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6 साल की बच्ची अपनी मां के लिए बनी मां | UPUKLive
6 साल की बच्ची अपनी मां के लिए बनी मां
जो प्यार, करुणा और देखभाल का स्वभाव ईश्वर ने बेटियों को दिया है, वह बेटों को हासिल नहीं है। मां को ब्रेन हैमरेज हो जाने के बाद छह साल की मासूम ने जिस तरह से मां की देखभाल की, उसे देखकर लगता है कि मां असल में बेटी है और बेटी मां है। काई चेंगचेंग जब महज छह साल की थी, तो उसकी मां चेन ली को ब्रेन हैमरेज हो गया था। इसकी वजह से उनकी याददाश्त खराब हो गई।
बीते चार साल से अपनी मां को पढ़ना, लिखना और बोलना सिखाना ही काई की दिनचर्या का हिस्सा हो गया है। वह कहती है कि कभी मां ने मुझे पढ़ना, लिखना सिखाया था, अब मेरी बारी है कि मैं अपनी मां को पढ़ना लिखना सिखाऊं। मैं मां के लिए पढ़ाई किसी खेल की तरह सिखाती हूं, ताकि उनके लिए इसे समझना आसान हो जाए।
उदाहरण के लिए जब मैं उन्हें एपल के बारे में बताती हूं, तो उन्हें सेब देती हूं, ताकि वह इसे खाकर उसका स्वाद और उसके बारे में जान सकें। जब मैं रैबिट के बारे में बताती हूं, तो उन्हें खरगोश पकड़ने के लिए देती हूं।
काई के पिता एक छोटी सी दुकान चलाकर परिवार का पालन-पोषण और पत्नी के इलाज का खर्च निकाल रहे हैं। इसलिए वह पत्नी की देखभाल के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं। वहीं, बड़ा भाई काई लिंग ने हाई स्कूल में दाखिला लिया है, जिसकी वजह से वह भी मां की देखभाल नहीं कर पाता है। ऐसे में काई ही अपनी मां की देखभाल करती हैं।
वह मां को चीनी भाषा सिखाने के साथ ही उन्हें रोज समय पर दवाएं देना भी नहीं भूलती हैं। इसके साथ ही मां को जल्दी से ठीक करने के लिए वह फीजियोथैरेपी एक्सरसाइज कराती हैं। काई कहती हैं कि मां को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है और ठीक होने के लिए उन्हें लगातार समय पर दवाएं लेना जरूरी है। यदि कोई उन्हें याद नहीं दिलाए, तो वह दवा लेना ही भूल जाती हैं।
बीचे चार साल से काई लगातार कड़ी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद स्कूल में न सिर्फ अच्छे ग्रेड हासिल करती हैं, बल्कि लीडरशिप रोल भी निभाती हैं। मां के प्रति काई के समर्पण को देखते हुए स्थानीय सरकार ने उन्हें पुरस्कृत किया है और स्थानीय सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी ने भी उन्हें पहचान दी है। चीन की मीडिया उन लोगों के बारे में अक्सर समाचार दिखाती है, जो इस तरह के काम करते हैं।
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आज भी प्रासंगिक हैं गांधी के वैश्विक विचार - Pravakta.Com | प्रवक्ता.कॉम
आज भी प्रासंगिक हैं गांधी के वैश्विक विचार
गांधी के आदर्श विचार उनके निजी जीवन तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने अपने आदर्श विचारों को आजादी की लड़ाई से लेकर समाज निर्माण जैसे जीवन के विविध पक्षों में भी आजमाया। उस समय लोग कहा करते थे कि आजादी के लक्ष्य में सत्य और अहिंसा नहीं चलेगी और न ही इससे सभ्य समाज का निर्माण होगा। लेकिन गांधी ने दिखा दिया कि सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर भी आजादी और समाज निर्माण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। आजादी के आंदोलन के दौरान गंाधी ने लोगों को संघर्ष के तीन मंत्र दिए-सत्याग्रह, असहयोग और बलिदान। उन्होंने खुद इसे समय की कसौटी पर कसा भी। सत्याग्रह को सत्य के प्रति आग्रह बताया। यानी आदमी को जो सत्य दिखे उस पर पूरी शक्ति और निष्ठा से डटा रहे। बुराई, अन्याय और अत्याचार का किन्हीं भी परिस्थितियों में समर्थन न करे। सत्य और न्याय के लिए प्राणोत्सर्ग करने को बलिदान कहा। अहिंसा के बारे में उनके विचार सनातन भारतीय संस्कृति की प्रतिध्वनि है। गांधी पर गीता के उपदेशों का व्यापक असर रहा। वे कहते थे कि हिंसा और कायरता पूर्ण लड़ाई में मैं कायरता की बजाए हिंसा को पसंद करुंगा। मैं किसी कायर को अहिंसा का पाठ नहीं पढ़ा सकता वैसे ही जैसे किसी अंधे को लुभावने दृश्यों की ओर प्रलोभित नहीं किया जा सकता। उन्होंने अहिंसा को शौर्य का शिखर माना। उन्होंने अहिंसा की स्पष्ट व्याख्या करते हुए कहा कि अहिंसा का अर्थ है ज्ञानपूर्वक कष्ट सहना। उसका अर्थ अन्यायी की इच्छा के आगे दबकर घुटने टेक देना नहीं। उसका अर्थ यह है कि अत्याचारी की इच्छा के विरुद्ध अपनी आत्मा की सारी शक्ति लगा देना। अहिंसा के माध्यम से गांधी ने विश्व को यह भी संदेश दिया कि जीवन के इस नियम के अनुसार चलकर एक अकेला आदमी भी अपने सम्मान, धर्म और आत्मा की रक्षा के लिए साम्राज्य के सम्पूर्ण बल को चुनौती दे सकता है। गांधी के इन विचारों से विश्व की महान विभुतियों ने स्वयं को प्रभावित बताया। आज भी उनके विचार विश्व को उत्प्रेरित कर रहे हैं। लोगों द्वारा उनके अहिंसा और सविनय अवज्ञा जैसे अहिंसात्मक हथियारों को आजमाया जा रहा है। ऐसे समय में जब पूरे विश्व में हिंसा का बोलबाला है, राष्ट्र आपस में उलझ रहे हैं, मानवता खतरे में है, गरीबी, भूखमरी और कुपोषण लोगों को लील रही है तो गांधी के विचार बरबस प्रासंगिक हो जाते हैं। अब विश्व महसूस भी करने लगा है कि गांधी के बताए रास्ते पर चलकर ही विश्व को नैराश्य, द्वेष और प्रतिहिंसा से बचाया जा सकता है। गांधी के विचार विश्व के लिए इसलिए भी प्रासंगिक हैं कि उन विचारों को उन्होंने स्वयं अपने आचरण में ढालकर सिद्ध किया। उन विचारों को सत्य और अहिंसा की कसौटी पर जांचा-परखा। 1920 का असहयोग आंदोलन जब जोरों पर था उस दौरान चैरी-चैरा में भीड़ ने आक्रोश में एक थाने को अग्नि की भेंट चढ़ा दी। इस हिंसक घटना में 22 सिपाही जीवित जल गए। गांधी जी द्रवित हो उठे। उन्होंने तत्काल आंदोलन को स्थगित कर दिया। उनकी खूब आलोचना हुई लेकिन वे अपने इरादे से टस से मस नहीं हुए। वे हिंसा को एक क्षण के लिए भी बर्दाश्त करने को तैयार नहीं थे। उनकी दृढ़ता कमाल की थी। जब उन्होंने महसूस किया कि ब्रिटिश सरकार अपने वादे के मुताबिक भारत को आजादी देने में हीलाहवाली कर रही है तो उन्होंने भारतीयों को टैक्स देने के बजाए जेल जाने का आह्नान किया। विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन चलाया। ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर टैक्स लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा की और समुद्र तट पर नमक बनाया। उनकी दृढ़ता को देखते हुए उनके निधन पर अर्नोल्ड टोनी बी ने अपने लेख में उन्हें पैगंबर कहा। प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन का यह कथन लोगों के जुबान पर है कि आने वाले समय में लोगों को सहज विश्वास नहीं होगा कि हांड़-मांस का एक ऐसा जीव था जिसने अहिंसा को अपना हथियार बनाया। हिंसा भरे वैश्विक माहौल में गांधी के विचारों की ग्राहयता बढ़ती जा रही है। जिन अंग्रेजों ने विश्व के चतुर्दिक हिस्सों में युनियन जैक को लहराया और भारत में गांधी की अहिंसा को चुनौती दी, आज वे भी गांधी के अहिंसात्मक आचरण को अपनाने की बात कर रहे हैं। विश्व का पुलिसमैन कहा जाने वाला अमेरिका जो अपनी धौंस-पट्टी से विश्व समुदाय को उपदेश देता है अब उसे भी लगने लगा है कि गांधी की विचारधारा की राह पकड़कर ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। सच तो यह है कि गांधी के शाश्वत मूल्यों की प्रासंगिकता बढ़ी है। गांधी अहिंसा के न केवल प्रतीक भर हैं बल्कि मापदण्ड भी हैं जिन्हें जीवन में उतारने की कोशिश हो रही है। अभी गत वर्ष पहले ही अमेरिका पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ह्वाइट हाउस में अफ्रीकी महाद्वीप के 50 देशों के युवा नेताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि आज के बदलते परिवेश में युवाओं को गांधी जी से प्रेरणा लेने की जरुरत है। गत वर्ष पहले अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने महात्मा गांधी की अगुवाई वाले नमक सत्याग्रह को दुनिया के सर्वाधिक दस प्रभावशाली आंदोलनों में शुमार किया। याद होगा अभी कुछ साल पहले जाम्बिया के लोकसभा सचिवालय द्वारा विज्ञान भवन में संसदीय लोकतंत्र पर एक सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें राष्ट्रमंडल देशों के लोकसभा अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों ने शिरकत की। जाम्बिया की नेशनल असेम्बली के अध्यक्ष असुमा के. म्वानामवाम्बवा ने इस सम्मेलन के दौरान गांधी के सिद्धान्तों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और कहा कि भारत के साथ हम भी महात्मा गांधी की विरासत में साझेदार हैं। उन्होनें बताया कि अहिंसा के बारे में गांधी जी की शिक्षाओं ने जाम्बिया के स्वतंत्रता आन्दोलन को बेहद प्रभवित किया। सच तो यह है कि अब गांधी के वैचारिक विरोधियों को भी लगने लगा है कि गांधी के बारे में उनकी अवधारणा संकुचित थी। उन्हें विश्वास होने लगा है कि गांधी के नैतिक नियम पहले से कहीं और अधिक प्रासंगिक और प्रभावी हैं और उनका अनुपालन होना चाहिए। गांधी जी राजनीतिक आजादी के साथ सामाजिक-आर्थिक आजादी के लिए भी चिंतित थे। समावेशी समाज की संरचना को कैसे मजबूत आधार दिया जाए उसके लिए उनका अपना स्वतंत्र चिंतन था। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में विषमता रहेगी, हिंसा भी रहेगी। हिंसा को खत्म करने के लिए विषमता मिटाना जरुरी है। विषमता के कारण समृद्ध अपनी समृद्धि और गरीब अपनी गरीबी में मारा जाएगा। इसलिए ऐसा स्वराज हासिल करना होगा, जिसमें अमीर-गरीब के बीच खाई न हो। शिक्षा के संबंध में भी उनके विचार स्पष्ट थे। उन्होंने कहा है कि मैं पाश्चात्य संस्कृति का विरोधी नहीं हूं। मैं अपने घर के खिड़की दरवाजों को खुला रखना चाहता हूं जिससे बाहर की स्वच्छ हवा आ सके। लेकिन विदेशी भाषाओं की ऐसी आंधी न आ जाए कि मैं औंधें मुंह गिर पड़ूं। गांधी जी नारी सशक्तीकरण के प्रबल पैरोकार थे। उन्होंने कहा कि जिस देश अथवा समाज में स्त्री का आदर नहीं होता उसे सुसंस्कृत नहीं कहा जा सकता। आज के दौर में भारत ही नहीं बल्कि विश्व समुदाय को भी समझना होगा कि उनके सुझाए रास्ते पर चलकर ही एक समृद्ध, सामथ्र्यवान, समतामूलक और सुसंस्कृत विश्व का निर्माण किया जा सकता है। आधुनिक भारतीय चिंतन प्रवाह में गांधी के विचार सार्वकालिक हैं। सच तो यह है कि गांधी भारतीय उदात्त सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अग्रदूत के साथ-साथ सहिष्णुता, उदारता और तेजस्विता के प्रमाणिक तथ्य हैं। सत्यशोधक संत भी हैं तो शाश्वत सत्य के यथार्थ समाज वैज्ञानिक भी। राजनीति, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला के अद्भूत मनीषी भी तो मानववादी विश्व निर्माण के आदर्श मापदण्ड भी। सम्यक प्रगति मार्ग के चिंह्न भी तो भारतीय संस्कृति के परम उद्घोषक भी। गांधी के लिए वेद, पुराण एवं उपनिषद का सारतत्व ही उनका ईश्वर है और बुद्ध, महावीर की करुणा ही उनकी अहिंसा है। सत्य, अहिंसा, ब्रहमचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह, शरीर श्रम, आस्वाद, अभय, सर्वधर्म समानता, स्वदेशी और समावेशी समाज निर्माण की परिकल्पना ही उनके जीवन का परम लक्ष्य है।
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बालयति बाबा भुमण शाह जी उदासीन - Kamboj Society
Baba Bhuman Shah
बालयति बाबा भुमण शाह जी उदासीन
बाबा भुम्मन शाह, (जिन्हें बाबा भुम्मनशाह, जन्म भूमिया के नाम से भी जाना जाता है) को भारत के शीर्ष उदासी संतों में गिना जाता है। उनका जन्म 14 अप्रैल, 1687 ई. को बहलोलपुर गाँव, दीपालपुर तहसील, ओकरा ज़िला, पंजाब (पाकिस्तान) में हुआ था, जो कथित तौर पर कम्बोज वंश के थे।
उनके पिता चौधरी हस्सा राम नम्बरदार और बहलोलपुर के एक प्रसिद्ध जमींदार थे। हस्सा राम और उनकी पत्नी माता राजो बाई को धार्मिक रूप से जाना जाता था और वे गुरु नानक के भक्त होने के साथ-साथ उदासी पंथ के संस्थापक भी थे।
कई किंवदंतियों और मिथक हैं जो भूमिया के प्रारंभिक बचपन से जुड़े हुए हैं। कहानी यह है कि एक बार एक बच्चे के रूप में, जब वह अपने पालने में सो रहा था, तो एक कोबरा आया और उसकी छाती के ऊपर बैठ गया और अपने हुड को फैला दिया। मदर राजो दृश्य में दंग रह गई, लेकिन जब उसने पालने के पास जाने की हिम्मत की, तो कोबरा धीरे-धीरे गायब हो गया और सोते हुए बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। एक अन्य मिथक मृत गौरैया के पुनरुद्धार से संबंधित है; और फिर भी एक गरीब किसान की खोई हुई फसल को स्वास्थ्य के लिए बहाल करने से संबंधित है। ये चमत्कार होने के लिए ले जाया गया और दूर-दूर से आए लोगों ने भौमिया के घर पर भीड़ जमा करना शुरू कर दिया। भूमिया सात साल की उम्र में अपनी स्कूली शिक्षा के लिए चली गईं। वह बहुत तेज और बुद्धिमान छात्र था और बहुत कम उम्र में हिंदू धर्म, सिख धर्म और इस्लाम की अनिवार्यताओं को पूरा करता था। अपने धार्मिक पाठों में भाग लेने के अलावा, भूमिया ने अपने गाँव के अन्य लड़कों की संगति में गायों को चराने जैसे सांसारिक कार्य भी किए। वह अपनी गायों को जंगल में ले जाता था, जहाँ वह तपस्वियों, संतों, गरीबों और अनाथों सहित राहगीरों के लिए एक मुफ्त-रसोई (लंगर) चलाने के लिए भरपूर भोजन और जल (जल) भी ले जाता था। थोड़ी देर बाद, परिवार बहलोलपुर से दीपालपुर की ओर चला जाता था। जय जय बाबा भुमन शाह जी
दीक्षा पंद्रह वर्ष की आयु तक, भूमिया ने एक भिक्षु बनने की तीव्र आकांक्षा विकसित कर ली थी। अपने माता-पिता की अनुमति के साथ, उन्होंने उदपंत पंथ के प्रमुख संत, पाकपट्टन के बाबा प्रीतम दास से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें गुरु-मंत्र में दीक्षा दी। औपचारिक रूप से बाबा प्रीतम दास द्वारा आरंभ और बपतिस्मा लेने पर, भूमिया स्वयं बाबा भूमण शाह बन गए। इसके तुरंत बाद, उन्होंने उन धार्मिक संदेशों का प्रचार करना शुरू कर दिया जो हमेशा कीर्तन और फ्री-किचन (लंगर) के साथ होते थे। ऐसा कहा जाता है कि गांव कुतुब कोट के एक मुस्लिम राजपूत जमींदार चौधरी लाखा वट्टू को कुछ कारणों से गिरफ्तार किया गया था और पंजाब के राज्यपाल के आदेश से लाहौर में सलाखों के पीछे डाल दिया गया था। बीबी बख्तावर, लक्खा की माँ, बाबा की कट्टर भक्त थीं। उसने अपने बेटे की रिहाई के लिए बाबा के आशीर्वाद का आग्रह किया और ऐसा हुआ कि चौधरी लाखा को कुछ दिनों के भीतर जेल से रिहा कर दिया गया। परिणामस्वरूप, लट्टू और वट्टू जनजाति के कई मुस्लिम रिश्तेदार भी बाबा के समर्पित अनुयायी बन गए। इसके अलावा, जनजाति ने बाबा के लिए कुतुब-कोट नाम के एक गाँव को भी आत्मसमर्पण कर दिया, जो बाद में उनकी धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बना।
जिंदगी का कार्य
बाबा भुम्मन शाह ने प्रेम, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, सार्वभौमिक भाईचारा, धार्मिक-सहिष्णुता और समानता के अपने संदेश का प्रचार करने के लिए गांव-गांव की यात्रा की। उनके कई संप्रदायों के अनुयायी थे जिनमें हिंदू, सिख और मुस्ले शामिल थे। बाबा ने सूफी संत बाबा फरीद की दरगाह, अमृतसर में स्वर्ण मंदिर, और अपने धार्मिक यात्रा के दौरान कई अन्य सिख और हिंदू मंदिरों की भी यात्रा की। गाँव कुतुब-कोट में, जो बाद में डेरा बाबा भुम्मन शाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ, बाबा ने स्थायी रूप से कीर्तन और मुफ्त रसोई (लंगर) की मर्यादा स्थापित की। बाबा भी गुरु गोविंद सिंह के बहुत समर्पित सिख थे। यह बताया जाता है कि एक बार, दशमेश गुरु और उनके सिख अनुयायी निली बार जा रहे थे, जब वे बाबा भुम्मन शाह से मिलने गए और लंगाह को डेरा में ले गए; शाह के नेक मिशन से खुश होकर, गोबिंद सिंह ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनका लंगर किसी भी तरह की कमी के साथ बढ़ता रहेगा।
50 से अधिक वर्षों के लिए अपने धार्मिक मिशन को पूरा करने के बाद, 1762 ई. में बाबा की मृत्यु हो गई. उन्हें महंत निर्मल चंद ने सफल बनाया जिन्होंने अपना काम जारी रखा। छठे महंत बाबा दर्शन दास के समय में, एक ब्रिटिश संभागीय आयुक्त ने डेरा का दौरा किया। महंत के व्यक्तित्व के साथ-साथ डेरा-परिसर और मुफ्त-रसोई सेवा (लंगर) से प्रभावित होकर आयुक्त ने तीर्थस्थल (संत चंद्र स्वामी) द्वारा बाबा भुम्मनशाह को 3000 एकड़ (12 किमी²) कृषि भूमि संलग्न की। श्राइन के नाम पर कुल जमीन-जायदाद 18,000 एकड़ (73 किमी of) कृषि भूमि (cf: 18700 एकड़ (76 km in) शेखूपुरा में गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब) के नाम से अच्छी हो गई. उतरा संपत्ति के अलावा, डेरा के नाम पर अन्य चल / अचल संपत्ति थी।
विभाजन के बाद का दृश्य
विभाजन के बाद, राजनीति की मजबूरियों के कारण, डेरा के मुख सेवक महंत गिरधारी दास ने अपना धार्मिक मुख्यालय पाकिस्तान से भारत में स्थानांतरित कर दिया। हरियाणा के सिरसा जिले के संगर साधा में एक नया तीर्थ और डेरा स्थापित किया गया था। पाकिस्तान से डेरा को हस्तांतरित कुल भूमि 18 से अधिक की तुलना में 1600 एकड़ (6.5 किमी compared) थी । महंत गिरधारी दास की मृत्यु के बाद, बाबा महंत अमर नाथ बावा संगर साधा में तीर्थ के महंत थे। वर्तमान में बाबा ब्रह्म दास महंत (गद्दीनशीन) हैं। महंत बाबा ब्रह्मा दास जी, डेरा बाबा भुम्मनशाह जी संगर सरिस्ता (सिरसा) के 12 वें महंत हैं। संगर साधा के अलावा, बाबा के हिंदू भक्तों ने उत्तर भारत के कई राज्यों में भी उनकी स्मृति में कई मंदिरों का निर्माण किया है, जहाँ प्रतिदिन बाबाजी की पूजा विश्वास और प्रेम (संत चंद्र स्वामी द्वारा बाबा भुम्मनशाह) के साथ की जाती है। पाकिस्तान में, इस डेरा को विभाजन से पहले के समय में इससे जुड़ी सबसे बड़ी संपत्ति के साथ सबसे अमीर माना जाता था। बाबा भुम्मनशाह की आध्यात्मिक और व्यावहारिक शिक्षाओं को उनके उत्साही भक्त, संत चंद्रा स्वामी द्वारा एक पुस्तिका में उपाख्यानों के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें जीवन के सच्चे लक्ष्य के साथ-साथ अपनी उपलब्धि के लिए सही साधनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये उपदेश बाबा के अपने दिव्य जीवन के साथ पूर्ण सहमति में हैं। |
World Cup 2019: इंग्लैंड में ये मैदान है भारत के लिए सोने पे सुहागा, जहां भारत हमेशा है जीता - India TV Hindi News
Hindi News खेल क्रिकेट World Cup 2019: इंग्लैंड में ये...
World Cup 2019: इंग्लैंड में ये मैदान है भारत के लिए सोने पे सुहागा, जहां भारत हमेशा है जीता
ऐजबस्टन में भारत का मुकाबला अपने इस चिर प्रतिद्वंद्वी से नहीं बल्कि मेजबान इंग्लैंड (30 जून) और बांग्लादेश (दो जुलाई) से होगा।
Bhasha 24 May 2019, 17:24:57 IST
नई दिल्ली। विश्व कप के प्रबल दावेदारों में शामिल भारत ब्रिटेन में 30 मई से शुरू होने वाले क्रिकेट महाकुंभ के लीग चरण के नौ मैच छह मैदानों पर खेलेगा जिनमें से बर्मिंघम का ऐजस्टबन भी शामिल है जहां उसका शानदार रिकार्ड रहा है।
भारत ने ऐजबस्टन में अब तक दस एकदिवसीय मैच खेले हैं जिनमें से सात में उसे जीत और केवल तीन में हार मिली है। उसने 2013 से यहां लगातार पांच मैच जीते हैं जिनमें पाकिस्तान के खिलाफ आईसीसी चैंपियन्स ट्राफी 2013 और 2017 में आठ विकेट और 124 रन की दो बड़ी जीत भी शामिल हैं।
लेकिन ऐजबस्टन में भारत का मुकाबला अपने इस चिर प्रतिद्वंद्वी से नहीं बल्कि मेजबान इंग्लैंड (30 जून) और बांग्लादेश (दो जुलाई) से होगा। इंग्लैंड के खिलाफ भारत ने यहां चार मैच खेले हैं जिनमें से तीन में उसे जीत मिली है। बांग्लादेश को भी भारत ने 2017 में इस मैदान पर नौ विकेट से करारी शिकस्त दी थी।
भारत अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से 16 जून को ओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टर में होगा जहां उसने 2007 के बाद कोई वनडे नहीं खेला है। इस मैदान पर भारत ने आठ मैचों में से तीन में जीत दर्ज की और पांच में उसे हार मिली है। भारत ने हालांकि विश्व कप 1999 में पाकिस्तान को इस मैदान पर 47 रन से पराजित किया था।
मैनचेस्टर में भारत 27 जून को वेस्टइंडीज से भी भिड़ेगा। भारत ने 1983 विश्व कप के लीग चरण में इसी मैदान पर कैरेबियाई टीम को 34 रन से हराकर सनसनी फैला दी थी लेकिन इसके बाद दोनों टीमें कभी इस मैदान पर आमने सामने नहीं हुई।
विराट कोहली की टीम अपने अभियान की शुरुआत पांच जून को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रोज बाउल, साउथम्पटन पर करेगा जिसमें भारतीय रिकार्ड तीन मैचों में एक जीत और दो हार का है। भारत ने इस मैदान पर एकमात्र जीत 2004 में कीनिया के खिलाफ दर्ज की थी। दक्षिण अफ्रीका के अलावा अफगानिस्तान (22 जून) से भी भारत इसी मैदान पर भिड़ेगा।
आस्ट्रेलिया की कड़ी चुनौती का सामना भारतीय टीम नौ जून को ओवल में करेगी। भारत ने इस मैदान पर सर्वाधिक 15 वनडे खेले हैं जिनमें से उसने केवल पांच में जीत दर्ज की है जबकि नौ मैच गंवाये हैं। एक मैच का परिणाम नहीं निकला। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच यहां 1999 विश्व कप में मैच खेला गया था। आस्ट्रेलिया ने यह मैच 77 रन से जीता था।
भारतीय टीम न्यूजीलैंड (13 जून) से ट्रेंटब्रिज, नाटिंघम में और श्रीलंका (छह जुलाई) से हेडिंग्ले, लीड्स में भिड़ेगी। नाटिंघम में भारतीय टीम ने सात मैचों में से तीन में जीत और इतने ही मैचों में हार का सामना किया है। न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम ने हालांकि विश्व कप में इंग्लैंड में जो तीन मैच खेले हैं उनमें उसे हार मिली है। इनमें विश्व कप 1999 का इसी मैदान पर खेला गया मैच भी शामिल है।
लीड्स में भारतीय टीम दसवां मैच खेलने के लिये उतरेगी। उसने अभी तक इस मैदान पर नौ मैचों में से तीन में जीत दर्ज की है। भारत ने इस मैदान पर आखिरी जीत 2007 में दर्ज की थी। भारत और श्रीलंका लीड्स में पहली बार आमने सामने होंगे। |
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वैसे तो काले चने बहुत सारे पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है लेकिन अंकुरित होने के बाद स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इनसे मिलने वाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन की मात्रा और भी ज्यादा हो जाती है।
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एक स्वस्थ जीवन बिताने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन के अलावा भी कई पोषक तत्व हैं जिनका सेवन हमें रोज करना चाहिए। |
पश्चिम बंगाल में पाकिस्तान विरोध पर मनाही, सेमिनार रद्द | Perform India
Home पश्चिम बंगाल विशेष पश्चिम बंगाल में पाकिस्तान विरोध पर मनाही, सेमिनार रद्द
क्या आपको पता है कि भारत में एक राज्य ऐसा भी है जहां आप पाकिस्तानी आतंकी हमले, कश्मीर में घुसपैठ सहित उसके दूसरे हथकंडों का विरोध नहीं कर सकते। जी हां, हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के बारे में। यहां अगर आप पाक की करतूतों के बारे में कोई विरोध प्रदर्शन, सभा, सेमिनार या रैली करना चाहेंगे तो आपको उसकी इजाजत नहीं मिलेगी। इसकी जगह किसी पाकिस्तानी जिसका विरोध सारा देश कर रहा हो, यहां स्वागत किया जाता है। पाक आतंकी हमले में बाद जब देश भर में गुलाम अली का कार्यक्रम विरोध हो रहा था तो ममता बनर्जी ने उन्हें कोलकाता बुलाकर कार्यक्रम करने की इजाजत दी। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने यहां कश्मीर और बलूचिस्तान के मुद्दे पर पाक विरोधी सेमिनार करने की इजाजत नहीं दी। पाकिस्तानी मूल के तारिक फतेह कोलकाता में पाक विरोधी सेमिनार करने जा रहे थे।
तारिक फतेह पाकिस्तानी मूल के लेखक, चिंतक और विश्लेषक हैं। वे सात जनवरी को कलकत्ता क्लब में ‘द सागा ऑफ बलूचिस्तान’ नाम से एक कार्यक्रम करने जा रहे थे। लेकिन कलकत्ता क्लब ने हाथ खड़े करते हुए कार्यक्रम को रद्द कर दिया।
– @KolkataPolice on urging of CM @MamataOfficial forces @TheCalcuttaClub to shut talk on #Kashmir #Balochistan. @GeneralBakshi @neelakantha pic.twitter.com/ZQYnR9Cwsr
क्लब की ओर से चार जनवरी को कार्यक्रम रद्द करने के बारे में तारिक फतेह को एक मेल किया गया। मेल में कहा गया है कि एक निजी सामाजिक क्लब होने के नाते हम क्लब में सौहर्दपूर्ण माहौल चाहते हैं। जबकि तारिक फतेह ने ट्वीट कर कहा है कि पुलिस और पश्चिम बंगाल सरकार के दबाव के चलते क्लब ने कार्यक्रम को रद्द किया है। तारिफ फतेह ने आरोप लगाया है कि ममता सरकार ने पहले कार्यक्रम के पोस्टर ने कश्मीर शब्द हटाने को कहा था। जिसके ना करने पर कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया।
कार्यक्रम स्वाधिकार बांग्ला फाउंडेशन की ओर से आयोजित होना था। यह कार्यक्रम बलूचिस्तान और कश्मीर आधारित एक टॉक शो था। इस कार्यक्रम में तारिक फतेह के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान, पूर्व सैन्य अधिकारी जीडी बख्शी, कश्मीरी मूल के सुशील पंडित शामिल होने वाले थे।
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल का पूरी तरह से इस्लामीकरण कर दिया है। यहां अगर आप किसी दंगे का शिकार हुए हैं और हिंदू हैं तो आपको ना तो मुआवजा मिलेगा ना राहत और ना पुलिस सुरक्षा। यहां वोटबैंक के लिए बांग्लादेशी मुसलमानों का स्वागत किया जाता है और वही मुसलमान यहां आकर स्थानीय हिंदूओं पर जुल्म करता है। ताजा उदाहरण धूलागढ़ का है। कोलकाता से सिर्फ 36 किलोमीटर दूर है। यहां मुस्लिमों ने हिंदुओं के घर, दुकान और धार्मिक प्रतिष्ठानों को जमकर निशाना बनाया। आगजनी और लूटपाट की लेकिन पुलिस दर्शक बनी खड़ी रही।
सवाल उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजनीतिक हताशा की शिकार हो गई हैं? इसके पहले नोटबंदी के दौरान पटना से कोलकाता आते वक्त प्लेन लैंडिग में जरा सी देरी होने पर भड़क उठीं और हत्या की साजिश करने का आरोप लगा बैठीं। उसके बाद कोलकाता में राज्य सचिवालय के पास और कई और जगहों पर सेना की तैनाती पर खफा हो गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि सेना की तैनाती तख्ता पलट के लिए की गई। लेकिन सेना की मौजूदगी नियमित अभ्यास का हिस्सा भर थी।
पश्चिम बंगाल में हिंदू समुदाय इस समय दहशत की जिदंगी जी रहे है। ममता बनर्जी के खुले समर्थन के चलते अल्पसंख्यक समुदाय पूरी तरह से बेकाबू हो चुका है। पुलिस भी मूकदर्शक की भूमिका निभा रही है।
हर किसी को बस हर पल यही डर समा रहा है कि ना जाने कब उनके घर को जला दिया और सबकुछ लूट लिया जाए। इस डर के साए में जीने की मुख्य वजह है पश्चिम बंगाल में योजनाबद्ध तरीके से हो रहे दंगे, जिसे ममता बनर्जी का पूरा समर्थन प्राप्त है।
ममता के शासन में दंगे जिन्हें ममता दबा नहीं पाई
13 दिसंबर 2016 में मालदा जिले में मिलाद-उन-नबी के अगले दिन कुछ मुस्लिम युवकों ने हिन्दुओं के घरों और दुकानों में आग लगा दी।
12 अक्टूबर 2016 को हिंसा की शुरुआत पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना ज़िले से हुई, जहां कथित तौर पर मुहर्रम के जुलूस के दौरान भड़की हिंसा में हिंदुओं के घरों को जला दिया और इस हिंसे की आग 5 ज़िलों में फैल गई।
3 जनवरी 2016 को बंगाल की एनएच 34 पर तकरीबन 2.5 लाख मुस्लिम इकट्ठा हुए। जिन्होंने कालियाचक पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और पूरे इलाके में दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।
पश्चिम बंगाल के कैनिंग जिला में 19 फरवरी, 2013 में दंगा भड़का क्योंकि ये लोग अलग इस्लामी राज्य की मांग कर रहे थे। इस दंगे में 200 से ज्यादा हिंदुओं के घरों को सुनियोजित तरीके लूटा गया और बड़ी संख्या में मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया। यहां तक पुलिस ने हिंदुओं की मदद के लिए फोन नही उठाए
कोलकाता उपनगर के उस्ती बाजार को भी 2013 में मुस्लिमों द्वारा निशाना बनाया गया जिसमें 50 से ज्यादा हिंदू दुकानों को लूट लिया गया। उल्टा पुलिस ने पीड़ित हिंदुओं को ही हिरासत में ले लिया और दंगाई मुस्लिम खुले-आम घुमते रहे
14 मई 2012 को दक्षिण 24 परगना जिले के तारनगर और रूपनगर दो गांवों में जमकर हिंसा हुई और हिंदू परिवारों के घरों को मुस्लिम दंगाईयों ने आग के हवाले कर दिया।
एक नजर बंगाल की आबादी के बिगड़ते समीकरण पर!
1947 में हिंदुस्तान का विभाजन हुआ, बांग्ला बोलने वाले मुस्लिमों में कुछ भारत के हिस्से में रह गए और बाकी आज के बांग्लादेश के हिस्से में आए।
1947 में पश्चिम बंगाल में 12 फीसदी मुस्लिम आबादी थी।
50 हजार रोहिंग्या मुसलमान म्यामांर छोड़कर बांग्लादेश की सीमा पर डेरा डाले हुए है।
आज पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की संख्या 27 फीसदी के पार पहुंच गई है।
1947 में आज के बांग्लादेश में 27 फीसदी हिंदुओं की संख्या थी।
आज बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी घटकर 8 फीसदी रह गई है।
जिस तरह से पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है उसे देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पश्चिम बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाने की पूरी तैयारी ममता बनर्जी ने कर ली है और देश ने हिंदुओं के साथ हो रही बर्बरता पर चुप्पी साध ली है।
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वीडियो : “राम के नाम” – जानिए, क्या हुआ था 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में??? | My Zavia Generic Pharnacy India
Home अयोध्या वीडियो : “राम के नाम” – जानिए, क्या हुआ था 6 दिसंबर...
वीडियो : “राम के नाम” – जानिए, क्या हुआ था 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में???
नई दिल्ली। अयोध्या में बाबरी मस्जिद/राम मंदिर विवाद ने तब एक बड़ा मोड़ ले लिया था जब 6 दिसंबर 1992 को लाखों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद गिरा दिया। उस वक्त उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे।
पांच दिसंबर 1992 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक बयान ने हवा का रुख बदल दिया। उन्होंने कहा था, ‘’उस जगह को समतल तो करना पड़ेगा।’’
वीडियो (फेसबुक):
वाजपेयी के इस भाषण के अगले ही दिन अयोध्या में लाखों कारसेवकों की भीड़ जुट चुकी थी। इस भीड़ के साथ-साथ बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के तमाम नेता बाबरी मस्जिद के पास बने मंच पर मौजूद थे।
उस दिन सुबह करीब 11 बजे कुछ कारसेवक बाबरी मस्जिद के आसपास बनी रेलिंग को फांदकर अंदर घुसने की कोशिश करने लगे। अंदर तैनात पीएसी के जवानों ने उन्हें रोका तो उन पर पथराव शुरू हो गया। किसी के हाथ में फावड़े तो कोई हथौड़े लेकर बाबरी मस्जिद विवादित ढांचे की तरफ बढ़ा चला जा रहा था।
वीडियो (यू ट्यूब):
यही नहीं बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए बड़ी-बड़ी रस्सियों का इंतजाम भी पहले से कर लिया गया था। इतनी तैयारी के साथ आई कारसेवकों की भीड़ में से कुछ लोग जल्द ही गुंबद तक पहुंच गए और फिर देखते ही देखते गुंबद को गिरा दिया गया।
दरअसल छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो हुआ उसकी नींव 1990 में आडवाणी की रथयात्रा से ही पड़ गई थी। तब ये नारा दिया गया था कि ‘कसम राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे’ यानी जहां बाबरी मस्जिद है वहीं पर मंदिर बनेगा।
अयोध्या बाबरी मस्जिद/राम जन्मभूमि विवाद को लेकर आज से सुप्रीम कोर्ट में सबसे बड़ी सुनवाई:
अयोध्या मामले में आज यानी मंगलवार 5 दिसम्बर 2017 दोपहर 2 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी ये अहम इस लिए भी है कि कोर्ट खुद कह चुकी है कि अब सुनवाई टलेगी नहीं। 7 साल से लंबित यह मामले में 20 पिटीशंस और 90 हजार पेज में गवाहियां दर्ज हैं।
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन 3 बराबर हिस्सों में बांट दी थी। अदालत ने रामलला की मूर्ति वाली जगह रामलला विराजमान को दी। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्माेही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड 14 दिसंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। फिर एक के बाद एक 20 पिटीशंस दाखिल हो गईं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया, लेकिन सुनवाई शुरू नहीं हुई। इस दौरान 7 चीफ जस्टिस बदले। सातवें चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इस साल 11 अगस्त को पहली बार पिटीशंस लिस्ट की।
ये होंगे पैनल जज:
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा:
3 तलाक खत्म करने और सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने जैसे फैसले सुना चुके हैं।
जस्टिस अब्दुल नाजिर:
तीन तलाक बेंच में थे। प्रथा में दखल गलत बताया था। प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट करार दिया था।
जस्टिस अशोक भूषण:
दिल्ली सरकार अौर एलजी के बीच जारी अधिकारों की जंग के विवाद पर सुनवाई कर रहे हैं।
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“कोई सर्जिकल स्ट्राइक्स नहीं हुईं” – पाकिस्तानी सेना
ब्रेकिंग न्यूज़ : “जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने समर्थन लिया वापस, महबूबा... |
बाइट--01-- जगराम (ग्रामीण श्रृद्धालु)
मेले में सदगुरु महराज के शिष्यों ने पहले साधू संतो को भोजन कराया गया फिर उन्हें भेंट में कम्बल दिया गया। वहीं इस अवसर पर जलौन के सांसद भानू प्रताप वर्मा भी मौजूद रहें और उन्होंने मीडिया से बातचित करते हुए कहा कि इस मेले में हम आते हैं क्योंकि सदगुरू महाराज में हमारी आस्थाह है।
बाइट--02-- भानू प्रताप वर्मा (सांसद जालौन)
आपको बता दें कि हर साल सदगुरु महराज की समाधी स्थल पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जहां देश-विदेश से सदगुरु महराज के भक्त पहुंचकर पुजा-अर्चना करते हैं । |
terror plan to attack in punjab and jammu and kashmir Ludhiana Live news
Home Hindi पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बड़े हमले की फिराक में आतंकी
पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बड़े हमले की फिराक में आतंकी
जानकारी के मुताबिक आतंकी संगठन अंसार गजावत-उल-हिंद का सरगना जाकिर मूसा जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की भर्ती कर रहा है। इतना ही नहीं, जाकिर मूसा अपने डिप्टी रेहान के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर और पंजाब के पुलिस कर्मियों पर फिदायीन हमले की तैयारी कर रहा है। आतंकी रेहान ने हमले की तैयारियों को लेकर पंजाब और जम्मू में पुलिस के दफ्तरों की कई जगहों की रेकी की है।
खुफिया एजेंसियों ने सरकार को भेजी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि जम्मू कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के नजदीक 10 आतंकियों की मूवमेंट देखी गई है। ऐसा बताया जा रहा है कि ये सभी आतंकी कश्मीर में बड़े हमले की फिराक में है और इसके लिए वो भारत में घुसपैठ का इंतजार कर रहे हैं ये आतंकी लश्कर और जैश के बताए जा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों की इस रिपोर्ट के बाद से लाइन ऑफ कंट्रोल पर सुरक्षा बलों को अलर्ट रहने को कहा गया है यही नहीं अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में लगे ITBP CRPF आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस से भी कड़ी निगरानी रखने को कहा गया है।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद भारत पर बड़े आतंकी हमले ना कर पाने से बौखलाई हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ISI की मदद से भारतीय नौसेना के बेस पर आतंकी हमले की ट्रेनिंग दी जा रही है जैश ए मोहम्मद के आतंकियों को गहरे पानी में गोताखोरी से लेकर के हथियार चलाने की ट्रेनिंग मिल रही है ताकि वह पठानकोट जैसा एक और बड़े हमले को अंजाम दे सके।
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फिरोजपुर। बाप से लेकर बेटे तक सीमा पार से आ रही हेरोइन की तस्करी से जुड़े हैं। जेल में बंद होने के बावजूद तस्कर अपने बेटों के माध्यम से पाकिस्तानी तस्करों से संपर्क साधे हुए हैं। इस बात का खुलासा जलालाबाद के गांव जोधा भैणी में पकड़े गए तस्कर तिलक सिंह से हुआ है। तस्करी के धंधे को पूरे परिवार ने एक बिजनेस की तरह अपना लिया है। सीमावर्ती गांव के कई परिवार इस धंधे से जुड़ हैं। पाकिस्तानी तस्कर इन्हें त्योहारों पर तोहफे भी भेजते हैं। उधर, जलालाबाद थाना सदर के प्रभारी हरदीप सिंह ने बताया कि पकड़ा गया तस्कर तिलक सिंह कई बार फेंसिंग पार खेतों में कामकाज के बहाने अपनी बैलगाड़ी में हेरोइन छिपाकर ला चुका है। ये बात उसने पूछताछ के दौरान स्वीकार की है। सिंह ने बताया कि जेल में बंद तस्कर सुलखन सिंह, मक्खन सिंह और कश्मीर सिंह के साथ तिलक के गहरे रिश्ते हैं। जेल में बंद तस्करों के निर्देशों पर सरहद पार से आने वाली हेरोइन की तस्करी की जा रही है। एसएचओ हरदीप सिंह ने बताया कि जिस समय तिलक सरहद पर पकड़ा गया था, उस समय उसके साथ गांव जोधा भैणी निवासी जोगिंदर सिंह पुत्र कश्मीर सिंह व भोला सिंह भी था, लेकिन वहां से दोनों फरार होने में कामयाब हो गए। सिंह ने बताया कि तस्कर कश्मीर सिंह का एक बेटा अविनाश सिंह भी पाकिस्तानी सिम कार्ड रखने के आरोप में जेल में बंद है। जोगिंदर सिंह अपने पिता के इशारे पर हेरोइन तस्करी का धंधा संभाले हुए है। कश्मीर का पूरा परिवार पाकिस्तानी तस्करों से मिलकर हेरोइन, जाली करेंसी व असलाह की तस्करी करता है। |
हरियाणवी कविता: सन ब्यालीस मैं हे फौजी नै / रणवीर सिंह दहिया – म्हारा हरियाणा |
NewsCode Jharkhand | 7 July, 2018 9:37 PM
रांची। राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी द्वारा जारी पत्र को फर्जी बताया कि इस तरह के आरोप लगाने वालों को शर्म आनी चाहिए। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने जानना चाहा कि क्या बाबूलाल मरांडी को महाभारत के संजय की तरह दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गई थी।
साथ ही बाबूलाल जिस चिट्ठी की बात कर रहे हैं क्या उसकी सत्यता सिद्ध कर पाएंगे। मंत्री ने कहा कि ऐसे में तो कल कोई भी व्यक्ति किसी पर भी कोई भी आरोप लगा दे सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाने से पहले थोड़ी शर्म जरुर आनी चाहिए।
रांची : जनता के सामने भाजपा का असली चेहरा उजागर- झाविमो
सीपी सिंह ने बाबूलाल मरांडी को चुनौती देते हुए जांच कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि जांच का सामना करने के लिए उनकी पार्टी तैयार है। मंत्री ने कहा कि इस तरह किसी का चरित्र हनन करना उचित नहीं है। हम भी किसी का चरित्र हनन कर सकते हैं मगर ये हमारी पार्टी का संस्कार नहीं है। इस तरह का काम संस्कारहीन व्यक्ति ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में इस तरह के संस्कारहीन लोग हैं जो इस तरह के काम कर रहे हैं।
लातेहार : बोरे की दीवार और कागज के छत में रहती...
