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Sleeping
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{ | |
"title": "१. पीठवग्गो", | |
"book_name": "२. पुरिसविमानं", | |
"chapter": "१. पठमपीठविमानवत्थु", | |
"gathas": [ | |
"", | |
"अलङ्कते मल्यधरे", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन", | |
"पञ्हं", | |
"‘‘अहं", | |
"अभिवादयिं अञ्जलिकं अकासिं, यथानुभावञ्च अदासि दानं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘पीठं", | |
"अलङ्कते मल्यधरे सुवत्थे, ओभाससि विज्जुरिवब्भकूटं॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, अब्भागतानासनकं अदासिं।", | |
"अभिवादयिं अञ्जलिकं अकासिं, यथानुभावञ्च अदासि दानं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘पीठं", | |
"अलङ्कते मल्यधरे सुवत्थे, ओभाससि विज्जुरिवब्भकूटं॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अप्पस्स कम्मस्स फलं ममेदं", | |
"अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके॥", | |
"‘‘अद्दसं", | |
"तस्स अदासहं पीठं, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘पीठं", | |
"अलङ्कते मल्यधरे सुवत्थे, ओभाससि विज्जुरिवब्भकूटं॥", | |
"‘‘केन", | |
"उप्पज्जन्ति", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अप्पस्स कम्मस्स फलं ममेदं, येनम्हि एवं जलितानुभावा।", | |
"अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके॥", | |
"‘‘अद्दसं", | |
"तस्स अदासहं पीठं, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘कुञ्जरो", | |
"रुचिरो थामवा जवसम्पन्नो, आकासम्हि समीहति॥", | |
"‘‘पदुमि पद्म", | |
"पद्मचुण्णाभिकिण्णङ्गो, सोण्णपोक्खरमालधा", | |
"‘‘पदुमानुसटं मग्गं, पद्मपत्तविभूसितं॥", | |
"ठितं वग्गुमनुग्घाती, मितं गच्छति वारणो॥", | |
"‘‘तस्स पक्कममानस्स, सोण्णकंसा रतिस्सरा।", | |
"तेसं सुय्यति निग्घोसो, तुरिये पञ्चङ्गिके यथा॥", | |
"‘‘तस्स नागस्स खन्धम्हि, सुचिवत्था अलङ्कता।", | |
"महन्तं अच्छरासङ्घं, वण्णेन अतिरोचसि॥", | |
"‘‘दानस्स", | |
"अथो अञ्जलिकम्मस्स, तं मे अक्खाहि पुच्छिता’’ति।", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘दिस्वान", | |
"अदासिं पुप्फाभिकिण्णं, आसनं दुस्ससन्थतं॥", | |
"‘‘उपड्ढं पद्ममालाहं, आसनस्स समन्ततो।", | |
"अब्भोकिरिस्सं पत्तेहि, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तस्स कम्मकुसलस्स", | |
"सक्कारो गरुकारो च, देवानं अपचिता अहं॥", | |
"‘‘यो वे सम्माविमुत्तानं, सन्तानं ब्रह्मचारिनं।", | |
"पसन्नो आसनं दज्जा, एवं नन्दे यथा अहं॥", | |
"‘‘तस्मा हि अत्तकामेन", | |
"आसनं दातब्बं होति, सरीरन्तिमधारिन’’न्ति॥", | |
"‘‘सुवण्णच्छदनं", | |
"ओगाहसि पोक्खरणिं, पद्मं", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं", | |
"दिस्वान भिक्खू तसिते किलन्ते, उट्ठाय पातुं उदकं अदासिं॥", | |
"‘‘यो", | |
"सीतोदका", | |
"‘‘तं आपगा", | |
"अम्बा च साला तिलका च जम्बुयो, उद्दालका पाटलियो च फुल्ला॥", | |
"‘‘तं भूमिभागेहि उपेतरूपं, विमानसेट्ठं भुससोभमानं।", | |
"तस्सीध", | |
"‘‘तेन", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘सुवण्णच्छदनं", | |
"ओगाहसि पोक्खरणिं, पद्मं छिन्दसि पाणिना॥", | |
"‘‘केन", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभुता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके।", | |
"दिस्वान भिक्खुं तसितं किलन्तं, उट्ठाय पातुं उदकं अदासिं॥", | |
"‘‘यो वे किलन्तस्स पिपासितस्स, उट्ठाय पातुं उदकं ददाति।", | |
"सीतोदका तस्स भवन्ति नज्जो, पहूतमल्या बहुपुण्डरीका॥", | |
"‘‘तं आपगा अनुपरियन्ति सब्बदा, सीतोदका वालुकसन्थता नदी।", | |
"अम्बा च साला तिलका च जम्बुयो, उद्दालका पाटलियो च फुल्ला॥", | |
"‘‘तं", | |
"तस्सीध कम्मस्स अयं विपाको, एतादिसं पुञ्ञकता लभन्ति॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘सुवण्णच्छदनं", | |
"ओगाहसि पोक्खरणिं, पद्मं छिन्दसि पाणिना॥", | |
"‘‘कूटागारा", | |
"दद्दल्लमाना", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, सम्बुद्धेनेव पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके।", | |
"दिस्वान", | |
"‘‘यो वे किलन्तान पिपासितानं, उट्ठाय पातुं उदकं ददाति।", | |
"सीतोदका तस्स भवन्ति नज्जो, पहूतमल्या बहुपुण्डरीका॥", | |
"‘‘तं", | |
"अम्बा च साला तिलका च जम्बुयो, उद्दालका पाटलियो च फुल्ला॥", | |
"‘‘तं भूमिभागेहि उपेतरूपं, विमानसेट्ठं भुससोभमानं।", | |
"तस्सीध कम्मस्स अयं विपाको, एतादिसं पुञ्ञकता लभन्ति॥", | |
"‘‘कूटागारा", | |
"दद्दल्लमाना आभन्ति, समन्ता चतुरो दिसा॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते बुद्ध महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासति।", | |
"एतस्स", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘केन त्वं विमलोभासा, अतिरोचसि देवता", | |
"केन ते सब्बगत्तेहि, सब्बा ओभासते दिसा॥", | |
"‘‘पुच्छामि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके।", | |
"तमन्धकारम्हि तिमीसिकायं, पदीपकालम्हि अदासि दीपं", | |
"‘‘यो अन्धकारम्हि तिमीसिकायं, पदीपकालम्हि", | |
"उप्पज्जति जोतिरसं विमानं, पहूतमल्यं बहुपुण्डरीकं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘तेनाहं विमलोभासा, अतिरोचामि देवता।", | |
"तेन मे सब्बगत्तेहि, सब्बा ओभासते दिसा॥", | |
"‘‘अक्खामि", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके॥", | |
"‘‘अद्दसं विरजं बुद्धं, विप्पसन्नमनाविलं।", | |
"आसज्ज दानं अदासिं, अकामा तिलदक्खिणं।", | |
"दक्खिणेय्यस्स बुद्धस्स, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘कोञ्चा", | |
"पुप्फाभिकिण्णं रम्ममिदं विमानं, अनेकचित्तं नरनारिसेवितं", | |
"‘‘तत्थच्छसि", | |
"इमा", | |
"‘‘देविद्धिपत्तासि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पतिब्बतानञ्ञमना अहोसिं।", | |
"माताव पुत्तं अनुरक्खमाना, कुद्धापिहं", | |
"‘‘सच्चे ठिता मोसवज्जं पहाय, दाने रता सङ्गहितत्तभावा।", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्ता, सक्कच्च दानं विपुलं अदासिं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि", | |
"‘‘वेळुरियथम्भं", | |
"तत्थच्छसि देवि महानुभावे, उच्चावचा इद्धि विकुब्बमाना।", | |
"इमा च ते अच्छरायो समन्ततो, नच्चन्ति गायन्ति पमोदयन्ति च॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तासि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, उपासिका चक्खुमतो अहोसिं।", | |
"पाणातिपाता विरता अहोसिं, लोके अदिन्नं परिवज्जयिस्सं॥", | |
"‘‘अमज्जपा नो च", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्ता, सक्कच्च दानं विपुलं अदासिं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं", | |
"‘‘अद्दसं विरजं भिक्खुं, विप्पसन्नमनाविलं।", | |
"तस्स अदासहं पूवं, पसन्ना सेहि पाणिभि।", | |
"भागड्ढभागं दत्वान, मोदामि नन्दने वने॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं", | |
"‘‘अद्दसं विरजं भिक्खुं, विप्पसन्नमनाविलं।", | |
"तस्स अदासहं भागं, पसन्ना सेहि पाणिभि।", | |
"कुम्मासपिण्डं दत्वान, मोदामि नन्दने वने॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन, या त्वं तिट्ठसि देवते।", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘इस्सा", | |
"अक्कोधना भत्तुवसानुवत्तिनी, उपोसथे निच्चहमप्पमत्ता॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं पञ्चदसिं, या च", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं उपवसिस्सं, सदा सीलेसु संवुता।", | |
"सञ्ञमा संविभागा च, विमानं आवसामहं", | |
"‘‘पाणातिपाता विरता, मुसावादा च सञ्ञता।", | |
"थेय्या च अतिचारा च, मज्जपाना च आरका", | |
"‘‘पञ्चसिक्खापदे रता, अरियसच्चान कोविदा।", | |
"उपासिका चक्खुमतो, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"‘‘साहं सकेन सीलेन, यससा च यसस्सिनी।", | |
"अनुभोमि सकं पुञ्ञं, सुखिता चम्हिनामया॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमहं अकासिं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो", | |
"‘‘युत्ता", | |
"अभिनिम्मिता पञ्चरथासता च ते, अन्वेन्ति तं सारथिचोदिता हया॥", | |
"‘‘सा तिट्ठसि रथवरे अलङ्कता, ओभासयं जलमिव जोति पावको।", | |
"पुच्छामि तं वरतनु", | |
"‘‘कामग्गपत्तानं", | |
"तस्मा काया अच्छरा कामवण्णिनी, इधागता अनधिवरं नमस्सितुं॥", | |
"‘‘किं त्वं पुरे सुचरितमाचरीध", | |
"केनच्छसि", | |
"इद्धी च ते अनधिवरा विहङ्गमा,", | |
"वण्णो च ते दस दिसा विरोचति॥", | |
"‘‘देवेहि त्वं परिवुता सक्कता चसि,", | |
"कुतो चुता सुगतिगतासि देवते।", | |
"कस्स वा त्वं वचनकरानुसासनिं,", | |
"आचिक्ख मे त्वं यदि बुद्धसाविका’’ति॥", | |
"‘‘नगन्तरे", | |
"नच्चे गीते परमसुसिक्खिता अहुं, सिरिमाति मं राजगहे अवेदिंसु", | |
"‘‘बुद्धो च मे इसिनिसभो विनायको, अदेसयी समुदयदुक्खनिच्चतं।", | |
"असङ्खतं दुक्खनिरोधसस्सतं, मग्गञ्चिमं अकुटिलमञ्जसं सिवं॥", | |
"‘‘सुत्वानहं अमतपदं असङ्खतं, तथागतस्सनधिवरस्स सासनं।", | |
"सीलेस्वहं परमसुसंवुता अहुं, धम्मे ठिता नरवरबुद्धदेसिते", | |
"‘‘ञत्वानहं विरजपदं असङ्खतं, तथागतेननधिवरेन", | |
"तत्थेवहं समथसमाधिमाफुसिं, सायेव मे परमनियामता अहु॥", | |
"‘‘लद्धानहं", | |
"असंसया बहुजनपूजिता अहं, खिड्डारतिं", | |
"‘‘एवं अहं अमतदसम्हि", | |
"धम्मद्दसा पठमफले पतिट्ठिता, सोतापन्ना न च पन मत्थि दुग्गति॥", | |
"‘‘सा वन्दितुं अनधिवरं उपागमिं, पासादिके कुसलरते च भिक्खवो।", | |
"नमस्सितुं समणसमागमं सिवं, सगारवा सिरिमतो धम्मराजिनो॥", | |
"‘‘दिस्वा", | |
"तण्हच्छिदं कुसलरतं विनायकं, वन्दामहं परमहितानुकम्पक’’न्ति॥", | |
"‘‘इदं", | |
"सुवण्णरुक्खेहि समन्तमोत्थतं, ठानं ममं कम्मविपाकसम्भवं॥", | |
"‘‘तत्रूपपन्ना पुरिमच्छरा इमा, सतं सहस्सानि सकेन कम्मुना।", | |
"तुवंसि अज्झुपगता यसस्सिनी, ओभासयं तिट्ठसि पुब्बदेवता॥", | |
"‘‘ससी अधिग्गय्ह यथा विरोचति, नक्खत्तराजारिव तारकागणं।", | |
"तथेव त्वं अच्छरासङ्गणं", | |
"‘‘कुतो नु आगम्म अनोमदस्सने, उपपन्ना त्वं भवनं ममं इदं।", | |
"ब्रह्मंव देवा तिदसा सहिन्दका, सब्बे न तप्पामसे दस्सनेन त’’न्ति॥", | |
"‘‘यमेतं सक्क अनुपुच्छसे ममं, ‘कुतो चुता त्वं इध आगता’ति", | |
"बाराणसी नाम पुरत्थि कासिनं, तत्थ अहोसिं पुरे केसकारिका॥", | |
"‘‘बुद्धे", | |
"अखण्डसिक्खापदा आगतप्फला, सम्बोधिधम्मे नियता अनामया’’ति॥", | |
"‘‘तन्त्याभिनन्दामसे स्वागतञ्च", | |
"बुद्धे च धम्मे च पसन्नमानसे, सङ्घे च एकन्तगते असंसये।", | |
"अखण्डसिक्खापदे आगतप्फले, सम्बोधिधम्मे नियते अनामये’’ति॥", | |
"पञ्च पीठा तयो नावा, दीपतिलदक्खिणा द्वे।", | |
"पति द्वे सुणिसा उत्तरा, सिरिमा केसकारिका।", | |
"वग्गो तेन पवुच्चतीति॥", | |
"‘‘अपि", | |
"समन्ता अनुपरियासि, नारीगणपुरक्खता।", | |
"ओभासेन्ती", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, दासी अहोसिं परपेस्सिया", | |
"‘‘उपासिका चक्खुमतो, गोतमस्स यसस्सिनो।", | |
"तस्सा मे निक्कमो आसि, सासने तस्स तादिनो॥", | |
"‘‘कामं भिज्जतुयं कायो, नेव अत्थेत्थ सण्ठनं", | |
"सिक्खापदानं पञ्चन्नं, मग्गो सोवत्थिको सिवो॥", | |
"‘‘अकण्टको अगहनो, उजु सब्भि पवेदितो।", | |
