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माइकल चोपड़ा
रॉकी माइकल चोपड़ा (जन्म 23 दिसंबर 1983 in Newcastle upon Tyne) एक अंग्रेजी फुटबॉल खिलाड़ी हैं। इनकी माँ ब्रिटिश एवं पिता भारतीय हैं। वह प्रीमियर लीग में ऐसे पहले खिलाड़ी हैं जिनके माता या पिता भारतीय मूल से हैं। वह न्यूकैसेल यूनाइटेड की अकादमी से निकलने के पश्चात कार्डिफ सिटी की फुटबॉल टीम की तरफ से फुटबॉल खेलते हैं। 11 जुलाई को संडरलैंड क्लब ने उनको £5,000,000 (£5m) की फीस देकर कार्डिफ सिटी से खरीद लिया है। इंगलैंड के फुटबॉल खिलाड़ी
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दाईम्यो
यह मध्यकालीन जापान के सामंत या प्रान्तपाल थे जो काफी शक्तिशाली थे और सम्पूर्ण जापान में लगभग इन्ही का राज चलता था।  इसका शाब्दिक अर्थ होता है  "बड़ा", और  "म्यो" यह शब्द ''म्योदेन'' (名田?) से आया है , जिसका अर्थ है निजी भूमि. जापान में १० सदी से लेकर १९ सदी तक शोगुन के बाद जापान में दाईम्यो का ही वर्चस्व था। शुगो-दाईम्यो सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Lords of the Samurai: Legacy of a Daimyo Family World History: Patterns of Interaction Samurai, Chōnin and the Bakufu: Between Cultures of Frivolity and Frugality. जापानी शब्द
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE
टेलीग्राम
टेलीग्राम से पैसे कैसे कमाए टेलीग्राम मेसेंजर विश्व स्तर पर सुलभ फ्रीमियम, क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म, गुप्तलिखित, क्लाउड-आधारित और केन्द्रीकृत त्वरित सन्देश सेवा है। अनुप्रयोग वैकल्पिक अन्त पर्यन्त अन्त गुप्तलिखित संवाद भी प्रदान करता है, जिसे गुप्त संवाद और वीडियो दूरभाष, वीओआईपी, संचिका साझाकरण और कई अन्य सुविधाओं के रूप में जाना जाता है। इसे 14 अगस्त 2013 को iOS के लिए और 20 अक्टूबर 2013 को ऐन्ड्रॉइड हेतु आरम्भ किया गया था। टेलीग्राम के सर्वर विश्व भर में पांच डेटा केन्द्रों के साथ विश्व के विभिन्न भागों में वितरित किए जाते हैं, जबकि परिचालन केन्द्र दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में स्थित है। ऐण्ड्रॉइड, आईओएस, विण्डोज़, मैक ओएस और लिनक्स के लिए आधिकारिक अनुप्रयोगों सहित स्मार्ट दूरदर्शन, डेस्कटॉप और मोबाइल प्लेटफॉर्म के लिए विभिन्न सेवार्थी अनुप्रयोग उपलब्ध हैं (यद्यपि पंजीकरण के लिए आईओएस या ऐण्ड्रॉइड उपकरण और एक कार्यवान दूरभाषांक की आवश्यकता होती है)। टेलीग्राम के दो आधिकारिक जाल जुड़वा अनुप्रयोग, वेबके और वेबज़ी, और कई अनौपचारिक ग्राहक भी हैं जो टेलीग्राम के प्रोटोकॉल का प्रयोग करते हैं। टेलीग्राम के आधिकारिक घटक मुक्त स्रोत हैं, सर्वर के अपवाद में जो बन्द-स्रोत और मालिकाना है। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%A8%20%28%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AC%29
राजभवन (पंजाब)
राजभवन चण्डीगढ़ भारत के पंजाब राज्य के राज्यपाल और चण्डीगढ़ के प्रशासक का आधिकारिक आवास है। १९८५ से पंजाब के राज्यपाल ने चण्डीगढ़ के प्रशासक की भी भूमिका निभाई है। यह राज्य की साझा राजधानी (हरियाणा के साथ) चण्डीगढ़ में स्थित है। पंजाब के वर्तमान राज्यपाल और चण्डीगढ़ के प्रशासक शिवराज पाटिल हैं जो २२ जनवरी २०१० को राज्यपाल और चण्डीगढ़ प्रशासक नियुक्त हुए थे। पंजाब के राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन आवास हेमकुंज है जो शिमला के एक गाँव छाराब्रा में स्थित है। इन्हें भी देखें पंजाब के राज्यपालों की सूची पंजाब के मुख्यमन्त्रियों की सूची राजभवन (हरियाणा) सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक जालस्थल (पंजाब सरकार) भारत में आधिकारिक आवास चण्डीगढ़ की इमारतें
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अमेरिकन अकिता
अमेरिकन अकिता जिसे सिर्फ अकिता भी कहा जाता है, जापान के उत्तरी पहाडी इलाको की एक कुत्तो की नसल है। अमेरिकन अकिता संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा को छोड़कर अकिता इनु से एक अलग नसल मानी जाती है। संयुक्त राज्य और कनाडा में इन दोनों नसलो को एक ही नसल माना जाता है बस उनमे थोडा फर्क को तवाज्ज्जो दी जाती है। ध्यान दे की २००५ के FCI द्वारा महान जापानी कुत्ते का पद अब अमेरिकन अकिता को दे दिया गया है। श्वान
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शेर्पा भाषा
शेर्पा भाषा (तिब्बती: ཤར་པའི་སྐད་ཡིག, Wyl: shar pa'i skad yig) नेपाल में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। विशेष रूप से नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में यह भाषा बहुत लोकप्रिय है। यह भाषा नेपाल के सोलुखुम्बु जैसे कई भागों में तथा सिक्किम, तिब्बत, भूटान आदि में बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा के बोलने वाले एक लाख तीस हजार लोग नेपाल में रहते हैं (सन् २००१ की जनगणना के अनुसार) ; लगभग बीस हजार लोग सिक्कम में रहते हैं (सन् १९९७); और कोई ८००० लोग तिब्बत में रहते हैं। यह भाषा प्रायः मौखिक भाषा रही है। इसका तिब्बती से बहुत गहरा सम्बन्ध रहा है। शेर्पा भाषा का शुद्ध उच्चारण तथा लेख रचना में प्राचीनकाल से ही सम्भोट लिपि का प्रयोग किया जाता है। जबकि संस्कृत, पाली, हिन्दी, नेपाली, भोजपुरी और अन्य भाषाओं के लिये देवनागरी लिपि में उपयोग किया जाता है। इसी तरह, तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भूटानी, भोटे, आदि सम्भोट लिपि द्वारा प्रयोग किया जाता है। शेर्पा भाषा का नमूना मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की धारा १ को शेर्पा भाषा में नीचे दिखाया गया है- देवनागरी लिपि में मि रिग्स ते री रङ्वाङ् दङ् चीथोङ् गी थोब्थाङ् ड्रड्रयी थोग् क्येउ यिन्। गङ् ग नाम्च्योद दङ् शेस्रब् ळ्हन्क्ये सु वोद्दुब् यिन चाङ्, फर्छुर् चिग्गी-चिग्ल पुन्ग्यि दुशेस् शोग्गोगी। तिब्बती लिपि में མི་རིགས་ཏེ་རི་རང་དབང་དང་རྩི་མཐོང་གི་ཐོབ་ཐང་འདྲ་འདྲའི་ཐོག་སྐྱེའུ་ཡིན། གང་ག་རྣམ་དཔྱོད་དང་ཤེས་རབ་ལྷན་སྐྱེས་སུ་འོད་དུབ་ཡིན་ཙང་། ཕར་ཚུར་གཅིག་གིས་གཅིག་ལ་སྤུན་གྱི་འདུ་ཤེས་འཇོག་དགོས་ཀྱི། हिन्दी अनुवाद धारा १ : सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त है। उन्हें बुद्धि और अन्तरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिए। शेर्पा भाषा में गिनती सन्दर्भ इन्हें भी देखें शेर्पा लोग तेन्जिंग नॉरगे शेर्पा बाहरी कड़ियाँ शेर्पा शब्दकोश एवं शेर्पा बोलचाल शेर्पा भाषा विश्व की भाषाएँ नेपाल
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BC%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%A4
ग़नीमत
ग़नीमत (अरबी:غنيمة,गनीमत) अरबी शब्द ग़नी (सम्पन्नता) से बना है, ऐसा माल को कहते हैं जिसके प्राप्त होने से ग़नी अर्थात अमीर या खुश हाल हो जायें। इस्लाम धर्म में पराक्रम और विजय के बल युद्ध में पराजित दुश्मन के जीते गये या उसके छोड़ के भाग जाने पर जो कुछ क़ब्ज़े में आता है उसके लिए प्रयोग किया जाता है। विवरण इस्लाम धर्म में ग़नीमत को 'माले ग़नीमत' भी कहते हैं। क़ुरआन में उल्लेख (सूरा) अल-अनफ़ाल : क़ुरआन का 8 वां अध्याय की 41 वां आयत में: और जान[1] लो कि तुम्हें जो कुछ ग़नीमत में मिला है, उसका पाँचवाँ भाग अल्लाह तथा रसूल और (आपके) समीपवर्तियों तथा अनाथों, निर्धनों और यात्रियों के लिए है, यदि तुम अल्लाह पर तथा उस (सहायता) पर ईमान रखते हो, जो हमने अपने भक्त पर निर्णय[2] के दिन उतारी, जिस दिन, दो सेनायें भिड़ गईं और अल्लाह जो चाहे, कर सकता है। अल्लाह ने जो धन दिलाया है अपने रसूल को इस बस्ती वालों से, वह अल्लाह, रसूल, (आपके) समीपवर्तियों, अनाथों, निर्धनों तथा यात्रियों के लिए है; ताकि वह (धन) फिरता न रह जाये तुम्हारे धनवानों के बीच और जो प्रदान कर दे रसूल, तुम उसे ले लो और रोक दें तुम्हें जिससे, तुम उससे रुक जाओ तथा अल्लाह से डरते रहो, निश्चय अल्लाह कड़ी यातना देने वाला है। (क़ुरआन 59:7) हदीस में उल्लेख इन्हें भी देखें इद्दत खुला महर सन्दर्भ इस्लाम अरबी शब्द इस्लामी शब्द
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%A8%20%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3
वाहन पंजीकरण
वाहन पंजीकरण (vehicle registration) से आशय किसी सरकारी प्राधिकारी के यहाँ वाहन का पंजीकरण कराने से है। अधिकांश देशों में सड़क पर चलने वाले इंजनचालित वाहनों का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। वाहन पंजीकरण का उद्देश्य किसी वाहन तथा उसके मालिक/चालक के बीच कड़ी स्थापित करना है। इसका उपयोग कराधान के लिए या अपराध की रोकथाम के लिए किया जा सकता है। प्रायः सभी मोटर वाहनों को एक अद्वितीय पहचान संख्या दी जाती है। वाहन विधि
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एक हसीना थी (2003 फ़िल्म)
एक हसीना थी 2004 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। संक्षेप सरिता वार्तक उर्मिला मातोंडकर, एक साधारण ट्रैवल एजेंट एक नौजवान व्यवसायी करन राठौड़ सैफ़ अली ख़ान से मिलती है और उसे उससे प्यार हो जाता है। एक दिन करन का एक दोस्त उसे एक बैग संभाल कर रखने के लिये देता है। बाद में पुलिस सरिता के घर धावा बोलती हौ और उस बैग से अवैध हथियार बरोमद करती है। करन का वकील कमलेश माथुर आदित्य श्रीवास्तव सरिता को फुसलाकर इस अपराध में शामिल होने की बात मनवा लेता है। इसके तहत सरिता को ७ साल की सजा हो जाती है। सरिता को अपनी गलती का अहसास होता है पर तब तक काफी देर हो चुकी थी। जेल में एक साथी प्रमिला प्रमिला काज़मी की मदद से वह जेल से बाहर निकलती है और करन के साथ बदला लेने के खतरनाक खेल को शुरु करती है। चरित्र मुख्य कलाकार उर्मिला मातोंडकर - सरिता वार्तक सैफ़ अली ख़ान - करन राठौड़ सीमा बिस्वास - ए सी पी माल्ती वैद्य आदित्य श्रीवास्तव - कमलेश माथुर प्रमिला काज़मी - प्रमिला दल संगीत रोचक तथ्य परिणाम बौक्स ऑफिस समीक्षाएँ नामांकन और पुरस्कार बाहरी कड़ियाँ 2004 में बनी हिन्दी फ़िल्म फॉक्स स्टार स्टूडियोज़ की फ़िल्में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स की फ़िल्में टूटी हुई चित्र कड़ियों वाले पृष्ठ 2004 की फ़िल्में
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निरपेक्ष आदेश
निरपेक्ष आदेश या निरपेक्ष नियोग या निरपवाद कर्तव्यादेश (अंग्रेज़ी: categorical imperative, ) इमैनुएल कांट के कर्तव्यशास्त्रीय (deontological) नैतिक दर्शन में केंद्रीय दार्शनिक अवधारणा है। कांट के 1785 के नैतिकता के तत्वमीमांसा का आधारकर्म (Groundwork of the Metaphysics of Morals) में प्रस्तुत, यह क्रिया के लिए अभिप्रेरणाओं का मूल्यांकन करने का एक तरीका है। यह अपने मूल सूत्रीकरण में सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है: "केवल उस सूत्र-सुक्ति (maxim) के अनुसार कार्य करें जिससे आप उस ही समय में यह इच्छा कर सकें कि यह एक सार्वभौमिक कानून बन जाए।" कांट के अनुसार, तर्कसंगत प्राणी सृजन में एक विशेष स्थान रखते हैं, और नैतिकता को एक आज्ञार्थकता (अनिवार्यता, imperative) या तर्कबुद्धि की अंतिम आज्ञा के रूप में संक्षेपित किया जा सकता है, जिससे सभी कर्तव्य और दायित्व व्यूत्पन्न होते हैं। वह एक आज्ञार्थ (imperative) को उस किसी भी प्रतिज्ञप्ति के रूप में परिभाषित करता है जो एक निश्चित क्रिया (या निष्क्रियता) को अनिवार्य घोषित करता है। सोपाधिक आदेश (Hypothetical imperative) उस व्यक्ति पर लागू होती हैं जो कुछ निश्चित लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है। उदाहरण के लिए, "मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए कुछ पीना चाहिए" या "मुझे इस परीक्षा को पास करने के लिए अध्ययन करना चाहिए।" दूसरी ओर, एक निरपेक्ष आदेश, एक परमनिरपेक्ष, बेशर्त, जरूरत को दर्शाती है जिसका सभी परिस्थितियों में पालन किया जाना चाहिए और यह अपने आप में एक अंत के रूप में उचित ठहराया गया है, जिसमें केवल वांछनीय होने से परे आंतरिक मूल्य होता है। कांट ने अपने समय के लोकप्रिय नैतिक दर्शन के प्रति अत्यधिक असंतोष व्यक्त किया, उनका मानना था कि यह कभी भी सोपाधिक आदेश के स्तर को पार नहीं कर सकता है: एक उपयोगितावादी का कहना है कि हत्या गलत है क्योंकि यह इसमें शामिल लोगों के लिए लाभ (अच्छाई या शुभ) अधिकतम नहीं करती है, लेकिन यह उन लोगों के लिए अप्रासंगिक है जो केवल अपने लिए सकारात्मक परिणाम को अधिकतम करने के बारे में चिंतित हैं। नतीजतन, कांट ने तर्क दिया, परिकाल्पनिक नैतिक प्रणालियाँ नैतिक क्रिया के लिए प्रेरित नहीं कर सकती हैं या उन्हें दूसरों के खिलाफ नैतिक निर्णय के आधार के रूप में नहीं माना जा सकता है, क्योंकि जिन आज्ञार्थों पर वे आधारित हैं वे व्यक्तिपरक विचारों पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। उन्होंने एक विकल्प के रूप में, निरपेक्ष आदेश की माँगों के आधार पर, एक कर्तव्यात्मक नैतिक प्रणाली प्रस्तुत की।
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विभवांतर
किन्हीं दो बिन्दुओं के विद्युत विभवों के अंतर को विभवान्तर (पोटेन्शियल डिफरेन्स) या 'वोल्टता' (voltage) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, इकाई धनावेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किए गए कार्य को उन दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर कहते हैं। विभवान्तर को वोल्टमापी द्वारा मापा जाता है। वोल्टता, किसी स्थैतिक विद्युत क्षेत्र के द्वारा, विद्युत धारा के द्वारा, किसी समय के साथ परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र के कारण या इनमें से किसी दो या अधिक के कारण पैदा होता है। विभवान्तर का SI मात्रक वोल्ट है, जिसे ( v ) से व्यक्त करते हैं। v=w/q अर्थात w=कार्य, q=आवेश चूँकि जब हम किसी बिंदु आवेश को किसी दूसरे आवेश के वैद्युत क्षेत्र में एक स्थान b से दूसरे स्थान a तक ले जाते है। तो हमें वैद्युत बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। यही कार्य उन दोनों स्थानों के बीच वैधुत विभवांतर है। सूत्र- Va-Vb = W/q जहाँ w आवेश को b से a तक ले जाने में किया कार्य है। इन्हें भी देखें विद्युत धारा प्रत्यावर्ती धारा वोल्ट वोल्टमापी विभवमापी विद्युत
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0
भीमसेन विद्यालंकार
भीमसेन विद्यालंकार (१४ मार्च, १९१४ -- ) भारत के एक लेखक, निर्भीक पत्रकार, स्वतन्त्र विचारक तथ देश की स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए चलाए गए राष्ट्रीय आन्दोलन के सेनानी तथा उसमें भाग लेने वाले ध्येयनिष्ठ एंव कर्मठ व्यक्ति थे। इन्होंने अध्यापन, लेखन तथा पत्रकारिता द्वारा राष्ट्रीयता का प्रचार किया। उन्होने सत्यवादी नामक पत्र का सम्पादन किया। वे पंजाब हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमन्त्री रहे। इनकी स्मृति में प्रतिवर्ष हिन्दी भवन द्वारा हिन्दी रत्न सम्मान प्रदान किया जाता है। लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित नेशनल कालेज में भाई परमान्द जी के आग्रह पर अध्यापन कार्य किया। वहां सरदार भगतसिंह, सुखदेव, भगवतीचरण वर्मा, यशपाल आदि इनके छात्र रहे। पराधाीनता युग में भीमसेन जी ने देश की जनता में सोए हुए स्वाभिमान को जागृत करने के उदेश्य से उच्च कोटि के ऐतिहासिक महत्व के ग्रन्थ- वीर मराठे, वीर शिवाजी, महाभारत के वीर, आर्य समाज के सिद्धान्त, आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब का सचित्र इतिहास, स्वर्गीय लाला लाजपतराय जी की आत्मकथा भाग - 1, आदि लिखे। भीमसेन विद्यालंकार का जन्म 14 मार्च 1914 को हरियाणा में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी शिवकरण था। इन्हें भी देखें हिन्दी रत्न सम्मान भारतीय पत्रकार
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%88%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE
अल्ताई भाषा
अल्ताई भाषा (रूसी: Горно-алтайские языки, अंग्रेज़ी: Altay language) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के अल्ताई गणतंत्र और अल्ताई क्राय विभागों में बसने वाले अल्ताई लोगों की मातृभाषा हैं जो तुर्की भाषा-परिवार की सदस्य है। सन् १९९२ में इसे मातृभाषा के रूप में बोलने वालों की संख्या २०,००० अनुमानित की गई थी जबकि सन् २००२ में इसे मातृभाषा या अन्य रूप में जानने वालों की संख्या ७०,००० गिनी गई। इसकी दो मुख्य उपभाषाएँ हैं - उत्तरी अल्ताई और दक्षिणी अल्ताई। इस भाषा को मुख्यतः सिरिलिक लिपि के प्रयोग से लिखा जाता है। रूस के अलावा यह मंगोलिया और चीन के कुछ पड़ोसी इलाक़ों में भी बोली जाती है। इन्हें भी देखें अल्ताई लोग साइबेरियाई तुर्की भाषाएँ अल्ताई गणराज्य अल्ताई क्राय सन्दर्भ अल्ताई गणतंत्र अल्ताई क्राय रूस की भाषाएँ तुर्की भाषाएँ साइबेरियाई तुर्की भाषाएँ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%B0%20%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B2%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE
पीर पंजाल पर्वतमाला
पीर पंजाल पर्वतमाला (Pir Panjal Range) हिमालय की एक पर्वतमाला है जो भारत के हिमाचल प्रदेश व जम्मू और कश्मीर राज्यों और पाक-अधिकृत कश्मीर में चलती है। हिमालय में धौलाधार और पीर पंजाल शृंख्लाओं की ओर ऊँचाई बढ़ने लगती है और पीर पंजाल निचले हिमालय की सर्वोच्च शृंख्ला है। सतलुज नदी के किनारे यह हिमालय के मुख्य भाग से अलग होकर अपने एक तरफ़ ब्यास और रावी नदियाँ और दूसरी तरफ़ चेनाब नदी रखकर चलने लगती है। पश्चिम में आगे जाकर उत्तरी पाकिस्तानी पंजाब और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की पहाड़ी गलियाँ इसी पीर पंजाल शृंख्ला का अंतिम कम-ऊँचाई वाला भाग है। इसी में उत्तरी पंजाब का मरी हिल-स्टेशन स्थित है। पाक-अधिकृत कश्मीर के बाग़ ज़िले में गंगा चोटी पीर पंजाल शृंख्ला का एक प्रसिद्ध ३,०४४ मीटर (९,९८७ फ़ुट) ऊँचा पर्वत व पर्यटन-स्थल है। पर्वत ६२२१ मीटर (२०,४१० फ़ुट) ऊँचा इन्द्रसन (Indrasan) और ६००१ मीटर (१९,६८८ फ़ुट) ऊँचा देव टिब्बा (Deo Tibba) पीर पंजाल पर्वतमाला के पूर्वी छोर के सबसे महत्वपूर्ण पर्वत हैं। इस छोर के बड़े पर्वत कुल्लु ज़िले और लाहौल व स्पीति ज़िले में स्थित हैं। कश्मीर का प्रसिद्ध गुलमर्ग पर्यटनस्थल भी इसी शृंख्ला में स्थित है। दर्रे पीर पंजाल पर्वतमाला में कई प्रसिद्ध पहाड़ी दर्रे हैं: पीर पंजाल दर्रा (Pir Panjal pass) - यह श्रीनगर से पश्चिम में स्थित है। बनिहाल दर्रा (Banihal pas) - यह २,८३२ मीटर (९,२९१ फ़ुट) ऊँचा दर्रा वेरीनाग नामक पानी के चश्में का स्थल है जो वितस्ता नदी (जो कश्मीर में झेलम नदी का स्थानीय नाम और उस नदी का मूल वैदिक नाम भी है) का स्रोत है। इस दर्रे के एक तरफ़ जम्मू विभाग का बनिहाल नगर और दूसरी तरफ़ कश्मीर विभाग का काज़ीगुंड नगर स्थित है। सिंथन दर्रा (Sinthan pass) - यह जम्मू के पश्चिमी भाग और कश्मीर घाटी को जम्मू विभाग के पूर्वी भाग (जिसमें किश्तवार स्थित है) से जोड़ता है। पीर की गली (Pir ki Gali) - यह लगभग ११,५०० फ़ुट ऊँचा दर्रा कश्मीर घाटी को राजौरी और पुंछ से जोड़ता है। यह ऐतिहासिक मुग़ल मार्ग पर स्थित है और उस मार्ग का सबसे ऊँचा बिन्दु है। आगरा और दिल्ली से कश्मीर जाते हुए मुग़ल सम्राट इसी मार्ग का प्रयोग करते थे। कश्मीर का दक्षिण-पश्चिमी शुपियाँ नगर इस से सब से समीपी शहर है और अपनी सेब की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है। हाजी पीर दर्रा - यह २,६३७ मीटर (८,६५२ फ़ुट) ऊँचा दर्रा पीर पंजाल पर्वतमाला के पश्चिमी छोर पर पुंछ और उड़ी को जोड़ता है। १९४८ में पाकिस्तान के इसपर क़ब्ज़ा कर लिया था लेकिन १९६५ के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना ने इसे वापस ले लिया था। ताशकन्द समझौते के अन्तर्गत पाकिस्तान से सम्बन्ध सुधारने के लिए भारत ने इसे लौटा दिया। रोहतांग ला - ३,९७८ मीटर (१३,०५१ फ़ुट) ऊँचा यह दर्रा पंजाल पर्वतमाला के पूर्वी छोर पर कुल्लु घाटी में स्थित मनाली को लाहौल घाटी में स्थित केलांग से जोड़ता है। इन्हें भी देखें बनिहाल दर्रा गंगा चोटी सन्दर्भ हिमालय भारत की पर्वतमालाएँ पाकिस्तान की पर्वतमालाएँ जम्मू_और_कश्मीर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BC
खादीज़ा मुमताज़
खादीज़ा मुमताज़ (जन्म: 1955) एक मलयालम लेखिका हैं। उन्हें 2010 में उनके दूसरे उपन्यास 'बरसा' के लिए "केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार" से सम्मानित किया गया हैं। वे पेशे से चिकित्सक हैं। ग्रंथ सूची अथ्माथीर्थान्गालिल मंगिनिवार्न्नु (उपन्यास, करेंट बुक्स, कोट्टायम, 2004) बरसा (उपन्यास, डीसी बुक्स, कोट्टायम, 2007) डॉक्टर दैवामल्ला (संस्मरण, डीसी बुक्स, 2009 कोट्टायम) अठुरम (उपन्यास, डीसी बुक्स, कोट्टायम, 2010) सरगम, समूहम (निबंध, 2011 बुक पॉइंट, कोझीकोड,) बल्याथिल निन्नु इरांगी वन्ना ओरल (लघु कथाएँ, पियानो प्रकाशन, कोझीकोड, 2011) मठुरुकम (वैज्ञानिक साहित्य, डीसी बुक्स, 2012 कोट्टायम) पुरुशानारियाथा स्थ्रीमुखंगल (निबंध, मातृभूमि बुक्स, 2012 कोझीकोड) पुरस्कार/सम्मान 2008: बरसा के लिए लालकृष्ण वी. सुरेंद्रनाथ साहित्य पुरस्कार 2010: बरसा के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार 2010: बरसा के लिए चेरुकड़ पुरस्कार सन्दर्भ भारतीय महिला साहित्यकार 1955 में जन्मे लोग मलयालम साहित्यकार केरल के लोग जीवित लोग भारतीय लेखक भारतीय साहित्यकार
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A4%B0%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%A8%20%E0%A4%B5%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0
बेकर प्रजनन वक्र
बेकर प्रजनन वक्र (Becker's Fertility Curve) प्रजनन तथा आर्थिक विकास, जिसे प्रतिव्यक्ति आय के रूप में व्यक्त किया गया हो, के बीच संबंध को प्रदर्शित करने वाला प्रारूप है। राबर्ट बारो और गैरी बेकर द्वारा प्रतिपादित इस प्रारूप के अनुसार कुछ सीमा तक प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि प्रजननता में वृद्धि लाएगी, किंतु एक निश्चित सीमा के उपरांत प्रतिव्यक्ति आय की वृद्धि के साथ प्रजननता में कमी आएगी और वह भी घटती हुई दर में गिरेगी। प्रारूप के अनुसार यह वक्र उल्टे यू (inverted U) की भांति होगा। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Garry Stanley Becker Fertility Barro-Becker Model of Fertility Choice The Becker Fertility Model: Theory and Critique Fertility Choice in a Model of Economic Growth अर्थव्यवस्था विकास
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%BE%20%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%80
उमेशा थिमाशिनी
उमेशा थिमाशिनी (जन्म 24 अप्रैल 2001) एक श्रीलंकाई क्रिकेटर हैं। जनवरी 2019 में, उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ श्रृंखला के लिए श्रीलंका की टीम में नामित किया गया था। उन्होंने 1 फरवरी 2019 को दक्षिण अफ्रीका महिला के खिलाफ श्रीलंकाई के लिए महिला ट्वेंटी 20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट (मटी20आई) की शुरुआत की। उन्होंने 11 फरवरी 2019 को दक्षिण अफ्रीका महिला के खिलाफ श्रीलंका के लिए महिला एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट (मवनडे) की शुरुआत की। नवंबर 2019 में, उन्हें 2019 दक्षिण एशियाई खेलों में महिला क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए श्रीलंका की टीम में नामित किया गया था। फाइनल में बांग्लादेश से दो रन से हारकर श्रीलंकाई टीम ने रजत पदक जीता। जनवरी 2020 में, उन्हें ऑस्ट्रेलिया में 2020 आईसीसी महिला टी20 विश्व कप के लिए श्रीलंका की टीम में नामित किया गया था। अक्टूबर 2021 में, उन्हें जिम्बाब्वे में 2021 महिला क्रिकेट विश्व कप क्वालीफायर टूर्नामेंट के लिए श्रीलंका की टीम में पांच आरक्षित खिलाड़ियों में से एक के रूप में नामित किया गया था। सन्दर्भ 2001 में जन्मे लोग जीवित लोग
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सैन्य अभियन्ता सेवाएं
सैन्य अभियन्ता सेवाएं (), जिसे इसके अंग्रेजी नाम के संक्षिप्त रूप, एमईएस (MES) से भी जाना जाता है, भारत में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सरकारी रक्षा बुनियादी ढांचा विकास एजेंसियों में से एक है। यह मुख्य रूप से भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय आयुर्विज्ञान कारखानों, डीआरडीओ और भारतीय तट रक्षक सहित भारतीय सशस्त्र बलों के लिए इंजीनियरिंग और निर्माण कार्यों का प्रबन्धन करती है। एमईएस रक्षा मंत्रालय के तहत सीधे एक अंतर सेवा संगठन है। यूपीएससी-इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के माध्यम से चुने गए समूह 'अर्गनाइज्ड सर्विस अधिकारी' इस संगठन के कुशल कामकाज के लिए जिम्मेदार हैं। समूह 'ए' संगठित सेवा के रूप में एमईएस में तीन घटक कैडर हैं: आईडीएसई (भारतीय रक्षा सेवा अभियंता), आईडीसीएमएस (भारतीय रक्षा अनुबंध प्रबंधन सेवा) या सर्वेक्षक कैडर, आर्किटेक्ट कैडर और बैरक / स्टोर कैडर। सशस्त्र बलों के लिए भवन निर्माण के अपने पारंपरिक दायित्व के अलावा, सैन्य अभियंता सेवाएं परिष्कृत और जटिल परियोजनाओं जैसे एयरफील्ड, भवन, कार्यशालाऐं, सड़कें, खेल परिसर, रनवे, हैंगर, डॉकयार्ड, घाट और अन्य समुद्री संरचनाओं के निष्पादन में भी शामिल है। संगठन कमान उत्तरी कमान (उधमपुर) पश्चिमी कमान (चंडीगढ़) केंद्रीय कमान (लखनऊ) दक्षिणी कमान (पूना) दक्षिण पश्चिमी कमान (जयपुर) पूर्वी कमान (कलकत्ता) अंचल बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक जालस्थल भारतीय सेना
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लव 86
लव 86 1986 की भारतीय नाट्य प्रेमकहानी फ़िल्म है। इसका निर्देशन इस्माईल श्रॉफ ने किया है। इसमें तनुजा, गोविंदा, रोहन कपूर, फरहा और नीलम प्रमुख भूमिकाओं में हैं। संक्षेप लक्ष्मीदेवी (तनुजा) सख्त और अनुशासनप्रिय मां हैं, जो अपने आलीशान घर पर सख्ती से शासन करती हैं। उनकी शादी की उम्र वाली दो बेटियां हैं। एक का नाम लीना (फरहा) और दूसरी का नाम ईशा (नीलम) है। वह उनकी शादी एक सभ्य और संपन्न परिवार के दो भाइयों से कराना चाहती हैं। ताकि दोनों बहनें जीवन भर एक साथ रह सकें। लेकिन भाग्य कुछ और ही फैसला करता है, क्योंकि उनकी बेटियों को अपने होने वाले दूल्हों में कोई दिलचस्पी नहीं है। बल्कि वह ओमी (रोहन कपूर) और विक्रम दोशी (गोविंदा) नाम के दो गरीब चोरों को पसंद करती है। वह बहुत कम उम्र में अनाथ हो गए थे और गरीब परिवारों से आते हैं। अब लक्ष्मीदेवी को अपनी दो बेटियों और भावी दामादों के भाग्य के बारे में फैसला करना होगा। मुख्य कलाकार तनुजा — लक्ष्मीदेवी रोहन कपूर — ओमी नीलम — ईशा फरहा — लीना गोविंदा — विक्रम दोशी शफ़ी ईनामदार — रामनिवास तिलक सतीश शाह — हवलदार सांडू रवि वासवानी — हवलदार पांडू जॉनी लीवर — उत्तम असरानी — हनुमान दिनेश हिंगू — सुरेन्द्रनाथ अंजान श्रीवास्तव — डा. दिलीप सेन संगीत सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 1986 में बनी हिन्दी फ़िल्म लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%BE%20%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%AF%20%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0
परितला अंजनेय मंदिर
परितला अंजनेय मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसमें हनुमान की एक विशाल प्रतिमा है। यह दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची हनुमान प्रतिमा है। इसे सोलन के मानव भारती विश्वविद्यालय में स्थित 155 फीट और 2 इंच ऊँची एक प्रतिमा से प्रतिस्थापित कर दिया गया है, जो हनुमान को समर्पित है। वर्तमान रिकॉर्ड उत्तरी आंध्र में वासधारा नदी (171 फीट) के तट पर श्रीकाकुलम जिले के मदापम प्रतिमा के पास है। इसे लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स से भी सम्मानित किया जा चुका है। भारत के बाहर भगवान हनुमान की सबसे ऊँची प्रतिमा कैरापिचैमा, त्रिनिदाद और टोबैगो में है, जो 85 फीट ऊँची है। अवस्थिति यह मंदिर भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर से लगभग 30 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-65 पर परितला गाँव में स्थित है। यह प्रतिमा 2003 में स्थापित की गई थी और 135 फीट (41 मीटर) ऊँची है। इस मंदिर में राम, सीता, लक्ष्मण की प्रतिमा भी अवस्थित है। परितला अंजनेय स्वामी (हनुमान) की प्रतिमा अंजनेय मंदिर के शीर्ष पर है। भगवान हनुमान के हृदय में भी भगवान राम की छवि दिखाई देती है। गतिविधियाँ परितला अंजनेय मंदिर में हनुमान जयंती और राम नवमी त्योहार के दिन भारी भीड़ रहती है। मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। सन्दर्भ हनुमान मंदिर भारत में बाह्य मूर्तियाँ भारत में विशालकाय मूर्तियाँ भारत में मूर्तियाँ देशानुसार मूर्तियाँ देवतानुसार हिन्दू मन्दिर
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योग निद्रा
योगनिद्रा का अर्थ है - आध्यात्मिक नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति है योग निद्रा। इसे स्वप्न और जागरण के बीच ही स्थिति मान सकते हैं। यह झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है। देवता इसी निद्रा में सोते हैं। ईश्वर का अनासक्त भाव से संसार की रचना, पालन और संहार का कार्य योग निद्रा कहा जाता है। मनुष्य के सन्दर्भ में अनासक्त हो संसार में व्यवहार करना योग निद्रा है। परिचय योगनिद्रा लें और दिनभर तरोताजा रहें। प्रारंभ में यह किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर करें तो अधिक लाभ होगा। योगनिद्रा द्वारा शरीर व मस्तिष्क स्वस्थ रहते हैं। यह नींद की कमी को भी पूरा कर देती है। इससे थकान, तनाव व अवसाद भी दूर हो जाता है। राज योग में भी इसे प्रत्याहार कहा जाता है। जब मन इन्द्रियों से विमुख हो जाता है। प्रत्याहार की सफलता एकाग्रता लाती है। योगनिद्रा में सोना नहीं है। योगनिद्रा द्वारा मनुष्य से अच्छे काम भी कराए जा सकते हैं। बुरी आदतें भी इससे छूट जाती हैं। योगनिद्रा का प्रयोग रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, तनाव, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, अनिद्रा, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक बीमारियों, स्त्री रोग में प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभदायक है। योगनिद्रा का संकल्प प्रयोग पशुओं पर भी किया जा सकता है। खिलाड़ी भी मैदान में खेलों में विजय प्राप्त करने के लिए योगनिद्रा लेते हैं। योगनिद्रा 10 से 45 मिनट तक की जा सकती है। योगनिद्रा लेने का तरीका योगनिद्रा प्रारंभ कर रहे हैं तो ध्यान रखें खुली जगह का चयन किया जाए। यदि किसी बंद कमरे में करते हैं तो उसके दरवाजे, खिड़की खुले रहना चाहिए। ढीले कपड़े पहनकर शवासन करें। जमीन पर दरी बिछाकर उस पर एक कंबल बिछाएं। दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों, हथेली कमर से छह इंच दूरी पर हो। आँखे बंद रहें। शरीर को हिलाना नहीं है, नींद नहीं निकालना, यह एक मनोवैज्ञानिक नींद है, विचारों से जूझना नहीं है। अपने शरीर व मन-मस्तिष्क को शिथिल कर दीजिए। सिर से पाँव तक पूरे शरीर को शिथिल कर दीजिए। पूरी साँस लेना व छोड़ना है। अब कल्पना करें कि आप समुद्र के किनारे लेटकर योगनिद्रा कर रहे हैं। आप के हाथ, पाँव, पेट, गर्दन, आँखें सब शिथिल हो गए हैं। अपने आप से कहें कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूँ। योगनिद्रा में अच्छे कार्यों के लिए संकल्प लिया जाता है। बुरी आदतें छुड़ाने के लिए भी संकल्प ले सकते हैं। योगनिद्रा में किया गया संकल्प बहुत ही शक्तिशाली होता है। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी साँस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा। अब अपने इष्टदेव का ध्यान करें और मन में संकल्प 3 बार बोलें। अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों (76 अंगों) पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे पर ले जाइए। पाँव की सभी उँगलियां कम से कम पाँव का तलवा, एड़ी, पिण्डली, घुटना, जांध, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है। इसी तरह बाया पैर भी शिथिल करें। सहज साँस लें व छोड़ें। इससे समुद्र की शुद्ध वायु आपके शरीर में आ रही है व गंदी वायु बाहर जा रही है। कल्पना करें कि धरती माता ने आपके शरीर को गोद में उठाया हुआ है। अब मन को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे, सभी उंगलियों पर ले जाइए। कलाई, कोहनी, भुजा व कंधे पर ले जाइए। इसी प्रकार अपने मन को बाएं हाथ पर ले जाएं। दाहिना पेट, पेट के अंदर की आंतें, जिगर, अग्नाशय दाएं व बाएं फेफड़े, हृदय व समस्त अंग शिथिल हो गए हैं। हृदय के यहाँ देखिए हृदय की धड़कन सामान्य हो गई है। ठुड्डी, गर्दन, होठ, गाल, नाक, आँख, कान, कपाल सभी शिथिल हो गए हैं। अंदर ही अंदर देखिए आप तनाव रहित हो रहे हैं। सिर से पाँव तक आप शिथिल हो गए हैं। ऑक्सीजन अंदर आ रही है। कार्बन डाई-ऑक्साइड बाहर जा रही है। आपके शरीर की बीमारी बाहर जा रही है। अपने विचारों को तटस्थ होकर देखते जाइए। अब अपनी कल्पना में गुलाब के फूल को देखिए। चंपा के फूल को देखिए। पूर्णिमा के चँद्रमा को देखिए आकाश में तारों को देखिए। उगते हुए सूरज को देखिए। बहते हुए झरने को देखिए। तालाब में कमल को देखिए। समुद्र की शुद्ध वायु आपके शरीर में जा रही है और बीमारी व तनाव बाहर जा रहा है। इससे आप स्वस्थ हो रहे हैं। आप तरोताजा हो रहे हैं। सामने देखिए समुद्र में एक जहाज खड़ा है। जहाज के अंदर जलती हुई मोमबत्ती को देखिए। जहाज में दूसरी तरफ एक लालटेन जल रहा है उस जलती हुई लौ को देखिए। सामने देखिए खूब जोरों की बरसात हो रही है। बिजली चमक रही है, चमकती हुई बिजली को देखिए। बादल गरज रहे हैं। गरजते हुए बादल की आवाज सुनिए। नाक के आगे देखिए। ऑक्सीजन आपके शरीर में जा रही है। कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर जा रही है। अपने मन को दोनों भौहों के बीच में लाएँ व योगनिद्रा समाप्त करने के पहले अपने आराध्य का ध्यान कर व अपने संकल्प को 3 बार अंदर ही अंदर दोहराए। लेटे ही लेटे बंद आँखों में तीन बार ओऽम्‌ का उच्चारण करिए। फिर दोनों हथेलियों को गरम करके आँखों पर लगाएँ व पाँच बार सहज साँस लीजिए। अब अंदर ही अंदर देखिए आपका शरीर, मन व मस्तिष्क तनाव रहित हो गया है। आप स्वस्थ व तरोताजा हो गए हैं, जिस तरह से कार की बैटरी चार्ज हो जाती है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ योगनिद्रा से जगाएँ अपने सुपरचेतन को (अखिल भारतीय गायत्री परिवार) योग निद्रा-विश्रान्ति के साथ पूरी नींद का लाभ (अखण्ड ज्योति) योगनिद्रा से जगाएँ अपने सुपरचेतन को योगनिद्रा से जगाएँ अपने सुपरचेतन को (अखिल भारतीय गायत्री परिवार) तनावों से मुक्ति के लिए योगनिद्रा में सोएं: गुरू मां आनंदमूर्ति व से मुक्ति पाना है तो करें योगनिद्रा कमर दर्द के लिए 4 best yoga गहरी नींद और चिंता से लड़ने के लिए योग निद्रा कैसे करें योग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%B5%20%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%93%E0%A4%A1%E0%A5%87%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95
