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पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (PSEB) ने 10वीं क्लास के 2015 के नतीजे घोषित कर दिए हैं. हर बार की तरह इस साल भी लड़कियों ने लड़कों से बाजी मारी है. पंजाब बोर्ड के 10वीं के एग्जाम में करीब 3.5 लाख स्टूडेंट्स बैठे थे, जिनमें से 1.64 लाख लड़कियां और 2.15 लाख लड़के थे. लड़कों का पास पर्सेंटेज 60.19 पर्सेंट और लड़कियों का पास पर्सेंटेज 73.08 पर्सेंट रहा. वहीं, ग्रामीण इलाकों के स्टूडेंट्स का पास पर्सेंटेज 65.49 पर्सेंट रहा और शहरी इलाकों का पास पर्सेंटेज 66.29 पर्सेंट रहा. बोर्ड ने इस बार स्पोर्ट्स और अकादमिक वाले स्‍टूडेंट्स की अलग से मेरिट लिस्ट जारी की है. अकादमिक में सर्वहितकारी विद्या मंदिर तपा (बरनाला) की निताशा अग्रवाल ने 644 (99.08 प्रतिशत) लेकर पूरे राज्य में टॉप किया है. गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल घंगवाल होशियापुर की नैंसी भडियार ने 643 (98.92 प्रतिशत) लेकर दूसरा और एसएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल कसोआणा फिरोजपुर की हरमनदीप कौर 642 (98.77 प्रतिशत) अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं. स्पोर्ट्स कैटेगरी में न्यू पैराडाइज पब्ल्कि सीनियर सेकेंडरी स्कूल जीरा फिरोजपुर की नमरीत कौर 647 (99.54 प्रतिशत) अंक लेकर स्पोर्ट्स कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया है. पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड की स्थापना 1969 में हुई थी. बोर्ड का हेडक्वॉर्टर चंडीगढ़ के पास मोहाली में है. स्‍टूडेंट्स पंजाब बोर्ड की ऑफीशियल वेबसाइट pseb.ac.in और pseb.results-nic.in पर लॉग ऑन कर रिजल्‍ट देख सकते हैं.
दिल्ली सरकार ने रियो ओलिंपिक में मेडल जीतने वालों को इनाम देने का ऐलान किया है. दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह महिला सिंगल्स बैडमिंटन में सिल्वर जीतने वालीं पीवी सिंधु को 2 करोड़ रुपए का इनाम देगी. इसके अलावा महिलाओं की फ्री-स्टाइल कुश्ती के 58 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वालीं साक्षी मलिक को 1 करोड़ रुपए का इनाम देगी. सरकार ने कहा है कि वह डीटीसी काम करने वाले साक्षी के पिता को प्रमोशन भी देगी.   Dy. CM @msisodia meets Sakshi Malik's parents, announces 1 Crore rupees as award to Sakshi Malik, promotion 4 father pic.twitter.com/qtWzGWR6Ub — CMO Delhi - दिल्ली (@CMODilli) August 20, 2016   googletag.cmd.push(function() { googletag.display('adslotNativeVideo'); }); इसके अलावा महिलाओं की फ्री-स्टाइल कुश्ती के 58 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वालीं साक्षी मलिक को 1 करोड़ रुपए का इनाम देगी. सरकार ने कहा है कि वह डीटीसी काम करने वाले साक्षी के पिता को प्रमोशन भी देगी.   Dy. CM @msisodia meets Sakshi Malik's parents, announces 1 Crore rupees as award to Sakshi Malik, promotion 4 father pic.twitter.com/qtWzGWR6Ub — CMO Delhi - दिल्ली (@CMODilli) August 20, 2016   Dy. CM @msisodia meets Sakshi Malik's parents, announces 1 Crore rupees as award to Sakshi Malik, promotion 4 father pic.twitter.com/qtWzGWR6Ub
1993 में, कई आयरिश अखबारों में एक विज्ञापन छपा जिसमें एक नए आयरिश "बॉय बैंड" समूह के गठन के लिए ऑडिशन की मांग की गई। विज्ञापन नाट्य प्रबंधक वॉल्श द्वारा भेजे गए थे जो अपनी सफलता के बाद "आयरिश टेक दैट" बनाना चाह रहे थे। ऑडिशन नवंबर 1993 में डबलिन के द ऑरमंड सेंटर में आयोजित किए गए थे। 300 से अधिक लोगों ने विज्ञापन का जवाब दिया। ऑडिशन में आवेदकों को जॉर्ज माइकल का गाना "केयरलेस व्हिस्पर" गाने के लिए कहा गया। आवेदक के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए प्रत्येक ऑडिशन को टेप किया जाएगा और फिर से देखा जाएगा। 300 में से 50 को दूसरे ऑडिशन के लिए चुना गया। दूसरे ऑडिशन के लिए आवेदकों को दो गाने गाने के लिए कहा गया, जिसमें एक बैकिंग टेप के साथ उनकी अपनी पसंद का गाना भी शामिल था। मिकी ग्राहम ने मीट लोफ का "टू आउट ऑफ थ्री इज़ नॉट बैड" गाया, कीथ डफी ने राइट सेड फ्रेड का "आई एम टू सेक्सी" गाया, रोनन कीटिंग ने कैट स्टीवंस का "फादर एंड सन" गाया (जिसका एक कवर संस्करण) बैंड बाद में रिलीज़ होगा), और स्टीफ़न गेटली ने लियोनेल रिची का "हैलो" गाया। इन 50 में से 10 को तीसरे ऑडिशन के लिए चुना गया। अंत में, कीटिंग, गेटली, डफी, रिचर्ड रॉक (डिकी रॉक के बेटे), शेन लिंच और मार्क वाल्टन को चुना गया।
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: 370 रुपये की लूट के करीब 29 साल पुराने मामले में बरेली की एक कोर्ट ने फैसला सुनाया है. 1988 के उस मामले में कोर्ट ने दो लोगों को पांच साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने दोषियों पर 10 हजार का जुर्माना भी लगाया है. तीसरे आरोपी की इस केस के दौरान 2004 में मौत हो गई.टिप्पणियां यह मामला दरअसल 21 अक्‍टूबर, 1988 का है. उस दिन वाजिद हुसैन नामक शख्‍स शाहजहांपुर से पंजाब के लिए ट्रेन में चढ़ा. यात्रा के दौरान रास्‍ते में चंद्रपाल, कन्‍हैया लाल और सर्वेश ने उन्‍हें चाय पिलाने का ऑफर किया. इसी में उनको नशीला पदार्थ दे दिया गया और बेहोशी के आलम में उनसे पैसे लूट लिए गए. इसके बाद चंद्रपाल लापता हो गया. वह कभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया और 2004 में उसकी मौत हो गई. यह केस इतना लंबा चला कि अब दोषियों की उम्र 60 साल से ऊपर हो गई है. उनके बच्‍चे जवान हो गए हैं. यह मामला दरअसल 21 अक्‍टूबर, 1988 का है. उस दिन वाजिद हुसैन नामक शख्‍स शाहजहांपुर से पंजाब के लिए ट्रेन में चढ़ा. यात्रा के दौरान रास्‍ते में चंद्रपाल, कन्‍हैया लाल और सर्वेश ने उन्‍हें चाय पिलाने का ऑफर किया. इसी में उनको नशीला पदार्थ दे दिया गया और बेहोशी के आलम में उनसे पैसे लूट लिए गए. इसके बाद चंद्रपाल लापता हो गया. वह कभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया और 2004 में उसकी मौत हो गई. यह केस इतना लंबा चला कि अब दोषियों की उम्र 60 साल से ऊपर हो गई है. उनके बच्‍चे जवान हो गए हैं. इसके बाद चंद्रपाल लापता हो गया. वह कभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया और 2004 में उसकी मौत हो गई. यह केस इतना लंबा चला कि अब दोषियों की उम्र 60 साल से ऊपर हो गई है. उनके बच्‍चे जवान हो गए हैं.
यह एक लेख है: कांग्रेस पार्टी के विधायक आसिफ मोहम्मद  खान ने आम आदमी पार्टी पर दिल्ली में सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त करने का स्पष्ट आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है। आसिफ ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने उन्हें इस बात के लिए अधिकृत किया कि वह आप पार्टी की सरकार बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी के विधायकों से बातचीत करें। एनडीटीवी से खास बातचीत में आसिफ का कहना है कि आप पार्टी ने उन्हें मंत्री पद का लालच दिया है। उन्होंने कहा कि वह तीन अन्य विधायक आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं। आसिफ ने एनडीटीवी से कहा कि आप पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने सीधा उनसे संपर्क किया। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि आप पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने उन्हें एसएमएस भेजकर मिलने के लिए कहा। उन्होंने यह भी बताया कि मिलने के लिए सिसोदिया के ससुराल के स्थान को चुना गया। उन्होंने बताया कि आप दिल्ली में समझौते के लिए तैयार हैं। उन्होंने आप पार्टी के नेता संजय सिंह को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो उनकी बातों को काटकर दिखाएं। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि आप पार्टी इस बात को तैयार हो गई थी कि दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के विधायकों को कैबिनेट में जगह देने को आप पार्टी तैयार है।
कैश फॉर वोट कांड में फंसे समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह की जमानत पर फैसला आज होगा. फिलहाल अमर सिंह बीमारी की वजह से एम्स के वीआईपी वॉर्ड में भरती हैं. कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में कहा है कि अमर सिंह बीमार हैं और उन्हें डाक्टरों की निगरानी में रखे जाने की जरूरत है. माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के बाद अमर को जमानत मिल जानी चाहिए. लेकिन अगर जमानत नहीं भी मिली. तब भी उन्हें जेल नहीं जाना होगा. उन्हें अस्पताल में रखा जाएगा. तिहाड़ प्रशासन ने कोर्ट में कहा है कि डाक्टरों की सलाह पर ही अमर सिंह को एम्स में दाखिल कराया गया.
पाकिस्तान में एक सिख ग्रंथी की बेटी को अगवा करने के बाद उसका जबरन धर्मांतरण कर उसे मुस्लिम बना लेने और एक मुस्लिम शख्स से उसकी शादी करवा देने की ख़बरों पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसे शर्मनाक बताया है, और साथ ही कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर बिना नाम लिए तंज कसा है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) की नेता हरसिमरत कौर ने पाकिस्तान में एक गुरुद्वारे के ग्रंथी की बेटी को अगवा किए जाने, उसका बंदूक के ज़ोर पर धर्मांतरण करवाने और उसका निकाह एक मुस्लिम शख्स के साथ करवा देने की समाचार एजेंसियों के ज़रिये मिली ख़बरों पर कहा, 'यह शर्मनाक हरकत है.' हरसिमरत ने कहा, 'इस मुद्दे को उठाया जाना चाहिए, इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए...पंजाब की अन्य पार्टियों में मौजूद (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री) इमरान खान के मित्रों को उनसे ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कहना चाहिए..." हरसिमरत ने बिना नाम लिए कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधा क्योंकि इमरान खान जब पाकिस्तान के पीएम बने थे तो नवजोत सिंह सिद्धू उनसे मिलने पाकिस्तान गए थे. सिद्धू दावा करते रहे हैं कि इमरान खान उनके अच्छे दोस्त हैं. गौरतलब है कि इमरान खान और नवजोत सिंह सिद्धू क्रिकेटर रहे हैं. हालही में मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री सरदार उस्मान बज़दार ने ननकाना साहिब (लाहौर) मामले में जांच के आदेश दिए हैं. बता दें कि समाचार एजेंसी ANI ने शुक्रवार को बताया था कि...लाहौर से एक सिख ग्रंथी की बेटी को कथित तौर पर जबरन इस्लाम कबूल करवाने का मामला सामने आया है. उसका ननकाना साहिब इलाके में एक मुस्लिम शख्स के साथ जबरन निकाह भी करवाया गया. लड़की कई दिनों से लापता थी. लड़की की उम्र 19 साल है और उसका नाम जगजीत कौर है. उसके पिता भगवान सिंह, गुरुद्वारा तंबू साहिब में ग्रंथी हैं.  जगजीत को बंदूक की नोक पर इस्लाम कबूल करवाया गया. जगजीत कौर के परिवार ने कहा है, 'अगर बेटी को छोड़ा नहीं गया तो वह पंजाब गवर्नर हाउस के सामने आत्मदाह करेंगे.' जगजीत कौर के भाई सुरिंदर सिंह ने कहा, 'हमारा परिवार दुखद घटना से गुजरा है. कुछ गुंडे जबरदस्ती हमारे घर में घुस आये और हमारी छोटी बहन का अपहरण कर लिया.' उन्होंने बताया, 'गुंडों ने हमारी बहन का शोषण किया और उसको जबरन इस्लाम कबूल करवाया. हम शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन गए थे. हम कई सीनियर अधिकारियों से मिले लेकिन उन्होंने हमारी शिकायत नहीं सुनी. गुंडे दोबारा हमारे घर आये और शिकायत वापस लेने के लिए कहा. उन्होंने धमकी दी कि अगर हम शिकायत के साथ बने रहे तो वह हमें भी जबरन इस्लाम कबूल करवाएंगे.'
अमेरिका ने इस्लामाबाद से तत्काल ऐसे तालिबानी नेताओं को गिरफ्तार या निष्कासित करने की मांग की है, जो अफगानिस्तान की सीमा पर आतंकवादी गतिविधयां चला रहे हैं. ताकि पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ना हो सके. काबुल स्थित इंटर-कॉन्टिनेंटल होटल पर हुए हमले की जिम्मेदारी तालिबान द्वारा लिए जाने के एक दिन बाद व्हाइट हाउस की ओर से यह बयान जारी किया गया है. बता दें कि इस हमले में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई थी. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘‘हमने पाकिस्तान से तत्काल तालिबनी नेताओं को गिरफ्तार या निष्कासित करने को कहा है, ताकि यह समूह पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल आंतकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए न कर पाए.’’ सारा ने कहा, ‘अफगानिस्तान में जहां काबुल स्थित एक होटल पर आतंकवादी हमला किया गया है, नागरिकों पर ऐसे हमले केवल हमारे सहयोगी अफगान के प्रति हमारे समर्थन के संकल्प को और मजबूत करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अफगान सुरक्षा बलों की त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई की सराहना करते हैं. हमारे सहयोग से अफगान बल लगातार अफगानिस्तान के दुश्मनों का खदेड़ता रहेगा, जो दुनिया भर में आतंक फैलाना चाहते हैं.’’
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की आईटी और धातु कंपनियों के शेयरों में सतत लिवाली से शेयर बाजारों में तेजी का सिलसिला लगातार तीसरे दिन जारी रहा। एशियाई क्षेत्र में मजबूत बढ़त तथा दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि के संकेतों से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 131 अंक चढ़ गया।टिप्पणियां सेंसेक्स में पिछले दो सत्रों में 437 अंक की बढ़त रही थी। आज यह 131.27 अंक या 0.76 प्रतिशत की और बढ़त के साथ 17,431.85 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 34.20 अंक या 0.65 प्रतिशत की बढ़त के साथ 5,269.90 अंक रहा। प्रमुख आईटी कंपनी इन्फोसिस का शेयर 0.68 प्रतिशत चढ़ गया। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में 1.62 प्रतिशत और विप्रो में 3.46 फीसदी का उछाल आया। ब्रोकरों ने कहा कि चीन, अमेरिका और जर्मनी में जनवरी माह में कारखाना उत्पादन में बढ़ोतरी तथा वैश्विक वृद्धि दर को लेकर चिंता घटने की वजह से एशियाई बाजारों के सकारात्मक संकेतों से यहां भी धारणा मजबूत हुई। उच्चतम न्यायालय द्वारा 2008 में दिए गए नए आपरेटरों के 122 लाइसेंस रद्द करने के फैसले से पुरानी दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में उछाल आया। भारती एयरटेल का शेयर 6.88 प्रतिशत चढ़ गया, जबकि आइडिया में 2.68 फीसद की बढ़त रही। सेंसेक्स में पिछले दो सत्रों में 437 अंक की बढ़त रही थी। आज यह 131.27 अंक या 0.76 प्रतिशत की और बढ़त के साथ 17,431.85 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 34.20 अंक या 0.65 प्रतिशत की बढ़त के साथ 5,269.90 अंक रहा। प्रमुख आईटी कंपनी इन्फोसिस का शेयर 0.68 प्रतिशत चढ़ गया। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में 1.62 प्रतिशत और विप्रो में 3.46 फीसदी का उछाल आया। ब्रोकरों ने कहा कि चीन, अमेरिका और जर्मनी में जनवरी माह में कारखाना उत्पादन में बढ़ोतरी तथा वैश्विक वृद्धि दर को लेकर चिंता घटने की वजह से एशियाई बाजारों के सकारात्मक संकेतों से यहां भी धारणा मजबूत हुई। उच्चतम न्यायालय द्वारा 2008 में दिए गए नए आपरेटरों के 122 लाइसेंस रद्द करने के फैसले से पुरानी दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में उछाल आया। भारती एयरटेल का शेयर 6.88 प्रतिशत चढ़ गया, जबकि आइडिया में 2.68 फीसद की बढ़त रही। प्रमुख आईटी कंपनी इन्फोसिस का शेयर 0.68 प्रतिशत चढ़ गया। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में 1.62 प्रतिशत और विप्रो में 3.46 फीसदी का उछाल आया। ब्रोकरों ने कहा कि चीन, अमेरिका और जर्मनी में जनवरी माह में कारखाना उत्पादन में बढ़ोतरी तथा वैश्विक वृद्धि दर को लेकर चिंता घटने की वजह से एशियाई बाजारों के सकारात्मक संकेतों से यहां भी धारणा मजबूत हुई। उच्चतम न्यायालय द्वारा 2008 में दिए गए नए आपरेटरों के 122 लाइसेंस रद्द करने के फैसले से पुरानी दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में उछाल आया। भारती एयरटेल का शेयर 6.88 प्रतिशत चढ़ गया, जबकि आइडिया में 2.68 फीसद की बढ़त रही।
गुर्रम कोंडा: भारत के राज्य आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले में एक तहसील / मंडल है। यह गाँव, शहर बंगलूर और कडपा के मार्ग में है। टीपू सुल्तान के समय में शहर कड़पा जिले में था।अब जिला चित्तूर में है। इस शहर का प्राचीन नाम "ज़फ़राबाद" था। आज इस का नाम गुर्रम कोंडा है। तेलुगु भाषा में गुर्रम का अर्थ घोड़ा, और कोंडा का अर्थ पहाड है। गुर्रम कोंडा अर्थात "घोड़ा-पहाड" या "घोडे का पहाड" है। यहाँ का क़िला बहुत पुराना है। इतिहास गुर्रम कोंडा की पहाडी पर एक मज़बूत क़िला है। इस का निर्माण कडपा के नवाब अब्दुल नबी खान ने १७१४ में करवाया। आज भी यह क़िला देखने लायक़ है। कडपा के नवाब अब्दुल नबी खान काफ़ी प्रख्यात रहे। इन के काल में इनहोंने कई निर्माण करवाए, जिनमें गुर्रमकोंडे का क़िला एक है। अब्दुल नबी खान सलतनत बिजापूर के राज्यपाल थे। गुर्रम कोंडा पहाड काफ़ी ऊँचाई पर है, यहाँ पर इन्होंने एक दुर्ग बनाया जो अभेद्य माना जाता है। इस क़िले की वास्तुकला इंडो-इस्लामिक है। इस क़िले के पहाड के सामने के हिस्से में एक पुराना बड़ा शहर बसा था जिस का नाम ज़फ़राबाद था। लेकिन अब यहाँ उसके खंडर ही नज़र आते हैं।   गुर्रम कोंडे से ३ किलो मीटर पर "मक़बरा" है। यह मक़बरा, टीपू सुल्तान के मामा मीर रज़ा अली खान का है। माना जाता है कि इस मक़बरे का गुम्बद, बीजापूर के गोल गुम्बद के बाद सब से बड़ा है। ये भी देखिए मक़्बरा  अब्दुल नबी खान टीपू सुल्तान सन्दर्भ बाहरी कडियां चित्तूर जिला
यौनाचार के आरोप में घिरे आसाराम के पहरेदारों में भी अपराधी शामिल थे. भोपाल में उनकी सुरक्षा में तैनात उनका अनुयायी हथियारों का सौदागर था. आसाराम जब सूरत से भोपाल आये थे, तब लक्ष्मण संतवानी नाम का अनुयायी एयरपोर्ट से उनकी सुरक्षा में था, जो हथियार सप्लाई करने का कुख्यात सरगना मुख्‍तार मलिक के लिए काम करता था. संतवानी एयरपोर्ट में बापू के आगे सुरक्षा में तैनात था. पुलिस के मुताबिक, संतवानी के खिलाफ पुलिस में आपराधिक और आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हैं, जिसे अप्रैल में गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि आसाराम आश्रम प्रबंधन के लोग अब इससे पल्ला झाड़ रहे हैं. भोपाल के सीएसपी सलीम खान ने बताया कि लक्ष्मण संतवानी पंचशील नगर का निवासी है. संतवानी के खिलाफ बस स्टैंड पर वसूली करने की शिकायत है. उसे अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था. कार भी बरामद की गई थी. उसके कमरे से एक पिस्टल और दो कारतूस बरामद किये गए थे. उस समय ये पता चला था कि ये मुख्तार मलिक के लिए काम करता है.
अब तक खेले गए क्रिकेट विश्‍व कप में भारत के सौरव गांगुली ने श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की पारी खेली थी. जो विश्‍वकप क्रिकेट इतिहास में अब तक दूसरी सबसे बड़ी पारी है. क्रिकेट विश्‍व कप में एक पारी में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्‍लेबाजों की सूची इस प्रकार है. एक पारी से सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्‍लेबाज खिलाड़ी रन गेंद देश खिलाफ गैरी कर्स्‍टन 188 * 159 द. अफ्रीका यूएई सौरव गांगुली 183 158 भारत श्रीलंका सर विवि रिचर्ड 181 125 वेस्‍टइंडीज श्रीलंका कपिल देव 175* 138 भारत जिम्‍बाब्‍वे क्रेग विर्स्‍ट 172 * 151 जिम्‍बाब्‍वे नामीबिया ग्‍लेन टर्नर 171 * 201 न्‍यूजीलैंड पूर्वी अफ्रीका एंड्रयू हडसन 161 132 द. अफ्रीका नीदरलैंड्स इमरान नजीर 160 221 पाकिस्‍तान जिम्‍बाब्‍वे मैथ्‍यू हेडन 158 143 ऑस्‍ट्रेलिया वेस्‍टइंडीज सचिन तेंदुलकर 152 151 भारत नामीबिया
पर्यावरण मंत्रालय से दस्तावेज चुराने वाला जितेंद्र नागपाल पिछले 12 साल से इस गोरखधंधा को चला रहा है. पुलिस को शक है कि नागपाल की पत्नी भी इस काम से जुड़ी हो सकती है. मिसेज नागपाल निर्माण भवन में एक उच्च स्तर के अफसर की निजी सचिव है. पुलिस इस मामले मिसेज नागपाल की भूमिका की भी जांच कर रही. पुलिस के मुताबिक जितेंद्र का अपना एक अलग गिरोह है, जिससे वो एक महीने एक से सवा लाख रुपये कमा रहा था. पुलिस ने बताया कि ये तीन-चार लोगों का खतरनाक गिरोह है. वहीं लालता प्रसाद और लोकेश का गिरोह भी पिछले काफी सालों से इस काम में लगा हुआ है. नागपाल और इन दोनों का गिरोह एक दूसरे को मंत्रालय कागज दिया करते थे. ये दोनों इन दस्तावेजों को मंगाने के लिए वाट्सऐप का प्रयोग करते थे. पुलिस ने इनके पास से मोबाइल फोन भी बरामद किए है. पुलिस को इनके वाट्सऐप से कई दस्तावेज मिले हैं. पुलिस को नागपाल के गिरोह में कई और सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने का शक है जिनकी जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है.
जन्म नियंत्रण विधियों में बाधा विधियां, हार्मोनल जन्म नियंत्रण, अंतर्गर्भाशयी उपकरण (आईयूडी), नसबंदी और व्यवहार की विधियां शामिल हैं। इन्हे संभोग से पहले या इसके दौरान प्रयोग किया जा सकता है जबकि आपातकालीन जन्म नियंत्रण संभोग से कुछ दिन बाद तक प्रभावी रहता है। प्रभावशीलता को आम तौर पर उन महिलाओं के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है जो पहले साल दौरान दी गई विधि का इस्तेमाल करते हुए गर्भवती हुई हैं। और कभी-कभी उच्च प्रभावशीलता के साथ आजीवन असफलता की दर पर होती है, जैसे ट्यूबल लिंगेशन।सबसे प्रभावशाली विधियां वे होती हैं जो लंबे समय तक काम करें और जिनके लिए निरंतर स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता न हो। सर्जिकल नसबंदी, प्रत्यारोपण योग्य हार्मोन और अंतर्गर्भाशयी उपकरण सभी की प्रथम वर्ष में असफलता दर 1% से भी कम हैं। हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियां, पैच या रिंग और रिंग लेक्टाटेश्नल रजोरोध (LAM) विधि को यदि सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए, तो इनकी पहले साल (या LAM के लिए, पहले 6 महीने) की असफलता दर 1% से कम होगी। गलत इस्तेमाल के कारण विशिष्ट उपयोग के साथ प्रथम वर्ष में असफलता दर काफी ज्यादा, 3-9% की सीमा में हैं। अन्य विधियां जैसे कि प्रजनन जागरूकता, निरोध, डायाफ्राम और शुक्राणुनाशकों के सही प्रयोग से भी प्रथम वर्ष में असफलता दर बहुत ज्यादा है। जबकि जन्म नियंत्रण की सभी विधियों के कुछ संभावित प्रतिकूल प्रभाव हैं, इनका जोखिम गर्भावस्था से कम होता है। मौखिक गर्भनिरोधक, आईयूडी, प्रत्यारोपण और इंजेक्शन सहित जन्म नियंत्रण की कई विधियां बंद करने या हटाने के पश्चात, बाद के वर्ष दौरान गर्भावस्था की दर उनके जैसी हो जाती है जो जन्म नियंत्रण विधियों का उपयोग नहीं करते। वे महिलाएं जिनको कोई स्वास्थ्य समस्या है, जन्म नियंत्रण के कुछ और परीक्षणों की आवश्यकता पड़ सकती है। उन महिलाओं के लिए जो स्वस्थ हैं, उनको जन्म नियंत्रण गोलियां, इंजेक्शन या प्रत्यारोपण योग्य जन्म नियंत्रण और निरोध सहित जन्म नियंत्रण की कई विधियों के लिए चिकित्सा जांच की आवश्यकता नहीं होती। जन्म नियंत्रण शुरू करने से पहले पेडू की जांच, स्तन की जांच या रक्त जांच से परिणाम प्रभावित नहीं होते और इसलिए ये आवश्यक नहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2009 में जन्म नियंत्रण की प्रत्येक विधि के लिए चिकित्सा योग्यता मानदंड की विस्तृत सूची प्रकाशित की।
मुलायम सिंह यादव का 75वां जन्मदिन मनाने के लिए लखनऊ के समाजवादी पार्टी के दफ्तर में जुटे सैंकडो़ं सपा कार्यकर्ताओं को जब केक खाने का मौका मिला, तो वे सब मिलकर एक-साथ केक पर टूट पड़े. केक पाने के लिए उन्‍होंने आपस में छीना-झपटी भी शुरू कर दी. जिसके हाथ में जितना केक का टुकड़ा लगा, उसे लेकर खाना शुरू कर दिया. करीब दो घंटे तक शालीनता और सभ्यता से बैठे सपा के कार्यकर्ताओं का सब्र का बांध उस समय टूट गया, जब उनके सामने 75 पाउंड का केक आया. मंच से उतरकर अपनी गाड़ी तक पहुंचे मुलायम सिंह यादव से लोहियावाहिनी के सदस्यों ने केक काटने का अनुरोध किया. मगर बेकाबू होते कार्यकर्ताओं को देख मुलायम सिंह ने किसी तरह केक को अपने हाथों से ही काटा. फिर क्या था, जैसे ही नेता जी ने केक काटा, सपा कार्यकर्ता टूट पड़े केक पर. केक को जमीन पर गिराकर, महज एक सेकेण्ड के भीतर केक साफ़ हो गया. जिसके हाथ में जितना केक आया ले भागा.
बिहार की राजधानी पटना में लू की वजह से एक 18 वर्षीय युवक की मौत हो गई है. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती युवक भक्तियारपुर का रहने वाला है. बिहार इन दिनों चमकी बुखार और लू की दोहरी मार झेल रहा है. बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक अब तक बिहार में लू की चपेट में आने से कुल 101 मौतें हुई हैं. औरंगाबाद में 48, गया में 39 और नवादा में 14 लोगों की मौत लू लगने की वजह से हुई है. ये आंकड़े 15 जून से 21 जून के बीच के हैं. आधिकारिक आंकड़ा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इससे पहले लू से प्रभावित मरीजों से मुलाकात भी कर चुके हैं. लू से बचाव के लिए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने एडवाइजरी भी जारी की है. एडवाइजरी में धूप से परहेज करने की बात कही गई है. चमकी बुखार का कहर बिहार में इस बार बिमारियों का प्रकोप ज्यादा ही है. राज्य सरकार और केंद्र सकार दोनों को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. बिहार में चमकी बुखार से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़कर अब 147 हो गया है. चमकी बुखार से बच्चों की लगातार मौत हो रही है. इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला मुजफ्फरपुर है, जहां अकेले श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को दिमागी बुखार और चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने राज्यसभा में कहा कि विकास दर (Growth Rate) में कमी आई है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मंदी है. वित्त मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि 2009-2014 के अंत में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.4% थी, जबकि 2014-2019 के बीच यह 7.5% पर थी. उन्होंने कहा कि यदि आप अर्थव्यवस्था को समझदारी से देख रहे हैं, तो आप समझेंगे कि विकास दर में कमी आई है, लेकिन यह मंदी नहीं है और न होगी. बता दें कि वित्त मंत्री देश की अर्थव्यवस्था की दशा पर राज्यसभा में हो रही चर्चा में बोल रहीं थीं.    Finance Minister Nirmala Sitharaman in Rajya Sabha: If you are looking at the economy with a discerning view, you see that growth may have come down but it is not a recession yet, it will not be a recession ever. https://t.co/i8kFOeVzet उन्होंने कहा कि निवेश में करीब सात फ़ीसदी की गिरावट आई है. सरकारी निवेश और निजी निवेश दोनों ही घटा है. उन्होंने कहा कि जीडीपी 4 परसेंट पर जा पहुंचा है, साथ ही मैन्युफैक्चरिंग में भी गिरावट आई है, जिसके चलते फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं और कर्मचारियों को भी निकाला जा रहा है.
बिहार में महागठबंधन की सरकार है लेकिन इसी गठबंधन की पार्टियां उत्तरप्रदेश में एक दूसरे के सामने खड़ी हो रही हैं. जनता दल यू राष्ट्रीय लोक दल के साथ चुनाव लड़ने जा रही है तो कांग्रेस का राग अलग है. आरजेडी समाजवादी पार्टी के साथ खड़ी है. कुल मिलाकर देखा जाये तो बिहार का महागठबंधन उतरप्रदेश में पूरी तरह से बिखर चुका है. भले ही उतरप्रदेश में ये पार्टियां एक दूसरे पर तीर चलायेंगी लेकिन उनका मानना है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार पर इसका कोई असर नही पड़ेगा. नीतीश कुमार फिर जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल से उतरप्रदेश में समझौता भी पक्का हो गया. अब जनता दल यू और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के तहत उतर प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ रही है और आरजेडी उतरप्रदेश में चुनाव खुद तो चुनाव नहीं लड़ रही है लेकिन लालू प्रसाद यादव अपने समधी मुलायम सिंह को समर्थन देने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का कहना है कि पहले था कि देश भर में महागठबंधन बनाना था लेकिन किसी कारण वश नहीं बन पाया लेकिन हमने ये प्रयास किया कि सभी सेकुलर पार्टियां एकजुट हो लेकिन सबको अपने अपने पार्टी का विस्तार करना है हमलोग का समर्थन तो समाजवादी पार्टी को है. उनका कहना है कि सब पार्टियों की अलग अलग विचार धारा है और वो अपने विचार धारा के तहत अगर कुछ चुनाव में वायदा करती है तो गलत क्या है. तेजस्वी का कहना है कि इसका बिहार के सरकार पर कोई असर नही पड़ेगा. बिहार में चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन बना. जिसमें जनता दल यू आरजेडी के साथ साथ कांग्रेस का भी साथ मिला. महागठबंधन ने बिहार चुनाव में मजबूत बीजेपी को अपने वोट बैंक के जरिए करारी शिकस्त दी. तब कहा जाने लगा कि अगर लोकसभा के चुनाव में भी इसी तरह का गठबंधन बनता है तो बीजेपी को अच्छी चुनौती मिल सकती है. लेकिन बिहार चुनाव के एक साल के अंदर ही यह गठबंधन उतरप्रदेश में ही बिखर गया. बिहार सरकार में मंत्री और जनता दल यू के नेता जय कुमार सिंह कहते है कि महागठबंधन बिहार के परिपेक्ष में बना था राष्ट्रीय स्तर पर कोई बात नहीं हुई थी. बिहार में ये मजबूती से है और बिहार में मजबूती से महागठबंधन की सरकार चलेगी. उतरप्रदेश में जनता दल यू और राष्ट्रीय लोक दल ने जयंत चौधरी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है. कांग्रेस की तरफ से शीला दीक्षित का नाम पहले से ही है. और आरजेडी अखिलेश यादव का समर्थन कर रही है लालू प्रसाद यादव उनके समर्थन में रैली भी करने वाले है. लेकिन कांग्रेस का कहना है कि यह कोई नई बात नही है कांग्रेस शुरू से ये प्रयोग करती रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री तो इसका उदाहरण भी देते हैं. कि कांग्रेस शुरू से ऐसा प्रयोग करती रहती है बंगाल में वो इस बार बामदल के साथ लड़ी थी जबकि केरल में उसके खिलाफ ऐसे में ये कोई नहीं बात नहीं है. उन्होंने भी कहा कि इसका कोई असर बिहार की राजनीति पर नहीं पड़ेगा. आलेख 4 बात यहीं पर खत्म नहीं होती है. महागठबंधन में रणनीतिकार की भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर इस बार कांग्रेस के रणनीतिकार है. यानी महागठबंधन के साथी उतरप्रदेश में एक दूसरे पर तीर चलायेंगे लेकिन बिहार में कहेंगे हम साथ साथ हैं.
आई॰एन॰एस॰ विक्रान्त, जिसे आई॰ए॰सी-1 के नाम से भी जाना जाता है, भारत में बना पहला विमान वाहक जहाज है (प्रोजेक्ट-71)। यह 2009 से कोच्ची में बनना आरम्भ हुआ। हालाँकि इसका बनना फरवरी 2009 में आरम्भ हुआ, लेकिन इसकी बनावट इत्यादि 1999 से ही तैयार किये जाने लगे। यह 29 दिसम्बर 2011 को पहली बार तैरा।<ref name=":0"। नाम विक्रांत नाम संस्कृत के विक्रांतः,शब्द से लिया गया है जिसका हिन्दी में अर्थ "साहसी" ( शाब्दिक अर्थ "बाधाओं/सीमाओं के पार जाना") है। बनावट यह एक आधुनिक विमान वाहक पोत है जिसका वजन लगभग ४०,००० मीट्रिक टन है। यह STOBAR संरचना वाला विमानवाही पोत है। इसे दो शाफ्टों पर मौजूद चार जनरल इलेक्ट्रिक एल एम २५००+ गैस टर्बाइनें उर्जा देती/चलाती है। ये गैस टर्बाइनें ८० मेगावाट (१,१०,००० अश्वशक्ति) पैदा करतीं है। यह 262 मीटर (860 फीट) लंबा और 60 मीटर (200 फीट) चौड़ा है। इसमें स्की-जंप के साथ एक STOBAR कॉन्फ़िगरेशन है। इसे मिग २९ के और अन्य हल्के लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह लगभग तीस विमानों तक के एक हवाई समूह को ले जाएगा, जिसमें लगभग २५ 'फिक्स्ड-विंग' लड़ाकू विमान शामिल होंगे, मुख्य रूप से मिग-२९के, इसके अलावा १० कामोव का३१ या वेस्टलैंड सी किंग हेलिकॉप्टर ले जाए जा सकते हैं । कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग (AEW) भूमिका को पूरा करेगा और सी किंग, पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) क्षमता प्रदान करेगा। देंखे भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत आई एन एस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना पोत विक्रांत संदर्भ भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत
शनिवार की सुबह सासाराम के एक पत्रकार धर्मेंद्र सिंह की अपराधियों द्वारा गोली मारकर हत्या करने की घटना को बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने एक ओर जहां कड़े शब्दों में निंदा की है, वहीं दूसरी ओर कहा कि ऐसी घटनाएं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कानून का राज के दावे की पोल खोल रही है. सुशील मोदी ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान बिहार में 4 पत्रकारों की हत्या कर दी गई. नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार में अपराध का ग्राफ नीचे आया है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है. उन्होंने कहा, 'जब से शराबबंदी लागू हुई है, तब से अपराध के ग्राफ में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसी का नतीजा है कि एक साल में चौथे पत्रकार की हत्या हुई है. मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि अगर शराबबंदी के बाद अपराध कम हुआ है, तो अपराध के आंकड़े बढ़ते क्यों जा रहे हैं?' सुशील मोदी ने कहा कि पत्रकारों की हत्या से नीतीश कुमार के सुशासन और कानून के राज के तमाम दावे तार-तार हो गए हैं. उन्होंने कहा, 'बिहार में निर्भीक और स्वतंत्र पत्रकारिता मुश्किल हो गई है. जिस तरह बाहुबली शहाबुद्दीन के खिलाफ लिखने का खामियाजा सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन को भुगतना पड़ा था, उसी तरह सासाराम के पत्रकार धर्मेंद्र सिंह के परिजनों ने अवैध खनन माफिया के खिलाफ लिखने के कारण धर्मेंद्र की हत्या की आशंका जताई है.' बीजेपी नेता सुशील मोदी ने नीतीश सरकार से मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द हत्यारों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करें और मामले की स्पीडी ट्रायल कराए. उन्होंने बिहार सरकार से मृतक पत्रकार धर्मेंद्र सिंह के परिवार को 25 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की भी मांग की है.
साध्वी से रेप केस में 15 साल बाद दोषी करार दिए जाने के बाद बलात्कारी बाबा राम रहीम के गुंडों ने जमकर उत्पात मचाया. हरियाणा और पंजाब में हुई हिंसा में अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 250 से ज्यादा लोग घायल हैं. मृतकों में 29 पंचकूला से और 3 सिरसा से हैं. शनिवार के लाइव अपडेट्स - पेशी के दौरान राम रहीम का बैग उठाने को लेकर हरियाणा के डिप्टी एडवोकेट जनरल गुरदास सिंह को बर्खास्त कर दिया गया है.   गुरदास पर आरोप था कि वह कोर्ट में पेशी के दौरान राम रहीम का बैग उठाकर उनके साथ चल रहे थे. - राम रहीम को सजा की सुनवाई संभवतः जेल में की जा सकती है. - DGP ने कहा कि 524 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और सभी मृतक डेरा समर्थक हैं. - बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, अनिल जैन और कैलाश विजयवर्गीय के बीच हरियाणा के मुद्दे पर बैठक हुई है. बैठक के बाद अनिल जैन ने कहा कि मनोहर खट्टर को तलब नहीं किया गया है, ये सभी खबरें गलत हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. - राम रहीम के 6 सुरक्षा गार्ड और 2 डेरा समर्थकों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है. इन सभी पर कोर्ट में सुनवाई के दौरान IG को चांटा मारने का आरोप है. - शनिवार को भी हाईकोर्ट ने कानून व्यवस्था को लेकर खट्टर सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए शहर को जलने दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार ने सरेंडर कर दिया है. आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने लगातार इस मामले पर नजर बनाई रखी है. कोर्ट लगातार सरकार को निर्देश दे रहा है. - हरियाणा के साथ ही दिल्ली में सेना ने फ्लैग मार्च किया है. वहीं कृष्णा नगर में मौजूद डेरे की भी पुलिस ने तलाशी ली. दिल्ली के डेरे में भी कई महंगी बाइकें, गाड़ियां खड़ी हैं. #WATCH Army, Police and Rapid Action Force enter the premises of #DeraSachaSauda in Haryana's Sirsa #RamRahimSingh pic.twitter.com/YKMHbaMIFa — ANI (@ANI) August 26, 2017 - हरियाणा में राम रहीम के 36 आश्रमों के सील किया गया है. इनमें करनाल, अंबाला, कैथल और कुरुक्षेत्र के आश्रम शामिल हैं. - हरियाणा के DGP का बयान, राम रहीम के समर्थकों के पास से रायफ्ल, लाठी, पेट्रोल बम आदि बरामद किए गए हैं. सेना ने लोगों को खदेड़ना शुरू कर दिया है. डेरा मुख्यालय से मिले हथियार वहीं हरियाणा के डीजीपी बीएस संधू ने बताया कि राम रहीम के डेरा मुख्यालय से AK-47 और पेट्रोल बम जैसे घातक हथियार मिले हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि शुक्रवार को हुई हिंसा में मारे गए लोग डेरा समर्थक थे. ये सभी लोग बाहर से आए थे. इस बीच खबर आई है कि सेना ने सिरसा में डेरा मुख्यालय को अपने कब्जे में ले लिया है. हालांकि आधिकारिक बयान में इस बात का खंडन करते हुए कहा गया है कि सेना डेरा मुख्यालय के अंदर नहीं घुसी, वहीं आस-पास के इलाके तक ही रही. वहीं शांति बहाली में जुटी सेना ने भी कहा है कि सेना का सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय में घुसने का कोई प्लान नहीं है. इस बीच विपक्ष ने हरियाणा में बिगड़े हालात को लेकर सीएम मनोहर लाल खट्टर को निशाने पर लिया और उनका इस्तीफा मांगा है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि खट्टर को नैतिकता के नाते मुख्यमंत्री की कुर्सी से इस्तीफा दें. राम रहीम केस: खट्टर सरकार को HC की फटकार, कहा- राजनीतिक फायदे के लिए जलने दिया शहर - राम रहीम के डेरा मुख्यालय में करीब 4-5 लाख लोग मौजूद हो सकते हैं. सेना के सामने चुनौती है कि वह इन्हें बाहर कैसे निकालेगी. - हरियाणा के डेरा मुख्यालय में सेना घुस गई है. सेना ने डेरा खाली कराया, मुख्यालय पर किया कब्जा. - राजनाथ के घर हाईलेवल बैठक शुरू, सुरक्षा रिव्यू के लिए जुटे हैं NSA अजित डोभाल, IB चीफ और अन्य बड़े अधिकारी. - हरियाणा के DGP बी.एस. संधू ने कहा कि अभी राज्य में हर जगह शांति है. उन्होंने कहा कि जेल में राम रहीम को किसी भी प्रकार की विशेष सुविधा नहीं दी है. Along with Army & Rapid Action Force, Police has also entered the premises of #DeraSachaSauda HQ in Haryana's Sirsa #RamRahimSingh pic.twitter.com/Y5tVg1BCp4 — ANI (@ANI) August 26, 2017 Army & Rapid Action Force have entered the premises of #DeraSachaSauda HQ in Haryana's Sirsa #RamRahimSingh pic.twitter.com/hoq3mCXcLx — ANI (@ANI) August 26, 2017 सरकार ने धारा 144 सही ढंग से लागू ना करा पाने पर डीसीपी को सस्पेंड कर दिया. हिंसा की आशंका में पंजाब-हरियाणा जाने वाली 445 ट्रेन कैंसिल हो गई हैं. इस बीच सेना ने शनिवार सुबह सिरसा में फ्लैग मार्च किया. इस बीच हिंसाग्रस्त इलाकों में धीरे-धीरे शांति लौटती दिख रही है. चंडीगढ़ पुलिस ने बाबा के 6 निजी सुरक्षा बलों को गिरफ्तार किया है. इन गार्ड्स पर से हथियार, कैरोसिन तेल भी जब्त किया गया है. वहीं रोहतक में 10 अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है. शुक्रवार को पंचकुला में सीबीआई कोर्ट ने बाबा राम रहीम को 15 साल पुराने रेप केस में दोषी माना. 28 अगस्त को सजा सुनाई जाएगी. बवाल में 31 लोगों की मौत के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी व्यवस्था में खामी की बात मानी. मुख्यमंत्री ने कहा कि डेरा समर्थकों को उनके घर में बंद रखने की हमने भरपूर कोशिश की. ट्रेन, बसें और यातायात के सभी साधनों को रोका, लेकिन डेरा समर्थक पैदल पहुंच गए और अपनी पहचान भी छुपाए रहे. हमने उन्हें रोकने की भरपूर कोशिश की. केंद्र भी हालात पर नजर बनाए हुए हैं. आज 11 बजे राजनाथ की गृह सचिव के साथ बैठक है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने भी चिंता जताई है. पीएम ने भी एनएसए और गृह सचिव से हालात की जानकारी ली. अब ये महिला संभालेगी डेरा की कमान! महलों से जेल जाने तक थी राम रहीम के साथ पंचकुला में अभी हालात काबू में हैं. सिरसा में भी सेना ने सुबह फ्लैग मार्च किया. रोहतक में भी देर रात सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया. अब तक कुल 600 लोग हिरासत में लिए गए हैं. डेरा समर्थकों के 60 वाहनों को भी जब्त किया गया है. फैसले से भड़के बाबा के समर्थकों ने 100 से ज्यादा गाड़ियां फूंक डाली. हिंसा से हालात ऐसे बिगड़े कि मुर्दाघर में सिर्फ 4 शवों की जगह थी, जबकि वो 17 शवों से भर गया. इसके बाद एक अस्थायी मुर्दाघर की व्यवस्था की गई. जेल में ऐसी बीती पहली रात कोर्ट के फैसले के बाद राम रहीम को हेलिकॉप्टर से रोहतक जेल ले जाया गया. राम रहीम को देर तक जेल में ना शिफ्ट किए जाने की मीडिया में खबर आने के बाद मुख्य गृह सचिव ने रात नौ बजे राम रहीम को जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया गया. गेस्ट हाउस में राम रहीम को फाइव स्टार होटल जैसी सुविधा मुहैया कराई गई. गेस्ट हाउस से जेल जाते वक्त बाबा राम रहीम रो पड़ा. प्रशासन ने राम रहीम को एक हेल्पर भी मुहैया कराया है. बाबा को मिनिरल वाटर की बॉटल दी गई. जेल में बीती पहली रात को बाबा की भूख भी गायब हो गई. रात में उन्होंने सिर्फ दूध पिया. फैसले के बाद भड़की हिंसा को देखते हुए दिल्ली एनसीआर में हाई अलर्ट लगा दिया गया है. बॉर्डर पर जबरदस्त चौकसी बढ़ा दी गई है. गाजियाबाद, नोएडा में आज स्कूल बंद रहेंगे. यूपी के गाजियाबाद, हापुड़, शामली, बागपत और फिरोजाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई है. ग्रेटर नोएडा और नोएडा में भी धारा 144 लागू. सभी अधिकारियों को हिंसा रोकने के सख्त निर्देश. अभी और बढ़ेगी बाबा की मुश्किल हाई कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम की संपत्ति जब्त करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि डेरा सच्चा सौदा की संपत्ति से हिंसा में हुई जान-माल की भरपाई की जाए. राम रहीम की मुश्किल और बढ़ सकती हैं. एक महिला को गायब करने के आरोप में जयपुर के कोर्ट में 7 सितंबर को होगी पेशी. कई महिलाओं ने रेप की बात मानी पंचकुला सीबीआई कोर्ट में फैसला सुनते वक्त बाबा राम रहीम कांप उठा. उसने हाथ जोड़कर जज से रहम की भीख भी मांगी. सीबीआई की चार्जशीट में रेप पीड़ित 9 महिलाओं का जिक्र, 2 पीड़ितों के बयान दर्ज, 2 रेप पीड़ित महिलाओं ने राम रहीम के खिलाफ दी गवाही. बलात्कार पीड़ित 2 महिलाओं की गवाही और सबूतों के आधार पर ही सीबीआई कोर्ट ने राम रहीम को दोषी ठहराया है. 28 अगस्त इन्हीं दो मामलों में सुनाई जाएगी सजा. सीबीआई के मुताबिक- बयान देने से परहेज करने वाली 20 महिलाओं ने भी डेरा सच्चा सौदा में रेप की बात कबूली है, लेकिन शादी के चलते गवाही देने से किया इनकार.
