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"title": "२९. धातुभाजनीयकथा", | |
"book_name": "२९. धातुभाजनीयकथा", | |
"chapter": "२८. बुद्धपकिण्णककण्डं", | |
"gathas": [ | |
"ब्रह्मा", | |
"‘‘सन्तीध सत्ताप्परजक्खजातिका, देसेहि धम्मं अनुकम्पिमं पजं’’॥", | |
"सम्पन्नविज्जाचरणस्स तादिनो, जुतिन्धरस्सन्तिमदेहधारिनो।", | |
"तथागतस्सप्पटिपुग्गलस्स, उप्पज्जि कारुञ्ञता सब्बसत्ते॥", | |
"‘‘न हेते जानन्ति सदेवमानुसा, बुद्धो अयं कीदिसको नरुत्तमो।", | |
"इद्धिबलं पञ्ञाबलञ्च कीदिसं, बुद्धबलं लोकहितस्स कीदिसं॥", | |
"‘‘न", | |
"इद्धिबलं पञ्ञाबलञ्च एदिसं, बुद्धबलं लोकहितस्स एदिसं॥", | |
"‘‘हन्दाहं", | |
"चङ्कमं मापयिस्सामि, नभे रतनमण्डितं’’॥", | |
"भुम्मा महाराजिका तावतिंसा, यामा च देवा तुसिता च निम्मिता।", | |
"परनिम्मिता येपि च ब्रह्मकायिका, आनन्दिता विपुलमकंसु घोसं॥", | |
"ओभासिता", | |
"तमो च तिब्बो विहतो तदा अहु, दिस्वान अच्छेरकं पाटिहीरं॥", | |
"सदेवगन्धब्बमनुस्सरक्खसे, आभा उळारा विपुला अजायथ।", | |
"इमस्मिं", | |
"सत्तुत्तमो अनधिवरो विनायको, सत्था अहू देवमनुस्सपूजितो।", | |
"महानुभावो सतपुञ्ञलक्खणो, दस्सेसि अच्छेरकं पाटिहीरं॥", | |
"सो याचितो देववरेन चक्खुमा, अत्थं समेक्खित्वा तदा नरुत्तमो।", | |
"चङ्कमं", | |
"इद्धी च आदेसनानुसासनी, तिपाटिहीरे भगवा वसी अहु।", | |
"चङ्कमं मापयि लोकनायको, सुनिट्ठितं सब्बरतननिम्मितं॥", | |
"दससहस्सीलोकधातुया, सिनेरुपब्बतुत्तमे।", | |
"थम्भेव दस्सेसि पटिपाटिया, चङ्कमे रतनामये॥", | |
"दससहस्सी", | |
"सब्बसोण्णमया पस्से, चङ्कमे रतनामये॥", | |
"तुलासङ्घाटानुवग्गा", | |
"वेदिका सब्बसोवण्णा, दुभतो पस्सेसु निम्मिता॥", | |
"मणिमुत्तावालुकाकिण्णा, निम्मितो रतनामयो।", | |
"ओभासेति दिसा सब्बा, सतरंसीव उग्गतो॥", | |
"तस्मिं चङ्कमने धीरो, द्वत्तिंसवरलक्खणो।", | |
"विरोचमानो सम्बुद्धो, चङ्कमे चङ्कमी जिनो॥", | |
"दिब्बं मन्दारवं पुप्फं, पदुमं पारिछत्तकं।", | |
"चङ्कमने ओकिरन्ति, सब्बे देवा समागता॥", | |
"पस्सन्ति तं देवसङ्घा, दससहस्सी पमोदिता।", | |
"नमस्समाना निपतन्ति, तुट्ठहट्ठा पमोदिता॥", | |
"तावतिंसा", | |
"निम्मानरतिनो देवा, ये देवा वसवत्तिनो।", | |
"उदग्गचित्ता सुमना, पस्सन्ति लोकनायकं॥", | |
"सदेवगन्धब्बमनुस्सरक्खसा, नागा सुपण्णा अथ वापि किन्नरा।", | |
"पस्सन्ति", | |
"आभस्सरा", | |
"सुसुद्धसुक्कवत्थवसना, तिट्ठन्ति पञ्जलीकता॥", | |
"मुञ्चन्ति पुप्फं पन पञ्चवण्णिकं, मन्दारवं चन्दनचुण्णमिस्सितं।", | |
"भमेन्ति चेलानि च अम्बरे तदा, ‘‘अहो जिनो लोकहितानुकम्पको॥", | |
"‘‘तुवं सत्था च केतू च, धजो यूपो च पाणिनं।", | |
"परायनो पतिट्ठा च, दीपो च द्विपदुत्तमो", | |
"‘‘दससहस्सीलोकधातुया, देवतायो महिद्धिका।", | |
"परिवारेत्वा नमस्सन्ति, तुट्ठहट्ठा पमोदिता॥", | |
"‘‘देवता देवकञ्ञा च, पसन्ना तुट्ठमानसा।", | |
"पञ्चवण्णिकपुप्फेहि, पूजयन्ति नरासभं॥", | |
"‘‘पस्सन्ति", | |
"पञ्चवण्णिकपुप्फेहि, पूजयन्ति नरासभं॥", | |
"‘‘अहो अच्छरियं लोके, अब्भुतं लोमहंसनं।", | |
"न मेदिसं भूतपुब्बं, अच्छेरं लोमहंसनं’’॥", | |
"सकसकम्हि भवने, निसीदित्वान देवता।", | |
"हसन्ति ता महाहसितं, दिस्वानच्छेरकं नभे॥", | |
"आकासट्ठा च भूमट्ठा, तिणपन्थनिवासिनो।", | |
"कतञ्जली नमस्सन्ति, तुट्ठहट्ठा पमोदिता॥", | |
"येपि", | |
"पमोदिता नमस्सन्ति, पूजयन्ति नरुत्तमं॥", | |
"सङ्गीतियो पवत्तेन्ति, अम्बरे अनिलञ्जसे।", | |
"चम्मनद्धानि वादेन्ति, दिस्वानच्छेरकं नभे॥", | |
"सङ्खा च पणवा चेव, अथोपि डिण्डिमा", | |
"अन्तलिक्खस्मिं वज्जन्ति, दिस्वानच्छेरकं नभे॥", | |
"अब्भुतो", | |
"धुवमत्थसिद्धिं लभाम, खणो नो पटिपादितो॥", | |
"बुद्धोति तेसं सुत्वान, पीति उप्पज्जि तावदे।", | |
"बुद्धो बुद्धोति कथयन्ता, तिट्ठन्ति पञ्जलीकता॥", | |
"हिङ्कारा साधुकारा च", | |
"पजा च विविधा गगने, वत्तेन्ति पञ्जलीकता॥", | |
"गायन्ति सेळेन्ति च वादयन्ति च, भुजानि पोथेन्ति च नच्चयन्ति च।", | |
"मुञ्चन्ति पुप्फं पन पञ्चवण्णिकं, मन्दारवं चन्दनचुण्णमिस्सितं॥", | |
"‘‘यथा", | |
"धजवजिरपटाका, वड्ढमानङ्कुसाचितं॥", | |
"‘‘रूपे", | |
"विमुत्तिया असमसमो, धम्मचक्कप्पवत्तने॥", | |
"‘‘दसनागबलं", | |
"इद्धिबलेन असमो, धम्मचक्कप्पवत्तने॥", | |
"‘‘एवं सब्बगुणूपेतं, सब्बङ्गसमुपागतं।", | |
"महामुनिं कारुणिकं, लोकनाथं नमस्सथ॥", | |
"‘‘अभिवादनं थोमनञ्च, वन्दनञ्च पसंसनं।", | |
"नमस्सनञ्च पूजञ्च, सब्बं अरहसी तुवं॥", | |
"‘‘ये केचि लोके वन्दनेय्या, वन्दनं अरहन्ति ये।", | |
"सब्बसेट्ठो महावीर, सदिसो ते न विज्जति॥", | |
"‘‘सारिपुत्तो महापञ्ञो, समाधिज्झानकोविदो।", | |
"गिज्झकूटे ठितोयेव, पस्सति लोकनायकं॥", | |
"‘‘सुफुल्लं सालराजंव, चन्दंव गगने यथा।", | |
"मज्झन्हिकेव", | |
"‘‘जलन्तं दीपरुक्खंव, तरुणसूरियंव उग्गतं।", | |
"ब्यामप्पभानुरञ्जितं, धीरं पस्सति लोकनायकं॥", | |
"‘‘पञ्चन्नं भिक्खुसतानं, कतकिच्चान तादिनं।", | |
"खीणासवानं विमलानं, खणेन सन्निपातयि॥", | |
"‘‘लोकप्पसादनं", | |
"अम्हेपि तत्थ गन्त्वान, वन्दिस्साम मयं जिनं॥", | |
"‘‘एथ सब्बे गमिस्साम, पुच्छिस्साम मयं जिनं।", | |
"कङ्खं विनोदयिस्साम, पस्सित्वा लोकनायकं’’॥", | |
"साधूति", | |
"पत्तचीवरमादाय, तरमाना उपागमुं॥", | |
"खीणासवेहि विमलेहि, दन्तेहि उत्तमे दमे।", | |
"सारिपुत्तो महापञ्ञो, इद्धिया उपसङ्कमि॥", | |
"तेहि", | |
"लळन्तो देवोव गगने, इद्धिया उपसङ्कमि॥", | |
"उक्कासितञ्च खिपितं", | |
"सगारवा सप्पतिस्सा, सम्बुद्धं उपसङ्कमुं॥", | |
"उपसङ्कमित्वा पस्सन्ति, सयम्भुं लोकनायकं।", | |
"नभे अच्चुग्गतं धीरं, चन्दंव गगने यथा॥", | |
"जलन्तं दीपरुक्खंव, विज्जुंव गगने यथा।", | |
"मज्झन्हिकेव सूरियं, पस्सन्ति लोकनायकं॥", | |
"पञ्चभिक्खुसता सब्बे, पस्सन्ति लोकनायकं।", | |
"रहदमिव विप्पसन्नं, सुफुल्लं पदुमं यथा॥", | |
"अञ्जलिं", | |
"नमस्समाना निपतन्ति, सत्थुनो चक्कलक्खणे॥", | |
"सारिपुत्तो महापञ्ञो, कोरण्डसमसादिसो।", | |
"समाधिज्झानकुसलो, वन्दते लोकनायकं॥", | |
"गज्जिता कालमेघोव, नीलुप्पलसमसादिसो।", | |
"इद्धिबलेन असमो, मोग्गल्लानो महिद्धिको॥", | |
"महाकस्सपोपि", | |
"धुतगुणे अग्गनिक्खित्तो, थोमितो सत्थुवण्णितो॥", | |
"दिब्बचक्खूनं यो अग्गो, अनुरुद्धो महागणी।", | |
"ञातिसेट्ठो भगवतो, अविदूरेव तिट्ठति॥", | |
"आपत्तिअनापत्तिया", | |
"विनये अग्गनिक्खित्तो, उपालि सत्थुवण्णितो॥", | |
"सुखुमनिपुणत्थपटिविद्धो, कथिकानं पवरो गणी।", | |
"इसि मन्तानिया पुत्तो, पुण्णो नामाति विस्सुतो॥", | |
"एतेसं चित्तमञ्ञाय, ओपम्मकुसलो मुनि।", | |
"कङ्खच्छेदो महावीरो, कथेसि अत्तनो गुणं॥", | |
"‘‘चत्तारो", | |
"सत्तकायो च आकासो, चक्कवाळा चनन्तका।", | |
"बुद्धञाणं अप्पमेय्यं, न सक्का एते विजानितुं॥", | |
"‘‘किमेतं अच्छरियं लोके, यं मे इद्धिविकुब्बनं।", | |
"अञ्ञे बहू अच्छरिया, अब्भुता लोमहंसना॥", | |
"‘‘यदाहं तुसिते काये, सन्तुसितो नामहं तदा।", | |
"दससहस्सी समागम्म, याचन्ति पञ्जली ममं॥", | |
"‘‘‘कालो खो ते", | |
"सदेवकं तारयन्तो, बुज्झस्सु अमतं पदं’॥", | |
"‘‘तुसिता", | |
"दससहस्सीलोकधातु, कम्पित्थ धरणी तदा॥", | |
"‘‘यदाहं मातुकुच्छितो, सम्पजानोव निक्खमिं।", | |
"साधुकारं पवत्तेन्ति, दससहस्सी पकम्पथ॥", | |
"‘‘ओक्कन्तिं मे समो नत्थि, जातितो अभिनिक्खमे।", | |
"सम्बोधियं अहं सेट्ठो, धम्मचक्कप्पवत्तने॥", | |
"‘‘अहो अच्छरियं लोके, बुद्धानं गुणमहन्तता।", | |
"दससहस्सीलोकधातु, छप्पकारं पकम्पथ।", | |
"ओभासो च महा आसि, अच्छेरं लोमहंसनं’’॥", | |
"भगवा तम्हि", | |
"सदेवकं दस्सयन्तो, इद्धिया चङ्कमी जिनो॥", | |
"चङ्कमे चङ्कमन्तोव, कथेसि लोकनायको।", | |
"अन्तरा न निवत्तेति, चतुहत्थे चङ्कमे यथा॥", | |
"सारिपुत्तो", | |
"पञ्ञाय पारमिप्पत्तो, पुच्छति लोकनायकं॥", | |
"‘‘कीदिसो ते महावीर, अभिनीहारो नरुत्तम।", | |
"कम्हि काले तया धीर, पत्थिता बोधिमुत्तमा॥", | |
"‘‘दानं", | |
"खन्तिसच्चमधिट्ठानं, मेत्तुपेक्खा च कीदिसा॥", | |
"‘‘दस", | |
"कथं उपपारमी पुण्णा, परमत्थपारमी कथं’’॥", | |
"तस्स पुट्ठो वियाकासि, करवीकमधुरगिरो।", | |
"निब्बापयन्तो हदयं, हासयन्तो सदेवकं॥", | |
"अतीतबुद्धानं जिनानं देसितं, निकीलितं", | |
"पुब्बेनिवासानुगताय बुद्धिया, पकासयी लोकहितं सदेवके॥", | |
"‘‘पीतिपामोज्जजननं, सोकसल्लविनोदनं।", | |
"सब्बसम्पत्तिपटिलाभं, चित्तीकत्वा सुणाथ मे॥", | |
"‘‘मदनिम्मदनं सोकनुदं, संसारपरिमोचनं।", | |
"सब्बदुक्खक्खयं मग्गं, सक्कच्चं पटिपज्जथा’’ति॥", | |
"कप्पे", | |
"अमरं नाम नगरं, दस्सनेय्यं मनोरमं॥", | |
"दसहि सद्देहि अविवित्तं, अन्नपानसमायुतं।", | |
"हत्थिसद्दं अस्ससद्दं, भेरिसङ्खरथानि च।", | |
"खादथ पिवथ चेव, अन्नपानेन घोसितं॥", | |
"नगरं", | |
"सत्तरतनसम्पन्नं, नानाजनसमाकुलं।", | |
"समिद्धं देवनगरंव, आवासं पुञ्ञकम्मिनं॥", | |
"नगरे अमरवतिया, सुमेधो नाम ब्राह्मणो।", | |
"अनेककोटिसन्निचयो, पहूतधनधञ्ञवा॥", | |
"अज्झायको", | |
"लक्खणे इतिहासे च, सधम्मे पारमिं गतो॥", | |
"रहोगतो निसीदित्वा, एवं चिन्तेसहं तदा।", | |
"‘‘दुक्खो पुनब्भवो नाम, सरीरस्स च भेदनं॥", | |
"‘‘जातिधम्मो जराधम्मो, ब्याधिधम्मो सहं", | |
"अजरं अमतं खेमं, परियेसिस्सामि निब्बुतिं॥", | |
"‘‘यंनूनिमं पूतिकायं, नानाकुणपपूरितं।", | |
"छड्डयित्वान गच्छेय्यं, अनपेक्खो अनत्थिको॥", | |
"‘‘अत्थि हेहिति सो मग्गो, न सो सक्का न हेतुये।", | |
"परियेसिस्सामि तं मग्गं, भवतो परिमुत्तिया॥", | |
"‘‘यथापि दुक्खे विज्जन्ते, सुखं नामपि विज्जति।", | |
"एवं भवे विज्जमाने, विभवोपि इच्छितब्बको॥", | |
"‘‘यथापि उण्हे विज्जन्ते, अपरं विज्जति सीतलं।", | |
"एवं तिविधग्गि विज्जन्ते, निब्बानं इच्छितब्बकं॥", | |
"‘‘यथापि पापे विज्जन्ते, कल्याणमपि विज्जति।", | |
"एवमेव जाति विज्जन्ते, अजातिपिच्छितब्बकं॥", | |
"‘‘यथा गूथगतो पुरिसो, तळाकं दिस्वान पूरितं।", | |
"न गवेसति तं तळाकं, न दोसो तळाकस्स सो॥", | |
"‘‘एवं किलेसमलधोव, विज्जन्ते अमतन्तळे।", | |
"न गवेसति तं तळाकं, न दोसो अमतन्तळे॥", | |
"‘‘यथा अरीहि परिरुद्धो, विज्जन्ते गमनम्पथे।", | |
"न पलायति सो पुरिसो, न दोसो अञ्जसस्स सो॥", | |
"‘‘एवं", | |
"न गवेसति तं मग्गं, न दोसो सिवमञ्जसे॥", | |
"‘‘यथापि", | |
"न तिकिच्छापेति तं ब्याधिं, न दोसो सो तिकिच्छके॥", | |
"‘‘एवं", | |
"न गवेसति तं आचरियं, न दोसो सो विनायके॥", | |
"‘‘यथापि कुणपं पुरिसो, कण्ठे बन्धं जिगुच्छिय।", | |
"मोचयित्वान गच्छेय्य, सुखी सेरी सयंवसी॥", | |
"‘‘तथेविमं पूतिकायं, नानाकुणपसञ्चयं।", | |
"छड्डयित्वान गच्छेय्यं, अनपेक्खो अनत्थिको॥", | |
"‘‘यथा उच्चारट्ठानम्हि, करीसं नरनारियो।", | |
"छड्डयित्वान गच्छन्ति, अनपेक्खा अनत्थिका॥", | |
"‘‘एवमेवाहं इमं कायं, नानाकुणपपूरितं।", | |
"छड्डयित्वान गच्छिस्सं, वच्चं कत्वा यथा कुटिं॥", | |
"‘‘यथापि जज्जरं नावं, पलुग्गं उदगाहिनिं", | |
"सामी छड्डेत्वा गच्छन्ति, अनपेक्खा अनत्थिका॥", | |
"‘‘एवमेवाहं", | |
"छड्डयित्वान गच्छिस्सं, जिण्णनावंव सामिका॥", | |
"‘‘यथापि पुरिसो चोरेहि, गच्छन्तो भण्डमादिय।", | |
"भण्डच्छेदभयं दिस्वा, छड्डयित्वान गच्छति॥", | |
"‘‘एवमेव अयं कायो, महाचोरसमो विय।", | |
"पहायिमं गमिस्सामि, कुसलच्छेदना भया’’॥", | |
"एवाहं", | |
"नाथानाथानं दत्वान, हिमवन्तमुपागमिं॥", | |
"हिमवन्तस्साविदूरे, धम्मिको नाम पब्बतो।", | |
"अस्समो सुकतो मय्हं, पण्णसाला सुमापिता॥", | |
"चङ्कमं तत्थ मापेसिं, पञ्चदोसविवज्जितं।", | |
"अट्ठगुणसमूपेतं, अभिञ्ञाबलमाहरिं॥", | |
"साटकं पजहिं तत्थ, नवदोसमुपागतं।", | |
"वाकचीरं निवासेसिं, द्वादसगुणमुपागतं॥", | |
"अट्ठदोससमाकिण्णं", | |
"उपागमिं रुक्खमूलं, गुणे दसहुपागतं॥", | |
"वापितं रोपितं धञ्ञं, पजहिं निरवसेसतो।", | |
"अनेकगुणसम्पन्नं, पवत्तफलमादियिं॥", | |
"तत्थप्पधानं पदहिं, निसज्जट्ठानचङ्कमे।", | |
"अब्भन्तरम्हि सत्ताहे, अभिञ्ञाबलपापुणिं॥", | |
"एवं मे सिद्धिप्पत्तस्स, वसीभूतस्स सासने।", | |
"दीपङ्करो नाम जिनो, उप्पज्जि लोकनायको॥", | |
"उप्पज्जन्ते च जायन्ते, बुज्झन्ते धम्मदेसने।", | |
"चतुरो निमित्ते नाद्दसं, झानरतिसमप्पितो॥", | |
"पच्चन्तदेसविसये, निमन्तेत्वा तथागतं।", | |
"तस्स आगमनं मग्गं, सोधेन्ति तुट्ठमानसा॥", | |
"अहं", | |
"धुनन्तो वाकचीरानि, गच्छामि अम्बरे तदा॥", | |
"वेदजातं जनं दिस्वा, तुट्ठहट्ठं पमोदितं।", | |
"ओरोहित्वान गगना, मनुस्से पुच्छि तावदे॥", | |
"‘‘तुट्ठहट्ठो पमुदितो, वेदजातो महाजनो।", | |
"कस्स सोधीयति मग्गो, अञ्जसं वटुमायनं’’॥", | |
"ते मे पुट्ठा वियाकंसु, ‘‘बुद्धो लोके अनुत्तरो।", | |
"दीपङ्करो नाम जिनो, उप्पज्जि लोकनायको।", | |
"तस्स सोधीयति मग्गो, अञ्जसं वटुमायनं’’॥", | |
"बुद्धोतिवचनं", | |
"बुद्धो बुद्धोति कथयन्तो, सोमनस्सं पवेदयिं॥", | |
"तत्थ ठत्वा विचिन्तेसिं, तुट्ठो संविग्गमानसो।", | |
"‘‘इध", | |
"‘‘यदि बुद्धस्स सोधेथ, एकोकासं ददाथ मे।", | |
"अहम्पि सोधयिस्सामि, अञ्जसं वटुमायनं’’॥", | |
"अदंसु", | |
"बुद्धो बुद्धोति चिन्तेन्तो, मग्गं सोधेमहं तदा॥", | |
"अनिट्ठिते", | |
"चतूहि सतसहस्सेहि, छळभिञ्ञेहि तादिहि।", | |
"खीणासवेहि विमलेहि, पटिपज्जि अञ्जसं जिनो॥", | |
"पच्चुग्गमना", | |
"आमोदिता नरमरू, साधुकारं पवत्तयुं॥", | |
"देवा मनुस्से पस्सन्ति, मनुस्सापि च देवता।", | |
"उभोपि ते पञ्जलिका, अनुयन्ति तथागतं॥", | |
"देवा दिब्बेहि तुरियेहि, मनुस्सा मानुसेहि च", | |
"उभोपि ते वज्जयन्ता, अनुयन्ति तथागतं॥", | |
"दिब्बं मन्दारवं पुप्फं, पदुमं पारिछत्तकं।", | |
"दिसोदिसं ओकिरन्ति, आकासनभगता मरू॥", | |
"दिब्बं चन्दनचुण्णञ्च, वरगन्धञ्च केवलं।", | |
"दिसोदिसं ओकिरन्ति, आकासनभगता", | |
"चम्पकं सरलं नीपं, नागपुन्नागकेतकं।", | |
"दिसोदिसं उक्खिपन्ति, भूमितलगता नरा॥", | |
"केसे मुञ्चित्वाहं तत्थ, वाकचीरञ्च चम्मकं।", | |
"कलले पत्थरित्वान, अवकुज्जो निपज्जहं॥", | |
"‘‘अक्कमित्वान मं बुद्धो, सह सिस्सेहि गच्छतु।", | |
"मा नं कलले अक्कमित्थ, हिताय मे भविस्सति’’॥", | |