डेक्कन क्रोनिकल पर 30 करोड़ रुपये के घोटाले में मामला...
साहिबगंज : बुनियादी सुविधाओं का संकट है आदिम समुदाय के...
कटक टी-20 : टेस्ट, वनडे में श्रीलंका को धूल चटाने...
निरसा : बेकाबू कार ने हाइवा को मारी टक्कर, पांच... |
बैंडस्टैंड पर लगेगी राजेश खन्ना की मूर्ति | Webdunia Hindi
बैंडस्टैंड पर लगेगी राजेश खन्ना की मूर्ति
बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता राजेश खन्ना की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बांद्रा के बैंडस्टैंड पर यश चोपड़ा, देव आनंद और राज कपूर जैसी मशहूर हस्तियों के साथ उनकी मूर्ति स्थापित की जाएगी। पिछले वर्ष गंभीर बीमारी के बाद 69 वर्षीय अभिनेता का मुंबई में उनके घर ‘आर्शीवाद’ में 18 जुलाई को निधन हो गया था।
मनोरंजक चैनल यूटीवी स्टार्स राजेश खन्ना की अनोखी शैली और मनमोहक मुस्कान की याद में यहां बांद्रा के बैंडस्टैंड स्थित विहार स्थल में बॉलीवुड के आधिकारिक स्थान ‘वॉक ऑफ द स्टार’ में उनकी मूर्ति के अनावरण की योजना बना रही है।
बॉलीवुड के सुपरस्टार के परिवार के सदस्य उनकी प्रतिष्ठित मुद्रा को अमर करती इस कांसे की मूर्ति का फिल्म जगत की कुछ जानी मानी हस्तियों की मौजूदगी में अनावरण करेंगे।(भाषा)
सोनाक्षी सिन्हा की साइज जीरो में कोई रुचि नहीं
आलिया बनाना चाहती हैं रितिक की पेंटिंग
माधुरी के मोबाइल एप्लिकेशन को मिला अवॉर्ड
मेरा परिवार रुढ़ीवादी है : हुमा कुरैशी
करीना कपूर खान स्क्रीन पर दिखेगा अब यह नाम
बैंड स्टैंड |
प्रियंका वाड्रा ने चाय पर बुलाया तो अनिल बलूनी ने पहाड़ी व्यंजनों का तड़का लगाया – Breaking Uttarakhand
प्रियंका वाड्रा ने चाय पर बुलाया तो अनिल बलूनी ने पहाड़ी व्यंजनों का तड़का लगाया
July 27, 2020 breakinguttarakhand Breakinguttarakhand, देश विदेश, बड़ी खबर, राजनीतिक
प्रियंका वाड्रा ने चाय पर बुलाया तो अनिल बलूनी ने पहाड़ी व्यंजनों का तड़का लगाया When Priyanka Vadra called for tea, Anil Baluni spiced up the hill dishes
प्रियंका गांधी वाड्रा का 35 लोधी एस्टेट वाला बंगला राज्य सभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख भाजपा अनिल बलूनी को आवंटित किया जा चुका है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने 35 लोधी एस्टेट के बंगले को छोड़ने से पहले बलूनी जी को चाय पर आमंत्रित किया
इसके प्रत्युत्तर में राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी ने पत्र लिख कर प्रियंका वाड्रा को उत्तराखंड के परम्परागत पहाड़ी भोजन पर आमंत्रित किया।
बताया गया कि बिना किसी सरकारी पद के प्रियंका गांधी २३ साल से इस बंगले पर अवैध रूप से काबिज थी इसलिए यह बंगला खाली करना पड़ा। लेकिन राजनेताओं की ऐसी नायाब आपसी कैमिस्ट्री से कार्यकर्ताओं को निश्चित रूप से सीख मिल सकती है।
Anil BaluniAnil Baluni spiced up the hill dishesbreakinguttarakhandPiryanka VadraWhen Priyanka Vadra called for teaअनिल बलूनीप्रियंका गांधी वाड्राप्रियंका गांधी वाड्रा ने चाय पर बुलाया तो अनिल बलूनी ने पहाड़ी व्यंजनों का तड़का लगायाब्रेकिंग उत्तराखंड डाट कामहरीश मैखुरी
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क्या रहा मनुष्य और उसके आविष्कारों के अनुसार, अब तक प्रारंग और जौनपुर का सफर | What-has-been-the-journey-of-Parang-and-Jaunpur-so-far-according-to-man-and-his-inventions
क्या रहा मनुष्य और उसके आविष्कारों के अनुसार, अब तक प्रारंग और जौनपुर का सफर
24-07-2020 08:00 AM
प्रारंग शहर की स्थानीय भाषा में विभिन्न शहरों/स्थानों की संस्कृति और प्रकृति पर हर रोज उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करके, संस्कृति - प्रकृति संतुलित करने का उद्देश्य रखता है। हम शहर विशेष की संस्कृति और प्रकृति के संदर्भ में दुनिया के अन्य हिस्सों के साथ शहर के संसर्गों पर शोध करते हैं और उन्हें प्रस्तुत करते हैं। प्रारंग के लेखों की रूपरेखा में, हमने प्रकृति और संस्कृति दोनों का ही निम्नलिखित 6 (प्रत्येक में 3) भागों के माध्यम से प्रतिनिधित्व किया है:
1. समयसीमा : इस बिंदु में पृथ्वी की शुरुआत से लेकर अब तक के समयकाल के बारे में बहुत से नये तथ्यों का पता चलेगा। हम दुनिया भर में सभ्यताओं के विकास के संश्रय में हमारे विशिष्ट शहर के विकास का पता लगाते हैं।
2. मानव व उनकी इन्द्रियाँ : शहर के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए, हम मनोरंजन और संवर्धन की वस्तुओं और मानव आवश्यकता की गतिविधियों के विकास का पता लगाते हैं, जो ध्वनि, गंध, स्पर्श, स्वाद, दृष्टि और विचार के रूप में मानव अपनी इंद्रियों के माध्यम से अनुभव करते हैं।
3. मानव व उसके अविष्कार : हम दस्तकारी और औद्योगिक उत्पादों और सेवाओं में हुए आविष्कारों और नवाचारों का पता लगाते हैं, क्यूंकि इनके द्वारा ही दुनिया ने विभिन्न सभ्यताओं की वृद्धि देखी है।
1. भूगोल : प्रकृति के इस बिंदु में हम अपने शहर और विश्व के भूगोल के बारे में प्राप्त जानकारियों को संदर्भित करते हैं। यह भाग पृथ्वी पर मौजूद स्थानों की प्राकृतिक विषेशताओं पर रौशनी ड़ालता है जैसे नदियाँ, समुद्र, जंगल इत्यादि।
2. जीव–जन्तु : जीव-जन्तु प्रकृति का एक अहम हिस्सा होते हैं। प्रारंग के प्रकृति खण्ड के इस भाग में जानिए अपने शहर और विश्व भर में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं से जुडी रोचक जानकारी का वर्णन।
3. वनस्पति : पेड़-पौधों अथवा वनस्पति लोक का अर्थ, किसी क्षेत्र का वनस्पति जीवन या भूमि पर मौजूद पेड़-पौधे और इसका संबंध किसी विशिष्ट जाति, जीवन के रूप, रचना, स्थानिक प्रसार या अन्य वानस्पतिक या भौगोलिक गुणों से है।
1. म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण:
स्थानीय कुम्हारों को रोज़गार प्रदान करेगा कुल्हड़
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2. हथियार व खिलौने
जौनपुर में खेल सुविधाओं के निवेश में कमी
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3. य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
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4. संचार एवं संचार यन्त्र
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5. घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ
भदोही की कालीन बुनाई को प्राप्त है भौगोलिक संकेतक टैग
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6. वास्तुकला 1 वाह्य भवन
जौनपुर के विरासत स्थलों की स्थिति में आती गिरावट
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7. वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
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8. नगरीकरण- शहर व शक्ति
जौनपुर में शहरी विकास का ग्रामीण विकास पर पड़ता प्रभाव
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9. सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
लिंक -
10. सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान
क्या हम भूल गए हैं, जौनपुर से सम्बन्ध रखने वाले सिद्दी समुदाय को
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प्रारंग द्वारा आपके शहर में अब तक संस्कृति और प्रकृति से जुड़े 1000 से भी अधिक लेख प्रकाशित किये जा चुके हैं, तो आईये प्रारंग के संग, अपने शहर के विभिन्न रंगों का आनंद लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। |
दाद (Ringworm) एक प्रकार चर्म रोग है। जिसे डर्माटोफायोटासिस या टिनिया भी कहा जाता है। इसका अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह एग्जिमा का रूप ले लेती है। जो कि दाद से ज्यादा खतरनाक त्वचा से जुड़ी बीमारी है।
जब मौसम बदलते हैं तो आपको स्किन से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती हैं। जैसे कि खुजली, दाग और दाद। दाद जिसे रिंगवॉर्म भी कहा जाता है, ये एक प्रकार का फंगल संक्रमण है जो आपकी त्वचा की ऊपरी परत पर विकसित होता है। आमतौर पर यह तीन तरह की फंगस के कारण होता है – ट्राइकोफिटन, माइक्रोस्पोरम और एपिडर्मोफिटन। दाद आपके शरीर पर कहीं भी हो सकता है, जैसे चेहरे, हाथ, पैर, जांघ, पीठ, छाती, उंगली आदि। आइए जानते हैं इसके प्रकार, होने के कारण, लक्षण और रोकथाम के कुछ सरल उपाय।
रिंगवॉर्म |
कम से कम कर्मचारियों के अनुबंध कार्यकाल का वरिष्ठता लाभ तो दिलाएं जयराम: राणा - rajendra rana
कम से कम कर्मचारियों के अनुबंध कार्यकाल का वरिष्ठता लाभ तो दिलाएं जयराम: राणा
Updated: 05 Sep, 2019 12:02 PM
सुजानपुर: भाजपा के चुनावी दृष्टि पत्र पर अमल न करने व कर्मचारियों को अनुबंध कार्यकाल के वरिष्ठता लाभ से वंचित रखने को लेकर सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने जयराम सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी हितैषी होने का ढिंढोरा पीटने वाली जयराम सरकार ने कदम कदम पर कर्मचारियों के साथ छल किया है और वायदे न निभाकर कर्मचारियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने वायदे के विपरीत कर्मचारियों को अनुबंध कार्यकाल की वरिष्ठता लाभ से भी वंचित रखा है, जबकि कमीशन के माध्यम से भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार ही भर्तियां की जाती हैं।
राजेंद्र राणा ने याद दिलाया कि वर्ष 2007 में भाजपा की तत्कालीन धूमल सरकार ने प्रदेश में 8 साल के अनुबंध कार्यकाल के आधार पर भर्ती करने का निर्णय लिया था तथा वर्ष 2009 में अधिसूचना जारी होते ही अनुबंध आधार पर पहली भर्ती की गई। वर्ष 2012 में सत्ता से जाते-जाते उन्होंने अनुबंध का कार्यकाल 6 साल करने की घोषणा की थी। उसके बाद कांग्रेस की वीरभद्र सिंह ने सत्ता में आने के बाद वर्ष 2014 में कर्मचारियों का अनुबंध कार्यकाल 5 साल तथा वर्ष 2016 में इसे घटाकर 3 साल कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने शासनकाल में कर्मचारियों को छलने व बरगलाने का ही काम किया है।
राणा ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकारों के साथ केंद्र में रहते हुए भी भाजपा नीत एन.डी.ए. सरकारों ने कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात किया है जिसकी शुरूआत वर्ष 2003 में केंद्र की तत्कालीन एन.डी.ए. सरकार ने कर्मचारियों को धोखा देते हुए पैंशन बंद कर काले अध्याय लिखा था। उसके बाद अनुबंध पर नौकरियां देने का फैसला भाजपा सरकार ने ही लिया और अब जयराम सरकार ने ट्रिब्यूनल को बंद कर कर्मचारी विरोधी होने का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने दृष्टि पत्र में कर्मचारियों से अनेकों वायदे किए थे जिनमें पैंशन को लेकर भी एक कमेटी गठित करने की बात कही थी। लेकिन सत्ता के नशे में मदहोश जयराम सरकार अब तक कमेटी गठित करने सहित किसी भी वायदे पर दृष्टि डालने में भी फेल साबित हुई है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि चुनावी दृष्टि पत्र तो सरकार की नजर-ए-इनायत कब होगी और कर्मचारियों से किए वायदों को लेकर कब नींद से जागेगी, यह तो सरकार व मुख्यमंत्री ही जानें। लेकिन अनुबंध कार्यकाल का वरिष्ठता लाभ कर्मचारियों का जायज हक है जिसका लाभ देकर भाजपा की पूर्व केंद्र व प्रदेश सरकारों द्वारा लिए कर्मचारी विरोधी फैसलों के दाग भाजपा के ऊपर से थोड़े बहुत जरूर धुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि 4-9-14 के बारे में भी भाजपा सरकार का कर्मचारियों से किया गया वायदा महज एक छलावा साबित हुआ है। कर्मचारी वर्ग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने दृष्टि पत्र में कर्मचारियों से वायदा किया था कि सत्ता में आने पर कर्मचारियों को 4-9-14 का लाभ दिया जाएगा। लेकिन अब सरकार के 2 साल पूरे होने को है लेकिन कर्मचारी अभी तक सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों को वेतन आयोग के लाभों से भी वंचित रख रही है।
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आईआईटी रुड़की ने लांच किया एलुमनी का ग्लोबल नेटवर्क - NAVAL TIMES
आईआईटी रुड़की ने लांच किया एलुमनी का ग्लोबल नेटवर्क
आईआईटी रुड़की ने दुनिया भर में रहने वाले अपने एलुमनी के साथ एक व्यापक संबंध स्थापित करने के लिए आईआईटी रुड़की एलुमनी का ग्लोबल नेटवर्क लांच किया है। यह संस्थान और उसके एलुमनी के एक व्यापक और सटीक एलुमनी डेटाबेस की जरूरत को पूरा करेगा।
इसके अलावा, कई एलुमनी एक ऐसे नेटवर्क की मांग कर रहे थे जो उन्हें एलुमनी को खोजने और उनके साथ जुड़ने में मदद कर सकता हो। साथ ही एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से संस्थान के साथ संवाद करने की सुविधा भी प्रदान करता हो। ग्लोबल नेटवर्क इस जरूरत को भी पूरा करने की कोशिश करेगा। यह ग्लोबल नेटवर्क, थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग से यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की और अब आईआईटी रुड़की की यात्रा को संजोकर रखने में योगदान देगा। वर्ष 1847 में स्थापित इस संस्थान के शानदार इतिहास का हिस्सा रहे एलुमनी की पुरानी और नई पीढ़ियों को एक प्लेटफॉर्म पर लेकर आएगा। आईआईटी रुड़की एलुमनी का यह ग्लोबल नेटवर्क एलुमनी वालंटियर्स द्वारा संचालित किया जाएगा।
नेटवर्क के कार्यान्वयन में प्रावधान बनाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सदस्यों की गोपनीयता संबंधी चिंताओं का पूरी तरह से ध्यान रखा जाए।
इसके अलावा, सदस्यों के पास अपनी इच्छा के अनुसार संदेशों और सेवाओं की सदस्यता शुरू और समाप्त करने का विकल्प होगा। डेटाबेस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाएगा। नेटवर्क की सदस्यता से कई लाभ मिलेंगे। उदाहरण के लिए, नेटवर्क की लाइफ मेंबरशिप फ्री होगी।
सभी सदस्यों को एक पहचान पत्र जारी किया जाएगा। सदस्यों के पास दुनिया भर के लोकल, रीजनल और नेशनल नेटवर्क पर एलुमनी के साथ सोशल और प्रोफेशनल नेटवर्किंग के अवसर होंगे। यह संकट में फंसे किसी एलुमनी या उसके परिवार के लिए, उनके सहयोगी एलुमनी से मदद जुटाने के लिए एक प्रणाली का निर्माण करेगा।
सदस्यों के पास स्टूडेंट्स मेंटोरशिप प्रोग्राम्स, इंटर्नशिप और संस्थान की अन्य गतिविधियों जैसी योजनाओं में भाग लेने और योगदान करने के अवसर होंगे।
सदस्यों को ई-न्यूजलेटर्स के माध्यम से एलुमनी और अल्मा मेटर के बारे में नियमित अपडेट प्राप्त होगा। नेटवर्क में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सदस्यों को उपयुक्त रूप से मान्यता दी जाएगी। पहचान पत्र धारकों के लिए विभिन्न संगठनों के उत्पादों और सेवाओं के लिए विशेष छूट की सुविधा दी जाएगी।पहचान पत्र सदस्यों को परिसर में सुचारू रूप से प्रवेश करने में मदद करेगा।
उपलब्धता के अनुसार, सदस्य रियायती दर पर आईआईटी रुड़की के गेस्टहाउस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। सदस्यों को एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से डीन, हेड ऑफ डिपार्टमेंटध्सेंटर, विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले फैकल्टी या संस्थान के कार्यालय से जुड़ने का अवसर मिलेगा। जहां भी संभव हो, सदस्यों के लिए पुस्तकालय सेवाओं का विस्तार करने की संभावना का पता लगाया जाएगा। अनुरोध पर, सदस्यों को स्थापना दिवस, स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के अवसर पर आमंत्रित किया जाएगा।
सदस्य रविवार को परिसर के दौरे के लिए अनुरोध कर सकते हैं। परिसर के दौरे में जेम्स थॉमसन बिल्डिंग, हैंगर, इंस्टीट्यूट आर्काइव, मेडलिकॉट म्यूजियम और महात्मा गांधी सेंट्रल लाइब्रेरी के दौरे शामिल होंगे।
अनुरोध कम से कम एक सप्ताह पहले किया जाना चाहिए। इस अवसर पर, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने कहा, “इस डिजिटल युग में, सोशल और प्रोफेशनल नेटवर्किंग के संबंध में काफी बदलाव आया है। सूचना प्रौद्योगिकी ने एक पदानुक्रमित और नौकरशाही प्रणाली के बजाय एक सीधा और कुशल मंच के लिए एलुमनी और स्टूडेंट्स की अपेक्षाओं को बढ़ाया है। वे एक-दूसरे के साथ और संस्थान के साथ भी जुड़ना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा “यह देश में संभवतरू अपनी तरह का पहला नेटवर्क होगा। हमें विश्वास है कि यह नेटवर्क अन्य शैक्षणिक संस्थानों में लागू किए जाने में भी सक्षम होगा।” |
इन्दौर लोकसभा सीट : सुमित्रा 'ताई' की सीट पर बड़े अंतर से जीते भाजपा के शंकर लालवानी - Ajay Bharat
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इन्दौर । मध्य प्रदेश की आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध समझी जाने वाली लोकसभा सीट इन्दौर से भाजपा के शंकर लालवानी ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। उन्होंने इन्दौर से 8 बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को 2014 में मिली 466901 मतों की जीत के रिकार्ड को तोड़ते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के पंकज संघवी को 547754 मतों से हराया है। भाजपा प्रत्याशी लालवानी को कुल 1068569 मत मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 520815 मत मिले। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने विजयी प्रत्याशी शंकर लालवानी को सांसद निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र दिया। इस मौके पर सुमित्रा महाजन व विधायक रमेश मैंदोला भी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि इन्दौर से 8 बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को इस भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह ललवानी को पार्टी ने मैदान में उतारा था। हालांकि सुमित्रा महाजन इस सीट पर फिर से चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं, लेकिन पार्टी की ओर से उम्मीदवार के नाम के ऐलान में देरी होते देख उन्होंने खुद ही यह ऐलान कर दिया था कि वह इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी।
इस सीट पर पिछले मुकाबलों की बात करें तो लगातार 8 बार बीजेपी की तरफ से सुमित्रा महाजन कुर्सी पर काबिज रहीं। वहीं, कांग्रेस आखिरी बार 1984 में यहां से लोकसभा का चुनाव जीती थी। 2014 के चुनाव में भाजपा की सुमित्रा महाजन को 854972, कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 388071 व आम आदमी पार्टी के अनिल त्रिवेदी को 35124 मत मिले थे। इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव में इन्दौर सीट पर 20 प्रत्याशी चुनावी मैदान होकर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी और भाजपा के शंकर लालवानी के मध्य था और लालवानी ने यह मुकाबला 547754 मतों के रिकार्ड अंतर से जीत लिया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ते हुए बड़ी जीत दर्ज की है। लालवानी ने 1993 में पहली बार विधानसभा क्षेत्र-4 से भाजपा अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। इसके बाद 1996 में नगर निगम चुनाव में वे अपने भाई और कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश लालवानी को हराकर पार्षद बने। वे नगर निगम सभापति भी रहे। इसके बाद वे नगर अध्यक्ष रहे। वे इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे।
1998 में भाजपा की सुमित्रा महाजन से लोकसभा चुनाव हार चुके पकंज संघवी पर कांग्रेस ने एक बार फिर से भरोसा जताया, लेकिन उन्हें दूसरी बार भी हार का मुंह देखना पड़ा। संघवी 1983 में पहली बार पार्षद का चुनाव जीते। इसके बाद 1998 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया, लेकिन सुमित्रा महाजन ने उन्हें 49 हजार 852 वोट से चुनाव हार दिया। इसके बाद 2009 में महापौर का चुनाव लड़े और भाजपा के कृष्णमुरारी मोघे से करीब 4 हजार वोट से हार गए। 2013 में वे इंदौर विधानसभा पांच नंबर सीट से करीब 12 हजार 500 वोट से विधानसभा चुनाव हारे।
:: इंदौर को 30 साल बाद पुरुष सांसद मिला ::
इन्दौर लोकसभा सीट से 1952 में कांग्रेस के नन्दलाल जोशी, 1957 में कांग्रेस के कन्हैयालाल खेड़ीवाला, 1962 में सीपीआई के होमी दाजी, 1967 में कांग्रेस के प्रकाशचंद्र सेठी, 1971 में कांग्रेस के रामसिंह भाई, 1977 में भारतीय लोकदल के कल्याण जैन, 1980 और 1984 में कांग्रेस के प्रकाशचन्द्र सेठी ने दो बार जीत हासिल की। इसके बाद सुमित्रा महाजन ने 1989 के आम चुनाव में पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग लिया और उन्होंने कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराया। फिर भाजपा के टिकट पर सुमित्रा ताई ने 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में जीत दर्ज की। वो प्रथम महिला हैं जो कभी लोकसभा चुनावों में पराजित नहीं हुई और आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला बनी। लालवानी के जीत से अब इन्दौर को 30 साल बाद पुरुष सांसद मिला है।
:: जीत का विश्वास तो था, पर इतनी बड़ी जीत की कल्पना नहीं थी : लालवानी
अपनी जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शंकर ललवानी ने कहा – जीत का विश्वास तो था, पर इतनी बड़ी जीत की कल्पना नहीं थी। जनता ने इतनी बड़ी जीत दी है, तो मेरे ऊपर शहर की जनता का भार भी काफी रहेगा। बीआरटीएस के विकल्प के रूप में एलिवेटेड ब्रिज होगा, जो शहर की समस्या दूर होगी। ट्रैफिक सुधार और शहर के विकास के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे। लालवानी ने जीत का श्रेय सबसे पहले नरेंद्र मोदी और अपनी पार्टी को दिया। अपने प्रतिद्वंदी पंकज संघवी को लेकर कहा कि वे टूरिस्ट वीजा लेकर चुनाव के मैदान में आते रहे हैं, जबकि उन्हें लगातार सक्रिय रहकर समाज की सेवा करना चाहिए। जनता के बीच रहना चाहिए, जो उन्होंने नहीं किया और इसके परिणाम सामने हैं।
:: संघवी ने लालवानी को दी जीत की बधाई ::
कांग्रेस के प्रत्याशी पंकज संघवी ने हार के बाद ट्वीट पर भाजपा के शंकर लालवानी को जीत की बधाई दी है। संघवी ने लिखा- हार जीत का फैसला तो भगवान करता है। इंसान कोशिश और मेहनत करता है। भाई शंकर लालवानी को जीत की बधाई। उन्होंने आगे लिखा – वल्लभ नगर मेरे निवास पर कई सालों से समाजसेवा जारी थी। आगे भी जारी रहेगी। गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद आखिरी सांस तक करता रहूंगा।
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हम सत्ता नहीं, व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे हैं :राय |
रावत राज में उत्तराखंडी भरेंगे ईमानदारी की रोयल्टी - Janpaksh
UPCL Loss 2019
त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार में दिनों दिन उत्तराखंड की व्यवस्था बेपटरी होती जा रही हैं| मक्कारों का मकडजाल उत्तराखंड को चहू और से लूटने में लगा है| उत्तराखंड विधुत वितरण निगम उनमे से एक है जो मक्कारों को प्रोत्साहित करता हैं की वो बिजली की चोरी करे व इमानदार लोगो को बिल बढ़ाकर प्रताड़ित किया जा रहा हैं|
उत्तराखंड विधुत वितरण निगम अपने अन्दर फैले भ्रष्टाचार को लगाम ना लगा पाने के कारण फिर आयोग में बिजली की दरो को बढाने के लिए प्रस्ताव भेजा हैं व आकड़ो की आने तो इस बार वितरण निगम को वर्ष 2018-19 में 625 करोड़ की शुद्ध हानि हुई हैं जबकि 2017-18 में यही हानि 229 करोड़ थी इसका मतलब यह है की इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले 396 करोड़ ज्यादा की हानि हुई हैं|
वर्ष 2016 में केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार व वितरण निगम के बीच में एक समझोता हुआ था जिसके अंतर्गत UPCL को अपने AT&C हानि को 2018-19 में 14.5 प्रतिशत तक लेकर आनी थी लेकिन विधुत वितरण खंड हल्द्वानी के अनुसार उनका पारेषण, वितरण व आय का अन्तराल 20.06 प्रतिशत हैं जिसका मतलब की हल्द्वानी में एक करोड़ की बिजली के बदले 79 लाख 96 हजार ही आते हैं|
सिर्फ हल्द्वानी में अगर 20 प्रतिशत बिजली चोरी हो रही हैं तो आप समझ सकते हैं की पूरे प्रदेश का हाल क्या होगा? 20% T&D की हानि हैं तो उसमे से आधा हिस्सा चोरी का हैं जिसे की उत्तराखंड विधुत वितरण निगम को रोकना चाहिए था| इस वर्ष 625 करोड़ की भरपाई के लिए निगम ने आयोग से बिजली की दरो को बढाने की गुहार की है|
Electricity Theft at Bareilly Road, Haldwani.
यह बिजली की दरे केवल और केवल इमानदार उपभोक्ताओं के लिए बढेंगी क्योकि मक्कार व चोर लोग बिजली पहले की तरह फ्री में जलाते रहेंगे और इनको देख कर और लोग भी चोरी के लिए प्रेरित होंगे और यह घाटा दिनोंदिन बढ़ता रहेगा जो की आय व्यय के आंकड़ो में नज़र आता हैं| अगर आप देखे तो पिछले साल 2017-18 में 22.01 प्रतिशत का T&D हानि थी और 229 करोड़ का घाटा हुआ था जबकि 2018-19 में घाटा 20.06 हुआ हैं जबकि हानि पिछले साल से तिगुना 625 करोड़ की शुद्ध हानि हुई हैं जो की घाटा घटने के बाद भी तिगुनी हुई हैं|
उत्तराखंड की जनता आज उत्तराखंड में इमानदार होने की रोयल्टी दे रही हैं क्योकि बढे हुए दरें केवल और केवल ईमानदार लोग ही भरेंगे वो भी बिना किसी विरोध के ओर यही बढ़ा हुआ पैसा ही उत्तराखंड में हमारे ईमानदार बने रहने की रॉयल्टी हैं।
आपकी टिप्पणियों का स्वागत हैं आप हमें 05946 222224 पर व्हात्सप्प भी कर सकते हैं |
UPCL Agreement details with Central Govt.
किराना, रेस्तरां के लिए सिंगल-विंडो, रिनुवल ख़त्म
पूर्व सैनिक स्वास्थ योजना ECHS में फर्जीवाडा
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पालिका सीट दूसरे राउंड में भी वत्सला आगे | दैनिक दर्शन 24 न्यूज़
December 1, 2017 NAGAR PALIKA 2017 No comments
फर्रुखाबाद। नगर निकाय चुनाव के दूसरे राउंड की मतगणना खत्म हो गई। इसमें सदर नगर पालिका से बसपा प्रत्याशी वत्सला अग्रवाल ने लगभग 10647मतों से बढ़त बना ली है। जबकि दूसरे नंबर पर मौजूद मिथलेश अग्रवाल को 14777 वोट मिले। इसके अलावा सपा प्रत्याशी दमयंती सिंह 7918 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं। कांग्रेस के हाजी अहमद अंसारी को 3103 वोट मिले।
फर्रुखाबाद – दूसरा राउंड
भाजपा:- 14777
बसपा:- 25424
सपा:- 7918
कांग्रेस:- 3103 |
Chhattisgarh News In Hindi : Bilaspur News - chhattisgarh news celebration of second independence on merger of jammu and kashmir saw | जम्मू कश्मीर के विलय पर दूसरी आजादी का जश्न:साव - bilaspur News,बिलासपुर न्यूज़,बिलासपुर समाचार
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जम्मू कश्मीर के विलय पर दूसरी आजादी का जश्न:साव
Bilaspur News - बिलासपुर | भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा बुधवार की शाम बस स्टैंड में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370...
बिलासपुर | भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा बुधवार की शाम बस स्टैंड में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35-ए हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए खुशियां मनाई। भारत गणराज्य में जम्मू-कश्मीर के पूर्ण विलय के संबंध में जनमानस को अवगत करते हुए इस मौके पर सांसद अरुण साव का सम्मान किया गया। सांसद साव ने कहा कि भारत के उज्जवल भविष्य के नव निर्माण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 5 वर्षों में अनेक ऐतिहासिक साहसिक निर्णय लिए। उन्होंने कहा कि जैसे 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था उसी तरह 5 अगस्त 2019 को देश को दूसरी आजादी के रूप में जम्मू कश्मीर का पूर्ण विलय भारतीय गणराज्य में हुआ। इस मौके पर बेलतरा विधायक रजनीश सिंह ने कहा कि देश को आजादी के 72 वर्षों में आज देश की जनता को महसूस हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार लगातार देश के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रही है। महापौर किशोर राय ने कहा कि जनसंघ के संस्थापक डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पं.दीनदयाल उपाध्याय ने जो सपना देखा था उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह ने 5 जुलाई 2019 को पूरा कर दिया। कार्यक्रम में भाजयुमो जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ठाकुर ने सांसद अरुण साव का शाल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। कार्यक्रम में बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, महापौर किशोर राय, भाजपा जिला महामंत्री रामदेव कुमावत का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम में भाजयुमो जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ठाकुर, सुशांत शुक्ला, दुर्गा कश्यप, लोकेशधर दीवान, जयश्री चौकसे, संदीप दास, आदि मौजूद थे।
भाजयुमाे के बस स्टैंड में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते भाजपा नेता।
जूदेव की पुण्यतिथि पर भाजपाइयों ने दी श्रद्धांजलि
बुधवार को भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव 6वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उनके संस्मरणों को विशेष रूप से याद किया गया। इस मौके पर बिलासपुर के सांसद अरुण साव, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, छतीसगढ़ महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय, महापौर किशोर रॉय , जिला महामंत्री रामदेव कुमावत , राष्ट्रीय सदस्य सुशांत शुक्ला, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष दीपक सिंह, राजेश सिंह ठाकुर , राकेश तिवारी , सुनीता मानिकपुरी, जयश्री चौकसे, नंदू सोनी, संजय मुरारका आदि उपस्थित हुए। |
अजित सिंह की पार्टी को तीन सीटे देना चाहते हैं जबकि रालोद 5 सीटें लेने पर अड़ी है. इसी को लेकर पेच फंसता दिखाई दे रहा है
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मुखिया शनिवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर सकते हैं. शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम महागठबंधन में शामिल हैं,
लेकिन सीटों पर कोई बात नहीं हुई है. अजित सिंह ने कहा कि मायावती और अखिलेश यादव की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में कोई जानकारी नहीं है. सम्मानजनक सीटों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वह अगर-मगर की बात नहीं करना चाहते हैं.
इस गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होने की संभावनाओं पर पार्टी प्रमुख अजित सिंह का कहना है कि अभी सीटों को लेकर उनकी कोई बात नहीं हुई है, लेकिन हमले महागठबंधन में शामिल हैं.
आपको बता दें कि अजित सिंह का ये बयान तब सामने आया है जब रालोद का सीटों को लेकर पेच फंसता दिख रहा है. सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन में अजित सिंह की पार्टी को तीन सीटे देना चाहते हैं जबकि रालोद 5 सीटें लेने पर अड़ी है. इसी को लेकर पेच फंसता दिखाई दे रहा है.
#अजित सिंह #बहुजन समाज पार्टी अखिलेश यादव मायावती समाजवादी पार्टी |
Dibakar Banerjee, nine other filmmakers return national award |
विरोध में उतरे फिल्मकार, 10 फिल्मकारों ने लौटाया नेशनल अवॉर्ड
By: admin | Last Updated: Wednesday, 28 October 2015 1:45 PM
नई दिल्लीः पहले साहित्यकार, फिर वैज्ञानिक और अब फिल्मकार खुलकर सरकार के विरोध में उतर आए हैं. जानेमाने फिल्मकारों दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन तथा आठ अन्य लोगों ने आज एफटीआईआई के आंदोलनकारी छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए तथा देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए.
बनर्जी और अन्य फिल्मकारों ने कहा कि उन्होंने छात्रों के मुद्दों के निवारण तथा बहस के खिलाफ असहिष्णुता के माहौल को दूर करने में सरकार की ओर से दिखाई गई उदासीनता के मद्देनजर ये कदम उठाए हैं.
बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं गुस्से, आक्रोश में यहां नहीं आया हूं. ये भावनाएं मेरे भीतर लंबे समय से हैं. मैं यहां आपका ध्यान खींचने के लिए हूं. ‘खोसला का घोसला’ के लिए मिला अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाना आसान नहीं है. यह मेरी पहली फिल्म थी और बहुत सारे लोगों के लिए मेरी सबसे पसंदीदा फिल्म थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर बहस, सवाल पूछे जाने को लेकर असहिष्णुता तथा पढ़ाई के माहौल को बेहतर बनाने की चाहत रखने वाले छात्र समूह को लेकर असहिष्णुता होगी, तो फिर यह असहिष्णुता उदासीनता में प्रकट होती है. इसी को लेकर हम विरोध जता रहे हैं.’’ जानेमाने डाक्यूमेंटरी निर्माता पटवर्धन ने कहा कि सरकार ने ‘अति दक्षिणपंथी धड़ों’ को प्रोत्साहित किया है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस तरह से एक समय पर बहुत सारी घटनाएं होती नहीं देखी हैं. क्या होने वाला है, यह उसकी शुरूआत है और मुझे लगता है कि पूरे देश में लोग अलग अलग तरीकों से प्रतिक्रिया दे रहे हैं.’’ एफटीआईआई के छात्रों ने आज अपनी 139 दिनों पुरानी हड़ताल खत्म कर दी, हालांकि वे संस्थान के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध एवं उनको हटाने की मांग जारी रखेंगे.
