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"title": "८. पाटलिगामियवग्गो", | |
"book_name": "८. पाटलिगामियवग्गो", | |
"chapter": "७. चूळवग्गो", | |
"gathas": [ | |
"‘‘यदा", | |
"आतापिनो झायतो ब्राह्मणस्स।", | |
"अथस्स कङ्खा वपयन्ति सब्बा,", | |
"यतो पजानाति सहेतुधम्म’’न्ति॥ पठमं।", | |
"‘‘यदा हवे पातुभवन्ति धम्मा,", | |
"आतापिनो", | |
"अथस्स कङ्खा वपयन्ति सब्बा,", | |
"यतो खयं पच्चयानं अवेदी’’ति॥ दुतियं।", | |
"‘‘यदा हवे पातुभवन्ति धम्मा,", | |
"आतापिनो झायतो ब्राह्मणस्स।", | |
"विधूपयं तिट्ठति मारसेनं,", | |
"सूरियोव", | |
"‘‘यो ब्राह्मणो बाहितपापधम्मो,", | |
"निहुंहुङ्को", | |
"वेदन्तगू वूसितब्रह्मचरियो,", | |
"धम्मेन सो ब्रह्मवादं वदेय्य।", | |
"यस्सुस्सदा नत्थि कुहिञ्चि लोके’’ति॥ चतुत्थं।", | |
"‘‘बाहित्वा पापके धम्मे, ये चरन्ति सदा सता।", | |
"खीणसंयोजना", | |
"‘‘अनञ्ञपोसिमञ्ञातं, दन्तं सारे पतिट्ठितं।", | |
"खीणासवं वन्तदोसं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मण’’न्ति॥ छट्ठं।", | |
"‘‘यदा सकेसु धम्मेसु, पारगू होति ब्राह्मणो।", | |
"अथ एतं पिसाचञ्च, पक्कुलञ्चातिवत्तती’’ति॥ सत्तमं।", | |
"‘‘आयन्तिं नाभिनन्दति, पक्कमन्तिं न सोचति।", | |
"सङ्गा सङ्गामजिं मुत्तं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मण’’न्ति॥ अट्ठमं।", | |
"‘‘न उदकेन सुची होती, बह्वेत्थ न्हायती", | |
"यम्हि सच्चञ्च धम्मो च, सो सुची सो च ब्राह्मणो’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘यत्थ आपो च पथवी, तेजो वायो न गाधति।", | |
"न तत्थ सुक्का जोतन्ति, आदिच्चो नप्पकासति।", | |
"न तत्थ चन्दिमा भाति, तमो तत्थ न विज्जति॥", | |
"‘‘यदा", | |
"अथ रूपा अरूपा च, सुखदुक्खा पमुच्चती’’ति॥ दसमं।", | |
"तयो बोधि च हुंहुङ्को", | |
"अज", | |
"‘‘सुखो विवेको तुट्ठस्स, सुतधम्मस्स पस्सतो।", | |
"अब्यापज्जं सुखं लोके, पाणभूतेसु संयमो॥", | |
"‘‘सुखा", | |
"अस्मिमानस्स यो विनयो, एतं वे परमं सुख’’न्ति॥ पठमं।", | |
"‘‘यञ्च", | |
"तण्हक्खयसुखस्सेते", | |
"‘‘सुखकामानि भूतानि, यो दण्डेन विहिंसति।", | |
"अत्तनो सुखमेसानो, पेच्च सो न लभते सुखं॥", | |
"‘‘सुखकामानि भूतानि, यो दण्डेन न हिंसति।", | |
"अत्तनो सुखमेसानो, पेच्च सो लभते सुख’’न्ति॥ ततियं।", | |
"‘‘गामे अरञ्ञे सुखदुक्खफुट्ठो,", | |
"नेवत्ततो नो परतो दहेथ।", | |
"फुसन्ति", | |
"निरूपधिं केन फुसेय्यु फस्सा’’ति॥ चतुत्थं।", | |