"पथवियं निपन्नस्स, एवं मे आसि चेतसो।", | |
"‘‘इच्छमानो अहं अज्ज, किलेसे झापये मम॥", | |
"‘‘किं मे अञ्ञातवेसेन, धम्मं सच्छिकतेनिध।", | |
"सब्बञ्ञुतं पापुणित्वा, बुद्धो हेस्सं सदेवके॥", | |
"‘‘किं", | |
"सब्बञ्ञुतं पापुणित्वा, सन्तारेस्सं सदेवकं॥", | |
"‘‘इमिना", | |
"सब्बञ्ञुतं पापुणित्वा, तारेमि जनतं बहुं॥", | |
"‘‘संसारसोतं छिन्दित्वा, विद्धंसेत्वा तयो भवे।", | |
"धम्मनावं समारुय्ह, सन्तारेस्सं सदेवकं’’॥", | |
"मनुस्सत्तं", | |
"पब्बज्जा गुणसम्पत्ति, अधिकारो च छन्दता।", | |
"अट्ठधम्मसमोधाना, अभिनीहारो समिज्झति॥", | |
"दीपङ्करो लोकविदू, आहुतीनं पटिग्गहो।", | |
"उस्सीसके मं ठत्वान, इदं वचनमब्रवि॥", | |
"‘‘पस्सथ इमं तापसं, जटिलं उग्गतापनं।", | |
"अपरिमेय्यितो", | |
"‘‘अहु कपिलव्हया रम्मा, निक्खमित्वा तथागतो।", | |
"पधानं पदहित्वान, कत्वा दुक्करकारिकं॥", | |
"‘‘अजपालरुक्खमूलस्मिं, निसीदित्वा तथागतो।", | |
"तत्थ पायासं पग्गय्ह, नेरञ्जरमुपेहिति॥", | |
"‘‘नेरञ्जराय तीरम्हि, पायासं अद सो जिनो।", | |
"पटियत्तवरमग्गेन, बोधिमूलमुपेहिति॥", | |
"‘‘ततो पदक्खिणं कत्वा, बोधिमण्डं अनुत्तरो", | |
"अस्सत्थरुक्खमूलम्हि, बुज्झिस्सति महायसो॥", | |
"‘‘इमस्स जनिका माता, माया नाम भविस्सति।", | |
"पिता सुद्धोदनो नाम, अयं हेस्सति गोतमो॥", | |
"‘‘अनासवा वीतरागा, सन्तचित्ता समाहिता।", | |
"कोलितो", | |
"आनन्दो नामुपट्ठाको, उपट्ठिस्सतिमं", | |
"‘‘खेमा उप्पलवण्णा च, अग्गा हेस्सन्ति साविका।", | |
"अनासवा वीतरागा, सन्तचित्ता समाहिता।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, अस्सत्थोति पवुच्चति॥", | |
"‘‘चित्तो", | |
"उत्तरा नन्दमाता च, अग्गा हेस्सन्तुपट्ठिका’’॥", | |
"इदं सुत्वान वचनं, असमस्स महेसिनो।", | |
"आमोदिता नरमरू, बुद्धबीजं किर", | |
"उक्कुट्ठिसद्दा वत्तन्ति, अप्फोटेन्ति", | |
"कतञ्जली नमस्सन्ति, दससहस्सी सदेवका॥", | |
"‘‘यदिमस्स", | |
"अनागतम्हि अद्धाने, हेस्साम सम्मुखा इमं॥", | |
"‘‘यथा मनुस्सा नदिं तरन्ता, पटितित्थं विरज्झिय।", | |
"हेट्ठातित्थे गहेत्वान, उत्तरन्ति महानदिं॥", | |
"‘‘एवमेव मयं सब्बे, यदि मुञ्चामिमं जिनं।", | |
"अनागतम्हि अद्धाने, हेस्साम सम्मुखा इमं’’॥", | |
"दीपङ्करो", | |
"मम कम्मं पकित्तेत्वा, दक्खिणं पादमुद्धरि॥", | |
"ये तत्थासुं जिनपुत्ता, पदक्खिणमकंसु", | |
"देवा मनुस्सा असुरा च, अभिवादेत्वान पक्कमुं॥", | |
"दस्सनं मे अतिक्कन्ते, ससङ्घे लोकनायके।", | |
"सयना वुट्ठहित्वान, पल्लङ्कं आभुजिं तदा॥", | |
"सुखेन सुखितो होमि, पामोज्जेन पमोदितो।", | |
"पीतिया च अभिस्सन्नो, पल्लङ्कं आभुजिं तदा॥", | |
"पल्लङ्केन निसीदित्वा, एवं चिन्तेसहं तदा।", | |
"‘‘वसीभूतो", | |
"‘‘सहस्सियम्हि लोकम्हि, इसयो नत्थि मे समा।", | |
"असमो इद्धिधम्मेसु, अलभिं ईदिसं सुखं॥", | |
"‘‘पल्लङ्काभुजने मय्हं, दससहस्साधिवासिनो।", | |
"महानादं पवत्तेसुं, ‘धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘या", | |
"निमित्तानि पदिस्सन्ति, तानि अज्ज पदिस्सरे॥", | |
"‘‘‘सीतं ब्यपगतं होति, उण्हञ्च उपसम्मति।", | |
"तानि अज्ज पदिस्सन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘दससहस्सी लोकधातू, निस्सद्दा होन्ति निराकुला।", | |
"तानि अज्ज पदिस्सन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘महावाता", | |
"तानि अज्ज पदिस्सन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘थलजा", | |
"तेपज्ज पुप्फिता", | |
"‘‘‘लता वा यदि वा रुक्खा, फलभारा होन्ति तावदे।", | |
"तेपज्ज फलिता सब्बे, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘आकासट्ठा च भूमट्ठा, रतना जोतन्ति तावदे।", | |
"तेपज्ज रतना जोतन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘मानुस्सका च दिब्बा च, तुरिया वज्जन्ति तावदे।", | |
"तेपज्जुभो अभिरवन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘विचित्रपुप्फा गगना, अभिवस्सन्ति तावदे।", | |
"तेपि अज्ज पवस्सन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘महासमुद्दो आभुजति, दससहस्सी पकम्पति।", | |
"तेपज्जुभो अभिरवन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘निरयेपि दससहस्से, अग्गी निब्बन्ति तावदे।", | |
"तेपज्ज निब्बुता अग्गी, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘विमलो होति सूरियो, सब्बा दिस्सन्ति तारका।", | |
"तेपि अज्ज पदिस्सन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘अनोवट्ठेन", | |
"तम्पज्जुब्भिज्जते महिया, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘तारागणा", | |
"विसाखा चन्दिमा युत्ता, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘बिलासया दरीसया, निक्खमन्ति सकासया।", | |
"तेपज्ज आसया छुद्धा, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘न होन्ति अरती सत्तानं, सन्तुट्ठा होन्ति तावदे।", | |
"तेपज्ज सब्बे सन्तुट्ठा, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘रोगा तदुपसम्मन्ति, जिघच्छा च विनस्सति।", | |
"तानि", | |
"‘‘‘रागो तदा तनु होति, दोसो मोहो विनस्सति।", | |
"तेपज्ज विगता सब्बे, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘भयं", | |
"तेन लिङ्गेन जानाम, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘रजोनुद्धंसति उद्धं, अज्जपेतं पदिस्सति।", | |
"तेन लिङ्गेन जानाम, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘अनिट्ठगन्धो पक्कमति, दिब्बगन्धो पवायति।", | |
"सोपज्ज वायति गन्धो, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘सब्बे देवा पदिस्सन्ति, ठपयित्वा अरूपिनो।", | |
"तेपज्ज सब्बे दिस्सन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘यावता निरया नाम, सब्बे दिस्सन्ति तावदे।", | |
"तेपज्ज सब्बे दिस्सन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘कुट्टा", | |
"आकासभूता तेपज्ज, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘चुती च उपपत्ति च, खणे तस्मिं न विज्जति।", | |
"तानिपज्ज पदिस्सन्ति, धुवं बुद्धो भविस्ससि॥", | |
"‘‘‘दळ्हं पग्गण्ह वीरियं, मा निवत्त अभिक्कम।", | |
"मयम्पेतं विजानाम, धुवं बुद्धो भविस्ससि’’’॥", | |
"बुद्धस्स", | |
"तुट्ठहट्ठो पमोदितो, एवं चिन्तेसहं तदा॥", | |
"‘‘अद्वेज्झवचना बुद्धा, अमोघवचना जिना।", | |
"वितथं नत्थि बुद्धानं, धुवं बुद्धो भवामहं॥", | |
"‘‘यथा खित्तं नभे लेड्डु, धुवं पतति भूमियं।", | |
"तथेव बुद्धसेट्ठानं, वचनं धुवसस्सतं।", | |
"वितथं नत्थि बुद्धानं, धुवं बुद्धो भवामहं॥", | |
"‘‘यथापि सब्बसत्तानं, मरणं धुवसस्सतं।", | |
"तथेव बुद्धसेट्ठानं, वचनं धुवसस्सतं।", | |
"वितथं नत्थि बुद्धानं, धुवं बुद्धो भवामहं॥", | |
"‘‘यथा रत्तिक्खये पत्ते, सूरियुग्गमनं धुवं।", | |
"तथेव बुद्धसेट्ठानं, वचनं धुवसस्सतं।", | |
"वितथं नत्थि बुद्धानं, धुवं बुद्धो भवामहं॥", | |
"‘‘यथा", | |
"तथेव बुद्धसेट्ठानं, वचनं धुवसस्सतं।", | |
"वितथं नत्थि बुद्धानं, धुवं बुद्धो भवामहं॥", | |
"‘‘यथा", | |
"तथेव", | |
"वितथं नत्थि बुद्धानं, धुवं बुद्धो भवामहं॥", | |
"‘‘हन्द बुद्धकरे धम्मे, विचिनामि इतो चितो।", | |
"उद्धं अधो दस दिसा, यावता धम्मधातुया’’॥", | |
"विचिनन्तो तदा दक्खिं, पठमं दानपारमिं।", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, अनुचिण्णं महापथं॥", | |
"‘‘इमं त्वं पठमं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"दानपारमितं गच्छ, यदि बोधिं पत्तुमिच्छसि॥", | |
"‘‘यथापि कुम्भो सम्पुण्णो, यस्स कस्सचि अधो कतो।", | |
"वमते वुदकं निस्सेसं, न तत्थ परिरक्खति॥", | |
"‘‘तथेव", | |
"ददाहि दानं निस्सेसं, कुम्भो विय अधो कतो॥", | |
"‘‘नहेते एत्तकायेव, बुद्धधम्मा भविस्सरे।", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो तदा दक्खिं, दुतियं सीलपारमिं।", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, आसेवितनिसेवितं॥", | |
"‘‘इमं त्वं दुतियं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"सीलपारमितं गच्छ, यदि बोधिं पत्तुमिच्छसि॥", | |
"‘‘यथापि चमरी वालं, किस्मिञ्चि पटिलग्गितं।", | |
"उपेति मरणं तत्थ, न विकोपेति वालधिं॥", | |
"‘‘तथेव", | |
"परिरक्ख सब्बदा सीलं, चमरी विय वालधिं॥", | |
"‘‘नहेते एत्तकायेव, बुद्धधम्मा भविस्सरे।", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, आसेवितनिसेवितं॥", | |
"‘‘इमं त्वं ततियं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"नेक्खम्मपारमितं गच्छ, यदि बोधिं पत्तुमिच्छसि॥", | |
"‘‘यथा अन्दुघरे पुरिसो, चिरवुत्थो दुखट्टितो।", | |
"न तत्थ रागं जनेसि, मुत्तिंयेव गवेसति॥", | |
"‘‘तथेव त्वं सब्बभवे, पस्स अन्दुघरे विय।", | |
"नेक्खम्माभिमुखो होहि, भवतो परिमुत्तिया॥", | |
"‘‘नहेते एत्तकायेव, बुद्धधम्मा भविस्सरे।", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो तदा दक्खिं, चतुत्थं पञ्ञापारमिं।", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, आसेवितनिसेवितं॥", | |
"‘‘इमं त्वं चतुत्थं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"पञ्ञापारमितं", | |
"‘‘यथापि", | |
"कुलानि न विवज्जेन्तो, एवं लभति यापनं॥", | |
"‘‘तथेव", | |
"पञ्ञापारमितं गन्त्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘नहेते एत्तकायेव, बुद्धधम्मा भविस्सरे।", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो तदा दक्खिं, पञ्चमं वीरियपारमिं।", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, आसेवितनिसेवितं॥", | |
"‘‘इमं त्वं पञ्चमं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"वीरियपारमितं गच्छ, यदि बोधिं पत्तुमिच्छसि॥", | |
"‘‘यथापि सीहो मिगराजा, निसज्जट्ठानचङ्कमे।", | |
"अलीनवीरियो होति, पग्गहितमनो सदा॥", | |
"‘‘तथेव त्वं", | |
"वीरियपारमितं गन्त्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘नहेते", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो तदा दक्खिं, छट्ठमं खन्तिपारमिं।", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, आसेवितनिसेवितं॥", | |
"‘‘इमं त्वं छट्ठमं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"तत्थ अद्वेज्झमानसो, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘यथापि पथवी नाम, सुचिम्पि असुचिम्पि च।", | |
"सब्बं सहति निक्खेपं, न करोति पटिघं तया॥", | |
"‘‘तथेव", | |
"खन्तिपारमितं गन्त्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘नहेते एत्तकायेव, बुद्धधम्मा भविस्सरे।", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, आसेवितनिसेवितं॥", | |
"‘‘इमं त्वं सत्तमं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"तत्थ अद्वेज्झवचनो, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘यथापि ओसधी नाम, तुलाभूता सदेवके।", | |
"समये उतुवस्से वा, न वोक्कमति वीथितो॥", | |
"‘‘तथेव त्वम्पि सच्चेसु, मा वोक्कम हि वीथितो।", | |
"सच्चपारमितं गन्त्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘नहेते एत्तकायेव, बुद्धधम्मा भविस्सरे।", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो तदा दक्खिं, अट्ठमं अधिट्ठानपारमिं।", | |
"पुब्बकेहि", | |
"‘‘इमं त्वं अट्ठमं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"तत्थ त्वं अचलो हुत्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘यथापि पब्बतो सेलो, अचलो सुप्पतिट्ठितो।", | |
"न कम्पति भुसवातेहि, सकट्ठानेव तिट्ठति॥", | |
"‘‘तथेव", | |
"अधिट्ठानपारमितं गन्त्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘नहेते एत्तकायेव, बुद्धधम्मा भविस्सरे।", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो तदा दक्खिं, नवमं मेत्तापारमिं।", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, आसेवितनिसेवितं॥", | |
"‘‘इमं त्वं नवमं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"मेत्ताय असमो होहि, यदि बोधिं पत्तुमिच्छसि॥", | |
"‘‘यथापि उदकं नाम, कल्याणे पापके जने।", | |
"समं फरति सीतेन, पवाहेति रजोमलं॥", | |
"‘‘तथेव त्वं हिताहिते, समं मेत्ताय भावय।", | |
"मेत्तापारमितं गन्त्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘नहेते", | |
"अञ्ञेपि विचिनिस्सामि, ये धम्मा बोधिपाचना’’॥", | |
"विचिनन्तो तदा दक्खिं, दसमं उपेक्खापारमिं।", | |
"पुब्बकेहि महेसीहि, आसेवितनिसेवितं॥", | |
"‘‘इमं त्वं दसमं ताव, दळ्हं कत्वा समादिय।", | |
"तुलाभूतो दळ्हो हुत्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘यथापि पथवी नाम, निक्खित्तं असुचिं सुचिं।", | |
"उपेक्खति उभोपेते, कोपानुनयवज्जिता॥", | |
"‘‘तथेव", | |
"उपेक्खापारमितं गन्त्वा, सम्बोधिं पापुणिस्ससि॥", | |
"‘‘एत्तकायेव ते लोके, ये धम्मा बोधिपाचना।", | |
"ततुद्धं नत्थि अञ्ञत्र, दळ्हं तत्थ पतिट्ठह’’॥", | |
"इमे धम्मे सम्मसतो, सभावसरसलक्खणे।", | |
"धम्मतेजेन वसुधा, दससहस्सी पकम्पथ॥", | |
"चलती रवती पथवी, उच्छुयन्तंव पीळितं।", | |
"तेलयन्ते यथा चक्कं, एवं कम्पति मेदनी॥", | |
"यावता परिसा आसि, बुद्धस्स परिवेसने।", | |
"पवेधमाना सा तत्थ, मुच्छिता सेति भूमियं॥", | |
"घटानेकसहस्सानि, कुम्भीनञ्च सता बहू।", | |
"सञ्चुण्णमथिता तत्थ, अञ्ञमञ्ञं पघट्टिता॥", | |
"उब्बिग्गा", | |
"महाजना", | |
"‘‘किं भविस्सति लोकस्स, कल्याणमथ पापकं।", | |
"सब्बो उपद्दुतो लोको, तं विनोदेहि चक्खुम’’॥", | |
"तेसं तदा सञ्ञपेसि, दीपङ्करो महामुनि।", | |
"‘‘विसट्ठा होथ मा भेथ", | |
"‘‘यमहं", | |
"एसो सम्मसति धम्मं, पुब्बकं जिनसेवितं॥", | |
"‘‘तस्स", | |
"तेनायं कम्पिता पथवी, दससहस्सी सदेवके’’॥", | |
"बुद्धस्स वचनं सुत्वा, मनो निब्बायि तावदे।", | |
"सब्बे मं उपसङ्कम्म, पुनापि अभिवन्दिसुं॥", | |
"समादियित्वा बुद्धगुणं, दळ्हं कत्वान मानसं।", | |
"दीपङ्करं नमस्सित्वा, आसना वुट्ठहिं तदा॥", | |
"दिब्बं मानुसकं पुप्फं, देवा मानुसका उभो।", | |
"समोकिरन्ति पुप्फेहि, वुट्ठहन्तस्स आसना॥", | |
