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"title": "१०. पायासिसुत्तं", | |
"book_name": "१०. पायासिसुत्तं", | |
"chapter": "९. महासतिपट्ठानसुत्तं", | |
"gathas": [ | |
"‘किच्छेन मे अधिगतं, हलं दानि पकासितुं।", | |
"रागदोसपरेतेहि, नायं धम्मो सुसम्बुधो॥", | |
"‘पटिसोतगामिं निपुणं, गम्भीरं दुद्दसं अणुं।", | |
"रागरत्ता न दक्खन्ति, तमोखन्धेन आवुटा’ति॥", | |
"‘‘किच्छेन मे अधिगतं, हलं दानि पकासितुं।", | |
"रागदोसपरेतेहि, नायं धम्मो सुसम्बुधो॥", | |
"‘‘पटिसोतगामिं निपुणं, गम्भीरं दुद्दसं अणुं।", | |
"रागरत्ता न दक्खन्ति, तमोखन्धेन आवुटा’’ति॥", | |
"‘सेले यथा पब्बतमुद्धनिट्ठितो, यथापि पस्से जनतं समन्ततो।", | |
"तथूपमं धम्ममयं सुमेध, पासादमारुय्ह समन्तचक्खु॥", | |
"‘सोकावतिण्णं", | |
"अवेक्खस्सु जातिजराभिभूतं।", | |
"उट्ठेहि", | |
"सत्थवाह अणण विचर लोके॥", | |
"देसस्सु", | |
"अञ्ञातारो भविस्सन्ती’ति॥", | |
"‘अपारुता तेसं अमतस्स द्वारा,", | |
"ये सोतवन्तो पमुञ्चन्तु सद्धं।", | |
"विहिंससञ्ञी पगुणं न भासिं,", | |
"धम्मं पणीतं मनुजेसु ब्रह्मे’ति॥", | |
"‘खन्ती", | |
"निब्बानं परमं वदन्ति बुद्धा।", | |
"न हि पब्बजितो परूपघाती,", | |
"न समणो", | |
"‘सब्बपापस्स अकरणं, कुसलस्स उपसम्पदा।", | |
"सचित्तपरियोदपनं, एतं बुद्धानसासनं॥", | |
"‘अनूपवादो अनूपघातो", | |
"मत्तञ्ञुता", | |
"अधिचित्ते च आयोगो, एतं बुद्धानसासन’न्ति॥", | |
"‘‘यस्मिं", | |
"सीलवन्तेत्थ भोजेत्वा, सञ्ञते ब्रह्मचारयो", | |
"‘‘या तत्थ देवता आसुं, तासं दक्खिणमादिसे।", | |
"ता पूजिता पूजयन्ति", | |
"‘‘ततो", | |
"देवतानुकम्पितो पोसो, सदा भद्रानि पस्सती’’ति॥", | |
"‘‘ये तरन्ति अण्णवं सरं, सेतुं कत्वान विसज्ज पल्ललानि।", | |
"कुल्लञ्हि जनो बन्धति", | |
"‘‘चतुन्नं", | |
"संसितं दीघमद्धानं, तासु तास्वेव जातिसु॥", | |
"तानि एतानि दिट्ठानि, भवनेत्ति समूहता।", | |
"उच्छिन्नं मूलं दुक्खस्स, नत्थि दानि पुनब्भवो’’ति॥", | |
"‘‘तुलमतुलञ्च सम्भवं, भवसङ्खारमवस्सजि मुनि।", | |
"अज्झत्तरतो समाहितो, अभिन्दि कवचमिवत्तसम्भव’’न्ति॥", | |
"‘‘परिपक्को", | |
"पहाय वो गमिस्सामि, कतं मे सरणमत्तनो॥", | |
"‘‘अप्पमत्ता सतीमन्तो, सुसीला होथ भिक्खवो।", | |
"सुसमाहितसङ्कप्पा, सचित्तमनुरक्खथ॥", | |
"‘‘यो", | |
"पहाय जातिसंसारं, दुक्खस्सन्तं करिस्सती’’ति", | |
"‘‘सीलं समाधि पञ्ञा च, विमुत्ति च अनुत्तरा।", | |
"अनुबुद्धा इमे धम्मा, गोतमेन यसस्सिना॥", | |
"‘‘इति", | |
"दुक्खस्सन्तकरो सत्था, चक्खुमा परिनिब्बुतो’’ति॥", | |
"चुन्दस्स भत्तं भुञ्जित्वा, कम्मारस्साति मे सुतं।", | |
"आबाधं सम्फुसी धीरो, पबाळ्हं मारणन्तिकं॥", | |
"भुत्तस्स च सूकरमद्दवेन,", | |
"ब्याधिप्पबाळ्हो उदपादि सत्थुनो।", | |
"विरेचमानो", | |
"गच्छामहं कुसिनारं नगरन्ति॥", | |