स्ट्रूव जिओडेटिक आर्क
स्ट्रूव जियोडेटिक आर्क () नॉर्वे के हैमरफेस्ट से काला सागर तक फैले सर्वेक्षण त्रिकोणों की एक श्रृंखला है, जो दस देशों और 2,820 किमी से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है, इसकी सहायता से देशान्तर रेखा का पहला सटीक मापन किया गया था। इस श्रृंखला की स्थापना जर्मनी में पैदा हुए रूसी वैज्ञानिक फ्रेडरिक जॉर्ज विल्हेम वॉन स्ट्रूव ने 1816 से 1855 में पृथ्वी के सटीक आकार और आकृति को सिद्ध करने के लिए की थी। उस समय, श्रृंखला केवल दो देशों के माध्यम से पारित हुई: स्वीडन संघ-नॉर्वे और रूसी साम्राज्य। आर्क का पहला बिंदु एस्टोनिया के टार्टू वेधशाला में स्थित है, जहां स्ट्रूव ने अपने अधिकांश शोध किया था। 2005 में, विश्व धरोहर सूची पर इस श्रृंखला को यादगार धरोहरों के समुह के रूप में जोडा गया था, जोकि 34 स्मारक पट्टियों अथवा इसके मूल 265 मुख्य स्टेशन बिंदुओं से मिलकर बना हुआ है और चट्टानों, लोहे के क्रोस, कैंर्स, और अन्य वस्तुओं में छेद करके चिह्नित किये गये थे। त्रिकोण श्रृंखला के मापन में 258 मुख्य त्रिकोण और 265 भूगर्भीय शिखर शामिल हैं। उत्तरीतम बिंदु नॉर्वे के हैमरफेस्ट के पास स्थित है, और दक्षिणी बिंदु यूक्रेन में काला सागर के पास है। यह शिलालेख दस देशों में स्थित है, जिसमें से अधिकांश यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल है। श्रृंखला नॉर्वे हैमरफेस्ट के फुग्लेन्स में () Raipas in Alta () Luvdiidcohkka in Kautokeino () Baelljasvarri in Kautokeino () स्वीडन "Pajtas-vaara" (Tynnyrilaki) in Kiruna "Kerrojupukka" (Jupukka) in Pajala Pullinki in Övertorneå "Perra-vaara" (Perävaara) in Haparanda फिनलैंड Stuor-Oivi (currently Stuorrahanoaivi) in Enontekiö () Avasaksa (currently Aavasaksa) in Ylitornio () Torneå (currently Alatornion kirkko) in Tornio () Puolakka (currently Oravivuori) in Korpilahti () Porlom II (currently Tornikallio) in Lapinjärvi () Svartvira (currently Mustaviiri) in Pyhtää () रूस "Mäki-päälys" (Mäkipäällys (Finland 1917/1920-1940) in Hogland (Suursaari) "Hogland, Z" (Gogland, Tochka Z) in Hogland () एस्टोनिया "Woibifer" (Võivere) in Väike-Maarja Parish () "Katko" (Simuna) in Väike-Maarja Parish () "Dorpat" (Tartu Old Observatory) in Tartu. () लातविया "Sestu-Kalns" (Ziestu) in Ērgļu novads () "Jacobstadt" in Jēkabpils () लिथुआनिया "Karischki" (Gireišiai) in Panemunėlis () "Meschkanzi" (Meškonys) in Nemenčinė () "Beresnäki" (Paliepiukai) in Nemėžis () बेलारूस 19 topographic points of the Struve Geodetic Arc are located in Belarus. "Tupischki" (Tupishki) in Ashmyany district () "Lopati" (Lopaty) in Zelva district () "Ossownitza" (Ossovnitsa) in Ivanovo district () "Tchekutsk" (Chekutsk) in Ivanovo district () "Leskowitschi" (Leskovichi) in Ivanovo district () मोल्डोवा "Rudi" near Rudi village, Soroca district () यूक्रेन Katerynivka in Antonivka, Khmelnytsky Oblast ( ) Felshtyn in Hvardiiske, Khmelnytsky Oblast ( ) Baranivka in Baranivka, Khmelnytsky Oblast ( ) Staro-Nekrasivka (Stara Nekrasivka) in Nekrasivka, Odesa Oblast ( ) सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ यूनेस्को वेबसाइट पर सूचियाँ श्रृंखला के बारे में एक यूनेस्को लेख एफआईजी - स्ट्रुव जिओडेटिक आर्क के लिए यूनेस्को को विश्व विरासत स्मारक बनने का प्रस्ताव J.R. Smith। स्ट्रूव जियोडेटिक आर्क लातविया स्ट्रूव आर्क वेब पेज स्ट्रूव और स्ट्रूव जियोडेटिक आर्क (2011) को समर्पित एस्टोनियाई स्मारिका पत्रक विश्व धरोहर स्थल
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सुलखान सिंह
सुलखान सिंह (जन्म:1957) उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक हैं। वे वर्ष 1980 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। इससे पूर्व वे पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) के पद पर कार्यरत थे। सिंह बांदा जिले के तिंदवारी क्षेत्र के जौहरपुर गांव के रहने वाले हैं और इनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी के रूप में मानी जाती है। उनका जन्म बंदा जिले के जौहरपुर गांव में 1957 में हुआ था। इंटर तक की पढ़ाई इन्होंने बांदा से की इसके बाद वह इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन के लिए रुढ़की चले गए। आईआईटी रूड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। तत्पश्चात एफटीयाई(विदेशी संस्थागत निवेशक)की। इसके बाद इन्होंने दिल्ली से एमटेक किया और फिर रेलवे में इंजीनियर के पद पर कुछ समय तक सेवाएं दीं। साथ ही वह सिविल सेवा की भी तैयारी करते रहे। वर्ष 1983 में वे भारतीय पुलिस सेवा में चुने गये, तब से ले कर उन्होंने कई जिमेदारी संभाली है, वर्ष 2001 में वो लखनऊ के पुलिस उपमहानिरीक्षक बनाये गये इस दौरान वो कई भ्रष्ट पुलिस अफसर का तवादला करवा कर सुर्खियों में रहे हैं। सन्दर्भ भारतीय पुलिस अधिकारी 1957 में जन्मे लोग जीवित लोग
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वेस्ट इंडियन
एक वेस्ट इंडियन वेस्ट इंडीज (एंटिल्स और ल्यूसियन द्वीपसमूह) का मूल निवासी या निवासी है। 100 से अधिक वर्षों के लिए वेस्ट इंडियन शब्द विशेष रूप से वेस्ट इंडीज के मूल निवासियों का वर्णन करते हैं, लेकिन 1661 तक यूरोपीय लोगों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था, जो कि वेस्ट इंडीज में रहने वाले यूरोपीय उपनिवेशवादियों के वंशजों का वर्णन करते थे। कुछ वेस्ट इंडियन लोग इस शब्द को ब्रिटिश वेस्ट इंडीज के नागरिकों या मूल निवासियों के लिए आरक्षित करते हैं। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%89%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A4%BE%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4
बिहार और उड़ीसा प्रांत
बिहार और उड़ीसा ब्रिटिश भारत का एक प्रांत था। जिसमें बिहार, झारखंड और ओडिशा के एक हिस्से के वर्तमान भारतीय राज्य शामिल थे। 18 वीं और 19वीं सदी में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी, और भारत के सबसे बड़े ब्रिटिश प्रांत बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे। 1 अप्रैल 1936 को बिहार और उड़ीसा विभाजन दोनों बिहार और उड़ीसा प्प्रसीडेंं alag हो गए थे। 22 मार्च 1912 को बिहार ड़ी़ीी़ी अलग प्रांत बना था। इतिहास 1756 में बिहार मुगल साम्राज्य के बंगाल सुबा का हिस्सा था, जबकि उड़ीसा एक अलग सुबा था। 16 अगस्त 1765 को पूर्वी सम्राट आलमगीर द्वितीय के पुत्र मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय और पूर्वी भारत कंपनी के रॉबर्ट, लॉर्ड क्लाइव के बीच इलाहाबाद संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, बक्सर की लड़ाई के परिणामस्वरूप 22 अक्टूबर 1764 का। संधि राजनीतिक और संवैधानिक भागीदारी और भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत को चिह्नित करती है। समझौते की शर्तों के आधार पर, आलम ने ईस्ट इंडिया कंपनी दीवानी अधिकार, या पूर्वी बंगाल-बिहार-उड़ीसा के सम्राट की ओर से कर एकत्र करने का अधिकार दिया। पटना के साथ 22 मार्च 1912 को बिहार और उड़ीसा बंगाल से अलग हो गए थे।. उड़ीसा सहायक राज्यों सहित कई रियासतें प्रांतीय गवर्नर के अधिकार में थीं। द्वैध शासन (1921-1937) भारत सरकार अधिनियम 1919 के माध्यम से अधिनियमित मोंटगु-चेम्सफोर्ड सुधार 43 से 103 सदस्यों तक बिहार और उड़ीसा विधान परिषद का विस्तार किया। विधान परिषद में अब 2 कार्यकारी अधिकारी, 25 नामांकित सदस्य (12 अधिकारी, 13 गैर-आधिकारिक) और 76 निर्वाचित सदस्य (48 गैर-मुस्लिम, 18 मुस्लिम, 1 यूरोपीय, 3 वाणिज्य और उद्योग, 5 भूमिधारक और 1) शामिल थे। विश्वविद्यालय निर्वाचन क्षेत्रों)।. सुधारों ने द्वैध शासन के सिद्धांत को भी पेश किया, जिससे कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थानीय सरकार जैसे कुछ जिम्मेदारियों को निर्वाचित मंत्रियों में स्थानांतरित कर दिया गया। सन्दर्भ ऐतिहासिक भारतीय क्षेत्र in this creatitive has more tallentsd person
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यूरोप
यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पूर्व में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के 10,180,000 वर्ग किलोमीटर (3,930,000 वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग 6.8% है। यूरोप के 50 देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, 73.1 करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग 11% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), 2050 तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर 7% पर आ सकता है। 1900 में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था।[संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यूरोप में कुल 44 देश हैं।The Curiosity By PKRudra added] पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने 16 वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद. 16 वीं और 20 वीं सदी के बीच विभिन्न समयों पर, दोनो अमेरिका, अफ्रीका, ओशिआनिया और एशिया के बड़े भूभाग यूरोपीय देशों के नियंत्रित में थे। दोनों विश्व युद्धों की शुरुआत मध्य यूरोप में हुई थी, जिनके कारण 20 वीं शताब्दी में विश्व मामलों में यूरोपीय प्रभुत्व में गिरावट आई और संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के रूप में दो नये शक्ति के केन्द्रों का उदय हुआ। शीत युद्ध के दौरान यूरोप पश्चिम में नाटो के और पूर्व में वारसा संधि के द्वारा विभाजित हो गया। यूरोपीय एकीकरण के प्रयासों से पश्चिमी यूरोप में यूरोपीय परिषद और यूरोपीय संघ का गठन हुआ और यह दोनों संगठन 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद से पूर्व की ओर अपने प्रभुत्व का विस्तार कर रहे यूरोप का इतिहास यूरोप में मानव ईसापूर्व 35,000 के आसपास आया। ग्रीक (यूनानी) तथा लातिनी (रोम) राज्यों की स्थापना प्रथम सहस्त्राब्दी के पूर्वार्ध में हुई। इन दोनों संस्कृतियों ने आधुनिक य़ूरोप की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया है। ईसापूर्व 480 के आसपास य़ूनान पर फ़ारसियों का आक्रमण हुआ जिसमें यवनों को बहुधा पीछे हटना पड़ा। 330 ईसापूर्व में सिकन्दर ने फारसी साम्राज्य को जीत लिया। 146 ई.पू. में यूनानी प्रायद्वीप (द्वीपों को छोड़कर) रोमन प्रोटेक्टोरेट का भाग बन गया। यूनान का अन्तिम पतन 88 ई.पू में हुआ जब पोन्टस के मिथ्रिडेट्स षष्ठ नामक राजा ने रोम के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, जब वह रोमन जनरल लुसियस कॉर्नेलियस सुला द्वारा यूनान से बाहर खदेड़ा गया तब यूनान पर पुनः रोम का अधिकार हो गया और यूनानी नगर फिर कभी इससे उबर न सके। सन् 27 ईसापूर्व में रोमन गणतंत्र समाप्त हो गया और रोमन साम्राज्य की स्थापना हुई। सन् 313 में कांस्टेंटाइन ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया और यह धर्म रोमन साम्राज्य का राजधर्म बन गया। पाँचवीं सदी तक आते आते रोमन साम्राज्य कमजोर हो चला और पूर्वी रोमन साम्राज्य पंद्रहवीं सदी तक इस्तांबुल में बना रहा। इस दौरान पूर्वी रोमन साम्राज्यों को अरबों के आक्रमण का सामना करना पड़ा जिसमें उन्हें अपने प्रदेश अरबों को देने पड़े। सन् 1453 में इस्तांबुल के पतन के बाद यूरोप में नए जनमानस का विकास हुआ जो धार्मिक बंधनों से ऊपर उठना चाहता था। इस घटना को पुनर्जागरण (फ़्रेंच में रेनेसाँ) कहते हैं। पुनर्जागरण ने लोगों को पारम्परिक विचारों को त्याग व्यावहारिक तथा वैज्ञानिक तथ्यों पर विश्वास करने पर जोर दिया। इस काल में भारत तथा अमेरिका जैसे देशों के समुद्री मार्ग की खोज हुई। सोलहवीं सदी में पुर्तगाली तथा डच नाविक दुनिया के देशों के सामुद्रिक रास्तों पर वर्चस्व बनाए हुए थे। इसी समय पश्चिमी य़ूरोप में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हो गया था। सांस्कृतिक रूप से भी य़ूरोप बहुत आगे बढ़ चुका था। साहित्य तथा कला के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई थी। छपाई की खोज के बाद पुस्तकों से ज्ञानसंचार त्वरित गति से बढ़ गया था। सन् 1781 में फ्रांस की राज्यक्रांति हुई जिसने पूरे यूरोप को प्रभावित किया। इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जनभागीदारी तथा उदारता को बल मिला था। रूसी साम्राज्य धीरे धीरे विस्तृत होने लगा था। पर इसका विस्तार मुख्यतः एशिया में अपने दक्षिण की तरफ़ हो रहा था। इस समय ब्रिटेन तथा फ्रांस अपने नौसेना की तकनीकी प्रगति के कारण डचो तथा पुर्तगालियों से आगे निकल गए। पुर्तगाल पर स्पेन का अधिकार हो गया और पुर्तगाली उपनिवेशों को अंग्रेजों तथा फ्रांसिसियों ने अधिकार कर लिया। रूसी सर्फराज्य का पतन 1761 में हुआ। बाल्कन के प्रदेश उस्मानी साम्राज्य (ऑटोमन) से स्वतंत्र होते गए। 1918 तथा 1945 में दो विश्व युद्ध हुए। दोनों में जर्मनी की पराजय हुई। इसके बाद विश्व शीतयुद्ध के दौर से गुजरा। अमेरिका तथा रूस दो महाशक्ति बनकर उभरे। प्रायः पूर्वी य़ूरोप के देश रूस के साथ रहे जबकि पश्चिमी य़ूरोप के देश अमेरिका के। जर्मनी का विभाजन हो गया। सन् 1951 में रूस ने अपने कॉस्मोनॉट यूरी गगारिन को अंतरिक्ष में भेजा। 1969 में अमेरिका ने सफलतापूर्वक मानव को चन्द्रमा की सतह तक पहुँचाने का दावा किया। हथियारों की होड़ बढ़ती गई और अंततः अमेरिका आगे निकल गया। 1989 में जर्मनी का एकीकरण हुआ। 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। रूस सबसे बड़ा परवर्ती राज्य बना। सन् 2007 में यूरोपीय संघ की स्थापना हुई। भूगोल यूरोप में दो पर्वतीय भाग के बीच एक विशाल मैदान है। यूरोप के सबसे बड़े शहर: जलवायु यूरोप मुख्यतः शीतोष्ण जलवायु क्षेत्रों में से है। यूरोप की जलवायु गल्फ स्ट्रीम नामक इस समुद्री गर्म जलधारा के प्रभाव के कारण विश्व भर में एक ही अक्षांश पर स्थित अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम विषम है। गल्फ स्ट्रीम यूरोप की जलवायु गर्म और नम बनाता है। गल्फ स्ट्रीम न केवल यूरोप के सागर तट को तुलनात्मक रूप से गर्म रखता है बल्कि अटलांटिक महासागर से महाद्वीप की ओर चलने वाली प्रचलित पश्चिमी हवाओं को भी गर्म करता है, इसलिए नेपल्स का साल भर का औसत तापमान १६° सेल्सियस (६०.८°F) है, जबकि लगभग उसी ऊँचाई पर स्थित न्यूयॉर्क सिटी का औसत तापमान केवल १२° सेल्सियस (में ५३.६°F) ही रहता है। प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीव तापमान एवं वर्षा में अन्तर मिलने के कारण यूरोप महाद्वीप की प्राकृतिक वनस्पति में भी काफी अन्तर मिलता है। यूरोप महाद्वीप के उत्तर के आर्कटिक महासागर के तटीय भाग में कठोर शीत के कारण भूमि हिमाच्छादित रहती है। अतः वनस्पति का प्रायः अभाव रहता है। इस भाग की मुख्य वनस्पति काई एवं लाइकेन है। यहाँ गर्मी में बर्फ पिघलने पर सुन्दर-सुन्दर फूलों वाले पौधे उगते हैं। जो अल्पकाल के लिए अपनी छटा दिखाकर समाप्त हो जाते हैं। जीव-जन्तुओं में ध्रुवीय भालू, रेंडियर, लोमड़ी तथा पानी में सील एवं व्हेल पाए जाते हैं। टुण्ड्रा प्रदेश के दक्षिणी भाग नार्वे, स्वीडन, फ़िनलैंड एवं रूस में नुकीली पत्ती वाले कोणधारी वन पाए जाते हैं जिन्हे टैगा कहते हैं। यहाँ के प्रमुख वृक्ष चीड़, स्प्रूस, सिलवर, फर, बर्च, बलूत आदि हैं। इन वनों में भालू, भेड़िया एवं मिंक आदि पशु पाए जाते हैं। टैगा प्रदेश के दक्षिण में कम वर्षा होती है अतः यहाँ शीतोष्ण घास के मैदान मिलते हैं जिन्हें स्टेपीज कहा जाता है। यह मैदान दक्षिणी रूस, रूमानिया एवं हंगरी के डेन्यूब प्रदेश में विस्तृत है। इस घास प्रदेश में घास खाने वाले जानवर जैसे घोड़ा, बारहसिंगा एवं घास में रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं। दक्षिणी यूरोप के भूमध्य सागरीय प्रदेश में जहाँ भूमध्यसागरीय जलवायु पाइ जाती है वहाँ चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार वन मिलते हैं। यहाँ बलूत, जैतून, सीडार, साइप्रस, अखरोट, बादाम, संतरा, अंजीर एवं अंगूर जैसे फलों के वृक्ष खूब पैदा होते हैं। उत्तरी-पश्चिमी मध्य यूरोप में समशीतोष्ण कटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाले पतझड़ के वन पाए जाते हैं। कठोर शीत से सुरक्षा के लिए यहाँ के वृक्ष जाड़े के प्रारम्भ में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। ऐसे वृक्षों में बलूत, ऐश, बीच, बर्च, एल्म, मैपिल, चेस्टनट और अखरोट मुख्य हैं। ऊँचें पर्वतीय भागों में अधिक ठण्डक के कारण नुकीली पत्ती वाले वन पाए जाते हैं। इनके प्रमुख वृक्ष चीड़, फर, सनोवर, लार्च, स्प्रूस, सीडार और हेमलाक हैं। इस प्रकार यूरोप में पतझड़ एवं नुकीली पत्ती के वृक्षों के मिश्रित वन पाए जाते हैं। यूराल एवं काकेशश पर्वत एशिया व यूरोप को अलग करते है। इटली को यूरोप का भारत कहा जाता है (कृषि प्रधान होने के कारण) । पो नदी को इटली की गंगा कहा जाता है। फिनलैंड को झीलों का देश कहा जाता है । इन्हें भी देखें यूरोपीय संघ महाद्वीप
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इकाई सदिश
गणित में, इकाई सदिश (unit vector) एक सदिश है जिसका परिमाण १ हो। इकाई सदिश को प्रायः लैतिन के छोटे अक्षरों के ऊपर 'हैट' लगाकर दर्शाया जाता है (जैसे ; उच्चारण : "i-हैट"). किसी सदिश की दिशा में इकाई सदिश की गनना निम्नलिखित प्रकार से की जाती है: जहाँ ||u||, u की लम्बाई (नॉर्म) है। अर्थात् किसी सदिश को उसके परिमाण एवम् उसके एकांक सदिश के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। सदिश विश्लेषण
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दिग्विजय भोंसले
Articles with hCards दिग्विजय भोंसले (जन्म ३१ मार्च १९८९) एक भारतीय रॉक और मेटल गायक, गिटारवादक और गीतकार हैं। उन्हें निकोटीन (बैंड) के फ्रंट-मैन के रूप में जाना जाता है। निकोटीन को इंदौर के पहले मेटल बैंड होने और "मध्य भारत में मेटल संगीत के प्रथम अन्वेषक" होने के लिये जाना जाता है। भोंसले का जन्म बंबई में हुआ और पालन-पोषण इंदौर में हुआ। उनकी शिक्षा द डेली कॉलेज में हुई थी। उन्होंने प्रेस्टीज (देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी) से बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और वेल्स, यूनाइटेड किंगडम में कार्डिफ़ मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन पूरा किया। उनके परदादा बार्शी (महाराष्ट्र) से ग्वालियर राज्य चले गए और बाद में देवास जूनियर (छोटी पाती) राज्य में बस गए, जहां उन्होंने और उनके वंशजों ने राज्य के दरबार में 'मानकरी' नामक एक वंशानुगत कुलीन पद धारण किया। अपने बैंड के साथ प्रदर्शन करने के साथ-साथ, उन्होंने कार्डिफ़ में एक एकल संगीतकार के रूप में भी कई बार प्रदर्शन किया, जहां वे २०१० से २०१२ तक रहे २०१७ में वह हरारे, ज़िम्बाब्वे चले गए और जैम ट्री, क्वीन ऑफ़ हार्ट्स, अमानज़ी और कॉर्कीज़ में कई एकल ध्वनिक प्रदर्शन किए। उन्होंने 'एविक्टिड' बैंड के सदस्यों के साथ सहयोग किया, और हरारे में रेप्स थिएटर में 'मेटल यूनाइटेड वर्ल्ड वाइड' कॉन्सर्ट के २०१८ जिम्बाब्वे संस्करण में 'डिवाइडिंग द एलिमेंट', 'एसिड टियर्स' और 'चिकवाटा-२६३' के साथ प्रदर्शन किया। निर्वाना, इनक्यूबस, शेवेल और रेज अगेंस्ट द मशीन जैसे बैंड से भोंसले प्रभावित है। उपकरण जैक्सन किंग वी इलेक्ट्रिक गिटार फेंडर जैगुआर कर्ट कोबेन सिग्नेचर इलेक्ट्रिक गिटार लाइन ६ पॉड एक्स३ लाइव मल्टीफ़ेक्ट गिटार प्रोसेसर डनलप डीबी०१ डाइमबैग डारेल सिग्नेचर क्राई बेबी वाह पेडल ब्लैकस्टार आईडी कोर एम्प आईबनेज़् ड्रेडनॉट ध्वनिक गिटार संदर्भ भारतीय गायक भारतीय संगीतकार भारतीय पुरुष गायक 1989 में जन्मे लोग जीवित लोग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%B7%E0%A4%A3
वीर्य विश्लेषण
एक वीर्य विश्लेषण (बहुवचन: वीर्य विश्लेषण), जिसे सेमिनोग्राम या स्पर्मियोग्राम भी कहा जाता है एक पुरुष के वीर्य और उसमें निहित शुक्राणु की कुछ विशेषताओं का मूल्यांकन करता है। यह पुरुष प्रजनन क्षमता का मूल्यांकन करने में मदद करने के लिए किया जाता है, चाहे गर्भावस्था चाहने वालों के लिए या पुरुष नसबंदी की सफलता की पुष्टि करने के लिए। माप पद्धति के आधार पर, केवल कुछ विशेषताओं का मूल्यांकन किया जा सकता है (जैसे कि घरेलू किट के साथ) या कई विशेषताओं का मूल्यांकन किया जा सकता है (आमतौर पर एक नैदानिक ​​प्रयोगशाला द्वारा)। संग्रह तकनीक और सटीक माप पद्धति परिणामों को प्रभावित कर सकती है। वीर्य विश्लेषण एक जटिल परीक्षण है जिसे अनुभवी तकनीशियनों द्वारा गुणवत्ता नियंत्रण और परीक्षण प्रणालियों के सत्यापन के साथ एंड्रोलॉजी प्रयोगशालाओं में किया जाना चाहिए।' मापदंड वीर्य विश्लेषण में मापे गए मापदंडों के उदाहरण हैं: शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता, आकारिकी, आयतन, फ्रुक्टोज स्तर और पीएच। शुक्राणुओं की संख्या शुक्राणुओं की संख्या, या शुक्राणु एकाग्रता, कुल शुक्राणुओं की संख्या के साथ भ्रम से बचने के लिए, एक पुरुष के स्खलन में शुक्राणु की एकाग्रता को मापता है, जो कुल शुक्राणुओं की संख्या से अलग होता है, जो कि शुक्राणुओं की संख्या को मात्रा से गुणा किया जाता है। 2010 में WHO के अनुसार, प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से अधिक शुक्राणु को सामान्य माना जाता है। पुरानी परिभाषाएं 20 मिलियन बताती हैं।[6] कम शुक्राणुओं की संख्या को ओलिगोज़ोस्पर्मिया माना जाता है। एक पुरुष नसबंदी को सफल माना जाता है यदि नमूना एज़ोस्पर्मिक (किसी भी प्रकार का शून्य शुक्राणु पाया जाता है) है। जब एक नमूने में प्रति मिलीलीटर 100,000 से कम शुक्राणु होते हैं तो हम क्रिप्टोज़ूस्पर्मिया के बारे में बात करते हैं। कुछ लोग सफलता को तब परिभाषित करते हैं जब दुर्लभ/कभी-कभी गैर-प्रेरक शुक्राणु देखे जाते हैं (100,000 प्रति मिलीलीटर से कम)। आकृति विज्ञान शुक्राणु आकृति विज्ञान के संबंध में, 2010 में वर्णित डब्ल्यूएचओ मानदंड बताता है कि एक नमूना सामान्य है (उन पुरुषों के नमूने जिनके साथी पिछले 12 महीनों में गर्भावस्था में थे) यदि 4% (या 5 वीं शताब्दी) या अधिक देखे गए शुक्राणुओं में सामान्य आकारिकी है। यदि नमूने में सामान्य रूप से सामान्य शुक्राणु के 4% से कम है, तो इसे टेराटोज़ोस्पर्मिया के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। विश्लेषण वीर्य का विश्लेषण निम्नलिखित तरीको से किया जाता है: यूवी लाइट से एएसिड फॉस्फेट परीक्षण प्रोस्टेट विशिष्ट प्रतिजन शुक्राणु की सूक्ष्म पता लगान सन्दर्भ प्रजनन यौन शिक्षा न्यायालयिक विज्ञान
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लूईजी दे मयों
लूईजी दे मयों (जन्म 6 जुलाई 1986) एक इतालवी राजनीतिज्ञ हैं जो कि वर्तमान में इटली के उपप्रधानमंत्री हैं। इसके साथ ही वे आर्थिक विकास मंत्री तथा श्रमिक एवं सामाजिक नीतियों के मंत्री का भी पद सम्भाल रहे हैं। इससे पहले वे चैम्बर ऑफ़ डिप्टीज़ के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे फाइव स्टार मूवमेंट पार्टी के नेता हैं जो कि बेप्पे ग्रिल्लो द्वारा स्थापित सरकार विरोधी पार्टी है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 1986 में जन्मे लोग इटली के नेता जीवित लोग
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ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम का न्यूज़ीलैंड दौरा 2009-10
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने 26 फरवरी से 31 मार्च 2010 तक न्यूजीलैंड का दौरा किया। इस दौरे में दो ट्वेंटी-20 (टी20आई), पांच एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (वनडे) और दो टेस्ट शामिल थे। प्रायोजन के कारण, दौरे को नेशनल बैंक सीरीज़ के रूप में संदर्भित किया गया था, जिसमें न्यूजीलैंड टीम के प्रमुख प्रायोजक नेशनल बैंक ऑफ़ न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलियाई टीम के प्रमुख प्रायोजक विक्टोरिया बिटर थे। टी20आई श्रृंखला बंधी हुई थी, जिसमें प्रत्येक टीम ने एक मैच जीता था। चैपल-हैडली ट्रॉफी - दोनों देशों के बीच एकदिवसीय मैचों की वार्षिक श्रृंखला के विजेता से सम्मानित किया गया - ऑस्ट्रेलिया को न्यूजीलैंड द्वारा 3-0 से हराकर लगातार तीसरी श्रृंखला के लिए बनाए रखा गया। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच प्रत्येक टेस्ट श्रृंखला के विजेता को ट्रांस-तस्मान ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था - ऑस्ट्रेलिया द्वारा लगातार आठवीं श्रृंखला के लिए बनाए रखा गया था, क्योंकि उन्होंने न्यूजीलैंड को 2-0 से हराया था। दोनों टीमों के लिए अगली श्रृंखला अप्रैल और मई में 2010 आईसीसी विश्व ट्वेंटी 20 होगी। टी20आई श्रृंखला पहला टी20आई दूसरा टी20आई चैपल-हेडली ट्रॉफी पहला वनडे दूसरा वनडे तीसरा वनडे चौथा वनडे पांचवां वनडे ट्रांस-तस्मान ट्रॉफी पहला टेस्ट दूसरा टेस्ट सन्दर्भ ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के न्यूजीलैंड दौरे
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%80
खड़िया आदिवासी
