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पश्चिमी रंगढंग में रंग गए
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उसमें से दो पुलिसवाले उतरे एक पतला और
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हम लोग कहाँ होंगे
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और दुर्रे लगाये और कोसने लगेअभागे
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बस अब नहीं
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अब अकेला बैल किस काम का
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अपने आप को पहचाने
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दादाजी मुस्कराए यह पेड़ मेरी लाश पर ही गिरेगा जो होनेवाला नहीं है
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यद्यपि इस गॉँव को अपने नाम लेते समय मुंशी जी
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वह मतवाले की तरह उठी ओर गगरे से
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भानुकुँवरि ने कंपित स्वर में जज से कहासरकार
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कुछ में बड़े अक्षर थे
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इसके बाद उन्होंने जमशेदपुर स्थित टिस्को में
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पेड़ के नीचे खड़े समूह ने दादाजी के धन्यवाद भाषण पर तालियाँ बजाईं
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और उनके अगुआ बने
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एक दिन मर गई
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पंचों ने तुम्हारे मामले पर अच्छी तरह विचार किया
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तो क्या तुम भी बंदी हो
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जो सदा आत्माभिमान से सिर उठा कर चलता रहा हो
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पक्की चारदीवारी बनी हुई है
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जिसने अपने हौसलों की उड़ान के दम पर पूरे विश्व मे अपनी पहचान बनाई
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का विभाजन कर के भारत
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जो आपके साथ दयालु रहते हैं
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दिखला दे जिंदा है तू
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माता ने घबरा कर पूछाजवाब दे दिया
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बुलाकर चिमटा दे दिया
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शाम सुहानी बन जाते हैं दिन इंतजार के
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जैसा कि आप देख रहे हैं मैं इस पेड़ पर बैठा हूँ
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मंदिर के प्रसंग में विश्वभर में जानीपहचानी जाती है
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नींद से करते हैं प्यार तो यह नौकरी कर रही है गुहार
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माउंटबेटन प्लान के तहत भारत
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हमारे घर की बिजली की तरह ही है
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पर मैं न हँस सका
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तब वह चौपड़ और बड़ासा पासा निकालती है
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तालियों की गड़गड़ाहट कम नहीं हो रही थी
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मैंने बाल्टी और घिर्री को बाँधकर सामान ऊपर चढ़वा दिया
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अपने कर्मचारियों की सारी सम्पत्ति पर कब्जा कर लेना चाहिए
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वहाँ की संस्कृति और धार्मिक परम्पराएं देश भर
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मुंशी जी के निबटने के पश्चात सिद्धेश्वरी उनकी
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ये लोग क्यों इतना धीरे चल रहे हैं
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दादाजी आसानी से मानने वाले नहीं थे
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पर उनकी यह कामना सफल न हो सकी
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जितनी बुद्वि जितना औसान था
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इस भूल में न रहना मैं तुम्हारे घर की ईट तक बिकवा लूँगी
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मुखर्जी ने एक गहरी साँस ली
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गाये जा अपना राग राग
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अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं
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के फिर जुड़ ना पाया
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जब बिजली की चमक समाप्त हो जाती है
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त्री
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एट
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फिर अलगू चौधरी को
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अब हम तो सफ़र करते हैं
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राजा नतमस्तक हो गया
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चंपा ने उसके हाथ पकड़ लिए
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सिद्धेश्वरी ने उसके सामने थाली रखते हुए प्रश्न किया
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किंतु लगभग दस मिनट बीतने के
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हाँ अब मैं अपनी साँस सुन सकती हूँ
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दादाजी ने कहा कि मैं उनके मित्रों की लाई चीज़ें ऊपर चढ़ा दूँ
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दादाजी पेड़ से बाहर झाँक रहे थे
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मगर पंचायत में मुँह न खोलूँगा
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तो दोस्तों
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मुलायम का पैंतरा मुसलमानों का हित सबसे ऊपर
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बोलते हैं तो जैसे मोटरकार छूट जाती है सरकार
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शीशे का प्याला था खिड़की पर
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आशीर्वाद के फूलों और खीलों को बिखेर दिया
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कोलकाता छात्रों ने मोंटेक सिंह पर अंडे फेंके
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अब अकेला बैल किस काम का
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तीन पैसे दिए
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मयूरी दिल्ली पहुंच चुकी थी स्टेशन पर सिमा इंतेज़ार कर रही थी
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संगीन पे धर कर माथा
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पलभर में मुंशी जी ने बहियों को उलटापलटा
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इसमें संदेह है आह उन लहरों में मेरा विनाश हो जाए
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हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना ही होगा
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मैं भी पूरी तरह भीग गया था
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यह सुनकर तेनालीराम हैरान रह गए
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मोरू का गाल सुर्ख लाल हो गया
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नायक की कातर आँखें प्राणभिक्षा माँगने लगीं
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केवल दस नाविक और प्रहरी है
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एक अच्छी कंपनी में जॉब भी लग गई थी
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कहतेकहते आनन्द साहब आगे बढ़े
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क्योंकि उस समय इसका विरोध करने वाला पूरे नगर में कोई भी नहीं होता
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वह बड़ा ही होशियार हो गया है
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वह महिमा की प्रतिमा
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एक दिन शिक्षक ने कुछ सवाल बोर्ड पर लिखे
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कुछ दिनों उपरांत यह गॉँव उन्हीं के नाम हिब्बा कर दिया
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दीदी क्या उसकी अम्मी उसकी पिटाई नहीं करतीं
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उन्होंने कहा नमस्ते साहब
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बिन्दा चाचा धनी उनके पास बैठ गया
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पुलिसवालों के हाँ कहने पर दादाजी बोले तब मुझे विरोध करने दो
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फरीदाबादः गर्भपात की प्रतिबंधित दवाइयां बेचने वाले फर्जी डॉक्टर दंपति गिरफ्तार
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बड़ा शीत है
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दफ्तर के बरामदे में पहुँचे और खूब कान लगाकर आहट ली
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और मिनटों में आसमान में बड़ा और रंगबिरंगा कोलम दिखने लगा
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चंपा की आँखें निस्सीम प्रदेश में निरुद्देश्य थीं
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अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत
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की लड़ाई लड़ी और
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तो हम कोई रास्ता निकाल सकते है
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ग्रास को निगलने की कोशिश करते हुए
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ने भारत के राजनीतिक भविष्य पर बातचीत
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