"सिङ्गीवण्णं", | |
"तेन अच्छादितो सत्था, हेमवण्णो असोभथाति॥", | |
"गन्त्वान", | |
"अच्छोदकं सातुदकं विप्पसन्नं।", | |
"ओगाहि सत्था अकिलन्तरूपो", | |
"तथागतो अप्पटिमो च", | |
"न्हत्वा च पिवित्वा चुदतारि सत्था", | |
"पुरक्खतो भिक्खुगणस्स मज्झे।", | |
"वत्ता", | |
"उपागमि अम्बवनं महेसि॥", | |
"आमन्तयि चुन्दकं नाम भिक्खुं,", | |
"चतुग्गुणं", | |
"सो चोदितो भावितत्तेन चुन्दो,", | |
"चतुग्गुणं सन्थरि खिप्पमेव॥", | |
"निपज्जि सत्था अकिलन्तरूपो,", | |
"चुन्दोपि तत्थ पमुखे", | |
"‘‘ददतो पुञ्ञं पवड्ढति,", | |
"संयमतो वेरं न चीयति।", | |
"कुसलो च जहाति पापकं,", | |
"रागदोसमोहक्खया सनिब्बुतो’’ति॥", | |
"‘‘एकूनतिंसो वयसा सुभद्द,", | |
"यं पब्बजिं किंकुसलानुएसी।", | |
"वस्सानि पञ्ञास समाधिकानि,", | |
"यतो अहं पब्बजितो सुभद्द॥", | |
"ञायस्स धम्मस्स पदेसवत्ती,", | |
"इतो बहिद्धा समणोपि नत्थि॥", | |
"‘‘सब्बेव", | |
"यत्थ एतादिसो सत्था, लोके अप्पटिपुग्गलो।", | |
"तथागतो बलप्पत्तो, सम्बुद्धो परिनिब्बुतो’’ति॥", | |
"‘‘अनिच्चा वत सङ्खारा, उप्पादवयधम्मिनो।", | |
"उप्पज्जित्वा निरुज्झन्ति, तेसं वूपसमो सुखो’’ति॥", | |
"‘‘नाहु", | |
"अनेजो सन्तिमारब्भ, यं कालमकरी मुनि॥", | |
"‘‘असल्लीनेन चित्तेन, वेदनं अज्झवासयि।", | |
"पज्जोतस्सेव निब्बानं, विमोक्खो चेतसो अहू’’ति॥", | |
"‘‘तदासि यं भिंसनकं, तदासि लोमहंसनं।", | |
"सब्बाकारवरूपेते, सम्बुद्धे परिनिब्बुते’’ति॥", | |
"‘‘सुणन्तु", | |
"अम्हाक", | |
"न", | |
"सरीरभागे सिया सम्पहारो॥", | |
"सब्बेव भोन्तो सहिता समग्गा,", | |
"सम्मोदमाना करोमट्ठभागे।", | |
"वित्थारिका होन्तु दिसासु थूपा,", | |
"बहू जना चक्खुमतो पसन्ना’’ति॥", | |
"एकञ्च दोणं पुरिसवरुत्तमस्स, रामगामे नागराजा महेति॥", | |
"एकाहि दाठा तिदिवेहि पूजिता, एका पन गन्धारपुरे महीयति।", | |
"कालिङ्गरञ्ञो विजिते पुनेकं, एकं पन नागराजा महेति॥", | |
"तस्सेव", | |
"आयागसेट्ठेहि मही अलङ्कता।", | |
"एवं इमं चक्खुमतो सरीरं,", | |
"सुसक्कतं सक्कतसक्कतेहि॥", | |
"देविन्दनागिन्दनरिन्दपूजितो", | |
"मनुस्सिन्दसेट्ठेहि तथेव पूजितो।", | |
"तं वन्दथ", | |
"बुद्धो हवे कप्पसतेहि दुल्लभोति॥", | |
"चत्तालीस समा दन्ता, केसा लोमा च सब्बसो।", | |
"देवा हरिंसु एकेकं, चक्कवाळपरम्पराति॥", | |
"‘‘अनिच्चा", | |
"उप्पज्जित्वा निरुज्झन्ति, तेसं वूपसमो सुखो’’ति॥", | |
"इतो सत्त ततो सत्त, संसारानि चतुद्दस।", | |
"निवासमभिजानामि, यत्थ मे वुसितं पुरे॥", | |
"‘‘मोदन्ति वत भो देवा, तावतिंसा सहिन्दका", | |
"तथागतं नमस्सन्ता, धम्मस्स च सुधम्मतं॥", | |
"नवे देवे च पस्सन्ता, वण्णवन्ते यसस्सिने", | |
"सुगतस्मिं ब्रह्मचरियं, चरित्वान इधागते॥", | |
"ते अञ्ञे अतिरोचन्ति, वण्णेन यससायुना।", | |
"सावका भूरिपञ्ञस्स, विसेसूपगता इध॥", | |
"इदं", | |
