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"title": "५. ब्राह्मणवग्गो", | |
"book_name": "५. ब्राह्मणवग्गो", | |
"chapter": "४. राजवग्गो", | |
"gathas": [ | |
"‘खत्तियो सेट्ठो जनेतस्मिं, ये गोत्तपटिसारिनो।", | |
"विज्जाचरणसम्पन्नो, सो सेट्ठो देवमानुसे’ति॥", | |
"‘‘धीरस्स विगतमोहस्स, पभिन्नखीलस्स विजितविजयस्स।", | |
"अनीघस्स सुसमचित्तस्स, वुद्धसीलस्स साधुपञ्ञस्स।", | |
"वेसमन्तरस्स", | |
"‘‘अकथंकथिस्स तुसितस्स, वन्तलोकामिसस्स मुदितस्स।", | |
"कतसमणस्स मनुजस्स, अन्तिमसारीरस्स नरस्स।", | |
"अनोपमस्स विरजस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मि॥", | |
"‘‘असंसयस्स कुसलस्स, वेनयिकस्स सारथिवरस्स।", | |
"अनुत्तरस्स रुचिरधम्मस्स, निक्कङ्खस्स पभासकस्स", | |
"मानच्छिदस्स वीरस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मि॥", | |
"‘‘निसभस्स", | |
"खेमङ्करस्स वेदस्स, धम्मट्ठस्स संवुतत्तस्स।", | |
"सङ्गातिगस्स मुत्तस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मि॥", | |
"‘‘नागस्स", | |
"पटिमन्तकस्स", | |
"दन्तस्स निप्पपञ्चस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मि॥", | |
"‘‘इसिसत्तमस्स अकुहस्स, तेविज्जस्स ब्रह्मपत्तस्स।", | |
"न्हातकस्स", | |
"पुरिन्ददस्स सक्कस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मि॥", | |
"‘‘अरियस्स भावितत्तस्स, पत्तिपत्तस्स वेय्याकरणस्स।", | |
"सतिमतो विपस्सिस्स, अनभिनतस्स नो अपनतस्स।", | |
"अनेजस्स वसिप्पत्तस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मि", | |
"‘‘समुग्गतस्स", | |
"असितस्स हितस्स", | |
"तिण्णस्स तारयन्तस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मि॥", | |
"‘‘सन्तस्स भूरिपञ्ञस्स, महापञ्ञस्स वीतलोभस्स।", | |
"तथागतस्स सुगतस्स, अप्पटिपुग्गलस्स असमस्स।", | |
"विसारदस्स निपुणस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मि॥", | |
"‘‘तण्हच्छिदस्स बुद्धस्स, वीतधूमस्स अनुपलित्तस्स।", | |
"आहुनेय्यस्स यक्खस्स, उत्तमपुग्गलस्स अतुलस्स।", | |
"महतो यसग्गपत्तस्स, भगवतो तस्स सावकोहमस्मी’’ति॥", | |
"कन्दरनागरसेखवतो", | |
"उपालिदमथो कुक्कुरअभयो, बहुवेदनीयापण्णकतो दसमो॥", | |
"कुञ्जर-राहुल-सस्सतलोको, मालुक्यपुत्तो च भद्दालि-नामो।", | |
"खुद्द-दिजाथ-सहम्पतियाचं, नाळक-रञ्ञिकिटागिरिनामो॥", | |
"‘‘आरोग्यपरमा लाभा, निब्बानं परमं सुखं।", | |
"अट्ठङ्गिको च मग्गानं, खेमं अमतगामिन’’न्ति॥", | |
"‘आरोग्यपरमा", | |
"अट्ठङ्गिको च मग्गानं, खेमं अमतगामिन’न्ति॥", | |
"पुण्डरी-अग्गिसह-कथिनामो, दीघनखो पुन भारद्वाजगोत्तो।", | |
"सन्दकउदायिमुण्डिकपुत्तो, मणिको तथाकच्चानो वरवग्गो॥", | |
"‘‘पस्स", | |
"आतुरं बहुसङ्कप्पं, यस्स नत्थि धुवं ठिति॥", | |
"‘‘पस्स चित्तीकतं रूपं, मणिना कुण्डलेन च।", | |
"अट्ठि तचेन ओनद्धं, सह वत्थेभि सोभति॥", | |
