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मधिरा (माधिरा) भारत के तेलंगाना राज्य के खम्मम ज़िले में स्थित एक नगर है। इन्हें भी देखें तेलंगाना के नगर खम्मम ज़िले के नगर
देवी सहाय बाजपेयी,भारत के उत्तर प्रदेश की चौथी विधानसभा सभा में विधायक रहे। १९६७ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के २९५ - कानपुर कैन्टूनमेन्ट विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश की चौथी विधान सभा के सदस्य २९५ - कानपुर कैन्टूनमेन्ट के विधायक कानपुर के विधायक कांग्रेस के विधायक
हल्दू, पिथौरागढ (सदर) तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा हल्दू, पिथौरागढ (सदर) तहसील हल्दू, पिथौरागढ (सदर) तहसील हल्दू, पिथौरागढ (सदर) तहसील
चाखेई (चाखी) या चाखंग (चाखांग) पूर्वोत्तरी भारत के मिज़ोरम राज्य के सइहा ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह मारा स्वायत्त ज़िला परिषद में आता है और यहाँ के अधिकांश निवासी मारा समुदाय के सदस्य हैं, जो मिज़ो से सम्बन्धित लेकिन भिन्न समुदाय है। इन्हें भी देखें मारा स्वायत्त ज़िला परिषद मिज़ोरम के गाँव सइहा ज़िले के गाँव
२७ रेखांश पूर्व (२७त मेरिडन ईस्ट) पृथ्वी की प्रधान मध्याह्न रेखा से पूर्व में २७ रेखांश पर स्थित उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक चलने वाली रेखांश है। यह काल्पनिक रेखा आर्कटिक महासागर, हिन्द महासागर, यूरोप, अफ़्रीका, दक्षिणी महासागर और अंटार्कटिका से गुज़रती है। यह १५३ रेखांश पश्चिम से मिलकर एक महावृत्त बनाती है। इन्हें भी देखें २८ रेखांश पूर्व २६ रेखांश पूर्व १५३ रेखांश पश्चिम
लिग्नाइट (लिग्नाइट) निकृष्ट वर्ग का पत्थर कोयला है। इसका रंग कत्थई या काला-भूरा होता है तथा आपेक्षिक घनत्व भी पत्थर कोयला से कम होता है। यह वानस्पतिक ऊतक (प्लांट टिशू) के रूपांतरण की प्रारंभिक अवस्था को प्रदर्शित करता है। लाखों वर्ष पूर्व वानस्पतिक विकास की दर संभवत: अधिक द्रुत थी। वानस्पतिक पदार्थों का संचयन तथा उनके जीवरसायनिक क्षय (बायोकमिकल डिके) से पीट (पीट) की रचना हुई, जो गलित काष्ठ (रोटेन वुड) की भाँति होता है। यह प्रथम अवस्था थी। संभवत: द्वितीय अवस्था में मिट्टियों आदि के, जो युगों तक पीट के ऊपर अवसादित होती रहीं, दबाव ने जीवाणुओं की क्रियाओं को समाप्त कर दिया और पीट के पदार्थ को अधिक सघन तथा जलरहित एक लिग्नाइट में परिवर्तित कर दिया। जब लिग्नाइट पर अधिक दबाव विशेषत: क्षैतिज क्षेप (थ्रस्ट) और भी बढ़ जाता है, तो लिग्नाइट अधिक सघन हो जाता है तथा इस प्रकार कोयले का जन्म होता है। विश्व में कोयले का उत्पादन भारत में लिग्नाइट के प्राप्ति स्थान गुडलूर (कुडालोर) तथा पांडिचेरी क्षेत्र (मद्रास) - पांडिचेरी तथा गूडलूर के बीच स्थित तटीय समतलों में लिग्नाइट मिला है, जिसका अन्वेषण सन् १८८४ में ही हो चुका था। दक्षिण आर्काडु क्षेत्र - सन् १९३० में भूमिज्ञानियों का ध्यान नेवेली के लिग्नाइट की ओर गया। सन् १९४३-४६ के मध्य भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने इस क्षेत्र में अनेक वेधन किए, जिनसे लगभग २३ वर्ग मील के क्षेत्र में लिग्नाइट के अस्तित्व की पुष्टि हुई। तत्कालीन मद्रास प्रदेश में ईंधन तथा शक्ति के अभाव के कारण मद्रास की राज्य सरकार का ध्यान लिग्नाइट के विकास की ओर गया। सन् १९४९-५१ के मध्य और भी अनेक वेधन किए गए, जिनसे अनुमान लगा कि इस क्षेत्र में लिग्नाइट की मात्रा लगभग २०० करोड़ टन है तथा क्षेत्र का विस्तार लगभग १०० वर्ग मील में है। इस क्षेत्र के लगभग केंद्र में साढ़े पाँच वर्ग मील का क्षेत्र मिला है। यहाँ २० करोड़ टन के लगभग लिग्नाइट के खनन योग्य निक्षेप प्राप्त हुए हैं जिनपर अत्यंत सुगमता एवं पूर्ण आर्थिक तथा औद्योगिक दृष्टि से कार्य किया जा सकता है। लिग्नाइट स्तर की औसत मोटाई ५५ फुट है, जो १८० फुट की गहराई पर स्थित है। नेवेली लिग्नाइट योजना - सन् १९५५ में इस योजना को पूर्ण रूपेण नवीन रूप दिया गया और केंद्रीय सरकार ने योजना के आर्थिक उत्तरदायित्व को अपने ऊपर ले लिया। मेसर्स पॉवेल डफरिन टेकनिकल सर्विसेज़ लिमिटेड से भारत सरकार ने नेवेली समायोजना के लिए अनेक सेवाएँ प्राप्त की। इस योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष ३५ लाख टन लिग्नाइट का खनन किया जाएगा। लगभग टन कच्चे लिग्नाइट का तापीय मूल्य एक टन उत्तम कोयले के समान होता है। इस प्रकार नेवेली के वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य १४ लाख टन उत्तम कोयले के समान होगा। ३५ लाख वार्षिक उत्पादन की दर के अनुसार इस क्षेत्र का संपूर्ण लिग्नाइट ५७ वर्ष में समाप्त हो जाएगा। अनेक और भी निक्षेप आर्थिक एवं वाणिज्य स्तर पर शोषित किए जा सकेंगे, ऐसी संभावना है। ढाई लाख किलोवाट प्रतिस्थापित क्षमता (इंस्टैल्ड कैपिसिटी) का एक तापीय शक्ति स्टेशन भी यहाँ स्थापित किया गया है, जिसके साथ एक "पश्च निपीट टरबाइन संयंत्र" (बऐक प्रेशर तुर्बिन प्लांट) का भी प्रतिस्थापन किया गया। पलाना क्षेत्र बीकानेर (राजस्थान) - एक गहरे कत्थई वर्ण का रेज़िनी (रेसिनॉस), काष्ठीय तथा पीटीय (पीटी) लिग्नाइट बीकानेर के पलाना नामक स्थान में सन् १८९६ में ही पाया जा चुका था। पलाना के पश्चिम में लगभग २० मील की दूरी पर मघ नामक स्थान पर १०० फुट की गहराई में लिग्नाइट प्राप्त हुआ है। चनेरी के समीप तल से १८० फुट की गहराई पर एक अन्य स्तर पाया गया है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि बीकानेर के लिग्नाइट स्रोत भी विचारणीय महत्व के हैं। शाली गंगा तथा हंडवारा (कश्मीर) - कश्मीर की करेवा संरचनाओं में प्राप्त लिग्नाइट तृतीयक युग का है। रायथान तथा लन्यालान वेसिन के शाली गंगा क्षेत्र में लिग्नाइट की चालीस लाख टन मात्रा विद्यमान है। हंडवारा क्षेत्र में ३.२ करोड़ टन लिग्नाइट है, जिस पर सुगमता से कार्य किया जा सकता है। काश्मीर घाटी स्थित करेवा वेसिन के दक्षिण-पश्चिमी भाग में भी लिग्नाइट प्राप्त होने के संकेत मिले हैं। यह निम्न कोटि का लिग्नाइट है तथा अपेक्षाकृत अशुद्ध ईंधन है, जिसमें औसतन १५% आर्द्रता, २8% वाष्पशील पदार्थ (वोलटाइले मैटर), २7% कार्बन तथा ३0% राख होती है।
शशांक चंद्राकर (जन्म १३ मई १९९४) एक भारतीय क्रिकेटर हैं। उन्होंने ५ फरवरी २०१८ को २०१७-१८ में विजय हजारे ट्रॉफी में छत्तीसगढ़ के लिए अपनी लिस्ट ए की शुरुआत की। उन्होंने २०१९-२० रणजी ट्रॉफी में छत्तीसगढ़ के लिए ३ जनवरी २०२० को प्रथम श्रेणी में शुरुआत की। १९९४ में जन्मे लोग भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
तलसारी-प०मनि०३, पौडी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा तलसारी-प०मनि०३, पौडी तहसील तलसारी-प०मनि०३, पौडी तहसील
जापाने बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अन्नदाशंकर राय द्वारा रचित एक यात्रावृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् १९६२ में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत बंगाली भाषा की पुस्तकें
चीन-बर्मा युद्ध (चीनी: ; बर्मी: - (-)), जिसे बर्मा में किंग आक्रमण या किंग राजवंश के म्यांमार अभियान के रूप में भी जाना जाता है। यह युद्ध चीन के किंग राजवंश और बर्मा (म्यांमार) के कोनबाउंग राजवंश के बीच लड़ा गया था। कियानलांग सम्राट के तहत चीन ने १७६५ और १७६९ के बीच बर्मा पर चार आक्रमण किए, जिन्हें उनके दस महान अभियानों में से एक माना जाता था। फिर भी यह युद्ध, जिसमे ७०,००० से अधिक चीनी सैनिकों और चार कमांडरों के अपने जीवन का त्याग किया को "सबसे विनाशकारी सीमा युद्ध" माना जाता है जिसे किंग राजवंश ने कभी लड़ा था। और इस युद्ध ने बर्मा की स्वतंत्रता को आश्वासित किया. बर्मा की सफल रक्षा ने दोनों देशों के बीच वर्तमान सीमा की नींव रखी। शुरुआत में सम्राट कियानलांग ने एक आसान युद्ध की परिकल्पना की, और केवल युन्नान में तैनात ग्रीन स्टैंडर्ड सैनिकों को ही भेजा। किंग आक्रमण का एक कारण ये भी है की बर्मा ने सियाम के अपने आक्रमण में अधिकांश बर्मी बलों को तैनात कर रखा था और सम्राट को लगा की बर्मा की रक्षा के लिए वे बल मौजूद नहीं होंगे। बहरहाल, युद्ध-कठोर बर्मी सैनिकों ने सीमा पर १७६५-१७६६ और १७६६-१७६७ के पहले दो आक्रमणों को ध्वस्त किया था। क्षेत्रीय संघर्ष अब एक बड़े युद्ध में बदल गया जिसमें दोनों देशों में राष्ट्रव्यापी सैन्य युद्धाभ्यास शामिल था। तीसरा आक्रमण (१७६७-१७६८) कुलीन मांचू बैनरमेन के नेतृत्व में लगभग सफल रहा और राजधानी अवा (इनवा) से कुछ ही दिनों के भीतर मध्य बर्मा में काफी अंदर तक चीनी बल घुस गया। लेकिन उत्तरी चीन के रहने वाले बैनरमैन अपरिचित उष्णकटिबंधीय इलाकों और घातक स्थानिक रोगों का सामना नहीं कर सके, और उन्हें भारी नुकसान के साथ वापस जाना पड़ा। इस करीबी जीत के बाद, बर्मी राजा सिनब्युशिन ने अपनी सेनाओं को सियाम से हटाकर चीनी मोर्चे पर फिर से तैनात किया। इसके बाद चीन का चौथा और सबसे बड़ा आक्रमण बर्मा पे हुआ। किंग बलों के पूरी तरह से घेरे जाने के साथ, दिसंबर १७६९ में दोनों पक्षों के फील्ड कमांडरों के बीच एक समझौता हुआ और इसके साथ युद्ध की समाप्ति हुई। चीन का इतिहास बर्मा का इतिहास
मिस्र में स्वास्थ्य मिस्र की आबादी के समग्र स्वास्थ्य को दर्शाता है। स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा मिस्र का स्वास्थ्य मंत्रालय मिस्र में स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार सरकारी निकाय है। सुरक्षित पानी तक पहुंच वाले लोगों की संख्या और विशेष रूप से स्वच्छता की पहुंच वाले लोगों की संख्या के बारे में परस्पर विरोधी आंकड़े हैं। मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स की उपलब्धि पर नजर रखने के लिए इस्तेमाल किए गए संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ९९% मिस्रियों के पास बेहतर जल स्रोत तक पहुंच थी और २००८ में ९४% के पास बेहतर स्वच्छता तक पहुंच थी। सोआवेवे शौचालय, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आम हैं, अक्सर उच्च भूजल तालिका, दीवारों में असुरक्षित खाली और दरारें के कारण ठीक से काम नहीं करते हैं। इस प्रकार सीवेज लीक हो जाता है और आसपास की सड़कों, नहरों और भूजल को दूषित करता है। खाली शौचालय और सेप्टिक टैंक वाले ट्रक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में सेप्टेज का निर्वहन नहीं करते हैं, बल्कि पर्यावरण में सामग्री को डंप करते हैं। सरकार के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के अनुसार, काहिरा के ४० प्रतिशत निवासियों को प्रति दिन तीन घंटे से अधिक समय तक पानी नहीं मिलता है और तीन बड़े जिलों को कोई पाइप्ड पानी नहीं मिलता है। २००८ में इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन स्वेज में हुए, जहां ५०० लोगों ने काहिरा के एक मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। फयूम के शासन में २००६ से पहले किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, ४६% परिवारों ने कम पानी के दबाव के बारे में शिकायत की, ३०% लगातार पानी की कटौती के बारे में और २२% ने शिकायत की कि दिन के समय पानी उपलब्ध नहीं है। ये समस्याएं कई लोगों को नहरों के पानी का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती हैं जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती हैं। ऐसा अनुमान है कि हर साल लगभग १७,००० बच्चे डायरिया से मरते हैं । एक कारण यह है कि पीने के पानी की गुणवत्ता अक्सर मानकों से नीचे होती है। कुछ जल उपचार संयंत्र ठीक से बनाए नहीं हैं और इस प्रकार परजीवी, वायरस और अन्य परजीवी सूक्ष्मजीवों को हटाने में अक्षम हैं । २००९ में, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अध्ययन से पता चला है कि एशिया में आधा मिलियन लोगों के लिए पीने का पानी मानव उपभोग के लिए अयोग्य था। जून २०११ तक, समस्या का समाधान करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया था। कुओं की क्लोरीनीकरण प्रणाली, जो वर्षों पहले स्थापित की गई थी क्योंकि भूजल में बैक्टीरिया के उच्च स्तर का पता चला था, रखरखाव की कमी के कारण विफल हो गए थे और बंद हो गए थे ताकि निवासियों को अनुपचारित पानी उपलब्ध कराया जा सके। एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख
७१७ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ
आईपॉड टच एप्पल इंक द्वारा निर्मित एक पोर्टेबल मीडिया प्लेयर, व्यक्तिगत डिजिटल सहायक, खेल उपकरण और वाई - फाई मोबाइल डिवाइस है। एप्पल इंक॰ हार्डवेयर एप्पल इंक॰ के उत्पाद
माता बगलामुखी का यह मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा कस्बे में लखुन्दर नदी के किनारे स्थित है। यह मन्दिर तीन मुखों वाली त्रिशक्ति बगलामुखी देवी को समर्पित है। मान्यता है कि द्वापर युग से चला आ रहा यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक भी है। इस मन्दिर में विभिन्न राज्यों से तथा स्थानीय लोग भी एवं शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। यहाँ बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती की मूर्तियां भी स्थापित हैं। कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय के उद्देश्य से भगवान कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहाँ की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख है जिनमें से एक है बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। यह मन्दिर उन्हीं से एक बताया जाता है। मंदिर के बाहर सोलह स्त्म्भों वाला एक सभामंडप है जो आज से लगभग २५२ वर्षों से संवत १८१६ में पंडित ईबुजी दक्षिणी कारीगर श्रीतुलाराम ने बनवाया था। इसी सभामंड़प में एक कछुआ भी स्थित है जो देवी की मूर्ति की ओर मुख करता हुआ है। यहाम पुरातन काल से देवी को बलि चढ़ाई जाती थी। मंदिर के सामने लगभग ८० फीट ऊँची एक दीप मालिका बनी हुई है, जिसका निर्माण राजा विक्रमादित्य द्वारा ही करवाया गया था। प्रांगन में ही एक दक्षिणमुखी हनुमान का मंदिर, एक उत्तरमुखी गोपाल मंदिर तथा पूर्वर्मुखी भैरवजी का मंदिर भी स्थित है। यहां के सिंहमुखी मुख्य द्वार का निर्माण १८ वर्ष पूर्व कराया गया था। स्थानीय पंडित कैलाश नारायण शर्मा के अनुसार यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यहाँ पर पुजारी अपनी दसवीं पीढ़ी से भी पहले से पूजा-पाठ करते आए हैं। १८१५ में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु एवं विभिन्न क्षेत्रों में विजय प्राप्त करने के लिए यज्ञ, हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। एक अन्य पंडित गोपालजी पंडा, मनोहरलाल पंडा आदि के अनुसार यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है। बगलामुखी माता तंत्र की देवी हैं, अतः यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। इस मंदिर की मान्यता इसलिए भी अधिक है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जागृत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने की थी। मंदिर में बहुत से वृक्ष हैं, जिनमें बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आँकड़ा, आँवला, नीम एवं पीपल के वृक्ष एक साथ स्थित हैं। इसके आसपास सुंदर और हरा-भरा बगीचा भी बना हुआ है। नवरात्रि के अवसर पर यहाँ भक्तों का ताँता लगा रहता है। मंदिर श्मशान क्षेत्र में होने के कारण वर्षभर यहाँ पर कम ही लोग आते हैं। मंदिर के पीछे लखुन्दर नदी (जिसका पुराना नाम लक्ष्मणा था) के तट पर संत व मुनियो की कई समाधियाँ जीर्ण अवस्था में स्थित है, जो आज भी इस मंदिर में संत मुनियों का रहने का प्रमाण है। सड़क मार्ग द्वारा इंदौर से लगभग १६५ किमी की दूरी पर स्थित नलखेड़ा पहुँचने के लिए देवास या उज्जैन के रास्ते से जाने के लिए बस और टैक्सी उपलब्ध हैं। वायु मार्ग से पहुंचने हेतु नलखेड़ा के निकटतम इंदौर का विमानक्षेत्र है। रेल मार्ग द्वारा इंदौर से ३० किमी पर स्थित देवास या लगभग ६० किमी मक्सी पहुँचकर भी आगर मालवा जिले के कस्बे नलखेड़ा पहुँच सकते हैं। इन्हें भी देखें मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल मध्य प्रदेश के हिन्दू मंदिर
हाइड्रोजन क्लोराइड () एक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र एचसीएल (हल) होता है। कमरे के तापमान पर यह एक रंगहीन गैस होती है, जो वातावरण की आर्द्रता के संपर्क के साथ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के सफेद धुएं बनाती है। हाइड्रोजन क्लोराइड गैस और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल प्रौद्योगिकी और उद्योग में महत्वपूर्ण हैं। हाइड्रोजन क्लोराइड के जलकृत विलयन हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को भी सामान्यतः सूत्र एचसीएल दिया जाता है। हाइड्रोजन क्लोराइड द्विपरमाणुक अणु है, जिसमें एक हाइड्रोजन परमाणु एच और एक क्लोरीन परमाणु एल सहसंयोजक एकल बंधन से जुड़े होते हैं। चूंकि क्लोरीन परमाणु हाइड्रोजन परमाणु की तुलना में बहुत अधिक निद्युत है, इस कारणवश दो परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बंधन काफी ध्रुवीय होता है। नतीजतन इस अणु के साथ काफ़ी द्विध्रुवीय पल होता है जिसमें एक नकारात्मक आंशिक आवेग क्लोरीन परमाणु पर तथा एक सकारात्मक आंशिक आवेग + हाइड्रोजन परमाणु पर बना होता है। इसकी उच्च ध्रुवता की वजह से एचसीएल पानी और अन्य ध्रुवीय विलायक में में बहुत घुलनशील होता है। सम्पर्क में आने के पश्चात ह२ओ तथा हल हाइड्रोनियम धनायन ह३ओ+ व क्लोराइड एनायन क्ल प्रतिवर्ती रासायनिक अभिक्रिया की सहायता से बनाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप बना विलयन हाइड्रोक्लोरिक अम्ल कहा जाता है और यह एक प्रबल अम्ल है। जमा हुआ एचसीएल ९८४ केल्विन तापमान पर एक चरण सन्क्रमण की प्रक्रीया से गुजरता है। जमे हुए सामग्री के एक्स-रे पाउडर विवर्तन से पता चलता है कि इस प्रक्रीया के दौरान यह सामग्री ओर्थोरोम्बिक संरचना से घन मे बदल गयी है। दोनो संरचनाओं मे क्लोरीन परमाणु एक फेस केन्द्रित सारणी मे होते हैं। हालांकि, हाइदड्रोजन परमाणुओं की स्थीति अग्यात होती है। स्पेक्ट्रोग्राफी और डाई-इलेक्ट्रिक आंकणों के विश्लेषण से और डीसीएल की संरचना के पता चलने से ये निष्कर्श निकलता है कि एचसीएल वक्र रूपी जन्ज़ीरों मे एचएफ कि तरह जम जाता है।
घनसाली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के ७० निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। २०१२ में इस क्षेत्र में कुल ७७,११९ मतदाता थे। २०१२ के विधानसभा चुनाव में भीम लाल आर्य इस क्षेत्र के विधायक चुने गए। !बढ़त से जीत इन्हें भी देखें टिहरी गढ़वाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी में) तब राज्य का नाम उत्तरांचल था। उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
मान महाराणा प्रताप की छोटी बहन थी, और रानी धीरबाई भटियाणी और महाराणा उदयसिंह द्वितीय की बड़ी पुत्री थी । और इनका बड़ा भाई जगमाल था । दोनो बहनों मान कंवर और चांद कंवर से महाराणा प्रताप का बहुत लगाव था वे उनकी प्रिय बहने थी । इनका विवाह ग्वालियर नरेश रामोशाह के पुत्र से हुआ था । इनके ससुर रामोशाह तोमर और पति शालीवान सिंह तोमर ने हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ दिया था । और वीरतापूर्वक वीरगति को प्राप्त हुए ।
इस नाम के अनेक प्रसिद्ध लोग हुए है- इंद्राणी जो वेदों के अनुसार देवराज इंद्र की पत्नी कही गई हैं। इंद्राणी सेन जो रवींद्र संगीत की प्रसिद्ध गायिका हैं। इंद्राणी मुखर्जी जो भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। इंद्राणी दासगुप्ता जो भारतीय फ़िल्मों की उदीयमान अभिनेत्री हैं।
जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक), उत्तर प्रदेश का एक राजनैतिक दल है। इसका निर्माण रघुराज प्रताप सिंह ने नवम्बर २०१८ में लखनऊ के रमाबाई उद्यान में किया।यह दल जनप्रतिनिधियों के जनसुलभ होने पर व सभी वंचित वर्गों की सेवा बहुत ही प्रतिबद्धता से करता हैं।इसके स्थापना समारोह में १० से १२ लाख लोगों की भीड़ थी।वर्तमान में इस २०२२ की विधानसभा में २ विधायक हैं कुंडा से पार्टी के राष्ट्रीय मुखिया राजा भैया व बाबागंज सुरक्षित सीट से विनोद सरोज हैं। उत्तर प्रदेश के राजनैतिक दल
कोतवाल सिंह भदौरिया,भारत के उत्तर प्रदेश की तीसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। १९६२ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद जिले के ३४० - छिबरामऊ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश की तीसरी विधान सभा के सदस्य ३४० - छिबरामऊ के विधायक फर्रूखाबाद के विधायक प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के विधायक
लंदन बरो ऑफ़ मर्टन (अंग्रेज़ी: लंदन बोरॉ ऑफ मेर्टन, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि: [मत्न]) एक लंदन का बरो है। लंदन के बरो
महनसर राजस्थान के झुंझुनू जिले का एक गाँव है। यह गाँव भीति चित्रों तथा अपनी अनूठी कलाकारी के लिये विश्व प्रसिद्ध है। महनसर झुंझुनूं से ४० किमी पश्चिम दिशा की ओर और बिसाऊ से ५ किमी दक्षिण की ओर स्थित है।
ऍनजीसी २५३, जिसे स्कल्प्टर गैलेक्सी (स्कल्पटर गलक्सी) भी कहा जाता है, भास्कर तारामंडल के क्षेत्र में दिखने वाली एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है। इसमें वर्तमान काल में बहुत तेज़ी से नए तारे जन्मे जा रहे हैं। यह हमसे लगभग १.१४ करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है। इन्हें भी देखें
वॆलवलि (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
कमलघोराय पीरपैंती, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। भागलपुर जिला के गाँव
बट्टिकलोवा (तमिल: , माक्काप्पू, मट्टक्कळप्पु ; सिंहल : , मडकलपुव) श्री लंका के पूर्वी प्रान्त का प्रधान नगर है। यह बट्टिकलोवा जिले की राजधानी है। इसी नगर में श्रीलंका का पूर्वी विश्वविद्यालय है। बट्टिकलोवा एक वाणिज्यिक शहर है। यह श्रीलंका के पूर्वी तट पर त्रिंकोमाली से १११ किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह एक द्वीप पर बदा है।
दिल्ली एक्स्प्रेस ४२०७ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन पर्ताप्गढ़ जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:प्भ) से ०५:००प्म बजे छूटती है और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:डली) पर ०६:४०आम बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है १३ घंटे ४० मिनट। मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
अलीगढ़ आंदोलन सर सैयद अहमद खाँ के नेतृव में चलाया गया एक प्रमुख इस्लामी आंदोलन है, जो १८५७ के विद्रोह के असफलता के बाद मुसलमानों में धार्मिक सुधारों के उद्देश्य से चलाया गया। सैयद अहमद खां के विचार सैयद अहमद खां के विचार में- जब तक विचार की स्वतंत्रता विकसित नहीं होती, सभ्य जीवन संभव नहीं है। उनका मानना था कि मुसलमानों का धार्मिक और सामाजिक जीवन पाश्चात्य वैज्ञानिक ज्ञान और संस्कृति को अपनाकर ही सुधारा जा सकता है। इसके लिए उन्होनें पश्चिमी ग्रंथों का उर्दू में अनुवाद करवाया जिसका नाम बाबुल अस्वथ नाम से पत्रिका चलाई। रेफ> विपिन चन्द्र- आधुनिक भारत का इतिहास, ओरियंट ब्लैक स्वॉन प्राइवेट लिमिटेड, २००९, पृ-२२२, इसब्न: ९७८ ८१ २५० 36८१ ४</रेफ> कुरीतियों का अंत सैयद अहमद खा ने मुसलमानों में प्रचलित पीरी मुरिदि प्रथा का विरोध किया। इस प्रथा में मुसलमान पीर मुरीद को कोई रहस्यमय बात बता कर स्वम को सूफी संतो के समान मनवाने की कोशिश करते थ। सैयद ने मुसलमानों को दास प्रथा के विरुद्ध जाग्रत किया और इस प्रथा का विरोध किया और मुस्लिम समाज में व्याप्त अन्य बुराइयो का भी विरोध किया। उन्होंने अपने विचारों का प्रचार "तहजीब-उल-अलखाक" नामक पत्रिका में किया। सैयद अहमद खान ने सामाजिक सुधार के काम में भी उत्साह दिखाया। उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने के बारे में लिखा तथा पर्दा छोड़ने तथा स्त्रीओ में शिक्षा-प्रसार का समर्थन किया। उन्होंने बहुविवाह पर्था तथा मामूली-मामूली बातो पर तलाक के रिवाज की भी निंदा की। आधुनिक भारत का इतिहास
