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1472643 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%82%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AF | प्रागनुभविक अहंप्रत्यय | दर्शनशास्त्र में, प्रागनुभविक अहंप्रत्यय (Transcendental apperception) एक प्राविधिक शब्द है जिसे इमैनुएल कांट और उसके बाद के कांटियन दार्शनिकों ने उस चीज़ को निर्दिष्ट करने के लिए नियोजित किया है जो अनुभव को संभव बनाता है। इस शब्द का उपयोग उस संगम को संदर्भित करने के लिए भी किया जा सकता है जहां आत्मन् और जगत् एक साथ आते हैं। प्रागनुभविक अहंप्रत्यय विभिन्न प्रारंभिक आंतरिक अनुभवों (समय और विषय दोनों में भिन्न, लेकिन सभी आत्म-चेतना से संबंधित) से संसक्त चेतना (coherent consciousness) का एकजुट होना और निर्माण करना है। उदाहरण के लिए, कांट के अनुसार, "समय बीतने" का अनुभव, अहंप्रत्यय की इस प्रागनुभविक एकता पर निर्भर करता है।
प्रागनुभविक अहंप्रत्यय के छह चरण हैं:
सभी अनुभव विभिन्न अंतर्वस्तु का उत्तरवर्तिता, succession है ( डेविड ह्यूम से लिया गया एक विचार)।
बिल्कुल भी अनुभव करने के लिए, क्रमिक डेटा को चेतना के लिए एकता में संयोजित या एक साथ रखा जाना चाहिए।
अनुभव की एकता का तात्पर्य आत्मन् की एकता से है।
आत्मन् की एकता उतनी ही अनुभव की वस्तु है जितनी कोई और वस्तु।
इसलिए, आत्मन् और उसकी वस्तुओं दोनों का अनुभव संश्लेषण के कार्यों पर निर्भर करता है, क्योंकि वे किसी भी अनुभव की स्थितियाँ हैं, स्वयं अनुभव नहीं किए जाते हैं।
ये पूर्व संश्लेषण पदार्थ श्रेणियों द्वारा संभव बनाये गये हैं। पदार्थ हमें आत्मन् और वस्तुओं को संश्लेषित करने की अनुमति देती हैं।
कांट की प्रागनुभविक अहंप्रत्यय की धारणा का एक परिणाम यह है कि "आत्मन्" का केवल आभास (appearance) के रूप में ही सामना किया जाता है, कभी भी उस रूप में नहीं जैसा वह अपने आप में है।
इस शब्द को बाद में जोहान फ्रेडरिक हर्बर्ट द्वारा मनोविज्ञान में रूपांतरित किया गया (देखें समवबोधन )। | 279 |
1056207 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%88%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0%20%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%97 | मुंबई प्रीमियर लीग | टी-20 मुंबई लीग मुंबई, भारत में एक पेशेवर ट्वेंटी-20 क्रिकेट लीग है। लीग का गठन 2018 में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) द्वारा किया गया था। एक सामान्य छतरी के तहत मुंबई की सर्वश्रेष्ठ स्थानीय क्रिकेट प्रतिभा को लाने के उद्देश्य से, टी-20 मुंबई जमीनी स्तर पर क्रिकेटरों की पहचान, विकास और बढ़ावा देने के लिए एक लीग है। टी-20 मुंबई शहर में क्रिकेट परिदृश्य को और अधिक संरचना प्रदान करेगा और खेल के भविष्य के सुपरस्टार को एक साथ लाने के लिए एक मंच बनाने का प्रयास करेगा।
मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) द्वारा संकल्पित, टी-20 मुंबई उन्हें विजक्राफ्ट इंटरनेशनल एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के साथ देखेगा इंडिया इंफोलाइन लिमिटेड (आईआईएफएल) और प्रोबेबिलिटी स्पोर्ट्स।
टीमें
टूर्नामेंट के परिणाम
संदर्भ | 117 |
1037232 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%80 | भैंसरोली | भैंसरोली गांव मैनपुरी जिले की ग्राम पंचायत है, जो भोगांव विधानसभा क्षेत्र में आता है। भैंसरोली गांव का वैसे तो कोई
खास इतिहास नहीं है लेकिन इस गांव की नजदीकी बौद्ध तीर्थस्थली संकिसा से होने की वजह से महत्व बढ़ जाता है। भैंसरोली के स्व. पंडित लज्जाराम जी सबसे प्रितिष्ठित व्यक्ति माने जाते रहे हैं। इसके अलावा स्व. कृष्ण मुरारी लाल सक्सेना जी के ताल्लुक भी उन्हे काफी प्रितिष्ठित बनाते हैं। कृष्ण मुरारी लाल सक्सेना जी को कई भाषाओं का ज्ञान था, जिसमे उर्दू, फारसी और अंग्रेजी शामिल थीं। गांव के कई लोग सरकारी सेवाओं में हैं। जिनमें अजब सिंह यादव भी प्रमुख हैं। इसके अलावा गांव के कई युवा अलग-अलग क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। जिनमें देश के पहले विकलांग पत्रकार का नाम भी शामिल है। जिसने ऑल इंडिया रेडियो दिल्ली से अपने समाचार वाचन की शुरूआत की और दिल्ली के दूरदर्शन से समाचार वाचक का काम शुरू किया। इस युवा का नाम हिमांशु यादव है जो मौजूदा वक्त में बीबीसी हिंदी/ अंग्रेजी के लिए काम कर रहे हैं। हिमांशु ने देश के तमाम प्रितिष्ठित समाचार पत्रों और समाचार चैनल्स में काम किया है। हिमांशु ने जी न्यूज, इंडिया न्यूज, इंडिया वॉयस, सुदर्शन न्यूज, श्री न्यूज, जनता टीवी, टीवी100, सहारा समय जैसे समाचार चैनलों के साथ काम किया है। हिमांशु के नाम से दिल्ली में भी गांव को पहचान मिली जब दिल्ली में भारत सरकार की तरफ से उनको देश के पहले विकलांग पत्रकार के तौर पर सम्मान दिया गया। इस मौके पर उन्होंने अपने नाम के आगे हिमांशु भैंसरोली वाले लिखा और सबको गांव के बारे में बताया।
सामाजिक तानाबान
गांव में यादव और ब्राह्मणों की आबादी सबसे ज्यादा है।
इसके बाद शाक्य, जाटव, तेली, धोवी, कठेरिया और मुस्लिम, नाई समुदाय के लोग भी रहते हैं।
यहां की कुल आबादी करीब 5069 है।
जिसमें 45.5% फीसदी महिलाएं रहती है, जिनकी संख्या करीब 2307 हैं | 307 |
724993 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%AE%20%28%E0%A4%AC%E0%A5%8C%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7%20%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%81%29 | लोकक्षेम (बौद्ध भिक्षु) | लोकक्षेम (चीनी: 支婁迦讖; pinyin: Zhī Lóujiāchèn, sometimes abbreviated Zhīchèn Chinese: 支讖), जन्म लगभग 147 ई), एक बौद्ध भिक्षु थे जो महायान सम्रदाय के संस्कृत ग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद करने वाले प्राचीनतम व्यक्ति हैं। चीनी बौद्ध धर्म में उनका बहुत महत्व है। वे गान्धार से चीन गये थे।
कृतियाँ
'ताइशो त्रिपिटक' के सम्पादकों के अनुसार लोकक्षेम ने १२ ग्रन्थों की रचना (अनुवाद) किया। किन्तु कुछ विद्वान इस पर शंका जताते हैं। अधिकांश विद्वान निम्नलिखित ग्रन्थों को लोकक्षेम द्वारा रचित मानते हैं-
T224. 道行般若經. अष्तसाहस्रिक प्रज्ञापारमिता सूत्र का अनुवाद
T280. 佛說兜沙經. प्रारम्भिक अव्तंसक सूत्र का भाग
T313. 阿閦佛國經. अक्षोभ्य-व्यूह
T350. 說遺日摩尼寶經. काश्यपपरिव्रत
T418. 般舟三昧經. प्रत्युत्पन्न समाधि सूत्र
T458. 文殊師利問菩薩署經. बोधिसत्त्व से सम्बन्धित मञ्जुश्री के प्रश्न
T626. 阿闍世王經. अजातशत्रु कौकृत्य विनोदन सूत्र
T807. 佛說內藏百寶經. The Hundred Jewels of the Inner Treasury.
लोकक्षेम के अनुवाद की शैली की विशेषता यह है कि उन्होंने संस्कृत शब्दावली का बहुलता से चीनी में लिप्यन्तरण किया है, नये शब्द नहीं बनाये। इसके अलावा उन्होंने बड़े-बड़े वाक्य बनाये रखे हैं जो भारतीय शैली है। प्रायः उन्होंने संस्कृत के श्लोकों को चीनी गद्य में अनुवाद किया है और संस्कृत के छन्दों को चीनी छन्दों में बदलने का प्रयत्न नहीं किया है।
इन्हें भी देखें
धर्मरक्ष
बौद्ध भिक्षु | 199 |
1327607 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80 | दक्षिणीकाली | दक्षिणकाली एक नगर पालिका काठमांडू जिला प्रदेश संख्या ३ नेपाल में है जिसे 2 दिसंबर 2014 को विलय करके स्थापित किया गया था। पूर्व ग्राम विकास समितियां चाल्नाखेल, छिमाले, शेषनारायण, सोखेल, टल्कु डुडेचौर और पुराना -दक्षिणकाली. नगरपालिका के नाम का अर्थ है 'दक्षिणी काली' और कई सदियों पुराने मंदिर परिसर को संदर्भित करता है जो आसपास के क्षेत्र में स्थित है।
जनसंख्या
एघारौँ राष्ट्रिय जनगणना २०६८ के अनुसार दक्षिणकाली नगरपालिका की कुल जनसंख्या 24,297 है।.
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
दक्षिणीकाली | 79 |
222373 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%AD%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A4%AE%20%28%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%29 | केंद्रीय भंडारण निगम (भारत) | केन्द्रीय भण्डारण निगम (Central Warehousing Corporation) भारत कि स्थापना कृषि ूउपज अधिनियम 1956 के अंतर्गत वैधानिक संस्था के ृरूप ँम 2 March 1957 को
की प्रमुख भण्डारण एजेन्सी तथा भारत में सार्वजनिक वेअरहाउस चलाने वाली सबसे बडी संस्था है जो कृषि क्षेत्र सहित विभिन्न प्रकार के ग्राहकों को भण्डारण के क्षेत्र में लॉजिस्टिक सेवाएं प्रदान करती है। केन्द्रीय भण्डारण निगम देश में विभिन्न स्थानों पर 11.5 मिलियन टन भण्डारण क्षमता के 465 वेअरहाउस चला रहा है जिनमें कृषि उत्पादों से लेकर अत्यन्त परिष्कृत औद्योगिक उत्पादों के लिए भण्डारण सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है। इसकी स्थापना सन् १९५७ में हुई थी।
केन्द्रीय भण्डारण निगम की वेअरहाउसिंग गतिविधियों में खाद्यान्न वेअरहाउस, औद्योगिक वेअरहाउस, कस्टम बांडेड वेअरहाउस, कन्टेनर फ्रेट स्टेशन, अन्तर्देशीय क्लीअरेंस डिपो तथा एअर कार्गो कॉम्पलैक्स शामिल हैं। भण्डारण एवं रख-रखाव के अलावा केन्द्रीय भण्डारण निगम क्लीअरिंग एवं फारवर्डिंग, हैंडलिंग एवं ट्रांसपोर्ट, अधिप्राप्ति एवं वितरण, कीटनाशन सेवाएं, प्रधूमन सेवाएं एवं अन्य अनुषंगी सेवाएं प्रदान करता है। केन्द्रीय भण्डारण निगम परामर्शदात्री सेवाएं, तथा विभिन्न एजेन्सियों को वेअरहाउसिंग अवसंरचना निर्माण के लिए प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराता है।
इन्हें भी देखें
मालगोदाम (या, भांडागार)
बाहरी कड़ियाँ
केंद्रीय भंडारण निगम का जालघर
भण्डारण शब्दावली (केन्द्रीय भण्डारण निगम)
निगम, केंद्रीय भंडारण
निगम, केंद्रीय भंडारण | 197 |
895179 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%B2%20%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0 | जटिल तंत्र | जटिल तंत्र (complex system) ऐसा तंत्र (सिस्टम) होता है जो कई अंगों या भागो का बना हुआ हो जो अपनी गतिविधियों में एक-दूसरे को प्रभावित करते हों। ऐसे तंत्रों में पृथ्वी की वैश्विक जलवायु, मानव मस्तिष्क, सामाजिक और आर्थिक संगठन (जैसे कि नगर और देश), किसी स्थान का पारिस्थितिक तंत्र, जीवों की कोशिकाएँ और पूरा ब्रह्माण्ड शामिल हैं। जटिल तंत्रों को वैज्ञानिक रूप से समझना कठिन रहा है क्योंकि इन तंत्रों के विभिन्न भाग आपस में उलझी हुई गतिविधियाँ करते हैं। जटिल तंत्रों में कुछ विशेष गुण और लक्षण दिखते हैं, जैसे कि अरेखीयता (nonlinearity), उदगमन (emergence), स्वप्रसूत व्यवस्था (spontaneous order), पुनर्भरण (feedback loops)।
इन्हें भी देखें
तंत्र (सिस्टम)
उदगमन
स्वसंगठन
सन्दर्भ
जटिल गतिकी
साइबर्नेटिक्स
तंत्र
तन्त्रीय विज्ञान
गणितीय प्रतिरूपण | 120 |
691099 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF | इंडोनेशिया में समय | इंडोनेशियाई द्वीपसमूह चार समय मंडलों ऐकेह में यूटीसी+०६:०० से पश्चिमी पापुआ में यूटीसी+०९:०० तक फैला हुआ है। हालांकि यहाम्ं की सरकार आधिकारिक रूप से सिर्फ़ तीन समय मंडलों को मानती है।
पश्चिमी इंडोनेशियाई समय—जो कि ग्रीनविच मानक समय से सात घंटे आगे (यूटीसी+०७:००) पड़ता है।
मध्य इंडोनेशियाई समय— जो कि जीएमटी से आठ घंटे आगे (यूटीसी+०८:००) पर पड़ता है।
पूर्वी इंडोनेशियाई समय—जो कि जीएमटी से नौ घंटे आगे (यूटीसी+०९:००) पर पड़ता है। पश्चिमी और मध्य समय मंडल के बीच की रेखा जावा और बाली के उत्तर से होते हुए कालीमन्तन के मध्य से होकर गुजरती है। मध्य और पूर्वी समय मंडलों को बाँटने वाली रेखा तिमोर के पूर्वी छोर से लेकर सुलावेसी के पूर्वी छोर तक जाती है।
वर्तमान उपयोग
इंडोनेशिया में मानक समय तीन समय मंडलों में विभाजित है।
पश्चिमी इंडोनेशियाई समय
पश्चिमी इंडोनेशियाई समय (विब) या (}) (WIB, ) (यूटीसी+०७:००) निम्नलिखित स्थानों पर उपयोग किया जाता है।
सुमात्रा द्वीप के सभी प्राँत और आसपास के द्वीप और शहर जैसे: बन्दा अकेह, मेदान, पादंग, पेकनबारु, पालेमबांग, जम्बी, बातम और बंदर लाम्पुंग.
जावा के सभी प्राँत और शहर जैसे: बांडुंग, सुराबया, जकार्ता, सेरंग और योग्यकार्ता।
कालीमन्तन द्वीप के दो प्राँत: पश्चिमी कालीमन्तन और मध्य कालीमन्तन। पोन्तियानाक, पलंगकर्या और सम्पित।
आईएएनए समय मंडल डेटाबेस में चिह्न है "एशिया/जकार्ता" और "एशिया/पोंतिआनक"।
मध्य इंडोनेशियाई समय
मध्य इंडोनेशियाई समय (विता) या () (WITA, ) (यूटीसी+०८:००) निम्नलिखित स्थानों पर उपयोग किया जाता है।
सुलावेसी द्वीप के सभी प्राँत और बड़े शहर जैसे: मकास्सर, मनादो, पालु और गोरोन्तालो।
लेसर सुन्दा द्वीप के सभी प्राँत और बड़े शहर जैसे: डेनपसार, माताराम और कुपांग।
कालीमन्तन द्वीप के तीन प्राँत: उत्तरी कालीमन्तन, पूर्वी कालीमन्तन और दक्षिण कालीमन्तन, शहर जैसे: बालीकपापन, बंजरमसीन और ताराकन।
आईएएनए समय मंडल में चिह्न है "एशिया/मकस्सर" या "Asia/Makassar"
पूर्वी इंडोनेशियाई समय
पूर्वी इंडोनेशियाई समय (विट) या () (WIT, ) (यूटीसी+०९:००) का निम्नलिखित स्थानों पर उपयोग किया जाता है।
मालुकु द्वीपसमूह बड़े शहर: ऐम्बन शहर, टेर्नाटे शहर और तिदोर।
पश्चिम पापुआ के सभी स्थान, बड़े शहर: जयापुरा, बिआक और मेराउके।
पापुआ के सभी प्रांत, बड़े शहरों के साथ।
आईएएनए समय मंडल में चिह्न है "एशिया/जयापुरा" या "Asia/Jayapura".
ऐतिहासिक उपयोग
गुलामी काल और स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद कुछ वर्षों तक, इंडोनेशिया में समय (डच ईस्ट इंडीज़]]) निम्न तरीकों से उपयोग होता था:
उत्तरी सुमात्रा समय (यूटीसी+०६:३०), ऐकेह, पदंग और मेदन में उपयोग होता था।
सुमात्रा समय (यूटीसी+०७:००), बेंगकुलु, पैलेमबांग और लैम्पुंग में उपयोग होता था।
जावा समय (यूटीसी+०७:३०), जावा , बाली, मदुरा और कालीमन्तन में उपयोग होता था।
सेलेब्स समय (यूटीसी+०८:००), सुलावेसी और लेसर सुन्दा द्वीप में उपयोग होता था।
मोलुक्कन समय (यूटीसी+०८:३०), टेर्नाटे, नामलिआ, ऐम्बन और बंदा में उपयोग होता था।
डच न्यू गिनी समय (यूटीसी+०९:००), डच न्यू गिनी में उपयोग होता था।
एक समय मंडल का प्रस्ताव
आईएएनए समय मंडल डेटाबेस
आईएएनए समय मंडल डेटाबेस इंडोनेशिआ के लिये फ़ाइल (संचिका) ज़ोन.टैब में चार समय मंडल रखे हुए है।
एशिया/जकार्ता
एशिया/पोन्तियानाक
एशिया/मकासर
एशिया/जयापुरा
इन्हें भी देखें
एसियान समान समय
मलेशिया में समय
फिलीपींस में समय
सिंगापुर में समय
यूटीसी+०८:००
टिप्पणी
बाहरी कड़ियाँ
Indonesian Standard Time | 489 |
23985 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%AE%20%28%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29 | संगम (फ़िल्म) | संगम 1964 में बनी हिन्दी भाषा की रूमानी फिल्म है। इसका निर्देशन राज कपूर ने किया और इसमें वो स्वयं वैजयंतीमाला और राजेन्द्र कुमार के साथ मुख्य चरित्रों को निभाए हैं। यह राज कपूर की पहली रंगीन फिल्म थी इसे कभी-कभी राज कपूर की शानदार और प्रसिद्ध रचना भी माना जाता है, क्योंकि यह उनके सबसे अच्छे कामों में से एक है। जारी होने पर ये वर्ष की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी। यह अत्यंत लंबी होने के लिये भी प्रतिष्ठित थी जिसके कारण इसे सिनेमाघर में दो विराम (interval) के साथ दिखाया गया था।
संक्षेप
सुन्दर (राज कपूर), गोपाल (राजेन्द्र कुमार) और राधा (वैजयंतीमाला) बचपन से दोस्त रहते हैं। बड़े होने के बाद राधा से सुन्दर प्यार करने लगता है, पर वो गोपाल को पसंद करते रहती है। जब सुन्दर अपने प्यार के बारे में गोपाल को बताता है तो गोपाल अपने प्यार को मन में ही दबा देता है।
सुन्दर भारतीय वायुसेना में शामिल हो जाता है और उसे कश्मीर में एक मिशन पर जाना होता है। वो जाने से पहले गोपाल से वादा लेता है कि वो किसी को भी राधा और उसके बीच नहीं आने देगा और ऐसा बोल कर वो चले जाता है। इसके बाद उसका विमान नष्ट होने की खबर आती है, जिससे सभी मान लेते हैं कि उसकी मौत हो चुकी है। सुन्दर के मर जाने के बाद, राधा से अपने दिल की बात कहने के लिए गोपाल एक प्रेम पत्र लिखता है, और वो उस पत्र को लेकर अपने पास कहीं छुपा लेती है। दोनों शादी करने की सोचते रहते हैं कि तभी सुन्दर पूरी तरह सुरक्षित और अच्छे हालत में वापस आ जाता है। सुन्दर को देख कर गोपाल फिर से अपने प्यार को मन में ही दबा लेता है। सुन्दर वापस आने के बाद वो राधा को शादी के लिए मनाने की कोशिश करते रहता है और बाद में उन दोनों की शादी भी हो जाती है।
शादी के बाद सुन्दर बहुत खुश रहता है, क्योंकि उसका सपना अब हकीकत बन चुका है। राधा भी अपने दिमाग से गोपाल को निकाल देती है और उससे बोलती है कि वो उसके और उसके पति से दूर रहे, ताकि उसके पास रहने से उसे कष्ट होता है। दोनों की शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही होती है कि एक दिन सुन्दर को बिना दस्तखत किया हुआ एक प्रेम पत्र मिलता है, जो गोपाल ने लिखा था। उस प्रेम पत्र को देख कर सुन्दर के पैरों तले जमीन खिसक जाती है, उसे लगता है कि राधा का किसी और के साथ चक्कर चल रहा है। वो बंदूक निकाल लेता है और उससे उसके प्रेमी का नाम पुछने लगता है, जिससे कि वो उस प्रेमी को मार सके, पर राधा उसे बताने से इंकार कर देती है।
सुन्दर के मन में उस पत्र को लिखने वाले की खोज करने का जुनून सवार रहता है और उसके कारण राधा का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। वो गोपाल से इस बारे में मदद मांगती है। सुन्दर भी उस लेखक को ढूंढने में मदद के लिए गोपाल से मदद मांगने जाता है। तीनों एक ही जगह पर मिलते हैं और गोपाल ये मान लेता है कि वो पत्र उसी ने राधा के लिए लिखा था। गोपाल को इस समस्या से बाहर निकालने का कोई रास्ता नहीं सूझता है और वो सुन्दर की बंदूक ले कर खुद को गोली मार लेता है। अंत में राधा और सुन्दर वापस एक हो जाते हैं।
मुख्य कलाकार
राज कपूर — सुन्दर खन्ना
राजेन्द्र कुमार — गोपाल वर्मा
वैजयंतीमाला — राधा
इफ़्तेख़ार — भारतीय वायुसेना अधिकारी
राज मेहरा — जज मेहरा
नाना पालसिकर — नत्थू
ललिता पवार — श्रीमती वर्मा
हरि शिवदासानी — कैप्टन
अचला सचदेव — कैप्टन की पत्नी
संगीत
नामांकन और पुरस्कार
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
1964 में बनी हिन्दी फ़िल्म
शंकर–जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध फिल्में | 626 |
64095 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%A1 | फार्मल्डिहाइड | फार्मल्डिहाइड (Formaldehyde) प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक कार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र CH2O है। यह सबसे सरल एल्डिहाइड है, इसमें एक -CHO ग्रूप पाया जाता है। इसको 'मेथेनैल' भी कहते हैं। इसका 'फार्मल्डिहाइड' नाम इसके फॉर्मिक अम्ल के समान होने और इससे सम्बन्धित होने के कारण पड़ा है।
हाइपरहाइड्रोसिस थेरेपी के लिए टॉपिकल एजेंटों में फार्मल्डिहाइड लोशन का उपयोग करते हैं। ये एजेंट केराटिन (प्रोटीन) को विकृतीकरण कर पसीने को कम करते हैं, जिससे स्वेद-ग्रन्थि/पसीना ग्रंथि (Eccrine Sweat Glands) के छिद्रों को बंद करता है। उनके पास एक अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है। फार्मल्डिहाइड का उपयोग अन्य रासायनिक यौगिकों और पदार्थों के उत्पादन में होता है। वर्ष १९९६ में फार्मल्डिहाइड उत्पादन की स्थापित क्षमता 8.7 मिलियन टन प्रतिवर्ष आण्की गयी थी। इसका उपयोग मुख्यतः औद्योगिक रेजिनों के उत्पादन में होता है।
फॉर्मल्डेहाइड के रूप
फार्मल्डिहाइड कई सरल कार्बन यौगिकों की तुलना में अधिक जटिल है जिसमें यह कई अलग-अलग रूपों को अपनाता है। एक गैस के रूप में, फार्मल्डिहाइड रंगहीन है और इसमें एक विशेषता तेज, परेशान गंध है। संक्षेपण पर, गैस फॉर्मडाल्डहाइड (विभिन्न रासायनिक सूत्रों के साथ) के विभिन्न रूपों में परिवर्तित होती है जो अधिक व्यावहारिक मूल्य के होते हैं। एक महत्वपूर्ण व्युत्पन्न चक्रीय ट्राइमर मेटाफॉर्मल्डेहाइड या फॉर्मूला (सीएच 2 ओ) 3 के साथ 1,3,5-त्रिकोणीय है। पैराफॉर्मल्डेहाइड नामक एक रैखिक बहुलक भी है। इन यौगिकों में समान रासायनिक गुण होते हैं और अक्सर एक दूसरे के लिए उपयोग किया जाता है।
पानी में भंग होने पर, फॉर्मल्डेहाइड भी फॉर्मूला एच 2 सी (ओएच) 2 के साथ एक हाइड्रेट, मेथनडियोल बनाता है। यह यौगिक एकाग्रता और तापमान के आधार पर विभिन्न oligomers (लघु बहुलक) के साथ संतुलन में भी मौजूद है। एक संतृप्त जल समाधान, वॉल्यूम द्वारा लगभग 40% फॉर्मल्डेहाइड या द्रव्यमान द्वारा 37%, को "100% औपचारिक" कहा जाता है। मेथनॉल जैसे स्टेबलाइज़र की एक छोटी मात्रा को आमतौर पर ऑक्सीकरण और बहुलककरण को दबाने के लिए जोड़ा जाता है। एक ठेठ वाणिज्यिक ग्रेड औपचारिकता में विभिन्न धातु अशुद्धियों के अलावा 10-12% मेथनॉल हो सकता है। नाम बहुत पहले पुराने व्यापार नाम "फॉर्मलिन" से उत्पन्न हुआ था।
घटना
ऊपरी वायुमंडल में प्रक्रिया पर्यावरण में कुल फॉर्मल्डेहाइड के 90% तक योगदान देती है। फॉर्मल्डेहाइड मिथेन के ऑक्सीकरण (या दहन), साथ ही साथ अन्य कार्बन यौगिकों में एक मध्यवर्ती है, उदाहरण के लिए जंगल की आग, ऑटोमोबाइल निकास, और तंबाकू धुएं में। वायुमंडलीय मीथेन और अन्य हाइड्रोकार्बन पर सूरज की रोशनी और ऑक्सीजन की क्रिया से वायुमंडल में उत्पादित होने पर, यह धुआं का हिस्सा बन जाता है। बाहरी अंतरिक्ष में फॉर्मडाल्डहाइड का भी पता लगाया गया है।
Formaldehyde और इसके adducts जीवित जीवों में सर्वव्यापी हैं। यह एंडोजेनस एमिनो एसिड के चयापचय में गठित होता है और लगभग 0.1 मिलीमीटर की सांद्रता पर मनुष्यों और अन्य प्राइमेट्स के रक्त प्रवाह में पाया जाता है। जिन प्रयोगों में जानवरों को आइसोटोपिक लेबल वाले फॉर्मल्डेहाइड युक्त वातावरण में उजागर किया गया है, उन्होंने दिखाया है कि जानबूझकर उजागर जानवरों में भी, गैर-श्वसन ऊतकों में पाए जाने वाले फॉर्मल्डेहाइड-डीएनए व्यंजनों का अधिकांश अंतर्जात रूप से उत्पादित फॉर्मल्डेहाइड से लिया जाता है।
फॉर्मल्डेहाइड पर्यावरण में जमा नहीं होता है, क्योंकि यह सूरज की रोशनी या मिट्टी या पानी में मौजूद बैक्टीरिया द्वारा कुछ घंटों के भीतर टूट जाता है। मनुष्य फ़ार्माल्डेहाइड को जल्दी से चयापचय करते हैं, इसलिए यह शरीर में फॉर्मिक एसिड में परिवर्तित होने से जमा नहीं होता है।
इंटरस्टेलर फॉर्मल्डेहाइड
मुख्य लेख: इंटरस्टेलर फॉर्मल्डेहाइड
फॉर्मल्डेहाइड इंटरस्टेलर माध्यम में पाया जाने वाला पहला पॉलीटॉमिक कार्बनिक अणु था। 1969 में इसकी शुरुआती पहचान के बाद, यह आकाशगंगा के कई क्षेत्रों में मनाया गया है। इंटरस्टेलर फॉर्मल्डेहाइड में व्यापक रूचि के कारण, हाल ही में इसका व्यापक अध्ययन किया गया है, जो नए एक्स्ट्राग्लेक्टिक स्रोतों को उपलब्ध करा रहा है। गठन के लिए एक प्रस्तावित तंत्र नीचे दिखाया गया सीओ बर्फ का हाइड्रोजनीकरण है।
H + CO → HCO
HCO + H → CH2O (rate constant=9.2 s−1)
11 अगस्त 2014 को, खगोलविदों ने पहली बार अटाकामा लार्ज मिलीमीटर / सबमिलीमीटर एरे (एएलएमए) का उपयोग करके अध्ययन जारी किया, जिसमें धूमकेतु सी / 2012 एफ 6 (लेमन) के कॉमे के अंदर एचसीएन, एचएनसी, एच 2 सीओ और धूल के वितरण का विस्तृत विवरण दिया गया। और सी / 2012 एस 1 (आईएसओएन)।
भोजन में प्रदूषक
फॉर्मल्डेहाइड प्राकृतिक रूप से होता है और यह "स्तनधारियों और मनुष्यों में सेलुलर चयापचय में एक आवश्यक मध्यवर्ती है।" उच्च सांद्रता पर यह शायद अस्वास्थ्यकर है। शेल्ड्स जीवन को बढ़ाने के लिए खाद्य पदार्थों के लिए फॉर्मल्डेहाइड के अतिरिक्त के संबंध में 2005 इंडोनेशिया के खाद्य डर और 2007 वियतनाम खाद्य डर दोनों में घोटाले टूट गए हैं। 2011 में, चार साल की अनुपस्थिति के बाद, इंडोनेशियाई अधिकारियों ने पूरे देश में कई क्षेत्रों में बाजारों में फोर्मेल्डेहाइड बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों को पाया।
फॉर्मल्डेहाइड का उपयोग करने के अलावा, उन्होंने बोरेक्स का भी उपयोग किया, लेकिन संयोजन में नहीं। अगस्त 2011 में, कम से कम दो कैरेफोर सुपरमार्केटों में, सेंट्रल जकार्ता पशुधन और मत्स्य उप-विभाग को एक मीठा चिपचिपा चावल पेय (कैंडोल) पाया गया जिसमें 10 मिलियन प्रति मिलियन फॉर्मल्डेहाइड शामिल थे। 2014 में, इंडोनेशिया के बोगोर में दो नूडल कारखानों के मालिक; नूडल्स में फॉर्मल्डेहाइड का उपयोग करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। 50 किलो फ़ार्माल्डेहाइड जब्त कर लिया गया था। प्रदूषित होने वाले खाद्य पदार्थों में नूडल्स, नमकीन मछली और टोफू शामिल हैं; चिकन और बीयर भी दूषित होने की अफवाह है। कुछ स्थानों पर, जैसे कि चीन, फ़ार्माल्डेहाइड अभी भी गैरकानूनी रूप से खाद्य पदार्थों में एक संरक्षक के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो लोगों को फॉर्मल्डेहाइड इंजेक्शन के लिए उजागर करता है। मनुष्यों में, फॉर्मल्डेहाइड के इंजेक्शन को उल्टी, पेट दर्द, चक्कर आना, और चरम मामलों में मृत्यु हो सकती है। फोर्माल्डेहाइड के लिए परीक्षण रक्त क्रोमेटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री द्वारा रक्त और / या मूत्र द्वारा किया जाता है। अन्य तरीकों में अवरक्त पहचान, गैस डिटेक्टर ट्यूब आदि शामिल हैं, जिनमें से एचपीएलसी सबसे संवेदनशील है। 1 9 00 के दशक की शुरुआत में, इसे यूएस दूध संयंत्रों द्वारा अक्सर फोल्डल्डेहाइड की विषाक्तता के बारे में ज्ञान की कमी के कारण पेस्टाइजेशन की विधि के रूप में दूध की बोतलों में जोड़ा जाता था।
2011 में नाखोन रत्थासिमा, थाईलैंड में, सड़े हुए चिकन के ट्रकलोड फॉर्मडाल्डहाइड के संपर्क में थे, जिसमें एक आपराधिक गिरोह द्वारा चलाए गए 11 बूचड़खानों सहित "एक बड़ा नेटवर्क" शामिल था। [9 7] 2012 में, इंडोनेशिया से बाटम, इंडोनेशिया में आयातित 1 बिलियन रुपिया (लगभग USD100,000) मछली, फॉर्मल्डेहाइड के साथ लगी हुई थी।
बांग्लादेश में खाद्य पदार्थों के औपचारिक संदूषण की सूचना मिली है, जिसमें दुकानों और सुपरमार्केट फलों, मछलियों और सब्जियों को बेचते हैं जिनके साथ उन्हें ताजा रखने के लिए औपचारिकता के साथ इलाज किया जाता है। [99] हालांकि, 2015 में, बांग्लादेश की संसद में एक औपचारिक नियंत्रण विधेयक पारिवारिक कारावास के प्रावधान के साथ अधिकतम सजा के रूप में पारित किया गया था और इसके अलावा 2,000,000 बीडीटी जुर्माना भी था, लेकिन बिना किसी औपचारिक के आयात, उत्पादन या भंडारण के लिए 500,000 बीडीटी से कम लाइसेंस।
सन्दर्भ
कार्बनिक यौगिक | 1,146 |
764941 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B2%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B2 | फिनांसियल मेल | फिनांसियल मेल भारत में प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है।
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1137902 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%9F%20%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%AE%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A4%A4%E0%A4%B0%20%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%202020 | युगांडा क्रिकेट टीम का क़तर दौरा 2020 | युगांडा क्रिकेट टीम ने फरवरी 2020 में तीन मैचों की ट्वेंटी 20 इंटरनेशनल (टी20ई) श्रृंखला खेलने के लिए कतर का दौरा किया। इस दौरे में एक राष्ट्रपति के इलेवन के खिलाफ दो 50 ओवर के खेल भी शामिल थे। सभी मैचों के लिए स्थल दोहा में वेस्ट एंड पार्क इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम था। इस श्रृंखला को कतर ने 2-1 से जीता था, और कतरी के बल्लेबाज कामरान खान को श्रृंखला के खिलाड़ी के रूप में नामित किया गया था।
दस्तों
टूर मैच
पहला 50 ओवर का मैच
दूसरा 50 ओवर का मैच
टी20ई सीरीज
पहला टी20ई
दूसरा टी20ई
तीसरा टी20ई
नोट्स
सन्दर्भ | 102 |
697006 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5%20-%20%E0%A4%8F%E0%A4%95%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE%20%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80 | अस्तित्व - एक प्रेम कहानी | अस्तित्व - एक प्रेम कहानी हिन्दी भाषा में बनी भारतीय धारावाहिक है, जिसका प्रसारण ज़ी टीवी पर 17 नवम्बर 2002 से 13 जनवरी 2006 तक हुआ था।
पटकथा
यह कहानी सिमरन माथुर की है। कविता और रश्मि उसकी दो बहाने है। उसके माता पिता इस बात से चिंतित रहते थे कि उनकी बड़ी बेटी कि अब तक शादी नहीं हुई है। उसकी बहन रश्मि की शादी के दिन वह अस्पताल में आनंदी नाम की एक मरीज और उसके बच्चे कि जान बचाती है। वहीं उसकी मुलाक़ात उसके भाई अभिमन्यु से होती है, जो उससे दस वर्ष छोटा रहता है।
सिमरन को अभि से प्यार हो जाता है और जब अभि उसे शादी के लिए पूछता है तो वह हाँ बोल देती है, लेकिन यह रिश्ता अभि के घर वालों को सही नहीं लगता क्योंकि वह अभि से दस साल बड़ी होती है। अभि अपने माता पिता की न सुन कर सिमरन से शादी कर लेता है। यह शादी सिमरन के अच्छे दोस्त डॉ॰ मानस की सहायता से होता है। लेकिन डॉ,॰ मानस की पत्नी उर्मिला इस शादी में मानस के सहायता करने के विरोध में रहती है।
अभि को उसके कार्य हेतु पुरस्कार मिलता है लेकिन वह इसका श्रेय कविता को दे देता है, जिससे उसकी पत्नी सिमरन नाराज हो जाती है। अभि की माँ को कविता पसन्द आ जाती है और वह सिमरन से काफी कम उम्र की भी होती है। बाद में यह पता चलता है कि कविता को कैंसर है और वह अपना इलाज कराने दूसरे देश जाते रहती है। अभि अपनी पहली पत्नी सिमरन को तलाक दे कर कविता से शादी कर लेता है। उसके बाद कविता और अभि के जीवन में एक अमीर व्यापारी आ जाता है। इसके बाद कविता उस व्यापारी के साथ रहने के लिए अभि को तलाक दे देती है।
अभि इसके कुछ ही समय बाद तीसरी शादी नेहा के साथ करता है और जल्द ही उनका बच्चा होने वाला होता है। सिमरन उसके बच्चे को जन्म देने में सहायता करती है लेकिन नेहा कि मौत हो जाती है। अभि का परिवार सिमरन को नेहा कि बेटी की देखरेख करने को कहता है। सिमरन उस लड़की को अपने बेटी की तरह देखती है। वह उसका नाम आस्था रखती है लेकिन उस समय तक अभि का कोई पता नहीं रहता है। कुछ वर्षों के बाद अभि एक प्रसिद्ध लेखक बन जाता है जो अपने नाम आनन्द के रूप में पहचाना जाता है। उसकी मुलाक़ात सिया से होती है जो उसकी और सिमरन की बेटी आस्था होती है। लेकिन वह बचपन में ही बिछड़ जाती है इस कारण इसका पता अभि को नहीं रहता है। आस्था को सिया से जलन होने लगती है क्योंकि उसका दोस्त सिद्धार्थ और सिया एक दूसरे के काफी करीब आ जाते हैं। किरण आस्था को बहकाने की कोशिश करती है लेकिन आस्था उसके योजना को जान जाती है। सिया और सिद्धान्त कि मंगनी हो जाती है। जब सिमरन और आस्था बस से यात्रा करते रहते हैं तो बस में धमाका हो जाता है। जिसमें आस्था कि मौत हो जाती है और सिमरन की आँखों की रोशनी चले जाती है। लेकिन बाद में सिमरन की आँखों कि रोशनी वापस आ जाती है। इसके बाद सिमरन और अभि एक साथ हो जाते हैं।
कलाकार
वरुण बडोला - अभिमन्यु सक्सेना / अभि (सिमरन, किरण और नेहा का पति)
निकी अनेजा वालिया - डॉ॰ सिमरन माथुर (अभि की पहली पत्नी)
नीरू बाजवा / काम्या पंजाबी - किरण (अभि की दूसरी पत्नी)
विनीता ठाकुर - नेहा (अभि की तीसरी पत्नी)
यूविका चौधरी - आस्था (नेहा और अभि की बेटी)
उपासना शुक्ला - सिया सरीन (सिमरन और अभि की बेटी)
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ | 598 |
800559 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE | ट्राइकोप्टेरा | ट्राइकोप्टेरा'' (Trichoptera) या लोमपक्ष''', कीटों का एक गण है, जिसमें रोम से आवृत शरीर और पंखवाले मँझोले कद के कीट सम्मिलित हैं। रोम की उपस्थिति इनको तितलियों से अलग करती है। इनमें चिबुकास्थि (mandible) नहीं होती, या लुप्तावशेष अवस्था में रहती है। जंबुक (maxillary) और लेबियल स्पर्शक (labial palpies) भली भाँति विकसित अवस्था में रहते हैं। आड़ी शिराओं से युक्त दो जोड़े झिल्लीमय पंख होते हैं, जो विश्राम की स्थिति में छतनुमा लगते हैं। एरूसिफाँर्म (Eruciform) लार्वे जलीय हैं और प्राय: पत्रों, काठ के टुकड़ों, रेत या कंकड़ से बने खोल में रहते हैं। इनका विशिष्ट लक्षणा यह है कि पिछले उदरीय खंड पर स्थिति दो सांकुश पूर्वपादों की सहायता से खोल से संबद्ध रहते हैं। ये इन पादों का उपयोग चारा पकड़ने में भी बहुत करते हैं।
ये पानी में या पानी के निकट अंडे देते हैं। लार्वा शीघ्र ही बाह्य पदार्थ से अपने को ढँककर एक नली बन जाता है जिसके छोर पर उसका सिर निकला रहता है। यह उदर पर स्थित श्वासनलिका (Tracheal) क्लोम से साँस लेता है। शरीर की लहरदार गति के कारण खोल जलधारा में बहता है। लार्वा शाकभक्षी या मांसभक्षी दोनों हो सकता है। खोल के खुले भाग के सिल्क के ढँक जाने पर प्यूपीकरण प्राय: खोल के अंदर ही होता है। प्यूपा बड़ी चिबुकास्थि की सहायता से खेल से मुक्त होकर प्रौढ़ अवस्था में बाहर आता है। मुक्त प्यूपा उरोमध्य (mesothoracic) पाद से तैरकर तट पर आता है और कुछ ही समय बाद प्रोढ़ कीट बन जाता है।
इस गण के प्रमुख सदस्य मई मक्खियाँ (Caddis flies), फ्रजेनिया (phrygania), लिम्नोफिलस (Limnophilus), और राइऐकोफिला (Rhyacophila) हैं।
सन्दर्भ
ट्राइकोप्टेरा | 264 |
102219 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE | रोहेड़ा | रोहिड़ा या टेकोमेला उण्डुलता (इसका वानस्पतिक नाम (Tecomella undulata) है) राजस्थान का राजकीय पुष्प (१९८३ में घोषित) है। यह मुख्यतः राजस्थान के थार मरुस्थल और पाकिस्तान मे पाया जाता है। रोहिड़ा का वृक्ष राजस्थान के शेखावटी व मारवाड़ अंचल में इमारती लकड़ी का मुख्य स्रोत है। यह मारवाड़ टीक के नाम से भी जाना जाता है। शुष्क व अर्ध शुष्क क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह वृक्ष पतझड़ी प्रकार का है। रेत के धोरों के स्थिरीकरण के लिए यह वृक्ष बहुत उपयोगी है।
बाहरी कड़ियाँ
Rohida - State Flower राजस्थान वन विभाग के आधिकारिक जालघर पर।
पुष्प
राजस्थान के वनस्पति और प्राणी समूह | 103 |
380792 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%B9%20%E0%A4%9C%E0%A5%87 | पितृवंश समूह जे | मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह जे या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप J एक पितृवंश समूह है। यह पितृवंश स्वयं पितृवंश समूह आईजे से उत्पन्न हुई एक शाखा है। इस पितृवंश के पुरुष अधिकतर मध्य पूर्व और अरबी प्रायद्वीप में मिलते हैं, हालांकि भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया और दक्षिण यूरोप के कुछ पुरुष भी इसके सदस्य हैं। अनुमान है के जिस पुरुष से यह पितृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग ३०,०००-५०,००० वर्ष पहले अरबी प्रायद्वीप में या उसके आस-पास रहता था। भारत में इसकी उपशाखा पितृवंश समूह जे२ के वंशज पुरुष अधिक मिलते हैं। ठीक यही उपशाखा भूमध्य सागर के इर्द-गिर्द के इलाक़ों में भी मिलती है।
अन्य भाषाओँ में
अंग्रेज़ी में "वंश समूह" को "हैपलोग्रुप" (haplogroup), "पितृवंश समूह" को "वाए क्रोमोज़ोम हैपलोग्रुप" (Y-chromosome haplogroup) और "मातृवंश समूह" को "एम॰टी॰डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप" (mtDNA haplogroup) कहते हैं।
इन्हें भी देखें
मनुष्य पितृवंश समूह
वंश समूह
सन्दर्भ
वंश समूह
हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना | 151 |
875982 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%B2 | कर्नाटक के मण्डल | कर्नाटक दक्षिण भारत में स्थित एक राज्य है, जिसका गठन १ नवंबर १९५६ को किया गया था। १ नवम्बर १९७३ को राज्य का नाम मैसूर से बदलकर कर्नाटक किया गया था। कर्नाटक राज्य को ४ मण्डलों में बांटा गया है।
बैंगलोर मण्डल
बंगलोर जिला, बंगलोर (ग्रामीण) जिला, चिकबल्लपुर जिला, चित्रदुर्ग जिला, दावणगिरि जिला, कोलार जिला, रामनगरम जिला, शिमोगा जिला, तुमकुर जिला
बेलगाम मण्डल
बागलकोट जिला,बेलगाम जिला, बीजापुर जिला, धारवाड़ जिला, गडग जिला, हवेरी जिला तथा उत्तर कन्नड़ जिला
गुलबर्ग मण्डल
बेल्लारी जिला, बीदर जिला, गुलबर्ग जिला, कोप्पल जिला, यादगीर जिला तथा रायचूर जिला
मैसूर मण्डल
चामराजनगर जिला, चिकमंगलूर जिला, दक्षिण कन्नड़ जिला, हसन जिला, कोडगु जिला, मांड्या जिला, मैसूर जिला तथा उडुपी जिला
सन्दर्भ
कर्नाटक वेबसाइट
कर्नाटक जानकारी प्रोफ़ाइल
कर्नाटक | 120 |
1110163 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%80-20%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A4%AA%202019 | टी-20 क्वाचा कप 2019 | 2019 टी-20 क्वाचा कप एक ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय/महिला ट्वेंटी-20 अंतर्राष्ट्रीय (टी20ई/मटी20ई) क्रिकेट प्रतियोगिता थी, जो मलावी और मोजाम्बिक की पुरुष और महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टीमों के बीच थी। दोनों पुरुषों और महिलाओं की श्रृंखला में ब्लैंटायर और लिलोंग्वे, मलावी में 6 और 10 नवंबर 2019 के बीच खेले गए सात टी20ई/मटी20ई मैच शामिल थे। पहले चार पुरुषों के टी20ई मैचों के लिए स्थल लिलोंग्वे में लिलोंग्वे गोल्फ क्लब था और इसके बाद इंडियन स्पोर्ट्स क्लब में दो मैच और ब्लांटायर में सेंट एंड्रयूज इंटरनेशनल हाई स्कूल में एक मैच खेला गया। डब्ल्यूटी20ई के सभी मैच सेंट एंड्रयूज इंटरनेशनल हाई स्कूल में खेले गए।
पुरुषों की सीरीज
मलावी और मोज़ाम्बिक दोनों ने अपना पहला मैच आधिकारिक टी20ई स्थिति के साथ खेला, क्योंकि 1 जनवरी 2019 के बाद एसोसिएट सदस्यों के बीच खेले गए सभी मैचों को टी20ई का दर्जा देने के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के फैसले के बाद। मलावी में खेले जाने वाले ये पहले टी20ई मैच थे। लिलॉन्गवे के लिलॉन्गवे गोल्फ क्लब में चार मैच खेले गए, दो भारतीय खेल क्लब ब्लैंटायर में और एक ब्लैंटायर के सेंट एंड्रयूज इंटरनेशनल हाई स्कूल में।
टी20ई सीरीज
पहला टी20ई
दूसरा टी20ई
तीसरा टी20ई
चौथा टी20ई
पांचवां टी20ई
छठा टी20ई
सातवां टी20ई
महिलाओं की सीरीज
महिलाओं की श्रृंखला सेंट एंड्रयूज इंटरनेशनल हाई स्कूल ब्लैंटायर में खेली गई थी। मलावी ने अपना पहला डब्ल्यूटी20ई मैच अगस्त 2018 से खेला और मोजांबिक ने आखिरी बार 2019 आईसीसी महिला क्वालीफायर अफ्रीका में मई 2019 में खेला था। ये मलावी में खेले जाने वाले पहले मटी20ई मैच थे।
महिला टी20ई सीरीज
पहला महिला टी20ई
दूसरा महिला टी20ई
तीसरा महिला टी20ई
चौथा महिला टी20ई
पांचवां महिला टी20ई
छठा महिला टी20ई
सातवां महिला टी20ई
नोट्स
सन्दर्भ | 276 |
954900 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%A4%E0%A4%BE | भारत में जल आपूर्ति और स्वच्छता | भारत में पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता, सरकार और समुदायों के विस्तृत कार्यक्षेत्र में सुधार के विभिन्न स्तरों के लंबे प्रयासों के बावजूद अपर्याप्त है। पानी और स्वच्छता में निवेश का स्तर, अंतरराष्ट्रीय मानकों से कम है, हालांकि 2000 के बाद से इसमें वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, 1980 में ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्षेत्र का अनुमान 1% था, जोकि 2008 में बढ़कर 21% तक पहुंच गया था। इसके अलावा, 1990 में स्वच्छ जल के बेहतर स्रोतों तक पहुंच 72% से बढ़कर 2008 में 88% हो गया था। साथ ही, बुनियादी ढांचे के संचालन और रखरखाव के प्रभारी स्थानीय सरकारी संस्थानों को अशक्त माना जाता है और उनके कार्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधनों की भी कमी रहती है। इसके साथ ही, केवल दो भारतीय शहरों में लगातार पानी की आपूर्ति है और 2008 के अनुमान के अनुसार लगभग 69% भारतीय अभी भी उन्नत स्वच्छता सुविधाओं से वंचित है। वाटरएड द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 157 मिलियन लोग या 41 प्रतिशत भारतीय पर्याप्त स्वच्छता के बिना रहते हैं। स्वच्छता के बिना रहने वाले शहरी लोगों की सबसे बड़ी संख्या के कारण इस मामलें में भारत शीर्ष पर आता है। भारत, शहरी स्वच्छता संकट में सबसे ऊपर है, इसमें स्वच्छता के बिना शहरी निवासियों की सबसे बड़ी मात्रा है और तकरीबन 41 मिलियन से अधिक लोगों खुले में शौच करते हैं।
भारत में पानी की आपूर्ति और स्वच्छता में सुधार के लिए कई अभिनव दृष्टिकोण में कई परीक्षण किए गए हैं, विशेष रूप से 2000 के दशक में। इनमें 1999 से ग्रामीण जल आपूर्ति में मांग-संचालित दृष्टिकोण, समुदाय के नेतृत्व में कुल स्वच्छता, कर्नाटक में शहरी जल आपूर्ति की निरंतरता में सुधार के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी, और सुधार के लिए जल आपूर्ति और स्वच्छता के लिए माइक्रोक्रेडिट का उपयोग कर पानी और स्वच्छता तक पहुंच बनाना आदि शामिल थे।
२०१४ में चलाये गये स्वच्छ भारत अभियान, लोगों में जागरूकता फैला कर स्वच्छता में सुधार लाने का प्रयास किया गया है। इस अभियान के तहत देश में लगभग 11 करोड़ 11 लाख शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था।
पहुँच
2015 में, शहरी क्षेत्रों में 96% और ग्रामीण इलाकों के 85% आबादी अर्थात कुल आबादी का 88% लोगों की कम से कम बुनियादी पानी तक पहुंच थी। 2016 से "कम से कम बुनियादी जल" शब्द, पहले इस्तेमाल किए गए "बेहतर जल स्रोत" की जगह उपयोग किया जा रहा है। 2015 में भारत में, 44% लोगों को "कम से कम बुनियादी स्वच्छता", या शहरी क्षेत्रों में 65% और ग्रामीण इलाकों में 34% तक पहुंच थी। 2015 में, 150 मिलियन लोग बुनियादी जल और 708 मिलियन लोग बुनियादी शौच सुविधाओं के बिना थे।
पिछले वर्षों में, 2010 में, संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया था कि 525 मिलियन लोग खुले में शौच करते हैं। जून 2012 में ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा "खुला मैदान शौचालय" है। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इसमें बेहतर हैं।
भारतीय मानदंडों के मुताबिक, बेहतर पानी की आपूर्ति तक पहुंच मौजूद है यदि कम से कम 40 लीटर/व्यक्ति/दिन, सुरक्षित पेयजल 1.6 किमी या 100 मीटर के भीतर प्रदान किया जाये। प्रति 250 व्यक्तियों में कम से कम एक पंप होना चाहिए।
शहरी क्षेत्रों में, जिन्हें पाइप नेटवर्क द्वारा पानी नहीं प्राप्त होता हैं उन्हें अक्सर निजी जल विक्रेताओं से संदिग्ध गुणवत्ता के महंगी पानी लेना पड़ता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में पानी के ट्रको को यमुना नदी के किनारे बने अवैध कुओं से 0.75 रुपये प्रति गैलन (२.८४ प्रति लीटर) की दर से पानी मिलता है।
स्वास्थ्य प्रभाव
पर्याप्त स्वच्छता और सुरक्षित पानी की कमी से स्वास्थ में नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं जिनमें डायरिया शामिल है, जिसे यात्रियों द्वारा "दिल्ली बेली" के रूप में संदर्भित किया जाता है, और सालाना लगभग 10 मिलियन आगंतुक इससे प्रभावित होते है। हालांकि अधिकांश पर्यटक जल्द ही ठीक हो जाते हैं या उचित देखभाल प्राप्त करते हैं। सीवर श्रमिकों की निराशाजनक परिस्थितियाँ एक और चिंता है। दिल्ली में सीवेज श्रमिकों की कामकाजी परिस्थितियों के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि उनमें से ज्यादातर पुरानी बीमारियों, श्वसन समस्याओं, त्वचा विकार, एलर्जी, सिरदर्द और आंखों के संक्रमण से पीड़ित हैं।
जल आपूर्ति और जल संसाधन
गिरते भूजल तालिका (जल स्तर) और पानी की खराब गुणवत्ता ने भारत के कई हिस्सों में शहरी और ग्रामीण जल आपूर्ति दोनों की स्थिरता में खतरा पैदा कर दिया है। सतह के पानी पर निर्भर शहरों में प्रदूषण, पानी की कमी और उपयोगकर्ताओं के बीच संघर्ष में वृद्धि होने लगी है। उदाहरण के लिए, बैंगलोर 1974 से कावेरी नदी के पानी पर काफी हद तक निर्भर रहता है, आज यह पानी कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के बीच विवाद का विषय है। अन्य भारतीय शहरों में पानी की होने पर उच्च लागत पर अधिक दूरी से और जल पूर्ति की जाती है। बैंगलोर के मामले में, 33.84 बिलियन (यूएस $471.3 मिलियन) के कावेरी चौथे चरण परियोजना, चरण दो में 100 किमी की दूरी से प्रति दिन 500,000 घन मीटर पानी की आपूर्ति शामिल है, इसके बावजूद शहर की आपूर्ति में मात्र दो तिहाई की ही वृद्धि हुई है।
कुछ तटीय इलाकों में समुद्री जल का अलवणीकरण कर आपूर्ति, पेयजल का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। उदाहरण के लिए, चेन्नई मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई और सीवरेज बोर्ड ने 2010 में मिंजुर में प्रति दिन 100,000 एम3 की क्षमता वाले बड़े समुद्री जल विलवणीकरण संयंत्र की स्थापना की है। उसी वर्ष निममेली में उसी क्षमता वाले दूसरा संयंत्र अनुबंधित किया गया है।
सन्दर्भ
भारत के सामाजिक मुद्दे
भारत में जल आपूर्ति और स्वच्छता
भारत में स्वच्छता | 919 |
1248155 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%88 | बारसोई | बारसोई (Barsoi) भारत के बिहार राज्य के कटिहार ज़िले में स्थित एक नगर है। यह एक प्रशासनिक उपखंड का मुख्यालय भी है। यहाँ एक रेलवे स्टेशन है।
जनगणना
पूरे बारसोई उपखंड की जनसंख्या सन् 2011 की भारत की जनगणना के अनुसार 3,44,133 थी, जिसमें से 1,79,378 (52.12%) पुरुष और 1,64,755 (47.88%) स्त्रियाँ थी। साक्षरता दर 35.46% था, जो भारत के सब से निचले दर्जों में से एक था।
इन्हें भी देखें
कटिहार ज़िला
सन्दर्भ
बिहार के शहर
कटिहार जिला
कटिहार ज़िले के नगर | 83 |
751853 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%88%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%9F%20%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%97%202012-18 | आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग 2012-18 | 2012-18 आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग के चल रहे तीसरे सत्र है। आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग 2007-09 के दौरान विभिन्न लीग की स्थापना के बाद, प्रतियोगिता के आठ डिवीजनों की रचना की थी लेकिन 2014 में, आईसीसी डिवीजन 7 और 8 डिवीजन कम हो गई। इसके अलावा, क्षेत्रीय टूर्नामेंट योग्यता की एक शृंखला खेला जाएगा। डिवीजनों, मोटे तौर पर लगातार क्रम में खेला जाएगा साथ कम डिवीजनों पहले खेला था। प्रत्येक प्रभाग से शीर्ष दो निम्न, उच्च विभाजन करने के लिए पदोन्नति हासिल है, जिसका अर्थ है कि कुछ टीमों के टूर्नामेंट के दौरान एक से अधिक विभाजन में खेलेंगे होगा। पहला टूर्नामेंट, सितंबर 2012 में, समोआ में 2012 आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन आठ था।
28 जनवरी 2015, आईसीसी ने घोषणा की है कि प्रमुख सहयोगी दो पक्षों, आयरलैंड और अफगानिस्तान, 2019 विश्व कप तक की अवधि के लिए आईसीसी वनडे चैम्पियनशिप के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस पदोन्नति की गारंटी दोनों अंतिम क्रिकेट विश्व कप क्वालीफायर के लिए सहयोगी पक्षों प्रविष्टि, और वनडे चैम्पियनशिप के माध्यम से सीधे क्वालीफाई करने का अवसर।
एक परिणाम के रूप में, दोनों टीमों के विश्व क्रिकेट लीग एक दिवसीय कार्यक्रम से हटा दिया गया है, और केन्या और नेपाल, जो विश्व क्रिकेट लीग चैम्पियनशिप दिनों के लिए पदोन्नति पर बाहर याद किया था इससे पहले, चैम्पियनशिप के लिए प्रोत्साहित किया गया।
टूर्नामेंट सारांश
टीम्स
पूर्ण अनुसूची और परिणाम
सन्दर्भ | 230 |
957508 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A5%A8%E0%A5%A6%E0%A5%A6%E0%A5%AB%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%20%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%AE%E0%A4%BF%20%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE | २००५ राम जन्मभूमि हमला | 5 जुलाई 2005 को इस्लामिक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकवादियों ने अस्थायी राम मंदिर पर हमला किया. सभी पांच को मुठभेड़ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा गोली मार दी गयी, जबकि एक नागरिक की आतंकियों द्वारा ग्रेनेड हमले में मृत्यु हो गई। सीआरपीएफ के तीन सिपाही हताहत हुए, जिनमें से दो गंभीर रूप से घायल हुए।
बाद
भारत के अधिकांश राजनीतिक संगठनों ने हमले के बर्बर स्वरुप की निंदा की और लोगों से अनुरोध किया की कानून और व्यवस्था बनाए रखें. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उसके सहयोगी संगठनों विश्व हिन्दू परिषद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भारत में व्यापक विरोध और प्रर्दशन की घोषणा की 8 जुलाई, 2005 के लिए. भाजपा अध्यक्ष एल. के. आडवाणी ने आतंकवादी गतिविधियों रोकथाम के अधिनियम को हमले के मद्देनजर पुनः बहाली की बात कही.