"‘‘अलत्तककता पादा, मुखं चुण्णकमक्खितं।", | |
"अलं", | |
"‘‘अट्ठापदकता", | |
"अलं बालस्स मोहाय, नो च पारगवेसिनो॥", | |
"‘‘अञ्जनीव नवा", | |
"अलं बालस्स मोहाय, नो च पारगवेसिनो॥", | |
"‘‘ओदहि मिगवो पासं, नासदा वाकरं मिगो।", | |
"भुत्वा निवापं गच्छाम", | |
"लद्धान वित्तं न ददन्ति मोहा।", | |
"लुद्धा धनं", | |
"भिय्योव कामे अभिपत्थयन्ति॥", | |
"‘‘राजा पसय्हा पथविं विजित्वा,", | |
"ससागरन्तं महिमावसन्तो", | |
"ओरं समुद्दस्स अतित्तरूपो,", | |
"पारं", | |
"‘‘राजा", | |
"अवीततण्हा", | |
"ऊनाव हुत्वान जहन्ति देहं,", | |
"कामेहि लोकम्हि न हत्थि तित्ति॥", | |
"‘‘कन्दन्ति नं ञाती पकिरिय केसे,", | |
"अहोवता नो अमराति चाहु।", | |
"वत्थेन नं पारुतं नीहरित्वा,", | |
"चितं समादाय", | |
"‘‘सो डय्हति सूलेहि तुज्जमानो,", | |
"एकेन वत्थेन पहाय भोगे।", | |
"न मीयमानस्स भवन्ति ताणा,", | |
"ञातीध मित्ता अथ वा सहाया॥", | |
"‘‘दायादका", | |
"सत्तो पन गच्छति येन कम्मं।", | |
"न मीयमानं धनमन्वेति किञ्चि,", | |
"पुत्ता च दारा च धनञ्च रट्ठं॥", | |
"‘‘न", | |
"अप्पं हिदं जीवितमाहु धीरा, असस्सतं", | |
"‘‘अड्ढा दलिद्दा च फुसन्ति फस्सं,", | |
"बालो च धीरो च तथेव फुट्ठो।", | |
"बालो च बाल्या वधितोव सेति,", | |
"धीरो च", | |
"‘‘तस्मा हि पञ्ञाव धनेन सेय्यो,", | |
"याय वोसानमिधाधिगच्छति।", | |
"अब्योसितत्ता", | |
"पापानि कम्मानि करोन्ति मोहा॥", | |
"‘‘उपेति गब्भञ्च परञ्च लोकं,", | |
"संसारमापज्ज परम्पराय।", | |
"तस्सप्पपञ्ञो अभिसद्दहन्तो,", | |
"उपेति गब्भञ्च परञ्च लोकं॥", | |
"‘‘चोरो", | |
"सकम्मुना हञ्ञति पापधम्मो।", | |
"एवं पजा पेच्च परम्हि लोके,", | |
"सकम्मुना हञ्ञति पापधम्मो॥", | |
"‘‘कामाहि", | |
"विरूपरूपेन मथेन्ति चित्तं।", | |
"आदीनवं कामगुणेसु दिस्वा,", | |
"तस्मा", | |
"‘‘दुमप्फलानेव पतन्ति माणवा,", | |
"दहरा च वुड्ढा च सरीरभेदा।", | |
"एतम्पि दिस्वा", | |
"अपण्णकं सामञ्ञमेव सेय्यो’’ति॥", | |
"‘किच्छेन मे अधिगतं, हलं दानि पकासितुं।", | |
"रागदोसपरेतेहि, नायं धम्मो सुसम्बुधो॥", | |
"‘पटिसोतगामिं निपुणं, गम्भीरं दुद्दसं अणुं।", | |
"रागरत्ता न दक्खन्ति, तमोखन्धेन आवुटा’", | |
"‘पातुरहोसि मगधेसु पुब्बे,", | |
"धम्मो असुद्धो समलेहि चिन्तितो।", | |
"अपापुरेतं", | |
"सुणन्तु धम्मं विमलेनानुबुद्धं॥", | |
"‘सेले", | |
"यथापि पस्से जनतं समन्ततो।", | |
"तथूपमं धम्ममयं सुमेध,", | |
"पासादमारुय्ह समन्तचक्खु॥", | |
"‘सोकावतिण्णं", | |
"अवेक्खस्सु जातिजराभिभूतं।", | |
"उट्ठेहि वीर, विजितसङ्गाम,", | |
"सत्थवाह अणण", | |
"देसस्सु", | |
"अञ्ञातारो भविस्सन्ती’ति॥", | |
"‘अपारुता तेसं अमतस्स द्वारा,", | |
"ये सोतवन्तो पमुञ्चन्तु सद्धं।", | |
"विहिंससञ्ञी पगुणं न भासिं,", | |
"धम्मं पणीतं मनुजेसु ब्रह्मे’ति॥", | |
"‘सब्बाभिभू", | |
"सब्बेसु धम्मेसु अनूपलित्तो।", | |
"सब्बञ्जहो तण्हाक्खये विमुत्तो,", | |