खड़िया, मध्य भारत की एक जनजाति है। इनकी भाषा खड़िया आस्ट्रो-एशियाटिक परिवार के समूह में आती है। जनसंख्या की दृष्टि से मुंडा संताली, मुंडारी और हो के बाद खड़िया का स्थान है। खड़िया आदिवासियों का निवास मध्य भारत के पठारी भाग में है, जहाँ ऊँची पहाड़ियाँ, घने जंगल और पहाड़ी नदियाँ तथा झरने हैं। इन पहाड़ों की तराइयों में, जंगलों के बीच समतल भागों और ढलानों में इनकी घनी आबादी है। इनके साथ आदिवासियों के अतिरिक्त कुछ दूसरी सादान जातियाँ तुरी, चीक बड़ाईक, लोहरा, कुम्हार, घाँसी, गोंड, भोगता आदि भी बसी हुई हैं। खड़िया समुदाय मुख्यतः एक ग्रामीण खेतिहर समुदाय है। इसका एक हिस्सा आहार-संग्रह अवस्था में है। शिकार, मधु, रेशम के कोये, रस्सी और फल तथा जंगली कन्दों पर इनकी जीविका आधारित है। जंगल साफ करके खेती द्वारा गांदेली, मडुवा, उरद, धन आदि पैदा कर लेते हैं। वास-स्थान शरत्चन्द्र राय के अनुसार खड़िया लोगों की आबादी उड़ीसा, बंगाल के बाँकुड़ा, भिवनापुर, बीरभूम और पुरूलिया,जलपाईगुड़ी,दार्जिलिंग जिलों में, झारखण्ड के सिंहभूम, सिमडेगा, लोहरदगा,राँची और गुमला जिलों में, छत्तीसगढ़ के रायगढ़, सारंगगढ़, शक्ति, , दुर्ग, बिलासपुर, जयपुर और उदयपुर में अधिक हैं। यह आबादी क्षेत्र पूर्व की ओर मिदनापुर और बाँकुड़ा तक चला गया है। इसमें पुरूलिया, बिरभूम और मिदनापुर तथा बाँकुड़ा है। इसी तरह उड़ीसा का पठारी इलाका, जिसमें सिमलीपाल और दलमा पर्वत श्रेणियां हैं। सतपुड़ा पर्वत श्रेणी में छिन्दवाड़ा का क्षेत्र स्थित है। अपेक्षाकृत नीची जगहों में बिलासपुर और दुर्ग जिले हैं जो मैदानी इलाके से सटे हुए हैं। बिहार के सिंहभूम जिले के ढालभूम, सराई केला और घाटशिला तथा गुमला जिले के शंख और कोयल नदी की तराई में इस जाति के लोग बसे हुए हैं। लोहरदगा के विशुनपुर के पहाड़ी क्षेत्रा में भी खड़िया लोग बसे हुए हैं। ये क्षेत्र घने जंगलों से ढके हैं। उड़ीसा के सिमलीपाल, क्योंझर, ढेंकानल, बोंलगीर, संबलपुर, सुन्दरगढ़ और नीलगिरी पर्वत की तराई के क्षेत्र में, खड़िया लोग निवास करते हैं। इसी प्रकार शंख, कोयल, ईब और महानदी की तराई को इन्होंने निवास के लिए चुना है । करन प्रधान के अनुसार सन 2000 में नवगठित छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में भी पूर्व से ही खड़िया समुदाय का बहुतायत निवास रहा है। जशपुर जिला तीन राज्यों को जोड़ता है, छत्तीसगढ़, झारखण्ड और उड़ीसा इन तीनो राज्यों के संगम होने तथा जाति के मात्रात्मक त्रुटि (खड़िया तथा खरिया) के सुधार तथा प्रशासन के द्वारा खड़िया समाज को पुनः अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किए जाने के कारण प्रति वर्ष 2011 से 14,व 15 फरवरी को जिले के विकासखंड फरसाबहार के चट्टीडाँड़ (कोनपारा) में खड़िया समाज सम्मलेन का आयोजन होता है जिसमे छत्तीसगढ़, झारखण्ड और उड़ीसा के खड़िया समाज के लोग सम्मिलित होते हैं। इससे पता चलता है की जशपुर जिले से सम्बंधित राज्यों उड़ीसा से सुंदरगढ़ जिला, झारखण्ड से सिमडेगा जिला में भी खड़िया समाज लोग रहते हैं, इन जिलों से काफी लोग सम्मलेन में हिस्सा लेते हैं I छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य जिले रायगढ़, महासमुंद, में भी खड़िया समाज का निवास बहुतायत रहा है। खड़िया आदिवासियों के उपभेद खड़िया आदिवासी समुदाय को तीन उप विभागों में रखा गया है। उन्होंने स्वयं ही ये उप विभाग किए हैं। इन उप विभागों के लोगों ने भिन्न-भिन्न समयों में इस क्षेत्र में पदार्पण किया। किसी भी कबीले के आगमन का सही समय ज्ञात नहीं है फिर भी कुछ विशिष्टताओं के कारण यह विभाजन हुआ है। ये तीन विभाग हैं- शबर खड़िया या पहाड़ी खड़िया, डेलकी या ढेलकी खड़िया, दूध खड़िया। पहाड़ी खड़िया अभी तक जंगलों पर ही पूर्णतया निर्भर हैं। ये घुमन्तू जीवन व्यतीत करते हैं इसलिए ये कहीं जमकर रह नहीं पाते, और न खेती कर पाते हैं। इधर झारखण्ड के घाटशिला जैसे स्थानों में इन्हें बसाने और उद्योगों में लगाने की कोशिश की गई हैं। यद्यपि इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की गई है किन्तु सरकार अपने प्रयत्न में असफल रही है। फिर भी कुछ थोड़े से लोग तसर उद्योगों में लगे हैं। डेलकी और दूध खड़िया, पहाड़ी खड़िया की अपेक्षा अधिक विकसित हैं। इन दोनों शाखाओं का सम्बन्ध अभी भी वनों से है, किन्तु उन्हीं पर निर्भर नहीं हैं। इन्होंने खेती लायक जमीन तैयार कर ली है, और अब ये खेती करते हैं। गाँव बसाकर रहते हैं। शबर खड़िया हिल खड़िया पश्चिम बंगाल के मिदनापुर, पुरूलिया, बाँकुड़ा जिलों में, बिहार के सिंहभूम में, मध्य प्रदेश के रायगढ़, बिलासपुर, रायपुर और उड़ीसा के गंजाम, कटक, कालाहाँडी, क्योंझर, ढेंकानाल, पुरी, बोंलगीर, मयूरभंज, सुन्दरगढ़ और संबलपुर जिलों में रहते हैं। डेलकी खड़िया डेलकी खड़िया जाति अधिकतर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में निवास करते हैं I जशपुर, जांजगीर चांपा के डभरा तथा मालखरौदा के भांटा, व बोड़ासागर गांवो में]], रायगढ़, महासमुंद, कोरबा आदि में डेलकी खड़िया समाज निवास करते हैं I डेलकी खड़िया के वंशों के नाम ( वंश/गोत्र आदि ) सामट सुरेन मुड़ु हसड़ा चरहट बागे तोपनो मोईल बरलिहा आदि I दूध खड़िया दूध खड़िया मुख्यतः झारखण्ड एवं उड़ीसा में फैले हुए हैं। खड़िया संस्कृति खड़िया धर्म खड़िया समुदाय का धर्म और दर्शन, आग्नेय कुल की अन्य जातियों के धर्म और दर्शन की तरह ही जटिल नहीं है। इनका धर्म और विश्वास प्रकृति पर आधरित है, जो सनातन धर्म का अंग है। मुण्डा, हो, संथाल आदि की तरह ही यह जाति भी सूर्य को शत्ति और जीवन का मूल स्रोत मानती है। सूर्य के उज्जवल रंग को पवित्रता का प्रतीक मानते हैं। शक्ति का प्रतीक सूर्य ‘पोनोेमोसोर’ कहलाता है। मुण्डा सूर्य को ‘'सिंगी’' मात्रा न कहकर ‘सिंगबोंगा’ कहते है। कुडुख ‘'बिड़ीनाद’' या ‘'धर्मेस'’ कहते हैैं। खड़िया में सिर्फ ‘'बेड़ो'’ कहते हैं। चन्द्रमा को सूर्य की पत्नी ‘'बेड़ोडय'’ कहते हैं। खड़िया दर्शन खड़िया आदिवासी समुदाय कर्मफल पर विश्वास नहीं करते। उनका विश्वास है कि मनुष्य मर कर फिर खड़िया समुदाय में और उसी वंश में जन्म लेता है। इस तरह पूर्वजों का सर्म्पक हमेशा बना रहता है, निरन्तरता बनी रहती है। खड़िया समुदाय चाहे उसने किसी भी धर्म को स्वीकार कर लिया है, विश्वास करता है कि मनुष्य के अन्दर दो शक्तियाँ हैं जिसे ‘चइन’ या ‘प्राण’ और ‘लोंगोय’ या छाया कही गई है। जब तक मनुष्य जीवित है, प्राण उसके अन्दर रहता है। प्राण रहने तक नाड़ी चलती है और साँस ली जाती है। प्राण के निकलते ही मृत्यु हो जाती है। पर्व-त्योहार खड़िया समुदाय के पर्व-त्योहार एक ओर धर्मिक विश्वासों से जुड़े हैं, तो दूसरी ओर इन उत्सवों का आधार उनकी सामाजिकता और जीविका के साधनों पर निर्भर करता है। इन त्योहारों का सम्बन्ध उनके प्राचीन आखेट जीवन से लेकर कृषि-युग होते हुए आधुनिक जीवन से भी है। ये विभिन्न धर्मों के साथ जुड़ते हुए विभिन्न त्योहारों को अपने हित के अनुसार आत्मसात् करने लगे हैं। सारे उत्सवों में सबसे पहले पोनोमोसोर, उसके बाद-‘देव पितर’ या बूढ़ा-बूढ़ी की पूजा होती है। ‘देव-पितर’ की प्रतिदिन भोजन से पहले और हंड़िया पीने से पहले स्मरण किया जाता है। अन्य आत्माओं को अलग-अलग समयों में स्मरण करते हैं। सरहुल या जंकोर जब खड़िया समुदाय पूर्णतया जंगल पर निर्भर जीवन व्यतीत करती था, तब उनकी अर्थ-व्यवस्था और पर्व भी उसी के अनुकूल थे। उत्तर भारत की सारी जातियाँ चाहे वे आर्य हों या अनार्य, सबके लिए फाल्गुन मास की समाप्ति से अब तक जीवन जो ठिठुरा हुआ था, धीरे-धीरे मुक्त होने लगता है। प्रकृति के साथ मनुष्यों में भी उल्लास समाने लगता है। आर्य जातियाँ खेतों से गेहूँ-चना आदि अन्न प्राप्त करने की स्थिति में होती हैं। आर्येतर जातियाँ जंगलों से अपना खाद्य और अन्य आवश्यकताएँ भरपूर पाने की स्थिति में होती हैं। खड़िया समुदाय, जिसकी मूल अर्थ-व्यवस्था जंगल के फल-फूलों पर टिकी है, बहुतायत से पाने की स्थिति में फाल्गुन के दूसरे पक्ष में ही होती है। शीत से मुक्त वन प्रान्तर के पीले पत्ते झड़ने लगते हैं। जंगल फूलों और नयी पत्तियों से खिल उठता है। जंगली झाड़ियाँ सूख जाती है, जिन्हें जलाकर रास्ते साप कर दिए जाते हैं। यह ऋतु उन्हें शीत और भूख से मुक्त करता है जिसे ‘फागुन काट’ कर प्रकट किया जाता है। बसंत की सुविधाओं का स्वागत चैत के दूसरे दिन ‘जंकोर’ या ‘सरहुल’ मना कर किया जाता है। ‘जंकोर’ में पोनोमोसोर के साथ-साथ खूँट-पाट, या खूँट-दाँत, बघिया और गोरेया को भी बलि दी जाती है उनके मंत्रों से भी इसकी पुष्टि होती है। दिमतङ पूजा या गोशाला पूजा यह पूजा भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। एस.सी. राय ने कहा है कि यह पूजा बैसाख में पूर्णिमा से पाँच दिन पहले किया जाता है। यह बारह वर्षों में एक बार पूरी तरह से किया जाता है। ग्यारह वर्षों तक साधारण तौर पर मुर्गे की बलि दी जाती है। बारहवें वर्ष में गाँव से बाहर ऊँचे टाँड़ में पूजा की जाती है। जंगल से शाल के तीन पेड़ काट कर लाते और ‘गोहार’ बनाते हैं। पेड़ के ऊपर की फुनगियाँ नहीं काटी जाती ‘कोमसोर सुउम्रोम’ (अरवा सूत in) से ‘गोहार’ को पाँच बार लपेटा जाता है। नियत दिन में घर का प्रमुख व्यक्ति अरवा चावल, एक हाँड़ी, बकरा या सूअर लेकर जाता है और बलि के बाद चावल और बलि के सिर को पका कर खाता है। यदि उस स्थान पर उसका कोई अविवाहित पुत्र हो तो उसे भी देता है। इसके बाद बिना धोए हाँड़ी को लाकर गोशाले के अन्दर कहीं पर टाँग देता है। मांस को सारा परिवार खाता है, सिर्फ लड़कियों को नहीं दिया जाता है। उनके लिए अलग से मांस बनता है। बाअ बिड्बिड् या धानबुनी ग्रीष्म ऋतु के ज्येष्ठ माह में धान बोने का त्योहार होता है। गाँव का पहान या कालो ‘पहनाई खेत’ को बोने लायक तैयार करके दिन नियत करता है। उस रात वह उपवास करके सबेरे (भुरका तारा) उदित होने के बाद याने ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर बिना किसी से कुछ बोले, सीधे रास्ते पर चलता है। नए बाँस की टोकरी, जिसे ‘गोनबिड्’ कहा जाता है में धान का बीज ले जाता है और वहाँ धान बोकर सीधे घर लौट आता है। घर में पहले खूँट-पाट देवता और देव-पितर को मुर्गियों की बलि देता और हँड़िया का अर्ध्य देकर पूजा समाप्त करता है। इसके बाद खान-पान होता है। जोओडेम या नवाखानी ग्रीष्म ऋतुु में धन बोने के बाद वर्षा ऋतु के मध्य से अनेक त्योहार आरम्भ हो जाते हैं। इन त्योहारों में रोनोल (रोपनी), गुडलू जोओडेम (गोंदली नवाखानी) गोडअ जोओडेम (गोड़ा नवाखानी), कढलेआ, करम, बंदई मुख्य हैं। सितम्बर के प्रथम पक्ष से अक्टूबर के प्रथम पक्ष तक गोंदली और गोड़ा नवाखानी मनाए जाते हैं। प्रत्येक नवाखानी में नवान्न ग्रहण किया जाता है। पूरे घर की सफाई होती है। बंदई बंदई कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। किन्तु वास्तव में कार्तिक का चाँद जिस दिन दिखाई देता है उसी दिन से त्योहार आरम्भ हो जाता है। चाँद दिखाई देता है उस दिन भैंसों के चर के आने के बाद तपन गोलङ (पूजा के लिए विशेष रूप से तैयार किया हुआ हँड़िया) से उनका पैर धेया जाता है। गोशाले में पहले से ही गोबर से लीप कर जगह निश्चित रहती है। वहाँ सूअर को अरवा चावल चराया जाता है। जिस वक्त सूअर अरवा चावल चरता होता है, घर का स्वामी हाथ उठा-उठा कर ‘गोरेया डुबोओ’ से निवेदन करता है कि उसके पशुओं को किसी तरह की हानि न हो। पूजा के बाद भैंसों के शरीर में घी या कुजरी का तेल लगाया जाता है। इसे ‘भैंस चुमान’ कहते हैं। भैंस चुमान तीन वर्षों के अन्तराल में होता है। जब पूर्णिमा आता है तब गाय-बैलों का त्योहार ‘बन्दई’ मनाया जाता है। खड़िया भाषा भाषा परिवार के अनुसार खड़िया भाषा भारत के आग्नेय कुल के मुंडा वर्ग में आती है। इसी वर्ग में संताली, हो, मुंडारी आदि जनजातीय भाषाएँ भी आती हैं। खड़िया भाषा ध्वनि प्रधान भाषा है। उच्चारण-प्रधान होने के कारण कई ध्वनियों का संकेत लिखित शब्दों में नहीं मिलता है। इस कारण बोलने और लिखने के शब्दों में मेल नहीं खाता है। इसका दूसरा कारण है कि इसकी अपनी लिपि नहीं है। लिखने के लिए देवनागरी लिपि का सहारा लिया जाता है। देवनागरी लिपि सभी लिपियों से अधिक वैज्ञानिक होने के बावजूद आग्नेय परिवार की भाषाओं को पूर्णतः प्रकट नहीं कर सकती। खड़िया के साथ भी ऐसी ही बात है। खड़िया भाषा बोली छत्तीसगढ़ में तथा उड़ीसा में अधिकतर बोली जाती है I लेकिन खड़िया भाषा का ज्ञान केवल बुजुर्गों को है, प्रचालन में बहुत काम प्रयोग होने से खड़िया भाषा बोली का काम प्रयोग किया जाता हैI सन्दर्भ डॉ॰ रोज केरकेट्टा : खड़िया लोक कथाओं का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन, तृतीय संस्करण 2014, प्यारा केरकेट्टा फाउण्डेशन, रांची : ISBN : 978-93-81056-45-5 S. C. Roy : The Kharias, Ranchi, 1937 Lalita Prasad Vidyarthi, Vijay S. Upadhyay : The Kharia, Then and Now: A Comparative Study of Hill, Dhelki, and Dudh Kharia of the Central-eastern Region of India, Concept Publishing Company, Delhi, 1980 बाहरी कड़ियाँ खड़िया आदिवासी समुदाय का जाल स्थल प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन का फेसबुक पेज डॉ॰ रोज केरकेट्टा का फेसबुक पेज आदिवासी आदिवासी (भारतीय)
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B2
कुदाल
कुदल, खेतीबारी में उपयोग आने वाला एक उपकरण है। इसकी सहायता से जमीन को खोदा जाता है। यह गड़्ढा खोदने, नाली बनाने, मिट्टी खोदने आदि के काम आती है। इसमें लोहे की बनी एक चौड़ी फाल (ब्लेड) होती है जिसके लम्बवत लकड़ी की बेंट (हत्था) लगा होता है। इसे संस्कृत में कुद्दाल, कुद्दार; प्राकृत में कुदृलपा, कुद्दाली; गुजराती में कोदालों, पंजाबी में कुदाल; बंगाली में कोदाल, मराठी में कुदल कहते हैं। इन्हें भी देखें हल खुरपा कुल्हाड़ी हँसिया बेलचा गैंती पाँचा बाहरी कड़ियाँ "Scuffle hoe" or "Dutch hoe" as defined by Memidex/WordWeb dictionary/thesaurus कृषि उपकरण
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मूसा
मूसा (अंग्रेज़ी : Moses मोसिस, इब्रानी : מֹשֶׁה मोशे), इस्लाम और ईसाई धर्मों में एक प्रमुख नबी (ईश्वरीय सन्देशवाहक) माने जाते हैं। ख़ास तौर पर वो यहूदी धर्म के संस्थापक और इस्लाम धर्म में रसूल माने जाते हैं। कुरान और बाइबल में हज़रत मूसा की कहानी दी गयी है, जिसके मुताबिक लगभग १२०० ई.पू. मिस्र के फ़राओ के ज़माने में जन्मे मूसा बनी इसराईली माता-पिता की औलाद थे पर मौत के डर से उनको उनकी माँ ने नील नदी में बहा दिया। उनको फिर फ़राओ की पत्नी ने पाला और मूसा एक मिस्री राजकुमार बने। बाद में मूसा को मालूम हुआ कि वो बनी इसराईली हैं और बनी इसराईल (जिसको फरओ ने ग़ुलाम बना लिया था) अत्याचार सह रहा है। मूसा का एक पहाड़ पर परमेश्वर से साक्षात्कार हुआ और परमेश्वर की मदद से उन्होंने फ़राओ को हराकर बनी इसराईल को आज़ाद कराया। इसके बाद मूसा ने बनी इसराइल को ईश्वर द्वारा मिले "दस आदेश" दिये जो आज भी यहूदी धर्म का प्रमुख स्तम्भ है। इन्हें भी देखें दस धर्मादेश यीशु मुहम्मद अब्राहम इज़राइल का इतिहास सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ The Geography, Book XVI, Chapter II The entire context of the cited chapter of Strabo's work यहूदी धर्म इस्लाम ईसाई धर्म इस्लाम के पैग़म्बर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%20%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%20%E0%A4%9A%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80
बरसाने लाल चतुर्वेदी
डॉ बरसाने लाल चतुर्वेदी (20 अगस्त १९२० - ) हिन्दी व्यंग्य और हास्य के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। वे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कवि हैं। उन्होंने लगभग 40 ग्रन्थों की रचना की है। गद्य तथा पद्य दोनों में आपका बराबर अधिकार है। आपको भारत सरकार ने पद्मश्री से अलंकृत किया है। आपने 'हिन्दी साहित्य में हास्य रस' विषय पर पीएच.डी. व 'आधुनिक काव्य में व्यंग्य' विषय पर डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की। आपका हास्य-व्यंग्य लेखन हँसाने के साथ-साथ विसंगतियों के प्रति सचेत भी करता है। कृतियाँ आपके साहित्यिक योगदान के लिए उ. प्र. सरकार तथा हिन्दी अकादमी ने आपको सम्मानित किया है। आपकी प्रसिद्ध कृतियाँ ये हैं- (१) भोलाराम पंडित की बैठक (२) मिस्टर चोखेलाल (३) बुरे फंसे (४) मिस्टर खोए-खोए (५) हास्य निबंध-संग्रह (६) मुसीबत है; आदि। व्यंग्य डॉ बरसाने लाल चतुर्वेदी का एक व्यंग्य देखिए- श्वेत वसन अब पीरे ह्वै गये, मैं तो रहि गई दंग छांडिकें पहिले साथी डोलत, नये यारन के संग जिन लोगन ते मीठे बोलत, ठानत है अब जंग नये साथिन को चाय पिलावत, आ गई मैं तो तंग जिन मुख देखत दुख उपजत है, विनै लगावत अंग नित्य नवीन कला खेलत हैं, नाचन लागे नंग गिरगिट अब शरमावत डोलत, कुआं परी है भंग भारत में अंग्रेजी पर व्यंग्यअंग्रेज़ी प्राणन से प्यारी। चले गए अंग्रेज छोड़ि माहि, हमने है मस्तक पे धारी।से राजी बनिके हैं बैंठी, चाची, ताई और महतारी। उच्च नौकरी की ये कुंजी, अफसर यही बनावनहारी।सबसे मीठी यही लगत है, भाषाएँ बाकी सब खारी। दो प्रतिशत लपकन ने याकू, सबके ऊपर है बैठारी।माहि हटाइबे की चर्चा सुनि, भक्तन के दिल होड दुःखारी। दफ्तर में माके दासन ने, फाइल याही सौ रंगडारी।माके प्रेमी हर आफिस में, विनते ये नाहि जाहि बिसारी। हिन्दी साहित्यकार
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मोहम्मद हबीबुर्रहमान
मोहम्मद हबीबुर्रहमान (बांग्ला: মুহাম্মদ হাবিবুর রহমান‎; 3 दिसंबर 1928 – 11 जनवरी 2014) 1995 में बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश थे। साथ ही वे 1996 की सामयिक सरकार के मुख्य सलाहकार भी थे, जिसने, सप्तम संसदीय चुनाव के निगरानी की थी। इन्हें भी देखें बांग्लादेश की राजनीति बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मुख्य सलाहकार बांग्लादेश सरकार बांग्लादेश में सामयिक सरकार बांग्लादेश में चुनाव सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ बांग्लादेश के लोग बांग्लादेश के प्रधानमन्त्री बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश
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शैक्षिक सॉफ्टवेयर
शैक्षिक सॉफ्टवेयर एक प्रकार का कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर होता है जिसका उपयोग लोगों को पढ़ाने के लिए और स्वयं उससे शिक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका विकास 20वीं सदी में देखने को मिलता है। विज्ञान के विकास के साथ इसका भी विकास एक सतत् प्रक्रिया का परिणाम है। इतिहास 1940 से 1970 तक इसका उपयोग शिक्षा में 1940 के बाद आया, जब अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक कम्प्युटर का निर्माण किया जिसके द्वारा यह जानकारी को रखा जा सकता है। शैक्षिक सॉफ्टवेयर का उपयोग सीधे सीधे हार्डवेयर के द्वारा किया जाता था, जो मुख्यतः मुख्यफ़लक कम्प्युटर होता था। वर्ष 1972 के बाद इसमें कई विशेषता जुड़ चुकी थी और यह घरेलू कम्प्युटर के रूप में भी मिलने लगा। इस विशेषताओं में छवि, ध्वनि और गैर-कुंजीपटल के जानकारी डालने वाले साधन भी शामिल है। 1970 से 1980 तक घरेलू या निजी कम्प्युटर के बाजार में और लोगों के घर में आने से वर्ष 1975 तक इसमें कई सामान्य और कोई विशेष कार्य के लिए बने शैक्षिक सॉफ्टवेयर आने लगे। वर्ष 1975 से पहले लोग विवि या सरकारी कार्यालयों में निर्भर करते थे, जो एक ही कम्प्युटर से जुड़े होते थे। यह कम्प्युटर उस समय के अनुसार लगभग ₹50,000 रुपये में मिलते थे। 1990 से शैक्षिक सॉफ्टवेयर का सबसे अधिक विकास 1990 के मध्य में हुआ था। इसमें छवि और आवाज का उपयोग शिक्षा कार्यक्रमों में बहुत बढ़ गया था। सीडी-रोम्स जानकारी को भेजने का एक बहुत आसान तरीका बन गया था। इसमें कई अनुप्रयोग होते थे। इसके अलावा इसमें इंटरनेट की सुविधा भी 1990 के मध्य में मिलने लगा था। वर्तमान में लगभग सभी शिक्षा संस्थान कम्प्युटर और इंटरनेट का उपयोग शिक्षा प्रदान करने में करते हैं। प्रकार पाठ्यक्रम अनुसार इस तरह के सॉफ्टवेयर का निर्माण मुख्यतः शिक्षक या सिखाने वालों के लिए किया जाता है। इसके द्वारा वे विद्यार्थियों को कम्प्यूटर के उपयोग से आसानी से कुछ भी सीखा सकते हैं। इसके अलावा किसी के अर्थ और उपयोग को और भी अच्छी तरह से विस्तार करके भी इसके द्वारा समझाया जा सकता है। इसका उपयोग कम्प्यूटर आधारित पाठ्यक्रम द्वारा पढ़ाए जाने वाले शिक्षा संस्थानों में किया जाता है। कक्षा अनुसार विद्यालय में किसी कक्षा विशेष के लिए भी इस तरह के सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है। इसके द्वारा एक बड़े पर्दे में कम्प्युटर द्वारा संचालित कर जानकारी दिखाया जाता है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ शैक्षिक सॉफ्टवेयर शिक्षा की पद्धतियां
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%B8%20%E0%A4%8F%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%9C
क्वान्टास एयरवेज
यह विश्व की एक प्रमुख वायुयान सेवा हैं |क़्वांटास एयरवेज लिमिटेड ऑस्ट्रेलिया की वायुसेवा हैं, क़्वांटास वास्तव में "क्वींसलैंड एंड नॉर्थर्न टेरिटरी एरियल सर्विसेज " का संक्षिप्त रूप हैं। “फ्लाइंग कंगारू” के उपनाम से सम्बोधित ये ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी एवं विश्व में दूसरी सबसे पुरानी वायुसेवा हैं। १९२० में स्थापित इस विमानसेवा की अंतरास्ट्रीय सर्विस मई १९३५ में शुरू हुई। क़्वांटास, सिडनी के उपनगरीय क्षेत्र मैस्कॉट में स्थित हैं एवं इसका मुख्य केंद्र सिडनी एयरपोर्ट में हैं। .ऑस्ट्रेलिया की घरेलु सेवा में इसकी भागीदारी ६५% हैं एवं १८.७% लोग ऑस्ट्रेलिया से बाहर जाने में इसका उपयोग करते हैं। इतिहास क़्वांटास की स्थापना क्वींसलैंड के विंटन क्षेत्र में १६ नवंबर,१९२० को “क्वींसलैंड एंड नॉर्थर्न टेरिटरी एरियल सर्विसेज लिमिटेड” के तौर पर की गयी थी। इस एयरलाइन्स के प्रथम एयरक्राफ्ट का नाम अवरो ५०४ K था। इसकी पहली अंतरास्ट्रीय सेवा May १९३५ में स्टार्ट हुई जब इसने डार्विन नॉर्थर्न टेरिटरी से सिंगापुर के लिए उड़ान भरा। जून १९५९ में इसने जेट युग में बोइंग ७०७–१३८ के द्वारा प्रवेश किया। मुख्यालय क़्वांटास का मुख्यालय कटस सेंटर सिडनी , न्यू साउथ वेल्स के उपनगरीय क्षेत्र सिटी ऑफ़ बॉटनी बे में पड़ता हैं। १९२० में “क्वींसलैंड एंड नॉर्थर्न टेरिटरी एरियल सर्विसेज लिमिटेड “ का मुख्यालय इंटों , क्वींसलैंड में था। १९२१ में लोंगरीच , क्वींसलैंड एवं १९३० में मुख्यालय ब्रिस्बेन में स्थान्तरित हुआ। १९५७ में मुख्यालय क़्वांटास हाउस सिडनी के हंटर स्ट्रीट में खोली गयी। एबोरिजिनल (ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी) एवं तोर्रेस स्ट्रेट द्वीप वासी के लिए उपक्रम क़्वांटास अपने एबोरिजिनल एवं तोर्रेस स्ट्रेट द्वीप वासी उपक्रम के जरिये एबोरिजिनल ऑस्ट्रेलियाई समुदाय से अपने को जोड़ता हैं। २००७ तक जब इस कार्यक्रम के शुरू हुए १० वर्ष से ज्यादा हो चुके है कंपनी के १-२% कर्मचारी एबोरिजिनल (ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी) एवं तोर्रेस स्ट्रेट द्वीप वासी हैं। क़्वांटास ने इस कार्यक्रम के लिए एक पूर्णकालिक डाइवर्सिटी कोऑर्डिनेटर को नियुक्त कर रखा हैं जो इसके लिए जवाबदेह हैं। क़्वांटास ने एबोरिजिनल कला को ख़रीदा एवं दान दिया हैं,१९९३ में क़्वांटास ने हनी एंट एंड ग्रासशोप्पेर ड्रीमिंग नामक पेंटिंग सेंट्रल ऑस्ट्रेलियाई डेजर्ट क्षेत्र से ख़रीदा।२००७ तक ये पेंटिंग आर्ट गैलरी ऑफ़ न्यू साउथ वेल्स को स्थाई तौर पर लोन पर दी हुई हैं। १९९६ में इसने ५ अतरिक्त बारक पेंटिंग इस गैलरी को दी |इससे पहले भी क़्वांटास ने बहुत सारे एबोरिजिनल कलाकारों को प्रायोजित एवं समर्थन दिया हैं। प्रोमोशनल गतिविधियाँ क़्वांटास ने काफी पहले १९६७ से ही टीवी पर अमेरिकन दर्शको को ध्यान में रखते हुए १ विज्ञापन शुरू किया था।जो काफी दशको तक चला ,इसमें एक कोआला को दिखाया गया था जो ये शिकायत करते हुए दिखाई देता हैं की बहुत सारे अमेरिकन ऑस्ट्रेलिया आ रहे हैं एवं वो क़्वांटास से घृणा करता हैं। क़्वांटास, ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय रग्बी टीम का मुख्य प्रायोजक हैं। ये ऑस्ट्रेलिया की फुटबॉल टीम सक्सेरूस को भी प्रायोजित करता हैं। दिसंबर २६,२०११ में इसने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के साथ ऑस्ट्रेलिऐ क्रिकेट टीम का अधिकारिक वाहक बनने के लिए ४ वर्षीया अनुबंध किया। एयरलाइन्स की (अनुषंगी) सहायक कंपनी क्वांटस के निम्नलिखित अनुषंगी कंपनियां हैं: ऑस्ट्रेलिया एशिया एयरलाइन्स इम्पल्स एयरलाइन्स ऑस्ट्रेलियाई एयरलाइन्स क़्वांटास लिंक जेटस्टार एयरवेज नेटवर्क एविएशन जेटकनेक्ट नई वर्दी पेरिस स्थित ऑस्ट्रेलियाई डिज़ाइनर मार्टिन ग्रांट ने क़्वांटास एयरलाइन के कर्मचारियों के लिए वर्दी तयार किया जो १६ नवंबर २०१३ को जनता के सामने दिखाया गया। बहुत सारे कर्मचरी इस नई वर्दी से खुश नहीं थे एवं एक फ्लाइट परिचारक को ये कहते हुए सुना गया की वर्दी वाकई में काफी टाइट हैं एवंजिस प्रकार के शारीरिक कार्य में वो सलंग्न रहते हैं उसके लिए सर्वथा अनुपयुक्त हैं। विस्तार परिवहन मार्ग कुल वायुयान संख्या संयोजकता यात्री परिवहन व्यापारिक परिवहन सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ ऑफिशियल वेबसाइट हिस्टोरिक कन्टास फ्लाइट रूट मैप विश्व की प्रमुख वायुयान सेवाएं
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मेडागास्कर
मेडागास्कर, या 'मेडागास्कर गणराज्य' (पुराना नाम : मालागासी गणराज्य, फ्रांसीसी: République malgache) हिन्द महासागर में अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित एक द्वीपीय देश है। मुख्य द्वीप, जिसे मेडागास्कर कहा जाता है विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है। यहाँ विश्व की पाँच प्रतिशत पादप और जीव प्रजातियाँ मौजूद हैं। इनमें से ८० प्रतिशत केवल मेडागास्कर में ही पाई जाती हैं। इस देश की दो तिहाई जनसंख्या अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (१.२५ अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन) से नीचे निवास करती है। मैडागास्कर 150 वर्ष से भी अधिक समय पूर्व से अफ्रीका से अलग हो चुका है। इसी कारण से, इस द्वीप पर पाए जाने वाले अधिकांश पौधे और जंतु, पृथ्वी पर और कहीं नहीं पाए जाते हैं। इसकी सुदूरता के कारण, लगभग 2,000 वर्ष पहले तक भी मैडागास्कर में मनुष्यों का आवास नहीं देखा जा सकता था। मालागासी- यह इस द्वीप पर रहने वाले लोगों के लिए एक नाम है- इन लोगों का विकास इण्डोनेशियाई लोगों से हुआ, जिन्होंने हिंद महासागर में से होकर रास्ता बनाया। बाद में अरबी और अफ़्रीकी लोग भी यहां पहुँच गए और उन्होंने इस द्वीप पर पायी जाने वाली अद्वितीय सांस्कृतिक प्रथाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पूर्वी तट पर, एक अवधि तक डाकुओं की उपस्थिति के बाद, 19 वीं शताब्दी के अंत में मैडागास्कर को फ्रांस के द्वारा उपनिवेश बना लिया गया। मैडागास्कर ने 1960 में स्वतंत्रता प्राप्त कर ली और आजा यह एक लोकतान्त्रिक राज्य है। मैडागास्कर की लगभग 75% जातियां स्थानिक (एंडेमिक) हैं अर्थात वे दुनिया में कहीं और नहीं पायी जाती हैं। इस द्वीप पर अजीब जंतु पाए जाते हैं, जिनमें लीमर (प्राइमेट्स का एक समूह), टेनरेक्स (कांटेदार हेजहोग (कांटो वाला चूहा) के समान), चमकीले रंगों वाले गिरगिट, पुमा की तरह के फोस्सा, और प्राणियों की कई अन्य किस्में शामिल हैं। यह बड़े ही अफ़सोस की बात है कि शिकार और प्राकृतिक आवास को नष्ट किये जाने के कारण, मैडागास्कर के कई अद्वितीय जंतु आज विलुप्त होने की कगार पर हैं। भूगोल मैडागास्कर को पांच भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है: पूर्वी तट, उत्तर में सारातानाना मासिफ (Tsaratanana Massif), केन्द्रीय उच्च भूमि, पश्चिमी तट, और दक्षिणपश्चिम। केन्द्रीय उच्चभूमि द्वीप की लम्बाई में है, और इसकी उंचाई 2,600 से 5,800 फीट (800 से 1,800 मीटर) तक है। द्वीप के उत्तरी छोर पर सारातानाना क्षेत्र में द्वीप का सबसे ऊंचा पर्वत है। मैडागास्कर को अक्सर "ग्रेट रेड द्वीप" कहा जाता है, क्योंकि इसकी मिट्टी लाल है, यह आमतौर पर कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होती है। मैडागास्कर के पश्चिम और उत्तर में कुछ दिलचस्प लाइमस्टोन (चूना पत्थर) का निर्माण भी होता है। इसे सिंगी (tsingy) के नाम से जाना जाता है, ये निर्माण कई वर्षों की वर्षा के परिणाम हैं, जिसके कारण लाइमस्टोन (चूना पत्थर) के आधार का अपरदन या क्षरण होता है। मैडागास्कर का जलवायु इसके भूगोल के कारण, मैडागास्कर का जलवायु बहुत अधिक परिवर्तनशील है। आमतौर पर, मैडागास्कर में दो सीज़न होते हैं: एक गर्म, वर्षा का सीज़न जो नवम्बर से अप्रैल तक होता है, और एक ठंडा, शुष्क सीज़न जो मई से अक्टूबर तक चलता है। पूर्वी तट देश का सबसे नम हिस्सा है और इस प्रकार से यही द्वीप का वर्षावन है। इस क्षेत्र को समय समय पर विनाशकारी उष्णकटिबंधीय तूफान और चक्रवातों का सामना करना पड़ता है। केन्द्रीय उच्चभूमि काफी ठंडी और शुष्क है, और यहाँ पर मैडागास्कर की अधिकांश कृषि होती है, विशेष रूप से चावल की कृषि। पश्चिमी तट में शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं। पर्णपाती वृक्ष 6 से 8 माह के शुष्क मौसम के दौरान अपनी सभी पत्तियां खो देते हैं। जब फिर से वर्षा होती है, इन जंगलों में हरी पत्तियों का समुद्र सा उमड़ आता है। मैडागास्कर के दक्षिण पश्चिमी हिस्से का जलवायु पूरे द्वीप का सबसे शुष्क जलवायु है। इस क्षेत्र के कुछ हिस्से में बहुत ही कम वर्षा होती है, इसलिए इसे रेगिस्तान कहा जा सकता है। मैडागास्कर के लोग इस बात पर विवाद है कि मैडागास्कर में सबसे पहले कौन बसा। कुछ मानव-उत्पत्ति विज्ञानियों का मानना है कि सबसे पहले यहाँ पर 2,000 वर्ष पूर्व इण्डोनेशियाई लोग बसे, यहाँ सबसे पहले बसने वाले लोगों में काले अफ्रीकन नहीं थे, और मुख्य भूमि अफ़्रीकी लोग काफी बाद तक यहाँ नहीं पहुंचे थे। अन्य लोगों का सुझाव है कि मैडागास्कर के लोग इण्डोनेशियाई और अफ़्रीकी लोगों से उत्पन्न हुए, जो इस अलग द्वीप पर उनके आगमन से पहले ही मिश्रित हो चुके थे। इसके बावजूद, अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि मैडागास्कर के निवासी अपेक्षाकृत हाल ही में यहाँ पहुंचे हैं (मैडागास्कर में पाषाण युग का कोई प्रमाण नहीं मिलता है) और इस प्रकार से इस के बाद प्रवास के द्वारा अन्य समूह (जैसे अरबी और भारतीय लोग) आ कर यहाँ पर मिल गए। मालागासी (मैडागास्कर के लोगों के लिए एक नाम) की मिश्रित उत्पत्ति ने संस्कृतियों के एक रुचिकर समुदाय का निर्माण किया है जो दक्षिणपूर्वी एशिया, भारत, अफ्रीका और मध्य पूर्व से उत्पन्न हुई है। मालागासी संस्कृति के इण्डोनेशियाई घटक का प्रमाण भाषा में बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देता है-जो इंडोनेशिया के एक द्वीप, बोर्नियो की एक बोली से बहुत अधिक मिलती जुलती है-साथ ही ये प्रमाण इनकी मान्यताओं की प्रणाली और चावल आधारित आहार में भी दिखाई देते हैं। चावल मैडागास्कर का सबसे महत्वपूर्ण भोजन है और कई मालागासी अपने हर भोजन में चावल खाते हैं। मांस भी एक लोकप्रिय भोजन है, हालांकि यह महंगा है। मैडागास्कर में ज़ेबू पशु की उत्पत्ति मूल रूप से भारत से हुई है, लेकिन मैडागास्कर के लोगों पर अफ़्रीकी संस्कृति का प्रभाव प्रतिबिंबित होता है। देश के भीतर लोगों का भौतिक स्वरुप, धार्मिक प्रथाएं, और परम्पराएं बहुत अधिक क्षेत्रीय हैं-मालागासी लोगों के बीच एक बात जो उन्हें एक करती है, वह यह है कि वे एक ही भाषा बोलते हैं। वर्तमान में मैडागास्कर में 20 से अधिक जातीय समूह हैं, ये इण्डोनेशियाई लोगों की तरह दिखने वाले उच्च भूमि के मरीना लोग हैं, पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में अफ़्रीकी लोगों की तरह देखने वाले साकालावा हैं, और पूर्वी तट पर अरबी एंटाईमोरो हैं। मैडागास्कर एक ऐसी भूमि है जिसकी संस्कृति असाधारण रूप से समृद्ध है। यह एक ऐसी जगह है जहां पूर्वजों का वर्तमान में भी उतना ही महत्त्व है जितना कि अतीत में; जहां कई क्षेत्रों में निषेध और परम्परा को कानून से ऊपर रखा जाता है; और पश्चिमी शैली का धर्म स्वतंत्र रूप से जादू-टोने जैसे विश्वासों और अंतिम संस्कार की परम्पराओं में मिश्रित हो गया है। वर्तमान में मैडागास्कर में लगभग 18 मिलियन लोग रह रहे हैं। मैडागास्कर का इतिहास मैडागास्कर में पहली बार लोग 2000 वर्ष पूर्व बसे। मैडागास्कर के लोग या तो इण्डोनेशियाई थे या मिश्रित इण्डोनेशियाई/अफ़्रीकी मूल के लोग थे। अरब के व्यापारी 800-900 ई. के आसपास यहाँ पहुंचे। जब व्यापारियों ने उत्तरी तट के साथ व्यापार करना शुरू किया। पहला ज्ञात यूरोपीय जिसने मैडागास्कर को देखा, वह एक पुर्तगाली समुद्री कप्तान, डिओगो डिआस था, वह 10 अगस्त, 1500 में इस द्वीप पर पहुंचा, जब वह भारत के रास्ते से भटक गया था। उसने इस द्वीप को सेंट लॉरेंस नाम दिया। बाद में 1500 के दशक में, पुर्तगालियों, फ्रांसीसियों, डच, और अंग्रेज़ लोगों ने मैडागास्कर में व्यापार शुरू करने के प्रयास किये। विपरीत परिस्थितियों और स्थानीय मालागासी लोगों के बीच भयंकर युद्ध के कारण, इन सब के प्रयास विफल रहे। सबसे पहले मैडागास्कर में यूरोपीय लोग 1600 के दशक के अंत में जम गए, जब डाकुओं ने द्वीप के पूर्वी तट पर अधिकार कर लिया। ये डाकू मैडागास्कर का उपयोग एक आधार के रूप में करते थे, जहाँ भारत से यूरोप को माल लाने वाले जहाज़ों पर हमला किया जाता था। 1700 के दशक में, फ्रांसीसी लोगों ने पूर्वी तट पर सैन्य ठिकाने स्थापित करने की कोशिश की लेकिन फिर से असफल रहे। 19 वीं सदी के प्रारंभ में, एक ही स्थान था जिस पर फ्रांस दावा कर सकता था, वह था सेंटे मारिए (Sainte Marie) का द्वीप। इसी बीच, 1700 के दशक के दौरान, पश्चिमी तट के साकालावा ने मैडागास्कर के पहले साम्राज्य की स्थापना की। 1810 में, उनके प्रतिद्वंद्वी, मरीना ने, शेष द्वीप के अधिकांश भाग में एक साम्राज्य की स्थापना की। उनके राजा, रदामा I ने ब्रिटिश के साथ एक सम्बन्ध स्थापित किया और देश में अंग्रेजी मिशनरियों के लिए रास्ता खोल दिया, जिन्होंने पूरे द्वीप में ईसाई धर्म का प्रसार किया, और मालागासी का एक लिखित भाषा में अनुलेखन किया। रदामा के शासन काल में, एक लघू औद्योगिक क्रांति से द्वीप पर उद्योगों की शुरुआत हुई। रदामा की मृत्यु के बाद, उनकी विधवा पत्नी, रानावालोना I ने शासन किया, जिसने देश में 33 साल के लिए आतंक फैला दिया, उसने ईसाईयों को सताया, विदेशियों को निकाल दिया, राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों को मार डाला, और अशुभ दिन पैदा होने वाले बच्चों को मार डालने जैसी प्रथाओं को फिर से शुरू कर दिया। उसकी मृत्यु के बाद यूरोप के साथ सम्बन्ध फिर से स्थापित हो पाए। 1883 में, फ्रांस ने मैडागास्कर पर आक्रमण किया और 1896 तक द्वीप पर अपना शासन स्थापित कर लिया, अब यह एक फ्रांसीसी उपनिवेश बन गया। फ्रांस ने मैडागास्कर का उपयोग लकड़ी, और विदेशी मसाले जैसे वनिला के स्रोत के रूप में किया। मालागासी ने फ्रांसीसियों के विरुद्ध दो मुख्य विद्रोह किये, एक 1918 में और दूसरा 1947 में, लेकिन देश 26 जून, 1960 तक स्वतंत्र नहीं हो पाया। 1975 में, डिडीअर रेटसिराका ने देश पर नियंत्रण कर लिया। उसने 1991 तक एक तानाशाह की तरह शासन किया, जब एक आर्थिक पतन की स्थिति में उसे किसी तरह से हटा दिया गया। इसके कुछ ही समय बाद वह फिर से शासन में आ गया और 2001 तक उसने शासन किया जब एक चुनाव में हार गया। नए राष्ट्रपति, मार्क रावालोमाना ने देश में लोकतंत्र लाने का वादा किया। उसने अपनी साइकिल के पीछे दही रख कर गलियों में बेचना शुरू किया, इस तरह से रावालोमाना ने एक व्यापर का साम्राज्य स्थापित कर लिया और मैडागास्कर का सबसे अमीर आदमी बन गया। 2005 में वह अभी भी राष्ट्रपति है, और देश की अर्थव्यवस्था में निरन्तर सुधार हो रहा है। बाहरी कड़ियाँ माडागास्कर अफ़्रीका हिन्द महासागर के द्वीप देश फ़्रान्सीसी-भाषी देश व क्षेत्र अफ़्रीका के देश
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%B8
फ़ास्फ़ोरस
