Spaces:
Sleeping
Sleeping
{ | |
"title": "१६. महानिपातो", | |
"book_name": "१६. महानिपातो", | |
"chapter": "१५. चत्तालीसनिपातो", | |
"gathas": [ | |
"‘‘सुखं", | |
"उपसन्तो हि ते रागो, सुक्खडाकं व कुम्भिय’’न्ति॥", | |
"‘‘मुत्ते", | |
"विप्पमुत्तेन चित्तेन, अनणा भुञ्ज पिण्डक’’न्ति॥", | |
"‘‘पुण्णे पूरस्सु धम्मेहि, चन्दो पन्नरसेरिव।", | |
"परिपुण्णाय पञ्ञाय, तमोखन्धं", | |
"‘‘तिस्से सिक्खस्सु सिक्खाय, मा तं योगा उपच्चगुं।", | |
"सब्बयोगविसंयुत्ता, चर लोके अनासवा’’ति॥", | |
"‘‘तिस्से", | |
"खणातीता हि सोचन्ति, निरयम्हि समप्पिता’’ति॥", | |
"", | |
"आराधयाहि निब्बानं, योगक्खेममनुत्तर’’न्ति", | |
"‘‘वीरा", | |
"धारेहि अन्तिमं देहं, जेत्वा मारं सवाहिनि’’न्ति", | |
"‘‘सद्धाय पब्बजित्वान, मित्ते मित्तरता भव।", | |
"भावेहि कुसले धम्मे, योगक्खेमस्स पत्तिया’’ति॥", | |
"‘‘सद्धाय पब्बजित्वान, भद्रे भद्ररता भव।", | |
"भावेहि कुसले धम्मे, योगक्खेममनुत्तर’’न्ति॥", | |
"‘‘उपसमे तरे ओघं, मच्चुधेय्यं सुदुत्तरं।", | |
"धारेहि अन्तिमं देहं, जेत्वा मारं सवाहन’’न्ति॥", | |
"‘‘सुमुत्ता", | |
"उदुक्खलेन मुसलेन, पतिना खुज्जकेन च।", | |
"मुत्ताम्हि", | |
"‘‘छन्दजाता अवसायी, मनसा च फुटा", | |
"कामेसु अप्पटिबद्धचित्ता", | |
"‘‘करोथ", | |
"खिप्पं पादानि धोवित्वा, एकमन्ते निसीदथा’’ति॥", | |
"‘‘धातुयो दुक्खतो दिस्वा, मा जातिं पुनरागमि।", | |
"भवे छन्दं विराजेत्वा, उपसन्ता चरिस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘कायेन", | |
"समूलं तण्हमब्बुय्ह, सीतिभूताम्हि निब्बुता’’ति॥", | |
"‘‘सुखं त्वं वुड्ढिके सेहि, कत्वा चोळेन पारूता।", | |
"उपसन्तो हि ते रागो, सीतिभूतासि निब्बुता’’ति॥", | |
"‘‘पिण्डपातं", | |
"वेधमानेहि गत्तेहि, तत्थेव निपतिं छमा।", | |
"दिस्वा", | |
"‘‘हित्वा", | |
"हित्वा रागञ्च दोसञ्च, अविज्जञ्च विराजिय।", | |
"समूलं तण्हमब्बुय्ह, उपसन्ताम्हि निब्बुता’’ति॥", | |
"", | |
"असुभाय चित्तं भावेहि, एकग्गं सुसमाहितं॥", | |
"‘‘अनिमित्तञ्च भावेहि, मानानुसयमुज्जह।", | |
"ततो मानाभिसमया, उपसन्ता चरिस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘ये इमे सत्त बोज्झङ्गा, मग्गा निब्बानपत्तिया।", | |
"भाविता ते मया सब्बे, यथा बुद्धेन देसिता॥", | |
"‘‘दिट्ठो हि मे सो भगवा, अन्तिमोयं समुस्सयो।", | |
"विक्खीणो जातिसंसारो, नत्थि दानि पुनब्भवो’’ति॥", | |
"‘‘सुमुत्तिका", | |
"अहिरिको मे छत्तकं वापि, उक्खलिका मे देड्डुभं वाति॥", | |
"‘‘रागञ्च अहं दोसञ्च, चिच्चिटि चिच्चिटीति विहनामि।", | |
"सा रुक्खमूलमुपगम्म, अहो सुखन्ति सुखतो झायामी’’ति॥", | |
"‘‘याव कासिजनपदो, सुङ्को मे तत्थको अहु।", | |
"तं कत्वा नेगमो अग्घं, अड्ढेनग्घं ठपेसि मं॥", | |
"‘‘अथ", | |
"मा पुन जातिसंसारं, सन्धावेय्यं पुनप्पुनं।", | |
"तिस्सो विज्जा सच्छिकता, कतं बुद्धस्स सासन’’न्ति॥", | |
"‘‘किञ्चापि खोम्हि किसिका, गिलाना बाळ्हदुब्बला।", | |
"दण्डमोलुब्भ गच्छामि, पब्बतं अभिरूहिय॥", | |
"‘‘सङ्घाटिं निक्खिपित्वान, पत्तकञ्च निकुज्जिय।", | |
"सेले खम्भेसिमत्तानं, तमोखन्धं पदालिया’’ति॥", | |
"‘‘किञ्चापि खोम्हि दुक्खिता, दुब्बला गतयोब्बना।", | |
"दण्डमोलुब्भ गच्छामि, पब्बतं अभिरूहिय॥", | |
"‘‘निक्खिपित्वान", | |
"निसिन्ना चम्हि सेलम्हि, अथ चित्तं विमुच्चि मे।", | |
"तिस्सो", | |
"‘‘चातुद्दसिं पञ्चदसिं, या च पक्खस्स अट्ठमी।", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं", | |
"साज्ज एकेन भत्तेन, मुण्डा सङ्घाटिपारुता।", | |
"देवकायं न पत्थेहं, विनेय्य हदये दर’’न्ति॥", | |
"‘‘उद्धं पादतला अम्म, अधो वे केसमत्थका।", | |
"पच्चवेक्खस्सुमं कायं, असुचिं पूतिगन्धिकं॥", | |
"‘‘एवं", | |
"परिळाहो समुच्छिन्नो, सीतिभूताम्हि निब्बुता’’ति॥", | |
"‘‘अभये भिदुरो कायो, यत्थ सता पुथुज्जना।", | |
"निक्खिपिस्सामिमं देहं, सम्पजाना सतीमती॥", | |
"‘‘बहूहि दुक्खधम्मेहि, अप्पमादरताय मे।", | |
"तण्हक्खयो अनुप्पत्तो, कतं बुद्धस्स सासन’’न्ति॥", | |
"‘‘चतुक्खत्तुं", | |
"अलद्धा चेतसो सन्तिं, चित्ते अवसवत्तिनी।", | |
"तस्सा मे अट्ठमी रत्ति, यतो तण्हा समूहता॥", | |
"‘‘बहूहि दुक्खधम्मेहि, अप्पमादरताय मे।", | |
"तण्हक्खयो अनुप्पत्तो, कतं बुद्धस्स सासन’’न्ति॥", | |
"‘‘पण्णवीसतिवस्सानि", | |
"नाभिजानामि चित्तस्स, समं लद्धं कुदाचनं॥", | |
"‘‘अलद्धा चेतसो सन्तिं, चित्ते अवसवत्तिनी।", | |
"ततो संवेगमापादिं, सरित्वा जिनसासनं॥", | |
"‘‘बहूहि दुक्खधम्मेहि, अप्पमादरताय मे।", | |
"तण्हक्खयो अनुप्पत्तो, कतं बुद्धस्स सासनं।", | |
"अज्ज", | |
"‘‘चतुक्खत्तुं", | |
"अलद्धा चेतसो सन्तिं, चित्ते अवसवत्तिनी॥", | |
"‘‘सा", | |
"सा मे धम्ममदेसेसि, खन्धायतनधातुयो॥", | |
"‘‘तस्सा धम्मं सुणित्वान, यथा मं अनुसासि सा।", | |
"सत्ताहं एकपल्लङ्केन, निसीदिं पीतिसुखसमप्पिता", | |
"अट्ठमिया पादे पसारेसिं, तमोखन्धं पदालिया’’ति॥", | |
"‘‘ये इमे सत्त बोज्झङ्गा, मग्गा निब्बानपत्तिया।", | |
"भाविता ते मया सब्बे, यथा बुद्धेन देसिता॥", | |
"‘‘सुञ्ञतस्सानिमित्तस्स, लाभिनीहं यदिच्छकं।", | |
"ओरसा धीता बुद्धस्स, निब्बानाभिरता सदा॥", | |
"‘‘सब्बे", | |
"विक्खीणो जातिसंसारो, नत्थि दानि पुनब्भवो’’ति॥", | |
"‘‘दिवाविहारा निक्खम्म, गिज्झकूटम्हि पब्बते।", | |
"नागं ओगाहमुत्तिण्णं, नदीतीरम्हि अद्दसं॥", | |
"‘‘पुरिसो अङ्कुसमादाय, ‘देहि पाद’न्ति याचति।", | |
"नागो पसारयी पादं, पुरिसो नागमारुहि॥", | |
"‘‘दिस्वा", | |
"ततो चित्तं समाधेसिं, खलु ताय वनं गता’’ति॥", | |
"‘‘अम्म जीवाति वनम्हि कन्दसि, अत्तानं अधिगच्छ उब्बिरि।", | |
"चुल्लासीतिसहस्सानि", | |
"एतम्हाळाहने दड्ढा, तासं कमनुसोचसि॥", | |
"‘‘अब्बही", | |
"यं मे सोकपरेताय, धीतुसोकं ब्यपानुदि॥", | |
"‘‘साज्ज अब्बूळ्हसल्लाहं, निच्छाता परिनिब्बुता।", | |
"बुद्धं धम्मञ्च सङ्घञ्च, उपेमि सरणं मुनि’’न्ति॥", | |
"‘‘किंमे कता राजगहे मनुस्सा, मधुं पीताव", | |
"ये सुक्कं न उपासन्ति, देसेन्तिं बुद्धसासनं॥", | |
"‘‘तञ्च अप्पटिवानीयं, असेचनकमोजवं।", | |
"पिवन्ति मञ्ञे सप्पञ्ञा, वलाहकमिवद्धगू॥", | |
"‘‘सुक्का", | |
"धारेति अन्तिमं देहं, जेत्वा मारं सवाहन’’न्ति॥", | |
"‘‘नत्थि निस्सरणं लोके, किं विवेकेन काहसि।", | |
"भुञ्जाहि", | |
"‘‘सत्तिसूलूपमा कामा, खन्धासं अधिकुट्टना।", | |
"यं त्वं ‘कामरतिं’ ब्रूसि, ‘अरती’ दानि सा मम॥", | |
"‘‘सब्बत्थ विहता नन्दी", | |
"एवं जानाहि पापिम, निहतो त्वमसि अन्तका’’ति॥", | |
"‘‘यं तं इसीहि पत्तब्बं, ठानं दुरभिसम्भवं।", | |
"न तं द्वङ्गुलपञ्ञाय, सक्का पप्पोतुमित्थिया’’॥", | |
"‘‘इत्थिभावो नो किं कयिरा, चित्तम्हि सुसमाहिते।", | |
"ञाणम्हि वत्तमानम्हि, सम्मा धम्मं विपस्सतो॥", | |
"‘‘सब्बत्थ", | |
"एवं जानाहि पापिम, निहतो त्वमसि अन्तका’’ति॥", | |