"सयं अभिञ्ञाय कमुद्दिसेय्यं॥", | |
"‘न", | |
"सदेवकस्मिं लोकस्मिं, नत्थि मे पटिपुग्गलो॥", | |
"‘अहञ्हि अरहा लोके, अहं सत्था अनुत्तरो।", | |
"एकोम्हि सम्मासम्बुद्धो, सीतिभूतोस्मि निब्बुतो॥", | |
"‘धम्मचक्कं पवत्तेतुं, गच्छामि कासिनं पुरं।", | |
"अन्धीभूतस्मिं", | |
"‘मादिसा वे जिना होन्ति, ये पत्ता आसवक्खयं।", | |
"जिता मे पापका धम्मा, तस्माहमुपक", | |
"‘‘गच्छं वदेसि समण ठितोम्हि,", | |
"ममञ्च ब्रूसि ठितमट्ठितोति।", | |
"पुच्छामि तं समण एतमत्थं,", | |
"कथं ठितो त्वं अहमट्ठितोम्ही’’ति॥", | |
"‘‘ठितो", | |
"सब्बेसु भूतेसु निधाय दण्डं।", | |
"तुवञ्च", | |
"तस्मा ठितोहं तुवमट्ठितोसी’’ति॥", | |
"‘‘चिरस्सं", | |
"महावनं पापुणि सच्चवादी", | |
"सोहं चरिस्सामि पहाय पापं", | |
"सुत्वान गाथं तव धम्मयुत्तं’’॥", | |
"इत्वेव चोरो असिमावुधञ्च,", | |
"सोब्भे पपाते नरके अकिरि।", | |
"अवन्दि", | |
"तत्थेव नं पब्बज्जं अयाचि॥", | |
"बुद्धो च खो कारुणिको महेसि,", | |
"यो सत्था लोकस्स सदेवकस्स।", | |
"‘तमेहि भिक्खू’ति तदा अवोच,", | |
"एसेव तस्स अहु भिक्खुभावोति॥", | |
"‘‘यो पुब्बेव", | |
"सोमं", | |
"‘‘यस्स", | |
"सोमं लोकं पभासेति, अब्भा मुत्तोव चन्दिमा॥", | |
"‘‘यो हवे दहरो भिक्खु, युञ्जति बुद्धसासने।", | |
"सोमं लोकं पभासेति, अब्भा मुत्तोव चन्दिमा॥", | |
"‘‘दिसा हि मे धम्मकथं सुणन्तु,", | |
"दिसा हि मे युञ्जन्तु बुद्धसासने।", | |
"दिसा हि मे ते मनुजा भजन्तु,", | |
"ये धम्ममेवादपयन्ति सन्तो॥", | |
"‘‘दिसा", | |
"सुणन्तु धम्मं कालेन, तञ्च अनुविधीयन्तु॥", | |
"‘‘न हि जातु सो ममं हिंसे, अञ्ञं वा पन किञ्चि नं", | |
"पप्पुय्य परमं सन्तिं, रक्खेय्य तसथावरे॥", | |
"‘‘उदकञ्हि", | |
"दारुं नमयन्ति तच्छका, अत्तानं दमयन्ति पण्डिता॥", | |
"‘‘दण्डेनेके", | |
"अदण्डेन असत्थेन, अहं दन्तोम्हि तादिना॥", | |
"‘‘अहिंसकोति मे नामं, हिंसकस्स पुरे सतो।", | |
"अज्जाहं सच्चनामोम्हि, न नं हिंसामि किञ्चि नं", | |
"‘‘चोरो", | |
"वुय्हमानो महोघेन, बुद्धं सरणमागमं॥", | |
"‘‘लोहितपाणि पुरे आसिं, अङ्गुलिमालोति विस्सुतो।", | |
"सरणगमनं पस्स, भवनेत्ति समूहता॥", | |
"‘‘तादिसं कम्मं कत्वान, बहुं दुग्गतिगामिनं।", | |
"फुट्ठो कम्मविपाकेन, अणणो भुञ्जामि भोजनं॥", | |
"‘‘पमादमनुयुञ्जन्ति, बाला दुम्मेधिनो जना।", | |
"अप्पमादञ्च मेधावी, धनं सेट्ठंव रक्खति॥", | |
"‘‘मा पमादमनुयुञ्जेथ, मा कामरति सन्थवं।", | |
"अप्पमत्तो हि झायन्तो, पप्पोति विपुलं", | |
"‘‘स्वागतं", | |
"संविभत्तेसु", | |
"‘‘स्वागतं नापगतं, नयिदं दुम्मन्तितं मम।", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, कतं बुद्धस्स सासन’’न्ति॥", | |
"घटिकारो रट्ठपालो, मघदेवो मधुरियं।", | |
"बोधि अङ्गुलिमालो च, पियजातं बाहितिकं।", | |
"धम्मचेतियसुत्तञ्च, दसमं कण्णकत्थलं॥", | |
"‘‘ये मे द्वत्तिंसाति सुता, महापुरिसलक्खणा।", | |
