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{ | |
"title": "१. बुद्धवग्गो", | |
"book_name": "१०. भिक्खुसंयुत्तं", | |
"chapter": "१. पटिच्चसमुप्पादसुत्तं", | |
"gathas": [ | |
"देसना विभङ्गपटिपदा च,", | |
"विपस्सी सिखी च वेस्सभू।", | |
"ककुसन्धो कोणागमनो कस्सपो,", | |
"महासक्यमुनि च गोतमोति॥", | |
"आहारं फग्गुनो चेव, द्वे च समणब्राह्मणा।", | |
"कच्चानगोत्तो धम्मकथिकं, अचेलं तिम्बरुकेन च।", | |
"बालपण्डिततो चेव, दसमो पच्चयेन चाति॥", | |
"द्वे", | |
"उपवाणो पच्चयो भिक्खु, द्वे च समणब्राह्मणाति॥", | |
"‘‘ये च सङ्खातधम्मासे, ये च सेक्खा पुथू इध।", | |
"तेसं मे निपको इरियं, पुट्ठो पब्रूहि मारिसा’’ति॥", | |
"‘‘ये च सङ्खातधम्मासे, ये च सेक्खा पुथू इध।", | |
"तेसं मे निपको इरियं, पुट्ठो पब्रूहि मारिसा’’ति॥", | |
"‘‘ये", | |
"तेसं मे निपको इरियं, पुट्ठो पब्रूहि मारिसा’’ति॥", | |
"‘‘ये च सङ्खातधम्मासे, ये च सेक्खा पुथू इध।", | |
"तेसं मे निपको इरियं, पुट्ठो पब्रूहि मारिसा’’ति॥", | |
"भूतमिदं कळारञ्च, दुवे च ञाणवत्थूनि।", | |
"अविज्जापच्चया", | |
"द्वे", | |
"अञ्ञतरं जाणुस्सोणि च, लोकायतिकेन अट्ठमं।", | |
"द्वे अरियसावका वुत्ता, वग्गो तेन पवुच्चतीति॥", | |
"परिवीमंसनुपादानं,", | |
"महारुक्खेन द्वे वुत्ता, तरुणेन च सत्तमं।", | |
"नामरूपञ्च विञ्ञाणं, निदानेन च ते दसाति॥", | |
"द्वे अस्सुतवता वुत्ता, पुत्तमंसेन चापरं।", | |
"अत्थिरागो च नगरं, सम्मसं नळकलापियं।", | |
"कोसम्बी उपयन्ति च, दसमो सुसिमेन चाति", | |
"पच्चयेकादस वुत्ता, चतुसच्चविभज्जना।", | |
"समणब्राह्मणवग्गो, निदाने भवति अट्ठमो॥", | |
"बुद्धो आहारो दसबलो, कळारो गहपतिपञ्चमो।", | |
"दुक्खवग्गो महावग्गो, अट्ठमो समणब्राह्मणोति॥", | |
"सत्था सिक्खा च योगो च, छन्दो उस्सोळ्हिपञ्चमी।", | |
"अप्पटिवानि आतप्पं, वीरियं", | |
"सति च सम्पजञ्ञञ्च, अप्पमादेन द्वादसाति॥", | |
"परे", | |
"चतुसच्चेन ते वुत्ता, पेय्यालअन्तरम्हि येति", | |
"नखसिखा पोक्खरणी, सम्भेज्जउदके च द्वे।", | |
"द्वे पथवी द्वे समुद्दा, तयो च पब्बतूपमाति॥", | |
"धातुफस्सञ्च", | |
"एतं अज्झत्तपञ्चकं, धातुसञ्ञञ्च नो चेतं।", | |
"फस्सस्स अपरे दुवे, एतं बाहिरपञ्चकन्ति॥", | |
"‘‘संसग्गा वनथो जातो, असंसग्गेन छिज्जति।", | |
"परित्तं दारुमारुय्ह, यथा सीदे महण्णवे॥", | |
"‘‘एवं कुसीतमागम्म, साधुजीविपि सीदति।", | |
"तस्मा तं परिवज्जेय्य, कुसीतं हीनवीरियं॥", | |
"‘‘पविवित्तेहि", | |
"निच्चं आरद्धवीरियेहि, पण्डितेहि सहावसे’’ति॥", | |
"सत्तिमा", | |
"हीनाधिमुत्ति चङ्कमं, सगाथा अस्सद्धसत्तमं॥", | |
"अस्सद्धमूलका", | |
