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तुम मुझे दे दो
महीना भर के बदले दो महीना जोत लो और क्या लोगे
रोज़ मोरू कुछ देर के लिये आता और
और उनके अगुआ बने
अपना घरबार छोड़ना पड़ा
मुंशी जी ने चने के दानों की ओर
कृष्णदेव राय जब अपनी राजधानी पहुंचे तो तेलानीराम रास्ते में ही पीछे रह गए
कुछ ऐसे सज्जन भी थे
एक उपाय सूझ गयाक्यों न कार्यकर्त्ताओं को मिला लूँ
और वो सफ़ेद चमकदार बादल रूई के बड़ेबड़े गोलों जैसे दिखते हैं
शिविका से सहायता देकर चंपा को उसने उतारा
क्या हम वो हैं जो राय दूसरे हमारे बारे में बनाते हैं
प्रबंध में दखल देना उचित न समझा
दो मिनट के अन्दर ही वह हमारे बगीचे से बाहर था
रंग का केला भी पाया जाता है
वह मोरू की माँ की तरफ़ देख कर हल्के से मुस्कराये
सत्यानाश हो गया इन्हें दामों की पड़ी है
चंपा एकांत में एकदूसरे के सामने बैठे थे
आज छुट्टी है
क्या स्त्री होना कोई पाप है
दसदस को एक ने मारा
पर मौके की जमीन नहीं मिलती
इसके बाद कई दिन तक बूढ़ी खाला हाथ में
जो केवल विश्वास जमाने के निमित्त दर्शाये गये थे
समर सरप्राइज खत्म होने के बाद जियो का बड़ा धमाका
आशाएं
तो वह घबरा गई
इतना महत्व प्राप्त करने पर भी मैं कंगाल हूँ
गांव में कितनी हलचल है
मेरी छोटी बहन दिव्या एक शिविर के लिए गयी हुई थी
उसका जोड़ बहुत ढूँढ़ा गया पर न मिला
एक मां कभी कमजोर नहीं होती
कहीं ऊपर तक उड़ाता जैसे वह एक चमकता हुआ पक्षी हो
उनका अपने बेटे पर बस नहीं चलता था इसीलिए
के फिर जुड़ ना पाया
एक बार विजयनगर के पड़ोसी राज्य ने विजयनगर पर आक्रमण कर दिया
मैंने कोट के हैंगर व तार का इस्तेमाल करके एक चरखी बनाई
मजे से खाते हो पहनते हो
अम्मीजान नियामतें लेकर आएँगी तो