उर्स ने कहा, ‘‘परंतु हम इसका इस्तेमाल केवल यह कहने के लिए नहीं कर रहे है कि हम शिक्षा की ओर वापस जा रहे हैं बल्कि हम इस मौके का इस्तेमाल फिल्मनिर्माताओं, शिक्षाविदों और देश के नागरिकों से आह्वान करने के लिए करना चाहते हैं कि वे इस लड़ाई को आगे ले जाएं. उन्होंने कहा कि परिसर अभी भी ऐसी तख्तियों और.िचत्रों से भरा हुआ है जिसमें ‘‘लोकतंत्र पर हमले’’ की निंदा की गई है. छात्रों को प्रताड़ित करने की संभावना को लेकर पूछे गए सवाल पर एक अन्य छात्र प्रतिनिधि राकेश शुक्ल ने कहा, ‘‘हमें निश्चित तौर पर इसका भय है.’’ एफटीआईआई हड़ताल ने पूरे देश का ध्यान आकृष्ट किया और भारतीय सिनेमा की प्रमुख हस्तियों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया था.
20 अक्तूबर को आंदोलनकारी छात्रों और राठौड़ के बीच दिल्ली में बातचीत हुई थी लेकिन वह गतिरोध समाप्त करने में असफल रही थी.
एफएसए के विरोध जारी रखने के खतरे के बारे में पूछे जाने पर राठौड़ ने कहा कि ‘‘यदि वे किसी चीज के बारे में दृढ़ता से कुछ महसूस करते हैं’’ तो वे यह कर सकते हैं.
छात्र गत 12 जून से ही कक्षा का बहिष्कार कर रहे थे और वे चौहान को पद से हटाने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे जबकि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उनकी नियुक्ति का मजबूती से समर्थन किया.
इस बीच मुंबई से प्राप्त समाचार के अनुसार जानेमाने फिल्मकारों दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन तथा आठ अन्य लोगों ने एफटीआईआई के आंदोलनकारी छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए तथा देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए.
हालांकि छात्रों ने बुधवार को अपनी हड़ताल तो वापस लो ली है पर छात्रों का कहना है कि यह विरोध अभी भी जारी है.
किस-किस ने सम्मान लौटाया?
अवॉर्ड लौटाने वालों में खोसला का घोसला, ओए लकी, लकी ओए, लव सेक्स और धोखा, बॉम्बे टॉकीज़ और डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी जैसी फिल्में बनाने वाले फिल्मकार दिबाकर बनर्जी शामिल हैं. उनके अलावा राम के नाम, फादर सन एंड होली वार और वॉर एंड पीस जैसी चर्चित फिल्में बना चुके फिल्मकार आनंद पटवर्धन.
गुलाबी गैंग समेत कई फिल्मों का निर्देशन कर चुकीं निष्ठा जैन, शूल और केरला कैफे जैसी फिल्मों में सिनेमैटोग्राफर का काम कर चुके हरि नायर, फिल्म निर्देशिका लिपिका सिंह, फिल्मकार कीर्ति नाखवा और हिंदी फिल्म हंसी तो फंसी समेत कई फिल्मों के लेखक हर्ष कुलकर्णी शामिल हैं.
कलबुर्गी हत्याकांड, FTII विवाद के विरोध में 10 फिल्मकारों ने नेशनल ऑवार्ड लौटाया
Web Title: Dibakar Banerjee, nine other filmmakers return national award
और जाने: Dibakar Banerjee filmmakers national award Return
First Published: Wednesday, 28 October 2015 1:45 PM |
रामअविता नाम का अर्थ, मतलब, राशि, राशिफल - Ramavita naam ka meaning, matlab, arth, rashi in hindi
रामअविता का मतलब और राशि - Ramavita meaning aur rashi in hindi
English: Ramavita
रामअविता नाम की राशि - Ramavita naam ka rashifal
शुक्र ग्रह तुला पर शासन करता है। कुलस्वामिनी को तुला राशि का आराध्य माना जाता है। इस राशि के व्यक्ति ठण्डी और सुहावनी रातें वाले मौसम में पैदा होते हैं। इस राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ भोले भाले होते हैं। तुला राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ चर्म रोग और किडनी की समस्याओं से ग्रस्त होते हैं। रामअविता नाम की लड़कियाँ दृष्टिदोष तथा निचले हिस्से में पीठ दर्द की समस्याओं से परेशान रहते हैं। तुला राशि के रामअविता नाम की लड़कियाँ ज़रूरत पड़ने पर किसी भी प्रियजन के लिए त्याग करने से कतराते नहीं हैं।
रामअविता नाम का शुभ अंक - Ramavita naam ka lucky number
रामअविता नाम का स्वामी शुक्र ग्रह और शुभ अंक 6 है। रामअविता नाम वाली 6 अंक की लड़कियां बहुत आकर्षक व खूबसूरत होती हैं। रामअविता नाम की महिलाओं को स्वच्छता का बहुत ख्याल रहता है और कला के क्षेत्र में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करती हैं। रामअविता नाम वाली लड़कियां व्यव्हार से सहनशील और घूमने-फिरने के शौक़ीन होती हैं। 6 अंक वाली लड़कियां दूसरों को बड़ी जल्दी आकर्षित कर लेती हैं। अपने जीवन में परिवार का प्यार और सहयोग भरपूर मिलता है रामअविता नाम की लड़कियों को।
रामअविता नाम के व्यक्ति का व्यक्तित्व - Ramavita naam ke vyakti ki personality
रामअविता नाम वाली महिलाओं की राशि तुला है। रामअविता नाम की लड़कियां अक्सर अपने लाभ के बारे में सोचती हैं और इसलिए इनमें संतुलन की कमी होती है। तुला राशि वाली महिलाएं जिनका नाम रामअविता है, वे लोग ज़रूरतों और अपनी चाहतों के मुताबिक सोच बदल लेती हैं। रामअविता नाम की लड़कियों के पास हर बात का तर्क होता है। ये भविष्य के बारे में ज्यादा सोचती हैं। रामअविता नाम की लड़कियों का स्वभाव बहुत अच्छा होता है, लेकिन ये कभी खुद निर्णय नहीं लेती हैं क्योंकि इन्हें जिम्मेदारी लेना पसंद नहीं होता। रामअविता नाम की महिलाएं हमेशा चीजों व लोगों की आपस में तुलना करने लग जाती हैं।
रामअविता की तुला राशि के हिसाब से और नाम |
नगर परिषद ने खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन को हटाया | नगर परिषद ने खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन को हटाया - Banswara News,बांसवाड़ा न्यूज़,बांसवाड़ा समाचार
नगर परिषद ने खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन को हटाया
Banswara News - खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन हटाते परिषद कर्मचारी। बांसवाड़ा। नगर परिषद ने अतिक्रमण चिन्हित करने के बाद अब...
खांदू कॉलोनी में अवैध केबिन हटाते परिषद कर्मचारी।
बांसवाड़ा। नगर परिषद ने अतिक्रमण चिन्हित करने के बाद अब इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
इसी के तहत सोमवार को खांदू कॉलोनी में स्थित शुभ गार्डन के समीप बिना स्वीकृति लगाए गए एक केबिन हटाया गया। हल्का निरक्षक हेमंत भट्ट ने बताया कि केबिन अतिक्रमण की श्रेणी में था। जिस पर जाहिद खान और कुलदीप निनामा टीम के साथ पहुंचे और हटाने की कार्रवाई की। गौरतल है कि इससे पहले परिषद ने सभी वार्डों में अतिक्रमण चिन्हित कर उन पर लाल रंग से क्रॉस लगाने का अभियान चलाया था। यह प्रक्रिया पूरी होने पर अब चिन्हित अतिक्रमण हटाए जा रहे है। |
गणतंत्र दिवस पर शिवराज सिंह की बड़ी घोषणा, एमपी होगा पॉलिथीन फ्री - Shivraj singh chauhan announced ban on polythene in madhya pradesh from may 1 - AajTak
गणतंत्र दिवस पर शिवराज सिंह की बड़ी घोषणा, एमपी होगा पॉलिथीन फ्री
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में गुरुवार को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान ऐलान किया कि राज्य में 1 मई से पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. गणतंत्र दिवस समारोह के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करके भी इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर दी.
रवीश पाल सिंह [Edited By: कौशलेन्द्र] @ReporterRavish
भोपाल, 27 जनवरी 2017, अपडेटेड 06:48 IST
यदि आप मध्यप्रदेश में रहते हैं और जरूरत की हर सामग्री को उठाने लिए पॉलिथीन इस्तेमाल करते हैं तो अपनी आदत जल्द ही बदल डालिए क्योंकि मध्यप्रदेश बहुत ही जल्द पॉलिथीन प्रतिबंधित राज्य बनने जा रहा है.
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में गुरुवार को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान ऐलान किया कि राज्य में 1 मई से पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि पॉलिथीन से जगह-जगह गंदगी के ढ़ेर बन जाते हैं जो कि अस्वच्छता फैलाते हैं और इसलिए इस तस्वीर को बदलने की ज़रूरत है.
इस मौके पर शिवराज ने कहा कि अगले 3 महीने में लोग पॉलिथीन से दूरी बनाने की आदत डाल लें ताकि 1 मई से उन्हें परेशानी न हो. सीएम शिवराज ने इस दौरान लोगों को सचेत भी किया कि 1 मई के बाद पॉलिथीन का इस्तेमाल करने पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.
गणतंत्र दिवस समारोह के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करके भी इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर दी. उन्होंने अपना वीडियो ट्वीट किया जिसमें वो लोगों को संबोधित करते हुए बोल रहे हैं कि "मध्यप्रदेश की धरती पर एक मई से पॉलीथिन की पन्नियां नहीं दिखाई देंगी. पूरी तरह से इस पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा."
मध्यप्रदेश की धरती पर एक मई से पॉलीथिन की पन्नियाँ नहीं दिखाई देंगी। पूरी तरह से इस पर प्रतिबंध लगा दिया जायेगा। #RepublicDay pic.twitter.com/X4RjqX44Y2
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 26, 2017
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तेलुगु देशम और टी आर एस की दिल्ली में सरगर्मीयां मुख़्तलिफ़ क़ाइदीन से मुलाक़ातें - The Siasat Daily
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तेलुगु देशम और टी आर एस की दिल्ली में सरगर्मीयां मुख़्तलिफ़ क़ाइदीन से मुलाक़ातें
February 4, 2014 India
आंध्र प्रदेश की इलाक़ाई जमातों ने अलाहिदा रियासत तेलंगाना के मसले पर आज मुख़्तलिफ़ सियासी जमातों से सिलसिला वार मुलाक़ातें की।
सदर तेलुगु देशम पार्टी एन चंद्राबाबू नायडू ने जहां बी जे पी और जनतादल ( यू) क़ाइदीन से मुलाक़ात की वहीं टी आर एस सरबराह के चन्द्र शेखर राव ने सी पी आई क़ाइदीन से मुलाक़ात की।
दोनों पार्टीयों ने आर एलडी सरबराह अजीत सिंह से तीन घंटे के वक़फ़ा से अलहदा मुलाक़ातें कीं। सी पी आई और आर एलडी ने जहां इस बिल की ताईद का यक़ीन दिलाया वहीं जनतादल (यू) ने कहा कि वो किसी फ़ैसले से पहले पार्टी मीटिंग में ग़ौर-ओ-ख़ौज़ करेगी।
तेलुगु देशम पार्टी सदर एन चंद्राबाबू नायडू की ज़ेरे सदारत पार्टी वफ़द ने आज सदर बी जे पी राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की। चंद्राबाबू नायडू ने रियासत को तक़सीम करने कांग्रेस के फ़ैसले की वजह से पैदा शूदा सूरत-ए-हाल से सदर बी जे पी को वाक़िफ़ किराया।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वो दुसरे इलाक़ों के अवाम के साथ मुकम्मिल इंसाफ़ को यक़ीनी बनाए बगै़र बिल को मंज़ूर होने ना दें। इस ज़िमन में वो मर्कज़ पर दबाव डालें।
चंद्राबाबू नायडू ने राज नाथ सिंह से मुलाक़ात के बाद मीडीया से बात करते हुए मर्कज़ पर रियासत की तक़सीम के सिलसिले में दस्तूरी क़वाइद की मुबय्यना तौर पर ख़िलाफ़वरज़ी का इल्ज़ाम आइद किया।
उन्होंने ये जानना चाहा कि क्या किरण कुमार रेड्डी को इस मसले पर सड़कों पर आना चाहीए या वो सोनिया गांधी के साथ इस मसले को हल करने की कोशिश करें ?।
उन्होंने कहा कि किरण कुमार रेड्डी और जगन मोहन रेड्डी के पास ये हौसला नहीं है कि वो सोनिया गांधी के घर के रूबरू धरना दें। बादअज़ां चंद्राबाबू नायडू ने सदर जमहूरीया परनब मुखर्जी से मुलाक़ात की और आंध्र प्रदेश तंज़ीम जदीद बिल 2013 में ख़िलाफ़ वरज़ीयों को उजागर क्या।
दूसरी तरफ़ टी आर एस ने इस यक़ीन का इज़हार किया कि ये बिल पार्लियामेंट में मंज़ूर होजाएगा। ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों से बातचीत करते हुए के चन्द्र शेखर राव ने कहा कि उन्हें बिल की मंज़ूरी का सद फ़ीसद यक़ीन है।
वो नहीं समझते कि बी जे पी अपने मौक़िफ़ से पलट जाएगी। उन्होंने सीनीयर बी जे पी लीडर सुषमा स्वाराज के तेलंगाना बिल की ताईद में दिए गए बयान का हवाला दिया।
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शरिया न्यायालय: लोकतंत्र के स्थान पर धर्मतंत्र लागू करने का घातक मंसूबा -डॉ. प्रमोद पाठक | क्रांतिदूत
शरिया न्यायालय: लोकतंत्र के स्थान पर धर्मतंत्र लागू करने का घातक मंसूबा -डॉ. प्रमोद पाठक
0 0 Harihar Sharma शनिवार, 14 जुलाई 2018
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने घोषणा की है कि बोर्ड पूरे भारत में शरिया कोर्ट स्थापित करना शुरू करने वाला है । य...
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने घोषणा की है कि बोर्ड पूरे भारत में शरिया कोर्ट स्थापित करना शुरू करने वाला है । यह एक ऐसा असंवैधानिक कदम है जिसे बोर्ड बिना बिचारे अविवेकपूर्ण ढंग से उठाने जा रहा है । उसने यह भी नहीं सोचा कि इससे मुस्लिम समाज का भी को हित है अथवा नहीं ।
कुछ वर्ष पहले, इस्लामी संगठनों ने केरल में, विशेष रूप से मुस्लिम बहुल जिलों में शरिया कोर्ट शुरू किए थे, लेकिन उन्हें कभी कोई मान्यता नहीं मिली । निश्चित रूप से, काजियों और कठमुल्लाओं द्वारा दिए गए निर्णयों को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया ।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जो भारत में मुस्लिम आबादी का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है और सत्तारूढ़ केंद्र सरकार के समक्ष शक्ति प्रदर्शन पर आमादा है, जब ऐसा कदम उठाये, तब उसके छुपे मकसद को समझकर गंभीरता से लेने की जरूरत है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि मुसलमानों के सिविल मामलों को निबटाने के लिए, पहले से ही भारतीय संविधान में मुस्लिम पर्सनल लॉ निर्मित है, जो लगभग शरिया के आदेशों के अनुरूप ही है। जहाँ तक आपराधिक मामलों का प्रश्न है, वे तो चाहे जितने शरीया कोर्ट बना लो, चलेंगे संविधान के अनुरूप ही | अपराध चाहे हिन्दू करे या मुसलमान, पुलिस कार्यवाही तो एक समान होगी | तो अब सवाल उठता है कि फिर देश में समानान्तर शरिया अदालतों को चलाने की आवश्यकता ही कहां है?
किसके लिए होंगे ये शरिया न्यायालय?
एआईएमपीएलबी पर मुख्यतः कट्टरपंथी सुन्नीयों का प्रभुत्व है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि हाल ही में, इस्लाम के शिया संप्रदाय के लोगों ने रामजन्मभूमि, ट्रिपल तलाक जैसे विषयों पर, सुन्नी संप्रदाय की राय से अलग राय व्यक्त की हैं | जाहिर है कि वे सुन्नियों द्वारा अपने साथ किये जा रहे भेदभाव को महसूस करते हैं। मुस्लिम संप्रदायों के बीच कई अन्य धार्मिक मतभेद हैं और उन्हें कभी सुलझाया नहीं गया है। खोजा, बोहरा और अन्य जैसे छोटे छोटे संप्रदाय, सुन्नी बहुमत के साथ मतभेद रखते हैं और भेदभाव महसूस करते हैं। इसके बाद भी सुन्नी प्रभुत्व वाला एआईएमपीएलबी, मुस्लिम समुदाय के बीच खिची सांप्रदायिक विभाजन की ओर बिना ध्यान दिए, सभी पर समान रूप से शरिया कोड लागू करने की कोशिश कर रहा है? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या काजियों द्वारा धुर सांप्रदायिक आधार पर दिए गए फैसले, पूरी मुस्लिम आबादी को स्वीकार्य होंगे? क्या मुसलमानों के पासमांडा, असलाट और अर्जल, ताकत के बूते अशरफ द्वारा लगाए गए शरिया को स्वीकार करेंगे?
गुजरे जमाने की आपराधिक न्यायप्रणाली
माना जाता है कि शरिया कानून, पवित्र कुरान के आदेशों पर आधारित हैं तथा हदीस कथाओं द्वारा समर्थित हैं | सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे इस्लामी देशों में और अफगानिस्तान में अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा इनका कड़ाई से पालन किया जाता हैं। न्याय, खुले में होता है, जहां अपराधियों को जमीन पर पटक कर उनका सिर या कोई अन्य अंग आदि काटा जाता है ।
क्या भारत में भी शरिया अदालतें इसी प्रकार आपराधिक मामलों पर विचार करेंगी और उपरोक्त इस्लामी देशों की तर्ज पर फैसले भी लागू करेंगी? इन दंडों को वे कैसे लागू करेंगे ? जो भी न्यायाधीश या उनका अधीनस्थ इस प्रकार के दंड देगा, क्या वह भारतीय संविधान के विरुद्ध नहीं होगा ? ऐसी परिस्थिति में भारतीय न्याय तंत्र क्या चुपचाप तमाशा देखेगा?
एआईएमपीएलबी और बोर्ड के सभी सदस्य भी क़ानून के जानकार हैं, तथा वे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके इस कदम का हर स्तर पर विरोध होगा । और वे चाहते भी यही हैं | उनका एकमात्र उद्देश्य तो मुस्लिम जन के मन में लोकतंत्र के प्रति विरोधी वातावरण बनाना और मुल्लाओं के प्रभुत्व को स्वीकार करने की मानसिकता तैयार करना है। कुल मिलाकर यह आने वाले लोकसभा चुनावों में मुसलमानों के ध्रुवीकरण का प्रयास है | मुस्लिम जनता चुनाव में केवल उसी को वोट करे, जो पिछले दरवाजे से उनके ईश्वरीय शासन को लागू करने का वादा करे | निश्चय ही यह एक भयानक षडयंत्र का खाका खींचा जा रहा है । इसका एक मकसद उन मदरसा स्नातकों को रोजगार मुहैय्या कराना भी है, जो इस्लामी ग्रंथों और अरबी भाषा से परे कुछ भी नहीं जानते ।
काश मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की उम्मीदें ओंधे मुंह गिरें, क्योंकि इसके पीछे केवल भारत को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करना है। यह मुस्लिम समाज के प्रगतिशील लोगों के लिए सही समय है कि वे मुल्लावाद के विरोध में खुलकर आवाज उठायें, जैसा कि अन्य इस्लामी देशों में भी हो रहा है।
सौजन्य: Organiser
क्रांतिदूत: शरिया न्यायालय: लोकतंत्र के स्थान पर धर्मतंत्र लागू करने का घातक मंसूबा -डॉ. प्रमोद पाठक |
इंटरनेट क्या है (What is Internet In Hindi) हिंदी में पूरी जानकारी :- Hello Readers, आज हम आपको ऐसी जानकारी लेकर आयें है जिसके बारे में जानना आपके लिए बहुत जरूरी है. मतलब दोस्तों आज हम बात करेंगे Internet in Hindi की.
ये कैसे चलता है?,कैसे काम करता है?, और इसकी शुरुआत कब हुई और इसका इतिहास क्या है?. यदि आप Internet की इस महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जानना चाहते है तो इस Article को Last तक ज़रूर पड़े.
दोस्तों अगर आज Internet की बात करे तो यह आज में हर किसी व्यक्ति की ज़िंदगी का अहम हिस्सा और जरूरत बन गया है यही कारण है की आज दुनिया को Internet का युग कहाँ जाने लगा है.
मतलब की हम कहे सकते है की आज Internet के बिना दुनिया एक पल भी नहीं चलेगी क्योंकि आज Internet हर जगह चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर Industrial Area हो या फिर हमारा घर Internet किसी ना किसी रूप में मिल जायेगा सच कहे तो आज Internet इतना ज्यादा जरूरी हो गया की आज दुनिया में व्यक्ति बिना दोस्त,बिना बिजली, के तो एक बार रहे सकता है।परन्तु बिना Internet के नहीं रहे सकता है।
आज की युवा पीढ़ी की बात की जाये तो जिसको भी देखो मोबाइल में ही लगे रहते है दोस्तों जब इंटरनेट हमारे लिए इतना ज्यादा महत्वपूर्ण है ना internet के बारे जान जैसे की इसका इतिहास क्या है Internet कैसे काम करता है. तो चलिए इसके बारे में जानने की कोशिश करते है.
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जैसा की सभी जानते की आज की युवा पीढ़ी को तो Internet की लत इतनी लग चुकी है,की उन्हें अपने खाने पीने का भी ध्यान नहीं रहता है. दोस्तों अगर इंसान की Day Today Life के बारे में बात की जाये तो इससे हमे ये पता चलता है की इंसान अपने जीवन से ज्यादा समय Internet को देता है।आज हम प्रतिदिन Google,Facebook,Twitter,इत्यादि का इस्तेमाल कर रहे है जिसमे लाखों GB का डाटा Upload हो रहा है, Download हो रहा है,और share भी हो रहा है।
परन्तु क्या दोस्तों अपने कभी ये सोचा है।की ये सब कैसे हो रहा है सोचा तो जरूर होगा की ये सब कैसे होता है।या Internet कैसे काम करता है और Internet क्या है अगर अपने इसके बारे में में कुछ सोचा है।
और इसके बारे में आप जानना भी चाहते है तो आप बिलकुल सही पोस्ट पड़ रहे है क्योंकि आज हम आपको Internet के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे है जैसे की Internet क्या है यह कैसे काम करता हैं और Internet का इतिहास क्या है इसकी शुरुआत कब हुई।यदि आप भी internet के बारे।में इतना।कुछ जानना चाहते है तो इस article को Last तक ज़रूर पड़े तो आइये दोस्तों जानते की Internet के बारे –
दोस्तों Internet एक तरह का Wire है।जिसमे Information और Data पूरी दुनिया में घूमता रहता है जैसे की Text message,Image,Video इत्यादि जिसे हम Internet कहते है.
सबसे पहले हम आपको बता दे की Internet की कोई भी Full form नहीं है परन्तु इसे Internet Network कहाँ जाता है Internet दुनिया का सबसे विशाल network है।
जिसकी मदद से हजारों Computer एक दूसरे से जुड़े हुए है।जिसके माध्यम से एक Computer से दूसरे Computer Information आदान-प्रदान की जाती है।
दोस्तों अगर इसे सीधी भाषा में बोला जाये तो Internet Network दुनिया का बहुत बड़ा जाल है और इसी जाल को Internet की भाषा में Media या फिर Transmission Media कहा जाता है।
Internet का इतिहास – History Of Internet
Internet की शुरुआत 1969 के दशक में united State of अमेरिका सरकार के रक्षा विभाग के द्वारा UCLA के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थापक Computers का Networking करके Internet की सरंचना की गयी थी। जिसका नाम ARPANET रखा गया था इससे सबसे पहले Military Force को msg भेजने का काम किया गया था।
वही हम यदि भारत मे इंटरनेट की बात करे तो भारत में Internet को पहली बार 15 अगस्त 1995 में इस्तेमाल में लाया गया था तब उस समय की सबसे बड़ी Telecom Company BSNL ने ये सेवा प्रदान की थी शुरुआत मे भारत में Internet की स्पीड 50 kbps थी परन्तु इसके बाद में 2002 में Reliance CDMA Service को Launch किया था जिसके बाद से Internet चलाने की लोकप्रियता बाद गयी इसके बाद से भारत में Internet की क्रांति आ गयी जिसका नतीजा आपके सामने है।
Internet के लिए सबसे पहले ARPANET internet की संरचना की गई थी जिसे American Defense Department के द्वारा 1969 में develop किया गया था।
ARPANET को सबसे पहले सेना के सीक्रेट MSG को भेजने के लिए उपयोग किया गया था इसके बाद से ARPANET से MSG भेजना काफी Popular हो गया।
1984 तक ARPANET network से 1000 से भी ज्यादा Computer जोड़े जा चुके थे जो बाद।में धीरे धीरे काफ फैलता चला गया जिसका नतीजा हम सबके सामने है।
Internet का सबसे पहला रजिस्टर्ड Domain Symbolic.com है
Internet की सबसे पहली Website Info.cern.ch 6 अगस्त 1991 को शुरू हुई.
Internet पर लगभग 800 मिलियन से भी ज्यादा Website है।
पूरी दुनिया में लगभग 30 हजार Website हर दिन Hack होती है।
Internet पर भारी ट्रैफिक इंसानों द्वारा नहीं,बल्कि Internet ट्रैफिक का बड़ा हिस्सा Google जैसी Company करती है
ब्रिटेन में 9 मिलियन वयस्क ने कभी Internet का उपयोग नहीं किया है।
Whats app पर प्रत्येक सेकंड में लगभग 2500000 MSG भेजे जाते है।
23 अप्रैल 2005 में YouTube पर पहला वीडियो Me At Zoo नाम से जावेद करीम ने अपलोड किया था जावेद करीम ने हीYou tube को बनाया था।
Google पर हर सेकंड में 600000 से भी ज्यादा Search किये जाते है.
इंटरनेट का हिंदी मतलब क्या है – Meaning Of Internet In Hindi
आपकी Knowledge के लिए बता दे कि internet को हिंदी में अंतर्जाल कहते है। अब मन मे सवाल आता कि अंतर्जाल क्या होता है। बैसे तो दोस्तो जैसा कि हम ऊपर इंटरनेट के बारे।में काफी।कुछ बता चुके है जिससे आप समझ हीगए होंगे कि Internet को हिंदी में क्या कहते है.
या फिर अंतर्जाल होता है लेकिन फिर भी हम यहां आपको आसान शब्दों मे बता दे कई Computer एक स्थान से दूसरे स्थान के computer से जुड़े होते है या फिर हम कहे कि एक computer का IPS System जब दूसरे computer के IPS से जुड़ा होता है उसे ही अंतर्जाल कहते है और यह Internet का हिंदी meaning होता है।
इंटरनेट कैसे काम करता है – How does the Internet Work:
आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे कि 99% Internet Cables के जरिये चलता है जो की पूरी पृथ्वी पर बिछी हुई है और 1% internet माइनर ट्राफिक सेटेलाइट के जरिये हम सब के पास पहुँचता है अगर इसे सही भाषा में बोले तो Internet बस एक तरह का माध्यम है जो दुनिया के Server को लगभग सभी देशों से जोड़ती है.
जैसे विभिन्न राज्यों को Travelling के लिए सेटेलाइट एक दूसरे से जोड़े रखती है ठीक उसी तरह ही Internet एक ऐसी Global प्रणाली है जो बहुत से Computer को मिलाकर बनती है मतलब दोस्तों Internet समुद्र और ज़मीन के अंदर Cables द्वारा फैलाया गया एक ऐसा जाल है जो दुनिया भर के हर व्यक्ति को Internet से जोड़े रखता है।
Internet किसी सरकार द्वारा नियत्रिंत नहीं है और ना ही कोई Internet का मालिक है बल्कि यह एक ऐसा विशाल और स्वतंत्र कॉपरेशन है जिसमे काम करने बालों का एक समूह होता है जैसे की हमने आपको बताया की समुद्र में Cable बिछा कर internet को एक दूसरे देश को Connect किया गया है.
समुद्र में cables को बिछाने के लिए कई Company ने अलग-अलग अपना पैसा Invest किया है इन्ही Cable की वजह से हम Internet से जुड़े हुए है और ये सब Company National Level की छोटी-छोटी Company से पैसा लेती है।
जैसे की Idea,Vodafone,Reliance, jio और भी जो हमे Internet Provide करती है और कुछ Local Company भी हमे Internet provide करती है।
जैसे की WiFi,Hath way,Airline और ये सब Company International Company जैसे Idea,Vodafone,jio जैसी Company को सालाना Payment करती है।
मतलब दोस्तों जब हम Internet के पैसे देते है, तो वो सब Data Pack के लिए Company को पैसा देती है और National Company International Company को पैसा देती है परन्तु International Company को किसी को भी पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ती है अब दोस्तों आप समझ गए होंगे की Internet का कोई भी मालिक नहीं है बल्कि कुछ Company मिलकर हम सब को Internet Provide करती है।
इंटरनेट के फायदे – Benefit Of Internet:
यदि आप आज smartphone,Laptop का इस्तेमाल करते है तो आप काफी अच्छी तरह से Internet के फ़ायदों के बारे में जानते होंगे।आज दुनिया मे हर कोई कही ना कही Internet का उपयोग करता है।
हम कहे तो Internet ने आज मानव जीवन के लिए काफी सरल ज्ञानवर्धक बनाया है।आज internet की मदद से दुनिया भर के लोग और दुनिया की खबरों से कुछ ही सेकंड में जुड़ जाते है चाहे वह व्यापार हो,शिक्षा का क्षेत्र हो,या फिर कोई सरकारी,प्राइवेट कार्यालय हो हर जगह Internet ने मानो क्रांति सी खड़ी कर दी है चलिये इसके कुछ फ़ायदों के बारे में जानते है-
Internet का आज सबसे ज्यादा Benefit जो देखने को मिल रहा वह है Online भुगतान आज internet की ही मदद से घर बैठे क्रेडिट कार्ड या बैंक की मदद से किसी भी बिल चाहे वो बिजली बिल हो,मोबाइल बिल हो या फिर Online shopping बिल,जैसे सभी बिलो का भुगतान कुछ ही मिनट में कर सकते है।
आप कही भी लेकिन Internet की मदद से एक आप अपनी जगह से कही भी भेज और प्राप्त कर सकते है।जैसे कि आज Internet की मदद से हम लोग Social Media पर Voice Call,Video Call,Text Messages आज हम Internet की ही मदद से कर पाते है।
Internet के आने से मनोरंजन करने बेहद आसान हो गया है हम जब भी और कही भी अपने पसन्द के गाने,वीडियो आदि को देखकर सुनकर मनोरंजन का मज़ा ले सकते है।
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दोस्तों, जैसा कि आप जानते ही होंगे कि Internet के आज हर जगह इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके इतने ज्यादा फायदे है जिन्हें यहां बयान कर पाना मुश्किल है. बस हम ये कह सकते है कि Internet आज हर व्यक्ति के बहुत जरूरी है इसके बिना आज कार्य को करना काफी मुश्किल है।
दोस्तों आज के लिए बस इतना ही. आशा करता हु के आपलोगो को What is internet in hindi इस Article को पढ़ के अच्छा लगा.
What is internet in Hindiइसके रिलेटेड कोई Question है, तो Comment पे जरूर बताये. दोस्तों आर्टिकल अच्छा लगा तो Share जरूर करना.
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Ranveer Singh In Yash Raj Films Jayesh Bhai Jordaar Movie Maneesh Sharma Divyang Thakkar - रणवीर सिंह 'रामलीला' के बाद फिर गुजराती किरदार में आएंगे नजर, इस महीने से शुरु करेंगे नई फिल्म की शूटिंग - Hindi Rush - News
Home » News » रणवीर सिंह ‘रामलीला’ के बाद फिर गुजराती किरदार में आएंगे नजर, इस महीने से शुरु करेंगे नई फिल्म की शूटिंग
रणवीर सिंह ‘रामलीला’ के बाद फिर गुजराती किरदार में आएंगे नजर, इस महीने से शुरु करेंगे नई फिल्म की शूटिंग
रणवीर सिंह (Ranveer Singh) लंबे वक्त बाद यश राज फिल्म्स (Yash Raj Films) के साथ फिल्म जय भाई जोरदार (Jayesh Bhai Jordaar) में नजर आएंगे। इसमें वो एक गुजराती शख्स के किरदार में दिखेंगे। जानिए कब शुरू होगी इसकी शूटिंग।
जागृति प्रिया | | [email protected] | Mumbai | Updated May 27, 2019 10:13 am
रणवीर सिंह लंबे वक्त यश राज फिल्म्स के साथ नजर आएंगे (फोटो:इंस्टाग्राम)
रणवीर सिंह (Ranveer Singh) ने ‘गल्ली बॉय’ जैसी बेहतरीन फिल्म से अपनी शुरूआत की थी। इसके बाद वो जल्द ही कबीर खान (Kabir Khan) की फिल्म ’83’ में नजर आएंगे। ये फिल्म कपिल देव की लाइफ पर बनी है। इसके साथ ही उनकी झोली में करण जौहर की फिल्म ‘तख्त (Takht)’ भी है। इन फिल्मों के अलावा अब उनके पास यश राज बैनर की एक और फिल्म आ गई है। लंबे वक्त बाद रणवीर सिंह और ये प्रोडक्शन हाउस एक साथ आ रहे हैं।
रणवीर सिंह (Ranveer Singh Movies) इस बैनर के तहत बनने वाली फिल्म ‘जय भाई जोरदार (Jayesh Bhai Jordaar)’ में नजर आएंगे। इसमें रणवीर सिंह ‘रामलीला‘ के बाद एक बार फिर गुजराती शख्स के किरदार में दिखेंगे। इसे मनीष शर्मा प्रोड्यूस करेंगे। इस फिल्म की शूटिंग अक्टूबर से शुरू होगी। इसके राइटर और डायरेक्टर हैं दिव्यांक ठक्कर हैं। आपको बता दें कि मनीष शर्मा ने बतौर डायरेक्टर अपना करियर रणवीर सिंह की फिल्म ‘बैंड बाजा बारात‘ से शुरू की थी।
इस फिल्म के बारे में रणवीर सिंह ने एक इंटरव्यू में खुशी जाहिर करते हुए कहा-
जयेशभाई एक बड़े दिल वाली फिल्म है। इसका विचार ही इसका विस्तार है। इसकी कहानी शानदार है। मैं शुक्रगुजार हूं यशराज फिल्म्स का जिन्होंने मेरे लिए इतनी जोरदार कहानी चुनी। अच्छी पटकथा हो तो वो फिल्म लिखते समय ही दिखने लगती है। दिव्यांग ने इस कहानी पर काफी मेहनत की है और उनके टैलेंट को देखते हुए ही मैंने फिल्म के लिए तुरंत हां कर दी। इस फिल्म में मनोरंजन भी है और यह दिल को भी छू लेती है।
इतना ही नहीं, रणवीर सिंह ने अपने इंस्टाग्राम पर एक फनी वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में वो इसके डायरेक्टर दिव्यांक ठक्कर के साथ नजर आ रहे हैं। इसमें वो दोनों गुजराती में बात कर रहे हैं। इसमें रणवीर सिंह कुछ मजेदार सवाल दिव्यांक से पूछते हैं और वो इसका जवाब देते हैं। इसमें उन्होंने ये भी जाहिर कर दिया है कि इस फिल्म में वो नजर आने वाले हैं।
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वीडियो में देखिए रणवीर सिंह ने राखी सावंत को क्यों कहा ‘आई लव यू’…
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By Admin, Updated on April 12th, 2019 6:30 AM IST 73 0
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Delhi hc relief delhi police commissioner bs bassi |
JNU ROW: हाईकोर्ट ने पुलिस प्रमुख बी एस बस्सी के खिलाफ दायर याचिका खारिज की
By: एजेंसी | Last Updated: Monday, 29 February 2016 2:39 PM
नई दिल्ली: जेएनयू देशद्रोह मामले की जांच को कथित तौर पर ‘प्रभावित’ करने के लिए पुलिस प्रमुख बी एस बस्सी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका को आज दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि यह याचिका ‘‘प्रचार’’ के लिए है और अदालतों पर ऐसी याचिकाओं का बोझ नहीं डाला जा सकता.
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ ने सुनवाई शुरू होने के तत्काल बाद कहा, ‘‘आपने यह याचिका क्यों दायर की? हम इस बात पर हैरान हैं कि यह जनहित में नहीं बल्कि प्रचार हित में है.’’ पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि वह किस आधार पर ये आरोप लगा रहा है? याचिकाकर्ता सतीश पांडे की ओर से पेश हुए वकील ने अखबार में छपीं खबरों का हवाला दिया और कहा कि याचिका बस्सी की ओर से दिए गए बयान पर आधारित है, जो मीडिया में व्यापक तौर पर प्रकाशित हुआ था.
इसपर पीठ ने कहा, ‘‘हम अखबार की खबरों के अनुरूप नहीं चलेंगे. यदि आपके पास इन अखबारों की खबरों के अलावा कुछ और सामग्री है तो आप हमें बता सकते हैं.’’ इस संक्षिप्त सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि याचिका प्रचार के लिए नहीं है. इसके बाद उन्होंने एक बार फिर अखबार की खबरों का हवाला दिया.
इसपर पीठ ने कहा, ‘‘हम इस तरह की याचिकाओं का बोझ इस अदालत पर नहीं डाल सकते. अखबार की खबरों के अलावा हमें कोई अन्य सामग्री नहीं मिली है. रिट याचिका खारिज की जाती है.’’ पीठ ने यह भी कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट की जानकारी में है और जांच अभी अधूरी है.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि बस्सी का बयान- ‘पुलिस जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जमानत याचिका का विरोध नहीं करेगी’- दरअसल इस मामले में निष्पक्ष एवं स्पष्ट जांच के साथ-साथ अदालती कार्रवाई को भी प्रभावित कर सकता है.
याचिका में दावा किया गया कि पुलिस ‘‘कुछ ऐसे राजनीतिक दलों के हाथों में खेल रही है, जिनके अंतर्गत दिल्ली पुलिस काम कर रही है.’’ याचिका में कहा गया कि बस्सी को निर्देश दिए जाने चाहिएं कि वह 16 फरवरी और 17 फरवरी को दिए अपने बयानों पर अपने विचार स्पष्ट करें.
अपनी याचिका में पांडे ने दावा किया था कि पुलिस आयुक्त जैसे उच्च स्तर के अधिकारी की ओर से ‘बेवजह दबाव’ बनाए जाने की स्थिति में ऐसे किसी मामले में कोई जांच अधिकारी मामले की जांच निष्पक्ष ढंग से नहीं कर सकता.
याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह बस्सी को जांच प्रभावित न करने का निर्देश दे.
पांडे ने दावा किया था, ‘‘आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोप कोई अकेले व्यक्ति द्वारा अंजाम दिया गया अपराध नहीं है बल्कि एक सार्वजनिक अपराध है और देश का हर नागरिक प्रभावित है.’’ बस्सी के अलावा, याचिकाकर्ता ने कन्हैया, केंद्र और दिल्ली सरकार को प्रतिवादी बनाया था.
