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सिमोन बोलीवार अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा एक प्रमुख हवाई अड्डा वेनेज़ुएला में हैं। विश्व के प्रमुख हवाई अड्डे
वंकटी बाह, आगरा, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। आगरा जिले के गाँव
मीरजापुर भारत में उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक मंडल है। इसके अंतर्गत मीरजापुर,भदोही,और सोनभद्र जिले आते हैं। उत्तर प्रदेश के मण्डल
राजभवन हैदराबाद भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक निवास है। यह राज्य की राजधानी हैदराबाद के सोमजीगुदा नामक इलाके में स्थित है। राजभवन का डिज़ाइन और निर्माण १९३८ में एक फ़्रान्सीसी वास्तुकार द्वारा हैदरबाद के अन्तिम निज़ाम मीर ओस्मान अली खान के राजत्व के दौरान किया था। इसे "शाह मंज़िल" के नाम से जाना जाता था और यह "शाहज़ोर जुंग" का निवास था। आन्ध्र प्रदेश के राज्यपालों की सूची आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमन्त्रियों की सूची आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल का आधिकारिक जालस्थल भारत में आधिकारिक आवास हैदराबाद की इमारतें
चेन्नई एक्स्प्रेस ६०४२ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन आलाप्पुड़ा रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:अल्प) से ०४:१०प्म बजे छूटती है और चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:मास) पर ०६:०५आम बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है १३ घंटे ५५ मिनट। मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
भौतिकी में स्पन्द अथवा स्पंद (पल्स) किसी माध्यम में एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक जाने वाले एकल विक्षोभ को कहते हैं। डिजिटल सिग्नल स्पन्द के रूप में होते हैं। भौतिकी की अवधारणाएँ
डेन लेरॉय पीड्ट (जन्म ६ मार्च १९९०) एक दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर हैं। वह केप कोबराज के लिए खेलते हैं। उन्होंने अगस्त २०१४ में जिम्बाब्वे के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया।
होलधरपाली, सांरगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है। छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़
सालगाँव (सलीगाव) भारत के गोवा राज्य के उत्तर गोवा ज़िले की बारदेज़ तालुका में स्थित एक नगर है। सालगाँव यह पोरवोरिम, पारा, गुइरिम, सांगोल्दा, पिलर्न, कण्डोलिम, कालनगूट और नागोआ गाँवों से घिरा हुआ है और गोवा के बार्देज तालुक में स्थित है। यह राजधानी पणजी से १० किमी, मापूसा से ६ किमी, और कालनगूट समुद्र-तट से ३ किमी की दूरी पर स्थित है। सालगाँव १५.५५न 7३.७७ए के निर्देशांको पर स्थित है और इसकी औसत ऊँचाई ९ मीटर है। भारत की २००१ की जनगणना के अनुसार, सालगाँव की जनसंख्या ५,५५3 है। कुल जनसंख्या में पुरुष ५1%, और महिलाएँ ४९% हैं। यहाँ की औसत साक्षरता दर ८२% है जो राष्ट्रीय साक्षरता दर ५9.५% से अधिक है जिसमें से पुरुष साक्षरता दर ८७% और महिला साक्षरता दर ७६% है। ८% लोग ०-६ वर्ष आयुवर्ग के हैं। इन्हें भी देखें उत्तर गोवा ज़िला उत्तर गोवा ज़िला गोवा के नगर उत्तर गोवा ज़िले के नगर
क्रिस ह्यूनिस (एक्टिंग) (१९२७ २००६) दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १९ जनवरी १९८९ से १५ मार्च १९८९ तक था। ये नेशनल पार्टी से थे। दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति
बिमलेश सिंह,भारत के उत्तर प्रदेश की पंद्रहवी विधानसभा सभा में विधायक रहे। २००७ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के इगलास विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से रालोद की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश १५वीं विधान सभा के सदस्य इगलास के विधायक
दिवदिया, अल्मोडा तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा दिवदिया, अल्मोडा तहसील दिवदिया, अल्मोडा तहसील
एसी/डीसी () एक ऑस्ट्रेलियाई रॉक बैंड है जिसे १९७३ में माल्कॉम और एन्गुस यंग भाइयों ने बनाया था और जो अंत तक मुख्य सदस्य बने रहे। मुख्यतः हार्ड रॉक श्रेणी के इस बैंड को हेवी मेटल श्रेणी का रचेता भी कहा जाता है परन्तु वे स्वयं को हमेशा केवल "रॉक एंड रोल" श्रेणी का बैंड ही कहते आए है। आज की तारीख तक यह अबतक के सर्वाधिक कमाई वाले बैंडों में से एक है। १७ फ़रवरी १९७५ में अपना पहला अल्बम हाई वोल्टेज रिलीज़ करने से पूर्व एसी/डीसी के सदस्यों में काफ़ी बदलाव किया गया। १९७७ तक सदस्यता स्थिर रही पर अंत में बास वादक मार्क इवांस को क्लिफ़ विलियम्स से बदल दिया गया और अल्बम पावरेज रिलीज़ किया गया। अल्बम हाइवे टू हेल की रिकॉर्डिंग के कुछ माह पश्च्यात ही मुख्य गायक और गीतकार बोन स्कॉट शराब के भारी नशे के चलते १९ फ़रवरी १९८० को चल बसे। समूह ने इस घटना के बाद स्वंय को बंद करने का विचार किया परन्तु स्कॉट के माता-पिता ने उन्हें नए गायक को शामिल कर आगे बढ़ने का सुझाव दिया। पूर्व जोर्डी बैंड के गायक ब्रायन जॉनसन को स्कॉट की जगह शामिल कर लिया गया। उस वर्ष बैंड ने अपना सर्वाधिक बिक्री वाला व अबतक का किसी कलाकार द्वारा तिसरा सर्वाधिक बिक्री वाला अल्बम बैक इन ब्लैक रिलीज़ किया। बैंड का अगला अल्बम फॉर दोज़ अबाउट तू रॉक वि सेलूट यु था जो उनका पहला अल्बम था जो अमेरिका में प्रथम क्रमांक पर पहुँचने में सफल रहा।
राजनीतिक तंत्र या राजनीतिक व्यवस्था (पॉलिटिकल सिस्टम) किसी समाज में संरचनाओं, भूमिकाओं एवं प्रक्रियाओं का ऐसा प्रबन्ध है जिसके माध्यम से उस समाज में अविकृत निर्णय लिए जाते हैं एवं लागू किए जाते हैं। राजनीतिक व्यवस्था के चार मूल तत्व हैं :- (१) इसका विषय क्षेत्र समूचा समाज होता है ; (२) इसे अधिकृत निर्णय लेने का अधिकार होता है; (३) इसे उन निर्णयों को क्रियान्वित करने तथा आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग करने का अधिकार होता है ; और (४) समाज इस अधिकार के औचित्य को निर्विरोध रूप से स्वीकार करता है।
शमशीर १९५३ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। नामांकन और पुरस्कार १९५३ में बनी हिन्दी फ़िल्म
नवघटा, सांरगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है। छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़
मायाबंदर (मायाबॉन्दर) भारत के अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में मध्य अण्डमान द्वीप पर स्थित एक नगर और तहसील है। यह उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िले का मुख्यालय भी है। मायाबंदर राष्ट्रीय राजमार्ग ४ द्वारा क्षेत्रीय राजधानी पोर्ट ब्लेयर से जुड़ा हुआ है। इन्हें भी देखें मध्य अण्डमान द्वीप उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िला अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िला अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह के नगर उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िले के नगर
ढाना (धना) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर ज़िले में स्थित एक नगर है। इन्हें भी देखें मध्य प्रदेश के शहर सागर ज़िले के नगर
भारत के इतिहास में दो दयानंद मिलते हैं: आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती (१८२४-१८८३) मालेगाँव धमाकों के आरोपी महंत दयानंद पांडे
२००८ ग्लोबल हंगर इंडेक्स के मुताबिक, पंजाब भारत में भूख का सबसे कम स्तर है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों की कम से कम एक चौथाई "जब सूचकांक पर मापा गैबॉन और वियतनाम जैसे देशों से भी बदतर से आया था" हालांकि पंजाब, वजन रहे हैं। पंजाब अपेक्षाकृत अच्छा बुनियादी ढांचा है। यह सड़क, रेल, वायु और नदी परिवहन लिंक है कि पूरे क्षेत्र में व्यापक हैं भी शामिल है। पंजाब में भी ६.1६% (१९९९-२००० आंकड़े) में भारत में सबसे कम गरीबी दर में से एक है, और सबसे अच्छा राज्य प्रदर्शन पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा संकलित सांख्यिकीय आंकड़ों के आधार पर जीता है। वर्ष २०१२ में राज्य भारत के लिए समग्र प्रेषण जो ६६.१३ $ अरब (४५४७४२९४५००००.०० भारतीय रुपए) पर खड़ा था, केरल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के नीचे के उच्चतम रिसीवर में से एक था। वृहद आर्थिक प्रवृत्ति सांख्यिकी मंत्रालय और भारतीय रुपए के लाखों लोगों में आंकड़ों के साथ कार्यक्रम कार्यान्वयन द्वारा अनुमानित बाजार कीमतों पर पंजाब के सकल राज्य घरेलू उत्पाद की प्रवृत्ति का एक चार्ट है। पारंपरिक लंबे समय तक केंद्र सरकार की वित्तीय नीति अच्छी तरह से प्रदर्शन करने वाले राज्यों को पुरस्कृत करने के लिए राज्य के कर्ज २००५ में अपने सकल घरेलू उत्पाद का ६२ फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। प्रमुख औद्योगिक शहर जालंधर, अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, बठिंडा, बटाला, खन्ना, फरीदकोट, राजपुरा, मोहाली, मंडी गोबिंदगढ़, रोपड़, फिरोजपुर, संगरूर, मलेरकोटला और मोगा प्रमुख वित्तीय और औद्योगिक शहरों में हैं। के राज्य के सकल घरेलू उत्पाद एक बड़ा हिस्सा इन शहरों से आता है। पंजाब (पांच नदियों क्षेत्र) पृथ्वी पर सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है। क्षेत्र में गेहूं की फसल उगाने के लिए आदर्श है। चावल, गन्ना, फल और सब्जियों को भी बड़े हो रहे हैं। भारतीय पंजाब "भारत के अन्न भंडार" या "कहा जाता है भारत की रोटी की टोकरी।" कई रिकॉर्ड गलती से उल्लेख है कि यह भारत के गेहूं के ४३% पैदा करता है, लेकिन लगता है कि वास्तव में राष्ट्रीय पूल के लिए अपने योगदान है। यह भारत के गेहूं का १७%, और भारत के चावल के ११% (२०१३ डेटा) पैदा करता है। पंजाब के कुल क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का केवल १.४% है, लेकिन यह देश में उत्पादित अनाज का लगभग १2% पैदा करता है। सबसे बड़े बड़े फसल गेहूं है। अन्य महत्वपूर्ण फसलें धान, कपास, गन्ना, बाजरा, मक्का, जौ और फल हैं। पंजाब के मुख्य फसलों जौ, गेहूं, चावल, मक्का और गन्ने हैं। चारा फसलों में बाजरा और ज्वार कर रहे हैं। फल की श्रेणी में, यह किन्नू की प्रचुर मात्रा में स्टॉक पैदा करता है। सिंचाई का मुख्य स्रोत नहरों और नलकूपों हैं। रबी या वसंत फसल गेहूं, चना, जौ, आलू और सर्दियों सब्जियों के होते हैं। खरीफ या शरद ऋतु फसल चावल, मक्का, गन्ना, कपास और दालों के होते हैं। कृषि क्षेत्र के सकल राज्य घरेलू उत्पाद पंजाब के (जीएसडीपी) के लिए सबसे बड़ा योगदान है। वर्ष २०१३-१४ के आंकड़ों के मुताबिक, कारक लागत पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान और संबद्ध उद्योगों २८.१3% है। भारत के अन्य राज्यों की तुलना में राज्य में एक कम औद्योगिक उत्पादन के साथ अनिवार्य रूप से एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है। पंजाब के औद्योगिक परिदृश्य का एक प्रमुख विशेषता अपने छोटे आकार की औद्योगिक इकाइयों है। वहाँ लगभग १९४,००० छोटे पैमाने पर ५८६ बड़े और मध्यम यूनिट.लुधियाना के अलावा राज्य में औद्योगिक इकाइयों को उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। १९८० के दशक में एक हीरो होंडा और मारुति सुजुकी के संयंत्र का एक मौका लुधियाना में स्थापित किया जाना है, लेकिन आतंकवाद के कुछ परिस्थितियों के कारण इसे रद्द कर दिया गया था। राज्य में औद्योगिक इकाइयों को मोटे तौर पर तीन भागों में विभाजित कर रहे हैं= कृषि आधारित औद्योगिक इकाइयां राज्यानुसार भारत की अर्थव्यवस्था भारत की अर्थव्यवस्था
हरिणडांगा (हरिंदगा) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के नदिया ज़िले में स्थित एक नगर है। इन्हें भी देखें पश्चिम बंगाल के शहर नदिया ज़िले के नगर
कमला सिन्हा(जन्म ३० सितंबर १९३२ - २०१४ निधन ३१दिसंबर २०१४ )कमला सिन्हा का जन्म ढाका (अब बंगला देश ) मे हुआ था ,उनके पिता का नाम केदारेश्वर मुखर्जी था । वह जनसंघ नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भतीजी थी । उनका विवाह समाजवादी नेता बसावन सिंह के साथ हुआ था । १९७२ से १९८४ तक वह बिहार विधान परिषद की सदस्य रही ,१९-०४-१९९० से २-०४-१९94 और ३-०४-१९94 से २-०४-२000 तक वह राजी सभा की सदस्य रही । १९94-९६ तक राज्य सभा की उप सभापति रही । १९97-९८ मे वह विदेश राजी मंत्री रही । बिहार जनता पार्टी की उपाध्यक्षा १९86-८८ तक रही । १९87-९० और १९९० मे वह हिन्द मजदूर सभा की उपाध्यक्षा थी । १९३२ में जन्मे लोग बिहार के लोग २०१४ में निधन
चक केदार गूठं, चौखुटिया तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा गूठं, चक केदार, चौखुटिया तहसील गूठं, चक केदार, चौखुटिया तहसील
जयंत परमार उर्दू भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कवितासंग्रह पेन्सिल और दूसरी नजमें के लिये उन्हें सन् २००८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत उर्दू भाषा के साहित्यकार
९ वर्ष लम्बी सेवा पदक एक भारतीय सैन्य सम्मान है जो उन सैनिकों को दिया जाता है, जिन्होने अच्छे आचरण के साथ कम से कम ९ वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो। इन्हें भी देखें भारतीय सेना के युद्ध सम्मान भारतीय सेना के सम्मान एवं पदक भारतीय सैन्य सम्मान भारतीय सैनिक सम्मान भारत के सैन्य पदक
कृष्ण बहादुर मिश्र,भारत के उत्तर प्रदेश की चौथी विधानसभा सभा में विधायक रहे। १९६७ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के १५५ - बहराइच विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से अ० भा० जनसंघ की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश की चौथी विधान सभा के सदस्य १५५ - बहराइच के विधायक बहराइच के विधायक अ० भा० जनसंघ के विधायक
डोंगरगाँव (डोंगरगांव) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के आगर मालवा ज़िले में स्थित एक नगर है। इन्हें भी देखें आगर मालवा ज़िला आगर मालवा ज़िला मध्य प्रदेश के शहर आगर मालवा ज़िले के नगर
मिल्की छेरिया-बरियारपुर, बेगूसराय, बिहार स्थित एक गाँव है। बेगूसराय जिला के गाँव
मूँगा के अन्य अर्थों के लिए यह लेख देखिये - मूँगा मूँगा एक रत्न है, जिसके नाम पर इस रंग का नाम दिया गया है। यही रंग हिंदु धर्म में मूलाधार चक्र दर्शाता है। मूँगा रंग के परिवर्तन मूँगा रंग की छायाओं की तुलना इन्हें भी देखें रंगों की सूची नारंगी वर्ण की छाया लाल वर्ण की छाया गुलाबी वर्ण की छाया
रमाशंकर अग्रवाल,भारत के उत्तर प्रदेश की चौथी विधानसभा सभा में विधायक रहे। १९६७ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के ३६१ - आगरा पूर्व विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से अ० भा० जनसंघ की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश की चौथी विधान सभा के सदस्य ३६१ - आगरा पूर्व के विधायक आगरा के विधायक अ० भा० जनसंघ के विधायक
एक पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी है जो पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए खेलते हैं। पाकिस्तान टीम के लिए २०१७ से खेलते आ रहे हैं। पाकिस्तान के लिए एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेलते हैं। २० अगस्त २०19 को, हसन अली ने दुबई में भारतीय मूल के फ्लाइट इंजीनियर समिया आरज़ू से शादी की। पाकिस्तान के एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी पाकिस्तान के लोग पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी १९९४ में जन्मे लोग
पोरंकि (कृष्णा) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कृष्णा जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
मर्री चेन्ना रेड्डी पूर्व आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं | वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं | आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री
चंद्रवाक्य (संस्कृत में : चन्द्रवाक्यानि) सूची (लिस्ट) के रूप में व्यवस्थित संख्याओं के एक समूह को कहते हैं जिनका उपयोग प्राचीन भारतीय गणितज्ञों द्वारा चन्द्रमा की पृथ्वी के चारो ओर गति की गणना के लिए किया जाता था। वास्तव में ये संख्या के रूप में होते ही नहीं हैं बल्कि संख्याओं को कटपयादि विधि द्वारा शब्दों में बदल दिया जाता है। इस प्रकार ये 'शब्दों की सूची', 'शब्द-समूह' या संस्कृत में लिखे छोटे-छोटे वाक्यों जैसे दिखते हैं। इसी लिए ये 'चन्द्रवाक्य' कहलाते हैं। परम्परागत रूप से वररुचि (चौथी शताब्दी) को चन्द्रवाक्यों का रचयिता माना जाता है। चन्द्रवाक्यों का उपयोग समय-समय पर पंचांग बनाने तथा पहले से ही चन्द्रमा की स्थिति की गणना के लिए किया जाता था। चन्द्रवाक्यों को 'वररुचिवाक्यानि' तथा 'पंचांगवाक्यानि' भी कहा जाता है। संगमग्राम के माधव (१३५० १४२५ ई) ने संशोधित चन्द्रवाक्यों की रचना की। उन्होने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ वेण्वारोह में चन्द्रवाक्यों की गणना के लिए एक विधि भी विकसित की। केरल के अलावा चन्द्रवाक्य तमिलनाडु के क्षेत्रों में भी खूब प्रयोग किए जाते थे। वहाँ इनका उपयोग पंचागों के निर्माण में किया जाता था जिन्हें 'वाक्यपंचांग' कहते थे। आजकल जो पंचांग बनते हैं वे दृक-पंचांग कहलाते हैं। दृक-पंचांगों का निर्माण चन्द्रवाक्यों के बजाय खगोलीय प्रेक्षणों से प्राप्त आकड़ों की सहायता से किया जाता है। इन्हें भी देखें ज्योतिष का इतिहास केरल गणितीय सम्प्रदाय
मन पसन्द १९८० में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। देव आनन्द - प्रताप नामांकन और पुरस्कार १९८० में बनी हिन्दी फ़िल्म
जॉन लोरेन्स द्वीप (जॉन लॉरेंस आयलैंड) भारत के अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह का एक द्वीप है। यह प्रशासनिक रूप से दक्षिण अण्डमान ज़िले के अंतर्गत आता है और पोर्ट ब्लेयर से ५४ किमी पूर्वोत्तर में स्थित है। इन्हें भी देखें दक्षिण अण्डमान ज़िले के द्वीप अंडमान सागर के द्वीप भारत के निर्जन द्वीप
संयुक्त अरब अमीरात का ध्वज दिवस प्रतिवर्ष ३ नवम्बर को मनाया जाता हैं। इस दिन संयुक्त अरब अमीरात के लोग शेख जायद और शेख राशिद और उनके भाइयों के प्रयासों को याद करते हैं जिन्होंने अपने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। यह एक ऐसा दिन है जब राष्ट्रीय भावना का नवीनीकरण होता है, और राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के युग की उपलब्धियों को प्रतिबिंबित करने का अवसर होता है। यूएई का झंडा न्याय, शांति, सहिष्णुता, शक्ति और संयम के अर्थ का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके तहत सभी अमीराती एक सभ्य जीवन जीते हैं और सुरक्षा और स्थिरता का आनंद लेते हैं। यह दिवंगत शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान की विरासत की निरंतरता में आता है।
