Text
stringlengths 38
152
| nirveda - weeping, sighing,indifference,dicouragement
int64 0
1
| glani - guilty
int64 0
1
| sanka - doubt (apprehension)
int64 0
1
| asuya/irsya - jealousy (envy)
int64 0
1
| mada - madness (intoxication)
int64 0
1
| srama - fatigue
int64 0
1
| alasya/alasata - laziness,sitting idle (unwililng to work)
int64 0
1
| dainya - meekness (depression),(despair)
int64 0
1
| cinta - contemplation (anxiety/reflection)
int64 0
1
| moha - bewilderment,[a feeling of being perplexed and confused] (distraction)
int64 0
1
| smrti - rememberance (recollection)
int64 0
1
| dhriti - forbearance,indifference abstenance (equanimity)
int64 0
1
| vrida - shame
int64 0
1
| capalya/capalatha/capala - impudence [rude behavior that does not show respect for others] (unsteadiness)
int64 0
1
| harsa - jubiliation,enjoyment (joy)
int64 0
1
| avega - intense emotion (agitation/flurry)
int64 0
1
| jadya/jadatha - invalidity,looking with steadfast gaze,unable to think properly
int64 0
1
| garva - pride
int64 0
1
| visada - moroseness, sad [quality of being unhappy, annoyed, and unwilling to speak or smile]
int64 0
1
| autsukya - eagerness (impatience/longing)
int64 0
1
| nidra - sleep (drowsiness)
int64 0
1
| apasmara - forgetfulness (epilepsy/dementedness)
int64 0
0
| supti/supta - deep sleep (dreaming)
int64 0
1
| prabodha/vibodha - awakening
int64 0
1
| amarsa - impatience of opposition
int64 0
1
| avahittha - concealment (hiding of true feelings)
int64 0
1
| augrya/ugrata - violence,battle (cruelity/sterness)
int64 0
1
| mati - attention,instructing pupils (resolve)
int64 0
1
| vyadhi - disease (sickness)
int64 0
0
| unmada - craziness (insanity/madness)
int64 0
1
| mriti/marana - death
int64 0
1
| trasa - shock,fear (fright/alarm)
int64 0
1
| vitarka - argument (doubt)
int64 0
1
| utsuka - restless/anxious
int64 0
1
| tarka -deliberation [long and careful consideration or discussion]
int64 0
1
| rati - romantic
int64 0
1
| lajja - shy
int64 0
1
| marsa - patience
int64 0
1
| tyaga - sacrifice
int64 0
1
| vimochana - releif
int64 0
1
| utsaha - hyped/enthused
int64 0
1
| shraddhaadaya - confidence,trust
int64 0
1
| krodha - anger
int64 0
1
| karuna - pity,kind
int64 0
1
| veera - royality,valour,greatness
int64 0
1
| shanta - serene,peaceful,pleasant
int64 0
1
| vismaya - exaggeration/wonder/surprise/pride/doubt
int64 0
1
| bhakti - devotion
int64 0
1
| no emotion
int64 0
1
|
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
त्वचंचमेध्यांपरिधायरौरवीमशिक्षतास्त्रंपितुरेवमन्त्रवत्|नकेवलंतद्गुरुरेकपार्थिवःक्षितावभूदेकधनुर्धरोऽपिसः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
महोक्षतांवत्सतरःस्पृशन्निवद्विपेन्द्रभावंकलभःश्रयन्निव|रघुःक्रमाद्यौवनभिन्नशैशवःपुपोषगाम्भीर्यमनोहरंवपुः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
अथास्यगोदानविधेरनन्तरंविवाहदीक्षांनिरवर्तयद्गुरुः|नरेन्द्रकन्यास्तमवाप्यसत्पतिंतमोनुदंदक्षसुताइवाबभुः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
युवायुगव्यायतबाहुरंसलःकवाटवक्षाःपरिणद्धकंधरः|वपुःप्रकर्षादजयद्गुरुंरघुस्तथापिनीचैर्विनयाददृश्यत | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
ततःप्रजानांचिरमात्मनाधृतांनितान्तगुर्वींलघयिष्यताधुरम्|निसर्गसंस्कारविनीतइत्यसौनृपेणचक्रेयुवराजशब्दभाक् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