हमारे शरीर में कई खनिज लवण पाए जाते है जिनमे से फास्फोरस भी एक खनिज है। शरीर के विकास और वर्द्धि के लिए अन्य खनिज लवणों की तरह फास्फोरस की भी अत्यंत आवश्यकता होती है। मानव शरीर में खनिजों में कैल्शियम सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है और कैल्शियम के बाद अगर देखा जाए तो दूसरा नम्बर फॉस्फोरस का ही आता है। शरीर के कुल भार का 1% भाग फास्फोरस होता है। यह शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं में उपस्थित रहता है और कोशिकाओं के केंद्र में रहकर यह इनके विभाजन में सहायक होता है। दांतों और हड्डियों के निर्माण में फॉस्फोरस का 80% भाग कैल्शियम के साथ मिलकर कैल्शियम फॉस्फेट बनाता है। कैल्शियम फॉस्फेट ही हड्डियों और दांतों के निर्माण में उपयोगी होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में लगभग 400 से 700 ग्राम फास्फोरस रहता है। सन्दर्भ खनिज रासायनिक पदार्थ
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2022 में इंग्लैंड में न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम
न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम जून 2022 में तीन टेस्ट मैच खेलने के लिए इंग्लैंड का दौरा कर रही है, जिसमें मैच 2021-2023 आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का हिस्सा हैं। इंग्लैंड ने दूसरे और तीसरे टेस्ट के बीच एम्स्टेलवीन में नीदरलैंड के खिलाफ तीन एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (वनडे) मैच भी खेले। नवंबर 2021 में, इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने घोषणा की कि यॉर्कशायर काउंटी क्रिकेट क्लब को अज़ीम रफ़ीक द्वारा अनुभव किए गए नस्लवाद के बाद अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी से निलंबित कर दिया गया है। हेडिंग्ले को मूल रूप से तीसरे टेस्ट के स्थल के रूप में नामित किया गया था। जनवरी 2022 में, ईसीबी ने यॉर्कशायर को मैच के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय स्थिति हासिल करने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करने के लिए वसंत 2022 की समय सीमा निर्धारित की, अगले महीने निलंबन हटा दिया गया। अप्रैल 2022 में, इंग्लैंड के वेस्टइंडीज दौरे के बाद, जो रूट ने इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान के रूप में इस्तीफा दे दिया। बाद में उसी महीने, ईसीबी ने बेन स्टोक्स को रूट के उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया। न्यूज़ीलैंड ने दौरे के लिए बीस खिलाड़ियों की एक विस्तारित टीम का नाम रखा, साथ ही शुरुआती टेस्ट मैच के लिए इसे घटाकर 15 कर दिया गया। इंग्लैंड ने पहला टेस्ट मैच पांच विकेट से जीता, [ जिसमें जो रूट ने अपना 26 वां शतक और इस प्रक्रिया में अपना 10,000 वां टेस्ट रन बनाया। अपने पिछले 17 मैचों में सिर्फ एक मैच जीतने के बाद यह एक टेस्ट में इंग्लैंड की पहली जीत थी। दूसरे टेस्ट में, न्यूजीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 553 रन बनाए, इंग्लैंड में उनका सर्वोच्च पारी स्कोर था, जिसमें इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 539 रन बनाए। इंग्लैंड को मैच जीतने के लिए 299 रनों का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें जॉनी बेयरस्टो ने 77 गेंदों में शतक लगाया, जिससे इंग्लैंड को पांच विकेट से जीत मिली। इंग्लैंड ने पांचवें और अंतिम दिन केवल 15.2 ओवर में 113 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए तीसरा टेस्ट मैच सात विकेट से जीतकर शृंखला 3-0 से जीत ली। तीसरे मैच में जीत के साथ, इंग्लैंड लगातार तीन टेस्ट मैचों में जीत के लिए 250 से अधिक रनों के लक्ष्य का पीछा करने वाली पहली टीम बन गई। टीम 30 मई 2022 को, न्यूजीलैंड ने पहले टेस्ट के लिए अपनी टीम का नाम रखा,24 में जैकब डफी, रचिन रवींद्र, हामिश रदरफोर्ड और ब्लेयर टिकर को बीस खिलाड़ियों के अपने शुरुआती दस्ते से रिहा कर दिया गया। कॉलिन डी ग्रैंडहोम को पहले टेस्ट मैच के दौरान पैर में चोट लग गई थी, और बाद में उन्हें शेष शृंखला के लिए न्यूजीलैंड की टीम से बाहर कर दिया गया था। दूसरे टेस्ट से पहले, केन विलियमसन को COVID-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण के बाद मैच से बाहर कर दिया गया था। नतीजतन, टॉम लैथम को मैच के लिए न्यूजीलैंड का कप्तान नामित किया गया, जिसमें हामिश रदरफोर्ड को उनकी टीम में शामिल किया गया। दूसरे टेस्ट के दौरान काइल जैमीसन को पीठ में चोट लग गई, जिसने उन्हें तीसरे और अंतिम टेस्ट मैच के लिए न्यूजीलैंड की टीम से बाहर कर दिया। ब्लेयर टिकर को जैमीसन के प्रतिस्थापन के रूप में नामित किया गया था। कैम फ्लेचर को तीसरे टेस्ट के लिए न्यूजीलैंड की टीम से बाहर कर दिया गया था, हैमस्ट्रिंग की चोट के कारण, डेन क्लीवर को उनके प्रतिस्थापन के रूप में नामित किया गया था। तीसरे टेस्ट से पहले, इंग्लैंड ने जेमी ओवरटन को अपनी टीम में शामिल किया। तीसरे टेस्ट से पहले, इंग्लैंड ने जेमी ओवरटन को अपनी टीम में शामिल किया। तीसरे टेस्ट के चौथे दिन की शुरुआत से पहले, सैम बिलिंग्स को एक COVID-19 विकल्प के रूप में इंग्लैंड की टीम में शामिल किया गया था, जब बेन फॉक्स ने एक सकारात्मक COVID-19 लौटाया था। पिछली शाम का परीक्षण करें। बिलिंग्स ने चौथे दिन की शुरुआत में विकेट कीपिंग करते हुए मैदान में कदम रखा। Test series 1st Test 2nd Test 3rd Test नोट टॉम लैथम ने दूसरे टेस्ट के लिए न्यूजीलैंड की कप्तानी की। जबकि प्रत्येक टेस्ट के लिए पांच दिनों का खेल निर्धारित किया गया था, पहला टेस्ट चार दिनों में परिणाम पर पहुंच गया। गेंदबाजी के दौरान धीमी ओवर गति के लिए इंग्लैंड के दो डब्ल्यूटीसी अंक काटे गए।
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उस्मानिया जनरल अस्पताल
उस्मानिया जनरल अस्पताल भारत के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है, हैदराबाद में अफ़ज़लगंज में स्थित है। हैदराबाद के अंतिम निज़ाम, मीर उस्मान अली खान ने इसकी स्थापना की थी और उन्ही के नाम पर इसका नाम रखा गया है। यह अस्पताल तेलंगाना सरकार द्वारा चलाया जाता है, और यह राज्य के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है। उस्मानिया मेडिकल कॉलेज, जो उस्मानिया जनरल अस्पताल से जुड़ा हुआ है, की स्थापना 1846 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे पुराने चिकित्सा शैक्षिक संस्थानों में से एक है। आजादी के बाद भ्रष्टाचार दुर्भाग्यवश आजादी के बाद यह अस्पताल भ्रष्ट अधिकारियों का एक प्रमुख उदाहरण बन गया है और पहले स्तर बनाकर नहीं रख सका। सन्दर्भ भारत में स्वास्थ्य हैदराबाद के निज़ाम निज़ाम द्वारा स्थापित अस्पताल
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शूलपाणेश्वर वन्य अभयारण्य
शूलपाणेश्वर वन्य अभयारण्य (Shoolpaneshwar Wildlife Sanctuary) भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक वन्य अभयारण्य है। यह सतपुड़ा पर्वतमाला के पश्चिमी भाग में नर्मदा नदी से दक्षिण में स्थित है और इसकी सीमाएँ मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों की सीमाओं से सटी हुई हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 607.7 वर्ग किमी (234.6 वर्ग मील) है और इसकी स्थापना सन् 1982 में हुई थी। इसका अधिकांश भाग पर्णपाती वनों से ढका हुआ है। इन्हें भी देखें सतपुड़ा पर्वतमाला नर्मदा नदी सन्दर्भ गुजरात के वन्य अभयारण्य नर्मदा ज़िला गुजरात का पर्यावरण पश्चिमी घाट के वन्य अभयारण्य
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सुजानपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश
सुजानपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा के 68 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। हमीरपुर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 65,006 मतदाता थे। यह क्षेत्र साल 2008 में, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के अनुसरण में अस्तित्व में आया। विधायक चुनावी आंकड़े इन्हें भी देखें हमीरपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 हिमाचल प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची बाहरी कड़ियाँ हिमाचल प्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट सन्दर्भ हिमाचल प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8
प्रेस
यह् एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र है। प्रारम्भ यह वो इंसान है (पर्यावरण प्रेमी राणाराम बिश्नोई) जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंद्रा गाँधी भारत के राजनीति में आने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था I जिसके लिए सोना भी पत्थर है आपको यह बात सुनने मे अजीब और आश्चर्यजनक लग रही होगी लेकिन यह बात एकदम सत्य है धन दोलत शान-शोहरत को छोड़कर बस एक ही जुनून है पेड़-पोधो व वन्य जिवों की सेवा जो भगवान में भी विश्वास नही रखते हैं जिन्होने कभी जिंदगी मे किसी मंदिर मे प्रसाद तक नही चड़ाई और जिन्होने कभी किसी भी देवी देवताओ के सामने हाथ नही जोड़े Iजो कभी किस्मत को नही मानते Iबस गुरु श्री जंम्भेश्वर महाराज (बिश्नोई संप्रदाय के सस्थापक) को ही अपना गुरु मानते उन्हीं की शिक्षाओं पर चले I रेगिस्तान मे रेत के टीले जहां पत्थर भी नही टिकते वहा पर लाखो पेड़ लगा चुके है I बस ज़रूरत है इनको इनके निस्वार्थ भाव से किए गये कार्य के लिए सम्मानित करवाने की इनके कार्य को राष्ट्रीय स्तर पर लाने की ताकि दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सके I राष्ट्रीय मीडिया के व्यक्तियोंं आपकी एक कोशिश राणाराम बिश्नोई को पूरी जिंदगी की मेहनत का फल दिला सकती है और उन्हें भारत रत्न भी दिला सकती है I इंडिया टुडे के हिंदी विशेषांक पर #राणाराम #बिश्नोई एकलखोरी जोधपुर को कवंर पेज पर जगह मिली राणाराम बिश्नोई ने रेगिस्तान में लाखों पेड़ पोधे लगाने का काम अकेले ही किया है वो खुद मटकीयों को अपने कधें पर उठा कर पेडों को पानी पिलाते है पेड़ पोधो को.................।। 1 जनवरी 2020 इडीया टुडे मैग्जीन प्रकाशन स्थल कुल पाठक संख्या प्रमुख परिशिष्ट बाहरी कडियाँ विश्व के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र
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अनुष्का शर्मा
अनुष्का शर्मा एक मॉडल और बॉलीवुड फिल्म उद्योग की एक अभिनेत्री है। इन्होंने अपना अभिनय का सफर २००८ में प्रदर्शित हिन्दी फिल्म रब ने बना दी जोड़ी के साथ शुरु किया था जो आदित्य चोपड़ा द्वारा बनाई गई थी। इसके बाद उन्हें अपनी श्रुति कक्कड द्वारा बनाई गई फ़िल्म बैंड बाजा बारात (२०१०) के लिए काफ़ी सराहा गया। दोनों ही फ़िल्मों ने इन्हें फ़िल्मफेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नामांकन दिलाया।अनुष्का शर्मा ने 11 दिसंबर 2017 को प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी विराट कोहली के साथ विवाह किया था। उत्तरप्रदेश के अयोध्या में जन्मे और पले-बढ़े, शर्मा 2007 में फैशन डिजाइनर वेंडेल रॉड्रिक्स के लिए एक मॉडल के रूप में उन्हें पहला ब्रेक मिला और मॉडलिंग में करियर बनाने के लिए मुंबई चले गए। यशराज फिल्म्स में एक सफल ऑडिशन के बाद, वह प्रोडक्शन हाउस के साथ तीन फिल्मों का करार पर हस्ताक्षर किए और रब ने बना दी जोड़ी (2008) में शाहरुख खान के सामने उसे स्क्रीन शुरुआत की। फिल्म में उसे सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। उसके अगले दो भूमिकाओं यशराज फिल्म्स के बैनर तले भी थे - बदमाश कंपनी (2010) और बैंड बाजा बारात (2010)। शुरूआती जीवन और पृष्ठभूमि शर्मा का जन्म अयोध्या में हुआ था परन्तु उनके माता-पिता गढ़वाल, उत्तराखंड के रहने वाले है। उनके पिता, कर्नल अजय कुमार शर्मा एक आर्मी अफसर है और माँ आशिमा शर्मा एक गृहिणी है। उनके बड़े भाई कारनेश जो पहले राज्य-स्तरीय क्रिकेटर थे अब मर्चंट नेवी में कार्यरत है। इन्होंने अपनी पढ़ाई आर्मी विद्यालय से की है और माउन्ट कारमेल कॉलेज, बैंगलोर से कला में डिग्री ली है। बाद में वह मुंबई में अपने मॉडलिंग के करियर की शुरुआत करने आ गई। करियर शर्मा कहती है कि शुरुआत में वह मॉडलिंग जगत में नाम कमाना चाहती है और फ़िल्मों की ओर खास आकर्षित नहीं थी। उन्होंने अपना मॉडलिंग करियर लैक्मे फैशन विक में वेंडेल रोड्रिक्स के लेस वंप्स शो की मॉडल के रूप में किया और रोड्रिक की स्प्रिंग समर ०७ कलेक्शन के लिए मुख्य मॉडल के रूप में चुनी गई। इसके बाद उन्होंने सिल्क एंड शाइन, विस्पर, नाथेला ज्वेलरी और फियाट पालियो के प्रचारों में काम किया है। उनका अभिनय में पहला किरदार आदित्य चोपरा की रब ने बना दी जोड़ी (२००८) में शाहरुख खान के विपरीत था। उनके अभिनय को काफ़ी सराहा गया। फ़िल्म को समीक्षकों ने भी काफ़ी सराहा और वह एक ब्लाकबस्टर हिट बात गई। उनकी दूसरी फ़िल्म बदमाश कंपनी, जिसे यश राज फ़िल्म ने निर्मित किया था, को ७ मई २०१० को रिलीज़ किया गया। २०१० में शर्मा ने यश राज फ़िल्म्स के साथ अपनी तीन फ़िल्मों का सौदा बैंड बाजा बारात के साथ पूरा किया जिसे मनीष शर्मा ने बनाया था और रणवीर सिंह इसमें प्रमुख भूमिका में थे। फ़िल्म को अच्छी समीक्षा मिली और फ़िल्म सफल रही, अनुष्का शर्मा के अभिनय की भी तारीफ हुई। यह अक्सर नोट किया गया है कि ये फ़िल्म अनुष्का के फ़िल्मी करियर के लिए प्रमुख रही है, क्योंकि इसने उनको काफ़ी पहचान दिलाई। निजी जीवन और ऑफ-स्क्रीन कार्य सितंबर 2014 तक, शर्मा पत्राचार के माध्यम से मास्टर ऑफ इकोनॉमिक्स डिग्री का पीछा कर रहे हैं। उन्होंने 2015 में शाकाहार का अभ्यास शुरू किया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने उन्हें "बॉलीवुड की सबसे गर्म शाकाहारी मशहूर हस्तियों" के रूप में सूचीबद्ध किया है। पीटा द्वारा उन्हें "सबसे शाकाहार 2015" के रूप में नामित किया गया था। वह ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन का एक शौकीन चावला है। शर्मा ने चिंता विकार का शिकार माना है और इसके लिए इलाज की मांग की है। सितंबर 2015 तक, शर्मा क्रिकेटर विराट कोहली के साथ संबंध में हैं। उनके रिश्ते ने भारत में पर्याप्त मीडिया कवरेज को आकर्षित किया है, हालांकि वह इसके बारे में खुले तौर पर बात करने से हिचक है। अभ्यास से हिंदू, शर्मा अपने परिवार के साथ हरिद्वार में 'अनंत धम्म आत्मबोध आश्रम' का अनुयायी है। आश्रम का नेतृत्व महाराज अनंत बाबा करते हैं, जो उनके परिवार के आध्यात्मिक गुरु हैं और अभिनेत्री आश्रम में नियमित आगंतुक हैं। सितंबर 2013 में, शर्मा ने एक फिल्म शो में रैंप पर हिस्सा लिया और दिवंगत फिल्म निर्माता, यश चोपड़ा की याद में आयोजित किया। उन्होंने कोलकाता में आयोजित होने वाले 2015 के इंडियन प्रीमियर लीग के उद्घाटन समारोह में भाग लिया, जिसमें हृतिक रोशन, शाहिद कपूर, सैफ अली खान, फरहान अख्तर और संगीतकार प्रीतम शामिल हैं। अभिनय श्रेय सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 1988 में जन्मे लोग जीवित लोग फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार विजेता हिन्दी अभिनेत्री २१वीं सदी की भारतीय अभिनेत्रियाँ बेंगलुरु से अभिनेत्रियाँ मुम्बई से अभिनेत्रियाँ उत्तर प्रदेश से अभिनेत्रियाँ भारतीय हिन्दू
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गंगाशरण सिंह पुरस्कार
'गंगाशरण सिंह पुरस्कार' केंद्रीय हिंदी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दिया जाने वाला एक प्रमुख साहित्य सम्मान है। यह पुरस्कार राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार और हिन्दी प्रशिक्षण के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करने वाले किसी भारतीय विद्वान को प्रदान किया जाता है। पुरस्कार की स्थापना इस पुरस्कार की स्थापना १९८९ में केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा की गई थी। यह पुरस्कार एक साहित्यिक एवं हिंदी सेवी सम्मान भी है, जो देश के स्वतंत्रता सेनानी गंगाशरण सिंह की स्मृति में दिया जाता है, जो देशप्रेमी होने के साथ-साथ एक महान हिन्दी सेवक भी थे। गंगाशरण सिंह पुरस्कार पहले साल सोलह विद्वानों को दिया गया था। इसके बाद यह प्रतिवर्ष चार लोगों को प्रदान किया जाता है। पुरस्कार में एक लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र तथा शाल दिये जाते हैं। गंगाशरण सिंह पुरस्कार प्रदान करने वाला केंद्रीय हिंदी संस्थान, भारत का प्रमुख हिंदी सेवी संस्थान है, जो हिन्दी भाषा को विस्तार देने में कार्यरत है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ गंगाशरण सिंह पुरस्कार भारतीय साहित्यिक पुरस्कार भारतीय साहित्य हिन्दी साहित्य पुरस्कार
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%A3%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%20%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96
गणपतराव देशमुख
गणपतराव देशमुख (10 अगस्त 1926 – 30 जुलाई 2021), महाराष्ट्र से ‘पीजेण्ट्स एण्ड वर्कर्स पार्टी‘ के नेता थे। उन्होंने सर्वाधिक बार विधानसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया था। वे महाराष्ट्र के सोलापुर जिले की सांगोला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुये वर्ष 2014 में सम्पन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस सीट से उन्होने 11वीं बार जीत दर्ज की। सबसे पहले उन्होंने 1962 में जीत हासिल की थी और तब से 1972 और 1995 के चुनावों को छोड़कर बाकी सारे 10 चुनाव वह जीते। देशमुख ने 2012 में विधानसभा में 50 साल पूरे किये थे और सदन तथा सरकार की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया था। उन्होने अधिकतर समय विपक्ष में बिताया लेकिन दो बार महाराष्ट्र के मंत्री भी रहे। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ महाराष्ट्र में गणपतराव देशमुख ने बनाया चुनाव जीतने का रिकॉर्ड (वेबदुनिया हिन्दी) राजनीतिज्ञ 1927 में जन्मे लोग २०२१ में निधन
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जीन-मिशेल लापिन
जीन मिशेल Lapin एक हाईटियन राजनीतिज्ञ जो पूर्व अभिनय किया गया है प्रधानमंत्री की हैती , राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाने के बाद Jovenel Moise 21 मार्च, 2019 पर उन्होंने 23 जुलाई, 2019 पर अपने इस्तीफे के बावजूद सेवा करने के लिए, जारी रखा संसद की वजह से पुष्टि के चार प्रयासों के बाद उनकी नियुक्ति की पुष्टि नहीं कर रहा है। फ्रिट्ज विलियम मिशेल को उन्हें सफल बनाने के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन संसद द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई थी, और वह अंततः जोसेफ जोथे द्वारा सफल हो गए । जीवित लोग
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कल्पसूत्र (जैन)
कल्पसूत्र नामक जैनग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवनचरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। पारंपरिक रूप से मान्यता है कि इस ग्रन्थ की रचना महावर स्वामी के निर्वाण के १५० वर्ष बाद हुई। आठ दिवसीय पर्यूषण पर्व के समय जैन साधु एवं साध्वी कल्पसूत्र का पाठ एवं व्याख्या करते हैं। इस ग्रन्थ का बहुत अधिक आध्यात्मिक महत्व है इसलिये केवल साधु एवं साध्वी ही इसका वाचन करते हैं और सामान्य लोग इसे हृदयंगम करते हैं। इन्हें भी देखें कल्पसूत्र - जो वेद के छह अंगों में से एक हैं। कल्पसूत्र जैन ग्रंथ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2
नोवियाल
नोवियाल (novial) एक कृत्रिम भाषा है, जिसे १९२८ में ओटो येस्पर्सन नामक एक डैनिश भाषाविद् ने निर्मित किया था। यह शब्द "nov" (नया) और "ial" (अन्तर्राष्ट्रीय सहायक भाषा) से बना है। वर्णमाला और उच्चारण यह भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है जिसमें २४ अक्षर हैं। नोवियाल भाषा में W, Z अक्षर नहीं हैं। उदाहरण परमात्मा की प्रार्थना नोवियाल भाषा की गिनती इन्हें भी देखें एस्पेरांतो अंतरभाषा ईदो बाहरी कड़ियाँ ओटो येस्पर्सन, एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा (१९२८) नोवियाल‎ भाषा विकिपीडिया नोवियाल फेसबुक पर निर्मित भाषाएँ अन्तर्राष्ट्रीय सहायक भाषाएँ विश्व की भाषाएँ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%A8%20%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%88%E0%A4%9F%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%97%E0%A5%8B%21
टीन टाईटन्स गो!
टीन टाइटन्स गो! (TTG) कार्टून नेटवर्क के लिए हारून होर्वथ और माइकल जेलेनिक द्वारा विकसित एक अमेरिकी एनिमेटेड टेलीविजन श्रृंखला है।  इसका प्रीमियर 23 अप्रैल, 2013 को हुआ और यह डीसी कॉमिक्स की काल्पनिक सुपरहीरो टीम पर आधारित है।  श्रृंखला की घोषणा डीसी नेशन के न्यू टीन टाइटन्स शॉर्ट्स की लोकप्रियता के बाद की गई थी। श्रृंखला की उत्पादन कंपनियां डीसी एंटरटेनमेंट और वार्नर ब्रदर्स एनिमेशन हैं, जिसमें एनीमेशन कनाडा के एनिमेशन कोपर्निकस स्टूडियो और बार्डेल एंटरटेनमेंट में आउटसोर्स किया गया है। किरदार रौबिन साएबोर्ग सटारफायर रेविन बीस्ट बोयाए किड फलैश जिंक्स गिज़मो मैमौथ बिल्ली नयुमिरस सी-मोर डॉ लाईट सिन्डर-बलौक टरायगौन रेवेन्जर द बरेन किलर मोथ मडेमे रूज मलाह टैरा सुपरमैन बैटमैन वन्डर वौमिन
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पाल्मर धरती
पाल्मर धरती (Palmer Land) पश्चिमी अंटार्कटिका में अंटार्कटिक प्रायद्वीप का दक्षिणी भाग है। प्रायद्वीप के उत्तरी भाग को ग्रैहम धरती (Graham Land) कहते हैं। यदी जेरेमी अंतरीप (Cape Jeremy) और अगैसीज़ अंतरीप (Cape Agassiz) के बीच एक काल्पनिक रेखा खींची जाये तो ग्रैहम धरती इस से उत्तर का भाग है और पाल्मर धरती उस से दक्षिण का। ग्रैहम धरती अंटार्कटिका का दक्षिण अमेरिका का सबसे समीपी क्षेत्र है। इन्हें भी देखें ग्रैहम धरती अंटार्कटिक प्रायद्वीप सन्दर्भ पाल्मर धरती अंटार्कटिका का भूगोल अंटार्कटिका के क्षेत्र पश्चिमी अंटार्कटिका
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देहरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश
देहरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा के 68 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। काँगड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 70,424 मतदाता थे। यह क्षेत्र साल 2008 में, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के अनुसरण में अस्तित्व में आया। विधायक चुनावी आंकड़े इन्हें भी देखें हमीरपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 हिमाचल प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची बाहरी कड़ियाँ हिमाचल प्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट सन्दर्भ हिमाचल प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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सोनारी जमशेदपुर
सोनारी जमशेदपुर के उत्तरपूर्व में बसा एक क्षेत्र है। खासतौर से यहाँ जमशेदपुर का स्थानीय हवाई अड्डा होने के कारण जाना जाता है। सोनारी क्षेत्र के कागलनगर में झारखंड की दो प्रमुख नदियों स्वर्णरेखा और खड़कई नदियों का संगम स्थल है जिसे दुमुहानी के नाम से जाना जाता है। हर वर्ष खासतौर पर मकर संक्राति के अवसर पर यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ जमती है और लोग यहाँ दुमुहानी में पवित्र स्नान करते हैं। यह जमशेदपुर के प्रमुख पिकनिक स्थल के रूप में भी खासा प्रसिद्ध है। इन्हें भी देखें जमशेदपुर झारखंड बाहरी कड़ियाँ जमशेदपुर झारखंड दोमुहानी स्वर्णरेखा नदी के ऊपर एक नया पुल बना है जो बहुत ही सुन्दर है, ये पुल सोनारी और डोबो को जोड़ती है। जो सराईकेला जिला में पडती है, यही सड़क आगे करीब 7 से 10 km के दुरी में NH 33 को जोड़ती है। जमशेदपुर शहर के स्थानीय क्षेत्र
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साउंड द्वीप
साउंड द्वीप (Sound Island) भारत के अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह केन्द्रशासित प्रदेश में अण्डमान द्वीपसमूह का एक द्वीप है। यहाँ कोई स्थाई आबादी नहीं है और प्रशासनिक रूप से यह उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िले में आता है। इन्हें भी देखें उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िला अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह सन्दर्भ अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह के गाँव उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िला उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िले के गाँव उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िले के द्वीप
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%B9
बाँह
अगर आप इस नाम के प्राचीन राजा पर जानकारी ढूंढ रहे हैं तो बाहु (राजा) का लेख देखें बाहु या भुजा किसी प्राणी के शरीर के ऐसे उपांग को कहते हैं जिसके अंत पर आमतौर पर हाथ लगा होता है। नरवानर गण के शरीरों में ऐसे ऊपरी उपांग को बाहु कहते हैं और निचले उपांग को टांग। बाहु को शरीर के धड़ से जोड़ने वाला भाग कंधा कहलाता है और बाहु के बीच का जोड़ कोहनी। इन्हें भी देखें उपांग टांग सन्दर्भ बाहु मानव शरीर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%20%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%9F%E0%A4%B5%E0%A5%87%20%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%8F%E0%A4%82%E0%A4%A1%20%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B8
द गेटवे होटल्स एंड रिसॉर्ट्स
गेटवे होटल्स एंड रिसॉर्ट्स दक्षिण एशिया का एक अत्याधुनिक, पूर्ण सेवा प्रदान करने मध्य बाजार होटल और रिजॉर्ट श्रृंखला है। गेटवे होटल्स का स्वामित्व इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड के पास हैं और यह टाटा समूह का एक हिस्सा है। इतिहास 1903 में टाटा समूह ने अपनी पहली होटल ताज महल पैलेस होटल मुंबई में अपने ब्रांड नाम ताज होटल्स रिसॉर्ट्स और पैलेसेज के तौर पर स्थापना की। 1903 से 21 वीं सदी के प्रारंभ तक ताज समूह ने भारत और विदेशों में कई होटल शुरू कर दिया। 12 वीं Oct, 2006 को ताज समूह ने भारतीय रिसॉर्ट्स होटल लिमिटेड, गेटवे होटल्स एंड गेटवे रिसॉर्ट्स लिमिटेड, कुटीरम रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, एशिया प्रशांत होटल लिमिटेड और ताज लैंड्स एंड लिमिटेड को अपने समूह के अन्दर ले लिया। 2008 में, ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एवं पैलेसेज ने एक नया ब्रांड 'गेटवे होटल "का शुभारंभ किया। कई मौजूदा संपतियां इस नए ब्रांड के अन्दर ले लिए गए एवं और कई अन्य सम्पतियों को इस ब्रांड के पोर्टफोलियो में जोड़ा गया था। अभी भी इसके कई प्रोजेक्ट शुरू होने को है. होटल नवं, 2015 के तक गेटवे होटल्स एंड रिसोर्ट्स के दक्षिण एशिया में 28 शहरों में 28 होटल शामिल हैं जिसमे अभी तक संचालित नहीं किया गए होटल भी शामिल हैं। इस होटल में विलासिता के सारे सामान मौजूद हैं। इस ग्रुप के सभी होटल की बहुत ही बारीक तरीके से इंटीरियर डिजाइनिंग की गई है। इन्हें भी देखें ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेज बाहरी कड़ियाँ सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6
भौतिकवाद
भौतिकवाद () दार्शनिक एकत्ववाद का एक प्रकार हैं, जिसका यह मत है कि प्रकृति में पदार्थ ही मूल द्रव्य है, और साथ ही, सभी दृग्विषय, जिस में मानसिक दृग्विषय और चेतना भी शामिल हैं, भौतिक परस्पर संक्रिया के परिणाम हैं। भौतिकवाद का भौतिकतावाद () से गहरा सम्बन्ध हैं, जिसका यह मत है कि जो कुछ भी अस्तित्व में है, वह अंततः भौतिक हैं। भौतिक विज्ञानों की ख़ोज के साथ, दार्शनिक भौतिकतावाद भौतिकवाद से क्रम-विकसित हुआ, ताकि सिर्फ सामान्य पदार्थ के बजाए भौतिकता के अधिक परिष्कृत विचारों को समाहित किया जा सके, जैसे कि, दिक्-काल, भौतिक ऊर्जाएँ और बल, डार्क मैटर, इत्यादि। अतः, कुछ लोग "भौतिकवाद" से बढ़कर "भौतिकतावाद" शब्द को वरीयता देते हैं, जबकि कुछ इन शब्दों का प्रयोग समानार्थी शब्दों के रूप में करते हैं। भौतिकवाद या भौतिकतावाद से विरुद्ध दर्शनों में आदर्शवाद, बहुलवाद, द्वैतवाद और एकत्ववाद के कुछ प्रकार सम्मिलित हैं। प्रणाली के रूप में भौतिकवाद इन्हें भी देखें नास्तिवाद (Atheism) चार्वाक (Cārvāka) ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical materialism) पदार्थ (Matter) बाहरी कड़ियाँ भारत में विज्ञान का इतिहास और भौतिकवाद Stanford Encyclopedia article on Physicalism Stanford Encyclopedia article on Eliminative Materialism Philosophical Materialism (by Richard C. Vitzthum) Dictionary of the Philosophy of Mind on Materialism संदर्भ दर्शन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%AE
नादस्वरम
नादस्वरम, नगस्वरम, या नाथस्वरम दक्षिण भारत का एक दोहरा ईख पवन यंत्र है। इसका उपयोग तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में पारंपरिक शास्त्रीय वाद्य यंत्र के रूप में किया जाता है। यह उपकरण "दुनिया के सबसे लंबे गैर-पीतल ध्वनिक उपकरणों में से है"। यह उत्तर भारतीय शहनाई के समान एक वायु वाद्य है, लेकिन बहुत अधिक लंबा, एक कठोर शरीर और लकड़ी या धातु से बनी बड़ी जगमगाती घंटी है। तमिल संस्कृति में, नादस्वरम को बहुत शुभ माना जाता है, और यह दक्षिण भारतीय परंपरा के लगभग सभी हिंदू शादियों और मंदिरों में बजाया जाने वाला एक प्रमुख वाद्य यंत्र है। यह मंगला वैद्यम (साहित्य। मंगला ["शुभ"], वद्या ["साधन"] के रूप में जाने जाने वाले उपकरणों के परिवार का हिस्सा है। यंत्र आमतौर पर जोड़े में बजाया जाता है, और ड्रम की एक जोड़ी के साथ थाविल कहा जाता है; इसे ओट्टू नामक एक समान ओबोन से एक ड्रोन के साथ भी किया जा सकता है। इतिहास नादस्वरम का उल्लेख कई प्राचीन तमिल ग्रंथों में मिलता है। सिलप्पाटिकारम का तात्पर्य "वंजियम" नामक यंत्र से है। इस यंत्र की संरचना नादस्वरम से मेल खाती है। चूंकि सात उंगलियों के साथ सात छेद खेले जाते हैं इसलिए इसे "एज़िल" भी कहा जाता था। यह उपकरण, भी तमिलनाडु में व्यापक रूप से खेला जाता है और तमिल डायस्पोरा के बीच लोकप्रिय है। निर्माण नादस्वरम में तीन भाग होते हैं, जैसे, कुज़ल, थिमिरु, और आसु। यह एक शंक्वाकार बोर के साथ एक डबल ईख साधन है जो धीरे-धीरे निचले छोर की ओर बढ़ता है। शीर्ष भाग में एक धातु प्रधान (मेल एनाईचू) होता है जिसमें एक छोटा धातु सिलेंडर (केंडाई) डाला जाता है जो ईख से बना हुआ मुखपत्र होता है। स्पेयर रीड्स के अलावा, एक छोटा हाथीदांत या सींग की सुई यंत्र से जुड़ी होती है, और लार और अन्य मलबे की रीड को साफ करने के लिए उपयोग की जाती है और हवा के मुक्त मार्ग की अनुमति देती है। एक धातु की घंटी (कीज़ एनाइचु) यंत्र के निचले सिरे को बनाती है। परंपरागत रूप से नादस्वरम का शरीर आच (तमिल சா்சா; हिंदी अंजन) नामक वृक्ष से बना होता है, हालांकि आजकल बांस, चंदन, तांबा, पीतल, आबनूस और हाथी दांत भी उपयोग किए जाते हैं। लकड़ी के उपकरणों के लिए, पुरानी लकड़ी को सबसे अच्छा माना जाता है, और कभी-कभी ध्वस्त पुराने घरों से बचाया लकड़ी का उपयोग किया जाता है। नादस्वरम में सात उंगली के छेद होते हैं, और तल पर ड्रिल किए गए पांच अतिरिक्त छेद होते हैं जिन्हें टोन को संशोधित करने के लिए मोम के साथ रोका जा सकता है। नादस्वरम में भारतीय बंसुरी बांसुरी के समान ढाई सप्तक हैं, जिसमें एक समान अंगुली भी है। बांसुरी के विपरीत जहां अर्ध और क्वार्टर टोन अंगुलियों के छिद्रों के खुलने और बंद होने से उत्पन्न होते हैं, नाड़ास्वरम में वे पाइप में वायु-प्रवाह के दबाव और ताकत को समायोजित करके निर्मित होते हैं। इसकी गहन मात्रा और ताकत के कारण यह काफी हद तक एक बाहरी उपकरण है और इनडोर कंसर्ट की तुलना में खुले स्थानों के लिए अधिक अनुकूल है। वादक कुछ सबसे बड़े प्रारंभिक नादस्वरमियों में शामिल हैं तिरुववडुदुरई राजरत्नम पिल्लै, थिरुवेंगडु सुब्रमनिया पिल्लै, करुकुरिची अरुणाचलम पिल्लै थिरुचेरै शिवसुब्रमण्यम पिल्लै थिरुवरुर एस लट्ठप्पा पिल्लै अंदांकोइल ए वी सेल्वराथनम पिल्लै थिरुविझा जयशंकर कीरानूर और थिरुवेझिमिज़लाई की भाई टीमें, सेमपन्नारकोइल ब्रदर्स एसआरजी सांबंडम और राजन्ना। धरमपुरम एस। अभिरामिसुंदरम पिल्लई और उनके बेटे धरमपुरम ए गोविंदराजन शेख चिन्ना मौलाना नमगिरिपेट्टै कृष्णन मन्नारगुडी डा एम् एस के शंकरनारायणन इंजिकुडी ईएम सुब्रमण्यम तिरुमलम टीएस पांडियन बैंगलोर रमादासप्पा तिरुवलपट्टुर टीके वेनुपिला लुईस स्प्राटलन जैसे अमेरिकी संगीतकारों ने नादस्वरम के लिए प्रशंसा व्यक्त की है, और कुछ जैज संगीतकारों ने इस वाद्य यंत्र को लिया है: चार्ली मारियानो (बी। 1923) कुछ गैर-भारतीयों में से एक है जो वाद्य यंत्र बजा सकते हैं, भारत में रहते हुए इसका अध्ययन किया। विनी गोलिया, जेडी पर्रान और विलियम पार्कर ने वाद्य यंत्रों के साथ प्रदर्शन और रिकॉर्ड किया है। जर्मन सैक्सोफोनिस्ट रोलैंड शेफ़र भी इसे बजाते हैं, 1981 से 1985 तक करुपिया पिल्लई के साथ अध्ययन किया। गैलरी यह भी देखें भारतीय शास्त्रीय संगीत पोर्टल सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Images from The Beede Gallery Shawms (Ottu and Nagaswaram), Southern India, ca. 1900-1940. National Music Museum, University of South Dakota. कर्नाटक संगीत वाद्य भारतीय संगीत वाद्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%93%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B8