नरिंदर नाथ वोहरा (जन्म ५ मई १९३६) भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी एवं जम्मू और कश्मीर राज्य के वर्तमान राज्यपाल हैं। वोहरा २८ जून २००८ से इस पद पर हैं और इन्होने यह पदभार एस के सिन्हा के परवर्ती के रूप में ग्रहण किया था। वोहरा, के कार्यकाल के दौरान गुलाम नबी आजाद, उमर अब्दुल्ला, मुफ़्ती मुहम्मद सईद तथा महबूबा मुफ़्ती (वर्तमान) के रूप में जम्मू कश्मीर में चार मुख्यमंत्री बदल चुके हैं। जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल १९३६ में जन्मे लोग
ईडविग'', 'एडविग, अन्य वर्तनी ऍडविग, ऍडवी (मृत्यु १ अक्टूबर ९५९), सामान्यत: जिसे द ऑल फेयर''' (भोलाभाला) भी कहते हैं, ९५५ ई. से ९५९ ई. में अपनी मृत्यु तक अंग्रेजों का राजा था। एडमंड प्रथम और उनकी रानी शाफ्ट्सबरी की ऍल्फगिफु का ज्येष्ठ पुत्र ईडविग अपने चाचा ईडरेड की मृत्यु के पश्चात सन ९५५ में इंग्लैंड का राजा बना। उसका लघु शासन गिरिजाघर के पादरियों और अन्य कुलीन व्यक्तियों जैसे डंस्टन और प्रमुख पादरी ओडा के साथ झगडों के कारण प्रख्यात रहा। ईडविग की चार वर्षों के लघु शासन के बाद सन् ९५९ में मृत्यु हो गयी। उसे राजधानी विनचेस्टर में दफनाया गया। उसका भाई शांतिदूत एडगर उसका उत्तराधिकारी बना। इंग्लैंड पर शासन ईदविग और ऍल्फगिफु के विवाह की समाप्ति उनकी मर्जी के खिलाफ़ डन्सटन के सहयोगियों और समर्थकों की राजनीतिक साजिश का परिणाम थी। यह असामान्य था क्योंकि पति-पत्नी अलग होना नहीं चाहते थे। गिरिजाघर उस समय एक ही पूर्वज के वंशजों (सात पीढियों तक) के बीच वैवाहिक संबंधों को मान्यता नहीं देता था। (सन् १२१५ में इसे घटाकर ४ पीढ़ी तक कर दिया गया।) राज्य का बिखराव तडीपार के अपने दिनों में डन्सटन फ्लैन्डर्स के बेनेडिक्टाइनों से बहुत प्रभावित हुआ। पूर्वी एंग्लिया में एक डन्स्टन और बेनेडिक्टाइन्स समर्थक दल का निर्माण शुरु हुआ जो ईदविग के छोटे भाई एड्गर का समर्थन करने लगी। राजा के आदेशों से असहमत और प्रमुख पादरी कैंटरबरी के ओडा से समर्थन प्राप्त मर्सिया और नॉर्थम्ब्रिया के थेनेसों की निष्ठा राजा के बजाए उसके छोटे भाई एड्गर के प्रति हो गई। सन् ९५७ में देश को गृह युद्ध से बचाने के लिये कुलीन घरानों ने साम्राज्य को थेम्स नदी के किनारों पर बांटने का फैसला लिया। ईडविग को थेम्स के दक्षिण में वेसेक्स और केंट जबकि एड्गर को थेम्स के उत्तर में शासन करने की आज्ञा मिली। ईडविग अपने दयालु स्वभाव व भूमि दान करने के लिये जाना जाता था। सिर्फ ९५६ ई० में ही उसने आंग्ल-सैक्सन भूमि का ५% हिस्सा दान कर दिया था। उसकी भूमि दान करने की यह सहृदता कुछ हद तक उसकी राजनीतिक असुरक्षा की भावना को भी दर्शाती है। ईडविग की ९५९ ई० में अज्ञात कारणों से मृत्यु हो गयी, उसके बाद उसके भाई शांतिदूत ईडगर ने सत्ता संभाली और राज्य को एकजुट किया। कला और साहित्य में ईदविग के शासन काल को ब्रिटिश कलाकारों ने अठ्ठारहवीं शताब्दी में याद करना शुरु किया जब इसे १८५० के आसपास चित्रों, नाट्यमंचन और नाटकों में दर्शाना शुरु किया गया। विलियम ब्रोमली, विलियम हैमिल्टन , विलियाम दाइस, रिचर्द डाड और थॉमस रूड्स इत्यादि ने ईदविग और उसके शासनकाल से संबंधित कई चित्र बनाये। थॉमस सेडविक व्हैली, थॉमास वारविक, फ्राँसिस बर्नी इत्यादि ने साहित्यिक रचनाएँ की। इन्हें भी देखें ९४१ के जन्म दसवीं सदी के लोग
अगस्त्य मला (अगस्त्य माला) या अगस्त्यर्कूडम (अगस्त्यरकूदम) भारत की पश्चिमी घाट पर्वतमाला का एक १,८६८ मीटर (६,१29 फुट) ऊँचा पर्वत है। यह अगसत्यमाला संरक्षित जैवमंडल का भाग है, जो केरल राज्य के पतनमतिट्टा, कोल्लम व तिरुवनन्तपुरम ज़िलों और तमिल नाडु राज्य के कन्याकुमारी व तिरूनेलवेली ज़िलों की सीमाओं पर विस्तारित है। ताम्रपर्णी नदी यहाँ से उत्पन्न होती है और तिरूनेलवेली ज़िले की ओर बह जाती है। अगस्त्यर्कूडम ऋषि अगस्त्य से सम्बन्धित तीर्थ है, जो हिन्दू पुराण के सप्तऋषि में से एक थे और तमिल मान्यता में तमिल भाषा के पिता और सर्वप्रथम तमिल व्याकरण, अगत्तियम, के संकलक थे। इस शिखर पर अगस्त्य की एक छोटी मूर्ति है, जहाँ श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। इन्हें भी देखें अगसत्यमाला संरक्षित जैवमंडल पश्चिमी घाट के पर्वत तिरुवनन्तपुरम ज़िले में पर्यटन आकर्षण केरल में पर्यटन केरल के पर्वत तिरुवनन्तपुरम ज़िले का भूगोल
जॉनी मेरा नाम १९७० में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। विजय आनन्द द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में देवानन्द और प्राण ने दो भाइयों का किरदार निभाया है जो बचपन में बिछड़ जाते हैं। हेमा मालिनी, आई एस जौहर, इफ़्तेख़ार और प्रेमनाथ ने भी इस फ़िल्म में अहम भूमिका निभाई है। हेमा मालिनी रेखा प्रेमनाथ रंजीत/राय साहब भूपेन्द्र सिंह आई एस जौहर पहले राम/दूजा राम/तीजा राम पद्मा खन्ना तारा सुलोचना सोहन और मोहन की माँ इफ़्तेख़ार पुलिस कमिश्नर मोनू (मोहन) (फ़िल्म में प्राण) और सोनू (सोहन) (फ़िल्म में देवानन्द) एक पुलिस इंस्पैक्टर के दो पुत्र हैं। दोनों को बॉक्सिंग में अच्छा अनुभव है। उनके पिता की रंजीत (फ़िल्म में प्रेमनाथ) द्वारा हत्या करवा दी जाती है। मोहन हत्यारे को मारकर एक कार की डिक्की में छुप जाता है और परिवार से बिछड़ जाता है। कई वर्ष बाद सोहन एक सी आइ डी अफ़सर बन जाता है, जो अलग-अलग वेष बदल कर अपने केस सुलझाता है। वह जॉनी नामक एक चोर का वेष बनाकर अपने को पुलिस के हाथों सौंप देता है तथा जेल में हीरा (फ़िल्म में जीवन) से दोस्ती करता है। रेखा (फ़िल्म में हेमा मालिनी) का प्यार में पीछा करते हुए वह केस सुलझा लेता है और मुजरिम को पकड़ लेता है। आई एस जौहर १९७० में कुल आय के नज़रिये से यह बॉलीवुड की सबसे बड़ी फ़िल्म थी और ७० के दशक की सातवीं सबसे बड़ी फ़िल्म। कल्यानजी - आनन्दजी द्वारा स्वरबद्ध किया हुआ गीत, 'पल भर के लिये कोई हमें प्यार कर ले' अमरीकी टीवी के धारावायिक द सिम्पसन्स की एक कड़ी 'किस किस, बॅङ बॅन्गलोर' (२००६) के अन्त में बजाया गया था। २००७ की फ़िल्म जॉनी गद्दार में इस फ़िल्म का एक सीन दिखाया गया है, जिसकी वजह से फ़िल्म के एक चरित्र ने नकली नाम "जॉनी" रख लिया अतः फ़िल्म का नाम। १९७० में बनी हिन्दी फ़िल्म
आषाढ कृष्ण सप्तमी भारतीय पंचांग के अनुसार चतुर्थ माह की बाइसवी तिथि है, वर्षान्त में अभी २४८ तिथियाँ अवशिष्ट हैं। पर्व एवं उत्सव इन्हें भी देखें हिन्दू काल गणना हिन्दू पंचांग १००० वर्षों के लिए (सन १५८३ से २५८२ तक) विश्व के सभी नगरों के लिये मायपंचांग डोट कोम विष्णु पुराण भाग एक, अध्याय तॄतीय का काल-गणना अनुभाग सॄष्टिकर्ता ब्रह्मा का एक ब्रह्माण्डीय दिवस
नागवरं (कृष्णा) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कृष्णा जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एन्टरप्राइजेज) वे उद्योग हैं जिनमें काम करने वालों की संख्या एक सीमा से कम होती है तथा उनका वार्षिक उत्पादन (टर्नोवर) भी एक सीमा के अन्दर रहता है। किसी भी देश के विकास में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम २००६ अधिनियमित किया था जिसके अनुसार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की परिभाषा उन उद्योगों में 'प्लान्ट एवं मशीनरी' में निवेश के अनुसार निर्धारित होती थी। किन्तु ७ अप्रैल,२०१८ से नई परिभाषा लागू है जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी की बैठक में अंतिम रूप दिया गया था। इस परिवर्तन के बाद अब प्लांट और मशीनरी में निवेश की जगह टर्नओवर के आधार पर म्स्म्स वर्गीकरण किया जायेगा। किसी वस्तु के निर्माण अथवा उत्पादन, प्रसंस्करण अथवा परिरक्षण करने वाले उद्यम इस श्रेणी में शामिल किये जाते हैं। सूक्ष्म उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. ५ करोड़ से कम लघु उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. ५ करोड़ से 7५ करोड़ के बीच मध्यम उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. ७५ करोड़ से २५० करोड़ के बीच सूक्ष्म उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. ५ करोड़ से कम लघु उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. ५ करोड़ से 7५ करोड़ के बीच मध्यम उद्योग -- वार्षिक टर्न ओवर रु. ७५ करोड़ से २५० करोड़ के बीच इन्हें भी देखें भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (भारत) समें तूलकिट इंडिया - अपना उद्योग स्थापित करने एवं उसे चलाने से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी (हिन्दी में) कैसे लगाएँ लघु उद्योग? (गूगल पुस्तक , लेखक - राजेश कुमार व्यास) लघु उद्योग निर्देशिका (गूगल पुस्तक ; लेखक - अवधेश चतुर्वेदी) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग आयुक्त (भारत सरकार) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास संस्थान (सिडो) टूल रूम्स के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास को प्रोत्साहन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के तकनीकी विकास के लिए नई और नवाचार योजनाएं नवप्रवर्तन: भारतीय सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों का बदलता परिदृश्य घरेलू कुटीर उद्योग (भारत में किए जाने वाले कुटीर उद्योग) डिजाइन क्लीनिक योजना अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
पुरा कथाओं में भगवान शिव के बाघ रूप धारण करने वाले इस स्थान को व्याघ्रेश्वर तथा बागीश्वर से कालान्तर में बागेश्वर के रूप में जाना जाता है। शिव पुराण के मानस खंड के अनुसार इस नगर को शिव के गण चंडीश ने शिवजी की इच्छा के अनुसार बसाया था। स्कन्द पुराण के अन्तर्गत बागेश्वर माहात्म्य में सरयू के तट पर स्वयंभू शिव की इस भूमि को उत्तर में सूर्यकुण्ड, दक्षिण में अग्निकुण्ड के मध्य (नदी विशर्प जनित प्राकृतिक कुण्ड से) सीमांकित कर पापनाशक तपस्थली तथा मोक्षदा तीर्थ के रूप में धार्मिक मान्यता प्राप्त है। ऐतिहासिक रूप से कत्यूरी राजवंश काल से (७वीं सदी से ११वीं सदी तक) सम्बन्धित भूदेव का शिलालेख इस मन्दिर तथा बस्ती के अस्तित्व का प्राचीनतम गवाह है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार सन् १६०२ में राजा लक्ष्मी चन्द ने बागनाथ के वर्तमान मुख्य मन्दिर एवं मन्दिर समूह का पुनर्निर्माण कर इसके वर्तमान रूप को अक्षुण्ण रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने बागेश्वर से पिण्डारी तक लगभग ४५ मील (७० किमी.) लम्बे अश्व मार्ग के निर्माण द्वारा दानपुर के सुदूर ग्राम्यांचल को पहुँच देने का प्रयास भी किया। स्वतंत्रता के १०० वर्ष पूर्व सन् १८४७ में इ. मडेन द्वारा बाह्य जगत को हिमालयी हिमनदों की जानकारी मिलने के बाद पिण्डारी ग्लेशियर को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान मिली और बागेश्वर विदेशी पर्यटकों एवं पर्वतारोहियों का विश्रामस्थल भी बना। १९वीं सदी के प्रारम्भ में बागेश्वर आठ-दस घरों की एक छोटी सी बस्ती थी। सन् १८६० के आसपास यह स्थान २००-३०० दुकानों एवं घरों वाले एक कस्बे का रूप धारण कर चुका था। मुख्य बस्ती मन्दिर से संलग्न थी। सरयू नदी के पार दुग बाजार और सरकारी डाक बंगले का विवरण मिलता है। एटकिन्सन के हिमालय गजेटियर में वर्ष १८८६ में इस स्थान की स्थायी आबादी ५०० बतायी गई है। सरयू और गोमती नदी में दो बडे़ और मजबूत लकड़ी के पुलों द्वारा नदियों के आरपार विस्तृत ग्राम्यांचल के मध्य आवागमन सुलभ था। अंग्रेज लेखक ओस्लो लिखते है कि १८७१ में आयी सरयू की बाढ़ ने नदी किनारे बसी बस्ती को ही प्रभावित नहीं किया, वरन् दोनों नदियांे के पुराने पुल भी बहा दिये। फलस्वरूप १९१३ में वर्तमान पैदल झूला पुल बना। इसमें सरयू पर बना झूला पुल आज भी प्रयोग में है। गोमती नदी का पुल ७० के दशक में जीर्ण-क्षीर्ण होने के कारण गिरा दिया गया और उसके स्थान पर नया मोटर पुल बन गया। प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व, सन् १९०५ में अंग्रेजी शासकों द्वारा टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाईन का सर्वेक्षण किया गया, जिसके साक्ष्य आज भी यत्र-तत्र बिखरे मिलते हैं। विश्व युद्ध के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई और बाद के योजनाकारों द्वारा पूरी तरह विस्मृत कर दी गयी। १९८० के दशक में श्रीमती इंदिरा गांधी के बागेश्वर आगमन पर उन्हें इस रेलवे लाईन की याद दिलाई गई। अब जाकर, क्षेत्रीय जनता द्वारा किये गये लम्बे संघर्ष के उपरान्त आखिरकार टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाईन के सर्वेंक्षण को राष्ट्रीय रेल परियोजना के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है। वर्ष १९२१ के उत्तरायणी मेले के अवसर पर कुमाऊँ केसरी बद्री दत्त पाण्डेय, हरगोविंद पंत, श्याम लाल साह, विक्टर मोहन जोशी, राम लाल साह, मोहन सिह मेहता, ईश्वरी लाल साह आदि के नेतृत्व में सैकड़ों आन्दोलनकारियों ने कुली बेगार के रजिस्टर बहा कर इस कलंकपूर्ण प्रथा को समाप्त करने की कसम इसी सरयू तट पर ली थी। पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों का राष्ट्रीय आन्दोलन में यह योगदान था, जिससे प्रभावित हो कर सन् १९२९ में महात्मा गांधी स्वयं बागेश्वर पहुँचे। तभी विक्टर मोहन जोशी द्वारा उनके कर कमलों से स्वराज मंदिर का शिलान्यास भी करवाया गया। बींसवी सदी के प्रारम्भ में यहाँ औषधालय(१९०६) तथा डाकघर(१९०९) की तो यहाँ स्थापना हो गयी, तथापि शिक्षा का प्रसार यहाँ विलम्बित रहा। १९२६ में एक सरकारी स्कूल प्रारम्भ हुआ, जो १९३३ में जूनियर हाईस्कूल बना। आजादी के बाद १९४९ में स्थानीय निवासियों के प्रयास से विक्टर मोहन जोशी की स्मृति में एक प्राइवेट हाइस्कूल खुला, जो कि १९६७ में जा कर इण्टर कालेज बन सका। महिलाओं के लिए पृथक प्राथमिक पाठशाला ५० के दशक में खुली और पृथक महिला सरकारी हाईस्कूल १९७५ में। १९७४ में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नन्दन बहुगुणा द्वारा राजकीय डिग्री कालेज का उद्घाटन किया गया। बालीघाट में स्थापित २५ किलोवाट क्षमता वाले जल विद्युत संयंत्र से उत्पादित बिजली से १९५१ में बागेश्वर पहली बार जगमगाया। वर्षा काल में नदियों में नदियों के गंदले पानी से निजात पाने के लिए टाउन एरिया गठन के उपरान्त राजकीय अनुदान तथा स्थानीय लोगों के श्रमदान से नगर में शुद्ध सार्वजनिक पेयजल प्रणाली का शुभारम्भ हुआ। १९५२ में अल्मोडा से वाया गरुड़ मोटर रोड बागेश्वर पहुँची। क्षेत्रीय निवासियों के श्रमदान से निर्मित बागेश्वर-कपकोट मोटर मार्ग में बस सेवा का संचालन १९५५-५६ के बाद प्रारम्भ हो पाया। १९६२ में चीन युद्ध के बाद सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बागेश्वर-पिथौरागढ़ सड़क १९६५ में बनकर तैयार हो गई। सत्तर के दशक में बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिये वाया ताकुला एक वैकल्पिक रोड बनी तो अस्सी के दशक में बागेश्वर- चैंरा- दोफाड़ रोड पर आवागमन शुरू हुआ। तहसील मुख्यालय बनने के बाद तो आसपास गाँवों के लिये अनेक मोटर मार्गो का निर्माण प्रारम्भ हुआ। जनपद मुख्यालय बनने के उपरान्त तो नगर के समीपवर्ती भागों में स्थापित कार्यालयों, न्यायालय आदि के लिए भी सम्पर्क मार्ग बनने लगे। उत्तराखण्ड का इतिहास
दुरगाउं नेपाल के जनकपुर अंचल का रामेछाप जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ६१९ घर है। नेपाल के २००१ का जनगणना अनुसार दुरगाउं का जनसंख्या ३२३९ है। इसमै पुरुष ४९% और महिला ५१% है।
कॊत्तपेट (अनंतपुर) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के अनंतपुर जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
फ्रेडरिक पिन्काट (१८३६ - ७ फ़रवरी १८९६) इंग्लैण्ड के निवासी एवं किन्तु हिन्दी के परम् हितैषी थे। स्वयं हिन्दी में लेख लिखने तथा हिन्दी पत्रिकाएँ सम्पादित करने के अलावा उन्होने तत्कालीन् हिन्दी लेखकों को भी प्रोत्साहित किया। इंग्लैण्ड में बैठे-बैठे ही उन्होने हिन्दी पर अच्छा अधिकार प्राप्त कर लिया था। भारतीय सिविल सेवा में हिन्दी के प्रतिष्ठापन का श्रेय भी इनको ही है। इनका जन्म संवत् १८९३ में इंगलैंड में हुआ। उन्होंने प्रेस के कामों का बहुत अच्छा अनुभव प्राप्त किया और अंत में लंदन की प्रसिद्ध ऐलन ऐंड कंपनी के विशाल छापेखाने के मैनेजर हुए। वहीं वे अपने जीवन के अंतिम दिनों के कुछ पहले तक शांतिपूर्वक रहकर भारतीय साहित्य और भारतीय जनहित के लिए बराबर उद्योग करते रहे। संस्कृत की चर्चा पिंकाट साहब लड़कपन से ही सुनते आते थे, इससे उन्होंने बहुत परिश्रम के साथ उसका अध्ययन किया। इसके उपरांत उन्होंने हिन्दी और उर्दू का अभ्यास किया। इंगलैंड में बैठे ही बैठे उन्होंने इन दोनों भाषाओं पर ऐसा अधिकार प्राप्त कर लिया कि इनमें लेख और पुस्तकें लिखने और अपने प्रेस में छपाने लगे। यद्यपि उन्होंने उर्दू का भी अच्छा अभ्यास किया था, पर उन्हें इस बात का अच्छी तरह निश्चय हो गया था कि यहाँ की परंपरागत प्रकृत भाषा हिन्दी है, अत: जीवन भर ये उसी की सेवा और हितसाधना में तत्पर रहे। उनके हिन्दी लेखों, कविताओं और पुस्तकों की चर्चा आगे चलकर भारतेंदुकाल के भीतर की जाएगी। संवत् १९४७ में उन्होंने उपर्युक्त ऐलन कंपनी से संबंध तोड़ा और 'गिलवर्ट ऐंड रिविंगटन' नामक विख्यात व्यवसाय कार्यालय में पूर्वीय मंत्री नियुक्त हुए। उक्त कंपनी की ओर से एक व्यापार पत्र 'आईन सौदागरी' उर्दू में निकलता था जिसका संपादन पिंकाट साहब करते थे। उन्होंने उसमें कुछ पृष्ठ हिन्दी के लिए भी रखे। कहने की आवश्यकता नहीं कि हिन्दी के लेख वे ही लिखते थे। लेखों के अतिरिक्त हिंदुस्तान में प्रकाशित होनेवाले हिन्दी समाचार पत्रों (जैसे हिंदोस्तान, आर्यदर्पण, भारतमित्र) से उद्धरण भी उस पत्र के हिन्दी विभाग में रहते थे। भारत का हित वे सच्चे हृदय से चाहते थे। राजा लक्ष्मण सिंह, भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रतापनारायण मिश्र, कार्तिकप्रसाद खत्री इत्यादि हिन्दी लेखकों से उनका बराबर हिन्दी में पत्रव्यवहार रहता था। उस समय के प्रत्येक हिन्दी लेखक के घर में पिंकाट साहब के दो-चार पत्र मिलेंगे। हिन्दी के लेखकों और ग्रंथकारों का परिचय इंगलैंडवालों को वहाँ के पत्रों में लेख लिखकर वे बराबर दिया करते थे। संवत् १९५२ में (नवंबर सन् १८९५) में वे रीआ घास (जिसके रेशों से अच्छे कपड़े बनते थे) की खेती का प्रचार करने हिंदुस्तान में आए, पर साल भर से कुछ ऊपर ही यहाँ रह पाए थे कि लखनऊ में उनका देहांत हो गया। उनका शरीर भारत की मिट्टी में ही मिला। संवत् १९१९ में जब राजा लक्ष्मणसिंह ने 'शकुंतला नाटक' लिखा तब उसकी भाषा देख वे बहुत ही प्रसन्न हुए और उसका एक बहुत सुंदर परिचय उन्होंने लिखा। बात यह थी कि यहाँ के निवासियों पर विदेशी प्रकृति और रूप-रंग की भाषा का लादा जाना वे बहुत अनुचित समझते थे। अपना यह विचार उन्होंने अपने उस अंग्रेजी लेख में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है जो उन्होंने बाबू अयोध्या प्रसाद खत्री के 'खड़ी बोली का पद्य' की भूमिका के रूप में लिखा था। देखिए, उसमें वे क्या कहते हैं, "फारसी मिश्रित हिन्दी (अर्थात् उर्दू या हिंदुस्तानी) के अदालती भाषा बनाए जाने के कारण उसकी बड़ी उन्नति हुई। इससे साहित्य की एक नई भाषा ही खड़ी हो गई। पश्चिमोत्तार प्रदेश के निवासी, जिनकी यह भाषा कही जाती है, इसे एक विदेशी भाषा की तरह स्कूलों में सीखने के लिए विवश किये जाते हैं।" हिन्दी साहित्य का इतिहास
ल्योनपो सांगे नेदुप (जन्म १ जुलाई १953) १999 से २००० तक और फिर २००५ से २००६ तक भूटान के प्रधानमंत्री रहे। १९५३ में जन्मे लोग
किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड (म/स) होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं। उदाहरण: माना समय त=० पर कोई कण १० मीटर/सेकेण्ड के वेग से उत्तर दिशा में गति कर रहा है। १० सेकेण्ड बाद उसका वेग बढ़कर ३० मीटर/सेकेण्ड (उत्तर दिशा में) हो जाता है। यह मानते हुए कि इस समयान्तराल में त्वरण का मान नियत है, त्वरण का मान = (३० म/स - १० म/स) / १० सेकेण्ड = २ मीटर प्रति सेकेण्ड२ होगा। किसी वस्तु विशेष द्वारा बदला गया वेग ही त्वरण कहलाता है। सामान्यतः वस्तु की गति की अवधि में उसके वेग में परिवर्तन होता रहता है। वेग में हो रहे इस परिवर्तन को कैसे व्यक्त करें। वेग में हो रहे इस परिवर्तन को समय के सापेक्ष व्यक्त करना चाहिए या दूरी के सापेक्ष? यह समस्या गैलिलैयो के समय भी थी। गैलिलैयो ने पहले सोचा कि वेग में हो रहे परिवर्तन की इस दर को दूरी के सापेक्ष व्यक्त किया जा सकता है किन्तु जब उन्होंने मुक्त रूप से गिरती हुई तथा नत समतल पर गतिमान वस्तुओं की गति का विधिवत् अध्ययन किया तो उन्होंने पाया कि समय के सापेक्ष वेग परिवर्तन की दर का मान मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तुओं हेतु, स्थिर रहता है जबकि दूरी के सापेक्ष वस्तु का वेग परिवर्तन स्थिर नहीं रहता वरन जैसे-जैसे गिरती हुई वस्तु की दूरी बढ़ती जाती है वैसे-वैसे यह मान घटता जाता है। इस अध्ययन ने त्वरण की वर्तमान धारणा को जन्म दिया जिसके अनुसार त्वरण को हम समय के सापेक्ष वेग परिवर्तन के रूप में परिभाषित करते हैं। जब किसी वस्तु का वेग समय के सापेक्ष बदलता है तो उसमें त्वरण हो रहा है । वेग में परिवर्तन तथा तत्सम्बन्धित समयान्तराल के अनुपात को औसत त्वरण कहते हैं। इसे से प्रदर्शित करते हैं: यहां त०,त क्षणों पर वस्तु का वेग क्रमशः व०,व है। यह एकांक समय में वेग में औसत परिवर्तन होता है। त्वरण का सी मात्रक म्स है । वेग-समय (व-त) ग्राफ से वस्तु का औसत त्वरण उस सरल रेखा की प्रावण्य के बराबर होता है जो बिन्दु (व, त) को बिन्दु (व०, त०) से जोड़ती है। गतिमान वस्तु का तात्क्षणिक त्वरण उसके औसत त्वरण के समान होगा यदि उसके दो समयों (त तथा (त+त)) के मध्य का अन्तराल (त) अनन्तसूक्ष्म हो। तात्क्षणिक त्वरण समय के एक अनन्तसूक्ष्म अन्तराल पर औसत त्वरण की सीमा है। कलन के सन्दर्भ में, तात्क्षणिक त्वरण समय के सापेक्ष वेग सदिश का अवकलज है: जैसा कि त्वरण को वेग, व, का समय त के सापेक्ष अवकलज के रूप में परिभाषित किया गया है और वेग को स्थिति, क्स, का समय के सापेक्ष अवकलज के रूप में परिभाषित किया गया है, त्वरण को त के सापेक्ष क्स के द्वितीय अवकलज के रूप में माना जा सकता है: कलन का मूलभूत प्रमेय द्वारा, यह देखा जा सकता है कि त्वरण फलन आ(त) का समाकलज वेग फलन व(त) है; अर्थात्, त्वरण बनाम समय (आ-त) ग्राफ के वक्र के नीचे का क्षेत्र वेग के परिवर्तन से मेल खाता है। स्पर्शरेखीय तथा अभिकेन्द्रीय त्वरण किसी वक्र पथ पर गति करते हुए कण का वेग समय के फलन के रूप में निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है- जहाँ व(त) पथ की दिशा में वेग है, तथा गति की दिशा में गतिपथ के स्पर्शरेखीय इकाई सदिश है। ध्यान दें कि यहाँ व(त) तथा उठ दोनों समय के साथ परिवर्तन्शील हैं, त्वरण की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जायेगी: जहाँ उन इकाई नॉर्मल सदिश (अन्दर की तरफ) है तथा र उस क्षण पर वक्रता त्रिज्या है। त्वरन के इन दो घटकों को क्रमशः स्पर्शरेखीय त्वरण (तंगेंशियल एक्सेलरेशन) तथा नॉर्मल त्वरन या त्रिज्य त्वरण या अभिकेन्द्रीय त्वरण (सेंट्रिपेटल एक्सेलरेशन) कहते हैं। कुछ विशिष्ट स्थितियाँ सरल आवर्त गति (सिम्पल हार्मोनिक मोशन) परवलयिक गति - त्वरण का परिमाण और दिशा अचर हो, वेग का परिमाण और दिशा परिवर्ती हो; जैसे प्रक्षेप्य गति) इन्हें भी देखें न्यूटन का गति का दूसरा नियम उपरोधी वाल्व (थ्रॉटिल वाल्व) या मोटरगाड़ियों का त्वरक (एक्सलरेटर)
काण्डाखाल-उ०प०-२, यमकेश्वर तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा काण्डाखाल-उ०प०-२, यमकेश्वर तहसील काण्डाखाल-उ०प०-२, यमकेश्वर तहसील
इम्तिहान १९९४ की हैरी बवेजा द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की एक्शन प्रेमकहानी फ़िल्म है। मुख्य भूमिका में सनी देओल, सैफ अली खान और रवीना टंडन हैं। इसका संगीत लोकप्रिय रहा था। विकी (सैफ अली खान) एक लोकप्रिय गायक हैं, जो प्रीती (रवीना टंडन) से प्यार करता है। वह उसके पिता से शादी करने की अनुमति मांगता है, जो तुरंत उसे मंजूरी दे देते हैं। प्रीती शादी करने के लिए अनिच्छुक है लेकिन अपने पिता के कहने पर मान जाती है। जल्द ही, उसके पिता बीमार पड़ते हैं, और वह वादा करती है कि वह विकी को अपने पिछले जीवन के बारे में नहीं बताएगी। कुछ साल पहले, प्रीती अपने पिता की इच्छाओं के खिलाफ राजा (सनी देओल) से प्यार और शादी कर चुकी थीं। हालांकि दोनों एक साथ बहुत खुश थे, फिर जब वे दुर्घटना में गायब हो जाता है तो वे अलग हो गए। प्रीती अपने पिता के घर लौट आई, जहां उसने देखा कि वह गर्भवती थी। उसने बेटी को जन्म दिया; हालांकि, उसके पिता ने बच्चे को अनाथालय में भेजा। विकी से शादी करने के बाद, प्रीती उसके साथ काफी खुश हैं। वह अनाथालय में अपनी बेटी, पिंकी से मिलती है, और कानूनी रूप से उसे अपनाने का फैसला करती है। विकी, जो पिंकी से प्रीती के रिश्ते के बारे में नहीं जानता है, गोद लेने का विरोध करता है क्योंकि वह किसी दिन खुद अपने बच्चे करना चाहता है। सैफ़ अली ख़ान - विकी रवीना टंडन - प्रीती सनी द्योल - राजा असरानी - नंदू बेबी गज़ाला - पिंकी अवतार गिल - डा. पांडे बृज गोपाल - पुलिस इंस्पेक्टर गुलशन ग्रोवर - गुलशन मोहन जोशी - के.के, खलनायक शक्ति कपूर - शेखर दलीप ताहिल - दीन दयाल खन्ना १९९४ में बनी हिन्दी फ़िल्म अनु मलिक द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
१ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३०५वॉ (लीप वर्ष मे ३०६ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ६० दिन बाकी है। ओटोमन साम्राज्य का अंत कर दिया गया। उसके सुल्तान महमूद छः को बहिष्कृत कर दिया गया। यूनाइटेड किंगडम में १० शिलिंग का प्रसारण लाइसेंस शुल्क लगाया गया। १९२३- फिनिश ध्वज वाहक फिनेयर वायुसेवा एयरो ओय में शुरू हो गया। २०११- चीन ने मानवरहित अंतरिक्ष यान शेनझोऊ-८ को गोबी मरुस्थल में स्थित जियूकन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया। १९७३ - ऐश्वर्या राय - भारतीय अभिनेत्री एवं पूर्व मिस वर्ल्ड १९७३ - रूबी भाटिया इस दिन मनाए जाने वाले अवसर, त्यौहार आदि हरियाणा का स्थापना दिवस कर्नाटक का स्थापना दिवस केरल का स्थापना दिवस मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस छत्तीसगढ़ का स्थापना दिवस बीबीसी पे यह दिन
यह एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र है। यह दैनिक समाचार पत्र फीनिक्स से प्रकाशित होता है। कुल पाठक संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका के समाचार पत्र विश्व के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र
कांचा कदली बाड़ा एक उड़िया व्यंजन है। बाड़ा, कांचा कदली बाड़ा, कांचा कदली
नीलकंठ वर्णी भगवान स्वामिनारायण के बचपन का नाम है। माता पिता के मुर्त्यु के बाद भगवान स्वामीनारायण ने वैरागी वेश धारण कर के पूरे भारत की यात्रा की थी, उस समय लोग उनको नीलकंठ वर्णी के नाम से पुकारते थे।भगवान स्वामीनारायण ने नीलकंठ वर्णी के रूप में भारत के विविध प्रदेश में १२००० किलोमीटर तक यात्रा की थी। भारत के आलावा उन्होंने नेपाल और चीन का भी प्रवास किया, हिमालय और मुक्तिनाथ में तप किया, इस दौरान उन्होंने बहोत से चमत्कार भी किए, कई लोगो के जीवन परिवर्तन किए। यात्रा के अंत में जब नीलकंठ वर्णी गुजरात के लॉज गांव में पहुंचे तब वहा के प्रसिद्ध संत रामानंद स्वामी को उन्होंने अपना गुरु माना। एक वर्ष बाद रामानंद स्वामी ने नीलकंठ वर्णी को भगवती दीक्षा दी ओर उनका नाम स्वामिनारायण रखा। तब से वे भगवान स्वामीनारायण के नाम से जाने और पूजे जाने लगे।
कोसमपाली रायगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है। छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़
सर पैट्रिक स्टिवर्ट () एक अंग्रेज़ फ़िल्म अभिनेता है जो एक्स-मेन फ़िल्म श्रंखला में अपने किरदार प्रोफेसर चार्लस ज़ेवियर व स्टार ट्रेक फ़िल्म श्रंखला में अपने किरदार के लिए मशहुर है।
अमर १९५४ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। मधुबाला - अंजू राय निम्मी - सोनिया जयंत - शंकर नामांकन और पुरस्कार
गैसधानी या 'गैस होल्डर' उस विशाल पात्र (कॉन्टेनर) को कहते हैं जिसमें प्राकृतिक गैस या टाउन गैस को वायुमण्डलीय दाब और सामान्य ताप पर पर संग्रहित रखा जाता है। उपभोक्ताओं के बीच गैस वितरण के पहले गैस का संग्रह करने की आवश्यकता पड़ती है। गैससंग्रह की साधारणतया तीन रीतियाँ प्रचलित हैं : १. जलसंमुद्रित टंकियाँ, २. जलरहित टंकियाँ और ३. गैस के सिलिंडर जल संमुद्रित टंकियाँ जलसंमुद्रित टंकियों का उपयोग बहुत दिनों से होता आ रहा है। आज भी इनका उपयोग व्यापक रूप से होता है। इसमें एक बड़ी टंकी रहती है जिसमें जल भरा रहता है। जल पर इस्पात का एक ढाँचा तैरता रहता है। जल के ऊपर गैस इकट्ठी होती है। टंकी में एक नल रहता है जो पेंदे से शिखर तक, अर्थात् नीचे से ऊपर तक, जाता है। इसी नल द्वारा गैस प्रविष्ट करती अथवा बाहर निकलती है। जब गैस प्रविष्ट करती है तब ढाँचा धीरे धीरे ऊपर उठता है। जब गैस बाहर निकलती है तब ढाँचा धीरे धीरे नीचे गिरता है। ढाँचा दीवार पर स्थित झझंरी द्वारा ऊपर नीचे खिसकता है। छोटी छोटी टंकियों के ढाँचे इस्पात के एक टुकड़े से बने होते हैं। बड़ी बड़ी टंकियों के ढाँचे दो से चार भागों में बनाकर जोड़े जाते हैं। जब टंकी में गैस नहीं रहती तब ढाँचा टंकी के पेंदे में स्थित रहता है। जैसे जैसे गैस प्रवेश करती है, ढाँचा ऊपर उठता जाता है। जब गैस से टंकी भर जाती है तब वह जलसंमुद्रित हो जाती है। संमुद्रण के जल के ठंढे देशों में बर्फ बनने से बचाने के लिये भाप से गरम रखते हैं। भारत ऐसे उष्ण देश में यह स्थिति साधारणतया नहीं आती। भारत की प्रयोगशालाओं में प्रयुक्त होनेवाली गैस ऐसी ही टंकियों में संगृहीत रहती है। जलरहित टंकी जलवाली टंकी सी ही देख पड़ती है। इसमें एक पिस्टन होता है, जो गैस के आयतन के अनुसार ऊपर नीचे जाता आता रहता है। टंकी पर छप्पर होता है, जो पिस्टन को पानी से सुरक्षित रखता है। टंकी का आधार वृत्तकार या बहुभुजाकार हो सकती है। भुजाएँ १० से २८ तक रह सकती हैं। गैस सिलिंडर इस्पात के बने होते हैं। इनमें प्रति वर्ग इंच पर कई सौ पाउंड दबाव में गैस रखी जाती है। ऐसे मजबूत बने सिलिंडर का मूल्य अधिक होता है, पर इसका बार बार उपयोग किया जा सकता है। दबाव में गैस रखने के लिये ये सिलिंडर बड़े आवश्यक होते हैं। वस्तुत: गैस सिलिंडर उसी प्रकार के होते हैं जैसे सिलिंडरों में, क्लोरीन, आक्सीजन, कार्बन डाइ-आक्साइड, ऐसीटिलीन आदि औद्योगिक महत्व की गैसें रखी जाती हैं।
हैदर एक २०१४ में बनी भारतीय क्राइम ड्रामा फिल्म है, जो विशाल भारद्वाज द्वारा लिखित, निर्मित और निर्देशित है और बशरत पीर द्वारा सह-लिखित है। फिल्म में शाहिद कपूर और सह-कलाकार के रूप में तबु, श्रद्धा कपूर और के के मेनन है। इरफ़ान खान एक विशेष उपस्थिति में हैं। यह फिल्म विलियम शेक्सपियर की हैमलेट पर आधारित है, जिसमें १९९५ के उग्रवाद प्रभावित कश्मीर संघर्षों और नागरिकों के लापता होने के बारे में दिखाया गया है। हैदर, एक युवा छात्र और एक कवि है जो अपने पिता के लापता होने के बारे में जवाब मांगने के लिए संघर्ष करते हुए कश्मीर लौटता है और राज्य की राजनीति में फंस जाता है। हैदर मक़बूल (२००३) और ओमकारा (२००६) के बाद भारद्वाज की यह तीसरी फिल्म है जो विलियम शेक्सपियर की किताबों पर आधारित है। फिल्म को १९वें बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया, और २ अक्टूबर २०१४ को दुनिया भर में रिलीज़ किया गया और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। फिल्म ने अपने विवादास्पद विषय के कारण मीडिया का ध्यान आकर्षित किया। के के मेनन, तब्बू और शाहिद कपूर के किरदारों ने खूब प्रशंसाएं प्राप्त की। हैदर रोम फिल्म फेस्टिवल में पीपल्स च्वाइस अवार्ड जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म थी। भारत में कई पुरस्कारों और नामांकन के बीच, फिल्म ने पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते: जिसमें सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्व गायक, सर्वश्रेष्ठ संवाद, सर्वश्रेष्ठ नृत्यकला, सर्वश्रेष्ठ पोशाक डिजाइन और सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन है। हैदर की शूटिंग दो पार्ट में हुई। पहला शेड्यूल नवंबर-दिसंबर २०१३ में और फिर जनवरी-फरवरी २०१४ में रखा गया था। मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, फिल्म के पहले हिस्से को पतझड़ और शरद ऋतु में शूट किया गया है और दूसरे हिस्से को बर्फ मौसम में एक्शन सीक्वेंस के तौर पर फिल्माया गया है। पूरा फिल्मांकन ५४ दिनों में पूरा हुआ। इस फिल्म के लिए शाहिद कपूर को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, के के मेनन को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता और तबु को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया। प्रोजेक्ट टाइगर २०१९ के अन्तर्गत निर्मित लेख
ज़ेको बर्गेस बरमूडियन क्रिकेटर हैं। अगस्त २०१९ में, उन्हें २०१८-१९ आईसीसी टी२० विश्व कप अमेरिका क्वालीफायर टूर्नामेंट के क्षेत्रीय फाइनल के लिए बरमूडा के दस्ते में नामित किया गया था। नवंबर २०१९ में, उन्हें ओमान में क्रिकेट विश्व कप चैलेंज लीग बी टूर्नामेंट के लिए बरमूडा के दस्ते में नामित किया गया था। उन्होंने ६ दिसंबर २०१९ को युगांडा के खिलाफ बरमूडा के लिए अपनी लिस्ट ए की शुरुआत की। अक्टूबर २०२१ में, उन्हें एंटीगुआ में २०२१ आईसीसी पुरुष टी२० विश्व कप अमेरिका क्वालीफायर टूर्नामेंट के लिए बरमूडा के ट्वेंटी २० अंतर्राष्ट्रीय (टी२०आई) टीम में नामित किया गया था। उन्होंने बहामास के खिलाफ बरमूडा के लिए १० नवंबर २०२१ को अपना टी२०आई पदार्पण किया।
इन्डियम फास्फाइड एक अकार्बनिक यौगिक है। इसका रासायनिक सूत्र इंप है।
परशुराम जनम सथली इंदौर जिलेँ मेँ एन. एच. ३ पर जानापाव पहाङी पर सिथत हैँ ।यहाँ का वातावरण मनोरम हैँ।
नॆरवाड (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
जीनेट एप्प्स एक एयरोस्पेस इंजीनियर और नासा के अंतरिक्ष यात्री है, जिनका जन्म ३ नवम्बर १९७० में सिरैक्यूज़, न्यूयॉर्क में हुआ था। उन्होंने ले मोइन कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और एम.एस. और मैरीलैंड विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की। अपनी स्नातक की पढाई पूरी होने के बाद उन्होंने फोर्ड मोटर कंपनी में अन्वेषण में कार्य किया और सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के साथ तकनीकी इंटेलिजेंस अधिकारी के रूप में कार्य किया। जीनेट एप्प्स जून २००९ में अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में चुनी गयी थी। परन्तु वह २०११ में अंतरिक्ष यात्री के रूप में योग्य हुई। नीमो-१८ अंडरसी अन्वेषण मिशन के दौरान उन्होंने एक एक्वाटॉट के रूप में कार्य किया। यह मिशन २१ जुलाई २०१४ को प्रारम्भ हुआ था और उसके नौ दिन बाद खत्म हुआ। ५ जनवरी २०१६ को, नासा ने घोषणा की कि एपप्स वह पहली अफ्रीकी अमेरिकी अंतरिक्ष स्टेशन चालक दल की सदस्य बनने की तैयारी में है, जो मई २०१८ में अंतरिक्ष यान पर लांच किया जाएगा। और वह एक्सपडिशन-५७ के लिए बोर्ड पर शेष ५६ अभियान के फ्लाईट इंजीनियर के रूप में कार्य करेंगी। महिला अंतरिक्ष यात्री
एमटीवी साउथ ईस्ट एशिया स्टार समूह का एक भूतपूर्व टीवी चैनल है।
तेरु कन्नड़ भाषा के विख्यात साहित्यकार राघवेन्द्र पाटील द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् २००५ में कन्नड़ भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत कन्नड़ भाषा की पुस्तकें
यह निकारागुआ का एक प्रमुख बंदरगाह है। विश्व के प्रमुख बंदरगाह
माता सुंदरी महिला कॉलेज जिसे संक्षिप्त रूप से माता सुंदरी कॉलेज के नाम से भी जाना जाता है , दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाला कॉलेज है। कॉलेज की स्थापना १७ जुलाई १९६७ में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति द्वारा की गई थी। वर्तमान में ४००० से अधिक छात्र कॉलेज में उपलब्ध विभिन्न सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं। कॉलेज परिसर केंद्रीय दिल्ली में स्थित है और दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसका नाम दसवें सिख गुरु गुरु गोबिंद सिंह की पत्नी माता सुंदरी के नाम पर रखा गया है और यह माता सुंदरी गुरुद्वारा के निकट स्थित है।
ग्रिड कायमगंज कायमगंज, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। फर्रुखाबाद जिला के गाँव
गंगा चिल्ली या घोमर (गुल्ल) चील जाति का एक पक्षी है जो नदियों के ऊपर उड़ता हुआ दिखता है। इसका आकार मध्यम से लेकर बड़ा होता है। रंग धूसर या सफेद, बीच-बीच में पाथे और पंख पर काला बिन्दु होते हैं। इसकी आवाज बहुत कर्कश होती है।
अन्तर्जाल एक वैश्विक कम्प्यूटर संजाल है जो विभिन्न प्रकार की सूचना और संचार सुविधाएँ प्रदान करता है, जिसमें मानकीकृत संचार प्रोटोकॉलों का उपयोग करके परस्पर जुड़े जाल-तन्त्र शामिल हैं। यह संजालों का एक संजाल है जिसमें स्थानीय से वैश्विक स्तर के निजी, सार्वजनिक, शैक्षणिक, व्यवसाय और सरकारी संजाल शामिल हैं, जो वैद्युतिक, तार-रहित और प्रकाशीय संजालीकरण तकनीकों की एक विस्तृत शृंखला से जुड़े हैं। अन्तर्जाल में सूचना संसाधनों और सेवाओं की एक विशाल शृंखला होती है, जैसे कि संयोजित अतिपाठ दस्तावेज़ और विश्वव्यापी जाल के अनुप्रयोगों, वैद्युतिक पत्र, दूरभाषी और फ़ाइल साझाकरण। १९६० के दशक में इंटरनेट नेटवर्क की उत्पत्ति संयुक्त राज्य संघीय सरकार द्वारा कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से मज़बूत, गलती-सहिष्णु संचार के निर्माण के लिए शुरू की गई थी। ९०८५ के शुरुआती दिनों में वाणिज्यिक नेटवर्क और उद्यमों को जोड़ने से आधुनिक इंटरनेट पर संक्रमण की शुरुआत हुई, और तेजी से वृद्धि के कारण संस्थागत, व्यक्तिगत और मोबाइल कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े थे। २००० के दशक के अंत तक, इसकी सेवाओं और प्रौद्योगिकियों को रोजमर्रा की जिंदगी के लगभग हर पहलू में शामिल किया गया था। टेलीफ़ोनी, रेडियो, टेलीविज़न, पेपर मेल और अखबारों सहित अधिकांश पारंपरिक संचार मीडिया, ईमेल द्वारा पुनर्निर्मित, पुनर्निर्धारित, या इंटरनेट से दूर किए जाने वाले ईमेल सेवाओं, इंटरनेट टेलीफ़ोनी, इंटरनेट टेलीविजन, ऑनलाइन संगीत, डिजिटल समाचार पत्र, और वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइटें अखबार, पुस्तक, और अन्य प्रिंट प्रकाशन वेबसाइट प्रौद्योगिकी के अनुकूल हैं, या ब्लॉगिंग, वेब फ़ीड्स और ऑनलाइन समाचार एग्रीगेटर्स में पुन: स्थापित किए जा रहे हैं। इंटरनेट ने त्वरित मैसेजिंग, इंटरनेट फ़ौरम और सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से व्यक्तिगत इंटरैक्शन के नए रूपों को सक्षम और त्वरित किया है। ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और छोटे व्यवसायों और उद्यमियों के लिए ऑनलाइन खरीदारी तेजी से बढ़ी है, क्योंकि यह कंपनियों को एक बड़े बाजार की सेवा या पूरी तरह से ऑनलाइन वस्तुओं और सेवाओं को बेचने के लिए अपनी "ईंट और मोर्टार" उपस्थिति बढ़ाने में सक्षम बनाता है। इंटरनेट पर व्यापार से व्यापार और वित्तीय सेवाओं को पूरे उद्योगों में आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ता है। इंटरनेट का उपयोग या उपयोग के लिए तकनीकी कार्यान्वयन या नीतियों में कोई केंद्रीकृत शासन नहीं है; प्रत्येक घटक नेटवर्क अपनी नीतियाँ निर्धारित करता है। इंटरनेट, इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आए पी एड्रेस), स्पेस और डोमेन नेम सिस्टम (डी एन एस) में दो प्रमुख नाम रिक्त स्थान की केवल अति परिभाषा परिभाषाएँ एक रखरखाव संगठन, इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नाम और नंबर (आए सी ए एन एन)। मुख्य प्रोटोकॉल के तकनीकी आधारभूत और मानकीकरण, इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फ़ोर्स (आए ई टी एफ़) की एक गतिविधि है, जो कि किसी भी गैर-लाभप्रद संगठन के साथ संबद्ध अंतरराष्ट्रीय सहभागी हैं, जो किसी को भी तकनीकी विशेषज्ञता में योगदान दे सकते हैं। पॉल बैरन और डोनल्ड डेविस द्वारा पैकेट स्विचिंग में संशोधन १९६० के दशक के मध्य में शुरू हुआ, और पैकेट ने एन पी एलनेटवर्क, ए आर पी ए एन ए टी, टायनेट, मेरिट नेटवर्क, टेलनेट, और साइक्लेड्स जैसे नेटवर्क स्विच किए , १९६० के दशक और १९७० के दशक में विभिन्न प्रोटोकॉल का उपयोग करके विकसित किया गया था। ए आर पी ए एन ई टी परियोजना ने इंटरनेटवर्किंग के लिए प्रोटोकॉल के विकास के लिए नेतृत्व किया, जिससे कई अलग-अलग नेटवर्क नेटवर्क के एक नेटवर्क में शामिल हो सकें। ए आर पी एन ई टी विकास दो नेटवर्क नोडों से शुरू हुआ, जो कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (यू सी एल ए) हेनरी सैमुएरी स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग और लियोनार्ड क्लेनरॉक द्वारा निर्देशित एप्लाइड साइंस और एस आर आए अंतरराष्ट्रीय (एस आर आए) में एन एल एस सिस्टम में नेटवर्क मापन केंद्र के बीच जुड़े थे। २९ अक्टूबर १९६९ को मेनलो पार्क, कैलिफ़ोर्निया में डगलस एंजेलबार्ट। तीसरी साइट यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सांता बारबरा में कल्लेर फ्राइड इंटरएक्टिव मैथमेटिक्स सेंटर थी, इसके बाद यूटा विश्वविद्यालय यूटा ग्राफिक्स डिपार्टमेंट के पास था। भविष्य के विकास के शुरुआती संकेत में, १९७१ के अंत तक पंद्रह स्थल युवा ए आर पी ए एन ए टी से जुड़े हुए थे। ये प्रारंभिक वर्ष १९७२ की फ़िल्म कंप्यूटर नेटवर्क: द हेरल्ड्स ऑफ़ रिसोर्स शेयरिंग में प्रलेखित किए गए थे। ए आर पी ए एन ई टी पर प्रारंभिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग दुर्लभ थे। यूरोपीय डेवलपर्स एक्स २५ नेटवर्क विकसित करने के लिए चिंतित थे। उल्लेखनीय अपवाद १)१९७३ में नॉर्वेजियन सिज़्मिक अर्रे (नोर्स) थे, इसके बाद १९७३ में स्वीडन ने तनुम पृथ्वी स्टेशन से उपग्रह लिंक और ब्रिटेन में पीटर टी। क्रिस्टीन के अनुसंधान समूह के साथ, शुरू में लंदन विश्वविद्यालय, कंप्यूटर विज्ञान संस्थान और बाद में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में। दिसंबर १९७४ में, विनटन सर्फ़, योजोन दलाल और कार्ल सनशाइन द्वारा आर एफ़ सी 6२५ (इंटरनेट ट्रांसमिशन नियंत्रण कार्यक्रम की विशिष्टता) ने इंटरनेट को इस्तेमाल करने के लिए लघुकथ के रूप में इंटरनेट का इस्तेमाल किया और बाद में आरएफसी ने इस प्रयोग को दोहराया। १९८१ में राष्ट्रीय विज्ञान फ़ाउंडेशन (एन एस एफ़) ने कम्प्यूटर साइंस नेटवर्क (सी एस एन ई टी) को वित्त पोषित करने के लिए ए आर पी ए एन ए टी तक पहुँच का विस्तार किया था। १९८२ में, इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट (टी सी पी / आए पी) को मानकीकृत किया गया था, जिससे दुनिया भर में इंटरकनेक्टेड नेटवर्क्स की अनुमति थी। १९८३ में टी सी पी / आए पी नेटवर्क का विस्तार फिर से विस्तार हुआ, जब राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन नेटवर्क (एन एस एफ़ नेट) ने शोधकर्ताओं के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में सुपरकंप्यूटर साइटों तक पहुंच प्रदान की, पहले ५६ केबीटी / एस की रफ्तार और बाद में २.५ एमबीटी / एस और 4५ एमबीटी / एस। वाणिज्यिक इंटरनेट सेवा प्रदाता (आए एस पी) १९९० के दशक के उत्तरार्ध में और १९९० के दशक के आरंभ में उभरा। १९९० में एआरपीएनेट को निष्क्रिय कर दिया गया था। 199५ तक, संयुक्त राज्य में इंटरनेट का पूरी तरह से व्यावसायीकरण किया गया था जब एन एस एफ़ एन टी को डिकमीशन किया गया था, जिससे वाणिज्यिक ट्रैफ़िक लेने के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल पर अंतिम प्रतिबंध हटा दिया गया था। १९८० के दशक के उत्तरार्ध में और १९८० के दशक के उत्तरार्ध में और १९९० की शुरुआत में यूरोप में इंटरनेट का तेजी से विस्तार हुआ। दिसंबर १९९८ में एन एस एफ़ एन ई टी और यूरोप में नेटवर्क के बीच समर्पित ट्रान्साटलांटिक संचार की शुरुआत प्रिंसटन विश्वविद्यालय और स्टॉकहोम, स्वीडन के बीच एक कम गति वाले उपग्रह रिले के साथ की गई थी। यद्यपि अन्य नेटवर्क प्रोटोकॉल जैसे कि यू यू पी पी इस समय से पहले अच्छी तरह से वैश्विक पहुँच थे, इसने इंटरकाँटिनेंटल नेटवर्क के रूप में इंटरनेट की शुरुआत की। १९८९ के मध्य में इंटरनेट का सार्वजनिक वाणिज्यिक उपयोग इंटरनेट के ५००,००० उपयोगकर्ताओं को एम सी आए मेल और कंपोसर्व की ईमेल क्षमताओं के साथ हुआ। बस महीने बाद १ जनवरी १९९० को, पी एस आई नेट ने वाणिज्यिक उपयोग के लिए वैकल्पिक इंटरनेट रीढ़ की शुरुआत की; एक ऐसा नेटवर्क जो वाणिज्यिक इंटरनेट में बढ़ेगा जिसे आज हम जानते हैं मार्च १९९० में, एन एस एफ़ एन ई टी और यूरोप के बीच पहली उच्च गति वाली टी १ (१.५ एमबीटी / एस) लिंक, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और सर्न के बीच स्थापित किया गया था, उपग्रहों में सक्षम होने की तुलना में बहुत अधिक मजबूत संचार की अनुमति थी। छः महीने बाद टिम बर्नर्स-ली, वर्डवेब, सीईआरएन प्रबंधन के दो साल के लॉबिंग के बाद पहला वेब ब्राउज़र लिखना शुरू कर देंगे। १९९० के दशक तक, बर्नर्स-ली ने काम कर रहे वेब: हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एचटीटीपी ०.९), हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (एच टी एम एल), पहला वेब ब्राउज़र (जो कि एक एच टी एम एल एडिटर भी था, के लिए आवश्यक सभी उपकरण तैयार किए थे यूज़नेट समाचारसमूहों और एफ़टीपी फाइलों तक पहुंच सकता है), पहले एच टी टी पी सर्वर सॉफ़्टवेयर (बाद में सर्न एच टी टी पी डी के रूप में जाना जाता है), पहला वेब सर्वर, और पहला वेब पेज जो परियोजना को खुद ही वर्णित करता है १९९१ में वाणिज्यिक इंटरनेट एक्सचेंज की स्थापना की गई थी, जो पी एस आए नेट को अन्य वाणिज्यिक नेटवर्क सीईआरएफनेट और अल्टरनेट के साथ संवाद करने की अनुमति दे रहा था। १९९५ से इंटरनेट ने संस्कृति और वाणिज्य पर काफी प्रभाव डाला है, जिसमें ईमेल, त्वरित संदेश, टेलीफोनी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल या वी ओ आए पी), दो-तरफा इंटरैक्टिव वीडियो कॉल, और वर्ल्ड वाइड वेब के पास त्वरित संचार की वृद्धि शामिल है इसकी चर्चा मंच, ब्लॉग, सोशल नेटवर्किंग, और ऑनलाइन शॉपिंग साइटें डेटा की बढ़ती मात्रा १-जी बी आए टी / स, १०-जी बी आए टी, या अधिक पर काम कर फ़ाइबर ऑप्टिक नेटवर्क पर उच्च और उच्च गति पर प्रेषित होती है। इंटरनेट ऑनलाइन बढ़ने और ज्ञान, वाणिज्य, मनोरंजन और सोशल नेटवर्किंग से कहीं अधिक बढ़ती जा रही है। १९९० के अंत के दौरान, अनुमान लगाया गया कि सार्वजनिक इंटरनेट पर यातायात में प्रति वर्ष १०० प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की औसत वार्षिक वृद्धि २०% और ५०% के बीच थी। यह विकास अक्सर केंद्रीय प्रशासन की कमी के कारण होता है, जो नेटवर्क के जैविक विकास की अनुमति देता है, साथ ही साथ इंटरनेट प्रोटोकॉल की गैर-स्वामित्व वाली प्रकृति, जो विक्रेता अंतर को प्रोत्साहित करती है और किसी एक कंपनी को नेटवर्क पर बहुत अधिक नियंत्रण करने से रोकती है। ३१ मार्च २०११ तक, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की अनुमानित कुल संख्या २.०९५ अरब (विश्व जनसंख्या का ३०.