"‘‘सुखं वत तस्स न होति किञ्चि,", | |
"सङ्खातधम्मस्स बहुस्सुतस्स।", | |
"सकिञ्चनं पस्स विहञ्ञमानं,", | |
"जनो जनस्मिं पटिबन्धरूपो’’ति॥ पञ्चमं।", | |
"‘‘सुखिनो वत ये अकिञ्चना,", | |
"वेदगुनो हि जना अकिञ्चना।", | |
"सकिञ्चनं पस्स विहञ्ञमानं,", | |
"जनो जनस्मिं पटिबन्धचित्तो’’", | |
"‘‘पियरूपस्सादगधितासे", | |
"देवकाया पुथु मनुस्सा च।", | |
"अघाविनो परिजुन्ना,", | |
"मच्चुराजस्स वसं गच्छन्ति॥", | |
"‘‘ये वे दिवा च रत्तो च,", | |
"अप्पमत्ता जहन्ति पियरूपं।", | |
"ते वे खणन्ति अघमूलं,", | |
"मच्चुनो आमिसं दुरतिवत्त’’न्ति॥ सत्तमं।", | |
"‘‘असातं सातरूपेन, पियरूपेन अप्पियं।", | |
"दुक्खं सुखस्स रूपेन, पमत्तमतिवत्तती’’ति॥ अट्ठमं।", | |
"‘‘सब्बं परवसं दुक्खं, सब्बं इस्सरियं सुखं।", | |
"साधारणे विहञ्ञन्ति, योगा हि दुरतिक्कमा’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘यस्सन्तरतो", | |
"इतिभवाभवतञ्च वीतिवत्तो।", | |
"तं", | |
"देवा नानुभवन्ति दस्सनाया’’ति॥ दसमं।", | |
"मुचलिन्दो", | |
"गब्भिनी एकपुत्तो च, सुप्पवासा विसाखा च।", | |
"काळीगोधाय भद्दियोति॥", | |
"‘‘सब्बकम्मजहस्स भिक्खुनो,", | |
"धुनमानस्स पुरे कतं रजं।", | |
"अममस्स", | |
"अत्थो नत्थि जनं लपेतवे’’ति॥ पठमं।", | |
"‘‘यस्स नित्तिण्णो पङ्को,", | |
"मद्दितो कामकण्टको।", | |
"मोहक्खयं अनुप्पत्तो,", | |
"सुखदुक्खेसु न वेधती स भिक्खू’’ति॥ दुतियं।", | |
"‘‘यस्स जितो कामकण्टको,", | |
"अक्कोसो च वधो च बन्धनञ्च।", | |
"पब्बतोव", | |
"सुखदुक्खेसु न वेधती स भिक्खू’’ति॥ ततियं।", | |
"‘‘यथापि", | |
"एवं मोहक्खया भिक्खु, पब्बतोव न वेधती’’ति॥ चतुत्थं।", | |
"‘‘सति कायगता उपट्ठिता,", | |
"छसु फस्सायतनेसु संवुतो।", | |
"सततं भिक्खु समाहितो,", | |
"जञ्ञा निब्बानमत्तनो’’ति॥ पञ्चमं।", | |
"‘‘यम्ही", | |
"यो वीतलोभो अममो निरासो।", | |
"पनुण्णकोधो", | |
"सो ब्राह्मणो सो समणो स भिक्खू’’ति॥ छट्ठं।", | |
"‘‘पिण्डपातिकस्स भिक्खुनो,", | |
"अत्तभरस्स अनञ्ञपोसिनो।", | |
"देवा", | |
"उपसन्तस्स सदा सतीमतो’’ति॥ सत्तमं।", | |
"‘‘पिण्डपातिकस्स भिक्खुनो,", | |
"अत्तभरस्स अनञ्ञपोसिनो।", | |
"देवा पिहयन्ति तादिनो,", | |
"नो चे सद्दसिलोकनिस्सितो’’ति॥ अट्ठमं।", | |
"‘‘असिप्पजीवी", | |
"यतिन्द्रियो सब्बधि विप्पमुत्तो।", | |
"अनोकसारी अममो निरासो,", | |
"हित्वा मानं एकचरो स भिक्खू’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘अयं लोको सन्तापजातो,", | |
"फस्सपरेतो रोगं वदति अत्ततो।", | |