"निक्कमस्स फलं पस्स, यथिदं पापुणित्थिका॥", | |
"‘‘आमन्तनिका रञ्ञोम्हि, सक्कस्स वसवत्तिनो।", | |
"सट्ठि", | |
"‘‘आलम्बो गग्गरो", | |
"पोक्खरो", | |
"‘‘नन्दा चेव सुनन्दा च, सोणदिन्ना सुचिम्हिता", | |
"अलम्बुसा मिस्सकेसी च, पुण्डरीकाति दारुणी॥", | |
"‘‘एणीफस्सा सुफस्सा च, सुभद्दा मुदुवादिनी।", | |
"एता चञ्ञा च सेय्यासे, अच्छरानं पबोधिका॥", | |
"‘‘ता", | |
"हन्द नच्चाम गायाम, हन्द तं रमयामसे॥", | |
"‘‘नयिदं", | |
"असोकं नन्दनं रम्मं, तिदसानं महावनं॥", | |
"‘‘सुखं अकतपुञ्ञानं, इध नत्थि परत्थ च।", | |
"सुखञ्च कतपुञ्ञानं, इध चेव परत्थ च॥", | |
"‘‘तेसं सहब्यकामानं, कत्तब्बं कुसलं बहुं।", | |
"कतपुञ्ञा हि मोदन्ति, सग्गे भोगसमङ्गिनो’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं", | |
"‘‘केवट्टद्वारा निक्खम्म, अहु मय्हं निवेसनं।", | |
"तत्थ सञ्चरमानानं, सावकानं महेसिनं॥", | |
"‘‘ओदनं कुम्मासं", | |
"अदासिं उजुभूतेसु, विप्पसन्नेन चेतसा॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं पञ्चदसिं, या च पक्खस्स अट्ठमी।", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं", | |
"सञ्ञमा संविभागा च, विमानं आवसामहं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता", | |
"थेय्या च अतिचारा च, मज्जपाना च आरका॥", | |
"‘‘पञ्चसिक्खापदे रता, अरियसच्चान कोविदा।", | |
"उपासिका चक्खुमतो, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासतीति॥", | |
"‘‘पिण्डाय", | |
"दलिद्दा कपणा नारी, परागारं अपस्सिता", | |
"‘‘या ते अदासि आचामं, पसन्ना सेहि पाणिभि।", | |
"सा हित्वा मानुसं देहं, कं नु सा दिसतं गता’’ति॥", | |
"‘‘पिण्डाय मे चरन्तस्स, तुण्हीभूतस्स तिट्ठतो।", | |
"दलिद्दा कपणा नारी, परागारं अपस्सिता॥", | |
"‘‘या मे अदासि आचामं, पसन्ना सेहि पाणिभि।", | |
"सा हित्वा मानुसं देहं, विप्पमुत्ता इतो चुता॥", | |
"‘‘निम्मानरतिनो नाम, सन्ति देवा महिद्धिका।", | |
"तत्थ सा सुखिता नारी, मोदताचामदायिका’’ति॥", | |
"‘‘अहो", | |
"पराभतेन दानेन, इज्झित्थ वत दक्खिणा॥", | |
"‘‘या महेसित्तं कारेय्य, चक्कवत्तिस्स राजिनो।", | |
"नारी सब्बङ्गकल्याणी, भत्तु चानोमदस्सिका।", | |
"एतस्साचामदानस्स", | |
"‘‘सतं", | |
"सतं कञ्ञासहस्सानि, आमुत्तमणिकुण्डला।", | |
"एतस्साचामदानस्स, कलं नाग्घन्ति सोळसिं॥", | |
"‘‘सतं हेमवता नागा, ईसादन्ता उरूळ्हवा।", | |
"सुवण्णकच्छा मातङ्गा, हेमकप्पनवाससा", | |
"एतस्साचामदानस्स, कलं नाग्घति सोळसिं॥", | |
"‘‘चतुन्नमपि", | |
"एतस्साचामदानस्स, कलं नाग्घति सोळसि’’न्ति॥", | |
"‘‘चण्डालि वन्द पादानि, गोतमस्स यसस्सिनो।", | |
"तमेव", | |
"‘‘अभिप्पसादेहि मनं, अरहन्तम्हि तादिनि", | |
"खिप्पं पञ्जलिका वन्द, परित्तं तव जीवित’’न्ति॥", | |
"चोदिता भावितत्तेन, सरीरन्तिमधारिना।", | |
"चण्डाली वन्दि पादानि, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"तमेनं अवधी गावी, चण्डालिं पञ्जलिं ठितं।", | |
"नमस्समानं सम्बुद्धं, अन्धकारे पभङ्करन्ति॥", | |
"‘‘खीणासवं", | |
"देविद्धिपत्ता उपसङ्कमित्वा, वन्दामि तं वीर महानुभाव’’न्ति॥", | |
"‘‘सुवण्णवण्णा जलिता महायसा, विमानमोरुय्ह अनेकचित्ता।", | |
"परिवारिता अच्छरासङ्गणेन", | |
"‘‘अहं", | |
"वन्दिं", | |
"‘‘साहं वन्दित्वा", | |
"विमानं सब्बतो भद्दं, उपपन्नम्हि नन्दने॥", | |
"‘‘अच्छरानं", | |
"तासाहं पवरा सेट्ठा, वण्णेन यससायुना॥", | |
"‘‘पहूतकतकल्याणा, सम्पजाना पटिस्सता", | |
"मुनिं कारुणिकं लोके, तं भन्ते वन्दितुमागता’’ति॥", | |
"इदं वत्वान चण्डाली, कतञ्ञू कतवेदिनी।", | |
"वन्दित्वा अरहतो पादे, तत्थेवन्तरधायथाति", | |
"‘‘नीला पीता च काळा च, मञ्जिट्ठा", | |
"उच्चावचानं वण्णानं, किञ्जक्खपरिवारिता॥", | |
"‘‘मन्दारवानं पुप्फानं, मालं धारेसि मुद्धनि।", | |
"नयिमे अञ्ञेसु कायेसु, रुक्खा सन्ति सुमेधसे॥", | |
"‘‘केन", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘भद्दित्थिकाति", | |
"सद्धा सीलेन सम्पन्ना, संविभागरता सदा॥", | |
"‘‘अच्छादनञ्च भत्तञ्च, सेनासनं पदीपियं।", | |
"अदासिं उजुभूतेसु, विप्पसन्नेन चेतसा॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं उपवसिस्सं, सदा सीलेसु संवुता।", | |
"सञ्ञमा संविभागा च, विमानं आवसामहं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता विरता, मुसावादा च सञ्ञता।", | |
"थेय्या च अतिचारा च, मज्जपाना च आरका॥", | |
"‘‘पञ्चसिक्खापदे रता, अरियसच्चान कोविदा।", | |
"उपासिका", | |
"कतावासा कतकुसला ततो चुता", | |
"सयं पभा अनुविचरामि नन्दनं॥", | |
"‘‘भिक्खू चाहं परमहितानुकम्पके, अभोजयिं तपस्सियुगं महामुनिं।", | |
"कतावासा कतकुसला ततो चुता", | |
"‘‘अट्ठङ्गिकं अपरिमितं सुखावहं, उपोसथं सततमुपावसिं अहं।", | |
"कतावासा कतकुसला ततो चुता", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘सोणदिन्नाति मं अञ्ञंसु, नाळन्दायं उपासिका।", | |
"सद्धा सीलेन सम्पन्ना, संविभागरता सदा॥", | |
"‘‘अच्छादनञ्च भत्तञ्च, सेनासनं पदीपियं।", | |
"अदासिं उजुभूतेसु, विप्पसन्नेन चेतसा॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं पञ्चदसिं, या च पक्खस्स अट्ठमी।", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं उपवसिस्सं, सदा सीलेसु संवुता।", | |
"सञ्ञमा संविभागा च, विमानं आवसामहं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता विरता, मुसावादा च सञ्ञता।", | |
"थेय्या च अतिचारा च, मज्जपाना च आरका॥", | |
"‘‘पञ्चसिक्खापदे", | |
"उपासिका चक्खुमतो, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘उपोसथाति मं अञ्ञंसु, साकेतायं उपासिका।", | |
"सद्धा सीलेन सम्पन्ना, संविभागरता सदा॥", | |
"‘‘अच्छादनञ्च भत्तञ्च, सेनासनं पदीपियं।", | |
"अदासिं उजुभूतेसु, विप्पसन्नेन चेतसा॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं पञ्चदसिं, या च पक्खस्स अट्ठमी।", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं उपवसिस्सं, सदा सीलेसु संवुता।", | |
"सञ्ञमा संविभागा च, विमानं आवसामहं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता विरता, मुसावादा च सञ्ञता।", | |
"थेय्या च अतिचारा च, मज्जपाना च आरका॥", | |
"‘‘पञ्चसिक्खापदे रता, अरियसच्चान कोविदा।", | |
"उपासिका चक्खुमतो, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो", | |
"‘‘अभिक्खणं", | |
"तत्थ चित्तं पणिधाय, उपपन्नम्हि नन्दनं॥", | |
"‘‘नाकासिं", | |
"हीने चित्तं पणिधाय, साम्हि पच्छानुतापिनी’’ति॥", | |
"‘‘कीव चिरं विमानम्हि, इध वच्छसुपोसथे", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, यदि जानासि आयुनो’’ति॥", | |
"‘‘सट्ठिवस्ससहस्सानि", | |
"इध ठत्वा महामुनि, इतो चुता गमिस्सामि।", | |
"मनुस्सानं सहब्यत’’न्ति॥", | |
"‘‘मा त्वं उपोसथे भायि, सम्बुद्धेनासि ब्याकता।", | |
"सोतापन्ना विसेसयि, पहीना तव दुग्गती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन, या त्वं तिट्ठसि देवते।", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘निद्दाति", | |
"सद्धा सीलेन सम्पन्ना, संविभागरता सदा॥", | |
"‘‘अच्छादनञ्च", | |
"अदासिं उजुभूतेसु, विप्पसन्नेन चेतसा॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं पञ्चदसिं, या च पक्खस्स अट्ठमी।", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं उपवसिस्सं, सदा सीलेसु संवुता।", | |
"सञ्ञमा संविभागा च, विमानं आवसामहं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता", | |
"थेय्या च अतिचारा च, मज्जपाना च आरका॥", | |
"‘‘पञ्चसिक्खापदे रता, अरियसच्चान कोविदा।", | |
"उपासिका चक्खुमतो, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘सुनिद्दाति", | |
"सद्धा सीलेन सम्पन्ना, संविभागरता सदा॥", | |
"(यथा निद्दाविमानं तथा वित्थारेतब्बं॥)", | |
"‘‘पञ्चसिक्खापदे", | |
"उपासिका चक्खुमतो, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन, या त्वं तिट्ठसि देवते।", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा", | |
"‘‘अहं", | |
"‘‘अद्दसं", | |
"तस्स अदासहं भिक्खं, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन, या त्वं तिट्ठसि देवते।", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके॥", | |
"‘‘अद्दसं विरजं भिक्खुं, विप्पसन्नमनाविलं।", | |
"तस्स अदासहं भिक्खं, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰", | |
"दासी", | |
"चण्डाली", | |
"निद्दा चेव सुनिद्दा च", | |
"वग्गो तेन पवुच्चतीति॥", | |
"‘‘उळारो", | |
"नारियो नच्चन्ति गायन्ति, देवपुत्ता अलङ्कता॥", | |
"‘‘मोदेन्ति परिवारेन्ति, तव पूजाय देवते।", | |
"सोवण्णानि विमानानि, तविमानि सुदस्सने॥", | |
"‘‘तुवंसि इस्सरा तेसं, सब्बकामसमिद्धिनी।", | |
"अभिजाता महन्तासि, देवकाये पमोदसि।", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके।", | |
"दुस्सीलकुले सुणिसा अहोसिं, अस्सद्धेसु कदरियेसु अहं॥", | |
"‘‘सद्धा सीलेन सम्पन्ना, संविभागरता सदा।", | |
"पिण्डाय चरमानस्स, अपूवं ते अदासहं॥", | |
"‘‘तदाहं", | |
"तस्स अदासहं पूवं, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘इतिस्सा", | |
"न मं सम्पुच्छितुं इच्छि, समणस्स ददामहं॥", | |
"‘‘ततो मे सस्सु कुपिता, पहासि मुसलेन मं।", | |
"कूटङ्गच्छि अवधि मं, नासक्खिं जीवितुं चिरं॥", | |
"‘‘सा अहं कायस्स भेदा, विप्पमुत्ता ततो चुता।", | |
"देवानं तावतिंसानं, उपपन्ना सहब्यतं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘ओभासयित्वा", | |
"सिरिया च वण्णेन यसेन तेजसा, ब्रह्माव देवे तिदसे सहिन्दके", | |
"‘‘पुच्छामि तं उप्पलमालधारिनी, आवेळिनी कञ्चनसन्निभत्तचे।", | |
"अलङ्कते उत्तमवत्थधारिनी, का त्वं सुभे देवते वन्दसे ममं॥", | |
"‘‘किं त्वं पुरे कम्ममकासि अत्तना, मनुस्सभूता पुरिमाय जातिया।", | |
"दानं सुचिण्णं अथ सीलसंयमं", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘इदानि", | |
"ततो ते उच्छुस्स अदासि खण्डिकं, पसन्नचित्ता अतुलाय पीतिया॥", | |
"‘‘सस्सु च पच्छा अनुयुञ्जते ममं, कहं", | |
"न छड्डितं नो पन खादितं मया, सन्तस्स भिक्खुस्स सयं अदासहं॥", | |
"‘‘तुय्हंन्विदं", | |
"पीठं गहेत्वा पहारं अदासि मे, ततो चुता कालकताम्हि देवता॥", | |
"‘‘तदेव कम्मं कुसलं कतं मया, सुखञ्च कम्मं अनुभोमि अत्तना।", | |
"देवेहि सद्धिं परिचारयामहं, मोदामहं कामगुणेहि पञ्चहि॥", | |
"‘‘तदेव कम्मं कुसलं कतं मया, सुखञ्च कम्मं अनुभोमि अत्तना।", | |
"देविन्दगुत्ता", | |
"‘‘एतादिसं पुञ्ञफलं अनप्पकं, महाविपाका मम उच्छुदक्खिणा।", | |
"देवेहि सद्धिं परिचारयामहं, मोदामहं कामगुणेहि पञ्चहि॥", | |
"‘‘एतादिसं", | |
"देविन्दगुत्ता तिदसेहि रक्खिता, सहस्सनेत्तोरिव नन्दने वने॥", | |
"‘‘तुवञ्च", | |
"ततो ते उच्छुस्स अदासि खण्डिकं, पसन्नचिता अतुलाय पीतिया’’ति॥", | |
"‘‘पल्लङ्कसेट्ठे", | |
"तत्थच्छसि देवि महानुभावे, उच्चावचा इद्धि विकुब्बमाना॥", | |
"‘‘इमा च ते अच्छरायो समन्ततो, नच्चन्ति", | |
"देविद्धिपत्तासि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, अड्ढे कुले सुणिसा अहोसिं।", | |
"अक्कोधना भत्तुवसानुवत्तिनी, उपोसथे अप्पमत्ता अहोसिं", | |
"‘‘मनुस्सभूता दहरा अपापिका", | |
"दिवा च रत्तो च मनापचारिनी, अहं पुरे सीलवती अहोसिं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता", | |
