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तरह का पोंख मेला लगता है
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किसान सब लोगों के खाने के लिए ढेरों के ढेर पोंख के दानों को
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कोयले की आग में भूनते हैं
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मैं मेले में एक चटख नीले रंग का स्वेटर पहन कर गयी थी
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मनु बड़े वाले गोल झूले पर बैठना चाह रहा था
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मैं दादी के लिए एक गरम और नरम शाल खरीदना चाहती थी
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अब तो काफ़ी ठण्ड हो गयी है
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मेरी नयी लाल चूड़ियाँ धीरे से खनकती हैं
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वाह क्या बात है मैं ज़ोर से कह उठती हूँ
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और जैसे ही बात करने के लिए मुँह खोलती हूँ
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मेरी सहेली रजनी शिमला में रहती है
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उसके दादा के गाँव में लोग बाँस की टोकरियों में
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फिर सभी बच्चे बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं
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नौशीन मुबारक कहते हैं और
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कितना मज़ा आयेगा बर्फ़ में खेलने में और
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फिर रोग़नजोश और नान की दावत खाने में
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सभी को गरम चाय पीने में मज़ा आता है और
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रजनी को गुड़ डला गरम दूध पीना अच्छा लगता है
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ऐसी ठण्ड में बिना जेकेट टोपी दस्तानों और
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गुलूबंद के घर से बाहर नहीं निकल सकते
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अगली सर्दी की छुट्टियों में मैं या तो शिमला जाना चाहती हूँ
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या फिर जैसलमेर
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जैसलमेर में तो बर्फ़ नहीं पड़ती वहाँ केवल रेत ही रेत है
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मेरा जैसलमेर का मरूभूमि मेला देखने का बड़ा मन है
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मैं ऊँट की सवारी करूँगी लोकनृत्य और
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थोड़े ही दिनों में संक्रांति आने वाली है
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जानू कह रही थी कि उसके घर में तिलगुड़ बनायी जाती है
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रोहन के घर में येल्लू बनता है और
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नरसी कहता है कि संक्रांति में उसे चिगडी खाना अच्छा लगता है
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मेरा पेड़ कभी भी बर्फ़ से नहीं ढकेगा
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अब बारिशें रुक चुकी हैं और अभी सर्दी का मौसम नहीं आया है
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इस मौसम को पतझड़ कहते हैं
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आछि मुझे ज़ुकाम है
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लगता है मौसम बदलने से बहुत लोग बीमार पड़ रहे हैं
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इस मौसम में कई त्यौहार मनाये जाते हैं
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मनु ने आम के पत्तों को धागे में पिरो कर
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देखो तो आकाश कितना नीला दिखता है
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और वो सफ़ेद चमकदार बादल रूई के बड़ेबड़े गोलों जैसे दिखते हैं
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सब कुछ कितना शान्त है
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आज रात को हम शरत पूर्णिमा का पर्व मनाएँगे
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इसे खोजागिरी भी कहते हैं
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हम सब सारी रात जागेंगे
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नारियल चावल और दूध जैसी स़फेद चीज़ों से
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मीरा आज ओणम मना रही है
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ओणम खुशी का त्यौहार है जो केरल वासी मनाते हैं
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सभी के घर खाने को अनाज होता है
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यही समय है जब केरल की विख्यात नौका दौड़ आयोजित होती है
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मेरा भी त्यौहार मनाने का मन कर रहा है
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दशहरे की छुट्टियाँ शुरू हो गई हैं
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दशहरा के दिन यानि नौरात्रों के दसवें दिन मनु और
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मैं मृदंगम बजाना चाहती हूँ
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और जानते हो अम्मा स्कूटर चलाना सीखना चाहती हैं
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जल्दी ही दीपावली आने वाली है
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अँधेरी रात में जब सभी घर दियों और
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मुझे पटाखे चलाना भी अच्छा लगता है
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वे कहते हैं कि यदि हम पानी
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पता नहीं कि ऐसा कैसे होगा
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अब थोड़ी सर्दी होने लगी है
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शरत ॠतु के बाद वर्षा और
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भारत में हेमंत ॠतु थोड़े ही दिनों की होती है
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सर्दियों का मौसम आने ही वाला है
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आकाश में बड़ेबड़े काले बादल घिर आए हैं और
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मुझे उनकी गड़गड़ाहट भी सुनाई दे रही है
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इसे वर्षा ॠतु कहते हैं
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मुझे बारिश से भीगी मिट्टी की सौंधी महक बहुत अच्छी लगती है
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लम्बी गर्मियों के बाद मिट्टी भी बारिश की बूँदों की राह देखती है
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मुझे ऐसा ही लगता है
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बारिश से ज़मीन पर तरहतरह के नमूने बन जाते हैं
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ड्रम रखे हैं
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इन गीतों को कजरी कहते हैं
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सम्राट अकबर के दरबार में एक प्रसिद्ध गायक थे मियाँ तानसेन
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कहा जाता है कि वो मियाँ की मल्हार नाम
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का एक राग गाते थे तो वर्षा आ जाती थी
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स्कूल से घर लौटते हुए रास्ते में
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मैं वर्षा से भीग गई पर बड़ा मज़ा आया
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मनु ने बड़े वाले पेड़ से एक झूला बाँधा है और
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मैं अभी झूलना चाहती हूँ
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क्या मैं थोड़ा लालच कर के एकदो भुट्टे भी खा लूँ
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और माँ ने कहा है कि कल वे पूड़ियाँ बनाने वाली हैं
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ठीक उस हरे दुपट्टे की तरह जिसे हरी भैया ने जयपुर से भेजा है
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वो बता रहे थे कि उसे धानी चुनरिया कहते हैं
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धानी जैसे धान के नन्हे पौधों का रंग
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हम सभी वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं
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पर किसान तो वर्षा के देवताओं की पूजा करते हैं
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या मेरा आम का पेड़ इस पेड़ के जितना बड़ा हो जायेगा
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एक जंगल में दो खरगोश भाई रहते थे
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एक का नाम था टुल्लु और एक का नाम था बुल्लु
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एक दिन जब बाहर बहुत ठंड थी दोनों भाई आग जलाकर
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अपने घर में आराम से बैठे थे
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अचानक किसी ने उनका दरवाज़ा खटखटाया
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टुल्लु ने खिड़की से झाँका
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बाहर एक बड़ा काला भेड़िया खड़ा था
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मैं ठंड में मरा जा रहा हूँ भेड़िये ने कहा
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मुझ पर दया करो
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मुझसे डरो मत
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टुल्लु और बुल्लु को दया आ गई
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दस मिनट के बाद भेड़िया बोला मज़ा आ गया प्
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यारे खरगोश दरवाज़ा थोड़ा सा और
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घबराने की कोई ज़रूरत नहीं
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टुल्लु और बुल्लु ने एक दूसरे की ओर देखा
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