"येन येन हि मञ्ञति", | |
"ततो तं होति अञ्ञथा॥", | |
"‘‘अञ्ञथाभावी भवसत्तो लोको,", | |
"भवपरेतो भवमेवाभिनन्दति।", | |
"यदभिनन्दति", | |
"यस्स भायति तं दुक्खं।", | |
"भवविप्पहानाय खो पनिदं ब्रह्मचरियं वुस्सति’’॥", | |
"‘‘एवमेतं", | |
"भवतण्हा पहीयति, विभवं नाभिनन्दति॥", | |
"‘‘सब्बसो तण्हानं खया,", | |
"असेसविरागनिरोधो निब्बानं।", | |
"तस्स निब्बुतस्स भिक्खुनो,", | |
"अनुपादा", | |
"अभिभूतो मारो विजितसङ्गामो,", | |
"उपच्चगा सब्बभवानि तादी’’ति॥ दसमं।", | |
"कम्मं", | |
"पिलिन्दो", | |
"‘‘खुद्दा", | |
"अनुगता", | |
"एते अविद्वा मनसो वितक्के,", | |
"हुरा हुरं धावति भन्तचित्तो॥", | |
"‘‘एते च विद्वा मनसो वितक्के,", | |
"आतापियो संवरती सतीमा।", | |
"अनुगते", | |
"असेसमेते पजहासि बुद्धो’’ति॥ पठमं।", | |
"‘‘अरक्खितेन कायेन", | |
"थिनमिद्धा", | |
"‘‘तस्मा रक्खितचित्तस्स, सम्मासङ्कप्पगोचरो।", | |
"सम्मादिट्ठिपुरेक्खारो, ञत्वान उदयब्बयं।", | |
"थीनमिद्धाभिभू भिक्खु, सब्बा दुग्गतियो जहे’’ति॥ दुतियं।", | |
"‘‘दिसो दिसं यं तं कयिरा, वेरी वा पन वेरिनं।", | |
"मिच्छापणिहितं चित्तं, पापियो नं ततो करे’’ति॥ ततियं।", | |
"‘‘यस्स", | |
"विरत्तं रजनीयेसु, कोपनेय्ये न कुप्पति।", | |
"यस्सेवं भावितं चित्तं, कुतो तं दुक्खमेस्सती’’ति॥ चतुत्थं।", | |
"‘‘एतं", | |
"समेति चित्तं चित्तेन, यदेको रमती मनो’’ति॥ पञ्चमं।", | |
"‘‘अनूपवादो", | |
"मत्तञ्ञुता च भत्तस्मिं, पन्तञ्च सयनासनं।", | |
"अधिचित्ते च आयोगो, एतं बुद्धान सासन’’न्ति॥ छट्ठं।", | |
"‘‘अधिचेतसो अप्पमज्जतो,", | |
"मुनिनो मोनपथेसु सिक्खतो।", | |
"सोका न भवन्ति तादिनो,", | |
"उपसन्तस्स सदा सतीमतो’’ति॥ सत्तमं।", | |
"‘‘‘अभूतवादी", | |
"यो वापि", | |
"उभोपि ते पेच्च समा भवन्ति,", | |
"निहीनकम्मा मनुजा परत्था’’’ति॥", | |
"‘‘अभूतवादी निरयं उपेति,", | |
"यो वापि कत्वा न करोमिचाह।", | |
"उभोपि ते पेच्च समा भवन्ति,", | |
"निहीनकम्मा मनुजा परत्था’’ति॥", | |
"‘‘तुदन्ति वाचाय जना असञ्ञता,", | |
"सरेहि सङ्गामगतंव कुञ्जरं।", | |
"सुत्वान वाक्यं फरुसं उदीरितं,", | |
"अधिवासये भिक्खु अदुट्ठचित्तो’’ति॥ अट्ठमं।", | |
"‘‘यं", | |
"स वे दिट्ठपदो धीरो, सोकमज्झे न सोचति॥", | |
"‘‘उच्छिन्नभवतण्हस्स", | |
"विक्खीणो जातिसंसारो, नत्थि तस्स पुनब्भवो’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘उपसन्तसन्तचित्तस्स, नेत्तिच्छिन्नस्स भिक्खुनो।", | |