"अमज्जपा नो च मुसा अभाणिं, सिक्खापदेसु परिपूरकारिनी॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं पञ्चदसिं, या च पक्खस्स अट्ठमी।", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, पसन्नमानसा अहं", | |
"‘‘अट्ठङ्गुपेतं अनुधम्मचारिनी, उपोसथं", | |
"इमञ्च अरियं अट्ठङ्गवरेहुपेतं, समादियित्वा कुसलं सुखुद्रयं।", | |
"पतिम्हि कल्याणी वसानुवत्तिनी, अहोसिं पुब्बे सुगतस्स साविका॥", | |
"‘‘एतादिसं कुसलं जीवलोके, कम्मं करित्वान विसेसभागिनी।", | |
"कायस्स भेदा अभिसम्परायं, देविद्धिपत्ता सुगतिम्हि आगता॥", | |
"‘‘विमानपासादवरे मनोरमे, परिवारिता अच्छरासङ्गणेन।", | |
"सयंपभा देवगणा रमेन्ति मं, दीघायुकिं देवविमानमागत’’न्ति।", | |
"लता", | |
"सुता च रञ्ञो वेस्सवणस्स धीता, राजीमती धम्मगुणेहि सोभथ॥", | |
"पञ्चेत्थ", | |
"ता", | |
"‘‘पुच्छामि तं उप्पलमालधारिनि, आवेळिनि कञ्चनसन्निभत्तचे।", | |
"तिमिरतम्बक्खि नभेव सोभने, दीघायुकी केन कतो यसो तव॥", | |
"‘‘केनासि भद्दे पतिनो पियतरा, विसिट्ठकल्याणितरस्सु रूपतो।", | |
"पदक्खिणा नच्चगीतवादिते, आचिक्ख नो त्वं नरनारिपुच्छिता’’ति॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, उळारभोगे कुले सुणिसा अहोसिं।", | |
"अक्कोधना भत्तुवसानुवत्तिनी, उपोसथे अप्पमत्ता अहोसिं॥", | |
"‘‘मनुस्सभूता", | |
"सदेवरं सस्ससुरं सदासकं, अभिराधयिं तम्हि कतो यसो मम॥", | |
"‘‘साहं तेन कुसलेन कम्मुना, चतुब्भि ठानेहि विसेसमज्झगा।", | |
"आयुञ्च", | |
"‘‘सुतं नु तं भासति यं अयं लता, यं नो अपुच्छिम्ह अकित्तयी नो।", | |
"पतिनो किरम्हाकं विसिट्ठ नारीनं, गती च तासं पवरा च देवता॥", | |
"‘‘पतीसु", | |
"पतीसु धम्मं पचरित्व", | |
"‘‘सीहो यथा पब्बतसानुगोचरो, महिन्धरं पब्बतमावसित्वा।", | |
"पसय्ह हन्त्वा इतरे चतुप्पदे, खुद्दे मिगे खादति मंसभोजनो॥", | |
"‘‘तथेव सद्धा इध अरियसाविका, भत्तारं निस्साय पतिं अनुब्बता।", | |
"कोधं वधित्वा अभिभुय्य मच्छरं, सग्गम्हि सा मोदति धम्मचारिनी’’ति॥", | |
"‘‘सत्ततन्तिं", | |
"सो", | |
"‘‘अहं", | |
"न तं जयिस्सति सिस्सो, सिस्समाचरिय जेस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन, या त्वं तिट्ठसि देवते।", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना, मोग्गल्लानेन पुच्छिता।", | |
"पञ्हं पुट्ठा वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘वत्थुत्तमदायिका नारी, पवरा होति नरेसु नारीसु।", | |
"एवं पियरूपदायिका मनापं, दिब्बं सा लभते उपेच्च ठानं॥", | |
"‘‘तस्सा", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो, तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूता यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावा, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘पुप्फुत्तमदायिका नारी, पवरा होति नरेसु नारीसु।", | |
"एवं पियरूपदायिका मनापं, दिब्बं सा लभते उपेच्च ठानं॥", | |
"‘‘तस्सा", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰…", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘गन्धुत्तमदायिका नारी, पवरा होति नरेसु नारीसु।", | |
"एवं पियरूपदायिका मनापं, दिब्बं सा लभते उपेच्च ठानं॥", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा", | |
"‘‘फलुत्तमदायिका नारी, पवरा होति नरेसु नारीसु।", | |
"एवं पियरूपदायिका मनापं, दिब्बं सा लभते उपेच्च ठानं॥", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन", | |
"‘‘पुच्छामि तं देवि महानुभावे…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘रसुत्तमदायिका नारी, पवरा", | |
"एवं पियरूपदायिका मनापं, दिब्बं सा लभते उपेच्च ठानं॥", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘गन्धपञ्चङ्गुलिकं अहमदासिं, कस्सपस्स भगवतो थूपम्हि।", | |
"एवं पियरूपदायिका मनापं, दिब्बं सा लभते उपेच्च ठानं॥", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"(अनन्तरं", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰…वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰…यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘भिक्खू च अहं भिक्खुनियो च, अद्दसासिं पन्थपटिपन्ने।", | |
"तेसाहं धम्मं सुत्वान, एकूपोसथं उपवसिस्सं॥", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘उदके", | |
"एवं पियरूपदायिका मनापं, दिब्बं सा लभते उपेच्च ठानं॥", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा", | |
"‘‘सस्सुञ्चाहं ससुरञ्च, चण्डिके कोधने च फरुसे च।", | |
"अनुसूयिका उपट्ठासिं", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘परकम्मकरी", | |
"अक्कोधनानतिमानिनी", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘खीरोदनं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स।", | |
"एवं करित्वा कम्मं, सुगतिं उपपज्ज मोदामि॥", | |
"‘‘तस्सा", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰…", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘फाणितं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…’’॥", | |
"उच्छुखण्डिकं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"तिम्बरुसकं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"कक्कारिकं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"एळालुकं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"वल्लिफलं", | |
"फारुसकं", | |
"हत्थप्पतापकं", | |
"साकमुट्ठिं अहमदासिं, भिक्खुनो पन्थपटिपन्नस्स…पे॰…॥", | |
"पुप्फकमुट्ठिं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"मूलकं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"निम्बमुट्ठिं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"अम्बकञ्जिकं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"दोणिनिम्मज्जनिं", | |
"कायबन्धनं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"अंसबद्धकं", | |
"आयोगपट्टं", | |
"विधूपनं", | |
"तालवण्टं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"मोरहत्थं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"छत्तं", | |
"उपाहनं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"पूवं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"मोदकं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स…पे॰…॥", | |
"‘‘सक्खलिकं", | |
"‘‘तस्सा मे पस्स विमानं, अच्छरा कामवण्णिनीहमस्मि।", | |
"अच्छरासहस्सस्साहं, पवरा पस्स पुञ्ञानं विपाकं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘स्वागतं वत मे अज्ज, सुप्पभातं सुहुट्ठितं", | |
"यं अद्दसामि", | |
"‘‘इमासाहं", | |
"दानेन समचरियाय, सञ्ञमेन दमेन च।", | |
"स्वाहं तत्थ गमिस्सामि", | |
"‘‘दद्दल्लमाना", | |
"सब्बे देवे तावतिंसे, वण्णेन अतिरोचसि॥", | |
"‘‘दस्सनं नाभिजानामि, इदं पठमदस्सनं।", | |
"कस्मा काया नु आगम्म, नामेन भाससे मम’’न्ति॥", | |
"‘‘अहं भद्दे सुभद्दासिं, पुब्बे मानुसके भवे।", | |
"सहभरिया च ते आसिं, भगिनी च कनिट्ठिका॥", | |
"‘‘सा अहं कायस्स भेदा, विप्पमुत्ता ततो चुता।", | |
"निम्मानरतीनं देवानं, उपपन्ना सहब्यत’’न्ति॥", | |
"‘‘पहूतकतकल्याणा, ते देवे यन्ति पाणिनो।", | |
"येसं त्वं कित्तयिस्ससि, सुभद्दे जातिमत्तनो॥", | |
"‘‘अथ", | |
"कीदिसेनेव दानेन, सुब्बतेन यसस्सिनी॥", | |
"‘‘यसं एतादिसं पत्ता, विसेसं विपुलमज्झगा।", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘अट्ठेव पिण्डपातानि, यं दानं अददं पुरे।", | |
"दक्खिणेय्यस्स सङ्घस्स, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अहं", | |
"तप्पेसिं अन्नपानेन, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तया", | |
"कथं त्वं अप्पतरं दत्वा, विसेसं विपुलमज्झगा।", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘मनोभावनीयो", | |
"ताहं भत्तेन", | |
"‘‘सो मे अत्थपुरेक्खारो, अनुकम्पाय रेवतो।", | |
"सङ्घे देहीति मंवोच, तस्साहं वचनं करिं॥", | |
"‘‘सा दक्खिणा सङ्घगता, अप्पमेय्ये पतिट्ठिता।", | |
"पुग्गलेसु तया दिन्नं, न तं तव महप्फल’’न्ति॥", | |
"‘‘इदानेवाहं जानामि, सङ्घे दिन्नं महप्फलं।", | |
"साहं गन्त्वा मनुस्सत्तं, वदञ्ञू वीतमच्छरा।", | |
"सङ्घे दानानि दस्सामि", | |
"‘‘का एसा देवता भद्दे, तया मन्तयते सह।", | |
"सब्बे देवे तावतिंसे, वण्णेन अतिरोचती’’ति॥", | |
"‘‘मनुस्सभूता देविन्द, पुब्बे मानुसके भवे।", | |
"सहभरिया च मे आसि, भगिनी च कनिट्ठिका।", | |
"सङ्घे दानानि दत्वान, कतपुञ्ञा विरोचती’’ति॥", | |
"‘‘धम्मेन पुब्बे भगिनी, तया भद्दे विरोचति।", | |
"यं सङ्घम्हि अप्पमेय्ये, पतिट्ठापेसि दक्खिणं॥", | |
"‘‘पुच्छितो हि मया बुद्धो, गिज्झकूटम्हि पब्बते।", | |
"विपाकं", | |
"‘‘यजमानानं मनुस्सानं, पुञ्ञपेक्खान पाणिनं।", | |
"करोतं ओपधिकं पुञ्ञं, यत्थ दिन्नं महप्फलं॥", | |
"‘‘तं", | |
"विपाकं संविभागस्स, यत्थ दिन्नं महप्फलं॥", | |
"", | |
"एस सङ्घो उजुभूतो, पञ्ञासीलसमाहितो॥", | |
"", | |
"करोतं ओपधिकं पुञ्ञं, सङ्घे दिन्नं महप्फलं॥", | |
"", | |
"एते हि सेट्ठा नरवीरसावका, पभङ्करा धम्ममुदीरयन्ति", | |
"", | |
"सा दक्खिणा सङ्घगता पतिट्ठिता, महप्फला लोकविदून", | |
"", | |
"विनेय्य मच्छेरमलं समूलं, अनिन्दिता", | |
"‘‘फलिकरजतहेमजालछन्नं", | |
"ब्यम्हं सुनिम्मितं तोरणूपपन्नं, रुचकुपकिण्णमिदं सुभं विमानं॥", | |
"‘‘भाति", | |
"तथा तपतिमिदं तव विमानं, जलमिव धूमसिखो निसे नभग्गे॥", | |
"‘‘मुसतीव नयनं सतेरताव", | |
"वीणामुरजसम्मताळघुट्ठं, इद्धं इन्दपुरं यथा तवेदं॥", | |
"‘‘पदुमकुमुदुप्पलकुवलयं, योधिक", | |
"सालकुसुमितपुप्फिता असोका, विविधदुमग्गसुगन्धसेवितमिदं॥", | |
"‘‘सळललबुजभुजक", | |
"मणिजालसदिसा यसस्सिनी, रम्मा पोक्खरणी उपट्ठिता ते॥", | |
"‘‘उदकरुहा च येत्थि पुप्फजाता, थलजा ये च सन्ति रुक्खजाता।", | |
"मानुसकामानुस्सका च दिब्बा, सब्बे तुय्हं निवेसनम्हि जाता॥", | |
"‘‘किस्स संयमदमस्सयं विपाको, केनासि कम्मफलेनिधूपपन्ना।", | |
"यथा च ते अधिगतमिदं विमानं, तदनुपदं अवचासिळारपम्हे’’ति", | |
"‘‘यथा", | |
"दिब्य", | |
"‘‘नानासन्तानकपुप्फरुक्खविविधा, पाटलिजम्बुअसोकरुक्खवन्तं।", | |
"यथा च मे अधिगतमिदं विमानं, तं", | |
"‘‘मगधवरपुरत्थिमेन", | |
"तत्थ अहोसिं पुरे सुणिसा, पेसवतीति", | |
"‘‘साहमपचितत्थधम्मकुसलं", | |
"उपतिस्सं निब्बुतमप्पमेय्यं, मुदितमना कुसुमेहि अब्भुकिरिं", | |
"‘‘परमगतिगतञ्च पूजयित्वा, अन्तिमदेहधरं इसिं उळारं।", | |
"पहाय मानुसकं समुस्सयं, तिदसगता इध मावसामि ठान’’न्ति॥", | |
"‘‘पीतवत्थे", | |
"पीतन्तराहि वग्गूहि, अपिळन्धाव सोभसि॥", | |
"‘‘का", | |
"हेमजालकसञ्छन्ने", | |
"‘‘सोवण्णमया लोहितङ्गमया", | |
"मसारगल्ला सहलोहितङ्गा", | |
"‘‘कोचि कोचि एत्थ मयूरसुस्सरो, हंसस्स रञ्ञो करवीकसुस्सरो।", | |
"तेसं सरो सुय्यति वग्गुरूपो, पञ्चङ्गिकं तूरियमिवप्पवादितं॥", | |
"‘‘रथो च ते सुभो वग्गु", | |
"नानावण्णाहि धातूहि, सुविभत्तोव सोभति॥", | |
"‘‘तस्मिं रथे कञ्चनबिम्बवण्णे, या त्वं", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘सोवण्णजालं मणिसोण्णचित्तितं", | |
"परिनिब्बुते गोतमे अप्पमेय्ये, पसन्नचित्ता अहमाभिरोपयिं॥", | |
"‘‘ताहं कम्मं करित्वान, कुसलं बुद्धवण्णितं।", | |
"अपेतसोका सुखिता, सम्पमोदामनामया’’ति॥", | |
"‘‘का", | |
