुना॥", | |
"नव", | |
"एकवाचाय देसेय्य, वुत्ता आदिच्चबन्धुना॥", | |
"कति पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"किञ्च", | |
"पञ्च पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"वत्थुं कित्तेत्वा देसेय्य, वुत्ता आदिच्चबन्धुना॥", | |
"कति पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"किञ्च कित्तेत्वा देसेय्य, वुत्ता आदिच्चबन्धुना॥", | |
"नव पाचित्तियानि, सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"वत्थुं कित्तेत्वा देसेय्य, वुत्ता आदिच्चबन्धुना॥", | |
"यावततियके कति आपत्तियो, कति वोहारपच्चया।", | |
"खादन्तस्स कति आपत्तियो, कति भोजनपच्चया॥", | |
"यावततियके तिस्सो आपत्तियो, छ वोहारपच्चया।", | |
"खादन्तस्स तिस्सो आपत्तियो, पञ्च भोजनपच्चया॥", | |
"सब्बा", | |
"कतिनञ्चेव आपत्ति, कतिनं अधिकरणेन च॥", | |
"सब्बा यावततियका, पञ्च ठानानि गच्छन्ति।", | |
"पञ्चन्नञ्चेव आपत्ति, पञ्चन्नं अधिकरणेन च॥", | |
"कतिनं विनिच्छयो होति, कतिनं वूपसमेन च।", | |
"कतिनञ्चेव अनापत्ति, कतिहि ठानेहि सोभति॥", | |
"पञ्चन्नं विनिच्छयो होति, पञ्चन्नं वूपसमेन च।", | |
"पञ्चन्नञ्चेव अनापत्ति, तीहि ठानेहि सोभति॥", | |
"कति", | |
"निज्झायन्तस्स कति आपत्ति, कति पिण्डपातपच्चया॥", | |
"द्वे कायिका रत्तिं, द्वे कायिका दिवा।", | |
"निज्झायन्तस्स एका आपत्ति, एका पिण्डपातपच्चया॥", | |
"कतानिसंसे", | |
"उक्खित्तका कति वुत्ता, कति सम्मावत्तना॥", | |
"अट्ठानिसंसे सम्पस्सं, परेसं सद्धाय देसये।", | |
"उक्खित्तका तयो वुत्ता, तेचत्तालीस सम्मावत्तना॥", | |
"कति ठाने मुसावादो, कति परमन्ति वुच्चति।", | |
"कति", | |
"पञ्च ठाने मुसावादो, चुद्दस परमन्ति वुच्चति।", | |
"द्वादस पाटिदेसनीया, चतुन्नं देसनाय च॥", | |
"कतङ्गिको", | |
"कति दूतेय्यङ्गानि, कति तित्थियवत्तना॥", | |
"अट्ठङ्गिको मुसावादो, अट्ठ उपोसथङ्गानि।", | |
"अट्ठ दूतेय्यङ्गानि, अट्ठ तित्थियवत्तना॥", | |
"कतिवाचिका उपसम्पदा, कतिनं पच्चुट्ठातब्बं।", | |
"कतिनं आसनं दातब्बं, भिक्खुनोवादको कतिहि॥", | |
"अट्ठवाचिका उपसम्पदा, अट्ठन्नं पच्चुट्ठातब्बं।", | |
"अट्ठन्नं", | |
"कतिनं छेज्जं होति, कतिनं थुल्लच्चयं।", | |
"कतिनञ्चेव अनापत्ति, सब्बेसं एकवत्थुका॥", | |
"एकस्स छेज्जं होति, चतुन्नं थुल्लच्चयं।", | |
"चतुन्नञ्चेव अनापत्ति, सब्बेसं एकवत्थुका॥", | |
"कति आघातवत्थूनि, कतिहि सङ्घो भिज्जति।", | |
"कतेत्थ पठमापत्तिका, ञत्तिया करणा कति॥", | |
"नव आघातवत्थूनि, नवहि सङ्घो भिज्जति।", | |
"नवेत्थ पठमापत्तिका, ञत्तिया करणा नव॥", | |
"कति पुग्गला नाभिवादेतब्बा, अञ्जलिसामिचेन च।", | |
"कतिनं दुक्कटं होति, कति चीवरधारणा॥", | |
"दस", | |
"दसन्नं दुक्कटं होति, दस चीवरधारणा॥", | |
"कतिनं वस्संवुट्ठानं, दातब्बं इध चीवरं।", | |
"कतिनं भन्ते दातब्बं, कतिनञ्चेव न दातब्बं॥", | |
"पञ्चन्नं वस्संवुट्ठानं, दातब्बं इध चीवरं।", | |
"सत्तन्नं सन्ते दातब्बं, सोळसन्नं न दातब्बं॥", | |
"कतिसतं रत्तिसतं, आपत्तियो छादयित्वान।", | |
"कति रत्तियो वसित्वान, मुच्चेय्य पारिवासिको॥", | |
"दससतं रत्तिसतं, आपत्तियो छादयित्वान।", | |
"दस", | |