"अनोत्तप्पमूलका तीणि, दुवे अप्पस्सुतेन च॥", | |
"कुसीतं एककं वुत्तं, सुत्तन्ता तीणि पञ्चका।", | |
"बावीसति वुत्ता सुत्ता, दुतियो वग्गो पवुच्चतीति॥", | |
"असमाहितं", | |
"सत्त कम्मपथा वुत्ता, दसकम्मपथेन च।", | |
"छट्ठं अट्ठङ्गिको वुत्तो, दसङ्गेन च सत्तमं॥", | |
"चतस्सो पुब्बे अचरिं, नोचेदञ्च दुक्खेन च।", | |
"अभिनन्दञ्च उप्पादो, तयो समणब्राह्मणाति॥", | |
"‘‘एकस्सेकेन कप्पेन, पुग्गलस्सट्ठिसञ्चयो।", | |
"सिया पब्बतसमो रासि, इति वुत्तं महेसिना॥", | |
"‘‘सो खो पनायं अक्खातो, वेपुल्लो पब्बतो महा।", | |
"उत्तरो गिज्झकूटस्स, मगधानं गिरिब्बजे॥", | |
"‘‘यतो च अरियसच्चानि, सम्मप्पञ्ञाय पस्सति।", | |
"दुक्खं दुक्खसमुप्पादं, दुक्खस्स च अतिक्कमं।", | |
"अरियं चट्ठङ्गिकं मग्गं, दुक्खूपसमगामिनं॥", | |
"‘‘स सत्तक्खत्तुंपरमं, सन्धावित्वान पुग्गलो।", | |
"दुक्खस्सन्तकरो", | |
"तिणकट्ठञ्च पथवी, अस्सु खीरञ्च पब्बतं।", | |
"सासपा सावका गङ्गा, दण्डो च पुग्गलेन चाति॥", | |
"‘‘पाचीनवंसो तिवरानं, रोहितस्सान वङ्कको।", | |
"सुप्पियानं सुपस्सोति, मागधानञ्च वेपुल्लो॥", | |
"‘‘अनिच्चा", | |
"उप्पज्जित्वा निरुज्झन्ति, तेसं वूपसमो सुखो’’ति॥ दसमं।", | |
"दुग्गतं सुखितञ्चेव, तिंस मातापितेन च।", | |
"भाता भगिनी पुत्तो च, धीता वेपुल्लपब्बतं॥", | |
"सन्तुट्ठञ्च अनोत्तप्पी, चन्दूपमं कुलूपकं।", | |
"जिण्णं तयो च ओवादा, झानाभिञ्ञा उपस्सयं।", | |
"चीवरं परंमरणं, सद्धम्मप्पतिरूपकन्ति॥", | |
"‘‘यस्स", | |
"समाधि न विकम्पति, अप्पमाणविहारिनो", | |
"‘‘तं झायिनं साततिकं, सुखुमं दिट्ठिविपस्सकं।", | |
"उपादानक्खयारामं, आहु सप्पुरिसो इती’’ति॥ दसमं।", | |
"दारुणो बळिसं कुम्मं, दीघलोमि च मीळ्हकं।", | |
"असनि दिद्धं सिङ्गालं, वेरम्भेन सगाथकन्ति॥", | |
"द्वे", | |
"पथवी किञ्चिक्खजीवितं, जनपदकल्याणिया दसाति॥", | |
"मातुगामो", | |
"समणब्राह्मणा तीणि, छवि रज्जु च भिक्खुनाति॥", | |
"‘‘फलं वे कदलिं हन्ति, फलं वेळुं फलं नळं।", | |
"सक्कारो कापुरिसं हन्ति, गब्भो अस्सतरिं यथाति’’॥ पञ्चमं।", | |
"भिन्दि मूलं दुवे धम्मा, पक्कन्तं रथ मातरि।", | |
"पिता भाता च भगिनी, पुत्तो धीता पजापतीति॥", | |
"चक्खु रूपञ्च विञ्ञाणं, सम्फस्सो वेदनाय च।", | |
"सञ्ञा सञ्चेतना तण्हा, धातु खन्धेन ते दसाति॥", | |
"चक्खु", | |
"सञ्ञा सञ्चेतना तण्हा, धातु खन्धेन ते दस।", | |
"अनुसयं अपगतञ्चेव, वग्गो तेन पवुच्चतीति॥", | |
"अट्ठि पेसि उभो गावघातका,", | |
"पिण्डो साकुणियो निच्छवोरब्भि।", | |
"असि सूकरिको सत्तिमागवि,", | |
"उसु कारणिको सूचि सारथि।", | |
"यो च सिब्बियति सूचको हि सो,", | |
"अण्डभारि अहु गामकूटकोति॥", | |
"कूपे", | |