यह भी देखें
भारत में आतंकवाद
संदर्भ
हिन्दी दिवस लेख प्रतियोगिता २०१८ के अन्तर्गत बनाये गये लेख
भारत में आतंकवादी घटनाएं | 154 |
661695 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%B2%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9A%E0%A5%80 | हिमाचल प्रदेश के राज्यपालों की सूची | 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद से हिमाचल प्रदेश एक केंद्र शासित प्रदेश बना। 25 जनवरी 1971 को यह पूर्ण राज्य बना। राज्यपाल हिमाचल प्रदेश का आधिकारिक निवास स्थान राजभवन शिमला है जो कि राजधानी शिमला में स्थित है।
सूची
सूची
उप-राज्यपाल 01 मार्च 1952 से 24 जनवरी 1971
राज्यपाल 25 जनवरी 1971 से अब तक
इन्हें भी देखें
राजभवन शिमला; शिमला
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमन्त्रियों की सूची
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
भारत के राज्यों के राज्यपाल | 79 |
760690 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%AA%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A8 | भारतीय पैंगोलिन | भारतीय पैंगोलिन (Indian pangolin), जिसका वैज्ञानिक नाम मैनिस क्रैसिकाउडाटा (Manis crassicaudata) है, पैंगोलिन की एक जीववैज्ञानिक जाति है जो भारत, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में कई मैदानी व हलके पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पैंगोलिन की आठ जातियों में से एक है और संकटग्रस्त माना जाता है। हर पैंगोलिन जाति की तरह यह भी समूह की बजाय अकेला रहना पसंद करता है और नर व मादा केवल प्रजनन के लिए ही मिलते हैं। इसका अत्याधिक शिकार होता है जिसमें रोग-निवारण के लिए इसके अंगों को खाने की झूठी और अन्धविश्वासी प्रथाएँ भी भूमिका देती हैं। इस कारणवश यह विलुप्ति की कागार पर आ गया है।
इन्हें भी देखें
पैंगोलिन
चीनी पैंगोलिन
सन्दर्भ
मैनिस
भारत के स्तनधारी
भूटान के स्तनधारी
नेपाल के स्तनधारी
श्रीलंका के स्तनधारी | 127 |
746951 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%AA | पाकिस्तान कप | पाकिस्तान कप राष्ट्रीय लिस्ट ए क्रिकेट पाकिस्तान के टूर्नामेंट है, और 4 प्रांतों और राजधानी क्षेत्र से 5 टीमों ने चुनाव लड़ा है। यह पूर्व लिस्ट ए क्रिकेट टूर्नामेंट पंचकोना ट्रॉफी बदल दिया।
इतिहास
पाकिस्तान घरेलू संरचना में परिवर्तन हर दो साल में होने वाली के साथ दशकों के लिए असंगत किया गया है। इस कारण वे अब अपने घरेलू सर्किट के पुनर्गठन और पाकिस्तान कप नामित नया टूर्नामेंट है जो पंचकोना ट्रॉफी की जगह लेगा शुरू कर रहे हैं।
आलेखन
हर टीम में एक 15 सदस्यीय टीम की घोषणा की प्रति-कप्तान और 150 खिलाड़ियों के मसौदे से कोच द्वारा उठाया जा रहा होगा।
वर्तमान टीमे
बलूचिस्तान
संघीय क्षेत्र
खैबर पख्तुनख्वा
पंजाब
सिंध
पूर्व टीम
इस्लामाबाद
विजेताओं
2016 – खैबर पख्तुनख्वा
2017 – संघीय क्षेत्र
2018 – संघीय क्षेत्र
2019 – खैबर पख्तुनख्वा
संदर्भ
पाकिस्तान की घरेलु क्रिकेट प्रतियोगितायें | 139 |
557939 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8 | आयोजन | वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भविष्य की रुपरेखा तैयार करने के लिए आवश्यक क्रियाकलापों के बारे में चिन्तन करना आयोजन या नियोजन (Planning) कहलाता है। यह प्रबन्धन का प्रमुख घटक है।
आज जिस प्रकार के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक माहौल में हम हैं, उसमें नियोजन उपक्रम एक अभीष्ट जीवन-साथी बन चुका है। यदि समूहि के प्रयासों को प्रभावशाली बनाना है तो कार्यरत व्यक्तियों को यह जानना आवश्यक है कि उनसे क्या अपेक्षित है और इसे केवल नियोजन की मदद से ही जाना जा सकता है। इसीलिए तो कहा जाता है कि प्रभावशाली प्रबन्ध के लिए नियोजन उपक्रम की समस्त क्रियाओं में आवश्यक है। लक्ष्य निर्धारण तथा उस तक पहुँ चने तक का मार्ग निश्चित किये बिना संगठन, अभिप्रेरण, समन्वय तथा नियन्त्रण का कोई भी महत्त्व नहीं रह पायेगा। जब नियोजन के अभाव में क्रियाओं का पूर्वनिर्धारण नहीं होगा तो न तो कुछ कार्य संगठन को करने को ही होगा, न समन्वय को और न ही अभिप्रेरणा और नियन्त्रण को। इसीलिए ही विद्वानों ने नियोजन को प्रबन्ध का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य माना है। नियोजन की प्रक्रिया मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही मौजूद है, क्योंकि यह मानव का स्वभाव रहा है कि उसे आगे क्या करना है? इसकी वह पूर्व में कल्पना करता है। आज इसका सुधरा हुआ स्वरूप हमारे सामने है।
नियोजन के उद्देश्य
1. जानकारी प्रदान करना : नियोजन का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य, संस्था में कार्यरत कर्मचारियों एवं बाहरी व्यक्तियों को उपक्रम के लक्ष्यों एवं उप-लक्ष्यों की जानकारी प्रदान करना तथा इन्हें प्राप्त करने की विधियों के सम्बन्ध में भी सूचना प्रदान करना है।
2. विशिष्ट दिशा प्रदान करना : नियोजन द्वारा किसी कार्य-विशेष की भावी रूपरेखा बनाकर उसे एक ऐसी विशेष दिशा। प्रदान करने का प्रयत्न किया जाता है जो कि इसके अभाव में लगभग असम्भव प्रतीत होती है।
3. कुशलता में वृद्धि करना : नियोजन का एक मूलभूत उद्देश्य उपक्रम की कुशलता में वृद्धि करना है। सर्वोंत्तम विकल्प के चयन और व्यवस्थित ढंग से कार्य किए जाने के कारण उपक्रम की कार्य-कुशलता में वृद्धि स्वाभाविक ही है।
4. प्रबन्ध में मितव्ययिता : उपक्रम की भावी गतिविधियों की योजना के बन जाने से प्रबन्ध का ध्यान उसे कार्यान्वित करने की ओर केन्द्रित हो जाता है जिसके फलस्वरूप क्रियाओं में अपव्यय के स्थान पर मितव्ययिता आती है।
5. स्वस्थ मोर्चाबन्दी : नियोजन का उद्देश्य स्वस्थ मोर्चाबन्दी को विकसित करना भी है। पूर्वानुमानों व सर्वोंत्तम विकल्प के चयन द्वारा सही मोर्चाबन्दी या व्यूह-रचना तैयार की जा सकती है।
6. भावी कार्यों में निश्चितता : नियोजन के माध्यम से संस्था की भावी गतिविधियों में अनिश्चितता के स्थान पर निश्चितता लाने का प्रयास किया जाता है।
7. जोखिम एवं सम्भावनाओं को परखना : नियोजन का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य संस्था की भावी जोखिम एवं सम्भावनाओं की परख करना है। इसके अनेक भावी जोखिमों से बचने के लिए आवश्यक उपाय किये जा सकते हैं।
8. निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति करना: नियोजन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयत्न करते रहना है।
9. साम्य एवं समन्वय की स्थापना : नियोजन द्वारा उपक्रम की विभिन्न गतिविधियों में साम्य एवं समन्वय स्थापित किया जाता है।
10. प्रतिस्पर्द्धा पर विजय पाना: दॉव पेचपूर्ण नियोजन प्रतिस्पर्द्धा के क्षेत्र में विजय पाने में सहायक सिद्ध होता है। कार्यकुशलता एवं मितव्ययिता से किये जाने के कारण प्रतिस्पर्द्धा का सामना किया जा सकता है।
नियोजन का अर्थ एवं परिभाषा
नियोजन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा भावी उद्देश्यों तथा उन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किये जाने वाले कार्यों को निर्धारित किया जाता है। इसके अतिरिक्त उन सभी परिस्थितियों की जाँच की जाती जिनसे इसका सरोकार हो। इस प्रक्रिया में किये जाने वाले कार्यों के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी निर्धारित किये जाते हैं ये कार्य कब, कहाँ, किस प्रकार, किनके द्वारा, किन संसाधनों से, किस नियम एवं प्रक्रिया के अनुसार पूरे किये जायेंगे। नियोजन को अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार से परिभाषित किया है। कुछ प्रमुखपरिभाषाएं निम्नानुसार हैं-
मोन्डे एवं फ्लिपो (mondy and flippo) के अनुसार लक्ष्यों तथा इनकी प्राप्ति के लिए कार्य-पथ के निर्धारण की प्रक्रिया को नियोजन कहा जाता है।
क्लॉड एस. जार्ज (claude S. Georgh) के अनुसार नियोजन आगे देखना है, भावी घटनाओं की संकल्पना करना है तथा वर्तमान में भविष्य को प्रभावित करने वाले निर्णय लेना है।
कूट्ज एवं ओ’ डोनेल (koontz and O'Donnell) अनुसार, नियोजन एक बौद्धिक प्रक्रिया है, कार्यविधि का सचेत निर्धारण है, निर्णयों को उद्देश्यों, तथा पूर्व-विचारित अनुमानों पर आधारित करना है।
एम. ई. हले (M.E.Hurley) के शब्दों में, ' 'क्या करना है, इसका पूर्व निर्धारण नियोजन है। इसमें विभिन्न वैकल्पिक उद्देश्यों, नीतियों, पद्धतियों एवं कार्यक्रमों में से चयन करना निहित है।हार्ट (Hart) के शब्दों में, नियोजन कार्यों की शृंखला का अग्रिम निर्धारण है जिसके द्वारा निश्चित परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। मेरी कुशिंग नाइल्स (Marry cushing Niles) के शब्दों में, नियोजन किसी उद्देश्य को पूरा करने हेतु क्रिया-विधि या कार्य-पथ का चयन एवं विकास करने की प्रक्रिया है। यह वह आधार है जिसमें भावी प्रबन्धकीय कार्यों का उद्गम होता है। क्रीटनर (Kreitner) के शब्दों में, नियोजन विनिर्दिष्ट परिणाम प्राप्त करने हेतु भावी कार्य-पथों का निर्धारण करके अनिश्चितता का सामना करने की प्रक्रिया है। है मन (Haiman) के शब्दों में, क्या किया जाना है इसका पूर्व-निर्धारण ही नियोजन है। जार्ज आर. टेरी (George R.Terry) के शब्दों में, नियोजन भविष्य में देखने की विधि अथवा कला है। इसमें भविष्य की आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है ताकि निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति के लिए जाने वाले वर्तमान प्रयासों को उनके अनुरूप डाला जा सके। ।
नियोजन का महत्त्व या प्रभाव
व्यावसायिक क्षेत्र में अनेक परिवर्तन आते रहते हैं जो उपक्रम के लिए विकास एवं प्रगति का मार्ग ही नहीं खोलते हैं, वरन् अनेक जोखिमों एवं अनिश्चितताओं को भी उत्पन्न कर देते हैं। प्रतिस्पर्द्धा, प्रौद्योगिकी, सरकारी नीति, आर्थिक क्रियाओं, श्रम पूर्ति, कच्चा माल तथा सामाजिक मूल्यों एवं मान्यताओं में होने वाले परिवर्तनों के कारण आधुनिक व्यवसाय का स्वरूप अत्यन्त जटिल हो गया है। ऐसे परिवर्तनशील वातावरण में नियोजन के आधार पर ही व्यावसायिक सफलता की आशा की जा सकती हैं। आज के युग में नियोजन का विकास प्रत्येक उपक्रम की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। व्यावसायिक बर्बादी, दुरूपयोग व, जोखिमों को नियोजन के द्वारा ही कम किया जा सकता है। नियोजन की आवश्यकता एवं महत्त्व को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है :
1. अनिश्चितताओं में कमी : भविष्य अनिश्चितताओं तथा परिवर्तनों से भरा होने के कारण नियोजन अधिक आवश्यक हो जाता है। नियोजन के माध्यम से अनिश्चितताओं को बिल्कुल समाप्त तो नहीं अपितु कम अवश्य किया जा सकता है। पूर्वानुमान जो नियोजन का आधार है, की सहायता से एक प्रबन्धक भविष्य का बहुत कुछ सीमा तक ज्ञान प्राप्त करने तथा भावी परिस्थितियों को अपने अनुसार मोड़ने में समर्थ हो सकता है। तथ्यों के विश्लेषण के आधार पर निकाले गये निष्कर्ष बहुत कुछ सीमा तक एक व्यवसायी को अनिश्चितताओं से निपटने का आधार तैयार कर देते हैं।
2. नियन्त्रण में सुगमता : कार्य पूर्व-निर्धारित कार्य-विधि के अनुसार हो रहा हे या नहीं, यह जानना ही नियन्त्रण का कार्य है। नियोजन के माध्यम से कार्य प्रारम्भ करने की विधि तय की जाती है ताकि प्रमाप निर्धारित किये जाते हैं। ऐसी कई तकनीकों का विकास हो चुका है, जिनसे नियोजन एवं नियन्त्रण में गहरा सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है। जो तकनीक नियोजन में काम में ली जाती हैं वे ही आगे चलकर नियन्त्रण का आधार बनती हैं। इसीलिए यदि नियोजन को नियन्त्रण की आत्मा कह दिया जायेतो कोई गलती नहीं होगी।
3. समन्वय में सहायता : समन्वय सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभिन्न क्रियाओं की एक व्यवस्थित प्रथा है। इसके माध्यम से उपक्रम के उद्देश्यों को प्राप्त करना सरल हो जाता है, क्योंकि योजनाएं चुने हुए मार्ग हैं, इसलिए इनकी सहायता से प्रबन्धक संघर्ष के स्थान पर सहयोग जागृत कर सकता है जो कि विभिन्न क्रियाओं में समन्वय स्थापित करने में मदद देता है। इसके अतिरिक्त यह विभिन्न क्रियाओं का इस प्रकार निर्धारण करता है, जिससे समन्वय लाना आवश्यक बन जाता है।
4. उतावले निर्णयों पर रोक : नियोजन के अन्तर्गत सभी कार्य काफी सोच-विचार के पश्चात् ही हाथ में लिये जाते हैं, इसलिए उतावले निर्णयों से होने वाली हानि से बचा जा सकेगा।
5. पूर्णता का ज्ञान : उपक्रम को पूर्णता में देखने के कारण एक प्रबन्धक प्रत्येक क्रिया के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान कर पाता है ताकि जिस आधार पर उसके कार्य का निर्धारण किया गया है उसे जानने का अवसर भी उसे नियोजन के माध्यम से मिल पाता है।
6. अपवाद द्वारा प्रबन्ध : अपवाद द्वारा प्रबन्ध से अर्थ यह है, कि प्रबन्धक को प्रत्येक क्रिया में सम्मिलित नहीं होना चाहिए। यदि सब काम ठीक-ठाक चल रहा हो तो प्रबन्धक को निश्चिन्त रहना चाहिए और केवल उसी समय बीच में आना चाहिए जब कार्य नियोजन के अनुसार न चल रहा हो। नियोजन द्वारा संस्था के उद्देश्य निर्धारित कर दिए जाते हैं और सभी प्रयास उनको प्राप्त करने के लिए ही किए जाते हैं। इस प्रकार प्रबन्ध को दैनिक कार्यों में उलझने की आवश्यकता नहीं हैं, अत: कहा जा सकता है, कि नियोजन से अपवाद द्वारा प्रबन्ध सम्भव हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रबन्धकों के पास इतना समय बच जाता है, कि वे और आर्थिक सोच-विचार करके श्रेष्ठ योजनाएँ तैयार करें।
7. कर्मचारियों के सहयोग एवं संतोष में वृद्धि : नियोजन द्वारा विभिन्न कर्मचारियों को इस बात की जानकारी हो जाती है कि विभिन्न कर्मचारियों को कब, क्या और कै से करना है ? अपनी भावी क्रियाओं की पूर्व जानकारी हो जाने पर व मानसिक रूप से तैयार हो जाते हैं और जैसे ही कार्य का समय आता है, वे उसे अधिक लगन व मेहनत के साथ करते हैं। मेहनत से किये कार्यों से साख बढती है और संस्थान को लाभ प्राप्त होता है। इससे कर्मचारियों को संतुष्टि प्राप्त होती है तथा आपसी सहयोग को बढावा मिलता है।
8. निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति करना : नियोजन का अन्तिम एवं सबसे अधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयत्न करते रहना है।
9. विशिष्ट दिशा प्रदान करना : नियोजन द्वारा किसी कार्य विशेष की भावी रूपरेखा बनाकर उसे एक विशेष दिशा प्रदान करने का प्रयत्न किया जाता है, जो कि इसके अभाव में लगभग असम्भव प्रतीत होती है।
10. कार्यकुशलता मापदण्ड : नियोजन का उद्देश्य प्रबन्धकीय कुशलता एवं व्यक्तिगत व सामूहिक कार्यकुशलता के मूल्यांकन हेतु मापदण्ड निर्धारित करना।
नियोजन की कठिनाइयाँ, सीमाएँ एवं आलोचनाएँ
नियोजन का उपर्युक्त महत्त्व होते हुए भी कुछ विद्वान इसे 'समय एवं धन की बर्बादी अथवा 'बरसाती ओले' कहकर इसका विरोध करते हैं। उनका कहना हैं कि व्यावसायिक योजनाएँ अनिश्चित एवं अस्थिर परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में तैयार की जाती हैं। जब इनका आधार ही अनिश्चित है तो फिर यह कै से माना जा सकता है कि नियोजन द्वारा निर्धारित बातें सदैव शत्-प्रतिशत सत्य ही होंगी। इस विरोध का मूल कारण नियोजन में उत्पन्न विभिन्न कठिनाइयों एवं सीमाओं का होना है जिनके कारण इसकी कटु शब्दों में आलोचनाएँ की जाती है। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
1. सर्वोंत्तम विकल्प के चुनाव में कठिनाई : नियोजन में विभिन्न विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ का चुनाव किया जाता है परन्तु कौनसा विकल्प श्रेष्ठ है। इसका निर्णय कौन करेगा? एक व्यक्ति के अनुसार एक विकल्प हो सकता है और दूसरे व्यक्ति के अनुसार दूसरा विकल्प। यही नहीं वर्तमान में कोई एक विकल्प श्रेष्ठ होता है और भविष्य में बदली हुई परिस्थितियों में दूसरा विकल्प श्रेष्ठ प्रतीत होता है।
2. लोचशीलता का अभाव : नियोजन के कार्य में एक अन्य कठिनाई पर्याप्त लोच का अभाव है। विलियम न्यूमेन के अनुसार नियोजन जितना अधिक विस्तृत होगा उसमें उतनी ही ज्यादा लोचहीनता होगी। लोच के अभाव में प्रबन्धक उत्साह-विहीन हो जातेहैं जिससे वे उपक्रम के कार्यों में पूर्ण रूचि नहीं ले पाते। प्रबन्धक पूर्व निर्धारित नीतियों, पद्धतियों तथा कार्यक्रम के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य होते हैं और परिस्थितियों के अनुरूप उनमें संशोधन की आवश्यकता होने पर भी वे ऐसा नहीं कर सकते। इस प्रकार लोचहीनता के कारण नियोजन के संचालन में कठिनाइयों उत्पन्न हो जाती हैं।
3. पर्याप्त मानसिक योग्यता का अभाब : उर्विक के अनुसार, ' नियोजन मूल रूप से एक मानिसिक अवस्था है, एक बौद्धिक प्रक्रिया है। केवल वह तकनीकी रूप से प्रशिक्षित व अनुभवी व्यक्ति ही नियोजन का कार्य कर सकते हैं, परन्तु संस्थाओं में प्राय: ऐसेव्यक्तियों की कमी पाई जाती है जिससे त्रुटिपूर्ण योजनाएँ ही बन पाती हैं।
4. मनोवैज्ञानिक बाधाऐं : मनोवैज्ञानिक बाधाएँ भी योजनाओं के निर्माण एवं उनकेक्रियान्वयन में बाधाएँ उत्पन्न करती हैं। इसमें से प्रमुख बाधा यह है कि अधिकांश व्यक्तियों की तरह अधिशासी भी भविष्य की तुलना में वर्तमान को अधिक महत्त्व देतेहैं। इसका कारण यह है कि भविष्य की तुलना में वर्तमान न केवल अधिक निश्चित है अपितु वांछित भी है। नियोजन में अनेक ऐसी बातों को संम्मिलित किया जाता है जिनकी अधिशासी इस आधार पर उपेक्षा एवं विरोध करते हैं कि उन्हें अभी कार्यान्वित नहीं किया जा सकता है।
5. अरूचिकर कार्य : यदि देखा जाये तो योजना बनाना ही एक अरूचिकर कार्य है। कभी-कभी अरूचिकर कार्य होने के कारण भी नियोजन असफल रहता है। ऐलन के .केअनुसार, कभी-कभी कठिन एवं अरूचिकर कार्यों के कारण नियोजन असफल होता है।
6. हिस्सेदारी का अभाव : विद्वानों का मत है कि नियोजन के निर्माण में संबन्धको, प्रशासकों, विशेषज्ञों एवं मनोवैज्ञानिकों को समुचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, जिसका इस प्रक्रिया में अभाव पाया जाता है। यही कारण है जिसके अभाव में नियोजन अपनी सर्वव्यापकता सिद्ध नहीं कर पाता।
7. सीमित व्यावहारिक मूल्य : कुछ आलोचकों का यह मत है कि नियोजन को सभी परिस्थितियों में व्यावहारिक नहीं कहा जा सकता। तथ्यों के ऊपर आधारित होने के बावजूद भी नियोजन में अवसरवादिता को पूरा स्थान मिलता हैं नियोजक तथ्यों को इस प्रकार तोड-मरोड कर प्रस्तुत करते हैं जो कि नियोजन की समस्त उपादेयता को समाप्त कर देता है।
नियोजन के प्रकार
नियोजन कई प्रकार के हो सकते हैं। सामान्यतया नियोजन को निम्नलिखित वर्गों में विभक्त किया जा सकता है :
अवधि के आधार पर
अवधि के आधार पर नियोजन तीन प्रकार का हो सकता है :
(१) अल्पकालीन नियोजन : यह सामान्यतया एक वर्ष और इससे कम की अवधि के लिए तैयार किया जाता है। इसके अन्तर्गत अल्पकालीन क्रियाओं का निर्धारण इस प्रकार से किया जाता है, ताकि दीर्घकालीन नियोजन के उद्देश्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सके। इसमें क्रियाओं का विस्तृत विश्लेषण किया जाता है। यह विशिष्ट उद्देश्य तथा उत्पादन के ऐच्छिक स्तर को प्राप्त करने से प्रारम्भ होता है। अल्पकालीन नियोजन का सम्बन्ध, चूंकि अल्पकाल से होता है, इसलिए इसका पूर्वानुमान लगाया जाना आसान है, इनका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा सकता है तथा आवश्यक परिवर्तन एवं संशोधन सम्भव है। अल्पकालीन नियोजन की कुछ सीमाएँ भी हैं। इसमें उपक्रम के विकास एवं स्थायित्व को पर्याप्त महत्त्व नहीं मिल पाता और कर्मचारियों को निर्णयन में हिस्सेदारी देना कठिन है। इसके अलावा उतावले निर्णयों का नुकसान भी इस प्रकार के नियोजन में होता है।
(२) मध्यकालीन नियोजन : सामान्यतया यह योजना 1 वर्ष से अधिक लेकिन 5 वर्ष से कम की अवधि की होती है तथा इनमें उन तमाम क्रियाओं को निर्धारित किया जाता है जिनसे आधारभूत समस्या का समाधान करने में मदद मिल सके।
(३) दीर्घकालीन नियोजन : साधारणतया ये योजनाएँ 5 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए तैयार की जाती है। इनके द्वारा उपक्रम के दीर्घकालीन उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं तथा उन्हें प्राप्त करने के लिए विशिष्ट योजनाओं का निर्माण किया जाता है। आधारभूत समस्याओं को पूर्व में ही पहचानने तथा उनके बारे में निर्णय ले ने की बात इन योजनाओं में निहित होती है।
दीर्धकालीन नियोजन संस्थान के इरादों एवं अपेक्षाओं का वास्तविक प्रतिनिधि कहा जा सकता है। इसमें वातावरण में आये परिवर्तनों का समायोजन किया जाना आसान है और यह उपक्रम के विकास में तीव्रता लाता है। इसके अलावा यह शोध एवं अनुसंधान को प्रोत्साहन देगा। इसके दोष है- लम्बी अवधि का पूर्वानुमान करना कठिन, खर्चीली व्यवस्था तथा सभी तत्वों के प्रभावों का विश्लेषण करना कठिन।
प्रकृति के आधार पर
प्रकृति के आधार पर नियोजन को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(१) स्थायी नियोजन: यह नियोजन स्थायी प्रकृति का होता है जिसे बार-बार उपयोग में लाया जाता है। इसमें उपक्रम की नीतियाँ, संगठन का ढाँचा, प्रमाणित प्रक्रिया एवं विधियॉ सम्मिलित की जाती हैं।
ये दीर्घकाल तक उपयोगी बने रहते हैं। इनका निर्धारण पूर्व में कर लिया जाता है, ताकि संगठन के क्रियाकलापों को व्यवस्था प्रदान करने के आधार के रूप में काम लिया जा सके। इनसे फर्म की विश्वसनीयता बढती हैं।
(२) अस्थायी नियोजन : यह वह नियोजन है जो किसी विशेष स्थिति के लिए बनाया जाता है और उस उद्देश्य के पूरा हो जाने के साथ ही समाप्त होता है। इन्हें एकल प्रयोग नियोजन के नाम से भी जाना जाता है। इनकी प्रकृति अस्थायी एवं नवीनता की होती है। बजट इसका अच्छा उदाहरण है।
स्तर के आधार पर
स्तर के आधार पर नियोजन को तीन भागों में बॉटा जा सकता है :
(१) उच्चस्तरीय नियोजन- यह उच्च स्तर पर कार्य करने वाले प्रबन्धकों द्वारा बनाई गई योजनाएँ . जो कि सम्पूर्ण उपक्रम के क्रियाकलापों को प्रभावित करती हैं। इसमें सं स्था-की सामान्य नीतियाँ स्पष्ट की जाती हैं।
(२) मध्यस्तरीय नियोजन : इन योजनाओं का निर्माण मध्यस्त्तरीय प्रबन्धकों द्वारा किया जाता है जो कि निम्नस्तरीय नियोजन के लिए आधार का कार्य करती।
(३) निम्नस्तरीय नियोजन : निम्न स्तर पर कार्य करने वाले प्रबन्धकों द्वारा बनाई गई येयोजनाएँ मध्स्तरीय योजनाओं को कार्य-रूप दे ने का कार्य करती हैं।
महत्त्व के आधार पर
महत्त्व के आधार पर नियोजन को तीन भागों में बॉटा जा सकता है :
(१) समष्टि नियोजन : भारत के आर्थिक परिदृश्य में 1990 के पश्चात् आये परिवर्तन, यथा- उदारीकरण, निजीकरण, भूमंडलीकरण तथा पारदर्शिता ने समष्टि नियोजन को महत्वपूर्ण बना दिया है। उपक्रम के सफल संचालन के लिए इसकी विद्यमानता आवश्यक समझी जाने लगी है। सामान्य अर्थों में समष्टि नियोजन एक व्यापक योजना है जो संस्था को पूर्णता में विचार करती है। इसे नियोजन का समय दृष्टिकोण कहा जा सकता है।
(२) व्यूहरचनात्मक नियोजन : व्यूहरचनात्मक नियोजन न तो चालों का पिटारा है और न ही तकनीकों का समूह, बल्कि यह एक विश्लेषणात्मक विचार एवं कार्य के लिए साधनों की प्रतिबद्धता है। यह उपक्रम की साहसिक क्षमताओं में सुधार लाने की विधि है।
(३) परिचालन नियोजन : परिचालन नियोजन को रणनीतिक नियोजन के नाम से भी जाना जाता है। परिचालन नियोजन व्यूह रचनात्मक नियोजन को विशिष्ट कार्य योजनाओं में परिवर्तित करने की एक प्रक्रिया है। यह व्यूहरचनात्मक नियोजन को विषय-वस्तु एवं स्वरूप प्रदान करता है। इसका सम्बन्ध परिचालन से होता है जो कि उपक्रम के विभिन्न क्रियात्मक क्षेत्रों, जैसे-उत्पादन, विपणन, वित्त, मानवीय संसाधन विकास, शोध एवं अनुसंधान आदि के लिए योजनाओं का निर्माण करता है। यह उपलब्ध साधनों के सर्वोंत्तम उपयोग को सम्भव बनाता है। इससे फ्रन्टलाइन पर कार्य करनेवाले प्रबन्धकों को दिशा मिलती है और इनके आधार पर उनके कार्यों का मूल्यांकन किया जाना आसान होता है।
नियोजन की तकनीक या प्रक्रिया
नियोजन प्रक्रिया से आशय ऐसी प्रक्रिया से है जिसके अनुसरण करने से एक प्रभावशाली नियोजन का निर्माण सम्भव है। यद्यपि सभी प्रकार के उपक्रमों के लिए नियोजन की एक सामान्य प्रक्रिया निश्चित नहीं की जा सकती, लेकिन फिर भी एक तर्कसंगत व्यावसायिक नियोजन में निम्न प्रक्रिया का अनुसरण किया जा सकता है :
1. समस्या को परिभाषित करना- समस्या को परिभाषित करना नियोजन का वास्तविक बिन्दु है। इसके अन्तर्गत समस्या के संभावित भावी अवसरों पर प्रारम्भिक दृष्टि डालना तथा उपक्रम की शक्तियों एवं सीमाओं का ज्ञान करना शामिल है। इस चरण में प्रबन्धक समस्या के समाधान से होने वाले संभावित लाभों का ज्ञान भी कर लेता है।
2. उद्देश्यों का निर्धारण- समस्या को परिभाषित करने के पश्चात् संस्था को अपने उद्देश्यों व लक्ष्यों का स्पष्ट निर्धारण करना चाहिए। सबसे पहले संस्था के सामान्य उद्देश्य निश्चित किये जाने चाहिए। तत्पश्चात् उन्हें विभिन्न विभागों, उप-विभागों व कर्मचारियों हेतु विभक्त कर देना चाहिए।
उद्देश्य संस्था के साधनों को ध्यान में रखकर निश्चित किये जाने चाहिए तथा वेबोधगम्य एवं वास्तविक होने चाहिए। उद्देश्य किये जाने वाले कार्यों के लक्ष्य बिन्दुहोते है तथा इच्छित परिणामों के मार्ग का निर्धारण करते हैं। निर्धारण के बाद इन उद्देश्यों की जानकारी संबंधित विभागों एवं कर्मचारियों को दी जानी चाहिए ताकि वेयोजना निर्माण में सहयोग दे सकें।
3. नियोजन आधारों एवं मान्यताओं की स्थापना- नियोजन प्रक्रिया का अगला चरण उसके आधारों की स्थापना करना है। नियोजन आधारों से आशय ऐसी मान्यताओं से है जो योजनाओं के क्रियान्वयन का वातावरण निर्मित करती हैं। इनमें विभिन्न पूर्वानुमानों, आधारभूत नीतियों तथा कम्पनी की विद्यमान योजनाओं आदि को सम्मिलित किया जाता है। नियोजन के आधारों को पूर्वानुमान भी कहा जा सकता है। ये आधार संस्था के आन्तरिक वातावरण जैसे-विक्रय की मात्रा, उत्पादन वित्त, श्रमिक, योग्यता, प्रबन्धकीय कुशलता आदि से संबंधित हो सकते हैं। ये आधार नियंत्रण-योग्य अथवा अनियंत्रण-योग्य हो सकते हैं, अत: पूर्वानुमान की वैज्ञानिक पद्धतियों व प्रवृत्ति विश्लेषण द्वारा उन्हें ज्ञात करना चाहिए। नियोजन की मान्यताएँ स्पष्ट व व्यापक होना चाहिए तथा इनकी जानकारी नियोजन से सम्बन्धित अधिकारियों को दे देनी चाहिए।
4. सूचनाओं का संकलन एवं विश्लेषण- नियोजन की मान्यताओं का निर्धारण करने के पश्चात् योजना से सम्बन्धित तथ्यों व सूचनाओं का संकलन करना होता है। येसूचनाएँ विभिन्न आंतरिक İोतों जैसे पुराने रिकार्ड, फाइलें, विद्यमान नीतियों, प्रलेखों आदि से एकत्र की जा सकती हैं। बाह्य स्त्रोतों के रूप में विभिन्न सरकारी विभागों, प्रतिद्वन्द्वी संस्थाओं, ग्राहक आदि से ये सूचनाएं, बाजार अनुसंधान, अवलोकन व साक्षात्कार के द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। संकलन के बाद सूचनाओं का वर्गीकरण एवं विश्लेषण करके योजनाओं के निर्माण में इनकी उपयोगिता ज्ञात की जा सकती है।
5. वैकल्पिक मार्गों का निर्धारण- इस चरण में एकत्र की गई विभिन्न सूचनाओं, तथ्यों व मान्यताओं के आधार पर कार्य के वैकल्पिक मार्गों की खोज की जाती है। इस चरण की यह मान्यता हे कि किसी भी कार्य को करने की अनेक विधियाँ होती हैं, अत: कार्य निष्पादन के संभावित विकल्पों का निर्धारण कर लिया जाना चाहिए।
6. विकल्पों का मूल्यांकन- यह नियोजन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है जिसमें वैकल्पिक तरीकों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए उनका मूल्यांकन किया जाता है। उनका मूल्यांकन सापेक्षिक लाभ-दोषों के साथ-साथ संस्था की मान्यताओं एवं लक्ष्यों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। मूल्यांकन हेतु गणितात्मक विधियों तथा- पर्ट, सी। पी. एम., क्रियात्मक शोध व सांख्यिकीय तकनीकों आदि का प्रयोग किया जा सकता है। प्रत्येक के अपने लाभ दोष होते हैं। कोई विकल्प अधिक लाभदायक किन्तुअधिक खर्चीला व देर से लाभ दे ने वाला हो सकता है। कोई विकल्प फर्म के दीर्घकालीन लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक हो सकता है तो कोई विशिष्ट लक्ष्यों की पूर्ति में, अत: अत्यन्त सतर्कता, कल्पना व दूरदृष्टि से विकल्पों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
7. सर्वोंत्तम विकल्प का चुनाव- सर्वोंत्तम विकल्प का चुनाव नियोजन के आधारों, लक्ष्यों व संस्था की भावी आवश्यकताओं एवं साधनों के अनुरूप ही हो सकता है। नियोजन का यह चरण अत्यन्त महत्वपूर्ण हे, क्योंकि इसी में प्रबन्धक निर्णय लेकर योजना का निर्माण करता है। कई बार एक विकल्प के चयन की अपेक्षा दो या अनेक विकल्पों का मिश्रण संस्था के लिए अधिक उपयुक्त हो सकता है। ऐसी दशा में प्रबन्धक उपयुक्त विकल्पों का समन्वय कर सकता है।
8. योजना तैयार करना- सर्वोंत्तम विकल्प का चुनाव कर ले ने के पश्चात् योजना को विस्तार से तैयार किया जाता है। इस चरण में योजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार करके योजना की क्रमिक अवस्थाओं का निर्धारण किया जाता है। सम्पूर्ण योजना को उत्पादन विभाग की दृष्टि से भी देखा जाता है। योजना की प्रत्येक अवस्था का निष्पादन समय भी निर्धारित किया जाता है। इसी चरण में योजना अपने अन्तिम रूप में प्रकट होती है।
9. सहायक योजनाओं का निर्माण करना- मूल योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए कई सहायक योजनाओं का निर्माण करना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी संस्था ने किसी नवीन उत्पाद हेतु संयंत्र की स्थापना की योजना बनाई है तो उसे मूल योजना के पश्चात् कर्मचारियों की भर्ती, यंत्रों व मशीन की खरीद, अनुरक्षण सुविधाओं के विकास, उत्पादन अनुसूचियों, विज्ञापन, वित्त, बीमा आदि से सम्बन्धित सहायक योजनाओं का निर्माण भी करना होगा। सहायक योजनाएँ विभागीय योजनाओं के रूप में तैयार की जा सकती हैं।
10. क्रियाओं के क्रम व समय का निर्धारण- इस चरण में योजना को विस्तृत क्रियाओं में विभाजित करके उनका क्रम व समय निर्धारित किया जाता है, ताकि आवश्यक साधनों, सामग्री व औजारों की ठीक समय पर व्यवस्था की जा सके। क्रम निर्धारित हो जाने से यह पता रहता है कि पहले कौन सी क्रिया प्रारम्भ की जानी है और उसके बाद कौन सी। समय निश्चित कर दे ने से प्रत्येक कार्य का निष्पादन उचित समय पर संभव होता है।
11. बजट का निर्माण करना- कोई भी योजना वित्त व्यवस्था के बिना अधूरी रहती है। योजना में निर्धारित कार्यों को दिल प्रबन्ध द्वारा ही पूरा किया जा सकता है, अत: योजना को अन्तिम रूप दे ने के साथ ही उसका बजट भी बना लिया जाता है। इसमें योजना की विभिन्न क्रियाओं पर खर्च की जाने वाली वित्तीय राशि का प्रावधान किया जाता है। बजट योजनाओं को नियंत्रित करने तथा योजनाओं की प्रगति का मूल्यांकन करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण भी होता है।
12. योजना का क्रियान्वयन- योजनाओं का महत्त्व उनके क्रियान्वयन में ही निहित है। जब तक उन्हें कार्य रूप न दे दिया जाये वे ' 'कागजी कार्यवाही ' ही रहती हैं। कर्मचारियों का सक्रिय सहयोग प्राप्त करके ही योजना की प्रभावी क्रियान्विति की जा सकती है, अत: उन्हें योजना के प्रत्येक पहलू की जानकारी दी जानी चाहिए। योजना के निर्माण में उनके विचारों को प्राप्ति करके तथा उनके हितों का ध्यान रखकर भी योजनाओं के क्रियान्वयन में उनका सहयोग प्राप्त किया जा सकता है।
नियोजन के सिद्धान्त
1. समय का सिद्धान्त : योजना बनाते समय योजना के पूरी होने का समय अवश्य निश्चित कर देना चाहिए ताकि विभिन्न कार्यक्रमों के पालन में समय का ध्यान रखा जा सके।
2. लोचशीलता का सिद्धान्त : नियोजन लोचशील होना चाहिए क्योंकि यह भविष्य के पूर्वानुमानों पर आधारित होता है। नियोजन इतना लोचशील होना चाहिए कि अनिश्चित घटनाओं के कारण होने वाली हानियों को न्यूनतम किया जा सके। लोचशीलता का अर्थ है कि योजना में आसानी से परिवर्तन किया जा सके व नए मार्गों को अपनाया जा सके।
3. कार्यकुशलता का सिद्धान्त : नियोजन का यह सिद्धान्त यह स्पष्ट करता है कि सामूहिक उद्देश्यों की प्राप्ति न्यूनतम प्रयत्नों एवं लागत पर की जानी चाहिए। नियोजन की सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि कितनी तत्परता से लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है। नियोजन में कार्य को एक व्यवस्थित रूप दे ने का प्रयास किया जाता है।
4. परिवर्तन का सिद्धान्त : नियोजन के इस सिद्धान्त के अनुसार प्रबन्धक को नाविक की भाँति सदैव अपने कार्यों की जाँच करते रहना चाहिए और इच्छित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतुनियोजन में आवश्यकतानुसार परिवर्तन करते रहना चाहिए अर्थात् निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पुनर्नियोजन करते रहना चाहिए।
5. व्यापकता का सिद्धान्त: यह सिद्धान्त नियोजन की सर्व व्यापकता को प्रदर्शित करता है। यह नियोजन को प्रबन्ध के प्रत्येक स्तर पर अपनाये जाने पर जोर देता है।
6. मोर्चाबन्दी का सिद्धान्त : नियोजन प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से अत्यन्त सुदृढ होना चाहिए। यह सिद्धान्त प्रतियोगी संस्थाओं की नीतियों एवं कार्य प्रणाली को ध्यान में रखकर नियोजन करने पर बल देता है।
7. सीमित घटक का सिद्धान्त : यह सिद्धान्त इस बात पर जोर देता है कि नियोजन करतेसमय एवं विभिन्न विकल्पों को मूल्यांकन करते समय उन सीमित घटकों को पहचान लेना चाहिए जो लक्ष्य-प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण हो तथा जो नियोजन में आगे बाधक बन सकते हों।
8. प्राथमिकता का सिद्धान्त : इस सिद्धान्त के अनुसार नियोजन प्रबन्ध का एक प्राथमिक कार्य है, अत: अन्य प्रबन्धकीय कार्यों को करने के पूर्व नियोजन किया जाना आवश्यक होता है।
9. तथ्यों का सिद्धान्त: नियोजन तभी प्रभावी होता है जबकि वह समस्त उपलब्ध प्रासंगिक तथ्यों पर आधारित हो, तथ्यों का सामना करता हों तथा तथ्यों द्वारा इंगित कार्यवाही को प्रारम्भ कराता हों।
10. नीति संरचना का सिद्धान्त : यह सिद्धान्त बतलाता है कि नियोजन को सुसंगत एवं प्रभावी बनाने के लिए सुदृढ नीतियों, कार्यक्रमों एवं व्यूहरचनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
नियोजन का अर्थ
प्रबन्धन
नियोजन | 4,531 |
984510 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%20%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A5%E0%A5%80 | बोर्नियो हाथी | बोर्नियो हाथी, जिसे बोर्नियो पिग्गी हाथी भी कहा जाता है, एशियाई हाथी की उप-प्रजाति है जो इंडोनेशिया और मलेशिया में पूर्वोत्तर बोर्नियो में रहता है। इसकी उत्पत्ति बहस का विषय बनी हुई है। 1986 से, आईआईसीएनएन रेड लिस्ट(सन् 1963 में गठित विश्व-भर में पौधों और पशुओं की जातियों की संरक्षण स्थिति की सबसे व्यापक तालिका) पर लुप्तप्राय मैक्सिमस को लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है
क्योंकि पिछली तीन पीढ़ियों में जनसंख्या में कम से कम 50% की कमी आई है, जो 60-75 साल होने का अनुमान है। सुल्लू के सुल्तान ने 18 वीं शताब्दी में बर्नियो को बंदी हाथियों की शुरुआत की, जिन्होंने इन हाथियों को इस जंगल में छोड़ दिया था।
लक्षण
आम तौर पर, एशियाई हाथी अफ्रीकी हाथियों से छोटे होते हैं और सिर पर उच्चतम शरीर बिंदु होते हैं। उनके ट्रंक की नोक में एक उंगली जैसी प्रक्रिया है। उनकी पीठ उत्तल या स्तर है।
प्रायद्वीपीय मलेशिया से पंद्रह कैप्टिव हाथियों के मापन को अप्रैल 2005 और जनवरी 2006 के बीच लिया गया था, और प्रत्येक हाथी और औसत के लिए तीन बार दोहराया गया था।
बंटवारा और आदत
हाथी बोर्नियो के उत्तरी और पूर्वोत्तर हिस्सों तक ही सीमित हैं। 1980 के दशक में, सबा में दो अलग-अलग आबादी थीं, जिसमें टेबिन वाइल्डलाइफ़ रिजर्व और आस-पास के ज्यादातर इलाके में खुले इलाके में खुले थे; और पहाड़ी इंटीरियर में लगभग 300 से 1,500 मीटर (980 से 4, 920 फीट) ऊंचाई पर डिप्टरोकर्प जंगल में ऊंचाई, जो उस समय काफी हद तक निर्विवाद थी, कालीमंतन में, उनकी सीमा पूर्व में ऊपरी सेम्बाकंग नदी के एक छोटे से जुड़े क्षेत्र तक ही सीमित है।
लगता है कि सबा और कालीमंतन में जंगली हाथियों की श्रृंखला पिछले 100 वर्षों में बोर्नियो पर कहीं और उपयुक्त आवास तक पहुंच के बावजूद बहुत कम हो गई है। बोर्नियो की मिट्टी युवा, लीच और बांझ होती है, और अटकलें होती हैं कि द्वीप पर जंगली हाथियों का वितरण प्राकृतिक खनिज स्रोतों की घटना से सीमित हो सकता है।
गेलरी
संदर्भ
मलेशिया के जीव
इण्डोनेशिया के जीव | 335 |
2721 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%82%E0%A4%B2%E0%A4%A8%20%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80 | फूलन देवी | फूलन देवी (10 अगस्त 1963 - 25 जुलाई 2001) बागी से सांसद बनी एक भारत की एक राजनेता थीं।
एक निम्न वर्ग में उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुआ था। 1994 में, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने उनके खिलाफ सभी आरोपों को सरसरी तौर पर वापस ले लिया और फूलन को रिहा कर दिया गया। वह तब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में संसद के चुनाव के लिए खड़ी हुईं और दो बार मिर्जापुर के लिए संसद सदस्य के रूप में लोकसभा के लिए चुनी गईं। 2001 में, शेर सिंह राणा द्वारा नई दिल्ली में उनके आधिकारिक बंगले (सांसद के रूप में उन्हें आवंटित) के द्वार पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिनके रिश्तेदारों को उनके गिरोह द्वारा बेहमई में मार डाला गया था। 1994 की फिल्म बैंडिट क्वीन (जेल से उनकी रिहाई के समय के आसपास बनी) उस समय तक उनके जीवन पर शिथिल रूप से आधारित है।
बेहमई में हुआ हादसा
फूलन को बेहमई गांव में एक घर के एक कमरे में बंद कर दिया गया था। तीन सप्ताह की अवधि में कई पुरुषों द्वारा उसे पीटा गया, बलात्कार किया गया और अपमानित किया गया। उन्होंने उसे गाँव के चारों ओर नग्न कर घुमाया। इस तीन सप्ताह की कैद से वह भागने में सफल रहीं |
बेहमई में नरसंहार
बेहमाई से भागने के कई महीनों बाद, फूलन बदला लेने के लिए गाँव लौटी। 14 फरवरी 1981 की शाम को, उस समय जब गाँव में एक शादी चल रही थी, फूलन और उसके गिरोह ने पुलिस अधिकारियों के रूप में पहनी हुई बेहमई में शादी की। फूलन ने मांग की कि उनके "श्री राम" और "लाला राम" को उत्पीड़ित किया जाए। [उद्धरण वांछित] उन्होंने कथित तौर पर कहा, दो व्यक्तियों को नहीं मिला। और इसलिए देवी ने गाँव के सभी युवकों को गोल कर दिया और एक कुएँ से पहले एक लाइन में खड़ा कर दिया। फिर उन्हें फाइल में नदी तक ले जाया गया। हरे तटबंध पर उन्हें घुटने टेकने का आदेश दिया गया। गोलियों की बौछार हुई और 22 लोग मारे गए। बेहमई नरसंहार ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वी॰पी॰ सिंह ने बेहमाई हत्याओं के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया। [१५] एक विशाल पुलिस अभियान शुरू किया गया था, जो फूलन का पता लगाने में विफल रहा था। यह कहा जाने लगा कि मानहुंट सफल नहीं था क्योंकि फूलन को इस क्षेत्र के गरीब लोगों का समर्थन प्राप्त था; रॉबिन हुड मॉडल की कहानियाँ मीडिया में घूमने लगीं। फूलन को बैंडिट क्वीन कहा जाने लगा, और उसे भारतीय मीडिया [12] के वर्गों द्वारा एक निडर और अदम्य महिला के रूप में महिमामंडित किया गया, जो दुनिया में जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रही थी। आत्मसमर्पण और जेल की अवधि
बेहमई नरसंहार के दो साल बाद भी पुलिस ने फूलन को नहीं पकड़ा था। इंदिरा गांधी सरकार ने आत्मसमर्पण पर बातचीत करने का फैसला किया। इस समय तक, फूलन की तबीयत खराब थी और उसके गिरोह के अधिकांश सदस्य मर चुके थे, कुछ पुलिस के हाथों मारे गए थे, कुछ अन्य प्रतिद्वंद्वी गिरोह के हाथों मारे गए थे। फरवरी 1983 में, वह अधिकारियों को आत्मसमर्पण करने के लिए सहमत हुई। हालाँकि, उसने कहा कि उसे उत्तर प्रदेश पुलिस पर भरोसा नहीं है और उसने जोर देकर कहा कि वह केवल मध्य प्रदेश पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करेगी। उसने यह भी आग्रह किया कि वह महात्मा गांधी और हिंदू देवी दुर्गा की तस्वीरों के सामने अपनी बाहें रखेगी, पुलिस के सामने नहीं। [१६] उसने चार और शर्तें रखीं:
एक वादा कि आत्मसमर्पण करने वाले उसके गिरोह के किसी भी सदस्य पर मृत्युदंड नहीं लगाया जाएगा
गिरोह के अन्य सदस्यों के लिए कार्यकाल आठ वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए।
जमीन का एक प्लॉट उसे दिया जाए
उसके पूरे परिवार को पुलिस द्वारा उसके आत्मसमर्पण समारोह का गवाह बनाया जाना चाहिए
एक निहत्थे पुलिस प्रमुख ने उनसे चंबल के बीहड़ों में मुलाकात की। उन्होंने मध्य प्रदेश के भिंड की यात्रा की, जहाँ उन्होंने गांधी और देवी दुर्गा के चित्रों के समक्ष अपनी राइफल रखी। दर्शकों में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के अलावा लगभग 10,000 लोग और 300 पुलिसकर्मी शामिल थे। उसके गिरोह के अन्य सदस्यों ने भी उसी समय उसके साथ आत्मसमर्पण कर दिया।
डकैती (दस्यु) और अपहरण के तीस आरोपों सहित फूलन पर अड़तालीस अपराधों का आरोप लगाया गया था। उसके मुकदमे को ग्यारह साल की देरी हो गई, इस दौरान वह एक उपक्रम के रूप में जेल में रहा। इस अवधि के दौरान, उन्हें डिम्बग्रंथि अल्सर के लिए ऑपरेशन किया गया और एक हिस्टेरेक्टॉमी से गुजरना पड़ा। अस्पताल के डॉक्टर ने कथित तौर पर मजाक में कहा कि "हम फूलन देवी को अधिक फूलन देवी नहीं बनाना चाहते हैं"। [१ reported] अंत में उसे निषाद समुदाय के नेता विशम्भर प्रसाद निषाद, (नाविकों और मछुआरों के मल्लाह समुदाय का दूसरा नाम) के हस्तक्षेप के बाद 1994 में पैरोल पर रिहा किया गया था। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ सभी मामलों को वापस ले लिया। इस कदम ने पूरे भारत में सदमे की लहर भेज दी और सार्वजनिक चर्चा और विवाद का विषय बन गया।
आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में (रॉबिनहुड) की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। सबसे पहली बार (1981) में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊँची जातियों के बाइस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो (मैना दादी ) जाति के (पिछड़े ) लोग थे। लेकिन बाद में उन्होने इस नरसंहार से इन्कार किया था।
बाद में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार तथा प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशें की। इंदिरा गाँधी की सरकार ने (1983) में उनसे समझौता किया की उसे (मृत्यु दंड) नहीं दिया जायेगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जायेगा और फूलनदेवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण
बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर सीट से (लोकसभा) चुनाव जीता और वह संसद तक पहुँची। 25 जुलाई सन 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी। उसके परिवार में सिर्फ़ उसके पति उम्मेद सिंह हैं।
शेखर कपूर ने माला सेन की 1993 की पुस्तक भारत की बैंडिट क्वीन: द ट्रू स्टोरी ऑफ़ फूलन देवी पर आधारित फूलन देवी के जीवन के बारे में उनके 1983 के आत्मसमर्पण के बारे में बताया। हालाँकि फूलन देवी फिल्म में नायिका हैं, लेकिन उन्होंने इसकी सटीकता पर विवाद किया और इसे भारत में प्रतिबंधित करने के लिए संघर्ष किया। यहाँ तक कि उसने एक थिएटर के बाहर खुद को आत्मदाह करने की धमकी दी कि अगर फिल्म वापस नहीं ली गई। आखिरकार, निर्माता चैनल 4 द्वारा उसे £ 40,000 का भुगतान करने के बाद उसने अपनी आपत्तियाँ वापस ले लीं। फिल्म ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। लेखक-कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने अपनी फिल्म समीक्षा में "द ग्रेट इंडियन रेप ट्रिक" शीर्षक से कहा, "restage the rape of a living woman without her permission",के अधिकार पर सवाल उठाया, और शेखर कपूर पर फूलन देवी का शोषण करने और उसके जीवन और उसकी गलत व्याख्या करने का आरोप लगाया
दिल्ली के तिहाड़ जेल में कैद अपराधी शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्या की। हत्या से पहले वह देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल से फर्जी तरीके से जमानत पर रिहा होने में कामयाब हो गया। हत्या के बाद शेर सिंह फरार हो गया। कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्लिप जारी करके अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधी ढूँढकर उनकी अस्थियाँ भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया। हालाँकि बाद में दिल्ली पुलिस ने उसे पकड़ लिया। फूलन की हत्या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उनकी हत्या के छींटे उसके पति उम्मेद सिंह पर भी आए और फूलन के परिवार वाले उन्हें पीट भी चुके हैं। हालाँकि उम्मेद आरोपित नहीं हुआ।
संदर्भ
भारतीय राजनीति
डाकू
भारत में राजनीतिक हत्याएं | 1,392 |
188449 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%88%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8B%E0%A4%96%20%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9 | भाई संतोख सिंह | भाई संतोख सिंह (सन् 1788-1843) वेदांत और सिक्ख दर्शन के विद्वान् और ज्ञानी संप्रदाय के विचारक थे। आपके पूर्वज छिंवा या छिब्बर नाम के मोह्याल ब्राह्मण थे। आपका जन्म अमृतसर में हुआ। आपके पिता श्री देवसिंह निर्मला संतों के संपर्क में रहे। आपकी माता का नाम राजादेई (राजदेवी) था। आप रूढ़िवाद के कट्टर विरोधी थे। अपनी परिवारिक परंपराओं की अवमानना करके आपने रोहिल्ला परिवार में विवाह किया। आपके सुपुत्र अजयसिंह भी बड़े विद्वान् हुए।
भाई साहब ने ज्ञानी संतसिंह से काव्याध्ययन किया। तदनंतर संस्कृत की शिक्षा काशी में प्राप्त की। सन् 1823 में आप पटियालानरेश महाराज कर्मसिंह के दरबारी कवि के रूप में पधारे। दो वर्ष बाद कैथल के रईस श्री उदयसिंह आपको अपने यहाँ लिवा ले आए। पटियाला की भाँति कैथल में भी आपका बड़ा सम्मान हुआ और वहाँ पर अनेक विद्वानों का सहयोग भी प्राप्त हुआ।
रचनाएँ
आपकी निम्नोक्त रचनाएँ उपलब्ध हैं :
(1) "नामकोश" (सन् 1821) : "अमरकोश" का भाषानुवाद है।
(2) गुरुनानक प्रताप सूर्य अथवा गुरु नानक प्रकाश (सन् 1823) : इसमें गुरु नानक देव का जीवनचरित् उल्लिखित है।
(3) जपुजी : गरब गजिनी टीका (सन् 1829) : गुरु नानक देव की रचना की टीका है जिसमें पूर्ववर्ती टीकाओं का खंडन-मंडन भी है। लेखक स्वयं वेदान्त और स्मृतियों का पोषक दिखाई पड़ता है।
(4) आत्मपुराण का उलथा (रचनाकाल अज्ञात)।
(5) वाल्मीकि रामायण (1834 ई.) : वाल्मीकि के आधार पर रामचरित का स्वतंत्र ग्रंथ।
(6) गुरु-प्रताप-सूर्य (सन् 1843) : दो खंडों में है। पहले भाग में आदि सिक्ख गुरु नानक देव का तथा दूसरे भाग में शेष नौ गुरुओं का जीवनचरित् उल्लिखित है। इसपर पौराणिक प्रभाव स्पष्ट है।
इनकी रचनाओं में ब्रजभाषा का प्राधान्य है। यत्रतत्र संस्कृत, फारसी और पंजाबी शब्द भी व्यवहृत हुए हैं। छंदों में दोहा, चौपाई का प्रयोग प्रचुर परिमाण में हुआ है, यथास्थान त्रिभंगी, कवित्त और सवैये का भी उपयोग हुआ है।
बाहरी कड़ियाँ
भाई संतोख सिंह (सिख विकि, अंग्रेजी में)
हिन्दी कवि
सिख धर्म | 312 |
973400 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%A5%E0%A4%BF%20%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%9F%E0%A5%80 | डिम्बग्रंथि पुटी | डिम्बग्रंथि पुटी अंडाशय के भीतर तरल पदार्थ से भरी हुई थैली होते हैं। अक्सर वे कोई लक्षण नहीं पैदा करते परन्तु कभी-कभी सूजन, निचले पेट के हिस्से में दर्द, या पीठ के निचले हिस्से में दर्द पैदा कर सकते हैं। अधिकांश डिम्बग्रंथि पुटी/सिस्ट हानिरहित होते हैं। यदि सिस्ट अंडाशय के घुमाव का कारण बनती है, तो इससे गंभीर दर्द हो सकता है, जो उल्टी या बेहोशी का कारण भी बन सकता है।
अधिकांश डिम्बग्रंथि के सिरे अंडाशय से संबंधित होते हैं, या तो फोलिक्युलर सिस्ट या कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट होते हैं। अन्य प्रकारों में एंडोमेट्रोसिस, डर्मोइड सिस्ट, और सिस्टाडेनोमास के कारण सिस्ट शामिल हैं। पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम में दोनों अंडाशय में कई छोटे सिस्ट होते हैं। श्रोणि सूजन की बीमारी का परिणाम भी हो सकता है। शायद ही कभी, डिब्बे डिम्बग्रंथि के कैंसर का एक रूप हो सकता है। डिम्बग्रंथि पुटी का निदान अल्ट्रासाउंड या अन्य परीक्षणों के साथ श्रोणि परीक्षा द्वारा किया जाता है ताकि आगे के विवरण इकट्ठा किए जा सकें।
अक्सर, समय के साथ छाती बस मनाई जाती है। अगर वे दर्द का कारण बनते हैं, तो पेरासिटामोल (एसिटामिनोफेन) या इबुप्रोफेन जैसी दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। हार्मोनल जन्म नियंत्रण का उपयोग उन लोगों में आगे की क्षति को रोकने के लिए किया जा सकता है जो अक्सर प्रभावित होते हैं। हालांकि, सबूत वर्तमान नियंत्रण के इलाज के रूप में जन्म नियंत्रण का समर्थन नहीं करते हैं। यदि वे कई महीनों के बाद दूर नहीं जाते हैं, बड़े हो जाते हैं, असामान्य लगते हैं, या दर्द का कारण बनते हैं, तो उन्हें सर्जरी से हटाया जा सकता है।
प्रजनन आयु की अधिकांश महिलाएं हर महीने छोटे सिस्ट विकसित करती हैं। रजोनिवृत्ति से पहले लगभग 8% महिलाओं में समस्याएं पैदा होती हैं। रजोनिवृत्ति के बाद लगभग 16% महिलाओं में डिम्बग्रंथि के सिस्ट मौजूद हैं और यदि वर्तमान में कैंसर होने की अधिक संभावना है।
संकेत और लक्षण
निम्नलिखित में से कुछ या सभी लक्षण मौजूद हो सकते हैं, हालांकि किसी भी लक्षण का अनुभव न करना संभव है:
पेट में दर्द, विशेष रूप से संभोग के दौरान, पेट या श्रोणि के भीतर दर्द दर्दनाक दर्द।
गर्भाशय रक्तस्राव। मासिक धर्म की अवधि की शुरुआत या अंत के बाद या उसके बाद दर्द; अनियमित अवधि, या असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव या स्पॉटिंग।
पेट में पूर्णता, भारीपन, दबाव, सूजन, या सूजन।
जब अंडाशय से छाती टूट जाती है, तो निचले पेट में एक तरफ अचानक और तेज दर्द हो सकता है।
आवृत्ति या पेशाब में आसानी (जैसे मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करने में असमर्थता), या निकटवर्ती श्रोणि शरीर रचना पर दबाव के कारण आंत्र आंदोलनों में कठिनाई में परिवर्तन।
थकान, सिरदर्द जैसे संवैधानिक लक्षण
उलटी अथवा मितली
वजन बढ़ना
अन्य लक्षण सिस्ट के कारण पर निर्भर हो सकते हैं:
यदि सिस्ट का कारण पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) होता हैं तो उसके लक्षण में चेहरे के बाल या शरीर के बाल, मुँहासे, मोटापे और बांझपन में वृद्धि हो सकती है।
यदि कारण एंडोमेट्रोसिस है, तो अवधि भारी हो सकती है, और दर्दनाक संभोग हो सकती है।
प्रजनन क्षमता पर पीसीओएस से संबंधित नहीं होने वाले सिस्ट का प्रभाव अस्पष्ट है।
इलाज
हाइपोथायरायडिज्म या अन्य अंतःस्रावी समस्याओं से जुड़े सिस्ट को अंतर्निहित स्थिति का इलाज करके प्रबंधित किया जाता है।
डिम्बग्रंथि के लगभग 95% डिम्बग्रंथि कैंसर नहीं हैं।
कार्यात्मक सिस्ट और हेमोरेजिक डिम्बग्रंथि के सिस्ट आमतौर पर सहजता से हल होते हैं। हालांकि, एक डिम्बग्रंथि की छाती जितनी बड़ी होगी, उतनी ही कम संभावना है कि वह गायब हो जाए। यदि सिस्ट कई महीनों तक बढ़ते हैं, बढ़ते हैं, या बढ़ते दर्द का कारण बनते हैं तो उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
दो या तीन मासिक धर्म चक्रों से परे रहने वाले सिस्ट, या रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं में होने वाली गंभीर बीमारी का संकेत दे सकते हैं और अल्ट्रासोनोग्राफी और लैप्रोस्कोपी के माध्यम से जांच की जानी चाहिए, खासतौर से उन मामलों में जहां परिवार के सदस्यों के डिम्बग्रंथि के कैंसर थे। ऐसे सिस्टों को सर्जिकल बायोप्सी की आवश्यकता हो सकती है। इसके अतिरिक्त, उच्च रक्तचाप सीए-125, ट्यूमर मार्कर की जांच के लिए शल्य चिकित्सा से पहले रक्त परीक्षण लिया जा सकता है, जो आमतौर पर डिम्बग्रंथि के कैंसर में बढ़े स्तरों में पाया जाता है, हालांकि इसे अन्य स्थितियों से भी बढ़ाया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में झूठी सकारात्मक होती है।
बाहरी कड़ियाँ
डिम्बग्रंथि पुटी की सर्जरी की प्रक्रिया
सन्दर्भ
महिला स्वास्थ्यविषयक लेख प्रतियोगिता २०१८ के अन्तर्गत बनाये गये लेख
रोग
महिला रोग | 728 |
757558 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%B0 | बलोकस्सर | बलोकस्सर , पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल ज़िले का एक कस्बा और यूनियन परिषद् है। यहाँ बोले जाने वाली प्रमुख भाषा पंजाबी है, जबकि उर्दू प्रायः हर जगह समझी जाती है। साथ ही अंग्रेज़ी भी कई लोगों द्वारा काफ़ी हद तक समझी जाती है। प्रभुख प्रशासनिक भाषाएँ उर्दू और अंग्रेज़ी है।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
पाकिस्तान के यूनियन काउंसिल
पाकिस्तान में स्थानीय प्रशासन
पंजाब (पाकिस्तान)
चकवाल ज़िला
बाहरी कड़ियाँ
चकवाल जिले के यूनियन परिषदों की सूची
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ़ स्टॅटिस्टिक्स की आधिकारिक वेबसाइट-१९९८ की जनगणना(जिलानुसार आँकड़े)
चकवाल ज़िले के यूनियन परिषद्
पाकिस्तानी पंजाब के नगर | 96 |
3267 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8 | अज़रबाइजान | आज़रबाइजान(अन्य वर्तनी:अज़रबैजान या अज़रबाइजान) (), कॉकेशस के पूर्वी भाग में एक गणराज्य है, पूर्वी यूरोप और एशिया के मध्य में बसा हुआ। भौगोलिक रूप से यह एशिया का ही भाग है। इसके सीमांत देश हैं: अर्मेनिया, जॉर्जिया, रूस, ईरान, तुर्की और इसका तटीय भाग कैस्पियन सागर से लगता हुआ है। यह १९९१ तक भूतपूर्व सोवियत संघ का भाग था।
अज़रबैजान एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वर्ष २००१ से काउंसिल का सदस्य है। अधिकांश जनसंख्या इस्लाम धर्म की अनुयायी है और यह देश इस्लामी सम्मेलन संघ का सदस्य राष्ट्र भी है। यह देश धीरे-धीरे औपचारिक लेकिन सत्तावादी लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है।
नामोत्पत्ति
"अज़रबैजान" नाम के उद्गम को लेकर कई प्रकार की अवधारणाएँ है। सबसे प्रचलित प्रमेय यह है कि यह नाम "अट्रोपटन" शब्द से निकला है। अट्रोपट फ़ारसी अकामीनाईड राजवंश के समय में एक क्षत्रप था, जिसे सिकंदर महान ने आक्रमण करके परास्त किया और अट्रोपटन को स्वाधीनता मिली। उस समय यह क्षेत्र मीदिया अट्रोपाटिया या अट्रोपाटीन के नाम से जाना जाता था।
इस नाम की मूल उत्पत्ति की जड़ें प्राचीन ईरानी पंथ, पारसी धर्म में मानी जाती हैं। आवेस्ता के एक दस्तावेज़ में इस बात का उल्लेख है "âterepâtahe ashaonô fravashîm ýazamaide", प्राचीन फ़ारसी में जिसका शाब्दिक अनुवाद है "पवित्र अटारे-पटा के फ़्रावशी की हम वंदना करते हैं"। अट्रोपटनों ने अट्रोपटन (वर्तमान ईरानी अज़रबैजान) क्षेत्र पर शासन किया। "अट्रोपटन" नाम स्वयं एक प्राचीन-ईरानी, संभवतः मीदन, का यूनानी ध्वन्यात्मक युग्म है, जिसका अर्थ है "पवित्र अग्नि द्वारा रक्षित"।
इतिहास
अज़रबैजान में प्रारंभिक मानव बस्तियों के चिह्न पाषाण युग के बाद के दिनों के हैं। ५५० ईसापूर्व में एक्यूमेनिडा राजवंश ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी, जिससे पारसी धर्म का उदय हुआ और बाद में यह क्षेत्र सिकंदर महान के साम्राज्य का भाग बना और बाद में उसके उत्तराधिकारी, सेलियूसिडा साम्राज्य का। अल्बानियाई कॉकेशन लोगों ने चौथी शताबदी ईसापूर्व में इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र राजशाही की स्थापना की, लेकिन ९५-६७ ईसापूर्व में टिगरानीस २ महान ने इसपर अधिकार कर लिया।
यह भी देखिए
अज़रबैजान (विक्षनरी)
सन्दर्भ
अज़रबैजान
एशिया के देश
यूरोप के देश | 336 |
895652 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0 | ब्रिगेडियर | ब्रिगेडियर ,एक सैन्य रैंक है , जिसकी वरिष्ठता देश पर निर्भर करती है। कुछ देशों में यह कर्नल के ऊपर एक वरिष्ठ रैंकिंग है, जो एक ब्रिगेडियर जनरल के बराबर होती है,जो विशेषकर कम से कम एक हजार सैनिकों की ब्रिगेड को नियंत्रित करता है। अन्य देशों में, यह एक गैर-कमीशन रैंक है (जैसे स्पेन , इटली , फ्रांस , नीदरलैंड और इन्डोनेशियाई पुलिस रैंक)।
ब्रिटिश परंपरा
कई देशों में, विशेष रूप से ब्रिटिश साम्राज्य के पूर्व अंग, ब्रिगेडियर या तो सबसे ऊंची फ़ील्ड रैंक या सबसे जूनियर "जनरल " नियुक्ति है, नामतः एक ब्रिगेड को कमांडिंग करता है यह कर्नल के ऊपर और मेजर जनरल के नीचे की रैंक है ।
रैंक का इस्तेमाल ब्रिटिश सेना , रॉयल मरीन , ऑस्ट्रेलियाई सेना , भारतीय सेना , श्रीलंका सेना , न्यूजीलैंड सेना , पाकिस्तान सेना और कई अन्य देशों द्वारा किया जाता है। नाटो सेनाओं में, ब्रिगेडियर क्रमशः पैमाने पर ओ ऍफ़ -6 का है ।
सैन्य पारिभाषिकी | 158 |
250204 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%20%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%9C%E0%A5%80 | जुरासिक पार्क फ्रैंचाइजी | जुरासिक पार्क फ्रैंचाइजी क्लोन किये गए डायनासोरों का एक थीम पार्क तैयार करने के लिए इनके विनाशकारी हमलों पर केंद्रित पुस्तकों, फिल्मों, कॉमिक्स और वीडियो की एक श्रृंखला है। इसकी शुरुआत 1990 में हुई थी जब यूनिवर्सल स्टूडियो ने माइकल क्रिच्टन द्वारा लिखित उपन्यास के प्रकाशित होने से पहले ही इसके अधिकार खरीद लिए थे।
पुस्तक 1993 के फिल्म रूपांतरण की तरह ही सफल रही थी जो इसके दो सिक्वलों के तैयार होने का कारण बनी, हालांकि अंतिम फिल्म पिछली फिल्मों की तरह उपन्यास पर आधारित नहीं थी। सॉफ्टवेयर विकासकों में ओसियन सॉफ्टवेयर, ब्लूस्काई सॉफ्टवेयर, सेगा ऑफ अमेरिका और टेलटेल गेम्स के पास 1993 की फिल्म के बाद से ही वीडियो गेम तैयार करने के अधिकार मौजूद थे और इस तरह कई गेम्स तैयार किये गए।
पहली बार इस प्रोजेक्ट की सूचना मिलने के बाद से ही इसके बारे में कई अफवाहें सुनी जाती रही हैं जिनमें से कई कथानक एवं स्क्रिप्ट पर विचारों और फिल्म से जुड़ने वाले नए लोगो से संबंधित रही हैं। हाल ही में नवम्बर 2009 में जुरासिक पार्क III के निर्देशक जो जॉनस्टन ने कहा था कि चौथी फिल्म का प्लॉट अन्य तीन फिल्मों से अलग होगा।
विकास
माइकल क्रिच्टन ने मूलतः जीवाश्म डीएनए से क्लोन किये जा रहे एक टेरोसोर के आस-पास एक पटकथा की कल्पना की थी। अपने इस विचार के साथ कुछ समय तक उधेड़बुन में रहने के बाद वे जुरासिक पार्क को लेकर आये। स्टीवन स्पीलबर्ग को इस उपन्यास के बारे में अक्टूबर 1989 में उस समय पता चला, जब वे और क्रिच्टन एक ऐसी पटकथा पर चर्चा कर रहे थे जिससे टीवी श्रृंखला ईआर (ER)) बनी थी। पुस्तक के प्रकाशित होने से पहले, क्रिच्टन ने 1.5 मिलियन डॉलर के साथ-साथ कुल लागत का एक बड़ा प्रतिशत एक सौदेबाजी-रहित शुल्क के रूप में सामने रखा। वार्नर ब्रदर्स एवं टिम बर्टन, कोलंबिया ट्राईस्टार और रिचर्ड डोनर और 20वीं सेंचुरी फॉक्स एवं जो डैंटे ने भी इसके अधिकार के लिए बोली लगाई थी, इसके बाद यूनिवर्सल ने क्रिच्टन को उनके उपन्यास के रूपांतरण के लिए 500,000 डॉलर का भुगतान किया लेकिन अंततः यूनिवर्सल ने मई 1990 में स्पीलबर्ग के लिए उसका अधिग्रहण कर लिया। यूनिवर्सल को अपनी कंपनी का अस्तित्व बनाए रखने के लिए पैसों की सख्त जरूरत थी और जुरासिक पार्क के साथ वे इसमें आंशिक रूप से सफल रहे, क्योंकि यह आलोचनात्मक और व्यासायिक रूप से सफल रही।
जुरासिक पार्क का होम वीडियो रिलीज करने के बाद क्रिच्टन को इसकी अगली कड़ी का उपन्यास लिखने के लिए कई स्रोतों से दबाव डाला गया था। क्रिच्टन ने सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया जब तक कि स्पीलबर्ग ने स्वयं उनसे यह नहीं कहा कि अगर इसकी अगली कड़ी लिखी जाती है तो वे उसका फिल्म रूपांतरण तैयार करने के लिए काफी उत्सुक होंगे। क्रिच्टन ने तकरीबन जल्दी ही काम शुरू कर दिया। 1995 में उपन्यास के प्रकाशित होने के बाद, The Lost World: Jurassic Park सितंबर 1996 में इसका निर्माण शुरू किया गया।
दूसरी फिल्म के निर्माण से पहले जो जॉनस्टन ने इस प्रोजेक्ट का निर्देशन करने के लिए स्टीवन स्पीलबर्ग से संपर्क किया। हालांकि स्पीलबर्ग पहली कड़ी का निर्देशन करना चाहते थे, वे इस बात पर सहमत हो गए कि अगर कोई तीसरी फिल्म बनी तो उसका निर्देशन जॉनस्टन करेंगे। निर्माण 30 अगस्त 2000 को शुरू हुआ।
पुस्तकें
जुरासिक पार्क की रचना जीवाश्मीकृत डीएनए (डीएनए) से एक टेरोसोर की क्लोनिंग की एक पटकथा के विचार से हुई थी। माइकल क्रिच्टन ने इस विचार पर कई सालों तक काम किया; फिर उन्होंने यह फैसला किया कि उनका पहला ड्राफ्ट एक थीम पार्क की पृष्ठभूमि और मुख्य भूमिका में एक छोटे से लड़के के रूप में होगा। प्रतिक्रिया अत्यंत नकारात्मक थी, इसलिए क्रिच्टन ने कहानी एक वयस्क व्यक्ति के नज़रिए से दुबारा लिखी जो पहले से कहीं बेहतर रही।
पाठकों और स्वयं स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा अगली कड़ी के एक उपन्यास के लिए माइकल क्रिच्टन पर दबाब डाले जाने के बाद अगली कड़ी के एक उपन्यास की रचना शुरू हुई। माइकल क्रिच्टन ने इस बात की पुष्टि की है कि उनके उपन्यास में सर ऑर्थर कॉनन डोयले के इसी नाम के उपन्यास से लिए गए तत्व शामिल थे। पुस्तक को भी व्यावसायिक और शौकिया आलोचकों, दोनों लिहाज़ से शानदार सफलता हासिल हुई थी। इसका फिल्म रूपांतरण 1997 में रिलीज किया गया था।
हास्य पुस्तकें
टॉप्स कॉमिक्स
जून 1993 से अगस्त 1997 तक अब-लुप्त टॉप्स-कॉमिक्स ने पहली दो फिल्में और कई गैर-कैनन जुरासिक पार्क कॉमिक्स प्रकाशित किये।
इनमें शामिल थे:
जुरासिक पार्क # 1-4 (जून - अगस्त 1993). फिल्म का रूपांतरण, वाल्टर साइमंसन द्वारा रूपांतरित और गिल केन द्वारा चिह्नित. प्रत्येक अंक के दो कवर थे - एक केन द्वारा, एक डेव कॉकरम द्वारा.
जुरासिक पार्क # 0 (नवम्बर, 1993, एकल अंक). इसमें फिल्म की दो पूर्व कहानियाँ शामिल थीं, एक में अभिनेता जॉन हैमंड, डोनाल्ड गेनारो को पार्क के आस-पास दिखाते हैं और दूसरे में हैमंड और डेनिस नेड्री के विश्वासघात के संदर्भ के बीच एक बहस दिखाई जाती है। वाल्टर साइमनसन द्वारा लिखित और गिल केन द्वारा चिह्नित. यह अंक केवल फिल्म रूपांतरण के व्यापारिक पेपरबैक के साथ उपलब्ध था।
जुरासिक पार्क: रैप्टर #1-2 (नवंबर - दिसंबर 1993): "रैप्टर" त्रयी का पहला भाग और फिल्म की अगली कड़ी. स्टीव एंगलहार्ट द्वारा लिखित और अरमांडो गिल एवं डेल बारास द्वारा चिह्नित.
जुरासिक पार्क: रैप्टर्स अटैक #1-4 (मार्च - जून 1994). त्रयी का दूसरा भाग, एंगलहार्ट द्वारा लिखित, अरमांडो गिल (#1) एवं चाज ट्रॉग द्वारा चिह्नित. इस कहानी से यह पता चला था कि पात्र रॉबर्ट मल्डून मरा नहीं था।
जुरासिक पार्क: रैपर्ट्स हाइजैक #1-4 (जुलाई - अक्टूबर 1994). त्रयी का अंतिम भाग. एंगलहार्ट द्वारा लिखित, कलाकृति नील वोक्स द्वारा रचित.
जुरासिक पार्क वार्षिक #1 (मई 1995). पहली दो कहानियाँ दिखाई गयी हैं, एक अगली कड़ी के रूप में और दूसरी पूर्व कथा के रूप में. नील बैरेट जूनियर, माइकल गोल्डन और रेनी विटर्सटीटर द्वारा लिखित और क्लाउड सेंट ऑबिन एवं एड मुर द्वारा चिह्नित.
रिटर्न टू जुरासिक पार्क #01-09 (अप्रैल 1995 - फरवरी 1996). अल्पकालिक जारी श्रृंखला. पहले चार अंक एक बार फिर से एंगलहार्ट द्वारा लिखित (हास्य पुस्तक के साथ उनकी अंतिम भागीदारी को दिखाया गया है) और जो स्टेटन द्वारा चिह्नित. यह "रैप्टर" त्रयी की अगली कड़ी नहीं थी। अगले चार अंक टॉम एवं मैरी बीयरबॉम द्वारा लिखे गए थे और इनका चित्रण अरमांडो गिल ने किया था। बीयरबॉम जोड़ी ने मुख्य पात्रों के रूप में दो नए पात्र पेश किये। नौवां और अंतिम अंक कीथ गिफेन एवं ड्वाईट जॉन जिमरमैन द्वारा लिखित एक जैम पुस्तक थी और इसमें जैसन पीयरसन, एडम ह्यूज, पॉल गुलैसी, जॉन बायर्न, केविन मैगिरे, माइक जेक, जॉर्ज पेरेज और पॉल चैडविक जैसे सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा रचित कलाकृतियों को दिखाया गया था। इस अंक के बाद श्रृंखला पर कभी नहीं लौटने के लिए "विराम" लग गया।
लॉस्ट वर्ल्ड: जुरासिक पार्क # 1-4 (मई - अगस्त 1997). दूसरी फिल्म का रूपांतरण. डॉन मैकग्रेगर द्वारा रूपांतरित और जेफ़ बटलर (#1-2) और क्लाउड सेंट ऑबिन (#3-4) द्वारा चिह्नित. श्रृंखला के प्रत्येक अंक में कई कवर दिखाए गए थे - एक वाल्टर साइमनसन द्वारा और एक फोटो कवर.
"रिटर्न टू जुरासिक पार्क" के #9 को छोड़कर "रैप्टर" त्रयी के के बाद से सभी कवर माइकल गोल्डन द्वारा तैयार किये गए थे। #9 पर जॉन बोल्टन द्वारा चित्रित एक कवर मौजूद था।
आईडीडब्ल्यू कॉमिक्स
2010 में शुरू होने वाले आईडीडब्ल्यू प्रकाशन ने जुरासिक पार्क: रीडेम्प्शन शीर्षक से एक नयी कॉमिक श्रृंखला तैयार की है। नई श्रृंखला में कम से कम 6 कॉमिक्स होंगे। आईडीडब्ल्यू द्वारा प्रकाशित कॉमिक्स हैं:
जुरासिक पार्क: रीडेम्प्शन #1-2 (जून 2010 - वर्तमान). बॉब श्रेक द्वारा लिखित.यह श्रृंखला इस्ला नब्लर की घटना के 13 सालों बाद टीम और लेक्स मर्फी के बारे में बताती है।
फिल्में
जुरासिक पार्क (1993)
जुरासिक पार्क स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्देशित 1993 की एक काल्पनिक विज्ञान फिल्म है जो माइकल क्रिच्टन के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है। फिल्म इस्ला नब्लर द्वीप पर केन्द्रित है जहाँ वैज्ञानिकों ने क्लोन किये गए डायनासोरों का एक मनोरंजन पार्क तैयार किया है। जॉन हैमंड (रिचर्ड एटनबरो) सैम नील, जेफ़ गोल्डब्लम और लॉरा डर्न द्वारा अभिनीत वैज्ञानिकों के एक समूह को पार्क की यात्रा के लिए आमंत्रित करते हैं। तोड़फोड़ के कारण डायनासोर बेकाबू हो जाते हैं और तकनीशियन एवं आगंतुक द्वीप से भागने की कोशिश करते हैं।
फिल्म की तैयारी उपन्यास के प्रकाशित होने से पहले ही शुरू हो गयी थी और क्रिच्टन को एक ऐसी स्क्रिप्ट तैयार करने में योगदान के लिए शामिल किया गया था जो इसकी ज्यादातर कहानी को काट सके। स्पीलबर्ग ने स्टेन विंस्टन स्टूडियोज की कठपुतलियों को काम पर रखा था और डायनासोरों को चित्रित करने के लिए अत्याधुनिक सीजीआई (CGI) विकसित करने के लिए इंडस्ट्रियल लाईट एंड मैजिक के साथ काम किया था। जुरासिक पार्क को आलोचकों द्वारा अच्छी प्रतिक्रिया मिली, हालांकि उन्होंने चरित्र-चित्रण की आलोचना की। इसकी रिलीज के दौरान फिल्म ने 914 मिलियन डॉलर की कमाई ही और अभी तक रिलीज की गयी सबसे सफल फिल्म रही और वर्तमान में यह 14वीं सर्वाधिक कमाई करने वाली फीचर फिल्म है, साथ ही फिल्मों की एक ऐसी नयी नस्ल के लिए मुख्य प्रेरणा बन गयी है जो स्पेशल इफेक्ट्स के लिए सीजीआई (CGI) तकनीक का प्रयोग करती है। इस फिल्म के बाद 1997 में द लॉस्ट वर्ल्ड: जुरासिक पार्क और 2001 में जुरासिक पार्क तृतीय आयी और जुरासिक पार्क चतुर्थ "निर्माण के उधेड़बुन" में ही फंसी रह गयी।
द लॉस्ट वर्ल्ड: जुरासिक पार्क (1997)
द लॉस्ट वर्ल्ड: जुरासिक पार्क स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्देशित 1997 की एक काल्पनिक विज्ञान कथा फिल्म और जुरासिक पार्क की अगली कड़ी है, जो कमोबेश माइकल क्रिच्टन के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है। पहली फिल्म की सफलता के बाद एक जैसे प्रशंसकों और आलोचकों ने इसकी अगली कड़ी के उपन्यास के लिए माइकल क्रिच्टन पर दबाव डाला. इस तरह की जिम्मेदारी पहले कभी नहीं निभाए होने के कारण माइकल क्रिच्टन ने मूलतः इसके लिए मना कर दिया था, लेकिन जब स्टीवन स्पीलबर्ग ने अंततः क्रिच्टन पर दबाव डालना शुरू कर दिया, तो इसकी अगली कड़ी के उपन्यास की घोषणा की गयी। जैसे ही उपन्यास प्रकाशित हुआ, 1997 के मध्य में रिलीज की तारीख का लक्ष्य लेकर एक फिल्म का निर्माण-पूर्व कार्य शुरू हो गया। फिल्म व्यावसायिक तौर पर सफल रही जिसने रिलीज के बाद कई बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ दिए. फिल्म को इसके चरित्र चित्रण के संदर्भ में पूर्ववर्ती फिल्म की तरह मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं. हालांकि ऐसा कहा जाता है कि फिल्म क्रिच्टन के उपन्यास पर आधारित है, वास्तव में पुस्तक के केवल एक दृश्य को फिल्म में इस्तेमाल किया गया था।
फिल्म इस्ला सोरना पर द्वीप केन्द्रित है जो मुख्य जुरासिक पार्क द्वीप के लिए एक सहायक स्थान है जहाँ डायनासोरों को जंगल में रहने के लिए ले जाया जाता है। इयान मैल्कम डायनासोरों को उनके पैदाइशी परिवेश में रहने की स्थिति को दर्ज करने के लिए एक दल का नेतृत्व करते हैं, जबकि एक इनजेन (InGen) टीम सैन डिएगो में स्थित एक दूसरे जुरासिक पार्क के लिए उन्हें कब्जा करने की कोशिश करती है।
द लॉस्ट वर्ल्ड को पूरा करने के बाद स्टीवन स्पीलबर्ग ने कहा था कि वे किसी दूसरे जुरासिक पार्क फिल्म पर फिर कभी काम नहीं करेंगे. कुछ सालों के बाद जो जॉनस्टन ने जुरासिक पार्क III का निर्माण शुरू किया।
जुरासिक पार्क III (2001)
जुरासिक पार्क III 2001 की एक काल्पनिक विज्ञान कथा फिल्म और द लॉस्ट वर्ल्ड: जुरासिक पार्क की अगली कड़ी है। यह श्रृंखला की पहली ऐसी फिल्म है जो माइकल क्रिच्टन की पुस्तक पर आधारित या स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्देशित नहीं है। मूलतः एक तीसरे जुरासिक पार्क फिल्म का निर्माण जुरासिक पार्क: एक्सटिंक्शन शीर्षक के तहत किया गया, जिसकी स्क्रिप्ट में एक ऐसी घातक बीमारी शामिल थी जिसने दोनों द्वीपों में डायनासोरों का सफाया कर देने का खतरा उत्पन्न कर दिया था। स्क्रिप्ट में कई बदलावों के बाद, यूनिवर्सल ने जुरासिक पार्क III शीर्षक के साथ वर्त्तमान कथानक के पक्ष में विचार को त्याग देने का फैसला किया। हालांकि विचार को त्याग दिया गया था, लेकिन इसे जुरासिक पार्क IV के लिए पुनः इस्तेमाल किया जाना था।
जो जॉनसन जुरासिक पार्क की अगली कड़ी का निर्देशन करने के लिए इच्छुक थे और उन्होंने अपने मित्र स्टीवन स्पीलबर्ग से इस प्रोजेक्ट के बारे में संपर्क किया था। हालांकि स्पीलबर्ग पहली कड़ी का निर्देशन करना चाहते थे, वे इस बात पर सहमत हो गए कि अगर तीसरी फिल्म बनेगी तो जॉनस्टन उसका निर्देशन कर सकते हैं। फिर भी स्पीलबर्ग इसके कार्यकारी निर्माता बनकर इस फिल्म में शामिल रहे. निर्माण कार्य कैलिफोर्निया, ओवाहू और मोलोकाई में फिल्मांकन के साथ 30 अगस्त 2000 को शुरू हुआ।
फिल्म आंशिक रूप से सफल रही और इसे आलोचकों से मिश्रित समीक्षाएं प्राप्त हुईं. ज्यादातर इस बात पर बँटे हुए थे कि क्या तीसरी किस्त अपने पूर्ववर्तियों से बेहतर या बदतर थी। फिल्म को एक बार फिर से चरित्र चित्रण थोड़ी या बिलकुल नहीं होने की समीक्षाओं का सामना करना पड़ा.
दूसरी फिल्म में मौजूद कोई भी चरित्र इस फिल्म में शामिल नहीं था, हालांकि मूल किस्त से सैम नील और लॉरा डर्न की वापसी हुई है और इयान मैल्कम एवं जॉन हैमंड का जिक्र किया गया है। सेटिंग दूसरी फिल्म के द्वीप इस्ला सोरना में की गयी थी, एक जोड़ा डॉ॰ एलन ग्रांट को अपने गाइड के रूप में शामिल करता है (लेकिन वास्तव में वे उन्हें अपने बेटे, एरिक को बचाने के लिए काम पर लेते हैं). लेकिन उनका विमान द्वीप पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है और बाकी बचे लोग द्वीप से भागने की कोशिश करते हैं जबकि एक स्पाइनोसौरस और वेलोसिरेप्टर्स द्वारा उनका पीछा किया जाता है।
भविष्य
जुरासिक पार्क IV
जून 2002 में निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग ने स्टारलॉग पत्रिका को बताया कि उन्होंने जुरासिक पार्क IV के निर्माण की योजना बनायी है और यह कि निर्देशक जो जॉनस्टन जिन्होंने जुरासिक पार्क III का संचालन किया था, वही इसका निर्देशन करेंगे. नवंबर 2002 में पटकथा लेखक विलियम मोनाहन को 2005 की गर्मियों में फिल्म के संभावित रिलीज की तारीख के साथ मेहनताने के आधार पर लिखने के लिए शामिल किया गया। जुलाई 2003 में मोनाहन ने पहला ड्राफ्ट पूरा कर लिया, जिसमें कहानी अब जंगल के सेट में नहीं रह गयी थी। अभिनेता सैम नील ने कहा था कि वह डॉ॰ एलन ग्रांट के रूप में वापस आ रहे थे जिसका फिल्मांकन 2004 में कैलिफोर्निया और हवाई में शुरू होने की उम्मीद थी। सितम्बर 2004 में पटकथा लेखक जॉन सेयल्स 2005 की सर्दियों में रिलीज के लिए स्क्रिप्ट को नए सिरे से लिख रहे थे।
अक्टूबर 2004 में पैलेंटोलॉजिस्ट जैक होर्नर ने कहा कि वे चौथी फिल्म में एक तकनीकी सलाहकार के रूप में वापसी करेंगे क्योंकि उन्होंने पिछली जुरासिक पार्क फिल्मों के लिए यह जिम्मेदारी निभाई थी। अप्रैल 2005 में स्पेशल इफेक्ट्स के कलाकार स्टेन विंस्टन ने बताया कि निर्माण कार्य में देरी फिल्म के स्क्रिप्ट में बार-बार सुधार की वजह से हो रही थी जिनमें से किसी ने भी स्पीलबर्ग को संतुष्ट नहीं किया था। विंस्टन के अनुसार, "उन्होंने किसी भी [ड्राफ्ट] में विज्ञान और रोमांच के तत्वों को प्रभावी ढंग से संतुलित महसूस नहीं किया था। यह निर्णय तक पहुँचने के लिए एक बहुत कठिन समझौता था क्योंकि विज्ञान का बहुत अधिक प्रयोग होने से फिल्म बहुत अधीन बातूनी हो जाती लेकिन बहुत अधिक रोमांच इसे खोखला बना सकता था।" फरवरी 2006 में निर्माता फ्रैंक मार्शल ने कहा कि एक 'अच्छी स्क्रिप्ट' पूरी कर ली गयी थी और 2008 में रिलीज के लिए इसका फिल्मांकन 2007 में शुरू होगा। मार्च 2007 में लॉरा डर्न को नयी फिल्म में वापसी करने के लिए कहा गया, जिसे यूनिवर्सल अब भी 2008 में रिलीज करना चाहती थी। निर्देशक जो जॉनस्टन के बारे में भी बताया गया था कि वे फिल्म का निर्देशन नहीं कर रहे हैं। जॉन हैमंड की भूमिका को कम करने के लिए रिचर्ड एटनबरो से संपर्क किया गया था। जेफ गोल्डब्लम ने चौथी फिल्म के लिए अपनी भूमिका की कटौती में रुचि दिखाई थी।
दिसंबर 2008 में फ्रैंक मार्शल और कैथलीन कैनेडी से यह पूछा गया कि क्या अगली कड़ी पर कोई प्रगति हुई है। कैनेडी ने जवाब दिया, "नहीं... मुझे नहीं मालूम. आपको पता है कि जब माइकल क्रिच्टन का निधन हो गया, मैंने कुछ ऐसा महसूस किया कि शायद यह कहानी अब ख़त्म हो गयी है। संभवतः यह एक संकेत है जिसे हम इसके साथ नहीं मिलाते हैं।" हालांकि मार्शल और कैनेडी निर्माण क्षमता के रूप में अब यूनिवर्सल पिक्चर्स के साथ जुड़े हुए नहीं थे, लेकिन दोनों जुरासिक पार्क IV के लिए अपनी योजनाओं और स्टूडियो के साथ शामिल रहे थे। नवम्बर 2009 में जो जॉनस्टन ने जुरासिक पार्क IV की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि फिल्म की कहानी इसके पूर्ववर्तियों से पूरी तरह अलग है और इसकी फ्रेंचाइजी एक सम्पूर्ण अन्य त्रयी के रूप में लेंगे.