"कति कम्मदोसा वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"चम्पायं विनयवत्थुस्मिं, सब्बेव अधम्मिका", | |
"द्वादस कम्मदोसा वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"चम्पायं विनयवत्थुस्मिं, सब्बेव अधम्मिका", | |
"कति कम्मसम्पत्तियो वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"चम्पायं विनयवत्थुस्मिं, सब्बेव धम्मिका कति॥", | |
"चतस्सो कम्मसम्पत्तियो वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"चम्पायं", | |
"कति कम्मानि वुत्तानि, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"चम्पायं विनयवत्थुस्मिं, धम्मिका अधम्मिका कति॥", | |
"छ", | |
"चम्पायं विनयवत्थुस्मिं, एकेत्थ धम्मिका कता।", | |
"पञ्च अधम्मिका वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना॥", | |
"कति कम्मानि वुत्तानि, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"चम्पायं विनयवत्थुस्मिं, धम्मिका अधम्मिका कति॥", | |
"चत्तारि", | |
"चम्पायं विनयवत्थुस्मिं, एकेत्थ धम्मिका कता।", | |
"तयो अधम्मिका वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना॥", | |
"यं देसितंनन्तजिनेन तादिना।", | |
"आपत्तिक्खन्धानि", | |
"कतेत्थ सम्मन्ति विना समथेहि।", | |
"पुच्छामि तं ब्रूहि विभङ्गकोविद॥", | |
"यं देसितंनन्तजिनेन तादिना।", | |
"आपत्तिक्खन्धानि विवेकदस्सिना।", | |
"एकेत्थ सम्मति विना समथेहि।", | |
"एतं ते अक्खामि विभङ्गकोविद॥", | |
"कति आपायिका वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि", | |
"छऊनदियड्ढसता वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"आपायिका नेरयिका, कप्पट्ठा सङ्घभेदका।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति नापायिका वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"अट्ठारस", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति अट्ठका वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"अट्ठारस अट्ठका वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"सोळस", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति कम्मदोसा वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं", | |
"द्वादस कम्मदोसा वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति कम्मसम्पत्तियो वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"चतस्सो कम्मसम्पत्तियो वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"छ कम्मानि वुत्तानि, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति कम्मानि वुत्तानि, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"चत्तारि कम्मानि वुत्तानि, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"अट्ठ पाराजिका वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति सङ्घादिसेसा वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"तेवीस सङ्घादिसेसा वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"द्वे अनियता वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"द्वेचत्तालीस निस्सग्गिया वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति पाचित्तिया वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"अट्ठासीतिसतं पाचित्तिया वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"द्वादस पाटिदेसनीया वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"कति सेखिया वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोम ते॥", | |
