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इस से मिलते-जुलते नाम के अन्य लेखों के लिए हिजुली देखें हिजुली (हिजुली) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के नदिया ज़िले में स्थित एक नगर है। इन्हें भी देखें पश्चिम बंगाल के शहर नदिया ज़िले के नगर
गैम्बलर १९७१ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण अमरजीत ने किया है और इसमें देव आनन्द और शत्रुघ्न सिन्हा हैं। राजा (देव आनन्द) को बहुत कम उम्र में उसकी माँ द्वारा त्याग दिया गया था। उसे मास्टर (जीवन), आपराधिक डॉन और ताश के पत्ते का जुआरी पालता है। वह चाहता है कि राजा उसके साथ कमीशन के आधार पर काम करना जारी रखे। राजा वह सब सीखता है जो ताश खेलने के बारे में सीखा जा सकता है और मास्टर के साथ काम करना छोड़ देता है, और अपने आपका का काम शुरू करता है। इसमें वह काफी हद तक सफल होता है, और जल्द ही अमीर हो जाता है। उसे सुंदर चन्द्रा गंगारामा से प्यार हो जाता है, और वह उससे शादी करना चाहता है। लेकिन उसके पिता चाहते हैं कि वह यू. के. राम मेहता से शादी करे। इससे पहले कि राजा इस गठबंधन के खिलाफ कुछ कर या कह सके, उस पर मास्टर की हत्या का आरोप लग जाता है। राजा का जीवन अदालत में खुलता है जहां उसे अपने अतीत और अपने माता-पिता के बारे में पता चलता है। देव आनन्द राजा ज़हीदा चन्द्रा गंगारामा किशोर साहू सरकारी वादी वकील शत्रुघ्न सिन्हा बाँके बिहारी सुधीर राम मेहता मनोरमा राम की तबस्सुम चन्द्रा की सहेली मुमताज़ बेग़म सीता देवी इफ़्तेख़ार पुलिस कमिश्नर जगदीश राज इंस्पेक्टर डी के सप्रू गंगाराम १९७१ में बनी हिन्दी फ़िल्म एस॰ डी॰ बर्मन द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
डाउइन प्रीटोरियस (जन्म २९ मार्च १९८९) एक दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर हैं जो वर्तमान में हाईवल्ड लायंस के लिए खेलते हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण अफ्रीका का प्रतिनिधित्व किया है। दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट खिलाड़ी १९८९ में जन्मे लोग
सगूना (न.ज़.आ.), नैनीताल तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा
मायोत (फ़्रान्सीसी: म्योतए; मालागासी: महोरी, माहोरी) हिन्द महासागर के दक्षिणी भाग में अफ़्रीका की मुख्यभूमि के पास स्थित एक छोटा-सा द्वीपों का गुट है। प्रशासनिक दृष्टि से यह फ़्रान्स का हिस्सा है और उस देश की प्रशासन-प्रणाली में "समुद्र-पार विभाग" का दर्जा रखता है। मायोत का ग्रौं तेयर (ग्रैंड-टेरे) नामक एक मुख्य द्वीप है, जिसे माओरे (माओर) भी कहते हैं। इसके साथ पेतित तेयर (पेटीट-टेरे) नाम का एक छोटा द्वीप भी है, जिसे पामानज़ी (पमनजी) नाम से भी बुलाया जाता है। साथ ही कुछ अन्य छोटे टापू भी हैं। मायोत कोमोरो द्वीपसमूह का भाग है और यह पूरा द्वीपसमूह मोज़ाम्बीक के उत्तरी भाग और माडागास्कर द्वीप के बीच में स्थित है। भाषाएँ और लोग मायोत के लोग मातृभाषा के रूप में शिमाओरे (शिमाओर) और किबूशी (किबुशी) भाषाएँ बोलते हैं। शिमाओरे पड़ोस के कोमोरोस में बोली जाने वाली शिकोमोरी भाषा की एक उपभाषा है, जबकि किबूशी पास के माडागास्कर में बोली जाने वाली मालागासी भाषा की एक पश्चिमी उपभाषा है। इनके अलावा कियांतालाओत्सी (कीअंतलाओत्सी) भी बोली जाती है, जो एक अन्य पश्चिमी मालागासी उपभाषा है। औपचारिक रूप से मायोत की राजभाषा फ्रान्सीसी है जिसे द्वीपों के लगभग सभी लोग लिख-पढ़ सकते हैं। मायोत के ९७% लोग इस्लाम के और ३% लोग इसाई धर्म के अनुयायी हैं। अफ़्रीका के देश
जालौर दुर्ग पर विभिन्न कालों में गुर्जर प्रतिहार, परमार, चालुक्य, चौहान, राठौर, इत्यादि राजवंशों ने शासन किया।किले पर परमार कालीन कीर्ती स्तम्भ कला का उत्कृष्ट नमूना है, दुर्ग का निर्माण परमार राजाओं ने १०वीं शताब्दी में करवाया था। कान्हड़देव चौहान के शासनकाल में यहाँ दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने १३११ ई. आक्रमण किया था | जालौर के किले का तोपखाना बहुत आकर्षक है। इसके विषय में कहा जाता है कि यह यदुकुल राजा भोज द्वारा निर्मित संस्कृत पाठशाला थी, जो कालान्तर में दुर्ग के मुस्लिम अधिपतियों द्वारा मस्जिद परिवर्तित कर दी गयी तथा तोपखाना मस्जिद कहलाने लगी। तथा यह एक जल दुर्ग हैं। १९५६ में यह दुर्ग संरक्षित स्मारक की श्रेणी में रखा गया। स्वर्णगिरि दुर्ग : जालोर राजस्थान के ऐतिहासिक ऐतिहासिक दुर्ग जालोर का किला (अंग्रेजी में) राजस्थान में दुर्ग मई २०१३ के लेख जिनमें स्रोत नहीं हैं
फूलवरी १९४६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। नामांकन और पुरस्कार १९४६ में बनी हिन्दी फ़िल्म
प्रीतहिन्दी की एक फिल्मी मासिक पत्रिका है। यह वर्ष १९५९ से जोधपुर से प्रकाशित हो रही है।
शराफुद्दीन अशरफ (जन्म १० जनवरी १९९५) एक अफगान क्रिकेटर है। उन्होंने जुलाई २०१४ में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। १९९५ में जन्मे लोग अफगानिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी
शैक्षिक अनुसंधान (एडउकेशनल रिसर्च) छात्र अध्ययन, शिक्षण विधियों, शिक्षक प्रशिक्षण और कक्षा गतिकी जैसे विभिन्न पहलुओं के मुल्यांकन को सन्दर्भित करने वाली विधियों को कहा जाता है। शैक्षिक अनुसंधान से तात्पर्य उस अनुसंधान से होता है जो शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है। उसका उद्देश्य शिक्षा के विभिन्न पहलुओं, आयामों, प्रक्रियाओं आदि के विषय में नवीन ज्ञान का सृजन, वर्तमान ज्ञान की सत्यता का परीक्षण, उसका विकास एवं भावी योजनाओं की दिशाओं का निर्धारण करना होता है। टैंवर्स ने शिक्षा-अनुसंधान को एक ऐसी क्रिया माना है जिसका उद्देश्य शिक्षा-संबंधी विषयों पर खोज करके ज्ञान का विकास एवं संगठन करना होता है। विशेष रूप से छात्रों के उन व्यवहारों के विषय में ज्ञान एकत्र करना, जिनका विकास किया जाना शिक्षा का धर्म समझा जाता है, शिक्षा-अनुसंधान में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। ट्रैवर्स के अनुसार, शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के विषय में संगठित वैज्ञानिक ज्ञान-पुंज का विकास अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि उसी के आधार पर शिक्षक के लिए यह निर्धारित करना संभव होता है कि छात्रों में वांछनीय व्यवहारों के विकास हेतु किस प्रकार की शिक्षण एवं अधिगम परिस्थितियों का निर्माण करना आवश्यक होगा। अर्थ एवं परिभाषा शिक्षा के अनेक संबंधित क्षेत्र एवं विषय हैं, जैसे, शिक्षा का इतिहास, शिक्षा का समाजशास्त्र, शिक्षा का मनोविज्ञान, शिक्षा-दर्शन, शिक्षण-विधियाँ, शिक्षा-तकनीकी, अध्यापक एवं छात्र, मूल्यांकन, मार्गदर्शन, शिक्षा के आर्थिक आधार, शिक्षा-प्रबंधन, शिक्षा की मूलभूत समस्याएँ आदि। इन सभी क्षेत्रों में बदलते हुए परिवेश एवं परिवर्तित परिस्थितियों के अनुकूल वर्तमान ज्ञान के सत्यापन एवं वैधता-परीक्षण की निरंतर आवश्यकता बनी रहती है। यह कार्य शिक्षा-अनुसंधान के द्वारा ही सम्पन्न होता है। इस प्रकार शिक्षा-अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान एवं पूर्वस्थित ज्ञान का परीक्षण एवं सत्यापन तथा नये ज्ञान का विकास करने की एक विधा, एक प्रक्रिया है। शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में अनेक प्रकार की समस्याएँ समय-समय पर सामने आती हैं। उनके समाधान खोजना भी आवश्यक होता है। यह कार्य भी शिक्षा-अनुसंधान के द्वारा ही संभव होता है। इस दृष्टिकोण से शिक्षा-अनुसंधान शिक्षा की समस्याओं के समाधान प्राप्त करने की एक विशिष्ट प्रक्रिया है। शिक्षा-संबंधी अनेक अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने का माध्यम भी शिक्षा अनुसंधान है। कितने ही विशेषज्ञों ने शिक्षा-अनुसंधान की परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं। भिटनी (१९५४) के अनुसार, शिक्षा-अनुसंधान शिक्षा-क्षेत्र की समस्याओं के समाधान खोजने का प्रयास करता है तथा इस कार्य की पूर्ति हेतु उसमें वैज्ञानिक, दार्शनिक एवं समालोचनात्मक कल्पना-प्रधान चिंतन-विधियों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार वैज्ञानिक अनुसंधान एवं पद्धतियों को शिक्षा-क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए लागू करना शैक्षिक अनुसंधान कहलाता है। कौरनेल का मानना है कि विद्यालय के बालकों, विद्यालयों, सामाजिक ढाँचे तथा सीखने वालों के लक्षणों एवं इनके बीच होने वाली अन्तर्क्रिया के विषय में क्रमबद्ध रूप से सूचनाएँ एकत्र करना शिक्षा-अनुसंधान है। यूनेस्को के एक प्रकाशन के अनुसार, शिक्षा-अनुसंधान से तात्पर्य है उन सब प्रयासों से जो राज्य अथवा व्यक्ति अथवा संस्थाओं द्वारा किए जाते हैं तथा जिनका उद्देश्य शैक्षिक विधियों एवं शैक्षिक कार्यों में सुधार लाना होता है। शिक्षा अनुसन्धान की आवश्यकता शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। उसका मूलभूत उद्देश्य व्यक्ति में ऐसे परिवर्तन लाना होता है, जो सामाजिक विकास एवं व्यक्ति के जीवन को उन्नतशील बनाने के दृष्टिकोण से अनिवार्य होते हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति मुख्य रूप से शिक्षा की प्रक्रिया पर निर्भर करती है। यदि शिक्षा की प्रक्रिया सशक्त एवं प्रभावशाली हो तो व्यक्ति में उसके द्वारा उपरोक्त वांछनीय परिवर्तन लाना सरल एवं संभव होगा अन्यथा नहीं। अतः शिक्षा की प्रमुख समस्या है कि उसकी प्रक्रिया को सुदृढ़ प्रभावशाली एवं सशक्त कैसे बनाया जाए। इस समस्या के समाधान हेतु अनुसंधान आवश्यक है। शैक्षिक अनुसंधान का क्षेत्र शिक्षा के क्षेत्र में किस प्रकार के अनुसंधानों को प्राथमिकता दी जाए, यह प्रश्न भी दो दशकों से बराबर उठाया जा रहा है। समय-समय पर इस संबंध में संस्तुतियाँ भी की जाती रही हैं, परन्तु शोधकर्ताओं ने इसे कभी गम्भीरता से नहीं लिया। इसका एक कारण तो यह रहा है कि प्राथमिकता का आधार क्या हो, इस संबंध में कोई निश्चित मत नहीं बन सका। तृतीय अनुसंधान सर्वेक्षण (१९८७) के अन्तिम अध्याय में डॉ॰ शिव के. मित्रा ने सुझाव दिया है कि उन समस्याओं को अनुसंधान हेतु प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिनकी राष्टींय शिक्षा-नीतियों में उठाई गई समस्याओं के समाधान उपलब्ध कराने हेतु तत्काल आवश्यकता है। इससे पूर्व भी १९७५ में एन.सी.ई.आर.टी. के एक प्रकाशन 'एजुकेशनल रिसर्च एण्ड इन्नोवेशन्स' में निम्नलिखित समस्याओं को शिक्षा-अनुसंधान की प्राथमिकता सूची में रखा गया था- १. समाज के गरीब वर्ग के बालकों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के समाधान खोजना ३. प्रतिभाओं की खोज एवं उनके विकास से संबंधित समस्याएँ ४. चौदह वर्ष तक के बालकों की अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा जिसका भारतीय संविधान की धारा ४5 में प्रावधान है, से संबंधित समस्याओं का अध्ययन ५. अनुसूचित जातियों एवं जन-जातियों के बालकों की शिक्षा से संबंधित समस्याओं का अध्ययन। कुछ अन्य शिक्षा-शास्त्रियों ने भी इस संबंध में विचार व्यक्त किए हैं। उन सबको ध्यान में रखते हुए शिक्षा के निम्नलिखित क्षेत्रों में उपरोक्त के अतिरिक्त प्राथमिकता के आधार पर अनुसंधान की आवश्यकता प्रतीत होती है- १. छोटे बालकों की देखरेख एवं उनकी शिक्षा, २. अनौपचारिक शिक्षा, ३. शिक्षा का व्यावसायीकरण, ४. पाठ्यक्रम संशोधन, ५. जीवन-मूल्यों की शिक्षा, ६. शिक्षा में क्षेत्रीय असन्तुलन, ७. शिक्षा एवं सामाजिक परिवर्तन, ९. शिक्षा में नेतृत्व, १०. शिक्षा-संस्थाओं के कार्यक्रमों एवं उनकी प्रभाविकता का अध्ययन, ११. पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधियाँ, १२. शिक्षा संस्थाओं के वातावरण का अध्ययन, १३. अध्यापक प्रशिक्षण, १४. तुलनात्मक शिक्षा, १५. नैतिक शिक्षा, १६. शैक्षिक अर्थशास्त्र, १७. शिक्षा एवं विधि शास्त्र, १८. शिक्षा एवं राजनीति। उपरोक्त क्षेत्र अति-विस्तृत एवं व्यापक हैं। प्रत्येक क्षेत्र में अनेक समस्याएँ अध्ययन हेतु उपलब्ध हो सकती हैं। इन क्षेत्रों में अध्ययन बहुत कम हुए हैं। इस दृष्टिकोण से ही इनको दर्शाया गया है। इन्हें भी देखें राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (न्सर्ट)
परमेश्वर का शाब्दिक अर्थ 'परम ईश्वर' है। इसके अन्य पर्याय है ईश्वर, भगवान, खुदा, परमात्मा आदि! संसार में जितने भी आस्तिक व्यक्ति हैं उनकी मान्यता है कि संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति का मूल कारण परमेश्वर अर्थात ईश्वर है! ईश्वर की भिन्न-भिन्न मान्यताओं को लेकर विश्व में अनेक धर्म और संप्रदाय हैं! फिर भी ईश्वर को लेकर कुछ बातों में सारे संप्रदाय एकमत है और वो ये है, कि ईश्वर स्रष्टा( संसार का रचयिता), सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अमर और दयालु है! ईश्वर को लेकर बाकी अन्य मान्यताएं, जैसे उसके रूप और अन्य गुण सभी धर्म और संप्रदाय में भिन्न-भिन्न है! जहां एक तरफ नास्तिक व्यक्ति इसे एक कल्पना मात्र मानते हैं तो वही आस्तिक व्यक्ति, ईश्वर पर आस्था और भरोसा रखते हैं! अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण एवं ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए आस्तिक व्यक्ति ईश्वर-भक्ति करते हैं और भिन्न-भिन्न स्थानों की तीर्थ यात्रा करते हैं! शैव सम्प्रदाय, हिंदू धर्म के ४ मुख्य सम्प्रदाय में से एक है। हिंदू धर्म की अन्य मुख्य सम्प्रदाय: वैष्णव सम्प्रदाय, स्मार्त सम्प्रदाय व शाक्त सम्प्रदाय हैं। शैव सम्प्रदाय में भगवान शिव को सर्वोच्च इश्वर माना जाता है। शैव सिद्धांत, शैव सम्प्रदाय के ६ मुख्य विचारधारा विद्यालयों में से एक है। शैव सिद्धांत के अनुसार भगवान शिव की ३ परिपूर्णता या पहलु हैं। यह तीन परिपूर्णता:- परशिव, पराशक्ति एवं परमेश्वर हैं। परमेश्वर व पराशक्ति की परिपूर्णता में भगवान शिव का आकार होता है परन्तु परशिव की परिपूर्णता में भगवान शिव निराकार हैं। परमेश्वर की परिपूर्णता में वह मनुष्य के शरीर जैसा आकार लेते हैं जिसमें उनके हाथ में त्रिशूल, गले में सांप और हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में होता है। परमेश्वर की परिपूर्णता में शिव में यह पाँच रूप या शक्तियाँ होती हैं: महेश्वर, गोपन करने के इश्वर सदाशिव, प्रकट करने के इश्वर परमेश्वर को शैव सिद्धांत में 'मूल आत्मा' भी कहा जाता है क्यों कि इस परिपूर्णता में भगवान शिव अपनी छवि और समानता में आत्माओं की रचना करते हैं और यह समस्त आत्माओं का प्रोटोटाइप है। इन्हें भी देखें