Web Title: Delhi hc relief delhi police commissioner bs bassi
और जाने: B S Bassi delhi hc JNU Row Kanhaiya Kumar
First Published: Monday, 29 February 2016 2:39 PM |
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पहली फिल्म की रिलीज से पहले ही हिट हुई सैफ अली खान की बेटी सारा, क्या है अगली नंबर 1 एक्ट्रेस
Updated Nov 01, 2018 | 19:22 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल
Sara Ali Khan News : सारा अली खान जल्दी ही सैफ अली खान की बेटी होने की इमेज से बाहर आ जाएंगी। जिस तरीके से बड़े फिल्म मेकर उनको साइन कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है।
Sara Ali Khan | तस्वीर साभार: Instagram
Sara Ali Khan News : सारा अली खान की भले ही अभी पहली फिल्म भी रिलीज नहीं हुई है लेकिन सैफ अली खान की बेटी अभी से ही तमाम बड़े फिल्म मेकर्स की पसंद बन गई है। बता दें कि सारा अली खान की डेब्यू फिल्म केदारनाथ है जो 7 दिसंबर को रिलीज होगी। इसमें वह सुशांत सिंह राजपूत के साथ आ रही हैं। हाल ही में फिल्म का टीजर रिलीज हुआ है और इसमें सारा के काम की काफी तारीफ हो रही है।
इसके अलावा, इसी साल के अंत में वह रणवीर सिंह के अपोजिट रोहित शेट्टी की फिल्म सिंबा में दिखेंगी। इस यूनिट की भी यही राय है कि सारा अली खान आने वाले समय की सुपरस्टार हैं। वैसे लगता है कि सारा अली खान की इन ताारीफों से इम्तियाज अली खासे प्रभावित हो गए हैं। सुनने में आया है कि उन्होंने सारा को प्यार का पंचनामा फेम कार्तिक आर्यन के अपोजिट अपनी अगली फिल्म के लिए साइन किया है।
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डीएनए की एक खबर के मुताबिक, इम्तियाज की तमाम फिल्मों में ट्रैवलिंग कहानी का एक अहम हिस्सा होती है और इस नई कहानी में भी ऐसा ही फ्लेवर है। कार्तिक का चयन फिल्म के लिए पहले ही कर लिया गया था और उनके अपोजिट किसी नए चेहरे की तलाश थी जिसको पर्दे पर ज्यादा दर्शकों ने देखा न हो। जब इम्तियाज ने केदारनाथ और सिंबा के टीजर्स में सारा अली खान का काम देखा तो उन्होंने उनको कास्ट करने का मन बना लिया।
खबर के अनुसार, सारा अली खान को भी फिल्म की कहानी पसंद आई है और वह भी इसके लिए हां कर चुकी हैं। फिल्म की शूटिंग अगले साल शुरू करने की प्लानिंग है। बेशक ये सब देखकर तो लगता है कि सारा अली खान को जल्द ही और भी बड़े ऑफर मिलने वाले हैं। देखना ये होगा कि इस दौड़ में क्या वह जान्हवी कपूर से आगे निकल पाती हैं या नहीं !
पहली फिल्म की रिलीज से पहले ही हिट हुई सैफ अली खान की बेटी सारा, क्या है अगली नंबर 1 एक्ट्रेस Description: Sara Ali Khan News : सारा अली खान जल्दी ही सैफ अली खान की बेटी होने की इमेज से बाहर आ जाएंगी। जिस तरीके से बड़े फिल्म मेकर उनको साइन कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है। Times Now |
जीमेल में बिना सॉफ़्टवेयर हिंदी में लिखें - गूगल आइ एम ई
Home Free Hindi Tools जीमेल में बिना सॉफ़्टवेयर हिंदी में लिखें – गूगल आइ एम ई
गूगल ईमेल (Google Email – Gmail) में अब आप सैकड़ों प्रकार के नये वर्चुअल की-बोर्ड, लिप्यंतरण उपकरण, और इनपुट मेथड एडीटर (Virtual keyboard, Transliteration tool and Input method editor) का प्रयोग कर पायेंगे। अब आपको अपनी भाषा और अपने की-बोर्ड (Keyboard) से और दूर रहने की बात एक पुरानी बात होती नज़र आ रही है। अपनी पसंद की भाषाओं के मध्य किसी एक चुनाव (Switching between languages) मात्र एक क्लिक (One click) में किया जा सकता है। अब गूगल कुल 75 इनपुट भाषाएँ (75 Input Languages) समर्थित करता है।
Enable Google IME into Gmail
Language Switching & Settings
इस सुविधा को जी-मेल (Gmail) पर प्रयोग करने के लिए आपको सेटिंग (Settings) विकल्प में भाषा (Languages) विकल्प के नीचे दिये ‘Enable input tools’ के चेक बॉक्स (Check box) पर क्लिक करके अपनी मनपसंद भाषा का चुनाव करना होगा। एक बार इसे सक्षम कर लेने के बाद आप ‘इनपुट उपकरण’ (Input tool) का आइकन (Icon) सेटिंग बटन के बायीं ओर देख पायेंगे। आप यहीं इस उपकरण को ऑन और ऑफ (ON & OFF) भी कर पायेंगे, और यदि आपने एक से अधिक भाषाओं को इनपुट उपकरण (Input tool) में चुना है तो उनके मध्य किसी एक का चुनाव भी यहीं से सम्भव होता है।
गूगल मेल (Google mail – Gmail) पर यूँ वर्चुअल की-बोर्ड (Virtual Keyboard) और आइ.एम.इ. (IME) के ऐसे ज़बरदस्त गठजोड़ के बाद से प्लेटफार्म मुक्त (Platform independent) बेहतर भाषा सहायता सम्भव हो सकेगी। यह तब भी बहुत कारगर साबित होगा जब हम यात्रा के दौरान अपनी भाषा में टाइप करना चाहें। साथ ही साथ यह महँगे बहु-भाषीय की-बोर्ड (Expensive multilingual keyboard) के लिए एक मुफ्त और कारगर विकल्प है।
इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जायें:
Steps to Enable Google Transliteration or IME to Gmail
1. Gmail पर Login होकर Gear Icon पर क्लिक करके (Step 1) Settings पर क्लिक (Step 2)कीजिए
Enable Google IME to Gmail
2. अब General tab पर रहते हुए (Step 3) Enable Input Tools के पहले दिये Check Box पर क्लिक कीजिए
Enable Google IME to Gmail – Tick Check Box
3. अब आगे खुलने वाली विंडो में Input Tools के आगे दिये OFF पर क्लिक करके उसे ON कीजिए (Step 5) और चित्रानुसार Step 6, Step 7 व Step 8 को मैनेज कीजिए। Step 9 के अनुसार सब बदलाव सहेज दीजिए।
Enable Google IME to Gmail Languages Selection
4. अब आप अपने GMAIL Inbox पर नीचे दिखाये गये चित्र के अनुसार गूगल लिप्यंतरण बटन (Step 10) देख पायेंगे। इस पर क्लिक करके आप अपनी चुनी गयी भाषाओं के मध्य टायपिंग के लिए चुनाव कर पायेंगे।
Enable Google IME to Gmail – Tranliteration Button in INBOX
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भड़के अमित शाह, लगाई अपने नेताओं की क्लास – Tez News
Home > State > Delhi > भड़के अमित शाह, लगाई अपने नेताओं की क्लास
नई दिल्ली – पार्टी के नेताओं के बिगड़े बोल से लगातार विवादों में चल रही भारतीय जनता पार्टी ने उनके पेंच कसने के लिए आज राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने आवास पर बैठक की जिसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, भाजपा सांसद साक्षी महराज , संगीत सोम और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार अमित शाह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, संगीत सोम, साक्षी महराज, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और महेश शर्मा को बुलाया गया था।
पीटीआई के हवाले से आई खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन नेताओं के हालिया बयानों से नाराज हैं।
बताते चले कि हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने बीते दिनों एक अखबार को इंटरव्यू में कहा था कि जो गोमांस खाना चाहता है उन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाए।
हलांकि बाद में खट्टर ने अपनी सफाई में कहा था कि इंटरव्यू के अंश को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। वहीं संगीत सोम और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने दादरी काण्ड के तुरंत बाद दी गई अपनी प्रतिक्रियाओं की वजह से पार्टी को समस्याओं में डाल दिया था।
वहीं भाजपा सांसद साक्षी महराज आए दिन कोई न कोई ऐसा बयान देते रहते हैं जिससे पार्टी को दिक्कत होती है। वहीं बैठक में आए संगीत सोम ने कहा कि वे यहां पार्टी के मुद्दों पर बातचीत करने के लिए पार्टी अध्यक्ष से मिलने आए हैं।
amit shah BJP Manohar Lal Khattar Sakshi Maharaj Sangeet Som अमित शाह भाजपा सांसद साक्षी महराज भारतीय जनता पार्टी मनोहर लाल खट्टर संगीत सोम 2015-10-18
Tagged with: amit shah BJP Manohar Lal Khattar Sakshi Maharaj Sangeet Som अमित शाह भाजपा सांसद साक्षी महराज भारतीय जनता पार्टी मनोहर लाल खट्टर संगीत सोम |
Shahi Paneer Recipe in Hindi - शाही पनीर रेसिपी (बनाने की विधि) | Recipe Banane Ki Vidhi - रेसिपी इन हिंदी
Famous Chef Dishes Indian Recipes in Hindi, पनीर रेसिपी (Paneer Recipe in Hindi) 1
शाही पनीर एक बहुत ही स्वादिष्ट और लाजवाब डिश है। वैसे तो यह एक पंजाबी डिश है पर अब यह पुरे देश मे प्रसिद्ध है। इसे बनाना बहुत ही आसान है। शाही पनीर मे जितना अच्छा मसाला और ग्रेवी डाली जाती है उतना ही इसका स्वाद लाजवाब होता है। शाही पनीर को बनाने मे ज्यादा समय नही लगता। आप सभी सामग्री को इकठ्ठा करे और स्वादिष्ट शाही पनीर बनाए।
स्वाद- शाही पनीर का स्वाद बहुत ही मसालेदार और खुसबूदार होता है। जब शाही पनीर बनाया जाता है इसकी खुशबु दूर तक फ़ैल जाती है जिससे सबके मुह मे पानी आ जाता है।
ओकेशन- शाही पनीर एक ऐसी डिश है जो हर पार्टी और फंक्शन मे बनती है। इस डिश का स्टाल हर शादी मे भी होता है। इसे खाने वालो की संख्या बहुत है।
विशेषता- शाही पनीर सबसे ज्यादा पंजाब मे प्रसिद्ध है। अब आप विदेश मे भी चले जाए वहा भी आपको यह स्वादिष्ट शाही पनीर जरूर मिलेगा। विदेश से घूमने आये हुए यात्री तो इसे बहुत ही स्वाद से खाते है।
इसे आप किसी भी आइटम के साथ खाए इसका स्वाद आपको लाजवाब ही लगेगा। यह बहुत ही अलग और शानदार डिश है। सबको लगता है यह डिश सिर्फ ढाबो और रेस्टोरेंट मे ही स्वादिष्ट मिलती है पर ऐसा नही है। हम आपके लिए एक ऐसी विधि लाये है जिसकी सहायता से आप और भी स्वादिष्ट शाही पनीर बना सकते है। नीचे दी गई विधि को फॉलो करे और स्वादिष्ट और लाजवाब शाही पनीर बनाकर अपने दोस्तों और रिस्तेदारो को खुश करे।
शाही पनीर बनने का समय
शाही पनीर बनाने मे 20 मिनट का समय लगता है। इसे बनाने की तैयारी करने मे 15 मिनट का समय लगता है।
दी गई विधि की मात्रा के अनुसार यह शाही पनीर 3-4 सदस्यो के लिए काफी है।
शाही पनीर रेसिपी | Shahi Paneer Recipe in Hindi
शाही पनीर को रुमाली रोटी, नान, पराठा, कुलचा आदि के साथ खाया जाता है। इसका स्वाद बहुत ही लजीज होता है।
350 gm पनीर
2 प्याज़
1 टी स्पून धनिया
3 टी स्पून क्रीम
2-3 तेज़ पत्ता
1/2 टुकड़ा दालचीनी
1 टी स्पून कसूरी मेंथी
बनाने की विधि - How to make शाही पनीर रेसिपी | Shahi Paneer Recipe
शाही पनीर बनाने के लिए सबसे पहले प्याज़ टमाटर को बारीक़ काट कर रख ले। साथ ही पनीर के टुकड़ो को भी एक आकार मे काट ले।
अब एक कढ़ाई ले उसमे थोड़ा सा तेल डालकर प्याज़ को अच्छे से भूने जब तक उसका रंग हल्का सुन्हेरा ना हो जाए। जब प्याज़ भुन जाए तो उसमे टमाटर को भी भुने साथ ही उसमे काजू मिर्च और थोड़ा सा पानी भी डाल ले। अब पुरे मिश्रण को अच्छे से भुने। जब मिश्रण भुन जाए तो उसे ठंडा होने के बाद एक बार मिक्सी मे बारीक़ करले ताकि वो एक पेस्ट बन जाए।
इतना करने के बाद कढ़ाई मे तेल गरम करे और साथ ही जीरा, तेज़ पत्ता, दाल चीनी डालकर भुन ले। अब इसमें अदरक लहसून का पेस्ट और टमाटर का पेस्ट डालकर पका ले।
जब इतना हो जाए तो उसमे फिटी हुई दही डाले साथ ही नमक, हल्दी, धनिया, डालकर अच्छे से मिक्स करले। 2-3 मिनट के लिए गैस को धीमा करके पकाए साथ ही थोड़ा पानी भी डाले।
अब उसमे गरम मसाला, पनीर के टुकड़े डाले और मिलाए। अब मलाई डाले और कुछ देर पकने के लिए छोड़ दे। 3-4 मिनट के बाद सारा मिश्रण पक जाएगा। आपका गरमा गरम शाही पनीर तैयार है।
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पारंपरिक डॉक्टरों की भी सेवानिवृत्त की उम्र 65 वर्ष होः तिब्बी कांग्रेस
नई दिल्ली (भाषा)। यूनानी डॉक्टरों की संस्था ऑल इंडिया तिब्बी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र भी 65 वर्ष करने की मांग की है।
संस्था के महासचिव डॉक्टर सैयद अहमद खान ने कहा कि डॉक्टरों की कमी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा के सभी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर 65 वर्ष करने के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है।
उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने संबंधी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए बयान में यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि तिब्बी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर गुजारिश की है कि देश के पारंपरिक डॉक्टरों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।
डॉक्टर खान ने पत्र में प्रधानमंत्री से मामले में दखल देने का अनुरोध करते हुए कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र का यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टर महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और ये डॉक्टर केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी काम करते हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री से इस भेदभाव को खत्म करने को कहते हुए यूनानी, आयुर्वेदिक और होमियोपेथिक डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र भी 65 वर्ष करने का ऐलान 21 जून को मनाए जाने वाले योग दिवस से पहले करने की मांग की है। |
भ्रष्टाचार पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े तेवर - Hindi Newspaper | National News Paper | Weekly Newspaper | thesundaypost.in
Country Posted on 31/07/1919 31/07/1919
Author दि संडे पोस्ट डेस्क 11
भारत में न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय बेंच बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। सभी जानते हैं कि भारत की अदालतों में भ्रष्टाचार व्याप्त है आम धारणा यह है कि निचली अदालतों में भ्रष्टाचार बहुत अधिक है और जैसे-जैसे ऊपर की अदालतों में जाते हैं, वह कम होता जाता है।
भारतीय इतिहास में पहली बार इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज के खिलाफ मामला दर्ज होने जा रहा है। भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जस्टिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया रंजन गोगोई ने सीबीआई को तत्काल मामला दर्ज करने के लिए कहा है।हाईकोर्ट के जस्टिस एस एन शुक्ला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। न्यायमूर्ति शुक्ला पर यूपी के मेडिकल कालेज में एमबीबीएस के लिए प्रवेश में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गड़बड़ी करने का आरोप है। कहा गया कि निजी मेडिकल कालेज को लाभ पहुंचाने के लिए न्यायमूर्ति शुक्ला ने सत्र 2017-18 में प्रवेश तिथि बढ़ाई थी। यही वजह है कि जस्टिस एस एन शुक्ला के न्यायिक फैसले लेने पर जनवरी 2018 से रोक लगी हुई है। वहीं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कार्य स्थल परिवर्तन प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। खास बात है कि सीजेआई ने पीएम मोदी को जून माह में पत्र लिखकर संसद में अभियोग लाकर शुक्ला को पद से हटाने की मांग भी की थी। तीस बरसों में ऐसा पहली बार हुआ है कि सीबीआई को किसी सिटिंग जज के मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि तीस साल पहले 1991 में वीरास्वामी केस में किसी भी जांच एजेंसी को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में कार्यरत किसी भी जज के खिलाफ दस्तावेज सीजेआई को दिखाए बिना जांच शुरु करने के लिए एफआईआर दर्ज करने की अनुमति नहीं दी थी। ज्ञात हो कि हाईकोर्ट में कार्यरत किसी भी जज के खिलाफ 1991 से पहले किसी भी एजेंसी ने किसी भी मामले में हाईकोर्ट में कार्यरत जज के खिलाफ मामले में जांच नहीं की थी। उसके बाद से यह पहली बार है जब कोई जांच एजेंसी को सिटिंग जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी गई है।
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प्रश्न 2: पौलुस ने तीमुथियुस 2 में साफ़तौर पर कहा था कि पूरी बाइबल परमेश्वर से प्रेरित है और बाइबल के सारे वचन परमेश्वर के वचन हैं। हम पौलुस के वचनों के अनुसार चल रहे हैं। यह गलत कैसे हो सकता है? | सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
प्रश्न 2: पौलुस ने तीमुथियुस 2 में साफ़तौर पर कहा था कि "पूरी बाइबल परमेश्वर…
उत्तर: धार्मिक क्षेत्र में बहुत से लोग मानते हैं कि बाइबल परमेश्वर द्वारा प्रेरित है। पौलुस ने इस बारे में जो कहा था वे उस पर विश्वास करते हैं। लेकिन कोई जांच नहीं करता कि पौलुस के इस कथन का क्या कोई आधार था। यह उनका एक तरह का दृष्टिकोण है क्योंकि वे पौलुस की बहुत पूजा करते हैं और उसमें उनका अंधविश्वास है। क्या किसी ने सोचा है कि पौलुस का कथन परमेश्वर के वचन के अनुरूप है या नहीं? क्या इसे प्रभु यीशु के वचनों का समर्थन मिला है? क्या वहाँ पर पवित्र आत्मा के वचन साक्ष्य के रूप में हैं? लोगों ने पौलुस के वचनों का प्रयोग करके आँख मूंद कर यह निष्कर्ष निकाला कि बाइबल पूरी तरह से परमेश्वर द्वारा प्रेरित है। क्या यह प्रभु के वचन और सच्चाई के अनुरूप है? अगर प्रभु यीशु या पवित्र आत्मा के वचनों से पौलुस के इस कथन की पुष्टि होती है, तो हमें इसे स्वीकार करना चाहिये और इसका पालन करना चाहिये, जो पूरी तरह से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप है। लेकिन हम सब साफतौर पर जानते हैं कि पौलुस परमेश्वर के विरुद्ध था और प्रभु यीशु का विरोध किया करता था। यह एक सच्चाई है कि वह प्रभु यीशु के कार्य के खिलाफ विपक्ष का मुखिया था। हालांकि प्रभु यीशु ने पौलुस को सुसमाचार फैलाने के लिए एक प्रचारक के रूप में चुना, फिर भी पौलुस एक रचयित प्राणी है। इसलिये, उसके वचन निःसंदेह पूरी तरह से मनुष्य के ही वचन हैं। प्रभु यीशु परमेश्वर हैं, जबकि प्रभु यीशु के सभी प्रेरित और अनुयायी मनुष्य हैं। प्रभु यीशु के प्रचारकों और अनुयायियों की तुलना स्वयं प्रभु यीशु से नहीं की जा सकती। अगर उन्हें प्रभु यीशु या पवित्र आत्मा के वचनों का समर्थन नहीं मिला है, तो भले ही मनुष्य कुछ भी कहता रहे, हम उन वचनों को आँख मूंद कर स्वीकार नहीं कर सकते। वरना नतीजे कल्पना के परे होंगे। उस समय के बारे में जब सोचते हैं, जब फरीसियों ने प्रभु यीशु का विरोध किया और प्रभु यीशु की निंदा की, तो बहुत से लोगों ने प्रभु यीशु को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि वे फरीसियों को मानते थे। उन्हें हटा दिया गया और स्पष्ट रूप से उनकी निंदा की गयी क्योंकि उन्होंने प्रभु यीशु का विरोध किया था। क्या हमने इन उदाहरणों से कुछ नहीं सीखा है? वास्तव में, बाइबल में, केवल यहोवा परमेश्वर यहोवा के वचन, प्रभु यीशु द्वारा कहे गए वचन, पवित्र आत्मा के वचन, पैगंबरों द्वारा बताए गए परमेश्वर के वचन, और प्रकाशितवाक्य की पुस्तक की भविष्यवाणियाँ, परमेश्वर के वचन हैं। इसके अलावा, यह सभी अभिलेख और पत्र मानव के हैं। इन सबकी गिनती परमेश्वर के कार्य के साक्ष्यों के तौर पर होती है और इन्हें बाइबल में दर्ज किये जाने की जरूरत है, लेकिन हमें परमेश्वर के वचन को मनुष्य के वचनों की तरह नहीं मानना चाहिये। मनुष्य के वचन मनुष्य के वचन हैं, और सिर्फ परमेश्वर के वचन असल में परमेश्वर के वचन हैं। अगर हम इस बात पर जोर देते हैं कि बाइबल में मानव और शैतान के वचन परमेश्वर के वचन हैं, तो यह परमेश्वर की निंदा और तिरस्कार करना है! इसलिए, कहा गया है कि सभी धर्म शास्त्र परमेश्वर से प्रेरित हैं और सभी परमेश्वर के वचन हैं, यह तथ्यों के अनुरूप नहीं है।
आइये, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन का एक अंश पढ़ते हैं। "वास्तव में, भविष्यवाणियों की पुस्तकों को छोड़कर, पुराने नियम का अधिकांश भाग ऐतिहासिक अभिलेख है। नए नियम के कुछ धर्मपत्र लोगों के व्यक्तिगत अनुभवों से आए हैं, और कुछ पवित्र आत्मा के प्रकाशन से आए हैं; उदाहरण के लिए, पौलुस के धर्मपत्र एक मनुष्य के कार्य से उदय हुए थे, वे सभी पवित्र आत्मा के प्रकाशन के परिणामस्वरूप थे, और वे कलीसिया के लिए लिखे गए थे, और वे कलीसिया के भाइयों एवं बहनों के लिए प्रोत्साहन और उत्साह के वचन हैं। वे पवित्र आत्मा के द्वारा बोले गए वचन नहीं थे - पौलुस पवित्र आत्मा के स्थान पर बोल नहीं सकता था, और न ही वह कोई पैग़म्बर था, और उसमें दिव्यदृष्टि तो बिलकुल नहीं थी। उसके धर्मपत्र इफिसुस, फिलेदिलफिया, गलातिया और अन्य कलीसियाओं के लिए लिखे गये थे। और इस प्रकार, नए नियम के पौलुस के धर्मपत्र वे धर्मपत्र हैं जिन्हें पौलुस ने कलीसियाओं के लिए लिखा था, और वे पवित्र आत्मा की अभिप्रेरणाएं नहीं हैं, न ही वे सीधे तौर पर पवित्र आत्मा के कथन हैं... उसने उस समय की कलीसियाओं के लिए प्रेरित का कार्य किया था, वह एक कर्मचारी था जिसे प्रभु यीशु के द्वारा इस्तेमाल किया गया, और इस प्रकार उसे कलीसियाओं की जिम्मेदारी दी गई थी, उसे कलीसियाओं के कार्य को करने का कार्य भार दिया गया था, उसे भाइयों एवं बहनों की परिस्थितियों के बारे में जानना था - और इसी कारण, उसने प्रभु में सभी भाइयों एवं बहनों के लिए धर्मपत्रों को लिखा था। जो कुछ भी उसने कहा था वह हितकारी था और लोगों के लिए लाभदायक एवं सही था, किन्तु यह पवित्र आत्मा के कथनों को दर्शाता नहीं था, और वह परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता था। यह एक विचित्र समझ थी, और एक भयंकर ईश्वरीय निन्दा थी, क्योंकि लोग मनुष्य के अनुभवों के लिखित दस्तावेज़ को और मनुष्य की पत्रियों को पवित्र आत्मा के द्वारा कलीसियाओं को बोले गए वचनों के रूप में ले रहे थे! ...यदि लोग धर्मपत्रों या पौलुस के वचनों को पवित्र आत्मा के कथनों के रूप में देखते हैं, और परमेश्वर के रूप में उसकी आराधना करते हैं, तो सिर्फ यह कहा जा सकता है कि वे बहुत ही अधिक अविवेकी हैं। और अधिक कड़े शब्दों में कहा जाए, तो यह ईश निन्दा नहीं है तो और क्या है? एक मनुष्य परमेश्वर के बदले में कैसे बात कर सकता है? और लोग उसके धर्मपत्रों के लिखित दस्तावेज़ों और उसकी कही बातों के सामने कैसे झुक सकते हैं जैसे मानो वह कोई पवित्र पुस्तक, या स्वर्गीय पुस्तक हो? क्या परमेश्वर के वचनों को एक मनुष्य के द्वारा सामान्य ढंग से बोला जा सकता है? एक मनुष्य परमेश्वर के बदले में कैसे बोल सकता है?" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (3)")।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन इसे पूरी तरह से स्पष्ट करते हैं। बाइबल में सिर्फ परमेश्वर के ही वचन नहीं हैं, बल्कि और भी बहुत से लोगों के वचन हैं। यह एक सत्य है और हमें इसका आदर और विशेष सम्मान करना चाहिए, और बाइबल को सही तरीके से व्यवहार में लाना चाहिए। लेकिन फिर भी बहुत से विश्वासी बाइबल पर आँख मूंद कर विश्वास करते हैं और बाइबल की आराधना करते हैं। वे सभी पौलुस के इस कथन पर विश्वास करते हैं कि सभी धार्मिक शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से दिए गये हैं। उन्हें लगता है कि अगर ये बाइबल में दर्ज किये गये हैं, तो ये परमेश्वर के वचन होने चाहिए, और मनुष्य और शैतान के वचनों को भी परमेश्वर के वचन मान लेते हैं। यह किस तरह की समस्या है? क्या यह परमेश्वर का विरोध और ईश-निंदा नहीं है? मनुष्य ने जो वचन बोले हैं, बाइबल में उनकी निशानदेही साफतौर पर की गई है। तो फिर लोगों को जोर क्यों देना पड़ता है कि वे परमेश्वर के वचन हैं? तो क्या मनुष्य के वचन परमेश्वर के वचन बन जायेंगे यदि उन्हें बाइबल में संकलित किया गया है? यह किस तरह का तर्क है? बाइबल में तो प्राचीन धूर्त, शैतान के वचन भी शामिल हैं। क्या लोगों में यह कहने की हिम्मत है कि ये भी परमेश्वर के वचन हैं? इससे ज़ाहिर होता है कि वो तमाम लोग बेहूदा हैं, जो ये सोचते हैं कि बाइबल में दी हुई हर चीज़ परमेश्वर का वचन है। अगर लोग सच्चाई को नहीं भी समझते हैं तो उन्हें कम से कम तथ्यों का सम्मान तो करना चाहिए। उन्हें चीज़ों को अस्त-व्यस्त नहीं करना चाहिए।
हम सभी जानते हैं कि सिर्फ परमेश्वर के वचन सत्य, मार्ग, और जीवन हैं। मनुष्य सत्य के अनुरूप जो वचन बोलता है, वो सब उसके अपने अनुभव और परमेश्वर के वचन के ज्ञान से आते हैं। लेकिन पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी के साथ भी, वे सिर्फ मनुष्य के वचन हैं, और परमेश्वर के वचन से इनकी तुलना नहीं की जा सकती। परमेश्वर का वचन परमेश्वर के अंतर्निहित स्वभाव की अभिव्यक्ति है और वह जो है और वह सब कुछ है। यह सकारात्मक चीज़ों की वास्तविकता है और मानव का जीवन हो सकती है। मनुष्य सच्चाई के अनुसार जो वचन बोलता है, वो सब मनुष्य के अनुभव, परमेश्वर के वचन और सत्य की समझ से आते हैं; और तमाम चीज़ें उस समय मनुष्य के कद को दिखाती हैं। लेकिन हमें साफ होना चाहिए कि परमेश्वर के वचनों की सच्चाई को मनुष्य कभी भी अनुभव नहीं कर सकता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि परमेश्वर के वचन और सत्य के बारे में उनका ज्ञान कितना गहरा है, वो सत्य के मूल सार तक नहीं पहुँच सकते। इसका अर्थ यह है कि, मनुष्य द्वारा बोले जाने वाले वचन जो सत्य के अनुरूप हैं, सच्चाई के बराबर नहीं हो सकते। मनुष्य उन वचनों को बोलने में समर्थ है जो सत्य के अनुरूप हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि मनुष्य ने सत्य को प्राप्त कर लिया है। इसके अलावा, इससे ये भी ज़ाहिर नहीं होता कि इंसान ही सच है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पवित्र आत्मा मनुष्य के वास्तविक कद के आधार पर ही अपना कार्य करता है, और सहजता से सत्य को समझने और वास्तविकता में प्रवेश करने के लिए मनुष्य को प्रबुद्ध बनाता है और मार्गदर्शन करता है। इसलिए जो वचन सत्य के अनुरूप हैं और उन लोगों ने बोले हैं जिनका उपयोग परमेश्वर ने किया है, वे सभी सीमित अनुभव और सत्य की समझ हैं और सत्य के सार से बिल्कुल भिन्न हैं। ऐसे वचन जो कि सत्य के अनुरूप हैं वे लोगों की सिर्फ थोड़ी सी मदद और फायदा कर सकते हैं। ये मानव का जीवन नहीं हो सकते और परमेश्वर के वचनों से इनकी तुलना नहीं की जा सकती। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "पवित्र आत्मा के प्रबोधन के सभी शब्द परमेश्वर के वचन का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, सत्य का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, और वे सत्य से संबंधित नहीं हैं। केवल यह कहा जा सकता है कि उन लोगों को सत्य की कुछ समझ है, और पवित्र आत्मा का कुछ प्रबोधन। ...और सत्य ही स्वयं परमेश्वर का जीवन है, उसके स्वयं के स्वभाव का प्रतिनिधित्व करता हुआ, सत्य उसके स्वयं के तत्व का और उनमें निहित सब कुछ का प्रतिनिधित्व करता है" (मसीह की बातचीतों के अभिलेख)। इसलिए, बाइबल में परमेश्वर के वचन और मनुष्य के वचन हमें गुमराह नहीं कर सकते। बहुत से धार्मिक पादरियों का प्रचार परमेश्वर के वचनों पर आधारित नहीं है बल्कि बाइबल में मनुष्य द्वारा बोले गये वचनों पर आधारित हैं। वे बाइबल में दिए गये मनुष्य के वचनों को सत्य मानकर लोगों को उनका अभ्यास और पालन करने के लिए कहते हैं। इससे आसानी से भ्रम पैदा किया जा सकता है, क्योंकि मनुष्य के वचन मनुष्य का जीवन नहीं हो सकते और केवल परमेश्वर के वचन ही मनुष्य का जीवन हो सकते हैं। पादरी हमेशा बाइबल में मनुष्य के वचनों को ही सत्य मानते हैं और लोगों को इसका अभ्यास करने और इसमें शामिल होने के लिए कहते हैं। क्या यह बग्गी को घोड़े के आगे लगाने जैसा नहीं है? क्या यह परमेश्वर की स्तुति करना और परमेश्वर की गवाही देना है? आगे, वचन सभी धार्मिक शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से दिए गये हैं पौलुस के द्वारा कहे गये। परमेश्वर ने कभी भी इस तरह से बाइबल की गवाही नहीं दी और पवित्र आत्मा ने कभी भी ऐसे वचन नहीं कहे। यहाँ तक कि, किसी भी पैगम्बर या प्रेरित ने ऐसे वचन नहीं कहे। पौलुस के द्वारा कहे गये वचन सभी धार्मिक शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से दिए गये हैं सिर्फ उसका अपना नज़रिया दिखाते हैं, उन्हें परमेश्वर के वचनों का समर्थन हासिल नहीं है। इसलिए जो लोग ये सोचते हैं कि बाइबल पूरी तरह परमेश्वर से प्रेरित है, इसमें सारे परमेश्वर के वचन हैं, और ये परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करती है, ये सारी बातें पूरी तरह से गलत हैं। हमें इस तथ्य को साफतौर पर देखना चाहिए और बाइबल के साथ सही बर्ताव करना चाहिए। इस तरह, परमेश्वर सन्तुष्ट होंगे।
पिछला:प्रश्न 1: बाइबल में, पौलुस ने कहा था "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है" (2 तीमुथियुस 3:16), पौलुस के वचन बाइबल में हैं। इसीलिए, वे परमेश्वर द्वारा प्रेरित थे; वे परमेश्वर के वचन हैं। प्रभु में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है। चाहे कोई भी विचारधारा क्यों न हो, यदि वह बाइबल से भटकती है, तो वह विधर्म है! हम प्रभु में विश्वास करते हैं, इसीलिए हमें सदा बाइबल के अनुसार कार्य करना चाहिए, अर्थात्, हमें बाइबल के वचनों का पालन करना चाहिए। बाइबल ईसाई धर्म का मूलभूत सिद्धांत है, हमारे विश्वास की नींव है। बाइबल को त्यागना प्रभु में अविश्वास करने के समान है; यदि हम बाइबल को त्याग देते हैं, तो हम प्रभु में कैसे विश्वास कर सकते हैं? बाइबल में प्रभु के वचन लिखे हैं। क्या कहीं और भी ऐसी जगह है जहां हम उनके वचनों को पा सकते हैं? यदि प्रभु में हमारा विश्वास बाइबल पर आधारित नहीं है, तो इसका आधार क्या है?
अगला:प्रश्न 3: हम सोचते हैं परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में दर्ज हैं। बाइबल से अलग परमेश्वर के कोई वचन और कार्य नहीं हैं। इसलिए, परमेश्वर पर हमारा विश्वास बाइबल पर आधारित होना चाहिए। क्या ये गलत है?
दुष्टात्माओं के कब्ज़े में आ जाना क्या है? दुष्टात्माओं के कब्ज़े में आ जाना कैसे प्रकट होता है? क्या धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग सभी वास्तव में परमेश्वर द्वारा प्रतिष्ठित हैं? क्या धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों के प्रति स्वीकृति और आज्ञाकारिता परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता और उसके अनुसरण को दर्शा सकती हैं? परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है? किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके? अनुग्रह के युग की तुलना में राज्य के युग में, कलीसियाई जीवन में क्या अंतर है? |
मुख्यपृष्ठMathematics visionभिन्न या दशमलव वाली संख्याओं का ल.स और म.स पता करना। ल.स और म.स का Two in one.
D.K Chauhan जनवरी 21, 2019
हल : 4 / 5, और 3 / 7 का ल.स.
= अंश का ल.स. / हर का म.स.
या = 4 और 3 का ल.स. / 5 और 7 का म.स.
या = 12 / 1
चलिए अब हम 4 / 5, और 3 / 7 का ल.स. और म.स. बिना भिन्न वाले सूत्र लगायें ज्ञात करते हैं । इसके लिए हमको इन दोनों भिन्नों को खंडित करना होगा। भिन्नों को तोड़ना या खंडित करने के लिए हमें हर वाले मान को समाप्त करना होगा। हर वाले मान को दो प्रकार से हटाया या समाप्त किया जा सकता :
भिन्न को दशमलव में बदलकर ।
किसी संख्या से अंश में गुणा करें और जो ल. स. और म.स. मिला है उसमें में उसी संख्या से भाग कर दें जिससे पहले गुणा किया गया था । बहुत ही आसानी से काम हो जायेगा।
चलिए उदाहरण की सहायता से समझते हैं।
उदाहरण : भिन्नों 4 / 5, और 3 / 7 का ल.स. और म.स. बिना भिन्न वाले सूत्र लगायें ज्ञात करने के लिए हम सबसे पहले दोनों भिन्नों के हर का ल.स. निकालना होगा या फिर ऐसी संख्या का गुणा करें दोनों भिन्नों कि हर वाला मान हट जाये । 5 और 7 का ल.स. = 35 होगा। इसलिए 4 / 5, और 3 / 7 में 35 का गुणा करने पर,
( 4 / 5 ) × 35 = 4 × 7
और ( 3 / 7 ) × 35 = 3 × 5
अब 28 और 15 का म.स.और ल.स. आसानी से पता कर सकते हैं।
28 = 1 × 2 × 2 × 7 और
दोनों गुणनखंडो में सिर्फ एक ( 1 ) मिल रहा है। इसलिए 28 और 15 का म.स. = 1 होगा। चुँकि हमने भिन्नों को तोड़ने के लिए 35 से गुणा किया था , इसलिए हमें 35 से भाग करनी पड़ेगी । भाग करने पर, 1 / 35 होगा। अतः भिन्न 4 / 5, और 3 / 7 का म.स. = 1 / 35
अब 28 और 15 का ल.स. = 28 × 15 = 420.
चुँकि हमने 28 और 15 प्राप्त किया है भिन्नों 4 / 5, और 3 / 7 में 35 का गुणा करने पर । इसलिए अब हमें 35 से 420 में भाग करनी पड़ेगी। भाग करने पर,
420 / 35 = 6 × 7 × 10 / 5 × 7
अतः भिन्न 4 / 5, और 3 / 7 का म.स. = 12
आगे जारी है... दशमलव का ल.स.और म.स. ।
नोट : भिन्नों को दशमलव में भी बदलकर ल.स.और म.स. निकाला जा सकता है। पर जो भिन्नें पूर्णतः विभाजित होती हैं । उनका ही आसानी से ल.स.और म.स. निकाला जा सकता है ।
अगर आपके पास कोई सवाल है इससे संबंधित तो बेझिझक कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। अगर आप इस साइट से जुड़ना चाहते हैं तो निचे दिए सब्सक्राइब बाक्स में अपनी ईमेल आईडी और पासवर्ड डालकर जुड़ सकतें हैं । |
हादसा: चंदेसरा और कागदी कराडिय़ा पर वाहनों की जबर्दस्त भिड़ंत – Ujjainlive |
संजय राउत बोले- मजबूत होने का मजा ही तब है...-shiv sena leader sanjay raut tweet maharashtra politics | maharashtra - News in Hindi - हिंदी न्यूज़, समाचार, लेटेस्ट-ब्रेकिंग न्यूज़ इन हिंदी
संजय राउत बोले- मजबूत होने का मजा ही तब है...
शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत लगातार ट्वीट कर विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं.
संजय राउत ने ट्वीट कर लिखा है कि मजबूत होने का मजा ही तब है, जब सारी दुनिया कमजोर करने पर तुली है.
मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस (Shiv Sena, NCP and Congress) गठबंधन की सरकार ने शनिवार को अपना बहुमत साबित कर दिया और रविवार को विधानसभा स्पीकर (Assembly Speaker) का चुनाव किया जाना है. वहीं, शिवसेना नेता और राज्यसभा संजय राउत (Sanjay Raut) ने एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधा है.
सामना में शरद पवार की जमकर तारीफ, बीजेपी पर प्रहारशिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में एनसीपी के मुखिया शरद पवार की जमकर तारीफ की गई है. इसमें कहा गया है कि पवार के बगैर राजनीति नीरस और रुचिहीन है. पूर्व सीएम पर हमला करते हुए लिखा गया है कि महाराष्ट्र में विपक्ष नहीं रहेगा और पवार की राजनीति खत्म हो चुकी है, ऐसी हास्यास्पद और बचकानी बातें करने वाले देवेंद्र फडणवीस को यह दांव उल्टा पड़ गया है.