जुरासिक पार्क III के निर्देशक जो जॉनस्टन ने जनवरी 2010 में एक साक्षात्कार में यह खुलासा किया कि जुरासिक पार्क IV एक दूसरी जुरासिक पार्क त्रयी की शुरुआत के लिए तैयार थी। उन्होंने यह भी कहा, जुरासिक पार्क 4 में कुछ ऐसा होने जा रहा है जो आपके द्वारा देखी गयी किसी भी चीज के विपरीत होगा। " ड्रियू मैकविनी द्वारा 2010 में वेबसाइट बिहाइंड द फिल्म्स पर जो जॉनस्टन से लिए गए एक नए साक्षात्कार के अनुसार, एक नयी स्क्रिप्ट पर इसके पीछे एक अलग विचार के साथ काम चल रहा है। जॉन स्टन कहते हैं कि एक बार जब वे कैप्टेन अमेरिका को पूरा कर लेंगे, उम्मीद है कि वे स्टीवन स्पीलबर्ग के साथ जुरासिक पार्क IV की तैयारी शुरू कर देंगे. जो जॉनस्टन ने उत्साहपूर्वक इसकी पुष्टि की है कि फिल्म के निर्माण की संभावना एक से अधिक बार है।
मुख्य कलाकार
उपन्यासों के साथ निरंतरता
हालांकि फिल्मों में विविध प्रकार के डायनासोरों को दिखाया जाता है, पुस्तकों में कई ऐसी प्रजातियाँ शामिल हैं (या तो स्क्रीन पर देखी गयी या फिर क्लोन किये जा रहे रूप में उल्लिखित) जो जुरासिक पार्क फिल्मों में नहीं दिखाई गयी है। इसमें जुरासिक पार्क III शामिल नहीं है क्योंकि इसके कथानक को किसी उपन्यास से रूपांतरित नहीं किया गया था। डायनासोर सेरेटोसौरस, ब्रैकियोसौरस, स्पाइनोसौरस, एन्काइलोसौरस, कोरिथोसौरस और मैमेंचीसौरस का उल्लेखित उपन्यास श्रृंखलाओं में नहीं किया गया है।
काल्पनिक स्थान
इस्ला नब्लर
इस्ला नब्लर जुरासिक पार्क के फिल्म एवं पुस्तक संस्करण में एक काल्पनिक द्वीप है। इसका नाम स्पेनिश में "बादल द्वीप" के मतलब के इरादे से लिया गया है। कहानी में ऐसा बताया जाता है कि यह कोस्टारिका के समुद्रतट पर स्थित है और इस द्वीप का आकार लंबा और अपने सबसे चौड़े स्थान पर चौड़ा है। फिल्म के लिए स्पीलबर्ग ने इस्ला नब्लर को दिखाने में स्टैंड के रूप में काउई द्वीप का इस्तेमाल किया था।
लोकप्रिय संस्कृति में, द्वीप का निर्माण फ्लोरिडा में यूनिवर्सल थीम पार्क में पाँच "आइलैंड्स ऑफ एडवेंचर" में से एक के रूप में एनिमाट्रोनिक डायनासोर और इनपर की जाने वाली सवारियों के साथ किया गया था। यूनिवर्सल स्टूडियोज हॉलीवुड "इस्ला नब्लर जुरासिक बैंड को जुरासिक पार्क के प्रवेश द्वार के पास" दिखाता है।
इस्ला सोरना
इस्ला सोरना जिसे "साइट बी" के रूप में भी जाना जाता है, एक और काल्पनिक द्वीप है जो द लॉस्ट वर्ल्ड और जुरासिक पार्क III के पुस्तक एवं फिल्म संस्करण में देखा जाता है। इस्ला नब्लर के मनोरंजन पार्क के दृष्टिकोण के विपरीत, इस्ला सोरना को अलग से एक प्रयोगशाला एवं अनुसंधान केंद्र के रूप में तैयार किया गया है, जहाँ डायनासोरों के अण्डों से बच्चे निकाले जाते हैं और तरुण अवस्था में इस्ला नब्लर में स्थानांतरित करने से पहले इनका पालन पोषण किया जाता है। यह द्वीप इस्ला नब्लर से दूर है, और कोस्टा रिका के समुद्रतट पर लगभग पर स्थित है। द लॉस्ट वर्ल्ड के फिल्म संस्करण के लिए, जोड़ी डंकन और डॉन शाय कहते हैं: "इस्ला सोरना के ज्यादातर समृद्ध और जंगलनुमा बाहरी स्वरूपों के यूरेका और न्यूजीलैंड से प्राप्त करने का इरादा बनाया गया था।" पुस्तक की समीक्षा करते हुए रॉब डीसैल और डेविड लिंडले ने लिखा था: "क्रिच्तन वेलोसिरैप्टर्स के छिपने की जगह का चित्रण कुछ इस तरह करते हैं जैसा कि फिल्म एनिमल हाउस में किया गया है."
आभार
बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन
आलोचनात्मक प्रतिक्रिया
वीडियो गेम्स
1993 के जुरासिक पार्क फीचर फिल्म की घोषणा के बाद से विकासकों ओसियन सॉफ्टवेयर, ब्लूस्काई सॉफ्टवेयर और सेगा ऑफ अमेरिका को उस समय के लोकप्रिय प्लेटफॉर्म पर फिल्म की रिलीज के साथ-साथ गेम्स को बेचे जाने के लिए लाइसेंस दिया गया था।
ओसियन सॉफ्टवेयर ने एनईएस (NES), सुपर एनईएस (NES), गेम ब्वाय, पीसी (PC): डीओएस (DOS) और एमिगा के लिए 1993 की फिल्म पर आधारित वीडियो गेम्स रिलीज किये। सेगा ऑफ अमेरिका ने सेगा सिस्टम्स के लिए तीन अलग-अलग गेम रिलीज किया। प्रत्येक गेम काफी मात्रा में बिका और एसएनईएस (SNES) एवं गेम ब्वाय के लिए दूसरी पीढ़ी के वीडियो गेम के रूप में तेजी से उभरा. फ्रेंचाइजी में दूसरी फिल्म के लिए, ड्रीमवर्क्स इंटरएक्टिव ने उस समय के सबसे लोकप्रिय सिस्टम्स के लिए 5 गेम रिलीज किये। तीसरी फिल्म मार्केटिंग में सबसे बड़ा उछाल देखा जिसमें पीसी (PC) और गेम ब्वाय एडवांस के लिए सात वीडियो गेम तैयार किये गए। सभी तीन फिल्मों के लिए कई लाईटगन आर्केड गेम्स भी रिलीज किये गए थे।
प्लेस्टेशन 2, एक्सबॉक्स (Xbox) और पीसी (PC) जिसे Jurassic Park: Operation Genesis भी कहा जाता है जहाँ गेम का मकसद कुछ हद तक जू टाइकून गेम्स की तरह, जुरासिक पार्क के उनके अपने संस्करण तैयार करना और उनका प्रबंधन करना था।
आठ सालों के बाद (पिछले गेम के बाद से) श्रृंखला में रुचि पैदा करने के लिए, टेलटेल गेम्स द्वारा एनबीसी (NBC) यूनिवर्सल के साथ हुए एक सौदे के तहत जुरासिक पार्क फ्रेंचाइजी पर आधारित एपिसोड के रूप में एक नयी विशिष्ट वीडियो गेम श्रृंखला तैयार की जायेगी.
इन्हें भी देखें
जुरासिक वर्ल्ड: द फ़ॉलेन किंगडम
हैरी पॉटर (फिल्म शृंखला)
वॉर ऑफ़ द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स
ट्रांसफार्मर्स: द लास्ट नाइट
जुरैसिक कल्प
मिशन: इम्पॉसिबल (फ़िल्म शृंखला)
स्पाइडरमैन: होम कमिंग
अवेंजर्स: इन्फिनिटी वॉर
अवेंजर्स: एज ऑफ़ अल्ट्रॉन
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Movie Review l Jurassic World
जुरासिक पार्क
श्रृंखलानुसार विज्ञान कथा पर आधारित काल्पनिक फ़िल्में | 3,565 |
509577 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%A8%E0%A4%9C%E0%A5%80%20%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE | रतनजी टाटा | सर रतनजी टाटा (२० जनवरी १८७१ ई. - ५ सितंबर १९१८ ई.) भारत के सुविख्यात पारसी उद्योगपति और जनसेवी जमशेदजी नासरवान जी टाटा के पुत्र। उन्होने भारत में टाटा समूह के विकास में एक निर्णायक भूमिका निभाई थी।
परिचय
जन्म २० जनवरी १८७१ ई. को बंबई में हुआ था। बंबई के सेंट जेवियर कालेज में अध्ययन कर पिता की योजनाओं को सफल बनाने में भाई की पूरी सहायता की। सन् १९०४ ई. में जब पिता की मृत्यु हुई इन्हें और इनके भाई सर दोराब जी जमशेद जी टाटा को अपार वैभव और संपदा उत्तराधिकार में प्राप्त हुई। टाटा ऐंड कंपनी के साझीदार होने के साथ ही ये इंडियन होस्टल्स कंपनी लिमिटेड, टाटा लिमिटेड, लंदन टाटा आयरन ऐंड स्टील वर्क्स साकची, दि टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड, इंडिया, के डाइरेक्टर भी थे।
पिता से प्राप्त संपति का इन्होंने औद्योगिक विकास के कार्यों के साथ-साथ समाजसेवा के कार्यों में उपयोग किया। १९१२ ई. में लंदन स्कूल ऑव इकानॉमिक्स में अपने नाम से सामाजिक विज्ञान और शासन का एक विभाग स्थापित किया। उसी वर्ष निर्धन छात्रों की स्थितियों के अध्ययनार्थ लंदन विश्वविद्यालय में एक रतन टाटा फंड की भी स्थापना की। इनके नाम से एक दानकोश की भी स्थापना हुई। इनका देहांत ५ सितंबर १९१८ ई. को कार्नवाल में हुआ।रतन टाटा अभी
बाहरी कड़ियाँ
Sir Ratan Tata Biography SRT Trust website
Sir Ratan Tata Trust Official website
भारतीय व्यवसायी
भारतीय उद्योगपति
टाटा परिवार | 232 |
1332543 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A4%95%20%E0%A4%A4%E0%A5%88%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%B0 | तुगलक तैमूर | तुगलक तैमूर खान (1312/13-1363)
अंग्रेज़ी:Tughlugh Timur Khan) चग़ताई ख़ानत का मंगोल बादशाह था। इलियास खोजा का पिता। अन्य कारनामों से अधिक अपने इस्लाम में रूपांतर से अधिक चर्चित।
मुगलिस्तान इस के क्षेत्र में था जिसमें आज कजाकिस्तान , किर्गिस्तान और उत्तर-पश्चिमी चीन (झिंजियांग) के कुछ हिस्से शामिल हैं।
ऐतिहासिक पुस्तकों अनुसार शिकार के समय
अरशद-उद-दीन द्वारा अनजाने में तुगलग के खेल-संरक्षण पर अतिचार किया था। तुगलक ने अपने शिकार में मौलवी के हस्तक्षेप का कारण पूछा। उत्तर दिया कि उसे पता नहीं था कि वह अतिचार कर रहा है। तुगलग ने देखा कि मौलवी फारसी था, तुगलग ने पूछा कि "एक कुत्ता एक फारसी से अधिक अच्छा होता है?।" मौलवी ने जवाब दिया, "हाँ, अगर हमारे पास सच्चा अल्लाह में विश्वास नहीं होता, तो हम वास्तव में कुत्तों से भी बदतर होते।" इस्लाम से प्रभावित होता रहा, राजा बनने के बाद मुसलमान होने का एलान किया। वृत्तांत के अनुसार उसी दिन 1,60,000 लोगों ने इस्लाम धर्म अपना लिया।
गुजर मुगल वैवाहिक संबंध।
जून 1355 - फ़िरोज़ शाह तुगलक ने गुज्जरी से शादी की बदले में गुज्जरों को मिला हिसार का गुज्जरी महल
जनवरी 1562- गुज्जरी की बेटी से अकबर की शादी (हरका गुचरी
– 15 नवंबर 1570- र कल्की गुज्जरी की अकबर से शादी (भिवानी में जमीन मिली)
– 1570- हरकू गुज्जर की बेटी रुक्का बाई अकबर से विवाह (जमीन मिली और अकबर के घोड़ों की मनसब दारी मिली लढोरा)
– 1573– नगरकोट के गुज्जर रामपाल की बेटी लाछा गुचरी से अकबर की शादी (भिवाड़ी) परगना मिला ओर अकबर से घनिष्ठता बढी
लाछा गुचरी से अकबर को 4 पुत्र की प्राप्ति हुयी
बेसल खा लिडीमर खा ओर दो पुत्र का इतिहास में शोध जारी है
– मार्च 1577- रामप्यारी गुचरी से अकबर का विवाह (बेसला जाती गोत्र-बासवाडा)
– 1581- में गुज्जर लेखराम की बेटी की अकबर से शादी (बेसला-वरतमान में नोएडा की जमीन मिली यह शादी गुज्जरों के लिए मिल का पत्थर साबित हुयी)
– 11 फरवरी, 1588- लाड़ राम गुज्जर की बेटी से राजकुमार सलीम (जहांगीर) की शादी (बैंसला-धोलपुर)
– 1587- ग्वालियर के हाथी राम रूकडी की बेटी से जहांगीर का विवाह (इसके नाम से रूड़की है)
– 2 अक्टूबर 1598- किरोड़ी की बेटी से अकबर के बेटे दानियाल का विवाह (बैंसला-नीमराना)
– 28 मई 1608- गुज्जर भाला सराधनाकी बेटी बाई फूली से जहांगीर की शादी।
सन्दर्भ
1312 में जन्मे लोग
इस्लाम में परिवर्तित लोगों की सूची
इन्हें भी देखें
तैमूर लंग
जलालुद्दीन मुहम्मद शाह | 396 |
586647 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%AE%20%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%AE | शाका लाका बूम बूम | शाका लाका बूम बूम एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है। यह श्रृंखला १५ अक्टूबर २००० से डीडी नेशनल चैनल पर ३० एपिसोड के श्रृंखला के रूप में प्रसारित हुई, जिसमें विशाल सोलंकी संजू के रूप में थे। श्रृंखला को बाद में २००१ में स्टार प्लस द्वारा लिया गया और १९ अगस्त २००२ को उनके संस्करण का प्रीमियर लीड के रूप में किंशुक वैद्य के साथ हुआ। यह श्रृंखला कई बार स्टार उत्सव, डिज़्नी चैनल भारत, डिज़नी एक्सडी और हंगामा टीवी पर भी प्रसारित हुई। इसे विजय कृष्ण आचार्य ने लिखा और निर्देशित किया था।
कथानक
कार्यक्रम की कहानी संजू नामक एक केन्द्रीय पात्र के चारों ओर घूमती रहती है जिसे एक जादुई कलम मिल जाती है। उस कलम की खासियत यह थी कि उससे जो भी चित्र बनाए जाते, वे वास्तविक रूप प्राप्त कर लेते थे। यह कार्यक्रम 04 सत्र तक चला।
पात्र
सन्दर्भ
भारतीय स्टार टीवी कार्यक्रम
स्टार प्लस के धारावाहिक
भारतीय टेलीविजन धारावाहिक | 154 |
633027 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%88%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%88%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6 | ईसाई समाजवाद | ईसाई समाजवाद (Christian socialism) मजहबी समाजवाद का एक रूप है जो ईसा मसीह की शिक्षाओं पर आधारित है।
परिचय
समाजवादियों का उद्देश्य है निजी संपत्ति पर नियंत्रण और आत्माभिव्यक्ति के अवसरों में वृद्धि। किंतु इसके साधन क्या हो, हिंसाप्रधान या अहिंसामूलक, समाजवादी व्यवस्था की रूपरेखा क्या हो, समाज परिवर्तन की प्रक्रिया और उसका तर्क क्या हो- इन और अन्य संबद्ध प्रश्नों पर समाजवादी विचारधाराओं के सामान्य उद्देश्यों की प्रतिष्ठा ईसाई मत के कुछ आधारभूत सिद्धांतों से हो सकती है। ईसा की शिक्षा है कि ईश्वर समस्त प्राणियों का स्रष्टा और परमपिता है, मनुष्यों में भाईचारे का संबंध है, गरीबी और शोषण के साथ साथ संपत्तिसंचय नैतिक पतन है, संपत्ति की और उचित प्रवृत्ति यह है - उसका त्याग और समाजकल्याण के लिए उसका अमानत की भाँति प्रयोग और हिंसाप्रमुख साधनों का निराकरण।
रोमन साम्राज्य में राजधर्म की मान्यता मिलने के बाद लगभग एक हजार वर्ष तक ईसाई नैतिकता सामाजिक संगठन और व्यवहार की आधारशिला थी। वह सघंर्ष और प्रतियोगिता के स्थान पर सहयोग और सेवा पर बल देती थी। किंतु १५वीं शताब्दी के मध्य के उपरांत वैज्ञानिक और यांत्रिक विकास के फलस्वरूप आधुनिक सभ्यता का प्रादुर्भाव हुआ। दृष्टिकोण गुणात्मक के स्थान पर परिमाणात्मक हो गया। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संगठन ने दीर्घकाय रूप लिया। सभी कार्य, धार्मिक हों या शैक्षिक, आर्थिक हों या राजनीतिक, नौकरशाही द्वारा संपन्न होने लगे। प्रत्यक्ष जगत् के स्थान पर आज का संसार व्यापक और निर्वैयक्तिक है। उसकी नैतिकता धार्मिक नहीं है, सुखवादी या उपयोगितावादी है। धन इस सुख का साधन है और वही आज जीवन का मानदंड है। इसीलिए जीवन और आज की विचारधाएँ संघर्षप्रमुख हैं। ईसाइयत और समाजवाद के बीच एक विशाल खाई है।
प्राचीन काल से ही अनेक संन्यासप्रमुख ईसाई संप्रदायों ने बहुत कुछ समाजवादी सिद्धांतों को अपनाया। किंतु फ्रांसीसी राजक्रांति के बाद, विशेष रूप से १९वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में, पश्चिम के अनेक देशों में ईसाई समाजवादी विचारधारा और संगठन का प्रादुर्भाव हुआ। इसका प्रमुख कारण यह था कि उद्योगीकरण के दुष्परिणाम प्रकट होने लगे थे। ईसाई नैतिकता की उपेक्षा हो रही थी और समाज सुखवाद की और अग्रसर हो रहा था। दूसरी ओर ईसाई धर्मावलंबी, विशेष रूप से संगठित चर्च, सामाजिक बुराइयों की ओर से उदासीन थे। ईसाई समाजवाद का उद्देश्य यह था कि ईसाई लोग समाजवादी दृष्टिकोण को अपनाएँ और समाजवाद ईसाई नैतिकता से अनुप्राणित हो।
ईसाई समाजवाद के नेता थे, फ्रांस में दलामने, इंग्लैंड में मारिस और किंग्सले, जर्मनी में फॉन केटलर, आस्ट्रिया में काल ल्यूगा और अमरीका में जोशिया स्ट्रांग, रिचर्ड एली, जार्ज हेरन आदि। इन आंदोलनों के द्वारा यह प्रयास हुआ कि चर्च और समाजवाद में परस्पर सहयोग हो और सामाजिक जीवन का संचालन प्रतियोगिता नहीं वरन् सहयोग के आधार पर हो। ईसाई समाजवादी इस बात के पक्ष में थे कि आर्थिक जीवन का संगठन जनतंत्रवादी हो। इनके प्रयास से समाजवादी विचारधारा जनप्रिय बनी। आदर्श समाजवाद की रूपरेखा कैसी हो, इसमें ईसाई समाजवादियों को विशेष अभिरुचि न थी। उनको विश्वास था कि मजदूरों के अतिरिक्त यदि मध्य वर्ग के मनुष्यों को भी ठीक प्रकार से सामाजिक परिस्थिति से परिचित कराया जाए तो वे वर्तमान आर्थिक व्यवस्था के सुधार में हाथ बँटाएँगे।
१९६० के दशक में यूनाइटेड किंगडम (यूके) में ईसाई समाजवाद का जोरदार आन्दोलन चला।
किंतु १९वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में ईसाई समाजवाद की जनप्रियता घटने लगी। पश्चिमी देशों के मजदूर ट्रेड यूनियन आंदोलन से अधिक प्रभावित हुए। आधुनिक सभ्यता प्रत्यक्षवाद (ऐपेरिजिसज्म़), धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलैरिज्म़) और सुखवाद (हेडनिज्म़) पर आधारित है। ईसाई समाजवादियों में आंतरिक मतभेद भी था। कुछ की अभिरुचि प्रमुख रूप से ईसाई धर्म में थी और कुछ की समाजवाद में। रूस में साम्यवादी राज्य की स्थापना के बाद अन्य समाजवादी विचारधाराओं का प्रभाव कम हो गया। पश्चिम में आज ईसाई धर्म और प्रचलित बौद्धिक मानसिकता में अंतर बढ़ रहा है।
इन्हें भी देखें
समाजवाद
समाजवाद | 611 |
461537 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%80 | जुमांजी | जुमांजी (अंग्रेज़ी: Jumanji) १९९५ में जारी की गई अमेरिकी फंतासी फ़िल्म है जिसमें साहसिक कार्य प्रदर्शित किये गये हैं। यह फ़िल्म एक अलौकिक बोर्ड खेल के बारे है जिसमें जंगली जानवर बनते हैं और खिलाड़ी को अन्य जंगली खतरों से सावधान रहना होता है। इसका निर्देशन जौ जॉनसन ने किया है और यह फ़िल्म इसी नाम से १९८१ में क्रिस वैन ऑल्सबर्ग द्वारा प्रकाशित चित्र पुस्तक पर आधारित है। फ़िल्म में विशेष प्रभाव इंड्रस्ट्रियल लाइट एंड मैज़िक के संगणकीय ग्राफीक्स और एनिमेट्रॉनिक्स द्वारा सम्मलित गतिशीलता से बनाये गये हैं।
पटकथा
१८६९ में, दो लड़के चेस्ट और बर्री न्यू हैम्पशायर के कीनी के पास के जंगलों में हैं। एक सदी के बाद १२ वर्षिय एलन पार्रिश ने उसके पिता, सैम के स्वामित्व वाले जूता कारखाने के लिए बदमाशों के एक समूह के साथ भाग जाता है जहाँ वह अपने दोस्त कार्ल बेंटली से मिलता है जो सैम का एक कर्मचारी था। जब गलती से एलन एक प्रोटोटाइप स्नीकर के साथ मशीन को नुकसान पहुँचाता है तो कार्ल पुरी जिम्मेदारी अपने उपर ले लेता है और नौकरी से हाथ धो बौठता है। कारखाने के बाहर, जब बदमाशों ने एलन को पीटते हैं और उसकी बाय-साइकिल चुराते हैं, एलन एक निर्माण स्थल पर आदिवासी ढ़ोल की आवाज का अनुसरण करता है वहां मिटटी में दबा हुआ जुमांजी नामक एक बोर्ड गेम मिलता है।
एलन खेल को अपने साथ घर ले आता है और एक बोर्डिंग स्कूल में प्रवेश लेने के बारे में अपने पिता के साथ विवाद के बाद भागने का निर्णय लेता है। हालांकि उसकी महिला मित्र साराह व्हाइटल उसे उसकी बाइक देने के लिए आती है। दोनों जुमांजी खेलने लग जाते हैं। जब पासा फैंका जाता है खिलाड़ी की गोटी स्वतः आगे बढ़ती है और बोर्ड के केन्द्र में क्रिस्टल गेंद पर एक गुप्त संदेश प्रदर्शित होता है। जब एलन अपनी प्रथम चाल चलता है तो वह उससे कहता है "आपको तब तक इन्तजार करना पड़ेगा जब तक पासा पाँच अथवा आठ पढ़ता है" और खेल जीत लिया। डरी हुई साराह भाग जाती है जिसका सड़क पर चमगादड़ों द्वारा पिछा किया जाता है।
छब्बीस वर्ष बाद, जूडी और पीटर शेफर्ड एक कार दुर्घटना में अपने माता-पिता को खोने के बाद अपनी चाची के साथ, वर्तमान में खाली पार्रिश के घर में स्थानांतरित होते हैं। जूडी और पीटर को जुमांजी के ढ़ोल की आवाज सुनाई देती है और दोनों अटारी में खेलने लग जाते हैं खेल में चालों के दौरान उन पर वृहत् मच्छर हमला कर देते हैं और उनका रसोईघर बंदरों की एक टुकड़ी द्वारा नष्ट कर दिया जाता है। वो खतरे के बावजूद यह सोचते हुए खेलते रहते हैं कि जब खेल समाप्त होगा तब सब कुछ पुनः ठीक हो जायेगा। पीटर पासे पर पाँच पढता है, जिससे शेर एवं एलन दोनों को मुक्त करवाता है जो अब परिपक्व हो चुका है। एलन शेर को शयन कक्ष में बन्द कर देता है और अपने पिता के कारखाने को सम्भालता है जो अब परित्यक्त हो चुका है। इसी सफर में वो कार्ल से मिलता है जो अब एक पुलिस ऑफ़िसर बन गया है और उसे पता चलता है कि कारखाने के बंद होने से कस्बे की अर्थव्यवस्था तबाह हो गयी थी। कारखाने में एक घर रहित व्यक्ति से पता चलता है कि सैम एलन के लापता होने पर परेशान था और उसे खोजने के लिए व्यापार को छोड़ दिया। तब तक उसके माता-पिता दोनों का निधन हो चुका है।अंततः चारो मिल कर खेल को पूरा करते है और सब सामान्य हो जाता है
कलाकार
डबिंग के लिए गुणवत्ता लाइसेंस की वजह से दो हिन्दी डबिंग संस्करण जारी किये गये।
स्टाफ़
निदेशक: जो जॉनसन
निर्माता: रॉबर्ट डब्ल्यू कॉर्ट, टेड फील्ड, लैरी जे फ्रेंको
पटकथा: ग्रेग टेलर, जोनाथन हेन्स्लेइघ, जिम तनाव
फोटोग्राफ़ी: थॉमस एकरमैन
सम्पादन: रॉबर्ट दलवै
स्टूडियो: इंटरस्कोप संचार, तेइत्लेर फिल्म
संगीत: जेम्स हॉर्नर
दृश्य प्रभाव: इंडस्ट्रियल लाइट ऐंड मैजिक
हिन्दी डबिंग क्रेडिट्स १
डब वर्ष रिहाई: १९९७
मीडिया: सिनेमा/वीसीडी/डीवीडी/ब्लू रे डिस्क
द्वारा निर्देशित: लीला रॉय घोष †
अनुवाद: ????
समायोजन: ????
उत्पादन: साउंड एण्ड विजन इंडिया
हिन्दी डबिंग क्रेडिट्स २
डब वर्ष रिहाई: २००५
मीडिया: टेलीविज़न/वीसीडी/डीवीडी/ब्लू-रे डिस्क (नई रिलीज)
द्वारा निर्देशित: ????
अनुवाद: ????
समायोजन: ????
उत्पादन: ????
पुनः निर्माण
जुलाई 2012 को रूमर्स ने फ़िल्म की पुनर्कृत्ति के बारे में खुलासा किया जिसका विकास प्रारम्भ हो चुका है। कोलम्बिया पिकचर्स के अध्यक्ष डग बेलगार्ड ने एक हॉलीवुड संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि हम जुमांजी के पुनः निर्माण और वर्तमान स्वरूप को अद्यतन करने की कोशिश कर रहे हैं।" अगस्त १, २०१२ को इसकी पुष्टि हो गई कि विलियम टिटलर जो मूल फ़िल्म के निर्माता हैं, के साथ मैथ्यू टॉचमैक फ़िल्म के नवीन संस्करण के निर्माता हैं।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
ज़थुरा
बाहरी कड़ियाँ
अमेरिकी फ़िल्में
अंग्रेज़ी फ़िल्में | 769 |
1404732 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97%20122%20%28%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%29 | राज्य राजमार्ग 122 (राजस्थान) | राज्य राजमार्ग 122 (आरजे एसएच 122) भारत के राजस्थान राज्य में एक राज्य राजमार्ग है जो राजस्थान के टोंक ज़िले में बरोनी को राजस्थान के करौली ज़िले में कुड़गांव से जोड़ता है। आरजे एसएच 122 की कुल लंबाई 158 किमी है।
यह राजमार्ग बरोनी में NH-52 को कुड़गांव में NH-23 से जोड़ता है।
गंतव्य
राज्य राजमार्ग १२२ कई महत्वपूर्ण शहरों से गुज़रता है:
टोंक - बरौनी, पराना, नटवाड़ा
सवाई माधोपुर - कंवरपुरा, शिवाड़, सारसोप, ऐंचेर, बगीना
करौली - कुड़गांव
संदर्भ | 80 |
830390 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%95%20%28%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%29 | आभासी सहायक (व्यवसाय) | एक आभासी सहायक ( जिसे आमतौर पर वीए संक्षिप्त रूप में बोला जाता है या जिसे आभासी ऑफिस सहायक भी कहा जाता है) यह आमतौर पर स्व-रोजगार पर होता है एवं अपने घरेलू कार्यालय से दूर बैठे ग्राहकों को पेशेवर प्रशासनिक, तकनीकी या रचनात्मक (सामाजिक) सहायता प्रदान करता है। ये आभासी सहायक कर्मचारी नहीं होते बल्कि एक स्वतंत्र संवेदक के रूप में कार्य करते हैं अत: इनसे कार्य लेने वाले कंपनी या ग्राहक को किसी भी तरह का कर्मचारी से संबंधित करों, बीमा या लाभ का भुगतान नहीं करना होता है। लेकिन इस संदर्भ में उन्हें उन अप्रत्यक्ष व्ययों का भुगतान करना पड़ता हैं जो आभासी सहायक की फीस में शामिल किया गया है।
कंपनी इसके अलावा कार्यालय में अतिरिक्त स्थान उपलब्ध कराने, उपकरण या अन्य आपूर्ति प्रदान करने की समस्या से बचते हैं। इन सहायकों को कंपनी या इनसे सेवा लेने वाले 100% उत्पादक कार्य के लिए भुगतान करते हैं एवं ये अपनी जरूरतों के अनुसार एकल आभासी सहायक या बहु-आभासी सहायक फर्मों के साथ काम कर सकते हैं। आभासी सहायक आमतौर पर अन्य छोटे व्यवसायों के लिए काम करते हैं। लेकिन ये अन्य व्यस्त अधिकारियों की भी सहायता कर सकते हैं। अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में लगभग 5,000-10,000 या 25,000 आभासी सहायक हैं। यह व्यवसाय "फ्लाई इन फ़्लाई-आउट" स्टाफिंग प्रथाओं के साथ केंद्रीयीकृत अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ रहा है।
इस माध्यम में संचार और डेटा वितरण के सामान्य तरीके में इंटरनेट, ई-मेल और फोन कॉल के सामूहिक वार्तालाप, ऑनलाइन कार्य स्थान एवं फैक्स मशीन शामिल हैं। बहुत सारे आभासी सहायक स्काइप और गूगल वोईस जैसे विडियो कालिंग तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। इस व्यवसाय में अनुबंध के आधार पर पेशेवरों से काम लिया जाता हैं एवं यह एक दीर्घकालिक सहयोग मानक है। सहायक प्रशासनिक, कार्यालय प्रबंधक / पर्यवेक्षक, सचिव, कानूनी सहायक, पैरालीगल, कानूनी सचिव, रीयल एस्टेट सहायक और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे पदों पर काम करने के लिए आमतौर पर किसी कार्यालय में 5 साल का प्रशासनिक अनुभव की उम्मीद की जाती है।
हाल के वर्षों में आभासी सहायक कई मुख्यधारा के व्यवसायों में अपना योगदान दे रहे हैं एवं वीओआईपी (Voice over Internet Protocol) सेवाओं के आगमन के साथ जिसमें स्काइप शामिल हैं अब यह संभव हो सका हैं कि दूर बैठा कोई भी आपके ऑफिस में आने वाले फ़ोन का जवाब दे सकता हैं। इसमें कॉल करने वालों को पता ही नहीं चलेगा की आपके फ़ोन का जवाब कहा से दिया गया। यह कई व्यवसायों को बिना किसी रिसेप्शनिस्ट रखे काम करने की सुविधा प्रदान करता हैं इससे उनके खर्चे में कमी आती हैं एवं इससे उनके व्यवसाय को एक निजी स्पर्श भी मिल जाती है।
आभासी सहायक कोई भी हो सकता है या तो यह व्यक्तिगत तौर पर या कंपनी के तौर पर भी चलाया जा सकता हैं जो दूर से (Off Shore )ही एक स्वतंत्र पेशेवर के रूप में काम करता हैं। यह व्यवसाय के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी कई अन्य तरह के उत्पादों और सेवाओं की भी सुविधा प्रदान करती हैं। आभासी उद्योग काफी हद तक बदल गया है क्योंकि इस क्षेत्र में काफी पढ़े लिखे लोगों का आगमन हो रहा है।
आभासी सहायक विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक पृष्ठभूमि से आते हैं, लेकिन इनलोगों के ज्यादातर के पास "वास्तविक" (गैर-आभासी) व्यापारिक दुनिया में अर्जित किए गए कई वर्षों का अनुभव है
एक पूर्णकालिक या समर्पित आभासी सहायक किसी कंपनी के पर्यवेक्षण (प्रबंधन) के तहत कार्यालय में काम करता है। उसे कंपनी द्वारा कार्यालय की सुविधा और इंटरनेट कनेक्शन के साथ प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। घर पर बैठ कर काम करने वाले आभासी सहायक या तो कार्यालय साझा करने के वातावरण में या अपने घर में काम करते हैं। सामान्य आभासी सहायक (VA) को कभी-कभी एक ऑनलाइन प्रशासनिक सहायक, ऑनलाइन व्यक्तिगत सहायक या ऑनलाइन बिक्री सहायक कहा जाता है। एक आभासी वेबमास्टर सहायक, आभासी विपणन (Sales) सहायक या फिर आभासी सामग्री लेखक (Content Writer) विशिष्ट पेशेवर होते हैं जिन्हें आम तौर पर कॉर्पोरेट में कार्य करने का अनुभव होता हैं। इसी अनुभव का लाभ उठाने के लिए वे अपने स्वयं के वर्चुअल कार्यालयों की स्थापना कर लेते हैं।
प्रचलित संस्कृति में
टिम फेरी के द्वारा २००७ में लिखित किताब “द फोर ऑवर वर्कवीक” (हफ्ते में काम के ४ घंटे) में आभासी सहायक के पात्र ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फेरी ने यह दावा किया था उन्होंने अपनी कंपनी चलाने, ईमेल पढ़ने एवं जवाब देने, बिल के भुगतान के लिए कई आभासी सहायको की सहायता ली थी।
इन्हें भी देखे
क्राउडसौर्सिंग (आम जनता से चंदा इक्कठा करना)
आभासी स्वयंसेवक
आभासी कार्यालाय
आभासी टीम
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
International Virtual Assistants Association (IVAA)
Australian Virtual Assistant Association (AVAA)
Virtual Assistant Networking Association #VAforum (VANA)
Things to outsource to a virtual assistant
व्यवसाय | 769 |
1028499 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%20%E0%A4%85%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B2%20%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%A6 | फातिमा अब्देल महमूद | फातिमा अब्देल महमूद (27 जुलाई 1944 , ओम्दुरमन , सूडान - 22 जुलाई 2018, लंदन, इंग्लैंड सूडानी राजनीतिज्ञ, सूडानी सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक यूनियन की नेता थी। 1973 में वह सूडान में राजनीतिक पद संभालने वाली पहली महिलाओं में से एक थीं, और उन्होंने अप्रैल 2010 में सूडान के आम चुनाव में देश की पहली महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में भाग लिया था।
संसदीय कैरियर
अब्देल महमूद का जन्म 27 जुलाई 1944 को हुआ था। वह मास्को, रूस में दवा का अध्ययन 1960 के दशक में, और एक के रूप में योग्य बच्चों का चिकित्सक । 1973 में उन्हें युवा, खेल और सामाजिक मामलों का उप मंत्री नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति, सईदा नफीसा अहमद अल अमीन के साथ-साथ सत्तारूढ़ सूडानी सोशलिस्ट यूनियन पोलित ब्यूरो के सदस्य के रूप में, एक समय में अंतरराष्ट्रीय समाचार बना जब समकालीन अनुमानों ने सूडानी महिला साक्षरता दर 10% रखी। अब्देल महमूद ने दस साल तक संसद में काम किया।
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी
अप्रैल 2010 में सूडान ने अपना पहला पूर्ण रूप से चुनाव लड़ा (यानी विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को शामिल करने के लिए पहला)। अब्देल महमूद की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी, दो अन्य उम्मीदवारों के साथ, सूडानी राष्ट्रीय चुनाव आयोग द्वारा जनवरी 2010 में खारिज कर दिया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि अब्देल महमूद का अभियान हस्ताक्षर की आवश्यक सूची पर आवश्यक टिकटों को सुरक्षित रखने में विफल रहा था। अब्देल महमूद और उनके समर्थकों ने फैसले का विरोध किया, जिसे उन्होंने महिलाओं के खिलाफ एक साजिश के प्रतिनिधि के रूप में वर्णित किया, और उनकी उम्मीदवारी को चुनाव से पहले एक अपील अदालत ने बहाल कर दिया।
कई विपक्षी दलों ने अंततः चुनाव का बहिष्कार किया, यह दावा करते हुए कि यह राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के पक्ष में धांधली थी। अल-बशीर ने निर्णायक रूप से चुनाव जीता। चुनाव परिणामों से पता चला है कि अब्देल महमूद ने कुल वोट का 0.3% मतदान किया था। वह बाद में सूडान में 2015 के आम चुनाव में उम्मीदवार बन गई , जहां वह राष्ट्रपति चुनाव में तीसरे स्थान पर आई और उनकी पार्टी को नेशनल असेंबली में कोई सीट नहीं मिली।
अन्य गतिविधि
अब्देल महमूद ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं के लिए यूनेस्को अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।
उनके 74 वें जन्मदिन से पांच दिन पहले 22 जुलाई 2018 को लंदन, इंग्लैंड में उनका निधन हो गया।
संदर्भ
२०१८ में निधन
1944 में जन्मे लोग
सूडान के लोग | 402 |
1116241 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%A3%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4 | गणपति चन्द्र गुप्त | डॉ. गणपतिचन्द्र गुप्त (जन्म : १५ जुलाई सन् १९२८ ई. मंढ़ा (सुरेरा) राजस्थान में -- ) हिन्दी साहित्यकार थे। उन्होने आलोचक के रूप में ख्याति अर्जित की।
डॉ गणपतिचन्द्र गुप्त का जन्म १५ जुलाई १९२८ को राजस्थान के मंढा (सुरेरा) में हुआ था। उन्होने पंजाब विश्वविद्यालय से एम॰ए॰ (हिन्दी), पी-एच.डी. एवं डी. लिट् की उपाधियाँ प्राप्त कीं। डी लिट के लिए उन्होने महाकवि बिहारी पर शोधप्रबन्ध लिखा। वे पंजाब विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, रोहतक विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं आगरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर भी कार्य किया।
रचनाएँ
1)साहित्य-विज्ञान
2)हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास:भाग:-१,२
3)रस-सिद्धान्त का पुनर्विवेचन
4)साहित्यिक निबन्ध
5)हिन्दी-काव्य में श्रृंगार-परम्परा
6)महाकवि बिहारी
7)महादेवी:नया मूल्याकंन
8)श्री सत्य साईं बाबा : व्यक्तित्व एवं संदेश 9)शिरडी साईं बाबा : दिव्य महिमा’ आदि।
हिन्दी साहित्यकार | 134 |
9282 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B7 | विष | विष (Poision) ऐसे पदार्थों के नाम हैं, जो खाए जाने पर श्लेष्मल झिल्ली (mucous membrane), ऊतक या त्वचा पर सीधी क्रिया करके अथवा परिसंचरण तंत्र (circulatory system) में अवशोषित होकर, घातक रूप से स्वास्थ्य को प्रभावित करने, या जीवन नष्ट करने, में समर्थ होते हैं।
विषाक्तता के लक्षण
विषाक्तता (poisoning) के लक्षण निम्नलिखित हैं :
(1) जठरांत्र उत्तेजन (Gastrointestinal irritation) - साधारणतया वमन, पेट की पीड़ा और अतिसार (diarrhea) विषाक्तता के प्रमुख लक्षण हैं। यदि कुछ ही घरों के भीतर अनेक व्यक्ति विषाक्तता के शिकार हुए हों, तो किसी खास वस्तु को क्षोभक (irritant) का वाहक समझा जा सकता है।
(2) प्रलाप - यह रासायनिक विष या उपापचयी (metabolic) गड़बड़ी और ज्वर के परिणामस्वरूप उत्पन्न रुधिरविषाक्तता (toxaemia) के कारण होता है। थोडी खुराक में ही प्रलाप उत्पन्न करनेवाले रासायनिक विषों में वारविट्यूरेट, ब्रोमाइड का चिरकालिक मशा, ऐल्कोहॉल, हाइओसायनिन (hyocyanine) आदि है। इनमें से प्रथम तीन अधिक प्रचलित हैं और प्रलाप प्राय: अत्यल्प नशे का सूचक होता है।
(3) सम्मूर्च्छा (coma) - प्रमस्तिष्कीय (cerebral) क्षति अधिक होने पर प्रलाप सम्मूर्च्छा में परिवर्तित होता है। सामान्यतः बारविट्यूरेट और ऐल्कोहॉल ऐसे परिणाम उत्पन्न करते हैं।
(4) ऐठन (Convulsions) - ये दो प्रकार की होती हैं :
(क) मेरुदंडीय या टाइटेनिक ऐंठन, जो अक्सर बाह्य उद्दीपन, जैसे स्ट्रिकनिन (strychnine), से उत्पन्न होती है (इसमें स्फूर्ति (tone) रहती है और संज्ञा संतुलित रहती है),
(ख) प्रमस्तिष्कीय या मिर्गीजन्य ऐंठन में संज्ञाहीनता होती है और स्फूर्ति तथा क्लोनी (clonic) ऐंठन पर्यायक्रम से होती हैं। प्रतिहेस्टामिन ओषधि, कपूर, फेरस सल्फेट और ऐफाटैमिन इसके उदाहरण हैं।
(5) परिणाह चेताकोप (Peripheral neuritis) - सीसा, आर्सेनिक सोना, पारा आदि से चिरकालिक (chronic) विषाक्तता होने पर परिणाह पेशी की दुर्बलता होती है, जिसमें शरीर छीजता है और जठरांत्र (gastrointestinal) विक्षोभ भी होता है।
विषों का वर्गीकरण
लक्षणों के अनुसार विषों के वर्गीकरण निम्नलिखित हैं :
(1) संक्षारक : सांद्र अम्ल और क्षार;
(2) उत्तेजक :
(क) अकार्बनिक - फॉस्फोरस, क्लोरिन, ब्रोमीन, आयोडीन आदि अधात्विक और आर्सेनिक, ऐंटिमनी, पारा, ताँबा, सीसा, जस्ता, चाँदी आदि धात्विक;
(ख) कार्बनिक - रेंड़ी का तेल और बीज, मदार, क्रोटन (croton) तेल, घृतकुमारी (aloes) आदि वनस्पति और हरिभृंग (cantharides) साँप तथा अन्य कीटों के दंश;
(ग) यांत्रिक - हीरे की धूल, चूर्णित काच, बाल आदि;
(3) रुग्णतंत्रिक (neurotic) :
(क) मस्तिष्क को क्षति पहुँचानेवाले, अफी और उसके ऐल्केलॉयड, ऐल्कोहॉल, ईथर, क्लोरोफॉर्म, धतूरा, बेलाडोना, हायेसायामस (hyoscyamus); *(ख) मेरुरज्जु को प्रभावित करनेवाले - कुचला (nux vomica), जेलसेमियम मूल।
(ग) हृदय को प्रभावित करनेवाले - वच्छनाभ (aconite), डिजिटैलिस (digitalis), कनेर, तंबाकू, हाइड्रोसायनिक, अम्ल,
(घ) श्वासावरोधक (Asphyxiants) - कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कोयला गैस,
(ङ) परिणाह - विषगर्जर (conium) कोरारी (curare)।
तीक्ष्ण विषाक्तता के उपचार के सिद्धांत
विषाक्तता के आपाती उपचार (emergency treatment) के लिए, जिसमें जीवविष (toxin) खा लिया गया हो, निम्नलिखित क्रियाविधि अपनानी चाहिए :
(1) यथाशीघ्र उलटी, वस्तिक्रिया (lavage), विरेचन (catharsis) या मूत्रता (diuresis) द्वारा विष को निकालना।
(2) विशिष्ट या सामान्य प्रतिकारक (antidote) देकर विष का निष्क्रिय करना और तब वस्तिक्रिया का उपचार।
(3) संक्षोभ (shock), पात (collapse) और अन्य विशिष्ट अभिव्यक्तियों (manifestations) के होते ही उनसे संघर्ष करना।
(4) श्लेष्मल झिल्लियों को शमकों (demulcents) के प्रयोग द्वारा बचाना।
विष का निष्कासन
तीव्र अम्ल, क्षार या अन्य संक्षारक पदार्थ द्वारा विषाक्तता होने पर आमाशय नलिकाओं (stomach tubes), या वमनकारियों, का उपयोग नहीं करना चाहिए। इनसे जठरीय वेधन (gastric perforation) हो सकता है। जठर में स्थित अंतर्वस्तु की खाली करने का सबसे सरल उपाय वमन कराना है। वमन का प्रयोग तभी करना चाहिए जब रोगी चिकित्सक को सहयोग देने की स्थिति में हो, उसके शरीर में अतिरिक्त विष हो और आमाशय नलिकाओं का अभाव हो, या रोगी आमाशय नलिकाओं का उपयोग कर सकने की स्थिति में न हो। निद्रालु या अचेतन रोगी को वमन नहीं कराना चाहिए, क्योंकि उसके आमाशय की अंतर्वस्तु के तरलापनयन (aspiration) का भय रहता है। संक्षारक विषों के उपशमकों के अंतर्ग्रहण की स्थिति में भी वमन वर्जित है।
वमन कराने के लिए गले में अँगुली या अन्य वस्तु का प्रयोग करना चाहिए, या निम्नलिखित वस्तुओं में से कोई चीज खिलानी चाहिए : ऐयोमॉरफ़ीन हाइड्रोक्लोराइड, चूर्णित सरसों, (powdered mustard) और नमक या प्रबल साबुन जल (strong soap suds)।
जठरीय तरलापनयन और वस्तिक्रिया
इन क्रियाओं के उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
(1) अतिरिक्त असंक्षारक विषों का निष्कासन, जिन्हें बाद में जठरांत्र क्षेत्र (gastro intestinal tract) से अवशोषित किया जा सकता है;
(2) वमन केंद्र के निर्बल होने पर जब वमन नहीं होता, केंद्रीय तंत्रिकातंत्र को अपसादित करनेवाले विष का निष्कासन;
(3) विषों की पहचान के लिए जठरीय अंतर्वस्तुओं के संचय और परीक्षण के लिए तथा
(4) विषप्रतिकारकों के सुविधाजनक प्रयोग के लिए।
निषेधक लक्षण
निम्नलिखित स्थितियों में जठरीय तरलापनयन और वस्ति क्रिया नहीं की जाती हैं :
(1) विष के द्वारा ऊतकों का व्यापक संक्षारण,
(2) तीव्र नि:संज्ञ, जडिमाग्रस्त (stuporous), या निश्चेतनताग्रस्त (comatose), रोगी, क्योंकि उसे तरलापनयन फुफ्फुसार्ति (pnuemonia) का खतरा रहता है।
विधि
नाक या मुँह द्वारा आमाशय में एक चिकनी, मृदु, न दबनेवाली अमाशय नली को धीमे-धीमे प्रवेश कराना चाहिए। वस्तिक्रिया प्रचुर हो, परंतु अमाशय का आध्मान (distention) न किया जाए। कुछ स्थितियों में थोड़े थोड़े अंतर पर अल्प तरल के साथ वस्तिक्रिया करना अच्छा होता है। वस्तिक्रिया के विलयन के आधिक्य को निकालना अनिवार्य है।
जठरीय वस्तिक्रिया के तरल
1. गुनगुना पानी या 1 प्रतिशत नमकीन पानी,
2. पतला विलेय स्टार्च पेस्ट (paste),
3. एक प्रतिशत सोडियम बाइकार्बोनेट,
4. पोटैशियम परमैंगनेट (1:2000) विलयन,
5. एक प्रतिशत विलेय थापोसल्फेट तथा
6. एक या दो प्रतिशत हाइड्रोजन परऑक्साइड।
विरेचन (Catharsis)
यह मंदकारी अवशोषण में प्रभावकारी हो सकता है। आंत्रिक अवशोषण के पहले विष का निष्क्रिय करने के लिए जठरीय वस्तिक्रिया अनिवार्य है, यदि तीव्र अम्ल या क्षार से विषाक्तता न हुई हो। जिस स्थिति में वस्तिक्रिया संभव नहीं है, उसके लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए :
(1) विष प्रतिकारकों के द्वारा अम्लों और क्षारों का उदासीनिकरण,
(2) विशिष्ट रसायनकों का अवक्षेपण (यह क्रिया विशिष्ट कारकों पर निर्भर होनी चाहिए) तथा
(3) शमकों द्वारा निष्क्रियकरण (शमक धातुओं को अवक्षेपित करते हैं अनेक विषों के अवशोषण को कम करने में सहायक होते हैं और ये प्रदाहग्रस्त झिल्लियों को बड़ी शांति प्रदान करते हैं)। 3-4 अंडों का श्वेतक 500 मिली लिटर दूध या पानी में, मक्खनिया दूध, पतले आटे या मंड के विलयन में (यदि संभव हो तो उबले हुए में) मिलाकर देना चाहिए।
सहायक और लाक्षणिक उपाय
तीव्र विषाक्तता के शिकार लोगों को जागरूक डाक्टरी देखभाल में रखना चाहिए, जिससे विषाक्तता की तात्कालिक और विलंबित जटिलताओं का पूर्वानुमान किया जा सके। विष खाकर आत्महत्या करने में विफल लोगों को किसी मनश्चिकित्सक की देखरेख में रखना चाहिए।
परिसंचारी विफलता (Circulatory failure)
इसमें
(1) संक्षोभ के समय मुख्य उपाय हैं, पार्श्वशायी स्थिति (recumbent position), ऊष्मा, उद्दीपकों का प्रयोग और प्रभावी रुधिर आयतन की वृद्धि के लिए आंत्रेतर तरलों का (parenteral fluids) प्रयोग,
(2) हृदीय असफलता के समय मुख्य उपाय है, ऑक्सीजन, डिजिटेलिस (digitalis), पारदीयमूत्रवर्धक औषधियों का सेवन, तथा
(3) फुप्फुसशोथ (pulmonary oedema) के समय मुख्य उपाय है, धनात्मक दबाव के साथ ऑक्सीजन सेवन, आंत्रेतर (parenteral) लवण या अन्य आंत्रेतर तरल (प्लाज्मा छोड़कर) से बचाना।
श्वसन असामान्यताएँ
(1) श्वसन अवरोध के समय मुखग्रसनी (oropharyngeal) वायुपथ और आंतरश्वासप्रणाल (intratracheal) निनालन (intubation) को ठीक करना चाहिए।
(2) श्वसन अवनमन (depression) के समय रोगी को खुली हवा में कृत्रिम श्वसन कराना चाहिए। पुनरुज्जीवक (resuscitator), या अन्य स्वयंचल संवातन, यथाशीघ्र करना चाहिए। उद्दीपकों से लाभ होना संदिग्ध है। साधारणतया उपयोग में आनेवाले उद्दीपक निम्नलिखित हैं :
गरम, कड़ी काली कॉफी, मुख से या गुदामार्ग से,
गरम कड़ी चाय मुख से,
एक प्याले पानी में दो या चार मिलिलीटर अमोनिया का ऐरोमेटिक स्पिरिट,
50-120 मिलिलीटर एफेड्रिन सल्फेट मुख से या अधस्त्व्क रूप से,
कोरामिन (coramine) की सूई,
ऐंफाटैमिन सल्फेट 5-40 मिलिग्राम मुख से या सूई से तथा,
मेथाऐंफाटैमिन हाइड्रोक्लोराइड, 2.5-15 मिलिग्राम मुख से।
केंद्रीय तंत्रिकातंत्र संयोग
(1) केंद्रीय तंत्रिकातंत्र की उत्तेजना होने पर सम्मोहक या प्रति आक्षेप (anti-convulsant) का प्रयोग करना चाहिए :
(क) ऐमोबारबिटल सोडियम (ऐमिटल) का ताजा 10 प्रतिशत विलयन 250-500 मिलिमीटर,
(ख) पैराऐल्डिहाइड मुख से, गुदामार्ग से या नितंब में तथा
(ग) कैल्सियम ग्लूकोनेट 10 प्रतिशत, 10-20 मिलिलीटर, सूई से।
निर्जलीकरण (Dehydration)
संकेतानुसार मुख के माध्यम से या आंत्रेतर तरल देना चाहिये।
पीड़ा
पीड़ाहर और स्वापक (Narcotic) ओषधि देनी चाहिए।
विधिक (कानूनी) पक्ष
चाहे कैसी ही विषाक्तता हो, यह चिकित्सक का कर्तव्य है कि वह वमित पदार्थ, आमाशय धावन (wash) और मल मूत्र का नूमना सुरक्षित रखे। रोगी का नाम, संरक्षित पदार्थ का नाम, परीक्षण की तिथि और नमूने को ताले में बंद कर रखना चाहिए।
यदि गैरसरकारी चिकित्सक को शंका हो जाए कि रोगी की हत्या करने के लिए विष दिया गया है, तो उसे आपराधिक कार्यवाही संहिता की 44वीं धारा के अंतर्गत इसकी सूचना निकटस्थ पुलिस स्टेशन या मजिस्ट्रेट को देनीं चाहिए। इस प्रकार की कठिनाईयों से बचने के लिए, हर विषाक्तता के रोगी की सूचना पुलिस में दे देनी चाहिए। सरकारी अस्पताल का चिकित्सा अधिकारी सभी संदिग्ध विषाक्तता की सूचना पुलिस को देने के लिए बाध्य है। यदि रोगी मृत अवस्था में लाया जाए तो डाक्टर उसे मृत्यु का प्रमाणपत्र न दे और इसकी सूचना पुलिस को दे।
सामान्य विषों की चिकित्सा
देखें : विष प्रतिकारक
इन्हें भी देखें
विष प्रतिकारक
घातक सूई (Lethal injection)
अत्यन्त खतरनाक पदार्थों की सूची (List of extremely hazardous substances)
मिथ्या-विषों की सूची (List of fictional toxins)
विषाक्तता सूची (List of poisonings)
विषाक्त पादपों की सूची
विभिन्न प्रकार के विष (List of types of poison)
सांप का विष (Venom)
मादकता
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ
बाहरी कड़ियाँ
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आई.आई.टी.आर.), लखनऊ
विष का प्रभाव, निदान एवं विष चिकित्सा के सिद्धान्त (आधुनिक एवं प्राचीन मतानुसार )
Agency for Toxic Substances and Disease Registry
American Association of Poison Control Centers
American College of Medical Toxicology
ASPCA Animal Poison Control Center
Clinical Toxicology Teaching Wiki
Find Your Local Poison Control Centre Here (Worldwide)
Poison Prevention and Education Website
प्राथमिक चिकित्सा
विष | 1,575 |
1631 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE | तमिल भाषा | तमिल (தமிழ், उच्चारण: ) एक भाषा है जो मुख्यतः तमिऴ नाडु तथा श्रीलंका में बोली जाती है। तमिऴ नाडु तथा पुदुचेरी में यह राजभाषा है। यह श्रीलंका तथा सिंगापुर की कई राजभाषाओं में से एक है।
परिचय
तमिऴ द्राविड़ भाषा परिवार की प्राचीनतम भाषा मानी जाती है। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में अभी तक यह निर्णय नहीं हो सका है कि किस समय इस भाषा का प्रारम्भ हुआ। विश्व के विद्वानों ने संस्कृत, ग्रीक, लैटिन आदि भाषाओं के समान तमिऴ को भी अति प्राचीन तथा सम्पन्न भाषा माना है। अन्य भाषाओं की अपेक्षा तमिऴ भाषा की विशेषता यह है कि यह अति प्राचीन भाषा होकर भी लगभग २५०० वर्षों से अविरत रूप से आज तक जीवन के सभी क्षेत्रों में व्यवहृत है। तमिऴ भाषा में उपलब्ध ग्रन्थों के आधार पर यह निर्विवाद निर्णय हो चुका है कि तमिऴ भाषा ईसा से कई सौ वर्ष पहले ही सुसंस्कृत और सुव्यवस्थित हो गई थी।
मुख्य रूप से यह भारत के दक्षिणी राज्य तमिऴ नाडु, श्री लंका के तमिल बहुल उत्तरी भागों, सिंगापुर और मलेशिया के भारतीय मूल के तमिऴों द्वारा बोली जाती है। भारत, श्रीलंका और सिंगापुर में इसकी स्थिति एक आधिकारिक भाषा के रूप में है। इसके अतिरिक्त यह मलेशिया, मॉरिशस, वियतनाम, रियूनियन इत्यादि में भी पर्याप्त संख्या में बोली जाती है। लगभग ७ करोड़ लोग तमिऴ भाषा का प्रयोग मातृ-भाषा के रूप में करते हैं। यह भारत के तमिऴ नाड़ु राज्य की प्रशासनिक भाषा है और यह पहली ऐसी भाषा है जिसे २००४ में भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।
तमिऴ द्रविड़ भाषा परिवार और भारत की सबसे प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती है। इस भाषा का इतिहास कम से कम ३००० वर्ष पुराना माना जाता है। प्राचीन तमिऴ से लेकर आधुनिक तमिऴ में उत्कृष्ट साहित्य की रचना हुयी है। तमिऴ साहित्य कम से कम पिछ्ले दो हज़ार वर्षों से अस्तित्व में है। जो सबसे आरंभिक शिलालेख पाए गए है वे तीसरी शताब्दी ईसापूर्व के आसपास के हैं। तमिऴ साहित्य का आरम्भिक काल, संघम साहित्य, ३०० ई॰पू॰ – ३०० ईस्वीं का है।
इस भाषा के नाम को "तमिल" या "तामिल" के रूप में हिन्दी भाषा-भाषी उच्चारण करते हैं। तमिऴ भाषा के साहित्य तथा निघण्टु में तमिऴ शब्द का प्रयोग 'मधुर' अर्थ में हुआ है। कुछ विद्वानों ने संस्कृत भाषा के द्राविड़ शब्द से तमिऴ शब्द की उत्पत्ति मानकर द्राविड़ > द्रविड़ > द्रमिड > द्रमिल > तमिऴ आदि रूप दिखाकर तमिऴ की उत्पत्ति सिद्ध की है, किन्तु तमिऴ के अधिकांश विद्वान इस विचार से सर्वथा असहमत हैं।
गठन
तमिऴ, हिन्दी तथा कुछ अन्य भारतीय भाषाओं के विपरीत लिंग-विभेद प्रमुख नहीं होता है।
देवनागरी वर्णमाला के कई अक्षरों के लिये तमिल में एक ही वर्ण का प्रयोग होता है, यथा –
तमिऴ भाषा में कुछ और वर्ण होते हैं जिनका प्रयोग सामान्य हिन्दी में नहीं होता है। उदाहरणार्थ: ள-ळ, ழ-ऴ, ற-ऱ, ன-ऩ।
लेखन प्रणाली
तमिऴ भाषा वट्ट एऴुत्तु लिपि में लिखी जाती है। अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में इसमें स्पष्टतः कम अक्षर हैं। देवनागरी लिपि की तुलना में (यह तुलना अधिकांश भारतीय भाषाओं पर लागू होती है) इसमें हृस्व ए (ऎ) तथा हृस्व ओ (ऒ) भी हैं। प्रत्येक वर्ग (कवर्ग, चवर्ग आदि) का केवल पहला और अंतिम अक्षर उपस्थित है, बीच के अक्षर नहीं हैं (अन्य द्रविड भाषाओं तेलुगु, कन्नड, मलयालम में ये अक्षर उपस्थित हैं)। र और ल के अधिक तीव्र रूप भी हैं। वहीं न का कोमलतर रूप भी है। श, ष एक ही अक्षर द्वारा निरूपित हैं। तमिऴ भाषा की एक विशिष्ट (प्रतिनिधि) ध्वनि ழ (देवनागरी समकक्ष – ऴ, नया जोडा गया) है, जो स्वयं तमिऴ शब्द में प्रयुक्त है (தமிழ் ध्वनिशः – तमिऴ्)।
तमिऴ में वर्गों के बीच के अक्षरों की ध्वनियाँ भी प्रथम अक्षर से निरूपित की जाती हैं, परन्तु यह प्रतिचित्रण (mapping) कुछ नियमों के अधीन है।
तमिऴ-हिन्दी १-१०
संख्याएँ
ऒऩ्ऱु = एक
इरंडू = दो
मूऩ्ऱु = तीन
नाऩ्गु = चार
ऐन्दु = पाँच
आऱु = छः
एऴु = सात
ऎट्टु = आठ
ऒऩ्पदु = नौ
पत्तु = दस
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
तमिऴ लिपि
संघम साहित्य
तमिऴ साहित्य का इतिहास
बाहरी कड़ियाँ
हिन्दी-तमिल सीखें (हिन्दी/तमिल वाक्य-संग्रह)
तमिल फिल्म रिलीज
तमिल भाषा (अमर उजाला)
Hindi - Hindi - Tamil - English Dictionary (गूगल पुस्तक; लेखक - आर रंगराजन)
तमिल-हिन्दी विकिपीडिया शब्दावली
तमिल-हिन्दी शब्दकोश
हिन्दी-हिन्दी-तमिल शब्दकोश
हिन्दी-तमिल सामान्य शब्दकोश तथा बोलचाल के सामान्य वाक्य (चेन्नै नगर राजभाषा कार्यान्यवन समिति)
तमिल एवं संस्कृत
Welcome to O Book the "UyirppU" -It is a database in English on Tamil Heritage and the language.
Did Tamil originate from Sanskrit?
विश्व की प्रमुख भाषाएं
तमिल साहित्य
द्रविड़ भाषाएँ
भारत की भाषाएँ
श्रीलंका की भाषाएँ
तमिलनाडु की भाषाएँ
मलेशिया की भाषाएँ | 754 |
42270 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B6-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7 | प्रकाश-वर्ष | प्रकाश वर्ष (lightyear), जो प्रव (ly) द्वारा चिन्हित करा जाता है, लम्बाई की एक मापन इकाई है। यह लगभग 95 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर की होती है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश अपने निर्वात में एक वर्ष में पूरा कर लेता है। यह इकाई मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो तारों या गैलेक्सी जैसी अन्य खगोलीय वस्तुओं की बीच की दूरी मापने में प्रयोग की जाती है।
गणना
जहाँ:
3 × 10⁸ मीटर की संख्या है जो प्रकाश एक सेकण्ड में यात्रा करता है
प्रथम 60 एक मिनट में सेकण्ड की संख्या है
द्वितीय 60 एक घण्टे में मिनटों की संख्या है
24 एक दिन में घण्टों की संख्या है
365.25 जूलियन वर्ष में दिनों की संख्या है
अंकीय मान
एक प्रकाश वर्ष बराबर होता है:
यथार्थतः 9,460,730,472,580.8 किमी (लगभग 10 Pm)
लगभग 5,878,625,373,183.61 मील
लगभग 63,241 खगोलीय इकाई
लगभग 0.3066 पारसैक
उपरोक्त आंकडे़ जूलियन वर्ष (ना कि ग्रेगोरियन वर्ष) पूरे 365.25 दिवसों के (प्रत्येक दिवस पूरे 86,400 SI सैकिण्डों का, कुल मिलाकर 31,557,600 सैकिण्ड) बराबर होता है, जैसा कि IAU द्वारा परिभाषित है।
प्रकाश वर्ष का प्रयोग प्रायः तारों की दूरियां नापने हेतु होता है। इसकी अधिमान्य इकाई है पारसैक। पारसैक की परिभाषा अनुसार वह दूरी है जो, जितनी दूरी पर एक वस्तु दिग्भेद के एक आर्क्सैकिण्ड के बराबर हिलती प्रतीत होती है, जब प्रेक्षक एक खगोलीय इकाई अपनी दॄष्टि रेखा के अभिलम्ब चलता है। यह लगभग ३.२६ प्रकाश-वर्षों के बराबर होता है। पारसैक को अन्य इकाइयों की तुलना में अधिक सरलता से पर्यवेक्षण आंकडो़ से मिलान और व्युत्पन्न किया जा सकता है। वैसे वैज्ञानिक वर्ग में प्रकाश वर्ष ही अधिक प्रचलित है।
प्रमुख दूरियाँ (प्रकाशवर्षों में)
पृथ्वी-से-सूर्य : 0.0000158125 प्रकाश वर्ष, जिसे प्रकाश 8 मिनट19.005 सैकिंड में तय करता है।
निकटतम तारा, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी: 4.2420 प्रकाशवर्ष।
निकटतम पड़ोसी गैलेक्सी, एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी: 25 लाख प्रकाशवर्ष।
इन्हें भी देखें
प्रकाश की गति
पारसैक
सन्दर्भ
भौतिकी
भौतिक शब्दावली
खगोल शास्त्र में लम्बाई की इकाइयाँ
प्रकाश
खगोलिकी में मापन इकाईयाँ | 325 |
531475 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9B%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B2 | छितकुल | छितकुल (Chitkul) भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह बस्पा घाटी में बस्पा नदी के किनारे बसा हुआ है।
परिचय
छितकुल समुद्र तल से 3,450 मीटर की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले में स्थित यह बस्पा घाटी का अंतिम और सबसे ऊंचा ग्राम है। बस्पा नदी के दाहिने तट पर स्थित इस ग्राम में स्थानीय देवी माथी के तीन मंदिर बने हुए हैं। कहा जाता है कि माथी के सबसे प्रमुख मंदिर को 500 वर्ष पहले गढ़वाल के एक निवासी ने बनवाया गया था।
आवागमन
राष्ट्रीय राजमार्ग 5 पर करछम तक, वहां से राक्छम, सांगला होते हुए छितकुल।
चित्रदीर्घा
इन्हें भी देखें
बस्पा घाटी
किन्नौर ज़िला
हिमाचल प्रदेश
सन्दर्भ
हिमाचल प्रदेश के गाँव
किन्नौर ज़िला
किन्नौर ज़िले के गाँव
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन आकर्षण | 133 |
572082 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%AD%E0%A4%B0 | जलभर | जलभर, जलभृत अथवा जलभरा धरातल की सतह के नीचे चट्टानों का एक ऐसा संस्तर है जहाँ भूजल एकत्रित होता है और मनुष्य द्वारा नलकूपों से निकालने योग्य अनुकूल दशाओं में होता है। वैसे तो जल स्तर के नीचे की सारी चट्टानों में पानी उनके रन्ध्राकाश में अवश्य उपस्थित होता है लेकिन यह जरूरी नहीं कि उसे मानव उपयोग के लिये निकाला भी जा सके। जलभरे ऐसी चट्टानों के संस्तर हैं जिनमें रन्ध्राकाश बड़े होते हैं जिससे पानी की ज्यादा मात्रा इकठ्ठा हो सकती है तथा साथ ही इनमें पारगम्यता ज्यादा होती है जिससे पानी का संचरण एक जगह से दूसरी जगह को तेजी से होता है।
सामन्यतय जलभर के लिये एक और दशा का होना आवश्यक है और वह है इस उच्च पारगम्य संस्तर के ठीक नीचे एक अपारगम्य जलरोधी शैल (Aquiclude) संस्तर की उपस्थिति। अतः जलभर ज्यादातर ऐसी बलुआ पत्थर चट्टानों में पाए जाते हैं जिनके नीचे शेल या सिल्टस्टोन की परत पायी जाती हो।
जलभर को इस अपारगम्य जलरोधी परत की उपस्थिति के आधार पर प्रकारों में बाँटा जाता है - मुक्त जलभर (Unconfined aquifer) और संरोधित जलभर (Confined aquifer)। संरोधित जलभर वे हैं जिनमें ऊपर और नीचे दोनों तरफ जलरोधी संस्तर पाया जाता है और इनके रिचार्ज क्षेत्र दूसरे ऊँचाई वाले भागों में होते हैं। इन्ही संरोधित जलभरों में उत्स्रुत कूप (Artesian wells) भी पाए जाते हैं।
जलभर की अन्य कई भौतिक विशेषताएँ होती हैं।जलभर के वर्गीकरण का एक और आधार है हाईड्रोलिक कंडक्टिविटी की दिशा। इसके आधार पर इन्हें समप्राय और असमप्राय जलभर में विभाजित किया जाता है।
जलभरों में जल का धीमा किन्तु निरंतर प्रवाह होता रहता है जिसे अधोप्रवाह (underflow) कहते है।
इन्हें भी देखें
भूजल
भूजल पुनर्भरण
जल चक्र
जल विज्ञान
जल संसाधन
पर्यावरण भूगोल
सन्दर्भ
पर्यावरण भूगोल
भूजल
जल संसाधन
जलविज्ञान
पर्यावरण विज्ञान | 291 |
37744 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80 | इक्का राजा रानी | इक्का राजा रानी 1994 में बनी हिन्दी भाषा की नाटक फिल्म है। इसमें गोविन्दा, विनोद खन्ना और आयशा जुल्का प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
संक्षेप
बरखा और सागर एक दूसरे को प्यार करते हैं और जल्द ही शादी करने की उम्मीद करते हैं। एक दिन, बरखा सड़क के किनारे गंभीर रूप से घायल एक आदमी को देखती है। वह उसकी मदद करने का फैसला करती है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और इलाज किया जाता है। जब यह आदमी ठीक हो जाता है, तो उसे पता चला कि वह विशाल कपूर के नाम से एक कुख्यात गैंगस्टर है। बरखा ने विशाल उर्फ विकी के लिये जो किया उसकी वो सराहना करता है। वह उसे नियोजित करता है और वह उससे शादी करना चाहता है। जब वह उसे इस बात का इजहार करता है, तो वह उसे इंकार कर देती है और उसे बताती है कि वह सागर से प्यार करती है। गुस्से में, विकी उनके बीच गलतफहमी पैदा करना शुरू कर देता है और जब वे असफल होता है, तो वह सागर को मारने की योजना बनाता है।
मुख्य कलाकार
गोविन्दा - सागर
आयशा जुल्का - बरखा
विनोद खन्ना - विशाल "विकी" कपूर
अश्विनी भावे - आशा
जॉनी लीवर - गुरुजी
परेश रावल - नागेश्वर राव
टिन्नू आनन्द - धलाल
अनिल धवन - पाशा
मुशताक ख़ान - धर्मा
तेज सप्रू - असलम
शिवा रिन्दानी - रागेश्वर
टॉम एल्टर - श्री राय
संगीत
बाहरी कड़ियाँ
1994 में बनी हिन्दी फ़िल्म
नदीम–श्रवण द्वारा संगीतबद्ध फिल्में | 245 |
41090 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%281971%20%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29 | एलान (1971 फ़िल्म) | एलान 1971 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
संक्षेप
चरित्र
मुख्य कलाकार
विनोद खन्ना - राम सिंह
रेखा
विनोद मेहरा
राजेन्द्रनाथ - श्याम
मदन पुरी - मिस्टर वर्मा
जानकी दास - प्रोफेसर
हेलन - लिली
दुलारी
ब्रह्म भारद्वाज
बीरबल - ट्रैफिक पुलिसवाला
हरक्यूलीस
इफ़्तेख़ार - पुलिस मुख्य
रशीद ख़ान
जगदीश राज - पुलिस इंस्पेक्टर
संजना - सीमा सक्सेना
शेट्टी
दल
संगीत
रोचक तथ्य
परिणाम
बौक्स ऑफिस
समीक्षाएँ
नामांकन और पुरस्कार
बाहरी कड़ियाँ
1971 में बनी हिन्दी फ़िल्म | 78 |
213887 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%95 | ब्लैकजैक | ब्लैकजैक दुनिया में सबसे बड़े पैमाने पर खेला जाने वाला कसीनो बैंकिंग गेम है जिसे ट्वंटी-वन, विंग्ट-एट-अन (ट्वंटी-वन का फ़्रांसिसी शब्द), या पोंटून के नाम से भी जाना जाता है। इस मानक खेल को 52 कार्ड वाले एक या अधिक अंग्रेज़-अमेरिकी डेक के साथ खेला जाता है। इस खेल के बुनियादी नियमों में इक्कीस मूल्य वाले बांटे जा रहे कार्डों में से हाथ में आए पहले दो कार्डों के मूल्य को जोड़ना शामिल है। यदि इक्कीस से कम के मूल्य के कार्ड बांटे जाते हैं, तो खिलाड़ी तब तक सिंगल कार्डों के साथ खेलने का चयन कर सकता है जब तक वह इक्कीस के मूल्य तक या उस मूल्य तक नहीं पहुंच जाता जब वह खुद को खेलने के लायक महसूस करे, या उस मूल्य तक पहुंच जाए जिसका मान इक्कीस से अधिक हो। विजेता के पास इक्कीस के मान से अधिक हुए बिना इसके बराबर या इसके समकक्ष मूल्य वाला कार्ड रखता हो। इस खेल को कसीनो में विभिन्न टेबल नियमों के साथ विभिन्न रूपों में खेला जाता है। कार्डों की गिनती (जो बांटे जाने वाले कार्डों के ज्ञान का लाभ उठाने की व्यक्ति की रणनीति और दांव के आधार पर भिन्न होता है) से जुड़े अवसर, कौशल एवं प्रचार के मिश्रण की वजह से ब्लैकजैक को काफी लोकप्रियता हासिल हुई है। कसीनो खेल को लेकर ब्रिटिश कार्ड गेम ब्लैक जैक के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए।
इतिहास
ब्लैकजैक का अग्रदूत एक अज्ञात मूल वाला खेल, "ट्वंटी-वन" था। सबसे पहला लिखित सन्दर्भ मिगुएल डे सेर्वान्तेस की एक पुस्तक में मिलता है, जो अपनी अन्य रचनाओं में से डॉन किग्जोट के लेखन के लिए काफी प्रसिद्ध है। सेर्वान्तेस खुद एक जुआरी थे और "नोवेलस इजेम्प्लेयर्स" से, उनकी कहानी "रिन्कोनेट वाई कोर्टाडिलो" के मुख्य पात्र सेविल में काम करने वाला एक युगल धोखेबाज है। वे "वेंटियूना" (इक्कीस का स्पेनिश शब्द) में धोखा देने में माहिर है और कहते हैं कि खेल का उद्देश्य बिना अंक खोए 21 अंक प्राप्त करना है और यह भी कहते हैं कि इक्के का मान 1 या 11 है। इस खेल को स्पेनिश बरजा के साथ खेला जाता है, जिसमें आठ, नौ और दस अंकीय कार्ड नहीं होते हैं। इस लघु कथा का लेखन 1601 और 1602 के बीच हुई थी और तो इस खेल को 17वीं सदी के आरम्भ से या उससे पहले कास्टिला में खेला जाता था। इस खेल के बाद के सन्दर्भ फ़्रांस और स्पेन में मिलते हैं।
जब संयुक्त रानी अमेरिका में 21 की शुरुआत की गई थी उस समय यह लोकप्रिय नहीं था, इसलिए जुए के अड्डों ने टेबल पर खिलाड़ियों को जमा करने के लिए बोनस के तौर पर अलग-अलग रकम की पेशकश करने का प्रयास किया। ऐसा ही एक बोनस 10 से 1 का भुगतान था यदि खिलाड़ी के हाथ में हुकुम का इक्का और एक ब्लैक जैक (या तो क्लब का जैक या हुकुम का जैक) होता था। इस दांव को "ब्लैकजैक" कहा जाता था और इस तरह यह नाम इस खेल के साथ जुड़ गया, यहां तक कि बहुत जल्द इस बोनस भुगतान के समाप्त हो जाने के बाद भी यह कायम रहा। आधुनिक खेल में, एक "प्राकृतिक" या "ब्लैकजैक" बस एक इक्के के साथ एक दस अंकीय कार्ड है।
कसीनो के खिलाफ खेलने के नियम
एक कसीनो में ब्लैकजैक में, एक चाप के आकार के टेबल के पीछे से डीलर के सामने एक से सात खिलाड़ी रहते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी स्वतंत्रतापूर्वक डीलर के खिलाफ अपनी चाल चलता है। प्रत्येक दौर की शुरुआत में, खिलाड़ी "बेटिंग बॉक्स" में एक दांव लगाता है और दो कार्डों का एक आरंभिक चाल प्राप्त करता है। खेल का उद्देश्य डीलर के हाथ के कार्डों के मान से अधिक मान वाले कार्डों को प्राप्त करना है, लेकिन 21 से अधिक नहीं होना चाहिए, जिसे "बस्टिंग" या "ब्रेकिंग" कहते हैं। 2 से 10 तक की संख्या वाले कार्डों का मान उतना ही होता है जितना उस पर मुद्रित होता है; जैक, बेगम और बादशाह (जिन्हें "फेस कार्ड्स" के नाम से भी जाना जाता है) का मान 10 होता है; इक्के का मान खिलाड़ी की पसंद के अनुसार 1 या 11 हो सकता है। खिलाड़ी पहली चाल चलता है और अपनी इच्छानुसार अतिरिक्त कार्डों को शामिल कर अपने हाथ के कार्डों को खेलता है। यदि वह 21 अंक से ऊपर चला जाता है तो वह "विफल" हो जाता है और वह अपने आप अपनी चाल और बाजी हार जाता है। तब डीलर अपनी चाल चलता है। यदि डीलर विफल होता है, तो वह उन सभी शेष खिलाड़ियों से हार जाता है जिनके पास 21 से कम या उसके समकक्ष मान वाली कार्ड है। यदि कोई विफल नहीं होता है, तो सबसे अधिक अंकों वाली कार्डों को धारण करने वाला खिलाड़ी जीत जाता है। यदि किसी खिलाड़ी का डीलर के साथ गठबंधन हो जाता है, तो चाल को आगे बढ़ाया जाता है जिसे ठहराव के नाम से जाना जाता है और खिलाड़ी के दांव को लौटा दिया जाता है (इसका मतलब यह है कि खिलाड़ी अपना दांव नहीं हारता है, लेकिन उसे कोई जीत भी हासिल नहीं होती है; यह नियम अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय कसीनो में लागू होता है)। ऐसा संभव है कि डीलर कुछ खिलाड़ियों से हार जाए लेकिन फिर भी उसी दौर में वह अन्य खिलाड़ियों को मात भी देता है।
ताश की कार्डों को तीन तरह से बांटा जाता है, एक या दो हाथ वाले डेक से, चार से आठ डेक वाले एक बॉक्स (जिसे एक "शू" के नाम से भी जाना जाता है) से, या एक शफलिंग मशीन से. जब हाथ से कार्डों को बांटा जाता है, तो खिलाड़ी के दो आरंभिक कार्ड आम तौर पर फेस-डाउन होती हैं, जबकि डीलर के पास एक फेस-अप कार्ड होती है जिसे "अपकार्ड" कहते हैं और एक फेस-डाउन कार्ड होता है जिसे "होल कार्ड" कहते हैं। (यूरोपीय ब्लैकजैक में, डीलर के होल कार्ड को वास्तव में तब तक नहीं बांटा जाता है जब तक सभी खिलाड़ी अपनी चालें नहीं चल लेते हैं।) जब एक शू से कार्डों को बांटा जाता है, तो सभी खिलाड़ियों को बांटे गए कार्ड आम तौर पर फेस-अप होते हैं जिसमें बहुत कम अपवाद होता है। गैर-विशेषग्य खिलाड़ी के लिए ऐसी कोई बात नहीं होनी चाहिए कि उसके कार्डों को फेस-डाउन या फेस-अप रूप में बांटा गया है क्योंकि डीलर को पूर्वनिर्धारित नियमों के अनुसार ही खेलना पड़ता है। यदि डीलर के पास 17 से कम मान वाले कार्ड हो, तो उसे ही हिट करना चाहिए। यदि डीलर के पास 17 या उससे अधिक मान वाले कार्ड हों, तो उसे तब तक रूकना चाहिए (और अधिक कार्ड नहीं लेना चाहिए), जब तक इसका मान एक "सॉफ्ट 17" नहीं हो जाता है (एक हैण्ड जिसमें 11 मान वाला एक इक्का होता है, उदाहरण के तौर पर एक हैण्ड जिसमें इक्का+6 या इक्का+2+4 हो)। एक सॉफ्ट 17 के साथ डीलर "सॉफ्ट 17 को हिट" करने के लिए या "सभी 17 पर स्टैंड" करने के लिए ब्लैकजैक टेबल पर मुद्रित कसीनो नियमों का अनुसरण करता है।
आम तौर पर, अधिकतम संभावित हैण्ड एक "ब्लैकजैक" या "नैच्यूरल" है, जिसका मतलब कुल 21 मानों वाला एक आरंभिक दो कार्ड (एक इक्का और एक 10 मान वाला कार्ड) है। जिस खिलाड़ी को ब्लैकजैक बांटा जाता है वह अपने आप जीत जाता है, अगर डीलर के पास भी ब्लैकजैक न हो, इस मामले में हैण्ड एक "पुश" (टाई) होता है। जब डीलर का अपकार्ड एक इक्का होता है, तो खिलाड़ी को अलग से दांव लगाने की अनुमति दी जाती है जिसे "इंश्योरेंस" कहते हैं, जो कथित तौर पर जोखिम की रक्षा करता है कि डीलर के पास एक ब्लैकजैक (अर्थात्, उसके होल कार्ड के रूप में एक दस मान वाला कार्ड) है। इंश्योरेंस दांव से 2 से 1 का भुगतान होता है यदि डीलर के पास एक ब्लैकजैक हो। जब कभी डीलर के पास एक ब्लैकजैक होता है, वह उन खिलाड़ियों को छोड़कर बाकी सभी खिलाड़ियों से जीत जाता है जिनके पास भी एक ब्लैकजैक (एक "पुश") होता है।
न्यूनतम और अधिकतम दांव टेबल पर लगाए जाते हैं। अधिकांश दांव की अदायगी 1:1 होती है जिसका मतलब यह है कि खिलाड़ी उतना ही रकम जीतता है जितने रकम का वह दांव लगाता है। एक खिलाड़ी ब्लैकजैक की पारंपरिक अदायगी 3:2 होती है जिसका मतलब यह है कि कसीनो हर 2 डॉलर के दांव के लिए 3 डॉलर का भुगतान करता है लेकिन आज के दौर में कई कसीनो कुछ टेबलों पर कम भुगतान करते हैं।
खिलाड़ी के निर्णय
अपने आरंभिक दो कार्डों को प्राप्त करने के बाद खिलाड़ी को चार मानक विकल्प प्राप्त होते हैं: वह "हिट", "स्टैंड", "डबल डाउन," या "स्प्लिट ए पेयर" का चयन कर सकता है। प्रत्येक विकल्प के लिए एक हैण्ड संकेत के उपयोग की जरूरत पड़ती है। कुछ कसीनो या टेबलों पर, खिलाड़ी को एक पांचवां विकल्प मिल सकता है, जिसे "आत्मसमर्पण" कहते हैं।
हिट : डीलर से एक दूसरा कार्ड प्राप्त करना।
संकेत : (हैण्डहेल्ड) टेबल के विरूद्ध कार्डों को बटोरना. (फेस अप) अंगुली से टेबल को स्पर्श करना या खुद की तरह हाथ लहराना.