"समन्ता अनुपरियासि, नारीगणपुरक्खता", | |
"‘‘यदा", | |
"सयोग्गा सरथा सब्बे, चित्रा होन्ति इधागता॥", | |
"‘‘तुय्हञ्च इध पत्ताय, उय्याने विचरन्तिया।", | |
"काये न दिस्सती चित्तं, केन रूपं तवेदिसं।", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘येन कम्मेन देविन्द, रूपं मय्हं गती च मे।", | |
"इद्धि च आनुभावो च, तं सुणोहि पुरिन्दद॥", | |
"‘‘अहं राजगहे रम्मे, सुनन्दा नामुपासिका।", | |
"सद्धा सीलेन सम्पन्ना, संविभागरता सदा॥", | |
"‘‘अच्छादनञ्च भत्तञ्च, सेनासनं पदीपियं।", | |
"अदासिं उजुभूतेसु, विप्पसन्नेन चेतसा॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं उपवसिस्सं, सदा सीलेसु संवुता।", | |
"सञ्ञमा संविभागा च, विमानं आवसामहं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता विरता, मुसावादा च सञ्ञता।", | |
"थेय्या च अतिचारा च, मज्जपाना च आरका॥", | |
"‘‘पञ्चसिक्खापदे रता, अरियसच्चान कोविदा।", | |
"उपासिका चक्खुमतो, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"‘‘तस्सा", | |
"ताहं भगवतो थूपे, सब्बमेवाभिरोपयिं॥", | |
"‘‘उपोसथे चहं गन्त्वा, मालागन्धविलेपनं।", | |
"थूपस्मिं अभिरोपेसिं, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन", | |
"इद्धी च आनुभावो च, यं मालं अभिरोपयिं॥", | |
"‘‘यञ्च सीलवती आसिं, न तं ताव विपच्चति।", | |
"आसा च पन मे देविन्द, सकदागामिनी सिय’’न्ति॥", | |
"‘‘पारिच्छत्तके", | |
"दिब्बमालं गन्थमाना, गायन्ती सम्पमोदसि॥", | |
"‘‘तस्सा ते नच्चमानाय, अङ्गमङ्गेहि सब्बसो।", | |
"दिब्बा सद्दा निच्छरन्ति, सवनीया मनोरमा॥", | |
"‘‘तस्सा ते नच्चमानाय, अङ्गमङ्गेहि सब्बसो।", | |
"दिब्बा गन्धा पवायन्ति, सुचिगन्धा मनोरमा॥", | |
"‘‘विवत्तमाना कायेन, या वेणीसु पिळन्धना॥", | |
"तेसं सुय्यति निग्घोसो, तूरिये पञ्चङ्गिके यथा॥", | |
"‘‘वटंसका वातधुता", | |
"तेसं सुय्यति निग्घोसो, तूरिये पञ्चङ्गिके यथा॥", | |
"‘‘यापि", | |
"वाति", | |
"‘‘घायसे तं सुचिगन्धं", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘पभस्सरं अच्चिमन्तं, वण्णगन्धेन संयुतं।", | |
"असोकपुप्फमालाहं, बुद्धस्स उपनामयिं॥", | |
"‘‘ताहं कम्मं करित्वान, कुसलं बुद्धवण्णितं।", | |
"अपेतसोका सुखिता, सम्पमोदामनामया’’ति॥", | |
"उळारो उच्छु पल्लङ्को, लता च गुत्तिलेन च।", | |
"दद्दल्लपेसमल्लिका, विसालक्खि पारिच्छत्तको।", | |
"वग्गो तेन पवुच्चतीति॥", | |
"‘‘मञ्जिट्ठके", | |
"पञ्चङ्गिके तुरियेन", | |
"‘‘तम्हा विमाना ओरुय्ह, निम्मिता रतनामया।", | |
"ओगाहसि", | |
"‘‘यस्स यस्सेव सालस्स, मूले तिट्ठसि देवते।", | |
"सो सो मुञ्चति पुप्फानि, ओनमित्वा दुमुत्तमो॥", | |
"‘‘वातेरितं सालवनं, आधुतं", | |
"वाति गन्धो दिसा सब्बा, रुक्खो मञ्जूसको यथा॥", | |
"‘‘घायसे तं सुचिगन्धं, रूपं पस्ससि अमानुसं।", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, दासी अयिरकुले", | |
"बुद्धं निसिन्नं दिस्वान, सालपुप्फेहि ओकिरिं॥", | |
"‘‘वटंसकञ्च सुकतं, सालपुप्फमयं अहं।", | |
"बुद्धस्स उपनामेसिं, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘ताहं", | |
"अपेतसोका सुखिता, सम्पमोदामनामया’’ति॥", | |
"‘‘पभस्सरवरवण्णनिभे", | |
"महिद्धिके चन्दनरुचिरगत्ते, का त्वं सुभे देवते वन्दसे ममं॥", | |
"‘‘पल्लङ्को", | |
"यत्थ त्वं निसिन्ना विरोचसि, देवराजारिव नन्दने वने॥", | |
"‘‘किं त्वं पुरे सुचरितमाचरी भद्दे, किस्स कम्मस्स विपाकं।", | |
"अनुभोसि देवलोकस्मिं, देवते पुच्छिताचिक्ख।", | |
"किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘पिण्डाय ते चरन्तस्स, मालं फाणितञ्च अददं भन्ते।", | |
"तस्स कम्मस्सिदं विपाकं, अनुभोमि देवलोकस्मिं॥", | |
"‘‘होति च मे अनुतापो, अपरद्धं", | |
"साहं धम्मं नास्सोसिं, सुदेसितं धम्मराजेन॥", | |
"‘‘तं तं वदामि भद्दन्ते, ‘यस्स मे अनुकम्पियो कोचि।", | |
"धम्मेसु तं समादपेथ’, सुदेसितं धम्मराजेन॥", | |
"‘‘येसं अत्थि सद्धा बुद्धे, धम्मे", | |
"ते मं अतिविरोचन्ति, आयुना यससा सिरिया॥", | |
"‘‘पतापेन वण्णेन उत्तरितरा,", | |
"अञ्ञे महिद्धिकतरा मया देवा’’ति।", | |
"‘‘अलङ्कता", | |
"अभिरुय्ह गजवरं सुकप्पितं, इधागमा वेहायसं", | |
"‘‘नागस्स दन्तेसु दुवेसु निम्मिता, अच्छोदका", | |
"पदुमेसु च तुरियगणा पभिज्जरे, इमा च नच्चन्ति मनोहरायो॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तासि महानुभावे, मनुस्सभूता किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावा, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘बाराणसियं", | |
"पादानि वन्दित्वा", | |
"‘‘बुद्धो च मे कञ्चनसन्निभत्तचो, अदेसयि समुदयदुक्खनिच्चतं।", | |
"असङ्खतं दुक्खनिरोधसस्सतं, मग्गं अदेसयि", | |
"‘‘अप्पायुकी", | |
"सक्कस्सहं अञ्ञतरा पजापति, यसुत्तरा नाम दिसासु विस्सुता’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहञ्च", | |
"अदासिं सुक्खकुम्मासं, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘सुक्खाय अलोणिकाय च, पस्स फलं कुम्मासपिण्डिया।", | |
"अलोमं सुखितं दिस्वा, को पुञ्ञं न करिस्सति॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं अन्धकविन्दम्हि, बुद्धस्सादिच्चबन्धुनो।", | |
"अदासिं कोलसम्पाकं, कञ्जिकं तेलधूपितं॥", | |
"‘‘पिप्फल्या लसुणेन च, मिस्सं लामञ्जकेन च।", | |
"अदासिं उजुभूतस्मिं", | |
"‘‘या", | |
"नारी सब्बङ्गकल्याणी, भत्तु चानोमदस्सिका।", | |
"एकस्स", | |
"‘‘सतं निक्खा सतं अस्सा, सतं अस्सतरीरथा।", | |
"सतं कञ्ञासहस्सानि, आमुत्तमणिकुण्डला।", | |
"एकस्स कञ्जिकदानस्स, कलं नाग्घन्ति सोळसिं॥", | |
"‘‘सतं हेमवता नागा, ईसादन्ता उरूळ्हवा।", | |
"सुवण्णकच्छा मातङ्गा, हेमकप्पनवाससा।", | |
"एकस्स कञ्जिकदानस्स, कलं नाग्घन्ति सोळसिं॥", | |
"‘‘चतुन्नमपि", | |
"एकस्स कञ्जिकदानस्स, कलं नाग्घति सोळसि’’न्ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰… ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘तस्सा ते नच्चमानाय, अङ्गमङ्गेहि सब्बसो।", | |
"दिब्बा सद्दा निच्छरन्ति, सवनीया मनोरमा॥", | |
"‘‘तस्सा ते नच्चमानाय, अङ्गमङ्गेहि सब्बसो।", | |
"दिब्बा गन्धा पवायन्ति, सुचिगन्धा मनोरमा॥", | |
"‘‘विवत्तमाना कायेन, या वेणीसु पिळन्धना।", | |
"तेसं सुय्यति निग्घोसो, तुरिये पञ्चङ्गिके यथा॥", | |
"‘‘वटंसका वातधुता, वातेन सम्पकम्पिता।", | |
"तेसं सुय्यति निग्घोसो, तुरिये पञ्चङ्गिके यथा॥", | |
"‘‘यापि", | |
"वाति गन्धो दिसा सब्बा, रुक्खो मञ्जूसको यथा॥", | |
"‘‘घायसे तं सुचिगन्धं, रूपं पस्ससि अमानुसं।", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘सावत्थियं", | |
"तत्थप्पसन्ना अहमानुमोदिं, दिस्वा अगारञ्च पियञ्च मेतं॥", | |
"‘‘तायेव", | |
"समन्ततो सोळसयोजनानि, वेहायसं गच्छति इद्धिया मम॥", | |
"‘‘कूटागारा निवेसा मे, विभत्ता भागसो मिता।", | |
"दद्दल्लमाना आभन्ति, समन्ता सतयोजनं॥", | |
"‘‘पोक्खरञ्ञो च मे एत्थ, पुथुलोमनिसेविता।", | |
"अच्छोदका", | |
"‘‘नानापदुमसञ्छन्ना, पुण्डरीकसमोतता", | |
"सुरभी सम्पवायन्ति, मनुञ्ञा मालुतेरिता॥", | |
"‘‘जम्बुयो पनसा ताला, नाळिकेरवनानि च।", | |
"अन्तोनिवेसने जाता, नानारुक्खा अरोपिमा॥", | |
"‘‘नानातूरियसङ्घुट्ठं", | |
"योपि मं सुपिने पस्से, सोपि वित्तो सिया नरो॥", | |
"‘‘एतादिसं अब्भुतदस्सनेय्यं, विमानं सब्बसोपभं।", | |
"मम कम्मेहि निब्बत्तं, अलं पुञ्ञानि कातवे’’ति॥", | |
"‘‘तायेव ते सुद्धनुमोदनाय, लद्धं विमानब्भुतदस्सनेय्यं।", | |
"या चेव सा दानमदासि नारी, तस्सा गतिं ब्रूहि कुहिं उप्पन्ना", | |
"‘‘या सा अहु मय्हं सखी भदन्ते, सङ्घस्स कारेसि महाविहारं।", | |
"विञ्ञातधम्मा सा अदासि दानं, उप्पन्ना निम्मानरतीसु देवेसु॥", | |
"‘‘पजापती", | |
"यमेतं पुच्छसि कुहिं उप्पन्ना", | |
"‘‘तेनहञ्ञेपि समादपेथ, सङ्घस्स दानानि ददाथ वित्ता।", | |
"धम्मञ्च सुणाथ पसन्नमानसा, सुदुल्लभो लद्धो मनुस्सलाभो॥", | |
"‘‘यं", | |
"सङ्घस्स दानानि ददाथ वित्ता, महप्फला यत्थ भवन्ति दक्खिणा॥", | |
"", | |
"ते दक्खिणेय्या सुगतस्स सावका, एतेसु दिन्नानि महप्फलानि॥", | |
"", | |
"एस सङ्घो उजुभूतो, पञ्ञासीलसमाहितो॥", | |
"", | |
"करोतं ओपधिकं पुञ्ञं, सङ्घे दिन्नं महप्फलं॥", | |
"", | |
"एतेहि सेट्ठा नरवीरसावका, पभङ्करा धम्ममुदीरयन्ति", | |
"", | |
"सा दक्खिणा सङ्घगता पतिट्ठिता, महप्फला लोकविदून", | |
"‘‘एतादिसं", | |
"विनेय्य मच्छेरमलं समूलं, अनिन्दिता सग्गमुपेन्ति ठान’’न्ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘इन्दीवरानं", | |
"एसिकानं उण्णतस्मिं, नगरवरे पण्णकते रम्मे॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिस्सा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन…पे॰…वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰…", | |
"‘‘नीलुप्पलहत्थकं अहमदासिं, भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स।", | |
"एसिकानं उण्णतस्मिं, नगरवरे पण्णकते रम्मे॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘ओदातमूलकं हरितपत्तं, उदकस्मिं सरे जातं अहमदासिं।", | |
"भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स, एसिकानं उण्णतस्मिं।", | |
"नगरवरे पण्णकते रम्मे॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं सुमना सुमनस्स सुमनमकुळानि, दन्तवण्णानि अहमदासिं।", | |
"भिक्खुनो पिण्डाय चरन्तस्स, एसिकानं उण्णतस्मिं।", | |
"नगरवरे पण्णकते रम्मे॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘दिब्बं", | |
"नानातुरियसङ्घुट्ठो, अच्छरागणघोसितो॥", | |
"‘‘पदीपो चेत्थ जलति, निच्चं सोवण्णयो महा।", | |
"दुस्सफलेहि रुक्खेहि, समन्ता परिवारितो॥", | |
"‘‘केन", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰…", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, पुरिमाय जातिया मनुस्सलोके।", | |
"विहारं सङ्घस्स कारेसिं, अम्बेहि परिवारितं॥", | |
"‘‘परियोसिते विहारे, कारेन्ते निट्ठिते महे।", | |
"अम्बेहि छादयित्वान", | |
"‘‘पदीपं तत्थ जालेत्वा, भोजयित्वा गणुत्तमं।", | |
"निय्यादेसिं तं सङ्घस्स, पसन्ना सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मे अम्बवनं रम्मं, पासादेत्थ महल्लको।", | |
"नानातुरियसङ्घुट्ठो, अच्छरागणघोसितो॥", | |
"‘‘पदीपो", | |
"दुस्सफलेहि रुक्खेहि, समन्ता परिवारितो॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘पीतवत्थे", | |
"पीतचन्दनलित्तङ्गे, पीतउप्पलमालिनी", | |
"‘‘पीतपासादसयने, पीतासने पीतभाजने।", | |
"पीतछत्ते पीतरथे, पीतस्से पीतबीजने॥", | |
"‘‘किं", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘कोसातकी नाम लतत्थि भन्ते, तित्तिका अनभिच्छिता।", | |
"तस्सा चत्तारि पुप्फानि, थूपं अभिहरिं अहं॥", | |
"‘‘सत्थु सरीरमुद्दिस्स, विप्पसन्नेन चेतसा।", | |
"नास्स मग्गं अवेक्खिस्सं, न तग्गमनसा", | |
"‘‘ततो मं अवधी गावी, थूपं अपत्तमानसं।", | |
"तञ्चाहं अभिसञ्चेय्यं, भिय्यो", | |
"‘‘तेन कम्मेन देविन्द, मघवा देवकुञ्जरो।", | |
"पहाय मानुसं देहं, तव सहब्य", | |
"इदं", | |
"तावतिंसे पसादेन्तो, मातलिं एतदब्रवि", | |
"‘‘पस्स मातलि अच्छेरं, चित्तं कम्मफलं इदं।", | |
"अप्पकम्पि कतं देय्यं, पुञ्ञं होति महप्फलं॥", | |
"‘‘नत्थि चित्ते पसन्नम्हि, अप्पका नाम दक्खिणा।", | |
"तथागते वा सम्बुद्धे, अथ वा तस्स सावके॥", | |
