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देश की कार बनाने वाली प्रमुख कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया की बिक्री मार्च महीने में 28.20 प्रतिशत बढ़कर 1,21,952 इकाई रही। पिछले साल के समान महीने में कंपनी ने 95,123 वाहन बेचे थे। वित्तवर्ष 2010-11 में कंपनी की बिक्री 24.81 प्रतिशत बढ़कर 12,71,005 इकाई रही। इससे पूर्व वित्तवर्ष में कंपनी ने 1,18,365 गाड़ी बेची थी। मार्च, 2011 में कंपनी ने घरेलू बाजार में 1,10,424 वाहन बेचे, जो मार्च, 2010 के मुकाबले 38.85 प्रतिशत अधिक है। मार्च, 2010 में कंपनी ने 79,530 वाहन बेचे थे। बहरहाल, मारुति सुजुकी का निर्यात 26.07 प्रतिशत गिरकर 11,528 इकाई रहा, जो इससे पूर्व वर्ष के समान महीने में 15,593 था। मारुति सुजुकी के बयान के अनुसार कंपनी का एक समय का लोकप्रिय मॉडल मारुति-800 की बिक्री 5.54 प्रतिशत बढ़कर 2,915 इकाई रही। मार्च, 2010 में यह संख्या 2,762 इकाई थी। आल्टो, वैगनआर, एस्टिलो, स्विफ्ट, रिट्ज जैसी ए2 खंड में आने वाली गाड़ियों की बिक्री आलोच्य महीने में 43.27 प्रतिशत बढ़कर 78,460 इकाई रही, जो इससे पूर्व वर्ष के समान महीने में 54,762 इकाई थी। ए3 खंड में आने वाले डिजायर और एसएक्स 4 की बिक्री इस साल मार्च महीने में 33.07 प्रतिशत बढ़कर 13,910 इकाई रही, जो इससे पूर्व वर्ष के इसी महीने में 10,453 इकाई थी। पिछले महीने कंपनी ने 103 किजाशी लक्जरी सेडान बेची। इसे फरवरी, 2011 में पेश किया गया था। कंपनी की कुल यात्री कारों की बिक्री मार्च महीने में 40.32 प्रतिशत बढ़कर 95,388 इकाई रही, जो वर्ष 2010 के इसी महीने में 67,978 इकाई थी। वित्तवर्ष 2010-11 के दौरान मारुति सुजुकी की बिक्री 30.08 प्रतिशत बढ़कर 11,32,739 इकाई रही, जो इससे पूर्व वित्तवर्ष 8,70,790 इकाई थी। हालांकि आलोच्य वित्तवर्ष के दौरान कंपनी का निर्यात 6.31 प्रतिशत घटकर 1,38,266 इकाई रहा, जो इससे पूर्व वित्तवर्ष 2009-10 में 1,47,575 इकाई थी। कंपनी ने पिछले वित्तवर्ष 2010-11 के दौरान 9,66,447 यात्री कर बेची, जबकि इससे पूर्व वित्तवर्ष 2009-10 में यह संख्या 7,65,533 इकाई थी।
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इलाहाबाद में दो मरीजों को अस्पताल से जंगल में फेंकवाने के मामले में डॉक्टर सोनू शर्मा के खिलाफ एफआईआर से नाराज मोतीलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े दूसरे अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताली डॉक्टर डॉ सोनू के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने की मांग कर रहे हैं। डॉ. सोनू शर्मा ने अस्तपाल ने दो लावारिस मरीजों को मरने के लिए जंगल में भिजवा दिया था। अस्पताल की वैन से दोनों मरीजों को जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया था लेकिन अस्पताल की इस करतूत को कुछ लोगों ने देख लिया और पुलिस को खबर कर दी। पुलिस ने अस्पताल की वैन के ड्राइवर और दो वॉर्ड ब्वॉय को गिरफ्तार किया है और डॉ सोनू फरार है।
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वायु प्रदूषण से सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक बीमारियों का भी खतरा
खराब एयर क्वालिटी से लोगों में बाइपोलर डिसऑर्डर और डिप्रेशन बढ़ा
दूषित हवा या खराब एयर क्वालिटी सेहत के लिए बहुत खरतनाक है. वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सेहत पर पड़ता है. फेफड़ों को नुकसान पहुंचने के अलावा वायु प्रदूषण से अब कई तरह की मानसिक बीमारियों भी हो रहीं हैं.
हाल ही में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा हआ है. अमेरिका और डेनमार्क में लाखों रोगियों के स्वास्थ्य डेटा के आधार पर एक स्टडी की गई. स्टडी में दोनों देशों में एक जैसी बीमारी होने की बात कही गई है.
शिकागो विश्वविद्यालय और इस स्टडी के मुख्य शोधकर्ता एंड्रे रेजत्स्की ने कहा कि वैसे तो मानसिक बीमारी के बहुत कारण होते हैं लेकिन वायु प्रदूषण एक नया कारण बनकर उभरा है.
हालांकि इस स्टडी की आलोचना भी की जा रही है और लोगों ने इस विषय पर और रिसर्च करने की सलाह दी है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 7 मिलियन लोगों की मौत होती है.
आपको बता दें की वायु प्रदूषण के मामले में भारत भी बहुत खराब स्थिति में हैं खासतौर से दिल्ली-एनसीआर की एयर क्वालिटी लगातार गिरती चली जा रही है. दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक बना हुआ है.
दिल्ली एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से ऊपर जा चुका है, जो कि खतरे की घंटी है. कुल मिलाकर दिल्ली में हवा का स्तर यानी एक्यूआई 306 अंक पर पहुंच गया है.
जानें स्ट्रेस दूर करने के सही तरीके
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यह एक लेख है: दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान और शाहरुख खान को क्लीन चिट देते हुए एक स्थानीय अदालत को बताया कि दोनों अभिनेता ‘बिग बॉस 9’ के लिए एक स्टूडियो के सेट के हिस्से के तौर पर बनाए गए एक अस्थायी मंदिर में शूटिंग कर रहे थे और उनकी मंशा धार्मिक भावनाएं आहत करने की नहीं थी।
पुलिस ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि जूते पहनकर एक मंदिर के सेट में प्रवेश का दृश्य रियेलिटी शो के लिए स्टूडियो में फिल्माया गया था।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) वी के गौतम की अदालत में दाखिल कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) में पुलिस ने कहा है कि प्रमोशनल शूट एक धार्मिक स्थल की पवित्रता या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मकसद से नहीं किया गया था। ‘‘तथ्यों और रिपोर्ट के मद्देनजर कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता। प्रमोशनल शूट किसी व्यक्ति, समूह, समुदाय या समाज के किसी हिस्से या एक धार्मिक स्थल की पवित्रता या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मकसद से नहीं किया गया था।’’
रूप नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ द्वारा अग्रेसित तथा सब इंस्पेक्टर नवीन कुमार द्वारा दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि, अधोहस्ताक्षरित अदालत द्वारा पास किए जाने वाले किसी भी आदेश की अनुपालना के लिए तैयार है।’’ एसीएमएम अवकाश पर थे और लिंक मजिस्ट्रेट जोगिन्दर सिंह ने मामले को जिरह के लिए दो मार्च को सूचीबद्ध कर दिया। अदालत ने इससे पूर्व पुलिस को इन तथ्यों के साथ एटीआर दाखिल करने को कहा था कि अधिवक्ता गौरव गुलाटी द्वारा दाखिल की गयी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गयी है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इसी प्रकार की शिकायत मेरठ की अदालत में दाखिल की गयी थी जो इसे पहले ही खारिज कर चुकी है। टिप्पणियां
पुलिस ने ‘वायकाम 18’ के चैनल प्रोड्यूसर के जवाब का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि शाहरुख खान ‘बिग बास 9’ के सेट पर आए थे और सलमान खान से मिले थे जिनके साथ उन्होंने बालीवुड फिल्म ‘करण अर्जुन’ में काफी समय पहले एक साथ काम किया था।
‘‘वे काफी लंबे समय बाद मिले थे तो निदेशक ने सोचा कि उन्हें ‘काली मंदिर’ के सेट पर उसी तरह मिलते हुए दिखाया जाए जैसे वे करण अर्जुन फिल्म में काली मंदिर में मिले थे।’’ ‘‘यह आइडिया किसी धार्मिक समूह की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की मंशा से नहीं था और प्रोमो की शूटिंग एक स्टूडियो में की गयी थी और जो बात कही गयी है वह कभी नहीं हुई।’’ पुलिस ने चैनल के जवाब का हवाला देते हुए यह बात कही।
पुलिस ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि जूते पहनकर एक मंदिर के सेट में प्रवेश का दृश्य रियेलिटी शो के लिए स्टूडियो में फिल्माया गया था।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) वी के गौतम की अदालत में दाखिल कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) में पुलिस ने कहा है कि प्रमोशनल शूट एक धार्मिक स्थल की पवित्रता या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मकसद से नहीं किया गया था। ‘‘तथ्यों और रिपोर्ट के मद्देनजर कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता। प्रमोशनल शूट किसी व्यक्ति, समूह, समुदाय या समाज के किसी हिस्से या एक धार्मिक स्थल की पवित्रता या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मकसद से नहीं किया गया था।’’
रूप नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ द्वारा अग्रेसित तथा सब इंस्पेक्टर नवीन कुमार द्वारा दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि, अधोहस्ताक्षरित अदालत द्वारा पास किए जाने वाले किसी भी आदेश की अनुपालना के लिए तैयार है।’’ एसीएमएम अवकाश पर थे और लिंक मजिस्ट्रेट जोगिन्दर सिंह ने मामले को जिरह के लिए दो मार्च को सूचीबद्ध कर दिया। अदालत ने इससे पूर्व पुलिस को इन तथ्यों के साथ एटीआर दाखिल करने को कहा था कि अधिवक्ता गौरव गुलाटी द्वारा दाखिल की गयी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गयी है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इसी प्रकार की शिकायत मेरठ की अदालत में दाखिल की गयी थी जो इसे पहले ही खारिज कर चुकी है। टिप्पणियां
पुलिस ने ‘वायकाम 18’ के चैनल प्रोड्यूसर के जवाब का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि शाहरुख खान ‘बिग बास 9’ के सेट पर आए थे और सलमान खान से मिले थे जिनके साथ उन्होंने बालीवुड फिल्म ‘करण अर्जुन’ में काफी समय पहले एक साथ काम किया था।
‘‘वे काफी लंबे समय बाद मिले थे तो निदेशक ने सोचा कि उन्हें ‘काली मंदिर’ के सेट पर उसी तरह मिलते हुए दिखाया जाए जैसे वे करण अर्जुन फिल्म में काली मंदिर में मिले थे।’’ ‘‘यह आइडिया किसी धार्मिक समूह की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की मंशा से नहीं था और प्रोमो की शूटिंग एक स्टूडियो में की गयी थी और जो बात कही गयी है वह कभी नहीं हुई।’’ पुलिस ने चैनल के जवाब का हवाला देते हुए यह बात कही।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) वी के गौतम की अदालत में दाखिल कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) में पुलिस ने कहा है कि प्रमोशनल शूट एक धार्मिक स्थल की पवित्रता या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मकसद से नहीं किया गया था। ‘‘तथ्यों और रिपोर्ट के मद्देनजर कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता। प्रमोशनल शूट किसी व्यक्ति, समूह, समुदाय या समाज के किसी हिस्से या एक धार्मिक स्थल की पवित्रता या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मकसद से नहीं किया गया था।’’
रूप नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ द्वारा अग्रेसित तथा सब इंस्पेक्टर नवीन कुमार द्वारा दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि, अधोहस्ताक्षरित अदालत द्वारा पास किए जाने वाले किसी भी आदेश की अनुपालना के लिए तैयार है।’’ एसीएमएम अवकाश पर थे और लिंक मजिस्ट्रेट जोगिन्दर सिंह ने मामले को जिरह के लिए दो मार्च को सूचीबद्ध कर दिया। अदालत ने इससे पूर्व पुलिस को इन तथ्यों के साथ एटीआर दाखिल करने को कहा था कि अधिवक्ता गौरव गुलाटी द्वारा दाखिल की गयी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गयी है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इसी प्रकार की शिकायत मेरठ की अदालत में दाखिल की गयी थी जो इसे पहले ही खारिज कर चुकी है। टिप्पणियां
पुलिस ने ‘वायकाम 18’ के चैनल प्रोड्यूसर के जवाब का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि शाहरुख खान ‘बिग बास 9’ के सेट पर आए थे और सलमान खान से मिले थे जिनके साथ उन्होंने बालीवुड फिल्म ‘करण अर्जुन’ में काफी समय पहले एक साथ काम किया था।
‘‘वे काफी लंबे समय बाद मिले थे तो निदेशक ने सोचा कि उन्हें ‘काली मंदिर’ के सेट पर उसी तरह मिलते हुए दिखाया जाए जैसे वे करण अर्जुन फिल्म में काली मंदिर में मिले थे।’’ ‘‘यह आइडिया किसी धार्मिक समूह की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की मंशा से नहीं था और प्रोमो की शूटिंग एक स्टूडियो में की गयी थी और जो बात कही गयी है वह कभी नहीं हुई।’’ पुलिस ने चैनल के जवाब का हवाला देते हुए यह बात कही।
रूप नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ द्वारा अग्रेसित तथा सब इंस्पेक्टर नवीन कुमार द्वारा दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि, अधोहस्ताक्षरित अदालत द्वारा पास किए जाने वाले किसी भी आदेश की अनुपालना के लिए तैयार है।’’ एसीएमएम अवकाश पर थे और लिंक मजिस्ट्रेट जोगिन्दर सिंह ने मामले को जिरह के लिए दो मार्च को सूचीबद्ध कर दिया। अदालत ने इससे पूर्व पुलिस को इन तथ्यों के साथ एटीआर दाखिल करने को कहा था कि अधिवक्ता गौरव गुलाटी द्वारा दाखिल की गयी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गयी है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इसी प्रकार की शिकायत मेरठ की अदालत में दाखिल की गयी थी जो इसे पहले ही खारिज कर चुकी है। टिप्पणियां
पुलिस ने ‘वायकाम 18’ के चैनल प्रोड्यूसर के जवाब का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि शाहरुख खान ‘बिग बास 9’ के सेट पर आए थे और सलमान खान से मिले थे जिनके साथ उन्होंने बालीवुड फिल्म ‘करण अर्जुन’ में काफी समय पहले एक साथ काम किया था।
‘‘वे काफी लंबे समय बाद मिले थे तो निदेशक ने सोचा कि उन्हें ‘काली मंदिर’ के सेट पर उसी तरह मिलते हुए दिखाया जाए जैसे वे करण अर्जुन फिल्म में काली मंदिर में मिले थे।’’ ‘‘यह आइडिया किसी धार्मिक समूह की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की मंशा से नहीं था और प्रोमो की शूटिंग एक स्टूडियो में की गयी थी और जो बात कही गयी है वह कभी नहीं हुई।’’ पुलिस ने चैनल के जवाब का हवाला देते हुए यह बात कही।
पुलिस ने ‘वायकाम 18’ के चैनल प्रोड्यूसर के जवाब का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि शाहरुख खान ‘बिग बास 9’ के सेट पर आए थे और सलमान खान से मिले थे जिनके साथ उन्होंने बालीवुड फिल्म ‘करण अर्जुन’ में काफी समय पहले एक साथ काम किया था।
‘‘वे काफी लंबे समय बाद मिले थे तो निदेशक ने सोचा कि उन्हें ‘काली मंदिर’ के सेट पर उसी तरह मिलते हुए दिखाया जाए जैसे वे करण अर्जुन फिल्म में काली मंदिर में मिले थे।’’ ‘‘यह आइडिया किसी धार्मिक समूह की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की मंशा से नहीं था और प्रोमो की शूटिंग एक स्टूडियो में की गयी थी और जो बात कही गयी है वह कभी नहीं हुई।’’ पुलिस ने चैनल के जवाब का हवाला देते हुए यह बात कही।
‘‘वे काफी लंबे समय बाद मिले थे तो निदेशक ने सोचा कि उन्हें ‘काली मंदिर’ के सेट पर उसी तरह मिलते हुए दिखाया जाए जैसे वे करण अर्जुन फिल्म में काली मंदिर में मिले थे।’’ ‘‘यह आइडिया किसी धार्मिक समूह की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की मंशा से नहीं था और प्रोमो की शूटिंग एक स्टूडियो में की गयी थी और जो बात कही गयी है वह कभी नहीं हुई।’’ पुलिस ने चैनल के जवाब का हवाला देते हुए यह बात कही।
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वर्षों से 20 वर्षीय परितोष शर्मा एक ही मिशन पर जुटे थे. जब वे हाइ स्कूल में थे तभी उन्होंने अपना एकमात्र लक्ष्य निर्धारित कर लिया थाः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला पाना. बारहवीं की अपनी बोर्ड परीक्षा के बाद उन्होंने दो साल सख्त कोचिंग में गुजारे और आखिरकार दूसरे प्रयास में इस परीक्षा को पास किया.
आज जब वे अंतहीन अध्ययन के उन अनगिनत घंटों को याद करते हैं तो उन्हें कोई अफसोस नहीं होता. राजस्थान के इस गौरवान्वित एमबीबीएस छात्र का कहना है, ''मेरी मेहनत बिल्कुल जायज थी. एम्स के पास देश की सबसे अच्छी चिकित्सा सुविधाएं और शिक्षक हैं.'' हर साल अखिल भारतीय प्री-मेडिकल टेस्ट में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 30,000 से 35,000 के बीच होती है जिनमें से केवल 77 को ही एम्स में प्रवेश मिल पाता है.
फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर वाइ.के. गुप्ता कहते हैं कि सर्वश्रष्ठ छात्रों के चयन को मौका मिलना ही संस्थान की सबसे बड़ी ताकत है. हर साल की तरह एक बार फिर से दिल्ली के एम्स ने सर्वश्रेष्ठ मेडिकल कॉलेजों के इंडिया टुडे-नीलसन सर्वेक्षण में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है. गुप्ता कहते हैं, ''अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए हमारे एमबीबीएस कोर्स का पाठ्यक्रम गतिशील एवं समसामयिक है.
हमारा पाठ्यक्रम प्रासंगिक बना रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक छह महीने पर एक कमेटी की बैठक होती है.'' 50 विभागों के 434 से अधिक शिक्षक 715 अंडरग्रेजुएट एवं 1,219 पोस्टग्रेजुएट छात्रों को नवीन तथा इंटरैक्टिव तरीकों का इस्तेमाल करते हुए प्रशिक्षित करते हैं ताकि एम्स में प्रवेश मिल जाने की खुशी गुजर जाने के बाद भी इन मेधावी छात्रों की प्रेरणा कायम रहे. हालांकि संकाय की पहल के अलावा यह संस्थान की प्रतिष्ठा ही है जिससे छात्रों को दूसरे संस्थानों के छात्रों के मुकाबले बढ़त हासिल होती है.
संस्थान में ही देश का सबसे प्रसिद्ध अस्पताल भी स्थित है जहां हर रोज देशभर से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं, जिससे छात्रों को तमाम आम बीमारियों के अतिरिक्त असामान्य चिकित्सा मामलों को देखने और अध्ययन का अवसर मिलता है. गुप्ता बताते हैं, ''हमारे छात्र एम्स में दुर्लभ से दुर्लभतम रोगियों को देखते हैं और उन्हें सिखाया जाता है कि उन रोगियों का इलाज कैसे किया जाए.''
संस्थान की जगह भी महत्वपूर्ण है. एम्स परिसर के राजधानी के दिल में स्थित होने की वजह से छात्र कई चिकित्सा सम्मेलनों, सेमिनारों एवं अनुसंधान कार्यक्रमों में भाग लेते हैं जो उन्हें नई चिकित्सा प्रौद्योगिकियों तथा शल्य चिकित्सा तकनीकों से परिचित कराते हैं. 2011 में संस्थान ने खुद 150 से अधिक चिकित्सा सम्मेलनों का आयोजन किया.
इस तरह के माहौल से छात्रों को चिकित्सा के क्षेत्र की नवीनतम प्रगतियों के बारे में जानकारी मिलती है और उन्हें पाठ्यपुस्तकों से परे सोचने में मदद मिलती है. इसके अलावा एम्स को पूरी दुनिया से सहयोगात्मक (कोलैबोरेटिव) परियोजनाओं की पेशकश की जाती है.
अकेले 2010-11 में ही 500 से अधिक शोध परियोजनाएं संचालित की गईं, जिनके लिए संस्थान को 50 करोड़ रु. से अधिक का अनुदान प्राप्त हुआ. एम्स ने पुस्तकों तथा मोनोग्राफों में 259 लेखों के अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रभावशाली 1,611 शोधपत्र प्रकाशित कराए. परिसर के पुस्तकालय में छात्र इन सभी लेखों को पढ़ सकते हैं जो पूरे सप्ताह चौबीसों घंटे खुला रहता है.
एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र हिमांशु मेनन का कहना है, ''एम्स में पढ़ने के स्पष्ट फायदे हैं. उदाहरण के लिए, यहां के डिसेक्शन लैब्स में एक मेज पर कव्वल पांच से छह छात्र काम करते हैं जबकि दूसरे संस्थानों में यह अनुपात लगभग 30-40 छात्र प्रति मेज का है.'' इसकी प्रतिष्ठा की वजह से कई मरीज वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए स्वेच्छा से निधन के बाद अपने शरीर के दान की घोषणा कर देते हैं. एक शिक्षक जिन्होंने अपना नाम जाहिर किए जाने से मना कर दिया, कहते हैं, ''हम उन कॉलेजों को कुछ शव देने की योजना बना रहे हैं, जहां आपूर्ति कम है.''
साल में एक बार सबसे ज्यादा पढ़ाकू भी अपनी किताबें रखकर उन हजारों छात्रों में शामिल हो जाता है जो पूरी तरह छात्रों द्वारा ही आयोजित किए जाने वाले लोकप्रिय वार्षिकोत्सव 'पल्स' में भाग लेने के लिए वहां पहुंचते हैं. सफलता का अंतिम मापदंड तो 'एम्सोनियन' ही हैं यानी वे पूर्व छात्र जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा रहे हैं.
गुप्ता बताते हैं, ''कई एम्सोनियन प्रतिष्ठित अस्पतालों में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं, तो कई दूसरे नीतिगत स्तर पर सरकार से जुड़े हुए हैं.'' कुछ प्रसिद्ध एम्सोनियन में पद्म भूषण डॉक्टर पी. वेणुगोपाल, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के सतत शिक्षा पाठ्यक्रमों के डीन डॉक्टर संजीव चोपड़ा और प्रख्यात चिकित्सा विज्ञानी तथा एम्स के पूर्व निदेशक डॉक्टर वी. रामलिंगास्वामी जैसी हस्तियां शामिल हैं. चूंकि संस्थान भारत का प्रमुख मेडिकल कॉलेज बना हुआ है इसलिए पूरी उम्मीद है कि कई अन्य एम्सोनियन चिकित्सा दिग्गजों की सूची में अपना नाम जोड़ते रहेंगे.
यदि एम्स को किसी प्रतियोगिता का सामना करना भी पड़ता है तो यह प्रतियोगिता उसे वेल्लूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) से मिलती है. सीएमसी को अत्यंत प्रतिष्ठित अस्पताल की सिनर्जी से बहुत फायदा पहुंचा है. अत्यधिक प्रतिबद्धता के साथ चलाए जाने वाले इस अस्पताल को जान-बूझ्कर किसी बड़े शहर से दूर स्थापित किया गया है. यह इसकी ख्याति ही है कि देश के दूर-दराज के कोनों से मरीज इलाज के लिए वेल्लूर की यात्रा के लिए तत्पर रहते हैं. वेल्लूर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै से 125 किलोमीटर दूर है.
1918 में एक मेडिकल स्कूल के रूप में शुरू किया गया सीएमसी 1942 में एक एकल एमबीबीएस पाठ्यक्रम के साथ महिला मेडिकल कॉलेज के रूप में विकसित हुआ. पुरुषों को 1947 में जाकर प्रवेश मिल सका. आज मेडिकल, नर्सिंग तथा संबद्ध स्वास्थ्य विषयों के 150 विभिन्न पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में 2,000 छात्रों ने प्रवेश ले रखा है.
''नॉट टू बी मिनिस्टर्ड अनटू बट टू मिनिस्टर'' (सेवा करवाने के लिए नहीं वरन सेवा करने के लिए) इस कॉलेज का ध्येय वाक्य है, जो एमबीबीएस एवं अन्य अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ऑल इंडिया सीएमसी वेल्लूर कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करता है. इसके पूर्व छात्रों में कई सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हैं, जिन्होंने पारंपरिक सांचों को तोड़कर अलग काम किया है. उनमें नागरिक अधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन भी शामिल हैं जिन्होनें बरसों तक छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के बीच काम किया है और मैग्सायसाय पुरस्कार विजेता रजनीकांत अरोले भी हैं जिन्होंने महाराष्ट्र के जामखेड में अपनी पत्नी माबेले के साथ व्यापक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली विकसित की है.
सीएमसी वेल्लूर के निदेशक डॉक्टर सुरंजन भट्टाचार्जी कहते हैं, ''हम क्या हैं और हम क्या होंगे, के बीच मौजूद अंतर के प्रति हम सचेत हैं इसलिए हम निरंतर यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करते रहते हैं कि आकार एवं संख्या में हमारा विकास हमारी देखभाल और प्रतिबद्धता की गहराई के विकास के अनुरूप हो, हमारी प्रभावशीलता, हमारी संवेदनशीलता और जनता तक हमारी पहुंच के अनुरूप हो.'' अंधाधुंध व्यावसायिकता के इस दौर में सीएमसी अब भी ऐसे मेडिकल प्रोफेशनल तैयार कर रहा है जो राष्ट्र को अदम्य सार्वजनिक सेवा प्रदान करने के लिए तैयार हैं.
-साथ में अमरनाथ के. मेनन
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यह एक लेख है: इस साल नवंबर के दौरान 6.90 लाख सैलानी भारत आए। देश में आने वाले पर्यटकों की यह संख्या बीते साल नवंबर के मुकाबले महज 3 प्रतिशत अधिक है। नवंबर, 2011 में 6.70 लाख पर्यटक भारत आए थे।
पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन माह में पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय हालांकि 22.4 प्रतिशत बढ़कर 9,723 करोड़ रुपये रहा जो बीते साल नवंबर में 7,941 करोड़ रुपये था।टिप्पणियां
पर्यटन उद्योग की चिंताओं पर ध्यान देते हुए सरकार ने हाल ही में पर्यटन वीजा नियमों में कुछ ढील देते हुए विदेशी पर्यटकों की दो यात्राओं के बीच दो महीने की अवधि वाले रोक को हटा लिया।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हमें वीजा नियमों में ढील दिए जाने के चलते आगामी महीनों में बेहतर नतीजे आने की उम्मीद है।
पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन माह में पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय हालांकि 22.4 प्रतिशत बढ़कर 9,723 करोड़ रुपये रहा जो बीते साल नवंबर में 7,941 करोड़ रुपये था।टिप्पणियां
पर्यटन उद्योग की चिंताओं पर ध्यान देते हुए सरकार ने हाल ही में पर्यटन वीजा नियमों में कुछ ढील देते हुए विदेशी पर्यटकों की दो यात्राओं के बीच दो महीने की अवधि वाले रोक को हटा लिया।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हमें वीजा नियमों में ढील दिए जाने के चलते आगामी महीनों में बेहतर नतीजे आने की उम्मीद है।
पर्यटन उद्योग की चिंताओं पर ध्यान देते हुए सरकार ने हाल ही में पर्यटन वीजा नियमों में कुछ ढील देते हुए विदेशी पर्यटकों की दो यात्राओं के बीच दो महीने की अवधि वाले रोक को हटा लिया।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हमें वीजा नियमों में ढील दिए जाने के चलते आगामी महीनों में बेहतर नतीजे आने की उम्मीद है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हमें वीजा नियमों में ढील दिए जाने के चलते आगामी महीनों में बेहतर नतीजे आने की उम्मीद है।
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पीएम नरेंद्र मोदी आज देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित करेंगे
लेकिन क्या है अर्बन इंडिया के खुले में शौच से मुक्त होने का सच?
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी आज गुजरात जाएंगे. पीएम मोदी आज देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित करेंगे. पीएम मोदी जहां एक तरफ देश के खुले में शौच मुक्त होने का ऐलान करेंगे तो वहीं दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली में आज भी कई लोग हों जो खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. महिलाओं को रोज सुबह 4:00 बजे उठकर रेलवे ट्रैक पर या जंगलों में जाकर शौच करना पड़ता है. इतना ही नहीं स्कूली बच्चे भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. आजतक ने राजधानी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के शौच मुक्त होने के हकीकत का जायजा लिया. जो तस्वीरें जो सामने आईं वह काफी शर्मनाक हैं.
सबसे पहले हम पहुंचे साउथ दिल्ली के बारापूला फ्लाईओवर के पास बनी सेवानगर बस्ती में. इस बस्ती में तकरीबन सौ से डेढ़ सौ परिवार रहते हैं. यहां का एक पूरा परिवार पुल के नीचे बने रेलवे ट्रैक पर सुबह के वक्त शौच करने जाता है. रेलवे ट्रैक पर सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह के वक्त ट्रेनों की आवाजाही के बीच शौच करते हैं. बस्ती में रहने वाले सुरेश से हमने बात की. उन्होंने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस बस्ती में रहते हैं लेकिन किसी भी नेता या अधिकारी ने उनकी इस तकलीफ के बारे में गौर ही नहीं किया. यही वजह है कि उनको मजबूरी में रेलवे ट्रैक पर शौच करने जाना पड़ता है.
वहीं महिलाओं के लिए यह परेशानी तब बढ़ जाती है जब उनको सुबह 4:00 बजे उठकर जंगलों में या फिर रेलवे ट्रैक के पास शौच करने जाना पड़ता है. बस्ती में रहने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें रोज सुबह अपने बच्चों को लेकर रेलवे ट्रैक के पास जंगलों में शौच के लिए जाना पड़ता है. इसकी वजह से आए दिन उनके साथ छेड़छाड़ की घटनाएं भी होती हैं लेकिन मजबूरी के चलते उनको रोजाना इसी तरह से खुले में शौच करने जाना पड़ता है.
निजामुद्दीन के पास बसी मद्रास कॉलोनी का बुरा हाल
वहीं साउथ दिल्ली के निजामुद्दीन के पास में बसी मद्रास कॉलोनी में भी ऐसा ही हाल है. इस कॉलोनी में लगभग 400 परिवार रहते हैं. 40 साल पुरानी इस बस्ती में भी लोग शौच करने के लिए रेलवे ट्रैक पर जाते हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि कुछ समय पहले एक पब्लिक टॉयलेट चुनावों से पहले लगाया गया था लेकिन चुनाव बाद वह भी हटा लिया गया. ऐसे में महिलाओं को और बुजुर्गों को भी सुबह-सुबह रेलवे ट्रैक पर जाकर खुले में शौच करना पड़ता है.
बस्ती में स्कूली बच्चे 10:00 बजे के बाद शौच करने नहीं जाते क्योंकि उन्हें और उनके माता-पिता को डर है कि कभी उनके बच्चे किसी हादसे का शिकार ना हो जाएं. जब हमने स्कूली बच्चों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वह रोजाना या तो सुबह 4:00 बजे उठकर रेलवे ट्रैक पर शौच करने जाते हैं या फिर अपने स्कूल में ही वह शौच करते हैं. लोगों का यह भी कहना है कि जो भी नेता उनके इलाके में टॉयलेट बनवा देगा वह उसी को वोट दे देंगे.
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गाजियाबाद पुलिस ने अवैध शराब की एक बड़ी खेप जब्त की है. पुलिस के मुताबिक उन्हें जानकारी मिली थी कि लोकसभा चुनाव से पहले कई तस्कर अवैध शराब की तस्करी में जुटे हुए हैं और अवैध शराब से गोदाम भरे जा रहे हैं. कुछ लोगों ने पुलिस को ये खबर मिली दी की ट्रक में भर कर शराब की तस्करी होने वाली है. इसके बाद पुलिस ने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर नजर रखनी शुरु कर दी.
इस दौरान एक्सप्रेसवे पर पुलिस को एक बड़ा ट्रक दिखा. जिसके बाद पुलिस ने मुखबिर से इशारा मिलने के बाद उस ट्रक रुकवा दिया. पुलिस ने जब ट्रक में बैठे ड्राईवर और उसके साथी से ट्रक में भरे सामान की जानकारी मांगी तो पुलिस को बताया गया कि ट्रक में वनस्पति घी भरा हुआ है. उन लोगों ने पुलिस को ये भी बताया कि वनस्पति घी की सप्लाई उत्तराखंड में होने वाली है.
पुलिस ने जब ट्रक को खुलवा कर कर जांच शुरु की तो उन्हें ट्रक में वनस्पति घी ही मिला. लेकिन पुलिस ने ट्रक से कुछ सामान बाहर निकलवा दिया तो अंदर उन्हें पेटियों में भरी शराब नजर आई. शराब मिलते ही पुलिस ने ट्रक ड्राइवर और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की पूछताछ में दोनों ने बताया कि जब्त की गई शराब में से कुछ की सप्लाई गाजियाबाद में होनी थी. जबकि बाकी की सप्लाई उत्तराखंड में होनी थी. पुलिस ने उत्तराखंड के उस शख्स के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया है जिसके पास ये शराब जा रही थी, पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए एक टीम भी गाजियाबाद से रवाना कर दी है. पुलिस का कहना है कि पूछताछ में आरोपियों ने कहा कि इस शराब का इस्तेमाल आने वाले चुनाव में होने वाला था. जब्त की गई शराब की कीमत 16 लाख रुपए बताई जा रही है.
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आने वाले दिनों में मरीज़ के तीमारदारों को डॉक्टरों से मारपीट करना महंगा पड़ेगा. सज़ा और भारी जुर्माने का प्रावधान के साथ इसका मसौदा स्वास्थ्य मंत्रालय ने तैयार कर लिया है. इस बात की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दी. साथ में यह भी कहा कि मसौदा को कुछ ही दिनों में फीडबैक के लिए पब्लिक फोरम के बीच डाला जाएगा. स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये मसौदा रेजिडेंट डॉक्टर्स और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ मिलकर बनाया है.
- सालभर की सज़ा से लेकर 7 साल तक कि सजा का प्रावधान
- एक लाख से लेकर 5 लाख तक मुआवजे की बात
- अगर हॉस्पिटल या उसके इक्विपमेंट को नुकसान तो उसके कॉस्ट से दोगुना पैसा वसूलने का प्रावधान
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ सुमेद सन्दनशिव के मुताबिक दिल्ली में साल भर के भीतर करीब 60-70 घटनाएं डॉक्टर के साथ मारपीट की हुई हैं और इसको लेकर राजधानी में ही दर्जन से भी ज़्यादा बार डॉक्टर हड़ताल कर चुके हैं. लोकनायक अस्पताल में तो मरीज़ों को तीन बार अस्पताल की वजह से परेशानी हुई है.
वहीं, 17 राज्यों में रेजिडेंट डॉक्टर्स को लेकर काम करने वाली यूनाइटेड रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ मनु गौतम की मानें तो देशभर में मौखिक या शारीरिक रूप से हर दिन औसतन एक डॉक्टर इसका शिकार हो रहा है. पर, इस बात पर ज़ोर दिया कि ज़्यादातर मामले रिपोर्ट ही नहीं होते. हाल ही में कोलकाता में डॉ के साथ मारपीट की घटना ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थी। सख्त कानून की मांग लंबे अरसे से हो रही थी.
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पाकिस्तान की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने अमेरिका पर सीधा हमला किया। गिलानी ने पूछा कि अल कायदा और ओसामा बिन लादेन को किसने पैदा किया है। गिलानी ने कहा पाकिस्तान अपने सम्मान की रक्षा करना जानता है। इसलिए कोई भी इस तरह के ऑपरेशन दोबारा करने की ना सोचे। उनके अनुसार देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अपने बयान में उन्होंने कहा कि ओसामा बिन लादेन के मारे जाने से वाकई इंसाफ हुआ है लेकिन पाकिस्तान जीत का जश्न मनाने की जल्दबाजी में नहीं है। गिलानी ने कहा कि लादेन को शरण देने और अक्षमता के लगाए गए आरोप बेतुके हैं। इस हमले को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या लादेन की मौजूदगी की पाकिस्तान को जानकारी थी, हालांकि ऑपरेशन के बारे में पाकिस्तान की सरकार पहले ही कह चुकी है कि उसे अमेरिका ने कोई जानकारी नहीं दी। अब प्रधानमंत्री गिलानी ने बयान देकर देश को भरोसे में लेने की कोशिश की है।(कुछ अंश भाषा से)
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गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे एवं अंतिम चरण के चुनाव प्रचार के आखिर दिन पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पर हमला करते हुए उनके असंतुष्ट साथी दिनेश बमभानिया ने दावा किया कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन के इस नेता ने कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से मुलाकात की थी.
वाड्रा और राहुल से हुई बातों का खुलासा करें हार्दिक: बमभानिया
बमभानिया ने हार्दिक पर अक्टूबर में फाइव स्टार होटल में राहुल गांधी के साथ अपनी ‘गोपनीय बैठक’ के बारे में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) के कोर सदस्यों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया. इस समिति ने ही आरक्षण आंदोलन का संचालन किया था. उन्होंने कहा कि हार्दिक को यह स्पष्ट करना चाहिए कि राहुल गांधी और वाड्रा के साथ इन मुलाकातों के दौरान क्या बातचीत हुई.
क्या वाड्रा के साथ हार्दिक का कोई सौदा हुआ?
बमभानिया ने कहा, ‘PAAS के सदस्यों द्वारा कई बार पूछे जाने के बाद भी हार्दिक ने कभी नहीं खुलासा किया कि राहुल गांधी के साथ उस बैठक में क्या बातचीत हुई. हार्दिक दिल्ली में रॉबर्ट वाड्रा से भी मिले. तब भी कोई स्पष्टीकरण नहीं आया. क्या वाड्रा के साथ कोई सौदा हुआ?’ कांग्रेस और
हार्दिक ने
इस बात से इनकार किया था कि अक्टूबर में एयरपोर्ट के पास किसी होटल में राहुल के साथ हार्दिक की मुलाकात हुई थी. पहले चरण के चुनाव से एक दिन पहले आठ दिसंबर को बमभानिया ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस की गुजरात इकाई ने स्पष्ट नहीं किया कि वह पाटीदारों को कैसे आरक्षण देगी, ऐसे में हार्दिक ‘किसी सौदे’ के चलते पार्टी के पक्ष में हैं.
कांग्रेस को नापसंद करने के बाद भी क्यों कर रहे वोट देने की अपील?
कांग्रेस के लिए हार्थिक के खुले समर्थन पर बमभानिया ने कहा, 'कांग्रेस के घोषणापत्र में ये साफ नहीं किया गया है कि पाटीदारों को ओबीसी कोटा के तहत कैसे
आरक्षण दिया
जाएगा. फिर हार्दिक कैसे जनता को कांग्रेस के लिए वोट करने की अपील कर रहे हैं? चुनावी रैलियों में हार्दिक कहते हैं कि वे कांग्रेस को पसंद नहीं करते, लेकिन लोगों से उसी को वोट देने को कहते हैं. किस मजबूरी की वजह से हार्दिक ऐसा कह रहे हैं.' बता दें कि गुजरात में दूसरे चरण का चुनाव 14 जिलों की 93 सीटों पर 14 दिसंबर को होना है.
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वियतनाम में पिछले एक दशक में आई सबसे भीषण बाढ़ की वजह से करीब 29 लोगों की मौत हो गई है। वियतनाम का दक्षिणी मेकॉन्ग डेल्टा सबसे ज्यादा प्रभावित है। देश के सरकारी न्यूज चैनल वीटीवी के मुताबिक एन ग्यांग और डॉन्ग थाप प्रांत में हाल ही में पांच लोगों की मौत हुई हैं। बाढ़ में करीब साठ हजार से ज्यादा मकान डूब गए हैं और हज़ारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो चुकी है। कई इलाकों का सड़क संपर्क टूट गया है। अभी तक बाढ़ से लगभग 45 मिलियन यूएस डॉलर का नुकसान होने का अंदाजा लगाया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक बाढ़ का पानी अक्टूबर के अंतिम हफ्ते तक बना रह सकता है।
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बीटीएस मील अंतरराष्ट्रीय फास्ट फूड चेन मैकडॉनल्ड्स द्वारा दक्षिण कोरियाई बॉय बैंड बीटीएस के सहयोग से बेचा जाने वाला मील था। चिकन मैकनगेट्स, मध्यम फ्रेंच फ्राइज़, एक मध्यम कोका-कोला, और दो मसालेदार डिपिंग सॉस (स्वीट चिली और काजुन) से मिलकर बीटीएस मील २६ मई, २०२१ से २० जून, २०२१ तक चुनिंदा देशों में बेचा गया और अंततः कुल बिक्री तक पहुंच गया। पचास देशों की।
उत्पाद वर्णन
बीटीएस मील में "लोकप्रिय मैकडॉनल्ड्स दक्षिण कोरियाई व्यंजनों" से प्रेरित १०- या ९-पीस चिकन मैकनगेट्स, मध्यम फ्रेंच फ्राइज़, एक मध्यम कोका-कोला और स्वीट चिली और काजुन डिपिंग सॉस शामिल हैं।
इतिहास
बैंड की एजेंसी बिग हिट एंटरटेनमेंट के एक प्रतिनिधि ने एक आधिकारिक बयान के माध्यम से बीटीएस और मैकडॉनल्ड्स के बीच सहयोग की घोषणा की। आधिकारिक रिलीज़ से पहले प्रशंसक खाना आदेश सेवा के माध्यम से मील कूपन खरीद सकते थे।
देशों और स्थान के आधार पर बीटीएस मील डाइन-इन, टेक-आउट, ड्राइव-थ्रू और ऐप-आधारित ऑर्डर के माध्यम से उपलब्ध था, और यह केवल नियमित घंटों के दौरान उपलब्ध था। सहयोग मैकडॉनल्ड्स के लिए तीसरा सहयोग था। बीटीएस मील पहली बार २६ मई, २०२१ को जारी किया गया था, चुनिंदा देशों में जिनमें शामिल हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रिया, बहामास, ब्राजील, कनाडा, कोलंबिया, डोमिनिकन गणराज्य, इंडोनेशिया, इज़राइल, मलेशिया, पैराग्वे, फिलीपींस और सिंट मार्टेन। जून के अंत तक, पचास देशों में मील जारी किया गया था। कोविड-१९ महामारी के बीच, इंडोनेशिया में भारी भीड़ ने कथित तौर पर कई आउटलेट्स को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए मजबूर किया, जबकि सिंगापुर में महामारी के कारण आउटलेट्स पर भीड़ को रोकने के लिए मील केवल डिलीवरी के माध्यम से ऑर्डर किया जा सकता था। इसके रिलीज होने पर बीटीएस-प्रेरित पैकेजिंग जिसमें मील परोसा गया था, को कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर पुनर्विक्रय के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें कैरोसेल भी शामिल था। प्रमोशन २० जून, २०२१ को बंद कर दिया गया था।
स्वागत
शिकागो ट्रिब्यून के लिए लिखते हुए लुईसा चू ने डिपिंग सॉस को "चिकनी, लेकिन आश्चर्यजनक" पाया। वल्चर की रेबेका आल्टर ने मैकडॉनल्ड्स के व्यापार कौशल की प्रशंसा की, कहते हुए कि सहयोग ने "मुझे जंजीरों में संगीतकार प्रोमो के भविष्य के लिए आशावादी बना दिया"। एस्क्वायर मिडिल ईस्ट के विलियम मुल्ली ने काजुन डिपिंग सॉस को "फास्ट फूड महानता का सामान" बताया।
मैकडॉनल्ड्स के अनुसार २०२१ में रिलीज दक्षिण कोरिया में एक मिलियन से अधिक बिक्री तक पहुँच गई, और बिक्री में वृद्धि हुई।
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हमारे बीच चिकन नगेट, जो एक बीटीएस मील में मिला था
संदर्भ
बाहरी संबंध
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 19 सितम्बर से 'अधिकार यात्रा' पर निकलेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग मजबूत करना होगा. साथ ही मुख्यमंत्री के निशाने पर केंद्र सरकार के साथ सभी विपक्षी दल भी होंगे.
माना जा रहा है कि नीतीश 'एक साधे सब सधे, सब साधे, सब जाए' को आधार बनाकर केवल विशेष राज्य की बात करेंगे लेकिन उनके निशाने पर सभी राजनीतिक दल होंगे.
नीतीश ने इससे पहले भी जनता के बीच जाने के लिए किसी न किसी यात्रा को माध्यम बनाया है और उनकी सभी यात्राएं चर्चित रही हैं. कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने सेवा यात्रा की थी, जबकि इसके पूर्व विकास यात्रा, न्याय यात्रा, प्रवास यात्रा, धन्यवाद यात्रा और विश्वास यात्रा के रथ पर सवार होकर वह पूरे बिहार की परिक्रमा कर चुके हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उनसे पहले जनता से सम्पर्क बनाने के लिए नेता रैलियों की राजनीति करते थे, परंतु नीतीश ने रैलियों की बजाये स्वयं जनता के द्वार पर जाने का काम किया, जिसका फायदा भी उन्हें मिला.
इन यात्राओं का ही परिणाम है कि सत्ताधारी दल प्रचंड बहुमत से दूसरी बार बिहार की सत्ता पर काबिज हुआ. जनता दल (युनाइटेड) के प्रवक्ता नीरज कुमार के अनुसार 'अधिकार यात्रा' का कार्यक्रम विशेष राज्य के दर्जे की मांग को केंद्र में रखकर बनाया गया है जबकि इसका एक अन्य उद्देश्य विकास योजनाओं की जमीन पर समीक्षा करना भी है. इस यात्रा का प्रारम्भ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली पश्चिमी चंपारण जिले से होगा.
राजनीति के जानकार एवं पटना के वरिष्ठ पत्रकार गंगा प्रसाद कहते हैं कि नीतीश यात्राओं की राजनीति में माहिर खिलाड़ी हैं. इन यात्राओं से न केवल वे अपने कार्यकर्ताओं में संजीवनी का संचार करते हैं बल्कि अपने विकास कार्यों, अधिकारियों के क्रिया-कलापों की जमीनी हकीकत भी पता करते हैं.
वह कहते हैं कि प्रारम्भ में जब नीतीश ने यात्राएं शुरू की थीं तब और आज भी यात्राओं को लेकर वह विपक्षी दलों के निशाने पर रहते आए हैं, लेकिन स्थिति बदली और आज विपक्षी दल के नेता भी सत्ता पाने की छटपटाहट में इन यात्राओं को ही हथियार बना रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद हाल ही में 'परिवर्तन यात्रा' करने पर मजबूर हुए, जबकि कांग्रेस के अध्यक्ष महबूब अली कैसर 'पोल खोल यात्रा' से राज्य सरकार की पोल खोलने जनता के बीच गए. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान भी जनसम्पर्क यात्रा के माध्यम से लोगों के पास पहुंच रहे हैं.
राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री श्याम रजक ने कहा कि मुख्यमंत्री की यात्रा का नाम जो भी हो लेकिन उस यात्रा का मुख्य उद्देश्य बिहार का विकास ही होता है. इसमें भी विपक्षी दलों को परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री की यात्रा का परिणाम ही है कि गांव के लोगों को किसी कार्य की शिकायत करने के लिए राजधानी नहीं आना पड़ता, लोग मुख्यमंत्री की किसी और यात्रा का इंतजार करते हैं. उन्हें उनके क्षेत्र में 'ऑन स्पॉट रिजल्ट' मिलता है. गलती का पता चला और तुरंत निदान भी हुआ.
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युंग ने उन सामूहिक विचारों को आद्य बिंब आद्य रूप या मूल प्रारूप कहा है जो मनुष्य के प्रजातीय अवचेतन में सृष्टि के आरंभ से अंत तक के संस्कारों की दीर्घ परंपरा के रूप में संरक्षित रहती हैं। प्रजातीय अवचेतन मन में मनुष्य की सहज वृत्तियाँ समाहित रहती है। पूर्वजों की जीवाणु कोशिकाएं उनके वंशजों में अवतरित हो जाती हैं। ये कोशिकाएं अपने साथ साथ प्रजातीय अवचेतन में सुरक्षित अनुभवों और प्रतिक्रिया प्रणालियों को भी ले आती हैं।
दर्शन
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जयराम रमेश का हृदय परिवर्तन हो गया. उन्होंने बस्तर में हालिया नक्सल हमलों के बाद बयान दिया है कि ये लोग आतंकवादी हैं. पहले उन्होंने कहा था कि ये लोग गलत दिशा में काम कर रहे विचारक हैं, बुद्धिजीवी हैं. मगर अब उनका स्टैंड बदल चुका है. देखें क्या है उनका ताजा बयान. रमेश कहते हैं, ‘आतंकवादी हैं ये. और क्या हैं आखिर. आप इनके बारे में क्रांतिकारी रूमानी ख्याल नहीं पाल सकते. ये अपनी हरकतों से चारों तरफ खौफ फैला रहे हैं, आतंक मचा रहे हैं’.