२%) थी। यह अनुमान लगाया गया है कि १९९३ में इंटरनेट ने २-रास्ता दूरसंचार के माध्यम से बहने वाली जानकारी का केवल १% ही किया, २००० तक यह आँकड़ा ५१% हो गया, और २००७ तक इंटरनेट पर सभी दूरसंचार सूचनाओं में ९७% से अधिक डेटा लिया गया। १९६९ टिम बर्नर्स ली ने इंटरनेट बनाया था। इंटरनेट अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा यू सी एल ए के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स का नेटवर्किंग करके इंटरनेट की संरचना की गई। १९७९ ब्रिटिश डाकघर पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर नये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आरम्भ किया। १९८० बिल गेट्स का आए बी एम के कंप्यूटर्स पर एक माइक्रोसॉफ़्ट ऑपरेटिंग सिस्टम लगाने के लिए सौदा हुआ। १९८४ ऐप्पल ने पहली बार फ़ाइलों और फ़ोल्डरों, ड्रॉप डाउन मेन्यू, माउस, ग्राफ़िक्स का प्रयोग आदि से युक्त "आधुनिक सफल कम्प्यूटर" लांच किया। १९८९ टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउज़रों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर के वर्ल्ड वाइड वेब बनाया। १९९६ गूगल ने स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में एक अनुसंधान परियोजना शुरू किया जो कि दो साल बाद औपचारिक रूप से काम करने लगा। २००९ डॉ स्टीफ़न वोल्फ़रैम ने "वॉलफ्रेम अल्फा" लाँच किया। जबकि इंटरनेट इंफ्ऱास्ट्रक्चर में हार्डवेयर घटकों का उपयोग अक्सर अन्य सॉफ्टवेयर सिस्टमों का समर्थन करने के लिए किया जा सकता है, यह सॉफ्टवेयर का मानदंड और डिजाइन है जो इंटरनेट की विशेषता देता है और इसकी स्केलेबिलिटी और सफलता के लिए नींव प्रदान करता है। इंटरनेट सॉफ़्टवेयर सिस्टम के वास्तुशिल्प डिज़ाइन के लिए जिम्मेदारी इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फ़ोर्स (आए ई टी एफ़) द्वारा धारित की गई है। आए ई टी एफ़ इंटरनेट वास्तुकला के विभिन्न पहलुओं के बारे में, किसी भी व्यक्ति के लिए मानक-सेटिंग वाले काम समूहों का आयोजन करता है। परिणामस्वरूप योगदान और मानक आए ई टी एफ़ वेब साइट पर टिप्पणियों के लिए अनुरोध (आर एफ़ सी) दस्तावेजों के रूप में प्रकाशित किए गए हैं। नेटवर्किंग के मुख्य तरीकों जो इंटरनेट को सक्षम करते हैं विशेष रूप से नामित आर एफ़ सी में निहित हैं जो कि इंटरनेट मानकों का गठन करते हैं। अन्य कम कठोर दस्तावेज केवल सूचनात्मक, प्रयोगात्मक या ऐतिहासिक हैं, या इंटरनेट तकनीकों को कार्यान्वित करते समय सर्वोत्तम वर्तमान प्रथाओं (बी सी पी) को दस्तावेज देते हैं। इंटरनेट मानक इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट के रूप में जाना जाता है एक रूपरेखा का वर्णन करता है। यह एक मॉडल वास्तुकला है जो तरीकों को एक प्रोटोकॉल के स्तरित सिस्टम में विभाजित करता है, मूल रूप से आरएफसी ११२२ और आर एफ़ सी ११२३ में प्रलेखित किया गया है। परतें पर्यावरण या क्षेत्र के अनुरूप होती हैं जिसमें उनकी सेवाएँ संचालित होती हैं। शीर्ष पर एक आवेदन परत है, सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों में उपयोग किए गए एप्लिकेशन-विशिष्ट नेटवर्किंग विधियों के लिए स्थान। उदाहरण के लिए, एक वेब ब्राउज़र प्रोग्राम क्लाइंट-सर्वर एप्लिकेशन मॉडल और सर्वर और क्लाइंट के बीच इंटरैक्शन के एक विशिष्ट प्रोटोकॉल का उपयोग करता है, जबकि कई फ़ाइल साझाकरण सिस्टम एक पीयर-टू-पीयर प्रतिमान का उपयोग करता है इस शीर्ष परत के नीचे, ट्रांसपोर्ट लेयर विभिन्न होस्ट्स पर अनुप्रयोगों को उचित डेटा विनिमय पद्धतियों के साथ नेटवर्क के माध्यम से तार्किक चैनल के साथ जोड़ता है। इन परतों को समझना नेटवर्किंग प्रौद्योगिकियां हैं जो नेटवर्क को अपनी सीमाओं पर एक दूसरे से जुड़ते हैं और उनके बीच यातायात का आदान-प्रदान करते हैं। इंटरनेट स्तर इंटरनेट प्रोटोकॉल (आए पी) पते के माध्यम से एक दूसरे को पहचानने और खोजने के लिए कंप्यूटरों को सक्षम बनाता है, और मध्यवर्ती (ट्रांज़िट) नेटवर्क के माध्यम से अपने ट्रैफिक को रूट करता है। अंतिम, आर्किटेक्चर के निचले भाग में लिंक परत है, जो समान नेटवर्क लिंक पर मेजबानों के बीच लॉजिकल कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जैसे स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क (एल ए एन) या डायल-अप कनेक्शन। मॉडल, जिसे टी सी पी / आए पी के रूप में भी जाना जाता है, को शारीरिक कनेक्शन के लिए उपयोग किए जाने वाले अंतर्निहित हार्डवेयर से अलग होने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो कि मॉडल किसी भी विस्तार से संबंधित नहीं है। अन्य मॉडलों को विकसित किया गया है, जैसे कि ओ एस आए मॉडल, जो संचार के हर पहलू में व्यापक होने का प्रयास करता है। हालांकि कई समानताएँ मॉडल के बीच मौजूद हैं, वे विवरण या कार्यान्वयन के विवरण में संगत नहीं हैं। फिर भी, टीसीपी / आए पी प्रोटोकॉल आमतौर पर ओ एस आए नेटवर्किंग की चर्चा में शामिल हैं। इंटरनेट मॉडल का सबसे प्रमुख घटक इंटरनेट प्रोटोकॉल (आए पी) है, जो नेटवर्क पर कंप्यूटरों के लिए एड्रेसिंग सिस्टम, आए पी पते सहित, प्रदान करता है। आए पी इंटरनेटवर्किंग को सक्षम करता है और संक्षेप में, इंटरनेट खुद को स्थापित करता है। इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण ४ (आए पी वी ४) इंटरनेट की पहली पीढ़ी पर प्रयुक्त प्रारंभिक संस्करण है और अभी भी प्रमुख उपयोग में है। यह ४.३ अरब (१०९) मेजबानों को संबोधित करने के लिए डिजाइन किया गया था हालांकि, इंटरनेट के विस्फोटक वृद्धि ने आए पी वी ४ पते के थकावट को जन्म दिया है, जो २०११ में अपने अंतिम चरण में प्रवेश किया था, जब वैश्विक पता आवंटन पूल समाप्त हो गया था। एक नया प्रोटोकॉल संस्करण, आए पी वी ६, १९९० के दशक के मध्य में विकसित किया गया था, जो काफी बड़े पते क्षमताओं को प्रदान करता है और इंटरनेट यातायात के अधिक कुशल मार्ग प्रदान करता है। वर्तमान में आए पी वी ६ दुनिया भर में बढ़ते तैनाती में है, क्योंकि इंटरनेट ऐड्रेस रजिस्ट्री (आर आए आर) ने सभी संसाधन प्रबंधकों को त्वरित अपनाने और रूपांतरण की योजना बनाने के लिए आग्रह किया। आए पी वी ७ आए पी वी ४ के साथ डिज़ाइन से सीधे इंटरऑपरेट नहीं है। संक्षेप में, यह इंटरनेट के एक समानांतर संस्करण को स्थापित करता है जो सीधे आए पी वी ४ सॉफ्टवेयर से सुलभ नहीं होता है। इस प्रकार, इंटरनेटवर्किंग या नोड्स के लिए अनुवाद सुविधा मौजूद होने चाहिए, दोनों नेटवर्क के लिए डुप्लिकेट नेटवर्किंग सॉफ़्टवेयर होना चाहिए। मूल रूप से सभी आधुनिक कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम इंटरनेट प्रोटोकॉल के दोनों संस्करणों का समर्थन करते हैं। हालांकि, नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर इस विकास में कम हो गया है। इसके बुनियादी ढाँचे को बनाने वाले भौतिक कनेक्शन के जटिल सरणी के अलावा, इंटरनेट को द्वि- या बहु-पार्श्व व्यावसायिक अनुबंधों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है, उदाहरण के लिए, पीयरिंग समझौतों, और तकनीकी विनिर्देशों या प्रोटोकॉल द्वारा जो नेटवर्क पर डेटा के आदान-प्रदान का वर्णन करते हैं। दरअसल, इंटरनेट को इसके इंटरकनेक्शन और रूटिंग नीतियों द्वारा परिभाषित किया गया है। इंटरनेट एक वैश्विक नेटवर्क है जिसमें कई स्वेच्छा से जुड़े हुए स्वायत्त नेटवर्क हैं। यह केंद्रीय शासी निकाय के बिना संचालित होता है कोर प्रोटोकॉल (आईपीवी ४ और आईपीवी ६) की तकनीकी आधारभूत और मानकीकरण, इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (आईईटीएफ) की एक गतिविधि है, जो कि ढीला जुड़े अंतरराष्ट्रीय सहभागियों का एक गैर-लाभकारी संगठन है जो किसी को भी तकनीकी विशेषज्ञता का योगदान दे सकती है। इंटरऑपरेबिलिटी बनाए रखने के लिए, इंटरनेट का प्रमुख नाम रिक्त स्थान असाइन किया गया नाम और नंबर (आईसीएएनएन) के लिए इंटरनेट कॉरपोरेशन द्वारा प्रशासित किया जाता है। आईसीएएनएनएन एक अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स द्वारा संचालित है जो इंटरनेट तकनीकी, व्यापार, अकादमिक और अन्य गैर-वाणिज्यिक समुदायों से प्राप्त है। आईसीएएनएन इंटरनेट प्रोटोकॉल में डोमेन नाम, इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) पते, अनुप्रयोग पोर्ट नंबरों और अन्य कई मापदंडों सहित, इंटरनेट पर उपयोग के लिए अद्वितीय पहचानकर्ता के असाइनमेंट का समन्वयन करता है। इंटरनेट की वैश्विक पहुँच को बनाए रखने के लिए विश्व स्तर पर एकीकृत नाम रिक्त स्थान आवश्यक हैं। आईसीएएनएन की यह भूमिका वैश्विक इंटरनेट के लिए शायद केवल एक केंद्रीय समन्वयकारी संस्था है। क्षेत्रीय इंटरनेट रजिस्ट्री (आरआईआर) आईपी पते: अफ्रीका के लिए अफ्रीकी नेटवर्क सूचना केंद्र (ऐफ़्री एनआएसी) उत्तरी अमेरिका के लिए इंटरनेट नंबर (एआरआईएन) के लिए अमेरिकी रजिस्ट्री एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए एशिया-प्रशांत नेटवर्क सूचना केंद्र (एपीएनआईसी) लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र के लिए लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई इंटरनेट पते रजिस्ट्री (एलएसीएनआईसी) रीसेओ आईपी यूरोफेन्स - यूरोप, मध्य पूर्व और मध्य एशिया के लिए नेटवर्क कोऑर्डिनेशन सेंटर (आरआईपीई एनसीसी) संयुक्त राज्य के वाणिज्य विभाग की एक एजेंसी, राष्ट्रीय दूरसंचार और सूचना प्रशासन को १ अक्टूबर २०१६ को आएएएनए के नेतृत्व में संक्रमण तक डीएनएस रूट ज़ोन में परिवर्तन के लिए अंतिम स्वीकृति मिली थी। इंटरनेट सोसाइटी (आएएसओसी) की स्थापना १९९२ में "पूरे विश्व के सभी लोगों के लाभ के लिए इंटरनेट के खुले विकास, विकास और उपयोग को आश्वस्त करने" के लिए किया गया था। इसके सदस्यों में व्यक्तियों (किसी में शामिल हो सकते हैं) के साथ-साथ निगमों, संगठनों, सरकारें, और विश्वविद्यालय शामिल हैं अन्य गतिविधियों में अएएसओसी एक कम औपचारिक रूप से संगठित समूहों के लिए एक प्रशासनिक घर प्रदान करता है जो इंटरनेट के विकास और प्रबंधन में शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं: इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (आएईटीएफ), इंटरनेट आर्किटेक्चर बोर्ड (आएएबी), इंटरनेट इंजीनियरिंग स्टीयरिंग ग्रुप (आएईएसजी) ), इंटरनेट रिसर्च टास्क फोर्स (आईआरटीएफ), और इंटरनेट रिसर्च स्टीयरिंग ग्रुप (आएआरएसजी)। १६ नवंबर २००५ को, तुनिस में संयुक्त राष्ट्र-प्रायोजित विश्व सम्मेलन ने इंटरनेट से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (आएजीएफ) की स्थापना की। देवसंस्कृती संस्कृति विश्वविद्यालय की शोध के अनुसार सोशल मिडिया के व्यसन का शिकार होने वाले विद्यार्थियों के निद्रा चक्र , भावनात्मक परिपक्वता और शैक्षणिक प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । जो युवा प्रतिदिन सोशल मीडिया पर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं , उनमें अनिद्रा की समस्या उत्पन्न हो जाती है । अच्छी नींद का सामान्य स्वास्थ्य से गहरा संबंध होता है । अतः नींद की अवधि में कमी अथवा व्यवधान आने से संपूर्ण स्वास्थ्य असंतुलित हो जाता है और धीरे - धीरे अनेक समस्याएँ प्रकट होने लगती हैं । अध्ययन के परिणामों में यह भी पाया गया है कि सोशल मीडिया की आदत में महिला वर्ग की अपेक्षा पुरुष वर्ग में नींद की गुणवत्ता ज्यादा प्रभावित होती है । शोध के द्वितीय मापदंड में भावनात्मक परिपक्वता के स्तर का सर्वेक्षण किया है । इस संदर्भ में यह देखा गया कि सोशल मीडिया का एडिक्शन युवाओं की भावनात्मक योग्यता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है । क्रोध , चिड़चिड़ापन , आवेश , आलस्य , निराशा , आत्महीनता , आत्मविश्वास में कमी जैसी अनेक मनोव्याधियों के उत्पन्न होने का प्रमुख कारण भावनात्मक परिपक्वता के स्तर में कमी ही है । अकेलापन महसूस करना , अवसाद , तनाव जैसी गंभीर समस्याएँ सोशल मीडिया के व्यसनी लोगों में सामान्य बात है । महिला वर्ग की भावनात्मक योग्यता पुरुष वर्ग की तुलना में ज्यादा प्रभावित होती है । विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों पर भी सोशल मीडिया की आदत का अत्यंत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । शैक्षणिक गतिविधियों में लगने वाला कीमती समय जब सोशल साइट्स पर व्यतीत होने लगता है तो निश्चित रूप से विद्यार्थी के परीक्षा परिणाम पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । इसमें भी महिला वर्ग की तुलना में पुरुष वर्ग की शैक्षणिक योग्यता ज्यादा प्रभावित होती है । विद्यार्थियों में यह देखा गया है कि पढ़ाई की आवश्यक गतिविधियों ; जैसे- कक्षाओं में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य सामग्री , अध्यापकों से संवाद , पढ़ाई को लेकर सहपाठियों से पारस्परिक चर्चा जैसी अनेक महत्त्वपूर्ण शैक्षणिक उपलब्धियों को बढ़ाने वाली गतिविधियों में न्यूनता आ जाती है । फलस्वरूप इसका सीधा दुष्परिणाम विद्यार्थी की शैक्षणिक उपलब्धि पर दिखाई देता है । विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों पर भी सोशल मीडिया की आदत का अत्यंत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । शैक्षणिक गतिविधियों में लगने वाला कीमती समय जब सोशल साइट्स पर व्यतीत होने लगता है तो निश्चित रूप से विद्यार्थी के परीक्षा परिणाम पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । इसमें भी महिला वर्ग की तुलना में पुरुष वर्ग की शैक्षणिक योग्यता ज्यादा प्रभावित होती है । इंटरनेट के संचार बुनियादी ढाँचे में अपने हार्डवेयर घटकों और सॉफ्टवेयर परतों की एक प्रणाली होती है जो आर्किटेक्चर के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करती हैं। रूटिंग और सेवा स्तर इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के दायरे के विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग नेटवर्क के बीच विश्वव्यापी कनेक्टिविटी की स्थापना अंतिम उपयोगकर्ता जो फ़ंक्शन करने या जानकारी प्राप्त करने के लिए केवल इंटरनेट तक पहुँचते हैं, रूटिंग पदानुक्रम के निचले भाग को दर्शाते हैं। रूटिंग पदानुक्रम के शीर्ष पर स्तरीय १ नेटवर्क हैं, बड़े दूरसंचार कंपनियाँ जो पीयरिंग समझौतों के माध्यम से सीधे एक-दूसरे के साथ यातायात का आदान-प्रदान करते हैं। टीयर २ और निचले स्तर के नेटवर्क्स अन्य प्रदाताओं के इंटरनेट ट्रांज़िट को वैश्विक इंटरनेट पर कम से कम कुछ पार्ट्स तक पहुंचाने के लिए खरीदते हैं, हालांकि वे पीयरिंग में भी व्यस्त हो सकते हैं। एक आईएसपी कनेक्टिविटी के लिए एक एकल अपस्ट्रीम प्रदाता का उपयोग कर सकता है, या अतिरेक और लोड संतुलन प्राप्त करने के लिए मल्टीहोमिंग को लागू कर सकता है इंटरनेट एक्सचेंज अंक भौतिक कनेक्शन के साथ कई आईएसपी के लिए प्रमुख यातायात एक्सचेंज हैं। शैक्षणिक संस्थानों, बड़े उद्यमों और सरकारों जैसे बड़े संगठन, आईएसपी के रूप में समान कार्य कर सकते हैं, अपने आंतरिक नेटवर्क की ओर से पीयरिंग और क्रय ट्रांज़िट में शामिल हो सकते हैं। अनुसंधान नेटवर्क बड़े उप-नेटवर्क जैसे कि जीईएन्ट, ग्लोरियाड, इंटरनेट २ और यूके के राष्ट्रीय अनुसंधान और शिक्षा नेटवर्क, जेनेट के साथ आपस में जुड़े होते हैं। वर्ल्ड वाईड वेब के इंटरनेट आईपी रूटिंग संरचना और हाइपरटेक्स्ट लिंक दोनों पैमाने पर मुक्त नेटवर्क के उदाहरण हैं। कंप्यूटर और रूटर अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में रूटिंग टेबल का उपयोग आईपी पैकेट को अगली-हॉप राउटर या गंतव्य के लिए डायल करने के लिए करते हैं। रूटिंग टेबल मैनुअल कॉन्फ़िगरेशन द्वारा या स्वचालित रूप से प्रोटोकॉल रूटिंग द्वारा बनाए जाते हैं। अंत-नोड्स आम तौर पर एक डिफ़ॉल्ट मार्ग का उपयोग करते हैं जो आईएसपी की तरफ पारगमन प्रदान करता है, जबकि आईएसपी रूटर्स ने बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल का उपयोग करने के लिए वैश्विक इंटरनेट के जटिल कनेक्शन भर में सबसे कुशल मार्ग स्थापित करने के लिए उपयोग किया है। उपयोगकर्ताओं द्वारा इंटरनेट एक्सेस के सामान्य तरीके में टेलीफोन सर्किट, समाक्षीय केबल, फाइबर ऑप्टिक या तांबे के तार, वाई-फाई, सैटेलाइट और सेलुलर टेलिफोन टेक्नोलॉजी (३ जी, ४ जी) के माध्यम से कंप्यूटर मॉडेम के साथ डायल-अप शामिल हैं। अक्सर पुस्तकालयों और इंटरनेट कैफे में कंप्यूटर से इंटरनेट को एक्सेस किया जा सकता है। इंटरनेट का उपयोग अंक कई सार्वजनिक स्थानों जैसे कि हवाई अड्डे के हॉल और कॉफी की दुकानों में मौजूद हैं। विभिन्न शब्दों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि सार्वजनिक इंटरनेट कियोस्क, सार्वजनिक एक्सेस टर्मिनल, और वेबपॉफोन। कई होटल में सार्वजनिक टर्मिनल भी हैं, हालांकि ये आमतौर पर शुल्क आधारित हैं। इन टर्मिनलों को विभिन्न उपयोगों, जैसे टिकट बुकिंग, बैंक जमा, या ऑनलाइन भुगतान के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। वाई-फाई स्थानीय कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से इंटरनेट के लिए वायरलेस एक्सेस प्रदान करता है। ऐसे पहुंच प्रदान करने वाले हॉटस्पॉट्स में वाई-फाई कैफे शामिल हैं, जहाँ उपयोगकर्ताओं को अपने वायरलेस उपकरणों जैसे लैपटॉप या पीडीए लाने की जरूरत है ये सेवाएँ सभी के लिए निःशुल्क, केवल ग्राहकों के लिए निःशुल्क या शुल्क-आधारित हो सकती हैं। बड़े पैमाने पर प्रयासों ने वायरलेस कम्युनिटी नेटवर्क के लिए नेतृत्व किया है न्यूयॉर्क, लंदन, विएना, टोरंटो, सैन फ्रांसिस्को, फिलाडेल्फिया, शिकागो और पिट्सबर्ग में बड़े शहर क्षेत्रों को कवर करने वाले वाणिज्यिक वाई-फाई सेवाओं को जगह दी गई है। तब पार्क को पार्क बेंच के रूप में इंटरनेट से एक्सेस किया जा सकता है। वाई-फाई के अलावा, मालिकाना मोबाइल वायरलेस नेटवर्क जैसे रिकोशेट, सेलुलर फोन नेटवर्क पर विभिन्न उच्च गति वाली डेटा सेवाओं और निश्चित वायरलेस सेवाओं के साथ प्रयोग हुए हैं। उच्च अंत वाले मोबाइल फोन जैसे सामान्य रूप से स्मार्टफोन फ़ोन नेटवर्क के माध्यम से इंटरनेट एक्सेस के साथ आते हैं। ओपेरा जैसे वेब ब्राउज़र इन उन्नत हैंडसेट पर उपलब्ध हैं, जो कि कई अन्य इंटरनेट सॉफ़्टवेयर चला सकते हैं। अधिक मोबाइल फोन के पास पीसी की तुलना में इंटरनेट का उपयोग होता है, हालांकि यह व्यापक रूप से प्रयोग नहीं किया जाता है। एक इंटरनेट एक्सेस प्रदाता और प्रोटोकॉल मैट्रिक्स ऑनलाइन प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीकों को अलग करता है। उपयोग के मुख्य क्षेत्रों ऑनलाइन व्यापार या ई-व्यवसाय एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग किसी भी प्रकार के व्यवसाय या व्यावसायिक लेनदेन के लिए किया जा सकता है जिसमें इंटरनेट पर सूचना साझा करना शामिल है वाणिज्य व्यवसायों, समूहों और व्यक्तियों के बीच उत्पादों और सेवाओं के आदान-प्रदान का गठन करता है और किसी भी व्यवसाय की आवश्यक गतिविधियों में से एक के रूप में देखा जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स आईसीटी के इस्तेमाल के लिए व्यक्तियों, समूहों और अन्य व्यवसायों के साथ बाहरी गतिविधियों और व्यापार के संबंधों को सक्षम करने के लिए केंद्रित करता है। इंटरनेट नेटवर्क की मदद से व्यवसाय करना। "ई-बिज़नेस" शब्द को १९९६ में आईबीएम के मार्केटिंग और इंटरनेट टीम ने बनाया था। इंटरनेट प्रकाशन की शैली ऑफ़लाइन प्रकाशनों से अलग नहीं होती हैं - समाचार साइटें, साहित्यिक, गैर-कल्पना, बच्चों, महिलाओं, आदि हैं। हालांकि, अगर ऑफ़लाइन प्रकाशनों को समय-समय पर जारी किया जाता है (एक दिन, सप्ताह, महीने में), तो ऑनलाइन प्रकाशन अपडेट हो जाते हैं नई सामग्री के रूप में यहाँ इंटरनेट रेडियो और इंटरनेट टीवी भी है। इंटरनेट मीडिया के विकास के लिए धन्यवाद, पेपर प्रेस को पढ़ना पसंद करते लोगों की संख्या साल दर साल घट रही है। इसलिए, २००९ के सर्वेक्षणों ने दिखाया था कि १८ से ३५ वर्ष के अमेरिकी निवासियों के केवल १९% पेपर प्रेस के माध्यम से देखते हैं अमेरिका में कागज समाचार पत्रों के पाठकों की औसत आयु ५५ साल है। १९९८ से २००९ तक अमेरिका में अखबारों का कुल परिचालन ६२ लाख से घटकर ४९ मिलियन प्रतियाँ हो गया है। साहित्य, संगीत, सिनेमा इंटरनेट के माध्यम से पहुँचने वाले इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालयों में बड़ी संख्या में काम करता है उसी समय, वेब पर उपलब्ध कई किताबें लंबे समय तक ग्रैबिलोग्राफ़िक दुर्लभता बन गई हैं, और कुछ भी प्रकाशित नहीं हुई हैं। नौसिखिए लेखकों और कवियों के रूप में, और कुछ प्रसिद्ध लेखक इंटरनेट पर अपनी रचनाएँ डालते हैं। इंटरनेट पर संगीत का प्रसार एमपी ३ प्रारूप के रूप में शुरू हुआ, फिर एमपी ४ आया। रिकॉर्डिंग की गुणवत्ता को संरक्षित करते हुए इंटरनेट पर संचरण के लिए उपयुक्त आकारों में ऑडियो फाइलों को संकुचित करना। कलाकार की नई डिस्क से अलग-अलग गाने के इंटरनेट पर दिखने पर उसे एक अच्छा विज्ञापन माना जाता है और रिकॉर्डों की बिक्री के स्तर में काफी बढ़ोतरी होती है। इंटरनेट पर कई फिल्में भी पोस्ट की गई हैं, ज्यादातर अवैध रूप से व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले फ़ाइल-साझाकरण नेटवर्क तक पहुँचने के लिए (विशेष रूप से, प्रौद्योगिकी बिटटॉरेंट के उपयोग के साथ) प्रतिलिपि बनाने और इंटरनेट साहित्य, संगीत और फिल्में पोस्ट करने में आसानी के साथ, कॉपीराइट सुरक्षा की समस्या ने विशेष प्रासंगिकता हासिल कर ली है। ई-मेल वर्तमान में संचार के सर्वाधिक इस्तेमाल किए जाने वाले साधनों में से एक है इसके अलावा लोकप्रिय आईपी टेलीफोनी और इस तरह स्काइप (बंद स्रोत के साथ मुक्त मालिकाना सॉफ्टवेयर के रूप में कार्यक्रमों के उपयोग, एन्क्रिप्टेड ध्वनि और वीडियो संचार कंप्यूटर (वीओआईपी) के बीच इंटरनेट पर मोबाइल और लैंडलाइन पर कॉल के लिए, भुगतान सेवाओं को उपलब्ध कराने प्रौद्योगिकी सहकर्मी का उपयोग कर, और साथ ही फोन के लिए। हाल के वर्षों में, त्वरित संदेशवाहक, इंटरनेट के जरिए संदेश प्रेषित करते हुए, लोकप्रियता हासिल हुई है, वे रोजमर्रा की जिंदगी से सेल्युलर संचार को विस्थापित करना शुरू कर देते हैं, जो उनकी तुलना में अक्सर कार्यशीलता, गति और लागत में निम्नतर है। इंटरनेट का विकास, संचार के साधन के रूप में उपयोग किया जाता है, एक दूरस्थ नौकरी के रूप में रोजगार के इस फ़ॉर्म का एक बढ़ती प्रसार की ओर जाता है। इंटरनेट लोगों के बड़े पैमाने पर संचार का एक तरीका है, विभिन्न हितों से एकजुट है इसके लिए, इंटरनेट फ़ोरम, ब्लॉग और सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है। सोशल नेटवर्क एक प्रकार का इंटरनेट हेवन बन गया है, जहाँ हर कोई अपने आभासी बनाने के लिए तकनीकी और सामाजिक आधार ढूँढ सकता है। इसी समय, प्रत्येक उपयोगकर्ता के पास न केवल संचार और बनाने का अवसर होता है, बल्कि एक विशेष सोशल नेटवर्क के बहुसंख्यक दर्शकों के साथ उनकी रचनात्मकता के फल भी साझा करता है। इंटरनेट कई स्वयंसेवकों की शक्तियों द्वारा सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण कार्यों को हल करने के लिए एक अच्छा उपकरण साबित हुआ, जो अपनी गतिविधियों का समन्वय करते हैं। विकिपीडिया, स्वयंसेवक बलों द्वारा बनाई गई एक ऑनलाइन विश्वकोश, अपनी तरह की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है। तथाकथित सिविल साइंस कार्यक्रमों के उदाहरण, विश्व जल शोध दिवस, स्टारडस्ट @ होम और क्लिकवर्कर्स, नासा के तत्वावधान में हैं, आकाशगंगा ज़ू, आकाशगंगाओं के वर्गीकरण के लिए एक परियोजना। वितरित कंप्यूटिंग परियोजनाओं जैसे फ़ोल्डिंग @ होम, वर्ल्ड कम्युनिटी ग्रिड, आइंस्टीन @ होम और अन्य लोगों को एक नागरिक विज्ञान के रूप में भी माना जा सकता है, हालांकि कंप्यूटिंग का मुख्य कार्य स्वयंसेवा कंप्यूटर्स की मदद से किया जाता है। इंटरनेट में कई नेटवर्क सेवाएँ होती हैं, सबसे प्रमुख रूप से मोबाइल ऐप जैसे सोशल मीडिया एप्लिकेशन, वर्ल्ड वाइड वेब, इलेक्ट्रॉनिक मेल, मल्टीप्लेयर ऑनलाइन गेम्स, इंटरनेट टेलीफोनी, और फ़ाइल साझाकरण सेवाएँ। वर्ल्ड वाइड वेब बहुत से लोग शब्द इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब, या सिर्फ वेब का उपयोग करते हैं, परन्तु दो शब्दों का पर्याय नहीं है।वर्ल्ड वाइड वेब प्राथमिक अनुप्रयोग प्रोग्राम है, जो अरबों लोग इंटरनेट पर उपयोग करते हैं, और यह उनके जीवन को अतीत में बदल चुका है। हालांकि, इंटरनेट कई अन्य सेवाएँ प्रदान करता है।वेब दस्तावेजों, छवियों और अन्य संसाधनों का एक वैश्विक समूह है, जो तार्किक रूप से हाइपरलिंक से जुड़े हुए हैं और वर्दी संसाधन पहचानकर्ता (यूआरआई) के साथ संदर्भित हैं।यूआरआई ने सांकेतिक रूप से सेवाएँ, सर्वर, और अन्य डेटाबेस, और दस्तावेजों और संसाधनों की पहचान की है जो वे प्रदान कर सकते हैं।हायपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एचटीटीपी) वर्ल्ड वाइड वेब का मुख्य एक्सेस प्रोटोकॉल हैवेब सेवा भी सॉफ्टवेयर सिस्टम को व्यापारिक तर्क और सामाग्री साझा करने और विनिमय करने के लिए संवाद करने के लिए एचटीटीपी का उपयोग करती है। माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर / एज, मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स, ओपेरा, ऐप्पल सफारी और गूगल क्रोम जैसे वर्ल्ड वाइड वेब ब्राउज़र सॉफ्टवेयर, दस्तावेजों में एम्बेडेड हाइपरलिंक के जरिए उपयोगकर्ताओं को एक वेब पेज से दूसरे पर नेविगेट करने देता है। इन दस्तावेजों में कंप्यूटर सामाग्री का कोई भी संयोजन हो सकता है, जिसमें ग्राफिक्स, आवाज, पाठ, वीडियो, मल्टीमीडिया और इंटरैक्टिव सामग्री शामिल होती है, जबकि उपयोगकर्ता पृष्ठ के साथ इंटरैक्ट कर रहा है। क्लाइंट साइड सॉफ़्टवेयर में एनिमेशन, गेम, ऑफिस एप्लिकेशन और वैज्ञानिक प्रदर्शन शामिल हो सकते हैं। खोजशब्द-संचालित इंटरनेट अनुसंधान के जरिए खोज इंजन जैसे याहू !, बिंग और गूगल के उपयोग से, दुनियाभर में उपयोगकर्ताओं को एक विशाल और विविध मात्रा में ऑनलाइन जानकारी के लिए आसान, त्वरित पहुँच है मुद्रित मीडिया, किताबें, विश्वकोश और पारंपरिक पुस्तकालयों की तुलना में, वर्ल्ड वाइड वेब ने बड़े पैमाने पर जानकारी के विकेंद्रीकरण को सक्षम किया है। वेब ने व्यक्तियों और संगठनों को बहुत कम व्यय और समय के देरी पर संभावित बड़े दर्शकों के लिए विचारों और जानकारी को प्रकाशित करने के लिए भी सक्षम किया है। एक वेब पेज प्रकाशित करने, एक ब्लॉग, या एक वेबसाइट बनाने में थोड़ा प्रारंभिक लागत शामिल है और कई लागत-मुक्त सेवाएँ उपलब्ध हैं हालांकि, आकर्षक, विविध और अप-टू-डेट सूचनाओं के साथ बड़े, पेशेवर वेब साइट्स को प्रकाशित करना और बनाए रखना अभी भी कठिन और महंगी प्रस्ताव है। कई व्यक्तियों और कुछ कंपनियाँ और समूह वेब लॉग्स या ब्लॉग का उपयोग करते हैं, जो कि आसानी से आसानी से अपडेट करने योग्य ऑनलाइन डायरी के रूप में उपयोग किया जाता है। कुछ वाणिज्यिक संगठन कर्मचारियों को उम्मीद करते हैं कि विशेषज्ञ ज्ञान और निःशुल्क जानकारी से प्रभावित होंगे और नतीजे के रूप में निगम को आकर्षित करेंगे। लोकप्रिय वेब पेजों पर विज्ञापन आकर्षक हो सकता है, और ई-कॉमर्स, जो सीधे वेब के माध्यम से उत्पादों और सेवाओं की बिक्री होती है, बढ़ती रहती है। ऑनलाइन विज्ञापन विपणन और विज्ञापन का एक रूप है जो उपभोक्ताओं को प्रचार विपणन संदेश देने के लिए इंटरनेट का उपयोग करता है। इसमें ईमेल विपणन, खोज इंजन विपणन (एसईएम), सोशल मीडिया मार्केटिंग, कई प्रकार के प्रदर्शन विज्ञापन (वेब बैनर विज्ञापन सहित), और मोबाइल विज्ञापन शामिल हैं। २०११ में, संयुक्त राज्य में इंटरनेट विज्ञापन राजस्व ने केबल टीवी के उन लोगों को पीछे छोड़ दिया और लगभग सभी प्रसारण टेलीविजन से अधिक थे। १९ कई आम ऑनलाइन विज्ञापन प्रथा विवादास्पद हैं और नियमित रूप से कानून के अधीन हैं। जब वेब १९९० के दशक में विकसित हुआ, तो एक विशिष्ट वेब पेज को वेब सर्वर पर पूरा फ़ॉर्म में संग्रहित किया गया था, जो एचटीएमएल में प्रारूपित है, एक अनुरोध के जवाब में एक वेब ब्राउज़र के संचरण के लिए पूरा किया गया था। समय के साथ, वेब पेज बनाने और पेश करने की प्रक्रिया गतिशील हो गई है, एक लचीली डिजाइन, लेआउट, और सामग्री बना रही है। वेबसाइटों को अक्सर सामग्री प्रबंधन सॉफ्टवेयर का उपयोग करके, शुरू में, बहुत कम सामग्री के साथ बनाया जाता है। इन सिस्टमों के योगदानकर्ता, जो भुगतान किया जा सकता कर्मचारी, किसी संगठन या जनता के सदस्य, उस प्रयोजन के लिए डिज़ाइन किए गए संपादन पृष्ठों का उपयोग करके अंतर्निहित डाटाबेस को भरें, जबकि कैज़ुअल विज़िटर्स एचटीएमएल प्रपत्र में इस सामग्री को देखने और पढ़ें। नये प्रविष्टि सामग्री को लेने की प्रक्रिया में निर्मित संपादकीय, अनुमोदन और सुरक्षा व्यवस्था हो सकती है या नहीं हो सकती है और इसे लक्ष्य के लिए उपलब्ध कर सकती है। ईमेल एक महत्वपूर्ण संचार सेवा है जो इंटरनेट पर उपलब्ध है। मेलिंग पत्र या मेमो के समान एक तरह से पार्टियों के बीच इलेक्ट्रॉनिक पाठ संदेश भेजने की अवधारणा इंटरनेट के निर्माण की भविष्यवाणी करती है। चित्र, दस्तावेज, और अन्य फ़ाइलें ईमेल संलग्नक के रूप में भेजी जाती हैं। इंटरनेट टेलीफोनी इंटरनेट के निर्माण के द्वारा एक और आम संचार सेवा संभव है। वीओआईपी वॉयस-ओवर-इंटरनेट प्रोटोकॉल का अर्थ वह प्रोटोकॉल है जो कि सभी इंटरनेट संचार के अंतर्गत आता है। यह विचार १९९० की शुरुआत में निजी कंप्यूटरों के लिए वॉकी-टॉकी जैसी आवाज अनुप्रयोगों के साथ शुरू हुआ हाल के वर्षों में कई वीओआईपी सिस्टम सामान्य टेलीफोन के रूप में उपयोग करने में आसान और सुविधाजनक हो गए हैं लाभ यह है कि, इंटरनेट आवाज यातायात के रूप में है, वीओआईपी एक पारंपरिक टेलीफोन कॉल की तुलना में बहुत कम या मुफ्त हो सकती है, खासकर लंबी दूरी पर और खासकर उन इंटरनेट कनेक्शन जैसे केबल या एडीएसएल के लिए। वीओआईपी परंपरागत टेलीफोन सेवा के लिए एक प्रतिस्पर्धी विकल्प में परिपक्व हो रहा है। विभिन्न प्रदाताओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी में सुधार हुआ है और पारंपरिक टेलीफोन से कॉल करने या प्राप्त करने की क्षमता उपलब्ध है। सरल, सस्ती वीओआईपी नेटवर्क एडाप्टर उपलब्ध हैं जो एक निजी कंप्यूटर की आवश्यकता को समाप्त करते हैं। कॉल करने के लिए वॉयस गुणवत्ता अभी भी भिन्न हो सकती है, लेकिन अक्सर पारंपरिक कॉल्स के बराबर होती है और इससे भी अधिक हो सकती है। वीओआईपी के लिए शेष समस्याओं में आपातकालीन टेलीफोन नंबर डायलिंग और विश्वसनीयता शामिल है। वर्तमान में, कुछ वीओआईपी प्रदाता एक आपातकालीन सेवा प्रदान करते हैं, लेकिन यह सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध नहीं है। "अतिरिक्त सुविधाओं" वाले पुराने पारंपरिक फोन केवल पावर विफल होने के दौरान ही संचालित होते हैं और संचालित होते हैं; वीओआईपी फोन उपकरण और इंटरनेट एक्सेस डिवाइसेज़ के लिए बैकअप पावर स्रोत के बिना ऐसा कभी नहीं कर सकता है खिलाड़ियों के बीच संचार के एक रूप के रूप में, वीओआईपी गेमिंग अनुप्रयोगों के लिए तेजी से लोकप्रिय हो गया है। गेमिंग के लिए लोकप्रिय वीओआईपी ग्राहकों में वेंत्रिलो और टीमेंपीक शामिल हैं आधुनिक वीडियो गेम कंसोल भी वीओआईपी चैट सुविधाओं की पेशकश करते हैं। फ़ाइल साझा करना इंटरनेट पर बड़ी मात्रा में डेटा स्थानांतरित करने का एक उदाहरण है एक कंप्यूटर फाइल ग्राहकों, सहयोगियों और मित्रों को एक अनुलग्नक के रूप में ईमेल कर सकती है। यह एक वेबसाइट या फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ़टीपी) सर्वर पर अन्य लोगों द्वारा आसानी से डाउनलोड करने के लिए अपलोड किया जा सकता है। सहकर्मियों द्वारा तत्काल उपयोग के लिए इसे "साझा स्थान" या फ़ाइल सर्वर पर रखा जा सकता है कई उपयोगकर्ताओं के लिए थोक डाउनलोड का लोड "मिरर" सर्वर या पीयर-टू-पीयर नेटवर्क के उपयोग से आसान हो सकता है। इनमें से किसी एक मामले में, फ़ाइल तक पहुँच को उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, इंटरनेट पर फ़ाइल का पारगमन एन्क्रिप्शन द्वारा छिपा हुआ हो सकता है, और पैसे फ़ाइल को एक्सेस करने के लिए हाथ बदल सकते हैं। कीमत से धन के रिमोट चार्जिंग द्वारा भुगतान किया जा सकता है, उदाहरण के लिए, एक क्रेडिट कार्ड जिसका विवरण भी पारित किया जाता है - आमतौर पर पूरी तरह से एन्क्रिप्ट किया गया - इंटरनेट पर प्राप्त फाइल की उत्पत्ति और प्रामाणिकता डिजिटल हस्ताक्षर द्वारा या एमडी ५ या अन्य संदेश डाईजेस्ट्स द्वारा जाँच की जा सकती है। इंटरनेट की ये सरल विशेषताओं, दुनिया भर के आधार पर, संचरण के लिए कंप्यूटर फ़ाइल में कम की जा सकने वाली किसी भी वस्तु का उत्पादन, बिक्री और वितरण बदल रहे हैं। इसमें सभी तरह के प्रिंट प्रकाशन, सॉफ्टवेयर उत्पाद, समाचार, संगीत, फिल्म, वीडियो, फोटोग्राफी, ग्राफिक्स और अन्य कला शामिल हैं। इसके बदले में उन मौजूदा उद्योगों में भूकंपीय बदलाव हुए हैं जो पहले इन उत्पादों के उत्पादन और वितरण को नियंत्रित करते थे। स्ट्रीमिंग मीडिया अंत उपयोगकर्ताओं द्वारा तत्काल खपत या आनंद के लिए डिजिटल मीडिया का वास्तविक समय वितरण है कई रेडियो और टेलीविज़न ब्रॉडकास्टर्स अपने लाइव ऑडियो और वीडियो प्रस्तुतियों के इंटरनेट फ़ीड प्रदान करते हैं। वे टाइम-शिफ्ट देखने या सुनने जैसे कि पूर्वावलोकन, क्लासिक क्लिप्स और सुनो फिर की सुविधा भी दे सकते हैं। इन प्रदाताओं को एक शुद्ध इंटरनेट "ब्रॉडकास्टर्स" की श्रेणी में शामिल किया गया है, जिनके पास ऑन-एयर लाइसेंस नहीं था। इसका मतलब यह है कि एक इंटरनेट से जुड़े डिवाइस, जैसे कंप्यूटर या अधिक विशिष्ट, का प्रयोग उसी तरह उसी तरह से ऑन-लाइन मीडिया तक पहुँचने के लिए किया जा सकता है जितना पहले संभवतः केवल टेलीविज़न या रेडियो रिसीवर के साथ था उपलब्ध प्रकार की सामग्रियों की श्रेणी, विशेष तकनीकी वेबकास्ट से मांग-लोकप्रिय मल्टीमीडिया सेवाओं के लिए बहुत व्यापक है। ब्रॉडकास्टिंग इस विषय पर एक भिन्नता है, जहाँ आम तौर पर ऑडियो-सामग्री डाउनलोड की जाती है और कंप्यूटर पर वापस खेला जाता है या स्थानांतरित करने के लिए सुने जाने वाले पोर्टेबल मीडिया प्लेयर में स्थानांतरित हो जाता है। साधारण उपकरण का इस्तेमाल करते हुए ये तकनीक दुनिया भर में ऑडियो-विज़ुअल सामग्री को प्रसारित करने के लिए, छोटे सेंसरशिप या लाइसेंस नियंत्रण के साथ किसी को भी अनुमति देती हैं। डिजिटल मीडिया स्ट्रीमिंग नेटवर्क बैंडविड्थ की मांग को बढ़ाती है उदाहरण के लिए, मानक छवि गुणवत्ता के लिए एसडी ४८० पी के लिए १ एमबीटी / एस लिंक गति की आवश्यकता होती है, एचडी ७२० पी की गुणवत्ता में २.५ एमबीटी / एस की आवश्यकता होती है, और उच्चतम-एचडीएक्स गुणवत्ता को १०८० पी के लिए ४.५ एमबीटी / एस की आवश्यकता होती है। वेबकैम इस घटना का एक कम लागत वाला विस्तार है। जबकि कुछ वेबकैम पूरा-फ़्रेम-दर वीडियो दे सकता है, तो चित्र आमतौर पर छोटा होता है या धीरे-धीरे अपडेट होता है इंटरनेट उपयोगकर्ता एक अफ्रीकी वॉटरहो के आसपास पशुओं को देख सकते हैं, पनामा नहर में जहाजों, स्थानीय राउंडअबाउट पर ट्रैफ़िक या अपने स्वयँ के परिसर की निगरानी, लाइव और वास्तविक समय में देख सकते हैं। वीडियो चैट रूम और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी लोकप्रिय हैं, कई व्यक्तिगत वेबकैम के लिए उपयोग किए जा रहे उपयोग के साथ, बिना और बिना दो-तरफ़ा ध्वनि यूट्यूब १५ फ़रवरी २००५ को स्थापित किया गया था और अब एक विशाल संख्या में उपयोगकर्ताओं के साथ मुफ्त स्ट्रीमिंग वीडियो की अग्रणी वेबसाइट है। यह एक फ्लैश आधारित वेब प्लेयर का उपयोग करता है जो वीडियो फ़ाइलों को स्ट्रीम और दिखाती है। पंजीकृत उपयोगकर्ता असीमित मात्रा में वीडियो अपलोड कर सकते हैं और अपनी व्यक्तिगत प्रोफ़ाइल बना सकते हैं। यूट्यूब का दावा है कि इसके उपयोगकर्ता सैकड़ों मिलियन देखते हैं, और हर दिन लाखों वीडियो अपलोड करते हैं। वर्तमान में, यूट्यूब एक एचटीएमएल ५ प्लेयर का उपयोग भी करता है। आधुनिक इंटरनेट में बहुत से सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू भी हैं। यह एक सार्वभौमिक वैश्विक सूचना पर्यावरण है। इंटरनेट संचार के लिए सबसे व्यापक तकनीकी अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, अंतरजाल पर समान रुची तथा समान दुनिया के विचार रखने वालों को ढूंढना , या पिछले परिचितों को ढूंढना, जो जीवन परिस्थितियों के कारण पृथ्वी पर अलग - अलग जगह बिखरे हुए थे, आसान है। इसके अलावा, वेब पर संवाद शुरू करना, व्यक्तिगत बैठक में बैठकर शुरू करने से मनोवैज्ञानिक रूप से आसान है। ये कारण वेब समुदायों के निर्माण और सक्रिय विकास को निर्धारित करते हैं। अंतरजाल समुदाएँ उन लोगों का समुदाय है जो आम शौक को साझा करते हैं, और मुख्य रूप से अंतरजाल के माध्यम से संवाद करते हैं। ऐसे अंतरजाल समुदाय धीरे-धीरे पूरे समाज के जीवन में एक मूर्त भूमिका निभाने लगे हैं। अंतरजाल का लत अंतरजाल का लत अंतरजाल का उपयोग करने और नेटवर्क पर बहुत समय व्यतीत करने की एक जुनूनी इच्छा है। अंतरजाल का लत, चिकित्सा मानदंडों के अनुसार मानसिक रोग नहीं है। विश्व के देशों में अंतरजाल भारत में इंटरनेट भारत में अंतरजाल ८० के दशक में आया, जब एर्नेट (शैक्षिक और अनुसंधान नेटवर्क) को सरकार, इलेक्ट्रौनिक्स विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम (यू एन डी पी) की ओर से प्रोत्साहन मिला। सामान्य उपयोग के लिये जाल १५ अगस्त १९९५ से उपलब्ध हुआ, जब भारत संचार निगम लिमिटेड (वी एस एन एल) ने गेटवे सर्विस शुरू की। भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या में तेज़ी से इजाफा हुआ है। यहाँ १.३२ बिलियनलोगों तक इंटरनेट की पहुँच हो चुकी है, जो कि कुल जनसंख्य का करीब ३४.८ % फीसदी है। पूरी दुनिया के सभी इंटरनेट इस्तेमाल करतों में भारत का योगदान १३.५ % फीसदी है। साथ ही इंटरनेट का इस्तेमाल व्यक्तिगत जरूरतों जैसे बैंकिंग, ट्रेन इंफॉर्मेशन-रिज़र्वेशन और अन्य सेवाओं के लिए भी होता है। आज इंटरनेट की पहुँच लगभग सभी गाँव एवं कस्बो और दूर दराज के इलाको तक फ़ैल चुकी है ल आज लगभग सभी जगहों पर इसका उपयोग हो रहा है ल और वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया में इंटरनेट के उपयोग के मामले में सबसे आगे हो ल और २०१५ से सरकार भी पूरी तरह से ऑनलाइन होने के तैयारी में लग गई है ल अब भारत के करीब लोग पूरे देश से अपने पैसे को लेंन-देंन कर सकते हैं। और घर बैठे खरीदारी कर रहे हैं। भारत पूरी तरह से इंटरनेट से जुड़ने की तैयारी में है। २०१५ से २०१८ तक भारत के इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की करीब १०% बढ़ोत्तरी हुई है। २०१६ में टेलिकॉम कंपनी जियो ने करीब १ साल तक इन्टरनेट मुफ्त कर दिया था। जियो आने के बाद इंटरनेट को इस्तेमाल करने वालों की लगातार बढ़ोत्तरी होती जा रही है। भारत में अभी भी कई जगह मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण लोग परेशान हैं। वर्तमान में भारत में एक नई इंटरनेट तकनीक का भी विकास हो रहा है जिसका नाम सैटेलाइट इंटरनेट है, जो पश्चिमी देशों में पहले से एक विकसित तकनीक है लेकिन अब भारत में भी इसके परीक्षण शुरू हो चुका है। यह इंटरनेट की इस तकनीक को विकसित करने के लिए रिलायंस जियो और वनवेब कंपनी अग्रणी है, जिन्हे दूरसंचार विभाग से परीक्षण डेको की भी अनुमति मिल चुकी है। अमेरिका में सैटेलाइट इंटरनेट पर काम करने वाली कंपनी स्टारलिंक भी अपनी सेवाएं देने के लिए भारत में आने की कोशिश कर रही है, जिसे जल्द ही स्वीकृति भी मिल सकती है. इस्टोनिया में इंटरनेट यहाँ पूरे देश में वायरलेस इंटरनेट (वाई फ़ाई) की पहुँच है। चाहे आप हवाई अड्डा में हो या समुद्रतट या जंगल में, हर जगह इंटरनेट की पहुँच है। यहाँ पहुँच भी मुफ्त है। इस्टोनिया में २५ फीसदी वोटिंग ऑनलाइन होती है। यहाँ माता-पिता अपने बच्चों की स्कूल की दैनिक गतिविधि, परीक्षा के अंक और कक्षेतर कार्य को ऑनलाइन देख सकते हैं। यहाँ एक व्यापार ऑनलाइन सेटप तैयार करने में महज १८ मिनट का समय लगता है। इस्टोनिया में ९९३,७८५ इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं, जो कि इस देश की पूरी आबादी का लगभग ७८ फीसदी है। यहाँ की जनसंख्या १, २७४,७०९ है। इस्टोनिया में इंटरनेट पर सबसे अधिक स्वतंत्रता है। उपयोग: अधिकतर उपयोग ई कॉमर्स और ई-सरकार सेवाओं के लिए होता है। यहाँ प्रेस और ब्लॉगर ऑनलाइन कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं। इस्टोनिया ने अमेरिका को पीछे कर दूसरे स्थान पर छोड़ा है। यह छोटा सा देश तकनीकी तौर पर बिजली घर बन गया है। यहाँ ऑन लाइन वोटिंग, इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड इंटरनेट के माध्यम से दूसरों के पास पहुँचते हैं। ब्रॉडबैंड से अधिकतर सुसज्जित यह देश डिजिटल दुनिया का एक मिथक बन कर उभरा है। संयुक्त राज्य में इंटरनेट संयुक्त राज्य की जनसंख्या ३१३ मिलियन, यानी ३१३० लाख हैं, जहां २४५ मिलियन, यानी २४५० लाख लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं। यहाँ पर इंटरनेट की पहुँच ७८ फीसदी है और इस देश के लोग विश्व की ११ फीसदी आबादी इंटरनेट के उपयगकर्ता के तौर पर शामिल हैं। इस्टोनिया के बाद इंटरनेट पर सबसे अधिक स्वतंत्रता अमेरिका, जर्मन, ऑस्ट्रेलिया, हंगरी, इटली और फ़िलीपींस को है। यह देश दुनिया के अन्य देशों की तुलना में इंटरनेट पर अधिक स्वतंत्रता देते हैं। यहाँ पर काॅन्ग्रेसनल बिल का विरोध हो रहा है, जिसका इरादा प्राइवेसी और नॉन अमेरिकी वेबसाइट होस्टिंग को लेकर है। आधे से अधिक अमेरिकी इंटरनेट पर टीवी देखते हैं। यहाँ पर मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग स्वास्थ, ऑन लाइन बैंकिंग, बिलों का पेमेंट और सेवाओं के लिए करते हैं। जर्मनी में इंटरनेट जर्मनी में इंटरनेट का उपयोग सबसे अधिक सोशल मीडिया के लिए किया जा रहा है। वहाँ अब अपनी अन्य जरूरतों, बैंकिग, निजी कार्य आदि के लिए भी किया जा रहा है। पिछले पांच वर्षो में जर्मनी में ब्राॅडबैंड सेवाएँ काफी सस्ती उपलब्ध हो रही हैं। इसके रेट इसकी गति आदि पर निर्भर करती है। यहाँ पर इंटरनेट से टीवी और टेलीफ़ोन सेवाएँ भी एक साथ मिलती हैं। यहाँ की ७३ फीसदी आबादी के घरों तक इंटनेट की पहुंच उपलब्ध है। जर्मनी के पाठशालों में छात्रों को मुफ्त में कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैं। जर्मनी में ९३ फीसदी इस्तेमाल करतों के पास डीएलएस कनेक्शन है। जर्मनी की आबादी ८१ मिलियन है और ६७ मिलियन इंटनेट इस्तेमाल करते हैं। यहाँ ८३ फीसदी इंटरनेट की एक्सेस है और विश्व के इंटरनेट उपयोगकर्ता की संख्या में यहाँ के लोगों की तीन फीसदी हिस्सेदारी है। इटली में इंटरनेट इटली में इंटरनेट तक ५८.७ फीसदी लोगों की पहुँच है। यहाँ ३५,८००,००० लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं। यहाँ ७८ फीसदी लोग ईमेल भेजने और पाने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करते हैं। इसके दूसरे नंबर पर ६७.७ फीसदी उपयोगकर्ता ने ज्ञान के लिए और ६२ फीसदी उपयोगकर्ता ने वस्तुओं एवं सेवाँओं के लिए किया है। एक सर्वे के अनुसार ३४.१ मिलियन मोबाइल उपयोगी ने इंटरनेट तक अपनी पहुँच बनाई। इटली में इंटरनेट (६ एमबीपीज, असीमित डेटा केबिल्स/ एडीएसएल) २५ यूरो डॉलर में प्रतिमाह के रेट से उपलब्ध है। फ़िलीपींस में इंटरनेट फ़िलीपींस में १० लोगों में से केवल तीन लोगों तक ही इंटरनेट की पहुँच है। हालाकि इस देश का दावा है कि यह सोशल मीडिया के लिए विश्व का एक बड़ा केंद्र है। फ़िलीपींस में उपयोगकर्तों को इंटरनेट पर सबसे अधिक स्वतंत्रता मिली हुई है। यहाँ के लोग बिना किसी बाधा के इंटरनेट का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं। फंलीपींस की कुल जनसंख्या (२०११ के अनुसार) १,६६०,९९२ है। इसमें में ३२.४ फीसदी लोगों तक इंटरनेट की पहुंच है। फिलीपींस के इंटरनेट इस्तमाल करने वालों की संख्या ३३,६००,००० हैं। यहाँ पर लोग सबसे अधिक इंटरनेट का उपयोग सोशल मीडिया के लिए करते हैं। ब्रिटेन में इंटरनेट ब्रिटेन की आबादी लगभग ६३ मिलियन है और यहाँ पर लगभग ५३ मिलियन इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं। इंटरनेट की पहुँच ८४ फीसदी लोगों तक है, जो विश्व के कुल उपयोगी की संख्या का दो फीसदी हैं। यहाँ पर उच्च स्तर पर इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की स्वातंत्रता मिली हुई है। लेकिन हाल के वर्षो में सोशल मीडिया ट्विटर और फेसबुक पर लगाए आंशिक प्रतिबंध ने इंटरनेट पर पूर्ण स्वतंत्रता वाले देश की श्रेणी से बाहर कर दिया है। यहाँ पर इन सोशल मीडिया के सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। यूके में ८६ फीसदी इंटरनेट उपयोगकर्ता वीडियो साइट्स पर आते हैं। यहाँ २४० मियिलयन घंटे उपयोगकर्ता ऑन लाइन वीडियो सामग्री देखते हैं। गूगल के बाद यहाँ यूट्यूब और फ़ेसबुक को सबसे ज़्यादा देखा जाता है। हंगरी में इंटरनेट हंगरी में ५९ फीसदी लोग इंटरनेट के उपयोगकर्ता हैं। पिछले १९९० से डायल अप कनेक्शनों की संख्या बढ़ी है। यहाँ वर्ष २००० से ब्राॅडबैंड कनेक्शनों की संख्या में काफी तेजी आई। यहां ६,५१६,६२७ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। यहाँ के उपयोगकर्ता अधिकतर व्यावसायिक और विपणन मैसेज के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। ऑस्ट्रेलिया में इंटरनेट ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या : २२,०१५, ५७६ है, जिसमें से १९, ५५४,८३२ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। ऑस्ट्रेलिया में इंटरनेट पर ऑनलाइन सामाग्री में उपयोगकर्ता को काफी हद तक स्वतंत्रता मिली हुई है। वह सभी राजनीतिक, सामाजिक प्रवचन, मनुष्य राइट के उल्लंघर आदि की जानकारी हासिल कर लेता है। ऑस्ट्रेलिया में इंटरनेट की उपलब्धता दर ७९ फीसदी है। ऑस्ट्रेलिया के लोग अपने घरों से कई काम अपने मोबाइल पर कर लेते हैं। अर्जेंटीना में इंटरनेट अर्जेंटीना में पहली बार १९९० में इंटरनेट का उपयोग वाणिज्यक उपयोग के लिए शुरू किया गया था, हालाकि पहले इस पर शैक्षिक दृष्टिकोण से फोकस किया जा रहा था। दक्षिणी अमेरिका का यह अब सबसे बड़ा इंटरनेट का उपयोग करने वाला देश है। यहाँ की अनुमानित जनसंख्या ४२,१९२,४९२ है, जिसमें २८,०००, ००० लोग इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। यह कुल संख्या के लगभग ६६.४ फीसदी है। यहाँ २०,०४८,१०० लोग फ़ेसबुक पर हैं। दक्षिण-अफ़ीका में इंटरनेट दक्षिण-अफ़्रीका में पहला इंटरनेट कनेक्शन १९९८ में शुरू किया गया था। इसके बाद इंटरनेट का व्यावसायिक उपयोग १९९३ से शुरू हुआ। अफ़्रीका महाद्वीप में विकास की तुलना में दक्षिण अफ्रीका तेरवाँ सबसे अधिक इंटरनेट की पहुँच वाला देश है। इंटरनेट के उपयोग के मामले में यह देश अफ़्रीका के अन्य देशों से कहीं आगे है। एक अनुमान के अनुसार यहाँ की जनसंख्या ४८,८१०,४२७ है, जिनमें से ८,५००,००० इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। जापान में इंटरनेट जापान में इंटरनेट का उपयोग अधिकतर ब्लाॅगिंग के लिए करते हैं। जापान के संस्कृति में ब्लॉग बड़ा भूमिका अदा करते हैं। औसतन जापना का एक उपयोगी ६२.६ मिनट अपने समय का उपयोग ब्लॉग पर करता है। इसके बाद दक्षिण कोरिया के उपयोगी हैं, जो ४९.६ मिनट और तीसरे स्थान पर पोलैंड के उपयोगी हैं, जो ४७.७ मिनट अपना वक्त ब्लाॅग पर देते हैं। यहाँ ४२ फीसदी लोग हर दिन सोशल मीडिया के लिए इंटरनेट का उपयोग रकते हैं। १८ से २४ साल आयुवर्ग के युवा सबसे अधिक इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। मैट्रोपोलिटन शहरों में इंटरनेट का उपयोग टीवी देखने के लिए बहुत अधिक हो रहा है। तुर्केमेनिस्तान में इंटरनेट विष्व में इंटरनेट की सेवा सबसे अधिक महंगी तुर्केमेनिस्तान में है। यहाँ असीमित इंटरनेट पहुँच के लिए डॉलर की दर से २०४८ है, जो एक माह में ६,८२१.०१ डॉलर तक पहुँच जाती है। यहाँ सबसे सस्ती इंटरनेट सेवा ४३.१२ डॉलर प्रति माह में उपयोगकर्ता को २ जीबी ६४ केबीपीएस सीमित है। जबकि रूस में तेज गती असीमित इंटरनेट लगभग २० डॉलर प्रति माह है। सबसे तेज इंटरनेट गती दक्षिण कोरिया में एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट की गति तेज होने पर एक परिवार साल भर में इंटरनेट पर होने वाले खर्च में से करीब ५ लाख रुपये बचा सकता है। इसमें सबसे ज्यादा पैसा मनोरंजन , ऑन लाइन सौदा, सौदा खोज और यात्रा में इस्तेमाल होने वाले इंटरनेट के रूप में बचा सकता है। औसत वर्ल्ड वाइड डाउनलोड स्पीड ५८ किलोबाइट प्रति सेकेंड है। दक्षिण कोरिया में सबसे अधिक इंटरनेट की औसत गति सबसे तेज है। यहाँ की गति २२०२ केबीपीएस है। पूर्वी यूरोपीय देश रोमानिया दूसरे स्थान पर १९०९ और बुल्गारिया तीसरे स्थान पर १६११ केबीपीएस के साथ है। गति के मामले में हाॅन्गकाॅन्ग में इंटरनेट की औसत पीक गति ४९ एमबीपीएस है। जबकि अमेरिका में २८ एमबीपीएस है। हालाकि अमेरिका विश्व का सबसे अधिक इंटरनेट से जुड़ा हुआ देश है। जब इंटरनेट का उपयोग इंटरनेट पर आधारित इंटरनेट प्रोटोकॉल (आए पी) नेटवर्क की विशिष्ट वैश्विक प्रणाली को करने के लिए किया जाता है, तो शब्द एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है जिसे प्रारंभिक कैपिटल कैरेक्टर के साथ लिखा जाना चाहिए। सामान्य उपयोग और मीडिया में, यह अक्सर गलत रूप से नहीं किया जाता है, अर्थात् इंटरनेट। कुछ मार्गदर्शिकाएं यह निर्दिष्ट करती हैं कि शब्द को जब संज्ञा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन एक विशेषण के रूप में उपयोग किए जाने पर उस शब्द को पूंजीकृत नहीं किया जाना चाहिए। इंटरनेट को भी नेटवर्क के एक छोटे रूप के रूप में, नेट के रूप में भी जाना जाता है। ऐतिहासिक रूप से, १८९४ के रूप में, इंटरनेट पर इस्तेमाल किए गए शब्द को एक विशेषण के रूप में बिना किसी रूप में इस्तेमाल किया गया था, जिसका अर्थ है एक दूसरे से जुड़े या इंटरव्यू। शुरुआती कंप्यूटर नेटवर्क के डिजाइनरों ने इंटरनेट और इंटरनेटवर्किंग के लघुकथ रूप में एक संज्ञा के रूप में और एक क्रिया के रूप में इंटरनेट का उपयोग किया, जिसका मतलब है कि कंप्यूटर नेटवर्क परस्पर जुड़े हुए हैं।इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब शब्द को अक्सर हर रोज़ भाषण में एक दूसरे शब्दों में उपयोग किया जाता है; वेब पेज देखने के लिए वेब ब्राउजर का उपयोग करते समय "इंटरनेट पर जा रहे हैं" की बात करना आम बात है हालांकि, वर्ल्ड वाइड वेब या वेब केवल बड़ी संख्या में इंटरनेट सेवाओं में से एक है वेब इंटरकनेक्टेड दस्तावेज़ (वेब पेज) और अन्य वेब संसाधनों का संग्रह है, जो हाइपरलिंक्स और यूआरएल द्वारा जुड़ा हुआ है। तुलना की दूसरी बात, हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल, या एच टी टी पी, सूचना हस्तांतरण के लिए वेब पर इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है, फिर भी यह सिर्फ कई भाषाओं या प्रोटोकॉल में से एक है, जिसका उपयोग इंटरनेट पर संचार के लिए किया जा सकता है। शब्द इंटरवेब इंटरनेट का एक पोर्टेमैन है और वर्ल्ड वाइड वेब आमतौर पर एक तकनीकी रूप से असामान्य उपयोगकर्ता भड़ौआ करने के लिए व्यंग्यात्मक रूप से उपयोग किया जाता है। अटैचमेन्ट या अनुलग्नक: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी भी प्रकार की फ़ाइल मेल संदेश के साथ जोडकर इंटरनेट के माध्यम से किसी को भी भेजी या प्राप्त की जा सकती है। आस्की (अस्सी): इसका अर्थ "अमेरिकन स्टैण्डर्ड कोड फ़ोर इंफ़र्मेशन इंटरचेंज"है। यह नोटपेड में सुरक्षित किए जाने वाले परीक्षा का बायडिफ़ॉल्ट फ़ॉर्मैट है यदि आप नोटपैड में किसी टेक्स्ट को प्राप्त कर रहे हैं तो वह फ़ॉर्मैट अस्सी है। ऑटो कम्प्लीट: यह सुविधा ब्राउज़र के ऐड्रेस बार में होती है। इसके शुरू में कुछ डेटा टाइप करते ही यूआरएल पूर्ण हो जाता है। इसके लिये जरूरी है कि वह यूआरएल पहले प्रयोग किया गया हो। एंटी वाइरस प्रोग्रैम: इस प्रोग्रैम में कम्प्यूटर की संगणक संचिका में छुपे हुए वाइरस को ढूंढ निकालने या सम्भव हो तो, नष्ट करने की क्षमता होती है। बैंडविड्थ: इसके द्वारा इंटरनेट की गति नापी जाती है। बैंडविड्थ जितनी अधिक होगी, इंटरनेट की गति उतनी ही ज्यादा होगी। ब्राउसर: वर्ल्ड वाइड वेब पर सूचना प्राप्त करने में मददगार सॉफ्टवेयर को ब्राउसर कहते हैं। नेटस्केप नैवीगेटर और इंटरनेट एक्सप्लोरर सर्वाधिक प्रचलित ब्राउसर है।यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो एचटीएमएल और उससे संबंधित प्रोग्राम को पढ़ सकता है। बुकमार्क: ब्राउसर में स्थित विशेष लिंक, जो किसी विशेष सेक्शन में लिंक बनाने में मदद करता है। इंटरनेट एक्सप्लोरर में यह फ़ेवरेट कहलाता है। कैशे या टेम्परेरी इंटरनेट एक्सप्लोरर: सर्फ़िंग के दौरान वेब पेज और उससे संबंधिंत चित्र एक अस्थायी भन्डार में बदल जाते हैं। यह तब तक नहीं हटते है, जब तक इन्हे हटाया न जाये या ये बदला न जाए | एक ही वेबसाइट पर जाना उतना ही आसान होता है, क्योंकि सामग्री डाउनलोड की आवश्यकता नहीं होती | यदि आप अलग - अलग साइट्स पर जा रहे हो तो ये फ़ाइल आपका गति कम कर देता है। कुकी: यह वेब सर्वर द्वारा भेजा गया सामग्री होता है, जिसे ब्राउसर द्वारा सर्फर के कम्प्यूटर में एक संचिका में रखा जाता है। डीमोड्यूलेशन: मोडेम से प्राप्त ऐनालॉग सामग्री को डिजिटल सामग्री में बदलने की प्रक्रिया डीमोड्यूलेशन कहलाती है। डाउनलोड: किसी संचिका को वर्ल्ड वाइड वेब से कॉपी करने की प्रक्रिया डॉउनलोड कहलाती है। क्षेत्रीय नाम पंजीकरण: किसी भी कम्पनी को अपनी विशिष्ट पहचान कायम रखने के लिये अपनी कम्पनी का नाम पंजीकरण करवाना होता है। यह प्रक्रिया इंटरनेट सर्विस प्रोवाडर की देख-रेख में चलती है। ई-कॉमर्स: इंटरनेट पर व्यापारिक लेखा-जोखा रखने की प्रक्रिया और नेट पर ही खरीदने -बिक्री की प्रक्रिया ई-कॉमर्स कहलाती है। होम-पेज: वेब ब्राउसर से किसी साइट को खोलते ही जो पृष्ठ सामने खुलता है वह उसका होम पेज कहलाता है। एफ़एक्यू (फ्रीक्वेंट्ली अस्केड क्वेस्शन): वेबसाइट पर सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले या बार - बार पूछे जाने वाले प्रश्न को एफ़एक्यू कहते हैं। वेब साइट पर एफ़एक्यू के माध्यम से प्रश्न भी भेजे जा सकते हैं। डायल - अप कनेक्शन: एक कम्प्यूटर से मोडेम द्वारा इंटरनेट से जुडे़ किसी अन्य कम्प्यूटर से मानक फोन लाइन पर कनेक्शन को डायल अप कनेक्शन कहते हैं। डायल - अप नेटवर्किंग: किसी पर्सनल कम्प्यूटर को किसी अन्य पर्सनल कम्प्यूटर पर, लैन और इंटरनेट से जोड़ने वाले प्रोग्रैम को डायल अप नेटवर्किंग कहते हैं। डायरेक्ट कनेक्शन: किसी कम्प्यूटर या लैन और इंटरनेट के बीच स्थायी सम्पर्क को डायरेक्ट कनेक्शन कहा जाता है। यदि फ़ोन कनेक्शन कम्पनी से टेलीफोन कनेक्शन लीज पर लिया जाता है, तो उसे लीज्ड लाइन कनेक्शन कहते हैं। संचिका: एचटीएमऐल (हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लेंग्वेज) वर्ल्ड वाइड वेब पर डॉक्यूमेंट के लिये प्रयोग होने वाली मानक मार्कअप भाषा है। एचटीएमएल भाषा टैग का उपयोग करता है। एचटीटीपी (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल): वर्ल्ड वाइड वेब पर सर्वर से किसी उपयोगकर्ता तक दस्तावेजो को स्थानांतरण वाला कम्यूनिकेशन प्रोटोकाल एचटीटीपी'' कहलाता है। शिक्षा के क्षेत्र मेंअंतरजाल कंप्यूटरइअंतरजालंटरनेट का प्रयोग। इंटरनेट के फायदे
१०४५ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ
शंकरराव भाऊराव चव्हाण (१४ जुलाई १९२० - २६ फरवरी २००४, एस॰ बी॰ चव्हाण) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने; २१ फरवरी १९७५ से १७ मई १९७७ तक और फिर से १२ मार्च १९८६ से २६ जून १९८८ तक। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ थे। वे १९८७-१९८९ के दौरान भारत के केद्रीय वित्त मंत्री भी रहे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भारत के वित्त मंत्री १९२० में जन्मे लोग २००४ में निधन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ
यह कृष्ण भक्ति साहित्य में कुब्जा और कूबरी नाम से प्रसिद्ध, कृष्ण की महान भक्त थी। यह मथुरा के राजा कंस के यहाँ लेपनादी किया करती थी। यह कूबड़ी और कुरूप थी। कृष्ण की कृपा से इसका कूबड़ ठीक हो गया और यह रूपवती हो गई।
शेरसिंहपुरा भारतीय राज्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में स्थित एक गाँव है। उप-जिला मुख्यालय चौथ का बरवाड़ा से ७ किमी और जिला मुख्यालय सवाई माधोपुर से २४ किमी दूर स्थित है। २०११ की जनगणना अनुसार गाँव की कुल जनसंख्या ५४३ है और यहाँ १२५ परिवार निवास करते हैं। जनगणना आंकड़ों के अनुसार शेरसिंहपुरा का औसत मानव लिंगानुपात ८६० जो राजस्थान के औसत लिंगानुपात ९२८ से कम है। शिशु लिंगानुपात ६४० है और यह भी राजस्थान के औसत शिशु लिंगानुपात ८८८ से काफ़ी कम है। यहाँ साक्षरता दर ६१.१७ % थी जिसमें पुरुषों की साक्षरता ८२.६४ % और स्त्रियों की साक्षरता ३७.४४ % थी। शेरसिंहपुरा गांव भेडोला पंचायत के अंतर्गत आता है। शेरसिंहपुरा गांव भेडोला से मात्र २ किलोमीटर की दूरी पे बसा हुआ है। यहाँ एक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थित है। इसके आसपास के गाँव भेडोला, जगमोदा, चौथ का बरवाड़ा, बगीना, अंधौली, भेडोली, नया गांव, बांसला, आदि हैं। सवाई माधोपुर ज़िले के गाँव
२०१३ में जॉर्डन में जीवन प्रत्याशा ७४ साल थी। जॉर्डन की ९९% आबादी के पास स्वच्छ जल और स्वच्छता की पहुंच है, बावजूद इसके कि यह जल संसाधनों में दुनिया के सबसे गरीब लोगों में से एक है। २०००-२००४ में प्रति १००० लोगों पर २०३ चिकित्सक थे, कई विकसित देशों की तुलना में अनुपात और विकासशील दुनिया के अधिकांश की तुलना में अधिक है। २००३ के अनुमानों के अनुसार, मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस / अधिग्रहित प्रतिरक्षा कमी सिंड्रोम (एचआईवी / एड्स) की व्यापकता की दर ०.१ प्रतिशत से कम थी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार, 2००१ से जॉर्डन को मलेरिया- मुक्त माना जाता है ; १99० के दशक के दौरान तपेदिक के मामलों में आधे से गिरावट आई, लेकिन तपेदिक एक मुद्दा है और एक क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। जॉर्डन ने मार्च 2००6 में बर्ड फ्लू का एक संक्षिप्त प्रकोप अनुभव किया। जॉर्डन में गैर-संचारी रोग जैसे कैंसर भी एक प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दा है। पिछले १5 वर्षों में बचपन की प्रतिरक्षण दर लगातार बढ़ी है; 2००2 तक टीकाकरण और टीके पांच साल से कम उम्र के ९५ प्रतिशत से अधिक बच्चों तक पहुंचे। जॉर्डन में एक उन्नत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली है, हालांकि अम्मान में सेवाएं अत्यधिक केंद्रित हैं। सरकारी आंकड़ों ने २००२ में कुल स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग ७.५ प्रतिशत पर रखा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन इस आंकड़े को जीडीपी के लगभग ९.३ प्रतिशत पर भी उच्च स्थान पर रखते हैं। जॉर्डन को विश्व बैंक द्वारा अरब क्षेत्र में नंबर एक चिकित्सा पर्यटन प्रदाता के रूप में स्थान दिया गया था और दुनिया में शीर्ष ५ में, साथ ही मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में शीर्ष चिकित्सा पर्यटन स्थल होने के नाते। देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली सार्वजनिक और निजी संस्थानों के बीच विभाजित है। सार्वजनिक क्षेत्र में, स्वास्थ्य मंत्रालय देश के सभी अस्पताल बेड के ३७ प्रतिशत के लिए १,२४५ प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और 2७ अस्पताल संचालित करता है; मिलिट्री की रॉयल मेडिकल सर्विसेज में ११ अस्पताल हैं, जो सभी बेड का २४ प्रतिशत प्रदान करते हैं; और जॉर्डन यूनिवर्सिटी अस्पताल देश में कुल बेड का ३ प्रतिशत है। निजी क्षेत्र सभी अस्पताल बेड का ३6 प्रतिशत प्रदान करता है, ५6 अस्पतालों के बीच वितरित किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड २००९ में, जॉर्डन सरकार ने एक प्रभावी, राष्ट्रीय ई-स्वास्थ्य अवसंरचना में निवेश करके अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में गुणवत्ता और लागत की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक रणनीतिक निर्णय लिया। विस्तृत परामर्श और जांच की अवधि के बाद, जॉर्डन ने अमेरिका के दिग्गज स्वास्थ्य प्रशासन विस्टा ईएचआर के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रणाली को अपनाया क्योंकि यह सैकड़ों अस्पतालों और लाखों रोगियों को स्केल करने में सक्षम, राष्ट्रीय स्तर की उद्यम प्रणाली थी। एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख
गर्भाशय सेप्टम जन्मजात विकृति का एक रूप है जहां गर्भाशय गुहा को अनुदैर्ध्य सेप्टम द्वारा विभाजित किया जाता है। गर्भाशय के बाहर एक सामान्य आकार होता है जो वेज-जैसे विभाजन में केवल गुहा के बेहतर हिस्से को शामिल करता है जिसके परिणामस्वरूप अधूरा सेप्टम या उप-सेप्ट गर्भाशय होता है, या कम गुहा (पूर्ण सेप्टम) की कुल लंबाई और गर्भाशय ग्रीवा के परिणामस्वरूप गर्भाशय ग्रीवा होता है। सेप्टेशन भी योनि में दुमदारी जारी रखता हैं जिसके परिणामस्वरूप "डबल योनि" बनती हैं। संकेत और लक्षण यह स्थिति प्रभावित व्यक्ति को नहीं मालूम होती है और परिणामस्वरूप कोई प्रजनन समस्या भी नहीं होती, इस प्रकार सामान्य गर्भावस्था हो सकती है। हालांकि, यह गर्भपात, समयपूर्व जन्म और असाधारणता का उच्च कारण हो सकता है। बट्ट्राम द्वारा शास्त्रीय अध्ययन के अनुसार एक स्वचालित गर्भपात का ६०% जोखिम है, यह पहली तिमाही के मुकाबले दूसरे में अधिक आम है। हालांकि, इस नंबर पर कोई समझौता नहीं है और अन्य अध्ययन कम जोखिम दिखाते हैं। वूल्फर ने पाया कि गर्भपात जोखिम पहले तिमाही में अधिक स्पष्ट है। यह स्थिति गुर्दे की प्रणाली की असामान्यताओं से भी जुड़ी हुई है। इसके अलावा, कंकाल असामान्यताओं को इस स्थिति से जोड़ा गया है। गर्भाशय दो मुलेरियन नलिकाओं के संलयन द्वारा भ्रूणजन्य के दौरान गठित किया जाता है। इस संलयन के दौरान एक पुनर्वसन प्रक्रिया दो गुच्छों के बीच विभाजन को एक गुहा बनाने के लिए समाप्त करती है। यह प्रक्रिया कथित तौर पर शुरू होती है और क्रैनली से आगे बढ़ती है, इस प्रकार एक पूर्ण सेप्टम गठन अपूर्ण रूप से इस अवशोषण की पिछली गड़बड़ी का प्रतिनिधित्व करता है। अपूर्ण अवशोषण के कारण ज्ञात नहीं हैं। एक श्रोणि परीक्षा एक डबल योनि या डबल गर्भाशय प्रकट कर सकती है जिसे आगे की जांच की जानी चाहिए और गर्भाशय सेप्टम की खोज हो सकती है। ज्यादातर मरीजों में, हालांकि, श्रोणि परीक्षा सामान्य है। जांच आमतौर पर प्रजनन समस्याओं के आधार पर संकेत दी जाती है। एक सेप्टम की जांच करने के लिए सहायक तकनीक ट्रांसवागिनल अल्ट्रासोनोग्राफी और सोनोइस्टेरोग्राफी, एमआरआई, और हिस्टोरोस्कोपी हैं। हाल ही में ३-डी अल्ट्रा सोनोंग्राफी को स्थिति को चित्रित करने के लिए एक उत्कृष्ट गैर-आक्रामक विधि के रूप में वकालत की गई है। आधुनिक इमेजिंग से पहले हिस्टोरोसल्पिंगोग्राफी का इस्तेमाल गर्भाशय सेप्टम का निदान करने में मदद के लिए किया गया था, हालांकि, एक बायोर्नुनेट गर्भाशय एक समान छवि प्रदान कर सकता है। सेप्टेट गर्भाशय की एक महत्वपूर्ण श्रेणी हाइब्रिड प्रकार का एक प्रकार है जिसे लैप्रोस्कोपी द्वारा देखा जाने पर बाइकोर्नुएट गर्भाशय के रूप में गलत तरीके से निदान किया जा सकता है मिस्र से प्रोफेसर एल सामन इस विसंगति का वर्णन करने वाले पहले व्यक्ति थे और इस सामान्य गलत निदान के बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ को चेतावनी दी गई थी, जब भी कोई होता है लैप्रोस्कोपी स्त्री रोग विशेषज्ञों पर गर्भाशय निधि अवसाद को विभाजित आंतरिक इंटरफ़ेस की गहराई के साथ इस अवसाद की गहराई की तुलना करनी चाहिए। लैप्रोस्कोपिक नियंत्रण के तहत हाइब्रिडस्कोपिक मेट्रोप्लास्टी से हाइब्रिड सेप्टेट गर्भाशय का लाभ हैं। एक सेप्टम सर्जरी के साथ शोध किया जा सकता है। गर्भाशय सेप्टम का हिस्टोरोस्कोपिक हटाने आमतौर पर पसंदीदा तरीका होता है, क्योंकि हस्तक्षेप अपेक्षाकृत मामूली और अनुभवी हाथों में सुरक्षित होता है। एक अनुवर्ती इमेजिंग अध्ययन सेप्टम को हटाने का प्रदर्शन करना चाहिए। स्पर्श शीत कैंची मेट्रोप्लास्टी को हिस्टोरोस्कोपिक चुनौतियों के लिए एक पिछली तकनीक के रूप में वर्णित किया गया था जो उचित दृश्यता या गर्भाशय के अंतर में हस्तक्षेप करता है। एक सेप्टम को हटाने के लिए जरूरी नहीं माना जाता है जिसने समस्याओं का कारण नहीं बनाया है, खासतौर पर उन महिलाओं में जो गर्भावस्था पर विचार नहीं कर रहे हैं। गर्भावस्था या बांझपन उपचार से पहले गर्भावस्था के नुकसान को कम करने के लिए एक सेप्टम को प्रोफाइलैक्टिक रूप से हटाया जाना चाहिए या नहीं। महिला स्वास्थ्यविषयक लेख प्रतियोगिता २०१८ के अन्तर्गत बनाये गये लेख
गोविंदराजन पद्मनाभन को भारत सरकार द्वारा सन २००४ में विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक राज्य से हैं। २००४ पद्म भूषण
स्वामी विवेकानन्द एक भारतीय हिन्दू सन्यासी थे। वे पश्चिमी सभ्यता में वेदांत और योग के हिंदू दर्शन को पेश करने वालों में एक प्रमुख व्यक्ति थे। भारत के युवा विकास और खेल मंत्रालयों ने २०१३ को स्वामी विवेकानन्द की १५०वीं जयंती वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया जो कि १२ जनवरी २०१३ को भारतवर्ष और दुनियाँ के विभिन्न देशों में मनाया गया।आज भी रामकृष्ण मिशन की विभिन्न शाखाओं द्वारा वर्ष भर इनसे संबंधित कार्यक्रम आयोजित किये किये जाते हैं। २०११ में मलेशियाई सरकार ने इस अवसर को चिह्नित करने के लिए भारत को उपहार के तौर पर एक डाक टिकट पेश किया। भारत के केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सभी स्कूलों के स्कूली बच्चों में विवेकानंद के कार्यों और आदर्शों के प्रति रुचि को नवीनीकृत करने के लिए स्कूलों में विवेकानंद जयंती मनाने के लिए कहा। सीबीएसई के वरिष्ठ शैक्षिक अधिकारियों ने कहा कि"यह परिषद् भारत के १५ महान् विचारकों के विचारों को शामिल करते हुए एक पूरक पुस्तक तैयार कर रही है। पाठ्यपुस्तक विकास के लिए विशेषज्ञ समिति अब तक शामिल नहीं किए गए नामों को शामिल करने का प्रयास करेगी, बशूर्ते कि बच्चों पर पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक सामग्री का भार स्वीकार्य सीमा के भीतर रहे। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के राजनीतिक दलों ने शहर भर में विभिन्न समारोहों और कार्यक्रमों में विवेकानन्द और उनके महान सुधारक कार्यों का जिक्र किया था। तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा था कि विवेकानन्द का जीवन और शिक्षाएँ उनके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा रही हैं, और वह विवेकानन्द को अपना "राजनीतिक शिक्षक" मानती थी। उन्होंने राज्य के विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र के कल्याण के लिए तमिलनाडु सरकार की ओर से २० मिलियन (उस$२५०,०००) का फंड मंजूर किया था। स्वामी विवेकानन्द के स्मारक
चौदहवीं का चाँद बॉलीवुड की एक फिल्म है जो १९६० में प्रदर्शित हुई। इसका निर्देशन मोहम्मद सादिक़ ने और निर्माण गुरु दत्त ने किया था। इसमें गुरु दत्त स्वयं वहीदा रहमान और रहमान के साथ मुख्य भूमिका में हैं। १९५९ की कागज़ के फूल की असफलता के बाद ये गुरु दत्त के लिये कामयाब फिल्म रही और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक हुई। रवि द्वारा निर्मित संगीत लोकप्रिय हुआ था। चौदहवीं का चाँद का तात्पर्य पूर्णमासी के चाँद से है जो उर्दू में सुंदर स्त्री के लिये एक उक्ति है। मुसलमानों की धारणा अनुसार चौदह दिनों के चाँद का हिजरी कैंलडर में महत्व है। फिल्म की कहानी उत्तर भारत में लखनऊ शहर की है, जहाँ इस्लामिक और नवाबी संस्कृति पनपी है। इस शहर में रहने वाले तीन सबसे अच्छे दोस्तों में से दो को जमीला नाम की एक ही महिला से प्यार हो जाता है। असलम (गुरु दत्त) और नवाब (रहमान) इस प्रेम त्रिकोण में जमीला (वहीदा रहमान) के साथ पड़ गए दो दोस्त हैं। हर गुरु दत्त फिल्म के अभिन्न हिस्सा, जॉनी वॉकर, अपने हास्य अंदाज में अभिनय करते हैं। गुरु दत्त असलम वहीदा रहमान जमीला रहमान प्यारे मोहन / नवाब साहिब जॉनी वाकर मिर्ज़ा मीनू मुमताज़ रिहाना मुमताज़ बेगम प्यारे मोहन की माँ टुन टुन नसीबाँ नामांकन और पुरस्कार १९६० में बनी हिन्दी फ़िल्म रवि द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
सिडनी ढिल्लों रिप्ले द्वितीय (२० सितम्बर १९१३ १२ मार्च २००१) को भारत सरकार ने विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन १९८६ में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये संयुक्त राज्य अमेरिका से थे। १९१३ में जन्मे लोग २००१ में निधन
परमानन्द सिनहा,भारत के उत्तर प्रदेश की दूसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। १९५७ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के १७४ - सोरांव (पश्चिम) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश की दूसरी विधान सभा के सदस्य १७४ - सोरांव (पश्चिम) के विधायक इलाहाबाद के विधायक कांग्रेस के विधायक
सियाबोंगा महिमा (जन्म ९ मई 1९९6) एक दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर हैं। उन्होंने १३ सितंबर २०1९ को २०1९-२० सीएसए प्रांतीय टी २० कप में म्पुमलंगा के लिए ट्वेंटी २० की शुरुआत की। उन्होंने अपनी लिस्ट ए की शुरुआत २२ जनवरी २०21 को केप कोबरा के लिए, २०२०21 मोमेंटम वनडे कप में की।
नागपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। वर्तमान में, नागपुर लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा (विधान सभा) क्षेत्र शामिल हैं। निर्वाचन क्षेत्र संख्या और आरक्षण के साथ ये खंड (यदि कोई हो): नागपुर दक्षिण पश्चिम - ५२ नागपुर दक्षिण - ५३ नागपुर पूर्व - ५४ नागपुर सेंट्रल - ५५ नागपुर पश्चिम - ५६ नागपुर उत्तर - ५७ (एससी) उप विजेता : १९५२: विनायक दांडेकर (सपा), १९६२: ऋषभचंद शर्मा (कांग्रेस) १९६७: ए बी बर्धन (कम्युनिस्ट), १९७१: ऋषभचंद शर्मा (कांग्रेस) १९७७: राजभाऊ खोबरागड़े (आरपीआई), १९८०: शमराव खोबरागड़े, १९८४: शामराव खोबरागड़े (आरपीआई), १९८९: अर्जुनदास कुकरेजा (भाजपा) १९९१: बनवारीलाल पुरोहित (भाजपा), १९९६: कुंडा विजयकर (कांग्रेस), १९९८: रमेश मन्त्री (भाजपा), १९९९: विनोद गुड्डे-पाटिल (भाजपा) २००४: अटल बहादुर सिंह (भाजपा), २००९: बनवारीलाल पुरोहित (भाजपा) २०१४: विलास मुत्तेमवार (कांग्रेस) आम चुनाव २००९ आम चुनाव २०१४ आम चुनाव २०१९ महाराष्ट्र के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
जीसीसी (ग्नू कम्पिलर कॉलेक्शन / गैक) ग्नू परियोजना द्वारा निर्मित एक कम्पाइलर प्रणाली है जो बहुत सी प्रोग्रामन भाषाओं को समर्थन प्रदान करती है। जीसीसी (अंग्रेज़ी: (गैक)) जीएनयू (ग्नू) द्वारा उत्पादित एक कंपाइलर प्रणाली है जो विभिन्न प्रोग्राममिंग भाषाओं को समर्थन देती है। यह ग्नू टूलचेन का मुख्य हिस्सा है। ग्नू के अधूरे ऑपरेटिंग सिस्टम के आधिकारिक कंपाइलर होने के अलावा यह कई नए तरह के यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम्स में एक मानक कंपाइलर के रूप में उपयोग किया जाता है, जैसे [लिनक्स] और बीएसडी परिवार। निशुल्क सॉफ्टवेर संस्था जीसीसी को ग्नू आम सर्वजन अनुमति के तहत बिना किसी शुल्क के वितरित करती है। जीसीसी ने निशुल्क सॉफ्टवेर निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई है। जीसीसी समर्थित इड मुफ्त कम्पाइलर और इंटरप्रीटर
जोनास हेनरिक्सन (जन्म १७ अप्रैल २०००) एक डेनिश क्रिकेटर हैं। अप्रैल २०१८ में, उन्हें मलेशिया में २०१८ आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन चार टूर्नामेंट के लिए डेनमार्क की टीम में नामित किया गया था। वह डेनमार्क के टूर्नामेंट के चौथे मैच में युगांडा के खिलाफ खेले। सितंबर २०१८ में, उन्हें ओमान में २०१८ आईसीसी विश्व क्रिकेट लीग डिवीजन थ्री टूर्नामेंट के लिए डेनमार्क के दस्ते में नामित किया गया था। मई २०१९ में, ग्वेर्नसे में २०१८-१९ आईसीसी टी२० विश्व कप यूरोप क्वालीफ़ायर टूर्नामेंट के क्षेत्रीय फ़ाइनल की तैयारी में, आयरलैंड में लीनस्टर लाइटनिंग के खिलाफ पांच मैचों की श्रृंखला के लिए डेनमार्क के दस्ते में नामित किया गया था। अगस्त २०१९ में, उन्हें २०१९ मलेशिया क्रिकेट विश्व कप चैलेंज लीग ए टूर्नामेंट के लिए डेनमार्क की टीम में नामित किया गया था। उन्होंने १६ सितंबर २०१९ को क्रिकेट विश्व कप चैलेंज लीग ए टूर्नामेंट में मलेशिया के खिलाफ डेनमार्क के लिए अपनी लिस्ट ए की शुरुआत की।