थिओफ्रेस्टस
थिओफ्रैस्टस (Theophrastus) ग्रीस देश के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं प्रकृतिवादी थे। इनका जन्म ईसा पूर्व ३७२ में, लेज़बासॅ (Lesbos) द्वीप के एरेसस (Eresus) नामक नगर में हुआ था तथा मृत्यु ईसा पूर्व २८७ में हुई। लेज़बॉस में ही इन्होंने ल्युसिपस से दर्शनशास्त्र की शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद एथेन्स चले गए। यहाँ पर प्लेटो से संपर्क बढ़ा। प्लेटों की मृत्यु के पश्चात्‌, आपका घनिष्ठ संबंध प्रसिद्ध दर्शनिक ऐरिस्टॉट्ल से हुआ। कहा जाता है, थिओफ्रैस्टस नाम भी, बातचीत के सिलसिले में, ऐरिस्टॉट्ल का ही दिया हुआ है। ऐरिस्टॉट्ल अपने वसीयतनामों में, थिओफ्रैस्टस को ही अपने बच्चों का अभिभावक बना गए थे तथा उन्हें अपनी पुस्तकालय और मूल निबंध, लेख आदि सब कुछ सौंप गए थे। ऐरिस्टॉट्ल के कैलसिस (Chalcis) नगर चले जाने के बाद, उनके स्थापित विद्यालय के ये उत्तराधिकारी हुए और इस पद पर वे ३५ वर्ष तक (मृत्यु पर्यंत) रहे। इस विद्यालय में संसार के हर कोने से छात्र आते थे। आपने ऐरिस्टॉट्ल के दर्शनशास्त्र का पूरा अनुकरण किया। आप की रुचि विशेषकर वनस्पतिशास्त्र एवं प्राकृतिक वस्तुओं, जैसे अग्नि, वायु आदि की ओर थी। आपने लगभग २०० निबंध एवं लेख, दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र, कानून, पदार्थ विज्ञान, काल्पनिक वस्तुओं, वृक्षों, कविता आदि पर लिखे। इनमें से बहुतों का कोई पता नहीं लगता है। आपकी मुख्य रचनाओं में वनस्पतिशास्त्र पर लिखे दो निबंध हैं : पहला "वनस्पतियों का इतिहास" तथा दूसरा "पौधों के प्रवर्तक" है। प्राचीन तथा मध्य काल में लिखे हुए वनस्पतिशास्त्र के ग्रंथों में इनका बड़ा महत्व है। थिओफ्रैस्टस की एक अन्य रचना में उनके समय के जीवन का सुंदर चित्रण है। बाहरी कड़ियाँ Enquiry into plants and minor works on odours and weather signs, translated by Sir Arthur Hort, (1916), Volume 1, Volume 2, at the Internet Archive. Theophrastus work "On Stones" full text + annotation Theophrastus of Eresus on winds and on weather signs, (1894), by J. G. Wood, G. J. Symons, at the Internet Archive. Theophrastus and the Greek physiological psychology before Aristotle, by George Malcolm Stratton, (1917), at the Internet Archive. Contains a translation of On the Senses by Theophrastus. Theophrastus work "The Characters" English translation The Characters of Theophrastus, translated by J. M. Edmonds, (1929), at the Internet Archive. Peripatetic Logic: The Work of Eudemus of Rhodes and Theophrastus of Eresus The Oblivion of Being after Aristotle: Theophrastus' Metaphysics दार्शनिक यूनान
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%B7%20%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4
प्रदोष व्रत
हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष व्रत को करने से सब प्रकार के दोष मिट जाता है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत विधि के अनुसार दोनों पक्षों की प्रदोषकालीन त्रयोदशी को मनुष्य निराहार रहे। निर्जल तथा निराहार व्रत सर्वोत्तम है परंतु यदि यह सम्भव न हो तो नक्तव्रत करे। पूरे दिन सामर्थ्यानुसार हो सके तो कुछ न खाये नहीं तो फल ले। अन्न पूरे दिन नहीं खाना। सूर्यास्त के थोड़े से थोड़े 72 मिनट उपरान्त हविष्यान्न ग्रहण कर सकते हैं। शिव पार्वती युगल दम्पति का ध्यान करके पूजा करके। प्रदोषकाल में घी के दीपक जलायें। न्यूनतम एक अथवा 32 अथवा 100 अथवा 1000 । सप्ताहिक दिवसानुसार प्रदोष व्रत के विषय में गया है कि यदि : रविवार के दिन प्रदोष व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग रहेंगे। सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा फलित होती है। मंगलवार कोप्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है और आप स्वस्थ रहते हैं। बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है। बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है। शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है। शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है। पौराणिक सन्दर्भ इस व्रत के महात्म्य को गङ्गा के तट पर किसी समय वेदों के ज्ञाता और भगवान के भक्त सूतजी ने सनकादि ऋषियों को सुनाया था। सूतजी ने कहा है कि कलियुग में जब मनुष्य धर्म के आचरण से हटकर अधर्म के पथ पर जा रहा होगा, सब ओर अन्याय और अनाचार का बोलबाला होगा। मानव अपने कर्तव्य से विमुख होकर नीच कर्म में संलग्न होगा उस समय प्रदोष व्रत ऐसा व्रत होगा जो मानव को शिव की कृपा का पात्र बनाएगा और नीच गति से मुक्त होकर मनुष्य उत्तम लोक को प्राप्त होगा। सूत जी ने सनकादि ऋषियों को यह भी कहा कि प्रदोष व्रत से पुण्य से कलियुग में मनुष्य के सभी प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जाएंगे। यह व्रत अति कल्याणकारी है इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति होगी। इस व्रत में अलग-अलग दिन के प्रदोष व्रत से क्या लाभ मिलता है यह भी सूत जी ने बताया। सूत जी ने सनकादि ऋषियों को बताया कि इस व्रत के महात्मय को सर्वप्रथम भगवान शङ्कर ने माता सती को सुनाया था। मुझे यही कथा महात्मय महर्षि वेदव्यास जी ने सुनाया और यह उत्तम व्रत महात्म्य मैंने आपको सुनाया है। प्रदोष व्रत विधानसूत जी ने कहा है प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं। सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में महादेव भोले शंकर की पूजा की जाती है। इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गङ्गाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ संस्कृति हिन्दू त्यौहार धार्मिक त्यौहार
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%88%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%9F%20%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%97%20%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%9C%E0%A4%A8%20%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%A8%202017
आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन तीन 2017
2017 आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन तीन एक क्रिकेट टूर्नामेंट है जो वर्तमान में युगांडा में 23 से 30 मई 2017 के बीच हो रहा है। मैचों लोगोगो, क्यामबोगो और एनटेबे में जगह ले रहे हैं। शीर्ष दो टीमों को डिवीजन दो में पदोन्नत किया जाएगा। टूर्नामेंट की मेजबानी करने के लिए तीन देशों ने बोली लगाई है - कनाडा, मलेशिया और युगांडा। अक्टूबर 2016 में, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने युगांडा में होने वाले टूर्नामेंट के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, सुरक्षा व्यवस्था और लागतों के अधीन। आईसीसी के दो अधिकारियों ने दिसंबर 2016 में देश का दौरा किया, देश की पहली महिला, जेनेट मुस्सेवेनी और प्रधान मंत्री रुहकाना रूगुंदा के साथ मुलाकात की। मुस्सेनी ने टूर्नामेंट के लिए सरकारी सहायता का वचन दिया। टीम्स टीमें इस प्रकार हैं कि अर्हता प्राप्त करेंगे इस प्रकार हैं: (5वा आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन दो 2015) (6वा आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन दो 2015) (3रा आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन तीन 2014) (4था आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन तीन 2014) (1ला आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन चार 2016) (2रा आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन चार 2016) स्थान टूर्नामेंट के लिए निम्नलिखित तीन स्थानों का उपयोग किया जाएगा: लूगोगो क्रिकेट ओवल, लोगोगो स्टेडियम, कंपाला क्यूमोगो क्रिकेट ओवल, क्यूमोगो विश्वविद्यालय, कंपाला एनटेबे क्रिकेट ओवल, एनटेबे तैयारी संयुक्त राज्य अमेरिका ने मार्च में ह्यूस्टन, टेक्सास में एक चयन शिविर का आयोजन किया जिसमें 50 खिलाड़ी शामिल थे, जिनमें प्रथम श्रेणी के अनुभव वाले तीन खिलाड़ियों थे; इब्राहिम खलील, रॉय सिल्वा और कैमिलिस अलेक्जेंडर। टूर्नामेंट की शुरुआत के तुरंत पहले, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दक्षिण अफ्रीका में छह दिवसीय पूर्व दौरे में भाग लिया। टूर्नामेंट से पहले, मलेशिया ने एसीसी इमर्जिंग टीमें एशिया कप 2017 में खेले, कनाडा ने बारबाडोस में वार्मअप मैच खेले, और युगांडा ने केन्या को पांच 50 ओवर मैचों में खेलने के लिए आमंत्रित किया। ज़िम्बाब्वे में कनाडा ने भी तीन वार्म अप मैच खेले। खिलाड़ी निम्नलिखित खिलाड़ियों को टूर्नामेंट के लिए चुना गया था: अंक तालिका राउंड रोबिन प्लेऑफ्स पांचवां स्थान प्लेऑफ तीसरा स्थान प्लेऑफ फाइनल अंतिम स्टैंडिंग सन्दर्भ क्रिकेट प्रतियोगितायें
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नवभारत टाइम्स
नवभारत टाइम्स दिल्ली और मुंबई से प्रकाशित होने वाला एक दैनिक समाचार पत्र है। इसकी प्रकाशक कम्पनी बेनेट, कोलमैन एवं कम्पनी है, जो द टाइम्स ऑफ इंडिया, द इकनॉमिक टाइम्स, महाराष्ट्र टाइम्स जैसे दैनिक अखबारों एवं फ़िल्मफ़ेयर एवं फेमिना जैसी पत्रिकाओं का प्रकाशन भी करती है। नवभारत टाइम्स इस समूह के सबसे पुराने प्रकाशनों में से एक है। दिल्ली में करीब 4.23 लाख की प्रसार संख्या और 19.7 लाख की पाठक संख्या के साथ यह अखबार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में छाया हुआ है। हिन्दी मुम्बई में चौथे नम्बर की भाषा मानी जाती है, इसके बावजूद ग्रेटर मुम्बई क्षेत्र में नवभारत टाइम्स की प्रसार संख्या 1.3 लाख और पाठक संख्या 4.7 लाख है। इन दोनों शहरों में शुरू से ही नवभारत टाइम्स प्रथम स्थान पर है। बाहरी कड़ियाँ सन्दर्भ हिन्दी भाषा के समाचार पत्र भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र विश्व के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र
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गाबा में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट शतकों की सूची
गाबा, जिसे आधिकारिक तौर पर ब्रिस्बेन क्रिकेट ग्राउंड कहा जाता है, वूलूंगब्बा के ब्रिस्बेन उपनगर में एक ऑस्ट्रेलियाई खेल स्टेडियम है। मैदान ने 1931 से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की मेजबानी की है जब ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच पहला टेस्ट मैच खेला गया था। गाबा में कुल 62 टेस्ट मैच खेले गए हैं। मैदान ने 78 एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (वनडे) का भी मंचन किया है, पहला 1979 में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था। डोनाल्ड ब्रैडमैन मैदान पर टेस्ट शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने जब उन्होंने 1931 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 226 रन बनाए। ब्रैडमैन की 226 रनों की पारी मैदान पर देखे गए केवल 5 दोहरे शतकों में से एक है। अन्य दोहरे शतक साथी ऑस्ट्रेलियाई कीथ स्टैकपोल, ग्रेग चैपल और माइकल क्लार्क और अंग्रेज एलिस्टेयर कुक ने बनाए। 2012 में क्लार्क का नाबाद 259 रन, मैदान पर बनाया गया सर्वोच्च स्कोर है। क्लार्क और ग्रेग चैपल ने संयुक्त रूप से गाबा में 5 के साथ सर्वाधिक शतक लगाने का रिकॉर्ड बनाया। रिकी पोंटिंग, डेविड वार्नर और मैथ्यू हेडन सभी ने मैदान पर 4 शतक बनाए हैं। गाबा में सबसे तेज टेस्ट शतक ट्रैविस हेड ने 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ बनाया था; हेड ने 85 गेंदों में 148 रन की पारी में 152 रन की शतकीय पारी खेली। मैदान पर उनतीस एकदिवसीय शतक बनाए गए हैं। इनमें से पहला अंग्रेज डेविड गॉवर ने 1983 में न्यूजीलैंड के खिलाफ बनाया था। गोवर की 118 गेंदों में 158 रन की पारी, मैदान पर किसी विदेशी खिलाड़ी द्वारा सर्वोच्च एकदिवसीय स्कोर है। मैदान पर उच्चतम समग्र एकदिवसीय स्कोर 163 है जो 2012 में श्रीलंका के खिलाफ डेविड वार्नर द्वारा बनाया गया था। डीन जोन्स और मार्क वॉ एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने गाबा में दो वनडे शतक लगाए हैं। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%20%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%91%E0%A4%AB%E0%A4%BC%20%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A1%20%E0%A4%9A%E0%A5%88%E0%A4%AA%E0%A4%B2
द रुइन्स ऑफ़ होलीरूड चैपल
द रुइन्स ऑफ़ होलीरूड चैपल (; ) फ़्रांसीसी चित्रकार लुई डेगुए द्वारा 1824 में निर्मित होलीरूड ऐबी की तैल चित्रकारी है। इस चित्रकारी का आकार 211 × 256.3 वर्ग सेमी (83.1 × 100.9 वर्ग इंच) है और लिवरपूल, इंग्लैंड में वॉकर आर्ट गैलरी में प्रदर्शित की गई है। इस संग्राहलय ने इसे 1864 में प्राप्त किया। पृष्ठभूमि होलीरूड ऐबी, होलिरूड महल के निकट स्थित है जिसका निर्माण जेम्स चतुर्थ ने 1501 में करवाया था, जो एडिनबरा, स्कॉटलैण्ड में स्थित है, जो ब्रिटेन की राजशाही का आधिकारिक निवास स्थान बन गया था। नाटकों के लिए मंच डिजाइनर का कार्य करने वाले डेगुए प्रकाश एवं छाया की विषमता तथा त्रिविम प्रदर्श से आकृष्ठ थे। हालाँकि यह ज्ञात नहीं है कि डेगुए व्यक्तिगत रूप से ऐबी में गये थे लेकिन 1824 के आसपास पेरिस में उन्होंने कई अन्य त्रिविम प्रदर्शों सहित होलीरूड ऐबी के त्रिविम प्रदर्श का निर्माण एवं प्रदर्शन किया था। यह त्रिविम प्रदर्श माप में चौड़ा था। डेगुए को वास्तविक-जीवन के खण्डहरों ने प्रभावित किया और उन्होंने होलीरूड एबी के खण्डहरों को प्रेरणास्रोत मानते हुए समान शीर्षक के साथ दो चित्रकारियाँ (पेंटिंग्स) की। डेगुए ऐबी खण्डहर के आन्तरिक में प्रकाश कैसे टकराता है, उसका अध्ययन करके, उसके त्रिविम प्रदर्श की नकल करने में सक्षम थे। वर्णन इस चित्रकारी में एक चाँदनी रात को होलीरूड ऐबी के खंडहर को दिखाया गया है, जो उस समय ऐबी के पर्यटकों के लिए लोकप्रिय आकर्षण (वास्तविक जीवन में) का केन्द्र था। खंडहर का दृष्टिकोण और पैमाना दीवारों को कैनवास पर उतारते समय थोड़ा परिवर्तित हो गया। सन्दर्भ ग्रन्थसूची टिप्पणी 1824 चित्रकारी फ्रांसीसी चित्रकारी
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8C%E0%A4%B0%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
मंदसौर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
मंदसौर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र, मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के २३० विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों से एक है, यह मंदसौर जिला का हिस्सा है। यह मंदसौर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा मंदसौर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया करते थे। एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री सखलेचा भी इसी क्षेत्र के एक अन्य सीट जावद से चुने गये थे। विधानसभा के सदस्य 1951 : देवीचंद चौहान (कांग्रेस) मध्य प्रदेश राज्य के निर्वाचन क्षेत्र के रूप में: 1962 : श्याम सुंदर पाटीदार (कांग्रेस) 1967 : टी. मोहन सिंह (भारतीय जनसंघ) 1972 : श्याम सुंदर पाटीदार (कांग्रेस) 1977 : सुंदरलाल पटवा (जनता पार्टी) 1980 : श्याम सुंदर पाटीदार (कांग्रेस-इंदिरा) 1985 : श्याम सुंदर पाटीदार (कांग्रेस) 2008 : यशपाल सिंह सिसोदिया (भाजपा) 2013 : यशपाल सिंह सिसोदिया (भाजपा) 2018 : यशपाल सिंह सिसोदिया (भाजपा चुनाव परिणाम 1967 विधानसभा टी. मोहन सिंह (BJS): 17,171 वोट एस. पाटीदार (कांग्रेस): 11,083 1972 विधानसभा श्याम सुंदर पाटीदार (कांग्रेस): 27,779 वोट किशोर सिंह (जनसंघ): 19,262 1977 विधानसभा सुंदरलाल पटवा (जनसंघ): 29,271 वोट धनसुखलाल नंदलाल भचावत (कांग्रेस): 20,088 1985 विधानसभा श्याम सुंदर पाटीदार (कांग्रेस): 29,717 मत मनोहरलाल बसंतीलाल जैन (भाजपा): 23,926 2008 विधानसभा यशपाल सिंह सिसोदिया (भाजपा): 60,013 मत महेंद्र सिंह गुर्जर (INC): 58,328 2018 विधानसभा यशपाल सिंह सिसोदिया (भाजपा): 102626 मत नरेंद्र नाहटा (कांग्रेस): 84256 मत सन्दर्भ मध्य प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मंदसौर ज़िला
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केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना
केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (Central Government Health Scheme (CGHS)) भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य योजना है। यह १९५४ में आरम्भ किया गया था। इसका उद्देश्य भारत के केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों, पेंशनधारियों, तथा उनके आश्रितों को सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। यह सेवा निम्नलिखित नगरों में उपलब्ध है- इलाहाबाद, अहमदाबाद, बंगलुरु, भुवनेश्वर, भोपाल, चण्डीगढ़, दिल्ली, देहरादून, मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद, जयपुर, जबलपुर, लखनऊ, चेन्नै, नागपुर, पटना, पुणे, कानपुर, मेरठ, तिरुवनन्तपुरम, गौहाटी, राँची, शिलांग, जम्मू। बाहरी कड़ियाँ केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना का जालघर स्वास्थ्य सेवा
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आम्रपाली दुबे
आम्रपाली दुबे (11 जनवरी 1992) एक भारतीय भोजपुरी फिल्म और टेलीविजन अभिनेत्री है। उन्होंने 'रहना है तेरी पलकों की छांव में' में सुमन के रूप में मुख्य भूमिका निभाई। उसने ज़ी टीवी पर सात फेरे और मायका में अभिनय किया। वह मेरा नाम करेगी रोशन में भी दिखाई दी थी। दुबे सहारा वन फिक्शन शो प्रेत नाइट्स में थे। आम्रपाली दुबे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की रहने वाली हैं। आम्रपाली ने मुंबई के भवन कॉलेज से पढ़ाई की है। 2014 में, उन्होंने भोजपुरी सिनेमा में दिनेश लाल यादव के साथ निरहुआ हिन्दुस्तानी में अग्रणी भूमिका निभाई। आम्रपाली दुबे एक भोजपुरी फिल्म के लिए करीब 7-9 लाख रुपए लेती हैं। टीवी सीरियल सात फेरे' फिल्म 'निरहुआ रिक्शावाला' 2.0 काशी अमरनाथ 'पटना से पाकिस्तान मोकामा जीरो किलोमीटर निरहुआ चलल ससुराल-2 निरहुआ चलल लंदन निरहुआ हिन्दुस्तानी निरहुआ हिन्दुस्तानी-2 निरहुआ हिन्दुस्तानी-3 राजा बाबू राम लखन जिगरवाला आशिक आवारा बम बम बोल रहा काशी निरहुआ सटल रहे सिपाही बाॅर्डर लागल रहा बताशा आशिकी सन्दर्भ बाहरी कड़िया आम्रपाली दुबे की जीवनी हिंदी में 1987 में जन्मे लोग जीवित लोग गोरखपुर के लोग भारतीय टेलीविज़न अभिनेत्री भारतीय फ़िल्म अभिनेता हिन्दी अभिनेत्री उत्तर प्रदेश के लोग भोजपुरी अभिनेत्री
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तारक मेहता का छोटा चश्मा
तारक मेहता का छोटा चश्मा तारक मेहता का उल्टा चश्मा पर आधारित एक भारतीय एनिमेटेड टेलीविजन श्रृंखला है। यह 19 अप्रैल 2021 को सोनी याय पर प्रसारित हुआ था यह नेटफ्लिक्स पर भी उपलब्ध है। कथानक यह तारक मेहता का उल्टा चश्मा पर आधारित है, जो चित्रलेखा पत्रिका में तारक मेहता के साप्ताहिक कॉलम "दुनिया ने उंधा चश्मा" पर आधारित एक हिंदी सिटकॉम है। इसे असित कुमार मोदी ने प्रोड्यूस किया है। यह सीरीज टप्पू और द गोकुलधाम सोसाइटी के साहसिक कारनामों के इर्द-गिर्द घूमती है और अगर कुछ गलत होता है, तो टप्पू और उसके दोस्त समस्याओं का समाधान करते हैं। ध्वनि कलाकार राजेश कावा जेठालाल "जेठिया" चंपकलाल गढ़ा के रूप में दया जेठालाल गडा के रूप में भूमिका जैन (जेठालाल की पत्नी, टप्पू की मां और चंपकलाल की बहू) आदित्य पेडनेकर टीपेंद्र "टापू" जेठालाल गडा (जेठालाल और दया के बेटे और चंपकलाल के पोते) के रूप में चंपकलाल जयंतीलाल गढ़ा के रूप में अमित भट्ट (जेठालाल के पिता, दया के ससुर और टप्पू के दादा) तारक मेहता के रूप में शत्रुघ्न शर्मा नेहा निगम अंजलि तारक मेहता (तारक की पत्नी) के रूप में मयूर यादव रोशन सिंह हरजीत सिंह सोढ़ी और पत्रकार पोपटलाल भगवतीप्रसाद पांडे के रूप में सौदामिनी रोशन कौर सोढ़ी (सोढ़ी की पत्नी) और बबीता कृष्णन अय्यर (अय्यर की पत्नी) के रूप में गुरुचरण "गोगी" सिंह रोशन सिंह सोढ़ी (सोढ़ी और रोशन के बेटे) के रूप में प्रणॉय रॉय आत्माराम तुकाराम भिड़े के रूप में सचिन सुरेश मीता सावरकर माधवी आत्माराम भिड़े (आत्माराम की पत्नी और सोनू की मां) के रूप में दीया शिंत्रे सोनालिका "सोनू" आत्माराम भिडे (भिडे और माधवी की बेटी) के रूप में डॉ. हंसराज बलदेवराज हाथी के रूप में सुनील तिवारी शैली दुबे राव गुलाबकुमार "गोली" हंसराज हाथी (हाथी के बेटे) के रूप में कृष्णन सुब्रमण्यम अय्यर के रूप में अरविंद कोली देव सिंघल पंकज "पिंकू" दीवान सहाय के रूप में हितेश उपाध्याय नटवरलाल प्रभाशंकर उदयवाला उर्फ के रूप में नट्टू काका मोहित सिन्हा बागेश्वर "बाघा" दादुख उदयवाला (नट्टू के भतीजे) के रूप में टेलीविजन फिल्म 27 मई 2022 को सोनी ये पर एक टेलीविजन फिल्म टापू एंड द बिग फैट एलियन वेडिंग प्रसारित हुई। संदर्भ बाहरी कड़ियां कार्टून धारावाहिक
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0
मानवता मंदिर
मानवता मंदिर या मनुष्य बनो मंदिर की स्थापना बाबा फकीर चंद (१८८६- १९८१) ने होशियारपुर, पंजाब, भारत में वर्ष १९६२ में की थी। अपने मानवता धर्म के मिशन को फैलाने के लिए फकीर ने सेठ दुर्गा दास की वित्तीय सहायता से मंदिर की स्थापना की जो वर्ष १९८१ में उनके निधन तक उनका कार्यक्षेत्र बना रहा। इस मंदिर में फकीर के गुरु शिव ब्रत लाल की मूर्ति स्थापित है और साथ ही संत मत, राधास्वामी मत और सूफ़ी मत के अन्य प्रमुख गुरुओं की तस्वीरें भी लगी हैं। मंदिर के परिसर में फकीर की समाधि उस स्थान पर बनाई गई है जहाँ उनके वसीयतनामे के अनुसार उनकी अस्थियाँ को समाधि दी गई है। इस पर मानवता का झंडा लहराया गया है। यद्यपि फकीर के संत मत (दयाल फकीर मत) में समाधि आदि का कोई स्थान नहीं है, तथापि इस संबंध में की गई उनकी वसीयत का तात्पर्य मानवता की नि:स्वार्थ सेवा से रहा है। फकीर लाइब्रेरी चैरीटेबल ट्रस्ट इस मंदिर का कामकाज देखता है। मंदिर में ही शिव देव राव एस.एस.के. हाई स्कूल चलाया जा रहा है जहाँ विद्यार्थियों से कोई फीस नहीं ली जाती। तथापि उनके माता-पिता को एक वचन-पत्र देना पड़ता है कि वे तीन से अधिक बच्चे पैदा नहीं करेंगे। इस प्रकार 'मानवता मंदिर' मानवता और देश के कल्याण के लिए फकीर की इस विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर रहा है कि परिवार कल्याण़ कार्यक्रम को धर्म में ही शामिल किया जाए. मंदिर के कार्यकलापों में एक द्विमासिक पत्रिका 'मानव-मंदिर' का प्रकाशन भी है। ट्रस्ट एक मुफ्त डिस्पेंसरी के साथ-साथ मुफ्त लंगर भी चलाता है। ट्रस्ट के द्वारा रखरखाव किए जा रहे पुस्तकालय में बहुत पुस्तकें है जिनमें शिव ब्रत लाल, फकीर चंद और कई अन्य संतों की दुर्लभ पुस्तकें संग्रहित हैं। विश्व में बाबा फकीर चंद के अनुयायियों और उनके आगे अनुयायियों की संख्या लाखों में है। संयुक्त राज्य अमेरिका में और कनाडा में भी इनके कुछ अनुयायी हैं। इन्हें भी देखें बाबा फकीर चंद शिव ब्रत लाल बाहरी कड़ियाँ An Evolving Collection on the Life and Work of Faqir Chand मंदिर का आधिकारिक जालस्थल बाबा फकीरचंद सन्दर्भ राधा स्वामी मत भारत के धर्मस्थल
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE
बाल-श्रम
बाल-श्रम जा एक बेटी hot hoti का मतलब यह है कि जिसमे कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है। इस प्रथा को कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संघठनों ने शोषित करने वाली प्रथा माना है। अतीत में बाल श्रम का कई प्रकार से उपयोग किया जाता था, लेकिन सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा के साथ औद्योगीकरण, क समीक्षा वेश्यावृत्ति या उत्खनन, कृषि, माता पिता के व्यापार में मदद, अपना स्वयं का लघु व्यवसाय (जैसे खाने पीने की चीजे बेचना), या अन्य छोटे मोटे काम हो सकते हैं कुछ बच्चे के गाइड के रूप में काम करते हैं, कभी-कभी उन्हें दुकान और रेस्तरां (जहाँ वे वेटर के रूप में भी काम करते हैं) के काम में लगा दिया जाता है। अन्य बच्चों से बलपूर्वक परिश्रम-साध्य और दोहराव वाले काम लेते हैं जैसे :बक्से को बनाना, जूते पॉलिश,धनिया बेचना,स्टोर के उत्पादों को भंडारण करना और साफ-सफाई करना। हालांकि, कारखानों और मिठाई की दूकान, के अलावा अधिकांश बच्चे अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, जैसे "सड़कों पर कई चीज़ें बेचना, पटाकों के कारखानों में, कृषि में काम करना या [बच्चों का घरेलू कार्य|घरों में छिप कर काम करना] - ये कार्य सरकारी श्रम निरीक्षकों और मीडिया की जांच की पहुँच से दूर रहते है। "और ये सभी काम सभी प्रकार के मौसम में तथा न्यूनतम वेतन के लिए किया गया था यूनिसेफ के अनुसार, दुनिया में लगभग २.५ करोड बच्चे, जिनकी आयु २-१७ साल के बीच है वे बाल-श्रम में लिप्त हैं, जबकि इसमें घरेलू श्रम शामिल नहीं है। सबसे व्यापक अस्वीकार कर देने वाले बाल-श्रम के रूप हैं जिनमे [बच्चों का सैन्य उपयोग] साथ ही बाल वेश्यावृत्ति . शामिल है। कम विवादास्पद और कुछ प्रतिबंधों के साथ कानूनी रूप से मान्य कुछ काम है जैसे बाल अभिनेता और बाल गायक, साथ ही साथ स्कूलवर्ष (सीजनल कार्य) के बाद का कार्य और अपना कोई व्यापार जो स्कूल के घंटों के बाद होने काम आदि शामिल है। बच्चों के अधिकार यह अनुचित या शोषित माना जाता है यदि निश्चित उम्र से कम में कोई बच्चा घर के काम या स्कूल के काम को छोड़कर कोई अन्य काम करता है। किसी भी नियोक्ता को एक निश्चित आयु से कम के बच्चे को किराए पर रखने की अनुमति नहीं है। न्यूनतम आयु देश पर निर्भर करता किसी प्रतिष्ठान में बिना माता पिता की सहमति के न्यूनतम उम्र १६ वर्ष निर्धारित किया है।| औद्योगिक क्रांति में चार साल के कम उम्र के बच्चों को कई बार घातक और खतरनाक काम की स्थितियों के साथ उत्पादन वाले कारखाने में कार्यरत थे। अंग्रेजी श्रमिक वर्ग का बनना , (पेंगुइन, १६८), पीपी. अब अमीर देशों ने मज़दूरों के रूप में बच्चों के इस्तेमाल को समझा है और इस आधार पर इसे मानव अधिकार का उल्लंघन माना हैं और इसे गैरकानूनी घोषित किया है जबकि कुछ गरीब देशों ने इसे बर्दाश्त या अनुमति दी है। १९९० के दशक में दुनिया के प्रत्येक देश ने सोमालिया और संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर बाल अधिकार के सम्मेलन, . के दौरान हस्ताक्षर किए सबसे ताकतवर अंतराष्ट्रीय कानूनी भाषा है जो अवैध बाल श्रम पर रोक लगाता है, हालाँकि यह बाल श्रम को अवैध नहीं मानता है। बहुत से गरीब परिवार अपने बच्चों के मजदूरी के सहारे हैं। कभी कभी ये ही उनके आय के स्रोत है। इस प्रकार का कार्य अक्सर दूर छिप कर होता है क्योंकि अक्सर ये कार्य औद्योगिक क्षेत्र में नहीं होतें है। बाल श्रम कृषि निर्वाह और शहरो के अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है, बच्चों के घरेलू काम में योगदान भी महत्वपूर्ण है। बच्चो को लाभ मुहैया कराने के लिए, बाल श्रम निषेध को दोनों अल्पावधि आय और दीर्घावधि संभावनाओं के साथ दोहरी चुनौती से निपटने के लिए काम करना है। कुछ युवाओं के अधिकार के समूहों यद्यपि, एक निश्चित आयु से नीचे के बच्चे को काम करने से रोक कर, बच्चों के विकल्प कम करने को मानव अधिकारों का उल्लंघन मानते है। ये महसूस करते है कि ऐसे बच्चे पैसे वालों के इच्छा के अधीन रहते है। बच्चे की सहमति या काम करने के कारण बहुत भिन्न हो सकते हैं। एक बच्चा कार्य के लिए सहमत हो सकता है यदि इसका आय आकर्षक हैं या अगर बच्चा स्कूल से नफरत करता है, लेकिन इस तरह की सहमति को सूचित नहीं किया जा सकता . कार्यस्थल बच्चे के लिए लंबे समय में अवांछनीय स्थिति पैदा कर सकता है। एक प्रभावशाली समाचार पत्र में "बाल श्रम के अर्थशास्त्र " पर अमेरिकी आर्थिक समीक्षा (१९९८), में कौशिक बसु और हुआंग वान का तर्क है कि बाल श्रम का मूल कारण माता पिता की गरीबी है। यदि ऐसा है तो, उन्होंने बाल श्रम के वैधानिक प्रतिबंध पर आगाह किया और तर्क दिया कि इसका उपयोग वयस्क मजदूरी प्रभावित हीन पर ही करना चाहिए और प्रभावित गरीब बच्चे के परिवार को पर्याप्त रूप से मुआवजा देना चाहिए। भारत और बंगलादेश सहित कई देशों में अभी भी बाल श्रम व्यापक रूप से विद्यमान है। यद्यपि इस देश के कानून के अनुसार १४ वर्ष से कम आयु के बच्चे काम नहीं कर सकते, फ़िर भी कानून को नजरअंदाज कर दिया है। ११ साल जैसे छोटी उम्र के बच्चे २० घंटे तक एक दिन में काम करते हैं, ये काम करने के लिए स्वीट शॉप में जाकर अमेरिकी कंपनियों जैसे वाल मार्ट, हेंस और टारगेट में काम करते है। वे मात्र साड़े ६ सेंत प्रति मद के रूप में छोटा सा भुगतान पाते हैं। बांग्लादेश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक हार्वेस्ट रिच है, जो बाल श्रम ने प्रयोग नहीं करने का दावा किया है, हालांकि बच्चों को केवल १ डॉलर प्रति सप्ताह मिलता है। बाल श्रम के खिलाफ बाल श्रम औद्योगिक क्रांति.के आरम्भ के साथ ही प्रारम्भ हो गया उदाहरण के लिए, कार्ल मार्क्स ने अपने कम्युनिस्ट घोषणा पत्र . में कहा " कारखानों में मौजूदा स्वरूप में बाल श्रम का त्याग "यह बात भी गौर करने योग्य है कि सार्वजनिक नैतिक सहापराध के जरिये ऐसे उत्पाद जो विकासशील देशों में एकत्रित या बाल श्रम से बने हैं उनके खरीद को हतोत्साहित किया जाये। दूसरों की चिंता है कि बाल श्रम से बने वस्तुओं का बहिष्कार करने पर यह बच्चे वेश्यावृत्ति या कृषि जैसे काम से अधिक खतरनाक या अति उत्साही व्यवसायों में जा सकते हैं उदाहरण के लिए, एक यूनिसेफ के एक अध्ययन में पाया गया कि 5००० से 7००० नेपाली बच्चे वेश्यावृत्ति के तरफ मूड गए इसके अलावा अमेरिका में बाल श्रम निवारण अधिनियम (1986) के लागू होने के बाद, एक अनुमान के अनुसार 5०००० बच्चों को बंगलादेश में उनके परिधान उद्योग में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था और बहुत से लोग "पत्थर तोड़ने, गलिओं में धकके खाना और वेश्यावृत्ति" गए -- -यह सब के सब तथ्य यूनिसेफ एक अध्ययन के आधार पर आधारित है। ये सारे कार्य " वस्त्र उत्पादन की तुलना में अधिक खतरनाक और विस्फोटक है ".इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि " भुथरे उपकरणों के दीर्घकालिक प्रयोग की भांति ऐसे परिणाम से बच्चो को फायदा की जगह हानि ज्यादा हो सकता है". आज कई उद्योग और निगम हैं जिनको कार्यकर्ताओं द्वारा बाल श्रम के कारण लक्षित किया जा रहा है। बाल श्रम पर कानून क्या बच्चों को काम पर रखना क़ानूनी है? नहीं, १४ साल से कम उम्र के बच्चों को काम देना गैर-क़ानूनी है; हालाँकि इस नियम के कुछ अपवाद हैं जैसे की पारिवारिक व्यवसायों में बच्चे स्कूल से वापस आकर या गर्मी की छुट्टियों में काम कर सकते हैं l इसी तरह फिल्मों में बाल कलाकारों को काम करने की अनुमति है, खेल से जुड़ी गतिविधियों में भी वह भाग ले सकते हैं l 14-18 वर्ष की आयु के बच्चों को काम पर रखा जा सकता है (जो किशोर/किशोरी की श्रेणी में आते हैं) यदि कार्यस्थल सूची में शामिल खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया से न जुड़ा हो l यदि कोई व्यक्ति मेरे आस-पड़ोस में बच्चों से काम करवाता है, तो इस बारे में मैं क्या कर सकती हूँ ? यदि आपने इस क़ानून का उल्लंघन होते हुए देखा है तो आप इसकी शिकायत पुलिस या मजिस्ट्रेट से कर सकती हैं l आप बच्चों के अधिकारों पर काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं की नज़र में भी यह ला सकती हैं जो मुद्दे को आगे तक ले जा सकते हैंl एक पुलिस अधिकारी या बाल मज़दूर इंस्पेक्टर भी शिकायत कर सकते हैं l यह अपराध संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में आता है, यानिकी/अर्थात इस कानून का उल्लंघन करते हुए पकड़े जाने पर वारंट की गैर-मौजूदगी में भी गिरफ़्तारी या जाँच की जा सकती है l इस क़ानून का उल्लंघन करते हुए बच्चों को काम पर रखने पर क्या सज़ा दी जा सकती है ? कोई भी व्यक्ति जो १४ साल से कम उम्र के बच्चे से काम करवाता है अथवा १४-१८ वर्ष के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में काम देता है, उसे ६ महीने – २ साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है और साथ ही २०,००० -५०,००० रूपए तक का जुर्माना भी हो सकता है l रजिस्टर न रखना, काम करवाने की समय-सीमा न तय करना और स्वास्थ्य व सुरक्षा सम्बन्धी अन्य उल्लंघनों के लिए भी इस कानून के तहत १ महीने तक की जेल और साथ ही १०,००० रूपए तक का जुर्माना भरने की सज़ा हो सकती है l यदि आरोपी ने पहली बार इस कानून के तहत कोई अपराध किया है तो केस का समाधान तय किया गया जुर्माना अदा करने से भी किया जा सकता है l इस क़ानून के अलावा और भी ऐसे अधिनियम हैं (जैसे की फैक्ट्रीज अधिनियम, खान अधिनियम, शिपिंग अधिनियम ,मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियम इत्यादि ) जिनके तहत बच्चों को काम पर रखने के लिए सज़ा का प्रावधान है, पर बाल मज़दूरी करवाने के अपराध के लिए अभियोजन बाल मज़दूर कानून के तहत ही होगा l इस कानून के तहत संरक्षित किये गए बच्चों के साथ क्या होता है ? इस क़ानून का उल्लंघन करने वाली परिस्थितियों से जिन बच्चों को बचाया जाता है उनका नए कानून के तहत पुनर्वास किया जाना चाहिए l ऐसे बच्चे जिन्हें देख-भाल और सुरक्षा की आवश्यकता है, उन पर किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा) अधिनियम २०१५ लागू होता है l क्या बच्चों का पारिवारिक व्यवसाय में काम करना क़ानूनी है ? हाँ, १४ वर्ष से कम आयु के बच्चों को पारिवारिक व्यवसाय में नियोजित किया जा सकता है l ऐसे व्यापार जिनका संचालन किसी करीबी रिश्तेदार (माता, पिता, भाई या बहन) या दूर के रिश्तेदार (पिता की बहन और भाई, या माँ के बहन और भाई) द्वारा किया जाता है, वह इस परिभाषा में शामिल हैं l यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि पारिवारिक व्यापार इस क़ानून के तहत परिभाषित खतरनाक प्रक्रिया या पदार्थ से जुड़ा न हो l ऊर्जा/बिजली उत्पादन से जुड़े उद्योग, खान, विस्फोटक पदार्थों से जुड़े उद्योग इस परिभाषा में शामिल हैं l खतरनाक व्यवसाय एवं प्रक्रिया की परिभाषा में सभी शामिल व्यवसायों की सूची यहाँ पढ़ें l हालाँकि बच्चे पारिवारिक व्यवसाय में सहयोग दे सकते हैं, यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इससे उनकी पढ़ाई पर कोई असर न पड़े, इस हेतु उन्हें स्कूल से आने के बाद या छुट्टियों में ही काम करना चाहिए l क्या माता-पिता/अभिभावकों को अपने बच्चों को काम करने की अनुमति देने के लिए दंडित किया जा सकता है? सामान्यतः बच्चों के माता-पिता /अभिभावकों को अपने बच्चों को इस कानून के विरुद्ध काम करने की अनुमति देने के लिए सज़ा नहीं दी जा सकती है परन्तु यदि किसी १४ वर्ष से कम आयु के बच्चे को व्यावसायिक उद्देश्य से काम करवाया जाता है या फिर किसी १४-१८ वर्ष की आयु के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में काम करवाया जाता है तो यह प्रतिरक्षा लागू नहीं होती और उन्हें सज़ा दी जा सकती है l क़ानून उन्हें अपनी भूल सुधारने का एक अवसर देता है, यदि वह ऐसा करते हुए पहली बार पकड़े जाते हैं तो वह इसे समाधान/समझौते की प्रक्रिया से निपटा सकते हैं, पर यदि वह फिर से अपने बच्चे को इस क़ानून का उल्लंघन करते हुए काम करवाते हैं तो उन्हें १०,००० रूपए तक का जुर्माना हो सकता है l श्रम