ये बदलाव नया और बड़ा है. रमेश कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं जो इस मसले पर उदार रुख की वकालत करते रहे हैं. उन्होंने बार बार दोहराया था कि भारत के कई हिस्सों में सक्रिय इन संगठनों को महज लॉ एंड ऑर्डर की एक समस्या नहीं माना जा सकता. ये दरअसल एक सामाजिक आर्थिक समस्या का बाहरी चेहरा हैं. उदार सोच वाले इन नेताओं की जमात ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को भी यह समझाने में कामयाबी पा ली थी कि नक्सली इलाकों में बल प्रयोग के घातक परिणाम होंगे.
इस जमात के उलट प्रधानमंत्री की बात करें, तो उन्होंने बार बार नक्सलवादी आतंक को देश के सामने मौजूद बड़ी चुनौतियों में से एक बताया है. मगर उनकी चिंता सिर्फ बयानों तक सीमित रही. उदार रुख की वकालत करने वाले नेता, जो पीएम के खास खेमे में नहीं गिने जाते, अपनी बात आधे अधूरे ढंग से मनवाते रहे. नतीजतन रणनीति के स्तर पर एक भ्रम पैदा हो गया, जो लगातार जारी है. पर ऐसा हमेशा नहीं था. जब पी चिदंबरम गृह मंत्री थे, तब केंद्र सरकार का नक्सलियों के खिलाफ सख्त रवैया दिखने लगा था. ऑपरेशन ग्रीन हंट हो या सैन्य बलों की दूसरी आक्रामक और प्रभावी कार्रवाईयां और मौजूदगी, संदेश साफ था. मगर चिदंबरम के मंत्रालय छोड़ते ही सब सुस्त हो गया, ठहरने लगा.
सुशील कुमार शिंदे के गृह मंत्री बनने के बाद सरकार का फोकस नक्सलवाद से हटकर भगवा आतंकवाद पर आ गया.विकास के जरिए नक्सलियों से लड़ने की वकालत करने वाले जयराम रमेश जमीनी स्तर पर भी सक्रिय रहे. उन्होंने नक्सल हिंसा से प्रभावित कुछ जिलों में केंद्र सरकार की स्कीमों के प्रभावी क्रियान्वन के लिए लगातार पहल की. उन्हें इन कोशिशों में काफी कामयाबी भी मिली. तब उन्हें लगने लगा कि डेवलपमेंट और डेमोक्रेसी के सहारे नक्सलवाद से निपटा जा सकता है. मगर हालिया हमलों के बाद उनके यकीन का शिराजा बिखर गया. उन्हें अपनी थ्योरी पर ही शक करना पड़ा. और ये हाल सिर्फ रमेश का ही नहीं, सरकार के दूसरे नुमाइंदों और आदिवासी हितों की लड़ाई को उदार नजरिये से देखने की बात करने वाले विचारकों का भी है.
बहरहाल, अगर हम समाधान की बात करें, तो ये चार रास्ते दिखते हैं
1. सरकार सेना और दूसरे बलों के सहारे नक्सलवादियों को कुचल दे.
2. नक्सलवादियों से बातचीत के जरिए समाधान तलाशा जाए.
3. बातचीत भी जारी रहे और सशस्त्र बलों की ठोस कार्रवाई भी.
4. विकास और लोकतंत्र के जरिए उनकी विचारधारा को खत्म कर दिया जाए.
ये चारों ही विकल्प ठीक लग सकते हैं. बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि आप किस नजर और जमीन से इसे देख रहे हैं. दिक्कत तब होती है, जब हम हिंसा करने वालों को और उनकी विचारधारा को एक ही चश्मे से देखने लगते हैं. इस गड़बड़झाले के चलते नक्सलवादियों के खिलाफ हमारी लड़ाई अस्थिर और कमजोर हुई है. हथियारों के दम पर घुसपैठियों को, हिंसा करने वाले को मार गिराया जा सकता है, मगर उस मानसिक दशा, उस विचार, उसको मानने वाले समूह को नहीं. ऐसा ही होता है. कुछ लोग मर जाते हैं, उनकी जगह दूसरे जाते हैं, विचार कायम रहता है और मजबूत होता जाता है.
माओवादी ये बात समझते हैं और इसीलिए जो भी सरकारी स्कीम लोगों तक पहुंचती दिखती है, उसकी राह में रोड़े अटकाने लगते हैं. सड़कें माइन लगाकर उड़ा दी जाती हैं, स्कूलों की बिल्डिंग तोड़ दी जाती हैं और संचार के दूसरे तरीकों को भी पनपने नहीं दिया जाता. अगर तोड़फोड़ नहीं भी होती, तो निर्माण होने देने के नाम पर नक्सली लेवी वसूलते हैं. सरकारी इमारत बनानी हो या फिर जंगल का ठेका उठाना हो, उन्हें कट दिए बिना काम नहीं बनता. और सिर्फ निजी ही नहीं, सरकारी तंत्र भी इस आदेश का पालन करता दिखता है.करो तो भरो और मरो, नहीं करो, तो भी यही हाल. ऐसे में इन इलाकों के लिए पारित होने वाले, या जमीन पर क्रियान्वित भी होने वाले विकास कार्य लोगों का विकास करें या नहीं, माओवादियों का विकास जरूर करते हैं.
एक मसला ये भी है कि अगर बातचीत की भी जाए, तो किससे. माओवादियों के इतने सारे समूह हैं, जो कभी साथ तो कभी अलग खड़े दिखते. कई बार आपस में भी टकराते. इस विचारधारा के नाम पर, जल जंगल जमीन के नाम पर कई ठगों, गुंडों और अपराधियों के गिरोह भी पनप चुके हैं. इससे भी बढ़कर दिक्कत यह है कि हिंसा के जरिए बदलाव लाने का सुर अलापते ये समूह भारत के संविधान को भी नहीं मानते. उनकी बात की शुरुआत ही इस तंत्र को उखाड़ फेंकने से होती है. तो फिर ये तंत्र उनसे बात कैसे करे.
एक सैद्धांतिक विकल्प हैं ज्यादा डेवलपमेंट और उसके सहारे और ज्यादा डेमोक्रेसी लाने का. यह विचार, रणनीति या तरीका सही और शांतिपूर्ण लगता है. मगर माओवादी ऐसा होने नहीं देंगे. वे जिन इलाकों पर काबिज हैं, वहां से उखड़ जाएंगे, अगर लोकतंत्र और विकास की सच्ची दस्तक हो गई.
तो फिर क्या किया जाए. क्या माओवाद और माओवादियों को अलग-अलग दुश्मनों के तौर पर देखा जाए. माओवाद या नक्सलवाद बढ़ा है क्योंकि देश के एक हिस्से में आदिवासियों, दलितों और ग्रामीणों तक विकास और लोकतंत्र नहीं पहुंचा है. लोगों को राज्य के होने पर, उसकी मंशा पर और उसकी ताकत पर यकीन नहीं है.
ये वे लोग हैं, जो उन इलाकों में रहते हैं, जहां राज्य की विकास और न्याय के जरिए मौजूदगी नहीं दिखी है. तो ऐसे में जिम्मेदारी राज्य की बनती है, कि वह अपनी लोक कल्याणकारी छवि को सही साबित करे. आदिवासियों तक सड़क, शिक्षा, रोजगार, न्याय पहुंचाया जा सके. उन्हें भारत का हिस्सा, अभिन्न हिस्सा होने का एहसास कराया जाए. उनकी चिंताओं को हमारी चिंता बनाया जाए.
जब आदिवासियों को ये लगने लगेगा कि राज्य के साथ, तंत्र के साथ खड़े होने में ही उनका फायदा है, उनकी तरक्की है, बागियों का चोला पहने नक्सलियों के साथ में नहीं, तो हालात भी बदल जाएंगे और समस्या का हल भी मिल जाएगा. और ये माओवादियों को नहीं, माओवाद को जवाब होगा, उसका समाधान होगा. मुल्क में माओवादियों को देखनी होगी स्टेट की पूरी ताकत. स्टेट को साफ शब्दों और कर्मों से उन्हें ये समझा देना होगा कि जब तक बंदूक हाथ में थामे रहोगे, बात नहीं होगी.
बात करनी है, तो बात करो, गोली मत चलाओ. गोली चलानी है, तो गोली चलाओ, बात मत करो.
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यह एक लेख है: उत्तराखंड में भारी बारिश ने राहत अभियान पर ब्रेक लगा दिया है। खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर उड़ नहीं पा रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने खराब मौसम में भी उड़ने की क्षमता रखने वाले हेलीकॉप्टरों की मांग की है। तबाह हुए गांवों में हजारों लोग खाने-पीने के लिए मोहताज हैं और अन्य राहत सामग्री की आस में बैठे हैं लेकिन बारिश के कारण राहत बचाव का काम रुक गया है, जो लोग अपने लापता रिश्तेदारों की तलाश कर रहे थे अब उनका भी हौसला टूटने लगा है।
उत्तराखंड में भारी बारिश ने आम लोगों के साथ ही सरकार की भी परेशानी बढ़ा दी है। राहत अभियान रुक-सा गया है। गांव में फंसे लोगों तक खाने का सामान नहीं पहुंच पा रहा है। अब राज्य सरकार ने उन हेलीकॉप्टर को देने की अपील की है, जो खराब मौसम में भी राहत अभियान को जारी रख सके। रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल और अल्मोड़ा में बारिश रुकने का नाम नहीं रही है। भारी बारिश की वजह से केदरनाथ घाटी में राहत अभियान रोकना पड़ा है, दूसरे इलाकों में भी लोग काफी परेशान हैं।टिप्पणियां
लगातार बारिश की वजह से उत्तरकाशी में भागीरथी नदी उफान पर है। भागीरथी के किनारे को पहले ही खाली करा लिया गया था, लेकिन अब यहां बचे लोगों के उजड़ने की स्थिति बन गई है।
उधर, तबाही के तीन हफ्तों के बाद अभी तक कई इलाके ऐसे हैं, जो कि राहत को तरस रहे हैं। ऐसा ही एक इलाका है, धारचुला जहां के लोग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। यहां अब तक राहत का सामान नहीं पहुंचा है। यह इलाका नेपाल से सटा हुआ है। आपदा के दो हफ्ते बाद भी अब तक लोगों को राहत का इंतज़ार है। इस इलाके के पैदल पुल बह गए हैं, सड़कें कट गई है और मौसम की खराबी की वजह से हेलीकॉप्टर से भी राहत सामग्री नहीं भेजी जा रही है। यहां जाउल जीवी इलाके में नेपाल को भारत से जोड़ने वाला पुल भी गौरी गंगा में बह गया है, जिसके बाद से नेपाल के 55 गांवों में खाने−पीने की चीज़ों की कमी हो गई।
उत्तराखंड में भारी बारिश ने आम लोगों के साथ ही सरकार की भी परेशानी बढ़ा दी है। राहत अभियान रुक-सा गया है। गांव में फंसे लोगों तक खाने का सामान नहीं पहुंच पा रहा है। अब राज्य सरकार ने उन हेलीकॉप्टर को देने की अपील की है, जो खराब मौसम में भी राहत अभियान को जारी रख सके। रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल और अल्मोड़ा में बारिश रुकने का नाम नहीं रही है। भारी बारिश की वजह से केदरनाथ घाटी में राहत अभियान रोकना पड़ा है, दूसरे इलाकों में भी लोग काफी परेशान हैं।टिप्पणियां
लगातार बारिश की वजह से उत्तरकाशी में भागीरथी नदी उफान पर है। भागीरथी के किनारे को पहले ही खाली करा लिया गया था, लेकिन अब यहां बचे लोगों के उजड़ने की स्थिति बन गई है।
उधर, तबाही के तीन हफ्तों के बाद अभी तक कई इलाके ऐसे हैं, जो कि राहत को तरस रहे हैं। ऐसा ही एक इलाका है, धारचुला जहां के लोग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। यहां अब तक राहत का सामान नहीं पहुंचा है। यह इलाका नेपाल से सटा हुआ है। आपदा के दो हफ्ते बाद भी अब तक लोगों को राहत का इंतज़ार है। इस इलाके के पैदल पुल बह गए हैं, सड़कें कट गई है और मौसम की खराबी की वजह से हेलीकॉप्टर से भी राहत सामग्री नहीं भेजी जा रही है। यहां जाउल जीवी इलाके में नेपाल को भारत से जोड़ने वाला पुल भी गौरी गंगा में बह गया है, जिसके बाद से नेपाल के 55 गांवों में खाने−पीने की चीज़ों की कमी हो गई।
लगातार बारिश की वजह से उत्तरकाशी में भागीरथी नदी उफान पर है। भागीरथी के किनारे को पहले ही खाली करा लिया गया था, लेकिन अब यहां बचे लोगों के उजड़ने की स्थिति बन गई है।
उधर, तबाही के तीन हफ्तों के बाद अभी तक कई इलाके ऐसे हैं, जो कि राहत को तरस रहे हैं। ऐसा ही एक इलाका है, धारचुला जहां के लोग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। यहां अब तक राहत का सामान नहीं पहुंचा है। यह इलाका नेपाल से सटा हुआ है। आपदा के दो हफ्ते बाद भी अब तक लोगों को राहत का इंतज़ार है। इस इलाके के पैदल पुल बह गए हैं, सड़कें कट गई है और मौसम की खराबी की वजह से हेलीकॉप्टर से भी राहत सामग्री नहीं भेजी जा रही है। यहां जाउल जीवी इलाके में नेपाल को भारत से जोड़ने वाला पुल भी गौरी गंगा में बह गया है, जिसके बाद से नेपाल के 55 गांवों में खाने−पीने की चीज़ों की कमी हो गई।
उधर, तबाही के तीन हफ्तों के बाद अभी तक कई इलाके ऐसे हैं, जो कि राहत को तरस रहे हैं। ऐसा ही एक इलाका है, धारचुला जहां के लोग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। यहां अब तक राहत का सामान नहीं पहुंचा है। यह इलाका नेपाल से सटा हुआ है। आपदा के दो हफ्ते बाद भी अब तक लोगों को राहत का इंतज़ार है। इस इलाके के पैदल पुल बह गए हैं, सड़कें कट गई है और मौसम की खराबी की वजह से हेलीकॉप्टर से भी राहत सामग्री नहीं भेजी जा रही है। यहां जाउल जीवी इलाके में नेपाल को भारत से जोड़ने वाला पुल भी गौरी गंगा में बह गया है, जिसके बाद से नेपाल के 55 गांवों में खाने−पीने की चीज़ों की कमी हो गई।
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स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (SRHU) देहरादून शहर से लगभग 25 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में और उत्तराखंड के उत्तर भारतीय राज्य में जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के करीब एक निजी विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय का नाम भारतीय योगी स्वामी राम के नाम पर रखा गया है।
इतिहास
अप्रैल 2012 में, हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट द्वारा उत्तराखंड सरकार के समक्ष एक विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया था। दिसंबर 2012 में उत्तराखंड विधानसभा ने 'हिमालयन यूनिवर्सिटी बिल, 2012' पारित किया और फरवरी 2013 में यह उत्तराखंड के राज्यपाल के रूप में हिमालयन यूनिवर्सिटी एक्ट, 2012 (2013 का उत्तराखंड अधिनमय सांख्य 12) के रूप में एक अधिनियम बन गया। विश्वविद्यालय का पहला शैक्षणिक सत्र जुलाई 2013 से शुरू हुआ था।
मिशन
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय को चिकित्सा विज्ञान, दंत विज्ञान, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल और संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान, विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी सहित उपयुक्त रूप से अध्ययन, प्रशिक्षण, और अध्ययन की अनुसंधान शाखाएं प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था: योग विज्ञान, प्रबंधन, ग्रामीण विकास, मानविकी और उच्च शिक्षा की अन्य शाखाएँ।
शिक्षाविदों
SRHU एक निजी विश्वविद्यालय है और इसकी शैक्षणिक गतिविधियाँ इसके चार घटक महाविद्यालयों (संकायों) के माध्यम से आयोजित की जाती हैं, जो स्नातक (UG), स्नातकोत्तर (PG) और डॉक्टरेट डिग्री प्रोग्राम चलाते हैं। चार स्कूल नीचे सूचीबद्ध हैं।
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (HIMS)
HIMS मेडिकल और पैरामेडिकल स्टडीज में पाठ्यक्रम प्रदान करता है। स्नातक पाठ्यक्रमों में एमबीबीएस और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, कम्युनिटी मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, बाल रोग, त्वचा (त्वचाविज्ञान, शुक्रशास्त्र और कुष्ठ रोग), रेडियो डायग्नोसिस, एनेस्थिसियोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन और रेडियोथेरेपी में एमडी हैं।
हिमालयन कॉलेज ऑफ नर्सिंग (HCN)
पेश किए गए पाठ्यक्रम बेसिक B.Sc. नर्सिंग और पोस्ट बेसिक B.Sc. नर्सिंग।
हिमालयन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (HSET)
पेश किए गए पाठ्यक्रम बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन, बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी इन सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, इत्यादि हैं ।
हिमालयन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (HSMS)
एमबीए, बी.कॉम ऑनर्स और बीबीए प्रोग्राम इन स्पेशलाइज़ेशन ऑफ स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़ द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
बाहरी कोड़िया
Website of Swami Rama Himalayan University
Uttarakhand Government website
Website of Medical Council of India
सन्दर्भ
देहरादून
उत्तराखण्ड
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‘जिसे लोगों ने नक्सलवाद या माओवाद कह कर बदनाम किया हुआ है, राजेंद्र यादव ने हाल ही एक साक्षात्कार में सूचित किया, ‘रास्ता तो मुझे वहीं दिखाई देता है. वही लोग हैं जो गरीबों के साथ हैं. बहुराष्ट्रीय कंपनियां गरीब-आदिवासियों की जमीनें छीन रही हैं उन पर बड़ी-बड़ी फैक्ट्री बना रही हैं. उनको लगता है सत्ता लेनी है तो बंदूक का सहारा लेना पड़ेगा. उद्देश्य उनका भी गांधीवादी है. तरीका थोड़ा अलग है समाज में समता लाने का. ‘बंदूक की क्षमता और योग्यता बाद में, पहले यादवजी के ‘गरीबनवाज नक्सली’ और उनका ‘पूंजीपतियों के विरुद्ध युद्ध’.
न मालूम यादव जी कौन इलाकों में गये हैं, किन लालधारियों से मिले हैं. इस प्रांत का दृश्य, जहां अनुकूल भूगोल नक्सल उपस्थिति देश में सर्वाधिक बनाता है, दरियागंज दरबार के टैलीस्कोप में टिमकती रूमानियत का विलोम है.
माओवादियों ने पिछले दस साल में पुलिसवालों से कहीं अधिक ‘गरीब आदिवासियों’ की हत्या की है. कई ‘पूंजीपति’ और उनकी ‘बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां’ यहां कार्यरत हैं, धरती से खनिज निकाल आदिवासियों का ‘शोषण’ कर रहीं हैं लेकिन किसी ‘पूंजीपति’ को नक्सली ने खरौंचा तक नहीं कभी. बैलाडीला की काली पहाडि़यों में बेजोड़ लोहा बसा है, लौह कण ढोने के लिये दुनिया की दूसरी सबसे लंबी पाइपलाइन ‘पूंजीपति’ ने धुर आदिवासी इलाके में बीहड़ जंगलों को काट बिछाई- साक्ष्य मौजूद हैं इसके एवज में करोड़ों का नियमित हफ्ता नक्सलियों को जाता रहा है.
दुचित्ता, दोचेहरा यह लालधारी दिन में जंगल की पगडंडी पर 'पूंजीपति वापस जाओ’ का नारा लिखता है रात में उनका फेंका गोश्त चूसता है. सत्यापित करना हो तो जीवन का, कला का नहीं, जोखिम उठा दंतेवाड़ा आयें, नक्सलियों का जन्माक्षर हासिल कर लें.
लालधारियों की क्रांतिकारिता के चेहरे और भी हैं. बित्ते भर का यह प्रांत, मानव-संख्या दिल्ली जितनी, लेकिन शराब बिक्री का आंकड़ा देश में आरंभिक पायदान पर. बीहड़ नक्सल गांवों में बिजली दिन में छः घंटा, शाम से गलियां सुनसान, निवासी घर पुलिसिये थाने में दुबक जाते हैं, अंग्रेजी दारू की दुकान पर जैनरेटर दस बजे तक चमकता है. गांव में किसी दुकान की बिक्री हजार-पांच सौ से अधिक नहीं, यह अड्डा दस-बारह हजार रोज पीटता है. आदिवासी महुआ, सल्फी, ताड़ी में सिमट-निबट गये, डेनमार्क की बीयर कार्ल्सबर्ग जंगल में मचान बना रहता गरीब-रहनुमा नक्सली सुड़कता है. किस पैसे से? किस नैतिक अधिकार से?
लाल आकाओं के बीच ‘लूट के बंटवारे’ पर झगड़े और कत्ल अनिवार्य हुये हैं. इसी जगह लिखा जा चुका है छः लाख करीब की लूट पर झारखंड के युवा नक्सलियों ने अपने सेनापति को पिछले साल उड़ा डाला था. पुलिस-प्रशासन की ज्यादतियां हैं, बेहिसाब हैं, ‘पूंजीपति’ द्वारा अवैध जमीन अधिग्रहण भी है, इसका घनघोर विरोध होना चाहिये, लेकिन बुजुर्ग संपादक को दीखता ‘एकमात्र रास्ता’ अब बेलगाम, बेमुरव्वत और बंजर हो चुका है.
साठ-सत्तर के दशक में, विश्वविद्यालयों को थर्राते आमोर बाड़ी तोमार बाड़ी नक्सलबाड़ी के वक्त, किसी स्वप्निल मुकाम को इंगित करता यह रास्ता आज अधिकांशतः संगठित ठगी का रूपक है. दबंग डकैती भी नहीं, टुच्ची और लुच्ची ठगी. कभी-कभार किसी सच्चे क्रांतिकारी से मिल आप परिवर्तन की उम्मीद न सही उसकी निष्ठा को सलाम करते हैं लेकिन जल्दी ही जान जाते हैं वह अकेला पड़ चुका है, घुटने भींचे बैठा उसका पेटभरा कामरेड खुद को चुप स्खलित कर रहा है. नक्सलपुर में विचार ही नहीं ईमान और दुस्साहस की भी तंगी है.
क्या थी इसकी वजह? क्या पिछली सदी का विलक्षण साम्यवादी तोहफा? पिछले साठ सालों में इस ग्रह पर सर्वाधिक प्रयुक्त रूसी शब्द. लेनिन, स्टालिन, ट्राट्स्की या ब्राड्स्की नहीं, तारकोवस्की, टाल्सटाय या दोस्तोयवस्की, गोर्बाचेफ, ग्लासनोस्त भी नहीं- कलाश्निकोव उर्फ अवतोमात कलाश्निकोव- 47. सैंतालीस नहीं, फोर्टी सैवन.
सुकमा. जनवरी.
बंदूक कमबख्त बड़ी कमीनी और कामुक चीज रही. सुकमा के जंगल में काली धातु चमकती है. स्कूल के एनसीसी दिनों में पाषाणकालीन थ्री-नाट-थ्री को साधा था -- बेमिसाल रोमांच. गणतंत्र दिवस परेड के दौरान रायफल के बट की धमक आज भी स्मृति फोड़ती है.
लेकिन यहां एसएलआर यानी सैल्फ-लोडिंग राइफल और मानव इतिहास की सबसे मादक और मारक हमला बंदूक एके-47. भारतीय आजादी के साल किसी रूसी कारखाने में ईजाद और आजाद हुये इस हथियार के अब तक तकरीबन दस करोड़ चेहरे सूरज ने देख लिये हैं. इसकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी अमरीकी एम-16 महज अस्सी लाख. एक बंदूक अपने चालीस-पचास वर्षीय जीवनकाल में दस इंसानों ने भी साधी तो सौ करोड़. भारत की आबादी जितने होंठ इसे चूम चुके.
इसका जिस्म, जोर और जहर गर्म मक्खन में चाकू की माफिक दुश्मन की छाती चीरता है. ख्रुश्चेव की सेना ने 1956 का हंगरी विद्रोह इसी बंदूक से कुचला था. वियतनाम युद्ध में इसने ही अमरीकी बंदूक एम-14 को ध्वस्त किया. झुंझलाये अमरीकी सिपाही अपने हथियार फेंक मृत वियतनामियों की एके-47 उठा लिया करते थे. समूचे सोवियत खेमे और गुटनिरपेक्ष देशों को यह हथियार निर्यात और तस्करी के जरिये पहुंचता था.
शीत युद्ध के दौरान नाटो सेना अपने तकनीकी ताप के बावजूद इस बंदूक का तोड़ नहीं ढूंढ़ पायी थी. पिछले साठ साल में दुनिया भर के सशस्त्र विद्रोह इसकी गोली की नोक पे ही लिखे गये. दक्षिण अमरीका या ईराक, पश्चिमी आधिपत्य के विरोध में खड़े प्रत्येक छापामार लड़ाके का हथियार.
दिलचस्प कि सोवियत सेना को आखिर उनके ही हथियार ने परास्त किया, सोवियत किले पर पहला लेकिन निर्णायक प्रहार इस बंदूक ने ही किया. 1979 में अफगान युद्ध के दौरान अमरीका ने दुनिया भर से एके-47 बटोर अफगानियों को बंटवायीं और लाल सेना अपनी ही निर्मिति को सह नहीं पायी. दस साल बाद जब सोवियत टैंक अफगानी पहाडि़यों से लौटे तो पस्त सिपाहियों की बंदूकों का जखीरा छिन चुका था.
आज भी तालिबानी लड़के इसी क्लाश्निकोव का घोड़ा चूमते हैं, राकेट लांचर की गुलेल बना अमरीकी हेलीकॉप्टर आसमान से तोड़ पहाडि़यों में गिरा लेते हैं. इतना मारक और भरोसेमंद हथियार नहीं हुआ अभी तक. अफ्रीकी रेगिस्तान, साइबेरिया की बर्फ या दलदल- कीचड़ में दुबका दो, साल भर बाद निकालो, पहले निशाने पर झटाक. तमाम देशों की सेना इसके ही मूल स्वरूप को लाइसेंस या बिना लाइसेंस ढालती हैं. चीनी टाइप-56, इजरायल की गलिल या भारतीय इन्सास- सब इसकी ही आधी रात की संतानें.
अकेली बंदूक जिस पर पत्रकार और सेनापतियों ने किताबें लिखी. लैरी काहानेर की बेजोड़ किताब 'द वैपन दैट चेंज्ड द फेस आफ वार.' समूचे मानव इतिहास में, सैन्य विशेषज्ञ बतलाते हैं, किसी अकेले हथियार ने इतनी लाश नहीं गिराई. परमाणु बम होता होगा सेनापतियों की कैद में, राजनैतिक-सामरिक वजहें होंगी उसके बटन में छुपी. तर्जनी की छुअन से थरथराता यह हथियार लेकिन कोई मर्यादा नहीं जानता.
सच्चा साम्यवादी औजार यह- हसीन, सर्वसुलभ, अचूक.
समूची पृथ्वी पर सर्वाधिक तस्करी होती बंदूक. कई जगह मसलन सोमालिया में छटांक भर डालर दे आप इसे कंधे पर टांग शिकार को निकल सकते हैं. हफ्ते भर के तरकारी-झोले से भी हल्की और सस्ती.
नाल से उफनती चमकते पीतल की ज्वाला. झटके में पीली धातु का जाल हवा में बुन देगी. साठ सेकेंड उर्फ छः सौ गोली का आफताब. पिछली गोली का धुंआ अगली को खुद ही चैंबर में खटाक से अटका देगा. एक सेकेंड उर्फ ढाई हजार फुट दौड़ मारेगी गोली. हथेली का झटका और दूसरी मैगजीन लोड. कैंची साइकिल चलाने या रोटी बेलने से कहीं मासूम इसका घोड़ा. साइकिल डगमगायेगी, गिरायेगी, घुटने छील जायेगी, चकले पर आटे का लौंदा बेडौल होगा, आंच और आटे का सम सध नहीं पायेगा- यह चीता लेकिन बेफिक्र फूटेगा. फूटता रहेगा. कंधे पर टंगा कमसिन करारा, तर्जनी पर टिका शोख शरारा.
बित्ता भर नीचे मैगजीन उर्फ रसद पेटी का बेइंतहा हसीन कोण. पृथ्वी पर कोई बंदूक नहीं जिसकी अंतड़ियां यूं मुड़ती जाये.
दुर्दम्य वासना, इसके सामने मानव जाति को उपलब्ध सभी व्यसन बेहूदे और बेबस और बेमुरब्बत. जैन अनुयायी भले हों आप इस हथियार का सत्संग करिये, यह संसर्ग को उकसायेगी, आपकी रूह अंतिम दफा कायांतरित कर जायेगी. नवजात सिपाही का पहला स्वप्न. शातिर लड़ाके की अंतिम प्रेमिका. लड़ाके की पुतलियां चमकेंगी ज्यों वह बतलायेगा आखिर क्यों यह हथियार कंधे से उतरता नहीं.
क्या इतना मादक हथियार क्रांति का वाहक हो सकता है? क्रांति शस्त्र को विचार ही नहीं तमीज और ईमान और जज्बात की भी लगाम जरूरी जो लड़ाके खुद ही बतलाते हैं इस हथियार संग असंभव. क्या उन्मादा पीला कारतूस ख्वाब देख सकता है? या गोली की नोक भविष्य का जन्माक्षर लिख सकती है, वह पंचाग जिसकी थाप पर थका वर्तमान पसर सके, आगामी पीढ़ियां महफूज रहे?
फकत दो चीज अपन जानते हैं. पहली, अफगानियों को इस हथियार से खेलते देख उस रूसी सिपाही ने कहा था- अगर मुझे मालूम होता मेरे अविष्कार का ये हश्र होगा तो घास काटने की मशीन ईजाद करता.
दूसरी- जब तोप मुकाबिल हो, अखबार निकालो.
आखिर मिखाइल तिमोफीविच क्लाश्निकोव बचपन में कवितायें लिखते थे, सेना में भरती होने के बावजूद कवितायें लिखते रहे थे. इतिहास का सबसे संहारक हथियार भी क्या किसी असफल रूसी कवि को ही रचना था?
सुकमा. अठारह जनवरी.
नक्सल- आदिवासी मसले पर अंग्रेजी अखबार-पत्रिकाओं में नियमित लिखने वाली कई चर्चित शख्सियत कम ही इस राज्य के जंगलों में आयीं होंगी. हाल ही दंतेवाड़ा को विभाजित कर बनाये इस नये जिले सुकमा में एक कथित नक्सली ने पुलिसानुसार थाने में आत्महत्या कर ली. मेडिकल रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य जुटा इस रिपोर्टर ने घटना का विलोम उजागर किया जिसके आधार पर मानवाधिकार आयोग ने राज्य पुलिस को नोटिस भेजा.
अगले ही दिन एक प्रमुख अखबार ने मेरी खबर को आधार बना, उसका जिक्र कर लेकिन मिसकोट करते हुये खबर छापी, दूसरे में एक संपादकीय लेख आया तथ्यों को मरोड़ता- जाहिरी तौर पर दोनों की ही डेटलाइन सुकमा नहीं थी.
पखवाड़ा पहले बीजापुर में भी यही स्थिति. एक आदिवासी बच्ची की रहस्यमयी मृत्यु में पुलिस ने ‘मानव बलि' खोज निकाली. कई विदेशी प्रकाशनों में सुर्खियां लपलपायीं- भारत के आदिवासी इलाके में देवी को प्रसन्न करने के लिये मानव बलि. इनमें से कोई पत्रकार बीजापुर के उस गांव नहीं पहुंचा था, जहां वह रहती थी. पहुंचने की जेहमत भी कौन करता. सबसे नजदीकी हवाई अड्डे रायपुर से भी आठ-दस घंटे का सड़क सफर.
जगदलपुर के बाद जंगल, नक्सलियों द्वारा खोदे गये गहरे गढ्ढों और बंदूकधारी जवानों के बीच चलती सड़क पर पुती लाल इबारत किसी भी नवागंतुक को खौफजदा बनायेंगी. वैसे भी अंडमान के जरवा आदिवासी का नृत्य मसला जब चमक रहा हो तो भारत की एक दूसरी खोह में ‘मानव बलि’ से ज्यादा रसीली खबर क्या होती वो भी जब एक वरिष्ठ अधिकारी बोल रहा हो.
सबसे सरल था फोन पर क्वोट लेना इसकी फिक्र फिर कौन करता कि समूचा गांव कह रहा है उनकी जनजाति में ऐसी बलि की प्रथा कभी रही नहीं, पुलिस पहले बच्ची के पिता को पकड़ कर ले गयी थी उसे ग्यारह दिन रखा, पीटा कि वह कबूल कर ले उसने अपनी बेटी का या तो कत्ल या बलात्कार किया या बलि दे दी, जब वह रोता रहा मैं अपनी बच्ची को आखिर क्यों मारूंगा, तो पुलिस ने किसी दूसरे को पकड़ बंद कर लिया है उसे मुख्य अभियुक्त बतलाती है जो दरअसल ईसाई है और उसके धर्म में किसी देवी को प्रसन्न करने जैसी चीज ही नहीं.
पुलिस के ऑन रिकार्ड तर्क और भी रोचक. ‘इन आदिवासियों की देवी बलि के दौरान विषम संख्या की आवृत्ति से बहुत प्रसन्न होती है. मसलन तीन, पांच, सात, नौ, ग्यारह साल के बच्चे उसे बहुत पसंद आते हैं. खासकर सात. वह बच्ची सात साल की थी. उसके पिता की आठ संतानें थी, उसकी बलि के बाद अब सात बचीं.'
अगर जुर्म साबित करने को कटिबद्ध पुलिस की सभी प्रस्तावना यहां लिख दूं तो कोई भी निष्कर्षित कर सकता है भारतीय दंड संहिता के साथ शायद यह खाकीधारी तंत्र विज्ञान का भी गहन अध्ययन कर रहे है.
पुलिस तो बदनाम रही खैर, उन बुद्धिमानवों का क्या जो खाकी को क्रूर बता लतियाते हैं लेकिन जो बर्बबरता उन्हें सुविधाजनक या दिलचस्प लगे उसे चुप स्वीकार कर लेते हैं. तंत्र-मंत्र-व्याकुल बीजापुर पुलिस की शव-साधना अब तक इन महारथियों को सर्वमान्य रही आयी है.
सत्रह जनवरी, दंतेवाड़ा.
क्या नक्सली इलाके राशोमोन की क्रीड़ा स्थली हैं- बहुलार्थी, बहुव्यंजक आख्यान को आतुर एक हरी स्लेट?
जेल में बंद जिन कथित नक्सलियों को अंग्रेजी के कुछ प्रकाषन षहीद निरीह आदिवासी बतला कारुणिक होते रहे हैं, मेरी समझ में वे निर्दोष नहीं हैं. किसी मसले पर वैचारिक भेद मान्य है लेकिन यहां विषुद्ध तथ्यों का फलन है. जिन जगहों पर जा मैंने प्रमाण जुटाये हैं, वहीं वे रिपोर्टर भी गये थे. इनके जिन परिवारीजनों से मैं मिला और जिन्होंने मुझे उनके नक्सल संबंधों को बतलाया, उनसे वे भी मिले.
इनके जिन नक्सल मुखबिर संबंधियों से मेरा संपर्क है, उनका भी है यानी तथ्य-स्रोत एक ही है. फिर आकलन का विलोम क्यों? ऐसा नहीं तथ्य के प्रति उन पत्रकारों की निष्ठा कमतर या उनकी समझ में पोल है, उनके कर्म के प्रति सम्मान है, लेकिन यह व्याख्या-भेद अनिर्वचनीय है. वे भी बहुत संभव है मेरे आकलन को ऐसा ही पाते होंगे.
लेकिन क्या हम सभी रिपोर्टर वाकई ‘तथ्य’ की षुद्ध परिधि में हैं? जिस जगह मैं आज हूँ वहां अगर कोई कल आयेगा तो क्या ‘तथ्य’ वही रहेगा या बुनियादी रूप से परिवर्तित या शायद परावर्तित हो चुका होगा? वह मुखबिर जिसने आज मुझे कुछ सूत्र बतलाये क्या उसने ठीक यही कल आये रिपोर्टर को भी कहे होंगे? रसैल और विटगैंस्टाइन कह गये हैं यह सृष्टि किन्हीं “तार्किक तथ्य” की निर्मिति है, मूल तथ्य.
तथ्य की यह तत्वमीमांसीय प्रस्तावना बस्तर के जंगल में अपनी तार्किकता भूल तुतलाने लगती है, बेतरतीब झाडि़यों में उलझ जाती है. यही रिपोर्टिंग और संपादकीय लेखन का बुनियादी फर्क भी है. रिपोर्टर अपनी निगाह पर संदेह कर, प्रष्नों को उघाड़ता है. वैकल्पिक व्याख्यान के व्यूह में फंसे उसके पास कोई सांत्वना नहीं. एकदम अकेला है वह. संपादकीय लेखक इस खबर पर अपनी समझ बतलाता है, समाधान प्रस्तावित करता है.
क्या रिपोर्टर को कथाकार और संपादकीय लेखक को आलोचक कहा जा सकता है? साहित्य की ही तरह यह पत्रकारिता की भी विडंबना है कि बिना कृति को आत्मसात किये मानुष आलोचना लिख पड़ने लग जाते हैं, खबर की पूर्वपीठिका बगैर संपादकीय लेखों पर हस्तकौशल आजमाते हैं.
जबकि रिपोर्टर जानता है इन आदिम चट्टानों के बीच कोई आश्वस्ति नहीं. यह दायीं का बायीं आंख से संघर्ष है, अनुभूति की अनुभव से लड़ाई है, समझ का स्मृति से द्वंद्व है, अक्षर का शब्द से, शब्द का व्याकरण से विद्रोह है. जमीन से उठता धुंआ धूप की माया है, निगाह किसी अबूझी मरीचिका की गिरफ्त में है.
कीबोर्ड पर चलती उंगलियां ‘तथ्य’ लिखने का दावा करते सहमति हैं. आप चाहते हैं आपकी हर खबर के नीचे एक हलफनामा आये- मेरा लिखा एक भी अक्षर झूठ नहीं है लेकिन जरूरी नहीं वह सत्य या शायद तथ्य भी हो. विट्गैंस्टाइन ने भी रसैल से यही कहा था- मुझे इस कमरे में डायनासोर दिखलाई नहीं देता लेकिन मैं यह नहीं कह पाउॅंगा कि इस कमरे में कोई डायनासोर नहीं है.
आप चाहते हैं पाठक को बतला दें यह शब्द आपने दर्ज जरूर किया है लेकिन आप भी उसकी ही तरह इसके समक्ष निहत्थे थे, इसकी अनुभूति के तिलिस्म में रास्ता आपने खुद खोजा था और अब पाठक का भी वही विकल्प है.
सम्मोहिनी वृक्षों की पुकार सब. टहनियों पर मचान और बंदूकें सजी हैं, पत्तियों से मनुष्य का ताजा लहू टपक रहा है. शब्द क्यों बचा रहेगा आखिर?कहा तो था उसने- एके-47 निहायत ही कामुक हथियार है.
(कथाकार-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज की डायरी के अंश जानकीपुल से साभार)
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प्रधानमंत्री मोदी भले ही 'मेक इन इंडिया' के जरिए भारत में रोजगार और निवेश बढ़ाने की बात कर रहे हों पर हालिया रिपोर्ट बताती हैं कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में रोजगार पैदा करने में लगी हुई हैं. शीर्ष भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में जबरदस्त निवेश किया हैं जिससे वहां ढेरों नौकरियां पैदा हुई हैं.
क्या कहती है रिपोर्ट?
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और ग्रांट थॉर्नटन (जीटी) की इंडियन रूट्स, अमेरिकन साइल नामक रिपोर्ट में ये सनसनीखेज खुलाशा हुआ है. भारत की 100 बड़ी कंपनियों ने अमेरिका के 35 राज्यों में विभिन्न क्षेत्रों में 15 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया. जिससे 91,000 से भी ज्यादा नौकरियां पैदा हुई.
कैलिफोर्निया नहीं टेक्सास है पहली पसंद
रिपोर्ट में बताया गया है कि दक्षिणी प्रांत
टेक्सास में भारतीय कंपनियों ने
सबसे ज्यादा तीन अरब 84 करोड़ डॉलर का विदेशी निवेश किया. इसके बाद पेंसिल्वेनिया में तीन अरब 56 करोड़ डॉलर, मिनिसोता में एक अरब 80 करोड़ डॉलर, न्यूयार्क में एक अरब 10 करोड़ डॉलर और न्यू जर्सी में एक अरब डॉलर का निवेश भारतीय कंपनियों द्वारा किया गया.
अमेरिका में निवेश में भारत नंबर 4
सीनेट इंडिया कॉकस के सह अध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर ने बताया कि भारत अमेरिका में तेजी से निवेश कर रहा है.भारत अमेरिका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश बन गया हैं. सीनेटर वार्नर ने भारत कि अहमियत को समझाते हुए कहा कि अब समय आ गया हैं कि अमेरिका
भारत की निवेश क्षमता
को पहचाने. कैपिटल हिल में कल रिपोर्ट जारी करने के समय सीनेटर जान कारनिन और मार्क वार्नर समेत 20 शीर्ष सांसदों ने शिरकत की.
नौकरी सबसे ज्यादा कहां?
अमेरिका के 50 राज्यों में 35 राज्यों में भारतीय कंपनियों ने प्रमुखता से निवेश किया. इस निवेश से सबसे ज्यादा 9,300 नौकरीयां न्यू जर्सी में बढीं जिसका
सीधा फायदा अमेरिका के लोगों को
पंहुचा. इसके बाद भारतीय निवेश से कैलिफोर्निया में 8400, टेक्सास में 6200, इलिनोइस में 4,800 और न्यूयार्क में 4,100 नौकरियां पैदा हुई जो रिकार्ड हैं.
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सारा अली खान, जान्हवी कपूर, वरुण धवन, श्रद्धा कपूर और अन्य फिल्मी सितारे फिल्म ‘बाला' की स्क्रीनिंग में शामिल होने पहुंचे. स्क्रीनिंग बुधवार शाम को मुंबई में आयोजित की गई. ‘बाला' में आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर और यामी गौतम नजर आएंगे, जिसमें से केवल भूमि फिल्म की स्क्रीनिंग पर मेहमानों को अभिवादन करते हुए नजर आईं. ‘कुली नंबर 1' वरुण धवन अपनी गर्लफ्रेंड नताशा दलाल के साथ स्क्रीनिंग में नजर आए. सारा अली खान, जो इस समय वरुण धवन के साथ ‘कुली नंबर 1' की शूटिंग में बिजी हैं, स्काई ब्लू कलर की ड्रेस में काफी खूबसूरत लग रही थीं. लगता है सारा की दोस्त जान्हवी कपूर शूट से सीधे स्क्रीनिंग में शामिल होने आईं थीं. 22 वर्षीय अभिनेत्री को कैजुअल ड्रेस में देखा गया था.
‘बाला' की स्क्रीनिंग में कुछ इस अंदाज में नजर आईं सारा अली खान और जान्हवी कपूर
श्रद्धा कपूर एक काफी क्यूट लग रही थीं. ‘एबीसीडी 2' के को-स्टार वरुण धवन के साथ कैमरे को पोज देते वक्त वे काफी खुश नजर आईं. ‘बाला' की एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर और सारा अली खान भी इस फोटो में दिखीं. ‘दिलवाले' में वरुण के को-स्टार वरुण शर्मा मस्ती के मूड में दिखे.
बीती रात ‘बाला' की स्क्रीनिंग में हिस्सा लेने वाले गेस्ट की लिस्ट में इलियाना डी'क्रूज़ का नाम भी शामिल हैं. आयुष्मान खुराना स्क्रीनिंग में मौजूद नहीं थे, लेकिन उनकी पत्नी ताहिरा कश्यप ने इसमें भाग लिया.
आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘बाला' एक सोशल कॉमेडी है. अपनी रिलीज़ से पहले, कई फिल्म निर्माताओं द्वारा स्क्रिप्ट चोरी का आरोप लगाए जाने के बाद फिल्म विवादों के घेरे में रही है. ‘बाला' कल बड़े पर्दे पर नजर आएगी.