नरेन्द्रमूलायतनादनन्तरंतदास्पदंश्रीर्युवराजसंज्ञितम्|अगच्छदंशेनगुणाभिलाषिणीनवावतारंकमलादिवोत्पलम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
विभावसुःसारथिनेववायुनाघनव्यपायेनगभस्थिमानिव|बभूवतेनातितरांसुदुःसहःकटप्रभेदेनकरीवपार्थिवः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
नियुज्यतंहोमतुरंगरक्षणेधनुर्धरंराजसुतैरनुद्रुतम्|अपूर्णमेकेनशतक्रतूपमःशतंक्रतूनामपविघ्नमापसः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
ततःपरंतेनमखाययज्वनातुरंगमुत्सृष्टमनर्गलंपुनः|धनुर्भृतामग्रतएवरक्षिणांजहारशक्रःकिलगूढविग्रहः | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
विषादलुप्तप्रतिपत्तिविस्मितंकुमारसैन्यंसपदिस्थितंचतत्|वसिष्ठधेनुश्चयदृच्छयागताश्रुतप्रभावाददृशेऽथनन्दिनी | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
तदङ्गनिष्यन्दनजलेनलोचनेप्रमृज्यपुण्येनपुरस्कृतःसताम्|अतीन्द्रियेष्वप्युपपन्नदर्शनोबभूवभावेषुदिलीपनन्दनः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
सपूर्वतःपर्वतपक्षशातनंददर्शदेवंनरदेवसंभवः|पुनःपुनःसूतनिषिद्धचापलंहरन्तमश्वंरथरश्मिसंयुतम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
शतैस्तमक्ष्णामनिमेषवृत्तिभिर्हरिंविदित्वाहरिभिश्चवाजिभिः|अवोचदेनंगगनस्पृशारघुःस्वरेणधीरेणनिवर्तयन्निव | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
मखांशभाजांप्रथमोमनीषिभिस्त्वमेवदेवेन्द्रसदानिगद्यसे|अजस्रदीक्षाप्रयतस्यमद्गुरोःक्रियाविघातायकथंप्रवर्तसे | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
त्रिलोकनाथेनसदामखद्विषस्त्वयानियम्याननुदिव्यचक्षुषा|सचेत्स्वयंकर्मसुधर्मचारिणांत्वमन्तरायोभवसिच्युतोविधिः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
तदङ्गमग्र्यम्मघवन्महाक्रतोरमुंतुरंगंप्रतिमोक्तुमर्हसि|पथःश्रुतेर्दर्शयितारईश्वरामलीमसामददतेनपद्धतिम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
इतिप्रगल्भंरघुणासमीरितंवचोनिशम्याधिपतिर्दिवौकसाम्|निवर्तयामासरथंसविस्मयःप्रचक्रमेचप्रतिवक्तुमुत्तरम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
यदात्थराजन्यकुमारतत्तथायशस्तुरक्ष्यंपरतोयशोधनैः|जगत्प्रकाशंतदशेषमिज्ययाभवद्गुरुर्लङ्घयितुंममोद्यतः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
हरिर्यथैकःपुरुषोत्तमःस्मृतोमहेश्वरस्त्र्यम्बकएवनापरः|तथाविदुर्मांमुनयःशतक्रतुंद्वितीयगामीनहिशब्दएषनः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
अतोऽयमश्वःकपिलानुकारिणापितुस्त्वदीयस्यमयापहारितः|अलंप्रयत्नेनतवात्रमानिधाःपदंपदव्यांसगरस्यसंततेः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
ततःप्रहास्यापभयःपुरन्दरंपुनर्बभाषेतुरगस्यरक्षिता|गृहाणशस्त्रंयदिसर्गएषतेनखल्वनिर्जित्यरघुंकृतीभवान् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
सएवमुक्त्वामघवन्तमुन्मुखःकरिष्यमाणःसशरंशरासनम्|अतिष्ठदालीढविशेषशोभिनावपुःप्रकर्षेणविडम्बितेश्वरः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
रघोरवष्टम्भमयेनपत्रिणाहृदिक्षतोगोत्रभिदप्यमर्षणः|नवाम्बुदानीकमुहूर्तलाञ्छनेधनुष्यमोघंसमधत्तसायकम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
दिलीपसूनोःसबृहद्भुजान्तरंप्रविश्यभीमासुरशोणितोचितः|पपावनास्वादितपूर्वमाशुगःकुतूहलेनेवमनुष्यशोणितम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
हरेःकुमारोऽपिकुमारविक्रमःसुरद्विपास्फालनकर्कशाङ्गुलौ|भुजेशचीपत्रविशेषकाङ्कितेस्वनामचिह्नंनिचखानसायकम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
जहारचान्येनमयूरपत्रिणाशरेणशक्रस्यमहाशनिध्वजम्|चुकोपतस्मैसभृशंसुरश्रियःप्रसह्यकेशव्यपरोपणादिव | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
तयोरुपान्तस्थितसिद्धसैनिकंगरुत्मदाशीविषभीमदर्शनैः|बभूवयुद्धंतुमुलंजयैषिणोरधोमुखैरूर्ध्वमुखैश्चपत्रिभिः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