First published: December 1, 2019, 10:18 AM IST |
द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन, बाइनरी विकल्पों पर व्यापार
सितम्बर 14, 2018 Options Trading Strategy लेखक हर्षिल नारंग 44815 आगंतुकों
कुछ उपयोगकर्ता यह भी लिखते हैं कि वहां हैऐसे ऑटोक्लिकर्स जो आपके व्यक्तिगत डेटा (पासवर्ड, लॉगिन) को उन स्कैमर को प्रेषित करते हैं जिन्होंने सफलतापूर्वक अपनी कड़ी मेहनत की है। क्या कोई अतिरिक्त द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन कार्यक्रम वास्तव में सार्थक है? फिलहाल, "एसईओप्रिंट" किसी भी ऑटोक्लिकर्स का समर्थन नहीं करता है और दृढ़ता से उन्हें काम करते समय उपयोग करने की सलाह नहीं देता है, अन्यथा वे उपयोगकर्ता को बैंक सूची में भेजते हैं। और आप Seosprint पर कमाई खो देंगे। समीक्षा, हालांकि, इस तरह के कार्यक्रमों के बारे में एक सकारात्मक नस में लिखी गई है, आमतौर पर डेवलपर्स स्वयं या अन्य बेईमान उपयोगकर्ताओं द्वारा लिखी जाती है।
एक निर्धारित राशि के लिए उपयोगकर्ता एक महीने के लिए सेवा के लिए उपयोग मिल जाएगा। यह एक बहुत अच्छा सौदा, में निवेश के रूप में है द्विआधारी विकल्प - पूर्वानुमान रोबोट और मेरी सिफारिशों से बस कुछ ही दिनों में खुद के लिए कई बार भुगतान करना होगा। मुद्रास्फीति प्रबंधन में उपायों के एक सेट का उपयोग शामिल है जो कुछ हद तक मदद करता है जो आय स्थिरीकरण के साथ मूल्य वृद्धि (मामूली) को जोड़ता है। पश्चिमी देशों में प्रयुक्त प्रक्रिया प्रबंधन उपकरण मुद्रास्फीति की प्रकृति और स्तर, व्यापार पर्यावरण के विनिर्देशों और आर्थिक तंत्र के विनिर्देशों के आधार पर भिन्न होते हैं।
मोरस्ती शहर में भूमध्यसागरीय सागर के तट पर रिबैट एक भव्य ट्यूनीशियाई किले है। यह सबसे पुराना और सबसे महत्वपूर्ण रक्षात्मक काम है जो अरब विजेताओं द्वारा द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन माघरेब तट पर खड़ा हुआ है। इस्लाम। यह 796 में स्थापित किया गया था, यह इमारत मध्ययुगीन काल के दौरान, कई पुनर्गठन प्रारंभिक रूप से एक चतुर्भुज की तरह आकार में, इसमें चार आंतरिक आंगनों वाले दो भवन हैं। इसके अलावा, यह माघरेब के सबसे पुराना और सबसे महत्वपूर्ण रिबेट माना जाता है, इसे मोनास्टिर का प्रमुख स्मारक माना जाता है। ग्यारहवीं शताब्दी के दौरान, अन्नालुसियाई भूगोल और इतिहासकार अल बकरी ने मोंस्थिर के रिबेट पर निम्नलिखित विवरण छोड़े: "यह एक बहुत ही उच्च और ठोस रूप से निर्मित किले है। जमीन के ऊपर, पहली मंजिल पर, एक मस्जिद है जहां एक शेख है, जो पुण्य और योग्यता से भरा है, जो खड़ा है, जिस पर समुदाय की दिशा तय है। " दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐमजॉन के शेयरों द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन में 2 फीसदी की बढ़ोतरी से बेजॉस की कुल संपत्ति में 90 करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ और वह दुनिया के सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। टूर्नामेंट चयन में (GD91) व्यक्तियों के एक नंबर टूर आबादी से यादृच्छिक पर चयन किया जाता है, और इस समूह से सबसे अच्छा व्यक्ति माता-पिता के रूप में चुने गए हैं. यह प्रक्रिया अक्सर दोहराया है ने कहा कि व्यक्तियों का चयन. इन चयनित माता-पिता वर्दी यादृच्छिक संतान उत्पन्न. टूर्नामेंट के चयन के लिए पैरामीटर टूर turneringsstorrelsen है. टूर मूल्यों से लेकर ले जाता है 2 - ओसीआर के लिए सिफारिश की (जनसंख्या में लोगों की संख्या). तालिका 5 और चित्रा 9 टूर्नामेंट आकार और चयन के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के शो (BT95)।
बुनियादी तत्व पूरा होने के बादछवि, आप जारी रख सकते हैं। कार्य का अगला तत्व, चरणों में एक ओलंपिक तेंदुए को कैसे आकर्षित किया जाए, छवि के अंगों और विवरणों को चित्रित करने में शामिल हैं। बैंकों ने एल्गोरिदम का लाभ भी लिया है जो कि इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर मुद्रा जोड़े की कीमतों को अपडेट करने के लिए प्रोग्राम किए जाते हैं। ये एल्गोरिदम गति को बढ़ाता है जिस पर बैंक बाजार की कीमतों का उद्धरण कर सकते हैं, साथ ही मैन्युअल कामकाजी घंटों की संख्या को कम कर देते हैं, जो कीमतों का उद्धरण लेते हैं।
इस बारे में सोचें कि आप आइटम कैसे बेच सकते हैं। आप अपने व्यक्तिगत सामान को उन लोगों को बेच सकते हैं जिन्हें आप जानते हैं, या अजनबियों, या इंटरनेट पर। आप कहां रहते हैं इसके आधार पर, इनमें से प्रत्येक विधि आपको त्वरित आय ला सकती है।
फीफा रैंकिंग में भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम एक स्थान नीचे खिसक कर 97वें स्थान पर पहुंच गई है. इससे पहले टीम 96वें स्थान पर थी। संबंध जोड़कर तोड़ना बहुत मुश्किल है, विवाहित होकर के फिर संबंध तोड़ना कठिन कार्य है। मन की वैयावृति मानसिक वैयावृति कैसे होती है, यह जानना बहुत आवश्यक है। मोक्षमार्ग में असंख्यात गुनी निर्जरा होती है, ऐसा चिंतन करना चाहिए। तुमसे मेरे कर्म कटे, मुझसे तुम्हें द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन क्या मिला? तुमने अनेकों गतियों में भ्रमण करके संख्यात या असंख्यात काल पर्यंत बिना विश्राम किए दुख सहे है, तब अति अल्प काल के लिए इस भव में यह थोडा सा दुःख क्यों नही सहते हो?
2018/07/25 मुद्रा बाजार में शांत है: सबसे मुद्राओं संकीर्ण सीमाओं महत्वपूर्ण घटनाओं इस सप्ताह से पहले समेकित - डोनाल्ड ट्रम्प, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाड जंकर और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति की बैठक । यह वास्तव में एक बहुत ही आसान काम है, लेकिन यह आप उपकरण या एक संकेतक के प्रत्येक बिक्री के लिए, क्योंकि प्रत्येक ग्राहक के लिए पैसे की एक सुंदर राशि कमाने का मौका देता है, इस सहबद्ध साइट वे कमीशन मिलता है, मंच करने के लिए देता है। यह इन दिनों में काफी अच्छा कमीशन है। इस प्रक्रिया में लोगों को अभी केवल सौंपा गतिविधियों के प्रचार के लिए बाहर ले जाने के लिए की जरूरत है और कुछ में खुद को शामिल करने की जरूरत नहीं है क्योंकि द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन यह बहुत आसान काम कहा जाता है। यदि आप अधिक इस तरह की पेशकश के मामले में, एक विदेशी मुद्रा व्यापार में रुचि रखते हैं, जो उन लोगों के लिए पैसे की एक सुंदर राशि अर्जित करने के लिए बहुत अच्छा मौका है। सहबद्ध साइटों की मदद से विपणन के लिए सही प्रचार गतिविधियों और सही दृष्टिकोण के साथ, पैसे की एक सुंदर राशि प्रवाह कर सकते हैं।
आप से ज्यादा अनुभव नहीं है, द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन तो व्यापार द्विआधारी विकल्प व्यापार और आवश्यकता को स्वीकार किया जा सकता है, एक डेमो व्यापारी खाते का उपयोग करने की कोशिश या जब आप व्यापार करने के लिए कैसे properly.This मदद कर सकते हैं आप आसानी से उत्कृष्ट ट्रेडों और बुरा ट्रेडों देखने को मिलता है समय की लंबाई के लिए एक मिनी खाते में अपने निवेश को कम सुरक्षित रखते हैं। फिर भी, एक पल के लिए जब आप एक गलती करते हैं, और यहाँ वहाँ एक अनिवार्य नाली हो जाएगा आता है! इस तथ्य को स्पष्ट रूप से समझ जाना चाहिए, overclocking के संभव है, लेकिन यह लगातार और एक स्थिर आधार पर जमा ड्राइव करने के लिए असंभव है!
डिज़ाइन परियोजना बाहर ताजा और मूल दिखता है, लेकिन पहले से ही देखा है के रूप में, कई मंचों, उत्पादों की इस तरह उच्च उपज परियोजनाओं के लिए है, न कि केंद्र के लिए की तुलना में सूट करेगा। शामिल जानकारी का एक न्यूनतम राशि संसाधन के पेजों को भरने, पाठ केवल अंग्रेजी भाषा के सामग्री तैयार की। होम प्रदर्शित करता है लाभ का एक कैलकुलेटर गणना के साथ निवेश की योजना, नीचे जमा और भुगतान पर कंपनी के फायदे और हाल ही के लेनदेन को दर्शाता है। अमेरिकी एथलीट मार्क फिलिप शल्ट्ज - ओलंपिक चैंपियन और दो बार विश्व चैंपियन। एक फ्रीस्टाइल पहलवान, वह अमेरिकी लड़ाई के राष्ट्रीय हॉल ऑफ फेम का मानद सदस्य है।
गुणा करना। बोनस शेयर जो अगले महीने के भीतर एक निश्चित ट्रेडिंग कारोबार बनाने की योजना बना रहे हैं यह निम्नानुसार कार्य करता है: माह की शुरुआत में ग्राहक बोनस "गुणा" के लिए लागू होता है, जिसमें वे कितने लोगों की योजना बनाते हैं। पहले से, व्यापार संचालन के लिए उन्हें बोनस प्रदान किया जाता है। और अधिक - अधिक बोनस बीआईआर छुट्टी द्विआधारी विकल्प कारोबार में मुद्राओं के सहसंबंध के प्रैक्टिकल आवेदन की अवधि बच्चे की देखभाल (3 साल) के मुकाबले कुछ हद तक कम है। इस प्रकार की छुट्टियों की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि उनका उपयोग प्रासंगिक कार्य अनुभव के संचय को निलंबित नहीं करता है। |
gtb hospital: 'तुम्हें बेटा हुआ है इसे दूध पिलाओ', बाद में कहा- बेटी पैदा हुई है - 'you have delivered a son, feed him', later said that the daughter had been born' | Navbharat Times
'you have delivered a son, feed him', later said that the daughter had been born'
नवभारत टाइम्स | Updated: 24 Apr 2019, 12:10:49 PM IST
अूनप पाण्डेय, नई दिल्ली
जीटीबी अस्पताल में मंगलवार को बच्चा बदले जाने के एक मामले को लेकर सुबह से शाम तक गाइनी वार्ड में हंगामे की स्थिति बनी रही। शाम के वक्त पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया। जानकारी के मुताबिक, बड़ौत के रहने वाले इमरान ने डिलिवरी के लिए अपनी पत्नी फरजाना को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया था जहां ऑपरेशन के बाद फरजाना को बच्चा पैदा हुआ। पति इमरान ने बताया कि मेडिकल कारणों से मां और बच्चे के अलग-अलग रखा गया था।
सुबह के वक्त अस्पताल की एक महिला स्टाफ फरजाना के पास एक बच्चे को लेकर आई और बोली कि तुम्हें बेटा पैदा हुआ है, इसे अपना दूध पिलाओ। दूध पिलाने के बाद वह फिर बच्चे को लेकर चली गई। वही स्टाफ थोड़ी देर बाद दोबारा आई और बोली कि तुम्हें बेटा नहीं, बेटी हुई है। इसके बाद फरजाना के परिजनों ने बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया। हंगामे को बढ़ता देख मौके पर पुलिस और अस्पताल के अधिकारी पहुंच गए।
सुबह से लेकर शाम तक चले हंगामे के बाद अस्पताल प्रशासन ने फरजाना के परिजनों को समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया। जब नए सिरे से सारे पेपर चेक किए गए तो पता चला कि फरजाना को बेटा नहीं, बेटी ही पैदा हुई थी। अस्पताल की उस महिला स्टाफ की एक गलतफहमी की वजह से ऐसी अजीब स्थिति बन गई। हंगामे के दौरान दोनों ही मांओं का रो-रोकर बुरा हाल था। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुनील कुमार गौतम ने बताया कि इस मामले की जानकारी अभी उन तक नहीं पहुंच पाई है।
Web Title 'you have delivered a son, feed him', later said that the daughter had been born'(News in Hindi from Navbharat Times , TIL Network)
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Dance me career kaise banaye. कोरियोग्राफर कैसे बने
Vishwanath Pathak 3:50 PM Bollywood,
डांस में करियर कैसे बनाये? कोरियोग्राफर कैसे बने?
नृत्य भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है. शादी, जन्मोत्स्व, स्टेज और फिल्म डांस के बिना अधूरे हैं. इसके अतिरिक्त धार्मिक कार्यक्रमों जैसे नवरात्रि, जन्माष्टमी में नृत्य किया और देखा जाता है।हमारे देश में हर प्रदेश का अपना लोक नृत्य है, जहां उनकी नृत्य की एक परम्परागत शैली है। इसके अलावा शास्त्रीय नृत्य- कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिशी शैली की अपनी गरिमा और स्थान है. भारत में Western Dance का भी क्रेज है। हिप हॉप, सालसा, टैंगो, जैज़, लेटिन से लेकर बालरूम डांसिंग तक युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। यह आप पर निर्भर करता है की आप कौन सी डांस फॉर्म में खुद को निपुण बनाना चाहते है।
यदि आपमें डांस के प्रति रूचि है, डांस करना आपको पसंद है, तो जितनी जल्दी हो सके किसी अच्छे प्रशिक्षण संस्थान को ज्वाइन करलें। जितनी कम उम्र से प्रशिक्षण लेना प्रारम्भ कर देंगे आपके लिए उतना ही अच्छा रहेगा.
नृत्य प्रशिक्षण लिए कुछ लोकप्रिय संस्थाएं -
1. संगीत नाटक अकैडमी (नई दिल्ली),
2. नाट्य इंस्टिट्यूट ऑफ़ कत्थक एंड कोरिओग्राफी (बंगलोर),
3. स्कूल ऑफ़ फाइन आर्ट्स एंड म्यूजिक (इंदौर),
4. फ्लेम स्कूल ऑफ़ आर्ट्स (पुणे),
5. खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय (खैरागढ़, छत्तीसगढ़),
6. राजस्थान डांस अकैडमी आदि हैं।
मुंबई में श्यामक डावर इंस्टिट्यूट ऑफ़ परफार्मिंग आर्ट्स और The Danceworx Performing Arts Academy जैसी निजी संस्थाएं भी हैं। डांसिंग में आप एक वर्ष का सर्टिफिकेट, तीन साल की डिग्री, डिप्लोमा या पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स कर सकते है.
डांसिंग के क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। हालांकि देखा जाए तो किसी भी क्षेत्र में सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप उसके लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं और उसे कितना पसंद करते हैं, पर डांसिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए यह और भी जरूरी हो जाती है कि आपने उसके लिए कितनी मेहनत की है। यहां कुछ ऐसी ही चीजें बताई गई हैं, जिनके जरिये आप डांसिंग के क्षेत्र में सफलता हासिल कर पाएंगे :-
जरूरी योग्यताएं -
डांस को करियर बनाने के लिए जरूरी योग्यताएं ये है -
1. डांस क्षेत्र की जानकारी -
देश और विदेश में होने वाली डांस क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखें। वर्तमान समय में लोकप्रिय डांस पद्धति को फॉलो करें, उसकी बारीकियों को समझें। मॉडर्न डांस शैली में यह अधिक जरूरी है। क्लासिक डांस शैली के लिए अपने क्षेत्र के गुरुओं से कला की बारीकियों को समझने का प्रयास करते रहें। सीनियर कलाकारों से मिलें और उनको परफॉर्म करते हुए देखें। यदि मुंबई में रहते हों तो किसी डांस ग्रुप को ज्वाइन करने से अधिक फायदा होगा।
2. डांस में रचनात्मकता -
डांसिंग एक क्रिएटिव आर्ट है. चाहे क्लासिकल हो या मॉडर्न डांस, इसमें बुनियादी तकनीकों पर अमल करते हुए अगर आप अपनी इनोवेशन से कुछ नया जोड़ते है तो वह आपकी पहचान बन सकता है।कोरियोग्राफर बनने के लिए जहाँ आपके पास नर्तकों के समूह को डायरेक्ट करने की कला होनी चाहिए। वहीँ गीत के बोल के अनुरूप मुद्राओं का ज्ञान और डांस के हर आयाम की नालेज के साथ धैर्य होना जरूरी है।
3. स्टेज परफॉर्मेंस -
स्टेज से न हो डर, इसके लिए आपमें आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। जो सतत अभ्यास से आता है। पहले छोटे मंच से शुरू करके स्कूल कॉलेज के मंच पर परफॉर्म करें जिससे स्टेज फियर समाप्त होगा। फिर बड़े मंचों पर आसानी से परफॉर्म कर पाएंगे।
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4. फिट शरीर एवं चेहरे के भाव -
लय ताल की समझ के साथ मंच पर परफॉर्म करते समय चेहरे पर सम्पूर्ण भाव होने आवश्यक है। दृश्य या गीत के बोल के अनुरूप चेहरे के भाव होने चाहिए तभी आपका परफॉरमेंस प्रभावी होगा। मानवीय भावनाओं को चेहरे के एक्सप्रेशंस द्वारा व्यक्त करने की प्रैक्टिस जरूरी है।
इसके अलावा नृत्य के लिए काफी उर्जा (energy) की आवश्यकता होती है जो शरीर के फिट रहने से ही आती है। वैसे तो नृत्य अपने आपमें सम्पूर्ण व्यायाम है, परन्तु फिट रहने के लिए एरोबिक के साथ योग और ध्यान का सहारा लिया सकता है. जो शारीरिक लाभ के साथ मानसिक स्वास्थ्य बनाये रखने में उपयोगी होगा।
डांसिंग के क्षेत्र में यहां बना सकते हैं करियर -
1. डांस स्कूल --
किसी डांस स्कूल में डांस टीचर बन कर काम शुरू करें। वहां आप स्कूल संचालन का ढंग समझ पाएंगे।जिससे आगे चलकर स्वयं का डांस स्कूल खोल सकते हैं। या फिर आप चाहें अलग-अलग उम्र के लोगों को डांस सिखा सकते हैं, उन्हें प्राइवेट कोचिंग दे सकते हैं।
यह काम अपने घर से शुरू सकते हैं। बाद में संख्या बढ़ने पर बड़ा हॉल किराये से लिया जा सकता है। लोगों के घर जाकर डांस सिखाने में अधिक पैसे मिलेंगे। थोड़ा नाम होने के बाद सेलीब्रिटी डांस ट्रेनर भी बन सकते हैं।
2. स्टेज परफॉर्मेंस दे सकते हैं -
देश विदेश में डांस परफॉर्म करने वाले बहुत से ग्रुप होते हैं, जिन्हे ज्वाइन किया जा सकता है। यहां लाइव शो में परफॉर्म करना होता है, इससे स्टेज फियर भी दूर होगा और कुछ कमाई भी शुरू हो जाएगी। अपना ग्रुप बनाकर टीवी डान्स शो में भी भाग ले सकते हैं। आजकल शादियों में संगीत कार्यक्रम अनिवार्य होने लगे हैं। आप चाहें तो इन संगीत कार्यक्रमों और वेडिंग में डांस ग्रुप बनाकर परफॉर्म कर सकते हैं। या अपने ग्रुप को वहां भेज सकते हैं।
3. बॉलीवुड कोरियोग्राफर -
बॉलीवुड में डांस कोरियोग्राफर बनकर नाम और पैसा कमाया जा सकता है। इसके लिए किसी बॉलीवुड कोरियोग्राफर को असिस्ट करना होगा। अगर आपमें योग्यता है और अपने काम को धैर्य के साथ सही तरीके से करेंगे तो लोगों का ध्यान आपकी ओर जायेगा।कुछ दिन असिस्ट करने के बाद किसी फिल्म प्रोडक्शन हाउस की तरफ से कोई गाना choreograph करने का मौका मिल सकता है। अगर आपका गाना हिट हुआ तो मौके मिलते जाएंगे।
इसके अलावा विभिन्न कला केन्द्रों, दूरदर्शन, और शैक्षणिक संस्थानों में डांसर्स की नियुक्ति की जाती है। टीवी स्टूडियो से जुड़कर भी करियर की शुरुआत की जा सकती है। इन दिनों कई बड़ी कंपनियां डांस के प्रोग्रामों को sponsor और promote करने लगी हैं, जिससे डांसिंग एक आकर्षक career बनता जा रहा है।
तन-मन को रिलैक्स करना है तो अपने नृत्य में डूबकर आनंद लीजिए क्योकि नृत्य ऐसी कला है, जो हमें भगवत्ता के करीब ले आती है।
इस लेख "Dance me career kaise banaye" के बारे में अपनी रॉय बताना न भूलें और पसंद आने पर इसे शेयर करें। हमें e-mail subscribe करें जिससे इस वेबसाइट में आने वाली पोस्ट की जानकारी आपको email द्वारा मिल सके।
By Vishwanath Pathak at 3:50 PM
Very useful and knowledgable article |
महाराष्ट्र: शिवसेना-एनसीपी की सरकार बनाने की तैयारी – लोकभारत
मुंबई। महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने से इंकार करने के बाद अब बीजेपी का विपक्ष में बैठना तय माना जा रहा है। वहीँ अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं।
बीजेपी द्वारा सरकार बनाने से इंकार किये जाने के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है। संजय राउत ने कहा कि ‘उद्धव जी ने साफतौर पर कहा है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा, यदि उन्होंने कहा है तो हर कीमत पर मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा।’
वहीँ इससे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस प्रभारी और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है और यही फैसला हमारा है।
उन्होंने कहा कि कुछ बयानों में कांग्रेस के शिवसेना को समर्थन देने की बात सामने आ रही है और कुछ इससे इंकार कर रहे हैं लेकिन इन बयानों में कोई सच्चाई नहीं है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। ऐसे में अकेले सरकार बना पाना किसी भी पार्टी के लिए सम्भव नहीं है। बीजेपी शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों दलों के बीच में मुख्यमंत्री पद को लेकर रार पैदा हो गयी।
हालाँकि शिवसेना की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उसे महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिलेगा। हालाँकि कांग्रेस और एनसीपी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर शिवसेना को समर्थन देने की बात नहीं कही है।
ऐसे में देखना होगा कि क्या राज्यपाल कोश्यारी शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता देंगे? यदि ऐसा होता है तो शिवसेना को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस समर्थन देते हैं अथवा नहीं।
Tagged BJP, Maharashtra, Sanjay Raut, Shiv Sena |
काव्यांजलिका दर्पण:-: स्वामी विवेकानन्द महान।
इसीलिए था विश्वगुरु, तब इस पर क्यों न करें अभिमान ?
*ग्रहण लगा था विश्वगुरु को, और मानवता जब थी बन्दी।
आतताइयों के कृत्यों से जब यह धरा हुई सारी थी गन्दी।
मौनी बाबा सत्य न कहता, आश्वासन के पाखंड दिखाता है।
तभी हैं ऐसे दुरदिन ये आये, कि सारा देश हुआ परेशान।
Posted by Tilak Relan at 10:43 AM
Labels: कविता, तिलक, धर्म, परम्पराएँ, मान्यताएं, संस्कृति, स्वामी विवेकानंद |
चीन निकला हुआ किनारा पर Class150 पर्ची निर्माता और आपूर्तिकर्ता और फैक्टरी
निकला हुआ किनारा पर Class150 पर्ची - निर्माता, कारखाने, आपूर्तिकर्ता चीन से
(निकला हुआ किनारा पर Class150 पर्ची के लिए कुल 24 उत्पादों) |
ये हैं टॉप 10 Google Chrome Extension - CCM
10 best Chrome extensions ke bare me janiye
ताजा अपडेट: 2 जनवरी, 2020 - 01:08 अपराह्न पर रत्नेंद्र अशोक ने किया.
वैसे तो Google Chrome एक बेहतरीन ब्राउजर है. लेकिन यदि आप इससे भी आगे कुछ और अच्छा चाहते हैं तो जान लें कि ऐसे कई एक्सटेंशन हैं, जिन्हें आप आजमा सकते हैं. ये ऐसे एक्सटेंशन हैं जो आपको कस्टमाइज करने में मदद करेंगे और इंटरनेट पर आपके काम और फुर्सत के पल, दोनों को बेहतर बनाएंगे.
अलग अलग फंक्शन के लिए अगल अलग और बहुत सारे एक्सटेंशन हैं. आज हम आपको वैसे टॉप 10 क्रोम एक्सटेंशन के बारे में बताएंगे जिनके बारे में हमें लगता है कि आपको जरूर जानना चाहिए. ये ब्राउजर कस्टमाइजेशन की इस दुनिया को एक्सप्लोर करने के लिए बेहद जरूरी हैं. इन्हें अच्छी तरह समझने के लिए हमने इन्हें तीन खांचों में बांटा है: इंटरनेट सेक्योरिटी, वर्क ट्रिक्स और कल्चर एंड लेजर.
इनमें से कुछ क्रोम के अलावा दूसरे ब्राउजर्स के साथ भी कम्पैटीबल हैं. इन्हें आजमाने में संकोच ना करें. आप पाएंगे कि एक साधारण एक्सटेंशन आपकी जिंदगी कितनी आसान बना देता है. तो चलिए इन्हें जानते हैं!
इंटरनेट सुरक्षा की बात आती है तो DuckDuckGo एक्सटेंशन खास है. ये आपके हर इंटरनेट सर्च की पूरी प्राइवेसी की गारंटी देता है. आपको बस ये करना है कि आप जिन पेजेज पर जाते हैं, उनके साथ एक एनक्रिप्टेड गूगल क्रोम कनेक्शन जेनरेट कीजिए. इससे होगा ये कि आपका डेटा सेव नहीं होगा. और नेटवर्क से आप हिडेन ट्रैकर्स को ब्लॉक कर पाएंगे.
DuckDuckGo का अपना ब्राउजर है. इसमें बहुत एंडवांस्ड सेक्योरिटी फीचर्स हैं. लेकिन यदि आप Chrome जैसी दूसरी सर्विस को इस्तेमाल करना जारी रखना चाहते हैं, तो पूरक के रूप में ये एक्सटेंशन है. इसे आप descargar यहां से डाउनलोड कर सकते हैं. .
क्लिक एंड क्लीन
Click & Clean एक एक्सटेंशन है, जिसे आप descargarte यहां से डाउनलोड कर सकते हैं. फिर इसे इंस्टॉल कीजिए ताकि ये Google Chrome में आपकी हर गतविधि को क्लीन करता चले. इसका मकसद आपकी ऑनलाइन प्राइवेसी को जितना संभव हो, बचा कर रखना है. इसके लिए आप एक्सटेंशन को कंफिगर कर सकते हैं. इससे वो ऑटोमैटिकली सारे स्टोर किए गए कूकीज, कैचे और हिस्ट्री को आपके हर बार ऑनलाइन होने के बाद डिलीट करता रहेगा.
साथ ही, आप इसका इस्तेमाल इंटरनेट का इस्तेमाल करते वक्त कंप्यूटर पर डाउनलोड हुए मालवेयर की मौजूदगी के बारे में खोजबीन कर बताने में कर सकते हैं. यहां तक कि ये आपके कंप्यूटर की मेमोरी को क्लीन कर स्पेस फ्री करेगा.
FlowCrypt ऐसा एक्सटेंशन है जो Gmail की ओर से भेजे गए सभी कंटेन्ट के अधिकतम सुरक्षा की गारंटी देता है. ये ईमेल्ड और अटैचमेंट के एनक्रिप्शन के लिए जिम्मेदार होता है. रिसीवर उन्हें केवल ओपन कर सकता है, यदि उसने भी इस एक्सटेंशन को इंस्टॉल कर रखा है. आप इसे descargarla aquí से डाउनलोड कर सकते हैं.
वर्क ट्रिक्स
Chrome Remote Desktop का इस्तेमाल Google Chrome के जरिए अपने कंप्यूटर को रिमोटली यानी दूर से एक्सेस करने के लिए किया जाता है. यदि आप इस एक्सटेंशन को इंस्टॉल करते हैं तो आप किसी भी दूसरी डिवाइसेज से अपने सिस्टम को एक्सेस कर सकते हैं. आप इससे न केवल ब्राउजर, बल्कि कंप्यूटर फाइल्स को भी एक्सेस कर पाएंगे.
इससे आराम से काम करने के लिए आपको आपके कंप्यूटर पर ये एक्सटेंशन इंस्टॉल होना चाहिए. साथ ही, ये एक्सटेंशन उस डिवाइस पर भी इंस्टॉल होना चाहिए जिसे आप दूर से एक्सेस करना चाहते हैं. इसमें वेरिफिकेशन कोड के साथ सेक्योरिटी सिस्टम मौजूद है, ताकि अजनबियों के कनेक्शन से बचा जा सके. इसे टेस्ट करना चाहते हैं तो descargarla यहां से डाउनडो कीजिए.
इंटरनेट अनंत छोर तक फैली इस दुनिया की खिड़की है. और हम ये भी जानते हैं कि एकाग्रचित्त ना होना या एक जगह ध्यान ना केंद्रित कर पाना आपका सबसे बड़ा दुश्मन है. यही वजह है कि हमने आपके लिए Forest को चुना है. ये ऐसा एक्सटेंशन है जो मौजूदा समय में आपको एकाग्रचित्त बनाएगा. कैसे? बहुत आसान है. ये आपके लिए "blacklist" तैयार करेगा. इसमें आप उन पेजेज को ब्लॉक कर देंगे जिनसे आपकी एकाग्रता सबसे ज्याद भंग होती है. अब ये आपको तय करना है कि कौन से पेजेज को आप कुछ दिनों के लिए खुद से दूर रखना चाहते हैं, और कितने समय के लिए दूर रखना चाहते हैं. ऐसा करने से आप जो भी करना चाहते हैं, उसमें पूरा मन लगा पाएंगे. अपने काम को तय समय में अच्छे से खत्म कर पाएंगे और फिर आराम का वक्त भी पा सकेंगे. इसे आप Descarga यहां से डाउनलोड कर सकते हैं..
ग्रामैरली फॉर क्रोम
Grammarly for Chrome एक ऐसा एक्सटेंशन है जो खासतौर से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो लगातार, या कभी कभी अंग्रेजी में काम करते हैं. ये एक टेक्स्ट रिव्यूवर है. आप अपने Google ब्राउजर में जिस पेज पर अंग्रेजी में लिखते हैं, ये उसी पर काम करता है. आपने जो भी अंग्रेजी में लिखा है, ये उसमें मौजूद व्याकरण की गलतयां और पंक्चुएशन से जुड़ी गड़बड़ियां बताता है. ये एक फ्री और पेड वर्जन है. इसमें बेहद उन्नत टेक्स्ट फंक्शन है. आप इसे Puedes descargarla यहां से डाउनलोड कर सकते हैं.
इंटरनेट पर मौजूद विविध भाषाओं को देखते हुए हम Google के इस बेसिक एक्सटेंशन: Translator को कैसे भूल सकते हैं. यदि आप इसे इंस्टॉल करना चाहते हैं तो descargar यहां से डाउनलोड कीजिए. गूगल ट्रांसलेटर सिंगल क्लिक में आपके पूरे टेक्स्ट को एक साथ कई भाषाओं में अनुवाद कर देता है. आप चाहें तो टेक्स्ट सलेक्ट करके उसे ट्रांसलेट के लिए बुकमार्क कर सकते हैं. जैसे कि एक पैराग्राफ, या एक कहावत, या पूरा का पूरा वेब पेज.
कल्चर एंड लेजर
गूगल आर्ट्स एंड कल्चर
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Do not become ‘God’ Mr Supreme Court, do justice: ‘भगवान’ मत बनिये मि. सुप्रीम कोर्ट, न्याय कीजिए – Hindi Samachar : Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi
Home संपादकीय पल्स Do not become ‘God’ Mr Supreme Court, do justice: ‘भगवान’ मत बनिये मि. सुप्रीम कोर्ट, न्याय कीजिए
विकास हो या नियम, दोनों के नाम पर होने वाले अन्याय और अत्याचार लोगों को व्यवस्था भंग करने के लिए मजबूर करते हैं। देश में पनपे नक्सली आंदोलन और आतंकवाद की जड़ को जब हम खंगालते हैं, तो यह बात सामने आती है। व्यवस्था और नियमों के नाम पर जब हमने आदिवासियों-गरीबों के जीवन से खिलवाड़ किया तब वे हिंसक हुए। आतंकवाद के मूल में वे घटनाएं हैं, जिनको लंबे वक्त तक पनपाया गया। उससे तंग होकर पीड़ितों ने हथियार उठाए। उनके बाद वाली पीढ़ी ने इसे ही अपनी नियति समझ लिया, क्योंकि अदालतों ने उनसे इंसाफ नहीं किया। जब तक इस रोग का समुचित उपचार नहीं होगा, कोई बड़ा नतीजा नहीं निकल सकता। हाल के दिनों में जो घटनाएं हुई हैं, वे सिर्फ चिंताजनक ही नहीं, भविष्य में खतरे के बढ़ने की ओर इशारा कर रही हैं। जरूरत अन्याय, अत्याचार और शोषण रोककर इंसाफ करने की है। दुख तब होता है, जब इस काम को न सरकारें सही तरीके से करती हैं और न हमारी अदालतें। दोनों संस्थाओं में समाज की आखिरी पंक्ति के लोगों के लिए कुछ नहीं है। साधन संपन्नों और कारपोरेट को खुश करने के लिए वह किया जा रहा है, जिसको रोकना ही इनकी जिम्मेदारी है।
आप सोचेंगे कि हम इस तरह की चर्चा क्यों कर रहे हैं, तो बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने एक एनजीओ (जो कथित रूप से जल जंगल की रक्षा करना चाहता है) ने जनहित याचिका के जरिए मांग की कि लंबे समय से जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के कब्जे से जंगल को मुक्त कराया जाए। उसने इसके लिए वन अधिनियम का सहारा लिया। सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को अनुसूचित जनजाति एवं परंपरागत वन निवास (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के तहत जंगलों में रहने वाले 11 लाख आदिवासियों को बेदखल करने का आदेश दिया। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस अरुण सिन्हा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने लिखित आदेश 20 फरवरी को जारी किया, जिसमें राज्य सरकारों को उन आदिवासियों को बेदखल करने का आदेश दिया है जिनके दावे खारिज कर दिए गए हैं। याचिका में एनजीओ ने मांग की थी कि उन सभी आदिवासियों को जंगल से बेदखल कर दिया जाए, जिनके पारंपरिक वनभूमि पर दावे वन अधिकार कानून के तहत खारिज हो जाते हैं। मोदी सरकार को आदिवासियों के हित और अपने कानून के समर्थन में पैरवी करनी थी, जो उसने नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वत: इस पर कोई भी कदम उठाने के बजाय देश के 20 राज्यों के जंगलों में रहने वाले 11 लाख से अधिक लोगों को वहां से बेदखल करने का आदेश पारित कर दिया। पीड़ित आदिवासियों का पक्ष रखने वाला कोई नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट लाखों जंगलवासियों को बेदखल करने का आदेश देते वक्त यह भूल गया कि वह भी संविधान के तहत मिली शक्तियों से युक्त न्याय के नाम पर अभिजात्य होने का लुत्फ उठा रहा है। कोई भी कानून, संविधान की मूल अवधारणा और मौलिक अधिकारों से ऊपर नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने विधाता बनकर फैसला सुना दिया। वे यह भी भूल गए कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के हर नागरिक को जीवन का अधिकार है। नागरिकों को उनके मूल अधिकार से वंचित करने की शक्ति किसी में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस माकंर्डेय काटजू ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बेहद दुखी हूं। 11 लाख आदिवासियों को जंगलों से भी भगाया जा रहा है। वे अब कहां जाएंगे? क्या उन्हें समुद्र में फेंक दिया जाएगा या गैस चैंबर में डाल दिया जाएगा? क्या वन अधिनियम, संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकार के अनुच्छेद 21 के ऊपर है? काटजू कहते हैं कि जज साहबान आर्टिकल 21 क्यों भूल गए, जिसमें संविधान हम सभी को जीने का अधिकार देता है? जस्टिस काटजू के सवाल और गुस्सा बेवजह नहीं है। देशवासी जानते हैं कि कारपोरेट अपने फायदे के लिए कुछ भी करता है। तमाम एनजीओ उसके इशारे पर काम करते हैं। माना जाता है कि इस वक्त सरकारें भी कारपोरेट घराने चला रहे हैं। जो सदैव से जल, जमीन और जंगल पर काबिज होना चाहते हैं।
समस्या यहीं है। हाल के दिनों में पुलवामा में दर्दनाक हादसा हुआ। सरकार कहती है कि एक स्थानीय युवक आतंकी संगठनों का टूल बन गया। उसने आरडीएक्स से लदी कार को सुरक्षा बल की बस में टकरा दी। आखिर ऐसा क्या हो गया है कि कश्मीर का हर तीसरा युवा बागी हो रहा है? उसके मन में भारत के शेष लोगों के प्रति गुस्सा क्यों है? यह एक दिन की कहानी नहीं है। इसका कारण लंबे वक्त तक सैन्य बलों और सरकार की वे नीतियां, कार्यकलाप हैं, जिन्होंने कश्मीरियों के जीवन में जहर बोया है। उनकी संपत्तियों पर कब्जे के लिए कारपोरेट ऐसे साजिशें रचता रहा है, जिससे उसे कश्मीर की अकूत प्राकृतिक संपदा पर मालिकाना हक मिले। संविधान के अनुच्छेद 370 के कारण यह नहीं हो पाया। 1990 में जनता दल सरकार के दौरान उन कश्मीरी पंडितों को बेदखल कर भगा दिया गया जो कश्मीरियत का मूल थे। आस्थिर सरकारों और कश्मीरी अलगाववाद के समर्थक मुफ्ती मोहम्मद सईद के गृह मंत्री बनने से हालात और बिगड़े। नरसिम्हां राव सरकार में इसे संभालने के नाम पर कारपोरेट को कश्मीर में प्रवेश देने की शुरूआत हुई, जो अब तक जारी है। मालिकाना हक न होने के कारण कारपोरेट को दिक्कत है। जिससे सरकार अनुच्छेद 370 खत्म करने के लिए जनमत बनाने में लगी है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि कश्मीर में सरकार ने कुछ ऐसा नहीं किया कि कश्मीरियों में भारतीय होने का गर्व पैदा हो। न ही कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने की कार्ययोजना पर काम किया गया।
यह देखने में आ रहा है कि न्यायपालिका मूल कार्यों से अधिक कार्यपालिका के कार्यों में रुचि ले रही है। सुप्रीम कोर्ट भी अपने संवैधानिक दायित्वों और सीमाओं में काम करने के बजाय शक्ति केंद्र बनने के लिए काम करता दिखता है। नतीजतन वह मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के बजाय अपने निजी हितों को साधने में लगे हैं। सरकारें और कारपोरेट मिलकर उसे संचालित करते दिखते हैं। सियासी दलों की महात्वाकांक्षाओं की पूर्ति में न्यायपालिका अहम भूमिका निभाने लगी है। यह चिंता का विषय है। शायद तभी अब लोगों के दिलों से न्यायपालिका के प्रति सम्मान कम होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तियों को इस दिशा में गंभीर चिंतन करना होगा, नहीं तो वे भी दूसरी संस्थाओं की तरह बेइज्जत होते दिखेंगे।
Tagsविकास हो या नियम दोनों के नाम पर होने वाले अन्याय और अत्याचार लोगों को व्यवस्था भंग करने के लिए मजबूर करते हैं
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बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहकों के लिए खुशखबरी -
बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहकों के लिए खुशखबरी
Publish Date: 12-01-2018 / 8:59 PM
Update Date: 12-01-2018 / 8:59 PM
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि जो सेवाओं अभी नि:शुल्क हैं 20 जनवरी के बाद भी वे फ्री रहेंगी और कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डी.बी महापात्रा ने शुक्रवार को संवाददाताओं से चर्चा में यह स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि सभी सरकारी बैंक राष्ट्र सेवा और देशवासियों की सेवा में लगे हुए हैं।
इसके मद्देनजर देशवासियों पर बैंकिंग सेवाओं को लेकर कोई भी अतिरिक्त प्रभार नहीं लगाया गया है। सभी सरकारी बैंकों में 20 जनवरी से किसी भी नि:शुल्क सेवा को शुल्क में दायरे में नहीं लाया जा रहा है।
इस संबंध में वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने भी बैंकों से जानकारी ली है और उन्होंने भी ट्वीट के जरिये यह साफ किया है कि 20 जनवरी से कोई भी सरकारी बैंक नि:शुल्क सेवाओं को समाप्त नहीं कर रहा है और इन सेवाओं पर शुल्क नहीं लगा रहा है।
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500 रुपए के नोट से नाक-मुंंह पोंछते हुए फैलाना चाहता था कोरोना वायरस, पुलिस ने किया ऐसा हाल
मुखपृष्ठNews500 रुपए के नोट से नाक-मुंंह पोंछते हुए फैलाना चाहता था कोरोना वायरस, पुलिस ने किया ऐसा हाल
कोरोना वायरस के खिलाफ पूरा देश एक जुट होकर लड़ रहा है, लेकिन कुछ लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा ही एक सनसनीखेज घटनाक्रम महाराष्ट्र से सामने आया है। यहां एक शख्स वीडियो में 500-500 रुपए की नोट हाथ में लिए नजर आ रहा है। इन नोट को वह अपने मुंह और नाक पर पोंछ रहा है और कोरोना वायरस को लेकर टिप्पणी कर रहा है।
साथ ही धार्मिक भावनाएं भड़काने वाली बात कह रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस को शिकायत की गई। कहा गया कि यह शख्स नोट के जरिए कोरोना वायरस फैलाना चाहता है। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
वीडियो में नजर आ रहा शख्स महाराष्ट्र के मालेगांव का बताया जा रहा है। उसने टिकटॉक पर वीडियो बनाया है। शख्स का नाम सय्यद जलील बताया गया है। शिकायत मिलते ही पुलिस हकत में आई। लोगों ने आशंका जताई कि कहीं यह कोरोना वायरस पीड़ित तो नहीं है और बीमारी दूसरे लोगों को फैलाने के लिए ऐसा कर रहा है। पुलिस ने गिरफ्तार कर धारा 153 और 188 के तहत केस दर्ज कर लिया है। |
नारी बंदी निकेतन,लखनऊ में निरूद्ध महिला बंदियों को गृह अवकाश की स्वीकृति कें सम्बन्ध में।
मुखपृष्ठकारागार प्रशासन एवं सुधार
नारी बंदी निकेतन,लखनऊ में निरूद्ध महिला बंदियों को गृह अवकाश की स्वीकृति कें सम्बन्ध में।
कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग / कारागार प्रशासन एवं सुधार अनुभाग-3
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हेडली, इशरत व भारतीय पाखंड
Home > संवाद > हेडली, इशरत व भारतीय पाखंड
Published: 2016-09-16 16:07:28.0Updated:2016-02-23T11:00:00+05:30
डेविड कोलमैन हेडली की गवाही के साथ इशरतजहां का मामला फिर से हमारी स्मृति में लौट आया है। इशरतजहां की कहानी में तीन पहलू बेहद अहम हैं। सबसे पहले उन्हीं पर बात। पहला तो यह कि इशरत और जिन अन्य को मारा गया उनके आतंकियों के साथ मजबूत रिश्ते थे, संभवत: लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संग। दूसरा, उनकी हत्या सुनियोजित मुठभेड़ में की गई, जिसका तानाबाना खुफिया ब्यूरो (आईबी) और गुजरात पुलिस ने बुना। तीसरा यह कि भले ही यह मुठभेड़ (15 जून, 2004) संप्रग राज में हुई और आईबी के अगले छह निदेशक उसी सरकार ने नियुक्त किए लेकिन उसने कई वर्षों बाद मुठभेड़ को तब फर्जी और इशरत को निर्दोष बताना शुरू किया,जब उसके लिए गुजरात से सियासी चुनौती बड़ी होती गई।
जब अमेरिका में हेडली से पहली पूछताछ में एनआईए ने उसके ब्योरे को पेश किया तो यह राजनीतिक बवंडर खड़ा हो गया कि इशरत लश्कर से जुड़ी थी और अपना मिशन पूरा नहीं कर पाई। संदर्भ हटा दिए गए, उन्हें निरस्त और खारिज कर दिया गया। अब हेडली अपने 2010 के बयान को ही दोहरा रहा है। हेडली के दावों से तीन विवादित तस्वीरें उभर रही हैं।
पहली उसका दावा एकदम खोखला है। वह दोषी है। साथ ही ऐसा दोहरा एजेंट रहा है, जिसने अमेरिकी और भारतीय कानून में टाडा अदालत से माफी के जरिए राहत पाई है। इशरत के बारे में उसका बयान राजग सरकार द्वारा दी गई माफी के बदले एहसान भी हो सकता है। लिहाजा, उनकी मूल धारणा में कोई बदलाव नहीं आया है कि इशरत निर्दोष थी, जो फर्जी मुठभेड़ की भेंट चढ़ गई।
दूसरा, अब तमाम सबूत बोलते हैं कि इशरत लश्कर की सक्रिय सदस्य थी और अगर पुलिस ने उन लोगों का उड़ा दिया तो इसमें क्या समस्या है, आपको आतंकियों से सक्रियता के साथ निपटने की दरकार है।
तीसरी तस्वीर नागरिक अधिकारवादियों का यह सुविधाजनक पहलू कि अगर वह आतंकी थी भी, तो क्या? क्या इससे फ़र्जी मुठभेड़ को वैधता मिल जाती है?
