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{ | |
"title": "५. सळायतनवग्गो", | |
"book_name": "५. सळायतनवग्गो", | |
"chapter": "४. विभङ्गवग्गो", | |
"gathas": [ | |
"देवदहं पञ्चत्तयं, किन्ति-साम-सुनक्खत्तं।", | |
"सप्पाय-गण-गोपक-महापुण्णचूळपुण्णञ्चाति॥", | |
"‘‘ये सत्तसारा अनीघा निरासा,", | |
"पच्चेकमेवज्झगमंसु बोधिं", | |
"तेसं विसल्लान नरुत्तमानं,", | |
"नामानि मे कित्तयतो सुणाथ॥", | |
"‘‘अरिट्ठो उपरिट्ठो तगरसिखी यसस्सी,", | |
"सुदस्सनो पियदस्सी च सुसम्बुद्धो", | |
"गन्धारो पिण्डोलो उपासभो च,", | |
"नीतो तथो सुतवा भावितत्तो॥", | |
"‘‘सुम्भो", | |
"अथस्सुमेघो", | |
"पच्चेकबुद्धा भवनेत्तिखीणा,", | |
"हिङ्गू च हिङ्गो च महानुभावा॥", | |
"‘‘द्वे जालिनो मुनिनो अट्ठको च,", | |
"अथ कोसल्लो बुद्धो अथो सुबाहु।", | |
"उपनेमिसो नेमिसो सन्तचित्तो,", | |
"सच्चो तथो विरजो पण्डितो च॥", | |
"‘‘काळूपकाळा", | |
"अङ्गो च पङ्गो च गुत्तिजितो च।", | |
"पस्सि जहि उपधिदुक्खमूलं", | |
"अपराजितो मारबलं अजेसि॥", | |
"‘‘सत्था पवत्ता सरभङ्गो लोमहंसो,", | |
"उच्चङ्गमायो असितो अनासवो।", | |
"मनोमयो मानच्छिदो च बन्धुमा,", | |
"तदाधिमुत्तो विमलो च केतुमा॥", | |
"‘‘केतुम्भरागो च मातङ्गो अरियो,", | |
"अथच्चुतो अच्चुतगामब्यामको।", | |
"सुमङ्गलो दब्बिलो सुपतिट्ठितो,", | |
"असय्हो खेमाभिरतो च सोरतो॥", | |
"‘‘दुरन्नयो सङ्घो अथोपि उज्जयो,", | |
"अपरो मुनि सय्हो अनोमनिक्कमो।", | |
"आनन्दो", | |
"भारद्वाजो अन्तिमदेहधारी", | |
"‘‘बोधि महानामो अथोपि उत्तरो,", | |
"केसी सिखी सुन्दरो द्वारभाजो।", | |
"तिस्सूपतिस्सा", | |
"उपसिखि तण्हच्छिदो च सिखरि", | |
"‘‘बुद्धो अहु मङ्गलो वीतरागो,", | |
"उसभच्छिदा जालिनिं दुक्खमूलं।", | |
"सन्तं पदं अज्झगमोपनीतो,", | |
"उपोसथो सुन्दरो सच्चनामो॥", | |
"‘‘जेतो जयन्तो पदुमो उप्पलो च,", | |
"पदुमुत्तरो रक्खितो पब्बतो च।", | |
"मानत्थद्धो", | |
"कण्हो च बुद्धो सुविमुत्तचित्तो॥", | |
"‘‘एते", | |
"पच्चेकबुद्धा भवनेत्तिखीणा।", | |
"ते सब्बसङ्गातिगते महेसी,", | |
"परिनिब्बुते वन्दथ अप्पमेय्ये’’ति॥", | |
"अनुपाद-सोधन-पोरिसधम्मो, सेवितब्ब-बहुधातु-विभत्ति।", | |
"बुद्धस्स कित्तिनाम-चत्तारीसेन, आनापानो कायगतो उपपत्ति", | |
"‘‘पुथुसद्दो", | |
"सङ्घस्मिं भिज्जमानस्मिं, नाञ्ञं भिय्यो अमञ्ञरुं॥", | |
"‘‘परिमुट्ठा पण्डिताभासा, वाचागोचरभाणिनो।", | |
"याविच्छन्ति मुखायामं, येन नीता न तं विदू॥", | |
"‘‘अक्कोच्छि मं अवधि मं, अजिनि मं अहासि मे।", | |
"ये च तं उपनय्हन्ति, वेरं तेसं न सम्मति॥", | |
"‘‘अक्कोच्छि मं अवधि मं, अजिनि मं अहासि मे।", | |
"ये", | |
"‘‘न हि वेरेन वेरानि, सम्मन्तीध कुदाचनं।", | |
"अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सनन्तनो॥", | |
"‘‘परे च न विजानन्ति, मयमेत्थ यमामसे।", | |
"ये च तत्थ विजानन्ति, ततो सम्मन्ति मेधगा॥", | |
"‘‘अट्ठिच्छिन्ना पाणहरा, गवस्सधनहारिनो।", | |
"रट्ठं विलुम्पमानानं, तेसम्पि होति सङ्गति।", | |
"कस्मा तुम्हाकं नो सिया॥", | |
"‘‘सचे", | |
"सद्धिं चरं साधुविहारि धीरं।", | |