"दुवे तेसं न पस्सामि, भोतो कायस्मिं गोतम॥", | |
"‘‘कच्चि कोसोहितं भोतो, वत्थगुय्हं नरुत्तम।", | |
"नारीसमानसव्हया, कच्चि जिव्हा न दस्सका", | |
"‘‘कच्चि पहूतजिव्होसि, यथा तं जानियामसे।", | |
"निन्नामयेतं पहूतं, कङ्खं विनय नो इसे॥", | |
"‘‘दिट्ठधम्महितत्थाय, सम्परायसुखाय च।", | |
"कतावकासा पुच्छाम, यं किञ्चि अभिपत्थित’’न्ति॥", | |
"‘‘ये ते द्वत्तिंसाति सुता, महापुरिसलक्खणा।", | |
"सब्बे ते मम कायस्मिं, मा ते", | |
"‘‘अभिञ्ञेय्यं अभिञ्ञातं, भावेतब्बञ्च भावितं।", | |
"पहातब्बं पहीनं मे, तस्मा बुद्धोस्मि ब्राह्मण॥", | |
"‘‘दिट्ठधम्महितत्थाय", | |
"कतावकासो पुच्छस्सु, यं किञ्चि अभिपत्थित’’न्ति॥", | |
"‘‘कथं खो ब्राह्मणो होति, कथं भवति वेदगू।", | |
"तेविज्जो भो कथं होति, सोत्थियो किन्ति वुच्चति॥", | |
"‘‘अरहं भो कथं होति, कथं भवति केवली।", | |
"मुनि च भो कथं होति, बुद्धो किन्ति पवुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘पुब्बेनिवासं", | |
"अथो जातिक्खयं पत्तो, अभिञ्ञा वोसितो मुनि॥", | |
"‘‘चित्तं विसुद्धं जानाति, मुत्तं रागेहि सब्बसो।", | |
"पहीनजातिमरणो, ब्रह्मचरियस्स केवली।", | |
"पारगू सब्बधम्मानं, बुद्धो तादी पवुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘परिपुण्णकायो सुरुचि, सुजातो चारुदस्सनो।", | |
"सुवण्णवण्णोसि भगवा, सुसुक्कदाठोसि वीरियवा", | |
"‘‘नरस्स हि सुजातस्स, ये भवन्ति वियञ्जना।", | |
"सब्बे ते तव कायस्मिं, महापुरिसलक्खणा॥", | |
"‘‘पसन्ननेत्तो", | |
"मज्झे समणसङ्घस्स, आदिच्चोव विरोचसि॥", | |
"‘‘कल्याणदस्सनो भिक्खु, कञ्चनसन्निभत्तचो।", | |
"किं ते समणभावेन, एवं उत्तमवण्णिनो॥", | |
"‘‘राजा अरहसि भवितुं, चक्कवत्ती रथेसभो।", | |
"चातुरन्तो विजितावी, जम्बुसण्डस्स", | |
"‘‘खत्तिया", | |
"राजाभिराजा मनुजिन्दो, रज्जं कारेहि गोतम’’॥", | |
"‘‘राजाहमस्मि", | |
"धम्मेन चक्कं वत्तेमि, चक्कं अप्पटिवत्तियं’’॥", | |
"‘‘सम्बुद्धो पटिजानासि, धम्मराजा अनुत्तरो।", | |
"‘धम्मेन चक्कं वत्तेमि’, इति भाससि गोतम॥", | |
"‘‘को नु सेनापति भोतो, सावको सत्थुरन्वयो।", | |
"को ते तमनुवत्तेति, धम्मचक्कं पवत्तितं’’॥", | |
"‘‘मया पवत्तितं चक्कं, (सेलाति भगवा धम्मचक्कं अनुत्तरं।", | |
"सारिपुत्तो अनुवत्तेति, अनुजातो तथागतं॥", | |
"‘‘अभिञ्ञेय्यं अभिञ्ञातं, भावेतब्बञ्च भावितं।", | |
"पहातब्बं पहीनं मे, तस्मा बुद्धोस्मि ब्राह्मण॥", | |
"‘‘विनयस्सु मयि कङ्खं, अधिमुच्चस्सु ब्राह्मण।", | |
"दुल्लभं दस्सनं होति, सम्बुद्धानं अभिण्हसो॥", | |
"‘‘येसं", | |
"सोहं ब्राह्मण सम्बुद्धो, सल्लकत्तो अनुत्तरो॥", | |
"‘‘ब्रह्मभूतो अतितुलो, मारसेनप्पमद्दनो।", | |
"सब्बामित्ते वसी कत्वा, मोदामि अकुतोभयो’’॥", | |
"‘‘इमं भोन्तो निसामेथ, यथा भासति चक्खुमा।", | |
"सल्लकत्तो महावीरो, सीहोव नदती वने॥", | |
"‘‘ब्रह्मभूतं", | |
"को दिस्वा नप्पसीदेय्य, अपि कण्हाभिजातिको॥", | |