"‘‘पुत्तो", | |
"पुब्बेनिवासं योवेदि, सग्गापायञ्च पस्सति॥", | |
"‘‘अथो", | |
"एताहि तीहि विज्जाहि, तेविज्जो होति ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘तथेव भद्दा कापिलानी, तेविज्जा मच्चुहायिनी।", | |
"धारेति अन्तिमं देहं, जेत्वा मारं सवाहनं॥", | |
"‘‘दिस्वा आदीनवं लोके, उभो पब्बजिता मयं।", | |
"त्यम्ह खीणासवा दन्ता, सीतिभूतम्ह निब्बुता’’ति॥", | |
"‘‘पण्णवीसतिवस्सानि", | |
"नाच्छरासङ्घातमत्तम्पि, चित्तस्सूपसमज्झगं॥", | |
"‘‘अलद्धा चेतसो सन्तिं, कामरागेनवस्सुता।", | |
"बाहा पग्गय्ह कन्दन्ती, विहारं पाविसिं अहं॥", | |
"‘‘सा भिक्खुनिं उपागच्छिं, या मे सद्धायिका अहु।", | |
"सा मे धम्ममदेसेसि, खन्धायतनधातुयो॥", | |
"‘‘तस्सा धम्मं सुणित्वान, एकमन्ते उपाविसिं।", | |
"पुब्बेनिवासं जानामि, दिब्बचक्खु विसोधितं॥", | |
"‘‘चेतोपरिच्चञाणञ्च", | |
"इद्धीपि मे सच्छिकता, पत्तो मे आसवक्खयो।", | |
"छळभिञ्ञा", | |
"‘‘मत्ता वण्णेन रूपेन, सोभग्गेन यसेन च।", | |
"योब्बनेन चुपत्थद्धा, अञ्ञासमतिमञ्ञिहं॥", | |
"‘‘विभूसेत्वा इमं कायं, सुचित्तं बाललापनं।", | |
"अट्ठासिं वेसिद्वारम्हि, लुद्दो पासमिवोड्डिय॥", | |
"‘‘पिलन्धनं विदंसेन्ती, गुय्हं पकासिकं बहुं।", | |
"अकासिं विविधं मायं, उज्जग्घन्ती बहुं जनं॥", | |
"‘‘साज्ज पिण्डं चरित्वान, मुण्डा सङ्घाटिपारुता।", | |
"निसिन्ना रुक्खमूलम्हि, अवितक्कस्स लाभिनी॥", | |
"‘‘सब्बे योगा समुच्छिन्ना, ये दिब्बा ये च मानुसा।", | |
"खेपेत्वा आसवे सब्बे, सीतिभूताम्हि निब्बुता’’ति॥", | |
"‘‘अयोनिसो", | |
"अहोसिं उद्धता पुब्बे, चित्ते अवसवत्तिनी॥", | |
"‘‘परियुट्ठिता क्लेसेहि, सुभसञ्ञानुवत्तिनी।", | |
"समं चित्तस्स न लभिं, रागचित्तवसानुगा॥", | |
"‘‘किसा", | |
"नाहं दिवा वा रत्तिं वा, सुखं विन्दिं सुदुक्खिता॥", | |
"‘‘ततो रज्जुं गहेत्वान, पाविसिं वनमन्तरं।", | |
"वरं मे इध उब्बन्धं, यञ्च हीनं पुनाचरे॥", | |
"‘‘दळ्हपासं", | |
"पक्खिपिं", | |
"‘‘आतुरं असुचिं पूतिं, पस्स नन्दे समुस्सयं।", | |
"असुभाय चित्तं भावेहि, एकग्गं सुसमाहितं॥", | |
"‘‘यथा इदं तथा एतं, यथा एतं तथा इदं।", | |
"दुग्गन्धं पूतिकं वाति, बालानं अभिनन्दितं॥", | |
"‘‘एवमेतं अवेक्खन्ती, रत्तिन्दिवमतन्दिता।", | |
"ततो सकाय पञ्ञाय, अभिनिब्बिज्झ", | |
"‘‘तस्सा मे अप्पमत्ताय, विचिनन्तिया योनिसो।", | |
"यथाभूतं अयं कायो, दिट्ठो सन्तरबाहिरो॥", | |
"‘‘अथ निब्बिन्दहं काये, अज्झत्तञ्च विरज्जहं।", | |
"अप्पमत्ता विसंयुत्ता, उपसन्ताम्हि निब्बुता’’ति॥", | |
"‘‘अग्गिं", | |
"नदीतित्थानि गन्त्वान, उदकं ओरुहामिहं॥", | |
"‘‘बहूवतसमादाना", | |
"छमाय सेय्यं कप्पेमि, रत्तिं भत्तं न भुञ्जहं॥", | |
"‘‘विभूसामण्डनरता, न्हापनुच्छादनेहि च।", | |
"उपकासिं इमं कायं, कामरागेन अट्टिता॥", | |
"‘‘ततो सद्धं लभित्वान, पब्बजिं अनगारियं।", | |
"दिस्वा कायं यथाभूतं, कामरागो समूहतो॥", | |
"‘‘सब्बे भवा समुच्छिन्ना, इच्छा च पत्थनापि च।", | |
"सब्बयोगविसंयुत्ता, सन्तिं पापुणि चेतसो’’ति॥", | |
"‘‘सद्धाय पब्बजित्वान, अगारस्मानगारियं।", | |
"विचरिंहं तेन तेन, लाभसक्कारउस्सुका॥", | |
"‘‘रिञ्चित्वा", | |
"किलेसानं वसं गन्त्वा, सामञ्ञत्थं न बुज्झिहं॥", | |
"‘‘तस्सा मे अहु संवेगो, निसिन्नाय विहारके।", | |
"उम्मग्गपटिपन्नाम्हि, तण्हाय वसमागता॥", | |
"‘‘अप्पकं जीवितं मय्हं, जरा ब्याधि च मद्दति।", | |
"पुरायं भिज्जति", | |
"‘‘यथाभूतमवेक्खन्ती, खन्धानं उदयब्बयं।", | |
"विमुत्तचित्ता उट्ठासिं, कतं बुद्धस्स सासन’’न्ति॥", | |
"‘‘अगारस्मिं", | |
"अद्दसं विरजं धम्मं, निब्बानं पदमच्चुतं॥", | |
"‘‘साहं पुत्तं धीतरञ्च, धनधञ्ञञ्च छड्डिय।", | |
"केसे छेदापयित्वान, पब्बजिं अनगारियं॥", | |
"‘‘सिक्खमाना", | |
"पहासिं रागदोसञ्च, तदेकट्ठे च आसवे॥", | |
"‘‘भिक्खुनी उपसम्पज्ज, पुब्बजातिमनुस्सरिं।", | |
"दिब्बचक्खु विसोधितं", | |
"‘‘सङ्खारे परतो दिस्वा, हेतुजाते पलोकिते", | |
"पहासिं आसवे सब्बे, सीतिभूताम्हि निब्बुता’’ति॥", | |
"‘‘दस पुत्ते विजायित्वा, अस्मिं रूपसमुस्सये।", | |
"ततोहं दुब्बला जिण्णा, भिक्खुनिं उपसङ्कमिं॥", | |
"‘‘सा मे धम्ममदेसेसि, खन्धायतनधातुयो।", | |
"तस्सा धम्मं सुणित्वान, केसे छेत्वान पब्बजिं॥", | |
"‘‘तस्सा मे सिक्खमानाय, दिब्बचक्खु विसोधितं।", | |
"पुब्बेनिवासं जानामि, यत्थ मे वुसितं पुरे॥", | |
"‘‘अनिमित्तञ्च", | |
"अनन्तराविमोक्खासिं, अनुपादाय निब्बुता॥", | |
"‘‘पञ्चक्खन्धा परिञ्ञाता, तिट्ठन्ति छिन्नमूलका।", | |
"धि", | |
"‘‘लूनकेसी", | |
"अवज्जे वज्जमतिनी, वज्जे चावज्जदस्सिनी॥", | |
"‘‘दिवाविहारा निक्खम्म, गिज्झकूटम्हि पब्बते।", | |
"अद्दसं विरजं बुद्धं, भिक्खुसङ्घपुरक्खतं॥", | |
"‘‘निहच्च जाणुं वन्दित्वा, सम्मुखा अञ्जलिं अकं।", | |
"‘एहि भद्दे’ति मं अवच, सा मे आसूपसम्पदा॥", | |
"‘‘चिण्णा", | |
"अनणा पण्णासवस्सानि, रट्ठपिण्डं अभुञ्जहं॥", | |
"‘‘पुञ्ञं वत पसवि बहुं, सप्पञ्ञो वतायं उपासको।", | |
"यो भद्दाय चीवरं अदासि, विप्पमुत्ताय सब्बगन्थेही’’ति॥", | |
"‘‘नङ्गलेहि कसं खेत्तं, बीजानि पवपं छमा।", | |
"पुत्तदारानि पोसेन्ता, धनं विन्दन्ति माणवा॥", | |
"‘‘किमहं सीलसम्पन्ना, सत्थुसासनकारिका।", | |
"निब्बानं नाधिगच्छामि, अकुसीता अनुद्धता॥", | |
"‘‘पादे पक्खालयित्वान, उदकेसु करोमहं।", | |
"पादोदकञ्च", | |
"‘‘ततो चित्तं समाधेसिं, अस्सं भद्रंवजानियं।", | |
"ततो", | |
"सेय्यं ओलोकयित्वान, मञ्चकम्हि उपाविसिं॥", | |
"‘‘ततो सूचिं गहेत्वान, वट्टिं ओकस्सयामहं।", | |
"पदीपस्सेव निब्बानं, विमोक्खो अहु चेतसो’’ति॥", | |
"‘‘‘मुसलानि", | |
"पुत्तदारानि पोसेन्ता, धनं विन्दन्ति माणवा॥", | |
"‘‘‘करोथ बुद्धसासनं, यं कत्वा नानुतप्पति।", | |
"खिप्पं पादानि धोवित्वा, एकमन्ते निसीदथ।", | |
"चेतोसमथमनुयुत्ता, करोथ बुद्धसासनं’॥", | |
"‘‘तस्सा ता", | |
"पादे पक्खालयित्वान, एकमन्तं उपाविसुं।", | |
"चेतोसमथमनुयुत्ता, अकंसु बुद्धसासनं॥", | |
"‘‘रत्तिया", | |
"रत्तिया मज्झिमे यामे, दिब्बचक्खुं विसोधयुं।", | |
"रत्तिया पच्छिमे यामे, तमोखन्धं पदालयुं॥", | |
"‘‘उट्ठाय पादे वन्दिंसु, ‘कता ते अनुसासनी।", | |
"इन्दंव", | |
"पुरक्खत्वा विहस्साम", | |
"‘‘दुग्गताहं पुरे आसिं, विधवा च अपुत्तिका।", | |
"विना मित्तेहि ञातीहि, भत्तचोळस्स नाधिगं॥", | |
"‘‘पत्तं दण्डञ्च गण्हित्वा, भिक्खमाना कुला कुलं।", | |
"सीतुण्हेन च डय्हन्ती, सत्त वस्सानि चारिहं॥", | |
"‘‘भिक्खुनिं पुन दिस्वान, अन्नपानस्स लाभिनिं।", | |
"उपसङ्कम्म अवोचं", | |
"‘‘सा", | |
"ततो मं ओवदित्वान, परमत्थे नियोजयि॥", | |
"‘‘तस्साहं", | |
"अमोघो अय्यायोवादो, तेविज्जाम्हि अनासवा’’ति॥", | |
"‘‘यस्स", | |
"तं", | |
"‘‘मग्गञ्च खोस्स", | |
"न नं समनुसोचेसि, एवंधम्मा हि पाणिनो॥", | |
"‘‘अयाचितो ततागच्छि, नानुञ्ञातो", | |