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भारतीय रिजर्व बैंक, , भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिज़र्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना १ अप्रैल सन् १935 को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया ऐक्ट १934 के अनुसार हुई। भारत के अर्थतज्ञ बाबासाहेब आम्बेडकर ने भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई हैं, उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धान्त के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक बनाई गई थी। बैंक कि कार्यपद्धती या काम करने शैली और उसका दृष्टिकोण बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब १926 में ये कमीशन भारत में रॉयल कमीशन ऑन इण्डियन करेंसी एण्ड फाइनेंस के नाम से आया था तब इसके सभी सदस्यों ने बाबासाहेब ने लिखे हुए ग्रन्थ दी प्राब्लम ऑफ़ दी रुपी - इट्स ओरीजन एण्ड इट्स सोल्यूशन (रुपया की समस्या - इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की। ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम १934 का नाम दिया गया। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन् १937 में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन १949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है। शक्तिकांत दास भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने ११ सितम्बर 20१8 को पदभार ग्रहण किया। पूरे भारत में रिज़र्व बैंक के कुल २९ क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। मुद्रा परिचालन एवं काले धन की दोषपूर्ण अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करने के लिये रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया ने ३१ मार्च २०१४ तक सन् २००५ से पूर्व जारी किये गये सभी सरकारी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम १९३४ के प्रावधानों के अनुसार १ अप्रैल १935 को हुई थी। रिज़र्व बैंक का केन्द्रीय कार्यालय प्रारम्भ में कलकत्ता में स्थापित किया गया था जिसे १९३७ में स्थायी रूप से बम्बई में स्थानान्तरित कर दिया गया। केन्द्रीय कार्यालय वह कार्यालय है जहाँ गवर्नर बैठते हैं और नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं। यद्यपि ब्रिटिश राज के दौरान प्रारम्भ में यह निजी स्वामित्व वाला बैंक हुआ करता था परन्तु स्वतन्त्र भारत में १ जनवरी १949 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। उसके बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है। भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रस्तावना में बैंक के मूल कार्य इस प्रकार वर्णित किये गये हैं : "बैंक नोटों के निर्गम को नियन्त्रित करना, भारत में मौद्रिक स्थायित्व प्राप्त करने की दृष्टि से प्रारक्षित निधि रखना और सामान्यत: देश के हित में मुद्रा व ऋण प्रणाली परिचालित करना।" मौद्रिक नीति तैयार करना, उसका कार्यान्वयन और निगरानी करना। वित्तीय प्रणाली का विनियमन और पर्यवेक्षण करना। विदेशी मुद्रा का प्रबन्धन करना। मुद्रा जारी करना, उसका विनिमय करना और परिचालन योग्य न रहने पर उन्हें नष्ट करना। सरकार का बैंकर और बैंकों का बैंकर के रूप में काम करना। साख नियन्त्रित करना। मुद्रा के लेन देन को नियंत्रित करना रिज़र्व बैंक का कामकाज केन्द्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारतीय रिज़र्व अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। यह नियुक्ति चार वर्षों के लिये होती है। रिज़र्व बैंक का कामकाज केन्द्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। इसका स्वरूप इस प्रकार होता है- एक पूर्णकालिक गवर्नर और अधिकतम चार उप गवर्नर। सरकार द्वारा नामित: विभिन्न क्षेत्रों से दस निदेशक और एक सरकारी अधिकारी। अन्य: चार निदेशक - चार स्थानीय बोर्डों से प्रत्येक में एक। बैंक के क्रियाकलापों की देखरेख और निदेशन। देश के चार क्षेत्रों - मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई और नई दिल्ली से एक-एक प्रत्येक में पांच सदस्य केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त चार वर्ष की अवधि के लिये स्थानीय मामलों पर केन्द्रीय बोर्ड को सलाह देना। स्थानीय, सहकारी तथा धरेलू बैंकों की प्रादेशिक व आर्थिक आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करना। केन्द्रीय बोर्ड द्वारा समय-समय सौंपे गये ऐसे अन्य कार्यों का निष्पादन करना। रिज़र्व बैंक यह कार्य वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) के दिशानिर्देशों के अनुसार करता है। इस बोर्ड की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक बोर्ड की एक समिति के रूप में नवंबर १९९४ में की गई थी। वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) का प्राथमिक उद्देश्य वाणिज्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं सहित वित्तीय क्षेत्र का समेकित पर्यवेक्षण करना है। इस बोर्ड का गठन केंद्रीय बोर्ड के चार निदेशकों को सहयोजित सदस्य के रूप में दो वर्ष की अवधि के लिए शामिल करके किया गया है तथा गवर्नर इसके अध्यक्ष हैं। रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर इसके पदेन सदस्य हैं। एक उप गवर्नर, सामान्यत: बैंकिंग नियमन और पर्यवेक्षण के प्रभारी उप गवर्नर को बोर्ड के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है। बीएफएस की बैठकें बोर्ड की बैठक सामान्यत: महीने में एक बार आयोजित किया जाना आवश्यक है। इस बैठक के दौरान पर्यवेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट और पर्यवेक्षण से संबंधित अन्य मामलों पर विचार किया जाता है। लेखा-परीक्षा उप समिति के माध्यम से बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की सांविधिक लेखा-परीक्षा और आंतरिक लेखा-परीक्षा कायर्यों की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी विचार करता है। इस उप लेखा- परीक्षा समिति के अध्यक्ष उप गवर्नर और केंद्रीय बोर्ड के दो निदेशक इसके सदस्य होते हैं। बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीबीएस), गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीएनबीएस) और वित्तीय संस्था प्रभाग (एफआईडी) के कार्य-कलापों का निरीक्षण करता है और नियमन तथा पर्यवेक्षण संबंधी मामलों पर निदेश जारी करता है। बैंकिंग पर्यवेक्षण बोर्ड द्वारा किये गए प्रयत्नों में निम्नलिखित शामिल हैं : ई. बैंक निरीक्षण प्रणाली की पुनर्रचना ई. कार्यस्थल से दूर की निगरानी को लागू करना, ई. सांविधिक लेखा परीक्षकों की भूमिका को सुदृढ़ करना और इव. पर्यवटिक्षत संस्थाओं की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली का सुदृढ़ीकरण। वित्तीय संस्थाओं का निरीक्षण बैंक धोखाधड़ी से संबंधित कानूनी मामले अनर्जक आस्तियों के निर्धारण में विविधता बैंकों के लिए पर्यवेक्षी रेटिंग मॉडल भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, १९३४ : रिज़र्व बैंक के कार्यों पर नियंत्रण करता है। बैंककारी विनियम अधिनियम, १९४९ : वित्तीय क्षेत्र पर नियंत्रण करता है। विशिष्ट कार्यों को नियंत्रित करने के लिए अधिनियम लोक ऋण अधिनियम, १९४४/सरकारी प्रतिभूति अधिनियम (प्रस्तावित): सरकारी ऋण बाज़ार पर नियंत्रण प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, १९५६: सरकारी प्रतिभूति बाज़ार पर नियंत्रण भारतीय सिक्का अधिनियम, १९०६ : मुद्रा और सिक्कों पर नियंत्रण विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, १९७३/विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, १९९९ : व्यापार और विदेशी मुद्रा बाज़ार पर नियंत्रण बैंकिंग परिचालन को नियंत्रित करने वाले अधिनियम कंपनी अधिनियम, १९५६ : कंपनी के रूप में बैंकों पर नियंत्रण बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और अंतरण) अधिनियम १९७०/१०८० : बैंकों के राष्ट्रीयकरण से संबंधित बैंकर बही साक्ष्य अधिनियम, १८९१ बैंकिंग गोपनीयता अधिनियम परक्राम्य लिखत अधिनियम, १८८१ अलग-अलग संस्थाओं को नियंत्रित करने वाले अधिनियम भारतीय स्टेट बैंक अधिकनयम, १९५४ औद्योगिक विकास बैंक (उपक्रम का अंतरण और निरसन) अधिनियम, २००३ औद्योगिक वित्त निगम (उपक्रम का अंतरण और निरसन) अधिनियम, १९९३ राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम मौद्रिक नीति तैयार करता है, उसका कार्यान्वयन करता है और उसकी निगरानी करता है। उद्देश्य : मूल्य स्थिरता बनाए रखना और उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त ऋण उपलब्धता को सुनिश्चित करना। वित्तीय प्रणाली का विनियामक और पर्यवेक्षक बैंकिंग परिचालन के लिए विस्तृत मानदंड निर्धारित करता है जिसके अंतर्गत देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली काम करती है। उद्देश्य : प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखना, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और आम जनता को किफायती बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना। विदेशी मुद्रा प्रबंधक विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, १९९९ का प्रबंध करता है। उद्देश्य : विदेश व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का क्रमिक विकास करना और उसे बनाए रखना। करेंसी जारी करता है और उसका विनिमय करता है अथवा परिचालन के योग्य नहीं रहने पर करेंसी और सिक्कों को नष्ट करता है। उद्देश्य : आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोटों और सिक्कों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराना। राष्ट्रीय उद्देश्यों की सहायता के लिए व्यापक स्तर पर प्रोत्साहनात्मक कार्य करना। सरकार का बैंकर : केंद्र और राज्य सरकारों के लिए व्यापारी बैंक की भूमिका अदा करता है; उनके बैंकर का कार्य भी करता है। बैंकों के लिए बैंकर : सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खाते रखता है। सरकार के बैंकर के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा २० की शर्तों में रिज़र्व बैंक को केन्द्रीय सरकार की प्राप्तियां और भुगतानों और विनिमय, प्रेषण (रेमिटन्स) और अन्य बैंकिंग गतिविधियां (आपरेशन), जिसमें संघ के लोक ऋण का प्रबंध शामिल है, का उत्तरदायित्व संभालना है। आगे, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा २१ के अनुसार रिज़र्व बैंक को भारत में सरकारी कारोबार करने का अधिकार है। अधिनियम की धारा २१ ए के अनुसार राज्य सरकारों के साथ करार कर भारतीय रिज़र्व बैंक राज्य सरकार के लेन देन कर सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब तक यह करार सिक्किम सरकार को छोड़कर सभी राज्य सरकारों के साथ किया है। भारतीय रिज़र्व बैंक, उसके केन्द्रीय लेखा अनुभाग, नागपुर में केन्द्र और राज्य सरकारों के प्रमुख खातें रखता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने पूरे भारत में सरकार की ओर से राजस्व संग्रह करने के साथ साथ भुगतान करने के लिए सुसंचालित व्यवस्था की है। भारतीय रिज़र्व बैंक के लोक लेखा विभागों और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा ४५ के अंतर्गत नियुक्त एजेंसी बैंकों की शाखाओं का संजाल सरकारी लेनदेन करता है। वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र की सभी बैंक और निजी क्षेत्र की तीन बैंक अर्थात आईसीआईसीआई बैंक लि., एचडीएफसी बैंक लि. और एक्सिस बैंक लि., भारतीय रिज़र्व बैंक के एजेंट के रूप में कार्य करते हैं। केवल एजेंसी बैंकों की प्राधिकृत शाखाएं सरकारी लेनदेन कर सकती हैं। बैंक रेट : ६.००% रेपो रेट : ५.४०% रिवर्स रेपो रेट: ५.1५% मार्जिनल स्टेंडिंग फैसिलिटी(म्स्फ) रेट:५.6५% कैश रिज़र्व रेशो(क्र): ४% स्टेच्युटरी लिक्विडिटी रेशो(स्ल्र): १८.७५% भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नरों की सूची भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नरों की सूची इस प्रकार है: बोर्ड ऑफ डायरेक्टर १. शक्तिकांत दासशक्तिकांत दास - गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक || २. श्री आर गांधी - उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक || ३ एस एस मुंदरा -उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक || ४ श्री एन.एस. विश्वनाथन-उप गवर्नर भारतीय रिज़र्व बैंक ४ डॉ॰ नचिकेत एम. मोर क्षेत्रीय निदेशक भारतीय रिज़र्व बैंक ५ श्री नटराजन चंद्रशेखरन भारतीय रिज़र्व बैंक || ६ श्री भारत नरोतम दोशी भारतीय रिज़र्व बैंक || ७ श्री सुधीर मांकड भारतीय रिज़र्व बैंक || ८ श्री शक्तिकांत दास भारतीय रिज़र्व बैंक || ९ सुश्री अंजुलि चिब दुग्गल भारतीय रिज़र्व बैंक || इन्हें भी देखें फैडरल रिसर्व बैंक - अमेरिका का रिजर्व बैंक यूरोपीय केन्द्रीय बैंक - यूरोप का केन्द्रीय बैंक बांग्लादेश बैंक - बांग्लादेश का केन्द्रीय बैंक बैंक पो कैसे बने, तैयारी कैसे करें योग्यता, सैलरी, उम्र (२०२२) बैंकिंग सेक्टर में करियर का क्या स्कोप है? आधिकारिक जालस्थल (आकृतिदेववेब्र्ब फॉण्ट वाली हिन्दी में) भारतीय रिज़र्व बैंक का जालस्थल (अंग्रेजी में) भारतीय रिजर्व बैंक का इतिहास (पीडीएफ) बैंकों का बैंक रिज़र्व बैंक : झलक इतिहास की भारत सरकार की कार्यकारी शाखा भारत की नियामक संस्थाएं
एडटेक क्या है? एडटेक हार्डवेयर का संयोजन है, जैसे कि इंटरैक्टिव प्रोजेक्शन स्क्रीन, और सॉफ्टवेयर, जैसे, कक्षा प्रबंधन प्रणाली, जिसका उद्देश्य शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया दोनों में सुधार करना है, और शैक्षिक परिणाम, सम्मानपूर्वक। यद्यपि शैक्षिक प्रौद्योगिकी अपेक्षाकृत नई है - यह ४० के दशक की शुरुआत में उत्पन्न हुई थी और पहली उड़ान सिमुलेटर द्वारा प्रस्तुत की गई थी, इसने पहले ही उत्कृष्ट परिणाम दिखाए हैं और अंतिम-उपयोगकर्ताओं और निवेशकों दोनों के लिए बेहद आशाजनक है। कई शैक्षिक समाधान क्लाउड-आधारित हैं और ज्ञान को और अधिक इंटरैक्टिव बनाने की प्रक्रिया द्वारा शिक्षार्थियों के परिणामों को बढ़ाने के लिए एल्गोरिदम बनाने के लिए विभिन्न अनुसंधान डेटा का उपयोग करते हैं, विभिन्न प्रकार के संवेदी धारणा वाले लोगों के लिए व्यक्तिगत सामग्री प्रदान करते हैं, और गति सीखने, मूल्यांकन विधियों में सुधार करते हैं, आदि। प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षा भी शैक्षिक संस्थानों के लिए अधिक मूल्य-कुशल, संगठित करने और एक नए स्तर पर छात्र डेटा को संभालने में मदद करके बहुत बड़ा मूल्य बनाती है। उदाहरण के लिए, चेहरा पहचान प्रणाली उपस्थिति की निगरानी में मदद करती है। जाहिर है, भविष्य का श्रम बाजार अब जो है उससे अलग होगा - अधिक प्रतिस्पर्धी, गतिशील, कौशल के एक नए सेट की आवश्यकता - और एडटेक कार्यबल की नई पीढ़ी को आकार देगा। इस लेख में, हम उद्योग में मुख्य रुझानों का अवलोकन करते हैं। शैक्षिक प्रौद्योगिकी में रुझान दूरस्थ शिक्षा एक नया चलन नहीं है, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के कारण शिक्षार्थियों की संख्या आसमान छू गई है। इसके कई फायदे हैं, जैसे अधिक लचीलापन, आसान पहुंच और, कई मामलों में, सामर्थ्य। शिक्षा अब एक लक्जरी नहीं है - यह एक बुनियादी जरूरत है। यह केवल युवा लोगों के लिए ही नहीं है। बड़े पैमाने पर खुले ऑनलाइन पाठ्यक्रमों (एमओओसी) स्किलशेयर, उडनेस, मास्टरक्लास, उदमी, फ्यूचरलर्न, एडक्स, कौरसेरा, आदि की विशाल लोकप्रियता, जीवन भर सीखने की आवश्यकता को उजागर करती है। आपको विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के लिए ऋण प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है - लागत के एक अंश के लिए अपनी रुचि के पाठ्यक्रम के लिए नामांकन करें। यहाँ हाल ही में क्लासिंथ्रल के अनुसार मूक के कुछ आँकड़े दिए गए हैं २. इमर्सिव एजुकेशन दोनों संवर्धित और आभासी वास्तविकता उपकरण शैक्षिक उद्देश्यों के लिए पर्याप्त और अनुरूप हो रहे हैं। वीआर हेडसेट्स का उपयोग कक्षा में शिक्षकों द्वारा जटिल धारणाओं को समझाने या सामग्री को अधिक आकर्षक और मज़ेदार बनाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक पारंपरिक संग्रहालय में जाना उबाऊ हो सकता है, लेकिन संवर्धित वास्तविकता के साथ पूरक है, यह सभी उम्र के बच्चों के लिए अधिक मनोरंजक है। बीबीसी एआर एप्लिकेशन सभ्यता विभिन्न ऐतिहासिक कलाकृतियों को देखने की क्षमता के साथ शिक्षार्थियों को प्रदान करती है, उदाहरण के लिए, एक मिस्र की ममी के अंदर देख सकता है। ३. बड़ा डेटा और एआई आई- आधारित ऐप छात्रों के सबसे अच्छे दोस्त और शिक्षकों के निजी सहायक हो सकते हैं, और किसी भी पाठ्यक्रम से संबंधित सवालों के जवाब २४/७ प्रदान कर सकते हैं, साथ ही ग्रेड प्रदान कर सकते हैं, आदि। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम कई पर शिक्षार्थियों के डेटा का विश्लेषण करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। सूचना का उपभोग कैसे किया जाता है, शैक्षिक उपकरण प्रभावी हैं या नहीं, सीखने की आदतों का पता लगाएं और गहन वैयक्तिकृत सामग्री बनाएं। संगठन के स्तर पर, डेटा-संचालित दृष्टिकोण भविष्य में उनसे बचने के लिए कर्मचारियों के लिए बाधाओं और डिज़ाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का पता लगाने में मदद करता है। ४. डिजिटलाइजेशन और मोबाइल तकनीक के माध्यम से शिक्षा की पहुंच उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए शिक्षा तक पहुंच महत्वपूर्ण है। वंचित बच्चों को बेहतर जीवन के लिए एक मौका खड़ा करने के लिए आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक मोबाइल फोन एकमात्र संभावना हो सकती है - कभी भी, कहीं भी, दुनिया के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में भी। अधिगम सामग्रियों का डिजिटलीकरण एक बहुत व्यापक पहुंच की ओर एक और कदम है। डिजिटल पाठ्यपुस्तकें सस्ती हैं, संशोधित करने और अपडेट करने में बहुत आसान हैं। इसके अलावा, सहयोगी प्रयासों के साथ, वे किसी भी भाषा में बहुत जल्दी अनुवादित हो सकते हैं। एक्सेसिबिलिटी के मुद्दे भी शारीरिक या सीखने की अक्षमता वाले लोगों से संबंधित हैं, और यह तकनीकी समाधानों के लिए एक बड़ा लक्ष्य समूह है जो एक बड़ा अंतर ला सकता है और आशा ला सकता है। विकसित देशों में, कई शीर्ष विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थान मोबाइल ऐप की क्षमता में टैप करते हैं। उदाहरण के लिए, २०१६ में, सलफोर्ड विश्वविद्यालय (मैनचेस्टर, यूके) ने एक बहुत ही सफल और पुरस्कार विजेता टिंडर जैसा एप्लिकेशन बनाया, फोर्ड मैच मेड इन सलफोर्ड स्टूडेंट्स संभावित छात्रों को सर्वश्रेष्ठ मिलान पाठ्यक्रम चुनने में मदद करने के लिए बनाया गया। ५ग इंटरनेट कनेक्शन मोबाइल तकनीक को और भी अधिक शक्तिशाली बना देगा, और ब्लॉकचेन वह है जो छात्रों के व्यक्तिगत डेटा की उच्च सुरक्षा की गारंटी देगा। हर कोई अपनी प्रतिभा और क्षमताओं के साथ अलग है। गहन वैयक्तिकरण के साथ, शिक्षण संस्थान सभी शिक्षार्थियों पर समान सामग्री लागू नहीं करेंगे। अधिकांश लोग निराश हो जाते हैं यदि उन्हें अपने हितों के लिए अप्रासंगिक सामग्री की पेशकश की जाती है। जैसा कि हमने पहले ही उल्लेख किया है, बड़ी डेटा प्रौद्योगिकियां उच्च स्तर के अनुकूलन को प्राप्त करने में मदद करेंगी - अधिकतम संतुष्टि और इस प्रकार दक्षता के लिए एक व्यक्तिगत सीखने की यात्रा बनाएं। पहले से ही कई मंच हैं जो शिक्षकों के लिए सामग्री वैयक्तिकरण के अवसर प्रदान करते हैं, जैसे कि सीसॉ, वीवीडियो और कोड, लेकिन, बिना किसी संदेह के, भविष्य में और भी बहुत कुछ होगा।
सुखचैन सिंह चीमा(१९५१- १० जनवरी २०१८) एक भारतीय रेसलर थे। उन्होने वर्ष १९७४ में तेहरान में हुए एशियाई खेलों में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था। उनकी गिनती देश के दिग्गज पहलवानों में की जाती थी। उन्होंने कुश्ती में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें अर्जुन पुरस्कार के साथ कोचिंग के लिए को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। रुस्तम-ए-हिंद ओलिंपियन पहलवान केसर सिंह चीमा और रुस्तम-ए-हिंद ओलिंपियन परविंदर सिंह चीमा के पिता थे। उन्होने कोच के रूप में कई पहलवानों को तैयार किया। वे पटियाला में अपना ट्रेनिंग सेंटर चलाते थे, जहां उनके द्वारा पहलवानों को ट्रेनिंग दी जाती थी। उनका एक सड़क हादसे में निधन को गया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब के पटियाला बाईपास में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी। पंजाब के लोग
नेशनल गैलरी प्राग ( , एनजीपी ), पहले प्राग में नेशनल गैलरी ( ), प्राग में सरकार के स्वामित्व वाली एक कला चित्रशाला है, जो चेक गणराज्य में कला के सबसे बड़े संग्रह का प्रबंधन करती है और स्थायी और अस्थायी प्रदर्शनियों में चेक और अंतरराष्ट्रीय ललित कला की उत्कृष्ट कृतियों को प्रस्तुत करती है। चित्रशाला के संग्रह एक ही भवन में नहीं रखे गए हैं, लेकिन प्राग शहर के साथ-साथ अन्य स्थानों पर कई ऐतिहासिक स्थापत्य संरचनाओं में रखे और प्रस्तुत किए जाते हैं। चित्रशाला स्थानों में सबसे बड़ा ट्रेड फेयर पैलेस (वेलेट्रुनी पलाक) है, जिसमें राष्ट्रीय चित्रशाला का आधुनिक कला का संग्रह है। अन्य महत्वपूर्ण प्रदर्शनी स्थान बोहेमिया के सेंट एग्नेस के कॉन्वेंट, किन्स्की पैलेस, साल्म पैलेस, श्वार्ज़ेनबर्ग पैलेस, स्टर्नबर्ग पैलेस और वालेंस्टीन राइडिंग स्कूल में स्थित हैं । १७९६ में स्थापित, यह दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक कला दीर्घाओं में से एक है और मध्य यूरोप के सबसे बड़े संग्रहालयों में से एक है। राष्ट्रीय चित्रशाला का इतिहास १८वीं शताब्दी के अंत (अर्थात् ५ फरवरी, १७९६ ) का है, जब बोहेमियन देशभक्त अभिजात वर्ग ( कोलोरात, स्टर्नबर्ग, नोस्टिट्ज़ ) के प्रमुख प्रतिनिधियों और मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों के एक समूह ने निर्णय लिया कि जिसे वो उस समय की स्थानीय आबादी का "अपमानजनक कलात्मक स्वाद" कहते थे, का स्तर ऊंचा करें। सोसाइटी ऑफ पैट्रियटिक फ्रेंड्स ऑफ द आर्ट्स (कला के देशभक्त दोस्तों की संस्था) की उपाधि प्राप्त करने वाली संस्था ने एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स (ललित कला अकादमी) और पिक्चर गैलरी (चित्रशाला) की स्थापना की। 19१८ में चित्रशाला नवगठित चेकोस्लोवाकिया का एक केंद्रीय संग्रहक बन गया। १९९५ में १९वीं- और २०वीं-सदी की कला को समर्पित नए स्थान नवीनीकृत वेलेत्रुनी पलाक (ट्रेड फेयर पैलेस) में खोले गए, जो कि प्राग की सबसे बड़ी कार्यात्मक इमारत के रूप में एक राष्ट्रीय स्मारक है और शहर में उस स्थापत्य शैली के शुरुआती उदाहरणों में से एक है (जिनका निर्माण १९25 में शुरू हुआ)। सेंट जॉर्ज कॉन्वेंट (ह्रैडकैनी) का इस्तेमाल पूर्व में बोहेमिया और मध्य यूरोप में मध्य युग की कला, बारोक कला और बोहेमिया की १९ वीं सदी की कला को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता था। बोहेमिया के सेंट एग्नेस का कॉन्वेंट ( ओल्ड टाउन ) - बोहेमिया और मध्य यूरोप में मध्य युग की कला। स्टर्नबैक महल (ह्रैडकैनी) - पुरातन काल से बरोक काल के अंत तक की यूरोपीय कला। श्वार्ज़ेनबर्ग महल (ह्रैडकैनी) - बोहेमिया में बारोक। १९वीं सदी की कला सालम महल (ह्रैडकैनी) आधुनिक और समकालीन कला वेलेट्ज़्नी महल (ट्रेड फेयर पैलेस), होलसोविस - १९वीं-, २०वीं- और २१वीं सदी की कला, राष्ट्रीय चित्रशाला का सबसे बड़ा संग्रह। २०12 के बाद से अल्फोंस मुचा का स्लाव एपिक यहां प्रदर्शित हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय संग्रह में पिकासो, मोनेट, वैन गॉग, रोडिन, गाउगिन, सेज़ेन, रेनॉयर, शिएले, मंच, मिरो और क्लिम्ट जैसे कलाकारों के कई काम शामिल हैं; इनमें से कई कला इतिहासकार विन्सेंक क्रामास के संग्रह से दान हैं। पिकासो, जिनके पास गैलरी में खुद के लिए एक विशाल कमरा है, के पास दो आत्म-चित्र हैं, और उनके दो जुराब और अधिक अमूर्त काम के अलावा हैं। यहाँ रॉडिन की कलाकृतियाँ हैं, जिसकी २० वीं शताब्दी की शुरुआत में प्राग में प्रदर्शनी के कारण कई वर्षों तक चेक मूर्तिकला पर गहरा प्रभाव पड़ा, दीर्घा में विभिन्न विषयों पर बस्ट और पूर्ण आकार के मूर्तियों की एक श्रृंखला शामिल है। विशाल संग्रह चेक और स्लोवाक चित्रों और मूर्तियों, एल्फोन्स मुचा, ओटो गत्फ्र्यउंड, फ़्रांटिसेक कुप्का, टीएफ साइमन, ताविक फ्रांटिसेक साइमन (१८७७-१९४२), रुडोल्फ फिला, विनसेन्स बेनेस और बोहुमिल कुबिस्टा के कार्यों सहित कलाकृतियाँ एक बड़ी संख्या में शामिल है। ब्लैक मैडोना हाउस और म्यूज़ियम कम्पा के साथ, ट्रेड फेयर पैलेस संग्रह प्राग में चेक क्यूबिज़्म के सबसे उल्लेखनीय संग्रहों में से एक है। उल्लेखनीय कार्यों में गुटफ्रुंड द्वारा डॉन क्विक्सोट, बेनेस द्वारा सैन्य अंतिम संस्कार, कुपका द्वारा चित्रों की एक सरणी, लगभग सभी शैलियों को शामिल किया गया है जिसके साथ उन्होंने प्रयोग किया था। हाउस ऑफ़ द ब्लैक मैडोना (ओल्ड टाउन) - चेक क्यूबिज़्म किंस्की पैलेस (ओल्ड टाउन) किन्स्की पैलेस (ओल्ड टाउन) - एशिया की कला और प्राचीन दुनिया की कला प्राग के बाहर प्रदर्शन किन्स्की महल ज़ार नैड साज़ावू - प्राग में राष्ट्रीय दीर्घा के संग्रह से बारोक कला। फ्राईस्टैट महल में कार्विना - प्राग में नेशनल गैलरी के संग्रह से १९ वीं सदी की चेक कला। यह भी देखें आधुनिक कला संग्रहालय, न्यूयॉर्क वैन गॉग संग्रहालय प्राग में संग्रहालयों की सूची एनजीपी का संग्रह नेशनल गैलरी प्राग प्राग में संग्रहालयों की सूची
रामपुर-सनेह, यमकेश्वर तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा रामपुर-सनेह, यमकेश्वर तहसील रामपुर-सनेह, यमकेश्वर तहसील
स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षाएँ दक्षिण अफ्रीका में २०वीं शती के आरम्भ में पहुँचीं। वहाँ भी आर्य समाज ने भारतीयों को अपने संस्कृति एवं विरासत पर गर्व करने की शिक्षा दी और सामाजिक सुधार एवं शिक्षा के प्रसार का कार्य किया।