"‘‘यो मं इच्छति अन्वेतु, यो वा निच्छति गच्छतु।", | |
"इधाहं पब्बजिस्सामि, वरपञ्ञस्स सन्तिके’’॥", | |
"‘‘एतञ्चे", | |
"मयम्पि पब्बजिस्साम, वरपञ्ञस्स सन्तिके’’॥", | |
"‘‘ब्राह्मणा तिसता इमे, याचन्ति पञ्जलीकता।", | |
"ब्रह्मचरियं चरिस्साम, भगवा तव सन्तिके’’॥", | |
"‘‘स्वाक्खातं", | |
"यत्थ अमोघा पब्बज्जा, अप्पमत्तस्स सिक्खतो’’ति॥", | |
"‘‘अग्गिहुत्तमुखा यञ्ञा, सावित्ती छन्दसो मुखं।", | |
"राजा मुखं मनुस्सानं, नदीनं सागरो मुखं॥", | |
"‘‘नक्खत्तानं", | |
"पुञ्ञं आकङ्खमानानं, सङ्घो वे यजतं मुख’’न्ति॥", | |
"‘‘यं", | |
"सत्तरत्तेन", | |
"‘‘तुवं बुद्धो तुवं सत्था, तुवं माराभिभू मुनि।", | |
"तुवं अनुसये छेत्वा, तिण्णो तारेसिमं पजं॥", | |
"‘‘उपधी ते समतिक्कन्ता, आसवा ते पदालिता।", | |
"सीहोव अनुपादानो, पहीनभयभेरवो॥", | |
"‘‘भिक्खवो तिसता इमे, तिट्ठन्ति पञ्जलीकता।", | |
"पादे वीर पसारेहि, नागा वन्दन्तु सत्थुनो’’ति॥", | |
"‘‘अनुञ्ञातपटिञ्ञाता, तेविज्जा मयमस्मुभो।", | |
"अहं पोक्खरसातिस्स, तारुक्खस्सायं माणवो॥", | |
"‘‘तेविज्जानं", | |
"पदकस्मा वेय्याकरणा", | |
"तेसं नो जातिवादस्मिं, विवादो अत्थि गोतम॥", | |
"‘‘जातिया", | |
"अहञ्च कम्मुना", | |
"‘‘ते", | |
"भवन्तं पुट्ठुमागमा, सम्बुद्धं इति विस्सुतं॥", | |
"‘‘चन्दं यथा खयातीतं, पेच्च पञ्जलिका जना।", | |
"वन्दमाना नमस्सन्ति, लोकस्मिं गोतमं॥", | |
"‘‘चक्खुं लोके समुप्पन्नं, मयं पुच्छाम गोतमं।", | |
"जातिया ब्राह्मणो होति, उदाहु भवति कम्मुना", | |
"अजानतं नो पब्रूहि, यथा जानेमु ब्राह्मण’’न्ति॥", | |
"‘‘तेसं वो अहं ब्यक्खिस्सं, (वासेट्ठाति भगवा)", | |
"अनुपुब्बं यथातथं।", | |
"जातिविभङ्गं पाणानं, अञ्ञमञ्ञाहि जातियो॥", | |
"‘‘तिणरुक्खेपि जानाथ, न चापि पटिजानरे।", | |
"लिङ्गं जातिमयं तेसं, अञ्ञमञ्ञा हि जातियो॥", | |
"‘‘ततो कीटे पटङ्गे च, याव कुन्थकिपिल्लिके।", | |
"लिङ्गं जातिमयं तेसं, अञ्ञमञ्ञा हि जातियो॥", | |
"‘‘चतुप्पदेपि जानाथ, खुद्दके च महल्लके।", | |
"लिङ्गं जातिमयं तेसं, अञ्ञमञ्ञा हि जातियो॥", | |
"‘‘पादुदरेपि", | |
"लिङ्गं जातिमयं तेसं, अञ्ञमञ्ञा हि जातियो॥", | |
"‘‘ततो मच्छेपि जानाथ, उदके वारिगोचरे।", | |
"लिङ्गं जातिमयं तेसं, अञ्ञमञ्ञा हि जातियो॥", | |
"‘‘ततो पक्खीपि जानाथ, पत्तयाने विहङ्गमे।", | |
"लिङ्गं", | |
"‘‘यथा एतासु जातीसु, लिङ्गं जातिमयं पुथु।", | |
"एवं नत्थि मनुस्सेसु, लिङ्गं जातिमयं पुथु॥", | |
"‘‘न", | |
"न मुखेन न नासाय, न ओट्ठेहि भमूहि वा॥", | |
"‘‘न गीवाय न अंसेहि, न उदरेन न पिट्ठिया।", | |
"न सोणिया न उरसा, न सम्बाधे न मेथुने", | |
"‘‘न हत्थेहि न पादेहि, नङ्गुलीहि नखेहि वा।", | |
"न जङ्घाहि न ऊरूहि, न वण्णेन सरेन वा।", | |
"लिङ्गं जातिमयं नेव, यथा अञ्ञासु जातिसु॥", | |
"‘‘पच्चत्तञ्च सरीरेसु", | |
"वोकारञ्च मनुस्सेसु, समञ्ञाय पवुच्चति॥", | |