"कुतोचि नून आगन्त्वा, वसित्वा कतिपाहकं।", | |
"इतोपि अञ्ञेन गतो, ततोपञ्ञेन गच्छति॥", | |
"‘‘पेतो मनुस्सरूपेन, संसरन्तो गमिस्सति।", | |
"यथागतो तथा गतो, का तत्थ परिदेवना’’॥", | |
"‘‘अब्बही", | |
"या मे सोकपरेताय, पुत्तसोकं ब्यपानुदि॥", | |
"‘‘साज्ज अब्बूळ्हसल्लाहं, निच्छाता परिनिब्बुता।", | |
"बुद्धं धम्मञ्च सङ्घञ्च, उपेमि सरणं मुनिं’’॥", | |
"‘‘पुत्तसोकेनहं अट्टा, खित्तचित्ता विसञ्ञिनी।", | |
"नग्गा पकिण्णकेसी च, तेन तेन विचारिहं॥", | |
"‘‘वीथि", | |
"अचरिं तीणि वस्सानि, खुप्पिपासासमप्पिता॥", | |
"‘‘अथद्दसासिं", | |
"अदन्तानं दमेतारं, सम्बुद्धमकुतोभयं॥", | |
"‘‘सचित्तं", | |
"सो मे धम्ममदेसेसि, अनुकम्पाय गोतमो॥", | |
"‘‘तस्स", | |
"युञ्जन्ती सत्थुवचने, सच्छाकासिं पदं सिवं॥", | |
"‘‘सब्बे सोका समुच्छिन्ना, पहीना एतदन्तिका।", | |
"परिञ्ञाता हि मे वत्थू, यतो सोकान सम्भवो’’ति॥", | |
"‘‘दहरा त्वं रूपवती, अहम्पि दहरो युवा।", | |
"पञ्चङ्गिकेन तुरियेन", | |
"‘‘इमिना पूतिकायेन, आतुरेन पभङ्गुना।", | |
"अट्टियामि हरायामि, कामतण्हा समूहता॥", | |
"‘‘सत्तिसूलूपमा कामा, खन्धासं अधिकुट्टना।", | |
"यं ‘त्वं कामरतिं’ ब्रूसि, ‘अरती’ दानि सा मम॥", | |
"‘‘सब्बत्थ विहता नन्दी, तमोखन्धो पदालितो।", | |
"एवं जानाहि पापिम, निहतो त्वमसि अन्तक॥", | |
"‘‘नक्खत्तानि नमस्सन्ता, अग्गिं परिचरं वने।", | |
"यथाभुच्चमजानन्ता, बाला सुद्धिममञ्ञथ॥", | |
"‘‘अहञ्च खो नमस्सन्ती, सम्बुद्धं पुरिसुत्तमं।", | |
"पमुत्ता", | |
"‘‘अलङ्कता", | |
"सब्बाभरणसञ्छन्ना, दासीगणपुरक्खता॥", | |
"‘‘अन्नं", | |
"गेहतो निक्खमित्वान, उय्यानमभिहारयिं॥", | |
"‘‘तत्थ", | |
"विहारं दट्ठुं पाविसिं, साकेते अञ्जनं वनं॥", | |
"‘‘दिस्वान", | |
"सो मे धम्ममदेसेसि, अनुकम्पाय चक्खुमा॥", | |
"‘‘सुत्वा च खो महेसिस्स, सच्चं सम्पटिविज्झहं।", | |
"तत्थेव विरजं धम्मं, फुसयिं अमतं पदं॥", | |
"‘‘ततो विञ्ञातसद्धम्मा, पब्बजिं अनगारियं।", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, अमोघं बुद्धसासन’’न्ति॥", | |
"‘‘उच्चे कुले अहं जाता, बहुवित्ते महद्धने।", | |
"वण्णरूपेन सम्पन्ना, धीता मज्झस्स", | |
"‘‘पत्थिता राजपुत्तेहि, सेट्ठिपुत्तेहि गिज्झिता", | |
"पितु मे पेसयी दूतं, देथ मय्हं अनोपमं॥", | |
"‘‘यत्तकं तुलिता एसा, तुय्हं धीता अनोपमा।", | |
"ततो अट्ठगुणं दस्सं, हिरञ्ञं रतनानि च॥", | |
"‘‘साहं", | |
"तस्स पादानि वन्दित्वा, एकमन्तं उपाविसिं॥", | |
"‘‘सो मे धम्ममदेसेसि, अनुकम्पाय गोतमो।", | |
"निसिन्ना आसने तस्मिं, फुसयिं ततियं फलं॥", | |
"‘‘ततो केसानि छेत्वान, पब्बजिं अनगारियं।", | |
"अज्ज मे सत्तमी रत्ति, यतो तण्हा विसोसिता’’ति॥", | |
"‘‘बुद्ध", | |
"यो मं दुक्खा पमोचेसि, अञ्ञञ्च बहुकं जनं॥", | |
"‘‘सब्बदुक्खं परिञ्ञातं, हेतुतण्हा विसोसिता।", | |
"भावितो अट्ठङ्गिको", | |
"‘‘माता", | |
"यथाभुच्चमजानन्ती, संसरिंहं अनिब्बिसं॥", | |
"‘‘दिट्ठो हि मे सो भगवा, अन्तिमोयं समुस्सयो।", | |
"विक्खीणो जातिसंसारो, नत्थि दानि पुनब्भवो॥", | |
"‘‘आरद्धवीरिये पहितत्ते, निच्चं दळ्हपरक्कमे।", | |
"समग्गे सावके पस्से, एसा बुद्धान वन्दना॥", | |
"‘‘बहूनं", | |
"ब्याधिमरणतुन्नानं, दुक्खक्खन्धं ब्यपानुदी’’ति॥", | |
"‘‘गुत्ते", | |
"तमेव अनुब्रूहेहि, मा चित्तस्स वसं गमि॥", | |
"‘‘चित्तेन वञ्चिता सत्ता, मारस्स विसये रता।", | |
"अनेकजातिसंसारं, सन्धावन्ति अविद्दसू॥", | |
"‘‘कामच्छन्दञ्च ब्यापादं, सक्कायदिट्ठिमेव च।", | |
"सीलब्बतपरामासं, विचिकिच्छञ्च पञ्चमं॥", | |
"‘‘संयोजनानि एतानि, पजहित्वान भिक्खुनी।", | |
"ओरम्भागमनीयानि, नयिदं पुनरेहिसि॥", | |
"‘‘रागं मानं अविज्जञ्च, उद्धच्चञ्च विवज्जिय।", | |
"संयोजनानि छेत्वान, दुक्खस्सन्तं करिस्ससि॥", | |
"‘‘खेपेत्वा", | |
"दिट्ठेव धम्मे निच्छाता, उपसन्ता चरिस्सती’’ति॥", | |
"‘‘चतुक्खत्तुं पञ्चक्खत्तुं, विहारा उपनिक्खमिं।", | |
"अलद्धा चेतसो सन्तिं, चित्ते अवसवत्तिनी॥", | |
"‘‘भिक्खुनिं", | |
"सा मे धम्ममदेसेसि, धातुआयतनानि च॥", | |
"‘‘चत्तारि", | |
"बोज्झङ्गट्ठङ्गिकं मग्गं, उत्तमत्थस्स पत्तिया॥", | |
"‘‘तस्साहं", | |
"रत्तिया पुरिमे यामे, पुब्बजातिमनुस्सरिं॥", | |
"‘‘रत्तिया मज्झिमे यामे, दिब्बचक्खुं विसोधयिं।", | |
"रत्तिया पच्छिमे यामे, तमोखन्धं पदालयिं॥", | |
"‘‘पीतिसुखेन च कायं, फरित्वा विहरिं तदा।", | |
"सत्तमिया पादे पसारेसिं, तमोखन्धं पदालिया’’ति॥", | |
"‘‘‘मुसलानि", | |
"पुत्तदारानि पोसेन्ता, धनं विन्दन्ति माणवा॥", | |
"‘‘‘घटेथ", | |
"खिप्पं पादानि धोवित्वा, एकमन्तं निसीदथ॥", | |
"‘‘‘चित्तं उपट्ठपेत्वान, एकग्गं सुसमाहितं।", | |
"पच्चवेक्खथ सङ्खारे, परतो नो च अत्ततो’॥", | |
"‘‘तस्साहं वचनं सुत्वा, पटाचारानुसासनिं।", | |
"पादे पक्खालयित्वान, एकमन्ते उपाविसिं॥", | |
"‘‘रत्तिया", | |
"रत्तिया मज्झिमे यामे, दिब्बचक्खुं विसोधयिं॥", | |
"‘‘रत्तिया पच्छिमे यामे, तमोक्खन्धं पदालयिं।", | |
"तेविज्जा अथ वुट्ठासिं, कता ते अनुसासनी॥", | |
"‘‘सक्कंव देवा तिदसा, सङ्गामे अपराजितं।", | |
"पुरक्खत्वा विहस्सामि, तेविज्जाम्हि अनासवा’’॥", | |
"‘‘सतिं", | |
"पटिविज्झि पदं सन्तं, सङ्खारूपसमं सुखं’’॥", | |
"‘‘कं नु उद्दिस्स मुण्डासि, समणी विय दिस्ससि।", | |
"न च रोचेसि पासण्डे, किमिदं चरसि मोमुहा’’॥", | |
"‘‘इतो बहिद्धा पासण्डा, दिट्ठियो उपनिस्सिता।", | |
"न ते धम्मं विजानन्ति, न ते धम्मस्स कोविदा॥", | |
"‘‘अत्थि सक्यकुले जातो, बुद्धो अप्पटिपुग्गलो।", | |
"सो मे धम्ममदेसेसि, दिट्ठीनं समतिक्कमं॥", | |
"‘‘दुक्खं", | |
"अरियं चट्ठङ्गिकं मग्गं, दुक्खूपसमगामिनं॥", | |
"‘‘तस्साहं वचनं सुत्वा, विहरिं सासने रता।", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, कतं बुद्धस्स सासनं॥", | |
"‘‘सब्बत्थ", | |
"एवं जानाहि पापिम, निहतो त्वमसि अन्तक’’॥", | |
"‘‘सतिमती चक्खुमती, भिक्खुनी भावितिन्द्रिया।", | |
"पटिविज्झिं पदं सन्तं, अकापुरिससेवितं’’॥", | |
"‘‘किं नु जातिं न रोचेसि, जातो कामानि भुञ्जति।", | |
"भुञ्जाहि कामरतियो, माहु पच्छानुतापिनी’’॥", | |
"‘‘जातस्स मरणं होति, हत्थपादान छेदनं।", | |
"वधबन्धपरिक्लेसं, जातो दुक्खं निगच्छति॥", | |
"‘‘अत्थि सक्यकुले जातो, सम्बुद्धो अपराजितो।", | |
"सो मे धम्ममदेसेसि, जातिया समतिक्कमं॥", | |
"‘‘दुक्खं दुक्खसमुप्पादं, दुक्खस्स च अतिक्कमं।", | |
"अरियं चट्ठङ्गिकं मग्गं, दुक्खूपसमगामिनं॥", | |
"‘‘तस्साहं वचनं सुत्वा, विहरिं सासने रता।", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, कतं बुद्धस्स सासनं॥", | |
"‘‘सब्बत्थ", | |
"एवं जानाहि पापिम, निहतो त्वमसि अन्तक’’॥", | |
"‘‘भिक्खुनी", | |
"अधिगच्छे पदं सन्तं, असेचनकमोजवं’’॥", | |
"‘‘तावतिंसा च यामा च, तुसिता चापि देवता।", | |