इन सभी तस्वीरों के तर्क भारी पड़ते हैं लेकिन ये तथ्य और नैतिकता के आधार पर दोषपूर्ण भी हैं। चलिए उन शुरुआती तीन पहलुओं के संदर्भ में इन्हें कसौटी पर कसते हैं। पहला यह कि संप्रग शासन के दौरान खुफिया हलकों में यह मान लिया गया था कि इशरत एलईटी की सदस्य थी। उस गिरोह को सुनियोजित मुठभेड़ में मार गिराया गया, जो आतंक से निपटने की कवायद के 'अनुरूप' ही था। असल में संप्रग के दूसरे कार्यकाल में ही यह शुरू हुआ, जब सरकार को गुजरात से चुनौती कड़ी होती दिखी और उसके मोदी, शाह और उनके सक्रिय पसंदीदा पुलिसकर्मियों पर उनके विशेष परिचालन समूहों ने सक्रियता बढ़ा दी और 'फर्जी मुठभेड़' पर मातमपुर्सी का सिलसिला शुरू हुआ। इसके दोहरे मकसद थे। एक तो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की जड़ें काटना और दूसरा मुसलमानों को पीडि़त के तौर पर पेश कर चुनावी फायदा उठाना।
मई, 2004 में सत्ता संभालने के कुछ हफ्तों के भीतर ही संप्रग ने अपना पहला आईबी निदेशक नियुक्त किया और अगले प्रमुख के तौर पर अजित डोभाल जैसे तेजतर्रार शख्स को चुना। तब खुफिया ब्यूरो एमके नारायणन की अगुआई में चल रहा था और करीब एक दशक तक ऐसे ही चला। आईबी में नारायणन की तुलना में कोई भी उतना परिचित, सम्मानित और प्रशंसनीय अधिकारी नहीं हो सकता था और साफ कहूं तो हमने कभी उन्हें इशरत को निर्दोष, मुठभेड़ को फर्जी बताने या आईबी की गुजरात इकाई के प्रमुख संयुक्त निदेशक (पुलिस महानिरीक्षक के समकक्ष) राजेंद्र कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने का समर्थन करते नहीं सुना। हालांकि डोभाल सहित कोई आईबी प्रमुख कितना ही (खुराफाती) यह कुछ अनुपयुक्त अनुवाद है इसे साधन संपन्न और बेहद सक्रिय समझिए, क्यों न हो, कोई नारायणन से आगे नहीं हो सकता।
वास्तव में जब अदालती दखल और शीर्ष राजनीतिक स्तर पर संप्रग के फैसले से मुठभेड़ सुर्खियों में लौटी और राजेंद्र कुमार को लपेटा जाने लगाए जब देश में पहली बार आईबी के किसी अधिकारी के साथ ऐसा सुलूक हो रहा था तो संगठन के अंदरूनी ढर्रे की परतें खुलनी लगीं, जिससे सुरक्षा हलकों में बेचैनी बढ़ गई। तमाम वयोवृद्ध दिग्गजों सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इसका विरोध किया और तर्क दिया कि यह बेहद जोखिमभरा है और ऐसी मुठभेड़ें का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए
मगर सियासत इस पर हावी हो गई। एक स्तर पर यह सीबीआई बनाम आईबी की लड़ाई बन गई। दूसरी ओर कांग्रेस के विशेष परिचालन समूह के सदस्यों ने नए सिद्धांत गढ़ लिए, जैसे कि कुमार और नरेंद्र मोदी का (नजदीकी याराना) रहा है और जब मोदी हिमाचल में भाजपा के प्रभारी थे तो चंडीगढ़ में आईबी की कमान संभाल रहे कुमार के साथ उनकी करीबी बढ़ी। यह खोज करने में संप्रग को एक दशक, तीन गृह मंत्री और पांच आईबी प्रमुख लग गए।
अब यह खुलासा हो चुका है और कांग्रेस को नहीं पता कि उसे कहां मुंह छिपाना है। यह किसी से छिपा नहीं रहा कि सुरक्षा संबंधी सभी खतरों से निपटने में कांग्रेस खासी क्रूर रही है। वर्ष 1984 से 1993 के दरमियान उसने बेमिसाल एकनिष्ठता के साथ गुप्त तरीके से पंजाब में अलगाववाद को नेस्तनाबूद किया। अगर विशाल भारद्वाज की 'हैदर' में नब्बे के दशक की शुरुआत के दौरान कश्मीर में आतंक विरोधी गतिविधियों से निपटने की हृदय विदारक तस्वीर ने आपको विचलित किया हो तो याद रखिए कि यह सब नरसिंह राव की 'कमजोर' और अल्पमत वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हो रहा था। इसलिए कांग्रेस के लिए सीधा जवाब यही होगा कि देखो इस मसले पर कौन आवाज उठा रहा है।
सबसे बेवकूफाना तर्क यह है कि भाजपा ने हेडली को माफी दी और इशरत को लेकर उसका दावा सौदेबाजी का हिस्सा है। हेडली को लेकर सौदेबाजी संप्रग के समय में ही शुरू हुई थी।
अगर आपको संदेह है तो तत्कालीन अमेरिकी राजदूत टिम रोमर की नारायणन से बातचीत के लीक अमेरिकी केबल पर गौर कीजिए, जिसमें वह कहते हैं कि भारत खुद को ऐसे पेश नहीं कर सकता कि वह प्रत्यर्पण से पीछे हट रहा है, लेकिन फिलहाल इसे नहीं उठाएगा। स्वाभाविक रूप से रोमर इशारा करते हैं कि अमेरिकी कानून में अगर किसी को दोषी ठहराया जाता है तो जब तक सजा पूरी न हो जाए, उसका प्रत्यर्पण नहीं हो सकता और यह मामला 35 साल की सजा से जुड़ा है। लिहाजा, भारतीय माफी महज औपचारिकता है।
नागरिक अधिकारवादियों का मामला ज्यादा पुख्ता है, खासतौर से जब वे यह कहते हैं कि अगर वह आतंकी थी भी तो क्या। कोई भी कानून फर्जी मुठभेड़ों को वैधता नहीं देता। यह सर्वमान्य है। भाजपा का तर्क है कि आतंकियों को किसी भी सूरत में ठिकाने लगाया जा सकता है, भले ही वह नैतिक और कानूनी रूप से गलत हो। सवाल है कि क्या इशरत मामला फर्जी मुठभेड़ है।
फर्जी और वास्तविक मुठभेड़ों (बटला हाउस मुठभेड़ भी संप्रग के दौर में हुई) के अलावा एक तीसरी और प्रचलित श्रेणी है।
खुफिया लोगों ने सबसे अशिष्ट चीज के लिए बेहद शिष्ट शब्द गढ़ा है। इसे वे निर्देशित हत्या का नाम देते हैं। इशरत मुठभेड़ न तो वास्तविक थी और न ही फर्जी। मेरे नजरिए ये यह नियंत्रित हत्या थी। अगर आतंकी खतरों के बढऩे से ऐसी और हत्याएं जरूरी हैं तो आपको भी अमेरिका की तरह कानूनी ढांचा बनाना होगा। या फिर स्कैंडेनेवियाई देशों की राह चलना होगा। अगर इस अवैध और अनैतिक कृत्य को लेकर आप असंतोष जताते हैं तो आपको इसकी शुरुआत कुछ पहले से करनी होगी और अगर 1968-71 के दौर वाले नक्सली अध्याय से नहीं तो 1984-93 के पंजाब से ही सही। आप इशरत पर भी नहीं रुक सकते। क्या संप्रग के राज में किसी आजाद नाम के माओवादी पर कोई हंगामा हुआ, आजाद भारत में किसी अन्य की तुलना में कांग्रेस के राज में ही सबसे ज्यादा नियंत्रित हत्याएं हुईं। असंतोष जताने के लिए सुविधावादी नहीं हुआ जा सकता। |
इस नेता का बड़ा बयान, कहा पीएम मोदी करते है कपड़ों से...इनकी पहचान
Saturday , April 4 2020 16:41
इंदौर में एक सभा को संबोधित करते हुए विजयवर्गीय ने कहा, “मेरे घर में हाल ही में निर्माण कार्य चल रहा था। इस दौरान मेरे यहां काम कर रहे मजदूर जब खाना खाने बैठे तो मुझे उनके खाना खाने का तरीका कुछ अजीब लगा।
वे सभी पोहा खा रहे थे। मैंने उनके सुपरवाइजर से पूछा कि ये लोग बंगलादेशी हैं क्या? इसके बाद वे मजदूर काम पर ही नहीं आए।”
बता दें कि असम में NRC के खिलाफ हुए हिंसात्मक प्रदर्शन के दौरान पीएम मोदी झारखंड में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मंच से उन्होंने कहा था कि देश में आग कौन लोग लगा रहे हैं, यह उनके कपड़ों से पता चल जाता है।
पीएम मोदी ने कहा था, “ये कांग्रेस और उसके साथी हो-हल्ला मचा रहे हैं, तूफान खड़ा कर रहे हैं. उनकी बात चलती नहीं है तो आगजनी फैला रहे हैं. ये जो आग लगा रहे हैं, टीवी पर जो उनके दृश्य आ रहे हैं, ये आग लगाने वाले कौन हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है।”
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन जारी है। पिछले दिनों पीएम मोदी ने कहा था कि जो लोग देश में आग लगाते हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है कि वे कौन लोग हैं।
अब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, “मेरे घर में काम कर रहे मजदूरों के पोहा खाने के तरीके से मैं समझ गया कि वह बांग्लादेशी हैं।”
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दर्शनशास्त्र एक विज्ञान है जिसका जन्म हुआउम्र की गहराई। यह हर समय महत्वपूर्ण और प्रासंगिक था। स्वाभाविक रूप से, दर्शन अभी भी इसकी लोकप्रियता खो नहीं है। और आजकल इसमें मनुष्य के स्थान और उससे संबंधित मामलों में शामिल महान विचारक शामिल हैं। आधुनिक दर्शन में काफी बदलाव आया है, लेकिन इसका अर्थ नहीं खो गया है। आइए सभी सुविधाओं को और अधिक विस्तार से देखें।
हमारे समय का दर्शन हैसभी प्रकार के अभ्यास का एक सेट। यह एक अभिन्न दुनियादृश्य नहीं है, लेकिन बारहमासी मुद्दों के लिए विभिन्न दृष्टिकोण हैं। आधुनिक दर्शन पहले की तुलना में अधिक सहनशील है। अब व्यक्ति को चुनने का पूरा अधिकार है। एक आधुनिक व्यक्ति खुद को तय कर सकता है कि दुनिया का क्या विचार है और इसमें किसी व्यक्ति की जगह उसके करीब है। साथ ही, एक व्यक्ति अपनी वैचारिक स्थिति की पसंद के लिए पूरी ज़िम्मेदारी लेता है।
आधुनिक दर्शन ने निर्माण करने से इंकार कर दियाकोई सटीक सिस्टम। विचारक दृढ़ निष्कर्ष पर पहुंचे कि न तो मूल पैमाने और न ही पूर्ण संदर्भ प्रणाली मौजूद हो सकती है। हमारे समय के दर्शन ने मनुष्य को पूर्ण स्वायत्तता दी है। अब राज्य, विचारकों और समाज के व्यक्ति में अब तक तथाकथित "शिक्षक" नहीं हैं। नतीजतन, उनके जीवन की ज़िम्मेदारी एक व्यक्ति केवल अपने कंधों पर भालू होती है।
आधुनिक दर्शन लगभग पूरी तरह से हैदुनिया और किसी भी सामाजिक संस्थानों को बदलने का विचार छोड़ दिया। विचारकों ने एक और अधिक तर्कसंगत और कुशल तरीके से होने की अपरिपूर्णता को खत्म करने का फैसला किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि एक व्यक्ति को पहले खुद को बदलना चाहिए, और उसके बाद, पूरी दुनिया अनिवार्य रूप से बदल जाएगी।
हालांकि, इस अनुशासन का अपना हैसमस्याओं। कुछ विशेषज्ञ दार्शनिक विचारों के संकट को भी ध्यान में रखते हैं। कारण क्या है? आधुनिक तकनीक हर दिन विकसित हो रही है। जीवन बहुत तेज़ी से बदल रहा है, क्योंकि यह कई क्षेत्रों में वास्तविक सफलता की उम्र है। दर्शनशास्त्र में ऐसी महत्वपूर्ण प्रगति के लिए समय नहीं है। हालांकि, एक व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास इसके सफल गठन पर निर्भर करता है। सभी तकनीकी नवाचारों के साथ, जीवन के अमूर्त पहलुओं के बिना सभ्यता विकसित की जानी चाहिए। यही कारण है कि आधुनिक दुनिया में दर्शन की भूमिका बस विशाल है।
आइए संक्षेप में मुख्य समीक्षा करने का प्रयास करेंइस अनुशासन के निर्देश। सबसे पहले, यह एक विश्लेषणात्मक दर्शन है। इसमें भाषाविज्ञान द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। विश्लेषणात्मक दर्शन ने भाषा को व्यावहारिक रूप से अपनी नींव बना दी है। यह दिशा जीवन के ज्ञान के लिए एक तर्कसंगत, तार्किक, अनुसंधान दृष्टिकोण का पालन करती है।
दूसरा, यह phenomenology है। यह दिशा मानव मनोविज्ञान की गहराई में जाती है। इसके अनुसार, प्रत्येक वस्तु और घटना को किसी भी विशेषताओं के साथ भौतिक वस्तुओं के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। यह याद रखना उचित है कि एक वास्तविक जीवन की चीज़ और किसी व्यक्ति के दिमाग में इसकी समझ काफी भिन्न हो सकती है। यह ऐसी घटनाओं और वस्तुओं की छवियां हैं जिन्हें इस प्रवृत्ति को उनके आधार के रूप में माना जाता है और उन्हें तय किया जाता है, जिससे उन्हें घटना कहा जाता है।
तीसरा, यह आधुनिकतावाद है। यह एक बहुत ही विविध और विविध दिशा है। हालांकि, यह सामान्य विचार से एकजुट है कि सभी पुराने रूढ़िवादों, दृष्टिकोणों को त्यागना जरूरी है जो अब दार्शनिक विचारों के सफल विकास में बाधा डालना शुरू कर चुके हैं। आधुनिकतावाद पुराने परंपराओं को खारिज कर देता है और दुनिया के ज्ञान के नए रूपों की तलाश में है।
अब आप आधुनिक की सभी सुविधाओं को जानते हैंदर्शन। इस अवधि के दौरान, यह अनुशासन एक अस्थिर स्थिति में है, इसलिए इसकी मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट रूप से पहचानना मुश्किल है।
Nonclassical दर्शनशास्त्र
समाज की संस्कृति और आध्यात्मिक जीवन में दर्शन की जगह और भूमिका |
Jain Samaj Founded 21 feet high sanyam kirti stambh in Rewa - Rewa News in Hindi - रीवा में आचार्य विद्यासागर के सम्मान में 21 फीट ऊंचा संयम कीर्ति स्तंभ | Patrika Hindi News
रीवा में आचार्य विद्यासागर के सम्मान में 21 फीट ऊंचा संयम कीर्ति स्तंभ
Dilip Patel | Publish: Dec, 19 2017 12:17:46 AM (IST) Rewa, Madhya Pradesh, India
जैन संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर के सम्मान में किया गया स्थापित,सकल दिगंबर जैन समाज ने सहयोग से रखी है आधारशिला
रीवा। रीवा शहर के हृदय स्थल में स्थित अस्पताल चौराहे की पहचान अब संयम कीर्ति स्तंभ से की जाएगी। सफेद संगमरमर का यह स्तंभ न केवल शहरियों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा बल्कि जैन धर्म के बारे में तमाम जानकारियों से भी अवगत कराएगा।
संयम कीर्ति स्तंभ को सकल दिगंबर जैन समाज और श्री दिगंबर जैन समाज कल्याण समिति के संयुक्त प्रयाय से स्थापित किया जा रहा है। जैन समाज के महामंत्री राजेश जैन ने बताया कि जैन समाज के संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज की दीक्षा को 50 वर्ष हो गए।
इस अवसर पर उनके सम्मान में संयम स्वर्ण महोत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के 256 शहरों में संयम कीर्ति स्तंभ स्थापित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में रीवा में अस्पताल चौराहे पर संयम कीर्ति स्तंभ स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि इसमें करीब छह लाख रुपए का खर्च आया है जो जैन समाज के लोगों के सहयोग से संभव हुआ है। उन्होंने अस्पताल चौराहे पर स्थापित करने के उद्देश्य के बारे में बताया कि जैन समाज संयमित जीवन जीता है। जैन धर्म यही सिखाता है। संतों की वाणी भी यही कहती है। संयम कीर्ति स्तंभ सभी समाज के लोगों को संयम धारण करने और संयमित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देगा। खास बात ये है कि संयम कीर्ति स्तंभ राजस्थान के मकराना से मंगाया गया है।
जनवरी में होगा लोकार्पण
संयम कीर्ति स्तंभ का लोकार्पण जनवरी में पूजा-पाठ और शुद्धिकरण कर किया जाएगा। इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। स्तंभ के अलावा चौराहे के ग्राउंड का रंग-रोगन और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। लोकार्पण से पहले कटरा स्थित जैन मंदिर में संतों की मौजूदगी में पूजा-पाठ होगा और स्तंभ शुद्धिकरण किया जाएगा।
इसमें उपदेश हैं उल्लेखित
संयम कीर्ति स्तंभ 21 फीट ऊंचा है। इसमें आचार्य श्री विद्यासागर महाराज द्वारा लिखे ग्रंथो के कुछ अंश लिखे हुए हैं। जैन धर्म के उपदेश उल्लेखित हैं। शिखर पर कलश स्थापित है तो जैन संतों के द्वारा धारण किए जाने वाले पीछी और कमंडल भी अंकित हैं।
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रहस्य: 900 साल सूखा पड़ा था, पूरी सभ्यता ही नष्ट हो गई | NATIONAL NEWS - Bhopal Samachar | No 1 MP Hindi News Portal (madhya pradesh) | हिन्दी समाचार
रहस्य: 900 साल सूखा पड़ा था, पूरी सभ्यता ही नष्ट हो गई | NATIONAL NEWS
कोलकाता। सिंधु घाटी सभ्यता की समाप्ति के रहस्यों को जानने की कोशिश आज भी हो रही है। कुछ ने सूखे को तो कुछ भयंकर बाढ़ को तो कुछ बाहरी आक्रमण को सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने की वजह मानते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को भी एक वजह माना है। हाल ही में आइआइटी, खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने लगभग 4350 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने की वजह बने सूखे की अवधि का पता लगाया है। आइआइटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों को एक शोध में पता चला है कि यह सूखा कुछ साल या कुछ दशक नहीं बल्कि पूरे 900 साल तक चला था।
वैज्ञानिकों ने उस थ्योरी को भी गलत साबित कर दिया, जिसमें सूखे के 200 साल में खत्म हो जाने की बात कही गई थी। आइआइटी, खड़गपुर के भूगर्भशास्त्र और भूभौतिकी विभाग के शोधकर्ताओं ने पिछले लगभग 5000 साल के दौरान मॉनसून के पैटर्न का अध्ययन किया और पाया कि लगभग 900 साल तक उत्तर पश्चिम हिमालय में बारिश न के बराबर हुई। इस कारण सिंधु और इसकी सहायक नदियां जो बारिश से साल भर भरी रहती थीं, सूख गईं। इन नदियों के किनारे ही सिंधु घाटी सभ्यता अस्तित्व में थी। नदियों में पानी खत्म होने से लोग पूर्व और दक्षिण की ओर गंगा-यमुना घाटी की ओर चले गए जहां बारिश बेहतर होती थी। |
'AVENGERS ENDGAME' देखने के कारण लड़की को पड़ा हाइपरवेंटिलेशन अटैक | NATIONAL NEWS
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नई दिल्ली। फिल्म 'Avengers Endgame' ने बॉक्स-ऑफिस पर रिलीज होते ही धमाल मचा दिया है. दर्शकों को इस फिल्म का लंबे समय से इंतजार था. हालांकि इस फिल्म के क्लाइमेक्स को देखकर लोग अपने इमोशन्स पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ रहा है. सुनकर हैरानी होना लाजमी है लेकिन यह बात एकदम सच है. बता दें, ऐसा ही एक मामला चीन में देखने को मिला. जहां फिल्म देखने आई 21 साल की एक लड़की को तुरंत अस्पताल पहुंचाना पड़ा.
चीन में 21 साल की एक मार्वल फैन उनकी 'एवेंजर्स एंडगेम' देखने के लिए थियेटर पहुंचीं. लेकिन इस फिल्म का अंत देखकर वो अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकी और इतना रोई कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. बताया जा रहा है कि यह लड़की 'हाइपरवेंटिलेशन' (Hyperventilation) सिंड्रोम से पीड़ित थी. आइए जानते हैं आखिर क्या है यह बीमारी, लक्षण और बचाव का तरीका.
क्या होता है हाइपरवेंटिलेशन / What is Hyperventilation-
हाइपरवेंटिलेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति सामान्य समय की तुलना गहरी और तेज सांसे भरने और छोड़ने लगता है. यह किसी अटैक की तरह होता है. जिसमें व्यक्ति के ज्यादा सांस लेने की वजह से खून में से कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन बढ़ जाता है. जिसकी वजह से रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड का दबाव कम होने लगता है. यह स्थिति मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाएं संकुचित करने लगती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में और 15 से 55 वर्ष की आयु के लोगों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है.
हाइपरवेंटिलेशन के कारण / Reasons Of Hyperventilation
चिंता ,घबराहट और अत्याधिक तनाव हाइपरवेंटिलेशन का सबसे आम कारण है. नींद की कमी-दिल का दौरा- इस स्थिति में व्यक्ति का दिल ऑक्सीजन युक्त रक्त को पंप नहीं कर पाता है. जो कि हाइपरवेंटिलेशन का कारण बनता है.फेफड़ों से जुड़ी बीमारी जैसे अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), पल्मोनरी एम्बोलिज्म फेफड़ों की कुछ सामान्य बीमारियां हैं जो क्रोनिक हाइपरवेंटिलेशन का कारण बनती हैं.
हाइपरवेंटिलेशन के मुख्य लक्षण / The main symptoms of Hyperventilation
चक्कर आना, उंगलियां, हाथ और मुंह के आस-पास सुन्न महसूस करना, छाती में दर्द, घबराहट और सांस की तकलीफ, सांसों की कमी, सूजन और पेट फूलना,शारीरिक कमजोरी महसूस करना
हाइपरवेंटिलेशन से बचाव / Avoiding Hyperventilation
इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति सबसे पहले अपनी सांसों को निंयत्रित करें. इसके लिए उसे हर 5 सेकंड में एक बार सांस लेने की कोशिश करनी चाहिए. इसके अलावा अपने होठों को ऐसे रखें जैसे कि आप सीटी बजा रहे हों. ऐसा करते हुए सांस लेने की कोशिश करें. तीसरा, अपनी नाक के एक छेद को बंद करके दूसरे नथुने से सांस लें. इन श्वास तकनीकों का उद्देश्य आपके रक्त में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का संचार करना है. बावजूद इसके अगर हाइपरवेंटिलेशन की स्थिति 30 मिनट तक बनी रहती है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें. |
बुलंदशहर हिंसा: सीएम योगी ने जताया दुख, दो दिन में जांच पूरी करने का दिया आदेश - The Siasat Daily
Posted by staff on Dec 03, 2018, 10:15 PM IST Crime Uttar Pradesh
बुलंदशहर में हुई हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर समेत दो लोगों की मौत हो गई। इस मामले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गहरा दुख जताया है। साथ ही दो दिन के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश भी दिए है।
दरअसल, बुलंदशहर के चिंगरावठी इलाके में गोवंशीय पशुओं के अवशेष मिलने के बाद भीड़ उग्र हो गई। गुस्साई भीड़ के जरिए हिंसा को अंजाम दिया गया। हिंसा में स्याना के कोतवाल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय निवासी सुमित की मौत हो गई। जिस पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने गहरा दुख व्यक्त किया है। |
बाबा रामदेव Archives - Page 6 of 6 - Pravakta.Com | प्रवक्ता.कॉम
डॉ. मनीष कुमार भारत की राजनीति का यह अजीबोग़रीब दौर है. संत राजनीति कर रहे…
बाबा रामदेव ने कल रामलीला मैदान में शानदार मीटिंग की। उस मीटिंग में अनेक स्वनामधन्य…
डॉ.मनोज जैन स्वामी रामदेव के कालाधन और भ्रष्टाचार बिरोधी अभियान से घबरा कर भ्रष्टाचार…
-हरीशंकर साही बाबा रामदेव ने योग की शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का कभी प्रण…
बाबा रामदेव ने जब से राजनैतिक शुध्दिकरण अभियान का शंखनाद किया है एक राष्ट्रव्यापी बहस…
-जगदीश्वर चतुर्वेदी बाबा रामदेव को अभिताभ बच्चन के बाद सबसे बड़ा ब्रांड या मॉडल मान…
-जगदीश्वर चतुर्वेदी टेलीविजन युग की यह खूबी है कि जो टीवी पर्दे पर दिखता है…
-जगदीश्वर चतुर्वेदी बाबा रामदेव फिनोमिना की मीमांसा करते हुए अनेक किस्म के पाठकों प्रतिक्रियाएं मिली…
-जगदीश्वर चतुर्वेदी मुझे बाबा रामदेव अच्छे लगते हैं। वे इच्छाओं को जगाते हैं आम आदमी…
-जगदीश्वर चतुर्वेदी बाबा रामदेव फिनोमिना मध्यवर्गीय घरों में घुस आया है। बाबा के सिखाए योगासन…
योग गुरू बाबा रामदेव और कांग्रेस की नजर में देश के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी…
4 days ago डा.सतीश कुमार |
case filed: Latest case filed News & Updates,case filed Photos & Images, case filed Videos | Navbharat Times
August,22,2019, 14:03:22
LAST UPDATED: Jun 27, 2019, 05.00 PM IST
15 मिनट में इस तरह भरें इनकम टैक्स रिटर्न, 31 अगस्त है लास्ट डेट
मोहन भागवत और योगी आदित्यनाथ पर अमर्यादित टिप्पणी, पंजाबी सिंगर हार्ड कौर पर देशद्रोह का केस
Jun 20, 2019, 02.35 PM
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और संघ प्रमुख मोहन भागवत पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के चलते पंजाबी गायिका हार्ड कौर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी: इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है |
Varanasi News in Hindi - विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ऐतिहासिक बंदी, श्रद्धालुओं ने खाली हाथ किया दर्शन | Patrika Hindi News
Vishwanath Mandir area Shops closed in protest of new Corridor
विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ऐतिहासिक बंदी, श्रद्धालुओं ने खाली हाथ किया दर्शन
Publish: Apr, 07 2018 10:03:33 PM (IST)
Vishwanath Mandir area Shops closed
विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ऐतिहासिक बंदी देखने को मिली। बाबा विश्वनाथ को माला फूल तो दूर, बिल्वपत्र का अर्पण भी नहीं हो सका ।
वाराणसी. काशी के इतिहास में शायद पहली बार विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ऐतिहासिक बंदी देखने को मिली। बाबा विश्वनाथ को माला फूल तो दूर, बिल्वपत्र का अर्पण भी नहीं हो सका, यहां तक कि शनिवार को शनिदेव को दीपक तक भक्त नहीं दिखा पाए।
बता दें कि परिक्षेत्र के 600 से ज्यादा भवनों और मंदिर को जमीदोज करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। जबरन हजारों साल से पूजित प्रतिमाओं को विखंडित कर दिया गया है और मंदिरों को जमीदोज कर दिया गया है। इसके लिए धरोहर बचाओ समिति पिछले करीब छह महीने से संघर्षरत है।
इस मामले को लेकर ज्योतिष एवं शारदापठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य व श्री विद्यामंठ के प्रभारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज चुके हैं लेकिन क्षेत्रीय नागरिकों की सुनी जा रही है न साधु-संतों की।
साधु-संतों ने राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर आंदोलन की रणनीति भी अख्तियार कर रखी है। धरोहर बचाओ समिति के आह्वान पर शनिवार को मंदिर परिक्षेत्र की एक भी दुकानें नहीं खुलीं । यहां तक कि शनिवार के दिन शनिदेव को एक दीपक तक नहीं जला। उधर बंदी का आलम यह रहा कि बाबा विश्वनाथ को एक बिल्वपत्र तक नहीं चढा पाए भक्त कारण माला-फूल तक की दुकानें बंद रहीं।
दरअसल शासन और प्रशासन की इस योजना के विरोध में धरोहर बचाओ संघर्ष समिति के साथ विश्वनाथ मंदिर व्यापार मंडल भी आ खड़ा हुआ शासन-प्रशासन की दमनकारी नीति के विरोध में खड़ा है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से लगायत रेड जोन और येलो जोन में अवस्थित त्रिपुरा भैरवी, मीरघाट, धर्मकूप, लाहौरी टोला, सरस्वती फाटक, नीलकंठ से लेकर चौक क्षेत्र की गलियों में जबरदस्त ऐतिहासिक बंदी नजर आई। व्यापारियों से लेकर माला फूल और चाय पान तक के दुकानदारों ने अपनी दुकानों के ताले नही खोले ।
धरोहर बचाओ समिति ने मुख पर काली पट्टी बांध कर रैली भी निकाली जिसमें क्षेत्र के दुकानदार, भवनस्वामी भी शरीक हुए।
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भारतीय रेलवे ने ऑनलाइन रिजर्वेशन में ये बड़ा बदलाव
अक्षय तृतीया पर राशि के हिसाब से खरीदें ये सामान, खुल जाएगी आपके किस्मत का पिटारा |
६ . १०. २०१४
बृजेश द्विवेदी अमन, अरुण शर्मा अनंत, प्रभा मजूमदार, डॉ. नलिन और ऋतेश खरे की रचनाएँ।
रसोईघर में- हमारी रसोई-संपादक शुचि ने इस अंक के लिये चुने हैं- दीपावली की तैयारी में विशेष व्यंजनों के अंतर्गत- नमकपारे।
गपशप के अंतर्गत- जल्दी ही सर्दियों के दिन शुरू होंगे और साथ ही शुरू होगी फेफड़ों में संक्रमण, गले में खिच-खिच, इससे बचें और पढ़ें- सर्दियों में सर्दी
जीवन शैली में- १० साधारण बातें जो हमारे जीवन को स्वस्थ, सुखद और संतुष्ट बना सकती हैं - २. व्यायाम में चुस्ती है?
सप्ताह का विचार- हर-चीज़ की कीमत व्यक्ति की जेब और ज़रूरत के अनुसार होती है और शायद उसी के अनुसार वह अच्छी या बुरी होती है। -संतोष गोयल
क्या-आप-जानते-हैं- कि आज के दिन (६ अक्तूबर को) धावक धर्मपाल सिंह, वैज्ञानिक मेघनाथ साहा, अभिनेता विनोद खन्ना का जन्म ... विस्तार से
धारावाहिक-में- लेखक, चिंतक, समाज-सेवक और प्रेरक वक्ता, नवीन गुलिया की अद्भुत जिजीविषा व साहस से भरपूर आत्मकथा- अंतिम विजय का नवाँ भाग।
वर्ग पहेली-२०५
मैं अस्त होते सूरज को सलाम करता हूँ। सुबह का सूरज तो मुझे दिखता ही नहीं था। मेरे ब्लॉक के पीछे से कब निकल आता और सर पर चढ़ जाता पता ही नहीं चलता। जब नया नया कलकत्ता आया था तो बड़ा अजीब लगता था, कितना भी जल्दी उठ जाओ, सूरज सर पर ही मिलता था। फिर मैंने मॉर्निंग वाक का इरादा त्याग दिया। पर मेरी मुलाकात अस्त होते सूरज से रोज ही हो जाती। बात इतनी आगे बढ़ चुकी थी कि मुझसे मुलाकात किये बिना सूरज अस्त ही नहीं होता। और मुलाकात भी कैसी, शाम को छह बजे स्कूटर से घर लौटते हुए जब अंतिम चौराहे पर पहुँचता तो बाँयें मुड़ते ही सड़क के दूसरे छोर पर पेड़ों और इमारतों की कतार से ठीक ऊपर मेरा दोस्त डला रहता था, दिन भर की थकान से चूर पसरने को तैयार, बिलकुल मेरी तरह। बस यहीं से शुरू होकर गली के अंतिम मोड़ पर खत्म हो जाती हमारी मुलाकात। और इन दोनों मोड़ों के बीच लगभग दो सौ मीटर की दूरी जो मैं स्कूटर से अमूमन पंद्रह सेकंड में पूरी कर लेता, वही होता था हमारी दुआ सलाम का वक़्त।... आगे-
प्रमोद यादव की लघुकथा
पिछले सप्ताह- नवरात्रि में माँ को समर्पित
अभिषेक जैन की लघुकथा
माँ का विश्वास
डॉ. जगदीश व्योम का आलेख
हिंदी हाइकु कविताओं में माँ
मृदुला शर्मा की कलम से
पाँच मिनट की रामलीला पाँच लाख की भीड़
पुनर्पाठ में अजातशत्रु का संस्मरण
नीलेश शर्मा की कहानी- अजन्मी
बच्ची को माँ के गर्भ में रहते हुए बीस हफ्ते हो चुके थे! खुद बच्ची को भी दो रोज पहले ही पता चला था कि वो एक बेटी के रूप में जन्म लेगी। बाहरी दुनिया के लिए तो गर्भ एक अंधकारमय जीवन होता है लेकिन बच्ची के लिए नहीं था। हर पल परमेश्वर उसके साथ रहते थे। एक रंगीन, मोहक, कल्पनाओं में खोयी रहने वाली दुनिया में दोनों मस्त रहते थे। प्रभु अपने हाथों से उसका रूप गढ़ते और उसे देख कर मुग्ध हो जाते। कहते हैं दूध में सिंदूर घोल कर प्रभु रचना करते हैं कन्या की। प्रभु अपने दूतों से दूर दूर से कभी सुन्दरता को मँगवाते, कभी कोमलता को और उस बच्ची के शरीर में भर देते। कभी अपने किसी खास बन्दे से कहते कि कोयल की आवाज में जरा सा शहद घोल कर दो। कभी हिरनी से चितवन माँगते, कभी जलते हुए दीपकों से रौशनी लेते और कभी चंद्रमा से उसकी चाँदनी ही माँग लेते। अपने हाथों से वो बच्ची को सजाते। वो बच्ची प्रभु की बड़ी लाडली थी। प्रभु के हाथ जब उस बच्ची के लघु गात को स्पर्श करते तो दिन भर के शांत पड़े... आगे- |
मुझे नहीं लगता है की नोटेबंदी के कारन प्रधान मंत्री मोदी ने रिश्वत और काले धन को कम कर दिया है !स्टेटिस्टिक्स क्या है ? » Mujhe Nahi Lagta Hai Ki Notebandi Ke Kaaran Pradhan Mantri Modi Ne Rishwat Aur Kaale Dhan Ko Kam Kar Diya Hai Statistics Kya Hai ? | Vokal
मुझे नहीं लगता है की नोटेबंदी के कारन प्रधान मंत्री मोदी ने रिश्वत और काले धन को कम कर दिया है !स्टेटिस्टिक्स क्या है ? ...Mujhe nahi lagta hai ki notebandi ke kaaran pradhan mantri modi ne rishwat aur kaale dhan ko kam kar diya hai statistics kya hai ?