राय बहादुर सर उपेन्द्रनाथ ब्रह्मचारी (१९ दिसम्बर १८७३ ६ फरवरी १९4६) भारत के एक वैज्ञानिक एवं अपने समय के अग्रगण्य चिकित्सक थे। १९२२ में उन्होने यूरिया स्टिबेमाइन (कार्बोस्टिबेमाइन) का संश्लेषण किया और निर्धारित किया कि यह काला-अजार के उपचार के लिए उन पदार्थों का एक अच्छा विकल्प है जिनमें एंटिमनी होता है। डॉ. उपेन्द्रनाथ ब्रह्मचारी
२०१५ रग्बी यूनियन विश्व कप, रग्बी यूनियन विश्व कप का आठवाँ संस्करण था। यह इंग्लैंड में १८ सितंबर से ३१ अक्टूबर २०१५ को आयोजित किया गया। इसमे बीस टीमो ने भाग लिया था। टूर्नामेंट का फाइनल न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच था, और न्यूज़ीलैंड ने ऑस्ट्रेलिया को ट्विकेनहैम मे खेले गए फाइनल मे ३४-१७ से पराजित कर २०१५ रग्बी यूनियन विश्व कप जीता। यह न्यूज़ीलैंड की तीसरी विश्व कप जीत थी। वे विश्व कप वापस जीतने के लिए पहली टीम बन गए। मैच के स्थान तेरह स्थानों की दो समर्पित रग्बी यूनियन के मैदान है (किंग्सहोल्म स्टेडियम और सैंडी पार्क), दो राष्ट्रीय रग्बी स्टेडियम हैं (ट्विकेनहैम और मिलेनियम स्टेडियम), दो बहुउद्देश्यीय स्टेडियमों हैं (वेम्बली स्टेडियम और ओलम्पिक स्टेडियम), और शेष फुटबॉल के मैदान हैं। स्रोत: टेलीग्राफ समाचार पत्र विश्व रग्बी आधिकारिक साइट अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धा रग्बी यूनियन विश्व कप
शिवपल्लि, बेज्जूर मण्डल में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के अदिलाबादु जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
सामूहिक पूजन (अंग्रेज़ी: लीटर्गी) किसी धार्मिक समुदाय के लोगों द्वारा अपनी मान्यताओं के अनुसार पारम्परिक व औपचारिक रूप से मंदिर या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर एकत्रित होकर पूजा समारोह में भाग लेने की क्रिया को कहते हैं। कई धार्मिक सम्प्रदायों में इसका बहुत महत्व होता है। मसलन कैथोलिक ईसाई मत में "मॉस" (मास) प्रचलित है जिसमें अनुयायी किसी गिरजे में सभा बनाकर एक पादरी के नेतृत्व में पूजा करते हैं। इसी तरह आर्य समाज में हवन और अन्य हिन्दू समुदायों में सामूहिक पूजा, भजन व कीर्तन होता है। इन्हें भी देखें धार्मिक व्यवहार और अनुभव
अरुण कृष्णाजी कांबले (मराठी: अरुण कृष्णाजी कांबळे) (१४ मार्च, १९५३ -- २० दिसंबर, २००९)। अरुण कृष्णाजी कांबले मराठी साहीत्य में लेखक और दलितों में अग्रणी नेतृत्व थे। अरुण कांबले, दलित पैंथर्स के संस्थापक हैं और वर्तमान में विश्वविद्यालय मुंबई में मराठी विभाग के प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे। वह जनता दल के महासचिव थे। उन्होंने दलितों, पिछड़ा वर्ग के लोगों और अल्पसंख्यकों के पक्ष में प्रमुख निर्णय लिये थे। अरुन कांबले जी का जन्म १४ मार्च १९५३ को सांगली जिले में करगनी गाव में हुआ | उनके माता-पिता शिक्षक थे | उनकी स्कूली पडाई करगनी में हुई | काॅलेज के दिन सांगली जिले में विलिंग्डन महाविद्यालय में व्यतित हुए |मुंबई के सिद्धार्थ महाविद्यालय में एम. ए॰ को मराठी विषय से सुवर्ण पदक प्राप्त किया। १९७३ में प्रोफेसर कर जुडे| वां मयीन क्षेत्र अरुन कांबले, एक लेखक, कवि और सम्पादक थे। सांस्कृतिक संघर्ष रामायण, चीवर, वाद संवाद, युग प्रवर्तक अम्बेडकर, चळवळीचे दिवस जैसे कई किताबें लिखी है। उन्हे प्रबुद्ध रत्न पुरस्कार, लाइफ टाइम अचीवमेंट अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी कुछ किताबें और लेख अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रेंच, गुजराती, कन्नड़, तेलेगु, मल्याळम, उर्दू (दलित आवाज़) और हिन्दी में (सूरज के वंश-धार) अनुवाद किया गया है | दलित साहित्य क्षेत्र अरुण कांबले जी १३ दिसम्बर को हैदराबाद में " अंतरराष्ट्रीय अंबेडकर संस्थान " में एक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने गये थे |उन्हे हैदराबाद में एक झील में मृत पाया गया | एक रहस्यमय तरीके से उनकी सन्दिग्ध मौत की खबर एक बड़े झटके के रूप में आया थी | " उनका जीवन के प्रति बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण था | उन्होने मुझसे कहा था कि वह १५ दिसम्बर को आयेंगे और उनके छात्रों के अनुसार उसी दिन व्याख्यान होंगे " यह उनकी बहन मंगल तिरमारे जी ने कहा | सांगली के लोग १९५३ में जन्मे लोग २००९ में निधन महाराष्ट्र के लोग
पोरलोब द्वीप (पोर्लोब आयलैंड) भारत के अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह केन्द्रशासित प्रदेश में अण्डमान द्वीपसमूह का एक द्वीप है। यहाँ कोई स्थाई आबादी नहीं है और प्रशासनिक रूप से यह उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िले में आता है। इन्हें भी देखें उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िला अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह के गाँव उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िला उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िले के गाँव उत्तर और मध्य अण्डमान ज़िले के द्वीप
मल्ली पाली न.ज़.आ., कालाढूगी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा न.ज़.आ., मल्ली पाली, कालाढूगी तहसील न.ज़.आ., मल्ली पाली, कालाढूगी तहसील
देविबेट्ट, येम्मिगनूरु मण्डल में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कर्नूलु जिले का एक गाँव है। आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट
मैट्स विलेंडर ने जिमी कोनर्स को ६-४, ४-६, ६-४, ६-४ से हराया। १९८८ मियामी मास्टर्स
अख्तियारपुर-पाली पालीगंज, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है। पटना जिला के गाँव
फ्रांस की संस्कृति और फ्रांसीसियों की संस्कृति भूगोल, गंभीर ऐतिहासिक घटनाओं और विदेशी तथा आंतरिक शक्तियों और समूहों द्वारा गढ़ी गयी है। फ्रांस और विशेष रूप से पेरिस, ने सत्रहवीं सदी से उन्नीसवीं सदी तक विश्वव्यापी स्तर पर उच्च सांस्कृतिक केंद्र और आलंकारिक कला के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, इस मामले में यह यूरोप में प्रथम है। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम चरण से, फ्रांस ने आधुनिक कला, सिनेमा, फैशन और भोजन शैली में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। सदियों तक फ़्रांसिसी संस्कृति का महत्व इसके आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य महत्व के आधार पर घटता और बढ़ता रहा है। आज फ़्रांसिसी संस्कृति महान क्षेत्रीय तथा सामाजिक-आर्थिक अंतरों और सुदृढ़ एकीकृत प्रवृत्तियों दोनों के द्वारा चिह्नित है। चाहे फ्रांस या यूरोप में या सामान्य रूप से, सामाजिकीकरण प्रक्रिया, भौतिक कलाकृतियों के माध्यम से मान्यताओं और मूल्यों के मिलन को सीखा जाता है। समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक संबंधों का मार्गदर्शन यह संस्कृति करती है और यह निजी मान्यताओं और मूल्यों को प्रभावित करती है जो व्यक्ति की अपने वातावरण की अभिज्ञता को आकार देते हैं: "संस्कृति एक समूह के सदस्यों के साझा विश्वासों, मूल्यों, मानदंडों और भौतिक वस्तुओं का विज्ञ समुच्चय है। बचपन से बुढ़ापे तक के जीवनक्रम के दौरान समूहों में हम जो कुछ भी सीखते हैं वो सब संस्कृति में शामिल है।"<रेफ नामी="सोसायटी इन फोकस">{{साइटे बुक | लास्ट = थॉमसन | फर्स्ट = विलियम | ऑटर्लिंक = |औथोर२= जोसेफ हिकी | ईयर = २००5 | तितले = सोसायटी इन फोकस' | पबलिशर = पीयरसन | लोकेशन = बोस्टन, मा | इसब्न = ०-२०5-४१३६५-क्स}}</रेफ> लेकिन "फ़्रांसिसी" संस्कृति की अवधारणा कुछ कठिनाइयां खड़ी करती है और "फ़्रांसिसी" ("फ्रेंच") अभिव्यक्ति का ठीक क्या है के बारे में धारणाओं या अनुमानों की एक श्रृंखला है। जबकि अमेरिकी संस्कृति के बारे में "मेल्टिंग पौट" और सांस्कृतिक विविधता की धारणा को मान लिया गया है, लेकिन "फ़्रांसिसी संस्कृति" एक विशेष भौगोलिक इकाई (जैसे कि कह सकते हैं, "मेट्रोपोलिटन फ्रांस", आम तौर पर इसके विदेश स्थित क्षेत्रों को छोड़ दिया जाता है) या नस्ल, भाषा, धर्म और भूगोल द्वारा परिभाषित एक विशिष्ट ऐतिहासिक-सामाजिक समूह को अव्यक्त रूप से संदर्भित है। हालांकि "फ्रेंचनेस" की वास्तविकताएं अत्यंत जटिल हैं। उन्नीसवीं सदी के अंतिम चरण से पहले, "मेट्रोपोलिटन फ्रांस" मुख्यतः स्थानीय प्रथाओं और क्षेत्रीय अंतरों का एक पैबंद भर था, जिसका एन्सियन रिजीम (फ्रांस की राज्य क्रांति से पूर्व की शासन-पद्धति) के एकीकरण का उद्देश्य था और फ़्रांसिसी क्रांति ने इसके खिलाफ काम करना शुरू किया था; और आज का फ्रांस अनेक देशी और विदेशी भाषाओं, बहु-जातीयताओं और धर्मों तथा क्षेत्रीय विविधता वाला देश है, जिसमें कोर्सिका, ग्वाडेलोप, मार्टिनिक और विश्व में अन्य स्थानों के फ़्रांसिसी नागरिक शामिल हैं। इस बृहद विविधता के बावजूद, एक प्रकार की विशिष्ट या साझा संस्कृति या "सांस्कृतिक पहचान" का सृजन एक शक्तिशाली आंतरिक शक्तियों का परिणाम है - जैसे कि फ़्रांसिसी शिक्षा पद्धति, अनिवार्य सैन्य सेवा, सरकारी भाषाई व सांस्कृतिक नीतियां - और फ्रैंको-प्रशिया युद्ध तथा दो विश्व युद्धों जैसी गंभीर ऐतिहासिक घटनाएं ऎसी प्रभावशाली आंतरिक शक्ति रहीं जिनसे २०० सालों के दौरान एक राष्ट्रीय पहचान की भावना को पैदा हुई। हालांकि, इन एकीकृत शक्तियों के बावजूद, फ्रांस आज भी सामाजिक वर्ग और संस्कृति में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मतभेदों (भोजन, भाषा/उच्चारण, स्थानीय परंपराएं) द्वारा चिह्नित होता है, जो कि समकालीन सामाजिक शक्तियों (ग्रामीण क्षेत्रों से आबादी का पलायन, अप्रवासन, केंद्रीकरण, बाजार की शक्तियां और विश्व अर्थव्यवस्था) का सामना करने में अक्षम रहेगा. हाल के वर्षों में, क्षेत्रीय विविधता के नुकसान से लड़ने के लिए, फ्रांस में अनेक लोग बहुसंस्कृतिवाद के रूपों को बढ़ावा दे रहे हैं और सांस्कृतिक परिक्षेत्रों (कम्युनौटेरिज्मे) को प्रोत्साहित कर रहे हैं, साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं की रक्षा के उपाय और कुछ सरकारी कार्यों के विकेन्द्रीकरण किये जा रहे हैं। लेकिन १९६० के दशक से फ्रांस में आये गैर-ईसाई और आप्रवासी समुदायों तथा समूहों को स्वीकार कर पाने या सामूहिक पहचान में शामिल कर पाने में फ़्रांसिसी बहुसंस्कृतिवाद को दिक्कत पेश आ रही है। पिछले पचास वर्षों में फ़्रांसिसी सांस्कृतिक पहचान को विश्व बाज़ार शक्तियों और अमेरिकी "सांस्कृतिक आधिपत्य" से "खतरा" पैदा हुआ है। जबसे १९९३ गाट (गत) मुक्त व्यापार समझौते के साथ यह जुड़ा है, तबसे फ्रांस एक्सेप्शन कल्चरेले (एक्सेप्शन कल्चरेले) के लिए संघर्ष कर रहा है; जिसका मतलब हुआ घरेलू सांस्कृतिक उत्पादन को आर्थिक सहायता देने या उसके साथ अनुकूल व्यवहार करने का अधिकार और विदेशी सांस्कृतिक उत्पादों को सीमित या नियंत्रित करना (जैसा कि फ़्रांसिसी सिनेमा को सरकारी आर्थिक सहायता या पुस्तकों पर वैट कम लगाने में इसे देखा जाता है). स्पष्ट एक्सेप्शन फ़्रैन्काइज (एक्सेप्शन फ्रानैसे) के विचार पर हालांकि फ़्रांस के अनेक आलोचक नाराज हैं। फ़्रांसिसी अक्सर ही राष्ट्रीय पहचान और फ़्रांस की सकारात्मक उपलब्धियों पर बड़ा गर्व महसूस किया करते हैं (अति-राष्ट्रीयता (चौविनिस्म) अभिव्यक्ति फ़्रांसिसी मूल की है) और सांस्कृतिक विषय किसी अन्य के बजाय राजनीति से कहीं अधिक जुड़े हुए है ("द रोल ऑफ़ द स्टेट", नीचे देखें). फ़्रांसिसी क्रांति ने गणराज्य के लोकतांत्रिक सिद्धांतों की सार्वभौमिकता की मांग की थी। चार्ल्स द गॉल ने सक्रिय रूप से फ़्रांसिसी "वैभव" ("महानता") की धारणा को बढ़ावा दिया। सांस्कृतिक स्थिति में कथित गिरावट राष्ट्रीय चिंता की बात हुआ करती है और इस पर राष्ट्रीय बहस चला करती है, वाम (जैसा कि जोस बोव के वैश्वीकरण-विरोध में देखा गया) और दक्षिणपंथियों तथा धुर दक्षिणपंथियों (जैसा कि राष्ट्रीय मोर्चा के संभाषण में देखा गया) द्वारा यह बहस चलायी जाती है। संस्कृति आकलन की हॉफस्टेड की रूपरेखा के अनुसार, फ़्रांस की संस्कृति सामान्य रूप से व्यक्तिपरक और हाई पावर डिस्टेंस इंडेक्स (संस्कृति से संबंधित एक शब्दावली) है। अब, कुछ देशी फ्रांसीसियों और नए फ्रांसीसियों के अंतरजातीय मिश्रण से लोकप्रिय संगीत से फिल्म और साहित्य तक एक जोशीली और अहंकारपूर्ण फ़्रांसिसी संस्कृति का वैशिष्ट्य सामने आया है। इस प्रकार, फ़्रांस में आबादी के मिश्रण के साथ, सांस्कृतिक मिश्रण (ले मेटिसेज कल्चरेल) का अस्तित्व भी विद्यमान है। इसकी तुलना अमेरिका के मेल्टिंग पौट (संस्कृतियों का मिश्रण) की अवधारणा से की जा सकती है। फ़्रांसिसी संस्कृति में पहले से ही अन्य नस्लों और जातीयताओं का मिश्रण हुआ हो सकता है, जैसे कि कुछ जीवनी परक शोध के अनुसार कुछ प्रसिद्ध फ़्रांसिसी नागरिकों के पूर्वजों के अफ्रीकी होने की संभावना है। लेखक एलेक्जेंडर डुमास, पेरे एक चौथाई काले हैटियाई वंश के हैं, और महारानी जोसेफिन नेपोलियन का जन्म फ़्रांसिसी वेस्ट इंडीज के एक बगीचे के स्वामी परिवार में हुआ था और वहीँ उनका लालन-पालन भी हुआ। हम इसका भी उल्लेख कर सकते हैं कि सबसे अधिक प्रसिद्ध फ़्रांसिसी गायक एडिथ पिआफ की दादी उत्तरी अफ्रीका के काबयली की थीं। लंबे समय से, इस तरह के परिणामों पर जाहिर तौर पर सिर्फ धुर-दक्षिणपंथी विचार वालों की ओर आपत्ति की जाती रही है। पिछले कुछ वर्षों में, हालांकि अन्य अप्रत्याशित आवाजें उठाने लगी हैं जो सवाल खड़े कर रही हैं, जिसकी वे "नस्लों की मिलावट के सिद्धांत" (उने आयडियोलोजी डु मेटिसेजे) के रूप में व्याख्या करते हैं, यह शब्दावली एक नए दार्शनिक अलेन फिन्कीलक्रुत ने इजाद की है; एक अन्य दार्शनिक पास्कल ब्रकनर द्वारा परिभाषित "गोरे व्यक्ति की सिसकी" (ले संग्लोत दे एल'होमे ब्लांक) से यह आया हो सकता है। मुख्यधारा द्वारा इन आलोचकों को खारिज कर दिया गया और प्रचारकों को नए प्रतिक्रियावादी (लेस नौवेऔक्स रिएक्शनेयर्स) के रूप में चिह्नित किया गया, जबकि कम से कम एक सर्वेक्षण के अनुसार हाल में फ़्रांस में नस्लवादी और आप्रवासी-विरोधी भावनाएं बढ़ी हैं। फ़्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी सहित ऐसे आलोचकों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के बहुसंस्कृतिवाद की अवधारणा का उदाहरण लेते हुए कहा कि फ़्रांस ने अपनी सीमा के अंदर लगातार जातीय समूहों के अस्तित्व को खारिज किया है और उन्हें विशिष्ट अधिकार देने से इंकार किया है। एकेडेमी फ्रंकैस ने भाषाई शुद्धता के लिए एक आधिकारिक मानक बनाया; हालांकि इस मानक जो कि अनिवार्य नहीं है, की उपेक्षा कभी-कभी खुद सरकार द्वारा कर दी जाती है; उदाहरण के लिए, वामपंथी सरकार की लिओनेल जोस्पिन ने कुछ पदों के नामों के महिलाकरण (मैडमे ला मिनिस्त्रे), जबकि एकेडेमी को कुछ अधिक परंपरागत मैडमे ला मिनिस्त्रे के लिए काम पर लगाया गया। फ़्रांसिसी संस्कृति और फ़्रांसिसी भाषा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कुछ कदम उठाये गए। उदाहरण के लिए, फ़्रांसिसी सिनेमा की मदद के लिए सब्सिडी और अधिमान्य ऋण की व्यवस्था है। तोउबोन क़ानून, इसे बनाने वाले कंजर्वेटिव संस्कृति मंत्री के नाम पर यह नाम पड़ा, के जरिये आम लोगों के बीच किये जाने वाले विज्ञापनों को फ़्रांसिसी भाषा में किया जाना अनिवार्य किया गया। एंग्लोफोन मीडिया में कभी-कभी कुछ गलत धारणा के विपरीत उल्लेखनीय है कि फ़्रांसिसी सरकार ने गैर-वाणिज्यिक समायोजनों की निजी पार्टियों के लिए भाषा के उपयोग का क़ानून नहीं बनाया है और न ही फ़्रांस स्थित डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू साइटों (वॉ साइट्स) के लिए फ़्रांसिसी को अनिवार्य किया है। फ्रांस में अनेक क्षेत्रीय भाषाएं हैं, उनमे से ब्रेटोन और अल्सेटियन जैसी भाषाएं मानक फ़्रांसिसी भाषा से बहुत अलग हैं। कुछ क्षेत्रीय भाषाएं फ्रेंच की तरह रोमन हैं, जैसे कि ऑक्सिटन. बास्क भाषा फ़्रांसिसी भाषा से पूरी तरह से असंबद्ध है और निश्चित ही विश्व की अन्य भाषाओँ से भी; इसकी सीमा फ़्रांस के दक्षिण-पश्चिम और स्पेन के उत्तर के बीच फैली हुई है। इनमें से अनेक भाषाओँ के उत्साही पैरोकार हैं। हालांकि स्थानीय भाषाओँ का वास्तविक महत्व बहस का विषय बना हुआ है। अप्रैल २००१ में, शिक्षा मंत्री जैक लैंग ने औपचारिक रूप से स्वीकार किया कि दो सदी से अधिक समय से फ़्रांसिसी सरकार की राजनीतिक शक्तियों द्वारा क्षेत्रीय भाषाएं दमित होती रही हैं और उन्होंने पहली बार मान्यता प्रदान करते हुए द्विभाषी शिक्षा की घोषणा की और सरकारी विद्यालयों में द्विभाषी शिक्षक नियुक्त किये गए। जुलाई २००८ में वरसैल्स के संसद अधिवेशन द्वारा क्षेत्रीय भाषाओँ को सरकारी मान्यता प्रदान करने के लिए फ़्रांसिसी संविधान में एक संशोधन किया गया। फ्रांस एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां विचारों और धर्म की स्वतंत्रता को सुरक्षित किया गया है; व्यक्ति और नागरिक के अधिकारों की १७८९ घोषणा के जरिये ऐसा किया गया। लाइसाईट (लेसित) के सिद्धांत पर गणतंत्र आधारित है, जिसका अर्थ हुआ धर्म की स्वतंत्रता (अनीश्वरवाद और नास्तिकता सहित) है, जिसे जूल्स फेरी क़ानून और १९०५ के राज्य और चर्च को अलग करने के क़ानून द्वारा लागू किया गया, जिसे तीसरे गणतंत्र (१८७११९४०) के आरंभ में अधिनियमित किया गया था। जनवरी २००७ में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि फ्रांस की आबादी का ५१% खुद को कैथोलिक बताती है-और उनमें से केवल आधे ने कहा कि वे भगवान में विश्वास करते हैं-, ३१% ने खुद को नास्तिक बताया, ४% ने मुसलमान, ३% ने प्रोटेस्टेंट और १% ने खुद को यहूदी बताया। संवैधानिक अधिकार के रूप में फ़्रांस सरकार धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी करती है और आम तौर पर सरकार व्यवहार में इस अधिकार का सम्मान करती है। विभिन्न समूहों के बीच हिंसक संघर्ष के लंबे इतिहास के कारण पिछली सदी के प्रारंभ में राज्य ने कैथोलिक चर्च के साथ अपने संबंध को तोड़ दिया और सार्वजनिक क्षेत्र में धर्मनिरपेक्षता के पूरी तरह से पालन के लिए मजबूती के साथ प्रतिबद्धता हुई। रोमन कैथोलिक धर्म अब राज्य का धर्म नहीं रहा, जैसा कि यह १७८९ की क्रांति से पहले और १९वीं सदी के विभिन्न गैर-गणतांत्रिक शासनों (रेस्टोरेशन, जुलाई मोनार्क और द्वितीय साम्राज्य) के दौरान रहा था। कैथोलिक धर्म और राज्य के बीच सरकारी अलगाव १९05 में हुआ ("सेपरेशन डे एल'इन्ग्लिसे एट डे एल'एटाट") और इस बड़े सुधार ने इस अवधि में फ्रेंच उग्र-सुधारवादी गणतंत्र की धर्मनिरपेक्ष तथा पाद्रिवाद-विरोधी मानसिकता को उजागर किया। २०वीं सदी की शुरुआत में, फ्रांस मुख्यतः कैथोलिक रीति-रिवाजों वाला एक ग्रामीण देश था, लेकिन तबसे इन सौ वर्षों में गांवों से आबादी का पलायन हुआ है और वहां की आबादी बड़े पैमाने पर धर्मनिरपेक्ष हुई है। हैरिस इंटरएक्टिव के दिसम्बर २०06 