"विक्खीणो जातिसंसारो, मुत्तो सो मारबन्धना’’ति॥ दसमं।", | |
"मेघियो उद्धता गोपालो, यक्खो", | |
"पिण्डोलो सारिपुत्तो च, सुन्दरी भवति अट्ठमं।", | |
"उपसेनो वङ्गन्तपुत्तो, सारिपुत्तो च ते दसाति॥", | |
"‘‘सब्बा", | |
"नेवज्झगा पियतरमत्तना क्वचि।", | |
"एवं पियो पुथु अत्ता परेसं,", | |
"तस्मा न हिंसे परमत्तकामो’’ति॥ पठमं।", | |
"‘‘ये केचि भूता भविस्सन्ति ये वापि,", | |
"सब्बे गमिस्सन्ति पहाय देहं।", | |
"तं सब्बजानिं कुसलो विदित्वा,", | |
"आतापियो ब्रह्मचरियं चरेय्या’’ति॥ दुतियं।", | |
"‘‘चक्खुमा विसमानीव, विज्जमाने परक्कमे।", | |
"पण्डितो जीवलोकस्मिं, पापानि परिवज्जये’’ति॥ ततियं।", | |
"‘‘सचे भायथ दुक्खस्स, सचे वो दुक्खमप्पियं।", | |
"माकत्थ पापकं कम्मं, आवि वा यदि वा रहो॥", | |
"‘‘सचे च पापकं कम्मं, करिस्सथ करोथ वा।", | |
"न वो दुक्खा पमुत्यत्थि, उपेच्चपि", | |
"‘‘छन्नमतिवस्सति, विवटं नातिवस्सति।", | |
"तस्मा छन्नं विवरेथ, एवं तं नातिवस्सती’’ति॥ पञ्चमं।", | |
"‘‘दिस्वा आदीनवं लोके, ञत्वा धम्मं निरूपधिं।", | |
"अरियो न रमती पापे, पापे न रमती सुची’’ति॥ छट्ठं।", | |
"‘‘या", | |
"सकवेदिया वा परवेदिया वा।", | |
"ये झायिनो ता पजहन्ति सब्बा,", | |
"आतापिनो ब्रह्मचरियं चरन्ता’’ति॥ सत्तमं।", | |
"‘‘सुकरं", | |
"पापं", | |
"‘‘परिमुट्ठा पण्डिताभासा, वाचागोचरभाणिनो।", | |
"याविच्छन्ति मुखायामं, येन नीता न तं विदू’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘ठितेन", | |
"तिट्ठं निसिन्नो उद वा सयानो।", | |
"एतं", | |
"लभेथ", | |
"लद्धान पुब्बापरियं विसेसं,", | |
"अदस्सनं मच्चुराजस्स गच्छे’’ति॥ दसमं।", | |
"पियो अप्पायुका कुट्ठी, कुमारका उपोसथो।", | |
"सोणो च रेवतो भेदो, सधाय पन्थकेन चाति॥", | |
"‘‘तुलमतुलञ्च सम्भवं,", | |
"भवसङ्खारमवस्सजि मुनि।", | |
"अज्झत्तरतो समाहितो,", | |
"अभिन्दि कवचमिवत्तसम्भव’’न्ति॥ पठमं।", | |
"‘‘न", | |
"नाञ्ञं निस्साय जीवेय्य, धम्मेन न वणिं", | |
"‘‘अहु पुब्बे तदा नाहु, नाहु पुब्बे तदा अहु।", | |
"न चाहु न च भविस्सति, न चेतरहि विज्जती’’ति॥ ततियं।", | |
"‘‘इमेसु किर सज्जन्ति, एके समणब्राह्मणा।", | |
"विग्गय्ह नं विवदन्ति, जना एकङ्गदस्सिनो’’ति॥ चतुत्थं।", | |
"‘‘इमेसु किर सज्जन्ति, एके समणब्राह्मणा।", | |
"अन्तराव विसीदन्ति, अप्पत्वाव तमोगध’’न्ति॥ पञ्चमं।", | |
"‘‘अहङ्कारपसुतायं", | |
"एतदेके नाब्भञ्ञंसु, न नं सल्लन्ति अद्दसुं॥", | |
"‘‘एतञ्च सल्लं पटिकच्च", | |
"अहं करोमीति न तस्स होति।", | |