"‘‘यो हि कोचि मनुस्सेसु, गोरक्खं उपजीवति।", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, कस्सको सो न ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘यो हि कोचि मनुस्सेसु, पुथुसिप्पेन जीवति।", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, सिप्पिको सो न ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘यो", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, वाणिजो सो न ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘यो हि कोचि मनुस्सेसु, परपेस्सेन जीवति।", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, पेस्सको", | |
"‘‘यो", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, चोरो एसो न ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘यो हि कोचि मनुस्सेसु, इस्सत्थं उपजीवति।", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, योधाजीवो न ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘यो हि कोचि मनुस्सेसु, पोरोहिच्चेन जीवति।", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, याजको सो न ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘यो हि कोचि मनुस्सेसु, गामं रट्ठञ्च भुञ्जति।", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, राजा एसो न ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘न", | |
"भोवादि", | |
"अकिञ्चनं अनादानं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘सब्बसंयोजनं छेत्वा, यो वे न परितस्सति।", | |
"सङ्गातिगं विसंयुत्तं", | |
"‘‘छेत्वा नद्धिं", | |
"उक्खित्तपलिघं बुद्धं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘अक्कोसं वधबन्धञ्च, अदुट्ठो यो तितिक्खति।", | |
"खन्तीबलं बलानीकं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘अक्कोधनं", | |
"दन्तं अन्तिमसारीरं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘वारिपोक्खरपत्तेव, आरग्गेरिव सासपो।", | |
"यो", | |
"‘‘यो दुक्खस्स पजानाति, इधेव खयमत्तनो।", | |
"पन्नभारं विसंयुत्तं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘गम्भीरपञ्ञं मेधाविं, मग्गामग्गस्स कोविदं।", | |
"उत्तमत्थमनुप्पत्तं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘असंसट्ठं गहट्ठेहि, अनागारेहि चूभयं।", | |
"अनोकसारिमप्पिच्छं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘निधाय दण्डं भूतेसु, तसेसु थावरेसु च।", | |
"यो न हन्ति न घातेति, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘अविरुद्धं विरुद्धेसु, अत्तदण्डेसु निब्बुतं।", | |
"सादानेसु अनादानं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘यस्स रागो च दोसो च, मानो मक्खो च ओहितो।", | |
"सासपोरिव आरग्गा, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘अकक्कसं", | |
"याय नाभिसज्जे किञ्चि, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘यो च दीघं व रस्सं वा, अणुं थूलं सुभासुभं।", | |