"वेदयन्ति च ते सोत्थिं, देवा मानुसका उभो।", | |
"‘‘महन्तं पत्थितं तुय्हं, तं लभस्सु यथिच्छितं॥", | |
"‘‘सब्बीतियो विवज्जन्तु, सोको रोगो विनस्सतु।", | |
"मा ते भवन्त्वन्तराया", | |
"‘‘यथापि समये पत्ते, पुप्फन्ति पुप्फिनो दुमा।", | |
"तथेव त्वं महावीर, बुद्धञाणेन पुप्फसि॥", | |
"‘‘यथा ये केचि सम्बुद्धा, पूरयुं दस पारमी।", | |
"तथेव त्वं महावीर, पूरय दस पारमी॥", | |
"‘‘यथा ये केचि सम्बुद्धा, बोधिमण्डम्हि बुज्झरे।", | |
"तथेव त्वं महावीर, बुज्झस्सु जिनबोधियं॥", | |
"‘‘यथा ये केचि सम्बुद्धा, धम्मचक्कं पवत्तयुं।", | |
"तथेव त्वं महावीर, धम्मचक्कं पवत्तय॥", | |
"‘‘पुण्णमाये", | |
"तथेव त्वं पुण्णमनो, विरोच दससहस्सियं॥", | |
"‘‘राहुमुत्तो यथा सूरियो, तापेन अतिरोचति।", | |
"तथेव लोका मुञ्चित्वा, विरोच सिरिया तुवं॥", | |
"‘‘यथा", | |
"एवं सदेवका लोका, ओसरन्तु तवन्तिके’’॥", | |
"तेहि थुतप्पसत्थो सो, दस धम्मे समादिय।", | |
"ते धम्मे परिपूरेन्तो, पवनं पाविसी तदाति॥", | |
"तदा", | |
"उपगच्छुं सरणं तस्स, दीपङ्करस्स सत्थुनो॥", | |
"सरणागमने कञ्चि, निवेसेसि तथागतो।", | |
"कञ्चि पञ्चसु सीलेसु, सीले दसविधे परं॥", | |
"कस्सचि देति सामञ्ञं, चतुरो फलमुत्तमे।", | |
"कस्सचि असमे धम्मे, देति सो पटिसम्भिदा॥", | |
"कस्सचि वरसमापत्तियो, अट्ठ देति नरासभो।", | |
"तिस्सो कस्सचि विज्जायो, छळभिञ्ञा पवेच्छति॥", | |
"तेन योगेन जनकायं, ओवदति महामुनि।", | |
"तेन वित्थारिकं आसि, लोकनाथस्स सासनं॥", | |
"महाहनुसभक्खन्धो", | |
"बहू जने तारयति, परिमोचेति दुग्गतिं॥", | |
"बोधनेय्यं जनं दिस्वा, सतसहस्सेपि योजने।", | |
"खणेन उपगन्त्वान, बोधेति तं महामुनि॥", | |
"पठमाभिसमये", | |
"दुतियाभिसमये नाथो, नवुतिकोटिमबोधयि॥", | |
"यदा च देवभवनम्हि, बुद्धो धम्ममदेसयि।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, दीपङ्करस्स सत्थुनो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो॥", | |
"पुन", | |
"खीणासवा वीतमला, समिंसु सतकोटियो॥", | |
"यम्हि काले महावीरो, सुदस्सनसिलुच्चये।", | |
"नवकोटिसहस्सेहि, पवारेसि महामुनि॥", | |
"दसवीससहस्सानं, धम्माभिसमयो अहु।", | |
"एकद्विन्नं अभिसमया, गणनातो असङ्खिया॥", | |
"वित्थारिकं बाहुजञ्ञं, इद्धं फीतं अहू तदा।", | |
"दीपङ्करस्स भगवतो, सासनं सुविसोधितं॥", | |
"चत्तारि", | |
"दीपङ्करं लोकविदुं, परिवारेन्ति सब्बदा॥", | |
"ये केचि तेन समयेन, जहन्ति मानुसं भवं।", | |
"अपत्तमानसा सेखा, गरहिता भवन्ति ते॥", | |
"सुपुप्फितं पावचनं, अरहन्तेहि तादिहि।", | |
"खीणासवेहि विमलेहि, उपसोभति सब्बदा॥", | |
"नगरं रम्मवती नाम, सुदेवो नाम खत्तियो।", | |
"सुमेधा नाम जनिका, दीपङ्करस्स सत्थुनो॥", | |
"दसवस्ससहस्सानि", | |
"हंसा कोञ्चा मयूरा च, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तीणिसतसहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"पदुमा नाम सा नारी, उसभक्खन्धो अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, हत्थियानेन निक्खमि।", | |
"अनूनदसमासानि, पधाने पदही जिनो॥", | |
"पधानचारं", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, दीपङ्करो महामुनि॥", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, नन्दारामे सिरीघरे", | |
"निसिन्नो सिरीसमूलम्हि, अका तित्थियमद्दनं॥", | |
"सुमङ्गलो", | |
"सागतो", | |
"नन्दा", | |
"बोधि तस्स भगवतो, पिप्फलीति पवुच्चति॥", | |
"तपुस्सभल्लिका", | |
"सिरिमा कोणा उपट्ठिका, दीपङ्करस्स सत्थुनो॥", | |
"असीतिहत्थमुब्बेधो, दीपङ्करो महामुनि।", | |
"सोभति दीपरुक्खोव, सालराजाव फुल्लितो॥", | |
"सतसहस्सवस्सानि, आयु तस्स महेसिनो।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"जोतयित्वान सद्धम्मं, सन्तारेत्वा महाजनं।", | |
"जलित्वा अग्गिक्खन्धोव, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"सा च इद्धि सो च यसो, तानि च पादेसु चक्करतनानि।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं", | |
"दीपङ्करो जिनो सत्था, नन्दारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स जिनथूपो, छत्तिंसुब्बेधयोजनोति॥", | |
"दीपङ्करस्स", | |
"अनन्ततेजो अमितयसो, अप्पमेय्यो दुरासदो॥", | |
"धरणूपमो", | |
"समाधिना मेरूपमो, ञाणेन गगनूपमो॥", | |
"इन्द्रियबलबोज्झङ्ग-मग्गसच्चप्पकासनं।", | |
"पकासेसि सदा बुद्धो, हिताय सब्बपाणिनं॥", | |
"धम्मचक्कं", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"ततो परम्पि देसेन्ते, नरमरूनं समागमे।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"तित्थिये अभिमद्दन्तो, यदा धम्ममदेसयि।", | |
"असीतिकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, कोण्डञ्ञस्स महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो।", | |
"दुतियो कोटिसहस्सानं, ततियो नवुतिकोटिनं॥", | |
"अहं तेन समयेन, विजितावी नाम खत्तियो।", | |
"समुद्दं अन्तमन्तेन, इस्सरियं वत्तयामहं॥", | |
"कोटिसतसहस्सानं", | |
"सह लोकग्गनाथेन, परमन्नेन तप्पयिं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, कोण्डञ्ञो लोकनायको।", | |
"‘‘अपरिमेय्यितो कप्पे, बुद्धो लोके भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान, कत्वा दुक्करकारिकं।", | |
"अस्सत्थमूले सम्बुद्धो, बुज्झिस्सति महायसो॥", | |
"‘‘इमस्स जनिका माता, माया नाम भविस्सति।", | |
"पिता सुद्धोदनो नाम, अयं हेस्सति गोतमो॥", | |
"‘‘कोलितो उपतिस्सो च, अग्गा हेस्सन्ति सावका।", | |
"आनन्दो नामुपट्ठाको, उपट्ठिस्सतिमं जिनं॥", | |
"‘‘खेमा उप्पलवण्णा च, अग्गा हेस्सन्ति साविका।", | |
"बोधि", | |
"‘‘चित्तो", | |
"नन्दमाता च उत्तरा, अग्गा हेस्सन्तुपट्ठिका।", | |
"आयु", | |
"इदं सुत्वान वचनं, असमस्स महेसिनो।", | |
"आमोदिता नरमरू, बुद्धबीजं किर अयं॥", | |
"उक्कुट्ठिसद्दा", | |
"कतञ्जली नमस्सन्ति, दससहस्सिदेवता॥", | |
"‘‘यदिमस्स लोकनाथस्स, विरज्झिस्साम सासनं।", | |
"अनागतम्हि अद्धाने, हेस्साम सम्मुखा इमं॥", | |
"‘‘यथा मनुस्सा नदिं तरन्ता, पटितित्थं विरज्झिय।", | |
"हेट्ठातित्थे गहेत्वान, उत्तरन्ति महानदिं॥", | |
"‘‘एवमेव मयं सब्बे, यदि मुञ्चामिमं जिनं।", | |
"अनागतम्हि अद्धाने, हेस्साम सम्मुखा इमं’’॥", | |
"तस्साहं वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"तमेव अत्थं साधेन्तो, महारज्जं जिने अदं।", | |
"महारज्जं ददित्वान", | |
"सुत्तन्तं विनयञ्चापि, नवङ्गं सत्थुसासनं।", | |
"सब्बं परियापुणित्वान, सोभयिं जिनसासनं॥", | |
"तत्थप्पमत्तो", | |
"अभिञ्ञापारमिं गन्त्वा, ब्रह्मलोकमगञ्छहं॥", | |
"नगरं रम्मवती नाम, सुनन्दो नाम खत्तियो।", | |
"सुजाता नाम जनिका, कोण्डञ्ञस्स महेसिनो॥", | |
"दसवस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि", | |
"सुचि सुरुचि सुभो च, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तीणिसतसहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"रुचिदेवी नाम नारी, विजितसेनो अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, रथयानेन निक्खमि।", | |
"अनूनदसमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, देवानं नगरुत्तमे॥", | |
"भद्दो चेव सुभद्दो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"अनुरुद्धो नामुपट्ठाको, कोण्डञ्ञस्स महेसिनो॥", | |
"तिस्सा", | |
"सालकल्याणिको बोधि, कोण्डञ्ञस्स महेसिनो॥", | |
"सोणो च उपसोणो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"नन्दा चेव सिरीमा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"सो अट्ठासीति हत्थानि, अच्चुग्गतो महामुनि।", | |
"सोभते उळुराजाव सूरियो मज्झन्हिके यथा॥", | |
"वस्ससतसहस्सानि", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"खीणासवेहि", | |
"यथा गगनमुळूहि, एवं सो उपसोभथ॥", | |
"तेपि नागा अप्पमेय्या, असङ्खोभा दुरासदा।", | |
"विज्जुपातंव दस्सेत्वा, निब्बुता ते महायसा॥", | |
"सा च अतुलिया जिनस्स इद्धि, ञाणपरिभावितो च समाधि।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"कोण्डञ्ञो पवरो बुद्धो, चन्दारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेव चेतियो चित्तो, सत्त योजनमुस्सितोति॥", | |
"कोण्डञ्ञस्स अपरेन, मङ्गलो नाम नायको।", | |
"तमं लोके निहन्त्वान, धम्मोक्कमभिधारयि॥", | |
"अतुलासि", | |
"चन्दसूरियपभं हन्त्वा, दससहस्सी विरोचति॥", | |
"सोपि बुद्धो पकासेसि, चतुरो सच्चवरुत्तमे।", | |
"ते ते सच्चरसं पीत्वा, विनोदेन्ति महातमं॥", | |
"पत्वान", | |
"कोटिसतसहस्सानं, धम्माभिसमयो अहु॥", | |
"सुरिन्ददेवभवने", | |
"तदा कोटिसहस्सानं", | |
"यदा सुनन्दो चक्कवत्ती, सम्बुद्धं उपसङ्कमि।", | |
"तदा आहनि सम्बुद्धो, धम्मभेरिं वरुत्तमं॥", | |
"सुनन्दस्सानुचरा जनता, तदासुं नवुतिकोटियो।", | |
"सब्बेपि ते निरवसेसा, अहेसुं एहि भिक्खुका॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, मङ्गलस्स महेसिनो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो॥", | |
"दुतियो कोटिसतसहस्सानं, ततियो नवुतिकोटिनं।", | |
"खीणासवानं विमलानं, तदा आसि समागमो॥", | |
"अहं तेन समयेन, सुरुची नाम ब्राह्मणो।", | |
"अज्झायको मन्तधरो, तिण्णं वेदान पारगू॥", | |
"तमहं", | |
"सम्बुद्धप्पमुखं सङ्घं, गन्धमालेन पूजयिं।", | |
"पूजेत्वा गन्धमालेन, गवपानेन तप्पयिं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, मङ्गलो द्विपदुत्तमो।", | |
"‘‘अपरिमेय्यितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दस पारमिपूरिया॥", | |
"तदा पीतिमनुब्रूहन्तो, सम्बोधिवरपत्तिया।", | |
"बुद्धे दत्वान मं गेहं, पब्बजिं तस्स सन्तिके॥", | |
"सुत्तन्तं", | |
"सब्बं परियापुणित्वा, सोभयिं जिनसासनं॥", | |
"तत्थप्पमत्तो विहरन्तो, ब्रह्मं भावेत्व भावनं।", | |
"अभिञ्ञापारमिं गन्त्वा, ब्रह्मलोकमगच्छहं॥", | |
"उत्तरं", | |
"उत्तरा नाम जनिका, मङ्गलस्स महेसिनो॥", | |
"नववस्ससहस्सानि", | |
"यसवा सुचिमा सिरीमा, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"समतिंससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"यसवती नाम नारी, सीवलो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, अस्सयानेन निक्खमि।", | |
"अनूनअट्ठमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, मङ्गलो नाम नायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, वने सिरीवरुत्तमे॥", | |
"सुदेवो धम्मसेनो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"पालितो नामुपट्ठाको, मङ्गलस्स महेसिनो॥", | |
"सीवला च असोका च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, नागरुक्खोति वुच्चति॥", | |
"नन्दो चेव विसाखो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"अनुला चेव सुतना च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"अट्ठासीति रतनानि, अच्चुग्गतो महामुनि।", | |
"ततो निद्धावती रंसी, अनेकसतसहस्सियो॥", | |
"नवुतिवस्ससहस्सानि, आयु विज्जति तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"यथापि सागरे ऊमी, न सक्का ता गणेतुये।", | |
"तथेव सावका तस्स, न सक्का ते गणेतुये॥", | |
"याव", | |
"न", | |
"धम्मोक्कं", | |
"जलित्वा धूमकेतूव, निब्बुतो सो महायसो॥", | |
"सङ्खारानं", | |
"जलित्वा अग्गिक्खन्धोव, सूरियो अत्थङ्गतो यथा॥", | |
"उय्याने वस्सरे नाम, बुद्धो निब्बायि मङ्गलो।", | |
"तत्थेवस्स जिनथूपो, तिंसयोजनमुग्गतोति॥", | |
"मङ्गलस्स अपरेन, सुमनो नाम नायको।", | |
"सब्बधम्मेहि असमो, सब्बसत्तानमुत्तमो॥", | |
"तदा अमतभेरिं सो, आहनी मेखले पुरे।", | |
"धम्मसङ्खसमायुत्तं, नवङ्गं जिनसासनं॥", | |
"निज्जिनित्वा किलेसे सो, पत्वा सम्बोधिमुत्तमं।", | |
"मापेसि नगरं सत्था, सद्धम्मपुरवरुत्तमं॥", | |
"निरन्तरं अकुटिलं, उजुं विपुलवित्थतं।", | |
"मापेसि सो महावीथिं, सतिपट्ठानवरुत्तमं॥", | |
"फले", | |
"छळभिञ्ञाट्ठसमापत्ती, पसारेसि तत्थ वीथियं॥", | |
"ये अप्पमत्ता अखिला, हिरिवीरियेहुपागता।", | |
"ते ते इमे गुणवरे, आदियन्ति यथा सुखं॥", | |
"एवमेतेन योगेन, उद्धरन्तो महाजनं।", | |
"बोधेसि पठमं सत्था, कोटिसतसहस्सियो॥", | |
"यम्हि काले महावीरो, ओवदी तित्थिये गणे।", | |
"कोटिसहस्साभिसमिंसु", | |
"यदा देवा मनुस्सा च, समग्गा एकमानसा।", | |
"निरोधपञ्हं पुच्छिंसु, संसयञ्चापि मानसं॥", | |
"तदापि", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, सुमनस्स महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"वस्संवुत्थस्स", | |
"कोटिसतसहस्सेहि, पवारेसि तथागतो॥", | |
"ततोपरं सन्निपाते, विमले कञ्चनपब्बते।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"यदा सक्को देवराजा, बुद्धदस्सनुपागमि।", | |
"असीतिकोटिसहस्सानं, ततियो आसि समागमो॥", | |
"अहं", | |
"अतुलो नाम नामेन, उस्सन्नकुसलसञ्चयो॥", | |
"तदाहं नागभावना, निक्खमित्वा सञातिभि।", | |
"नागानं दिब्बतुरियेहि, ससङ्घं जिनमुपट्ठहिं॥", | |
"कोटिसतसहस्सानं, अन्नपानेन तप्पयिं।", | |
"पच्चेकदुस्सयुगं दत्वा, सरणं तमुपागमिं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, सुमनो लोकनायको।", | |
"‘‘अपरिमेय्यितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰…", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"नगरं मेखलं नाम", | |
"सिरिमा नाम जनिका, सुमनस्स महेसिनो॥", | |
"नववस्ससहस्सानि", | |
"चन्दो सुचन्दो वटंसो च, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तेसट्ठिसतसहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"वटंसिका नाम नारी, अनूपमो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते", | |
"अनूनदसमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मेखले पुरमुत्तमे॥", | |
"सरणो भावितत्तो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"उदेनो नामुपट्ठाको, सुमनस्स महेसिनो॥", | |
"सोणा च उपसोणा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"सोपि बुद्धो अमितयसो, नागमूले अबुज्झथ॥", | |