"तथागतं नमस्सन्ता, धम्मस्स च सुधम्मत’’न्ति॥", | |
"ते वुत्तवाक्या राजानो, पटिग्गय्हानुसासनिं।", | |
"विप्पसन्नमना सन्ता, अट्ठंसु सम्हि आसनेति॥", | |
"‘‘यथा निमित्ता दिस्सन्ति, ब्रह्मा पातुभविस्सति।", | |
"ब्रह्मुनो हेतं निमित्तं, ओभासो विपुलो महा’’ति॥", | |
"‘‘मोदन्ति", | |
"तथागतं नमस्सन्ता, धम्मस्स च सुधम्मतं॥", | |
"‘‘नवे देवे च पस्सन्ता, वण्णवन्ते यसस्सिने।", | |
"सुगतस्मिं ब्रह्मचरियं, चरित्वान इधागते॥", | |
"‘‘ते अञ्ञे अतिरोचन्ति, वण्णेन यससायुना।", | |
"सावका भूरिपञ्ञस्स, विसेसूपगता इध॥", | |
"‘‘इदं", | |
"तथागतं नमस्सन्ता, धम्मस्स च सुधम्मत’’न्ति॥", | |
"एकस्मिं भासमानस्मिं, सब्बे भासन्ति निम्मिता।", | |
"एकस्मिं तुण्हिमासीने, सब्बे तुण्ही भवन्ति ते॥", | |
"तदासु", | |
"य्वायं मम पल्लङ्कस्मिं, स्वायं एकोव भासतीति॥", | |
"‘‘अत्थायं", | |
"सङ्खातुं नोपि सक्कोमि, मुसावादस्स ओत्तप्प’’न्ति॥", | |
"‘मोदन्ति वत भो देवा, तावतिंसा सहिन्दका।", | |
"तथागतं नमस्सन्ता, धम्मस्स च सुधम्मतं॥", | |
"नवे देवे च पस्सन्ता, वण्णवन्ते यसस्सिने।", | |
"सुगतस्मिं ब्रह्मचरियं, चरित्वान इधागते॥", | |
"ते अञ्ञे अतिरोचन्ति, वण्णेन यससायुना।", | |
"सावका भूरिपञ्ञस्स, विसेसूपगता इध॥", | |
"इदं दिस्वान नन्दन्ति, तावतिंसा सहिन्दका।", | |
"तथागतं नमस्सन्ता, धम्मस्स च सुधम्मत’न्ति॥", | |
"ते", | |
"विप्पसन्नमना सन्ता, अट्ठंसु सम्हि आसनेति॥", | |
"‘यथा निमित्ता दिस्सन्ति, ब्रह्मा पातुभविस्सति।", | |
"ब्रह्मुनो हेतं निमित्तं, ओभासो विपुलो महा’ति॥", | |
"‘मोदन्ति वत भो देवा, तावतिंसा सहिन्दका।", | |
"तथागतं नमस्सन्ता, धम्मस्स च सुधम्मतं॥", | |
"‘नवे देवे च पस्सन्ता, वण्णवन्ते यसस्सिने।", | |
"सुगतस्मिं ब्रह्मचरियं, चरित्वान इधागते॥", | |
"‘ते अञ्ञे अतिरोचन्ति, वण्णेन यससायुना।", | |
"सावका भूरिपञ्ञस्स, विसेसूपगता इध॥", | |
"‘इदं दिस्वान नन्दन्ति, तावतिंसा सहिन्दका।", | |
"तथागतं नमस्सन्ता, धम्मस्स च सुधम्मत’न्ति॥", | |
"महेसयं", | |
"मिथिला च विदेहानं, चम्पा अङ्गेसु मापिता।", | |
"बाराणसी च कासीनं, एते गोविन्दमापिताति॥", | |
"‘‘सत्तभू", | |
"रेणु द्वे धतरट्ठा च, तदासुं सत्त भारधा’ति॥", | |
"‘‘‘वण्णवा", | |
"अजानन्ता तं पुच्छाम, कथं जानेमु तं मय’’न्ति॥", | |
"‘‘मं वे कुमारं जानन्ति, ब्रह्मलोके सनन्तनं", | |
"सब्बे जानन्ति मं देवा, एवं गोविन्द जानहि’’॥", | |
"‘‘‘आसनं उदकं पज्जं, मधुसाकञ्च", | |
"अग्घे भवन्तं पुच्छाम, अग्घं कुरुतु नो भवं’’॥", | |
"‘‘पटिग्गण्हाम ते अग्घं, यं त्वं गोविन्द भाससि।", | |
"दिट्ठधम्महितत्थाय, सम्पराय सुखाय च।", | |
"कतावकासो पुच्छस्सु, यं किञ्चि अभिपत्थित’’न्ति॥", | |
"‘‘पुच्छामि", | |
"कङ्खी अकङ्खिं परवेदियेसु।", | |
"कत्थट्ठितो किम्हि च सिक्खमानो,", | |
"पप्पोति", | |