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%BE
बदरतला
बदरतला, कोलकाता शहर का एक इलाका है। यह हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। इससे सटे हुए इलाकों में राजाबागान (पूर्व), मटियाबुर्ज (दक्षिण पूर्व) और अकड़ा फाटक (दक्षिण) में स्थित है। अयूब नगर, बिरजुनाला, बागड़ीपाडा, जेलियापाड़ा, शिराज बस्ती इलाके की कुछ बस्तियां हैं। भूगोल पुलिस जिला नदियाल पुलिस स्टेशन, कोलकाता पुलिस के पोर्ट डिवीजन का हिस्सा है। यह 2-3 / 102 डॉ ए॰के॰ रोड, कोलकाता-700044 पर स्थित है। वाटगंज महिला पुलिस थाना, 16, वाटगंज स्ट्रीट, कोलकाता-700023 पर स्थित है, और पोर्ट डिवीजन के सभी थाने इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं, जिनमें नॉर्थ पोर्ट, साउथ पोर्ट, वाटगंज, वेस्ट पोर्ट, गार्डन रीच, इकबालपुर, नदियाल, राजाबागान और मटियाबुर्ज शामिल हैं। जादवपुर, ठाकुरपुकुर, बेहाला, पूर्ब जादवपुर, तिलजला, रीजेंट पार्क, मटियाबुर्ज, नदियाल और कसबा पुलिस थानों को 2011 में दक्षिण 24 परगना से हटाकर कोलकाता में जोड़ दिया गया था। मटियाबुर्ज को छोड़कर, सभी पुलिस स्टेशनों को दो भाग में विभाजित किया गया था। नए पुलिस थाने क्रमश: पर्णाश्री, हरिदेवपुर, गड़फ़ा, पाटुली, सर्वे पार्क, प्रगति मैदान, बांसद्रोनी और राजाबागन हैं। डाकघर बदरतला डाकघर डॉ॰ अब्दुल ख़बीर रोड (रेलवे लाइन रोड पार करते हुए) में बदरतला हाई स्कूल के पास स्थित है। शिक्षा संस्थान बदरतला में शैक्षिक क्षेत्र धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। क्षेत्र में मैट्रिक उत्तीर्ण छात्रों के लिए कोई महाविद्यालय उपलब्ध नहीं है। छात्रों को कॉलेज अध्ययन के लिए दूर जाना पड़ता है। कुछ स्कूल हैं: साहापुर सबित्री विद्यालय बदरतला हाई स्कूल बदरतला माध्यमिक बालिका विद्यालय सार्वजनिक परिवहन बदरतला में सार्वजनिक परिवहन की स्थिति खराब है। यह शहर के अन्य हिस्सों से बस या किसी अन्य प्रकार के परिवहन से अच्छी तरह से जुड़ा नहीं है। 12 नंबर की एक निजी बस सेवा एस्प्लेनेड से होकर मटियाबुर्ज, गार्डन रीच, खिदिरपुर और हेस्टिंग्स तक जाती है। स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाएं अस्पताल के नाम पर यहाँ एक सरकारी अस्पताल गार्डन रीच सामान्य अस्पताल स्थित है पर इसमें चिकित्सा सुविधाओं की बेहद कमी है। अस्पताल और नदियाल पुलिस थाना एक ही परिसर में स्थित हैं। कोलकाता सम्मान हत्या (2012) 7 दिसंबर 2012 को एक व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से तलवार से अपनी छोटी बहन का सिर काट डाला था। उसके बाद वो अपनी बहन के सिर और तलवार के साथ नादियाल पुलिस स्टेशन चला गया। स्थानीय निवासियों ने उसे अपने बाएं हाथ में कटा हुआ सिर और उसके दाहिने हाथ में तलवार लेकर पुलिस स्टेशन जाते हुए देखा था। पुलिस के अनुसार उस व्यक्ति ने विवाहेतर संबंध के कारण अपनी बहन की हत्या करने की बात कबूल की थी। संदर्भ कोलकाता के इलाके
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8C%E0%A4%B2
रक्सौल
रक्सौल (Raxaul) भारत के बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण ज़िले में स्थित एक शहर है। नेपाल सीमा रक्सौल भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है और अपने चीनी उद्योग के कारण जाना जाता है। इसके पास ही नेपाल का बीरगंज स्थित है। बीरगंज रेलवे स्टेशन नेपाल सरकार रेलवे (NGR) से भारत की सीमा के पार बिहार के रक्सौल स्टेशन से जुड़ा है। 47 किमी (29 मील) रेलवे उत्तर में नेपाल के अमलेखगंज तक फैली हुई है। यह 1927 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था, लेकिन दिसंबर 1965 में बीरगंज से परे बंद कर दिया गया था। [3] रक्सौल से बिरगंज तक 6 किमी (3.7 मील) रेलवे ट्रैक को दो साल बाद ब्रॉड गेज में बदल दिया गया था, क्योंकि भारतीय रेलवे ने ट्रैक को भारत के रक्सौल में ब्रॉड गेज में बदल दिया था। अब, ब्रॉड गेज रेलवे लाइन रक्सौल को सिरसिया (बीरगंज) अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICD) से जोड़ती है, जो 2005 में पूरी तरह से चालू हो गई थी। नेपाल के बीरगंज से नेपाल के अमलेगंज तक रेल मार्ग को फिर से खोलने के लिए वार्ता हुई है, क्योंकि इसे ब्रॉड गेज में परिवर्तित कर दिया गया है। इसका सामाजिक-आर्थिक महत्व है। इतिहास रक्सौल : अतीत और वर्तमान’ (रक्सौल नगर के उद्धव व क्रमागत विकास पर संदर्भ पुस्तक) इन्हें भी देखें पूर्वी चम्पारण ज़िला सन्दर्भ बिहार के शहर पूर्वी चम्पारण जिला पूर्वी चम्पारण ज़िले के नगर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%28%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B2%20%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%29
काकोरी (मंगल ग्रह)
काकोरी (मंगल ग्रह) पृथ्वी से करोड़ों मील दूर मंगल ग्रह पर स्थित एक क्रेटर का नाम है। इसका व्यास 29.7 किलोमीटर है और यह मंगल ग्रह के अक्षांश 41.8 व देशांतर 29.9 पर स्थित है। सन् 1976 में इसका नामकरण भारत के एक ऐतिहासिक शहर काकोरी के नाम पर किया गया था। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ काकोरी (मंगल ग्रह) - जियोहैक पर काकोरी क्रेटर की स्थिति मंगल ग्रह पर काकोरी - जिसमें चित्र को बड़ा करके दिखाया गया है मंगल ग्रह पर क्रेटर्स की सूची - अंग्रेजी विकिपीडिया से मंगल ग्रह
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%20%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%97
मेरीना लोग
मेरीना (Merina) हिन्द महासागर के माडागास्कर द्वीप-राष्ट्र के मालागासी लोगों का एक उपसमुदाय है। यह उस देश के मध्य पहाड़ी-पठारी उच्चभूमीय क्षेत्र में रहते हैं और ऐतिहासिक रूप से माडागास्कर के सबसे प्रभावशाली गुट रहे हैं। १८वी व १९वी सदी के मालागासी राज्य के यही राजसीय समुदाय थे और उन्होंने अन्य मालागासी समुदायों को अपने अधीन कर लिया था। सन् १८९५-९६ काल में फ़्रान्स ने माडागास्कर पर क़ब्ज़ा कर लिया और १८९७ में इसे उपनिवेश बनाकर मेरीना साम्राज्य ख़त्म कर डाला, लेकिन इस के बाद बांटो और राज करो की नीति अपनाते हुए उन्होंने मेरिनाओं को अपने अधीन सरकार चलाने में मिला लिया। १९६० में स्वतंत्रता के बाद भी मेरीना मालागासी समुदाय के सबसे शक्तिशाली उपसमुदाय रहे हैं। धर्म १९वीं सदी के मध्य में ब्रिटिश धर्म-प्रचारकों के प्रभाव से मेरीना का ईसाईकरण होने लगा। जब उनकी रानी रानावालोना द्वितीय (Ranavalona II) ने ईसाई धर्म अपना लिया तो लगभग सभी मेरीना ईसाई बन गये। इन्हें भी देखें मालागासी लोग मालागासी भाषा सन्दर्भ मालागासी लोग माडागास्कर की मानव जातियाँ
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संलग्न
संलग्न का अर्थ एक-दूसरे से जुड़े हुए। भूमि, राजनीति, जलीय क्षेत्र,वायवीय क्षेत्र आदि में एक-दूसरे का कुछ सीमा तक संयुक्त अधिकार होना यह शब्द हिंदी में काफी प्रयुक्त होता है, यदि आप इसका सटीक अर्थ जानते है तो पृष्ठ को संपादित करने में संकोच ना करें (याद रखें - पृष्ठ को संपादित करने के लिये रजिस्टर करना आवश्यक नहीं है)। दिया गया प्रारूप सिर्फ दिशा निर्देशन के लिये हैं, आप इसमें अपने अनुसार फेर-बदल कर सकते हैं। किसी अधिक महत्वपूर्ण वस्तु का संग करने वाली वस्तु। जैसे -- बुद्ध के आचरणों पर चलना, जल में रेत । सन्दर्भ शब्दार्थ
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नेपाल का ध्वज
नेपाल का राष्ट्रीय ध्वज विश्व का एक मात्र ऐसा ध्वज है जो चौकोर या आयताकार नहीं है जो दो त्रिकोणीय आकार को ऊपर नीचे रख कर बनाया गया है। विश्व में एक और ध्वज है जो चौकोर नही है। वह है अमेरिका के ओहाइयो का। नेपाल के राष्ट्रीय झण्डे के ऊपर वाले त्रिकोण में एक अर्ध चाँद और नीचे वाली त्रिकोण में एक सूर्य अंकित है। जिसका मतलब बताया जाता है कि जब तक सूरज-चाँद रहेगा तब तक पृथ्वी पर नेपाल का अस्तित्व रहेगा। इस ध्वज के किनारे नीले रंग के किनारे लगे हैं जो शान्ति का प्रतिक है। ध्वज के बीच का भाग गहरे लाल रंग का है जो नेपाल का राष्ट्रीय रंग है। नेपाल का राष्ट्रीय पुष्प गुराँस भी इसी रंग का है। गहरा लाल विजय का भी प्रतिक है।mais oui c’est clair 1962 तक नेपाल के झण्डे पर चाँद और सूरज पर चेहरे बने होते थें। ध्वज का आधुनिकीकरण करने के लिए ध्वज के चन्द्र और सूर्य पर से चेहरे को हटा दिया गया लेकिन फिर भी राजा अपने ध्वज पर चाँद और सूरज पर चेहरे का प्रयोग राजतन्त्र समाप्त होने (2008) तक करता रहा। इस ध्वज को 16 दिसम्बर 1962 को अपनाया गया जब देश का नया संविधान लिखा गया। यह अनोखा त्रिकोणीय ध्वज शताब्दियों से नेपाल में प्रयोग में चलता रहा लेकिन द्वि त्रिकोणिय ध्वज का इस्तेमाल 19 वीं शताब्दी से चलन में आया। ध्वज के आज का स्वरुप इसके प्राथमिक स्वरुप से लिया गया है जिसका प्रयोग 2000 साल पहले से हो रहा है। प्रतीकवाद सभी छोटे रियासतों को एकीकरण करने के बाद पृथ्वीनारायण शाह ने इस ध्वज को अपनाया। वर्तमान समय में ध्वज के सिद्धान्त में परिवर्तन आ गया है। नीले किनारे वर्तमान में शान्ति और एकता का प्रतिक बन गया है। गहरा लाल नेपाल का राष्ट्रिय रंग है और यह नेपालियों कि विरता भी प्रदर्शित करता है। दो त्रिकोण हिमालय पर्वत को प्रदर्शित करता है। इस पर खगोलीय पिण्ड जो दर्शाये गये हैं। वे स्थायीत्व का प्रतीक हैं, उन्हे आशा है कि जब तक सूर्य और चाँद रहेंगे तब तक नेपाल का अस्तित्व रहेगा। चाँद यह भी दर्शाता है कि नेपाली लोग शान्तिप्रिय और शान्त मिजाज के होते हैं, जबकि सूर्य दर्शाता है कि नेपाली भयंकर संकल्पवादी होते हैं। चाँद नेपाल के हिमालयी क्षेत्र के ठण्डक को भी दर्शाता है, जबकि सूर्य तराई क्षेत्र के गर्मी को दर्शाता है। एक अन्य व्याख्या है कि: ध्वज कि जो बनावट है। वह नेपाल के मठ-मन्दिरों को भी दर्शाता है। अन्य ध्वज इन्हें भी देखें नेपाल के राष्ट्रिय प्रतिक नेपाल का वृहत मानव ध्वज बाहरी कड़ियाँ http://publicdomainvectors.org/hi नेपालियों ने विश्व का सबसे बड़ा मानव झंडा बनाने का प्रयास किया नेपाल ध्वज
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%A1%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%9F%20%E0%A4%A5%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AA%E0%A5%80
एडजुवेंट थेरेपी
एडजुवेंट थेरेपी, जिसे एडजुवेंट केयर या ऑगमेंटेशन थेरेपी के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी थेरेपी है जो इसकी प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए प्राथमिक या प्रारंभिक चिकित्सा के अलावा दी जाती है। कैंसर चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली सर्जरी और जटिल उपचार के नियमों ने इस शब्द का इस्तेमाल मुख्य रूप से सहायक कैंसर उपचार का वर्णन करने के लिए किया है। इस तरह की सहायक चिकित्सा का एक उदाहरण अतिरिक्त उपचार है आमतौर पर सर्जरी के बाद दिया जाता है जहां सभी पता लगाने योग्य बीमारी को हटा दिया गया है, लेकिन जहां अनिर्धारित बीमारी की उपस्थिति के कारण पुनरावृत्ति का एक सांख्यिकीय जोखिम बना रहता है। यदि ज्ञात रोग सर्जरी के बाद पीछे रह जाता है, तो आगे का उपचार तकनीकी रूप से सहायक नहीं है। अपने आप में इस्तेमाल किया जाने वाला एक सहायक विशेष रूप से एक ऐसे एजेंट को संदर्भित करता है जो टीके के प्रभाव को बेहतर बनाता है। प्राथमिक दवाओं की सहायता के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं को ऐड-ऑन के रूप में जाना जाता है। इतिहास शब्द "एडजुवेंट थेरेपी," लैटिन शब्द एडजुवरे से लिया गया है, जिसका अर्थ है "मदद करना", पहली बार 1963 में पॉल कार्बोन और उनकी टीम द्वारा नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में गढ़ा गया था। 1968 में, नेशनल सर्जिकल एडजुवेंट ब्रेस्ट एंड बाउल प्रोजेक्ट (NSABP) ) ने पहले यादृच्छिक परीक्षण के लिए अपने बी-01 परीक्षण परिणामों को प्रकाशित किया, जिसने स्तन कैंसर में एक सहायक अल्काइलेटिंग एजेंट के प्रभाव का मूल्यांकन किया। परिणामों ने संकेत दिया कि प्रारंभिक कट्टरपंथी मास्टक्टोमी के बाद दी गई सहायक चिकित्सा "चार या अधिक सकारात्मक अक्षीय लिम्फ नोड्स के साथ पूर्व-रजोनिवृत्ति महिलाओं में पुनरावृत्ति दर में काफी कमी आई है।" प्राथमिक सर्जरी के पूरक के लिए अतिरिक्त उपचारों का उपयोग करने के नवोदित सिद्धांत को गियानी बोनाडोना और उनके सहयोगियों द्वारा 1973 में इटली में इंस्टिट्यूट टूमोरी से व्यवहार में लाया गया था, जहां उन्होंने एक यादृच्छिक परीक्षण किया जिसमें साइक्लोफॉस्फामाइड मेथोट्रेक्सेट फ्लूरोरासिल के उपयोग के साथ अधिक अनुकूल उत्तरजीविता परिणामों का प्रदर्शन किया गया था। 1976 में, बोनाडोना के ऐतिहासिक परीक्षण के तुरंत बाद, पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में बर्नार्ड फिशर ने एक समान यादृच्छिक परीक्षण शुरू किया, जिसमें प्रारंभिक मास्टेक्टॉमी के बाद विकिरण के साथ इलाज किए गए स्तन कैंसर के रोगियों के जीवित रहने की तुलना केवल सर्जरी प्राप्त करने वालों से की गई। 1985 में प्रकाशित उनके परिणामों ने पूर्व समूह के लिए रोग मुक्त अस्तित्व में वृद्धि का संकेत दिया। स्तन कैंसर सर्जनों से शुरुआती धक्का-मुक्की के बावजूद, जो मानते थे कि उनकी कट्टरपंथी मास्टक्टोमी कैंसर के सभी निशानों को हटाने के लिए पर्याप्त थी, बोनाडोना और फिशर के परीक्षणों की सफलता ने ऑन्कोलॉजी में सहायक चिकित्सा को मुख्यधारा में ला दिया। तब से, एडजुवेंट थेरेपी के क्षेत्र में बहुत विस्तार हुआ है जिसमें कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी और विकिरण को शामिल करने के लिए सहायक उपचारों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। नवजागुंत चिकित्सा नियोएडजुवेंट थेरेपी, एडजुवेंट थेरेपी के विपरीत, मुख्य उपचार से पहले दी जाती है। उदाहरण के लिए, स्तन कैंसर के लिए प्रणालीगत चिकित्सा जो स्तन को हटाने से पहले दी जाती है, उसे नवजागुंत कीमोथेरेपी माना जाता है। कैंसर के लिए नियोएडजुवेंट थेरेपी का सबसे आम कारण ट्यूमर के आकार को कम करना है ताकि अधिक प्रभावी सर्जरी की सुविधा हो सके। स्तन कैंसर के संदर्भ में, शल्य चिकित्सा से पहले प्रशासित नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी रोगियों में जीवित रहने में सुधार कर सकती है। यदि नियोएडजुवेंट थेरेपी के बाद ट्यूमर साइट से निकाले गए ऊतक में कोई सक्रिय कैंसर कोशिकाएं मौजूद नहीं हैं, तो चिकित्सक एक मामले को "पैथोलॉजिकल पूर्ण प्रतिक्रिया" या "पीसीआर" के रूप में वर्गीकृत करते हैं। जबकि चिकित्सा की प्रतिक्रिया को परिणाम के एक मजबूत भविष्यवक्ता के रूप में प्रदर्शित किया गया है, चिकित्सा समुदाय अभी भी विभिन्न स्तन कैंसर उपप्रकारों में पीसीआर की परिभाषा के संबंध में आम सहमति तक नहीं पहुंच पाया है। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या पीसीआर को स्तन कैंसर के मामलों में एक सरोगेट अंत बिंदु के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सहायक कैंसर चिकित्सा उदाहरण के लिए, रेडियोथेरेपी या प्रणालीगत चिकित्सा आमतौर पर स्तन कैंसर के लिए सर्जरी के बाद सहायक उपचार के रूप में दी जाती है। प्रणालीगत चिकित्सा में कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी या जैविक प्रतिक्रिया संशोधक या हार्मोन थेरेपी शामिल हैं। ऑन्कोलॉजिस्ट विशिष्ट सहायक चिकित्सा पर निर्णय लेने से पहले बीमारी के दोबारा होने के जोखिम का आकलन करने के लिए सांख्यिकीय साक्ष्य का उपयोग करते हैं। सहायक उपचार का उद्देश्य रोग-विशिष्ट लक्षणों और समग्र अस्तित्व में सुधार करना है। क्योंकि उपचार अनिवार्य रूप से एक जोखिम के लिए है, न कि साबित होने योग्य बीमारी के लिए, यह स्वीकार किया जाता है कि सहायक चिकित्सा प्राप्त करने वाले रोगियों का अनुपात उनकी प्राथमिक सर्जरी से पहले ही ठीक हो चुका होगा। एडजुवेंट सिस्टमिक थेरेपी और रेडियोथेरेपी अक्सर कई प्रकार के कैंसर के लिए सर्जरी के बाद दी जाती है, जिसमें कोलन कैंसर, फेफड़े का कैंसर, अग्नाशय का कैंसर, स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कुछ स्त्री रोग संबंधी कैंसर शामिल हैं। हालांकि, कुछ प्रकार के कैंसर सहायक चिकित्सा से लाभान्वित नहीं हो पाते हैं। इस तरह के कैंसर में रीनल सेल कार्सिनोमा, और कुछ प्रकार के मस्तिष्क कैंसर शामिल हैं। हाइपरथर्मिया थेरेपी या हीट थेरेपी भी एक तरह की सहायक चिकित्सा है जो इन पारंपरिक उपचारों के प्रभाव को बढ़ाने के लिए विकिरण या कीमोथेरेपी के साथ दी जाती है। रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) या माइक्रोवेव ऊर्जा द्वारा ट्यूमर को गर्म करने से ट्यूमर साइट में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप विकिरण या कीमोथेरेपी के दौरान प्रतिक्रिया में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, हाइपरथर्मिया को कई कैंसर केंद्रों में उपचार के पूर्ण पाठ्यक्रम के लिए विकिरण चिकित्सा में सप्ताह में दो बार जोड़ा जाता है, और चुनौती दुनिया भर में इसके उपयोग को बढ़ाने की है। विवाद कैंसर चिकित्सा के पूरे इतिहास में पाया जाने वाला एक आदर्श अति-उपचार की प्रवृत्ति है। इसकी स्थापना के समय से, कैंसर रोगियों के जीवन की गुणवत्ता पर इसके प्रतिकूल प्रभावों के लिए सहायक चिकित्सा के उपयोग की जांच की गई है। उदाहरण के लिए, क्योंकि सहायक रसायन चिकित्सा के दुष्प्रभाव मतली से लेकर प्रजनन क्षमता के नुकसान तक हो सकते हैं, चिकित्सक नियमित रूप से कीमोथेरेपी निर्धारित करते समय सावधानी बरतते हैं। मेलेनोमा के संदर्भ में, कुछ उपचार, जैसे कि आईपिलिमैटेब, के परिणामस्वरूप उच्च ग्रेड प्रतिकूल घटनाएं, या प्रतिरक्षा संबंधी प्रतिकूल घटनाएं, 10-15% रोगियों में होती हैं जो मेटास्टेटिक मेलेनोमा के प्रभावों के समानांतर होती हैं। इसी तरह, कई सामान्य सहायक उपचारों को हृदय रोग पैदा करने की क्षमता रखने के लिए जाना जाता है। ऐसे मामलों में, चिकित्सकों को अधिक तत्काल परिणामों के खिलाफ पुनरावृत्ति की लागत का वजन करना चाहिए और कुछ प्रकार के सहायक चिकित्सा को निर्धारित करने से पहले, एक रोगी की उम्र और सापेक्ष हृदय स्वास्थ्य जैसे कारकों पर विचार करना चाहिए। सहायक चिकित्सा के सबसे उल्लेखनीय दुष्प्रभावों में से एक प्रजनन क्षमता का नुकसान है। पूर्व-यौवन पुरुषों के लिए, वृषण ऊतक क्रायोप्रेज़र्वेशन भविष्य की प्रजनन क्षमता को संरक्षित करने का एक विकल्प है। यौवन के बाद के पुरुषों के लिए, वीर्य क्रायोप्रेज़र्वेशन के माध्यम से इस दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। रजोनिवृत्ति पूर्व महिलाओं के लिए, प्रजनन क्षमता को संरक्षित करने के विकल्प कई बार अधिक जटिल होते हैं। उदाहरण के लिए, उपजाऊ उम्र के स्तन कैंसर के रोगियों को कई बार प्राथमिक उपचार के बाद सहायक उपचार शुरू करने से जुड़े जोखिमों और लाभों को तौलना पड़ता है। कुछ कम-जोखिम, कम-लाभ वाली स्थितियों में, सहायक उपचार को पूरी तरह से छोड़ना एक उचित निर्णय हो सकता है, लेकिन ऐसे मामलों में जहां मेटास्टेसिस का जोखिम अधिक होता है, रोगियों को एक कठिन निर्णय लेने के लिए मजबूर किया जा सकता है। हालांकि प्रजनन क्षमता के संरक्षण के विकल्प मौजूद हैं (जैसे, भ्रूण संरक्षण, oocyte क्रायोप्रिजर्वेशन, डिम्बग्रंथि दमन, आदि), वे अक्सर अधिक समय लेने वाले और महंगे नहीं होते हैं। जटिलताओं के परिणामस्वरूप जो सहायक चिकित्सा के उदार उपयोग से उत्पन्न हो सकते हैं, नैदानिक ​​​​सेटिंग में सहायक चिकित्सा के उपयोग के आसपास के दर्शन रोगियों को जितना संभव हो उतना कम नुकसान करने के लक्ष्य की ओर स्थानांतरित हो गए हैं। सहायक उपचारों और उपचार की अवधि की खुराक की तीव्रता के मानकों को नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है ताकि रोगियों को होने वाले जहरीले दुष्प्रभावों को कम करते हुए आहार दक्षता को अनुकूलित किया जा सके। सहवर्ती या समवर्ती प्रणालीगत कैंसर चिकित्सा सहवर्ती या समवर्ती प्रणालीगत कैंसर चिकित्सा एक ही समय में अन्य उपचारों, जैसे विकिरण के रूप में चिकित्सा उपचारों को प्रशासित करने के लिए संदर्भित करती है। प्रोस्टेट कैंसर में प्रोस्टेट को हटाने के बाद एडजुवेंट हार्मोन थेरेपी दी जाती है, लेकिन चिंताएं हैं कि साइड इफेक्ट, विशेष रूप से हृदय संबंधी, पुनरावृत्ति के जोखिम से अधिक हो सकते हैं। स्तन कैंसर में, सहायक चिकित्सा में कीमोथेरेपी (डॉक्सोरूबिसिन, ट्रैस्टुजुमाब, पैक्लिटैक्सेल) शामिल हो सकती है। , डोकेटेक्सेल, साइक्लोफॉस्फेमाइड, फ्लूरोरासिल, और मेथोट्रेक्सेट) और रेडियोथेरेपी, विशेष रूप से लम्पेक्टोमी के बाद, और हार्मोनल थेरेपी (टैमोक्सीफेन, लेट्रोज़ोल)। स्तन कैंसर में सहायक चिकित्सा का उपयोग लम्पेक्टोमी के बाद चरण एक और दो स्तन कैंसर में किया जाता है, और चरण तीन में लिम्फ नोड शामिल होने के कारण स्तन कैंसर होता है। ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफॉर्म में, पूरी तरह से हटाए गए ट्यूमर के मामले में एडजुवेंट कीमोरेडियोथेरेपी महत्वपूर्ण है, क्योंकि किसी अन्य चिकित्सा के साथ, 1-3 महीनों में पुनरावृत्ति होती है। प्रारंभिक चरण में एक स्माल सेल लंग कार्सिनोमा, जेमिसिटाबाइन, सिस्प्लैटिन, पैक्लिटैक्सेल, डोकेटेक्सेल, और अन्य कीमोथेराप्यूटिक एजेंटों के साथ एडजुवेंट कीमोथेरेपी, और स्थानीय पुनरावृत्ति को रोकने के लिए, या मस्तिष्क को मेटास्टेस को रोकने के लिए एडजुवेंट रेडियोथेरेपी या तो फेफड़े को दी जाती है। वृषण कैंसर में, ऑर्किडेक्टोमी के बाद सहायक या तो रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। पहले, मुख्य रूप से रेडियोथेरेपी का उपयोग किया जाता था, साइटोटोक्सिक कीमोथेरेपी के एक पूर्ण पाठ्यक्रम के रूप में बाहरी बीम रेडियोथेरेपी (ईबीआरटी) के एक कोर्स से कहीं अधिक दुष्प्रभाव उत्पन्न होते थे। हालांकि यह पाया गया है कि कार्बोप्लाटिन की एक खुराक ईबीआरटी के रूप में प्रभावी है। चरण II में वृषण कैंसर, केवल हल्के साइड इफेक्ट के साथ (क्षणिक मायलोस्प्रेसिव एक्शन बनाम गंभीर और लंबे समय तक सामान्य कीमोथेरेपी में मायलोस्प्रेसिव न्यूट्रोपेनिक बीमारी, और 90% मामलों में उल्टी, दस्त, म्यूकोसाइटिस और कोई खालित्य नहीं है। एडजुवेंट थेरेपी कुछ प्रकार के कैंसर में विशेष रूप से प्रभावी है, जिसमें कोलोरेक्टल कार्सिनोमा, फेफड़े का कैंसर और मेडुलोब्लास्टोमा शामिल हैं। पूरी तरह से शोधित मेडुलोब्लास्टोमा में, 5 साल की जीवित रहने की दर 85% है यदि सहायक रसायन चिकित्सा और / या क्रैनियोस्पाइनल विकिरण किया जाता है, और केवल 10% यदि कोई सहायक रसायन चिकित्सा या क्रानियोस्पाइनल विकिरण का उपयोग नहीं किया जाता है। तीव्र लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) के लिए रोगनिरोधी कपाल विकिरण तकनीकी रूप से सहायक है, और अधिकांश विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि कपाल विकिरण से सभी में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) के दोबारा होने का खतरा कम हो जाता है और संभवतः तीव्र मायलोइड ल्यूकेमिया (एएमएल) हो सकता है, लेकिन यह गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है, और एडजुवेंट इंट्राथेकल मेथोट्रेक्सेट और हाइड्रोकार्टिसोन कपाल विकिरण के समान ही प्रभावी हो सकते हैं, गंभीर देर से प्रभाव के बिना, जैसे कि विकासात्मक विकलांगता, मनोभ्रंश, और दूसरी घातकता के लिए जोखिम में वृद्धि। खुराक-घने कीमोथेरेपी डोज़-सघन कीमोथेरेपी (डीडीसी) हाल ही में सहायक रसायन चिकित्सा प्रशासन की एक प्रभावी विधि के रूप में उभरी है। डीडीसी ट्यूमर कोशिका वृद्धि की व्याख्या करने के लिए गोम्पर्ट्ज़ वक्र का उपयोग करता है, प्रारंभिक सर्जरी के बाद ट्यूमर के अधिकांश द्रव्यमान को हटा दिया जाता है। सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर कोशिकाएं आमतौर पर कोशिकाओं को तेजी से विभाजित करती हैं, जिससे वे कीमोथेरेपी के लिए सबसे कमजोर हो जाती हैं। सामान्य कोशिकाओं को ठीक होने के समय की अनुमति देने के लिए मानक कीमोथेरेपी आहार आमतौर पर हर 3 सप्ताह में प्रशासित होते हैं। इस अभ्यास ने वैज्ञानिकों को इस परिकल्पना की ओर अग्रसर किया है कि सर्जरी और कीमो के बाद कैंसर की पुनरावृत्ति कीमोथेरेपी प्रशासन की दर से तेजी से डाइविंग कोशिकाओं के कारण हो सकती है। डीडीसी हर 2 हफ्ते में कीमोथेरेपी देकर इस समस्या से बचने की कोशिश करता है। कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए, जिसे अधिक बारीकी से प्रशासित कीमोथेरेपी उपचारों के साथ बढ़ाया जा सकता है, सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को बहाल करने के लिए विकास कारकों को आमतौर पर डीडीसी के साथ संयोजन में दिया जाता है। प्रारंभिक चरण में स्तन कैंसर के रोगियों में डीडीसी नैदानिक ​​​​परीक्षणों के हालिया 2018 मेटा-विश्लेषण ने प्रीमेनोपॉज़ल महिलाओं में आशाजनक परिणाम दिखाए, लेकिन डीडीसी अभी तक क्लीनिकों में उपचार का मानक नहीं बन पाया है। विशिष्ट कैंसर घातक मेलेनोमा घातक मेलेनोमा में सहायक चिकित्सा की भूमिका है और ऑन्कोलॉजिस्टों द्वारा गर्मागर्म बहस की गई है। 1995 में एक बहुकेंद्रीय अध्ययन ने बताया कि इंटरफेरॉन अल्फा 2बी का उपयोग सहायक चिकित्सा के रूप में मेलेनोमा रोगियों में दीर्घकालिक और रोग-मुक्त अस्तित्व में सुधार हुआ है। इस प्रकार, उस वर्ष बाद में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने मेलेनोमा रोगियों के लिए इंटरफेरॉन अल्फा 2 बी को मंजूरी दे दी, जो वर्तमान में बीमारी से मुक्त हैं, ताकि पुनरावृत्ति के जोखिम को कम किया जा सके। तब से, हालांकि, कुछ डॉक्टरों ने तर्क दिया है कि इंटरफेरॉन उपचार जीवित रहने को लंबा नहीं करता है या पुनरावृत्ति की दर को कम नहीं करता है, लेकिन केवल हानिकारक साइड इफेक्ट का कारण बनता है। उन दावों को वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा मान्य नहीं किया गया है। एडजुवेंट कीमोथेरेपी का उपयोग घातक मेलेनोमा में किया गया है, लेकिन सहायक सेटिंग में कीमोथेरेपी का उपयोग करने के लिए बहुत कम सबूत हैं। हालांकि, मेलेनोमा एक कीमोथेरेपी-प्रतिरोधी दुर्दमता नहीं है। Dacarbazine, temozolomide, और cisplatin सभी में मेटास्टेटिक मेलेनोमा में एक प्रतिलिपि प्रस्तुत करने योग्य 10-20% प्रतिक्रिया दर होती है। हालाँकि, ये प्रतिक्रियाएँ अक्सर अल्पकालिक होती हैं और लगभग कभी पूरी नहीं होती हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि सहायक रेडियोथेरेपी उच्च जोखिम वाले मेलेनोमा रोगियों में स्थानीय पुनरावृत्ति दर में सुधार करती है। अध्ययन में कम से कम दो एमडी एंडरसन कैंसर केंद्र अध्ययन शामिल हैं। हालांकि, किसी भी अध्ययन ने यह नहीं दिखाया कि सहायक रेडियोथेरेपी का सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण उत्तरजीविता लाभ था। वर्तमान में यह निर्धारित करने के लिए कई अध्ययन चल रहे हैं कि क्या इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट जो मेटास्टेटिक सेटिंग में प्रभावी साबित हुए हैं, वे चरण 3 या 4 रोग के रोगियों के लिए सहायक चिकित्सा के रूप में लाभकारी हैं। कोलोरेक्टल कैंसर एडजुवेंट कीमोथेरेपी कोलोरेक्टल कैंसर से माइक्रोमेटास्टेटिक रोग के प्रकोप को रोकने में प्रभावी है जिसे शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया गया है। अध्ययनों से पता चला है कि फ़्लोरोरासिल माइक्रोसेटेलाइट स्थिरता या कम आवृत्ति वाले माइक्रोसेटेलाइट अस्थिरता वाले रोगियों में एक प्रभावी सहायक रसायन चिकित्सा है, लेकिन उच्च आवृत्ति वाले माइक्रोसेटेलाइट अस्थिरता वाले रोगियों में नहीं। अग्नाशय का कैंसर एक्सोक्राइन एक्सोक्राइन अग्नाशयी कैंसर सभी कैंसरों में से सबसे कम 5 साल की जीवित रहने की दर में से एक है। अकेले सर्जरी से जुड़े खराब परिणामों के कारण, सहायक चिकित्सा की भूमिका का व्यापक मूल्यांकन किया गया है। अध्ययनों की एक श्रृंखला ने स्थापित किया है कि 6 महीने की कीमोथेरेपी या तो जेमिसिटाबाइन या फ्लूरोरासिल के साथ, अवलोकन की तुलना में, समग्र अस्तित्व में सुधार करती है। प्रोग्राम्ड डेथ 1 (PD-1) और PD-1 लिगैंड PD-L1 के अवरोधक जैसे इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर को शामिल करने वाले नए परीक्षण चल रहे हैं। फेफड़े का कैंसर नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) 2015 में, 47 परीक्षणों और 11,107 रोगियों के व्यापक मेटा-विश्लेषण से पता चला कि एनएससीएलसी रोगियों को कीमोथेरेपी और/या रेडियोथेरेपी के रूप में सहायक चिकित्सा से लाभ होता है। परिणामों में पाया गया कि प्रारंभिक सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी देने वाले मरीज कीमोथेरेपी प्राप्त नहीं करने वालों की तुलना में 4% अधिक समय तक जीवित रहे। माना जाता है कि सहायक रसायन चिकित्सा के परिणामस्वरूप होने वाली विषाक्तता को नियंत्रित किया जा सकता है। मूत्राशय का कैंसर नियोएडजुवेंट प्लेटिनम-आधारित कीमोथेरेपी को उन्नत मूत्राशय के कैंसर में समग्र अस्तित्व में सुधार के लिए प्रदर्शित किया गया है, लेकिन प्रशासन में कुछ विवाद मौजूद है। अप्रत्याशित रोगी प्रतिक्रिया नवजागुंत चिकित्सा की खामी बनी हुई है। हालांकि यह कुछ रोगियों में ट्यूमर को सिकोड़ सकता है, अन्य उपचार के लिए बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं। यह प्रदर्शित किया गया है कि निदान के समय से 12 सप्ताह से अधिक की सर्जरी में देरी समग्र अस्तित्व को कम कर सकती है। इस प्रकार, नियोएडजुवेंट्स के लिए समय महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि नियोएडजुवेंट थेरेपी का एक कोर्स सिस्टेक्टोमी में देरी कर सकता है और ट्यूमर को बढ़ने और आगे मेटास्टेसाइज करने की अनुमति देता है। स्तन कैंसर यह कम से कम 30 वर्षों से जाना जाता है कि एडजुवेंट कीमोथेरेपी स्तन कैंसर के रोगियों के लिए रिलैप्स-फ्री सर्वाइवल रेट को बढ़ाती है। 