"वरुणो चेव सरणो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"चाला च उपचाला च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"उच्चत्तनेन", | |
"कञ्चनग्घियसङ्कासो, दससहस्सी विरोचति॥", | |
"नवुतिवस्ससहस्सानि, आयु विज्जति तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"तारणीये", | |
"परिनिब्बायि सम्बुद्धो, उळुराजाव अत्थमि॥", | |
"ते", | |
"अतुलप्पभं दस्सयित्वा, निब्बुता ये महायसा॥", | |
"तञ्च ञाणं अतुलियं, तानि च अतुलानि रतनानि।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"सुमनो यसधरो बुद्धो, अङ्गारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेव तस्स जिनथूपो, चतुयोजनमुग्गतोति॥", | |
"सुमनस्स अपरेन, रेवतो नाम नायको।", | |
"अनूपमो असदिसो, अतुलो उत्तमो जिनो॥", | |
"सोपि धम्मं", | |
"खन्धधातुववत्थानं, अप्पवत्तं भवाभवे॥", | |
"तस्साभिसमया तीणि, अहेसुं धम्मदेसने।", | |
"गणनाय न वत्तब्बो, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"यदा अरिन्दमं राजं", | |
"तदा कोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"सत्ताहं पटिसल्लाना, वुट्ठहित्वा नरासभो।", | |
"कोटिसतं नरमरूनं, विनेसि उत्तमे फले॥", | |
"सन्निपाता", | |
"खीणासवानं विमलानं, सुविमुत्तान तादिनं॥", | |
"अतिक्कन्ता गणनपथं, पठमं ये समागता।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"योपि", | |
"सो तदा ब्याधितो आसि, पत्तो जीवितसंसयं॥", | |
"तस्स गिलानपुच्छाय, ये तदा उपगता मुनी।", | |
"कोटिसहस्सा अरहन्तो, ततियो आसि समागमो॥", | |
"अहं तेन समयेन, अतिदेवो नाम ब्राह्मणो।", | |
"उपगन्त्वा रेवतं बुद्धं, सरणं तस्स गञ्छहं॥", | |
"तस्स सीलं समाधिञ्च, पञ्ञागुणमनुत्तमं।", | |
"थोमयित्वा यथाथामं, उत्तरीयमदासहं॥", | |
"सोपि", | |
"‘‘अपरिमेय्यितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰…", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"तदापि तं बुद्धधम्मं, सरित्वा अनुब्रूहयिं।", | |
"आहरिस्सामि तं धम्मं, यं मय्हं अभिपत्थितं॥", | |
"नगरं", | |
"विपुला नाम जनिका, रेवतस्स महेसिनो॥", | |
"छ", | |
"सुदस्सनो रतनग्घि, आवेळो च विभूसितो।", | |
"पुञ्ञकम्माभिनिब्बत्ता, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तेत्तिंस च सहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सुदस्सना नाम नारी, वरुणो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, रथयानेन निक्खमि।", | |
"अनूनसत्तमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, रेवतो लोकनायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, वरुणारामे सिरीघरे॥", | |
"वरुणो", | |
"सम्भवो नामुपट्ठाको, रेवतस्स महेसिनो॥", | |
"भद्दा चेव सुभद्दा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"सोपि बुद्धो असमसमो, नागमूले अबुज्झथ॥", | |
"पदुमो कुञ्जरो चेव, अहेसुं अग्गुपट्ठिका।", | |
"सिरीमा चेव यसवती, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"उच्चत्तनेन सो बुद्धो, असीतिहत्थमुग्गतो।", | |
"ओभासेति दिसा सब्बा, इन्दकेतुव उग्गतो॥", | |
"तस्स सरीरे निब्बत्ता, पभामाला अनुत्तरा।", | |
"दिवा वा यदि वा रत्तिं, समन्ता फरति योजनं॥", | |
"सट्ठिवस्ससहस्सानि, आयु विज्जति तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"दस्सयित्वा बुद्धबलं, अमतं लोके पकासयं।", | |
"निब्बायि अनुपादानो, यथग्गुपादानसङ्खया॥", | |
"सो च कायो रतननिभो, सो च धम्मो असादिसो।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"रेवतो", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतोति॥", | |
"रेवतस्स", | |
"समाहितो सन्तचित्तो, असमो अप्पटिपुग्गलो॥", | |
"सो जिनो सकगेहम्हि, मानसं विनिवत्तयि।", | |
"पत्वान केवलं बोधिं, धम्मचक्कं पवत्तयि॥", | |
"याव हेट्ठा अवीचितो, भवग्गा चापि उद्धतो।", | |
"एत्थन्तरे एकपरिसा, अहोसि धम्मदेसने॥", | |
"ताय परिसाय सम्बुद्धो, धम्मचक्कं पवत्तयि।", | |
"गणनाय न वत्तब्बो, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"ततो परम्पि देसेन्ते, मरूनञ्च समागमे।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"पुनापरं राजपुत्तो, जयसेनो नाम खत्तियो।", | |
"आरामं रोपयित्वान, बुद्धे निय्यादयी तदा॥", | |
"तस्स यागं पकित्तेन्तो, धम्मं देसेसि चक्खुमा।", | |
"तदा कोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, सोभितस्स महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"उग्गतो नाम सो राजा, दानं देति नरुत्तमे।", | |
"तम्हि दाने समागञ्छुं, अरहन्ता", | |
"पुनापरं", | |
"तदा नवुतिकोटीनं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"देवलोके", | |
"तदा असीतिकोटीनं, ततियो आसि समागमो॥", | |
"अहं तेन समयेन, सुजातो नाम ब्राह्मणो।", | |
"तदा ससावकं बुद्धं, अन्नपानेन तप्पयिं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, सोभितो लोकनायको।", | |
"‘‘अपरिमेय्यितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, हट्ठो संविग्गमानसो।", | |
"तमेवत्थमनुप्पत्तिया, उग्गं धितिमकासहं॥", | |
"सुधम्मं नाम नगरं, सुधम्मो नाम खत्तियो।", | |
"सुधम्मा नाम जनिका, सोभितस्स महेसिनो॥", | |
"नववस्ससहस्सानि", | |
"कुमुदो नाळिनो पदुमो, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"सत्ततिंससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"मणिला", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, पासादेनाभिनिक्खमि।", | |
"सत्ताहं पधानचारं, चरित्वा पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, सोभितो लोकनायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, सुधम्मुय्यानमुत्तमे॥", | |
"असमो च सुनेत्तो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"अनोमो नामुपट्ठाको, सोभितस्स महेसिनो॥", | |
"नकुला च सुजाता च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बुज्झमानो च सो बुद्धो, नागमूले अबुज्झथ॥", | |
"रम्मो चेव सुदत्तो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"नकुला चेव चित्ता च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"अट्ठपण्णासरतनं, अच्चुग्गतो महामुनि।", | |
"ओभासेति दिसा सब्बा, सतरंसीव उग्गतो॥", | |
"यथा", | |
"तथेव तस्स पावचनं, सीलगन्धेहि धूपितं॥", | |
"यथापि सागरो नाम, दस्सनेन अतप्पियो।", | |
"तथेव तस्स पावचनं, सवणेन अतप्पियं॥", | |
"नवुतिवस्ससहस्सानि", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"ओवादं अनुसिट्ठिञ्च, दत्वान सेसके जने।", | |
"हुतासनोव तापेत्वा, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"सो", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"सोभितो वरसम्बुद्धो, सीहारामम्हि निब्बुतो।", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतोति॥", | |
"सोभितस्स", | |
"अनोमदस्सी अमितयसो, तेजस्सी दुरतिक्कमो॥", | |
"सो छेत्वा बन्धनं सब्बं, विद्धंसेत्वा तयो भवे।", | |
"अनिवत्तिगमनं मग्गं, देसेसि देवमानुसे॥", | |
"सागरोव असङ्खोभो, पब्बतोव दुरासदो।", | |
"आकासोव अनन्तो सो, सालराजाव फुल्लितो॥", | |
"दस्सनेनपि तं बुद्धं, तोसिता होन्ति पाणिनो।", | |
"ब्याहरन्तं गिरं सुत्वा, अमतं पापुणन्ति ते॥", | |
"धम्माभिसमयो", | |
"कोटिसतानि अभिसमिंसु, पठमे धम्मदेसने॥", | |
"ततो परं अभिसमये, वस्सन्ते धम्मवुट्ठियो।", | |
"असीतिकोटियोभिसमिंसु, दुतिये धम्मदेसने॥", | |
"ततोपरञ्हि", | |
"अट्ठसत्ततिकोटीनं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, तस्सापि च महेसिनो।", | |
"अभिञ्ञाबलप्पत्तानं, पुप्फितानं विमुत्तिया॥", | |
"अट्ठसतसहस्सानं, सन्निपातो तदा अहु।", | |
"पहीनमदमोहानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"सत्तसतसहस्सानं", | |
"अनङ्गणानं विरजानं, उपसन्तान तादिनं॥", | |
"छन्नं सतसहस्सानं, ततियो आसि समागमो।", | |
"अभिञ्ञाबलप्पत्तानं, निब्बुतानं तपस्सिनं॥", | |
"अहं तेन समयेन, यक्खो आसिं महिद्धिको।", | |
"नेकानं यक्खकोटीनं, वसवत्तिम्हि इस्सरो॥", | |
"तदापि तं बुद्धवरं, उपगन्त्वा महेसिनं।", | |
"अन्नपानेन तप्पेसिं, ससङ्घं लोकनायकं॥", | |
"सोपि मं तदा ब्याकासि, विसुद्धनयनो मुनि।", | |
"‘‘अपरिमेय्यितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, हट्ठो संविग्गमानसो।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"नगरं", | |
"माता यसोधरा नाम, अनोमदस्सिस्स सत्थुनो॥", | |
"दसवस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"सिरी उपसिरी वड्ढो, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तेवीसतिसहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सिरिमा नाम सा नारी, उपवाणो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, सिविकायाभिनिक्खमि।", | |
"अनूनदसमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, उय्याने सो सुदस्सने", | |
"निसभो च अनोमो च", | |
"वरुणो नामुपट्ठाको, अनोमदस्सिस्स सत्थुनो॥", | |
"सुन्दरी च सुमना च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, अज्जुनोति पवुच्चति॥", | |
"नन्दिवड्ढो सिरिवड्ढो, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"उप्पला चेव पदुमा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"अट्ठपण्णासरतनं", | |
"पभा निद्धावती तस्स, सतरंसीव उग्गतो॥", | |
"वस्ससतसहस्सानि, आयु विज्जति तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"सुपुप्फितं पावचनं, अरहन्तेहि तादिहि।", | |
"वीतरागेहि विमलेहि, सोभित्थ जिनसासनं॥", | |
"सो च सत्था अमितयसो, युगानि तानि अतुलियानि।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"अनोमदस्सी जिनो सत्था, धम्मारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स जिनथूपो, उब्बेधो पञ्चवीसतीति॥", | |
"अनोमदस्सिस्स", | |
"पदुमो नाम नामेन, असमो अप्पटिपुग्गलो॥", | |
"तस्सापि असमं सीलं, समाधिपि अनन्तको।", | |
"असङ्खेय्यं ञाणवरं, विमुत्तिपि अनूपमा॥", | |
"तस्सापि", | |
"अभिसमया तयो आसुं, महातमपवाहना॥", | |
"पठमाभिसमये बुद्धो, कोटिसतमबोधयि।", | |
"दुतियाभिसमये धीरो, नवुतिकोटिमबोधयि॥", | |
"यदा च पदुमो बुद्धो, ओवदी सकमत्रजं।", | |
"तदा असीतिकोटीनं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, पदुमस्स महेसिनो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो॥", | |
"कथिनत्थारसमये", | |
"धम्मसेनापतित्थाय, भिक्खू सिब्बिंसु", | |
"तदा ते विमला भिक्खू, छळभिञ्ञा महिद्धिका।", | |
"तीणि सतसहस्सानि, समिंसु अपराजिता॥", | |
"पुनापरं सो नरासभो", | |
"तदा समागमो आसि, द्विन्नं सतसहस्सिनं॥", | |
"अहं तेन समयेन, सीहो आसिं मिगाधिभू।", | |
"विवेकमनुब्रूहन्तं", | |
"वन्दित्वा सिरसा पादे, कत्वान तं पदक्खिणं।", | |
"तिक्खत्तुं अभिनादित्वा, सत्ताहं जिनमुपट्ठहं॥", | |
"सत्ताहं वरसमापत्तिया, वुट्ठहित्वा तथागतो।", | |
"मनसा चिन्तयित्वान, कोटिभिक्खू समानयि॥", | |
"तदापि सो महावीरो, तेसं मज्झे वियाकरि।", | |
"‘‘अपरिमेय्यितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰…", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"चम्पकं नाम नगरं, असमो नाम खत्तियो।", | |
"असमा नाम जनिका, पदुमस्स महेसिनो॥", | |
"दसवस्ससहस्सानि", | |
"नन्दावसुयसुत्तरा", | |
"तेत्तिंस च सहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"उत्तरा नाम सा नारी, रम्मो नामासि अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, रथयानेन निक्खमि।", | |
"अनूनअट्ठमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, पदुमो लोकनायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, धनञ्चुय्यानमुत्तमे॥", | |
"सालो च उपसालो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"वरुणो नामुपट्ठाको, पदुमस्स महेसिनो॥", | |
"राधा", | |
"बोधि तस्स भगवतो, महासोणोति वुच्चति॥", | |
"भिय्यो चेव असमो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"रुची च नन्दरामा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"अट्ठपण्णासरतनं, अच्चुग्गतो महामुनि।", | |
"पभा निद्धावती तस्स, असमा सब्बसो दिसा॥", | |
"चन्दप्पभा सूरियप्पभा, रतनग्गिमणिप्पभा।", | |
"सब्बापि ता हता होन्ति, पत्वा जिनपभुत्तमं॥", | |
"वस्ससतसहस्सानि, आयु विज्जति तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"परिपक्कमानसे", | |
"सेसके अनुसासित्वा, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"उरगोव तचं जिण्णं, वद्धपत्तंव पादपो।", | |
"जहित्वा सब्बसङ्खारे, निब्बुतो सो यथा सिखी॥", | |
"पदुमो जिनवरो सत्था, धम्मारामम्हि निब्बुतो।", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतोति॥", | |
"पदुमस्स", | |
"नारदो नाम नामेन, असमो अप्पटिपुग्गलो॥", | |
"सो बुद्धो चक्कवत्तिस्स, जेट्ठो दयितओरसो।", | |
"आमुक्कमालाभरणो, उय्यानं उपसङ्कमि॥", | |
"तत्थासि रुक्खो यसविपुलो, अभिरूपो ब्रहा सुचि।", | |
"तमज्झपत्वा उपनिसीदि, महासोणस्स हेट्ठतो॥", | |
"तत्थ", | |
"तेन विचिनि सङ्खारे, उक्कुज्जमवकुज्जकं", | |
"तत्थ सब्बकिलेसानि, असेसमभिवाहयि।", | |
"पापुणी केवलं बोधिं, बुद्धञाणे च चुद्दस॥", | |
"पापुणित्वान", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"महादोणं नागराजं, विनयन्तो महामुनि।", | |
"पाटिहेरं तदाकासि, दस्सयन्तो सदेवके॥", | |
"तदा देवमनुस्सानं, तम्हि धम्मप्पकासने।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानि, तरिंसु सब्बसंसयं॥", | |
"यम्हि काले महावीरो, ओवदी सकमत्रजं।", | |
"असीतिकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, नारदस्स महेसिनो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो॥", | |
"यदा बुद्धो बुद्धगुणं, सनिदानं पकासयि।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानि, समिंसु विमला तदा॥", | |
"यदा वेरोचनो नागो, दानं ददाति सत्थुनो।", | |
"तदा समिंसु जिनपुत्ता, असीतिसतसहस्सियो॥", | |
"अहं", | |