अतिप्रबन्धप्रहितास्त्रवृष्टिभिस्तमाश्रयंदुष्प्रसहस्यतेजसः|शशाकनिर्वापयितुंनवासवःस्वतश्च्युतंवह्निमिवाद्भिरम्बुदः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
ततःप्रकोष्ठेहरिचन्दनाङ्कितेप्रमथ्यमानार्णवधीरनादिनीम्|रघुःशशाङ्कार्धमुखेनपत्रिणाशरासनज्यामलुनाद्बिडौजसः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
सचापमुत्सृज्यविवृद्धमत्सरःप्रणाशनायप्रबलस्यविद्विषः|महीध्रपक्षव्यपरोपणोचितंस्फुरत्प्रभामण्डलमस्त्रमाददे | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
रघुर्भृशंवक्षसितेनताडितःपपातभूमौसहसैनिकाश्रुभिः|निमेषमात्रादवधूयचव्यथांसहोत्थितःसैनिकहर्षनिस्वनैः | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 1 | 0 | 0 | 0 | 1 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
तथापिशस्त्रव्यवहारनिष्ठुरेविपक्षभावेचिरमस्यतस्थुषः|तुतोषवीर्यातिशयेनवृत्रहापदंहिसर्वत्रगुणैर्निधीयते | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
असङ्गमद्रिष्वपिसारवत्तयानमेत्वदन्येनविसोढमायुधम्|अवेहिमांप्रीतमृतेतुरङ्गमात्किमिच्छसीतिस्फुटमाहवासवः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
ततोनिषङ्गादसमग्रमुधृतंसुवर्णपुङ्खद्युतिरञ्जिताङ्गुलिम्|नरेन्द्रसूनुःप्रतिसंहरन्निषुंप्रियंवदःप्रत्यवदत्सुरेश्वरम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
अमोच्यमश्वंयदिमन्यसेप्रभोततःसमाप्तेविधिनैवकर्मणि|अजस्रदीक्षाप्रयतःसमद्गुरुःक्रतोरशेषेणफलेनयुज्यताम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
यथासवृत्तान्तमिमंसदोगतस्त्रिलोचनैकांशतयादुरासदः|तवैवसंदेशहराद्विशांपतिःशृणोतिलोकेशतथाविधीयताम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
तथेतिकामंप्रतिशुश्रुवान्रघोर्यथागतंमातलिसारथिर्ययौ|नृपस्यनातिप्रमनाःसदोगृहंसुदक्षिणासूनुरपिन्यवर्तत | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
तमभ्यनन्दत्प्रथमंप्रबोधितःप्रजेश्वरःशासनहारिणाहरेः|परामृशन्हर्षजडेनपाणिनातदीयमङ्गंकुलिशव्रणाङ्कितम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
इतिक्षितीशोनवतिंनवाधिकांमहाक्रतूनांमहनीयशासनः|समारुरुक्षुर्दिवमायुषःक्षयेततानसोपानपरम्परामिव | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
अथसविषयव्यावृत्तात्मायथाविधिसूनवेनृपतिककुदंदत्त्वायूनेसितातपवारणम्|मुनिवनतरुच्छायांदेव्यातयासहशिश्रियेगलितवयसामिक्ष्वाकूणामिदंहिकुलव्रतम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
इतिकालिदासकृतरघुवंशमहाकाव्येतृतीयःसर्गः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
सराज्यंगुरुणादत्तंप्रतिपद्याधिकंबभौ|दिनान्तेनिहितंतेजःसवित्रेवहुताशनः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
दिलीपानन्तरंराज्येतंनिशम्यप्रतिष्ठितम्|पूर्वंप्रधूमितोराज्ञांहृदयेऽग्निरिवोत्थितः | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
पुरुहूतध्वजस्येवतस्योन्नयनपङ्क्तयः|नवाभ्युत्थानदर्शिन्योननन्दुःसप्रजाःप्रजाः| | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
सममेवसमाक्रान्तंद्वयंद्विरदगामिना|तेनसिंहासनंपित्र्यमखिलंचारिमण्डलम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
छायामण्डललक्ष्येणतमदृश्याकिलस्वयम्|पद्मापद्मातपत्रेणभेजेसाम्राज्यदीक्षितम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
परिकल्पितसांनिध्याकालेकालेचबन्दिषु|स्तुत्यंस्तुतिभिरर्थ्याभिरुपतस्थेसरस्वती | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
मनुप्रभुतिर्मान्यैर्भुक्तायद्यपिराजभिः|तथाप्यनन्यपूर्वेवतस्मिन्नासीद्वसुंधरा | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
सहिसर्वस्यलोकस्ययुक्तदण्डतयामनः|आददेनातिशीतोष्णोनभस्वानिवदक्षिणः | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