इस लेख में ऐसे सॉफ्टवेयरों की सूची दी गयी है जो कि हिन्दी/इण्डिक यूनिकोड का समर्थन करते हैं। माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़ - विण्डोज २००० एवं बाद के सभी संस्करण - विण्डोज ऍक्सपी, विण्डोज़ २००३, विण्डोज़ विस्ता, विण्डोज़ ७। विण्डोज २०००, ऍक्सपी तथा २००३ में पूर्ण समर्थन हेतु कण्ट्रोल पैनल में इण्डिक समर्थन सक्षम करना होता है जबकि विण्डोज़ विस्ता तथा विण्डोज़ ७ में भारतीय भाषी पूर्ण समर्थन स्वतः सक्षम रहता है। लिनक्स के सभी नये संस्करण। बॉस लिनक्स - हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं हेतु सीडैक द्वारा निर्मित विशेष वितरण। मॅक ओऍस - मॅक ओऍस ९ में इण्डियन लैंग्वेज टूलकिट नामक अलग सॉफ्टवेयर द्वारा, मॅक ओऍस ऍक्स १० से अन्तर्निर्मित। सिम्बियन प्लेटफॉर्म - स६०व३ में हिन्दी प्रदर्शन समर्थन है। आइओऍस - आइफोन ओऍस ३ से आंशिक, आइओऍस ४ से पूर्ण प्रदर्शन समर्थन, आइओऍस ५ में हिन्दी कीबोर्ड आया। ऍण्ड्रॉइड - ऍण्ड्रॉइड में संस्करण ४.० (आइस क्रीम सैंडविच) एवं उससे बाद के संस्करणों में हिन्दी प्रदर्शन एवं हिन्दी कीबोर्ड शामिल है। बेहतर सुविधाओं युक्त स्विफ्टकी जैसे थर्ड पार्टी कीबोर्ड भी उपलब्ध हैं। फोटोशॉप मिडल ईस्टर्न वर्जन में काफी हद तक हिन्दी समर्थन होता था। संस्करण क्स६ से हिन्दी का पूर्ण समर्थन उपलब्ध हो गया। हिन्दी के लिये अडॉबी देवनागरी नामक फॉण्ट भी शामिल है। कोरल ड्रॉ - संस्करण क्स५ में केवल मंगल फॉण्ट में सम्भव, क्स६ से पूर्ण हिन्दी समर्थन। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि यूनिकोड हिन्दी में बनायी गयी किसी पीडीऍफ फाइल से किसी पफ तो वर्ड जैसे सॉफ्टवेयर द्वारा परिवर्तन करने पर वर्ड फाइल में हिन्दी का कचरा हो जाता है। फिलहाल यूनिकोड हिन्दी युक्त पीडीऍफ से हिन्दी टैक्स्ट सही रूप में प्राप्त करने का तरीका उपलब्ध नहीं है। माइक्रोसॉफ्ट पब्लिशर (माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में सम्मिलित पेजलेआउट प्रोग्राम) अडॉबी इनडिजाइन - मिडल ईस्टर्न वर्जन में कुछ हद तक हिन्दी समर्थन था, सामान्य संस्करणों में क्स२ से क्स५ तक के लिये इण्डिकप्लस नामक थर्ड पार्टी प्लगइन के जरिये देवनागरी की सही रैंडरिंग सम्भव थी। संस्करण क्स६ से हिन्दी का पूर्ण समर्थन उपलब्ध हो गया। हिन्दी के लिये अडॉबी देवनागरी नामक फॉण्ट भी शामिल है। ७-जिप - हिन्दी नाम वाली फाइलों तथा फोल्डरों को कम्प्रैस तथा ऍक्स्ट्रैक्ट करने में सक्षम। फायरफॉक्स - संस्करण ३ से पूर्ण समर्थन। इण्टरनेट ऍक्सप्लोरर - संस्करण ५ से आंशिक, संस्करण ७ से पूर्ण समर्थन। ऑपेरा - आंशिक, कुछ स्थानों पर हिन्दी सही नहीं दिखती। ऑपेरा मिनी - बिटमैप फॉण्ट वाले विकल्प का प्रयोग कर बिना हिन्दी समर्थन वाले फोन में भी हिन्दी देखी जा सकती है। ऑपेरा मोबाइल - फोन में आंशिक हिन्दी समर्थन होने पर भी हिन्दी सही दिखाता है। जीमेल - सर्वश्रेष्ठ हिन्दी यूनिकोड समर्थन। हिन्दी आदि भारतीय भाषाओं में मेल लिखने हेतु ट्राँसलिट्रेशन सुविधा इनबिल्ट। याहू मैसेंजर - संस्करण १० से हिन्दी टाइप समर्थन। जावा - जावा यूनिकोड समर्थन प्रदान करने वाली पहली भाषा थी। १९९५ में इसके संस्करण १.० में यूनिकोड १.१ (यूटीऍफ-१६) का समर्थन उपलब्ध हुआ। विजुअल स्टूडियो २००३ एवं बाद के सभी संस्करण - २००५, २००८ तथा २०१० हिन्दवी प्रोग्रामिंग सिस्टम - हिन्दी एवं भाऱतीय भाषाओं में प्रोग्रामिंग हेतु एक मुक्त स्रोत प्रोग्रामिंग सुइट। इन्हें भी देखें फ्रीवेयर की सूची मुफ्त एवं मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयरों की सूची एलन वुड्स यूनीकोड रिसोर्सेस - इण्टरनेट पर यूनिकोड के शुरुआती दिनों में ऍलन वुड द्वारा संकलित यूनिकोड सम्बन्धी संसाधनों की सूची। सॉफ्टवेयर की सूची
फोरेंसिक पहचान एक आवेदन है न्यायालयिक विज्ञान का और प्रौद्योगिकी है ट्रेस सबूत से विशिष्ट वस्तुओं की पहचान करना जो अपराधिक स्थान से प्राप्त हुए है। अपराधिक स्थान पर बिन्न प्रकार के सबूत मिलते है उनको अलग कर के उनका विश्लेषण किया जाता है और पता लगाया जाता है। सबूत किसी से भी जुड़ा हो सकता है जेसे व्यक्ति से, जानवर से, वस्तु से या नेटवर्क से जेसे कंप्यूटर। मानव की पहचान मानव की पहचान उंगलियो के निशान से हो सखती है। एसे कई और भी प्रौद्योगिकी है जो मानव की पहचान करने मैं इस्तमाल हो सखते है: डीएनए जो मिल सकता है खून, लार, बाल, त्वचा और वीर्य से। कान के छाप से दातो के निशान से मिली हुए तस्वीर या विडियो से चेहरा पहचान ना पैरो के निशान से फॉरेंसिक पहचान सबसे पहले परिचय हुए न्यायालय मैं १९८० मै, और पेहला मामला डीएनए का १९८९ मैं हुआ था और उसके बाद ३३६ मामले परिचय हुए न्यायालय मैं और अब तक चल ही रहे है। जानवर की पहचान वन्यजीवन फॉरेंसिक मैं जंगली जानवर की पहचान की जाती है जो मारे जाते है शिकार से या बेचे जाते हैं। जंगली जानवर के शरीर के हिस्सों को बेचा जाता है तो उनकी असली और नकली की पहचान करना जरूरी हो जाता है। जाति के पहचान करने के लिए उनके बालो का विश्लेषण किया जाता है और डीएनए का। जानवर मी जादा कर म्य्तोकोन्द्रिअल (मिटोवोंड्रियल) डीएनए का विश्लेषण किया जाता है क्योंकी नाभिकीय(नूक्लियर) डीएनए नष्ट हो जाता है। भौगोलिक मूल का निर्धारण करना भी जरूरी है की जानवर कहा से है। जेसे किसी राज्य मैं वो जानवर नहीं हो और उसका वहाँ पाना। यह भी पता किया जाता है की उस जगह मैं कितने और कोंसे जानवर है। घरेलू पशु फोरेंसिक कई बार अपराधिक स्थान पर घरेलू पशु के भी कोई सबूत पाए जाता है जसे की बिल्ली या कुत्ते के बाल। फॉरेंसिक विज्ञान मैं घरेलु पशु भी अहम भाग निभाते है, अपराधिक स्थान की जाँच करने मे कुत्तो का इस्तमाल किया जाता है, अकेले कुत्तो ने २० अपराधिक मामलो मैं मदद की है ग्रेट ब्रिटेन और १९९६ के बाद से उस मै। वस्तु की पहचान वस्तु जो अपराधिक स्थान से प्राप्त हुए है उनका विश्लेषण करना भी जरूरी है: कोई दस्तावेज़ प्राप्त हुआ हो आग्नेयास्त्रों का उनकी गोलियों का कोई दवाओं या ड्रग्स का कभी कभी, निर्माताओं और फिल्म वितरकों जानबूझकर सूक्ष्म फोरेंसिक चिह्नों अपने उत्पादों पर उन्हें चोरी के या एक अपराध में संलिप्तता के मामले में पहचान करने के लिए छोड़ सकते हैं।
एटा ज़िला भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। इसका ज़िला मुख्यालय एटा है। एटा ज़िला अलीगढ़ मंडल का एक भाग है। भारतीय राजमार्ग दूरी के आधार पर यह नई दिल्ली से २०६ किमी दूर है।कानपुर से २२१ किमी आगरा से ८५ किमी अलीगढ से ७० किमी मैंनपुरी से ५६ किमी फिरोजाबाद से ७२ किमी इटावा से १०० किमी बरेली से १३० किमी है। यह कानपुर-दिल्ली राजमार्ग पर मध्य बिंदु है ऐतिहासिक रूप से, यह १८५७ के विद्रोह का केंद्र बनने के लिए भी जाना जाता है। प्राचीन काल में, एटा को आंथा कहा जाता था जिसका मतलब है कि यादव समुदाय के लोगों की वजह से आक्रामक रूप से जवाब देना है, जो बहुत आक्रामक हैं। यह तब था जब अगरगढ़ का राजा अपने २ कुत्तों के साथ जंगल में शिकार कर रहा था। कुत्तों ने एक लोमड़ी को देखा और भौंकने शुरू कर दिया और उसका पीछा किया। लोमड़ी अपने आप को राजा के कुत्तों से बचाने की कोशिश कर रहा था लेकिन जब वह एटा पहुंच गई, तो लोमड़ी ने राजा के कुत्तों को बहुत आक्रामक प्रतिक्रिया दी। राजा लोमड़ी में व्यवहार परिवर्तन से हैरान था। इसलिए, उन्होंने सोचा कि इस जगह में कुछ ऐसा होना चाहिए जिसमें भाग लेने वाले लोमड़ी परिवर्तन रवैया बनाया गया था। इसलिए, इस जगह को नामित किया गया था, जिसे बाद में एटा के रूप में गलत माना गया। विद्या भारती की पुस्तक में एक और कहानी है, जो यहां खोए हुए व्यक्ति के कारण एटा का पुराना नाम इंता कहता है। पानी की तलाश में, वह जमीन में खुदाई करता था और उसके जूते ने एक ईंट को मारा जो कि एन्टा नाम की ओर जाता है और बाद में यह शब्द एटा में बदल गया। एटा भी अपने यज्ञशाला के लिए बहुत प्रसिद्ध है जो गुरुकुल विद्यालय में स्थित है। यज्ञशाला को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा यज्ञशाला माना जाता है। एक ऐतिहासिक किला है जो अवगढ़ के राजा द्वारा बनाया गया था। आवगढ़ एक जगह है जो एटा से २४ किमी दूर है। एटा के पास भगवान शिव को समर्पित कैलाश मंदिर नामक एक ऐतिहासिक मंदिर भी है। अमीर खुसरो पटियाली, एटा में पैदा हुए थे और उर्दू के सबसे अच्छे कवियों में से एक माने जाते हैं। यह उत्तर प्रदेश का है,एटा जिला अलीगढ़ डिवीजन का हिस्सा है। बहुसंख्य आबादी यादव और लोधी हैं एनएच ९१ इस जिले से गुजरता है। एटा के निकटतम जिला कासगंज,मैनपुरी,इटावा,फर्रुखाबाद,हाथरस, अलीगढ़ और आगरा से घिरा हुआ है। इससे पहले कासगंज एटा का एक हिस्सा था। कासगंज की स्थापना १५ अप्रैल २००८ को एटा जिले के कासगंज, पटियाली और सहवार तहसील के विभाजन के द्वारा की गई थी। एटा जनपद में ८ ब्लॉक हैं- १- एटा तहसील-शीतलपुर(एटा),सकीट,निधौलीकलां, मारहरा, २-अलीगंज तहसील- अलीगंज,जैथरा, ३-जलेसर तहसील-जलेसर, अवागढ़ एटा जिले में ४ नगर पालिका परिषद हैं-अलीगंज,एटा, जलेसर,मारहरा, एटा जनपद में ५ नगर पंचायत हैं १- अवागढ़,२-निधौलीकलां,३-सकीट,४-जैथरा,५-राजा का रामपुर २०११ की नगणना के अनुसार एटा जिले की कुल जनसंख्या १,76१,१52 है। यह लगभग गाम्बिया नामक देश अथवा अमेरिकी राज्य नेब्रास्का की कुल जनसंख्या के समान है। इस आधार पर इसको भारत में २७२वें जिले का दर्जा प्राप्त है। जिले का जनसंख्या घनत्व है। 200१२०११ के दौरान यहाँ जनसंख्या वृद्धि दर १2.७७ प्रतिशत रही। यहाँ लिंगानुपात ८६३ महिला प्रति १000 पुरुष है और यहाँ साक्षरता दर ८२.२७% है। कैसे पहुंचा जाये एटा सड़क और रेलवे द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग ९१ पर स्थित है। यहाँ तक आप आसानी से पहुँच सकते हैं।उत्तर प्रदेश रोडवेज बस यहाँ से सीधे दिल्ली, आगरा, अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद मैनपुरी, एटावा, कानपुर, लखनऊ के लिए उपलब्ध है एटा जिला यूपी का तीसरा सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय वाला जिला है। यहां बड़े उद्योग नहीं हैं,लेकिन यहाँ कुछ कारखाने हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर लि।बड़े स्तर पर जलेसर में पीतल की ढलाई का काम चल रहा। एटा एक कृषि क्षेत्र है खेती इटा के लोगों का एक मुख्य रोजगार है।एटा की भूमि बहुत उपजाऊ है। गुरुकुल,कैलाश मंदिर,अतरंजी खेड़ा,आवगढ़ किला,पटना पक्षी विहार। यहां अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट पर काम चल रहा है,एटा-मलवां नए रेल मार्ग पर काम चल रहा है,बजट २०१७-२०१८ में रेलवे द्वारा एटा-कासगंज नया ट्रैक स्वीकृत,एटा मेडिकल कॉलेज पर काम चल रहा है,एटा सीवरेज पर काम चल रहा है,एटा-अलीगढ़ बाईपास पर काम चल रहा है,ज्यादातर सभी मुख्य सड़कें निर्माणाधीन हैं,एटा के कुछ सड़कें हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग में जोड़े गए है। जलेसर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग रूप में, एटा-फर्रुखाबाद राजमार्ग। उत्तर प्रदेश के जिले
मरियम यीशु मसीह की माँ का नाम था, जिन्हें कुँवारी माता, ख़ुदावंद की माँ या मुक़द्दस कुँआरी मरियम भी कहलातीं हैं। उनकी कहानी बाईबल के नया नियम में बताई गई है, जिसके अनुसार वो फ़िलिस्तीन के इलाक़े गलील के शहर नासरत में रहनेवाली एक यहूदी औरत थीं। इंजील ब-मुताबिक़ मत्ती, इंजील ब-मुताबिक़ लूक़ा और क़ुरान में बताया गया है कि वे कुँआरी थीं। उनके व्यक्तित्व को ईसाई धर्म तथा इस्लाम में भी पवित्र और आदरणीय माना जाता है। ईसाईयों की मान्यता है कि किसी इंसानी दख़्ल के बिना, मरियम पवित्र आत्मा के क़ुदरत से गर्भवती हुईं थीं, तथा उन्हें ईश्वर ने स्वयं अपने पुत्र के जन्मे जाने के लिए चुना था। इस्लाम, जो पवित्र आत्मा की मान्यता नहीं रखता है, में माना जाता है कि मरियम केवल ईश्वर की अभिलाषा से गर्भवती हुईं थीं। उस समय, मरियम की मंगनी यूसुफ़ से हो चुकी थी। यूसुफ़ के साथ शादी करने के बाद वे बैतलहम चलीं गईं, जहां पर ईसा मसीह पैदा हुआ। ईसाई धर्म में माना जाता है कि पुराने नियम (पुराने अहदनामा) में नबियों ने कुँआरी गर्भ से जन्म होने की भविष्यवाणी भी की है: नये नियम में मरियम की कहानी शुरु होती जब जिब्राइल फ़रिश्ता उनके सामने प्रकट होकर उन्हें ऐलान करता है कि ईश्वर ने उनको आनेवाले मसीह की माँ बनने के लिए चुना है। कलीसियाई परंपराओं और चंद प्राचीन अपोक्रिफ़ा के मुताबिक़, मरियम के माँ-बाप हन्ना और योआकीम नामी दो बुज़ुर्ग लोग थे। ईसाई धर्म में मरियम के प्रति मान्यताएं विभिन्न हैं, जैसे कि मरियम की "बेदाग़ पैदाइश" और "जन्नत में चढ़ाव" विशेषकर, रोमन कैथोलिक मरियम की भक्ति करते हैं और उन्हें "आसमान की मलिका" और "कलीसिया की जननी" की रूप में उनके लिए विशेष श्रद्धा रखते हैं। औस्तन, प्रोटेस्टैन्ट मरियम को इस भूमिका तक नहीं चढ़ाते हैं क्योंकि उनकी नज़रिए में, मरियम की भूमिका बाइबल में ही छोटी है। मरियम को इस्लाम में भी महिलाओं में उच्चतम स्थान हासिल है। कुरान में मरियम का उल्लेख अनेकों बार आता है। बल्कि क़ुरान में मरियम का उल्लेख बाइबल से अधिक बार है। इन्हें भी देखें इस्लाम में ईसा क़ुरान में मरियम मैरी (बाइबल का दृष्टिकोण)
मण्डल - फैजाबाद जिला - अंबेडकर नगर पिन कोड - २२४१७६ बस स्टेशन- राजेसुल्तानपुर
जैन धर्म एवं हिन्दू धर्म में विपरीतखोटी मान्यता/श्रद्धा को मिथ्यात्व अथवा मिथ्यादर्शन कहते हैं।
आस पास १९८१ में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। हेमामालिनी - सीमा प्रेम चोपड़ा - प्रेम नामांकन और पुरस्कार १९८१ में बनी हिन्दी फ़िल्म
मुझे जीने दो (अंग्रेजी: मुझे जीने दो) सन १९६३ में बनी एक मशहूर हिन्दी फिल्म का नाम है जिसका निर्देशन मणि भट्टाचार्य ने किया था। अजन्ता आर्ट के बैनर तले बनी व डकैतों के वास्तविक जीवन पर आधारित बालीवुड की इस फिल्म में सुनील दत्त, वहीदा रहमान, निरूपा रॉय, राजेन्द्र नाथ एवं मुमताज़ ने अभिनय किया था। चम्बल घाटी के डाकू समस्याग्रस्त इलाके भिण्ड एवं मुरैना जिलों के खतरनाक बीहड़ों में मध्य प्रदेश पुलिस के सुरक्षा कवच में फिल्मायी गयी, तथा मोहन स्टूडियो मुम्बई में बनी इस फिल्म में वहीदा रहमान व सुनील दत्त के अभिनय की बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ था। जयदेव के संगीत निर्देशन ने इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का दर्ज़ा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। राजस्थान से सटे मध्य प्रदेश के भिण्ड व मुरैना जिले ब्रिटिश भारत में एक स्वतन्त्र रियासत के अन्तर्गत आते थे। उस रियासत का नाम था ग्वालियर। इस क्षेत्र को तोमरधार भी कहा जाता था। यहाँ के निवासी स्वभाव से उग्र थे और किसी भी राज्य सत्ता की परवाह नहीं करते थे। उन्हें डाकू बन कर दर-दर भटकना पसन्द था किन्तु सरकार को टैक्स देना मंजूर न था। अपनी इस आन, बान और शान के लिये वे जान की बाजी लगाना बेहतर समझते थे। पूरे के पूरे परिवार तबाह हो जाते थे। सुनील दत्त ने इस समस्या का गम्भीर अध्ययन किया और डकैतों के वास्तविक जीवन को लेकर एक महत्वपूर्ण फिल्म बनायी। इस फिल्म में डाकू जरनैलसिंह की मुख्य भूमिका स्वयं सुनील दत्त ने निभायी थी जबकि चमेली जान नामक वेश्या का रोल वहीदा रहमान ने किया था। सुनील दत्त (डाकू जरनैलसिंह की मुख्य भूमिका में) वहीदा रहमान (चमेली जान नामक वेश्या के रोल में) राजेन्द्र नाथ (दारा खान की भूमिका में) मुमताज़ (दारा खान की बहन फरीदा के रोल में) तरुण बोस (पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट की भूमिका में) राजेन्द्र नाथ एवं सुनील दत्त और उनकी पत्नी नरगिस की सांस्कृतिक संस्था अजन्ता आर्ट्स कल्चरल ट्रुप (अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रुप) की पूरी टीम ने मध्य प्रदेश की चम्बल घाटी में जाकर इस फिल्म की शूटिंग की थी। गीत एवं संगीत इस फिल्म का संगीत जयदेव वर्मा ने दिया था जबकि गाने मशहूर उर्दू शायर साहिर लुधियानवी ने लिखे थे। पार्श्व गायिका आशा भोंसले द्वारा गाया गया गीत-"नदी नारे न जाओ श्याम पैंयाँ परूँ" सबसे बेहतरीन सिचुएशन पर फिल्माया गया था। इस फिल्म के अन्य गाने पार्श्व गायकों के नाम के साथ इस प्रकार हैं- अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है (मोहम्मद रफ़ी) तेरे बचपन को जवानी की दुआ देती हूँ (लता मंगेशकर) मोहे न यूँ घूर-घूर के देखो (लता मंगेशकर) रात भी है कुछ भीगी-भीगी (लता मंगेशकर) मोको पीहर में मत छेड़ (आशा भोंसले) माँग में भर ले रंग सखी री सावन के दिन आये (आशा भोंसले) यह पूरी की पूरी फिल्म चम्बल घाटी के डाकू समस्याग्रस्त इलाके भिण्ड एवं मुरैना जिलों के खतरनाक बीहड़ों में मध्य प्रदेश पुलिस के सुरक्षा कवच में फिल्मायी गयी थी। चम्बल घाटी में जाकर फिल्म की शूटिंग करना उन दिनों कोई हँसी मज़ाक नहीं अपितु दुस्साहस का काम था परन्तु अपनी धुन के पक्के सुनील दत्त ने उसे बखूबी अंजाम दिया। इस काम में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें पूरी सहायता प्रदान की थी। इस फिल्म के निर्देशक मणि भट्टाचार्य को इससे पूर्व चूँकि दो बीघा ज़मीन तथा मधुमती जैसी फ़िल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में कार्य करने का अनुभव था अत: उन्होंने डाकू की सामाजिक समस्या को मानवीय दृष्टिकोण से देखने, समझने और फिल्माने की ओर विशेष ध्यान दिया। फिल्म अभिनेता सुनील दत्त इस फिल्म के निर्माता भी थे अत: उन्होंने वास्तविक पृष्ठभूमि में ही इस फिल्म की शूटिंग करने का संकल्प किया। यही नहीं एक डाकू की रोमाण्टिक भूमिका निभाने में भी उन्होंने जबर्दस्त मेहनत की। इन सभी बातों का सकारात्मक परिणाम भी निकला जब यह फिल्म पूरी तरह से हिट हुई और उन्हें इसके लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। नामांकन और पुरस्कार १९६४ - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - सुनील दत्त १९६३ में बनी हिन्दी फ़िल्म
पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक दल। पाकिस्तान के राजनैतिक दल
सांता मारिया गिरजाघर (लुआंको) अस्तूरियास, स्पेन का एक गिरजाघर है। स्पेन के गिरजाघर स्पेन के स्मारक
सर विवियन रिचर्ड्स ट्रॉफी एक क्रिकेट ट्रॉफी है जो दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट श्रृंखला के विजेता को प्रदान की जाती है। जबकि दोनों पक्षों ने पहली बार १९९१/९२ सीज़न में एक टेस्ट सीरीज़ में एक-दूसरे के साथ खेला, एक मैच की सीरीज़ जिसमें वेस्टइंडीज विजेता बनकर उभरा, दोनों पक्षों के बीच श्रृंखला का नाम केवल १९९८/९९ के दक्षिण अफ्रीका के वेस्ट इंडीज दौरे से शुरू हुआ, जो मेजबान टीम द्वारा ५-० से जीती गई पांच मैचों की श्रृंखला थी। तब से ट्राफी को सात बार और लड़ा गया है, और दक्षिण अफ्रीका विजेता बनकर उभरा है और हर बार ट्रॉफी को बरकरार रखा है। टेस्ट सीरीज की सूची
किसी बन्दी व्यक्ति को उसकी सजा की अवधि पूरी होने के पहले ही अस्थाई रूप से रिहा करने को पेरोल (पैरोल) कहते हैं। पेरोल कुछ शर्तों के अधीन दिया जाता है।
ताड़ाश उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह राजशाही विभाग के सिराजगंज ज़िले का एक उपजिला है, जिसमें, ज़िला सदर समेत, कुल ५ उपज़िले हैं, और मुख्यालय सिराजगंज सदर उपज़िला है। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका से पूर्व की दिशा में अवस्थित है। यह मुख्यतः एक ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है। यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। राजशाही विभाग में, जनसांख्यिकीक रूप से, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन ८८.४२% है, जबकि शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है। यह मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है। ताड़ाश उपजिला बांग्लादेश के पूर्वी भाग में, राजशाही विभाग के सिराजगंज जिले में स्थित है। इन्हें भी देखें बांग्लादेश के उपजिले बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल उपज़िला निर्वाहि अधिकारी उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी) जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश श्रेणी:राजशाही विभाग के उपजिले बांग्लादेश के उपजिले
गणित में किसी अनुक्रम के जोड़ को सीरीज कहा जाता है। उदाहरण के लिए, कोई श्रेणी सीमित (लिमिटेड) हो सकती है या अनन्त (इनफाइनाइट)। कुछ महत्वपूर्ण श्रेणियाँ
स्वामी योगानन्द रामकृष्ण परमहंस के संन्यासी शिष्यों में से एक थे। वे रामकृष्ण मिशन के प्रथम सह संघाध्यक्ष थे। रामकृष्ण भक्तमंडली में वे योगेन महाराज के नाम से परिचित हैं।
सैमुअल डेली हेज़लेट (जन्म १२ सितंबर १९९५) एक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर है जो क्वींसलैंड के लिए खेलता है।
नोबेल पुरस्कार भौतिक शास्त्र विजेता १८९७ में जन्मे लोग नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी १९७४ में निधन
जग मन्दिर राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित एक राजमहल है। यह एक द्वीप के किनारे पिछोला झील के किनारे पर बनाया गया है। यह "लेक गार्डन पैलेस" के नाम से भी जाना जाता है। इस निर्माण कार्य [करणसिंह] ने शुरू करवाया था ( और इसका पूर्ण कार्य महाराणा जगतसिंह ने (१६२८-१६५२) में करवाया। इस कारण इस पैलेस का नाम जगत मंदिर या जग मंदिर है। उदयपुर के पर्यटन स्थल
दुर्गापाली, सांरगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है। छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़
चिराली, पिथौरागढ (सदर) तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा चिराली, पिथौरागढ (सदर) तहसील चिराली, पिथौरागढ (सदर) तहसील
यशोमती मैया के नंदलाला कॉन्टिलो एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित एक भारतीय ड्रामा सीरीज़ है। इसमें नेहा सरगम, राहुल शर्मा और हितांशु जिंसी मुख्य भूमिकाओं में हैं और सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर १३ जून २०२२ को प्रीमियर हुआ और सोनी लिव पर डिजिटली स्ट्रीम हुआ। कौन बनेगा करोड़पति १४ के लिए रास्ता बनाने वाली कामना की जगह शो को रात ८:३० बजे टाइम स्लॉट में बदलाव का सामना करना पड़ा। सीरीज श्री कृष्ण के बचपन पर आधारित है। शीर्षक के रूप में, यह कल्पना पर आधारित एक कहानी में मां और पुत्र के बीच स्नेही संबंधों को दर्शाता है । इस धारावाहिक के बंद होने का एकमात्र कारण यही है की इसे डायरेक्टर - प्रोड्यूसर ने अपनी मनगढंत कल्पना के अनुसार बनाया था, ना की श्रीमद्भागवत पुराण को आधार बनाकर । मुर्ख लोगों ने इसे देखना भी शुरू कर दिया, क्यूंकि लोगों ने शास्त्र पढ़ना तो कभी का छोड़ दिया है, इसीलिए जो भी टीवी सीरियल में दिखाया जाता है लोग उसे ही सत्य मान लेते हैं । यशोदा के रूप में नेहा दुबे राहुल शर्मा नंद के रूप में हितांशु जिन्सी भगवान विष्णु के रूप में रोमित राज वासुदेव के रूप में दिनेश मेहता भगवान शिव के रूप में रीमा वोरा देवी योगमाया , पार्वती के रूप में पियाली मुंशी देवी लक्ष्मी के रूप में पूर्ण माशियो के रूप में निमिषा वखारिया उपानंद के रूप में शिवेंद्र ओम सैनीयोल देवकी के रूप में सुमन गुप्ता राम यशवर्धन कंस के रूप में अस्तिक के रूप में प्रीतिका चौहान प्राप्ति के रूप में नेहा तिवारी प्रदीप काबरा असुर के रूप में रोहिणी के रूप में सुकन्या सुर्वे राहुल द्विवेदी (भोला चाचा) शो का पहला टीज़र २० मार्च २०22 को लॉन्च हुआ जिसमें नेहा दुबे यशोदा के रूप में दिखाई दीं। यह सभी देखें सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों की सूची सोनीलिव पर यशोमती मैया का नंदलाला एमएक्स प्लेयर पर यशोमती मैया के नंदलाला सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर यशोमती मैया का नंदलाला सोनी टीवी के कार्यक्रम
एस. अब्दुल रहमान तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कवितासंग्रह आलापनै के लिये उन्हें सन् १९९९ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत तमिल भाषा के साहित्यकार
४० रेखांश पश्चिम (४०र्ड मेरिडन वेस्ट) पृथ्वी की प्रधान मध्याह्न रेखा से पश्चिम में ४० रेखांश पर स्थित उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक चलने वाली रेखांश है। यह काल्पनिक रेखा आर्कटिक महासागर, अटलांटिक महासागर, ग्रीनलैण्ड, दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी महासागर और अंटार्कटिका से गुज़रती है। यह 1४० रेखांश पूर्व से मिलकर एक महावृत्त बनाती है। इन्हें भी देखें ४१ रेखांश पश्चिम ३९ रेखांश पश्चिम १४० रेखांश पूर्व
अभनपुर (अभानपुर) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर ज़िले में स्थित एक नगरपंचायत है। यहाँ राष्ट्रीय राजमार्ग १३०सी का उत्तरी अन्त है। प्रशासनिक दृष्टि से यह एक तहसील का दर्जा रखता है। इन्हें भी देखें छत्तीसगढ़ के नगर रायपुर ज़िले के नगर
पंजाब १९८४ () २०१४ में रिलीज हुयी राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार प्राप्त एवं ऐतिहासिक तथ्य दर्शानेवाली एक पंजाबी फ़िल्म है जिसके निर्देशक अनुराग सिंह है। अभिनेता एवं गायक दिलजीत दोसांझ इस फ़िल्म के अहम किरदार में नज़र आये। यह फ़िल्म पंजाब में १९८४-८६ की बग़ावत के आम जीवन पर असर और ख़ास कर इन हालतों में गुम हो गए नौजवान और उनकी माँओं की कहानी है। यह फ़िल्म २७ जून २०१४ को रिलीज़ हुई। इसमें मुख्य किरदार दिलजीत दोसांझ, किरण खेर, पवन मल्होत्रा और सोनम बाजवा ने अदा किए हैं। दिलजीत दोसांझ बतौर शिवजीत सिंह उर्फ़ शिवा किरण खेर बतौर सतवंत कौर (शिवजीत की माँ) पवन मल्होत्रा बतौर थानेदार दीप सिंह राणा सोनम बाजवा बतौर जीती (शिवजीत की प्रेमिका) राणा रणबीर बतौर जगतार सिंह तारी (शिवजीत का इंक़लाबी साथी) मानव विज बतौर सुखदेव सिंह सरहाली अरुण बाली बतौर दर्शन सिंह पूनपुरी गुरबच्चन चन्न्ती बतौर बच्चन सिंह मान (शिवजीत का बाप)
बिलारी हंडिया, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। इलाहाबाद जिला के गाँव
कठिरवेल नित्यानंद देवानंद (, जाफना में १९५७ में जन्मे) ने श्रीलंका के तमिल नेता और कैबिनेट मंत्री है. मूलतः एक उग्रवादी तमिल, वह हिंसा दिया है और फिलहाल ईलम पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं। और विद्रोही तमिल टाइगर के मुखर आलोचना अपने मजबूत विपक्ष की वजह से संगठन, वे असफल के लिए उस पर हत्या करने की कोशिश की है १० बार और वह हत्या के लिए लक्ष्य की अपनी सूची पर उच्च बनी हुई है। हिन्दू श्रीलंका के
महावाक्योपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है। उपनिषदों के रचनाकाल के सम्बन्ध में विद्वानों का एक मत नहीं है। कुछ उपनिषदों को वेदों की मूल संहिताओं का अंश माना गया है। ये सर्वाधिक प्राचीन हैं। कुछ उपनिषद ब्राह्मण और आरण्यक ग्रन्थों के अंश माने गये हैं। इनका रचनाकाल संहिताओं के बाद का है। उपनिषदों के काल के विषय मे निश्चित मत नही है समान्यत उपनिषदो का काल रचनाकाल ३००० ईसा पूर्व से ५०० ईसा पूर्व माना गया है। उपनिषदों के काल-निर्णय के लिए निम्न मुख्य तथ्यों को आधार माना गया है पुरातत्व एवं भौगोलिक परिस्थितियां पौराणिक अथवा वैदिक ॠषियों के नाम सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राजाओं के समयकाल उपनिषदों में वर्णित खगोलीय विवरण निम्न विद्वानों द्वारा विभिन्न उपनिषदों का रचना काल निम्न क्रम में माना गया है- |+ विभिन्न विद्वानों द्वारा वैदिक या उपनिषद काल के लिये विभिन्न निर्धारित समयावधि उपनिषदों ने आत्मनिरीक्षण का मार्ग बताया पीडीईएफ् प्रारूप, देवनागरी में अनेक उपनिषद डॉ मृदुल कीर्ति द्वारा उपनिषदों का हिन्दी काव्य रूपान्तरण
बुर्जा की ढ़ाणी - यहां मिट्टी से बना एक बुर्ज (स्तूप) है इसी कारण इस गाँव का नाम बुर्जा की ढ़ाणी है। बुर्जा की ढ़ाणी - यह एक ग्राम पंचायत मुख्यालय है। जो नीम का थाना जिले के श्रीमाधोपुर तहसील की अजीतगढ़ पंचायत समिति की एक ग्राम पंचायत है। बुर्जा की ढाणी जिला मुख्यालय नीमकाथाना से दक्षिण दिशा में ३०क्म दूर है। तहसील मुख्यालय श्रीमाधोपुर से पूर्व दिशा में ३५क्म दूर है। पंचायत समिति मुख्यालय अजीतगढ़ से उत्तर दिशा में १३क्म दूर है। पंचायत मुख्यालय पर विज्ञान संकाय संचालित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अवस्थित है। ग्राम पंचायत बुर्जा की ढ़ाणी के परिक्षेत्र में आने वाले राजस्व गांव खिरोटी, मंदरुपपूरा, बुरकड़ा, भूरानपुरा,हरिपुरा हैं। बुर्जा की ढ़ाणी ग्राम पंचायत के नजदीकी दो ग्राम पंचायत हाथीदेह और हरदास का बास हैं। ढाणी क्या है ? उत्तर-पश्चिम भारत में, एक ढाणी सबसे छोटा समूह है इसमें ज्यादातर झोपड़ियां होती है। एक ढाणी में रहने वाले सभी परिवार के सदस्य होते हैं। अधिकांश भारतीय छोटे गाँवो में ही रहते हैं। यह एक कुछ घरो से लेकर सैकड़ो घरो का समूह होता है जिसमे कई घरों का समुदाय, कई जाति, परिवार आदि का संगठक होता है। गांव जो कि कई सारी ढाणी से मिलकर बना होता है। राजस्थान के गाँव
रेगडि खानापुरं (कर्नूलु) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कर्नूलु जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰ , न्सर्ट) विद्यालयी शिक्षा से सम्बन्धित शैक्षणिक मामलों पर केन्द्र और राज्य सरकारों की सहायता और परामर्श देने हेतु भारत सरकार द्वारा स्थापित एक शीर्ष संसाधन संगठन है। पूरे भारत में विद्यालयी प्रणालियों द्वारा अंगीकरण हेतु परिषद् द्वारा प्रकाशित मॉडल पाठ्यपुस्तकों ने वर्षों से विवादों को जन्म दिया है। उन पर भारत सरकार में सत्ता में दल के राजनैतिक विचारों को प्रतिबिम्बित करने का आरोप लगाया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद् (एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰) की स्थापना १९६१ में भारत सरकार द्वारा कई मौजूदा संगठनों को मिलाकर की गई थी। यह सिद्धान्त रूप में एक स्वायत्त निकाय है। हालाँकि, यह सरकार द्वारा वित्त पोषित है और इसके निदेशक की नियुक्ति मानव संसाधन विकास मन्त्रालय (पूर्व में शिक्षा मन्त्रालय) द्वारा की जाती है। व्यवहारिक रूप से, एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰ ने "राज्य-प्रायोजित" शैक्षिक दर्शन को बढ़ावा देने वाले एक अर्ध-आधिकारिक संगठन के रूप में काम किया है। १९६० के दशक के आरम्भ में, राष्ट्रीय एकीकरण और भारत के विभिन्न समुदायों को एकजुट करना सरकार के लिए एक प्रमुख चिन्ता का विषय बन गया। राष्ट्र के भावनात्मक एकीकरण के लिए शिक्षा को एक महत्वपूर्ण वाहन के रूप में देखा गया। शिक्षा मन्त्री एम॰सी॰ चावला इस बात से चिन्तित थे कि इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में मिथकों का पाठ नहीं होना चाहिए बल्कि अतीत की पन्थनिरपेक्ष और तर्कसंगत व्याख्या होनी चाहिये। तारा चंद, नीलकंठ शास्त्री, मोहम्मद हबीब, बिशेश्वर प्रसाद, बी॰पी॰ सक्सेना और पी॰सी॰ गुप्ता की सदस्यता के साथ इतिहास की शिक्षा पर एक समिति की स्थापना की गयी थी, जिसने प्रमुख इतिहासकारों द्वारा लिखित कई इतिहास पाठ्यपुस्तकों को अधिकृत किया था। छठी कक्षा के लिए रोमिला थापर की प्राचीन भारत १९६६ में, १९६७ में कक्षा सातवीं के लिए मध्यकालीन भारत को प्रकाशित किया गया था। १९७० में कई अन्य पुस्तकें , राम शरण शर्मा की प्राचीन भारत, सतीश चंद्र की मध्यकालीन भारत, बिपन चन्द्र की आधुनिक भारत और अर्जुन देव की भारत और विश्व प्रकाशित हुईं थीं। इन पुस्तकों का उद्देश्य "मॉडल" पाठ्यपुस्तकें बनना था, जो "आधुनिक और पन्थनिरपेक्ष", साम्प्रदायिक पूर्वाग्रह और पूर्वाग्रह से मुक्त थीं। हालाँकि, दीपा नायर बताती हैं कि उन्होंने "मार्क्सवादी छाप" भी चलाया। सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर मार्क्सवादी जोर ने संस्कृति और परम्परा की आलोचना की। आध्यात्मिकता का मूल्य कम हो गया था। प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू इतिहास के मार्क्सवादी दृष्टिकोण के प्रति सहानुभूति रखते थे और नागरिक समाज पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण में विश्वास करते थे। इसके विपरीत, हिन्दू राष्ट्रवादी ऐतिहासिकता मार्क्सवादी इतिहासलेखन से असहमत थे और भारतीय इतिहास में हिन्दू सभ्यता और संस्कृति की महिमा के साथ प्राचीन इतिहास आधारित हो। इतिहास के इन विपरीत विचारों ने संघर्ष का दृश्य निर्धारित किया। भारत में वादानुवाद भारत में शिक्षा भारतीय पुस्तकों में विवाद