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स्तन की सूजन स्तन या उदर की सूजन है, आमतौर पर स्तनपान से जुड़ा होता है। लक्षणों में आम तौर पर स्थानीय दर्द और लाली शामिल है। अक्सर बुखार और सामान्य दर्द भी होता है।
शुरुआत आम तौर पर काफी तेज़ होती है और आमतौर पर प्रसूति के पहले कुछ महीनों में होती है। और फोड़ा गठन भी हो सकता है। जीवाणु स्टैफ़ीलोकोक्क्स और स्त्रेप्तोकोच्ची के करण होता है। निदान आमतौर पर लक्षणों पर आधारित होता है। एक संभावित फोड़ा का पता लगाने के लिए पराश्रव्य उपयोगी हो सकता है।स्तनपान कराने वाली महिलाओं में से लगभग १०% प्रभावित होती हैं।
संकेत और लक्षण
स्तन की सूजन आमतौर पर केवल एक स्तन को प्रभावित करता है और लक्षण जल्दी से विकसित हो सकते हैं। संकेत और लक्षण आमतौर पर अचानक प्रकट होते हैं और उनमें शामिल हैं:
कोमलता और स्पर्श करने में गर्म
अस्वस्थता या बेचैनी होना
स्तन की सूजन
दर्द या जलन की उत्तेजना लगातार या स्तनपान के दौरान
त्वचा की लाली, अक्सर वेज आकार के स्वरूप में
१०१ एफ (३८.७८ सी) या उससे अधिक का बुखार
प्रभावित स्तन अम्बा और लाल दिखने लग सकता है।
कुछ महिलाएं फ्लू जैसे लक्षणों का भी अनुभव कर सकती हैं जैसे कि:
दर्द
कंपकपाहट और ठण्ड लगना
चिंतित या तनाव महसूस कर रहा हूँ
थकान
जैसे ही रोगी संकेतों और लक्षणों के संयोजन को पहचानता है, विशेष स्तनपान क्षमता के साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ संपर्क किया जाना चाहिए।
ज्यादातर महिलाओं को पहले फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव होता है और बाद एक गंभीर लाल क्षेत्र को देख सकते हैं। इसके अलावा, अगर महिलाओं को निप्पल से असामान्य निर्वहन दिखाई देता है, तो महिलाओं को चिकित्सा देखभाल लेनी चाहिए।
कारण
१९८० के दशक से स्तन की सूजन को अक्सर गैर संक्रामक और संक्रामक उप-समूहों में विभाजित किया गया है। यह दिखाया गया है कि स्तन दूध में संभावित रोगजनक बैक्टीरिया के प्रकार और मात्रा लक्षणों की गंभीरता से संबंधित नहीं हैं।
स्तन की सूजन आमतौर पर तब विकसित होता है जब दूध स्तन से ठीक से नहीं निकाला जाता है। दूध ठहराव स्तनों में दूध नलिकाओं को अवरुद्ध कर सकता है। क्योंकि दूध स्तन से ठीक से नहीं जा रहा है और नियमित रूप से समस्या आ रही हो।
यह भी सुझाव दिया गया है कि स्तन पर दबाव के परिणामस्वरूप दूध नलिकाओं को अवरुद्ध किया जा सकता है, जैसे तंग फिटिंग कपड़ों या एक अति-प्रतिबंधक ब्रा, हालांकि इस के लिए दुर्लभ सबूत हैं। यह तब भी हो सकता है जब बच्चा माँ के दूध से ना जुड़ा हो, निप्पल पर दरारें या घावों की उपस्थिति संक्रमण की संभावना को बढ़ाती है। तंग कपड़ों या फिटिंग ब्रा भी स्तनों को संपीड़ित करने में समस्याएं पैदा कर सकती हैं। एक संभावना है कि शिशु के नाक में संक्रामक रोगजनक हो सकते है जो मां को संक्रमित कर सकते हैं।
स्तन की सूजन, साथ ही स्तन फोड़ा, स्तन के सीधे आघात से भी हो सकता है। ऐसी चोट उदाहरण के लिए खेल गतिविधियों या सीट बेल्ट की चोट के कारण हो सकती है।
स्तन प्रत्यारोपण या किसी अन्य विदेशी निकाय के प्रदूषण के कारण स्तन की सूजन भी विकसित हो सकता है, उदाहरण के लिए निप्पल भेदी के बाद।
मधुमेह, पुरानी बीमारी, एड्स, या एक विकलांग प्रतिरक्षा प्रणाली वाली महिलाएं मास्टिटिस के विकास के लिए अधिक संवेदनशील हो सकती हैं।
प्रकार
जब स्तनपान कराने वाली महिलाओं में यह होता है, तो इसे पूपरपेक्ष मास्टिटिस, लैक्टेशन मास्टिटिस या लैक्टेशनल मास्टिटिस के रूप में जाना जाता है।
जब यह गैर स्तनपान कराने वाली महिलाओं में होती है तो इसे गैर-पूपरपेक्ष या गैर-क्रियाशील के रूप में जाना जाता है। स्तन कैंसर के भी समान लक्षण होते हैं स्तन की सूजन की तरह ही।
गर्भावस्था से संबंधित
पूपरपेक्ष मास्टिटिस स्तन की सूजन है गर्भावस्था या स्तनपान के समय। चूंकि सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक स्तन का तनाव और उत्थान है, इसलिए यह माना जाता है कि अवरुद्ध दूध नलिकाओं या दूध के अतिरिक्त। हालांकि, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के केवल ०४-०५ % में ही विकसित होता हैं।
गैर गर्भावस्था से संबंधित
गैरपूपरपेक्ष शब्द गर्भावस्था और स्तनपान के लिए असंबंधित स्तन के सूजन घावों का वर्णन करता है।
सन्दर्भ
महिला स्वास्थ्यविषयक लेख संपादन
महिला रोग
रोग
स्तन रोग
महिला स्वास्थ्यविषयक लेख प्रतियोगिता २०१८ के अन्तर्गत बनाये गये लेख
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अमेरिकी खुफिया दस्तावेज लीक करने वाले अमेरिकी खुफिया विभाग के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन बुधवार को चौथे दिन भी मास्को हवाईअड्डे पर फंसे हुए हैं।
स्नोडेन की आगे की यात्रा की योजना अभी भी सबके लिए रहस्य बनी हुई है और दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने स्नोडेन को अमेरिका प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है।
अमेरिका ने रूस से कहा है कि उसके पास स्नोडेन को बाहर निकालने के लिए ‘स्पष्ट कानूनी आधार’ है लेकिन गोपनीय दस्तोवज लीक करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स का कहना है कि स्नोडेन के ‘स्थाई’ रूप से रूस में ही फंसे रहने का खतरा है। विकीलीक्स ने ही स्नोडेन को हांगकांग से रूस जाने में मदद की थी।
इस बीच वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का कहना है कि कराकस भी इक्वाडोर की भांति स्नोडेन की ओर से शरण के लिए किए गए किसी भी अनुरोध को स्वीकार करेगा। मादुरो के अगले सप्ताह एक ऊर्जा सम्मेलन के लिए मास्को आने की संभावना है।
स्नोडेन के मामले में पहलीबार हस्तक्षेप करते हुए पुतिन ने खुफिया विभाग के पूर्व ठेकेदार को ऐसा ‘स्वतंत्र व्यक्ति’ बताया जिसका रूस आगमन रूसी अधिकारियों के लिए ‘पूरी तरह से अप्रत्याशित’ था।
फिनलैंड की यात्रा के दौरान पुतिन ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वह एक ट्रांजिट यात्री के तौर पर यहां आए हैं। उन्होंने राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं किया है। हमारे लिए यह पूरी तरह अप्रत्याशित था।’’
पुतिन ने कहा, ‘‘श्रीमान स्नोडेन एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं, जितनी जल्दी वह अपना यात्रा गंतव्य चुन लें हमारे और उनके लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
खबरों के अनुसार, इक्वाडोर में शरण पाने के लिए स्नोडेन सोमवार को क्यूबा रवाना होने वाले थे। लेकिन वह क्यूबा जा रहे विमान पर नहीं चढ़े और पुतिन के कल के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी अपनी आगे की यात्रा को लेकर अनिश्चित हैं।टिप्पणियां
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
स्नोडेन की आगे की यात्रा की योजना अभी भी सबके लिए रहस्य बनी हुई है और दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने स्नोडेन को अमेरिका प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है।
अमेरिका ने रूस से कहा है कि उसके पास स्नोडेन को बाहर निकालने के लिए ‘स्पष्ट कानूनी आधार’ है लेकिन गोपनीय दस्तोवज लीक करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स का कहना है कि स्नोडेन के ‘स्थाई’ रूप से रूस में ही फंसे रहने का खतरा है। विकीलीक्स ने ही स्नोडेन को हांगकांग से रूस जाने में मदद की थी।
इस बीच वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का कहना है कि कराकस भी इक्वाडोर की भांति स्नोडेन की ओर से शरण के लिए किए गए किसी भी अनुरोध को स्वीकार करेगा। मादुरो के अगले सप्ताह एक ऊर्जा सम्मेलन के लिए मास्को आने की संभावना है।
स्नोडेन के मामले में पहलीबार हस्तक्षेप करते हुए पुतिन ने खुफिया विभाग के पूर्व ठेकेदार को ऐसा ‘स्वतंत्र व्यक्ति’ बताया जिसका रूस आगमन रूसी अधिकारियों के लिए ‘पूरी तरह से अप्रत्याशित’ था।
फिनलैंड की यात्रा के दौरान पुतिन ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वह एक ट्रांजिट यात्री के तौर पर यहां आए हैं। उन्होंने राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं किया है। हमारे लिए यह पूरी तरह अप्रत्याशित था।’’
पुतिन ने कहा, ‘‘श्रीमान स्नोडेन एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं, जितनी जल्दी वह अपना यात्रा गंतव्य चुन लें हमारे और उनके लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
खबरों के अनुसार, इक्वाडोर में शरण पाने के लिए स्नोडेन सोमवार को क्यूबा रवाना होने वाले थे। लेकिन वह क्यूबा जा रहे विमान पर नहीं चढ़े और पुतिन के कल के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी अपनी आगे की यात्रा को लेकर अनिश्चित हैं।टिप्पणियां
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
अमेरिका ने रूस से कहा है कि उसके पास स्नोडेन को बाहर निकालने के लिए ‘स्पष्ट कानूनी आधार’ है लेकिन गोपनीय दस्तोवज लीक करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स का कहना है कि स्नोडेन के ‘स्थाई’ रूप से रूस में ही फंसे रहने का खतरा है। विकीलीक्स ने ही स्नोडेन को हांगकांग से रूस जाने में मदद की थी।
इस बीच वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का कहना है कि कराकस भी इक्वाडोर की भांति स्नोडेन की ओर से शरण के लिए किए गए किसी भी अनुरोध को स्वीकार करेगा। मादुरो के अगले सप्ताह एक ऊर्जा सम्मेलन के लिए मास्को आने की संभावना है।
स्नोडेन के मामले में पहलीबार हस्तक्षेप करते हुए पुतिन ने खुफिया विभाग के पूर्व ठेकेदार को ऐसा ‘स्वतंत्र व्यक्ति’ बताया जिसका रूस आगमन रूसी अधिकारियों के लिए ‘पूरी तरह से अप्रत्याशित’ था।
फिनलैंड की यात्रा के दौरान पुतिन ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वह एक ट्रांजिट यात्री के तौर पर यहां आए हैं। उन्होंने राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं किया है। हमारे लिए यह पूरी तरह अप्रत्याशित था।’’
पुतिन ने कहा, ‘‘श्रीमान स्नोडेन एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं, जितनी जल्दी वह अपना यात्रा गंतव्य चुन लें हमारे और उनके लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
खबरों के अनुसार, इक्वाडोर में शरण पाने के लिए स्नोडेन सोमवार को क्यूबा रवाना होने वाले थे। लेकिन वह क्यूबा जा रहे विमान पर नहीं चढ़े और पुतिन के कल के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी अपनी आगे की यात्रा को लेकर अनिश्चित हैं।टिप्पणियां
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
इस बीच वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का कहना है कि कराकस भी इक्वाडोर की भांति स्नोडेन की ओर से शरण के लिए किए गए किसी भी अनुरोध को स्वीकार करेगा। मादुरो के अगले सप्ताह एक ऊर्जा सम्मेलन के लिए मास्को आने की संभावना है।
स्नोडेन के मामले में पहलीबार हस्तक्षेप करते हुए पुतिन ने खुफिया विभाग के पूर्व ठेकेदार को ऐसा ‘स्वतंत्र व्यक्ति’ बताया जिसका रूस आगमन रूसी अधिकारियों के लिए ‘पूरी तरह से अप्रत्याशित’ था।
फिनलैंड की यात्रा के दौरान पुतिन ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वह एक ट्रांजिट यात्री के तौर पर यहां आए हैं। उन्होंने राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं किया है। हमारे लिए यह पूरी तरह अप्रत्याशित था।’’
पुतिन ने कहा, ‘‘श्रीमान स्नोडेन एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं, जितनी जल्दी वह अपना यात्रा गंतव्य चुन लें हमारे और उनके लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
खबरों के अनुसार, इक्वाडोर में शरण पाने के लिए स्नोडेन सोमवार को क्यूबा रवाना होने वाले थे। लेकिन वह क्यूबा जा रहे विमान पर नहीं चढ़े और पुतिन के कल के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी अपनी आगे की यात्रा को लेकर अनिश्चित हैं।टिप्पणियां
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
स्नोडेन के मामले में पहलीबार हस्तक्षेप करते हुए पुतिन ने खुफिया विभाग के पूर्व ठेकेदार को ऐसा ‘स्वतंत्र व्यक्ति’ बताया जिसका रूस आगमन रूसी अधिकारियों के लिए ‘पूरी तरह से अप्रत्याशित’ था।
फिनलैंड की यात्रा के दौरान पुतिन ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वह एक ट्रांजिट यात्री के तौर पर यहां आए हैं। उन्होंने राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं किया है। हमारे लिए यह पूरी तरह अप्रत्याशित था।’’
पुतिन ने कहा, ‘‘श्रीमान स्नोडेन एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं, जितनी जल्दी वह अपना यात्रा गंतव्य चुन लें हमारे और उनके लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
खबरों के अनुसार, इक्वाडोर में शरण पाने के लिए स्नोडेन सोमवार को क्यूबा रवाना होने वाले थे। लेकिन वह क्यूबा जा रहे विमान पर नहीं चढ़े और पुतिन के कल के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी अपनी आगे की यात्रा को लेकर अनिश्चित हैं।टिप्पणियां
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
फिनलैंड की यात्रा के दौरान पुतिन ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वह एक ट्रांजिट यात्री के तौर पर यहां आए हैं। उन्होंने राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं किया है। हमारे लिए यह पूरी तरह अप्रत्याशित था।’’
पुतिन ने कहा, ‘‘श्रीमान स्नोडेन एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं, जितनी जल्दी वह अपना यात्रा गंतव्य चुन लें हमारे और उनके लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
खबरों के अनुसार, इक्वाडोर में शरण पाने के लिए स्नोडेन सोमवार को क्यूबा रवाना होने वाले थे। लेकिन वह क्यूबा जा रहे विमान पर नहीं चढ़े और पुतिन के कल के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी अपनी आगे की यात्रा को लेकर अनिश्चित हैं।टिप्पणियां
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
पुतिन ने कहा, ‘‘श्रीमान स्नोडेन एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं, जितनी जल्दी वह अपना यात्रा गंतव्य चुन लें हमारे और उनके लिए उतना ही बेहतर होगा।’’
खबरों के अनुसार, इक्वाडोर में शरण पाने के लिए स्नोडेन सोमवार को क्यूबा रवाना होने वाले थे। लेकिन वह क्यूबा जा रहे विमान पर नहीं चढ़े और पुतिन के कल के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी अपनी आगे की यात्रा को लेकर अनिश्चित हैं।टिप्पणियां
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
खबरों के अनुसार, इक्वाडोर में शरण पाने के लिए स्नोडेन सोमवार को क्यूबा रवाना होने वाले थे। लेकिन वह क्यूबा जा रहे विमान पर नहीं चढ़े और पुतिन के कल के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वह अभी भी अपनी आगे की यात्रा को लेकर अनिश्चित हैं।टिप्पणियां
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया है लेकिन विकीलीक्स का कहना है कि वह इक्वाडोर से मिले शरणार्थी दस्तावेज की मदद से हांगकांग से बाहर निकले हैं।
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
विकीलीक्स ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा है, ‘‘स्नोडेन के अमेरिकी पासपोर्ट को रद्द करना और मध्यस्थता कर रहे देशों को सताने से हो सकता है स्नोडेन स्थाई रूप से रूस में रह जाएं।’’
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पौराणिक मान्याता के अनुसार जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की बारहवीं तिथि को चंपक द्वादशी कहते हैं. शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान गोविंद विट्ठलनाथ जी (भगवान श्री कृष्ण) का चंपा के फूलों से पूजन व श्रृंगार किया जाता है. शास्त्रों में इस पर्व को राघव द्वादशी या रामलक्ष्मण द्वादशी के नाम से भी संबोधित किया गया है. इस दिन विष्णु के अवतार श्रीराम तथा शेषनाग के अवतार श्री लक्ष्मण की मूर्तियों की पूजा की जाती है.
विधिवत पूजन करने से संमपूर्ण होती है सभी मनोकामनाएं
ऐसी मान्यता है कि चंपक द्वादशी के दिन चंपा के फूलों से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से इंसान को मोक्ष प्राप्त होता है. साथ ही उसे विष्णु लोक में जगह मिलती है. इस दिन का बहुत महत्व होता है. ऐसा भी बताया जाता है कि इस विधि से भगवान श्री कृष्ण खुश होते हैं और सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. साथ ही इस दिन किए गए
विधिवत पूजन से व्यक्ति के सारे
कार्य सिद्ध होते हैं. ऐसा भी बताया जाता है कि जो कार्य लंबे समय से रुके पड़े हैं, वो जल्द ही संपूर्ण हो जाते हैं.
इस तरह करें पूजा
इस दिन भगवान विट्ठलेश श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा की जाती है. इस दिन उनकी चंपा फूलों से पूजा होती है. चंपा के फूलों की माला चढ़ाई जाती है. अगर आपके पास चंपा के फूल उपलब्ध ना हों तो
पीले-सफेद फूलों का इस्तेमाल
कर सकते हैं. उसकी माला चढ़ा सकते हैं. इस उपाय को आप दोपहर के समय करें. ताकि आपको इसका पूरा लाभ हो.
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लेख: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख यूकिया एमानो ने जापान में स्थित संकटग्रस्त फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट की स्थिति को 'बेहद गम्भीर' बताया है। वह जापान रवाना होने की तैयार कर रहे हैं। एमानो ने कहा, "स्थिति बेहद गम्भीर है।" उन्होंने न्यूक्लियर प्लांट की इकाई संख्या एक, दो और तीन के कवच को हुए नुकसान के सम्बंध में यह बात कही। समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक शुक्रवार को उत्तरी जापान में आए रिक्टर पैमाने पर नौ तीव्रता के भूकम्प और सुनामी से हुए नुकसान के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के प्रशीतक तंत्र ने काम करना बंद कर दिया था। इस संयंत्र के पिघलने और बड़े पैमाने पर रेडियोधर्मी विकिरण फैलने का खतरा पैदा हो गया है। एमानो ने कहा कि कर्मचारी आपात स्थिति से निपटने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा "यह समय यह बात कहने का नहीं है कि चीजें नियंत्रण से बाहर हैं।" आईएईए के महानिदेशक ने कहा कि वह जापान और उनकी एजेंसी के बीच सहयोग के अन्य क्षेत्रों की तलाश के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक के लिए गुरुवार को जल्द से जल्द जापान रवाना होंगे। उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से सुधार की गुंजाइश है।" एमानो के साथ आईएईए के विशेषज्ञों का एक दल भी जापान पहुंचेगा। जापान ने फुकुशिमा संयंत्र के आसपास रेडियोधर्मी विकिरण के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए मदद मांगी है। एमानो ने कहा कि संयंत्र में परमाणु ईंधन को ठंडा रखने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है और उपयोग किए जा चुके ईंधन के तीन भंडारों में भी तापमान लगातार बढ़ रहा है। सयंत्र में कर्मचारी ईंधन छड़ों को पानी में डुबाए रखने के लिए इसमें लगातार पानी पहुंचा रहे हैं लेकिन परिसर में विस्फोटों और आग लगने की एक श्रृंखला बन गई है। बुधवार सुबह इकाई संख्या तीन में धुंए की मात्रा में वृद्धि हुई थी और इकाई संख्या चार में दोबारा आग लगी थी।
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जॉनी ईइंग्लिश (टैग के रूप में "का छोटा भाई कुछ देशों में जेम्स बांड ") एक 2003 है जासूसी एक्शन कॉमेडी द्वारा निर्देशित फिल्म पीटर होविट और द्वारा लिखित नील Purvis, रॉबर्ट वेड और विलियम डेविस । यह एक ब्रिटिश-फ्रेंच उद्यम है जिसका निर्माण स्टूडियोकेनल और वर्किंग टाइटल फिल्म्स द्वारा किया गया है, और इसे यूनिवर्सल पिक्चर्स द्वारा वितरित किया गया है।
शीर्षक भूमिका में रोवन एटकिंसन अभिनीत, नताली इम्ब्रूग्लिया, बेन मिलर और जॉन माल्कोविच, यह <i id="mwJg">जॉनी अंग्रेजी</i> फिल्म श्रृंखला की पहली किस्त है और जासूसी शैली के लिए एक पैरोडी / श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करता है, मुख्य रूप से जेम्स बॉन्ड फिल्म श्रृंखला के साथ-साथ एटकिंसन की भी। श्री बीन चरित्र। यह चरित्र 1990 के दशक में बार्कलेकार्ड के लिए यूनाइटेड किंगडम में विज्ञापनों की एक श्रृंखला से एटकिंसन के धमाकेदार जासूसी चरित्र से संबंधित है।
संयुक्त रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में 18 जुलाई 2003 को रिलीज़ हुई, फिल्म को आलोचकों की मिश्रित समीक्षाओं के साथ मिला, लेकिन व्यावसायिक रूप से सफल रहा, जिसने 40 मिलियन डॉलर के बजट के साथ दुनिया भर में $ 160 मिलियन की कमाई की। यह फिल्म यूनाइटेड किंगडम में 11 अप्रैल 2003 को रिलीज़ हुई थी और X2 से आगे निकलने से पहले, अगले तीन सप्ताहांतों के लिए देश के बॉक्स ऑफिस पर शीर्ष पर रही। इसकी व्यावसायिक सफलता के कारण, 2011 और 2018 में, क्रमशः दो सीक्वल, जॉनी इंग्लिश रीबॉर्न और जॉनी इंग्लिश स्ट्राइक्स अगेन के बाद इसका प्रदर्शन हुआ।
संक्षेप
एमआई 5 पर अचानक हमले के बाद, ब्रिटेन के सबसे भरोसेमंद, अभी तक अनजाने जासूस, जॉनी इंग्लिश, ब्रिटेन का एकमात्र जासूस बन गया।
कास्ट
जॉनी इंग्लिश के रूप में रोवन एटकिंसन
नेटली इम्ब्रूग्लिया लोर्ना कैंपबेल के रूप में, एक इंटरपोल एजेंट
एंगस बॉफ के रूप में बेन मिलर, मैदान में अंग्रेजी के साथी
जॉन मैल्कोविच, पास्कल एडवर्ड सॉवेज, मुख्य प्रतिपक्षी, जेम्स द्वितीय के दूर के वंशज के रूप में
कैंटरबरी के आर्कबिशप के रूप में ओलिवर फोर्ड डेविस
टिम पिगोट-स्मिथ पेगासस के रूप में
प्रधान मंत्री के रूप में केविन मैकनेली
डगलस मैकफ़ेरन को क्लॉस वेंडेट्टा के रूप में
डाइटर क्लेन के रूप में स्टीव निकोलसन
एजेंट के रूप में ग्रेग वाइज
रोजर के रूप में टिम बेरिंगटन
रानी एलिजाबेथ द्वितीय के रूप में प्रुनेला तराजू
ताशा डे वास्कोनसेलोस काउंटेस एलेक्जेंड्रा के रूप में
नीना यंग पेगासस के सचिव के रूप में
सैम बेज़ले अस्पताल में बुजुर्ग आदमी के रूप में
डॉक्टर के रूप में केविन मूर
फ्रेंच रिसेप्शन वेटर के रूप में जैक रेमंड
जेनी गैलोवे विदेश सचिव के रूप में
रेडियो डीजे के रूप में क्रिस टारंट
ट्रेवर मैकडॉनल्ड्स न्यूज़रीडर के रूप में
उत्पादन
मार्च 2000 में, शायद बेबी की रिलीज़ से पहले, एटकिंसन ने स्टार बनने के लिए एक स्पूफ 007 के रूप में साइन अप किया, जिसमें खबर आधिकारिक हो गई।
जुलाई 2002 में, जॉनी इंग्लिश प्रिंसिपल फोटोग्राफी शुरू हुई। फिल्म की शूटिंग चौदह हफ्तों के लिए हुई, लंदन और सेंट एल्बंस में शेपर्टन स्टूडियो में फिल्मांकन किया गया और अंतिम दृश्य को पूरा करने के लिए आखिरकार दो दिनों के लिए मोंटे कार्लो में सेट किया गया। सितंबर 2002 में, यह घोषणा की गई थी कि नताली इम्ब्रूग्लिया, जो जॉनी इंग्लिश के लिए थीम ट्यून लिखती थीं, वे टॉकिंसन के साथ अभिनय करेंगी।
जॉनी इंग्लिश का चरित्र खुद रिचर्ड लेथम नामक एक चरित्र पर आधारित है, जिसे एटकिंसन ने बार्कलेकार्ड के लिए ब्रिटिश टेलीविजन विज्ञापनों की एक श्रृंखला में खेला था। बोफ का चरित्र ('बोफ' का उच्चारण) विज्ञापनों से बरकरार रखा गया था, हालांकि एक अन्य अभिनेता, हेनरी नायलर ने विज्ञापनों में भूमिका निभाई थी। विज्ञापनों में से कुछ गैग्स ने इसे फिल्म में शामिल किया, जिसमें अंग्रेजी में वेटर को गलत तरीके से पहचानना शामिल था, और अनजाने में एक ट्रैंक्विलाइज़र बॉलपॉइंट पेन के साथ खुद को शूट करना।
घर का मीडिया
जॉनी इंग्लिश को 11 अगस्त 2003 को वीएचएस पर और 13 जनवरी 2004 को डीवीडी पर रिलीज़ किया गया था, यह फिल्म 28 फरवरी 2012 को ब्लू-रे पर रिलीज हुई थी, इसके सीक्वल जॉनी इंग्लिश रीबॉर्न के साथ । यह फिल्म फरवरी 2016 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई थी।
अगली कड़ियों
अक्टूबर 2011 में जॉनी इंग्लिश रीबोर्न नामक एक सीक्वल रिलीज़ किया गया था। सितंबर 2010 में, सीक्वल के लिए फिल्मांकन शुरू हुआ, मूल रिलीज़ होने के सात साल बाद, और मार्च 2011 में समाप्त हुआ। फिल्म जॉनी इंग्लिश को फॉलो करती है, पहले के एक मिशन में बदनाम होने के बाद अब एशिया में प्रशिक्षण ले रही है, क्योंकि वह चीनी प्रीमियर की हत्या की साजिश को नाकाम करने का प्रयास करती है, जबकि "एमआई 7" में एक तिल पाया जाता है और अंग्रेजी को फंसाया जाना है।
मई 2017 में, यह घोषणा की गई कि जॉनी इंग्लिश स्ट्राइक्स अगेन नामक तीसरी फिल्म पर प्री-प्रोडक्शन शुरू हो गया था, जो 5 अक्टूबर 2018 को रिलीज हुई थी।
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
ब्रिटिश फ़िल्में
अंग्रेज़ी फ़िल्में
2003 की फ़िल्में
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टीवी एक्ट्रेस और कॉमेडियन सुगंधा मिश्रा को अपना प्यार मिल गया है. रिपोर्ट्स की माने तो वो कॉमेडियन संकेत भोसले को डेट कर रही हैं. संकेत, संजय दत्त की मीमिक्री करने के लिए जाने जाते हैं.
सुगंधा और संकेत करीब एक साल से एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं और खबरों के मुताबिक सुगंधा ने ही कपिल से कह कर संकेत को 'द कपिल शर्मा शो' में एंट्री दिलवाई थी. Bollywoodlife.com के मुताबिक, सुगंधा और संकेत एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं और सुगंधा चाहती हैं कि संकेत का कॉमेडी की दुनिया में बड़ा नाम बने.
कपिल शर्मा की जगह लेंगे सलमान खान, दिखाएंगे अपना दम
दोनों जीटीवी के 'समर एक्सप्रेस 2017' में जल्द दिखाई देंगे. दोनों ने सेट से अपनी तस्वीरें भी शेयर की हैं.
#summerexpress2017 #coanchor #intafun, pic courtesy- @bharat_shutterlust @zeetv_official
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Apr 25, 2017 at 4:55am PDT
बता दें कि संकेत क्वालिफाइड डॉक्टर हैं.
संकेत एक बहुत अच्छे मीमिक्री आर्टिस्ट हैं और वूट पर उनका चैट शो 'बाबा की चौकी' है, जिसमें वो बॉलीवुड स्टार्स से संजू बाबा के स्टाइल में बात करते हैं.
कपिल शर्मा के शो में आ रही हैं कॉमेडी नाइट्स की 'बुआजी'
संकेत ने छोटे पर्दे पर 'लॉफ इंडिया लॉफ' से डेब्यू किया था. सुगंधा और संकेत ने एक साथ लाइफ ओके पर 'कॉमेडी क्लासेज' में काम किया है. सुगंधा जालंधर से हैं और संकेत मुंबई से. दोनों जल्द ही शादी भी कर सकते हैं.
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आज सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के स्पेशल जज बीएच लोया की मौत की जांच के मामले की सुनवाई हो रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मसले को काफी गंभीर बताया था. कोर्ट ने इस केस से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट में करने पर रोक लगा दी थी. सभी केसों को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने को कहा गया था. आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई CJI दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच कर रही है.
पिछली बार सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षकारों को अपने सभी दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में सौंपने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा था कि कई अखबार और मीडिया ग्रुप ने जज लोया की मौत पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा है कि मामले की सुनवाई नियमानुसार होगी, सभी वकीलों को कोर्ट के साथ कॉपरेट करना चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे. 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर को गुजरात पुलिस ने अगवा किया और हैदराबाद में हुई कथित मुठभेड़ में उन्हें मार दिया गया था. सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी. इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भी नाम जुड़ा था.
मामले से जुड़े ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया था. इस मामले की सुनवाई पहले जज उत्पत कर रहे थे, लेकिन इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के सुनवाई में पेश नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की थी. जिसके बाद उनका तबादला हो गया था. इसके बाद जस्टिस लोया के पास इस मामले की सुनवाई आई थी.
दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी. जिसे संदिग्ध माना गया था. जस्टिस लोया की मौत के बाद जिन जज ने इस मामले की सुनवाई की, उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था.
हाल ही में कुछ समय पहले एक मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि जस्टिस लोया की मौत साधारण नहीं थी बल्कि संदिग्ध थी. जिसके बाद से ही यह मामला दोबारा चर्चा में आया. लगातार इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी जारी रही है. हालांकि, जज लोया के बेटे अनुज लोया ने कुछ दिन पहले ही प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे को बड़ा करने पर नाराजगी जताई थी. अनुज ने कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक थी, वह इस मसले को बढ़ना देने नहीं चाहते हैं.
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मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन रही है और मुद्दा है गेंहू. मोदी सरकार ने कमलनाथ सरकार को एक बड़ा झटका दिया है. केंद्र ने साफ कहा है कि राज्य की सारी खरीद वह नहीं उठाएगा.
मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों से 2000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से समर्थन मूल्य पर गेंहू खरीदा. इसमें केंद्र का 1840 रुपये समर्थन मूल्य और राज्य सरकार का 160 रुपये का बोनस शामिल था. खरीदी 74 लाख मीट्रिक टन हुई. लेकिन अब केंद्र सरकार कह रही है कि वह सिर्फ 66 लाख मीट्रिक टन गेंहू लेगी.
राज्य सरकार को लगता है कि उसे बिला वजह परेशान किया जा रहा है. इस मामले में जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा 'मंजूरी देने के बाद केंद्र सरकार अब उससे पलट रही है. यह मध्यप्रदेश की सरकार का नहीं किसानों का मामला है. निश्चित तौर पर सरकार को परेशान करने का मामला है. जो पूरा गेंहू है, उसे उसका भुगतान करना चाहिए.'
मध्यप्रदेश सरकार की तिजोरी वैसे भी खाली है, इस फैसले से उसे सीधी 1500 करोड़ रुपये की चपत लगेगी. बीजेपी कह रही है कि सरकार बहानेबाजी कर रही है, केंद्र सरकार किसान हितैषी है. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा कि 'बीजेपी जब तक मध्यप्रदेश में रही, जागृत रही, समय पर क्या किया जाना है, इसका ध्यान रखा. आज तबादला सरकार है, कृषि आयुक्त को हटा दिया, ऐसे में सारे मामले आचार संहिता से लेट हुए. सरकार सिर्फ बहानेबाजी कर रही है. केंद्र सरकार कभी असहयोग नहीं करती, किसानों के साथ है. कमलनाथ की सरकार 6000 के लिए किसानों की सूची तक नहीं सौंप पाई है.'
सरकार 2016 के समझौते का हवाला भी दे रही है जिसके तहत अगर कोई राज्य किसानों को बोनस देता है, तो एफसीआई केंद्रीय पूल के लिए 27 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेंहू नहीं खरीदेगा. मध्यप्रदेश सरकार के पास आठ लाख मीट्रिक टन गेंहू के लिए विकल्प है कि उसे खुले बाजार में बेचे, दूसरे राज्यों को बेचे या किसी योजना से उसका निपटान करे. हालांकि यह भी सच्चाई है कि शिवराज सरकार के वक्त केंद्र ने पूरे 73 लाख मीट्रिक टन गेंहू की खरीदी की थी.
हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद केंद्र से चर्चा कर रहे हैं.
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लेख: पूर्व पाकिस्तानी स्पिनर और मुख्य चयनकर्ता इकबाल कासिम ने राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों की कली आलोचना करते हुए कहा कि उनमें ‘सफलता के लिए भूख’ की कमी है। दो महीने पहले मुख्य चयनकर्ता पद छोड़ने वाले कासिम ने कहा, इमरान के समय और यहां तक कि उसके बाद भी हम आक्रामकता के साथ खेलते थे। आज हमारी टीम में इसकी कमी है और इससे खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
उन्होंने कहा, मैंने पाया कि पूर्व में हमारी टीम इसलिए मजबूत थी, क्योंकि अधिकतर खिलाड़ी व्यक्तिगत रिकॉर्ड और सफलता के लिए भूखे थे और उन्हें अपने प्रदर्शन पर गर्व होता था। मैंने इमरान, मियादाद, वसीम, इंजमाम, सईद अनवर, मोइन, राशिद, मलिक और कई अन्य खिलाड़ियों में यह देखा था। कासिम ने जियो न्यूज से कहा, आज हमारे खिलाड़ियों में इसकी कमी है। वे निजी सम्मान के लिए नहीं खेलते और वे व्यक्तिगत सफलता के लिए भी नहीं खेलते। इनमें से कुछ खिलाड़ी केवल टीम का हिस्सा बनकर संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा, मैंने पाया कि पूर्व में हमारी टीम इसलिए मजबूत थी, क्योंकि अधिकतर खिलाड़ी व्यक्तिगत रिकॉर्ड और सफलता के लिए भूखे थे और उन्हें अपने प्रदर्शन पर गर्व होता था। मैंने इमरान, मियादाद, वसीम, इंजमाम, सईद अनवर, मोइन, राशिद, मलिक और कई अन्य खिलाड़ियों में यह देखा था। कासिम ने जियो न्यूज से कहा, आज हमारे खिलाड़ियों में इसकी कमी है। वे निजी सम्मान के लिए नहीं खेलते और वे व्यक्तिगत सफलता के लिए भी नहीं खेलते। इनमें से कुछ खिलाड़ी केवल टीम का हिस्सा बनकर संतुष्ट हैं।
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मंगलवार को कहा कि उसने क्षेत्रों में काम करने वाले अपने अधिकारियों को मृत्यु संबंधी निपटान के दावों को सात दिन के अंतर में निपटाने के बारे में दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. इसी तरह सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों का हिसाब-किताब सेवा पूरी होने से पहले ही तय करने को कहा गया है.
श्रम मंत्रालय ने कहा कि श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 अक्टूबर को हुई बैठक में दिए गए दिशानिर्देशों पर की गयी कार्यवाही की मंगलवार को समीक्षा की. इसमें केंद्रीय भविष्य निधि कोष आयुक्त (सीपीएफसी) ने मंत्री को बताया कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर ईपीएफओ ने सेवानिवृत्ति और मृत्यु संबंधी दावों के निपटान के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं.
सेंट्रल पीएफ कमिश्नर डॉ. वीपी जॉय ने एक सर्कुलर जारी किया है. यह सर्कुलर उन्होंने अपने सभी ऑफिसों को भेजा है. इसमें कहा गया है कि मेंबर्स को रिटायरमेंट के दिन पीएफ और पेंशन का पेमेंट सुनिश्चित करने के लिए रिटायर हो रहे मेंबर्स की मंथली लिस्ट तीन महीने पहले तैयार कर लेनी चाहिए. इस बारे में संबंधित मेंबर और एंप्लॉयर को भी जानकारी दी जानी चाहिए.
इसके साथ ही एंप्लॉयर्स से कहा जाना चाहिए कि वे रिटायर हो रहे कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में अपना कॉन्ट्रिब्यूशन रिटायरमेंट की डेट से एक माह पहले जमा करा दें. साथ ही रिटायर हो रहे कर्मचारी को पीएफ, पेंशन क्लेम फॉर्म भी पहले भेज दिया जाए ताकि वह समय से इसे भर कर भेज सके. कर्मचारी को यह क्लेम फॉर्म रिटायरमेंट के 14 दिन पहले संबंधित ऑफिस में जमा कराना होगाटिप्पणियां
श्रम मंत्रालय ने कहा कि श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 अक्टूबर को हुई बैठक में दिए गए दिशानिर्देशों पर की गयी कार्यवाही की मंगलवार को समीक्षा की. इसमें केंद्रीय भविष्य निधि कोष आयुक्त (सीपीएफसी) ने मंत्री को बताया कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर ईपीएफओ ने सेवानिवृत्ति और मृत्यु संबंधी दावों के निपटान के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं.
सेंट्रल पीएफ कमिश्नर डॉ. वीपी जॉय ने एक सर्कुलर जारी किया है. यह सर्कुलर उन्होंने अपने सभी ऑफिसों को भेजा है. इसमें कहा गया है कि मेंबर्स को रिटायरमेंट के दिन पीएफ और पेंशन का पेमेंट सुनिश्चित करने के लिए रिटायर हो रहे मेंबर्स की मंथली लिस्ट तीन महीने पहले तैयार कर लेनी चाहिए. इस बारे में संबंधित मेंबर और एंप्लॉयर को भी जानकारी दी जानी चाहिए.
इसके साथ ही एंप्लॉयर्स से कहा जाना चाहिए कि वे रिटायर हो रहे कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में अपना कॉन्ट्रिब्यूशन रिटायरमेंट की डेट से एक माह पहले जमा करा दें. साथ ही रिटायर हो रहे कर्मचारी को पीएफ, पेंशन क्लेम फॉर्म भी पहले भेज दिया जाए ताकि वह समय से इसे भर कर भेज सके. कर्मचारी को यह क्लेम फॉर्म रिटायरमेंट के 14 दिन पहले संबंधित ऑफिस में जमा कराना होगाटिप्पणियां
सेंट्रल पीएफ कमिश्नर डॉ. वीपी जॉय ने एक सर्कुलर जारी किया है. यह सर्कुलर उन्होंने अपने सभी ऑफिसों को भेजा है. इसमें कहा गया है कि मेंबर्स को रिटायरमेंट के दिन पीएफ और पेंशन का पेमेंट सुनिश्चित करने के लिए रिटायर हो रहे मेंबर्स की मंथली लिस्ट तीन महीने पहले तैयार कर लेनी चाहिए. इस बारे में संबंधित मेंबर और एंप्लॉयर को भी जानकारी दी जानी चाहिए.
इसके साथ ही एंप्लॉयर्स से कहा जाना चाहिए कि वे रिटायर हो रहे कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में अपना कॉन्ट्रिब्यूशन रिटायरमेंट की डेट से एक माह पहले जमा करा दें. साथ ही रिटायर हो रहे कर्मचारी को पीएफ, पेंशन क्लेम फॉर्म भी पहले भेज दिया जाए ताकि वह समय से इसे भर कर भेज सके. कर्मचारी को यह क्लेम फॉर्म रिटायरमेंट के 14 दिन पहले संबंधित ऑफिस में जमा कराना होगाटिप्पणियां
इसके साथ ही एंप्लॉयर्स से कहा जाना चाहिए कि वे रिटायर हो रहे कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में अपना कॉन्ट्रिब्यूशन रिटायरमेंट की डेट से एक माह पहले जमा करा दें. साथ ही रिटायर हो रहे कर्मचारी को पीएफ, पेंशन क्लेम फॉर्म भी पहले भेज दिया जाए ताकि वह समय से इसे भर कर भेज सके. कर्मचारी को यह क्लेम फॉर्म रिटायरमेंट के 14 दिन पहले संबंधित ऑफिस में जमा कराना होगाटिप्पणियां
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चांदी के बर्तन और गहने इस्तेमाल करने के कुछ समय बाद अपनी चमक खो देते हैं, पर कितना अच्छा हो अगर हम इन चीजों को घर पर ही साफ कर लें.
चांदी को साफ करने के लिए हमारे घर में ही कई ऐसी चीजें मौजूद होती हैं, जिनके इस्तेमाल से हम उनकी खोई चमक वापस ला सकते हैं.
1. एल्युमिनियम फॉयल
एक लीटर पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा डालें. उसके बाद चांदी के जिन बर्तनों और गहनों को साफ करना हैं, उन्हें इस पानी में डाल दें. उसके बाद फॉयल पेपर से इन्हें रगड़े. आप देखेंगे कि आपके चांदी के बर्तन और गहने चमक उठे हैं.
2. डिटर्जेंट
एक गहरे बर्तन में गर्म पानी डिटर्जेंट लें. चांदी की चीजों को कुछ देर के लिए उसमें डुबा दें. कुछ देर डुबोए रखने के बाद उन्हें बाहर निकालकर ब्रश से हल्के हाथ से रगड़ लें. उसके बाद
साफ
पानी से धोकर, पोंछ लें.
3. टोमैटो सॉस
टोमैटो सॉस को एक प्लेट पर निकाल लें. बर्तन या गहने का जो हिस्सा गंदा है, उस पर सॉस को रगड़ें. अगर आपको ज्यादा चमक चाहिए तो आप चांदी की चीजों को कुछ देर तक सॉस में ही छोड़ दें. उसके बाद साफ कपड़े से पोछ लें.
4. हैंड सेनेटाइजर
हैंड सेनेटाइजर न केवल हाथों के कीटाणुओं को मारने का काम करता है बल्कि सिल्वर की चीजों के लिए किसी पॉलिश से कम नहीं है.
5. नींबू-सोडा
अगर आपके चांदी के बर्तनों और गहनों की चमक खो गई है तो कुछ घंटों के लिए इन्हें नींबू-सोडा के घोल में छोड़ दें. बाद में इन्हें बाहर निकालकर पोछ लें.
6. टूथपेस्ट
टूथपेस्ट न केवल दांतों को चमकाने के काम आता है बल्कि इससे फीके पड़ चुके चांदी के बर्तनों को भी नई चमक दी जा सकती है.
7. हेयर कंडीशनर
अगर आप अपने चांदी के बर्तनों और गहनों को चमकदार बनाना चाहते हैं तो उन्हें हेयर कंडीशनर से भी साफ कर सकते हैं.
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रितिक-सुजैन और अरबाज-मलायका के बाद अब बॉलीवुड की एक और जोड़ी अलग होने की पहल कर चुकी है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार प्रसिद्ध संगीत निर्देशक और गायक हिमेश रेशमिया और उनकी पत्नी कोमल ने परिवार की सहमति से तलाक लेने का फैसला लिया है.टिप्पणियां
दोनों की शादी को 22 साल हो चुके हैं. इतना लंबा समय एक साथ गुजारने के बाद दोनों का अलग होना काफी चौंकाने वाला है. हिमेश ने बांद्रा कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी भी दे दी है. मिड डे को दिए एक इंटरव्यू में गायक हिमेश रेशमिया ने कहा कि दोनों ने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया है और परिवार के सदस्यों ने उनके इस फैसले की इज्जत की है.
हिमेश ने इस इंटरव्यू में कहा कि जीवन में कभी-कभी एक दूसरे की इज्जत सबसे अहम हो जाती है और मैंने और कोमल ने अपने रिश्ते की इज्जत रखते हुए साथ में अलग होने का फैसला लिया है. हिमेश ने कहा कि हालांकि कोमल मेरे परिवार का और मैं कोमल के परिवार का हमेशा हिस्सा रहेंगे. जानकारी के अनुसार हिमेश और उनकी पत्नी कोमल पिछले कुछ महीनों से अलग रह रहे थे.
हिमेश की 21 साल की उम्र में कोमल से शादी हुई थी और दोनों का एक बेटा भी है. खबरो के अनुसार टीवी एक्ट्रेस सोनिया कपूर के साथ हिमेश रेशमिया के अफेयर को इस तलाक की वजह बताया जा रहा है.
दोनों की शादी को 22 साल हो चुके हैं. इतना लंबा समय एक साथ गुजारने के बाद दोनों का अलग होना काफी चौंकाने वाला है. हिमेश ने बांद्रा कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी भी दे दी है. मिड डे को दिए एक इंटरव्यू में गायक हिमेश रेशमिया ने कहा कि दोनों ने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया है और परिवार के सदस्यों ने उनके इस फैसले की इज्जत की है.
हिमेश ने इस इंटरव्यू में कहा कि जीवन में कभी-कभी एक दूसरे की इज्जत सबसे अहम हो जाती है और मैंने और कोमल ने अपने रिश्ते की इज्जत रखते हुए साथ में अलग होने का फैसला लिया है. हिमेश ने कहा कि हालांकि कोमल मेरे परिवार का और मैं कोमल के परिवार का हमेशा हिस्सा रहेंगे. जानकारी के अनुसार हिमेश और उनकी पत्नी कोमल पिछले कुछ महीनों से अलग रह रहे थे.
हिमेश की 21 साल की उम्र में कोमल से शादी हुई थी और दोनों का एक बेटा भी है. खबरो के अनुसार टीवी एक्ट्रेस सोनिया कपूर के साथ हिमेश रेशमिया के अफेयर को इस तलाक की वजह बताया जा रहा है.
हिमेश ने इस इंटरव्यू में कहा कि जीवन में कभी-कभी एक दूसरे की इज्जत सबसे अहम हो जाती है और मैंने और कोमल ने अपने रिश्ते की इज्जत रखते हुए साथ में अलग होने का फैसला लिया है. हिमेश ने कहा कि हालांकि कोमल मेरे परिवार का और मैं कोमल के परिवार का हमेशा हिस्सा रहेंगे. जानकारी के अनुसार हिमेश और उनकी पत्नी कोमल पिछले कुछ महीनों से अलग रह रहे थे.
हिमेश की 21 साल की उम्र में कोमल से शादी हुई थी और दोनों का एक बेटा भी है. खबरो के अनुसार टीवी एक्ट्रेस सोनिया कपूर के साथ हिमेश रेशमिया के अफेयर को इस तलाक की वजह बताया जा रहा है.
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जाने-माने रैप गायक और संगीतकार हनी सिंह फिल्म 'भूतनाथ रिटर्न्स' में अपनी धुनों से महानायक अमिताभ बच्चन से ठुमके लगवाने के लिए तैयार हैं. बिग बी ने गायक के बारे में अपने विचार और उनके साथ काम के अनुभव को ट्विटर पर साझा किया है.
71 वर्षीया बच्चन ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा कि 'भूतनाथ रिटर्न्स' के गीत के लिए यो यो हनी सिंह घर में हैं. शांत और शहरी..उनकी शब्दावली का चाहे जो मतलब हो. हनी सिंह को 'रागिनी एमएमएस 2' के 'चार बोतल वोदका' गीत के लिए भी लिया गया है. इस फिल्म में कनाडाई अभिनेत्री सनी लियोन भी हैं. 'भूतनाथ रिटर्न्स' नितेश तिवारी के निर्देशन में बन रही है.
उधर, शुक्रवार को किताब 'टॉप 100 सेलेब्रिटी ब्रांड्स' के लांच पर हनी सिंह ने कहा कि मैं बहुत ज्यादा काम नहीं करना चाहता. मैं सीमित लेकिन बेहतरीन काम करना चाहता हूं. हनी सिंह ने पिछले साल हिंदी सिने जगत को 'लुंगी डांस' 'पार्टी ऑल नाइट' और 'हार्न ओके प्लीज' जैसे मशहूर और लोकप्रिय गाने दिए थे. उन्होंने कहा कि वह हिंदी फिल्म जगत में कुछ सीमित लोगों के लिए ही काम करते हैं.
उन्होंने कहा, "मैं प्लेबैक कलाकार नहीं हूं और बेहद सीमित लोगों के लिए संगीत देता हूं. मैं खुद ही अपने गाने का संगीत तैयार करता हूं और उन्हें खुद ही गाता हूं. उन्होंने कहा कि हालांकि मैं दूसरे गीतकारों और गायकों के लिए भी गाता हूं, लेकिन गानों को लेकर मेरी पसंद बेहद सीमित है.
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ब्रिटेन के लीसेस्टर में आयोजित लोकसंगीत के कार्यक्रम में लोकगायक किर्तीदान गढ़वी पर भारतीय लोगों, खासकर गुजरातियों ने जमकर पाउंड की बारिश की है.
गुजरात में आये दिन किर्तीदान गढ़वी के कार्यक्रम में नोटों की बारिश होते तो कई बार देखा गया है, लेकिन यह पहली बार था कि जब किसी दूसरे देश में कार्यक्रम आयोजित किया गया और वहां भी जमकर नोटों की बारिश हुई.
कार्यक्रम के विडियो और तस्वीरों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि लोग जमकर पाउन्ड की बारिश कर रहे हैं, बड़ी तादाद में पाउन्ड जमीन पर बिखरे भी दिख रहे हैं.
दरअसल लोकसंगीत के कार्यक्रम में गुजरात में तो लाखों-करोड़ों रुपये इसी तरह गायकों पर उड़ाए जाते हैं और आयोजकों के अनुसार इन पैसों को जुटा कर समाजसेवा के लिए इस्तमाल किया जाता है,
लेकिन यह पहली बार था कि
विदेश में लोकसंगीत
का कार्यक्रम हुआ और गायक पर इस तरह पाउन्ड की बारिश की गई.
इसके पहले अहमदाबाद के वलसाड स्थित वापी के
स्वामी नारायण कांप्लेक्स
में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में गढ़वी के ऊपर नोटों की बारिश की गई थी. लोकगायक कीर्तिदान गढ़वी पर नोटों की बारिश होने की बात पहले भी सामने आती रही है. सबसे पहले साल 2015 में वडोदरा के हरनी इलाके में गणपति विसर्जन कार्यक्रम के दौरान वडोदरा के बीजेपी अध्यक्ष सतीश पटेल स्टेज गड़वी पर नोट बरसाते दिखे थे.
नोटबंदी के दौरान भी एक कार्यक्रम में गढ़वी पर 2000 रुपए के नए नोटों की बारिश का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. यह वीडियो गुजरात के पालनपुर के एक कार्यक्रम का था.
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बॉलीवुड एक्टर सुनील शेट्टी ने रविवार को अपना 58वां जन्मदिन मनाया. इस मौके पर उन्हें ढेर सारी बधाइयां मिलीं. उनकी बेटी और फिल्म एक्ट्रेस आथिया शेट्टी ने पिता को इस मौके पर विश किया है और सोशल मीडिया पर सुनील के साथ की एक थ्रोबैक फोटो शेयर की है. उन्होंने इसी के साथ इमोशनल पोस्ट भी लिखा है.
शेयर की गई तस्वीर में सुनील शेट्टी यंग लग रहे हैं. आथिया काफी छोटी हैं और बेहद क्यूट लग रही हैं. आथिया ने कैप्शन में लिखा- मेरे अजीज दोस्त को जन्मदिन की शुभकामनाएं. मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं पापा. मैं कामना करती हूं कि आप खुशमिजाज और आनंदित रहें. हमेशा मेरा सहारा बनने के लिए शुक्रिया अब हम खुद से भी ऐसी ही उम्मीद रखते हैं.
happy birthday to my best friend, i love you, papa! i wish you so much joy and laughter ♥️ thank you for always having my back, and i hope you know we have yours, always!
pic.twitter.com/X9RVsPjjVV
— Athiya Shetty (@theathiyashetty)
August 11, 2019
आथिया आमतौर पर भी थ्रोबैक फोटोज शेयर करती रहती हैं. पिछले साल भी पिता के बर्थडे पर उन्होंने एक थ्रोबैक फोटो शेयर की थी. उन्होंने लिखा था- हैपी बर्थडे पापा. मेरे साथ हमेशा धैर्य रखने के लिए शुक्रिया. मुझपे विश्वास रखने के लिए शुक्रिया. मैं आपको हर दिन प्राउड फील कराना चाहती हूं. मैं आपसे प्यार करती हूं. जैसा आपका हृदय है उस हिसाब से आप दुनियाभर की सारी खुशियां डिसर्व करते हैं.