"निम्मानरतिनो देवा, ये देवा वसवत्तिनो।", | |
"तत्थ चित्तं पणीधेहि, यत्थ ते वुसितं पुरे’’॥", | |
"‘‘तावतिंसा च यामा च, तुसिता चापि देवता।", | |
"निम्मानरतिनो देवा, ये देवा वसवत्तिनो॥", | |
"‘‘कालं कालं भवाभवं, सक्कायस्मिं पुरक्खता।", | |
"अवीतिवत्ता सक्कायं, जातिमरणसारिनो॥", | |
"‘‘सब्बो आदीपितो लोको, सब्बो लोको पदीपितो।", | |
"सब्बो पज्जलितो लोको, सब्बो लोको पकम्पितो॥", | |
"‘‘अकम्पियं अतुलियं, अपुथुज्जनसेवितं।", | |
"बुद्धो धम्ममदेसेसि, तत्थ मे निरतो मनो॥", | |
"‘‘तस्साहं वचनं सुत्वा, विहरिं सासने रता।", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, कतं बुद्धस्स सासनं॥", | |
"‘‘सब्बत्थ विहता नन्दी, तमोखन्धो पदालितो।", | |
"एवं जानाहि पापिम, निहतो त्वमसि अन्तक’’॥", | |
"‘‘मा", | |
"मा पुत्तक पुनप्पुनं, अहु दुक्खस्स भागिमा॥", | |
"‘‘सुखञ्हि", | |
"सीतिभूता दमप्पत्ता, विहरन्ति अनासवा॥", | |
"‘‘तेहानुचिण्णं इसीभि, मग्गं दस्सनपत्तिया।", | |
"दुक्खस्सन्तकिरियाय, त्वं वड्ढ अनुब्रूहय’’॥", | |
"‘‘विसारदाव भणसि, एतमत्थं जनेत्ति मे।", | |
"मञ्ञामि नून मामिके, वनथो ते न विज्जति’’॥", | |
"‘‘ये केचि वड्ढ सङ्खारा, हीना उक्कट्ठमज्झिमा।", | |
"अणूपि अणुमत्तोपि, वनथो मे न विज्जति॥", | |
"‘‘सब्बे मे आसवा खीणा, अप्पमत्तस्स झायतो।", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, कतं बुद्धस्स सासनं’’॥", | |
"‘‘उळारं वत मे माता, पतोदं समवस्सरि।", | |
"परमत्थसञ्हिता गाथा, यथापि अनुकम्पिका॥", | |
"‘‘तस्साहं वचनं सुत्वा, अनुसिट्ठिं जनेत्तिया।", | |
"धम्मसंवेगमापादिं, योगक्खेमस्स पत्तिया॥", | |
"‘‘सोहं पधानपहितत्तो, रत्तिन्दिवमतन्दितो।", | |
"मातरा चोदितो सन्तो, अफुसिं सन्तिमुत्तमं’’॥", | |
"‘‘कल्याणमित्तता", | |
"कल्याणमित्ते भजमानो, अपि बालो पण्डितो अस्स॥", | |
"‘‘भजितब्बा सप्पुरिसा, पञ्ञा तथा वड्ढति भजन्तानं।", | |
"भजमानो सप्पुरिसे, सब्बेहिपि दुक्खेहि पमुच्चेय्य॥", | |
"‘‘दुक्खञ्च विजानेय्य, दुक्खस्स च समुदयं निरोधं।", | |
"अट्ठङ्गिकञ्च मग्गं, चत्तारिपि अरियसच्चानि॥", | |
"‘‘दुक्खो", | |
"सपत्तिकम्पि हि दुक्खं, अप्पेकच्चा सकिं विजातायो॥", | |
"‘‘गलके अपि कन्तन्ति, सुखुमालिनियो विसानि खादन्ति।", | |
"जनमारकमज्झगता, उभोपि ब्यसनानि अनुभोन्ति॥", | |
"‘‘उपविजञ्ञा गच्छन्ती, अद्दसाहं पतिं मतं।", | |
"पन्थम्हि विजायित्वान, अप्पत्ताव सकं घरं॥", | |
"‘‘द्वे पुत्ता कालकता, पती च पन्थे मतो कपणिकाय।", | |
"माता पिता च भाता, डय्हन्ति च एकचितकायं॥", | |
"‘‘खीणकुलीने कपणे, अनुभूतं ते दुखं अपरिमाणं।", | |
"अस्सू च ते पवत्तं, बहूनि च जातिसहस्सानि॥", | |
"‘‘वसिता सुसानमज्झे, अथोपि खादितानि पुत्तमंसानि।", | |
"हतकुलिका", | |
"‘‘भावितो मे मग्गो, अरियो अट्ठङ्गिको अमतगामी।", | |
"निब्बानं सच्छिकतं, धम्मादासं अवेक्खिंहं", | |
"‘‘अहमम्हि कन्तसल्ला, ओहितभारा कतञ्हि करणीयं।", | |
"किसा गोतमी थेरी, विमुत्तचित्ता इमं भणी’’ति॥", | |
"‘‘उभो", | |
"तस्सा मे अहु संवेगो, अब्भुतो लोमहंसनो॥", | |
"‘‘धिरत्थु कामा असुची, दुग्गन्धा बहुकण्टका।", | |
"यत्थ माता च धीता च, सभरिया मयं अहुं॥", | |
"‘‘कामेस्वादीनवं", | |
"सा पब्बज्जिं राजगहे, अगारस्मानगारियं॥", | |
"‘‘पुब्बेनिवासं जानामि, दिब्बचक्खुं विसोधितं।", | |
"चेतोपरिच्चञाणञ्च, सोतधातु विसोधिता॥", | |
"‘‘इद्धीपि मे सच्छिकता, पत्तो मे आसवक्खयो।", | |
"छळभिञ्ञा सच्छिकता, कतं बुद्धस्स सासनं॥", | |
"‘‘इद्धिया", | |
"बुद्धस्स पादे वन्दित्वा, लोकनाथस्स तादिनो’’", | |
"‘‘सुपुप्फितग्गं उपगम्म पादपं, एका तुवं तिट्ठसि सालमूले", | |
"न चापि ते दुतियो अत्थि कोचि, न त्वं बाले भायसि धुत्तकानं’’॥", | |
"‘‘सतं सहस्सानिपि धुत्तकानं, समागता एदिसका भवेय्युं।", | |
"लोमं न इञ्जे नपि सम्पवेधे, किं मे तुवं मार करिस्ससेको॥", | |
"‘‘एसा अन्तरधायामि, कुच्छिं वा पविसामि ते।", | |
"भमुकन्तरे तिट्ठामि, तिट्ठन्तिं मं न दक्खसि॥", | |
"‘‘चित्तम्हि", | |
"छळभिञ्ञा सच्छिकता, कतं बुद्धस्स सासनं॥", | |
"‘‘सत्तिसूलूपमा कामा, खन्धासं अधिकुट्टना।", | |
"यं त्वं ‘कामरतिं’ ब्रूसि, ‘अरती’ दानि सा मम॥", | |
"‘‘सब्बत्थ", | |
"एवं जानाहि पापिम, निहतो त्वमसि अन्तका’’ति॥", | |
"‘‘उदहारी", | |
"अय्यानं दण्डभयभीता, वाचादोसभयट्टिता॥", | |
"‘‘कस्स ब्राह्मण त्वं भीतो, सदा उदकमोतरि।", | |
"वेधमानेहि गत्तेहि, सीतं वेदयसे भुसं’’॥", | |
"जानन्ती वत मं", | |
"करोन्तं कुसलं कम्मं, रुन्धन्तं कतपापकं॥", | |
"‘‘यो च वुड्ढो दहरो वा, पापकम्मं पकुब्बति।", | |
"दकाभिसेचना सोपि, पापकम्मा पमुच्चति’’॥", | |
"‘‘को नु ते इदमक्खासि, अजानन्तस्स अजानको।", | |
"दकाभिसेचना नाम, पापकम्मा पमुच्चति॥", | |
"‘‘सग्गं नून गमिस्सन्ति, सब्बे मण्डूककच्छपा।", | |
"नागा", | |
"‘‘ओरब्भिका सूकरिका, मच्छिका मिगबन्धका।", | |
"चोरा च वज्झघाता च, ये चञ्ञे पापकम्मिनो।", | |
"दकाभिसेचना तेपि, पापकम्मा पमुच्चरे॥", | |
"‘‘सचे इमा नदियो ते, पापं पुब्बे कतं वहुं।", | |
"पुञ्ञम्पिमा", | |
"‘‘यस्स", | |
"तमेव ब्रह्मे मा कासि, मा ते सीतं छविं हने’’॥", | |
"‘‘कुम्मग्गपटिपन्नं मं, अरियमग्गं समानयि।", | |
"दकाभिसेचना भोति, इमं साटं ददामि ते’’॥", | |
"‘‘तुय्हेव साटको होतु, नाहमिच्छामि साटकं।", | |
"सचे भायसि दुक्खस्स, सचे ते दुक्खमप्पियं॥", | |
"‘‘माकासि", | |
"सचे च पापकं कम्मं, करिस्ससि करोसि वा॥", | |
"‘‘न ते दुक्खा पमुत्यत्थि, उपेच्चापि", | |
"सचे भायसि दुक्खस्स, सचे ते दुक्खमप्पियं॥", | |
"‘‘उपेहि सरणं बुद्धं, धम्मं सङ्घञ्च तादिनं।", | |
"समादियाहि सीलानि, तं ते अत्थाय हेहिति’’॥", | |
"‘‘उपेमि सरणं बुद्धं, धम्मं सङ्घञ्च तादिनं।", | |
"समादियामि सीलानि, तं मे अत्थाय हेहिति॥", | |
"‘‘ब्रह्मबन्धु पुरे आसिं, अज्जम्हि सच्चब्राह्मणो।", | |
"तेविज्जो वेदसम्पन्नो, सोत्तियो चम्हि न्हातको’’ति॥", | |
"‘‘काळका", | |
"ते जराय साणवाकसादिसा, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"तं जरायथ सलोमगन्धिकं, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘काननंव", | |
"तं जराय विरलं तहिं तहिं, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘कण्हखन्धकसुवण्णमण्डितं, सोभते सुवेणीहिलङ्कतं।", | |
"तं", | |
"‘‘चित्तकारसुकताव लेखिका, सोभरे सु भमुका पुरे मम।", | |
"ता", | |
"‘‘भस्सरा सुरुचिरा यथा मणी, नेत्तहेसुमभिनीलमायता।", | |
"ते जरायभिहता न सोभरे, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘सण्हतुङ्गसदिसी", | |
"सा जराय उपकूलिता विय, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘कङ्कणं व सुकतं सुनिट्ठितं, सोभरे सु मम कण्णपाळियो।", | |
"ता जराय वलिभिप्पलम्बिता, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘पत्तलीमकुलवण्णसादिसा, सोभरे सु दन्ता पुरे मम।", | |