के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि फ़्रांस की आबादी का ३२% खुद को अनीश्वरवादी बताती है, ३२% खुद को नास्तिक मानती है और सिर्फ २७% किसी तरह के ईश्वर या सर्वोच्च शक्ति पर विश्वास करती है। यह सर्वेक्षण द फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित हुआ था। कैथोलिक धर्म के बाद आज फ़्रांस में इस्लाम दूसरा सबसे बड़ा धर्म है और किसी भी पश्चिमी यूरोपीय देश की तुलना में इस देश में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है। फ़्रांस में १९६० के दशक से मुख्य रूप से उत्तरी अफ्रीका (मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनीशिया) और एक हद तक तुर्की तथा पश्चिम अफ्रीका जैसे क्षेत्रों से लोगों के आप्रवास और स्थायी पारिवारिक निवास के कारण यह परिणाम हुआ है। हालांकि धार्मिक आधार पर फ़्रांस में जनगणना करने पर प्रतिबंध है, लेकिन अनुमानों और सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मुस्लिम आबादी ४% से ७% के बीच है। फ्रांस में मुस्लिम आबादी को फ़्रांसिसी समाज की मुख्यधारा में सामाजिक और सांस्कृतिक एकीकरण के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, सामाजिक-आर्थिक मुद्दों (अकुशल काम, निम्न आय, गरीब पड़ोसी आदि) और जातीय तथा धार्मिक (पूर्वाग्रह, "उग्रवादी इस्लाम" से चिंता, धर्मनिरपेक्ष देश में एकीकृत होने की समस्याएं आदि) दोनों प्रकार के मुद्दों के उदाहरण हाल के वर्षों में देखने को मिले हैं। मजदूर वर्ग और आप्रवासी उपनगरों में नागरिक अशांति (उदाहरण के लिए देखें, फ़्रांस में २००५ की नागरिक अशांति) और कानूनी/राजनीतिक मुद्दों (जैसे क़ि "इस्लामिक बुर्का/स्कार्फ मामला") पर ऐसे उदाहरण सामने आये हैं। विश्व यहूदी कांग्रेस के अनुसार फिलहाल फ़्रांस में यहूदी समुदाय की आबादी लगभग ६००,००० है और अप्पेल यूनिफाई ज्युफ़ डे फ़्रांस के अनुसार ५००,००० है। मुख्यतः पेरिस, मार्सीले और स्ट्रासबर्ग जैसे महानगरीय क्षेत्रों में यह आबादी रहा करती है। फ्रांस के यहूदियों का इतिहास २,००० साल से अधिक पुराना है। मध्य युग के प्रारंभिक चरण में फ़्रांस यहूदी शिक्षा का एक केंद्र हुआ करता था, लेकिन मध्य युग में ही आगे चलकर उत्पीड़न बढ़ने लगा। फ्रांस यूरोप में पहला देश था जिसने फ़्रांसिसी क्रांति के दौरान अपनी यहूदी आबादी को बंधनमुक्त किया, लेकिन जैसा क़ि १९वीं सदी के अंत में ड्रेफस मामले के दृष्टांत से पता चलता है, कानूनी समानता के बावजूद यहूदी-विरोधी भावना एक मुद्दा बनी रही। हालांकि, १८७० डिक्रेट क्रेमीउक्स (द्क्रेट क्र्मीयुक्स) के जरिये फ़्रांस-शासित अल्जीरिया में फ़्रांस ने यहूदियों को पूरी नागरिकता प्रदान की। विध्वंस के दौरान फ़्रांसिसी यहूदियों की एक चौथाई की मृत्यु के बावजूद अभी भी यूरोप में फ़्रांस की यहूदी आबादी सबसे ज्यादा है। फ़्रांसिसी यहूदी ज्यादातर सेफरडिक हैं और अनेक धार्मिक संबद्धता से जुड़े हुए हैं, इनमें अति-रुढ़िवादी हरेडी समुदाय भी हैं तो पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष यहूदियों का एक बड़ा हिस्सा भी है। ईसाई धर्म, इस्लाम और यहूदी धर्म के बाद बौद्ध धर्म को व्यापक रूप से फ्रांस का चौथा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। फ्रांस में दो सौ से अधिक बौद्ध ध्यान केंद्र हैं, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े आकार के बीस आश्रय केंद्र भी हैं। बौद्ध आबादी मुख्य रूप से चीनी और वियतनामी आप्रवासियों की है, कुछ देशी फ़्रांसिसी भी धर्मांतरण करके बौद्ध बने हैं, साथ ही कुछ बौद्ध "समर्थक" भी हैं। फ्रांस में बौद्ध धर्म की बढ़ती लोकप्रियता हाल के वर्षों में फ़्रांसिसी मीडिया और अकादमी में काफी चर्चा का विषय रही है। संप्रदाय और नए धार्मिक आंदोलन फ़्रांस ने संप्रदाय गतिविधियों पर २००६ में पहला फ्रांसिसी संसदीय आयोग गठित किया, जिसने अपनी रिपोर्ट में कई संप्रदायों को खतरनाक माना. ऐसे आंदोलनों के समर्थकों ने धार्मिक स्वतंत्रता के सम्मान के आधार पर इस रिपोर्ट की आलोचना की। इस आकलन के समर्थकों का तर्क है कि केवल खतरनाक संप्रदायों या पंथों को सूचीबद्ध किया गया है और देश की धर्मनिरपेक्षता फ़्रांस की धार्मिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करती है। क्षेत्रीय रीति-रिवाज और परंपराएं सदियों के राष्ट्र निर्माण और अनेक ऐतिहासिक प्रांतों तथा विदेशी उपनिवेशों को इसके भौगोलिक और राजनीतिक ढांचे में अभिग्रहित और समावेशित करने का परिणाम है आधुनिक फ्रांस. ये सारे क्षेत्र फैशन, धार्मिक अनुपालन, क्षेत्रीय भाषा और उच्चारण, परिवार संरचना, भोजन, अवकाश गतिविधियों, उद्योग, आदि में अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक व भाषाई परंपराओं के साथ विकसित हुए. पुनर्जागरण से लेकर आज तक फ़्रांसिसी राज्य और संस्कृति के विकास ने पेरिस और उसके आसपास में (एक हद तक अन्य बड़े शहरी क्षेत्रों के आसपास) राजनीति, मीडिया और सांस्कृतिक उत्पादन का केंद्रीकरण किया और बीसवीं सदी में देश के औद्योगीकरण से बड़े पैमाने पर ग्रामीण जनता ने शहरी क्षेत्रों का रुख किया। उन्नीसवीं सदी के अंत में, फ्रांस के लगभग ५०% की जीविका भूमि पर निर्भर थी; आज फ़्रांसिसी किसान मात्र ६-७% हैं, जबकि ७3% लोग शहरों में रहते हैं। प्रांतीय युवाओं के पेरिस "आगमन" और राजधानी के सांस्कृतिक, राजनीतिक या सामाजिक क्षेत्र में "कुछ कर दिखाने" के दृश्यों से उन्नीसवीं सदी का फ़्रांसिसी साहित्य भरा पड़ा है (बालजाक के उपन्यासों में ऐसे दृश्य प्रायः हुआ करते हैं). तीसरे फ़्रांसिसी गणतंत्र द्वारा बनायी गयीं अनिवार्य सैन्य सेवा, एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय शिक्षा पद्धति और क्षेत्रीय भाषाओं के दमन की नीतियों ने इस विस्थापन को और अधिक बढ़ावा दिया। जबकि सरकार की नीति और हाल के वर्षों में क्षेत्रीय मतभेदों के स्थिरीकरण के लिए फ्रांस में सार्वजनिक बहस की वापसी हुई है और सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ पहलुओं के विकेंद्रीकरण की मांग उठने लगी है (कभी-कभी जातीय, नस्लीय या प्रतिक्रियावादी मकसद से), लेकिन क्षेत्रीय विस्थापन के इतिहास और आधुनिक शहरी माहौल की प्रकृति और जन मीडिया और संस्कृति के वातावरण ने आज के फ़्रांस में क्षेत्रीय "स्थान या संस्कृति की भावना" के संरक्षण को बहुत ही अधिक कठिन बना दिया है। ऐतिहासिक फ़्रांसिसी प्रांतों के नामों - जैसे कि ब्रिटनी, बेरी, ओर्लिआनैस, नोरमंडी, लंगुएडोक, लाओनैस, डूफाइन, शैम्पेन, पोइतू, गुएन और गास्कोनी, बरगुंडी, पिकार्डी, प्रोवेंस, टूरीन, लिमोजिन, औवेर्गने, बार्न, अल्सेचे, फ्लैंडरस, लोरेन, कोर्सिका, सवोय. (कृपया प्रत्येक क्षेत्रीय संस्कृति के बारे में विशेष जानकारी के लिए अलग-अलग आलेख देखें) - का आज भी प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों को नामित करने में प्रयोग होता है और उनमें से अनेक आधुनिक क्षेत्र या विभाग के नामों में दिखाई देते हैं। इन नामों का अपने पारिवारिक मूल की पहचान के लिए भी फ्रांसीसियों द्वारा किया जाता है। कोर्सू, काताला, ऑक्सिटन, अल्सेटीयन, बास्क और ब्रेझोनेग (ब्रेटन) जैसी गैर-फ़्रांसिसी भाषाओं से जुडी संस्कृतियों में आज क्षेत्रीय पहचान सबसे अधिक स्पष्ट है और इन क्षेत्रों में से कुछ एक हद तक क्षेत्रीय स्वायत्तता और कभी-कभी राष्ट्रीय स्वतंत्रता (उदाहरण के लिए देखें, ब्रेटन राष्ट्रीयता और कोर्सिका) के लिए आंदोलन चलाते रहते हैं। पेरिस और प्रांतों के बीच जीवन शैली, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और विश्व दृष्टिकोण में भारी अंतर हैं। फ़्रांसिसी अक्सर ही प्रांतीय शहरों, ग्रामीण जीवन और ग्रामीण कृषि संस्कृति को स्पष्ट रूप से नामोद्दिष्ट करने के लिए "ला फ़्रांस प्रोफोंडे" ("गहरा फ़्रांस", जो "हृदयस्थल" के समान है) अभिव्यक्ति का प्रयोग किया करते हैं, जो पेरिस के प्राधान्य को नकारता है। हालांकि, अभिव्यक्ति का एक निंदात्मक अर्थ हो सकता है, जो कि "ले डिजर्ट फ्रंकैस" ("फ़्रांसिसी रेगिस्तान") अभिव्यक्ति के समान है, जिसका प्रयोग प्रांतों के संस्कृति-संक्रमण के अभाव को वर्णित करती है। एक और अभिव्यक्ति "टेरौर (टेरोयर)" है, जो मूलतः वाइन और कॉफी के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है, इन उत्पादों को प्रदान करने वाले भूगोल की विशेष अभिलक्षण को बताने के लिए इसका प्रयोग होता है। बहुत ही ढीले-ढाले ढंग से इसका अनुवाद "स्थान की योग्यता" के रूप में किया जा सकता है जिसमें कुछ खास गुण निहित हैं और उनके प्रभावों के कारण स्थानीय पर्यावरण (खासकर "भूमि") से उत्पाद पैदा हुआ है। अनेक सांस्कृतिक उत्पादों के बारे में चर्चा करने के सिलसिले में इस शब्द का व्यापक रूप से प्रयोग हुआ करता है। महानगरीय क्षेत्र के अलावा फ़्रांस में कैरिबियाई के ग्वाडेलोप, मार्टीनिक और फ्रेंच गयाना तथा हिंद महासागर का रियूनियन जैसे विदेश स्थित इसके पूर्व उपनिवेश भी शामिल हैं। (इसके अलावा कई "विदेश स्थित समष्टियां" और "विदेशी क्षेत्र" भी शामिल हैं। पूरी चर्चा के लिए, फ्रांस के प्रशासनिक प्रभाग देखें. १९८२ से, फ़्रांसिसी सरकार की विकेन्द्रीकरण की नीति का पालन करते हुए विदेश स्थिर क्षेत्रों ने क्षेत्रीय परिषदों का चुनाव किया, जिनकी शक्तियां महानगरीय फ़्रांस के क्षेत्रों जितनी हैं। २००३ में हुए संवैधानिक संशोधन के परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों को अब विदेशी क्षेत्र कहा जाता है।) इन विदेशी विभागों या क्षेत्रों की महानगरीय विभागों या क्षेत्रों जैसी ही राजनीतिक हैसियत है और ये फ़्रांस के अभिन्न अंग हैं, ठीक उसी तरह जैसे कि हवाई एक राज्य है और संयुक्त राज्य अमेरिका का अभिन्न अंग है, फिर भी उनकी विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई परंपराएं हैं जो उन्हें अलग करती हैं। विदेशी संस्कृति के कुछ तत्वों को महानगरीय संस्कृति में शामिल भी किया गया है (जैसे कि संगीतात्मक शैली बिगुइन). उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी में औद्योगीकरण, आप्रवासन और शहरीकरण ने फ़्रांस में नए सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रीय समुदायों का भी सृजन किया; शहरों (जैसे कि पेरिस, लायोन, विलेअर्बने, लिल्ले, मार्सीले आदि) और उपनगरों और शहरी संकुलन (जिसे विविध रूप से बन्लिएउएस ("उपनगर", कभी-कभी "चिक" या "पौव्रेस" भी कहा जाता है) या लेस सिटेस ("आवासीय परियोजनाएं") के मजदूर वर्गीय भीतरी क्षेत्रों (जैसे कि सिने-सैंट-डेनिस) ने अपने "सेन्स ऑफ़ प्लेस" (स्थान की भावना) और स्थानीय संस्कृति (न्यूयॉर्क सिटी के विभिन्न नगरों और लॉस एंजेल्स के उपनगरों की तरह) और सांस्कृतिक पहचान को विकसित किया। अन्य विशिष्ट समुदाय पेरिस पारंपरिक रूप से वैकल्पिक, कलात्मक या बौद्धिक उप-संस्कृतियों से जुड़ा रहा है, इनमें से अनेक में विदेशी शामिल हैं। इन उप-संस्कृतियों में शामिल हैं मध्य-उन्नीसवीं सदी का "बोहेमियंस", इम्प्रेशनिस्ट, बेले एपोक्वे के कलात्मक हलके (ऐसे कलाकारों में पिकासो और अल्फ्रेड जैरी शामिल हैं), ददाइस्ट, सुरेअलिस्ट, "लॉस्ट जेनेरेशन" (हेमिंग्वे, गरट्रुड स्टेन) और मोंटपार्नेस से जुड़े युद्धोत्तर "बुद्धिजीवी" (जीन-पॉल सार्त्र, सीमोन डि बुवेर). फ्रांस में अनुमानतः २८०,०००-३४०,००० खानाबदोश या जिप्सी हैं, जिन्हें आम तौर पर गितांस, सिगेंस, रोमानिचेल्स (थोड़ा अपमानजनक), बोहेमियाईइ या जेन्स डू वोयेज ("पर्यटक") कहा जाता है। शहरों में पुरुष व महिला समलैंगिक समुदाय हैं, खासकर पेरिस महानगरीय क्षेत्र में (जैसे कि राजधानी के ले मारेस जिले में). हालांकि स्पेन, स्कैंडिनेवियाई और बेनेलक्स देशों की तरह फ़्रांस में शायद समलैंगिकता को उतना सहन नहीं किया जाता है, फ़्रांसिसी जनता के एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में फ्रांसीसियों के रवैये में काफी बदलाव आया है। २००१ तक, ५५% फ़्रांसिसी समलैंगिकता को "एक अस्वीकार्य जीवन शैली" मानते थे। पेरिस के वर्तमान मेयर बर्ट्रेंड डेलानोए समलैंगिक हैं। २००६ में, एक इपसोस सर्वेक्षण दर्शाता है कि ६२% लोग समलैंगिक विवाह का समर्थन करते हैं, जबकि ३७% ने इसका विरोध किया। ५५% का मानना है कि समलैंगिकों को परवरिश का अधिकार नहीं मिलना चाहिए, जबकि ४४% का मानना है कि समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने का अधिकार मिलना चाहिए। फ्रांस में एलजीबीटी (लगट) अधिकार भी देखें. फ़्रांसिसी समाज के समानतावादी पहलुओं के बावजूद, फ़्रांसिसी संस्कृति में सामाजिक-आर्थिक वर्ग और अनेक वर्ग पार्थक्य विद्यमान हैं. परिवार और रोमांटिक संबंध कैथोलिक चर्च और ग्रामीण समुदायों के मूल्यों के साथ विकसित हुए फ़्रांसिसी समाज की बुनियादी इकाई पारंपरिक रूप से परिवार ही रहा है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, फ्रांस की "पारंपरिक" पारिवारिक संरचना सामूहिक परिवार से छोटे परिवार में बदली है, खासकर दूसरे विश्व युद्ध के बाद से. १९६० के दशक से, फ़्रांस में विवाह में कमी आई है और तलाक में वृद्धि हुई है और तलाक के कानून और कानूनी पारिवारिक स्थिति हो रहे सामाजिक परिवर्तनों को दर्शाती हैं। आईएनएसईई (इंसी) के आंकड़ों के अनुसार, महानगरीय फ्रांस में गृहस्थी और पारिवारिक संरचना में परिवर्तन होना जारी है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि १९८२ से १९९९ तक, एकल अभिभावक परिवारों की संख्या ३.६% से बढ़कर ७.४% हो गयी; इसके अलावा अविवाहित जोड़ों, निःसंतान जोड़ों और एकल पुरुषों (८.५% से १२.५%) तथा महिलाओं (1६.०% से 1८.५%) में भी वृद्धि हुई। उनके विश्लेषण के अनुसार "प्रत्येक तीन घरों में से एक में अकेला व्यक्ति रहा करता है; जबकि प्रत्येक चार घरों में से एक में निःसंतान दंपति रहता है।" कुछ विवाद के बाद नवंबर १९९९ में फ़्रांसिसी संसद ने पैक्ट सिविल डि सोलिडेराईट ("एकजुटता के लिए नागरिक समझौता") के लिए मतदान किया, जिसे आम तौर पर पीएसीएस (पैक) भी कहते हैं, यह दो वयस्कों (समलैंगिक या विपरीत लैंगिक) के बीच उनके संयुक्त जीवन को आयोजित करने के लिए नागरिक मिलन का एक रूप है। इसमें अधिकार और कर्तव्य होते हैं, लेकिन विवाह से कम. एक कानूनी दृष्टिकोण से, दो व्यक्तियों के बीच होने वाले एक "अनुबंध" को पीएसीएस कहते हैं, अदालत के किरानी द्वारा जिस पर मुहर लगायी जाती है और पंजीकृत किया जाता है। पीएसीएस के तहत पंजीकृत व्यक्ति कुछ प्रयोजनों से पारिवारिक स्थिति के मामले में तब भी "एकल" माने जाते हैं, जबकि अन्य प्रयोजनों से उसी तरह शादी-शुदा जोड़े माने जाते हैं। जब १९९८ में प्रधानमंत्री लायनेल जोस्पिन की सरकार इसे पेश कर रही थी तब मुख्यतः दक्षिणपंथियों द्वारा इसका विरोध किया गया था, जो परंपरावादी पारिवारिक मूल्यों का समर्थन करते हैं और उनका कहना है कि पीएसीएस तथा समलैंगिक विवाहों को मान्यता देना फ़्रांसिसी समाज के लिए विनाशकारी होगा। हालांकि, फ्रांस में समलैंगिक विवाह कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त नहीं है। राज्य की भूमिका सरकार की शैक्षिक, भाषाई, सांस्कृतिक और आर्थिक नीतियों के माध्यम से और राष्ट्रीय पहचान को प्रोत्साहन के माध्यम से फ़्रांसिसी राज्य ने संस्कृति को बढ़ावा देने और समर्थन करने में परंपरागत रूप से मुख्य भूमिका निभायी है। इस संबंध की घनिष्ठता के कारण फ़्रांस में सांस्कृतिक परिवर्तन अक्सर राजनीतिक संकट से जुड़े होते हैं या उसे पैदा करते हैं। फ़्रांसिसी राज्य और संस्कृति के बीच का संबंध काफी पुराना पुराना है। लुईस तेरहवें के मंत्री रिचेल्यु के तहत स्वतंत्र एकेडेमी फ्रैंकैस राज्य पर्यवेक्षण के अंतर्गत आया और फ़्रांसिसी भाषा तथा सत्रहवीं सदी के साहित्य पर नियंत्रण करने वाला एक आधिकारिक साधन बन गया। लुईस चौदहवें के शासनकाल में उनके मंत्री जीन-बप्तिस्ते कोल्बर्त ने फ़्रांस के सुख-साधन उद्योगों, जैसे कि कपड़ा और चीनी मिट्टी के बर्तन उद्योगों, को शाही नियंत्रण में ले आया और वास्तुकला, फर्नीचर, फैशन और शाही दरबार के शिष्टाचार (खासकर चैटु डि वार्सैलीज में) सत्रहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में फ़्रांस में कुलीन संस्कृति के बहुत ही प्रतिष्ठित मॉडल बन गये (और, एक बड़े हद तक पूरे यूरोप के). कभी-कभी, कुछ सांस्कृतिक मानदंडों के इर्द-गिर्द देश को एक करने के लिए फ़्रांसिसी राज्य की नीतियां बदलती जाती रहीं, जबकि दूसरी तरफ एक विविधतापूर्ण फ़्रांसिसी पहचान के अंदर क्षेत्रीय मतभेदों को बढ़ावा दिया जाता रहा। फ़्रांसिसी तीसरे गणतंत्र की "उग्र-सुधारवादी अवधि" में एकीकरण प्रभाव खास तौर पर सच्चे थे, तब फ़्रांसिसी तीसरे गणतंत्र ने क्षेत्रीयतावाद (क्षेत्रीय भाषाओँ सहित) से संघर्ष किया राज्य से चर्च का अलगाव सख्ती के साथ किया (शिक्षा सहित) और सक्रिय रूप से राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा दिया; इस प्रकार (जैसा कि इतिहासकार युगेन वेबर कहते हैं) एक "किसानों के देश को फ्रांसीसियों के देश में" बदल डाला। जबकि दूसरी ओर, विची शासन ने क्षेत्रीय "लोक" परंपराओं को बढ़ावा दिया। पांचवें फ़्रांसिसी गणतंत्र (वर्तमान) की सांस्कृतिक नीतियां विविध प्रकार की रही हैं, लेकिन फ़्रांसिसी क्षेत्रीयतावाद (जैसे कि भोजन और भाषा) को संरक्षित रखने के लिए एक आम सहमति मौजूद रही दिखती है, जब तक कि ये राष्ट्रीय पहचान को कमजोर न करें। इस बीच, हाल के आप्रवासी समूहों और विदेशी संस्कृतियों, विशेष रूप से अमेरिकी संस्कृति (सिनेमा, संगीत, फैशन, फास्ट फूड, भाषा, आदि) की परंपराओं के साथ "फ़्रांसिसी" संस्कृति के एकीकरण पर फ़्रांसिसी राज्य दुविधाग्रस्त रहा। यूरोपीय प्रणाली में और अमेरिकी "सांस्कृतिक आधिपत्य" के तहत फ़्रांसिसी पहचान और संस्कृति के कथित नुकसान पर एक ख़ास भय भी बना हुआ है। फ़्रांसिसी शिक्षा प्रणाली अत्यंत केंद्रीकृत, संगठित और फैली हुई है। यह तीन अलग-अलग चरणों में विभाजित है: प्राथमिक शिक्षा (एन्सिग्न्मेंट प्राइमेयर); माध्यमिक शिक्षा (कॉलेज और लायसी) और उच्च शिक्षा (एल'युनिवर्सिटे). प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मुख्यतः सार्वजनिक है (निजी स्कूल भी हैं, खासकर प्राथमिक और माध्यमिक कैथोलिक शिक्षा के मजबूत राष्ट्रव्यापी नेटवर्क में), जबकि उच्च शिक्षा सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में है। माध्यमिक शिक्षा के अंत में, छात्रों को उच्च शिक्षा में जाने के लिए बैकलॉरीअट परीक्षा देनी होती है। १९९९ में बैकलॉरीअट परीक्षा उत्तीर्ण करने की दर ७८.