"‘‘हित्वा ममत्तं मनुजेसु ब्रह्मे,", | |
"एकोदिभूतो करुणेधिमुत्तो", | |
"निरामगन्धो विरतो मेथुनस्मा,", | |
"एत्थट्ठितो एत्थ च सिक्खमानो।", | |
"पप्पोति मच्चो अमतं ब्रह्मलोक’’न्ति॥", | |
"‘‘के", | |
"एते अविद्वा इध ब्रूहि धीर।", | |
"केनावटा", | |
"आपायिका निवुतब्रह्मलोका’’ति॥", | |
"‘‘कोधो", | |
"कदरियता अतिमानो उसूया।", | |
"इच्छा", | |
"लोभो च दोसो च मदो च मोहो।", | |
"एतेसु युत्ता अनिरामगन्धा,", | |
"आपायिका निवुतब्रह्मलोका’’ति॥", | |
"‘‘आमन्तयामि राजानं, रेणुं भूमिपतिं अहं।", | |
"त्वं पजानस्सु रज्जेन, नाहं पोरोहिच्चे रमे’’॥", | |
"‘‘सचे ते ऊनं कामेहि, अहं परिपूरयामि ते।", | |
"यो तं हिंसति वारेमि, भूमिसेनापति अहं।", | |
"तुवं पिता अहं पुत्तो, मा नो गोविन्द पाजहि’’", | |
"‘‘नमत्थि ऊनं कामेहि, हिंसिता मे न विज्जति।", | |
"अमनुस्सवचो सुत्वा, तस्माहं न गहे रमे’’॥", | |
"‘‘अमनुस्सो", | |
"यञ्च सुत्वा जहासि नो, गेहे अम्हे च केवली’’॥", | |
"‘‘उपवुत्थस्स", | |
"अग्गि पज्जलितो आसि, कुसपत्तपरित्थतो’’॥", | |
"‘‘ततो मे ब्रह्मा पातुरहु, ब्रह्मलोका सनन्तनो।", | |
"सो मे पञ्हं वियाकासि, तं सुत्वा न गहे रमे’’॥", | |
"‘‘सद्दहामि अहं भोतो, यं त्वं गोविन्द भाससि।", | |
"अमनुस्सवचो सुत्वा, कथं वत्तेथ अञ्ञथा॥", | |
"‘‘ते तं अनुवत्तिस्साम, सत्था गोविन्द नो भवं।", | |
"मणि", | |
"एवं सुद्धा चरिस्साम, गोविन्दस्सानुसासने’’ति॥", | |
"‘‘सचे जहथ कामानि, यत्थ सत्तो पुथुज्जनो।", | |
"आरम्भव्हो दळ्हा होथ, खन्तिबलसमाहिता॥", | |
"‘‘एस मग्गो उजुमग्गो, एस मग्गो अनुत्तरो।", | |
"सद्धम्मो सब्भि रक्खितो, ब्रह्मलोकूपपत्तियाति॥", | |
"‘‘महासमयो पवनस्मिं, देवकाया समागता।", | |
"आगतम्ह", | |
"‘‘तत्र भिक्खवो समादहंसु, चित्तमत्तनो उजुकं अकंसु", | |
"सारथीव नेत्तानि गहेत्वा, इन्द्रियानि रक्खन्ति पण्डिता’’ति॥", | |
"‘‘छेत्वा खीलं छेत्वा पलिघं, इन्दखीलं ऊहच्च", | |
"ते चरन्ति सुद्धा विमला, चक्खुमता सुदन्ता सुसुनागा’’ति॥", | |
"‘‘येकेचि बुद्धं सरणं गतासे, न ते गमिस्सन्ति अपायभूमिं।", | |
"पहाय मानुसं देहं, देवकायं परिपूरेस्सन्ती’’ति॥", | |
"‘‘सिलोकमनुकस्सामि, यत्थ भुम्मा तदस्सिता।", | |
"ये सिता गिरिगब्भरं, पहितत्ता समाहिता॥", | |
"‘‘पुथूसीहाव सल्लीना, लोमहंसाभिसम्भुनो।", | |
"ओदातमनसा सुद्धा, विप्पसन्नमनाविला’’", | |
"भिय्यो", | |
"ततो आमन्तयी सत्था, सावके सासने रते॥", | |
"‘‘देवकाया अभिक्कन्ता, ते विजानाथ भिक्खवो’’।", | |
"ते च आतप्पमकरुं, सुत्वा बुद्धस्स सासनं॥", | |
"तेसं पातुरहु ञाणं, अमनुस्सानदस्सनं।", | |
"अप्पेके सतमद्दक्खुं, सहस्सं अथ सत्तरिं॥", | |
"सतं", | |
"अप्पेकेनन्तमद्दक्खुं", | |
"तञ्च सब्बं अभिञ्ञाय, ववत्थित्वान", | |
"ततो आमन्तयी सत्था, सावके सासने रते॥", | |
"‘‘देवकाया अभिक्कन्ता, ते विजानाथ भिक्खवो।", | |