स्टैंड : कोई और अधिक कार्ड न लेना; जिसे "स्टैंड पैट", "स्टिक", या "स्टे" के नाम से भी जाना जाता है।
संकेत : (हैण्डहेल्ड) चिप्स के अन्दर कार्ड को स्लाइड करना. (फेस अप) हाथ को क्षैतिज दिशा में लहराना.
डबल डाउन : अपने पहले दो कार्डों को प्राप्त करने के बाद तथा उसे कोई और कार्ड बांटे जाने से पहले, एक खिलाड़ी के पास "डबल डाउन" का विकल्प होता है। इसका मतलब है कि खिलाड़ी को डीलर से केवल एक और कार्ड प्राप्त करने के बदले में अपने आरंभिक दांव को दोगुना करने की अनुमति दी जाती है। खेले जाने वाले हैण्ड में उसके मूल दो कार्ड और डीलर से प्राप्त एक और कार्ड शामिल होता है। ऐसा करने के लिए वह अपने मूल दांव के आगे बेटिंग बॉक्स में पहले दांव के बराबर एक दूसरा दांव लगाता है। (यदि इच्छा हो और कसीनो के नियमों की अनुमति हो, तो
खिलाड़ी को आम तौर पर "डबल डाउन फॉर लेस" की अनुमति दी जाती है, जिससे उसे बेटिंग बॉक्स में इसके आगे मूल दांव से कम रकम का दांव लगाने की अनुमति मिल जाती है, हालांकि आम तौर पर यह एक अच्छा विचार नहीं है क्योंकि खिलाड़ी को केवल अनुकूल परिस्थितियों में अपने दांव को दोगुना करना चाहिए लेकिन उसके बाद ज्यादा से ज्यादा जितना हो सके उतना दांव बढ़ाना चाहिए। इसके विपरीत, कोई खिलाड़ी मूल दांव के मूल्य से अधिक डबल डाउन नहीं कर सकता है।)
संकेत : मूल दांव के आगे (सबसे ऊपर नहीं) अतिरिक्त चिप्स रखना. एक अंगुली से इंगित करना.
स्प्लिट ए पेयर : यदि उसके पहले दो कार्ड एक "पेयर" (जोड़ा) हैं, जिसका मतलब यह है कि दोनों कार्डों का मान एक समान है, तो खिलाड़ी उस जोड़े कार्डों को अलग कर सकता है। ऐसा करने के लिए, वह मूल दांव के बेटिंग बॉक्स के बाहर के किसी क्षेत्र में पहले दांव के बराबर एक दूसरा दांव लगाता है। डीलर दो हैण्ड का निर्माण करने के लिए कार्डों को अलग करता है और प्रत्येक हैण्ड के साथ एक दांव लगाता है। उसके बाद खिलाड़ दो अलग-अलग हैण्ड खेलता है।
संकेत : बेटिंग बॉक्स के बाहर मूल दांव के आगे अतिरिक्त चिप्स रखना. वी के आकार में फैलाकर दो अंगुलियों से इंगित करना.
सरेंडर या आत्मसमर्पण : कुछ कसीनो एक पांचवां विकल्प प्रदान करते हैं जिसे "सरेंडर" या आत्मसमर्पण कहा जाता है। डीलर द्वारा ब्लैकजैक की जांच करने के बाद खिलाड़ी अपने दांव का आधा भाग छोड़कर और अपना हाथ न खेलकर "आत्मसमर्पण" कर सकता है।
संकेत : आम तौर पर कोई स्वीकृत हस्त संकेत नहीं है; इसे केवल मौखिक रूप से किया जाता है।
हाथ के संकेतों का इस्तेमाल "आई इन द स्काई" की सहायता करने के लिए किया जाता है, जो टेबल के ऊपर स्थित लेकिन एक-तरफ़ा कांच के पीछे छिपे हुआ एक व्यक्ति या वीडियो कैमरा है। इस उपकरण का इस्तेमाल धोखा देने वाले डीलरों या खिलाडियों से कसीनो की रक्षा करने के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल कार्ड गणकों से कसीनो की रक्षा करने के लिए भी किया जा सकता है, हालांकि कार्ड की गिनती संयुक्त राज्य अमेरिका में गैर कानूनी नहीं है।
खिलाड़ी तब तक जितना चाहे उतना हिट्स ले सकता है जब तक उसके हाथ में कुल मिलकर हार्ड-20 से अधिक न हो जाए. हालांकि, अगर वह विफल होता है, तो वह वह हाथ हार जाता है। जब सभी खिलाड़ी निर्णय कर लेते हैं, तब डीलर अपने होल कार्ड को दिखता है और पूर्वनिर्धारित नियमों के अनुसार अपना हाथ खेलता है।
विभिन्न नियम और "हाउस एडवांटेज"
ब्लैकजैक खिलाड़ी को कई विविध नियमों का सामना करना पड़ सकता है जो हाउस एडवांटेज पर असर डालता है और इसलिए उसके जीतने के अवसरों को भी प्रभावित करता है। कुछ नियमों का निर्धारण क़ानून या विनियम के आधार पर किया जाता है, अन्य नियमों का निर्धारण खुद कसीनो के आधार पर किया जाता है। सभी नियम लागू नहीं होते हैं, इसलिए खिलाड़ी को अपना हाथ खेलने से पहले या समय आने पर इन नियमों के बारे में पूछना पड़ सकता है। 100 से अधिक विभिन्न नियम मौजूद हैं।
जहां तक सभी कसीनों खेलों की बात है, ब्लैकजैक में एक "हाउस एडवांटेज" या "हाउस एज" शामिल है। ब्लैकजैक में प्राथमिक हाउस एडवांटेज इस तथ्य से निकला है कि यदि खिलाड़ी विफल होता है तो वह हार जाता है, चाहे डीलर अंत में विफल हो या न हो। बहरहाल, बुनिय रणनीति का प्रयोग करने वाला एक ब्लैकजैक खिलाड़ी वास्तव में एवरेज भाग्य के साथ अपने सभी दांव की कुल राशि का 1 प्रतिशत से भी कम राशि हारेगा; अन्य कसीनो खेलों की तुलना में यह खिलाड़ी के लिए काफी अनुकूल होता है। अज्ञानता की वजह से बुनियादी रणनीति से विचलित होने वाले खिलाड़ियों के हानि दर के आम तौर पर अधिक होने की उम्मीद रहती है।
डीलर सॉफ्ट 17 को हिट करता है
प्रत्येक कसीनो में इसका एक नियम है कि डीलर सॉफ्ट 17 को हिट करता है या नहीं, यह नियम खुद टेबल पर छपा रहता है। "एस17" खेल में, डीलर सभी 17 पर स्टैंड करता है। "एच17" खेल में, डीलर सॉफ्ट 17 को हिट करता है। बेशक, डीलर हमेशा हार्ड 17 पर स्टैंड करता है। किसी भी मामले में, डीलर के पास कोई विकल्प नहीं होता है; उसे या तो जरूर से जरूर हिट करना चाहिए या जरूर से जरूर हिट नहीं करना चाहिए . "हिट सॉफ्ट 17" खेल खिलाड़ी के लिए कम अनुकूल होता है जिसका हाउस एडवांटेज 0.2% से अधिक होता है।
डेक्स की संख्या
प्रयुक्त डेक्स की संख्या का खिलाड़ियों के जीतने के मौके पर प्रमुख प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह हाउस एडवांटेज को प्रभावित करता है। सभी चीजें बराबर होने के नाते, कुछ डेक हमेशा बुनियादी रणनीति अपनाने वाले खिलाड़ी के लिए अधिक अनुकूल होता है। इसका एक कारण यह है कि खिलाड़ी ब्लैकजैक सिंगल डेक ब्लैकजैक से थोड़ा बहुत समान होता है (क्योंकि ब्लैकजैक के लिए दो अलग-अलग कार्ड की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए एक ही तरह के एक कार्ड (जैसे - एक दहला) को हटा दिया जाता है और काफी हद तक एक अलग तरह के कार्ड (जैसे - इक्का) को लिया जाता है - और एक मल्टी-डेक खेल की तुलना में एक सिंगल डेक खेल में काफी ज्यादा असर पड़ता है) और यदि खिलाड़ी के पास ब्लैकजैक होता है, तो डीलर के पास भी ब्लैकजैक होने की काफी कम सम्भावना रहती है (जो एक पुश है), जिसका मतलब यह है कि सिंगल डेक खेल में खिलाड़ी को सांख्यिकीय की दृष्टि से अक्सर 3:2 के अनुपात में भुगतान किया जाना चाहिए।
जब सिंगल डेक ब्लैकजैक की पेशकश की जाती है, तब आम तौर पर अधिक प्रतिबंधक नियमों के साथ इसकी पेशकश की जाती है जो हाउस के अनुकूल होता है। निदर्शी प्रयोजनों के लिए, निम्नांकित सभी सांख्यिकीय एक समान नियमों का इस्तेमाल करते हैं: स्प्लिट के बाद डबल, इक्कों को स्प्लिट करने के लिए एक कार्ड, कोई आत्मसमर्पण नहीं, किसी भी दो कार्डों पर डबल, केवल डीलर के ब्लैकजैक पर हारे गए मूल दांव, डीलर द्वारा सॉफ्ट 17 को हिट करना और इस्तेमाल किया गया कट-कार्ड. सिंगल डेक खेल डबल डेक से बहुत बेहतर होता है, जो चार डेकों से काफी बेहतर होता है, जबकि छः या उससे अधिक डेक से इसमें बहुत कम अंतर होता है।
सरेंडर या आत्मसमर्पण
कुछ कसीनो एक अनुकूल विकल्प की पेशकश करते हैं जिसे "सरेंडर" या आत्मसमर्पण कहते हैं, जो खिलाड़ी को अपना आधा दांव छोड़ देने और अपना हाथ न खेलने की अनुमति देता है। इस विकल्प को कभी-कभी "लेट" सरेंडर या विलम्ब आत्मसमर्पण के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि यह तब होता है जब डीलर एक ब्लैकजैक के लिए अपने होल कार्ड की जांच कर लेता/लेती है। जब अटलांटिक सिटी में पहली बार कसीनो खुला था, सरेंडर या आत्मसमर्पण का यह विकल्प डीलर द्वारा ब्लैकजैक की जांच करने से पहले उपलब्ध था - यह नियम खिलाड़ी के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद था - लेकिन "आरंभिक आत्मसमर्पण" का यह विकल्प बहुत जल्द गायब हो गया। आरंभिक आत्मसमर्पण के विभिन्न रूप आज भी कई देशों में मौजूद हैं।
खिलाड़ी को केवल बहुत ख़राब हाथों पर ही आत्मसमर्पण करना चाहिए, क्योंकि जीतने की 25 प्रतिशत सम्भावना होने पर भी अपना आधा दांव छोड़ने की तुलना में उसे अधिक एवरेज रिटर्न मिल सकता है। आरम्भ में आत्मसमर्पण कर देने से डीलर के इक्के के सामने एक खिलाड़ी के आत्मसमर्पण की ज्यादा सम्भावना रहती है।
रिस्प्लिटिंग या पुनर्विभाजन
यदि खिलाड़ी इक्कों के अलावा किसी एक जोड़े कार्ड को स्प्लिट या अलग करता है और उस मूल्य या मान का कोई तीसरा कार्ड दिखाई देता है, तो खिलाड़ी आम तौर पर मूल दांव के बराबर एक और दांव लगाकर फिर से स्प्लिट (या "रिस्प्लिट") कर सकता है। तो टेबल पर तीन दांव लगेंगे और तीन अलग-अलग हाथ खेले जाएंगे. कुछ कसीनो इक्कों के अलावा किसी अन्य कार्डों की असीमित रिस्प्लिटिंग की अनुमति देते हैं, जबकि अन्य कसीनो खेले जाने वाले हाथों की एक निश्चित संख्या, जैसे - चार हाथ (उदाहरण के लिए, "रिस्प्लिट टु 4") तक इसे सीमित कर सकते हैं।
स्प्लिट इक्कों को हिट करना या फिर से स्प्लिट करना
इक्कों को स्प्लिट करने के बाद, एक आम नियम यह है कि प्रत्येक इक्के के लिए केवल एक कार्ड बांटे जाएंगे; खिलाड़ी स्प्लिट, डबल, या किसी भी हाथ पर कोई दूसरा हिट नहीं ले सकता है। नियम के विभिन्न रूपों में खिलाड़ी को स्प्लिट इक्कों को फिर से स्प्लिट करने या हिट करने की अनुमति देना शामिल है। खिलाड़ी को स्प्लिट इक्कों से मिलने वाले हाथों को हिट करने की अनुमति मिलने से कसीनो एज में लगभग 0.13 प्रतिशत की कमी हो जाती है; स्प्लिट इक्कों को फिर से स्प्लिट करने की अनुमति मिलने से एज में लगभग 0.03 प्रतिशत की कमी होती है। हालांकि इक्कों को फिर से स्प्लिट करना बहुत आम है, इसलिए खिलाड़ी को स्प्लिट इक्कों को हिट करने की अनुमति देने वाले हाउस अत्यंत दुर्लभ होते हैं।
स्प्लिट के बाद डबल
एक खिलाड़ी द्वारा एक जोड़े कार्ड को स्प्लिट करने के बाद, अधिकांश कसीनो उसे दोनों या कोई एक नए दो-कार्ड वाले हाथों पर उसे "डबल डाउन" करने की अनुमति प्रदान करते हैं। इसे "डबल आफ्टर स्प्लिट" कहा जाता है और यह खिलाड़ी को लगभग 0.12 प्रतिशत लाभ प्रदान करता है।
केवल 9/10/11 या 10/11 पर डबल
अक्सर रेनो नियम कहलाने वाला यह नियम खिलाड़ी को केवल 10 या 11 (कभी-कभी 9, 10, या 11 - यूरोप में बहुत आम है) संख्यामान वाले आरंभिक खिलाड़ी पर डबल डाउन करने से प्रतिबंधित करता है। यह सॉफ्ट हैंड्स जैसे - सॉफ्ट 17 (इक्का-6) पर डबल करने से रोकता है और यह खिलाड़ी के लिए अनुकूल नहीं होता है। यह 9-11 नियम के लिए 0.09% (8 डेक) और 0.15% (1 डेक) के दरम्यान और 10-11 नियम के लिए 0.17% (8 डेक) और 0.26% (सिंगल डेक) के दरम्यान हाउस एडवांटेज को बढ़ा देता है। अन्य नियमों के पारस्परिक प्रभाव की वजह से इन संख्याओं में भिन्नता आ सकती है।
नो होल-कार्ड
अधिकांश गैर-अमेरिकी कसीनो में, एक 'नो होल कार्ड' खेल खेला जाता है, जिसका मतलब है कि डीलर तब तक अपने दूसरे कार्ड को ड्रॉ या कंसल्ट नहीं करता है जब तक सभी खिलाड़ी निर्णय नहीं ले लेते हैं। नो होल्ड कार्ड के साथ, शायद कभी डीलर के दहले या इक्के के खिलाफ डबल या स्प्लिट करने की सही बुनियादी रणनीति नहीं है, क्योंकि डीलर के ब्लैकजैक की वजह से स्प्लिट और डबल दांव की हानि हो सकती है; इसका एकमात्र अपवाद डीलर के एक दहले के खिलाफ एक जोड़ा इक्का है, जहां स्प्लिट करना अभी भी सही होता है। अन्य सभी मामलों में, एक स्टैंड, हिट या सरेंडर को कॉल किया जाता है। उदाहरण के लिए, डीलर के 10 के खिलाफ 11 रखकर, सही रणनीति एक होल कार्ड खेल में डबल करना है (जहां खिलाड़ी जानता है कि डीलर का दूसरा कार्ड इक्का नहीं है), न कि एक नो होल्ड कार्ड खेल में हिट करना। नो होल कार्ड नियम हाउस एज में लगभग 0.11 प्रतिशत की बढ़त करता है।
कुछ स्थानों में, जैसे ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में कुछ कसीनो में, यदि बाद में पता चलता है कि डीलर के पास ब्लैकजैक है तो खिलाड़ी केवल अपना मूल दांव, न कि अतिरिक्त दांव (डबल या स्प्लिट) हार जाता है। इसमें वही बुनियादी रणनीति और वही लाभ होता है जो होल्ड कार्ड खेल में होता है।
ब्लैकजैक के लिए परिवर्तित भुगतान
बहुत से कसीनो में, आम तौर पर सबसे कम टेबल मिनिमम्स और सिंगल डेक खेलों के टेबल में, एक ब्लैकजैक सामान्य 3:2 के बजाय केवल 6:5 या 1:1 का भी भुगतान करता है। अमेरिका में आम नियम बदलाव में, ब्लैकजैक के लिए ये परिवर्तित भुगतान खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक होते हैं, जिसकी वजह से हाउस एज में सबसे ज्यादा वृद्धि होती है। चूंकि ब्लैकजैक हाथों के लगभग 4.8 प्रतिशत में होता है, इसलिए 1:1 खेल हाउस एज में 2.3 प्रतिशत तक की वृद्धि कर देता है जबकि 6:5 खेल से हाउस एज में 1.4 प्रतिशत की बढ़त होती है। वीडियो ब्लैकजैक के लिए 1:1 भुगतान एक प्रमुख कारण है कि यह क्यों लोकप्रियता की दृष्टि से कभी टेबल संस्करण तक नहीं पहुंच पाया है (और साथ ही साथ एक तथ्य यह भी है कि हर बंटाई के बाद कार्ड को फेंटा जाता है, जो गणन योजनाओं को बहुत कम प्रभावशाली बना देते हैं)। सिंगल डेक खेलों में टेबल ब्लैकजैक पर सबसे अधिक आम तौर पर 6:5 नियम को लागू किया जाता है - जो अन्य प्रकार से एक बुनियादी रणनीति खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा आकर्षक खेल होता है।
डीलर के जीत की बराबरी
डीलर को सभी पुश हैण्ड जीतने की अनुमति देना खिलैद के लिए विपत्तिपूर्ण होता है। यद्यपि शायद ही कभी मानक ब्लैकजैक में इस्तेमाल होने वाले इस खेल को कभी-कभी "ब्लैकजैक की तरह" के खेलों में जैसे कुछ चैरिटी कसीनो में देखा जाता है।
इंश्योरेंस
अगर डीलर का अपकार्ड एक इक्का है, तो डीलर द्वारा अपने 'होल कार्ड' की जांच करने से पहले खिलाड़ी को इंश्योरेंस लेने का विकल्प दिया जाता है।
इंश्योरेंस टेबल के एक विशेष भाग में लगाए गए मूल दांव के आधे दांव तक अलग से लगाया जाने वाला दांव है जिसे आम तौर पर "इंश्योरेंस पेज़ 2 टु 1" के रूप में चिह्नित किया जाता है। इस बगली दांव की पेशकश तब की जाती है जब डीलर का प्रदर्शित कार्ड एक इक्का होता है। धारणा यह है कि डीलर के दूसरे कार्ड के दहला होने की बहुत ज्यादा सम्भावना (लगभग एक-तिहाई) रहती है जो डीलर को एक ब्लैकजैक देता है और इसके परिणामस्वरूप प्रायः निश्चित रूप से खिलाड़ी हार जाता है। (इस प्रकार, अभिव्यक्ति, "होल में इक्का")। यह एक "इंश्योरेंस" दांव लगाकर इस सम्भावना को भंजाने के लिए खिलाड़ी को आकर्षित करता है (हालांकि यह एकदम से जरूरी नहीं है), जो 1 पर 2 के हिसाब से भुगतान करता है यदि डीलर के पास एक ब्लैकजैक होता है, जिस मामले में "इंश्योरेंस से प्राप्त आय" मूल दांव की सहवर्ती घटे की भरपाई करेगा। इंश्योरेंस दांव उस वक़्त नुकसान उठाना पड़ता है जब डीलर के पास ब्लैकजैक नहीं होता है, हालांकि खिलाड़ी उस वक़्त भी मूल दांव पर हार या जीत सकता है।
इंश्योरेंस उस खिलाड़ी के लिए एक बहुत ही ख़राब दांव बन जाता है जब वह कार्ड की गिनती नहीं कर रहा होता है, क्योंकि, एक अनंत डेक में, 13 में से कार्ड का मान दस (10, J, Q, या K) होता है और इसलिए शेष 9 का मान दस नहीं होता है, तो इस तरह एक अनंत डेक खेल का सैद्धांतिक प्रतिफल 4/13 * 2 * दांव - 9/13 * दांव = -1 /13 * दांव, या -7.69% होता है। व्यव्हार में, एवरेज हाउस एज इससे कम होगा, क्योंकि शू (डीलर का इक्का) से एक गैर-दहला कार्ड को भी बाहर करके डीलर शेष कार्डों के समानुपात का कारण बनता है जिनका मान दस से अधिक होता है। फिर भी, आमतौर पर दांव से परहेज किया जाता है, क्योंकि हाउस का एवरेज एज उस वक़्त भी 7 प्रतिशत से अधिक होता है।
कार्डों की गिनती करने वाला खिलाड़ी शू में शेष टेनों की गिनती कर सकता है और केवल तभी इंश्योरेंस दांव लगा सकता है जब वह उसके पास एक एज हो (जैसे - जब शेष कार्डों के एक-तिहाई से अधिक कार्ड टेन हों.) इसके अलावा, एक मल्टीहैण्ड सिंगल डेक खेल में, इंश्योरेंस एक अच्छा दांव हो सकता है यदि खिलाड़ी यूं ही टेबल के अन्य कार्डों को देखता है - एक आरंभिक हैण्ड के लिए, यदि डीलर के पास एक इक्का है, तो डेक में 51 कार्ड बचे हैं, जिनमें से 16 टेन हैं। हालांकि, अगर कम से कम 2 खिलाड़ी खेल रहे हों और उनमें से किसी का भी दो आरंभिक कार्ड टेन न हों, तो शेष 47 कार्डों में से 16 कार्ड टेन होते हैं - जो 3 में 1 से बेहतर होते हैं, जो इंश्योरेंस दांव को एक अच्छा दांव बनाते हैं।
जब खिलाड़ी के पास ब्लैकजैक और डीलर के पास एक इक्का होता है, तो "सम राशि" के रूप में इंश्योरेंस दांव की पेशकश की जा सकता है जिसका मतलब है कि डीलर के हैण्ड की जांच से पहले खिलाड़ी के ब्लैकजैक को तत्काल 1:1 से भुगतान किया जाता है। 'सम राशि' बस एक थोड़ा सा अलग दांव है; अंतर यह है कि सम राशि की पेशकश न किए जाने की स्थिति में ब्लैकजैक को इंश्योर करने के लिए खिलाड़ी के पास पर्याप्त धन होना चाहिए। सम राशि लेना आम तौर पर एक ख़राब विकल्प होता है क्योंकि खिलाड़ी के दो कार्डों में से एक कार्ड दहला होता है, इसलिए डेक में शेष दहलों का समानुपात कम होता है।
कसीनो में जहां एक होल कार्ड बांटा जाता है, वहां इक्के या दहले की तरह के मान वाले कार्ड को दिखने वाला एक डीलर अपने पास ब्लैकजैक के होने या न होने की जांच करने के लिए टेबलटॉप पर एक छोटे दर्पण या इलेक्ट्रॉनिक सेंसर पर अपने होल कार्ड के कोने को खिसका सकता है। यह अभ्यास होल्ड कार्ड को अनजाने में दिखाई दे जाने के जोखिम को कम कर देता है, जिससे तेज आंखों वाले खिलाड़ी इससे काफी लाभ मिल सकता है।
बगली दांव
कुछ कसीनो अपने ब्लैकजैक खेलों के साथ एक बगली दांव की पेशकश करते हैं। इसके उदाहरणों में तीन सत्ते पाने के आधार पर बगली दांव, थ्री कार्ड पोकर शैली वाली दांव, एक जोड़ा कार्ड और अन्य कई शामिल हैं। बगली दांव के लिए, आम तौर पर खिलाड़ी अपने मुख्य दांव के साथ एक अतिरिक्त दांव लगा सकता है और इस बगली दांव को हार या जीत सकता है जिस पर उसके मुख्य खेल के परिणाम से कोई फर्क नहीं पड़ता है। बगली दांव का हाउस एज आम तौर पर मुख्य खेल के हाउस एज से काफी अधिक होता है।
ब्लैकजैक रणनीति
बुनियादी रणनीति
एक सिंगल-बॉक्स खेल में हेर-फेर के बाद पहले हैण्ड के इष्टतम खिलाड़ी फैसलों के सम्पूर्ण सेट को बुनियादी रणनीति के नाम से जाना जाता है। बुनियादी रणनीति अंतिम फेरबदल के बाद से दिखाए गए कार्डों से अनजान एक खिलाड़ी के लिए इष्टतम खेल भी है। नीचे की बुनियादी रणनीति टेबल निम्नलिखित नियमों के सेट के लिए लागू होता है:
4 से 8 डेक
डीलर सॉफ्ट 17 पर स्टैंड करता है
किसी भी 2 कार्डों पर डबल
स्प्लिट के बाद डबल की अनुमति
केवल डीलर के ब्लैकजैक पर हारे गए मूल दांव
विलम्ब आत्मसमर्पण
! 12
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|-
! 11
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|-
! 10
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|-
! 9
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! 5-8
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|-
! COLSPAN="11" | Soft totals
|-
|
| 2
| 3
| 4
| 5
| 6
| 7
| 8
| 9
| 10
| A
|-
! A,8 A,9
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! A,7
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! A,6
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! A,4 A,5
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! A,2 A,3
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|-
! COLSPAN="11" | Pairs
|-
|
| 2
| 3
| 4
| 5
| 6
| 7
| 8
| 9
| 10
| A
|-
! A,A
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|-
! 10,10
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|-
! 9,9
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|-
! 8,8
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|-
! 7,7
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|-
! 6,6
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! 5,5
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! 4,4
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|-
! 2,2 3,3
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| style="background:lime; color:black" | H
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|}
महत्वपूर्ण:
S = स्टैंड
H = हिट
Dh = डबल (यदि अनुमति न हो, तो हिट)
Ds = डबल (यदि अनुमति न हो, तो स्टैंड)
SP = स्प्लिट
SU = सरेंडर या आत्मसमर्पण (यदि अनुमति न हो, तो 16v10 पर स्टैंड को छोड़कर हिट, यदि पहले दो कार्ड नहीं हैं।)
अधिकांश लास वेगास स्ट्रिप कसीनो सॉफ्ट 17 को हिट करते हैं। इस नियम परिवर्तन के लिए एक थोड़ा सा संशोधित बुनियादी रणनीति टेबल की जरूरत है: 11 बनाम डीलर के एक इक्के वाले एक अपकार्ड पर डबल, A/7 बनाम डीलर के एक 2 पर डबल, A/8 बनाम एक 6 पर डबल और निम्नलिखित का आत्मसमर्पण: 15 बनाम A, 17 बनाम A और 8/8 बनाम A. लास वेगास से बाहर के अधिकांश कसीनो अभी भी सॉफ्ट 17 पर स्टैंड करते हैं।
कार्ड की गिनती
एक ब्लैकजैक खेल की अवधि के दौरान, डीलर उन कार्डों को उत्तरोत्तर दिखाता चला जाता है जिन कार्डों को उसे और खिलाड़ी के हैण्ड के लिए बांटा गया होता है। खिलाड़ी दिखाए जा चुके कार्डों को ध्यानपूर्वक देखकर बांटे जाने वाले शेष कार्डों के बारे में अनुमान लगाता है और इन अनुमानों या निष्कर्षों को निम्न दो में से एक तरीके से इस्तेमाल करता है:
खिलाड़ी अपेक्षाकृत बड़े दांव लगा सकता है जब उसे फायदा होने की उम्मीद होती है। उदाहरण के लिए, ब्लैकजैक को हिट करने की उम्मीद में और यदि डेक में कई इक्के और दहले शेष बच गए हैं तो खिलाड़ी शुरूआती दांव को बढ़ा सकता है।
अपने न बांटे गए कार्डों की संरचना के अनुसार खिलाड़ी बुनियादी रणनीति से हट सकता है। उदाहरण के लिए, डेक में कई दहलों के रहने से खिलाड़ी अधिक परिस्थितियों में डबल डाउन कर सकता है क्योंकि उसे एक अच्छा हाथ मिलने का काफी अच्छा मौका मिल सकता है।
एक विशिष्ट कार्ड-गिनती पद्धति कार्ड के प्रत्येक रैंक के लिए के पॉइंट स्कोर लागू करती है (उदाहरणार्थ - 2 से 6 के लिए 1 पॉइंट, 7 से 9 के लिए 0 पॉइंट और 10 से A के लिए -1 पॉइंट)। जब कभी कोई कार्ड दिखाया जाता है, तो गणक अपने मौजूदा कुल स्कोर में उस कार्ड के स्कोर को जोड़ देता है, जिसका इस्तेमाल प्राप्त ज्ञान के आधार पर टेबल के अनुसार दांव लगाने और फैसले लेने में किया जाता है। यह गिनती "संतुलित" गणन पद्धतियों के लिए ताजा-ताजा फेरबदल किए गए डेक के लिए 0 पर शुरू होती है। असंतुलित गिनतियों को अक्सर एक ऐसे नंबर से शुरू किया जाता है जो डेक की कुल संख्या को दर्शाता हो।
किसी निर्धारित कसीनो में विशेष ब्लैकजैक नियमों के आधार पर बुनियादी रणनीति हाउस एडवांटेज को कम करके 1 प्रतिशत से भी कम कर देता है। सही ढंग से कार्ड की गिनती करने पर खिलाड़ी को इससे आम तौर पर हाउस पर 0 से 2 प्रतिशत तक का फायदा हो सकता है।
कार्ड की गिनती मानसिक रूप से कानूनी है और धोखा नहीं माना जाता है। हालांकि, अधिकांश कसीनों के पास किसी कारणवश या बिना किसी कारण के खिलाड़ियों पर प्रतिबन्ध लगाने का अधिकार होता है और कार्ड की गिनती अक्सर एक खिलाड़ी को प्रतिबंधित करने का कारण होता है। आम तौर पर, कसीनो खिलाड़ी को सूचित करेगा कि उसे उस कसीनो में अब ब्लैकजैक खेलने नहीं दिया जाएगा और उसे संपत्ति से प्रतिबंधित किया जा सकता है। खिलाड़ियों को इस बात का संकेत न देने के लिए सावधान रहना चाहिए कि वे गिनती कर रहे हैं और इलेक्ट्रॉनिक एवं अन्य गिनती उपकरणों का इस्तेमाल आम तौर पर गैरकानूनी होता है।
इन्हें भी देखें: एमआईटी ब्लैकजैक टीम
संरचना-आधारित रणनीति
बुनियादी रणनीति एक खिलाड़ी के कुल पॉइंट और डीलर के दृश्य कार्ड पर आधारित है। एक खिलाड़ी का आदर्श निर्णय उसके हैण्ड की संरचना पर, न कि केवल बुनियाद रणनीति में विचारित जानकारी पर, निर्भर कर सकता है। उदाहरण के लिए, जब एक खिलाड़ी के पास डीलर के एक 4 के खिलाफ 12 हो तो उसे आम तौर पर स्टैंड करना चाहिए। हालांकि, एक सिंगल डेक खेल में, यदि खिलाड़ी के 12 में एक 10 और एक 2 हो तो उसे हिट करना चाहिए; ऐसा इसलिए क्योंकि यदि खिलाड़ी हिट करता है तो वह 10 के अलावा कोई दूसरा कार्ड प्राप्त करना चाहता है और खिलाड़ी के हैण्ड में 10 एक निम्न कार्ड है जो खिलाड़ी या डीलर को विफल करने के लिए उपलब्ध रहता है।
हालांकि, ऐसी परिस्थितियों में जिसमें बुनियादी और संरचना आधारित रणनीति की वजह से विभिन्न कार्य होते हैं, दो निर्णयों के दरम्यान प्रत्याशित मान का अंतर बहुत कम होगा। इसके अतिरिक्त, जब एक ब्लैकजैक खेल में इस्तेमाल किए जाने वाले डेकों की संख्या में वृद्धि होती है, सही रणनीति का निर्धारण करने वाली संरचना की परिस्थियों की संख्या और संरचना-आधारित रणनीति के इस्तेमाल से हाउस एज का सुधार दोनों में गिरावट आएगी. केवल संरचना आधारित रणनीति के इस्तेमाल से एक छः डेक वाले खेल में हाउस एज में 0.0031% की कमी होती है जिसका मान एक सिंगल डेक खेल (0.0387%) में होने वाले सुधार के दसवें भाग से भी कम होता है।
कार्ड के फेरबदल की ट्रैकिंग और अन्य लाभकारी खेल तकनीक
कार्ड की गिनती के अलावा अन्य तकनीक कसीनो ब्लैकजैक के लाभ को खिलाड़ी की तरफ स्विंग कर सकते हैं। ऐसी सभी तकनीकें खिलाड़ी और कसीनो के कार्डों के मान पर आधारित होती हैं जिसकी मूल कल्पना एडवर्ड ओ. थोर्प ने की थी। मुख्य रूप से मल्टी-डेक खेलों में इस्तेमाल होने वाली एक तकनीक में शू के खेल के दौरान कार्डों के समूहों (उर्फ़ स्ल्ग्स, क्लम्प्स, पैक्स) की ट्रैकिंग, फेरबदल से होते हुए उनका अनुसरण करना और उसके बाद जब नए शू से खेल में वे कार्ड आते हैं तब तदनुसार खेलना और दांव लगाना शामिल है। सर्वसम्मतिपूर्वक सीधे कार्ड की गिनती से अधिक कठिन और उत्कृष्ट दृष्टि एवं दृश्य आकलन की शक्तियों की आवश्यकता वाली इस तकनीक से खिलाड़ियों की हरकतों और गिनती पर नज़र रखने वाले कसीनो कर्मचारियों को मूर्ख बनाने का अवसर मिलता है, क्योंकि फेरबदल ट्रैकर समय-समय पर सीधे-सपाट कार्ड-गणक के खेलने और दांव लगाने के तरीकों के विपरीत दांव लगा सकते हैं और/या खेल सकते हैं।
ब्लैकजैक फोरम मैगज़ीन में प्रकाशित अर्नोल्ड स्नाइडर के लेखों ने आम जनता के सामने शफल ट्रैकिंग को प्रस्तुत किया। उनकी पुस्तक, द शफल ट्रैकर्स कूकबुक, ने गणित की दृष्टि से ट्रैक किए गए स्लग के वास्तविक आकार के आधार पर शफल ट्रैकिंग से प्राप्त खिलाड़ी के एज का विश्लेषण किया। जेरी एल. पैटरसन ने भी कार्डों के अनुकूल क्लंप और उन्हें खेल में काटने की ट्रैकिंग और कार्डों के प्रतिकूल क्लंप और उन्हें खेल के बाहर काटने की ट्रैकिंग के लिए कार्ड को फेंटने की ट्रैकिंग करने की विधि को विकसित और प्रकाशित किया।
ब्लैकजैक में खिलाड़ी को एक लाभ प्राप्त करने के अन्य वैध तरीकों में बांटे जाने वाले अगले कार्ड के बारे जानकारी प्राप्त करने और होल कार्डिंग करने की विभिन्न तकनीक शामिल हैं। इसके अलावा, मैच-प्ले कूपन बुनियादी-रणनीति का इस्तेमाल करने वाले निपुण ब्लैकजैक खिलाड़ी को एक एज प्रदान करता है। और अंत में, एक विशेष उन्नति - जैसे एक ब्लैकजैक के लिए 2:1 - अस्थायी तौर पर लाभ को खिलाड़ी के लिए स्विंग कर सकता है।
भिन्नरूप
पोंटून महत्वपूर्ण नियम एवं रणनीति भिन्नताओं वाले ब्लैकजैक का एक अंग्रेज़ी रूप है। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया में, पोंटून बिना किसी होल कार्ड के खेले जाने वाले अमेरिकी खेल स्पेनिश 21 का एक लाइसेंसरहित संस्करण है; एक जैसा नाम होने के बावजूद इसका अंग्रेज़ी पोंटून से कोई सम्बन्ध नहीं है।
स्पेनिश 21 खिलाड़ियों को कई स्वतंत्र ब्लैकजैक नियम प्रदान करता है, जैसे किसी भी संख्या वाले कार्ड को डबल डाउन करना (और साथ में 'बचाव' या हाउस के लिए केवल एक दांव का आत्मसमर्पण का विकल्प), पांच या उससे अधिक कार्ड 21, 6-7-8 21, 7-7-7 21 के लिए बोनस भुगतान, विलम्ब आत्मसमर्पण और खिलाड़ी के ब्लैकजैक की हमेशा जीत और खिलाड़ी के 21 की हमेशा जीत, जब डेक में किसी भी 10 कार्ड की लागत न हो (हालांकि जैक, क्वीन और किंग होते हैं)।
21वीं शताब्दी का ब्लैकजैक (जिसे "वेगास स्टाइल" ब्लैकजैक के नाम से भी जाना जाता है) आम तौर पर कैलिफोर्निया के कई कार्ड रूम में मिलता है। इस तरह के खेल में, खिलाड़ी के विफल होने की वजह से वह हमेशा अपने आप नहीं हार जाता है; ऐसी कुछ परिस्थितियां होती है जहां खिलाड़ी उस वक़्त भी पुश कर सकता है यदि डीलर भी विफल होता है, बशर्ते कि डीलर अधिक संख्या से विफल होता हो।
नए भिन्नरूपी खेलों के निर्माण के लिए कुछ नियमों में परिवर्तन किए जाते हैं। हालांकि इन परिवर्तनों से नौसिखिए खिलाड़ी आकर्षित होते हैं, लेकिन वास्तव में ये परिवर्तन इन खेलों में हाउस एज में वृद्धि कर देते हैं। डबल एक्सपोजर ब्लैकजैक इस खेल का एक भिन्नरूप है जिसमें डीलर के दोनों कार्ड फेस-अप होते हैं। यह खेल ब्लैक्जैच्क पर सम राशि प्रदान करके हाउस एज में वृद्धि करता है और खिलाड़ी बराबरी करने का मौका खो देते हैं। डबल अटैक ब्लैकजैक में बहुत स्वतंत्र ब्लैकजैक नियम और डीलर के अपकार्ड को देखने के बाद किसी के दांव को बढाने का विकल्प मिलता है। इस खेल को एक स्पेनिश शू से बांटा जाता है और ब्लैकजैक केवल सम राशि का भुगतान करता है।
फ्रांसीसी और जर्मन संस्करण "विंग्ट-एट-अन" (ट्वंटी-वन) और "सीब्ज़ेन अंड विएर" (सेवनटीन एण्ड फोर) में स्प्लिटिंग शामिल नहीं है। एक इक्के की गिनती केवल ग्यारह के रूप में की जा सकती है, लेकिन दो इक्कों की गिनती एक ब्लैकजैक के रूप में की जाती है। यह भिन्नरूप शायद ही कभी कसीनो में मिलता है लेकिन यह निजी क्षेत्रों और छावनियों में बहुत आम है।
एशिया में कई लोग चीनी ब्लैकजैक खेलते हैं। इसमें कार्ड की स्प्लिटिंग नहीं की जाती है और इसमें कार्ड संयोजना के अन्य नियम शामिल है। कम्पुंग ब्लैकजैक चीनी ब्लैकजैक का एक मलेशियाई रूप है।
एक अन्य भिन्नरूप ब्लैकजैक स्विच है, यह एक ऐसा संस्करण है जिसमें एक खिलाड़ी के लिए दो हैण्ड पर कार्ड बांटे जाते हैं और कार्ड को स्विच करने की अनुमति दी जाती है। उदाहरण के लिए यदि खिलाड़ी को 10-6 और 5-10 बांटा जाता है, तो खिलाड़ी 10-10 और 6-5 का हैण्ड बनाने के लिए दो कार्डों को स्विच कर सकता है। स्वाभाविक ब्लैकजैक का भुगतान मानक 3:2 के बजाय 1:1 के हिसाब से किया जाता है और डीलर का एक 22 एक पुश हो जाता है।
मल्टीपल एक्शन ब्लैकजैक में खिलाड़ी एक सिंगल हैण्ड में 2 या 3 के बीच दांव लगाता है। उसके बाद डीलर को खिलाड़ी द्वारा एक हैण्ड पर लगाए गए प्रत्येक दांव को एक हैण्ड मिलता है। यह अनिवार्य रूप से हैण्ड की संख्या को दोगुना कर देता है जिसे एक सिंगल डीलर प्रति घंटे खेल सकता है। स्प्लिटिंग (कार्ड को अलग करना) और डबलिंग (दोहरे दांव लगाना) की अभी भी अनुमति दी जाती है।
हाल ही में, पोकर की लोकप्रियता की वजह से एलिमिनेशन ब्लैकजैक को बढ़त मिली है। एलिमिनेशन ब्लैकजैक, ब्लैकजैक का एक टूर्नामेंट प्रारूप है।
कई कसीनो मानक ब्लैकजैक टेबलों पर वैकल्पिक बगली दांव लगाने का अवसर प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, एक आम बगली-दांव "रॉयल मैच" है, जिसमें खिलाड़ी का भुगतान किया जाता है यदि उसके पहले दो कार्ड एक ही सूट में हो और उसे अत्यधित भुगतान मिलता है यदि उसके ये पहले दोनों कार्ड एक सूट वाले क्वीन और किंग हो (और एक जैकपॉट के रूप में भुगतान मिलता है यदि खिलाड़ी और डीलर दोनों के पास एक सूट वाले क्वीन-किंग हैण्ड हो)। एक अन्य उत्तरोत्तर विकासशील आम भिन्नरूप "21 +3" है, जिसमें एक तीन कार्ड वाले पोकर हैण्ड से डीलर के पास अप कार्ड और खिलाड़ी के पास दो कार्ड होते हैं; खिलाड़ियों को सीधे, फ्लश या एक तरह के तीन पर 9 पर 1 का भुगतान मिलता है। ये बगली दांव भिन्न-भिन्न तरीके से अच्छी तरह से खेले जाने वाले ब्लैकजैक की तुलना में बदतर विषम अंक प्रदान करते हैं।
अप्रैल 2007 में, वॉशिंगटन राज्य में ब्लैकजैक के नए संस्करण, "थ्री कार्ड ब्लैकजैक", को खेलने की अनुमति प्रदान की गई और इसे 52 कार्ड के एक डेक के साथ खेला जाता है। खेल के इस संस्करण में, खिलाड़ी एक पूर्व दांव लगाते हैं। उसके बाद खिलाड़ियों और डीलर में से प्रत्येक को 3 कार्ड बांटे जाते हैं। खिलाड़ी अपनी क्षमतानुसार 2 या सभी 3 कार्डों का इस्तेमाल करके सबसे अच्छा ब्लैकजैक (21) बनाते हैं। यदि खिलाड़ी को अच्छा लगता है तो वह एक दांव खेलता है जो पिछले दांव के बराबर होता है। डीलर को 18 या उससे बेहतर योग्यता प्राप्त करना जरूरी है। यदि डीलर योग्यता प्राप्त कर लेता है और खिलाड़ी डीलर को मात दे देता है, तो खिलाड़ी को पिछले और अभी खेले गए दांव दोनों पर 1-1 का भुगतान मिलता है। यदि डीलर योग्यता प्राप्त नहीं करता है, तो खिलाड़ी को उसके पिछले दांव और खेले गए पुश दांव पर 1-1 का भुगतान किया जाता है। न तो कोई हिट करता है और न ही कोई विफल होता है। एक ही समय में जब खिलाड़ी पिछला दांव लगाता है, उस समय उसके पास एक "इक्का प्लस" दांव लगाने का विकल्प होता है। यदि खिलाड़ी के हाथ के तीन कार्डों में से एक कार्ड इक्का होता है, तो उसे 1-1 का भुगतान मिलता है। एक इक्का और एक दहला या फेस कार्ड से 3-1 का भुगतान मिलता है। एक इक्का और दो दहला या फेस कार्ड से 5-1 का भुगतान मिलता है। दो इक्के होने से 15-1 का भुगतान मिलता है। तीन इक्के होने से 100-1 का भुगतान मिलता है।
ब्लैकजैक हॉल ऑफ फ़ेम
2002 में, ब्लैकजैक हॉल ऑफ फ़ेम में प्रवेश के लिए महान ब्लैकजैक खिलाड़ियों के नामांकन के लिए दुनिया भर के पेशेवर जुआरियों को आमंत्रित किया गया। 2002 में सात सदस्यों को शामिल किया गया था और साथ में एक के बाद एक हर साल नए लोगों को शामिल किया जाता रहा। हॉल ऑफ फ़ेम सैन डिएगो के बरोना कसीनो में है। सदस्यों में शामिल हैं - एडवर्ड ओ. थोर्प, जो कि 1960 के दशक की पुस्तक बीट द डीलर के लेखक थे, जिसने साबित कर दिया कि बुनियादी रणनीति और कार्ड की गिनती का एक साथ इस्तेमाल करके इस खेल को जीता जा सकता था; केन उस्टन, जिन्होंने टीम प्ले की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया; अर्नोल्ड स्नाइडर, जो ब्लैकजैक फोरम ट्रेड जर्नल के लेखक और संपादक थे; स्टैनफोर्ड वोंग, जो केवल एक सकारात्मक गिनती पर ही खेलने की "वोंगिंग" तकनीक को लोकप्रिय बनाने वाले लेखक थे और कई अन्य.
इन्हें भी देखें
ब्लैकजैक शब्दों का शब्दकोष
नोट्स
स्रोत
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ब्लैकजैक इन ब्लैकबेल्ट, अर्नोल्ड सेंडर, 1998 (1980), ISBN 978-0-910575-05-8
ब्लैकजैक: अ विनर्स हैन्डबुक, जैरी एल. पैटरसन, 2001 (1978), ISBN 978-0-399-52683-1
केन एस्टन ऑन ब्लैकजैक, केन एस्टन, 1986, ISBN 978-0-8184-0411-5
नॉक आउट ब्लैकजैक, ओल्फ वन्कुरा और केन फ्युच्स, 1998, ISBN 978-0-929712-31-4
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मिलियन डॉलर ब्लैकजैक, केन एस्टन, 1994 (1981), ISBN 978-0-89746-068-2
प्लेयिंग ब्लैकजैक ऐज़ अ बिज़नेस, लॉरेंस रिवेर, 1998 (1971), ISBN 978-0-8184-0064-3
प्रौफेशनल ब्लैकजैक, स्टैनफोर्ड वॉग 1994 (1975), ISBN 978-0-935926-21-7
द थ्योरी ऑफ़ ब्लैकजैक, पिटर ग्रिफिन, 1996 (1979), ISBN 978-0-929712-12-3
द थ्योरी ऑफ़ गैम्बलिंग एण्ड स्टैटीसकल लॉजिक, रिचर्ड ए. एपस्टीन, 1977, ISBN 978-0-12-240761-1, 215-251
द वर्ल्ड्स ग्रेटेस्ट ब्लैकजैक बुक, लांस विनम्र और कार्ल कूपर, 1980, ISBN 978-0-385-15382-9
यूनाइटेड किंगडम में विनियमन
वैधानिक साधन 1994 नं. 2899 द गेमिंग क्लब (बैंकर्स खेल) विनियम 1994
वैधानिक साधन 2000 नं. 597 द गेमिंग क्लब (बैंकर्स खेल) (संशोधन) विनियम 2000
वैधानिक साधन 2002 नं. 1130 द गेमिंग क्लब (बैंकर्स खेल) (संशोधन) विनियम 2002
बाहरी कड़ियाँ
ब्लैकजैकइनकलर
ब्लैकजैक कैलकुलेटर्स
सर्वर आधारित कैलकुलेटर
ब्राउज़र बेस्ड कैलकुलेटर (जावास्क्रिप्ट का उपयोग)
कार्ड-counting.com - एकाधिक कैलकुलेटर्स और चार्ट
ब्लैकजैक
एंग्लो अमेरिकन प्लेयिंग कार्ड गेम्स
तुलना कार्ड खेल
जुआ खेल | 8,230 |
1429698 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | सिमिरिया | सिमरिया भारत के मध्य प्रदेश राज्य के दतिया जिले में दतिया तहसील का एक गाँव है। यह ग्वालियर संभाग के अंतर्गत आता है। गांव में मुख्य रूप से भगवान श्री राम पुत्र कुश के वंशज कुशवाहा क्षत्रिय निवास करते हैं।
यह जिला मुख्यालय दतिया से पश्चिम की ओर लगभग 30 KM की दूरी पर स्थित है। राज्य की राजधानी भोपाल सिमरिया से 338 KM दूरी पर है।
सिमरिया जानकारी
इलाके का नाम: सिमिरिया (सिमरिया)
पिन कोड : 475671
तहसील का नाम : दतिया
जिला : दतिया
राज्य : मध्य प्रदेश
संभाग: ग्वालियर
भाषा: हिंदी और भारिया, द्रविड़ियन, देवनागरी
समय क्षेत्र: आईएसटी (यूटीसी+5:30)
ऊंचाई / ऊंचाई: 264 मीटर। सील स्तर से ऊपर
टेलीफोन कोड / एसटीडी कोड: 07522
विधानसभा क्षेत्र : भांडेर विधानसभा क्षेत्र
विधानसभा विधायक :
लोकसभा क्षेत्र : भिंड संसदीय क्षेत्र
संसद सांसद :
सरपंच का नाम :
दक्षिण की ओर झांसी तहसील
पूर्व की ओर बड़ागाँव तहसील
उत्तर की ओर डबरा तहसील
पूर्व की ओर भांडेर तहसील से घिरा हुआ है।
दतिया, डबरा, झांसी, समथर सिमरिया के
नजदीकी शहर हैं।
सिमरिया 2011 जनगणना विवरण
सिमरिया की स्थानीय भाषा हिंदी है। सिमरिया गांव की कुल जनसंख्या 1098 है, और घरों की संख्या 184 है। महिला जनसंख्या 48.9% है। ग्राम साक्षरता दर 56.6% है और महिला साक्षरता दर 24.0% है।
जनसंख्या
कुल जनसंख्या 1098
घरों की कुल संख्या 184
महिला जनसंख्या% 48.9% (537)
कुल साक्षरता दर % 56.6% (622)
महिला साक्षरता दर 24.0% (263)
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या % 7.1% (78)
अनुसूचित जाति जनसंख्या% 8.3% (91)
कार्य करने वाली जनसँख्या % 33.3%
बच्चा (0 -6) 2011 तक जनसंख्या 186
बालिका (0 -6) 2011 तक जनसंख्या% 51.6% (96)
यह भी देखें
सन्दर्भ
https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF:RAVI_KUSHWAHA | 271 |
3608 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE | साबूदाना | साबूदाना एक खाद्य पदार्थ है। यह छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होते हैं।भारत मे यह कसावा/टेपियोका की जडों से व अन्य अफ्रीकी देशों मे सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ़्रीका का पौधा है।
पकने के बाद यह अपादर्शी से हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है।
भारत में साबूदाना केवल टेपियोका की जड से बनाया जाता है, जिसे "कसावा" व मलयालम मे "कप्पा" कहते हैं।
भारत में साबूदाने का उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। सूप और अन्य चीज़ों को गाढ़ा करने के लिये भी इसका उपयोग होता है। महाराष्ट्र में जब लोग उपवास करते हैं, तब उपवास के दौरान साबूदाने को बनाकर खाते हैं|
भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। लगभग १९४३-४४ में भारत में इसका उत्पादन एक कुटीर उद्योग के रूप में हुआ था। इसमें पहले टैपियाका की जड़ों को कूट कर उसके दूध को छानकर उसे जमने देते थे। फिर उसकी छोटी छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते थे।
टैपियाका के उत्पादन में भारत अग्रिम देशों में है। लगभग ७०० इकाइयाँ सेलम में स्थित हैं। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है।
साबूदाना की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं उनके बनाने की गुणवत्ता अलग होने पर उनके नाम बदल और गुण बदल जाते हैं अन्यथा ये एक ही प्रकार का होता है, आरारोट भी इसी का एक उत्पाद है।
परिचय
साबुदाना टेपिओका-सागो एक संसाधित, पकाने के लिये तैयार, खाद्य उत्पाद है। साबुदाना के निर्माण के लिए एक ही कच्चा माल है "टैपिओका रूट" जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर "कसावा" के रूप में जाना जाता है। शिशुओं और बीमार व्यक्तियों के लिए या उपवास (vrata-upawas) के दौरान, साबुदाना पोषण का एक स्वीकार्य रूप माना जाता है। यह कइ तरह से (मीठे दूध के साथ उबाली हुइ "खीर") या खिचडी, वड़ा, बोंडा (आलू, सींगदाना, सेंधा-नमक, काली मिर्च या हरी मिर्च के साथ मिश्रित) आदि या डेसर्ट के रूप में व्यंजनों की एक किस्म में प्रयोग किया जाता है। साबुदाना, टैपिओका-रूट (कसावा) से तैयार किया गया एक उत्पादन है, जिसका वानस्पतिक नाम "Manihot Esculenta Crantz पर्याय Utilissima " है।
यह साबुदाना] से अत्यधिक मिलता-जुलता है। दोनों आम तौर पर छोटे (लगभग 2 मिमी व्यास) सूखे, अपारदर्शी दाने के रूप में होते हैं। दोनों (बहुत शुद्ध हो तो) सफेद रंग में होते हैं। जब भिगोया और पकाया जाता है, तब दोनों नरम और स्पंजी, बहुत बड़े पारदर्शी दाने बन जाते हैं। दोनों का व्यापक रूप से दुनिया भर में आम तौर पर पुडिंग बनाने में उपयोग किया जाता है।
तकरीबन आम तौर पर भारत में हिंदी में साबुदाना; , बंगाली में 'Tapioca globule' या 'sagu' ট্যাপিওকা গ্লোবিউল या সাগু; गुजराती में 'sabudana' સાબુદાણા; और मराठी में साबुदाना;', तमिल में 'Javvarisi' சாகோவில்; , मलयालम में 'Kappa Sagu' കപ്പ സാഗൊ; कन्नड़ में 'Sabbakki' ಸಾಬುದಾನ; तेलुगु में 'Saggubeeyam' సగ్గు బియ్యం; ऊर्दु में 'sagudan-' ساگودانه; कहा जाता है। कइ जगह इसे 'टैपिओका साबुदाना' या 'टैपिओका ग्लोबुल्स' के नाम से भी जाना जाता है। टैपिओका] और 'टैपिओका-रूट (Cassava कसावा )] ' के अलग अलग अर्थ हैं। "टैपिओका" कसावा (Manihot Esculenta) से निकाला जाने वाला एक उत्पाद है। कसावा स्टार्च को टैपिओका कहा जाता है। यह "टूपी" शब्द जिसे पुर्तगाली शब्द tipi'óka से लिया गया, से निकला है॥ जिसका अर्थ कसावा स्टार्च से बनाये गये खाद्य की प्रक्रिया को दर्शाता है। भारत में, शब्द "टैपिओका-रूट" कसावा कंद के लिये ही उपयोग किया जाता है और शब्द 'टैपिओका' कसावा से निकाली गई एक विशेष आकार में भुनी हुइ या सेंकी हुइ स्टार्च के लिए प्रतिनिधित्व करता है।
कसावा या manioc पौधे का मूल आरम्भ दक्षिण अमेरिका में हूआ। अमेजन निवासियों ने चावल / आलू / मक्का के साथ या इसके अलावा भी कसावा का इस्तेमाल किया। पुर्तगाली खोजकर्ताओं ने अफ्रीकी तटों और आसपास के द्वीपों के साथ अपने व्यापार के माध्यम से अफ्रीका में कसावा की शुरुआत की। टैपिओका-रूट साबुदाना और स्टार्च के लिए बुनियादी कच्चा माल है। टैपिओका 19 वीं सदी के बाद के हिस्से के दौरान भारत में आया था। 1940 के दशक में मुख्य रूप से केरल , आंध्रप्रदेश, और तमिलनाडु राज्यों में इसकी वृद्धि हुई, जब टैपिओका से उत्पादित स्टार्च और साबूदाने के तरीके भारत में आरम्भ हुए। सबसे पहले हाथ से मैन्युअल रूप से और बाद में स्वदेशी उत्पादन के तरीकों से इसका डिकास हुआ। यह कार्बोहाइड्रेट और कैल्शियम और विटामिन-सी की पर्याप्त राशि वाला एक बहुत ही पौष्टिक उत्पाद है। भारत में 1943-44 में सबसे पहले साबुदाना उत्पादन, अत्यन्त छोटे पैमाने पर, टैपिओका की जड़ों से दूध निकाल कर, छान कर और, दाने बना कर एक कुटीर-उद्योग के रूप में शुरू हुआ। भारत में, साबुदाना पहली बार तमिलनाडु राज्य के सेलम में तैयार किया गया ॥ भारतीय टैपिओका-रूट में आम तौर 30% से 35% स्टार्च सामग्री है। वर्तमान में भारत टैपिओका-रुट की पैदावार में अग्रणी देशों में से एक है। करीब 650-700 इकाइयाँ तमिलनाडु राज्य के सेलम जिले में टैपिओका प्रसंस्करण में लगी हुई है।
इतिहास
तमिलनाडु के टैपिओका साबुदाना और टैपिओका स्टार्च उद्योग, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिंगापुर, मलेशिया, हॉलैंड, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका से विदेशी साबुदाना और स्टार्च के आयात की निषेधआज्ञा से उपजी कमी का परिणाम है। सेलम के मछली व्यापारी श्री मनिक्क्कम चेट्टियार अपने व्यापार के सिलसिले में बहुत बार सेलम से केरल जाते रहते थे। उनकी मुलाकात पेनांग (मलेशिया) से आकर केरल में बसे श्री पोपटलाल जी शाह से हुइ, जिन्हे टैपिओका स्टार्च निर्माण का ज्ञान था। वर्ष 1943 में, सेलम से इन दोनों ने बहुत छोटे कुटीर उद्योग रूप में टैपिओका स्टार्च और साबुदाना आदिम तरीकों से निर्माण प्रारम्भ किया। साबुदाना और स्टार्च के लिए दैनिक बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, एक प्रतिभाशाली मैकेनिक श्री एम वेंकटचलम गौंदर की मदद से उत्पादन की मशीनरी और तरीकों में सुधार हुआ। परिणामस्वरूप उद्योग की उत्पादन क्षमता प्रति दिन 100 किलो के 2 थैलों से बढ कर 25 थैले हो गई।
1944 में पूरे देश में एक गंभीर अकाल पडा। चूँकि साबुदाना एक खाद्य-पदार्थ माना गया, अत: सेलम कलेक्टर ने सेलम से बाहर बेचने पर रोक लगा दी। सेलम साबुदाना और स्टार्च निर्माताओं ने एक संघ का गठन कर नागरिक आपूर्ति आयुक्त के समक्ष इस मामले का प्रतिनिधित्व किया और जिला कलेक्टर के निषेधात्मक आदेश को रद्द करवाया। 1945 से साबुदाना और टैपिओका स्टार्च के उत्पादन में प्रशंसनीय वृद्धि हुई।
सन्दर्भ
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इन्हें भी देखें
साबूदाने की खिचड़ी
साबूदाने का खीर
साबूदाना मिक्चर
बाहरी कड़ियाँ
उपवास के पकवान फलाहार
नवरात्रि में साबूदाने की खिचड़ी खाने से पहले सोचें..