"‘‘एहि मातलि अम्हेपि, भिय्यो भिय्यो महेमसे।", | |
"तथागतस्स धातुयो, सुखो पुञ्ञान मुच्चयो॥", | |
"‘‘तिट्ठन्ते निब्बुते चापि, समे चित्ते समं फलं।", | |
"चेतोपणिधिहेतु", | |
"‘‘बहूनं", | |
"यत्थ कारं करित्वान, सग्गं गच्छन्ति दायका’’ति॥", | |
"‘‘ओभासयित्वा", | |
"सिरिया च वण्णेन यसेन तेजसा, ब्रह्माव देवे तिदसे सहिन्दके॥", | |
"‘‘पुच्छामि", | |
"अलङ्कते उत्तमवत्थधारिनी, का त्वं सुभे देवते वन्दसे ममं॥", | |
"‘‘किं त्वं पुरे कम्ममकासि अत्तना, मनुस्सभूता पुरिमाय जातिया।", | |
"दानं सुचिण्णं अथ सीलसञ्ञमं, केनुपपन्ना सुगतिं यसस्सिनी।", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘इदानि भन्ते इममेव गामं, पिण्डाय अम्हाक घरं उपागमि।", | |
"ततो ते उच्छुस्स अदासि खण्डिकं, पसन्नचित्ता अतुलाय पीतिया।", | |
"‘‘सस्सु", | |
"न छड्डितं नो पन खादितं मया, सन्तस्स भिक्खुस्स सयं अदासहं॥", | |
"‘‘तुय्हंन्विदं इस्सरियं अथो मम, इतिस्सा सस्सु परिभासते ममं।", | |
"लेड्डुं गहेत्वा पहारं अदासि मे, ततो चुता कालकताम्हि देवता॥", | |
"‘‘तदेव कम्मं कुसलं कतं मया, सुखञ्च कम्मं अनुभोमि अत्तना।", | |
"देवेहि सद्धिं परिचारयामहं, मोदामहं कामगुणेहि पञ्चहि॥", | |
"‘‘तदेव", | |
"देविन्दगुत्ता तिदसेहि रक्खिता, समप्पिता कामगुणेहि पञ्चहि॥", | |
"‘‘एतादिसं", | |
"देवेहि सद्धिं परिचारयामहं, मोदामहं कामगुणेहि पञ्चहि॥", | |
"‘‘एतादिसं पुञ्ञफलं अनप्पकं, महाजुतिका मम उच्छुदक्खिणा।", | |
"देविन्दगुत्ता तिदसेहि रक्खिता, सहस्सनेत्तोरिव नन्दने वने॥", | |
"‘‘तुवञ्च", | |
"ततो ते उच्छुस्स अदासिं खण्डिकं, पसन्नचित्ता अतुलाय पीतिया’’ति॥", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन", | |
"ओभासेन्ती दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सा देवता अत्तमना…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, दिस्वान समणे सीलवन्ते।", | |
"पादानि वन्दित्वा मनं पसादयिं, वित्ता चहं अञ्जलिकं अकासिं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘अभिक्कन्तेन वण्णेन, या त्वं तिट्ठसि देवते।", | |
"हत्थपादे च विग्गय्ह, नच्चसि सुप्पवादिते॥", | |
"‘‘तस्सा ते नच्चमानाय, अङ्गमङ्गेहि सब्बसो।", | |
"दिब्बा सद्दा निच्छरन्ति, सवनीया मनोरमा॥", | |
"‘‘तस्सा ते नच्चमानाय, अङ्गमङ्गेहि सब्बसो।", | |
"दिब्बा गन्धा पवायन्ति, सुचिगन्धा मनोरमा॥", | |
"‘‘विवत्तमाना कायेन, या वेणीसु पिळन्धना।", | |
"तेसं सुय्यति निग्घोसो, तुरिये पञ्चङ्गिके यथा॥", | |
"‘‘वटंसका वातधुता, वातेन सम्पकम्पिता।", | |
"तेसं सुय्यति निग्घोसो, तुरिये पञ्चङ्गिके यथा॥", | |
"‘‘यापि ते सिरस्मिं माला, सुचिगन्धा मनोरमा।", | |
"वाति गन्धो दिसा सब्बा, रुक्खो मञ्जूसको यथा॥", | |
"‘‘घायसे", | |
"देवते पुच्छिताचिक्ख, किस्स कम्मस्सिदं फल’’न्ति॥", | |
"‘‘दासी", | |
"अप्पपुञ्ञा अलक्खिका, रज्जुमालाति मं विदुं", | |
"‘‘अक्कोसानं वधानञ्च, तज्जनाय च उग्गता", | |
"कुटं", | |
"‘‘विपथे", | |
"इधेवाहं मरिस्सामि, को अत्थो", | |
"‘‘दळ्हं पासं करित्वान, आसुम्भित्वान पादपे।", | |
"ततो दिसा विलोकेसिं,को नु खो वनमस्सितो॥", | |
"‘‘तत्थद्दसासिं सम्बुद्धं, सब्बलोकहितं मुनिं।", | |
"निसिन्नं रुक्खमूलस्मिं, झायन्तं अकुतोभयं॥", | |
"‘‘तस्सा मे अहु संवेगो, अब्भुतो लोमहंसनो।", | |
"को नु खो वनमस्सितो, मनुस्सो उदाहु देवता॥", | |
"‘‘पासादिकं पसादनीयं, वना निब्बनमागतं।", | |
"दिस्वा मनो मे पसीदि, नायं यादिसकीदिसो॥", | |
"‘‘गुत्तिन्द्रियो झानरतो, अबहिग्गतमानसो।", | |
"हितो सब्बस्स लोकस्स, बुद्धो अयं", | |
"‘‘भयभेरवो दुरासदो, सीहोव गुहमस्सितो।", | |
"दुल्लभायं दस्सनाय, पुप्फं ओदुम्बरं यथा॥", | |
"‘‘सो मं मुदूहि वाचाहि, आलपित्वा तथागतो।", | |
"रज्जुमालेति मंवोच, सरणं गच्छ तथागतं॥", | |
"‘‘ताहं गिरं सुणित्वान, नेलं अत्थवतिं सुचिं।", | |
"सण्हं मुदुञ्च वग्गुञ्च, सब्बसोकापनूदनं॥", | |
"‘‘कल्लचित्तञ्च मं ञत्वा, पसन्नं सुद्धमानसं।", | |
"हितो", | |
"‘‘इदं दुक्खन्ति मंवोच, अयं दुक्खस्स सम्भवो।", | |
"दुक्ख", | |
"‘‘अनुकम्पकस्स", | |
"अज्झगा अमतं सन्तिं, निब्बानं पदमच्चुतं॥", | |
"‘‘साहं अवट्ठितापेमा, दस्सने अविकम्पिनी।", | |
"मूलजाताय सद्धाय, धीता बुद्धस्स ओरसा॥", | |
"‘‘साहं", | |
"दिब्बमालं धारयामि, पिवामि मधुमद्दवं॥", | |
"‘‘सट्ठितुरियसहस्सानि, पटिबोधं करोन्ति मे।", | |
"आळम्बो गग्गरो भीमो, साधुवादी च संसयो॥", | |
"‘‘पोक्खरो च सुफस्सो च, वीणामोक्खा च नारियो।", | |
"नन्दा चेव सुनन्दा च, सोणदिन्ना सुचिम्हिता॥", | |
"‘‘अलम्बुसा मिस्सकेसी च, पुण्डरीकातिदारुणी", | |
"एणीफस्सा सुफस्सा", | |
"‘‘एता चञ्ञा च सेय्यासे, अच्छरानं पबोधिका।", | |
"ता मं कालेनुपागन्त्वा, अभिभासन्ति देवता॥", | |
"‘‘हन्द नच्चाम गायाम, हन्द तं रमयामसे।", | |
"नयिदं अकतपुञ्ञानं, कतपुञ्ञानमेविदं॥", | |
"‘‘असोकं", | |
"सुखं अकतपुञ्ञानं, इध नत्थि परत्थ च॥", | |
"‘‘सुखञ्च कतपुञ्ञानं, इध चेव परत्थ च।", | |
"तेसं सहब्यकामानं, कत्तब्बं कुसलं बहुं।", | |
"कतपुञ्ञा हि मोदन्ति, सग्गे भोगसमङ्गिनो॥", | |
"‘‘बहूनं वत अत्थाय, उप्पज्जन्ति तथागता।", | |
"दक्खिणेय्या मनुस्सानं, पुञ्ञखेत्तानमाकरा।", | |
"यत्थ कारं करित्वान, सग्गे मोदन्ति दायका’’ति॥", | |
"मञ्जिट्ठा", | |
"विहारचतुरित्थम्बा, पीता उच्छुवन्दनरज्जुमाला च।", | |
"वग्गो तेन पवुच्चतीति॥", | |
"‘‘को", | |
"अभिक्कन्तेन वण्णेन, सब्बा ओभासयं दिसा’’ति॥", | |
"‘‘मण्डूकोहं पुरे आसिं, उदके वारिगोचरो।", | |
"तव धम्मं सुणन्तस्स, अवधी वच्छपालको॥", | |
"‘‘मुहुत्तं", | |
"आनुभावञ्च मे पस्स, वण्णं पस्स जुतिञ्च मे॥", | |
"‘‘ये च ते दीघमद्धानं, धम्मं अस्सोसुं गोतम।", | |
"पत्ता ते अचलट्ठानं, यत्थ गन्त्वा न सोचरे’’ति॥", | |
"", | |
"ञातिमित्ता सुहज्जा च, अभिनन्दन्ति आगतं।", | |
"", | |
"पुञ्ञानि पटिगण्हन्ति, पियं ञातीव आगतं॥", | |
"", | |
"नेस्साम तं यत्थ थुनन्ति दुग्गता, समप्पिता नेरयिका दुक्खेना’’ति॥", | |
"इच्चेव", | |
"पच्चेकबाहासु गहेत्वा रेवतं, पक्कामयुं देवगणस्स सन्तिके॥", | |
"‘‘आदिच्चवण्णं", | |
"कस्सेतमाकिण्णजनं", | |
"‘‘नारीगणा चन्दनसारलित्ता", | |
"तं दिस्सति सूरियसमानवण्णं, को मोदति सग्गपत्तो विमाने’’ति॥", | |
"‘‘बाराणसियं नन्दियो नामासि, उपासको अमच्छरी दानपति वदञ्ञू।", | |
"तस्सेतमाकिण्णजनं विमानं, सूरियस्स रंसीरिव जोतमानं॥", | |
"‘‘नारीगणा चन्दनसारलित्ता, उभतो विमानं उपसोभयन्ति।", | |
"तं दिस्सति सूरियसमानवण्णं, सो मोदति सग्गपत्तो विमाने’’ति॥", | |
"‘‘नन्दियस्साहं भरिया, अगारिनी सब्बकुलस्स इस्सरा।", | |
"भत्तु विमाने रमिस्सामि दानहं, न पत्थये निरयं दस्सनाया’’ति॥", | |
"‘‘एसो ते निरयो सुपापधम्मे, पुञ्ञं", | |
"न हि मच्छरी रोसको पापधम्मो, सग्गूपगानं लभति सहब्यत’’न्ति॥", | |
"‘‘किं", | |
"दुग्गन्धं किमिदं मीळ्हं, किमेतं उपवायती’’ति॥", | |
"‘‘एस संसवको नाम, गम्भीरो सतपोरिसो।", | |
"यत्थ वस्ससहस्सानि, तुवं पच्चसि रेवते’’ति॥", | |
"‘‘किं", | |
"केन संसवको लद्धो, गम्भीरो सतपोरिसो’’ति॥", | |
"‘‘समणे ब्राह्मणे चापि, अञ्ञे वापि वनिब्बके", | |
"मुसावादेन वञ्चेसि, तं पापं पकतं तया॥", | |
"‘‘तेन संसवको लद्धो, गम्भीरो सतपोरिसो।", | |
"तत्थ वस्ससहस्सानि, तुवं पच्चसि रेवते॥", | |
"‘‘हत्थेपि छिन्दन्ति अथोपि पादे, कण्णेपि छिन्दन्ति अथोपि नासं।", | |
"अथोपि काकोळगणा समेच्च, सङ्गम्म खादन्ति विफन्दमान’’न्ति॥", | |
"‘‘साधु खो मं पटिनेथ, काहामि कुसलं बहुं।", | |
"दानेन समचरियाय, संयमेन दमेन च।", | |
"यं कत्वा सुखिता होन्ति, न च पच्छानुतप्परे’’ति॥", | |
"‘‘पुरे", | |
"सयं कतानं कम्मानं, विपाकं अनुभोस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘को", | |
"‘निक्खित्तदण्डेसु ददाथ दानं, अच्छादनं सेय्य", | |
"नहि मच्छरी रोसको पापधम्मो, सग्गूपगानं लभति सहब्यतं’॥", | |
"‘‘साहं नून इतो गन्त्वा, योनिं लद्धान मानुसिं।", | |
"वदञ्ञू सीलसम्पन्ना, काहामि कुसलं बहुं।", | |
"दानेन समचरियाय, संयमेन दमेन च॥", | |
"‘‘आरामानि", | |
"पपञ्च उदपानञ्च, विप्पसन्नेन चेतसा॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं पञ्चदसिं, या च पक्खस्स अट्ठमी।", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं उपवसिस्सं, सदा सीलेसु संवुता।", | |
"न च दाने पमज्जिस्सं, सामं दिट्ठमिदं मया’’ति।", | |
"इच्चेवं विप्पलपन्तिं, फन्दमानं ततो ततो।", | |
"खिपिंसु निरये घोरे, उद्धपादं अवंसिरं॥", | |
"‘‘अहं पुरे मच्छरिनी अहोसिं, परिभासिका", | |
"वितथेन च सामिकं वञ्चयित्वा, पच्चामहं निरये घोररूपे’’ति॥", | |
"‘‘ये", | |
"पारगतो बलवीरियसमङ्गी", | |
"‘‘रागविरागमनेजमसोकं, धम्ममसङ्खतमप्पटिकूलं।", | |
"मधुरमिमं पगुणं सुविभत्तं, धम्ममिमं सरणत्थमुपेहि॥", | |
"‘‘यत्थ", | |
"अट्ठ च पुग्गलधम्मदसा ते, सङ्घमिमं सरणत्थमुपेहि॥", | |
"‘‘न", | |
"यथा अतुलमिदं महप्पभासं, को", | |
"‘‘छिन्दति", | |
"रत्तिमपि यथा दिवं करोति, परिसुद्धं विमलं सुभं विमानं॥", | |
"‘‘बहुपदुमविचित्रपुण्डरीकं, वोकिण्णं कुसुमेहि नेकचित्तं।", | |
"अरजविरजहेमजालछन्नं, आकासे तपति यथापि सूरियो॥", | |
"‘‘रत्तम्बरपीतवससाहि, अगरुपियङ्गुचन्दनुस्सदाहि।", | |
"कञ्चनतनुसन्निभत्तचाहि, परिपूरं गगनंव तारकाहि॥", | |
"‘‘नरनारियो", | |
"अनिलपमुञ्चिता पवन्ति", | |
"‘‘किस्स संयमस्स", | |
"यथा", | |
"‘‘सयमिध", | |
"तव रतनवरस्स धम्मं सुत्वा, करिस्सामीति च ब्रवित्थ छत्तो॥", | |
"‘‘जिनवरपवरं", | |
"नोति पठमं अवोचहं", | |
"‘‘मा च पाणवधं विविधं चरस्सु असुचिं,", | |
"न हि पाणेसु असञ्ञतं अवण्णयिंसु सप्पञ्ञा।", | |
"नोति पठमं अवोचहं भन्ते,", | |
"पच्छा ते वचनं तथेवकासिं॥", | |
"‘‘मा", | |
"नोति पठमं अवोचहं भन्ते, पच्छा वचनं तथेवकासिं॥", | |
"‘‘मा च परजनस्स रक्खितायो, परभरिया अगमा अनरियमेतं।", | |
"नोति पठमं अवोचहं भन्ते, पच्छा ते वचनं तथेवकासिं।", | |
"‘‘मा च वितथं अञ्ञथा अभाणि,", | |
"न", | |
"नोति पठमं अवोचहं भन्ते, पच्छा ते वचनं तथेवकासिं॥", | |
"‘‘येन च पुरिसस्स अपेति सञ्ञा, तं मज्जं परिवज्जयस्सु सब्बं।", | |
"नोति पठमं अवोचहं भन्ते, पच्छा ते वचनं तथेवकासिं॥", | |
"‘‘स्वाहं इध पञ्च सिक्खा करित्वा, पटिपज्जित्वा तथागतस्स धम्मे।", | |
"द्वेपथमगमासिं चोरमज्झे, ते मं तत्थ वधिंसु भोगहेतु॥", | |
"‘‘एत्तकमिदं", | |
"तेन सुचरितेन कम्मुनाहं", | |
"‘‘पस्स खणमुहुत्तसञ्ञमस्स, अनुधम्मप्पटिपत्तिया विपाकं।", | |
"जलमिव यससा समेक्खमाना, बहुका मं पिहयन्ति हीनकम्मा॥", | |
"‘‘पस्स कतिपयाय देसनाय, सुगतिञ्चम्हि", | |
"ये च ते सततं सुणन्ति धम्मं, मञ्ञे ते अमतं फुसन्ति खेमं॥", | |
"‘‘अप्पम्पि कतं महाविपाकं, विपुलं होति", | |
"पस्स कतपुञ्ञताय छत्तो, ओभासेति पथविं यथापि सूरियो॥", | |
"‘‘किमिदं कुसलं किमाचरेम, इच्चेके हि समेच्च मन्तयन्ति।", | |
"ते मयं पुनरेव", | |
"‘‘बहुकारो", | |
"स्वाहं उपगतोम्हि सच्चनामं, अनुकम्पस्सु पुनपि सुणेमु", | |
"‘‘ये", | |
"न च ते पुनमुपेन्ति गब्भसेय्यं, परिनिब्बानगता हि सीतिभूता’’ति॥", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता", | |
"‘‘तत्थच्छसि", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं देव महानुभाव, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो, मोग्गल्लानेन पुच्छितो।", | |
"पञ्हं पुट्ठो वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘सतिसमुप्पादकरो", | |