३% थी। १९९९-२००० में, फ़्रांसिसी सकल घरेलू उत्पाद का ७% और राष्ट्रीय बजट का 3७% की राशि शिक्षा पर खर्च की। तत्कालीन सार्वजनिक निर्देश मंत्री के नाम से बने १८८१-८२ के जूल्स फेरी कानूनों के आने के बाद से, विश्वविद्यालयों सहित सभी सरकारी वित्त पोषित विद्यालयों को (रोमन कैथोलिक) चर्च से स्वतंत्र कर दिया गया। इन संस्थानों में शिक्षा निःशुल्क है। गैर-धर्मनिरपेक्ष संस्थानों को भी शिक्षा संस्थान खोलने की अनुमति है। फ़्रांसिसी शिक्षा प्रणाली उत्तरी यूरोपीय और अमेरिकी प्रणाली से प्रभावशाली ढंग से अलग है जिसमें यह जिम्मेदारी से मुक्त होने का विरोध करने वाले समाज में भाग लेने पर जोर देती है। फ़्रांसिसी बहुसंस्कृतिवाद के हाल के मुद्दों से धर्मनिरपेक्ष शिक्षा नीति विवेचनात्मक बन गयी है, जैसा कि "इस्लामी बुर्का या सर के स्कार्फ के मामले" में देखा गया। फ़्रांस सरकार का संस्कृति मंत्री राष्ट्रीय संग्रहालयों और स्मारकों का मंत्रीमंडलीय सदस्य प्रभारी होता है, जो फ़्रांस तथा विदेश में कलाओं (दृश्य, प्लास्टिक, नाट्य, संगीत, नृत्य, वास्तुशिल्प, साहित्यिक, टेलिविजन और सिनेमाटोग्राफिक) को बढ़ावा और सर्नर्क्षित करता है; और जो राष्ट्रीय अभिलेखागारों और क्षेत्रीय "मेसंस डे कल्चर" (संस्कृति केंद्र) के प्रबंध के काम देखता है। पेरिस के पैलेस रॉयल में संस्कृति मंत्रालय स्थित है। संस्कृति मंत्री का आधुनिक पद १९५९ में चार्ल्स डे गॉल द्वारा बनाया गया था और इसके पहले मंत्री थे लेखक मालरौक्स आन्द्रे. संस्कृति के जनतांत्रिक मार्ग द्वारा "ड्रोएट अ ला कल्चर" ("संस्कृति का अधिकार") के लक्ष्य के विचार का श्रेय मालरौक्स को जाता है - इस विचार को फ़्रांसिसी संविधान और मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (१९४८) में शामिल किया गया। इसके अलावा इस विचार द्वारा युद्धोत्तर फ़्रांस के "ग्रैंडीयर" ("महानता") को उन्नत करने की गॉलवादी लक्ष्य की प्राप्ति भी की गयी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्होंने फ़्रांस भर में अनेक क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों की स्थापना की और सक्रिय रूप से कला को प्रायोजित किया। मलरौक्स की कलात्मक रूचि में आधुनिक कला और नवीन तरकीबों के प्रयोग शामिल हैं, लेकिन कुल मिलकर वे रूढ़िवादी रहे। फ़्रांसिसी भाषा के संरक्षण के लिए जैक्स तोउबों का मंत्रालय अनेक क़ानून (तोउबों क़ानून) बनाने के लिए जाना जाता है, अंग्रेजी भाषा की उपस्थिति की प्रतिक्रिया में जाहिरा तौर पर विज्ञापनों (विज्ञापनों में विदेशी शब्दों का फ़्रांसिसी में अनुवाद जरुर हो) और रेडियो (फ़्रांसिसी रेडियो स्टेशनों के ४० फीसदी गीत फ़्रांसिसी में जरुर हो) के लिए क़ानून बनाये गये। फ्रांसिसि अकादमी एकेडेमी फ्रंसेज़ या फ़्रांसिसी अकादमी, फ़्रांसिसी भाषा संबंधी मामलों की सर्वश्रेष्ठ फ़्रांसिसी विशारद इकाई है। अकादमी की आधिकारिक स्थापना कार्डिनल रिचेलु द्वारा १६३५ में की गयी थी, जो राजा लुईस तेरहवें के प्रमुख मंत्री थे। इसे १७९३ में फ़्रांसिसी क्रांति के दौरान दबा दिया गया था, जो १८०३ में नेपोलियन बोनापार्ट द्वारा फिर से बहाल किया गया (क्रांति के दौरान अकादमी ने खुद को निलंबित मान लिया था, इसे दबाया नहीं गया था). यह इंस्टीट्युट डी फ्रांस की पांच अकादमियों में सबसे पुरानी है। अकादमी में चालीस सदस्य होते हैं, जिन्हें इमोर्टल्स (अमर) कहा जाता है। नए सदस्यों का चुनाव अकादमी के सदस्यों द्वारा ही होता है। शिक्षाविद आजीवन पद पर बने रहते हैं, लेकिन कदाचार के लिए उन्हें हटाया जा सकता है। यह इकाई भाषा पर एक सरकारी अधिकारी के रूप में काम करती है, इसने आधिकारिक भाषा के एक शब्दकोश का प्रकाशन किया है। हालांकि, इसके फैसले सिर्फ सलाह होते हैं, जो जनता या सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं हैं। १९९६ तक, फ्रांस में नौजवान पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य थी। इतिहासकारों के अनुसार एक और अधिक एकीकृत राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा देने के लिए और क्षेत्रीय अलगाववाद को तोड़कर ऐसा किया गया। श्रम और रोजगार नीति १८८४ में पारित फ्रांस में पहले श्रम कानून वालडेक रौससीउ के कानून थे। १९३६ से १९३८ के बीच पापुलर फ्रंट ने मजदूरों के लिए साल में १२ दिन (दो सप्ताह) की अनिवार्य वैतनिक छुट्टी का क़ानून बनाया और ओवर टाइम को छोड़कर कार्य सप्ताह को कुल ४० घंटे में क़ानून द्वारा सीमित किया गया। मई १९६८ संकट के बीच में २५ मई और २६ मई को ग्रेनेले समझौते पर बातचीत हुई और कार्य सप्ताह को कम करके ४४ घंटे किया गया और हरेक उद्योग में मजदूर संघ बनाये गये। न्यूनतम मजदूरी में भी २५% की वृद्धि की गयी। सन् २००० में लायनेल जोस्पिन की सरकार ने फिर से ३९ घंटे से घटाकर ३५ घंटे का कार्य सप्ताह कर दिया। पांच साल बाद, कंजर्वेटिव प्रधानमंत्री डोमिनीक डी विल्लेपिन) ने नया रोजगार अनुबंध (सीएनई) क़ानून बनाया। फ़्रांसिसी श्रम क़ानून को अधिक लचीला बनाने की मांगों को पूरा करने के लिए इसे लाया गया था, इस कारण मजदूर संघों और विरोधियों द्वारा इसे अनिश्चित काम में पक्षपात बता कर सीएनई (क्ने) की निंदा की गयी। इसके बाद २००६ में उन्होंने आपातकालीन प्रक्रिया द्वारा मतदान के माध्यम से प्रथम रोजगार अनुबंध (सीपीई) को पारित करने का प्रयास किया, लेकिन छात्रों और मजदूर संघों द्वारा इसका विरोध किया गया। राष्ट्रपति जाक शिराक के पास इसे निरस्त करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण फ्रांसिसी बड़ी शिद्दत से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ("सिक्योरिटी सोशले") कहलाता है और इसके "सेवा के लिए भुगतान करें" जैसे सामाजिक कल्याण प्रणाली के लिए प्रतिबद्ध हैं। १९९८ में, फ्रांस में स्वास्थ्य के लिए भगुतान का ७५% सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से किया गया था। २७ जुलाई १९९९ से फ्रांस में स्थायी निवासियों (तीन महीने से अधिक समय के लिए रहनेवाले) के लिए एक सार्वभौमिक चिकित्सा मुहैया कराया जाता है। खान-पान और जीवन शैली भोजन और शराब फ़्रांसिसी संस्कृति और परंपरागत भोजन के आनंद को बहुत प्राथमिकता देती है। २० वीं सदी में जॉर्ज अगस्ते एस्कॉफिर द्वारा फ़्रांसिसी पाक-प्रणाली को विधिबद्ध किया था, जो हॉटे पाक-शैली का आधुनिक संस्करण बन गया। हालांकि एस्कॉफिर का मुख्य काम फ्रांस के प्रांतों में पाया जाने वाले क्षेत्रीय चरित्र में ही रह गया है। २०वीं सदी के दौरान और इसके बाद गैस्ट्रो-पर्यटन और गाइड मिशेलिन ने फ्रांस के अमीर पूंजीपतियों और किसानों की पाक-शैली का नमूना ग्रामीण क्षेत्र के लोगों तक पहुंचाने में मदद की। फ्रांस के दक्षिण पश्चिम के भोजन पर बास्क पाक-शैली का भी बहुत अधिक प्रभाव रहा हैं। क्षेत्र के हिसाब से मसाले और व्यंजन अलग-अलग होते हैं. यहां कई महत्वपूर्ण क्षेत्रीय व्यंजन है जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों ही बन गए हैं। कई व्यंजन ऐसे हैं जो कभी क्षेत्रीय थे, लेकिन वर्तमान समय में अलग-अलग किस्मों में पूरे देश भर में प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। चीज और वाइन भोजन का मुख्य हिस्सा है, ये दोनों ही अपनी विभिन्न किस्म और ऐपलेशन ड'ओरिजिन कंट्रोली (एओसी) (व्यवस्थित उपाधि) कानून (ले-पुए-एन-विले से मसूर दाल की भी हैसियत एओसी की है) के साथ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय रूपों में अलग-अलग तरह की भूमिका निभाते हैं। अन्य फ्रेंच उत्पाद में चारोलाइस गाय उल्लेखनीय है। आमतौर पर फ्रेंच केवल एक साधारण नाश्ता ("पेटिट डेजेयूनर" (पेटिट द्जेऊनर)) (यानी पारंपरिक तौर पर बगैर हैंडिल के "बोल" (बाउल) में परोसी गयी कॉफी या चाय और ब्रेड, नाश्ते में खायी जानेवाली पेस्ट्री (क्रोइसैन), या दही) ही खाते हैं। दोपहर का भोजन ("डेजेयूनर" (द्जेऊनर) और रात का खाना ("डिनर") दिन भर का मुख्य भोजन हैं। औपचारिक चार तरह के भोजन में एक स्टार्टर ("एंट्री"), एक मुख्य भोजन ("प्लेट प्रिंसिपल") के बाद सलाद और अंत में चीज और/या कोई एक मिठाई होता है। जबकि फ़्रांसिसी भोजन के साथ अक्सर शानदार डेसर्ट (मिठाई) जुड़ा होता है, ज्यादातर घरेलू मिठाई में केवल एक फल या दही के होते हैं। फ्रांस में स्थानीय बाजारों और छोटी दुकानों में खाद्य सामग्री की खरीददारी लगभग हर रोज होती है़, लेकिन सुपरमार्केट और इससे भी बड़े "हाइपर मार्चेस" (बड़े भूतल वितरकों) के आगमन से इस परंपरा में खलल पड़ गया है। ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी में ह्रास होने के साथ बहुत सारे शरह के दूकान और मार्केट बंद हो जाने को मजबूर हो गए हैं। फ्रांस में मोटापा और दिल की बीमारी की दरें परंपरागत रूप से अन्य उत्तर पश्चिमी यूरोपीय देशों की तुलना में कम है। यह कभी-कभी फ्रांसिसी विरोधाभास कहलाता है (मिसाल के तौर पर, देखें, मिरेइले गुइलियानो की २००६ की पुस्तक फ्रेंच वुमेन डोंट गेट फैट). हालांकि फ़्रांसिसी भोजन शैली और खाना खाने का सलीका हाल के दिनों में आधुनिक "फास्ट फूड", अमेरिकी उत्पादों और नए वैश्विक कृषि उद्योग (आनुवांशिक तौर पर संशोधित संघटित बनावट समेत) के कारण बहुत ही अधिक दवाब को झेल रही है। जबकि फ़्रांसिसी युवा संस्कृति फास्ट फूड और अमेरिकी खाने के सलीके (मोटापे में वृद्धि की आनुवांशिकी के साथ) की ओर आकर्षित हो रही है। फ्रांसिसी कृषि उद्योग में राज्य द्वारा या यूरोपीय सब्सिडी द्वारा अपने सार्वजनिक स्कूलों में स्वाद अभिग्रहण जैसे कार्यक्रम के जरिए ऐपलेशन ड'ओरिजिन कंट्रोली कानून के उपयोग के द्वारा सामान्य रूप से फ्रांसिसी अपनी भोजन संस्कृति के तत्वों को बचा कर रखे हुए हैं। इन तनावों के प्रतीक के रूप में १९८७ में जोस बोवे ने एक कृषि संघ, कंफेडरेशन ऑफ पेसाने की स्थापना की, जो मानव और पर्यावरण पर उच्चतम राजनीतिक मूल्यों को स्थापित करता है, जैविक खेती को बढ़ावा देता है और आनुवांशिक रूप से संशोधित संघटन का विरोध करता है; बोवे का सबसे विख्यात विरोध मिलाउ (एवेरॉन) में मैकडॉनल्स के फ्रैन्चाइज़ी को बंद करने के लिए था। फ्रांस में, छूरी-कांटा का इस्तेमाल महाद्वीपीय तरीके से करते हैं (बाएं हाथ में कांटा, इसके कांटे नीचे की ओर करके और दाहिने हाथ में छूरी लेकर). फ़्रांसिसी शिष्टाचार में मेज के नीचे हाथ रखने पर प्रतिबंध लगा है। कानूनी तौर पर पीने आधिकारिक उम्र १८ साल है (देखें, पीने की कानूनी उम्र). यूरोप में फ्रांस सबसे पुराना वाइन बनानेवाला क्षेत्र है। कीमत की दृष्टि से इस समय दुनिया भर में फ्रांस सबसे अधिक कीमती वाइन का उत्पादन करता है (हालांकि मात्रा की दृष्टि से इटली से टक्कर देता है और स्पेन में ज्यादा से ज्यादा जमीन पर वाइन के लिए अंगूर की खेती होती है). बोर्डो वाइन बोलगोगने वाइन और शैम्पेन महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद हैं। तंबाकू और नशीली दवाएं नशीली दवाइयों का सेवन करना फ्रांस में कानूनन अपराध नहीं माना जाता। सिगरेट पीने की उम्र १८ वर्ष है। प्रचलित एक कहावत के अनुसार, धूम्रपान फ्रांस की संस्कृति का एक हिस्सा रहा है - दरअसल, आंकड़ों से संकेत मिलता है कि प्रति व्यक्ति इसकी खपत के मामले में, १२१ देशों में से फ्रांस ६०वें स्थान पर है। १ फ़रवरी २००७ को फ्रांस में सार्वजनिक स्थलों में ध्रूमपान पर मौजूदा प्रतिबंध १99१ के ईविन कानून: कानून एन9१-३२ ऑफ १0 जनवरी १99१ में पाये जाते हैं, जिसमें शराब और तंबाकू पीने के खिलाफ बहुत सारे उपाय हैं। धूम्रपान अब सभी सार्वजनिक स्थानों में प्रतिबंधित है (स्टेशन, संग्रहालयों, आदि), एक अपवाद जरूर है, कड़ी शर्तों को पूरा करते हुए धूम्रपान के लिए विशेष कमरे है. कैफे और रेस्तरां, क्लब, कैसीनो और बारों आदि में एक विशेष छूट दी गयी थी, जो १ जनवरी २००८ को समाप्त हो गयी। जनमत सर्वेक्षणों का कहना हैं ७०% लोगों ने प्रतिबंध का समर्थन किया। इससे पहले, १99१ के ईविन कानून के पूर्व कार्यान्वयन नियमों के तहत रेस्तरां, कैफे आदि को धूम्रपान और गैर धूम्रपान अनुभाग प्रदान कराना पड़ता था, जो कि व्यवहार में अच्छी तरह से अलग नहीं किए जाते थे। नए नियमों के तहत, धूम्रपान के लिए अलग कमरे की अनुमति है, लेकिन बहुत सख्त शर्तों के अधीन: ये कमरे प्रतिष्ठान के लिए कुल जगह का ज्यादा से ज्यादा २०% हिस्से पर कब्जा कर सकते हैं और इसका साइज ३५ वर्गमीटर से अधिक नहीं हो सकता है; हवा की निकासी के लिए अलग से उपकरण लगाने की जरूरत है, जो प्रति घंटे दस गुना हवा की मात्रा की निकासी करे; ध्रूमपान के कमरे में हवा का दाबाव संलग्न कमरों के दबाव से हमेशा कम होना चाहिए; इसमें ऐसे दरवाजे लगे होने चाहिए जो अपने आप बंद हो जाएं; ध्रूमपान कमरे में किसी तरह की सेवा उपलब्ध नहीं करायी जा सकती है; साफ-सफाई और रखरखाव करनेवाला आदमी ध्रूमपान के लिए आखिरीबार इस्तेमाल किए जाने के केवल एक घंटे बाद ही कमरे में प्रवेश कर सकता है। लोकप्रिय फ्रांसिसी सिगरेट के ब्रांडों में गौलोइसेस और गितानेस शामिल हैं। भांग की (मुख्य रूप से मोरक्को का हशीश) रखना, बिक्री करना और इस्तेमाल करना फ्रांस में गैर-कानूनी है। १ मार्च १99४ से, भांग का उपयोग के लिए दो महीने से एक साल और/या हर्जाने की सजा हो सकती है, जबकि नशीले पादर्थों को रखने, खेती करने या अवैध व्यापार करने की सजा इससे कहीं अधिक, दस सालों तक हो सकती है। एसओएफआरईएस (सोफ्रेस) द्वारा १992 में कराये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, १2-४४ उम्र के ४.७ बिलियन फ़्रांसिसी एक बार भांग का सेवन करते ही हैं। खेल और शौक फ़्रांस का "राष्ट्रीय" खेल एसोसिएशन फुटबॉल है, बोलचाल की भाषा में जो "ले फुट" कहलाता है। फ्रांस में सबसे ज्यादा देखा जानेवाला खेल फुटबॉल (सॉकर), रग्बी यूनियन, बास्केट बॉल, साइकिल चलाना, नौकायन और टेनिस हैं। १९९८ में फ्रांस फुटबॉल के विश्व कप में, सालाना साइकिल रेस टूर डी फ्रांस में और टेनिस ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट रोनाल्ड गैर्रोस या फ्रेंच ओपन पर अपना कब्जा (और जीत) के लिए जाना जाता है। स्कूल में खेल के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और स्थानीय खेल क्लबों को स्थानीय सरकारों से आर्थिक सहायता प्राप्त होती हैं। फुटबॉल (सॉकर) निश्चित रूप से सबसे लोकप्रिय खेल है, जबकि रग्बी यूनियन और रग्बी लीग का बोलबाला दक्षिण-पश्चिम में अधिक है, खासतौर पर टॉलूज शहर में (देखें, फ्रांस में रग्बी यूनियन और फ्रांस में रग्बी लीग) आधुनिक ओलंपिक का आविष्कार फ्रांस में १८९४ में हुआ। फ्रांस में पेशेवर नौकायन खेल की इस शाखा के शिखर पर अकेले/अन्य के साथ समुद्री रेसिंग पर केंद्रित होकर पूरी दुनिया के रेस में अकेले ही ग्लोब ग्राहक बन गया है, जो फ्रांस के अटलांटिक तट से हर चार साल में शुरू होता है। अन्य महत्वपूर्ण खेलों में सोलिटर डी फिगारो, मिनी ट्रांसेट ६.५०, टूर डी फ्रांस ए वोइल और रूट डी रहुम ट्रांस-अटलांटिक रेस शामिल है। १९७० के दशक के बाद से फ्रांस नियमित रूप से अमेरिका के कप का प्रतिद्वंद्वी रहा है। अन्य महत्वपूर्ण खेल में निम्न शामिल हैं: ग्रांड प्रिक्स रेसिंग (फॉर्मूला १) - १946 में फ्रांस में आविष्कृत पेटैनकी - आईओसी द्वारा मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय महासंघ है। . तलवारबाजी - खेलों की सूची में तलवारबाजी अव्वल हैं जिसमें फ्रांस ने गर्मियों के ओलंपिक में सोना का पदक जीता (देखें, ओलंपिक में फ्रांस). परकूर - फ्रांस में विकसित परकूर (आर्ट डु डिप्लेसमेंट) शारीरिक गतिविधि है जो आत्मरक्षा या मार्शल आर्ट्स से मिलता-जुलता है। बेबीफूट (टेबिल फुटबॉल) - फ्रांस के बारों और घरों में समय बीताने का एक बहुत लोकप्रिय खेल है और टेबिल फुटबॉल प्रतिस्पर्धा में दुनिया भर में प्रमुख विजेताओं में से एक फ्रांस है। अन्य सांस्कृतिक क्षेत्रों की तरह, खेलकूदों की देखरेख सरकारी मंत्रालय युवा और खेल मामले के मंत्रालय (फ्रांस) द्वारा की जाती है, जिसका प्रभारी राष्ट्रीय और सार्वजनिक खेल संघ, युवा मामला, सार्वजनिक खेल केंद्र और राष्ट्रीय स्टैडिया (जैसे स्टैडा डी फ्रांस) है। मिलान, लंदन और न्यूयॉर्क के साथ पेरिस को कभी-कभी "दुनिया के फ़ैशन की राजधानी" कहा जाता है। फ्रांस के साथ फैशन के नाते की शुरुआत () संभवत: लुईस क्सीव के शासनकाल में हुई थी, जब फ्रांस में ऐशो-आराम की चीजों का बोलबाला शाही नियंत्रण के तहत बढ़ता जा रहा था और फ्रांसिसी शाही दरबार यूरोप में यकीनन, अभिरूचि और विशिष्टता का न्यायकर्ता बन गया। १८६०-१९६० के सालों में बड़े डिजाइनर प्रतिष्ठानों, फैशन प्रेस (१८९२ में वोग की स्थापना ; १९४५ में एल की स्थापना हुई) और फैशन शो के माध्यम से अपने उच्च फैशन () उद्योग में फ्रांस अपने प्रभुत्व के लिए जाना जाता रहा है। पेरिस के पहले आधुनिक डिजाइनर प्रतिष्ठान के रूप में आमतौर पर अंग्रेज चार्ल्स फ्रेडरिक वर्थ के काम को जाना जाता है, जिन्होंने इस उद्योग पर १८५८-१८९५ तक राज किया। बीसवीं सदी के शुरूआत में, इस उद्योग का विस्तार पेरिस के फैशन घरानों - चैनल (पहली बार १९२५ में अस्तत्व में आया) और बलेनसिएज (१९३७ में एक स्पैनिश द्वारा स्थापित) जैसे प्रतिष्ठान - के माध्यम से हुआ। युद्ध के बाद के वर्ष में, क्रिश्चियन डायर का प्रसिद्ध "न्यू लुक" १९४७ में और पियरे बालमैन और हुबर्ट डी गिवेची (१९५२ में खुला) के माध्यम से फैशन बड़ी प्रमुखता के साथ लौटा. १९६० के दशक में, फ्रांसिसी युवा संस्कृतिक की ओर से "उच्च फैशन" की बहुत आलोचना की गयी, जबकि यवेस सेंट लॉरेंट जैसे डिजाइनर प्रेट-ए-पोर्टर (प्र्ट--पोर्टर) ("पहनने के लिए तैयार") चलन की शुरूआत करके और फ्रांसिसी फैशन का जन विनिर्माण तथा विपणन करके उच्च फैशन मानकों की स्थापना कर छा गए। नए नवाचार पाको राबन्ने और पिएर्रे कार्डिन द्वारा किए गए। ७० और ८० के दशक में सोनिया रियकिएल, थीयर्रे मुगलर, क्लाउड मोंटाना, जीन-पॉल गॉल्टियर और क्रिश्चिन लैक्रोइक्स द्वारा विपणन और उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर नए चलन को सथापित किया गया। १९९० के दशक ने एलवीएमएच (लव्म्) जैसे फैशनेबल कपड़ों के बहुत सारे प्रतिष्ठानों को बड़ी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अंतर्गत जाते देखा. १९६० के दशक के बाद से, फ्रांस का फैशन उद्योग लंदन, न्यूयॉर्क, मिलान और टोक्यो के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा के अंतर्गत आ गया है और फ्रांस ने तेजी से विदेशी (विशेष रूप से अमेरिकी) फैशन (जैसे कि जीन्स, टेनिस जूते) को अपना लिया। फिर भी, कई विदेशी डिजाइनर अभी भी फ्रांस में अपना करियर बनाना चाहते हैं। २००६ में, ५२% फ़्रांसिसी परिवारों में कम से कम एक पालतू जीव रहा. ९.७ मिलियन बिल्लियां, ८.८ कुत्ते, २.