खतरों के खिलाड़ी १९८८ में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसकी मुख्य भूमिकाओं में धर्मेन्द्र, संजय दत्त और माधुरी दीक्षित हैं। बलवंत (धर्मेन्द्र) एक ईमानदार ट्रक चालक है जो अपने छोटे भाई जसवंत और गर्भवती पत्नी सुमति के साथ रहता है। एक दिन वह जसवंत से उसके लिए ट्रक चलाने के लिए कहता है। जसवंत को पता चलता है कि ट्रक से तस्करी और अवैध सामान का आदान-प्रदान हो रहा है। वह इसे चलाने से इंकार कर देता है। इसके लिए, ट्रक कंपनी मालिक और अन्य उसे पीट देते हैं और अंततः वो मर जाता है। बलवंत अपने भाई के हमलावरों को देखने के लिए सही समय पर आता है और उन्हें पकड़ने की कसम खाता है। हालांकि, वह स्वयं अपने भाई के हत्या के लिए इंस्पेक्टर अमरनाथ (शरत सक्सेना) द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है। बाद में ट्रक कंपनी के मालिकों द्वारा उसका घर जला दिया जाता है और उसकी पत्नी आग में मर जाती है। बलवंत जेल से बच निकलता है और ट्रक कंपनी के मालिकों को जान से मार के अपने भाई की मौत का बदला ले लेता है। बलवंत भ्रष्ट पुलिस, वकीलों और समान रूप से भ्रष्ट न्यायिक व्यवस्था के नियमों से ग्रस्त निर्दोषों का बदला लेना शुरू कर देता है। इस खातिर वो न्यायाधीश और निष्पादक के रूप में खुद को कर्मवीर कहता है और "तीसरी अदालत" चलाता है। उसके सभी आदेश मृत्यु ही होते है। सालों बाद, बलवंत की पत्नी अभी भी जिंदा है लेकिन आघात ने उसे बेजुबान बना दिया है। उसने जुड़वाँ, महेश और राजेश को जन्म दिया था। महेश बचपन में उससे अलग हो गया था। महेश को इंस्पेक्टर राम अवतार द्वारा अपनाया जाता है। राजेश (संजय दत्त) और कविता (माधुरी दीक्षित) प्रेमी है जबकि महेश (चंकी पांडे) सुनीता को रिझाता है। कुछ गलतफहमी के बाद राजेश और महेश ये फैसला करते हैं कि वे किसी भी कीमत पर तीसरी अदालत को सजा दिलाएंगे। धर्मेन्द्र - बलवंत / कर्मवीर संजय दत्त - राजेश चंकी पांडे - महेश अवतार माधुरी दीक्षित - कविता नीलम - सुनीता अंजना मुमताज़ - सुमति शक्ति कपूर - जयचंद शफ़ी ईनामदार - इंस्पेक्टर राम अवतार सदाशिव अमरापुरकर - बलबीर परेश रावल - रणबीर ओम शिवपुरी एसीपी टंडन सत्येन्द्र कपूर - इंस्पेक्टर नारायण रज़ा मुराद - नेता परशुराम गुलशन ग्रोवर - बहादुर सिंह शरत सक्सेना - इंस्पेक्टर अमरनाथ "ज्वाला" १९८८ में बनी हिन्दी फ़िल्म लक्ष्मीकांतप्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
अमृत लुगुन (जन्म २२ नवंबर १९६२, रांची, झारखंड में) ग्रीस में भारत के राजदूत हैं। १९६२ में जन्मे लोग
हॉकी विश्वकप (पुरुष) २०१० हॉकी विश्वकप का १२ वां संस्करण था, जो नई दिल्ली, भारत में २८ फरबरी २०१० से १३ मार्च २०१० के बीच आयोजित किया गया। ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल में जर्मनी को २-१ से हारते हुए इस विश्वकप को जीता। यह ऑस्ट्रेलिया का दूसरा खिताब था, इसके पहले १९८६ में भी ऑस्ट्रेलिया ने विश्वकप खिताब हासिल किया था। तीसरा स्थान नीदरलैंड ने प्राप्त किया। नियमानुसार इस प्रतियोगिता में सम्मलित होने हेतु योग्यता हासिल करना आवश्यक था। भारत को सम्मलित होने की योग्यता पहले से प्राप्त थी क्योंकि हॉकी विश्वकप में मेज़बान देश को स्वतः ही योग्यता प्राप्त हो जाती है। कुल १२ प्रतिभागी टीमों ने भाग लिया। पूल ए - जर्मनी, नीदरलैंड, कोरिया, अर्जेंटीना, न्यूज़ीलैण्ड, कनाडा पूल बी - ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, स्पेन, भारत, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान चार टीमें सेमीफइनल में पहुँची एवं फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने जर्मनी को हरा का विश्वकप २०१० का खिताब जीत लिया। पूल ए एवं पूल बी में टीमों की स्थिति इस प्रकार थी - सेमीफाइनल तक पहुंची सेमीफाइनल तक पहुंची अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ २०१८ हॉकी विश्वकप इंडिया टुडे स्पेशल हॉकी विश्व कप
वलियकोइक्कल मंदिर (वालियाकोइक्कल टेम्पल) भारत के केरल राज्य के पतनमतिट्टा ज़िले के पन्दलम ग्राम में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। यह पन्दलम राजवंश का कुल-मंदिर है और पन्दलम महल परिसर के भीतर स्थित है। यह मंदिर भगवान अय्यप्पा को समर्पित है। वार्षिक मकरविलक्कु त्यौहार में तिरुवाभरणम (अय्यप्पा के पवित्र वस्त्र) यहाँ से परम्परागत रूप से सबरिमलय ले जाए जाते हैं। इस पर्व पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। इन्हें भी देखें पतनमतिट्टा ज़िले में हिन्दू मंदिर भारत में हिन्दू तीर्थस्थल
संस्कृत कॉलेज कोलकाता स्थित एक महाविद्यालय है। यह पश्चिम बंगाल शासन का एक विशिष्ट कला महाविद्यालय है, जिसमें संस्कृत, पालि, भाषाविज्ञान, प्राचीन भारतीय एवं विश्व इतिहास की स्नातक स्तर की शिक्षा दी जाती है। यह कोलकाता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है। इसकी स्थापना १ जनवरी १८२४ को हुई थी और यह भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुरानी शैक्षिक संस्थाओं में से एक है। लॉर्ड एम्हरेस्ट के द्वारा बनाई गई हैं यह शिक्षा प्रतिष्ठान, उत्तरी कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट क्षेत्र में स्थित है। स्थापना १८२४ ई में। १८५११८५८: ईश्वर चन्द विद्यासागर १८६४१८७६: प्रसन्न कुमार सर्वाधिकारी १८७६१८९५: महेश चन्द्र न्यायरत्न भट्टाचार्य्य १८९५१९००: नीलमणि मुखोपाध्याय १९००१९०८: हरप्रसाद शास्त्री १९०८१९१०: कालीप्रसन्न विद्यारत्न १९१०१९२०: सतीश चन्द्र विद्याभूषण १९२०१९२३: आशुतोश शास्त्री २०००-२०००: प्रदीप कुमार मजुमदार २००७२०१२: अनादि कुमार कुन्डु २०१२२०१६: संयुक्ता दास पण्डित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर महामहोपाध्याय पण्डित महेश चन्द्र न्यायरत्न भट्टाचार्य संस्कृत कॉलेज का जालघर कोलकाता के महाविद्यालय
[[चित्र:इसुमित_२००८,_जापान,_फ़्री_बीर_क्रॉप.पंग|अंगूठाकार| इसमिट २००८ में 'फ्री' बियर की बिक्री 'फ्री' के दो अर्थों को दर्शाती है: इसको बनाने का नुस्खा तथा बोतल की चिप्पी खुले तौर पर क्क-बाय-सा के तहत बांटी गयी (यहाँ 'फ्री' का अर्थ मुक्त से है) परन्तु यह मुफ्त नहीं है (जहा 'फ्री का अर्थ होता मुफ्त ) क्योंकि इसको ५०० येन के लिए बेचा गया। ]] अंग्रेजी विशेषण 'फ्री' आमतौर पर दो अर्थों में से एक के लिए प्रयोग किया जाता है: "बिना किसी मौद्रिक लागत पर" (मुफ्त ) और "कम या बिना प्रतिबंध के" (मुक्त )। 'फ्री की यह अस्पष्टता वहाँ समस्याएं पैदा कर सकती है जहां यह भेद महत्वपूर्ण है, जैसा की अक्सर कॉपीराइट और पेटेंट जैसे सूचना के उपयोग से सम्बंधित क़ानूनो में होता है।
वाले कैन्टन (फ़्रान्सीसी: वलायस) या वालिस कैन्टन (जर्मन: वैलिस) स्विट्ज़रलैंड के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक कैन्टन (प्रान्त से मिलता-जुलता प्रशासनिक विभाग) है। यह कैन्टन सन् १८१५ में स्विस परिसंघ का हिस्सा बना था। हालाँकि अधिकतर स्विस कैन्टोनों एकभाषीय होते हैं, वाले कैन्टन में फ़्रान्सीसी और जर्मन भाषाएँ दोनों प्रचलित हैं। इस कैन्टन के दो-तिहाई लोग फ़्रान्सीसी भाषी हैं और अधिकतर कैन्टन के पश्चिमी भाग में बसते हैं, जबकी एक-तिहाई वाल्सर जर्मन नामक जर्मन की एक उपभाषा बोलते हैं और इनका जमावड़ा कैन्टन के पूर्वी भाग में है। इन्हें भी देखें स्विट्ज़रलैंड के कैन्टन स्विट्ज़रलैंड के कैन्टन
जिउद्दीनचक धनरूआ, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है। पटना जिला के गाँव
बतिनपाडु (कृष्णा) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कृष्णा जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
बरई छिबरामऊ, कन्नौज, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। कन्नौज जिला के गाँव
तुर्रेबाज़ खान एक भारतीय क्रांतिकारी है जो १८५७ के भारतीय विद्रोह के दौरान हैदराबाद राज्य में अंग्रेजों के खिलाफ लड कर श्हीद होगये। तुर्रेबाज़ खान का जन्म पूर्व हैदराबाद जिले के बेगम बाजार में हुआ था। सत्तारूढ़ निजाम (ब्रिटिश) के विरोध के बावजूद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। बेगम बाज़ार में उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। तुर्रेबाज़ खान दक्कन के इतिहास में एक वीरतापूर्ण व्यक्ति था, जो अपने साहस और साहस के लिए जाना जाता था। हैदराबाद लोक कथाओं में एक झुकाव है, एक सकारात्मक नाम "तुर्रेम खान" के रूप मे जाना जाता हैअ। वह एक क्रांतिकारी व्यक्ति स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था। उन्होंने ब्रिटिश निवास पर हमला किया, जो अब हैदराबाद में कोटी में महिला कॉलेज रखती है, ताकि वह अपने साथियों को मुक्त कर सके, जिन्हें अंग्रेजों द्वारा निष्पक्ष परीक्षण के बिना धोखाधड़ी के आरोप में हिरासत में लिया गया था। जेल में एक साल बाद, वह भाग गया, और बाद में टेलीगोन में तोप्रान के पास एक जंगल में गिरफ्तार कर लिया गया। कूपन अली बेग, तोप्रान के तालुकदार उनकी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार थे। तुर्रेबाज़ खान को कैद में रखा गया था, फिर गोली मार कर हत्या की गयी थी, और फिर उनके शरीर को और लोगों में विद्रोह को रोकने के लिए शहर के केंद्र में लटका दिया गया था। अंग्रेजों के खिलाफ १८५७ के विद्रोह के संदर्भ में, दिल्ली, मेरठ, लखनऊ, झांसी और मैसूर में गतिविधियां अच्छी तरह से प्रलेखित हैं, लेकिन हैदराबाद में गतिविधियां शायद इस तथ्य के कारण नहीं हैं कि निजाम अंग्रेजों के सहयोगी थे। तुर्रेबाज़ खान के साथ, एक संक्षिप्त अवधि आई जब हैदराबाद विद्रोह में शामिल हो गए। तुर्रेबाज़ खान ब्रिटिश निवास पर हमला करने के लिए ६,००० लोगों को संगठित किया। असंगत 'हैदराबाद के हीरो' की कहानी को बताते हुए - तुर्रेबाज़ खान - और उपेक्षित, लेकिन महत्वपूर्ण, दक्षिणी भारतीय परिप्रेक्ष्य से स्वतंत्रता के पहले युद्ध के हर मिनट विवरण, डॉ। देवदेयरी सुब्रमण्यम रेड्डी, प्रोफेसर और विभाग प्रमुख (सेवानिवृत्त।) तिरुपति में एसवी विश्वविद्यालय में, '१८५७ की विद्रोह' लिखा है: एक आंदोलन जिसने १५ अगस्त, १९४७ को भारत को परिभाषित किया था। एतिहासिक द्रुष्टि में डॉ रेड्डी ने कहा कि "१७ जुलाई १८५७ महत्वपूर्ण दिन है, क्यों कि राज्य के इतिहास में आज एक बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से तुर्रेबाज़ खान ने 'ब्रिटिश आंध्र' और 'निजाम आंध्र' में उपनिवेशवाद के खिलाफ असंतोषजनक लोगों की एक बड़ी सेना का नेतृत्व किया," । उस अवधि के दौरान सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों पर प्रकाश डालने और ब्रिटिशों की दमनकारी नीतियों के दौरान, पुस्तक ने देश के इतिहास में टूरबज़ खान को अपना सही स्थान सुरक्षित किया। "१८५७ का विद्रोह सिर्फ लखनऊ, दिल्ली, इलाहाबाद, कानपुर और मध्य भारत के अन्य हिस्सों से संबंधित नहीं था। दक्षिणी क्षेत्र भी शोषणकारी औपनिवेशिक शासन के खिलाफ हथियारों में उठे, और कुछ इसके बारे में जानते हैं, "मंगलवार को यहां पुस्तक जारी करते हुए चेनुरु अंजनेय रेड्डी, पूर्व पुलिस महानिदेशक, ने कहा। "आंध्र प्रदेश के अनदेखा क्षेत्रीय इतिहास में योगदान, पुस्तक से पता चलता है कि कैसे तेलंगाना, रायलसीमा और तटीय आंध्र ने ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह किया।" और उस में तुर्रेबाज़ खान का योगदान भी एतिहासिक है। हैदराबाद विश्वविद्यालय इतिहास के सेवानिवृत्त होड प्रोफेसर केएसएस सेशन ने बताया कि जब निजाम भारी कर्ज में थे और अंग्रेजों को अपनी सारी शक्तियों को लगातार खो रहा थे, तो शहर के साधारण मुसलमानों के साथ तुर्रेबाज़ खान ने अंग्रेजों पर हमला किया और उनके प्रयास में अंग्रेजों के हथों क्रूरता से मारे गए। उन्होंने कहा, "आम आदमी द्वारा विद्रोह का पता लगाना - कुलीनता या निजाम द्वारा नहीं - पुस्तक महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर हमारे पास ऐसे क्षेत्रीय इतिहास तक पहुंच नहीं है तो हमारी स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं होगा।" हैदराबाद के लोग भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
नौबाइसा गाँव (नौबऐसा गाँव) भारत के असम राज्य के जोरहाट ज़िले में स्थित एक शहर है। इन्हें भी देखें असम के नगर जोरहाट ज़िले के नगर
ड्रेड एक २०१२ की साइंस फिक्शन एक्शन फिल्म है, जो पीट ट्रैविस द्वारा निर्देशित और एलेक्स गारलैंड द्वारा लिखित और निर्मित है। यह २००० ई। कॉमिक स्ट्रिप जज ड्रेड और जॉन एपनेर और कार्लोस एजेंक्रा द्वारा निर्मित इसके नाम का चरित्र पर आधारित है । कार्ल अर्बन जज ड्रेड, एक कानून लागू करनेवाला एक विशाल, में न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद की शक्ति दी के रूप में सितारों डिस्टॉपिक महानगर बुलाया मेगा-सिटी वन है कि एक में निहित है सर्वनाश के बाद की बंजर भूमि। ड्रेड और उनके प्रशिक्षु साथी, जज एंडरसन ( ओलिविया थर्ल्बी ), फ्लैटों के २००-मंजिला ऊंचे ब्लॉक में ऑर्डर लाने और इसके निवासी ड्रग लॉर्ड, मा-मा ( लीना पांडे ) के साथ सौदा करने के लिए मजबूर हैं। गारलैंड ने २००६ में स्क्रिप्ट लिखना शुरू किया, हालांकि १९९५ के फिल्म जज ड्रेड के साथ असंबंधित एक नए जज ड्रेड फिल्म अनुकूलन के विकास की घोषणा दिसंबर २००८ तक नहीं की गई थी। नवंबर २०१० में, ब्रिटिश स्टूडियो डीएनए फिल्म्स द्वारा निर्मित, ड्र्रेड ने ३ डी कैमरों का उपयोग करते हुए, प्रमुख फोटोग्राफी शुरू की। केपटाउन और जोहान्सबर्ग में व्यावहारिक सेट और स्थानों पर फिल्मांकन हुआ। ड्र्रेड को ७ सितंबर २०१२ को यूनाइटेड किंगडम में और २१ सितंबर को दुनिया भर में रिलीज़ किया गया था। आलोचक आम तौर पर फिल्म के दृश्य प्रभावों, कास्टिंग और एक्शन के बारे में सकारात्मक थे, जबकि आलोचना अत्यधिक हिंसा पर केंद्रित थी और साथ ही स्रोत हास्य में पाए जाने वाले व्यंग्य तत्वों की कथित कमी थी। सकारात्मक आलोचनात्मक प्रतिक्रिया के बावजूद, फिल्म ने $ ३०-४५ मिलियन के अनुमानित बजट पर बॉक्स ऑफिस पर $ ४१ मिलियन से अधिक की कमाई की। ड्रेड ने अपनी घरेलू रिलीज़ के बाद अधिक सफलता देखी, और तब से इसे एक पंथ फिल्म के रूप में मान्यता दी गई है। नाटकीय सकल ने एक सीक्वल की संभावना नहीं बनाई, लेकिन घर के मीडिया बिक्री और प्रशंसक प्रयासों को २००० ईस्वी ' प्रकाशक रिबेलियन डेवलपमेंट्स ने समर्थन दिया, दूसरी फिल्म की संभावना को बनाए रखा है। एक हिंसक, भविष्य के शहर में जहां पुलिस को जज, जूरी और जल्लाद के रूप में कार्य करने का अधिकार है, एक प्रशिक्षु के साथ एक पुलिस दल एक गिरोह को गिराने के लिए है जो वास्तविकता-परिवर्तन करने वाली दवा, एसएलओ-मो। ड्रेड के रूप में कार्ल अर्बन: एक प्रसिद्ध और आशंकित न्यायाधीश । निर्माता एलोन रीच ने ड्र्रेड को "एक चरम चरित्र" के रूप में वर्णित किया, और वह न्याय की पूर्व शर्त के साथ न्याय करता है। शहरी ने फिल्म में शामिल होने के बारे में निर्माताओं से संपर्क किया। उन्होंने भूमिका को चुनौतीपूर्ण पाया क्योंकि चरित्र कभी भी अपने हेलमेट को नहीं हटाता, शहरी को अपनी आंखों का उपयोग किए बिना भावनाओं को व्यक्त करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने चरित्र को एक विखंडित समाज में एक निहायत कठिन काम के साथ एक औसत आदमी के रूप में देखा और एक फायरमैन के रूप में ड्र्रेड की वीरता की तुलना की। भूमिका ने शारीरिक तैयारी की भी मांग की; शहरी ने "एक आदमी का जानवर" बनने के लिए गहन शारीरिक प्रशिक्षण लिया। उन्होंने हथियारों और तकनीकी प्रशिक्षण से भी सीखा कि कैसे आग के नीचे काम करना है, अपराधियों और ब्रीच डोर को गिरफ्तार करना है। उन्होंने फिल्म के लिए अपने स्वयं के मोटरसाइकिल स्टंट प्रदर्शन पर जोर दिया। उन्होंने "एक हड्डी को काटने के माध्यम से काटने" के लिए एक खस्ता और कठोर मुखर स्वर के साथ ड्रेड का किरदार निभाया, जिसे निभाना उनके लिए मुश्किल हो गया। कैसंड्रा एंडरसन के रूप में ओलिविया थिरल्बी: शक्तिशाली मानसिक क्षमताओं के साथ एक बदमाश न्यायाधीश और आनुवंशिक उत्परिवर्ती। एंडरसन दूसरों के विचारों और भावनाओं को समझ सकते हैं। थिर्ल्ब्य ड्रेड के "काले और सफेद" परिप्रेक्ष्य के साथ उसके चरित्र विपरीत, एक ग्रे क्षेत्र है जहां सब कुछ बढ़ाया या तथ्य से घिर जाता है में "मौजूदा रूप में एंडरसन का वर्णन [जो] वह जानती क्या एक व्यक्ति की बहुत भीतरी इलाकों में चल रहा है "। उसने हथियार और युद्ध का प्रशिक्षण लिया, जो उसे शारीरिक रूप से कमांडिंग बनाने के लिए एक राउंडहाउस किक का प्रदर्शन करना सीखा । यह किरदार आंशिक रूप से गायक डेबी हैरी से प्रेरित था। लीना हेडे के रूप में मैडलिन "मा-मा" मैड्रिगल: एक पूर्व वेश्या ने ड्रग लॉर्ड और आपराधिक किंगपिन को बदल दिया, जो कि एक नई और नशे की लत वाले स्लो-मो का एकमात्र आपूर्तिकर्ता है। हेडी का प्रदर्शन पंक-रॉक गायक पट्टी स्मिथ से प्रेरित था। रीच ने चरित्र को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णित किया है जो "किसी के बारे में बिल्कुल भी परवाह नहीं करता है कि कोई क्या सोचता है या महसूस करता है और वह ऐसा करेगा, और