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nirveda - weeping, sighing,indifference,dicouragement
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glani - guilty
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sanka - doubt (apprehension)
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asuya/irsya - jealousy (envy)
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mada - madness (intoxication)
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srama - fatigue
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alasya/alasata - laziness,sitting idle (unwililng to work)
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dainya - meekness (depression),(despair)
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cinta - contemplation (anxiety/reflection)
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moha - bewilderment,[a feeling of being perplexed and confused] (distraction)
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smrti - rememberance (recollection)
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dhriti - forbearance,indifference abstenance (equanimity)
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vrida - shame
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capalya/capalatha/capala - impudence [rude behavior that does not show respect for others] (unsteadiness)
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harsa - jubiliation,enjoyment (joy)
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avega - intense emotion (agitation/flurry)
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jadya/jadatha - invalidity,looking with steadfast gaze,unable to think properly
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garva - pride
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visada - moroseness, sad [quality of being unhappy, annoyed, and unwilling to speak or smile]
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autsukya - eagerness (impatience/longing)
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nidra - sleep (drowsiness)
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apasmara - forgetfulness (epilepsy/dementedness)
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supti/supta - deep sleep (dreaming)
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prabodha/vibodha - awakening
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amarsa - impatience of opposition
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avahittha - concealment (hiding of true feelings)
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augrya/ugrata - violence,battle (cruelity/sterness)
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mati - attention,instructing pupils (resolve)
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vyadhi - disease (sickness)
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unmada - craziness (insanity/madness)
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mriti/marana - death
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trasa - shock,fear (fright/alarm)
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vitarka - argument (doubt)
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utsuka - restless/anxious
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tarka -deliberation [long and careful consideration or discussion]