बता दें कि सुनील शेट्टी इन दिनों साउथ सिनेमा में सक्रिय हैं. वे बॉलीवुड फिल्मों में नजर आते रहते हैं. वे बड़े बॉलीवुड प्रोजेक्ट तानाजी दि अनसंग वॉरियर में नजर आएंगे. वहीं आथिया शेट्टी के पास फिलहाल बॉलीवुड में कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं है. उन्होंने साल 2015 में हीरो फिल्म से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी. फिल्म में उनके अपोजिट सूरज पंचोली थे. ये मूवी बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई थी.
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कांग्रेस की उत्तर प्रदेश ईकाई ने रविवार को कहा कि अखिलेश सरकार एक बार फिर गरीबों को छलने की योजना बना रही है. शहरी गरीबों को मुफ्त आवास मुहैया कराने के लिए 'आसरा आवास योजना' योजना बनाई गई है. नये-नये लोकलुभावन घोषणाओं से प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार सिर्फ 'घोषणा सरकार' बनकर रह गई है.
उप्र कांग्रेस कमेटी के मीडिया समन्वयक अशोक सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार के गठन के 8 माह बीत चुके हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश की जनता से किये गये तमाम वादे बस वादे ही बनकर रह गये हैं. सरकार ने कोई भी वादा पूरा नहीं किया.
सिंह ने कहा कि किसानों की कर्ज माफी नाम पर सिर्फ एक बैंक से लिये गये कर्ज को माफ किये जाने की घोषणा हुई है, लेकिन इसमें लगाई गई शर्तों से किसानों को ही शायद लाभ मिले. इसी प्रकार मुफ्त सिंचाई और बिजली का वादा किसानों के लिए दु:खदाई साबित हो रहा है. नहरों में पानी नहीं है और बिजली का आलम यह है कि गांवों में सिर्फ तार तो लटके हैं, लेकिन उनमें करंट हफ्तों में आता है. यही हाल नौजवानों को दिखाये गये लालीपाप 'बेरोजगारी भत्ता' और छात्रों को टैबलेट और लैपटाप बांटने की योजना का है.
सिंह ने कहा कि आये दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री नई घोषणाएं करते रहते हैं. यही कारण है कि राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं मुख्यमंत्री के परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य को अपने ही दल के कार्यकर्ताओं का रोष दबाने के लिए सरकारी नौकरी देने की असंवैधानिक घोषणा करनी पड़ी है.
सिंह ने कहा कि प्रदेश की जनता सरकार की नीति और नीयत को पूरी तरह समझ चुकी है और किसानों, नौजवानों, छात्रों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों के साथ की गई वादाखिलाफी की कीमत लोकसभा चुनाव में चुकानी पड़ेगी.
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इजराइल की एक कंपनी ने दावा किया है कि उसने एक ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है जिससे किसी भी
मोबाइल फोन
को सेकेंडों में चार्ज किया जा सकता है. इस टेक्नोलॉजी से कार बैटरी मिनटों में चार्ज हो सकती है. इस टेक्नोलॉजी से कंज्यूमर इंडस्ट्रीज को बहुत सहारा मिलेगा.
इसके लिए नैनौ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कृत्रिम अणु को संश्लेषित किया जाता है. तेल अवीव की कंपनी स्टोरडॉट ने कहा कि उसने एक ऐसी बैटरी बनाई है जो कहीं ज्यादा चार्ज स्टोर कर सकती है. यह एक बड़े स्पॉन्ज की तरह है जो बहुत ज्यादा पॉवर सोख लेता है और अपने पास रख लेता है.
फिलहाल इस टेक्नोलॉजी से बनी बैटरी का आकार बड़ा है. इसे मोबाइल फोन में फिट नहीं किया जा सकता है लेकिन कंपनी इस पर भी काम कर रही है और 2016 तक ऐसी बैटरी बन जाएगी जो मोबाइल फोन जैसे छोटे उपकरणों में लग जा सकेंगे और महज 30 सेकेंड में चार्ज हो जाएंगे.
स्टोरडॉट के संस्थापक डोरोन मियर्सडॉर्फ ने कहा कि ये नए पदार्थ हैं और जो पहले कभी विकसित नहीं किए गए हैं.
- इनपुट एजेंसी
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दिल्ली पुलिस ने चलती बस में दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा के बगल में बैठकर मस्टरबेट करने वाले व्यक्ति पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है. दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में एक पोस्टर भी जारी किया है.
दिल्ली पुलिस के इस पोस्टर में कहा है कि आरोपी व्यक्ति के बारे में सूचना देने वाले व्यक्ति को 25 हजार रुपये नकद इनाम दिया जाएगा. साथ ही सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान भी गोपनीय रखी जाएगी.
छात्रा ने आरोपी व्यक्ति को अश्लील हरकत करते हुए उसकी वीडियो बना ली थी और अपने ट्विटर हैंडल से शेयर कर उसने बस के अंदर अपने साथ हुई गंदी हरकत के बारे में खुलासा किया था.
पीड़िता का आरोप है कि बीते 10 फरवरी को 6 घंटे इंतजार के बाद वसंत विहार थाने में आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया, लेकिन कोई गिरफ्तार नहीं हुआ है. तब से आरोपी भी फरार चल रहा है.
दिल्ली पुलिस, पुलिस आयुक्त, मुख्यमंत्री, महिला आयोग आदि को ट्विटर पर टैग करते हुए पीड़िता ने ट्वीट भी किया, लेकिन महिला आयोग के अलावा किसी ने मदद नहीं की.
यह थी पूरी घटना
पीड़िता दिल्ली यूनिवर्सिटी में तीसरे वर्ष की छात्रा है. इस घटना के समय वह कॉलेज से घर लौट रही थी. आरोपी आईआईटी गेट बस स्टैंड पर उतर गया था. छात्रा का आरोप है कि आरोपी ने उसके निजी अंग को भी छुआ था.
पीड़िता ने बताया कि वह हर दिन की तरह बीते 7 फरवरी को वसंत गांव से कलस्टर बस रूट नंबर 774 में सवार हुई थी. छात्रा अगले गेट से सवार हुई और दूसरे नंबर की सीट पर बैठ गई. 45 साल का एक व्यक्ति उस सीट पर बगल में बैठ गया. चंद मिनट बाद वह उसके निजी अंग को छूने लगा. उसके सामने ही मस्टरबेट करने लगा.
किसी ने नहीं की मदद
हैरानी की बात यह है कि छात्रा बस में आरोपी के ऐसा करने का विरोध करती रही और अन्य यात्रियों से मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन कोई आगे नहीं आया. उसने चिल्लाकर अन्य यात्रियों से मदद की गुहार भी लगाई थी, लेकिन किसी यात्री ने सहायता नहीं की.
बहादुर छात्रा ने आरोपी की अश्लील हरकत को अपने
मोबाइल से रिकॉर्ड
कर लिया. इतना ही नहीं उसने इस वीडियो को ट्विटर पर भी अपलोड कर दिया. इसके बाद उसने इस घटना की जानकारी अपने दोस्तों को दी.
हैरानी की बात यह है कि इस वीडियो को दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय, दिल्ली पुलिस, पुलिस आयुक्त, महिला आयोग को ट्विटर पर टैग किया गया था, लेकिन महिला आयोग के अलावा किसी अन्य ने पीड़िता से तीन दिनों तक संपर्क नहीं किया. महिला आयोग के हस्तक्षेप के बाद वसंत विहार थाना में इस बाबत केस दर्ज हुआ है.
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि यदि आसाराम बापू एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण के दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
आसाराम ने लड़की के आरोपों का खंडन किया है। गहलोत ने केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात की और उन्हें इस मामले की ताजा स्थिति से अवगत कराया।
गहलोत ने कहा, "पुलिस को जांच के दौरान किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए और ऐसा नहीं होगा। जांच का परिणाम आने के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी।"
उन्होंने कहा कि संतों को समाज में पवित्रता बनाए रखनी चाहिए, ताकि उनपर उंगली उठने का कोई मौका उत्पन्न नहीं हो।
गहलोत ने आगे कहा, "मैं पहले ही कह चुका हूं कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और कानून अपना काम करेगा।"
एक नाबालिग लड़की ने नई दिल्ली के एक थाने में 20 अगस्त को दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि आसाराम बापू ने अपने जोधपुर आश्रम में उसका यौन उत्पीड़न किया।
इस मामले में जोधपुर में एक दिन बाद आसाराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
आसाराम के खिलाफ बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण संबंधी कानून और भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
राजस्थान पुलिस ने आसाराम को देश से भागने से रोकने के लिए लुक आउट नोटिस भी जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पीड़िता के पिता ने मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है। यह मुद्दा संसद में भी उठा और प्रदर्शन भी हुए हैं।
जहां सभी राजनीतिक पार्टियों ने आसाराम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उमा भारती ने उनका बचाव किया है।टिप्पणियां
भाजपा को उसके 'दोहरे मानदंड' पर आड़े हाथों लेते हुए कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, "बाकियों के लिए मृत्युदंड, जाली भगवान को क्षमा।"
भाजपा ने दुष्कर्म के दोषियों के लिए संसद के बाहर और भीतर मत्युदंड की मांग की है। आसाराम ने लड़की से अकेले में मिलने की बात से इनकार किया है और आरोप को बेबुनियाद बताया है।
आसाराम ने लड़की के आरोपों का खंडन किया है। गहलोत ने केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात की और उन्हें इस मामले की ताजा स्थिति से अवगत कराया।
गहलोत ने कहा, "पुलिस को जांच के दौरान किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए और ऐसा नहीं होगा। जांच का परिणाम आने के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी।"
उन्होंने कहा कि संतों को समाज में पवित्रता बनाए रखनी चाहिए, ताकि उनपर उंगली उठने का कोई मौका उत्पन्न नहीं हो।
गहलोत ने आगे कहा, "मैं पहले ही कह चुका हूं कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और कानून अपना काम करेगा।"
एक नाबालिग लड़की ने नई दिल्ली के एक थाने में 20 अगस्त को दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि आसाराम बापू ने अपने जोधपुर आश्रम में उसका यौन उत्पीड़न किया।
इस मामले में जोधपुर में एक दिन बाद आसाराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
आसाराम के खिलाफ बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण संबंधी कानून और भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
राजस्थान पुलिस ने आसाराम को देश से भागने से रोकने के लिए लुक आउट नोटिस भी जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पीड़िता के पिता ने मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है। यह मुद्दा संसद में भी उठा और प्रदर्शन भी हुए हैं।
जहां सभी राजनीतिक पार्टियों ने आसाराम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उमा भारती ने उनका बचाव किया है।टिप्पणियां
भाजपा को उसके 'दोहरे मानदंड' पर आड़े हाथों लेते हुए कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, "बाकियों के लिए मृत्युदंड, जाली भगवान को क्षमा।"
भाजपा ने दुष्कर्म के दोषियों के लिए संसद के बाहर और भीतर मत्युदंड की मांग की है। आसाराम ने लड़की से अकेले में मिलने की बात से इनकार किया है और आरोप को बेबुनियाद बताया है।
गहलोत ने कहा, "पुलिस को जांच के दौरान किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए और ऐसा नहीं होगा। जांच का परिणाम आने के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी।"
उन्होंने कहा कि संतों को समाज में पवित्रता बनाए रखनी चाहिए, ताकि उनपर उंगली उठने का कोई मौका उत्पन्न नहीं हो।
गहलोत ने आगे कहा, "मैं पहले ही कह चुका हूं कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और कानून अपना काम करेगा।"
एक नाबालिग लड़की ने नई दिल्ली के एक थाने में 20 अगस्त को दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि आसाराम बापू ने अपने जोधपुर आश्रम में उसका यौन उत्पीड़न किया।
इस मामले में जोधपुर में एक दिन बाद आसाराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
आसाराम के खिलाफ बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण संबंधी कानून और भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
राजस्थान पुलिस ने आसाराम को देश से भागने से रोकने के लिए लुक आउट नोटिस भी जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पीड़िता के पिता ने मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है। यह मुद्दा संसद में भी उठा और प्रदर्शन भी हुए हैं।
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राजस्थान पुलिस ने आसाराम को देश से भागने से रोकने के लिए लुक आउट नोटिस भी जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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गहलोत ने आगे कहा, "मैं पहले ही कह चुका हूं कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और कानून अपना काम करेगा।"
एक नाबालिग लड़की ने नई दिल्ली के एक थाने में 20 अगस्त को दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि आसाराम बापू ने अपने जोधपुर आश्रम में उसका यौन उत्पीड़न किया।
इस मामले में जोधपुर में एक दिन बाद आसाराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
आसाराम के खिलाफ बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण संबंधी कानून और भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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एक नाबालिग लड़की ने नई दिल्ली के एक थाने में 20 अगस्त को दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि आसाराम बापू ने अपने जोधपुर आश्रम में उसका यौन उत्पीड़न किया।
इस मामले में जोधपुर में एक दिन बाद आसाराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
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इस मामले में जोधपुर में एक दिन बाद आसाराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
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राजस्थान पुलिस ने आसाराम को देश से भागने से रोकने के लिए लुक आउट नोटिस भी जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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आसाराम के खिलाफ बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण संबंधी कानून और भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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भाजपा ने दुष्कर्म के दोषियों के लिए संसद के बाहर और भीतर मत्युदंड की मांग की है। आसाराम ने लड़की से अकेले में मिलने की बात से इनकार किया है और आरोप को बेबुनियाद बताया है।
भाजपा ने दुष्कर्म के दोषियों के लिए संसद के बाहर और भीतर मत्युदंड की मांग की है। आसाराम ने लड़की से अकेले में मिलने की बात से इनकार किया है और आरोप को बेबुनियाद बताया है।
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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को आज तक के प्रोग्राम 'खास मुलाकात' में कहा कि दादरी के बिसहड़ा गांव में गोमांस रखने की अफवाहों को लेकर एक मुस्लिम व्यक्ति की हत्या सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि गुनाहगारों को सजा दी जानी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि दादरी में जो कुछ भी हुआ वह कानून व्यवस्था की विफलता है. प्रदेश सरकार वहां की स्थिति पर नियंत्रण नहीं कर पाई. पुलिस और प्रशासन एकतरफा कार्रवाई कर रही है. बिसहड़ा गांव में बीजेपी नेताओं के दौरे को लेकर सवाल किया गया तो अमित शाह ने कहा, ‘दादरी पहले कौन गया? राहुल गांधी पहले गए. उनके बाद असदुद्दीन ओवैसी गए. फिर अरविंद केजरीवाल गए. बीजेपी की ओर से महेश शर्मा गए क्योंकि वह वहां के सांसद हैं, इसलिए यह उनकी जिम्मेदारी थी.’
हालांकि जब बीजेपी अध्यक्ष से विधायक संगीत सोम को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ गलत हुआ. विधायक संगीत सोम को वहां नहीं जाना चाहिए.
कलबुर्गी की हत्या को भी बताया यूपी सरकार की विफलता
हाल ही में लेखक कलबुर्गी के मर्डर के विरोध में तमाम साहित्यकारों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए, इस सवाल पर बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि कलबुर्गी की हत्या जहां हुई उसके लिए वहां की सरकार जिम्मेदार है. केंद्र सरकार पर आरोप लगाया ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, 'केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार या बीजेपी को ऐसे मुद्दे में नहीं घसीटना चाहिए क्योंकि यह कानून व्यवस्था का विषय है जो राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.'
शिवसेना के कामों से झाड़ा पल्ला
मुंबई में पूर्व बीजेपी नेता सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर शिवसेना की ओर से कालिख पोते जाने पर उन्होंने कहा कि बीजेपी ऐसे किसी भी काम में शामिल नहीं है. शिवसेना का पाकिस्तान को लेकर हमेशा से एक स्टैंड रहा है, बीजेपी ऐसी घटनाओं का बिल्कुल समर्थन नहीं करती है.
मोहन भागवत के बयान पर दी सफाई
आरक्षण की नीति पर पुनर्विचार किए जाने के संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर टिप्पणी करते हुए अमित शाह ने कहा कि भागवत के बयान को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है. जो लोग इस मुद्दे को भुना रहे हैं, उन्हें इसका फायदा बिल्कुल नहीं मिलेगा. बिहार की जरूरतें कुछ और हैं, आरक्षण नहीं.
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नेपाल की मुख्य विपक्षी माओवादी पार्टी ने देश के पूर्वी हिस्से में 3200 मेगावाट की कोसी बांध परियोजना पर काम रोकने की धमकी दी है.
यूनीफाइड सीपीएन माओवादी के लोग कल परियोजना स्थल पर पहुंचे और वृहत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पर काम रोकने की धमकी दी.
दैनिक ‘रिपब्लिका’ के अनुसार उन्होंने वरिष्ठ भारतीय अभियंता तथा फील्ड डिवीजन प्रभारी राकेश कश्यप को एक पत्र सौंपा.
माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य प्रल्हाद बुधथोकी ने कहा कि जब तक देश के लाभ के लिए सप्तकोसी के इस्तेमाल की एक नीति नहीं बनाई जाती तब तक परियोजना का सारा काम रोक दिया जाना चाहिए.
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सिंगाइर उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह ढाका विभाग के मानिकगंज ज़िले का एक उपजिला है। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका के निकट अवस्थित है।
जनसांख्यिकी
यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। चट्टग्राम विभाग में, जनसांख्यिकीक रूप से, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन ९१.१९% है, जोकि बांग्लादेश के तमाम विभागों में अधिकतम् है। शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है।
अवस्थिति
सिंगाइर उपजिला बांग्लादेश के मध्य में स्थित, ढाका विभाग के मानिकगंज जिले में स्थित है।
इन्हें भी देखें
बांग्लादेश के उपजिले
बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल
ढाका विभाग
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी)
जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश
http://hrcbmdfw.org/CS20/Web/files/489/download.aspx (पीडीएफ)
श्रेणी:ढाका विभाग के उपजिले
बांग्लादेश के उपजिले
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दिल्ली में अवैध तरीके से प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के क्लीनिकों पर छापे मारे गए. छापे की भनक लगने के बाद 12 फर्जी डॉक्टर फरार हो गए.
राजधानी के 20 क्लीनिकों पर चिकित्सा परिषद की अगुवाई में ये छापे मारे गए. छापे के दौरान बड़े पैमाने पर फर्जी कागजात आदि बरामद किए गए. बहरहाल, फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ चिकित्सा परिषद का अभियान जारी है.
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ख्यात अभिनेता प्रकाश राज पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी से बेहद खफा हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस पर स्टैंड लेना चाहिए था.
पढ़ें, आखिरी समय में इन मुद्दों को उठा रही थीं गौरी लंकेश
प्रकाश राज ने बेंगलुरू में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्टेट मीट में कहा, 'गौरी लंकेश के हत्यारों का पता चले या न चले, लेकिन जिस तरह एक बड़ी भीड़ सोशल मीडिया पर उनकी मौत को सेलिब्रेट कर रही है, वह परेशान करने वाली बात है. हम सब जानते हैं कि ये कौन लोग हैं और उनकी क्या विचारधारा है. इनमें से कई ऐेसे हैं, जिन्हें नरेंद्र मोदी फॉलो करते हैं. ये सब बातें चिंताजनक है कि हमारा देश कहा जा रहा है. प्रकाश राज ने आगे कहा, मैं कोई अवॉर्ड नहीं चाहता. मुझसे न कहें कि अच्छे दिन आएंगे. मैं जाना पहचाना एक्टर हूं, जब आप एक्टिंग करते हैं तो मैं पहचान लेता हूं.
What's said...n what's not said. For all out there .. thank you
pic.twitter.com/zIT7rnkFxb
— Prakash Raj (@prakashraaj)
October 2, 2017
प्रकाश राज ने उन सब बातों का खंडन किया, जिसमें कहा गया कि वे अपने नेशनल अवॉर्ड लौटाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, मैंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा कि मैं अपने अवॉर्ड को रिजेक्ट कर रहा हूं, न ही मैं इस सब पर बात करना चाहता हूं.
बता दें कि पांच सितंबर को बेंगलुरू में पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. प्रकाश राज उनके करीबी दोस्त थे. वे गौरी के पिता से भी काफी प्रभावित थे. प्रकाश कहते हैं, मैं पिछले तीस सालों से गौरी का जानता था. मैं कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी दिन जाएगा, जब गौरी की इस तरह हत्या कर दी जाएगी.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: भारतीय की प्रमुख बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा निराश हैं, क्योंकि वह अपने परिवार के लिए लंदन ओलिंपिक की टिकटें हासिल करने में नाकाम रही हैं। महिला युगल और मिश्रित युगल में भारत की चुनौती पेश कर रहीं 28 वर्षीय ज्वाला ने दावा किया था कि उन्होंने अपने परिजनों के लिए ओलिंपिक की टिकटें हासिल कर ली हैं, ताकि वे लोग इन खेलों के गवाह बन सकें।टिप्पणियां
ज्वाला ने कहा, मुझे तीन पास देने का वादा किया गया था, लेकिन जब मैंने काउंटर पर ये मांगे, तो अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने ये पास संबंधित राष्ट्रीय ओलिंपिक संघों को दे दिए हैं। लेकिन भारतीय ओलिंपिक संघ के अधिकारियों ने मुझसे कहा कि उनके पास पास नहीं हैं। मैं नहीं जानती कि मैं क्या करूं।
उन्होंने कहा, यह शर्मिंदगी की बात है, क्योंकि मेरे माता-पिता और मेरी बहन यहां लंदन में हैं, लेकिन अब वे स्पर्धाएं नहीं देख सकते।
ज्वाला ने कहा, मुझे तीन पास देने का वादा किया गया था, लेकिन जब मैंने काउंटर पर ये मांगे, तो अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने ये पास संबंधित राष्ट्रीय ओलिंपिक संघों को दे दिए हैं। लेकिन भारतीय ओलिंपिक संघ के अधिकारियों ने मुझसे कहा कि उनके पास पास नहीं हैं। मैं नहीं जानती कि मैं क्या करूं।
उन्होंने कहा, यह शर्मिंदगी की बात है, क्योंकि मेरे माता-पिता और मेरी बहन यहां लंदन में हैं, लेकिन अब वे स्पर्धाएं नहीं देख सकते।
उन्होंने कहा, यह शर्मिंदगी की बात है, क्योंकि मेरे माता-पिता और मेरी बहन यहां लंदन में हैं, लेकिन अब वे स्पर्धाएं नहीं देख सकते।
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महिला एकल वर्ग में भारत की युवा स्टार पीवी सिंधु इंडिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट से बाहर हो गई हैं। सिंधु ने क्वार्टर फाइनल मैच में शुक्रवार को टूर्नामेंट की चौथी वरीयता प्राप्त चीनी खिलाड़ी यानजियाओ जियांग को कड़ी टक्कर दीं लेकिन वह अपनी हार को नहीं टाल सकीं।
सिंधु ने हालांकि जियांग को हारते-हारते दिखा दिया कि वह भी आसानी से हार नहीं मानने वाली हैं। सिंधु यह मैच 21-18, 12-21, 18-21 से हार गई।
विश्व की 28वीं वरीयता प्राप्त सिंधु ने सातवीं वरीय अनुभवी जियांग को जीत के लिए 56 मिनट तक इंतजार कराया। सिंधु ने दूसरे दौर में टूर्नोमंट की आठवीं वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी जी ह्यून सुंग को पराजित किया था।
इससे पहले, टूर्नामेंट की दूसरी वरीयता प्राप्त चीन की ली जुइरेई ने आसान जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बना ली है। जुईरेई ने क्वार्टर फाइनल में सिंगापुर की जुआन गू को 21-15, 21-11 से पराजित किया।
जुइरेई ने यह मैच मात्र 29 मिनट में अपने नाम किया। विश्व की चौथी वरीयता प्राप्त जुइरेई और 17वीं वरीय गू के बीच यह कुल चौथी भिड़ंत थी। इससे पहले दो बार जुइरेई की जीत हुई थी जबकि एक बार गू को जीत मिली थी।
मिश्रित युगल के क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के तोंतोवी अहमद और लिलियाना नैस्तीर की दूसरी वरीय जोड़ी ने चीन के हेनबीन ही और यिजिन बाओ 21-14, 21-16 से हराया।
शुक्रवार को दोपहर तीन बजे सत्र की शुरुआत के साथ ही दो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे। पुरुष वर्ग में टूर्नामेंट के दूसरे वरीयता प्राप्त खिलाड़ी डेनमार्क के पीटर गेड और महिला वर्ग में शीर्ष वरीय चीन की शिजियान वांग की चुनौती समाप्त हो गई जबकि मिश्रित युगल वर्ग में कोरिया के योंग देई ली और जुंग इयूनु हा की तीसरी वरीयता प्राप्त जोड़ी सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं।
इस जोड़ी ने जापान के शिनतारो इकेदा और रेइको शियोता की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 19-21, 21 -13, 21-4 से हराया। पुरुष एकल में गेड और महिला एकल में शिजियान की हार वाकई चौंकाने वाली रही।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
सिंधु ने हालांकि जियांग को हारते-हारते दिखा दिया कि वह भी आसानी से हार नहीं मानने वाली हैं। सिंधु यह मैच 21-18, 12-21, 18-21 से हार गई।
विश्व की 28वीं वरीयता प्राप्त सिंधु ने सातवीं वरीय अनुभवी जियांग को जीत के लिए 56 मिनट तक इंतजार कराया। सिंधु ने दूसरे दौर में टूर्नोमंट की आठवीं वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी जी ह्यून सुंग को पराजित किया था।
इससे पहले, टूर्नामेंट की दूसरी वरीयता प्राप्त चीन की ली जुइरेई ने आसान जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बना ली है। जुईरेई ने क्वार्टर फाइनल में सिंगापुर की जुआन गू को 21-15, 21-11 से पराजित किया।
जुइरेई ने यह मैच मात्र 29 मिनट में अपने नाम किया। विश्व की चौथी वरीयता प्राप्त जुइरेई और 17वीं वरीय गू के बीच यह कुल चौथी भिड़ंत थी। इससे पहले दो बार जुइरेई की जीत हुई थी जबकि एक बार गू को जीत मिली थी।
मिश्रित युगल के क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के तोंतोवी अहमद और लिलियाना नैस्तीर की दूसरी वरीय जोड़ी ने चीन के हेनबीन ही और यिजिन बाओ 21-14, 21-16 से हराया।
शुक्रवार को दोपहर तीन बजे सत्र की शुरुआत के साथ ही दो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे। पुरुष वर्ग में टूर्नामेंट के दूसरे वरीयता प्राप्त खिलाड़ी डेनमार्क के पीटर गेड और महिला वर्ग में शीर्ष वरीय चीन की शिजियान वांग की चुनौती समाप्त हो गई जबकि मिश्रित युगल वर्ग में कोरिया के योंग देई ली और जुंग इयूनु हा की तीसरी वरीयता प्राप्त जोड़ी सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं।
इस जोड़ी ने जापान के शिनतारो इकेदा और रेइको शियोता की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 19-21, 21 -13, 21-4 से हराया। पुरुष एकल में गेड और महिला एकल में शिजियान की हार वाकई चौंकाने वाली रही।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
विश्व की 28वीं वरीयता प्राप्त सिंधु ने सातवीं वरीय अनुभवी जियांग को जीत के लिए 56 मिनट तक इंतजार कराया। सिंधु ने दूसरे दौर में टूर्नोमंट की आठवीं वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी जी ह्यून सुंग को पराजित किया था।
इससे पहले, टूर्नामेंट की दूसरी वरीयता प्राप्त चीन की ली जुइरेई ने आसान जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बना ली है। जुईरेई ने क्वार्टर फाइनल में सिंगापुर की जुआन गू को 21-15, 21-11 से पराजित किया।
जुइरेई ने यह मैच मात्र 29 मिनट में अपने नाम किया। विश्व की चौथी वरीयता प्राप्त जुइरेई और 17वीं वरीय गू के बीच यह कुल चौथी भिड़ंत थी। इससे पहले दो बार जुइरेई की जीत हुई थी जबकि एक बार गू को जीत मिली थी।
मिश्रित युगल के क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के तोंतोवी अहमद और लिलियाना नैस्तीर की दूसरी वरीय जोड़ी ने चीन के हेनबीन ही और यिजिन बाओ 21-14, 21-16 से हराया।
शुक्रवार को दोपहर तीन बजे सत्र की शुरुआत के साथ ही दो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे। पुरुष वर्ग में टूर्नामेंट के दूसरे वरीयता प्राप्त खिलाड़ी डेनमार्क के पीटर गेड और महिला वर्ग में शीर्ष वरीय चीन की शिजियान वांग की चुनौती समाप्त हो गई जबकि मिश्रित युगल वर्ग में कोरिया के योंग देई ली और जुंग इयूनु हा की तीसरी वरीयता प्राप्त जोड़ी सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं।
इस जोड़ी ने जापान के शिनतारो इकेदा और रेइको शियोता की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 19-21, 21 -13, 21-4 से हराया। पुरुष एकल में गेड और महिला एकल में शिजियान की हार वाकई चौंकाने वाली रही।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
इससे पहले, टूर्नामेंट की दूसरी वरीयता प्राप्त चीन की ली जुइरेई ने आसान जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बना ली है। जुईरेई ने क्वार्टर फाइनल में सिंगापुर की जुआन गू को 21-15, 21-11 से पराजित किया।
जुइरेई ने यह मैच मात्र 29 मिनट में अपने नाम किया। विश्व की चौथी वरीयता प्राप्त जुइरेई और 17वीं वरीय गू के बीच यह कुल चौथी भिड़ंत थी। इससे पहले दो बार जुइरेई की जीत हुई थी जबकि एक बार गू को जीत मिली थी।
मिश्रित युगल के क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के तोंतोवी अहमद और लिलियाना नैस्तीर की दूसरी वरीय जोड़ी ने चीन के हेनबीन ही और यिजिन बाओ 21-14, 21-16 से हराया।
शुक्रवार को दोपहर तीन बजे सत्र की शुरुआत के साथ ही दो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे। पुरुष वर्ग में टूर्नामेंट के दूसरे वरीयता प्राप्त खिलाड़ी डेनमार्क के पीटर गेड और महिला वर्ग में शीर्ष वरीय चीन की शिजियान वांग की चुनौती समाप्त हो गई जबकि मिश्रित युगल वर्ग में कोरिया के योंग देई ली और जुंग इयूनु हा की तीसरी वरीयता प्राप्त जोड़ी सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं।
इस जोड़ी ने जापान के शिनतारो इकेदा और रेइको शियोता की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 19-21, 21 -13, 21-4 से हराया। पुरुष एकल में गेड और महिला एकल में शिजियान की हार वाकई चौंकाने वाली रही।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
जुइरेई ने यह मैच मात्र 29 मिनट में अपने नाम किया। विश्व की चौथी वरीयता प्राप्त जुइरेई और 17वीं वरीय गू के बीच यह कुल चौथी भिड़ंत थी। इससे पहले दो बार जुइरेई की जीत हुई थी जबकि एक बार गू को जीत मिली थी।
मिश्रित युगल के क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के तोंतोवी अहमद और लिलियाना नैस्तीर की दूसरी वरीय जोड़ी ने चीन के हेनबीन ही और यिजिन बाओ 21-14, 21-16 से हराया।
शुक्रवार को दोपहर तीन बजे सत्र की शुरुआत के साथ ही दो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे। पुरुष वर्ग में टूर्नामेंट के दूसरे वरीयता प्राप्त खिलाड़ी डेनमार्क के पीटर गेड और महिला वर्ग में शीर्ष वरीय चीन की शिजियान वांग की चुनौती समाप्त हो गई जबकि मिश्रित युगल वर्ग में कोरिया के योंग देई ली और जुंग इयूनु हा की तीसरी वरीयता प्राप्त जोड़ी सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं।
इस जोड़ी ने जापान के शिनतारो इकेदा और रेइको शियोता की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 19-21, 21 -13, 21-4 से हराया। पुरुष एकल में गेड और महिला एकल में शिजियान की हार वाकई चौंकाने वाली रही।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
मिश्रित युगल के क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के तोंतोवी अहमद और लिलियाना नैस्तीर की दूसरी वरीय जोड़ी ने चीन के हेनबीन ही और यिजिन बाओ 21-14, 21-16 से हराया।
शुक्रवार को दोपहर तीन बजे सत्र की शुरुआत के साथ ही दो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे। पुरुष वर्ग में टूर्नामेंट के दूसरे वरीयता प्राप्त खिलाड़ी डेनमार्क के पीटर गेड और महिला वर्ग में शीर्ष वरीय चीन की शिजियान वांग की चुनौती समाप्त हो गई जबकि मिश्रित युगल वर्ग में कोरिया के योंग देई ली और जुंग इयूनु हा की तीसरी वरीयता प्राप्त जोड़ी सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं।
इस जोड़ी ने जापान के शिनतारो इकेदा और रेइको शियोता की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 19-21, 21 -13, 21-4 से हराया। पुरुष एकल में गेड और महिला एकल में शिजियान की हार वाकई चौंकाने वाली रही।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
शुक्रवार को दोपहर तीन बजे सत्र की शुरुआत के साथ ही दो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे। पुरुष वर्ग में टूर्नामेंट के दूसरे वरीयता प्राप्त खिलाड़ी डेनमार्क के पीटर गेड और महिला वर्ग में शीर्ष वरीय चीन की शिजियान वांग की चुनौती समाप्त हो गई जबकि मिश्रित युगल वर्ग में कोरिया के योंग देई ली और जुंग इयूनु हा की तीसरी वरीयता प्राप्त जोड़ी सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं।
इस जोड़ी ने जापान के शिनतारो इकेदा और रेइको शियोता की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 19-21, 21 -13, 21-4 से हराया। पुरुष एकल में गेड और महिला एकल में शिजियान की हार वाकई चौंकाने वाली रही।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
इस जोड़ी ने जापान के शिनतारो इकेदा और रेइको शियोता की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 19-21, 21 -13, 21-4 से हराया। पुरुष एकल में गेड और महिला एकल में शिजियान की हार वाकई चौंकाने वाली रही।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
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पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
विश्व के पांचवें वरीय गेड को विश्व के 17वें वरीयता प्राप्त कोरियाई खिलाड़ी शोन वान हू ने 24-22, 21-18 से पराजित किया। इससे पहले गेड और हू के बीच छह बार भिड़ंत हुए थी और हर बार गेड ने जीत हासिल की थी।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
शिजियान को खिताब का दावेदार माना जा रहा था। उन्हें टूर्नामेंट की छठी वरीयता प्राप्त जर्मन खिलाड़ी जूलिएन शेंक ने 6-21, 21-10, 21-16 से पराजित किया।टिप्पणियां
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
यह मैच एक घंटा चला। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह आठवीं भिड़ंत थी। इससे पहले पांच बार शिजियान विजयी रही थीं जबकि दो बार शेंक को जीत मिली थी।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के कीन कीत कू और बून हेयोंग तान की छठी वरीय जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। इस जोड़ी को इंडोनेशिया के अन्गा प्रातामा और रेयान अंगुग सापुत्रा की गैर वरीय जोड़ी ने 21-18, 15-21, 21-19 से हराया।
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सीएम ने बताया, 'यह एक्सप्रेसवे मेरठ, अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज आएगा. यह एक्सप्रेसवे जब बनेगा तो दुनिया का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे होगा. यह लगभग 600 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे होगा. इस एक्सप्रेसवे के लिए लगभग 6,556 हेक्टेयर भूमि की जरूरत पड़ेगी. फोर लेन एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेसवे का छह लेन तक विस्तार किया जा सकेगा.'
UP Chief Minister Yogi Adityanath: Cabinet has decided to make Ganga-Expressway, to connect Prayagraj with Western Uttar Pradesh. This will be world's longest expressway, approximately 600 km, it will take 6,556 hectares of land, it will cost approximately Rs 36,000 crore. pic.twitter.com/aLXt8CNd1B
रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक के बाद मुख्यमंत्री कुंभ में पवित्र संगम में स्नान भी करेंगे. मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिमंडल के उनके सहयोगी भी स्नान कर सकते हैं. अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया था कि 29 जनवरी को कैबिनेट की बैठक प्रयागराज में कुंभ मेला स्थल के इंट्रीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर में होगी. स्नान के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पूरे मंत्रिमंडल के सदस्य 450 साल के बाद खोले गए अक्षयवट और पवित्र सरस्वती कूप के दर्शन करेंगे.
कैबिनेट बैठक को लेकर वीवीआईपी अरेंजमेंट और रूट डायवर्जन के चलते अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि कुंभ कैबिनेट के लिए है या विशुद्ध धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन के लिए? हालांकि, कुंभ मेले का राजनीतिक और व्यवसायिक इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है. लेकिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संजय कहते हैं कि धार्मिक आयोजन में VVIP को भी श्रद्धालु बनकर ही आना चाहिए अगर वो अपनी विशिष्ठता नहीं छोड़ सकते हैं तो हमारे जैसे श्रद्धालुओं के लिए कुंभ को छोड़ दें.
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मध्यप्रदेश में छतरपुर जिले के बमीठा थाना क्षेत्र के बरद्वाहा गांव में ग्रामीणों ने कथित तौर पर नगदी खत्म होने और सरकारी उचित मूल्य की दुकान से पिछले कई माह से अनाज नहीं मिलने से नाराज होकर कल दुकान से अनाज लूट लिया.
बरद्वाहा गांव की सरकारी उचित मूल्य की दुकान के मालिक मुन्नी लाल अहिरवार ने पुलिस को की गई शिकायत में कहा कि ग्रामीणों के पास अनाज खरीदने के लिए नकद राशि नहीं थी, इसलिए ग्रामीणों ने दुकान से अनाज लूट लिया जबकि पुलिस ने लूट की घटना से इंकार करते हुए कहा कि ग्रामीणों और दुकानदार के बीच राशन को लेकर विवाद हुआ था.
बरद्वाहा गांव के सरपंच नोनेलाल ने आरोप लगाया कि ग्रामीणों को चार माह से सरकारी उचित मूल्य की दुकान से अनाज नहीं मिल रहा था. ग्रामीणों ने इस मामले में पुलिस और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. सरपंच ने दुकानदार द्वारा ग्रामीणों पर लगाये गए अनाज लूटने के आरोप का खंडन किया.
पुलिस के सहायक उप निरीक्षक रामकुशल तिवारी ने बताया कि ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान से पिछले चार माह से राशन नहीं मिल रहा था और ग्रामीण, दुकानदार से पिछले सभी माहों का राशन एक साथ देने की मांग कर रहे थे. जबकि दुकानदार केवल एक माह का अनाज देने के लिए सहमत था. इस बात पर दोनों पक्षों में विवाद हुआ था. टिप्पणियां
इस घटना का कथित वीडियो भी सोशल मीडिया में प्रसारित हुआ है जिसमें ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान लूटते हुए दिखाया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बरद्वाहा गांव की सरकारी उचित मूल्य की दुकान के मालिक मुन्नी लाल अहिरवार ने पुलिस को की गई शिकायत में कहा कि ग्रामीणों के पास अनाज खरीदने के लिए नकद राशि नहीं थी, इसलिए ग्रामीणों ने दुकान से अनाज लूट लिया जबकि पुलिस ने लूट की घटना से इंकार करते हुए कहा कि ग्रामीणों और दुकानदार के बीच राशन को लेकर विवाद हुआ था.
बरद्वाहा गांव के सरपंच नोनेलाल ने आरोप लगाया कि ग्रामीणों को चार माह से सरकारी उचित मूल्य की दुकान से अनाज नहीं मिल रहा था. ग्रामीणों ने इस मामले में पुलिस और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. सरपंच ने दुकानदार द्वारा ग्रामीणों पर लगाये गए अनाज लूटने के आरोप का खंडन किया.
पुलिस के सहायक उप निरीक्षक रामकुशल तिवारी ने बताया कि ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान से पिछले चार माह से राशन नहीं मिल रहा था और ग्रामीण, दुकानदार से पिछले सभी माहों का राशन एक साथ देने की मांग कर रहे थे. जबकि दुकानदार केवल एक माह का अनाज देने के लिए सहमत था. इस बात पर दोनों पक्षों में विवाद हुआ था. टिप्पणियां
इस घटना का कथित वीडियो भी सोशल मीडिया में प्रसारित हुआ है जिसमें ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान लूटते हुए दिखाया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बरद्वाहा गांव के सरपंच नोनेलाल ने आरोप लगाया कि ग्रामीणों को चार माह से सरकारी उचित मूल्य की दुकान से अनाज नहीं मिल रहा था. ग्रामीणों ने इस मामले में पुलिस और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. सरपंच ने दुकानदार द्वारा ग्रामीणों पर लगाये गए अनाज लूटने के आरोप का खंडन किया.
पुलिस के सहायक उप निरीक्षक रामकुशल तिवारी ने बताया कि ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान से पिछले चार माह से राशन नहीं मिल रहा था और ग्रामीण, दुकानदार से पिछले सभी माहों का राशन एक साथ देने की मांग कर रहे थे. जबकि दुकानदार केवल एक माह का अनाज देने के लिए सहमत था. इस बात पर दोनों पक्षों में विवाद हुआ था. टिप्पणियां
इस घटना का कथित वीडियो भी सोशल मीडिया में प्रसारित हुआ है जिसमें ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान लूटते हुए दिखाया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पुलिस के सहायक उप निरीक्षक रामकुशल तिवारी ने बताया कि ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान से पिछले चार माह से राशन नहीं मिल रहा था और ग्रामीण, दुकानदार से पिछले सभी माहों का राशन एक साथ देने की मांग कर रहे थे. जबकि दुकानदार केवल एक माह का अनाज देने के लिए सहमत था. इस बात पर दोनों पक्षों में विवाद हुआ था. टिप्पणियां
इस घटना का कथित वीडियो भी सोशल मीडिया में प्रसारित हुआ है जिसमें ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान लूटते हुए दिखाया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस घटना का कथित वीडियो भी सोशल मीडिया में प्रसारित हुआ है जिसमें ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान लूटते हुए दिखाया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के लापता होने के मामले में केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है. कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) द्वारा बच्चों के लापता होने की शिकायतों और एफआईआर पर की गई कार्रवाइयों के लिए तैयार की गई मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) की रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तु की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र को इस मामले में समय-सीमा तय कर दी है. कोर्ट ने एनएएलएसए द्वारा गृह मंत्रालय, महिला एवं
बाल कल्याण
मंत्रालय व
गैर सरकारी
संगठनों सहित दूसरे हितधारकों के साथ मिलकर तैयार की गई मानक संचालन प्रक्रियाओं की जानकारी देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया.
केंद्र सरकार के वकील अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि सरकार एनएएलएसए की ओर से दिए गए सुझावों पर मानक संचालन प्रक्रियाओं में संशोधन नहीं करेगी, बल्कि जरूरत पड़ी तो उसमें कुछ और जोड़ेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन
‘बचपन बचाओ आंदोलन’
द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया. याचिका में देशभर में लापता हुए बच्चों की खोजबीन के लिए सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग की गई थी.