"ते जराय खण्डिता चासिता", | |
"‘‘काननम्हि वनसण्डचारिनी, कोकिलाव", | |
"तं जराय खलितं तहिं तहिं, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘सण्हकम्बुरिव सुप्पमज्जिता, सोभते सु गीवा पुरे मम।", | |
"सा जराय भग्गा", | |
"‘‘वट्टपलिघसदिसोपमा", | |
"ता जराय यथ पाटलिब्बलिता", | |
"‘‘सण्हमुद्दिकसुवण्णमण्डिता, सोभरे सु हत्था पुरे मम।", | |
"ते जराय यथा मूलमूलिका, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘पीनवट्टसहितुग्गता", | |
"थेविकीव लम्बन्ति नोदका, सच्चवादिवचनं", | |
"‘‘कञ्चनस्सफलकंव सम्मट्ठं, सोभते सु कायो पुरे मम।", | |
"सो वलीहि सुखुमाहि ओततो, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘नागभोगसदिसोपमा उभो, सोभरे सु ऊरू पुरे मम।", | |
"ते जराय यथा वेळुनाळियो, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘सण्हनूपुरसुवण्णमण्डिता", | |
"ता जराय तिलदण्डकारिव, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘तूलपुण्णसदिसोपमा उभो, सोभरे सु पादा पुरे मम।", | |
"ते जराय फुटिता वलीमता, सच्चवादिवचनं अनञ्ञथा॥", | |
"‘‘एदिसो अहु अयं समुस्सयो, जज्जरो बहुदुक्खानमालयो।", | |
"सोपलेपपतितो", | |
"‘‘‘समणा’ति", | |
"समणानेव", | |
"‘‘विपुलं", | |
"रोहिनी दानि पुच्छामि, केन ते समणा पिया॥", | |
"‘‘अकम्मकामा अलसा, परदत्तूपजीविनो।", | |
"आसंसुका सादुकामा, केन ते समणा पिया’’॥", | |
"‘‘चिरस्सं वत मं तात, समणानं परिपुच्छसि।", | |
"तेसं ते कित्तयिस्सामि, पञ्ञासीलपरक्कमं॥", | |
"‘‘कम्मकामा अनलसा, कम्मसेट्ठस्स कारका।", | |
"रागं दोसं पजहन्ति, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘तीणि पापस्स मूलानि, धुनन्ति सुचिकारिनो।", | |
"सब्बं पापं पहीनेसं, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘कायकम्मं सुचि नेसं, वचीकम्मञ्च तादिसं।", | |
"मनोकम्मं सुचि नेसं, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘विमला सङ्खमुत्ताव, सुद्धा सन्तरबाहिरा।", | |
"पुण्णा सुक्कान धम्मानं", | |
"‘‘बहुस्सुता धम्मधरा, अरिया धम्मजीविनो।", | |
"अत्थं धम्मञ्च देसेन्ति, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘बहुस्सुता", | |
"एकग्गचित्ता सतिमन्तो, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘दूरङ्गमा", | |
"दुक्खस्सन्तं पजानन्ति, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘यस्मा गामा पक्कमन्ति, न विलोकेन्ति किञ्चनं।", | |
"अनपेक्खाव गच्छन्ति, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘न", | |
"परिनिट्ठितमेसाना, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘न ते हिरञ्ञं गण्हन्ति, न सुवण्णं न रूपियं।", | |
"पच्चुप्पन्नेन यापेन्ति, तेन मे समणा पिया॥", | |
"‘‘नानाकुला", | |
"अञ्ञमञ्ञं पियायन्ति", | |
"‘‘अत्थाय वत नो भोति, कुले जातासि रोहिनी।", | |
"सद्धा बुद्धे च धम्मे च, सङ्घे च तिब्बगारवा॥", | |
"‘‘तुवं हेतं पजानासि, पुञ्ञक्खेत्तं अनुत्तरं।", | |
"अम्हम्पि एते समणा, पटिगण्हन्ति दक्खिणं’’॥", | |
"‘‘पतिट्ठितो हेत्थ यञ्ञो, विपुलो नो भविस्सति।", | |
"सचे भायसि दुक्खस्स, सचे ते दुक्खमप्पियं॥", | |
"‘‘उपेहि सरणं बुद्धं, धम्मं सङ्घञ्च तादिनं।", | |
"समादियाहि सीलानि, तं ते अत्थाय हेहिति’’॥", | |
"‘‘उपेमि", | |
"समादियामि सीलानि, तं मे अत्थाय हेहिति॥", | |
"‘‘ब्रह्मबन्धु पुरे आसिं, सो इदानिम्हि ब्राह्मणो।", | |
"तेविज्जो सोत्तियो चम्हि, वेदगू चम्हि न्हातको’’॥", | |
"‘‘लट्ठिहत्थो पुरे आसि, सो दानि मिगलुद्दको।", | |
"आसाय पलिपा घोरा, नासक्खि पारमेतवे॥", | |
"‘‘सुमत्तं मं मञ्ञमाना, चापा पुत्तमतोसयि।", | |
"चापाय बन्धनं छेत्वा, पब्बजिस्सं पुनोपहं॥", | |
"‘‘मा", | |
"न हि कोधपरेतस्स, सुद्धि अत्थि कुतो तपो॥", | |
"‘‘पक्कमिस्सञ्च", | |
"बन्धन्ती इत्थिरूपेन, समणे धम्मजीविनो’’", | |
"‘‘एहि काळ निवत्तस्सु, भुञ्ज कामे यथा पुरे।", | |
"अहञ्च ते वसीकता, ये च मे सन्ति ञातका’’॥", | |
"‘‘एत्तो", | |
"तयि रत्तस्स पोसस्स, उळारं वत तं सिया’’॥", | |
"‘‘काळङ्गिनिंव तक्कारिं, पुप्फितं गिरिमुद्धनि।", | |
"फुल्लं दालिमलट्ठिंव, अन्तोदीपेव पाटलिं॥", | |
"‘‘हरिचन्दनलित्तङ्गिं, कासिकुत्तमधारिनिं।", | |
"तं", | |
"‘‘साकुन्तिकोव सकुणिं", | |
"आहरिमेन रूपेन, न मं त्वं बाधयिस्ससि’’॥", | |
"‘‘इमञ्च मे पुत्तफलं, काळ उप्पादितं तया।", | |
"तं मं पुत्तवतिं सन्तिं, कस्स ओहाय गच्छसि’’॥", | |
"‘‘जहन्ति पुत्ते सप्पञ्ञा, ततो ञाती ततो धनं।", | |
"पब्बजन्ति महावीरा, नागो छेत्वाव बन्धनं’’॥", | |
"‘‘इदानि ते इमं पुत्तं, दण्डेन छुरिकाय वा।", | |
"भूमियं वा निसुम्भिस्सं", | |
"‘‘सचे पुत्तं सिङ्गालानं, कुक्कुरानं पदाहिसि।", | |
"न मं पुत्तकत्ते जम्मि, पुनरावत्तयिस्ससि’’॥", | |
"‘‘हन्द खो दानि भद्दन्ते, कुहिं काळ गमिस्ससि।", | |
"कतमं", | |
"‘‘अहुम्ह पुब्बे गणिनो, अस्समणा समणमानिनो।", | |
"गामेन गामं विचरिम्ह, नगरे राजधानियो॥", | |
"‘‘एसो हि भगवा बुद्धो, नदिं नेरञ्जरं पति।", | |
"सब्बदुक्खप्पहानाय, धम्मं देसेति पाणिनं।", | |
"तस्साहं सन्तिकं गच्छं, सो मे सत्था भविस्सति’’॥", | |
"‘‘वन्दनं", | |
"पदक्खिणञ्च कत्वान, आदिसेय्यासि दक्खिणं’’॥", | |
"‘‘एतं खो लब्भमम्हेहि, यथा भाससि त्वञ्च मे।", | |
"वन्दनं दानि ते वज्जं, लोकनाथं अनुत्तरं।", | |
"पदक्खिणञ्च", | |
"ततो", | |
"सो अद्दसासि सम्बुद्धं, देसेन्तं अमतं पदं॥", | |
"दुक्खं दुक्खसमुप्पादं, दुक्खस्स च अतिक्कमं।", | |
"अरियं चट्ठङ्गिकं मग्गं, दुक्खूपसमगामिनं॥", | |
"तस्स पादानि वन्दित्वा, कत्वान नं", | |
"चापाय आदिसित्वान, पब्बजिं अनगारियं।", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, कतं बुद्धस्स सासनं॥", | |
"‘‘पेतानि भोति पुत्तानि, खादमाना तुवं पुरे।", | |
"तुवं दिवा च रत्तो च, अतीव परितप्पसि॥", | |
"‘‘साज्ज सब्बानि खादित्वा, सतपुत्तानि", | |
"वासेट्ठि केन वण्णेन, न बाळ्हं परितप्पसि’’॥", | |
"‘‘बहूनि पुत्तसतानि, ञातिसङ्घसतानि च।", | |
"खादितानि अतीतंसे, मम तुय्हञ्च ब्राह्मण॥", | |
"‘‘साहं निस्सरणं ञत्वा, जातिया मरणस्स च।", | |
"न", | |
"‘‘अब्भुतं", | |
"कस्स त्वं धम्ममञ्ञाय, गिरं", | |
"‘‘एस ब्राह्मण सम्बुद्धो, नगरं मिथिलं पति।", | |
"सब्बदुक्खप्पहानाय, धम्मं देसेसि पाणिनं॥", | |
"‘‘तस्स ब्रह्मे", | |
"तत्थ विञ्ञातसद्धम्मा, पुत्तसोकं ब्यपानुदिं’’॥", | |
"‘‘सो", | |
"अप्पेव मं सो भगवा, सब्बदुक्खा पमोचये’’॥", | |
"अद्दस", | |
"स्वस्स धम्ममदेसेसि, मुनि दुक्खस्स पारगू॥", | |
"दुक्खं दुक्खसमुप्पादं, दुक्खस्स च अतिक्कमं।", | |
"अरियं चट्ठङ्गिकं मग्गं, दुक्खूपसमगामिनं॥", | |
"तत्थ विञ्ञातसद्धम्मो, पब्बज्जं समरोचयि।", | |
"सुजातो तीहि रत्तीहि, तिस्सो विज्जा अफस्सयि॥", | |
"‘‘एहि सारथि गच्छाहि, रथं निय्यादयाहिमं।", | |