"परो", | |
"‘‘मानुपेता", | |
"दिट्ठीसु सारम्भकथा, संसारं नातिवत्तती’’ति॥ छट्ठं।", | |
"‘‘यस्स वितक्का विधूपिता,", | |
"अज्झत्तं सुविकप्पिता असेसा।", | |
"तं सङ्गमतिच्च अरूपसञ्ञी,", | |
"चतुयोगातिगतो न जातु मेती’’ति", | |
"‘‘उपातिधावन्ति", | |
"नवं नवं बन्धनं ब्रूहयन्ति।", | |
"पतन्ति पज्जोतमिवाधिपातका", | |
"दिट्ठे सुते इतिहेके निविट्ठा’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘ओभासति", | |
"याव न उन्नमते", | |
"(स)", | |
"हतप्पभो होति न चापि भासति॥", | |
"‘‘एवं ओभासितमेव तक्किकानं", | |
"याव सम्मासम्बुद्धा लोके नुप्पज्जन्ति।", | |
"न तक्किका सुज्झन्ति न चापि सावका,", | |
"दुद्दिट्ठी न दुक्खा पमुच्चरे’’ति॥ दसमं।", | |
"आयुजटिलवेक्खणा, तयो तित्थिया सुभूति।", | |
"गणिका उपाति नवमो, उप्पज्जन्ति च ते दसाति॥", | |
"‘‘उद्धं अधो सब्बधि विप्पमुत्तो, अयंहमस्मीति", | |
"एवं विमुत्तो उदतारि ओघं, अतिण्णपुब्बं अपुनब्भवाया’’ति॥ पठमं।", | |
"‘‘अच्छेच्छि", | |
"छिन्नं वट्टं न वत्तति, एसेवन्तो दुक्खस्सा’’ति॥ दुतियं।", | |
"‘‘कामेसु सत्ता कामसङ्गसत्ता,", | |
"संयोजने वज्जमपस्समाना।", | |
"न", | |
"ओघं तरेय्युं विपुलं महन्त’’न्ति॥ ततियं।", | |
"‘‘कामन्धा जालसञ्छन्ना, तण्हाछदनछादिता।", | |
"पमत्तबन्धुना बद्धा, मच्छाव कुमिनामुखे।", | |
"जरामरणमन्वेन्ति", | |
"‘‘नेलङ्गो सेतपच्छादो, एकारो वत्तती रथो।", | |
"अनीघं पस्स आयन्तं, छिन्नसोतं अबन्धन’’न्ति॥ पञ्चमं।", | |
"‘‘यस्स मूलं छमा नत्थि, पण्णा नत्थि कुतो लता।", | |
"तं", | |
"देवापि नं पसंसन्ति, ब्रह्मुनापि पसंसितो’’ति॥ छट्ठं।", | |
"‘‘यस्स पपञ्चा ठिति च नत्थि,", | |
"सन्दानं पलिघञ्च वीतिवत्तो।", | |
"तं नित्तण्हं मुनिं चरन्तं,", | |
"नावजानाति सदेवकोपि लोको’’ति॥ सत्तमं।", | |
"‘‘यस्स", | |
"सततं कायगता उपट्ठिता।", | |
"नो", | |
"न भविस्सति न च मे भविस्सति।", | |
"अनुपुब्बविहारि तत्थ सो,", | |
"कालेनेव तरे विसत्तिक’’न्ति॥ अट्ठमं।", | |
"‘‘किं", | |
"आपा चे सब्बदा सियुं।", | |
"तण्हाय मूलतो छेत्वा,", | |
"किस्स परियेसनं चरे’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘मोहसम्बन्धनो लोको, भब्बरूपोव दिस्सति।", | |
"उपधिबन्धनो", | |
"सस्सतोरिव", | |
"द्वे", | |
"पपञ्चखयो च कच्चानो, उदपानञ्च उतेनोति॥", | |
"‘‘दुद्दसं अनतं नाम, न हि सच्चं सुदस्सनं।", | |
"पटिविद्धा तण्हा जानतो, पस्सतो नत्थि किञ्चन’’न्ति॥ दुतियं।", | |