- इनपुट IANS
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यह लेख है: भारी उतार-चढ़ाव के बीच 2015 दलाल पथ (स्थानीय शेयर बाजार) के लिए चार साल का सबसे बुरा दौर रहा। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने शुरू में बंबई शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांकों को अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया, लेकिन बाद में स्थानीय बाजार से अरबों डॉलर की पूंजी की निकासी कर इसकी हवा निकाल दी।
इस साल अब बाजार में कारोबार के चार दिन बचे है। सेंसेक्स इस साल 1660 अंक या छह प्रतिशत से अधिक के नुकसान में है। पिछले साल इसमें करीब 30 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी। इससे पहले सेंसेक्स 2011 में 24 प्रतिशत गिरा था।
इस समय सेंसेक्स 25,838.71 पर है। साल के शुरू में रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में कटौती से उत्साहित होकर यह 30,024 पर पहुंच गया था। इस साल 24 अक्टूबर को संसेक्स को एक दिन का सबसे बड़ा झटका लगा था। उस दिन चीन के युआन के भारी अवमूल्यन के बाद वैश्विक स्तर पर मची खलबली में सेंसेक्स 1,624.51 अंक टूट गया था।
वर्ष के दौरान नई कंपनियों के शेयर बाजार में आने से सूचीबद्ध कुल निवेश संपत्ति बढ़ाने में मदद मिली। बाजार का पूंजीकरण यानी बाजार कीमत के हिसाब से सूचीबद्ध शेयरों का मूल्य फिर से 100 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। निवेशकों की संपत्ति की बाजार हैसियत 2014 के अंत 98.4 लाख करोड़ रुपये थी और उसके बाद जुलाई 2015 तक यह 100 लाख करोड़ रुपये से उपर चल रही थी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 2015 में करीब छह प्रतिशत नीचे रहा। इस साल धातु, बैंकिंग, रीयल्टी और सार्वजनिक उपक्रम के शेयर काफी नुकसान में रहे। जिंस बाजार में गिरावट के चलते बंबई शेयर बाजार का धातु सूचकांक 32 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है, जबकि रीयल्टी करीब 15 प्रतिशत, बैंक 10 प्रतिशत से अधिक और सार्वजनिक उपक्रम 18 प्रतिशत से अधिक गिरे हैं। स्वास्थ्य और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली कंपनियों के शेयरों पर आधारित सूचकांकों ने हालांकि इस दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारी बिकवाली कर वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय शेयर बाजारों की स्थिति बदल दी। ये निवेशक इससे पहले लंबे समय से भारत को अपना सबसे पसंदीदा उभरता बाजार बनाए हुए थे।
इस साल भारतीय बाजार में कुल एफपीआई प्रवाह घटकर सिर्फ तीन अरब डॉलर रह गया, जबकि ऐसे निवेशकों ने पिछले तीन साल में सालाना औसतन 20-20 अरब डॉलर का निवेश किया था। वास्तव में वर्ष के दौरान एफपीआई शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो भारत की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। चीन सहित अन्य बाजार भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
वर्ष के दौरान आरबीआई का नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन सकारात्मक रहा। वर्ष के शुरू में नीतिगत दरों में अप्रत्याशित कटौती के बाद शेयर बाजार में 15 जनवरी को अब तक की सबसे बड़ी तेजी दर्ज हुई और सेंसेक्स 728.73 अंक (2.66 प्रतिशत) चढ़कर 28,075.55 पर पहुंच गया था।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
इस साल अब बाजार में कारोबार के चार दिन बचे है। सेंसेक्स इस साल 1660 अंक या छह प्रतिशत से अधिक के नुकसान में है। पिछले साल इसमें करीब 30 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी। इससे पहले सेंसेक्स 2011 में 24 प्रतिशत गिरा था।
इस समय सेंसेक्स 25,838.71 पर है। साल के शुरू में रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में कटौती से उत्साहित होकर यह 30,024 पर पहुंच गया था। इस साल 24 अक्टूबर को संसेक्स को एक दिन का सबसे बड़ा झटका लगा था। उस दिन चीन के युआन के भारी अवमूल्यन के बाद वैश्विक स्तर पर मची खलबली में सेंसेक्स 1,624.51 अंक टूट गया था।
वर्ष के दौरान नई कंपनियों के शेयर बाजार में आने से सूचीबद्ध कुल निवेश संपत्ति बढ़ाने में मदद मिली। बाजार का पूंजीकरण यानी बाजार कीमत के हिसाब से सूचीबद्ध शेयरों का मूल्य फिर से 100 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। निवेशकों की संपत्ति की बाजार हैसियत 2014 के अंत 98.4 लाख करोड़ रुपये थी और उसके बाद जुलाई 2015 तक यह 100 लाख करोड़ रुपये से उपर चल रही थी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 2015 में करीब छह प्रतिशत नीचे रहा। इस साल धातु, बैंकिंग, रीयल्टी और सार्वजनिक उपक्रम के शेयर काफी नुकसान में रहे। जिंस बाजार में गिरावट के चलते बंबई शेयर बाजार का धातु सूचकांक 32 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है, जबकि रीयल्टी करीब 15 प्रतिशत, बैंक 10 प्रतिशत से अधिक और सार्वजनिक उपक्रम 18 प्रतिशत से अधिक गिरे हैं। स्वास्थ्य और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली कंपनियों के शेयरों पर आधारित सूचकांकों ने हालांकि इस दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारी बिकवाली कर वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय शेयर बाजारों की स्थिति बदल दी। ये निवेशक इससे पहले लंबे समय से भारत को अपना सबसे पसंदीदा उभरता बाजार बनाए हुए थे।
इस साल भारतीय बाजार में कुल एफपीआई प्रवाह घटकर सिर्फ तीन अरब डॉलर रह गया, जबकि ऐसे निवेशकों ने पिछले तीन साल में सालाना औसतन 20-20 अरब डॉलर का निवेश किया था। वास्तव में वर्ष के दौरान एफपीआई शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो भारत की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। चीन सहित अन्य बाजार भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
वर्ष के दौरान आरबीआई का नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन सकारात्मक रहा। वर्ष के शुरू में नीतिगत दरों में अप्रत्याशित कटौती के बाद शेयर बाजार में 15 जनवरी को अब तक की सबसे बड़ी तेजी दर्ज हुई और सेंसेक्स 728.73 अंक (2.66 प्रतिशत) चढ़कर 28,075.55 पर पहुंच गया था।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
इस समय सेंसेक्स 25,838.71 पर है। साल के शुरू में रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में कटौती से उत्साहित होकर यह 30,024 पर पहुंच गया था। इस साल 24 अक्टूबर को संसेक्स को एक दिन का सबसे बड़ा झटका लगा था। उस दिन चीन के युआन के भारी अवमूल्यन के बाद वैश्विक स्तर पर मची खलबली में सेंसेक्स 1,624.51 अंक टूट गया था।
वर्ष के दौरान नई कंपनियों के शेयर बाजार में आने से सूचीबद्ध कुल निवेश संपत्ति बढ़ाने में मदद मिली। बाजार का पूंजीकरण यानी बाजार कीमत के हिसाब से सूचीबद्ध शेयरों का मूल्य फिर से 100 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। निवेशकों की संपत्ति की बाजार हैसियत 2014 के अंत 98.4 लाख करोड़ रुपये थी और उसके बाद जुलाई 2015 तक यह 100 लाख करोड़ रुपये से उपर चल रही थी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 2015 में करीब छह प्रतिशत नीचे रहा। इस साल धातु, बैंकिंग, रीयल्टी और सार्वजनिक उपक्रम के शेयर काफी नुकसान में रहे। जिंस बाजार में गिरावट के चलते बंबई शेयर बाजार का धातु सूचकांक 32 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है, जबकि रीयल्टी करीब 15 प्रतिशत, बैंक 10 प्रतिशत से अधिक और सार्वजनिक उपक्रम 18 प्रतिशत से अधिक गिरे हैं। स्वास्थ्य और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली कंपनियों के शेयरों पर आधारित सूचकांकों ने हालांकि इस दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारी बिकवाली कर वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय शेयर बाजारों की स्थिति बदल दी। ये निवेशक इससे पहले लंबे समय से भारत को अपना सबसे पसंदीदा उभरता बाजार बनाए हुए थे।
इस साल भारतीय बाजार में कुल एफपीआई प्रवाह घटकर सिर्फ तीन अरब डॉलर रह गया, जबकि ऐसे निवेशकों ने पिछले तीन साल में सालाना औसतन 20-20 अरब डॉलर का निवेश किया था। वास्तव में वर्ष के दौरान एफपीआई शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो भारत की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। चीन सहित अन्य बाजार भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
वर्ष के दौरान आरबीआई का नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन सकारात्मक रहा। वर्ष के शुरू में नीतिगत दरों में अप्रत्याशित कटौती के बाद शेयर बाजार में 15 जनवरी को अब तक की सबसे बड़ी तेजी दर्ज हुई और सेंसेक्स 728.73 अंक (2.66 प्रतिशत) चढ़कर 28,075.55 पर पहुंच गया था।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
वर्ष के दौरान नई कंपनियों के शेयर बाजार में आने से सूचीबद्ध कुल निवेश संपत्ति बढ़ाने में मदद मिली। बाजार का पूंजीकरण यानी बाजार कीमत के हिसाब से सूचीबद्ध शेयरों का मूल्य फिर से 100 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। निवेशकों की संपत्ति की बाजार हैसियत 2014 के अंत 98.4 लाख करोड़ रुपये थी और उसके बाद जुलाई 2015 तक यह 100 लाख करोड़ रुपये से उपर चल रही थी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 2015 में करीब छह प्रतिशत नीचे रहा। इस साल धातु, बैंकिंग, रीयल्टी और सार्वजनिक उपक्रम के शेयर काफी नुकसान में रहे। जिंस बाजार में गिरावट के चलते बंबई शेयर बाजार का धातु सूचकांक 32 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है, जबकि रीयल्टी करीब 15 प्रतिशत, बैंक 10 प्रतिशत से अधिक और सार्वजनिक उपक्रम 18 प्रतिशत से अधिक गिरे हैं। स्वास्थ्य और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली कंपनियों के शेयरों पर आधारित सूचकांकों ने हालांकि इस दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारी बिकवाली कर वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय शेयर बाजारों की स्थिति बदल दी। ये निवेशक इससे पहले लंबे समय से भारत को अपना सबसे पसंदीदा उभरता बाजार बनाए हुए थे।
इस साल भारतीय बाजार में कुल एफपीआई प्रवाह घटकर सिर्फ तीन अरब डॉलर रह गया, जबकि ऐसे निवेशकों ने पिछले तीन साल में सालाना औसतन 20-20 अरब डॉलर का निवेश किया था। वास्तव में वर्ष के दौरान एफपीआई शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो भारत की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। चीन सहित अन्य बाजार भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
वर्ष के दौरान आरबीआई का नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन सकारात्मक रहा। वर्ष के शुरू में नीतिगत दरों में अप्रत्याशित कटौती के बाद शेयर बाजार में 15 जनवरी को अब तक की सबसे बड़ी तेजी दर्ज हुई और सेंसेक्स 728.73 अंक (2.66 प्रतिशत) चढ़कर 28,075.55 पर पहुंच गया था।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 2015 में करीब छह प्रतिशत नीचे रहा। इस साल धातु, बैंकिंग, रीयल्टी और सार्वजनिक उपक्रम के शेयर काफी नुकसान में रहे। जिंस बाजार में गिरावट के चलते बंबई शेयर बाजार का धातु सूचकांक 32 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है, जबकि रीयल्टी करीब 15 प्रतिशत, बैंक 10 प्रतिशत से अधिक और सार्वजनिक उपक्रम 18 प्रतिशत से अधिक गिरे हैं। स्वास्थ्य और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली कंपनियों के शेयरों पर आधारित सूचकांकों ने हालांकि इस दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारी बिकवाली कर वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय शेयर बाजारों की स्थिति बदल दी। ये निवेशक इससे पहले लंबे समय से भारत को अपना सबसे पसंदीदा उभरता बाजार बनाए हुए थे।
इस साल भारतीय बाजार में कुल एफपीआई प्रवाह घटकर सिर्फ तीन अरब डॉलर रह गया, जबकि ऐसे निवेशकों ने पिछले तीन साल में सालाना औसतन 20-20 अरब डॉलर का निवेश किया था। वास्तव में वर्ष के दौरान एफपीआई शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो भारत की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। चीन सहित अन्य बाजार भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
वर्ष के दौरान आरबीआई का नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन सकारात्मक रहा। वर्ष के शुरू में नीतिगत दरों में अप्रत्याशित कटौती के बाद शेयर बाजार में 15 जनवरी को अब तक की सबसे बड़ी तेजी दर्ज हुई और सेंसेक्स 728.73 अंक (2.66 प्रतिशत) चढ़कर 28,075.55 पर पहुंच गया था।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारी बिकवाली कर वर्ष की दूसरी छमाही में भारतीय शेयर बाजारों की स्थिति बदल दी। ये निवेशक इससे पहले लंबे समय से भारत को अपना सबसे पसंदीदा उभरता बाजार बनाए हुए थे।
इस साल भारतीय बाजार में कुल एफपीआई प्रवाह घटकर सिर्फ तीन अरब डॉलर रह गया, जबकि ऐसे निवेशकों ने पिछले तीन साल में सालाना औसतन 20-20 अरब डॉलर का निवेश किया था। वास्तव में वर्ष के दौरान एफपीआई शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो भारत की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। चीन सहित अन्य बाजार भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
वर्ष के दौरान आरबीआई का नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन सकारात्मक रहा। वर्ष के शुरू में नीतिगत दरों में अप्रत्याशित कटौती के बाद शेयर बाजार में 15 जनवरी को अब तक की सबसे बड़ी तेजी दर्ज हुई और सेंसेक्स 728.73 अंक (2.66 प्रतिशत) चढ़कर 28,075.55 पर पहुंच गया था।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
इस साल भारतीय बाजार में कुल एफपीआई प्रवाह घटकर सिर्फ तीन अरब डॉलर रह गया, जबकि ऐसे निवेशकों ने पिछले तीन साल में सालाना औसतन 20-20 अरब डॉलर का निवेश किया था। वास्तव में वर्ष के दौरान एफपीआई शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो भारत की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। चीन सहित अन्य बाजार भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
वर्ष के दौरान आरबीआई का नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन सकारात्मक रहा। वर्ष के शुरू में नीतिगत दरों में अप्रत्याशित कटौती के बाद शेयर बाजार में 15 जनवरी को अब तक की सबसे बड़ी तेजी दर्ज हुई और सेंसेक्स 728.73 अंक (2.66 प्रतिशत) चढ़कर 28,075.55 पर पहुंच गया था।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
वर्ष के दौरान आरबीआई का नीतिगत स्तर पर प्रोत्साहन सकारात्मक रहा। वर्ष के शुरू में नीतिगत दरों में अप्रत्याशित कटौती के बाद शेयर बाजार में 15 जनवरी को अब तक की सबसे बड़ी तेजी दर्ज हुई और सेंसेक्स 728.73 अंक (2.66 प्रतिशत) चढ़कर 28,075.55 पर पहुंच गया था।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
बाजार में पहली तिमाही के दौरान जोरदार निवेश हुआ और 5 मार्च, 2015 को भारी विदेशी निवेश के समर्थन से सेंसेक्स 30,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। इस अवधि में एफपीआई ने इक्विटी और बांड में 79,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।टिप्पणियां
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
दूसरी तिमाही में सकारात्मक गतिविधि बरकरार रही। हालांकि, एफपीआई द्वारा भारी बिकवाली के मद्देनजर इसके बाद बाजार, विशेष तौर पर इक्विटी बाजार में सुस्ती आई। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार और जीएसटी विधेयक को पारित कराने में विपक्ष के अवरोध समेत प्रमुख सुधारों में देरी और वैश्विक परिदृश्य की मुश्किलें, विशेष तौर पर चीन की ओर से दिख रहे संकट और अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की अनिश्चितता से बाजार पर असर हुआ।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
लंबे इंतजार के बाद अंतत: 17 दिसंबर को जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25 के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की तो उसका स्थानीय बाजार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, क्योंकि बाजार ने इस बहुप्रतीक्षित पहल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। रुपया भी फिसलन भरी राह पर रहा और इस साल एफआईआई की भारी निकासी के मद्देनजर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी विनियम दर में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट दिखी।
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एक रासायनिक तत्व का परमाणु त्रिज्या या परमाणु व्यासार्ध उसके परमाणु के आकार का एक माप है, प्रायः नाभिक के केन्द्र से सबसे बाह्य पृथक् इलेक्ट्रॉन तक औसत या विशिष्ट दूरी। चूंकि सीमा एक अच्छी तरह से परिभाषित भौतिक इकाई नहीं है, इसलिए परमाणु त्रिज्या की विभिन्न गैर-समतुल्य परिभाषाएँ हैं। परमाणु त्रिज्या की व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली चार परिभाषाएँ हैं: वैन डेर वाल्स त्रिज्या, आयनीय त्रिज्या, धात्विक त्रिज्या और सहसंयोजक त्रिज्या। आमतौर पर, परमाणुओं को भिन्न करने में कठिनाई के कारण उनकी त्रिज्या को अलग से मापने के लिए, परमाणु त्रिज्या को रासायनिक रूप से बंधी हुई अवस्था में मापा जाता है; हालांकि अलगाव में परमाणुओं पर विचार करते समय सैद्धांतिक गणना सरल होती है। पर्यावरण, जांच और राज्य पर निर्भरता परिभाषाओं की बहुलता की ओर ले जाती है।
परिभाषा के आधार पर, यह शब्द संघनित पदार्थ में परमाणुओं पर लागू हो सकता है, अणुओं में सहसंयोजक बंध, या आयनित और उत्तेजित अवस्थाओं में; और इसका मूल्य प्रयोगात्मक मापन के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, या सैद्धांतिक मॉडल से गणना की जा सकती है। त्रिज्या का मान परमाणु की स्थिति और संदर्भ पर निर्भर हो सकता है।
इलेक्ट्रॉनों की निश्चित कक्षाएँ नहीं होती हैं और न ही स्पष्ट रूप से परिभाषित सीमाएँ होती हैं। बल्कि, उनकी स्थिति को संभाव्यता वितरण के रूप में वर्णित किया जाना चाहिए जो धीरे-धीरे बंद हो जाता है क्योंकि एक तेज कटऑफ के बिना नाभिक से दूर चला जाता है; इन्हें परमाणु कक्षा या इलेक्ट्रॉन बादल कहा जाता है। इसके अलावा, संघनित पदार्थ और अणुओं में, परमाणुओं के इलेक्ट्रॉन बादल आमतौर पर कुछ हद तक ओवरलैप होते हैं, और कुछ इलेक्ट्रॉन एक बड़े क्षेत्र में घूम सकते हैं जिसमें दो या दो से अधिक परमाणु शामिल होते हैं।
अधिकांश परिभाषाओं के तहत पृथक तटस्थ परमाणुओं की त्रिज्या 30 और 300 pm (एक मीटर के ट्रिलियनवें ) के बीच या 0.3 और 3 औङ्स्ट्रम के बीच होती है। इसलिए, एक परमाणु की त्रिज्या उसके नाभिक की त्रिज्या (1-10 fm ) से 10,000 गुणा अधिक होती है, और दृश्यमान प्रकाश की तरंगदैर्घ्य (400-700 nm ) के 1/1000 से कम होती है।
कई उद्देश्यों के लिए, परमाणुओं को गोले के रूप में प्रतिरूपित किया जा सकता है। यह केवल एक अपरिष्कृत अनुमान है, लेकिन यह कई घटनाओं के लिए मात्रात्मक स्पष्टीकरण और भविष्यवाणियां प्रदान कर सकता है, जैसे कि तरल पदार्थ और ठोस पदार्थों का घनत्व, आणविक छलनी के माध्यम से तरल पदार्थ का प्रसार, क्रिस्टल में परमाणुओं और आयनों की व्यवस्था, और आकार और आकार अणुओं की ।
Articles with unsourced statements from August 2009
इतिहास
1920 में, एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी का उपयोग करके परमाणुओं के आकार को निर्धारित करना संभव होने के कुछ ही समय बाद, यह सुझाव दिया गया था कि एक ही तत्व के सभी परमाणुओं की त्रिज्या समान होती है। हालांकि, 1923 में, जब अधिक क्रिस्टल डेटा उपलब्ध हो गया था, तो यह पाया गया कि विभिन्न क्रिस्टल संरचनाओं में एक ही परमाणु की तुलना करते समय एक गोले के रूप में परमाणु का सन्निकटन जरूरी नहीं है।
अनुभवजन्य रूप से मापा परमाणु त्रिज्या
निम्नलिखित तालिका तत्वों के लिए अनुभवजन्य रूप से मापी गई सहसंयोजक त्रिज्या दिखाती है, जैसा कि 1964 में जे.सी. स्लेटर द्वारा प्रकाशित किया गया था मान पिकोमीटर में हैं (अपराह्न या 1×10 − 12 मी), लगभग 5 बजे की सटीकता के साथ। त्रिज्या बढ़ने पर बॉक्स की छाया लाल से पीले रंग की होती है; ग्रे डेटा की कमी को दर्शाता है।
परिभाषाएँ
परमाणु त्रिज्या की व्यापक रूप से प्रयुक्त परिभाषाओं में शामिल हैं:
वान डर वाल्स त्रिज्या : सबसे सरल परिभाषा में, तत्त्व के दो परमाणुओं के नाभिक के बीच की न्यूनतम दूरी जो अन्यथा सहसंयोजक या धात्विक अन्तःक्रियाओं से बंधी नहीं है। वान डर वाल्स त्रिज्या को उन तत्त्वों (जैसे धातु) के लिए भी परिभाषित किया जा सकता है जिनमें वान डर वाल्स त्रिज्या बल अन्य अन्तःक्रियाओं से प्रभावित होते हैं। क्योंकि वान डर वाल्स अन्तःक्रिया परमाणु ध्रुवीकरण के प्रमात्रा उतार-चढ़ाव के माध्यम से उत्पन्न होते हैं, ध्रुवीकरण (जिसे आमतौर पर मापा या अधिक आसानी से गणना की जा सकती है) का उपयोग अप्रत्यक्ष रूप से वान डर वाल्स त्रिज्या को परिभाषित करने के लिए किया जा सकता है।
आयनीय त्रिज्या : एक विशिष्ट आयनीकरण अवस्था में एक तत्त्व के आयनों का नाममात्र त्रिज्या, क्रिस्टलीय लवणों में परमाणु नाभिकों के अन्तर से घटाया जाता है जिसमें वह आयन शामिल होता है। सिद्धान्त रूप में, दो आसन्न विपरीत आवेशित आयनों (उनके बीच आयनीय बन्धन की लंबाई) के बीच की दूरी उनके आयनिक त्रिज्या के योग के बराबर होनी चाहिए।
सहसंयोजक त्रिज्या : किसी तत्त्व के परमाणुओं की नाममात्र त्रिज्या जब सहसंयोजक रूप से अन्य परमाणुओं से बंधी होती है, जैसा कि अणुओं में परमाणु नाभिक के बीच अलगाव से घटाया जाता है। सिद्धान्त रूप में, दो परमाणुओं के बीच की दूरी जो एक अणु में एक दूसरे से बंधे होते हैं (उस सहसंयोजक बंधन की लंबाई) उनके सहसंयोजक त्रिज्या के योग के बराबर होनी चाहिए।
धात्विक त्रिज्या : किसी तत्व के परमाणुओं की नाममात्र त्रिज्या जब धात्विक बंधों द्वारा अन्य परमाणुओं से जुड़ा होता है। Articles with unsourced statements from August 2009
बोर त्रिज्या : परमाणु के बोर मॉडल (1913) द्वारा अनुमानित निम्नतम-ऊर्जा इलेक्ट्रॉन कक्षा की त्रिज्या। यह केवल एक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणुओं और आयनों पर लागू होता है, जैसे हाइड्रोजन, एकल आयनित हीलियम और पॉज़िट्रोनियम। हालांकि मॉडल अब अप्रचलित है, हाइड्रोजन परमाणु के लिए बोर त्रिज्या अभी भी एक महत्वपूर्ण भौतिक स्थिरांक माना जाता है।
सामान्य प्रवृत्तियों की व्याख्या
जिस तरह से परमाणु त्रिज्या बढ़ती परमाणु संख्या के साथ बदलती है, उसे निश्चित क्षमता के गोले में इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था से समझाया जा सकता है। गोले आम तौर पर बढ़ते त्रिज्या के क्रम में भरे जाते हैं, क्योंकि नकारात्मक रूप से आवेशित इलेक्ट्रॉनों को नाभिक में सकारात्मक रूप से आवेशित प्रोटॉन द्वारा आकर्षित किया जाता है। जैसे ही आवर्त सारणी की प्रत्येक पंक्ति में परमाणु क्रमांक बढ़ता है, अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन उसी सबसे बाहरी कोश में चले जाते हैं; बढ़ते हुए परमाणु आवेश के कारण जिसकी त्रिज्या धीरे-धीरे सिकुड़ती है। उत्कृष्ट गैस में, सबसे बाहरी खोल पूरी तरह से भरा होता है; इसलिए, अगले क्षार धातु का अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन परमाणु त्रिज्या में अचानक वृद्धि के लिए लेखांकन, अगले बाहरी खोल में जाएगा।
बढ़ते हुए परमाणु आवेश को इलेक्ट्रॉनों की बढ़ती संख्या द्वारा आंशिक रूप से प्रतिसंतुलित किया जाता है, एक घटना जिसे परिरक्षण के रूप में जाना जाता है; जो बताता है कि परमाणुओं का आकार आमतौर पर प्रत्येक स्तंभ के नीचे क्यों बढ़ता है। हालांकि, एक उल्लेखनीय अपवाद है, जिसे लैंथेनाइड संकुचन के रूप में जाना जाता है: 4f इलेक्ट्रॉनों के कमजोर परिरक्षण के कारण तत्वों का 5d ब्लॉक अपेक्षा से बहुत छोटा है।
अनिवार्य रूप से, प्रोटॉन की बढ़ती संख्या के कारण अवधि के दौरान परमाणु त्रिज्या घट जाती है। इसलिए, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों के बीच अधिक आकर्षण होता है क्योंकि विपरीत चार्ज आकर्षित होते हैं, और अधिक प्रोटॉन एक मजबूत चार्ज बनाते हैं। अधिक आकर्षण इलेक्ट्रॉनों को प्रोटॉन के करीब खींचता है, कण के आकार को कम करता है। इसलिए, परमाणु त्रिज्या घट जाती है। समूहों के नीचे, परमाणु त्रिज्या बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक ऊर्जा स्तर हैं और इसलिए प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों के बीच अधिक दूरी है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉन परिरक्षण के कारण आकर्षण कम हो जाता है, इसलिए शेष इलेक्ट्रॉन सकारात्मक रूप से आवेशित नाभिक से दूर जा सकते हैं। इसलिए, आकार, या परमाणु त्रिज्या बढ़ जाती है।
निम्न तालिका उन मुख्य परिघटनाओं का सार प्रस्तुत करती है जो किसी तत्व की परमाणु त्रिज्या को प्रभावित करती हैं:
लैंथेनाइड संकुचन
4f- उपकोश में इलेक्ट्रॉन, जो उत्तरोत्तर लेण्टेनियुम ( Z = 57) से येटेरबियम ( Z = 70), विशेष रूप से उप-गोले से बढ़ते परमाणु प्रभार को आगे बढ़ाने में प्रभावी नहीं हैं। लैंथेनाइड्स के तुरंत बाद के तत्वों में परमाणु रेडी होते हैं जो अपेक्षा से छोटे होते हैं और जो उनके ठीक ऊपर के तत्वों के परमाणु रेडी के लगभग समान होते हैं। इसलिए लुटेटियम वास्तव में येट्रियम से थोड़ा छोटा है, हैफनियम में लगभग एक ही परमाणु त्रिज्या (और रसायन विज्ञान) जिरकोनियम के रूप में है, और टैंटलम में नाइओबियम के समान एक परमाणु त्रिज्या है, और आगे भी। लैंथेनाइड संकुचन का प्रभाव प्लेटिनम तक ध्यान देने योग्य है ( Z = 78), जिसके बाद यह एक सापेक्षतावादी प्रभाव से ढका हुआ है जिसे निष्क्रिय-जोड़ी प्रभाव के रूप में जाना जाता है।
Articles with unsourced statements from February 2023
लैंथेनाइड संकुचन के कारण निम्नलिखित 5 प्रेक्षण निकाले जा सकते हैं:
एलएन 3+ आयनों का आकार नियमित रूप से परमाणु संख्या के साथ घटता जाता है। फजन्स के नियमों के अनुसार, Ln 3+ आयनों के आकार में कमी से सहसंयोजक लक्षण बढ़ जाता है और Ln 3+ और OH - आयनों के बीच Ln(OH) 3 में मूल चरित्र घट जाता है, इस हद तक कि Yb(OH) 3 और Lu( OH) 3 गर्म केंद्रित NaOH में कठिनाई से घुल सकता है। इसलिए Ln 3+ के आकार का क्रम दिया गया है: ला 3+ > सीई 3+ > ..., ... > लू 3+ ।
उनकी आयनिक त्रिज्या में नियमित कमी होती है।
परमाणु संख्या में वृद्धि के साथ, कम करने वाले एजेंट के रूप में कार्य करने की उनकी प्रवृत्ति में नियमित कमी आई है।
डी-ब्लॉक संक्रमण तत्वों की दूसरी और तीसरी पंक्तियाँ गुणों में काफी करीब हैं।
नतीजतन, ये तत्व प्राकृतिक खनिजों में एक साथ होते हैं और अलग करना मुश्किल होता है।
डी-ब्लॉक संकुचन
डी-ब्लॉक संकुचन लैंथेनाइड संकुचन की तुलना में कम स्पष्ट है लेकिन एक समान कारण से उत्पन्न होता है। इस मामले में, यह 3डी-इलेक्ट्रॉनों की खराब परिरक्षण क्षमता है जो गैलियम ( जेड) से संक्रमण धातुओं की पहली पंक्ति के तुरंत बाद तत्वों की परमाणु त्रिज्या और रसायन शास्त्र को प्रभावित करती है। = 31) से ब्रोमीन ( Z = 35)।
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शिवराज सिंह चौहान सरकार मध्य प्रदेश में विकास और सुशासन के दावे करते नहीं थकती. वहीं खरगोन जिले का एक गांव बीते 3 साल से बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है. इस गांव के लोगों को आरोप है कि उन्हें ये सजा गांव सरपंच की वजह से मिल रही है क्योंकि ग्राम पंचायत चुनाव में उन्होंने उसे वोट नहीं दिया था. सरपंच सुमन मोरे बीजेपी से जुड़ी हैं.
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर ग्राम पंचायत रोमचिचली की आधी आबादी पीने के पानी के लिए मोहताज है. आरोप के मुताबिक नवलपुरा इलाके के करीब 300 परिवार ग्राम पंचायत चुनाव में मौजूदा सरपंच सुमन मोरे को वोट नहीं देने की सजा भुगत रहे हैं. इनके घरों में पीने के पानी की सप्लाई बंद है. नवलपुरा क्षेत्र में पानी की लाइन तो हैं लेकिन सभी नल सूखे पड़े हैं.
गांव वालों के मुताबिक तीन साल पहले जब से ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजे आए, तब से ही उनके लिए ये स्थिति बनी हुई है. ऐसे में लोगों को या तो मोटर पंपों का सहारा लेना पड़ रहा है या नवलपुरा में लगे इकलौते हैंडपंप का. लेकिन इस हैंडपंप पर इतनी भीड़ हो जाती है कि पहले पानी भरने के लिए झगड़ों तक की नौबत आ जाती है.
कुएं हैं भी तो गांव से दो किलोमीटर दूर. यहां से महिलाओं को जान जोखिम में डाल कर पानी लाना पड़ता है. नवलपुरा की रहने वालीं निर्मला भटोरे कहती हैं कि रात के 2-2 बजे तक पानी के लिए भटकना पड़ता है. औरों को पानी देते हैं लेकिन हमारे इलाके में नहीं देते. वहीं बनू बाई के मुताबिक सरपंच का कहना है कि वोट नहीं दिया इसलिए पानी नहीं मिलेगा.
ग्राम पंचायत के उपसरपंच रूम सिंह मेहता भी गांव वालों की बात का समर्थन करते हैं. उनका कहना है कि सरपंच को बोलने जाओ तो जवाब मिलता है कि पानी के लिए यहां नहीं आया करो वरना कोई झूठा इल्जाम लगा दिया जाएगा. मेहता के मुताबिक कलेक्टर से भी इस मामले में दो बार गुहार लगा चुके हैं.
वहीं सरपंच सुमन मोरे की ओर से उनके प्रतिनिधि और बेटे राहुल मोरे पानी ना देने के आरोपों को निराधार बताते हैं. उनका कहना है कि किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा रहा. कई लोग अलग लाइन से पानी ले रहे हैं. गांव में पानी की समस्या पहले से ही है. पानी के स्रोत के स्थान पर
10 घंटे ही बिजली
मिलती है इसलिए कुछ स्थानों पर पानी नहीं पहुंच पा रहा है.
इस मुद्दे पर जनपंचायत
खरगोन
के सीईओ राजेंद्र शर्मा से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि गांव में पानी की सप्लाई के लिए प्रस्ताव दे दिया है. मेन लाइन से कुछ लोगों ने कनेक्शन जोड़ रखा था जिसे कटवाने के लिए बोल दिया गया है. शर्मा के मुताबिक
पानी
पर्याप्त है और सरपंच को इस तरह नहीं बोलना चाहिए था. शर्मा ने जल्दी ही समस्या के समाधान का भरोसा दिया.
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रमजान के महीने में राजधानी के एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल पर शीतल पेय पी रहे दो लोगों को पाकिस्तानी पुलिस ने हिरासत में लेकर उनके साथ मारपीट की।
अनवर अब्बास और मलिक सईद शुक्रवार को दोपहर बाद इस्लामाबाद के व्यूप्वाइंट दमन-ए-कोह में कार के भीतर बैठकर शीतल पेय पी रहे थे।
‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, इस बात की सूचना इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख बानी यमिन को दी गई जिन्होंने आश्वस्त किया कि इस घटना में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा, मैं रोजा नहीं रख रहा था और जानता था कि लोगों के सामने शीतल पेय पीना नैतिक रूप से गलत होगा इसलिए मैंने एक ऐसा स्थान चुना जहां कोई मौजूद नहीं था। इसी बीच एक पुलिस हवलदार आया और उसने कहा कि रोजा के दौरान ऐसा करना रमजान अधिनियम का उल्लंघन है और एक गंभीर अपराध है।
अब्बास ने कहा कि उसने हवलदार को बताया कि वह रोजा नहीं रख रहा है। उसने कहा, मैंने हवलदार से यह भी कहा कि रोजा के दौरान लोगों को खाने से रोकना उसका काम नहीं है लेकिन उसने कहा कि उसे इस्लाम के उपदेशों को लागू करना है। हवलदार ने और दो पुलिसवालों को बुला लिया और अब्बास और सईद को नजदीकी पुलिस थाने ले गया।
अब्बास ने कहा कि तेज बहस के बाद पुलिसवालों ने अपने बेल्ट से उनके साथ मारपीट की। कुछ देर बाद जब पुलिसवालों को लगा कि मामला नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है तो उन्होंने दोनों को छोड़ दिया।
पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत कोहसार पुलिस थाने और इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख से की है। पुलिस प्रमुख ने आश्वासन दिया है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने माफी मांगनी शुरू कर दी है और उनके वरिष्ठ अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए उसने संपर्क कर रहे हैं। अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई कानून और नैतिकता के खिलाफ है।टिप्पणियां
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
अनवर अब्बास और मलिक सईद शुक्रवार को दोपहर बाद इस्लामाबाद के व्यूप्वाइंट दमन-ए-कोह में कार के भीतर बैठकर शीतल पेय पी रहे थे।
‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, इस बात की सूचना इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख बानी यमिन को दी गई जिन्होंने आश्वस्त किया कि इस घटना में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा, मैं रोजा नहीं रख रहा था और जानता था कि लोगों के सामने शीतल पेय पीना नैतिक रूप से गलत होगा इसलिए मैंने एक ऐसा स्थान चुना जहां कोई मौजूद नहीं था। इसी बीच एक पुलिस हवलदार आया और उसने कहा कि रोजा के दौरान ऐसा करना रमजान अधिनियम का उल्लंघन है और एक गंभीर अपराध है।
अब्बास ने कहा कि उसने हवलदार को बताया कि वह रोजा नहीं रख रहा है। उसने कहा, मैंने हवलदार से यह भी कहा कि रोजा के दौरान लोगों को खाने से रोकना उसका काम नहीं है लेकिन उसने कहा कि उसे इस्लाम के उपदेशों को लागू करना है। हवलदार ने और दो पुलिसवालों को बुला लिया और अब्बास और सईद को नजदीकी पुलिस थाने ले गया।
अब्बास ने कहा कि तेज बहस के बाद पुलिसवालों ने अपने बेल्ट से उनके साथ मारपीट की। कुछ देर बाद जब पुलिसवालों को लगा कि मामला नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है तो उन्होंने दोनों को छोड़ दिया।
पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत कोहसार पुलिस थाने और इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख से की है। पुलिस प्रमुख ने आश्वासन दिया है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने माफी मांगनी शुरू कर दी है और उनके वरिष्ठ अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए उसने संपर्क कर रहे हैं। अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई कानून और नैतिकता के खिलाफ है।टिप्पणियां
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, इस बात की सूचना इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख बानी यमिन को दी गई जिन्होंने आश्वस्त किया कि इस घटना में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा, मैं रोजा नहीं रख रहा था और जानता था कि लोगों के सामने शीतल पेय पीना नैतिक रूप से गलत होगा इसलिए मैंने एक ऐसा स्थान चुना जहां कोई मौजूद नहीं था। इसी बीच एक पुलिस हवलदार आया और उसने कहा कि रोजा के दौरान ऐसा करना रमजान अधिनियम का उल्लंघन है और एक गंभीर अपराध है।
अब्बास ने कहा कि उसने हवलदार को बताया कि वह रोजा नहीं रख रहा है। उसने कहा, मैंने हवलदार से यह भी कहा कि रोजा के दौरान लोगों को खाने से रोकना उसका काम नहीं है लेकिन उसने कहा कि उसे इस्लाम के उपदेशों को लागू करना है। हवलदार ने और दो पुलिसवालों को बुला लिया और अब्बास और सईद को नजदीकी पुलिस थाने ले गया।
अब्बास ने कहा कि तेज बहस के बाद पुलिसवालों ने अपने बेल्ट से उनके साथ मारपीट की। कुछ देर बाद जब पुलिसवालों को लगा कि मामला नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है तो उन्होंने दोनों को छोड़ दिया।
पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत कोहसार पुलिस थाने और इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख से की है। पुलिस प्रमुख ने आश्वासन दिया है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने माफी मांगनी शुरू कर दी है और उनके वरिष्ठ अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए उसने संपर्क कर रहे हैं। अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई कानून और नैतिकता के खिलाफ है।टिप्पणियां
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
अब्बास ने कहा, मैं रोजा नहीं रख रहा था और जानता था कि लोगों के सामने शीतल पेय पीना नैतिक रूप से गलत होगा इसलिए मैंने एक ऐसा स्थान चुना जहां कोई मौजूद नहीं था। इसी बीच एक पुलिस हवलदार आया और उसने कहा कि रोजा के दौरान ऐसा करना रमजान अधिनियम का उल्लंघन है और एक गंभीर अपराध है।
अब्बास ने कहा कि उसने हवलदार को बताया कि वह रोजा नहीं रख रहा है। उसने कहा, मैंने हवलदार से यह भी कहा कि रोजा के दौरान लोगों को खाने से रोकना उसका काम नहीं है लेकिन उसने कहा कि उसे इस्लाम के उपदेशों को लागू करना है। हवलदार ने और दो पुलिसवालों को बुला लिया और अब्बास और सईद को नजदीकी पुलिस थाने ले गया।
अब्बास ने कहा कि तेज बहस के बाद पुलिसवालों ने अपने बेल्ट से उनके साथ मारपीट की। कुछ देर बाद जब पुलिसवालों को लगा कि मामला नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है तो उन्होंने दोनों को छोड़ दिया।
पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत कोहसार पुलिस थाने और इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख से की है। पुलिस प्रमुख ने आश्वासन दिया है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने माफी मांगनी शुरू कर दी है और उनके वरिष्ठ अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए उसने संपर्क कर रहे हैं। अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई कानून और नैतिकता के खिलाफ है।टिप्पणियां
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
अब्बास ने कहा कि उसने हवलदार को बताया कि वह रोजा नहीं रख रहा है। उसने कहा, मैंने हवलदार से यह भी कहा कि रोजा के दौरान लोगों को खाने से रोकना उसका काम नहीं है लेकिन उसने कहा कि उसे इस्लाम के उपदेशों को लागू करना है। हवलदार ने और दो पुलिसवालों को बुला लिया और अब्बास और सईद को नजदीकी पुलिस थाने ले गया।
अब्बास ने कहा कि तेज बहस के बाद पुलिसवालों ने अपने बेल्ट से उनके साथ मारपीट की। कुछ देर बाद जब पुलिसवालों को लगा कि मामला नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है तो उन्होंने दोनों को छोड़ दिया।
पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत कोहसार पुलिस थाने और इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख से की है। पुलिस प्रमुख ने आश्वासन दिया है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने माफी मांगनी शुरू कर दी है और उनके वरिष्ठ अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए उसने संपर्क कर रहे हैं। अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई कानून और नैतिकता के खिलाफ है।टिप्पणियां
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
अब्बास ने कहा कि तेज बहस के बाद पुलिसवालों ने अपने बेल्ट से उनके साथ मारपीट की। कुछ देर बाद जब पुलिसवालों को लगा कि मामला नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है तो उन्होंने दोनों को छोड़ दिया।
पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत कोहसार पुलिस थाने और इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख से की है। पुलिस प्रमुख ने आश्वासन दिया है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने माफी मांगनी शुरू कर दी है और उनके वरिष्ठ अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए उसने संपर्क कर रहे हैं। अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई कानून और नैतिकता के खिलाफ है।टिप्पणियां
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत कोहसार पुलिस थाने और इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख से की है। पुलिस प्रमुख ने आश्वासन दिया है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने माफी मांगनी शुरू कर दी है और उनके वरिष्ठ अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए उसने संपर्क कर रहे हैं। अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई कानून और नैतिकता के खिलाफ है।टिप्पणियां
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
अब्बास ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने माफी मांगनी शुरू कर दी है और उनके वरिष्ठ अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए उसने संपर्क कर रहे हैं। अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई कानून और नैतिकता के खिलाफ है।टिप्पणियां
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
उन्होंने कहा, जब तालिबान ऐसा करता है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन अब पुलिस यही काम संघीय राजधानी में कर रही है। यह दिखाता है कि प्रणाली में भी कट्टरपंथी मौजूद हैं। पुलिस प्रमुख बानी यमिन ने कहा कि उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी है कि दोनों शिकायतकर्ता समझौता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत ले लेते हैं तो मामला बंद हो जाएगा।
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राज्य की प्रभुत्वसंपन्न शक्ति द्वारा निर्मित कानून को अनुविधि या संविधि (statute) कहते हैं। अन्यान्य देशों में अनुविधिनिर्माण की पृथक्-पृथक् प्रणालियाँ हैं जो वस्तुत: उस राज्य की शासनप्रणाली के अनुरूप होती हैं।
अंग्रेजी अनुविधि
अंग्रेजी कानून में जो अनुविधि है उसमें सन् १२३५ ई. का 'स्टैट्यूट ऑव मर्टन' सबसे प्राचीन है। प्रारंभ में सभी अनुविधियाँ सार्वजनिक हुआ करती थीं। रिचर्ड तृतीय के काल में इसकी दो शाखाएँ हो गई - सार्वजनिक अनुविधि तथा निजी अनुविधि। वर्तमान अनुविधियाँ चार श्रोणियों में विभक्त हैं:-
१. सार्वजानिक साधारण अधिनियम,
२. सार्वजनिक स्थानीय तथा व्यक्तिगत अधिनियम,
३. निजी अधिनियम जो सम्राट् के मुद्रक द्वारा मुद्रित होते हैं,
४. निजी अधिनियम जो इस प्रकार मुद्रित नहीं होते। निजी अधिनियमों का अब व्यवहार रूप में लोप होता जा रहा है।
भारतीय अनुविधि
प्राचीन भारत में कोई अनुविधि प्रणाली नहीं थी। न्याय सिद्धांत एवं नियमों का उल्लेख मनु, याज्ञवल्क्य, नारद, व्यास, बृहस्पति, कात्यायन आदि स्मृतिकारों के ग्रंथों में तथा बाद में उनके भाष्यों में मिलता हैं मुस्लिम विधि प्रणाली में भी अनुविधियाँ नहीं पाई जातीं। अंग्रेजी राज्य के प्रारंभ में कुछ अनुविधियाँ 'विनियम' के रूप में आई। बाद में अनेक प्रमुख अधिनियमों का निर्माण हुआ; जैसे 'इंडियन पेनल कोड', 'सिविल प्रोसीजर कोड', 'क्रिमिनल प्रोसीजर कोड', 'एविडेंस ऐक्ट' आदि सन् १९३५ ई. 'गवर्नमेंट ऑव इंडिया ऐक्ट' के द्वारा महत्त्वपूर्ण वैधानिक परिवर्तन हुए। १५ अगस्त् सन् १९४७ ई. को भारत सवतंत्र हुआ और सन् १९५० ई. में स्वनिर्मित संविधान के अंतर्गत संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न लोकंतत्रात्मक गणराज्य बन गया। इसके पूर्ववर्ती अधिनियमों को मुख्य रूप में अपना लिया गया। तदुपरांत संसद् तथा राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनेक अत्यंत महत्त्वपूर्ण अधिनियमों का निर्माण हुआ जिनसे देश के राजनीतिक, वैधानिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में कांतिकारी परिवर्तन हुए।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद २४६ के अंतर्गत संसद् तथा राज्यों के विधानमंडलों की विधि बनाने की शक्ति का विषय के आधार पर तीन विभिन्न सूचियों में वर्गीकरण किया गया है-
(१) संघसूची, (२) समवर्ती सूची तथा (३) राज्यसूची।
संसद् द्वारा निर्मित अधिनियमों में राष्ट्रपति तथा राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्मित अधिनियमों में राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक है। समवर्ती सूची में प्रगणित विषयों के संबंध में यदि कोई अधिनियम राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाया जाता है तो उसमें राष्ट्रपति की स्वीकृति अपेक्षित है।
साधारणतः
(१) सार्वजनिक अधिनियम, जब तक विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न हो, देश की समस्त प्रजा पर लागू होते हैं। भारत में निजी अधिनियम नहीं होते।
(२) प्रत्येक अधिनियम स्वीकृतिप्राप्ति की तिथि से चालू होता है, जब तक किसी अधिनियम में अन्य किसी तिथि का उल्लेख न हो।
(३) कोई अधिनियम प्रयोग के अभाव में अप्रयुक्त नहीं समझा जाता, जब तक उसका निरसन न हो।
(४) अनुविधि का शीर्षक, प्रस्तावना अथवा पार्श्वलेख उसका अंग नहीं होता, यद्यपि निर्वचन में उनकी सहायता ली जा सकती है।
(५) प्राय: अधिनियमों का वर्गीकरण विषयवस्तु के आधार पर किया जाता है; जैसे, शाश्वत तथा अस्थायी, दंडनीय तथा लोकहितकारी, आज्ञापक तथा निदेशात्मक और सक्षमकारी तथा अयोग्यकारी।
(६) अस्थायी अधिनियम स्वयं उसी में निर्धारित तिथि को समाप्त हो जाता है।
(७) कतिपय अधिनियम प्रति वर्ष पारित होते हैं।
अधिनियम का निर्वचन
किसी अधिनियम के निर्वचन के लिए हमें सामान्य विधि तथा उस अधिनियम का आश्रय लेना होता है। निर्वचन के मुख्य नियम इस प्रकार हैं:
(१) अधिनियम का निर्वचन उसकी शब्दावली की अपेक्षा उसके अभिप्राय तथा उद्देश्य के आधार पर करना चाहिए।
अधिनियम का देश की सामान्य विधि से जो संबंध है उसे ध्यान में रखना चाहिए।
विधि
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Kagiso Rabada is player of the match for his 11-wicket haul - the fourth time he's taken 10 or more wickets in a Test match.
He's still only 22 - what a talent!#SAvAUSpic.twitter.com/IDl2DsOeIh
— ICC (@ICC) March 12, 2018
He's still only 22 - what a talent!#SAvAUSpic.twitter.com/IDl2DsOeIh
.@KagisoRabada25 on conventional swing vs reverse swing. #ProteaFire#SAvAUS#SunfoilTestpic.twitter.com/gyNTmUhbnS
BREAKING: Kagiso Rabada has been suspended for South Africa's next two Tests after being found guilty of a Level 2 ICC Code of Conduct offence of ‘inappropriate and deliberate physical contact with a player’.
More ➡️ https://t.co/3UPOl7E7XMpic.twitter.com/7wg11wnjR0
— ICC (@ICC) March 12, 2018
More ➡️ https://t.co/3UPOl7E7XMpic.twitter.com/7wg11wnjR0
“I won’t change the way I express myself, I’ll just get away from the batter.” @KagisoRabada25 on his wicket celebrations. #ProteaFire#SAvAUS#SunfoilTestpic.twitter.com/OwZ3IlsSth
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बृहन्मुंबई नगर निगम चुनाव, 2022 बृहन्मुंबई नगर निगम के सदस्यों का चुनाव है जो भारत के सबसे बड़े शहर ग्रेटर मुंबई को नियंत्रित करता है। 2022 के बीएमसी चुनाव मार्च के अंत या अप्रैल 2022 की शुरुआत में होने की संभावना है।
अनुसूची
पृष्ठभूमि
2017 के बीएमसी चुनावों के बाद, शिवसेना के विश्वनाथ महादेश्वर भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुंबई के महापौर बने थे। वर्तमान महापौर शिवसेना की किशोरी पेडणेकर हैं।
2022 के चुनाव फरवरी में होने हैं, लेकिन वार्ड की सीमाओं के परिसीमन के कारण मार्च-अप्रैल तक चुनाव में देरी होने की संभावना है।
संदर्भ
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मोदी सरकार 2.0 में एक बार फिर लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा शुरू हो गई है. गुरुवार को लोकसभा में चर्चा की शुरुआत केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने की और उन्होंने विपक्ष पर इसका विरोध करने का आरोप लगाया. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम बहनों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. इसके बाद कोर्ट ने फैसला देते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. चर्चा के दौरान रविशंकर प्रसाद ने कई मामलों का उदाहरण भी दिया.
क्यों बनाया तीन तलाक बिल?
लोकसभा में कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को शरिया के खिलाफ बताया था. कोर्ट ने अपने फैसले में इस पर कानून बनाने की मांग की और अन्य मुस्लिम देशों का भी उदाहरण दिया जहां शरिया कानून को बदला गया है.
कानून मंत्री ने दावा किया कि सर्वोच्च अदालत की कड़ी टिप्पणी और कानून के बाद भी ये मामले रुके नहीं हैं और 300 से अधिक नए मामले सामने आए हैं. (24 जुलाई 2019 तक का आंकड़ा)
चर्चा के दौरान उन्होंने मीडिया में आए कुछ मामलों का जिक्र भी किया और अखबार की हेडलाइन पढ़ीं. रविशंकर ने बताया कि ‘पत्नी तंबाकू वाला मंजन करती थी तो दिया तीन तलाक’, ‘पत्नी ने सब्जी के लिए मांगे 30 रुपये तो शौहर बोला तलाक-तलाक-तलाक’, ‘मोबाइल ऑपरेटर ने पत्नी का अश्लील वीडियो बनाना चाहा विरोध करने पर तलाक दे दिया गया’.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब दुनिया के 20 से अधिक मुस्लिम देश तीन तलाक को बैन कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महिला का धर्म भले ही कुछ भी हो लेकिन वह हिंदुस्तान की बेटी है इसलिए उसकी रक्षा करना हमारा फर्ज है.
रविशंकर प्रसाद बोले कि हमारी सरकार महिलाओं को आगे बढ़ाने के कदम उठा रही है, आज महिलाएं इसरो मिशन की अगुवाई कर रही हैं, संसद में भी महिलाओं की संख्या बढ़ी हैं. हालांकि, तभी विपक्ष की तरफ से एक आवाज आई जिसमें कहा गया कि ‘आपकी पार्टी में मुस्लिम सांसद एक भी नहीं है’.
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एक पूर्व शीर्ष अमेरिकी राजनयिक का कहना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे नवाज शरीफ भले ही भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए गंभीर प्रतीत हो रहे हों, लेकिन शक्तिशाली सेना के समर्थन के बिना शायद वह ज्यादा कुछ नहीं कर सकेंगे।
भारत-पाक संबंधों को सुधारने के लिए लाहौर से मिल रहे सकारात्मक संकेतों के बारे में पूछने पर पाकिस्तान के पूर्व अमेरिकी राजदूत कैमरन मंटेर ने कहा कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि शरीफ सेना के साथ अपने संबंध कैसे बनाते हैं?
उन्होंने कहा, मेरे विचार से ऐतिहासिक कारणों के चलते कई भारतीयों के मन में पाकिस्तानी सेना को लेकर संदेह ही नजर आता है। वॉशिंगटन स्थित प्रख्यात अमेरिकी विचार समूह ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ द्वारा आयोजित एक गोष्ठी में मंटेर ने कहा, नवाज के साथ सकारात्मक तरीके से काम करते हुए पाकिस्तानी सेना इन आशंकाओं को दूर करने के लिए कदम उठा सकती है। उन्होंने कहा, लेकिन मुझे लगता है कि जब तक (शरीफ और सेना) भारत के प्रति व्यापक पहल नहीं करते तब तक उनके लिए सीमाएं बनी रह सकती हैं।
मंटेर अक्तूबर 2010 से जुलाई 2012 तक इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत थे। यह वह समय था, जब रेमंड डेविस मामले, ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने तथा अमेरिकी बलों के सीमा पार से हुए हमले में 26 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत जैसी कुछ घटनाओं के कारण दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को कई बार झटका लगा था। इस्लामाबाद में प्रवास के दौरान मंटेर ने लाहौर में कई बार शरीफ बंधुओं से मुलाकात की थी।
मंटेर ने कहा, जब भी मैंने नवाज और उनके भाई शहबाज से बात की, हर बार वीजा प्रक्रिया और सीमा पार सामान ले जाने की क्षमता में सुधार को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत हुई और इस सिलसिले में उठाए गए कदमों के आर्थिक प्रभाव पर अच्छी तरह ध्यान दिया गया।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि नवाज इसके बड़े समर्थक हैं। वैसे अहम सवाल यही होगा कि अभी नवाज को सेना के साथ कैसे रिश्ते बनाने की जरूरत है। ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के लिए वरिष्ठ फेलो डेनियल मर्की ने कहा कि नवाज शरीफ, उनके सत्तारूढ़ गठबंधन और उनकी पार्टी को दो अलग-अलग दिशाओं में खींचा जा रहा है।टिप्पणियां
उनके अनुसार, एक ओर तो वह भारत के साथ रिश्ते सुधारने, भारत के साथ स्थिरता और भारत के साथ व्यापार चालू करने की बात करते हैं। यह नवाज और उनकी पार्टी का सकारात्मक पक्ष है। उन्होंने कहा, वहीं दूसरी ओर शरीफ पंजाब में कुछ कठोर विचारधारा वाले संगठनों से जुड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं से सचमुच निपटने की कोशिश करेंगे या फिर वह अपनी 1990 के दशक की उस छवि से दूर होंगे, जब उन्होंने परमाणु परीक्षण कर डाला था।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, वह एक बार में यह दोनों बातों को कैसे कर पाएंगे। उनके लिए संतुलन बना कर काम करना निश्चित रूप से बहुत मुश्किल होगा।
भारत-पाक संबंधों को सुधारने के लिए लाहौर से मिल रहे सकारात्मक संकेतों के बारे में पूछने पर पाकिस्तान के पूर्व अमेरिकी राजदूत कैमरन मंटेर ने कहा कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि शरीफ सेना के साथ अपने संबंध कैसे बनाते हैं?