"निट्ठितो जातरूपस्स, सोभति दसपादको॥", | |
"‘‘तेन", | |
"उप्पज्जन्ति", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव, मनुस्सभूतो यमकासि पुञ्ञं।", | |
"तेनम्हि एवं जलितानुभावो, वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता सुभा॥", | |
"‘‘तत्थच्छसि पिवसि खादसि च, दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं।", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो, मोग्गल्लानेन पुच्छितो।", | |
"पञ्हं पुट्ठो वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘दिब्बं ममं वस्ससहस्समायु, वाचाभिगीतं मनसा पवत्तितं।", | |
"एत्तावता ठस्सति पुञ्ञकम्मो, दिब्बेहि कामेहि समङ्गिभूतो॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘उच्चमिदं मणिथूणं विमानं, समन्ततो द्वादस योजनानि।", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता सुभा॥", | |
"‘‘तत्थच्छसि", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…", | |
"वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰…यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘करणीयानि पुञ्ञानि, पण्डितेन विजानता।", | |
"सम्मग्गतेसु बुद्धेसु, यत्थ दिन्नं महप्फलं॥", | |
"‘‘अत्थाय वत मे बुद्धो, अरञ्ञा गाममागतो।", | |
"तत्थ", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता सुभा॥", | |
"‘‘तत्थच्छसि पिवसि खादसि च, दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं।", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘करणीयानि पुञ्ञानि, पण्डितेन विजानता।", | |
"सम्मग्गतेसु भिक्खूसु, यत्थ दिन्नं महप्फलं॥", | |
"‘‘अत्थाय वत मे भिक्खु, अरञ्ञा गाममागतो।", | |
"तत्थ चित्तं पसादेत्वा, तावतिंसूपगो अहं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता सुभा॥", | |
"‘‘तत्थच्छसि", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो", | |
"‘‘यं ददाति न तं होति,", | |
"यञ्चेव दज्जा तञ्चेव सेय्यो।", | |
"सूचि दिन्ना सूचिमेव सेय्यो॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘उच्चमिदं मणिथूणं विमानं, समन्ततो द्वादस योजनानि।", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता सुभा॥", | |
"‘‘तत्थच्छसि पिवसि खादसि च, दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं।", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूतो,पुरिमजातिया मनुस्सलोके॥", | |
"‘‘अद्दसं", | |
"तस्स अदासहं सूचिं, पसन्नो सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘सुसुक्कखन्धं", | |
"अभिरुय्ह गजवरं", | |
"‘‘नागस्स दन्तेसु दुवेसु निम्मिता, अच्छोदका पदुमिनियो सुफुल्ला।", | |
"पदुमेसु च तुरियगणा पवज्जरे, इमा च नच्चन्ति मनोहरायो॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो, मोग्गल्लानेन पुच्छितो।", | |
"पञ्हं पुट्ठो वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अट्ठेव मुत्तपुप्फानि, कस्सपस्स महेसिनो", | |
"थूपस्मिं अभिरोपेसिं, पसन्नो सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘महन्तं", | |
"वना वनं अनुपरियासि, नारीगणपुरक्खतो।", | |
"ओभासेन्तो दिसा सब्बा, ओसधी विय तारका॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो, वङ्गीसेनेव पुच्छितो।", | |
"पञ्हं पुट्ठो वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूतो, उपासको चक्खुमतो अहोसिं।", | |
"पाणातिपाता विरतो अहोसिं, लोके अदिन्नं परिवज्जयिस्सं॥", | |
"‘‘अमज्जपो", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्तो, सक्कच्च दानं विपुलं अदासिं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘को", | |
"तुरियताळितनिग्घोसो, अन्तलिक्खे महीयति॥", | |
"‘‘देवता नुसि गन्धब्बो, अदु", | |
"अजानन्ता तं पुच्छाम, कथं जानेमु तं मय’’न्ति॥", | |
"‘‘नम्हि", | |
"सुधम्मा नाम ये देवा, तेसं अञ्ञतरो अह’’न्ति॥", | |
"‘‘पुच्छाम देवं सुधम्मं", | |
"किं कत्वा मानुसे कम्मं, सुधम्मं उपपज्जती’’ति॥", | |
"‘‘उच्छागारं तिणागारं, वत्थागारञ्च यो ददे।", | |
"तिण्णं अञ्ञतरं दत्वा, सुधम्मं उपपज्जती’’ति॥", | |
"‘‘दळ्हधम्मा निसारस्स, धनुं ओलुब्भ तिट्ठसि।", | |
"खत्तियो नुसि राजञ्ञो, अदु लुद्दो वनेचरो’’ति", | |
"‘‘अस्सकाधिपतिस्साहं", | |
"नामं मे भिक्खु ते ब्रूमि, सुजातो इति मं विदू", | |
"‘‘मिगे गवेसमानोहं, ओगाहन्तो ब्रहावनं।", | |
"मिगं तञ्चेव", | |
"‘‘स्वागतं", | |
"एत्तो उदकमादाय, पादे पक्खालयस्सु ते॥", | |
"‘‘इदम्पि पानीयं सीतं, आभतं गिरिगब्भरा।", | |
"राजपुत्त ततो पित्वा", | |
"‘‘कल्याणी वत ते वाचा, सवनीया महामुनि।", | |
"नेला अत्थवती", | |
"‘‘का", | |
"तव वचनपथं निसामयित्वा, अत्थधम्मपदं समाचरेमसे’’ति॥", | |
"‘‘अहिंसा", | |
"थेय्या च अतिचारा च, मज्जपाना च आरति॥", | |
"‘‘आरति समचरिया च, बाहुसच्चं कतञ्ञुता।", | |
"दिट्ठेव धम्मे पासंसा, धम्मा एते पसंसियाति॥", | |
"‘‘सन्तिके मरणं तुय्हं, ओरं मासेहि पञ्चहि।", | |
"राजपुत्त", | |
"‘‘कतमं स्वाहं जनपदं गन्त्वा, किं कम्मं किञ्च पोरिसं।", | |
"काय वा पन विज्जाय, भवेय्यं अजरामरो’’ति॥", | |
"‘‘न विज्जते सो पदेसो, कम्मं विज्जा च पोरिसं।", | |
"यत्थ गन्त्वा भवे मच्चो, राजपुत्ताजरामरो॥", | |
"‘‘महद्धना महाभोगा, रट्ठवन्तोपि खत्तिया।", | |
"पहूतधनधञ्ञासे, तेपि नो", | |
"‘‘यदि ते सुता अन्धकवेण्डुपुत्ता", | |
"तेपि आयुक्खयं पत्ता, विद्धस्ता सस्सतीसमा॥", | |
"‘‘खत्तिया ब्राह्मणा वेस्सा, सुद्दा चण्डालपुक्कुसा।", | |
"एते चञ्ञे च जातिया, तेपि नो अजरामरा॥", | |
"‘‘ये मन्तं परिवत्तेन्ति, छळङ्गं ब्रह्मचिन्तितं।", | |
"एते चञ्ञे च विज्जाय, तेपि नो अजरामरा॥", | |
"‘‘इसयो चापि ये सन्ता, सञ्ञतत्ता तपस्सिनो।", | |
"सरीरं तेपि कालेन, विजहन्ति तपस्सिनो॥", | |
"‘‘भावितत्तापि", | |
"निक्खिपन्ति इमं देहं, पुञ्ञपापपरिक्खया’’ति॥", | |
"‘‘सुभासिता अत्थवती, गाथायो ते महामुनि।", | |
"निज्झत्तोम्हि", | |
"‘‘मा", | |
"सक्यपुत्तं महावीरं, यमहं सरणं गतो’’ति॥", | |
"‘‘कतरस्मिं सो जनपदे, सत्था तुम्हाक मारिस।", | |
"अहम्पि दट्ठुं गच्छिस्सं, जिनं अप्पटिपुग्गल’’न्ति॥", | |
"‘‘पुरत्थिमस्मिं", | |
"तत्थासि पुरिसाजञ्ञो, सो च खो परिनिब्बुतो’’ति॥", | |
"‘‘सचे हि बुद्धो तिट्ठेय्य, सत्था तुम्हाक मारिस।", | |
"योजनानि सहस्सानि, गच्छेय्यं", | |
"‘‘यतो च खो", | |
"निब्बुतम्पि", | |
"‘‘उपेमि सरणं बुद्धं, धम्मञ्चापि अनुत्तरं।", | |
"सङ्घञ्च नरदेवस्स, गच्छामि सरणं अहं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता विरमामि खिप्पं, लोके अदिन्नं परिवज्जयामि।", | |
"अमज्जपो नो च मुसा भणामि, सकेन दारेन च होमि तुट्ठो’’ति॥", | |
"‘‘सहस्सरंसीव यथा महप्पभो, दिसं यथा भाति नभे अनुक्कमं।", | |
"तथापकारो", | |
"‘‘सुवण्णपट्टेहि समन्तमोत्थटो, उरस्स मुत्ताहि मणीहि चित्तितो।", | |
"लेखा सुवण्णस्स च रूपियस्स च, सोभेन्ति वेळुरियमया सुनिम्मिता॥", | |
"‘‘सीसञ्चिदं", | |
"युत्ता सुवण्णस्स च रूपियस्स च, सोभन्ति अस्सा च इमे मनोजवा॥", | |
"‘‘सो तिट्ठसि हेमरथे अधिट्ठितो, देवानमिन्दोव सहस्सवाहनो।", | |
"पुच्छामि ताहं यसवन्त कोविदं", | |
"‘‘सुजातो", | |
"त्वञ्च मं अनुकम्पाय, सञ्ञमस्मिं निवेसयि॥", | |
"‘‘खीणायुकञ्च मं ञत्वा, सरीरं पादासि सत्थुनो।", | |
"इमं सुजात पूजेहि, तं ते अत्थाय हेहिति॥", | |
"‘‘ताहं गन्धेहि मालेहि, पूजयित्वा समुय्युतो।", | |
"पहाय मानुसं देहं, उपपन्नोम्हि नन्दनं॥", | |
"‘‘नन्दने", | |
"रमामि नच्चगीतेहि, अच्छराहि पुरक्खतो’’ति॥", | |
"‘‘सहस्सयुत्तं", | |
"उय्यानभूमिं अभितो अनुक्कमं, पुरिन्ददो भूतपतीव वासवो॥", | |
"‘‘सोवण्णमया ते रथकुब्बरा उभो, फलेहि", | |
"सुजातगुम्बा नरवीरनिट्ठिता, विरोचती पन्नरसेव चन्दो॥", | |
"‘‘सुवण्णजालावततो", | |
"सुनन्दिघोसो च सुभस्सरो च, विरोचती चामरहत्थबाहुभि॥", | |
"‘‘इमा च नाभ्यो मनसाभिनिम्मिता, रथस्स पादन्तरमज्झभूसिता।", | |
"इमा च नाभ्यो सतराजिचित्तिता, सतेरता विज्जुरिवप्पभासरे॥", | |
"‘‘अनेकचित्तावततो", | |
"तेसं सरो सुय्यति", | |
"‘‘सिरस्मिं", | |
"सुवण्णराजीहि अतीव सङ्गतं, वेळुरियराजीव अतीव सोभति॥", | |
"‘‘इमे च वाळी मणिचन्दकप्पिता, आरोहकम्बू सुजवा ब्रहूपमा॥", | |
"ब्रहा महन्ता बलिनो महाजवा, मनो तवञ्ञाय तथेव सिंसरे", | |
"‘‘इमे च सब्बे सहिता चतुक्कमा, मनो तवञ्ञाय तथेव सिंसरे।", | |
"समं वहन्ता मुदुका अनुद्धता, आमोदमाना तुरगान", | |
"‘‘धुनन्ति वग्गन्ति पतन्ति", | |
"तेसं सरो सुय्यति वग्गुरूपो, पञ्चङ्गिकं", | |
"‘‘रथस्स", | |
"घोसो सुवग्गू समितस्स सुय्यति, गन्धब्बतूरियानि विचित्रसंवने॥", | |
"‘‘रथे ठिता ता मिगमन्दलोचना, आळारपम्हा हसिता पियंवदा।", | |
"वेळुरियजालावतता तनुच्छवा, सदेव गन्धब्बसूरग्गपूजिता॥", | |
"‘‘ता रत्तरत्तम्बरपीतवाससा, विसालनेत्ता अभिरत्तलोचना।", | |
"कुले सुजाता सुतनू सुचिम्हिता, रथे ठिता पञ्जलिका उपट्ठिता॥", | |
"‘‘ता कम्बुकेयूरधरा सुवाससा, सुमज्झिमा ऊरुथनूपपन्ना।", | |
"वट्टङ्गुलियो सुमुखा सुदस्सना, रथे ठिता पञ्जलिका उपट्ठिता॥", | |
"‘‘अञ्ञा सुवेणी सुसु मिस्सकेसियो, समं विभत्ताहि पभस्सराहि च।", | |
"अनुब्बता ता तव मानसे रता, रथे ठिता पञ्जलिका उपट्ठिता॥", | |
"‘‘आवेळिनियो", | |
"अनुब्बता", | |
"‘‘ता", | |
"अनुब्बता ता तव मानसे रता, रथे ठिता पञ्जलिका उपट्ठिता॥", | |
"‘‘कण्ठेसु", | |
"ओभासयन्ती दस सब्बसो दिसा, अब्भुद्दयं सारदिकोव भाणुमा॥", | |
"‘‘वातस्स वेगेन च सम्पकम्पिता, भुजेसु माला अपिळन्धनानि च।", | |
"मुञ्चन्ति घोसं रूचिरं सुचिं सुभं, सब्बेहि विञ्ञूहि सुतब्बरूपं॥", | |
"‘‘उय्यानभूम्या च दुवद्धतो ठिता, रथा", | |
"तमेव देविन्द पमोदयन्ति, वीणा यथा पोक्खरपत्तबाहुभि॥", | |
"‘‘इमासु वीणासु बहूसु वग्गूसु, मनुञ्ञरूपासु हदयेरितं पीतिं", | |
"पवज्जमानासु अतीव अच्छरा, भमन्ति कञ्ञा पदुमेसु सिक्खिता॥", | |
"‘‘यदा च गीतानि च वादितानि च, नच्चानि चिमानि", | |
"अथेत्थ नच्चन्ति अथेत्थ अच्छरा, ओभासयन्ती उभतो वरित्थियो॥", | |
"‘‘सो मोदसि तुरियगणप्पबोधनो, महीयमानो वजिरावुधोरिव।", | |
"इमासु वीणासु बहूसु वग्गूसु, मनुञ्ञरूपासु हदयेरितं पीतिं॥", | |
"‘‘किं त्वं पुरे कम्ममकासि अत्तना, मनुस्सभूतो पुरिमाय जातिया।", | |
"उपोसथं कं वा", | |
"‘‘नयीदमप्पस्स", | |
"इद्धानुभावो", | |
"‘‘दानस्स ते इदं फलं, अथो सीलस्स वा पन।", | |
"अथो अञ्जलिकम्मस्स, तं मे अक्खाहि पुच्छितो’’ति॥", | |
"सो", | |
"पञ्हं पुट्ठो वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलन्ति॥", | |
"‘‘जितिन्द्रियं बुद्धमनोमनिक्कमं, नरुत्तमं कस्सपमग्गपुग्गलं।", | |
"अवापुरन्तं अमतस्स द्वारं, देवातिदेवं सतपुञ्ञलक्खणं॥", | |
"‘‘तमद्दसं कुञ्जरमोघतिण्णं, सुवण्णसिङ्गीनदबिम्बसादिसं।", | |
"दिस्वान तं खिप्पमहुं सुचीमनो, तमेव दिस्वान सुभासितद्धजं॥", | |
"‘‘तमन्नपानं अथवापि चीवरं, सुचिं पणीतं रससा उपेतं।", | |
"पुप्फाभिक्किणम्हि सके निवेसने, पतिट्ठपेसिं स असङ्गमानसो॥", | |
"‘‘तमन्नपानेन", | |
"सन्तप्पयित्वा", | |
"पहायहं मानुसकं समुस्सयं, इन्दूपमो", | |
"‘‘आयुञ्च", | |
"अन्नञ्च पानञ्च बहुं सुसङ्खतं, पतिट्ठपेतब्बमसङ्गमानसे॥", | |
"", | |
"आहुनेय्यानं", | |
"मण्डूको रेवती छत्तो, कक्कटो द्वारपालको।", | |
"द्वे करणीया द्वे सूचि, तयो नागा च द्वे रथा।", | |
"पुरिसानं पठमो वग्गो पवुच्चतीति॥", | |