३ चूहे या गिलहरी जैसे कुतरनेवाले जीव, ८ मिलयिन पंक्षी और २८ मिलियन मछलियां. बिल्लियां सबसे अधिक लोकप्रिय हैं! संचार-माध्यम और कला कला और संग्रहालय फ्रांस की शुरूआती पेंटिंग वे हैं जो प्रागैतिहासिक समय की हैं, तथा जो आज से लगभग १०,००० सालों से भी पहले लैस्कॉक्स के गुफाओं में चित्रित किए गए थे। शारलेमेन के समय में विकसित हुई कलाओं को पहले ही १,२०० साल हो चुके हैं, जिन्हें उस समय के हाथ से तैयार की गयी सचित्र किताबों में में देखा जा सकता है, जिसे बहुत सारे लोगों ने बनाया था। फ्रांस में १७ वीं सदी के प्रतिष्ठित चित्रकारों में निकोलस पौससिनऔर क्लाउड लोरिन हैं। १८वीं सदी के दौरान रोकोको शैली बैरोक शैली की ओछी निरंतरता के रूप में उभरी. इस युग के सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्रकारों में एंटोइन अत्तेऔ फ़्रैंस्वा बाउचर और जीन होनोर फ्रागोनार्ड थे। सदी के अंत में, नियोक्लासिज्म के सबसे प्रभावशाली चित्रकार जैक लुई डेविड थे। गेरीकॉल्ट और देलाक्रोइक्स रूमानियत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण चित्रकारों में से थे। प्रकृति का वर्णन (बारबिज़ाँ स्कूल) करते हुए बाद के चित्रकार कहीं अधिक यथार्थवादी थे। यथार्थवादी आंदोलन का नेतृत्व कुर्बत और डामेनियर होनोर द्वारा किया गया। क्लौदे मोनेट, एडगर देगास, पियरे अगस्टे रेनोइर और कैमिली पिस्सार्रो जैसे चित्रकारों द्वारा फ्रांस में प्रभाववाद को विकसित किया गया। सदी के अंत में, फ्रांस पहले से कहीं अधिक अभिनव कला का केंद्र बन गया था। कई अन्य विदेशी कलाकारों की तरह स्पेनियार्ड पाब्लो पिकासो आनेवाले दशकों में अपनी प्रतिभा का असरदार तरीके से इस्तेमाल करने के लिए फ्रांस आए। तब टूलूज़-लौत्रेक, गौगुइन और केजानने चित्रकारी कर रहे थे। २०वीं सदी के शुरुआत में पेरिस में क्यूबिज़्म नव-विचारक आंदोलन का जन्म हुआ। पेरिस में लौवर दुनिया के सबसे बड़े और सर्वाधिक प्रसिद्ध संग्रहालयों में से एक हैं, १७९३ में जिसे पुराने शाही महल में नए क्रांतिकारी शासन व्यवस्था द्वारा बनवाया गया था। फ्रांसिसी और अन्य कलाकारों की कलाएं जैसे कि लियोनार्डो डी विंची की मोनालिसा और पारंपरिक यूनानी वीनस डी मिलो तथा मिस्र और मध्य-पूर्व की प्राचीन कला और संस्कृति के नमूने यहां बड़े पैमाने पर रखे गए हैं। फ्रांस विविध स्वदेशी लोक संगीत के साथ ही अफ्रीका, लैटिन अफ्रीका और एशिया से आई शैलियों को भी अपने में समेटे हुए हैं। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में, फ्रांस ने गेब्रियल फॉरे जैसे कई दिग्गज संगीतकार को दिया, जबकि आधुनिक पॉप संगीत में लोकप्रिय फ्रेंच हिप-हॉप, फ्रेंच रॉक, टेक्नो/फंक और टर्नटेबिलिस्ट/डीजे को फलते-फूलते देखा जाता है। फ्रांस ने एक संगीत उत्सव फेटे डे ला म्युसिक्वे (पहली बार १९८२ में आयोजित) का सृजन किया, जो तबसे विश्वव्यापी बन चुका है। यह गर्मी के समय प्रत्येक २१ जून को हुआ करता है। फ्रांस अपनी रोमांस थीमाधारित फिल्मों के लिए सबसे प्रसिद्ध है। फ्रांसिसी थिएटर में बहुत ही अच्छे हैं। कई प्रसिद्ध अभिनेता फ्रांस से हैं। फ्रांस एनीमेशन और कार्टून में ठीक-ठाक हैं। उनकी प्रसिद्ध "एस्टेरिक्स" कॉमिक्स और कुछ नए सिसनेमा प्रस्तुतियों के बारे में आप जानते होंगे। किताबें, समाचार-पत्र और पत्रिकाएं "साहित्यिक संस्कृति" के लिए फ्रांस की एक प्रतिष्ठा है और फ्रांस की शिक्षा प्रणाली में फ्रांसिसी साहित्य का महत्व, फ्रांसिसी समाचार-माध्यमों द्वारा फ्रांसिसी पुस्तक मेला और पुस्तको के पुरस्कारों (जैसे प्रिक्स गोंकोर्ट, प्रिक्स रेनुडोट या प्रिक्स फेमिना) पर ध्यान दिया जाना और साहित्यिक टेलीविजन शो "अपॉस्ट्राफी" (बर्नाड पिवोट द्वारा मेजवानी में) (पुरानी) सफलता से जैसी कुछ चीजों से इसकी यह छवि पुख्ता हुई है। यह छवि १९८० के दशक में दिखाए गए आकंड़े के आड़े नहीं आता, जिसमें कहा गया था अंग्रेजों की तरह अक्सर फ्रांसिसी ५०% किताबों में खर्च करते हैं और १/१2 पुस्तकालयों से किताबें उधार लेते हैं। हालांकि फ्रांस की आधिकारिक साक्षरता दर दर ९९% है, कुछ का अनुमान कहता है कि वयस्क आबादी में कार्यात्मक निरक्षरता १०% से २०% के बीच है (और जेल की जनसंख्या में इससे कहीं अधिक). सर्वेक्षणों से पता चलता है कि संगीत, टेलीविजन, खेल-कूद और अन्य गतिविधियों में कमी आई है, जबकि पढ़ना आज के युवा फ़्रांसिसियों का एक पसंदीदा शगल है। शैक्षिक प्रकाशन के संकट ने भी फ्रांस को प्रभावित किया है (मिसाल के तौर पर देखें, प्रेसेज युनिवर्सिटीज डी फ्रांस (पीयूएफ), १९९० के दशक में फ्रांस की प्रमुख शैक्षिक प्रकाशन संस्था, के वित्तीय संकट) फ्रांस में साहित्यिक पसंद उपन्यासों पर केंद्रित होकर रह गयी (१९९७ में पुस्तकों की बिक्री का २६.४ प्रतिशत), हालांकि अमेरिकियों और ब्रिटिश लोगों की तुलना में फ्रांसिसी कथा साहित्य से परे निबंध और सामयिकी विषयों पर किताबें अधिक पढ़ते हैं। सूची में विदेशी उपन्यास के फ्रेंच अनुवाद सहित समकालीन उपन्यास (पुस्तकों की कुल बिक्री का १३%), इसके बाद भावुक उपन्यास (४.१%), जासूसी और गुप्तचर उपन्यास (३.७%), "शास्त्रीय" साहित्य (३.५%), विज्ञान कथा और डरावने उपन्यास (१.३%) तथा कामोद्दीपक उपन्यास (०.२%) का नंबर आता है। आज फ्रांस में बेचे जाने वाले सभी तरह के उपन्यासों का ३०% अंग्रेजी (विलियम ब्वॉड, जॉन ले कैरे, इयान मैकईवान, पॉल ऑस्टर और डगलस कैनेडी जैसे लेखकों को पढ़ा जाता है) से अनुदित है। अलग किस्म की पुस्तकों का एक उप-वर्ग है कॉमिक्स पुस्तकें (टिनटिन और एस्टेरिक्स जैसी विशिष्ट तरह के फ्रैंको-बेल्जियम कॉमिक्स), जो बड़े सख्त जिल्दवाले प्रारूप में प्रकाशित होते हैं और १९९७ में कुल पुस्तकों की बिक्री का ४% का प्रतिनिधित्व करते हैं। फ्रांसिसी कलाकारों ने ग्राफिक उपन्यास की शैली में देश को अग्रणी बना दिया है और फ्रांस यूरोप के सबसे बड़े कॉमिक्स महोत्सव अंगॉलेमे इंटरनेशनल कॉमिक्स फेस्टिबल, की मेजवानी करता है। फ़्रांसिसी संस्कृति के अन्य क्षेत्रों की तरह, पुस्तक संस्कृति भी आंशिक रूप से सरकार की ओर से, विशेष रूप से सांस्कृतिक मंत्रालय के डायरेशन डु लिवरे एट डी ला लेक्चर द्वारा, सेंटर नेशनल डु लिवरे (नेशनल बुक सेंटर) की देखरेख में चलता है। फ्रांस का उद्योग मंत्रालय मूल्य नियंत्रण में भी भूमिका अदा करता है। अंत में, फ्रांस में पुस्तकों और अन्य सांस्कृतिक उत्पादों में वैट (वाट) में ५.५% की दर से कमी कर दी गयी है, जो कि खाद्य सामग्री और अन्य जरूरतों के लिए भी है (देखें यहां). फ्रांस में पत्रकारिता की बात की जाए तो पिछली सदियों से राष्ट्रीय दैनिकों (जैसे कि ले मोंडे और ले फिगारो) की तुलना में क्षेत्रीय प्रेस (फ्रांस के अखबारों की सूची देखें) कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं: १९३९ में दैनिकों समाचारपत्रों के बाजार में २/३ राष्ट्रीय दैनिक समाचारपत्र थे, जबकि आज १/४ से भी कम हैं। पत्रिका बाजार में इस समय टीवी नामांकित पत्रिकाओं का बोलबाला है, इसके बाद ले नॉवेल ऑब्जवेटेयुर, एल'एक्सप्रेस और ले प्वाइंट जैसी समाचार पत्रिकाएं हैं। वास्तुकला और आवास परिवहन के मद्देनजर पेरिस जैसे बहुत ही शहरी और छोटे कस्बो तथा ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की जीवन शैली के मामले में महत्वपूर्ण अंतर हैं। पेरिस में और कुछ हद तक अन्य प्रमुख शहरों में, बहुत सारे परिवार में कोई अपना वाहन नहीं हैं और वे सामान्य तौर पर पर्याप्त जन परिवहन का इस्तेमाल करते हैं।मेट्रो सबवे में भीड़भाड़ वाले समय में पेरिसवासियों पर एक ठप्पा लगा हुआ है। हालांकि, ऐसे क्षेत्रों के बाहर, एक या अधिक कारों का मालिकाना आम बात है, विशेष रूप से परिवार के बच्चों के लिए।ट्रेन ए ग्रैंडे विटेसी (ट्रेन ग्रैंड विटेसए) टीजीवी (तव) तेज गति रेल नेटवर्क, एक तेजी गतिवाला रेल परिवहन है जो देश के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ती है और अपना व्यय खुद वहन करती है। आनेवाले सालों में फ्रांस के ज्यादातर हिस्सों और यूरोप अन्य कई स्थलों तक पहुंचने की इसकी योजना है। प्रमुख स्थलों के लिए रेल सेवाएं समय की पाबंद और नियमित हैं। फ़्रांस में धर्मनिरपेक्षता (लेसित) के सिद्धांतों और देश से चर्च के अलगाव के बावजूद, सार्वजनिक और स्कूल की छुट्टियां आमतौर पर रोमन कैथोलिक धार्मिक कैलेंडर (इस्टर, क्रिसमस, असेंशन डे, पेंटकोस्ट, असम्प्शन ऑफ मेरी, ऑल सेंट डे आदि समेत) के अनुसार ही होती हैं। श्रम दिवस और अन्य राष्ट्रीय छुट्टी ही केवल कारोबारी छुट्टियां हैं, जो सरकारी अधिनियम के द्वारा प्रदान की जाती हैं; अन्य छुट्टियां सामूहिक सम्मेलन (नियोक्ता और कर्मचचारियों के यूनियन के बीच समझौते) द्वारा या नियोक्ता के करार के द्वारा की जाती हैं। सार्वजनिक स्कूल वर्ष की पांच छुट्टियों की अवधि इस प्रकार हैं: वैकेंसीज डी ला तौस्सैंत (वैकंस दे ला टुसैंट) (ऑल सेंट डे) - डेढ़ सप्ताह अक्टूबर के अंत के आसपास शुरू. वैकेंसीज डी नोएल (वैकंस दे नोल) (क्रिसमस) - दो सप्ताह, नए साल के बाद खत्म. वैकेंसीज डी'हिवर (सर्दियों) - मार्च और फ़रवरी में दो सप्ताह. वैकेंसीज डी'एटी (वैकंस ड'त) (गर्मी), या ग्रैंडीज वैकेंसीज (ग्रैंडस वैकंस) (शाब्दिक अर्थ में: लंबी छुट्टियां) - और जुलाई और अगस्त के दो महीने. १ मई को श्रम दिवस (ला फेटे डु ट्रावैल (ला फ़्ते दू ट्रवैल)) फ़्रांसिसी एक-दूसरे को घाटी का लिली फूल देते हैं। १४ जुलाई को राष्ट्रीय छुट्टी (अंग्रेज़ी में बास्टिल दिवस (बस्तिल् दए) कहलाता है) होता है। सैन्य परेड, डीफाइल्स डु १४ जुलिएट (ड्फिल्स दू १४ जुइलेट) कहलाता है, पेरिस के चैंप्स-एलिसीज एवेन्यू में गणतंत्र के राष्ट्रपति के सामने बड़े स्तर पर होता है। २ नवम्बर को, ऑल सोल्स डे (ला फेटे डीज मोर्ट्स उत्सव (ला फ़्ते देस मोर्ट्स)) परंपरागत रूप से फ्रांसिसी दिवंगत परिवार के सदस्यों की कब्रों पर कब्रों गुलदाउदी चढ़ाते हैं। ११ नवम्बर को, स्मरण दिवस (ली जौर डु सुवेनियर (ले ज्र दू सोवेनीर)) एक आधिकारिक छुट्टी है। फ्रांस में क्रिसमस आमतौर पर क्रिसमस की शाम को मनाया जाता है, जिसमें परंपरागत भोजन (विशिष्ट व्यंजन, जिसमें ऑइस्टर (सीपी, बोडिन ब्लॉन्क और बुचे डी नोएल शामिल होता है) के साथ शुरू होता है, इसमें मध्य रात्रि को लोग (कैथोलिकों में वे भी होते हैं जो साल के अन्य समय में चर्च नहीं जाते हैं) भी भाग लेते हैं। कैंडेलम्स (ला चैंडेलुर (ला चंदेलूर)) क्रेप के साथ मनाया जाता है। लोकप्रिय कहावत है कि अगर बावर्ची दूसरे हाथ में एक सिक्के से एक क्रेप को अकेले पलट सकता है तो आनेवाला पूरा साल उस परिवार की समृद्धि को सुनिश्चित कर देता है। व्यापार संघों द्वारा १९९० के दशक के मध्य में शुरू किए जाने के बाद एंग्लो-सैक्सन और अमेरिकी छुट्टी हेलोवीन की लोकप्रियता बढ़ने लगी है। इसके बाद अगले कुछ दशकों के दौरान इसका विकास ठप्प हो गया लगता है। इन्हें भी देखें नौर्मैन्डी की वास्तुकला फ्रांस के जनांकिक फ्रांस के उल्लेखनीय गार्डन फ्रेंच लोगों की सूची बर्न्स्टिन, रिचर्ड. फ्राजाइल ग्लोरी: अ पोट्रेट ऑफ़ फ़्रांस एंड द फ्रेंच . प्ल्युम, १९९१. कैरोल, रेमंड. कैरल वोक, अनुवादक. कल्चरल मिस अंडरस्टैंडिंग: द फ्रेंच-अमेरिकन एक्सपीरियंस . यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो प्रेस, १९९०. डार्न्टन, रॉबर्ट. द ग्रेट कैट मैसकर एंड आदर एपिसोड्स इन फ्रेंच कल्चरल हिस्ट्री. विंटेज, १९८४. इसब्न ०-३९४-७२९२७-७ डॉन्सी, ह्यूग, एड. फ्रेंच पॉपुलर कल्चर: एक परिचय. न्यूयॉर्क: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (अर्नोल्ड प्रकाशक), २००३. डेजीन, जोन. द एसेंस ऑफ़ स्टाइल: हाउ द फ्रेंच इन्वेंटेड हाई फैशन, फाइन फ़ूड, चिक कैफेज़, स्टाइल, सोफिस्टीकेशन, एंड ग्लैमर. न्यूयॉर्क: फ्री प्रेस, २००५. इसब्न ९७८-०-७४३२-६४१३-६ फोर्ब्स, जिल और माइकल केली, एड्स. फ्रेंच कल्चरल स्टडीज़: एक परिचय. क्लैरेंडन प्रेस, १९९६. इसब्न ०-१९-8715०1-३ गोप्निक, एडम. पैरिस टू द मून. रैंडम हॉउस, २००१. हॉल, एडवर्ड ट्विचेल और मिल्ड्रेड रीड हॉल. अंडरस्टैंडिंग कल्चरल डिफरेंसेस: जर्मंस, फ्रेंच एंड अमेरिकन्स. इंटरकल्चरल प्रेस, १९९०. हॉवर्थ, डेविड और जॉर्जियस वरुज़किस. कन्टेम्परेरी फ़्रांस: फ़्रांसिसी राजनीति और समाज के लिए एक परिचय. न्यूयॉर्क: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (अर्नोल्ड प्रकाशक), २००३. इसब्न ०-34०-७४१८७-२ केली, माइकल. फ्रेंच कल्चरल एंड सोसाइटी: द एसेंशियल्स. न्यूयॉर्क: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस 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मैडी ग्रीन (जन्म २० अक्टूबर १९९२) न्यूजीलैंड के एक क्रिकेटर हैं। अप्रैल २०18 में, उसने न्यूजीलैंड क्रिकेट पुरस्कार में घरेलू बल्लेबाजी के लिए रूथ मार्टिन कप जीता। ८ जून 201८ को, उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ १२१ रन के साथ, वनडे में अपना पहला शतक बनाया। अगस्त २०१८ में, पिछले महीनों में आयरलैंड और इंग्लैंड के दौरे के बाद, उसे न्यूजीलैंड क्रिकेट द्वारा एक केंद्रीय अनुबंध से सम्मानित किया गया था। अक्टूबर २०१८ में, वेस्ट इंडीज में २०१८ आईसीसी महिला विश्व ट्वेंटी २० टूर्नामेंट के लिए उन्हें न्यूजीलैंड के टीम में नामित किया गया था। जनवरी २०२० में, ऑस्ट्रेलिया में २०२० आईसीसी महिला टी २० विश्व कप के लिए उन्हें न्यूजीलैंड के टीम में नामित किया गया था। अप्रैल २०१९ में, ग्रीन ने न्यूजीलैंड के क्रिकेटर लिज़ पेरी से शादी की। न्यूजीलैंड अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी
टग़ाफ़री या टगाफ़री, नगर की ओर से राकापोशी शिखर का आधार शिविर है। राकापोशी पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र की काराकोरम पर्वतमाला में स्थित एक पहाड़ है। इन्हें भी देखें
६४५ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। अज्ञात तारीख़ की घटनाएँ
पलिगांव लगा स्यूसाल, थलीसैंण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा स्यूसाल, पलिगांव लगा, थलीसैंण तहसील स्यूसाल, पलिगांव लगा, थलीसैंण तहसील
इंडिया २०२०: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम(इंग्लिश:इंडिया २०२०: आ विज़न फॉर थे नव मिलेनियम) भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम द्वारा लिखित एक किताब है। यह उन्होंने अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल से पहले लिखी थी।
मझेडा (न.ज़.आ.), धारी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा
रफ़ियाबाद (रफ़ियाबाद) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के बारामूला ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले में तहसील का दर्जा रखता है। इन्हें भी देखें जम्मू और कश्मीर के शहर बारामूला ज़िले के नगर
कुइभीर नेपाल के पूर्वांचल विकास क्षेत्र के सगरमाथा अंचल, ओखलढुंगा जिला में स्थित गाँव विकास समिति है।
वित्त वर्ष के दौरान सरकार द्वारा विभिन्न करों से प्राप्त राजस्व और खर्च के आकलन को बजट लेखा-जोखा कहा जाता है।
वैश्विक स्वास्थ्य वैश्विक संदर्भ में लोगों का स्वास्थ्य से संबंधित मामला है और यह किसी व्यक्ति के राष्ट्र की चिंताओं और दृष्टिकोण से परे मामला है। स्वास्थ्य समस्याएं, जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाती हैं या जिनका वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव पड़ता है, पर हमेशा जोर दिया जाता है। इसे कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है, 'यह अध्ययन, शोध और अभ्यास का वह क्षेत्र है जिसमें दुनिया के लोगों के स्वास्थ्य सुधार और स्वास्थ्य में समानता प्राप्त करने को प्राथमिकता दी जाती है'. इस प्रकार, विश्व स्तर पर स्वास्थ्य का संबंध दुनिया भर में स्वास्थ्य सुधार, असमानता में कमी और ऐसे वैश्विक खतरों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है जो राष्ट्रीय सीमाओं को नहीं मानता है। इन मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित सिद्धांतों को लागू किया जाना वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य कहलाता है। स्वास्थ्य के लिए प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी वैश्विक स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ (वो)) है। वैश्विक स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों पर प्रभाव डालनेवाली अन्य महत्वपूर्ण एजेंसियों में यूनिसेफ (यूनीसेफ), विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्लूएफपी (व्प)) और विश्व बैंक भी शामिल हैं। वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक बड़ी पहल संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि घोषणा है, जो विश्व स्तर पर सहस्राब्दि विकास लक्ष्य का समर्थन करता है। वैश्विक स्वास्थ्य संगठन का गठन करने के लिए १९४८ में विभिन्न राष्ट्रों के सदस्य नव गठित संयुक्त राष्ट्र की बैठक में इकट्ठा हुए. १९४७ में मिस्र में एक हैजा महामारी ने २०,००० लोगों की जान ले ली और जिसने १९४८ में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मदद के लिए प्रोत्साहित किया। अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य समुदाय की तब से लेकर अब तक की एक सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इसने चेचक का उन्मूलन कर दिया. संक्रमण का स्वाभाविक रूप से सामने आनेवाला अंतिम मामला १९७७ में दर्ज किया गया। लेकिन एक अजीब तरीके से, चेचक की अति आत्मविश्वासी सफलता और प्रभावशीलता के बाद भी मलेरिया और अन्य बीमारियों के उन्मूलन के लिए प्रभावी प्रयास नहीं किया गया है। वास्तव में, अब वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय के भीतर इस बात को लेकर बहस होने लगी है कि अपेक्षाकृत कम खर्चीले और शायद कहीं अधिक प्रभावी प्राथमिक स्वास्थ्य और नियंत्रण प्रोग्राम के बदले अधिक महंगे उन्मूलन अभियान को छोड़ दिया जाना चाहिए. जनसांख्यिकी, अर्थशास्त्र, महामारी विज्ञान, राजनीतिक अर्थव्यवस्था और समाजशास्त्र समेत समाज विज्ञान के विषयों और चिकित्सा के साथ वैश्विक स्वास्थ्य एक अनुसंधान का क्षेत्र है। विभिन्न अनुशासनात्मक दृष्टिकोणों से, अंतर्राष्ट्रीय संदर्भों में यह स्वास्थ्य के वितरण और निर्धारकों पर केंद्रित है। एक महामारी विज्ञान के दृष्टिकोण से यह एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं को दर्शाता है। चिकित्सा के परिप्रेक्ष्य में यह प्रमुख रोगों की पैथोलॉजी का वर्णन करता है और इन रोगों के रोकथाम, निदान और उपचार को बढ़ावा देता है। आर्थिक परिप्रेक्ष्य में, व्यक्तिगत और जनता दोनों के स्वास्थ्य के लिए लागत-प्रभावशीलता और लागत-लाभ आवंटन दृष्टिकोण पर यह जोर देता है। सरकारों और गैर सरकारी संगठनों जैसे समग्र विश्लेषण के परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में यह विश्लेषण पर केंद्रित रहता है। लागत-प्रभावशीलता विश्लेषण इस बात की तुलना करता है कि आर्थिक दृष्टिकोण से लागत और स्वास्थ्य प्रभाव के उपाय को प्राप्त करने के लिए, स्वास्थ्य निवेश सार्थक है या नहीं. स्वतंत्र उपायों और परस्पर अनन्य उपायों के बीच भेद करना जरूरी है। स्वतंत्र उपायों के लिए, औसत लागत-प्रभावशीलता अनुपात पर्याप्त होता है। हालांकि, जब परस्पर अनन्य उपायों की तुलना की जाती हैं, तब वृद्धिशील लागत-प्रभावशीलता अनुपात का उपयोग आवश्यक हो जाता है। बादवाली तुलना यह सुझाव देती है कि उपलब्ध संसाधनों से अधिक से अधिक स्वास्थ्य देखभाल प्रभाव को कैसे प्राप्त किया जाता है। इस दृष्टिकोण से व्यक्तिगत स्वास्थ्य विश्लेषण की स्वास्थ्य की मांग और आपूर्ति पर केंद्रित होता है। स्वास्थ्य देखभाल की चाह सामान्य स्वास्थ्य की चाह से निकल कर आती है। उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल की मांग "स्वास्थ्य पूंजी" के एक बड़े भंडार को हासिल करने के साधन के रूप में की जाती है। स्वास्थ्य के मामले में इष्टतम स्तर का निवेश वहीं होता है, जहां स्वास्थ्य पूंजी की सीमांत लागत से निकल कर आए इसके नतीजे सीमांत लाभ के बराबर होता है (एमसी=एमबी). समय के गुजरने के साथ, कुछ हद तक स्वास्थ्य की अवमूल्यन दर हो जाती है। अर्थव्यवस्था में सामान्य ब्याज दर आर से चिह्नित की जाती है। स्वास्थ्य की आपूर्ति प्रदाता प्रोत्साहन, बाज़ार निर्माण, बाज़ार संगठन और इन मुद्दों से संबंधित असंतुलित सूचना, स्वास्थ्य प्रावधान के मामले में गैर सरकारी और सरकारी संगठनों की भूमिका पर केंद्रित होती है। इसके अलावा, नैतिक दृष्टिकोण वितरणात्मक विचारों पर जोर देता है। बचाव का नियम, जो ए.