उन्होंने कहा, मेरे विचार से ऐतिहासिक कारणों के चलते कई भारतीयों के मन में पाकिस्तानी सेना को लेकर संदेह ही नजर आता है। वॉशिंगटन स्थित प्रख्यात अमेरिकी विचार समूह ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ द्वारा आयोजित एक गोष्ठी में मंटेर ने कहा, नवाज के साथ सकारात्मक तरीके से काम करते हुए पाकिस्तानी सेना इन आशंकाओं को दूर करने के लिए कदम उठा सकती है। उन्होंने कहा, लेकिन मुझे लगता है कि जब तक (शरीफ और सेना) भारत के प्रति व्यापक पहल नहीं करते तब तक उनके लिए सीमाएं बनी रह सकती हैं।
मंटेर अक्तूबर 2010 से जुलाई 2012 तक इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत थे। यह वह समय था, जब रेमंड डेविस मामले, ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने तथा अमेरिकी बलों के सीमा पार से हुए हमले में 26 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत जैसी कुछ घटनाओं के कारण दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को कई बार झटका लगा था। इस्लामाबाद में प्रवास के दौरान मंटेर ने लाहौर में कई बार शरीफ बंधुओं से मुलाकात की थी।
मंटेर ने कहा, जब भी मैंने नवाज और उनके भाई शहबाज से बात की, हर बार वीजा प्रक्रिया और सीमा पार सामान ले जाने की क्षमता में सुधार को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत हुई और इस सिलसिले में उठाए गए कदमों के आर्थिक प्रभाव पर अच्छी तरह ध्यान दिया गया।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि नवाज इसके बड़े समर्थक हैं। वैसे अहम सवाल यही होगा कि अभी नवाज को सेना के साथ कैसे रिश्ते बनाने की जरूरत है। ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के लिए वरिष्ठ फेलो डेनियल मर्की ने कहा कि नवाज शरीफ, उनके सत्तारूढ़ गठबंधन और उनकी पार्टी को दो अलग-अलग दिशाओं में खींचा जा रहा है।टिप्पणियां
उनके अनुसार, एक ओर तो वह भारत के साथ रिश्ते सुधारने, भारत के साथ स्थिरता और भारत के साथ व्यापार चालू करने की बात करते हैं। यह नवाज और उनकी पार्टी का सकारात्मक पक्ष है। उन्होंने कहा, वहीं दूसरी ओर शरीफ पंजाब में कुछ कठोर विचारधारा वाले संगठनों से जुड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं से सचमुच निपटने की कोशिश करेंगे या फिर वह अपनी 1990 के दशक की उस छवि से दूर होंगे, जब उन्होंने परमाणु परीक्षण कर डाला था।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, वह एक बार में यह दोनों बातों को कैसे कर पाएंगे। उनके लिए संतुलन बना कर काम करना निश्चित रूप से बहुत मुश्किल होगा।
उन्होंने कहा, मेरे विचार से ऐतिहासिक कारणों के चलते कई भारतीयों के मन में पाकिस्तानी सेना को लेकर संदेह ही नजर आता है। वॉशिंगटन स्थित प्रख्यात अमेरिकी विचार समूह ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ द्वारा आयोजित एक गोष्ठी में मंटेर ने कहा, नवाज के साथ सकारात्मक तरीके से काम करते हुए पाकिस्तानी सेना इन आशंकाओं को दूर करने के लिए कदम उठा सकती है। उन्होंने कहा, लेकिन मुझे लगता है कि जब तक (शरीफ और सेना) भारत के प्रति व्यापक पहल नहीं करते तब तक उनके लिए सीमाएं बनी रह सकती हैं।
मंटेर अक्तूबर 2010 से जुलाई 2012 तक इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत थे। यह वह समय था, जब रेमंड डेविस मामले, ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने तथा अमेरिकी बलों के सीमा पार से हुए हमले में 26 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत जैसी कुछ घटनाओं के कारण दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को कई बार झटका लगा था। इस्लामाबाद में प्रवास के दौरान मंटेर ने लाहौर में कई बार शरीफ बंधुओं से मुलाकात की थी।
मंटेर ने कहा, जब भी मैंने नवाज और उनके भाई शहबाज से बात की, हर बार वीजा प्रक्रिया और सीमा पार सामान ले जाने की क्षमता में सुधार को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत हुई और इस सिलसिले में उठाए गए कदमों के आर्थिक प्रभाव पर अच्छी तरह ध्यान दिया गया।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि नवाज इसके बड़े समर्थक हैं। वैसे अहम सवाल यही होगा कि अभी नवाज को सेना के साथ कैसे रिश्ते बनाने की जरूरत है। ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के लिए वरिष्ठ फेलो डेनियल मर्की ने कहा कि नवाज शरीफ, उनके सत्तारूढ़ गठबंधन और उनकी पार्टी को दो अलग-अलग दिशाओं में खींचा जा रहा है।टिप्पणियां
उनके अनुसार, एक ओर तो वह भारत के साथ रिश्ते सुधारने, भारत के साथ स्थिरता और भारत के साथ व्यापार चालू करने की बात करते हैं। यह नवाज और उनकी पार्टी का सकारात्मक पक्ष है। उन्होंने कहा, वहीं दूसरी ओर शरीफ पंजाब में कुछ कठोर विचारधारा वाले संगठनों से जुड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं से सचमुच निपटने की कोशिश करेंगे या फिर वह अपनी 1990 के दशक की उस छवि से दूर होंगे, जब उन्होंने परमाणु परीक्षण कर डाला था।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, वह एक बार में यह दोनों बातों को कैसे कर पाएंगे। उनके लिए संतुलन बना कर काम करना निश्चित रूप से बहुत मुश्किल होगा।
मंटेर ने कहा, जब भी मैंने नवाज और उनके भाई शहबाज से बात की, हर बार वीजा प्रक्रिया और सीमा पार सामान ले जाने की क्षमता में सुधार को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत हुई और इस सिलसिले में उठाए गए कदमों के आर्थिक प्रभाव पर अच्छी तरह ध्यान दिया गया।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि नवाज इसके बड़े समर्थक हैं। वैसे अहम सवाल यही होगा कि अभी नवाज को सेना के साथ कैसे रिश्ते बनाने की जरूरत है। ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के लिए वरिष्ठ फेलो डेनियल मर्की ने कहा कि नवाज शरीफ, उनके सत्तारूढ़ गठबंधन और उनकी पार्टी को दो अलग-अलग दिशाओं में खींचा जा रहा है।टिप्पणियां
उनके अनुसार, एक ओर तो वह भारत के साथ रिश्ते सुधारने, भारत के साथ स्थिरता और भारत के साथ व्यापार चालू करने की बात करते हैं। यह नवाज और उनकी पार्टी का सकारात्मक पक्ष है। उन्होंने कहा, वहीं दूसरी ओर शरीफ पंजाब में कुछ कठोर विचारधारा वाले संगठनों से जुड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं से सचमुच निपटने की कोशिश करेंगे या फिर वह अपनी 1990 के दशक की उस छवि से दूर होंगे, जब उन्होंने परमाणु परीक्षण कर डाला था।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, वह एक बार में यह दोनों बातों को कैसे कर पाएंगे। उनके लिए संतुलन बना कर काम करना निश्चित रूप से बहुत मुश्किल होगा।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि नवाज इसके बड़े समर्थक हैं। वैसे अहम सवाल यही होगा कि अभी नवाज को सेना के साथ कैसे रिश्ते बनाने की जरूरत है। ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के लिए वरिष्ठ फेलो डेनियल मर्की ने कहा कि नवाज शरीफ, उनके सत्तारूढ़ गठबंधन और उनकी पार्टी को दो अलग-अलग दिशाओं में खींचा जा रहा है।टिप्पणियां
उनके अनुसार, एक ओर तो वह भारत के साथ रिश्ते सुधारने, भारत के साथ स्थिरता और भारत के साथ व्यापार चालू करने की बात करते हैं। यह नवाज और उनकी पार्टी का सकारात्मक पक्ष है। उन्होंने कहा, वहीं दूसरी ओर शरीफ पंजाब में कुछ कठोर विचारधारा वाले संगठनों से जुड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं से सचमुच निपटने की कोशिश करेंगे या फिर वह अपनी 1990 के दशक की उस छवि से दूर होंगे, जब उन्होंने परमाणु परीक्षण कर डाला था।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, वह एक बार में यह दोनों बातों को कैसे कर पाएंगे। उनके लिए संतुलन बना कर काम करना निश्चित रूप से बहुत मुश्किल होगा।
उनके अनुसार, एक ओर तो वह भारत के साथ रिश्ते सुधारने, भारत के साथ स्थिरता और भारत के साथ व्यापार चालू करने की बात करते हैं। यह नवाज और उनकी पार्टी का सकारात्मक पक्ष है। उन्होंने कहा, वहीं दूसरी ओर शरीफ पंजाब में कुछ कठोर विचारधारा वाले संगठनों से जुड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं से सचमुच निपटने की कोशिश करेंगे या फिर वह अपनी 1990 के दशक की उस छवि से दूर होंगे, जब उन्होंने परमाणु परीक्षण कर डाला था।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, वह एक बार में यह दोनों बातों को कैसे कर पाएंगे। उनके लिए संतुलन बना कर काम करना निश्चित रूप से बहुत मुश्किल होगा।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, वह एक बार में यह दोनों बातों को कैसे कर पाएंगे। उनके लिए संतुलन बना कर काम करना निश्चित रूप से बहुत मुश्किल होगा।
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: दो महीने से अधिक समय के अंतराल के बाद अन्ना हजारे राजधानी दिल्ली लौट रहे हैं तथा वह इस दौरान आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार के लिए न्याय और भंडाफोड़ करने वालों की सुरक्षा के लिए मजबूत कानून की मांग को लेकर रविवार को अनशन पर बैठेंगे।टिप्पणियां
मुम्बई में गत वर्ष दिसम्बर महीने में मजबूत लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर अपना तीन दिवसीय अनशन स्वास्थ्य कारणों से वापस लिए जाने के बाद 74 वर्षीय हजारे की ओर से किया जाने वाला यह पहला अनशन होगा।
टीम अन्ना के एक सदस्य ने कहा कि वर्ष 2009 बैच के उस आईपीएस अधिकारी के लिए न्याय की मांग करने वालों के साथ एकजुटता के लिए हजारे जंतर-मंतर पर एक दिन के अनशन पर बैठेंगे जिसकी मध्य प्रदेश में खनन माफिया द्वारा हत्या कर दी गई थी। टीम अन्ना ने आईपीएस अधिकारी के परिवार के सदस्यों को भी इस मौके पर आमंत्रित किया।
मुम्बई में गत वर्ष दिसम्बर महीने में मजबूत लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर अपना तीन दिवसीय अनशन स्वास्थ्य कारणों से वापस लिए जाने के बाद 74 वर्षीय हजारे की ओर से किया जाने वाला यह पहला अनशन होगा।
टीम अन्ना के एक सदस्य ने कहा कि वर्ष 2009 बैच के उस आईपीएस अधिकारी के लिए न्याय की मांग करने वालों के साथ एकजुटता के लिए हजारे जंतर-मंतर पर एक दिन के अनशन पर बैठेंगे जिसकी मध्य प्रदेश में खनन माफिया द्वारा हत्या कर दी गई थी। टीम अन्ना ने आईपीएस अधिकारी के परिवार के सदस्यों को भी इस मौके पर आमंत्रित किया।
टीम अन्ना के एक सदस्य ने कहा कि वर्ष 2009 बैच के उस आईपीएस अधिकारी के लिए न्याय की मांग करने वालों के साथ एकजुटता के लिए हजारे जंतर-मंतर पर एक दिन के अनशन पर बैठेंगे जिसकी मध्य प्रदेश में खनन माफिया द्वारा हत्या कर दी गई थी। टीम अन्ना ने आईपीएस अधिकारी के परिवार के सदस्यों को भी इस मौके पर आमंत्रित किया।
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बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद
हेमा मालिनी
ने जमीन विवाद चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि वह इस प्लॉट के लिए बीते 20 सालों से लड़ रही हैं और उन्होंने प्लॉट के लिए पहले 10 लाख रुपये का भुगतान किया था.
हेमा मालिनी ने कहा कि उन्हें पहले कोई और प्लॉट दिया गया था, बाद में उन्होंने खुद दूसरा प्लॉट अलॉट करने की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें ये प्लॉट अम्बिवली में दिया गया.
'डांस इंस्टीट्यूट बनाना मेरा सपना'
अभिनेत्री ने कहा
, 'इस जमीन पर क्लासिकल डांस इंस्टीट्यूट बनाना मेरा सपना है. इस पर न सिर्फ मुंबई को बल्कि पूरे महाराष्ट्र को गर्व होगा.' उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह वेस्टर्न कल्चर का प्रभाव बढ़ रहा है, उसे देखते हुए भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है.
'लोगों को ये सब जल्दबाजी लग रहा है'
जमीन खरीद और मथुरा में डांस इंस्टीट्यूट खोलने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है. मैं एक कालाकार हूं. मैंने कई सालों तक मुंबई में स्ट्रगल किया है, क्या अब मथुरा में भी करना पड़ेगा.' उन्होंने कहा कि वह 20 साल से इस जमीन के लिए लड़ रही है और लोगों को यह सब जल्दबाजी लग रहा है.
'जमीन हाथ आए तो पैसा दूंगी'
मथुरा से
बीजेपी सांसद
ने कहा कि उन्हें यह नहीं पता कि कितना पैसा देना है. एक बार जमीन उनके हाथ आ जाए तो वह सरकार के नियमों के मुताबिक जितना पैसा होगा, भुगतान करेंगी.
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ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री केविन रुड ने कहा कि भारतीय छात्रों पर ऑस्ट्रेलिया में हमला शहरी जीवन का हिस्सा है. उन्होंने जवाबी कार्रवाई में किए हमलों पर चेताते हुए कहा कि ऐसी हरकतों को सहन नहीं किया जाएगा.
रुड ने कहा कि कहीं भी किसी भी देश के छात्रों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं स्वीकार नहीं की जा सकतीं. हिंसा की ये घटनाएं शहरी जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जवाबी कार्रवाई अच्छी नहीं है. रुड की यह टिप्पणी भारतीय समुदाय द्वारा पलट कर हमला करने की खबरों के बीच आई है.
भारतीयों ने मेलबर्न के सेंट अल्बांस और थामस टाउन में नस्ली हमलों से छात्रों को बचाने के लिए समूह बना लिए हैं. रुड ने कहा छात्रों की पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया सबसे सुरक्षित देशों में से एक है.
रुड ने कहा कि छात्रों के किसी भी समूह को कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी. रुड ने छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि छात्र अपने खिलाफ हिंसा की घटनाओं की जानकारी पुलिस को दें और अगर उनकी शिकायतें न सुनी जाएं तो वे संसद के अपने स्थानीय सदस्यों के पास जाएं.
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यह लेख है: प्रमुख आईटी कंपनी टीसीएस ने कहा है कि अमेरिका तथा यूरोप में खर्च बढ़ने के बीच अगला वित्तवर्ष (2014-15) मौजूदा वित्तवर्ष की तुलना में बेहतर रहेगा।
कंपनी को क्लाउड, बिग डेटा तथा मोबिलिटी जैसी प्रौद्योगिकी में मांग बढ़ने की उम्मीद है। कंपनी ने कहा है कि सामाजिक, मोबाइल, एनालाटिक्स एवं क्लाउड (एसएमएसी) प्रौद्योगिकी की मांग बढ़ रही है, जिससे कंपनी के लिए अगले तीन से पांच साल में राजस्व में अरबों डॉलर का अवसर है।
टीसीएस के सीईओ तथा प्रबंध निदेशक एन चंद्रशेखरन ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, हमने 2013-14 की शुरुआत में कहा कि यह साल अच्छा रहेगा और हम इस पर कायम रहेंगे। यह ऐसा साल रहा, जिसमें सामान्य कारोबारी प्रदर्शन अच्छा रहा है, लेकिन डिजिटल के लिए यह साल बहुत अच्छा रहा है।
उन्होंने कहा कि एसएमएसी प्रौद्योगिकी से विभिन्न क्षेत्रों में भारी अवसर पैदा हुए हैं और कंपनी इनका फायदा उठाने की तैयारी में है। उन्होंने कहा, हमारे ग्राहकों के साथ हुई शुरुआती बातचीत के अनुसार 2014-15 साल 2013-14 से बेहतर रहेगा।
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भारतीय वायुसेना के अध्यक्ष एनएके ब्राउने ने शनिवार को चेतावनी दी कि तालिबान का खतरा और अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में अस्थिरता का अगले दो वर्षों में भारत की सुरक्षा पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।टिप्पणियां
उन्होंने एयर चीफ मार्शल एलएम खत्री मेमोरियल लेक्चर के दौरान कहा, ‘‘अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में अस्थिरता के मद्देनजर वर्ष 2013 और 2014 भारत की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण रहेंगे।’’ ब्राउने ने कहा कि अफगानिस्तान में अस्थिर हो रही स्थितियों, खास तौर पर अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद, का असर वाघा सीमा पर भी पहुंच सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘और हाल ही में हाफिज सईद (लश्कर ए-तय्यबा के संस्थापक) ने पेशावर में जो कहा आप सभी ने सुना ही है। वह कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाके को पाकिस्तान के लिए हासिल करना चाहता है।’’
उन्होंने एयर चीफ मार्शल एलएम खत्री मेमोरियल लेक्चर के दौरान कहा, ‘‘अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में अस्थिरता के मद्देनजर वर्ष 2013 और 2014 भारत की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण रहेंगे।’’ ब्राउने ने कहा कि अफगानिस्तान में अस्थिर हो रही स्थितियों, खास तौर पर अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद, का असर वाघा सीमा पर भी पहुंच सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘और हाल ही में हाफिज सईद (लश्कर ए-तय्यबा के संस्थापक) ने पेशावर में जो कहा आप सभी ने सुना ही है। वह कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाके को पाकिस्तान के लिए हासिल करना चाहता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और हाल ही में हाफिज सईद (लश्कर ए-तय्यबा के संस्थापक) ने पेशावर में जो कहा आप सभी ने सुना ही है। वह कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाके को पाकिस्तान के लिए हासिल करना चाहता है।’’
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव की राय में इस समय दुनिया के फिर मंदी में फंसने का खतरा कम ही है। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जबकि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की आर्थिक वृद्धि धीमी है और यूरोपीय संघ का अर्थव्यवस्था गिर रही है। इन दो प्रमुख क्षेत्रों की कजोर और डांवाडोल आर्थिक स्थिति के मद्देनजर आशंका है कि कही 2008 की तरह विश्व अर्थव्यवस्था कहीं एक बार फिर मंदी में न घिर जाए। राव ने यहां सीआईआई के एक समारोह में कहा मुझे लगता है कि वैश्विक मंदी की संभावना कम है। साथ ही कहा कि भारत की वृद्धि दर में कमी आ रही है लेकिन इसके मंदी की रुख करार नहीं दे सकते। उन्होंने कहा, अमेरिका अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी है। यूरोप की वृद्धि दर घट रही है और जापान की वृद्धि दर में सुधार हो रहा है। सुब्बाराव ने भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि आरबीआई का काम आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और मूल्य स्तर के बीच उचित संतुलन स्थापित करना। उन्होंने कहा, मैं भारत के 80 फीसद लोगों के प्रति संवेदनशील हूं जो कीमत बढ़ने से प्रभावित हो रहे हैं। हमें ब्याज दरों में बढ़ोतरी से परेशान उद्योगपतियों और (महंगाई से पीड़ित) गरीबों की चिंताओं के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। सुब्बाराव ने कहा कि इस बारे में चिंता जायज है कि मार्च 2010 से अब तक 13 बार ब्याज दरें बढ़ाने के बावजूद मुद्रास्फीति कम नहीं हुई लेकिन कहा कि यदि मौद्रिक नीति सख्त नहीं की गई होती तो कीमतें और बढ़ी होतीं। उन्होंने कहा, यह आलोचना जायज है। लेकिन यदि आरबीआई ने कदम नहीं उठाए होते तो मुद्रास्फीति की अभी 12 या 13 फीसद पहुंच गई होती न कि 9.7 फीसद। रुपये की पूंजी खाते की परिवर्तनीयता के बारे में उन्होंने कहा कि यह तब तक नहीं होगा जब तक राजकोषीय स्थिरता नहीं आती, वित्तीय बाजार और विकसित नहीं होते और वृद्धि दर स्थिर नहीं होती और मुद्रास्फीति में स्थिरता नहीं आती।
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गरुड़ या अक्विला (अंग्रेज़ी: Aquila) एक तारामंडल है। पुरानी यूनानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक चील के रूप में दर्शाया जाता था। इसका सब से रोशन तारा श्रवण है, जिसे अंग्रेजी में "ऐल्टेयर" (Altair) कहते हैं।
तारे
गरुड़ तारामंडल में आठ मुख्य तारे हैं, हालांकि वैसे इसमें 65 तारों को बायर नाम दिए जा चुके हैं। इनमें से 7 के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए पाए गए हैं। इस तारामंडल के मुख्य तारे इस प्रकार हैं -
इन्हें भी देखें
तारामंडल
सन्दर्भ
तारामंडल
हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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यह लेख है: खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस ने मंगलवार को इस बात की पुष्टि की कि कई बंधकों का सिर कलम करने वाला उसके गुट का सदस्य 'जिहादी जॉन' मारा गया है। आतंकी संगठन ने कहा कि जिहादी जॉन नवंबर में उसके सीरियाई गढ़ रक्का शहर में एक ड्रोन हमले में मारा गया था।
मीडिया द्वारा बीते वर्ष फरवरी में जिहादी जॉन की पहचान अरब मूल के 27 वर्षीय ब्रिटेन निवासी मोहम्मद एमवाज़ी के रूप में की गई थी। आईएसआईएस ने अपनी ऑनलाइन पत्रिका Dabiq में कहा कि एजवाजी पिछले साल 12 नवंबर को रक्का में एक ड्रॉन हमले में मारा गया, जब वह अपनी कार में जा रहा था। आतंकी संगठन ने अपनी इस ऑनलाइन पत्रिका में 'अबु मुहारिब अल-मुजाहिर' उपनाम से उसके बारे में जिक्र किया था।
इससे पहले बीते वर्ष नवंबर में अमेरिका सेना ने कहा था कि वह इस बात को लेकर काफी हद तक आश्वस्त है कि आईएसआईएस आतंकवादी जिहादी जॉन सीरिया में हुए उसके हवाई हमलों में मारा गया। उसने जिहादी जॉन की मौत को आतंकी समूह इस्लामी स्टेट के लिए एक बड़ा झटका करार दिया।
आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिकी सैन्य अभियान के प्रवक्ता कर्नल स्टीवन वारेन ने कहा था 'हम काफी हद तक आश्वस्त हैं कि जिस लक्ष्य यानी जिहादी जॉन को हम मारना चाहते थे वह मारा गया है।' उन्होंने वेबकास्ट लाइव के जरिये पेटागन कवर करने वाले संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बहरहाल इसकी पुष्टि करने में कुछ समय लग जाएगा कि जिहादी जॉन मारा जा चुका है। उन्होंने कहा, 'यह ड्रोन हमला था। हथियार प्रणाली ने वांछित लक्ष्य को भेद दिया।'टिप्पणियां
आपको बता दें कि 'जिहादी जॉन' सीरिया में कम से कम सात बंधकों (जिनमें ब्रिटेन के दो लोग भी शामिल रहे) के विभत्स तरीके से सिर कलम किए जाने की घटनाओं में शामिल रहा।
अगस्त 2014 से इस्लामिक स्टेट द्वारा जारी सात वीडियो में एमवाज़ी को दिखाया गया था, जब वह अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोली का सिर कमल करते हुए दिखाई दिया था। सितंबर 2014 में एक वीडियो में वह एक और अमेरिकी पत्रकार स्टीव सोटलॉफ और ब्रिटिश सहायता कार्यकर्ता डेविड हैंस का सिर कलम करते वीडियो में भी दिखाई दिया था। वहीं एक हालिया वीडियो में वह ब्रिटिश लहजे (British accent) में सिर कलम करने की धमकी देता हुआ दिखाई दिया था।
मीडिया द्वारा बीते वर्ष फरवरी में जिहादी जॉन की पहचान अरब मूल के 27 वर्षीय ब्रिटेन निवासी मोहम्मद एमवाज़ी के रूप में की गई थी। आईएसआईएस ने अपनी ऑनलाइन पत्रिका Dabiq में कहा कि एजवाजी पिछले साल 12 नवंबर को रक्का में एक ड्रॉन हमले में मारा गया, जब वह अपनी कार में जा रहा था। आतंकी संगठन ने अपनी इस ऑनलाइन पत्रिका में 'अबु मुहारिब अल-मुजाहिर' उपनाम से उसके बारे में जिक्र किया था।
इससे पहले बीते वर्ष नवंबर में अमेरिका सेना ने कहा था कि वह इस बात को लेकर काफी हद तक आश्वस्त है कि आईएसआईएस आतंकवादी जिहादी जॉन सीरिया में हुए उसके हवाई हमलों में मारा गया। उसने जिहादी जॉन की मौत को आतंकी समूह इस्लामी स्टेट के लिए एक बड़ा झटका करार दिया।
आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिकी सैन्य अभियान के प्रवक्ता कर्नल स्टीवन वारेन ने कहा था 'हम काफी हद तक आश्वस्त हैं कि जिस लक्ष्य यानी जिहादी जॉन को हम मारना चाहते थे वह मारा गया है।' उन्होंने वेबकास्ट लाइव के जरिये पेटागन कवर करने वाले संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बहरहाल इसकी पुष्टि करने में कुछ समय लग जाएगा कि जिहादी जॉन मारा जा चुका है। उन्होंने कहा, 'यह ड्रोन हमला था। हथियार प्रणाली ने वांछित लक्ष्य को भेद दिया।'टिप्पणियां
आपको बता दें कि 'जिहादी जॉन' सीरिया में कम से कम सात बंधकों (जिनमें ब्रिटेन के दो लोग भी शामिल रहे) के विभत्स तरीके से सिर कलम किए जाने की घटनाओं में शामिल रहा।
अगस्त 2014 से इस्लामिक स्टेट द्वारा जारी सात वीडियो में एमवाज़ी को दिखाया गया था, जब वह अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोली का सिर कमल करते हुए दिखाई दिया था। सितंबर 2014 में एक वीडियो में वह एक और अमेरिकी पत्रकार स्टीव सोटलॉफ और ब्रिटिश सहायता कार्यकर्ता डेविड हैंस का सिर कलम करते वीडियो में भी दिखाई दिया था। वहीं एक हालिया वीडियो में वह ब्रिटिश लहजे (British accent) में सिर कलम करने की धमकी देता हुआ दिखाई दिया था।
इससे पहले बीते वर्ष नवंबर में अमेरिका सेना ने कहा था कि वह इस बात को लेकर काफी हद तक आश्वस्त है कि आईएसआईएस आतंकवादी जिहादी जॉन सीरिया में हुए उसके हवाई हमलों में मारा गया। उसने जिहादी जॉन की मौत को आतंकी समूह इस्लामी स्टेट के लिए एक बड़ा झटका करार दिया।
आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिकी सैन्य अभियान के प्रवक्ता कर्नल स्टीवन वारेन ने कहा था 'हम काफी हद तक आश्वस्त हैं कि जिस लक्ष्य यानी जिहादी जॉन को हम मारना चाहते थे वह मारा गया है।' उन्होंने वेबकास्ट लाइव के जरिये पेटागन कवर करने वाले संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बहरहाल इसकी पुष्टि करने में कुछ समय लग जाएगा कि जिहादी जॉन मारा जा चुका है। उन्होंने कहा, 'यह ड्रोन हमला था। हथियार प्रणाली ने वांछित लक्ष्य को भेद दिया।'टिप्पणियां
आपको बता दें कि 'जिहादी जॉन' सीरिया में कम से कम सात बंधकों (जिनमें ब्रिटेन के दो लोग भी शामिल रहे) के विभत्स तरीके से सिर कलम किए जाने की घटनाओं में शामिल रहा।
अगस्त 2014 से इस्लामिक स्टेट द्वारा जारी सात वीडियो में एमवाज़ी को दिखाया गया था, जब वह अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोली का सिर कमल करते हुए दिखाई दिया था। सितंबर 2014 में एक वीडियो में वह एक और अमेरिकी पत्रकार स्टीव सोटलॉफ और ब्रिटिश सहायता कार्यकर्ता डेविड हैंस का सिर कलम करते वीडियो में भी दिखाई दिया था। वहीं एक हालिया वीडियो में वह ब्रिटिश लहजे (British accent) में सिर कलम करने की धमकी देता हुआ दिखाई दिया था।
आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिकी सैन्य अभियान के प्रवक्ता कर्नल स्टीवन वारेन ने कहा था 'हम काफी हद तक आश्वस्त हैं कि जिस लक्ष्य यानी जिहादी जॉन को हम मारना चाहते थे वह मारा गया है।' उन्होंने वेबकास्ट लाइव के जरिये पेटागन कवर करने वाले संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बहरहाल इसकी पुष्टि करने में कुछ समय लग जाएगा कि जिहादी जॉन मारा जा चुका है। उन्होंने कहा, 'यह ड्रोन हमला था। हथियार प्रणाली ने वांछित लक्ष्य को भेद दिया।'टिप्पणियां
आपको बता दें कि 'जिहादी जॉन' सीरिया में कम से कम सात बंधकों (जिनमें ब्रिटेन के दो लोग भी शामिल रहे) के विभत्स तरीके से सिर कलम किए जाने की घटनाओं में शामिल रहा।
अगस्त 2014 से इस्लामिक स्टेट द्वारा जारी सात वीडियो में एमवाज़ी को दिखाया गया था, जब वह अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोली का सिर कमल करते हुए दिखाई दिया था। सितंबर 2014 में एक वीडियो में वह एक और अमेरिकी पत्रकार स्टीव सोटलॉफ और ब्रिटिश सहायता कार्यकर्ता डेविड हैंस का सिर कलम करते वीडियो में भी दिखाई दिया था। वहीं एक हालिया वीडियो में वह ब्रिटिश लहजे (British accent) में सिर कलम करने की धमकी देता हुआ दिखाई दिया था।
आपको बता दें कि 'जिहादी जॉन' सीरिया में कम से कम सात बंधकों (जिनमें ब्रिटेन के दो लोग भी शामिल रहे) के विभत्स तरीके से सिर कलम किए जाने की घटनाओं में शामिल रहा।
अगस्त 2014 से इस्लामिक स्टेट द्वारा जारी सात वीडियो में एमवाज़ी को दिखाया गया था, जब वह अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोली का सिर कमल करते हुए दिखाई दिया था। सितंबर 2014 में एक वीडियो में वह एक और अमेरिकी पत्रकार स्टीव सोटलॉफ और ब्रिटिश सहायता कार्यकर्ता डेविड हैंस का सिर कलम करते वीडियो में भी दिखाई दिया था। वहीं एक हालिया वीडियो में वह ब्रिटिश लहजे (British accent) में सिर कलम करने की धमकी देता हुआ दिखाई दिया था।
अगस्त 2014 से इस्लामिक स्टेट द्वारा जारी सात वीडियो में एमवाज़ी को दिखाया गया था, जब वह अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोली का सिर कमल करते हुए दिखाई दिया था। सितंबर 2014 में एक वीडियो में वह एक और अमेरिकी पत्रकार स्टीव सोटलॉफ और ब्रिटिश सहायता कार्यकर्ता डेविड हैंस का सिर कलम करते वीडियो में भी दिखाई दिया था। वहीं एक हालिया वीडियो में वह ब्रिटिश लहजे (British accent) में सिर कलम करने की धमकी देता हुआ दिखाई दिया था।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का आज जन्मदिन हैं, वह 49 साल के हो गए हैं. उन्हें बधाई देने के लिए सुबह से ही उनके घर के बाहर कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा है. दिल्ली सरकार के मंत्री और विधायक भी सपरिवार सीएम केजरीवाल को बधाई देने पहुंच रहे हैं. बधाई देने आए लोगों का मिठाई खिलाकर शुक्रिया अदा किया जा रहा है. जन्मदिन पर केजरीवाल ने परिजनों और विधायकों के साथ बर्थडे केक भी काटा.
सीएम केजरीवाल ने IIT से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद भारतीय राजस्व सेवा काम किया. इसके बाद बाद उन्होंने कुछ साल नौकरी की और फिर बतौर सामाजिक और
RTI कार्यकर्ता
के रूप में अपनी पहचान बनाई. सूचना के अधिकार को लागू कराने में केजरीवाल का अहम योगदान माना जाता है.
अरविंद केजरीवाल को सबसे बड़ी पहचान इंडिया अगेंस्ट करप्शन के उस आंदोलन से मिली जब अन्ना हज़ारे जनलोकपाल के लिए 2011 में रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे. इस दौरान केजरीवाल और उनकी टीम ने ही पूरे आंदोलन की रणनीति तैयार की थी. इसके बाद केजरीवाल ने राजनीति में उतरने का फैसला किया और पहले ही चुनाव में 15 साल दिल्ली की सीएम रही शीला दीक्षित को हरा दिया.
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर राजनीति में आए केजरीवाल ने दिल्ली में पहली बार सत्ता कांग्रेस के समर्थन से ही पाई. लेकिन सीएम बनने के महज 49 दिनों में बाद ही उन्होंने
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा
दे दिया. इसके बाद 2015 में दोबारा चुनाव होने पर केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें मिली और अगले पांच सालों के लिए केजरीवाल दोबारा दिल्ली के सीएम चुने गए.
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना , बिहार का एकमात्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान है जो उन आठ भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों में से एक है, जिसे केंद्र सरकार ने वर्ष 2008- 2009 के मध्य स्थापित किया था। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का परिसर पटना शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित बिहटा में स्थित है।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना का परिसर राजधानी पटना से 25 किलोमीटर दूर बिहटा नामक स्थान पर लगभग 500 एकड़ भूमि पर निर्मित किया गया है।
पाठ्यक्रम
इस संस्थान में इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई होती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी के आठ प्रोफेसर यहाँ पढ़ाते हैं। नए स्थापित आठ संस्थानो में पटना पहला संस्थान है जिसने डॉक्टरेट का पाठ्यक्रम भी प्रारम्भ किया है। यहाँ कम्प्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र ,कला एवं सामाजिक विज्ञान में डॉक्टरेट पाठ्यक्रम संचालित होते है।
छात्र व विभाग
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना में 120 सीट है जिसमे 109 छात्रों का नामांकन किया गया है। आई.आई.टी. पटना के निदेशक प्रो. अनिल के. भौमिक है।
प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक 2010
आईआईटी पटना के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का दर्जा देने के लिए सरकार ने लोकसभा में प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक 2010 प्रस्तुत किया था। सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ एक समिति ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों को खोलने की सिफारिश की थी। ये संस्थान पटना बिहार, मंडी (हिमाचल प्रदेश), रोपड़ (पंजाब), जोधपुर (राजस्थान), गांधीनगर (गुजरात), हैदराबाद (आंध्रप्रदेश),इंदौर (मध्यप्रदेश) और भुवनेश्वर (उड़ीसा) में खोले गए हैं।
इन्हें भी देखें
भारतीय प्रबंधन संस्थान बोध गया
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना
एम्स पटना
पटना विश्वविद्यालय
सुपर-३०
आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
आईआईटी पटना
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
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किसान गजेंद्र की खुदकुशी के मामले पर सियासत और गरमा गई है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस मसले पर माफी मांग ली है. दूसरी ओर राहुल गांधी ने केदारनाथ के दर्शन कर लिए. और बड़ी खबरों पर एक नजर...
EXCLUSIVE: इंडिया टुडे का खुलासा, 'CRPF अफसरों ने 514 युवकों को नक्सली बताकर कराया था फर्जी सरेंडर'
झारखंड में सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के अफसरों की मिलीभगत से तीन साल पहले साल 2012 में 514 युवकों को फर्जी तरीके से नक्सली बताकर सरेंडर कराने के केस में नए सवाल उठ गए है. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, इस केस में सीबीआई जांच सवालों के घेरे में है.
लोकसभा में GST बिल पर चर्चा
लोकसभा में वस्तु व सेवा कर (GST) बिल पेश कर दिया गया है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इसे लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए.
कार की ब्रिकी में गिरावट के बाद फोर्ड 700 लोगों की छंटनियां करेगी
फोर्ड मोटर कंपनी ने कहा है कि वह मिशीगन असेंबली संयंत्र में 700 श्रमिकों को हटा रही है क्योंकि उसकी छोटी व हाइब्रिड कारों की ब्रिकी में गिरावट आई है.
केजरीवाल बोले- जांच कराइए...
जो भी दोषी हो उसे फांसी दीजिए, पर किसानों का हित सोचिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर AAP की रैली के दौरान एक किसान गजेंद्र सिंह की खुदकुशी मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है. केजरीवाल ने किसान की खुदकुशी के बाद भी भाषण जारी रखने के लिए माफी मांग ली है.
राहुल गांधी ने केदारनाथ मंदिर में की पूजा
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह को केदारनाथ के दर्शन कर लिए. दर्शन करने के बाद राहुल ने कहा, मैं यहां कुछ मांगने नहीं आया था. मंदिर के अंदर जाने पर मुझे दिव्य शक्ति मिली है.'
शपथ ग्रहण की तरह शानदार होगी BJP सरकार की पहली वर्षगांठ
नरेंद्र मोदी सरकार शपथ ग्रहण समारोह की तरह ही अपनी पहली वर्षगांठ को भी बड़े पैमाने पर करने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रही है. गुरुवार को टॉप नौकरशाहों की एक बैठक हुई और आने वाले इस इवेंट की चर्चा की गई. ये भी कहा जा रहा है कि इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे.
मशहूर लेखक चेतन भगत पर एक करोड़ रुपये की मानहानि का केस दर्ज
एक बार फिर मशहूर लेखक चेतन भगत की नई किताब ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ चर्चा में है. बिहार के पूर्व प्रिंसली स्टेट डुमरांव राजघराने के युवराज चंद्र विजय सिंह ने चेतन भगत की ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ में उनके बारे में लिखे गए अपमानजनक संदर्भ को लेकर एक करोड़ रुपये की मानहानि का केस दर्ज करवाया है.
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LK Advani the man who ignited & fanned the flames of divided India with his march towards Ayodhya & the subsequent demolition of the Babri Masjid who dreamed of becoming PM of India is nothing but an old man with broken dreams.When you do no good, no good happens to u. #badKarma
U forget he was the Home minister,deputy PM , Leader of Opp for 10 long years. Very few can boast of that resume. Besides he willingly stepped aside for Vajpayee. So your analysis is both wrong & juvenile unfortunately! Politics is not your sphere!
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नीलोफर, अक्टूबर २०१४ में दक्षिण हिंद महासागर में बना एक चक्रवाती तूफान है। यह हुदहुद चक्रवात से कम गति का है। मौसम विभाग के अनुसार यह गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश को प्रभावित कर सकता है। इसके नाम का सुझाव पाकिस्तान ने दिया था।
इतिहास
२७ अक्टूबर, २०१४ को प्रातः ५:३० बजे यह मुंबई से १२७० किमी दूर अरब सागर में था। तब इसकी गति १२०.३८ प्रति घंटे की थी।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
भारत मौसम विज्ञान विभाग का आधिकारिक जालस्थल
निलोफर
चक्रवात
भारत में चक्रवात
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माता वैष्णों देवी के दर्शन के लिए जाने श्रद्धालुओं ने इस साल एक नया रिकॉर्ड कायम किया है. बता दें कि इस साल रिकॉर्ड 62.71 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने माता वैष्णो देवी के दर्शन किए. इनमें से 3,64,643 श्रद्धालुओं ने केवल नवरात्र में देवी के दर्शन किए. यह आंकड़ा पिछले कुछ वर्षों में सर्वाधिक है. वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के बारे में बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से 15 लाख से अधिक श्रद्धालु वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके हैं.
बता दें कि वैष्णो देवी तीर्थ स्थल जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है. अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने के बाद जम्मू संभाग में लगी पाबंदियों में एक सप्ताह के भीतर ढील दे दी गई थी, लेकिन कश्मीर में अब भी जनजीवन सामान्य नहीं हो सका है. वहीं माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की स्थापना 1986 में की गई थी. तब से श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. सन 2012 में यह संख्या एक करोड़ तक पहुंच गई थी. अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष जनवरी में श्रद्धालुओं की संख्या पांच लाख से अधिक पहुंच गई थी, जो फरवरी में गिर कर 2.69 लाख रह गई थी. पुलवामा हमले और उसके बाद के घटनाक्रम के कारण मार्च में केवल 4.62 लाख श्रद्धालुओं ने ही तीर्थ के दर्शन किए.
वहीं सोमवार को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गृह विभाग द्वारा जारी परामर्श को 10 अक्टूबर से वापस लेने का निर्देश दिया है. वैष्णो देवी गुफा के प्रवेश स्थान पर हाल ही में स्वर्ण द्वार बनाया गया है जिस पर देवी दुर्गा की नौ छवियां अंकित हैं. इसके अलावा हाल ही में शुरू की गई वन्दे भारत ट्रेन भी इस वर्ष नवरात्र के आकर्षण का केंद्र रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से कटरा तक चलने वाली वन्दे भारत ट्रेन को श्रद्धालुओं के लिए नवरात्र का तोहफा बताया. गृह मंत्री अमित शाह ने इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हुए जम्मू कश्मीर के विकास के लिए बड़ा तोहफा बताया था.
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महाराष्ट्र सरकार गांव में नौकरी करने से मना करने वाले डॉक्टरों पर सख्ती बरतने वाली है। राज्य के हेल्थ डिपार्टमेंट की मानें तो अब वो ऐसे डॉक्टरों की पढ़ाई पर हुए खर्च की रकम वसूलने पर विचार कर रही है। शर्त है कि डॉक्टरी पास करने के बाद एक साल तक गांव में काम करना जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर शपथ पत्र पर सिग्नेचर भी करते हैं लेकिन अक्सर देखा गया है कि डॉक्टर पोस्टिंग के वक्त बहानेबाजा करते हैं। राज्य के गांवों में बने हजारों प्राथमिक चिकित्सा सेंटरों पर डॉक्टरों की भारी कमी बताई जा रही है।
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पश्चिम बंगाल में कुछ इलाकों में फैली हिंसा पर हैदराबाद के गोशमहल से बीजेपी विधायक टी राजा सिंह ने भड़काऊ बयान दिया है. राजा सिंह ने एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वह बंगाल को हिंदुओं से एकजुट होने और 2002 में गुजरात के हिंदुओं जैसा 'जवाब' देने की बात कहते दिख रहे हैं.
ट्विटर पर पोस्ट किए गए इस वीडियो में राजा सिंह कह रहे हैं कि बंगाल के
हिंदुओं को भी सही जवाब
देना चाहिए, जैसा जवाब 2002 में गुजरात के हिंदुओं ने दिया था. तब वह लोग हिंदुओं को मारने वालों के खिलाफ खड़े हो गए थे. विधायक का यह बयान बंगाल में हिंसाग्रस्त माहौल के बीच आया है. बंगाल के बशीरहाट में भी एक भड़काऊ फेसबुक पोस्ट के बाद सांप्रदायिक हिंसा फैल गई.
यह पहला मौका नहीं है जब राजा सिंह ने इस तरह का विवादित बयान दिया हो. 6 अप्रैल को भी विधायक ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए अयोध्या में राम मंदिर का विरोध करने वाले लोगों को निशाने पर लिया था. उन्होंने कहा था कि
किसी की औकात नहीं है
जो अयोध्या में राम मंदिर बनने से रोक ले. वह यही नहीं रुके उन्होंने यहां तक कहा कि राम मंदिर के लिए हिंदुओं ने खूब लाठी-गोली खाली अब लाठी-गोली मारकर राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा.
राम मंदिर पर राजा सिंह के बयान के बाद उनकी खूब आलोचना भी हुई थी और तब उनके खिलाफ दबीरपुर में एक FIR भी दर्ज कराई गई थी. जिसमें उन पर राम मंदिर के लिए मरने और मारने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था. राम सिंह तेलंगाना विधासभा में बीजेपी के व्हिप हैं. उनके खिलाफ भड़काऊ बयान देने के कई मामले दर्ज हैं लेकिन बहुत कम बार उनकी गिरफ्तारी हुई है.
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चुनाव में जेएनयू प्रकरण और देशद्रोह को मुख्य मुद्दा बनाये जाने पर कन्हैया कुमार का कहना है, ‘अगर मैं देशद्रोही हूं, अपराधी हूं, दोषी हूं... तो सरकार मुझे जेल में क्यों नहीं डाल देती? अगर मैंने कुछ गलत किया है तब सरकार कार्रवाई करे. अगर मैं देशद्रोही हूं तो चुनाव कैसे लड़ रहा हूं?' कन्हैया कुमार ने कहा, ‘मेरा चुनाव लड़ना ही इस बात का सबूत है कि देशद्रोह के आरोप बेबुनियाद हैं. जनता सब जानती है. लोग वास्तविक मुद्दों पर बात करना चाहते हैं लेकिन भाजपा मनगढ़ंत मुद्दों की आड़ में लोगों को बांट रही है क्योंकि उसके पास जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है. पिछले पांच वर्ष में केंद्र सरकार ने कुछ भी ठोस नहीं किया इसलिए वह भ्रम फैला रही है.'
भाकपा उम्मीदवार ने कहा कि साजिश करने वालों को देश की चिंता नहीं है बल्कि वे चाहते हैं कि ‘देश में न कोई बोले, ना सवाल करे.' अपने चुनाव अभियान पर संतोष व्यक्त करते हुए कुमार ने कहा, ‘मैं, खुद को मिल रहे जनसमर्थन से उत्साहित हूं और मुझे अपनी सफलता का पूरा भरोसा भी है. राजनीतिक लड़ाई में सच्चाई और ईमानदारी हो तो जनता का सहयोग अपने आप मिलता है.' यह पूछे जाने पर कि अगर पूरा विपक्ष मिलकर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाता तो सीधी टक्कर होती, कुमार ने कहा, ‘भाजपा विरोधी मतों का विभाजन नहीं होगा... मुकाबला सीधा ही है.'
राजनीति में आने से जुड़े सवाल पर कन्हैया कुमार ने कहा ‘मैंने कुछ तय नहीं किया. संयोग और परिस्थितियां ही सब कुछ तय करती हैं. बेगूसराय में जन्म लेने के बाद मैंने सोचा नहीं था कि कभी दिल्ली जाऊंगा. दिल्ली पहुंच कर यह तय नहीं किया था कि जेएनयू जाऊंगा और छात्र संघ का अध्यक्ष बनूंगा. फिर मैं जेल भी गया. बेगूसराय से भाकपा उम्मीदवार बनना भी तय नहीं था.'
चुनावी चंदे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ‘मेरा मानना है कि जनता की लड़ाई जनता के पैसे से हो. मेरा पूरा अभियान जनता के सहयोग से ही चल रहा है. वैसे भी, यह लड़ाई तो पढ़ाई और कड़ाही के बीच है- एक तरफ पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं तो दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं.'
कभी कांग्रेस का गढ़ रही बेगूसराय सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के भोला सिंह ने राजद के तनवीर हसन को 58,335 मत से हराया था. भाकपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह 1,92,639 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे. उससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के मोनाजिर हसन ने इस सीट पर भाकपा के कद्दावर नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को पराजित कर कब्जा जमाया था. वहीं 2004 में जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कांग्रेस की कृष्णा शाही को हराया था. इस सीट पर कांग्रेस ने अब तक आठ बार जीत दर्ज की है जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की. ''बिहार का लेनिनग्राद'' और ''लिटिल मॉस्को'' कहलाने वाला बेगूसराय गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है.
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हाल ही में सैमसंग Galaxy S6 मिनी की इमेज और डिटेल लीक हुई थी. अब इसे एक ई-कॉमर्स वेबसाइट पर डिटेल के साथ दर्ज किया गया है जिसमें 4.6 इंच का सुपर एमोलेड डिस्प्ले नजर आ रहा है.