"ये वोहं कित्तयिस्सामि, गिराहि अनुपुब्बसो॥", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘छसहस्सा हेमवता, यक्खा नानत्तवण्णिनो।", | |
"इद्धिमन्तो जुतीमन्तो", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘सातागिरा तिसहस्सा, यक्खा नानत्तवण्णिनो।", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘इच्चेते", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘वेस्सामित्ता", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना", | |
"‘‘कुम्भीरो राजगहिको, वेपुल्लस्स निवेसनं।", | |
"भिय्यो नं सतसहस्सं, यक्खानं पयिरुपासति।", | |
"कुम्भीरो राजगहिको, सोपागा समितिं वनं॥", | |
"गन्धब्बानं अधिपति, महाराजा यसस्सिसो॥", | |
"‘‘पुत्तापि", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘दक्खिणञ्च दिसं राजा, विरूळ्हो तं पसासति", | |
"कुम्भण्डानं अधिपति, महाराजा यसस्सिसो॥", | |
"‘‘पुत्तापि तस्स बहवो, इन्दनामा महब्बला।", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘पच्छिमञ्च दिसं राजा, विरूपक्खो पसासति।", | |
"नागानञ्च अधिपति, महाराजा यसस्सिसो॥", | |
"‘‘पुत्तापि", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना", | |
"‘‘उत्तरञ्च दिसं राजा, कुवेरो तं पसासति।", | |
"यक्खानञ्च अधिपति, महाराजा यसस्सिसो॥", | |
"‘‘पुत्तापि तस्स बहवो, इन्दनामा महब्बला।", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘पुरिमं दिसं धतरट्ठो, दक्खिणेन विरूळ्हको।", | |
"पच्छिमेन विरूपक्खो, कुवेरो उत्तरं दिसं॥", | |
"‘‘चत्तारो ते महाराजा, समन्ता चतुरो दिसा।", | |
"दद्दल्लमाना", | |
"माया कुटेण्डु विटेण्डु", | |
"‘‘चन्दनो कामसेट्ठो च, किन्निघण्डु", | |
"पनादो ओपमञ्ञो च, देवसूतो च मातलि॥", | |
"‘‘चित्तसेनो", | |
"आगा पञ्चसिखो चेव, तिम्बरू सूरियवच्चसा", | |
"‘‘एते चञ्ञे च राजानो, गन्धब्बा सह राजुभि।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"कम्बलस्सतरा", | |
"‘‘यामुना धतरट्ठा च, आगू नागा यसस्सिनो।", | |
"एरावणो महानागो, सोपागा समितिं वनं॥", | |
"‘‘ये नागराजे सहसा हरन्ति, दिब्बा दिजा पक्खि विसुद्धचक्खू।", | |
"वेहायसा", | |
"‘‘अभयं तदा नागराजानमासि, सुपण्णतो खेममकासि बुद्धो।", | |
"सण्हाहि वाचाहि उपव्हयन्ता, नागा सुपण्णा सरणमकंसु बुद्धं॥", | |
"भातरो वासवस्सेते, इद्धिमन्तो यसस्सिनो॥", | |
"‘‘कालकञ्चा महाभिस्मा", | |
"वेपचित्ति सुचित्ति च, पहारादो नमुची सह॥", | |
"‘‘सतञ्च बलिपुत्तानं, सब्बे वेरोचनामका।", | |
"सन्नय्हित्वा बलिसेनं", | |
"समयोदानि भद्दन्ते, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"वरुणा वारणा", | |
"‘‘मेत्ता", | |
"दसेते दसधा काया, सब्बे नानत्तवण्णिनो॥", | |
"‘‘इद्धिमन्तो", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘वेण्डुदेवा", | |