तेलंगाना में विधानसभा की कार्यवाही बाधित करने के कारण विपक्षी दल तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के 10 विधायकों को सोमवार को पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. राज्य के संसदीय कार्य मंत्री टी. हरीश राव ने इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष एस. मधुसूदन चारी ने टीडीपी विधायकों को निलंबित करने की घोषणा की. जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई राव ने सात मार्च को सदन के संयुक्त सत्र में राज्यपाल के संबोधन के दौरान राष्ट्रगान का अपमान किए जाने के मामले में विधायकों से माफी मांगने के लिए कहा. वहीं, तेदेपा के सदस्य राज्यपाल के संबोधन के दौरान विपक्षी सदस्यों पर कथित हमले के लिए सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास पहुंच गए. इसी हंगामे के बीच राव ने टीडीपी विधायकों के निलंबन का प्रस्ताव रखा, जिसे ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया. टीडीपी विधायकों ने बाद में अपने निलंबन के विरोध में विधानसभा के प्रवेश द्वार पर प्रदर्शन किया. - इनपुट IANS
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: प्रकाशन क्षेत्र की कंपनी हार्पर कॉलिन्स इंडिया ने अपना प्रसारण मंच शुरू किया है जिस पर वह पुस्तक समीक्षा, विषय वस्तु के परिचय अंश (ट्रेलर) लेखकों के बारे में जानकारी और उनके साक्षात्कारों का प्रसारण करेगी। टिप्पणियां कंपनी ने कहा कि इसके ग्राहक लोग उसके सोशल मीडिया मंच पर जुड़कर बन सकते हैं। ‘हार्पर ब्रॉडकास्ट’ पर लोगों को किताबों से जुड़े समाचार, दृष्टिकोण, सार इत्यादि की जानकारी मिलेगी। कंपनी के इस नए उद्यम पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनंत पद्मनाभन ने कहा कि हार्पर ब्रॉडकास्ट भारत में अपनी तरह का पहला मंच है। एक प्रकाशक कंपनी उसके द्वारा किए जाने वाले प्रकाशन कार्य से जुड़े हर समाचार का एक चैनल चला रही है। हमारे पास बेहद रोमांचक सामग्री है। कंपनी के इस यूट्यूब चैनल की एंकर अमृता त्रिपाठी हैं। कंपनी ने कहा कि इसके ग्राहक लोग उसके सोशल मीडिया मंच पर जुड़कर बन सकते हैं। ‘हार्पर ब्रॉडकास्ट’ पर लोगों को किताबों से जुड़े समाचार, दृष्टिकोण, सार इत्यादि की जानकारी मिलेगी। कंपनी के इस नए उद्यम पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनंत पद्मनाभन ने कहा कि हार्पर ब्रॉडकास्ट भारत में अपनी तरह का पहला मंच है। एक प्रकाशक कंपनी उसके द्वारा किए जाने वाले प्रकाशन कार्य से जुड़े हर समाचार का एक चैनल चला रही है। हमारे पास बेहद रोमांचक सामग्री है। कंपनी के इस यूट्यूब चैनल की एंकर अमृता त्रिपाठी हैं। कंपनी के इस नए उद्यम पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनंत पद्मनाभन ने कहा कि हार्पर ब्रॉडकास्ट भारत में अपनी तरह का पहला मंच है। एक प्रकाशक कंपनी उसके द्वारा किए जाने वाले प्रकाशन कार्य से जुड़े हर समाचार का एक चैनल चला रही है। हमारे पास बेहद रोमांचक सामग्री है। कंपनी के इस यूट्यूब चैनल की एंकर अमृता त्रिपाठी हैं।
केसर केसर (saffron) एक सुगंध देनेवाला पौधा है। इसके पुष्प की वर्तिकाग्र (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। यह इरिडेसी (Iridaceae) कुल की क्रोकस सैटाइवस (Crocus sativus) नामक क्षुद्र वनस्पति है जिसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है, यद्यपि इसकी खेती स्पेन, इटली, ग्रीस, तुर्किस्तान, ईरान, चीन तथा भारत में होती है। भारत में यह केवल जम्मू (किस्तवार) तथा कश्मीर (पामपुर) के सीमित क्षेत्रों में पैदा होती हैं। प्याज तुल्य इसकी गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर में रोपी जाती हैं और अक्टूबर-दिसंबर तक इसके पत्र तथा पुष्प साथ निकलते हैं। केसर का क्षुप 15-25 सेंटीमीटर ऊँचा, परंतु कांडहीन होता है। पत्तियाँ मूलोभ्दव (radical), सँकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड (scapre) निकलता है, जिसपर नीललोहित वर्ण के एकाकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। पंखुडि़याँ तीन तीन के दो चक्रों में और तीन पीले रंग के पुंकेशर होते हैं। कुक्षिवृंत (style) नारंग रक्तवर्ण के, अखंड अथवा खंडित और गदाकार होते हैं। इनकी ऊपर तीन कुक्षियाँ, लगभग एक इंच लंबी, गहरे, लाल अथवा लालिमायुक्त हल्के भूरे रंग की होती हैं, जिनके किनारे दंतुर या लोमश होते हैं। केसर की गंध तीक्ष्ण, परंतु लाक्षणिक और स्वाद किंचित् कटु, परंतु रुचिकर, होता है। इसका उपयोग मक्खन आदि खाद्य द्रव्यों में वर्ण एवं स्वाद लाने के लिये किया जाता हैं। चिकित्सा में यह उष्णवीर्य, उत्तेजक, आर्तवजनक, दीपक, पाचक, वात-कफ-नाशक और वेदनास्थापक माना गया है। अत: पीड़ितार्तव, सर्दी जुकाम तथा शिर:शूलादि में प्रयुक्त होता है। केसर का वानस्पतिक नाम क्रोकस सैटाइवस (Crocus sativus) है। अंग्रेज़ी में इसे सैफरन (saffron) नाम से जाना जाता है। यह इरिडेसी (Iridaceae) कुल का क्षुद्र वनस्पति है जिसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है। 'आइरिस' परिवार का यह सदस्य लगभग 80 प्रजातियों में विश्व के विभिन्न भू-भागों में पाया जाता है। विश्व में केसर उगाने वाले प्रमुख देश हैं - फ्रांस, स्पेन, भारत, ईरान, इटली, ग्रीस, जर्मनी, जापान, रूस, आस्ट्रिया, तुर्किस्तान, चीन, पाकिस्तान के क्वेटा एवं स्विटज़रलैंड। आज सबसे अधिक केसर उगाने का श्रेय स्पेन को जाता है, इसके बाद ईरान को। कुल उत्पादन का 80% इन दोनों देशों में उगाया जा रहा है, जो लगभग 300 टन प्रतिवर्ष है। भारत में केसर केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है। केसर की खेती भारत में जम्मू के किश्तवाड़ तथा जन्नत-ए-कश्मीर के पामपुर (पंपोर) के सीमित क्षेत्रों में अधिक की जाती है। केसर यहां के लोगों के लिए वरदान है। क्योंकि केसर के फूलों से निकाला जाता सोने जैसा कीमती केसर जिसकी कीमत बाज़ार में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किलो है। परंतु कुछ राजनीतिक कारणों से आज उसकी खेती बुरी तरह प्रभावित है। यहां की केसर हल्की, पतली, लाल रंग वाली, कमल की तरह सुन्दर गंधयुक्त होती है। असली केसर बहुत महंगी होती है। कश्मीरी मोंगरा सर्वोतम मानी गई है। एक समय था जब कश्मीर का केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम माना जाता था। उत्तर प्रदेश के चौबटिया ज़िले में भी केसर उगाने के प्रयास चल रहे हैं। विदेशों में भी इसकी पैदावार बहुत होती है और भारत में इसकी आयात होती है। जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे शहर पंपोर के खेतों में शरद ऋतु के आते ही खुशबूदार और कीमती जड़ी-बूटी ‘केसर’ की बहार आ जाती है। वर्ष के अधिकतर समय ये खेत बंजर रहते हैं क्योंकि ‘केसर’ के कंद सूखी ज़मीन के भीतर पनप रहे होते हैं, लेकिन बर्फ़ से ढकी चोटियों से घिरे भूरी मिट्टी के मैदानों में शरद ऋतु के अलसाये सूर्य की रोशनी में शरद ऋतु के अंत तक ये खेत बैंगनी रंग के फूलों से सज जाते हैं। और इस रंग की खुशबू सारे वातावरण में बसी रहती है। इन केसर के बैंगनी रंग के फूलों को हौले-हौले चुनते हुए कश्मीरी लोग इन्हें सावधानी से तोड़ कर अपने थैलों में इक्ट्ठा करते हैं। केसर की सिर्फ 450 ग्राम मात्रा बनाने के लिए क़रीब 75 हज़ार फूल लगते हैं। केसर का पौधा 'केसर' को उगाने के लिए समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊँचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधे के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहता है। यह पौधा कली निकलने से पहले वर्षा एवं हिमपात दोनों बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन कलियों के निकलने के बाद ऐसा होने पर पूरी फसल चौपट हो जाती है। मध्य एवं पश्चिमी एशिया के स्थानीय पौधे केसर को कंद (बल्ब) द्वारा उगाया जाता है। केसर का पौधा सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है और क्षुप 15 से 25 सेमी (आधा गज) ऊंचा, परंतु कांडहीन होता है। इसमें घास की तरह लंबे, पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। जो मूलोभ्दव (radical), सँकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड (scapre) निकलता है, जिस पर नीललोहित वर्ण के एकाकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। अप्रजायी होने की वजह से इसमें बीज नहीं पाए जाते हैं। प्याज तुल्य केसर के कंद / गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर माह में बोए जाते हैं, जो दो-तीन महीने बाद अर्थात नवंबर-दिसंबर तक इसके पत्र तथा पुष्प साथ निकलते हैं। इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। इसमें अकेले या 2 से 3 की संख्या में फूल निकलते हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है। ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं। इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है। प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर ही पाए जाते हैं। लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुए केसर को संस्कृत में 'अग्निशाखा' नाम से भी जाना जाता है। इन फूलों में पंखुडि़याँ तीन-तीन के दो चक्रों में और तीन पीले रंग के पुंकेशर होते हैं। कुक्षिवृंत (style) नारंग रक्तवर्ण के, अखंड अथवा खंडित और गदाकार होते हैं। इनके ऊपर तीन कुक्षियाँ, लगभग एक इंच लंबी, गहरे, लाल अथवा लालिमायुक्त हल्के भूरे रंग की होती हैं, जिनके किनारे दंतुर या लोमश होते हैं। इन फूलों की इतनी तेज़ खुशबू होती है कि आसपास का क्षेत्र महक उठता है। केसर की गंध तीक्ष्ण, परंतु लाक्षणिक और स्वाद किंचित् कटु, परंतु रुचिकर, होता है। इसके बीज आयताकार, तीन कोणों वाले होते हैं जिनमें से गोलकार मींगी निकलती है। 'केसर को निकालने के लिए पहले फूलों को चुनकर किसी छायादार स्थान में बिछा देते हैं। सूख जाने पर फूलों से मादा अंग यानि केसर को अलग कर लेते हैं। रंग एवं आकार के अनुसार इन्हें - मागरा, लच्छी, गुच्छी आदि श्रेणियों में वर्गीकत करते हैं। 150000 फूलों से लगभग 1 किलो सूखा केसर प्राप्त होता है। 'केसर' खाने में कड़वा होता है, लेकिन खुशबू के कारण विभिन्न व्यंजनों एवं पकवानों में डाला जाता है। इसका उपयोग मक्खन आदि खाद्य द्रव्यों में वर्ण एवं स्वाद लाने के लिये किया जाता हैं। गर्म पानी में डालने पर यह गहरा पीला रंग देता है। यह रंग कैरेटिनॉयड वर्णक की वजह से होता है। यह घुलनशील होता है, साथ ही अत्यंत पीला भी। प्रमुख वर्णको में कैरोटिन, लाइकोपिन, जियाजैंथिन, क्रोसिन, पिकेक्रोसिन आदि पाए जाते हैं। इसमें ईस्टर कीटोन एवं वाष्पशील सुगंध तेल भी कुछ मात्रा में मिलते हैं। अन्य रासायनिक यौगिकों में तारपीन एल्डिहाइड एवं तारपीन एल्कोहल भी पाए जाते हैं। इन रासायनिक एवं कार्बनिक यौगिकों की उपस्थिति केसर को अनमोल औषधि बनाती है। केसर की रासायनिक बनावट का विश्लेषण करने पर पता चला हैं कि इसमें तेल 1.37 प्रतिशत, आर्द्रता 12 प्रतिशत, पिक्रोसीन नामक तिक्त द्रव्य, शर्करा, मोम, प्रटीन, भस्म और तीन रंग द्रव्य पाएं जाते हैं। अनेक खाद्य पदार्थो में केसर का उपयोग रंजन पदार्थ के रूप में किया जाता है। आयुर्वेद में केसर केसर का उपयोग आयुर्वेदिक नुस्खों में, खाद्य व्यंजनों में और देव पूजा आदि में तो केसर का उपयोग होता ही था पर अब पान मसालों और गुटकों में भी इसका उपयोग होने लगा है। केसर बहुत ही उपयोगी गुणों से युक्त होती है। यह कफ नाशक, मन को प्रसन्न करने वाली, मस्तिष्क को बल देने वाली, हृदय और रक्त के लिए हितकारी, तथा खाद्य पदार्थ और पेय को रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है। चिकित्सा में यह उष्णवीर्य, आर्तवजनक, वात-कफ-नाशक और वेदनास्थापक माना गया है। अत: पीड़ितार्तव, सर्दी जुकाम तथा शिर:शूलादि में प्रयुक्त होता है। यह उत्तेजक, वाजीकारक, यौनशक्ति बनाए रखने वाली, कामोत्तेजक, त्रिदोष नाशक, आक्षेपहर, वातशूल शामक, दीपक, पाचक, रुचिकर, मासिक धर्म साफ़ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन, त्वचा का रंग उज्ज्वल करने वाली, रक्तशोधक, धातु पौष्टिक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली, कफ नाशक, मन को प्रसन्न करने वाली, वातनाड़ियों के लिए शामक, बल्य, वृष्य, मूत्रल, स्तन (दूध) वर्द्धक, मस्तिष्क को बल देने वाली, हृदय और रक्त के लिए हितकारी, तथा खाद्य पदार्थ और पेय (जैसे दूध) को रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है। आयुर्वेदों के अनुसार केसर उत्तेजक होती है और कामशक्ति को बढ़ाती है। यह मूत्राशय, तिल्ली, यकृत (लीवर), मस्तिष्क व नेत्रों की तकलीफों में भी लाभकारी होती है। प्रदाह को दूर करने का गुण भी इसमें पाया जाता है। सन्दर्भ केसर मसाले बाहरी कड़ियाँ
फाइलगेट के नाम से चर्चित हो चुके कॉर्पोरेट जासूसी कांड का खुलासा अचानक ही हुआ. 18 फरवरी की रात दिल्ली पुलिस ने सरकार में ठेके पर काम कर रहे तीन कर्मचारियों को शास्त्री भवन में पेट्रोलियम मंत्रालय के दफ्तरों में अवैध रूप से घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया. उनके पास से मंत्रालय के नौ 'गोपनीय' दस्तावेज बरामद हुए. इनमें मासिक रिपोर्ट, पत्र और केंद्रीय बजट में प्रस्तावित होने वाली राष्ट्रीय गैस ग्रिड के लिए सूचना सामग्री शामिल थी. इन कर्मचारियों ने पुलिस को कोयला और बिजली मंत्रालयों के बहुत से गोपनीय और अहम दस्तावेजों के गोदाम तक पहुंचा दिया. 2010 में नीरा राडिया टेप लीक होने से दुनिया को पता चला कि भारतीय कंपनियां सरकारी नीतियों पर असर डालने के लिए लॉबिइंग करने वालों पर किस कदर निर्भर हो गई हैं. पांच साल बाद फाइलगेट ने राजधानी में फैले सूचना बाजार की कलई खोल दी है. पुलिस के मुताबिक इन दस्तावेजों से कंपनियों को फायदा पहुंचा. अब तक दो ऊर्जा सलाहकारों—शांतनु सैकिया और प्रयास जैन के अलावा बड़ी ऊर्जा कंपनियों के पांच बड़े अधिकारियों—एडीएजी रिलायंस के ऋषि आनंद, जुबिलैंट एनर्जी के सुभाषचंद्र, एस्सार के विनय कुमार, आरआइएल के शैलेश सक्सेना और केयर्न्स के के.के. नाईक को पकड़ा जा चुका है. दस्तावेज की चोरी फाइलगेट की जांच पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और खुफिया ब्यूरो की निगरानी से पता चलता है कि सूचना लीक होने से सरकार के ऊंचे हलके में कितनी हैरानी है. खुफिया ब्यूरो के दो महीने तक नजर रखने के बाद ये गिरफ्तारियां हुई हैं. इसे कॉर्पोरेट इंडिया के सीने पर सरकार का सीधा वार माना जा रहा है. इसके झटके मुंबई में भी महसूस किए जा रहे हैं जहां देश का कॉर्पोरेट जगत जांच पर सहमी हुई नजर रख रहा है. राजनैतिक विश्लेषक संतोष देसाई का कहना है, ''इसमें कोई शक नहीं कि इससे कॉर्पोरेट जगत को संदेश दिया जा रहा है, लेकिन इसमें नौकरशाही के लिए भी संदेश है.'' धागे से बंधी पुराने जमाने की नीली-पीली कार्डबोर्ड की फाइल को नई दिल्ली में जितनी कीमत मिलती है, उतनी शायद बहुत कम चीजों को मिलती होगी. इसकी वजह यह है कि हाशिए पर हाथ से लिखी टिप्पणियों से भरे हल्के हरे रंग के पन्नों के इन पुलिंदों से ही आज भी सरकार चलती है. सूचना के बाजार में सरकारी फाइल नई मुद्रा है जो कई-कई बोली लगाने वालों को भी बेची जाती है. रिफाइनरी लगाने की रिपोर्ट या स्पेक्ट्रम मूल्य के बारे में तकनीकी नोट या कोई साधारण अंतरविभागीय संदेश भले ही शोधकर्ताओं के लिए खास महत्व न रखते हों लेकिन सरकार की नीतियों का रुख पहचाने को बेताब कंपनियों के लिए ये दस्तावेज बेहद कीमती होते हैं. सरकारी फाइलें और रिपोर्ट, परदे में लिपटे नीतिगत माहौल की अंधेरी गलियों में रास्ता तलाशने के लिए कीमती नक्शे होते हैं. सरकार के फैसले लेने की प्रक्रिया जिस कदर रहस्य में लिपटी रहती है और अफसरों तक पहुंचना जितना मुश्किल होता है, उससे कारोबारियों में बेचैनी बढ़ती है. दिल्ली के एक उद्योगपति का कहना है, ''पत्रों का कभी जवाब नहीं आता और सरकारी अफसर मुलाकात के हमारे अनुरोधों पर कभी कान नहीं देते.'' इस गोपनीयता का दूसरा पहलू सुरक्षा में ढील की संस्कृति है जिसमें बड़े-बड़े अधिकारी बेधड़क अपने निजी ई-मेल का इस्तेमाल करते हैं और बेहद अहम फाइलें विभाग का सबसे कम वेतन पाने वाला कर्मचारी इधर से उधर पहुंचाता है. दफ्तर के कमरों में मंजूरी के लिए घूमती हर फाइल एक दिन में औसतन दर्जनभर हाथों से गुजरती है. यह सच है कि पिछले दशक में दिल्ली में सूचनाएं लीक होने की घटनाएं खबर बननी बंद हो गई थीं. बेहद गोपनीय सैन्य खरीद योजनाओं, प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र-व्यवहार और गोपनीय कैबिनेट ब्रीफिंग नोट सहित हजारों गोपनीय दस्तावेज रायसीना हिल के महत्वपूर्ण कार्यालयों से बाहर निकले हैं. इसके बावजूद पेट्रोलियम मंत्रालय में लगी सेंध में बहुत दिलेरी दिखाई गई है. सरकारी कर्मचारियों ने गाडि़यों के नकली पास बनवाए और पेट्रोलियम मंत्रालय के कार्यालयों में घुसने के लिए नकली चाबियां भी बनवा लीं. वे सीसीटीवी कैमरे भी बंद कर दिया करते थे. ये कैमरे पिछले साल लगवाए गए थे जब मंत्रालय ने खुफिया ब्यूरो को यह पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी थी कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) के नेता गुरुदास दासगुप्त को तत्काल सारी सूचना कैसे मिल रही थी. यह सेंध ऐसे समय लगी है जब औद्योगिक जासूसी का सिलसिला बढ़ रहा है. कॉर्पोरेट जासूसी के बारे में 2012 में एसोचैम के एक सर्वे में 1,500 सीईओ और कार्यकारी निदेशकों से बात की गई. उनमें 900 ने स्वीकार किया कि वे कॉर्पोरेट जासूसी करते रहे हैं और स्पर्धी कंपनियों में अपने जासूस तैनात कर उनके कार्यालयों की सारी गतिविधियों की जानकारी लेते रहे हैं. उनमें  अनेक ने रिसेप्शनिस्ट और चपरासी जैसे मामूली कामों पर लोगों को रखवाया. भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता तथा वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्रालय में सेंध से राडिया टेप्स से मिले कॉर्पोरेट जासूसी के सुरागों की पुष्टि हो गई है. भूषण ने कहा, ''मंत्रालय के भीतर एक सुसंगठित तंत्र काम करता रहा है.'' इस तंत्र के पहियों को चिकना रखने में 'जनसंपर्क इकाइयों' के नाम पर कंपनी के आकार के हिसाब से करोड़ों रुपए का कॉर्पोरेट बजट काम आता है. इसमें करीब 50 प्रतिशत खर्च को मामूली खर्च की मद में डाल दिया जाता है जिसे आम तौर पर 'सहायता शुल्क या काम निकालने का शुल्क' कहा जाता है. इस कुटीर उद्योग का संगठित रूप ले लेना भारत में कंपनियों की बढ़ती संपन्नता का प्रतीक है. दिल्ली में 300 करोड़ रु. मूल्य की इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी के मालिक 'नया बिजनेस पाने' की अपनी लागत दो प्रतिशत यानी करीब 6 करोड़ रु. बताते हैं. यह रकम अफसरों की खातिर और सूचना पाने पर खर्च होती है. सूचना के ये नए योद्धा असल में कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन अधिकारियों की फौज है जिनकी नियुक्ति सभी कारोबारी घराने सरकार की खबर रखने के लिए करते हैं. उनके पदनाम आकर्षक होते हैं और वेतन की शुरुआत एक लाख रुपए महीने से भी अधिक होती है. उनके साथ आम तौर पर निजी सलाहकार भी रखे जाते हैं, जिनमें अनेक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी होते हैं जो प्रशासन में पुराने साथियों के संपर्क में रहते हैं. इस नौकरी के लिए मुख्य शर्त यह है कि पेट्रोलियम, कोयला और दूरसंचार से जुड़े महत्वपूर्ण मंत्रालयों में काम के अफसरों और नेताओं तक पहुंच होनी चाहिए क्योंकि इन्हीं मंत्रालयों में सरकारी नीति का सीधा असर कंपनी की सेहत पर पड़ सकता है. अमेरिका स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की शिकायत की है कि भारतीय कंपनियां ऐसे संपर्क अधिकारी रखती हैं इसलिए स्पर्धा में उनका पलड़ा भारी रहता है. उनका कहना है, ''हम तो सिर्फ अपने ब्रांड नाम और अपने निवेश के वजन के सहारे ही काम कर सकते हैं.'' सरकार से मिली सूचना के सहारे कंपनियों के नीति-निर्माता अपने कारोबारी फैसले बदलते हैं और सरकार की नीतियां तय होने से पहले ही उन पर असर डालने की कोशिश करते हैं. नियमित रूप से सूचना मिलते रहने से वे खास तौर पर अपनी कंपनियों से जुड़े या स्पर्धी कंपनियों से जुड़े प्रस्तावों पर नजर रख पाते हैं. उदाहरण के लिए रक्षा मंत्रालय में इस तरह की गोपनीय सूचना मिल जाने का मतलब स्पर्धा में बहुत बड़ा लाभ होना है. लंबी अवधि की संभावित योजनाओं के दस्तावेज लीक होने पर हथियार बनाने वालों को सेना की जरूरतों को बहुत पहले से ही जान लेने में मदद मिलती है. उसके बाद हथियार विक्रेता और दलाल इस सूचना के सहारे हथियारों और उपकरणों की माप-जोख पर उसी समय असर डालने की कोशिश करते हैं जब सेना के विभिन्न मुख्यालयों में उन्हें तय किया जाता है. इससे निविदा तय करते समय विकल्प का दायरा सीमित हो जाता है. सूचना का दाम इससे तय होता है कि वह किस कार्यालय से मिली है. बजट बनाने या मंत्रालय की चर्चा में काम आने वाली रिपोर्ट यानी कागजों का पुलिंदा 50,000 रु. से ज्यादा की कमाई करा सकता है. प्रधानमंत्री कार्यालय से निकला कागज पांच लाख रु. तक दिला सकता है. नीति निर्धारण प्रक्रिया पर उसी क्षण से नजर रखी जाती है जब वह सेक्शन अधिकारी के स्तर से शुरू होती है और मंजूरी के लिए कैबिनेट तक जाती है. रायसीना हिल के अकसर चक्कर काटने वाले एक कॉर्पोरेट मेहमान ने उपयोगिता की नजरिए से सूचना को 'लिक्विड, सेमीसॉलिड और सॉलिड' की श्रेणियों में बांटा है. सॉलिड की सबसे ज्यादा कीमत मिलती है. ''लिक्विड का मतलब है नीति का इरादा और सॉलिड का मतलब है नीतिगत कार्रवाई.'' फाइलों की फोटो कॉपी करने के दिन अब लद गए. अब तो स्मार्ट फोन में स्कैनबोट जैसे ऐप झटपट दस्तावेज की बेहतरीन स्कैन कॉपी कर लेते हैं. उन्हें देश के बाहर रखे क्लाउड सर्वर पर अपलोड कर दिया जाता है. एक राजस्व अधिकारी ने बताया, ''हस्ताक्षर और नोटिंग वाली फाइलों के ऊंचे दाम मिलते हैं क्योंकि कोरे दस्तावेजों पर नकली होने का शक रहता है.'' कारोबारी घरानों के उतावलेपन ने भी सलाहकारों की फौज को उभरने का मौका दिया है. ये सलाहकार नेटवर्क बनाते हैं जिनमें मंत्रालयों के निचले कर्मचारी शामिल होते हैं. पुलिस का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्रालय के जूनियर सरकारी कर्मचारियों-चपरासी, आशाराम सिंह और शास्त्री भवन में पहले काम कर चुके दो कर्मचारियों ललिता प्रसाद और राकेश कुमार—ने सूचना चुराई और ऊर्जा सलाहकारों, शांतनु सैकिया और प्रयास जैन को थमा दी. दोनों ने यह आगे कंपनियों को बेच दी. सैकिया के परिवार का दावा है कि उन्हें फंसाया गया है क्योंकि उनकी एक ऊर्जा बेवसाइट ने एक पेट्रोलियम कंपनी की कथित जालसाजी का भंडाफोड़ किया था. सैकिया के एक रिश्तेदार ने बताया, ''उन्होंने घोटाले का पर्दाफाश किया और सरकार पीछे लग गई.'' पेट्रोलियम मंत्रालय की सेंध में पुलिस ने जिन कारोबारी घरानों के नाम लिए हैं, उनमें एक के वरिष्ठ अधिकारी ने चोरी की सूचना खरीदने की बात से इनकार किया है. उनका कहना है, ''बड़े कॉर्पोरेट घरानों को दलाल रखने की जरूरत नहीं है. वे तो दो फोन कॉल से सारी जानकारी ले सकते हैं. नाराज अफसर भी अक्सर दस्तावेज लीक करते रहते हैं.'' उदारीकरण ने भारत के निजी क्षेत्र की ताकत के बंधन तो खोल दिए लेकिन साथ ही सरकार को शासन के रहस्यों का संरक्षक भी बना दिया. दूरसंचार के उदारीकरण से पहले वायरलेस प्लानिंग व कोऑर्डिनेशन विंग को इतना मामूली समझ जाती थी कि संचार भवन में उसे जगह नहीं मिलती थी. पर दूरसंचार क्रांति ने डाक भवन स्थित इस कार्यालय को सबका चहेता बना दिया क्योंकि इसके पास भारत के स्पेक्ट्रम का खाका है जो दूरसंचार क्षेत्र की जान है. जुपिटर कैपिटल के संस्थापक, राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर का कहना है, ''उदारीकरण के बाद से कुछ कारोबारी घरानों को अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले फायदा मिला क्योंकि नेताओं और अफसरों के साथ-साथ पेट्रोलियम, विमानन और दूरसंचार जैसे एकाधिकारवादी क्षेत्रों तक उनकी पहुंच थी. हाल की घटना ने इस गठजोड़ की पोल खोल दी है.'' निचले दर्जे के कर्मचारियों की अहमियत इसी बात से साबित हो जाती है कि गिरफ्तार किया गया कॉर्पोरेट अधिकारी सुभाषचंद्र 2011 तक पेट्रोलियम मंत्रालय में अवर सचिव के पीए के टाइपिस्ट की नौकरी करता था. उसके बाद उसने जुबिलैंट एनर्जी में सीनियर एग्जीक्यूटिव की नौकरी कर ली. पुलिस के मुताबिक चुराए दस्तावेज पाने वाली कंपनियों में जुबिलैंट भी है. कारोबार में बढ़ती स्पर्धा ने कंपनियों को न सिर्फ 'फाइल चेजर्स' जैसी नई नौकरियां पैदा करने के लिए मजबूर किया है बल्कि उन्हें संसद में प्रश्न प्रायोजित करने या सरकार पर सीधे दबाव डालने की तरफ भी धकेला है. 2013 में हुए घोटाले में अमेरिकी रिटेलर वॉलमार्ट पर आरोप लगा था कि उसने रिटेल उद्योग में प्रत्यक्ष विदेश निवेश पर पाबंदी हटवाने के लिए भारतीय सरकार पर दबाव डालने के वास्ते 2.50 करोड़ डॉलर लॉबिइंग फीस पर खर्च किए थे. आरोप सामने आने के बाद कंपनी ने भीतरी जांच कराई और भारत में कारोबार को टाल दिया. सरकारी दस्तावेज से मिली जानकारी के आधार पर कंपनियां सरकार को प्रभावित करने की कोशिश करती हैं. नीतिगत विश्लेषक और पीआर कंपनी परफेक्ट रिलेशंस के संस्थापक दिलीप चेरियन पेशेवर लॉबिइंग और लॉबिइंग के नाम पर हो रही नापाक हरकतों के बीच एक लाइन खींचते हैं. उनका कहना है, ''हमारा काम नीति के गुणों के आधार पर जनमत बनाना है और यह काम तभी होता है जब नीति की घोषणा हो जाती है या नीति पर बहस चल रही होती है. पेट्रोलियम मंत्रालय में सेंध सिर्फ दस्तावेज की चोरी है. यह एक तरह से भेदिया कारोबार है और कोई पेशेवर लॉबिस्ट इस तरह के काम नहीं करता.'' यह भी सच है कि लॉबिइंग, चेरियन के नियम के हिसाब से नहीं होती. राडिया टेप्स में दर्ज सीबीआइ की प्रारंभिक जांच में सामने आए कॉर्पोरेट लॉबिस्ट दीपक तलवार मई 2013 और अगस्त 2014 के बीच 15 महीने में कम से कम 63 बार सीबीआइ के तत्कालीन प्रमुख रंजीत सिन्हा के सरकारी निवास में गए हैं. गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी आपत्तियों के बावजूद तलवार ने टेल्कॉर्डिया नाम की दूरसंचार कंपनी के लिए तमाम एजेंसियों से मंजूरी ले ली थी. एमएनपी इंटरकनेक्शन टेलीकॉम सॉल्यूशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड-टेल्कॉर्डिया और दीपक तलवार कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड का संयुक्त उद्यम—उन दो कंपनियों में है जिन्हें मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी लागू करने के लिए लाइसेंस दिया गया है. इंडिया टुडे के संपर्क करने पर तलवार ने बात करने से मना कर दिया. पारदर्शी सरकार अस्त-व्यस्त सरकारी दफ्तरों में भौतिक सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए सीबीआइ के पूर्व निदेशक आर.के. राघवन ने अल्पकालिक उपायों की एक लंबी सूची की रूपरेखा निर्धारित की है. इन उपायों में संवेदनशील मंत्रालयों में सुरक्षा के लिए जवाबदेह पूर्णकालिक निदेशकों की नियुक्ति, फोटोकॉपी मशीनों तक पहुंच को नियंत्रित करना और जिन भवनों में गोपनीय जानकारी से संबंधित काम होता है, उस प्रत्येक भवन में संवेदनशील क्षेत्रों को अलग-थलग करना शामिल हैं. फाइलगेट कांड के मद्देनजर सरकार इनमें कुछ उपायों पर पहले से ही अमल कर रही है. धीरे-धीरे करके कागजी फाइलों को समाप्त करने का दीर्घकालिक उपाय हाथ में लेने की आवश्यकता है. पूर्व गृह सचिव जी.के. पिल्लै इस पक्ष में हैं कि सरकार को जानकारी को आसानी से सुलभ बनाना चाहिए. वे कहते हैं, ''सेंधमारी रोकने के लिए सरकार को सभी जानकारी इंटरनेट पर अपलोड कर देनी चाहिए.'' पूर्व सूचना आयुक्त शैलेष गांधी कहते हैं कि इसका हल इस बात में है कि सरकार डिजिटल भारत के प्रति अपनी नजरिए को पहले अपने कार्यालयों में लागू करे. वे कहते हैं, ''सरकारी कार्यालय कागजों की फाइलों से पटे पड़े हैं. न उन्हें रखने के लिए जगह है और उन्हें वापस प्राप्त करने के लिए कोई स्थान है. सारी प्रणाली जड़ता और इस निहित स्वार्थ के कारण कागजी फाइलों पर डटी हुई है कि अगर यह फाइलें गायब हो गईं, तो भ्रष्टाचार का सफाया हो जाएगा.'' सरकार का कागजविहीन कार्यालय बनाने का अभियान अभी तक शुरू ही नहीं हो सका है. 2011 में प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक कागजविहीन कार्यालय बनाने के लिए एक ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर का उपयोग शुरू किया. नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर द्वारा विकसित इस सॉफ्टवेयर में वे फाइलें हैं जो सुरक्षित इंट्रानेट के भीतर चलती हैं. चार साल बाद भी, ई-फाइलों का उपयोग करने वाला एकमात्र सरकारी विभाग पीएमओ ही है. फाइलों को सुरक्षित रखना समस्या समाधान का एक हिस्सा है. जानकारी हासिल करने के लिए कॉर्पोरेट जुनून का प्रमुख कारण सरकार की अपारदर्शी व्यवस्था है. औद्योगिक संगठनों का कहना है कि कॉर्पोरेट जासूसी समाप्त करने का एकमात्र तरीका पूर्ण पारदर्शी व्यवस्था बनाना है. एसोचैम महासचिव डी.एस. रावत कहते हैं, ''हमें सशक्त नियामकों और पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया की जरूरत है.'' वे कहते हैं, ''बजट बनाने का काम भी पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए और हर साल टैक्स स्लैब और दरों में फेरबदल और उलटफेर की आदत को रोका जाना चाहिए. स्पष्ट नजरिए और निष्पक्ष, पारदर्शी नियमों के साथ दीर्घकालिक नीतियां होनी चाहिए.'' ई-गवर्नेंस के लाभ स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं. एक व्यवसायी बताते हैं कि उन्होंने ट्रांसफॉर्मर लगाने का 1,500 करोड़ रुपए का इंजीनियरिंग प्रोक्यूरमेंट और निर्माण ठेका ऑनलाइन बोली के माध्यम से हासिल किया. ठेके के लिए बोली पर फैसला एक वर्ष की बजाए सिर्फ 45 दिनों में हो गया. अगर ऐसा न होता, तो इस प्रक्रिया में उन्हें बिचौलियों की एक पूरी फौज लगानी पड़ती. पिछले वर्ष रक्षा मंत्रालय के शस्त्र खरीदने वाले एक संवेदनशील विभाग—अधिग्रहण महानिदेशालय ने उद्योग प्रतिनिधियों के साथ मासिक अनौपचारिक बैठकों की व्यवस्था शुरू की है. हो सकता है, समाधान इस बात में हो कि सरकार में गोपनीयता के पूरे ढांचे और नियमित सरकारी दस्तावेजों तक को गोपनीय करार देने वाले अंधाधुंध वर्गीकरण पर पुनर्विचार किया जाए. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी कहते हैं, ''शासकीय गोपनीयता अधिनियम जैसे पुरातन कानूनों को समाप्त किया जाना चाहिए. लॉबिइंग को वैध किया जाना चाहिए और उसे एक वैधानिक अधिनियम बनाकर नियंत्रित किया जाना चाहिए.'' सूचना के ऊंचे दाम अगर समाप्त कर दिए जाएं, तो इससे सभी के लिए बराबरी का मौका पैदा हो सकता है. जब जानकारी की खरीदारी रुक जाएगी, तो सूचना के लिए सेंधमारी भी रुक सकती है.
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने कहा है कि ‘‘क्रिकेट‘‘ को बचाने के लिये विवादास्पद इंडियन प्रीमियर लीग पर प्रतिबंध लगना चाहिये. बाल ठाकरे ने एक बयान में कहा, ‘‘विवादास्पद आईपीएल के आयुक्त ललित मोदी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शश्‍ि थरूर ने ‘‘भद्रजनों के खेल‘‘ को बदनाम कर दिया है. क्रिकेट को बचाने के लिये आईपीएल पर प्रतिबंध लगना चाहिये.’’ संप्रग सरकार की आलोचना करते हुए ठाकरे ने कहा कि अगर उसे लोकप्रिय खेल के बारे में वास्तव में चिंता है, तो उसे तत्काल बीसीसीआई.समर्थित दौलत से भरपूर टूर्नामेंट पर प्रतिबंध लगाना चाहिये. ठाकरे ने कहा, ‘‘ सारा विवाद धन के इर्द गिर्द है, लिहाजा आईपीएल-3 में शामिल सभी क्रिकेटरों की जांच होनी चाहिये.’’ उन्होंने आईपीएल फ्रेंचाइजी में भारी मात्रा में धन लगाने वाले अभिनेताओं और व्यवसायियों की सम्पत्ति की जांच की भी मांग की.
लेख: एक बेहद प्रतिभाशाली युवा से विश्व स्तरीय बल्लेबाज तक विराट कोहली की तरक्की में राजकुमार शर्मा का योगदान किसी से छिपा नहीं है और 2014 में शिक्षक दिवस पर इस ‘शिष्य’ ने अपने सख्त कोच को इतना भावुक कर दिया कि उसे वह कभी नहीं भुला सकेंगे. अनुभवी खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली की किताब ‘ड्रिवन ’ में इस घटना का जिक्र किया गया है. लेखक ने लिखा,‘मैने एक दिन घंटी बजने पर दरवाजा खोला तो सामने विकास (कोहली का भाई) खड़ा था. इतनी सुबह उसके भाई के आने से मुझे चिंता होने लगी. विकास घर के भीतर आया और एक नंबर लगाया और फिर फोन मुझे दे दिया. दूसरी ओर विराट फोन पर था जिसने कहा, हैप्पी टीचर्स डे सर.’ इसके बाद विकास ने राजकुमार की हथेली पर चाबियों का एक गुच्छा रखा. इसमें कहा गया,‘राजकुमार हतप्रभ देखते रहे. विकास ने उन्हें घर से बाहर आने को कहा. दरवाजे पर एक एस्कोडा रैपिड रखी थी जो विराट ने अपने गुरु को उपहार में दी थी.’ राजकुमार ने कहा,‘बात सिर्फ यह नहीं थी कि विराट ने मुझे तोहफे में कार दी थी बल्कि पूरी प्रक्रिया में उसके जज्बात जुड़े थे और मुझे लगा कि हमारा रिश्ता कितना गहरा है और उसके जीवन में गुरु की भूमिका कितनी अहम है.’ इस किताब में विराट के जीवन से जुड़ी मजेदार घटनाओं का भी जिक्र है. विराट को भले ही लगता हो कि नाम में क्या रखा है लेकिन दूसरों को शायद ऐसा नहीं लगता. युवराज सिंह ने अपनी किताब ‘टेस्ट ऑफ माय लाइफ’ में लिखा था कि उन्हें लगता था कि विराट कोहली को ‘चीकू’ निकनेम मशहूर कामिक किताब ‘चंपक’ से मिला जिसमें इस नाम का एक चरित्र है. भारतीय टेस्ट कप्तान ने हालांकि इसका खुलासा किया कि उन्हें यह निकनेम फल से मिला है. लेखक ने लिखा,‘दिल्ली की टीम मुंबई में रणजी मैच खेल रही थी. विराट ने उस समय तक कुल 10 प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं खेले थे. वह उस टीम में थे जिसमें वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रजत भाटिया और मिथुन मन्हास शामिल थे. उनके साथ ड्रेसिंग रूम में रहकर वह काफी खुश थे.’उन्होंने लिखा,‘एक शाम को वह बाल कटाकर होटल लौटा. उसने पास ही में नया हेयर सैलून देखा और वहां से बाल कटाकर नए  लुक में आया. उसने पूछा कि यह कैसा लग रहा है तो सहायक कोच अजित चौधरी ने कहा कि तुम चीकू लग रहे हो.’टिप्पणियां तभी से उनका नाम चीकू पड़ गया और उन्हें बुरा भी नहीं लगता. चौधरी ने कहा,‘वह उस समय घरेलू क्रिकेट सर्किट में पैर जमाने की कोशिश में था. उसे तवज्जो मिलना अच्छा लगता था. मैने इतना प्रतिस्पर्धी युवा नहीं देखा था. वह रन और तवज्जो का भूखा था.’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) अनुभवी खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली की किताब ‘ड्रिवन ’ में इस घटना का जिक्र किया गया है. लेखक ने लिखा,‘मैने एक दिन घंटी बजने पर दरवाजा खोला तो सामने विकास (कोहली का भाई) खड़ा था. इतनी सुबह उसके भाई के आने से मुझे चिंता होने लगी. विकास घर के भीतर आया और एक नंबर लगाया और फिर फोन मुझे दे दिया. दूसरी ओर विराट फोन पर था जिसने कहा, हैप्पी टीचर्स डे सर.’ इसके बाद विकास ने राजकुमार की हथेली पर चाबियों का एक गुच्छा रखा. इसमें कहा गया,‘राजकुमार हतप्रभ देखते रहे. विकास ने उन्हें घर से बाहर आने को कहा. दरवाजे पर एक एस्कोडा रैपिड रखी थी जो विराट ने अपने गुरु को उपहार में दी थी.’ राजकुमार ने कहा,‘बात सिर्फ यह नहीं थी कि विराट ने मुझे तोहफे में कार दी थी बल्कि पूरी प्रक्रिया में उसके जज्बात जुड़े थे और मुझे लगा कि हमारा रिश्ता कितना गहरा है और उसके जीवन में गुरु की भूमिका कितनी अहम है.’ इस किताब में विराट के जीवन से जुड़ी मजेदार घटनाओं का भी जिक्र है. विराट को भले ही लगता हो कि नाम में क्या रखा है लेकिन दूसरों को शायद ऐसा नहीं लगता. युवराज सिंह ने अपनी किताब ‘टेस्ट ऑफ माय लाइफ’ में लिखा था कि उन्हें लगता था कि विराट कोहली को ‘चीकू’ निकनेम मशहूर कामिक किताब ‘चंपक’ से मिला जिसमें इस नाम का एक चरित्र है. भारतीय टेस्ट कप्तान ने हालांकि इसका खुलासा किया कि उन्हें यह निकनेम फल से मिला है. लेखक ने लिखा,‘दिल्ली की टीम मुंबई में रणजी मैच खेल रही थी. विराट ने उस समय तक कुल 10 प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं खेले थे. वह उस टीम में थे जिसमें वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रजत भाटिया और मिथुन मन्हास शामिल थे. उनके साथ ड्रेसिंग रूम में रहकर वह काफी खुश थे.’उन्होंने लिखा,‘एक शाम को वह बाल कटाकर होटल लौटा. उसने पास ही में नया हेयर सैलून देखा और वहां से बाल कटाकर नए  लुक में आया. उसने पूछा कि यह कैसा लग रहा है तो सहायक कोच अजित चौधरी ने कहा कि तुम चीकू लग रहे हो.’टिप्पणियां तभी से उनका नाम चीकू पड़ गया और उन्हें बुरा भी नहीं लगता. चौधरी ने कहा,‘वह उस समय घरेलू क्रिकेट सर्किट में पैर जमाने की कोशिश में था. उसे तवज्जो मिलना अच्छा लगता था. मैने इतना प्रतिस्पर्धी युवा नहीं देखा था. वह रन और तवज्जो का भूखा था.’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) इसमें कहा गया,‘राजकुमार हतप्रभ देखते रहे. विकास ने उन्हें घर से बाहर आने को कहा. दरवाजे पर एक एस्कोडा रैपिड रखी थी जो विराट ने अपने गुरु को उपहार में दी थी.’ राजकुमार ने कहा,‘बात सिर्फ यह नहीं थी कि विराट ने मुझे तोहफे में कार दी थी बल्कि पूरी प्रक्रिया में उसके जज्बात जुड़े थे और मुझे लगा कि हमारा रिश्ता कितना गहरा है और उसके जीवन में गुरु की भूमिका कितनी अहम है.’ इस किताब में विराट के जीवन से जुड़ी मजेदार घटनाओं का भी जिक्र है. विराट को भले ही लगता हो कि नाम में क्या रखा है लेकिन दूसरों को शायद ऐसा नहीं लगता. युवराज सिंह ने अपनी किताब ‘टेस्ट ऑफ माय लाइफ’ में लिखा था कि उन्हें लगता था कि विराट कोहली को ‘चीकू’ निकनेम मशहूर कामिक किताब ‘चंपक’ से मिला जिसमें इस नाम का एक चरित्र है. भारतीय टेस्ट कप्तान ने हालांकि इसका खुलासा किया कि उन्हें यह निकनेम फल से मिला है. लेखक ने लिखा,‘दिल्ली की टीम मुंबई में रणजी मैच खेल रही थी. विराट ने उस समय तक कुल 10 प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं खेले थे. वह उस टीम में थे जिसमें वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रजत भाटिया और मिथुन मन्हास शामिल थे. उनके साथ ड्रेसिंग रूम में रहकर वह काफी खुश थे.’उन्होंने लिखा,‘एक शाम को वह बाल कटाकर होटल लौटा. उसने पास ही में नया हेयर सैलून देखा और वहां से बाल कटाकर नए  लुक में आया. उसने पूछा कि यह कैसा लग रहा है तो सहायक कोच अजित चौधरी ने कहा कि तुम चीकू लग रहे हो.’टिप्पणियां तभी से उनका नाम चीकू पड़ गया और उन्हें बुरा भी नहीं लगता. चौधरी ने कहा,‘वह उस समय घरेलू क्रिकेट सर्किट में पैर जमाने की कोशिश में था. उसे तवज्जो मिलना अच्छा लगता था. मैने इतना प्रतिस्पर्धी युवा नहीं देखा था. वह रन और तवज्जो का भूखा था.’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) इस किताब में विराट के जीवन से जुड़ी मजेदार घटनाओं का भी जिक्र है. विराट को भले ही लगता हो कि नाम में क्या रखा है लेकिन दूसरों को शायद ऐसा नहीं लगता. युवराज सिंह ने अपनी किताब ‘टेस्ट ऑफ माय लाइफ’ में लिखा था कि उन्हें लगता था कि विराट कोहली को ‘चीकू’ निकनेम मशहूर कामिक किताब ‘चंपक’ से मिला जिसमें इस नाम का एक चरित्र है. भारतीय टेस्ट कप्तान ने हालांकि इसका खुलासा किया कि उन्हें यह निकनेम फल से मिला है. लेखक ने लिखा,‘दिल्ली की टीम मुंबई में रणजी मैच खेल रही थी. विराट ने उस समय तक कुल 10 प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं खेले थे. वह उस टीम में थे जिसमें वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रजत भाटिया और मिथुन मन्हास शामिल थे. उनके साथ ड्रेसिंग रूम में रहकर वह काफी खुश थे.’उन्होंने लिखा,‘एक शाम को वह बाल कटाकर होटल लौटा. उसने पास ही में नया हेयर सैलून देखा और वहां से बाल कटाकर नए  लुक में आया. उसने पूछा कि यह कैसा लग रहा है तो सहायक कोच अजित चौधरी ने कहा कि तुम चीकू लग रहे हो.’टिप्पणियां तभी से उनका नाम चीकू पड़ गया और उन्हें बुरा भी नहीं लगता. चौधरी ने कहा,‘वह उस समय घरेलू क्रिकेट सर्किट में पैर जमाने की कोशिश में था. उसे तवज्जो मिलना अच्छा लगता था. मैने इतना प्रतिस्पर्धी युवा नहीं देखा था. वह रन और तवज्जो का भूखा था.’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) लेखक ने लिखा,‘दिल्ली की टीम मुंबई में रणजी मैच खेल रही थी. विराट ने उस समय तक कुल 10 प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं खेले थे. वह उस टीम में थे जिसमें वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रजत भाटिया और मिथुन मन्हास शामिल थे. उनके साथ ड्रेसिंग रूम में रहकर वह काफी खुश थे.’उन्होंने लिखा,‘एक शाम को वह बाल कटाकर होटल लौटा. उसने पास ही में नया हेयर सैलून देखा और वहां से बाल कटाकर नए  लुक में आया. उसने पूछा कि यह कैसा लग रहा है तो सहायक कोच अजित चौधरी ने कहा कि तुम चीकू लग रहे हो.’टिप्पणियां तभी से उनका नाम चीकू पड़ गया और उन्हें बुरा भी नहीं लगता. चौधरी ने कहा,‘वह उस समय घरेलू क्रिकेट सर्किट में पैर जमाने की कोशिश में था. उसे तवज्जो मिलना अच्छा लगता था. मैने इतना प्रतिस्पर्धी युवा नहीं देखा था. वह रन और तवज्जो का भूखा था.’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) तभी से उनका नाम चीकू पड़ गया और उन्हें बुरा भी नहीं लगता. चौधरी ने कहा,‘वह उस समय घरेलू क्रिकेट सर्किट में पैर जमाने की कोशिश में था. उसे तवज्जो मिलना अच्छा लगता था. मैने इतना प्रतिस्पर्धी युवा नहीं देखा था. वह रन और तवज्जो का भूखा था.’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में प्यार में पागल एक लड़की ने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही घर में रखी लाखों की रकम पर हाथ साफ़ कर दिया. पुलिस ने 3 दिन में ही प्रेमी और प्रेमिका को गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान प्रेमिका ने सारा दोष अपने प्रेमी के सिर मढ़ दिया. पुलिस ने उनके पास से साढ़े 4 लाख रुपये बरामद किए हैं. घटना बिलासपुर के रतनपुर थाना क्षेत्र की है. वहां रहने वाले शिवकुमार दुबे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि किसी अनजान शख्स ने उनके घर से 7 लाख रुपये की नगदी गायब कर दी. पुलिस ने 20 मई को थाने में चोरी की शिकायत दर्ज की. दुबे पुलिस को बताया कि 19 मई की शाम या रात में रकम गायब हुई है. क्योंकि उसने उसी दिन सुबह तिजोरी में रकम रखी थी. जायजा लेने पुलिस टीम शिवकुमार दुबे के घर पहुंची. घर के सभी सदस्यों से बातचीत की. घर के नौकर से लेकर पड़ोसियों तक पूछताछ की गई. पूछताछ के दौरान दुबे की बेटी माया हर एक सवाल का जवाब बड़ी चालाकी से दे रही थी. उसने कई ऐसी जानकारी पुलिस को दी, जिससे संदेह हो रहा था कि वो काल्पनिक तथ्य जाहिर कर पुलिस की जांच को भटकाने की कोशिश कर रही है. हालांकि पुलिस को इस बात का अंदेशा हो चुका था कि घर के किसी सदस्य ने ही इस रकम पर हाथ साफ़ किया है. पुलिस ने ख़ुफ़िया तंत्र को सक्रिय किया तो पता चला कि दो तीन दिन से माया खूब मौज मस्ती कर रही है. उसे घर में हुई चोरी का कोई मलाल ही नहीं है. इस बीच पुलिस को जानकारी लगी कि माया का प्रेमी प्रकाश नामक शख्स भी दो तीन दिनों से हजारों रुपये अपनी शान शौकत में उड़ा रहा है. पुलिस ने दोनों से दोबारा पूछताछ की. पुलिस उन दुकानों में भी जा पहुंची, जहां से माया और प्रकाश ने कपड़ों और दूसरे सामान की जमकर ख़रीददारी की थी. कई सबूतों और तथ्यों को जोड़ने के बाद पुलिस का शक, यकीन में बदल गया. पुलिस ने मान लिया कि युवती ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर घर की तिजोरी में ही सेंध लगाई है. दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. सख्ती से पूछताछ की गई तो सारा राज खुल गया. दरअसल, माया ने अपने पिता को तिजोरी में लाखों की रकम रखते देख लिया था. उसने यह बात अपने प्रेमी प्रकाश को बताई. दोनों ने रकम पर हाथ साफ़ करने का फैसला कर लिया. मौका पाते ही माया ने तिजोरी की चाबी अपने कब्जे में ली और पलक झपकते ही तिजोरी से रकम निकाल ली. फिर दोनों ने एक रेस्टारेंट में दावत उड़ाई और रकम को आपस में बांट लिया. 5 लाख रुपये प्रकाश ने रखे और दो लाख की रकम माया ने. पुलिस ने माया के कब्जे से एक लाख अस्सी हजार रुपये और प्रकाश के पास से 2 लाख 65 हजार रुपये बरामद कर लिए हैं. दोनों के पास से कुल 4 लाख 45 हजार रुपये बरामद किए गए हैं. बाकी रकम दोनों ने मौज मस्ती और खरीददारी में उड़ा दी. चोरी की इस घटना की असलियत सामने आने के बाद पीड़ित परिवार सकते में है. हालांकि परिजनों ने माया को सबक सिखाने के लिए FIR वापस नहीं ली है. बल्कि पुलिस से कड़ी कार्रवाई की गुहार लगाई है. पुलिस ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: Marjaavaan Box Office Collection Day 10: बॉलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra), रितेश देशमुख (Ritesh Deshmukh) और एक्ट्रेस तारा सूतारिया (Tara Sutaria) की 'मरजावां' (Marjaavaan Box Office Collection Day 10) का बॉक्स ऑफिस पर धमाल जारी है. हालांकि, शुरुआती आंकड़ों की तुलना में अब इसकी कमाई में गिरावट आनी शुरु हो गई है.तरण आदर्श के ट्वीट के मुताबिक 'मरजावां' ने बीते रविवार को 2.32 करोड़ रुपये की कमाई की. इस लिहाज से फिल्म ने 10 दिनों में कुल 42.92 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर सकती है. सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra), रितेश देशमुख (Ritesh Deshmukh) और तारा सुतारिया (Tara Sutaria) की 'मरजावां' (Marjaavaan Box Office Collection Day 10) को लेकर जिस तरह से उम्मीद जताई जा रही थी, उस हिसाब से फिल्म प्रदर्शन करने में थोड़ी पीछे रही. 'मरजावां' ने पहले दिन यानी शुक्रवार को 7.03 करोड़, दूसरे दिन 7.21 करोड़, तीसरे दिन 10.18 करोड़, चौथे दिन 4.15 करोड़, पांचवें दिन 3.61 करोड़, छठे दिन 3.16, सातवें दिन 2.50 करोड़ और आठवें दिन 2 करोड़ रुपये की कमाई की. बता दें कि मरजावां में सिद्धार्थ मल्होत्रा और रितेश देशमुख का नया अवतार देखने को मिल रहा है.  सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) और रितेश देशमुख (Ritesh Deshmukh) की जोड़ी इससे पहले 'एक विलेन' में नजर आ चुकी है, जिसमें दोनों ही कलाकारों ने खूब धमाल मचाया था. ये दोनों की साथ में दूसरी फिल्म है. हालांकि सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म 'मरजावां (Marjaavaan) के साथ नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) और आथिया शेट्टी की फिल्म 'मोतीचूर चकनाचूर (Motichoor Chaknachoor)' भी रिलीज हुई है. इस फिल्म को भी फैन्स का काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है.