आर. जोसेन (१९८६) द्वारा आविष्कृत है, विस्तार संबंधी मुद्दों पर विचार करने का तरीका है। यह नियम स्पष्ट रूप से निर्देश देता है कि 'जहां कहीं भी संभव हो जीवन को बचाना अपना कर्तव्य महसूस करना है'. निष्पक्ष न्याय पर जॉन रॉवेल्स के विचारों का वितरण एक संविदात्मक दृष्टिकोण है। स्वास्थ्य निष्पक्षता के मुख्य पहलुओं पर चर्चा करते हुए अमर्त्य सेन ने इस दृष्टिकोण को लागू किया था। जैव-नैतिक अनुसंधान भी न्याय के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों की जांच मोटे तौर पर तीन समूह क्षेत्रों में करता है: (१) स्वास्थ्य के मामले में अन्यायपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय असमानताओं कहां बरती जा रही है?; (२) अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य असमानताएं से कहां से आती हैं?; (३) अगर हम उन सबसे नहीं मिल पाते हैं तो हम कैसे स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को कैसे पूरा कर सकेंगे? वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक राजनीतिक दृष्टिकोण राजनीतिक अर्थव्यवस्था लागू करने पर जोर देता है। राजनीतिक अर्थव्यवस्था शब्द की उत्पत्ति उत्पादन के अध्ययन, खरीद और बिक्री से हुई है और इसका संबंध कानून, चुंगी और सरकार से है। नैतिक दर्शन की व्युत्पत्ति (उदा. के लिए ग्लासगो विश्वविद्यालय में नैतिक दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर एडम स्मिथ थे), स्वास्थ्य की राजनीतिक अर्थव्यवस्था का अध्ययन है, जिसमें यह देखा जाता है कि राज्यों की अर्थव्यवस्था पर - राजनीति, इसलिए राजनीतिक अर्थव्यवस्था - का कुल जनसंख्या के स्वास्थ्य परिणामों पर कैसा प्रभाव पड़ता है। वैश्विक स्वास्थ्य का विश्लेषण इस बात पर निर्भर करता है कि स्वास्थ्य की जिम्मेवारी को कैसे मापा जाए. डेली (डाली), क्वैली (कली) और मृत्यु दर जैसे कई उपाय मौजूद हैं। पैमाने का चयन विवादास्पद हो सकता है, जिसमें व्यावहारिक और नैतिक विचार भी शामिल हैं। एक निर्दिष्ट आबादी की औसत जीवन प्रत्याशा (जीवित रहने की औसत अवधि) का एक सांख्यिकीय माप है। ज्यादातर समय इसका उल्लेख एक दी गई मानव आबादी के लिए (राष्ट्र के द्वारा, वर्तमान उम्र के द्वारा, या अन्य जनसांख्यिकी के द्वारा) मृत्यु से पहले संभावित उम्र के लिए किया जाता है। जीवन के संभावित शेष समय को भी जीवन प्रत्याशा कहा जा सकता है और इसकी गणना किसी भी समूह के लिये किसी भी उम्र से की जा सकती है। विकलांगता द्वारा समायोजित जीवन वर्ष (डेली) विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (डेली [डाली]) स्वास्थ्य का एक सारांश है, जो आबादी की सेहत में बीमारी के प्रभाव, अपंगता और मृत्यु दर को भी जोड़ता है। डेली विकलांगता के साथ जीने और समय से पहले मृत्यु दर के कारण दोनों को जोड़ कर मापा जाता है। 'स्वस्थ जीवन' बीत जाने को एक डेली के रूप में माना जा सकता है और बीमारी के बोझ को स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति और एक आदर्श स्थिति के बीच के अंतर से मापा जाता है, जिसमें हर कोई बढ़ती उम्र में भी बीमारी और अपंगता से आजाद जीवन जीता है। उदाहरण के लिए, लोगों में किसी बीमारी के कारण समय से पहले मृत्यु (वाईएलएल (यल)) से होनेवाली जीवन हानि और किसी घटना विशेष के कारण विकलांगता से जीवन हानि (वाईएलडी (इल्ड)) के लिए सेहत की स्थिति डेली है। एक डेली परिपूर्ण स्वास्थ्य के एक साथ के नुकसान का प्रतिनिधित्व करता है। गुणवत्ता समायोजित जीवन वर्ष (क्वाली) गुणवत्ता समायोजित जीवन वर्ष या संक्षेप में क्वाली बीमारी बोझ को मापने का एक जरिया है, जिसमें जीवन जीने की गुणवत्ता और मात्रा दोनों शामिल हैं, जो कि चिकित्सा सलाह के लाभ की मात्रा को निर्धारित करने जैसा है। क्वाली मॉडल में उपयोगिता स्वतंत्र, जोखिम तटस्थता और निरंतर आनुपातिक दुविधात्मक व्यवहार की आवश्यकता है। संभावित गुणवत्ता के साथ जीवन को जीने की उम्मीद क्वाली के लिए एक संख्या में जीवन की गुणवत्ता के साथ उम्मीद की उम्मीद अस्तित्व गठबंधन करने का प्रयास: अगर स्वस्थ जीवन प्रत्याशा के एक अतिरिक्त वर्ष एक (वर्ष) के एक मूल्य के लायक है, तो कम स्वस्थ जीवन प्रत्याशा एक साल (एक वर्ष) से भी कम की होती है। क्वाली गणना मूल्य के माप पर आधारित हैं जिसमें किसी व्यक्ति के जीवित रहने के संभावित वर्षों का अनुमान लगाया जाता है। कई तरीकों से इसे मापा जा सकता है: तकनीकी द्वारा सर्वेक्षण या विश्लेषण के साथ जिसमें स्वास्थ्य की वैकल्पिक स्थिति की प्राथमिकता के बारे में अनुकरण का दांव लगाया जाता है, जो कि वैकल्पिक स्वास्थ्य की स्थिति की सम्मति का अनुमान लगाता है; या किसी उपकरण के जरिए जो कि किसी लेन-देन पर आधारित होता है या संभावित जीवन काल जो कि उच्च गुणवत्ता वाले जीवन जीने के कम समय के लिए चिकित्सा सुझाव हो सकता है। उपयोगितावादी विश्लेषण के लिए क्वालीज उपयोगी होते हैं, लेकिन निष्पक्षता के दृष्टिकोण को इसमें शामिल नहीं किया जाता है। शिशु और बाल मृत्यु जीवन प्रत्याशा और डेली/क्वाली औसत रोग बोझ का अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, जनसंख्या के सबसे गरीब वर्गों में शिशु मृत्यु दर और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर अधिक महत्वपूर्ण ढंग से स्वास्थ्य मामलों का प्रतिनिधित्व करता हैं। इसलिए, सेहत से संबंधित निष्पक्षता पर जब ध्यान दिया जाता है तो शास्त्रीय उपायों में बदलाव विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। ये उपाय बच्चों के अधिकार के मामलों में भी बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। २००१ में लगभग ५६ लाख लोगों की मृत्यु हुई. इनमें से १०.६ मिलियन पांच साल के कम उम्र के बच्चे थे और इनमें से ९९% बच्चे कम आय या मध्य स्तरीय आय वाले देशों में रहते थे। इसका अर्थ यह हुआ कि हर दिन मोटे तौर पर ३०,००० बच्चे मर रहे है। रुग्णता उपाय में विस्तार दर, व्यापकता और संचयी घटना शामिल हैं। विस्तार दर एक निर्दिष्ट समयावधि के भीतर किसी नई स्थिति के विकसित होने का खतरा है। हालांकि किसी अवधि के दौरान कभी-कभी नए मामलों की संख्या शिथिल के रूप में इसे ढीले-ढाले ढंग से व्यक्त किया गया है, इसे एक अनुपात या विभाजक के साथ एक दर के रूप में करने कहीं बेहतर होगा. शल्य रोग का कष्ट जब कम आय वाले देशों में एचआईवी (हिव) से बहुत लोगों की जान चली जाती है, शल्य स्थिति जिसमें सड़क दुर्घटना से होनेवाला मानसिक आघात या अन्य जख्म, असाध्यता, कोमल ऊतक संक्रमण, जन्मजात विसंगतियां और बच्चे के जन्म की जटिलताएं शामिल हैं, जो बीमारी के बोझ में विश्ष्टि रूप से अपना योगदान करती हैं। . अनुमान है कि वैश्विक बीमारी के बोझ में शल्य रोग की हिस्सेदारी ११% है और इसमें ३८% चोट लगने, १९% असाध्यता, ९% जन्मजात विसंगतियां, ६% गर्भधारण संबंधी जटिलताएं, ५% मोतियाबिंद और ४% प्रसवकालीन स्थितियां निहित हैं। अनुमान है कि बहुसंख्यक शल्य डेली दक्षिण-पूर्व एशिया (४8 मिलियन), जबकि अफ्रीका में दुनिया की सर्वोच्च प्रति व्यक्ति शल्य डेली दर है। जैसा कि ऊपर चर्चा की गयी है, दुनिया भर में शल्य बीमारी के मामले में चोट का सबसे बड़ा योगदान है, सड़क यातायात दुर्घटनाओं (आरटीए (र्टास)) से घायल होना शल्य बीमारी में सबसे बड़ा योगदान करता है। डब्ल्यूएचओ (वो) के अनुसार, हर रोज ३५०० से अधिक मौत आरटीए के कारण होती है और इसमें लाखों जीवन भर के लिए अपंग हो जाते हैं। २००४ में विश्व स्तर पर डेली नुकसान में सड़क यातायात दुर्घटनाओं को नौवें प्रमुख कारण के रूप में दिखाया गया है और २०३० में इसके शीर्ष पांच पहुंच जाने की उम्मीद हैं। २०३० तक ऑल (एएलएल (एल)) संक्रामक बीमारियों से चोट आगे निकल जाएगी. सांस की बीमारियां और खसरा श्वसन तंत्र और मध्य कान में संक्रमण शिशु और बच्चे की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं। वयस्कों में, तपेदिक अत्यधिक प्रचलित है और यह रुग्णता तथा मृत्यु का महत्वपूर्ण कारण बनता है। एचआईवी के प्रसार से तपेदिक से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ गई है। भीड़भाड़ के कारण श्वसन संक्रमण के प्रसार की स्थिति बढ़ गयी है। मौजूदा टीकाकरण कार्यक्रम से काली खांसी के कारण हर साल ६०० ००० मौतों को रोका गया है। मोरबिलियस वायरस खसरा का कारण है और यह हवा के माध्यम से फैलता है। यह बेहद संक्रामक होता है और फ्लू के जैसे लक्षण जिसमें बुखार, खांसी और नासिका झिल्ली शोथ दिखाई देते हैं और कुछ ही दिनों के बाद दाने निकल आते हैं। टीकाकरण से इसे प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है। इसके बावजूद, २००७ में लगभग २००,००० लगभग लोगों की इससे मौत हुई, जिनमें ज्यादातर ५ साल से कम उम्र के बच्चे थे। न्यूमोकोसी और हीमोफिलस इंफ्लूएंजा के कारण लगभग ५0% बच्चों की मौत निमोनिया से हो जाती है और यह बैक्टीरियल मेनिंजाइटिस और सेप्सिस का कारण भी होता है। कम आय वाले देशों में न्यूमोकोसी और हीमोफिलस इंफ्यूएंजा के लिए नया टीका स्पष्ट रूप से लागत-प्रभावी है। विश्व स्तर पर इन दोनों टीकों के उपयोग करने से प्रति वर्ष कम से कम 1०००००० बच्चे की मौत को रोके जाने का अनुमान है। अत्यधिक दीर्घकालिक प्रभाव के लिए, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के उपाय के रूप में बच्चों के टीकाकरण को एकीकृत किया जाना चाहिए. दुनिया भर में पांच साल से कम उम्रवाले बच्चों में अतिसारीय संक्रमण से होनेवाली मौत की दर १७ फीसदी है, बच्चों की मौत के मामले में यह दुनिया भर में दूसरा सब्से बड़ा आम कारण है। खराब सफ़ाई व्यवस्था के कारण पानी, भोजन, बर्तन, हाथों और मक्खियों के माध्यम से संक्रमण में वृद्धि हो सकती है। रोटावायरस बेहद संक्रामक होता है और बच्चों में गंभीर दस्त तथा मृत्यु (सीए २०%) का एक प्रमुख कारण है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दस्त के रोटावायरस की रोकथाम के लिए केवल स्वच्छता के उपाय अपर्याप्त हैं। रोटावायरस टीके अत्यधिक रक्षात्मक, सुरक्षित और संभावित रूप से लागत-प्रभावी हैं। दस्त के कारण निर्जलीकरण का प्रभावी ढंग से मौखिक पुनर्जलीकरण उपचार (ओआरटी (ऑर्ट)) के माध्यम से इलाज होने पर मृत्यु दर में नाटकीय कमी आ सकती है। पानी, चीनी और नमक या बेकिंग सोडा को मिला कर और इसे दस्त से प्रभावित बच्चे को पिला कर निर्जलीकरण का इलाज कारगर ढंग से किया जा सकता है। स्तनपान को प्रोत्साहित किया जाना और जस्ता अनुपूरण महत्वपूर्ण पोषक उपायों में शामिल हैं। ह्यूमन इम्यूनो वायरस (एचआईवी (हिव)) एक रेट्रोवायरस है, जो पहली बार १९८० के दशक में मानव में पाया गया। एचआईवी एक ऐसे बिन्दु पर पहुंच जाता है जहां संक्रमित व्यक्ति को एड्स या एक्वायर्ड इम्यूनो सिंड्रोम हो जाता है। एचआईवी से एड्स हो जाता है क्योंकि यह वायरस सीडी४+टी कोशिकाओं समाप्त कर देता है जो कि एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक हैं। एंटीरेट्रोवाइरल दवाएं जीवन को बढ़ाती हैं और शरीर में एचआईवी (हिव) की मात्रा को कम करके एड्स की शुरुआत होने में देरी करती है। शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से एचआईवी (हिव) का संक्रमण होता है। असुरक्षित यौन संबंध, नसों में नशीली दवाओं के प्रयोग, रक्ताधान और अशुद्ध सुईयां रक्त और अन्य तरल पदार्थ के माध्यम से एचआईवी (हिव) फैलता है। पहले समझा जाता था कि यह बीमारी नशीले पदार्थों का सेवन करनेवालों और समलैंगिकों को प्रभावित करती है, लेकिन यह किसीको भी प्रभावित कर सकती है। विश्व स्तर पर, एचआईवी (हिव) के विस्तार का प्राथमिक तरीका विषमलैंगिक संभोग के माध्यम से है। गर्भावस्था के दौरान एक गर्भवती महिला से उसके पेट में पल रहे बच्चे में या गर्भावस्था के बाद मां के दूध के माध्यम से भी यह संक्रमण पहुंच सकता है। चूंकि यह एक वैश्विक रोग है इसलिए यह किसी को भी प्रभावित कर सकता है, दुनिया की कुछ जगहों पर अनुपातहीन तरीके से इसका संक्रमण दर बहुत ही उच्च है। मलेरिया प्लाज्मोडियम नामक एक प्रोटोजोआ परजीवी द्वारा होनेवाला संक्रामक रोग है। यह संक्रमण मच्छर के काटने के माध्यम से फैलता है। इसके प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना और जी मिचलाना शामिल हो सकते हैं। प्रत्येक वर्ष मलेरिया के लगभग ५०० मिलियन मामले दुनिया में देखने में आते हैं, सामान्य तौर पर अपेक्षाकृत कम विकसित देशों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं में देखने में आता है। मलेरिया किसी देश के आर्थिक विकास में बाधा पैदा कर सकता हैं। मलेरिया के आर्थिक प्रभाव में काम की उत्पादकता में कमी, इलाज का खर्च और उपचार में लगने वाला समय शामिल है। कीटनाशक-उपचार वाली मच्छरदानी के उपयोग तथा शीघ्र आर्टीमिसिन आधारित संयोजन उपचार और गर्भावस्था में आंतरायिक निवारक समर्थित उपचार के द्वारा मलेरिया से होनेवाली मृत्यु को बड़ी तेजी और लागत-प्रभावी ढंग कम किए जा सकते हैं। हालांकि, अनुमान है कि अफ्रीका में केवल २३% बच्चे और २७% गर्भवती महिलाएं कीटनाशक-उपचार वाली मच्छरदानी में सोती हैं। पोषण और सूक्ष्म पोषक की कमी दुनिया में दो अरब से अधिक दो लोग सूक्ष्म पोषक तत्वों (विटामिन ए, आयरन, आयोडीन और जस्ता सहित) की कमी के खतरे के साथ जी रहे हैं। विकासशील देशों में पांच वर्ष के कम आयुवाले ५३% बच्चों की मौत का कारण कुपोषण जनित संक्रामक बीमारी है। आवृत्ति में वृद्धि, तीव्रता और बचपन में लंबे समय तक बीमार रहने (जिसमें खसरा निमोनिया और दस्त शामिल हैं) से कुपोषण प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी बौद्धिक क्षमता, वृद्धि, विकास और वयस्क उत्पादकता को बाधित करती है। हालांकि, संक्रमण भी एक महत्वपूर्ण कारण है और कुपोषण में उसका योगदान होता है। उदाहरण के लिए, गैस्ट्रो-इंटेस्टिनल संक्रमण का कारण दस्त होता है और एचआईवी, तपेदिक, आंत्र परजीवी तथा दीर्घकालिक संक्रमण और रक्ताल्पता में वृद्धि क्षय कर देता है। पांच वर्ष से कम उम्र के पचास लाख बच्चे विटामिन ए की कमी से प्रभावित हैं। ऐसी कमी रतौंधी का कारण होती है। गंभीर कमी ज़ेरोफ्थेल्मिया और कॉर्निया में घाव से संबंध रखती है, यह एक ऐसी स्थिति है, जिससे पूरी तरह अंधत्व हो सकता है। विटामिन ए प्रतिरक्षा प्रणाली और उपकला सतहों को बनाए रखने के काम से भी यह जुड़ा हुआ है। इस कारण से, विटामिन ए की कमी संक्रमण और बीमारी की अतिसंवेदनशीलता में इजाफा करती है। दरअसल, उन क्षेत्रों में जहां विटामिन ए की कमी उल्लेखनीय है वहां विटामिन ए का अनुपूरण बच्चों की मृत्यु दर को २३% कम करती है। दुनिया की लगभग एक-तिहाई महिलाएं और बच्चे लौह तत्व की कमी से प्रभावित हैं। लौह तत्व की कमी से रक्ताल्पता के साथ अन्य पोषक तत्वों की कमी और संक्रमण होता है और यह दुनिया भर में प्रसव मृत्यु, जन्म के पूर्व मृत्यु और मानसिक मंदता का भी कारण होता है। रक्ताल्पता वाले बच्चों को लौह तत्व अनुपूरक के साथ सूक्ष्म पोषक दिए जाने पर स्वास्थ्य और हीमोग्लोबिन स्तर में सुधार होता है। बच्चों में, लौह तत्व की कमी से सीखने की क्षमता तथा भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास प्रभावित होता है। आयोडीन की कमी प्रतिकार योग्य मानसिक मंदता का प्रमुख कारण है। प्रति वर्ष पांच करोड़ से भी ज्यादा शिशुओं का जन्म आयोडीन की कमी के खतरे के साथ होता है। इस विशेष उपाय के तहत गर्भवती महिलाएं, जिनमें आयोडीन की कमी है, को भी आबादी लक्ष्य में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि आयोडीन कमीवाली गर्भवती महिलाओं में गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है और उनमें शिशु के विकास की क्षमता में भी कम हो जाती है। व्यापक स्तर पर नमक के आयोडनीकरण का वैश्विक प्रयास इस समस्या को खत्म करने में मदद कर रहा हैं। लेजरीनी और फिशर व अन्य के अनुसार, जस्ते की कमी दस्त, न्यूमोनिया और मलेरिया में मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। माना जाता है कि दुनिया के लगभग ३०% बच्चों की मृत्यु जस्ते की कमी से होती है। अनुपूरक दस्त की बारंबारता की अवधि को कम करता है। सूक्ष्म पोषक अनुपूरण कुपोषण को रोकने के उपाय में शामिल हैं, साथ में बुनियादी खाद्य पदार्थों के दृढ़ीकरण, आहार विविधीकरण, स्वच्छता आदि जैसे उपाय संक्रमण के विस्तार को कम करते हैं और स्तनपान को बढ़ावा देते हैं। आहार विविधीकरण का लक्ष्य नियमित भोजन में महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक में वृद्धि करना है। यह काम शिक्षा और एक विविध आहार के संवर्धन तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर और स्थानीय रूप से निर्मित खाद्य के उपयोग में सुधार के द्वारा के द्वारा किया जाता है। पुरानी गैर-संक्रामक बीमारी का सापेक्ष महत्व बढ़ रहा है। उदाहरण के लिए, टाइप २ मधुमेह की दर, जो मोटापे से जुड़ा हुआ है, परंपरागत रूप से भूख स्तर के लिए जाने जाने वाले देशों में यह बढ़ रहा है। कम आय वाले देशों में, मधुमेह वाले व्यक्तियों की संख्या ८४ मिलियन से बढ़ कर २030 तक २२8 मिलियन हो जाने की संभावना है। मोटापा निवारणीय है, लेकिन यह बहुत सारी दीर्घकालिक बीमारियों, जैसे हृदय की बीमारी, मधुमेह, स्ट्रोक, कैंसर और सांस की बीमारियों के साथ जुड़ा हुआ है। डेली के मापक से पता चला है कि विश्व की लगभग १६ फीसदी बीमारियों के लिए मोटापा जिम्मेवार है। स्तनपान के लिए प्रोत्साहित किया जाना, जस्ता अनुपूरण, विटामिन ए का संवर्धन और अनुपूरण, नमक का आयोडनीकरण, हाथ धोने और स्वच्छता के अन्य उपाय, टीकाकरण, गंभीर तीव्र कुपोषण का इलाज आदि बच्चों के स्वास्थ्य और उनके जीवित रहने के लिए उपायों में शामिल हैं। मलेरिया महामारी वाले क्षेत्रों में कीटनाशक वाले मच्छरदानी और कुछ-कुछ अंतराल के बाद औषधीय उपचार मृत्यु दर को कम करता है। . अध्ययन के आधार पर विश्व स्वास्थ्य परिषद ने ३२ उपचार और बचाव के उपायों की एक सूची दी है, जिससे संभवत: प्रति वर्ष एक मिलियन लोगों के जीवन को बचाया जा सकता है। इसे ज्यादा कारगर बनाने के लिए स्थानीय संदर्भों के उपायों को उपयुक्त, समयोचित और न्यायसंगत बनाने और नियत आबादी को शामिल कर अधिक से अधिक उपलब्धि को प्राप्त करने की जरूरत है। केवल आंशिक विस्तार क्षेत्र वाले उपाय लागत-प्रभावी नहीं हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आंशिक विस्तार क्षेत्र वाले प्रतिरक्षण कार्यक्रम अक्सर ऐसे लोगों तक पहुंच पाने में विफल रहते हैं, जिनमें बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा हो. इसके अलावा, अगर वितरण पर ध्यान नहीं दिया गया तो विस्तार क्षेत्र का अनुमान भ्रामक हो सकता है। इसीलिए, इसका अर्थ यह हुआ कि देखने में राष्ट्रीय कवरेज काफी पर्याप्त हो सकता है, लेकिन जब विस्तार से विश्लेषण किया जाएगा तो वह अपर्याप्त हो सकता है। इसे 'कवरेज का भ्रम' कहा गया है। स्वास्थ्य संबंधी उपायों के विस्तार क्षेत्र में प्रगति के मामले में, विशेष रूप से बच्चों और मातृ स्वास्थ्य (विकास सहस्राब्दी लक्ष्य ४ और ५) संबंधी मामलों में, यूनिसेफ द्वारा नेतृत्व के सहयोग से ६८ कम आय वाले देशों का पता लगाया गया है, जो काउंटडाउन 201५ कहलाता है। इन देशों में ९७% मां और बच्चे की मौत का अनुमान लगाया गया है। जेकबसेन केएच (२००८) वैश्विक स्वास्थ्य का परिचय. जोन्स और बार्टलेट स्कोलनिक आर (२००८) आवश्यक जन स्वास्थ्य: ग्लोबल स्वास्थ्य के अनिवार्य. जोन्स और बार्टलेट. लेविन आर (एड) (२००७) आवश्यक लोक स्वास्थ्य: वैश्विक स्वास्थ्य में प्रकरण अध्ययन. जोन्स और बार्टलेट. हल विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य व सामाजिक देखभाल संकाय द्वारा इन पुस्तकों को अपनाया गया है। बीएससी वैश्विक स्वास्थ्य और रोग (अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विकास और मानवीय राहत) के लिए और वैश्विक स्वास्थ्य प्रथम मॉड्यूल और वैश्विक स्वास्थ्य द्वितीय मॉड्यूल के नवीनतम अंकों को पढ़ना आवश्यक है। लौन्चिंग ग्लिबल हेल्थ स्टीवन पामर. एन आर्बर, मिशिगन विश्वविद्यालय प्रेस, २०१०. वैश्विक पीढ़ी के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य उत्तेजक क्षेत्र है (वॉशिंगटन पोस्ट) - १९ सितंबर २००८ वैश्विक स्वास्थ्य अवलोकन