निशामधुलिका पर साबूदाना की पाकविधियां
https://web.archive.org/web/20141230081828/http://www.lfymag.com/admin/issuepdf/22-25_Cassava_FFYJan-14.pdf
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'साबुदाना "से जुड़े अन्य पोस्ट:
अभिलक्षण और साबुदाना का विवरण https://web.archive.org/web/20150223134700/http://sabuindia.com/social/sabudana-description/
साबुदाना के लिए मानक (साबुदाना, टैपिओका साबुदाना) https://web.archive.org/web/20150223134646/http://sabuindia.com/social/sabudana-standards/
भारत में साबुदाना विनिर्माण केंद्रों https://web.archive.org/web/20150223134639/http://sabuindia.com/social/manufacturing-centers/
भारत में साबुदाना की मूल्य-प्रशंसा https://web.archive.org/web/20150223133035/http://sabuindia.com/social/appreciation/
साबुदाना संबंधित HSCodes https://web.archive.org/web/20150223134603/http://sabuindia.com/social/sabudana-hscode/
साबुदाना विनिर्माण प्रक्रिया https://web.archive.org/web/20150223135011/http://sabuindia.com/social/sabudana-manufacturing/
कसावा के बारे में - साबुदाना के लिए कच्चे माल https://web.archive.org/web/20150223134737/http://sabuindia.com/social/about-cassava/
क्यों भारतीय साबुदाना सर्वश्रेष्ठ है? https://web.archive.org/web/20150223134633/http://sabuindia.com/social/indian-sabudana-is-the-best/
भारत में साबुदाना उद्योग के इतिहास: https://web.archive.org/web/20150223134704/http://sabuindia.com/social/history/
साबुदाना के बारे में कुछ भ्रामक प्रचार https://web.archive.org/web/20150223134624/http://sabuindia.com/social/rumour/
SAVOSA (साबू दृश्य और मौखिक साबुदाना) परीक्षण पर्चा https://web.archive.org/web/20150223134635/http://sabuindia.com/social/savosa-form/
टैपिओका साबुदाना का परिचय (साबुदाना) https://web.archive.org/web/20150223134902/http://sabuindia.com/social/introduction/
साबुदाना (टेपीयो -का-सागो) - निर्माण प्रक्रिया https://web.archive.org/web/20150223134658/http://sabuindia.com/social/manufacturing-hindi/
साबुदाना - शाकाहारी है या नहीं? https://web.archive.org/web/20150223134707/http://sabuindia.com/social/vegetarian/
भोजन | 1,186 |
966062 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%AF%20%E0%A4%B9%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87%20%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%89%E0%A4%AB%E0%A5%80%20%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%AA%20%E0%A4%AC%E0%A5%80%202018-19 | विजय हजारे ट्रॉफी ग्रुप बी 2018-19 | 2018-19 विजय हजारे ट्रॉफी भारत में लिस्ट ए क्रिकेट टूर्नामेंट विजय हजारे ट्रॉफी का 17 वां सीज़न है। ग्रुप बी में नौ टीमों के साथ भारत की 37 घरेलू क्रिकेट टीमों द्वारा इसका चुनाव किया जा रहा है। ग्रुप चरण 19 सितंबर 2018 को शुरू हुआ, जिसमें ग्रुप ए और ग्रुप बी की शीर्ष पांच टीमों ने प्रतियोगिता के क्वार्टर फाइनल में प्रगति की। दिल्ली, आंध्र और हैदराबाद सभी ग्रुप बी से टूर्नामेंट के नॉक-आउट चरण में आगे बढ़े।
अंक तालिका
Fixtures
Round 1
Round 2
Round 3
Round 4
Round 5
Round 6
Round 7
Round 8
Round 9
Round 10
Round 11
Round 12
संदर्भ | 107 |
1022050 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%BE%20%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%87%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%88 | यामिना बेंगुइगुई | यामिना बेंगुइगुई (9 अप्रैल 1955 को लिल में जन्मे) एक फ्रांसीसी फिल्म निर्देशक और अल्जीरिया के राजनेता हैं। वह फ्रांस में उत्तरी अफ्रीकी ( बर्बर और अरब दोनों) आप्रवासी समुदाय में लैंगिक मुद्दों पर अपनी फिल्मों के लिए जानी जाती हैं। अपनी फिल्मों के माध्यम से, बेंगुइगुई ने फ्रांस में मघरेबी आबादी से कई लोगों को आवाज दी।
जिंदगी
बेंगुइगुई के माता-पिता अल्जीरियाई थे और 1950 के दशक की शुरुआत में फ्रांस से अल्जीरिया आ गए। उसने कभी नहीं पाया कि उसके माता-पिता ने अल्जीरिया छोड़ने का फैसला क्यों किया, यह कहते हुए कि विषय को वर्जित माना गया था। लिली में जन्मे, बेंगुइगुई छह बच्चों की सबसे बड़ी बेटी थीं और उन्होंने अपना बचपन उत्तरी फ्रांस में बिताया। इस्लामिक परंपरा में पले-बड़ी एक शांत बच्चे के रूप में खुद को बताते हुए, बेंगुइगुई केवल 13 साल की थीं जब उसने पहली बार फिल्म निर्माता बनने का फैसला किया था।
उनके पिता अल्जीरियाई राष्ट्रीय आंदोलन में एक राजनीतिक नेता थे , और एक राजनीतिक कैदी के रूप में तीन साल के लिए फ्रांस में जेल गए थे (उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें दो अलग-अलग अवसरों पर जेल में बंद किया गया था, और उनका पूरा परिवार एक बार घर में नजरबंद था )। चूँकि उन्होंने अपने चुने हुए पेशे में उनका समर्थन नहीं किया था, बेंगुइगुई ने 2001 की शुरुआत में उनसे संपर्क तोड़ने के लिए उनसे जल्दी से संपर्क तोड़ लिया था। परिवार छोड़ने के बाद इनकी माँ ने इनके पिता को भी तलाक दे दिया। यामिना बेंगुइगुई ने एक यहूदी चितकबरी-नूर से शादी की और उनकी दो बेटियाँ हैं।
व्यवसाय
अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई और फिल्म स्कूल में अध्ययन करने के लिए जाने के बाद, बेंगुइगुई ने फ्रांसीसी निर्देशक जीन-डैनियल पोललेट के साथ सहयोग किया। बाद में बेंगुइगुई ने निर्देशक रचीद बूचरेब के साथ "बैंडिट प्रोडक्शंस" की स्थापना की। जबकि उनके काम में एक फीचर फिल्म और लघु फिल्में शामिल थीं, बेंगुइगुई को उनके वृत्तचित्रों के लिए व्यापक रूप से जाना जाता था जो मुख्य रूप से 90 के दशक में जारी किए गए थे। वह फ्रांस के बहुमत और मिनोरिटीज़ेड समूहों के बीच पुल का निर्माण करने के प्रकाश सामाजिक मुद्दों के लिए लाकर एक उपकरण के रूप में फिल्मों का उपयोग करती है जैसे चुनौतियों का सामना आप्रवासियों । हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, बेंग्यूइगुई ने सभी आवाज़ों का प्रतिनिधित्व नहीं किया और फिल्म संपादन और साक्षात्कार के माध्यम से, उसने कुछ आवाज़ों को नजरअंदाज कर दिया, जिससे उस संदेश का लाभ नहीं हुआ जो उसकी फिल्में भेज रही थीं।
बेंगुइगुई ने 1994 में जारी किया गया उसकी डॉक्युमेंट्री फीमेल डी 'इस्लाम को प्रसारित किया गया फ्रांस 2 , लेकिन बाद में वह फैसला किया है कि वह आप्रवासी फ्रांस में अल्जीरिया में के बजाय जीवन के अनुभव की जांच के लिए पसंद करेंगे।
उसकी अगली डॉक्यूमेंट्री, प्रवासियों के संस्मरण, माघरेब विरासत, लागत 50 मिलियन फ़्रैंक और पूरे फ्रांस में आप्रवासियों के साथ आयोजित 350 साक्षात्कारों का परिणाम था। तैयारी के दो साल की अवधि और संपादन के एक और नौ महीनों के बाद इसे पहली बार मई 1997 में दिखाया गया था। आलोचकों से सकारात्मक समीक्षा प्राप्त करते हुए, इसे अगले महीने रिबोरोडकास्ट किया गया और अगले जनवरी को सिनेमाघरों में लाया गया।
फरवरी 2008 तक बेंगुइगुई ले पारादिस नामक एक फिल्म पर काम किया था , जो पूरी नहीं हुई! , इसाबेल अदजानी अभिनीत था।
मार्च 2008 के फ्रांसीसी नगरपालिका चुनावों में बेंगुइगुई को पेरिस नगर परिषद में पेरिस के 20 वें सिंहासन का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था, जहां वह विशेष रूप से मानवाधिकारों और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में खुद को चिंतित करती थी। वह सोशलिस्ट पार्टी से जुड़ी हैं।
16 मई 2012 को फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने उन्हें विदेश मामलों के मंत्रालय में फ्रांस के राष्ट्रीय विदेश मंत्री और ला फ्रैंकोफनी (दुनिया भर में फ्रेंच बोलने वाले देशों) के साथ जूनियर मंत्री के पद पर नियुक्त किया।
21 जून 2012 को फ्रांस सरकार में यामिना बेंगुइगुई को ला फ्रैंकोफोनी के मंत्री के रूप में पुष्टि की गई थी।
फिल्मोग्राफी
१ ९९ ४: फेमेस डी आइस्लाम
1997: मेमोइरेस डी'इमिग्रेस, ल'आर्टेज मैग्रेबिन ( आप्रवासी यादें ) - निदेशक
2001: पसप्रेनेल , पास डीहिस्टोयर में ! ( मुसीबत बनाओ! ) - निर्देशक और लेखक
2001: इंचअल्लाह डिमंच ( रविवार इंच ) - निर्देशक और लेखक
2003: आचा, मोहम्मद, चौबे… एंगेजस ला फ्रांस ))
2004: ले प्लैफोंड डे वर्रे ( द ग्लास सीलिंग ) - निर्देशक और लेखक
2006: लेस डेफ्रीचेर्स - निर्देशक
2007: चेंजर डे संबंध - पोर्ट्रेट एन ° 5 - निर्देशक
पुरस्कार
मेमोइर्स डी'इमिग्रेस, ल'एरिटेज मैग्रेबिन
फेस्टिवल इंटरनेशनल डे प्रोग्राम्स ऑडियोविसुल्स, मिशेल मित्राणी पुरस्कार
सैन फ्रांसिस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल , गोल्डन गेट अवार्ड
7 डीओआर , सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र (1997)
इंचअल्लाह दिमंच
एमिएन्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल , OCIC अवार्ड और सिटी ऑफ़ अमियन्स का पुरस्कार (2001)
सिनेमा में महिलाओं का बोर्डो इंटरनेशनल फेस्टिवल, ऑडियंस अवार्ड और गोल्डन वेव (2001)
काहिरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल , गोल्डन पिरामिड (2001)
माराकेच का अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह , गोल्डन स्टार (2001)
टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल , इंटरनेशनल क्रिटिक्स अवार्ड ( FIPRESCI ) (2001)
सम्मान
2002: ऑर्ड्रे देस आर्ट्स एट देस लेट्रेस का ऑफिस
२००३: ऑर्ड्रे नेशनल डे ला लेगियन डी'होनूर का शेवेलियर
2003: लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए इल सिगिलो डेला पेस प्राइस इन फ्लोरेंस ।
2007: ऑफ़िस ऑफ़ द नेशनल ऑर्डर ऑफ़ मेरिट
संदर्भ
फ़्रांस | 875 |
462146 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A8%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6 | चिन राजवंश | छिन राजवंश (, छिन छाउ) प्राचीन चीन का एक राजवंश था जिसने चीन में २२१ ईसापूर्व से २०७ ईसा पूर्व तक शासन किया। छिन वंश शान्शी प्रांत से उभर कर निकला और इसका नाम भी उसी प्रांत का परिवर्तित रूप है। जब चिन ने चीन पर क़ब्ज़ा करना शुरू किया तब चीन में झोऊ राजवंश का केवल नाम मात्र का नियंत्रण था और झगड़ते राज्यों का काल चल रहा था। छिन राजवंश उन्ही झगड़ते राज्यों में से एक, चिन राज्य (秦国, चिन गुओ), से आया था। सबसे पहले चिन ने कमज़ोर झोऊ राजवंश को समाप्त किया और फिर बाक़ी के छह राज्यों को नष्ट कर के चीन का एकीकरण किया। शक्तिशाली होने के बावजूद छिन राजवंश बहुत कम काल तक सत्ता में रहा और उसके बाद चीन में हान राजवंश का उदय हुआ।
शासनकाल
अपने शासनकाल में चिन राजवंश ने व्यापार बढ़ाया, कृषि में उन्नति की और सैन्य रूप से अपने साम्राज्य को सुरक्षित किया। इसमें एक बड़ा क़दम जागीरदारों को हटाना था, जिनका झोऊ ज़माने में हर किसान मोहताज होता था। इस से देश की जनता पर सम्राट का सीधा नियंत्रण हो गया जिस से उसमें बड़े काम करने की क्षमता आ गई। उन्होंने उत्तर के क़बीलियाई लोगों से लगातार आते हमलों को कम करने के लिए चीन की महान दीवार का निर्माण करवाना शुरू किया। चीनी लिपि का और विकास करवाया गया, वज़नों-मापों के लिए कड़े मानक बनवाये गए (जिस से व्यापार और बेच-ख़रीद में आसानी हो गई और विवाद कम हो गए) और मुद्रा (सिक्के और नोट) का विकास किया गया। चिन शासक न्यायवाद में विश्वास रखते थे और इस विचारधारा के अंतर्गत शासकों को अपने नागरिकों पर कड़ा नियंत्रण रखने की सीख दी जाती थी। उन्होंने पहले गए राजवंशों का नाम हमेशा के लिए मिटाने की कोशिश में प्राचीन किताबें और ग्रन्थ जलवाए और ४०० से अधिक विद्वानों को जिंदा दफ़न करवाया। इस से चीन में जो बुद्धिजीवियों का स्वतन्त्र वातावरण चल रहा था, जिसे सौ विचारधाराएँ कहा जाता है, समाप्त हो गया। इन चीज़ों से आने वाले विद्वानों में चिन के अच्छे कामों के बावजूद उन के लिए एक घृणा भी पैदा हो गई। चीन में इस घटना को 'किताब जलाना और विद्वान दफ़नाना' कहा जाता है, जिसके लिए चीनी भाषा में वाक्य 'फ़ेन शू कंग रु' (焚書坑儒) है। जब भी कोई तानाशाह विचारों और बुद्धिजीवियों को कुचलना चाहता है तो चीनी संस्कृति में इस सूत्रवाक्य का प्रयोग होता है।
राजवंश का अंत
चिन राजवंश की सरकार भारी-भरकम और धीमी थी लेकिन सैनिक मामलों में उन्होंने हमेशा नई तकनीकें अपनाई। फिर भी एक शक्तिशाली सेना के बावजूद भी चिन राजवंश बहुत कम समय के लिए चला। जब पहला चिन सम्राट २१० ईसापूर्व में मरा तो उसके दो मंत्रियों ने उसके बेटे को गद्दी पर यह समझकर बैठाया कि उसके ज़रिये वे स्वयं राज करेंगे। इस इरादे के बावजूद, इन दोनों में आपस में लड़ाई हो गई, जिस से वे दोनों और नया सम्राट, तीनों ही अपनी जानों से हाथ धो बैठे। राजवंश में इन कमज़ोरियों को देखकर विद्रोह भड़कने लगे और एक चू राज्य (楚國, चू गुओ) के नेता ने सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया। उसी ने फिर हान राजवंश की नीव रखी। चिन राजवंश के इतनी जल्दी डूब जाने के बाद भी उसका प्रभाव आने वाले राजवंशों पर रहा और माना जाता है कि विश्व में 'चीन' देश का नाम इसी राजवंश से पड़ा है।
इन्हें भी देखें
झोऊ राजवंश
झगड़ते राज्यों का काल
हान राजवंश
चीन के राजवंश
सौ विचारधाराएँ
सन्दर्भ
चीन के राजवंश
चीन का इतिहास
विकिपरियोजना चीनी राजतंत्र | 577 |
1294644 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%20%E0%A4%A1%E0%A5%88%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%A8 | ओलिवर डैमेन | ओलिवर डैमेन (जन्म २० अगस्त, २००३) एक डच स्पेसफ्लाइट प्रतिभागी है, जिसने १७ साल की उम्र में २० जुलाई, २०२१, ब्लू ओरिजिन एनएस-१६ मिशन के हिस्से के रूप में उड़ान भरी थी।
जिंदगी
ओलिवर का जन्म नीदरलैंड के ओस्टरविज्क में जोस डेमेन के घर हुआ था, जो हेजफंड समरसेट कैपिटल पार्टनर्स के संस्थापक और सीईओ हैं, और एलाइन डेमेन। उन्होंने सेंट-एडॉल्फ हाई स्कूल में पढ़ाई की और दिसंबर 2020 में स्नातक किया।
ओलिवर ने नीलामी के माध्यम से न्यू शेपर्ड रॉकेट पर अपनी सीट सुरक्षित कर ली जिससे वह ब्लू ओरिजिन का पहला भुगतान करने वाला ग्राहक बन गया। शुरुआत में एक अलग व्यक्ति ने वास्तव में $28 मिलियन का भुगतान करके न्यू शेपर्ड पर चढ़ने के लिए बोली जीती थी, लेकिन उसने भविष्य की उड़ान लेने का फैसला किया, जिससे ओलिवर के पिता, जिन्होंने अगली उच्चतम राशि की बोली लगाई थी, विजेता बन गए, जिन्होंने बदले में ओलिवर को बनने दिया। इसके बजाय यात्री।
२० जुलाई, २०२१ को सफल उड़ान के बाद, वह १९६१ में २५ साल की उम्र में गेरमन टिटोव के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए अंतरिक्ष में जाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए।
इन्हें भी देखें
वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्री
कार्मन रेखा
अपोलो अभियान
सन्दर्भ
अंतरिक्षयात्री | 202 |
145553 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%B2%E0%A5%82%E0%A4%82%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%20%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%81 | क्या भूलूं क्या याद करूँ | क्या भूलूं क्या याद करूँ हरिवंश राय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा तथा हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है। यह चार खण्डों में हैः 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ', नीड़ का निर्माण फिर', 'बसेरे से दूर' और 'दशद्वार से सोपान तक'। इसके लिए बच्चनजी को भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार 'सरस्वती सम्मान' से सम्मनित भी किया जा चुका है। हिन्दी प्रकाशनों में इस आत्मकथा का अत्यंत ऊचा स्थान है।
डॉ॰ धर्मवीर भारती ने इसे हिन्दी के हज़ार वर्षों के इतिहास में ऐसी पहली घटना बताया जब अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी, साहस और सद्भावना से कह दिया है। डॉ॰ हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार इसमें केवल बच्चन जी का परिवार और उनका व्यक्तित्व ही नहीं उभरा है, बल्कि उनके साथ समूचा काल और क्षेत्र भी अधिक गहरे रंगों में उभरा है। डॉ॰ शिवमंगल सिंह सुमन की राय में ऐसी अभिव्यक्तियाँ नई पीढ़ी के लिए पाठेय बन सकेंगी, इसी में उनकी सार्थकता भी है।
आत्मकथा की प्रसिद्ध पंक्तियाँ
क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!अगणित उन्मादों के क्षण हैं,
अगणित अवसादों के क्षण हैं,रजनी की सूनी घड़ियों को
किन-किन से आबाद करूँ मैं!क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!
याद सुखों की आँसू लाती,
दुख की, दिल भारी कर जाती,दोष किसे दूँ जब अपने से
अपने दिन बर्बाद करूँ मैं!क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!
दोनों करके पछताता हूँ,
सोच नहीं, पर मैं पाता हूँ,सुधियों के बंधन से कैसे
अपने को आज़ाद करूँ मैं!क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!
बाहरी कड़ियाँ
डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा: 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ' से 'दशद्वार से सोपान तक' का सफर (साहित्यकुंज)
हरिवंश राय बच्चन | 261 |
1393886 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%9A%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0 | क्रिमची मन्दिर | क्रिमची मन्दिर (Krimchi temples) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के उधमपुर ज़िले के क्रिमची गाँव में स्थित सात प्राचीन हिन्दू मन्दिरों का एक परिसर है। यह उधमपुर नगर से लगभग 12 किमी दूर बीरुनाला नामक जलघारा के किनारे स्थित हैं। स्थानीय लोग इन्हें पाण्डव मन्दिर भी कहते हैं।
इतिहास
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार इन मन्दिरों का निर्माण 8वीं से 9वीं शताब्दी में हुआ था। मन्दिर संख्या 6 और 7 को कई शताब्दियों पहले हानि पहुँची थी। स्थानीय मान्यता इन मन्दिरों को महाभारत के पाण्डव भाईयों से जोड़ती है कि वे यहाँ लम्बे समय के लिए रुके थे। यह माना जाता है कि स्थानीय राजा कीचक ने क्रिमची नगर और राज्य की स्थापना करी थी।
परिसर
मन्दिर समूह में चार बड़े और तीन छोटे मन्दिर हैं। मुख्य मन्दिर 50 फुट ऊँचा है और शिव, पार्वती, गणेश और विष्णु को समर्पित है।
चित्रदीर्घा
इन्हें भी देखें
उधमपुर ज़िला
बाहरी जोड़
सन्दर्भ
जम्मू और कश्मीर में हिन्दू मंदिर
जम्मू और कश्मीर में पुरातत्व स्थल
उधमपुर ज़िले में पर्यटन आकर्षण | 168 |
442440 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%A8%20%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A1 | मार्शलीन बर्ट्रेंड | मार्शा लीन "मार्शलीन" बर्ट्रेंड () (मई 9, 1950–जनवरी 27, 2007) एक अमेरिकी अभिनेत्री और निर्माता थीं। यह ऑल ट्राइब्स
फाउंडेशन की सह-संस्थापक थीं, जिसका उद्देश्य मूल अमेरिकियों को सांस्कृतिक और आर्थिक लाभ मुहैया कराना है, इसके साथ-साथ इन्होनें महिलाओं के कैंसर के प्रति सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए गिव लव गिव लाईफ संगठन की भी स्थापना कि थी। बर्ट्रेंड एंजेलिना जोली और जेम्स हैवन की मां थीं। इनका 56 वर्ष की उम्र में डिम्बग्रंथि के कैंसर के कारण निधन हो गया था।
बाहरी कड़ियाँ
मार्शलीन बर्ट्रेंड स्मारक पृष्ठ
गिव लव गिव लाईफ की आधिकारिक वेबसाइट
अमेरिकी फ़िल्म अभिनेता
1950 में जन्मे लोग
निधन वर्ष अनुपलब्ध | 105 |
23734 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A4%AE%20%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%A1 | भारत संचार निगम लिमिटेड | भारत संचार निगम लिमिटेड ( बी एस एन एल ) के नाम से जाना जाने वाला भारतीय संचार निगम लिमिटेड भारत का एक सार्वजनिक क्षेत्र की संचार कंपनी है ३१ मार्च २००८ को २४% के बाजार पूँजी के साथ यह भारत की सबसे बड़ी, संचार कंपनी है.इसका मुख्यालय भारत संचार भवन, हरीश चन्द्र माथुर लेन, जनपथ, नई दिल्ली में है इसके पास मिनी - रत्ना का दर्जा है - भारत में सम्मानित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को दिया गया एक दर्जा। बी एस एन एल मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों में सबसे पहली कंपनी रही जिसने इनकमिंग कॉल को पूर्णतया फ्री किया। और दूरसंचार के क्षेत्र में भारत सरकार का लोगो में विश्वास बढ़ाया।
बीएसएनएल भारत का सबसे पुराने संचार सेवा प्रदाता (CSP) है बीएसएनएल को वर्तमान में 72,34 लाख (बेसिक तथा मोबाइल टेलीफोनी) एक ग्राहक आधार है इसके पद चिह्न महानगरों मुंबई और नई दिल्ली (नई दिल्ली) जो एम् टी एन एल (MTNL) के द्वारा प्रबंधित प्रबंधित है, को छोड़ कर पूरे भारत में है ३१ मार्च२००८ के अनुसार बी एस एन एल ३१.५५ मिलियन बेतार, ४.५८ मिलियन की दी एम् ऐ -डब्लू एल एल और ३६. २१ मिलियन जी एस एम् मोबाइल ग्राहकों का नियंत्रण था ३१ मार्च२००७ को समाप्त हुए वित्तीय साल में बी एस एन एल की कमाई ३९७.१५ बिलियन रुपये (९.६७ बी) थी आज बी एस एन एल भारत का सबसे बड़ा टेल्को और और १०० बिलियन अमेरिकी दुलार के अनुमान के साथ सबसे बड़े सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में से एक है कंपनी ६ महीनो में १० % सार्वजनिक शेयर की योजना बना रही है
प्रमुख सेवाएँ
बीएसएनएल लगभग हर दूरसंचार सेवा प्रदान करता है लेकिन निम्नलिखित मुख्य दूरसंचार सेवाओं में भूमिका है
१. विश्व व्यापी दूरसंचार सेवा :नियत वायरलाइन, बीएसएनएल नियत लाइन में प्रमुख प्रचालक है३१ दिसम्बर २००७ के अनुसार, बी एस एन एल का नियत लाइन में ८१ % की बाजार हिस्सेदारी है
२ सेलुलर मोबाइल टेलीफोन सेवा : बी एस एन एल सेलुलर मोबाइल टेलीफोन सेवा को बीएसएनएल मोबाइल ब्रांड नाम के तहत जी एस एम् प्लेट फॉर्म के उन्तार्घट प्रदाता है३१ मार्च2007 के अनुसार बी एस एन एल के पास देश में मोबाइल टेलीफोन में १७ % हिस्सा है
3 . इंटरनेट : बी एस एन एल इन्टरनेट को फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) रूप में पोस्ट पेड़ और ऐ दी एस एल - ब्रोड बंद को प्रदान कर रहा है बीएसएनएल के पास भारत में लगभग ५० % बाजार शेयर है बीएसएनएल ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में आक्रामक रोल्लौत की योजना बनाये हैं
4 . इंटेलिजेंट नेटवर्क (आई एन) बीएसएनएल टेली वोटिंग की, टोल फ्री फोन, फोन आदि प्रीमियम जैसी आई एन सेवाए प्रदान कर रहा है
5.ब्रॉडबैंड बीएसएनएल ब्रॉडबैंड बहुत तेजी से डाटा को ट्रान्सफर और उसका सम्प्रेषण करता है। इस समय 512 केबीपीएस या उससे अधिक डाउनलोड स्पीड के कनेक्शन को ब्रॉडबैंड की श्रेणी में रखा जा सकता है। बी एसएनएल अपने ब्रॉडबैंड पे 2 एमबीपीएस की न्युनतम डाउनलोड स्पीड प्रदान करती है। जो अन्य डायलअप और नैरोबैंड कंनेक्शन की तुलना में कई अधिक है।
6. 3जी सेवा बीएसएनएल आज भारत भर में सबसे तीव्र गति की 3जी सेवा जिसका मतलब है तीसरी पीढ़ी की इंटरनेट सेवा प्रदान कर रहा है।
आज जंहा प्राइवेट कंपनियां अपने ग्राहकों से 3 जी की सेवा के लिए मनमाने ढंग सेवा शुल्क ले रही है। वंही बीएसएनएल ने इसे बहुत ही सस्ता रखा है।
7. 4 जी सेवा टेलीकॉम मार्केट में जारी जंग में अब बीएसएनएल ने भी कूदने का फैसला लिया है। बीएसएनएल, नए साल की शुरूआत के साथ ही अपनी 4G सर्विस को लॉन्च करने जा रही है
8. स्वदेशी सम़द्धि सिम कार्ड हाल ही में बाबा रामदेव ने BSNL के साथ मिलकर स्वदेशी सम़द्धि सिम कार्ड को लांच किया था। ये सिमकार्ड अभी सिर्फ पंतजलि के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध था, जिसमें वे 144 रुपए का रिचार्ज करवाकर पर डे 2जीबी डाटा और फ्री वॉइस कॉलिंग का लाभ उठा सकते हैं। अब इस प्लान का फायदा आम यूजर्स भी उठा सकते हैं।इस सिम का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को 2.5 लाख रुपए तक का मेडिकल इंश्योरेंस और 5 लाख रुपए तक का लाइफ इंश्योरेंस भी दिया जाएगा। सिम लॉन्चिंग के मौके पर मीडिया से बात करते हुए बाबा रामदेव ने कहा था कि बीएसएनएल एक स्वदेशी नेटवर्क है और पतंजलि और बीएसएनएल का लक्ष्य देश की सेवा करना है।"कंपनी का लक्ष्य चैरिटी करना है।
बीएसएनएल इकाई
बीएसएनएल कई प्रशासनिक इकाइयों में दूर संचार क्षत्रों मेट्रो जिलों विशेष परियोजना हलकों में बिवाजित है
4 .दूरसंचार फैक्टरी, कोलकाता
प्रशिक्षण संस्थान
1 उन्नत स्तरीय दूरसंचार प्रशिक्षण केन्द्र (ALTTC)
2 भारत रत्न भीम राव अम्बेडकर दूरसंचार प्रशिक्षण संस्थान
3 नेशनल एकेडमी ऑफ टेलीकॉम और वित्त प्रबंधन
अन्य इकाइयां
1दूरसंचार स्टोर
2 टेलीकॉम इलेक्ट्रिकल शाखा
3दूरसंचार नागरिक विंग
वर्तमान और भविष्य
अक्टूबर २००० में इसके आने के बाद, बी एस एन एल सक्रियता से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कनेक्शन प्रदान कर रहा है और कंपनी ने तब से विकास किया है जब से एक को फ़ोन कनेक्शन के लिए सालो इंतज़ार करना पड़ता था और अब घंटो में कनेक्शन मिलता है पूर्व सक्रियमोबाइल कनेक्शन भारत भर में कई स्थानों पर उपलब्ध है।
बीएसएनएल ने भी प्रभावी ढंग से ब्रॉडबैंड इंटरनेट का उपयोग की योजना (DataOne) को छोटे व्यवसायों और घरों में सुगम किया है वर्तमान में बीएसएनएल करीब 45 % शेयर बाजार के आईएसपी सेवाओं पर कब्जा किया है
२००७ को भारत में " ब्रॉडबैंड का साल घोषित किया गया है और २००७ के अंत तक5 लाख ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना है बीएसएनएल ने मौजूदा Dataone (ब्रॉडबैंड) के लिए 2 Mbit / s बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के कनेक्शन की गति को उन्नत किया है बीएसएनएल द्वारा 11,7 अमरीकी डॉलर प्रति माह 2 Mbit / s ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान की जा रही है (21/07/2008 के रूप में की है और सीमा पर सीमा के साथ मासिक 2.5GB बजे 0200-0800 की अवधि के प्रभारी के रूप में नहीं) .इसके अलावा, बीएसएनएल नई ब्रॉडबैंड सेवा के रूप में आउट ट्रिपल प्ले (दूरसंचार) (Triple play (telecommunications)). को ला रहा है बीएसएनएल 2010 तक 108 लाख ग्राहक आधार को बढ़ाने की योजना बना रहा हैभारत में संचार के क्षेत्र में उन्मत्त गतिविधि के साथ लक्ष्य प्राप्त प्रतीत होता है लेकिन तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में हाल ही में बीएसएनएल के विकास की गति मंथर हो गई थी। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) अपने दस करोड़ मोबाइल फोन धारकों के लिए देश भर में निशुल्क रोमिंग सेवा शुरू कर दी है। बीएसएनएल के ग्राहक देश भर में कहीं से भी निशुल्क रोंमिग काल कर सकेंगे। बीएसएनएल देश की पहली मोबाइल सेवा देने कंपनी है जो निशुल्क रोमिंग सेवा शुरू कर रही है।
बीएसएनएल के सीएमडी अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस सेवा की घोषणा विगत दो जून 2015 को वार्षिक प्रेस कांफ्रेस के दौरान की थी। अब सोमवार से यह सेवा शुरू होने जा रही है जिसका फायदा सभी पुराने और नए बनने वाले ग्राहकों को मिलेगा. उन्होंने कहा कि सोमवार सेबीएसएनएल के ग्राहकों को अब एक से ज्यादा सिमकार्ड लेकर देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
बीएसएनएल की मुफ्त रोमिंग सेवा पर एक बैठक में दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने यह कहकर सवाल उठाए थे कि उसने किसकी अनुमति से यह सेवा शुरू की है। इस पर श्रीवास्तव का कहना है कि संचार मंत्री के निर्देश पर यह सेवा शुरू की गई है। इसलिए ट्राई को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि ट्राई से उन्हें इस बारे में कोई आधिकारिक आपत्ति भी प्राप्त नहीं हुई है। इसलिए सेवा पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार शुरू की जा रही है।
एनडीए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की संचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल को फिर से खड़ा करने की कोशिश की है। इसी कड़ी में बीएसएनएल ने रोमिंग फ्री करके नए ग्राहकों को जोड़ने की कवायद शुरू की है। पूर्व में बीएसएनएल एवं एमटीएनएल रात में लैंडलाइन फोन से फ्री कॉल करने की सुविधा दे चुका हैं। संचार मंत्रालय के अनुसार पिछले एक साल के दौरान दोनो कंपनियों के राजस्व में सुधार आना शुरू हो गया है। बीएसएनएल के अग्रणी है भारत में ग्रामीण टेलीफोन है। बीएसएनएल ने हाल ही में 80 % अमरीकी डालर के 580 मी (भारतीय रुपया 2500 करोड़ रुपए) भारत सरकार की ग्रामीण टेलीफोन परियोजना की प्राप्त किया है
चुनौतियां
वित्तीय वर्ष 2006-२००७ 2006-२००७ के दौरान (१ अप्रैल 2006 से ३१ मार्च2007 तक विभिन्न टेलीफोन सेवा लेने के लिएबीएसएनएल ने 9,6 लाख नए ग्राहकों को पाया है बीएसएनएल के निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारती एयरटेल (Bharti Airtel) ३९ लाख ग्राहक आधार पर खड़ा हैलेकिन, हाल के समय मेंप्रभावशाली वृद्धि के बावजूद बीएसएनएल के फिक्सड लाइन के ग्राहक घाट रहे हैं फिक्सड लाइन के ग्राहक को लुभाने के लिए बीएसएनएल ग्राहकों को कम दर के तहत लंबी दूरी की कॉल करने की योजना ओनेंडिया शुरू की है बहरहाल, इस योजना की सफलता के ज्ञात नहीं है। फिर भी बीएसएनएल के सामने वित्तीय वर्ष 2006-2007 में कम राजस्वा की संभावना है जो बीएसएनएल के सी एम् डी के द्वारा मन गया है
वर्तमान में भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में तीव्र प्रतियोगिता है और विभिन्न टेलीफोन कंपनी अच्छी योजनाये और ग्राहक सेवा दे रही है फिर भी, बी एस एन एल एक विरासत संचालक होने और एक सरकारी विभागाह्से होने के कारण कमजोर ग्राहक सेवा के कारण बहुत आलोचना को झेलता है हलाकि हाल में बी एस एन एल के कार्य में अत्यन्त विकास हुआ है, अभी भी यह उद्योग की उम्मीदों से कम है उम्रदराज होते (औसत आयु ४९ साल (करीब)) कार्यशक्ति (३००,०००) कार्यशक्ति, जो अधिकांशतः अर्ध शिक्षित या अशिक्षित होना कमजोर ग्राहक सेवा का मुख्या कारण है विरासत की स्थापना की सीमाओ के बावजूद प्रबंधन संगठन के विकास के लिए कड़ी म्हणत कर रहा है - और प्रतियोगिता को एक कड़ा संघर्ष देने के लिए तैयार है - भारतीय पीएस यु के उन्सुने के बावजूद हलाकि आने वाले सालों में कार्यशक्ति के अवकाश का प्रोफाइल बहुत तेज़ है और करीब २५% वर्तमान कार्यशक्ति २०१० में अवकाश लेगी, अभी भी कार्यशक्ति उद्योग स्टार पर बहुत अधिक है कर्मचारियों की गुणवत्ता भी बने रहने का एक मुद्दा है। पर, बी एस एन एल में स्नातक इन्जिनीर के भरती से इसके कार्यशक्ति में गहनता से वृद्धि की आशा है लेकिन बीएसएनएल युवा भरती इंजीनियर जैसे काम का वातावरण में योग्य नहीं है
पहुँच घाटा शुल्क (ऐ डी सी, बी एस एन एल को निजी ऑपरेटरोंद्वारा सेवा प्रदान करने के लिए गैर क्षेत्रों में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लाभप्रद) ट्राई द्वारा 37 % कटौती की गई है 1 अप्रैल, 2007. ADC में कमी से बीएसएनएल बोत्तोम्लिनेस प्रभावित हो सकती है
जियो के आने के बाद दूरसंचार की स्थिति में बहुत तेजी के साथ गिरावट आई। आज ये कंपनी अपने स्टाफ के वेतन देने को भी असमर्थ हो रही है। ऐसे में सरकार इसे बेचने की भी योजना बना रही है।
विदेश लिंक्स
सरकारी कंपनी बीएसएनएल साइट
भारत संचार निगम लिमिटेड
सन्दर्भ
Internet service providers of India
Telecommunication companies of India
गूगल परियोजना
भारत की दूरसंचार कम्पनियाँ | 1,804 |
1386663 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A5%87%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E2%80%93%20%E0%A4%A8%E0%A4%88%20%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A5%80%20%E0%A4%A8%E0%A4%8F%20%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%87 | वागले की दुनिया – नई पीढ़ी नए किस्से | वागले की दुनिया - नई पीढ़ी नए किस्से एक भारतीय सिटकॉम है जिसका प्रीमियर 8 फरवरी 2021 को सोनी सब पर हुआ था। यह प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट, आरके लक्ष्मण द्वारा बनाए गए पात्रों पर आधारित है, विशेष रूप से आम आदमी को आम मध्यम वर्ग के भारतीय आदमी के मुद्दों के बारे में और दूरदर्शन पर प्रसारित वागले की दुनिया की अगली कड़ी के रूप में कार्य करता है। इसमें सुमीत राघवन राजेश श्रीनिवास वागले, पी2पी ग्लोकल नाम की एक कूरियर कंपनी में मैनेजर, परिवा प्रणति उनकी पत्नी, वंदना सिन्हा वागले, शीहान कपाही और चिन्मयी साल्वी उनके बच्चों, अथर्व राजेश वागले और सखी वागले के रूप में हैं।
अवलोकन
यह शो एक कूरियर कंपनी मैनेजर राजेश श्रीनिवास वागले के दैनिक संघर्षों पर आधारित है, जो उस समय के एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति की विवेकशीलता के साथ रहता है। यह शो तीन पीढ़ियों और कई परिवारों के लोगों के रोजमर्रा के संघर्षों को एक ही परिवार के सदस्यों की तरह उनके नजरिए से प्रस्तुत करता है। वे समग्रता से कार्य करते हुए सभी के बीच के संघर्षों को दूर करने का प्रयास करते हैं। यह शो अपने अधिकांश एपिसोड में हास्य और भावनाओं के माध्यम से एक सामाजिक संदेश देता है।
कलाकार
मुख्य
सुमीत राघवन - राजेश "राजू"/"राज" वागले - एक कूरियर सेवा कंपनी पी2पी ग्लोकल के मुख्य परिचालन अधिकारी ; श्रीनिवास और राधिका का छोटा बेटा; मनोज का भाई; अर्चना का चचेरा भाई; वंदना के पति; सखी और अथर्व के पिता। वह अपने परिवार से प्यार करता है और उन्हें एकजुट रखना चाहता है। वह अक्सर अजीब दिवास्वप्न देखता है जिसके परिणामस्वरूप उसे शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। वह उसके कार्यालय के माया और हैरी से घृणा करता है, जो उससे प्रतिस्पर्धा करने के लिए विभिन्न तरकीबें निकालने की कोशिश करते हैं। जब वह अनिर्णय की स्थिति में आ जाता है तो अपने साथ खड़े व्यक्ति से विकल्प के तौर पर अपनी एक उंगली चुनने को कहता है। वह चीजों को उदाहरणों के जरिए प्रैक्टिकली समझाते हैं। वह हमेशा बिना लड़े चीजों को सुलझाने की कोशिश करता है और दूसरों की मदद करता है। (2021–वर्तमान)
परिवा प्रणति - वंदना "वंदु" वागले के रूप में(नी: सिन्हा): महादेवी की भतीजी और दत्तक बेटी; रवि की चचेरी बहन और दत्तक बहन; राजेश की पत्नी; सखी और अथर्व की माँ। वह एक अनाथ है चाचा और चाची ने उसे पाला पोसा था। वह पहले एक गृहिणी थीं लेकिन अब एक स्व-रोज़गार महिला हैं। वह हर समस्या से शांति से निपटती है और दयालु है। जब भी अथर्व उसे परेशान करता है तो वह अक्सर अपना आपा खो देती है लेकिन उससे बहुत प्यार करती है। वह अंग्रेजी में एमए के लिए भी पहचानी जाती हैं। शादी से पहले वह एक शेफ थीं लेकिन अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। (2021–वर्तमान)
अंजान श्रीवास्तव - श्रीनिवास वागले के रूप में: प्रभाकर के भाई; राधिका के पति; मनोज और राजेश के पिता; सखी और अथर्व के दादा। उनकी पुरानी चीज़ों के प्रति लगाव से उनकी पत्नी राधिका परेशान रहती हैं। वह कभी-कभी राधिका और वंदना से मूर्खतापूर्ण प्रश्न पूछता है। वह अक्सर बोरीवली की तुलना अपने प्रिय गृहनगर दादर से करते हैं। वह उदार, दयालु और मददगार है। उनका अन्ना के साथ झगड़ा हुआ था, जिन्होंने राजेश के प्रेम विवाह का विरोध किया था। (2021-वर्तमान)
भारती अचरेकर -
राधिका वागले (नी: गोखले) - अन्ना और रूबी की बहन; श्रीनिवास की पत्नी; मनोज और राजेश की माँ; सखी और अथर्व की दादी। वह अपने पति की पुरानी संपत्ति के प्रति प्रेम से तंग आ चुकी है, लेकिन फिर भी वह उससे प्यार करती है। वह बचपन में एक सोप ओपेरा अभिनेत्री बनना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। (2021–वर्तमान)
रूबी गोखले - राधिका की जुड़वां बहन, राजेश की चाची। (2022)
चिन्मयी साल्वी - सखी वागले के रूप में; राजेश और वंदना की बेटी; अथर्व की बड़ी बहन; गुनगुन और विवान की सबसे अच्छी दोस्त। उनका नाम राजेश की बचपन की क्रश मधुरा जोशी के नाम पर रखा गया है, जिन्हें वह प्यार से सखी कहते थे। वह बुद्धिमान और जिम्मेदार है लेकिन कभी-कभी विद्रोही भी हो जाती है। राजेश को यह पसंद नहीं है कि उसे अपने सबसे अच्छे दोस्त विवान पर क्रश है। वह कभी-कभी अपनी सहपाठी अन्विता से बुरी तरह प्रभावित होती है, जो इस बात से ईर्ष्या करती है कि विवान सखी के करीब आ रहा है। (2021–वर्तमान)
शीहान कपाही - अथर्व वागले के रूप में;राजेश और वंदना के बेटे; सखी का छोटा भाई; विद्युत का सबसे अच्छा दोस्त. वह एक शरारती लेकिन बुद्धिमान लड़का है। वह परिवार के लिए संकटमोचक है और अक्सर बड़ों की शिक्षाओं से अवांछित निष्कर्ष निकालता है। वह अपने परिवार से बहुत प्यार करता है। (2021–वर्तमान)
पुनरावर्ती
दीपक पारीक - माननीय सचिव एडवोकेट दक्षेश "दक्कू" जोशीपुरा के रूप में - साईं दर्शन हाइट्स सोसाइटी के जिद्दी सचिव; यामिनी का पति; किट्टू के दत्तक पिता। वह और उनका परिवार गुजराती हैं। वह अपने पांडित्यपूर्ण स्वभाव के कारण सभी को परेशान करता है। उनका एक मुहावरा है, "रूल्स मतलब रूल्स, फॉलो ना करे ते फ़ूल्स, फ़ूल्स गो बैक टू स्कूल्स!", उन्हें बच्चा न होने का अफसोस है लेकिन बाद में उन्होंने किट्टू नाम के एक अनाथ बच्चे को गोद ले लिया। (2021-वर्तमान)
मानसी जोशी -डॉ. यामिनी "यम" जोशीपुरा के रूप में नैवेद्य की बहन; दक्षेश की पत्नी; किट्टू की दत्तक माँ। वह एक थिएटर आर्टिस्ट हैं. वह अक्सर हिंदी और गुजराती नाटकों के उबाऊ और परेशान करने वाले संवाद बोलती हैं, जो दक्षेश के अलावा किसी को पसंद नहीं आते। यामिनी को अक्सर इस बात का अफसोस रहता है कि उनके बच्चे नहीं हैं लेकिन बाद में उन्होंने किट्टू नाम की एक लड़की को गोद ले लिया। वह किट्टू को प्यार से परी कहकर बुलाती है।(2021–वर्तमान)
अमित सोनी - हर्षद अग्रवाल के रूप में: वागल्स के पड़ोसियों में से एक; राजेश का घनिष्ठ मित्र; ज्योति के पति; गुनगुन और विद्युत के पिता। वह एक अमीर लेकिन अहंकारी शेयर बाजार व्यापारी है। वह व्यवसाय में लाभ पाने के लिए अक्सर भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल करता है और मुसीबत में फंस जाता है, जिससे राजेश उसे हमेशा सुधारता है और इसलिए उसे अपना गुरु मानता है। वह अक्सर ज्योति पर आधिपत्य रखता है और अपनी बेटी गुनगुन के बारे में रूढ़िवादी है और अपने दोस्त शिखर पर उसके क्रश को स्वीकार नहीं करता है। (2021-वर्तमान)।
ज्योति अग्रवाल (नी गुप्ता) के रूप में भक्ति चौहान - यामिनी और वंदना की दोस्त; हर्षद की पत्नी; गुनगुन और विद्युत की मां. जब भी हर्षद माउथ फ्रेशनर खा रहा होता है तो वह हमेशा वही अनुवाद करती है जो हर्षद कह रहा होता है। वह मददगार है और अक्सर अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की विलासिता का प्रदर्शन करती है। वह निर्दोष है और उसका पति अक्सर उसे अपने सभी आदेशों का पालन करने के लिए मजबूर करता है। वह अपना पर्स हमेशा असामान्य वस्तुओं से भरा रखती है। (2021–वर्तमान)
गुनगुन अग्रवाल के रूप में चार्मी धामी / प्राप्ति शुक्ला - ज्योति और हर्षद की बेटी; विद्युत की बहन; सखी की सबसे अच्छी दोस्त. शिकार की प्रेमिका. वह एक मददगार लड़की है लेकिन कभी-कभी अपने मित्र मंडली से प्रभावित हो जाती है। (2021–वर्तमान)
हितांशु नागिया विद्युत अग्रवाल के रूप में - ज्योति और हर्षद के बेटे; गुनगुन का भाई; अथर्व का सबसे अच्छा दोस्त। वह अपनी मां की तरह अपनी विलासिता का प्रदर्शन करना पसंद करता है और अक्सर परेशानी पैदा करने या शरारत करने पर मिलने वाली सजा को लेकर अथर्व का मजाक उड़ाता है। (2021–वर्तमान)
किट्टू जोशीपुरा के रूप में माही सोनी - दक्षेश और यामिनी की दत्तक बेटी। हैदराबाद के एक अनाथालय से उसका अपहरण करने वाले बाल तस्करी गिरोह से बचकर वह साईं दर्शन हाइट्स पहुंची। उसे बचा लिया गया है, और दक्षेश और यामिनी ने उसे कानूनी रूप से गोद ले लिया है। (2022-वर्तमान)
विवान द्विवेदी के रूप में नमित शाह - सखी के कॉलेज के सबसे अच्छे दोस्त; अन्विता का बॉयफ्रेंड. उनका पालन-पोषण अमेरिका में हुआ। राजेश को उस पर सखी का प्रेमी होने का संदेह है, जबकि वह नहीं है; लेकिन सखी को उस पर क्रश है। वह मददगार है और उसका दृष्टिकोण सकारात्मक है। (2021-वर्तमान)
चंदू परब के रूप में सूर्यकांत गोवले - राजेश के कूरियर कार्यालय में एक स्टाफ सदस्य जो हमेशा उनकी मदद करता है। (2021-वर्तमान)
नयन शुक्ला - घनश्याम दासानी - राजेश के कूरियर कार्यालय में एक स्टाफ सदस्य। वह अपने ऑफिस के काम के प्रति आलसी है और हमेशा सबके टिफिन से खाना खाता है। वह एक स्वार्थी लेकिन मजाकिया व्यक्ति है जो राजेश से ईर्ष्या करता है और दूसरों द्वारा किए गए काम का श्रेय लेने की कोशिश करता है। (2021-वर्तमान)
किआरा तेजवानी के रूप में अंजू जाधव - कूरियर सेवा पी2पी ग्लोकल की सीईओ; तेजवानी की बेटी; निक की प्रेमिका. वह ठंडे दिल और सख्त होने का दिखावा करती है लेकिन प्यारी है। वह अपने कर्मचारियों की समस्याओं को समझती हैं। बीआरएस बैंक घोटाले के बाद, उन्होंने कंपनी को ग्लोकल पैकर्स कंपनी के मालिक हैरी खत्री को बेच दिया; (2021-वर्तमान)
विनायक केतकर मनीष मार्फतिया के रूप में - सिलवासा में ट्रीट रिज़ॉर्ट के होटल प्रबंधक। वह हमेशा कहता है, "मैं जानता हूं, मैं जानता हूं", तब भी जब वह कुछ नहीं जानता। बाद में उन्होंने रिसॉर्ट मैनेजर के पद से इस्तीफा दे दिया और पी2पी मैक्स कूरियर सर्विस कंपनी में शामिल हो गए। (2021-वर्तमान)
खुशाली जरीवाला मुनमुन चटर्जी के रूप में - ट्रीट रिज़ॉर्ट में कैटरिंग मैनेजर, और मनीष मारफतिया की प्रेमिका। वह बचा हुआ खाना गरीब लोगों को दे देती हैं। दक्षेश द्वारा उस पर अक्सर चोरी का आरोप लगाया जाता था जब उसका परिवार रिसॉर्ट में रहता था।(2021)
आशा टिपनिस के रूप में उर्मिला काटकर - साईं दर्शन हाइट्स सोसाइटी की नौकरानी; दिलीप की पत्नी; कोमल और काव्या की माँ। वह गपशप की शौकीन है और अंग्रेजी सीखने की कोशिश कर रही है। (2021-वर्तमान)
गणपत राव तिवारी के रूप में सत्यव्रत मुद्गल - साईं दर्शन हाइट्स सोसाइटी का चौकीदार जिसे दक्षेश अक्सर डांटता है। (2021-वर्तमान)
ध्वनि हेतल परमार कोमल टिपनिस के रूप में - आशा और दिलीप की बेटी; काव्या की बहन (2021-वर्तमान)
निकेश "निक" अग्रवाल के रूप में अमित वर्मा - हर्षद का चचेरा भाई; कियारा का लव-इंटरेस्ट. वह अमेरिका में रहते हैं और राजेश की सहकर्मी कियारा तेजवानी के साथ अरेंज मैरिज के प्रस्ताव के लिए भारत आए थे। (2022-वर्तमान)
महादेवी त्रिपाठी के रूप में प्रीति कोचर - वंदना की चाची; सखी और अथर्व की दादी। जब वंदना अनाथ हो गई तो उन्होंने और उनके पति ने उनका पालन-पोषण किया। वह लगातार वंदना को नौकरी करने के लिए कह रही है, ताकि वह भी अपने परिवार में आर्थिक योगदान दे सके और दूसरी रोटी कमाने वाली बन सके। (2022-वर्तमान)
अन्विता जैन के रूप में रिया सोनी - विवान की प्रेमिका; सखी की कॉलेज फ्रेंड. वह हमेशा विवान का ध्यान आकर्षित करना चाहती है और सखी के साथ उसकी दोस्ती को लेकर असुरक्षित है। वह कभी-कभी ईर्ष्या के कारण सखी पर बुरा प्रभाव डालती है।(2021–वर्तमान)
शिखर पटेल के रूप में सुशांत सिंह - सखी के कॉलेज मित्र; गुनगुन का प्रेमी।(2021–वर्तमान)
सौमिल आहूजा के रूप में नबील पारकर - सखी और गुनगुन के कॉलेज मित्र; तृप्ति का भतीजा। (2021–वर्तमान)
माया अहलावत के रूप में अंबर बेदी - वंदना के कॉलेज मित्र, राजेश के प्रतिद्वंद्वी और पी2पी ग्लोकल पैकर्स स्टाफ सदस्य। पहले वह एक पत्रकार थी और उसने अनजाने में वंदना और राधिका के बीच दरार पैदा कर दी थी, लेकिन बाद में राजेश और उसके दोस्तों ने उसे सबक सिखाया, जिसके बाद उसने अपना रास्ता सुधार लिया। हालाँकि, कुछ दिनों बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया और उसका तलाक भी हो गया, इसलिए वह राजेश से बदला लेने के लिए पी2पी ग्लोकल पैकर्स में शामिल हो गई क्योंकि वह उसे अपनी किस्मत के लिए दोषी मानती थी। इसके बाद वह हमेशा राजेश और उसके साथियों को मुसीबत में डालने की कोशिश करती रहती है।(2021–2022)
हैरी खत्री के रूप में विकास ग्रोवर - तेजवानी की कंपनी पी2पी मैक्स कूरियर को अपनी पिछली कंपनी ग्लोकल पैकर्स के साथ विलय करने के बाद, वह कूरियर सेवा पी2पी ग्लोकल के मालिक थे। उन्होंने कंपनी छोड़ दी लेकिन पी2पी मैक्स (2022-वर्तमान)
अर्जुन स्वरूप के रूप में प्रभाकर सिन्हा - एक होटल कर्मचारी और ट्रीट रिज़ॉर्ट में मिस्टर मार्फटिया के जूनियर। (2021)
श्री तेजवानी के रूप में सुहैल इकबाल -राजेश के बॉस और कियारा के पिता। वह पी2पी मैक्स कूरियर कंपनी के पिछले मालिक हैं, लेकिन अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं और तलाकशुदा हैं। कंपनी अब उनकी बेटी कियारा चलाती है।(2021)
नयना आप्टे जोशी किशोरी के रूप में - राधिका की सबसे अच्छी दोस्त। (2021-वर्तमान)
तूलिका पटेल तृप्ति आहूजा के रूप में - हर्षद की पूर्व प्रेमिका; सौमिल की मौसी.(2021-2022).
तुषार दलवी के रूप में अक्षय शर्मा - अथर्व सहपाठी। (2023)
ख़ुशी ताराचंद के रूप में मिल्की श्रीवास्तव - अथर्व और विद्युत सहपाठी। (2022–वर्तमान)
विपुल देशपांडे - मनोज वागले - श्रीनिवास और राधिका के बड़े बेटे; राजेश के बड़े भाई, सखी और अथर्व के चाचा; विद्या के पूर्व प्रेमी (2023-वर्तमान)
विद्या कुलकर्णी के रूप में सुनकन्या सुर्वे; मनोज की पूर्व प्रेमिका, एक तलाकशुदा, जिसने अपने बेटे के समर्थन से एक बुरी शादी को पीछे छोड़ दिया (2023-वर्तमान)
अतिथि उपस्थिति
रेखा गोंधलेकर के रूप में निमिषा वखारिया - राधिका की पुरानी नौकरानी। उसने ₹ 50 मिलियन की लॉटरी जीती, और राधिका का घर छोड़ने के बाद बेहद अमीर हो गई।(2021)
बालकृष्ण 'अन्ना' गोखले के रूप में देवेन भोजानी - राधिका और रूबी के बड़े भाई, जो 18 साल तक श्रीनिवास के साथ बातचीत नहीं करते थे। वह राजेश और वंदना के प्रेम विवाह के खिलाफ था. श्रीनिवास ने उनसे रिश्ता तोड़ लिया. लेकिन बाद में, अन्ना को एहसास हुआ कि वंदना एक आदर्श पत्नी है। वह श्रीनिवास के साथ अपने बंधन दोबारा जोड़ता है और इस तरह, चीजें सुलझ जाती हैं। (2021)
रणदीप वालिया के रूप में मानस शाह - लोकप्रिय टीवी अभिनेता; प्रिया का भाई. वह शूटिंग के लिए ट्रीट रिजॉर्ट आए थे। उनकी बहन, डॉ. प्रिया वालिया, सखी की तरह दिखती थीं और उनकी मृत्यु कोविड-19 के कारण हुई। (2021)
श्रीमती के रूप में अमिता खोपकर वालिया - प्रिया और रणदीप की माँ।(2021)
ओजस रावल नैवेद्य मेहता के रूप में - यामिनी के भाई। वह सिलवासा में स्थित ट्रीट रिज़ॉर्ट के मालिक हैं। वह दक्षेश और सभी साईं दर्शन हाइट्स निवासियों का मज़ाक उड़ाता है। उसे सिर्फ अपनी बहन की परवाह है. वह दक्षेश को चिढ़ाते हुए 'मेंदक्षेश' कहकर बुलाते हैं।(2021-2022)
गुलाबदास रावल के रूप में कल्पेश चौहान - ट्रीट रिज़ॉर्ट के सह-मालिक। (2021)
आशका के रूप में अपूर्वा गोरे - निशांत की पत्नी। उन्होंने और उनके मंगेतर निशांत ने लॉकडाउन प्रतिबंधों के बीच ट्रीट रिज़ॉर्ट में शादी की। (2021)
निशांत के रूप में विवेक कौल - आशका के पति। उन्होंने और उनकी मंगेतर आशका ने लॉकडाउन प्रतिबंधों के बीच ट्रीट रिज़ॉर्ट में शादी की। (2021)
जेमी पॉल के रूप में बख्तियार ईरानी - एक पेशेवर फोटोग्राफर जो सखी को एक प्रसिद्ध मॉडल बनाने के नाम पर उससे छेड़छाड़ करता है। (2023)
रवि "रिंकू" सिन्हा के रूप में अभिषेक अवस्थी - वंदना के चचेरे भाई; रघु के पिता. वह एक किसान है और इसी बात से अथर्व से चिढ़ता है। हालाँकि, अथर्व अपने अतीत को जानकर उसके साथ सामंजस्य बिठाता है। बाद में पता चला कि वह एक प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक हैं। (2022)
मधुरा जोशी अर्चना वागले चिनॉय के रूप में - प्रभाकर की बेटी; राजेश का चचेरा भाई; विवेक की पत्नी. वह नासिक से राजेश की चचेरी बहन है जो अपनी सास की बीमारी के बाद शादी करने के लिए मुंबई आई थी। बाद में सखी की मदद से, उसने और विवेक ने अपने लालची ससुर के असली रूप के बारे में जानने के बाद शादी से भागने की कोशिश की, जो गुप्त रूप से उसके पिता पर दहेज के लिए दबाव डालता है। (2022)
विवेक चिनॉय के रूप में राहुल कृष्ण अरोड़ा - जनार्दन और सुकन्या के बेटे; अर्चना के पति. (2022)
जनार्दन चिनॉय के रूप में अरविंद वाही - सुकन्या के पति; विवेक के पिता. वह एक लालची व्यक्ति है जिसने गुप्त रूप से प्रभाकर पर दहेज के लिए दबाव डाला और अर्चना और विवेक की शादी मुंबई में कर दी। (2022)
सुकन्या चिनॉय के रूप में चैताली जाधव - जनार्दन की पत्नी; विवेक की माँ. वह अपने पति के खिलाफ खड़ी हुईं और अर्चना और विवेक की मदद की। (2022)
कल्याणी मौसी के रूप में अज्जी - वह राधिका के गांव से राजेश की दूर की चाची है, जो अपनी सोच में बहुत पारंपरिक है और जब वह साईं दर्शन हाइट्स सोसायटी में जाती है तो हमेशा नवीन सोच का ताना मारती है। (2021-2022)
अश्विन चित्रे के रूप में विनय येडेकर - राजेश का सबसे अच्छा दोस्त जिसने दुबई में एक व्यवसाय स्थापित किया और वर्षों से उससे बात नहीं की। (2021)
मोनिका पालेकर / सुकन्या पालेकर के रूप में सिमरन खन्ना - सुधीर की बेटी; राजेश का बचपन का दोस्त. वह एक मोटी लड़की थी और बचपन में राजेश द्वारा एक बार ताना मारने के बाद वह वजन कम करने के लिए प्रेरित हुई थी। (2021)
सूर्यकांत भोसले के रूप में उत्पल दशोरा - राजेश का दोस्त जिसने अपने जुनून का पालन किया और एक प्रसिद्ध चित्रकार बन गया। अब फ्रांस में बस गए। (2022)
नियति के रूप में पायल शर्मा - डिशवॉशर के विज्ञापन की निदेशक, जिसके लिए उन्होंने राधिका और वंदना को चुना। (2021)
अर्नव सचदेव के रूप में करण ग्रोवर - उन्होंने एक विज्ञापन में वंदना और राधिका के साथ अभिनय किया। (2021)
इंस्पेक्टर एम.त्रिपाठी के रूप में देवेन्द्र मिश्रा।
डॉ. प्रभा शाह के रूप में अदिति सनवाल - गुनगुन की डॉक्टर। वह छह साल के लड़के की विधवा मां हैं क्योंकि उन्होंने अपने पति को कोविड-19 के कारण खो दिया था। गलतफहमी के कारण हर्षद अग्रवाल की एक पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकियों के कारण उसने आत्महत्या का प्रयास किया। (2022)
सखी वारगे के रूप में अदा खान : सखी की दोस्त और डांसर टीचर। (2023)
एसीपी/डीसीपी तेजस्वी देशपांडे के रूप में नेहा डंडाले (2023)
करण शर्मा पुलकित शर्मा के रूप में - (न्यू साईं दर्शन हाइट्स सोसाइटी) (2023)
बेगम चोरनी के रूप में राखी सावंत
बादशाह चोर के रूप में केतन सिंह
हीरो-गायब मोड ऑन में इंस्पेक्टर अदिति जामवाल के रूप में तुनिषा शर्मा
मैडम सर में इंस्पेक्टर हसीना मलिक के रूप में गुल्की जोशी । वह समाज में लड़कियों की सुरक्षा के महत्व को समझाने के लिए एपिसोड 291 में दिखाई दीं।
कोयल रॉय के रूप में सिंपल कौल - जिद्दी दिल माने ना से पराक्रम एसएएफ के कैडेट।
निर्भय ठाकुर निखिल रॉय के रूप में - जिद्दी दिल माने ना से कोयल के बेटे।
करण वीर मेहरा अभय के रूप में - जिद्दी दिल माने ना से कोयल के पति।
जिद्दी दिल माने ना में शालीन मल्होत्रा स्पेशल एजेंट करण शेरगिल के रूप में।
डॉ. मोनामी महाजन के रूप में कावेरी प्रियम - पराक्रम एसएएफ की कैडेट और ज़िद्दी दिल माने ना में कोयल की दोस्त।
पुष्पा इंपॉसिबल में पुष्पा पटेल के रूप में करुणा पांडे
क्रॉसओवर
द बिग शनिवार, 9 अक्टूबर 2021 को उस समय प्रसारित होने वाले सभी सोनी सब ( तारक मेहता का उल्टा चश्मा को छोड़कर) शो का क्रॉसओवर है, जिसे बढ़ावा देने के लिए सोनी सब शनिवार को भी अपने शो प्रसारित कर रहा है।
द बिग शनिवार सोनी सब ( तारक मेहता का उल्टा चश्मा को छोड़कर ) के सभी शो का क्रॉसओवर है, जो पराक्रम एसएएफ ( ज़िद्दी दिल माने ना ) में दिवाली के अवसर पर 20 नवंबर 2021 को प्रसारित होता है और अपने कैडेट कोयल रॉय को भागने में मदद करता है। उसके पति।
शाम शानदार नए साल का विशेष एपिसोड है, ज़िद्दी दिल माने ना और मैडम सर के साथ 31 दिसंबर 2021 को एक घंटे का विशेष एपिसोड।
12 सितंबर 2022 से 13 सितंबर 2022 और 1 जुलाई 2023 तक पुष्पा इंपॉसिबल के साथ दो क्रॉसओवर
संदर्भ
सब टीवी के कार्यक्रम
भारतीय टेलीविजन धारावाहिक | 3,261 |
436433 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A4%A8 | संविधान संशोधन | विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को संशोधन (amendment) कहते हैं। सभा या समिति के प्रस्ताव के शोधन की क्रिया के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है। किसी भी देश का संविधान कितनी ही सावधानी से बना हुआ हो किंतु मनुष्य की कल्पना शक्ति की सीमा बँधी हुई है। भविष्य में आनेवाली और बदलनेवाली सभी परिस्थितियों की कल्पना वह संविधान के निर्माणकाल में नहीं कर सकता; अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों की गुत्थियों के कारण भी संविधान में संशोधन, परिवर्तन करना वांछनीय एवं आवश्यक हो जाता है।
संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख लिखित संविधान का आवश्यक अंग माना गया है। गार्नर के शब्दों में 'कोई भी लिखित संविधान इस प्रकार के उपबंधों के बिना अपूर्ण है'। संविधान के गुणावगुण परखने की कसौटी भी संशोधन की प्रक्रिया है - प्रक्रिया सरल है अथवा कठोर है। कुछ देशों के संविधान का संशोधन विधिनिर्माण की साधारण प्रक्रिया के अनुसार ही होता है। ऐसे संविधानों को नमनीय या सरल संविधान कहते हैं। इस प्रकार के संविधान का सर्वोत्तम उदाहरण इंग्लैंड का संविधान है। कुछ संविधानों के संशोधन की प्रक्रिया के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया का आलंबन किया जाता है। यह प्रक्रिया जटिल एवं दुरूह होती है। ऐसे संविधान जटिल या अनममीय संविधान कहलाते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका का संविधान ऐसे संविधानों का सर्वोत्तम उदाहरण है। भारतीय गणतंत्र संविधान के संशोधन का कुछ अंश नमनीय है और कुछ अंश की अनमनीय प्रक्रिया है। इन दोनों विधियों को ग्रहण करने से देश के मौलिक सिद्धांतों का पोषण होगा और संविधान में परिस्थितियों के अनुकूल विकसित होने की प्रेरणाशक्ति भी होगी।
उद्देशिका बी एन राव ने बनाया है जिसे प.जवाहरलाल नेहरू ने पेश किया जिसे 22 जनवारी 1947 को स्वीकार किया गया है।
समर्थन
साधारणतया किसी सभा या समिति में किसी भी सदस्य को अपना मत प्रकट करने या कोई प्रस्ताव प्रेषित करने का अधिकार होता है। या जब किसी सभा के सदस्यों को सभा के विभिन्न पदों के लिए अलग-अलग व्यक्तियों को मनोनीत करने का अधिकार होता है, तब मनोनीत करनेवाले सदस्य के कार्य की पुष्टि दूसरे सदस्य के द्वारा होना अनिवार्य होता है। अत: एक सदस्य जब किसी प्रस्ताव को प्रेषित करता है या किसी सदस्य को किसी कार्य के लिए मनोनीत करता है, तब इस कार्य को संवैधानिक बनाने के लिए दूसरे सदस्य को इस कार्य का समर्थन या अनुमोदन करना पड़ता है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो उपयुक्त कार्य वैधानिक नहीं माने जाएँगे और वे कार्य शून्य घोषित किए जाएँगे।
संविधान संशोधन की प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन की दो प्रक्रियाओं का उल्लेख मिलता है। जो निम्न है -
1 - संसद के विशिष्ट बहुमत द्वारा संशोधन की प्रक्रिया
2 - संसद के विशिष्ट बहुमत और राज्य विधानमंडलों के अनुमोदन से संशोधन की प्रक्रिया
लेकिन संविधान संशोधन का एक तरीका और है जो निम्न है -
संसद के विशिष्ट बहुमत और राज्य विधानमंडलों के अनुमोदन से संशोधन की प्रक्रिया
यदि संविधान में दर्ज इन उपबन्धों से संबन्धित नियमों,क़ानूनों और व्यवस्थाओं में संशोधन करना है तो इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। यह उपबन्ध निम्न है -
1 - राष्ट्रपति का निर्वाचन
2 - राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति
3 - संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
4 - संघीय क्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय
5 - राज्यों की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
6 - संघीय नयायपालिका
7 - राज्यों में उच्च न्यायालय
8 - सातवीं अनुसूची में से कोई भी सूची
9 - संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व
10 - संघ तथा राज्यों में विधायी संबंध
संविधान के संशोधन के विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा पृथक-पृथक अपने कुल बहुमत तथा उपस्थित और मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होने के बाद उस विधेयक का राज्यों के कुल विधानमंडलों में से कम से कम आधे बहुमत द्वारा स्वीकृत होना चाहिए। फिर उस विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति मिलने पर उस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने पर वह विधेयक भी संविधान का अंग बन जाता है।
Report on Constitutional Amendment, Venice Commission (2009)
विधि
संविधान | 661 |
757555 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8%20%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%AA%E0%A4%B0 | चंद्र ध्रुवीय हाइड्रोजन मैपर | चंद्र ध्रुवीय हाइड्रोजन मैपर (Lunar Polar Hydrogen Mapper या LunaH-Map) 2018 में एक्सप्लोरेशन मिशन 1 में लांच होने वाली लूनर आइसक्यूब और लूनर फ्लैशलाइट के साथ-साथ 13 क्यूबसैट में से एक सैटेलाइट है। चंद्र ध्रुवीय हाइड्रोजन मैपर, चंद्र पानी की संभावित उपस्थिति की जांच में मदद करेगा। एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी को 2015 की शुरुआत में नासा द्वारा एक अनुबंध से सम्मानित किए जाने के बाद चंद्र ध्रुवीय हाइड्रोजन मैपर का विकास शुरू किया। इसका विकास करने के लिए 20 सदस्य छात्र की टीम बनायीं गयी।
लक्ष्य
चंद्र ध्रुवीय हाइड्रोजन मैपर का प्राथमिक उद्देश्य चंद्र दक्षिण ध्रुव की सतह के नीचे एक मीटर तक हाइड्रोजन की बहुतायत का नक्शा तैयार करना है।
इतिहास
इन्हें भी देखें
चंद्रमा के मिशन की सूची
सेलिन-2
लूनर फ्लैशलाइट
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
The Lunar Polar Hydrogen Mapper mission: Mapping hydrogen distribution in permanently shadowed regions of the Moon's South Pole. (Presentation to Lunar Exploration Analysis Group, 2015; PDF)
Interview with Craig Hardgrove on ASU Connections Podcast
अमेरिका के चन्द्र अभियानों की सूची | 166 |
783850 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%9F%20%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%AE%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%A1%20%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%201971 | भारतीय क्रिकेट टीम का इंग्लैंड दौरा 1971 | भारतीय क्रिकेट टीम के 1971 के सत्र में इंग्लैंड का दौरा किया और खेला 19 प्रथम श्रेणी फिक्सचर, 7 जीतने के, केवल एक और 11 ड्राइंग खोने।
भारत तीन टेस्ट मैच खेले और आश्चर्यजनक रूप से ड्रॉ की गई दो टेस्ट मैचों के साथ इंग्लैंड को 1-0 के खिलाफ सीरीज जीत ली। यह भारत की पहली श्रृंखला में इंग्लैंड में जीत थी। लॉर्ड्स में पहले टेस्ट और ओल्ड ट्रैफर्ड में दूसरे टेस्ट ड्रॉ किया गया। भारत पहली पारी पर पीछे रहने के बाद 71/4 विकेट से द ओवल में तीसरे टेस्ट में ऐतिहासिक जीत खींच लिया। वे केवल 101 भागवत चंद्रशेखर का दावा 6-38 के साथ दूसरी पारी में इंग्लैंड के लिए बाहर गेंदबाजी की।
भारतीय टीम अजीत वाडेकर की कप्तानी की थी। वाडेकर और चंद्रशेखर इसके अलावा, टीम दिलीप सरदेसाई, श्रीनिवासराघवन वेंकटराघवन, गुंडप्पा विश्वनाथ, बिशन सिंह बेदी और युवा सुनील गावस्कर में अन्य उल्लेखनीय खिलाड़ियों में शामिल थे। फारूख इंजीनियर, जिन्होंने लंकाशायर के साथ एक अनुबंध किया था, टेस्ट और कुछ अन्य मैचों के लिए उपलब्ध कराया गया था।
पृष्ठभूमि
दक्षिण अफ्रीका के साथ टेस्ट क्रिकेट से बाहर, इंग्लैंड बेशक दुनिया में सबसे अच्छा क्रिकेट टीम समय के इस मोड़ पर था। इससे पहले गर्मियों में, वे था अनायास करने में कामयाब रहे हार पाकिस्तान 1-0 लेकिन में आने श्रृंखला इंग्लैंड गए थे 24 परीक्षण के बिना हार। वे इसे एक रिकार्ड तीसरा टेस्ट हारने से पहले 26 टेस्ट मैचों के लिए विस्तार करने के लिए कर रहे थे।
भारत 1968 तक विदेश में एक टेस्ट नहीं जीता था और इंग्लैंड के उनके पिछले छह टेस्ट दौरों में कोई सफलता मिली थी। बहरहाल, नए कप्तान के तहत अजीत वाडेकर, भारत ने वेस्ट इंडीज एक श्रृंखला के शुरू में 1971 में पराजित किया। उस श्रृंखला में जीत की बल्लेबाजी के आसपास का निर्माण किया गया था सुनील गावस्कर और दिलीप सरदेसाई जो क्रमश: 774 और 642 रन बनाए। चंद्रशेखर वेस्टइंडीज श्रृंखला से एक विवादास्पद चूक गया था। मुख्य चयनकर्ता विजय मर्चेंट इंग्लैंड के दौरे के लिए उनके शामिल किए जाने के लिए "एक गणना जुआ" कहा जाता है।
पार्टी के दौरा
अजीत वाडेकर (कप्तान)
श्रीनिवास वेंकटराघवन (उपकप्तान)
अब्बास अली बेग
आबिद अली
बिशन सिंह बेदी
भागवत चंद्रशेखर
फारूख इंजीनियर
सुनील गावस्कर
डी गोविंदराज
कश्मीर जयंतीलाल
सैयद किरमानी
पोचिः कृष्णमूर्ति
अशोक मांकड़
इरापल्ली प्रसन्ना
दिलीप सरदेसाई
एकनाथ सोलकर
गुंडप्पा विश्वनाथ
हेमू अधिकारी (मैनेजर)
एम एल जयसिंह, सलीम दुरानी और रुसी जीजीभोय टीम है कि वेस्ट इंडीज के दौरे से बाहर रखा गया।
टेस्ट मैचेस
पहला टेस्ट: भारत बनाम इंग्लैंड (22–27 जुलाई)
तुम भी याद करने के लिए युवा हो सकता है, लेकिन 1971 में एक टेस्ट मैच के दौरान, मैं इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जॉन स्नो से टकरा गई और मेरी बल्लेबाजी को खो दिया। स्नो इसे उठाया और यह मेरे लिए सौंप दिया। लेकिन समय पर, कई पत्र लिखा था कि हिम मुझ पर बल्लेबाजी दराज था। यह सब देखने की अपनी बात है, या क्या आप को चित्रित करने की कोशिश कर रहे हैं पर निर्भर करता है .... – सुनील गावस्कर चित्र
इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जॉन स्नो इंग्लैंड की पहली पारी को बचाया जब वह 183/7 पर आए थे और 304 अप करने के लिए कुल फहराने के लिए 73 कर दिया। इस स्नो के सर्वोच्च टेस्ट और बराबर उच्चतम प्रथम श्रेणी स्कोर था, लेकिन वह कम से एक सदी के अपने लड़कपन सपने को साकार करने के लिए नहीं निराश था लॉर्ड्स जब वह गुगली एक चंद्रशेखर से पकड़ा गया था। भारत चौथी पारी में जीत के लिए 183 की जरूरत है जब स्नो सलामी बल्लेबाज अशोक मांकड़ 8 के लिए नॉट द्वारा पकड़ा था और भारत 21-2 जब सुनील गावस्कर मिड विकेट के लिए गेंद को मारने के बाद एक त्वरित एकल के लिए बुलाया गया था। स्नो की गेंद के लिए चला गया और उस पर दस्तक दी, "मैं लॉर्ड्स में समिति के कमरे से खेल देख हर किसी के चेहरे पर आतंक की कल्पना कर सकता है"। वे दोनों रिहाई थे और खेल के साथ जारी रखा, और हिमपात उसे वापस गावस्कर का बल्ला फेंक दिया। इसी तरह की एक घटना क्लाइव लॉयड के साथ 1967-68 में जॉर्ज टाउन में हुआ था, लेकिन 5'4 वेस्टइंडीज जो भूमि पर स्नो खटखटाया "भारतीय 6'4 तुलना में कहीं अधिक सहानुभूति प्राप्त"। दूर से घटना बहुत बुरा लग रहा था और धीमी गति टेलीविजन पर बार-बार दोहराई गई थी। एक मीडिया हंगामा शुरू हो गयी और प्रेस के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की। फिर से खेलना बीबीसी वृत्तचित्र क्रिकेट के साम्राज्य के भारतीय प्रकरण में देखा जा सकता है और यह निश्चित रूप से प्रकट होता है कि हिम बेतहाशा गावस्कर में घुस आए। कई बल्ला उसे पहली जगह में दस्तक से अधिक से पीठ के फेंकने के बारे में अधिक से नाराज थे। दोपहर के भोजन पर स्नो ड्रेसिंग रूम में लौट आए और चयनकर्ताओं एलेक बेडसेर के अध्यक्ष के लिए माफी मांगी और गावस्कर करने के लिए ऐसा करने का वादा किया है जब एक नाराज माइक ग्रिफिथ में आरोप लगाया और चिल्लाया "यह सबसे घृणित बात मैं कभी मैदान पर देखा है"। इलिंगवर्थ उसे बाहर ले गया और हिमपात इंतजार कर रहे थे जब तक कि वह लंच के बाद गावस्कर के लिए माफी मांग से पहले शांत था। जब वह बाद में फिर से खेलना देखा उन्होंने कहा, "ओह ठीक है, दृश्य अभी तक भी मेरे बिना शांत वैसे भी हो गया है" और महसूस किया कि वह नहीं टाल सकता दूसरे टेस्ट के लिए छोड़ा जा रहा है। खेल भारत के साथ बंद हुआ था बारिश 38 रन की जरूरत को जीतने के लिए है, लेकिन इंग्लैंड की जीत के लिए केवल दो विकेट चाहते हैं।
दूसरा टेस्ट: भारत बनाम इंग्लैंड (5–10 अगस्त)
तीसरा टेस्ट: भारत बनाम इंग्लैंड (19–24 अगस्त)
बर्फ तीसरे टेस्ट के लिए लौट आए और एक बाउंसर कि उसकी ठोड़ी के नीचे ज़िपित और उस पर गिर बनाया के साथ गावस्कर के चेन और पदक फाड़ दिया। उन्होंने पहली पारी में 6 के लिए भारतीय गेंदबाजी की और उसे दूसरे में शून्य पर पगबाधा किया था, लेकिन यह भारत टेस्ट और चार विकेट से श्रृंखला जीतने को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था। यह बिना किसी नुकसान के 26 टेस्ट मैचों में से इंग्लैंड की रन समाप्त हो गया।
सन्दर्भ | 1,022 |
755275 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%81 | यारु | यारु पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के डेरा ग़ाज़ी ख़ान ज़िले का एक कस्बा और यूनियन परिषद् है। यहाँ बोले जाने वाली प्रमुख भाषा पंजाबी है, जबकि उर्दू प्रायः हर जगह समझी जाती है। साथ ही अंग्रेज़ी भी कई लोगों द्वारा काफ़ी हद तक समझी जाती है। प्रभुख प्रशासनिक भाषाएँ उर्दू और अंग्रेज़ी है।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
पाकिस्तान के यूनियन काउंसिल
पाकिस्तान में स्थानीय प्रशासन
पंजाब (पाकिस्तान)
डेरा ग़ाज़ी ख़ान ज़िला
बाहरी कड़ियाँ
D.G। खान जिले के यूनियन परिषदों की सूची
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ़ स्टॅटिस्टिक्स की आधिकारिक वेबसाइट-1998 की जनगणना(जिलानुसार आँकड़े)
डेरा ग़ाज़ी ख़ान ज़िले के यूनियन परिषद्
पाकिस्तानी पंजाब के नगर | 102 |
434176 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8 | योग का इतिहास | योग की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है और इसकी उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हुई थी। ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। अर्थात प्राचीनतम धर्मों या आस्थाओं (faiths) के जन्म लेने से काफी पहले योग का जन्म हो चुका था। योग विद्या में शिव को "आदि योगी" तथा "आदि गुरू" माना जाता है।
भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतञ्जलि ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया। इस रूप को ही आगे चलकर सिद्धपंथ, शैवपंथ, नाथपंथ, वैष्णव और शाक्त पंथियों ने अपने-अपने तरीके से विस्तार दिया।
योग से सम्बन्धित सबसे प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्य सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त वस्तुएँ हैं जिनकी शारीरिक मुद्राएँ और आसन उस काल में योग के अस्तित्व के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। योग के इतिहास पर यदि हम दृष्टिपात करे तो इसके प्रारम्भ या अन्त का कोई प्रमाण नही मिलता, लेकिन योग का वर्णन सर्वप्रथम वेदों में मिलता है और वेद सबसे प्राचीन साहित्य माने जाते है। योग की शुरुआत भारत में हुई थी, आज के समय में भारत देश के कई राज्यों में योग में ध्यान दिया जा रहा है जिसमे सबसे आगे उत्तराखंड राज्य है, उत्तराखंड के ऋषिकेश को योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है
नीचे विभिन्न कालों में योग के प्रचलन की स्थिति को रेखांकित किया गया है।
पूर्व वैदिक काल (ईसा पूर्व 3000 से पहले)
अभी हाल तक, पश्चिमी विद्वान ये मानते आये थे कि योग का जन्म करीब 500 ईसा पूर्व हुआ था जब बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में जो उत्खनन हुआ, उससे प्राप्त योग मुद्राओं से ज्ञात होता है कि योग का चलन 5000 वर्ष पहले से ही था।
वैदिक काल (3000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व)
वैदिक काल में एकाग्रता का विकास करने के लिए और सांसारिक कठिनाइयों को पार करने के लिए योगाभ्यास किया जाता था। पुरातन काल के योगासनों में और वर्तमान योगासनों में बहुत अन्तर है। इस काल में यज्ञ और योग का बहुत महत्व था। ब्रह्मचर्य आश्रम में वेदों की शिक्षा के साथ ही शस्त्र और योग की शिक्षा भी दी जाती थी।
यस्मादृते न सिध्यति यज्ञो विपश्चितश्चन। स धीनां योगमिन्वति॥''' ( ऋक्संहिता, मंडल-1, सूक्त-18, मंत्र-7)
अर्थात- योग के बिना विद्वान का भी कोई यज्ञकर्म सिद्ध नहीं होता। स घा नो योग आभुवत् स राये स पुरं ध्याम। गमद् वाजेभिरा स न:॥' ( ऋग्वेद 1-5-3 )
अर्थात वही परमात्मा हमारी समाधि के निमित्त अभिमुख हो, उसकी दया से समाधि, विवेक, ख्याति तथा ऋतम्भरा प्रज्ञा का हमें लाभ हो, अपितु वही परमात्मा अणिमा आदि सिद्धियों के सहित हमारी ओर आगमन करे।
पूर्वशास्त्रीय काल (500 ईसा पूर्व से 200 ईसा पूर्व तक)
उपनिषदों, महाभारत और भगवद्गीता में योग के बारे में बहुत चर्चा हुई है। भगवद्गीता में ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग और राज योग का उल्लेख है। गीतोपदेश में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अर्जुन को योग का महत्व बताते हुए कर्मयोग, भक्तियोग व ज्ञानयोग का वर्णन करते हैं। गीता के चौथे अध्याय के पहले श्लोक में कृष्ण अर्जुन से कहते हैं-
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्।
विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्॥ ४.१
अर्थात् हे अर्जुन मैने इस अविनाशी योग को सूर्य से कहा था , सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकु से कहा।
इस अवधि में योग, श्वसन एवं मुद्रा सम्बंधी अभ्यास न होकर एक जीवनशैली बन गया था। उपनिषद् में इसके पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध हैं। कठोपनिषद में इसके लक्षण को बताया गया है-
तां योगमित्तिमन्यन्ते स्थिरोमिन्द्रिय धारणम्''
जैन और बौद्ध जागरण और उत्थान काल के दौर में यम और नियम के अंगों पर जोर दिया जाने लगा। यम और नियम अर्थात अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह, शौच, संतोष, तप और स्वाध्याय का प्रचलन ही अधिक रहा। यहाँ तक योग को सुव्यवस्थित रूप नहीं दिया गया था। 563 से 200 ई.पू. योग के तीन अंग - तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्राणिधान - का प्रचलन था। इसे 'क्रियायोग' कहा जाता है।
प्रसिद्ध संवाद, “योग याज्ञवल्क्य” में, जोकि बृहदारण्यक उपनिषद में वर्णित है, में याज्ञवल्क्य और गार्गी के बीच कई साँस लेने सम्बन्धी व्यायाम, शरीर की सफाई के लिए आसन और ध्यान का उल्लेख है। गार्गी द्वारा छांदोग्य उपनिषद में भी योगासन के बारे में बात की गई है।
शास्त्रीय काल (200 ईसा पूर्व से 500 ई)
इस काल में योग एक स्पष्ट और समग्र रूप में सामने आया। पतञ्जलि ने वेद में बिखरी योग विद्या को 200 ई.पू. पहली बार समग्र रूप में प्रस्तुत किया। उन्होने सार रूप योग के 195 सूत्र संकलित किए (देखें, योगसूत्र)। पतंजलि सूत्र का योग, राजयोग है। इसके आठ अंग हैं: यम (सामाजिक आचरण), नियम (व्यक्तिगत आचरण), आसन (शारीरिक आसन), प्राणायाम (श्वास विनियमन), प्रत्याहार (इंद्रियों की वापसी), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि। यद्यपि पतंजलि योग में शारीरिक मुद्राओं एवं श्वसन को भी स्थान दिया गया है लेकिन ध्यान और समाधि को अधिक महत्त्व दिया गया है। योगसूत्र में किसी भी आसन या प्राणायाम का नाम नहीं है।
इसी काल में योग से सम्बन्धित कई ग्रन्थ रचे गए, जिनमें पतंजलि का योगसूत्र, योगयाज्ञवल्क्य, योगाचारभूमिशास्त्र, और विसुद्धिमग्ग प्रमुख हैं।
मध्ययुग (500 ई से 1500 ई)
इस काल में पतंजलि योग के अनुयायियों ने आसन, शरीर और मन की सफाई, क्रियाएँ और प्राणायाम करने को अधिक से अधिक महत्व देकर योग को एक नया दृष्टिकोण या नया मोड़ दिया। योग का यह रूप हठयोग कहलाता है। इस युग में योग की छोटी-छोटी पद्धतियाँ शुरू हुईं।
आधुनिक काल
स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो के धर्म संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण में योग का उल्लेख कर सारे विश्व को योग से परिचित कराया। महर्षि महेश योगी, परमहंस योगानन्द, रमण महर्षि जैसे कई योगियों ने पश्चिमी दुनिया को प्रभावित किया और धीरे-धीरे योग एक धर्मनिरपेक्ष, प्रक्रिया-आधारित धार्मिक सिद्धान्त के रूप में दुनिया भर में स्वीकार किया गया।
हाल के दिनों में, टी. कृष्णमाचार्य के तीन शिष्यों, बी.के.एस आयंगर, पट्टाभि जोइस और टी.वी.के देशिकाचार विश्व स्तर पर योग को लोकप्रिय बनाया है।
११ दिसम्बर सन २०१४ को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में २१ जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था जिसे 193 देशों में से 175 देशों ने बिना किसी मतदान के स्वीकार कर लिया। यूएन ने योग की महत्ता को स्वीकारते हुए माना कि ‘योग मानव स्वास्थ्य व कल्याण की दिशा में एक सम्पूर्ण नजरिया है।’
इन्हें भी देखें
योग
योगसूत्र
हठयोग
जैन ध्यान
जैन धर्म में योग
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
योग : इसकी उत्पित्ति, इतिहास एवं विकास
योग
इतिहास | 1,069 |
536197 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%A1%20%E0%A4%8F.%E0%A4%8F%E0%A4%AB.%E0%A4%B8%E0%A5%80. | लीड्स युनाइटेड ए.एफ.सी. | लीड्स युनाइटेड लीड्स, वेस्ट यॉर्कशायर में एक अंग्रेज़ी फुटबॉल क्लब है। क्लब लीड्स सिटी एफसी को खत्म करने का पालन 1919 में गठन किया गया था फुटबॉल लीग द्वारा और उनके एल्लन्द् रोड स्टेडियम में पदभार संभाल लिया।
लीड्स युनाइटेड तीन फर्स्ट डिवीजन लीग खिताब, एक एफए कप और एक लीग कप जीत लिया है। सम्मान के बहुमत के 1960 के दशक और 1970 के दशक में डॉन रेविए के प्रबंधन के तहत जीते थे। क्लब मैनचेस्टर यूनाइटेड के साथ बहुत भयंकर प्रतिद्वंद्विता है, दोनों टीमों के बीच मैच अक्सर हिंसक हो गए हैं। लीड्स युनाइटेड सफेद वर्दी में खेलते हैं। क्लब बिल्ला व्हाइट न्यूयॉर्क के गुलाब और "lufc" सुविधाएँ.