जैसा वह चाहता है, वैसा ही व्यवहार करेगा"। हेडे ने कहा: "मुझे लगता है कि [मा-मा] एक पुराने महान श्वेत शार्क की तरह है जो बस किसी बड़े और मजबूत व्यक्ति की प्रतीक्षा कर रहा है कि वह उसे दिखाए और मार डाले ... वह इसके लिए तैयार है। वास्तव में, वह इसके होने का इंतजार नहीं कर सकती वह एक नशे की लत है, इसलिए वह उस तरह से मर चुकी है, लेकिन वह आखिरी दस्तक अभी नहीं आई है। " हेडे की कास्टिंग से पहले, चरित्र को एक भारी मेकअप, छोटी और मोटी बूढ़ी महिला के रूप में वर्णित किया गया था। काई के रूप में लकड़ी हैरिस : मा-मा के वंशज। डेस्क्रिबड हैरिस ने चरित्र को एक खलनायक के रूप में वर्णित किया, लेकिन वह जो खुद को न्यायाधीशों से भी बदतर देखता है। हैरिस ने कहा: " ... यदि वे गलत करते हैं तो ड्र्रेड शाब्दिक रूप से लोगों को देखते और मारते हैं ... जो कोई भी सिस्टम के खिलाफ जाता है वह बुरे आदमी को खत्म कर सकता है। इसलिए मुझे लगता है कि के ने अपने दिमाग में लड़ाई को सही ठहराया है। " कलाकारों में यह भी शामिल है: डोमनॉल ग्लीसन गैंग के अनाम कंप्यूटर विशेषज्ञ के रूप में; वार-ग्राइपर मा-मा के दाहिने हाथ वाले कालेब के रूप में; टीजे, पीच ट्रीज़ दवा के रूप में देविया ओपारेई ; जज गुथरी के रूप में फ्रांसिस चौलर, जज वोल्ट के रूप में डैनियल हडबे और चीफ जज के रूप में रैकी अयोला । लैंग्ले किर्कवुड, एडविन पेरी, कार्ल थानिंग, और मिशेल लेविन चित्रण, क्रमशः भ्रष्ट न्यायाधीश लेक्स, अल्वारेज़, चान और कापलान। ड्र्रेड ने जूनियर सिंगो को अमोस और ल्यूक टायलर को फ्रील के रूप में, युवा लड़कों को भी शामिल किया है जो ड्र्रेड का सामना करते हैं; जेसर कोप के रूप में ज़्वनर, ठग उद्घाटन दृश्य के दौरान ड्रेड द्वारा निष्पादित; जो वाज़ बिग जो के रूप में, ठग जो मेड स्टेशन के बाहर टकराव का नेतृत्व करता है; जैपेट के रूप में स्कॉट स्पैरो, एंडरसन का पहला निष्पादन; और निकोल बेली कैथी के रूप में, जेफेट की पत्नी, जिनके अपार्टमेंट में न्यायाधीश शरण लेते हैं। २० दिसंबर २०08 को फिल्म के विकास की घोषणा की गई थी, हालांकि लेखक एलेक्स गारलैंड ने २०06 में स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू कर दिया था। ब्रिटिश स्टूडियो डीएनए फिल्म्स ने फिल्म का निर्माण किया, और दुनिया भर में वितरण अधिकारों को बेचने के लिए बिक्री एजेंसी आईएम ग्लोबल के साथ भागीदारी की। मई २०10 तक, इस साझेदारी ने आईएम ग्लोबल और उसके मालिक रिलायंस बिग पिक्चर्स को $ ४५ मिलियन के उत्पादन बजट के साथ ३-डी प्रोजेक्ट को सह-वित्त करने के लिए सहमत किया, और जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में २०10 के अंत में फिल्मांकन शुरू करने के लिए एक शेड्यूल किया गया। पीट ट्रैविस को फिल्म के निर्देशक के रूप में नामित किया गया था और गारलैंड, एंड्रयू मैकडोनाल्ड और एलेन रीच इसका निर्माण करेंगे। डंकन जोन्स को पहले निर्देशक की भूमिका की पेशकश की गई थी। २०10 के एक साक्षात्कार में, जोन्स ने कहा कि फिल्म के लिए उनकी दृष्टि अपरंपरागत थी - इसे अजीब, अंधेरे और मजाकिया के रूप में वर्णित किया गया था और यह गारलैंड की पटकथा के साथ अच्छी तरह से नहीं था। सितंबर २०10 में, यह बताया गया कि फिल्म का शीर्षक ड्र्रेड होगा । प्री-प्रोडक्शन दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में केप टाउन फिल्म स्टूडियो में २३ अगस्त २०१० को शुरू हुआ। जुलाई में २०१० सैन डिएगो कॉमिक-कॉन इंटरनेशनल के दौरान, शहरी ने पुष्टि की कि उन्हें न्यायाधीश ड्रेड की भूमिका की पेशकश की गई थी, और १८ अगस्त २०१० को, यह बताया गया कि शहरी की आधिकारिक भूमिका थी। सितंबर २०१० में, यह घोषणा की गई कि थिरल्बी ड्र्रेड की टेलीपैथिक रोकी कैसंड्रा एंडरसन की भूमिका निभाएगी। उसी महीने टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दौरान, फिल्म ने दुनिया भर में ९०% नाटकीय बाजारों में वितरकों को पूर्व बिक्री में $ ३० मिलियन आकर्षित किए। बिक्री में ब्रिटिश वितरक एंटरटेनमेंट फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ $ ७ मिलियन का सौदा शामिल था। पर २ नवंबर, २010 लायंस गेट मनोरंजन ड्रेड के लिए उत्तरी अमेरिका के वितरण अधिकार हासिल किया। हेडी ने जनवरी २011 में ड्रग डीलर मा-मा के रूप में कलाकारों को शामिल किया। जज ड्रेड निर्माता जॉन वागनर ने फिल्म पर एक सलाहकार के रूप में काम किया। २01२ में, उन्होंने पुष्टि की कि यह कॉमिक सामग्री का एक नया रूपांतरण था और १९९५ के अनुकूलन जज ड्रेड की रीमेक नहीं थी, जिसमें सिल्वेस्टर स्टेलोन ने अभिनय किया था। अगस्त २०१२ में, वायरल विज्ञापन साइट "ड्र्रेड रिपोर्ट" शुरू की गई थी, जो ड्रूड रिपोर्ट को व्यंग्य करती है। साइट में स्लो-मो के उपयोग की निंदा करते हुए एक वीडियो दिखाया गया था, और फिल्म के बारे में समाचारों के लिंक दिए गए थे। एक टाई-इन कॉमिक बुक प्रकाशित हुई थी; इसका कथानक फिल्म के कथानक के लिए एक पूर्वकथा के रूप में कार्य करता है और मा-मा के जीवन का एक वेश्या के रूप में अनुसरण करता है, जिसे उसके दलाल लेस्टर ग्रिम्स द्वारा नियंत्रित किया जाता है। मा-मा, एरिक के साथ एक संबंध बनाता है - स्लो-मो का निर्माता। लेस्टर एरिक को अपने व्यवसाय में हस्तक्षेप करने के लिए मारता है, मा-मा प्रतिशोध में अपने दांतों के साथ लेस्टर को मारता है और मा-मा स्लो-मो ऑपरेशन को संभालता है। कॉमिक को जज ड्रेड मेगज़ीन के संपादक मैट स्मिथ ने लिखा था, जो २००० ईस्वी कलाकार हेनरी फ्लिंट द्वारा तैयार किया गया था और इसे ५ सितंबर २०१२ को रिलीज़ किया गया था। जोंक द्वारा कलाकृति की एक विशेष फिल्म पोस्टर को मोंडो द्वारा सितंबर २०१२ में २०१२ फैंटास्टिक फेस्ट में फिल्म की उपस्थिति को बढ़ावा देने के लिए जारी किया गया था। ड्र्रेड मार्केटिंग अभियान ने ट्रेलर "बिग एडिक्टेड" के लिए सर्वश्रेष्ठ थ्रिलर टीवी स्पॉट के लिए गोल्डन ट्रेलर अवार्ड जीता, और इसके लिए नामांकन प्राप्त किए: सर्वश्रेष्ठ एक्शन टीवी स्पॉट, मोस्ट ओरिजिनल टीवी स्पॉट, टीवी ग्राफिक्स में सर्वश्रेष्ठ ग्राफिक्स, सर्वश्रेष्ठ संगीत टीवी स्पॉट, और बेस्ट एक्शन पोस्टर और सबसे मूल पोस्टर ड्रेड मोशन पोस्टर के लिए। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि लायंसगेट ने विज्ञापन और प्रिंट लागत में $ २५ मिलियन का योगदान दिया। शहरी ने फिल्म के विपणन अभियान की आलोचना करते हुए कहा कि फिल्म में "शून्य दर्शकों की जागरूकता थी। किसी को नहीं पता था कि फिल्म रिलीज़ हो रही है। ड्र्रेड मार्केटिंग में विफलता का प्रतिनिधित्व करता है, फिल्म निर्माण का नहीं। " ११ जुलाई २०१२ को सैन डिएगो कॉमिक-कॉन इंटरनेशनल में ड्र्रेड का प्रीमियर हुआ। इसे टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में ६ सितंबर, और सितंबर के अंत में फैंटास्टिक फेस्ट में प्रदर्शित किया गया था। यह फिल्म पहली बार नाटकीय रूप से यूके में ७ सितंबर को और २१ सितंबर को दुनिया भर में रिलीज हुई थी। २८ सितंबर को एक दक्षिण अफ्रीकी रिलीज़ हुई। द्रेड को डीवीडी, ब्लू-रे और डिजिटल डाउनलोड पर उत्तरी अमेरिका में ८ जनवरी २०१३ को और यूके में १४ जनवरी को रिलीज़ किया गया था। ब्लू-रे संस्करण में फिल्म के २ डी और ३ डी संस्करण और एक डिजिटल कॉपी शामिल है। डीवीडी और ब्लू-रे संस्करणों में सात विशेषताएं हैं: "मेगा-सिटी मास्टर्स: ३5 साल के जज ड्रेड", "कैओस का दिन: ड्र्रेड के दृश्य प्रभाव ३ डी", "ड्र्रेड", "ड्र्रेड्स गियर", "तीसरा आयाम" "," पीचर्ट्स में आपका स्वागत है ", और अर्बन द्वारा सुनाई गई एक" ड्रेड मोशन कॉमिक प्रीक्वल "। यूके में बिक्री के पहले सप्ताह के दौरान, ड्र्रेड डीवीडी और ब्लू-रे बेचने वाला नंबर १ था। उत्तरी अमेरिका में अपनी रिलीज के सप्ताह के दौरान, यह नंबर १ बिक्री डीवीडी और ब्लू-रे के साथ लगभग ६५०,००० इकाइयाँ थीं, और ब्लू-रे इकाइयाँ उस आंकड़े का लगभग ५०% हिस्सा थीं। यह उस अवधि के लिए सबसे अधिक बिकने वाला डिजिटल डाउनलोड भी था। जून २०१३ में यूनाइटेड किंगडम में बिक्री में उछाल आया, एक कथित अफवाह के बाद कि यह अगली कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए डीएनए फिल्म्स के निर्णय को प्रभावित कर सकता है। सितंबर २०१३ तक, ड्र्रेड को उत्तरी अमेरिका में होम मीडिया बिक्री में लगभग १0 मिलियन डॉलर की कमाई का अनुमान था, जबकि ब्रिटेन में ऑनलाइन रिटेलर अमेज़ॅन के शीर्ष १00 बिकने वाले होम मीडिया में २70 दिनों के लिए चिह्नित किया गया था। जुलाई २0१7 तक, इस बिक्री का आंकड़ा बढ़कर $ २0 मिलियन हो गया था। जुलाई २०१२ में लंदन फिल्म और कॉमिक कॉन में, गारलैंड ने कहा कि ड्रेड के लिए $ ५० मिलियन से अधिक का एक उत्तरी अमेरिकी सकल सीक्वेल संभव होगा और उनके पास फिल्मों की त्रयी के लिए योजना थी। एक दूसरी फिल्म ड्र्रेड और मेगा-सिटी वन की उत्पत्ति पर केंद्रित होगी, और एक तिहाई ड्र्रेड की नीमेस, मरे हुए न्यायाधीश मौत और उसके अंधेरे न्यायाधीशों को पेश करेगी। अगस्त २०१२ में, गारलैंड ने कहा कि एक जज ड्रेड टीवी श्रृंखला के लिए एक सकारात्मक भविष्य का कदम होगा। सितंबर २०१२ में, गारलैंड ने कहा कि वह "ओरिजिंस" और "डेमोक्रेसी" स्टोरीलाइन्स का पता लगाएंगे, जो जज कैल और चॉपर को पेश करेंगे, और इस अवधारणा को आगे बढ़ाएंगे कि जज ड्रेड एक फासीवादी है । उसी महीने, मैकडोनाल्ड ने कहा कि आगे की फिल्में आईएम ग्लोबल के साथ साझेदारी में बनाई जाएंगी और संभवतः दक्षिण अफ्रीका में शूट की जाएंगी। मार्च २०१३ में, कार्यकारी निर्माता आदि शंकर ने कहा कि एक अगली कड़ी की संभावना नहीं थी। मई २०१३ में, अर्बन ने कहा कि एक सीक्वल अभी भी संभव है, यह देखते हुए कि फिल्म को एक दर्शक मिल गया था, और प्रशंसकों की प्रतिक्रिया परियोजना को पुनर्जीवित कर सकती है। फेसबुक पर ड्रेड के प्रशंसकों ने एक अगली कड़ी के लिए एक याचिका शुरू की। जुलाई २०१३ में, २००० ई। ने अपने प्रकाशनों में विज्ञापन छापकर अभियान का समर्थन करते हुए प्रशंसक याचिका का समर्थन किया, और सितंबर २०१३ तक इसने ८०,००० से अधिक हस्ताक्षरों को आकर्षित किया। अप्रैल २०१३ में, २००० ई। ने कॉमिक बुक फॉर्म में फिल्म की निरंतरता को जारी करते हुए एक चित्र जारी किया, जिसमें सितंबर २०१३ की रिलीज़ डेट निर्धारित थी। अध ड्रेड: अंडरबेली शीर्षक वाली कॉमिक को न्यायाधीश ड्रेड मेगज़ीन # ३४० में उपलब्ध कराया गया था जो १८ सितंबर २०१३ को जारी किया गया था। अक्टूबर २०१४ में, शंकर ने डार्क जजों पर आधारित एक अनऑफिशियल स्पिनऑफ़ ऑनलाइन सीरीज़ के निर्माण की घोषणा की, जो उसी महीने बाद में रिलीज़ होगी। एनिमेटेड मिनिसरीज का शीर्षक जज ड्रेड: सुपरफीन्ड था और इसके सभी छह एपिसोड २७ अक्टूबर २०१४ को युतुबे पर जारी किए गए थे। मार्च २०१५ में, गारलैंड ने कहा कि एक सीक्वल सीक्वल संभवतः निकट भविष्य में नहीं होगा, कम से कम मूल फिल्म में शामिल क्रू के साथ नहीं। २०१६ में, अर्बन ने कहा कि स्ट्रीमिंग सेवाओं नेटफ्लिक्स या अमेज़न प्राइम पर एक ड्र्रेड निरंतरता के बारे में "बातचीत हो रही है"। मई २०१६ में एक साक्षात्कार में, अर्बन ने कहा कि जबकि फिल्म की "गलत तरीके से" विपणन रणनीति और "दुर्भाग्यपूर्ण" बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन का मतलब था कि यह "समस्यात्मक" था कि वह अगली कड़ी बनाने की कोशिश करे, "यह सफलता सभी पोस्ट-थियेटिकल में हासिल की है माध्यमों ने निश्चित रूप से अगली कड़ी के पक्ष में तर्क को मजबूत किया है। मई २०१७ में, जज ड्रेड: मेगा-सिटी वन नामक एक टेलीविज़न श्रृंखला को आईएम ग्लोबल टेलीविज़न और विद्रोह द्वारा विकास में घोषित किया गया था। अगस्त २०१७ में, शहरी ने कहा कि वह श्रृंखला में अभिनय करने के लिए चर्चा में था। २०१२ की फ़िल्में
एक अवधि सीमा एक कानूनी प्रतिबंध है जो किसी विशेष निर्वाचित कार्यालय में एक अधिकारी की सेवा की कार्यकाल की संख्या को सीमित करता है। जब राष्ट्रपति और अर्ध-राष्ट्रपति प्रणालियों में कार्यकाल की सीमाएं पाई जाती हैं, तो वे एकाधिकार की संभावना को रोकने की एक विधि के रूप में कार्य करते हैं, जहां एक नेता प्रभावी रूप से "जीवन के लिए राष्ट्रपति" बन जाता है। इसका उद्देश्य एक गणतंत्र को वास्तविक तानाशाही (दे फैक्तो दिक्टटर्शिप) बनने से बचाना है। एक कार्यालयधारक द्वारा सेवा की जाने वाली शर्तों की संख्या पर अवधि सीमा को आजीवन सीमा के रूप में लागू किया जा सकता है,या प्रतिबंधों को उनके द्वारा दी जाने वाली लगातार कार्यकाल की संख्या पर एक सीमा के रूप में लागू किया जा सकता है। अवधि सीमाएं प्राचीन ग्रीस और रोमन गणराज्य के साथ-साथ वेनिस गणराज्य की हैं।प्राचीन एथेनियन लोकतंत्र में, कई कार्यालयधारक एक ही कार्यकाल तक सीमित थे। परिषद के सदस्यों को अधिकतम दो कार्यकाल की अनुमति थी। स्ट्रैटेगोस की स्थिति अनिश्चित अवधि के लिए रखी जा सकती है। रोमन गणराज्य में, सेंसर के कार्यालय पर एक कार्यकाल की सीमा लगाते हुए एक कानून पारित किया गया था। ट्रिब्यून ऑफ प्लेब्स, एडाइल, क्वैस्टर, प्रेटोर और कौंसल सहित वार्षिक मजिस्ट्रेटों को कई वर्षों तक पुन: निर्वाचित होने से मना किया गया था। तानाशाह का पद इस अपवाद के साथ लगभग अप्रतिबंधित था कि यह एक छह महीने की अवधि तक सीमित था। लगातार रोमन नेताओं ने इस प्रतिबंध को तब तक कमजोर किया जब तक कि जूलियस सीजर एक शाश्वत तानाशाह नहीं बन गया और गणतंत्र को समाप्त नहीं कर दिया। मध्यकालीन यूरोप में नोवगोरोड गणराज्य, प्सकोव गणराज्य, जेनोआ गणराज्य और फ्लोरेंस गणराज्य के माध्यम से अवधि सीमा वापस आ गई। पहली आधुनिक संवैधानिक अवधि सीमा १७९५ के संविधान द्वारा फ्रांसीसी प्रथम गणराज्य में स्थापित की गई थी, जिसने फ्रांसीसी निर्देशिका के लिए पांच साल की शर्तें स्थापित कीं और लगातार शर्तों पर प्रतिबंध लगा दिया। १७९९ में नेपोलियन ने जूलियस सीजर की तरह ही टर्म लिमिट की प्रथा को समाप्त कर दिया था। १८४८ के फ्रांसीसी संविधान ने अवधि सीमाओं को फिर से स्थापित किया, लेकिन इसे नेपोलियन के भतीजे, नेपोलियन ई द्वारा समाप्त कर दिया गया। सोवियत संघ के बाद के कई गणराज्यों ने १९९१ में सोवियत संघ के विघटन के बाद पांच साल की अवधि की सीमा के साथ राष्ट्रपति प्रणाली की स्थापना की। रूस के राष्ट्रपति को अधिकतम दो लगातार कार्यकाल की अनुमति है, लेकिन रूस के संविधान में २०२० के संशोधन ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस सीमा से मुक्त कर दिया। बेलारूस के राष्ट्रपति दो कार्यकाल तक सीमित थे, लेकिन २००४ में इस सीमा को समाप्त कर दिया गया था।
कोटी-अस०५, पौडी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा कोटी-अस०५, पौडी तहसील कोटी-अस०५, पौडी तहसील
प्रकाश करात भारतीय वामपंथ की राजनीति के एक महत्वपूर्ण राजनेता हैं। वे २००५ से २०१५ तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), संक्षेप में माकपा, के महासचिव रहे। करात हरिकिशन सिंह सुरजीत के बाद २००५ में पार्टी के महासचिव बने। प्रकाश करात केरल राज्य से संबंधित हैं।
उमर शेख मिर्जा द्वितीय (१४५६-१४९४) फरगना घाटी के शासक थे । वह अबू सईद मिर्जा के चौथे पुत्र थे , जो अब कजाकिस्तान , उजबेकिस्तान , अफगानिस्तान और पूर्वी ईरान में तैमूर साम्राज्य के सम्राट थे। उनकी पहली पत्नी और मुख्य पत्नी कुतलुग निग़ार ख़ानम थीं , जो चगताई खानटे की राजकुमारी और मुगलिस्तान के यूनुस खान की बेटी थीं । उमर शेख की दो अन्य पत्नियां थीं और उनकी पत्नियों से तीन बेटे और पांच बेटियां थीं। उनके सबसे बड़े पुत्र बाबर मिर्जा उनकी पत्नी कुतलुग निगार खानम से थे। इस अन्य दो पत्नियों से उनके पुत्र जहांगीर मिर्जा द्वितीय और नासिर मिर्जा थे । उनके सबसे बड़े बेटे बाबर मिर्जा ने १५२६ में मुगल साम्राज्य की स्थापना की और भारत के पहले मुगल सम्राट थे । उमर शेख की मृत्यु १० जून १४९४ को उत्तरी फरगना के अक्सी किले में एक भयानक दुर्घटना में हुई थी। यह तब हुआ जब वह अपने कबूतर में था , जो इमारत के किनारे पर बना था, ढह गया, इस प्रकार ग्यारह वर्षीय बाबर को शासक बना दिया। फरगना का।