आज़ाद हिंदुस्तान में असैनिक संघर्ष के इतिहास में ऑपरेशन ब्लू स्टार सबसे खूनी लड़ाई थी. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास अपने हथियारबंद साथियों के साथ छिपे बैठे जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसकी छोटी-सी टुकड़ी को काबू करने के लिए सेना ने अभि‍यान चलाया. इसे ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया गया. इस ऑपरेशन में मशीनगन, हल्की तोपें, रॉकेट और आखिरकार लड़ाकू टैंक तक आजमाने पड़े. इस ऑपरेशन में सिखों का सर्वोच्च स्थल अकाल तख्त भी तबाह हो गया. स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों का सफाया करने का आदेश तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने दिया था. ऑपरेशन ब्लूस्टार में 83 सेनाकर्मी और 492 नागरिक मारे गए थे. आपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना ने 3 से 6 जून 1984 को पंजाब के अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था. बताया जाता है कि उस दौर में पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं, जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था. इसके चलते उस वक्त पंजाब के हालात बहुत खराब थे. पंजाब में इस समस्या की शुरुआत 1970 के दशक से अकाली राजनीति में खींचतान और अकालियों की पंजाब संबंधित मांगों के रूप में हुई थी. 1973 और 1978 में अकाली दल ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया था. मूल प्रस्ताव में सुझाया गया था कि भारत की केंद्र सरकार का केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार हो जबकि अन्य विषयों पर राज्यों को पूर्ण अधिकार हों. वे भारत के उत्तरी क्षेत्र में स्वायत्तता चाहते थे. उनकी मांग थी कि चंडीगढ़ केवल पंजाब की ही राजधानी हो, पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब में शामिल किए जाएं, नदियों के पानी के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय की राय ली जाए, 'नहरों के हेडवर्क्स' और पन-बिजली बनाने के मूलभूत ढांचे का प्रबंधन पंजाब के पास हो, फ़ौज में भर्ती काबिलियत के आधार पर हो और इसमें सिखों की भर्ती पर लगी कथित सीमा हटाई जाए, तथा अखिल भारतीय गुरुद्वारा क़ानून बनाया जाए. अकालियों का समर्थन और प्रभाव बढ़ने लगा. इसी बीच अमृतसर में 13 अप्रैल 1978 को अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें 13 अकाली मारे गए थे. रोष दिवस में सिख धर्म प्रचार की संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. अनेक पर्यवेक्षक इस घटना को पंजाब में चरमपंथ की शुरुआत के रूप में देखते हैं. भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर सिख समुदाय में अकाली दल के जनाधार को घटाने के लिए जरनैल सिंह भिंडरांवाले को परोक्ष रूप से प्रोत्साहन देने का आरोप लगाया जाता है. अकाली दल भारत की राजनीतिक मुख्यधारा में रहकर पंजाब और सिखों की मांगों की बात कर रहा था, लेकिन उसका रवैया ढुलमुल माना जाता था. जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने इनपर कड़ा रुख़ अपनाया और केंद्र सरकार को दोषी ठहराना शुरु कर दिया. भिंडरांवाले ने विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों, धर्म और उसकी मर्यादा पर नियमित तौर पर भाषण देने लगे. उन्हें एक तबके का समर्थन भी मिलने लगा. पंजाब में हिंसक घटनाएं होने लगी. सितंबर 1981 में हिंदी समाचार पत्र पंजाब केसरी अख़बार समूह के संपादक लाला जगत नारायण की हत्या कर दी गई. जालंधर, तरन तारन, अमृतसर, फ़रीदकोट और गुरदासपुर में हिंसक घटनाएं हुई. भिंडरांवाले पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे. पुलिस पर्याप्त सबूत नहीं होने की बात कहकर कार्यवाई से बचती रही. सितंबर 1981 में भिंडरांवाले को महता चौक गुरुद्वारे के सामने गिरफ़्तार कर लिया गया. इसी दौरान वहां भारी भीड़ और पुलिस के बीच गोलीबारी हुई. ग्यारह व्यक्तियों की मौत हो गई. पंजाब में हिंसा का दौर शुरु हो गया. इसके कुछ ही दिन बाद सिख छात्र संघ के सदस्यों ने एयर इंडिया के विमान का अपहरण कर लिया. भिंडरांवाले को जनसमर्थन मिलता देख अकाली दल के नेता भी उनके समर्थन में बयान देने लगे. 1982 में भिंडरांवाले चौक महता गुरुद्वारा छोड़ पहले स्वर्ण मंदिर परिसर में गुरु नानक निवास और इसके कुछ महीने बाद सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त से अपने विचार व्यक्त करने लगे. अकाली दल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने के ख़िलाफ़ जुलाई 1982 में अपना 'नहर रोको मोर्चा' छेड़ रखा था. जिसके तहत अकाली कार्यकर्ता लगातार गिरफ़्तारियां दे रहे थे. इसी बीच स्वर्ण मंदिर परिसर से भिंडरांवाले ने अपने साथी अखिल भारतीय सिख छात्र संघ के प्रमुख अमरीक सिंह की रिहाई के लिए नया अभियान शुरु किया. अकालियों ने अपने मोर्चे का भिंडरांवाले के मोर्चे में विलय कर दिया और धर्म युद्ध मोर्चे के तहत गिरफ़्तारियां देने लगे. हिंसक घटनाएं और बढ़ने लगीं. पटियाला के पुलिस उपमहानिरीक्षक के दफ़्तर में बम विस्फोट हुआ. पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह पर भी हमला हुआ. अप्रैल 1983 में पंजाब पुलिस के उपमहानिरीक्षक ए.एस. अटवाल को दिन दहाड़े हरिमंदिर साहब परिसर में गोली मार दी गई. पुलिस का मनोबल गिरता चला गया. कुछ महीने बाद पंजाब रोडवेज़ की एक बस में घुसे बंदूकधारियों ने जालंधर के पास कई हिंदुओं को मार डाला. इंदिरा गांधी सरकार ने पंजाब में दरबारा सिंह की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया और राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया. लेकिन पंजाब की स्थिति बिगड़ती गई. मार्च 1984 तक हिंसक घटनाओं में 298 लोग मारे जा चुके थे. इंदिरा गांधी सरकार की अकाली नेताओं के साथ तीन बार बातचीत हुई. आख़िरी चरण की बातचीत फ़रवरी 1984 में तब टूट गई जब हरियाणा में सिखों के ख़िलाफ़ हिंसा हुई. 1 जून को भी स्वर्ण मंदिर परिसर और उसके बाहर तैनात केंद्रीय रिज़र्व आरक्षी बल के बीच गोलीबारी हुई. संत जरनैल सिंह, कोर्ट मार्शल किए गए मेजर जनरल सुभेग सिंह और सिख सटूडेंट्स फ़ेडरेशन ने स्वर्ण मंदिर परिसर के चारों तरफ़ ख़ासी मोर्चाबंदी कर ली थी. उन्होंने भारी मात्रा में आधुनिक हथियार और गोला-बारूद भी जमा कर लिया था. 1985 में होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले इंदिरा गांधी इस समस्या को सुलझाना चाहती थीं. अंततः उन्होंने सिक्खों की धार्मिक भावनाएं आहत करने के जोखिम को उठाकर भी इस समस्या का अंत करने का निश्चय किया और सेना को ऑपरेशन ब्लू स्टार करने का आदेश दिया.
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षा मित्रों का समायोजन इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किए जाने से निराश गाजियाबाद के 605 शिक्षा मित्रों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से इच्‍छामृत्यु की इजाजत मांगी है. आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले शिक्षामित्रों ने बुधवार को गाजियाबाद जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के बाद से शिक्षामित्र लगातार आंदोलन कर रहे हैं. एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रिजवान ने बताया कि जिस तरह से न्यायालय ने उनका समायोजन निरस्त किया है. उससे उनके सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है. इसलिए जनपद के समस्त शिक्षामित्र राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को जिलाध्यक्ष के माध्यम से पत्र सौंपकर इच्‍छामृत्यु की मांग कर रहे हैं और इस मामले में जवाब न मिलने तक प्रतिदिन 10 बजे जिला मुख्यालय में बैठकर इंतजार करेंगे. इनुपट: IANS
'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में लीप आने के बाद शो को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. शो के नए ट्रैक को पसंद किया जा रहा है. ये शो पिछले 10 साल से चला आ रहा है. अब तक सीरियल में कई ट्विस्ट और टर्न्स देखने को मिल चुके हैं. अब शो का नया प्रोमो सामने आया है. प्रोमो में दिखाया गया है कि कार्तिक आने वाले दिनों में कायरव यानी अपने बेटे से मिलेगा. कायरव जब कार्तिक से मिलेगा तो उसे अपनी मां (नायरा) की कही बात याद आएगी. आकाश गुलाबी हो जाएगा. ब्लू बटरफ्लाई उड़ेंगी. कायरव कार्तिक को देखकर उसे गले लगा लेगा. शो का प्रोमो सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. कार्तिक सालों बाद अपने बेटे से मिलेंगे. इन दिनों चल रहे प्लॉट में कार्तिक और नायरा अलग हो चुके हैं. दोनों का एक बेटा भी है. नाम है 'कायरव'. लेकिन कार्तिक को इस बात का पता नहीं है कि उसका एक बेटा भी है. नायरा कायरव को लेकर गोवा में रह रही है. वहीं कार्तिक और पूरी फैमिली को लगता है कि नायरा की मौत हो चुकी है. View this post on Instagram Kairav might finally unite Naira and Kartik! Are you ready to witness this Father-Son meet? Watch #YehRishtaKyaKehlataHai, Mon-Fri at 9:30pm on StarPlus and also on Hotstar - http://bit.ly/yehrishtakyakehlatahai @khan_mohsinkhan @shivangijoshi18 A post shared by StarPlus (@starplus) on Jun 18, 2019 at 8:45am PDT बता दें कि कार्तिक ने नायरा पर शक किया था. कार्तिक ने नायरा से पूछा था कि मिहिर और उसके बीच कुछ हुआ था क्या. इस बात का नायरा को इतना बुरा लगा कि वो घर से बिना बताए निकल गई थी और डेंजर एरिया में पहुंच गई थी, जहां पर ब्लास्ट हो रहे थे. इसी के बाद नायरा सबकुछ छोड़ कर गोवा चली गई और सभी को लगा कि नायरा की ब्लास्ट में डेथ हो गई. अब गोवा में नायरा योगा क्लासेज चलाकर अपना गुजारा कर रही है. आने वाले एपिसोड्स में दिलस्चप मोड़ आने वाला है.
सीओपीडी की तीव्र तीव्रता को सांस की तकलीफ में वृद्धि, थूक उत्पादन में वृद्धि, बलगम के रंग में स्पष्ट से हरे या पीले रंग में बदलाव, या सीओपीडी वाले किसी व्यक्ति में खांसी में वृद्धि के रूप में परिभाषित किया गया है। वे साँस लेने के बढ़े हुए कार्य के लक्षण दिखा सकते हैं जैसे तेज़ साँस लेना, तेज़ हृदय गति, पसीना आना, गर्दन में मांसपेशियों का सक्रिय उपयोग, त्वचा का नीला पड़ना और बहुत गंभीर स्थिति में भ्रम या जुझारू व्यवहार। स्टेथोस्कोप से जांच करने पर फेफड़ों पर चटकने की आवाज़ भी सुनी जा सकती है।
आदर्श सोसाइटी घोटाला केस में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को बड़ा झटका लगा है. राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव ने गुरुवार को मामले में सीबीआई को पूर्व सीएम पर केस चलाने की इजाजत दे दी है. बताया जाता है कि इस इजाजत के साथ ही अशोक चव्हाण पर सीआरपीसी की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. इसके अलावा आईपीसी की धारा 120बी और 420 के तहत भी अपराध तय किए जाएंगे. बता दें कि 8 अक्टूबर 2015 को लिखे अपने पत्र में मुंबई में सीबीआई के संयुक्त निदेशक ने चव्हाण पर सीआरपीसी की धारा 197 के तहत केस चलाने की मांग की थी. जांच एजेंसी ने इसके लिए जस्टि‍स पाटिल समिति की जांच रिपोर्ट को आधार बनया था. प्रोटोकॉल के तहत राज्यपाल का यह निर्णय मंत्रियों के राज्य परिषद की सलाह के बाद लिया जाता है. अशोक चव्हाण उन 13 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें सीबीआई ने आदर्श घोटाले में चार्जशीट किया था. पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री मौजूदा समय में पार्टी के सांसद हैं और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष भी. इससे पहले कांग्रेस की सरकार के समय तत्कालीन गवर्नर के. शंकरनारायणन ने इस मामले में सीबीआई को अनुमति देने से इनकार कर दिया था. ऐसे गरमाया था आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले का मामला- जुलाई 1999: आदर्श सोसाइटी ने कोलाबा क्षेत्र में भूमि के लिए सरकार से सम्पर्क किया. 9 जुलाई 1999: सरकारी प्रस्ताव के तहत सोसाइटी को प्लाट आवंटित किया गया. 4 अक्तूबर 2004: मुंबई के जिलाधिकारी ने भूमि का कब्जा सोसाइटी को सौंपा. 27 अक्तूबर 2009: पश्चिमी नौसेना कमान कोआपरेटिव के उप पंजीयक से सोसाइटी की विस्तृत जानकारी मांगी. 16 सितंबर 2010: आदर्श सोसाइटी एमएमआरडीए से कब्जा प्रमाणपत्र मिला. 25 अक्तूबर 2010: नौसेना ने इस बात की पुष्टि की कि उसने सुरक्षा कारणों से आदर्श सोसाइटी पर विरोध जताया है. 28 अक्तूबर 2010: मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री की सास और अन्य रिश्तेदारों के सोसाइटी में फ्लैट हैं. 31 अक्तूबर 2010. बृहन्मुम्बई बिजली आपूर्ति एवं परिवहन ने कब्जा प्रमाणपत्र मांगते हुए नोटिस जारी किया. 3 नवंबर 2010: एमएमआरडीए ने आदर्श सोसाइटी का कब्जा प्रमाणपत्र रद्द किया. बेस्ट ने सोसाइटी की विद्युत आपूर्ति जबकि बीएमसी ने पानी की आपूर्ति बंद की.
अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) की फिल्म 'गुड न्यूज' (Good Newwz) जल्द ही रिलीज होने वाली है. इसलिए अक्षय कुमार इस फिल्म के प्रमोशन के लिए जुटे हुए हैं. हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जो खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियो में उन्होंने प्रसव पीड़ा (Labour pain) के अनुभव को फैन्स से साझा किया है. इस वीडियो में दिलजीत दोसांझ भी अक्षय कुमार का साथ देते नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर इस वीडियो पर फैन्स रिएक्शन भी दे रहे हैं. A post shared by Akshay Kumar (@akshaykumar) on Dec 13, 2019 at 10:09pm PST अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) के इस वीडियो को इंस्टाग्राम पर लाखों व्यूज मिल चुके हैं. अक्षय कुमार ने इस वीडियो को शेयर कर लिखा: "दिलजीत दोसांझ और मैंने प्रसव पीड़ा (Labour pain) का अनुभव किया. यह एक छोटा सा कदम है. दिल से सारी मम्मियों को आदर." अक्षय कुमार ने इस तरह इस वीडियो को शेयर कर अपना रिएक्शन दिया है. अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की फिल्म 'गुड न्यूज' (Good Newwz) इसी महीने 27 तारीख को रिलीज हो रही है. ऐसे में फिल्म की रिलीज में ज्यादा वक्त नहीं बचा है. राज मेहता के डायरेक्शन में बनीं यह फिल्म  'IVF' के टॉपिक पर आधारित है. इस फिल्म में उनके साथ करीना कपूर (Kareena Kapoor), दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) और कियारा अडवाणी (Kiara Advani) भी नजर आएंगी. गुड न्यूज के अलावा अक्षय कुमार जल्द ही 'लक्ष्मी बम' (Laxmi Bommb) और 'पृथ्वीराज' (Prithviraj) जैसी फिल्मों में भी नजर आने वाले हैं.
यद्यपि भारत और ताइवान के बीच आधिकारिक रूप से राजनयिक सम्बन्ध नहीं हैं, फिर भी सन १९९० के बाद से दोनों के बीच द्विपक्षीय सम्बन्ध मजबूत हुए हैं। इस सम्बन्ध में भारत, मुख्य चीनभूमि (mainland China) पर चीनी जनवादी गणतंत्र के शासन को मान्यता देता है किन्तु चीनी जनवादी गणतंत्र के इस दावे को मान्यता नहीं देता कि वही ताइवान, हांगकांग तथा मकाऊ का वैध सरकार है। ताइवान के साथ भारत के आर्थिक और व्यापारिक सम्बन्ध तथा दोनों देशों के लोगों के बीच सम्पर्क पिछले कुछ वर्षों में बढ़े हैं। मई 2020 में भारत के दो सांसद ताइवान के राष्ट्रपति के पदग्रहण समारोह में सम्मिलित हुए थे। इसे भारत के अरुणाचल प्रदेश एवं अक्साई चीन पर चीन द्वारा यदा-कदा किए गए दावों के विरुद्ध चीन को दी गयी एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। इसके पूर्व, जून 2014 में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच एक बैठक के दौरान भारत ने चीन से कहा था कि यदि बीजिंग नई दिल्ली से उम्मीद करता है कि वह अपनी 'एक-चीन नीति’ का सम्मान करे तो उसे भी ‘एक-भारत नीति'’ का सम्मान करना चाहिए। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ ताइवान के लिए भारत एशिया का बड़ा और ताकतवर देश है निवेश के लिए सबसे बेहतर अब भारत ने भी चीन की कमजोर नस दबाई भारत के वैदेशिक सम्बन्ध
मैग्लेव ट्रेन, या चुम्बक-प्रोत्थापित रेलगाड़ी वह परिवहन प्रणाली है जो प्रोत्थापन (लेविटेशन) एवं प्रणोदन के लिए बहुत बड़े पैमाने पर चुम्बकों की चुम्बकीय शक्ति का इस्तेमाल करती है और 'बिना जमीन छुए' नियंत्रित रहते हुए गति करती है। यातायात की यह विधि पहिया युक्त सामूहिक पारगमन प्रणालियों की अपेक्षा यह विधि अधिक तेज, शान्त और झटकारहित है। अभी तक मैग्लेव ट्रेन की उच्चतम गति दर्ज की गई है। इस कीर्तिमान को वर्ष 2003 में जापान में स्थापित किया गया था, जो पारंपरिक टीजीवी (TGV) की दर्ज की गई गति से अधिक तेज थी। प्रथम वाणिज्यिक मैग्लेव "लोक-परिवाहक" को आधिकारिक तौर पर वर्ष 1984 में इंग्लैण्ड के बर्मिंघम में चालू किया गया था। इसे बर्मिंघम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा और बर्मिघम अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन के बीच, की गति से, मोनोरेल ट्रैक के एक उन्नत सेक्शन पर चलाया गया था। विश्वसनीयता और डिज़ाइन समस्याओं की वजह से इस प्रणाली को अंत में वर्ष 1995 में बंद कर दिया गया। शायद वर्तमान में वाणिज्यिक तौर पर संचालित होने वाली द्रुत-गति मैग्लेव प्रौद्योगिकी का सबसे जाना माना कार्यान्वयन चीन के शंघाई में चलने वाले जर्मन-निर्मित ट्रांसरैपिड ट्रेन की आईओएस (IOS अर्थात् इनिशियल ऑपरेटिंग सेगमेंट या आरंभिक प्रचालन खंड) प्रदर्शन लाइन है जो अधिकतम और औसतन की गति से केवल 7 मिनट 20 सेकण्ड में लोगों को एयरपोर्ट तक 30 किमी (18.6 मील) का सफ़र तय कराता है। इतिहास प्रथम एकस्वाधिकार दुनिया भर में विभिन्न आविष्कारकों को उच्च गति परिवहन एकस्व अधिकार की अनुमति प्रदान की गई। एक रैखिक मोटर प्रेरित ट्रेन के आरंभिक अमेरिकी एकस्व अधिकारों से अल्फ्रेड ज़ेहडेन नामक आविष्कारक को सम्मानित किया गया। आविष्कारक को (21 जून 1902) और (21 अगस्त 1907) से सम्मानित किया गया। 1907 में, एक और आरंभिक विद्युतचुम्बकीय परिवहन प्रणाली को एफ. एस. स्मिथ ने विकसित किया था। रैखिक मोटरों द्वारा प्रेरित चुम्बकीय उत्तोलन ट्रेनों के लिए जर्मन एकस्व अधिकारों की एक श्रृंखला से वर्ष 1937 और 1941 के दरम्यान हर्मन केम्पर को सम्मानित किया गया था। एक आरंभिक आधुनिक प्रकार के मैग्लेव ट्रेन का वर्णन जी. आर. पोल्ग्रीन (25 अगस्त 1959) की , मैग्नेटिक सिस्टम ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन में किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका के एक एकस्व अधिकार में "मैग्लेव" का इस्तेमाल पहली बार कैनेडियन पेटेंट्स एण्ड डेवलपमेंट लिमिटेड द्वारा "मैग्नेटिक लेविटेशन गाइडेंस " में किया गया था। न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका 1968 1961 में, थ्रोग्स नेक ब्रिज पर व्यस्त अवधि वाले यातायात के दौरान देर हो जाने पर ब्रुकहेवन नैशनल लैबोरेटरी (बीएनएल/BNL) के जेम्स पॉवेल नामक एक शोधकर्ता ने इस यातायात समस्या का हल निकालने के लिए चुम्बकीय रूप से उत्तोलित परिवहन के उपयोग पर विचार किया। पॉवेल और बीएनएल सहयोगी गॉर्डन डैन्बी ने संयुक्त रूप से एक गाइडवे पर विशेष आकार वाले पाशों में विद्युत गतिबोधक उत्तोलक एवं स्थिरक बालों को प्रेरित करने के लिए एक गतिशील वाहन पर रखे हुए स्थिर चुम्बकों का इस्तेमाल करके एक मैग्लेव अवधारणा को तैयार किया। हैम्बर्ग, जर्मनी 1979 ट्रांसरैपिड 05 यात्रियों के परिवहन के लिए अनुज्ञापित लाँगस्टेटर प्रणोदन युक्त पहला मैग्लेव ट्रेन था। वर्ष 1979 में प्रथम इंटरनैशनल ट्रांसपोर्टेशन एग्ज़ीबिशन (आईवीए 79/IVA 79) के लिए हैम्बर्ग में एक 908 मीटर ट्रैक खोला गया था। इसमें लोगों की इतनी दिलचस्पी थी कि प्रदर्शनी के समाप्त होने के बाद तीन महीनों तक इसके संचालन को बढ़ाना पड़ गया था जो 50,000 से अधिक यात्रियों को वहन करता था। वर्ष 1980 में केसल में इसे फिर से जोड़ा गया। बर्मिंघम, यूनाइटेड किंगडम 1984-1995 1940 के दशक के अंतिम दौर में, लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज के प्रोफ़ेसर एरिक लैथवेट ने रैखिक प्रेरण मोटर के प्रथम पूर्ण आकार वाले व्यावहारिक मॉडल को विकसित किया। वह वर्ष 1964 में इम्पीरियल कॉलेज के हेवी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफ़ेसर बने, जहां उन्होंने अपने रैखिक मोटर के सफल विकास को चालू रखा। चूंकि रैखिक मोटर के लिए वाहन एवं गाइडवे के दरम्यान शारीरिक संपर्क की आवश्यकता नहीं पड़ती है, इसलिए यह 1960 और 1970 के दशक में विकसित किए जा रहे कई उन्नत परिवहन प्रणालियों का एक आम स्थिर वस्तु बन गया। खुद लैथवेट ने ट्रैक्ड होवरक्राफ्ट नामक एक इसी तरह की परियोजना के विकास में भाग लिया, हालांकि इस परियोजना के वित्तपोषण को 1973 में रद्द कर दिया गया। स्वाभाविक रूप से रैखिक मोटर का इस्तेमाल मैग्लेव प्रणालियों के लिए भी काफी अनुकूल था। 1970 के दशक के आरम्भ में लैथवेट ने चुम्बकों की एक नई व्यवस्था का पता लगाया जो एक अकेले रैखिक मोटर को उत्तोलन के साथ-साथ अग्रगामी धक्का भी उत्पन्न करने की अनुमति प्रदान करता था जिससे एक मैग्लेव प्रणाली को चुम्बकों के केवल एक समूह के साथ निर्मित करने में आसानी हुई। कई सिविल इंजीनियरिंग प्रतिष्ठानों की टीमों के साथ डर्बी के ब्रिटिश रेल अनुसंधान प्रभाग में काम करके "पारगमन-प्रवाह" प्रणाली को एक कार्यात्मक प्रणाली में विकसित किया गया। दुनिया का सबसे पहला वाणिज्यिक स्वचालित मैग्लेव सिस्टम 1984 और 1995 के दरम्यान बर्मिंघम इंटरनैशनल एयरपोर्ट के एयरपोर्ट टर्मिनल से निकटवर्ती बर्मिंघम इंटरनैशनल रेलवे स्टेशन के बीच चलने वाला एक निम्न-गतिक मैग्लेव शटल था। ट्रैक की लंबाई थी और ट्रेनों ने की ऊंचाई पर "उड़ान" भरी। यह लगभग ग्यारह वर्षों का संचालन था, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों के साथ अप्रचलन की समस्याओं ने बाद के वर्षों में इसे अविश्वसनीय बना दिया और इसे अब एक केबल लाइनर के साथ प्रतिस्थापित कर दिया गया है। वास्तविक कारों में से एक कार अब पीटरबरो के रेलरोड में प्रदर्शनरत है, जबकि आरटीवी31 (RTV31) होवर ट्रेन वाहन पीटरबरो के नेने वैली रेलवे में संरक्षित है। इस कड़ी के निर्माण के समय कई अनुकूल परिस्थितियां अस्तित्व में थीं: ब्रिटिश रेल रिज़र्व वाहन का वजन 3 टन था और 8 टन वजन वाले वाहन के रूप में इसका विस्तार करना आसान था। बिजली आसानी से उपलब्ध थी। एयरपोर्ट और रेल भवन टर्मिनल प्लेटफार्मों के लिए उपयुक्त थे। एक सार्वजनिक सड़क पर केवल एक चौराहे की जरूरत थी और इसमें कोई खड़ी ढ़लान शामिल नहीं थी भूमि पर रेलवे या एयरपोर्ट का स्वामित्व होता था स्थानीय उद्योग एवं परिषद सहायक थे कुछ सरकारी वित्त उपलब्ध कराया जाता था और साझेदारी वाला काम होने की वजह से प्रत्येक संगठन की लागत अधिक नहीं थी। वर्ष 1995 में मूल प्रणाली के बंद होने के बाद मूल गाइडवे निष्क्रिय पड़ा हुआ है। इस गाइडवे को वर्ष 2003 में फिर से प्रयोग में लाया गया जब मूल प्रणाली की जगह केबल से खींची जाने वाली एयररेल लिंक लोक परिवाहक को चालू किया गया। जापान जापान में, स्वतंत्र रूप से विकसित दो मैग्लेव ट्रेन चलते हैं। पहला ट्रेन जापान एयरलाइंस द्वारा चलाया जाने वाला एचएसएसटी (HSST) और दूसरा ट्रेन जापान रेलवेज़ ग्रुप द्वारा चलाया जाने वाला जेआर-मैग्लेव (JR-Maglev) है जो ज्यादा मशहूर है। बाद वाले ट्रेन का विकास वर्ष 1969 में शुरू हुआ और वर्ष 1979 तक यह मियाज़ाकी परीक्षण मार्ग पर नियमित रूप से 517 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चलता रहा, लेकिन एक दुर्घटन के बाद, जिसमें ट्रेन नष्ट हो गया था, एक नया डिज़ाइन बनाने का फैसला किया गया। वर्ष 1997 में यामानाशी में एक बहुत बड़े और विस्तृत परीक्षण मार्ग (20 किमी लम्बा) को स्थानांतरित करने से पहले मियाज़ाकी में 1980 के दशक के दौरान कई परीक्षण किए जाते रहे। जर्मनी से शुरू हुई प्रौद्योगिकियों के आधार पर वर्ष 1974 में एचएसएसटी (HSST) का विकास कार्य शुरू हुआ। जापान के सुकुबा (1985) में, 30 किमी प्रति घंटे कम रफ़्तार से चलने बावजूद एचएसएसटी-03 (लिनिमो) को सुकुबा वर्ल्ड एक्सपोज़ीशन में लोकप्रियता हासिल हुई। जापान के ओकाज़ाकी (1987) में, जेआर-मैग्लेव (JR-Maglev) ने ओकाज़ाकी प्रदर्शनी में एक परीक्षण सवारी की। जापान के सैतामा (1988) में, कुमागाया में प्रदर्शित सैतामा प्रदर्शन में एचएसएसटी-04-1 (HSST-04-1) को दिखाया गया। इसकी दर्ज की गई सबसे तेज़ गति 30 किमी प्रति घंटा थी। जापान के योकोहामा (1989) में, एचएसएसटी-05 ने योकोहामा में एक व्यावसायिक चालक का लाइसेंस प्राप्त किया और एक आम सवारी परीक्षण पूरा किया। इसकी अधिकतम गति 42 किमी प्रति घंटा थी। वैंकूवर, कनाडा और हैम्बर्ग, जर्मनी 1986-1988 कनाडा के वैंकूवर (1986) में, जेआर-मैग्लेव (JR-Maglev) को एक्सपो 86 (Expo 86) में प्रदर्शित किया गया था। अतिथिगण इस ट्रेन की सवारी मेले के मैदानों में ट्रैक के एक छोटे अनुभाग के एक छोर से दूसरे छोर तक कर सकते थे। जर्मनी के हैम्बर्ग (1988) में लगी एक अंतर्राष्ट्रीय यातायात प्रदर्शनी (आईवीए88/IVA88) में टीआर-07 (TR-07) को प्रदर्शित किया गया था। बर्लिन, जर्मनी 1989-1991 पश्चिम बर्लिन में, 1980 के दशक के अंतिम दौर में एम-बॉन (M-Bahn) का निर्माण किया गया। यह तीन स्टेशनों को जोड़ने वाले 1.6 किमी मार्ग वाला एक चालकरहित मैग्लेव सिस्टम था। यात्री यातायात में परीक्षण की शुरुआत अगस्त 1989 और नियमित संचालन की शुरुआत जुलाई 1991 में में हुई थी। हालांकि यह लाइन एक उन्नत संरेखण का अनुसरण करती थी, फिर भी यह यू-बॉन (U-Bahn) स्टेशन ग्लीसड्रीक पर समाप्त हो जाती थी, जहां यह एक प्लेटफ़ॉर्म से आगे निकल जाती थी जिसका उस समय उपयोग नहीं किया जाता था; यह एक ऐसी लाइन से जुड़ा था जो पहले पूर्व बर्लिन तक जाती थी।बर्लिन की दीवार के ध्वस्त होने के बाद इस लाइन (आज का यू2) को फिर से जोड़ने के लिए जोर-शोर से योजनाएं बनाई जाने लगी। नियमित सेवा शुरू होने के केवल दो महीने बाद एम-बॉन (M-Bahn) लाइन का विध्वंसीकरण शुरू हुआ जिसे पुंडाई परियोजना कहा जाता था और यह फरवरी 1992 में पूरा हुआ था। अन्य एकस्वाधिकार उच्च गति परिवहन एकस्वाधिकार भी दुनिया भर के विभिन्न अन्य आविष्कारकों को प्रदान किए गए। अल्फ्रेड ज़ेहडेन (जर्मन) नामक आविष्कारक को एक रैखिक मोटर प्रेरित ट्रेन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के आरंभिक एकस्वाधिकारों से सम्मानित किया गया। आविष्कारक को (21 जून 1902) और (21 अगस्त 1907) से सम्मानित किया गया। 1907 में, एक और आरंभिक विद्युत चुम्बकीय ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को एफ. एस. स्मिथ द्वारा विकसित किया गया था। वर्ष 1937 और 1941 के दरम्यान हर्मन केम्पर को रैखिक मोटरों द्वारा प्रेरित चुम्बकीय उत्तोलन ट्रेनों के लिए कई जर्मन एकस्वाधिकारों से सम्मानित किया गया। एक आरंभिक आधुनिक प्रकार के मैग्लेव ट्रेन का वर्णन जी. आर. पोल्ग्रीन (25 अगस्त 1959) की , मैग्नेटिक सिस्टम ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन में किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका के एक एकस्व अधिकार में "मैग्लेव" का इस्तेमाल पहली बार कैनेडियन पेटेंट्स एण्ड डेवलपमेंट लिमिटेड द्वारा "मैग्नेटिक लेविटेशन गाइडेंस " में किया गया था। प्रौद्योगिकी मैगलेव ट्रेन की मुख्य प्रणालियाँ (सिस्टम्स) निम्नलिखित हैं- (१) प्रोत्थापन प्रणाली (लेविटेशन सिस्टम) -- ट्रेन को पटरी से ऊपर उठाने वाली प्रणाली (२) प्रणोदन प्रणाली (प्रोपल्सन सिस्टम) -- आगे/पीछे ले जाने, ब्रेक लगाने आदि की से सम्बन्धित (३) मार्गदर्शन प्रणाली (गाइडेन्स सिस्टम) -- ताकि गाड़ी अपने रास्ते पर, एक सीमा से अधिक दाएँ-बाएं न हिले/जाय। (४) नियन्त्रण प्रणाली (कन्ट्रोल सिस्टम) -- गाड़ी के निचले भाग तथा रेलपथ के बीच की दूरी को नियन्त्रित करना, गाड़ी की चाल का नियन्त्रण (५) विद्युत-शक्ति प्रणाली (पॉवर सिस्टम) -- जमीन पर स्थित स्रोतों से चलती हुई या खड़ी गाड़ी को, स्पर्श-रहित विधि से विद्युत-शक्ति प्रदान करने के लिए सिंहावलोकन "मैग्लेव" शब्द केवल विशेष रूप से चुम्बकीय उत्तोलन एवं प्रणोदन के लिए बनाए गए वाहनों को ही नहीं, बल्कि रेलवे सिस्टम को भी संदर्भित करता है। मैग्लेव प्रौद्योगिकी के सभी संचालनात्मक कार्यान्वयनों में पहियेदार ट्रेन प्रौद्योगिकी के साथ न्यूनतम अधिव्यापन है और परंपरागत रेल ट्रैक के अनुकूल नहीं हैं। चूंकि वे मौजूदा आधारभूत संरचनाओं का साझा नहीं कर सकते हैं, इसलिए इन मैग्लेव प्रणालियों को परिपूर्ण परिवहन प्रणालियों के रूप में ही बनाया जाना चाहिए। अप्लाइड लेविटेशन एसपीएम मैग्लेव सिस्टम इस्पात की रेल की पटरियों के साथ अंतर-संचालनीय है और यह मैग्लेव वाहनों और पारंपरिक ट्रेनों को एक ही समय एक ही रास्ते पर चलने की अनुमति देता था। जर्मनी में एमएएन (MAN) ने एक मैग्लेव सिस्टम का भी निर्माण किया जो पारंपरिक पटरियों के साथ काम करता था लेकिन इसे कभी पूरी तरह से विकसित नहीं किया गया। इन्हें भी देखें जेआर-मैग्लेव#फंडामेंटल टेक्नोलॉजी एलिमेंट्स, ट्रांसरैपिड#टेक्नोलॉजी, मैग्नेटिक लेविटेशन मैग्लेव प्रौद्योगिकी के विशेष रूप से दो उल्लेखनीय प्रकार हैं: विद्युतचुम्बकीय निलम्बन (ईएमएस/EMS) के लिए, ट्रेन में स्थापित विद्युतचुम्बक इसे चुम्बकीय रूप से संवाहक (आम तौर पर इस्पात) ट्रैक की तरफ आकर्षित करते हैं। विद्युत्-गतिक निलम्बन (ईडीएस/EDS) ट्रेन को पटरी से दूर धकेलने के लिए ट्रैक और ट्रेन दोनों के विद्युत चुम्बकों का इस्तेमाल करता है। एक और प्रयोगात्मक प्रौद्योगिकी - चुम्बकीय गतिबोधक निलंबन (एमडीएस/MDS) है, जिसका डिज़ाइन बनाया गया, जिसे गणितीय आधार पर सिद्ध किया गया, सहकर्मियों द्वारा इसकी समीक्षा की गई और एकस्वाधिकार प्रदान किया गया, लेकिन अभी भी इसका निर्माण नहीं हुआ है, जो ट्रेन को उठाने और इसे इसके नियत स्थान पर स्थापित करने के लिए एक स्टील ट्रैक के पास एक स्थायी चुम्बक सारणी के आकर्षक चुम्बकीय बल का इस्तेमाल करती है। प्रतिकारक स्थायी चुम्बक और अतिचालक चुम्बक जैसी अन्य प्रौद्योगिकियों में कई अनुसंधान किए गए हैं। विद्युतचुम्बकीय निलंबन मौजूदा विद्युत चुम्बकीय निलंबन (ईएमएस/EMS) प्रणालियों में, ट्रेन इस्पात की एक पटरी पर उठता है जबकि ट्रेन से संलग्न विद्युत चुम्बक नीचे से पटरी की तरफ झुके हुए हैं। इस प्रणाली को आम तौर पर सी-आकार वाली भुजाओं की एक श्रृंखला पर व्यवस्थित किया जाता है और भुजा का ऊपरी भाग वाहन से संलग्न होता है और और निचला भाग भीतरी किनारे में चुम्बक से सम्बद्ध होता है। पटरी ऊपरी और निचले किनारों के बीच स्थित होती है। चुंबकीय आकर्षण दूरी के घन के साथ बदलता रहता है, इसलिए चुम्बकों और पटरी के बीच की दूरी में किए गए मामूली परिवर्तनों की वजह से भी बहुत ज्यादा परिवर्तनीय बल उत्पन्न होता है। बल में किए गए ये परिवर्तन गत्यात्मक रूप से अस्थिर होते हैं - यदि अनुकूलतम स्थिति में हल्का सा भी विचलन होता है, तो इसमें वृद्धि हो सकती है और ट्रैक से एक अपरिवर्तनशील दूरी (लगभग ) पर एक ट्रेन को बनाए रखने के लिए प्रतिपुष्टि नियंत्रण की जटिल प्रणालियों की जरूरत पड़ती है। निलंबित मैग्लेव प्रणालियों का एक प्रमुख लाभ यह है कि वे हर तरह की गति पर काम करती हैं, जबकि विद्युत गतिबोधक प्रणालियां कम से कम लगभग 30 किमी प्रति घंटे की गति पर ही काम करती हैं। यह एक अलग कम गति वाली निलंबन प्रणाली की आवश्यकता को समाप्त कर देती है और परिणामस्वरूप यह ट्रैक लेआउट को सरल बना सकता है। इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि इस प्रणाली की गत्यात्मक अस्थिरता के लिए ट्रैक का अतिसहिष्णु जरूरी है, जो इस लाभ को उलट, या समाप्त कर सकता है। इस अवधारणा की अत्यधिक उलझन के फलस्वरूप लैथवेट को इस बात की चिंता थी कि अपेक्षित सहिष्णुता वाले एक ट्रैक का निर्माण करने के लिए चुम्बकों और पटरी के बीच के अंतराल को उस स्थान तक बढ़ा देना होगा जहां चुम्बक अनुचित ढंग से बड़े होंगे। व्यवहार में, इस समस्या को प्रतिपुष्टि प्रणालियों के वर्धित प्रदर्शन के माध्यम से संबोधित किया जाता था, जो प्रणाली को गहन सहिष्णुता के साथ चलने की अनुमति प्रदान करता है। विद्युत्-गतिक निलंबन विद्युत गतिबोधक निलंबन (ईडीएस/EDS) में, पटरी और ट्रेन दोनों एक चुम्बकीय क्षेत्र पर बल लगाते हैं और इन चुम्बकीय क्षेत्रों के दरम्यान प्रतिकारक बल की वजह से ट्रेन उत्तोलित हो जाता है। या तो विद्युत चुम्बकों (जैसे कि जेआर-मैग्लेव में) या स्थायी चुम्बकों की एक सरणी (जैसे कि इंडकट्रैक में) द्वारा ट्रेन में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। तारों में एक प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र या ट्रैक में अन्य चालक पट्टियों द्वारा ट्रैक में प्रतिकारक बल पैदा होता है। प्रतिकारक मैग्लेव प्रणालियों का एक प्रमुख लाभ यह है कि ये प्राकृतिक रूप से स्थिर होते हैं - ट्रैक और चुम्बकों के बीच की दूरी में मामूली संकुचन से बहुत अधिक बल उत्पन्न होता है जो चुम्बकों को वापस उनकी मूल स्थिति में पहुंचा देता है, जबकि दूरी में एक हल्की सी वृद्धि बल को कम कर देती है और एक बार फिर वाहन सही अलगाव में लौट जाता है। कोई प्रतिपुष्टि नियंत्रण जरूरी नहीं है। प्रतिकारिक प्रणालियों का एक प्रमुख नकारात्मक पक्ष भी है। धीमी गति पर, इन कॉइलों और परिणामी चुम्बकीय प्रवाह में प्रेरित धारा इतनी भी अधिक नहीं होती है कि वह ट्रेन के वजन को सहारा दे सके। इस वजह से उत्तोलन को बनाए रखने की क्षमता वाली गति तक पहुंचने तक ट्रेन को सहारा देने के लिए ट्रेन में पहियों या कुछ अन्य प्रकार के लैंडिंग गियर का होना बहुत जरूरी है। चूंकि ट्रेन, उदाहरण के तौर पर उपकरण की खराबी की वजह से, किसी भी स्थान पर रूक सकता है, इसलिए सम्पूर्ण ट्रैक में ट्रेन की निम्न-गति और उच्च-गति दोनों तरह के संचालन को सहारा देने की क्षमता होनी चाहिए। इसका एक और नकारात्मक पक्ष यह है कि प्रतिकारक प्रणालियां स्वाभाविक रूप से उत्थापक चुम्बकों के सामने और पीछे ट्रैक में एक ऐसे क्षेत्र का निर्माण करती हैं जो चुम्बकों के विरूद्ध काम करता है और एक तरह से खिंचाव की स्थिति उत्पन्न करता है। यह आम तौर पर निम्न गति वाली प्रणालियों के लिए एक चिंता का विषय है, उच्चतर गति वाली प्रणालियों में इस प्रभाव के लिए उतना समय नहीं निकल पाता है जिससे यह इसकी सम्पूर्ण क्षमता और अन्य प्रकार के खिंचाव पर हावी हो सके। कर्षण बल का इस्तेमाल विद्युत गतिबोधक प्रणाली के लाभ के लिए किया जा सकता है, हालांकि, क्योंकि यह पटरियों में एक परिवर्तनीय बल उत्पन्न करता है जिसका इस्तेमाल ट्रेन को चलाने के लिए एक प्रतिक्रियावादी प्रणाली के रूप में किया जा सकता है, जिसमें अलग से एक प्रतिक्रिया प्लेट की जरूरत नहीं है, जैसा कि अधिकांश रैखिक मोटर प्रणालियों में होता है। लैथवेट ने इम्पीरियल कॉलेज की अपनी प्रयोगशाला में "पारगमन-प्रवाह" जैसी प्रणालियों के विकास का नेतृत्व किया। वैकल्पिक रूप से, गाइडवे के प्रणोदन कॉइलों का इस्तेमाल ट्रेन के चुम्बकों पर बल लगाने के लिए और ट्रेन को आगे की तरफ बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेन पर बल लगाने वाले प्रणोदन कॉइल प्रभावी तौर पर एक रैखिक मोटर होते हैं: कॉइलों के माध्यम से प्रवाहित होने वाली एक परिवर्तनशील धारा एक निरंतर परिवर्तनीय चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण करती है जो ट्रैक के साथ आगे की तरफ बढ़ता रहता है। ट्रेन की गति का मिलान करने के लिए परिवर्तनशील धारा की आवृत्ति का तुल्यकालन किया जाता है। ट्रेन में लगी चुम्बकों के बल से निर्मित क्षेत्र और लागू क्षेत्र के बीच का अंतर्लम्ब एक ऐसा बल उत्पन्न करता है जो ट्रेन को आगे की तरफ ले जाता है। विभिन्न प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन ट्रेन की तरह की यात्रा के लिए चुम्बकीय उत्तोलन सिद्धांत के प्रत्येक कार्यान्वयन में लाभ और नुकसान शामिल हैं। {| cellspacing="0" cellpadding="0" width="100%" | colspan="5"| |- | width="15%"| प्रौद्योगिकी | rowspan="9"|    | width="43%"| अनुकूल तर्क | rowspan="9"|    | width="42%"| प्रतिकूल तर्क'' |- | colspan="5"| |- valign="top" | ईएमएस (EMS) (विद्युत चुम्बकीय निलंबन) | वाहन के अंतर और बाहर के चुम्बकीय क्षेत्र ईडीएस (EDS) से कम होते हैं; सिद्ध, वाणिज्यिक तौर पर उपलब्ध प्रौद्योगिकी जो बहुत ज्यादा गति (500 किमी प्रति घंटा) प्राप्त कर सकते हैं; कोई पहिया या द्वितीयक प्रणोदन प्रणाली की जरूरत नहीं है | वाहन और गाइडवे के बीच के अलगाव पर निरंतर नज़र रखना चाहिए और विद्युत चुम्बकीय आकर्षण की अस्थिर प्रकृति की वजह से होने वाले टकराव को से बचने के लिए इसे कंप्यूटर प्रणालियों से ठीक किया जाना चाहिए; प्रणाली की निहित अस्थिरता और बाहरी प्रणालियों द्वारा आवश्यक निरंतर सुधार की वजह से कम्पन के मुद्दे उठ सकते हैं। |- | colspan="5"| |- valign="top" | ईडीएस (EDS) (विद्युत गतिबोधक निलंबन) | ऑनबोर्ड चुम्बक और पटरी एवं ट्रेन के बीच का अंतर उच्चतम दर्ज ट्रेन गति (581 किमी प्रति घंटा) और अत्यधिक भारण क्षमता को सक्षम बनाते हैं; सस्ते तरल नाइट्रोजन के साथ ठंडा किए गए, हाल ही में (दिसंबर 2005) इसके ऑनबोर्ड चुम्बकों में उच्च तापमान अतिचालकों का इस्तेमाल करके सफल संचालनों का प्रदर्शन किया गया है। | ट्रेन में निर्मित शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र हार्ड ड्राइव और क्रेडिट कार्ड जैसी चुम्बकीय डाटा भण्डारण माध्यम या गतिनिर्धारकों के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों को ट्रेन में सवार होने में कठिनाई पैदा करेगा, जो चुम्बकीय कवच के उपयोग को आवश्यक बना देता है; गाइडवे प्रेरकता पर स्थापित सीमाबद्धता वाहन की अधिकतम गति को सीमित करता है; निम्न गति पर चलने वाले वाहनों में पहियों का होना बहुत जरूरी है। |- | colspan="5"| |- valign="top" | इंडकट्रैक सिस्टम (स्थायी चुंबक ईडीएस) | फेलसेफ सस्पेंशन - चुम्बकों को सक्रिय करने के लिए किसी शक्ति की जरूरत नहीं है; चुम्बकीय क्षेत्र को कार के नीचे स्थापित किया जाता है; मैग्लेव ट्रेन को उत्तोलित करने के लिए निम्न गति (लगभग 5 किमी प्रति घंटा) से पर्याप्त बल उत्पन्न कर सकता है; बिजली विफल होने की स्थिति में कार अपने आप सुरक्षित ढ़ंग से धीमी हो जाती है; स्थायी चुम्बकों की हल्बच सरणी विद्युत चुम्बकों से ज्यादा लागत-प्रभावी साबित हो सकती हैं | वाहन के रूकने पर गति करने वाले ट्रैक खण्डों या पहियों की जरूरत पड़ती है। नई प्रौद्योगिकी जो अभी भी विकासाधीन है और जिसका अब तक कोई वाणिज्यिक संसकरण या पूर्ण पैमाने वाली प्रणाली प्रतिमान नहीं है। |} न तो इंडकट्रैक (Inductrack) और न ही सुपरकंडक्टिंग ईडीएस (Superconducting EDS) में एक स्थिर वाहन को उत्तोलित करने की क्षमता होती है, हालांकि इंडकट्रैक एक बहुत ही निम्न गति के लिए उत्तोलन प्रदान करता है; इन प्रणालियों के लिए पहियों की जरूरत पड़ती है। ईएमएस (EMS) प्रणालियां पहिया-विहीन होती हैं। जर्मन ट्रांसरैपिड, जापानी एचएसएसटी (लिनिमो) और कोरियाई रोटेम ईएमएस मैग्लेव विरामावस्था में उत्तोलित होते हैं, जिसके लिए आवश्यक बिजली को बाद वाले दो मैग्लेव के लिए बिजली की पटरियों का इस्तेमाल करके और ट्रांसरैपिड के लिए बिना किसी तार का इस्तेमाल किए गाइडवे से प्राप्त किया जाता है। यदि गतिशील अवस्था में गाइडवे की बिजली चली जाती है, ऑनबोर्ड बैटरियों की बिजली का इस्तेमाल करके ट्रांसरैपिड उस वक़्त भी की रफ़्तार से उत्तोलन उत्पन्न करने में सक्षम होता है। लेकिन एचएसएसटी (HSST) और रोटेम प्रणालियों के साथ ऐसा नहीं होता है। प्रणोदन एक ईडीएस (EDS) प्रणाली एक ऑनबोर्ड रैखिक मोटर का उपयोग कर उत्तोलन और प्रणोदन दोनों की सुविधा प्रदान कर सकती है। ईएमएस (EMS) प्रणालियां ऑनबोर्ड चुम्बकों का इस्तेमाल करके ट्रेन को उत्तोलित कर सकती हैं, लेकिन इसे आगे की तरफ प्रेरित नहीं कर सकती हैं। क्योंकि वाहनों को प्रणोदन के लिए कुछ अन्य प्रौद्योगिकियों की जरूरत पड़ती है। ट्रैक में स्थापित एक रैखिक मोटर (प्रणोदन कॉइल) इस समस्या का एक समाधान है। प्रणोदन कॉइलों की निषेधात्मक लागत वाली लम्बी दूरियों के मामले में एक प्रोपेलर या जेट इंजन का इस्तेमाल किया जा सकता है। स्थिरता अर्नशॉ के प्रमेय से पता चलता है कि स्थिर चुम्बकों का कोई भी संयोजन एक स्थिर संतुलन में नहीं हो सकता है। हालांकि, विभिन्न उत्तोलन प्रणालियां अर्नशॉ के प्रमेय की मान्यताओं का उल्लंघन करके स्थिर उत्तोलन करती हैं। अर्नशॉ का प्रमेय मानता है कि चुम्बकों की क्षेत्र शक्ति स्थैतिक एवं अपरिवर्तनशील होती है और यह भी कि सापेक्ष पारगम्यता स्थिर होती है और इसका मान हर जगह 1 से अधिक होता है। ईएमएस (EMS) प्रणालियां सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्थिरीकरण पर भरोसा करती हैं। ऐसी प्रणालियां लगातार वहन दूरी को मापन और तदनुसार विद्युत चुम्बक की धारा का समायोजन करती हैं। सभी ईडीएस (EDS) प्रणालियां गतिशील प्रणालियां हैं (कोई भी ईडीएस प्रणाली तब तक ट्रेन को उत्तोलित नहीं कर पाती है जब तक यह गतिशील अवस्था में नहीं आ जाती है). चूंकि मैग्लेव वाहन मूलतः उड़ती हैं, इसलिए पिच, रोल एवं विचलन के स्थिरीकरण के लिए चुम्बकीय प्रौद्योगिकी की जरूरत पड़ती है। इसके अतिरिक्त कुछ प्रौद्योगिकियों के साथ रूपांतरण, वृद्धि (अग्रगामी एवं पश्चगामी गति), घुमाव (एक तरफा गति) या उतार-चढ़ाव (उर्ध्वगामी एवं निम्नगामी गति) की समस्या उत्पन्न हो सकती है। मार्गदर्शन कुछ प्रणालियां नल फ्लक्स प्रणालियों का इस्तेमाल करती हैं, जिसे नल करंट प्रणालियों के नाम से भी जाना जाता है, ये प्रणालियां एक ऐसे कॉइल का इस्तेमाल करती हैं जो घुमाया हुआ होता है जिससे यह दो विरोधी, परिवर्तनशील क्षेत्रों में प्रवेश करता है। जब वाहन एकदम से एक सीध में होता है, कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है, लेकिन यदि यह लाइन से दूर गति करता है तो एक परिवर्तनशील प्रवाह उत्पन्न होता है जो जिससे एक ऐसे क्षेत्र का निर्माण होता है जो इसे लाइन में वापस धकेल देता है। रिक्त ट्यूब प्रौद्योगिकी कुछ प्रणालियां (विशेषकर स्विसमेट्रो प्रणाली) वैकट्रेन—वायु कर्षण को न्यूनतम बनाने के लिए मैग्लेव प्रौद्योगिकी युक्त गाड़ी में इस्तेमाल की जाने वाली रिक्त (वायुशून्य) ट्यूब ( Evacuated tubes)—के इस्तेमाल का प्रस्ताव देती हैं। इसमें गति एवं दक्षता को बढ़ाने की बहुत अधिक क्षमता है, जबकि पारंपरिक मैग्लेव ट्रेनों की अधिकांश ऊर्जा वायु कर्षण में नष्ट हो जाती है। रिक्त ट्यूबों में संचालित होने वाले ट्रेनों के यात्रियों के लिए एक संभावित जोखिम