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rati - romantic
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lajja - shy
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marsa - patience
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tyaga - sacrifice
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vimochana - releif
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utsaha - hyped/enthused
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shraddhaadaya - confidence,trust
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krodha - anger
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karuna - pity,kind
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veera - royality,valour,greatness
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shanta - serene,peaceful,pleasant
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vismaya - exaggeration/wonder/surprise/pride/doubt
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bhakti - devotion
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no emotion
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अपतुषारतयाविशदप्रभैःसुरतसङ्गपरिश्रमनोदिभिः।कुसुमचापमतेजयदम्शुभिर्हिमकरोमकरोर्जितकेतनम्
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हुतहुताशनदीप्तिवनश्रियःप्रतिनिधिःकनकाभरणस्ययत्।युवतयःकुसुमंदधुराहितम्तदलकेदलकेसरपेशलम्
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अलिभिरञ्जनबिन्दुमनोहरैःकुसुमपङ्क्तिनिपातिभिरङ्कितः।नखलुशोभयतिस्मवनस्थलीम्नतिलकस्तिलकःप्रमदामिव
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अमदयन्मधुगन्धसनाथयाकिसलयाधरसम्गतयामनः।कुसुमसम्भृतयानवमल्लिकास्मितरुचातरुचारुविलासिनी
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अरुणरागनिषेधिभिरम्शुकैःश्रवणलब्धपदैश्चयवाङ्कुरैः।परभृताविरुतैश्चविलासिनःस्मरबलैरबलैकरसाःकृताः
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उपचितावयवाशुचिभिःकणैरलिकदम्बकयोगमुपेयुषी।सदृशकान्तिरक्ष्यतमञ्जरीतिलकजालकजालकमौक्तिकैः
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ध्वजपटम्मदनस्यधनुर्भृतश्छविकरम्मुखचुर्णमृतुश्रियः।कुसुमकेसररेणुमलिव्रजाःसपवनोपवनोत्थितमन्वयुः
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अनुभवन्नवदोलमृतुत्सवम्पटुरपिप्रियकण्ठजिघृक्षया।अनयदासनरज्जुपरिग्रहेभुजलताम्जलतामबलाजनः
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त्यजतमानमलम्बतविग्रहैर्नपुनरेतिगतम्चतुरम्वयः।परभृताभिरितीवनिवेदितेस्मरमतेरमतेस्मवधुजनः
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अथयथासुखमार्तवमुत्सवम्समनुभुयविलासवतीसखः।नरपतिश्चकमेमृगयारतिम्समधुमन्मधुमन्मथसम्निभः
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परिचयम्चललक्ष्यनिपातनेभयरुचोश्चतदिङ्गितबोधनम्।श्रमजयात्प्रगुणाम्चकरोत्यसौतनुमतोऽनुमतःसचिवैर्ययौ
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मृगवनोपगमक्षमवेषभृद्विपुलकण्ठनिषक्तशरासनः।गगनमश्वखुरोद्धतरेणुभिर्नृसवितासवितानमिवाकरोत्
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ग्रथितमौलिरसौवनमालयातरुपलाशसवर्णतनुच्छदः।तुरगवल्गनचञ्चलकुण्डलोविरुरुचेरुरुचेष्टितभुमिषु
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तनुलताविनिवेशितविग्रहाभ्रमरसम्क्रमितेक्षणवृत्तयः।ददृशुरध्वनितम्वनदेवताःसुनयनम्नयनन्दितकोसलम्
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श्वगणिवागुरिकैःप्रथमास्थितम्व्यपगतानलदस्युविवेशसः।स्थिरतुरम्गमभुमिनिपानवन्मृगवयोगवयोपचितम्वनम्
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अथनभस्यइवत्रिदशायुधम्कनकपिङ्गतडिद्गुणसम्युतम्।धनुरधिज्यमनाधिरुपाददेनरवरोरवरोषितकेसरी