मन्दोत्कण्ठाःकृतास्तेनगुणाधिकतयागुरौ|फलेनसहकारस्यपुष्पोद्गमइवप्रजाः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
नयविद्भिर्नवेराज्ञिसदसच्चोपदर्शितम्|पूर्वएवाभवत्पक्षस्तस्मिन्नाभवदुत्तरः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
पञ्चानामपिभूतानामुत्कर्षंपुपुषुर्गुणाः|नवेतस्मिन्महीपालेसर्वंनवमिवाभवत् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
यथाप्रह्लादनाच्चन्द्रःप्रतापात्तपनोयथा|तथैवसोऽभूदन्वर्थोराजाप्रकृतिरञ्जनात् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
कामंकर्णान्तविश्रान्तेविशालेतस्यलोचने|चक्षुष्मत्तातुशास्त्रेणसूक्ष्मकार्यार्थदर्शिना | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
लब्धप्रशमनस्वस्थमथैनंसमुपस्थिता|पार्थिवश्रीर्द्वितीयेवशरत्पङ्कजलक्षणा | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
निर्वृष्टलघुभिर्मेघैर्मुक्तवर्त्मासुदुःसहः|प्रतापस्तस्यभानोश्चयुगपद्व्यानशेदिशः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
वार्षिकंसंजहारेन्द्रोधनुर्जैत्रंरघुर्ददौ|प्रजार्थसाधनेतौहिपर्यायोद्यतकार्मुकौ | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
पुण्डरीकातपत्रस्तंविकसत्काशचामरः|ऋतुर्विडम्बयामासनपुनःप्रापतच्छ्रियम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
प्रसादसुमुखेतस्मिंश्चन्द्रेचविशदप्रभे|तदाचक्षुष्मतांप्रीतिरासीत्समरसाद्वयोः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
हंसश्रेणीषुतारासुकुमुद्वत्सुचवारिषु|विभूतयस्तदीयानांपर्यस्तायशसामिव | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
इक्षुच्छायनिषादिन्यस्तस्यगोप्तुर्गुणोदयम्|आकुमारकथोद्धातंशालिगोप्योजगुर्यशः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
प्रससादोदयादम्भःकुम्भयोनेर्महौजसः|रघोरभिभवाशङ्किचुक्षुमेद्विषतांमनः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
मदोदग्राःककुद्मन्तःसरितांकूलमुद्रुजाः|लीलाखेलमनुप्रापुर्महोक्षास्तस्यविक्रमम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
प्रसवैःसप्तपर्णानांमदगन्धिभिराहताः|असूययेवतन्नागाःसप्तधैवप्रसुस्रुवुः | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
सरितःकुर्वतीगाधाःपथश्चाश्यानकर्दमान्|यात्रायैचोदयामासतंशक्तेःप्रथमंशरत् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
तस्मैसम्यग्घुतोवह्निर्वाजिनीराजनाविधौ|प्रदक्षिणार्चिर्व्याजेनहस्तेनेवजयंददौ | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
सगुप्तमूलप्रत्यन्तःशुद्धपार्ष्णिरयान्वितः|षड्विधंबलमादायप्रतस्थेदिग्जिगीषया | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
अवाकिरन्वयोवृद्धास्तंलाजैःपौरयोषितः|पृषतैर्मन्दरोद्भूतैःक्षीरोर्मयइवाच्युतम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
सययौप्रथमंप्राचींतुल्यःप्राचीनबर्हिषा|अहिताननिलोद्धूतैस्तर्जयन्निवकेतुभिः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
रजोभिःस्यन्दनोद्धूतैर्गजैश्चघनसंनिभैः|भुवस्तलमिवव्योमकुर्वन्व्योमेवभूतलम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
प्रतापोऽग्रेततःशब्दःपरागस्तदनन्तरम्|ययौपश्चाद्रथादीतिचतुःस्कन्धेवसाचमूः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
मरुपृष्ठान्युदम्भांसिनाव्याःसुप्रतरानदीः|विपिनानिप्रकाशानिशक्तिमत्त्वाच्चकारसः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
ससेनांमहतींकर्षन्पूर्वसागरगामिनीम्|बभौहरजटाभ्रष्टांगङ्गामिवभगीरथः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
त्याजितैःफलमुत्खातैर्भग्नैश्चबहुधानृपैः|तस्यासीदुल्बणोमार्गःपादपैरिवदन्तिनः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