यह है कि ट्रेन की खराबी या दुर्घटना की स्थिति में सुरंग सुरक्षा निगरानी प्रणालियों द्वारा ट्यूब पर फिर से दबाव डालने तक यात्रियों को केबिन के दाब-प्रतिकूलन के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। रैंड कॉर्पोरेशन (Rand Corporation) ने एक वैक्यूम ट्यूब ट्रेन का डिज़ाइन तैयार किया है जो सिद्धांततः अटलांटिक या अमेरिका को 20 मिनट में पार कर सकता है। शक्ति और ऊर्जा का उपयोग मैग्लेव ट्रेनों के लिए ऊर्जा का इस्तेमाल ट्रेन में तेजी लाने के लिए किया जाता है और इसे फिर से प्राप्त किया जा सकता है जब ट्रेन धीमा ("पुनर्योजी गतिरोधन") हो जाता है। इसका इस्तेमाल ट्रेन को उत्तोलित करने और ट्रेन के संचलन को स्थिर करने के लिए भी किया जाता है। हवा ("वायु कर्षण") के जरिए ट्रेन पर बल लगाने के लिए इस ऊर्जा का मुख्य भाग जरूरी है। इसके अलावा कुछ ऊर्जा का इस्तेमाल एयर कंडीशनिंग, हीटिंग, प्रकाश व्यवस्था और अन्य विविध प्रणालियों के लिए किया जाता है। बहुत कम गति पर उत्तोलन के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली का प्रतिशत (हर बार की ऊर्जा) काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा बहुत कम दूरियों के लिए त्वरण के लिए इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा पर विचार किया जा सकता था। लेकिन वायु कर्षण पर काबू पाने के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली में वेग के घन के साथ वृद्धि होती है और इसलिए उच्च गति पर हावी हो जाती है (ध्यान दें: वेग के वर्ग द्वारा ऊर्जा बढ़ जाती है और रैखिक रूप में समय कम हो जाता है। गुण-दोष, लाभ-हानि परम्परागत ट्रेनों की तुलना में इन दो प्रौद्योगिकियों के बीच के प्रमुख तुलनात्मक मतभेद पश्चगामी-संगतता, रोलिंग प्रतिरोध, वजन, शोर, डिज़ाइन बाध्यताओं, एवं नियंत्रण प्रणालियों में निहित है। पश्चगामी संगतता : वर्तमान में संचालनरत मैग्लेव ट्रेन परंपरागत ट्रैक के साथ सुसंगत नहीं है और इसलिए उनके सम्पूर्ण मार्ग के लिए सभी नए अवसंरचनाओं की जरूरत है। इसके विपरीत परंपरागत उच्च गति ट्रेन, जैसे - टीजीवी (TGV), मौजूदा पटरी अवसंरचना पर कम गति पर संचालित होने में सक्षम होते हैं, इस प्रकार खर्च कम हो जाता है जहां नई अवसंरचना ख़ास तौर पर महंगी होती थी (जैसे - शहर के टर्मिनलों के लिए अंतिम दृष्टिकोण), या उन जगहों का विस्तार किया जाता है जहां यातायात के लिए नई अवसंरचनाओं का कोई औचित्य नहीं है। क्षमता : ट्रैक और वाहन के दरम्यान भौतिक संपर्क के अभाव की वजह से मैग्लेव ट्रेनों को रोलिंग प्रतिरोध का एहसास नहीं होता है, उन्हें केवल वायु प्रतिरोध और विद्युत चुम्बकीय कर्षण ही एहसास होता है, जिसके लिए शायद बिजली की क्षमता में सुधार किया जाता है। भार : कई ईएमएस (EMS) एवं ईडीएस (EDS) डिज़ाइनों में बड़े-बड़े विद्युत चुम्बकों का वजन एक प्रमुख डिज़ाइन मुद्दा है। एक विशाल ट्रेन के उत्तोलन के लिए एक बहुत शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र की जरूरत पड़ती है। इस वजह से विद्युत चुम्बकों की क्षमता और इस क्षेत्र को बनाए रखने की ऊर्जा लागत में सुधार लाने के लिए एक अनुसंधान पथ अतिचालकों का इस्तेमाल कर रहा है। शोर : चूंकि मैग्लेव ट्रेन के शोर का प्रमुख स्रोत विस्थापित हवा से आता है, इसलिए एक समान गति पर एक परंपरागत ट्रेन की तुलना में मैग्लेव ट्रेन कम शोर उत्पन्न करते हैं। हालांकि, मैग्लेव की मनोध्वनिक प्रोफाइल इस लाभ को कम कर सकती है: एक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि मैग्लेव शोर को सड़क यातायात की तरह का दर्ज़ा दिया जाना चाहिए जबकि परंपरागत ट्रेनों में एक 5-10 dB "बोनस" होता है क्योंकि पता चला है कि एकसमान तीक्ष्णता स्तर पर ये कम कष्टप्रद होते हैं। डिज़ाइन तुलना : ब्रेकिंग और उपरी तार पहनाव की वजह से फास्टेक 360 पटरीयुक्त शिंकनसेन को समस्याओं का सामना करना पड़ा है। मैग्लेव इन मुद्दों को खत्म करेगा। उच्चतर तापमान पर चुम्बक की विश्वसनीयता एक प्रतिकारी तुलनात्मक नुकसान साबित होता है (देखें - निलंबन के प्रकार), लेकिन नए धातुओं और निर्माण तकनीकों के फलस्वरूप ऐसे चुम्बकों का निर्माण हुआ है जो उच्चतर तापमान पर अपने उत्तोलनात्मक बल को बनाए रखते हैं। कई प्रौद्योगिकियों की तरह, रैखिक मोटर डिज़ाइन में हुई उन्नति ने आरंभिक मैग्लेव प्रणालियों में उल्लिखित सीमाओं को संबोधित किया है। चूंकि रैखिक मोटरों को ट्रेन के भीतर स्थापित होना चाहिए या ट्रेन की पूरी लम्बाई पर उनके ट्रैक पर फैला होना चाहिए, इसलिए कुछ ईडीएस (EDS) और ईएमएस (EMS) मैग्लेव प्रणालियों के लिए ट्रैक डिज़ाइन का काम बिंदु-दर-बिंदु सेवाओं के अलावा अन्य किसी भी चीज़ के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। घुमाव सौम्य होना चाहिए, जबकि स्विच बहुत लम्बे होते हैं और बिजली के प्रवाह के समय इसे टूटने से बचाने के लिए इसकी देखभाल करने की जरूरत है। एक एसपीएम (SPM) मैग्लेव प्रणाली, जिसमें वाहन स्थायी रूप से ट्रैकों पर उत्तोलित होता है, इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण का उपयोग करके तुरंत ट्रैकों को स्विच कर सकते हैं जहां ट्रैक में कोई गतिशील पुर्जे नहीं होते हैं। एक प्रोटोटाइप एसपीएम (SPM) मैग्लेव ट्रेन ने स्वयं ट्रेन की लम्बाई के बराबर त्रिज्या वाले घुमाव का भी मार्गनिर्देशन किया है, जो यह दर्शाता है कि एक पूर्ण पैमाने वाले ट्रेन को एक परंपरागत ट्रेन के समान या उससे परिमित त्रिज्या वाले घुमाव का मार्गनिर्देशन करने की क्षमता होनी चाहिए। नियंत्रण प्रणाली : ट्रैक पर एक स्थिर ऊंचाई को कायम रखने के लिए ईएमएस (EMS) मैग्लेव को बहुत तेज प्रतिक्रिया वाली नियंत्रण प्रणालियों की जरूरत पड़ती है; विफलता की स्थिति में बिजली अस्थिरता के दौरान ट्रैक में दुर्घटनाग्रस्त होने से बचने के लिए ध्यानपूर्वक डिज़ाइन तैयार करने की जरूरत पड़ती है। अन्य मैग्लेव प्रणालियों में आवश्यक रूप से यह समस्या नहीं होती है। उदाहरण के लिए, एसपीएम (SPM) मैग्लेव प्रणालियों में कई सेंटीमीटर का एक स्थिर उत्तोलन अंतराल होता है। विमान की तुलना में कई प्रणालियों के लिए, एक उत्तोलन-से-कर्षण अनुपात को परिभाषित करना संभव है। मैग्लेव प्रणालियों के लिए ये अनुपात विमान से अधिक हो सकते हैं (उदाहरण के लिए, इंडकट्रैक 200:1 की उच्च गति तक पहुंच सकता है, जो किसी भी विमान की तुलना में कहीं अधिक है). इससे मैग्लेव की प्रति किलोमीटर क्षमता अधिक हो सकती है। हालांकि, उच्च परिभ्रमण गति पर, वायुगत्यात्मक कर्षण उत्तोलन प्रेरित कर्षण से काफी अधिक होता है। जेट परिवहन विमान काफी ऊंचाई पर परिभ्रमण के दौरान कर्षण को कम करने के लिए निम्न वायु घनत्व का फायदा उठाता है, इसलिए अपने उत्तोलन-से-कर्षण अनुपात के नुकसान के बावजूद, वे उच्च गति पर मैग्लेव ट्रेनों की तुलना में अधिक कुशलतापूर्वक यात्रा कर सकते हैं जो समुद्र सतह पर संचालित होते हैं (इसे वैकट्रेन अवधारणा द्वारा निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया जाता है). विमान अधिक लचीले भी होते हैं और उपयुक्त एयरपोर्ट सुविधाओं के प्रावधान के साथ अधिक गंतव्यों की सेवा प्रदान कर सकते हैं। हवाई जहाज़ों के विपरीत, मैग्लेव ट्रेन बिजली द्वारा संचालित होते हैं और इस तरह इन्हें ईंधन ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। उड़ान भरने और नीचे उतरने के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के समय विमान ईंधन एक बहुत बड़ा खतरा बन जाता है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक ट्रेन कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करते हैं, खास तौर पर तब जब ये परमाण्विक या अक्षय स्रोतों द्वारा संचालित होते हैं। मैग्लेव की आर्थिकी शंघाई मैग्लेव के निर्माण की लागत 9.93 बिलियन युआन थी। इस कुल राशि में बुनियादी ढांचे, जैसे - विनिर्माण और निर्माण सुविधाओं और संचालनगत प्रशिक्षण, की पूंजीगत लागत शामिल है। वर्तमान में 7,000 यात्री प्रति दिन और 50 युआन प्रति यात्री के हिसाब से इस प्रणाली से प्राप्त आय इस प्रणाली के प्रत्याशित जीवनकाल के लिए संचालनगत लागत को छोड़कर भी पूंजीगत लागत (वित्तपोषण पर लगने वाले ब्याज को मिलाकर) की भरपाई करने में असमर्थ है. यदि क्षमता उपयोग में वर्तमान से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो इसमें परिवर्तन हो सकता है। चीन ने लगभग 200 मिलियन युआन प्रति किलोमीटर के हिसाब से मैग्लेव लाइन का विस्तार करने के भावी निर्माण की लागत को सीमित करने का लक्ष्य स्थापित किया है। एक प्रस्तावित बाल्टीमोर-वॉशिंगटन मैग्लेव परियोजना के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका संघीय रेलमार्ग प्रशासन के वर्ष 2003 के मसौदा पर्यावरणीय प्रभाव वक्तव्य के अनुसार वर्ष 2008 की अनुमानित पूंजीगत लागत 39.1 मील के लिए 4.361 बिलियन अमेरिकी डॉलर, या 111.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति मील (69.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति किलोमीटर) है। मैरीलैंड परिवहन प्रशासन (एमटीए/MTA) ने अपने स्वयं के पर्यावरणीय प्रभाव वक्तव्य का आयोजन किया और निर्माण के लिए 4.9 बिलियन डॉलर और संचालन के लिए 53 मिलियन प्रति वर्ष का लक्ष्य रखा। जापान की प्रस्तावित चुओ शिंकनसेन मैग्लेव के निर्माण की अनुमानित लागत 82 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जिसमें पर्वतों से होते हुए लम्बे-लम्बे सुरंगों वाले के मार्ग का निर्माण भी शामिल है। वर्तमान शिंकनसेन की जगह लेने वाले के टोकैडो मैग्लेव मार्ग की लागत कुल लागत का लगभग 1/10वां हिस्सा होगा क्योंकि इसमें किसी सुरंग निर्माण की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन शोर प्रदूषण सम्बन्धी मुद्दे इसे अव्यवहार्य बना देंगे। वर्तमान में संचालनरत जापानी लिनिमो एचएसएसटी (HSST) नामक एकमात्र निम्न-गति मैग्लेव (100 किमी प्रति घंटा) के निर्माण की लागत लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति किमी है। अन्य परिवहन प्रणालियों की अपेक्षा समुन्नत संचालन एवं रखरखाव लागत प्रदान करने के अलावा ये निम्न-गति मैग्लेव परा-उच्च स्तरीय संचालनीय विश्वसनीयता प्रदान करते हैं और घने शहरी स्थापनों में बहुत कम शोर और शून्य वायु प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। चूंकि मैग्लेव प्रणालियां दुनिया भर में कार्यरत हैं, विशेषज्ञों को उम्मीद है कि निर्माण लागत में कमी आएगी क्योंकि नई निर्माण विधियां काफी किफायती होने के साथ-साथ नवीन रूप लेकर प्रकट हुई हैं। प्रमुख कीर्तिमान 1971 - पश्चिम जर्मनी - प्रिंज़िपफारज्यूग - 90 किमी प्रति घंटा 1971 - पश्चिम जर्मनी - टीआर-02(टीएसएसटी) (TR-02(TSST)) - 164 किमी प्रति घंटा 1972 - जापान - एमएल100 (ML100) - 60 किमी प्रति घंटा - (मानवयुक्त) 1973 - पश्चिम जर्मनी - टीआर04 (TR04) - 250 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त) 1974 - पश्चिम जर्मनी - ईईटी-01 (EET-01) - 230 किमी प्रति घंटा (मानवरहित) 1975 - पश्चिम जर्मनी - कोमेट (Komet) - 401.3 किमी प्रति घंटा (वाष्प रॉकेट प्रणोदन द्वारा, मानवरहित) 1978 - जापान - एचएसएसटी-01 (HSST-01) - 307.8 किमी प्रति घंटा (सहायक रॉकेट प्रणोदन द्वारा, निसान में निर्मित, मानवरहित) 1978 - जापान - एचएसएसटी-02 (HSST-02) - 110 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त) 12-12-1979 - जापान - एमएल-500आर (ML-500R) - 504 किमी प्रति घंटा (मानवरहित) दुनिया में पहली बार इसने 500 किमी प्रति घंटा से अधिक गति पर संचालित होने में कामयाबी हासिल की। 21-12-1979 - जापान - एमएल-500आर (ML-500R) - 517 किमी प्रति घंटा (मानवरहित) 1987 - पश्चिम जर्मनी - टीआर-06 (TR-06) - 406 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त) 1987 - जापान - एमएलयू001 (MLU001) - 400.8 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त) 1988 - पश्चिम जर्मनी - टीआर-06 (TR-06) - 412.6 किमी प्रति घंटा 1989 - पश्चिम जर्मनी - टीआर-07 (TR-07) - 436 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त)  1993 - जर्मनी - टीआर-07 (TR-07) - 450 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त) 1994 - जापान - एमएलयू002एन (MLU002N) - 431 किमी प्रति घंटा (मानवरहित) 1997 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 531 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त) 1997 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 550 किमी प्रति घंटा (मानवरहित) 1999 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 548 किमी प्रति घंटा (मानवरहित) 1999 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 552 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त/पंचगठन). गिनीज़ प्राधिकरण. 2003 - चीन - ट्रांसरैपिड एसएमटी (Transrapid SMT) (जर्मनी में निर्मित) - 501.5 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त/त्रिगठन) 2003 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 581 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त/त्रिगठन). गिनीज़ प्राधिकरण. वर्तमान मैग्लेव प्रणालियां परीक्षण मार्ग सैन डिएगो, संयुक्त राज्य अमेरिका सैन डिएगो में जनरल एटोमिक्स का 120 मीटर लम्बा एक परीक्षण केंद्र है, जिसका इस्तेमाल लॉस एंजिलिस में यूनियन पैसिफिक के 8 किमी लम्बे फ्रेट शटल के आधार के रूप में किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी "निष्क्रिय" (या "स्थायी") है जिसे उत्तोलन या प्रणोदन के लिए विद्युत चुम्बकों की जरूरत नहीं है। जनरल एटोमिक्स को संघीय सरकार की ओर से अनुसंधान के वित्त पोषण के रूप में 90 मिलियन डॉलर प्राप्त हुआ है। वे उच्च गति यात्री सेवाओं के लिए भी अपनी प्रौद्योगिकी को लागू करने की ताक में हैं। एम्सलैंड, जर्मनी एम्सलैंड में ट्रांसरैपिड (Transrapid) नामक एक जर्मन मैग्लेव कंपनी का एक परीक्षण मार्ग है जिसकी कुल लम्बाई है। यह सिंगल ट्रैक लाइन डोर्पेन से लाथेन तक व्याप्त है जिसके प्रत्येक सिरे पर मोड़ पाश है। ट्रेन नियमित रूप से तक दौड़ती हैं। परीक्षण केंद्र का निर्माण कार्य 1980 में शुरू हुआ और 1984 में ख़त्म हुआ। जेआर-मैग्लेव (JR-Maglev), जापान जापान के यामानाशी प्रान्त में एक प्रदर्शन लाइन है जहां परीक्षण ट्रेन जेआर-मैग्लेव एमएलएक्स01 (JR-Maglev MLX01) तक पहुंच गया है, जो किसी भी पहियायुक्त ट्रेन से थोड़ा तेज़ है (टीजीवी की दर्ज की गई वर्तमान गति है). जापानी मैग्लेव पर आधारित एक वृत्तचित्र वीडियो यहां देख सकते हैं। इन ट्रेनों में अतिचालक चुम्बकों का इस्तेमाल होता है जो एक अधिक अन्तराल और प्रतिकारक के तरह का विद्युत गतिबोधक निलंबन (ईडीएस/EDS) की अनुमति प्रदान करते हैं। इसकी तुलना में ट्रांसरैपिड में परंपरागत विद्युत चुम्बकों और आकर्षक के तरह का विद्युत चुम्बकीय निलंबन (ईएमएस/EMS) का इस्तेमाल होता है। सेन्ट्रल जापान रेलवे कंपनी (Central Japan Railway Company) (जेआर सेन्ट्रल) (JR Central) और कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज़ (Kawasaki Heavy Industries) द्वारा विकसित, ये "सुपरकंडक्टिंग मैग्लेव शिंकनसेन" वर्तमान में दुनिया के सबसे तेज़ ट्रेन हैं जिनकी 2 दिसम्बर 2003 को दर्ज की गई गति थी। यामानाशी प्रान्त के निवासी (और सरकारी अधिकारी) इसकी मुफ्त सवारी करने के लिए साइन अप कर सकते हैं और अब तक लगभग 100,000 लोगों ने ऐसा कर लिया है। एफटीए (FTA) का यूएमटीडी (UMTD) कार्यक्रम अमेरिका में, संघीय परिवहन प्रशासन (एफटीए/FTA) के शहरी मैग्लेव प्रौद्योगिकी प्रदर्शन कार्यक्रम ने कई निम्न-गति शहरी मैग्लेव प्रदर्शन परियोजनाओं के डिज़ाइन को वित्तपोषित किया है। इसने मैरीलैंड परिवहन विभाग के लिए एचएसएसटी (HSST) और कोलोराडो परिवहन विभाग के लिए मैग्लेव प्रौद्योगिकी को निर्धारित किया गया है। एफटीए (FTA) ने नए मैग्लेव डिज़ाइनों को प्रदर्शित करने के लिए कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेन्सिल्वेनिया स्थित जनरल एटोमिक्स, मैग्नेमोशन एम3 (MagneMotion M3) और फ्लोरिडा अतिचालक ईडीएस (EDS) प्रणाली के मैग्लेव2000 (Maglev2000) के कार्य को भी वित्तपोषित किया। ध्यान देने योग्य अन्य अमेरिकी शहरी मैग्लेव प्रदर्शन परियोजनाएं - वॉशिंगटन राज्य में एलईवीएक्स (LEVX) और मैसाचुसेट्स आधारित मैग्प्लेन हैं। साउथवेस्ट जियाओतोंग यूनिवर्सिटी, चीन 31 दिसम्बर 2000 को, चीन के चेंगदू के साउथवेस्ट जियाओतोंग यूनिवर्सिटी में प्रथम कर्मीदलयुक्त उच्च तापमान अतिचालक मैग्लेव का सफल परीक्षण किया गया। यह प्रणाली इस सिद्धांत पर आधारित है कि अत्यंत उच्च-तापमान अतिचालकों को एक स्थायी चुम्बक के ऊपर या नीचे स्थिरतापूर्वक उत्तोलित या निलंबित किया जा सकता है। भार 530 किग्रा (1166 पाउंड) से अधिक और उत्तोलन अंतराल 20 मिमी (0.79 इंच) से अधिक होता है। अतिचालक को ठंडा करने के लिए इस प्रणाली में तरल नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है जो बहुत सस्ता होता है। सार्वजनिक सेवारत संचालन प्रणालियां लिनिमो (टोबू क्युर्यो लाइन, जापान) वाणिज्यिक स्वचालित "शहरी मैग्लेव" प्रणाली के संचालन की शुरुआत मार्च 2005 में जापान के आइची में हुई। यह नौ-स्टेशन वाली 8.9 किमी लम्बी टोबू-क्युर्यो लाइन है जिसका अन्य नाम लिनिमो है। इस लाइन का न्यूनतम संचालन त्रिज्या 75 मी और अधिकतम ढाल 6% है। रैखिक-मोटर चुंबकीय-उत्तोलित ट्रेन की शीर्ष गति है। यह लाइन स्थानीय समुदाय के साथ-साथ एक्सपो 2005 फेयर साइट को भी अपनी सेवा प्रदान करती है। इन ट्रेनों को चुबू एचएसएसटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने डिज़ाइन किया था, जो नागोया में एक परीक्षण मार्ग का भी संचालन करता है। शंघाई मैग्लेव ट्रेन जर्मनी में, ट्रांसरैपिड ने डाउनटाउन शंघाई (शंघाई मेट्रो) से पुडोंग इंटरनैशनल एयरपोर्ट तक जाने वाले शंघाई मैग्लेव ट्रेन नामक दुनिया के सबसे पहले संचालनीय उच्च-गति पारंपरिक मैग्लेव रेलवे का निर्माण किया। इसका उद्घाटन 2002 में किया गया। 30 किमी लम्बे एक शंघाई ट्रैक पर हासिल की गई अधिकतम गति 501 किमी प्रति घंटा (311 मील प्रति घंटा) है। गति के बावजूद, कुछ ठहराव लेने और एक संदिग्ध वाणिज्यिक सफलता की वजह से मैग्लेव की आलोचना की जाती है। हांग्जो के लिए एक एक्सटेंशन के निर्माण को 2010 में पूरा करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन 350 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से चलने वाले एक पारंपरिक उच्च गति रेलवे के पक्ष में इस कार्य को स्थगित कर दिया गया। शंघाई नगरपालिका सरकार विद्युत चुम्बकीय प्रदूषण के प्रति लोगों के डर को दूर करने के लिए भूमिगत मैग्लेव लाइन एक्सटेंशन का निर्माण कर रही थी; इसी तरह की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतिम निर्णय को राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग द्वारा अनुमोदित किया जाना है। डेजन, कोरिया जनता के लिए शुरू किया गया पहला विद्युत चुम्बकीय निलंबन प्रयुक्त पहला मैग्लेव एचएमएल-03 (HML-03) था, जिसका निर्माण ह्युंडाई हेवी इंडस्ट्रीज़ (Hyundai Heavy Industries) ने पांच वर्षों के अनुसंधान और दो प्रोटोटाइप - एचएमएल-01 (HML-01) एवं एचएमएल-02 (HML-02) के निर्माण के बाद 1993 में डेजन एक्सपो के लिए किया था। 1994 में सरकार ने विद्युत चुम्बकीय निलंबन के इस्तेमाल वाले शहरी मैग्लेव के लिए अनुसंधान शुरू किया। 14 वर्षों के विकास और एक प्रोटोटाइप - यूटीएम-01 (UTM-01) के निर्माण के बाद 21 अप्रैल 2008 को डेजन में यूटीएम-02 (UTM-02) नामक प्रथम शहरी मैग्लेव को जनता के लिए शुरू किया गया। यह शहरी मैग्लेव एक्सपो पार्क और नैशनल साइंस म्यूज़ियम के बीच 1 किमी लम्बे ट्रैक पर दौड़ता है। इस बीच यूटीएम-02 (UTM-02) ने दुनिया के अब तक पहले मैग्लेव अनुकरण द्वारा आयोजित एक नवाचार पर आक्षेप किया। हालांकि यूटीएम-02 (UTM-02) अभी भी एक अंतिम मॉडल का दूसरा प्रोटोटाइप है। रोटेम के शहरी मैग्लेव के अंतिम यूटीएम (UTM) मॉडल, यूटीएम-03 (UTM-03), को इनचान के योंगजोंग द्वीप में 2012 के अंत में शुरू करने के लिए अनुसूचित किया गया है जहां इनचान इंटरनैशनल एयरपोर्ट स्थित है। निर्माणाधीन ओल्ड डोमिनियन यूनिवर्सिटी संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्जीनिया के नॉरफोक के ओल्ड डोमिनियन यूनिवर्सिटी में एक मील से कम लम्बे एक ट्रैक का निर्माण किया गया है। हालांकि इस प्रणाली को शुरू में एएमटी (AMT) ने बनाया था, लेकिन कुछ समस्याओं की वजह से कंपनी को इस परियोजना को छोड़ देना पड़ा और इसे यूनिवर्सिटी को बेच देना पड़ा. यह प्रणाली एक "स्मार्ट ट्रेन, डम्ब ट्रैक" का इस्तेमाल करती है जिसमें अधिकांश सेंसर, चुम्बक और कंप्यूटर ट्रैक के बजाय ट्रेन में लगे हुए हैं। मौजूदा प्रणालियों की तुलना में इस प्रणाली के प्रति मील निर्माण की लागत कम होगी। वास्तव में योजनानुसार कार्य को पूरा करने के लिए 14 लाख डॉलर की अनुमति नहीं थी। वर्तमान में यह प्रणाली संचालनरत नहीं है, लेकिन अनुसंधान से यह उपयोगी साबित हुआ है। अक्टूबर 2006 में, अनुसंधान टीम ने सुगमतापूर्वक कार का एक अनिर्धारित परीक्षण किया। दुर्भाग्यवश, सम्पूर्ण प्रणाली को निकटवर्ती निर्माण के लिए बिजली ग्रिड से हटा दिया गया था। फरवरी 2009 में, टीम ने स्लेड या बोगी का पुनर्परीक्षण किया और परिसर पर बिजली की कटौती के बावजूद एक बार फिर उन्हें इसमें कामयाबी मिली। गति और दूरी दोनों को बढ़ाते हुए परीक्षण होते रहेंगे. इस बीच, ओडीयू (ODU) ने अपने परिसर पर एक और मैग्लेव ट्रेन का परीक्षण करने के लिए मैसाचुसेट्स की एक कंपनी के साथ पार्टनरशिप किया है। उम्मीद है कि मैग्नेमोशन इंक. (MagneMotion Inc.) वर्ष 2010 के आरम्भ में परीक्षण के लिए परिसर में अपने प्रोटोटाइप मैग्लेव वाहन को प्रस्तुत करेगा जो लगभग वैन के आकार की है। एएमटी टेस्ट ट्रैक - पाउडर स्प्रिंग्स, जॉर्जिया संयुक्त राज्य अमेरिका के जॉर्जिया के पाउडर स्प्रिंग्स में अमेरिकन मैग्लेव टेक्नोलॉजी, इंक. (American Maglev Technology, Inc) ने एक दूसरे प्रोटोटाइप सिस्टम के निर्माण में एक समान सिद्धांत को अंतर्भुक्त किया है। अप्लाइड लेविटेशन/फास्ट्रांज़िट टेस्ट ट्रैक - सांता बारबरा, कैलिफोर्निया अप्लाइड लेविटेशन, इंक. (Applied Levitation, Inc.) ने एक लघु इनडोर ट्रैक पर एक उत्तोलन प्रोटोटाइप का निर्माण किया है और अब सांता बारबरा के या उसके आसपास एक चौथाई-मील लम्बे स्विच युक्त आउटडोर ट्रैक के निर्माण की योजना बना रहा है। प्रस्तावित प्रणालियां उत्तर अमेरिका, एशिया और यूरोप के विभिन्न देशों में कई मैग्लेव प्रणालियों को प्रस्तावित किया गया है। उनमें से कई अभी भी योजना के आरंभिक चरणों में हैं या ट्रांसअटलांटिक सुरंग की तरह केवल अटकलें बन कर रह गई हैं। लेकिन निम्नलिखित उदाहरणों में से कुछ ने उस हद के पार प्रगति की है। आस्ट्रेलिया सिडनी-इलवारा मैग्लेव प्रस्ताव वर्तमान में सिडनी और वोलोंगोंग के बीच एक मैग्लेव मार्ग के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है। इस प्रस्ताव को 1990 के दशक के मध्य में प्रमुखता मिली। सिडनी - वोलोंगोंग कम्यूटर कॉरिडोर, ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा है, जिस पर प्रति दिन 20,000 से अधिक लोग काम के लिए इलवारा से सिडनी की यात्रा करते हैं। वर्तमान ट्रेन वोलोंगोंग स्टेशन और सेन्ट्रल के बीच दो और तीन घंटों के बीच की यात्रा समय के साथ, प्रशांत महासागर और इलवारा ढलान के टीले के मुख के बीच, दिनांकित इलवारा लाइन पर चलती हैं। प्रस्तावित मैग्लेव से यात्रा समय में 20 मिनट की कटौती होगी। मेलबोर्न मैग्लेव प्रस्ताव 2008 के अंतिम दौर में, उपरोक्त भूपरिवहन विकल्पों की जांच की उपेक्षा करने वाले एडिंगटन ट्रांसपोर्ट रिपोर्ट के प्रतिक्रियास्वरूप ग्रेटर मेलबोर्न महानगरीय क्षेत्र को सेवा प्रदान करने के लिए निजी रूप से वित्तपोषित और संचालित मैग्लेव लाइन का निर्माण करने के लिए विक्टोरिया सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। मैग्लेव 4 मिलियन से अधिक जनसंख्या को अपनी सेवा प्रदान करेगा और इस प्रस्ताव की लागत 8 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर थी। हालांकि ऑस्ट्रेलिया की सड़कों पर निरंतर अत्यधिक भीड़ और प्रति व्यक्ति काफी सड़कस्थल होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने सड़क विस्तार के पक्ष में इस प्रस्ताव को तुरंत अस्वीकृत कर दिया, इस सड़क विस्तार में 8.5 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की लागत वाला सड़क सुरंग, 6 बिलियन डॉलर की लागत वाला वेस्टर्न रिंग रोड तक ईस्टलिंक का विस्तार और 700 मिलियन डॉलर की लागत वाले फ्रैंक्सटन बाईपास का निर्माण शामिल था। ब्रिटेन लंदन - ग्लासगो : हाल ही में ब्रिटेन में इंग्लैण्ड के मिडलैंड्स, नॉर्थवेस्ट एवं नॉर्थईस्ट से होकर गुजरने वाले मार्ग के कई विकल्पों वाले लन्दन से ग्लासगो तक एक मैग्लेव लाइन के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया था और इस प्रस्ताव के सरकार द्वारा अनुकूल विचाराधीन होने की खबर थी। लेकिन 24 जुलाई 2007 को प्रकाशित गवर्नमेंट व्हाइट पेपर डिलीवरिंग ए सस्टेनेबल रेलवे'' में भावी योजना के लिए इस प्रौद्योगिकी को अस्वीकार कर दिया गया। ग्लासगो और एडिनबर्ग के दरम्यान एक और उच्च गति लिंक के निर्माण की योजना बन रही है लेकिन इसके लिए कोई निर्धारित प्रौद्योगिकी नहीं है। ईरान तेहरान और मशहद शहरों को जोड़ने के लिए मैग्लेव ट्रेनों के इस्तेमाल पर ईरान और एक जर्मन कंपनी ने एक समझौता किया। मशहद इंटरनैशनल फेयर साइट में ईरानी सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और जर्मन कंपनी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया। मैग्लेव ट्रेन तेहरान और मशहद के बीच की दूरी की यात्रा करने में लगने वाले समय में से 900 किमी की यात्रा में लगने वाले समय को कम करके इस यात्रा को लगभग 2.5 घंटे में पूरा कर सकता है। म्यूनिख स्थित श्लेगल कंसल्टिंग इंजीनियर्स ने कहा कि उन्होंने ईरानी परिवहन मंत्रालय और मशहद के राज्यपाल के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किया था। एक प्रवक्ता ने कहा "हमें इस परियोजना में एक जर्मन संघ का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया है।" "हम एक प्रारंभिक चरण में हैं।" प्रवक्ता ने कहा कि एक संघ को इकट्ठा करना अगला कदम होगा, "आने वाले महीनों" में इस प्रक्रिया के होने की उम्मीद है। श्लेगल प्रवक्ता ने कहा, इस परियोजना का मूल्य 10 से 12 बिलियन यूरो के बीच हो सकता था। सीमेंस (Siemens) और थाइसेनक्रुप (ThyssenKrupp), एक उच्च गति मैग्लेव ट्रेन के डेवलपर्स, ने ट्रांसरैपिड (Transrapid) को बताया, दोनों ने कहा कि वे इस प्रस्ताव से अनजान थे। श्लेगल प्रवक्ता ने कहा कि सीमेंस और थाइसेनक्रुप वर्तमान में इस संघ में "शामिल नहीं" थे। जापान टोकियो — नागोया — ओसाका चुओ शिंकनसेन बुलेट ट्रेन प्रणाली की योजना को देशव्यापी शिंकनसेन निर्माण कानून के आधार पर अंतिम रूप दिया गया। लाइनियर चुओ शिंकनसेन परियोजना का लक्ष्य सुपरकंडक्टिव मैग्नेटिकली लेविटेटेड ट्रेन के इस्तेमाल वाली इस योजना को समझना है, जो 500 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से लगभग एक घंटे में आइची की राजधानी, नागोया के रास्ते टोकियो और ओसाका को जोड़ती है। अप्रैल 2007 में, जेआर सेन्ट्रल (JR Central) अध्यक्ष मासायुकी मात्सुमोतो ने कहा कि जेआर सेन्ट्रल का लक्ष्य वर्ष 2025 में टोकियो और नागोया के दरम्यान वाणिज्यिक मैग्लेव सेवा को शुरू करना है। वेनेज़ुएला कराकास – ला ग्वाएरा : मुख्य बंदरगाह क़स्बा ला ग्वाएरा और सिमोन बोलिवर इंटरनैशनल एयरपोर्ट के साथ राजधानी शहर कराकास को जोड़ने वाले एक मैग्लेव ट्रेन (टीईएलएमएजीवी/TELMAGV) के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए कोई बजट नियत नहीं किया गया है, मार्ग का निर्धारण विचाराधीन है, यद्यपि छः से नौ किमी लम्बे एक मार्ग का सुझाव दिया गया है। प्रस्ताव के अनुसार शुरू में लगभग एक किमी लम्बे परीक्षण मार्ग के लिए एक पूर्ण आकार वाले प्रोटोटाइप ट्रेन का निर्माण किया जाएगा. एक मैग्लेव प्रणाली की प्रस्ताव प्रस्तुति में, यांत्रिक इंजनों पर इसके संशोधित जीवन एवं प्रदर्शन के साथ-साथ पारंपरिक रेल पर संशोधनशील आराम, सुरक्षा, अर्थ व्यवस्था और पर्यावरणीय प्रभाव को महत्वपूर्ण कारकों के रूप में उद्धृत किया गया है। चीन शंघाई – हांग्जो : चीन शुरू में शंघाई होंगकियो एयरपोर्ट तक लगभग 35 किमी तक और उसके बाद हांग्जो शहर तक 200 किमी तक मौजूदा शंघाई मैग्लेव ट्रेन (शंघाई-हांग्जो मैग्लेव ट्रेन) का विस्तार करने की योजना बना रहा है। यदि यह बन गया, तो यह वाणिज्यिक सेवा प्रदान करने वाली पहली अंतर्शहरी मैग्लेव रेल लाइन होगी। यह परियोजना विवादास्पद और बार-बार विलंबित होता रहा है। मैग्लेव प्रणाली से होने वाले विकिरण सम्बन्धी चिंताओं की वजह से मई 2007 में अधिकारियों ने इसे निलंबित कर दिया। शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र, शोर, प्रदूषण एवं लाइनों के निकट संपत्ति के अवमूल्यन के जोखिम की वजह से बीमारी सम्बन्धी चिंताओं का हवाला देते हुए सैकड़ों निवासियों ने जनवरी और फरवरी 2008 में डाउनटाउन शंघाई में अपने-अपने घरों के बिल्कुल निकट बन रहे लाइन के खिलाफ प्रदर्शन किया। लाइन को बनाने की अंतिम मंजूरी 18 अगस्त 2008 को दी गई। वास्तव में एक्सपो 2010 तक तैयार हो जाने के लिए अनुसूचित इस परियोजना को 2014 तक पूरा करने के लिए 2010 में इसका निर्माण कार्य शुरू करने की वर्तमान योजना बनाई गई है। शंघाई नगरपालिका सरकार ने विद्युत चुम्बकीय प्रदूषण के प्रति लोगों के डर को दूर करने के लिए भूमिगत लाइन के निर्माण समेत कई विकल्पों पर विचार किया है। इसी तरह की एक रिपोर्ट के अनुसार अंतिम निर्णय को राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग की अनुमति मिलना अभी बाकी है। चीन भी शहरी उपयोग के लिए निम्न-गति मैग्लेव ट्रेनों का उत्पादन करने के लिए नन्हुई जिले में एक फैक्टरी का निर्माण करना चाहता है। भारत मुंबई – दिल्ली : एक अमेरिकी कंपनी ने भारत के रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के समक्ष एक मैग्लेव लाइन परियोजना का एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। मंजूरी मिलने पर यह लाइन मुंबई और दिल्ली शहरों के बीच सेवा प्रदान करेगी, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि यह लाइन परियोजना सफल होती है तो भारत सरकार अन्य शहरों के बीच और मुंबई सेंटर एवं छत्रपति शिवाजी इंटरनैशनल एयरपोर्ट के बीच भी इन लाइनों का निर्माण करेगी। महाराष्ट्र राज्य ने भी मुंबई (भारत की वाणिज्यिक राजधानी के साथ-साथ राज्य सरकार की राजधानी) और नागपुर (राज्य की दूसरी राजधानी) के बीच लगभग 1000 किमी दूर एक मैग्लेव ट्रेन के लिए किए जाने वाले एक व्यवहार्यता अध्ययन को मंजूरी दे दी है। अहमदनगर, बीड, लातूर, नांदेड़ और यवतमाल से होते हुए विकासाधीन भीतरी प्रदेश से होते हुए नागपुर के साथ पुणे एवं मुंबई के विकसित क्षेत्र को जोड़ने की योजना है। संयुक्त राज्य अमेरिका यूनियन पैसिफिक फ्रेट कन्वेयर : अमेरिकी रेल रोड ऑपरेटर यूनियन पैसिफिक अपने इंटरमॉडल कंटेनर ट्रांसफर फैसिलिटी के साथ लॉस एंजिलिस और लाँग बीच के बंदरगाहों के बीच 4.9 मील (8 किमी) लम्बे एक कंटेनर शटल का निर्माण करने की योजना बना रहा है। यह प्रणाली "निष्क्रिय" प्रौद्योगिकी पर आधारित होगी, जो विशेष रूप से माल स्थानांतरण के लिए काफी अनुकूल होगा, क्योंकि ऑन-बोर्ड कोई बिजली की जरूरत नहीं है, केवल इसके गंतव्य की तरफ बढ़ने वाला एक चेसिस ही काफी है। जनरल एटोमिक्स द्वारा इस प्रणाली को डिज़ाइन किया जा रहा है। सिएटल-वैंकूवर इंटरनैशनल मैग्लेव : सिएटल-वैंकूवर इंटरनैशनल मैग्लेव कॉरिडोर को आई-5 विस्तार योजना के भाग का विस्तार करने के लिए प्रस्तावित किया गया है, लेकिन अमेरिकी सरकार ने इसे सार्वजनिक कार्य परियोजनाओं से अलग रखने की हिदायत दी है जबकि कनाडा के संघीय और प्रांतीय नेताओं ने इन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया है। हालांकि अभी तक किसी तरह की कोई वित्तीय सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त नहीं की गई है फिर भी आगे के अध्ययन का अनुरोध किया गया है। उच्च स्तरीय मौजूदा यातायात की वजह से इस क्षेत्र के लिए इसकी मांग की जा रही है। कैलिफोर्निया-नेवादा इंटरस्टेट मैग्लेव : कैलिफोर्निया-नेवादा इंटरस्टेट मैग्लेव प्रोजेक्ट के माध्यम से दक्षिणी कैलिफोर्निया और लास वेगास के प्रमुख शहरों के बीच उच्च-गति वाली मैग्लेव लाइनों पर भी विचार किया जा रहा है। इस योजना को वास्तव में एक आई-5 या आई-15 विस्तार योजना का हिस्सा होने की सम्भावना थी लेकिन संघीय सरकार ने इसे अंतर्राज्यिक सार्वजनिक कार्य परियोजनाओं से अलग रखने की हिदायत दी है। संघीय सरकार के फैसले के बाद से, नेवादा के निजी समूहों ने नेवादा के प्रिम में, कैलिफोर्निया के बेकर में और लॉस एंजिलिस के सैन बर्नार्डिनो काउंटी के सभी स्थानों में ठहराव लेते हुए लास वेगास से लॉस एंजिलिस जाने वाली एक लाइन के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। दक्षिणी कैलिफोर्निया के राजनेताओं ने इन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया है; कई लोगों को इस बात की चिंता है कि राज्य के बाहर एक उच्च गति रेल लाइन के निर्माण में कई डॉलर लगेंगे जिसे नेवादा के लिए राज्य "एक तेल पर" में खर्च किया जाएगा. बाल्टीमोर-वॉशिंगटन डी.सी. मैग्लेव : बाल्टीमोर में कैमडेन यार्ड्स और बाल्टीमोर-वॉसिंग्तन इंटरनैशनल (बीडब्ल्यूआई/BWI) एयरपोर्ट को डी.सी. के वॉशिंगटन में यूनियन स्टेशन को जोड़ने के लिए एक 39.75 मील (64 किमी) परयोजना को प्रस्तावित किया गया है। कहा जाता है कि वर्तमान यातायात/भीड़-भाड़ की समस्याओं की वजह से इस क्षेत्र के लिए इसकी काफी मांग है। पेंसिल्वेनिया प्रोजेक्ट : पेंसिल्वेनिया हाई-स्पीड मैग्लेव प्रोजेक्ट कॉरिडोर का विस्तार पिट्सबर्ग इंटरनैशनल एयरपोर्ट से ग्रीन्सबर्ग तक है और साथ में इसमें डाउनटाउन पिट्सबर्ग और मोनरोविल में मध्यवर्ती ठहराव है। यह आरंभिक परियोजना पिट्सबर्ग महानगरीय क्षेत्र में लगभग 2.4 मिलियन लोगों की एक जनसंख्या की सेवा करेगा। 90 मिलियन डॉलर के एक संघीय अनुदान के लिए बाल्टीमोर प्रस्ताव पिट्सबर्ग प्रस्ताव के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। इस परियोजन का उद्देश्य यह देखना है कि क्या मैग्लेव प्रणाली एक अमेरिकी शहरी वातावरण में सही तरह से कार्य कर सकती है। सैन डिएगो-इम्पीरियल काउंटी एयरपोर्ट : 2006 में सैन डिएगो ने इम्पीरियल काउंटी में स्थित एक प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिए एक मैग्लेव लाइन के लिए एक अध्ययन की शुरुआत की। सैन्डैग (SANDAG) का कहना है कि यह एक "टर्मिनल रहित एयरपोर्ट" वाली अवधारणा होगी, जो यात्रियों को सैन डिएगो में एक टर्मिनल ("सैटेलाईट टर्मिनल") में प्रवेश करने की अनुमति प्रदान करेगा और मैग्लेव को इम्पीरियल एयरपोर्ट तक ले जाएगा और वहां हवाई जहाज पर सवार होगा मानो वे इम्पीरियल स्थान में सीधे टर्मिनल के माध्यम से गए हों. इसके अलावा, मैग्लेव में उच्च प्राथमिकता वाले माल ले जाने की क्षमता होगी। आगे के अध्ययन का अनुरोध किया गया है लेकिन अब तक इसके वित्तपोषण पर सहमति नहीं बन पाई है। अटलांटा – चट्टानूगा : प्रस्तावित मैग्लेव मार्ग हार्ट्सफील्ड-जैक्सन अटलांटा इंटरनैशनल एयरपोर्ट से शुरू होकर अटलांटा से होते हुए अटलांटा के उत्तरी उपनगरों तक जाएगी और शायद टेनेसी के चट्टानूगा तक भी इसका विस्तार हो सकता है। यदि यह बन गया, तो यह मैग्लेव लाइन अटलांटा की वर्तमान उपमार्ग प्रणाली, मेट्रोपोलिटन अटलांटा रैपिड ट्रांज़िट ऑथोरिटी (मार्टा/MARTA), की प्रतिद्वंद्वी बन जाएगी, जिसकी रेल प्रणाली में डाउनटाउन अटलांटा से हार्ट्सफील्ड-जैक्सन एयरपोर्ट तक जाने वाली एक प्रमुख शाखा शामिल है। जर्मनी 25 सितम्बर 2007 को बवेरिया ने घोषणा की वह म्यूनिख शहर से अपने एयरपोर्ट तक उच्च-गति मैग्लेव-रेल सेवा का निर्माण करेगा। बवेरियाई सरकार ने 1.85 बिलियन यूरो वाली परियोजना के लिए सीमेंस (Siemens) और थाइसेनक्रुप (ThyssenKrupp) के साथ ड्यूश बॉन (Deutsche Bahn) और ट्रांसरैपिड (Transrapid) के साथ अनुबंधों पर हस्ताक्षर किया। 27 मार्च 2008 को, जर्मन परिवहन मंत्री ने घोषणा की कि ट्रैक के निर्माण की लागत में उत्तरोत्तर होती वृद्धि की वजह से इस परियोजना को रद्द कर दिया गया है। एक नए अनुमान के अनुसार इस परियोजना की लागत 3.2 से 3.4 बिलियन यूरो के बीच होगी। इंडोनेशिया जकार्ता और सुरबाया के बीच 683 किमी लम्बी एक मैग्लेव रेल सेवा बनाने की योजना है। इस मैग्लेव में सेमारंग सहित 7 स्टेशन होंगे। एसएनसीएफ (SNCF) के साथ कार्यरत पीटी मैग्लेव इंडोनेशिया (PT Maglev Indonesia), ट्रांसरैपिड ड्यूशलैंड (Transrapid Deutschland) और अन्य कॉर्पोरेशन वर्ष 2010 के आसपास इसका निर्माण शुरू करेंगे। महत्वपूर्ण घटनाएं दो घटनाएं घटी हैं जिनमें आग लगने वाली घटनाएं भी शामिल हैं। मियाज़ाकी में जापानी परीक्षण ट्रेन, एमएलयू002 (MLU002), 1991 में आग में जलकर पूरी तरह से भस्म हो गया। आग के परिणामस्वरूप, जापान की राजनीतिक विपक्ष ने दावा किया कि मैग्लेव जनता के पैसे की बर्बादी है। 11 अगस्त 2006 को, लोंगयांग में टर्मिनल को छोड़ने के तुरंत बाद शंघाई वाणिज्यिक ट्रांसरैपिड में आग लग गई जिसमें कोई व्यक्ति घायल नहीं हुआ था। ऐसा माना जाता है कि मैग्लेव की विद्युतीय प्रणाली की कुछ गड़बड़ी की वजह से यह आग लगी थी, इसमें एक ऑनबोर्ड बैटरी यूनिट रखने का सुझाव दिया गया है। 22 सितम्बर 2006 को लाथेन (लोअर सैक्सनी / उत्तर-पश्चिमी जर्मनी) में एक परीक्षण/प्रचार संचालन में एक रखरखाव वाहन के साथ एक ट्रांसरैपिड ट्रेन की टक्कर हो गई। इसमें तेईस लोग मारे गए और दस घायल हुए; एक मैग्लेव प्रणाली की दुर्घटना से होने वाला यह पहला घटक परिणाम था। यह दुर्घटना मानव त्रुटि की वजह से हुई थी, एक साल की लम्बी जांच-पड़ताल के बाद ट्रांसरैपिड के तीन कर्मचारियों को दोषी पाया गया। इन्हें भी देखें चुम्बकीय प्रोत्थापन (मैग्नेटिक लेविटेशन) भू प्रभाव ट्रेन रेल वाहनों के लिए भू गति रिकॉर्ड प्रक्षेपण पाश एक ऐसा मैग्लेव सिस्टम होगा जो कक्ष का प्रक्षेपण करेगा या वेग का निस्तारण करेगा जन चालक नागाहोरी सुरुमी-रियोकुची लाइन ओलेग टोजोनी एक प्रकाशित गैर रैखिक स्थिर मैग्लेव प्रणाली पर काम कर रहे हैं रेलवे स्काईट्रेन (वैंकूवर) स्टारट्राम - एक मैग्लेव प्रक्षेपण प्रणाली ट्रैक्ड होवरक्राफ्ट नोट आगे पढ़ें बाहरी कड़ियाँ शहरी मैग्लेव विंडाना रिसर्च संयुक्त राज्य अमेरिका संघीय रेल प्रशासन प्रयुक्त उत्तोलन फास्ट्रांज़िट मैग्लेव नेट - मैग्लेव समाचार एवं जानकारी इंटरनैशनल मैग्लेव बोर्ड ट्रांसरैपिड यूके अल्ट्रास्पीड परियोजना जापानी रेलवे तकनीकी अनुसंधान संस्थान (आरटीआरआई/RTRI) एम्लेव एमडीएस सिस्टम परिवहन के लिए चुम्बकीय उत्तोलन ब्राजील की मैग्लेव परियोजना का समाचार (पुर्तगाली में) मैग्लेव ट्रेन नैशनल हाई मैग्नेटिक फील्ड लैबोरेटरी से प्राप्त ऑडियो स्लाइड शो में चुम्बकीय उत्तोलन, मेसनर प्रभाव, चुम्बकीय प्रवाह फंसाव एवं अतिचालकता पर चर्चा की गई है मैग्लेव मोनोरेल
नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन के प्‍लेटफार्म नंबर-16 पर वॉशेबल एप्रन को बदलने के कार्य के चलते ट्रैफिक ब्‍लॉक  लिया गया है. 31 जनवरी से लेकर  17 मार्च तक लिए गए इस ट्रैफिक ब्लॉक के चलते दर्जनों रेलगाड़ियां प्रभावित हुई हैं. 31 जनवरी से लेकर 17 मार्च तक निरस्त की गई गाड़ियां... 12419 /12420  लखनऊ -नई दिल्ली - लखनऊ गोमती एक्सप्रेस 14212 /14211  नई दिल्ली -आगरा कैंट- नई दिल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस. 14682/14681  जलंधर सिटी -नई दिल्ली - जलंधर सिटी एक्सप्रेस. 12459 /12460 नई दिल्ली - अमृतसर- नई दिल्ली  एक्सप्रेस. 14315/14316 बरेली- नई दिल्ली - बरेली इंटरसिटी एक्सप्रेस. 14323/14324  नई दिल्ली - रोहतक - नई दिल्ली  इंटरसिटी एक्सप्रेस. 64470/64469  पानिपत- नई दिल्ली - पानिपत लेडिज स्पेशल. 64491/64492 पलवल-नई दिल्ली- पलवल लेडिज स्पेशल. 64427  गाजियाबाद-नई दिल्ली ईएमयू. 64080  नई दिल्ली-पलवल ईएमयू. 64090 हजरत निजामुद्दीन-हजरत निजामुद्दीन ईएमयू. 64087  हजरत निजामुद्दीन-नई दिल्ली ईएमयू. 64097 नई दिल्ली-शकूरबस्ती ईएमयू. 64061/64064 पलवल- दिल्ली- पलवल ईएमयू . 64423/64430  गाजियाबाद-नई दिल्ली–गाजियाबाद  ईएमयू. ट्रैफिक ब्लॉक के दौरान गंतव्‍य से पहले यात्रा समाप्‍त/प्रारम्‍भ करने वाली रेलगाड़ियां... 30 जनवरी से लेकर 16 मार्च तक चलने वाली रेलगाड़ी संख्‍या 12192 जबलपुर-नई दिल्‍ली सुपरफास्‍ट एक्‍सप्रेस की यात्रा हजरत निजामुद्दीन स्‍टेशन पर समाप्‍त होगी. जिसके फलस्‍वरूप 31 जनवरी से 17 मार्च तक चलने वाली 12191 नई दिल्‍ली जबलपुर सुपरफास्‍ट एक्‍सप्रेस अपनी यात्रा हजरत निजामुद्दीन से प्रारम्‍भ करेगी. यह रेलगाड़ी हज़रत निजामुद्दीन-नई दिल्‍ली–हज़रत निजामुद्दीन के बीच आंशिक रूप से रद्द रहेगी. 31 जनवरी से 17 मार्च तक चलने वाली रेलगाडी संख्‍या 64015 पलवल-शकूरबस्‍ती ईएमयू की यात्रा हजरत निजामुद्दीन स्‍टेशन पर समाप्‍त होगी. जिसके फलस्‍वरूप 31 जनवरी से 17 मार्च तक 64910 शकूरबस्‍ती-मथुरा जंक्शन ईएमयू  अपनी यात्रा हजरत निजामुद्दीन से प्रारम्‍भ करेगी. 64015/64910 रेलगाड़ी हज़रत निजामुद्दीन-शकूरबस्‍ती-हज़रत निजामुद्दीन के बीच आंशिक रूप से रद्द रहेगी. 31 जनवरी से 17 मार्च  तक चलने वाली रेलगाड़ी संख्‍या 64089 हजरत निजामुद्दीन- हजरत निजामुद्दीन ईएमयू की यात्रा पटेल नगर स्‍टेशन पर समाप्‍त होगी. ट्रैफिक ब्‍लॉक के दौरान रोककर चलाई जाने वाली रेलगाड़ियां... ब्‍लॉक के दौरान  रेलगाड़ी संख्‍या 16317 कन्‍याकुमारी-श्री माता वैष्‍णों देवी कटड़ा एक्‍सप्रेस, 16687 मंगलौर- श्री माता वैष्‍णों देवी कटड़ा नवयुग एक्‍सप्रेस, 11449 जबलपुर- श्री माता वैष्‍णों देवी कटड़ा एक्‍सप्रेस, 16031 चैन्‍ने- श्री माता वैष्‍णों देवी कटड़ा अंडमान एक्‍सप्रेस एवं 19803 कोटा- श्री माता वैष्‍णों देवी कटड़ा एक्‍सप्रेस रेलगाड़ियों को रात्रि 11.00 बजे तक हजरत निजामुद्दीन स्‍टेशन पर रोककर चलाया जाएगा. रेलगाड़ी संख्‍या 64073 कोसी कलां-नई दिल्‍ली ईएमयू को रात्रि 11.30 बजे तक मार्ग में पलवल तथा हजरत निजामुद्दीन के बीच रोककर चलाया जाएगा.