"आरोग्यं ब्राह्मणिं वज्ज", | |
"सुजातो तीहि रत्तीहि, तिस्सो विज्जा अफस्सयि’’’॥", | |
"ततो च रथमादाय, सहस्सञ्चापि सारथि।", | |
"आरोग्यं", | |
"सुजातो तीहि रत्तीहि, तिस्सो विज्जा अफस्सयि’’॥", | |
"‘‘एतञ्चाहं अस्सरथं, सहस्सञ्चापि सारथि।", | |
"तेविज्जं ब्राह्मणं सुत्वा", | |
"‘‘तुय्हेव होत्वस्सरथो, सहस्सञ्चापि ब्राह्मणि।", | |
"अहम्पि पब्बजिस्सामि, वरपञ्ञस्स सन्तिके’’॥", | |
"‘‘हत्थी", | |
"पिता पब्बजितो तुय्हं, भुञ्ज भोगानि सुन्दरि। तुवं दायादिका कुले’’॥", | |
"‘‘हत्थी गवस्सं मणिकुण्डलञ्च, रम्मं चिमं गहविभवं पहाय।", | |
"पिता पब्बजितो मय्हं, पुत्तसोकेन अट्टितो।", | |
"अहम्पि पब्बजिस्सामि, भातुसोकेन अट्टिता’’॥", | |
"‘‘सो ते इज्झतु सङ्कप्पो, यं त्वं पत्थेसि सुन्दरी।", | |
"उत्तिट्ठपिण्डो उञ्छो च, पंसुकूलञ्च चीवरं।", | |
"एतानि अभिसम्भोन्ती, परलोके अनासवा’’॥", | |
"‘‘सिक्खमानाय", | |
"पुब्बेनिवासं जानामि, यत्थ मे वुसितं पुरे॥", | |
"‘‘तुवं", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, कतं बुद्धस्स सासनं॥", | |
"‘‘अनुजानाहि मे अय्ये, इच्छे सावत्थि गन्तवे।", | |
"सीहनादं नदिस्सामि, बुद्धसेट्ठस्स सन्तिके’’॥", | |
"‘‘पस्स सुन्दरि सत्थारं, हेमवण्णं हरित्तचं।", | |
"अदन्तानं दमेतारं, सम्बुद्धमकुतोभयं’’॥", | |
"‘‘पस्स सुन्दरिमायन्तिं, विप्पमुत्तं निरूपधिं।", | |
"वीतरागं विसंयुत्तं, कतकिच्चमनासवं॥", | |
"‘‘बाराणसीतो निक्खम्म, तव सन्तिकमागता।", | |
"साविका ते महावीर, पादे वन्दति सुन्दरी’’॥", | |
"‘‘तुवं बुद्धो तुवं सत्था, तुय्हं धीताम्हि ब्राह्मण।", | |
"ओरसा मुखतो जाता, कतकिच्चा अनासवा’’॥", | |
"‘‘तस्सा", | |
"एवञ्हि दन्ता आयन्ति, सत्थु पादानि वन्दिका।", | |
"वीतरागा विसंयुत्ता, कतकिच्चा अनासवा’’॥", | |
"‘‘दहराहं सुद्धवसना, यं पुरे धम्ममस्सुणिं।", | |
"तस्सा मे अप्पमत्ताय, सच्चाभिसमयो अहु॥", | |
"‘‘ततोहं सब्बकामेसु, भुसं अरतिमज्झगं।", | |
"सक्कायस्मिं भयं दिस्वा, नेक्खम्ममेव", | |
"‘‘हित्वानहं", | |
"गामखेत्तानि फीतानि, रमणीये पमोदिते॥", | |
"‘‘पहायहं", | |
"एवं सद्धाय निक्खम्म, सद्धम्मे सुप्पवेदिते॥", | |
"‘‘नेतं", | |
"यो", | |
"‘‘रजतं", | |
"नेतं समणसारुप्पं, न एतं अरियद्धनं॥", | |
"‘‘लोभनं मदनञ्चेतं, मोहनं रजवड्ढनं।", | |
"सासङ्कं बहुआयासं, नत्थि चेत्थ धुवं ठिति॥", | |
"‘‘एत्थ रत्ता पमत्ता च, सङ्किलिट्ठमना नरा।", | |
"अञ्ञमञ्ञेन ब्यारुद्धा, पुथु कुब्बन्ति मेधगं॥", | |
"‘‘वधो बन्धो परिक्लेसो, जानि सोकपरिद्दवो।", | |
"कामेसु अधिपन्नानं, दिस्सते ब्यसनं बहुं॥", | |
"‘‘तं मं ञाती अमित्ताव, किं वो कामेसु युञ्जथ।", | |
"जानाथ मं पब्बजितं, कामेसु भयदस्सिनिं॥", | |
"‘‘न", | |
"अमित्ता वधका कामा, सपत्ता सल्लबन्धना॥", | |
"‘‘तं", | |
"जानाथ मं पब्बजितं, मुण्डं सङ्घाटिपारुतं॥", | |
"‘‘उत्तिट्ठपिण्डो उञ्छो च, पंसुकूलञ्च चीवरं।", | |
"एतं खो मम सारुप्पं, अनगारूपनिस्सयो॥", | |
"‘‘वन्ता महेसीहि कामा, ये दिब्बा ये च मानुसा।", | |
"खेमट्ठाने विमुत्ता ते, पत्ता ते अचलं सुखं॥", | |
"‘‘माहं कामेहि सङ्गच्छिं, येसु ताणं न विज्जति।", | |
"अमित्ता वधका कामा, अग्गिक्खन्धूपमा दुखा॥", | |
"‘‘परिपन्थो", | |
"गेधो सुविसमो चेसो", | |
"‘‘उपसग्गो भीमरूपो, कामा सप्पसिरूपमा।", | |
"ये बाला अभिनन्दन्ति, अन्धभूता पुथुज्जना॥", | |
"‘‘कामपङ्केन सत्ता हि, बहू लोके अविद्दसू।", | |
"परियन्तं न जानन्ति, जातिया मरणस्स च॥", | |
"‘‘दुग्गतिगमनं मग्गं, मनुस्सा कामहेतुकं।", | |
"बहुं वे पटिपज्जन्ति, अत्तनो रोगमावहं॥", | |
"‘‘एवं", | |
"लोकामिसा बन्धनीया, कामा मरणबन्धना", | |
"‘‘उम्मादना", | |
"सत्तानं सङ्किलेसाय, खिप्पं", | |
"‘‘अनन्तादीनवा कामा, बहुदुक्खा महाविसा।", | |
"अप्पस्सादा", | |
"‘‘साहं एतादिसं कत्वा, ब्यसनं कामहेतुकं।", | |
"न तं पच्चागमिस्सामि, निब्बानाभिरता सदा॥", | |
"‘‘रणं करित्वा", | |
"अप्पमत्ता विहस्सामि, सब्बसंयोजनक्खये॥", | |
"‘‘असोकं विरजं खेमं, अरियट्ठङ्गिकं उजुं।", | |
"तं मग्गं अनुगच्छामि, येन तिण्णा महेसिनो’’॥", | |
"इमं पस्सथ धम्मट्ठं, सुभं कम्मारधीतरं।", | |
"अनेजं उपसम्पज्ज, रुक्खमूलम्हि झायति॥", | |
"अज्जट्ठमी पब्बजिता, सद्धा सद्धम्मसोभना।", | |
"विनीतुप्पलवण्णाय, तेविज्जा मच्चुहायिनी॥", | |
"सायं", | |
"सब्बयोगविसंयुत्ता, कतकिच्चा अनासवा॥", | |
"तं सक्को देवसङ्घेन, उपसङ्कम्म इद्धिया।", | |
"नमस्सति भूतपति, सुभं कम्मारधीतरन्ति॥", | |
"जीवकम्बवनं", | |
"धुत्तको सन्निवारेसि", | |
"‘‘किं ते अपराधितं मया, यं मं ओवरियान तिट्ठसि।", | |
"न हि पब्बजिताय आवुसो, पुरिसो सम्फुसनाय कप्पति॥", | |
"‘‘गरुके मम सत्थुसासने, या सिक्खा सुगतेन देसिता।", | |
"परिसुद्धपदं", | |
"‘‘आविलचित्तो अनाविलं, सरजो वीतरजं अनङ्गणं।", | |
"सब्बत्थ विमुत्तमानसं, किं मं ओवरियान तिट्ठसि’’॥", | |
"‘‘दहरा च अपापिका चसि, किं ते पब्बज्जा करिस्सति।", | |
"निक्खिप कासायचीवरं, एहि रमाम सुपुप्फिते", | |
"‘‘मधुरञ्च पवन्ति सब्बसो, कुसुमरजेन समुट्ठिता दुमा।", | |
"पठमवसन्तो सुखो उतु, एहि रमाम सुपुप्फिते वने॥", | |
"‘‘कुसुमितसिखरा च पादपा, अभिगज्जन्तिव मालुतेरिता।", | |
"का तुय्हं रति भविस्सति, यदि एका वनमोगहिस्ससि", | |
"‘‘वाळमिगसङ्घसेवितं", | |
"असहायिका गन्तुमिच्छसि, रहितं भिंसनकं महावनं॥", | |
"‘‘तपनीयकताव धीतिका, विचरसि चित्तलतेव अच्छरा।", | |
"कासिकसुखुमेहि", | |
"‘‘अहं तव वसानुगो सियं, यदि विहरेमसे", | |
"न हि मत्थि तया पियत्तरो, पाणो किन्नरिमन्दलोचने॥", | |
"‘‘यदि मे वचनं करिस्ससि, सुखिता एहि अगारमावस।", | |
"पासादनिवातवासिनी, परिकम्मं ते करोन्तु नारियो॥", | |
"‘‘कासिकसुखुमानि धारय, अभिरोपेहि", | |
"कञ्चनमणिमुत्तकं", | |
"‘‘सुधोतरजपच्छदं", | |
"अभिरुह सयनं महारहं, चन्दनमण्डितसारगन्धिकं।", | |
"‘‘उप्पलं चुदका समुग्गतं, यथा तं अमनुस्ससेवितं।", | |
"एवं त्वं ब्रह्मचारिनी, सकेसङ्गेसु जरं गमिस्ससि’’॥", | |
"‘‘किं", | |
"भेदनधम्मे कळेवरे", | |
"‘‘अक्खीनि च तुरियारिव, किन्नरियारिव पब्बतन्तरे।", | |
"तव मे नयनानि दक्खिय, भिय्यो कामरती पवड्ढति॥", | |
"‘‘उप्पलसिखरोपमानि ते, विमले हाटकसन्निभे मुखे।", | |
"तव मे नयनानि दक्खिय", | |
"‘‘अपि दूरगता सरम्हसे, आयतपम्हे विसुद्धदस्सने।", | |
"न", | |
"‘‘अपथेन पयातुमिच्छसि, चन्दं कीळनकं गवेससि।", | |
"मेरुं लङ्घेतुमिच्छसि, यो त्वं बुद्धसुतं मग्गयसि॥", | |
"‘‘नत्थि", | |
"नपि नं जानामि कीरिसो, अथ मग्गेन हतो समूलको॥", | |
"‘‘इङ्गालकुयाव", | |
"नपि नं पस्सामि कीरिसो, अथ मग्गेन हतो समूलको॥", | |
"‘‘यस्सा", | |
"त्वं तादिसिकं पलोभय, जानन्तिं सो इमं विहञ्ञसि॥", | |
"‘‘मय्हञ्हि अक्कुट्ठवन्दिते, सुखदुक्खे च सती उपट्ठिता।", | |
"सङ्खतमसुभन्ति जानिय, सब्बत्थेव मनो न लिम्पति॥", | |