"चन्दस्सूपनिसा देवा, चन्दमागुं पुरक्खत्वा॥", | |
"‘‘सूरियस्सूपनिसा", | |
"नक्खत्तानि पुरक्खत्वा, आगुं मन्दवलाहका॥", | |
"‘‘वसूनं", | |
"दसेते दसधा काया, सब्बे नानत्तवण्णिनो॥", | |
"‘‘इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘अथागुं सहभू देवा, जलमग्गिसिखारिव।", | |
"अरिट्ठका च रोजा च, उमापुप्फनिभासिनो॥", | |
"‘‘वरुणा सहधम्मा च, अच्चुता च अनेजका।", | |
"सूलेय्यरुचिरा आगुं, आगुं वासवनेसिनो।", | |
"दसेते दसधा काया, सब्बे नानत्तवण्णिनो॥", | |
"‘‘इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘समाना महासमना, मानुसा मानुसुत्तमा।", | |
"खिड्डापदोसिका", | |
"‘‘अथागुं हरयो देवा, ये च लोहितवासिनो।", | |
"पारगा महापारगा, आगुं देवा यसस्सिनो।", | |
"दसेते दसधा काया, सब्बे नानत्तवण्णिनो॥", | |
"‘‘इद्धिमन्तो", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘सुक्का करम्भा", | |
"ओदातगय्हा पामोक्खा, आगुं देवा विचक्खणा॥", | |
"‘‘सदामत्ता", | |
"थनयं आग पज्जुन्नो, यो दिसा अभिवस्सति॥", | |
"‘‘दसेते दसधा काया, सब्बे नानत्तवण्णिनो।", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘खेमिया", | |
"लम्बीतका लामसेट्ठा, जोतिनामा च आसवा।", | |
"निम्मानरतिनो आगुं, अथागुं परनिम्मिता॥", | |
"‘‘दसेते दसधा काया, सब्बे नानत्तवण्णिनो।", | |
"इद्धिमन्तो जुतिमन्तो, वण्णवन्तो यसस्सिनो।", | |
"मोदमाना अभिक्कामुं, भिक्खूनं समितिं वनं॥", | |
"‘‘सट्ठेते", | |
"नामन्वयेन आगच्छुं", | |
"‘‘‘पवुट्ठजातिमखिलं", | |
"दक्खेमोघतरं नागं, चन्दंव असितातिगं’॥", | |
"सनङ्कुमारो तिस्सो च, सोपाग समितिं वनं॥", | |
"‘‘सहस्सं", | |
"उपपन्नो जुतिमन्तो, भिस्माकायो यसस्सिसो॥", | |
"‘‘दसेत्थ इस्सरा आगुं, पच्चेकवसवत्तिनो।", | |
"तेसञ्च मज्झतो आग, हारितो परिवारितो॥", | |
"मारसेना अभिक्कामि, पस्स कण्हस्स मन्दियं॥", | |
"‘‘‘एथ", | |
"समन्ता परिवारेथ, मा वो मुञ्चित्थ कोचि नं’॥", | |
"‘‘इति", | |
"पाणिना तलमाहच्च, सरं कत्वान भेरवं॥", | |
"‘‘यथा पावुस्सको मेघो, थनयन्तो सविज्जुको। +", | |
"तदा सो पच्चुदावत्ति, सङ्कुद्धो असयंवसे", | |
"ततो", | |
"‘‘मारसेना अभिक्कन्ता, ते विजानाथ भिक्खवो।", | |
"ते च आतप्पमकरुं, सुत्वा बुद्धस्स सासनं।", | |
"वीतरागेहि पक्कामुं, नेसं लोमापि इञ्जयुं॥", | |
"‘‘‘सब्बे विजितसङ्गामा, भयातीता यसस्सिनो।", | |
"मोदन्ति सह भूतेहि, सावका ते जनेसुता’’ति॥", | |
"‘‘वन्दे ते पितरं भद्दे, तिम्बरुं सूरियवच्छसे।", | |
"येन जातासि कल्याणी, आनन्दजननी मम॥", | |
"‘‘वातोव सेदतं कन्तो, पानीयंव पिपासतो।", | |
"अङ्गीरसि पियामेसि, धम्मो अरहतामिव॥", | |
"‘‘आतुरस्सेव", | |
"परिनिब्बापय मं भद्दे, जलन्तमिव वारिना॥", | |
"‘‘सीतोदकं", | |
"नागो घम्माभितत्तोव, ओगाहे ते थनूदरं॥", | |
"‘‘अच्चङ्कुसोव नागोव, जितं मे तुत्ततोमरं।", | |