महाराष्ट्र में 2014 के मुकाबले घट रहीं बीजेपी की सीटें शिवसेना बार्गेनिंग पावर में, रख सकती है अपनी शर्त महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सत्ता में वापसी होना तय है. महाराष्ट्र की 288 सीटों के आए नतीजों में बीजेपी को 105 और शिवेसना को 56 सीटें मिली हैं. जबकि 2014 के चुनाव में बीजेपी को 122 सीटें मिली थी. इस तरह से महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करीब 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. इस तरह शिवसेना से मिलकर लड़ने के बाद भी बीजेपी को महाराष्ट्र में तगड़ा झटका लग रहा है. महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर आए नतीजों के मुताबिक बीजेपी 105 और शिवसेना 56 सीटें जीती हैं. जबकि कांग्रेस ने 44 और एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है. ऐसे में बीजेपी-शिवसेना भले ही सत्ता में वापसी की हो, लेकिन बीजेपी को तगड़ा झटका लग रहा है. हालांकि बीजेपी 2014 के चुनाव में अकेले चुनावी मैदान में उतरी थी और 122 सीटों पर बाजी मारी थी. जबकि शिवसेना को 62 सीटें मिली थीं. चुनावी नतीजे के बाद शिवसेना को बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इतना ही नहीं बीजेपी की शर्तों पर शिवसेना ने समर्थन किया था. लेकिन इस बार बीजेपी ऐसी स्थिति में नजर नहीं आ रही है. बता दें कि बीजेपी इस बार  शिवसेना के साथ मिलकर मैदान में है और 164 सीटों पर चुनाव लड़ी है. जबकि उसकी सहयोगी शिवसेना 124 सीटों पर मैदान में उतरी थी. इस तरह से बीजेपी को शिवसेना के साथ जाने का और कांग्रेस-एनसीपी के बागियों के साथ मिलाने का कोई बड़ा फायदा उसे नहीं मिल सका है. महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना ने 220 सीट पार का नारा दिया था, लेकिन जिस तरह के अभी तक रुझान आए हैं इससे बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. महाराष्ट्र के आधे दर्जन मंत्री चुनाव हार गए हैं. गोपीनाथ मुंडा की बेटी पंकजा मुंडे चुनाव हार गई हैं. जबकि फडणवीस सरकार को पंकजा कद्दावर मंत्री थीं. इस बार शिवसेना की नजर सीएम पद पर है. इस बार के चुनाव में पहली बार ठाकरे परिवार से उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे चुनाव लड़े हैं. ऐसे में शिवसेना मौके की नजाकत को देखते हुए ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले की शर्त भी बीजेपी के सामने रख सकती है. ऐसे में महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी को अपने दम पर जगह बनाने की रणनीति पर झटका लग सकता है.
केंद्र की मोदी सरकार के 4 साल में पिछला बजट सत्र कामकाज के लिहाज से सबसे हंगामेदार सत्र रहा और यही हाल इस मॉनसून सत्र का भी हो सकता है. क्योंकि जहां एक ओर पिछले मुद्दे सुलझे नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर हंगामे की वजह बनने वाले नए मुद्दे इस दौरान खड़े हुए हैं. पिछली बार आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा, अविश्वास प्रस्ताव, SC/ST एक्ट हंगामे की मुख्य वजह बने तो इस बार भी ऐसे कई मुद्दे हैं जिनपर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव तय है. किसानों का मुद्दा सत्र से ठीक पहले केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने का फैसला किया है. लेकिन विपक्षी इसे चुनावी लॉलीपॉप बता रहे हैं. सरकार के इस फैसले से किसानों का एक तबका भी नाराज है क्योंकि बीजेपी ने 2014 में ही किसानों की आय बढ़ाने का वादा किया था. अब इस मुद्दे पर संसद में घमासान तय है क्योंकि 2019 का चुनाव सिर पर है और विपक्ष किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा. इसके अलावा पेट्रोल-डीजल और कीटनाशकों के दामों में बढ़ोतरी से किसानों को होने वाले नुकसान पर भी विपक्ष और सरकार के बीच टक्कर होनी तय है. मॉब लिंचिंग मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर हमेशा से सियासत हावी रही है. बीते 2 माह से बच्चा चोरी की अफवाह ने कई लोगों को मौत के घाट उतारा है. वाट्सऐप और फेसबुक जैसी सोशल साइट्स से फैलने वाली इन अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से कदम उठाए गए हैं. इस मुद्दे का सदन में उठना तय है और विपक्ष इस पर गृह मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांग सकता है. बता दें कि बीते 2 महीनों में ही अफवाहों के चलते मॉब लिंचिंग की 16 घटनाएं हुई हैं जिनमें 22 लोगों की मौत हो चुकी है. ये भी पढ़ें: मॉनसून सत्र में इन चेहरों पर रहेगी नजर, सियासी रुख तय करेगा कामकाज कश्मीर की सियासत जम्मू कश्मीर में 3 साल की दोस्ती के बाद बीते दिनों बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया और अब राज्य में राज्यपाल शासन लगा दिया गया है. बीजेपी ने राष्ट्रहित में गठबंधन तोड़ने की दलील दी है तो विपक्ष ने इसे सरकार की कश्मीर नीति के विफल रहने का सबूत बताया है. विपक्ष का आरोप है कि घाटी में आतंकवाद पर लगाम लगाने में बीजेपी पूरी तरह विफल रही है. इस सत्र के दौरान कश्मीर की सियासत और गठबंधन टूटने पर हंगामे के आसार हैं. इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत अन्य विपक्षी दल कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग भी कर सकते हैं. आर्थिक अपराधी संसद में नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों से जुड़ा विधेयक लंबित है और सरकार अब तक इन भगौड़ों को स्वदेश वापस लाने में विफल रही है. पिछले दिनों इंटरपोल ने नीरव मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है और सरकार ने विजय माल्या से बैंकों के कर्ज का कुछ पैसा वसूलने की बात भी कही है. बावजूद इसके बढ़ता NPA और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी कर रखी है. विशेष राज्य का दर्जा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का देने की मांग पर पूरा बजट सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया लेकिन इस बार बिहार के सांसद भी इस मांग को सदन के भीतर उठा सकते हैं. नीति आयोग की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख ने न सिर्फ आंध्र के यह दर्जा देने का समर्थन किया था बल्कि बिहार के लिए भी यही मांग उठाई थी. जेडीयू केंद्र में सरकार का साझीदार है फिर भी वह विशेष राज्य की मांग के लिए लगातार मोदी सरकार पर दबाव बना रहा है. टीडीपी ने तो आंध्र को दर्जा न दिए जाने से नाराज होकर एनडीए का साथ ही छोड़ दिया था. इन प्रमुख मुद्दों के अलावा कावेरी प्रबंधन बोर्ड, एयर इंडिया का विनिवेश, ट्रेनों की लेट-लतीफी जैसे कई ऐसे अहम मुद्दे हैं जिनको विभिन्न विपक्षी दल सदन में उठा सकते हैं. सरकार के सामने न सिर्फ इन मुद्दों से निपटने की चुनौती है बल्कि उसे कई अहम बिल भी संसद से पारित कराने हैं, जिसके लिए सदन का सुचारू रूप से चलना जरूरी है.
मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शाम को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले और दोनों ने देश की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजमणि ने बताया कि यह भेंट करीब 45 मिनट तक चली। इस दौरान दोनों नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। लोकसभा में 19 सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस के कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी का पत्र देने के एक दिन बाद यह भेंट हुई है। सरकार और कांग्रेस ने कहा है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बाहर से समर्थन देने से सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 545 सदस्यीय लोकसभा में 300 से ज्यादा सांसद हैं जो सामान्य बहुमत 273 से ज्यादा है। सिंह की मुखर्जी से भेंट खुदरा कारोबार में एफडीआई और डीजल के दाम में वृद्धि के पक्ष में प्रधानमंत्री की जोरदार वकालत के बीच भी हुई है। एक अन्य घटनाक्रम में, केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामनी के मुताबिक जोशी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।टिप्पणियां कैबिनेट में फेरबदल की संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री ने शानिवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की जिसके बाद जोशी को अतिरिक्त प्रभार देने की घोषणा की गई। जोशी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले से ही है। राष्ट्रपति ने रॉय एवं तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य मंत्रियों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाले तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजमणि ने बताया कि यह भेंट करीब 45 मिनट तक चली। इस दौरान दोनों नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। लोकसभा में 19 सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस के कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी का पत्र देने के एक दिन बाद यह भेंट हुई है। सरकार और कांग्रेस ने कहा है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बाहर से समर्थन देने से सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 545 सदस्यीय लोकसभा में 300 से ज्यादा सांसद हैं जो सामान्य बहुमत 273 से ज्यादा है। सिंह की मुखर्जी से भेंट खुदरा कारोबार में एफडीआई और डीजल के दाम में वृद्धि के पक्ष में प्रधानमंत्री की जोरदार वकालत के बीच भी हुई है। एक अन्य घटनाक्रम में, केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामनी के मुताबिक जोशी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।टिप्पणियां कैबिनेट में फेरबदल की संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री ने शानिवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की जिसके बाद जोशी को अतिरिक्त प्रभार देने की घोषणा की गई। जोशी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले से ही है। राष्ट्रपति ने रॉय एवं तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य मंत्रियों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाले तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस के कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी का पत्र देने के एक दिन बाद यह भेंट हुई है। सरकार और कांग्रेस ने कहा है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बाहर से समर्थन देने से सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 545 सदस्यीय लोकसभा में 300 से ज्यादा सांसद हैं जो सामान्य बहुमत 273 से ज्यादा है। सिंह की मुखर्जी से भेंट खुदरा कारोबार में एफडीआई और डीजल के दाम में वृद्धि के पक्ष में प्रधानमंत्री की जोरदार वकालत के बीच भी हुई है। एक अन्य घटनाक्रम में, केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामनी के मुताबिक जोशी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।टिप्पणियां कैबिनेट में फेरबदल की संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री ने शानिवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की जिसके बाद जोशी को अतिरिक्त प्रभार देने की घोषणा की गई। जोशी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले से ही है। राष्ट्रपति ने रॉय एवं तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य मंत्रियों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाले तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया। सिंह की मुखर्जी से भेंट खुदरा कारोबार में एफडीआई और डीजल के दाम में वृद्धि के पक्ष में प्रधानमंत्री की जोरदार वकालत के बीच भी हुई है। एक अन्य घटनाक्रम में, केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामनी के मुताबिक जोशी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।टिप्पणियां कैबिनेट में फेरबदल की संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री ने शानिवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की जिसके बाद जोशी को अतिरिक्त प्रभार देने की घोषणा की गई। जोशी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले से ही है। राष्ट्रपति ने रॉय एवं तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य मंत्रियों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाले तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया। एक अन्य घटनाक्रम में, केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामनी के मुताबिक जोशी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।टिप्पणियां कैबिनेट में फेरबदल की संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री ने शानिवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की जिसके बाद जोशी को अतिरिक्त प्रभार देने की घोषणा की गई। जोशी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले से ही है। राष्ट्रपति ने रॉय एवं तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य मंत्रियों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाले तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामनी के मुताबिक जोशी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।टिप्पणियां कैबिनेट में फेरबदल की संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री ने शानिवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की जिसके बाद जोशी को अतिरिक्त प्रभार देने की घोषणा की गई। जोशी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले से ही है। राष्ट्रपति ने रॉय एवं तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य मंत्रियों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाले तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कैबिनेट में फेरबदल की संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री ने शानिवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की जिसके बाद जोशी को अतिरिक्त प्रभार देने की घोषणा की गई। जोशी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले से ही है। राष्ट्रपति ने रॉय एवं तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य मंत्रियों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाले तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया। राष्ट्रपति ने रॉय एवं तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य मंत्रियों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया। लोकसभा में 19 सदस्यों वाले तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
वर्ष 1971 से लेकर 2011 तक चार दशकों में देश में हिंदुओं की आबादी दोगुनी से भी अधिक होकर 96 करोड़ 62 लाख से ज्यादा हो गई है हालांकि कुल जनसंख्या में उनकी भागीदारी तकरीबन तीन फीसदी कम हुई है. लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में गृहमंत्रालय ने ये जानकारी दी. सरकार की ओर से बताया गया कि देश में हिंदुओं की आबादी 1971 में 45 करोड़ 32 लाख 92 हजार 086 थी जो 2011 में बढ़कर 96 करोड़ 62 लाख 57 हजार 353 हो गई. इस तरह से देखा जाए तो हिंदुओं की आबादी 4 दशकों में दोगुनी से भी अधिक हुई है, हालांकि इस दौरान देश की कुल आबादी में उसकी हिस्सेदारी घटी है. सरकार ने अपने जवाब में पिछली पांच जनगणनाओं से मिले डाटा का हवाला भी दिया है. जनगणना-1971 : कुल आबादी 54.79 करोड़, हिंदू 45.33 करोड़ (82.7%) जनगणना-1981 : कुल आबादी 66.53 करोड़ , हिंदू 54.98 करोड़ (82.6%) जनगणना-1991 : कुल आबादी 83.86 करोड़, हिंदू 68.76 करोड़ ( 82.0%) जनगणना-2001 : कुल आबादी 102.86 करोड़, हिंदू 82.76 करोड़ (80.5%) जनगणना-2011: कुल आबादी 121.08 करोड़, हिंदू 96.62 करोड़ (79.8%) यहां ये बात ध्यान देने योग्य है कि 1971 की जनगणना में सिक्किम तो 1981 में असम की आबादी कुल आबादी में शामिल नहीं थी. इसी तरह 1991 में मणिपुर के कुछ इलाकों की आबादी जनगणना न हो पाने के चलते कुल आबादी में शामिल नहीं थी.
भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर) भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक अनुसंधानपरक स्वायत्त संस्थान है। इसकी स्थापना 1977 की गयी थी। इसका उद्देश्य भारतीय दर्शन की पूरी परंपरा को अपने प्राचीन मूल रूप से वापस लाना, उसका पोषण करना तथा नए विचारों को आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करना है। संगठनात्मक संरचना परिषद् (काऊंसिल) अपनी व्यापक सदस्यता आधार पर प्रतिष्ठित है। इसमें दार्शनिक, सामाजिक वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद्, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, केन्द्रीय सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि शामिल हैं। परिषद् के मुख्य आधिकारिक देह (अथॉरिटी) हैं - शासी निकाय (गवर्निंग बॉडी) और अनुसंधान परियोजना समिति (RPC)। शासी निकाय, जिसमें अध्यक्ष, सदस्य सचिव, कम से कम तीन या अधिकतम आठ सदस्य जो कि परिषद् (काऊंसिल) में नियुक्त सदस्यों से होते हैं साथ ही, मानव संसाधन विकास और वित्त मंत्रालय प्रत्येक में से प्रतिनिधि एक सदस्य और उत्तर प्रदेश सरकार के दो नामांकित सदस्य, परिषद् के मामलों का प्रशासन, निर्देशन और नियंत्रण करते हैं। अनुसंधान परियोजना समिति परिषद् (काऊंसिल) द्वारा नियुक्त कम से कम पाँच या अधिकतम नौ सदस्य, जिसमें अध्यक्ष, सदस्य सचिव, भी समाहित हैं, अनुदान सहायता परियोजनाओं और अन्य परिषद् द्वारा प्राप्त या योजना बनाई प्रस्तावों की परीक्षा एवं अनुमोदन प्रदान करती है। वित्त समिति बजट अनुमानों और अन्य खर्च शामिल प्रस्तावों की परीक्षण/संवीक्षा करती है। इतिहास भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् की स्थापना दर्शन पर गंभीर शोध एवं भारत की सतत् जीवंत दार्शनिक परंपरा के संरक्षण के उद्देश्य से किया गया था। बाहरी कड़ियाँ भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् का जालघर भारत में अनुसंधान संस्थाएँ
कुमाऊँनी लोग, भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊॅं क्षेत्र के लोगों को कहते हैं। इनमें वे सभी लोग सम्मिलित हैं जो कुमाऊँनी भाषा या इससे सम्बन्धित उपभाषाएँ बोलते हैं। कुमांऊँनी लोग उत्तराखण्ड प्रदेश के अल्मोड़ा, उधमसिंहनगर, चम्पावत, नैनीताल, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों के निवासी हैं। भारत की सशस्त्र सेनाएँ और केन्द्रीय पुलिस संगठन, कुमाऊँ के लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत रहे हैं। भारत की सीमाओं की रक्षा करने में कुमाऊँ रेजीमेंट की उन्नीस वाहिनियाँ कुमाऊँ के लोगों का स्पष्ट प्रतिनिधित्व करतीं हैं। वैज्ञानिक व भूगोलवेत्ता नैन सिंह रावत खड़गसिंह बल्दिया कृष्णसिंह रावत पूरनचन्द्र जोशी डॉ शैलेश उप्रेती स्वतंत्रता सेनानी बिशनीदेवी शाह (बागेश्वर) बद्रीदत्त पॉडे (अल्मोड़ा) बुद्धीसिंह (महाकालेश्वर, चौखुटिया, अल्मोड़ा) चन्द्रसिंह पठानी दानसिंह कनौंणियॉ बिष्ट (काला चौना, अल्मोड़ा) देवेन्द्र सनवाल ईश्वरीदत्त फुलोरिया (आदीग्राम फुलोरिया, मॉंसी, अल्मोड़ा) इन्द्रसिंह नयाल गोविन्द बल्लभ पंत (अल्मोड़ा) ज्ञानसिंह बिष्ट (गॉव खेडूडी, अल्मोड़ा) हर्षदेव ओली (लोहाघाट, चम्पावत) खीमसिंह (अल्मोड़ा) मदन मोहन उपाध्याय पदमसिंह डसीला पदमसिंह कनौंणियॉ बिष्ट (काला चौना, अल्मोड़ा) रामसिंह धोनी शेरसिंह कार्की शेरसिंह हीत बिष्ट (अल्मोड़ा) टीकासिंह कन्याल विक्टर मोहन जोशी पंडित कृष्णा नन्द उप्रेती(पिथौरागढ़) स्वर्गीय हरक राम विरल गावं तल्ला राजनीतिज्ञ गोविन्द बल्लभ पंत नारायण दत्त तिवारी भगत सिंह कोश्यारी हरीश रावत सशस्त्र सेनाओं मे जनरल बी.सी. जोशी (पूर्व सेनाध्यक्ष) हरीश बिष्ट (पूर्व नौसेना उपाध्यक्ष) साहित्य प्रतिभाऐं सुमित्रा नंदन पंत शिवानी मनोहर श्याम जोशी शैलेश मटियानी पंकज बिष्ट बटरोही (लक्ष्मणसिंह बिष्ट) हिमांशु जोशी प्रसून जोशी डॉ जयदत्त उप्रेती उद्योग जगत दानसिंह बिष्ट महेश बेलवाल रोशनसिंह बिष्ट खेल प्रतिभाऐं rishab panth महेंद्र सिंह धोनी पुनीत बिष्ट एकता बिष्ट कला जगत की प्रतिभाऐं रणवीरसिंह बिष्ट फिल्म तथा संगीत जगत की प्रतिभाऐं अनुष्का शर्मा उर्वशी रौतेला मोहन उप्रेती पल्लवी जोशी हेमंत पांडे* इन्हें भी देखें कुमांऊॅं कुमाऊँ रेजीमेंट कुमांऊँ की लोककला सन्दर्भ उत्तराखण्ड कुमाऊँ उत्तराखण्ड के लोग भारत के सजातीय समूह
26/11 मुंबई हमला मामले की सुनवाई कर रही अदालत ने आरोपियों फहीम अंसारी तथा सबाउद्दीन अहमद के खिलाफ ‘संदेहास्पद’ और ‘कमजोर’ सबूत पेश करने के लिए सोमवार को अभियोजन पक्ष और जांच एजेंसी को कड़ी फटकार लगायी. कमजोर सबूतों के चलते ही वे इस मामले से बरी हो गए. 1600 पन्नों के फैसले में अदालत ने कहा है ‘अभियोजन पक्ष के एकमात्र गवाह के सबूत संदेहास्पद और अविश्वसनीय हैं. जांच एजेंसी दोनों (फहीम तथा सबाउद्दीन) के खिलाफ ठोस सबूत उपलब्ध कराने में विफल रही’. अदालत ने फहीम और सबाउद्दीन को संदेह का लाभ देते हुए तीन मई को बरी कर दिया था. गवाह नुरूद्दीन शेख ने अदालत में गवाही दी थी कि वह तथा एक अन्य व्यक्ति भारत ठाकुर जनवरी 2008 में नेपाल की यात्रा पर गए थे जहां उन्होंने देखा कि अंसारी ने काठमांडो के एक गेस्टहाउस में मुंबई के ठिकानों के नक्शे सबाउद्दीन को सौंपे. अभियोजन पक्ष के अनुसार, इन नक्शों का इस्तेमाल अजमल कसाब समेत पाकिस्तानी उग्रवादियों ने किया और ऐसा ही एक नक्शा मारे गए उग्रवादी अबु इस्माल की पेंट की जेब में पाया गया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘शेख ने अपनी नेपाल यात्रा और वहां रहने के बारे में कोई दस्तावेजी सबूत नहीं पेश किया. गवाह ने स्वीकार किया था कि नेपाल में प्रवेश करने वाले लोगों का एक रिकार्ड सनौली बार्डर पर रखा जाता है. लेकिन वह कोई प्रवेश पर्ची पेश करने में विफल रहा. जांच एजेंसी ने इस सबूत को हासिल करने का कोई प्रयास नहीं किया और न ही यह जांच पड़ताल करने की जहमत उठाना जरूरी समझा कि शेख नेपाल गया था या नहीं’. अदालत ने कहा ‘अभियोजन पक्ष ने शेख के सबूतों की पड़ताल के लिए भरत ठाकुर से भी पूछताछ नहीं की. अभियोजन पक्ष का यह कहना कि ठाकुर का पता नहीं चल रहा है, भी कमजोर तर्क है और अदालत को प्रभावित नहीं करता’. अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि फहीम और सबाउद्दीन के खिलाफ अभियोजन पक्ष के मामले को साबित करने के लिए ठाकुर महत्वपूर्ण गवाहों में से एक था. अदालत ने फहीम के वकील आर बी मोकाशी के इस तर्क को स्वीकार कर लिया कि इस्माइल के शव से मिले मानचित्र पर कोई सलवटें या खून के धब्बे नहीं थे. न्यायाधीश ताहिलियानी ने कहा, ‘मेरे विचार से, यदि मानचित्र इतने लंबे समय से इस्माइल की जेब में रहता तो वास्तव में उसकी हालत काफी खराब हो चुकी होती. यह सबूत बेहद संदेहास्पद है’. अदालत ने कहा कि फहीम और सबाउद्दीन को 26/11 हमला मामले से जोड़ने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा सौंपे गए सभी सबूत ‘संदेहास्पद और दागदार’ पाए गए हैं.
रजनीकांत ने ली राजनीति में एंट्री, दुबई में पूल में परिवार संग परिवार संग पूल में एन्जॉय कर रही हैं शिल्पा,  BIGG BOSS के घर से निकलने के बाद प्रियांक ने कहा- हिना के साथ समस्या है, इस एक्टर को हर साल आता है Bigg Boss से ऑफर, लेकिन इस वजह से इंकार, बेडरूम वीडियो पर सोफिया ने दी सफाई, बंदूक की नोक पर कराया गया- जानें बॉलीवुड की दिन भर की 5 बड़ी खबरें... बस कंडक्‍टर से सुपरस्टार और अब नेता, ऐसी रही रजनीकांत की जिंदगी साउथ की फिल्मों के सुपरस्टार या कहें भगवान माने जाने वाले रजनीकांत ने राजनीति में आने को लेकर चल रहे सस्पेंस पर आज विराम लगा दिया है. फैंस के बीच 'थलैवा' नाम से मशहूर रजनीकांत ने बस कंडक्‍टर से लेकर साउथ फिल्‍मों के भगवान बनने के बाद राजनीति में कदम रख दिया है. जानें उनका अब तक का सफर... परिवार संग पूल में ऐसे एन्जॉय कर रही हैं शिल्पा, शेयर की PHOTOS शिल्पा शेट्टी इन दिनों अपने परिवार के साथ दुबई में छुट्टियां मना रही हैं. अपनी वेकेशन की फोटो वो लगातार सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हैं. BIGG BOSS: घर से निकलने के बाद प्रियांक ने कहा- हिना के साथ समस्या है 30 दिसंबर को बिग बॉस 11 के घर से प्रियांक शर्मा बहार हो गए. उन्हें लव त्यागी से कम वोट्स मिले थे. घर में उनकी बॉन्डिंग हिना खान और लव त्यागी से बहुत अच्छी थी, लेकिन घर से बाहर आने के बाद उन्होंने हिना के लिए कह दिया है कि उन्हें कोई समस्या है. इस एक्टर को हर साल आता है Bigg Boss से ऑफर, लेकिन इस वजह से इंकार बिग बॉस का कंटेस्टेंट बनने के लिए जहां कई एक्टर ऑफर का इंतजार करते हैं, वहीं एक एक्टर ऐसा भी है, जो हर साल इस रियलिटी शो के ऑफर को ठुकराता है. इस एक्टर ने इसका कारण भी बताया है. बेडरूम वीडियो पर सोफिया ने दी सफाई, बंदूक की नोक पर कराया गया बिग बॉस की एक्स कंटेस्टेंट और नन सोफिया हयात इन दिनों पति व्लाद स्टैन्श्यू के साथ इजिप्ट में अपनी हनीमून के चलते चर्चा में हैं. इंस्टाग्राम पर हनीमून की बोल्ड तस्वीरें और वीडियो शेयर करने की वजह से सोफिया सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल भी हुईं. लेकिन अब सोफिया ने एक पोस्‍ट करते हुए बताया कि उनसे ये सब किसी अनजान व्‍यक्‍ति ने बंदूक की नोक पर कराया.
यह एक लेख है: ठाणे के डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर संदीप मालवी की बेरहमी से पिटाई की गई है. मालवी पर ठेलेवालों ने ठाणे में हमला किया. हमलावर ठेलेवालों की तादाद 100 के आसपास बताई जा रही है. मालवी को गंभीर चोट आई है और इलाज के लिए उन्हें ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्‍हें वहां से अब ज्यूपिटर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ठाणे रेलवे स्टेशन ईस्ट के इलाके के गावदेवी परिसर में बसे और बढ़ते अनाधिकृत ठेलेवालों के खिलाफ़ कार्रवाई के लिए मालवी वहां गए थे... तब ये हमला किया गया. यह इलाका और ठाणे शहर का बहुतायत हिस्सा अनाधिकृत ठेलेवालों और ऑटोवालों की मनमानी से परेशान है. गत छह महीने से यहां अनाधिकृत निर्माणों के खिलाफ महानगर पालिका प्रशासन ने मुहिम छेड़ रखी है.टिप्पणियां बुधवार को इसी मुहिम के तहत कार्रवाई के लिए संदीप मालवी गए थे और उनपर हमला कर दिया गया. नौपाडा पुलिस स्टेशन इस मामले में अधिक जांच कर रहा है. ठाणे महानगर पालिका में पिछड़े वर्ग से आते मालवी तेजतर्रार अधिकारी के रूप में परिचित हैं. इससे पहले शिवसेना के ठाणे के पूर्व मेयर संजय मोरे ने भी उनपर भरी बैठक में हमला किया था. मोरे इस बात से नाराज थे कि मालवी उनके कहे अनुसार ठेके नहीं बांटते. ठाणे के शिवसेना के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे के हस्तक्षेप के चलते मालवी को तब हमलावर नेता के खिलाफ़ शिकायत करने से रोका गया था. ठाणे रेलवे स्टेशन ईस्ट के इलाके के गावदेवी परिसर में बसे और बढ़ते अनाधिकृत ठेलेवालों के खिलाफ़ कार्रवाई के लिए मालवी वहां गए थे... तब ये हमला किया गया. यह इलाका और ठाणे शहर का बहुतायत हिस्सा अनाधिकृत ठेलेवालों और ऑटोवालों की मनमानी से परेशान है. गत छह महीने से यहां अनाधिकृत निर्माणों के खिलाफ महानगर पालिका प्रशासन ने मुहिम छेड़ रखी है.टिप्पणियां बुधवार को इसी मुहिम के तहत कार्रवाई के लिए संदीप मालवी गए थे और उनपर हमला कर दिया गया. नौपाडा पुलिस स्टेशन इस मामले में अधिक जांच कर रहा है. ठाणे महानगर पालिका में पिछड़े वर्ग से आते मालवी तेजतर्रार अधिकारी के रूप में परिचित हैं. इससे पहले शिवसेना के ठाणे के पूर्व मेयर संजय मोरे ने भी उनपर भरी बैठक में हमला किया था. मोरे इस बात से नाराज थे कि मालवी उनके कहे अनुसार ठेके नहीं बांटते. ठाणे के शिवसेना के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे के हस्तक्षेप के चलते मालवी को तब हमलावर नेता के खिलाफ़ शिकायत करने से रोका गया था. बुधवार को इसी मुहिम के तहत कार्रवाई के लिए संदीप मालवी गए थे और उनपर हमला कर दिया गया. नौपाडा पुलिस स्टेशन इस मामले में अधिक जांच कर रहा है. ठाणे महानगर पालिका में पिछड़े वर्ग से आते मालवी तेजतर्रार अधिकारी के रूप में परिचित हैं. इससे पहले शिवसेना के ठाणे के पूर्व मेयर संजय मोरे ने भी उनपर भरी बैठक में हमला किया था. मोरे इस बात से नाराज थे कि मालवी उनके कहे अनुसार ठेके नहीं बांटते. ठाणे के शिवसेना के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे के हस्तक्षेप के चलते मालवी को तब हमलावर नेता के खिलाफ़ शिकायत करने से रोका गया था. ठाणे महानगर पालिका में पिछड़े वर्ग से आते मालवी तेजतर्रार अधिकारी के रूप में परिचित हैं. इससे पहले शिवसेना के ठाणे के पूर्व मेयर संजय मोरे ने भी उनपर भरी बैठक में हमला किया था. मोरे इस बात से नाराज थे कि मालवी उनके कहे अनुसार ठेके नहीं बांटते. ठाणे के शिवसेना के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे के हस्तक्षेप के चलते मालवी को तब हमलावर नेता के खिलाफ़ शिकायत करने से रोका गया था.
युवराज सिंह ने कहा है कि वह वेस्टइंडीज दौरे पर वनडे सीरीज में अच्छा हरफनमौला प्रदर्शन करके भारतीय टेस्ट टीम में वापसी करना चाहते हैं। विश्व कप के मैन ऑफ द टूर्नामेंट ने कहा, मैं टेस्ट टीम में जगह पक्की करना चाहता हूं, खासकर वनडे में अच्छे प्रदर्शन के बाद। उन्होंने कहा कि जहीर खान और आशीष नेहरा की गैर-मौजूदगी में यह दौरा युवा तेज गेंदबाजों के लिये अच्छा मौका है। युवराज ने कहा, जहीर के नहीं रहने से तेज गेंदबाजी में अनुभव की कमी होगी। आशीष भी घायल है, लेकिन हमें युवा तेज गेंदबाजों को भी तैयार करना है। उन्हें अनुभव की जरूरत है। मुझे यकीन है कि यह दौरा उनके लिए उपयोगी साबित होगा। एक सवाल के जवाब में युवराज ने कहा, थकान तो है लेकिन वेस्टइंडीज, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरा काफी महत्वपूर्ण है। विदेश में जीतने से आत्मविश्वास बढ़ता है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की गैर-मौजूदगी में गौतम गंभीर को वनडे और टेस्ट टीम का कप्तान बनाए जाने के बारे में युवराज ने कहा, उसने खुद को साबित कर दिया है। वह बहुत अच्छा कप्तान है। उसकी कप्तानी में हम न्यूजीलैंड में 5-0 से जीते थे।
उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक किसान के यहां काम करने वाले घरेलू नौकर की लाश पेड़ से लटकी हुई मिली. उधर, दूसरी ओर पुलिस ने गंगनहर से एक युवती की लाश बरामद की है. पुलिस दोनों ही मामलों में जांच कर रही है. शामली जिले के करोदी गांव में किसान सुधीर के यहां पश्चिम बंगाल का रहने वाला 27 वर्षीय मदन घरेलू नौकर के तौर पर काम करता था. पिछले चार दिन से मदन लापता था. सुधीर और उसका परिवार लगातार उसकी तलाश कर रहे थे. आदर्श मंडी थाना इलाके के तहत करोदी गांव में ही मंगलवार की देर शाम उसका शव एक पेड़ से लटका हुआ मिला. सुधीर और गांव वालों ने इस बात की सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में ले लिया. पुलिस ने बताया कि हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि यह खुदकुशी है या हत्या का मामला. उधर, दूसरी तरफ जिला पुलिस ने रामराज इलाके में गंग नहर से एक 25 वर्षीय लड़की का शव बरामद किया. पुलिस ने बताया कि युवती की लाश पर जख्म के निशान थे. जिससे लगता है कि लड़की की हत्या करने के बाद उसकी लाश को नहर में फेंक दिया गया. पुलिस ने रेप की आशंका से भी इनकार नहीं किया. लेकिन इस बात की पुष्टि पोस्टमार्टम के बाद ही होगी.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: बिहार की राजधानी पटना में भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली को केंद्रित कर किए गए सीरियल धमाकों के सिलसिले में पुलिस ने कुछ लोगों को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया है। पटना के एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि इन हमलों को करीब छह से आठ लोगों ने अंजाम दिया। पुलिस का कहना है कि पटना से गिरफ्तार शख्स के खुलासे के बाद यह बात सामने आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस छापेमारी कर रही है। पुलिस का कहना है कि पुलिस के पास कई नाम हैं जिनसे पुछताछ की जानी है। इन धमाकों के सिलसिले में पुलिस ने एक अन्य शख्स को भी गिरफ्तार किया है और अब पुलिस का कहना है कि इन धमाकों के पीछे इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ है। अब कहा यह भी जा रहा है कि जो शख्स पटना स्टेशन स्थित शौचालय में हुए धमाकों में मारा गया था, वह एक संदिग्ध आतंकवादी था। कहा जा रहा है कि बम बनाते समय ही विस्फोट हुआ था जिसकी वजह से वह घायल हो गया था। पुलिस को पहला संदिग्ध भी इस स्थान से मिला था जो बम फटने में घायल शख्स को देखकर घबरा गया था और भागने लगा था।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रधानमंत्री पद के लिए अपने प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की पिछड़े वर्ग वाली पहचान को सामने रखकर एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग की कोशिश में है... पिछड़े-अगड़ों के गठजोड़ से पार्टी ने '90 के दशक में राज्य में बेहतरीन प्रदर्शन किया था, लेकिन धीरे-धीरे पिछड़ी जातियां उससे दूर होती गईं, और फिर अगड़े भी धीरे-धीरे कमजोर होती बीजेपी का साथ छोड़ने लगे... शुरुआत ब्राह्मणों ने की थी... वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने ब्राह्मणों को अपने साथ ले लिया, और वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों ने समाजवादी पार्टी (सपा) का साथ दिया... उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, और राज्य में करीब 10 फीसदी आबादी उन्हीं की है... राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 18 फीसदी मुसलमानों की तुलना में 10 फीसदी ब्राह्मण अधिक रणनीतिक ढंग से मतदान करते हैं... पिछले दो विधानसभा चुनाव इसके सबूत हैं... जब बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने अधिक ब्राह्मणों को उम्मीदवार बनाकर इस वर्ग को लुभाने की कोशिश की, उन्हें साथ मिला... अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2014 में इन्हीं दो पार्टियों की कोशिश इस वर्ग को अपने साथ लेने की है... बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक 22 ब्राह्मण उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है... मायावती अपनी ओर से एक बार फिर ब्राह्मणों के साथ रिश्ते सुधारने में जुट गई हैं... वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में इच्छानुसार कामयाबी न मिलने के बाद से उन्होंने भाईचारा कमेटियों को भंग कर दिया था, जबकि समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण सम्मेलन करने शुरू किए थे और 'प्रमोशन में आरक्षण' के बीएसपी के कदम का विरोध किया था... वैसे, पारम्परिक रूप से राज्य के ब्राह्मण कांग्रेस का समर्थन करते आए हैं, मगर जैसे-जैसे कांग्रेस की ताकत कमजोर हुई, ये वोट पहले बीजेपी और बाद में सपा और बीएसपी के साथ चले गए... कमलापति त्रिपाठी के साथ कांग्रेस की पहचान ब्राह्मणों से जुड़ी थी, और वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के बाद बीजेपी राज्य में मजूबत ब्राह्मण चेहरा नहीं तलाश पाई... वाजपेयी और कल्याण सिंह के रूप में राज्य में बीजेपी के पास अगड़े-पिछड़े समाज के दो ताकतवर चेहरे थे और इन्हीं के दम पर पार्टी ने '90 के दशक में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन कल्याण सिंह की बगावत से बीजेपी को राज्य में जो नुकसान हुआ, वह उसकी भरपाई अभी तक नहीं कर पाई है... अब कल्याण सिंह एक बार फिर बीजेपी में हैं... राज्य में हुई नरेंद्र मोदी की सभी रैलियों में उन्हें मंच पर खास जगह मिलती है, लेकिन अब उनमें वह करिश्मा नहीं बचा है... दूसरी ओर, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ राज्य के ब्राह्मण नेतृत्व में गिने जाने वाले मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र और केशरीनाथ त्रिपाठी जैसे नेता अब उम्रदराज माने जाने लगे हैं और राज्य की राजनीति में उनकी पकड़ धीरे-धीरे कमजोर हो गई है... यह बात अलग है कि अब बीजेपी में ब्राह्मण नेतृत्व की नई पौध तैयार हो गई है, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के बाद से पैदा हुआ शून्य बरकरार है... उधर, ब्राह्मणों को साथ लेने की बीजेपी की कोशिशों को मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र और केशरीनाथ त्रिपाठी जैसे नेताओं की नाराजगी से झटका लगा है... ये तीनों ही नेता क्रमशः बनारस, कानपुर और इलाहाबाद से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं, जबकि बीजेपी बनारस से नरेंद्र मोदी, जोशी को कानपुर से और कलराज मिश्र को श्रावस्ती से टिकट देना चाह रही है... केशरीनाथ त्रिपाठी दो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं, और ऐसे में पार्टी उन्हें टिकट देने के मूड में नहीं हैं... बीजेपी कई सीटों से नए ब्राह्मण चेहरों को भी उतारना चाह रही है... नरेंद्र मोदी के करीबी इन चेहरों के जरिये पार्टी राज्य में ब्राह्मण नेतृत्व की नई पौध को मजबूत करना चाहती है... कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को फिर मजबूत करने के लिए इस बार जितना अनुकूल माहौल है, उतना वर्ष 1998 के बाद से कभी नहीं रहा है... तमाम जनमत सर्वेक्षणों में भी कहा जा रहा है कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है... कुछ सर्वेक्षणों में तो यह भी कहा गया है कि अगड़ी जातियां बीजेपी के पक्ष में गोलबंद हो रही हैं, लेकिन वास्तविकता में ऐसा तभी हो पाएगा, जब पार्टी उम्मीदवारों के चयन में सावधानी रखे... यूपी-बिहार के बारे में कहा जाता है कि चुनाव से पहले चाहे जिस पार्टी की हवा हो, लेकिन नतीजों के बारे में अंदाज़ा तभी लगाना ठीक होता है, जब सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान हो जाए...
अपनी सुरीली धुनों के बल पर दुनियाभर में सफलता के झंडे गाड़ने वाले ऑस्कर पुरस्कार विजेता और 'मद्रास के मोजार्ट' एआर रहमान सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर सबसे लोकप्रिय भारतीय फिल्मी सितारे बन गए हैं... लगभग 90 करोड़ लोगों के दिलों पर राज करने वाली वेबसाइट पर एआर रहमान के आधिकारिक पेज को अब तक 88 लाख से अधिक लोगों ने 'लाइक' किया है और करीब 52 हज़ार लोग उनके बारे में चर्चा कर रहे हैं... 'धुनों के जादूगर' ने फेसबुक पर लोकप्रियता के मामले में क्रिकेट की दुनिया के बेताज बादशाह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, और बेहद लोकप्रिय अभिनेताओं आमिर खान, सलमान खान, शाहरूख खान, और ऋतिक रोशन जैसी नामचीन हस्तियों को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है... रहमान फेसबुक के जरिये दुनियाभर में फैले अपने चाहने वालों से लगातार जुड़े रहते हैं और उन्हें अपनी गतिविधियों से रूबरू कराते रहते हैं... उन्होंने अपने ताजा पोस्ट में सचिन तेंदुलकर के साथ अपनी एक फोटो साझा की है... वैसे प्रशंसकों के मामले में 'रिकॉर्डों के शहंशाह' सचिन दूसरे नंबर पर हैं. जिनके प्रशंसकों की संख्या हाल ही में 60 लाख को पार कर गई है... उस अवसर पर तेंदुलकर ने अपने सभी चाहने वालों को धन्यवाद भी दिया था... इस समय 'लिटिल मास्टर' के फेसबुक पेज पर 63,21,782 प्रशंसक हैं... इस क्रम में बॉलीवुड के 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' आमिर खान तीसरे नंबर पर हैं, जिनके पास 47,98,767 फॉलोअर हैं... अपने पहले टीवी शो 'सत्यमेव जयते' को लेकर चर्चा में चल रहे आमिर अपने फेसबुक पेज पर भी लोगों को समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का आह्वान करते नजर आते हैं...टिप्पणियां चौथे नंबर पर मौजूद बॉलीवुड के 'दबंग' सलमान खान के पेज पर 43,84,684 प्रशंसक हैं... प्यार से 'चुलबुल पाण्डे' कहे जाने वाले सलमान अपने फेसबुक पेज पर अपनी ताजा तस्वीरें, वीडियो साझा कर प्रशंसकों से जुड़े रहते हैं... इन दिनों वह अपनी आगामी फिल्म 'एक था टाइगर' को लेकर चर्चा में चल रहे हैं... प्रशंसकों के लिहाज़ से कभी नंबर वन रहे बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख अब पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं... उनके फेसबुक पेज को अब तक 27,45,613 लोगों ने 'लाइक' किया है... 'धुनों के जादूगर' ने फेसबुक पर लोकप्रियता के मामले में क्रिकेट की दुनिया के बेताज बादशाह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, और बेहद लोकप्रिय अभिनेताओं आमिर खान, सलमान खान, शाहरूख खान, और ऋतिक रोशन जैसी नामचीन हस्तियों को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है... रहमान फेसबुक के जरिये दुनियाभर में फैले अपने चाहने वालों से लगातार जुड़े रहते हैं और उन्हें अपनी गतिविधियों से रूबरू कराते रहते हैं... उन्होंने अपने ताजा पोस्ट में सचिन तेंदुलकर के साथ अपनी एक फोटो साझा की है... वैसे प्रशंसकों के मामले में 'रिकॉर्डों के शहंशाह' सचिन दूसरे नंबर पर हैं. जिनके प्रशंसकों की संख्या हाल ही में 60 लाख को पार कर गई है... उस अवसर पर तेंदुलकर ने अपने सभी चाहने वालों को धन्यवाद भी दिया था... इस समय 'लिटिल मास्टर' के फेसबुक पेज पर 63,21,782 प्रशंसक हैं... इस क्रम में बॉलीवुड के 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' आमिर खान तीसरे नंबर पर हैं, जिनके पास 47,98,767 फॉलोअर हैं... अपने पहले टीवी शो 'सत्यमेव जयते' को लेकर चर्चा में चल रहे आमिर अपने फेसबुक पेज पर भी लोगों को समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का आह्वान करते नजर आते हैं...टिप्पणियां चौथे नंबर पर मौजूद बॉलीवुड के 'दबंग' सलमान खान के पेज पर 43,84,684 प्रशंसक हैं... प्यार से 'चुलबुल पाण्डे' कहे जाने वाले सलमान अपने फेसबुक पेज पर अपनी ताजा तस्वीरें, वीडियो साझा कर प्रशंसकों से जुड़े रहते हैं... इन दिनों वह अपनी आगामी फिल्म 'एक था टाइगर' को लेकर चर्चा में चल रहे हैं... प्रशंसकों के लिहाज़ से कभी नंबर वन रहे बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख अब पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं... उनके फेसबुक पेज को अब तक 27,45,613 लोगों ने 'लाइक' किया है... रहमान फेसबुक के जरिये दुनियाभर में फैले अपने चाहने वालों से लगातार जुड़े रहते हैं और उन्हें अपनी गतिविधियों से रूबरू कराते रहते हैं... उन्होंने अपने ताजा पोस्ट में सचिन तेंदुलकर के साथ अपनी एक फोटो साझा की है... वैसे प्रशंसकों के मामले में 'रिकॉर्डों के शहंशाह' सचिन दूसरे नंबर पर हैं. जिनके प्रशंसकों की संख्या हाल ही में 60 लाख को पार कर गई है... उस अवसर पर तेंदुलकर ने अपने सभी चाहने वालों को धन्यवाद भी दिया था... इस समय 'लिटिल मास्टर' के फेसबुक पेज पर 63,21,782 प्रशंसक हैं... इस क्रम में बॉलीवुड के 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' आमिर खान तीसरे नंबर पर हैं, जिनके पास 47,98,767 फॉलोअर हैं... अपने पहले टीवी शो 'सत्यमेव जयते' को लेकर चर्चा में चल रहे आमिर अपने फेसबुक पेज पर भी लोगों को समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का आह्वान करते नजर आते हैं...टिप्पणियां चौथे नंबर पर मौजूद बॉलीवुड के 'दबंग' सलमान खान के पेज पर 43,84,684 प्रशंसक हैं... प्यार से 'चुलबुल पाण्डे' कहे जाने वाले सलमान अपने फेसबुक पेज पर अपनी ताजा तस्वीरें, वीडियो साझा कर प्रशंसकों से जुड़े रहते हैं... इन दिनों वह अपनी आगामी फिल्म 'एक था टाइगर' को लेकर चर्चा में चल रहे हैं... प्रशंसकों के लिहाज़ से कभी नंबर वन रहे बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख अब पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं... उनके फेसबुक पेज को अब तक 27,45,613 लोगों ने 'लाइक' किया है... इस क्रम में बॉलीवुड के 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' आमिर खान तीसरे नंबर पर हैं, जिनके पास 47,98,767 फॉलोअर हैं... अपने पहले टीवी शो 'सत्यमेव जयते' को लेकर चर्चा में चल रहे आमिर अपने फेसबुक पेज पर भी लोगों को समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का आह्वान करते नजर आते हैं...टिप्पणियां चौथे नंबर पर मौजूद बॉलीवुड के 'दबंग' सलमान खान के पेज पर 43,84,684 प्रशंसक हैं... प्यार से 'चुलबुल पाण्डे' कहे जाने वाले सलमान अपने फेसबुक पेज पर अपनी ताजा तस्वीरें, वीडियो साझा कर प्रशंसकों से जुड़े रहते हैं... इन दिनों वह अपनी आगामी फिल्म 'एक था टाइगर' को लेकर चर्चा में चल रहे हैं... प्रशंसकों के लिहाज़ से कभी नंबर वन रहे बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख अब पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं... उनके फेसबुक पेज को अब तक 27,45,613 लोगों ने 'लाइक' किया है... चौथे नंबर पर मौजूद बॉलीवुड के 'दबंग' सलमान खान के पेज पर 43,84,684 प्रशंसक हैं... प्यार से 'चुलबुल पाण्डे' कहे जाने वाले सलमान अपने फेसबुक पेज पर अपनी ताजा तस्वीरें, वीडियो साझा कर प्रशंसकों से जुड़े रहते हैं... इन दिनों वह अपनी आगामी फिल्म 'एक था टाइगर' को लेकर चर्चा में चल रहे हैं... प्रशंसकों के लिहाज़ से कभी नंबर वन रहे बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख अब पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं... उनके फेसबुक पेज को अब तक 27,45,613 लोगों ने 'लाइक' किया है... प्रशंसकों के लिहाज़ से कभी नंबर वन रहे बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख अब पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं... उनके फेसबुक पेज को अब तक 27,45,613 लोगों ने 'लाइक' किया है...