UAE बेस्ड
इस ई कॉमर्स वेबसाइट के मुताबिक इस फोन में 1.8GHz का हेक्साकोर प्रोसेसर लगा है. दिलचस्प बात यह है कि इसके प्रोसेसर के क्वालकॉम के होने की बात कही जा रही है. इसमें 2GB रैम के साथ ग्राफिक्स के लिए Adreno 418 GPU दिया गया है.
यह भी पढ़ें: Moto G में मिलना शुरू हुआ मार्शमैलो
फोटोग्राफी के लिए
इसमें 5 मेगापिक्सल सेल्फी कैमरे के साथ 15 मेगापिक्सल रियर कैमरा दिया गया है. वेबसाइट में दर्ज डिटेल के मुताबिक इसकी इन्बिल्ट मेमोरी 16GB है. इसके अलावा लॉलीपॉप पर चलने वाले इस फोन में पेमेंट गेटवे पेपल सर्टिफाइड फिंगरप्रिंट सेंसर दिया गया है. साथ ही इसमें एस वॉयस नेचुरल लैंग्वेज कमांड्स, ANT+ सपोर्ट, डॉक्यूमेंट एडिटिंग एप्स और एयर जेस्चर जैसे खास फीचर्स हैं. हालांकि वेबसाइट पर इसकी कीमत और उपलब्धता की कोई जानकारी नहीं दी गई है.
वहीं वेबसाइट
पर इसे खरीदने के ऑप्शन्स नहीं दिए गए हैं. पर वेबसाइट ने इसके उपलब्ध होने के बाद ईमेल नोटिफिकेशन की बात लिखी है. हैरानी की बात यह है कि कंपनी की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. ऐसे में यह बता पाना मुश्किल है कि इस ई-कॉमर्स वेबसाइट पर दर्ज इस फोन असली है भी या नहीं.
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यूपी के एटा में छेड़खानी का विरोध करने पर एक महिला को गोली मार दी गई. घटना जिले के कोतवाली मालवन के सेंथारी गांव की है. यहां कुछ मनचलों ने एक अधेड़ महिला से छेड़खानी कर दी. महिला ने जब इसका विरोध किया, तो उसे गोली मार दी. उसे घायलावस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जानकारी के मुताबिक,
बुधवार को महिला अपने घर के बाहर बैठी हुई थी. उसी समय सुनील नामक एक शख्स ने अपने तीन साथियों के साथ छेड़खानी शुरू कर दी. महिला ने इसका विरोध किया, तो सुनील ने उस पर गोली चला दी. इस घटना में महिला गंभीर रूप से घायल हो गई. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
पुलिस ने बताया कि
महिला की हालत गंभीर है. उसे स्थानीय अस्पताल से आगरा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है. इस सिलसिले में चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है. अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. पुलिस नामजद आरोपियों की तलाश में अलग-अलग जगहों पर दबिश डाल रही है.
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गूगल ने पहले भी कई ऐप को बंद किए हैं.
ये ऐप डेटा सेविंग के लिए किया गया था लॉन्च.
गूगल ने अपने एक और ऐप को शायद खत्म करने का फैसला किया है. कंपनी ने 2017 के आखिर में एक डेटा सेविंग ऐप लॉन्च किया था Datally. अब यह ऐप Google Play Store से गायब है. इस ऐप को मोबाइल डेटा मॉनिटर करने और आस पास वाईफाई हॉट स्पॉट ढूंढने के लिए लाया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक Google का ये Datally ऐप यूजर्स के लिए तो उपलब्ध है. यानी जिन स्मार्टफोन्स में ये पहले से डाउनलोड किया गया है वो काम कर रहा है. लेकिन यह Android 10 के साथ काम नहीं कर सकता यानी सपोर्ट नहीं है. हालांकि कंपनी ने अब तक इस बारे में कोई ऑफिशियल अपडेट या स्टेटमेंट जारी नहीं किया है.
Datally के खास फीचर्स के बारे में बात करें तो इस ऐप के तहत आप अलग अलग ऐप के द्वारा खपत किए जा रहे डेटा पर नजर रख सकते हैं. इसके साथ ही आप ऐप्स के लिए डेटा लिमिट सेट कर सकते हैं या डेटा बंद भी कर सकते हैं. लेकिन अब शायद नए एंड्रॉयड के साथ इस ऐप की जरूरत भी नहीं है.
ज्यादातर नए एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में अब डेटा लिमिट करने और हर ऐप्स के लिए डेटा सेट करने का ऑप्शन मिलता है. आने वाले कुछ समय में कंपनी इस ऐप को पूरी तरह से बंद कर सकती है. आम तौर पर गूगल ऐसा करती है. पुराने ऐप्स बंद कर दिए जाते हैं. इसका उदाहरण Inbox By Gmail और Trip ऐप हैं जिन्हें हाल ही में गूगल ने बंद करने का फैसला किया है.
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लेख: खुफिया एजेंसियों द्वारा समुद्र के रास्ते कुछ आतंकियों के घुसने के संकेत के बीच गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार किसी भी स्थिति से निबटने के लिए तैयार है।
उन्होंने पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा, 'राज्य सरकार के इंतजाम और केंद्र सरकार की ओर से पेश की गई मदद के बाद मुझे नहीं लगता है कि कोई अप्रिय घटना घटेगी। मैं प्रार्थना करती हूं कि राज्य में या देश में कही भी ऐसी कोई घटना नहीं हो।'
गुजरात के गृह राज्य मंत्री रजनी पटेल ने कहा कि राज्य सरकार को शनिवार को केंद्र सरकार से गुजरात में कुछ आतंकियों के घुसने संबंधी एक गंभीर सूचना मिली है।टिप्पणियां
पटेल ने कहा था, 'हमने किसी प्रकार की अप्रिय घटना रोकने के संबंध में एक बैठक की है।' उल्लेखनीय है कि राज्य के डीजीपी पीसी ठाकुर ने एनएसजी अधिकारियों के साथ गांधीनगर में एक बैठक की थी और गिर सोमनाथ जिले के सोमनाथ मंदिर में सुरक्षा के लिए एक दल भेजने की घोषणा की थी। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
उन्होंने पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा, 'राज्य सरकार के इंतजाम और केंद्र सरकार की ओर से पेश की गई मदद के बाद मुझे नहीं लगता है कि कोई अप्रिय घटना घटेगी। मैं प्रार्थना करती हूं कि राज्य में या देश में कही भी ऐसी कोई घटना नहीं हो।'
गुजरात के गृह राज्य मंत्री रजनी पटेल ने कहा कि राज्य सरकार को शनिवार को केंद्र सरकार से गुजरात में कुछ आतंकियों के घुसने संबंधी एक गंभीर सूचना मिली है।टिप्पणियां
पटेल ने कहा था, 'हमने किसी प्रकार की अप्रिय घटना रोकने के संबंध में एक बैठक की है।' उल्लेखनीय है कि राज्य के डीजीपी पीसी ठाकुर ने एनएसजी अधिकारियों के साथ गांधीनगर में एक बैठक की थी और गिर सोमनाथ जिले के सोमनाथ मंदिर में सुरक्षा के लिए एक दल भेजने की घोषणा की थी। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
गुजरात के गृह राज्य मंत्री रजनी पटेल ने कहा कि राज्य सरकार को शनिवार को केंद्र सरकार से गुजरात में कुछ आतंकियों के घुसने संबंधी एक गंभीर सूचना मिली है।टिप्पणियां
पटेल ने कहा था, 'हमने किसी प्रकार की अप्रिय घटना रोकने के संबंध में एक बैठक की है।' उल्लेखनीय है कि राज्य के डीजीपी पीसी ठाकुर ने एनएसजी अधिकारियों के साथ गांधीनगर में एक बैठक की थी और गिर सोमनाथ जिले के सोमनाथ मंदिर में सुरक्षा के लिए एक दल भेजने की घोषणा की थी। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पटेल ने कहा था, 'हमने किसी प्रकार की अप्रिय घटना रोकने के संबंध में एक बैठक की है।' उल्लेखनीय है कि राज्य के डीजीपी पीसी ठाकुर ने एनएसजी अधिकारियों के साथ गांधीनगर में एक बैठक की थी और गिर सोमनाथ जिले के सोमनाथ मंदिर में सुरक्षा के लिए एक दल भेजने की घोषणा की थी। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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भारतीय ज्योतिष (Indian Astrology/Hindu Astrology) ग्रहनक्षत्रों की गणना की वह पद्धति है जिसका भारत में विकास हुआ है। आजकल भी भारत में इसी पद्धति से पंचांग बनते हैं, जिनके आधार पर देश भर में धार्मिक कृत्य तथा पर्व मनाए जाते हैं। वर्तमान काल में अधिकांश पंचांग सूर्यसिद्धांत, मकरंद सारणियों तथा ग्रहलाघव की विधि से प्रस्तुत किए जाते हैं। कुछ ऐसे भी पंचांग बनते हैं जिन्हें नॉटिकल अल्मनाक के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है, किन्तु इन्हें प्रायः भारतीय निर्णय पद्धति के अनुकूल बना दिया जाता है।
प्राचीन भारत में ज्योतिष का अर्थ ग्रहों और नक्षत्रों की चाल का अध्ययन करने के लिए था, यानि ब्रह्माण्ड के बारे में अध्ययन। कालान्तर में फलित ज्योतिष के समावेश के चलते ज्योतिष शब्द के मायने बदल गए और अब इसे लोगों का भाग्य देखने वाली विद्या समझा जाता है।
परिचय एवं इतिहास
भारत का प्राचीनतम उपलब्ध साहित्य वैदिक साहित्य है। वैदिककाल के भारतीय यज्ञ किया करते थे। यज्ञों के विशिष्ट फल प्राप्त करने के लिये उन्हें निर्धारित समय पर करना आवश्यक था इसलिए वैदिककाल से ही भारतीयों ने वेधों द्वारा सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों से काल का ज्ञान प्राप्त करना शुरू किया। पंचांग सुधारसमिति की रिपोर्ट में दिए गए विवरण (पृष्ठ 218) के अनुसार ऋग्वेद काल के आर्यों ने चांद्र-सौर वर्षगणना पद्धति का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। वे 12 चांद्र मास तथा चांद्र मासों को सौर वर्ष से संबद्ध करनेवाले अधिमास को भी जानते थे। दिन को चंद्रमा के नक्षत्र से व्यक्त करते थे। उन्हें चंद्रगतियों के ज्ञानोपयोगी चांद्र राशिचक्र का ज्ञान था। वर्ष के दिनों की संख्या 366 थी, जिनमें से चांद्र वर्ष के लिये 12 दिन घटा देते थे। रिपोर्ट के अनुसार ऋग्वेदकालीन आर्यों का समय कम से कम 1,200 वर्ष ईसा पूर्व अवश्य होना चाहिए। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की ओरायन के अनुसार यह समय शक संवत् से लगभग 4000 वर्ष पहले ठहरता है।
यजुर्वेद काल में भारतीयों ने मासों के 12 नाम मधु, माधव, शुक्र, शुचि, नमस्, नमस्य, इष, ऊर्ज, सहस्र, तपस् तथा तपस्य रखे थे। बाद में यही पूर्णिमा में चन्द्रमा के नक्षत्र के आधार पर चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन हो गए। यजुर्वेद में नक्षत्रों की पूरी संख्या तथा उनकी अधिष्टात्री देवताओं के नाम भी मिलते हैं। यजुर्वेद में तिथि तथा पक्षों, उत्तर तथा दक्षिण अयन और विषुव दिन की भी कल्पना है। विषुव दिन वह है जिस दिन सूर्य विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपात में रहता है। श्री शंकर बालकृष्ण दीक्षित के अनुसार यजुर्वेदकाल के आर्यों को गुरु, शुक्र तथा राहु-केतु का ज्ञान था। यजुर्वेद के रचनाकाल के विषय में विद्वानों में मतभेद है। यदि हम पाश्चात्य पक्षपाती, कीथ का मत भी लें तो यजुर्वेद की रचना 600 वर्ष ईसा पूर्व हो चुकी थी। इसके पश्चात् वेदांग ज्योतिष का काल आता है, जो ईo पूo 1,400 वर्षों से लेकर ईo पूo 400 वर्ष तक है। वेदांग ज्योतिष के अनुसार पाँच वर्षों का युग माना गया है, जिसमें 1830 माध्य सावन दिन, 62 चांद्र मास, 1860 तिथियाँ तथा 67 नाक्षत्र मास होते हैं। युग के पाँच वर्षों के नाम हैं : संवत्सर, परिवत्सर, इदावत्सर, अनुवत्सर तथा इद्ववत्सर। इसके अनुसार तिथि तथा चांद्र नक्षत्र की गणना होती थी। इसके अनुसार मासों के माध्य सावन दिनों की गणना भी की गई है। वेदांग ज्यातिष में जो हमें महत्वपूर्ण बात मिलती है वह युग की कल्पना, जिसमें सूर्य और चंद्रमा के प्रत्यक्ष वेधों के आधार पर मध्यम गति ज्ञात करके इष्ट तिथि आदि निकाली गई है। आगे आनेवाले सिद्धांत ज्योतिष के ग्रंथों में इसी प्रणाली को अपनाकर मध्यम ग्रह निकाले गए हैं।
वेदांग ज्योतिष और सिद्धान्त ज्योतिष काल के भीतर कोई ज्योतिष गणना का ग्रंथ उपलब्ध नहीं होता। किंतु इस बीच के साहित्य में ऐसे प्रमाण मिलते हैं जिनसे यह स्पष्ट है कि ज्योतिष के ज्ञान में वृद्धि अवश्य होती रही है, उदाहरण के लिये, महाभारत में कई स्थानों पर ग्रहों की स्थिति, ग्रहयुति, ग्रहयुद्ध आदि का वर्णन है। इससे इतना स्पष्ट है कि महाभारत के समय में भारतवासी ग्रहों के वेध तथा उनकी स्थिति से परिचित थे।
सिद्धान्त ज्योतिष प्रणाली से लिखा हुआ प्रथम पौरुष ग्रंथ आर्यभट प्रथम की आर्यभटीयम् (शक संo 421) है। तत्पश्चात् बराहमिहिर (शक संo 427) द्वारा संपादित सिद्धांतपंचिका है, जिसमें पितामह, वासिष्ठ, रोमक, पुलिश तथा सूर्यसिद्धांतों का संग्रह है। इससे यह तो पता चलता है कि बराहमिहिर से पूर्व ये सिद्धांतग्रंथ प्रचलित थे, किंतु इनके निर्माणकाल का कोई निर्देश नहीं है। सामान्यतः भारतीय ज्योतिष ग्रंथकारों ने इन्हें अपौरुषेय माना है। आधुनिक विद्वानों ने अनुमानों से इनके कालों को निकाला है और ये परस्पर भिन्न हैं। इतना निश्चित है कि ये वेदांग ज्योतिष तथा बराहमिहिर के समय के भीतर प्रचलित हो चुके थे। इसके बाद लिखे गए सिद्धांतग्रंथों में मुख्य हैं : ब्रह्मगुप्त (शक संo 520) का ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त, लल्ल (शक संo 560) का शिष्यधीवृद्धिद, श्रीपति (शक संo 961) का सिद्धान्तशेखर, भास्कराचार्य (शक संo 1036) का सिद्धान्तशिरोमणि, गणेश (1420 शक संo) का ग्रहलाघव तथा कमलाकर भट्ट (शक संo 1530) का सिद्धांत-तत्व-विवेक।
गणित ज्योतिष के ग्रंथों के दो वर्गीकरण हैं : सिद्धान्त ग्रन्थ तथा करण ग्रंथ। सिद्धांतग्रंथ युगादि अथवा कल्पादि पद्धति से तथा करणग्रंथ किसी शक के आरंभ की गणनापद्धति से लिखे गए हैं। गणित ज्योतिष ग्रंथों के मुख्य प्रतिपाद्य विषय है: मध्यम ग्रहों की गणना, स्पष्ट ग्रहों की गणना, दिक्, देश तथा काल, सूर्य और चंद्रगहण, ग्रहयुति, ग्रहच्छाया, सूर्य सांनिध्य से ग्रहों का उदयास्त, चंद्रमा की शृंगोन्नति, पातविवेचन तथा वेधयंत्रों का विवेचन।
गणना प्रणाली
पूरे वृत्त की परिधि 360 मान ली जाती है। इसका 360 वाँ भाग एक अंश, उसका 60वाँ भाग एक कला, कला का 60वाँ भाग एक विकला, एक विकला का 60वाँ भाग एक प्रतिविकला होता है। 30 अंश की एक राशि होती है। ग्रहों की गणना के लिये क्रांतिवृत्त के, जिसमें सूर्य भ्रमण करता दिखलाई देता है, 12 भाग माने जाते हैं। इन भागों को मेष, वृष आदि राशियों के नाम से पुकारा जाता है। ग्रह की स्थिति बतलाने के लिये मेषादि से लेकर ग्रह के राशि, अंग, कला, तथा विकला बता दिए जाते हैं। यह ग्रह का भोगांश होता है। सिद्धांत ग्रंथों में प्रायः एक वृत्तचतुर्थांश (90 अंश का चाप) के 24 भाग करके उसकी ज्याएँ तथा कोटिज्याएँ निकाली रहती है। इनका मान कलात्मक रहता है। 90 के चाप की ज्या वृहद्वृत्त का अर्धव्यास होती है, जिसे त्रिज्या कहते हैं। इसको निम्नलिखित सूत्र से निकालते हैं :
परिधि = (३९२७ / १२५०) x व्यास
इस प्रकार त्रिज्या का मान 3438 कला है, जो वास्तविक मान के आसन्न है। चाप की ज्या आधुनिक प्रणाली की तरह अर्धज्या है। वस्तुतः वर्तमान त्रिकोणामितिक निष्पत्तियों का विकास भारतीय प्रणाली के आधार पर हुआ है और आर्यभट को इसका आविष्कर्ता माना जाता है। यदि किन्हीं दो भिन्न आकार के वृत्तों के त्रिकोणमितीय मानों की तुलना करना अपेक्षित होता है, तो वृहद् वृत्त की त्रिज्या तथा अभीष्ट वृत्त की निष्पत्ति के आधार पर अभीष्ट वृत्त की परिधि अंशों में निकाली जाती है। इस प्रकार मंद और शीघ्र परिधियों में यद्यपि नवीन क्रम से अंशों की संख्या 360 ही है, तथापि सिद्धांतग्रंथों में लिखी हुई न्यून संख्याएँ केवल तुलनात्मक गणना के लिये हैं।
कालगणना (Calendar)
विषुवद् वृत्त में एक समगति से चलनेवाले मध्यम सूर्य (लंकोदयासन्न) के एक उदय से दूसरे उदय तक एक मध्यम सावन दिन होता है। यह वर्तमान कालिक अंग्रेजी के 'सिविल डे' (civil day) जैसा है। एक सावन दिन में 60 घटी; 1 घटी 24 मिनिट साठ पल; 1 पल 24 सेंकेड 60 विपल तथा ढाई विपल 1 सेंकेंड होते हैं। सूर्य के किसी स्थिर बिंदु (नक्षत्र) के सापेक्ष पृथ्वी की परिक्रमा के काल को सौर वर्ष कहते हैं। यह स्थिर बिंदु मेषादि है। ईसा के पाँचवे शतक के आसन्न तक यह बिंदु कांतिवृत्त तथा विषुवत् के संपात में था। अब यह उस स्थान से लगभग 23 पश्चिम हट गया है, जिसे अयनांश कहते हैं। अयनगति विभिन्न ग्रंथों में एक सी नहीं है। यह लगभग प्रति वर्ष 1 कला मानी गई है। वर्तमान सूक्ष्म अयनगति 50.2 विकला है। सिद्धांतग्रथों का वर्षमान 365 दिo 15 घo 31 पo 31 विo 24 प्रति विo है। यह वास्तव मान से 8। 34। 37 पलादि अधिक है। इतने समय में सूर्य की गति 8.27" होती है। इस प्रकार हमारे वर्षमान के कारण ही अयनगति की अधिक कल्पना है। वर्षों की गणना के लिये सौर वर्ष का प्रयोग किया जाता है। मासगणना के लिये चांद्र मासों का। सूर्य और चंद्रमा जब राश्यादि में समान होते हैं तब वह अमांतकाल तथा जब 6 राशि के अंतर पर होते हैं तब वह पूर्णिमांतकाल कहलाता है। एक अमांत से दूसरे अमांत तक एक चांद्र मास होता है, किंतु शर्त यह है कि उस समय में सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में अवश्य आ जाय। जिस चांद्र मास में सूर्य की संक्रांति नहीं पड़ती वह अधिमास कहलाता है। ऐसे वर्ष में 12 के स्थान पर 13 मास हो जाते हैं। इसी प्रकार यदि किसी चांद्र मास में दो संक्रांतियाँ पड़ जायँ तो एक मास का क्षय हो जाएगा। इस प्रकार मापों के चांद्र रहने पर भी यह प्रणाली सौर प्रणाली से संबद्ध है। चांद्र दिन की इकाई को तिथि कहते हैं। यह सूर्य और चंद्र के अंतर के 12वें भाग के बराबर होती है। हमारे धार्मिक दिन तिथियों से संबद्ध है1 चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है उसे चांद्र नक्षत्र कहते हैं। अति प्राचीन काल में वार के स्थान पर चांद्र नक्षत्रों का प्रयोग होता था। काल के बड़े मानों को व्यक्त करने के लिये युग प्रणाली अपनाई जाती है। वह इस प्रकार है:
कृतयुग (सत्ययुग) 17,28,000 वर्ष
द्वापर 12,96,000 वर्ष
त्रेता 8, 64,000 वर्ष
कलि 4,32,000 वर्ष
योग महायुग 43,20,000 वर्ष
कल्प 1000 महायुग 4,32,00,00,000 वर्ष
सूर्यसिद्धांत में बताए आँकड़ों के अनुसार कलियुग का आरंभ 17 फ़रवरी 3102 ईo पूo को हुआ था। युग से अहर्गण (दिनसमूहों) की गणना प्रणाली, जूलियन डे नंबर के दिनों के समान, भूत और भविष्य की सभी तिथियों की गणना में सहायक हो सकती है।
मध्य ग्रह गणना
ग्रह की मेषादि के सापेक्ष पृथ्वी की परिक्रमा को एक भगण कहते हैं। सिद्धांतग्रथों में युग, या कल्पग्रहों, के मध्य भगण दिए रहते हैं। युग या कल्प के मध्य सावन दिनों की संख्या भी दी रहती है। यदि युग या कल्प के प्रारंभ में ग्रह मेषादि में हों तो बीच के दिन (अहर्गण) ज्ञात होने से मध्यम ग्रह को त्रैराशिक से निकाला जा सकता है। भगण की परिभाषा के अनुसार बुध और शुक्र की मध्यम गति सूर्य के समान ही मानी गई है। उनकी वास्तविक गति के तुल्य उनकी शीघ्रोच्च गति मानी गई है। ये ग्रह रेखादेश, अर्थात् उज्जयिनी, के याम्योत्तर के आते हैं, जिन्हें देशांतर तथा चर संस्कारों से अपने स्थान के मयम सर्योदयासन्नकालिक बनाया जाता है।
मंद स्पष्ट ग्रह
स्पष्ट सूर्य और चंद्रमा की स्पष्ट गति जिस समय सबसे कम हो उस समय के स्पष्ट सूर्य और चंद्रमा का जितना भाग होगा उसे उनके मंदोच्च का भोग समझना चाहिए। स्पष्ट रवि चंद्र और मध्यम रवि चंद्र के अंतर को मंदफल कहते हैं। मंदोच्च से 180 की दूरी पर मंदनीच होगा। मंदोच्च से छह राशि तक स्पष्ट सूर्य चंद्र मध्यम सूर्य चंद्र से पीछे रहते हैं। इसलिये मंद फल ऋण होता है। मंदोच्च से मध्यम ग्रह के अंतर की मंदकेंद्र संज्ञा है। मंदोच्च से 3 राशि के अंतर पर मंदफल परमार्धिक होता है। उसे मंदांत्य फल कहते हैं। मंदनीच से मंदोच्च तक स्पष्ट ग्रह मध्यम ग्रह से आगे रहता है, अत: मंदफल धन होता है। मंदस्पष्ट रवि चंद्र के मंदफल को ज्ञात करने के लिये दो प्रकार के क्षेत्रों की कल्पना है, जिन्हें भंगि कहते हैं। पहली का नाम प्रतिवृत्त भंगि है। भू को केंद्र मानकर एक त्रिज्या के व्यासार्ध से वृत्त खींचा, वह कक्षावृत्त हुआ। इसके ऊर्ध्वाधरव्यास पर मंद अत्यफल की ज्या के तुल्य काटकर उस केंद्र से एक त्रिज्या व्यास से वृत्त खींचा वह मंदप्रतिवृत्त होगा। मध्यम ग्रह को मंदप्रतिवृत्त में चलता कल्पित किया। यदि कक्षा वृत्त में भी मंदकेंद्र के तुल्य चाप काटें तो वहाँ कक्षावृत्त का मध्यम ग्रह होगा। भूकेंद्र से प्रतिवृत्त स्थित ग्रह तक खींची गई रेखा कक्षावृत्त में जहॉ लगे वह मंदस्पष्ट ग्रह होगा। कक्षावृत्त के मध्यम और मंदस्पष्ट ग्रह का अंतर मंदफल होगा। नीचोच्च भंगि के लिये कक्षावृत्त पर स्थित मध्यम ग्रह से मंदांत्यफलज्या तुल्य व्यासार्ध से एक वृत्त खींच लेते हैं, जिसे मंदपरिधि वृत्त कहते हैं। कक्षावृत्त के केंद्र से मध्यम ग्रह से जाती हुई रेखा जहाँ मंदपरिधिवृत्त में लगे उसे मंदोच्च मानकर, मंद परिधि में विपरीत दिशा में, केंद्र के तुल्य अंशों पर ग्रह की कल्पना की जाती है। ग्रह से भूकेंद्र को मिलानेवाली रेखा (मंदकर्ण) जिस स्थान पर कक्षावृत्त को काटे वहाँ मंदस्पष्ट ग्रह होगा। इस प्रकार मंदस्पष्ट किए गए सूर्य और चंद्र हमें उन स्थानों पर दिखलाई देते हैं, क्योंकि उनका भ्रमण हमें पृथ्वीकेंद्र के सापेक्ष दिखलाई पड़ता है। शेष ग्रहों के लिये भी मंदफल निकालने की वैसी ही कल्पना है। उनका मंदोच्च स्पष्ट ग्रह से विलोमरीति द्वारा मंदस्पष्ट का ज्ञान करके ज्ञात करते हैं। ये मंदस्पष्ट ग्रह दृश्य नहीं होते, क्योंकि पृथ्वी उनके भ्रमण का केंद्र नहीं है। ऊपर के विवेचन से स्पष्ट है कि मंदस्पष्ट ग्रह अपनी कक्षा में घूमते ग्रह का भोग (longitude) होता है। अतएव भूदृश्य बनाने के लिये पाँच ग्रहों के लिये शीघ्र फल की कल्पना की गई है।
स्पष्ट ग्रह
मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, तथा शनि को स्पष्ट करने के लिये शीघ्रफल की कल्पना है। इसके लिये भी मंद प्रतिवृत्त तथा मंदनीचोच्च जैसी भंगियों की कल्पना की जाती है, जिसके लिये मंद के स्थान पर शीघ्र शब्द रख दिया जाता है। अंतर्ग्रहों के लिये वास्तविक मध्यमग्रहों को ही शीघ्रोच्च कहते हैं। उनके माध्य अधिकतम रविग्रहांतर कोण (maxium elongation) को परमशीघ्रफल, परमशीघ्रफल की ज्या को शीघ्रांत्य फलज्या कहते हैं। ग्रह (मध्यमरवि) और शीघ्रोच्च का अंतर शीघ्रकेंद्र होता है। इसमें मंदफल के लिये बनाई गई भंगियों की तरह भंगियाँ बनाकर शीघ्रफल निकाला जाता है। इस प्रकार के संस्कार से ग्रह का इष्ट रविग्रहांतर कोण करके ग्रह की स्थिति ज्ञात हो जाती है। बहिर्ग्रहों के लिये रविकेंद्रिक परमलंबन की परमशीघ्रफल तथा रवि को शीघ्रोच्च मानकर शीघ्रफल ज्ञात किया जाता है। शीघ्रफल के संस्कार की विधि आचार्यों ने इस प्रकार निर्द्धारित की है कि उपलब्ध ग्रह का भोग यथार्थ आ सके।
ग्रहों की कक्षाएँ
ग्रहों की कक्षाएँ चंद्र, बुध, शुक्र, रवि, भौम, गुरु, शनि के क्रम से उत्तरोत्तर पृथ्वी से दूर हैं। इनका केंद्र पृथ्वी माना गया है1 यद्यपि ग्रहों के साधन के लिये प्रत्येक कक्षा का अर्धव्यास त्रिज्यातुल्य कल्पित किया है, तथापि उनकी अंत्यफलज्या भिन्न होने के कारण उनकी दूरी विभिन्न प्रकार की आती है। शीघ्रांत्यफलज्याओं और त्रिज्याओं की ग्रहकक्षाव्यासार्धं और रविकक्षाव्यासार्ध से तुलना करने पर बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति तथा शनि की कक्षाओं के व्यासार्ध पृथ्वी से रवि की दूरी के सापेक्ष .3694, .7278, 1.5139, 5.1429 तथा 9.2308 आते हैं। आधुनिक सूक्ष्म मान .3871, .7233, 1.5237, 5.2028 तथा 9.5288 हैं। ग्रहकक्षा और क्रांतिवृत्त के संपात को पात कहते हैं। ग्रह के भ्रमणमार्ग को विमंडल कहते हैं। क्रांतिवृत्त तथा विमंडल के बीच के कोण को परमविक्षेप कहते हैं। इनके मान भूकेंद्रिक ज्ञात किए गए हैं। तमोग्रह राहु केतु सदा चंद्रमा के पातों पर कल्पित किए जाते हैं। पात की गति विलोम होती है।
ग्रहणाधिकारों में सूर्य तथा चंद्र के ग्रहणों का गणित है। चंद्रमा का ग्रहण भूछाया में प्रविष्ट होने से तथा सूर्यग्रहण चंद्रमा द्वारा सूर्य के ढके जाने से माना गया है। सूर्यग्रहण में लंबन के कारण भूकेंद्रीय चंद्र तथा हमें दिखाई देनेवोल चंद्र में बहुत अंतर आ जाता है। अत: इसके लिये लंबन का ज्ञान किया जाता है।
चंद्रशृंगोन्नति में चंद्रमा की कलाओं को ज्ञात किया जाता है। ग्रहच्छायाधिकार में ग्रहों के उदयास्त काल तथा इष्टकाल में वेध की विधि और पाताधिकार में सूर्य और चंद्रमा के क्रांतिसाम्य का विचार किया जाता है। भिन्न अयन तथा एक गोलार्ध में होने पर, सायन रिवचंद्र के योग 180° के समय क्रांतिसाम्य होने पर, व्यतिपात तथा एक अयन भिन्न गोलार्ध में होने पर वही योग 360° के तुल्य हो तो क्रांतिसाम्य में वैधृति होती है। ये दोनों शुभ कार्यों के लिये वर्जित हैं। ग्रहयुति में ग्रहों के अति सान्निध्य की स्थितियों का (युद्ध समागम का) गणित है। भग्रहयुति में नक्षत्रों के नियामक दिए गए हैं।
भारतीय ज्योतिष प्रणाली से बनाए तिथिपत्र को पंचांग कहते हैं। पंचांग के पाँच अंग हैं : तिथि, वार, नक्षत्र, योग तथा करण। पंचांग में इनके अतिरिक्त दैनिक, दैनिक लग्नस्पष्ट, ग्रहचार, ग्रहों के सूर्यसान्निध्य से उदय और अस्त और चंद्रोदयास्त दिए रहते हैं। इनके अतिरिक्त इनमें विविध मुहूर्त तथा धार्मिक पर्व दिए रहते हैं।
इन्हें भी देखें
राशि, नक्षत्र, दशा, ग्रह
पञ्चाङ्ग
भारतीय ज्योतिषी
फलित ज्योतिष
सिद्धान्त ज्योतिष
जन्मकुण्डली
खगोलिकी
भारतीय गणित
वेदांग ज्योतिष
बाहरी कड़ियाँ
भारतीय ज्योतिष (गूगल पुस्तक ; रचनाकार-नेमिचन्द्र शास्त्री)
भारतीय ज्योतिष का उद्भव व इतिहास
GLOSSARY OF TECHNICAL TERMS ININDIAN ASTRONOMY
वैदिक ज्योतिष (विहंगावलोकन)
भारत मे खगोलनिरीक्षण - कुछ पदचिन्ह
Srisivanadi.com
Naveen's InfoSite: Vedic Hindu Astrology
THE STORY OF ASTRONOMY IN INDIA
भारतीय ज्योतिष
भारतीय खगोलिकी
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इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 64वें लीग मुकाबले में मंगलवार को वीरेंद्र सहवाग की कप्तानी वाली दिल्ली डेयरडेविल्स टीम अपने घरेलू फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ जीत के इरादे से उतरेगी.
इस जीत के साथ सहवाग की टीम प्ले ऑफ में स्थान सुरक्षित करना चाहेगी. मौजूदा संस्करण में अब तक किसी भी टीम का प्ले ऑफ में स्थान सुरक्षित नहीं है. डेक्कन चार्जर्स और पुणे वॉरियर्स टीम को छोड़कर बाकी सात टीमों के लिए लीग स्तर पर बचे बाकी के मुकाबले बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक हार किसी भी टीम के प्ले ऑफ में पहुंचने के सपने को चकनाचूर कर सकती है.
डेक्कन चार्जर्स और पुणे वॉरियर्स पहले ही प्लेऑफ की दौड़ से बाहर चुकी हैं. ऐसे में अब सभी मुकाबले रोमांचक होने की उम्मीद है, क्योंकि कोई भी टीम यहां हारना नहीं चाहेगी. चार्जर्स और वॉरियर्स प्ले ऑफ की दौड़ से पहले ही बाहर हो चुकी हैं. डेयरडेविल्स इस समय बेहतर प्रदर्शन कर रही है, हालांकि पिछले मुकाबले में उसे चेन्नई सुपरकिंग्स से नौ विकेट से मात खानी पड़ी थी.
13 मैचों से डेयरडेविल्स के 18 अंक है और अंक तालिका में वह शीर्ष पर है. डेयरडेविल्स यदि इस मुकाबले को जीत लेता है तो उसका प्ले ऑफ में स्थान सुरक्षित हो जाएगा. विस्फोटक सलामी बल्लेबाज डेविड वार्नर स्वदेश लौटे केविन पीटरसन की कमी पूरी कर रहे हैं.
मौजूदा संस्करण में वार्नर ने अब तक तीन मैच खेले हैं जिनमें उन्होंने कुल 138 रन बनाए हैं जिनमें एक नाबाद शतक शामिल है. सहवाग 13 मैचों में 476 रन बना चुके हैं. ऐसे में डेयरडेविल्स की बल्लेबाजी सहवाग और वार्नर के आसपास रहेगी.
माहेला जयवर्धने का निरंतर अच्छा प्रदर्शन न करना डेयरडेविल्स टीम प्रबंधन के लिए चिंता का विषय है. सुपरकिंग्स के खिलाफ डेयरडेविल्स की बल्लेबाजी ताश के पत्तों की तरह बिखर गई थी और टीम 114 रन ही बना सकी थी. गेंदबाजी में मोर्ने मोर्केल से सहवाग को काफी उम्मीदे होंगी जिन्होंने अब तक 13 मैचों में 21 विकेट चटकाए हैं.
दूसरी ओर, अपने पिछले मुकाबले में चार्जर्स के खिलाफ अंतिम गेंद पर जीत दर्ज करने वाली किंग्स इलेवन के हौंसले इस समय बुलंद हैं और यह टीम जीत की लय को बरकरार रखना चाहती है. किंग्स इलेवन ने अब तक 13 मैचों से 14 अंक बटोरकर तालिका में सातवां स्थान बरकरार रखने के साथ-साथ प्ले ऑफ में पहुंचने की अपनी उम्मीदे भी जिंदा रखी है.
चार्जर्स के खिलाफ किंग्स इलेवन की ओर से कार्यवाहक कप्तान डेविड हसी ने नाबाद 65 रन बनाए थे. किंग्स इलेवन को मनदीप सिंह और शॉन मार्श से काफी उम्मीदे होंगी. मनदीप मौजूदा सत्र में अब तक 387 रन जबकि मार्श 323 रन बना चुके हैं. अजहर महमूद के टीम में आने से किंग्स इलेवन की बल्लेबाजी और गेंदबाजी को मजबूती मिली है. गेंदबाजी में प्रवीण कुमार, अजहर, परविंदर अवाना और पीयूष चावला से उम्मीदे होंगी.
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भारतीय पर्यटकों के लिए चीन धीरे-धीरे पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभर रहा है, जो बजट टूर पैकेज तथा सस्ती खरीदारी के विकल्पों के चलते यहां आना पसंद कर रहे हैं।
एक टूर ऑपरेटर ने बताया कि वहनीय समूह टूर पैकेज का लाभ उठाते हुए पिछले साल 6 लाख से अधिक भारतीयों ने चीन की यात्रा की।टिप्पणियां
बीजिंग निंबस इंटरनेशनल सर्विस कंपनी के महाप्रबंधक याओफेंग लियांग ने कहा, किसी भी प्रमुख चीनी शहर का नाम लें, आप पाएंगे कि भारतीय पर्यटक समूह बीजिंग, शांगहाए, गुआंगजोउ, शियान सहित तमाम शहरों में आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि पर्यटकों को लुभाने का 'रहस्यपूर्ण चीन' अभियान रंग ला रहा है जबकि 'अतुल्य भारत' अभियान यहां इतना असर नहीं दिखा पाया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2012 में केवल 1.5 लाख चीनी पर्यटकर भारत गए भले ही यह संख्या पूर्व वर्ष की तुलना में 9.5 प्रतिशत अधिक हो। वहीं भारत के सेवानिवृत्त तथा धनी लोगों के लिए चीन पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभर रहा है, जो यहां के विख्यात मॉल में शापिंग करना चाहते हैं। लोग यहां से सस्ते आईपैड, टच फोन, घड़ियां तथा सर्दी के कपड़े आदि खरीदते हैं और प्रमुख पर्यटक गंतव्यों को जाते हैं।
एक टूर ऑपरेटर ने बताया कि वहनीय समूह टूर पैकेज का लाभ उठाते हुए पिछले साल 6 लाख से अधिक भारतीयों ने चीन की यात्रा की।टिप्पणियां
बीजिंग निंबस इंटरनेशनल सर्विस कंपनी के महाप्रबंधक याओफेंग लियांग ने कहा, किसी भी प्रमुख चीनी शहर का नाम लें, आप पाएंगे कि भारतीय पर्यटक समूह बीजिंग, शांगहाए, गुआंगजोउ, शियान सहित तमाम शहरों में आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि पर्यटकों को लुभाने का 'रहस्यपूर्ण चीन' अभियान रंग ला रहा है जबकि 'अतुल्य भारत' अभियान यहां इतना असर नहीं दिखा पाया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2012 में केवल 1.5 लाख चीनी पर्यटकर भारत गए भले ही यह संख्या पूर्व वर्ष की तुलना में 9.5 प्रतिशत अधिक हो। वहीं भारत के सेवानिवृत्त तथा धनी लोगों के लिए चीन पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभर रहा है, जो यहां के विख्यात मॉल में शापिंग करना चाहते हैं। लोग यहां से सस्ते आईपैड, टच फोन, घड़ियां तथा सर्दी के कपड़े आदि खरीदते हैं और प्रमुख पर्यटक गंतव्यों को जाते हैं।
बीजिंग निंबस इंटरनेशनल सर्विस कंपनी के महाप्रबंधक याओफेंग लियांग ने कहा, किसी भी प्रमुख चीनी शहर का नाम लें, आप पाएंगे कि भारतीय पर्यटक समूह बीजिंग, शांगहाए, गुआंगजोउ, शियान सहित तमाम शहरों में आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि पर्यटकों को लुभाने का 'रहस्यपूर्ण चीन' अभियान रंग ला रहा है जबकि 'अतुल्य भारत' अभियान यहां इतना असर नहीं दिखा पाया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2012 में केवल 1.5 लाख चीनी पर्यटकर भारत गए भले ही यह संख्या पूर्व वर्ष की तुलना में 9.5 प्रतिशत अधिक हो। वहीं भारत के सेवानिवृत्त तथा धनी लोगों के लिए चीन पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभर रहा है, जो यहां के विख्यात मॉल में शापिंग करना चाहते हैं। लोग यहां से सस्ते आईपैड, टच फोन, घड़ियां तथा सर्दी के कपड़े आदि खरीदते हैं और प्रमुख पर्यटक गंतव्यों को जाते हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2012 में केवल 1.5 लाख चीनी पर्यटकर भारत गए भले ही यह संख्या पूर्व वर्ष की तुलना में 9.5 प्रतिशत अधिक हो। वहीं भारत के सेवानिवृत्त तथा धनी लोगों के लिए चीन पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभर रहा है, जो यहां के विख्यात मॉल में शापिंग करना चाहते हैं। लोग यहां से सस्ते आईपैड, टच फोन, घड़ियां तथा सर्दी के कपड़े आदि खरीदते हैं और प्रमुख पर्यटक गंतव्यों को जाते हैं।
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विश्व
कबड्डी
का सरताज
भारत
एशियाई खेलों में अपनी बादशाहत को बरकरार नहीं रख सका. भारत की पुरुष टीम को सेमीफाइनल में उसके सबसे कड़े प्रतिद्वंद्वी
ईरान
ने एकतरफा मुकाबले में 27-18 से हराकर कांस्य पदक तक ही रोक दिया. एशियाई खेलों में अब तक अजेय रहा भारत पहली बार स्वर्ण पदक पर कब्जा करने से चूक गया. इसके साथ ही ईरान ने पिछली हार का बदला भी ले लिया.
कबड्डी में भारत को नहीं मिला गोल्ड, कांस्य से किया संतोष
भारत ने
कबड्डी
में पहली बार 1990 में कदम रखा था और तब से वह लगातार सोने का तमगा लेकर आ रहा था, लेकिन इस बार उसके इस विजयी क्रम को ईरान ने रोक दिया. पहले हाफ में भारत ने सकारात्मक शुरुआत की और 6-1 से बढ़त बना ली. इसके बाद ईरान ने शानदार डिफेंस का प्रदर्शन करते हुए दमदार सुपर टैकल किए. इसका नतीजा यह रहा कि पहला हाफ 9-9 की बराबरी पर खत्म हुआ.
गोल्ड मेडल के लिए ईरान और कोरिया के बीच भिड़ंत
भारत ने दूसरे हाफ में 14-11 से शुरुआती बढ़त बना ली, लेकिन एक बार फिर ईरान के डिफेंस ने दुनिया के सबसे बेहतरीन अटैक की तोड़ते हुए मैच को 26-14 से अपने नाम किया. फाइनल में
ईरान
का मुकाबला दक्षिण कोरिया से होगा. कोरिया ने एक अन्य सेमीफाइनल में पाकिस्तान को मात दी थी.
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बेंगलुरु की एक निचली अदालत ने मेहदी मसरूर बिस्वास को पांच दिनों की पुलिस हिरासत दी है, हालांकि पुलिस दस दिनों के हिरासत की मांग कर रही थी।
मेहदी मसरूर जिन लोगों के साथ संपर्क में था, उनकी तलाश में क्राइम ब्रांच की एक टीम मैसूर भेजी गई है, क्योंकि मेहदी मसरूर लगातार वहां से संपर्क में था और हाल में वहां गया भी था।
क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त हेमंत निम्बालकर के मुताबिक, उसके सभी संपर्कों की हम बारीकी से जांच रहे हैं ताकि ये पता लगाया जा सके की इस अकाउंट की आड़ में कही आईएसआईएस का कोई स्लीपर सेल सक्रिय तो नहीं था या फिर इसकी बुनियाद तो नहीं डाली जा रही थी।
अब तक की जांच से मसरूर के बारे सिर्फ इतना ही पता चला है कि वह आईएसआईएस से प्रभावित था और उसके लिए ट्वीटर के जरिये प्रोपेगंडा किया करता था और आईएसआईएस के अरबी के ट्वीट्स को अंग्रेजी में अनुवाद कर री-ट्वीट कर मसरूर आईएसआईएस के पढ़े-लिखे लड़ाकों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया था।
उसकी गिरफ्तारी से आईएसआईएस के समर्थक हताशा में बेंगलुरु पुलिस को लगातार धमकियां दे रहे हैं। पुलिस को धमकी भरे कई ट्वीट्स मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है ताकि ये कहां से भेजे जा रहे हैं, उनका पता लगाया जा सके।
फिलहाल खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ बेंगलुरु पुलिस लगातार मेहदी मसरूर से पूछताछ कर रही है, लेकिन उसका ठिकाना भी तेजी से बदला जाता रहा है। पुलिस मेहदी मसरूर के कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी की जानकारी से अचम्भे में है।
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अपनी फिगर को लेकर आशंकित रहीं 24 वर्षीया कंगना रानौत ने आखिरकार हिम्मत दिखाई ही दी. डेविड धवन की आने वाली फिल्म रास्कल्स में वे बिकनी पहने हुए नजर आएंगी.
यास्मिन-नताशा का 'लेस्बियन' फोटोशूट |
'कामसूत्र' में क्या है...
यह पहला मौका है, जब वे स्क्रीन पर बिकनी में दिखेंगी. बेशक शुरू में कुछ ना-नुकूर करने वाली कंगना बाद में तैयार हो ही गईं. अपने वजन के चलते उन्हें बिकनी पहनने पर आपत्ति थी, लेकिन डायरेक्टर धवन के मनाने पर वे तैयार हो गईं.
स्विमसूट परियों का तहलका ।
हसीनाओं का जलवा
बताया जाता है कि बिकनी में आकर्षक लगने के लिए उन्होंने अच्छा-खासा वर्कआउट किया. हफ्ते भर पहले से मीठा और तला खाना बंद कर दिया. ये सारी मशक्कत बेहतरीन कर्व्ज के लिए की गई. इस कॉमेडी फिल्म में अजय देवगन और संजय दत्त उनका दिल जीतने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते नजर आएंगे.
सोफिया हयात का हॉट फोटोशूट |
बैकलेस हुईं सोफिया
लेकिन देखना यह है कि कंगना की कवायद कितना रंग लाती है. इन दिनों मीडिया में कभी अध्ययन सुमन के बयान तो कभी पेरिस हिल्टन से पहचान को लेकर नकारात्मक प्रचार पा रही कंगना के लिए जरूरी है कि वे तनु वेड्स मनु और डबल धमाल की सफलता दोहराकर अपने आलोचकों को कुछ तो खामोश कर सकें.
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जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा (Pulwama Terror) में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान और बिहार के भागलपुर के 'रत्न' रतन कुमार ठाकुर (Ratan Kumar Thakur) भी शहीद हो गए हैं. ठाकुर (Ratan Kumar Thakur) की गर्भवती पत्नी राजनंदिनी देवी को इस बात का मलाल है कि वह उनसे जी भरकर बात भी नहीं कर सकी थीं और वह पूरे परिवार को छोड़कर चले गए. रतन के शहीद होने की खबर के बाद भागलपुर (Bhagalpur) शहर के लोदीपुर मुहल्ला स्थित उनके आवास पर लोगों का तांता लगा हुआ है. लोग भले ही परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं, परंतु लोगों की आंखें भी नम हैं.
Budgam: Union Ministers Rajnath Singh and J&K DGP Dilbagh Singh lend a shoulder to mortal remains of a CRPF soldier. #PulwamaAttackpic.twitter.com/hF5CmYb1yR
भागलपुर के कहलगांव के रतनपुर गांव के रहने वाले रतन का पूरा परिवार इन दिनों भागलपुर शहर के लोदीपुर मोहल्ले में किराए के मकान में रहता है. घर पर जवान की पत्नी राजनंदिनी देवी और चार साल का बेटा कृष्णा है. छह माह की गर्भवती राजनंदिनी बताती हैं, 'जब वह बस से श्रीनगर जा रहे थे, उन्होंने फोनकर बात की थी. परंतु रास्ते में नेटवर्क के कारण पूरी बात नहीं हो पा रही थी. तब उन्होंने कहा था कि श्रीनगर पहुंचकर बात करूंगा. इसके बाद तो उनका फोन नहीं आया, परंतु पिताजी के फोन पर एक मनहूस खबर आ गई.'
#WATCH Union Home Minister Rajnath Singh, J&K Governor Satya Pal Malik and Army's Northern Command chief Lt Gen Ranbir Singh in Budgam, pay tribute to CRPF personnel who lost their lives in #PulwamaAttackpic.twitter.com/woCNZNGvzS
इस खबर को सुनने के बाद पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है. रोती-बिलखती राजनंदिनी को मलाल रह गया कि वह आने वाले बच्चे का मुंह भी नहीं देख सके. वह कहती हैं कि 'आखिर हमलोगों से क्या गलती हो गई, जो भगवान ने हमें यह दिन दिखाया.' अपने अनमोल रतन को खोने का दर्द शहीद के पिता निरंजन कुमार ठाकुर के चेहरे पर साफ दिख रहा है. पुत्र के शहीद होने की खबर बाद निरंजन के भीतर अपनी पत्नी के जाने का गम भी जिंदा हो उठा.