"‘‘यथा", | |
"तथूपमं तुय्हमिदं विमानं, ओभासयं तिट्ठति अन्तलिक्खे॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो", | |
"पञ्हं पुट्ठो वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहञ्च भरिया च मनुस्सलोके, ओपानभूता घरमावसिम्ह।", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्ता, सक्कच्च दानं विपुलं अदम्ह॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘यथा", | |
"तथूपमं", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहञ्च भरिया च मनुस्सलोके, ओपानभूता घरमावसिम्ह।", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्ता, सक्कच्च दानं विपुलं अदम्ह॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता सुभा॥", | |
"‘‘तत्थच्छसि पिवसि खादसि च, दिब्बा", | |
"अट्ठट्ठका सिक्खिता साधुरूपा, दिब्बा च कञ्ञा तिदसचरा उळारा।", | |
"नच्चन्ति गायन्ति पमोदयन्ति॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘फलदायी फलं विपुलं लभति, ददमुजुगतेसु पसन्नमानसो।", | |
"सो हि पमोदति", | |
"‘‘तवेवाहं", | |
"‘‘तस्मा हि फलं अलमेव दातुं, निच्चं मनुस्सेन सुखत्थिकेन।", | |
"दिब्बानि वा पत्थयता सुखानि, मनुस्ससोभग्गतमिच्छता वा॥", | |
"‘‘तेन", | |
"वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘चन्दो", | |
"तथूपमं तुय्हमिदं विमानं, ओभासयं तिट्ठति अन्तलिक्खे॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावा, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहञ्च भरिया च मनुस्सलोके, उपस्सयं अरहतो अदम्ह।", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्ता, सक्कच्च दानं विपुलं अदम्ह॥", | |
"‘‘तेन", | |
"सूरियो", | |
"(यथा पुरिमविमानं तथा वित्थारेतब्बं)॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता सुभा॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूतो, दिस्वान भिक्खुं तसितं किलन्तं।", | |
"एकाहं भिक्खं पटिपादयिस्सं, समङ्गि भत्तेन तदा अकासिं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘उच्चमिदं मणिथूणं विमानं…पे॰… वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं", | |
"अद्दसं विरजं भिक्खुं, विप्पसन्नमनाविलं॥", | |
"‘‘तस्स", | |
"कुम्मासपिण्डं दत्वान, मोदामि नन्दने वने॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘अलङ्कतो मल्यधरो सुवत्थो, सुकुण्डली कप्पितकेसमस्सु।", | |
"आमुत्तहत्थाभरणो यसस्सी, दिब्बे", | |
"‘‘दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं, अट्ठट्ठका सिक्खिता साधुरूपा।", | |
"दिब्बा च कञ्ञा तिदसचरा उळारा, नच्चन्ति गायन्ति पमोदयन्ति॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूतो, दिस्वान समणे सीलवन्ते।", | |
"सम्पन्नविज्जाचरणे यसस्सी, बहुस्सुते तण्हक्खयूपपन्ने।", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्तो, सक्कच्च दानं विपुलं अदासिं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘अलङ्कतो", | |
"आमुत्तहत्थाभरणो यसस्सी, दिब्बे विमानम्हि यथापि चन्दिमा॥", | |
"‘‘दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं, अट्ठट्ठका सिक्खिता साधुरूपा।", | |
"दिब्बा च कञ्ञा तिदसचरा उळारा, नच्चन्ति गायन्ति पमोदयन्ति॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं", | |
"सम्पन्नविज्जाचरणे यसस्सी, बहुस्सुते सीलवन्ते पसन्ने", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्तो, सक्कच्च", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘या", | |
"तथूपमं तुय्हमिदं विमानं, ओभासयं तिट्ठति अन्तलिक्खे॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूतो, रञ्ञो पायासिस्स अहोसिं माणवो।", | |
"लद्धा धनं संविभागं अकासिं, पिया च मे सीलवन्तो अहेसुं।", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्तो, सक्कच्च", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰", | |
"द्वे अगारिनो फलदायी, द्वे उपस्सयदायी भिक्खाय दायी।", | |
"यवपालको चेव द्वे, कुण्डलिनो पायासीति", | |
"पुरिसानं दुतियो वग्गो पवुच्चतीति॥", | |
"‘‘यथा", | |
"तथूपमं तुय्हमिदं विमानं, ओभासयं तिट्ठति अन्तलिक्खे॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰…", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूतो, दलिद्दो अताणो कपणो कम्मकरो अहोसिं।", | |
"जिण्णे च मातापितरो अभारिं", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्तो, सक्कच्च दानं विपुलं अदासि॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘यथा", | |
"तथूपमं तुय्हमिदं विमानं, ओभासयं तिट्ठति अन्तलिक्खे॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰…", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूतो, दलिद्दो अताणो कपणो कम्मकरो अहोसिं।", | |
"जिण्णे च मातापितरो अभारिं, पिया च मे सीलवन्तो अहेसुं।", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्तो, सक्कच्च दानं विपुलं अदासिं॥", | |
"‘‘तेन", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा सत्तसता उळारा, वेळुरियथम्भा रुचकत्थता सुभा॥", | |
"‘‘तत्थच्छसि पिवसि खादसि च, दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं।", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰…वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो", | |
"‘‘अहं", | |
"आरामरुक्खानि च रोपयिस्सं, पिया च मे सीलवन्तो अहेसुं।", | |
"अन्नञ्च पानञ्च पसन्नचित्तो, सक्कच्च दानं विपुलं अदासिं॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"‘‘सोवण्णमये", | |
"हेमजालपटिच्छन्नं", | |
"‘‘अट्ठंसा सुकता थम्भा, सब्बे वेळुरियामया।", | |
"एकमेकाय अंसिया, रतना सत्त निम्मिता॥", | |
"‘‘वेळुरियसुवण्णस्स, फलिका रूपियस्स च।", | |
"मसारगल्लमुत्ताहि, लोहितङ्गमणीहि च॥", | |
"‘‘चित्रा मनोरमा भूमि, न तत्थुद्धंसती रजो।", | |
"गोपाणसीगणा पीता, कूटं धारेन्ति निम्मिता॥", | |
"‘‘सोपाणानि", | |
"नानारतनगब्भेहि", | |
"‘‘वेदिया चतस्सो तत्थ, विभत्ता भागसो मिता।", | |
"दद्दल्लमाना आभन्ति, समन्ता चतुरो दिसा॥", | |
"‘‘तस्मिं विमाने पवरे, देवपुत्तो महप्पभो।", | |
"अतिरोचसि वण्णेन, उदयन्तोव भाणुमा॥", | |
"‘‘दानस्स", | |
"अथो अञ्जलिकम्मस्स, तं मे अक्खाहि पुच्छितो’’॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं अन्धकविन्दस्मिं, बुद्धस्सादिच्चबन्धुनो।", | |
"विहारं सत्थु कारेसिं, पसन्नो सेहि पाणिभि॥", | |
"‘‘तत्थ गन्धञ्च मालञ्च, पच्चयञ्च", | |
"विहारं सत्थु अदासिं, विप्पसन्नेन चेतसा।", | |
"तेन मय्हं इदं लद्धं, वसं वत्तेमि नन्दने॥", | |
"‘‘नन्दने च वने", | |
"रमामि नच्चगीतेहि, अच्छराहि पुरक्खतो’’ति॥", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा", | |
"‘‘तत्थच्छसि पिवसि खादसि च, दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं।", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो…पे॰… वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘गिम्हानं", | |
"परेसं भतको पोसो, अम्बाराममसिञ्चति॥", | |
"‘‘अथ", | |
"किलन्तरूपो कायेन, अकिलन्तोव चेतसा॥", | |
"‘‘तञ्च", | |
"साधु तं", | |
"‘‘तस्स मे अनुकम्पाय, निक्खिपि पत्तचीवरं।", | |
"निसीदि रुक्खमूलस्मिं, छायाय एकचीवरो॥", | |
"‘‘तञ्च अच्छेन वारिना, पसन्नमानसो नरो।", | |
"न्हापयी रुक्खमूलस्मिं, छायाय एकचीवरं॥", | |
"‘‘अम्बो", | |
"इति सो पीतिया कायं, सब्बं फरति अत्तनो॥", | |
"‘‘तदेव एत्तकं कम्मं, अकासिं ताय जातिया।", | |
"पहाय मानुसं देहं, उपपन्नोम्हि नन्दनं॥", | |
"‘‘नन्दने च वने रम्मे, नानादिजगणायुते।", | |
"रमामि नच्चगीतेहि, अच्छराहि पुरक्खतो’’ति॥", | |
"‘‘दिस्वान देवं पटिपुच्छि भिक्खु, उच्चे विमानम्हि चिरट्ठितिके।", | |
"आमुत्तहत्थाभरणं यसस्सिं", | |
"‘‘अलङ्कतो", | |
"आमुत्तहत्थाभरणो यसस्सी, दिब्बे विमानम्हि यथापि चन्दिमा॥", | |
"‘‘दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं, अट्ठट्ठका सिक्खिता साधुरूपा।", | |
"दिब्बा च कञ्ञा तिदसचरा उळारा, नच्चन्ति गायन्ति पमोदयन्ति॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि महानुभावो, मनुस्सभूतो किमकासि पुञ्ञं।", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो", | |
"‘‘अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूतो, सङ्गम्म रक्खिस्सं परेसं धेनुयो।", | |
"ततो च आगा समणो ममन्तिके गावो च मासे अगमंसु खादितुं॥", | |
"‘‘द्वयज्ज", | |
"ततो च सञ्ञं पटिलद्धयोनिसो, ददामि भन्तेति खिपिं अनन्तकं॥", | |
"‘‘सो मासखेत्तं तुरितो अवासरिं, पुरा अयं भञ्जति यस्सिदं धनं।", | |
"ततो च कण्हो उरगो महाविसो, अडंसि पादे तुरितस्स मे सतो॥", | |
"‘‘स्वाहं", | |
"अहासि कुम्मासं ममानुकम्पया", | |
"‘‘तदेव", | |
"तया हि भन्ते अनुकम्पितो भुसं, कतञ्ञुताय अभिपादयामि तं॥", | |
"‘‘सदेवके लोके समारके च, अञ्ञो मुनि नत्थि तयानुकम्पको।", | |
"तया हि भन्ते अनुकम्पितो भुसं, कतञ्ञुताय अभिवादयामि तं॥", | |
"‘‘इमस्मिं", | |
"तया हि भन्ते अनुकम्पितो भुसं, कतञ्ञुताय अभिवादयामि त’’न्ति॥", | |
"‘‘पुण्णमासे यथा चन्दो, नक्खत्तपरिवारितो।", | |
"समन्ता अनुपरियाति, तारकाधिपती ससी॥", | |
"‘‘तथूपमं इदं ब्यम्हं, दिब्बं देवपुरम्हि च।", | |
"अतिरोचति वण्णेन, उदयन्तोव रंसिमा॥", | |
"‘‘वेळुरियसुवण्णस्स, फलिका रूपियस्स च।", | |
"मसारगल्लमुत्ताहि, लोहितङ्गमणीहि च॥", | |
"‘‘चित्रा मनोरमा भूमि, वेळूरियस्स सन्थता।", | |
"कूटागारा", | |
"‘‘रम्मा", | |
"अच्छोदका विप्पसन्ना, सोवण्णवालुकसन्थता॥", | |
"‘‘नानापदुमसञ्छन्ना, पुण्डरीकसमोतता", | |
"सुरभिं सम्पवायन्ति, मनुञ्ञा मालुतेरिता॥", | |
"‘‘तस्सा", | |
"उपेता पुप्फरुक्खेहि, फलरुक्खेहि चूभयं॥", | |
"‘‘सोवण्णपादे पल्लङ्के, मुदुके गोणकत्थते", | |
"निसिन्नं देवराजंव, उपतिट्ठन्ति अच्छरा॥", | |
"‘‘सब्बाभरणसञ्छन्ना, नानामालाविभूसिता।", | |
"रमेन्ति तं महिद्धिकं, वसवत्तीव मोदसि॥", | |
"‘‘भेरिसङ्खमुदिङ्गाहि, वीणाहि पणवेहि च।", | |
"रमसि रतिसम्पन्नो, नच्चगीते सुवादिते॥", | |
"‘‘दिब्बा ते विविधा रूपा, दिब्बा सद्दा अथो रसा।", | |
"गन्धा च ते अधिप्पेता, फोट्ठब्बा च मनोरमा॥", | |
"‘‘तस्मिं विमाने पवरे, देवपुत्त महप्पभो।", | |
"अतिरोचसि वण्णेन, उदयन्तोव भाणुमा॥", | |
"‘‘दानस्स ते इदं फलं, अथो सीलस्स वा पन।", | |
"अथो अञ्जलिकम्मस्स, तं मे अक्खाहि पुच्छितो’’॥", | |
"सो", | |
"‘‘अहं कपिलवत्थुस्मिं, साकियानं पुरुत्तमे।", | |
"सुद्धोदनस्स पुत्तस्स, कण्डको सहजो अहं॥", | |
"‘‘यदा सो अड्ढरत्तायं, बोधाय मभिनिक्खमि।", | |
"सो मं मुदूहि पाणीहि, जालि", | |
"‘‘सत्थिं आकोटयित्वान, वह सम्माति चब्रवि।", | |
"अहं लोकं तारयिस्सं, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं॥", | |
"‘‘तं", | |
"उदग्गचित्तो सुमनो, अभिसीसिं", | |
"‘‘अभिरूळ्हञ्च मं ञत्वा, सक्यपुत्तं महायसं।", | |
"उदग्गचित्तो मुदितो, वहिस्सं पुरिसुत्तमं॥", | |
"‘‘परेसं विजितं गन्त्वा, उग्गतस्मिं दिवाकरे", | |
"ममं छन्नञ्च ओहाय, अनपेक्खो सो अपक्कमि॥", | |
"‘‘तस्स", | |
"गच्छन्तञ्च महावीरं, रुदमानो उदिक्खिसं॥", | |
"‘‘अदस्सनेनहं", | |
"अलत्थं गरुकाबाधं, खिप्पं मे मरणं अहु॥", | |
"‘‘तस्सेव आनुभावेन, विमानं आवसामिदं।", | |
"सब्बकामगुणोपेतं", | |
"‘‘यञ्च मे अहुवा हासो, सद्दं सुत्वान बोधिया।", | |