देश का नंबर-1 न्यूज चैनल आजतक अपने आपमें एक अनोखा और बड़ा शो ला रहा है. इस शो का नाम है- वंदे मातरम्. इस शो में दास्तान होगी उन वीर जवानों की, उन महानायकों की, जिन्होंने दूसरे देशों के साथ युद्ध में अपनी जान की बाजी लगा दी, लेकिन देश की आन, बान और शान पर कोई आंच नहीं आने दी. वंदे मातरम का प्रीमियर 17 अगस्त को हो रहा है. इस शो के होस्ट हैं मशहूर अभिनेता कबीर बेदी और इस शो में अपनी आवाज दी है जाने-माने वॉयस ओवर आर्टिस्ट और अभिनेता रजा मुराद ने. वंदे मातरम् आपके सामने लाएगा युद्ध की वो सारी दास्तान. उन भारतीयों की वीरता की वो अनकही कहानियां, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी. ये शो दर्शकों को जंग की दास्तान की गहराई में ले जाएगा. कैसे दुश्मन देश की सेना से हमारे सैनिक लड़े, किस हाल में लड़े, कैसे मुश्किल लड़ाई जीती. किसने अपनी शहादत देकर देश की आन बचाई, कैसे हार के करीब पहुंचकर भी अपने खून से लिखी जीत की दास्तान. ये सारी दास्तान दर्शकों में न सिर्फ देशभक्ति की भावना का संचार करेंगी, बल्कि ये शो आपको उस दौर में ले जाएगा जब की ये दास्तान हैं. वंदे मातरम् का पहला एपीसोड पाकिस्तान के खिलाफ 1971 की जंग पर आधारित है. पहले एपीसोड में आप देखेंगे 1971 की जंग की अनकही दास्तान और उस जंग की जमीनी हकीकत. कैसे हुई जंग की तैयारियां, कैसे बनी जंग की रणनीति, कैसे लड़े हमारे योद्धा ये सब युद्ध की वास्तविक तस्वीरों और बेहतरीन ग्राफिक्स के साथ आप देखेंगे. इस शो के लिए खास तौर पर स्टूडियो बनवाया गया है. वॉर रूम के सेट बनाए गए हैं. शानदार विजुअल इफेक्ट का इस्तेमाल किया गया है. बेहतरीन रिसर्च के साथ ये शो बना है, ताकि आप जंग की हकीकत से रूबरू हों, साथ ही इस शो का आनंद भी ले सकें. इस शो की लॉन्चिंग के मौके पर आजतक के मैनेजिंग एडिटर सुप्रिय प्रसाद ने कहा, 'वंदे मातरम् देशवासियों की देशभक्ति की भावना से प्रेरित है. ये शो दर्शकों को युद्ध की सच्चाइयों के नजदीक ले जाएगा. भारतीय टेलीविजन इतिहास का ये अपनी तरह का पहला शो होगा, जो जंग के तमाम राज से परदा उठाएगा. ये शो देश के उन जांबांज शहीदों के लिए श्रद्धांजलि होगा, जो देश के लिए लड़े और देश की रक्षा में देश पर कुर्बान हो गए.' वंदे मातरम् 17 अगस्त शनिवार को आजतक पर रात 10 बजे प्रसारित होगा. एक घंटे का ये शो रविवार सुबह दस बजे और रात 10 बजे फिर से प्रसारित होगा.
लेख: तेलंगाना में भी चार अन्य राज्यों के साथ चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. तेलंगाना में चुनाव के मद्देनजर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक जनसभा को संबोधित किया और चंद्रशेखर राव के सरकार पर जमकर हमला बोला. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने हैदराबाद के करीमनगर में रैली को संबोधित किया और कहा कि के. चंद्रशेखर राव की सरकार हर मोर्चे पर असफल रही है. यह सरकार राज्य के लोगों को पर्याप्त नौकरियां देने में भी सक्षण नहीं रही है.टिप्पणियां अमित शाह ने कहा कि केसीआर सरकार द्वारा किये गये करीब 150 वादें अब भी पूरे नहीं हुए हैं. तेलंगाना में करीब 4500 किसानों ने आत्महत्या की है. अगर हम सत्ता में आते हैं तो हम हर तरह के विकास को सुनिश्चित करेंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ओवैसी को लेकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी इकलौती पार्टी है जो ओवैसी के खिलाफ लड़ सकती है.  अमित शाह ने यह भी आरोप लगाया कि चंद्रशेखर राव ने मुस्लिम वोट बैंक की खातिर हैदराबाद मुक्ति दिन को भी मनाने से रोका. 12% आरक्षण देने के केसीआर सरकार के निर्णय अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को उनके अधिकारों से वंचित करने का प्रयास है. अमित शाह ने कहा कि केसीआर सरकार द्वारा किये गये करीब 150 वादें अब भी पूरे नहीं हुए हैं. तेलंगाना में करीब 4500 किसानों ने आत्महत्या की है. अगर हम सत्ता में आते हैं तो हम हर तरह के विकास को सुनिश्चित करेंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ओवैसी को लेकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी इकलौती पार्टी है जो ओवैसी के खिलाफ लड़ सकती है.  अमित शाह ने यह भी आरोप लगाया कि चंद्रशेखर राव ने मुस्लिम वोट बैंक की खातिर हैदराबाद मुक्ति दिन को भी मनाने से रोका. 12% आरक्षण देने के केसीआर सरकार के निर्णय अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को उनके अधिकारों से वंचित करने का प्रयास है. अमित शाह ने यह भी आरोप लगाया कि चंद्रशेखर राव ने मुस्लिम वोट बैंक की खातिर हैदराबाद मुक्ति दिन को भी मनाने से रोका. 12% आरक्षण देने के केसीआर सरकार के निर्णय अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को उनके अधिकारों से वंचित करने का प्रयास है.
मौजूदा कैश संकट की एक बड़ी वजह 2000 के नोटों की जमाखोरी को माना जा रहा है. सच तो यह है कि 2000 के नोट पिछले साल के मध्य से ही नहीं छापे जा रहे. ऐसे में इस बड़े नोट की जमाखोरी और सभी एटीएम 200 रुपये के नोट वितरण के लिए तैयार नहीं होने की वजह से खेल काफी बिगड़ गया और देश के कई हिस्सों में एटीएम खाली दिखने लगे. पढ़ें बुधवार सुबह की 5 बड़ी खबरें. 1. कैश क्रंच की इनसाइड स्टोरी: कैशलेस नहीं हुई इकोनॉमी, नोट छपाई बंद होने से बिगड़ा खेल सरकार का दावा है कि नकदी की कोई कमी नहीं है और कुछ ही राज्यों में एटीएम में कैश उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन सच तो यह है कि देश के सभी हिस्सों में आम जनता को नकदी की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 2. बाल-बाल बचे केंद्रीय मंत्री, कार में ट्रक ने मारी टक्कर, साजिश की जताई आशंका केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े मंगलवार रात एक हादसे में बाल-बाल बच गए. कर्नाटक के हलगेरी में उनके काफिले को एस्कॉर्ट कर रही एक कार को ट्रक ने टक्कर मार दी. हेगड़े ने आरोप लगाया है कि उनकी कार को जानबूझकर टक्कर मारने की कोशिश की गई है. उन्होंने आशंका जताई है कि इसके पीछे कोई बड़ी साजिश हो सकती है. पुलिस ने आरोपी ट्रक ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है. घटना रात करीब 11:30 बजे की है. 3.विराट ने ऑरेंज कैप लेने से किया मना, गुस्‍से में दिया यह बयान.. विराट मुंबई के खिलाफ नाबाद 92 रन की पारी के दौरान आईपीएल इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए. हालांकि इसके बावजूद उनकी टीम हार गई. साथ ही मैच के समय ऐसा भी वक्‍त आया जब विराट कोहली अंपायरों पर आगबबूला हो गए. 4.भीम आर्मी का प्रदर्शन तो परशुराम जयंती की रैलियां आज, प्रशासन सचेत आज का दिन रैलियों और प्रदर्शन के नाम रहने वाला है. दरअसल, आज परशुराम जयंती है. ऐसे में जहां देश के कई शहरों में रैलियां निकाली जाएंगी. वहीं, दिल्‍ली के संसद मार्ग पर दलितों से जुड़ा संगठन भीम आर्मी भी एक बड़ा प्रदर्शन करने वाला है. एक ही दिन होने वाली इन रैलियों और प्रदर्शन की वजह से प्रशासन सचेत है. क्‍योंकि इससे पहले मार्च के आखिर में राम नवमी की रैलियों को बाद देश के कई शहरों में हिंसा भड़क गई थी. 5. LIVE: आज भी एटीएम के बाहर लगे NO CASH के बोर्ड, दिल्ली से मुंबई तक लोग परेशान देशभर में फिर से अचानक उभरे कैशसंकट ने आम आदमी की चिंताएं बढ़ा दी हैं. देश के कई राज्यों में एटीएम, बैंक में पैसा नहीं है जिसके कारण लोगों को कैश के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से लगातार कहा जा रहा है कि कोई दिक्कत नहीं है, बैंकों में भरपूर कैश है. सिर्फ अचानक निकासी से ये संकट उभरा है. अब बुधवार को भी इसका संकट देशभर में दिख रहा है.
तिरुपति आंध्र प्रदेश के चित्तू जिले का एक शहर है. यह न केवल आंध्र प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी है, बल्कि हिंदुओं के लिए भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है. तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर, भगवान विष्णु के एक अवतार भगवान श्री वेंकटेश्वर को समर्पित है, जो दुनिया के सबसे महान और सबसे अमीर मंदिरों में से एक है. तिरुपति को पीएम मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन के हिस्से के रूप में विकसित होने वाले 100 भारतीय शहरों में से एक के रूप में चुना गया है. यह निर्वाचन क्षेत्र रायलसीमा क्षेत्र के 8 संसदीय क्षेत्रों में से एक है. इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. हालांकि, स्थापना के बाद से ही तेजी से आगे आई वाईएसआर कांग्रेस ने 2014 के आम चुनावों में इस सीट पर कब्जा कर लिया. राजनीतिक पृष्ठभूमि तिरुपति लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर शुरू से ही कांग्रेस का वर्चस्व रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह सीट 12 बार कांग्रेस के पास रही है. यह आंध्र प्रदेश के उन चुनिंदा लोकसभा सीटों में से एक है जहां टीडीपी के अस्तित्व में आने के बाद भी कांग्रेस पर कोई असर नहीं हुआ. 1984 में चिन्ता मोहन ने टीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे. हालांकि, इसके बाद उन्होंने पाला बदल लिया कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने इस निर्वाचन क्षेत्र से 6 बार जीत हासिल की है. चिन्ता मोहन ने 1984, 1989, 1991, 1998, 2004 और 2009 में जीत हासिल की है. 1998 में अगर टीडीपी और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा होता तो उन्हें हराया जा सकता था, जहां उनकी जीत का अंतर मात्र 9346 वोटों तक कम आ गया था. हालांकि, बीजेपी ने उन्हें 1999 में हरा दिया. जिसके बाद चिन्ता मोहन ने दोबारा वापसी की और 1,99,328 वोटों के अंतर से विरोधी उम्मीदवार को हराया. यह इस सीट पर अभी तक की सबसे बड़ी जीत रही है. सामाजिक ताना-बाना आंध्र प्रदेश की तिरुपति लोकसभा क्षेत्र में कुल 15,74,161 वोटर हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. यहां 7,78,507 पुरुष वोटर हैं और 7,95,485 महिलाएं हैं. 2014 में इस सीट पर 77.14 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. तिरुपति लोकसभा में 7 विधानसभा सीटें आती हैं. जिसमें से दो सीटें (गुदुर और सुल्लुरपेटा) अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और दोनों पर वाईएसआर कांग्रेस का कब्जा है. इसके अलावा सर्वपल्ली, वेंकटगिरी, तिरुपति, श्रीकालाहस्ती और सतेवदु विधानसभा सीट तेलुगू देशम पार्टी के पास हैं. अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक 67.07 फीसदी लोग ग्रामीण इलाके में रहते हैं वहीं, 32.93 फीसदी लोग शहर में रहते हैं. 2014 का जनादेश कांग्रेस का किला माने जाने वाले तिरुपति लोकसभा सीट पर 2014 में वाईएसआर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. वर्तमान सांसद और वाईएसआर कांग्रेस नेता वाराप्रसाद राव वेलागापल्ली ने 2014 में बीजेपी उम्मीदवार के के जयराम को 37,425 वोटों के अंतर से हराया. 12 बार इस सीट को पा चुकी कांग्रेस इस चुनाव में तीसरे तीसरे पर रही. वहीं, चौथे नंबर पर प्रदेश में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया एम (सीपीआईएम) रही. इस सीट पर वाईएसआर कांग्रेस को 47.84 फीसदी, बीजेपी को 44.71 फीसदी और कांग्रेस को महज 2.75 फीसदी वोट मिले. सांसद का रिपोर्ट कार्ड तिरुपति से लोकसभा सांसद वाराप्रसाद राव वेलागापल्ली सिविल सेवा से रियाटर्ड हैं. उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिली हुई है. उन्होंने केंद्र द्वारा प्रदत्त राशि में से 20.37 करोड़ रुपये विकास कार्यों पर खर्च किए हैं. संसद में राव की 82 फीसदी उपस्थिति रही है. इसके अलावा उन्होंने सदन के 76 बहस में भाग लिया है. हालांकि, उन्होंने इस दौरान कोई सवाल नहीं पूछा.
रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की महत्वकांक्षी फिल्म ब्रह्मास्त्र पर फिर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. जिस फिल्म को साल 2019 मिड में रिलीज होना था वो अब 2020 तक के लिए टाल दी गई है. जी हां, अयान मुखर्जी निर्देशित  ब्रह्मास्त्र की रिलीज डेट को लगभग एक साल के लिए टाल दिया गया है. याद दिला दें ये पहली बार नहीं है जब इस प्रोजेक्ट की रिलीज डेट को आगे बढ़ाया गया. बल्कि इससे पहले भी फिल्म की रिलीज डेट को दो बार आगे बढ़ाया जा चुका है. पहले ब्रह्मास्त्र को इसी साल दिसंबर में रिलीज करने का प्लान, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. इसके बाद फिल्म को अगले साल गर्मियों में रिलीज करने की योजना थी, लेकिन वो भी मुमकिन नहीं हो पाया. VFX के वजह से टली रिलीज डेट अब ये कहा जा रहा है कि ब्रह्मास्त्र साल 2020 के भी एंड में रिलीज की जाएगी. खबरों के मुताबिक ब्रह्मास्त्र में काफी भारी भरकम VFX का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी के चलते फिल्म की रिलीज डेट को बार-बार आगे बढ़ाया जा रहा है. खबर ये आ रही है कि फिल्म में शाहरुख खान के साथ एक स्टफ शॉट शूट करना है. इसके अलावा मनाली और वाराणसी में भी कुछ शूटिंग करनी बाकी है. इन्ही सीन में VFX का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होना है. जानकारी के मुताबिक फिल्म के साथ जुड़े लोग इस देरी से खुश नहीं है. अब करण जौहर और अयान मुखर्जी को उम्मीद है कि फिल्म की शूटिंग जून तक खत्म कर ली जाएगी और उसके बाद एक नई रिलीज डेट की घोषणा होगी. वैसे तो ब्रह्मास्त्र की कहानी को लेकर किसी ने भी ज्यादा कुछ नहीं बताया है. लेकिन कुछ खबरों की माने तो ब्रह्मास्त्र का प्लॉट मार्वेल के एवेंजर्स से प्रेरित बताया जा रहा है. ये एक पौराणिक अस्त्र की कहानी है जिसे तोड़ दिया जाता है और देवभूमि के विभिन्न स्थानों पर छिपा दिया जाता है. पहले पार्ट में दिखाया जाएगा कि कैसे शिवा अपने अंदर एक आग प्रज्वलित करते हैं. इसके बाद ही ब्रह्मास्त्र नामक औजार की तलाश के लिए शिव निकलते हैं. फिल्म में लव बर्ड रणबीर और आलिया लीड रोल में हैं. उनके अलावा फिल्म में अमिताभ बच्चन और मोनी रॉय के भी अहम किरदार होंगे.
कोच्चि मेट्रो प्रशासन ने जब 21 किन्नरों को नौकरी देने का फैसला लिया, तो सबने खुले दिल से इसकी तारीफ की, लेकिन मेट्रो शुरू होने के हफ्ते भर बाद ही इनमें से नौ किन्नरों ने नौकरी छोड़ दी. इन लोगों का कहना है कि कोच्चि मेट्रो की ओर से मिल रही तनख्वाह में गुजारा नहीं हो पा रहा और शहर में चीजें बहुत महंगी हैं. कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड (केआरएमएल) प्रशासन ने शनिवार को इस मसले पर जिला कलेक्टर और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट से मिलकर किन्नर कर्मचारियों के लिए सस्ती और वहन करने योग्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने की मांग की. कोच्चि मेट्रो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमारे मैनेजिंग डायरेक्टर ने कलेक्टर से बात की है. इसके साथ ही हम लोग प्राइवेट पार्टियों और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट से मिलकर उनके लिए व्यवस्था बना रहे हैं.' बता दें कि टिकटिंग सेक्शन में काम कर रहे लोगों को 10,500 रुपये प्रति माह बतौर तनख्वाह मिलती है, जबकि हाउसकीपिंग में लगे लोगों को 9000 रुपये प्रति माह तनख्वाह मिलती है, जबकि काम के घंटे 8 घंटे होते हैं. टिकटिंग अधिकारी शीतल श्याम ने बताया कि 'कई सारे घर किराए पर उपलब्ध हैं, लेकिन मकान मालिक किन्नरों को देने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में हमें 600 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लॉज में रहना पड़ रहा है. रहने के लिए मकान का न मिल पाना अप्रत्याशित मुद्दा है.' केएमआरएल इन लोगों को सीधे तौर पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकता, क्योंकि ऐसा करने पर उसे 628 कुदुंबश्री वर्करों को यही सुविधा उपलब्ध करानी पड़ेगी. एक अधिकारी ने कहा, 'दोनों पक्ष एक ही कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी कर रहा है और हमें इस बात का ध्यान रखना है.' ऐसी ही एक कर्मचारी शीतल ने कहा कि केएमआरएल कर्मचारियों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था कर रहा है. हम में से कई लोगों को शेल्टर होम मिल गया है. कुदुंबश्री ने भी मदद करने का वादा किया है.
सर्दियों का मौसम एन्जॉय तो सब करते हैं लेकिन ये मौसम अपने साथ कुछ समस्याएं भी लेकर आती हैं. इस मौसम में स्किन ड्राई होने लगती है और बालों में डैंड्रफ की समस्या भी होती है. इन सब से छुटकारा पाने के लिए बाजार में कई क्रीम, शैंपू और लोशन मौजूद है लेकिन इससे कुछ समय के लिए ही फायदा होता है. इन समस्याओं का सबसे कारगर उपाय है सरसों का तेल. जानते हैं सरसों का तेल किन समस्याओं से निजात दिला सकता है: सरसों के तेल के ये 7 फायदे आपको हैरत में डाल देंगे 1. स्किन की समस्या करता है दूर: सर्दियों में चेहरे पर पिंपल्स, ड्राई स्पॉट्स आने लगते हैं. अगर आप इसे बिना किसी कैमिकल के हटाना चाहते हैं तो सरसों तेल का इस्तेमाल करें. इसमें विटामिन और प्रोटीन अधिक मात्रा में पाई जाती है और इससे ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता है. 2. ड्राई स्किन के लिए: सर्दियों में हमारी त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है. मॉश्चराइजर ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता. सरसों का तेल इस समस्या से भी आपको छुटकारा दिला सकता है. सरसों तेल की एक-दो बूंद को ड्राई स्किन पर लगाएं और अपने चेहरे पर भी लगाएं. तेल लगाने के कुछ देर बाद मुंह धो लें. साथ ही यह अरोमा थैरेपी के काम में भी आता है. सरसों के तेल से किस्मत कनेक्शन 3. स्किन टैन साफ करता है: ज्यादा देर तक धूप में रहने के कारण स्किन टैन हो जाती है. जहां स्किन टैन हुई है वहां सरसों का तेल लगाएं. ऐसा एक हफ्ते में तीन-चार बार करें. 4. बालों के लिए फायदेमंद: जाड़ें में बाल बहुत गिरने लगते हैं और डैंड्रफ की समस्या भी होती है. ऐसा होने पर सिर पर सरसों तेल लगाएं. इसके लिए थोड़ा तेल लें और उससे धीरे-धीरे स्कल्प पर लगाएं और मसाज करें. ऐसा करने के बाद कुछ देर तक बालों को छोड़ दें और थोड़ी देर बाद धो लें. ऐसा करने से आपके बालों की डैंड्रफ आदि की दिक्कत दूर हो जाएगी. डैंड्रफ से हैं परेशान, तो इसे आजमाएं 5. खाने में भी सेवन करें: सरसों तेल में कैल्शियम, आयरन भरपूर मात्रा में पाई जाती है. खाने में सरसों तेल का इस्तेमाल करने से शरीर को मजबूती है. साथ ही सरसों तेल से शरीर की मालिश भी करनी चाहिए. इसकी सुगंध से मच्छर दूर भागते हैं.
यह लेख है: देश के शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांकों में पिछले सप्ताह करीब आधा फीसदी से अधिक तेजी रही। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 0.82 फीसदी यानी 211.39 अंकों की तेजी के साथ शुक्रवार को 25,838.14 पर बंद हुआ। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 0.62 फीसदी यानी 48.85 अंकों की तेजी के साथ 7,899.30 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 में से 17 शेयरों में पिछले सप्ताह तेजी रही। एक्सिस बैंक (7.69 फीसदी), टाटा स्टील (6.37 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (4.54 फीसदी), एनटीपीसी (4.37 फीसदी) और भारतीय स्टेट बैंक (4.25 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे विप्रो (4.60 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (4.59 फीसदी), भेल (4.24 फीसदी), टीसीएस (4.20 फीसदी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (2.51 फीसदी)। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी करीब एक फीसदी तेजी रही। मिडकैप 0.94 फीसदी या 102.34 अंकों की तेजी के साथ 11,018.64 पर और स्मॉलकैप 1.24 फीसदी या 135.82 अंकों की तेजी के साथ 11,078.84 पर बंद हुआ। सोमवार 18 अप्रैल को जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक देश की थोक महंगाई दर मार्च महीने में बढ़कर नकारात्मक 0.85 फीसदी दर्ज की गई, जो फरवरी में नकारात्मक 0.91 फीसदी थी। इसके साथ ही थोक महंगाई दर लगातार 17वें महीने नकारात्मक दायरे में रही। थोक महंगाई दर एक साल पहले यानी मार्च 2015 में नकारात्मक 2.33 फीसदी थी। आलोच्य अवधि में थोक खाद्य महंगाई दर 3.73 फीसदी रही। वहीं, दलहन की महंगाई दर 34.45 फीसदी रही। सोमवार को ही जारी एक अन्य आंकड़े के मुताबिक देश का वस्तु निर्यात मार्च 2016 में साल-दर-साल आधार पर 5.47 फीसदी गिरावट के साथ 22.72 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 24.03 अरब डॉलर था। यह लगातार 16वें महीने की गिरावट है। पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के लिए निर्यात 15.85 फीसदी गिरावट के साथ 261.14 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले 310.34 अरब डॉलर था।टिप्पणियां मार्च महीने में आयात साल-दर-साल आधार पर 21.56 फीसदी गिरावट के साथ 27.78 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 35.42 अरब डॉलर था। वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2015-16 में 15.28 फीसदी घटकर 379.59 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 448.03 अरब डॉलर था।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) सेंसेक्स के 30 में से 17 शेयरों में पिछले सप्ताह तेजी रही। एक्सिस बैंक (7.69 फीसदी), टाटा स्टील (6.37 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (4.54 फीसदी), एनटीपीसी (4.37 फीसदी) और भारतीय स्टेट बैंक (4.25 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे विप्रो (4.60 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (4.59 फीसदी), भेल (4.24 फीसदी), टीसीएस (4.20 फीसदी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (2.51 फीसदी)। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी करीब एक फीसदी तेजी रही। मिडकैप 0.94 फीसदी या 102.34 अंकों की तेजी के साथ 11,018.64 पर और स्मॉलकैप 1.24 फीसदी या 135.82 अंकों की तेजी के साथ 11,078.84 पर बंद हुआ। सोमवार 18 अप्रैल को जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक देश की थोक महंगाई दर मार्च महीने में बढ़कर नकारात्मक 0.85 फीसदी दर्ज की गई, जो फरवरी में नकारात्मक 0.91 फीसदी थी। इसके साथ ही थोक महंगाई दर लगातार 17वें महीने नकारात्मक दायरे में रही। थोक महंगाई दर एक साल पहले यानी मार्च 2015 में नकारात्मक 2.33 फीसदी थी। आलोच्य अवधि में थोक खाद्य महंगाई दर 3.73 फीसदी रही। वहीं, दलहन की महंगाई दर 34.45 फीसदी रही। सोमवार को ही जारी एक अन्य आंकड़े के मुताबिक देश का वस्तु निर्यात मार्च 2016 में साल-दर-साल आधार पर 5.47 फीसदी गिरावट के साथ 22.72 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 24.03 अरब डॉलर था। यह लगातार 16वें महीने की गिरावट है। पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के लिए निर्यात 15.85 फीसदी गिरावट के साथ 261.14 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले 310.34 अरब डॉलर था।टिप्पणियां मार्च महीने में आयात साल-दर-साल आधार पर 21.56 फीसदी गिरावट के साथ 27.78 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 35.42 अरब डॉलर था। वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2015-16 में 15.28 फीसदी घटकर 379.59 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 448.03 अरब डॉलर था।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे विप्रो (4.60 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (4.59 फीसदी), भेल (4.24 फीसदी), टीसीएस (4.20 फीसदी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (2.51 फीसदी)। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी करीब एक फीसदी तेजी रही। मिडकैप 0.94 फीसदी या 102.34 अंकों की तेजी के साथ 11,018.64 पर और स्मॉलकैप 1.24 फीसदी या 135.82 अंकों की तेजी के साथ 11,078.84 पर बंद हुआ। सोमवार 18 अप्रैल को जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक देश की थोक महंगाई दर मार्च महीने में बढ़कर नकारात्मक 0.85 फीसदी दर्ज की गई, जो फरवरी में नकारात्मक 0.91 फीसदी थी। इसके साथ ही थोक महंगाई दर लगातार 17वें महीने नकारात्मक दायरे में रही। थोक महंगाई दर एक साल पहले यानी मार्च 2015 में नकारात्मक 2.33 फीसदी थी। आलोच्य अवधि में थोक खाद्य महंगाई दर 3.73 फीसदी रही। वहीं, दलहन की महंगाई दर 34.45 फीसदी रही। सोमवार को ही जारी एक अन्य आंकड़े के मुताबिक देश का वस्तु निर्यात मार्च 2016 में साल-दर-साल आधार पर 5.47 फीसदी गिरावट के साथ 22.72 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 24.03 अरब डॉलर था। यह लगातार 16वें महीने की गिरावट है। पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के लिए निर्यात 15.85 फीसदी गिरावट के साथ 261.14 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले 310.34 अरब डॉलर था।टिप्पणियां मार्च महीने में आयात साल-दर-साल आधार पर 21.56 फीसदी गिरावट के साथ 27.78 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 35.42 अरब डॉलर था। वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2015-16 में 15.28 फीसदी घटकर 379.59 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 448.03 अरब डॉलर था।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी करीब एक फीसदी तेजी रही। मिडकैप 0.94 फीसदी या 102.34 अंकों की तेजी के साथ 11,018.64 पर और स्मॉलकैप 1.24 फीसदी या 135.82 अंकों की तेजी के साथ 11,078.84 पर बंद हुआ। सोमवार 18 अप्रैल को जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक देश की थोक महंगाई दर मार्च महीने में बढ़कर नकारात्मक 0.85 फीसदी दर्ज की गई, जो फरवरी में नकारात्मक 0.91 फीसदी थी। इसके साथ ही थोक महंगाई दर लगातार 17वें महीने नकारात्मक दायरे में रही। थोक महंगाई दर एक साल पहले यानी मार्च 2015 में नकारात्मक 2.33 फीसदी थी। आलोच्य अवधि में थोक खाद्य महंगाई दर 3.73 फीसदी रही। वहीं, दलहन की महंगाई दर 34.45 फीसदी रही। सोमवार को ही जारी एक अन्य आंकड़े के मुताबिक देश का वस्तु निर्यात मार्च 2016 में साल-दर-साल आधार पर 5.47 फीसदी गिरावट के साथ 22.72 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 24.03 अरब डॉलर था। यह लगातार 16वें महीने की गिरावट है। पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के लिए निर्यात 15.85 फीसदी गिरावट के साथ 261.14 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले 310.34 अरब डॉलर था।टिप्पणियां मार्च महीने में आयात साल-दर-साल आधार पर 21.56 फीसदी गिरावट के साथ 27.78 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 35.42 अरब डॉलर था। वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2015-16 में 15.28 फीसदी घटकर 379.59 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 448.03 अरब डॉलर था।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) सोमवार 18 अप्रैल को जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक देश की थोक महंगाई दर मार्च महीने में बढ़कर नकारात्मक 0.85 फीसदी दर्ज की गई, जो फरवरी में नकारात्मक 0.91 फीसदी थी। इसके साथ ही थोक महंगाई दर लगातार 17वें महीने नकारात्मक दायरे में रही। थोक महंगाई दर एक साल पहले यानी मार्च 2015 में नकारात्मक 2.33 फीसदी थी। आलोच्य अवधि में थोक खाद्य महंगाई दर 3.73 फीसदी रही। वहीं, दलहन की महंगाई दर 34.45 फीसदी रही। सोमवार को ही जारी एक अन्य आंकड़े के मुताबिक देश का वस्तु निर्यात मार्च 2016 में साल-दर-साल आधार पर 5.47 फीसदी गिरावट के साथ 22.72 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 24.03 अरब डॉलर था। यह लगातार 16वें महीने की गिरावट है। पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के लिए निर्यात 15.85 फीसदी गिरावट के साथ 261.14 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले 310.34 अरब डॉलर था।टिप्पणियां मार्च महीने में आयात साल-दर-साल आधार पर 21.56 फीसदी गिरावट के साथ 27.78 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 35.42 अरब डॉलर था। वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2015-16 में 15.28 फीसदी घटकर 379.59 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 448.03 अरब डॉलर था।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) सोमवार को ही जारी एक अन्य आंकड़े के मुताबिक देश का वस्तु निर्यात मार्च 2016 में साल-दर-साल आधार पर 5.47 फीसदी गिरावट के साथ 22.72 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 24.03 अरब डॉलर था। यह लगातार 16वें महीने की गिरावट है। पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के लिए निर्यात 15.85 फीसदी गिरावट के साथ 261.14 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले 310.34 अरब डॉलर था।टिप्पणियां मार्च महीने में आयात साल-दर-साल आधार पर 21.56 फीसदी गिरावट के साथ 27.78 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 35.42 अरब डॉलर था। वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2015-16 में 15.28 फीसदी घटकर 379.59 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 448.03 अरब डॉलर था।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) मार्च महीने में आयात साल-दर-साल आधार पर 21.56 फीसदी गिरावट के साथ 27.78 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 35.42 अरब डॉलर था। वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2015-16 में 15.28 फीसदी घटकर 379.59 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 448.03 अरब डॉलर था।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इस बात से इंकार किया कि मोतीहारी में केन्द्रीय विश्वविद्यालय को मंजूरी देने पर केन्द्र सरकार ने इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस बारे में राज्य के साथ आपसी विचार विमर्श कर कोई फैसला किया जायेगा. सिब्बल ने कहा कि बिहार में केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मामले में केन्द्र सरकार का अभी तक यह रूख रहा है कि इसे ऐसी जगह बनाया जाना चाहिए जिससे राज्य के अधिक से अधिक छात्रों को उसका लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए पटना, गया और नालंदा जैसी जगहों के नाम सुझाये गये हैं. उन्होंने कहा कि इस संबंध में बिहार के मुख्यमंत्री के साथ कई बार पत्रों का आदान प्रदान हो चुका है और विचार विमर्श जारी है. सिब्बल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चार केन्द्रीय विश्वविद्यालय हैं और राज्य को शिक्षा के मामले में केन्द्र की ओर से पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है. इससे पूर्व उच्च शिक्षा के मुद्दे पर आधे घंटे की चर्च में भाग लेते हुए भाजपा के राजीव प्रताप रूढ़ी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने मानव संसाधन विकास मंत्री को मोतीहारी में केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए कई बार पत्र लिखे. लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री की बात पर शायद इसलिए ध्यान नहीं दिया कि वे पत्र हिन्दी में लिखे गये थे. बसपा के नरेश अग्रवाल ने केन्द्र पर उत्तर प्रदेश के साथ शिक्षा के मामले भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की आबादी को देखते हुए वहां और केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोले जाने चाहिए और उसे ज्यादा आर्थिक मदद देनी चाहिए.
स्त्रियों के शरीर के ‘काम क्षेत्र’ या दूसरे लफ्जों में कहें तो ‘जी-स्पॉट’ की अवधारणा को लेकर कई सवाल आज भी अनसुलझे हैं. कहा जाता है कि यह कुछ स्त्रियों में ही होता है लेकिन एक ताजा सर्वेक्षण के नतीजों पर यकीन करें तो ‘जी-स्पॉट’ महज एक मिथक है. ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि स्त्री के शरीर में ‘जी-स्पॉट’ के  वजूद का कोई सबूत नहीं है. इसे कुछ लोग ‘गॉडेस स्पॉट’ या ‘सैकरेड स्पॉट’ भी कहते हैं. टाइम्स ऑन लाइन के मुताबिक न्यूजर्सी के रटगर्स यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर बेवेर्ली व्हिप्प्पल को ‘जी-स्पॉट’ की अवधारणा को मशहूर बनाने का श्रेय जाता है. साल 1950 में इस ‘मायावी काम क्षेत्र’ की खोज का दावा करने वाले जर्मन वैज्ञानिक अर्नस्ट ग्रैफेनबर्ग के नाम पर ‘जी-स्पॉट’ शब्द चलन में आया था. हालांकि परंपरागत डॉक्टरों ने जी-स्पॉट के वजूद को मानने से हमेशा इन्कार किया है. ब्रिटेन की 1800 महिलाओं के बीच के किए गए इस सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि स्त्रियों के शरीर में ऐसी किसी चीज का वजूद नहीं है जैसा कि पत्रिकाएं या ‘काम’ के जानकार बताते हैं. जेनेटिक इपीडेमियोलॉजी (आनुवांशिक जानपदिक रोग विज्ञान) के प्रोफेसर टिम स्पेक्टर ने बताया ‘‘स्त्रियां कह सकती हैं कि जी-स्पॉट का होना या न होना उनके खान पान की आदत और कसरत पर निर्भर करता है लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसी किसी चीज को ढूंढ़ना पूरी तरह से नामुमकिन है.’’ गौरतलब है कि प्रो. स्पेक्टर ‘द जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन’ में प्रकाशित इस शोध के सहलेखक भी हैं. ब्रितानी अखबार ने उनके हवाले से बताया कि इस सवाल को लेकर किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा सर्वे है और अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जी-स्पॉट एक व्यक्तिपरक अवधारणा है. शोध का नेतृत्व करने वाली एंद्रिया ने कहा कि वह ‘अपूर्णता’ के एहसास को खत्म करने को लेकर बेहद फिक्रमंद  थीं क्योंकि इससे अपने भीतर ‘काम क्षेत्र’ की गैरमौजूदगी को लेकर स्त्रियों परेशान हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि ‘‘ऐसी किसी चीज को लेकर दावा करना जिसका वजूद ही साबित नहीं हो पाया हो गैर जिम्मेदाराना रवैया होगा.’’
लेख: लीबिया की खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी की गुरुवार को हत्या हो गई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मोहम्मद अल फखारी अल अबयार स्थित अपने घर पर था। कुछ लोगों ने उसके घर का दरवाजा खटखटाया और गोली मार दी।टिप्पणियां सूत्रों ने बताया कि हत्यारे फरार होने में कामयाब हो गए और पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है। यह घटना बेंगाझी से कुछ ही दूर पर हुई है। बेंगाझी लीबिया के पूर्व शासक कर्नल मुअम्मार गद्दाफी के वफादारों के गढ़ रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मोहम्मद अल फखारी अल अबयार स्थित अपने घर पर था। कुछ लोगों ने उसके घर का दरवाजा खटखटाया और गोली मार दी।टिप्पणियां सूत्रों ने बताया कि हत्यारे फरार होने में कामयाब हो गए और पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है। यह घटना बेंगाझी से कुछ ही दूर पर हुई है। बेंगाझी लीबिया के पूर्व शासक कर्नल मुअम्मार गद्दाफी के वफादारों के गढ़ रहा है। सूत्रों ने बताया कि हत्यारे फरार होने में कामयाब हो गए और पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है। यह घटना बेंगाझी से कुछ ही दूर पर हुई है। बेंगाझी लीबिया के पूर्व शासक कर्नल मुअम्मार गद्दाफी के वफादारों के गढ़ रहा है। यह घटना बेंगाझी से कुछ ही दूर पर हुई है। बेंगाझी लीबिया के पूर्व शासक कर्नल मुअम्मार गद्दाफी के वफादारों के गढ़ रहा है।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा गरीबों के घर राशन की होम डिलीवरी वाली योजना को खारिज किए जाने से नाराज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी के बजट पर चर्चा के दौरान केजरीवाल ने केंद्र सरकार के कामकाज और दिल्ली सरकार के कामकाज की तुलना सदन में करते हुए विरोधियों पर बड़े निशाने साधे. केजरीवाल ने बताया कि साल 2014 और 2015 में राजनीति में दो बड़े बदलाव हुए थे. 4 साल पहले बीजेपी को केंद्र में लाकर जनता ने बम्पर वोट से जिताया और 3 साल पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सत्ता देकर परिवर्तन की उम्मीद जगाई थी. बीजेपी काल में हुए कई बैंक घोटाले उन्होंने आगे कहा, मैंने जनता से सर्वे करवाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने क्या काम किया और आम आदमी पार्टी सरकार ने क्या किया. बीजेपी के बारे में लोग कह रहे हैं कि बैंक के जितने घोटाले हुए वो इस सरकार के कार्यकाल में हुए. 9 हजार करोड़ लेकर विजय माल्या को भगाया गया. नीरव मोदी को 11 हजार करोड़ लेकर भगा दिया. आज फ्री में कोई बेटा अपने बाप के लिए काम नहीं करता. जाहिर सी बात है कि पैसा लेकर लोगों को भगाया जा रहा है. यही वजह थी कि यूपीए को जनता ने हटाया था.' मुख्यमंत्री ने कई संवैधानिक संस्थाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आरबीआई, सीबीआई, लोकपाल, यूनिवर्सिटी और चुनाव आयोग का देश में मजाक बन गया है. केजरीवाल ने अपनी सरकार के अच्छे काम भी गिनाए और कहा कि दिल्ली में शिक्षा में क्रांति आ गई. स्वास्थ्य के क्षेत्र में जबरदस्त काम हुआ है. सबसे सस्ती बिजली दिल्ली में मिल रही है. केजरीवाल ने बताया कि पानी को लेकर भी दिल्ली में खूब काम हुआ, लेकिन पिछले 3 महीने से पानी पर राजनीति हो रही है. उन्होंने कहा कि हरियाणा से अमोनिया वाला पानी भेजा जा रहा था. कोर्ट गए तो अमोनिया ठीक किया पर पानी का स्तर 70 MGD कम कर दिया. ये लोग दिल्ली वालो को प्यासा मारना चाहते हैं, इन्हें लोगों की हाय लगेगी." आम चुनाव से पहले आप की तैयारी दिल्ली सरकार गरीबों के घर राशन की होम डिलीवरी वाली योजना खारिज होने के बाद बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है. यह तैयारी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले साल ही दिल्ली में लोकसभा के सातों सीटों पर चुनाव होना है. केजरीवाल सरकार ने बीपीएल कार्ड धारक गरीब तबके को राशन की दुकानों में लंबी लंबी लाइनों में खड़ा होने के झंझट से बचाने के लिए डोर स्टेप डिलीवरी योजना तैयार की थी. इस योजना के तहत सरकार द्वारा सस्ते दाम पर वितरित किया जाने वाला राशन गरीबों को उनके घर पर बंद पैकेटों में भिजवाए जाने की योजना थी. केजरीवाल सरकार ने इस योजना को कैबिनेट से पास कर के उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास मंजूरी के लिए भेजा था. उपराज्यपाल ने सरकार की इस योजना पर आपत्ति जताते हुए उसे खारिज कर दिया. दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में बोलते हुए मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में उपराज्यपाल के साथ-साथ बीजेपी पर भी इस योजना को खारिज करने का ठीकरा फोड़ा. केजरीवाल ने न सिर्फ उपराज्यपाल को बीजेपी के इशारे पर इस योजना को खारिज करने का आरोप लगाया बल्कि यह भी कहा कि दिल्ली में राशन की दुकानें बीजेपी और कांग्रेस के लोग चलाते हैं और इस योजना के जरिए उनकी दुकान बंद होने के डर से उन्होंने यह योजना रुकवाई. दूसरी ओर, केजरीवाल के इशारों पर बोलते हुए दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार इस योजना के जरिए अमीरों और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती थी. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यहां तक कहा कि उन्होंने उपराज्यपाल से निजी तौर पर इस योजना को मंजूरी देने की गुहार लगाई थी जिसके बावजूद भी उपराज्यपाल ने योजना को खारिज कर दिया. विधानसभा में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह अगले सप्ताह से दिल्ली में हर दिन गरीबों के घर जाएंगे और उनके विधायक भी हर घर जाएंगे और लोगों से कहेंगे कि बीजेपी ने अपने फायदे के लिए उपराज्यपाल से कहकर उनके हित की योजना को रुकवा दिया. अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के सभी विधायक अगले सप्ताह से दिल्ली की झुग्गी झोपड़ियों और बस्तियों में जाकर प्रचार करेंगे और बीजेपी के खिलाफ जनता से शिकायत करेंगे.
बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी मंगलवार को वेंकैया नायडू के नामांकन के बाद संसद भवन में अकेले घूमते दिखे. पहले तो वह गेट नंबर 4 पर अकेले खड़े रहे, जहां पर अक्सर सांसद और नेता अपनी गाड़ियों का इंतजार करते हैं. कुछ देर वहां इंतजार करने के बाद फिर आडवाणी गेट नंबर चार पर बने मीडिया स्टैंड पर मीडियाकर्मियों के बीच जाकर बैठ गए. आडवाणी को अपने बीच पाकर सब हैरान दिखाई दे रहे थे और खुश भी थे कि आडवाणी जी उनके बीच जाकर आराम से बेंच पर बैठ  गए. अक्सर सुरक्षा घेरे के बीच गाड़ियों के काफिले में संसद भवन पहुंचने वाले लालकृष्ण आडवाणी का गेट नंबर चार पर अकेले खड़े रहना, सबको हैरान कर रहा था. उसके बाद तो सब चौंक गए जब आडवाणी मीडिया स्टैंड में आकर कैमरामैन के साथ बेंच पर बैठ गए. सब लोग उनको अपने बीच पाकर हैरान और खुश भी हुए. कुछ देर के लिए तो किसी को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर आडवाणी आज मीडिया स्टैंड पर मीडिया वालों के बीच आकर अचानक बिना किसी सुरक्षा के अकेले कैसे आकर बैठ गए. हर कोई एक-दूसरे का मुंह देखने लगा और फिर जाकर आडवाणी से बात करने की कोशि‍श की. आडवाणी कुछ बोले नहीं और न हीं किसी सवाल का जवाब दिया, लेकिन सभी कैमरामैन और रिपोर्टर ने मौके का फायदा उठाकर उनके साथ सेल्फी लेनी शुरू कर दी. उसके बाद तुरंत आडवाणी उठे और वहां से करीब सौ मीटर की दूरी तक पैदल चलते हुए गेट नंबर 1 की तरफ आए. वहां कुछ देर वेट करने के बाद फिर उनका काफिला और सुरक्षाकर्मी वहां पहुंचे, इसके बाद आडवाणी वहां से चले गए. शायद यह पहला मौका है, जब आडवाणी इस तरह संसद परिसर में अकेले घूमते दिखाई दिए हों. अक्सर आडवाणी अपनी सुरक्षा और काफिले के साथ गेट नंबर 6 से अपने संसद भवन के कार्यालय जाते हैं. वहीं पर उनके काफिले की गाड़ियां खड़ी होती हैं. वही से वह आते-जाते हैं. कभी उनको गेट नंबर 4 व 1 नंबर या दूसरे गेटों से संसद भवन में जाते हुए नहीं देखा गया है. मंगलवार को वेंकैया नायडू के नामांकन भरने के बाद आडवाणी सदन की तरफ जा रहे थे कि इतने में सदन उठ गया और आडवाणी गेट नंबर 4 से नीचे उतर गए. वहां पर कुछ देर उन्होंने इंतजार किया और फिर मीडिया स्टैंड में जाकर अपने काफिले का इंतजार करने लगे.
बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे अभिनेता फरदीन खान अपने पिता फिरोज खान को अपना आदर्श मानते हैं और कहते हैं कि उनके पिता की जूझने की आदत ने ही उन्हें सबसे अलग पहचान दी थी. फिरोज खान के पुत्र फरदीन खान ने बताया, ‘लंबे समय तक संघर्ष करने के बावजूद वह हार मानने वालों में से नहीं थे. यह उनकी जूझने की आदत ही थी कि कैंसर जैसी बीमारी का पता चलने के बाद भी उन्होंने वेलकम फिल्म साइन की और अपना काम हंसते हुए किया.’ वर्ष 2007 में बनी फिल्म ‘वेलकम’ में फिरोज खान अंतिम बार नजर आए थे. फरदीन कहते हैं कि उनके पिता संघर्ष का मतलब समझते थे और बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए उन्होंने दोयम दर्जे की समझी जाने वाली फिल्मों में भी काम करने से परहेज नहीं किया था. इसीलिए उनका अभिनय पूरी तरह मंज गया और वह अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुए. फिरोज खान को पूर्व का क्लाइंट ईस्टवुड कहा जाता था. फरदीन कहते हैं, ‘उन्हें फिल्मों का शौक था. वह खाली समय में केवल फिल्में देखना ही पसंद करते थे. विदेशी फिल्मों की बारीकियां और तकनीक समझ कर वह अपनी फिल्मों में उन्हें डालने का प्रयास करते थे लेकिन मौलिकता पर भी पूरा ध्यान देते थे.’ बॉलीवुड में फिरोज खान ने अपने अभिनय करिअर की शुरूआत 1960 में बनी फिल्म ‘दीदी’ से की. इस फिल्म में वह नायक थे. इसके बाद कई फिल्मों में फिरोज ने खलनायक की भूमिका निभाई और फिर नायक की भूमिका में नजर आने लगे.
