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{ | |
"title": "१. पठमपण्णासकं", | |
"book_name": "४. रागपेय्यालं", | |
"chapter": "१. वज्जसुत्तं", | |
"gathas": [ | |
"वज्जा", | |
"संयोजनञ्च कण्हञ्च, सुक्कं चरिया वस्सूपनायिकेन वग्गो॥", | |
"‘‘सेखो असेखो च इमस्मिं लोके,", | |
"आहुनेय्या यजमानानं होन्ति।", | |
"ते उज्जुभूता", | |
"खेत्तं तं यजमानानं, एत्थ दिन्नं महप्फल’’न्ति॥", | |
"उत्ताना वग्गा अग्गवती, अरिया कसटो च पञ्चमो।", | |
"ओक्काचितआमिसञ्चेव, विसमा अधम्माधम्मियेन चाति॥" | |
] | |
} |