"अन्तलिक्खचरो आसिं, पञ्चाभिञ्ञासु पारगू॥", | |
"तदापाहं असमसमं, ससङ्घं सपरिज्जनं।", | |
"अन्नपानेन तप्पेत्वा, चन्दनेनाभिपूजयिं॥", | |
"सोपि मं तदा ब्याकासि, नारदो लोकनायको।", | |
"‘‘अपरिमेय्यितो", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰…", | |
"तस्सापि", | |
"अधिट्ठहिं वतं उग्गं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"नगरं धञ्ञवती नाम, सुदेवो नाम खत्तियो।", | |
"अनोमा नाम जनिका, नारदस्स महेसिनो॥", | |
"नववस्ससहस्सानि", | |
"जितो विजिताभिरामो, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तिचत्तारीससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"विजितसेना नाम नारी, नन्दुत्तरो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, पदसा गमनेन निक्खमि।", | |
"सत्ताहं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, धनञ्चुय्यानमुत्तमे॥", | |
"भद्दसालो जितमित्तो, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"वासेट्ठो नामुपट्ठाको, नारदस्स महेसिनो॥", | |
"उत्तरा फग्गुनी चेव, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, महासोणोति वुच्चति॥", | |
"उग्गरिन्दो वसभो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"इन्दावरी च वण्डी", | |
"अट्ठासीतिरतनानि", | |
"कञ्चनग्घियसङ्कासो, दससहस्सी विरोचति॥", | |
"तस्स ब्यामप्पभा काया, निद्धावति दिसोदिसं।", | |
"निरन्तरं दिवारत्तिं, योजनं फरते सदा॥", | |
"न केचि तेन समयेन, समन्ता योजने जना।", | |
"उक्कापदीपे उज्जालेन्ति, बुद्धरंसीहि ओत्थटा॥", | |
"नवुतिवस्ससहस्सानि, आयु विज्जति तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"यथा उळूहि गगनं, विचित्तं उपसोभति।", | |
"तथेव सासनं तस्स, अरहन्तेहि सोभति॥", | |
"संसारसोतं तरणाय, सेसके पटिपन्नके।", | |
"धम्मसेतुं", | |
"सोपि बुद्धो असमसमो, तेपि खीणासवा अतुलतेजा।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"नारदो जिनवसभो, निब्बुतो सुदस्सने पुरे।", | |
"तत्थेवस्स थूपवरो, चतुयोजनमुग्गतोति॥", | |
"नारदस्स", | |
"पदुमुत्तरो नाम जिनो, अक्खोभो सागरूपमो॥", | |
"मण्डकप्पोव सो आसि, यम्हि बुद्धो अजायथ।", | |
"उस्सन्नकुसला जनता, तम्हि कप्पे अजायथ॥", | |
"पदुमुत्तरस्स भगवतो, पठमे धम्मदेसने।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, धम्माभिसमयो अहु॥", | |
"ततो परम्पि वस्सन्ते, तप्पयन्ते च पाणिने।", | |
"सत्ततिंससतसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"यम्हि", | |
"पितुसन्तिकं उपगन्त्वा, आहनी अमतदुन्दुभिं॥", | |
"आहते अमतभेरिम्हि, वस्सन्ते धम्मवुट्ठिया।", | |
"पञ्ञाससतसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"ओवादको", | |
"देसनाकुसलो बुद्धो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, पदुमुत्तरस्स सत्थुनो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो॥", | |
"यदा बुद्धो असमसमो, वसि वेभारपब्बते।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"पुन चारिकं पक्कन्ते, गामनिगमरट्ठतो।", | |
"असीतिकोटिसहस्सानं, ततियो आसि समागमो॥", | |
"अहं तेन समयेन, जटिलो नाम रट्ठिको।", | |
"सम्बुद्धप्पमुखं सङ्घं, सभत्तं दुस्समदासहं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, सङ्घमज्झे निसीदिय।", | |
"‘‘सतसहस्सितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, उत्तरिं वतमधिट्ठहिं।", | |
"अकासिं उग्गदळ्हं धितिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"ब्याहता तित्थिया सब्बे, विमना दुम्मना तदा।", | |
"न तेसं केचि परिचरन्ति, रट्ठतो निच्छुभन्ति ते॥", | |
"सब्बे", | |
"तुवं नाथो महावीर, सरणं होहि चक्खुम॥", | |
"अनुकम्पको कारुणिको, हितेसी सब्बपाणिनं।", | |
"सम्पत्ते तित्थिये सब्बे, पञ्चसीले पतिट्ठपि॥", | |
"एवं निराकुलं आसि, सुञ्ञतं तित्थियेहि तं।", | |
"विचित्तं अरहन्तेहि, वसीभूतेहि तादिहि॥", | |
"नगरं", | |
"सुजाता नाम जनिका, पदुमुत्तरस्स सत्थुनो॥", | |
"दसवस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"नरवाहनो यसो वसवत्ती", | |
"तिचत्तारीससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"वसुदत्ता नाम नारी, उत्तमो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, पासादेनाभिनिक्खमि।", | |
"सत्ताहं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मिथिलुय्यानमुत्तमे॥", | |
"देवलो च सुजातो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"सुमनो नामुपट्ठाको, पदुमुत्तरस्स महेसिनो॥", | |
"अमिता च असमा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, सललोति पवुच्चति॥", | |
"वितिण्णो चेव", | |
"हट्ठा चेव विचित्ता च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"अट्ठपण्णासरतनं, अच्चुग्गतो महामुनि।", | |
"कञ्चनग्घियसङ्कासो, द्वत्तिंसवरलक्खणो॥", | |
"कुट्टा", | |
"न तस्सावरणं अत्थि, समन्ता द्वादसयोजने॥", | |
"वस्ससतसहस्सानि, आयु विज्जति तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"सन्तारेत्वा बहुजनं, छिन्दित्वा सब्बसंसयं।", | |
"जलित्वा अग्गिक्खन्धोव निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"पदुमुत्तरो जिनो बुद्धो, नन्दारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स थूपवरो, द्वादसुब्बेधयोजनोति॥", | |
"पदुमुत्तरस्स", | |
"दुरासदो उग्गतेजो, सब्बलोकुत्तमो मुनि॥", | |
"पसन्ननेत्तो सुमुखो, ब्रहा उजु पतापवा।", | |
"हितेसी सब्बसत्तानं, बहू मोचेसि बन्धना॥", | |
"यदा बुद्धो पापुणित्वा, केवलं बोधिमुत्तमं।", | |
"सुदस्सनम्हि नगरे, धम्मचक्कं पवत्तयि॥", | |
"तस्सापि अभिसमया तीणि, अहेसुं धम्मदेसने।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"पुनापरं कुम्भकण्णं, यक्खं सो दमयी जिनो।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"पुनापरं अमितयसो, चतुसच्चं पकासयि।", | |
"असीतिकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, सुमेधस्स महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"सुदस्सनं", | |
"तदा खीणासवा भिक्खू, समिंसु सतकोटियो॥", | |
"पुनापरं देवकूटे, भिक्खूनं कथिनत्थते।", | |
"तदा नवुतिकोटीनं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"पुनापरं", | |
"तदा असीतिकोटीनं, ततियो आसि समागमो॥", | |
"अहं तेन समयेन, उत्तरो नाम माणवो।", | |
"असीतिकोटियो मय्हं, घरे सन्निचितं धनं॥", | |
"केवलं सब्बं दत्वान, ससङ्घे लोकनायके।", | |
"सरणं तस्सुपगञ्छिं, पब्बज्जञ्चाभिरोचयिं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, करोन्तो अनुमोदनं।", | |
"‘‘तिंसकप्पसहस्सम्हि, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"सुत्तन्तं विनयञ्चापि, नवङ्गं सत्थुसासनं।", | |
"सब्बं परियापुणित्वान, सोभयिं जिनसासनं॥", | |
"तत्थप्पमत्तो", | |
"अभिञ्ञासु पारमिं गन्त्वा, ब्रह्मलोकमगञ्छहं॥", | |
"सुदस्सनं नाम नगरं, सुदत्तो नाम खत्तियो।", | |
"सुदत्ता नाम जनिका, सुमेधस्स महेसिनो॥", | |
"नववस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"सुचन्दकञ्चनसिरिवड्ढा, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तिसोळससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सुमना नाम सा नारी, पुनब्बसु नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, हत्थियानेन निक्खमि।", | |
"अनूनकं अड्ढमासं, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, सुमेधो लोकनायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, सुदस्सनुय्यानमुत्तमे॥", | |
"सरणो", | |
"सागरो नामुपट्ठाको, सुमेधस्स महेसिनो॥", | |
"रामा चेव सुरामा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, महानीपोति वुच्चति॥", | |
"उरुवेला यसवा च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"यसोधरा सिरिमा च", | |
"अट्ठासीतिरतनानि, अच्चुग्गतो महामुनि।", | |
"ओभासेति दिसा सब्बा, चन्दो तारगणे यथा॥", | |
"चक्कवत्तिमणी", | |
"तथेव तस्स रतनं, समन्ता फरति योजनं॥", | |
"नवुतिवस्ससहस्सानि", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"तेविज्जछळभिञ्ञेहि, बलप्पत्तेहि तादिहि।", | |
"समाकुलमिदं आसि, अरहन्तेहि साधुहि॥", | |
"तेपि सब्बे अमितयसा, विप्पमुत्ता निरूपधी।", | |
"ञाणालोकं दस्सयित्वा, निब्बुता ते महायसा॥", | |
"सुमेधो जिनवरो बुद्धो, मेधारामम्हि निब्बुतो।", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतोति॥", | |
"तत्थेव", | |
"सीहहनुसभक्खन्धो, अप्पमेय्यो दुरासदो॥", | |
"चन्दोव विमलो सुद्धो, सतरंसीव पतापवा।", | |
"एवं सोभति सम्बुद्धो, जलन्तो सिरिया सदा॥", | |
"पापुणित्वान", | |
"सुमङ्गलम्हि नगरे, धम्मचक्कं पवत्तयि॥", | |
"देसेन्ते", | |
"असीतिकोटी अभिसमिंसु, पठमे धम्मदेसने॥", | |
"यदा सुजातो अमितयसो, देवे वस्सं उपागमि।", | |
"सत्ततिंससतसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"यदा सुजातो असमसमो, उपगच्छि पितुसन्तिकं।", | |
"सट्ठिसतसहस्सानं", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, सुजातस्स महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"अभिञ्ञाबलप्पत्तानं", | |
"सट्ठिसतसहस्सानि, पठमं सन्निपतिंसु ते॥", | |
"पुनापरं सन्निपाते, तिदिवोरोहणे जिने।", | |
"पञ्ञाससतसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"उपसङ्कमन्तो नरासभं, तस्स यो अग्गसावको।", | |
"चतूहि सतसहस्सेहि, सम्बुद्धं उपसङ्कमि॥", | |
"अहं तेन समयेन, चतुदीपम्हि इस्सरो।", | |
"अन्तलिक्खचरो आसिं, चक्कवत्ती महब्बलो॥", | |
"लोके अच्छरियं दिस्वा, अब्भुतं लोमहंसनं।", | |
"उपगन्त्वान वन्दिं सो, सुजातं लोकनायकं॥", | |
"चतुदीपे महारज्जं, रतने सत्त उत्तमे।", | |
"बुद्धे निय्यादयित्वान, पब्बजिं तस्स सन्तिके॥", | |
"आरामिका जनपदे, उट्ठानं पटिपिण्डिय।", | |
"उपनेन्ति", | |
"सोपि मं बुद्धो", | |
"‘‘तिंसकप्पसहस्सम्हि, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो हासं जनेसहं।", | |
"अधिट्ठहिं वतं उग्गं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"सुत्तन्तं", | |
"सब्बं परियापुणित्वान, सोभयिं जिनसासनं॥", | |
"तत्थप्पमत्तो विहरन्तो, ब्रह्मं भावेत्व भावनं।", | |
"अभिञ्ञापारमिं गन्त्वा, ब्रह्मलोकमगञ्छहं॥", | |
"सुमङ्गलं नाम नगरं, उग्गतो नाम खत्तियो।", | |
"माता पभावती नाम, सुजातस्स महेसिनो॥", | |
"नववस्ससहस्सानि", | |
"सिरी उपसिरी नन्दो, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तेवीसतिसहस्सानि", | |
"सिरिनन्दा नाम नारी, उपसेनो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, अस्सयानेन निक्खमि।", | |
"अनूननवमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, सुजातो लोकनायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, सुमङ्गलुय्यानमुत्तमे॥", | |
"सुदस्सनो सुदेवो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"नारदो नामुपट्ठाको, सुजातस्स महेसिनो॥", | |
"नागा च नागसमाला च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, महावेळूति वुच्चति॥", | |
"सो च रुक्खो घनक्खन्धो", | |
"उजु वंसो ब्रहा होति, दस्सनीयो मनोरमो॥", | |
"एकक्खन्धो पवड्ढित्वा, ततो साखा पभिज्जति।", | |
"यथा सुबद्धो मोरहत्थो, एवं सोभति सो दुमो॥", | |
"न तस्स कण्टका होन्ति, नापि छिद्दं महा अहु।", | |
"वित्थिण्णसाखो अविरलो, सन्दच्छायो मनोरमो॥", | |
"सुदत्तो चेव चित्तो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"सुभद्दा च पदुमा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"पञ्ञासरतनो", | |
"सब्बाकारवरूपेतो, सब्बगुणमुपागतो॥", | |
"तस्स पभा असमसमा, निद्धावति समन्ततो।", | |
"अप्पमाणो अतुलियो, ओपम्मेहि अनूपमो॥", | |
"नवुतिवस्ससहस्सानि", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"यथापि सागरे ऊमी, गगने तारका यथा।", | |
"एवं तदा पावचनं, अरहन्तेहि चित्तितं", | |
"सो", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"सुजातो जिनवरो बुद्धो, सिलारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेव तस्स चेतियो", | |
"सुजातस्स अपरेन, सयम्भू लोकनायको।", | |
"दुरासदो असमसमो, पियदस्सी महायसो॥", | |
"सोपि", | |
"सब्बं तमं निहन्त्वान, धम्मचक्कं पवत्तयि॥", | |
"तस्सापि अतुलतेजस्स, अहेसुं अभिसमया तयो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"सुदस्सनो देवराजा, मिच्छादिट्ठिमरोचयि।", | |
"तस्स दिट्ठिं विनोदेन्तो, सत्था धम्ममदेसयि॥", | |
"जनसन्निपातो अतुलो, महासन्निपती तदा।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"यदा दोणमुखं हत्थिं, विनेसि नरसारथि।", | |
"असीतिकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, तस्सापि पियदस्सिनो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो॥", | |
"ततो", | |
"ततिये सन्निपातम्हि, असीतिकोटियो अहू॥", | |
"अहं तेन समयेन, कस्सपो नाम ब्राह्मणो", | |
"अज्झायको मन्तधरो, तिण्णं वेदान पारगू॥", | |
"तस्स", | |
"कोटिसतसहस्सेहि, सङ्घारामं अमापयिं॥", | |
"तस्स दत्वान आरामं, हट्ठो संविग्गमानसो।", | |
"सरणे पञ्च सीले च", | |
"सोपि", | |
"‘‘अट्ठारसे कप्पसते, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"सुधञ्ञं नाम नगरं, सुदत्तो नाम खत्तियो।", | |
"चन्दा नामासि जनिका, पियदस्सिस्स सत्थुनो॥", | |
"नववस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"सुनिम्मलविमलगिरिगुहा, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तेत्तिंससहस्सानि च, नारियो समलङ्कता।", | |
"विमला नाम नारी च, कञ्चनावेळो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते", | |
"छमासं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, पियदस्सी महामुनि।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, उसभुय्याने मनोरमे॥", | |
"पालितो सब्बदस्सी च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"सोभितो नामुपट्ठाको, पियदस्सिस्स सत्थुनो॥", | |