एल्कलॉएड प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रासायनिक यौगिक होते हैं, जिनमें प्रायः क्षारीय नाइट्रोजन परमाणु होते हैं। इस समूह में कुछ ऐसे बन्धु यौगिक भी आते हैं, जिनमें उदासीन एवं अशक्त अम्लीय गुण होते हैं। समान गुणों और संरचना वाले कुछ अन्य यौगिकों को भी एल्कलॉएड समूह में रखा जाता है। कार्बन, हाइड्रोजन एवं नाइट्रोजन, अणुओं के अलावा एल्कलॉएड यौगिकों में गंधक और कभी-कभार क्लोरीन, ब्रोमीन या फॉस्फोरस भी उपस्थित हो सकते हैं। 'ऐलकालाँयड' (अलकलोइड) शब्द का प्रयोग प्रारंभ से ही नाइट्रोजन वाले कार्बनिक क्षारीय यौगिकों के लिए किया गया था, क्योंकि उनके गुण क्षारों से मिलते-जुलते है का प्रयोग वनस्पतियों तथा प्राणिजगत् में पाए जानेवाले जटिल-कार्बनिक-क्र्कय दृष्टि से सक्रिय होते हैं। साधारण ऐमिन, ऐमिनो अम्ल तथा इस समुदाय में नहीं आते। ऐलकालायडों महत्व है। अनेक वनस्पतियों के निचोड़, जो ऐलकालायड हैं, ओषधियों के रूप में आदिकाल से प्रयुक्त होते रहे हैं और इनमें से कुछ का प्रयप में भी होता रहा है। [चाचार्फीम]] के निचोड़ को पानी से तनु करके एक मणिभीय (क्रिस्टलिन) पदार्थ प्राप्त किया, जिसको पृथक करने तथा शुद्ध करने पर एक यौगिक मिला जो संभवत: पहला ऐलकालॉयड नारकोटीन था। क्षारीय विलयन के प्रयोग से उसने इस प बढ़ाने का प्रयत्न किया, किंतु इस प्रयास में उसे एक दूसरा ऐलकालॉयड प्राप्त हुआ, जो मारफ़ीन था। लगभग उसी समय ए. ऐगियम ने भी इसी विधि से मारफीन बनाया। परंतु किसी विशेष ऐलक में प्राप्त करके उसके गुणधर्मों को ठीक से प्रस्तुत करने का श्रेय एफ़.डब्ल्यू. ए. सर्टुनर्र को है। उसने सन् १८१६ ई. में एक नवीन कार्बनिक लवण बनानेव प्राप्ति की जिससे उसने अनेक लवण बनाए और उसकी पोषकीय अभिक्रिया भी प्रदर्शित की। इसी बीच सन् १८१० ई. में बी.ए. गोम्स ने सिनकोना के ऐलकोहलीय निचोड़ पर क्षारीय विलयन से अभिक्रिया करके एक अवक्षेप प्राप् द्वारा मणिभीकृत करके सिनकोनीन प्राप्त किया। सन् १८१७ ई. तथा १८४० ई. के मध्य प्राय: समस्त महत्वपूर्से वेरट्रीन, , पा, कोडीन आदि प्राप्त कर लिए गए। अधिकांश ऐलकालायडों के नाम उन वनस्पतियों के आधार पर रखे गए हैं जिनसे वे प्राप्त किए जाते हैं। कुछ के नाम उनके द्वारा होनेवाले पोषकीय प्रभावों के अनुसार रखे गए हैं, जैसे मारफ़ीन का नाम स्वप्नों के ग्रीक देवता मारफ़िअस के आधार पर रखा गया है। कुछ के नाम प्रसिद्ध रसायनज्ञों के नाम पर रखे गए, जैसे पेलीटरीन का नाम फ्रांसीसी रसायनज्ञ पेलीटियर के नाम पर रखा गया है। ऐलकालॉयड वनस्पतियों के विभिन्न भागों में, जैसे पत्ती, छाल, जड़, आदि में, पाए जाते हैं। ये क्षारीय होते हैं, अत: इनमें से अधिकांश कुछ कार्बनिक अम्लों, जैसे औक्सैलिक, सक्सीनिक, साइट्रिक, मैलिक टैनिक आदि के साथ लवण रूप में पाए जाते हैं। साधारणतया ऐलकालॉयड मणिभीय रूप में होते हैं और इनमें कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन तथा नाइट्रोजन तत्व पाए जाते हैं। परंतु निकोटीन तथा कोनीन जैसे कुछ ऐलकालॉयडों में आक्सिजन नहीं होता और वे अधिकतर द्रव रूप में रहते हैं। ऐलकालॉयडों में नाइट्रोजनवाले विषमचक्रीय कुछ यौगिक, जैसे पिरीडीन, पायरोल, क्वीनोलीन, आइसोक्वीन हैं और अन्य मूलक तत्व या कार्बन शृंखलाएँ इनके साथ संयुक्त रहती हैं। ये जल में अधिकतर अविलेय होते है, परंतु ऐलकोहेल, ईथर या क्लोरोफ़ार्म में विलेय होते हैं। अधिकांश ऐलकालॉयड प्रकाशसक्रिय होते हैं। ये कार्बनिक तथा अकार्बनिक अम्लों के साथ लवण बनाते हैं। प्राय: अधिक मात्रा में ऐलकालॉयडों का प्रभाव हानिकारक होता है, परंतु कम मात्रा में वे ओषधियों के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इनका स्वाद कड़वा होता है। वनस्पतियों से ऐलकालॉयड निकालने के लिए उनको हाइड्रोक्लोरिक या सल्फ़्यूरिक अम्ल से, या अम्लीय ऐथिल ऐलकोहल के साथ पाचित किया जाता है। इस कार्य के लिए एक विशेष मिश्रण का भी प्रयोग होता है, जिसमें ईथर, एथिल ऐल्कोहल तथा अमोनिया निश्चित मात्रा में मिले रहते हैं। इस मिश्रण को 'प्रोलियस द्रव' (प्रोलियस फ़्लुइड) कहते हैं। कुछ अभिकर्मकों के साथ ऐलकालॉयड एक विशेष प्रकार का रंग या अवक्षेप बनाते हैं, जिनके द्वारा ये पहचाने जा सकते हैं। इनमें से प्रमुख ये हैं : एर्डमान का अभिकर्मक सांद्र सल्फ़यूरिक अम्ल जिसमें कुछ नाइट्रिक अम्ल मिला होता है; फ़ोयड् अभिकर्मक सांद्र सल्फ़्यूरिक अम्ल में अमोनियम मालिब्डेट का १ऽ विलयन; सांद्र सल्फ़्यूरिक अम्ल में सोडियम मेटावेनेडेट का विलयन; मेयर अभिकर्मक मरकयूरिक का पोटैसियम आयोडाइड में विलयन; वैगनर अभिकर्मक आयोडीन का पोटैसियम आयोडाइड में विलयन डेगंड्राफ अभिकर्मक पोटैसियम-बिसमथ-आयोडाइड का विलयन; तथा साइबलर अभिकर्मक क्लोरोप्लैटिनिक, क्लोरो ऑरिक, फ़ासफ़ोटंग्स्टिक या सिलिको-टंग्स्टिक अम्ल का विलयन। नीचे की सारणी में मोनोमेरिक अल्कलॉयड की मुख्य श्रेणीयों के प्रमुख विवरण दिये गये हैं-
कोरोमंडल एक्स्प्रेस १२८४१ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:हह) से ०२:५०प्म बजे छूटती है और चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:मास) पर ०५:१५प्म बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है २६ घंटे २५ मिनट। कोरोमंडल एक्सप्रेस भारतीय रेल की प्रमुख वाहको में से एक है। यह एक सुपरफास्ट ट्रेन है जो दैनिक भारत के पूर्वी तट के हावडा (कोलकाता) में हावडा स्टेशन (एचडबल्युएच) और चेन्नाई में चेन्नाई सेंट्रल (मास) के बीच चलती है। यह आईआर के इतिहास में पहली सुपरफास्ट ट्रेन में से एक है। बंगाल की खाडी के साथ भारत के पूर्वी तट को कोरोमंडल तट कहा जाता है इसलियए इस ट्रेन को यह नाम दिया गया है क्योंकि यह कोरोमंडल तट की पूरी लंबाई की सफर करती है यह ट्रेन दक्षिण पूर्व रेलवे क्षेत्र के अंतर्गत आता है। चोला राजवंश की जमीन को तमिल में चोलामंडलम कहा जाता है जिसका शाब्दिक अनुवाद चोलो के दायरे में होता है वहाँ से कोरोमंडल आया है। कोरोमंडल तट भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिण तट को दिया गया नाम है। ट्रेन संख्या १२८४१ और १२८४२ है १२८४१ १४.५० बजे हावडा से रवाना होती है और अगले दिन १७.१५ बजे चेन्नाई सेंट्रल पर आती है। १२८४२ ८.४५ बजे चेन्नई सेंट्रल से रवाना होती है और (फिर से, अगले दिन्) १२.०० बजे हावडा आती है। हर एक रास्ते पर मार्ग १६६२ किमी की दूरी शामिल करती है। इंजन की कडीयॉ ट्रेन सीएलडबल्यु द्वारा बनाये गए डबल्युएपी ४ वर्ग विध्युत इंजनो से खिंची जाती है जो हावडा से विशाखापट्टनम तक दक्षिण पूर्व रेल्वे के संत्रागची विध्युत इंजन शेड के दवारा अनुरक्षित है और बाद में रेल्वे बोर्ड द्वारा दी गई मंजूरी के अनुसार इंजन कडियो को रोयापुरम आधारित इंजन से चेन्नाई तक जोडा जाता है। यह ५००० एचपी इंजन १३० किमी प्रति घंटे दोडने की क्षमता से लगाये गए हैं लेकिन अनुभागीय गति की सीमा की वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस ११० किमी प्रति घंटे से १२० किमी प्रति घंटे की अधिकतम अनुमत गति से चलती है। विध्युतीकरण के तुरंत बाद ट्रेन चेन्नाई से हावडा तक सिकंदराबाद (लल्लागुडा) आधारित डबल्युएपी ४ इंजन से खिंची जाती है लेकिन विशाखापट्टनम में इंजन को उलटा करने के लिए आवश्यक अत्यधिक समय और मुश्किल की वजह से बाद में इसे हावडा से विशाखापट्टनम तक संत्रागची इंजन से और विशाखापट्टनम से चेन्नाई तक ईरोड आधारित इंजन से चलाने का निर्णय लिया गया। जब रोयापुरम शेड चेन्नाई के पास आता है तब रोयापुरम आधारित इंजन विशाखापट्टनम से चेन्नाईतक खिंचने के लिए उपयोग में लिया जाता है। यह ट्रेन १२० किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति के साथ २७ घंटे ५ मिनट के कुल समय में १६६२ किमी की कुल दूरी तय करती है। यह भारतीय रेल के इतिहास में पहली सुपरफास्ट ट्रेन में से एक है। यह ट्रेन आमतौर पर सेवा के राजा के रूप में जानी जाती है। और भारतीय रेल की इस मार्ग पर चलने वाली सबसे तेज ट्रेन में से एक है और दक्षिण पूर्व क्षेत्र में हावडा से चेन्नाई तक और चेन्नाई से हावडा तक के उसके सफर के दौरान किसी भी अन्य ट्रेन के मुकाबले और अन्य सभी ट्रेन जैसे कि राजधानी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और भारतीय रेल की अन्य सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में से सर्वोच्च प्राथमिकताओ में से एक भी प्राप्त करती है। रेक में १२ स्लीपर, ६ वातानुकूलित डिब्बे (१ एसी, २ एसी, ३ एसी), पेंट्री कार, ३ सामान्य बेठक और २ एसएलआर होते हैं। यह ट्रेन हावडा चेन्नाई मेल के साथ अपने रेक बाटती है इस प्रकार कोरोमंडल एक्सप्रेस की एक रेक में सीबीसी रेक के साथ २४ डिब्बे होते हैं। जल्द ही इस ट्रेन को एलएचबी रेक मिलेगा| ट्रेन की एक झलक दिसम्बर २००६ में भारतीय रेल्वे द्वारा प्रकाशित समय सारिणी मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
पियारिनगर (पिआरीनगर) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पूर्व बर्धमान ज़िले में स्थित एक नगर है। यह हुगली नदी के किनारे बसा हुआ है। इन्हें भी देखें पूर्व बर्धमान ज़िला पूर्व बर्धमान ज़िला पश्चिम बंगाल के शहर पूर्व बर्धमान ज़िले के नगर
अनिश्चितता एक ऐसी स्थिति है जिसमें अधूरे या अपरिचित जानकारी जुड़ी होती है। यह भविष्य की बातों को भाँप लेने, किसी मापन में प्रयोग करने या किसी अज्ञात विषय में प्रयोग करने के लिए काम में लाई जाती है। अनिश्चितता आंशिक रूप से प्रत्यक्ष और/ या अनेक संभावनाओं में से चुना हुए (स्टोचास्टिक) वातावरणों और इसके साथ अनभिज्ञता, निष्क्रयता या दोनों के लिए की जाती है। यह कई क्षेत्रों में दिखाई पड़ती है जैसे कि बीमा, दर्शन, भौतिकी, सांख्यिकी, अर्थशास्त्र, वित्त, मनोविज्ञान, समाज-शास्र, अभियांत्रिकी, मौसमविज्ञान, पर्यावरण और सूचना विज्ञान । हृदयपूर्ति का सिद्धान्त किताब 'द हार्टफुलनेस वे' के सह-लेखक जोशुआ पोलॉक के अनुसार यौगिक प्राणाहुति ही हार्टफुलनेस (हृदयपूर्ति) पद्धति का प्राण तत्त्व है। उन्होंने समझाया, हवा हर समय हमारे चारों ओर है, लेकिन हम उस पर ध्यान नहीं देते जब तक वह चलने न लगे। इसी तरह प्रति क्षण हमारे साथ रहने वाले ईश्वर पर भी हम गौर नहीं कर पाते। प्राणाहुति के द्वारा वह उपस्थिति सूक्ष्म रूप में जीवंत हो उठती है। दिव्य ऊर्जा हमारी ओर चलने के साथ हमारे अंदर संचारित होने लगती है। हृदय में होने वाला स्पंदन हमेशा उस आदि शक्ति का एहसास कराता है। इस प्रकार से प्राकृतिक नियमावली में प्रदर्शित अनिश्चितता के बावजूद निश्चित ही होता है।
इतागाकी ताइसूके ( ? ; १८३७-१९१९) जापानी राजनीतिज्ञ तथा स्वतंत्रता एवं जनाधिकार आन्दोलन (जिय मिन्कें उंड) के नेता थे। यही आन्दोलन आगे चलकर जापान का पहला राजनैतिक दल बना। १९५३ के १०० येन के नोट पर उनकी छबि बनी हुई है। इनका जन्म तोसा में हुआ था। प्रारंभिक ख्याति राजनीतिक सिपाही के रूप में जिसने सामंतवाद का उन्मूलन कर प्राशासनिक शक्ति राजसत्ता के हाथ में एकत्र करने में योग दिया। नवीन विधान में उसे मंत्री का पद मिला (१८७३)। सरकार की सामरिक नीति से मतभेद होने के कारण उसने त्यागपत्र दे दिया। अपने घर पर जनता को जनतंत्र शासन की प्रशिक्षा देने के उद्देश्य से स्कूल खोले जो बहुत जनप्रिय हुए। इसी की देखादेखी ऐसे अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले गए। इतागाकी 'जापान के रूसो' के नाम से विख्यात हुए। १८८१ में इतागाकी की अध्यक्षता में जापान का जिऊ-तो नामक पहला राजनीतिक दल बना जिसने देश में संसदीय शासन के प्रचलन में योग दिया। इतागाकी ने अपना सारा जीवन इस दल के संगठन में लगा दिया। १८८२ में एक हत्यारे इतागाकी पर वार किया, पर वे बच गए और हत्यारे को संबोधित करते उन्होंने कहा-इतागाकी को मार सकते हों; स्वतंत्रता अमर है। १८८७ में उन्हें एक बार फिर से मंत्रिपद और काउंट की उपाधि मिली। १८३७ में जन्मे लोग १९१९ में निधन
राजशाही रॉयल्स () एक बांग्लादेशी फ्रेंचाइजी ट्वेंटी २० क्रिकेट टीम है। टीम बांग्लादेश में राजशाही पर आधारित है और ट्वेंटी २० फ्रेंचाइजी क्रिकेट प्रतियोगिता बांग्लादेश प्रीमियर लीग (बीपीएल) में प्रतिस्पर्धा करती है। १६ नवंबर २०१९ को, बंगाल समूह को टीम के प्रायोजक के रूप में नामित किया गया था और इसका नाम बदलकर बंगाल राजशाही रॉयल्स कर दिया गया था।
गोंडवाना एक्स्प्रेस २४०९ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन रायगढ़ रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:रीग) से ०३:३०आम बजे छूटती है और ह निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:न्ज़्म) पर ०७:१०आम बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है २७ घंटे ४० मिनट। मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
मरुधर एक्स्प्रेस ४८६४ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन जोधपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:जू) से ०९:१५आम बजे छूटती है और वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:ब्सब) पर ०८:१५आम बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है २३ घंटे ० मिनट। मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
जॉन फ्रांसिस मैकलीन मॉरिसन (२७ अगस्त १९४७ को वेलिंगटन में पैदा हुए) न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर हैं जिन्होंने न्यूजीलैंड के लिए १७ टेस्ट और १८ एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले। १९९८ से २०१३ तक, वह वेलिंगटन सिटी काउंसलर थे; उनका राजनीतिक जीवन तब समाप्त हुआ जब वे महापौर के लिए खड़े थे। न्यूज़ीलैंड के क्रिकेट खिलाड़ी न्यूज़ीलैंड के वनडे क्रिकेट खिलाड़ी १९४७ में जन्मे लोग
रादौर (रदौर) भारत के हरियाणा राज्य के यमुनानगर ज़िले में स्थित एक नगर है। रादौर एक उप तहसील भी है। वर्तमान में रादौर विधानसभा से बिशन लाल सैनी विधायक पद पर आसीन हैं। यह यमुनानगर जिले का प्रमुख कस्बा है। यह कस्बा एसके रोड पर बना हुआ है। यहां पर विभिन्न जातियों और विभिन्न धर्मों के लोग सौहार्दपूर्ण रहते हैं। इस कस्बे से यमुना नहर भी गुजरती है। प्राचीन टोपरा अभिलेख इसी कस्बे के गांव से मिला है जो ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसी कस्बे में एक सागडी गांव हैं जहां पर ऐतिहासिक बाबा सहारू भगत की समाधि बनी हुई है जो रादौर से लगभग १२ किलोमीटर दूर है। रादौर में गोगा जाहरपीर की याद में छडियो का मेला लगता है जो काफी प्रमुख है। इन्हें भी देखें हरियाणा के शहर यमुनानगर ज़िले के नगर
अर्बुद, रसौली, गुल्म या ट्यूमर, कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि द्वारा हुई, सूजन या फोड़ा है जिसे चिकित्सीय भाषा में नियोप्लास्टिक कहा जाता है। ट्यूमर कैंसर का पर्याय नहीं है। एक ट्यूमर बैनाइन (मृदु), प्री-मैलिग्नैंट (पूर्व दुर्दम) या मैलिग्नैंट (दुर्दम या घातक) हो सकता है, जबकि कैंसर हमेशा मैलिग्नैंट होता है।
रांगेय राघव (१७ जनवरी, १९२३ - १२ सितंबर, १९६२) हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए।आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी। इनका मूल नाम तिरूमल्लै नंबाकम वीर राघव आचार्य था; लेकिन उन्होंने अपना साहित्यिक नाम रांगेय राघव रखा। इनका जन्म १७ जनवरी, १९२३ श्री रंगाचार्य के घर हुआ था। इनकी माता श्रीमती कनकवल्ली और पत्नी श्रीमती सुलोचना थीं। इनका परिवार मूलरूप से तिरुपति, आंध्र प्रदेश का निवासी था। वैर गाँव के सहज, सादे ग्रामीण परिवेश में उनके रचनात्मक सहित्य ने अपना आकार गढ़ना शुरू किया। जब उनकी सृजन-शक्ति अपने प्रकाशन का मार्ग ढूँढ़ रही थी तब देश स्ततंत्रता के लिए संघर्षरत था। ऐसे वातावरण में उन्होंने अनुभव किया- अपनी मातृभाषा हिंदी से ही देशवासियों के मन में देश के प्रति निष्ठा और स्वतंत्रता का संकल्प जगाया जा सकता है। यों तो उनकी सृजन-यात्रा सर्वप्रथम चित्रकला में प्रस्फुटित हुई। सन् १९३६-३७ के आस-पास जब वह साहित्य की ओर उन्मुक हुई तो उसने सबसे पहले कविता के क्षेत्र में कदम रखा और इसे संयोग ही कहा जाएगा कि उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति का अंत भी मृत्यु पूर्व लिखी गई उनकी एक कविता से ही हुआ। उनका साहित्य सृजन भले ही कविता से शुरू हुआ हो, लेकिन उन्हें प्रतिष्ठा मिली एक गद्य लेखक के रूप में। सन् १९४६ में प्रकाशित घरौंदा उपन्यास के जरिए वे प्रगतिशील कथाकार के रूप में चर्चित हुए। १९६२ में उन्हें कैंसर रोग से पीड़ित बताया गया था। उसी वर्ष १२ सितंबर को उन्होंने मुंबई (तत्कालीन बंबई) में देह त्यागी। उनका विपुल साहित्य उनकी अभूतपूर्व लेखन क्षमता को दर्शाता है। जिसके संदर्भ में कहा जाता रहा है कि जितने समय में कोई पुस्तक पढ़ेगा उतने में वे लिख सकते थे। वस्तुतः उन्हें कृति की रूपरेखा बनाने में समय लगता था, लिखने में नहीं। रांगेय राघव सामान्य जन के ऐसे रचनाकार हैं जो प्रगतिवाद का लेबल चिपकाकर सामान्य जन का दूर बैठे चित्रण नहीं करते, बल्कि उनमें बसकर करते हैं। समाज और इतिहास की यात्रा में वे स्वयं सामान्य जन बन जाते हैं। रागेय राघव ने वादों के चौखटे से बाहर रहकर सही मायने में प्रगितशील रवैया अपनाते हुए अपनी रचनाधर्मिता से समाज संपृक्ति का बोध कराया। समाज के अंतरंग भावों से अपने रिश्तों की पहचान करवाई। सन् १९४२ में वे मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित दिखे थे, मगर उन्हें वादग्रस्तता से चिढ़ थी। उनकी चिंतन प्रक्रिया गत्यात्मक थी। उन्होंने प्रगतिशीस लेखक संघ की सदस्यता ग्रहण करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्हें उसकी शक्ति और सामर्थ्य पर भरोसा नहीं था। साहित्य में वे न किसी वाद से बँधे, न विधा से। उन्होंने अपने ऊपर मढ़े जा रहे मार्क्सवाद, प्रगतिवाद और यथार्थवाद का विरोध किया। उनका कहना सही था कि उन्होंने न तो प्रयोगवाद और प्रगतिवाद का आश्रय लिया और न प्रगतिवाद के चोले में अपने को यांत्रिक बनाया। उन्होंने केवल इतिहास को, जीवन को, मनुष्य की पीड़ा को और मनुष्य की उस चेतना को, जो अंधकार से जूझने की शक्ति रखती है, उसे ही सत्य माना। रांगेय राघव ने जीवन की जटिलतर होती जा रही संरचना में खोए हुए मनुष्य की, मनुष्यत्व की पुनर्रचना का प्रयत्न किया, क्योंकि मनुष्यत्व के छीजने की व्यथा उन्हें बराबर सालती थी। उनकी रचनाएँ समाज को बदलने का दावा नहीं करतीं, लेकिन उनमें बदलाव की आकांक्षा जरूर हैं। इसलिए उनकी रचनाएँ अन्य रचनाकारों की तरह व्यंग्य या प्रहारों में खत्म नहीं होतीं, न ही दार्शनिक टिप्पणियों में समाप्त होती हैं, बल्कि वे मानवीय वस्तु के निर्माण की ओर उद्यत होती हैं और इस मानवीय वस्तु का निर्माण उनके यहाँ परिस्थिति और ऐतिहासिक चेतना के द्वंद से होता है। उन्होंने लोग-मंगल से जुड़कर युगीन सत्य को भेदकर मानवीयता को खोजने का प्रयत्न किया तथा मानवतावाद को अवरोधक बनी हर शक्ति को परास्त करने का भरसक प्रयत्न भी। कुछ प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों के उत्तर रांगेय राघव ने अपनी कृतियों के माध्यम से दिए। इसे हिंदी साहित्य में उनकी मौलिक देन के रूप में माना गया। ये मार्क्सवादी विचारों से प्रेरित उपन्यासकार थे। भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित टेढ़े-मेढ़े रास्ते के उत्तर में सीधा-सादा रास्ता, आनंदमठ के उत्तर में उन्होंने विषादमठ लिखा। प्रेमचंदोत्तर कथाकारों की कतार में अपने रचनात्मक वैशिष्ट्य, सृजन विविधता और विपुलता के कारण वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, बारी बरणा खोल दो, देवकी का बेटा, रत्ना की बात, भारती का सपूत, यशोधरा जीत गयी, घरौंदा, लोई का ताना, लखिमा की आँखें, मेरी भव बाधा हरो, कब तक पुकारूँ,पक्षी और आकाश, चीवर, राई और पर्वत, आख़िरी आवाज़, बन्दूक और बीन। संकलित कहानियाँ : (पंच परमेश्वर, अवसाद का छल, गूंगे, प्रवासी, घिसटता कम्बल, पेड़, नारी का विक्षोभ, काई, समुद्र के फेन, देवदासी, कठपुतले, तबेले का धुंधलका, जाति और पेशा, नई जिंदगी के लिए, ऊंट की करवट, बांबी और मंतर, गदल, कुत्ते की दुम और शैतान : नए टेक्नीक्स, जानवर-देवता, भय, अधूरी मूरत), अंतर्मिलन की कहानियाँ : (दधीचि और पिप्पलाद, दुर्वासा, परशुराम, तनु, सारस्वत, देवल और जैगीषव्य, उपमन्यु, आरुणि (उद्दालक), उत्तंक, वेदव्यास, नचिकेता, मतंग, (एकत, द्वित और त्रित), ऋष्यश्रृंग, अगस्त्य, शुक्र, विश्वामित्र, शुकदेव, वक-दालभ्य, श्वेतकेतु, यवक्रीत, अष्टावक्र, और्व, कठ, दत्तात्रेय, गौतम-गौतमी, मार्कण्डेय, मुनि और शूद्र, धर्मारण्य, सुदर्शन, संन्यासी ब्राह्मण, शम्पाक, जैन तीर्थंकर, पुरुष तथा विश्व का निर्माण, मृत्यु की उत्पत्ति, गरुड़, अग्नि, तार्क्षी-पुत्र, लक्ष्मी, इंद्र, वृत्तासुर, त्रिपुरासुर, राजा की उत्पत्ति, चंद्रमा, पार्वती, शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ, मार्तंड (सूर्य), दक्ष प्रजापति, स्वरोविष, शनैश्चर, सुंद और उपसुंद, नारद और पर्वत, कायव्य, सोम, केसरी, दशाश्वमेधिक तीर्थ, सुधा तीर्थ, अहल्या तीर्थ, जाबालि-गोवर्धन तीर्थ, गरुड़ तीर्थ, श्वेत तीर्थ, शुक्र तीर्थ, इंद्र तीर्थ, पौलस्त्य तीर्थ, अग्नि तीर्थ, ऋणमोचन तीर्थ, पुरुरवस् तीर्थ, वृद्धा-संगम तीर्थ, इलातीर्थ, नागतीर्थ, मातृतीर्थ, शेषतीर्थ), दस प्रतिनिधि कहानियाँ, गदल तथा अन्य कहानियाँ, प्राचीन यूनानी कहानियाँ, प्राचीन ब्राह्मण कहानियाँ, प्राचीन ट्यूटन कहानियाँ, प्राचीन प्रेम और नीति की कहानियाँ, संसार की प्राचीन कहानियाँ। महायात्रा गाथा (अँधेरा रास्ता के दो खंड), महायात्रा गाथा, (रैन और चंदा के दो खंड)। भारतीय भाषाओं में अनूदित कृतियाँ जैसा तुम चाहो, हैमलेट, वेनिस का सौदागर, ऑथेलो, निष्फल प्रेम, परिवर्तन, तिल का ताड़, तूफान, मैकबेथ, जूलियस सीजर, बारहवीं रात। मुरदों का टीला सीधा साधा रास्ता अँधेरे के जुगनू देवकी का बेटा यशोधरा जीत गई लोई का ताना रत्ना की बात भारती का सपूत आँधी की नावें अँधेरे की भूख कब तक पुकारूँ पक्षी और आकाश बौने और घायल फूल लखिमा की आँखें राई और पर्वत बंदूक और बीन राह न रुकी जब आवेगी काली घटा धूनी का धुआँ छोटी सी बात पथ का पाप मेरी भव बाधा हरो धरती मेरा घर आग की प्यास साम्राज्य का वैभव समुद्र के फेन जीवन के दाने अंगारे न बुझे इन्सान पैदा हुआ एक छोड़ एक भारतीय पुनर्जागरण की भूमिका भारतीय संत परंपरा और समाज संगम और संघर्ष प्राचीन भारतीय परंपरा और इतिहास प्रगतिशील साहित्य के मानदंड समीक्षा और आदर्श काव्य यथार्थ और प्रगति काव्य कला और शास्त्र तुलसी का कला शिल्प आधुनिक हिंदी कविता में प्रेम और शृंगार आधुनिक हिंदी कविता में विषय और शैली गोरखनाथ और उनका युग तूफ़ानों के बीच राह के दीपक स्वर्णभूमि की यात्रा हिन्दुस्तान अकादमी पुरस्कार (१९५१), डालमिया पुरस्कार (१९५४), उत्तर प्रदेश सरकार पुरस्कार (१९५७ व १९५९), राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार (१९६१) तथा मरणोपरांत (१९६६) महात्मा गांधी पुरस्कार से सम्मानित। रांगेय राघव की पुस्तकें पुस्तक डॉट ऑर्ग पर तमिल कुल के राघव थे अद्भुत हिंदी लेखक (प्रभासाक्षी) रांगेय राघव: तमिल मूल का था हिंदी का यह 'शेक्सपीयर' हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
कफोलगांव-तलाई-३, चौबटाखाल तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा कफोलगांव-तलाई-३, चौबटाखाल तहसील कफोलगांव-तलाई-३, चौबटाखाल तहसील
बालवीर सब टीवी पर प्रसारीत होने वाला एक भारतीय बाल टेलीविजन धारावाहिक है जिसका प्रसारण ८ अक्टूबर २०१२ को आरम्भ हुआ। इस शो ने ८ जून २०१६ को अपने १००० प्रकरण पूर्ण कर लिए। ४ नवम्बर २०१६ को ११११ प्रकरण पूर्ण होने के बाद कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया था। बालवीर बच्चों को साहसी बनने की शिक्षा देता था। बाल वीर, परियों पे आधारित सुपर हीरो शो है। यह कहानी एक बच्चे की है, जिसे परियों ने पाला और उसे चमत्कारी शक्तियों से परिपूर्ण बनाया जिससे वह बुराइयों से लड़ सके। उसे धरती पर बल्लू नाम से रहने के लिए भेजा जिससे वह धरती पर रह कर धरती को बुरी ताकतों से बचा सके। वह धरती पर जिस घर में रहता है, वहाँ उसे बल्लू के नाम से ही जानते है। इसके मेहर और मानव दोस्त बन जाते हैं। वह बालवीर बन कर लोंगों को बचाता रहता है और बुरी ताकतों को समाप्त करता रहता है। बाल वीर, एक परियों पे आधारित सुपर हीरो शो है।बुरी परियों से लड़ता था। और बच्चों को अच्छे संदेश देता था। देव जोशी बालवीर / बल्लू डगली करिश्मा तन्ना/श्रुति सेठ/सुदीपा सिंह - रानी परी/बहुरूपी परी शमा सिकंदर / श्वेता कवत्रा भयंकर परी अनुष्का सेन - मेहक / बाल सखी रुद्र सोनी - मानव / बाल मित्र परवेश पिंपल - मोंटू लखानी श्रीधर वत्सर - डूबा डूबा एक / तौबा तौबा / बग्गी चाचा शर्मीली राज - बाल परी श्रुति बिष्ट - सलोनी अदिति सजवान - नटखट परी अभय हरपडे - महेश डगली अमिता चोकसी - स्मिता डगली अल्पना बुच - कस्तूरी डगली (दादी) राशुल टण्डन - रॉकी केवल वोरा - केवल समीक्षा सूद - डरी डरी परी मनीषा ठक्कर - भटकाती परी डिंपल कावा - आरपार परी मीनल मोगनम - बिज़धार परी निगार खान - प्रचंडिका दीपशिखा नागपाल - भवंडर परी श्वेता तिवारी - महाभस्म परी सुगन्धा मिश्रा - छल परी आशका गोरडिया - महाविनाशनी चारु असोपा - अटकाती परी पल्लवी भट्टाचार्य - नाराज़ परी समीक्षा सूद - डरी डरी परी टीया गंदवानी - पतंगा परी इन्हें भी देखें भारतीय टेलीविजन धारावाहिक