"तेनेव कुसलमूलेन, फुसिस्सं आसवक्खयं॥", | |
"‘‘सचे हि भन्ते गच्छेय्यासि, सत्थु बुद्धस्स सन्तिके।", | |
"ममापि नं वचनेन, सिरसा वज्जासि वन्दनं॥", | |
"‘‘अहम्पि दट्ठुं गच्छिस्सं, जिनं अप्पटिपुग्गलं।", | |
"दुल्लभं दस्सनं होति, लोकनाथान तादिन’’न्ति॥", | |
"सो कतञ्ञू कतवेदी, सत्थारं उपसङ्कमि।", | |
"सुत्वा गिरं चक्खुमतो, धम्मचक्खुं विसोधयि॥", | |
"विसोधेत्वा दिट्ठिगतं, विचिकिच्छं वतानि च।", | |
"वन्दित्वा सत्थुनो पादे, तत्थेवन्तरधायथाति", | |
"‘‘अनेकवण्णं", | |
"परिवारितो अच्छरासङ्गणेन, सुनिम्मितो भूतपतीव मोदसि॥", | |
"‘‘समस्समो नत्थि कुतो पनुत्तरो", | |
"सब्बे च देवा तिदसगणा समेच्च, तं", | |
"इमा च ते अच्छरायो समन्ततो, नच्चन्ति गायन्ति पमोदयन्ति॥", | |
"‘‘देविद्धिपत्तोसि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो देवपुत्तो अत्तमनो…पे॰… यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘अहं भदन्ते अहुवासि पुब्बे, सुमेधनामस्स जिनस्स सावको।", | |
"पुथुज्जनो अननुबोधोहमस्मि", | |
"‘‘सोहं", | |
"रतनुच्चयं हेमजालेन छन्नं, वन्दित्वा थूपस्मिं मनं पसादयिं॥", | |
"‘‘न", | |
"पूजेथ नं पूजनीयस्स", | |
"‘‘तदेव कम्मं कुसलं कतं मया, सुखञ्च दिब्बं अनुभोमि अत्तना।", | |
"मोदामहं तिदसगणस्स मज्झे, न तस्स पुञ्ञस्स खयम्पि अज्झग’’न्ति॥", | |
"", | |
"बाहा पग्गय्ह कन्दसि, वनमज्झे किं दुक्खितो तुव’’न्ति॥", | |
"‘‘सोवण्णमयो पभस्सरो, उप्पन्नो रथपञ्जरो मम।", | |
"तस्स चक्कयुगं न विन्दामि, तेन दुक्खेन जहामि", | |
"‘‘सोवण्णमयं मणिमयं, लोहितकमयं", | |
"आचिक्ख", | |
"सो", | |
"सोवण्णमयो रथो मम, तेन चक्कयुगेन सोभती’’ति॥", | |
"‘‘बालो", | |
"मञ्ञामि तुवं मरिस्ससि, न हि त्वं लच्छसि चन्दिमसूरिये’’ति॥", | |
"‘‘गमनागमनम्पि दिस्सति, वण्णधातु उभयत्थ वीथिया।", | |
"पेतो", | |
"‘‘सच्चं खो वदेसि माणव, अहमेव कन्दतं बाल्यतरो।", | |
"चन्दं विय दारको रुदं, पेतं कालकताभिपत्थयि’’न्ति॥", | |
"‘‘आदित्तं वत मं सन्तं, घतसित्तंव पावकं।", | |
"वारिना विय ओसिञ्चं, सब्बं निब्बापये दरं॥", | |
"‘‘अब्बही", | |
"यो मे सोकपरेतस्स, पुत्तसोकं अपानुदि॥", | |
"‘‘स्वाहं", | |
"न सोचामि न रोदामि, वत सुत्वान माणवाति॥", | |
"‘‘देवता नुसि गन्धब्बो, अदु", | |
"को वा त्वं कस्स वा पुत्तो, कथं जानेमु तं मय’’न्ति॥", | |
"‘‘यञ्च", | |
"स्वाहं कुसलं करित्वा कम्मं, तिदसानं सहब्यतं गतो’’ति", | |
"‘‘अप्पं", | |
"उपोसथकम्मं वा", | |
"‘‘आबाधिकोहं दुक्खितो गिलानो, आतुररूपोम्हि सके निवेसने।", | |
"बुद्धं विगतरजं वितिण्णकङ्खं, अद्दक्खिं सुगतं अनोमपञ्ञं॥", | |
"‘‘स्वाहं मुदितमनो पसन्नचित्तो, अञ्जलिं", | |
"ताहं कुसलं करित्वान कम्मं, तिदसानं सहब्यतं गतो’’ति॥", | |
"‘‘अच्छरियं वत अब्भुतं वत, अञ्जलिकम्मस्स अयमीदिसो विपाको।", | |
"अहम्पि मुदितमनो पसन्नचित्तो, अज्जेव बुद्धं सरणं वजामी’’ति॥", | |
"‘‘अज्जेव बुद्धं सरणं वजाहि, धम्मञ्च सङ्घञ्च पसन्नचित्तो।", | |
"तथेव सिक्खाय पदानि पञ्च, अखण्डफुल्लानि समादियस्सु॥", | |
"‘‘पाणातिपाता विरमस्सु खिप्पं, लोके अदिन्नं परिवज्जयस्सु।", | |
"अमज्जपो मा च मुसा भणाहि, सकेन दारेन च होहि तुट्ठो’’ति॥", | |
"‘‘अत्थकामोसि मे यक्ख, हितकामोसि देवते।", | |
"करोमि तुय्हं वचनं, त्वंसि आचरियो ममाति॥", | |
"‘‘उपेमि सरणं बुद्धं, धम्मञ्चापि अनुत्तरं।", | |
"सङ्घञ्च नरदेवस्स, गच्छामि सरणं अहं॥", | |
"‘‘पाणातिपाता", | |
"अमज्जपो नो च मुसा भणामि, सकेन दारेन च होमि तुट्ठो’’ति॥", | |
"", | |
"यथा कथं इतरितरेन चापि, सुभासितं तञ्च सुणाथ सब्बे॥", | |
"‘‘यो सो अहु राजा पायासि नाम", | |
"सो मोदमानोव सके विमाने, अमानुसो मानुसे अज्झभासीति॥", | |
"‘‘वङ्के अरञ्ञे अमनुस्सट्ठाने, कन्तारे अप्पोदके अप्पभक्खे।", | |
"सुदुग्गमे वण्णुपथस्स मज्झे, वङ्कं भया", | |
"‘‘नयिध फला मूलमया च सन्ति, उपादानं नत्थि कुतोध भक्खो।", | |
"अञ्ञत्र पंसूहि च वालुकाहि च, तताहि", | |
"‘‘उज्जङ्गलं तत्तमिवं कपालं, अनायसं परलोकेन तुल्यं।", | |
"लुद्दानमावासमिदं पुराणं, भूमिप्पदेसो अभिसत्तरूपो॥", | |
"‘‘अथ", | |
"अनुपविट्ठा सहसा समेच्च, लोभा भया अथ वा सम्पमूळ्हा’’ति॥", | |
"‘‘मगधेसु अङ्गेसु च सत्थवाहा, आरोपयित्वा पणियं पुथुत्तं।", | |
"ते यामसे सिन्धुसोवीरभूमिं, धनत्थिका उद्दयं पत्थयाना॥", | |
"‘‘दिवा", | |
"एतेन वेगेन आयाम सब्बे", | |
"‘‘ते दुप्पयाता अपरद्धमग्गा, अन्धाकुला विप्पनट्ठा अरञ्ञे।", | |
"सुदुग्गमे", | |
"‘‘इदञ्च दिस्वान अदिट्ठपुब्बं, विमानसेट्ठञ्च तवञ्च यक्ख।", | |
"ततुत्तरिं जीवितमासमाना, दिस्वा पतीता सुमना उदग्गा’’ति॥", | |
"‘‘पारं समुद्दस्स इमञ्च वण्णुं", | |
"नदियो पन पब्बतानञ्च दुग्गा, पुथुद्दिसा गच्छथ भोगहेतु॥", | |
"‘‘पक्खन्दियान विजितं परेसं, वेरज्जके मानुसे पेक्खमाना।", | |
"यं वो सुतं वा अथ वापि दिट्ठं, अच्छेरकं तं वो सुणोम ताता’’ति॥", | |
"‘‘इतोपि", | |
"अतीतमानुस्सकमेव सब्बं, दिस्वान तप्पाम अनोमवण्णं॥", | |
"‘‘वेहायसं पोक्खरञ्ञो सवन्ति, पहूतमल्या", | |
"दुमा चिमे", | |
"‘‘वेळूरियथम्भा", | |
"मसारगल्ला सहलोहितङ्गा, थम्भा इमे जोतिरसामयासे॥", | |
"‘‘सहस्सथम्भं अतुलानुभावं, तेसूपरि साधुमिदं विमानं।", | |
"रतनन्तरं कञ्चनवेदिमिस्सं, तपनीयपट्टेहि च साधुछन्नं॥", | |
"‘‘जम्बोनदुत्तत्तमिदं सुमट्ठो, पासादसोपाणफलूपपन्नो।", | |
"दळ्हो च वग्गु च सुसङ्गतो च", | |
"‘‘रतनन्तरस्मिं", | |
"मुरजआलम्बरतूरियघुट्ठो, अभिवन्दितोसि थुतिवन्दनाय॥", | |
"‘‘सो", | |
"अचिन्तियो सब्बगुणूपपन्नो, राजा यथा वेस्सवणो नळिन्या", | |
"‘‘देवो", | |
"पुच्छन्ति तं वाणिजा सत्थवाहा, आचिक्ख को नाम तुवंसि यक्खो’’ति॥", | |
"‘‘सेरीसको", | |
"इमं पदेसं अभिपालयामि, वचनकरो वेस्सवणस्स रञ्ञो’’ति॥", | |
"‘‘अधिच्चलद्धं परिणामजं ते, सयं कतं उदाहु देवेहि दिन्नं।", | |
"पुच्छन्ति तं वाणिजा सत्थवाहा, कथं तया लद्धमिदं मनुञ्ञ’’न्ति॥", | |
"‘‘नाधिच्चलद्धं न परिणामजं मे, न सयं कतं न हि देवेहि दिन्नं।", | |
"सकेहि कम्मेहि अपापकेहि, पुञ्ञेहि", | |
"‘‘किं ते वतं किं पन ब्रह्मचरियं, किस्स सुचिण्णस्स अयं विपाको।", | |
"पुच्छन्ति तं वाणिजा सत्थवाहा, कथं तया लद्धमिदं विमान’’न्ति॥", | |
"‘‘ममं पायासीति अहु समञ्ञा, रज्जं यदा कारयिं कोसलानं।", | |
"नत्थिकदिट्ठि कदरियो पापधम्मो, उच्छेदवादी च तदा अहोसिं॥", | |
"‘‘समणो च खो आसि कुमारकस्सपो, बहुस्सुतो चित्तकथी उळारो।", | |
"सो मे तदा धम्मकथं अभासि", | |
"‘‘ताहं", | |
"पाणातिपाता विरतो अहोसिं, लोके अदिन्नं परिवज्जयिस्सं।", | |
"अमज्जपो", | |
"‘‘तं", | |
"तेहेव कम्मेहि अपापकेहि, पुञ्ञेहि मे लद्धमिदं विमान’’न्ति॥", | |
"‘‘सच्चं", | |
"यहिं यहिं गच्छति पुञ्ञकम्मो, तहिं तहिं मोदति कामकामी॥", | |
"‘‘यहिं यहिं सोकपरिद्दवो च, वधो च बन्धो च परिक्किलेसो।", | |
"तहिं तहिं गच्छति पापकम्मो, न मुच्चति दुग्गतिया कदाची’’ति॥", | |
"‘‘सम्मूळ्हरूपोव जनो अहोसि, अस्मिं मुहुत्ते कललीकतोव।", | |
"जनस्सिमस्स तुय्हञ्च कुमार, अप्पच्चयो केन नु खो अहोसी’’ति॥", | |
"‘‘इमे च सिरीसवना", | |
"ते सम्पवायन्ति इमं विमानं, दिवा", | |
"‘‘इमेसञ्च", | |
"मानुस्सकं वस्ससतं अतीतं, यदग्गे कायम्हि इधूपपन्नो॥", | |
"‘‘दिस्वानहं वस्ससतानि पञ्च, अस्मिं विमाने ठत्वान ताता।", | |
"आयुक्खया पुञ्ञक्खया चविस्सं, तेनेव सोकेन पमुच्छितोस्मी’’ति", | |
"‘‘कथं नु सोचेय्य तथाविधो सो, लद्धा विमानं अतुलं चिराय।", | |
"ये चापि खो इत्तरमुपपन्ना, ते नून सोचेय्युं परित्तपुञ्ञा’’ति॥", | |
"‘‘अनुच्छविं ओवदियञ्च मे तं, यं मं तुम्हे पेय्यवाचं वदेथ।", | |
"तुम्हे च खो ताता मयानुगुत्ता, येनिच्छकं तेन पलेथ सोत्थि’’न्ति॥", | |
"‘‘गन्त्वा", | |
"यथापयोगा परिपुण्णचागा, काहाम", | |
"‘‘मा चेव सेरीसमहं अकत्थ, सब्बञ्च वो भविस्सति यं वदेथ।", | |
"पापानि कम्मानि विवज्जयाथ, धम्मानुयोगञ्च अधिट्ठहाथ॥", | |
"‘‘उपासको अत्थि इमम्हि सङ्घे, बहुस्सुतो सीलवतूपपन्नो।", | |
"सद्धो च चागी च सुपेसलो च, विचक्खणो सन्तुसितो मुतीमा॥", | |
"‘‘सञ्जानमानो", | |
"वेभूतिकं पेसुणं नो करेय्य, सण्हञ्च वाचं सखिलं भणेय्य॥", | |
"‘‘सगारवो सप्पटिस्सो विनीतो, अपापको अधिसीले विसुद्धो।", | |
"सो मातरं पितरञ्चापि जन्तु, धम्मेन पोसेति अरियवुत्ति॥", | |
"‘‘मञ्ञे सो मातापितूनं कारणा, भोगानि परियेसति न अत्तहेतु।", | |
"मातापितूनञ्च यो", | |
"‘‘उजू अवङ्को असठो अमायो, न लेसकप्पेन च वोहरेय्य।", | |
"सो तादिसो सुकतकम्मकारी, धम्मे ठितो किन्ति लभेथ दुक्खं॥", | |
"‘‘तं", | |
"अञ्ञत्र तेनिह भस्मी", | |
"तं खिप्पमानेन लहुं परेन, सुखो हवे सप्पुरिसेन सङ्गमो’’ति॥", | |
"‘‘किं नाम सो किञ्च करोति कम्मं,", | |
"किं नामधेय्यं किं पन तस्स गोत्तं।", | |
"मयम्पि नं दट्ठुकामम्ह यक्ख, यस्सानुकम्पाय इधागतोसि।", | |
"लाभा हि तस्स, यस्स तुवं पिहेसी’’ति॥", | |
"‘‘यो", | |
"उपासको कोच्छफलूपजीवी।", | |
"जानाथ नं तुम्हाकं पेसियो सो,", | |
"मा", | |
"‘‘जानामसे यं त्वं पवदेसि", | |
"न खो नं जानाम स एदिसोति।", | |
"मयम्पि नं पूजयिस्साम यक्ख,", | |
"सुत्वान तुय्हं वचनं उळार’’न्ति॥", | |
"‘‘ये केचि इमस्मिं सत्थे मनुस्सा,", | |
"दहरा महन्ता अथवापि मज्झिमा।", | |
"सब्बेव ते आलम्बन्तु विमानं,", | |
"पस्सन्तु पुञ्ञानं फलं कदरिया’’ति॥", | |
"ते तत्थ सब्बेव ‘अहं पुरे’ति,", | |
"तं कप्पकं तत्थ पुरक्खत्वा", | |
"सब्बेव ते आलम्बिंसु विमानं,", | |
"मसक्कसारं विय वासवस्स॥", | |
"ते", | |
"पाणातिपाता विरता अहेसुं, लोके अदिन्नं परिवज्जयिंसु।", | |
"अमज्जपा नो च मुसा भणिंसु, सकेन दारेन च अहेसुं तुट्ठा॥", | |
"ते तत्थ सब्बेव ‘अहं पुरे’ति, उपासकत्तं पटिवेदयित्वा।", | |
"पक्कामि सत्थो अनुमोदमानो, यक्खिद्धिया अनुमतो पुनप्पुनं॥", | |
"‘‘गन्त्वान", | |
"यथापयोगा परिपुण्णलाभा, पच्चागमुं पाटलिपुत्तमक्खतं॥", | |
"‘‘गन्त्वान", | |
"पुत्तेहि दारेहि समङ्गिभूता।", | |
"आनन्दी वित्ता", | |
"अकंसु सेरीसमहं उळारं।", | |
"सेरीसकं ते परिवेणं मापयिंसु॥", | |
"एतादिसा सप्पुरिसान सेवना,", | |
"महत्थिका धम्मगुणान सेवना।", | |
"एकस्स अत्थाय उपासकस्स,", | |
"सब्बेव सत्ता सुखिता", | |
"‘‘उच्चमिदं", | |
"कूटागारा", | |
"‘‘तत्थच्छसि पिवसि खादसि च, दिब्बा च वीणा पवदन्ति वग्गुं।", | |
"दिब्बा रसा कामगुणेत्थ पञ्च, नारियो च नच्चन्ति सुवण्णछन्ना॥", | |
"‘‘केन तेतादिसो वण्णो, केन ते इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च ते भोगा, ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘पुच्छामि", | |
"केनासि एवं जलितानुभावो, वण्णो च ते सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"सो", | |
"पञ्हं पुट्ठो वियाकासि, यस्स कम्मस्सिदं फलं॥", | |
"‘‘दुन्निक्खित्तं मालं सुनिक्खिपित्वा, पतिट्ठपेत्वा सुगतस्स थूपे।", | |
"महिद्धिको चम्हि महानुभावो, दिब्बेहि कामेहि समङ्गिभूतो॥", | |
"‘‘तेन मेतादिसो वण्णो,", | |
"तेन मे इध मिज्झति।", | |
"उप्पज्जन्ति च मे भोगा,", | |
"ये केचि मनसो पिया॥", | |
"‘‘अक्खामि ते भिक्खु महानुभाव,", | |
"मनुस्सभूतो यमहं अकासिं।", | |
"तेनम्हि", | |
"वण्णो च मे सब्बदिसा पभासती’’ति॥", | |
"द्वे दलिद्दा वनविहारा, भतको गोपालकण्डका।", | |
"अनेकवण्णमट्ठकुण्डली, सेरीसको सुनिक्खित्तं।", | |
"पुरिसानं ततियो वग्गो पवुच्चतीति॥" | |
] | |
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