पौरस्त्यानेवमाक्रामंस्तांस्ताञ्जनपदाञ्जयी|प्रापतालीवनश्याममुपकण्ठंमहोदधेः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
अनम्राणांसमुद्धर्तुस्तस्मात्सिन्धुरयादिव|आत्मासंरक्षितःसुह्मैर्वृत्तिमाश्रित्यवैतसीम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
वङ्गानुत्खायतरसानेतानौसाधनोद्यतान्|निचखानजयस्तम्भान्गङ्गास्रोतोन्तरेषुसः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
आपादपद्मप्रणताःकलमाइवतेरघुम्|फलैःसंवर्धयामासुरुत्खातप्रतिरोपिताः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
सतीर्त्वाकपिशांसैन्यैर्बद्धद्विरदसेतुभिः|उत्कलादर्शितपथःकलिङ्गाभिमुखोययौ | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
सप्रतापंमहेन्द्रस्यमूर्ध्नितीक्ष्णंन्यवेशयत्|अङ्कुशंद्विरदस्येवयन्तागम्भीरवेदिनः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
प्रतिजग्राहकालिङ्गस्तमस्त्रैर्गजसाधनः|पक्षच्छेदोद्यतंशक्रंशिलावर्षीवपर्वतः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
द्विषांविषह्यकाकुत्स्थस्तत्रनाराचदुर्दिनम्|सन्मङ्गलस्नातइवप्रतिपेदेजयश्रियम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
ताम्बुलीनांदलैस्तत्ररचितापानभूमयः|नारिकेलासवंयोधाःशात्रवंचपपुर्यशः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
गृहीतप्रतिमुक्तस्यसधर्मविजयीनृपः|श्रियंमहेन्द्रनाथस्यजहारनतुमेदिनीम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
ततोवेलातटेनैवफलवत्पूगमालिना|अगस्त्याचरितामाशामनाशास्यजयोययौ | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
ससैन्यपरिभोगेणगजदानसुगन्धिना|कावेरींसरितांपत्युःशङ्कनीयामिवाकरोत् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
बलैरध्युषितास्तस्यविजिगीषोर्गतध्वनः|मारीचोद्भ्रान्तहारीतामलयाद्रेरुपत्यकाः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
ससञ्जुरश्वक्षुण्णानमेलानामुत्पतिष्णवः|तुल्यगन्धिषुमत्तेभकटेषुफलरेणवः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
भोगिवेष्टनमार्गेषुचन्दनानांसमर्पितम्|नास्रसत्करिणांग्रैवंत्रिपदीच्छेदिनामपि | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
दिशिमन्दायतेतेजोदक्षिणस्यांरवेरपि|तस्यामेवरघोःपाण्ड्याःप्रतापंनविषेहिरे | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
ताम्रपर्णीसमेतस्यमुक्तासारंमहादधेः|तेनिपत्यददुस्तस्मैयशःस्वमिवसंचितम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 1 | 0 | 0 | 0 |
सनिर्विश्ययथाकामंतटेष्वालीनचन्दनौ|स्तनाविवदिशस्तस्याःशैलौमलयदर्दुरौ | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
असह्यविक्रमःसह्यंदूरान्मुक्तमुदन्वता|नितम्बमिवमेदिन्याःस्रस्तांशुकमलङ्घयत् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
तस्यानीकैर्विसर्पद्भिरपरान्तजयोद्यतैः|रामास्त्रोत्सारितोऽप्यासीत्सह्यलग्नइवार्णवः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
भयोत्सृष्टविभूषाणांतेनकेरलयोषिताम्|अलकेषुचमूरेणुश्चूर्णप्रतिनिधीकृतः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
मुरलामारुतोद्धूतमगमत्कैतकंरजः|तद्योधवारबाणानामयत्नपटवासताम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 |
अभ्यभूयतवाहानांचरतांगात्रशिञ्जितैः|वर्मभिःपवनोद्धूतराजतालीवनध्वनिः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
खर्जूरीस्कन्धनद्धानांमदोद्गारसुगन्धिषु|कटेषुकरिणांपेतुःपुंनागेभ्यःशिलीमुखाः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 |
अवकाशंकिलोदन्वान्रामायाभ्यर्थितोददौ|अपरान्तमहीपालव्याजेनरघवेकरम् | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 |
मत्तेभरदनोत्कीर्णव्यक्तविक्रमलक्षणम्|त्रिकूटमेवतत्रोच्चैर्जयस्तम्भंचकारसः | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 |
Subsets and Splits