ठेके गुरप्रीत नोटबंदी की वजह से रिश्वतखोरी कम हुई या नहीं हुई इसके तो कोई आंख में नहीं है हमारे पास परंतु यह तय है कि जो मोदी सरकार ने काले धन की बात की थी वह सरासर झूठ साबित हुई है अगस्त के महीने मे...जवाब पढ़ियेठेके गुरप्रीत नोटबंदी की वजह से रिश्वतखोरी कम हुई या नहीं हुई इसके तो कोई आंख में नहीं है हमारे पास परंतु यह तय है कि जो मोदी सरकार ने काले धन की बात की थी वह सरासर झूठ साबित हुई है अगस्त के महीने में आरबीआई ने जो आंकड़े जारी किए उसके मुताबिक 99% 500 और 1000 के नोट जो है आरबीआई को वापस मिल चुके हैं यानी सिर्फ 1% लोग करेंसी है वह अभी वापस नहीं आई है अगर इस को हम कंपेयर करें सरकार ने रोक सुप्रीम कोर्ट में पिछले नवंबर घोषणा की थी मुझे की थी के तकरीबन एक तिहाई जो पैसा है वह वापस नहीं आएगा मतलब वह एक तिहाई पैसा जो है वह काला धन है तो उसे किस-किस को यही कहते हैं कि नोटबंदी के कारण प्रधानमंत्री मोदी कि काले धन को कम होने की 21 उसे मुहिम बताया गया था वह सरासर झूठ निकलीTheke Gurpreet Notabandi Ki Vajaha Se Rishwatakhori Come Hue Ya Nahin Hue Iske To Koi Aankh Mein Nahin Hai Hamare Pass Parantu Yeh Taya Hai Qi Joe Modi Sarkar Ne Kale Dhan Ki Baat Ki Thi Wah Sarasar Jhuth Sabith Hue Hai Agust K Mahine Mein RBI Ne Joe Ankade Zari Kiye Uske Mutabik 99% 500 Aur 1000 K Note Joe Hai RBI Co Vapusha Mill Chuke Hain Yaanee Sirf 1% Log Karamsi Hai Wah Abhi Vapusha Nahin I Hai Agar Is Co Hum Kampeyar Karein Sarkar Ne Rock SUPREME Court Mein Pichle Navambar Ghoshanaa Ki Thi Mujhe Ki Thi K Takariban Ek Tihai Joe Paisa Hai Wah Vapusha Nahin Aega Matlab Wah Ek Tihai Paisa Joe Hai Wah Kala Dhan Hai To Usse Kiss Kiss Co Yahi Kehte Hain Qi Notabandi K Karan Pradhaanmatree Modi Qi Kale Dhan Co Come Hone Ki 21 Usse Muhim Bataya Gaya Thaa Wah Sarasar Jhuth Nikli
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भारत के प्रधान मंत्री मोदी कितना चतुर हैं? क्या वह वास्तव में अर्थव्यवस्था को समझता है? ...Bharat ke pradhan mantri modi kitna chatur hain kya wah vaastav mein arthavyavastha ko samajhata hai
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Supreme Court defers hearing on security of doctors, says as protests are over, there's no urgency now | हड़ताल खत्म होने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने डाक्टरों की सुरक्षा के मामले पर सुनवाई टाली| Hindi News, देश
नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में डाक्टरों की हड़ताल समाप्त हो जाने के तथ्य को ध्यान में रखते हुये सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की सुरक्षा के लिये दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई स्थगित कर दी. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की अवकाश पीठ ने कहा कि वह नोटिस (केन्द्र को) जारी नहीं करेगी परंतु चिकित्सकों की सुरक्षा के व्यापक मुद्दे को विचार के लिये खुला रखेगा. पीठ ने कहा, ‘‘हम याचिका पर आज सुनवाई के लिये सहमत हो गये थे क्योंकि पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में चिकित्सकों और उनकी मेडिकल बिरादरी ने हड़ताल कर रखी थी.
चूंकि हड़ताल खत्म हो गयी है और ऐसा लगता है कि अब याचिका पर सुनवाई की जल्दी नहीं है. इसे (मामले को) उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाये.’’
इस बीच, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी न्यायालय में दायर याचिका में पक्षकार बनने के लिये एक आवेदन दायर किया है. इस आवेदन में कहा गया है कि देश भर में चिकित्सकों को संरक्षण प्रदान किये जाने की आवश्यकता है. पीठ ने कहा कि चिकित्सकों को सुरक्षा प्रदान करने के मामले में समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. पीठ ने कहा, ‘‘हम समझते है. कि यह एक गंभीर विषय है लेकिन हम दूसरे नागरिकों की कीमत पर चिकित्सकों को संरक्षण नहीं दे सकते. हमें व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा. हमें व्यापक परिप्रेक्ष्य को देखना होगा. हम चिकित्सकों को संरक्षण प्रदान करने के विरूद्ध नहीं है.’’
पश्चिम बंगाल में चिकित्सकों ने हड़ताल कर रखी थी क्योंकि पिछले सप्ताह उनके दो सहयोगियों की एक मरीज के रिश्तेदारों ने कथित रूप से पिटाई की थी. इस मरीज की इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी. चिकित्सकों ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बातचीत के बाद सोमवार की रात अपनी हड़ताल समाप्त कर दी. मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों को आश्वासन दिया कि सरकार राज्य में सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करेगी. शीर्ष अदालत में शुक्रवार को दायर याचिका में देश में सभी सरकारी अस्प्तालों में चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती का केन्द्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि कोलकाता के अस्पताल में दो जूनियर चिकित्सकों पर हमला करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये. याचिका में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आंकड़ों का हवाला देते हुये कहा गया था कि देश भर में 75 प्रतिशत से अधिक चिकित्सकों को किसी न किसी तरह की हिंसा का सामना करना पड़ा है. याचिकहा मे कहा गया है कि एसोसिएशन के अध्ययन के अनुसार हिसा की 50 प्रतिशत घटनायें अस्पतालों के सघन चिकित्सका इकाईयों में हुयी हैं और 70 फीसदी मामलों में मरीजों के रिश्तेदार ऐसी घटनाओं में संलिप्त रहे हैं.
डॉक्टरों की हड़तालDoctor's strikeSupreme Courtसुप्रीम कोर्टdoctor
यूपीः पति के सामने पत्नी से बदसलूकी कर वीडियो किया वायरल, पुलिस ने 4 को किया अरेस्ट |
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION: TODAY IS HIS BIRTHDAY [29 AUGUST ] AND TELL ME WHO IS HE ?
प्रस्तुतकर्ता shikha kaushik पर 1:22 pm
हौकी के इस लाजवाब जादूगर को सलाम है ...
28 अगस्त 2012 को 11:45 pm
इस महान शख्सियत को जन्मदिन की बधाई और नमन (लखनऊ से लौट कर आज ही सबके ब्लोग्स पर जाना हो सका ,इस लिए अभी पढ़ा )
मेरे ब्लॉग पर मेरे लखनऊ के महत्वपूर्ण दिवस के अनुभव पढ़िए आपका स्वागत है
31 अगस्त 2012 को 2:24 am |
News Quiz: How much do you know about Indira Gandhi, the only female PM of India - भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कितना जानते हैं आप...?
देश को परमाणुशक्ति संपन्न बनाने की दिशा में बढ़ने के लिए ज़रूरी परमाणु परीक्षण पहली बार इंदिरा गांधी के कार्यकाल में ही किए गए थे, जिनकी बदौलत आज हम बड़े से बड़े देश से आंख मिलाकर बात करने में सक्षम हैं...
इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के सुरक्षा गार्डों ने 31 अक्टूबर, 1984 को की थी...
स्वतंत्र भारत के इतिहास की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज इंदिरा गांधी को कौन नहीं जानता... उनके बारे में न सिर्फ बचपन से स्कूली किताबों में पढ़ते आ रहे हैं, बल्कि अभी तो ऐसे शख्स भी हमारे आसपास खासी तादाद में हैं, जिन्होंने उन्हें सचमुच देखा है... वह देश की एकमात्र ऐसी प्रधानमंत्री रहीं, जो पद पर रहते हुए हिंसा का शिकार होकर इस दुनिया से गईं...
प्रधानमंत्री रहते हुए बहुत-से लाभकारी कामों को करने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है... साहसी प्रधानमंत्री के रूप में हमेशा चर्चा में रहीं इंदिरा गांधी को ही बैंकों के राष्ट्रीयकरण का श्रेय जाता है, और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए उसके दो टुकड़े कर बांग्लादेश के गठन का भी... देश को परमाणुशक्ति संपन्न बनाने की दिशा में बढ़ने के लिए ज़रूरी परमाणु परीक्षण भी पहली बार उन्हीं के कार्यकाल में किए गए, जिनकी बदौलत आज हम बड़े से बड़े देश से आंख मिलाकर बात करने में सक्षम हैं...
लगभग 16 साल तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के बारे में काफी कुछ पढ़ा-लिखा और कहा-सुना जाता रहा है, सो, शायद ही कोई ऐसी जानकारी हो, जो हमने कभी न पढ़ी हो... फिर भी आज हम आपसे इंदिरा गांधी के बारे में पांच सवाल करने जा रहे हैं, जिनके जवाब देकर हमेशा की ही तरह या आप अपना ज्ञान साबित करेंगे, या अपनी जानकारी बढ़ा सकेंगे...
VIDEO: आपातकाल के बाद 40 सालों में कैसे बदली राजनीति
Indira GandhiIndira Gandhi QuizNews QuizPrime minister |
आज का इतिहास – लाला लाजपत राय - Akhand Bharat News
जाने आप कैसे रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से बच सकते –… एक वेबसाइट जो सिर्फ अनमैरिड लोगों को ही उपलब्ध करवा रही… (18+) कब और कैसे करें सेक्स जिससे मिले पूरा आनंद सेक्स सम्बन्धी दुर्लभ जानकारियां जो सुधार सकती हैं आपके पार्टनर के… Home शिक्षा प्रेरक आज का इतिहास – लाला लाजपत राय
आज का इतिहास – लाला लाजपत राय
By अखंड भारत - November 17, 2015 0 331 Share on Facebook
Share this on WhatsAppलाला लाजपत राय को पंजाब का केसरी भी कहा जाता था I लाला जी का जन्म 28 जनवरी 1865 में हुआ था I लाला लाजपत राय ने भारत की सर्वाधिक प्रसिद्ध बैंकों में से एक पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना भी की थी और इसके अलावा लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी।
लाला जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में लाला जी के ही नेत्रत्त्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने साइमन कमीशन का विरोध किया था I और इसी साइमन कमीशन के विरोध के दौरान हुए लाठी चार्ज में लगी चोटों के कारण 17 नवंबर यानि आज के ही दिन लाला जी ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था अर्थात उनकी म्रत्यु हो गयी थी I
जिस समय लाला जी लाठी चार्ज से घायल थे और अस्पताल में भर्ती थे उन्होंने कहा था कि, “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।” और वही हुआ भी; लालाजी के बलिदान के 20 साल के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया I
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हल्द्वानी- बिग बाजार बंद होने से जनता सस्ते दाम पर फल सब्जी से भी महरूम, मैनेजर ने डीएम से की यह मांग - News Today Network
Home Uncategorized हल्द्वानी- बिग बाजार बंद होने से जनता सस्ते दाम पर फल सब्जी...
हल्द्वानी बिग बाजार पर जिला प्रशासन द्वारा खोलने की पाबंदी लगाने के बाद स्टोर मैनेजर विकास गुप्ता ने बिग बाजार खोलने की मांग की है। बिग बाजार दुर्गा सिटी सेंटर में काफी समय से संचालित हो रहा है जहाँ जनता को कम दामों में घरेलू सामान मिलता है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बिग बाजार में लगातार 4 से 5 बार पूरे मॉल को सेनिटाइजर से साफ करा रहे हैं जिसके कारण कोई भी अप्रिय घटना नहीं होगी। साथ कि बुखार पीड़ित और किसी भी इन्फेक्शन से पीड़ित को पूर्ण रूप मॉल में आने की पाबंदी लगा दी है। जबकि यहाँ पर फल, सब्ज़ी, दूध दही आटा सहित कई ग्रोसरी आइटम्स सस्ते दाम पर जनता को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ऐसे में जनता को बिग बाजार बंद होने से काफी असुविधा हो रही है।
गौरतलब है कि देश कोरोना की चपेट में आने के बाद जिला प्रशासन ने मॉल , सिनेमा घर सहित सभी भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जनता के एकत्रित होने पर पूर्ण रूप से पाबंदी कर दी है। जबकि बताया जा रहा है कि कई स्टोर अभी भी पाबंदी के बाद खुले हुए हैं। सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह से इस मामले में बातचीत की गई तो उन्होंने जिलाधिकारी से मॉल द्वारा फल सब्जी बेचने के मामले में निर्देश लेने की बात की है।
कोरोना से प्रभावित बिग बाजार
बिग बाजार पर पाबंदी हटाने की मांग
हल्द्वानी बिग बाजार
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Kush Kumar Jan 05, 2018 business
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 10 रुपये का नया नोट जारी किया है। इससे पहले की आपको नए नोट के बारे में कुछ बताएं, ये जान लेना बेहद जरूरी है कि नए नोट के साथ-साथ पुराने नोट भी बाजर में पहले की तरह ही चलते रहेंगे, ऐसे में नए नोट और पुराने नोट को लेकर किसी भी तरह की उलझन नही होनी चाहिए।
आपको बता दें कि नए नोट का रंग चॉकलेटी ब्राउन रंग की तरह है। इसके आगे की ओर पहले वाले नोट की तरह ही ‘गांधी जी’ की तस्वीर है, जबिक नोट के पिछले हिस्से में कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर की तस्वीर दी गई है।
तो वहीं नोट के पिछले हिस्से में स्वच्छ भारत अभियान का लोगो लगाया गया है। इस नोट के सीरियल नंबर बढ़ते क्रम में दिए गए है। जिसका मतलब यह है कि सीरियल नंबर का सबसे पहले नंबर का आकार सबसे छोटा है और सबसे अंतिम वाले नंबर का आकार सबसे बड़ा है।
खबरों के अनुसार बैंक ने 10 रुपये के नोट में करीब एक अरब रुपये के छपाई की है, ताकि बाजार में नए नोट की उपलब्धता आसानी से हो सके। गौर हो कि 10 रुपये के नोट में आखिरी बार 2005 में बदलाव साल हुआ था, इस दौरान 10 रुपयें के नोट में काफी सारे बदलाव किए गए थे।
लोकसभा बंद! 504 घंटे में सिर्फ 13 बैठक और 61 घंटे काम, देखिए आंखे खोलने वाली रिपोर्ट...
आपको बता दें कि 8 नंवबर 2016 में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए नोटबंदी के बाद से रिजर्व बैंक ने अब तक 10, 50, 500, 200, 2000 के साथ नए नोट बाजार में नए बदलाव के साथ पेश किए गए हैं। जबकि 200 और 2000 रुपये के नोट पहली बार जारी किए गए हैं।
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मेसी सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले फुटबॉलर, इन तीन दिग्गजों को पछाड़ा – Tarun Mitra | तरुण मित्र
February 9, 2019- 1:12 PM Aditya Jaiswal
स्पेनिश क्लब एफसी बार्सिलोना से खेलने वाले अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी दुनिया में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले फुटबॉल खिलाड़ी बन गए हैं। मेसी ने इस सूची में पुर्तगाल के करिश्माई खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो, फ्रांस के एंटोनी ग्रीजमैन और ब्राजील के नेमार को पछाड़ा।
मेसी लंबे समय से बार्सिलोना के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते आए हैं। स्पेनिश लीग ला-लीगा में उन्होंने अपने क्लब के लिए 400 से अधिक गोल किए हैं। टॉप 10 में प्रीमियर लीग, ला लिगा, सीरी ए और लीग 1 के खिलाड़ी हैं, जबकि जर्मन लीग (बुंदेसलिगा) का एक भी खिलाड़ी इसमें जगह नहीं बना पाया। रियल मैड्रिड के गैरेथ बेल छठे, बार्सिलोना को कोटिन्हो सातवें, मैनचेस्टर यूनाइटेड के एलेक्सिस आठवें, पेरिस सेंट जर्मेन के किलियन एमबाप्पे नौवें और आर्सेनल के मेसुत ओजिल दसवें स्थान पर हैं।
Tags: इन तीन दिग्गजों को पछाड़ा, मेसी सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले फुटबॉलर
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IIT Kanpur दुनिया के टॉप 500 संस्थानों में शामिल, ये हैं टॉप 10
टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्ली | UPDATED Oct 22 2017 3:08PM IST
टाइम्स हायर एजुकेशन ने हाल ही में विश्व की टॉप 500 विश्वविद्यालयों को लेकर एक सर्वे किया है। जिसमे भारत के विश्वविद्यालय भी अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं।
आईआईटी कानपुर दुनिया के टॉप 500 विश्वविद्यालयों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराने में सफल रहा है। वर्ल्ड रैकिंग में उसे 201-250 की श्रेणी के बीच में रखा गया है। दुनिया के टॉप संस्थानों में एशिया का वर्चस्व रहा है।
टॉप विश्वविद्यालयों की लिस्ट में एशिया का शैक्षिक क्षेत्र में दबदबा बरकरार है। इनमें से 132 संस्थान एशिया के हैं। टॉप 10 में भी एशिया के संस्थानों ने स्थान पाया है। 127 संस्थान अमेरिका, कनाडा आदि देशों से हैं।
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आईआईटी कानपुर विश्व के विश्वविद्यालों में लगातार अपनी रफ्तार बनाए हुए है। इस रैंकिंग को जारी करते हुए एकेडमिक रेप्युटेशन, एम्प्लॉयर रेप्युटेशन, फैकल्टी, स्टॉफ, पेपर आदि चीजों को ध्यान में रखा गया है।
टाइम्स हायर एजुकेशन की इस रैंकिंग में इंजीनियरिंग में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएस), बैंगलोर टॉप 100 में जगह बनाने में कामयाब रहा है। जिसमे इसने 89वीं रैंक हासिल की है।
iit kanpur is included in top 500 educational institutions in world
-Tags:#IIT Kapur#Career#Times Higher Education Ranking#University#Job Alert
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नलहाटी शक्ति पीठ, मां नलतेश्वरी मंदिर
Location: Nalahati, Temple Road, Nalhati, West Bengal 731243.
Timings: Open 05:30 am and Close 08:30 pm (timing is changed according to the season).
Nearest Railway Station : Nalhati Junction at a distance of nearly 1.8 kilometres from Nalhati Shaktipeeth.
Nearest Airport : Netaji Subhas Chandra Airport at a distance of nearly 237 kilometres from Nalhati Shaktipeeth.
Did you know: Attahas temple is one of the 51 Shaktipeeths of Mother. It is said that, under the original idol of the temple, the mother's 'nala' and throat is about. No matter how much water is being poured down the throat, it will never gets overflowed or dried up.
नलहाटी शक्ति पीठ हिन्दूओं के एक लिए पवित्र स्थान है जो कि भारत के राज्य, पश्चिम बंगाल (कोलकत्ता) के, बीरभूल जिले के रामपुरहट में स्थित है। यह मंदिर मां नलतेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। नलहाटी शक्ति पीठ आस पास का इलाका पहाड व सुन्दर वन से घिरा हुआ हैै।
यह मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में शक्ति को ‘कालिका’ के रूप पूजा जाता है और भैरव को ‘योगीश’ के रूप में पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का ‘उदर नली’ इस स्थान पर गिरा था।
ऐसा माना जाता है कि 252 वें बंगाली वर्ष या ‘बोंगापतो’, ’कामदेव’ (प्रेम और इच्छा के हिंदू देवता) जिन्होंने इस शक्ति पीठ के अस्तित्व के बारे में सपना में देखा था, इस नालाहती जंगल में मां सती के ‘उदर नली’ की खोज की। ऐसा कहा जाता है कि, मंदिर की मूल मूर्ति के नीचे, माता का ‘नाला’ व गला है। जिसमें कितना भी पानी डालों न पानी बहता है ना कभी सूखता है।
नलहाटी शक्ति पीठ में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा और नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इन त्यौहारों के दौरान, कुछ लोग भगवान की पूजा के प्रति सम्मान और समर्पण के रूप में व्रत (भोजन नहीं खाते) रखते हैं। त्यौहार के दिनों में मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।
Other Mata Sati temples of West Bengal
Temple List of West Bengal
मानचित्र में नलहाटी शक्ति पीठ
प्रभु हम पे कृपा करना |
AAP-Gaya - Gaya and Bodhgaya
AAP-Gaya
AAM AADMI PARTY(आम आदमी पार्टी)
आम आदमी पार्टी और उसका इतिहास
आम आदमी पार्टी (AAP) पहली बार एक गैर राजनेता के द्वारा शुरू की गई थी , और इसका किसी भी उम्र के राजनीतिक दल के साथ कोई संबंध नहीं था। पार्टी के संस्थापक इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) आंदोलन का एक हिस्सा थे, जिसका नेतृत्व अनुभवी कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने किया था।
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने कार्यकर्ताओं को जन लोकपाल विधेयक के अधिनियमित के लिए प्रेरित किया, जिसमें लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और परीक्षण के प्रावधान थे। आंदोलन ने पूरे देश की सोच को एक नई दिशा दिया । लेकिन पूर्व आईआरएस अधिकारी अरविंद केजरीवाल और उनके तत्कालीन संरक्षक अन्ना हजारे के बीच राजनीतिक रूप से भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाने पर मतभेद पैदा हो गए। जबकि अनुभवी गांधीवादी का मानना था कि उनके आंदोलन का राजनीतिकरण करने की आवश्यकता नहीं है, केजरीवाल के चाहने वालों को वांछित बदलाव लाने के लिए राजनीतिक प्रणाली का हिस्सा बनने की आवश्यकता महसूस हुई। इसलिए, उन्होंने सामाजिक आंदोलन से बाहर निकलकर 26 नवंबर, 2012 को औपचारिक रूप से AAP का शुभारंभ किया। इसे मार्च 2013 में चुनाव आयोग से मान्यता मिली। AAP ने भारतीय राजनीति का चेहरा बदल दिया जिससे आम आदमी को गेम चेंजर बनने की उम्मीद थी । पार्टी का नेतृत्व करते हुए, अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी के लिए ‘आम आदमी’ की लड़ाई को एक महत्वपूर्ण बिंदु में बदल दिया। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 28 सीटें जीतने के बाद AAP ने राजनीतिक सर्किटों में धक्कामुक्की करते हुए सत्ता हासिल करने की ताकत के रूप में उभरी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से बाहरी समर्थन के साथ अपनी सरकार बनाई। 28 दिसंबर 2013 को, पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
AAP के संस्थापक
नई दिल्ली के रामलीला मैदान, अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के उपरिकेंद्र, ने 2011 में एक क्रांति की शुरुआत देखी। एक असामान्य शैली वाले एक आम आदमी ने सरकार को सिर पर लिया और एक अपरंपरागत राजनीतिक लड़ाई शुरू की। अरविंद केजरीवाल, पूर्व नौकरशाह, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), खड़गपुर से स्नातक हैं। उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) लागू करने के अपने प्रयासों से कुछ स्तंभों को हिला देने से पहले उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा (IRS) की सेवा की।
इमर्जेंट लीडरशिप के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार के प्राप्तकर्ता, केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी सनसनीखेज शुरुआत में AAP को एक फ्रिंज खिलाड़ी से विशालकाय हत्यारे में बदल दिया। हालाँकि, उनकी जीत को और अधिक मीठा बनाने वाला तथ्य यह है कि AAP के निर्माण में केजरीवाल को सिर्फ एक साल लगा, और पूरे देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आईआईटीयन ने दिग्गज कांग्रेसी राजनेता और तीन बार नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराया। विधानसभा चुनाव के फैसले के बाद, केजरीवाल ने 28 दिसंबर, 2013 को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। हालांकि, उन्होंने 49 दिन बाद इस्तीफा दे दिया जब कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनके सामने प्रस्तावित जन लोकपाल बिल को रोक दिया।
AAP ने 2014 के आम चुनावों को बड़े पैमाने पर लड़ने का फैसला किया। पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा – यूपी के वाराणसी संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार। लेकिन वह मोदी से बुरी तरह हार गए।
अरविंद केजरीवाल द्वारा नेतृत्व की गई, AAP की घटना ने कुछ ही समय में भारतीय राजनीतिक स्पेक्ट्रम पर कब्जा कर लिया। सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग और उच्च शिक्षित स्वयंसेवकों को शामिल करने के साथ, AAP ने घर-घर जाकर प्रचार किया। AAP की राजनीतिक मामलों की समिति में गोपाल राय, कुमार विश्वास, मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण, संजय सिंह और योगेंद्र यादव शामिल थे।
भारतीय राजनीति में इसकी शुरुआत ने विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रमुख नामों को आकर्षित किया। कैप्टन गोपीनाथ, एयर डेक्कन के संस्थापक; मल्लिका साराभाई, प्रख्यात डैन्यूज़; मीरा सान्याल, रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड-इंडिया की सीईओ; समीर नायर, स्टार टीवी के पूर्व सीईओ; वी बालकृष्णन, इंफोसिस बोर्ड के सदस्य; और कई और AAP के साथ हाथ मिलाया। हालांकि उनमें से अधिकांश अब केजरीवाल के दिमाग की उपज के साथ नहीं हैं।
किसी भी अन्य राजनीतिक मंच की तरह, AAP के पास भी इन-फाइटिंग और अवनति का हिस्सा था। आंतरिक कलह से असंतुष्ट नेताओं ने अपने स्वयं के सदस्यों के साथ गलती खोजना शुरू कर दिया। हालांकि, AAP राजनीतिक ताकत के रूप में बच गई है
AAP का चुनाव चिह्न
अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने भ्रष्टाचार के देश की सफाई का कठिन काम किया है। इस उद्देश्य के साथ, AAP ने अपने आधिकारिक चुनाव चिन्ह के रूप में विनम्र ‘झाड़ू’ को चुना। उनका नारा झाड़ू चललाओ, भीमना भगाओ (झाड़ू पोंछा, धोखा से छुटकारा) का उद्देश्य भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को उसके भ्रष्ट राजनेताओं से बचाना है। पार्टी एक अधिक पारदर्शी प्रणाली के लिए लड़ रही है, जो देश को अपनी लोकतांत्रिक पहचान को पुनः प्राप्त करने में मदद करेगी।
AAP की उपलब्धियां
नई दिल्ली में सत्ता में आने के बाद, पार्टी ने सब्सिडी के माध्यम से 400 यूनिट तक बिजली के बिल को कम कर दिया। इसने घरों में पानी के मीटर (20 किलोलीटर तक) के लिए मुफ्त पानी उपलब्ध कराया। केजरीवाल सरकार ने बहु-खुदरा क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को भी खत्म कर दिया। अपनी मूल दृष्टि से चिपके हुए, AAP ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों पर रिपोर्ट करने के लिए नागरिकों के लिए एक भ्रष्टाचार-विरोधी हेल्पलाइन की स्थापना की।
आप की क्रांति
Aap Ki Kranti (या Aap की क्रांति) आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है जिसका उद्देश्य हर दरवाजे पर कदम रखना है। यह उस हिस्से का एक समाचार पत्र है, जो AAP की विचारधाराओं के बारे में आम नागरिकों को सूचित करने और पार्टी की विभिन्न गतिविधियों के बारे में आम आदमी की विभिन्न गतिविधियों को सूचित करने के लिए प्रचार करने पर केंद्रित है। AAP AAP सदस्य गोपाल राय के सदस्यों में से एक की देखरेख में परियोजना का संचालन किया जा रहा है, जबकि एक अन्य पार्टी सदस्य दीपक पायलट परियोजना के पहलुओं के लिए प्रबंधन और टीम के विस्तार का काम देख रहे हैं। एक पाठक को सिर्फ रु। हर 15 दिनों में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र का एक मुद्दा रखने के लिए 100 सालाना। नागरिकों की किसी भी शिकायत को सिर्फ हेल्पलाइन नंबर 8588833550 पर डायल करके पता किया जा सकता है।
स्वराज की गांधीवादी अवधारणा को ध्यान में रखते हुए, इसने अपने मिशन के बयानों को व्यक्त करने का सार्वजनिक रास्ता अपनाया और शिकायतों को व्यक्तिगत रूप से सुनने के लिए सार्वजनिक बैठकों में व्यस्त रहा।
सीएम के रूप में, केजरीवाल ने सरकारी अधिकारियों या मंत्रियों की कारों पर लाल बीकन पर प्रतिबंध लगाने के अलावा भारत में प्रचलित वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने की मांग की, साथ ही उनके लिए विशेष विशेषाधिकार भी प्रदान किए। पार्टी ने एनसीआर में ऑटो रिक्शा के लिए 5,500 नए परमिट जारी किए।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में आम आदमी पार्टी
जबकि पार्टी ने काफी सफलता हासिल की है, फिर भी आगे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अभी इसका आर्थिक मॉडल तैयार नहीं किया गया है। इसके अलावा, यह देखते हुए कि पार्टी कांग्रेस और भाजपा के मजबूत प्रतिरोध से निपट रही है, जो केजरीवाल को ‘भगोरा’ (सरकार चलाने की अपनी जिम्मेदारी से बच गए) के रूप में चित्रित करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल कितने दूर हैं? – सभी अंतर बना सकते हैं। पार्टी ने दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। पार्टी प्रमुख फिर से नई दिल्ली की सीट से कांग्रेस के किरण वालिया और भाजपा के नूपुर शर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
दिल्ली के लिए आम आदमी पार्टी (आप) का चुनाव घोषणापत्र 2015
आम आदमी पार्टी (आप) ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए 31 जनवरी 2015 को अपना घोषणा पत्र जारी किया। घोषणापत्र 70 अंकों का ब्लू-प्रिंट है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह दिल्ली को ‘ग्लोबल सिटी’ में बदलने की क्षमता रखता है। इसे AAP के ‘दिल्ली डायलॉग्स’ (मोहल्ला सभाओं के दौरान लोगों के साथ बातचीत) के दौरान सामने आने वाले मुद्दों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था। घोषणापत्र मुख्य रूप से महिलाओं, युवाओं और ग्रामीण वोटों पर केंद्रित है। पार्टी 50 प्रतिशत की दर से बिजली उपलब्ध कराने और सभी को मुफ्त पानी देने के अपने चुनावी एजेंडे पर अड़ी हुई है। AAP घोषणापत्र के कुछ प्रमुख बिंदु हैं: –
AAP दिल्ली के लिए पूर्ण ‘राज्यत्व’ पर जोर देगी।
बिजली दरों को घटाकर आधा कर दिया जाएगा और सभी को स्वच्छ और मुफ्त पेयजल मुहैया कराया जाएगा।
अगर सत्ता में वोट दिया जाता है, तो पार्टी लोगों को आठ लाख नई नौकरियां प्रदान करेगी।
30,000 बेड शहर के विभिन्न अस्पतालों में जोड़े जाएंगे।
दिल्ली में 20 नए कॉलेज स्थापित किए जाएंगे।
शहर में 200 नए स्कूल बनाए जाएंगे।
जरूरतमंद छात्रों को एजुकेशन लोन मिलेगा।
अपराध की घटनाओं पर नजर रखने के लिए बसों, भीड़-भाड़ वाले इलाकों और सार्वजनिक स्थानों पर हजारों सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
AAP सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा के अक्षय और वैकल्पिक स्रोतों के लिए एक चरणबद्ध बदलाव की सुविधा प्रदान करेगी।
सीवर उपचार और नियंत्रण समृद्ध निर्वहन सहित यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
दिल्ली में लगभग दो लाख सार्वजनिक शौचालय स्थापित किए जाएंगे।
AAP लोकसभा और विधानसभा चुनाव परिणाम
Address : Aam Aadmi Party, Ground Floor, A-119, Kaushambi, Ghaziabad – 201010
Helpline : +91 – 9718500606
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Rahul Dravid reveals how he withstood Steve Waugh sledging in 2001 Kolkata Test | VIDEO: जब स्टीव वॉ के ताने सुनकर द्रविड़ ने खेली थी 180 रनों की शानदार पारी | Hindi News, क्रिकेट
जब स्टीव वॉ ने की थी राहुल द्रविड़ की स्लेजिंग (File Photo)
राहुल द्रविड़ ने इस मैच में 180 रनों की पारी खेली थी
वीवीएस लक्ष्मण ने इस मैच मे 281 रनों की पारी खेली थी
राहुल-लक्ष्मण के बीच पांचवें विकेट के लिए 376 रनों की साझेदारी
नई दिल्ली: भारत और ऑस्ट्रेलिया जब आमने-सामने होते हैं तो सिर्फ मैच नहीं होता बल्कि एक युद्ध के जैसा माहौल होता है. यूं तो भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ हर मैच रोमांचक रहा है, लेकिन 2001 में ऐसा ऐतिहासिक मैच खेला गया था, जिसकी यादें भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों की देशों के खिलाड़ियों और क्रिकेट फैन्स के जेहन में ताजा होंगी. 14 मार्च 2001... ईडन गार्डन का मैदान... भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया... मैदान पर राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की शानदार बल्लेबाजी... और क्रिकेट इतिहास में यह खास दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया.
वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने यूं तो कई शानदार पारियां खेली हैं, लेकिन 14 मार्च 2001 को ईडन गार्डन में खेली पारी सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो चुकी है. इसी पारी ने लक्ष्मण को वेरी वेरी स्पेशल और द्रविड़ को द वॉल का खिताब दिलवाया था.
इस मैच की यादों को ताजा करते हुए 16 साल बाद राहुल द्रविड़ ने एक राज से पर्दा उठाया है. हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल द्रविड़ ने बताया कि 2001 के उस ऐतिहासिक ईडन गार्डन टेस्ट में किस तरह उन्होंने स्टीव वॉ की स्लेजिंग का सामना किया था.
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने 2001 की बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की स्लेजिंग की याद को साझा किया. उन्होंने बताया कि कैसे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के कप्तान स्टीव वॉ की स्लेजिंग का सामना करते हुए उन्होंने बेहतरीन पारी खेली.
द्रविड़ ने बताया, ''ईडन गार्डन में खेले जा रहे टेस्ट मैच में स्टीव वॉ उनकी जमकर स्लेजिंग कर रहे थे, लेकिन उनकी बयानबाजी से उन पर कोई असर नहीं पड़ा और वो विकेट पर टिके रहे और भारतीय टीम को एक यादगार टेस्ट जीत दिलाई.''
VIDEO : जब ब्रेट ली के खतरनाक बाउंसर ने निकाला था द्रविड़ के कान से खून
बेंगुलुरु में गो स्पोर्ट्स एथलीट के कार्यक्रम में द्रविड़ ने कहा, ''कोलकाता के उस ऐतिहासिक टेस्ट मैच में पहले तीन दिन ऑस्ट्रेलियाई टीम पूरी तरह से भारतीय टीम पर हावी थी. व्यक्तिगत तौर पर मेरा फॉर्म भी अच्छा नहीं था. मुंबई में खेले गए मैच में मैंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था. यहां पर भी पहली पारी में मेरे बल्ले से रन नहीं निकले थे. यहां तक कि मुझे नंबर 6 पर बल्लेबाजी के लिए भेज दिया गया था.''
द्रविड़ ने बताया कि दूसरी पारी में जब मैं बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरा तो स्टीव वॉ ने मेरी स्लेजिंग की और कहा, ''राहुल इस मैच में तुम्हे नंबर 6 पर बैटिंग के लिए भेजा गया है, अगले मैच में तुम्हारा क्या होगा, क्या तुम्हे नंबर 12 पर बल्लेबाजी के लिए भेजा जाएगा.''
राहुल द्रविड़ ने आगे कहा, ''मेरे लिए काफी अजीब बयान था क्योंकि मैं काफी निराश हो चुका था. मैं उस स्थिति में नहीं था जहां से आगे के बारे में कुछ भी सोच सकूं. क्रिकेट में एक समय पर सिर्फ एक ही गेंद पर ध्यान देना होता है और मैं बस वही कर रहा था.''
द्रविड़ ने कहा, ''मैंने सोचा कि देखता हूं मैं कितनी गेंदें खेल सकता हूं और इस तरह से मैं एक-एक गेंद खेलता गया और इस तरह मैंने एक बड़ी और यादगार पारी खेली.''
इस पारी ने ना केवल राहुल और लक्ष्मण को, बल्कि भारतीय क्रिकेट को भी नई पहचान दिलवाई. 'वेरी वेरी स्पेशल' लक्ष्मण की 2001 में अविजित मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ दूसरी पारी में बनाए 281 रन बनाए थे. इसी मैच में 'द वॉल' राहुल द्रविड़ ने 180 रन बनाकर लक्ष्मण के साथ पांचवें विकेट के लिए 376 रनों की साझेदारी की थी. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने भारत के इन दोनों बेहतरीन बल्लेबाजों का कोई तोड़ नहीं था. सीरीज के इस दूसरे टेस्ट मैच में भारत को 171 रनों से जीत मिली थी.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के दौरान दूसरी पारी में जब सचिन जल्दी आउट हो गए, तब लोग स्टेडियम छोड़कर जाने लगे. लेकिन अगले दिन बड़ी संख्या में लोग वापस स्टेडियम पहुंचे, लोगों की यह वापसी सचिन के लिए नहीं, बल्कि वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ के लिए थी. इस मैच में सचिन के आउट होने के बाद लक्ष्मण और गांगुली के आउट होने के बाद द्रविड़ मैदान पर उतरे और फिर हुआ ये चमत्कार.