"सुजाता धम्मदिन्ना च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, ककुधोति पवुच्चति॥", | |
"सन्धको धम्मको चेव, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"विसाखा धम्मदिन्ना च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"सोपि", | |
"असीतिहत्थमुब्बेधो, सालराजाव दिस्सति॥", | |
"अग्गिचन्दसूरियानं, नत्थि तादिसिका पभा।", | |
"यथा अहु पभा तस्स, असमस्स महेसिनो॥", | |
"तस्सापि देवदेवस्स, आयु तावतकं अहु।", | |
"नवुतिवस्ससहस्सानि, लोके अट्ठासि चक्खुमा॥", | |
"सोपि बुद्धो असमसमो, युगानिपि तानि अतुलियानि।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"पियदस्सी मुनिवरो, अस्सत्थारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स जिनथूपो, तीणियोजनमुग्गतोति॥", | |
"तत्थेव", | |
"महातमं निहन्त्वान, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, धम्मचक्कं पवत्तयि।", | |
"अमतेन तप्पयी लोकं, दससहस्सिसदेवकं॥", | |
"तस्सापि लोकनाथस्स, अहेसुं अभिसमया तयो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"यदा बुद्धो अत्थदस्सी, चरते देवचारिकं।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"पुनापरं यदा बुद्धो, देसेसि पितुसन्तिके।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, तस्सापि च महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"अट्ठनवुतिसहस्सानं", | |
"अट्ठासीतिसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"अट्ठसत्ततिसतसहस्सानं", | |
"अनुपादा विमुत्तानं, विमलानं महेसिनं॥", | |
"अहं तेन समयेन, जटिलो उग्गतापनो।", | |
"सुसीमो नाम नामेन, महिया सेट्ठसम्मतो॥", | |
"दिब्बं", | |
"देवलोकाहरित्वान, सम्बुद्धमभिपूजयिं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, अत्थदस्सी महामुनि।", | |
"‘‘अट्ठारसे कप्पसते, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰… हेस्साम सम्मुखा इमं’’॥", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, हट्ठो", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"सोभणं नाम नगरं, सागरो नाम खत्तियो।", | |
"सुदस्सना नाम जनिका, अत्थदस्सिस्स सत्थुनो॥", | |
"दसवस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"अमरगिरि सुगिरि वाहना, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तेत्तिंसञ्च", | |
"विसाखा नाम नारी च, सेलो नामासि अत्रजो॥", | |
"निमित्ते", | |
"अनूनअट्ठमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, अत्थदस्सी महायसो।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, अनोमुय्याने नरासभो॥", | |
"सन्तो च उपसन्तो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"अभयो नामुपट्ठाको, अत्थदस्सिस्स सत्थुनो॥", | |
"धम्मा चेव सुधम्मा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, चम्पकोति पवुच्चति॥", | |
"नकुलो च निसभो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"मकिला च सुनन्दा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"सोपि", | |
"सोभते सालराजाव, उळुराजाव पूरितो॥", | |
"तस्स पाकतिका रंसी, अनेकसतकोटियो।", | |
"उद्धं अधो दस दिसा, फरन्ति योजनं सदा॥", | |
"सोपि बुद्धो नरासभो, सब्बसत्तुत्तमो मुनि।", | |
"वस्ससतसहस्सानि, लोके अट्ठासि चक्खुमा॥", | |
"अतुलं दस्सेत्वा ओभासं, विरोचेत्वा सदेवके", | |
"सोपि अनिच्चतं पत्तो, यथग्गुपादानसङ्खया॥", | |
"अत्थदस्सी", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतोति॥", | |
"तत्थेव", | |
"तमन्धकारं विधमित्वा, अतिरोचति सदेवके॥", | |
"तस्सापि अतुलतेजस्स, धम्मचक्कप्पवत्तने।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"यदा बुद्धो धम्मदस्सी, विनेसि सञ्जयं इसिं।", | |
"तदा नवुतिकोटीनं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"यदा सक्को उपागञ्छि, सपरिसो विनायकं।", | |
"तदा असीतिकोटीनं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"तस्सापि देवदेवस्स, सन्निपाता तयो अहुं", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"यदा बुद्धो धम्मदस्सी, सरणे वस्सं उपागमि।", | |
"तदा कोटिसतसहस्सानं", | |
"पुनापरं", | |
"तदापि सतकोटीनं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"पुनापरं", | |
"तदा असीतिकोटीनं, ततियो आसि समागमो॥", | |
"अहं तेन समयेन, सक्को आसिं पुरिन्ददो।", | |
"दिब्बेन गन्धमालेन, तुरियेनाभिपूजयिं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, देवमज्झे निसीदिय।", | |
"‘‘अट्ठारसे कप्पसते, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰…", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"सरणं नाम नगरं, सरणो नाम खत्तियो।", | |
"सुनन्दा नाम जनिका, धम्मदस्सिस्स सत्थुनो॥", | |
"अट्ठवस्ससहस्सानि", | |
"अरजो विरजो सुदस्सनो, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तिचत्तारीससहस्सानि", | |
"विचिकोळि नाम नारी, अत्रजो पुञ्ञवड्ढनो॥", | |
"निमित्ते", | |
"सत्ताहं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, धम्मदस्सी नरासभो।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मिगदाये नरुत्तमो॥", | |
"पदुमो फुस्सदेवो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"सुनेत्तो", | |
"खेमा च सच्चनामा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, बिम्बिजालोति वुच्चति॥", | |
"सुभद्दो कटिस्सहो चेव, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"साळिया", | |
"सोपि", | |
"अतिरोचति तेजेन, दससहस्सिम्हि धातुया॥", | |
"सुफुल्लो", | |
"मज्झन्हिकेव सूरियो, एवं सो उपसोभथ॥", | |
"तस्सापि अतुलतेजस्स, समकं आसि जीवितं।", | |
"वस्ससतसहस्सानि, लोके अट्ठासि चक्खुमा॥", | |
"ओभासं", | |
"चवि चन्दोव गगने, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"धम्मदस्सी महावीरो, सालारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स थूपवरो, तीणियोजनमुग्गतोति॥", | |
"धम्मदस्सिस्स", | |
"निहनित्वा तमं सब्बं, सूरियो अब्भुग्गतो यथा॥", | |
"सोपि पत्वान सम्बोधिं, सन्तारेन्तो सदेवकं।", | |
"अभिवस्सि धम्ममेघेन, निब्बापेन्तो सदेवकं॥", | |
"तस्सापि अतुलतेजस्स, अहेसुं अभिसमया तयो।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"पुनापरं भीमरथे", | |
"तदा नवुतिकोटीनं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"यदा बुद्धो धम्मं देसेसि, वेभारे सो पुरुत्तमे।", | |
"तदा नवुतिकोटीनं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, तस्मिम्पि द्विपदुत्तमे।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"कोटिसतानं", | |
"एते आसुं तयो ठाना, विमलानं समागमे॥", | |
"अहं", | |
"उग्गतेजो दुप्पसहो, अभिञ्ञाबलसमाहितो॥", | |
"जम्बुतो फलमानेत्वा", | |
"पटिग्गहेत्वा सम्बुद्धो, इदं वचनमब्रवि॥", | |
"‘‘पस्सथ इमं तापसं, जटिलं उग्गतापनं।", | |
"चतुन्नवुतितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰…", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"वेभारं नाम नगरं, उदेनो नाम खत्तियो।", | |
"सुफस्सा नाम जनिका, सिद्धत्थस्स महेसिनो॥", | |
"दसवस्ससहस्सानि", | |
"कोकासुप्पलकोकनदा, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तिसोळससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सोमनस्सा नाम सा नारी, अनुपमो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, सिविकायाभिनिक्खमि।", | |
"अनूनदसमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, सिद्धत्थो लोकनायको।", | |
"वत्ति", | |
"सम्बलो च सुमित्तो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"रेवतो नामुपट्ठाको, सिद्धत्थस्स महेसिनो॥", | |
"सीवला च सुरामा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, कणिकारोति वुच्चति॥", | |
"सुप्पियो च समुद्दो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"रम्मा चेव सुरम्मा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"सो", | |
"कञ्चनग्घियसङ्कासो, दससहस्सी विरोचति॥", | |
"सोपि बुद्धो असमसमो, अतुलो अप्पटिपुग्गलो।", | |
"वस्ससतसहस्सानि, लोके अट्ठासि चक्खुमा॥", | |
"विपुलं", | |
"विलासेत्वा समापत्या, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"सिद्धत्थो", | |
"तत्थेवस्स थूपवरो, चतुयोजनमुग्गतोति॥", | |
"सिद्धत्थस्स अपरेन, असमो अप्पटिपुग्गलो।", | |
"अनन्ततेजो अमितयसो, तिस्सो लोकग्गनायको॥", | |
"तमन्धकारं विधमित्वा, ओभासेत्वा सदेवकं।", | |
"अनुकम्पको महावीरो, लोके उप्पज्जि चक्खुमा॥", | |
"तस्सापि अतुला इद्धि, अतुलं सीलं समाधि च।", | |
"सब्बत्थ पारमिं गन्त्वा, धम्मचक्कं पवत्तयि॥", | |
"सो बुद्धो दससहस्सिम्हि, विञ्ञापेसि गिरं सुचिं।", | |
"कोटिसतानि अभिसमिंसु, पठमे धम्मदेसने॥", | |
"दुतियो नवुतिकोटीनं, ततियो सट्ठिकोटियो।", | |
"बन्धनातो पमोचेसि, सत्ते", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, तिस्से लोकग्गनायके।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"खीणासवसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो।", | |
"नवुतिसतसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"असीतिसतसहस्सानं", | |
"खीणासवानं विमलानं, पुप्फितानं विमुत्तिया॥", | |
"अहं तेन समयेन, सुजातो नाम खत्तियो।", | |
"महाभोगं छड्डयित्वा, पब्बजिं इसिपब्बजं॥", | |
"मयि", | |
"बुद्धोति सद्दं सुत्वान, पीति मे उपपज्जथ॥", | |
"दिब्बं मन्दारवं पुप्फं, पदुमं पारिछत्तकं।", | |
"उभो हत्थेहि पग्गय्ह, धुनमानो उपागमिं॥", | |
"चतुवण्णपरिवुतं, तिस्सं लोकग्गनायकं।", | |
"तमहं पुप्फं गहेत्वा, मत्थके धारयिं जिनं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, जनमज्झे निसीदिय।", | |
"‘‘द्वेनवुते इतो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"खेमकं नाम नगरं, जनसन्धो नाम खत्तियो।", | |
"पदुमा नाम जनिका, तिस्सस्स च महेसिनो॥", | |
"सत्तवस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"गुहासेल नारिसय निसभा", | |
"समतिंससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सुभद्दानामिका नारी, आनन्दो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, अस्सयानेन निक्खमि।", | |
"अनूनअट्ठमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, तिस्सो लोकग्गनायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, यसवतियमुत्तमे॥", | |
"ब्रह्मदेवो उदयो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"समङ्गो नामुपट्ठाको, तिस्सस्स च महेसिनो॥", | |
"फुस्सा", | |
"बोधि तस्स भगवतो, असनोति पवुच्चति॥", | |
"सम्बलो च सिरिमा चेव, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"किसागोतमी उपसेना, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"सो", | |
"अनूपमो असदिसो, हिमवा विय दिस्सति॥", | |
"तस्सापि अतुलतेजस्स, आयु आसि अनुत्तरो।", | |
"वस्ससतसहस्सानि, लोके अट्ठासि चक्खुमा॥", | |
"उत्तमं", | |
"जलित्वा अग्गिक्खन्धोव, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"वलाहकोव", | |
"अन्धकारोव पदीपेन, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"तिस्सो जिनवरो बुद्धो, नन्दारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स जिनथूपो, तीणियोजनमुग्गतोति॥", | |
"तत्थेव मण्डकप्पम्हि, अहु सत्था अनुत्तरो।", | |
"अनुपमो असमसमो, फुस्सो लोकग्गनायको॥", | |
"सोपि सब्बं तमं हन्त्वा, विजटेत्वा महाजटं।", | |
"सदेवकं तप्पयन्तो, अभिवस्सि अमतम्बुना॥", | |
"धम्मचक्कं पवत्तेन्ते, फुस्से नक्खत्तमङ्गले।", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"नवुतिसतसहस्सानं", | |
"असीतिसतसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, फुस्सस्सापि महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"सट्ठिसतसहस्सानं", | |
"पञ्ञाससतसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"चत्तारीससतसहस्सानं, ततियो आसि समागमो।", | |
"अनुपादा विमुत्तानं, वोच्छिन्नपटिसन्धिनं॥", | |
"अहं तेन समयेन, विजितावी नाम खत्तियो।", | |
"छड्डयित्वा महारज्जं, पब्बजिं तस्स सन्तिके॥", | |
"सोपि", | |
"‘‘द्वेनवुते इतो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰…", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"सुत्तन्तं", | |
"सब्बं परियापुणित्वा, सोभयिं जिनसासनं॥", | |
"तत्थप्पमत्तो", | |
"अभिञ्ञासु पारमिं गन्त्वा, ब्रह्मलोकमगञ्छहं॥", | |
"कासिकं नाम नगरं, जयसेनो नाम खत्तियो।", | |
"सिरिमा नाम जनिका, फुस्सस्सापि महेसिनो॥", | |
"नववस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"गरुळपक्ख हंस सुवण्णभारा, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तिंसइत्थिसहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"किसागोतमी नाम नारी, अनूपमो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, हत्थियानेन निक्खमि।", | |
"छमासं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, फुस्सो लोकग्गनायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मिगदाये नरुत्तमो॥", | |
"सुरक्खितो धम्मसेनो, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"सभियो नामुपट्ठाको, फुस्सस्सापि महेसिनो॥", | |
"चाला", | |
"बोधि तस्स भगवतो, आमण्डोति पवुच्चति॥", | |
"धनञ्चयो विसाखो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"पदुमा चेव नागा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"अट्ठपण्णासरतनं", | |
"सोभते सतरंसीव, उळुराजाव पूरितो॥", | |
"नवुतिवस्ससहस्सानि, आयु विज्जति तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"ओवदित्वा", | |
"सोपि सत्था अतुलयसो, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"फुस्सो जिनवरो सत्था, सेनारामम्हि निब्बुतो।", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतोति॥", | |
"फुस्सस्स", | |