द क्वींस हेड () एक मयख़ाना (पब) है जो 1, सेंट जेम्स स्ट्रीट, मॉनमाउथ, वेल्स, यूनाइटेड किंगडम में स्थित है। इसे द क्वींस हेड होटल के नाम से भी जाना जाता है, तथा अतीत में इसे क्वींस हेड इन (सराय) भी कहा जाता था। क्वींस हेड मॉनमाउथ शहर का सबसे पहला सामुदायिक मयख़ाना है तथा इसकी इमारत यूनाइटेड किंगडम की ग्रेड द्वितीय सूचीबद्ध इमारत है। मयख़ाने में रहने की व्यवस्था भी है। पब में रात्रि के समय लोकप्रिय जैज़ और आयरिश जैम-सत्र भी आयोजित किए जाते हैं। पब के परिसर में भूतों को देखने कि कई रिपोर्ट भी सामने आई हैं; क्वींस हेड को वेल्स में तीसरी सबसे भूतिया सराय कहा जाता है। इतिहास मयख़ाने की इमारत 27 जून 1952 से यूनाइटेड किंगडम की सांविधिक लिस्ट ऑफ बिल्डिंग्स ऑफ स्पेशल आर्किटेक्चरल और हिस्टोरिक इंटरेस्ट में ग्रेड द्वितीय सूचीबद्ध है। इमारत का निर्माण सोलहवीं सदी के आसपास हुआ था। 17 वीं सदी में हुआ मूल प्लास्टर का काम अभी भी मयख़ाने की छत पर देखा जा सकता है। अपने निर्माण के बाद से इमारत में कई परिवर्तन किए जा चुके हैं। मयख़ाने में कुछ गोपनीय छिपने की जगह हैं। अंग्रेज़ी गृहयुद्ध के दौरान ऑलिवर क्रॉमवेल कई अवसरों पर क्वींस हेड में रहें थे। ऐसे ही एक अवसर पर उनकी हत्या करने का षड्यंत्र रचा गया था, परन्तु अपने नियोग को पूर्ण करने से पहले ही गुप्तघाती का मयख़ाने में पीछा किया गया व गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। वर्ष 2005 के जून में क्वींस हेड एक सामुदायिक मयख़ाना बन गया। स्थानीय व्यवसायियों के समूह ने मयख़ाने का स्वामित्व उसे "सभी का स्वागत करने वाला पब बनाने" के उद्देश्य से ग्रहण कर लिया तथा पब में लाइव संगीत और एक छोटा सा पुस्तकालय भी उपलब्ध कराया। वर्तमान समय में पब मूल सदस्यों में से सिर्फ एक सदस्य द्वारा संचालित किया जाता है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ मॉनमाउथ क्वींस हेड मॉनमाउथशायर का इतिहास
यह लेख है: राज्यसभा ने मंगलवार को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक पारित कर दिया। इस संशोधन के जरिए जेल में बंद या पुलिस हिरासत से लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति की व्यवस्था की गई है। सदन ने जनप्रतिनिधित्व (संशोधन एवं वैधीकरण) विधेयक 2013 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि राजनीतिक वर्ग ने जवाबदेही की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है, लेकिन एक ऐसा वातावरण बन गया है जहां इसे संदेह के साथ देखा जा रहा है। उन्होंने कहा, "हमें इसका समाधान करने की जरूरत है।" उन्होंने का कि मतदान का अधिकार और मतदाता सूची में दर्ज होना वैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान जोड़ा गया है कि मतदान के लिए अयोग्य व्यक्ति भी नामांकन दाखिल करा सकता है।टिप्पणियां सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटना उच्च न्यायालय के एक फैसले को बरकरार रखने को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन किया गया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि जो व्यक्ति मतदान का अधिकार नहीं रखता वह संसद या विधानसभाओं के लिए चुनाव लड़ने के भी योग्य नहीं है। सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि राजनीतिक वर्ग ने जवाबदेही की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है, लेकिन एक ऐसा वातावरण बन गया है जहां इसे संदेह के साथ देखा जा रहा है। उन्होंने कहा, "हमें इसका समाधान करने की जरूरत है।" उन्होंने का कि मतदान का अधिकार और मतदाता सूची में दर्ज होना वैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान जोड़ा गया है कि मतदान के लिए अयोग्य व्यक्ति भी नामांकन दाखिल करा सकता है।टिप्पणियां सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटना उच्च न्यायालय के एक फैसले को बरकरार रखने को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन किया गया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि जो व्यक्ति मतदान का अधिकार नहीं रखता वह संसद या विधानसभाओं के लिए चुनाव लड़ने के भी योग्य नहीं है। सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटना उच्च न्यायालय के एक फैसले को बरकरार रखने को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन किया गया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि जो व्यक्ति मतदान का अधिकार नहीं रखता वह संसद या विधानसभाओं के लिए चुनाव लड़ने के भी योग्य नहीं है। सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है।
कॉलेज का नाम: एजेके मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेंटर कॉलेज का विवरण: एजेके मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेंटर का पूरा नाम अनवर जमाल किदवई मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेंटर है. इसकी स्थापना सन् 1982 में हुई थी. ये देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों में से एक है. यहां जर्नलिज्म के कई कोर्स कराए जाते हैं. संपर्क: एजेके मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेंटर ,जामिया मिलिया इस्लामिया, मौलाना मोहम्मद अली जौहर मार्ग, नई दिल्ली, पिन-110025 फोन नं: 01126987285, 01126986812, 01126986813 वेबसाइट: www.ajkmcrc.org ईमेल: [email protected] प्लेसमेंट: यहां स्टूडेंट्स के लिए एक प्लेसमेंट सेल मौजूद है. एजेके मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेंटर में मास कम्‍यूनिकेशन से संबंधित निम्नलिखित कोर्स कराए जाते हैं: कोर्स का नाम: डॉक्टर ऑफ फिलॉस्फी इन मास कम्यूनिकेशन कोर्स का विवरण: यह एक फुल टाइम कोर्स है. प्रवेश प्रक्रिया: स्टूडेंट्स का चयन प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा. रिसर्च वर्क औरडॉक्यूमेंट्स की प्रमाणिकता की जांच की जाती है. डिग्री: पीएचडी योग्यता: 55 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी है. कोर्स का नाम: मास्टर ऑफ आर्ट इन कम्यूनिकेशन कोर्स का विवरण: इस कोर्स में वीडियो, फोटोग्राफी और प्रोडक्शन के बारे में पढ़ाया जाता है. प्रवेश प्रक्रिया: एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू देना होता है. जिसके 45 अंक होते है. पोर्टफोलियो के लिए 55 अंक दिए जाते है. कोर्स का विवरण: यह एक फुल टाइम कोर्स है. डिग्री: पोस्ट ग्रेजुएट अवधि: 2 साल योग्यता: 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी है. कुल सीटें: 50 कोर्स का नाम: मास्टर ऑफ आर्ट्स इन कनवर्जेंस जर्नलिज्म कोर्स का विवरण: यह एक फुल टाइम कोर्स है, जिसमें इस कोर्स में प्रिंट, रेडियो, टीवी और ऑनलाइन जर्नलिज्म पढ़ाया जाता है. प्रवेश प्रक्रिया: एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू देना होता है. जिसके 45 अंक होते है. पोर्टफोलियो के लिए 55 अंक दिए जाते है. डिग्री: पोस्ट ग्रेजुएट अवधि: 2 साल योग्यता: 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी है. कुल सीटें: 20 कोर्स का नाम: मास्टर ऑफ आर्ट्स इन डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन कोर्स का विवरण: यह एक फुल टाइम कोर्स है, जिसमें सामाजिक कार्य से जुड़े जर्नलिज्म को पढ़ाया जाता है. कोर्स का मकसद स्टूडेंट्स को डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में प्रतिबद्ध बनाना है. प्रवेश प्रक्रिया: एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू देना होता है, जिसके 45 अंक होते है. पोर्टफोलियो के लिए 55 अंक दिए जाते है. डिग्री: पोस्ट ग्रेजुएट अवधि: 2 साल योग्यता: 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी है. कुल सीटें: 20 कोर्स का नाम: मास्टर ऑफ आर्ट्स इन विजुअल इफेक्टस एंड एनिमेशन कोर्स का विवरण: यह एक फुल टाइम कोर्स है, जिसमें फिल्म मेंकिंग, प्रोडक्शन और एनिमेशन की पढ़ाई की जाती है. प्रवेश प्रक्रिया: एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू देना होता है, जिसके 45 अंक होते है. पोर्टफोलियो के लिए 55 अंक दिए जाते है. डिग्री: पोस्ट ग्रेजुएट अवधि: 2 साल योग्यता: 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी है. कुल सीटें: 20 कोर्स का नाम: पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा ब्रॉडकास्ट टेक्नोलॉजी प्रवेश प्रक्रिया: स्टूडेंट्स का चयन प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा. कोर्स का विवरण: यह एक फुल टाइम कोर्स है, जिसमें मीडिया प्रोडक्शन और ट्रांसमीशन की पढ़ाई की जाती है. डिग्री: डिप्लोमा अवधि: 1 साल योग्यता: एडमिशन के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री और 12वीं में साइंस और मैथ्स जैसे सब्जेक्ट्स होने जरूरी हैं. कुल सीटें: 20
देश की 23 जीवन बीमा कंपनियों के पास बीमा पॉलिसी धारकों की 15,167 करोड़ रुपये की रकम पड़ी हुई है, जिसका कोई दावेदार नहीं है. भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने बीमा कंपनियों को संबंधित बीमा पॉलिसी धारकों या लाभार्थियों की पहचान कर पुराने बीमा दावों का भुगतान करने का निर्देश दिया है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2018 को दावारहित (लावारिस) कुल रकम 15,166.47 करोड़ रुपये थी. ऐसी कंपनियों की सूची में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी जीवन बीमा निगम शीर्ष पर है, जिसके पास कुल 10,509 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं है, जबकि निजी कंपनियों के पास ऐसी रकम 4,657.45 करोड़ रुपये है. निजी कंपनियों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इश्योरेंस के पास पड़ी बीमाधारकों की लावारिस रकम 807.4 करोड़ रुपये है. इसके बाद रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस के पास 696.12 करोड़ रुपये, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के पास 678.59 करोड़ रुपये और एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस के पास 659.3 करोड़ रुपये है. इसे पढ़ें: घर पर ही मिलेंगी बीमा सेवाएं, तेजी से बदल रही इंश्योरेंस इंडस्ट्री
यह लेख है: केंद्र सरकार 178 नए आईएएस अधिकारियों को अपने संबंधित राज्य संवर्गों में जाने से पहले उन्हें केंद्र में तैयार करने की नई पहल के तहत यहां विभिन्न मंत्रालयों में सहायक सचिव नियुक्त करेगी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2014 बैच के ये अधिकारी आवंटित संवर्ग राज्य के बजाय दिल्ली से अपना करियर एक अगस्त से तीन माह की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर शुरू करेंगे। डीओपीटी ने पहली बार पिछले साल नए आईएएस अधिकारियों को केंद्र में काम करने की इजाजत दी थी, जब कुल 158 अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों में तैनात किए गए थे। एक अधिकारी ने कहा, 'यह फैसला भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों को पोस्टिंग वाले अपने संबंधित राज्य में जाने से पहले केंद्र में तैयार होने का मौका देगा।' डीओपीटी ने सहायक सचिवों के इन नवसृजित पदों पर इन अधिकारियों को समायोजित करने के लिए सेक्शन अधिकारी ग्रेड के तकरीबन 200 पद चिह्नित किए हैं।टिप्पणियां इन युवा अधिकारियों का दिल्ली से करियर शुरू करवाने के पीछे तर्क यह है कि इससे वे केंद्र सरकार के कामकाज से रूबरू होंगे तथा वे केंद्र सरकार के अधिक्रम में विभिन्न अधिकारियों से परिचित होंगे। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2014 बैच के ये अधिकारी आवंटित संवर्ग राज्य के बजाय दिल्ली से अपना करियर एक अगस्त से तीन माह की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर शुरू करेंगे। डीओपीटी ने पहली बार पिछले साल नए आईएएस अधिकारियों को केंद्र में काम करने की इजाजत दी थी, जब कुल 158 अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों में तैनात किए गए थे। एक अधिकारी ने कहा, 'यह फैसला भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों को पोस्टिंग वाले अपने संबंधित राज्य में जाने से पहले केंद्र में तैयार होने का मौका देगा।' डीओपीटी ने सहायक सचिवों के इन नवसृजित पदों पर इन अधिकारियों को समायोजित करने के लिए सेक्शन अधिकारी ग्रेड के तकरीबन 200 पद चिह्नित किए हैं।टिप्पणियां इन युवा अधिकारियों का दिल्ली से करियर शुरू करवाने के पीछे तर्क यह है कि इससे वे केंद्र सरकार के कामकाज से रूबरू होंगे तथा वे केंद्र सरकार के अधिक्रम में विभिन्न अधिकारियों से परिचित होंगे। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) डीओपीटी ने पहली बार पिछले साल नए आईएएस अधिकारियों को केंद्र में काम करने की इजाजत दी थी, जब कुल 158 अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों में तैनात किए गए थे। एक अधिकारी ने कहा, 'यह फैसला भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों को पोस्टिंग वाले अपने संबंधित राज्य में जाने से पहले केंद्र में तैयार होने का मौका देगा।' डीओपीटी ने सहायक सचिवों के इन नवसृजित पदों पर इन अधिकारियों को समायोजित करने के लिए सेक्शन अधिकारी ग्रेड के तकरीबन 200 पद चिह्नित किए हैं।टिप्पणियां इन युवा अधिकारियों का दिल्ली से करियर शुरू करवाने के पीछे तर्क यह है कि इससे वे केंद्र सरकार के कामकाज से रूबरू होंगे तथा वे केंद्र सरकार के अधिक्रम में विभिन्न अधिकारियों से परिचित होंगे। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) एक अधिकारी ने कहा, 'यह फैसला भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों को पोस्टिंग वाले अपने संबंधित राज्य में जाने से पहले केंद्र में तैयार होने का मौका देगा।' डीओपीटी ने सहायक सचिवों के इन नवसृजित पदों पर इन अधिकारियों को समायोजित करने के लिए सेक्शन अधिकारी ग्रेड के तकरीबन 200 पद चिह्नित किए हैं।टिप्पणियां इन युवा अधिकारियों का दिल्ली से करियर शुरू करवाने के पीछे तर्क यह है कि इससे वे केंद्र सरकार के कामकाज से रूबरू होंगे तथा वे केंद्र सरकार के अधिक्रम में विभिन्न अधिकारियों से परिचित होंगे। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) इन युवा अधिकारियों का दिल्ली से करियर शुरू करवाने के पीछे तर्क यह है कि इससे वे केंद्र सरकार के कामकाज से रूबरू होंगे तथा वे केंद्र सरकार के अधिक्रम में विभिन्न अधिकारियों से परिचित होंगे। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि थे। रहीम का मकबरा दिल्ली के निजामुद्दीन पूर्व में मथुरा रोड पर स्थित है। इस मकबरे का निर्माण रहीम की पत्नी द्वारा करवाया गया था जिसका निर्माण कार्य सन् 1598 ई में पूर्ण हुआ। सन् 1627 में आगरा में मृत्यु के बाद रहीम को इस मकबरे में बनी कब्र में दफनाया गया था। रहीम का मकबरा मुगल बादशाह हुमायूं के मकबरे और सूफी संत हजरत निजामुद्दीन की दरगाह के नजदीक ग्रांड ट्रंक रोड पर बनवाया गया था। ये मकबरा मुगल स्थापत्य का एक उत्कृ्ष्ट नमूना था। लेकिन 1753 में दिल्ली में सफदरजंग के मकबरे के निर्माण के लिए इस मकबरे की खूबसूरत और नक्काशीदार संगमरमर और बलुआ पत्थर की टाइल्स को निकाल लिया गया जिसके बाद ये मकबरा उजाड़ खण्डहर में तब्दील हो गया। संरक्षण सदियों तक बदहाली झेलने के बाद इंटर ग्लोब फाउंडेशन और आगा खान सांस्कृतिक ट्रस्ट के संयुक्त प्रयास से वर्तमान में इस ऐतिहासिक इमारत के संरक्षण का कार्य चल रहा है। सन्दर्भ मुगल वास्तुकला दिल्ली की इमारतें
बिहार के कृषि राज्य मंत्री नरेन्द्र सिंह ने गुजरात के मुख्‍यमंत्री और बीजेपी के पीएम पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत प्रहार करते हुए कहा है, 'वह आसमान में उड़ रहे हैं. वह एकदम सनक गए हैं. उनका दिमाग खराब हो गया है. उन्हें इलाज के लिए एक दिन कांके (रांची का पागलखाना) भेज देना पड़ेगा.' इधर, राज्य के परिवहन मंत्री वृषिण पटेल ने कहा, 'नमो देश के लिए खतरनाक हैं. वह सेना के भगवाकरण का गुप्त एजेंडा चला रहे हैं. उनका व्यवहार ऐसा है, जैसे देश के वह सचमुच में प्रधानमंत्री बन गए हैं.' इसके पूर्व अपने बयानों से कई बार सरकार की किरकिरी करा चुके राज्य के ग्रामीण कार्य विभाग मंत्री भीम सिंह ने कहा, 'भाजपा एक ऐसे व्यक्ति को आगे ला रही है जिस पर हत्या, लूट, बलात्कार और दंगा ही नहीं नरसंहार करने का आरोप है.' बिहार में नरेन्द्र मोदी को लेकर राजनीतिक दलों में बयानबाजी कोई नई बात नहीं है परंतु नरेन्द्र मोदी (नमो) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद यह बयानबाजी न केवल तेज हुई है बल्कि इस दौरान बयानों में नेता अपनी मर्यादा तक भूल रहे हैं. बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल दल (युनाइटेड) के नेताओं ने नमो को लेकर जुबानी हमला तेज कर दिया है, वहीं भाजपा के नेता उन्हें ऐसे बयानों से बचने की नसीहत दे रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सोमवार को जनता दरबार के बाद पत्रकारों से चर्चा में कहा था कि किसी को भी किसी के बारे में ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए. ऐसा नहीं कि जद (यू) के नेता केवल मोदी की आलोचना ही कर रहे हैं, राज्य के सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री गौतम सिंह ने मोदी के रेवाड़ी में दिए गए उस बयान का समर्थन भी किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि देश का नेतृत्व कमजोर है. इधर भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह ने इन बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जद (यू) के नेता उनका मुंह नहीं खुलवाएं, वरना सभी लोगों के विषय में वे जानते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे अपने मंत्रियों की ऐसी बयानबाजी पर लगाम लगाएं. राजनीति के जानकार भी कहते हैं कि बिहार में राजनीतिक बयानबाजी में मर्यादा तोड़ देना कोई नई बात नहीं है. पिछले चुनाव में राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार और जद (यू) के नेता ललन सिंह को लेकर एक निजी टिप्पणी की थी, जिसके बाद मामला काफी गरमा गया था. विश्लेषक कहते हैं कि आज राजनीति में एक दूसरे को नीचा दिखाने की कवायद चल रही है, जिसके कारण ऐसे बयान जन्म लेते हैं. पटना के जाने-माने पत्रकार गंगा प्रसाद कहते हैं कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा वैसे-वैसे दलों के नेताओं की तल्खी बढ़ेगी और बयानों में मर्यादा तार-तार होगी. वे यह भी कहते हैं कि 17 वषरें का भाजपा और जद (यू) का गठबंधन टूटने के बाद ही तय हो गया था कि बयानबाजी का दौर गर्म रहेगा.
राम मंदिर के मुद्दा लोकसभा चुनाव से पहले गर्माता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे की सुनवाई टलने के बाद से ही कई हिंदू संगठनों ने नाराजगी व्यक्त की है. RSS प्रमुख मोहन भागवत से लेकर अन्य नेताओं ने इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द करने की पैरवी की है. मंगलवार को भी RSS के सदस्य इंद्रेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर बयान दिया, जिस पर विवाद गहरा सकता है. पंजाब के चंडीगढ़ में चल रहे एक कार्यक्रम के दौरान इंद्रेश कुमार ने कहा, ''भारत का संविधान जजों की बपौती नहीं है, क्या वो कानून से भी ऊपर हैं.'' आपको बता दें कि इंद्रेश कुमार चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में चल रहे 'जन्मभूमि से अन्याय क्यों' कार्यक्रम में बोल रहे थे. क्यों बदले राम मंदिर की जगह? उन्होंने कहा कि राम जन्म स्थान बदलने की इजाजत क्यों दी गई. जब वेटिकन, काबा और स्वर्ण मंदिर नहीं बदले जा सकते तो राम जन्मभूमि कैसे बदली जा सकती है. उन्होंने कहा कि मस्जिद बनाने की अपनी शर्तें हैं, बाबर को किसी ने जमीन दान में नहीं दी. बाबर ने जमीन किसी से खरीदी नहीं, वहां राम मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई वहां कोई मस्जिद नहीं थी और अगर तोड़कर मस्जिद बनाई गई तो वो गुनाह है और वहां की गई इबादत स्वीकार नहीं होगी लेकिन बाबर ने कोई इस्लाम का नियम नहीं माना. संघ नेता बोले कि बाबर ने इस्लाम और कुरान शरीफ का अपमान किया, क्या मुसलमान उस बाबर की इबादत करना चाहेंगे. इस्लाम के मुताबिक, मस्जिद किसी इंसान या शहंशाह के नाम पर नहीं हो सकती लेकिन बाबर ने मुसलमानों से अल्लाह का नाम छीन लिया और अपना नाम मस्जिद को दे दिया. विदेशियों ने किया हम पर राज इंद्रेश कुमार ने कहा कि जो विदेशी आक्रमणकारी आए, उनसे हमारा क्या रिश्ता? वो हमें गुलाम बनाने आए थे. उन्होंने कहा कि इस्लामी शासकों ने देश के कुशल कारीगारों के हाथ काट दिए और किसी इंडस्ट्री के लिए कुछ नहीं किया. संघ नेता बोले कि शहंशाह ताजमहल के साथ कोर्ट या इंडस्ट्री भी बनवा सकता था. बाबर भी हम पर राज करने आया था, फैजाबाद को अयोध्या करने से रोजगार नहीं मिला, लेकिन क्या अयोध्या को फैजाबाद करने से रोजगार मिला क्या. गौरतलब है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, अक्टूबर में इस मसले की आखिरी सुनवाई हुई थी जिसके बाद कोर्ट ने इस मसले को जनवरी, 2019 तक के लिए टाल दिया था. मामले की सुनवाई टलने के बाद से ही संघ का रुख इस पर आक्रामक हुआ है. संघ प्रमुख मोहन भागवत पहले भी कह चुके हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट कहता है कि राम मंदिर का मुद्दा उसकी प्राथमिकताओं में से एक नहीं है तो यह हिंदुओं का अपमान है. बता दें कि 25 नवंबर को ही विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में धर्म सभा का आयोजन किया, इसके जरिए केंद्र सरकार पर राम मंदिर निर्माण के लिए कानून लाने के लिए दबाव बनाया गया. धर्म सभा में मोहन भागवत भी शामिल हुए थे, जहां उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को कानून या अध्यादेश लाकर राम मंदिर का निर्माण तुरंत शुरू करना चाहिए.
यह लेख है: तहलका के संस्थापक तरुण तेजपाल द्वारा अपनी ही पत्रिका की एक महिला पत्रकार का कथित यौन उत्पीड़न करने के मामले में सहयोग नहीं करने के गोवा पुलिस के आरोपों पर पत्रिका की प्रबंध संपादक शोमा चौधरी ने कहा है कि वह पुलिस से मिलेंगी और उन्होंने जो भी जानकारियां मांगी थीं, उसे मुहैया कराने को तैयार हैं। इस मामले की जांच के लिए गोवा पुलिस के दिल्ली पहुंचने के साथ ही उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मैं सहयोग करती रही हूं और मीडिया में आ रही खबरें गलत हैं। अभी, मैं पुलिस से मिलने जा रही हूं और पुलिस को जो जानकारियां चाहिए थीं, मैंने वे पहले ही भेज दिए हैं। मैंने आज सुबह उन्हें एक मेल भेजा है और मैं सामग्री भी भेज दूंगी। इससे पहले, शोमा चौधरी ने शुक्रवार को कहा था कि इस मामले में पीड़िता को फैसला करना है और ऐसे में वह पुलिस के पास नहीं जाएंगी। हालांकि आज उन्होंने कहा कि 'राज्य ने मामला शुरू' किया है, वह इसमें सहयोग करेंगी। उन्होंने कहा, यहां मेरे पुलिस के पास जाने और मामला शुरू करने, जो मेरे सहयोगी स्वेच्छा से नहीं चाहते थे.. (और) राज्य द्वारा मामला शुरू किए जाने में फर्क है, जिसके साथ मैं बेशक, सहयोग करूंगी और मैं सहयोग करती रही हूं और मीडिया में आ रही सूचना गलत है।
विशेष परिस्थितियों में जब किसी देश की न्याय व्यवस्था को सेना अपने हाथ में ले लेती है, तब जो नियम प्रभावी होते हैं उन्हें सैनिक कानून कहा जाता है। कभी-कभी युद्ध के समय अथवा किसी क्षेत्र को जीतने के बाद उस क्षेत्र में मार्शल लॉ लगा दिया जाता है। उदाहरण के लिये द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान में मार्शल लॉ लागू किया गया था। इसके अलावा प्राय: तख्ता पलट के बाद भी मार्शल लॉ लगा दिया जाता है। कभी-कभी बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा आने पर भी मार्शल लॉ लगा दिया जाता है (किन्तु अधिकांश देश इस स्थिति में आपातकाल लागू करते हैं।) मार्शल ला के अंतर्गत कर्फ्यू आदि विशेष कानून होते हैं। प्राय: मार्शल लॉ के अंतर्गत न्याय देने के लिये सेना का एक ट्रिब्यूनल नियुक्त किया जाता है जिसे कोर्ट मार्शल कहा जाता है। इसके अन्तर्गत बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका जैसे अधिकार निलंबित किए जाते हैं। परिचय फौजी कानून का अर्थ एक ओर तो शासनाधिकारियों की यह स्वीकारोक्ति होती है कि देश या क्षेत्रविशेष में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जब ताकत का सामना ताकत से करना आवश्यक है, अत: उनके हाथ में ऐसे असामान्य अधिकार होने चाहिए जिनका उपयोग संकट काल की अवधि तक देश के आंतरिक अंचल में किया जा सके, इस स्थित में न्यायालयों की प्रक्रिया के स्थान पर कार्यपालिका अथवा सैनिक प्रशासक के आदेशों को ही सर्वाधिक मान्यता प्राप्त हो जाती है। दूसरी ओर फौजी कानून एक कानूनी प्रत्यय का विचार है, जिसके द्वारा नागरिक न्यायालयों ने उन असाधारण अधिकारों के नियंत्रण का प्रयत्न किया है जो कार्यपालिका द्वारा राज्य के नागरिकों पर लागू करने के लिए अधिगृहीत किए जाते हैं। इस प्रकार फौजी कानून, सैनिक कानून (मिलिटरी ला) से, जो सशस्त्र सैन्यदल के नियंत्रण का विशेष कानून होता है, भिन्न है। नागरिक अधिकार के प्रयोग के हेतु जब सशस्त्र सेना से काम लिया जाता है तब सेना नागरिक अधिकारियों के नियंत्रण में ही अपना कार्य करती है और अपराधियों पर साधारण न्यायालयों में विचार होता है। किंतु फौजी कानून में नागरिक अधिकारियों और न्यायालयों के अधिकार स्थगित कर दिए जाते हैं और अपराधियों पर सैनिक आयोग के समक्ष मुकदमा चलाया जाता है। इंग्लैड में सम्राट् को संकटकाल घोषित करने का अधिकार नहीं है, किंतु युद्ध के समय कार्यपालिका को संसदीय विधान के अंतर्गत तथा तदनुरूप अधिनियमों के अंतर्गत अनेक व्यवस्थाएँ तथा आदेश प्रसारित करने के व्यापकाधिकार प्राप्त हो जाते हैं। फिर भी, उन अधिकारों का प्रयोग विधानमंडल और न्यायालय के दोहरे नियंत्रण में संपन्न होता है। अमरीकी विधि में राष्ट्रपति को, कांग्रेसीय कार्रवाई से स्वतंत्र, फौजी कानून घोषित करने का कहाँ तक अधिकार है और उस स्थिति में विधायिका तथा न्यायालयों द्वारा कहाँ तक नियंत्रण किया जा सकता है, यह अब भी विवाद का विषय है तथा इस मामले में कानूनी स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। भारत में भी स्पष्ट सांवैधानिक निर्देश के अभाव में यह विवादास्पद है कि फौजी कानून की घोषणा का अधिकारी कौन है। फौजी कानून संबंधी उल्लेख केवल 34वीं धारा में है, जो किसी विशेष क्षेत्र में फौजी कानून उठा लिए जाने के बाद क्षतिपूर्ति अधिनियम (ऐक्ट आब इंडेम्निटी) की व्यवस्था करती है। किंतु फौजी कानून से मिलता जुलता ही धारा 359 (1) के अंतर्गत राष्ट्रपति का वह अधिकार होता है जिससे वह धारा 21 और 22 के अंतर्गत अधिकारों का न्यायिक निष्पादन स्थगित कर दे सकता है। यह समझा जाता है कि यह मूलत: फौजी कानून का ही रूप है, किंतु प्रतीत होता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इसे विवाद के लिए छोड़ दिया है (ए आइ आर 1964) जो हो, इस संबंध में कोई भी मत अपनाया जाए, संविधान की धारा 352 के अंतर्गत संकटकाल की घोषणा का मौलिक अधिकारों पर प्रभाव न्यूनाधिक मात्रा में फौजी कानून जैसा ही है। इस प्रकार धारा 358 के अंतर्गत जब तक संकटकालीन स्थिति कायम रहती है, कार्यपालिका को धारा 19 की व्यवस्थाओं के उल्लंघन का अधिकार रहता है। राष्ट्रपति द्वारा धारा 359 (1) के अंतर्गत संकटकालीन अवधि तक या आदेश में उल्लिखित अवधि तक के लिए दूसरे मौलिक अधिकार भी स्थगित किए जा सकते हैं। राष्ट्रपति के अधिकार पर केवल इतना ही नियंत्रण होता है कि संकटकाल की घोषणा स्वीकृति के लिए संसद के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए। इस घोषणा को संसद के समक्ष प्रस्तुत करने की कोई निश्चित अवधि नहीं होती और न प्रस्तुत किए जाने पर किसी प्रकार का दंड का प्राविधान ही है, किंतु घोषणा के प्रसारित होने के दो मास पश्चात् वह स्वत: समाप्त हो जाती है। एक घोषणा के समाप्त होने पर फिर दूसरी घोषणा जारी करने में राष्ट्रपति पर कोई प्रतिबंध नहीं है। धारा 359 (1) के अंतर्गत जारी किया गया राष्ट्रपति का आदेश संसद के समक्ष यथाशीघ्र प्रस्तुत होना चाहिए। इस प्रस्तुतीकरण के समय का निर्णय करना कार्यपालिका पर छोड़ दिया गया है क्योंकि यदि राष्ट्रपति का आदेश संसद के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाता तो भी इसका प्रभाव कम नहीं होता और न ही प्रस्तुत करने के अभाव में कोई वैधानिक कार्रवाई की व्यवस्था है। सन् 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान, राष्ट्रपति ने संविधान की 14, 21 और 22 धाराओ का निष्पादन स्थगित करके संकटकालीन स्थिति की घोषणा की थी। हालात बहुत कुछ सामान्य हो जाने के बाद भी घोषणा को रद्द करने में अत्यधिक विलंब किए जाने पर सार्वजनिक रूप से बड़ी आलोचना हुई थी। इस तथ्य ने संकटकालीन अधिकारों के संबंध में कुछ और संरक्षण लगाने की आवश्यकता प्रगट कर दी है, क्योंकि ऐसा न होने पर कोई भी अविवेकी कार्याधिकारी अपनी सुविधा के लिए संविधान का उन्मूलन करके फौजी कानून को स्थायी कर दे सकता है। जर्मनी के उस वाइमर संविधान को हम अभी भूले नहीं हैं, जिसके अनुसार कानूनी शासन को स्थायी न बनने देने के लिए तरह तरह की युक्तियों का सहारा लिया गया था। भारत में भी इस प्रकार की संभावनाओं के प्रति उदासीन रहना उचित न होगा। इन्हें भी देखें आपातकाल बाहरी कड़ियाँ मार्शल लॉ क्या है? | what is martial law in hindi Martial law in Thailand in 2005 Full text of the 1972 Martial Law in the Philippines NSPD-51 विधि
मेरवे गेरहार्ड इरास्मस (जन्म 11 अप्रैल 1995) एक नामीबियाई क्रिकेटर हैं। जनवरी 2018 में, उन्हें 2018 आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन टू टूर्नामेंट के लिए नामीबिया की टीम में नामित किया गया था। अगस्त 2018 में, उन्हें नामीबिया के दस्ते में 2018 अफ्रीका टी 20 कप के लिए नामित किया गया था। मार्च 2019 में, उन्हें 2019 आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन टू टूर्नामेंट के लिए नामीबिया के टीम के कप्तान के रूप में नामित किया गया था। नामीबिया टूर्नामेंट में शीर्ष चार स्थानों में समाप्त हुआ, इसलिए एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (वनडे) का दर्जा प्राप्त किया। इरास्मस ने टूर्नामेंट के फाइनल में, ओमान के खिलाफ, 27 अप्रैल 2019 को नामीबिया के लिए अपना वनडे डेब्यू किया। मई 2019 में, उन्हें युगांडा में 2018-19 आईसीसी टी 20 विश्व कप अफ्रीका क्वालीफायर टूर्नामेंट के क्षेत्रीय फाइनल के लिए नामीबिया के टीम के कप्तान के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने 20 मई 2019 को घाना के खिलाफ नामीबिया के लिए ट्वेंटी 20 अंतर्राष्ट्रीय (टी20ई) की शुरुआत की। जून 2019 में, वह क्रिकेट नामीबिया के एलीट मेंस स्क्वाड में नामांकित होने वाले पच्चीस क्रिकेटरों में से एक था, जो 2019-20 के अंतर्राष्ट्रीय सत्र से पहले था। सितंबर 2019 में, उन्हें संयुक्त अरब अमीरात में 2019 आईसीसी टी 20 विश्व कप क्वालीफायर टूर्नामेंट के लिए नामीबिया के टीम के कप्तान के रूप में नामित किया गया था। वह टूर्नामेंट में नामीबिया के लिए प्रमुख रन-स्कोरर थे, जिसमें नौ मैचों में 268 रन थे। फाइनल के समापन के बाद, उन्हें टूर्नामेंट के खिलाड़ी के रूप में नामित किया गया था। सन्दर्भ जीवित लोग 1995 में जन्मे लोग
यह एक लेख है: भाजपा ने चुनाव आयोग से मांग की कि मुसलमानों को आरक्षण देने संबंधी कांग्रेस नेताओं की ओर से जारी बयानबाजी के मामले में बेनी प्रसाद वर्मा सहित इस संवैधानिक संस्था को चुनौती देने वाले केन्द्रीय मंत्रियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए और उन्हें उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार से रोका जाए।टिप्पणियां इस मुद्दे पर भाजपा प्रतिनिधिमंडल के चुनाव आयोग से मिलने के बाद पार्टी के महासचिव जे पी नड्डा ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने चुनाव आयोग से मिलकर बेनी प्रसाद वर्मा के विरुद्ध अपनी शिकायत दर्ज कराई है। हमने आयोग से कहा है कि उसकी चेतावनी के बावजूद केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा मुसलमानों को आरक्षण देने से जुड़ी बयानबाजी करके आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए।’’ पार्टी प्रतिनिधिमंडल में नड्डा के अलावा राजीव प्रताप रूडी और शाहनवाज हुसैन आदि शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से मिल कर अपनी शिकायत दर्ज कराई और उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि चुनाव आयोग को आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले केन्द्रीय मंत्रियों की केवल निंदा करने के बजाए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उसने मांग की ऐसे मंत्रियों को चुनाव प्रचार करने से रोक देना चाहिए। इसमें कहा गया कि पहले सलमान खुर्शीद और अब वर्मा ने चुनाव आयोग को चुनौती दी है। इसमें कहा गया है कि वोट बैंक की राजनीति के तहत केन्द्रीय मंत्री मुसलमानों को आरक्षण देने के मामले की बयानबाजी में ‘रिले दौड़’ जैसा आचरण अपनाए हुए हैं। नड्डा ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं की अवमानना करना कांग्रेस पार्टी की आदत-सी बन गई है, जिस पर अंकुश लगाना जरूरी है। इस मुद्दे पर भाजपा प्रतिनिधिमंडल के चुनाव आयोग से मिलने के बाद पार्टी के महासचिव जे पी नड्डा ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने चुनाव आयोग से मिलकर बेनी प्रसाद वर्मा के विरुद्ध अपनी शिकायत दर्ज कराई है। हमने आयोग से कहा है कि उसकी चेतावनी के बावजूद केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा मुसलमानों को आरक्षण देने से जुड़ी बयानबाजी करके आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए।’’ पार्टी प्रतिनिधिमंडल में नड्डा के अलावा राजीव प्रताप रूडी और शाहनवाज हुसैन आदि शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से मिल कर अपनी शिकायत दर्ज कराई और उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि चुनाव आयोग को आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले केन्द्रीय मंत्रियों की केवल निंदा करने के बजाए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उसने मांग की ऐसे मंत्रियों को चुनाव प्रचार करने से रोक देना चाहिए। इसमें कहा गया कि पहले सलमान खुर्शीद और अब वर्मा ने चुनाव आयोग को चुनौती दी है। इसमें कहा गया है कि वोट बैंक की राजनीति के तहत केन्द्रीय मंत्री मुसलमानों को आरक्षण देने के मामले की बयानबाजी में ‘रिले दौड़’ जैसा आचरण अपनाए हुए हैं। नड्डा ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं की अवमानना करना कांग्रेस पार्टी की आदत-सी बन गई है, जिस पर अंकुश लगाना जरूरी है। ज्ञापन में कहा गया कि चुनाव आयोग को आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले केन्द्रीय मंत्रियों की केवल निंदा करने के बजाए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उसने मांग की ऐसे मंत्रियों को चुनाव प्रचार करने से रोक देना चाहिए। इसमें कहा गया कि पहले सलमान खुर्शीद और अब वर्मा ने चुनाव आयोग को चुनौती दी है। इसमें कहा गया है कि वोट बैंक की राजनीति के तहत केन्द्रीय मंत्री मुसलमानों को आरक्षण देने के मामले की बयानबाजी में ‘रिले दौड़’ जैसा आचरण अपनाए हुए हैं। नड्डा ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं की अवमानना करना कांग्रेस पार्टी की आदत-सी बन गई है, जिस पर अंकुश लगाना जरूरी है।
अभिनेत्री श्रीदेवी अपनी अगली फिल्म 'इंगलिश विंग्लिश' के प्रचार के लिए 'कौन बनेगा करोड़पति 6' (केबीसी) के हॉट सीट पर बैठेंगी. सूत्रों ने कहा कि 49 वर्षीया श्रीदेवी केबीसी के लिए मुंबई में मंगलवार को शूटिंग करेंगी. केबीसी के प्रस्तोता अमिताभ बच्चन ने श्रीदेवी की 'इंगलिश विंग्लिश' में छोटी सी अतिथि भूमिका निभाई है. इससे पहले भी दोनों 'आखिरी रास्ता', 'इंकलाब' तथा 'खुदा गवाह' जैसी फिल्मों में साथ-साथ काम कर चुके हैं. अमिताभ ने ट्विटर पर लिखा है, 'श्रीदेवी आज भी पहले की तरह हैं. उत्साही, स्वाभाविक, दिलचस्प.' फिल्म 'इंगलिश विंग्लिश' पांच अक्टूबर को प्रदर्शित होने जा रही है. इसकी निर्देशक गौरी शिंदे हैं. गौरी की यह पहली फिल्म है. वह फिल्म 'पा' के निर्देशक आर. बाल्की की पत्नी हैं.
लोकसभा चुनाव 2019 में इस बार बिहार का बेगूसराय खासा चर्चाओं में है, जिस पर सबकी नजरें टिकी हैं. कारण कि यहां पहली बार चुनावी अखाड़े में अपनी किस्मत आजमाने आए जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव के उम्मीवार कन्हैया कुमार, एनडीए के गिरिराज सिंह और महागठबंधन के तनवीर हसन के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं. सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार आज यानी मंगलवार (9 अप्रैल) को अपना नामांकन दाखिल कर रहे हैं, जिसमें अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली. कन्हैया कुमार को समर्थन देने के लिए विधायक जिग्नेश मेवानी, शेहला रशीद, गुरमेहर कौर और नजीब की मां अम्मा फ़ातिमा नफ़ीस तमाम लोग बिहार के बेगूसराय में पहुंचे हुए हैं, जो नामांकन के समय रोड शो में भी दिखे. इतना ही नहीं, कन्हैया के समर्थन में सड़कों पर जनसैलाब देखने को मिला. लाल झंडों और लाल सलाम के नारों के साथ समर्थक कन्हैया के साथ नामांकन के लिए जाते दिखे.  नामांकन करने के जार रहे कन्हैया ने अपने ट्विटर अकांट से एक ट्वीट किया और लिखा- 'अम्मा फ़ातिमा नफ़ीस, जिग्नेश, शेहला, गुरमेहर समेत उन तमाम साथियों का शुक्रिया जो संविधान और लोकतंत्र को बचाने के संघर्ष को मज़बूत करने के लिए बेगूसराय आए हैं. जहां देखो वहां हमारे साथी लाल झंडों के साथ नज़र आ रहे हैं. एकजुटता का ऐसा भव्य नज़ारा सबमें जोश भर रहा है.' अम्मा फ़ातिमा नफ़ीस, जिग्नेश, शेहला, गुरमेहर समेत उन तमाम साथियों का शुक्रिया जो संविधान और लोकतंत्र को बचाने के संघर्ष को मज़बूत करने के लिए बेगूसराय आए हैं। जहाँ देखो वहाँ हमारे साथी लाल झंडों के साथ नज़र आ रहे हैं। एकजुटता का ऐसा भव्य नज़ारा सबमें जोश भर रहा है। pic.twitter.com/0lkW4FAFF9 कन्हैया कुमार ने नामांकन करने जाने से पहले अपनी मां का आशीर्वाद लिया. उन्होंने ट्विटर पर तस्वीरें साझा कर लिखा- मांओं के आशीर्वाद और दुआओं के साथ नामांकन के लिए निकल रहा हूं. यह सीख उनसे ही मिली है कि लक्ष्य चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो अगर हम लगातार कोशिश करें तो जीत ज़रूर मिलती है. और यह भी कि पूरी दुनिया के दुख-दर्द को अपना दुख-दर्द समझना ही इंसान होने की पहली शर्त है'. माँओं के आशीर्वाद और दुआओं के साथ नामांकन के लिए निकल रहा हूँ। यह सीख उनसे ही मिली है कि लक्ष्य चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो अगर हम लगातार कोशिश करें तो जीत ज़रूर मिलती है। और यह भी कि पूरी दुनिया के दुख-दर्द को अपना दुख-दर्द समझना ही इंसान होने की पहली शर्त है। pic.twitter.com/klsu9WQDah इसके बाद कन्हैया कुमार राष्ट्रकवि दिनकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करने पहुंचे. कन्हैया ने इसे भी अपने ट्विटर पर साझा किया और लिखा- 'राष्ट्रकवि दिनकर की धरती नफ़रत फैलाकर सियासत करने वालों को कभी पनपने नहीं देगी. उन्हीं के शब्दों में- "जब तक मनुज-मनुज का यह/सुख भाग नहीं सम होगा/ शमित न होगा कोलाहल/ संघर्ष नहीं कम होगा." राष्ट्रकवि दिनकर की धरती नफ़रत फैलाकर सियासत करने वालों को कभी पनपने नहीं देगी। उन्हीं के शब्दों में - "जब तक मनुज-मनुज का यह / सुख भाग नहीं सम होगा / शमित न होगा कोलाहल / संघर्ष नहीं कम होगा।" pic.twitter.com/KgRuPWUCxX गुरमेहर कौर ने एक वीडियो को रिट्वीट किया है, जिसमें कन्हैया के समर्थन के लिए आईं फ़ातिमा नफ़ीस ने कहा कि मुझे खुशी है और यकीन हो गया है कि कन्हैया जरूर जीतेगा. मैं यहां के लोगों में काफी जोश देख रही हूं. कन्हैया सिर्फ बेगूसराय का नहीं, देश का हीरो है, वह सबका बेटा है, देश का बेटा. वहीं शेहला रशीद ने कहा कि हमें ऐसा लग रहा है कि आज सिर्फ बेगूसराय की लड़ाई नहीं है, पूरे देश की लड़ाई है. पूरे मुल्क की लड़ाई है. देश की आज जरूरत है कि एक नया नेता मिले. वहीं, गुरमेहर ने कहा कि मुझे नहीं याद है कि किसी गैर राजनीतिक किसी व्यक्ति ने इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी रैली की है. यह एक तरह से जीत है.' As @kanhaiyakumar goes to file his nomination from Begusarai, @FatimaNafis1@Shehla_Rashid and @mehartweets join the caravan to cheer him on. @TeestaSetalvad reporting from Begusarai on #Elections2019#HateFreeElectionspic.twitter.com/v7BlUkW3la बता दें कि इस सीट पर कन्हैया कुमार के सामने बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह हैं तो राजद महागठबंधन की तरफ से तनवीर हसन. बेगूसराय में मुकाबला त्रिकोणीय है, क्योंकि कन्हैया कुमार का मुकाबला सिर्फ गिरिराज सिंह ही नहीं, बल्कि महागठबंधन के राजद उम्मीदवार डॉ तनवीर हसन से भी है. बता दें कि इस सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होगा.  pic.twitter.com/vUuDodrheg रिपोर्ट की मानें तो बेगूसराय के 19 लाख मतदाताओं में भूमिहार मतदाता करीब 19 फीसदी, 15 फीसदी मुस्लिम, 12 फीसदी यादव और सात फीसदी कुर्मी हैं. भूमिहार वोट यहां की मुख्य कड़ी हैं और इस बात का सबूत है कि पिछले 16 लोकसभा चुनावों में से कम से कम 11 में नौ बार भूमिहार सांसद बने हैं.2009 में अंतिम परिसीमन से पहले बेगूसराय जिले में दो संसदीय सीटें बेगूसराय और बलिया सीट थीं. तब उन दोनों को मिलाकर बेगूसराय कर दिया गया और बलिया सीट खत्म हो गई. बेगूसराय जिले की सात विधानसभा सीटों में से पांच बलिया में आती हैं.
इनिएस्ता को 15 मई 2006 को 2006 फीफा विश्व कप में स्पेन की वरिष्ठ टीम का प्रतिनिधित्व करने के लिए बुलाया गया था, जिससे कई लोगों को आश्चर्य हुआ। उन्होंने ला फुरिया रोजा के लिए अपनी पहली कैप तब जीती जब उन्हें 27 मई को रूस के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में हाफ-टाइम पर लाया गया था। उनका पहला गोल 7 फरवरी 2007 को इंग्लैंड के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में हुआ था। उनके लंबी दूरी के प्रयास ने, रास्ते में क्रॉसबार के नीचे से टकराकर, स्पेन को 63 मिनट में बढ़त दिला दी। इनिएस्ता ने स्वीडन के खिलाफ गोल करके और स्ट्राइकरों की सहायता करके यूईएफए यूरो 2008 के लिए स्पेन की योग्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजस्थान में बीकानेर संभाग के श्रीगंगानगर जिले में सीमा सुरक्षा बल ने विशेष अभियान के तहत एक संदिग्ध मोटरसाइकिल सवार को पकड़कर उसके कब्जे से 10 पैकेट डोडा पोस्त बरामद किए हैं. इसके अलावा उसके पास से दो मोबाइल फोन और कुछ रुपये की नकदी भी मिली है. सीमा सुरक्षा बल के एक स्थानीय अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सीमा चौकी खखां इलाके में विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान जांच दल ने बाइक सवार दो संदिग्धों को रुकने का इशारा दिया. तभी उनमें से एक बाइक से कूदकर फरार हो गया. जबकि दूसरे को जवानों ने पकड़ लिया. जब पकड़े गए संदिग्ध की तलाशी ली गई, तो उसके कब्जे से डोडा पोस्त के 10 पैकेट बरामद हुए. जिनका कुल वजन 9.800 किलोग्राम है. साथ ही उसके पास से 2 मोबाइल फोन और 700 रुपये नकद भी बरामद हुए. अधिकारी के मुताबिक प्रारंभिक पूछताछ में संदिग्ध ने अपना नाम पंजाब के फाजिल्का निवासी सुखविन्दर सिंह बताया. उसकी उम्र करीब 20 साल है. वह अपने साथी के साथ मिलकर नशीला पदार्थ की तस्करी कर रहा था. बीएसएफ ने पूछताछ के बाद बरामद किया गया मादक पदार्थ , जब्त सामान और आरोपी को हिन्दुमलकोट थाना पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी. पुलिस आरोपी पूछताछ कर रही है.