"अभिभुय्य सब्बानि परिस्सयानि,", | |
"चरेय्य तेनत्तमनो सतीमा॥", | |
"‘‘नो", | |
"सद्धिं चरं साधुविहारि धीरं।", | |
"राजाव रट्ठं विजितं पहाय,", | |
"एको चरे मातङ्गरञ्ञेव नागो॥", | |
"‘‘एकस्स चरितं सेय्यो, नत्थि बाले सहायता।", | |
"एको चरे न च पापानि कयिरा,", | |
"अप्पोस्सुक्को मातङ्गरञ्ञेव नागो’’ति॥", | |
"‘‘चतुक्कण्णो चतुद्वारो, विभत्तो भागसो मितो।", | |
"अयोपाकारपरियन्तो, अयसा पटिकुज्जितो॥", | |
"‘‘तस्स अयोमया भूमि, जलिता तेजसा युता।", | |
"समन्ता योजनसतं, फरित्वा तिट्ठति", | |
"‘‘चतुक्कण्णो", | |
"अयोपाकारपरियन्तो, अयसा पटिकुज्जितो॥", | |
"‘‘तस्स अयोमया भूमि, जलिता तेजसायुता।", | |
"समन्ता योजनसतं, फरित्वा तिट्ठति सब्बदा’’", | |
"‘‘चोदिता देवदूतेहि, ये पमज्जन्ति माणवा।", | |
"ते दीघरत्तं सोचन्ति, हीनकायूपगा नरा॥", | |
"‘‘ये च खो देवदूतेहि, सन्तो सप्पुरिसा इध।", | |
"चोदिता नप्पमज्जन्ति, अरियधम्मे कुदाचनं॥", | |
"‘‘उपादाने भयं दिस्वा, जातिमरणसम्भवे।", | |
"अनुपादा विमुच्चन्ति, जातिमरणसङ्खये॥", | |
"‘‘ते", | |
"सब्बवेरभयातीता, सब्बदुक्खं", | |
"तस्सुद्दानं", | |
"द्विधाव सुञ्ञता होति, अब्भुतधम्मबाकुलं।", | |
"अचिरवतभूमिजनामो, अनुरुद्धुपक्किलेसं।", | |
"बालपण्डितो देवदूतञ्च ते दसाति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य, नप्पटिकङ्खे अनागतं।", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च यो", | |
"असंहीरं", | |
"‘‘अज्जेव किच्चमातप्पं", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनि’’", | |
"‘‘अतीतं", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव किच्चमातप्पं, को जञ्ञा मरणं सुवे।", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च यो धम्मं, तत्थ तत्थ विपस्सति।", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनि’’॥", | |
"‘‘अतीतं", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च यो धम्मं, तत्थ तत्थ विपस्सति।", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव किच्चमातप्पं, को जञ्ञा मरणं सुवे।", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य…पे॰…", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य…पे॰…", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य, नप्पटिकङ्खे अनागतं।", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च यो धम्मं, तत्थ तत्थ विपस्सति।", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव किच्चमातप्पं, को जञ्ञा मरणं सुवे।", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य, नप्पटिकङ्खे अनागतं।", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च यो धम्मं, तत्थ तत्थ विपस्सति।", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य…पे॰…", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य…पे॰…", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य…पे॰…", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य…पे॰…", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य…पे॰…", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव किच्चमातप्पं, को जञ्ञा मरणं सुवे।", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य, नप्पटिकङ्खे अनागतं।", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च यो धम्मं, तत्थ तत्थ विपस्सति।", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव किच्चमातप्पं, को जञ्ञा मरणं सुवे।", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नान्वागमेय्य…पे॰…", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च यो धम्मं, तत्थ तत्थ विपस्सति।", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव किच्चमातप्पं, को जञ्ञा मरणं सुवे।", | |
"न", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनि’’॥", | |
"‘‘अतीतं", | |
"यदतीतं पहीनं तं, अप्पत्तञ्च अनागतं॥", | |
"‘‘पच्चुप्पन्नञ्च", | |
"असंहीरं असंकुप्पं, तं विद्वा मनुब्रूहये॥", | |
"‘‘अज्जेव", | |
"न हि नो सङ्गरं तेन, महासेनेन मच्चुना॥", | |
"‘‘एवं विहारिं आतापिं, अहोरत्तमतन्दितं।", | |
"तं वे भद्देकरत्तोति, सन्तो आचिक्खते मुनी’’ति॥", | |
"‘‘यो", | |
"धम्मेन लद्धं", | |
"अभिसद्दहं कम्मफलं उळारं,", | |
"सा दक्खिणा दायकतो विसुज्झति॥", | |
"‘‘यो दुस्सीलो सीलवन्तेसु ददाति दानं,", | |
"अधम्मेन लद्धं अप्पसन्नचित्तो।", | |
"अनभिसद्दहं कम्मफलं उळारं,", | |
"सा दक्खिणा पटिग्गाहकतो विसुज्झति॥", | |
"‘‘यो दुस्सीलो दुस्सीलेसु ददाति दानं,", | |
"अधम्मेन लद्धं अप्पसन्नचित्तो।", | |
"अनभिसद्दहं", | |
"न तं दानं विपुलप्फलन्ति ब्रूमि॥", | |
"‘‘यो सीलवा सीलवन्तेसु ददाति दानं,", | |
"धम्मेन लद्धं सुपसन्नचित्तो।", | |
"अभिसद्दहं कम्मफलं उळारं,", | |
"तं वे दानं विपुलप्फलन्ति ब्रूमि", | |
"‘‘यो वीतरागो वीतरागेसु ददाति दानं,", | |
"धम्मेन लद्धं सुपसन्नचित्तो।", | |
"अभिसद्दहं", | |
"तं वे दानं आमिसदानानमग्ग’’", | |
"तस्सुद्दानं –", | |
"भद्देकानन्दकच्चान, लोमसकङ्गियासुभो।", | |
"महाकम्मसळायतनविभङ्गा, उद्देसअरणा धातु सच्चं॥", | |
"‘‘इदञ्हि तं जेतवनं, इसिसङ्घनिसेवितं।", | |
"आवुत्थं धम्मराजेन, पीतिसञ्जननं मम॥", | |
"‘‘कम्मं विज्जा च धम्मो च, सीलं जीवितमुत्तमं।", | |
"एतेन मच्चा सुज्झन्ति, न गोत्तेन धनेन वा॥", | |
"‘‘तस्मा हि पण्डितो पोसो, सम्पस्सं अत्थमत्तनो।", | |
"योनिसो विचिने धम्मं, एवं तत्थ विसुज्झति॥", | |
"‘‘सारिपुत्तोव", | |
"योपि पारङ्गतो भिक्खु, एतावपरमो सिया’’ति॥", | |
"‘‘इदञ्हि तं जेतवनं, इसिसङ्घनिसेवितं।", | |
"आवुत्थं धम्मराजेन, पीतिसञ्जननं मम॥", | |
"‘‘कम्मं विज्जा च धम्मो च, सीलं जीवितमुत्तमं।", | |
"एतेन मच्चा सुज्झन्ति, न गोत्तेन धनेन वा॥", | |
"‘‘तस्मा", | |
"योनिसो विचिने धम्मं, एवं तत्थ विसुज्झति॥", | |
"‘‘सारिपुत्तोव पञ्ञाय, सीलेन उपसमेन।", | |
"योपि पारङ्गतो भिक्खु, एतावपरमो सिया’’ति॥", | |
"अनाथपिण्डिको छन्नो, पुण्णो नन्दकराहुला।", | |
"छछक्कं सळायतनिकं, नगरविन्देय्यसुद्धिका।", | |
"इन्द्रियभावना चापि, वग्गो ओवादपञ्चमोति॥", | |
"देवदहोनुपदो च, सुञ्ञतो च विभङ्गको।", | |
"सळायतनोति वग्गा, उपरिपण्णासके ठिताति॥" | |
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