"‘‘चुन्दस्स भत्तं भुञ्जित्वा, कम्मारस्साति मे सुतं।", | |
"आबाधं सम्फुसी धीरो, पबाळ्हं मारणन्तिकं॥", | |
"‘‘भुत्तस्स च सूकरमद्दवेन, ब्याधिप्पबाळ्हो उदपादि सत्थुनो।", | |
"विरिच्चमानो", | |
"‘‘गन्त्वान बुद्धो नदिकं कुकुट्ठं,", | |
"अच्छोदकं सातुदकं", | |
"ओगाहि सत्था सुकिलन्तरूपो,", | |
"तथागतो अप्पटिमोध लोके॥", | |
"‘‘न्हत्वा च पिवित्वा चुदतारि", | |
"पुरक्खतो भिक्खुगणस्स मज्झे।", | |
"सत्था", | |
"उपागमि अम्बवनं महेसि।", | |
"आमन्तयि चुन्दकं नाम भिक्खुं,", | |
"चतुग्गुणं सन्थर", | |
"‘‘सो चोदितो भावितत्तेन चुन्दो,", | |
"चतुग्गुणं सन्थरि", | |
"निपज्जि सत्था सुकिलन्तरूपो,", | |
"चुन्दोपि तत्थ पमुखे निसीदी’’ति॥", | |
"‘‘ददतो पुञ्ञं पवड्ढति,", | |
"संयमतो वेरं न चीयति।", | |
"कुसलो च जहाति पापकं,", | |
"रागदोसमोहक्खया सनिब्बुतो’’ति", | |
"‘‘यस्मिं", | |
"सीलवन्तेत्थ भोजेत्वा, सञ्ञते ब्रह्मचारयो", | |
"‘‘या", | |
"ता पूजिता पूजयन्ति, मानिता मानयन्ति नं॥", | |
"‘‘ततो नं अनुकम्पन्ति, माता पुत्तंव ओरसं।", | |
"देवतानुकम्पितो पोसो, सदा भद्रानि पस्सती’’ति॥", | |
"‘‘ये तरन्ति अण्णवं सरं,", | |
"सेतुं कत्वान विसज्ज पल्ललानि।", | |
"कुल्लञ्हि जनो पबन्धति", | |
"तिण्णा", | |
"‘‘सद्धिं", | |
"मिस्सो अञ्ञजनेन वेदगू।", | |
"विद्वा पजहाति पापकं,", | |
"कोञ्चो खीरपकोव निन्नग’’न्ति॥ सत्तमं।", | |
"‘‘ये केचि सोका परिदेविता वा,", | |
"दुक्खा च", | |
"पियं पटिच्चप्पभवन्ति एते,", | |
"पिये असन्ते न भवन्ति एते॥", | |
"‘‘तस्मा हि ते सुखिनो वीतसोका,", | |
"येसं", | |
"तस्मा असोकं विरजं पत्थयानो,", | |
"पियं न कयिराथ कुहिञ्चि लोके’’ति॥ अट्ठमं।", | |
"‘‘अभेदि कायो निरोधि सञ्ञा,", | |
"वेदना सीतिभविंसु", | |
"वूपसमिंसु सङ्खारा,", | |
"विञ्ञाणं अत्थमागमा’’ति॥ नवमं।", | |
"‘‘अयोघनहतस्सेव, जलतो जातवेदसो", | |
"अनुपुब्बूपसन्तस्स, यथा न ञायते गति॥", | |
"एवं", | |
"पञ्ञापेतुं गति नत्थि, पत्तानं अचलं सुख’’न्ति॥ दसमं।", | |
"निब्बाना चतुरो वुत्ता, चुन्दो पाटलिगामिया।", | |
"द्विधापथो विसाखा च, दब्बेन सह ते दसाति॥", | |
"वग्गमिदं पठमं वरबोधि, वग्गमिदं दुतियं मुचलिन्दो।", | |
"नन्दकवग्गवरो ततियो तु, मेघियवग्गवरो च चतुत्थो॥", | |
"पञ्चमवग्गवरन्तिध सोणो, छट्ठमवग्गवरन्ति जच्चन्धो", | |
"सत्तमवग्गवरन्ति च चूळो, पाटलिगामियमट्ठमवग्गो", | |
"असीतिमनूनकसुत्तवरं, वग्गमिदट्ठकं सुविभत्तं।", | |
"दस्सितं चक्खुमता विमलेन, अद्धा हि तं उदानमितीदमाहु" | |
] | |
} |