"पञ्चसत्तति सेखिया वुत्ता, बुद्धेनादिच्चबन्धुना।", | |
"विनयं पटिजानन्तस्स, विनयानि सुणोहि मे॥", | |
"याव सुपुच्छितं तया, याव सुविस्सज्जितं मया।", | |
"पुच्छाविस्सज्जनाय वा, नत्थि किञ्चि असुत्तकन्ति॥", | |
"असंवासो", | |
"सम्भोगो एकच्चो तहिं न लब्भति।", | |
"अविप्पवासेन अनापत्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"अविस्सज्जियं अवेभङ्गियं।", | |
"पञ्च वुत्ता महेसिना।", | |
"विस्सज्जन्तस्स परिभुञ्जन्तस्स अनापत्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"दस पुग्गले न वदामि, एकादस विवज्जिय।", | |
"वुड्ढं वन्दन्तस्स आपत्ति, पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"न उक्खित्तको न च पन पारिवासिको।", | |
"न सङ्घभिन्नो न च पन पक्खसङ्कन्तो।", | |
"समानसंवासकभूमिया ठितो।", | |
"कथं नु सिक्खाय असाधारणो सिया।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"उपेति", | |
"न", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"उब्भक्खके न वदामि, अधो नाभिं विवज्जिय।", | |
"मेथुनधम्मपच्चया, कथं पाराजिको सिया।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"भिक्खु सञ्ञाचिकाय कुटिं करोति।", | |
"अदेसितवत्थुकं पमाणातिक्कन्तं।", | |
"सारम्भं अपरिक्कमनं अनापत्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"भिक्खु", | |
"देसितवत्थुकं पमाणिकं।", | |
"अनारम्भं सपरिक्कमनं आपत्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"न कायिकं किञ्चि पयोगमाचरे।", | |
"न चापि वाचाय परे भणेय्य।", | |
"आपज्जेय्य गरुकं छेज्जवत्थुं।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"न कायिकं वाचसिकञ्च किञ्चि।", | |
"मनसापि सन्तो न करेय्य पापं।", | |
"सो", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"अनालपन्तो मनुजेन केनचि।", | |
"वाचागिरं नो च परे भणेय्य।", | |
"आपज्जेय्य", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"सिक्खापदा बुद्धवरेन वण्णिता।", | |
"सङ्घादिसेसा चतुरो भवेय्युं।", | |
"आपज्जेय्य एकपयोगेन सब्बे।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"उभो एकतो उपसम्पन्ना।", | |
"उभिन्नं हत्थतो चीवरं पटिग्गण्हेय्य।", | |
"सिया आपत्तियो नाना।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"चतुरो जना संविधाय।", | |
"गरुभण्डं अवाहरुं।", | |
"तयो पाराजिका एको न पाराजिको।", | |
"पञ्हा", | |
"इत्थी", | |
"भिक्खु च बहिद्धा सिया।", | |
"छिद्दं तस्मिं घरे नत्थि।", | |
"मेथुनधम्मपच्चया।", | |
"कथं पाराजिको सिया।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"तेलं मधुं फाणितञ्चापि सप्पिं।", | |
"सामं गहेत्वान निक्खिपेय्य।", | |
"अवीतिवत्ते", | |
"सति पच्चये परिभुञ्जन्तस्स आपत्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"निस्सग्गियेन आपत्ति।", | |
"सुद्धकेन पाचित्तियं।", | |
"आपज्जन्तस्स एकतो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"भिक्खू सिया वीसतिया समागता।", | |