"‘‘साहं सुगतस्स साविका, मग्गट्ठङ्गिकयानयायिनी।", | |
"उद्धटसल्ला अनासवा, सुञ्ञागारगता रमामहं॥", | |
"‘‘दिट्ठा हि मया सुचित्तिता, सोम्भा दारुकपिल्लकानि वा।", | |
"तन्तीहि च खीलकेहि च, विनिबद्धा विविधं पनच्चका॥", | |
"‘‘तम्हुद्धटे तन्तिखीलके, विस्सट्ठे विकले परिक्रिते", | |
"न विन्देय्य खण्डसो कते, किम्हि तत्थ मनं निवेसये॥", | |
"‘‘तथूपमा", | |
"धम्मेहि", | |
"‘‘यथा हरितालेन मक्खितं, अद्दस चित्तिकं भित्तिया कतं।", | |
"तम्हि", | |
"‘‘मायं", | |
"उपगच्छसि अन्ध रित्तकं, जनमज्झेरिव रुप्परूपकं", | |
"‘‘वट्टनिरिव कोटरोहिता, मज्झे पुब्बुळका सअस्सुका।", | |
"पीळकोळिका चेत्थ जायति, विविधा चक्खुविधा च पिण्डिता’’॥", | |
"उप्पाटिय चारुदस्सना, न च पज्जित्थ असङ्गमानसा।", | |
"‘‘हन्द ते चक्खुं हरस्सु तं’’, तस्स नरस्स अदासि तावदे॥", | |
"तस्स च विरमासि तावदे, रागो तत्थ खमापयी च नं।", | |
"‘‘सोत्थि सिया ब्रह्मचारिनी, न पुनो एदिसकं भविस्सति’’॥", | |
"‘‘आसादिय", | |
"गण्हिय आसीविसं विय, अपि नु सोत्थि सिया खमेहि नो’’॥", | |
"मुत्ता च ततो सा भिक्खुनी, अगमी बुद्धवरस्स सन्तिकं।", | |
"पस्सिय वरपुञ्ञलक्खणं, चक्खु आसि यथा पुराणकन्ति॥", | |
"नगरम्हि", | |
"सक्यकुलकुलीनायो, द्वे भिक्खुनियो हि गुणवतियो॥", | |
"इसिदासी", | |
"झानज्झायनरतायो, बहुस्सुतायो धुतकिलेसायो॥", | |
"ता", | |
"रहितम्हि सुखनिसिन्ना, इमा गिरा अब्भुदीरेसुं॥", | |
"‘‘पासादिकासि अय्ये, इसिदासि वयोपि ते अपरिहीनो।", | |
"किं दिस्वान ब्यालिकं, अथासि नेक्खम्ममनुयुत्ता’’॥", | |
"एवमनुयुञ्जियमाना सा, रहिते धम्मदेसनाकुसला।", | |
"इसिदासी वचनमब्रवि, ‘‘सुण बोधि यथाम्हि पब्बजिता॥", | |
"‘‘उज्जेनिया पुरवरे, मय्हं पिता सीलसंवुतो सेट्ठि।", | |
"तस्सम्हि एकधीता, पिया मनापा च दयिता च॥", | |
"‘‘अथ मे साकेततो वरका, आगच्छुमुत्तमकुलीना।", | |
"सेट्ठी पहूतरतनो, तस्स ममं सुण्हमदासि तातो॥", | |
"‘‘सस्सुया सस्सुरस्स च, सायं पातं पणाममुपगम्म।", | |
"सिरसा करोमि पादे, वन्दामि यथाम्हि अनुसिट्ठा॥", | |
"‘‘या", | |
"तमेकवरकम्पि दिस्वा, उब्बिग्गा आसनं देमि॥", | |
"‘‘अन्नेन च पानेन च, खज्जेन च यञ्च तत्थ सन्निहितं।", | |
"छादेमि उपनयामि च, देमि च यं यस्स पतिरूपं॥", | |
"‘‘कालेन उपट्ठहित्वा", | |
"धोवन्ती हत्थपादे, पञ्जलिका सामिकमुपेमि॥", | |
"‘‘कोच्छं पसादं अञ्जनिञ्च, आदासकञ्च गण्हित्वा।", | |
"परिकम्मकारिका", | |
"‘‘सयमेव", | |
"माताव एकपुत्तकं, तथा", | |
"‘‘एवं मं भत्तिकतं, अनुरत्तं कारिकं निहतमानं।", | |
"उट्ठायिकं", | |
"‘‘सो मातरञ्च पितरञ्च, भणति ‘आपुच्छहं गमिस्सामि।", | |
"इसिदासिया न सह वच्छं, एकागारेहं", | |
"‘‘‘मा एवं पुत्त अवच, इसिदासी पण्डिता परिब्यत्ता।", | |
"उट्ठायिका अनलसा, किं तुय्हं न रोचते पुत्त’॥", | |
"‘‘‘न", | |
"देस्साव मे अलं मे, अपुच्छाहं", | |
"‘‘तस्स वचनं सुणित्वा, सस्सु ससुरो च मं अपुच्छिंसु।", | |
"‘किस्स", | |
"‘‘‘नपिहं", | |
"किं सक्का कातुय्ये, यं मं विद्देस्सते भत्ता’॥", | |
"‘‘ते मं पितुघरं पटिनयिंसु, विमना दुखेन अधिभूता।", | |
"‘पुत्तमनुरक्खमाना, जिताम्हसे रूपिनिं लक्खिं’॥", | |
"‘‘अथ मं अदासि तातो, अड्ढस्स घरम्हि दुतियकुलिकस्स।", | |
"ततो उपड्ढसुङ्केन, येन मं विन्दथ सेट्ठि॥", | |
"‘‘तस्सपि घरम्हि मासं, अवसिं अथ सोपि मं पटिच्छरयि", | |
"दासीव", | |
"‘‘भिक्खाय च विचरन्तं, दमकं दन्तं मे पिता भणति।", | |
"‘होहिसि", | |
"‘‘सोपि वसित्वा पक्खं", | |
"घटिकञ्च मल्लकञ्च, पुनपि भिक्खं चरिस्सामि’॥", | |
"‘‘अथ", | |
"‘किं ते न कीरति इध, भण खिप्पं तं ते करिहि’ति॥", | |
"‘‘एवं भणितो भणति, ‘यदि मे अत्ता सक्कोति अलं मय्हं।", | |
"इसिदासिया न सह वच्छं, एकघरेहं सह वत्थुं’॥", | |
"‘‘विस्सज्जितो गतो सो, अहम्पि एकाकिनी विचिन्तेमि।", | |
"‘आपुच्छितून गच्छं, मरितुये", | |
"‘‘अथ अय्या जिनदत्ता, आगच्छी गोचराय चरमाना।", | |
"तातकुलं", | |
"‘‘तं दिस्वान अम्हाकं, उट्ठायासनं तस्सा पञ्ञापयिं।", | |
"निसिन्नाय च पादे, वन्दित्वा भोजनमदासिं॥", | |
"‘‘अन्नेन", | |
"सन्तप्पयित्वा अवचं, ‘अय्ये इच्छामि पब्बजितुं’॥", | |
"‘‘अथ मं भणती तातो, ‘इधेव पुत्तक", | |
"अन्नेन च पानेन च, तप्पय समणे द्विजाती च’॥", | |
"‘‘अथहं भणामि तातं, रोदन्ती अञ्जलिं पणामेत्वा।", | |
"‘पापञ्हि मया पकतं, कम्मं तं निज्जरेस्सामि’॥", | |
"‘‘अथ", | |
"निब्बानञ्च लभस्सु, यं सच्छिकरी द्विपदसेट्ठो’॥", | |
"‘‘मातापितू अभिवादयित्वा, सब्बञ्च ञातिगणवग्गं।", | |
"सत्ताहं पब्बजिता, तिस्सो विज्जा अफस्सयिं॥", | |
"‘‘जानामि अत्तनो सत्त, जातियो यस्सयं फलविपाको।", | |
"तं तव आचिक्खिस्सं, तं एकमना निसामेहि॥", | |
"‘‘नगरम्हि एरकच्छे", | |
"योब्बनमदेन मत्तो सो, परदारं असेविहं॥", | |
"‘‘सोहं ततो चवित्वा, निरयम्हि अपच्चिसं चिरं।", | |
"पक्को ततो च उट्ठहित्वा, मक्कटिया कुच्छिमोक्कमिं॥", | |
"‘‘सत्ताहजातकं", | |
"तस्सेतं कम्मफलं, यथापि गन्त्वान परदारं॥", | |
"‘‘सोहं ततो चवित्वा, कालं करित्वा सिन्धवारञ्ञे।", | |
"काणाय च खञ्जाय च, एळकिया कुच्छिमोक्कमिं॥", | |
"‘‘द्वादस वस्सानि अहं, निल्लच्छितो दारके परिवहित्वा।", | |
"किमिनावट्टो अकल्लो, यथापि गन्त्वान परदारं॥", | |
"‘‘सोहं ततो चवित्वा, गोवाणिजकस्स गाविया जातो।", | |
"वच्छो लाखातम्बो, निल्लच्छितो द्वादसे मासे॥", | |
"‘‘वोढून", | |
"अन्धोवट्टो अकल्लो, यथापि गन्त्वान परदारं॥", | |
"‘‘सोहं ततो चवित्वा, वीथिया दासिया घरे जातो।", | |
"नेव महिला न पुरिसो, यथापि गन्त्वान परदारं॥", | |
"‘‘तिंसतिवस्सम्हि", | |
"कपणम्हि अप्पभोगे, धनिक", | |
"‘‘तं मं ततो सत्थवाहो, उस्सन्नाय विपुलाय वड्ढिया।", | |
"ओकड्ढति विलपन्तिं, अच्छिन्दित्वा कुलघरस्मा॥", | |
"‘‘अथ सोळसमे वस्से, दिस्वा मं पत्तयोब्बनं कञ्ञं।", | |
"ओरुन्धतस्स पुत्तो, गिरिदासो नाम नामेन॥", | |
"‘‘तस्सपि अञ्ञा भरिया, सीलवती गुणवती यसवती च।", | |
"अनुरत्ता", | |
"‘‘तस्सेतं कम्मफलं, यं मं अपकीरितून गच्छन्ति।", | |
"दासीव उपट्ठहन्तिं, तस्सपि अन्तो कतो मया’’ति॥", | |
"मन्तावतिया", | |
"धीता आसिं सुमेधा, पसादिता सासनकरेहि॥", | |
"सीलवती चित्तकथा, बहुस्सुता बुद्धसासने विनीता।", | |
"मातापितरो उपगम्म, भणति ‘‘उभयो निसामेथ॥", | |
"‘‘निब्बानाभिरताहं, असस्सतं भवगतं यदिपि दिब्बं।", | |
"किमङ्गं पन", | |
"‘‘कामा कटुका आसीविसूपमा, येसु मुच्छिता बाला।", | |
"ते दीघरत्तं निरये, समप्पिता हञ्ञन्ते दुक्खिता", | |
"‘‘सोचन्ति पापकम्मा, विनिपाते पापवद्धिनो सदा।", | |
"कायेन च वाचाय च, मनसा च असंवुता बाला॥", | |
"‘‘बाला", | |
"देसन्ते", | |
"‘‘सच्चानि", | |
"अभिनन्दन्ति भवगतं, पिहेन्ति देवेसु उपपत्तिं॥", | |
"‘‘देवेसुपि उपपत्ति, असस्सता भवगते अनिच्चम्हि।", | |
"न च सन्तसन्ति बाला, पुनप्पुनं जायितब्बस्स॥", | |
"‘‘चत्तारो विनिपाता, दुवे", | |