"विपस्सी नाम नामेन, लोके उप्पज्जि चक्खुमा॥", | |
"अविज्जं सब्बं पदालेत्वा, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं।", | |
"धम्मचक्कं पवत्तेतुं, पक्कामि बन्धुमतीपुरं॥", | |
"धम्मचक्कं पवत्तेत्वा, उभो बोधेसि नायको।", | |
"गणनाय न वत्तब्बो, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"पुनापरं अमितयसो, तत्थ सच्चं पकासयि।", | |
"चतुरासीतिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"चतुरासीतिसहस्सानि", | |
"तेसमारामपत्तानं, धम्मं देसेसि चक्खुमा॥", | |
"सब्बाकारेन", | |
"तेपि धम्मवरं गन्त्वा, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, विपस्सिस्स महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"अट्ठसट्ठिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो।", | |
"भिक्खुसतसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"असीतिभिक्खुसहस्सानं, ततियो आसि समागमो।", | |
"तत्थ भिक्खुगणमज्झे, सम्बुद्धो अतिरोचति॥", | |
"अहं", | |
"अतुलो नाम नामेन, पुञ्ञवन्तो जुतिन्धरो॥", | |
"नेकानं नागकोटीनं, परिवारेत्वानहं तदा।", | |
"वज्जन्तो दिब्बतुरियेहि, लोकजेट्ठं उपागमिं॥", | |
"उपसङ्कमित्वा सम्बुद्धं, विपस्सिं लोकनायकं।", | |
"मणिमुत्तरतनखचितं, सब्बाभरणविभूसितं।", | |
"निमन्तेत्वा धम्मराजस्स, सुवण्णपीठमदासहं॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, सङ्घमज्झे निसीदिय।", | |
"‘‘एकनवुतितो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘अहु", | |
"पधानं पदहित्वान, कत्वा दुक्करकारिकं॥", | |
"‘‘अजपालरुक्खमूलस्मिं", | |
"तत्थ पायासं पग्गय्ह, नेरञ्जरमुपेहिति॥", | |
"‘‘नेरञ्जराय तीरम्हि, पायासं अद सो जिनो।", | |
"पटियत्तवरमग्गेन, बोधिमूलमुपेहिति॥", | |
"‘‘ततो पदक्खिणं कत्वा, बोधिमण्डं अनुत्तरो।", | |
"अस्सत्थमूले सम्बोधिं, बुज्झिस्सति महायसो॥", | |
"‘‘इमस्स जनिका माता, माया नाम भविस्सति।", | |
"पिता सुद्धोदनो नाम, अयं हेस्सति गोतमो॥", | |
"‘‘अनासवा", | |
"कोलितो उपतिस्सो च, अग्गा हेस्सन्ति सावका।", | |
"आनन्दो नामुपट्ठाको, उपट्ठिस्सतिमं जिनं॥", | |
"‘‘खेमा उप्पलवण्णा च, अग्गा हेस्सन्ति साविका।", | |
"अनासवा वीतरागा, सन्तचित्ता समाहिता।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, अस्सत्थोति पवुच्चति॥", | |
"‘‘चित्तो च हत्थाळवको, अग्गा हेस्सन्तुपट्ठका।", | |
"नन्दमाता च उत्तरा, अग्गा हेस्सन्तुपट्ठिका।", | |
"आयु वस्ससतं तस्स, गोतमस्स यसस्सिनो॥", | |
"‘‘इदं", | |
"तस्साहं वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"नगरं बन्धुमती नाम, बन्धुमा नाम खत्तियो।", | |
"माता बन्धुमती नाम, विपस्सिस्स महेसिनो॥", | |
"अट्ठवस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"नन्दो सुनन्दो सिरिमा, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तिचत्तारीससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सुदस्सना नाम सा नारी, समवत्तक्खन्धो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, रथयानेन निक्खमि।", | |
"अनूनअट्ठमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मिगदाये नरुत्तमो॥", | |
"खण्डो च तिस्सनामो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"असोको नामुपट्ठाको, विपस्सिस्स महेसिनो॥", | |
"चन्दा च चन्दमित्ता च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, पाटलीति पवुच्चति॥", | |
"पुनब्बसुमित्तो नागो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"सिरिमा उत्तरा चेव, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"असीतिहत्थमुब्बेधो", | |
"पभा निद्धावति तस्स, समन्ता सत्तयोजने॥", | |
"असीतिवस्ससहस्सानि, आयु बुद्धस्स तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"बहुदेवमनुस्सानं, बन्धना परिमोचयि।", | |
"मग्गामग्गञ्च आचिक्खि, अवसेसपुथुज्जने॥", | |
"आलोकं", | |
"जलित्वा अग्गिक्खन्धोव, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"इद्धिवरं पुञ्ञवरं, लक्खणञ्च कुसुमितं।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"विपस्सी", | |
"तत्थेवस्स थूपवरो, सत्तयोजनमुस्सितोति॥", | |
"विपस्सिस्स", | |
"सिखिव्हयो आसि जिनो, असमो अप्पटिपुग्गलो॥", | |
"मारसेनं पमद्दित्वा, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं।", | |
"धम्मचक्कं पवत्तेसि, अनुकम्पाय पाणिनं॥", | |
"धम्मचक्कं पवत्तेन्ते, सिखिम्हि जिनपुङ्गवे", | |
"कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"अपरम्पि धम्मं देसेन्ते, गणसेट्ठे नरुत्तमे।", | |
"नवुतिकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"यमकपाटिहारियञ्च", | |
"असीतिकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सन्निपाता", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"भिक्खुसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो।", | |
"असीतिभिक्खुसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"सत्ततिभिक्खुसहस्सानं, ततियो आसि समागमो।", | |
"अनुपलित्तो पदुमंव, तोयम्हि सम्पवड्ढितं॥", | |
"अहं तेन समयेन, अरिन्दमो नाम खत्तियो।", | |
"सम्बुद्धप्पमुखं सङ्घं, अन्नपानेन तप्पयिं॥", | |
"बहुं", | |
"अलङ्कतं हत्थियानं, सम्बुद्धस्स अदासहं॥", | |
"हत्थियानं", | |
"पूरयिं मानसं मय्हं, निच्चं दळ्हमुपट्ठितं॥", | |
"सोपि", | |
"‘‘एकतिंसे इतो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘अहु कपिलव्हया रम्मा…पे॰…", | |
"तस्साहं वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"नगरं अरुणवती नाम, अरुणो नाम खत्तियो।", | |
"पभावती नाम जनिका, सिखिस्सापि महेसिनो॥", | |
"सत्तवस्ससहस्सानि", | |
"सुचन्दको गिरि वसभो", | |
"चतुवीससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सब्बकामा नाम नारी, अतुलो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, हत्थियानेन निक्खमि।", | |
"अट्ठमासं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मिगदाये नरुत्तमो॥", | |
"अभिभू सम्भवो चेव, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"खेमङ्करो नामुपट्ठाको, सिखिस्सापि महेसिनो॥", | |
"सखिला च पदुमा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, पुण्डरीकोति वुच्चति॥", | |
"सिरिवड्ढो च नन्दो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"चित्ता चेव सुगुत्ता च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"उच्चत्तनेन सो बुद्धो, सत्ततिहत्थमुग्गतो।", | |
"कञ्चनग्घियसङ्कासो, द्वत्तिंसवरलक्खणो॥", | |
"तस्सापि ब्यामप्पभा काया, दिवारत्तिं निरन्तरं।", | |
"दिसोदिसं निच्छरन्ति, तीणियोजनसो पभा॥", | |
"सत्ततिवस्ससहस्सानि, आयु तस्स महेसिनो।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"धम्ममेघं", | |
"खेमन्तं पापयित्वान, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"अनुब्यञ्जनसम्पन्नं, द्वत्तिंसवरलक्खणं।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"सिखी मुनिवरो बुद्धो, अस्सारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स थूपवरो, तीणियोजनमुग्गतोति॥", | |
"तत्थेव", | |
"वेस्सभू नाम नामेन, लोके उप्पज्जि नायको", | |
"आदित्तं", | |
"नागोव बन्धनं छेत्वा, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं॥", | |
"धम्मचक्कं पवत्तेन्ते, वेस्सभूलोकनायके।", | |
"असीतिकोटिसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"पक्कन्ते चारिकं रट्ठे, लोकजेट्ठे नरासभे।", | |
"सत्ततिकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"महादिट्ठिं विनोदेन्तो, पाटिहेरं करोति सो।", | |
"समागता नरमरू, दससहस्सी सदेवके॥", | |
"महाअच्छरियं", | |
"देवा चेव मनुस्सा च, बुज्झरे सट्ठिकोटियो॥", | |
"सन्निपाता तयो आसुं, वेस्सभुस्स महेसिनो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"असीतिभिक्खुसहस्सानं, पठमो आसि समागमो।", | |
"सत्ततिभिक्खुसहस्सानं, दुतियो आसि समागमो॥", | |
"सट्ठिभिक्खुसहस्सानं", | |
"जरादिभयभीतानं, ओरसानं महेसिनो॥", | |
"अहं तेन समयेन, सुदस्सनो नाम खत्तियो।", | |
"निमन्तेत्वा महावीरं, दानं दत्वा महारहं।", | |
"अन्नपानेन वत्थेन, ससङ्घं जिन पूजयिं॥", | |
"तस्स बुद्धस्स असमस्स, चक्कं वत्तितमुत्तमं।", | |
"सुत्वान पणितं धम्मं, पब्बज्जमभिरोचयिं॥", | |
"महादानं पवत्तेत्वा, रत्तिन्दिवमतन्दितो।", | |
"पब्बज्जं गुणसम्पन्नं, पब्बजिं जिनसन्तिके॥", | |
"आचारगुणसम्पन्नो, वत्तसीलसमाहितो।", | |
"सब्बञ्ञुतं गवेसन्तो, रमामि जिनसासने॥", | |
"सद्धापीतिं उपगन्त्वा, बुद्धं वन्दामि सत्थरं।", | |
"पीति उप्पज्जति मय्हं, बोधियायेव कारणा॥", | |
"अनिवत्तमानसं", | |
"‘‘एकतिंसे इतो कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘अहु", | |
"तस्साहं", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"अनोमं नाम नगरं, सुप्पतीतो नाम खत्तियो।", | |
"माता यसवती नाम, वेस्सभुस्स महेसिनो॥", | |
"छ च वस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"रुचि सुरुचि रतिवड्ढनो, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"अनूनतिंससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सुचित्ता नाम सा नारी, सुप्पबुद्धो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, सिविकायाभिनिक्खमि।", | |
"छमासं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, अरुणारामे नरुत्तमो॥", | |
"सोणो", | |
"उपसन्तो नामुपट्ठाको, वेस्सभुस्स महेसिनो॥", | |
"रामा", | |
"बोधि तस्स भगवतो, महासालोति वुच्चति॥", | |
"सोत्थिको चेव रम्भो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"गोतमी सिरिमा चेव, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"सट्ठिरतनमुब्बेधो, हेमयूपसमूपमो।", | |
"काया निच्छरति रस्मि, रत्तिंव पब्बते सिखी॥", | |
"सट्ठिवस्ससहस्सानि, आयु तस्स महेसिनो।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"धम्मं", | |
"धम्मनावं ठपेत्वान, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"दस्सनेय्यं सब्बजनं, विहारं इरियापथं।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"वेस्सभू जिनवरो सत्था, खेमारामम्हि निब्बुतो।", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतोति॥", | |
"वेस्सभुस्स", | |
"ककुसन्धो नाम नामेन, अप्पमेय्यो दुरासदो॥", | |
"उग्घाटेत्वा सब्बभवं, चरियाय पारमिं गतो।", | |
"सीहोव पञ्जरं भेत्वा, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं॥", | |
"धम्मचक्कं पवत्तेन्ते, ककुसन्धे लोकनायके।", | |
"चत्तारीसकोटिसहस्सानं, धम्माभिसमयो अहु॥", | |
"अन्तलिक्खम्हि", | |
"तिंसकोटिसहस्सानं, बोधेसि देवमानुसे॥", | |
"नरदेवस्स यक्खस्स, चतुसच्चप्पकासने।", | |
"धम्माभिसमयो तस्स, गणनातो असङ्खियो॥", | |
"ककुसन्धस्स भगवतो, एको आसि समागमो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"चत्तालीससहस्सानं, तदा आसि समागमो।", | |
"दन्तभूमिमनुप्पत्तानं, आसवारिगणक्खया॥", | |
"अहं तेन समयेन, खेमो नामासि खत्तियो।", | |
"तथागते जिनपुत्ते, दानं दत्वा अनप्पकं॥", | |
"पत्तञ्च चीवरं दत्वा, अञ्जनं मधुलट्ठिकं।", | |
"इमेतं पत्थितं सब्बं, पटियादेमि वरं वरं॥", | |
"सोपि", | |
"‘‘इमम्हि भद्दके कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘अहु कपिलव्हया रम्मा…पे॰…", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"नगरं खेमावती नाम, खेमो नामासहं तदा।", | |
"सब्बञ्ञुतं गवेसन्तो, पब्बजिं तस्स सन्तिके॥", | |
"ब्राह्मणो अग्गिदत्तो च, आसि बुद्धस्स सो पिता।", | |
"विसाखा नाम जनिका, ककुसन्धस्स सत्थुनो॥", | |
"वसते तत्थ खेमे पुरे, सम्बुद्धस्स महाकुलं।", | |
"नरानं पवरं सेट्ठं, जातिमन्तं महायसं॥", | |
"चतुवस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।", | |
"काम", | |
"समतिंससहस्सानि", | |
"रोचिनी नाम सा नारी, उत्तरो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, रथयानेन निक्खमि।", | |
"अनूनअट्ठमासानि, पधानं पदही जिनो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मिगदाये नरुत्तमो॥", | |
"विधुरो च सञ्जीवो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"बुद्धिजो नामुपट्ठाको, ककुसन्धस्स सत्थुनो॥", | |
"सामा च चम्पानामा च, अहेसुं अग्गसाविका।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, सिरीसोति पवुच्चति॥", | |
"अच्चुतो च सुमनो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"नन्दा चेव सुनन्दा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"चत्तालीसरतनानि", | |
"कनकप्पभा निच्छरति, समन्ता दसयोजनं॥", | |
"चत्तालीसवस्ससहस्सानि, आयु तस्स महेसिनो।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"धम्मापणं पसारेत्वा, नरनारीनं सदेवके।", | |
"नदित्वा", | |
"अट्ठङ्गवचनसम्पन्नो, अच्छिद्दानि निरन्तरं।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"ककुसन्धो जिनवरो, खेमारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स थूपवरो, गावुतं नभमुग्गतोति॥", | |
"ककुसन्धस्स", | |
"कोणागमनो नाम जिनो, लोकजेट्ठो नरासभो॥", | |
"दसधम्मे पूरयित्वान, कन्तारं समतिक्कमि।", | |
"पवाहिय मलं सब्बं, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं॥", | |
"धम्मचक्कं", | |
"तिंसकोटिसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"पाटिहीरं करोन्ते च, परवादप्पमद्दने।", | |
"वीसतिकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"ततो विकुब्बनं कत्वा, जिनो देवपुरं गतो।", | |
"वसते तत्थ सम्बुद्धो, सिलाय पण्डुकम्बले॥", | |
"पकरणे सत्त देसेन्तो, वस्सं वसति सो मुनि।", | |
"दसकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"तस्सापि", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"तिंसभिक्खुसहस्सानं", | |
"ओघानमतिक्कन्तानं, भिज्जितानञ्च मच्चुया॥", | |
"अहं तेन समयेन, पब्बतो नाम खत्तियो।", | |
"मित्तामच्चेहि सम्पन्नो, अनन्तबलवाहनो॥", | |