इस मैच में दोनों के बीच 376 रनों की साझेदारी हुई. द्रविड़ 180 रन बनाकर आउट हुए जबकि लक्ष्मण ने 281 रन बनाए. भारत ने अपनी दूसरी पारी की घोषणा 657 रनों पर कर . इस तरह ऑस्ट्रेलिया के सामने 383 रन का लक्ष्य था. लक्ष्मण और द्रविड़ के बाद हरभजन सिंह ने अपना कमल दिखाया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के छह विकेट लेने में कामयाबी हासिल की और ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम सिर्फ 212 रन पर ऑल आउट हो गई. इस तरह भारत ने इस मैच को 171 रन से जीत लिया था.
rahul dravidSteve WaughIndia vs Australia14 march 2001india vs australia 2001 |
फ़ुरसतिया: मिलो न तुम तो हम घबरायें
मिलो तो आँख चुराएं, हमें क्या हो गया है।
यह गाना बज रहा था आज जब हम पहुंचे 'पंकज टी स्टाल' पर।
सुबह निकलते हुए आज साढ़े छह बज गए । साईकिल निकाली तो लगा पैसे नहीं रखे। देखा तो जेब छूँछी। सोचा ऐसे ही निकल लें। आज की चाय उधार रहेगी। फिर सोचा किसी की बोहनी का बखत होगा। सुबह की शुरुआत उधार से करना ठीक नहीं। साइकिल स्टैंड पर खड़ी की। कमरे पर गए। पैसे लिए। जेब में डाले फिर साईकल स्टार्ट की।
निकलते ही सूरज भाई दिखे। सुबह की धूप हल्की थी। कोहरीली धूप। ऐसा लगा जैसे जाड़े में धूप की बढ़ी हुई मांग को सूरज भाई धूप में कोहरा मिलाकर पूरा कर रहे हों- जैसे गर्मी में दूध में पानी और त्यौहारो में खोये में मिलावट बढ़ जाती है।
यह बात हमने सूरज भाई से कही तो वे हंसने लगे। किरणें भी खिलखिलाने लगीं। ऐसा लगा मानों मेरी शिकायत सुनते ही सूरज भाई ने मुझसे कहा हो-'अरे यार बाकियों की चिंता छोड़ । ये लो तुम्हारे लिए बढ़िया प्योर खिली हुई स्पेशल धूप।'
सुनहरी , खिली हुई धूप और खिलखिलाती किरणों ने मुझे चुप कर दिया। हम और कुछ कह नहीं पाये। आगे चल दिए।
मोड़ पर ही छट्ठू सिंह के साथी मिल गए। आज छट्ठू सिंह नहीं आये थे। दो दिन से तबियत ढीली है। हमने उनके साथियों से कहा-"आप लोग बाहर जाओ कहीँ घूमने के लिए। अच्छा लगेगा। क्या यहीं टहलते रहते हैं।" उन्होंने हामी भरी और फिर नमस्ते करके चले गए।
सरिया लेकर टहलती बुजुर्ग महिला आज भी सरिया लिए टहल रहीं थी। अलबत्ता आज सरिया का मुड़ा हुआ हिस्सा सड़क की तरफ था। पहले दिन वह हाथ की तरफ था।
बस स्टैंड पर लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे। एक बच्ची एकदम सावधान मुद्रा में खड़ी किसी पतली सी किताब से कुछ पढ़ रही थी। तल्लीन थी पढ़ने में वह। शायद उसका कोई टेस्ट या इम्तहान हो। यह लगा 'पीके' फ़िल्म की तरह ऐसी सुविधाएं आने लगें कि बच्चे किताब का मसाला किताब छूकर ही दिमाग में डाउनलोड कर सकें।
आगे एक बस रुकी। हार्न दिया। एक महिला लपकती हुई आई। साथ की बच्चे को बस में लपककर जमा सा करके नीचे से बस्ता उसको थमाया।बस स्टार्ट ही रही। बच्चे के जमा होते ही चल दी। महिला ने बच्चे को बस में बैठाने के पहले की हड़बड़ाहट चेहरे से पोंछ कर मुस्कराते हुए बच्चे को टाटा किया। बस जब दूर हो गयी तो उसने चेहरे की मुस्कान को भी समेट कर चेहरा सामान्य कर लिया।
महिला को देर तक मुस्कराना शायद उसको फिजूलखर्ची लगा हो। शायद उसको लगता हो कि मुस्कान अनमोल है। फिजूल में खर्च नहीं करना चाहिये। पता नहीं कब किस गम को छिपाने के लिए जरूरत पढ़ जाए। वो गाना है न:
तुम इतना क्यों मुस्करा रहे हो
क्या गम है जो मुझसे छिपा रहे हो।
पंकज टी स्टाल पर वही गाना बज रहा था जो ऊपर बताया:
मिलो न तुम तो हम घबराएं
चाय की दूकान पर दो चिलमची चिलम सुलगा रहे थे। एक ने माचिस की तीली सुलगाई। दूसरे ने नीचे झुककर आँख मूँदकर जल्दी-जल्दी सांस खींचकर चिलम सुलगाई। चिलम जब सुलग गयी तो जल्दी-जल्दी वाली साँस बन्द करके उसने चैन की सांस ली। थोड़ा सन्तोष भी मिला हुआ था चैन की सांस में कि जल्दी सुलग गयी चिलम।
दोनों चिलमची काले कपड़े पहने हुए थे।नीचे बैठकर चिलम सुलगाते हुये व्यक्ति की मुद्रा कुछ वैसी ही थी जैसे प्रेमी अपनी प्रेमिका को शादी के लिए प्रस्ताव पेश करते समय झुकता है। चिलम सुलगते ही वे दोनों एक कोने में चले गए।
इस बीच जीसीएफ फैक्ट्री में काम करने वाला एक स्टाफ वहां आ गया। फैक्ट्री के पुराने जीएम की बुराई कर रहा कि वो बहुत टाइट करके चले गए फैक्ट्री। अब भी वैसा ही हाल बना हुआ है। इत्ता टाइट थोड़ी करना चाहिए था। हर बात में सख्ती।
फिर वह मुझसे पूछने लगा कि ये बताइये कि 33 का क्या हो रहा है? मुझे कुछ समझ में नहीं आया तुरन्त। मैंने कहा-'देखो क्या होता है।'
फिर वह सरकार पर अपनी नाराजगी उतारने लगा और बिना रुके कहता रहा:
"इनकी बस मुंडी मटकती है, इसकी बुराई, उसकी बुराई। बोलना बहुत अच्छा आता है। जब आये थे तब बोले कि- ये विकास होगा होगा, वो नौकरी लगेगी। लेकिन हुआ कुछ नहीं। सब ऐसे ही खाईबाजी चल रही है। कहीं डिजिटल इण्डिया, कहीं स्वच्छ भारत। कीमत पर कोई कंट्रोल नहीं। मास्टर 5000 में काम कर रहा है। न बच्चे हैं न कुछ। न सरकारी स्कूल हैं न डॉक्टर। ऐसे ही पांच साल निकाल देंगे। फिर कहेंगे पांच साल और चाहिये। हमें यह लगता है कि कहीं अपनी फैक्ट्रियों को भी न सड़क पर ला दें। बीएसएनएल को बर्बाद कर ही दिया। प्रमोद महाजन ने किया था। बिहार में जीते तो 33 साल कर देंगे।"
33 से मुझे याद आया कि उनकी नाराजगी का कारण वह सम्भावित योजना है जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति सरकार की नौकरी से 33 साल की नौकरी या फिर 60 साल की उम्र में से जो पहले होगा सेवा से रिटायर हो जायेगा। इन भाई साहब के 35 साल नौकरी के हो चुके हैं। 5 साल अभी भी बाकी हैं। मतलब 20 साल की उम्र में आये थे नौकरी में। यही इनके लिए चिंता का विषय है कि सेवा अवधि 33 साल की हो जायेगी तो फौरन पेंशन पेपर थमा दिए जाएंगे।
अपनी चिंता को विस्तार देते हुए उन्होंने बताया कि पहले 19-20 साल की नौकरी में आ जाते थे लोग। आज अगर 33/60 लागू होगा तो 500 से 1000 लोग हर फैक्ट्री से बाहर हो जाएंगे।
मेरा मन हुआ कहें कि नए लड़कों की नौकरी मिलेगी भी तो। लेकिन फिर कहा नहीं। वह भी ड्यूटी जाने की जल्दी में था। चला गया।
इस बीच तीन बच्चे मेरी बगल में आकर बैठ गए। बात की तो पता चला कि उनके दादा जीसीएफ में काम करते हैं। पिता प्राइवेट काम करते हैं। क्या करते हैं बच्चों को पता नहीं। बच्ची 5 में पढ़ती है, बच्चे 2 में। आज स्कूल नहीं गए। गाँव जाना है।कुछ काम है। मम्मी के साथ जाएंगे। बिहार के हसनपुर में गाँव है।
बच्चे बड़े प्यारे लग रहे थे। छोटे बच्चे के गाल का एक हिस्सा कुछ गुलाबी रंगत लिए बहुत प्यारा लग रहा था। मैंने फोटो के लिए पूछा तो पहले तो मना कर दिया बच्ची ने। पर बातचीत के बाद दुबारा पूछा तो कहा- ले लीजिये। फोटो दिखाई तो खुश हुए बच्चे।
लौटते में दीपा को देखने गए। उसके हाथ में चोट लगी दिखी। बताया-खेलते में गिर गयी थी। चोट हल्की ही थी पर कोई दवाई न लगाने से बढ़ गयी थी। हल्का सा मवाद भी आ रहा था। हमने उसके पिता से पूछा कि इसको दवा क्यों नहीं लगवाई तो बोला- 'कल जाएंगे।आधार कार्ड भी बनवा लेंगे।'
हमें लगा कि यह हाल हैं अपने समाज में स्वास्थ्य सुविधाओं के कि एक साधारण खरोंच तक के लिए लोग दवा नहीं लेते या ले पाते। स्कूल में भी प्राथमिक चिकित्सा की कोई सुविधा होती तो चोट अब तक ठीक हो जाती।
उसके स्कूल का समय हो रहा था। इसलिए यह सोचकर कि शाम को उसको अस्पताल से पट्टी करवा देंगे हम चले आये वापस। चलने से पहले दीपा का एक फोटो लिया तो दीपा ने कहा -'हम शेरू का फोटो लेंगें।' लिया उसने और खुश हुई कि अच्छा आया।
क्रासिंग बन्द थी। हमने खुलने का इंतजार करते हुए वहीं साइकिल पर बैठे-खड़े पोस्ट का शुरूआती हिस्सा टाइप किया। डबल क्रास था। दोनों ट्रेने निकल गयीं तब फाटक खुला। हम वापस कमरे पर आये। चाय पीते हुए पोस्ट लिखी।
अब जा रहे हैं फैक्ट्री के लिए। आज गुणवत्ता माह की शुरुआत है। सबको मुबारक हो।
आपका दिन मंगलमय हो शुभ हो। |
2014 के खूंखार आतंकी हमले | वीडियो और तस्वीरें | DW | 17.12.2014
साल 2014 में कोई ऐसा महीना नहीं जिसमें आतंकवादी वारदात न घटी हो. बाजार से लेकर घरों तक लोग आतंकियों के निशाने बनते रहे. 2014 में सबसे ज्यादा इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने ध्यान खींचा.
कीवर्ड आतंकवाद, दुनिया, पाकिस्तान, पेशावर, तालिबान, इस्लामिक स्टेट
पर्मालिंक |
आपातकालीन नंबर डायल 100 अब डायल 112 - Dekho 360
Wednesday - 22|January|2020
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Home Updates/News आपातकालीन नंबर डायल 100 अब डायल 112
आपातकालीन नंबर डायल 100 अब डायल 112
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 26 अक्टूबर से आपातकालीन 100 नंबर हो जाएगा 112 नंबर। यानी आपातकाल और पुलिस सहायता की स्थिति में आपको 100 नंबर की बजाय 112 नम्बर मिलाना होगा। उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने सभी एसपी और एसएसपी को इस संबंध में निर्देश दिए हैं।
निर्देश में कहा गया है कि 112 नंबर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई देशों में आपातकालीन हेल्पलाइन के रूप में पहले से ही स्थापित है। इसी क्रम में भारत सरकार ने 112 नंबर को पूरे देश में, पुलिस आपातकालीन हेल्पलाइन के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इसे अलग अलग चरणों में सभी राज्यों में लागू किया जाना है।
इसी के तहत अब उत्तर प्रदेश में लीगों को आकस्मिक पुलिस आपातकालीन सहायता के लिए 112 नंबर डायल करना होगा। दरअसल 112 नंम्बर डायल करने पर न केवल पुलिस सहायता बल्कि फायर, एम्बुलेन्स, जीवन रक्षक एजेंसियां (जैसे कि SDRF) की सेवाएं भी प्राप्त होंगी।
अभी फिलहाल 100 नंबर भी पहले की तरह काम करता रहेगा क्योंकि सभी लोगों को ये जानकारी होने में समय लगेगा।
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उद्धव के बयान के बाद साईं बाबा की जन्मभूमि को लेकर विवाद
अमेरिका में नए बने गुरुद्वारे पर रंगभेदियों की साजिश | Guru Maneyo Granth Gurdwara Orangevale California US defaced
मॉरीशस के PM प्रविन्द जगन्नाथ ने पूजा की फोटो ट्वीट कर खिचड़ी की बधाई दी | Mauritius PM Pravind Jagannath Puja
चार्जिंग लगाते ही लुट जाएंगे आप, जानिए क्या है जूस अटैक
ऋतिक रोशन ने पूछा कौन है ये एयर वाकर | अमिताभ बच्चन ने की तारीफ | Smoothest airwalker | Yuvraj Singh| Hrithik Roshan |...
काशी विश्वनाथ मंदिर में धोती पहनने की ख़बर फेक निकली
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उच्चारण: गीत "फटी घाघरा-चोली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Labels: गीत, फटी घाघरा-चोली
Onkar 13 अगस्त 2017 को 8:40 am
-अच्छा लगता है (1) -सन्देश- (2) :स्वर-अर्चना चावजी का (3) !!रावण या रक्तबीज!! 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Bihar Board Class 10th Result 2018: BSEB 10th Result declaration time extended, now result will release on this time at biharboard.ac.in | Education News News in Hindi | Bihar Board 10th result 2018: बिहार बोर्ड रिजल्ट के समय में बदलाव, अब इस समय होगा जारी - Catch Hindi
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कैच ब्यूरो | Updated on: 26 June 2018, 9:21 IST
बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) के 10वीं का रिजल्ट आज जारी किए जाने की संभावना है. पहले बोर्ड के द्वारा जानकारी दी गई थी कि मैट्रिक के रिजल्ट की घोषणा 26 जून को 11:30 बजे की जाएगी लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि रिजल्ट के समय को आगे बढ़ाकर शाम 4:30 बजे कर दिया गया है.
जब तक रिजल्ट जारी नहीं कर दिया जाता है तब तक अनिश्चितता ही बरकरार रहेगा. बिहार बोर्ड द्वारा बार-बार समय बदलने से कतई सकारात्मक संदेश नहीं जायेगा और बच्चों का चिंतित होना स्वाभाविक है. ऐसी सूचना मिली है की रिजल्ट शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा जारी करेंगे.
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रिजल्ट जारी होने के बाद स्टूडेंट्स अपना रिजल्ट biharboardonline.in, biharboard.online या biharboardonline.bihar.gov.in पर चेक कर सकते हैं. बिहार बोर्ड द्वारा रिजल्ट जारी करते ही 17 लाख से अधिक छात्रों का इंतज़ार भी खत्म हो जाएगा. कई स्टूडेंट्स का कहना है कि बिहार बोर्ड बार-बार रिजल्ट की तारीख बदल देता है जब तक नतीजे घोषित ना हो जाएं हम विश्वास नहीं कर सकते. छात्रों का कहना है कि हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले पर त्वरित कार्यवाई करनी चाहिए.
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बिहार बोर्ड अपडेट
बिहार बोर्ड की ओर से तजा अपडेट प्राप्त हुआ है कि नतीजे आज यानि 26 जुलाई 2018 को शाम 04:30 बजे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति सभागार में परीक्षाफल को जारी किया जाएगा. परीक्षाफल की घोषणा शिक्षा विभाग के मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा द्वारा की जाएगी. शिक्षा विभाग प्रधान सचिव एवं आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार बोर्ड उपस्थित रहेंगे. पिछले साल से इस साल रिजल्ट बेहतर होने की उम्मीद है.
सबसे पहले biharboardonline.in या biharboard.online या biharboardonline.bihar.gov.in पर लॉग इन करें.
अब Results पर क्लिक करें, यहां पर आपको matric exam 2018 result या class x result 2018 का लिंक दिखेगा.
रिजल्ट का लिंक क्लिक करके बाद नया पेज खुलेगा यहां अपना रोल नंबर और अन्य डिटेल दर्ज करें.
अब सब्मिट बटन क्लिक करते ही रिजल्ट आपके सामने स्क्रीन होग. इसे अपनी सुविधानुसार भविष्य की जरूरत के लिए प्रिंट आउट करा सकते हैं.
First published: 26 June 2018, 8:56 IST
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दिल्ली ने पहली बार डायोरमा फिल्म फेस्टिवल के लिए दरवाजे खोले पूजा मिश्रा – Latest Bollywood News, Bhojpuri Film News, बॉलीवुड की ख़बरे, भोजपुरी फिल्म की ख़बरे – Filmy Tadka
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डॉ. तनकेस्वरभूयं, जनरल सर्जन/शल्य चिकित्सक, डिब्रूगढ, असम
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डॉ. तनकेस्वरभूयं - जनरल सर्जन/शल्य चिकित्सक
डॉ. तनकेस्वरभूयं,
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सुल्तानगंज के पास पलटने से बची विक्रमशिला एक्सप्रेस, जानिए... क्या हुआ था - Railway Enquiry
Sat May 25 14:17:51 IST
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Nov 18 2018 (22:14) सुल्तानगंज के पास पलटने से बची विक्रमशिला एक्सप्रेस, जानिए... क्या हुआ था
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Nov 18 2018 (22:14)
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भागलपुर (जेएनएन)। आनंद विहार टर्मिनल से चलकर भागलपुर आ रही 12368 डाउन विक्रमशिला सुपरफास्ट एक्सप्रेस से रविवार की शाम सुल्तानगंज-भागलपुर के बीच स्थित अब्जूगंज हॉल्ट के पास एक भैंसा कट गया। इस कारण तेज आवाज और झटके साथ ट्रेन रुक गई और एक बड़ा हादसा होने से टल गया। ट्रेन के रुकते ही कोच में सवार यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। कई यात्री ट्रेन के रुकते ही बोगियों से कूद गए। इस दौरान करीब डेढ़ घंटे तक डाउन लाइन पर ट्रेनों का परिचालन ठप रहा।
विक्रमशिला एक्सप्रेस करीब पौने छह घंटे विलंब से चल रही थी। शाम 5.30 बजे सुल्तानगंज स्टेशन से खुली। सुल्तानगंज के बाद ट्रेन का ठहराव सीधा भागलपुर होने के कारण ट्रेन रफ्तार में थी। ट्रेन अभी अब्जूगंज हॉल्ट...
क्रास करने वाली ही थी कि अचानक एक बड़ा भैंसा ट्रैक पर आ गया। लगातार हॉर्न बजाने के बाद भी भैंसा नहीं हटा और इंजन से टकरा गया। इसके बाद भैंसा का शरीर इंजन के नीचे में फंस गया और ट्रेन को रोकनी पड़ी। पीडब्ल्यूआई और रेलकर्मियों ने भैंसा के शरीर को इंजन से हटाया। करीब सात बजे ट्रेन भागलपुर के लिए खुली। इस दौरान गया-हावड़ा एक्सप्रेस, अजमेर-भागलपुर एक्सप्रेस, सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस और सवारी गाड़ी पीछे के स्टेशनों पर रुकी रही। |
लेटेक्स एलर्जी के लक्षण, कारण, इलाज, Latex Allergy ke karan, lakshan, ilaj in Hindi
लेटेक्स एलर्जी - Latex Allergy in Hindi
लेटेक्स एलर्जी क्या है?
प्राकृतिक रूप से मिलने वाली लेटेक्स रबड़ (रबड़ के पेड़ से मिलने वाला एक उत्पाद) में मौजूद कुछ प्रोटीन के प्रति होने वाली प्रतिक्रिया को लेटेक्स एलर्जी कहते हैं। इसके संपर्क में आने से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है। रबड़ के दस्ताने व अन्य उत्पादों जैसे कंडोम या मेडिकल उपकरणों से भी ये एलर्जी हो सकती है।
इससे प्रभावित व्यक्ति में त्वचा पर खुजली जैसे लक्षण दिख सकते हैं, इस स्थिति में गले में सूजन और सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है। डॉक्टर इन लक्षणों के आधार पर यह निर्धारित करते हैं कि व्यक्ति को लेटेक्स एलर्जी है या नहीं या फिर इसके होने की कितनी संभावना है। एलर्जी के लक्षणों को समझ कर और लेटेक्स के स्रोतों के बारे में जानकर इस स्थिति से बचा जा सकता है।
लेटेक्स एलर्जी के लक्षण सामान्य से लेकर गंभीर हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति के शरीर में लेटेक्स सांस के जरिए पहुंचा है या फिर किसी चीज को छूने से हुआ है। यदि लेटेक्स एलर्जी का समय पर उपचार नहीं किया जाए, तो यह स्थिति समय के साथ बदतर हो सकती है।
इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
पित्ती या दाने
गंभीर लक्षणों में शामिल हैं:
आंखों में खुजली व आंखों से पानी आना
लेटेक्स एलर्जी के कारण
सीधे संपर्क में आने से:
यदि कोई व्यक्ति लेटेक्स एलर्जी से ग्रस्त है, तो संभव है कि उसे ये बीमारी लेटेक्स रबड़ से बने उत्पादों जैसे दस्ताने, गुब्बारे को छूने के बाद हुई हो।
सांस के माध्यम से:
जब कोई व्यक्ति लेटेक्स से बने दस्तानों को अपने हाथ से निकालता है या लेटेक्स को हवा में रगड़ता है, तो वातावरण में लेटेक्स के अति सूक्ष्म कण मिल जाते हैं, जोकि सांस के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं।
लेटेक्स एलर्जी का इलाज
डॉक्टरों का मानना है कि लेटेक्स एलर्जी के लक्षणों को एंटी-हिस्टामिनन (एलर्जी रोकने वाले) या कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं (सूजन, लालिमा, एलर्जी और खुजली कम करने वाली) के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षण गंभीर हैं तो ऐसी स्थिति में एपिनेफ्रीन आईवी फ्लूइड्स (नस के जरिए ड्रिप से फ्लूइड चढ़ाना) जैसी दवाएं व अन्य इमरजेंसी मेडिकल केयर की आवश्यकता पड़ सकती है। डॉक्टर की सलाह पर प्रभावित व्यक्ति को एपिनेफ्रीन (एलर्जी रोकने वाली) के दो शॉट्स (इंजेक्शन) लेने पड़ सकते हैं।
लेटेक्स एलर्जी के डॉक्टर
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Bihar News In Hindi : Muzaffarpur News - order of fixing the pay scales of trained teachers in the past | पूर्व में प्रशिक्षित शिक्षकाें के वेतनमान निर्धारण का अादेश - muzaffarpur News,मुजफ्फरपुर न्यूज़,मुजफ्फरपुर समाचार
Muzaffarpur News order of fixing the pay scales of trained teachers in the past
पूर्व में प्रशिक्षित शिक्षकाें के वेतनमान निर्धारण का अादेश
Muzaffarpur News - पूर्व में डीएलएड या किसी अन्य संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त नियाेजित शिक्षकाें काे जल्द ही प्रशिक्षित वेतनमान का...
पूर्व में डीएलएड या किसी अन्य संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त नियाेजित शिक्षकाें काे जल्द ही प्रशिक्षित वेतनमान का लाभ मिलेगा। डीपीअाे स्थापना अब्दुस्सलाम अंसारी ने सभी बीइअाे काे अादेश दिया है कि एक सप्ताह के अंदर पूर्व से प्रशिक्षण प्राप्त नियाेजित शिक्षकाें की सूची एवं प्रमाण पत्र वेतन प्रभारी काे उपलब्ध करा दें।
इसी अाधार पर उन्हें प्रशिक्षित वेतनमान दिया जाएगा। वैसे नियाेजित शिक्षक, जिन्हाेंने प्रशिक्षित नियम लागू हाेने से पहले ही डीएलएड या किसी अन्य संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया था, उन्हें प्रशिक्षित वेतनमान दिया जाएगा। वेतनमान निर्धारण के लिए वैसे शिक्षकाें से दाे प्रति प्रशिक्षित प्रमाण पत्र एवं अंक पत्र स्वअभिप्रमाणित छाया प्रति विभाग ने मांगी है। विभाग द्वारा अंक पत्र एवं प्रशिक्षण प्रमाण पत्र काे बाेर्ड द्वारा सत्यापित कराया जाएगा। सत्यापन के बाद शिक्षकाें काे प्रशिक्षित वेतनमान दिया जाएगा। डीपीअाे द्वारा प्रशिक्षित वेतनमान निर्धारण के लिए अादेश निर्गत करने पर परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने धन्यवाद दिया है।
संघ के प्रमंडलीय संगठन प्रभारी लखन लाल निषाद ने कहा, इस अादेश के लिए संघ लगातार प्रयास कर रहा था। साथ ही वेतन भुगतान से संबंधित अादेश भी अधिकारी की अच्छी पहल है। संघ इसके लिए धन्यवाद देता है। |
नए कानूनों के तहत विमान अपहरणकर्ता को मिलेगा मृत्युदंड
नई दिल्ली, इंडियन एयरलाइंस के एक विमान का अपहरण करके कंधार ले जाने के करीब 16 वर्ष बाद केन्द्रीय मत्रिमंडल की स्वीकृति के लिये जल्द ही एक ऐसे विधेयक को पेश किया जायेगा जिसमें अपहरणकर्त्ता विमानस्थल पर किसी कर्मचारी को भी जानमाल का नुकसान पहुचाता है तो उसे मृत्युदंड देने का प्रावधान किया गया है ।इससे पहले के विधेयक में विमान अपहरणकर्त्ता को बंधकों: विमान यात्री और विमान क्रू:विमान चालक दल के सदस्य और सुरक्षा कर्मियों के मारे जाने की स्थिति में अपहरणकर्त्ता को मृत्युदंड देने का प्रावधान था । संशोधित विधेयक विमान अपरहण की आतंकी जैसे घटनाओं से निबटने के लिये विश्व में कठोर कानूनों में से एक होगा । इस विधेयक के जरिये सरकार विमान अपहरण जैसी घटनाओं के दौरान विमानस्थल के कर्मचारियों, हवाई अड्डे के कर्मचारी और अन्य के मारे पर अपहरणकर्त्ता को मृत्युदंड की सजा दिला सकेगी ।नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार एंटी हाइजेकिंग संशोधन विधेयक में उक्त बदलाव करके उसे और विचार विमर्श करने के लिये कानून एवं न्याय मंत्रालय को भेजा गया है । कानून एवं न्याय मंत्रालय से विधेयक वापस आने के बाद इसे स्वीकृति के लिये केन्द्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा जायेगा।मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, विधेयक को पिछले साल दिसंबर में पेश करने के बाद इसे मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था। अब समिति की सिफारिशों को इस विधेयक में शामिल कर लिया गया है। हमारे यहां पर विमान अपहरणकर्त्ताओं से निबटने के लिये विश्व का सबसे कठोर कानून होगा जिसमें ऐसी घटना के दौरान ग्राउंड पर भी किसी की भी दुर्घटना होने की स्थिति पर उसे मृत्युदंड दिये जाने का प्रावधान किया गया है ।नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने पिछले साल संसद में एंटी हाइजेकिंगःसंशोधनः विधेयक 2014 को पेश किया था । विघेयक में विमान अपहरणकर्त्ता के लिये मृत्युदंड और ऐसी राष्ट्र विरोधी ताकतों के साथ सांठगांठ करने वाले व्यक्तियों के लिये कठोर सजा का प्रावधान था। अपहरणकर्त्ताओं के साथ साजिश करने वाले व्यैक्तिक के दायरे को शामिल करके अपहरण की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है।मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एक बार नया कानून अमल में आ गया तो अपहरणकर्त्ता को मृत्युदंड दिया जा सकेगा और कठोर दंड़ को स्पष्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा नियमों में अपहरणकर्त्ता को अधिकतम सजा आजीवन कारावास और जुर्माना का प्रावधान है। यह बदलाव अंतररष्ट्रीय नागर विमानन संगठन के बीजिंग प्रोटोकॉल के अनुरूप है जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के अनुसार भारतीय कानून में सुधार किया गया है।अधिकारी ने कहा, मौजूदा कानून के तहत अगर मानव बम का उपयोग किया जाता है और घटना में इसमें शामिल अपराधी मारा जाता है तो इसकी योजना को अंजाम देने वाले शामिल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। नये कानून में इनके खिलाफ कार्रवाई करने और अपहरणकर्त्ता की संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान है।
प्रस्तावित कानून में सुरक्षा बलों को विमान को गतिहीन करने और उसे उडने से रोक देने का भी अधिकार प्राप्त होगा। अपहृत विमान को रोककर उसके नीचे उतरने के मजबूर करने के लिये भारतीय वायु सेना अपने लडाकू विमान को भेज सकेगी। इसके अलावा सुरक्षा बलों के पास यह भी अधिकार होगा कि वे अपने महत्वपूर्ण ठिकाने से मिसाइल का उपयोग करके विमान को मार गिरा सकते है।
एंटी हाइजेकिंग:संशोधनः विधेयक को 2010 में राज्यसभा में 1982 के कानून को निरस्त करने के लिये पेश किया गया था। तत्कालीन पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने विधेयक को मार्च 2010 में मंजूरी दी थी। इसके बाद इसे संसद की स्थाई समिति के पास भेज दिया गया था। समिति ने उसी अक्तूबर में अपनी रिपोर्ट सौंपी था
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LIVE WIvIND: बारिश के चलते ओवरों में कटौती, अब 35-35 ओवर का होगा मैच | The Hindu Patrika
LIVE WIvIND: बारिश के चलते ओवरों में कटौती, अब 35-35 ओवर का होगा मैच
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला Updated Thu, 15 Aug 2019 12:17 AM IST
वेस्टइंडीज और भारत के बीच तीन वन-डे मैचों की सीरीज का तीसरा व आखिरी मुकाबला त्रिनिदाद में खेला जा रहा है। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी कैरेबियाई टीम ने खबर लिखे जाने तक 24 ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर 168 रन बना लिए हैं। शिमरोन हेटमायर (24) और शाई होप (24) रन बनाकर क्रीज पर मौजूद हैं। बता दें कि बारिश की वजह से यह मुकाबला 35-35 ओवर का कर दिया गया है।
एक बार फिर बारिश शुरू हो गई है और मैदान पर कवर्स लौट आए हैं। 22 ओवर में वेस्टइंडीज का स्कोर 152/2, शाई होप 40 गेंद पर 19 और शिमरोन हेटमेयर 23 गेंद पर 18 रन बनाकर नॉटआउट हैं।इससे पहले भी बारिश ने 1.3 ओवर में मैच में खलल डाला था। सभी खिलाड़ियों को मैदान से वापस लौटना पड़ा था।उस समय क्रिस गेल 9 गेंद पर छह रन और एविन लुइस बिना खाता खोले नॉटआउट पवेलियन लौटे थे और उस वक्त वेस्टइंडीज का स्कोर 8/0 था।
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★★★ क्षुद्रग्रह और धूमकेतु के बीच का अंतर ★★★
आज मुझे एक क्षुद्रग्रह और धूमकेतु के बीच का अंतर पता चला।
एक धूमकेतु बस एक अपेक्षाकृत छोटी खगोलीय वस्तु है जिसमें एक "पूंछ" होती है, जिसे कोमा कहा जाता है, जो धूमकेतु के लिए एक अस्थायी वातावरण बनाता है। दूसरी तरफ, क्षुद्रग्रह इस पूंछ को प्रदर्शित नहीं करते हैं और उन्हें केवल एक खगोलीय वस्तु के रूप में परिभाषित किया जाता है जो सूर्य के चारों ओर कक्षाओं में होता है, लेकिन यह ग्रह या धूमकेतु नहीं है।
एक धूमकेतु की पूंछ सूर्य से बना है जिसमें धूमकेतु के विभिन्न पदार्थों को गर्म किया जाता है, जैसे बर्फ के रूप में पानी, अंतरिक्ष के निर्वात में उबलते बिंदु स्तर से परे। इन वाष्पीकृत पदार्थों को तब धूमकेतु से निकाल दिया जाता है और पूंछ बनाते हुए सौर हवाओं से निकलते हैं। यही कारण है कि धूमकेतु की पूंछ हमेशा धूमकेतु की स्थिति के सापेक्ष सूर्य से दूर होती है, और अक्सर अंतरिक्ष के माध्यम से अपने वेक्टर के सापेक्ष धूमकेतु के पीछे चित्रित नहीं होती है।
इन पूंछों ने इस धारणा को जन्म दिया कि धूमकेतु बर्फ में एम्बेडेड विभिन्न कणों के साथ कुछ अपेक्षाकृत छोटे कोर के आस-पास बर्फ के बने होते थे। दूसरी तरफ, क्षुद्रग्रहों को आम तौर पर धातुओं और विभिन्न प्रकार के चट्टानों के रूप में माना जाता है जो सूर्य के करीब पर्याप्त रूप से बने होते हैं कि अधिकांश बर्फ या अन्य अपेक्षाकृत आसानी से वाष्पीकृत सामग्री को लंबे समय से निष्कासित कर दिया गया है। हालांकि, पिछले एक दशक में, यह पाया गया है कि, वास्तव में, यह हमेशा मामला नहीं है और क्षुद्रग्रह और धूमकेतु का मेकअप वास्तव में इतना अलग नहीं है, हालांकि धूमकेतु में आमतौर पर अधिक बर्फ होता है, धन्यवाद प्रारंभ में "बर्फ क्षेत्र" से परे गठित किया जा रहा है।
इस और अन्य चीजों का अध्ययन करने के लिए, 2001 में, नासा की दीप स्पेस 1 टीम ने पाया कि धूमकेतु की सतह बोरेलली बर्फ से बना नहीं थी, बल्कि, बहुत गर्म और पूरी तरह सूखी थी, बिना पानी या बर्फ के, बहुत से लोग क्षुद्रग्रहों। बेशक, वस्तु एक पूंछ का प्रदर्शन कर रही थी, इसलिए यह ज्ञात था कि कहीं कहीं अपेक्षाकृत आसानी से वाष्पीकृत पदार्थ होना चाहिए था। तो, इस बिंदु पर सिद्धांत यह था कि बर्फ सतह से नीचे होना चाहिए या बर्फ की परत को कवर करने वाला कुछ प्रकार का मामला था, अनिवार्य रूप से बर्फ को देखने योग्य होने से रोक रहा था।
धूमकेतु टेम्पल 1 पर 2005 में आगे का शोध किया गया था। इस मामले में, उन्होंने इन धूमकेतुओं को देखने के लिए इस धूमकेतु में एक क्रेटर को विस्फोट करने की जांच की थी। उन्होंने जो पाया वह यह था कि उपर्युक्त सिद्धांत सही था और बर्फ सतह के नीचे केंद्रित है।
वहां से, एक विशिष्ट क्षुद्रग्रह और धूमकेतु के बीच भेद अधिक हो जाता है क्योंकि कुछ क्षुद्रग्रहों को भी उनकी सतह के नीचे बर्फ के रूप में पानी की महत्वपूर्ण मात्रा में माना जाता है। इसके अलावा, हाल की खोजों से पता चला है कि धूमकेतु की धूल मेकअप में क्षुद्रग्रह धूल के बहुत करीब दिखती है, पूर्व सिद्धांतों के विपरीत, यह सुझाव देती है कि वे एक ही चीजों से बने होते हैं, सिमेट पर अभी भी बर्फ की संभावित बड़ी मात्रा को छोड़कर।
तो हम एक बार फिर मुख्य अंतर पर वापस आते हैं, बस यह है कि धूमकेतु में अभी भी पर्याप्त आसानी से वाष्पीकरण योग्य सामग्री है, मुख्य रूप से पानी, जब वे हमारे सौर मंडल के भीतरी हिस्से में आते हैं, तो बर्फ के रूप में कुछ पानी पिघल जाता है और निष्कासित कर दिया जाता है , उन्हें अच्छा "पूंछ" दे रहा है। आखिरकार, सभी पानी और अन्य आसानी से वाष्पीकृत सामग्री को धूमकेतु से बाहर निकाला जाएगा, जो तब क्षुद्रग्रह बन जाता है।
2006 में कुछ क्षुद्रग्रहों, धूमकेतु, छोटे ग्रह आदि को कॉल करने के संदर्भ में, इन विभिन्न वस्तुओं के मेकअप के बारे में अधिक जानने के लिए नामांकन समस्याओं में से कुछ पाने के लिए, "छोटे सौर मंडल निकाय" छोटे ग्रहों, धूमकेतु, क्षुद्रग्रहों, और इसी तरह की अपेक्षाकृत छोटी खगोलीय वस्तु को संदर्भित करने के लिए अपनाया गया।
क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के बीच एक और भेद यह था कि धूमकेतु क्षुद्रग्रहों की तुलना में काफी अधिक कक्षाएं हैं, जिनमें से कुछ चौंकाने वाली 50,000 खगोलीय इकाइयों (एक एयू पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी) से अधिक दूरी पर कक्षा में जाने जाते हैं। हालांकि, अल्पकालिक वस्तुओं की कक्षाएं हैं जो हमारे सौर मंडल में किसी भी ग्रह के मुकाबले कक्षाओं से अधिक दूरी पर नहीं हैं, जिन्हें धूमकेतु माना जाता है, और ऐसे कुछ क्षुद्रग्रह हैं जिनमें इनमें से कुछ शॉर्ट टर्म धूमकेतु की तुलना में बड़ी कक्षाएं हैं (इन्हें शायद कम धूमकेतु)। धूमकेतु भी हाल ही में पाए गए हैं कि हमारे सौर मंडल के क्षुद्रग्रह बेल्ट के भीतर अधिकतर परिपत्र कक्षाओं में कक्षा; इसलिए, इन विशेष मामलों में अस्पष्टता के कारण इस विशेष भेद को क्यों छोड़ना शुरू कर दिया गया है।
एक धूमकेतु बनाम एक क्षुद्रग्रह की "पूंछ" परिभाषा का उपयोग करते हुए, केवल 4000 ज्ञात धूमकेतु बनाम लाखों क्षुद्रग्रहों की सूची बनाई गई है जिन्हें सूचीबद्ध किया गया है। हमारे सौर मंडल के विकास में बहुत पहले, धूमकेतु की संख्या शायद काफी अधिक हो गई है, आजकल कई क्षुद्रग्रहों ने पूंछ परिभाषा के आधार पर धूमकेतु बनाये हैं।
सबसे बड़ा ज्ञात क्षुद्रग्रह सेरेस है, जो लगभग 600 मील व्यास है, जबकि सबसे छोटे अस्थिर क्षुद्रग्रह व्यास में केवल गज की दूरी पर हैं।
"धूमकेतु" लैटिन "धूमकेतु" से आता है, जो बदले में ग्रीक "कोमेट्स" से आता है, जिसका अर्थ है "लंबे बालों वाले"। यह बदले में ग्रीक "कौन", "काउंटिंग" ("बालों के साथ सितारों") के व्युत्पन्न का उपयोग करके अरिस्टोटल से आता है, जो अंत में लैटिन में "कोमेट्स" (लंबे बालों वाले) और फिर "धूमकेतु" के रूप में आया था, और अंत में अंग्रेजी में "धूमकेतु"।
पूरे रिकॉर्ड इतिहास में धूमकेतु मनाए गए हैं। हाल ही में आखिरी दो शताब्दियों तक उन्हें लगभग सार्वभौमिक रूप से बेहद बुरे ओमन्स माना जाता था।
हैली का धूमकेतु 240 ईसा पूर्व तक देखा गया है, हालांकि 18 वीं शताब्दी तक यह नहीं था कि एडमंड हैली के नाम से एक व्यक्ति को एहसास हुआ कि यह एक धूमकेतु वही था जो सदियों से नियमित समय अंतराल में दिखाई दे रहा था ।
हैली का धूमकेतु अगले रुचि के लिए 2061 के मध्य में दिखाई देगा।
एक धूमकेतु का कोमा सूर्य के व्यास से बड़ा हो सकता है और पूंछ का आयनिक भाग 1 एयू से अधिक हो सकता है।
जब एक धूमकेतु कक्षीय क्षेत्र सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा के साथ छेड़छाड़ करता है, तो एक उल्का शॉवर परिणामस्वरूप होती है, धूमकेतु से निकाले गए कणों के लिए धन्यवाद। इनमें शामिल हैं: जब पृथ्वी स्विफ्ट-टटल धूमकेतु कक्षीय क्षेत्र से गुज़रती है, जो हर साल 9 अगस्त से 13 अगस्त तक और अक्टूबर में होती है, जब पृथ्वी हैली के धूमकेतु की कक्षा से गुज़रती है।
वर्तमान में लगभग 7000 ज्ञात क्षुद्रग्रह हैं जो पृथ्वी की कक्षा के बहुत करीब हैं, जिनमें से लगभग एक हजार एक किलोमीटर से बड़ा है।
संदर्भ के लिए, एक उल्का जो व्यास में केवल 5-10 मीटर है जो पृथ्वी पर हिट करता है, जो प्रति वर्ष एक बार होता है, एक विस्फोट बनाता है जो हिरोशिमा (लगभग 15 किलो टन टीएनटी) पर बम के बराबर है, लेकिन इसके बराबर है, लेकिन बेशक, विकिरण की समस्या के बिना। हमारे लिए भाग्यशाली, ये पृथ्वी के वायुमंडल में उच्च विस्फोट करते हैं, और, उनके द्वारा जारी की जाने वाली भारी मात्रा में ऊर्जा के कारण, अधिकांश मामलों का वाष्पीकरण होता है।
प्रत्येक दो मिलियन वर्ष, उपरोक्त 1 किलोमीटर या अधिक आकार के उल्काओं की तरह वस्तुएं पृथ्वी पर आती हैं और 5 किलोमीटर या उससे अधिक के बड़े लोगों को हर दस या दस लाख वर्षों में पृथ्वी पर मारा जाता है। वे विस्फोट स्पष्ट रूप से बहुत अधिक हैं, और अधिक विनाशकारी वैश्विक प्रभाव है।
हमारी जल्द से जल्द कुछ संभावित, अपेक्षाकृत बोलने, एक क्षुद्रग्रह से प्रभाव 16 मार्च, 2880 के आसपास आएगा जिसमें 300 में से 1 की संभावना है कि यह पृथ्वी पर हमला करेगा। क्षुद्रग्रह को केवल 2 9 075 लेबल किया गया है और आकार में लगभग एक किलोमीटर है।
अपेक्षाकृत कम द्रव्यमान के कारण, कई धूमकेतु और क्षुद्रग्रह अनियमित रूप से आकार के होते हैं, गोलाकार आकार की वस्तुओं जैसे गोलाकार, जो गुरुत्वाकर्षण शक्तियों के लिए धन्यवाद हैं।
धूमकेतु की पूंछ का नीला-आश रंग इलेक्ट्रॉनों द्वारा बनाया जाता है जो धूमकेतु से निकाले गए गैसों से अलग हो जाते हैं। यह आम तौर पर मानव आंखों द्वारा देखने योग्य नहीं है। आम तौर पर मानव आंख क्या देख रही है धूल का निशान है।
एमिनो एसिड, जीवन के निर्माण खंड, धूमकेतु, विशेष रूप से, एमिनो एसिड ग्लाइसीन पर पाए गए हैं। नासा के स्टारडस्ट मिशन के लिए धन्यवाद। |
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