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फ़िर टुल्लु ने दरवाज़े को थोड़ा सा और
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दस मिनट बाद भेड़िया बोला
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तुम लोग कितने अच्छे हो कितने दयालु हो
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अपनी अगली टाँगें भी सेक लूँगा
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मैं खरगोशों को हाथ नहीं लगाता
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अब स़िर्फ भेड़िए का मुँह घर से बाहर था
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दस मिनट के बाद भेड़िया बोला
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ओह कितना आराम मिल रहा है बस मेरी नाक को ठंड लग रही है प्
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यारे दोस्तों दरवाज़ा थोड़ा सा और खोल दो
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ठीक है टुल्लु ने कहा
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तुम अपनी नाक भी गरम कर लो
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भेड़िया पूरी तरह से घर में घुस आया मुड़ा और खरगोशों पर लपका
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अईयईयई भेड़िया चीखा और बाहर भागा
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मैं वापस आऊँगा जातेजाते वह चिल्लाया
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और तुम्हें चीरफाड़ कर कच्चा खा जाऊँगा
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चलो सीढ़ी बनाओ एक और भेड़िए ने कहा
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अभी पकड़ते हैं उनको
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जला हुआ भेड़िया सबसे नीचे था जैसे ही सीढ़ी छत तक पहुँचने लगी
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डर के मारे जले हुए भेड़िए की जान निकल गई
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नहीं नहीं मत फेंको वह चीखा और वहाँ से भागा
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लँगड़ाते बड़बड़ाते वे चले गए और लौट कर कभी नहीं आए
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टुल्लु और बुल्लु नीचे आए
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क्या सोचते हो मुन्ने राजा तुम क्या सोचते हो
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कभीकभी मैं सोचता हूँ कि बादल क्यों गरजते हैं
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तो तुम इस सोच में डूबे रहते हो
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अच्छा तुम बताओ
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क्या लगता है तुम्हें बादल क्यों गरजते हैं
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मुझे लगता है मुझे लगता है
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बताओ भी न मुन्ने राजा क्या लगता है तुम्हें
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मुझे लगता है कि आकाश में एक बड़ा दानव शायद कुंभकर्ण सोया हुआ है
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बारिश की मूसलाधार बूँदें जब उस पर ज़ोरज़ोर से पड़ती हैं
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और उसे गहरी नींद से झकझोर कर उठा देती हैं
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तब वह गुस्से में आँखों से अंगारे उगलता हुआ उठता है
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पैरों को ज़ोरज़ोर से पटकते हुए शेर जैसी दहाड़ मारता है
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दीदी क्या उसकी अम्मी उसकी पिटाई नहीं करतीं
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मेरे हिसाब से तो बादल तभी गरजते हैं
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जब कुंभकर्ण दहाड़ता है
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वही कुंभकर्ण जो स़िर्फ सोना चाहता है
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और बारिश उसकी नींद में बाधा डालती है
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अपनी मोटी मोटी किताबों में
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पहले तुम बताओ मुन्ना
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तुम क्या सोचते हो
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मैं सोचता हूँ मैं सोचता हूँ
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बोलो न मुन्ना क्या सोचा तुमने
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दीदी ऐसा भी तो हो सकता है कि
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आकाश में मोटर साइकिल चालकों का एक गुट है
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वह काले जैकट स्टील से सजे जूते
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और सिनेमा के हीरो की तरह काले चश्मे पहने
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बारिश में मोटर साइकिल की दौड़ लगाते हैं
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जब वह अपनी मोटर साइकिल पर चढ़ कर
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अपनी मोटर को झटके से शुरू करते हैं
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और फिर बिजली गिरती है
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और जब यही चालक अपनी मोटर साइकिल
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घर्रघर्र करके चलाते हैं
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तभी बादलों से गड़गड़ाहट की आवाज़ आती है
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अरे हाँ समझदार तो तुम हो ही
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और शायद ठीक भी
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पर किताबों से तो मैंने कुछ और ही सीखा है
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क्या सीखा है दीदी बताओ तो
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मुन्ना पहले तुम बताओ तुम क्या सोचते हो
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मुझे लगता है कि
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आसमान में रहने वाली
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बूढ़ी दादी के पोतापोती
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जब बारिश के समय
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घर में रहकर बेचैन हो जाते हैं
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और ज़िद पर उतर आते हैं
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तब भी बूढ़ी दादी
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उन्हें बाहर जाने की इजाज़त नहीं देती है
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तब वह चौपड़ और बड़ासा पासा निकालती है
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भूल जाते हैं कि वह कभी ऊबे भी थे
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मुझे लगता है कि जब वह बड़ासा पासा
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आसमान में ज़ोरों से लुढ़कता है
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तब जो आवाज़ होती है
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उसी को बादलों की गड़गड़ाहट कहते हैं
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कैसा लगा दीदी ठीक कहा न मैंने
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मुन्ने राजा क्या कहने तुम्हारी बातों के
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पर मेरी किताबों में तो कुछ और ही लिखा है
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दीदी बता दो क्या कहती हैं
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बताती हूँ बताती हूँ
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इधर आओ और ध्यान से सुनो
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मैंने पढ़ा है कि
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क्या दीदी क्या
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बिजली के चमकने के बाद ही होता है
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पर यह तो तुम्हें भी मालूम है है न
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और यह भी पता होगा कि
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बिजली ही बादलों में गड़गड़ाहट पैदा करती है
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हमारे घर की बिजली की तरह ही है
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हमारे घरों में रोशनी करती है
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और हमारे टीवी में एक ही बटन दबाने पर
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सचिन और सौरभ को दिखाती है
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पर दादी तुम तो बिजली के बारे में बता रही हो
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तो उसको छूने वाली हवा बहुत गर्म हो उठती है
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धमाके की आवाज़ के साथ ज़ोर से फट जाती है
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दीदी दीदी बादल क्यों गरजते हैं
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आओ कुछ और जानें
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ठीक वैसे ही जैसे हमारी धरती सूर्य के चक्कर काटती है
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और इलेक्ट्रॉन में ॠणात्मक
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अब क्योंकि हर परमाणु में प्रोटोनों की संख्या और
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इलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर होती है परमाणु अनाविष्ट होता है
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परन्तु जब दो परमाणु आपस में टकराते हैं
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