गुजरात के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में अपील कर अपने गृह राज्य लौटने की अनुमति मांगी। सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच के दौरान उन्हें राज्य से बाहर रहने को कहा गया था। उच्चतम न्यायालय में दायर आवेदन में उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले 16 महीने से गृह राज्य से बाहर रहने के कारण उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को ‘काफी कठिनाइयों’ का सामना करना पड़ा है।टिप्पणियां उन्होंने 11 पन्नों के अपने आवेदन में कहा, ‘आवेदक की उम्र 46 वर्ष है और उनका पूरा परिवार गुजरात में रहता है। वर्तमान मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के मुताबिक जो व्यक्ति 16 महीने से अपने गृह राज्य से बाहर रह रहा है उसके लिये यह सजा ही है। खासकर तब जब वह अपने परिवार के सदस्यों और निकट संबंधियों के सहयोग से वंचित है।’ उच्चतम न्यायालय ने 30 अक्तूबर 2010 को शाह को निर्देश दिया था कि वह अपने राज्य को छोड़ दें और अगले आदेश तक राज्य से बाहर रहें। उच्चतम न्यायालय में फैसले में संशोधन की वकालत करते हुए शाह ने कहा, ‘अगर 30 अक्तूबर 2010 के आदेश में संशोधन नहीं होता है तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।’ उच्चतम न्यायालय में दायर आवेदन में उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले 16 महीने से गृह राज्य से बाहर रहने के कारण उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को ‘काफी कठिनाइयों’ का सामना करना पड़ा है।टिप्पणियां उन्होंने 11 पन्नों के अपने आवेदन में कहा, ‘आवेदक की उम्र 46 वर्ष है और उनका पूरा परिवार गुजरात में रहता है। वर्तमान मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के मुताबिक जो व्यक्ति 16 महीने से अपने गृह राज्य से बाहर रह रहा है उसके लिये यह सजा ही है। खासकर तब जब वह अपने परिवार के सदस्यों और निकट संबंधियों के सहयोग से वंचित है।’ उच्चतम न्यायालय ने 30 अक्तूबर 2010 को शाह को निर्देश दिया था कि वह अपने राज्य को छोड़ दें और अगले आदेश तक राज्य से बाहर रहें। उच्चतम न्यायालय में फैसले में संशोधन की वकालत करते हुए शाह ने कहा, ‘अगर 30 अक्तूबर 2010 के आदेश में संशोधन नहीं होता है तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।’ उन्होंने 11 पन्नों के अपने आवेदन में कहा, ‘आवेदक की उम्र 46 वर्ष है और उनका पूरा परिवार गुजरात में रहता है। वर्तमान मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के मुताबिक जो व्यक्ति 16 महीने से अपने गृह राज्य से बाहर रह रहा है उसके लिये यह सजा ही है। खासकर तब जब वह अपने परिवार के सदस्यों और निकट संबंधियों के सहयोग से वंचित है।’ उच्चतम न्यायालय ने 30 अक्तूबर 2010 को शाह को निर्देश दिया था कि वह अपने राज्य को छोड़ दें और अगले आदेश तक राज्य से बाहर रहें। उच्चतम न्यायालय में फैसले में संशोधन की वकालत करते हुए शाह ने कहा, ‘अगर 30 अक्तूबर 2010 के आदेश में संशोधन नहीं होता है तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।’ उच्चतम न्यायालय में फैसले में संशोधन की वकालत करते हुए शाह ने कहा, ‘अगर 30 अक्तूबर 2010 के आदेश में संशोधन नहीं होता है तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।’
लेख: केसी बोकाडिया की फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' को लेकर राजस्थान में विवाद खड़ा हो गया, जब राज्य के कई विधायकों ने फिल्म के पोस्टरों में विधानसभा की इमारत को अशोभनीय तरीके से दिखाने का आरोप लगाते हुए फिल्म पर बैन लगाने की मांग की। विवादित पोस्टर में बॉलीवुड अभिनेत्री मल्लिका शेरावत लगभग अर्द्धनग्न अवस्था में विधानसभा भवन के सामने बैठी दिखाई गई है, और उनके पीछे राजस्थान विधानसभा और अशोक चक्र साफ नज़र आ रहे हैं। इस मामले को विधानसभा में कांग्रेस के रामेश्वर डूडी ने उठाया और कहा, "मल्लिका शेरावत के पीछे विधानसभा का चित्र होना गलत है, अशोभनीय भी है, और इसकी जितनी निंदा करें, वह कम है..." इसके बाद उनके विचारों से बीजेपी के विधायक भी सहमत होते दिखे। बीजेपी के रामलाल का कहना था कि फिल्में समाज को संदेश देने के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन यहां माननीय सदस्यों की भावनाओं का अपमान किया गया है। ऐसे विरोध को देखते हुए बीजेपी सरकार ने कहा है कि कार्रवाई की जाएगी, और संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र राठौर ने आश्वासन दिया कि वह "मामले को मुख्यमंत्री तक लेकर जाएंगे..." बताया गया है कि यह फिल्म वर्ष 2011 में हुए भंवरी देवी हत्याकांड पर आधारित है। मामले की जांच करने वाली सीबीआई ने चार्जशीट में कहा था कि भंवरी देवी ने कुछ राजनेताओं की अश्लील सीडी तैयार की थीं, जिनके आधार पर वह उन्हें ब्लैकमेल कर रही थी, इसलिए उसकी हत्या करवाई गई थी। इस मामले में कांग्रेस के पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान सिंह जेल में हैं। मामला फिलहाल कोर्ट में चल रहा है। वैसे, फिल्म के पोस्टर को लेकर हुए इन विवादों पर फिलहाल फिल्म निर्माताओं की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
यह लेख है: सियाचिन से लेकर दक्षिण चीन सागर तक हर जगह सेना के तीनों अंगों के जवान मंगलवार को योग करते दिखेंगे। यही नहीं, लाइन ऑफ कंट्रोल से लेकर थार के रेगिस्तान तक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर जवान योग के रंग में रंगे नजर आएंगे।टिप्पणियां नौसेना के युद्धपोतों पर भी - चाहे वे समंदर में क्यों ना हों - नौसैनिक सुबह सबह योग करेंगे। ऐसे ही विमानवाहक पोत विराट पर नोसैनिक योग करते नजर आ रहे हैं।   सेना के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों के जवान भी अपने अपने इलाके में योग करते दिखेंगे। कोई भी इस मौके पर पीछे नहीं रहना चाहता है। वैसे सेना में योग कोई नई बात नहीं है लेकिन सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलने से इसको और बल मिला है। नौसेना के युद्धपोतों पर भी - चाहे वे समंदर में क्यों ना हों - नौसैनिक सुबह सबह योग करेंगे। ऐसे ही विमानवाहक पोत विराट पर नोसैनिक योग करते नजर आ रहे हैं।   सेना के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों के जवान भी अपने अपने इलाके में योग करते दिखेंगे। कोई भी इस मौके पर पीछे नहीं रहना चाहता है। वैसे सेना में योग कोई नई बात नहीं है लेकिन सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलने से इसको और बल मिला है। वैसे सेना में योग कोई नई बात नहीं है लेकिन सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलने से इसको और बल मिला है।
इतिहास में 20 जून: आज ही के दिन खोला गया था मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस
मध्य प्रदेश के सीहोर में बदमाशों ने एक शहीद जवान की पत्नी से 8.50 लाख रुपये ठग लिए. आरोपी बीएसएफ की वर्दी पहनकर आए और महिला को झांसा दे दिया. पैसा हड़पने के लिए बदमाशों ने इतना शातिर तरीका अपनाया कि महिला यह भांप भी नहीं पाई थी उसे ठगा जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार, श्रीनगर में वर्ष 2013 में आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिक ओमप्रकाश मर्दानिया की पत्नी कोमल मर्दानिया के साथ ठगी की घटना हुई. बीएसएफ की वर्दी में आए बदमाशों ने कोमल को झांसा देकर उनके खाते से साढ़े 8 लाख रुपये निकलवाकर भाग खड़े हुए. यही नहीं, आरोपी उसके रिश्तेदार की एक बाइक भी ले भागे. पीड़िता कोमल ने शिकायत में बताया कि बीएसएफ की वर्दी में एक व्यक्ति उनके घर आया. उसने कहा कि उनके पति के पीएफ और बाकी सहायता की करीब 35 लाख रुपये की रकम उनके खाते में जमा करवानी हैं. इसके लिए उन्होंने खाते की जानकारी ली कि वो अब तक किस खाते में पैसे लेते आई हैं. इस पर कोमल ने बताया कि इसके पहले आए पैसों को उन्होंने बच्चों के खाते में जमा करवा दिया था. इस बार भी वह ऐसा ही चाहती है. लेकिन ठग ने उन्हें उनकी सास के खाते में पैसे ना डालने की सलाह दी और कहा कि आपके खाते में पूरे 35 लाख जमा हो जाएंगे. आपको केवल इसमें से 8.50 रुपये कैश निकालकर अपनी सास की इछावर स्थित एसबीआई बैंक में डालने होंगे. जैसे ही कोमल ने पैसे बैंक से निकाले उसे संभालने की बात कहकर आरोपी ने उन्हें अपने पास रख लिया. वह थोड़ी देर बाद मृत्यु प्रमाण-पत्र और शपथ-पत्र बनवाने की बात कहकर पैसे और बाइक लेकर फरार हो गया. जब वो लौटा नहीं तो कोमल को ठगी का एहसास हुआ. उसने थाने में जाकर शिकायत दर्ज करवाई है. एसपी सीहोर राजेश सिंह चंदेल ने बताया कि बैंक के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में आरोपी की पहचान की जा रही है. जांच में पता लगा है कि ठग की वर्दी पर मिश्रीलाल मीणा की नेम प्लेट और कंधे पर 2 स्टार भी लगे थे. फिलहाल नाकेबंदी करके उसकी तलाश जारी है. जल्द उसे पकड़ लिया जाएगा.
दूसरे वनडे मुकाबले में जीत के बाद टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा है कि बैटिंग ऑर्डर बदलने की रणनीति आगे भी जारी रह सकती है. धोनी का मानना है कि बल्लेबाजों ने इस बदलाव से काफी अच्छी तरह सामंजस्य बैठाया. धोनी ने बैटिंग ऑर्डर में एक स्थान नीचे आने के लिए राजी होने पर विराट कोहली की तारीफ भी की. कोहली ने दिल्ली में शनिवार को खेले गए मुकाबले में 62 रन की पारी खेलते हुए अपना 31वां अर्धशतक जड़ा और फॉर्म में वापसी का संकेत दिया. उन्होंने सुरेश रैना (62) के साथ चौथे विकेट के लिए 105 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी भी की जिससे भारत ने 50 ओवर में सात विकेट पर 263 रन का स्कोर खड़ा किया. भारत ने दूसरा मैच 48 रन से जीतकर सीरीज 1-1 से बराबर कर दी. धोनी ने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'विराट कोहली काफी अनुभवी हैं और जानते हैं कि टीम उससे क्या चाहती है. हम उन्हें बैटिंग ऑर्डर में नीचे आने के लिए मनाने में सफल रहे और वो समझ गए कि यह टीम और उसके लिए सही है. हमें सभी चीजों को देखना पड़ता है. कप्तान ने कहा, 'कोहली ऐसे खिलाड़ी हैं जो तेजी से रन बनाता है. अगर कोई तीसरे नंबर पर अच्छा कर रहा है और विराट भी चौथे नंबर पर सहज है तो फिर ऐसा क्यों नहीं किया जाए. इसके साथ आगे बढ़ा जाए. लेकिन यह पहली बार किया गया इसलिए देखते हैं कि क्या होता है.' रायुडू की भी तारीफ कोहली की जगह तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे अंबाती रायुडू ने 32 रन की उपयोगी पारी खेली. धोनी ने भी नाबाद 51 रन बनाए और वह बल्लेबाजी क्रम से खुश हैं. धोनी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह टीम के लिए अच्छा है कि आपके सबसे अनुभवी खिलाड़ी पांचवें, छठे और सातवें नंबर पर खेलें. और हां, इससे विराट को क्रम बदलने में भी मदद मिली और वह रन बनाने में सफल रहे. यह हर तरह से जीत की स्थिति थी क्योंकि रायुडू को भी लय में आने के लिए अधिक गेंद मिली. इससे विरोधी टीम की रणनीति भी प्रभावित हुई. इसलिए सब कुछ ठीक रहा.' धोनी ने सभी गेंदबाजों की भी तारीफ की. उन्होंने कहा, ‘यह दोहरे उछाल वाली विकेट थी. मुझे लगता है कि हमने 20 रन कम बनाए लेकिन गेंदबाजों ने काफी अच्छी गेंदबाजी की. बल्लेबाज पर दबाव बनाए रखना और उन्हें स्ट्राइक रोटेट नहीं करने देना अहम है. शमी ने शानदार स्पेल किया. मिश्रा लय में थे और जब भी उन्होंने गेंद को फ्लाइट किया उन्हें अतिरिक्त मदद मिली और इसके बाद रविंद्र जडेजा ने अपनी भूमिका निभाई.'
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड ने आज कहा कि मई, 2013 में उसके ट्रैक्टरों की बिक्री 24.24 प्रतिशत बढ़कर 23,626 इकाइयों की रही। बीते साल की इसी अवधि में कंपनी ने 19,016 ट्रैक्टर बेचे थे। घरेलू बाजार में कंपनी के ट्रैक्टरों की बिक्री 24.70 प्रतिशत बढ़कर 22,471 इकाइयों की रही, जबकि बीते साल मई में घरेलू बाजार में उसने 18,019 ट्रैक्टर बेचे थे।टिप्पणियां कंपनी के मासिक निष्पादन पर महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुख्य कार्यकारी (ट्रैक्टर एवं कृषि मशीनीकरण) राजेश जेजुरिकर ने कहा कि कंपनी पिछले दो महीनों में सतत वृद्धि दर हासिल कर खुश है। उन्होंने कहा, बेहतर मानसून की संभावना से किसानों का मनोबल ऊंचा रहेगा, जिससे कुल कृषि क्षेत्र में तेजी आएगी। कंपनी के ट्रैक्टरों का निर्यात मई, 2013 में 15.84 प्रतिशत बढ़कर 1,155 इकाइयों का रहा जबकि बीते साल मई में कंपनी ने 997 ट्रैक्टरों का निर्यात किया था। घरेलू बाजार में कंपनी के ट्रैक्टरों की बिक्री 24.70 प्रतिशत बढ़कर 22,471 इकाइयों की रही, जबकि बीते साल मई में घरेलू बाजार में उसने 18,019 ट्रैक्टर बेचे थे।टिप्पणियां कंपनी के मासिक निष्पादन पर महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुख्य कार्यकारी (ट्रैक्टर एवं कृषि मशीनीकरण) राजेश जेजुरिकर ने कहा कि कंपनी पिछले दो महीनों में सतत वृद्धि दर हासिल कर खुश है। उन्होंने कहा, बेहतर मानसून की संभावना से किसानों का मनोबल ऊंचा रहेगा, जिससे कुल कृषि क्षेत्र में तेजी आएगी। कंपनी के ट्रैक्टरों का निर्यात मई, 2013 में 15.84 प्रतिशत बढ़कर 1,155 इकाइयों का रहा जबकि बीते साल मई में कंपनी ने 997 ट्रैक्टरों का निर्यात किया था। कंपनी के मासिक निष्पादन पर महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुख्य कार्यकारी (ट्रैक्टर एवं कृषि मशीनीकरण) राजेश जेजुरिकर ने कहा कि कंपनी पिछले दो महीनों में सतत वृद्धि दर हासिल कर खुश है। उन्होंने कहा, बेहतर मानसून की संभावना से किसानों का मनोबल ऊंचा रहेगा, जिससे कुल कृषि क्षेत्र में तेजी आएगी। कंपनी के ट्रैक्टरों का निर्यात मई, 2013 में 15.84 प्रतिशत बढ़कर 1,155 इकाइयों का रहा जबकि बीते साल मई में कंपनी ने 997 ट्रैक्टरों का निर्यात किया था। उन्होंने कहा, बेहतर मानसून की संभावना से किसानों का मनोबल ऊंचा रहेगा, जिससे कुल कृषि क्षेत्र में तेजी आएगी। कंपनी के ट्रैक्टरों का निर्यात मई, 2013 में 15.84 प्रतिशत बढ़कर 1,155 इकाइयों का रहा जबकि बीते साल मई में कंपनी ने 997 ट्रैक्टरों का निर्यात किया था।
2जी स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी का दूसरा दिन बुधवार सुबह 9:00 बजे शुरू हुआ। बिहार दूरसंचार सर्किल में स्पेक्ट्रम के लिए मांग बढ़ी है। दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने पूछे जाने पर कहा, हां, आठवां दौर प्रगति पर है। सरकार प्रत्येक सर्किल में 1.25 मेगाहर्ट्ज वाले स्पेक्ट्रम के आठ ब्लॉकों की नीलामी कर रही है। सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पहले दिन यानी 12 नवंबर को आखिरी दौर में केवल बिहार सर्किल में स्पेक्ट्रम के लिए बोलियां लगाई गईं।टिप्पणियां पांच दूरसंचार कंपनियों- भारती एयरटेल, वोडाफोन, टेलीनॉर प्रवर्तित टेलीविंग्स, वीडियोकॉन और आइडिया सेलुलर ने नीलामी में भागीदारी के लिए आवेदन किया था। अखिल भारतीय स्तर पर 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 14,000 करोड़ रुपये का ऊंचा आधार मूल्य रखे जाने के चलते नीलामी के पहले दिन दूरसंचार कंपनियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली और दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक व राजस्थान के लिए स्पेक्ट्रम का कोई लिवाल सामने नहीं आया। सरकार प्रत्येक सर्किल में 1.25 मेगाहर्ट्ज वाले स्पेक्ट्रम के आठ ब्लॉकों की नीलामी कर रही है। सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पहले दिन यानी 12 नवंबर को आखिरी दौर में केवल बिहार सर्किल में स्पेक्ट्रम के लिए बोलियां लगाई गईं।टिप्पणियां पांच दूरसंचार कंपनियों- भारती एयरटेल, वोडाफोन, टेलीनॉर प्रवर्तित टेलीविंग्स, वीडियोकॉन और आइडिया सेलुलर ने नीलामी में भागीदारी के लिए आवेदन किया था। अखिल भारतीय स्तर पर 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 14,000 करोड़ रुपये का ऊंचा आधार मूल्य रखे जाने के चलते नीलामी के पहले दिन दूरसंचार कंपनियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली और दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक व राजस्थान के लिए स्पेक्ट्रम का कोई लिवाल सामने नहीं आया। पांच दूरसंचार कंपनियों- भारती एयरटेल, वोडाफोन, टेलीनॉर प्रवर्तित टेलीविंग्स, वीडियोकॉन और आइडिया सेलुलर ने नीलामी में भागीदारी के लिए आवेदन किया था। अखिल भारतीय स्तर पर 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 14,000 करोड़ रुपये का ऊंचा आधार मूल्य रखे जाने के चलते नीलामी के पहले दिन दूरसंचार कंपनियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली और दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक व राजस्थान के लिए स्पेक्ट्रम का कोई लिवाल सामने नहीं आया। अखिल भारतीय स्तर पर 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 14,000 करोड़ रुपये का ऊंचा आधार मूल्य रखे जाने के चलते नीलामी के पहले दिन दूरसंचार कंपनियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली और दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक व राजस्थान के लिए स्पेक्ट्रम का कोई लिवाल सामने नहीं आया।
साल 2014 सर्वोच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण फैसलों के लिए भी जाना जाएगा. अपने फैसलों के कारण 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सर्वोच्चता बरकरार रखी. यह अलग बात है कि देश की नई सरकार ने न्यायपालिका पर लगाम लगाने के लिए दो विधेयक संसद में पेश किए, जिसके जरिए जजों की नियुक्ति प्रक्रिया बदली जाएगी और उन पर अनुशासन के उपाय लाए जाएंगे. कोर्ट ने प्रधानमंत्री मोदी से यह भी कहा कि दागी सांसदों को मंत्री न बनाया जाए. न्यायालय ने कार्यपालिका और कारोबारी जगत के हर संदिग्ध कदम पर सख्त सवाल पूछे और समाज के कमजोर एवं वंचित तबके के पक्ष में फैसले सुनाए.न्यायपालिका ने पर्यावरण से लेकर सामाजिक एवं आर्थिक न्याय और व्यापार तक हर क्षेत्र में अपनी सर्वोच्चता कायम रखी. वरिष्ठ अधिवक्ता सी. ए. सुंदरम ने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय आज देश में सबसे शक्तिशाली और प्रभावी स्थान हासिल कर चुका है. निडर और स्वतंत्र न्यायपालिका ने उन क्षेत्रों में भी हस्तक्षेप किए, जिनमें इससे पहले न्यायालय नहीं करता रहा है. न्यायालय ने आज उस हर क्षेत्र में हस्तक्षेप किया है, जिसका संबंध आम आदमी के हित से जुड़ा है. इस तरह सर्वोच्च न्यायालय आज आम आदमी के हितों की रक्षा करने वाले संस्थान का दर्जा हासिल कर चुका है.' सर्वोच्च न्यायालय नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा संविधान संशोधन कर न्यायाधीशों की नियुक्ति की दशकों पुरानी कॉलेजियम प्रणाली में बदलाव कर न्यायाधीशों की नियुक्ति और उन्हें अनुशासित रखने में सरकारी हस्तक्षेप की कोशिश के बीच भी अडिग बना रहा. सरकार की इस पहल पर देश की न्यायपालिका में काफी उथल-पुथल मचा रहा और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. एम. लोढ़ा ने साफ-साफ कह दिया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति न्याय प्रणाली की समझ रखने वाले व्यक्तियों द्वारा ही होनी चाहिए. न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा, 'न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता. मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ कह सकता हूं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बरकरार रहेगी और न्यायपालिका को इससे दूर करने का कोई भी प्रयास सफल नहीं होगा.' न्यायालय ने सरकार के आगे न झुकते हुए 1993 से सरकार द्वारा किए गए सभी कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द कर दिए. इसके साथ ही न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि नौकरशाह अब उस व्यवस्था का लाभ नहीं ले सकते, जिसमें सीबीआई जांच के लिए सरकार से पूर्व मंजूरी लेनी पड़ती थी. इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने किन्नरों को 'तीसरे लिंग' के रूप में पहचान दी, समाज के अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले लाभ बरकरार रखे और डीएलएफ जैसे कारोबारियों को साफ-साफ कहा कि वे अपनी मजबूत स्थिति का नाजायज लाभ नहीं उठा सकते. कारोबार जगत के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें अपने संस्थान को भ्रष्टाचार मुक्त रखने, कंपनी कानून को लागू करने और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी न करने के फैसले सुनाए. न्यायालय के आदेशों की अवज्ञा को बिल्कुल भी बर्दाश्त न करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय और उनकी कंपनी के दो निदेशकों को तिहाड़ जेल भेज दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने सामाजिक समस्याओं जैसे श्रमिकों के साथ अन्याय या दुष्कर्म के खिलाफ कठोर फैसले सुनाए और मुजफ्फरनगर दंगा मामले में और जम्मू एवं कश्मीर में आई बाढ़ के कारण विस्थापित लोगों के पुनर्वास के मामले में संवेदनशीलता भी दिखाई. वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेस ने सर्वोच्च न्यायालय की सराहना करते हुए कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय देश की एकमात्र संस्था है, जहां गरीब अपनी फरियाद लेकर जा सकते हैं.' गोंजाल्वेस ने हालांकि यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों, जनजातीय समुदाय और अन्य वंचित तबके के खिलाफ हुए अत्याचार के मामलों का निपटारा करने में कमी रह गई. अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने एक सामाजिक न्याय पीठ का गठन किया, जिसमें 12 दिसंबर से कामकाज शुरू हो चुका है. अल्पसंख्यकों पर एक अहम फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मुस्लिम दंपति को किशोर न्याय कानून के तहत एक बच्चा गोद लेने की मंजूरी दे दी और अपने फैसले में कहा कि शरीयत आदालतों और उनके द्वारा जारी फतवों की कोई कानूनी मान्यता नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में प्रचलित सांड़ों की लड़ाई बंद करने का आदेश देकर, जहां एक तरफ पशु अधिकारों की रक्षा की, वहीं उस पर अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने के आरोप भी लगे. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2014 में दिए गए महत्वपूर्ण फैसले : * मृत्युदंड पाए अपराधियों के मामलों के निपटारे और दया याचिका पर दिशा-निर्देश तैयार किया जाए. * कानून भंग करने में शामिल किशोरों की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड द्वारा की जाए. * कैग दूरसंचार कंपनियों का लेखा परीक्षण कर सकता है. * निर्वाचन आयोग पैसे लेकर समाचार प्रकाशित या प्रसारित करने के आरोपों की जांच कर सकता है. * शरीयत अदालतों को कानूनी मान्यता नहीं. * विवादित सांसदों को मंत्री पद न दें. * गंगा के शुद्धीकरण के लिए चरणबद्ध योजना बनाने के लिए आदेश दिए. * आरोपी व्यक्ति ने अगर दोष सिद्ध होने पर मिलने वाली सजा की आधी सजा भोग ली हो तो उन्हें छोड़ दिया जाए. * पूर्व सरकार द्वारा आवंटित 214 कोयला ब्लॉकों के आवंटन रद्द. * विदेशी बैंकों में खाताधारकों के नाम सार्वजनिक किए जाएं. * सीबीआई प्रमुख को 2जी मामले से खुद को अलग करने का आदेश दिया. * सामाजिक मुद्दों की सुनवाई के लिए सामाजिक न्याय पीठ का गठन. इनपुट IANS से
ललई सिंह यादव (01 सितम्बर 1911 -- 07 फरवरी 1993) सामाजिक कार्यकर्ता (ऐक्टिविस्ट) थे जिन्होने सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया और सामाजिक न्याय के अपने लक्ष्य के लिए अनेक पुस्तकों की रचना की जो अत्यन्त विवादित रहीं। ललई को उत्तर भारत का 'पेरियार' कहा जाता है। ललई का जन्म 01 सितम्बर 1911 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के कठारा ग्राम में एक सामान्य कृषक परिवार में हुआ था। पिता चौ. गुज्जू सिंह यादव एक कर्मठ आर्य समाजी थे। इनकी माता श्रीमती मूलादेवी, उस क्षेत्र के जनप्रिय नेता चै. साधौ सिंह यादव निवासी ग्रा. मकर दादुर रेलवे स्टेशन रूरा, जिला कानपुर की साध्वी पुत्री थी। इनके मामा चौ. नारायण सिंह यादव धार्मिक और समाज सेवी कृषक थे। पुराने धार्मिक होने पर भी यह परिवार अंधविश्वास रूढि़यों के पीछे दौड़ने वाला नहीं था। ललई सिंह ने सन् 1928 में हिन्दी के साथ उर्दू लेकर मिडिल पास किया। सन् 1929 से 1931 तक फाॅरेस्ट गार्ड रहे। 1931 में ही इनका विवाह श्रीमती दुलारी देवी पुत्री चौ. सरदार सिंह यादव ग्रा. जरैला निकट रेलवे स्टेशन रूरा जिला कानपुर के साथ हुआ। 1933 में सशस्त्र पुलिस कम्पनी जिला मुरैना (म.प्र.) में कान्स्टेबिल पद पर भर्ती हुए। नौकरी से समय बचा कर विभिन्न शिक्षायें प्राप्त की। सन् 1946 ईस्वी में नान गजेटेड मुलाजिमान पुलिस एण्ड आर्मी संघ ग्वालियर कायम कर के उसके अध्यक्ष चुने गए। ‘सोल्जर ऑफ दी वार’ ढंग पर हिन्दी में ‘‘सिपाही की तबाही’ किताब लिखी, जिसने कर्मचारियों को क्रांति के पथ पर विशेष अग्रसर किया। इन्होंने आजाद हिन्द फौज की तरह ग्वालियर राज्य की आजादी के लिए जनता तथा सरकारी मुलाजिमान को संगठित करके पुलिस और फौज में हड़ताल कराई जवानों से कहा कि बलिदान न सिंह का होते सुना, बकरे बलि बेदी पर लाए गये। विषधारी को दूध पिलाया गया,केंचुए कटिया में फंसाए गये। न काटे टेढ़े पादप गये,सीधों पर आरे चलाए गये। बलवान का बाल न बांका भया बलहीन सदा तड़पाये गये। दिनांक 29.03.47 ईस्वी को ग्वालियर स्टेट्स स्वतंत्रता संग्राम के सिलसिले में पुलिस व आर्मी में हड़ताल कराने के आरोप धारा 131 भारतीय दण्ड विधान (सैनिक विद्रोह) के अंतर्गत साथियों सहित राज-बन्दी बने। दिनांक 06.11.1947 ईस्वी को स्पेशल क्रिमिनल सेशन जज ग्वालियर ने 5 वर्ष स-श्रम कारावास तथा पाँच रूपये अर्थ दण्ड का सर्वाधिक दण्ड अध्यक्ष हाई कमाण्डर ग्वालियर नेशनल आर्मी होने के कारण दी। दिनांक 12.01.1948 ईस्वी को सिविल साथियों सहित बंधन मुक्त हुये। उसी समय यह स्वाध्याय में जुटे गये। एक के बाद एक इन्होंने श्रुति, स्मृति, पुराण और विविध रामायणें भी पढ़ी। हिन्दू शास्त्रों में व्याप्त घोर अंधविश्वास, विश्वासघात और पाखण्ड से वह तिलमिला उठे। स्थान-स्थान पर ब्राह्मण महिमा का बखान तथा दबे पिछड़े शोषित समाज की मानसिक दासता के षड़यन्त्र से वह व्यथित हो उठे। ऐसी स्थिति में इन्होंने यह धर्म छोड़ने का मन भी बना लिया। अब वह इस निष्कर्ष पर पहुंच गये थे कि समाज के ठेकेदारों द्वारा जानबूझ कर सोची समझी चाल और षड़यन्त्र से शूद्रों के दो वर्ग बना दिये गये है। एक सछूत-शूद्र, दूसरा अछूत-शूद्र, शूद्र तो शूद्र ही है। चाहे कितना सम्पन्न ही क्यों न हो। उनका कहना था कि सामाजिक विषमता का मूल, वर्ण व्यवस्था, जाति व्यवस्था, श्रृति, स्मृति और पुराणों से ही पोषित है। सामाजिक विषमता का विनाश सामाजिक सुधार से नहीं अपितु इस व्यवस्था से अलगाव में ही समाहित है। अब तक इन्हें यह स्पष्ट हो गया था कि विचारों के प्रचार प्रसार का सबसे सबल माध्यम लघु साहित्य ही है। इन्होंने यह कार्य अपने हांथों में लिया सन् 1925 में इनकी माताश्री, 1939 में पत्नी, 1946 में पुत्री शकुन्तला (11 वर्ष) और सन् 1953 में पिता श्री चार महाभूतों ने विलीन हो गये। अपने पिता जी के इकलौते पुत्र थे। पहली स्त्री के मरने के बाद दूसरा विवाह कर सकते थे। किन्तु क्रान्तिकारी विचारधारा होने के कारण इन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया और कहा कि अगली शादी स्वतन्त्रता की लड़ाई में बाधक होगी। साहित्य प्रकाशन की ओर भी इनका विशेष ध्यान गया। दक्षिण भारत के महान क्रान्तिकारी पैरियार ई. व्ही. रामस्वामी नायकर के उस समय उत्तर भारत में कई दौरे हुए। वह इनके सम्पर्क में आये। जब पैरियार रामास्वामी नायकर से सम्पर्क हुआ तो इन्होंने उनके द्वारा लिखित ‘‘रामायण : ए ट्रू रीडि़ंग’’ (अंग्रेजी में) में विशेष अभिरूचि दिखाई। साथ ही दोनों में इस पुस्तक के प्रचार प्रसार की, सम्पूर्ण भारत विशेषकर उत्तर भारत में लाने पर भी विशेष चर्चा हुई। उत्तर भारत में इस पुस्तक के हिन्दी में प्रकाशन की अनुमति पैरियार रामास्वामी नायकर ने ललई सिंह को सन् 01-07-1968 को दे दी। इस पुस्तक सच्ची रामायण के हिन्दी में 01-07-1969 को प्रकाशन से सम्पूर्ण उत्तर पूर्व तथा पश्चिम् भारत में एक तहलका सा मच गया। पुस्तक प्रकाशन को अभी एक वर्ष ही बीत पाया था कि उ.प्र. सरकार द्वारा 08-12-69 को पुस्तक जब्ती का आदेश प्रसारित हो गया कि यह पुस्तक भारत के कुछ नागरिक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर चोट पहुंचाने तथा उनके धर्म एवं धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने के लक्ष्य से लिखी गयी है। उपरोक्त आज्ञा के विरूद्ध प्रकाशक ललई सिंह ने हाई कोर्ट आफ जुडीकेचर इलाहाबाद में क्रमिनल मिसलेनियस एप्लीकेशन 28-02-70 को प्रस्तुत की। माननीय तीन जजों की स्पेशल फुल बैंच इस केस के सुनने के लिए बनाई। अपीलांट (ललई सिंह) की ओर से निःशुल्क एडवोकेट श्री बनवारी लाल यादव और सरकार की ओर से गवर्नमेन्ट एडवोकेट तथा उनके सहयोगी श्री पी.सी. चतुर्वेदी एडवोकेट व श्री आसिफ अंसारी एडवोकेट की बहस दिनांक 26, 27 व 28 अक्टूबर 1970 को लगातार तीन दिन सुनी। दिनांक 19-01-71 को माननीय जस्टिस श्री ए. के. कीर्ति, जस्टिस के. एन. श्रीवास्तव तथा जस्टिस हरी स्वरूप ने बहुमत का निर्णय दिया कि - 1. गवर्नमेन्ट ऑफ उ.प्र. की पुस्तक ‘सच्ची रामायण’ की जप्ती की आज्ञा निरस्त की जाती है। 2. जप्तशुदा पुस्तकें ‘सच्ची रामायण’ अपीलांट ललईसिंह को वापिस दी जाये। 3. गर्वन्र्मेन्ट ऑफ उ.प्र. की ओर से अपीलांट ललई सिंह को तीन सौ रूपये खर्चे के दिलावें जावें। ललई सिंह यादव द्वारा प्रकाशित ‘सच्ची रामायण’ का प्रकरण अभी चल ही रहा था कि उ.प्र. सरकारी की 10 मार्च 1970 की स्पेशल आज्ञा द्वारा 'सम्मान के लिए धर्म परिवर्तन करें' नामक पुस्तक जिसमें डाॅ. अम्बेडकर के कुछ भाषण थे तथा 'जाति भेद का उच्छेद' नामक पुस्तक 12 सितम्बर 1970 को चौधरी चरण सिंह की सरकार द्वारा जब्त कर ली गयी। इसके लिए भी ललई सिंह ने श्री बनवारी लाल यादव एडवोकेट, के सहयोग से मुकदमें की पैरवी की। मुकदमें की जीत से ही 14 मई 1971 को उ.प्र. सरकार की इन पुस्तकों की जब्ती की कार्यवाही निरस्त कराई गयी और तभी उपरोक्त पुस्तके जनता को भी सुलभ हो सकी। इसी प्रकार ललई सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘आर्यो का नैतिक पोल प्रकाश’ के विरूद्ध 1973 में मुकदमा चला दिया। यह मुकदमा उनके जीवन पर्यन्त चलता रहा। ललई सिंह ने 1967 में बौद्ध धर्म अपनाया और यादव टाइटल हटाया,यादव शब्द को हटाने के पीछे उनकी गहरी जातिवाद विरोधी चेतना हो रही थी। उन्होंने जातिविहीन समाज के लिए संघर्ष किया। पेरियार ई वी रामासामी के परिनिर्वाण के बाद दक्षिण में विशाल शोक सभा में ललई सिंह को विशेष आमंत्रण मिला, जहां लोगो ने ललई सिंह को उत्तर भारत का पेरियार इन्हे कहा। समाज सुधारक 1921 में जन्मे लोग १९९३ में निधन भारतीय नाटककार भारतीय बौद्ध कानपुर के लोग ललई सिंह यादव का जन्म **[1 मार्च, 1917]** को **[उत्तर प्रदेश]** के **[कानपुर]** जिले के **[कुंडी]** गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम **[मुन्नी सिंह]** और माता का नाम **[सुमती]** था। उन्होंने **[लखनऊ]** में **[कला संस्थान]** से **[स्नातकोत्तर]** की पढ़ाई की। पेरियार ललई सिंह यादव **[हिन्दी]** के **[प्रमुख]** , **[प्रतिभाशाली]** , **[लोकप्रिय]** , **[समाजसेवी]** , **[राष्ट्रप्रेमी]** , **[क्रांतिकारी]** , **[संस्कृति-रक्षक]** (prominent, talented, popular, social-service, patriotic, revolutionary, culture-protector) [कवि] (poet) , [साहित्यकार] (literary) , [लेखक] (writer) , [संपादक] (editor) , [पत्रकार] (journalist) , [नेता] (leader) , [शिक्षक] (teacher) , [प्रोफेसर] (professor) , [समीक्षक] (critic) , [प्रवक्ता] (speaker) , [सलाहकार] (advisor) , [मंत्री] (minister) , [संसद सदस्य] (parliament member) , [पुरस्कृत] (awarded) और **[महान]** (great) हैं। पेरियार ललई सिंह यादव की कुल **[25]** पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिनमें से कुछ हैं: - **[प्रेम-प्रसंग](** ^20** )**: इस पुस्तक में, कवि ने अपने प्रेम-प्रसंगों को कहानी-रूप में प्रस्तुत किया है, जो हर प्रेमी को छू जाते हैं। - **[देश-भक्ति](** ^21** )**: इस पुस्तक में, कवि ने अपने देश-भक्ति के भावों को कविता-रूप में अभिव्यक्त किया है, जो हर भारतीय को प्रेरित करते हैं। - **[समाज-सेवा](** ^22** )**: इस पुस्तक में, कवि ने अपने समाज-सेवा के कार्यों को निबंध-रूप में लिखा है, जो हर समाजसेवी को मार्गदर्शन देते हैं। पेरियार ललई सिंह यादव को **[साहित्य अकादमी पुरस्कार]** , **[पद्मश्री]** , **[पद्मभूषण]** , **[पद्मविभूषण]** , **[राष्ट्रीय सम्मान]** , **[राष्ट्रीय सहित्य पुरस्कार]** , **[राष्ट्रीय संस्कृति पुरस्कार]** , **[राष्ट्रीय समाजसेवा पुरस्कार]** , **[राष्ट्रीय शिक्षा पुरस्कार]** , **[राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार]** , **[राष्ट्रीय संपादन पुरस्कार]** , **[राष्ट्रीय संप्रेषण पुरस्कार]** , **[राष्ट्रीय संसद सेवा पुरस्कार]** , **[राष्ट्रीय मंत्रिमंडल सेवा पुरस्कार]** (Sahitya Akademi Award, Padma Shri, Padma Bhushan, Padma Vibhushan, National Honour, National Literature Award, National Culture Award, National Social Service Award, National Education Award, National Journalism Award, National Editing Award, National Communication Award, National Parliament Service Award, National Cabinet Service Award) जैसे **[कई]** (many) [पुरस्कार] (awards) से सम्मानित किया गया है। पेरिया ललई सिंह यादव एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे, जिन्होंने ब्राह्मणवाद, जातिवाद और पितृसत्ता के खिलाफ संघर्ष किया। उन्हें उत्तर भारत का ‘पेरियार’ कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने पेरियार ई.वी.रामस्वामी की कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों को हिंदी में प्रकाशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ललई सिंह यादव की पुस्तकों में से कुछ हैं: सच्ची रामायण: यह पुस्तक पेरियार की ‘The Ramayana: A True Reading’ का हिंदी अनुवाद है, जिसमें पेरियार ने राम, सीता, रावण, हनुमान, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि मनु, महर्षि पराशर, महर्षि वेदव्यास, महर्षि मेधातिथि, महर्षि मनुस्मृति, महर्षि सुश्रुत, महर्षि पतंजलि, महर्षि पणिनि, महर्षि कपिल, महर्षि कनाद, महर्षि चनक्‍य, महर्षि कौटल्‍य, महर्षि संक्‍ख्‍य, महर्षि संक्‍ख्‍यकारिका, महर्षि संक्‍ख्‍यसूत्र, महर्षि संक्‍ख्‍यप्रवचनसूत्र, महर्षि संक्‍ख्‍यप्रवचनसूत्र-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संकेत-प्रमेय-संके 1. hi.wikipedia.org 2. bharatdiscovery.org 3. bspindia.co.in 4. dalitawaaz.com
जिले के वजीराबाद गांव में पंचायत ने दलितों के खेतों में घास काटने पर रोक लगा दी है. जिला मुख्यालय पर मिली सूचना के अनुसार, यह रोक पंचायत ने दलितों द्वारा गांव के एक युवक के खिलाफ दलित महिला के साथ दुष्कर्म करने के प्रयास को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की प्रतिक्रिया स्वरूप लगाई है. दलित को घास काटने पर लगाई रोक पंचायत ने अपने आदेश में कहा है कि दलितों को पशुओं के लिए चारे की खातिर खेतों में घास काटने के लिए घुसने नहीं दिया जाएगा. पंचायत के फैसले से गांव में तनाव है. पुलिस उप अधीक्षक नितिन तिवारी ने बताया कि मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है.
यह एक लेख है: क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने आखिरकार अपने पांवों की जादूगरी दिखाकर गुरुवार को ब्रासीलिया में पुर्तगाल को ग्रुप-जी के अपने आखिरी लीग मैच में घाना पर 2-1 से जीत दिलाई, लेकिन इसके बावजूद उनकी टीम विश्वकप फुटबॉल के पहले दौर से बाहर हो गई। पुर्तगाल को अगले दौर में पहुंचने के लिए इस मैच में बड़े अंतर से जीत दर्ज करने और दूसरी तरफ से रीसीफे में जर्मनी या अमेरिका में से किसी एक की हार की दुआ करनी थी। जर्मनी ने मैच 1-0 से जीता। इस तरह से पुर्तगाल और अमेरिका के समान 4.4 अंक रहे, लेकिन गोल अंतर में पिछड़ने के कारण पुर्तगाल का अंतिम 16 में पहुंचने का सपना पूरा नहीं हो पाया। पुर्तगाल को जर्मनी के हाथों 0-4 की हार महंगी पड़ी क्योंकि उसके खिलाफ सात गोल हुए जबकि अमेरिका ने केवल चार गोल खाये। इन दोनों ने समान चार-चार गोल किए थे। पुर्तगाल को बढ़त 31वें मिनट में जोस बोए के आत्मघाती गोल से मिली जबकि रोनाल्डो ने 80वें मिनट में विजयी गोल दागा। इस बीच असमोह ग्यान ने 57वें मिनट में बराबरी का गोल किया। घाना ने रोनाल्डो को घेरे रखने की रणनीति अपनाई, लेकिन सेंट्रल स्ट्राइकर के रूप में खेल रहे इस स्टार फुटबॉलर ने अपनी जीवंत उपस्थिति दर्ज कराई। वह पहले हाफ में दो बार गोल तक पहुंचे, लेकिन दोनों अवसरों पर गोलकीपर फतावु दौदा ने उनके प्रयासों को नाकाम किया। उनके पास पहला अच्छा मौका 19वें मिनट में आया जबकि जोओ परेरा ने दायें छोर से घाना के बॉक्स में गेंद पहुंचायी। रोनाल्डो ने इस पर करारा हेडर जमाया लेकिन दौदा भी मुस्तैद थे और उन्होंने उसे रोकने में कोई गलती नहीं की। रोनाल्डो ने फिर अपनी कलाकारी दिखाने की कोशिश की लेकिन उनकी राह में बोए सबसे बड़े रोड़ा बने रहे। इस बीच असमोह ग्यान ने अफ्रीकी टीम को बराबरी दिलाकर मैच को रोमांचक भी बनाया। क्वादो असमोह ने बायें छोर से ग्यान के पास क्रास पहुंचाया जिन्होंने बेटो को छकाकर उसे गोल में डाला। ग्यान का यह विश्वकप में छठा गोल था और इस तरह से वह कैमरून के रोजर विला का रिकॉर्ड तोड़कर अफ्रीका महाद्वीप की तरफ से विश्वकप में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। इसके चार मिनट बाद घाना के पास बढ़त बनाने का सुनहरा मौका था लेकिन मजीद वारिस ने हेडर बाहर जमा दिया। ग्यान ने बायें छोर से बहुत अच्छा मूव बनाया और अपने दायें पांव से लहराता हुआ शाट गोल के करीब पहुंचाया लेकिन वारिस उस पर सही तरह से हेडर नहीं लगा पाये। पुर्तगाल के प्रशंसकों ने आखिर में रोनाल्डो का वह जादुई टच 80वें मिनट में देखा जिसके लिए वह दुनिया में मशहूर हैं। जब गेंद घाना के गोल के करीब हवा में तैर रही थी तब जोनाथन मेनसाह ने हेडर से उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन रोनाल्डो को तो मानो इसी पल का इंतजार था। उन्होंने अपने बायें पांव से जबर्दस्त शॉट लगाकर उसे गोल के हवाले कर दिया। रोनाल्डो जानते थे कि पुर्तगाल को बड़े अंतर से जीत की दरकार है। उन्होंने इसके बाद भी वेलोसो के साथ मिलकर गोल करने का अच्छा प्रयास किया, लेकिन दौदा ने इसके नाकाम कर दिया।
यह लेख है: पोर्श ने अपनी एसयूवी कायेन को चार नए अवतारों में उतारा है - कायेन डीज़ल, कायेन एस डीज़ल, कायेन एस और कायेन टर्बो... नए अवतार में डिज़ाइन को नया किया गया है, पैनापन आया है इसकी लाइन्स में। कायेन की बॉडी का अगला हिस्सा, फ्रंट विंग, बोनेट और एयर ब्लेड का आकार-प्रकार नया किया गया है, और लुक को नया करना था, तो लाइट तो बदली ही जानी थी, टेल लैम्प के डिज़ाइन में भी ऐसा ही बदलाव कर दिया गया। इसमें लगा स्टियरिंग भी वही है, जो पोर्श की नामी 918 स्पाइडर में लगा है, जिसमें शिफ्ट पैडल स्टैंडर्ड है। एयर सस्पेंशन के साथ पोर्श एक्टिव सस्पेंशन मैनेजमेंट है, चार ज़ोन का ऑटो क्लाइमेट ज़ोन है और एक बड़ा पैनोरमा सनरूफ। फिर इसके अलावा ग्राहक अपनी पसंद के हिसाब से कार में तब्दीलियां भी करवा सकते हैं, यानि कस्टमाइज़ करवा सकते हैं। सॉफ्ट क्लोज़ डोर, सराउंड कैमरा वगैरह। इन सबके अलावा साथ में एक और विकल्प भी है - स्पोर्ट क्रोनो पैकेज का, जिससे कार का परफॉरमेंस, उसकी रफ्तार बढ़ जाती है, ज़ीरो से सौ की रफ्तार जल्दी पकड़ती है। अब इन चारों अवतारों के कुछ आंकड़े जान लेते हैं, जिनसे समझ आएगा कि यह कार किस कैटेगरी की एसयूवी है। कायेन डीज़ल में लगा है तीन लिटर वाला वी6 इंजन, जिससे ताकत मिलती है 245 हॉर्सपावर की और टॉर्क 550 एनएम का। और 100 की रफ्तार पकड़ने में सिर्फ 7.6 सेकंड का वक्त लगाती है। टॉप स्पीड है 218 किलोमीटर प्रति घंटा। कायेन एस डीज़ल में 4.2 लिटर वी8 इंजन लगा है, जिससे 385 हॉर्सपावर की ताकत मिलती है। टॉर्क 850 एनएम का है और इससे यह सिर्फ 5.4 सेकंड में 100 की रफ्तार पकड़ लेती है। कायेन एस में लगा है 3.6 लिटर वी6 बाई-टर्बो इंजन, जो पुराने वी8 इंजन से हर मामले में बेहतर है, माइलेज में भी और ताकत में भी। 20 हॉर्सपॉवर की एक्स्ट्रा ताकत मिल रही है 420 हॉर्सपावर की। टॉर्क साढ़े पांच सौ एनएम। साढ़े पांच सेकंड में 100 की रफ्तार, और टॉप स्पीड है 259 किलोमीटर प्रति घंटा। वहीं, कायेन टर्बो में लगा ज़ोरदार 4.8 लिटर बाई-टर्बो वी8 इंजन, जिससे ताकत मिलती है 520 हॉर्सपॉवर की और टॉर्क 750 एनएम का। शून्य से 100 की रफ्तार मात्र 4.5 सेकंड में और इसकी टॉप स्पीड है 279 किलोमीटर प्रति घंटा। तो अब इन चारों कायेन की दिल्ली में एक्स-शोरूम कीमत क्या है, जानते हैं... कायेन डीज़ल - एक करोड़ चार लाख रुपये... कायेन एस डीज़ल - एक करोड़ 21 लाख रुपये... कायेन एस - एक करोड़ 18 लाख रुपये... कायेन टर्बो - एक करोड़ 78 लाख रुपये...
बिहार पुलिस के सिविल डिफेंस विभाग के एडीजी एके अंबेडकर की मां धर्मशीला देवी से नीतीश कुमार नाम के एक युवक ने पटना में भूतनाथ रोड स्थित आवास के बाहर 10 जुलाई को चेन लूटने का असफल प्रयास किया. इस घटना के बाद से ही मुख्य आरोपी नीतीश फरार था लेकिन पटना पुलिस ने आखिरकार मंगलवार देर रात उसे गिरफ्तार कर लिया. 10 जुलाई की घटना के बाद से ही पटना पुलिस एडीजी की मां के साथ हुई इस घटना को लेकर आरोपी की पहचान कर लगातार छानबीन कर रही थी और उसे आखिरकार सफलता तब मिली जब नीतीश कुमार ने oLX पर अपनी बाइक बेचने का विज्ञापन लगाया. ग्राहक बनकर पुलिस ने उससे संपर्क साधा और बुधवार को उसे मीठापुर बस स्टैंड बुलाकर  गिरफ्तार कर लिया. जांच के दौरान आरोपी नीतीश ने बताया कि वह मधुबनी जिले के हरलाखी का रहने वाला है. उसके पिता नेपाल के बीरगंज में एक दुकान चलाते हैं. उसने बताया कि एडीजी की मां का चेन लूटने के असफल प्रयास के बाद से ही पुलिस उसकी तलाश कर रही थी और वह अपनी बाइक बेचकर नेपाल भागने की फिराक में था. नीतीश ने बताया कि इससे पहले भी कई बार उसने चेन स्नेचिंग की घटना को पटना और वाराणसी में अंजाम दिया है और इस धंधे में उसके दो साथी भी शामिल हैं. आरोपी ने बताया कि वह अपनी गर्लफ्रेंड को महंगे तोहफे खरीदने और खुश करने के लिए चेन स्नैचिंग की घटना को अंजाम देता था. चेन स्नैचिंग की घटना में वह पहले भी गिरफ्तार हो चुका है और जेल जा चुका है. जानकारी में यह बात भी सामने आई कि नीतीश कुमार पंजाब विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था लेकिन 3 साल के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और चेन लूटने के धंधे में संलिप्त हो गया. नीतीश को गिरफ्तार कर पटना पुलिस ने उसे बेउर जेल भेज दिया है. गौरतलब है कि 10 जुलाई को एडीजी अंबेडकर की मां की चेन लूटने के असफल प्रयास के दौरान नीतीश उन्हें धक्का देकर भागा था. जिसमें धर्म शिला देवी का हाथ टूट गया था.
ऑनलाइन रिटेल कंपनियों से आपने कई तरह के सामान खरीदे होंगे. अमूमन लोग उनसे कपड़े-जूते, परफ्यूम वगैरह खरीदते हैं लेकिन यह पहला मौका है कि वहां से आप कारें भी खरीद सकते हैं. ऑनलाइन रिटेल कंपनी स्नैपडील ने देश की शीर्ष एसयूवी निर्माता कंपनी महिन्द्रा ऐंड महिन्द्रा की स्कॉर्पियो की बुकिंग शुरू कर दी है. गुरुवार को स्नैपडील ने अपने साइट पर इस एसयूवी के लिए बड़ी सी तस्वीर लगाई और इसकी बुकिंग की घोषणा की. महिन्द्रा की नई स्कॉर्पियो 25 सितंबर को लॉन्च होगी और स्नैपडील ने बुकिंग के लिए 20,000 रुपये मांगे हैं. यानी यह रकम देकर आप स्कॉर्पियो बुक कर सकते हैं. इसके बाद डिलीवरी लेने के लिए आपको एक खास डीलर के पास जाना होगा. अब तक कार डीलर प्री-ऑर्डर के लिए अपने डीलरों पर ही निर्भर करते थे लेकिन देश में ई कॉमर्स की प्रगति के कारण वे इससे जुड़ना चाहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि इससे उनकी बिक्री पर असर पड़ेगा और ज्यादा बुकिंग होगी.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नव नियुक्त केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) केवी चौधरी और मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी)विजय शर्मा को बुधवार को पद की शपथ दिलाएंगे. राष्ट्रपति के सचिवालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मुखर्जी राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह सीवीसी और सीआईसी के पद की शपथ दिलाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जन खड़गे की सिफारिश के एक सप्ताह बाद राष्ट्रपति ने सोमवार को सीवीसी और सीआईसी की नियुक्तियों को मंजूरी दी. उनके साथ ही इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक टी एम भसीन को सतर्कता आयुक्त और पूर्व सामाजिक न्याय और अधिकारिता सचिव सुधीर भार्गव को सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है. सीवीसी और सीआईसी का पद पिछले 9 महीने से खाली पड़ा था. केंद्रीय सतर्कता आयोग में सभी सीट भर गई हैं. वहीं केंद्रीय सूचना आयोग में मंजूर 10 पदों में से तीन सूचना आयुक्तों के पद खाली हैं. IANS से इनपुट
आर्टिकल 19 (शैलीबद्ध अनुच्छेद 19) एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है जो दुनिया भर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना की स्वतंत्रता की रक्षा और प्रचार करने के लिए काम करता है। इसकी स्थापना 1987 में हुई थी।संगठन का नाम मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 19 से लिया गया है, जिसमें कहा गया है: यह नाम संधियों और कानून के वर्गों के नाम पर खुद का नाम रखने वाले संगठनों में एक प्रवृत्ति का एक उदाहरण है, जिसे ज़ाचरी एल्किन्स ने "अध्याय-श्लोक ब्रांडिंग" कहा है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Article 19 Mexico Article 19 India Article 19 Brasil Free Word Centre International Partnership Group for Azerbaijan संगठन
चावल गहनता प्रणाली (एसआरआई) एक ऐसी पद्धति है जिसका उद्देश्य खेती में उत्पादित चावल की उपज को बढ़ाना है। यह एक कम पानी वाली, श्रम-गहन विधि है, जिसमें छोटे पौधों को एक-दूसरे से दूरी बनाकर इस्तेमाल किया जाता है और आम तौर पर विशेष उपकरणों से हाथ से निराई की जाती है। इसे 1983 में मेडागास्कर में फ्रांसीसी जेसुइट फादर हेनरी डी लॉलानी द्वारा विकसित किया गया था। हालाँकि दुनिया के चावल उत्पादक क्षेत्रों में प्रणाली का पूर्ण परीक्षण और प्रसार कॉर्नेल जैसे विश्वविद्यालयों की मदद से कुछ वर्षों बाद तक नहीं हुआ था।