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
10273,00.html आधिकारिक वेबसाइट
फुटबॉल क्लब
इंग्लैंड के फुटबॉल क्लब | 122 |
34910 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8 | केन्द्रीय हिन्दी संस्थान | केंद्रीय हिंदी संस्थान भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक उच्चतर शैक्षणिक एवं शोध संस्थान है। इसका मुख्यालय आगरा में है। इसके आठ केंद्र- दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर, दीमापुर, भुवनेश्वर तथा अहमदाबाद हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 में निहित दिशानिर्देशों के अनुरूप हिंदी को अपनी विविध भूमिकाएं निभाने में समर्थ और सक्रिय बनाने के उद्देश्य से और विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक स्तरों पर सुनियोजित अनुसंधान द्वारा शिक्षण-प्रशिक्षण, भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री निर्माण आदि को विकसित करने के लिए सन् 1960 में भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में की गई।
संस्थान का मुख्य कार्य हिंदी भाषा से संबंधित क्षैक्षणिक कार्यक्रम चलाना, शोध कार्य संपन्न करना एवं हिन्दी के प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है। प्रारंभ में संस्थान का प्रमुख कार्य अहिंदी भाषी क्षेत्रों के लिए योग्य, सक्षम एवं प्रभावकारी हिंदी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना था। परंतु बाद में हिंदी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्रों और प्रकार्यों को विस्तृत किया, जिसके अंतर्गत हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषा-परक शोध, भाषाविज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित करना प्रारंभ किया तथा विविध स्तरीय पाठ्यक्रमों, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ इत्यादि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया।
यह संस्थान हिंदी अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। संस्थान को उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। हिंदी भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में अपनी सार्थक भूमिका निभा सके, इस उद्देश्य एवं संकल्प के साथ संस्थान निरंतर कार्यरत है। अखिल भारतीय स्तर पर हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए भी संस्थान अथक प्रयास कर रहा है। संस्थान का मूलभूत उद्देश्य है कि भारतीय भाषाएँ एक दूसरे के निकट आएँ और सामान्य बोधगम्यता की दृष्टि से हिंदी इनके बीच सेतु का कार्य करे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चेतना, संस्कृति एवं उससे संबद्ध मूल तत्त्व हिंदी के माध्यम से प्रसारित ही न हों, बल्कि सुग्राह्य भी बनें।
स्थापना की पृष्ठभूमि
15 मार्च, 1951 को हिन्दी के प्रचार-प्रसार को व्यापक बनाने के उद्देश्य से भाषायी तथा सांस्कृतिक समस्याओं पर विस्तृत चर्चा के लिए भारत के प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेन्द्र प्रसाद के मार्गदर्शन में दिल्ली के लालकिले में अखिल भारतीय संस्कृति सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें सर्वसम्मति से निश्चय किया गया कि संविधान में निर्दिष्ट हिंदी को प्रशासनिक-माध्यम तथा सामाजिक-संस्कृति की वाहिका के रूप में विकसित करने के लिए अखिल भारतीय स्तर की एक संस्था स्थापित की जाए। तदनुसार मोटूरि सत्यनारायण तथा अन्य हिंदी सेवियों के प्रयत्न से सन् 1952 में 'अखिल भारतीय हिंदी परिषद्' की स्थापना आगरा में की गयी। पं. देवदूत विद्यार्थी संस्था के संचालक और श्री एम. सुब्रह्मण्यम् उनके सहायक थे।
परिषद् ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अखिल भारतीय हिंदी महाविद्यालय की स्थापना की। महाविद्यालय के प्राचार्य के रूप में प्रो. सत्येन्द्र की नियुक्ति की गई। महाविद्यालय में हिंदीतर राज्यों के सेवारत हिंदी प्रचारकों को हिंदी वातावरण में रखकर उन्हें हिंदी शिक्षण का विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए हिंदी पारंगत पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया। भवन न होने के कारण प्रारम्भ में शिक्षण कार्य नागरी प्रचारिणी सभा के भवन में शुरू हुआ और छात्रों के रहने का प्रबन्ध भी वहीं किया गया। आगरा विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सेवाभाव से महाविद्यालय में अध्यापन करते थे। बाद में तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय के सचिव श्री रमाप्रसन्न नायक द्वारा महाविद्यालय का अनुदान स्वीकृत कराया। इसके बाद परिषद् और महाविद्यालय विजय नगर कॉलोनी में किराए के भवन में कार्यरत हुए।
1959 में महाविद्यालय के वार्षिक समारोह में राज्यसभा के तत्कालीन उपाध्यक्ष श्री एस.वी. कृष्णमूर्ति ने अपने अध्यक्षीय भाषण में परिषद् के कार्यो की प्रशंसा की और उसे राष्ट्रीय शिक्षा का गुरूकुल बताते हुए कहा कि इस संस्थान को देश की शिक्षा व्यवस्था में महत्त्व मिलना चाहिए। उन्होंने ही तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री श्री के.एल. श्रीमाली को इस संस्था के विकास की सलाह दी।
19 मार्च, 1960 को शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने केंद्रीय हिंदी शिक्षण महाविद्यालय की स्थापना की और उसके संचालन के लिए 'केंद्रीय शिक्षण मंडल' नाम से एक स्वायत्त संस्था का गठन किया। केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल का पंजीकरण लखनऊ में 1 नवम्बर, 1960 को हुआ। केंद्रीय हिंदी मंडल के प्रथम अध्यक्ष श्री मो. सत्यनारायण मनोनीत किए गए।
मंडल के प्रमुख कार्य इस प्रकार निर्धारित किए गए-
हिंदी शिक्षकों को प्रशिक्षित करना।
हिंदी शिक्षण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए सुविधाएँ उपलब्ध करवाना।
उच्चतर हिंदी भाषा एवं साहित्य और भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी के तुलनात्मक भाषाशास्त्रीय अध्ययन के लिए सुविधाएँ उपलब्ध करवाना।
हिंदीतर प्रदेशो के हिंदी अध्येताओं की समस्याओं को सुलझाना।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 में उल्लिखित हिंदी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप के विकास के लिए प्रदत्त निर्देशों के अनुसार हिंदी को अखिल भारतीय भाषा के रूप में विकसित करने के लिए समुचित कार्यवाही करना।
भारत सरकार द्वारा केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल को अखिल भारतीय हिंदी प्रशिक्षण महाविद्यालय के संचालन का दायित्व सौंपा गया। 30 अप्रैल, 1961 को केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल की बैठक में निर्णय किया गया कि अखिल भारतीय हिंदी शिक्षण महाविद्यालय में हाईस्कूल, हायर सैकेण्डरी स्कूल और कॉलेजों तथा प्रशिक्षण-महाविद्यालयों के अध्यापकों के लिए तीन पाठ्यक्रम (१) हिंदी शिक्षण प्रवीण, (२) हिंदी शिक्षण पारंगत और (३) हिंदी शिक्षण निष्णात संचालित किए जाएं। साथ ही महाविद्यालय के निदेशक की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव पारित किया। मई, 1962 में महाविद्यालय के प्रथम निदेशक के रूप में डॉ. विनय मोहन शर्मा की नियुक्ति हुई।
इस महाविद्यालय का नाम 1 जनवरी 1963 को केंद्रीय हिंदी शिक्षण महाविद्यालय रखा गया जिसे दिनांक 29 अक्टूबर 1963 को संपन्न शासी परिषद् की बैठक में केंद्रीय हिंदी संस्थान कर दिया गया।
कार्यक्षेत्र और दायित्व
भारत सरकार ने 'मंडल' के गठन के समय जो प्रमुख प्रकार्य निर्धारित किए थे उन्हें तब से आज तक सतत कार्यनिष्ठा से संपन्न किया जा रहा है। केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के दिशा निर्देशन में संस्थान प्रमुखतः निम्नलिखित क्षेत्रों में कार्य करता हैः
हिंदी शिक्षण की अधुनातन प्रविधियों का विकास।
हिंदीतर क्षेत्रों के हिंदी अध्यापकों का प्रशिक्षण।
हिंदी भाषा और साहित्य का उच्चतर अध्ययन।
हिंदी का अन्य भारतीय भाषाओं तथा उनके साहित्यों के साथ तुलनात्मक और व्यतिरेकी अध्ययन।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 में उल्लिखित निर्देशों के अनुसार हिंदी का अखिल भारतीय भाषा के रूप में विकास और प्रचार-प्रसार।
शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रमों का ब्यौराः
हिंदीतर क्षेत्रों के हिंदी अध्यापकों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण।
हिंदीतर क्षेत्रों के हिंदी अध्यापकों के लिए पत्राचार द्वारा (दूरस्थ) शिक्षण-प्रशिक्षण।
विदेशी छात्रों के लिए द्वितीय एवं विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार।
सांध्यकालीन परास्नातकोत्तर अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, जनसंचार एवं हिंदी पत्रकारिता और अनुवाद विज्ञान पाठ्यक्रम।
नवीकरण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम।
हिंदीतर क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के सेवारत हिंदी अध्यापकों के लिए नवीकरण, उच्च नवीकरण एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम।
केंद्र/राज्य सरकार के तथा बैंकों आदि के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए नवीकरण, संवर्धनात्मक, कौशलपरक कार्यक्रम और कार्यालयीन हिंदी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम।
भाषा प्रयोगशाला एवं दृश्य - श्रव्य उपकरणों के माध्यम से हिंदी के उच्चारण का सुधारात्मक अभ्यास।
कंप्यूटर साधित हिंदी भाषा शिक्षण।
अन्य कार्य
संगोष्ठी, कार्यगोष्ठी, विशेष व्याख्यान, प्रसार व्याख्यान माला आदि का आयोजन।
संस्थान द्वारा प्रणीत, संपादित एवं संकलित पाठ्य सामग्री, आलेख, पाठ्य पुस्तकों
आदि का प्रकाशन।
हिंदी भाषा, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, तुलनात्मक साहित्य आदि से संबंधित शोधपूर्ण पुस्तक, पत्रिका का प्रकाशन।
हिंदी भाषा तथा साहित्य का अध्ययन - अध्यापन तथा अनुसंधान में सहायतार्थ समृद्ध पुस्तकालय।
हिंदी के प्रोत्साहन के लिए अखिल भारतीय प्रतियोगिताएँ। हिंदी सेवियों का सम्मान (हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार, शैक्षिक अनुसंधान, जनसंचार, विज्ञान आदि क्षेत्रों में कार्यरत हिंदी विद्वानों के लिए)।
समय - समय पर भारत सरकार द्वारा सौंपी जाने वाली हिंदी संबंधी परियोजनाएँ तथा राजभाषा विषयक अन्य कार्य।
अकादमिक विभाग
हिंदी के अंतर्राष्ट्रीय प्रचार-प्रसार की दिशा में पूर्वोक्त विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के लिये संस्थान के आगरा मुख्यालय में समय समय पर के विभिन्न विभागों की स्थापना की गई। वर्तमान में यहाँ निम्नलिखित अकादमिक विभाग स्थापित हैं-
अध्यापक शिक्षा विभाग
इस विभाग द्वारा हिंदीतरभाषी भारतीय शिक्षार्थियों और शिक्षण-प्रशिक्षणार्थियों के लिए निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैंः
हिंदी शिक्षण निष्णात (एम.एड. स्तरीय)
हिंदी शिक्षण पारंगत (बी.एड. स्तरीय)
हिंदी शिक्षण प्रवीण (डी.एड. स्तरीय)
त्रिवर्षीय हिंदी शिक्षण डिप्लोमा (नागालैंड के लिए)
विशेष गहन हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण पाठ्यक्रम
अंतरराष्ट्रीय हिंदी शिक्षण विभाग
इस विभाग द्वारा हिंदीतरभाषी विदेशी शिक्षार्थियों के लिए निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैंः
(क) हिंदी भाषा दक्षता प्रमाण-पत्र
(ख) हिंदी भाषा दक्षता डिप्लोमा
(ग) हिंदी भाषा दक्षता एडवांस डिप्लोमा
(घ) हिंदी भाषिक अनुप्रयोग दक्षता डिप्लोमा
(ङ) हिंदी शोध डिप्लोमा
अनुसंधान एवं भाषा विकास विभाग
इस विभाग द्वारा हिंदीतरभाषी विदेशी शिक्षार्थियों के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैंः
हिंदी शिक्षण की अधुनातन प्रविधियों का विकास।
हिंदी भाषा और साहित्य में मूलभूत और अनप्रयुक्त अनुसंधान।
हिंदी भाषा और अन्य भारतीय भाषाओं का व्यतिरेकी और तुलनात्मक अध्ययन।
प्रयोजनमूलक हिंदी संबंधी शोध कार्य।
हिंदी का समाज भाषावैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन।
हिंदी भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में अनुसंधान संचेतना का विकास।
विशेषज्ञतापूर्ण शोधोन्मुखी शिक्षण परामर्श।
पत्राचार विभाग
नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग
इस विभाग द्वारा हिंदीतरभाषी विदेशी शिक्षार्थियों के लिए निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैंः
उच्चनवीकरण पाठ्यक्रम
शिक्षक नवीकरण पाठ्यक्रम
प्रचारक नवीकरण पाठ्यक्रम
भाषा संचेतना विकास शिविर पाठ्यक्रम
संवर्धनात्मक पाठ्यक्रम
कौशलपरक पाठ्यक्रम
प्रयोजनमूलक हिंदी नवीकरण पाठ्यक्रम
दक्षतापरक नवीकरण कार्यक्रम
सूचना एवं भाषा प्रौद्योगिकी विभाग
सांध्यकालीन पाठ्यक्रम विभाग
परास्नातकोत्तर अनुप्रयुक्त हिंदी भाषा विज्ञान डिप्लोमा
परास्नातकोत्तर अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार डिप्लोमा
परास्नातकोत्तर अनुप्रयुक्त हिंदी भाषाविज्ञान एडवांस डिप्लोमा
परास्नातकोत्तर जनसंचार एवं पत्रकारिता डिप्लोमा
पूर्वोत्तर शिक्षण-सामग्री निर्माण विभाग
क्षेत्रीय-केंद्र
दिल्ली केंद्र
दिल्ली केंद्र की स्थापना वर्ष 1970 में हुई। सर्वप्रथम राजभाषा क्रियान्वयन योजना के लिए केंद्रीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए गहन हिंदी शिक्षण कार्यक्रम और विदेशों में हिंदी प्रचार-प्रसार के अंतर्गत विदेशियों के लिए हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए। कार्य की अधिकता के कारण वर्ष 1993 में विदेशियों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम की छात्रवृत्ति आधारित योजना आगरा मुख्यालय में स्थानांतरित कर दी गई।
वर्तमान में दिल्ली केंद्र में स्ववित्त पोषित योजना के अंर्तगत विदेशियों के लिए हिंदी पाठ्यक्रम, सांध्यकालीन पोस्ट एम.ए. अनुप्रयुक्त हिंदी भाषाविज्ञान डिप्लोमा, पोस्ट एम.ए. अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार डिप्लोमा तथा पोस्ट एम.ए. जनसंचार एवं पत्रकारिता पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं और पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर राज्यों के स्कूल एवं कॉलेज स्तर के हिंदी अध्यापकों के लिए 3 से 4 सप्ताह के नवीकरण पाठ्यक्रमों का आयोजन भी दिल्ली केंद्र द्वारा किया जाता है।
हैदराबाद केंद्र
हैदराबाद केंद्र की स्थापना वर्ष 1976 में हुई। शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अंतर्गत यह केंद्र स्कूलों/कॉलेजों एवं स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं के हिंदी अध्यापकों के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसमें हिंदी अध्यापकों को हिंदी के वर्तमान परिवेश के अंतर्गत भाषाशिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराया जाता है। वर्तमान में हैदराबाद केंद्र का कार्यक्षेत्र आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र एवं केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी एवं अण्डमान निकोबार द्वीप समूह हैं। हैदराबाद केंद्र पर हिंदी शिक्षण पारंगत पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाता है।
गुवाहाटी केंद्र
इस केंद्र की स्थापना वर्ष 1978 में हुई। इस केंद्र का उद्देश्य पूर्वांचल में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हिंदी के अध्यापकों एवं प्रचारकों के लिए हिंदी भाषा शिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराने के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण पाठ्यक्रमों का संचालन करना है। इस केंद्र का कार्य क्षेत्र असम, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम एवं नागालैंड राज्य है। इस केंद्र में इस शैक्षिक वर्ष से स्नातकोत्तर अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार डिप्लोमा के अतिरिक्त 'हिंदी शिक्षण प्रवीण' भी प्रारंभ किये गये हैं।
शिलांग केंद्र
इस केंद्र की स्थापना 1976 में हुई थी। 1978 में केंद्र गुवाहाटी स्थानांतरित कर दिया गया। पुन: इसकी स्थापना वर्ष 1987 में की गई। हिंदी के प्रचार-प्रसार के अंतर्गत शिलांग केंद्र हिंदी शिक्षकों के लिए नवीकरण (तीन सप्ताह का) पाठ्यक्रम और असम रायफ़ल्स के विद्यालयों के हिंदी शिक्षकों, केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हिंदी का कार्य साधक ज्ञान कराने के लिए 2-3 सप्ताह का हिंदी शिक्षणपरक कार्यक्रम संचालित करता है। इस केंद्र के कार्य क्षेत्र मेघालय, त्रिपुरा एवं मिजोरम राज्य हैं।
मैसूर केंद्र
मैसूर केंद्र की स्थापना वर्ष 1988 में हुई। केंद्र का प्रमुख कार्य हिंदी का शिक्षण-प्रशिक्षण एवं हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है। मैसूर केंद्र हिंदी के शिक्षण-प्रशिक्षण के अंतर्गत, प्राइमरी, हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट के हिंदी शिक्षकों के लिए हिंदी शिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराने के लिए 3-4 सप्ताह के लघुअवधीय नवीकरण पाठ्यक्रमों का आयोजन तथा विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के हिंदी अध्यापकों के लिए 2 सप्ताह के प्रयोजनमूलक पाठ्यक्रमों का संचालन करता है। केंद्र द्वारा प्रचार-प्रसार के अंतर्गत सरकारी अधिकारियों, अनुवादकों और वैज्ञानिकों के लिए 1 सप्ताह के राजभाषा, अनुवाद एवं तकनीकी पाठ्यक्रम भी चलाए जाते हैं। केंद्र का कार्यक्षेत्र पहले केवल कर्नाटक राज्य था। 1992 से इसके कार्यक्षेत्र में कर्नाटक राज्य के साथ केरल और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप भी शामिल कर दिए गए हैं।
दीमापुर केंद्र
इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2003 में हुई। दीमापुर केंद्र को पूर्णसत्रीय पाठ्यक्रम के अंतर्गत हिंदी शिक्षण प्रवीण व हिंदी शिक्षण विशेष गहन पाठ्यक्रमों के संचालन एवं मणिपुर व नागालैंड राज्य के हिंदी अध्यापकों के लिए नवीकरण कार्यक्रमों के संचालन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। इस केंद्र का कार्यक्षेत्र नागालैंड एवं मणिपुर राज्य है।
भुवनेश्वर केंद्र
इस केंद्र की स्थापना नवम्बर, 2003 में हुई। यहाँ नवीकरण पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं।
अहमदाबाद केंद्र
अहमदाबाद केंद्र की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। राज्य में सेवारत हिंदी शिक्षकों के लिए लघुअवधीय नवीकरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
संबद्ध प्रशिक्षण महाविद्यालय
हिंदी शिक्षक-प्रशिक्षण के स्तर को समुन्नत करने और राष्ट्रीय स्तर पर उसमें एकरूपता लाने के प्रयास में भारत सरकार के निर्देश पर देश के कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपने-अपने क्षेत्रों में हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालयों, संस्थाओं को स्थापित किया गया है और उन्हें संस्थान से संबद्ध किया है। इन संबद्ध महाविद्यालयों/संस्थाओं में प्रांतीय आवश्यकताओं के अनुरूप संस्थान के पाठ्यक्रम संचालित एवं आयोजित किए जाते हैं और संस्थान ही इन पाठ्यक्रमों की परीक्षाएँ नियंत्रित करता है। कुछ प्रमुख महाविद्यालयों/संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं-
राजकीय हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय, उत्तर गुवाहाटी (असम)
मिज़ोरम हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, आईजोल (मिज़ोरम)
राजकीय हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय, मैसूर (कर्नाटक)
राजकीय हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान, दीमापुर (नागालैंड)
परियोजनाएं
भाषा-साहित्य (सी.डी.) निर्माण परियोजना
अंतर्राष्ट्रीय मानक हिंदी पाठ्यक्रम परियोजना
हिंदी कार्पोरा परियोजना
हिंदी लोक शब्दकोश परियोजना
हिंदी विश्वकोश परियोजना
पूर्वोत्तर लोक साहित्य परियोजना
पूर्वोत्तर एवं अन्य हिंदीतर भारतीय भाषाओं के अध्येताकोशों का निर्माण
ऑनलाइन हिंदी शिक्षण
हिंदी भाषा सेतु
हिंदी विद्वान डेटाबेस
इन्हें भी देखें
हिन्दी
भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी
केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
केन्द्रीय हिंदी संस्थान का आधिकारिक जालपृष्ठ
केंद्रीय हिंदी संस्थान की विकास यात्रा
संस्थान, केन्द्रीय हिन्दी
संस्थान, केन्द्रीय हिन्दी
संस्थान, केन्द्रीय हिन्दी | 2,394 |
163073 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A4%BE%20%E0%A4%B5%E0%A4%9F%E0%A5%80 | चन्द्रप्रभा वटी | चन्द्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में लाभदायक होती है।
"चन्द्रप्रभा वटी " आयुर्वेद शास्त्र का एक ऐसा अद्भुत एवं गुणकारी योग है जो आज के युग में स्त्री-पुरुष दोनों वर्ग के लिए, किसी भी आयु में उपयोगी एवं लाभकारी सिद्ध होता है। "रस तंत्रसार व् सिद्ध प्रयोग संग्रह " तथा "आयुर्वेद-सारसंग्रह " नामक सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रंथों में चन्द्रप्रभा वटी की बहुत प्रशंसा की गयी है और वैद्य जगत भी चन्द्रप्रभा वटी को बहुत गुणकारी व् विश्वसनीय योग मानता है.
आयुर्वेदिक औषधि
चन्द्रप्रभा वटी बनाने की विधि: कपूर कचरी, वच, नागरमोथा, चिरायता, गिलोय, देवदारु, हल्दी, अतीस, दारुहल्दी, पीपलामूल, चित्रकमूल-छाल, धनिया, बड़ी हरड़, बहेड़ा, आँवला, चव्य, वायविडंग, गजपीपल, छोटी पीपल, सोंठ, कालीमिर्च, स्वर्ण माक्षिक, सज्जीखार, यवक्षार, सेंधा नमक, सोंचर नमक, साँभर लवण, छोटी इलायची के बीज, कबाबचीनी, गोखरू, और श्वेतचन्दन- प्रत्येक 3-3 ग्राम, निशोथ, दन्तीमूल, तेजपात, दालचीनी, बड़ी इलयाची, वंचलोचन- प्रत्येक 1-1 तोला, लौह भस्म 2 तोला, मिश्री 4 तोला, शुद्व शिलाजीत और शुद्ध गुग्गुलु 8 - 8 तोला लें। प्रथम गुग्गुलु को साफ़ करके लौह के इमामदस्ते में कूटे,जब गुग्गुलु नरम हो जाये तब उसमे शिलाजीत और भस्मे तथा अन्य द्रव्यों का कपड़छन चूर्ण मिला तीन दिन गिलोय के स्वरस में मर्दन कर, 3 -3 रत्ती की गोलियां बना ले - सि.यो.सं। | 206 |
936923 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%9F%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B5%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B9 | चटगांव विद्रोह | 18 अप्रैल 1930 को भारत के महान क्रान्तिकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में सशस्त्र भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा चटगांव (अब बांग्लादेश में) में पुलिस और सहायक बलों के शस्त्रागार पर छापा मार कर उसे लूटने का प्रयास किया गया था। इसे चटगांव शस्त्रागार छापा या चटगांव विद्रोह के नाम से जाना जाता है।
क्रांतिकारी समूह
सभी छापेमार, क्रांतिकारी समूहों के सदस्य थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता हासिल करने के साधनों के रूप में सशस्त्र विद्रोह का पक्ष लिया था। वे आयरलैंड के 1916 ईस्टर राइजिंग से प्रेरित थे और सूर्य सेन के नेतृत्व में थे। हालांकि, वे सोवियत रूस के कम्युनिस्ट विचारधारा से भी प्रभावित थे। बाद में इनमें से कई क्रांतिकारी कम्युनिस्ट बन गए। इस समूह में गणेश घोष, लोकेनाथ बाल, अंबिका चक्रवर्ती, हरिगोपाल बाल (तेग्रा), अनंत सिंह, आनंद प्रसाद गुप्ता, त्रिपुरा सेन, बिधुभूषण भट्टाचार्य, प्रीतिलाता वद्देदार, कल्पना दत्ता, हिमांशु सेन, बिनोद बिहारी चौधरी, सुबोध रॉय और मोनोरंजन भट्टाचार्य आदि शामिल थे।
योजना
सेन ने चटगांव के दो मुख्य शस्त्रागार लूटने, टेलीग्राफ और टेलीफोन कार्यालय को नष्ट करने और यूरोपीय क्लब के सदस्यों, जिनमें से अधिकांश सरकारी या सैन्य अधिकारी थे जो भारत में ब्रिटिश राज को बनाए रखने में शामिल थे, को बंधक बनाने की योजना बनाई थी। आग्नेयास्त्रों के खुदरा विक्रेताओं पर भी हमला किया जाने की योजना थी, इसके अलावा कलकत्ता से चटगांव को अलग करने के लिए रेल और संचार लाइनों को काटना था। चटगांव के सरकारी बैंकों को लुटकर आगे के विद्रोह के लिए धन इकट्ठा किया जाना था, और विभिन्न जेल में बन्द क्रांतिकारियों को मुक्त कराना था।
छापा
18 अप्रैल 1930, 10 बजे रात को योजना क्रियान्वित की गई। गणेश घोष की अगुआई में क्रांतिकारियों के एक समूह ने पुलिस शस्त्रागार (दंपारा में पुलिस लाइन में) कब्जा कर लिया, जबकि लोकेनाथ बाल के नेतृत्व में दस पुरुषों के एक समूह ने सहायक बल सेना (अब पुराना सर्किट हाउस) कब्जे मे ले लिया। भारतीय रिपब्लिकन सेना, चटगांव शाखा के नाम पर किए गए इस हमले में करीब 65 लोगों ने हिस्सा लिया था। इन लोगो ने गोला बारूद का पता लगाने में असफल रहे, हालांकि टेलीफोन और टेलीग्राफ तारों को काटने और ट्रेन की गतिविधियों में बाधा डालने में सफल रहे।
लगभग 16 लोगों के एक समूह ने यूरोपीय क्लब के मुख्यालय (पहाड़ली में, अब शाहजहां फील्ड के बगल में रेलवे कार्यालय) पर कब्जा कर लिया, लेकिन गुड फ्राइडे होने के कारण, वहाँ केवल कुछ सदस्य ही मौजूद थे। स्थिति को भांपते हुए, यूरोपियनों ने अलार्म बजा कर सैनिकों को सूचित कर दिया, जिसकी क्रांतिकारियों ने की अपेक्षा नहीं की थी। छापे के बाद, सभी क्रांतिकारी पुलिस शस्त्रागार के बाहर इकट्ठा हुए, जहां सेन ने सैन्य सलाम लिया, और राष्ट्रीय ध्वज फहराया और एक अस्थायी क्रांतिकारी सरकार की घोषणा की। क्रांतिकारियों ने तड़के ही चटगांव शहर छोड़ दिया और छिपने के लिए एक सुरक्षित जगह की तलाश में चटगांव पहाड़ी श्रृंखला की ओर बढ़ गये।
गणेश घोष, अनंत सिंह, किशोर आनंद गुप्ता और जीबन घोषाल सहित कुछ अन्य सदस्य दूसरी ओर निकल गये, और फेनी रेलवे स्टेशन पर लगभग गिरफ्तार होने वाले थे लेकिन वे भागने में कामयाब रहे। बाद में वे चंदनगर के एक घर में छिप कर रहने लगे।
परिणाम
कुछ दिनों की सरगर्मी के बाद, पुलिस ने कुछ क्रांतिकारियों का पता लगा लिया। 22 अप्रैल 1930 की दोपहर को चटगांव छावनी के पास जलालाबाद पहाड़ियों में आश्रय लिये हुए क्रांतिकारियों को कई हज़ार सैनिकों ने घेर लिया।
वहां हुई गोलीबारी में 80 से ज्यादा सैनिक और 12 क्रांतिकारियों की मौत हो गई। सेन ने अपने लोगों को छोटे समूहों में बाट कर पड़ोसी गांवों में फैला दिया और उनमें से कुछ बच निकले। कुछ कलकत्ता चले गए जबकि कुछ गिरफ्तार कर लिए गए। इस घटना के प्रतिरोध पर क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिये एक तीव्र छापेमारी शुरू हुई। अनंत सिंह चन्दननगर में अपने छिपे हुए स्थान से कलकत्ता आकर आत्मसमर्पण कर दिया ताकि वे चटगांव विद्रोह में पकड़े गये युवा किशोरों के साथ रह सके। कुछ महीने बाद, पुलिस आयुक्त चार्ल्स टेगार्ट छुपे हुए क्रांतिकारियो के स्थान के घेर लिया और गोलीबारी में, जीबन घोषाल की मृत्यु हो गई।
कुछ क्रांतिकारियों ने पुनर्गठन होने में कामयाब रहे। 24 सितंबर 1932 को, प्रितिला वद्देदार की अगुवाई में देबी प्रसाद गुप्ता, मनोरंजन सेन, रजत सेन, स्वदेश रॉय, फनेंद्र नंदी और सुबोध चौधरी ने पून: यूरोपीय क्लब पर हमला कर दिया जिसमें एक महिला की मौत हो गई। लेकिन इस योजना का उलटा असर हुआ और पुलिस ने फरारों की खोज कर ली। कलारपोल मे हुए मुठभेड़ में देब गुप्ता, मनोरंजन सेन, रजत सेन और स्वदेशंजन रे की मौत हो गई, जबकि अन्य दो, सुबोध और फनी घायल हो गए और गिरफ्तार किए गए थे। 1930-32 के दौरान, अलग-अलग घटनाओं में क्रांतिकारियों द्वारा 22 अधिकारियों और 220 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। देवी प्रसाद गुप्ता के भाई को आजीवन निर्वासन की सजा सुनाई गई थी।
मुकदमा
जनवरी 1932 में विद्रोह के दौरान और बाद में गिरफ्तार किए गए लोगों पर बड़े पैमाने पर मुकदमा चलाया गया और 1 मार्च 1932 को निर्णय दिया गया। प्रतिवादीयों में से 12 लोगों को अजीवन निर्वासन की सजा सुनाई गई, दो को तीन साल की जेल की सजा मिली और शेष 32 व्यक्तियों को बरी कर दिया गया। 12 अजीवन निर्वासन दिये गये क्रांतिकारियों को अंडमान भेज दिया गया, उनमें गणेश घोष, लोकेनाथ बाल, (1932 में) सोलह वर्षीय आनन्द गुप्ता और अनन्त सिंह आदि शामिल थे।
सूर्य सेन की गिरफ्तारी और मृत्यु
समूह के अंदरूनी सूत्र के मुखबरी के बाद 16 फरवरी 1933 को "मास्टरदा" सूर्य सेन को गिरफ्तार कर लिया गया, तब चटगांव क्रांतिकारी समूह को घातक झटका लगा। इनाम के पैसे अथवा ईर्ष्या या दोनों के लिए, नेत्रा सेन ने ब्रिटिश सरकार से कहा कि सूर्य सेन उनके घर पर था। लेकिन इससे पहले नेत्र सेन इनाम के 10,000 रुपये ले पाता, क्रांतिकारियों ने उसे मार दिया।
जेल में अमानवीय यातना के बाद 12 जनवरी 1934 को तारेश्वर दस्तीदार के साथ सूर्य सेन को ब्रिटिश प्रशासन ने फांसी दे दी।
फ़िल्म रूपांतरों में
1949 में चटगांव शस्त्रागार छापे पर एक बंगाली फिल्म चट्टाग्राम आस्ट्रगर लुनथन बनाया गया था। निर्मल चौधरी द्वारा इसका निर्देशन किया गया था।
चटगांव शस्त्रागार हमले पर एक हिंदी फिल्म, खेलें हम जी जान से (2010) भी बनाई गई थी। इसे आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित किया गया था और मुख्य किरदार में अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण ने अभिनय किया था। यह मानिनी चटर्जी द्वारा लिखित डू एंड डाई: द चटगांव विद्रोह 1930-34 पुस्तक पर आधारित थी।
2010 में एक और फिल्म, चिट्टागोंग बनाई गई और अक्टूबर 2012 में प्रदर्शित की गई थी। यह नासा के एक पूर्व वैज्ञानिक डॉ. बेदब्राता पैन द्वारा निर्देशित किया गया था, उन्होंने इस फिल्म को बनाने के लिए नासा से इस्तीफा दे दिया था। मनोज वाजपेयी मुख्य अभिनेता थे जिन्होंनेसूर्य सेन की भूमिका निभाई थी। इसके अलावा नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी अन्य भूमिका में नजर आए।।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
सूर्य सेन
अनुशीलन समिति
चटगाँव
बाहरी कड़ियाँ
आगे पढ़े
चटर्जी, मानिनी (2000). डू एंड डाई: द चटगांव विद्रोह 1930-34, नई दिल्ली: पेंगुइन, .
भट्टाचार्य, मनोशी (2012). चटगांव: 1930 का ग्रीष्मकाल, नई दिल्ली: हार्परकोलिन्स, .
मुखर्जी, पियुल और निवेदिता पटनायक (2016). द लास्ट ऑफ द रेबल्स, आनंद और उनके मास्टरदा। चटगांव विद्रोह के एक किशोर प्रत्यक्षदर्शी के जुबानी, कोलकाता, बुशफायर प्रकाशक और सूर्य सेन भवन,
बंगाल का इतिहास
बांग्लादेश का इतिहास
स्वतंत्रता आन्दोलन
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम | 1,204 |
529698 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%88%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3 | शैवालीकरण | जैव उर्वरक (biofertilizer) के रूप में बड़े स्तर पर नील हरित शैवाल की वृद्धि करने की प्रक्रिया को शैवालीकरण कहते हैं। इस संकल्पना का प्रारम्भ भारत में हुआ था लेकिन इस तकनीक का वास्तविक रूप में विकास जापान में किया गया। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वर्ष 1990 में शैवालीकरण के लिए उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल तथा नई दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम किया गया था।
शैवालों की प्रकृति पर्यावरण-मित्र होती है जिसके कारण शैवालों को जैव उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। शैवालों के इस्तेमाल से खासकर धान की उपज में काफी वृद्धि देखी गयी है।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
टिकाऊ खेती में उपयोगी जैव उर्वरक
जैविक खेती और जैव उर्वरक (पर्यावरण डाइजेस्ट)
उर्वरक
कृषि | 121 |
167741 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0 | फ्रेड्रिक सैंगर | फ्रेड्रिक सैंगर , (१३ अगस्त १९१८ - १९ नवम्बर २०१३) एक इंग्लिश जैवरसायनज्ञ थे। ये चौथे व्यक्ति थे, जिन्हें दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन्होंने न्यूक्लिक अम्ल का अध्ययन किया, खासकर रीकम्बिनैन्ट डी.एन.ए, जिसके लिए उन्हें वॉल्टर गिल्बर्ट तथा फ्रेड्रिक सैंगर के साथ 1980 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला। १९ नवम्बर २०१३ को उनका निधन हो गया।
सन्दर्भ
1918 में जन्मे लोग
२०१३ में निधन
Alumni of St John's College, Cambridge
Fellows of King's College, Cambridge
Academics of the University of Cambridge
Commanders of the Order of the British Empire
English biochemists
Fellows of the Royal Society
Members of the Order of Merit
Members of the Order of the Companions of Honour
Nobel laureates in Chemistry
Nobel laureates with multiple Nobel awards
British Nobel laureates
Old Bryanstonians
Members of the French Academy of Sciences
British pacifists
British conscientious objectors
Royal Medal winners
Recipients of the Copley Medal
रसायन विज्ञान में नोबेल विजेता | 157 |
191889 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%9C%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8 | खनिज विज्ञान | खनिज विज्ञान भूविज्ञान की एक शाखा होती है। इसमें खनिजों के भौतिक और रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत खनिजों के निर्माण, संरचना, वर्गीकरण, उनके पाए जाने के भौगोलिक स्थानों और उनके गुणों को भी शामिल किया गया है। इसके माध्यम से ही खनिजों के प्रयोग और उपयोग का भी अध्ययन इसी में किया जाता है। विज्ञान की अन्य शाखाओं की भांति ही इसकी उत्पत्ति भी कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। वर्तमान खनिज विज्ञान का क्षेत्र, कई दूसरी शाखाओं जैसे, जीव विज्ञान और रासायनिकी तक विस्तृत हो गया है। यूनानी दार्शनिक सुकरात ने सबसे पहले खनिजों की उत्पत्ति और उनके गुणों को सिद्धांत रूप में प्रस्तुत किया था, हालांकि सुकरात और उनके समकालीन विचारक बाद में गलत सिद्ध हुए लेकिन उस समय के अनुसार उनके सिद्धांत नए और आधुनिक थे। किन्तु ये कहना भी अतिश्योक्ति न होगा कि उनकी अवधारणाओं के कारण ही खनिज विकास की जटिलताओं को सुलझाने में सहयोग मिला, जिस कारण आज उसके आधुनिक रूप से विज्ञान समृद्ध है। १६वीं शताब्दी के बाद जर्मन वैज्ञानिक जॉर्जियस एग्रिकोला के अथक प्रयासों के चलते खनिज विज्ञान ने आधुनिक रूप लेना शुरू किया।
इतिहास
खनिज विज्ञान के बारे में आरंभिक लेखन, विशेषकर रत्न आदि के बारे में प्राचीन बेबीलोनिया, प्राचीन यूनान-रोम साम्राज्यों, प्राचीन चीन और प्राचीन भारत के संस्कृत में उपलब्ध पौराणिक साहित्य में मिलता है। इस विषय पर उपलब्ध पुस्तकों में प्लाइनी द एल्डर की नैचुरैलिस हिस्टोरिया है, जिसमें विभिन्न खनिजों का वर्णन ही नहीं किया गया है, वरन उनके कई गुणों का भी ब्यौरा दिया है। जर्मन पुनर्जागरण विशेषज्ञ जॉर्जियस एग्रिकोला ने डी रे मैटेलिका (धातुओं पर, १५५६) और डी नैच्युरा फॉसिलियम (शैलों की प्रकृति पर, १५४६) जैसे कई ग्रन्थ दिये हैं, जिनमें इस विषय पर वैज्ञानिक पहलुओं पर विचार किया गया है। यूरोप में पुनर्जागरण उपरांत के युग में खनिजों और पाषाणों के क्रमबद्ध और सुव्यवस्थित वैज्ञानिक अध्ययनों का विकास हुआ। खनिज विज्ञान के आधुनिक रूप का आधार १७वीं शताब्दी में सूक्ष्मदर्शी यंत्र के आविष्कार क्रिस्टलोग्राफी के सिद्धांतों और शैलों के अनुभाग काटों के नमूनों का सूक्ष्म अध्ययन पर हुआ।
खनिजों के गुणों का अध्ययन और उनका वर्गीकरण उनकी भौतिक विशेषताओं पर निर्भर करता है। खनिज की कठोरता की जांच के लिए मॉस्केल टेस्ट किया जाता है। किसी खनिज की कठोरता या कोमलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसकी आंतरिक संरचना में परमाणुओं का विन्यास कैसा है।
आधुनिक खनिज विज्ञान
इतिहास में देखें तो, खनिज विज्ञान मूलतः शैल-घटक खनिजों के वर्गीकरण (टैक्सोनॉमी) पर ही केन्द्रित रहा है। अंतर्राष्ट्रीय खनिजविज्ञान संगठन (आई.एम.ए) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसके सदस्य विशिष्ट राष्ट्रों के प्रतिनिधि खनिजशास्त्री होते हैं। इसके क्रियाकलापों में खनिजों का नामकरण (नये खनिज एवं खनिज नाम आयोग के सहयोग द्वारा), ज्ञात खनिजों के पाये जाने के स्थान, आदि आते हैं। वर्ष २००४ के आंकड़ों के अनुसार आई.एम.ए द्वारा मान्यता प्राप्त खनिजों की ४,००० किस्में हैं। और इनमें से लगभग १५० को सामान्य, अन्य ५० को प्रासंगिक और शेष को दुर्लभ से अत्यंत दुर्लभ कहा जा सकता है।
हाल के कुछ वर्षों में हुए विकास से सामने आयी तकनीकों (जैसे न्यूट्रॉन-विवर्तन) और उपलब्ध तेज गणन क्षमता जो आधुनिक कंप्यूटरों और अत्यंत एक्युरेट परमाणु-पैमाने सिमुलेशन द्वारा क्रिस्टल व्यवहार के अध्ययन से समर्थित है; विज्ञान ने इनॉर्गैनिक रासायनिकी एवं सॉलिड स्टेट भौतिकी के क्षेत्र में गहन अध्ययन हेतु एस शाखा को पृथक किया है। फिर भी इसमें अब भी पाषाण-निर्माण में लगे खनिजों की क्रिस्टल संरचना पर ध्यान केन्द्रित रखा है। इस शाखा के विकास के में खनिजों व उनके प्रकार्यों के परमाणु-पैमाने पर अध्ययन पर प्रकाश डाला है। इस शाखा के अंतर्गत खनिजों के कई प्रकार के अध्ययन किये जाते हैं:
भौतिक खनिज विज्ञान
भौतिक खनिजशास्त्र में खनिजों के भौतिक गुणों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। भौतिक गुणों का वर्णन उनकी पहचान, वर्गीकरण, श्रेणिगत करने में विशेष सहयोगी रहता है। इसमें निम्न बिन्दुओं पर गौर किया जाटा है:
क्रिस्टल संरचना
क्रिस्टल गुण
जोड़े
क्लीवेज
आभा
वर्ण
धारियां
कठोरता
स्पेसिफिक ग्रैविटी
रासायनिक खनिज विज्ञान
जैवखनिज विज्ञान
दृष्टि-संबंधी खनिज विज्ञान
क्रिस्टल संरचना
निर्माण कारक
प्रयोग
वर्णनात्मक खनिज विज्ञान
डिटर्मिनेटिव खनिज विज्ञान
अब तक चार हजार से अधिक खनिजों की खोज हो चुकी है। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं, जो अब कम या बहुत कम पाए जाते हैं। मात्र १५० खनिज ही ऐसे हैं, जो वर्तमान में बड़ी मात्र में पाए जाते हैं। कुछ ऐसे भी खनिज हैं, जो कभी किसी अवसर या प्राकृतिक घटना पर ही पाए जाते हैं, इनकी संख्या ५० से १०० के बीच है। खनिजों के बारे में यही कहा जा सकता है कि ये केवल पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले तत्व ही नहीं हैं, वरन भूगर्भ में, सागर में, वातावरण में भी मिलते हैं। कई खनिज स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं।
सन्दर्भ
नीढैम जोसफ़ (१९८६) साइंस एण्ड सिविलाइज़ेशन इन चाइना: खण्ड-३। ताइपेई: केव्स बुक्स लि.
रैम्स्डेल, लेविस एस (१९६३) एन्साइक्लोपीडीया अमेरिकाना: अन्तर्राष्ट्रीय संस्करण खण्ड-१९। न्यू यॉर्क: अमेरिकाना कॉर्प.
बाहरी कड़ियाँ
International Mineralogical Association
mindat.org mineralogical database
Mineralogical Society of America
Mineralogical Association of Canada
The Giant Crystal Project
The Geological Society of America
The Virtual Museum of the History of Mineralogy
रसायन शास्त्र
पृथ्वी विज्ञान
खनिज | 833 |
713792 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B0%20%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%81%20%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80 | गुलशेर ख़ाँ शानी | गुलशेर ख़ाँ शानी (, जन्म: 16 मई, 1933 - मृत्यु: 10 फ़रवरी, 1995) प्रसिद्ध कथाकार एवं साहित्य अकादमी की पत्रिका 'समकालीन भारतीय साहित्य' और 'साक्षात्कार' के संस्थापक-संपादक थे। 'नवभारत टाइम्स' में भी इन्होंने कुछ समय काम किया। अनेक भारतीय भाषाओं के अलावा रूसी, लिथुवानी, चेक और अंग्रेज़ी में इनकी रचनाएं अनूदित हुई। मध्य प्रदेश के शिखर सम्मान से अलंकृत और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत हैं।
जीवन-परिचय
16 मई 1933 को जगदलपुर में जन्मे शानी ने अपनी लेखनी का सफ़र जगदलपुर से आरंभ कर ग्वालियर फिर भोपाल और दिल्ली तक तय किया। वे 'मध्य प्रदेश साहित्य परिषद', भोपाल के सचिव और परिषद की साहित्यिक पत्रिका 'साक्षात्कार' के संस्थापक संपादक रहे। दिल्ली में वे 'नवभारत टाइम्स' के सहायक संपादक भी रहे और साहित्य अकादमी से संबद्ध हो गए। साहित्य अकादमी की पत्रिका 'समकालीन भारतीय साहित्य' के भी वे संस्थापक संपादक रहे। इस संपूर्ण यात्रा में शानी साहित्य और प्रशासनिक पदों की उंचाईयों को निरंतर छूते रहे। मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त शानी बस्तर जैसे आदिवासी इलाके में रहने के बावजूद अंग्रेज़ी, उर्दू, हिन्दी के अच्छे ज्ञाता थे। उन्होंने एक विदेशी समाजविज्ञानी के आदिवासियों पर किए जा रहे शोध पर भरपूर सहयोग किया और शोध अवधि तक उनके साथ सूदूर बस्तर के अंदरूनी इलाकों में घूमते रहे। कहा जाता है कि उनकी दूसरी कृति 'सालवनो का द्वीप' इसी यात्रा के संस्मरण के अनुभवों में पिरोई गई है। उनकी इस कृति की प्रस्तावना उसी विदेशी ने लिखी और शानी ने इस कृति को प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर कांति कुमार जैन जो उस समय 'जगदलपुर महाविद्यालय' में ही पदस्थ थे, को समर्पित किया है। शालवनों के द्वीप एक औपन्यासिक यात्रावृत है। मान्यता है कि बस्तर का जैसा अंतरंग चित्र इस कृति में है वैसा हिन्दी में अन्यत्र नहीं है। शानी ने 'साँप और सीढ़ी', 'फूल तोड़ना मना है', 'एक लड़की की डायरी' और 'काला जल' जैसे उपन्यास लिखे। लगातार विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपते हुए 'बंबूल की छाँव', 'डाली नहीं फूलती', 'छोटे घेरे का विद्रोह', 'एक से मकानों का नगर', 'युद्ध', 'शर्त क्या हुआ ?', 'बिरादरी' और 'सड़क पार करते हुए' नाम से कहानी संग्रह व प्रसिद्ध संस्मरण 'शालवनो का द्वीप' लिखा। शानी ने अपनी यह समस्त लेखनी जगदलपुर में रहते हुए ही लगभग छ:-सात वर्षों में ही की। जगदलपुर से निकलने के बाद उन्होंनें अपनी उल्लेखनीय लेखनी को विराम दे दिया। बस्तर के बैलाडीला खदान कर्मियों के जीवन पर तत्कालीन परिस्थितियों पर उपन्यास लिखने की उनकी कामना मन में ही रही और 10 फ़रवरी 1995 को वे इस दुनिया से रुख़सत हो गए।
साहित्यिक परिचय
शानी एक ऐसे कथा लेखक है जो अपनी समसामयिक विषय की पृष्ठभूमि को अपने लेखन से प्रभावित करते रहे हैं। उन्होंने समकालीन शैलीगत प्रभाव को पूर्णरूपेण प्रयोग करते हुए अपने उपन्यास में नयी शैलीगत मान्यताओं को प्रक्षेपित किया है। जो अपने आप में शैली की दृष्टि से विशिष्ट हैं। शानी ने अपनी अनुभूतियों और विचारों को अभिव्यक्ति देने के लिए अच्छी शैली का प्रयोग किया है। इनके उपन्यास साहित्य के पात्र जितना कुछ बोलते है उससे कहीं अधिक अपने भीतर की पीड़ा और वेदना को अभिव्यक्त भी करते हैं। शानी के उपन्यास साहित्य के शैली तत्व इनकी लेखनी का स्पर्श पाकर पाठकों को अभिभूत करते हैं। इनके उपन्यास पाठकों के हृदय तथा बुद्धि को समान रूप से आविष्ट करने की क्षमता रखते हैं। इनकी शैली का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक एवं विस्तृत है। विषय विस्तार की जहाँ आवश्यकता होती है वहाँ लेखन अपनी बात स्पष्ट रूप से कह देते है। इसी प्रकार नारी पात्र 'सल्लो आपा' जो कि किसी नवयुवक से प्रेम करती है किन्तु वह अपने परिवार के डर के कारण कुछ कह नहीं पाती है और जब उसके घर वालों को पता चलता है कि वह अविवाहित ही गर्भवती हो गई है तो उसे जहर देकर मार दिता जाता है।
भाषा-शैली
शानी ने परिवेश के अनुकूल ही भाषा शैली को अपनाया है। जैसा परिवेश एवं माहौल होता है उसी प्रकार अभिव्यक्ति की शैली निर्मित हो जाती है। यह रचनाकार की सम्भावनाशीलता को दिखती है। रचनाकार पर हिन्दुस्तानी और उर्दू दोनों भाषाओं का प्रभाव दिखायी देता है। इसलिए ठेठ हिन्दुस्तानी शैली का प्रयोग भी उनके उपन्यास में दिखायी देता है। कथात्मक शैली का भी प्रयोग शानी के उपन्यास में देखने को मिलती है। कथात्मक शैली से तात्पर्य उपन्यास के बीच में कही जाने वाली लघु कथाओं से युक्त शैली से है जो कि उपन्यास में कही जाने वाली बातों की वास्तविकता सिद्ध करती है। लघु कथाएँ उपन्यास को यथार्थता से जोड़ती है। साथ ही साथ वर्तमान समय में जिस बातों को नकार दिया जाता है , तब लोक प्रचलित लघुकथाएँ उनकी सार्थकता सिद्ध करती है। कथात्मक शैली का प्रयोग उपन्यास में ज़्यादातर के माध्यम से किया गया है। बीच -बीच में नैरेटर का कार्य करता है-
शानी द्वारा रचित उपन्यास 'काला जल' में संवादात्मक शैली भी देखने को मिलती है। इसे वार्तालाप या कथोपकथन कहा जाता है। नाटकों में जितना संवादों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। उतना ही महत्व उपन्यास में भी है कथा को आगे बढ़ाने के लिए तथा पात्रों के गतिविधियों को स्पष्ट करने में संवाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शानी के उपन्यास साहित्य की शैली में विविधता देखने को मिलती है जो कि इनके साहित्य में कलात्मक एवं रोचकता की वृद्धि करता है। लेखक के शैली का सौंदर्य भाषा एवं भाषागत या भाषा इकाइयों का सुव्यवस्थित से विषयनुकूल चयन है।
प्रकाशित कृतियाँ
कहानी संग्रह-
बबूल की छाँव -1958
डाली नहीं फूलती -1960
छोटे घेरे का विद्रोह -1964
एक से मकानों का नगर -1971
युद्ध -1973
शर्त का क्या हुआ? -1975
बिरादरी तथा अन्य कहानियाँ -1977
सड़क पार करते हुए -1979
जहाँपनाह जंगल -1984
चयनित कहानियों का संग्रह-
मेरी प्रिय कहानियाँ -1976 (राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
प्रतिनिधि कहानियाँ -1985 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
दस प्रतिनिधि कहानियाँ -1997 (किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
चर्चित कहानियाँ (सामयिक प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
कहानी समग्र-
सब एक जगह (दो भागों में) -1981 (नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
सम्पूर्ण कहानियाँ (दो भागों में) -2015 (शिल्पायन, शाहदरा, दिल्ली से प्रकाशित)
उपन्यास-
कस्तूरी -1960 (हिन्दी प्रचारक पुस्तकालय, वाराणसी से प्रकाशित)
पत्थरों में बंद आवाज़ -1964 (अनुभव प्रकाशन, भोपाल से प्रकाशित; कुछ परिवर्तनों के साथ 'एक लड़की की डायरी' नाम से 1980 में नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
काला जल -1965 (अक्षर प्रकाशन, नयी दिल्ली से; अब राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से पेपरबैक में प्रकाशित)
नदी और सीपियाँ -1970 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित; कुछ परिवर्तनों के साथ 'फूल तोड़ना मना है' नाम से 1980 में प्रभात प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
साँप और सीढ़ी -1983 ('कस्तूरी' उपन्यास का ही संशोधित-परिवर्धित रूप 'साँप और सीढ़ी' नाम से नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
संस्मरण-
शालवनों का द्वीप -1966
निबंध संग्रह-
एक शहर में सपने बिकते हैं -1984
नैना कभी न दीठ -1993
संपादन-
साक्षात्कार (साहित्यिक पत्रिका)
समकालीन भारतीय साहित्य
कहानी
रचना समग्र-
शानी रचनावली (छह खण्डों में) -2015 (सजिल्द एवं पेपरबैक; शिल्पायन, शाहदरा, दिल्ली से प्रकाशित)
शानी पर केन्द्रित साहित्य
साक्षात्कार (शानी विशेषांक) - मई-जून 1996
शानी : आदमी और अदीब -1996 (संपादक- जानकीप्रसाद शर्मा, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नयी दिल्ली से)
शानी (विनिबंध) -2007 (लेखक- जानकीप्रसाद शर्मा, साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली से)
वाङ्मय (नवंबर 2011 - अप्रैल 2012, 'कथाकार गुलशेर खाँ शानी विशेषांक', संपादक- डॉ० एम० फ़ीरोज़ अहमद)
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
शानी फ़ौन्डेशन
हिन्दी साहित्यकार
हिन्दी साहित्य | 1,183 |
250208 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B6%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%A8 | निवेश प्रबंधन | निवेश प्रबंधन, निवेशकों के फायदे के लिए निवेश के विशिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रतिभूतियों (शेयर, बांड और अन्य प्रतिभूतियां) और परिसंपत्तियों (जैसे अचल संपत्ति) का पेशेवर प्रबंधन है। निवेशक या तो संस्थान (बीमा कंपनियां, पेंशन फंड, कॉर्पोरेशन इत्यादि) या निजी निवेशक (सीधे निवेश अनुबंधों के माध्यम से और ज्यादातर आम तौर पर सामूहिक निवेश योजनाओं जैसे म्युचुअल फंड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड दोनों माध्यम से) हो सकते हैं।
परिसंपत्ति प्रबंधन शब्द का इस्तेमाल अक्सर सामूहिक निवेशों के निवेश प्रबंधन को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, (जरूरी नहीं) जबकि अधिक सामान्य कोष प्रबंधन (फंड मैनेजमेंट) का मतलब संस्थागत निवेश के सभी रूपों के साथ-साथ निजी निवेशकों का निवेश प्रबंधन भी हो सकता है। निजी निवेशकों (आम तौर पर धनी) की तरफ से सलाहकार या विवेकाधीन प्रबंधन में विशेषज्ञता प्राप्त निवेश प्रबंधक अक्सर तथाकथित "निजी बैंकिंग" के सन्दर्भ में धन प्रबंधन या पोर्टफोलियो प्रबंधन के रूप में अक्सर अपनी सेवाओं को संदर्भित कर सकते हैं।
'निवेश प्रबंधन सेवाओं' के प्रावधान में वित्तीय विवरण विश्लेषण, परिसंपत्ति चयन, स्टॉक चयन, योजना कार्यान्वयन और चालू निवेश निगरानी जैसे तत्व शामिल हैं।
निवेश प्रबंधन अपने आप में एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण वैश्विक उद्योग है जिस पर अरबों-खरबों (ट्रिलियन) युआन, डॉलर, यूरो, पाउंड और येन रखवाली की जिम्मेदारी होती है। वित्तीय सेवाओं के परिहार के तहत आने वाली दुनिया की कई सबसे बड़ी कंपनियां कम से कम आंशिक रूप से निवेश प्रबंधक हैं जहां लाखों-करोड़ों लोग काम करते हैं और जो करोड़ों-अरबों राजस्व उत्पादन करती हैं।
फंड मैनेजर (कोष प्रबंधक या संयुक्त राज्य अमेरिका में निवेश सलाहकार) का मतलब निवेश प्रबंधन सेवा प्रदान करने वाली एक कंपनी (फर्म) के साथ-साथ कोष प्रबंधन संबंधी फैसले देने वाला एक व्यक्ति भी हो सकता है।
उद्योग क्षेत्र
निवेश प्रबंधन व्यवसाय के कई पहलू हैं जिनमें पेशेवर कोष प्रबंधकों की नियुक्ति, अनुसन्धान (व्यक्तिगत परिसंपत्तियों और परिसंपत्ति वर्गों का), सौदेबाजी, निपटान, विपणन, आतंरिक लेखा परीक्षण और क्लाइंट्स (ग्राहक) के लिए रिपोर्ट की तैयारी शामिल है। सबसे बड़े वित्तीय कोष प्रबंधक ऐसी कंपनियां हैं जो अपने आकार की मांग के अनुसार सभी जटिलताओं का प्रदर्शन करती हैं। बाजार में पैसा लगाने वाले लोगों (मार्केटर) और निवेश को दिशा देने वाले लोगों (फंड मैनेजर) के अलावा अनुपालन कर्मचारी (जो विधायी और नियामक बाधाओं के समायोजन को सुनिश्चित करते हैं), विभिन्न प्रकार के आतंरिक लेखा परीक्षक (जो आतंरिक प्रणालियों और नियंत्रणों की जांच करते हैं), वित्तीय नियंत्रक (जिन पर संस्थानों के पैसों और लागत की जिम्मेदारी होती है), कंप्यूटर विशेषज्ञ और "बैक ऑफिस" कर्मचारी (जो हर संस्थान के हजारों क्लाइंट्स के लिए लेनदेनों और कोष मूल्यांकनों की निगरानी और रिकॉर्ड करते हैं) हैं।
इस तरह का कारोबार चलाने में उत्पन्न होने वाली महत्वपूर्ण समस्याएं
महत्वपूर्ण समस्याओं में शामिल हैं:
राजस्व सीधे बाजार मूल्यांकन से जुड़ा हुआ है इसलिए परिसंपत्तियों की कीमत में भारी गिरावट की वजह से लागत के सापेक्ष राजस्व में तेजी से गिरावट आती है;
ऊपरी-औसत कोष प्रदर्शन को बनाए रखना मुश्किल है और खराब प्रदर्शन के समय क्लाइंट्स धैर्य नहीं रख पाते हैं।
सफल कोष प्रबंधक महंगे होते हैं और प्रतिद्वंद्वी कंपनियां उन्हें अपनी कंपनियों में नियुक्त करने की कोशिश कर सकती हैं।
ऊपरी-औसत कोष प्रदर्शन संभवतः कोष प्रबंधक (फंड मैनेजर) के अद्वितीय कौशल पर निर्भर होता है; हालांकि क्लाइंट्स कुछेक लोगों की क्षमता पर अपने निवेशों की हिस्सेदारी के लिए अनिच्छुक होते हैं- बल्कि वे कंपनी-विशेष सफलता पर ध्यान दे सकते हैं जो केवल एक दर्शन और आतंरिक अनुशासन पर आधारित हो सकते हैं।
ऊपरी-औसत प्रतिफल उत्पन्न करने वाले विश्लेषक अक्सर पर्याप्त रूप से अमीर हो जाते हैं जिससे वे अपने व्यक्तिगत पोर्टफोलियो के प्रबंधन के पक्ष में कॉर्पोरेट रोजगार से दूर रहते हैं।
शेयरों के मालिकों का प्रतिनिधित्व
संस्थाएं अक्सर बड़ी हिस्सेदारी को नियंत्रित करती है। ज्यादातर मामलों में वे प्रमुख (प्रत्यक्ष) मालिकों के बजाय विश्वासाश्रित एजेंटों के रूप में कार्य कर रही हैं। सैद्धांतिक रूप से शेयरों के मालिकों के पास अपने शेयरों की वजह से मिलने वाले मतदान अधिकार के माध्यम से अपने स्वामित्व वाली कंपनियों में बदलाव लाने की काफी शक्ति होती है और उसके बाद प्रबंधनों पर दबाव डालने की क्षमता भी होती है और जरूरत पड़ने पर वार्षिक और अन्य बैठकों में उन्हें मतदान के माध्यम से बाहर करने की भी क्षमता होती है।
व्यावहारिक तौर पर शेयरों के अंतिम मालिक अक्सर सामूहिक रूप से प्राप्त अपनी शक्ति का इस्तेमाल नहीं करते हैं (क्योंकि मालिकों की संख्या अनेक होती है और प्रत्येक के पास थोड़े-बहुत शेयर होते हैं) लेकिन वित्तीय संस्थाएं (एजेंटों के रूप में) कभी-कभी ऐसा करती हैं। एक आम धारणा है कि शेयरधारक - इस मामले में, एजेंटों के रूप में काम करने वाली संस्थाएं - उन कंपनियों पर अधिक सक्रिय प्रभाव डाल सकते हैं और डालना चाहिए जिन कंपनियों में उनके शेयर हैं (जैसे प्रबंधकों को जिम्मेदार ठहराना, बोर्ड्स की प्रभावी क्रियाशीलता को सुनिश्चित करना). इस तरह की कार्रवाई से प्रबंधन की निगरानी करने वालों (नियामक और बोर्ड) में एक दबाव समूह शामिल हो जाएगा.
हालांकि समस्या यह है कि संस्था को इस शक्ति का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए. इसके लिए संस्था के पास एक रास्ता फैसला लेने का और दूसरा रास्ता अपने लाभार्थियों का सर्वेक्षण करना है। यह मानते हुए कि संस्था सर्वेक्षण या चुनाव का सहारा लेती है तो क्या (i) डाले गए ज्यादातर मतदानों द्वारा निर्देशित सम्पूर्ण शेयर पर मतदान किया जाना चाहिए? (ii) या मतदान के अनुपात के अनुसार मतदान (जहां इसकी अनुमति हो) को भाजित किया जाना चाहिए? (iii) या परहेजियों का सम्मान करते हुए केवल प्रत्यर्थियों के शेयरों पर मतदान दिया जाना चाहिए?
शेयर धारण करने या न करने वाले बड़े सक्रिय प्रबंधकों द्वारा दिए जाने वाले कीमत संबंधी संकेतों से प्रबंधन परिवर्तन में योगदान मिल सकता है। उदाहरण के लिए इस तरह का मामला तब देखने को मिलता है जब कोई बड़ा सक्रिय प्रबंधक किसी कंपनी को अपना पद बेचता है जिसके फलस्वरूप (संभवतः) शेयर की कीमत में गिरावट आ जाती है लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि कंपनी के प्रबंधन में बाजारों के विश्वास की हानि होती है और इस प्रकार प्रबंधन टीम में तेजी से बदलाव होने लगता है।
कुछ संस्थाएं ऐसे बातों का अनुकरण करने में अधिक मुखर और सक्रिय होती हैं, कुछ कंपनियों का मानना है कि पर्याप्त अल्पसंख्यक हिस्सेदारियों (अर्थात् 10% या उससे अधिक) जमा करने और कारोबार में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए प्रबंधन पर दबाव डालने से निवेश लाभ प्राप्त होता है। कुछ मामलों में अल्पसंख्यक हिस्सेदारी वाले संस्थान प्रबंधन को बदलने पर मजबूर करने के लिए एक साथ मिलकर काम करते हैं। प्रेरक बातचीत और पीआर (PR) के माध्यम से प्रबंधन टीमों पर बड़े संस्थानों द्वारा निरंतर डाले जाने वाले दबाव शायद अक्सर अधिक होते हैं। दूसरी तरफ सबसे बड़े निवेश प्रबंधकों में से कुछ प्रबंधक जैसे ब्लैकरॉक (BlackRock) और वैनगार्ड (Vanguard) प्रबंधन टीमों को प्रभावित करने के लिए इंसेंटिव (प्रोत्साहन) को कम करके बस हरेक कंपनी पर स्वामित्व स्थापित करने की वकालत करते हैं। इस अंतिम रणनीति का एक कारण यह है कि निवेश प्रबंधक कंपनी की प्रबंधन टीम के साथ एक करीबी, अधिक खुला और निष्कपट सम्बन्ध स्थापित करना पसंद करते हैं जो उनके नियंत्रण प्रयास पर ही टिका रह सकता है जिससे उन्हें बेहतर निवेश निर्णय करने में मदद मिलती है।
जिस राष्ट्रीय सन्दर्भ के तहत शेयरधारक प्रतिनिधित्व संबंधी विचारों को स्थापित किया जाता है वे परिवर्तनीय और महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका एक मुकदमेबाज समाज है और शेयरधारक क़ानून का इस्तेमाल प्रबंधन टीमों पर दबाव डालने के लिए एक तराजू के रूप में करते हैं। जापान में शेयरधारकों के लिए 'पेकिंग ऑर्डर' में निम्न बने रहने की परंपरा है जो अक्सर प्रबंधन और मजदूरों को अंतिम मालिकों के अधिकारों की अनदेखी करने की अनुमति देता है। जबकि अमेरिकी कंपनियां आम तौर पर शेयरधारकों की जरूरतों को पूरा करती हैं, जापानी कारोबारों में आम तौर पर एक शेयरधारक मानसिकता दिखाई देती है जिसके तहत वे सभी इच्छुक पार्टियों की आम सहमति (शक्तिशाली यूनियनों और श्रम विधान की पृष्ठभूमि के खिलाफ) चाहते हैं।
वैश्विक कोष प्रबंधन उद्योग का आकार
वैश्विक कोष प्रबंधन उद्योग के प्रबंधन के तहत परंपरागत परिसंपत्ति 2009 में 14% की वृद्धि के साथ $71.3 ट्रिलियन हो गई। जिसमें से पेंशन परिसंपत्ति $28.0 ट्रिलियन थी और इसके साथ ही साथ म्युचुअल फंड में $22.9 ट्रिलियन और बीमा फंड में $20.4 ट्रिलियन का निवेश किया गया था। वैकल्पिक परिसंपत्तियों (सार्वभौमिक वेल्थ फंड, हेज फंड, निजी इक्विटी फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) और अमीर लोगों के कोषों को एक साथ मिलाकर वैश्विक कोष प्रबंधन उद्योग की कुल परिसंपत्ति $105 ट्रिलियन से अधिक थी जो पिछले वर्ष की तुलना में 15% अधिक थी। 2009 में हुई वृद्धि से पहले पिछले वर्ष में 18% की गिरावट आई थी और जो काफी हद तक उस वर्ष इक्विटी बाजारों में वसूली का परिणाम था। डॉलर के सन्दर्भ में हुई वृद्धि का आंशिक कारण 2009 में कई मुद्राओं के खिलाफ अमेरिकी डॉलर के मूल्य में होने वाली कमी थी।
अमेरिका ने सबसे बड़े कोष स्रोतों से दूरी बनाए रखा जिसकी वजह प्रबंधन के तहत लगभग आधी परंपरागत परिसंपत्ति या लगभग $36 ट्रिलियन थी। ब्रिटेन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा केन्द्र था और अब तक यूरोप का सबसे बड़ा केन्द्र था जिसके पास कुल वैश्विक परिसंपत्ति का लगभग 9% था।
दर्शन, प्रक्रिया और लोग
औसत से अधिक परिणाम देने में प्रबंधक की क्षमता के कारणों का वर्णन करने के लिए अक्सर 3-पी (फिलॉसफी (दर्शन), प्रोसेस (प्रक्रिया) और पीपल (लोग)) का इस्तेमाल किया जाता है।
दर्शन निवेश संगठन की अतिमहत्वपूर्ण मान्यताओं को संदर्भित करता है। उदाहरण के लिए: (i) क्या प्रबंधक वृद्धि या मूल्य शेयरों को खरीदता है (और क्यों)? (ii) क्या वे बाजार समय में विश्वास करते हैं (और किस सबूत पर)? (iii) क्या वे बाहरी अनुसन्धान पर भरोसा करते हैं या क्या वे शोधकर्ताओं की टीम को नियुक्त करते हैं? यह उपयोगी होता है अगर इस तरह की किसी या सभी मौलिक मान्यताओं को सबूत-बयानों का समर्थन मिलता है?