"कम्मं करेय्युं समग्गसञ्ञिनो।", | |
"भिक्खु सिया द्वादसयोजने ठितो।", | |
"कम्मञ्च तं कुप्पेय्य वग्गपच्चया।", | |
"पञ्हा", | |
"पदवीतिहारमत्तेन वाचाय भणितेन च।", | |
"सब्बानि गरुकानि सप्पटिकम्मानि।", | |
"चतुसट्ठि आपत्तियो आपज्जेय्य एकतो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"निवत्थो अन्तरवासकेन।", | |
"दिगुणं सङ्घाटिं पारुतो।", | |
"सब्बानि तानि निस्सग्गियानि होन्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"न", | |
"न चेहि भिक्खूति जिनो अवोच।", | |
"सरणगमनम्पि न तस्स अत्थि।", | |
"उपसम्पदा चस्स अकुप्पा।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"इत्थिं", | |
"हनेय्य अनरियं मन्दो, तेन चानन्तरं फुसे।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"इत्थिं हने च मातरं, पुरिसञ्च पितरं हने।", | |
"मातरं पितरं हन्त्वा, न तेनानन्तरं फुसे।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"अचोदयित्वा", | |
"असम्मुखीभूतस्स करेय्य कम्मं।", | |
"कतञ्च कम्मं सुकतं भवेय्य।", | |
"कारको", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"चोदयित्वा सारयित्वा।", | |
"सम्मुखीभूतस्स करेय्य कम्मं।", | |
"कतञ्च कम्मं अकतं भवेय्य।", | |
"कारको च सङ्घो सापत्तिको सिया।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"छिन्दन्तस्स आपत्ति, छिन्दन्तस्स अनापत्ति।", | |
"छादेन्तस्स आपत्ति, छादेन्तस्स अनापत्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"सच्चं भणन्तो गरुकं, मुसा च लहु भासतो।", | |
"मुसा भणन्तो गरुकं, सच्चञ्च लहु भासतो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"अधिट्ठितं", | |
"कप्पकतम्पि सन्तं।", | |
"परिभुञ्जन्तस्स आपत्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"अत्थङ्गते सूरिये भिक्खु मंसानि खादति।", | |
"न उम्मत्तको न च पन खित्तचित्तो।", | |
"न चापि सो वेदनाट्टो भवेय्य।", | |
"न चस्स होति आपत्ति।", | |
"सो च धम्मो सुगतेन देसितो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"न रत्तचित्तो न च पन थेय्यचित्तो।", | |
"न चापि सो परं मरणाय चेतयि।", | |
"सलाकं", | |
"पटिग्गण्हन्तस्स थुल्लच्चयं।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"न चापि आरञ्ञकं सासङ्कसम्मतं।", | |
"न चापि सङ्घेन सम्मुति दिन्ना।", | |
"न चस्स कथिनं अत्थतं तत्थेव।", | |
"चीवरं निक्खिपित्वा गच्छेय्य अड्ढयोजनं।", | |
"तत्थेव अरुणं उग्गच्छन्तस्स अनापत्ति।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"कायिकानि न वाचसिकानि।", | |
"सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"अपुब्बं", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"वाचसिकानि न कायिकानि।", | |
"सब्बानि नानावत्थुकानि।", | |
"अपुब्बं अचरिमं आपज्जेय्य एकतो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"तिस्सित्थियो", | |
"तयो पुरिसे तयो अनरियपण्डके।", | |
"न चाचरे मेथुनं ब्यञ्जनस्मिं।", | |
"छेज्जं", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"मातरं चीवरं याचे, नो च सङ्घे", | |