"गूथखादि अहु दुट्ठब्राह्मणो॥", | |
"निच्छवित्थि अतिचारिनी अहु।", | |
"मङ्गुलित्थि अहु इक्खणित्थिका॥", | |
"ओकिलिनि सपत्तङ्गारोकिरि।", | |
"सीसच्छिन्नो अहु चोरघातको॥", | |
"भिक्खु", | |
"सामणेरो अथ सामणेरिका॥", | |
"कस्सपस्स विनयस्मिं पब्बज्जं।", | |
"पापकम्मं करिंसु तावदेति॥", | |
"कूटं नखसिखं कुलं, ओक्खा सत्ति धनुग्गहो।", | |
"आणि कलिङ्गरो नागो, बिळारो द्वे सिङ्गालकाति॥", | |
"‘‘सारिपुत्तोव पञ्ञाय, सीलेन उपसमेन च।", | |
"योपि पारङ्गतो भिक्खु, एतावपरमो सिया’’ति॥", | |
"‘‘नयिदं सिथिलमारब्भ, नयिदं अप्पेन थामसा।", | |
"निब्बानं अधिगन्तब्बं, सब्बदुक्खप्पमोचनं॥", | |
"‘‘अयञ्च दहरो भिक्खु, अयमुत्तमपुरिसो।", | |
"धारेति अन्तिमं देहं, जेत्वा मारं सवाहिनि’’न्ति॥ चतुत्थं।", | |
"‘‘सोभति", | |
"विप्पयुत्तो विसंयुत्तो, अनुपादाय निब्बुतो।", | |
"धारेति अन्तिमं देहं, जेत्वा मारं सवाहिनि’’न्ति॥ पञ्चमं।", | |
"‘‘हंसा कोञ्चा मयूरा च, हत्थयो पसदा मिगा।", | |
"सब्बे सीहस्स भायन्ति, नत्थि कायस्मिं तुल्यता॥", | |
"‘‘एवमेव मनुस्सेसु, दहरो चेपि पञ्ञवा।", | |
"सो हि तत्थ महा होति, नेव बालो सरीरवा’’ति॥ छट्ठं।", | |
"‘‘नाभासमानं जानन्ति, मिस्सं बालेहि पण्डितं।", | |
"भासमानञ्च जानन्ति, देसेन्तं अमतं पदं॥", | |
"‘‘भासये जोतये धम्मं, पग्गण्हे इसिनं धजं।", | |
"सुभासितधजा इसयो, धम्मो हि इसिनं धजो’’ति॥ सत्तमं।", | |
"‘‘कदाहं नन्दं पस्सेय्यं, आरञ्ञं पंसुकूलिकं।", | |
"अञ्ञातुञ्छेन यापेन्तं, कामेसु अनपेक्खिन’’न्ति॥", | |
"‘‘किं नु कुज्झसि मा कुज्झि, अक्कोधो तिस्स ते वरं।", | |
"कोधमानमक्खविनयत्थञ्हि, तिस्स ब्रह्मचरियं वुस्सती’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘सब्बाभिभुं", | |
"सब्बेसु धम्मेसु अनूपलित्तं।", | |
"सब्बञ्जहं तण्हाक्खये विमुत्तं,", | |
"तमहं नरं एकविहारीति ब्रूमी’’ति॥ दसमं।", | |
"‘‘खत्तियो सेट्ठो जनेतस्मिं, ये गोत्तपटिसारिनो।", | |
"विज्जाचरणसम्पन्नो, सो सेट्ठो देवमानुसे॥", | |
"‘‘दिवा तपति आदिच्चो, रत्तिमाभाति चन्दिमा।", | |
"सन्नद्धो खत्तियो तपति, झायी तपति ब्राह्मणो।", | |
"अथ सब्बमहोरत्तिं", | |
"‘‘सहाया वतिमे भिक्खू, चिररत्तं समेतिका।", | |
"समेति नेसं सद्धम्मो, धम्मे बुद्धप्पवेदिते॥", | |
"‘‘सुविनीता कप्पिनेन, धम्मे अरियप्पवेदिते।", | |
"धारेन्ति अन्तिमं देहं, जेत्वा मारं सवाहिनि’’न्ति॥ द्वादसमं।", | |
"कोलितो उपतिस्सो च, घटो चापि पवुच्चति।", | |
"नवो", | |
"थेरनामो च कप्पिनो, सहायेन च द्वादसाति॥", | |
"निदानाभिसमयधातु, अनमतग्गेन कस्सपं।", | |
"सक्कारराहुललक्खणो, ओपम्म-भिक्खुना वग्गो॥" | |
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