"सम्बुद्धदस्सनं गन्त्वा, सुत्वा धम्ममनुत्तरं।", | |
"निमन्तेत्वा सजिनसङ्घं, दानं दत्वा यदिच्छकं॥", | |
"पट्टुण्णं चीनपट्टञ्च, कोसेय्यं कम्बलम्पि च।", | |
"सोवण्णपादुकञ्चेव, अदासिं सत्थुसावके॥", | |
"सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, सङ्घमज्झे निसीदिय।", | |
"‘‘इमम्हि भद्दके कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘अहु कपिलव्हया रम्मा…पे॰…", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"सब्बञ्ञुतं गवेसन्तो, दानं दत्वा नरुत्तमे।", | |
"ओहायाहं महारज्जं, पब्बजिं जिनसन्तिके", | |
"नगरं सोभवती नाम, सोभो नामासि खत्तियो।", | |
"वसते तत्थ नगरे, सम्बुद्धस्स महाकुलं॥", | |
"ब्राह्मणो", | |
"उत्तरा नाम जनिका, कोणागमनस्स सत्थुनो॥", | |
"तीणि", | |
"तुसितसन्तुसितसन्तुट्ठा, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"अनूनसोळससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"रुचिगत्ता नाम नारी, सत्थवाहो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, हत्थियानेन निक्खमि।", | |
"छमासं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मिगदाये नरुत्तमो॥", | |
"भिय्यसो उत्तरो नाम, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"सोत्थिजो नामुपट्ठाको, कोणागमनस्स सत्थुनो॥", | |
"समुद्दा", | |
"बोधि तस्स भगवतो, उदुम्बरोति पवुच्चति॥", | |
"उग्गो च सोमदेवो च, अहेसुं अग्गुपट्ठका।", | |
"सीवला चेव सामा च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥", | |
"उच्चत्तनेन सो बुद्धो, तिंसहत्थसमुग्गतो।", | |
"उक्कामुखे यथा कम्बु, एवं रंसीहि मण्डितो॥", | |
"तिंसवस्ससहस्सानि, आयु बुद्धस्स तावदे।", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"धम्मचेतिं समुस्सेत्वा, धम्मदुस्सविभूसितं।", | |
"धम्मपुप्फगुळं कत्वा, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"महाविलासो तस्स जनो, सिरिधम्मप्पकासनो।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"कोणागमनो सम्बुद्धो, पब्बतारामम्हि निब्बुतो।", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतोति॥", | |
"कोणागमनस्स", | |
"कस्सपो नाम गोत्तेन, धम्मराजा पभङ्करो॥", | |
"सञ्छड्डितं", | |
"दत्वान याचके दानं, पूरयित्वान मानसं।", | |
"उसभोव आळकं भेत्वा, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं॥", | |
"धम्मचक्कं", | |
"वीसकोटिसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"चतुमासं यदा बुद्धो, लोके चरति चारिकं।", | |
"दसकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"यमकं विकुब्बनं कत्वा, ञाणधातुं पकित्तयि।", | |
"पञ्चकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"सुधम्मा देवपुरे रम्मे, तत्थ धम्मं पकित्तयि।", | |
"तीणिकोटिसहस्सानं, देवानं बोधयी जिनो॥", | |
"नरदेवस्स यक्खस्स, अपरे धम्मदेसने।", | |
"एतेसानं अभिसमया, गणनातो असङ्खिया॥", | |
"तस्सापि देवदेवस्स, एको आसि समागमो।", | |
"खीणासवानं विमलानं, सन्तचित्तान तादिनं॥", | |
"वीसभिक्खुसहस्सानं, तदा आसि समागमो।", | |
"अतिक्कन्तभवन्तानं, हिरिसीलेन तादिनं॥", | |
"अहं तदा माणवको, जोतिपालोति विस्सुतो।", | |
"अज्झायको मन्तधरो, तिण्णं वेदान पारगू॥", | |
"लक्खणे", | |
"भूमन्तलिक्खकुसलो, कतविज्जो अनावयो॥", | |
"कस्सपस्स भगवतो, घटिकारो नामुपट्ठाको।", | |
"सगारवो सप्पतिस्सो, निब्बुतो ततिये फले॥", | |
"आदाय", | |
"तस्स धम्मं सुणित्वान, पब्बजिं तस्स सन्तिके॥", | |
"आरद्धवीरियो हुत्वा, वत्तावत्तेसु कोविदो।", | |
"न क्वचि परिहायामि, पूरेसिं जिनसासनं॥", | |
"यावता बुद्धभणितं, नवङ्गं जिनसासनं।", | |
"सब्बं परियापुणित्वान, सोभयिं जिनसासनं॥", | |
"मम अच्छरियं दिस्वा, सोपि बुद्धो वियाकरि।", | |
"‘‘इमम्हि भद्दके कप्पे, अयं बुद्धो भविस्सति॥", | |
"‘‘अहु", | |
"पधानं पदहित्वान, कत्वा दुक्करकारिकं॥", | |
"‘‘अजपालरुक्खमूले, निसीदित्वा तथागतो।", | |
"तत्थ पायासं पग्गय्ह, नेरञ्जरमुपेहिति॥", | |
"‘‘नेरञ्जराय तीरम्हि, पायासं परिभुञ्जिय।", | |
"पटियत्तवरमग्गेन, बोधिमूलमुपेहिति॥", | |
"‘‘ततो पदक्खिणं कत्वा, बोधिमण्डं अनुत्तरो।", | |
"अपराजितट्ठानम्हि", | |
"पल्लङ्केन निसीदित्वा, बुज्झिस्सति महायसो॥", | |
"‘‘इमस्स", | |
"पिता सुद्धोदनो नाम, अयं हेस्सति गोतमो॥", | |
"‘‘अनासवा वीतरागा, सन्तचित्ता समाहिता।", | |
"कोलितो उपतिस्सो च, अग्गा हेस्सन्ति सावका।", | |
"आनन्दो नामुपट्ठाको, उपट्ठिस्सतिमं जिनं॥", | |
"‘‘खेमा उप्पलवण्णा च, अग्गा हेस्सन्ति साविका।", | |
"अनासवा सन्तचित्ता, वीतरागा समाहिता।", | |
"बोधि तस्स भगवतो, अस्सत्थोति पवुच्चति॥", | |
"‘‘चित्तो हत्थाळवको च, अग्गा हेस्सन्तुपट्ठका।", | |
"नन्दमाता च उत्तरा, अग्गा हेस्सन्तुपट्ठिका’’॥", | |
"इदं सुत्वान वचनं, अस्समस्स महेसिनो।", | |
"आमोदिता नरमरू, बुद्धबीजं किर अयं॥", | |
"उक्कुट्ठिसद्दा", | |
"कतञ्जली नमस्सन्ति, दससहस्सी सदेवका॥", | |
"‘‘यदिमस्स लोकनाथस्स, विरज्झिस्साम सासनं।", | |
"अनागतम्हि अद्धाने, हेस्साम सम्मुखा इमं॥", | |
"‘‘यथा मनुस्सा नदिं तरन्ता, पटितित्थं विरज्झिय।", | |
"हेट्ठा तित्थे गहेत्वान, उत्तरन्ति महानदिं॥", | |
"‘‘एवमेव", | |
"अनागतम्हि अद्धाने, हेस्साम सम्मुखा इमं’’॥", | |
"तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिं।", | |
"उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥", | |
"एवमहं संसरित्वा, परिवज्जेन्तो अनाचरं।", | |
"दुक्करञ्च कतं मय्हं, बोधियायेव कारणा॥", | |
"नगरं बाराणसी नाम, किकी नामासि खत्तियो।", | |
"वसते तत्थ नगरे, सम्बुद्धस्स महाकुलं॥", | |
"ब्राह्मणो ब्रह्मदत्तोव, आसि बुद्धस्स सो पिता।", | |
"धनवती नाम जनिका, कस्सपस्स महेसिनो॥", | |
"दुवे", | |
"हंसो यसो सिरिनन्दो, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"तिसोळससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"सुनन्दा नाम सा नारी, विजितसेनो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते चतुरो दिस्वा, पासादेनाभिनिक्खमि।", | |
"सत्ताहं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥", | |
"ब्रह्मुना याचितो सन्तो, कस्सपो लोकनायको।", | |
"वत्ति चक्कं महावीरो, मिगदाये नरुत्तमो॥", | |
"तिस्सो च भारद्वाजो च, अहेसुं अग्गसावका।", | |
"सब्बमित्तो नामुपट्ठाको, कस्सपस्स महेसिनो॥", | |
"अनुळा", | |
"बोधि तस्स भगवतो, निग्रोधोति पवुच्चति॥", | |
"सुमङ्गलो", | |
"विचितसेना भद्दा", | |
"उच्चत्तनेन सो बुद्धो, वीसतिरतनुग्गतो।", | |
"विज्जुलट्ठीव आकासे, चन्दोव गहपूरितो॥", | |
"वीसतिवस्ससहस्सानि", | |
"तावता तिट्ठमानो सो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"धम्मतळाकं मापयित्वा, सीलं दत्वा विलेपनं।", | |
"धम्मदुस्सं निवासेत्वा, धम्ममालं विभज्जिय॥", | |
"धम्मविमलमादासं, ठपयित्वा महाजने।", | |
"केचि निब्बानं पत्थेन्ता, पस्सन्तु मे अलङ्करं॥", | |
"सीलकञ्चुकं दत्वान, झानकवचवम्मितं।", | |
"धम्मचम्मं पारुपित्वा, दत्वा सन्नाहमुत्तमं॥", | |
"सतिफलकं दत्वान, तिखिणञाणकुन्तिमं।", | |
"धम्मखग्गवरं दत्वा, सीलसंसग्गमद्दनं॥", | |
"तेविज्जाभूसनं दत्वान, आवेळं चतुरो फले।", | |
"छळभिञ्ञाभरणं दत्वा, धम्मपुप्फपिळन्धनं॥", | |
"सद्धम्मपण्डरच्छत्तं, दत्वा पापनिवारणं।", | |
"मापयित्वाभयं पुप्फं, निब्बुतो सो ससावको॥", | |
"एसो", | |
"एसो हि धम्मरतनो, स्वाक्खातो एहिपस्सिको॥", | |
"एसो हि सङ्घरतनो, सुप्पटिपन्नो अनुत्तरो।", | |
"सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥", | |
"महाकस्सपो जिनो सत्था, सेतब्यारामम्हि निब्बुतो।", | |
"तत्थेवस्स जिनथूपो, योजनुब्बेधमुग्गतोति॥", | |
"अहमेतरहि", | |
"पधानं पदहित्वान, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं॥", | |
"ब्रह्मुना", | |
"अट्ठारसन्नं कोटीनं, पठमाभिसमयो अहु॥", | |
"ततो परञ्च देसेन्ते, नरदेवसमागमे।", | |
"गणनाय न वत्तब्बो, दुतियाभिसमयो अहु॥", | |
"इधेवाहं एतरहि, ओवदिं मम अत्रजं।", | |
"गणनाय न वत्तब्बो, ततियाभिसमयो अहु॥", | |
"एकोसि सन्निपातो मे, सावकानं महेसिनं।", | |
"अड्ढतेळससतानं, भिक्खूनासि समागमो॥", | |
"विरोचमानो विमलो, भिक्खुसङ्घस्स मज्झगो।", | |
"ददामि पत्थितं सब्बं, मणीव सब्बकामदो॥", | |
"फलमाकङ्खमानानं", | |
"चतुसच्चं पकासेमि, अनुकम्पाय पाणिनं॥", | |
"दसवीससहस्सानं, धम्माभिसमयो अहु।", | |
"एकद्विन्नं अभिसमयो, गणनातो असङ्खियो॥", | |
"वित्थारिकं बाहुजञ्ञं, इद्धं फीतं सुफुल्लितं।", | |
"इध मय्हं सक्यमुनिनो, सासनं सुविसोधितं॥", | |
"अनासवा वीतरागा, सन्तचित्ता समाहिता।", | |
"भिक्खूनेकसता सब्बे, परिवारेन्ति मं सदा॥", | |
"इदानि ये एतरहि, जहन्ति मानुसं भवं।", | |
"अप्पत्तमानसा सेखा, ते भिक्खू विञ्ञुगरहिता॥", | |
"अरियञ्च संथोमयन्ता, सदा धम्मरता जना।", | |
"बुज्झिस्सन्ति सतिमन्तो, संसारसरितं गता॥", | |
"नगरं कपिलवत्थु मे, राजा सुद्धोदनो पिता।", | |
"मय्हं जनेत्तिका माता, मायादेवीति वुच्चति॥", | |
"एकूनतिंसवस्सानि", | |
"रम्मो सुरम्मो सुभको, तयो पासादमुत्तमा॥", | |
"चत्तारीससहस्सानि, नारियो समलङ्कता।", | |
"भद्दकञ्चना नाम नारी, राहुलो नाम अत्रजो॥", | |
"निमित्ते", | |
"छब्बस्सं", | |
"बाराणसियं", | |
"अहं गोतमसम्बुद्धो, सरणं सब्बपाणिनं॥", | |
"कोलितो उपतिस्सो च, द्वे भिक्खू अग्गसावका।", | |
"आनन्दो नामुपट्ठाको, सन्तिकावचरो मम।", | |
"खेमा उप्पलवण्णा च, भिक्खुनी अग्गसाविका॥", | |
"चित्तो हत्थाळवको च, अग्गुपट्ठाकुपासका।", | |
"नन्दमाता च उत्तरा, अग्गुपट्ठिकुपासिका॥", | |
"अहं अस्सत्थमूलम्हि, पत्तो सम्बोधिमुत्तमं।", | |
"ब्यामप्पभा सदा मय्हं, सोळसहत्थमुग्गता॥", | |
"अप्पं वस्ससतं आयु, इदानेतरहि विज्जति।", | |
"तावता तिट्ठमानोहं, तारेमि जनतं बहुं॥", | |
"ठपयित्वान धम्मुक्कं, पच्छिमं जनबोधनं।", | |
"अहम्पि नचिरस्सेव, सद्धिं सावकसङ्घतो।", | |
"इधेव परिनिब्बिस्सं, अग्गी वाहारसङ्खया॥", | |
"तानि च अतुलतेजानि, इमानि च दसबलानि", | |
"अयञ्च गुणधारणो देहो, द्वत्तिंसवरलक्खणविचित्तो॥", | |
"दस दिसा पभासेत्वा, सतरंसीव छप्पभा।", | |
"सब्बं तमन्तरहिस्सन्ति, ननु रित्ता सब्बसङ्खाराति॥", | |
"अपरिमेय्यितो", | |
"तण्हङ्करो मेधङ्करो, अथोपि सरणङ्करो।", | |
"दीपङ्करो च सम्बुद्धो, एककप्पम्हि ते जिना॥", | |
"दीपङ्करस्स", | |
"एकोव एककप्पम्हि, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"दीपङ्करस्स भगवतो, कोण्डञ्ञस्स च सत्थुनो।", | |
"एतेसं अन्तरा कप्पा, गणनातो असङ्खिया॥", | |
"कोण्डञ्ञस्स अपरेन, मङ्गलो नाम नायको।", | |
"तेसम्पि अन्तरा कप्पा, गणनातो असङ्खिया॥", | |
"मङ्गलो च सुमनो च, रेवतो सोभितो मुनि।", | |
"तेपि बुद्धा एककप्पे, चक्खुमन्तो पभङ्करा॥", | |
"सोभितस्स", | |
"तेसम्पि अन्तरा कप्पा, गणनातो असङ्खिया॥", | |
"अनोमदस्सी पदुमो, नारदो चापि नायको।", | |
"तेपि बुद्धा एककप्पे, तमन्तकारका मुनी॥", | |
"नारदस्स अपरेन, पदुमुत्तरो नाम नायको।", | |
"एककप्पम्हि उप्पन्नो, तारेसि जनतं बहुं॥", | |
"नारदस्स भगवतो, पदुमुत्तरस्स सत्थुनो।", | |
"तेसम्पि अन्तरा कप्पा, गणनातो असङ्खिया॥", | |
"कप्पसतसहस्सम्हि", | |
"पदुमुत्तरो लोकविदू, आहुतीनं पटिग्गहो॥", | |
"तिंसकप्पसहस्सम्हि, दुवे आसुं विनायका", | |
"सुमेधो च सुजातो च, ओरतो पदुमुत्तरा॥", | |
"अट्ठारसे कप्पसते, तयो आसुं विनायका", | |
"पियदस्सी अत्थदस्सी, धम्मदस्सी च नायका॥", | |
"ओरतो", | |
"एककप्पम्हि ते बुद्धा, लोके अप्पटिपुग्गला॥", | |
"चतुन्नवुतितो कप्पे, एको आसि महामुनि।", | |
"सिद्धत्थो सो लोकविदू, सल्लकत्तो अनुत्तरो॥", | |
"द्वेनवुते", | |
"तिस्सो फुस्सो च सम्बुद्धा, असमा अप्पटिपुग्गला॥", | |
"एकनवुतितो कप्पे, विपस्सी नाम नायको।", | |
"सोपि बुद्धो कारुणिको, सत्ते मोचेसि बन्धना॥", | |
"एकतिंसे इतो कप्पे, दुवे आसुं विनायका।", | |
"सिखी च वेस्सभू चेव, असमा अप्पटिपुग्गला॥", | |
"इमम्हि भद्दके कप्पे, तयो आसुं विनायका।", | |
"ककुसन्धो कोणागमनो, कस्सपो चापि नायको॥", | |
"अहमेतरहि सम्बुद्धो, मेत्तेय्यो चापि हेस्सति।", | |
"एतेपिमे", | |
"एतेसं धम्मराजूनं, अञ्ञेसंनेककोटिनं।", | |
"आचिक्खित्वान तं मग्गं, निब्बुता ते ससावकाति॥", | |
"महागोतमो", | |
"धातुवित्थारिकं आसि, तेसु तेसु पदेसतो॥", | |
"एको अजातसत्तुस्स, एको वेसालिया पुरे।", | |
"एको कपिलवत्थुस्मिं, एको च अल्लकप्पके॥", | |
"एको च रामगामम्हि, एको च वेठदीपके।", | |
"एको पावेय्यके मल्ले, एको च कोसिनारके॥", | |
"कुम्भस्स", | |
"अङ्गारथूपं कारेसुं, मोरिया तुट्ठमानसा॥", | |
"अट्ठ सारीरिका थूपा, नवमो कुम्भचेतियो।", | |
"अङ्गारथूपो दसमो, तदायेव पतिट्ठितो॥", | |
"उण्हीसं चतस्सो दाठा, अक्खका द्वे च धातुयो।", | |
"असम्भिन्ना इमा सत्त, सेसा भिन्नाव धातुयो॥", | |
"महन्ता", | |
"खुद्दका सासपमत्ता च, नानावण्णा च धातुयो॥", | |
"महन्ता सुवण्णवण्णा च, मुत्तवण्णा च मज्झिमा।", | |
"खुद्दका मकुलवण्णा च, सोळसदोणमत्तिका॥", | |
"महन्ता पञ्च नाळियो, नाळियो पञ्च मज्झिमा।", | |
"खुद्दका छ नाळी चेव, एता सब्बापि धातुयो॥", | |
"उण्हीसं सीहळे दीपे, ब्रह्मलोके च वामकं।", | |
"सीहळे दक्खिणक्खञ्च, सब्बापेता पतिट्ठिता॥", | |
"एका दाठा तिदसपुरे, एका नागपुरे अहु।", | |
"एका गन्धारविसये, एका कलिङ्गराजिनो॥", | |
"चत्तालीससमा", | |
"देवा हरिंसु एकेकं, चक्कवाळपरम्परा॥", | |
"वजिरायं भगवतो, पत्तो दण्डञ्च चीवरं।", | |
"निवासनं कुलघरे, पच्चत्थरणं कपिलव्हये", | |
"पाटलिपुत्तपुरम्हि, करणं कायबन्धनं।", | |
"चम्पायुदकसाटियं, उण्णलोमञ्च कोसले॥", | |
"कासावं ब्रह्मलोके च, वेठनं तिदसे पुरे।", | |
"निसीदनं अवन्तीसु, रट्ठे", | |
"अरणी च मिथिलायं, विदेहे परिसावनं।", | |
"वासि", | |
"परिक्खारा अवसेसा, जनपदे अपरन्तके।", | |
"परिभुत्तानि मुनिना, अकंसु मनुजा तदा॥", | |
"धातुवित्थारिकं", | |
"पाणीनं अनुकम्पाय, अहु पोराणिकं तदाति॥" | |
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