वह कहते हैं, 'रतन ने अपनी बीमार मां को बचाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया था, परंतु हमलोग उसे बचा नहीं सके थे.' वह कहते हैं, "अपनी मां के जाने के बाद रतन ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी. परंतु इस हादसे ने रतन को भी हमसे छीन लिया.' निरंजन एक तस्वीर हाथों में लिए बेचैनी में अपने घर में चहलकदमी कर रहे हैं. उन्हें नहीं पता कि आने वालों से क्या बात करें?
अचानक फोटो दिखाते हुए कह उठते हैं, 'रतन पिछले वर्ष यानी 2018 में जब घर आया था, तब परिवार के साथ फोटो बनवाया था. पूरे घर को खूबसूरती से सजाया था. अब इस घर को कौन सहेजेगा, कौन संवारेगा?' रतन के भाई मिलन को भी अपने भाई के खोने का गम है. वह कहते हैं कि प्रारंभ से ही रतन में देश के प्रति कुछ करने की तमन्ना थी. रतन को समय का पाबंद बताते हुए मिलन ने कहा कि वह सारे काम समय से निपटाते थे.
शहीद के पिता ने बताया कि वे लोग अपने गांव से बच्चों को पढ़ाने के लिए मार्च 2018 में भागलपुर आ गए थे. उन्होंने बताया कि "रतन के अलावा एक और बेटा मिलन ठाकुर है, जो बीए में पढ़ता है. दो बेटियां हैं. रतन की पत्नी, बच्चे सबलोग एक साथ रहते हैं.' जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में बिहार के रतन के अलावा पटना के मसौढ़ी के तारेगना गांव निवासी संजय कुमार सिन्हा ने भी अपनी शहादत दी है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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विकेटकीपर बल्लेबाज अरुण कार्तिक ने आखिरी गेंद पर छक्का जड़कर बुधवार को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर को रोमांच की पराकाष्ठा तक पहुंचे चैंपियन्स लीग मैच में साउथ ऑस्ट्रेलिया रेडबैक्स पर दो विकेट की जीत दिलाई। इससे बेंगलूर इस ट्वेंटी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में जगह बनाने में सफल रहा। मैच में डेनियल हैरिस ने शतक जड़ा जबकि शान टैट ने पांच विकेट लिए। तिलकरत्ने, दिलशान और विराट कोहली ने भी तूफानी अर्धशतकीय पारियां खेली लेकिन वह कार्तिक थे जो दर्शकों का दिल लूट ले गए। बेंगलूर की टीम को अंतिम गेंद पर जीत के लिये छह रन की दरकार थी और कार्तिक ने डेनियल क्रिस्टियन की गेंद मिडविकेट पर छह रन के लिये भेजकर वषरें पहले शारजाह में लगाये गये जावेद मियादाद के छक्के की याद ताजा कर दी। साउथ आस्ट्रेलिया ने हैरिस के नाबाद 108 रन और कैलम फगरुसन के 70 रन की मदद से दो विकेट पर 214 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया लेकिन दिलशान ने 47 गेंद पर नौ चौकों और दो छक्कों की मदद से 74 रन और कोहली ने 36 गेंद पर चार चौके और छह छक्के जड़कर 70 बनाये जिससे बेंगलूर ने आठ विकेट पर 215 रन बनाकर रोमांचक जीत दर्ज की। इस टूर्नामेंट में पहली बार किसी टीम ने 200 से अधिक रन का लक्ष्य हासिल किया। बेंगलूर ग्रुप बी में दूसरे स्थान पर रहा और वह अब सेमीफाइनल में एक अन्य आस्ट्रेलियाई टीम न्यू साउथ वेल्स से भिड़ेगा । मुंबई इंडियन्स और समरसेट अन्य सेमीफाइनल में आमने सामने होंगे।
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हरियाणा के पंचकूला जिले में पंचकूला और कालका दो विधानसभा सीटें आती हैं. पंचकूला विधानसभा सीट एक बार फिर कमल खिला है, यहां से ज्ञान चंद गुप्ता ने कांग्रेस के चंदर मोहन को 5633 वोटों से हराया. वहीं कालका विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रदीप चौधरी ने बीजेपी के लतिका शर्मा को 5931 वोटों से हराया.
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पिछले विधानसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा था. लेकिन इस बार एक सीट कालका सीट कांग्रेस ने बीजेपी से छीन ली.
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पंचकुला जिला का इतिहास
पंचकूला जिले की सीमाएं चंडीगढ़, मोहाली से जुड़ती हैं. पंचकूला जिले की स्थापना 15 अगस्त 1995 को की गई थी. चंडीगढ़ की तरह पंचकूला को भी काफी सुनियोजित तरीके से बसाया गया है. यहां पर मौरनी की पहाड़ियां पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थलों में से एक हैं. यहां की सुखना झील और टिकरताल झील पयर्टकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.
पंचकुला का नाम पांच नहरों के नाम
पर रखा गया है.
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पंचकुला विधानसभा सीट
हरियाणा के 90 विधानसभा सीटों में पंचकूला विधानसभा क्षेत्र भी आता है. अंबाला लोकसभा चुनाव क्षेत्र में आने वाले पंचकूला विधानसभा क्षेत्र का पहला चुनाव 2009 में हुआ था, तब कांग्रेस के देवेंदर कुमार बंसल यहां से विधायक चुने गए थे, लेकिन 2014 के चुनाव में यहां से
बीजेपी के ज्ञान चंद गुप्ता विधायक
बनने में सफल रहे थे.
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पंचकूला विधानसभा सीट पर 2014 में कुल 195971 मतदाता था, जिनमें से 104110 पुरुष और 91864 महिला मतदाता हैं. 2014 में यहां कुल 65.72 वोटिंग हुई थी. इस सीट पर 2014 में कुल 11 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाया था. बीजेपी के जियान चंद गुप्ता ने 69916 वोट पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी इनेलो के कुल भूषन गोयल को 44602 मतों से हराया था. गोयल को महज 25314 मिले थे. कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र कुमार बंसल को 15561 वोट मिले थे.
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कालका विधानसभा सीट
कालका विधानसभा सीट पंचकूला जिले में आती है. इस सीट पर पहली बार 1967 विधानसभा चुनाव हुए और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर एल सिंह विधायक बने. कांग्रेस का इस इलाके में लंबे समय तक दबदबा रहा है,
कालका विधानसभा सीट पर 2014 के चुनाव में कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे. इस सीट पर कुल 157064 मतदाता हैं, जिनमें से 83776 पुरुष औैर 73288 महिला मतदाता है. 2014 में 79.31 लोगों ने वोट किया है. बीजेपी की लतिका शर्मा ने 50348 वोट पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी इनेलो के प्रदीप चौधरी को 19027 वोटों से हराया था. इनेलो के प्रदीप चौधरी को 31320 और कांग्रेस की मनवीर कौर को 19139 वोट मिले थे.
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1993 में, कई आयरिश अखबारों में एक विज्ञापन छपा जिसमें एक नए आयरिश "बॉय बैंड" समूह के गठन के लिए ऑडिशन की मांग की गई। विज्ञापन नाट्य प्रबंधक वॉल्श द्वारा भेजे गए थे जो अपनी सफलता के बाद "आयरिश टेक दैट" बनाना चाह रहे थे। ऑडिशन नवंबर 1993 में डबलिन के द ऑरमंड सेंटर में आयोजित किए गए थे। 300 से अधिक लोगों ने विज्ञापन का जवाब दिया। ऑडिशन में आवेदकों को जॉर्ज माइकल का गाना "केयरलेस व्हिस्पर" गाने के लिए कहा गया। आवेदक के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए प्रत्येक ऑडिशन को टेप किया जाएगा और फिर से देखा जाएगा। 300 में से 50 को दूसरे ऑडिशन के लिए चुना गया। दूसरे ऑडिशन के लिए आवेदकों को दो गाने गाने के लिए कहा गया, जिसमें एक बैकिंग टेप के साथ उनकी अपनी पसंद का गाना भी शामिल था। मिकी ग्राहम ने मीट लोफ का "टू आउट ऑफ थ्री इज़ नॉट बैड" गाया, कीथ डफी ने राइट सेड फ्रेड का "आई एम टू सेक्सी" गाया, रोनन कीटिंग ने कैट स्टीवंस का "फादर एंड सन" गाया (जिसका एक कवर संस्करण) बैंड बाद में रिलीज़ होगा), और स्टीफ़न गेटली ने लियोनेल रिची का "हैलो" गाया। इन 50 में से 10 को तीसरे ऑडिशन के लिए चुना गया। अंत में, कीटिंग, गेटली, डफी, रिचर्ड रॉक (डिकी रॉक के बेटे), शेन लिंच और मार्क वाल्टन को चुना गया।
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कांग्रेस
राहुल गांधी
का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तुलना अरब देशों के इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से करना
बीजेपी
को रास नहीं आया और उसने पलटवार करते हुए कहा कि अपने इस बयान पर उन्हें वहीं से माफी मांगनी होगी, उन्होंने भारत को बदनाम करने की सुपारी ले रखी है.
बीजेपी के प्रवक्ता
संबित पात्रा
ने कहा, 'बीजेपी जो आज प्रेस कांफ्रेंस कर रही है, बेहद कष्ट और तकलीफ के साथ कर रही है. ऐसा इसलिए कि जिस तरह से सोच का प्रयोग राहुल गांधी कर रहे हैं. वह हमारे देश के नेता हैं और
कांग्रेस
के अध्यक्ष हैं, आप हमारे देश के नेता हैं लेकिन देश के बाहर जाकर जो निराशा दिखाते हैं वो बेहद दुख का विषय और चिंता का विषय है.'
'हिंदुस्तान की सुपारी'
उन्होंने आगे कहा, 'क्या आपने
हिंदुस्तान
की सुपारी ली हुई है. यह सवाल हम आपसे पूछ रहे हैं कि विदेशी भूमि पर जाकर अपने देश को अपमानित और बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, आखिर आपने किसकी सुपारी ले रखी है. आज आपने जो कहा कि उसे क्षमा नहीं किया जा सकता. आपने बीजेपी सरकार की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से कर डाली.'
बीजेपी के मुख्यालय में पीसी में राहुल गांधी पर बरसते हुए संबित पात्रा ने कहा, 'वर्तमान सरकार की सोच को आतंकी सोच कहना क्या उचित है, क्या हिंदुस्तान पर राज किसी आतंकवादी संगठन का है, देश की 125 करोड़ जनता ने 2014 में जिस लोकतांत्रिक प्रक्रिया लेकर चुना था क्या यह सरकार या लोगों की सोच आतंकी संगठन के प्रति थी. मुस्लिम ब्रदरहुड एक इस्लामिक आतंकी संगठन है और कई देशों ने इसे प्रतिबंधित कर रखा है और आप आरएसएस और बीजेपी से इसकी तुलना कर रहे हैं.'
'आपमें नेतृत्व की क्षमता नहीं'
संबित ने कहा कि आप मैच्योर नहीं हैं, आपको देश के बारे में कोई जानकारी नहीं है. आपको कई विषयों की जानकारी नहीं है. आपमें नेतृत्व की कोई काबिलियत नहीं है. आपमें एकमात्र गुण है और वो यह है कि मोदी के प्रति घृणा का है. आप मोदी, बीजेपी और आरएसएस के प्रति घृणा करते हैं. आप अपने भाषण को फिर से सुनिए और जानिए कि आपने क्या कहा है.
इससे पहले लंदन स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज में लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने आज कहा था, 'आरएसएस की सोच अरब देशों के मुस्लिम संगठन ब्रदरहुड जैसी है. आरएसएस भारत की प्रकृति को बदलने की कोशिश कर रहा है. अन्य पार्टियों ने भारत की संस्थाओं पर कब्जा करने के लिए कभी हमला नहीं किया, लेकिन आरएसएस कर रहा है.'
वहीं बुधवार को जर्मनी के हैम्बर्ग में राहुल गांधी ने कहा था कि 21वीं सदी में अगर आप किसी को जगह नहीं देंगे. अगर आप किसी को कोई विजन नहीं देंगे, तो किसी अन्य जगह से उसे विजन मिलेगा. ये बात कहते हुए उन्होंने इस्लामिक स्टेट (IS) का उदाहरण दिया था. उन्होंने कहा था कि जब अमेरिका के एक कानून ने इराक के एक समुदाय को सरकारी नौकरियों से बेदखल रखा, तो उन्होंने एक आतंकी ग्रुप (IS) बना लिया. इस तरह की नीतियों से ही इराक और सीरिया में आज बुरा हाल है.
'छुट्टी मनाने लंदन गए'
राहुल के पिछले भाषण पर बोलते हुए संबित पात्रा ने कहा कि कल आप ISIS में बेरोजगारों के जाने की बात कर रहे थे और आज आप मुस्लिम ब्रदरहुड से तुलना कर रहे हैं. यह आपकी हताशा दर्शाती है. 2014 के चुनाव के ठीक पहले आपकी पार्टी के गृह मंत्री ने सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और आपकी मौजूदगी में बीजेपी को आतंकी ट्रेनिंग देने वाला कहा था जो तब पाकिस्तान में हेडलाइन बनी. आज फिर उसी तरह की बात कर रहे है फिर यह पाकिस्तान की हेडलाइन बनेगा.
उन्होंने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि आप हिंदुओं से घृणा क्यों करते हैं. चंद दिनों पहले आपने कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी कहा था. आज आपने कहा कि बीजेपी मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी है. राहुल जी आरएसएस के लोग केरल में सहायता बांट रहे हैं. उनकी मदद कर रहे हैं. अटलजी भी आरएसएस के विचार से आते है. नेहरूजी ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस पर बुलाया था. आप वहीं से क्षमा मांगिए. हम जानते हैं कि आप छुट्टी मनाने गए हैं. हम जानते हैं कि आप जल्द वापस आने वाले नहीं हैं. वहीं से माफी मांगिए.
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बिहार की हार के बाद बीजेपी में आंतरिक बयानबाजी का दौर जारी है. लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत पार्टी के चार वरिष्ठ नेताओं द्वारा साझा बयान जारी कर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधने के मामले पर अब केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि अच्छा होता अगर पार्टी फोरम पर बात रखी गई होती.
Would have been better if these issues were raised in party forum rather than public,but we take it seriously-Venkaiah Naidu on BJP veterans
— ANI (@ANI_news)
November 13, 2015
Shri Advani ji has immensely contributed to the growth and expansion of the party-Venkaiah Naidu
— ANI (@ANI_news)
November 13, 2015
वेंकैया नायडू ने कहा, 'अच्छा होता अगर बात सार्वजनिक तौर पर नहीं रखकर पार्टी फोरम पर रखी गई होती, हालांकि हम बयानों को गंभीरता से ले रहे हैं'
नायडू ने कहा कि पार्टी के विकास और विस्तार में आडवाणी का योदगान बहुत अहम रहा है.
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनावों में मिला करारी हार के बाद बीजेपी में मोदी-शाह गुट निशाने पर है. तमाम पार्टी नेताओं की ओर से हमले हो रहे हैं. इसी कड़ी में चार वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और यशवंत सिन्हा की ओर से साझा बयान जारी कर कहा गया कि नेतृत्व को इस हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. सामूहिक जिम्मेदारी का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इससे किसी के ऊपर जिम्मेदारी नहीं जाती है.
हालांकि पार्टी ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि बुजुर्ग नेताओं के बयानों का पार्टी स्वागत करती है.
वेंकैया नायडू ने टीपू सुल्तान को लेकर जारी विवाद के बीच कहा कि इस मामले पर दो राय हो सकती है और उसपर चर्चा होनी चाहिए लेकिन इस मामले में सरकार को शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
Have always been two views on
#TipuSultan
, let peaceful debate happen,why should Govt get involved?-Venkaiah Naidu
pic.twitter.com/kh2HCBEvuU
— ANI (@ANI_news)
November 13, 2015
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि आखिर झारखंड के गठन का विरोध करने वाले दलों के साथ ही मिलकर उन्होंने राज्य में गठबंधन सरकार का गठन क्यों किया।
शाह ने धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सवाल किया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने झारखंड राज्य के गठन का विरोध करने वाले दलों के साथ ही गठबंधन करके राज्य में अपनी सरकार का गठन क्यों किया।
उन्होंने झारखंड सरकार में शामिल लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए सोरेन पर सवालिया निशाना लगाया और पूछा कि जब उनके पिता झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन झारखंड राज्य के गठन को लेकर संघर्ष कर रहे थे तो राजद और कांग्रेस का क्या रुख था?
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में झारखंड को गुजरात और महाराष्ट्र से भी आगे ले जाने का माद्दा है, लिहाजा राज्य की जनता को इस बार पूर्ण बहुमत के साथ राज्य की बागडोर भाजपा के हाथों में सौंपनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सौ दिनों के शासन में ही देश के विकास के लिए जो तमाम कदम उठाए हैं उनसे साबित होता है कि यह सरकार देश को दुनिया में सबसे आगे ले जाने के लिए संकल्पबद्ध है।
उन्होंने कहा कि हुर्रियत के अलगाववादी नेताओं से बातचीत कर रहे पाकिस्तान से द्विपक्षीय बातचीत रद्द कर मोदी सरकार ने दुनिया को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि विदेश नीति के मामले में यह सरकार दुनिया में किसी के सामने झुकने वाली नहीं है।
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भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए मंगलवार का दिन निराशाजनक रहा, जब चारों खिलाड़ी जापान ओपन सुपर सीरीज के मुख्य ड्रॉ में जगह बनाने में विफल रहे। आरएवी गुरु साइदत्त, आनंद पवार, अरुणधति पंटावने और पीसी तुलसी सभी को क्वालीफाइंग मुकाबले में शिकस्त का सामना करना पड़ा। गुरु साइदत्त को पुरुष एकल के पहले दौर में ही केइगो सोनोदा ने 15- 21, 21-14, 21-16 से हराया। दूसरी तरफ, पवार ने पहले दौर में जापान के केन्तो मोमोटा को 21-16, 21-17 से हराया, लेकिन दूसेर दौर में वह चीनी ताइपे के टिएन चेन चाउ से 18-21, 21-19, 21-23 से हार गए। महिला एकल में अरुणधति को दूसरे दौर में हांगकांग की यिंग सुएत सी ने 21-12, 21-15 से हराया। उन्होंने पहले दौर में हमवतन तुलसी को 15-21, 22-20, 22-20 से हराया था। बुधवार को शुरू होने वाले मुख्य ड्रॉ में महिला एकल में भारतीय चुनौती की अगुवाई साइना नेहवाल करेंगी, जिन्हें पहले दौर में थाईलैंड की इनथानोन रत्चानोक का सामना करना है।
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ऐप्पल के बहुप्रतीक्षित फोन आईफोन 6 की तस्वीरें लीक हो गईं हैं. एक वेबसाइट ने इसका खुलासा किया है. ये तस्वीरें ट्विटर के जरिये आई हैं. उसके यूजर सोनी डिकसन और मॉर्नरे 886 ने ये तस्वीरें ऑनलाइन जारी की हैं. डिकसन ने पहले भी ऐप्पल के कई गैजेटों के डिटेल लीक किए थे जिनमें आईपैड मिनी और आईपैड एयर भी हैं.
ट्विटर पर आई दोनों इमेज एक जैसी हैं और ऐसा लगता है कि वह आईफोन 6 का ही डिजाइन है. इस फोन को इस साल सितंबर में बाज़ार में पेश किया जाना है. लेकिन इस लीक के बाद लगता है कि प्रतीक्षा खत्म हो गई है.
डिजाइन के मामले में आईफोन-6 अभी बाज़ार में उपलब्ध आईपैड एयर की ही तरह है. तस्वीर में दिखाया गया आईफोन-6 आईफोन-5 से काफी पतला है. लेकिन बाकी डिजाइन उससे काफी मिलता-जुलता है. इसके बटन वगैरह काफी हद तक पहले जैसे ही हैं.
ऐप्पल अभी दो तरह के आईफोन पर काम कर रही है. कंपनी इस साल दो मॉडल उतारना चाह रही है. एक 4.7 इंच स्क्रीन वाला तो दूसरा 5.5 इंच वाला. यह पहला मौका होगा कि कंपनी फैबलेट क्षेत्र में प्रवेश करेगी. इस सेगमेंट में सैमसंग का पलड़ा भारी है.
आईफोन के अगले फोन में हेल्थ केयर ऐप्स, 13 मेगापिक्सल कैमरा, सोलर चार्जिंग, स्क्रैच रेसिस्टेंट सफायर स्क्रीन और बहुत तेज वाई-फाई की सुविधा होगी.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: फिल्म 'बेगम जान' की कहानी है हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे के समय की, जहां बॉर्डर के बीचोंबीच एक कोठा आ जाता है और उस कोठे को तोड़ने के आदेश आते हैं. इस कोठे की मालकिन हैं, बेगम जान जो इसे खाली करना नहीं चाहतीं क्योंकि इस 'बेगम जान' ने कई बेसहारा और समाज से सताई हुई लड़कियों को सहारा दिया है. बेगम जान की भूमिका निभा रही हैं, विद्या बालन. इस फिल्म में विद्या के अलावा इला अरुण, गौहर खान, आशीष विद्यार्थी, रजत कपूर, विवेक मुशरान, चंकी पांडे और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकारों ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं.
श्रीजीत मुखर्जी निर्देशित फिल्म 'बेगम जान' बांग्ला फिल्म 'राज कहिनी' का रीमेक है, जिसे श्रीजीत ने ही बनाया था. 'बेगम जान' आज़ादी के समय दो देशों के बीच हुए बंटवारे के दौरान के कई दर्द में से एक दर्द को बयां करती है. यह फिल्म 'बेगम जान' नाम की एक महिला की बहादुरी की कहानी कहती है जिसे बंटवारे या आजादी से कोई फर्क नहीं पड़ता, बस वह अपना घर सही सलामत चाहती है, जहां उसने कई बेसहारा लड़कियों को सहारा देकर अपने परिवार का सदस्य बनाया है और कोठा चलाती हैं. फिल्म में कुछ अच्छे डायलॉग्स हैं. कुछ दर्द भरे गाने हैं. देश के बंटवारे के समय दो दोस्तों के अलग होने का ग़म भी है.टिप्पणियां
बेशक- 'बेगम जान' की भूमिका में विद्या बालन ने जान डाल दी है. फिल्म में कई दृश्य दिल को छूते हैं, लेकिन इस फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी है कि यह बहुत ही लाउड है. मनोरंजन कम है. ज़रूरत से ज्यादा ड्रामा क्रिएट किया गया है और ज़रूरत से ज्यादा डायलॉगबाजी है. कई सीन में ज़बरदस्ती के लड़ाई-झगड़े भी मालूम पड़ते हैं जैसे खाना खाते समय कोठे की लड़कियां आपस में लड़ रही हैं. फिल्म में होली का गाना अचानक से कैसे आ जाता है समझ नहीं आता. फिल्म की लंबाई भी मुझे ज़रूरत से कुछ ज्यादा लगी.
फिल्म 'बेगम जान' में सबसे पहले दृश्य में दर्शाया गया है कि 2016 में दिल्ली में एक बस पर कुछ मनचले गुंडे एक लड़की पर हमला करते हैं, बलात्कार की कोशिश करते हैं और एक बूढ़ी महिला अजीबोगरीब अंदाज़ से उसे बचाती है और यहां से फिल्म फ्लैशबैक में जाती है, यानी फिल्म यह भी बता रही है कि जैसे कल औरतों पर अत्याचार होते थे वैसे ही आज भी अत्याचार होते हैं. फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार, जिसमे आधा स्टार विद्या बालन के ज़बरदस्त अभिनय के लिए है.
श्रीजीत मुखर्जी निर्देशित फिल्म 'बेगम जान' बांग्ला फिल्म 'राज कहिनी' का रीमेक है, जिसे श्रीजीत ने ही बनाया था. 'बेगम जान' आज़ादी के समय दो देशों के बीच हुए बंटवारे के दौरान के कई दर्द में से एक दर्द को बयां करती है. यह फिल्म 'बेगम जान' नाम की एक महिला की बहादुरी की कहानी कहती है जिसे बंटवारे या आजादी से कोई फर्क नहीं पड़ता, बस वह अपना घर सही सलामत चाहती है, जहां उसने कई बेसहारा लड़कियों को सहारा देकर अपने परिवार का सदस्य बनाया है और कोठा चलाती हैं. फिल्म में कुछ अच्छे डायलॉग्स हैं. कुछ दर्द भरे गाने हैं. देश के बंटवारे के समय दो दोस्तों के अलग होने का ग़म भी है.टिप्पणियां
बेशक- 'बेगम जान' की भूमिका में विद्या बालन ने जान डाल दी है. फिल्म में कई दृश्य दिल को छूते हैं, लेकिन इस फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी है कि यह बहुत ही लाउड है. मनोरंजन कम है. ज़रूरत से ज्यादा ड्रामा क्रिएट किया गया है और ज़रूरत से ज्यादा डायलॉगबाजी है. कई सीन में ज़बरदस्ती के लड़ाई-झगड़े भी मालूम पड़ते हैं जैसे खाना खाते समय कोठे की लड़कियां आपस में लड़ रही हैं. फिल्म में होली का गाना अचानक से कैसे आ जाता है समझ नहीं आता. फिल्म की लंबाई भी मुझे ज़रूरत से कुछ ज्यादा लगी.
फिल्म 'बेगम जान' में सबसे पहले दृश्य में दर्शाया गया है कि 2016 में दिल्ली में एक बस पर कुछ मनचले गुंडे एक लड़की पर हमला करते हैं, बलात्कार की कोशिश करते हैं और एक बूढ़ी महिला अजीबोगरीब अंदाज़ से उसे बचाती है और यहां से फिल्म फ्लैशबैक में जाती है, यानी फिल्म यह भी बता रही है कि जैसे कल औरतों पर अत्याचार होते थे वैसे ही आज भी अत्याचार होते हैं. फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार, जिसमे आधा स्टार विद्या बालन के ज़बरदस्त अभिनय के लिए है.
बेशक- 'बेगम जान' की भूमिका में विद्या बालन ने जान डाल दी है. फिल्म में कई दृश्य दिल को छूते हैं, लेकिन इस फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी है कि यह बहुत ही लाउड है. मनोरंजन कम है. ज़रूरत से ज्यादा ड्रामा क्रिएट किया गया है और ज़रूरत से ज्यादा डायलॉगबाजी है. कई सीन में ज़बरदस्ती के लड़ाई-झगड़े भी मालूम पड़ते हैं जैसे खाना खाते समय कोठे की लड़कियां आपस में लड़ रही हैं. फिल्म में होली का गाना अचानक से कैसे आ जाता है समझ नहीं आता. फिल्म की लंबाई भी मुझे ज़रूरत से कुछ ज्यादा लगी.
फिल्म 'बेगम जान' में सबसे पहले दृश्य में दर्शाया गया है कि 2016 में दिल्ली में एक बस पर कुछ मनचले गुंडे एक लड़की पर हमला करते हैं, बलात्कार की कोशिश करते हैं और एक बूढ़ी महिला अजीबोगरीब अंदाज़ से उसे बचाती है और यहां से फिल्म फ्लैशबैक में जाती है, यानी फिल्म यह भी बता रही है कि जैसे कल औरतों पर अत्याचार होते थे वैसे ही आज भी अत्याचार होते हैं. फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार, जिसमे आधा स्टार विद्या बालन के ज़बरदस्त अभिनय के लिए है.
फिल्म 'बेगम जान' में सबसे पहले दृश्य में दर्शाया गया है कि 2016 में दिल्ली में एक बस पर कुछ मनचले गुंडे एक लड़की पर हमला करते हैं, बलात्कार की कोशिश करते हैं और एक बूढ़ी महिला अजीबोगरीब अंदाज़ से उसे बचाती है और यहां से फिल्म फ्लैशबैक में जाती है, यानी फिल्म यह भी बता रही है कि जैसे कल औरतों पर अत्याचार होते थे वैसे ही आज भी अत्याचार होते हैं. फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार, जिसमे आधा स्टार विद्या बालन के ज़बरदस्त अभिनय के लिए है.
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मोदी सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में कांग्रेस लगातार विपक्ष की एकजुटता की बात कर रही है. लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस के ही सीनियर लीडर कमलनाथ सदन में उपस्थित नहीं हैं. मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कि मेरे लिए अविश्वास प्रस्ताव प्राथमिकता नहीं है.
दरअसल, मध्य प्रदेश के नेता
कमलनाथ
से मीडिया ने पूछा कि क्या वह अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट देने संसद में जाएंगे. इस सवाल के जवाब में कमलानथ ने कहा- मैं नहीं जा रहा क्योंकि यहां हमारा पंचायती राज सम्मेलन है. मेरे लिए प्राथमिकता मध्य प्रदेश है. उन्होंने आगे कहा कि मैंने पिछले 38 साल में बहुत सारे अविश्वास प्रस्ताव देखे हैं. मुझे इसका पूरा अनुभव है.
संसद में राहुल गांधी का हमला
बता दें कि आज अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. राहुल ने राफेल से लेकर मॉब लिंचिंग तक के जरिए पीएम मोदी को निशाने पर लिया. राहुल गांधी ने 'जुमलों' का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने सिर्फ चार लाख युवाओं को नौकरी दी. ये सरकार सिर्फ झूठे वादे करती है और पूरा देश जुमला स्ट्राइक का शिकार है.
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी फ्रांस गए तो एक राफेल अचानक 1600 करोड़ रुपये का हो गया. पहले राफेल 540 करोड़ का था. पीएम मोदी के दबाव में आकर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने देश से झूठ बोला है. राफेल डील एचएएल से क्यों ली. पीएम मोदी जवाब दें.
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अभिजाततंत्र (अरिस्टॉक्रैसी) वह शासनतंत्र है जिसमें राजनीतिक सत्ता अभिजन के हाथ में हो। इस संदर्भ में "अभिजन" का अर्थ है कुलीन, विद्वान, सद्गुणी, उत्कृष्ट। पश्चिम में "अरिस्टॉक्रैसी" का अर्थ भी लगभग यही है। अफ़लातून (प्लेटो) और उसके शिष्य अरस्तू ने अपनी पुस्तकों में अरिस्टाक्रैसी को बुद्धिमान, सद्गुणी व्यक्तियों का शासनतंत्र माना है।
परिचय
अभिजाततंत्र का उल्लेख प्राय: अनेक देशों के इतिहास में मिलता है। विद्वानों का मत है कि भारत में भी प्राचीन काल में कुछ अभिजाततंत्र थे। अफ़लातून की सुविख्यात पुस्तक "रिपब्लिक" में वर्णित आदर्श नगरव्वयस्था सर्वज्ञ दार्शनिकों का अभिजाततंत्र है। इन दार्शनिकों के लिए अफ़लातून ने कौटुंबिक और संपत्ति संबंधी साम्यवाद की व्यवस्था की है।
राज्यदर्शन के इतिहास में धनिकतंत्र को भी कभी-कभी अभिजाततंत्र माना गया है। इसके दो कारण हैं। प्रथम, दोनों में शासनसत्ता एक व्यक्ति या समस्त वयस्क नागरिकों के हाथ में न होकर थोड़े से व्यक्तियों के हाथ में होती है। दूसरे, कुछ का मत है कि धनसंचय चरत्रिवान ही कर सकते हैं और इस प्रकार वह सद्गुण की अभिव्यक्ति है। अनेक आधुनिक समाजशास्त्रियों का मत है कि राजतंत्र और जनतंत्र में भी वास्तव में संप्रभुता थोड़े से व्यक्तियों के ही हाथ में होती है। राजा को शासन संचालन के लिए चतुर राजनीतिज्ञों की सहायता पर निर्भर रहना पड़ता है। जनतंत्र में भी प्राय: सामान्य जनता को राजनीति में रुचि नहीं होती, वह अनुगामी होती है। शासन की बागडोर जनतंत्र में भी चतुर राजनीतिज्ञों के ही हाथ में होती हैं और वे धनी होते हैं। वास्तविक राजनीतिक प्रक्रिया में जो संम्पन्न हैं, वही चतुर हैं, वही राजनीतिज्ञ हैं, प्रशासन और राजनीतिक दलबंदी में उन्हीं का सिक्का चलता है।
किंतु अभिजन की नियुक्ति कैसे हो? यदि जननिर्वाचन द्वारा, तो वह एक प्रकार का जनतंत्र है। यदि अन्य किसी प्रकार से, तो अभिजन शासन संकीर्ण, स्वार्थी, दुर्विनीत और धनप्रिय हो जाते हैं और अपनी क्षमता को परिवर्तित परिस्थिति के अनुरूप नहीं रख पाते।
आज जनतंत्र और अभिजाततंत्र की प्रमुख समस्या यही है कि किसी प्रकार राज्य में धन के वृद्धिशील प्रभाव का निराकरण हो और जनसाधारण बुद्धिमान् सेवापरायण व्यक्तियों को अपना शासक निर्वाचित करें।
सन्दर्भ ग्रन्थ
अरस्तू : राजनीति (भोलानाथ शर्मा द्वारा अनुवाद);
जायसवाल, के.पी. : " हिंदू पालटी";
अफलातून : आदर्श नगरव्यवस्था (भोलानाथ शर्मा द्वारा अनुवाद);
लुडोविसी, ए.एम. : दि डिफेंस ऑव अरिस्टॉक्रैसी
इन्हें भी देखें
अल्पतंत्र (Oligarchy)
अभिजाततंत्र
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राहुल गांधी की किसान यात्रा जैसे ही बुंदेलखंड पहुंची तो वहां एक आवाज आम सुनाई पड़ने लगी, वो है अलग बुंदेलखंड राज्य की. क्योंकि यहां के लोग नेताओं के तमाम वादों से उम्मीद खो चुके हैं. उन्हें लगता है कि हर नेता न सिर्फ उन्हें ठगता है बल्कि उसके यहां के संसाधन से अपनी तिजोरी भरता और उन्हें सिर्फ भुखमरी मिलती है. ऐसे में उन्हें लगता है कि अगर उनका अलग राज्य होगा तो उनका विकास होगा. झांसी में राहुल को ऐसे विरोध भी झेलने पड़े.
झांसी के सर्किट हाउस के बाहर अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग के लिये किसान यात्रा पर निकले राहुल गांधी को घेरने के लिये लोग अल सुबह ही जुट गये थे. इनका कहना था कि पिछले एक दशक से नेता सिर्फ वादा करते हैं, वो यहां की न तो समस्या से जुड़ते हैं और न ही हमें कोई राजनीतिक भागीदारी देते हैं. उल्टे हमारा खनिज भी ले जाते हैं. लिहाजा जब तक अलग बुंदेलखंड राज्य नहीं बनेगा तब तक हमारा भला नहीं होगा. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा की सदस्य हमीदा बेगम बताती हैं, 'हमारे यहां के खनिज को ले जाते हैं. हमें उसका कुछ लाभ नहीं मिलता क्योंकि हमारे यहां से कोई राजनीतिक पद नहीं मिलता. किसी आयोग में हमारे यहां के लोग नहीं होते. कभी कोई नेतृत्व नहीं पनप पाता.'
गौरतलब है कि बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं. यहां के बेतवा और केन नदी के बालू को लाल सोना कहा जाता है. जिसके खनन में आरोप है कि राज्य के मंत्रियो का कब्ज़ा है. इसी तरह अवैध पत्थर के खनन पर भी उन्हीं के कब्ज़े की बात सामने आती है. बुंदेलखंड दलहन और मटर के साथ दूसरे अनाज की बड़े पैदावार का इलाका है लेकिन यहां बिजली नहीं आती तो पानी की समस्या और हर साल मौसम की मार इस कदर पड़ती है कि हज़ारों किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गये हैं. क़र्ज़ की मार ऐसी कि सैकड़ों किसानों को अब तक लील लिया है. लिहाजा यहां सैकड़ों लोग पलायन करते नज़र आते हैं. टिप्पणियां
सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में राजनीतिक सूखा भी है, लिहाजा अलग राज्य की मांग के लिये भी एकजुटाता नहीं, बल्कि अलग अलग संगठन हैं जो किसी न किसी दल से जुड़े भी नज़र आते हैं. यानी मुद्दा तो एक है पर रास्ते अलग-अलग हैं, लिहाजा आपस में बचाव और टकराव भी है. बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के अखिलेश तिवारी जहां राहुल पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि मायावाती जी ने जब प्रस्ताव भेजा था तब क्यों नहीं बनाया, आज आप घूम रहे हैं. यहां तो कुछ नहीं दिया, तब आपकी सरकार थी. वहीं बुंदेलखंड निर्माण सेना के अध्यक्ष भानू सहाय कहते हैं, 'मैं गया था, राहुल गांधी से मिला था. उन्होंने कहा कि मायावती जी ने आधा अधूरा प्रस्ताव भेजा है. फिर समाजवादी पार्टी बिल्कुल खिलाफ है. उसके साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं. उनके 40 सांसद हैं, इसलिये दिक्कत है.'
बहरहाल, राहुल गांधी 2007 के बाद अब तक 7 दफे बुंदेलखंड आ चुके हैं. यहां दलित के घर खाना खाने के साथ उनकी समस्या सुन हल करने का वादा भी किया था. ये वादा वो अभी हाल में महोबा की पदयात्रा में भी किया था. लेकिन वो पूरा नहीं कर पाये, लिहाजा लोगों में निराशा है.
झांसी के सर्किट हाउस के बाहर अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग के लिये किसान यात्रा पर निकले राहुल गांधी को घेरने के लिये लोग अल सुबह ही जुट गये थे. इनका कहना था कि पिछले एक दशक से नेता सिर्फ वादा करते हैं, वो यहां की न तो समस्या से जुड़ते हैं और न ही हमें कोई राजनीतिक भागीदारी देते हैं. उल्टे हमारा खनिज भी ले जाते हैं. लिहाजा जब तक अलग बुंदेलखंड राज्य नहीं बनेगा तब तक हमारा भला नहीं होगा. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा की सदस्य हमीदा बेगम बताती हैं, 'हमारे यहां के खनिज को ले जाते हैं. हमें उसका कुछ लाभ नहीं मिलता क्योंकि हमारे यहां से कोई राजनीतिक पद नहीं मिलता. किसी आयोग में हमारे यहां के लोग नहीं होते. कभी कोई नेतृत्व नहीं पनप पाता.'
गौरतलब है कि बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं. यहां के बेतवा और केन नदी के बालू को लाल सोना कहा जाता है. जिसके खनन में आरोप है कि राज्य के मंत्रियो का कब्ज़ा है. इसी तरह अवैध पत्थर के खनन पर भी उन्हीं के कब्ज़े की बात सामने आती है. बुंदेलखंड दलहन और मटर के साथ दूसरे अनाज की बड़े पैदावार का इलाका है लेकिन यहां बिजली नहीं आती तो पानी की समस्या और हर साल मौसम की मार इस कदर पड़ती है कि हज़ारों किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गये हैं. क़र्ज़ की मार ऐसी कि सैकड़ों किसानों को अब तक लील लिया है. लिहाजा यहां सैकड़ों लोग पलायन करते नज़र आते हैं. टिप्पणियां
सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में राजनीतिक सूखा भी है, लिहाजा अलग राज्य की मांग के लिये भी एकजुटाता नहीं, बल्कि अलग अलग संगठन हैं जो किसी न किसी दल से जुड़े भी नज़र आते हैं. यानी मुद्दा तो एक है पर रास्ते अलग-अलग हैं, लिहाजा आपस में बचाव और टकराव भी है. बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के अखिलेश तिवारी जहां राहुल पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि मायावाती जी ने जब प्रस्ताव भेजा था तब क्यों नहीं बनाया, आज आप घूम रहे हैं. यहां तो कुछ नहीं दिया, तब आपकी सरकार थी. वहीं बुंदेलखंड निर्माण सेना के अध्यक्ष भानू सहाय कहते हैं, 'मैं गया था, राहुल गांधी से मिला था. उन्होंने कहा कि मायावती जी ने आधा अधूरा प्रस्ताव भेजा है. फिर समाजवादी पार्टी बिल्कुल खिलाफ है. उसके साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं. उनके 40 सांसद हैं, इसलिये दिक्कत है.'
बहरहाल, राहुल गांधी 2007 के बाद अब तक 7 दफे बुंदेलखंड आ चुके हैं. यहां दलित के घर खाना खाने के साथ उनकी समस्या सुन हल करने का वादा भी किया था. ये वादा वो अभी हाल में महोबा की पदयात्रा में भी किया था. लेकिन वो पूरा नहीं कर पाये, लिहाजा लोगों में निराशा है.
गौरतलब है कि बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं. यहां के बेतवा और केन नदी के बालू को लाल सोना कहा जाता है. जिसके खनन में आरोप है कि राज्य के मंत्रियो का कब्ज़ा है. इसी तरह अवैध पत्थर के खनन पर भी उन्हीं के कब्ज़े की बात सामने आती है. बुंदेलखंड दलहन और मटर के साथ दूसरे अनाज की बड़े पैदावार का इलाका है लेकिन यहां बिजली नहीं आती तो पानी की समस्या और हर साल मौसम की मार इस कदर पड़ती है कि हज़ारों किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गये हैं. क़र्ज़ की मार ऐसी कि सैकड़ों किसानों को अब तक लील लिया है. लिहाजा यहां सैकड़ों लोग पलायन करते नज़र आते हैं. टिप्पणियां
सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में राजनीतिक सूखा भी है, लिहाजा अलग राज्य की मांग के लिये भी एकजुटाता नहीं, बल्कि अलग अलग संगठन हैं जो किसी न किसी दल से जुड़े भी नज़र आते हैं. यानी मुद्दा तो एक है पर रास्ते अलग-अलग हैं, लिहाजा आपस में बचाव और टकराव भी है. बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के अखिलेश तिवारी जहां राहुल पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि मायावाती जी ने जब प्रस्ताव भेजा था तब क्यों नहीं बनाया, आज आप घूम रहे हैं. यहां तो कुछ नहीं दिया, तब आपकी सरकार थी. वहीं बुंदेलखंड निर्माण सेना के अध्यक्ष भानू सहाय कहते हैं, 'मैं गया था, राहुल गांधी से मिला था. उन्होंने कहा कि मायावती जी ने आधा अधूरा प्रस्ताव भेजा है. फिर समाजवादी पार्टी बिल्कुल खिलाफ है. उसके साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं. उनके 40 सांसद हैं, इसलिये दिक्कत है.'
बहरहाल, राहुल गांधी 2007 के बाद अब तक 7 दफे बुंदेलखंड आ चुके हैं. यहां दलित के घर खाना खाने के साथ उनकी समस्या सुन हल करने का वादा भी किया था. ये वादा वो अभी हाल में महोबा की पदयात्रा में भी किया था. लेकिन वो पूरा नहीं कर पाये, लिहाजा लोगों में निराशा है.
सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में राजनीतिक सूखा भी है, लिहाजा अलग राज्य की मांग के लिये भी एकजुटाता नहीं, बल्कि अलग अलग संगठन हैं जो किसी न किसी दल से जुड़े भी नज़र आते हैं. यानी मुद्दा तो एक है पर रास्ते अलग-अलग हैं, लिहाजा आपस में बचाव और टकराव भी है. बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के अखिलेश तिवारी जहां राहुल पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि मायावाती जी ने जब प्रस्ताव भेजा था तब क्यों नहीं बनाया, आज आप घूम रहे हैं. यहां तो कुछ नहीं दिया, तब आपकी सरकार थी. वहीं बुंदेलखंड निर्माण सेना के अध्यक्ष भानू सहाय कहते हैं, 'मैं गया था, राहुल गांधी से मिला था. उन्होंने कहा कि मायावती जी ने आधा अधूरा प्रस्ताव भेजा है. फिर समाजवादी पार्टी बिल्कुल खिलाफ है. उसके साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं. उनके 40 सांसद हैं, इसलिये दिक्कत है.'
बहरहाल, राहुल गांधी 2007 के बाद अब तक 7 दफे बुंदेलखंड आ चुके हैं. यहां दलित के घर खाना खाने के साथ उनकी समस्या सुन हल करने का वादा भी किया था. ये वादा वो अभी हाल में महोबा की पदयात्रा में भी किया था. लेकिन वो पूरा नहीं कर पाये, लिहाजा लोगों में निराशा है.
बहरहाल, राहुल गांधी 2007 के बाद अब तक 7 दफे बुंदेलखंड आ चुके हैं. यहां दलित के घर खाना खाने के साथ उनकी समस्या सुन हल करने का वादा भी किया था. ये वादा वो अभी हाल में महोबा की पदयात्रा में भी किया था. लेकिन वो पूरा नहीं कर पाये, लिहाजा लोगों में निराशा है.
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लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही कांग्रेस के अंदर उठा-पटक का दौर जारी है. कांग्रेस अभी तक अगले अध्यक्ष का नाम तय नहीं कर पाई है. इस बीच राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, हरीश रावत जैसे अन्य नेताओं ने भी अपना पद छोड़ दिया है. ऐसे में पार्टी के अंदर एक अनिश्चितता का माहौल बन गया है. इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने बड़ा बयान दिया है और उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद नेतृत्व को लेकर 'स्पष्टता की कमी' पार्टी को नुकसान पहुंचा रही है. उन्होंने पार्टी नेतृत्व की कमान किसी युवा नेता को सौंपे जाने का भी समर्थन किया. शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि कांग्रेस में सुधार का रास्ता यही हो सकता है कि कार्य समिति सहित पार्टी में सभी महत्वपूर्ण पदों के लिए चुनाव हों, जिससे इनमें चुने जाने वाले नेताओं को स्वीकार्यकता हासिल करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के इस आकलन का भी समर्थन किया कि इस समय कांग्रेस की कमान किसी युवा नेता को सौंपी जानी चाहिए. थरूर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव होने पर महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इसमें अपनी किस्मत आजमाने को लेकर फैसला करेंगी, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि यह गांधी परिवार का फैसला होगा कि प्रियंका इस पद के लिए चुनाव लड़ेंगी या नहीं. शशि थरूर ने पार्टी की मौजूदा स्थिति पर असंतोष जताते हुए कहा कि कांग्रेस जिन हालात से गुजर रही है उसका अभी कोई स्पष्ट जवाब नहीं है. तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘यह बिल्कुल सही बात है कि पार्टी के शीर्ष पद पर स्पष्टता की कमी संभवत: कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों को नुकसान पहुंचा रही है, इनमें से ज्यादातर पार्टी नेता की कमी महसूस करते हैं जो अहम फैसलों को देखे, कमान संभाले और यहां तक कि पार्टी में नई जान फूंके और उसे आगे ले जाए.'
शशि थरूर ने उम्मीद जतायी कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) मौजूदा स्थिति को ‘बहुत गंभीरता' से ले रही है और वह बिना किसी देरी के समाधान खोजने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘कांग्रेस में सुधार का एक रास्ता यह हो सकता है कि सीडब्ल्यूसी पार्टी के लिए एक अंतरिम कार्यकारी अध्यक्ष का नाम बताए और फिर इसे भंग कर दें. इसके बाद सीडब्ल्यूसी समेत पार्टी के भीतर मुख्य नेतृत्व पदों पर ताजा चुनाव हों.'उन्होंने कहा, ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) और प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) से लिए गए नेताओं को यह तय करने का अधिकार दिया जाए कि इन अहम पदों में से कौन पार्टी का नेतृत्व करेगा. इससे आने वाले नेताओं को स्वीकार्यता मिल सकेगी और उन्हें पार्टी का नेतृत्व करने का विश्वसनीय जनादेश मिलेगा.' शशि थरूर ने पार्टी अध्यक्ष पद पर चुनाव कराने के लिए ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी की शैली अपनाने का सुझाव दिया जिससे पार्टी में राष्ट्रीय दिलचस्पी बढ़ सकती है तथा वह एक बार फिर और ज्यादा मतदाताओं को अपनी ओर प्रेरित कर सकती है.
यह पूछने पर कि क्या उन्हें लगता है कि प्रियंका गांधी पार्टी का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त है, इस पर थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने कहा कि उनके पास ‘स्वाभाविक करिश्मा'' है जो निश्चित तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं तथा मतदाताओं को प्रेरित और एकजुट कर सकता है. उनकी इसी खूबी के कारण कई लोग उनकी तुलना उनकी दादी और पूर्व पार्टी अध्यक्ष दिवंगत इंदिरा गांधी से करते हैं. वह निश्चित रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं में नयी जान डालेंगी और साथ ही मतदाताओं को भी पार्टी की ओर खीचेंगी. कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले चुनावों में उत्तर प्रदेश में काम करते हुए वह प्रभावशाली छाप छोड़ने के साथ ही संगठन में अनुभवी नेता के तौर पर उभरी हैं. पार्टी अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने में रुचि के बारे में पूछने पर 63 वर्षीय थरूर ने कहा, ‘मैं ईमानदारी से कहूंगा कि मुझे नहीं लगता कि इस मुद्दे पर अटकलें लगाने की दूर-दूर तक भी कोई संभावना है.'
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