"न च विनिपातगतानं, पब्बज्जा अत्थि निरयेसु॥", | |
"‘‘अनुजानाथ मं उभयो, पब्बजितुं दसबलस्स पावचने।", | |
"अप्पोस्सुक्का घटिस्सं, जातिमरणप्पहानाय॥", | |
"‘‘किं भवगते", | |
"भवतण्हाय निरोधा, अनुजानाथ पब्बजिस्सामि॥", | |
"‘‘बुद्धानं", | |
"सीलानि ब्रह्मचरियं, यावजीवं न दूसेय्यं’’॥", | |
"एवं भणति सुमेधा, मातापितरो ‘‘न ताव आहारं।", | |
"आहरिस्सं", | |
"माता दुक्खिता रोदति पिता च, अस्सा सब्बसो समभिहतो।", | |
"घटेन्ति सञ्ञापेतुं, पासादतले छमापतितं॥", | |
"‘‘उट्ठेहि पुत्तक किं सोचितेन, दिन्नासि वारणवतिम्हि।", | |
"राजा", | |
"‘‘अग्गमहेसी भविस्ससि, अनिकरत्तस्स राजिनो भरिया।", | |
"सीलानि ब्रह्मचरियं, पब्बज्जा दुक्करा पुत्तक॥", | |
"‘‘रज्जे आणाधनमिस्सरियं, भोगा सुखा दहरिकासि।", | |
"भुञ्जाहि कामभोगे, वारेय्यं होतु ते पुत्त’’॥", | |
"अथ ने भणति सुमेधा, ‘‘मा एदिसिकानि भवगतमसारं।", | |
"पब्बज्जा वा होहिति, मरणं वा मे न चेव वारेय्यं॥", | |
"‘‘किमिव", | |
"अभिसंविसेय्यं भस्तं, असकिं पग्घरितं असुचिपुण्णं॥", | |
"‘‘किमिव", | |
"किमिकुलालयं सकुणभत्तं, कळेवरं किस्स दिय्यति॥", | |
"‘‘निब्बुय्हति सुसानं, अचिरं कायो अपेतविञ्ञाणो।", | |
"छुद्धो", | |
"‘‘छुद्धून", | |
"नियका मातापितरो, किं पन साधारणा जनता॥", | |
"‘‘अज्झोसिता असारे, कळेवरे अट्ठिन्हारुसङ्घाते।", | |
"खेळस्सुच्चारस्सव, परिपुण्णे", | |
"‘‘यो", | |
"गन्धस्स असहमाना, सकापि माता जिगुच्छेय्य॥", | |
"‘‘खन्धधातुआयतनं, सङ्खतं जातिमूलकं दुक्खं।", | |
"योनिसो अनुविचिनन्ती, वारेय्यं किस्स इच्छेय्यं॥", | |
"‘‘दिवसे दिवसे तिसत्ति, सतानि नवनवा पतेय्युं कायम्हि।", | |
"वस्ससतम्पि च घातो, सेय्यो दुक्खस्स चेवं खयो॥", | |
"‘‘अज्झुपगच्छे घातं, यो विञ्ञायेवं सत्थुनो वचनं।", | |
"‘दीघो तेसं", | |
"‘‘देवेसु मनुस्सेसु च, तिरच्छानयोनिया असुरकाये।", | |
"पेतेसु", | |
"‘‘घाता निरयेसु बहू, विनिपातगतस्स पीळियमानस्स", | |
"देवेसुपि अत्ताणं, निब्बानसुखा परं नत्थि॥", | |
"‘‘पत्ता ते निब्बानं, ये युत्ता दसबलस्स पावचने।", | |
"अप्पोस्सुक्का घटेन्ति, जातिमरणप्पहानाय॥", | |
"‘‘अज्जेव तातभिनिक्खमिस्सं, भोगेहि किं असारेहि।", | |
"निब्बिन्ना मे कामा, वन्तसमा तालवत्थुकता’’॥", | |
"सा चेवं भणति पितरमनीकरत्तो च यस्स सा दिन्ना।", | |
"उपयासि वारणवते, वारेय्यमुपट्ठिते काले॥", | |
"अथ असितनिचितमुदुके, केसे खग्गेन छिन्दिय सुमेधा।", | |
"पासादं पिदहित्वा", | |
"सा", | |
"पासादे च", | |
"सा च मनसि करोति, अनीकरत्तो च आरुही तुरितं।", | |
"मणिकनकभूसितङ्गो, कतञ्जली याचति सुमेधं॥", | |
"‘‘रज्जे आणाधनमिस्सरियं, भोगा सुखा दहरिकासि।", | |
"भुञ्जाहि कामभोगे, कामसुखा दुल्लभा लोके॥", | |
"‘‘निस्सट्ठं", | |
"मा दुम्मना अहोसि, मातापितरो ते दुक्खिता’’", | |
"तं तं भणति सुमेधा, कामेहि अनत्थिका विगतमोहा।", | |
"‘‘मा कामे अभिनन्दि, कामेस्वादीनवं पस्स॥", | |
"‘‘चातुद्दीपो राजा मन्धाता, आसि कामभोगिन मग्गो।", | |
"अतित्तो", | |
"‘‘सत्त रतनानि वस्सेय्य, वुट्ठिमा दसदिसा समन्तेन।", | |
"न चत्थि तित्ति कामानं, अतित्ताव मरन्ति नरा॥", | |
"‘‘असिसूनूपमा कामा, कामा सप्पसिरोपमा।", | |
"उक्कोपमा अनुदहन्ति, अट्ठिकङ्कल", | |
"‘‘अनिच्चा अद्धुवा कामा, बहुदुक्खा महाविसा।", | |
"अयोगुळोव सन्तत्तो, अघमूला दुखप्फला॥", | |
"‘‘रुक्खप्फलूपमा कामा, मंसपेसूपमा दुखा।", | |
"सुपिनोपमा", | |
"‘‘सत्तिसूलूपमा कामा, रोगो गण्डो अघं निघं।", | |
"अङ्गारकासुसदिसा, अघमूलं भयं वधो॥", | |
"‘‘एवं बहुदुक्खा कामा, अक्खाता अन्तरायिका।", | |
"गच्छथ न मे भगवते, विस्सासो अत्थि अत्तनो॥", | |
"‘‘किं मम परो करिस्सति, अत्तनो सीसम्हि डय्हमानम्हि।", | |
"अनुबन्धे जरामरणे, तस्स घाताय घटितब्बं’’॥", | |
"द्वारं", | |
"दिस्वान छमं निसिन्ने, रोदन्ते इदमवोचं॥", | |
"‘‘दीघो बालानं संसारो, पुनप्पुनञ्च रोदतं।", | |
"अनमतग्गे पितु मरणे, भातु वधे अत्तनो च वधे॥", | |
"‘‘अस्सु थञ्ञं रुधिरं, संसारं अनमतग्गतो सरथ।", | |
"सत्तानं संसरतं, सराहि अट्ठीनञ्च सन्निचयं॥", | |
"‘‘सर", | |
"सर एककप्पमट्ठीनं, सञ्चयं विपुलेन समं॥", | |
"‘‘अनमतग्गे", | |
"कोलट्ठिमत्तगुळिका, माता मातुस्वेव नप्पहोन्ति॥", | |
"‘‘तिणकट्ठसाखापलासं", | |
"चतुरङ्गुलिका घटिका, पितुपितुस्वेव नप्पहोन्ति॥", | |
"‘‘सर काणकच्छपं पुब्बसमुद्दे, अपरतो च युगछिद्दं।", | |
"सिरं", | |
"‘‘सर रूपं फेणपिण्डोपमस्स, कायकलिनो असारस्स।", | |
"खन्धे पस्स अनिच्चे, सराहि निरये बहुविघाते॥", | |
"‘‘सर कटसिं वड्ढेन्ते, पुनप्पुनं तासु तासु जातीसु।", | |
"सर कुम्भीलभयानि च, सराहि चत्तारि सच्चानि॥", | |
"‘‘अमतम्हि विज्जमाने, किं तव पञ्चकटुकेन पीतेन।", | |
"सब्बा हि कामरतियो, कटुकतरा पञ्चकटुकेन॥", | |
"‘‘अमतम्हि विज्जमाने, किं तव कामेहि ये परिळाहा", | |
"सब्बा हि कामरतियो, जलिता कुथिता कम्पिता सन्तापिता॥", | |
"‘‘असपत्तम्हि समाने, किं तव कामेहि ये बहुसपत्ता।", | |
"राजग्गिचोरउदकप्पियेहि, साधारणा कामा बहुसपत्ता॥", | |
"‘‘मोक्खम्हि विज्जमाने, किं तव कामेहि येसु वधबन्धो।", | |
"कामेसु हि असकामा, वधबन्धदुखानि अनुभोन्ति॥", | |
"‘‘आदीपिता", | |
"उक्कोपमा हि कामा, दहन्ति ये ते न मुञ्चन्ति॥", | |
"‘‘मा अप्पकस्स हेतु, कामसुखस्स विपुलं जही सुखं।", | |
"मा पुथुलोमोव बळिसं, गिलित्वा पच्छा विहञ्ञसि॥", | |
"‘‘कामं", | |
"काहिन्ति खु तं कामा, छाता सुनखंव चण्डाला॥", | |
"‘‘अपरिमितञ्च", | |
"अनुभोहिसि कामयुत्तो, पटिनिस्सज", | |
"‘‘अजरम्हि विज्जमाने, किं तव कामेहि", | |
"मरणब्याधिगहिता", | |
"‘‘इदमजरमिदममरं", | |
"असपत्तमसम्बाधं, अखलितमभयं निरुपतापं॥", | |
"‘‘अधिगतमिदं बहूहि, अमतं अज्जापि च लभनीयमिदं।", | |
"यो योनिसो पयुञ्जति, न च सक्का अघटमानेन’’॥", | |
"एवं भणति सुमेधा, सङ्खारगते रतिं अलभमाना।", | |
"अनुनेन्ती अनिकरत्तं, केसे च छमं खिपि सुमेधा॥", | |
"उट्ठाय अनिकरत्तो, पञ्जलिको याचितस्सा पितरं सो।", | |
"‘‘विस्सज्जेथ सुमेधं, पब्बजितुं विमोक्खसच्चदस्सा’’॥", | |
"विस्सज्जिता मातापितूहि, पब्बजि सोकभयभीता।", | |
"छ अभिञ्ञा सच्छिकता, अग्गफलं सिक्खमानाय॥", | |
"अच्छरियमब्भुतं", | |
"पुब्बेनिवासचरितं, यथा ब्याकरि पच्छिमे काले॥", | |
"‘‘भगवति कोणागमने, सङ्घारामम्हि नवनिवेसम्हि।", | |
"सखियो तिस्सो जनियो, विहारदानं अदासिम्ह॥", | |
"‘‘दसक्खत्तुं सतक्खत्तुं, दससतक्खत्तुं सतानि च सतक्खत्तुं।", | |
"देवेसु", | |
"‘‘देवेसु महिद्धिका अहुम्ह, मानुसकम्हि को पन वादो।", | |
"सत्तरतनस्स महेसी, इत्थिरतनं अहं आसिं॥", | |
"‘‘सो", | |
"तं पठमसमोधानं, तं धम्मरताय निब्बानं’’॥", | |
"एवं करोन्ति ये सद्दहन्ति, वचनं अनोमपञ्ञस्स।", | |
"निब्बिन्दन्ति भवगते, निब्बिन्दित्वा विरज्जन्तीति॥", | |
"गाथासतानि चत्तारि, असीति पुन चुद्दस", | |
"थेरियेकुत्तरसता" | |
] | |
} |