दक्षता (एफिशियन्सी) का सामान्य अर्थ यह है कि किसी कार्य या उद्देश्य को पूरा करने में लगाया गया समय या श्रम या ऊर्जा कितनी अच्छी तरह काम में आती है। 'दक्षता' का विभिन्न क्षेत्रों एवं विषयों में उपयोग किया जाता है और विभिन्न सन्दर्भों में इसके अर्थ में भी काफी भिन्नता पायी जाती है। दक्षता एक मापने योग्य राशि है। ऊर्जा के रूपान्तरण की स्थिति में आउटपुट ऊर्जा और इनपुट उर्जा के अनुपात को दक्षता कहते हैं। कोई ट्रांसफॉर्मर १००० किलोवाट विद्युत ऊर्जा लेकर अपने आउटपुट में जुड़े लोड को ९८० किलोवाट विद्युत ऊर्जा देता है, तो इसकी दक्षता विचार की गुणवत्ताएँ
लीना नायल अल-तरावनेह (अरबी: ) एक जॉर्डन-कतर जलवायु कार्यकर्ता है। लीना अल-तरावनेह की जॉर्डन की राष्ट्रीयता है लेकिन उनका जन्म कतर में हुआ था। वह दोहा में रहती थी और कतर विश्वविद्यालय में "चिकित्सा" का अध्ययन करती थी। २०१५ में, उसने और उसके माता-पिता ने दोहा से लगभग ५० किलोमीटर उत्तर में अल खोर द्वीप (जिसे पर्पल द्वीप भी कहा जाता है) की यात्रा की। वहां उन्होंने पहली बार मैंग्रोव देखे। उसे सुंदर क्षेत्र से प्यार हो गया। उन्होंने पाया कि कतर में बहुत कम लोग इस क्षेत्र को जानते हैं। उन्होंने यह भी देखा कि आसपास काफी कूड़ा पड़ा हुआ था। इसलिए, उन्होंने इसके बारे में कुछ करने का फैसला किया। अक्टूबर २०१६ में, अल-तरावनेह ने आवेदन किया और "हार्वर्ड सोशल इनोवेशन कोलैबोरेटिव ग्लोबल ट्रेलब्लेज़र" नामक एक प्रतियोगिता जीती। इस आयोजन ने दुनिया भर के पांच युवा उद्यमियों को हार्वर्ड विश्वविद्यालय में वार्षिक "इग्निटिंग इनोवेशन समिट ऑन सोशल एंटरप्रेन्योरशिप" में अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर दिया। अपनी बड़ी बहन दीना के साथ, उन्होंने २०१७ में एनजीओ "ग्रीन मैंग्रोव्स" की स्थापना की। २०१७ में फोर्ड मोटर कंपनी से १५,००० डॉलर का अनुदान प्राप्त करने के बाद, उन्होंने एनजीओ में निवेश किया। यह कश्ती की खरीद के माध्यम से था। संघ कूड़े को साफ करने के उद्देश्य से कश्ती यात्राओं का आयोजन करता है।
मुज़फ्फर-उल-मूलक एक राजनीतिज्ञ है पाकिस्तान के राष्ट्रीय विधानसभा में | वह ना-२९ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है पाकिस्तान का उत्तर पश्चिम सीमांत प्रान्त के लिएपाकिस्तान का उत्तर पश्चिम सीमांत प्रान्त के प्रतिनिधियों - पाकिस्तान के राष्ट्रीय विधानसभा | पाकिस्तान के राष्ट्रीय विधानसभा के सदस्य
सदानंदपुर-बैसा कहलगाँव, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। भागलपुर जिला के गाँव
ट्रोजन हॉर्स या काठ का घोड़ा एक कथा है जिसमें ग्रीक सैनिकों ने त्राय नगर में प्रवेश करने के लिये काठ के एक विशाल घोड़े का निर्माण किया (जिसके खोखले पेट में कुछ कुशल सैनिक छिपे थे) और धोखे से ट्राय नगर में प्रवेश किया। वर्जिल द्वारा रचित लातिन महाकाव्य द एनिड और कुइंतुस ऑफ़ स्मिर्ना के अनुसार ट्रोजन हॉर्स ट्रोजन युद्ध की एक कथा है। इस कथा में घटित घटनाए काँस्य युग से ली गयी है और यह होमर की ओडीसी के पूर्व और ईलिअड के पश्चात लिखी गयी थी। यह यूनानियों की चाल के द्वारा ही संभव हो पाया की वे अंततः ट्रॉय शहर में प्रवेश कर संघर्ष का अंत कर पाये. एक प्रसिद्ध विवरण के अनुसार, १० वर्ष की व्यर्थ घेराबंदी के पश्चात यूनानियों ने एक विशाल लकड़ी के घोड़े का निर्माण किया और उसके अंदर ३० सिपाहीओं की विशिष्ट टुकड़ी को छुपा दिया। यूनानियों ने वहां से निकल जाने का नाटक किया और ट्रोजन्स घोड़े को अपनी जीत का इनाम मानकर शहर में खींच कर ले गए। उसी रात यूनानी सेना की टुकड़ी घोड़े से बाहर निकल आयी और बाकि यूनानी सेना के लिए द्वार खोल दिये, जो अंधेरे की चादर में वापस आ गयी थी। यूनानी सेना ने ट्रॉय शहर में प्रवेश कर उसको नष्ट कर दिया और युद्ध को जीत कर उसका अंत कर दिया। यूनानी परंपरा के अनुसार, होमेरिक इओनिक भाषा में घोड़े को काठ का घोड़ा ( , डॉरियोस हिप्पोस) तथा "गिफ्ट हॉर्स" कहा जाता है। लाक्षणिक रूप से कोई भी ऐसी चाल "ट्रोजन हॉर्स" कही जाने लगी जिससे दुश्मन को किसी सुरक्षित स्थान पर आमंत्रित कर उसे लक्ष्य बनाया जा सके। इन दिनों इसे प्रायः "वायरस युक्त" कंप्यूटर कार्यक्रमों से भी जोड़ा जाता है और उपभोक्ताओं को उपयोगी अथवा हानिरहित बताकर स्थापित करने और चलाने के लिए प्रेरित किया जाता है। कुइंतुस स्मिर्नेअस के अनुसार, लकड़ी के एक विशाल घोड़े (वह घोड़ा जो ट्रॉय का प्रतीक था) के निर्माण, उसके अंदर एक विशिष्ट सेना की टुकड़ी को छिपाने और ट्रोजन्स को मूर्ख बना कर घोड़े को अपनी जीत का प्रतीक मानकर पहियों पर लुढ़काकर शहर के भीतर ले जाने का विचार, ओडीसियस की कल्पना थी। इपिओस के नेतृत्व में, यूनानियों ने तीन दिन में लकड़ी के घोड़े का निर्माण किया। ओडीसियस की योजना के अनुसार एक आदमी को घोड़े के बाहर रहना था; जिसे यूनानियों द्वारा घोड़े को ट्रोजन्स के लिये उपहार के रूप में और उसे पीछे छोड़ दिये जाने का नाटक करना था। केवल एक यूनानी सिपाही सिनोन ने ही इस भूमिका के लिए स्वयंसेवक बनना स्वीकार किया। विर्जिल ने सिनोन और ट्रोजन्स के बीच हुई वास्तविक मुठभेड़ का वर्णन किया है: सिनोन ने सफलतापूर्वक ट्रोजन्स को इस बात के लिए मना लिया की यूनानी उसे पीछे छोड़ कर जा चुके हैं। सिनोन ट्रोजन्स को बताता है कि वह घोड़ा यूनानियों द्वारा देवी एथेना को उनके ट्रॉय के मंदिर को अपवित्र करने के पाप की क्षतिपूर्ती करने के लिए और उनकी घर के लिए सुरक्षित यात्रा को सुनिश्चित करने के लिए एक भेंट है। घोड़े का आकार इतना विशाल बनाने का कारण ट्रोजन्स को उसे अपने शहर में ले जाने से रोकना तथा स्वयं के लिए एथेना की कृपादृष्टी का संग्रह करना था। सिनोन से पूछताछ के समय, ट्रोजन पुजारी लओकून को साजिश का अनुमान हो जाता है और वे ट्रोजन्स को चेतावनी देते हैं, विर्जिल द्वारा लिखी गयी ये पंक्तियाँ प्रसिद्ध हैं "टिमियो डेनोस एट दोना फेरेंट्स" (मुझे उपहार देने वाले यूनानियों से भी डर लगता है). इससे पहले कि किसी ट्रोजन को उसकी चेतावनी पर यकीन आता, भगवान पोसीदों ने दो समुद्री नागों को उसका और उसके पुत्रों अन्तिफन्तेस और थिम्ब्रेय्स का गला घोटने के लिये भेज दिया। ट्रॉय की भविष्यवक्ता तथा राजा प्रियम की बेटी कसांडरा ने भी कहा कि वह घोड़ा शहर तथा शाही परिवार का पतन कर देगा। उसकी भी उपेक्षा की गयी जिसके कारण उनका विनाश और वे युद्ध हार गए। इस घटना का ओडिसी में उल्लेख किया गया है: वह भी क्या चीज़ थी, जहां वे शक्तिशाली आदमी और हम आर्गाइव्स के मुखिया, उस गुफा जैसे घोड़े में ट्रोजन्स की मौत और दुर्भाग्य बने बैठे थे। लेकिन अब आओ, इस विषय को बदलें और उस लकड़ी के घोड़े, जिसका इपिअस ने एथेना की मदद से निर्माण किया, वह घोड़ा जिसे एक बार ओडीसियस छल के साथ उन सिपहिओं से भरकर ले गया जिन्होंने ईलिओन को लूट लिया, के निर्माण की प्रसंशा करें. ८.4८7 फ (ट्रांस. सेमुएल बटलर) सबसे विस्तृत और सबसे ज्यादा जाना माना संस्करण विर्जिल द्वारा रचित एनिड, पुस्तक २ में उपलब्ध है (अनुवादक जॉन ड्राइडन). पुस्तक ई में लाओकून का कथन "इको ने क्रेडिट, त्यूक्री शामिल है।क्विडक्विड ईद एस्ट, टिमियो दानाओस एट फेरेंट्स. " ("ट्रोजन्स! घोड़े पर विश्वास मत करो. चाहें जो भी हो, मुझे यूनानियों द्वारा लाये उपहारों से भी डर लगता है।") आधुनिक कहावत,"यूनानियों द्वारा लाये उपहारों से भी सावधान रहना चाहिये" की उत्त्पत्ती यहीं से हुई। घोड़े में सिपाही तीस सैनिक ट्रोजन हॉर्स के पेट में और दो जासूस उसके मुंह में छिप गये। अन्य स्रोतों ने अलग अलग संख्या दी हैं; अपोलौदोरस ५०; ज़ेत्ज़ेस २३; और कुइंतुस स्मिरनेस ने तीस नाम दिये हैं परन्तु यह भी कहा है कि वहाँ अधिक सिपाही थे। बाद में यह संख्या ४० पर मानकीकृत कर दी गयी। उनके नाम इस प्रकार हैं: एगमेम्नन (मिसिनी का राजा) एजक्स दा लेसर सिनोन (घोड़े के निकट छिपा हुआ) होमर के अनुसार, ट्रॉय पानी की एक नहर, हेल्लेस्पोंट, जो एशिया मिनोर और यूरोप को अलग करती है, के ऊपरी किनारे पर स्थित है। १८७० के दशक में, हेनरिक शलीमान ने इसकी खोज की। होमर द्वारा दिये गये विवरण के अनुसार उसने तुर्की में हिसार्लिक में खुदाई शुरू की और एक के ऊपर एक निर्मित कई शहरों के खंडहरों को ढूंढ़ निकाला. अनेक शहर हिंसात्मक ढंग से नष्ट कर दिये गये थे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि होमर का ट्रॉय कौन सा था। पुसैनियन, जो दो सौ साल ईसा पश्चात रहते थे, ने अपनी पुस्तक यूनान का विवरण में लिखा है "इपीअस का कार्य एक युक्ति द्वारा ट्रोजन की दीवार में एक दरार बनाने का था, यह उन सभी को ज्ञात है जो फ्रिजिआन्स की निरी मूर्खता को कारण नहीं मानते" यहाँ पर फ्रिजिआन्स का मतलब ट्रोजन्स से है। आधुनिक कल्पना के अनुसार ट्रोजन हॉर्स, कुछ हद तक घोड़े जैसा दिखने वाला एक दीवार तोड़ने वाला तख्ता होगा और उसके उपयोग का विवरण पौराणिक कथा के अनुसार उन मौखिक इतिहासकारों द्वारा बदल दिया गया जो युद्ध में मौजूद नहीं थे और उसके नाम के मतलब से अनजान थे। उस समय असीरियन लोग घेराबंदी वाले संगठनों के लिये जानवरों के नाम इस्तेमाल करते थे; तो यह संभव है कि ट्रोजन हॉर्स भी ऐसा ही कुछ हो। यह भी माना जाता है कि वास्तव में ट्रोजन हॉर्स किसी भूकंप का एक रूप हो जो लड़ाइयों के बीच आया हो, जिसने ट्रॉय की दीवारों को कमज़ोर कर उन्हें आक्रमण के लिये खुला छोड़ दिया हो; देवता पोसीदों ने समुद्र, घोड़ों और भूकम्पों के ईश्वर के रूप मैं त्रिपक्षीय कार्य किया। ट्रॉय छठे पर संरचनात्मक क्षति - उसका ठिकाना वहीँ है जो होमर के ईलिअड में दिखलाया गया है और पाई गयी कलाकृतियों भी यह संकेत करती हैं कि वह एक असाधारण व्यापार और शक्ति कि जगह थी - संकेत करती है कि वहां वास्तव में कोई भूकंप आया होगा। आम तौर पर ट्रॉय विया को होमर का ट्रॉय (नीचे देखें) माना जाता है। ट्रोजन हॉर्स हेक्टर की ट्रोजन अश्वारोही सेना की ओर भी एक संकेत हो सकता है। हो सकता है कि दुश्मन ने खुद को इस अश्वारोही सेना टुकड़ी के रूप में छिपाया हो और उसकी आढ़ में बिना किसी पूछताछ के ट्रॉय में ले जाये गये हों. ट्रोजन हॉर्स की इस व्याख्या का ट्रॉय के नाटक्त्रय के तीसरे भाग में लेखक डेविड जेमेल द्वारा प्रयोग किया गया है। यहाँ पर ट्रोजन हार्स का केवल एक ही जीवित शास्त्रीय चित्रण है, एक नक्काशी, जो मईकोनोस बर्तन के (ऊपर) है। यह आठवी शताब्दी ईसा पूर्व पुराना है, युद्ध के अनुमानित समय से लगभग ५०० वर्ष पश्चात लेकिन परम्परागत तौर पर होमर द्वारा लिखित विवरण से पूर्व का है। इन्हें भी देखें ट्रॉय (२००४ की फिल्म) मोंटी पायथन एंड द होली ग्रेल में द ट्रोजन रैबिट अमेरिकी सेना की मनोवैज्ञानिक संचालन इकाइयों के प्रतीक चिन्ह में ट्रोजन हॉर्स छपा हुआ है। ट्राय: फाल ऑफ किंग्स'', डेविड जेमेल द्वारा ट्रॉय नाटक्त्रय में अंतिम पुस्तक प्राचीन यूनानी तकनीक
जमीला आलिया बर्टन-जमील (जन्म २५ फरवरी १९८६) एक ब्रिटिश अभिनेत्री, मॉडल, प्रस्तुतकर्ता और कार्यकर्ता हैं। जमील ने २००९ से २०१२ तक टी ४ पर प्रस्तोता बनने से पहले एक अंग्रेजी शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। जमील द आधिकारिक चार्ट के रेडियो होस्ट बन गए, और बीबीसी रेडियो १ पर स्कॉट मिल्स के साथ आधिकारिक चार्ट अपडेट के सह-मेजबान थे। जमील बीबीसी रेडियो १ चार्ट शो की पहली एकल महिला प्रस्तुतकर्ता थीं। २०१६ में एक स्तन कैंसर के डर के बाद, जमील एक पटकथा लेखक बनने के लिए अमेरिका चले गई। जब भी जमील ने माइकल शूर के लिए ऑडिशन दिया और अमेरिकी टेलीविजन श्रृंखला द गुड प्लेस में तानी अल-जमील के रूप में काम किया। इस शो को गोल्डन ग्लोब के लिए नामांकित किया गया है और इसे व्यावसायिक सफलता मिली है। १९८६ में जन्मे लोग
पुरी एक्स्प्रेस ८४७४ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन जोधपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:जू) से १२:४५प्म बजे छूटती है और पुरी रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:पूरी) पर १२:१०प्म बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है ४७ घंटे २५ मिनट। मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
बैद्यनाथधाम एक्स्प्रेस ८४४९ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन पुरी रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:पूरी) से ०२:१०प्म बजे छूटती है और पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:पन्बे) पर १०:००आम बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है १९ घंटे ५० मिनट। मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
कानपुर भारत में उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक मंडल है। इसमें औरैया, फार्रूखाबाद, एतवाहकन्नौज, कानपुर देहात और कानपुर नगर जिले आते हैं। उत्तर प्रदेश के मण्डल
अल-बैदा प्रान्त (अरबी: , अंग्रेज़ी: अल बायदा') यमन का एक प्रान्त है। इन्हें भी देखें यमन के प्रान्त यमन के प्रान्त
अर्दबील प्रान्त (फ़ारसी: , ओस्तान-ए-अल्बोर्ज़; उच्चारण: अर+दबील; अंग्रेज़ी: अर्दाबिल प्रोविंस) ईरान के ३१ प्रान्तों में से एक है जो उस देश के पश्चिमोत्तरी भाग में स्थित है। इसकी राजधानी अर्दबील () नाम का शहर ही है। यहाँ बहुत से अज़ेरी लोग रहते हैं और इसे 'ईरानी अज़रबेजान' का हिस्सा माना जाता है। अर्दबील प्रान्त में ९ शहरिस्तान (यानि ज़िले) हैं - अर्दबील, बीलासवार, गेरमी, ख़लख़ल, कौसर, मेशगीनशहर, नमीन, नीर और पारसाबाद। प्रान्त में सबलान पर्वत () विस्तृत हैं जिनसे यहाँ काफ़ी सर्दी रहती है। बहुत से सैलानी यहाँ गर्मियों में ठन्डे मौसम का आनंद लेने आते हैं, जबकि सर्दियों में यह इलाक़ा बर्फ़ग्रस्त होता है और यहाँ कुछ ढलानों पर स्की का बंदोबस्त भी है। बहुत से लोग इसे ईरान का सबसे सर्द प्रांत मानते हैं और सर्दियों में यहाँ तापमान -२५ सेंटीग्रेड तक गिर जाता है। यहाँ बहुत सी झीलें, नदी-झरने और गर्म चश्में बिखरे हुए हैं। अर्दबील प्रान्त की अधिकतर आबादी अज़ेरी, तालिश और तात समुदाय की है। कहा जाता है कि पारसी धर्म के संस्थापक ज़रथुष्ट्र अरस नदी के किनारे पैदा हुए थे और उन्होंने अपने ग्रन्थ की रचना सबलान पहाड़ों में ही की। जब ईरान पर मुस्लिम क़ब्ज़ा हुआ तब अर्दबील अज़रबेजान क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर था और उसका यह स्थान मंगोल आक्रमणों तक बना रहा। प्रसिद्ध सूफ़ी संत शेख़ सफ़ीउद्दीन का मक़बरा भी अर्दबील प्रान्त में स्थित है।भारत के प्रांत उ.प्र.के आज़मगढ़ के भैरोपुर दरगाह में सूफी संत शाह नजीबुद्दीन की दरगाह है। शाह नजीबुद्दीन अर्दली से आये थे। प्रांत के कुछ नज़ारे इन्हें भी देखें ईरान के प्रान्त ईरान के प्रांत
मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़ एक भारतीय राजनेता है, जो इंदौर की महापौर के रूप में सेवा कर चुकी है। वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं। वह फरवरी २०१५ में महापौर बनीं। नतीजतन, वह उमाशशी शर्मा के बाद ऐसा करने वाली केवल दूसरी महिला बनीं। वह वर्ष २००३ से ही इंदौर क्षेत्र क्र. ४ से विधायक हैं। मालिनी गौड़ के नेतृत्व में इंदौर लगातार ४ बार स्वच्छता में शीर्ष पर रहा। इन्हीं के कार्यकाल में इंदौर शहर ने स्वच्छता सुंदरता में ४(चार) बार पूरे देश मे नंबर १ आकर हैट्रिक बरकरार रखी । स्वच्छ इंदौर स्वस्थ इंदौर १९६१ में जन्मे लोग भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिज्ञ इंदौर के महापौर
शियान वाई-७ (ज़ियन य-७) चीन में निर्मित एक परिवहन विमान है। यह सोवियत-डिजाइन एंटोनोव एन-२४ श्रृंखला पर आधारित है। विशेष विवरण (वाई७-१००) इन्हें भी देखें चीन के विमान