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तस्यस्तनप्रणयिभिर्मुहुरेणशाबैर्व्याहन्यमानहरिणीगमनम्पुरस्तात्।आविर्बभुवकुशगर्भमुखम्मृगाणाम्युथम्तदग्रसरगर्वितकृष्णसारम्
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तत्प्रार्थितम्जवनवाजिगतेनराज्ञातुणीमुखोद्धृतशरेणविशीर्णपङ्क्ति।श्यामीचकारवनमाकुलदृष्टिपातैर्वातेरितोत्पलदलप्रकरैरिवार्द्रैः
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लक्ष्यीकृतस्यहरिणस्यहरिप्रभावःप्रेक्ष्यस्थिताम्सहचरीम्व्यवधायदेहम्।आकर्णकृष्टमपिकामितयासधन्वीबाणम्कृपामृदुमनाःप्रतिसम्जहार
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तस्यापरेष्वपिमृगेषुशरान्मुमुक्षोःकर्णान्तमेत्यबिभिदेनिबिडोऽपिमुष्टिः।त्रासातिमात्रचटुलैःस्मरतःसुनेत्रैःप्रौढप्रियानयनविभ्रमचेष्टितानि
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उत्तस्थुषःसपदिपल्वलपङ्कमध्यान्मुस्ताप्ररोहकवलावयवानुकीर्णम्।जग्राहसद्रुतवराहकुलस्यमार्गम्सुव्यक्तमार्द्रपदपङ्क्तिभिरायताभिः
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तम्वाहनादवनतोत्तरकायमीषद्विध्यन्तमुद्धृतसटाःप्रतिहन्तुमीषुः।नात्मानमस्यविविदुःसहसावराहावृक्षेषुविद्धमिषुभिर्जघनाश्रयेषु
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तेनाभिघातरभसस्यविकृष्यपत्रीवन्यस्यनेत्रविवरेमहिषस्यमुक्तः।निर्भिद्यविग्रहमशोणितलिप्तपुङ्खस्तम्पातयाम्प्रथममासपपातपश्चात्
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प्रायोविषाणपरिमोक्षलघूत्तमाङ्गान्खड्गाम्श्चकारनृपतिर्निशितैःक्षुरप्रैः।शृङ्गम्सदृप्तविनयाधिकृतःपरेषामत्युच्छ्रितम्नममृषेनतुदीर्घमायुः
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व्याघ्रानभीरभिमुखोत्पतितान्गुहाभ्यःफुल्लासनाग्रविटपानिववायुरुग्णान्।शिक्षाविशेषलघुहस्ततयानिमेषात्तुणीचकारशरपुरितवक्त्ररन्ध्रान्
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निर्घातोग्रैःकुञ्जलीनाञ्जिघाम्सुर्ज्यानिर्घोषैःक्षोभयामाससिम्हान्।नुनम्तेषामभ्यसुयापरोऽभुद्वीर्योदग्रेराजशब्दोमृगेषु
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तान्हत्वागजकुलबद्धतीव्रवैरान्काकुत्स्थःकुटिलनखाग्रलग्नमुक्तान्।आत्मानम्रणकृतकर्मणाम्गजानामानृण्यम्गतमिवमार्गणैरमम्स्त
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चमरान्परितःप्रवर्तिताश्वःक्वचिदाकर्णविकृष्टभल्लवर्षी।नृपतीनिवतान्वियोज्यसद्यःसितबालव्यजनैर्जगामशान्तिम्
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अपितुरगसमीपादुत्पतन्तम्मयुरम्नसरुचिरकलापम्बाणलक्ष्यीचकार।सपदिगतमनस्कश्चित्रमाल्यानुकीर्णेरतिविगलितबन्धेकेशपाशेप्रियायाः
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तस्यकर्कशविहारसम्भवम्स्वेदमाननविलग्नजालकम्।आचचामसतुषारशीकरोभिन्नपल्लवपुटोवनानिलः
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इतिविस्मृतान्यकरणीयमात्मनःसचिवावलम्बितधुरम्धराधिपम्।परिवृद्धरागमनुबन्धसेवयामृगयाजहारचतुरेवकामिनी
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सललितकुसुमप्रवालशय्याम्ज्वलितमहौषधिदीपिकासनाथाम्।नरपतिरतिवाहयाम्बभुवक्वचिदसमेतपरिच्छदस्त्रियामाम्
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उषसिसगजयुथकर्णतालैःपटुपटहध्वनिभिर्विनीतनिद्रः।अरमतमधुराणितत्रशृण्वन्विहगविकुजितवन्दिमङ्गलानि
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अथजातुरुरोर्गृहीतवर्त्माविपिनेपार्श्वचरैरलक्ष्यमाणः।श्रमफेनमुचातपस्विगाढाम्तमसाम्प्रापनदीम्तुरम्गमेण
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कुम्भपुरणभवःपटुरुच्चैरुच्चचारनिनदोऽम्भसितस्याः।तत्रसद्विरदबृम्हितशङ्कीशब्दपातिनमिषुम्विससर्ज
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नृपतेःप्रतिषिद्धमेवतत्कृतवान्पङ्क्तिरथोविलङ्घ्ययत्।अपथेपदमर्पयन्तिहिश्रुतवन्तोऽपिरजोनिमीलिताः