प्रक्रिया उस तरीके को संदर्भित करती है जिस तरीके से दर्शन को कार्यान्वित किया जाता है। उदाहरण के लिए: (i) उपयुक्त निवेशों के रूप में विशेष परिसंपत्तियों का चयन करने से पहले परिसंपत्तियों के किस ब्रह्माण्ड का पता लगाया गया है? (ii) प्रबंधक कैसे तय करता है कि क्या खरीदना है और कब खरीदना है? (iii) प्रबंधक कैसे तय करता है क्या बेचना है और कब बेचना है? (iv) निर्णय कौन लेता है और क्या उन्हें समिति द्वारा ग्रहण किया जाता है? (v) रोग फंड (दुष्ट कोष) (वह कोष जो अन्य कोष से बहुत अलग होता है और वैसा नहीं होता है जिसकी उम्मीद की गई होती है) का निर्माण नहीं हो सकता, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कैसे नियंत्रणों का इस्तेमाल किया जा रहा है?
लोग कहने का मतलब कर्मचारी खास तौर पर कोष प्रबंधक है। सवाल यह उठता है कि वे कौन हैं? उनका चयन कैसे किया जाता है? उनकी उम्र कितनी है? कौन किसे रिपोर्ट करता है? टीम की गहराई कितनी है (क्या सभी सदस्य इस्तेमाल किए जाने वाले दर्शन और प्रक्रिया को समझते हैं)? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि टीम कितने समय से एक साथ काम कर रही है? यह अंतिम सवाल इसलिए इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि क्लाइंट के साथ सम्बन्ध की शुरुआत में प्रस्तुत किए गए प्रदर्शन रिकॉर्ड का सम्बन्ध उस टीम (के द्वारा प्रस्तुत किया गया है) के साथ हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है जो अभी भी अपना काम कर रही है। अगर टीम में बहुत ज्यादा परिवर्तन हुआ हो (बहुत ज्यादा कर्मचारी बदले गए हो या टीम बदल दिया गया हो) तो जाहिर है कि प्रस्तुत प्रदर्शन रिकॉर्ड मौजूदा टीम (कोष प्रबंधकों की) से पूरी तरह से असंबंधित है।
निवेश प्रबंधक और पोर्टफोलियो संरचनाएं
निवेश प्रबंधन उद्योग का मुख्य आधार प्रबंधक हैं जो क्लाइंट के निवेशों को निवेश और विनिहित करते हैं।
एक प्रमाणित कंपनी निवेश सलाहकार को प्रत्येक क्लाइंट की व्यक्तिगत जरूरतों और जोखिम प्रोफाइल का मूल्यांकन करना चाहिए. उसके बाद सलाहकार उचित निवेश का सुझाव देते हैं।
परिसंपत्ति आवंटन
परिसंपत्ति के वर्ग की अलग-अलग परिभाषाओं को लेकर काफी विवाद है लेकिन आम तौर पर इसके चार प्रभाग स्टॉक, बांड, अचल संपत्ति और कमोडिटी (व्यापारिक वस्तुएं) हैं। इन परिसंपत्तियों के बीच (और प्रत्यक परिसंपत्ति वर्ग के भीतर व्यक्तिगति प्रतिभूतियों के बीच) कोष के आवंटन के काम को अंजाम देने के लिए ही निवेश प्रबंधन कंपनियों को भुगतान किया जाता है। परिसंपत्ति वर्ग अलग-अलग बाजार गतिशीलता और अलग-अलग परस्पर प्रभावों का प्रदर्शन करते हैं जिससे कोष के प्रबंधन पर परिसंपत्ति वर्गों के बीच पैसे के आवंटन का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. कुछ शोधों से पता चलता है कि परिसंपत्ति वर्गों के बीच किए जाने वाले आवंटन में पोर्टफोलियो प्रतिफल के निर्धारण में व्यक्तिगत हिस्सेदारी के चुनाव की तुलना में अधिक भाविसूचक शक्ति होती है। जाहिर है कि एक सफल निवेशक प्रबंधक का कौशल परिसंपत्ति आवंटन के निर्माण में और अलग से व्यक्तिगत हिस्सेदारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिससे कुछ मानदंडों से बेहतर परिणाम दिया जा सके (जैसे प्रतिस्पर्धी कोषों, बांड और शेयर सूचकांकों का साथी समूह)...
दीर्घकालीन प्रतिफल
विभिन्न परिसंपत्तियों के दीर्घकालीन प्रतिफलों के सबूत और आवधिक प्रतिफलों (विभिन्न परिमाण वाले निवेशों पर औसत रूप से प्राप्त होने वाले प्रतिफल) की हिस्सेदारी पर ध्यान देना बहुत मायने रखता है। उदाहरण के लिए ज्यादातर देशों में काफी लंबी धारण अवधि (जैसे 10+ वर्ष) में बांडों की तुलना में इक्विटियों से अधिक प्रतिफल प्राप्त हुआ है और नकद राशि की तुलना बांडों से अधिक प्रतिफल प्राप्त हुआ है। वित्तीय सिद्धांत के अनुसार इसका कारण यह है कि बांडों की तुलना में इक्विटी अधिक जोखिम भरा (अधिक अस्थिर) होता है जबकि नकदी की तुलना में बांड अधिक जोखिम भरा होता है।
विविधीकरण
परिसंपत्ति आवंटन की पृष्ठभूमि के खिलाफ कोष प्रबंधक विविधीकरण की डिग्री पर विचार करते हैं जो किसी प्रदत्त क्लाइंट (इसकी जोखिम वरीयताओं को प्रदान करके) के लिए अर्थपूर्ण होता है और जिससे तदनुसार योजनाबद्ध हिस्सेदारियों की सूची का निर्माण होता है। इस सूची से यह संकेत मिलेगा कि प्रत्येक विशेष स्टॉक या बांड में कितना प्रतिशत धन का निवेश किया जाना चाहिए. पोर्टफोलियो विविधीकरण के सिद्धांत का प्रतिपादन मार्कोविट्ज़ (और कई अन्य) ने किया था और प्रभावी विविधीकरण के लिए परिसंपत्ति प्रतिफलों और देयता प्रतिफलों, पोर्टफोलियो के आतंरिक मुद्दों (व्यक्तिगत हिस्सेदारी अस्थिरता) और प्रतिफलों के बीच पार-सहसंबंधों के बीच आपसी सम्बन्ध का प्रबंधन आवश्यक है।
निवेश शैली
संस्थानों द्वारा विभिन्न प्रकार की शैलियों के आधार पर कोष प्रबंधन किया जाता है। उदाहरण के लिए वृद्धि, मूल्य, बाजार तटस्थ, छोटा पूंजीकरण, सूचकांक, इत्यादि. इनमें से प्रत्येक दृष्टिकोण की अपनी विशिष्ट विशेषताएं, समर्थक और किसी विशेष वित्तीय परिवेश में अपनी विशिष्ट जोखिम विशेषताएं होती हैं। उदाहरण के लिए यह बात साफ़ है कि वृद्धि शैलियां (तेजी से बढ़ती कमाई की खरीदारी) खास तौर पर तब प्रभावी होती हैं जब इस तरह की वृद्धि उत्पन्न करने में सक्षम कंपनियां नाममात्र की होती हैं; इसके विपरीत जब इस तरह की वृद्धि बहुत ज्यादा मात्रा में होती है तब यह बात साफ़ हो जाता है कि मूल्य शैलियां सूचकांकों खास तौर पर सफलतापूर्वक मात देती हुई प्रतीत होती हैं।
प्रदर्शन मापन
कोष प्रदर्शन को अक्सर कोष प्रबंधन की कसौटी माना जाता है और संस्थागत सन्दर्भ में सही माप एक आवश्यकता है। इस उद्देश्य से संस्थान अपने प्रबंधन के तहत प्रत्येक कोष (और आम तौर पर आतंरिक उद्देश्य से प्रत्येक कोष के घटक) के प्रदर्शन की माप करते हैं और प्रदर्शन की माप प्रदर्शन मापन में विशेषज्ञता प्राप्त बाहरी कंपनियों द्वारा भी की जाती है। प्रमुख प्रदर्शन मापन कंपनियां (जैसे अमेरिका में फ्रैंक रसेल (Frank Russell) या यूरोप में बी-सैम (BI-SAM) ) सकल उद्योग विवरण जमा करती है जैसे यह दिखाते हुए कि कैसे कोषों को आम तौर पर विभिन्न समयावधियों में सहकर्मी समूहों और प्रदत्त सूचकांकों के खिलाफ प्रदर्शित किया जाता है।
एक विशिष्ट मामले में (एक इक्विटी फंड को ही ले लीजिए) हर तिमाही पर गणना की जाएगा (जहां तक क्लाइंट का सम्बन्ध है) और पिछली तिमाही की तुलना में प्रतिशत परिवर्तन दिखाई देगा (जैसे अमेरिकी डॉलर में कुल +4.6% प्रतिफल). संस्थान के भीतर प्रबंधन इसी तरह के अन्य कोषों के साथ (आतंरिक नियंत्रणों की निगरानी करने के उद्देश्य से), सहकर्मी समूह कोषों के प्रदर्शन विवरण के साथ और प्रासंगिक सूचकांकों (जहां लागू हो) या टेलर-निर्मित प्रदर्शन मानदंडों (जहां उपयुक्त हो) के साथ इस आंकड़े की तुलना की जाएगी. विशेषज्ञता प्राप्त प्रदर्शन मापन कंपनियां चतुर्थक और दशमक डेटा की गणना करती हैं और किसी भी कोष की (शतमक) रैंकिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
आम तौर पर कहा जाता है कि व्यवसाय चक्र के प्रदर्शन और प्रभाव में अतिअल्पकालीन उतार चढ़ाव को सहज बनाने के लिए अपने क्लाइंटों को लंबी अवधियों (जैसे 3 से 5 वर्ष) में प्रदर्शन का आकलन करने के लिए राजी करना एक निवेश कंपनी के लिए शायद उपयुक्त होता है। हालांकि यह काम मुश्किल साबित हो सकता है और उद्योग की दृष्टि से अल्पकालिक संख्याओं के साथ एक गंभीर तल्लीनता आ जाती है और क्लाइंटों के साथ स्थापित संबंधों (और संस्थान के लिए परिणामी व्यावसायिक जोखिमों) पर असर पड़ने लगता है।
एक स्थायी समस्या यह है कि प्रदर्शन की माप कर से पहले की जानी चाहिए या कर के बाद. कर-पश्चात प्रदर्शन निवेशक के लाभ का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन निवेशक की कर स्थिति भिन्न हो सकती है। कर-पूर्व प्रदर्शन खास तौर पर नियम की दृष्टि से भ्रामक हो सकता है जिससे प्राप्त (न कि अप्राप्त) पूंजीगत लाभ पर कर लगता है। इस प्रकार यह संभव है कि सफल सक्रिय प्रबंधक (कर से पहले मापित) दुखद कर-पश्चात परिणाम उत्पन्न कर सकते हैं। इसका एक संभव समाधान यह है कि किसी मानक करदाता को कर-पश्चात स्थिति की रिपोर्ट दी जाए.
जोखिम-समायोजित प्रदर्शन मापन
प्रदर्शन मापन को केवल कोष प्रतिफल के मूल्यांकन तक ही सीमित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इसमें अन्य कोष तत्वों को भी एकीकृत करना जरूरी है जो निवेशकों के लिए रूचिकर होगा जैसे उठाए गए जोखिम की माप. कई अन्य पहलू भी प्रदर्शन मापन का हिस्सा हैं: यह मूल्यांकन करना कि क्या प्रबंधकों को अपने उद्देश्य को पूरा करने में सफलता मिली है अर्थात् क्या उनका प्रतिफल उठाए गए जोखिमों के लिए पर्याप्त रूप से अधिक था; अपने सहकर्मियों की तुलना में उनकी स्थिति कैसी है; और अंततः पोर्टफोलियो प्रबंधन के परिणाम भाग्य से प्राप्त हुए थे या प्रबंधक के कौशल की वजह से. इन सभी सवालों के जवाब देने की जरूरत के फलस्वरूप अधिक परिष्कृत प्रदर्शन मापों का विकास हुआ है जिनमें से कई मापों की उत्पत्ति आधुनिक पोर्टफोलियो सिद्धांत में हुई है। आधुनिक पोर्टफोलियो सिद्धांत ने मात्रात्मक कड़ी की स्थापना की जो पोर्टफोलियो जोखिम और प्रतिफल के बीच मौजूद है। शार्प (1964) द्वारा विकसित कैपिटल एसेट प्राइसिंग मॉडल (सीएपीएम) ने जोखिम प्रदान करने की धारणा पर प्रकाश डाला और प्रथम प्रदर्शन संकेतकों को प्रस्तुत किया, चाहे वे जोखिम-समायोजित अनुपात (शार्प अनुपात, सूचना अनुपात) हो या मानदंडों की तुलना में अंतरीय प्रतिफल (अल्फा). शार्प अनुपात सबसे सरल और सबसे मशहूर प्रदर्शन माप है। यह पोर्टफोलियो के कुल जोखिम की तुलना में जोखिम मुक्त दर की अधिकता में पोर्टफोलियो के प्रतिफल की माप करता है। इस माप को पूर्ण माना जाता है क्योंकि यह किसी मानदंड को संदर्भित नहीं करता है और मानदंड के खराब विकल्प से संबंधित कमियों से दूर रहता है। इस बीच यह बाजार के प्रदर्शन के अलगाव की अनुमति नहीं देता है जिसमें प्रबंधक की तरफ से पोर्टफोलियो का निवेश किया गया है। सूचना अनुपात शार्प अनुपात का अधिक सामान्य रूप है जिसमें जोखिम मुक्त परिसंपत्ति को मानदंड पोर्टफोलियो द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है। यह माप सापेक्ष है क्योंकि एक मानदंड के सन्दर्भ में पोर्टफोलियो प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है जिससे परिणाम काफी हद तक इस मानदंड विकल्प पर आधारित होता है।
पोर्टफोलियो अल्फा को पोर्टफोलियो के प्रतिफल और मानदंड पोर्टफोलियो के प्रतिफल के बीच के अंतर की माप करके प्राप्त किया जाता है। यह माप सक्रिय प्रबंधन का मूल्यांकन करने के लिए एकमात्र विश्वसनीय प्रदर्शन माप प्रतीत होता है। वास्तव में हमें चाहे बाजार समय, स्टॉक पीकिंग या सौभाग्य से विभिन्न जोखिमों के प्रति पोर्टफोलियो अनावरण के लिए उचित इनाम द्वारा प्रदान किए जाने वाले और प्रबंधक के कौशल (या भाग्य) की वजह से असामान्य प्रदर्शन (या बहिर्प्रदर्शन) से निष्क्रिय प्रबंधन के माध्यम से प्राप्त होने वाले सामान्य प्रतिफलों के बीच अंतर स्थापित करना पड़ता है। पहला घटक आवंटन और शैली निवेश विकल्पों से संबंधित है जो प्रबंधक के एकाकी नियंत्रण के अधीन नहीं हो सकता है और जो आर्थिक सन्दर्भ पर निर्भर करता है जबकि दूसरा घटक प्रबंधक के फैसलों की सफलता का मूल्यांकन है। केवल परवर्ती घटक जिसे अल्फा द्वारा मापा जाता है, प्रबंधक के सच्चे प्रदर्शन के मूल्यांकन की अनुमति देता है (लेकिन तभी जब आप यह मान लें कि कोई भी बहिर्प्रदर्शन कौशल की वजह से न कि भाग्य से हुआ है).
कारक मॉडलों का इस्तेमाल करके पोर्टफोलियो प्रतिफल का मूल्यांकन किया जा सकता है। जेनसेन (1968) द्वारा प्रस्तावित पहला मॉडल सीएपीएम (CAPM) पर निर्भर करता है और एकमात्र कारक के रूप में बाजार सूचकांक के साथ पोर्टफोलियो प्रतिफलों की व्याख्या करता है। हालांकि यह तुरंत स्पष्ट हो जाता है कि बहुत अच्छी तरह से प्रतिफलों की व्याख्या करने के लिए केवल एक कारक काफी नहीं है और इसलिए अन्य कारकों पर भी विचार करना चाहिए. सीएपीएम के एक विकल्प के रूप में बहु-कारक मॉडलों का विकास किया गया जो पोर्टफोलियो जोखिमों के बेहतर वर्णन और पोर्टफोलियो के प्रदर्शन के अधिक सटीक मूल्यांकन की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, फामा एण्ड फ्रेंच (1993) ने दो महत्वपूर्ण कारकों पर प्रकाश डाला है जो बाजार जोखिम के अलावा एक कंपनी के जोखिम को भी चित्रित करते हैं। ये कारक किताब से बाजार तक का अनुपात और कंपनी के बाजार पूंजीकरण द्वारा मापित कंपनी का आकार हैं। इसलिए फामा एण्ड फ्रेंच ने पोर्टफोलियो के सामान्य प्रतिफलों का वर्णन करने के लिए तीन कारकों वाले मॉडल (फामा-फ्रेंच थ्री-फैक्टर मॉडल) का प्रस्ताव दिया. कार्हार्ट (1997) ने प्रतिफलों की अल्पकालिक दृढ़ता पर ध्यान देने के लिए एक चौथे कारक के रूप में संवेग को शामिल करने का प्रस्ताव दिया. इसके अलावा शार्प (1992) का शैली विश्लेषण मॉडल भी प्रदर्शन मापन के लिए हितकर है जिसमें कारक शैली सूचकांक हैं। यह मॉडल प्रत्येक पोर्टफोलियो को विकसित करने के लिए एक प्रथागत मानदंड की अनुमति देता है जिसके तहत शैली सूचकांकों के रैखिक संयोजन का इस्तेमाल किया जाता है जो पोर्टफोलियो शैली आवंटन को सबसे बेहतर ढंग से दोहराते हैं और जिसके फलस्वरूप पोर्टफोलियो अल्फा का सटीक मूल्यांकन प्राप्त होता है।
शिक्षा या प्रमाणीकरण
अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक स्कूल बड़ी तेजी से इस विषय को अपने पाठ्यक्रम की रूपरेखा में शामिल कर रहे हैं और कुछ स्कूलों ने विशेषज्ञ स्नातक की उपाधियों के रूप में 'निवेश प्रबंधन' या 'परिसंपत्ति प्रबंधन' के शीर्षक का निर्माण भी कर दिया है (जैसे कास बिजनेस स्कूल, लन्दन). बेहतरीन व्यावसायिक स्कूली कार्यक्रमों में से 560 से अधिक कार्यक्रमों को मान्यता देने वाले दो प्रमुख मान्यीकरण एजेंसियों एएसीएसबी (AACSB) और एसीबीएसपी (ACBSP) के साथ वैश्विक पार-मान्यता समझौतों की वजह से अमेरिकन अकादमी ऑफ फाइनेंसियल मैनेजमेंट का सर्टिफिकेशन ऑफ एमएफपी मास्टर फाइनेंसियल प्लानर प्रोफेशनल वित्त या वित्तीय सेवा संबंधी संकेद्रण वाले एएसीएसबी और एसीबीएसपी व्यवसायिक स्कूली स्नातकों के लिए उपलब्ध है। एक निवेश प्रबंधक बनने की आकांक्षा रखने वाले लोगों के लिए व्यवसाय, वित्त या अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद अतिरिक्त शिक्षा की जरूरत पड़ सकती है। निवेश प्रबंधन उद्योग के अभ्यासकर्ताओं के लिए कनाडा में सीआईएम जैसे पदनाम आवश्यक हैं। स्नातक की उपाधि या निवेश योग्यता जैसे चार्टर्ड फाइनेंसियल एनालिस्ट (सीएफए (CFA)) पदनाम या मैनेजमेंट लैबोरेटरी द्वारा सर्टिफाइड फाइनेंसियल मार्केट्स प्रैक्टिशनर (सीएफएमपी (CFMP)) परीक्षा से निवेश प्रबंधन के क्षेत्र में करियर बनाने में मदद मिल सकती है।
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि किसी भी विशेष योग्यता से एक निवेश प्रबंधक के सबसे अधिक वांछनीय विशेषता में वृद्धि नहीं होती है जो निवेशों का चयन करने की योग्यता है जिसकी वजह से औसत से अधिक (जोखिम भारित) दीर्घकालिक प्रदर्शन का परिणाम प्राप्त होता है। किसी भी औपचारिक योग्यता के संदर्भ के बिना ऐसे लोगों को ढूंढ निकालना, उन्हें नियुक्त करना और उदारतापूर्वक उन्हें पुरस्कृत करना इस उद्योग की एक परंपरा है।
इन्हें भी देखें
सक्रिय प्रबंधन
अल्फा कैप्चर सिस्टम
कॉरपोरेट शासन पद्धति
मुद्रा कोष
निवेश
परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों की सूची
निष्क्रिय प्रबंधन
विनिमय-व्यापारित कोष (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड)
व्यक्तिगत सूचना प्रबंधक
पेंशन फंड
पोर्टफोलियो
अलग से प्रबंधित किया जाने वाला खाता
संक्रमण प्रबंधन
सन्दर्भ
2. Fund Management In Hindi
आगे पढ़ें
डेविड स्वेन्सेन, "पायनियरिंग पोर्टफोलियो मैनेजमेंट: एन अनकन्वेंशनल एप्रोच टू इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टमेंट," न्यूयॉर्क, एनवाई (NY): द फ्री प्रेस, मई 2000.
रेक्स ए सिंकफेल्ड और रोजर जी इबोटसन, एनुअल इयरबुक्स डीलिंग विथ स्टॉक्स, बांड्स, बिल्स एण्ड इन्फ्लेशन (अमेरिकी वित्तीय परिसंपत्तियों के दीर्घकालिक प्रतिफलों के लिए प्रासंगिक).
हैरी मार्कोविट्ज़, पोर्टफोलियो सेलेक्शन: एफिशिएंट डाइवर्सिफिकेशन ऑफ इन्वेस्टमेंट्स, न्यू हैवेन: येल यूनिवर्सिटी प्रेस
एस एन लेविन, द इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स हैंडबुक, इरविन प्रोफेशनल पब्लिशिंग (मई 1980), ISBN 0-87094-207-7.
वी ले सॉर्ड, 2007, "परफॉर्मेंस मेज़रमेंट फॉर ट्रडिशनल इन्वेस्टमेंट - लिटरेचर सर्वे", ईडीएचईसी पब्लिकेशन (EDHEC Publication).
बाहरी कड़ियाँ
इन्वेस्टमेंट कंपनी इंस्टिट्यूट - अमेरिकी उद्योग निकाय
मैनेजमेंट लैबोरेटरी - वित्तीय बाजारों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन निकाय
इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट एसोसिएशन - ब्रिटेन उद्योग निकाय
वित्तीय सेवाएं
निवेश
वित्तीय जोखिम | 4,050 |
550601 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9 | भूपेन्द्र सिंह | भूपेन्द्र सिंह (अंग्रेजी: Bhupinder Singh (musician), जन्म: 8 अप्रैल 1939 पटियाला) मुम्बई मे 83 वर्ष की आयु मे 18 जुलाई 2022 की आपका स्वर्गवास हो गया ।
आप हिन्दी फ़िल्मों के पार्श्वगायक एवं संगीतकार थे। भारत में जन्मे भूपेन्द्र सिंह बहुत अच्छा गिटार भी बजाते थे। उनकी पत्नी मिताली सिंह भी एक गायिका हैं। दोनों पति-पत्नी ने मिलकर संगीत के क्षेत्र में विशेष रूप से गज़ल-गायिकी में पर्याप्त ख्याति अर्जित की नाम गुम जायेगा चेहरा ये बदल जायेगा , मेरी आवाज हि पहचान है गर याद रहे, - किनारा फिल्म का यह गीत खूब प्रसिद्द हुवा था ।
म्थना ।
प्रारम्भिक जीवन
भूपेन्द्र सिंह का जन्म ब्रिटिश राज के दौरान पंजाब प्रान्त की पटियाला रियासत में 8 अप्रैल 1939 को हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह पंजाबी सिख थे। यद्यपि वे बहुत अच्छे संगीतकार थे लेकिन मौसिकी सिखाने के मामले में बेहद सख्त उस्ताद थे। अपने पिता की सख्त मिजाजी देखकर शुरुआती दौर में बालक भूपिन्दर को संगीत से नफ़रत सी हो गयी थी। एक वह भी जमाना था जब भूपिन्दर संगीत को बिल्कुल भी पसन्द नहीं करता था।
कैरियर
धीरे-धीरे भूपिन्दर में गज़ल गायन के प्रति रुचि जागृत हुई और वह अच्छी गज़लें गाने लगा। शुरू-शुरू में भूपेन्द्र नें आकाशवाणी पर अपना कार्यक्रम पेश किया। आकाशवाणी पर उसकी प्रस्तुतियाँ देखकर दूरदर्शन केन्द्र, दिल्ली में उसे अवसर मिला। वहीं से उसने वायलिन और गिटार भी सीखा। सन् 1968 में संगीतकार मदन मोहन ने आल इण्डिया रेडियो पर उसका कार्यक्रम सुनकर दिल्ली से बम्बई बुला लिया। सबसे पहले उसे फ़िल्म हकीकत में मौका मिला जहाँ उसने "होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा" गज़ल गायी। यद्यपि यह गज़ल तो हिट हुई लेकिन भूपेन्द्र सिंह को इससे कोई खास पहचान नहीं मिली। हालांकि वह कम बजट की फ़िल्मों के लिये बराबर गाते रहे।
इसके बाद भूपेन्द्र ने स्पेनिश गिटार और ड्रम पर कुछ गज़लें पेश कीं। इससे पूर्व वे 1968 में अपनी लिखी और गायी हुई गज़लों की एलपी ला चुके थे। परन्तु इस नये प्रयोग को जब उन्होंने दूसरी एलपी में पेश किया तो सबका ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ। इसके बाद "वोह जो शहर था" नाम से 1978 में जारी तीसरी एलपी से उन्हें खासी शोहरत मिली। गीतकार गुलज़ार ने इस एलपी के गाने 1980 में लिखे थे।
व्यक्तिगत जीवन
1980 के दशक में भूपेन्द्र सिंह ने बाँगलादेश की एक हिन्दू गायिका मिताली सिंह से शादी कर ली। उसके बाद उन्होंने पार्श्वगायकी से सम्बन्धविच्छेद कर लिया। मिताली-भूपेन्द्र सिंह के नाम से युगल गायिकी में उन्होंने कई अच्छे कार्यक्रम पेश किये जिनसे उनकी शोहरत को चार चाँद लग गये। लेकिन जैसा उन्होंने स्वयं कहा है "कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता" उन दोनों के कोई सन्तान नहीं हुई।
बेहतरीन नग्मे
भूपेन्द्र सिंह के गाये हुए बेहतरीन यादगार गीत व गज़ल इस प्रकार हैं:
दिल ढूँढता है,
दो दिवाने इस शहर में,
नाम गुम जायेगा,
करोगे याद तो,
मीठे बोल बोले,
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
किसी नज़र को तेरा इन्तज़ार आज भी है
दरो-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं,खुश रहो अहले-वतन हम तो सफर करते हैं
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
आन्दोलन (1977 फ़िल्म)
बाहरी कड़ियाँ
हिन्दी गीतमाला
अधिकृत वेबसाइट
दरो-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं- जेम्स बांड/रफ़ीक खाँ का वीडियो
गायक
हिन्दी फ़िल्म संगीतकार
२०२२ में निधन | 531 |
46802 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A3%20%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0%2C%20%E0%A4%96%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%8B | लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो | पंचायतन शैली का यह सांघार प्रसाद, विष्णु को समर्पित है। बलुवे पत्थर से निर्मित, भव्य: मनोहारी और पूर्ण विकसित खजुराहो शैली के मंदिरों में यह प्राचीनतम है।
९८' लंबे और ४५' चौड़े मंदिर के अधिष्ठान की जगती के चारों कोनों पर चार खूंटरा मंदिर बने हुए हैं। इसके ठीक सामने विष्णु के वाहन गरुड़ के लिए एक मंदिर था। गरुड़ की प्रतिमा अब लुप्त हो गयी है। वर्तमान में इस छोटे से मंदिर को देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। लक्ष्मण मंदिर से ही प्राप्त एक अभिलेख से पता चलता है कि चन्देल वंश की सातवीं पीढ़ी में हुए यशोवर्मण (लक्षवर्मा) ने अपनी मृत्यु से पहले खजुराहो में बैकुंठ विष्णु का एक भव्य मंदिर बनवाया था। इससे यह पता चलता है कि यह मंदिर ९३०- ९५० के मध्य बना होगा, क्योंकि राजा लक्षवर्मा ने ९५४ में मृत्यु पायी थी। इसके शिल्प और वास्तु की विलक्षणताओं से भी यही तिथि उपयुक्त प्रतीत होती है। यह अलग बात है कि यह मंदिर विष्णु के बैकुंठ रूप को समर्पित है, लेकिन नामांकरण मंदिर निर्माता यशोवर्मा के उपनाम लक्षवर्मा के आधार पर हुआ है।
शिल्प और वास्तु की दृष्टि से लक्ष्मण मंदिर खजुराहो के परिष्कृत मंदिरों में सर्वोत्कृष्ट है। इसके अर्द्धमंडप, मंडप और महामंडप की छतें स्तुपाकार हैं, जिसमें शिखरों का अभाव है। इस मंदिर- छतों की विशेषताएँ सबसे अलग है। कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :-
. इसके मंडप और महामंडप की छतों के पीढ़े खपरों की छाजन के समान है,
. महामंडप की छत के पीढ़ो के सिरों का अलंकरण अंजलिबद्ध नागों की लघु आकृतियों से किया गया है।
. मंडप की छत पर लटकी हुई पत्रावली के साथ कलश का किरिट है।
. इस मंदिर के मंडप और महामंडप की छतें स्तूपाकार है।
. मंदिर के महामंडप में स्तंभों के ऊपर अलंवन बाहुओं के रूप में अप्सराएँ शिल्प कला की अनुपम कृतियाँ हैं।
इस मंदिर की मूर्तियों की तरंगायित शोभा गुप्ताशैली से प्रभावित है। मंदिर के कुछ स्तंभों पर बेलबूटों का उत्कृष्ट अलंकन है। मंदिर के मकर तोरण में योद्धाओं को बड़ी कुशलता से अंकित किया गया है। खजुराहो के मंदिरों से अलग, इस देव प्रासाद की कुछ दिग्पाल प्रतिमाएँ द्विभुजी है और गर्भगृह के द्वार उत्तीर्ण कमलपात्रों से अलंकृत किया गया है।
इस मंदिर के प्रवेश द्वार के सिरदल एक दूसरे के ऊपर दो स्थूल सज्जापट्टियाँ हैं।
निचली सज्जापट्टी के केन्द्र में लक्ष्मी की प्रतिमा है।
इसके दोनों सिरों के एक ओर ब्राह्मण तथा दूसरी ओर शिव की प्रतिमा अंकित की गयी है।
इसमें राहू की बड़ी- बड़ी मूर्तियाँ स्थापित हैं।
द्वार शाखाओं पर विष्णु के विभिन्न अवतारों का अंकन हुआ है।
गर्भगृह में विष्णु की त्रिमुख मूर्ति प्रतिष्ठित है।
मंदिर के जंघा में अन्य मंदिरों की तरह एक- दूसरे के समानांतर मूर्तियों दो बंध है। इनमें देवी- देवताओं, शार्दूल और सुर- सुंदरियों की चित्ताकर्षक तथा लुभावनी मूर्तियाँ हैं। मंदिर की जगती पर मनोरंजक और गतिशील दृश्य अंकित किया है। इन दृश्यों में आखेट, युद्ध के दृश्य, हाथी, घोड़ा और पैदल सैनिकों के जुलूस, अनेक परिवारिक दृश्यों का अंकन मिलता है।
चित्रदीर्घा
सन्दर्भ
मध्य प्रदेश के हिन्दू मंदिर
विष्णु मन्दिर | 501 |
182038 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A7-%E0%A4%B6%E0%A4%B2%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%A8 | अर्ध-शलभासन |
अर्ध-शलभासन
शलभ एक किट को कहते है और शलभ टिड्डे को भी। इस आसन में शरीर की आकृति कुछ इसी तरह की हो जाती है इसीलिए इसे शलभासन कहते है। एक पैर को ऊपर उठाने से इस आसन को अर्ध-शलभासन कहते है।
विधि
इस आसन की गिनती भी पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में की जाती है। पेट के बल लेटकर सबसे पहले ठोड़ी को भूमि पर टिकाएँ। फिर दोनों हाथों को जँघाओं के नीचे दबाएँ। तब श्वास अन्दर लेकर एक पैर को ऊपर उठाएँ। पैर को और ऊपर उठाने के लिए हाथों की हथेलियों से जँघाओं को दबाएँ।
वापस आने के लिए धीरे-धीर पैर को भूमि पर ले आए। फिर हाथों को जँघाओं के नीचे से निकालते हुए मकरासन की स्थिति में लेट जाएँ।
सावधानी
घुटने से पैर नहीं मुड़ना चाहिए। ठोड़ी भूमि पर टिकी रहे। 10 से 30 सेकंड तक इस स्थिति में रहें। जिन्हें मेरुदण्ड, पैरों या जँघाओं में कोई गंभीर समस्या हो वह योग चिकित्सक से सलाह लेकर ही यह आसन करें।
लाभ
मेरुदण्ड के नीचे वाले भाग में होने वाले सभी रोगो को दूर करता है। कमर दर्द एवं सियाटिक दर्द के लिए विशेष लाभप्रद है।
योगासन
योग | 196 |
1260349 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A6%20%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%AE%20%28%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%9F%E0%A4%B0%2C%202001%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29 | मोहम्मद वसीम (क्रिकेटर, 2001 का जन्म) | मोहम्मद वसीम (जन्म 25 अगस्त 2001) एक पाकिस्तानी क्रिकेटर हैं। उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा के लिए 26 नवंबर 2020 को प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया, 2020-21 क्वैद-ए-आज़म ट्रॉफी में। अपने प्रथम श्रेणी के पदार्पण से पहले, वह 2020 अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के लिए पाकिस्तान के दस्ते का हिस्सा थे। जनवरी 2021 में, उन्हें 2020-21 पाकिस्तान कप के लिए खैबर पख्तूनख्वा के दस्ते में नामित किया गया था। उन्होंने अपनी लिस्ट ए की शुरुआत 18 जनवरी 2021 को, खैबर पख्तूनख्वा के लिए, 2020–21 पाकिस्तान कप में की। उन्होंने 20 फरवरी को पाकिस्तान सुपर लीग में इस्लामाबाद यूनाइटेड के लिए 21 फरवरी 2021 को अपना ट्वेंटी 20 डेब्यू किया।
सन्दर्भ
जीवित लोग
पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी
पाकिस्तान के एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी
2001 में जन्मे लोग | 124 |
63570 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%9C | मोहनलालगंज | मोहनलालगंज लखनऊ जिले की एक तहसील और उसका ब्लॉक है।
[प्रमुख स्थानों से दूरी]
मोहनलालगंज चारबाग़ रेलवे स्टेशन से लगभग 20 किलोमीटर,विधानसभा से 22 किलोमीटर आलमबाग बस अड्डे से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है।
[आवागमन के साधन ] मोहनलालगंज रेलवे स्टेशन रायबरेली रेल मार्ग पर स्तिथ है जहाँ पर अभी पैसेंजर ट्रेन ही रुकती है भविष्य में एक्सप्रेस ट्रेन के ठहराव की भी योजना है।
मोहनलालगंज में बस यातायात व्यवस्था बेहद अच्छी है लगभग 10 मिनट के अंतराल पर बस उपलब्ध हैं बस यात्रियों के लिए बस स्टैंड पर बेहतरीन सुविधाये है।
[धार्मिक स्थल]
मोहनलालगंज में कई प्रमुख धार्मिक स्थल है जिनमे से श्री काशीश्वर महादेव मंदिर (राजा विजय कुमार त्रिपाठी व उनके पूर्वजो द्वारा बनवाया हुआ) ; कालेबीर बाबा मंदिर (जनवार ठाकुरो द्वारा बनवाया हुआ मंदिर) , माँ कालेश्वरी देवी मंदिर (हुलास खेड़ा मोहनलालगंज तहसील से 4 किलोमीटर दूरी पर स्तिथ जनवार ठाकुरो द्वारा बनवाया हुआ) , अहिनिवार धाम (अहिनिवार गांव निगोहां महाभारत कालीन मंदिर व सरोवर पांडवों द्वारा बनवाया हुआ) और उसी से लगा हुआ सई नदी के किनारे प्रसिद्ध और प्राचीन भवरेश्वर महादेव , आदि मन्दिर प्रमुख है ।
[शिक्षण संस्थान]
मोहनलालगंज में दर्जन भर से अधिक माध्यमिक शिक्षण संस्थान है जिनमे से नवजीवन इंटर कॉलेज, काशीश्वर इंटर कॉलेज , सन्त पीटर्स , नवीन पब्लिक स्कूल, मालती नारायन इंटर कॉलेज, सत्यनारायण इंटर कॉलेज व उच्च एवं तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में महेश प्रसाद डिग्री कॉलेज , सूर्या इंजीनियरिंग कॉलेज, महाराणा प्रताप इंजीनियरिंग कॉलेज , बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ला कॉलेज, अम्बालिका इंस्टीट्यूट, सरदार पटेल आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, तिरुपति पॉलिटेक्निक कॉलेज, जावित्री नर्सिंग स्कूल आदि प्रमुख है।
[प्रमुख उद्योग]
यहाँ पर उद्योग के नाम पर मात्र एक बड़ी फैक्ट्री यू पी ए एल ही है जो पूरे भारत मे सीमेंट की चादर बना कर भेजती है कुछ और छोटे उद्योग भी क्षेत्र में संचालित है।
[उत्सव स्थल व होटल आदि]
मोहनलालगंज में समय व्यतीत करने के लिए तमाम वाटर पार्क है जिनमे से फन सिटी और क्लब गोपाल खेड़ा, डायमंड रिजॉर्ट एंड वाटर पार्क मोहनलालगंज, फतेखेड़ा रिजॉर्ट और वाटर पार्क फतेखेड़ा है।
ठहरने व उत्सव आदि के लिए भी होटल व क्लब है जिनमे से प्रमुख डायमंड रिजॉर्ट, ब्लू ऑर्चिड, फार्म फ्रेश क्लब, सुंदर वाटिका आदि है।
यहाँ प्रमुख रूप से हिन्दी बोली जाती है।
[जीवन शैली]
यहाँ के अधिकांश लोग कृषि से ही अपना जीवन यापन करते है लोग बेहद सरलता व स्नेह पूर्वक रहते हैं प्रदेश की राजधानी का भाग होने के बावजूद यह क्षेत्र विकास में काफी पिछड़ा हुआ है।
[मोहनलालगंज के कुछ प्रमुख गांव]
इन्द्रजीतखेड़ा,धरमावत खेड़ा, पुरसेनी, दहियर, हुलास खेड़ा, अतरौली, उदयपुर, गनियार,जबरौली, डेहवा, ब्रह्मदासपुर , नान्दौली, उतरांवा , शिर्ष आदि है।
[प्रमुख बाजार]
मोहनलालगंज क्षेत्र की कुछ बड़ी ग्रामीण बाजार मोहनलालगंज कस्बा , खुझौली बाजार ,कनकहा बाजार , सिसेंडी बाजार ,निगोहां बाजार प्रमुख है
लखनऊ जिले की तहसीलेंलखनऊ मलिहाबाद मोहनलाल गंज सरोजनी नगर और बक्शी का तालाब कुल पांच
तहसील है
उक्त लेख में लब्ध समस्त सूचनाएँ एवं जानकारी वर्ष 2010 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के अंतर्गत एक शोध प्रबंध, जिसका शीर्षक " विकासखंड मोहनलालगंज का समन्वित ग्रामीण विकास :एक भौगोलिक अध्ययन" है, जो कि डॉ आशीष मिश्र के द्वारा किया गया है. विकासखंड Mohanlalganj पर अनेक लघु आलेख एवं रिसर्च पेपर डॉ आशीष मिश्र के द्वारा लिखे गये हैं, इसके अतिरिक्त इन अध्ययनों के द्वारा राज्य एवं केंद्र सरकारों को विकास खंड के सम्पोषणीय विकास के पैराडाईम से अवगत कराया गया है जिसमें यू जी सी जैसी मानक संस्था का प्रोजेक्ट के रूप में सहयोग रहा है. उक्त हेतु सुझाव आमंत्रित हैं - [email protected] | 576 |
945180 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A5%87%E0%A4%A8 | गोरिचेन | गोरिचेन पर्वत चोटी, भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में तवांग और पश्चिम कामेंग जिलों के बीच मौजूद एक पर्वत चोटी है। अरुणाचल प्रदेश पर्यटन विभाग के अनुसार कुल ऊँचाई के साथ यह पूर्वी भारत और अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी है। वर्तमान में यह गैर-प्रतिबंधित इलाके में है और पर्वतारोहण करने वालों के लिए खुली है तथा प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। कुछ अन्य स्रोतों के मुताबिक़ गोरिचेन समूह में कुल छह चोटियाँ हैं।
पर्यटन
ट्रेकिंग और पर्वतारोहण के लिए यहाँ सितंबर-अक्टूबर सबसे बेहतरीन होता है जब मानसून की बारिश बंद हो चुकी होती है और दृश्यता अच्छी होती है। अन्य स्रोतों में, जहाँ गोरिचेन को छह छोटियों के समूह के रूप में परिभाषित किया गया है, "कांग तो" चोटी, , जिसे स्थानीय रूप से "शेर काँगड़ी" कहते हैं, को सबसे ऊँचा बताया गया है और पूर्वी भारत की एकमात्र चोटी बताया जाता है जो सात हजार मीटर से अधिक ऊँचाई वाली है।
इन्हें भी देखें
कंगतो पर्वत
सन्दर्भ
हिमालय के पर्वत
तवांग ज़िला
अरुणाचल प्रदेश के पर्वत
छह हज़ारी | 169 |
506941 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B6%E0%A5%80%20%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | द्वादशी शिया | द्वादशी शिया या बारहवे शिया या इमामी शिया (अरबी: , अथ़ना अशरियाह; फ़ारसी: , शिया दवाज़देह एमामी; अंग्रेज़ी: Twelver Shia) शिया इस्लाम की सबसे बड़ी शाखा है। यह मानते हैं कि इनके पहले बारह इमाम (धार्मिक नेता) दिव्य रूप से चुने हुए थे। इनकी मान्यता है कि बारहवे (यानि अंतिम) इमाम जो ८७३-८७४ ईसवी में ग़ायब हो गए थे, भविष्य में लौट कर आएँगे। इन आने वाले बारहवे इमाम को 'महदी' कहा जाता है। पूरे शिया समुदाय में से लगभग ८५% बारहवे शिया ही होते हैं।
बारहवे शियाओं की मान्यताएँ इस्माइली शिया जैसे अन्य सम्बंधित समुदायों से मिलती हैं हालांकि उनमें आपस में इमामों की संख्या को लेकर और एक इमाम से अगले इमाम की उत्तराधिकारिता को लेकर असहमति है। यह इमाम की भूमिका और परिभाषा को लेकर भी आपस में असहमत हैं।
वाराह इमाम
इस सिलसिले को मानने वालों को बारह इमामी या इस्नाअशरी शिया कहा जाता है।
इमाम हज़रत अली (अलैहसलाम)
इमाम हजरत हसन (अलै ०)
इमाम हुसैन (अलै०)
इमाम हजरत जैनुल आबेदीन (अलै०)
मोहम्मद बाकिर( अलै०)
इमाम जाफर सादिक (अलै०)
इमाम मूसा काज़िम (अलै०)
इमाम अली रज़ा (अलै०)
इमाम महोम्मद तक़ी (अलै०)
इमाम अली नक़ी (अलै०)
इमाम हसन अस्करी (अलै०)
इमामे ज़माना (अलै०)
इन्हें भी देखें
शिया
सन्दर्भ
शिया इस्लाम | 203 |
247914 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80 | मेरी क्युरी | मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी, (७ नवम्बर १८६७ - ४ जुलाई १९३४) विख्यात भौतिकविद और रसायनशास्त्री थी। मेरी ने रेडियम की खोज की थी। विज्ञान की दो शाखाओं (भौतिकी एवं रसायन विज्ञान) में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक मां की दोनों बेटियों ने भी नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बडी बेटी आइरीन को १९३५ में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव को १९६५ में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
मेरी क्युरी का जन्म पोलैंड के वारसा नगर में हुआ था। महिला होने के कारण तत्कालीन वारसॉ में उन्हें सीमित शिक्षा की ही अनुमति थी। इसलिए उन्हें छुप-छुपाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करनी पड़ी। बाद में बड़ी बहन की आर्थिक सहायता की बदौलत वह भौतिकी और गणित की पढ़ाई के लिए पेरिस आईं। उन्होंने फ़्रांस में डॉक्टरेट पूरा करने वाली पहली महिला होने का गौरव पाया। उन्हें पेरिसविश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर बनने वाली पहली महिला होने का गौरव भी मिला। यहीं उनकी मुलाक़ात पियरे क्यूरी से हुई जो उनके पति बने। इस वैज्ञानिक दंपत्ति ने १८९८ में पोलोनियम की महत्त्वपूर्ण खोज की। कुछ ही महीने बाद उन्होंने रेडियम की खोज भी की। चिकित्सा विज्ञान और रोगों के उपचार में यह एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी खोज साबित हुई। १९०३ में मेरी क्यूरी ने पी-एच.डी. पूरी कर ली। इसी वर्ष इस दंपत्ति को रेडियोएक्टिविटी की खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। १९११ में उन्हें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में रेडियम के शुद्धीकरण (आइसोलेशन ऑफ प्योर रेडियम) के लिए रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला। विज्ञान की दो शाखाओं में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक मां की बड़ी बेटी आइरीन को १९३५ में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव के पति हेनरी रिचर्डसन लेवोइस को १९६५ में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
म्रुत्यु
66 साल की उम्र में फ्रांस के सांटोरियम में अप्लास्टिक एनीमिया को वजह से 1934 में उनकी मृत्यु हो गयी.
“जीवन में कुछ भी नहीं जिससे डरा जाए, आपको बस यही समझने की ज़रुरत है.”
मैडम क्युरी आज भले ही इस संसार में नही हैं किन्तु उनके द्वारा किये गए कार्य तथा समर्पण को विश्व कभी नही भूल सकता. आज भी समस्त विश्व में मैरी क्युरी श्रद्धा की पात्र हैं तथा उनको सम्मान से याद करना हम सबके लिए गौरव की बात है.
बाहरी कड़ियाँ
रेडियम महिला मारी क्यूरी भारत ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा प्रकाशित
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार
1867 में जन्मे लोग
पोलैंड के लोग
भौतिक विज्ञानी
नोबेल पुरस्कार विजेता
नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक
नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी
हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
१९३४ में निधन | 435 |
545782 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%20%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%9A | विश्व सामाजिक मंच | विश्व सामाजिक मंच एक नागरिक समाज संगठनों की एक वार्षिक बैठक है, जिसे पहली बार ब्राजील में आयोजित किया गया था। यह मंच वैश्वीकरण के समकालीन नज़रिए को चुनौती देकर एक वैकल्पिक भविष्य के विकास के लिए आत्म-सचेत प्रयास करता है। भारत में पहली बार विश्व सामाजिक मंच की मेजबानी मुंबई शहर में की गई। इसका परिचय देते हुए बी.बी.सी.हिंदी में प्रकाशित लेख विश्व सामाजिक मंच की बैठक मुंबई में में संजीव श्रीवास्तव ने लिखा कि-"मुख्य तौर पर ट्रेड यूनियन, ग़ैर सरकारी संगठनों और वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं वाले इस विश्व सामाजिक मंच के पीछे की सोच आर्थिक वैश्वीकरण का विरोध करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय मंच की है।"
विश्व सामाजिक मंच को वैश्विक नागरिक समाज की एक दृश्य अभिव्यक्ति माना जा सकता है।
इतिहास
विश्व सामाजिक मंच शब्द का पहली बार प्रयोग २००१ ई. में देखने को मिलता है किंतु इसकी जड़ें लातिन अमेरिकी आंदोलन एनक्वैंत्रो में मिलती हैं जो कार्यकर्ताओं के मध्य बैठक और विचारों के आदान-प्रदान पर जोर देता था। डब्ल्यूएसएफ के संस्थापकों में से कुछ प्रथम अंतर्राष्ट्रीय एनक्वैंत्रो का हिस्सा थे, जो कि मानवता और नवउदारवाद के खिलाफ थे। उन्होंने इस विचार का विस्तार करने और इसे अधिपति वैश्वीकरण तथा नवउदारवाद का विरोध करने वाले सभी धारियों के कार्यकर्ताओं के लिए एक वैश्विक मंच बनाने का फैसला किया।
2001 विश्व सामाजिक मंच
प्रथम विश्व सामाजिक मंच ब्राजील के पोर्टो एलेग्रे में 25 जनवरी से 30 जनवरी 2001 तक आयोजित किया गया था, जिसका आयोजन फ्रांसीसी संस्थान फॉर द टैक्सेशन ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस ऑफ एडिज (एटीटीएसी) समेत विभिन्न समूहों द्वारा किया गया था। डब्ल्यूएसएफ को आंशिक रूप से, पोर्टो एलेग्रे सरकार द्वारा, ब्राज़ीलियाई मज़दूर दल (पीटी) के नेतृत्व में प्रायोजित किया गया था।
2002 विश्व सामाजिक मंच
31 जनवरी से 5 फरवरी 2002 तक पोर्टो एलेग्रे में आयोजित दूसरे विश्व सामाजिक मंच में 12,000 से अधिक आधिकारिक प्रतिनिधियों ने 123 देशों, 60,000 उपस्थित लोगों, 652 कार्यशालाओं और 27 वार्ता में जन प्रतिनिधित्व किया था। 500 अमेरिकी प्रतिनिधियों में से अधिकांश को-जो संगठनों की एक बड़ी संख्या से बना था-मंच की "अंतर्राष्ट्रीय परिषद" के सदस्य के रूप में चुना गया था।
2003 विश्व सामाजिक मंच
तीसरा डब्ल्यूएसएफ पुनः जनवरी 2003 में पोर्टो एलेग्रे में आयोजित किया गया था।
2004 विश्व सामाजिक मंच
क्षेत्रीय सामाजिक मंच
विश्व सामाजिक मंच ने अमेरिकी सामाजिक मंच, यूरोपीय सामाजिक मंच, एशियाई सामाजिक मंच, भूमध्यसागरीय सामाजिक मंच और दक्षिणी अफ्रीका सामाजिक मंच समेत कई क्षेत्रीय सामाजिक मंचों के आयोजन को प्रेरित किया है।
स्थान
सामाजिक मंच
सन्दर्भ | 402 |
1403067 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A1 | ब्लैकबीर्ड | एडवर्ड टीच (वैकल्पिक रूप से एडवर्ड थैच की वर्तनी, c. 1680 - 22 नवंबर 1718), जिसे ब्लैकबीर्ड के नाम से जाना जाता है, एक अंग्रेजी समुद्री डाकू था जो वेस्ट इंडीज और ब्रिटेन के उत्तरी अमेरिकी उपनिवेशों के पूर्वी तट के आसपास संचालित होता था। उनके प्रारंभिक जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन वह क्वीन ऐनी के युद्ध के दौरान निजी जहाजों पर नाविक रहे होंगे, इससे पहले कि वह न्यू प्रोविडेंस के बहामियन द्वीप पर बस गए, कैप्टन बेंजामिन हॉर्निगोल्ड के लिए एक आधार, जिसका चालक दल टीच 1716 के आसपास शामिल हुआ। हॉर्निगोल्ड ने उसे एक नारे की कमान सौंप दी जिसे उसने पकड़ लिया था, और दोनों चोरी के कई कृत्यों में लगे हुए थे। दो और जहाजों के अपने बेड़े में शामिल होने से उनकी संख्या में वृद्धि हुई, जिनमें से एक की कमान स्टीड बोनट ने संभाली; लेकिन हॉर्निगोल्ड अपने साथ दो जहाजों को लेकर 1717 के अंत में समुद्री डकैती से सेवानिवृत्त हो गया।
टीच ने एक फ्रांसीसी दास जहाज पर कब्जा कर लिया, उसका नाम बदलकर क्वीन ऐनीज़ रिवेंज कर दिया, उसे 40 तोपों से लैस किया, और उसे 300 से अधिक पुरुषों के साथ नियुक्त किया। वह एक प्रसिद्ध समुद्री डाकू बन गया, उसका उपनाम उसकी मोटी काली दाढ़ी और डरावनी उपस्थिति से लिया गया; उनके दुश्मनों को डराने के लिए उनकी टोपी के नीचे जलाए गए फ़्यूज़ ( धीमे माचिस ) बाँधने की सूचना मिली थी। उन्होंने समुद्री लुटेरों का एक गठबंधन बनाया और बंदरगाह के निवासियों को फिरौती देकर चार्ल्स टाउन, दक्षिण कैरोलिना के बंदरगाह को अवरुद्ध कर दिया। इसके बाद उन्होंने क्वीन ऐनीज रिवेंज को उत्तरी कैरोलिना के ब्यूफोर्ट के पास एक सैंडबार पर घेर लिया। उन्होंने बोनट के साथ कंपनी को अलग कर दिया और बाथ, उत्तरी कैरोलिना में बस गए, जिसे बाथ टाउन भी कहा जाता है, जहां उन्होंने शाही क्षमा को स्वीकार किया। हालांकि, वह जल्द ही समुद्र में वापस आ गया, जहां उसने वर्जीनिया के गवर्नर अलेक्जेंडर स्पॉट्सवुड का ध्यान आकर्षित किया। स्पॉटवुड ने उसे पकड़ने के लिए सैनिकों और नाविकों की एक पार्टी की व्यवस्था की; 22 नवंबर 1718 को एक क्रूर युद्ध के बाद लेफ्टिनेंट रॉबर्ट मेनार्ड के नेतृत्व में नाविकों की एक छोटी सी सेना द्वारा टीच और उसके कई दल मारे गए।
टीच एक चतुर और गणना करने वाला नेता था, जिसने हिंसा के उपयोग को ठुकरा दिया था, इसके बजाय अपनी डरावनी छवि पर भरोसा करते हुए प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए जिसे उसने लूट लिया था। उनकी मृत्यु के बाद उनका रोमांटिककरण किया गया और कई शैलियों में कल्पना के कार्यों में एक कट्टरपंथी समुद्री डाकू के लिए प्रेरणा बन गए। | 435 |
893857 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%AE%20%E0%A4%B5%E0%A5%89%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%A8 | सैम वॉल्टन | सैम वॉल्टन (29 मार्च, 1918 – 5 अप्रैल, 1992; ) वॉलमार्ट के संस्थापक थे। वॉल्मार्ट आगे जाकर राजस्व के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा निगम बना। साथ-साथ वह दुनिया में सबसे बड़ा निजी नियोक्ता भी है।
सैम का जन्म ओक्लाहोमा में किसान परिवार में हुआ था। बाद में उनका परिवार मिज़ूरी में बस गया जहाँ उन्होंने पढ़ाई पूरी की। द्वितीय विश्व युद्ध में उन्होंने अमेरिकी सेना में अपनी सेवा भी दी।
सैम वाल्टन आधुनिक खुदरा बाजार के जनक माने जाते हैं। बिग बाजार, रिलायंस और कई अन्य खुदरा कंपनियां भारत में भी खुदरा बाजार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए वॉलमार्ट का अनुसरण करती हैं। बिजनेस को सफल बनाने के लिए अपनाये सैम वाल्टन के द्वारा बताए गए 10 नियम
1918 में जन्मे लोग
१९९२ में निधन
अमेरिकी अरबपति | 130 |
191141 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%28%E0%A4%85%E0%A4%A3%E0%A5%81%29 | जल (अणु) | जल () पृथ्वी की सतह पर सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला अणु है, जो इस ग्रह की सतह के 70% का गठन करता है। प्रकृति में यह तरल, ठोस और गैसीय अवस्था में मौजूद है। मानक दबावों और तापमान पर यह तरल और गैस अवस्थाओं के बीच गतिशील संतुलन में रहता है। घरेलू तापमान पर, यह तरल रूप में हल्की नीली छटा वाला बेरंग, बेस्वाद और बिना गंध का होता है। कई पदार्थ, जल में घुल जाते हैं और इसे सामान्यतः सार्वभौमिक विलायक के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। इस वजह से, प्रकृति में मौजूद जल और प्रयोग में आने वाला जल शायद ही कभी शुद्ध होता है और उसके कुछ गुण, शुद्ध पदार्थ से थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, ऐसे कई यौगिक हैं जो कि अनिवार्य रूप से, अगर पूरी तरह नहीं, जल में अघुलनशील है। जल ही ऐसी एकमात्र चीज़ है जो पदार्थ की सामान्य तीन अवस्थाओं में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है - अन्य चीज़ों के लिए रासायनिक गुण देखें. पृथ्वी पर जीवन के लिए जल आवश्यक है। जल आम तौर पर, मानव शरीर के 55% से लेकर 78% तक का निर्माण करता है।
जल के रूप
कई पदार्थों की तरह, जल, कई रूप ले सकता है जिसे मोटे तौर पर पदार्थ की प्रावस्था द्वारा वर्गीकृत किया गया है। तरल प्रावस्था जल के रूपों में सबसे आम है और यह वह रूप है जिसे आम तौर पर "जल" शब्द द्वारा अंकित किया जाता है। जल की ठोस प्रावस्था को बर्फ के रूप में जाना जाता है और आम तौर पर यह ठोस, मिश्रित क्रिस्टल जैसी संरचना का रूप लेता है जैसे आइस क्यूब, या नरम रूप से एकीकृत दानेदार क्रिस्टल जैसे हिम का रूप लेता है। ठोस H2O के विभिन्न प्रकार के क्रिस्टलीय और अनाकार स्वरूप की सूची के लिए, बर्फ लेख देखें. जल की गैसीय प्रावस्था को वाष्प (या भाप) जाना जाता है और इसे जल के एक पारदर्शी बादल का विन्यास धारण करने से पहचाना जाता है। जल की चौथी प्रावस्था, सुपर क्रिटिकल तरल, जो अन्य तीन रूपों की तुलना में आम नहीं है प्रकृति में शायद ही कभी घटित होती है। जब जल एक विशेष सूक्ष्म तापमान और एक विशेष सूक्ष्म दबाव (647 K और 22.064 MPa) पर पहुंच जाता है तो तरल और गैस प्रावस्था एक समरूप द्रव प्रावस्था में मिल जाती हैं, जब गैस और तरल, दोनों के गुण मौजूद होते हैं। चूंकि चरम तापमान या दबाव के तहत, जल अत्यंत सूक्ष्म हो जाता है, यह लगभग कभी स्वाभाविक रूप से नहीं होता है। जल के, स्वाभाविक रूप से अत्यंत सूक्ष्म होने का एक उदाहरण गहरे पानी के हाइड्रोथर्मल वेंट के सबसे गर्म हिस्से, जिसमें जल को ज्वालामुखी प्लूम द्वारा सूक्ष्म तापमान तक गर्म किया जाता है और यह सागर की चरम गहराई में कुचल देने वाले वजन की वजह से सूक्ष्म दबाव को प्राप्त करता है, जहां ज्वालामुखी का मुख स्थित है।
प्राकृतिक जल में (देखें मानक मीन महासागर जल), लगभग सभी हाइड्रोजन परमाणु आइसोटोप प्रोटियम होते हैं, . भारी जल वह जल है जिसमें हाइड्रोजन को इसके भारी आइसोटोप, ड्युरेटियम द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है. यह रासायनिक रूप से सामान्य जल के समान है लेकिन उसका समरूप नहीं है। इसका कारण यह है कि ड्युरेटियम का नाभिक प्रोटियम की तुलना में दुगुना है और इस तरह ऊर्जा की बॉन्डिंग में और हाइड्रोजन बॉन्डिंग में स्पष्ट मतभेद का कारण बनता है। भारी जल का प्रयोग परमाणु रिएक्टर उद्योग में न्यूट्रॉन को मध्यम (धीमा) करने के लिए किया जाता है। इसके विपरीत, हल्के जल में प्रोटियम आइसोटोप होता है, भेद करने की जरूरत के सन्दर्भों में. एक उदाहरण है लाईट वॉटर रिएक्टर, यह जताने के लिए कि रिएक्टर में हल्के जल का उपयोग होता है।
भौतिकी और रसायन शास्त्र
जल, रासायनिक फार्मूला वाला रासायनिक पदार्थ है: जल के एक अणु में दो हाइड्रोजन परमाणु होते हैं जो ऑक्सीजन के एक परमाणु से बंधे होते हैं।
सामान्य परिवेश के तापमान और दबाव में जल एक बेस्वाद, बिना गंध का तरल पदार्थ है और छोटी मात्रा में बेरंग प्रकट होता है, हालांकि आतंरिक रूप से इसमें हल्का नीला रंग देखा जा सकता है। बर्फ भी रंगहीन प्रतीत होता है और वाष्प अनिवार्य रूप से गैस के रूप में अदृश्य होता है।
मानक स्थितियों में जल मुख्य रूप से एक तरल होता है, जिसे आवधिक तालिका में ऑक्सीजन परिवार के अन्य समान हाईड्राइड के साथ (हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसें) उसके सम्बन्ध के कारण पूर्वानुमान नहीं लगाया जाता. इसके अलावा, आवधिक तालिका में ऑक्सीजन को घेरे हुए तत्त्व, नाइट्रोजन, फ्लोरीन, फास्फोरस, सल्फर और क्लोरीन, सभी, हाइड्रोजन के साथ मानक स्थितियों के तहत गैसों का निर्माण करने के लिए संयुक्त हो जाते हैं। पानी के तरल रूप में होने का कारण यह है कि, इसमें ऑक्सीजन, अन्य सभी तत्वों की तुलना में अधिक इलेक्ट्रोनिगेटिव है, फ्लोरीन के अपवाद के साथ. ऑक्सीजन, हाइड्रोजन की तुलना में इलेक्ट्रॉनों को अधिक जोर से आकर्षित करता है, जिससे हाइड्रोजन परमाणुओं पर एक शुद्ध सकारात्मक चार्ज आता है और ऑक्सीजन परमाणु पर एक शुद्ध नकारात्मक चार्ज. इन प्रत्येक परमाणुओं पर एक चार्ज की उपस्थिति, जल के प्रत्येक अणु को एक शुद्ध डाईपोल क्षण देती है। डाईपोल की वजह से पानी के अणुओं के बीच यह आकर्षण, व्यक्तिगत अणुओं को एक साथ करीब खींचता है, जिससे इन अणुओं को अलग करना और अधिक कठिन हो जाता है और क्वथनांक बिंदु उच्च हो जाता है। इस आकर्षण को हाइड्रोजन बॉन्डिंग के रूप में जाना जाता है। जल के अणु, एक-दूसरे के परिप्रेक्ष्य में लगातार चलायमान रहते हैं और हाइड्रोजन बांड लगातार खंडित और जुड़ते रहते हैं और टाइमस्केल पर यह 200 फेम्टोसेकंड से अधिक तेजी से होता है। हालांकि, यह बॉन्ड, इस लेख में वर्णित पानी के कई विशिष्ट गुणों को बनाने में पर्याप्त मजबूत है, जैसे कि वे गुण जो इसे जीवन का अभिन्न अंग बनाते हैं। जल को एक ध्रुवीय तरल के रूप में वर्णित जा सकता है जो गैर-अनुपातिक रूप से हाइड्रोनियम आयन में थोड़ा असम्बद्ध होता है ((aq)) और एक संबद्ध हाइड्रॉक्साइड आयन ((aq)).
2 (l)(aq) + (aq)
इस पृथक्करण के लिए निरंतर पृथक्करण को आम तौर पर Kw चिह्न से अंकित करते हैं और इसका मूल्य है 25 °C पर 10−14, अधिक जानकारी के लिए देखें "जल (डेटा पृष्ठ)" और "जल का स्व-आयनाईजेशन.
जल, बर्फ और वाष्प
ताप क्षमता और वाष्पीकरण और फ्यूजन का ताप
सभी ज्ञात पदार्थों में, अमोनिया के बाद पानी में दूसरे स्थान पर उच्चतम विशिष्ट ताप क्षमता होती है, साथ ही उच्च वाष्पीकरण ताप (40.65 kJ• mol−1) होता है, दोनों ही, जल के अणुओं के बीच व्यापक हाइड्रोजन बॉन्डिंग के परिणामस्वरूप होते हैं। ये दो असामान्य गुण, जल को तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के साथ पृथ्वी की जलवायु को मध्यम बनाए रखने की अनुमति देते हैं।
जल की संलयन की तापीय धारिता 0 डिग्री सेल्सियस पर विशिष्ट रूप से 333.55 kJ.kg−1 है। आम पदार्थों में केवल अमोनिया का अधिक है। यह गुण बर्फ बहाव और ग्लेशियर की बर्फ को पिघलने से रोकता है। यांत्रिक प्रशीतन के आगमन से पहले, बर्फ का उपयोग भोजन को सड़ने से रोकने के लिए आम था (और अभी भी है).
जल और बर्फ का घनत्व
जल का घनत्व उसके तापमान पर निर्भर करता है, लेकिन यह संबंध रैखिक नहीं है और मोनोटोनीक भी नहीं है (दाईं-ओर की तालिका देखें). जब जल को कमरे के तापमान से भी अधिक ठंडा किया जाता है, तब वह अन्य पदार्थों की तरह तेजी से घना होने लगता है। लेकिन लगभग 4 °C में, जल अपने अधिकतमघनत्व तक पहुँचता है। जैसे ही उसे परिवेशिक परिस्थितियों में और अधिक ठंडा किया जाता है, तो वह फैल कर कम सघन हो जाती है। यह असामान्य नकारात्मक थर्मल विस्तार, अनुकूलन-आधारित इन्टरमॉलिक्युलर अंतःक्रिया के लिए जिम्मेदार है और पिघले सिलिका मे भी यह देखा गया है।
अधिकांश पदार्थों के ठोस अवस्था उनके तरल अवस्था से अधिक घनी होती है, इसलिए ठोस पदार्थ का एक टुकड़ा तरल पदार्थ में डूब जाता है। लेकिन, इसके विपरीत सामान्य बर्फ का एक टुकड़ा तरल जल में तैरता है, क्योंकि बर्फ का घनत्व तरल जल से कम होता है। ठंडा होने पर, सामान्य बर्फ का घनत्व लगभग 9% कम हो जाता है। इसका कारण है इंटरमॉलिक्युलर तरंगों का ठंडा होना जिससे अणु अपने पड़ोसियों के साथ मजबूत हाइड्रोजन बांड बनाते हैं और षट्कोणीयबर्फ IH के ठंडा होने से हेक्सागोनल पैकिंग हासिल करते हैं। हालांकि हाइड्रोजन बांड, तरल की तुलना में क्रिस्टल में छोटे होते हैं, यह लॉकिंग प्रभाव, तरल के नाभिकीयन के पास पहुंचने के साथ औसत समन्वय संख्या को कम करता है। अन्य पदार्थ, जो ठंडे होने पर विस्तार करते हैं, सुरमा, विस्मुट, गैलियम, जर्मेनियम, सिलिकॉन, एसिटिक एसिड हैं।
केवल साधारण, हेक्सागोनल बर्फ ही तरल से कम घना होता है। बढ़ते दबाव में बर्फ में कई बदलाव होते हैं, जो तरल पानी से उच्च घनत्व वाले होते हैं, जैसे अनाकार बर्फ (HDA) और बहुत ही उच्च घनत्व वाले अनाकार बर्फ (VHDA).
तापमान मे बढ़त के साथ जल का फैलाव भी बढ़ता है। उच्चतम बिन्दु तक पहुंचते हुए जल का घनत्व अपने उच्चतम मान से 4% कम हो जाता है।
एक मानक दबाव मे बर्फ के पिघलने की सीमा बिंदु 0 डिग्री सेल्सियस (32 °F, 273 K) होती है, हालांकि, शुद्ध तरल जल को बिना जमाये उस तापमान से नीचे के तापमान मे भी बेहतरीन तरीके से शीतल किया जा सकता है, यदी तरल पदार्थ को हिलाया न जाए. यह अपने समरूप नाभिकीयन बिन्दु जो लगभग 231 के (-42°सी) तक एक द्रव स्वरूप में ही रह सकता है। साधारण षट्कोणीय बर्फ का गलनांक, उच्च दबाव se थोड़ा नीचे गिरता है, लेकिन जब बर्फ अपने एलोट्रोप्स में बदलता है (बर्फ का क्रिस्टलीय रूप देखें), तो गलनांक, दबाव के साथ काफी बढ़ जाता है, जो पर (बर्फ VII के त्रिगुण बिन्दु).
साधारण बर्फ के गलनांक को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण दबाव की आवश्यकता होती है - एक आइस स्केटर द्वारा डाला गया दबाव, गलनांक बिंदु को केवल लगभग 0.09 °C (0.16 °F) कम करता है।
जल के इन गुणों की पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 4 डिग्री सेल्सियस के तापमान का जल, वातावरण में किसी भी तापमान के बावजूद, हमेशा ताजे जल की झीलों के तल में जमा हो जाता है। चूंकि जल और बर्फ, ऊष्मा के खराब चालक है, (विसंवाहक) ऐसी संभावना नहीं रहती है कि पर्याप्त गहरी झील पूरी तरह से जम जायेगी, जब तक कि उसे शक्तिशाली धाराओं द्वारा हिलाया न जाए जिससे ठंडा और गर्म पानी मिल जाएगा और शीतलीकरण को तेज़ करेगा। गर्म मौसम में, बर्फ की चट्टानें, नीचे डूबने की बजाय, जहां वे बहुत धीरे-धीरे पिघलती हैं, तैरती हैं। ये घटनाएं इस प्रकार जलीय जीवन की रक्षा कर सकती हैं।
खारेजल और बर्फ का घनत्व
जल का घनत्व, जल में घुले नमक और साथ ही जल के तापमान पर निर्भर करता है। बर्फ अभी भी महासागरों में तैरते हैं, अन्यथा वे नीचे से ऊपर की ओर जम जायेंगे. हालांकि, महासागरों में नमक की मात्रा हिमांक को 2 डिग्री सेल्सियस कम कर देती है और जल के अधिकतम घनत्व के तापमान को हिमांक तक कम कर देता है। यही कारण है कि, समुद्री जल में, पानी का नीचे की ओर संवहन, पानी के फैलने से बाधित नहीं होता है चूंकि यह हिमांक के नज़दीक ठंडा हो जाता है। महासागरों का ठंडा जल, हिमांक के निकट नीचे जाता रहता है। इस कारण से, कोई भी प्राणी जो आर्कटिक महासागर जैसे ठन्डे पानी के तल में जीवित रहने का प्रयास करता है, सामान्यतः सर्दियों में किसी झील के जमे हुए ठंडे पानी से 4 °C से भी कम के तापमान पर रहेगा.
जैसे-जैसे सतह का खारा जल जमना शुरू होता है (-1.9 सामान्य लवणता वाले समुद्री जल के लिए), जो बर्फ बनता है वह अनिवार्य रूप से लवण मुक्त होता है और उसका घनत्व मीठे जल के बराबर होता है। बर्फ के बहते खंड और जमा हुआ नमक भी समुद्री जल की लवणता और घनत्व को प्रभावित करता है, इस प्रक्रिया को ब्राइन रिजेक्शन के रूप में जाना जाता है। यह अधिक घनत्व वाला खारा जल, संवहन द्वारा नीचे जाता है और उसकी जगह पर आने वाला समुद्री जल उसी समान प्रक्रिया से गुज़रता है। इससे सतह पर -1.9 डिग्री सेल्सियस पर अनिवार्य रूप से मीठे जल का बर्फ प्राप्त होता है। जमी बर्फ के नीचे समुद्री जल के घनत्व में वृद्धि उसे नीचे की ओर डुबाने का कारण बनता है। एक बड़े पैमाने पर, ब्राइन रिजेक्शन की प्रक्रिया और समुद्र के
ठंडे नमकीन जल को डुबाने के परिणामस्वरूप समुद्री धाराएं ऐसे पानी को ध्रुव से दूर ले जाने के लिए तैयार होती हैं। ग्लोबल वार्मिंग का एक संभावित परिणाम यह हो सकता है कि आर्कटिक बर्फ के नष्ट होने के परिणामस्वरूप, इन धाराओं में भी कमी आ सकती है, जिसके कारण निकट और दूर के मौसमों पर अनदेखे असर पड़ सकते हैं।
मिश्रणीयता और संघनन
जल कई तरल पदार्थों जैसे एथेनोल के साथ सभी अनुपातों में विलेयशील होता है और एकमात्र समांगी तरल का निर्माण करता है। दूसरी ओर, जल और अधिकांश तेल अविलेय होते हैं और आम तौर पर शीर्ष से बढ़ते हुए घनत्व के अनुसार परतों का निर्माण करते हैं।
एक गैस के रूप में, जल वाष्प पूरी तरह से वायु में विलेयशील है। दूसरी ओर अधिकतम जल वाष्प दबाव, जो एक निश्चित तापमान पर तरल (या ठोस) के साथ थर्मोडाइनेमिक तरीके से स्थिर रहता है, कुल वायुमंडलीय दबाव की तुलना में अपेक्षाकृत कम रहता है।
उदाहरण के लिए, यदि वाष्प का आंशिक दबाव वायुमंडलीय दबाव का 2% है और हवा को 22 °C से शुरू करते हुए 25 °C से ठंडा किया जाता है, तो जल घना होना शुरू हो जाएगा और इससे ओस बिंदु का पता चलेगा और कोहरे या ओस का निर्माण होगा। इसकी प्रतिकूल प्रक्रिया सुबह के समय कोहरे को समाप्त कर देती है।
यदि घरेलू तापमान पर नमी को बढ़ाया जाता है तो, मान लीजिये एक गर्म शावर को चलाकर या स्नान से और तापमान एक ही रहता है, तो वाष्प जल्द ही प्रावस्था के परिवर्तन के लिए दबाव में पहुंचता है और भाप के रूप में बाहर आता है।
इस सन्दर्भ में एक गैस को संतृप्त या 100% सापेक्षिक आर्द्रता कहते हैं, जब वायु में पानी के भाप का दबाव, अगर (तरल) पानी या पानी (या बर्फ, यदि पर्याप्त ठंडा है) के भाप के दबाव के बराबर है तो वह संतृप्त हवा के संपर्क में आकर वाष्पीकरण के माध्यम से अपनी राशि कम करेगा। चूंकि हवा में भाप की मात्रा कम होती है, सापेक्षिक आर्द्रता, भाप के कारण आंशिक दबाव और संतृप्त जल वाष्प के आंशिक दबाव के बीच का अनुपात काफी उपयोगी हो जाता है।
100% सापेक्षिक आर्द्रता के ऊपर के वाष्प के दबाव को अति-संतृप्त कहा जाता है और यह तब होता है जब हवा तेज़ी से ठंडी होती है, जैसे कभी अचानक ऊपर की तरफ बहाव के साथ.
