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34
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मोटा राजा व दुबला कुत्ता घूमने निकले
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मोटे राजा ने दुबले कुत्ते को पकड़ ही लिया
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मोटा राजा अब दुबला है
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वह नाला कूद गया
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खंडहर पार कर गया
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मैदान में पत्थर पड़ा था
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ठोकर लगी तो गिर पड़ा
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वह रोने लगा
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भालू दादा ने गोद उठाया
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बोलीं लो पत्थर को मार दिया
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हिरण का बच्चा बोला
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इसे मत मारो वरना यह भी रोने लगेगा
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वह भी हँसने लगा
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गीला बदन ठंडा लगता
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हो गया ठंडा थोडी ही देर में
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यह सब कैसे हुआ
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आवाज़ कैसे आई
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लेकिन मैं कल तक रुकना नहीं चाहता
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मैंने अज्जा से पूछा क्या मैं अपने दोस्तों के साथ खेलने जाऊँ
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अभी नहीं बेटा पहले सो लो
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लेकिन मैं अभी सोना नहीं चाहता
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मैंने मम्मी से पूछा क्या मैं ये कपड़े पहन लूँ
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अभी नहीं बेटा कल पहन लेना
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लेकिन मैं कल तक रुकना नहीं चाहता
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अभी नहीं अभी नहीं तुम्हें थोड़ा रुकना पड़ेगा
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लेकिन मैं रुकना नहीं चाहता
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बड़े हमेशा क्यों कहते रहते हैं अभी नहीं अभी नहीं
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उस रात मैं ग़ुस्से में सो गया
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अगले दिन मैं जल्दी उठा और रसोई में गया
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अज्जा ने कहा अब हम क्रिकेट खेल सकते हैं
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मम्मी ने कहा अब तुम ये कपड़े पहन सकते हो
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और उन सभी ने कहा जन्मदिन मुबारक हो
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आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगी
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आज मैं अपने शरीर की आवाज़ सुनूँगी
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अगर मैं अपनी उंगलियाँ अपनी कलाई पर रखूँ तो मैं अपनी नब्ज़ सुन सकती हूँ
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मेरी नाक सुन सकती है कि माँ रसोई में जलेबियाँ तल रही हैं
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शरीर की आवाज़ सुनने में मज़ा आता है
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हम सब के पास एक अनोखा शरीर है
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उसने जम्हाई लेते हुए कहा चल कर थोड़ी मछलियाँ पकड़ी जाएँ
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बिल्कुल अपना खु़द का कोलम
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सुशीला को कोलम बनाने में बहुत मज़ा आता
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बड़ी इमारतों पर रेलों पर भी
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शहर भर के लोगों ने यह कमाल का कोलम देखा
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वहाँ उसे हज़ारों तारे टिमटिमाते दिखे
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परम्परागत रूप से कोलम बनाने के लिए चावल के
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आटे का इस्तेमाल किया जाता है
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आपके इलाके में इन्हें क्या कहा जाता है
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पहलवान हँसा
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पहलवान ने गप्पू को दबोच लिया
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गप्पू ने उसके पेट में गुदगुदी लगायी
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पहलवान उछल पड़ा
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मैदान छोड़ भाग लिया
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मेरे माता पिता केहेते है कि यह बसंत का पेहला दिन होता हैँ
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अम्मा ने भी पीली सारी पेहनी है
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इतना प्यारा बसंती रंग और इतना प्यारा नाम
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मेरे दादाजी चाहते हैँ की मै एक पेड़ लगाऊ
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यह कितना लम्बा होगा मैने दादाजी को पूछा
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टीनगु बिल्ली एक गिल्हरि के पीछे भाग रही है
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और मैं टीनगु के पीछे भागना चाहती हूँ
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यह बग़ीचा फूलों से भरा है
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कुछ पेड़ो के नीचे पतियो की दरी सी बिछी है
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बहुत सारे पेड़ों पर फूल है
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मुझे बसंत पसंद है
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बसंत मे सब कुछ इतना प्यारा दिखता है
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मनु ने फूलों को एक पानी के टांक मे डाला
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पानी एकदम चमकीला नारंगी हो गया
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हमें गुझिया और पूरी खाने को मिलेंगी
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बसंत कितनी खुशी की रितु है
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अनिल ने कुर्सी के ऊपर एक स्टूल रखा और
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चढ़ गया नीला बक्सा उतारने के लिए
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अम्मा ने उसे डाँटते हुए कहा
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अनिल को बहुत गु़स्सा आया
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वह अपनी माँ से भी बहुत गु़स्सा हो गया
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अम्मा ने उसे मनाते हुए कहा
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चलो बाज़ार से तुम्हारे लिए कुछ लेकर आते हैं
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अनिल बाज़ार जाने के बाद भी बहुत गु़स्से में था
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उसने एक संतरे की ओर इशारा करते हुए कहा
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मुझे वो वाला चाहिए
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मुझे वो वाली किताब चाहिए अनिल बोला
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दुकानदार बोला नहीं वो वाली नहीं ये वाली ले लो
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नहीं तो मेरे सारे समोसे नीचे गिर जायेंगे
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मझे वो वाला चाहिए अनिल ज़ोर से चीख़ा
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अब अनिल बहुत गु़स्से में था और उसका मन बड़ा ख़राब था
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फूल मुरझा जायेंगे फूल वाली ने कहा
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अब तो अनिल ज़िद्दी बच्चों की तरह ज़ोरज़ोर से रोने लगा
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अम्मा ज़ोर से बोलीं मुझे वो वाला चाहिए वो काला वाला
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अनिल ने अचानक से रोना बंद कर दिया
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नहीं अम्मा वो वाला नहीं अनिल बोला
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ये भूरा वाला ले लेते हैं अनिल ने कहा
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मैं तुम से बहुत गु़स्सा हूँ अम्मा सारे पिल्ले ही नीचे गिरा देतीं
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अम्मा मुस्कराने लगीं अनिल भी मुस्कराने लगा
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अब वह ज़रा भी नाराज़ नहीं था
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हमने अभीअभी स्कूल की सर्दियों वाली वर्दी बाहर निकाली है
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वैसे अभी ज़्यादा सर्दी नहीं है
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सर्दी के मौसम को संस्कृत में शिशिर ॠतु कहते हैं
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कल हम मामा के साथ मूँगफली मेले में गए थे जो
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बेंगलूरू के नन्दी मंदिर के पास लगता है
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सड़क की दोनों ओर मूँगफली के ढेर लगे हुए थे
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सूखी मूँगफली उबली और नमकीन मूँगफली भुनी हुई मूँगफली
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मामा बता रहे थे कि गुजरात में सर्दियों में ठीक हमारे मूँगफली मेले की
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