2001 में एक राष्ट्रीय आम सहमति सम्मेलन के बाद, यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ पैनल ने निष्कर्ष निकाला: "क्योंकि एडजुवेंट पॉलीकेमोथेरेपी उत्तरजीविता में सुधार करती है। , लिम्फ नोड, रजोनिवृत्ति, या हार्मोन रिसेप्टर स्थिति की परवाह किए बिना स्थानीय स्तन कैंसर वाली अधिकांश महिलाओं को इसकी सिफारिश की जानी चाहिए।" इस्तेमाल किए गए एजेंटों में शामिल हैं: साईक्लोफॉस्फोमाईड मेथोट्रेक्सेट फ्लूरोरासिल डॉक्सोरूबिसिन डोसिटेक्सेल पैक्लिटैक्सेल एपिरूबिसिन हालांकि, इस चिकित्सा के लाभ की भयावहता के बारे में नैतिक चिंताओं को उठाया गया है क्योंकि इसमें रोगियों के आगे के उपचार को बिना किसी पुनरावृत्ति की संभावना को जाने शामिल है। डॉ बर्नार्ड फिशर, स्तन कैंसर के रोगियों पर सहायक चिकित्सा की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने वाले पहले नैदानिक ​​​​परीक्षण करने वालों में से, इसे "मूल्य निर्णय" के रूप में वर्णित किया गया जिसमें संभावित लाभों का मूल्यांकन विषाक्तता और उपचार की लागत और अन्य के खिलाफ किया जाना चाहिए। संभावित दुष्प्रभाव। स्तन कैंसर के लिए संयोजन सहायक रसायन चिकित्सा एक बार में दो या दो से अधिक कीमोथेराप्यूटिक एजेंट देने से कैंसर की पुनरावृत्ति की संभावना कम हो सकती है, और स्तन कैंसर के रोगियों में समग्र अस्तित्व में वृद्धि हो सकती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले संयोजन कीमोथेरेपी के नियमों में शामिल हैं: डॉक्सोरूबिसिन और साइक्लोफॉस्फेमाइड डॉक्सोरूबिसिन और साइक्लोफॉस्फेमाइड के बाद डोसिटेक्सेल डॉक्सोरूबिसिन और साइक्लोफॉस्फेमाइड के बाद साइक्लोफॉस्फेमाइड, मेथोट्रेक्सेट और फ्लूरोरासिल साइक्लोफॉस्फेमाइड, मेथोट्रेक्सेट और फ्लूरोरासिल। डोकेटेक्सेल और साइक्लोफॉस्फेमाइड। डोकेटेक्सेल, डॉक्सोरूबिसिन, और साइक्लोफॉस्फेमाइड साइक्लोफॉस्फेमाइड, एपिरूबिसिन, और फ्लूरोरासिल। डिम्बग्रंथि के कैंसर प्रारंभिक अवस्था में मोटे तौर पर 15% डिम्बग्रंथि के कैंसर का पता लगाया जाता है, जिस पर 5 साल की जीवित रहने की दर 92% है। प्रारंभिक चरण के डिम्बग्रंथि के कैंसर से जुड़े 22 यादृच्छिक अध्ययनों के नॉर्वेजियन मेटा-विश्लेषण ने इस संभावना का खुलासा किया कि प्रारंभिक सर्जरी के बाद 10 में से 8 महिलाओं को सिस्प्लैटिन के साथ इलाज किया गया था। प्रारंभिक चरण में निदान किए गए मरीजों को सर्जरी के तुरंत बाद सिस्प्लैटिन के साथ इलाज किया गया था, जो इलाज न किए गए मरीजों की तुलना में खराब थे। प्रारंभिक चरण के कैंसर वाली युवा महिलाओं के लिए एक अतिरिक्त सर्जिकल फोकस प्रजनन क्षमता के संरक्षण के लिए कोन्टालेटरल अंडाशय के संरक्षण पर है। डिम्बग्रंथि के कैंसर के अधिकांश मामलों का पता उन्नत चरणों में लगाया जाता है, जब उत्तरजीविता बहुत कम हो जाती है। सर्वाइकल कैंसर प्रारंभिक चरण के गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में, शोध से पता चलता है कि कीमो-विकिरण के बाद सहायक प्लैटिनम-आधारित कीमोथेरेपी जीवित रहने में सुधार कर सकती है। उन्नत गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लिए, सहायक रसायन चिकित्सा के जीवन की गुणवत्ता पर प्रभावकारिता, विषाक्तता और प्रभाव को निर्धारित करने के लिए और शोध की आवश्यकता है। एंडोमेट्रियल कैंसर चूंकि अधिकांश प्रारंभिक चरण के एंडोमेट्रियल कैंसर के मामलों का निदान जल्दी हो जाता है और आमतौर पर सर्जरी के साथ बहुत इलाज योग्य होता है, सहायक चिकित्सा केवल निगरानी के बाद दी जाती है और हिस्टोलॉजिकल कारक निर्धारित करते हैं कि एक रोगी पुनरावृत्ति के लिए उच्च जोखिम में है। एडजुवेंट पेल्विक रेडिएशन थेरेपी को 60 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में इसके उपयोग के लिए जांच मिली है, क्योंकि अध्ययनों ने संकेत दिया है कि उपचार के बाद जीवित रहने में कमी आई है और दूसरी विकृतियों का खतरा बढ़ गया है। उन्नत-चरण एंडोमेट्रियल कैंसर में, सहायक चिकित्सा आमतौर पर विकिरण, कीमोथेरेपी या दोनों का संयोजन होता है। जबकि उन्नत चरण का कैंसर केवल 15% निदान करता है, यह एंडोमेट्रियल कैंसर से होने वाली 50% मौतों का कारण है। विकिरण और/या कीमोथेरेपी उपचार से गुजरने वाले मरीजों को कभी-कभी विश्राम से पहले मामूली लाभ का अनुभव होगा। वृषण कैंसर स्टेज I सेमिनोमा के लिए, तीन मानक विकल्प हैं: सक्रिय निगरानी, ​​सहायक रेडियोथेरेपी, या सहायक रसायन चिकित्सा। गैर-सेमिनोमा के लिए, विकल्पों में शामिल हैं: सक्रिय निगरानी, ​​सहायक रसायन चिकित्सा और रेट्रोपरिटोनियल लिम्फ नोड विच्छेदन। जैसा कि सभी प्रजनन कैंसर के मामले में होता है, प्रारंभिक चरण के वृषण कैंसर के इलाज के लिए सहायक चिकित्सा का उपयोग करने का निर्णय लेते समय कुछ सावधानी बरती जाती है। हालांकि चरण I वृषण कैंसर के लिए 5 साल की जीवित रहने की दर लगभग 99% है, फिर भी इस बात पर विवाद मौजूद है कि क्या चरण I के रोगियों को फिर से होने से रोकने के लिए या तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि रोगियों को फिर से अनुभव न हो जाए। मानक कीमोथेरेपी के साथ इलाज किए गए मरीजों को "दूसरे घातक नवोप्लाज्म, हृदय रोग, न्यूरोटॉक्सिसिटी, नेफ्रोटॉक्सिसिटी, फुफ्फुसीय विषाक्तता, हाइपोगोनाडिज्म, प्रजनन क्षमता में कमी और मनोसामाजिक समस्याओं का अनुभव हो सकता है।" अति-उपचार को कम करने और संभावित दीर्घकालिक विषाक्तता से बचने के लिए सहायक चिकित्सा, आज अधिकांश रोगियों का सक्रिय निगरानी के साथ इलाज किया जाता है। सहायक कैंसर चिकित्सा के दुष्प्रभाव उपचार के किस रूप का उपयोग किया जाता है, इसके आधार पर, सहायक चिकित्सा के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि नियोप्लाज्म के लिए सभी चिकित्सा। कीमोथेरेपी अक्सर उल्टी, मतली, खालित्य, म्यूकोसाइटिस, मायलोसुप्रेशन विशेष रूप से न्यूट्रोपेनिया का कारण बनती है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी सेप्टिसीमिया होता है। कुछ कीमोथेराप्यूटिक एजेंट तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया का कारण बन सकते हैं, विशेष रूप से एल्काइलेटिंग एजेंट। शायद ही कभी, यह जोखिम प्राथमिक ट्यूमर की पुनरावृत्ति के जोखिम से अधिक हो सकता है। उपयोग किए गए एजेंटों के आधार पर, कीमोथेरेपी-प्रेरित परिधीय न्यूरोपैथी, ल्यूकोएन्सेफालोपैथी, मूत्राशय की क्षति, कब्ज या दस्त, रक्तस्राव, या कीमोथेरेपी के बाद संज्ञानात्मक हानि जैसे दुष्प्रभाव। रेडियोथेरेपी विकिरण जिल्द की सूजन और थकान का कारण बनती है, और, इसके आधार पर क्षेत्र विकिरणित किया जा रहा है, अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, मस्तिष्क को रेडियोथेरेपी स्मृति हानि, सिरदर्द, खालित्य, और मस्तिष्क के विकिरण परिगलन का कारण बन सकती है। यदि पेट या रीढ़ की हड्डी में विकिरण होता है, तो मतली, उल्टी, दस्त और डिस्फेगिया हो सकता है। यदि श्रोणि विकिरणित है, तो प्रोस्टेटाइटिस, प्रोक्टाइटिस, डिसुरिया, मेट्राइटिस, दस्त और पेट में दर्द हो सकता है। प्रोस्टेट कैंसर के लिए सहायक हार्मोनल थेरेपी हृदय रोग, और अन्य, संभवतः गंभीर, दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। सन्दर्भ चिकित्सा
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE
खूनी दरवाजा
खूनी दरवाजा जिसे लाल दरवाजा भी कहा जाता है, दिल्ली में बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग पर दिल्ली गेट के निकट स्थित है। यह दिल्ली के बचे हुए १३ ऐतिहासिक दरवाजों में से एक है। यह पुरानी दिल्ली के लगभग आधा किलोमीटर दक्षिण में, फ़िरोज़ शाह कोटला मैदान के सामने स्थित है। इसके पश्चिम में मौलाना आज़ाद चिकित्सीय महाविद्यालय का द्वार है। यह असल में दरवाजा न होकर तोरण है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे सुरक्षित स्मारक घोषित किया है। इतिहास खूनी दरवाजे का यह नाम तब पड़ा जब यहाँ मुग़ल सल्तनत के तीन शहज़ादों - बहादुरशाह ज़फ़र के बेटों मिर्ज़ा मुग़ल और किज़्र सुल्तान और पोते अबू बकर - को ब्रिटिश जनरल विलियम हॉडसन ने १८५७ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी। मुग़ल सम्राट के आत्मसमर्पण के अगले ही दिन विलियम हॉडसन ने तीनों शहज़ादों को भी समर्पण करने पर मजबूर कर दिया। २२ सितम्बर को जब वह इन तीनों को हुमायूँ के मक़बरे से लाल किले ले जा रहा था, तो उसने इन्हें इस जगह रोका, नग्न किया और गोलियाँ दाग कर मार डाला। इसके बाद शवों को इसी हालत में ले जाकर कोतवाली के सामने प्रदर्शित कर दिया गया। इसके नाम के कारण बहुत सी अमानवीय घटनाएँ इसके साथ जोड़ी जाती हैं, जिनको सत्यापित करना संभव नहीं है। बहुत संभव है कि ये सब पुरानी दिल्ली के काबुल दरवाजे पर हुईं। इनमें से कुछ हैं- अकबर के बाद जब जहांगीर मुग़ल सम्राट बना तो अकबर के कुछ नवरत्नों ने उसका विरोध किया। जवाब में जहांगीर ने नवरत्नों में से एक अब्दुल रहीम खाने-खाना के दो लड़कों को इस दरवाजे पर मरवा डाला और इनके शवों को यहीं सड़ने के लिए छोड़ दिया गया। औरंगज़ेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को सिंहासन की लड़ाई में हरा कर उसके सिर को इस दरवाजे पर लटकवा दिया। १७३९ में जब नादिर शाह ने दिल्ली पर चढ़ाई की तो इस दरवाजे के पास काफ़ी खून बहा। लेकिन कुछ सूत्रों के अनुसार यह खून-खराबा चाँदनी चौक के दड़ीबा मुहल्ले में स्थित इसी नाम के दूसरे दरवाजे पर हुआ था। और कुछ कहानियों से भी ऐसा लगता है कि मुग़ल काल में भी इसे खूनी दरवाजा कहा जाता था, लेकिन ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार १८५७ की घटनाओं के बाद से ही इसका यह नाम पड़ा। स्वाधीनता के बाद भारत के विभाजन के दौरान हुए दंगों में भी पुराने किले की ओर जाते हुए कुछ शरणार्थियों को यहाँ मार डाला गया। दिसंबर २००२ में यह फिर कुख्यात हुआ जब तीन युवकों ने यहाँ एक चिकित्सीय छात्रा का बलात्कार किया। इस घटना के बाद से आम जनता के लिए यह स्मारक बंद कर दिया गया। स्थापत्य यह दरवाजा १५.५ मीटर ऊँचा है और दिल्ली क्वार्ट्जाइट पत्थर का बना है। इसके ऊपर चढ़ने के लिए तीन सीढ़ियाँ भी बनी हैं। चित्र दीर्घा सन्दर्भ इतिहास स्थापत्य दिल्ली
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AC%20%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%20%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE%20%281995%20%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29
अब इंसाफ़ होगा (1995 फ़िल्म)
अब इंसाफ़ होगा 1995 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। संक्षेप चरित्र मुख्य कलाकार मिथुन चक्रवर्ती - गौरीशंकर रेखा - जानकीदेवी प्रसद राम मोहन - भैरवी प्रसाद पदमा रानी - श्रीमती भैरवी प्रसाद फ़ारुख़ शेख़ - रामचरण प्रेम चोपड़ा - गिरिधारीलाल सुलभा देशपांडे - काशीबाई रोहिणी हट्टंगड़ी - न्यायाधीश शफ़ी ईनामदार - अशोक मिश्रा टी पी जैन - सबीना के पिता जावेद ख़ान - अशोक का मित्र रज़ा मुराद - कालीचरण हिमानी शिवपुरी - श्रीमती कालीचरण परीक्षत साहनी - इंस्पेक्टर ख़ान युनुस परवेज़ - बशीर ख़ान साहिला चड्ढा - सबीना खान हरीश पटेल - बंसी घनश्याम रोहेड़ा - मंगलू विकास आनन्द अश्विनी कौशल दल संगीत रोचक तथ्य परिणाम बौक्स ऑफिस समीक्षाएँ नामांकन और पुरस्कार बाहरी कड़ियाँ होगा, अब इंसाफ़
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फिडेल एडवर्ड्स
फिदेल हेंडरसन एडवर्ड्स (जन्म 6 फरवरी 1982) एक बारबाडियन क्रिकेटर है, जो खेल के सभी प्रारूपों को खेलता है। एक तेज गेंदबाज, उनका गोल-आर्म एक्शन, पूर्व के तेज गेंदबाज जेफ थॉमसन के "विपरीत" नहीं है। उन्हें ब्रायन लारा द्वारा नेट्स में स्पॉट किया गया था और बारबाडोस के लिए सिर्फ एक मैच के बाद श्रीलंका के खिलाफ उनके टेस्ट डेब्यू के लिए बुलाया गया था। अपने टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत के बावजूद, उन्हें चोट लगने और असंगत होने की संभावना है। टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ 40 से कम की औसत के साथ, उन्होंने अपनी शुरुआती क्षमता को पूरा करने के लिए संघर्ष किया है। वह पेड्रो कॉलिन्स के सौतेले भाई हैं। सन्दर्भ 1982 में जन्मे लोग
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पर्ली पेनाईल पैप्युल्स
पर्ली पेनाईल पैप्युल्स (Pearly Penile Papules or PPP or Hirsuties Papillaris Genitalis), नर के शिश्न मुण्ड (Penis Glans) के कोरोना (Corona) की त्वचा पर दिखने वाली दानेदार संरचनाएँ हैं। सभी पुरुषों में इस जगह पर अदृश्य दाने होते हैं, लेकिन कुछ लोगों में ये दाने ज्यादा बड़े हो जाते हैं। इन बड़े दानों को ही “पर्ली पेनाईल पैप्युल्स” कहा जाता है। ये बिल्कुल सामान्य संरचनाएँ होती हैं। ये ठीक उसी तरह से है, जैसे कि हमारे शरीर के अन्य हिस्से की त्वचा कभी-कभी रूपांतरित होकर तिल, मस्सा आदि बना लेती है। लक्षण तथा पहचान इनकी विशिष्ट पहचान यह है कि ये एक या एक से आधिक ‘पंक्ति’ में पाए जाते हैं। इनका आकर ३ मिली मीटर तक हो सकता है। इनका रंग माँसपेशियों के रंग के जैसा ही होता है। इन दानों में न तो कोई दर्द होता है, न किसी प्रकार की खुजली और न ही रक्तस्राव होता है। इनका संचरण यौन - क्रिया के द्वारा नहीं होता है। अगर चिकित्सक अनुभवी न हो तो गलती से वह इसे जेनाईटल वार्ट (Genital Wart) भी समझ सकता है। जबकी यह जेनाईटल वार्ट से बिल्कुल अलग चीज़ है। “जेनाईटल वार्ट” एक यौनजनित रोग है, किंतु “पर्ली पेनाईल पैप्युल्स” कोई रोग है ही नहीं। यह त्वचा का एक रूपांतर मात्र है। व्यापकता “पर्ली पेनाईल पैप्युल्स” शिश्न पर होता है। अतः जाहिर है कि यह सिर्फ पुरुषों में पाया जा सकता है। महिलाएँ इससे प्रभावित नहीं होती। विभिन्न प्रकार के अध्ययनों से यह पता चला है कि १३ वर्ष से अधिक आयु के ज्यादातर पुरुषों में यह पाया जाता है। कुछ देशों में ८ % तथा कुछ देशों में लगभग ४८ % पुरुषों के लिंग पर ये संरचनाएँ पाई जाती हैं। अमेरिका में १३ % पुरुषों के लिंग पर ये संरचनाएँ पाई जाती हैं। भारत के संबंध में कोई आँकड़ा उपलब्ध नहीं है, परंतु अमेरिका में हुए अध्ययनों से यह ज्ञात है कि काली प्रजाति में इसकी संभावना अधिक होती है। अतः ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में १३ % से अधिक लोगों के लिंग पर “पर्ली पेनाईल पैप्युल्स” पाया जाता है। अध्ययन से ये भी पता चला है कि बिना “खतना” किए हुए पुरुषों में इसकी संभावना अधिक होती है, परंतु इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि खतना किए हुए पुरुषों में यह होती ही नहीं। प्रभाव “पर्ली पेनाईल पैप्युल्स” हानिरहित होता है। अर्थात् इनसे किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होती है। यह यौनजनित रोग भी नहीं है तथा ये यौन क्रिया के द्वारा नहीं फैलता है। इनसे व्यक्ति के यौन-जीवन पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह रोग नहीं है इससे प्रभावित व्यक्ति को लगता है कि उसे कोई रोग हो गया है। परंतु अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इसे रोग नहीं माना जाता है। “विश्व स्वास्थ्य संगठन” की परिभाषा के अनुसार रोग उसे कहते हैं, जिसके हो जाने पर व्यक्ति कोई विशेष प्रकार की क्रिया करने में असमर्थ हो जाता है। चुँकी इससे कोई क्रिया प्रभावित नहीं होती है; अतः यह रोग नहीं है। बिना खतना किए गए लिंग में ये ज्यादा पाया जाता है, इसका एक कारण “हस्थ्मैथुन” भी माना जाता है। कारण “पर्ली पेनाईल पैप्युल्स” क्यों होते हैं? इसका कारण ज्ञात नहीं है। पर इतना जरूर ज्ञात है कि ये यौन संबंध से नहीं होता है। पहले यह माना जाता था कि ये सफाई की कमी से होते हैं। लेकिन अब यह सिद्ध हो चुका है कि सफाई से इसका कोई लेना-देना नहीं है। आयुर्वेद में त्वचा पर होने वाले इस तरह के विकारों का कारण “वात दोष” माना जाता है। निवारण चुँकी यह एक रोग नहीं है; अतः इसके उपचार की आवश्यकता नहीं है, परंतु फिर भी सौंदर्य कारणों से अगर कोई इसका इलाज कराना चाहे, तो “कार्बन-डाई-ऑक्साइड लेजर” से इसे सही किया जा सकता है। वर्तमान में इसके लिए खाने या लगाने वाली कोई प्रभावकारी औषधि उपलब्ध नहीं है। सुझाव :- यह PPP मुस्लिमों में नहीं पाया जाता है, क्योंकि उनका बाल्यावस्था में ही खतना कर दिया जाता है, जिससे लिंग के टोपे पर कभी नमी नहीं रहती है और ये लोग अपने लिंग के टोपे पर डेला या पत्थर रगड़ते हैं, मुत्र करने के पश्चात्। मुस्लिमों के अलावा लोगों में यह PPP नमी की वजह से आती है, तो जिन लोगों में यह पाई जाती है, वे लोग यदि अपने लिंग के मुंड को खुला रखें, तो यह काफी हद तक कम हो सकती है। इसे भी देखें त्वचा के रूपान्तर सन्दर्भ मुख्य रूप से इंग्लिश विकिपीडिया से बाह्य कड़ीयाँ ई मेडिसिन - और अधिक जानकारी डर्म एटलस- और अधिक चित्र और अधिक जानकारी त्वचा त्वचा के रूपान्तर शिश्न
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A5%89%E0%A4%A8%20%E0%A4%AA%E0%A5%89%E0%A4%B2
रॉन पॉल
रॉन पॉल (, जन्म: 20 अगस्त 1935) एक अमेरिकी चिकित्सक, लेखक, रिपब्लिकन प्रतिनिधि और 2012 रिपब्लिकन पार्टी राष्ट्रपति पद के नामांकन के लिए एक उम्मीदवार है। उसका पूरा नाम रोनाल्ड अर्नेस्ट पॉल है। वह अमेरिकी विदेश और मौद्रिक नीतियों का विरोध करने के लिए जाना जाता है। कई मुद्दों पर उसने अपनी खुद की पार्टी की भी आलोचना की है। 1997 से, रण पाल ने टेक्सास के 14वें कांग्रेस जिला का प्रतिनिधित्व किया है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ व्यक्तिगत जालपृष्ठ आधिकारिक जालपृष्ठ संयुक्त राज्य अमेरिका
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ग्रीनलैण्ड हिमचादर
ग्रीनलैण्ड हिमचादर (Greenland ice sheet) ग्रीनलैण्ड के ८०% भूभाग पर विस्तृत एक हिमचादर है। इसका कुल फैलाव १७,१०,००० वर्ग किमी पर है। अंटार्कटिक हिमचादर के बाद यह पृथ्वी का दूसरा सबसे बड़ा हिम का विस्तार है। यह हिमचादर उत्तर-दक्षिण दिशा में २,४०० किमी तक फैली हुई है, जबकि इसकी सर्वाधिक चौड़ाई इसकी उत्तरी हिस्से में ७७° उत्तर के रेखांश (लैटिट्यूड) पर १,१०० किमी है। बर्फ़ की औसत ऊँचाई २,१३५ मीटर (७,००५ फ़ुट) है। हिमचादर में जमा बर्फ़ की तहों की मोटाई अधिकतर स्थानों में २ किमी से अधिक है और अपने सबसे मोटे भाग में ३ किमी से भी ज़्यादा है। ग्रीनलैण्ड हिमचादर के अलावा ग्रीनलैण्ड में अन्य हिमसमूह भी हैं - अलग-थलग हिमानियाँ (ग्लेशियर) और छोटी बर्फ़ की टोपियाँ कुल मिलाकर ७६,००० अए १,००,००० वर्ग किमी के बीच के क्षेत्रफल पर इस मुख्य हिमचादर की बाहरी सीमाओं पर फैली हुई हैं। अगर इस हिमचादर में क़ैद पूरा २८,५०,००० घन किमी जल पिघलाया जाए तो पूरे विश्व के सागरों की सतह औसत ७.२ मीटर (२४ फ़ुट) बढ़ जाएगी। इन्हें भी देखें हिमचादर अंटार्कटिक हिमचादर सन्दर्भ ग्रीनलैण्ड की हिमानियाँ हिमचादरें
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तमिल नाडु की राजनीति
तमिलनाडु की राजनीति में वर्तमान समय में द्रविड़ दलों का प्रभुत्व है तथा द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीऍमके) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआइऍमडीऍमके) यहाँ के प्रमुख राजनीतिक दल हैं। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस तीसरा प्रमुख दल है और अन्य छोटे दल भी यहाँ की राजनीति का हिस्सा हैं। ब्रिटिश काल में यह इलाका मद्रास प्रेसिडेंसी के नाम से जाना जाता था और तत्समय से लेकर भारत की आजादी के बाद तक काँग्रेस यहाँ की प्रमुख पार्टी थी। साठ के दशक में हिंदी-विरोधी आन्दोलनों में द्रविड़ दलों को महत्त्व मिला और १९६७ में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार डीऍमके पार्टी द्वारा बनाई गयी। इसके बाद से यहाँ की राजनीति में इन्हीं द्रविड़ दलों का प्रभुत्व रहा है। विचारधारा के स्तर पर द्रविड़ राजनीतिक दलों में कम्युनिस्ट एवं समाजवादी विचारों को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अन्य छोटी पार्टियों में भारतीय रिपब्लिकन पार्टी, मार्क्सवादी पार्टी, सर्वहारा पीपुल्स पार्टी, पुनर्जागरण द्रमुक, वी॰सी॰के॰, राष्ट्रीय प्रगतिशील द्रविड़ कषगम, भारतीय जनता पार्टी, मानवतावादी पीपुल्स पार्टी तमिल नवजागरण निगम, नए राज्य पार्टी, अखिल भारतीय समानता पीपुल्स पार्टी औरइत्यादि का नाम गिनाया जा सकता है। स्नीकर्स, डी॰ वेन॰ रामास्वामी, अन्नादुरई, एम॰जी॰आर॰ और जयललिता तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण लोग रहे हैं। करुणानिधि यहाँ की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं। राज्य विधान सभा सन्दर्भ स्रोत बाहरी कड़ियाँ तमिलनाडु सरकार की आधिकारिक वेबसाइट तमिलनाडु
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बैकलिंक
बैकलिंक (अंग्रेज़ी: backlink) कुछ वेबसाइटों द्वारा दी जानी वाली वह कड़ी है जो उपयोगकर्त्ता को पुनः पुराने पृष्ठ पर लेकर चला जाता है जिससे वह आया है।एक बैकलिंक एक संदर्भ है जिसकी तुलना एक उद्धरण से की जा सकती है। एक वेब पेज के लिए बैकलिंक्स की मात्रा, गुणवत्ता और प्रासंगिकता उन कारकों में से हैं, जो पेज के महत्व का अनुमान लगाने के लिए Google जैसे सर्च इंजन का मूल्यांकन करते हैं।पेजरैंक इस आधार पर प्रत्येक वेब पेज के लिए स्कोर की गणना करता है कि सभी वेब पेज आपस में कैसे जुड़े हुए हैं, और यह उन चरों में से एक है जिसका उपयोग Google खोज यह निर्धारित करने के लिए करता है कि खोज परिणामों में वेब पेज कितना ऊपर जाना चाहिए। बैकलिंक्स का यह भार पुस्तकों, विद्वानों के पत्रों और अकादमिक पत्रिकाओं के उद्धरण विश्लेषण के अनुरूप है। एक टॉपिकल पेजरैंक पर शोध किया गया है और उसे लागू भी किया गया है, जो लक्ष्य पेज के रूप में एक ही विषय के पेज से आने वाले बैकलिंक्स को अधिक महत्व देता है। बैकलिंक के लिए कुछ अन्य शब्द इनकमिंग लिंक, इनबाउंड लिंक, इनलिंक, इनवर्ड लिंक और साइटेशन हैं। विकिज़ विकी में बैकलिंक्स की पेशकश की जाती है, लेकिन आमतौर पर केवल विकी की सीमा के भीतर और डेटाबेस बैकएंड द्वारा सक्षम किया जाता है। मीडियाविकि, विशेष रूप से "व्हाट लिंक्स हियर" टूल प्रदान करता है, कुछ पुराने विकी, विशेष रूप से पहले विकीविकिवेब, के पृष्ठ शीर्षक में बैकलिंक कार्यक्षमता उजागर हुई थी। बैकलिंक्स और सर्च इंजन खोज इंजन अक्सर किसी वेबसाइट पर मौजूद बैकलिंक्स की संख्या का उपयोग उस वेबसाइट की खोज इंजन रैंकिंग, लोकप्रियता और महत्व को निर्धारित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक के रूप में करते हैं। उदाहरण के लिए, Google ने अपने पेजरैंक सिस्टम (जनवरी 1998) के विवरण में कहा है कि "Google पेज A से पेज B तक के लिंक को वोट के रूप में, पेज A द्वारा पेज B के लिए वोट के रूप में व्याख्या करता है।" जनवरी 2017 में, Google ने पेंगुइन 4 अपडेट लॉन्च किया जिसने ऐसी लिंक स्पैम प्रथाओं का अवमूल्यन किया। खोज इंजन रैंकिंग का महत्व बहुत अधिक है, और इसे ऑनलाइन व्यापार और किसी भी वेबसाइट पर आगंतुकों की रूपांतरण दर में एक महत्वपूर्ण पैरामीटर माना जाता है, खासकर जब ऑनलाइन शॉपिंग की बात आती है। ब्लॉग टिप्पणी, अतिथि ब्लॉगिंग, लेख प्रस्तुत करना, प्रेस विज्ञप्ति वितरण, सोशल मीडिया सहभागिता और फ़ोरम पोस्टिंग का उपयोग बैकलिंक्स बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। वेबसाइटें अक्सर अपनी वेबसाइट पर बैकलिंक्स की संख्या बढ़ाने के लिए एसईओ तकनीकों का उपयोग करती हैं। कुछ विधियाँ हर किसी के उपयोग के लिए निःशुल्क हैं जबकि कुछ विधियों, जैसे लिंकबेटिंग, को काम करने के लिए काफी योजना और विपणन की आवश्यकता होती है। किसी लक्ष्य साइट पर बैकलिंक्स की संख्या बढ़ाने के लिए सशुल्क तकनीकें भी मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, निजी ब्लॉग नेटवर्क का उपयोग बैकलिंक्स खरीदने के लिए किया जा सकता है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2019 में एक लिंक खरीदने की औसत लागत $291.55 और $391.55 थी, जब मार्केटिंग ब्लॉग को गणना से बाहर रखा गया था। ऐसे कई कारक हैं जो बैकलिंक का मूल्य निर्धारित करते हैं। किसी दिए गए विषय पर आधिकारिक साइटों से बैकलिंक्स अत्यधिक मूल्यवान हैं। यदि दोनों साइटों और पृष्ठों में विषय के अनुरूप सामग्री है, तो बैकलिंक को प्रासंगिक माना जाता है और माना जाता है कि बैकलिंक दिए गए वेब पेज की खोज इंजन रैंकिंग पर इसका मजबूत प्रभाव पड़ता है। एक बैकलिंक किसी अन्य अनुदान देने वाले वेबपेज से प्राप्त वेबपेज के लिए एक अनुकूल 'संपादकीय वोट' का प्रतिनिधित्व करता है। एक अन्य महत्वपूर्ण कारक बैकलिंक का एंकर टेक्स्ट है। एंकर टेक्स्ट हाइपरलिंक की वर्णनात्मक लेबलिंग है जैसा कि यह एक वेब पेज पर दिखाई देता है। खोज इंजन बॉट (यानी, स्पाइडर, क्रॉलर, आदि) एंकर टेक्स्ट की जांच करते हैं ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि यह वेबपेज पर सामग्री के लिए कितना प्रासंगिक है। बैकलिंक्स को सबमिशन द्वारा उत्पन्न किया जा सकता है, जैसे निर्देशिका सबमिशन, फ़ोरम सबमिशन, सोशल बुकमार्किंग, बिजनेस लिस्टिंग, ब्लॉग सबमिशन इत्यादि। एंकर टेक्स्ट और वेबपेज सामग्री अनुरूपता को खोज इंजन उपयोगकर्ता द्वारा किसी दिए गए कीवर्ड क्वेरी के संबंध में वेबपेज की खोज इंजन परिणाम पृष्ठ (एसईआरपी) रैंकिंग में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। खोज इंजन रैंकिंग उत्पन्न करने वाले एल्गोरिदम में परिवर्तन किसी विशेष विषय की प्रासंगिकता पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है। हालाँकि कुछ बैकलिंक अत्यधिक मूल्यवान मेट्रिक्स वाले स्रोतों से हो सकते हैं, वे उपभोक्ता की क्वेरी या रुचि से असंबंधित भी हो सकते हैं। इसका एक उदाहरण एक लोकप्रिय जूता ब्लॉग (मूल्यवान मेट्रिक्स के साथ) से विंटेज पेंसिल शार्पनर बेचने वाली साइट का लिंक होगा। हालांकि लिंक मूल्यवान प्रतीत होता है, लेकिन यह उपभोक्ता को प्रासंगिकता के मामले में बहुत कम प्रदान करता है। सन्दर्भ बाहरी लिंक Backlinks इंटरनेट शब्दावली विश्व व्यापी वेब हाइपरटेक्स्ट
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AC
ज़ाग्रेब
ज़ाग्रेब (/zɑːɡrɛb / ZAH-greb, क्रोएशियाई उच्चारण: [zǎːɡreb]), क्रोएशिया की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह मेवेवेनिका पर्वत की दक्षिणी ढलानों पर, सावा नदी के पास, देश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। ज़ाग्रेब समुद्रतल से लगभग 122 मीटर (400 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। 2018 में शहर की अनुमानित आबादी 809,932 है। ज़ाग्रेब शहरी समूह की आबादी 1.1 मिलियन निवासियों से ज्यादा है और यह क्रोएशिया की कुल आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा बनाती है। सन्दर्भ ज़ाग्रेब क्रोएशिया के शहर और कस्बें यूरोप में राजधानियाँ
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सतपुड़ा पर्वतमाला
सतपुड़ा (Satpura) भारत के मध्य भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। सतपुड़ा पर्वतश्रेणी नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत: ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है। सतपुड़ा रेंज के मैकाल पर्वत में स्थित अमरकंटक पठार से नर्मदा तथा सोन नदियों का उद्गम होता है। विवरण सतपुड़ा पर्वत की उत्पत्ति भ्रंसन क्रिया के फलस्वरूप हुई है। इसके उत्तर में नर्मदा भ्रंस आर दक्षिण में ताप्ती भ्रंस स्थित है। सतपुड़ा की सर्वोच्च चोटी धुपगढ़ महादेव पहाड़ी पर है। इसके पूर्व में मैकाल की पहाड़ी स्थित है जो सतपुड़ा का ही बढ़ा हुआ भाग है जिसकी सर्वोच्च चोटी अमरकंटक है! जो नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है नदियाँ सतपुड़ा क्षेत्र से कई महत्वपूर्ण नदियाँ उत्पन्न होती हैं, जैसे कि नर्मदा नदी, महानदी, ताप्ती नदी। इन्हें भी देखें धूपगढ़ छोटा नागपुर पठार विन्ध्याचल पर्वत शृंखला बाहरी कड़ियाँ भारत के प्रायद्वीपीय पठार की स्थलाकृतिक विशेषता भारत की भौतिक संरचना एवं प्रदेश सन्दर्भ भारत की पर्वतमालाएँ महाराष्ट्र के पर्वत मध्य प्रदेश के पर्वत गुजरात के पर्वत
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रॉक एंड रोल (नृत्य)