डगमोना धरमजयगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है। छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़
जिनखोला, गरुङ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा जिनखोला, गरुङ तहसील जिनखोला, गरुङ तहसील
पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय (), इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत है और पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था का शीर्ष हिस्सा है और पाकिस्तानी न्यायिक क्रम का शिखर बिन्दु है। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। सर्वोच्च न्यायालय का स्थायी कार्यालय पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित है, जबकि इस अदालत की कई उप-शाखाएं, पाकिस्तान के महत्वपूर्ण शहरों में कार्यशील हैं जहां मामलों की सुनवाई की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या पाकिस्तान के संविधान में की गई है। देश में कई सैन्य सरकारों और असंवैधानिक तानाशाही सरकारों के कार्यकाल में भी सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं को स्थापित कर रखा है। साथ ही, इस अदालत ने सैन्य शक्ति पर एक वास्तविक निरीक्षक के रूप में स्वयं को स्थापित किया है और कई अवसरों में सरकारों की निगरानी की है। इस अदालत के पास, सभी उच्च न्यायालयों(प्रांतीय उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों, और विशेष अदालतों सहित) और संघीय अदालत के ऊपर अपीलीय अधिकार है। इसके अलावा यह कुछ प्रकार के मामलों पर मूल अधिकार भी रखता है। सुप्रीम कोर्ट एक मुख्य न्यायाधीश और एक निर्धारित संख्या के वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा निर्मित होता है, जो प्रधानमंत्री से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। एक बार नियुक्त न्यायाधीश को, एक निर्दिष्ट अवधि को पूरा करने और उसके बाद ही रिटायर होने की उम्मीद की जाती है, जब तक कि वे दुराचार के कारण सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा निलंबित नहीं किये जाते हैं। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय को १९५६ के संविधान द्वारा स्थापित किया गया था। इसने १९४८ में, आदेश द्वारा स्थापित, संघीय अदालत(फ़ेड्रल कोर्ट)(जो १९३५ में स्थापित, भारत की संघीय अदालत का पाकिस्तानी जोड़ीदार था) का नवरूप था। १९५६ में इस के गठन के समय से ही इसने अपना न्यायिक अधिकार संजोए रखा है एवं अनेक सैनी सरकारों के कार्यकाल के दौरान भी यह अपना अधिकार जताने में सफल रहा है। १९५६ के संविधान के अनुसार: उच्चतम न्यायालय कराँची में स्थापित थी, परंतु १९४९ में इसे लाहौर में पुनर्स्थापित कर दिया गया, जहां यह मौजूदा लाहौर उच्च न्यायालय के भवन में कार्यशील था। [भारत का संविधान| (पाकिस्तान के पास खुद का कुछ नहीं है)१९७३ के संविधान]] के दस्तावेज़ मैं सर्वोच्च न्यायालय को इस्लामाबाद में स्थापित करने की बात की गई है एवं यह आशा जताई गई है की सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में स्थापित हो। परंतु राशि के अभाव के कारण न्यायालय के भवन को उस समय इस्लामाबाद में नहीं निर्मित किया जा सका था। अतः १९७४ में न्यायालय को लाहौर से रावलपिंडी ले आया गया। १९८९ में, सरकार द्वारा इस्लामाबाद में सर्वोच्च न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए धनराशि आवंटित की गई। इस्लामाबाद के कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू("संविधान गामिनी") पर स्थित मौजूदा भवन के निर्माण की शुरुआत केवल १९९० में ही हो सकी, परंतु मुद्रा के अभाव के कारण १९९३ तक केवल मुख्य भवन का निर्माण ही किया जा सका, अतः आगे के निर्माण कार्य को १९९३ में रोक दिया गया। ३१ दिसंबर १९९३ में नयायालय को रावलपिंडी से इस्लामाबाद मैं निर्मित भवन में पुनर्स्थापित किया गया एवं परिसर के अन्य भवनों के निर्माण को २०११ तक पूरा किया गया। पाकिस्तान के संविधान के भाग ७, अध्याय द्वितीय में अनुच्छेद 1७6 ता १९१ में अदालत पाकिस्तान के विकल्प, लेआउट, नियमों और कर्तव्यों की पहचान की गई है। उनके लेख का सरसरी समीक्षा आभल में कहा गया है: अनुच्छेद १७६ - अदालत सेटिंग अनुच्छेद १७७ - मुख्य न्यायाधीश की योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया अनुच्छेद १७८ - मुख्य न्यायाधीश कार्यालय की शपथ अनुच्छेद १७९ - सेवानिवृत्ति या अलगाव के नियम अनुच्छेद १८० - मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति, खाली सीट या नाकाबलयत बारे कानूनों अनुच्छेद १८१ - अदालत के दूसरे मनसनिन की अनुपस्थिति, खाली सीटों या नाकाबलयत बारे कानूनों अनुच्छेद १८२ - एड हॉक मनसनिन की नियुक्ति अनुच्छेद १८३ - अदालत की शारीरिक जगह या स्थान अनुच्छेद १८४ - सुप्रीम कोर्ट के दो या दो से अधिक सरकारों के बीच विवाद की स्थिति में अधिकार क्षेत्र अनुच्छेद १८५ - प्रार्थना या अपील के मामले में सुनवाई और निर्णय का अधिकार क्षेत्र अनुच्छेद १८६ - सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रपति को आवेदन में महत्वपूर्ण संवैधानिक और कानूनी मामलों पर सलाह देने का अहवाल अनुच्छेद १८६ ाल्फ़- जाए जांच और सुनवाई का अधिकार अनुच्छेद १८७ - आदेश और सोमोटो विकल्प अनुच्छेद १८८ - सुप्रीम कोर्ट के अपने ही निर्णयों और आदेशों बारे बदलाव और आलोचना विकल्प अनुच्छेद १८९ - पाकिस्तान की दूसरी सभी अदालतों में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर कायम रहने के आदेश अनुच्छेद १९० - इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में तमाम उच्च प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारियों या अरबाब विकल्प न्यायालय पाकिस्तान के आदेश बजाआवरी और मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऊपर वर्णित किए गए अवलोकन के अलावा, संविधान पाकिस्तान में जा बजा दूसरे अध्याय और वर्गों में कानूनी, संवैधानिक और घरेलू मामलों में अदालत से संपर्क करने का आदेश दिया गया है। पाकिस्तान के न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय का यह भूमिका स्पष्ट है कि वह पाकिस्तान के अन्य भागों में न केवल संवैधानिक और कानूनी नजर रखे बल्कि उनके सरकारी शाखाओं में विकल्प और कर्तव्यों की सही पहचान और वितरण भी अमल में लाए। संविधान की धाराएँ १७६ से १९० सर्वोच्च न्यायालय को अनेक संवैधानिक अधिकार देते हैं, जिनके उपयोगन से राष्ट्रपति की कार्य स्वतंत्रता पर नियंत्रण व बाधाएँ डाली जा सकती है। उदाहरणस्वरूप: संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के पास क़ौमी असेम्ब्ली को भंग करने का अधिकार है, परंतु ऐसे किसी भी विवादास्पर भंगन को वैद्ध या अवैद्ध करार देने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रपति द्वारा लिये गए किसी भी निर्णय व आदेश के निरीक्षण व उसे गैर संवैधानिक व अवैध करार देने का अधिकार भी न्यायालय को दिया गया है। हालाँकि ये प्रावधान संविधान द्वारा अंकित किये गए हैं, परंतु इन्हें आमतौर पर उपयोग नहीं किया जाता है। परंतु यदि पाकिस्तान के संवैधानिक इतिहास के संदर्भ में देखा जाए तो ऐसे अधिकारों का इस्तेमाल कई अवसरों पर (विशेषतः सैन्य सरकारों के समय) किया जाता रहा है। कई विवादास्पद निर्णयों के बावजूद इस न्यायालय का पाकिस्तानी राजनीति में अहम स्थान है, अतः अनेक सैन्य सरकारों व राजनैतिक अनबन के दौरों के बाद भी इस न्यायालय ने अपना स्थान बनाए रखा है, एवं कई बार सेना के अवैध ताकतों पर लगाम डालती रही है, और यह पाकिस्तान के कुछ सबसे सम्माननीय संस्थानों में से एक है और आम जनता में इसे विश्वास की दृष्टि से देखा जाता है। न्यायपालिका में स्थान सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान की न्यायपालिका का शिकार बिंदु है, एवं पाकिस्तानी न्यायिक तंत्र का श्रेष्ठतम व उच्चतम न्यायालय है। पाकिस्तान की न्यायपालिका की श्रेणीबद्ध प्रणाली है जिसमें अदालतों के दो वर्गों है: श्रेष्ठतर (या उच्च) न्यायपालिका और अधीनस्थ (या निम्न) न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका में, उच्चतम न्यायालय के अतिरिक्त, संघीय शरीयत अदालत और पाँच प्रांतीय उच्च न्यायालयों आते हैं, जिसके शीर्ष पर सुप्रीम कोर्ट विराजमान है। सर्वोच्च न्यायालय के निचली स्तर पर, प्रत्येक चार प्रांतों एवं इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र के लिये गठित उच्च न्यायालय है। पाकिस्तान का संविधान, न्यायपालिका पर संविधान की रक्षा, संरक्षण व बचाव का दायित्व सौंपता है। ना उच्चतम न्यायालय, ना हीं, उच्च न्यायालय, जनजातीय क्षेत्रों(फाटा) के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग कर सकते हैं, सिवाय अन्यथा यदी प्रदान की जाय तो। आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के विवादित क्षेत्रों के लिये अलग न्यायिक प्रणाली है। अधीनस्थ न्यायपालिका में वह न्यायालय हैं जो श्रेष्ठतर प्रणाली की अधीन आती है। इसमें, सिविल और आपराधिक जनपदीय न्यायालय व अन्य अनेक विशेष अदालतें शामिल हैं, जो, बैंकिंग, बीमा, सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क, तस्करी, ड्रग्स, आतंकवाद, कराधान, पर्यावरण, उपभोक्ता संरक्षण, और भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में अधिकारिता का प्रयोग करती हैं। आपराधिक अदालतों को दंड प्रक्रिया संहिता, १८९८ के तहत बनाया गया था और सिविल अदालतें, पश्चिमी पाकिस्तान सिविल न्यायालय अध्यादेश, १९६४ द्वारा स्थापित किए गए थे। साथ ही, राजस्व अदालतें भी हैं, जो कि पश्चिमी पाकिस्तान भू-राजस्व अधिनियम, १९६७ के तहत काम कर रहे हैं। इन सारे न्यायालयों द्वारा लिये गए निर्णय अपील-बद्ध हैं। अर्थात् निर्णय को उंची अदालतों में चुनौती दी जा सकती है। इसमें अंत्यत् निर्णयाधिकार सर्वोच्च न्यायालय का होता है। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश, पाकिस्तान की न्यायपालिका के प्रमुख एवं उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं। वे उच्चतम न्यायालय के १६ न्यायाधीशों में वरिष्ठतम होते हैं। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी है एवं यह पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय पद है जो संघीय न्यायपालिका की नीति निर्धारण वह उच्चतम न्यायालय में न्यायिक कार्यों का कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। इस पद पर नियुक्ति के लिए नामांकन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा एवं नियुक्ति अंततः पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अदालत की सुनवाई पर अध्यक्षता करते हुए मुख्य न्यायाधीश के पास न्यायालय की नीति निर्धारण के लिए अत्यंत ताकत है। साथ ही आधुनिक परंपरा अनुसार मुख्य न्यायाधीश के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का भी महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्य है पाकिस्तान के सर्वप्रथम मुख्य न्यायाधीश सर अब्दुल राशिद थे। मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त, अधिकतम १६ और न्यायाधीश रह सकते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति व बर्खास्तगी पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य और १६ अन्य नियुक्त न्यायाधीशों के होते हैं। न्यायाधीश के रूप में अनुभव के ५ साल तक या वकील के रूप में 1५ वर्षों के अनुभव वाल किसी व्यक्ति को ही सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद के लिए आवेदन करने का अधिकार है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति व्यक्तियों को अपने विवेक और कानून के विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव के आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई सिफारिश के बीच से न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशें को राष्ट्रपति पर बाध्यकारी है। अभ्यासतः, एक नियम के रूप में, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है। प्रत्येक न्यायाधीश ६५ साल की उम्र तक पद धारण कर सकते हैं, जिस बीच वे जल्दी ही इस्तीफा द्वारा या संविधान के प्रावधानों के अनुसार पद से हटाया जा सकता है। अर्थात्, शारीरिक या मानसिक अक्षमता या दुराचार - जिसकी वैधता सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा निर्धारित की जाती है - के कारण कोई भी न्यायाधीश केवल संविधान द्वारा प्रदान किये गए प्रावधानों के आधार पर पद से कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही हटाया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय का ध्येयवाक्य क़ुरान- ३८:२६ से लिया गया है। इस्का सार यह है: सर्वोच्च न्यायालय भवन, सर्वोच्च न्यायालय का आधिकारिक एवं प्रधान कार्यालय है। यह इस्लामाबाद के प्रशासनिक क्षेत्र में मुख्य गामिनी, कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू(संविधान गामिनी) पर स्थित है। यह भवन, संविधान गामिनी पर, दक्षिण स्थित प्रधानमंत्री सचिवालय व उत्तर स्थित, आईवान-ए सदर और संसद भवन के बीच विराजमान है। इसका पता: ४४००० कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू, इस्लामाबाद, पाकिस्तान है। इसकी रूपाकृती को, विख्यात जापानी वास्तुकार, केन्ज़ो तांगे ने पाकिस्तान पर्यावरण संरक्षण अभिकरण से मशवरे के बाद तईयार किया था। इस पूरे भवन समूह को इस्लामाबाद की राजधानी विकास प्राधिकरण की अभियंत्रिकी विभाग और पाकिस्तान की साईमेन्स इंजीनियरिंग नामक कंपनी ने बनाया था। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की राजनीति पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय पाकिस्तान का संविधान पाकिस्तान की संसद उच्च न्यायालय (पाकिस्तान) लाहौर उच्च न्यायालय पेशावर उच्च न्यायालय बलूचिस्तान उच्च न्यायालय इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) संघीय शरियाई न्यायालय पाकिस्तान की न्यायपालिका पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय विधि व न्याय आयोग, पाकिस्तान सरकार पाकिस्तान की न्यायपालिका पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रीय उच्चतम न्यायालय
यह शुक्र ग्रह के पर्वतों की सूची है। शुक्र ग्रह के पर्वतों के नाम विभिन्न संस्कृतियों की पौराणिक देवियों पर रखे गए है, मैक्सवेल पर्वत एक अपवाद है। शुक्र के पर्वतों की सूची शुक्र की स्थलाकृति
लगघाटी (लुगवल्ली) हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िला में स्थित है। यह स्थान ज़िला मुख्यालय कुल्लू में स्थित शिशामाट्टी से आरम्भ होता है। इस घाटी के अंतर्गत कई छोटे-बड़े गाँव आते हैं ( भुट्ठी, बढ़ई, सुमा, दड़का, कमान्द, रुजग, कणोंड़, भल्याणी, जठानी, खारका, बड़ाग्रां, खोपरी, घल्याणा, पलालंग, मड़घन, शांघन, छुरला, भालठा, कालंग, शालंग, समाना, भूमतीर, तिउन, दलीघाट, समालंग, डुघीलग, गदियाड़ा आदि)। लगघाटी पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। अभी कुल्लू से भल्याणी, कालंग - शालंग, दलीघाट - तेलंग, पीज़, भूमतीर, जठानी औऱ खणी पांध तक सड़क मार्ग उपलब्ध है। जहाँ आप बस और छोटे वाहनों द्वारा भी पहुंच सकते हैं। हिमाचल प्रदेश का भूगोल
सय्यद इश्तियाक़ अहमद जाफ़री (२९ मार्च १९३९ - ८ जुलाई २०२०) जगदीप के नाम से मशहूर, एक हिन्दी फिल्म हास्य अभिनेता। जगदीप का जन्म २९ मार्च, १९३९ को दतिया, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनका असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी है। बॉलीवुड में इन्हें शोले फ़िल्म में प्रसिद्ध हुए किरदार की वजह से सूरमा भोपाली भी कहा जाता है।) १९७५ में आयी फ़िल्म शोले में इन्हें सुरमा भोपाली का किरदार मिला था जिसने इन्हें खूब प्रसिद्धि दिलाई।फ्र्म शोले मे सूरमा भोपाली का किरदार नामांकन और पुरस्कार २०२० में निधन १९३९ में जन्मे लोग
शिझुआ में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत पुर्णिया मण्डल के अररिया जिले का एक गाँव है। बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ बिहार के गाँव
मेव मीणा इतिहास की एक लोकप्रिय प्रेम कथा. दरियाखां मेव राजा टोडरमल मेव के पुत्र थे और शसीबदनी मीणी राजा बादाराव मीणा की पुत्री थी, जिनका रिस्ता बचपन मे तय हो गया था!