कैनेडियाई राजतंत्र, कैनडा की संवैधानिक राजतंत्र है। कैनेडा के एकाधिदारुक को कैनेडा और यूनाइटेड किंगडम समेत कुल १५ प्रजाभूमियों, का सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, वर्ष २०२२ से किंग चार्ल्स हैं, रानी एलिजाबेथ का हाल ही में निधन हो गया, अन्य राष्ट्रमण्डल देशों के सामान ही कैनेडा की राजनीतिक व्यवस्था वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है, जिसमें राष्ट्रप्रमुख का पद नाममात्र होता है, और वास्तविक प्रशासनिक शक्तियां शासनप्रमुख पर निहित होते हैं। कैनेडा सैद्धांतिक रूप से एक राजतंत्र है, और कैनेडा के शासक के पदाधिकारी इसके राष्ट्रप्रमुख होते हैं, हालाँकि शासक की सारी संवैधानिक शक्तियों का अभ्यास, उनके प्रतिनिधि के रूप में क्राउन करते हैं। अधिराट् यदी स्त्री हो तो उन्हें " कैनेडा की रानी" के नाम हे संबोधित किया जाता है, और एक पुरुष अधिराट् को " कैनेडा के राजा के नाम से संबोधित किया जाता है। वर्तमान में राजा है । कैनेडा में राजतंत्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, ब्रिटिश औपनिवेशिकता में है, जब १८वीं सदी में ब्रिटेन ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया और विश्व के विभिन्न कोनों में अपने उपनिवेश स्थापित किया। धीरे-धीरे इन उपनिवेशों को अपनी प्रशासन पर संप्रभुता प्रदान कर दी गई, और वेस्टमिंस्टर की संविधि, १९३१ द्वारा इन सारे राज्यों को राष्ट्रमण्डल के अंदर, पूर्णतः समान पद दे दिया गया था। जो पूर्व उपनिवेश, ब्रिटिश शासक को आज भी अपना शासक मानते है, उन देशों को राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि या राष्ट्रमण्डल प्रदेश कहा जाता है। इन अनेक राष्ट्रों के चिन्हात्मक समानांतर प्रमुख होने के नाते, ब्रिटिश एकराट् स्वयं को राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के ख़िताब से भी नवाज़ते हैं। हालांकि शासक को आम तौरपर ब्रिटिश शासक के नाम से ही संबोधित किया जाता है, परंतु सैद्धान्तिक तौर पर सारे राष्ट्रों का संप्रभु पर सामान अधिकार है, तथा राष्ट्रमण्डल के तमाम देश एक-दुसरे से पूर्णतः स्वतंत्र और स्वायत्त हैं। संप्रभु के परिवार के सबसे करीबी सदस्यों के समूह को कहाजाता है। हालाँकि, ऐसा कोई दृढ़ नियम या विधान नहीं है, जो यह सुनियोजित करता हो की किन व्यक्तियों को इस विशेष समूह में रखा जाए, नाही कोई ऐसा विधान है जो राजपरिवार को विस्तृत रूप से परिभाषित करता हो। आम तौर पर ब्रिटेन के उन व्यक्तियों को जिनपर हिज़/हर मैजेस्टी(हम) या हिज़/हर रॉयल हाइनेस (हाँ) का संबोधन रखते हैं, को आम तौर पर राजपरिवार का सदस्य माना जाता है। राजपरिवार में केवल संप्रभु को ही संवैधानिक कर्तव्य व पद प्राप्त हैं। संप्रभु और उसके तत्काल परिवार के सदस्य देश के विभिन्न आधिकारिक, औपचारिक और प्रतिनिधित्वात्मक कार्यों का निर्वाह करते हैं। राष्ट्रमण्डल प्रदेशों के बीच का संबंध इस प्रकार का है की उत्तराधिकार को अनुशासित करने वाले किसी भी बिधान का सारे देशों की एकमत स्वीकृति आवश्यक है। यह बाध्यता वेस्टमिंस्टर की संविधि, १९३१ द्वारा लागु की गयी थी। सिंघासन पर उत्तराधिकार, विभिन्न ऐतिहासिक संविधिओं द्वारा अनुशासित है। ऐतिहासिक रूप से उत्तराधिकार को पुरुष-वरियति सजातीय ज्येष्ठाधिकार के सिद्धान्त द्वारा अनुशासित किया जाता रहा है, जिसमे पुत्रों को ज्येष्ठ पुत्रियों पर प्राथमिकता दी जाती रही है, तथा एक ही लिंग के ज्येष्ठ संतानों को पहली प्राथमिकता दी जाती है। उत्तराधिकार संबंधित नियम केवल संसदीय अधिनियम द्वारा परिवर्तित किये जा सकते हैं, जिन्हें सारे प्रजाभूमियों की स्वीकृति समेत पारित होना अनिवार्य है। २०११ में राष्ट्रमण्डल की बैठक में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने यह घोषणा की थी कि तमाम राष्ट्रमण्डल प्रदेश पुरुष प्राथमिकता की परंपरा को समाप्त करने के लिए राज़ी हो गए हैं, तथा भविष्य के शासकों पर कैथोलिक व्यक्तियों से विवाह करने पर रोक को भी रद्द करने पर सब की स्वीकृति ले ली गयी थी। परंतु क्योंकि ब्रिटिश अधिराट् चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के प्रमुख भी होते हैं, अतः कैथोलिक व्यक्तियों को सिंघासन उत्तराधिकृत करने पर रोक लगाने वाले विधान को यथास्त रखा गया है। इस विधेयक को २३ अप्रैल २०१३ को शाही स्वीकृति मिली, तथा सारे राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में सम्बंधित विथान पारित होने के पश्चात् मार्च २०१५ को यह लागू हुआ। सिंघासन का कोई उत्तराधिकारी, स्वेच्छा से अपना उत्तराधिकार त्याग नहीं कर सकता है। कैनेडा की सरकार संप्रभु, राजपरिवार या देश के बाहर स्थित शाही निवासों के रखरखाव के समर्थन हेतु किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं प्रदान करती है। हालांकि, संप्रभु या शाही परिवार के दौरे के समय आने वाले खर्चों का प्रभार सरकार उठाती है। इसके अलावा, गवर्नर-गवर्नर-जनरल के आधिकारिक खर्चे भी सरकार उठाती है। कार्यपद के कर्तव्य सत्ताधारी रानी/राजा पर सैद्धांतिक रूप से एक संवैधानिक शासक के अधिकार निहित है, परंतु परंपरानुसार इन सारी शक्तियों का अभ्यास केवल संसद और सरकार के विनिर्देशों के अनुसार ही, शासक के प्रतिनिधि होने के नाते, महाराज्यपाल द्वारा कार्यान्वित करने के लिए बाध्य हैं। अतः अन्य राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों के समान ही, यह एक संसदीय सम्राज्ञता है। संसदीय शासक होने के नाते, शासक के सारे संवैधानिक अधिकार, निष्पक्ष तथा गैर-राजनैतिक कार्यों तक सीमित हैं, जो सैद्धान्तिक तौर पर शासक के अधिकार हैं, परंतु वास्तविक रूप से इन्हें केवल गवर्नर-जनरल द्वारा ही उपयोग किया जाता है। जबकि राजनैतिक-शक्तियों का अभ्यय गवर्नर-जनरल द्वारा सरकार और अपने मंत्रियों की सलाह और विनिर्देशों पर ही करते हैं। राजकीय उपादि और मानक कनाडा की रानी का शाही मानक, उनकी ब्रिटिश शाही मानक से भिन्न है, और इसे कैनडा में उन भवनों या वाहनों पर फहराया जाता है, जो शासक की मेज़बानी कर रहे होता हैं। कनाडा के दो आधिकारिक भाषाएँ है, अंग्रेजी और फ़्रांसिसी, जहाँ, अंग्रेजी सबसे अधिक उपयोग की जाती है, वहीँ फ़्रांसिसी भाषा, कुबेक राज्य में अधिक उपयोग होती है। अतः कनाडा की रानी की सहहि उपदि के दो संस्करण हैं। कनाडा की वर्त्तमान रानी, एलिज़ाबेथ द्वितीय का अंग्रेज़ी में पूर्ण शाही ख़िताब है: तथा उसका फ़्रांसिसी भाषा का संस्करण है: इन्हें भी देखें राष्ट्रमण्डल के प्रमुख कनाडा के प्रधानमंत्री कनाडा की राजनीति
बल्लूपुरा राजस्थान के सीकर तहसील में स्थित एक मध्यम आकार का गाँव है, जिसमें कुल २३९ परिवार रहते हैं।बल्लूपुरा गाँव की जनसंख्या १३३२ है जिसमें से ६७२ पुरुष हैं जबकि ६६० महिलाएं हैं, जनगणना २०११ के अनुसार महिलाएँ हैं। बल्लूपुरा गाँव में ०-६ आयु वर्ग के बच्चों की जनसंख्या २१२ है, जो गाँव की कुल जनसंख्या का १२.4६% है। बल्लूपुरा गांव का औसत लिंग अनुपात ९८२ है जो राजस्थान राज्य के ९२८ के औसत से ज्यादा है। जनगणना के अनुसार बाल लिंग अनुपात ८११ है, जो राजस्थान के औसत ८८८ से कम है। राजस्थान की तुलना में बल्लूपुरा गाँव में साक्षरता दर कम है। २०११ में, राजस्थान के ६६.११% की तुलना में बल्लूपुरा गाँव की साक्षरता दर ६४.३७% थी। बल्लूपुरा में पुरुष साक्षरता ८०.०४% है जबकि महिला साक्षरता दर ४८.४४% है। प्रमुख शिक्षण संस्थान पंचायती राज अधिनियम के अनुसार, बल्लूपुरा गाँव का प्रशासन सरपंच (गाँव के मुखिया) द्वारा किया जाता है, जो गाँव का प्रतिनिधि होता है। कुल क्षेत्रफल ६३२ हेक्टेयर है। बल्लूपुरा गाँव में कुल जनसंख्या में से ५१५ कार्य गतिविधियों में लगे हुए थे। ४७.३९% श्रमिकों ने अपने काम को मुख्य कार्य (६ महीने से अधिक रोजगार या कमाई) के रूप में वर्णित किया है, जबकि ५२.६1% ६ महीने से कम समय के लिए आजीविका प्रदान करने वाली सीमांत गतिविधि में शामिल थे। मुख्य कार्य में लगे ५१५ श्रमिकों में से २७४ कृषक (मालिक या सह-मालिक) थे, जबकि ९ कृषि मजदूर थे। इन्हे भी देखें सीकर ज़िले के गाँव
हरिदत्त शर्मा संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कवितासंग्रह लसल्लतिका के लिये उन्हें सन् २००७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत संस्कृत भाषा के साहित्यकार बिजनौर ज़िले के लोग
पिपरौली बाजार गोरखपुर पिपरौली बाजार गोरखपुर जिले का पहला बिकास खण्ड है इसके अन्तरगत लगभग ७६ गाँव आता है यह कस्बा गोरखपुर शहर लगभग १४ क्म पश्चिम में स्थित है पिपरौली बाजार एक ब्यवसायी केन्द्र के साथ ऐतिहासिक स्थल भी है जो कि अब गिडा के कारण इंडस्ट्रियल भी हो गया है पिपरौली में हिन्दू और मुस्लिम आबादी लगभग बराबर ही है। यहाँ के मुस्लिम लोगो का प्रमुख ब्यवसाय रेडिमेड कपड़ो का सिलाई करवाना है पहले ये लोग हथकरघा का काम करते थे। और ये लोग दुबई और खाड़ी देशों में भी रहते हैं। पिपरौली बाजार में ४ मस्जिद अलग-२ मुहल्लो में स्थित है। पिपरौली बाजार में बैश्य समुदाय के लोग कारोबार करते हैं जिनमे बर्तन तथा कपड़ो का ब्यवसाय प्रमुख है। यहाँ पर बर्तन के प्रमुख ब्यवसायी स्व॰श्री मनोहर लाल निगम थे लेकिन इस समय कई ब्यापारी है। पिपरौली बाजार का बर्तन पुर्वाचँल कई जिलो में जाता है
राव राजा- राजपूताना में शासक की विजातीय पत्नी को पासवान/पङदायत/दासी/खवास कहा जाता था। इनसे उत्पन्न संतान को खवास पुत्र/पासवान पुत्र/गोला/ढीकङिया/घोटाबरदार/चेला /वाभा/लालजी कहा जाता था। मारवाड़ के राजा श्री तख्त सिंह जी ने इस वर्ग के सम्मान में वृद्धि करते हुए इनको राव राजा की उपाधि प्रदान की। तदुपरांत मारवाड़ रियासत में शासक की ऐसे पुत्र को राव राजा कहा जाने लगा। साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप से सम्मानित साहित्य और शिक्षा में पद्म विभूषण के प्राप्तकर्ता
लेज़र लाइटिंग प्रादर्शी एक त्रि-आयामी प्रादर्शी प्रदर्शन युक्ति होती है।
यह विश्व की एक प्रमुख ब्रिटेन & युगोस्लाविया की वायुयान सेवा हैं | कुल वायुयान संख्या ११९ विश्व की प्रमुख वायुयान सेवाएं
फ्रांसिस्को सा कारनिएरो हवाईअड्डा या बस पोर्टो हवाईअड्डा (पूर्व पेद्रस रुब्रस हवाई अड्डा) पोर्टो (ओपोर्टो), पुर्तगाल के समीप एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह पोर्टो के केंद्र में, क्लेरिगोस टॉवर के उत्तर-पश्चिम में , माइया, मातोसिन्होस और विला डो कोंडे की नगर पालिकाओं में की दूरी पर स्थित है और एएनए - एयरोपोर्टोस डी पुर्तगाल द्वारा चलाया जाता है। विमान संचालन के आधार पर हवाई अड्डा वर्तमान में देश का दूसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। साथ ही एयरोपोर्टोस डी पुर्तगाल () के ट्रैफ़िक आँकड़ों के आधार पर यात्री अवागमन में भी दूसरा सबसे व्यस्त हवाईअड्डा है। इसके पहले लिस्बन हवाई अड्डा और बाद में फ़ारो हवाई अड्डा आते हैं। हवाई अड्डा इजीजेट, रयानएयर, टीएपी एयर पुर्तगाल और इसकी सहायक टीएपी एक्सप्रेस के संचालन के लिए एक आधार केंद्र है। हवाई अड्डा मातोसिंहोस से (दक्षिण और पश्चिम में) और विला डो कोंडे से (उत्तर में) और माइया (पूर्व में) की नगर पालिकाओं से घिरा हुआ है। इसमें सांताक्रूज डो बिस्पो, पेराफिटा और लावरा (मातोसिंहोस में) के पैरिश; एवेलेडा और विलार डो पिनहेइरो (विला डो कोंडे); और विला नोवा दा तेलहा और मोरेरा (माइया) शामिल हैं। के बीच का क्षेत्र सूदूर दक्षिण में और उत्तर में शामिल है। हवाई अड्डे का दक्षिणी भाग लेका नदी के हाइड्रोग्राफिक वाटरशेड को काटता है, जबकि उत्तर ओंडा नदी के प्रवाह से पार हो जाता है। पोर्टो के आसपास का हवाई अड्डा १९४५ में खोला गया था और शुरू में पेड्रास रूब्रास हवाई अड्डे के रूप में जाना जाता था, उस इलाके के नाम के बाद जहां हवाई अड्डा स्थित है: पेड्रास रूब्रास ("लाल चट्टानें")। क्षेत्र में इसे आज भी इसी नाम से जाना जाता है। जिस भूमि पर हवाईअड्डा बनाया गया था वह मूल रूप से कृषि के लिये थी, जिसमें समृद्ध मिट्टी की विशेषता थी जो विभिन्न अनाज की खेती की सहायक थी। इसका नाम १९९० में पूर्व पुर्तगाली प्रधान मंत्री, फ्रांसिस्को डी सा कार्नेइरो के नाम पर रखा गया था, जिनकी ४ दिसंबर १९८० को इस हवाई अड्डे की यात्रा के दौरान एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। लिस्बन, फ़ारो, पोंटा डेलगाडा, सांता मारिया, होर्टा, फ्लोर्स, मदीरा और पोर्टो सैंटो में हवाई अड्डों के साथ, नागरिक उड्डयन को सहायता प्रदान करने के लिए हवाई अड्डे की रियायतें १८ दिसंबर १९९८ को एएनए एयरोपोर्टोस डी पुर्तगाल को ४०४/९८ डिक्री के प्रावधानों के तहत स्वीकार की गईं। इस रियायत के साथ, एएनए भविष्य के बुनियादी ढांचे की योजना, विकास और निर्माण के लिए जिम्मेदार हो गया। पुर्तगाली फर्म इश्क़ द्वारा डिजाइन किया गया एक नया टर्मिनल भवन २००३ और २००६ के बीच बनाया गया था, और २००६ की अंतिम तिमाही में चालू हो गया। पोर्टो हवाई अड्डा ६ दिसंबर २०१७ को पहली बार प्रति वर्ष १ करोण यात्रियों तक पहुंचा। एयरलाइंस और गंतव्य निम्नलिखित एयरलाइंस पोर्टो हवाई अड्डे पर नियमित अनुसूचित सीधी यात्री उड़ानें संचालित करती हैं: अभिगम / पहुँच टैक्सी सेवाओं और सड़क संपर्क के अलावा, कई सार्वजनिक परिवहन लिंक उपलब्ध हैं: हवाई अड्डे को पोर्टो मेट्रो की लाइन ई द्वारा सेवा दी जाती है। स्टेशन में तीन प्लेटफार्म हैं और ट्रेनें आगमन प्लेटफॉर्म को छोड़ देती हैं और प्रस्थान प्लेटफॉर्म में से एक में उलट जाती हैं। सा कार्निएरो हवाई अड्डे तक ए४१ और ए२८ मोटरमार्गों के माध्यम से और एन१३ राजमार्ग (एन१०७ एक्सेसवे का उपयोग करके) भी पहुँचा जा सकता है। ये रोडवेज ड्रॉप-ऑफ और पिक-अप क्षेत्रों और छोटे और लंबे समय तक कार पार्क की ओर ले जाते हैं। यहाँ वीआरआई एक्सेसवे के माध्यम से ए४ मोटरवे द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। गेटबस शटल ब्रागा और गुइमारेस के शहरों के लिए ५० मिनट का सीधी सेवा प्रदान करती है। टिकट शटल की वेबसाइट पर पहले से खरीदे जा सकते हैं। भविष्य के प्रस्ताव प्रस्तावित पोर्टो-विगो हाई-स्पीड रेल लाइन हवाई अड्डे के माध्यम से बनाई जाएगी। एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल एयरपोर्ट सर्विस क्वालिटी अवार्ड्स ने २००७ में इसे यूरोप में बेस्ट एयरपोर्ट का पुरस्कार दिया। इसके अतिरिक्त, इसने यूरोप में सर्वश्रेष्ठ हवाईअड्डे के शीर्ष तीन में एक और नौ बार स्थान प्राप्त किया है - २०१० में दूसरा स्थान जीता, और २००६, २००८, २००९, २०११, २०१३, २०१४, २०१५ और २०१६ में तीसरा स्थान हासिल किया। दुर्घटनाएं और घटनाएं २७ अप्रैल, २०२१ को एक फ़ेडएक्स कार्गो जेट को टेकऑफ़ के लिए मंजूरी दे दी गई थी, जबकि एक जमीनी वाहन रनवे पर था जो इसके उतरने पर होने वाली टक्कर से चार सेकंड के दूरी तक आ गया था। नागरिक उड्डयन और रेल में दुर्घटनाओं की रोकथाम और जांच के लिए कार्यालय ने घुसपैठ को "गंभीर घटना" का दर्जा दिया और सुरक्षा जांच शुरू की। एक लोकप्रिय लीवीट युतुबे चैनल 'वासविएशन' ने पोर्टो के टॉवर और शामिल विमान, फेडेक्स कॉन्ट्रैक्टर फ़्लाइट 'क्वालिटी ४९५९' के बीच हुए वार्तालाप को रिकॉर्ड कर लिया था। यह भी देखें पुर्तगाल में परिवहन पुर्तगाल में हवाई अड्डों की सूची विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक यूरोप के हवाईअड्डे
असम हिमालय (असम हिमालय) हिमालय के उस भाग का पारम्परिक नाम है जो पश्चिम में भूटान की पूर्वी सीमा से लेकर पूर्व में त्संगपो नदी के बड़े मोड़ तक विस्तृत है। हिमालय के इस खण्ड का सर्वोच्च पर्वत नमचा बरवा है। अन्य उल्लेखनीय पर्वत ग्याला पेरी, कंगतो पर्वत और न्येग्यी कन्संग हैं। "असम" नाम होने के बावजूद इसके पर्वत दक्षिणपूर्वी तिब्बत, उत्तरी असम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में फैले हुए हैं। इन्हें भी देखें भारत की पर्वतमालाएँ तिब्बत की पर्वतमालाएँ हिमालय की पर्वतमालाएँ
पार्लपाडु (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
कासिमपुर खुसरुपूर, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है। पटना जिला के गाँव