"कारणं नप्पजानामि, सम्मत्तो लक्खणूरुया॥", | |
"‘‘तयि", | |
"पटिगन्तुं न सक्कोमि, वङ्कघस्तोव अम्बुजो॥", | |
"‘‘वामूरु सज मं भद्दे, सज मं मन्दलोचने।", | |
"पलिस्सज मं कल्याणि, एतं मे अभिपत्थितं॥", | |
"‘‘अप्पको वत मे सन्तो, कामो वेल्लितकेसिया।", | |
"अनेकभावो समुप्पादि, अरहन्तेव दक्खिणा॥", | |
"‘‘यं मे अत्थि कतं पुञ्ञं, अरहन्तेसु तादिसु।", | |
"तं मे सब्बङ्गकल्याणि, तया सद्धिं विपच्चतं॥", | |
"‘‘यं", | |
"तं मे सब्बङ्गकल्याणि, तया सद्धिं विपच्चतं॥", | |
"‘‘सक्यपुत्तोव झानेन, एकोदि निपको सतो।", | |
"अमतं मुनि जिगीसानो", | |
"‘‘यथापि मुनि नन्देय्य, पत्वा सम्बोधिमुत्तमं।", | |
"एवं नन्देय्यं कल्याणि, मिस्सीभावं गतो तया॥", | |
"‘‘सक्को चे मे वरं दज्जा, तावतिंसानमिस्सरो।", | |
"ताहं भद्दे वरेय्याहे, एवं कामो दळ्हो मम॥", | |
"‘‘सालंव", | |
"वन्दमानो नमस्सामि, यस्सा सेतादिसी पजा’’ति॥", | |
"‘‘वन्दे ते पितरं भद्दे, तिम्बरुं सूरियवच्छसे।", | |
"येन जातासि कल्याणी, आनन्दजननी मम॥ …पे॰…", | |
"सालंव न चिरं फुल्लं, पितरं ते सुमेधसे।", | |
"वन्दमानो नमस्सामि, यस्सा सेतादिसी पजा’’ति॥", | |
"नामम्पि मय्हं अहु ‘गोपिका’ति।", | |
"बुद्धे च धम्मे च अभिप्पसन्ना,", | |
"सङ्घञ्चुपट्ठासिं पसन्नचित्ता॥", | |
"‘‘‘तस्सेव बुद्धस्स सुधम्मताय,", | |
"सक्कस्स पुत्तोम्हि महानुभावो।", | |
"महाजुतीको तिदिवूपपन्नो,", | |
"जानन्ति मं इधापि ‘गोपको’ति॥", | |
"‘‘‘अथद्दसं", | |
"गन्धब्बकायूपगते वसीने।", | |
"इमेहि ते गोतमसावकासे,", | |
"ये च मयं पुब्बे मनुस्सभूता॥", | |
"‘‘‘अन्नेन पानेन उपट्ठहिम्हा,", | |
"पादूपसङ्गय्ह सके निवेसने।", | |
"कुतोमुखा", | |
"बुद्धस्स धम्मानि पटिग्गहेसुं", | |
"‘‘‘पच्चत्तं वेदितब्बो हि धम्मो,", | |
"सुदेसितो चक्खुमतानुबुद्धो।", | |
"अहञ्हि तुम्हेव उपासमानो,", | |
"सुत्वान अरियान सुभासितानि॥", | |
"‘‘‘सक्कस्स", | |
"महाजुतीको तिदिवूपपन्नो।", | |
"तुम्हे पन सेट्ठमुपासमाना,", | |
"अनुत्तरं ब्रह्मचरियं चरित्वा॥", | |
"‘‘‘हीनं", | |
"अनानुलोमा भवतूपपत्ति।", | |
"दुद्दिट्ठरूपं वत अद्दसाम,", | |
"सहधम्मिके हीनकायूपपन्ने॥", | |
"‘‘‘गन्धब्बकायूपगता", | |
"देवानमागच्छथ पारिचरियं।", | |
"अगारे वसतो मय्हं,", | |
"इमं पस्स विसेसतं॥", | |
"‘‘‘इत्थी हुत्वा स्वज्ज पुमोम्हि देवो,", | |
"दिब्बेहि कामेहि समङ्गिभूतो’।", | |
"ते चोदिता गोतमसावकेन,", | |
"संवेगमापादु समेच्च गोपकं॥", | |
"‘‘‘हन्द वियायाम", | |
"मा नो मयं परपेस्सा अहुम्हा’।", | |
"तेसं", | |
"अनुस्सरं गोतमसासनानि॥", | |
"‘‘इधेव चित्तानि विराजयित्वा,", | |
"कामेसु आदीनवमद्दसंसु।", | |
"ते कामसंयोजनबन्धनानि,", | |
"पापिमयोगानि दुरच्चयानि॥", | |
"‘‘नागोव", | |
"देवे तावतिंसे अतिक्कमिंसु।", | |
"सइन्दा देवा सपजापतिका,", | |