कलाबाजियों से भरा रॉक एंड रोल नृत्य का बहुत ही एथलेटिक, प्रतिस्पर्धात्मक रूप है जिसका जन्म लिंडी होप से हुआ है। हालांकि लिंडी हॉप के विपरीत, यह प्रदर्शन के लिए डिजाइन किया गया नृत्य निर्देशन युक्त नृत्य है। यह नृत्य जोड़ों तथा समूहों द्वारा किया जाता है, जिसमे या तो सभी महिलाएं होती हैं या 4-8 जोड़े एक साथ मिल कर नृत्य करते हैं। यह सामान्य रूप से एक बहुत तेज और शारीरिक दृष्टि से दक्षतापूर्ण नृत्य है। इतिहास रॉक एंड रोल जैसी संगीतमय शैली के विकास के दौरान, संगीत के साथ होने वाले नृत्य भी उत्पन्न हुए. 1920 के दशक के आसपास अस्तित्व में आने वाले स्विंग से लिंडी होप उभरा जो कलाबाजियों को दर्शाते हुए साथी के साथ किया जाने वाला पहला नृत्य था। 1940 के आसपास लिंडी होप को तीव्र संगीत के अनुरूप बनाने के लिए संशोधित किया गया, जिससे बूगी वूगी शैली का जन्म हुआ। 1955 के आसपास रॉक एंड रोल संगीत के प्रचलित होने के कारण, इसके समर्थकों ने बूगी वूगी को और अधिक पुष्ट रॉक एंड रोल नृत्य में बदल दिया. 1959 की एक नृत्य पुस्तक में "रॉक एंड रोल" को इस प्रकार वर्णित किया गया है - "यह बिना किसी अनावश्यक तनाव के प्रदर्शित किया जाने वाला नृत्य है, शरीर और पैर लचीले रहते हैं, ताकि संगीत की लय के साथ शारीरिक तालबद्ध अभिव्यक्ति का समन्वय हो सके." "... एक ऐसा नृत्य जिसमे शैली, मुद्रा, ताल और यहां तक मुद्राएं बनाने के ढंग में व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और विवेचना की काफी गुंजाइश है।" बुनियादी ताल मद्धम, मद्धम, तीव्र, तीव्र है। धीमी मुद्राएं "पहले पैर के तलवे पर तथा इसके बाद पैरों को नीचे लेते हुए एड़ी पर की जाती हैं". तकनीक और बुनियादी बातें रॉक एंड रोल नृत्य की सबसे स्पष्ट विशेषताएं इसकी ठोकरें (हवा में) और उठाने, उछलने, फेंकने और पलटियां खाने जैसे कलाबाजीयुक्त तत्व हैं। वर्तमान में रॉक एंड रोल केवल कार्यक्रम और नृत्य प्रतियोगिता पर केन्द्रित है - और केवल अपने नाम के अलावा - इसमें पूर्व में की जाने वाली रॉक एंड रोल मुद्राओं के समान कुछ भी नहीं है। यह नृत्य जोड़ों या समूहों में किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में रॉक एंड रोल नृत्य में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं: पूर्व की 6 बुनियादी मुद्राओं को विशिष्ट किक बॉल परिवर्तन के साथ आधुनिक प्रतियोगिताओं की 9 बुनियादी मुद्राओं के साथ बदल दिया गया। अन्य विशेषताओं में पुरुष के शरीर का लहरना, जिसका प्रयोग बैठी हुई अवस्था से ऊपर की ओर जाते समय अपने साथी को हाथ पकड़ाने में किया जाता है और फेंकने की बुनियादी मुद्रा है जिसमें वह (नर्तकी) उसके (पुरुष नर्तक के) हाथ पर पैर रखती है और उसे गर्दन तोड़ कूद के लिए ऊपर की ओर उछाल दिया जाता है। इसकी अत्यधिक दक्षतापूर्ण तकनीक, उच्च गति और कलाबाजियों के कारण रॉक एंड रोल एक श्रमसाध्य उच्च-प्रदर्शन वाला नृत्य है और अक्सर इसका प्रदर्शन युवा नर्तकों द्वारा किया जाता है। मुद्राओं के नाम अलग-अलग गतिविधियों के अनुसार हैं। 6-मुद्रा में इस प्रकार गिनती होती है (1) कदम बढ़ाना (2) कदम बढ़ाना (3) ठोकर (4) रुकना (5) ठोकर (6) रुकना या (1) ठोकर (2) रुकना (3) ठोकर (4) रुकना (5) ठोकर (6) रुकना, 9-मुद्रा में यह गिनती इस प्रकार है (1) ठोकर (2) घूमना (3) बदलाव (4) ठोकर (5) रुकना (6) रुकना (7) ठोकर (8) रुकना (9) रुकना . इसका मतलब यह है कि एक सही रॉक एंड रोल ठोकर में ठोकर मारने वाले पैर के व्यवस्थित होने से पहले दूसरा पैर कुछ क्षणों के लिए जमीन पर रहेगा. नृत्य श्रेणियां विश्व रॉक एंड रोल परिसंघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए निम्नलिखित नृत्य श्रेणियों को मान्यता दी गई है। युवा: कलाबाजी की अनुमति नहीं है। जोड़ों की आयु 14 वर्ष या इससे कम होती है। जूनियर: इस श्रेणी के सुरक्षा नियमों के तहत अधिकतम चार कलाबाजियों की अनुमति है। जोड़ों की आयु 12 और 17 वर्ष के बीच होती है। बी श्रेणी: प्रति जोड़ा और प्रति चरण दो नृत्य होते हैं। इनमें से एक बिना कलाबाजियों वाला नृत्य कार्यक्रम होता है (क़दमों का प्रयोग या पैरों की तकनीक), जबकि दूसरा एक कलाबाजी युक्त कार्यक्रम (एक्रोबेटिक) होता है जिसमे छः कलाबाजियां आवश्यक हैं। पुरुष महिला को हवा में उछाल सकते हैं किन्तु हवा में पलटियों की अनुमति नहीं है। न्यूनतम आयु 14 वर्ष है। मुख्य श्रेणी: B-श्रेणी की तरह इसमें भी दो तरह के नृत्य होते हैं। केवल बी-श्रेणी से इतना अंतर है कि लगभग सभी कलाबाजियों (जैसे लिफ्ट, उछलने, फेंकने और पलटियों) की अनुमति है। न्यूनतम आयु 15 वर्ष है। राष्ट्रीय संगठनों में आमतौर पर अतिरिक्त श्रेणियां होती हैं (उदाहरण के लिए शुरूआती प्रतिस्पर्धी नर्तकों के लिए C श्रेणी). फिर भी, सभी प्रतियोगिताओं में ऊपर बताई गई चार श्रेणियां होती हैं। (हालांकि कुछ नियम अलग हो सकते हैं). लय और संगीत रॉक एंड रोल नृत्य 4/4 चरणों पर आधारित है। एक आधार छः तालों से बनता है और इस प्रकार इसमें डेढ़ चरण होते हैं। रॉक एंड रोल संगीत की लीक से हटकर, इस नृत्य में प्रत्येक चरण की पहली और तीसरी ताल पर जोर दिया जाता है। संगीत 176 से 208 bpm (बीट प्रति मिनट) पर बहुत तेज़ होता है। अपारंपरिक स्वराघात और गति के कारण, पारंपरिक रॉक एंड रोल संगीत का स्थान आधुनिक डिस्को और पॉप संगीत ने ले लिया है। परिधान वर्तमान में उन्नत रॉक एंड रोल प्रतियोगिताओं में नर्तक पेटीकोट और जींस नहीं पहनते - जैसे कि मूल रॉक एंड रोल नर्तक किया करते थे - बल्कि बहुरंगी परिधान पहनते हैं जो कृत्रिम लोचदार रेशों से बने होते हैं और जिन्हें विशेष दर्जियों से व्यक्तिगत परिधान के रूप में ही खरीदा जा सकता है। इसका एक कारण यह है कि कलाबाजियां और अधिक खतरनाक होती जा रही हैं, जिसके कारण शरीर की स्वतंत्र गति और प्रदर्शन के दौरान फटने से बचने के लिए परिधान का पर्याप्त टिकाऊ होना आवश्यक है। रॉक एंड रोल नृत्य के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक पहने जाने वाले जूते हैं। उनके तलवों में "फिसलन" और "पकड़" दोनों विशेषताओं का होना आवश्यक है। आम तौर पर नृत्य कार्यक्रमों के लिए सबसे अधिक पहने जाने वाले जूते हल्के जैज़ जूते हैं, क्योंकि कलाबाजी युक्त कार्यक्रमों में महिलाओं को अधिक सहारे की आवश्यकता होती है इसलिए आम तौर पर एरोबिक्स नर्तकों के लिए कपड़े के बने जूतों (स्नीकर्स) का चुनाव किया जाता है। संगठन विश्व रॉक एंड रोल परिसंघ एक ऐसा संगठन है जो प्रतियोगिताओं के आयोजन के दौरान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का ध्यान रखता है। यह संगठन विश्व कप, यूरोपीय चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप का आयोजन करता है जो जोड़ों और समूहों के लिए हर साल आयोजित होती है, प्रतियोगिताओं के दौरान अर्जित अंकों के अनुसार सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगियों को क्रमबद्ध किया जाता है। उल्लेखनीय नर्तक मिगुल एंग्युरा सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ - विश्व रॉक'एन'रोल परिसंघ नृत्यखेल स्विंग नृत्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%80%20%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%9A%E0%A4%BE%20%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%97
लम्पी त्वचा रोग
लम्पी त्वचा रोग (गांठदार त्वचा रोग) मवेशियों में होने वाला एक संक्रामक रोग है जो पॉक्सविरिडे परिवार के एक वायरस के कारण होता है, जिसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है। इस रोग के कारण पशुओं की त्वचा पर गांठें होती हैं। यह रोग त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली (श्वसन और जठरात्र सम्बन्धी मार्ग सहित) पर बुखार, बढ़े हुए सतही लिम्फ नोड्स और कई नोड्यूल (व्यास में 2-5 सेंटीमीटर (1-2 इंच)) की विशेषता है। संक्रमित मवेशी भी अपने अंगों में सूजन की सूजन विकसित कर सकते हैं और लंगड़ापन प्रदर्शित कर सकते हैं। वायरस के महत्वपूर्ण आर्थिक निहितार्थ हैं क्योंकि प्रभावित जानवरों की त्वचा को स्थायी नुकसान होता है, जिससे उनके छिपने का व्यावसायिक मूल्य कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त, इस बीमारी के परिणामस्वरूप अक्सर पुरानी दुर्बलता, कम दूध उत्पादन, खराब विकास, बांझपन, गर्भपात और कभी-कभी मृत्यु हो जाती है। बुखार की शुरुआत वायरस से संक्रमण के लगभग एक सप्ताह बाद होती है। यह प्रारम्भिक बुखार 41 डिग्री सेल्सियस (106 डिग्री फ़ारेनहाइट) से अधिक हो सकता है और एक सप्ताह तक बना रह सकता है। इस समय, सभी सतही लिम्फ नोड्स बढ़े हुए हो जाते हैं। नोड्यूल्स, जिसमें रोग की विशेषता होती है, वायरस के टीकाकरण के सात से उन्नीस दिनों के बाद दिखाई देते हैं।[2] नोड्यूल्स की उपस्थिति के साथ, आँखों और नाक से स्राव म्यूकोप्यूरुलेंट हो जाता है। गाँठदार घावों में डर्मिस और एपिडर्मिस शामिल होते हैं, लेकिन यह अन्तर्निहित चमड़े के नीचे या यहां तक ​​कि माँसपेशियों तक भी फैल सकता है। ये घाव, जो पूरे शरीर में होते हैं (लेकिन विशेष रूप से सिर, गर्दन, थन, अण्डकोश, योनी और पेरिनेम पर), या तो अच्छी तरह से परिचालित हो सकते हैं या वे आपस में जुड़ सकते हैं।[2] त्वचीय घावों को तेजी से हल किया जा सकता है या वे कठोर गाँठ के रूप में बने रह सकते हैं। घावों को भी अनुक्रमित किया जा सकता है, जिससे दानेदार ऊतक से भरे गहरे अल्सर हो जाते हैं और अक्सर दब जाते हैं। नोड्यूल्स की शुरुआत में, कटे हुए हिस्से पर उनके पास एक मलाईदार ग्रे से सफेद रंग होता है, और सीरम को बाहर निकाल सकता है। लगभग दो सप्ताह के बाद, पिण्डों के भीतर परिगलित सामग्री का एक शंकु के आकार का केंद्रीय कोर दिखाई दे सकता है। इसके अतिरिक्त, आँख, नाक, मुँह, मलाशय, थन और जननांग के श्लेष्म झिल्ली पर गाँठें जल्दी से अल्सर हो जाती हैं, जिससे वायरस के संचरण में सहायता मिलती है। एलएसडी के हल्के मामलों में, नैदानिक ​​लक्षणों और घावों को अक्सर बोवाइन हर्पीसवायरस 2 (बीएचवी-2) के साथ भ्रमित किया जाता है, जिसे बदले में, छद्म-गाँठदार त्वचा रोग के रूप में जाना जाता है। हालांकि, BHV-2 संक्रमण से जुड़े घाव अधिक सतही होते हैं। [3] BHV-2 का कोर्स भी छोटा है और यह LSD की तुलना में अधिक हल्का है। दो संक्रमणों के बीच अन्तर करने के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग किया जा सकता है। BHV-2 को इंट्रान्यूक्लियर समावेशन निकायों की विशेषता है, जैसा कि एलएसडी की इंट्रासाइटोप्लास्मिक समावेशन विशेषता के विपरीत है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि BHV-2 का अलगाव या नकारात्मक रूप से सना हुआ बायोप्सी नमूनों में इसका पता लगाना त्वचा के घावों के विकास के लगभग एक सप्ताह बाद ही सम्भव है। गांठदार त्वचा रोगाणु वर्गीकरण गांठदार त्वचा रोग वायरस (एलएसडीवी) डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है। यह पॉक्सविरिडे के कैप्रिपोक्सवायरस जीनस का सदस्य है। Capripoxviruses (CaPVs) कोर्डोपोक्सवायरस (ChPV) उपपरिवार के भीतर आठ प्रजातियों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। कैप्रिपोक्सवायरस जीनस में एलएसडीवी, साथ ही शीपपॉक्स वायरस और बकरीपॉक्स वायरस होते हैं। सीएपीवी संक्रमण आमतौर पर विशिष्ट भौगोलिक वितरण के भीतर विशिष्ट मेजबान होते हैं, भले ही वे एक दूसरे से सीरोलॉजिकल रूप से अप्रभेद्य होते हैं। संरचना पॉक्सविरिडे परिवार के अन्य विषाणुओं की तरह, कैप्रिपोक्सवायरस ईंट के आकार के होते हैं। कैप्रिपोक्सवायरस विषाणु ऑर्थोपॉक्सवायरस विषाणुओं से भिन्न होते हैं, जिसमें उनके पास अधिक अंडाकार प्रोफ़ाइल होती है, साथ ही साथ बड़े पार्श्व शरीर भी होते हैं। कैप्रिपोक्सवायरस का औसत आकार 320 एनएम गुणा 260 एनएम है। जीनोम वायरस में 151-केबीपी जीनोम होता है, जिसमें एक केंद्रीय कोडिंग क्षेत्र होता है जो समान 2.4 केबीपी-उल्टे टर्मिनल दोहराव से घिरा होता है और इसमें 156 जीन होते हैं। एलएसडीवी की तुलना अन्य जेनेरा के कॉर्डोपॉक्सविरस से करने पर 146 संरक्षित जीन होते हैं। ये जीन ट्रांसक्रिप्शन और एमआरएनए बायोजेनेसिस, न्यूक्लियोटाइड मेटाबॉलिज्म, डीएनए प्रतिकृति, प्रोटीन प्रोसेसिंग, वायरियन स्ट्रक्चर और असेंबली, और वायरल वायरुलेंस और होस्ट रेंज में शामिल प्रोटीन को एनकोड करते हैं। केंद्रीय जीनोमिक क्षेत्र के भीतर, एलएसडीवी जीन अन्य स्तनधारी पॉक्सविर्यूज़ के जीन के साथ उच्च स्तर की संपार्श्विकता और अमीनो एसिड पहचान साझा करते हैं। समान अमीनो एसिड पहचान वाले वायरस के उदाहरणों में सुइपोक्सवायरस, येटापॉक्सवायरस और लेपोरिपोक्सवायरस शामिल हैं। टर्मिनल क्षेत्रों में, हालांकि, संपार्श्विकता बाधित है। इन क्षेत्रों में, पॉक्सवायरस समरूप या तो अनुपस्थित हैं या अमीनो एसिड पहचान का कम प्रतिशत साझा करते हैं। इन अंतरों में से अधिकांश में ऐसे जीन शामिल होते हैं जो संभावित रूप से वायरल विषाणु और मेजबान श्रेणी से जुड़े होते हैं। Chordopoxviridae के लिए अद्वितीय, LSDV में इंटरल्यूकिन-10 (IL-10), IL-1 बाइंडिंग प्रोटीन, G प्रोटीन-युग्मित CC केमोकाइन रिसेप्टर, और एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर-जैसे प्रोटीन के समरूप होते हैं, जो अन्य पॉक्सवायरस जेनेरा में पाए जाते हैं। महामारी विज्ञान एलएसडीवी मुख्य रूप से मवेशियों और ज़ेबस को प्रभावित करता है, लेकिन इसे जिराफ़, जल भैंस और इम्पाला में भी देखा गया है। होल्स्टीन-फ्रेज़ियन और जर्सी जैसी महीन चमड़ी वाले बॉस टॉरस मवेशी इस बीमारी के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। मोटी चमड़ी वाली बोस इंडिकस नस्लें जिनमें अफ़्रीकनेर और अफ़्रीकनेर क्रॉस-ब्रीड शामिल हैं, रोग के कम गंभीर लक्षण दिखाते हैं। यह संभवतः एक्टोपैरासाइट्स के प्रति संवेदनशीलता में कमी के कारण है जो बोस टौरस नस्लों के सापेक्ष बोस इंडिकस नस्लें प्रदर्शित करता है। स्तनपान के चरम पर युवा बछड़ों और गायों में अधिक गंभीर नैदानिक ​​लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन सभी आयु-वर्ग इस रोग के प्रति संवेदनशील होते हैं। संचरण एलएसडीवी का प्रकोप उच्च तापमान और उच्च आर्द्रता से जुड़ा होता है यह आमतौर पर गीली गर्मी और शरद ऋतु के महीनों के दौरान अधिक प्रचलित होता है, विशेष रूप से निचले इलाकों या पानी के नजदीकी इलाकों में, हालांकि, शुष्क मौसम के दौरान भी प्रकोप हो सकता है। रक्त-पोषक कीट जैसे मच्छर और मक्खियाँ रोग फैलाने के लिए यांत्रिक वाहक के रूप में कार्य करते हैं। एक एकल प्रजाति वेक्टर की पहचान नहीं की गई है। इसके बजाय, वायरस को स्टोमोक्सी, बायोमिया फासिआटा, ताबानिडे, ग्लोसिना, और कुलिकोइड्स प्रजातियों से अलग कर दिया गया है। एलएसडीवी के संचरण में इन कीटों में से प्रत्येक की विशेष भूमिका का मूल्यांकन जारी है। गांठदार त्वचा रोग के प्रकोप छिटपुट होते हैं क्योंकि वे जानवरों की गतिविधियों, प्रतिरक्षा स्थिति और हवा और वर्षा के पैटर्न पर निर्भर होते हैं, जो वेक्टर आबादी को प्रभावित करते हैं। वायरस को रक्त, नाक से स्राव, लैक्रिमल स्राव, वीर्य और लार के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है। यह रोग संक्रमित दूध से दूध पिलाने वाले बछड़ों में भी फैल सकता है। प्रायोगिक रूप से संक्रमित मवेशियों में, एलएसडीवी बुखार के 11 दिन बाद लार में, 22 दिनों के बाद वीर्य में और 33 दिनों के बाद त्वचा के नोड्यूल्स में पाया गया। मूत्र या मल में वायरस नहीं पाया जाता है। अन्य चेचक विषाणुओं की तरह, जिन्हें अत्यधिक प्रतिरोधी माना जाता है, एलएसडीवी संक्रमित ऊतकों में 120 दिनों से अधिक समय तक व्यवहार्य रह सकता है। प्रतिरक्षा कृत्रिम प्रतिरक्षा एलएसडीवी के खिलाफ टीकाकरण के लिए दो अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। दक्षिण अफ्रीका में, वायरस के नीथलिंग स्ट्रेन को सबसे पहले मुर्गियों के अंडों के कोरियो-एलैंटोइक झिल्ली पर 20 मार्ग द्वारा क्षीण किया गया था। अब वैक्सीन के वायरस को सेल कल्चर में प्रचारित किया जाता है। केन्या में, भेड़ या बकरी के विषाणुओं से उत्पन्न होने वाले टीके को मवेशियों में प्रतिरक्षा प्रदान करने के लिए दिखाया गया है। हालांकि, भेड़ और बकरियों में सुरक्षित उपयोग के लिए आवश्यक क्षीणन का स्तर मवेशियों के लिए पर्याप्त नहीं है। इस कारण से चेचक और बकरीपॉक्स के टीके उन देशों तक ही सीमित हैं जहां चेचक या बकरीपॉक्स पहले से ही स्थानिक है क्योंकि जीवित टीके अतिसंवेदनशील भेड़ और बकरी आबादी के लिए संक्रमण का स्रोत प्रदान कर सकते हैं। एलएसडीवी के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, अतिसंवेदनशील वयस्क मवेशियों को सालाना टीका लगाया जाना चाहिए। लगभग 50% मवेशियों में टीकाकरण के स्थान पर सूजन (10–20 मिलीमीटर (1⁄2–3⁄4 इंच) व्यास) विकसित हो जाती है। यह सूजन कुछ ही हफ्तों में गायब हो जाती है। टीका लगाने पर, डेयरी गाय भी दूध उत्पादन में अस्थायी कमी प्रदर्शित कर सकती हैं। प्राकृतिक प्रतिरक्षा अधिकांश मवेशी प्राकृतिक संक्रमण से उबरने के बाद आजीवन प्रतिरक्षा विकसित करते हैं। इसके अतिरिक्त, प्रतिरक्षा गायों के बछड़े मातृ एंटीबॉडी प्राप्त करते हैं और लगभग 6 महीने की उम्र तक नैदानिक ​​रोग के लिए प्रतिरोधी होते हैं। मातृ एंटीबॉडी के साथ हस्तक्षेप से बचने के लिए, 6 महीने से कम उम्र के बछड़ों को जिनके बांध प्राकृतिक रूप से संक्रमित या टीका लगाए गए थे, उन्हें टीका नहीं लगाया जाना चाहिए। दूसरी ओर, अतिसंवेदनशील गायों से पैदा हुए बछड़े भी अतिसंवेदनशील होते हैं और उन्हें टीका लगाया जाना चाहिए। इतिहास गांठदार त्वचा रोग को पहली बार 1929 में जाम्बिया में एक महामारी के रूप में देखा गया था। प्रारंभ में, यह या तो जहर या कीड़े के काटने के लिए अतिसंवेदनशीलता का परिणाम माना जाता था। बोत्सवाना, ज़िम्बाब्वे और दक्षिण अफ्रीका गणराज्य में 1943 और 1945 के बीच अतिरिक्त मामले सामने आए। 1949 में दक्षिण अफ्रीका में एक पैनज़ूटिक संक्रमण से लगभग 8 मिलियन मवेशी प्रभावित हुए, जिससे भारी आर्थिक नुकसान हुआ। एलएसडी 1950 और 1980 के दशक के बीच पूरे अफ्रीका में फैल गया, जिससे केन्या, सूडान, तंजानिया, सोमालिया और कैमरून में मवेशी प्रभावित हुए। 1989 में इज़राइल में एलएसडी का प्रकोप हुआ था। यह प्रकोप सहारा रेगिस्तान के उत्तर में और अफ्रीकी महाद्वीप के बाहर एलएसडी का पहला उदाहरण था। इस विशेष प्रकोप को मिस्र में इस्माइलिया से हवा में ले जाने वाले संक्रमित स्टोमोक्सी कैल्सीट्रांस का परिणाम माना गया था। अगस्त और सितंबर 1989 के बीच 37 दिनों की अवधि के दौरान, पेडुयिम में सत्रह डेयरी झुंडों में से चौदह एलएसडी से संक्रमित हो गए। गाँव के सभी मवेशियों के साथ-साथ भेड़ और बकरियों के छोटे-छोटे झुंडों का वध कर दिया गया। पिछले एक दशक के दौरान, मध्य पूर्वी, यूरोपीय और पश्चिम एशियाई क्षेत्रों में एलएसडी की घटनाओं की सूचना मिली है। बांग्लादेश एलएसडी की सूचना पहली बार जुलाई 2019 में बांग्लादेश डिपार्टमेंट ऑफ लाइवस्टॉक सर्विसेज को दी गई थी। इस प्रकोप में अंततः 500,000 लोगों के संक्रमित होने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने सामूहिक टीकाकरण की सिफारिश की है। एक दूसरे के कुछ महीनों के भीतर फॉल आर्मीवॉर्म और इस मवेशी प्लेग की शुरुआत के परिणामस्वरूप, एफएओ, विश्व खाद्य कार्यक्रम, बांग्लादेश सरकार के अधिकारी, और अन्य बांग्लादेश की पशुधन रोग निगरानी और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार शुरू करने के लिए सहमत हुए। भारत जुलाई 2022 में, भारत के गुजरात राज्य के 33 में से 14 जिलों में इसका प्रकोप फैल गया। 25 जुलाई तक, 37000 से अधिक मामले और मवेशियों में 1000 मौतों की सूचना मिली थी। 1 अगस्त 2022 तक, राजस्थान में 25,000 से अधिक मामले सामने आए, जिसमें 1200 से अधिक गोवंश की मृत्यु हो गई। बाहरी कड़ियाँ Current status of Lumpy skin disease worldwide at OIE. WAHID Interface - OIE World Animal Health Information Database Disease card Lumpy Skin Disease Food and Agriculture Organization of the United Nations सन्दर्भ विषाणु
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE
खिमसर का किला
गहलोत की बाहरवीं पीढ़ी में चित्तौड़गढ़ में महान प्राक्रमी रावल खुम्माण द्वितीय पुत्र महायक व मंगल हुए महायक ने चित्तौड़गढ़ पर राज कायम किया मंगल ने लोद्रावे पर राज कायम किया था।जो चितोड से लगभग ९५०इंः के आस पास मारवाड़ रावल मदन मारवाड़ में रावल मदन के खेरपाल हुए थे।राणा खेरपाल एक प्रतापी राणा हुए थे।राणा खेरपाल जी मांगलिया ने ११०४ में वर्तमान खींवसर बसा कर राज कायम किया था।खेरपालने अपने नामसे गढबनाया जो वृतमानमे खंडर होगया वो जागा मौजूद है उसमें एक सुथार परिवार कब्जा किये बैठा है।राणा खेरपाल के राणा थारूजी हुए, राणा थारूजी के राणा मोटल हुए,मोटल के राणा उदय राज हुए थे।राणा उदय राज के राणा धोंकल हुए थे।राणा धांकल के राणा करण सिंह हुए थे। १२७७ में राणा करण सिंह का युद्ध नागौर के दिवान के साथ ओस्तरा में हुआ था। मांगलिया राणा टीडा व उनके पुत्र सीहा लाखे पोते बिराई वाले इस युद्ध में खेत रहे, दोनों की राणीया सति हुई थी , लेख मौजूद है। राणा करण सिंह से खिमसर चुटगया तापू गाडो के बास आकर राज कायम किया था। बिराइ वाले भी बिराई त्याग कर ग्वालनाडा, लूणा खारावास , दईकडा चले गए थे। खिवसर पर पांच मांगलिया राणा ओं ने राज कायम रखा था । जिनकि छतरियां हैं। ११८१ में राणा खेरपाल वीर गति को प्राप्त हुए थे तब उनकी राणी सोनी देव देवड़ी शती हुई थी। पिलेपथर पाशाण की मुर्ति सिलालेख सन 2001 तक मोजुदथी दिख मांगलिया सतीजी के नामसे पुजतेथे मांगलियों कि छतरियां है।के नाम से लोगजानतेहै नागोरके मुलिम साशक के साथ मारवाड़ राठोड करमसिहजी के घनीस्ट सम्बध कचलते मांगलियों से खिवसर चुटा ओर कृमसिह जी को जागीरमे मिली आजादी तक कर्मसोतो कि जागीर कायम रही। मारवाड कि खयात वह बहीभाटो कि खयात,मेहाप्रकाश,सिलालेख सरोत , के अनुसार इन्द्रसिह मांगलिया निबोंकातालाब9636249739 । खिमसर का किला राजस्थान के नागौर में राष्ट्रीय रामार्ग नं 65 पर स्थित है। यह किला नागौर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला लगभग 500 वर्ष पुराना है। यह किला थार मरूस्थल के मध्य में स्थित है। इस किले का निर्माण मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल के बेटा अणगदेव के प्रपौत्र मंगल के वंशज खिवसि जी मांगलिया {खेरपाल} ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। जो वर्तमान में खिवसर कहलाता है खिमसर किला नागौर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। लेकिन कुछ समय बाद इस किले को हैरिटेज होटल में तब्‍दील कर दिया गया। इस होटल में सभी आधुनिक सुविधाएं पर्यटकों को प्रदान की जाती है। माना जाता है कि मुगल सम्राट औरंगजेब कभी-कभार इस जगह पर रहने के लिए आते थे। नागौर राजस्थान में दुर्ग
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अब खुलेगा रहस्य जायके का
अब खुलेगा रहस्य जायके का एक कुकरी रियलिटी शो है जो दंगल टीवी पर 2018 में प्रसारित हुआ। इसे मोहसिन खान द्वारा मेज़बान किया गया है। भारतीय टेलीविजन धारावाहिक दंगल टीवी के धारावाहिक दंगल टीवी मूल धारावाहिक विवरण इस शो में मेज़बान स्वादिष्ट खाना दो शहर में ढूंढ़ता है। जब वो मशहूर होटल और रेस्टोरेंट पहुंच जाता है। वो वहाँ का खाने का स्वाद देखता है।इस शो को शूटिंग महाराष्ट्र जैसे शिरडी, नासिक और पुणे में हुआ है।मेज़बान एक होटल ढूंढता है और वो होटल के बारे में विवरण देता है।होटल मालिक होटल का इतिहास बताता है। बाद में मेज़बान होटल के रसोई में जाता है और वह का मशहूर खाने के बारे चर्चा करते हैं। होटल के चीफ वो खाना बनाने का सामग्री,और उस खाने को कैसा बनाया जाता है ये सब बातें मेज़बान से शेयर करते हैं। संदर्भ भारतीय वास्तविकता टेलीविजन श्रृंखला
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%AF%20%E0%A4%9C%E0%A4%A1%E0%A5%87%E0%A4%9C%E0%A4%BE
अजय जडेजा
अजयसिंहजी दौलतसिंह जड़ेजा () का जन्म 1 फ़रवरी 1971 को जामनगर, गुजरात में जड़ेजा राजपूत परिवार में जो नवानगर में राज्य करने से जुड़ा है में हुआ। वो 1992 से 2000 तक भारतीय क्रिकेट टीम के नियमित खिलाड़ी थे उन्होंने 15 टेस्ट मैच और 196 एकदिवसीय मैच खेले। उन्हें मैच फ़िक्सिंग के कारण 5 वर्ष के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। उनके प्रतिबंधित करने को 27 जनवरी 2003 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिखंडित करना करते हुए उन्हें घरेलू और अन्तराष्ट्रीय क्रिक्रेट खेलने के योग्य करार दिया। उन्होने एक हिंदी movie में भी काम किया है. वो नहीं चली सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 1971 में जन्मे लोग जीवित लोग भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी बल्लेबाज भारतीय एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी भारतीय टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट कप्तान अर्जुन पुरस्कार के प्राप्तकर्ता
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%AB%E0%A5%89%E0%A4%B2
स्कायफॉल
स्कायफॉल () 2012 में बनी जेम्स बॉन्ड फ़िल्म श्रंखला की तेइस्वीं फ़िल्म है जिसमें डैनियल क्रैग ने जेम्स बॉन्ड कि भुमिका निभाई है। पात्र हिन्दी डबिंग कलाकार डब संस्करण जारी करने का वर्ष: ९ नवंबर, २०१२ (सिनेमा) मीडिया: सिनेमा/वीसीडी/डीवीडी/ब्लू-रे डिस्क/टेलीविज़न निर्देशक: मोना घोष शेट्टी / कल्पेश पारेख अनुवाद: निरुपमा कार्तिक रिकॉर्डिंग इंजीनियर: अरुण अरविंद क्रिएटिव और तकनीकी समन्वय: प्रदीप दास उत्पादन: साउंड एण्ड विजन इंडिया अपर डबिंग आवाज़ें: मनोज पांडे, देव नेगी, भरत भाटिया, फिरोज खान, बने रमेश, मिडडे निलूफेर, जितेंद्र दसदिया, बलविंदर कौर डब अन्य भाषाओं: तमिल/तेलुगू हिंदी, तमिल, तेलुगू, रूसी और यूक्रेनी डबिंग क्रेडिट्स सबूत। सन्दर्भ बाहरी कड़ी जेम्स बॉन्ड फ़िल्में
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%95%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
सोंगसाक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
भारतीय राज्य मेघालय का एक विधानसभा क्षेत्र है। यहाँ से वर्तमान विधायक मुकुल संगमा हैं। विधायकों की सूची इस निर्वाचन क्षेत्र से विधायकों की सूची निम्नवत है |-style="background:#E9E9E9;" !वर्ष !colspan="2" align="center"|पार्टी !align="center" |विधायक !प्राप्त मत |- |१९७२ |bgcolor="#CEF2E0"| |align="left"|आल पार्टी हिल लीडर्स कांफ्रेंस |align="left"|एल्विन संगमा |८१९ |- |१९७८ |bgcolor="#DDDDDD"| |align="left"|निर्दलीय |align="left"|मिरियम डी शिरा |११५६ |- |१९८३ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|एल्विन संगमा |२१९० |- |१९८८ |bgcolor="#CEF2E0"| |align="left"|हिल पीपल्स यूनियन |align="left"|लेहींसन संगमा |३०४७ |- |१९९३ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|तोनसिंग एन मारक |५१०५ |- |१९९८ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|तोनसिंग एन मारक |४०८९ |- |२००३ |bgcolor="#CEF2E0"| |align="left"|यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी |align="left"|हेल्टोन एन मारक |४८७५ |- |२००५ (उपचुनाव) |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|तोनसिंग एन मारक |३८९० |- |२००८ |bgcolor="#00B2B2"| |align="left"|राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी |align="left"|निहिम डी शिरा |५६८७ |- |२०१३ |bgcolor="#DB7093"| |align="left"|नेशनल पीपल्स पार्टी |align="left"|निहिम डी शिरा |६६९७ |- |२०१८ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|मुकुल संगमा |१०२७४ |} इन्हें भी देखें तुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र मेघालय के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची सन्दर्भ मेघालय के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20%E0%A4%A8%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A4%A8
अजित नैनन
वर्तमान में टाईम्स ऑफ़ इंडिया में कार्टूनिस्ट अजित नैनन को इंडिया टुडे में उनके बनाये कार्टूनों से पहचान मिली। इंडिया टुडे के बाद अजित नैनन इंडियन एक्सप्रेस, आउटलुक पत्रिका होते हुए फिलहाल टाईम्स ऑफ़ इंडिया में कार्टूनिस्ट हैं। अजित संभवतः भारत के पहले कार्टूनिस्ट हैं जिन्होंने जिन्होंने समाचारपत्र या पत्रिकाओं में छपने वाले कार्टूनों को बनाने और रंग करने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग शुरू किया। व्यंग्यकार कार्टूनिस्ट कार्टून भारतीय कार्टूनिस्ट Indian editorial cartoonists जीवित लोग Indian illustrators Indian artists Caricaturists 1955 में जन्मे लोग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%BE%20%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%80%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%28%E0%A5%A7%E0%A5%AF%E0%A5%AE%E0%A5%AC%20%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29
माफिचा साक्षीदार (१९८६ फ़िल्म)
माफिचा साक्षीदार (अभियोजन पक्ष का गवाह) 1986 की मराठी फिल्म है, जिसका निर्देशन राज दत्त ने किया है, जिसमें नाना पाटेकर, मोहन गोखले, अविनाश खर्शीकर और उषा नाइक ने अभिनय किया है। यह फिल्म 1976-77 के दौरान पुणे में हुई कुख्यात जोशी-अभ्यंकर सीरियल हत्याकांड पर आधारित है। कथानक एक सच्ची कहानी पर आधारित (1976-77 में पुणे में हुई कुख्यात जोशी-अभ्यंकर सीरियल हत्याएं), यह फिल्म दस हत्याओं के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद चार व्यावसायिक कला छात्रों के निष्पादन से संबंधित है। बाद में इसी घटना पर अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्म पांच बनाई। पात्र राघवेंद्र "राघव" के रूप में नाना पाटेकर सुनील "सुन्या" के रूप में मोहन गोखले राकेश "रॉकी" के रूप में बिपिन वर्ती किशोर जाधव मनोहर के रूप में अविनाश खार्शीकर विलास मोदक के रूप में गीता, सुनील की प्रेमिका के रूप में उषा नाइक जयराम कुलकर्णी कॉलेज प्रोफेसर के रूप में वकील के रूप में अरुण सरनाईक (लोक अभियोजक) कमलाकर सारंग रक्षा वकील के रूप में दत्ता भट न्यायाधीश के रूप में पुलिस इंस्पेक्टर जाधव के रूप में रवि पटवर्धन सुनील की मां के रूप में आशालता वाबगांवकर राघवेंद्र की मां के रूप में सुमति गुप्ते रेस्तरां/बार में नर्तकी के रूप में बिंदू (अतिथि भूमिका) "शमा ने जब आग" गाने में अतिथि भूमिका में पद्मा खन्ना आयुक्त के रूप में इरशाद हाशमी वसंत शिंदे पुलिस कांस्टेबल के रूप में इन्हें भी देखें जोशी-अभ्यंकर सीरियल हत्याकांड पाँच (२००३ फ़िल्म) बाहरी कड़ियाँ सन्दर्भ सत्य घटना पर आधारित फिल्में मराठी फ़िल्में
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https://hi.wikipedia.org/wiki/1982%20%E0%A4%8F%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%88%20%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%B2
1982 एशियाई खेल
नौवें एशियाई खेल १९ नवम्बर से ४ दिसम्बर, १९८२ तक दिल्ली, भारत में आयोजित किए गए थे। दिल्ली में दूसरी बार इन खेलों का आयोजन किया गया था और इससे पूर्व १९५१ के अभिषेकात्मक एशियाई खेल भी यहाँ आयोजित किए गए थे। नई दिल्ली, बैंकाक के बाद ऐसा दूसरा नगर बना जिसने इन खेलों की एक से अधिक बार मेज़बानी की हो। दिल्ली के एशियाई खेल प्रथम एशियाड थे जो एशियाई ओलम्पिक परिषद (एओप) के संरक्षण में आयोजित हो रहे थे। एशियाई खेल संघ, जिसके न्यायाधिकार में प्रथम आठ एशियाई खेल आयोजित हुए थे, को भंग कर एओप बनाया गया। एशिया के ३३ देशों से कुल ४,५९५ खिलाड़ियों ने इन खेलों में भाग लिया। इन खेलों में प्रथमोप्रवेश खेल घुड़सवारी, गोल्फ, हैण्डबॉल, नौकायन और महिला हॉकी थे। इन खेलों से ही चीन का पदक तालिका में प्रभुत्व दिखाई देने लगा। जापान ने इससे पहले के खेलों में सर्वाधिक पदक जीते थे। चीन ने जापान को पदक तालिका में सर्वोच्च पद से अपदस्त कर खेलों की दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी। ९वें एशियाई खेलों की तैयारी में ही भारत में रंगीन टेलीविज़न बड़ी शान के साथ लाया गया, क्योंकि इन खेलों का रंगारंग प्रसारण किया जाना था। इन खेलों का शुभंकर अप्पू नामक एक शिशु हाथी था। वास्तविक जीवन में "कुट्टिनारायणन" नामक यह हाथी एक दुर्घटना में अपनी टाँग तुड़वा बैठा जब वह एक सैप्टिक टंकी में गिर गया और जिसके कारण अततः उसकी मृत्यु हो गई। कुट्टिनारायणन १४ मई, २००५ को मर गया। १९८६ के अगले एशियाई खेलों (१०वें) और १९८८ के २४वें ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों के मेज़बान दक्षिण कोरिया ने ४०६-सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल के साथ इन खेलों में भाग लिया, जिसमें एक पर्यवेक्षण दल भी था जो सुविधाओं, प्रबन्धन और प्रतियोगिताओं के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए आया था। पदक तालिका स्रोत: कुल पदक स्थिति - नई दिल्ली १९८२ बाहरी कड़ियाँ एशियाई ओलम्पिक परिषद के जालस्थल पर नौवें एशियाई खेल एशियाई खेल भारत में खेलकूद भारत में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय खेल स्पर्धाएँ
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189880
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0
तकनीकी संचार
तकनीकी संचार (Technical communication) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लिखकर, बोलकर, या अन्य तरीके से तकनीकी जानकारी संप्रेषित की जाती है। बाहरी कड़ियाँ Technical Communicator's Glossary- Anica Jovanova and John Salt for the IEEE Professional Communication Society KnowGenesis - International Journal for Technical Communication InformationDesignCenter- Technical and Professional Communication Hub TECHWR-L, The Internet Forum for Technical Communication MITWA (Mentors, Indexers, Technical Writers & Associates) Online resource for Professional Technical Communicators A theory of presentation and its implications for the design of online technical documentation Looks at technical communication and the role of off- as well as online documents in a problem-solving context (service engineering department) Technical Communication & Technical Writers in Russia Wikiversity Technical Writing course DITA Users - a member organization helping tech communicators get started with topic-based structured writing. Standard for technical writers from ISO Contact page for International Organization for Standardization working group for technical documentation standards
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