किगाली अफ़्रीका के रुआण्डा देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। इस शहर की स्थापना सन् १९०७ में जर्मन उपनिवेश काल में की गई थी लेकिन यह देश की राजधानी १९६२ में रुआण्डा की स्वतंत्रता के बाद ही बना। उस समय यह रुआण्डा का सबसे बड़ा या महत्व वाला शहर नहीं था लेकिन इसे देश में अपने केन्द्रीय भौगोलिक स्थान के लिये चुना गया। तब से इसमें तेज़ी से विकास हुआ है और अब यह रुआण्डा का सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक नगर बन गया है। इन्हें भी देखें अफ्रीका के शहर अफ़्रीका में राजधानियाँ रुआण्डा के आबाद स्थान
साढो सबौर, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। भागलपुर जिला के गाँव
बैड बॉयज़ फॉर लाइफ एक आगामी मित्र पुलिस एक्शन कॉमेडी फ़िल्म है, जो आदिल एल अर्बी और बिलाल फलाह द्वारा निर्देशित है, जो जेरी ब्रुकहाइमर और विल स्मिथ द्वारा निर्मित है और स्मिथ और मार्टिन लॉरेंस अभिनीत है। बैड बॉयज़ (१९९५) और बैड बॉयज़ ई (२००३) की अगली कड़ी और बैड बॉयज़ ट्रायोलॉजी में तीसरी और अंतिम किस्त, फिल्म एक बार फिर जासूस लोव्रे और बर्नेट का फिर से पीछा करती है, जब एक रोमानियाई भीड़ बॉस जोड़ी की तरह ही बदला लेता है। आधिकारिक तौर पर सेवानिवृत्त होने वाले हैं। एक तीसरी बैड बॉयज़ फिल्म पर चर्चा की गई, जिसमें दूसरे की सफलता के बाद, मूल निर्देशक माइकल बे ने कहा कि उन्हें वापसी में दिलचस्पी होगी, लेकिन बजट की कमी से यह मुश्किल होगा। विभिन्न लेखकों और निर्देशकों के साथ फिल्म अगले दशक में विकास के कई प्रयासों से गुजरी। अंत में अक्टूबर २०१८ में परियोजना की आधिकारिक घोषणा की गई, और फिल्मांकन जनवरी २०१९ से अटलांटा और मियामी हुई। बैड बॉयज़ फॉर लाइफ को कोलंबिया पिक्चर्स द्वारा १७ जनवरी, २०२० को संयुक्त राज्य अमेरिका में नाटकीय रूप से जारी किया जाना है। मार्कस बर्नेट आखिरकार पुलिस इंस्पेक्टर बन गए हैं और माइक लोवी एक मिडलाइफ़ संकट में हैं। दोनों फिर से एक बार फिर से मिल जाते हैं जब एक भयंकर रोमानियन भीड़ मालिक, जिनके भाई को उन्होंने हराया था, माइक पर प्रतिशोध की तरह, जैसे कि दोनों आधिकारिक तौर पर सेवानिवृत्त होने वाले हैं। विल स्मिथ डिटेक्टिव लेफ्टिनेंट माइकल "माइक" लोव्रे के रूप में मार्टिन लेवरेंस डिटेक्टिव लेफ्टिनेंट मार्कस बर्नेट के रूप में वेनेसा हजेंस माया "घातक गन" डनस्मोर के रूप में हैरी डॉयल के रूप में चार्ल्स मेल्टन रीता के रूप में पाओला नानेज़ केट डेल कैस्टिलो कैप्टन कॉनराड हॉवर्ड के रूप में जो पैंटोलियानो थेरेसा बर्नेट के रूप में थेरेसा रैंडल, मार्कस की पत्नी जेफरी "केक बॉय" के रूप में थॉमस ब्रैग जैकब स्किपियो को अरमांडो अरमस के रूप में मासी फुरलान ली लीलिन के रूप में डीजे खालिद मैनी द कसाई के रूप में सोनी पिक्चर्स रिलीज़ द्वारा बैड बॉयज़ फॉर लाइफ १७ जनवरी, २०२० को रिलीज़ होने वाली है । फिल्म का पहला आधिकारिक ट्रेलर ४ सितंबर, २०१९ को जारी किया गया था। फिल्म का दूसरा ट्रेलर ५ नवंबर को जारी किया गया था
कृष्ण चन्द्र शर्मा,भारत के उत्तर प्रदेश की प्रथम विधानसभा सभा में विधायक रहे। १९५२ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के १४८ - ललितपुर (दक्षिण) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश की प्रथम विधान सभा के सदस्य १४८ - ललितपुर (दक्षिण) के विधायक झांसी के विधायक कांग्रेस के विधायक
२०१७-१८ अहमद शाह अब्दाली ४-दिवसीय टूर्नामेंट अहमद शाह अब्दाली ४-दिवसीय टूर्नामेंट का वर्तमान संस्करण है, जो अफगानिस्तान में एक क्रिकेट टूर्नामेंट है। यह प्रथम श्रेणी के स्तर के साथ खेला जाने वाला प्रतियोगिता का पहला संस्करण है। टूर्नामेंट २० अक्टूबर २०१७ को शुरू हुआ और २२ दिसंबर २०१७ को समाप्त होने का अनुमान है। पांच क्षेत्रीय टीम दो राउंड-रोबिन टूर्नामेंट में मुकाबला करेगी, जहां दो टीमें फाइनल में बढ़तें हैं।
टर्मिनल हाई आल्टीट्यूड एरिया डिफेन्स या थाड़ (टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डेफेंस और थाद), पूर्व में थिएटर हाई आल्टीट्यूड एरिया डिफेन्स, एक अमेरिकन एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जिसे कम, मध्यम और मध्यवर्ती रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को अपने टर्मिनल चरण (अवरोहण या पुनः प्रवेश) में नष्ट करने के लिए बनाया गया है। १९९१ में खाड़ी युद्ध के दौरान इराक के स्कड मिसाइल हमलों के अनुभव के बाद थाड़ विकसित किया गया था। थाड़ इंटरसेप्टर में कोई हथियार नहीं होता है, लेकिन यह आने वाली मिसाइल को नष्ट करने के लिए अपनी गतिज ऊर्जा की मदद लेती है। गतिज ऊर्जा की वजह से पारंपरिक वारहेड बैलिस्टिक मिसाइलों को विस्फोट करने का खतरा कम हो गया और परमाणु बटालियन मिसाइलों का हथियार गतिज ऊर्जा से हिट होने पर भी विस्फोट नहीं करेगा। थाड़ को संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की और दक्षिण कोरिया में तैनात किया गया है। थाड़ प्रणाली को लॉकहीड मार्टिन स्पेस सिस्टम्स द्वारा तैयार किया जा रहा है, जो इस कार्यक्रम का मुख्य ठेकेदार है। इन्हें भी देखें एस-५०० मिसाइल प्रणाली एस-४०० मिसाइल प्रणाली ऐरो ३ मिसाइल पृथ्वी एयर डिफेंस एडवांस एयर डिफेंस अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल संयुक्त राज्य अमेरिका एंटी बैलिस्टिक मिसाइल
ईस्ट बंगाल फुटबॉल क्लब (कुएस ईस्ट बंगाल फुटबॉल क्लब के रूप में प्रायोजन कारण से जाने जाते हैं) कोलकाता में स्थित एक भारतीय फुटबॉल क्लब है। भारतीय फुटबॉल में सबसे सफल क्लबों में से एक, क्लब वर्तमान में आई-लीग में खेलता है। ईस्ट बंगाल की पड़ोसियों मोहन बागान के साथ एक लंबे समय से प्रतिद्वंद्विता है, जिनके साथ यह कोलकाता डर्बी प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। एआईएफएफ वेबसाइट पर ईस्ट बंगाल भारत के फुटबॉल क्लब
मल्लापूर , इंद्रवेल्लि मण्डल में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के अदिलाबादु जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
वीओएलटीई एक ऐसी संचार तकनीक है जिसके माध्यम से डाटा तथा ध्वनि कॉल दोनों का संचार एक साथ किया जा सकता है।
मानर मल्ला, लोहाघाट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा मल्ला, मानर, लोहाघाट तहसील मल्ला, मानर, लोहाघाट तहसील
देवेश राय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास तिस्ता पारेर वृत्तांत के लिये उन्हें सन् १९९० में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत बंगाली भाषा के साहित्यकार
नन्हे सम्राट बच्चों की एक हिन्दी पत्रिका है जो प्रति मास प्रकाशित होती है। इसके संपादक निखिल रंजन हैं। ये झारखंड के डालटनगंज के निवासी हैं।
काशीबाई १८वीं सदी के मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री (पेशवा) बाजीराव प्रथम की पहली पत्नी थी। उनके चार पुत्र थे जिनमें से बालाजी बाजीराव और रघुनाथराव आगे चल कर पेशवा बने। बाजीराव की दुसरी शादी के बाद बुंदेलखंड राज्य की मस्तानी काशीबाई की सौतन थी। बाजीराव की मौत के बाद काशीबाई ने विभिन्न तीर्थयात्राएं की। कुछ इतिहासकारों के अनुसार वे एक प्रकार के संधि शोथ से पीड़ित रही। काशीबाई छास के महादाजी कृष्ण जोशी और शिऊबाई की बेटी थी, जो एक धनी परिवार था। उन्हें कृष्णराव छासकर नाम का एक भाई भी था। ११ मार्च १७२० को सासवड में एक घरेलू समारोह में उन्होंने बाजीराव से विवाह किया था। काशीबाई और बाजीराव के चार बेटे थे। बालाजी बाजीराव उर्फ नानासाहेब का जन्म १७२१ में हुआ था और बाद में बाजीराव की मौत के बाद १७४० में शाहु ने उन्हें पेशवा नियुक्त किया। दूसरे बेटे रामचंद्र की मृत्यु हो गई और तीसरा बेटा रघुनाथराव १७७३-७४ के दौरान पेशवा के रूप में कार्यरत थे। चौथे पुत्र जनार्दन कि भी रामचंद्र जैसे जवानी में मृत्यु हो गई। बाजीराव ने मस्तानी से दुसरी शादी की; जो कि बुंदेलखंड के हिंदू राजा छत्रसाल और उनकी एक फारसी मुस्लिम पत्नी रुहानी बाई की बेटी थी। पेशवा परिवार ने इस शादी को स्वीकार नहीं किया। परंतु यह ध्यान योग्य है कि मस्तानी के खिलाफ पेशवा परिवार द्वारा जो घरेलू युद्ध छिड़ा था, उसमें काशीबाई ने कोई भूमिका नहीं निभाई। इतिहासकार पांडुरंग बालकावडे कहते हैं कि विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि काशीबाई मस्तानी को बाजीराव की दूसरी पत्नी के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार थीं, लेकिन उनकी सास राधाबाई और देवर चिमाजी अप्पा के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका। १८वीं सदी के रूढ़िवादी भारत की कई महिलाओं की तरह उन्हें महत्वपूर्ण मामलों में कोई भी दखल देने कि अनुमति नहीं थी। पुणे के ब्राह्मणों ने बाजीराव के मस्तानी के साथ संबंधों के कारण पेशवा परिवार का बहिष्कार किया। चिमाजी अप्पा और बालाजी बाजीराव उर्फ नानासाहेब ने १७४० में बाजीराव और मस्तानी के पृथक्करण हेतु बलप्रयोग की शुरुआत की। जब बाजीराव अभियान पर पुणे से बाहर थे, तब मस्तानी को घर में नजरबंद किया गया। अभियान पर बाजीराव कि बिगड़ती स्वास्थ्य को देखकर चिमाजी ने नानासाहेब को मस्तानी को छोड़ने और बाजीराव से मिलने के लिए भेज देने का आदेश दिया। पर नानासाहेब ने इसके बजाय अपनी मां काशीबाई को भेजा। कहा जाता है कि काशीबाई ने बाजीराव की मृत्युशय्या पर एक वफ़ादार और कर्तव्य परायण पत्नी बनकर उनकी सेवा की है और उनका विवरण पति को अत्यधिक समर्पित बताया गया है। उन्होंने और उनके बेटे जनार्दन ने बाजीराव का अंतिम संस्कार किया। बाजीराव की मौत के बाद १७४० में मस्तानी का भी निधन हो गया और काशीबाई ने उनके पुत्र शमशेर बहादुर प्रथम का ख्याल रखा और उन्हें हथियारों में प्रशिक्षण देने की सुविधा दी। वह अपने पति की मृत्यु के बाद और अधिक धार्मिक हो गई। उन्होंने विभिन्न तीर्थयात्राएं की और बनारस में चार साल तक रही। इस तरह के एक दौरे पर वह १०,००० से अधिक तीर्थयात्रियों के साथ थी और इस यात्रापर एक लाख रुपए खर्च किए थे। जुलाई १७४७ में तीर्थयात्रा से लौटने पर, उसने अपने गाव छास में शिव भगवान को समर्पित सोमेश्वर मंदिर बनाने का कार्य शुरु किया। १७४९ में निर्मित मंदिर १.५ एकड़ भूमि पर खड़ा है और त्रिपुरारी पौर्णिमा उत्सव के लिए लोकप्रिय है। पुणे के पास एक पर्यटक स्थल के रूप में इस मंदिर को गिना जाता है। लोकप्रिय संस्कृति में छवि निर्देशक संजय लीला भंसाली के फ़िल्म बाजीराव मस्तानी (२०१५) में काशीबाई का किरदार अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने निभाया। फ़िल्म के गीत "पिंगा" में उनके नृत्य और पोशाक पर सामाजिक मीडिया में चिल्लाहट हुई और दोनों काशीबाई और मस्तानी के वंशजो ने इसका आलोचना की। कुछ इतिहासकारों ने यह भी कहा कि इस तरह की प्रतिष्ठित महिला का जनता में नृत्य करना अनुपयुक्त होता था। इसके अलावा, काशीबाई एक प्रकार के संधि शोथ से पीड़ित थी और इस तरह का नृत्य शारीरिक रूप से संभव नहीं था। महाराष्ट्र के लोग
पाकिस्तान में मुख्यमंत्री(), पाकिस्तान के प्रांतीय सरकारों के प्रमुख एवं मुख्य निर्वाचित अधिकारी होते हैं। पाकिस्तान की प्रांतीय कार्य व्यवस्था में, मुख्यमंत्री, प्रांतीय सरकार के तथ्यस्वरुप प्रमुख होते हैं, जबकि राज्यपाल, जीन्हें कथास्वरूप प्रांताध्यक्ष होने की उपाधि हासिल है, का पद केवल एक पारंपरागत पद है जिस पर अधिक कार्यशक्तियाँ न्योछावर नहीं की गई हैं। मुख्यमंत्री को प्रांतीय विधायिका की बहुमत द्वारा निर्वाचित किया जाता है। वे विधायिका के सत्ता पक्ष के नेता होते हैं। पाकिस्तान की संसदीय व्यवस्था, वेस्टमिंस्टर प्रणाली पर आधारित है। अतः मुख्यमंत्री का चुनाव विधायिका के चुने गए सदस्य द्वारा किया जाता है, ना कि प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा। पाकिस्तान में, मुख्यमंत्री का कार्यकाल ५ वर्ष होता है जिसके दौरान, प्रांतीय सरकार के सारे कार्य अधिकार मुख्यमंत्री के सीधे नियंत्रण में रहते हैं। पाकिस्तान का संविधान प्रांतीय मुख्यमंत्री की योग्यता के सिद्धांत अंकित करता है। संविधान में दिए गए बिंदुओं के अनुसार किसी भी प्रांत के मुख्यमंत्री को निम्न योग्यताओं पर खरा उतरना जरूरी है: उन्हें पाकिस्तान का नागरिक होना चाहिए। उन्हें प्रांतीय विधायिका का सदस्य होना चाहिए। मुख्यमंत्री का चयन प्रांतीय विधायिका द्वारा किया जाता है। इसे विधिनुसार विश्वास मत द्वारा स्थापित किया जाता है। नियुक्ति का अधिकार बहुसंख्यक दल के पास होता है एवं विश्वास मत का प्रस्ताव भी बहुसंख्यक दल ही प्रस्तावित करती है। चुनाव के बाद मुख्यमंत्री को प्रांत के राज्यपाल द्वारा कार्यकाल की शपथ दिलाई जाती है संविधान के अनुच्छेद [२] १३०(५) और 13२(२) के अनुसार मुख्यमंत्री की शपथ इस प्रकार है: राज्यपाल ने मुख्यमंत्री अपने पद धारण करने के लिए, जब तक उनके उत्तराधिकारी "मुख्यमंत्री के कार्यालय" में प्रवेश करती जारी रखने के लिए कह सकता है। अनुच्छेद १३१ या अनुच्छेद १३२ में प्रांतीय विधानसभा भंग करने, कुछ भी करने के बाद कार्यालय में जारी रखने से मुख्यमंत्री या एक प्रांतीय मंत्री को अयोग्य घोषित करने में लगाया जा सकता है। पाकिस्तान के राज्यपाल पाकिस्तानी प्रांतों के मुख्यमंत्री पाकिस्तान के राजनैतिक पद पाकिस्तान की राजनीति
भारतीय दण्ड संहिता की धारा १४ सरकारी नौकर के बारे में है। इसके तहत शब्द सरकारी नौकर से मतलब ऐसे किसी भी अधिकारी या नौकर से है जिसे की भारत में सरकार के द्वारा या के अधीन नौकरी पर रखा गया। यह शब्द भारत में रोजगार से संबंधित व्यक्तियों को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है जो केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित सरकारी विभागों, निगम, और विभिन्न संस्थानों में सरकारी पदों पर नियुक्त होकर कर्मचारी के रूप में काम करते हैं। भारतीय दण्ड संहिता की धाराएँ
आवारा लड़की १९६७ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। नामांकन और पुरस्कार १९६७ में बनी हिन्दी फ़िल्म
तेरी कसम १९८२ में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इस फिल्म के मुख्य भूमिकाओं में कुमार गौरव, पूनम ढिल्लों, गिरीश कर्नाड, रणजीता कौर और निरूपा रॉय शामिल हैं। इसी कहानी पर पहले ही तमिल, तेलुगू और कन्नड़ में फिल्में बन चुकी थी। डॉली (पूनम ढिल्लों) और राकेश (गिरीश कर्नाड) कई करोड़ की संपत्ति के एकमात्र उत्तराधिकारी हैं और वे अपने शानदार तरीके से रहते हैं। राकेश दोनों में से एक है जो जिम्मेदार है और पारिवारिक व्यवसाय का प्रबंधन करता है। साथ ही साथ बिगड़ैल डॉली की महँगी चीजों के पैसे चुकाता है। टोनी (कुमार गौरव) एक गरीब परिवार से है और एक ही कॉलेज में डॉली के साथ पढ़ाई करता है। वह डॉली से प्यार करता है लेकिन इसे स्वीकार करने उसे शर्म आती है। हालांकि डॉली को एक गायक की आवाज पसंद है और जब वह जानती है कि यह टोनी की आवाज़ है, तो वह उससे शादी करने का फैसला करती है। डॉली का भाई टोनी की बहन शांति (रणजीता कौर) से शादी करता है। लेकिन डॉली का अहंकार हर किसी के जीवन में तनाव पैदा करता है। इसके अलावा, वह अपने ससुराल वालों के सामने अपनी सास को नौकरानी की तरह व्यवहार करती है। उनमें से कुछ शादीशुदा जोड़े को तोड़ कर डॉली को उसके पूर्व प्रेमी मॉन्टी के साथ मिलाना चाहते हैं। जब वह बीमार होती हैं तो डॉली अपनी सास को अस्पताल के वार्ड में भेज देती है। टोनी ने मांग की कि वह उसकी मां से माफ़ी मांगे। उसने मना कर दिया और छोड़ के चली गई। टोनी राकेश की कंपनी में अपना काम छोड़ता है और एक पेशेवर गायक बन जाता है। आगे डॉली और टोनी के अहसास की कहानी है। कुमार गौरव - टोनी पूनम ढिल्लों - डॉली गिरीश कर्नाड - राकेश रणजीता कौर - शांति निरूपा रॉय - पार्वती पेंटल - टोनी का दोस्त राकेश बेदी - टोनी का दोस्त नामांकन और पुरस्कार | अमित कुमार ("ये जमीन गा रही है") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | गिरीश कर्नाड | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार | रणजीता कौर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार १९८२ में बनी हिन्दी फ़िल्म आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा संगीतबद्ध फिल्में