वाष्प दबाव
दबाव क्षमता
जल की दबाव क्षमता, दबाव और तापमान की एक क्रिया है। 0 °C पर, शून्य दबाव की सीमा में दबाव क्षमता होती है। शून्य दबाव की सीमा में, दबाव क्षमता, 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास एक न्यूनतम तक पहुंच जाती है, जो बढ़ते तापमान के साथ फिर बढ़ती है। दबाव के बढ़ने के साथ दबाव क्षमता में कमी होती है, 0 डिग्री सेल्सियस और 100 MPa में .
जल का थोक मापांक 2.2 GPa है। गैर-गैसों की कम दबाव क्षमता और विशेष रूप से जल, को अक्सर अपरिमेय के रूप में ग्रहण किया जाता है। जल के न्यून दबाव क्षमता का मतलब है कि 4 कि॰मी॰ गहरे समुद्र में, जहां दबाव 40 MPA है, वहां मात्रा में सिर्फ 1.8% की कमी है।
त्रिक बिन्दु
वह तापमान और दबाव जिस पर तरल, ठोस और गैसीय जल साथ-साथ रहते हैं त्रिक बिन्दु कहा जाता है। इस बिंदु को तापमान की इकाई परिभाषित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है (केल्विन, थर्मोडाइनेमिक तापमान की SI इकाई, परोक्ष रूप से डिग्री सेल्सियस और डिग्री फेरनहाइट भी)
एक परिणाम के रूप में, जल का त्रिक बिन्दु तापमान, एक मापी गई मात्रा के बजाय एक निर्धारित मूल्य है। त्रिक बिन्दु का तापमान सर्वसम्मति से 273.16 K (0.01 °C) पर है और दबाव 611.73 Pa है। यह दबाव काफी कम है, सामान्य समुद्र स्तर के बैरोमीटर दबाव 101,325 Pa के करीब . मंगल ग्रह पर वायुमंडलीय सतह का दबाव, उल्लेखनीय रूप से त्रिक बिन्दु दबाव के नज़दीक होता है और मंगल की शून्य-ऊंचाई या "समुद्र स्तर" को उस द्वारा परिभाषित किया जाता है जिस पर वायुमंडलीय दबाव जल के त्रिक बिन्दु के साथ संगत करता है।
हालांकि इसे सामान्यतः "जल का त्रिक बिन्दु" कहा जाता है, तरल जल, बर्फ I और जल वाष्प का स्थिर मिश्रण, जल के चरण आरेख पर कई त्रिगुण बिन्दुओं में से एक है। गौटिंगेन में गुस्ताव हेनरिक जोहान अपोलोन तम्मन ने कई अन्य त्रिक बिन्दुओं पर 20वीं सदी के पूर्वार्ध में डेटा का उत्पादन किया। कम्ब और दूसरों ने 1960 के दशक में त्रिगुण बिन्दुओं को आगे प्रलेखित किया।
बिजली के गुण
विद्युत चालकता
बिना आयन का शुद्ध जल, एक उत्कृष्ट विसंवाहक है, लेकिन "डीआयनीकृत" जल भी पूरी तरह से आयन मुक्त नहीं है। तरल अवस्था में जल का स्व-आयनीकरण होता है। इसके अलावा, चूंकि जल इतना अच्छा विलायक है कि इसमें लगभग हमेशा कुछ घुला हुआ पदार्थ मिला होता है, अक्सर यह नमक होता है। अगर जल में अशुद्धता की ऐसी थोड़ी भी मात्रा है, तो यह बिजली का अच्छा संचालन करेगा, क्योंकि नमक जैसी अशुद्धियां एक जलकृत घोल में, मुक्त आयन में अलग हो जाती हैं, जिसमें से फिर विद्युत् का प्रवाह हो सकता है।
ये ज्ञात है कि, जल के लिए अधिकतम विद्युत प्रतिरोधकता 25 °C पर लगभग 182 kΩ·m है। यह आंकड़ा, रिवर्स ओसमोसिस पर पाए जाने वाले से काफी मिलता-जुलता है, जहां अल्ट्रा फ़िल्टर्ड और डीआयनीकृत अल्ट्रा शुद्ध जल का प्रयोग किया जाता है, उदाहरण के लिए, अर्धचालक विनिर्माण कारखाने में. एक नमक या एसिड प्रदूषक, जिसका अत्यंत शुद्ध जल में स्तर 100 पार्ट्स पर ट्रीलियन (ppt) है, वह अपनी प्रतिरोधकता स्तर को कई किलोम-मीटर तक कम करना शुरू कर देता है (या प्रति मीटर सैकड़ों नैनोसीमेंस).
जल की निम्न विद्युत् चालकता, आयन-सदृश चीज़ की एक छोटी सी मात्रा से काफी बढ़ जाती है, जैसे हाइड्रोजन क्लोराइड या कोई नमक. इस प्रकार अशुद्धियों वाले जल में इलेक्ट्रोक्युशन का जोखिम अधिक रहता है। यह ध्यान देने लायक है, कि इलेक्ट्रोक्युशन का जोखिम तब कम हो जाता है जब अशुद्धियों का स्तर उस बिंदु तक पहुंच जाता है जब जल, मानव शरीर की अपेक्षा अधिक बेहतर चालक बन जाता है। उदाहरण के लिए, समुद्री जल में इलेक्ट्रोक्युशन का जोखिम, ताजा जल की तुलना में कम हो सकता है, क्योंकि समुद्र में अशुद्धताओं का स्तर बहुत उच्च होता है, विशेष रूप से सामान्य नमक. मुख्य विद्युत् पथ, बेहतर चालक की तलाश करेगा।
जल कि कोई भी विद्युत चालकता, जल में घुले खनिज लवण के आयन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिणाम है। कार्बन डाइऑक्साइड, जल में कार्बोनेट आयनों का निर्माण करता है। जल, स्व-आयनीकृत होता है जिसमें जल के दो अणु, एक हाइड्रोकसाइड आयन और एक हाइड्रोनिअम केशन का निर्माण करते हैं, लेकिन इतना पर्याप्त भी नहीं कि जो अधिकांश संक्रियाओं कोई काम या हानि करने लायक विद्युत् धारा का संचालन कर सके। शुद्ध जल में, संवेदनशील उपकरण, 25 °C पर 0.055 µS/cm के मामूली विद्युत चालकता का पता लगा सकता है। जल को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन गैसों में इलेक्ट्रोलाइज़ किया जा सकता है, लेकिन घुले हुए आयनों की अनुपस्थिति में यह प्रक्रिया बहुत ही धीमी हो जाती है, क्योंकि बहुत कम धारा का चालन होता है। जबकि जल (और धातुओं) में इलेक्ट्रॉन, चार्ज के प्राथमिक वाहक हैं, बर्फ में प्राथमिक वाहक प्रोटॉन हैं (देखें प्रोटॉन कंडक्टर).
विद्युत अपघटन
जल में एक विद्युत प्रवाह को प्रवाहित करने के माध्यम से, जल को उसके घटक तत्वों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को विद्युत अपघटन कहा जाता है। जल के अणु स्वाभाविक रूप से, और आयनों में अलग हो जाते हैं, जो क्रमशः, कैथोड और एनोड की ओर आकर्षित होते हैं। कैथोड पर, दो आयन, इलेक्ट्रॉनों को लेते हैं और गैस का निर्माण करते हैं। एनोड पर, चार आयन संयुक्त होते हैं और गैस, आणविक जल और चार इलेक्ट्रॉनों को छोड़ते हैं। गैसें सतह पर बुलबुले बनती है जहां पर इसे एकत्र किया जा सकता है। जल विद्युत अपघटन सेल की मानक क्षमता 25 डिग्री सेल्सियस पर 1.23 V है।
दोध्रुवीय गुण
जल का एक महत्वपूर्ण गुण उसकी ध्रुवीय प्रकृति है। जल के अणु, एक कोण बनाते हैं जिसमें उनके कोनों पर हाइड्रोजन परमाणु होते हैं और शीर्ष पर ऑक्सीजन. चूंकि, हाइड्रोजन की तुलना में ऑक्सीजन में उच्च वैद्युतीयऋणात्मकता होती है, ऑक्सीजन परमाणु के अणु के सेरों में आंशिक नकारात्मक चार्ज होता है। ऐसी चार्ज भिन्नता वाली किसी वस्तु को डाइपोल कहते हैं। चार्ज भेद, जल के अणुओं को एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने को प्रेरित करते हैं (अपेक्षाकृत सकारात्मक क्षेत्र, अपेक्षाकृत नकारात्मक क्षेत्रों को आकर्षित करते हैं) और अन्य ध्रुवीय अणुओं को भी. यह आकर्षण हाइड्रोजन बॉन्डिंग में योगदान देता है और जल के कई गुणों की व्याख्या करता है, जैसे विलायक के रूप में. जल की दो-ध्रुवीय प्रकृति को एक विद्युत प्रवाह युक्त वस्तु को पकड़कर प्रदर्शित किया जा सकता है (जैसे कंघी करने के बाद एक कंघी द्वारा) एक छोटी जल-धारा के पास (उदाहरण के लिए, एक नल से), जिससे पानी की धारा, चार्ज वस्तु की ओर आकर्षित होती है।
हाइड्रोजन बॉन्डिंग
जल का एक अणु अधिकतम चार हाइड्रोजन बांड बना सकता है क्योंकि यह दो हाइड्रोजन परमाणुओं को दे सकता है और ले सकता है। हाइड्रोजन फ्लोराइड, मेथानोल और अमोनिया जैसे अन्य अणु भी हाइड्रोजन बांड बनाते हैं लेकिन वे थर्मोडाइनेमिक, गत्यात्मक या संरचनात्मक गुणों के विषम व्यवहार को प्रदर्शित नहीं करते जैसा कि जल में देखा जाता है। जल और हाइड्रोजन बॉन्डिंग करने वाले अन्य तरल पदार्थ के बीच का स्पष्ट अंतर, इस तथ्य में निहित है कि जल के अलावा अन्य कोई हाइड्रोजन बॉन्डिंग अणु, चार हाइड्रोजन बांड नहीं बना सकता और इसका कारण या तो हाइड्रोजन देने/स्वीकार करने में असमर्थता हो सकती है या फिर बड़ी मात्रा में अवशिष्ट में स्टेरिक प्रभाव हो सकता है। जल में चार हाइड्रोजन बांड के कारण उत्पन्न स्थानीय टेट्राहेड्रल क्रम एक खुली संरचना और एक 3 आयामी बॉन्डिंग नेटवर्क को जन्म देता है, जो 4 °C से नीचे ठंडा किये जाने पर घनत्व में विषम कमी को फलित करता है।
हालांकि, जल के अणु के भीतर कोवैलेंट बांड की तुलना में हाइड्रोजन बॉन्डिंग एक अपेक्षाकृत कमजोर आकर्षण है, यह जल के कई भौतिक गुणों के लिए जिम्मेदार है। एक ऐसा ही गुण है जल का अपेक्षाकृत उच्च गलनांक और क्वथनांक; अणुओं के बीच हाइड्रोजन बांड को तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसी तरह मिश्रित हाइड्रोजन सल्फाइड (), जिसमें बहुत कमजोर हाइड्रोजन बॉन्डिंग है, वह एक घरेलू तापमान गैस है, हालांकि इसमें जल की आणविक राशि का दोगुना होता है। जल के अणुओं के बीच अतिरिक्त बॉन्डिंग, तरल जल को एक बड़ी विशिष्ट ताप क्षमता देती है। यह उच्च ताप क्षमता, जल को ताप भंडारण का एक अच्छा मध्यम (शीतलक) और ताप ढाल बनाती है।
पारदर्शिता
दृश्यमान रोशनी, करीब के पराबैंगनी प्रकाश और दूर की लाल रोशनी से अपेक्षाकृत पारदर्शी है, लेकिन यह अधिकांश पराबैंगनी प्रकाश, अवरक्त प्रकाश और माइक्रोवेव को अवशोषित कर लेता है। अधिकांश फोटोरिसेप्टर और फोटोसिंथेटिक रंगद्रव्य, प्रकाश स्पेक्ट्रम के उस हिस्से का उपयोग करते हैं जो जल के माध्यम से अच्छी तरह से संचारित होता है। माइक्रोवेव ओवन जल की अस्पष्टता का लाभ, माइक्रोवेव विकिरण से खाद्य पदार्थों के अंदर के जल को गर्म करने के लिए करते हैं। दृश्यमान स्पेक्ट्रम के अंत के लाल के क्षीण अवशोषण के कारण जल का रंग आतंरिक रूप से नीला दिखता है (जल का रंग देखें).
जुड़ाव
जल आपस में चिपका (जुड़ाव) रहता है क्योंकि यह ध्रुवीय है।
अपनी ध्रुवीय प्रकृति के कारण जल में उच्च आसंजन गुण होता है। बेहद साफ/चिकने कांच पर जल, एक पतली परत बना सकता है क्योंकि जल और कांच के अणुओं के बीच (आसंजी बल) ससंजक बल की तुलना में आणविक बल अधिक मजबूत होता है।
जैविक कोशिकाओं और ओर्गनेल में, जल का संपर्क झिल्ली और प्रोटीन सतहों से होता है जो हाइड्रोफिलिक होते हैं; यानी कि, वे सतहें जिनका जल के साथ एक मजबूत आकर्षण है। इरविंग लेंगमुइर ने हाइड्रोफिलिक सतहों के बीच एक शक्तिशाली प्रतिकारक बल पाया। हाइड्रोफिलिक सतहों को डीहाईड्रेट करने के लिए - जल के हाईड्रेशन के बलों, बुलाया ताकतों के खिलाफ काम करने की आवश्यकता है, जिसे डीहाईड्रेशन कहते हैं। ये बल बहुत बड़े हैं, लेकिन एक नैनोमीटर या कम के अन्दर तेज़ी से कम हो जाते हैं। वे जीव विज्ञान में महत्वपूर्ण हैं, खासकर जब कोशिकाओं को सूखे वातावरण या फिर निर्जलित करके सुखाया जाता है।
सतही तनाव
जल में घरेलू तापमान पर 72.8 mN/m का एक उच्च सतही तनाव होता है, जो जल के अणुओं के बीच मजबूत संशक्ति के कारण होता है और गैर-धातु तरल पदार्थों में यह उच्चतम है। देखा जा सकता है जब पानी की थोड़ी सी मात्रा को शोषण मुक्त (गैर-अधिषोशी और गैर-अवशोषी) सतह पर डाला जाए, जैसे कि पोलीथिलीन या टेफ्लॉन और जल, बूंद के रूप में एक साथ बना रहता है। महत्वपूर्ण रूप से जल की सतह में फंसी हुई हवा, बुलबुले बना देती है, जो कभी-कभी लंबे समय तक रह कर गैस अणुओं को हस्तांतरित करता है।
एक और सतही तनाव केशिका लहर है, जो सतह पर जल की बूंदों के असर के आसपास बनाते हैं और कभी-कभी मजबूत धाराओं के रूप में सतह पर बहते हैं। पृष्ठ तनाव के कारण उत्पन्न प्रत्यास्थता, केशिका लहर को जन्म देती है।
कैपिलरी क्रिया
आसंजन और सतही तनाव के परस्पर बलों के कारण, जल केशिका क्रिया प्रदर्शित करता है जिसके तहत गुरुत्वाकर्षण बल के खिलाफ, जल एक संकीर्ण ट्यूब में ऊपर उठता है। जल, ट्यूब की अंदरी दीवार से लगा रहता है और सतही तनाव सतह को सीधा रखते हुए उसे ऊपर उठाता है और संशक्ति के माध्यम से और अधिक जल ऊपर खींच लिया जाता है। यह प्रक्रिया जारी रहती है जब तक कि जल ट्यूब में बहता रहता है और फिर बाद में गुरुत्वाकर्षण बल आसंजक बालों को संतुलित करता है।
सतही तनाव और केशिका क्रिया, जीव विज्ञान में महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, जब जाइलम के माध्यम से जल को पौधों में ऊपर ले जाया जाता है, तो मजबूत अंतर-आणविक आकर्षण (ससंजन) जल के भागों को एक साथ पकड़े रहता है और आसंजन गुण, जाइलम से जल का सम्बन्ध बनाए रखता है और स्वेद खिंचाव द्वारा होने वाले तनाव टूटन को रोकता है।
एक विलायक के रूप में जल
अपनी ध्रुवीयता के कारण जल एक अच्छा विलायक भी है। जो पदार्थ जल में अच्छी तरह मिल जाते हैं और घुल जाते हैं (जैसे नमक) उन्हें हाइड्रोफिलिक ("जल-प्रेमी") के रूप में जाना जाता है और जो नहीं घुलते हैं (जैसे वसा और तेल) उन्हें हाइड्रोफोबिक ("जल भयभीत") के रूप में जाना जाता है। किसी पदार्थ के जल में घुलने की क्षमता का निर्धारण इस बात से होता है क्या वह पदार्थ जल द्वारा जनित अणुओं से मिलता है या उनसे बेहतर है। यदि किसी पदार्थ के गुण मज़बूत अंतर-आणविक बलों पर काबू पाने की अनुमति नहीं देते हैं, अणुओं को जल से "बाहर धक्का दे दिया" जाता है और वे घुलते नहीं हैं। आम धारणा के विपरीत, जल और हाइड्रोफोबिक पदार्थ, "विकर्षण" नहीं उत्पन्न करते हैं और एक हाइड्रोफोबिक सतह का हाईड्रेशन, शक्तिशाली रूप से अनुकूल होता है।
जब एक आयनिक या ध्रुवीय यौगिक, जल में प्रवेश करता है, तो यह जल के अणुओं (हाईड्रेशन) द्वारा घिरा होता है। जल के अपेक्षाकृत छोटे आकार के अणु, आम तौर पर जल के कई अणुओं को विलेय के एक अणु के चारों ओर इकठ्ठा होने की अनुमति देते हैं। जल के, आंशिक रूप से नकारात्मक डाइपोल छोर, विलेय के सकारात्मक चार्ज वाले घटकों की ओर आकर्षित होते हैं और इसका ठीक उलटा सकारात्मक डाइपोल के छोरों पर लागू होता है।
सामान्यतः, आयनिक और ध्रुवीय पदार्थ जैसे, एसिड, शराब और नमक, जल में अपेक्षाकृत घुलनशील हैं और गैर-ध्रुवीय पदार्थ जैसे वसा और तेल नहीं हैं। गैर ध्रुवीय अणु, जल में एक साथ इसलिए रहते हैं क्योंकि जल के अणुओं के लिए यह अधिक अनुकूल है कि वे एक दूसरे से हाइड्रोजन बूंद करें, बजाय इसके कि गैर-ध्रुवीय अणुओं के साथ वे वैन डेर वॉल संपर्क में संलग्न हों.
आयनिक विलेय का एक उदाहरण है टेबल नमक; सोडियम क्लोराइड, NaCl, जो कैशन और आयनों में अलग हो जाता है, जिसमें से प्रत्येक जल के अणु से घिरा रहता है। आयनों को फिर आसानी से उनके स्फटिक लैटिस से दूर ले जाया जाता है। सामान्य चीनी एक गैर-आयनिक विलेय का उदाहरण है। जल के डाईपोल, चीनी के अणु (OH समूह) के ध्रुवीय क्षेत्रों के साथ हाइड्रोजन बांड बनाते हैं और इसे घोल में जाने की अनुमति देते हैं।
एसिड-आधारित अभिक्रिया में जल
रासायनिक रूप से, जल उभयधर्मी है: यह रासायनिक अभिक्रियाओं में या तो एक बेस या एक अम्ल का कार्य कर सकता है। ब्रोंस्तेद-लोरी परिभाषा के अनुसार, एक एसिड को एक ऐसी प्रजाति के रूप में परिभाषित किया गया है जो एक अभिक्रिया में एक प्रोटॉन का दान करता है (एक आयन) और एक बेस का जो प्रोटॉन लेता है। जब एक मजबूत एसिड के साथ अभिक्रिया होती है तो जल एक बेस के रूप में कार्य करता है; जब एक मजबूत बेस के साथ अभिक्रिया होती है तो यह एक एसिड के रूप में कार्य करता है। उदाहरण के लिए, जब हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनता है तो जल एक आयन HCL से प्राप्त करता है:
HCL (एसिड) + (बेस) +
अमोनिया के साथ प्रतिक्रिया में, , जल एक आयन देता है और इस प्रकार एक एसिड के रूप में कार्य करता है:
(आधार) + (एसिड) +
चूंकि जल के ऑक्सीजन परमाणु में दो अकेली जोड़ी होती है, जल अक्सर, एक लुईस एसिड के साथ प्रतिक्रियाओं में एक लुईस बेस या इलेक्ट्रॉन जोड़ी दाता के रूप में कार्य करता है, हालांकि यह लुईस बेस के साथ भी प्रतिक्रिया कर सकता है और इलेक्ट्रॉन जोड़ी दाता और जल के हाइड्रोजन परमाणुओं के बीच हाइड्रोजन बांड बना सकता है। HSAB सिद्धांत, जल को एक कमजोर कठोर एसिड और एक कमजोर कठोर बेस के रूप में वर्णित करता है, जिसका अर्थ है कि यह अन्य कठोर प्रजाति के साथ इच्छानुसार प्रतिक्रिया करता है:
(लुईस एसिड) + (लुईस बेस) →
(लुईस एसिड) + (लुईस बेस) →
(लुईस बेस) + (लुईस एसिड) →
जब एक कमजोर बेस या एक कमजोर एसिड का नमक जल में घुलता है, तो जल आंशिक रूप से नमक को हाइड्रोलाइज कर सकता है, जो साबुन के जलकृत मिश्रण और बेकिंग सोडा को उनका मूल pH देता है:
+ NaOH +
लिगेंड रसायन
जल का लुईस आधार, इसे संक्रमण में एक आम लिगेंड बनाता है, जिसके उदाहरण हैं विलायक आयन, जैसे , साथ ही पेर्हेनिक एसिड और विभिन्न ठोस हाइड्रेट्स, जैसे . जल, आम तौर पर एक मोनोडेंट लिगेंड है, यह केंद्रीय एटम के साथ केवल एक ही बौंड बनाता है।
कार्बनिक रसायन
कठोर आधार के रूप में जल, के कार्बनिक कार्बोकेशन के साथ तत्काल प्रतिक्रिया करता है, उदाहरण के लिए, हाईड्रेशन अभिक्रिया में, जिसमें हाइड्रॉक्सिल समूह () और एक अम्लीय प्रोटॉन को कार्बन-कार्बन डबल बांड में एक साथ बंधे दो कार्बन परमाणुओं में जोड़ा जाता है जिसके परिणामस्वरूप शराब प्राप्त होती है। जब कार्बनिक अणु में जल का मिश्रण, अणु को दो में विभाजित करता है तो इसे हाइड्रॉलिसिस कहा जाता है। हाइड्रोलिसिस के उल्लेखनीय उदाहरण में शामिल है पोलीसैकराइड और प्रोटीन का पाचन और साबुन निर्माण में वसा प्रयोग. जल, SN2 प्रतिस्थापन और E2 उन्मूलन प्रतिक्रियाओं में लीविंग ग्रुप हो सकता है, बाद वाले को निर्जलीकरण प्रतिक्रिया के रूप में जाना जाता है।
प्रकृति में अम्लता
शुद्ध जल में हाइड्राक्साइड आयनों () का संकेंद्रण है जो हाइड्रोनियम के बराबर है () या हाइड्रोजन () आयनों के, जो 298 K में 7 का pH देता है। व्यवहार में, शुद्ध जल का निर्माण करना बहुत मुश्किल है। हवा के संपर्क में छोड़े गए जल में कार्बन डाइऑक्साइड घुल जाता है, जो कार्बोनिक एसिड का मिश्रण बनाता है जिसका सीमित pH करीब 5.7 होता है। जब वातावरण में बादल की बूंदे बनती हैं और जब वर्षा की बूंदे हवा के माध्यम से होते हुए नीचे गिरती हैं तो की मामूली मात्रा अवशोषित हो जाती है और इस प्रकार अधिकांश बारिश थोड़ा अम्लीय होती है। यदि हवा में नाइट्रोजन और सल्फर आक्साइड की मात्रा अधिक है तो वे भी बादलों में घुल जायेंगे और अम्लीय वर्षा का निर्माण होगा।
रेडोक्स अभिक्रियाओं में जल
जल में ऑक्सीकरण अवस्था +1 में हाइड्रोजन और ऑक्सीकरण अवस्था -2 में ऑक्सीजन होता है। इस कारण से, जल रसायनों को / की क्षमता से नीचे घटाव क्षमता के साथ ओक्सीडाइज करता है, जैसे की हाईड्राईड, एल्कली और
अल्कलाइन धातु (बेरिलिअम को छोड़कर). कुछ अन्य प्रतिक्रियाशील धातु, जैसे एल्यूमीनियम, को जल से ओक्सीडाइज किया जाता है, लेकिन उनका आक्साइड, घुलनशील नहीं है और प्रतिक्रिया, पेसिवेशन की वजह से रुक जाती है। ध्यान दें, लोहे में जंग लगना लोहे और ऑक्सीजन के बीच एक प्रतिक्रिया है, पानी में घुल कर, न कि लोहे और जल के बीच.
2 Na + 2 → 2 NaOH +
ऑक्सीजन गैस का उत्सर्जन करते हुए, जल खुद ही ओक्सिडाइज हो सकता है, लेकिन बहुत कम ही ओक्सीडेंट जल के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, भले ही उनकी घटाव क्षमता से अधिक हो। लगभग सभी ऐसी प्रतिक्रियाओं को एक उत्प्रेरक की आवश्यकता होती है।
4 + 2 → 4 AgF + 4 HF +
भू-रसायनशास्त्र
चट्टान पर जल की लंबी अवधि तक चलने वाली क्रिया के कारण आम तौर पर अपक्षय और जल कटाव होता है, ये प्रक्रियाएं ठोस चट्टानों और खनिजों को मृदा और तलछट में परिवर्तित कर देती हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में जल के साथ रासायनिक अभिक्रियाएं भी होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप मेटासोमेटिज्म या खनिज हाईड्रेशन होता है, यह पत्थर का एक रासायनिक परिवर्तन है जो और प्रकृति में मृदा खनिज पैदा करता है और तब भी होता है जब पोर्टलैंड सीमेंट कठोर हो जाता है।
जलीय बर्फ, क्लाथ्रेट यौगिकों का निर्माण कर सकते हैं जिन्हें क्लाथ्रेट हाइड्रेट्स कहा जाता है, जिसमें छोटे अणुओं की किस्में होती हैं जिन्हें उसके क्रिस्टल लैटिस में जड़ा जा सकता है। इनमें सबसे उल्लेखनीय है मीथेन क्लाथ्रेट, 4 , स्वाभाविक रूप से सागर ताल में बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
भारी जल और आइसोटोपोलोग्स
ऑक्सीजन और हाइड्रोजन, दोनों के कई आइसोटोप मौजूद हैं, जो जल के कई ज्ञात आइसोटोपोलोग्स को बढ़ा रहे हैं।
हाइड्रोजन, स्वाभाविक रूप से तीन समस्थानिक में होता है। सबसे आम (¹H), जो जल में हाइड्रोजन की 99.98% से अधिक मात्रा के लिए जिम्मेदार है, अपने नाभिक में केवल एक प्रोटॉन से बना हैं। एक दूसरा, स्थिर आइसोटोप, ड्यूटेरिअम (रासायनिक चिह्न D या ²H), में एक अतिरिक्त न्यूट्रॉन होता है। ड्यूटेरिअम ऑक्साइड,, को इसके उच्च घनत्व की इसकी वजह से इसे भारी जल के रूप में भी जाना जाता है। इसे परमाणु रिएक्टर में न्यूट्रॉन मंदक के रूप में प्रयोग किया जाता है। तीसरे आइसोटोप, ट्रिटियम में 1 प्रोटॉन और 2 न्यूट्रॉन हैं और यह रेडियोधर्मी है, जो 4500 दिन के अर्ध-जीवन में खराब हो जाता है। प्रकृति में बहुत थोड़ी मात्रा में मौजूद है, जो मुख्यतः कॉस्मिक किरण जनित परमाणु अभिक्रिया द्वारा वातावरण में उत्पन्न होते हैं। जल, जिसमें एक ड्यूटेरिअम परमाणु होता है, साधारण जल में स्वाभाविक रूप से न्यून संकेन्द्रण (~0.03%) के साथ होता है और में काफी कम मात्रा में (0.000003%).
विशिष्ट राशि के अंतर के अलावा, और के बीच सबसे उल्लेखनीय भौतिक मतभेद में ऐसे गुण शामिल हैं जो हाइड्रोजन बॉन्डिंग से प्रभावित होते हैं, जैसे हिमीकरण और खौलाना और अन्य गत्यात्मक प्रभाव. क्वथनांक में अंतर आइसोटोपोलोग्स को अलग किये जाने की अनुमति देता है।
शुद्ध पृथक की खपत, जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकती हैं - बड़ी मात्रा में इसका सेवन करने से गुर्दे और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र नष्ट हो सकते है। छोटी मात्रा में इसका सेवन, बिना किसी बुरे प्रभाव के किया जा सकता है और किसी भी विषाक्तता के स्पष्ट होने के लिए बड़ी मात्रा में भारी जल का सेवन करना होगा।
ऑक्सीजन के भी तीन स्थिर आइसोटोप हैं, 99.76% में मौजूद है, 0.04% में और जल के 0.2% अणुओं में.
इतिहास
विद्युत्-अपघटन द्वारा जल का हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में पहली बार विघटन, अंग्रेजी रसायनज्ञ विलियम निकोल्सन द्वारा 1800 में किया गया था। 1805 में, जोसेफ लुइस गे-लुसाक और अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट ने दिखाया कि कि जल का निर्माण हाइड्रोजन के दो भागों और ऑक्सीजन के एक भाग से बना है।
गिल्बर्ट न्यूटन लुईस ने 1933 में शुद्ध भारी जल का पहला नमूना अलग किया।
जल के गुणों का इस्तेमाल ऐतिहासिक रूप से विभिन्न तापमान स्केलों को परिभाषित करने के लिए किया जाता रहा है। विशेष रूप से, केल्विन, सेल्सियस, रैंकिन और फारेनहाइट स्केल को अतीत या वर्तमान में जल के हिमांक और क्वथनांक से परिभाषित किया जाता है। अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय थर्मामीटर और डेलिस्ले, न्यूटन, रौयमर और रोमेर को इसी प्रकार परिभाषित किया गया। जल का त्रिक बिन्दु आज एक अधिक सामान्यतः प्रयोग किया जाने वाला मानक बिंदु है।
व्यवस्थित नामकरण
स्वीकार किया गया जल का IUPAC नाम ओक्सिडेन है या बस जल, या अलग-अलग भाषाओं में इसका समकक्ष, हालांकि कई अन्य व्यवस्थित नाम हैं जिनका प्रयोग अणुओं का वर्णन करने के लिए किया जा सकता है।
जल का सबसे अच्छा व्यवस्थित नाम हाइड्रोजन ऑक्साइड है। यह हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोजन पेरोक्साइड और ड्यूटेरीअम ऑक्साइड (भारी जल) जैसे संबंधित यौगिकों के अनुरूप है। एक और व्यवस्थित नाम ओक्सिडेन को IUPAC द्वारा ऑक्सीजन आधारित प्रतिस्थापक समूह के व्यवस्थित नामकरण के जनक नाम के रूप में स्वीकार किया गया है, हालांकि आमतौर पर इनके भी अन्य सिफारिश नाम हैं। उदाहरण के लिए, -OH समूह के लिए, हाइड्रोक्सिल नाम को ओक्सीडेनिल की तुलना में अधिक तरजीह दी जाती है। ओक्सेन नाम को, इस उद्देश्य के लिए IUPAC द्वारा स्पष्ट रूप से अनुपयुक्त करार दिया गया है, क्योंकि यह पहले से ही टेट्राहाइड्रोपाईरेन नाम के चक्रीय ईथर का नाम है।
जल के अणु का ध्रुवीय रूप, H+OH-, को IUPAC नामकरण के अनुसार हाईड्रोन हाइड्रोक्साइड भी कहा जाता है।
डीहाइड्रोजन मोनोऑक्साइड (DHMO) जल का एक पंडिताऊ नामकरण है। यह शब्द रासायनिक अनुसंधान की पेरोडीज़ में प्रयोग किया गया है जिसमें इस "घातक रसायन" के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई है, जैसे कि डीहाइड्रोजन मोनोऑक्साइड होक्स में. जल के अन्य व्यवस्थित नाम में शामिल हैं हाईड्रोक्सिक एसिड, हाईड्रोक्सिलिक एसिड, और हाइड्रोजन हाइड्रोक्साइड . जल के लिए, एसिड और क्षार, दोनों नाम मौजूद हैं, क्योंकि यह उभयधर्मी है (क्षार या एसिड, दोनों रूपों में अभिक्रिया करने में सक्षम है). हालांकि ये नाम तकनीकी रूप से गलत नहीं हैं, उनमें से कोई भी व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं होता है।
जल के कुछ सामग्री सुरक्षा डेटा पत्रक, जल में डूबने को एक खतरे के रूप में सूचीबद्ध करते हैं।
इन्हें भी देखें
डबल डिस्टिल्ड जल
लचीला SPC जल मॉडल
हाइड्रोडाईनेमिक्स
जल और बर्फ के ऑप्टिकल गुण
अत्यधिक तापित जल
वियना मानक औसत समुद्र जल
जल की श्यानता
जल (डेटा पृष्ठ)
विद्युत चुम्बकीय विकिरण के जल अवशोषण
जल के क्लस्टर
जल डाइमर
जल मॉडल
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Release on the IAPWS Industrial Formulation 1997 for the Thermodynamic Properties of Water and Steam (तेज अभिकलन गति)
Release on the IAPWS Formulation 1995 for the Thermodynamic Properties of Ordinary Water Substance for General and Scientific Use (सरल निर्माण)
Sigma Xi The Scientific Research Society, Year of Water 2008
Stockholm International Water Institute (SIWI)
जल के vapor pressure, liquid density, dynamic liquid viscosity, surface tension की गणना
जल के फार्म
हाईड्राइड
हाइड्रोजन यौगिकों
हाइड्रोक्साइड
आक्साइड
अकार्बनिक सॉल्वैंट्स
जल रसायन
न्यूट्रॉन मॉडरेटर
गूगल परियोजना | 6,425 |
102151 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%20%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2 | भगवानदास मोरवाल | भगवानदास मोरवाल (जन्म २३ जनवरी १९६०) नगीना, मेवात में जन्मे भारत के सुप्रसिद्ध कहानी व उपन्यास लेखक हैं। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल की। उन्हें पत्रकारिता में डिप्लोमा भी हासिल है। मोरवाल के अन्य प्रकाशित उपन्यास हैं काला पहाड़ (१९९९) एवं बाबल तेरा देस में (२००४)। इसके अलावा उनके चार कहानी संग्रह, एक कविता संग्रह और कई संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल्ली हिन्दी अकादमी के सम्मानों के अतिरिक्त मोरवाल को बहुत से अन्य सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उनके लेखन में मेवात क्षेत्र की ग्रामीण समस्याएं उभर कर सामने आती हैं। उनके पात्र हिन्दू-मुस्लिम सभ्यता के गंगा जमुनी किरदार होते हैं। कंजरों की जीवन शैली पर आधारित उपन्यास रेत को लेकर उन्हें मेवात में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, किंतु इसके लिए उन्हें २००९ में यू के कथा सम्मान द्वारा सम्मानित भी किया गया है।
लेखक भगवानदास मोरवाल जी द्वारा नौ उपन्यास, अनेक कहानियाँ, कवितासंग्रह का सृजन तथा व्यंग्य आदी का संपादन किया है। मोरवाल जी के लेखन में मेवात क्षेत्र की ग्रामीण समस्याएं उभर कर सामने आती हैं। उनके पात्र हिन्दू-मुस्लिम सभ्यता के गंगा जमुनी किरदार होते हैं। मोरवालजी की कुछ प्रमुख औपन्यासिक कृतियां है... ‘काला पहाड़’ (1999), ‘बाबल तेरा देस में’ (2004), ‘रेत’ (2008; उर्दू में अनुवाद, 2010), ‘नरक मसीहा’ (2014), ‘हलाला’ (2015; उर्दू में अनुवाद, 2017), ‘सुर बंजारन’(2017), वंचना(2019), ‘शकुंतिका’(2020), 'ख़ानज़ादा' (2021) आदि।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
हिन्दी गद्यकार
हिन्दी गद्यकार
यू के कथा सम्मान
भगवानदास मोरवाल | 235 |
535948 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A3%E0%A5%81%20%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%A6%20%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A1 | रेणु सूद कर्नाड | श्रीमति रेणु सूद कर्नाड भारत की सबसे बड़ी गृह ऋण कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड की प्रबंध निदेशक हैं। इसके अतिरिक्त वे ऊर्जा व अभियांत्रिकी क्षेत्र की एक मल्टीनैशनल कंपनी एबीबी लिमिटेड में स्वतंत्र निदेशक भी हैं। इनके अतिरिक्त 14 और भी कंपनियों के निदेशक मंडल में भी वे सदस्य हैं।
https://web.archive.org/web/20130901214844/http://www.hdfc.com/pdf/renu_sud_karnad.pdf
करियर
वर्तमान में उनका नाम 5 करोड़ से अधिक कमाई करने वाले लोगों की सूची में शामिल है।
उपलब्धियां
बिज़नेस टुडे की शक्तिशाली महिलाओं की सूची- हाल ऑफ फेम -
2012 में भारतीय व्यापार जगत में सर्वाधिक शक्तिशाली महिला - बिज़नेस टुडे - 27 सितंबर 2012 </ref="ref9">
सन्दर्भ
महिला उद्यमी
भारतीय बैंकर | 102 |
9965 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC | गरुड़ | गरुड़ पक्षीराज हैं और साथ ही भगवान विष्णु का वाहन भी है
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गरुड़ पक्षियों के राजा और भगवान विष्णु के वाहन हैं। गरुड़ प्रजापति कश्यप और उनकी पत्नी विनता सन्तान और अरुण के छोटे भाई हैं। त्रेतायुग में गरुड़ ने श्रीराम के छोटे भाई और राजा दशरथ के दूसरे स्थान के पुत्र भरत के रूप में अवतार लिया था। गरुड़ और अरुण को प्रसिद्ध गरुड़ पक्षी के रूप में वर्णित किया गया है
गरुड़ की माता को शाप
महाभारत के अनुसार सतयुग में दक्ष प्रजापति की कद्रू और विनता नाम की दो कन्याएं थीं दोनों का विवाह महर्षि कश्यप से हुआ। एक दिन कश्यप ने दोनों से वरदान मांगने को कहा तब कद्रू ने एक हजार नाग पुत्र और विनता ने केवल दो तेजस्वी पुत्र वरदान के रूप में माँगे। वरदान के परिणामस्वरूप कद्रू ने एक हजार अंडे और विनता ने दो अंडे प्रसव किये। कद्रू के अंडों के फूटने पर उसे एक हजार नाग पुत्र मिल गये। किन्तु विनता के अंडे उस समय तक नहीं फूटे। उतावली होकर विनता ने एक अंडे को फोड़ डाला। उसमें से निकलने वाला बच्चा एक गरुड़ था लाल रंग होने के कारण उसका नाम अरुण रखा गया उसका ऊपरी अंग पूर्ण हो चुका था किन्तु नीचे का शरीर कच्चा था। उस बच्चे ने क्रोधित होकर अपनी माता को शाप दे दिया कि माता! तुमने कच्चे अंडे को तोड़ दिया है इसलिये तुझे पाँच सौ वर्षों तक अपनी उसी बहन की दासी बनकर रहना होगा जिससे तू इतनी घृणा करती है| ध्यान रहे दूसरे अंडे को अपने से फूटने देना। उस अंडे से एक अत्यन्त तेजस्वी बालक उत्पन्न होगा वही तुझे इस श्राप से मुक्त करवाएगा। यदि तूने मेरे भाई को भी अंगहीन कर दिया तो तू सदा कद्रू की दासी बन कर रहेगी इतना कहकर अरुण नामक वह बालक आकाश में उड़ गया और सूर्य नारायण के रथ का सारथी बन गया।
विनता का दासी बनना
एक दिन कद्रू और विनता की दृष्टि समुद्र मन्थन से निकले हुये उच्चैःश्रवा घोड़े पर पड़ी। कद्रू ने कहा कि उस घोड़े की पूँछ काली है जबकि विनता ने उसे सफेद रंग का बताया। इस पर दोनों में शर्त हुई कि जिसका कथन गलत होगा उसे दूसरे की दासी बनना होगा। दोनों शर्त मानकर पूँछ देखने चलीं। कद्रू ने चुपचाप अपने पुत्रों को उस पूँछ से लिपट जाने की आज्ञा दी इससे पूँछ काली दिखाई पड़ने लगी। विनता हार मानकर कद्रू की दासी बन गयी।
गरुड़ का जन्म
समय आने पर विनता के दूसरे अंडे से महातेजस्वी गरुड़ की उत्पत्ति हुई। उनकी शक्ति और गति अद्वितीय थी।
विनता को दासता से मुक्ति
एक दिन कद्रू ने गरुड़ से कहा कि तुम मेरी दासी के पुत्र हो इसलिये तुम मेरे पुत्रों को घमाने ले जाओ। गरुड़ को इस पर बहुत क्रोध आया किन्तु उन्होंने सौतेली माता की आज्ञा मान ली । नागों को घुमाते हुये गरुड़ ने उनसे अपनी माता को दासता से मुक्त कर देने के लिये कहा। इस पर नागों ने कहा कि यदि तुम हम लोगों के लिये अमृत ला दोगे तो हम तुम्हारी माता को दासता से मुक्त कर देंगे। गरुड़ ने इन्द्र सहित सभी देवताओं को परास्त कर अमृत घट उनसे छीन लिया। गरुड़ के पराक्रम से प्रभावित होकर इन्द्र ने गरुड़ से मित्रता कर ली। मित्रता हो जाने पर इन्द्र बोले, "मित्र! आप इस अमृत घट को मुझे वापस दे दीजिये क्योंकि आप जिनके लिये इसे ले जा रहे हैं वे स्वभावतः बहुत दुष्ट हैं।" इस पर गरुड़ ने कहा, "मुझे पता है किन्तु मैं अपनी माता को दासता से मुक्ति दिलाने हेतु इसे उनके पास ले जा रहा हूँ। आप वहाँ से इसे वापस ला सकते हैं। हठात् उनकी भेंट नारायण (विष्णु) से हो गई। नारायण ने गरुड़ से प्रसन्न होकर वर माँगने के लिये कहा। इस पर गरुड़ ने सदा उनकी ध्वजा में बने रहने का वर ले लिया। साथ ही वे नारायण के वाहन भी बन गये। इसके पश्चात् गरुड़ अमृत घट को नागों को देकर अपनी माता विनता को दासता से मुक्ति दिलाई।
अमृत घट को कुशासन पर रख कर सारे नाग पवित्र होने के लिये स्नान करने चले गये। इसी बीच इन्द्र चोरी से उस अमृत घट को उठा कर ले गये। नाग जब स्नान करके वापिस आए तो उन्होंने देखा कि अमृत कलश गायब है। उन्हें लगा कुशासन पर ही अमृत की कुछ बूंदे गिर गई होंगी। उन्होंने जैसे ही उस कुशासन को चाटा उनकी जीभ के दो भाग हो गए और वे द्विजीव्ह कहलाए।
गरुड़ का रामचन्द्र के प्रति भ्रम
रावण के पुत्र इन्द्रजीत ने लक्ष्मण से युद्ध करते हुये लक्ष्मण को नागपाश से बाँध दिया था। देवर्षि नारद के कहने पर गरूड़, जो नागभक्षी थे, ने नागपाश के समस्त नागों को खाकर राम को नागपाश के बंधन से छुड़ाया। राम के इस तरह नागपाश में बँध जाने पर राम के परमब्रह्म होने पर गरुड़ को सन्देह हो गया। गरुड़ का सन्देह दूर करने के लिये देवर्षि नारद उन्हें ब्रह्मा के पास भेजा। ब्रह्मा जी ने उनसे कहा कि तुम्हारा सन्देह भगवान शंकर दूर कर सकते हैं। भगवान शंकर ने भी गरुड़ को उनका सन्देह मिटाने के लिये काकभुशुण्डि जी के पास भेज दिया। अन्त में काकभुशुण्डि जी राम के चरित्र की पवित्र कथा सुना कर गरुड़ के सन्देह को दूर किया।
भारत के बाहर गरुड़
थाईलैण्ड में
विवाह और सन्तान
गरुड़ और उनके बड़े भाई अरुण का विवाह पक्षी कुल में दो बहनों से हुआ था गरुड़ की पत्नी का नाम उन्नति और अरुण की पत्नी का नाम श्येनी है तथा अरुण के दो पुत्र जटायु और सम्पाती हुए और गरुड़ के पुत्र सुमुख हुए
यह भी देखे
गरुडपुराण
काकभुशुण्डि
गरुड़ इंडोनेशिया - इंडोनेशिया की राष्ट्रीय विमान
बाहरी कडियाँ
रामायण
हिन्दू धर्म | 932 |
11122 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%9C%E0%A4%AF | जनमेजय | जनमेजय महाभारत के अनुसार कुरुवंश के राजा थे। महाभारत युद्ध में अर्जुनपुत्र अभिमन्यु जिस समय वीरगति को प्राप्त हुए, उसकी पत्नी उत्तरा गर्भवती थी। उसके गर्भ से राजा परीक्षित का जन्म हुआ जो महाभारत युद्ध के बाद हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठे। जनमेजय इसी परीक्षित तथा मद्रावती के पुत्र थे। महाभारत के अनुसार (१.९५.८५) मद्रावती उनकी जननी थीं, किन्तु भगवत् पुराण के अनुसार (१.१६.२), उनकी माता ईरावती थीं, जो कि उत्तर की पुत्री थीं।
ऐतिहासिकता
एच.सी. रायचौधरी ने अपने पिता परीक्षित को नौवीं शताब्दी ईसा पूर्व में बताया था। माइकल विटजेल ने 12 वीं -11 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में कुरु साम्राज्य के पौरिकिता राजवंश को जन्म दिया था।
महाभारत के संदर्भ में
महाभारत में जनमेजय के छः और भाई बताये गये हैं। यह भाई हैं कक्षसेन, उग्रसेन, चित्रसेन, इन्द्रसेन, सुषेण तथा नख्यसेन। महाकाव्य के आरम्भ के पर्वों में जनमेजय की तक्षशिला तथा सर्पराज तक्षक के ऊपर विजय के प्रसंग हैं। सम्राट जनमेजय अपने पिता परीक्षित की मृत्यु के पश्चात् हस्तिनापुर की राजगद्दी पर विराजमान हुये। पौराणिक कथा के अनुसार परीक्षित पाण्डु के एकमात्र वंशज थे। उनको श्रंगी ऋषि ने शाप दिया था कि वह सर्पदंश से मृत्यु को प्राप्त होंगे। ऐसा ही हुआ और सर्पराज तक्षक के ही कारण यह सम्भव हुआ। जनमेजय इस प्रकरण से बहुत आहत हुये। उन्होंने सारे सर्पवंश का समूल नाश करने का निश्चय किया। इसी उद्देश्य से उन्होंने सर्प सत्र या सर्प यज्ञ के आयोजन का निश्चय किया। यह यज्ञ इतना भयंकर था कि विश्व के सारे सर्पों का महाविनाश होने लगा। उस समय एक बाल ऋषि अस्तिक उस यज्ञ परिसर में आये। उनकी माता भगवान शिव की पुत्री मानसा एक नाग थीं तथा उनके पिता एक ब्राह्मण थे।
इस संदर्भ में यह बताना उचित होगा कि हिन्दु ग्रंथों पुराण, रामायण, महाभारते,पुराणो के वर्णित आख्यानो में यह स्पृष्ट लिखा है की प्रजापति दक्ष की कई पुत्रीयों का विवाह सप्त ऋषियो से हुआ था उन्ही में से एक प्रजापति ऋषि कश्यप थे कुछ ग्रंथों में उनकी 13 पत्निया कुछ में 16 और कुछ में 8 ।कथा अनुसार कश्यप ऋषि की प्रत्येक पत्नी से अलग अलग संतान हुई (अदिति से आदित्य{देवता} दिति से दैत्य विनीता से गरूण पक्षी कद्रू से नाग दानू से दानव मनु से मनुष्य{ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र} बाकि अन्य पत्नियों से अन्य सभी जीव जन्मे थे। इस यज्ञ में महाराज जनमेजय द्वारा अपने पिता की मृत्यु का दुःख और नागो से प्रतिशोध की भावना थी फिर भी आस्तिक मुनि के कहने से राजा अपना रोष छोडकर यज्ञ रोक देते है बाकि के सर्प बच जाते है जो आजतक जीवित है।
विशेष:-इस कथा में और दुसरे राक्षसो की जो कहानीयां है उनको विधर्मी वामपंथी "आर्य द्रविड़" ब्राह्मण शूद्र" क्षत्रिय शूद्र" तथा आर्य और दूसरी तथाकथित जाति बनाकर हिन्दू धर्म को शोषण करने वाला बताना चाहते है क्योंकि वो जिस विचार का समर्थन करते हैं वहां शोषण ही होता है । इसलिए ही ये राक्षसों को , दैत्यों को जबरदस्ती दलित शूद्र अनार्य द्रविड़ आदिवासी नाग यानि आर्य से अलग बताएंगे और आर्यों , हिन्दूऔ और द्विजों को राक्षसों दानवो आदि का शत्रु बताएंगे ताकि उनका अपने निकृष्ट पंथ में मतांतर कर सके।
तब वेद व्यास के सबसे प्रिय शिष्य वैशम्पायन वहाँ पधारे। जनमेजय ने उनसे अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी लेनी चाही। तब ऋषि वैशम्पायन ने जनमेजय को भरत से लेकर कुरुक्षेत्र युद्ध तक कुरु वंश का सारा वृत्तांत सुनाया। और इसे उग्रश्रव सौती ने भी सुना और नैमिषारण्य में जाकर सारे ऋषि समूह, जिनके प्रमुख शौनक ऋषि थे, को सुनाया।
इन्हें भी देखें
महाभारत
सन्दर्भ
पौरवकुल
महाभारत के पात्र | 577 |
1422212 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%83%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%B6%20%E0%A4%A7%E0%A4%B0%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B2 | बृजेश धर जायल | एयर मार्शल बृजेश धर जायल पीवीएसएम एवीएसएम वीएम और बार भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी थे, जिन्होंने 1992 से 1993 तक दक्षिण पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ की नियुक्ति में काम किया था। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक और अति विशिष्ट सेवा पदक से नवाजा गया था। जायल द दून स्कूल में पढ़े और बाद में उन्हें एम्पायर टेस्ट पायलट्स स्कूल, यूके में टेस्ट पायलट के रूप में प्रशिक्षित किया गया।
सन्दर्भ
1935 में जन्मे लोग
जीवित लोग
भारतीय वायुसेना के अधिकारी
अति विशिष्ट सेवा पदक प्राप्तकर्ता | 90 |
1120107 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%95%20%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%9C%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A4%95%E0%A4%B0 | विवेक शेजवलकर | विवेक नारायण शेजवलकर (जन्म 13 जून 1947) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। उन्हें भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में 2019 के भारतीय आम चुनाव में ग्वालियर, मध्य प्रदेश से भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुना गया था।
उनके पिता नारायण कृष्ण राव शेजवलकर 2019 में ग्वालियर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से 6 वीं लोकसभा और 7 वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे भी ग्वालियर नगर निगम के महापौर रहे थे।
संदर्भ
1947 में जन्मे लोग
ग्वालियर के लोग
जीवित लोग
१७वीं लोक सभा के सदस्य
स्रोतहीन कथनों वाले सभी लेख | 96 |
823898 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6 | नेपाल के प्रदेश | 20 सितंबर 2015 के अनुसार नेपाल को भारतीय राज्य प्रणाली की तरह ही सात राज्यों (प्रदेशों) में विभाजित किया गया है।
संविधान की धारा 295 (ख) के अनुसार प्रदेशों का नामाकरण सम्वन्धित प्रदेश के संसद (विधान सभा) में दो तिहाई बहुमत से होने का प्रावधान है।
कोशी प्रदेश
कोशी प्रदेश जो नेपाल के सात प्रदेशों में से एक है, जो नेपाल के पूर्वी छोर पर स्थित है। इसके पूर्व में भारत के प्रदेश सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल का उत्तरी हिस्सा है। पश्चिम में प्रदेश 3 है तथा उत्तर में चीन का तिब्बत तथा दक्षिण में भारत का बिहार राज्य स्थित है। दक्षिण-पश्चिम में नेपाल का प्रदेश 2 स्थित है।
इस प्रदेश में 14 जिले हैं।
भोजपुर जिला
धनकुटा जिला
ईलाम जिला
झापा जिला
खोटाँग जिला
मोरंग जिला
ओखलढुंगा जिला
पांचथर जिला
संखुवासभा जिला
सोलुखुम्बू जिला
सुनसरी जिला
ताप्लेजुँग जिला
तेह्रथुम जिला
उदयपुर जिला
जनसंख्या: 4,534,943; क्षेत्र: 25,905 किमी²
मधेश प्रदेश
मधेश प्रदेश नेपाल के पूर्वी तराई क्षेत्र में स्थित है। इस प्रदेश में कुल ८ जिले हैं। इसके पूर्व के २ जिलें प्रदेश १ से सटे हैं, बाकी के ६ जिले प्रदेश ३ से उत्तर कि तरफ से सटा हुआ है। इसके दक्षिण में भारत का बिहार स्थित है। इस प्रदेश का नाम मधेश प्रदेश या मिथिला प्रदेश हो सकता है।
बारा जिला
धनुषा जिला
महोत्तरी जिला
पर्सा जिला
रौतहट जिला
सप्तरी जिला
सर्लाही जिला
सिराहा जिला
जनसंख्या: 5,404,145; क्षेत्र: 9,661 किमी²
बाग्मती प्रदेश
बाग्मती प्रदेश अधिकतर पहाड़ी और हिमालयी क्षेत्र में फैला हुआ है। इस प्रदेश का सिर्फ 1 जिला दक्षिण में आकर भारत से सटा हुआ है। नेपाल कि राष्ट्रीय राजधानी भी इसी प्रदेश में आता है।
इस प्रदेश में 13 जिले हैं:
भक्तपुर जिला
चितवन जिला
धादिंग जिला
दोलखा जिला
काठमांडू जिला
काभ्रेपलांचोक जिला
ललितपुर जिला
मकवानपुर जिला
नुवाकोट जिला
रामेछाप जिला
रसुआ जिला
सिंधुली जिला
सिंधुपालचोक जिला
गण्डकी प्रदेश
गण्डकी प्रदेश नेपाल के नये संविधान जो 20 सिंतबर 2015 को लागू हुआ के द्वारा स्थापित एक प्रदेश है।
इस प्रदेश में 11 जिले हैं:
बागलुंग जिला
गोरखा जिला
कास्की जिला
लमजुंग जिला
मनांग जिला
मुस्तांग जिला
म्याग्दी जिला
नवलपरासी जिला (बर्दाघाट से पूर्व)
पर्बत जिला
स्यांगजा जिला
तनहुँ जिला
लुम्बिनी प्रदेश
लुम्बिनी प्रदेश नेपाल के सात प्रदेशों में से एक है। इस प्रदेश में 13 जिले रखे गए हैं। इन में से 6 उत्तरी-पहाड़ी जिले प्रदेश 4 और प्रदेश 6 में रखे जा सकते हैं।
इस प्रदेश के जिले:
अर्घाखाँची जिला*
बागलुंग जिला (पश्चिमी हिस्सा)
बांके जिला
बर्दिया जिला
दांग देउखुरी जिला
गुल्मी जिला*
कपिलवस्तु जिला
नवलपरासी जिला (सुस्ता से पश्चिम)
पाल्पा जिला*
प्युठान जिला*
रोल्पा जिला*
रुकुम जिला (पूर्वी हिस्सा)*
रुपन्देही जिला
कर्णाली प्रदेश
कर्णाली प्रदेश नेपाल के सात प्रदेशों में से एक है। इस प्रदेश में 10 जिले रखे गए हैं।
इस प्रदेश के जिले:-
दैलेख जिला
डोल्पा जिला
हुम्ला जिला
जाजरकोट जिला
जुम्ला जिला
कालीकोट जिला
मुगु जिला
रुकुम जिला (पश्चिमी हिस्सा)
सल्यान जिला
सुर्खेत जिला
सुदुरपश्चिम प्रदेश
सुदुरपश्चिम प्रदेश नेपाल के सात प्रदेशों में से एक है जो नेपाल के सब से पश्चिम में स्थित है। इस प्रदेश में 9 निम्न जिले हैं:
अछाम जिला
बैतडी जिला
बझांग जिला
बाजुरा जिला
डडेलधुरा जिला
दार्चुला जिला
डोटी जिला
कैलाली जिiyला
कंचनपुर जिला
बाहरी कड़ियाँ
imnepal.com
संदर्भसूची
नेपाल के प्रान्त
नेपाल के प्रदेश | 529 |
164305 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%9C | मेगस्थनीज | मेगस्थनीज (Megasthenes / Μεγασθένης, 304 ईसापूर्व - 299 ईसा पूर्व) यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। यूनानी सामंत सिल्यूकस भारत में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू. भारत पर आक्रमण किया था किंतु उसे संधि करने पर विवश होना पड़ा था। संधि के अनुसार मेगस्थनीज नाम का राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा। जो कुछ भारत में देखा, उसने "इंडिका" नामक पुस्तक में विस्तृत वर्णन किया है। वह लिखता है कि भारत का सबसे बड़ा नगर और पाटलिपुत्र है। यह नगर गंगा और सोन के संगम पर बसा है। इसकी लंबाई साढ़े नौ मील और चौड़ाई पौने दो मील है। नगर के चारों ओर एक दीवार है जिसमें 64 द्वार और 570 दुर्ग बने हैं। नगर के अधिकांश मकान लकड़ी के बने हैं।
मेगस्थनीज ने लिखा है कि सेना के छोटे बड़े सैनिकों को राजकोष से नकद वेतन दिया जाता था। सेना के काम और प्रबंध में राजा स्वयं दिलचस्पी लेता था। रणक्षेत्रों में वे शिविरों में रहते थे और सेवा और सहायता के लिए राज्य से उन्हें नौकर भी दिए जाते थे।
पाटलिपुत्र पर उसका विस्तृत लेख मिलता है। पाटलिपुत्र को वह समानांतर चतुर्भुज नगर कहता है। इस नगर में चारों ओर लकड़ी की प्राचीर है जिसके भीतर तीर छोड़ने के स्थान बने हैं। वह कहता है कि इस राजप्रासाद की सुंदरता के सामने ईरानी राजप्रासाद सूस्का और इकबतना फीके लगते हैं। उद्यान में देशी तथा विदेशी दोनों प्रकार के वृक्ष लगाए गए हैं। राजा का जीवन बड़ा ही ऐश्वर्यमय है।
मेगस्थनीज ने चंद्रगुप्त के राजप्रासाद का बड़ा ही सजीव वर्णन किया है। सम्राट् का भवन पाटलिपुत्र के मध्य में स्थित था। भवन चारों ओर संुदर एवं रमणीक उपवनों तथा उद्यानों से घिरा था।
प्रासाद के इन उद्यानों में लगाने के लिए दूर-दूर से वृक्ष मँगाए जाते थे। भवन में मोर पाले जाते थे। भवन के सरोवर में बड़ी-बड़ी मछलियाँ पाली जाती थीं। सम्राट् प्राय: अपने भवन में ही रहता था और युद्ध, न्याय तथा आखेट के समय ही बाहर निकलता था। दरबार में अच्छी सजावट होती थी और सोने-चाँदी के बर्तनों से आँखों में चकाचौंध पैदा हो जाती थी। राजा राजप्रसाद से सोने की पालकी या हाथी पर बाहर निकलता था। सम्राट् की वर्षगाँठ बड़े समारोह के साथ मनाई जाती थी। राज्य में शांति और अच्छी व्यवस्था रहती थीं। अपराध कम होते थे। प्राय: लोगों के घरों में ताले नहीं बंद होते थे।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Surviving text of Indika
Megasthenes: Indika - Fragment I
प्राचीन भारत का इतिहास
राजदूत | 421 |
588142 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%BE%20%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0 | हिडिम्बा देवी मंदिर | हिडिम्बा देवी मंदिर मनाली में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह एक प्राचीन गुफा-मन्दिर है जो हिडिम्बी देवी या हिरमा देवी को समर्पित है । जिसका वर्णन महाभारत में भीम की पत्नी के रूप में मिलता है ।
मन्दिर में उकीर्ण एक अभिलेख के अनुसार यह मंदिर का निर्माण राजा बहादुर सिंह ने 1553 ईस्वी में करवाया था । पैगोडा की शैली में निर्मित यह मंदिर अत्यंत सुंदर है ।
यह मंदिर मनाली शहर के पास के एक पहाड़ पर स्थित है । मनाली आने वाले सैलानी यहाँ जरूर आते है । देवदार वृक्षो से घिरे इस मंदिर की खूबसूरती बर्फबारी के बाद देखते ही बनती है ।
फोटो गैलरी
इन्हें भी देखें
हिडिम्बा देवी
बाहरी कडियाँ
हिडिम्बा मंदिर
भारत में मंदिर
हिन्दू तीर्थ स्थल
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन आकर्षण
हिमाचल प्रदेश में हिन्दू मंदिर
भारत में हिन्दू गुफा मंदिर | 144 |
1108811 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%97%20%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%9C%E0%A4%BC%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8 | फ्लाइंग गीज़ प्रतिमान | फ्लाइंग गीज़ प्रतिमान ( FGP ) या उड़ते हुए कलहंसों का प्रतिमान दक्षिण पूर्व एशिया में तकनीकी विकास पर जापानी विद्वानों का एक दृष्टिकोण है जो जापान को एक प्रमुख शक्ति के रूप में देखता है। इसे 1930 के दशक में विकसित किया गया था, लेकिन इसने 1960 के दशक में व्यापक लोकप्रियता हासिल की, जब इसके लेखक कान्मे अकामात्सु ने अपने विचारों को जर्नल अव डिवेलपिंग एकोनोमीज़ में प्रकाशित किया।
अकामात्सु का तीसरा उड़ता कलहंस प्रतिमान
यह प्रतिमान गतिशील तुलनात्मक लाभ के आधार पर पूर्वी एशिया में श्रम के अंतरराष्ट्रीय विभाजन के लिए एक मॉडल है। प्रतिमान में कहा गया है कि एशियाई राष्ट्र पश्चिम के साथ एक क्षेत्रीय पदानुक्रम के हिस्से के रूप में पकड़ लेंगे, जहां कमोडिफ़ाईड वस्तुओं का उत्पादन लगातार अधिक उन्नत देशों से कम उन्नत देशों की ओर जाता रहेगा। इसे ऐसे समझा जा सकता है, जैसे V के आकार में चिड़ियाँ क्रमिक रूप से उड़ती हैं, ठीक वैसे ही इस क्षेत्र में सर्वाधिक अधिक उन्नत राष्ट्र सबसे आगे की चिड़िया है और कम विकसित राष्ट्र उसके पीछे क्रम से लगे हुए हैं, और इसी पैटर्न में उनका विकास के विभिन्न चरणों के क्रम में होता है।" इस पैटर्न में प्रमुख हंस जापान ही है, राष्ट्रों के दूसरे स्तर में चार एशियाई चीते (दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, ताइवान और हांगकांग) हैं। इन दो समूहों के बाद मुख्य आसियान देश आते हैं: थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया। अंत में इस क्षेत्र में सबसे कम विकसित प्रमुख राष्ट्र: चीन, वियतनाम, फिलीपींस, आदि के गठन में रियर गार्ड शामिल हैं।
मुख्य चालक
मॉडल में मुख्य चालक श्रम की बढ़ती लागत के कारण "आंतरिक पुनर्गठन के लिए नेता की अनिवार्यता" है । "सबसे आगे वाली चिड़िया" के तुलनात्मक फायदे (वैश्विक स्तर पर) के कारण यह श्रम-गहन उत्पादन (labour-intensive production) से दूर और अधिक पूंजी-गहन गतिविधियों (capital-intensive activities) की ओर स्थानांतरित करने का कारण बनता है और इसके कम उत्पादकता वाले उत्पादन को पदानुक्रम में नीचे वाले देश ले जाते हैं। यह पैटर्न निचले देशों में देशों के बीच खुद को पुन: दर्शाता है। विकास के लिए आवेग हमेशा शीर्ष स्तरीय देश से आता है, इस कारण कई विशेषज्ञ FGP को एक टॉप-डाउन मॉडल मानते हैं।
उपयोग
पूर्वी एशिया में क्षेत्रीय उत्पादन पैटर्न का वर्णन करने में FGP एक उपयोगी उपकरण साबित होता है। ऐसा विशेषकर तब होता है, जब हम कपड़ा उद्योग जैसे उद्योगों को देखते हैं। पहले कपड़ा उद्योग जापान में बहुत होता था, फिर यह दूसरे स्तरीय राष्ट्रों (जैसे दक्षिण कोरिया और ताइवान) में फैल गया। इस समय जापान में श्रम का वेतनमान बढ़ चुका था और साथ ही वहाँ के श्रमिक अब पहले से बेहतर प्रशिक्षित हो चुके थे। इस कारणवश जापान ऑटोमोटिव उद्योग और उसके पश्चात उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में स्वयं को स्थापित कर पाया। वर्तमान में न केवल जापान - सबसे उन्नत पूर्वी एशियाई राष्ट्र - बल्कि बाद के बिंदु पर, दक्षिण कोरिया, और ताइवान आदि ये दूसरे स्तरीय राष्ट्र अब ऑटोमोटिव उद्योग और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और इस तरह के उन्नत उत्पादन के लिए खुद को मजबूती से स्थापित कर चुके हैं।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए वाहन वह स्थान है जहां अकामात्सु का सिद्धांत सबसे कम विकसित है। हालांकि, उनका सुझाव है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ ही विकासशील देशों में "उद्यमियों की पशु भावना" (animal spirits) भी। हाल ही में, FGP के संशोधित संस्करण - जैसे कि ओज़ावा (1995) में प्रस्तुत किया गया है- इस क्षेत्र में ट्रांसनैशनल फर्मों के महत्व पर बल देता है।
मॉडल के भीतर राष्ट्रों के आंतरिक क्रम के बारे में, अकामात्सु ने सापेक्ष पदों को स्थायी रूप से तय नहीं किया, बल्कि वे कहते हैं कि इसे स्वाभाविक रूप से अस्थिर के रूप में देखा जा सकता है। यह विचार 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जापानी विकास अनुभव से जुड़ा हुआ है, जब जापान तकनीकी रूप से पिछड़े हुए देश की स्थिति से आगे बढ़कर एक परिपक्व औद्योगिक शक्ति बनकर शिखर तक पहुंच गया था। अन्य विद्वानों ने, हालांकि, FGP में परिकल्पित विकास की स्थिरता और सामंजस्य पर बल देते हुए कहा है कि इसे एक राष्ट्र से दूसरे स्तर पर स्थानांतरित करना मुश्किल होगा।
अकामात्सु के प्रतिमान की प्रासंगिकता
जैसा कि हाल ही में दिखाया गया है, अकामात्सु का सिद्धांत विश्व अर्थव्यवस्था के विभेदीकरण पर जोर देता है, जो बढ़ती औद्योगिक राष्ट्रों को नई तकनीकों के तेजी से प्रसार की ओर ले जाता है, जो इन राष्ट्रों द्वारा नई वस्तुओं के आयात से शुरू होता है। समय के साथ, तकनीक और पूंजीगत सामान भी आयात किए जाते हैं, और समरूप उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं। उद्योग और कृषि दोनों के समानीकरण ने 19 वीं शताब्दी की अंतिम तिमाही में यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के बीच भयंकर और संघर्षपूर्ण प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया। जब एक उन्नत राष्ट्र में कोई उद्योग एक नवाचार होता है, तो निवेश वहां केंद्रित होता है, जिससे व्यापार चक्र में वृद्धि होती है। नवाचार से निर्यात में वृद्धि होती है और राष्ट्र की समृद्धि, कच्चे माल और खाद्य पदार्थों के आयात में वृद्धि होती है। अकामात्सु दुनिया के अन्य हिस्सों में एक जवाबी आंदोलन देखते है, जो सोने के बढ़ते उत्पादन पर केंद्रित है। उसके अनुसार, यह प्रभावी मांग में वृद्धि की ओर अग्रसर होता है और नवप्रवर्तनशील राष्ट्र के निर्यात को आगे बढ़ाता है। इस तरह, विश्व उत्पादन और व्यापार का विस्तार होता है, कीमतों में वृद्धि होती है और दीर्घकालिक व्यापार चक्र परिणामों की दुनिया भर में वृद्धि होती है।
यह भी देखें
जापानी आर्थिक चमत्कार
हान नदी पर चमत्कार
संदर्भ
ग्रन्थसूची
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श्रेणी:एशिया
अंतरराष्ट्रीय विकास
जापान के वैदेशिक सम्बन्ध
अर्थव्यवस्था
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धांत | 1,086 |
665084 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80%20%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6 | देवी श्री प्रसाद | देवी श्री प्रसाद (, जन्म: 02 अगस्त 1979) तेलुगू और तमिल सिनेमा के संगीत निर्देशक, पार्श्व गायक और गीतकार हैं। उनके संगीत तमिल और तेलुगू के अलावा कई अन्य भाषाओं में भी पुनर्निर्मित किया गया है। उनकी फिल्मों के मुख्य भूमिका में मोहनलाल, अमिताभ बच्चन और सूर्या शिवकुमार जैसे सितारे रहे हैं।
प्रारंभिक और व्यक्तिगत जीवन
देवी श्री प्रसाद का जन्म आंध्र प्रदेश के वेदुरुपका में गंधम देवी श्री प्रसाद के रूप में एक तेलुगु भाषी परिवार में हुआ था। [14] [15] [16] उनके पिता जी सत्यमूर्ति तेलुगू सिनेमा में एक लेखक थे, जिन्होंने देवथा, खैदी नंबर 786 और पेदारयुडु जैसी लोकप्रिय फिल्में लिखी हैं। [17] उनका नाम उनके नाना, देवी मीनाक्षी और प्रसाद राव के नाम पर रखा गया है। [18]
वह मद्रास (अब चेन्नई) में पले-बढ़े और टी नगर में एम वेंकट सुब्बा राव स्कूल में पढ़ाई की।
आम धारणा के विपरीत कि उनकी पहली फिल्म के बाद उनके नाम के आगे 'देवी' लगा दिया गया था, उनका नाम उनके नाना-नानी, देवी मीनाक्षी और प्रसाद राव के नाम पर रखा गया था।उनकी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई, गंधम सागर है, जो एक पार्श्व गायक हैं। उनके पिता जी सत्यमूर्ति का दिसंबर 2015 में निधन हो गया था।
कैरियर
1999-2001: करियर की शुरुआत और सफलतासंपादित करें
अपने पहले संगीत एल्बम डांस पार्टी में, उन्होंने अनुभवी गायक एसपी बालासुब्रमण्यम के बेटे एसपी चरण के साथ सहयोग किया।इसके बाद उन्होंने 1999 की तेलुगु फिल्म देवी के स्कोर और साउंडट्रैक की रचना की, इस प्रकार 19 साल की उम्र में एक फिल्म संगीतकार के रूप में अपनी शुरुआत की। [19]उन्होंने फिल्म के लिए साउंडट्रैक के तमिल संस्करण की भी रचना की। यह तुरंत हिट हो गया। देवी (1999) के बाद देवी ने एक बार फिर कोडी रामकृष्ण के साथ फिल्म नववुथु बथकालिरा (2001) के लिए सहयोग किया।देवी ने उसी वर्ष फिल्म आनंदम के साउंडट्रैक एल्बम के साथ अपनी सफलता हासिल की। फिल्म ने निर्देशक श्रीनु वैतला के साथ उनके पहले सहयोग को चिह्नित किया। उन्होंने "प्रेमंती" गीत लिखा और गाया है एमिटांटे" और एक अन्य गीत "मोनालिसा" के लिए अपनी आवाज दी। आइडलब्रेन ने कहा कि, "फिल्म का संगीत अच्छा है, हालांकि कुछ धुनें 'बैक स्ट्रीट बॉयज़' के काम से प्रेरित हैं।प्रसाद को एक पूर्णकालिक प्रेम कहानी के साथ काम करने का मौका मिला है, जिसमें अच्छे संगीत की गुंजाइश है।[20] यह उनका पहला बड़ा सफल फिल्म एल्बम है। उसी वर्ष, उन्होंने एक तमिल फिल्म के लिए फिल्म स्कोर की रचना की।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
देवी श्री प्रसाद ट्विटर पर
संगीतकार
जीवित लोग
1979 में जन्मे लोग | 417 |
1243232 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%20%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80 | राजा राम शास्त्री | राजा राम शास्त्री (जून ४, १९०४ - अगस्त १९९१) एक भारतीय शिक्षाविद, समाज-शास्त्री, काशी विद्यापीठ, वाराणसी के उप-कुलपति (१९६४-१९७१) तथा पांचवी लोक सभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
प्रोफेसर शास्त्री काशी विद्यापीठ से काफी समय प्रोफेसर की पदवी पर रहे और बाद में उप-कुलपति के रूप नियुक्त हुए। वे यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के भी सदस्य रह चुके थे।
उन्होंने "समाज विज्ञान" और "स्वप्न दर्शन" किताबें भी लिखी हैं।
References
"IASIndia.org". www.iasindia.org.
"Padma Vibhushan Awardees". Ministry of Communications and Information Technology. Retrieved 28 June 2009.
साहित्य और शिक्षा में पद्म विभूषण के प्राप्तकर्ता | 93 |