"सब्बे सुधम्माय सभायुपविट्ठा॥", | |
"‘‘तेसं", | |
"वीरा विरागा विरजं करोन्ता।", | |
"ते दिस्वा संवेगमकासि वासवो,", | |
"देवाभिभू देवगणस्स मज्झे॥", | |
"‘‘‘इमेहि", | |
"देवे तावतिंसे अभिक्कमन्ति’।", | |
"संवेगजातस्स वचो निसम्म,", | |
"सो गोपको वासवमज्झभासि॥", | |
"‘‘‘बुद्धो जनिन्दत्थि मनुस्सलोके,", | |
"कामाभिभू सक्यमुनीति ञायति।", | |
"तस्सेव ते पुत्ता सतिया विहीना,", | |
"चोदिता मया ते सतिमज्झलत्थुं॥", | |
"‘‘‘तिण्णं", | |
"गन्धब्बकायूपगतो वसीनो।", | |
"द्वे च सम्बोधिपथानुसारिनो,", | |
"देवेपि हीळेन्ति समाहितत्ता॥", | |
"‘‘‘एतादिसी धम्मप्पकासनेत्थ,", | |
"न तत्थ किंकङ्खति कोचि सावको।", | |
"नितिण्णओघं विचिकिच्छछिन्नं,", | |
"बुद्धं नमस्साम जिनं जनिन्दं’॥", | |
"‘‘यं", | |
"विसेसं अज्झगंसु", | |
"कायं ब्रह्मपुरोहितं,", | |
"दुवे तेसं विसेसगू॥", | |
"‘‘तस्स धम्मस्स पत्तिया,", | |
"आगतम्हासि मारिस।", | |
"कतावकासा भगवता,", | |
"पञ्हं पुच्छेमु मारिसा’’ति॥", | |
"‘‘पुच्छ वासव मं पञ्हं, यं किञ्चि मनसिच्छसि।", | |
"तस्स तस्सेव पञ्हस्स, अहं अन्तं करोमि ते’’ति॥", | |
"‘‘इधेव", | |
"पुनरायु च मे लद्धो, एवं जानाहि मारिस॥", | |
"‘‘चुताहं दिविया काया, आयुं हित्वा अमानुसं।", | |
"अमूळ्हो गब्भमेस्सामि, यत्थ मे रमती मनो॥", | |
"‘‘स्वाहं अमूळ्हपञ्ञस्स", | |
"ञायेन विहरिस्सामि, सम्पजानो पटिस्सतो॥", | |
"‘‘ञायेन मे चरतो च, सम्बोधि चे भविस्सति।", | |
"अञ्ञाता विहरिस्सामि, स्वेव अन्तो भविस्सति॥", | |
"‘‘चुताहं मानुसा काया, आयुं हित्वान मानुसं।", | |
"पुन देवो भविस्सामि, देवलोकम्हि उत्तमो॥", | |
"‘‘ते", | |
"अन्तिमे वत्तमानम्हि, सो निवासो भविस्सति॥", | |
"विचरिं दीघमद्धानं, अन्वेसन्तो तथागतं॥", | |
"‘‘यस्सु मञ्ञामि समणे, पविवित्तविहारिनो।", | |
"सम्बुद्धा इति मञ्ञानो, गच्छामि ते उपासितुं॥", | |
"‘‘‘कथं आराधना होति, कथं होति विराधना’।", | |
"इति पुट्ठा न सम्पायन्ति", | |
"‘‘त्यस्सु यदा मं जानन्ति, सक्को देवानमागतो।", | |
"त्यस्सु ममेव पुच्छन्ति, ‘किं कत्वा पापुणी इदं’॥", | |
"‘‘तेसं यथासुतं धम्मं, देसयामि जने सुतं", | |
"तेन अत्तमना होन्ति, ‘दिट्ठो नो वासवोति च’॥", | |
"‘‘यदा च बुद्धमद्दक्खिं, विचिकिच्छावितारणं।", | |
"सोम्हि वीतभयो अज्ज, सम्बुद्धं पयिरुपासिय", | |
"‘‘तण्हासल्लस्स हन्तारं, बुद्धं अप्पटिपुग्गलं।", | |
"अहं", | |
"‘‘यं", | |
"तदज्ज तुय्हं कस्साम", | |
"‘‘त्वमेव असि", | |
"सदेवकस्मिं लोकस्मिं, नत्थि ते पटिपुग्गलो’’ति॥", | |
"‘‘लित्तं परमेन तेजसा, गिलमक्खं पुरिसो न बुज्झति।", | |
"गिल रे गिल पापधुत्तक", | |
"महापदान निदानं, निब्बानञ्च सुदस्सनं।", | |
"जनवसभ गोविन्दं, समयं सक्कपञ्हकं।", | |
"महासतिपट्ठानञ्च, पायासि दसमं भवे" | |
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