"लोके अदिन्नं नादेति", | |
"‘‘आसा", | |
"निरासासं", | |
"‘‘यस्सालया न विज्जन्ति, अञ्ञाय अकथंकथिं।", | |
"अमतोगधं", | |
"‘‘योधपुञ्ञञ्च पापञ्च, उभो सङ्गं उपच्चगा।", | |
"असोकं विरजं सुद्धं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘चन्दं व विमलं सुद्धं, विप्पसन्नं अनाविलं।", | |
"नन्दीभवपरिक्खीणं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘यो इमं पलिपथं दुग्गं, संसारं मोहमच्चगा।", | |
"तिण्णो पारङ्गतो झायी, अनेजो अकथंकथी।", | |
"अनुपादाय निब्बुतो, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘योधकामे पहन्त्वान", | |
"कामभवपरिक्खीणं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘योधतण्हं पहन्त्वान, अनागारो परिब्बजे।", | |
"तण्हाभवपरिक्खीणं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘हित्वा मानुसकं योगं, दिब्बं योगं उपच्चगा।", | |
"सब्बयोगविसंयुत्तं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘हित्वा रतिञ्च अरतिं, सीतीभूतं निरूपधिं।", | |
"सब्बलोकाभिभुं वीरं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘चुतिं यो वेदि सत्तानं, उपपत्तिञ्च सब्बसो।", | |
"असत्तं सुगतं बुद्धं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘यस्स", | |
"खीणासवं अरहन्तं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘यस्स", | |
"अकिञ्चनं अनादानं, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘उसभं पवरं वीरं, महेसिं विजिताविनं।", | |
"अनेजं न्हातकं", | |
"‘‘पुब्बेनिवासं यो वेदि, सग्गापायञ्च पस्सति।", | |
"अथो जातिक्खयं पत्तो, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥", | |
"‘‘समञ्ञा हेसा लोकस्मिं, नामगोत्तं पकप्पितं।", | |
"सम्मुच्चा समुदागतं, तत्थ तत्थ पकप्पितं॥", | |
"‘‘दीघरत्तानुसयितं, दिट्ठिगतमजानतं।", | |
"अजानन्ता नो", | |
"‘‘न जच्चा ब्राह्मणो", | |
"कम्मुना ब्राह्मणो", | |
"‘‘कस्सको कम्मुना होति, सिप्पिको होति कम्मुना।", | |
"वाणिजो कम्मुना होति, पेस्सको होति कम्मुना॥", | |
"‘‘चोरोपि कम्मुना होति, योधाजीवोपि कम्मुना।", | |
"याजको कम्मुना होति, राजापि होति कम्मुना॥", | |
"‘‘एवमेतं यथाभूतं, कम्मं पस्सन्ति पण्डिता।", | |
"पटिच्चसमुप्पाददस्सा, कम्मविपाककोविदा॥", | |
"‘‘कम्मुना", | |
"कम्मनिबन्धना सत्ता, रथस्साणीव यायतो॥", | |
"‘‘तपेन", | |
"एतेन ब्राह्मणो होति, एतं ब्राह्मणमुत्तमं॥", | |
"‘‘तीहि विज्जाहि सम्पन्नो, सन्तो खीणपुनब्भवो।", | |
"एवं वासेट्ठ जानाहि, ब्रह्मा सक्को विजानत’’न्ति॥", | |
"ब्रह्मायु सेलस्सलायनो, घोटमुखो च ब्राह्मणो।", | |
"चङ्की एसु धनञ्जानि, वासेट्ठो सुभगारवोति॥", | |
"वग्गो गहपति भिक्खु, परिब्बाजकनामको।", | |
"राजवग्गो ब्राह्मणोति, पञ्च मज्झिमआगमे॥" | |
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