"केनस्स होति आपत्ति, अनापत्ति च ञातके।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"कुद्धो", | |
"अथ को नाम सो धम्मो, येन कुद्धो पसंसियो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"तुट्ठो आराधको होति, तुट्ठो होति गरहियो।", | |
"अथ को नाम सो धम्मो, येन तुट्ठो गरहियो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"सङ्घादिसेसं थुल्लच्चयं।", | |
"पाचित्तियं पाटिदेसनीयं।", | |
"दुक्कटं आपज्जेय्य एकतो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"उभो", | |
"उभिन्नं एकुपज्झायो।", | |
"एकाचरियो एका कम्मवाचा।", | |
"एको उपसम्पन्नो एको अनुपसम्पन्नो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"अकप्पकतं नापि रजनाय रत्तं।", | |
"तेन", | |
"न चस्स होति आपत्ति।", | |
"सो च धम्मो सुगतेन देसितो।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"न", | |
"आपज्जति गरुकं न लहुकं, तञ्च परिभोगपच्चया।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"न देति न पटिग्गण्हाति, पटिग्गहो तेन न विज्जति।", | |
"आपज्जति लहुकं न गरुकं, तञ्च परिभोगपच्चया।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"आपज्जति गरुकं सावसेसं।", | |
"छादेति अनादरियं पटिच्च।", | |
"न भिक्खुनी नो च फुसेय्य वज्जं।", | |
"पञ्हा मेसा कुसलेहि चिन्तिता॥", | |
"असंवासो", | |
"उपेति धम्मं उब्भक्खकं, ततो सञ्ञाचिका च द्वे॥", | |
"न", | |
"अनालपन्तो सिक्खा च, उभो च चतुरो जना॥", | |
"इत्थी तेलञ्च निस्सग्गि, भिक्खु च पदवीतियो।", | |
"निवत्थो च न च ञत्ति, न मातरं पितरं हने॥", | |
"अचोदयित्वा चोदयित्वा, छिन्दन्तं सच्चमेव च।", | |
"अधिट्ठितञ्चत्थङ्गते, न रत्तं न चारञ्ञकं॥", | |
"कायिका वाचसिका च, तिस्सित्थी चापि मातरं।", | |
"कुद्धो आराधको तुट्ठो, सङ्घादिसेसा च उभो॥", | |
"अकप्पकतं न देति, न देतापज्जती गरुं।", | |
"सेदमोचनिका गाथा, पञ्हा विञ्ञूहि विभाविताति", | |
"अपलोकनं", | |
"वत्थु ञत्ति अनुस्सावनं, सीमा परिसमेव च॥", | |
"सम्मुखा पटिपुच्छा च, पटिञ्ञा विनयारहो।", | |
"वत्थु सङ्घपुग्गलञ्च, ञत्तिं न पच्छा ञत्ति च॥", | |
"वत्थुं सङ्घपुग्गलञ्च, सावनं अकालेन च।", | |
"अतिखुद्दका महन्ता च, खण्डच्छाया निमित्तका॥", | |
"बहिनदी समुद्दे च, जातस्सरे च भिन्दति।", | |
"अज्झोत्थरति सीमाय, चतु पञ्च च वग्गिका॥", | |
"दस वीसतिवग्गा च, अनाहटा च आहटा।", | |
"कम्मपत्ता छन्दारहा, कम्मारहा च पुग्गला॥", | |
"अपलोकनं पञ्चट्ठानं, ञत्ति च नवठानिका।", | |
"ञत्ति दुतियं सत्तट्ठानं, चतुत्था सत्तठानिका॥", | |
"सुट्ठु फासु च दुम्मङ्कु, पेसला चापि आसवा।", | |
"वेरवज्जभयञ्चेव, अकुसलं गिहीनञ्च॥", | |
"पापिच्छा", | |
"विनयानुग्गहा चेव, पातिमोक्खुद्देसेन च॥", | |
"पातिमोक्खञ्च", | |
"तज्जनीया नियस्सञ्च, पब्बाजनीय पटिसारणी।", | |
"उक्खेपन परिवासं, मूलमानत्तअब्भानं।", | |
"ओसारणं निस्सारणं, तथेव उपसम्पदा॥", | |
"अपलोकनञत्ति", | |
"अपञ्ञत्तेनुपञ्ञत्तं, सम्मुखाविनयो सति॥", | |
"अमूळ्हपटियेभुय्य, पापिय तिणवत्थारकं।", | |
"वत्थु विपत्ति आपत्ति, निदानं पुग्गलेन च॥", | |
"खन्धा", | |
"समथा सङ्गहा चेव, नामआपत्तिका तथाति॥" | |
] | |
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