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हातातेतिक्रन्दितमाकर्ण्यविषण्णस्तस्यान्विष्यन्वेतसगुढम्प्रभवम्सः।शल्यप्रोतम्प्रेक्ष्यसकुम्भम्मुनिपुत्रम्तापादन्तःशल्यइवासीत्क्षितिपोऽपि
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तेनावतीर्यतुरगात्प्रथितान्वयेनपृष्टान्वयःसजलकुम्भनिषण्णदेहः।तस्मैद्विजेतरतपस्विसुतम्स्खलद्भिरात्मानमक्षरपदैःकथयाम्बभुव
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तच्चोदितःसतमनुद्धृतशल्यमेवपित्रोःसकाशमवसन्नदृशोर्निनाय।ताभ्याम्तथागतमुपेत्यतमेकपुत्रमज्ञ्यानतःस्वचरितम्नृपतिःशशम्स
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तौदम्पतीबहुविलप्यशिशोःप्रहर्त्राशल्यम्निखातमुदहारयतामुरस्तः।सोऽभूत्परासुरथभुमिपतिम्शशापहस्तार्पितैर्नयनवारिभिरेववृद्धः
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दिष्टान्तमाप्स्यतिभवानपिपुत्रशोकादन्त्येवयस्यहमिवेतितमुक्तवन्तम्।आक्रान्तपुर्वमिवमुक्तविषम्भुजम्गम्प्रोवाचकोसलपतिःप्रथमापराद्धः
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शापोऽप्यदृष्टतनयाननपद्मशोभेसानुग्रहोभगवतामयिपातितोऽयम्।कृष्याम्दहन्नपिखलुक्षितिमिन्धनेद्धोबीजप्ररोहजननीम्ज्वलनःकरोति
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इत्थम्गतेगतघृणःकिमयम्विधत्ताम्वध्यस्तवेत्यभिहितोवसुधाधिपेन।एधान्हुताशनवतःसमुनिर्ययाचेपुत्रम्परासुमनुगन्तुमनाःसदारः
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प्राप्तानुगःसपदिशासनमस्यराजासम्पाद्यपातकविलुप्तधृतिर्निवृत्तः।अन्तर्निविष्टपदमात्मविनाशहेतुम्शापम्दधज्ज्वलनमौर्वमिवाम्बुराशिः
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दैत्यस्त्रीगण्डलेखानाम्मदरागविलोपिभिः।हेतिभिश्चेतनावद्भिरुदीरितजयस्वनम्
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शब्दादीन्विषयान्भोक्तुम्चरितुम्दुश्चरम्तपः।पर्याप्तोऽसिप्रजाःपातुमौदासीन्येनवर्तितुम्
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बहुधाप्यागमैर्भिन्नाःपन्थानःसिद्धिहेतवः।त्वय्येवनिपतन्त्योघाजाह्नवीयाइवार्णवे
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प्रत्यक्षोऽप्यपरिच्छेद्योमह्यादिर्महिमातव।आप्तवागनुमानाभ्याम्साध्यम्त्वाम्प्रतिकाकथा
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कार्येषुचैककार्यत्वादभ्यर्थ्योऽस्मिनवज्रिणा।स्वयमेवहिवातोऽग्नेःसारथ्यम्प्रतिपद्यते
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स्रष्टुर्वरातिसर्गात्तुमयातस्यदुरात्मनः।अत्यारूढम्रिपोःसोढम्चन्दनेनेवभोगिनः
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धातारम्तपसाप्रीतम्ययाचेसहिराक्षसः।दैवात्सर्गादवध्यत्वम्मर्त्येष्वास्थापराङ्मुखः
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सोऽहम्दाशरथिर्भूत्वारणभूमेर्बलिक्षमम्।करिष्यामिशरैस्तीक्ष्णैस्तच्छिरःकमलोच्चयम्
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मोक्ष्यध्वेस्वर्गबन्दीनाम्वेणीबन्धनदूषितान्।शापयन्त्रितपौलस्त्यबलात्कारकचग्रहैः
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अथतस्यविशाम्पत्युरन्तेकामस्यकर्मणः।पुरुषःप्रबभूवाग्नेर्विस्मयेनसहर्त्विजाम्
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हेमपात्रगतम्दोर्भ्यामादधानःपयश्चरुम्।अनुप्रवेशादाद्यस्यपुम्सस्तेनापिदुर्वहम्
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प्राजापत्योपनीतम्तदन्नम्प्रत्यग्रहीन्नृपः।वृषेवपयसाम्सारमाविष्कृतमुदन्वता
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अनेनकथिताराज्ञोगुणास्तस्यान्यदुर्लभाः।प्रसूतिम्चकमेतस्मिम्स्त्रैलोक्यप्रभवोऽपियत्
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सतेजोवैष्णवम्पत्न्योर्विभेजेचरुसम्ज्ञितम्।द्यावापृथिव्योःप्रत्यग्रमहर्पतिरिवातपम्
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अर्चितातस्यकौसल्याप्रियाकेकयवम्शजा।अतःसम्भाविताम्ताभ्याम्सुमित्रामैच्छदीश्वरः
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