मिठान जमशेद लाम को सार्वजनिक उपक्रम के क्षेत्र में सन १९६२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र राज्य से हैं। १९६२ पद्म भूषण
ययाति, चन्द्रवंशी राजा थे। वे राजा नहुष के छः पुत्रों याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति तथा कृति में से एक थे। ययाति की कथा महाभारत के आदि पर्व में, भागवत पुराण में, और मत्स्य पुराण में आती है। याति राज्य, अर्थ आदि से विरक्त रहते थे इसलिये राजा नहुष ने अपने द्वितीय पुत्र ययाति का राज्यभिषके करवा दिया। ययाति का विवाह शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के साथ हुआ। देवयानी के साथ उनकी सखी शर्मिष्ठा भी ययाति के भवन में रहने लगे। ययाति ने शुक्राचार्य से प्रतिज्ञा की थी की वे देवयानी भिन्न किसी ओर नारी से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाएंगे। एकबार शर्मिष्ठा ने ययाति से विवाह करने की इच्छा जताई परंतु निहुश को शुक्राचार्यजी का भय था लेकिन शमिष्ठा के लगातर प्रयास के बाद निहुश को शर्मिष्ठा से विवाह करना पड़ा । इस तरह देवयानी से छुपाकर शर्मिष्ठा एवं ययाति ने तीन वर्ष बीता दिए। उनके गर्भ से तीन पुत्रलाभ करने के बाद जब देवयानी को यह पता चला तो उसने शुक्र को सब बता दिया। शुक्र ने ययाति को वचनभंग के कारण शुक्रहीन वृद्ध होने का श्राप दिया। ययाति की दो पत्नियाँ थीं। शर्मिष्ठा के तीन और देवयानी के दो पुत्र हुए। ययाति ने अपनी वृद्धावस्था अपने पुत्रों को देकर उनका यौवन प्राप्त करना चाहा, पर पुरू को छोड़कर और कोई पुत्र इस पर सहमत नहीं हुआ। पुत्रों में पुरू सबसे छोटा था, पर पिता ने इसी को राज्य का उत्तराधिकारी बनाया और स्वयं एक सहस्र वर्ष तक युवा रहकर शारीरिक सुख भोगते रहे। एक हजार वर्ष बाद पुरू को बुलाकर ययाति ने कहा - 'इतने दिनों तक सुख भोगने पर भी मुझे तृप्ति नहीं हुई। तुम अपना यौवन लो, मैं अब वानप्रस्थ आश्रम में रहकर तपस्या करूँगा।' फिर घोर तपस्या करके ययाति स्वर्ग पहुँचे, परन्तु थोड़े ही दिनों बाद इंद्र के शाप से स्वर्गभ्रष्ट हो गए (महाभारत, आदिपर्व, ८१-८८)। अंतरिक्ष पथ से पृथ्वी को लौटते समय इन्हें अपने दौहित्र, अष्ट, शिवि आदि मिले और इनकी विपत्ति देखकर सभी ने अपने अपने पुण्य के बल से इन्हें फिर स्वर्ग लौटा दिया। इन लोगों की सहायता से ही ययाति को अन्त में मुक्ति प्राप्त हुई। ययाति ग्रंथि वृद्धावस्था में यौवन की तीव्र कामना की ग्रंथि मानी जाति है। किंवदंति है कि, राजा ययाति एक सहस्र वर्ष तक भोग लिप्सा में लिप्त रहे किन्तु उन्हें तृप्ति नहीं मिली। विषय वासना से तृप्ति न मिलने पर उन्हें उनसे घृणा हो गई और उन्होंने पुरु की युवावस्था वापस लौटा कर वैराग्य धारण कर लिया। ययाति को वास्तविकता का ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होने कहा- भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताःतपो न तप्तं वयमेव तप्ताः। कालो न यातो वयमेव याताःतृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥ अर्थात, हमने भोग नहीं भुगते, बल्कि भोगों ने ही हमें भुगता है; हमने तप नहीं किया, बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गये हैं; काल समाप्त नहीं हुआ हम ही समाप्त हो गये; तृष्णा जीर्ण नहीं हुई, पर हम ही जीर्ण हुए हैं ! विस्तृत अध्ययन हेतु
सुभाष पटेल भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के खरगोन से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर सांसदों के बारे में संक्षिप्त जानकारी १६वीं लोक सभा के सदस्य मध्य प्रदेश के सांसद
उपापचय (मेटाबॉलिज्म) जीवों में जीवनयापन के लिये होने वाली रसायनिक प्रतिक्रियाओं को कहते हैं। ये प्रक्रियाएं जीवों को बढ़ने और प्रजनन करने, अपनी रचना को बनाए रखने और उनके पर्यावरण के प्रति सजग रहने में मदद करती हैं। साधारणतः उपापचय को दो प्रकारों में बांटा गया है। अपचय कार्बनिक पदार्थों का विघटन करता है, उदा. कोशिकीय श्वसन से ऊर्जा का उत्पादन. उपचय ऊर्जा का प्रयोग करके प्रोटीनों और नाभिकीय अम्लों जैसे कोशिकाओं के अंशों का निर्माण करता है। उपापचय की रसायनिक प्रतिक्रियाएं उपापचयी मार्गों में संचालित होती हैं, जिनमें एक रसायन को एंजाइमों की श्रंखला द्वारा कुछ चरणों में दूसरे रसायन में बदला जाता है। एंजाइम उपापचय के लिये महत्वपूर्ण होते हैं, क्यौंकि वे जीवों को ऐसी अपेक्षित प्रतिक्रियाएं, जिनमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है और जो स्वतः नहीं घट सकती हैं, उन्हें उन स्वतः होने वाली प्रतिक्रियाओं के साथ युगल रूप में होने में मदद करते हैं, जिनसे ऊर्जा उत्पन्न होती है। चूंकि एंजाइम उत्प्रेरक का काम करते हैं, इसलिये वे इन प्रतिक्रियाओं को तेजी से और य़थेष्ट रूप से होने देते हैं। एंजाइम कोशिका के पर्यावरण में परिवर्तनों या अन्य कोशिकाओं से प्राप्त संकेतों के अनुसार चयापचयी मार्गों के नियंत्रण में भी सहायता करते हैं। किसी जीव का उपापचय यह निश्चित करता है कि उसके लिये कौन सा पदार्थ पौष्टिक होगा और कौन सा विषैला. उदा.कुछ प्रोकैर्योसाइट हाइड्रोजन सल्फाइड का प्रयोग करते हैं, जबकि यह गैस पशुओं के लिये जहरीली होती है। उपापचय की गति, या उपापचय दर इस बात को भी प्रभावित करती है कि किसी जीव को कितने भोजन की जरूरत होगी. उपापचय की एक खास बात यह है कि जातियों में बड़ी भिन्नताएं होने पर भी उनके मूल उपापचयी मार्ग और अंश समान प्रकार के होते हैं। उदा. सिट्रिक एसिड चक्र में माध्यमिक भूमिका निभाने वाले कार्बाक्सिलिक एसिड, एककोशिकीय बैक्टीरिया एश्चरिशिया कोली से लेकर हाथियों जैसे विशाल बहुकोशिकीय जीवों तक, सभी में पाए जाते हैं। उपापचय की ये खास समानताएं संभवतः इन मार्गों की उच्च कार्यक्षमता और विकास के इतिहास में उनके जल्दी प्रकट होने के कारण होती हैं। जानवरों, पौधों और सूक्ष्मजीवों को बनाने वाली अधिकांश रचनाएं अणुओं के तीन मूल वर्गों से बनी होती हैं-अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट और लिपिड (जो वसा के नाम से भी जाना जाता है). चूंकि ये अणु जीवन के लिये महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिये चयापचयी प्रतिक्रियाएं कोशिकाओं और ऊतकों के निर्माण के समय इन अणुओँ को बनाने, या भोजन के पाचन और प्रयोग में उन्हें विघटित करने व उन्हें ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग में लाने में जुटी होती हैं। कई महत्वपूर्ण जैवरसायन मिलकर डीएनए और प्रोटीनों जैसे पॉलिमरों का उत्पादन करते हैं। ये महाअणु अत्यावश्यक होते हैं। अमीनो एसिड और प्रोटीन प्रोटीन रैखिक श्रंखला में व्यवस्थित और पेप्टाइड बांडों द्वारा जोड़े गए अमीनो एसिडों से बने होते हैं। कई प्रोटीन चयापचय में रसायनिक प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने वाले एंजाइम होते हैं। अन्य प्रोटीनों का कार्य रचनात्मक या प्रक्रियात्मक होता है, जैसे कोशिका पंजर बनाती है - कोशिका का आकार बनाए रखने के लिये ढांचा - बनाने वाले प्रोटीन. कोशिका संकेतन, रोगनिरोधक क्षमता, कोशिकाओं के आपस में चिपकने, झिल्लियों के पार सक्रिय परिवहन और कोशिका-चक्र में भी प्रोटीनों का महत्व होता है। वसा पदार्थ जैवरसायनों के सबसे अधिक विविधता वाले समूह हैं। उनका मुख्य रचनात्मक उपयोग कोशिका झिल्ली जैसी जैविक झिल्लियों के भाग के रूप में, या उर्जा के स्रोत के ऱुप में होता है। वसाओं को सामान्यतः हाइड्रोफोबिक या एम्फीपैथिक जैविक अणुओं के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो बेन्ज़ीन या क्लोरोफार्म जैसे विलायकों में घुलनशील होते हैं। वसा एक विशाल यौगिक समूह हैं जिनमें वसा अम्ल और ग्लिसरॉल शामिल हैं तीन वसा अम्ल एस्टरों से जुड़े एक ग्लिसरॉल अणु को ट्यासिलग्लिसराइड कहते हैं। इस मूल रचना के कई विभिन्न प्रकार पाए जाते हैं, जिनमें स्फिंगोलिपिडों में स्फिंगोसीन और हाइड्रोफिलीक समूह जैसे फास्फोलिपिडों में फास्फेट शामिल हैं। कॉलेस्ट्राल जैसे स्टीरायड, कोशिकाओं में बनने वाले वसाओं का एक और मुख्य वर्ग हैं। कार्बोहाइड्रेट अनेक हाइड्राक्सिल समूहों वाले सीधी श्रंखला के एल्डीहाइड या कीटोन होते हैं, जो सीधी श्रंखला या छल्लों के रूप में रह सकते हैं। कार्बोहाइड्रेट सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाले जैविक अणु हैं और अनेकों भूमिकाएं निभाते हैं, जैसे ऊर्जा का संचयन और परिवहन (स्टार्च, ग्लायकोजन) और रचनात्मक भागों के रूप में (पोधों में सेलूलोज, पशुओं में काइटिन). मूल कार्बोहाइड्रेट इकाइयों को मोनोसैक्राइड कहा जाता है, जिनमें गैलेक्टोज, फ्रक्टोज और सबसे महत्वपूर्ण, ग्लुकोज शामिल हैं। मोनोसैक्राइड आपस में जुड़कर लगभग असीमित रूप से पॉलिसैक्राइडों का निर्माण कर सकते हैं। डीएनए और आरएनए पॉलिमर न्यूक्लियोटाइडों की लंबी श्रंखलाएं होते हैं। ये अणु प्रतिलिपीकरण और प्रोटीन जैवसंश्लेषण की प्रक्रियाओं के जरिये जीन-संबंधी जानकारी के संचयन और प्रयोग के लिये आवश्यक होते हैं। इस जानकारी की रक्षा डीएनए की मरम्मत प्रक्रियाओं द्वारा की जाती है और डीएनए प्रतिरूपण द्वारा संचरित की जाती है। कुछ वाइरसों जैसे एचआईवी में आरएनए जीनोम होता है, जो उल्टे प्रतिलिपीकरण का प्रयोग करके अपने वाइरल आरएनए जीनोम से डीएनए सांचे का निर्माण करता है। स्प्लाइसियोसोमों और रिबोसोमों जैसे रिबोजाइमों का आरएनए एंजाइमों के समान होता है क्यौंकि यह रसायनिक प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित कर सकता है। न्यूक्लियोसाइड राइबोज शुगर से नाभिकीय आधारों के जुड़ने से बनते हैं। ये आधार नाइट्रोजन युक्त हेटेरोसाइक्लिक छल्ले होते हैं, जिन्हें प्यूरीनों या पाइरिमिडीनों में वर्गीकृत किया गया है। न्यूक्लियोटाइड चयापचयी समूह अंतरण प्रतिक्रियाओं में सहएंजाइमों का काम भी करते हैं। चयापचय में बड़ी संख्या में रसायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश कार्यशील समूहों के अंतरण के लिये होने वाली चंद मूल प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती हैं। इस आम रसायनक्रिया के कारण कोशिकाएँ विभिन्न प्रतिक्रियाओं के बीच रसायनिक समूहों का वहन करने के लिये चयापचयी मध्यस्थों के छोटे से समूह का इस्तेमाल करती हैं। इन समूह-अंतरण मध्यस्थों को सहएंजाइम कहा जाता है। समूह-अंतरण की प्रत्येक कक्षा एक विशेष सहएंजाइम द्वारा की जाती है, जो उसे उत्पन्न करने वाले और उसका उपयोग करने वाले एंजाइमों के सेट का सबस्ट्रेट होता है। इसलिये ये सहएंजाइम लगातार बनते, उपयोग में लिये जाते और फिर से पुनरावृत्त होते रहते हैं। एक केन्द्रीय सहएंजाइम है, एडीनोसीन ट्राईफास्फेट, जो कोशिकाओं की सर्वव्यापी ऊर्जा मुद्रा है। इस न्यूक्लियोटाइड का प्रयोग विभिन्न रसायनिक प्रतिक्रियाओं के बीच रसायनिक ऊर्जा के अंतरण के लिये किया जाता है। कोशिकाओं में एटीपी छोटी सी मात्रा में होता है, लेकिन चूंकि यह लगातार बनता रहता है, इसलिये मानव शरीर दिन भर में लगभग अपने भार के बराबर एटीपी का प्रयोग कर सकता है। एटीपी अपचय और उपचय के बीच सेतु का काम करता है, जिसमें अपचय प्रतिक्रियाएं एटीपी उत्पन्न करती हैं और उपचय प्रतिक्रियाएं उसका उपयोग करती हैं। यह फास्फोरिलीकरण प्रतिक्रियाओं में फास्फेट समूहों के वाहक के रूप में भी कार्य करता है। विटामिन छोटी मात्राओं में आवश्यक एक कार्बनिक यौगिक होता है, जो कोशिकाओं द्वारा नहीं बनाया जा सकता. मानव के पोषण में, अधिकतर विटामिन संशोधन के बाद सहएंजाइमों का कार्य करते हैं, उदा.सभी जल में घुलनशील विटामिन कोशिकाओं में प्रयोग के समय फास्फोरिलीकृत होते हैं या न्यूक्लियोटाइडों से युग्मित हो जाते हैं। विटामिन बी३ (नियासिन) का एक यौगिक, निकोटिनमाइड एडीनाइन डाईन्यूक्लियोटाइड (एनएडीएच), एक महत्वपूर्ण सहएंजाइम है, जो हाइड्रोजन ग्राहक का काम करता है। सैकड़ों भिन्न प्रकार के डीहाइड्रोजनेज उनके सबस्ट्रेटों से इलेक्ट्रानों को निकाल कर नड़+ को एनएडीएच में अपघटित कर देते हैं, सहएंजाइम का यह अपघटित प्रकार कोशिकाओं के किसी भी रिडक्टेजों के लिये सबस्ट्रेट का काम करता है, जिन्हें उनके सबस्ट्रेटों का अपघटन करना होता है। निकोटिनामाइड अडीनाइन डाईन्यूक्लियोटाइड कोशिकाओँ में दो संबंधित प्रकारों में पाया जाता है, एनएडीएच और एनएडीपीएच. नद्प+/नद्फ प्रकार अपचयी प्रतिक्रियाओं के लिये अधिक आवश्यक होता है, जबकि नड़+/नाध का प्रयोग उपचयी प्रतिक्रियाओं के लिये किया जाता है। खनिज और सहकारक अकार्बनिक तत्व चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें से कुछ (उदा.सोडियम और पोटैशियम) तो बहुतायत में पाए जाते हैं, जबकि अन्य महीन मात्राओं में काम करते हैं। स्तनपायियों के पिंड का करीब ९९% भाग कार्बन, नाइट्रोजन, कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, पोटैशियम, हाइड्रोजन, फास्फोरस, आक्सीजन और सल्फर तत्वों से बना होता है। कार्बनिक योगिकों (प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट) में अधिकांशतः कार्बन और नाइट्रोजन होता है और अधिकांश आक्सीजन व हाइड्रोजन पानी में मौजूद रहते हैं। बहुतायत में मौजूद अकार्बनिक तत्व आयनीकृत इलेक्ट्रोलाइयों के रूप में काम करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण आयन हैं, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, क्लोराइड, फास्फेट और कार्बनिक आयन, बाईकार्बोनेट. कोशिकाओं की झिल्लियों के पार ग्रेडियेंटों के बने रहने पर आसरण दबाव और फ बना रहता है। आयन नाड़ियों और मांसपेशियों के लिये भी महत्वपूर्ण होते हैं, क्यौंकि इन ऊतकों में एक्शन पोटेंशियलें बहिर्कोशिका द्रव और कोशिका द्रव के बीच इलेक्ट्रोलाइयों के विनिमय द्वारा उत्पन्न होती हैं। इलेक्ट्रोलाइट कोशिका झिल्ली के आयन चैनल नामक प्रोटीनों के जरिये कोशिकाओं के भीतर घुसते और बाहर निकलते हैं। उदा.मांस पेशी का संकुचन कोशिका झिल्ली के चैनलों और टी-नलिकाओं के जरिये कैल्शियम, सोडियम और पोटैशियम के आवागमन पर निर्भर होता है। संक्रमण धातुएं जीवों में साधारणतः ट्रेस तत्वों के रूप में मौजूद रहती हैं, जिनमें जस्ता और लोहा सबसे प्रचुर मात्रा में होते हैं। इन धातुओं का प्रयोग कुछ प्रोटीनों में सहकारकों की तरह होता है और ये कैटालेज जैसे एंजाइमों और हीमोग्लोबिन जैसे आक्सीजन-वाहकप्रोटीनों की गतिविधि के लिये आवश्यक होते हैं। ये सहकारक किसी विशिष्ट प्रोटीन से मजबूती से बंधे रहते हैं। हालांकि उत्प्रेरण के समय एंजाइम सहकारक संशोधित हो सकते हैं, उत्प्रेरण के बाद वे अपनी मूल स्थिति में लौट जाते हैं। अपचय बड़े अणुओं का विघटन करने वाली चयापचयी प्रक्रियाओं का एक समूह है। इनमें भोजन कणों का विघटन और आक्सीकरण शामिल है। अपचयी प्रतिक्रियाओँ का उद्देश्य उपचयी प्रतिक्रियाओं के लिये आवश्यक ऊर्जा और पदार्थ उपलब्ध करना है। इन अपचयी प्रतिक्रियाओं की सही प्रकृति हर जीव में भिन्न होती है और जीवों को उनके ऊर्जा व कार्बन (उनके मुख्य पोषण समूह) के स्रोतों के आधार पर, नीचे दी गई सारणी के अनुसार, वर्गीकृत किया जा सकता है। कार्बनिक अणु आर्गनोट्राफों में ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं, जबकि लिथोट्राफ अकार्बनिक पदार्थों का और फोटोट्राफ सूर्यप्रकाश को रसायनिक ऊर्जा के रूप में प्रयोग में लाते हैं। लेकिन, चयापचय के ये सभी प्रकार रिडाक्स प्रतिक्रियाओं पर निर्भर होते हैं, जिनमें अपघटित दानी अणुओं जैसे कार्बनिक अणुओं, पानी, अमोनिया, हाइड्रोजन सल्फाइड या फेरस आयनों से इलेक्ट्रानों का अंतरण ग्राहक अणुओं जैसे आक्सीजन, नाइट्रेट या सल्फेट में होता है। पशुओं में इन प्रतिक्रियाओं में जटिल कार्बनिक अणु विघटित होकर सरलतर अणुओं जैसे कार्बन डाई आक्साइड और पानी का उत्पादन करते हैं। प्रकाश-संश्लेषक जीवों, जैसे पौधों और सायनोबैक्टीरिया में, ये इलेक्ट्रान-अंतरण प्रतिक्रियाएं ऊर्जा मुक्त नहीं करती हैं, लेकिन हमेशा सूर्यप्रकाश से अवशोषित ऊर्जा के संचयन के काम में प्रयोग की जाती हैं। जीवों का वर्गीकरण उनके चयापचय के आधार पर पशुओं में होने वाली सबसे आम अपचय प्रतिक्रियाएं तीन मुख्य पड़ावों में बांटी जा सकती हैं। पहले पड़ाव में, बड़े कार्बनिक अणु जैसे, प्रोटीन, पॉलिसैक्राइड या वसा पदार्थ पाचन द्वारा कोशिकाओं के बाहर उनके छोटे अंशों में बदल दिये जाते हैं। फिर, ये छोटे अणु कोशिकाओं में अवशोषित होकर और छोटे अणुओं, सामान्यतः एसिटाइल सहएंजाइम-ए (एसिटाइल-कोए) में परिणित होते हैं, जो थोड़ी ऊर्जा मुक्त करता है। अंततः, कोए का एसिटाइल समूह सिट्रिक एसिड चक्र और इलेक्ट्रान परिवहन श्रंखला में आक्सीकृत होकर पानी और कार्बन डाई आक्साइड उत्पन्न करता है, जिससे ऊर्जा मुक्त होती है, जिसे सहएंजाइम निकोटिनामाइड एडीनाइन डाईन्यूक्लियोटाइड (नड़+) के अपघटन द्वारा एनएडीएच में संचित किया जाता है। महाअणु जैसे स्टार्च, सेलूलोज या प्रोटीन कोशिकाओं द्वारा तेजी से अवशोषित नहीं किये जा सकते हैं और कोशिका चयापचय में उनका प्रयोग करने के पहले उन्हें छोटी इकाइयों में विघटित होना पड़ता है। कई प्रकार के एंजाइम इन पॉलिमरों को पचाते हैं। इन पाचक एंजाइमों में प्रोटीनों को अमीनो एसिडों में पचाने वाले प्रोटियेज़, पॉलिसैक्राइडों को मोनोसैक्राइडों में पचाने वाले ग्लाइकोसाइड हाइड्रोलेज़ शामिल हैं। जीवाणु केवल अपने आस-पास पाचक एंजाइमों का स्राव करते हैं, जबकि पशु इन एंजाइमों का सिर्फ विशेष कोशिकाओं द्वारा अपनी आंतों में स्राव करते हैं। इन पराकोशिकीय एंजाइमों द्वारा मुक्त किये गए अमीनो एसिड या शर्कराएं फिर विशिष्ट सक्रिय परिवहन प्रोटीनों द्वारा कोशिकाओं में पहुंचा दी जाती हैं। कार्बनिक यौगिकों से ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट अपचय में कार्बोहाइड्रेटों को छोटी इकाइयों में विघटित किया जाता है। कार्बोहाइड्रेट मोनोसैक्राइडों में पाचन के बाद सामान्यतः कोशिकाओं में अवशोषित हो जाते हैं। एक बार भीतर पहुंचने के बाद विघटन का मुख्य मार्ग ग्लाइकोलाइसिस है, जिसमें ग्लुकोज और फ्रक्टोज जैसी शर्कराएं पायरूवेट में परिणित की जाती हैं और कुछ एटीपी मुक्त होते हैं। पायरूवेट कई चयापचयी मार्गों में मध्यस्थ होता है, लेकिन अधिकांश एसिटाइल-कोए में परिवर्तित हो जाता है और सिट्रिक एसिड चक्र में प्रविष्ट कर दिया जाता है। हालांकि सिट्रिक एसिड चक्र में कुछ और एटीपी उत्पन्न होता है, उसका सबसे महत्वपूर्ण उत्पादन एनएडीएच होता है, जो एसिटाइल-कोए के आक्सीकृत होने पर नड़+ से बनता है। इस आक्सीकरण से व्यर्थ उत्पाद के रूप में कार्बन डाई आक्साइड मुक्त होती है। एनएरोबिक दशाओं में, ग्लाइकालिसिस से लैक्टेट डीहाइड्रोजनेज द्वारा ग्लाइकालिसिस में पुनः प्रयोग के लिये एनएडीएच के पुनः एनएडी+ में आक्सीकरण से लैक्टेट की उत्पत्ति होती है। ग्लुकोज के विघचन का एक वैकल्पिक मार्ग पेंटोज़ फास्फेट मार्ग है, जिसमें कोएंजाइम एनएडीपीएच का अपघटन होता है और नाभिकीय अम्लों के शुगर भाग, राइबोज़ जैसी पेंटोज़ शर्कराओं का उत्पादन होता है। वसा पदार्थ जलविच्छेदन द्वारा मुक्त वसा अम्लों और ग्लिसरॉल में अपचित होते हैं। ग्लिसरॉल ग्लाइकालिसिस में प्रवेश करता है और वसा अम्ल बीटा आक्सीकरण द्वारा विघटित होकर एसिटाइल-कोए को मुक्त करते हैं, जो सिट्रिक एसिड चक्र में काम आता है। वसा अम्ल आक्सीकृत होने पर कार्बोहाइड्रेटों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देते हैं क्यौंकि कार्बोहाइड्रेटों की रचनाओं में अधिक आक्सीजन होती है। अमीनो एसिड या तो प्रोटीनों और अन्य जैवअणुओं के संश्लेषण में प्रयुक्त होते हैं, या यूरिया और कार्बन डाई आक्साइड में ऊर्जा के एक स्रोत के रूप में आक्सीकृत हो जाते हैं। आक्सीकरण मार्ग का प्रारंभ किसी ट्रांसअमाइनेज द्वारा एक अमीनो समूह को हटा देने के साथ होता है। अमीनो समूह यूरिया चक्र में चला जाता है और अपने पीछे कीटो एसिड के रूप में एक विअमिनिकृत कार्बन पंजर छोड़ देता है। इस तरह के कई कीटो एसिड सिट्रिक एसिड चक्र में मध्यस्थ होते हैं, उदा. ग्लुटामेट के विअमिनीकरण से -कीटोग्लुटारेट बनता है। ग्लुकोजेनिक अमीनो एसिड भी ग्लुकोनियोजेनेसिस द्वारा ग्लुकोज में बदले जा सकते हैं। (नीचे चर्चित). आक्सीकारक फास्फारिलीकरण में सिट्रिक एसिड चक्र जैसे पथों में भोजन अणुओं से निकाले गए इलेक्ट्रान आक्सीजन को अंतरित कर दिये जाते हैं और मुक्त हुई ऊर्जा का प्रयोग एटीपी बनाने के लिये किया जाता है। यह काम यूकैर्योसाइटों में इलेक्ट्रान परिवहन श्रंखला नामक प्रोटीनों द्वारा माइटोकांड्रिया की झिल्लियों में किया जाता है। प्रोकैर्योसाइटों में ये प्रोटीन कोशिका की भीतरी झिल्ली में पाए जाते हैं। ये प्रोटीन अपघटित अणुओं जैसे एनएडीएच (नाध) से प्राप्त इलेक्ट्रानों को आक्सीजन पर प्रवाहित करने से उत्पन्न ऊर्जा का प्रयोग झिल्ली के पार प्रोटानों को पहुंचाने के लिये करते हैं। माइटोकांड्रिया से प्रोटानों को बाहर भेजने पर झिल्ली के पार के प्रोटान मात्रा में भिन्नता उत्पन्न हो जाती है और एक विद्युत-रसायनिक ग्रेडियेंट उत्पन्न हो जाता है। यह बल प्रोटानों को वापस माइटोकांड्रिया में एटीपी (आत्प) सिंथेज़ नामक एंजाइम के आधार के जरिये धकेल देता है। प्रोटानों का प्रवाह उपइकाई को घुमा देता है, जिससे सिंथेज का सक्रिय भाग अपना आकार बदल लेता है और एडीनोसीन डाईफास्फेट का फास्फारिलीकरण करके उसे एटीपी में बदल देता है। अकार्बनिक यौगिकों से ऊर्जा कीमोलिथोट्रिप्सी प्रोकैर्योसाइटों में पाया जाने वाला एक प्रकार का चयापचय है, जिसमें अकार्बनिक यौगिकों के आक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त की जाती है। ये जीव हाइड्रोजन, अपघटित सल्फर य़ौगिकों (जैसे सल्फाइड, हाइड्रजन सल्फाइड और थायोसल्फेट), फैरस लोहे (फेल) या अमोनिया को अपघटन शक्ति के रूप में प्रयोग में ला सकते हैं और इन यौगिकों के आक्सीजन या नाइट्राइट जैसे इलेक्ट्रान ग्राहकों द्वारा आक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। ये जीवाणु प्रक्रियाएं सर्वव्यापी जैवभूरसायनिक चक्रों जैसे एसिटोजेनेसिस, नाइट्रीकरण और विनाइट्रीकरण में महत्व रखती हैं और मिट्टी के उपजाऊपन के लिये आवश्यक होती हैं। प्रकाश से ऊर्जा सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा पौधों, सायनोबैक्टीरिया, बैंगनी बैक्टीरिया, हरे गंधक बैक्टीरिया और कुछ प्रोटिस्टों द्वारा ग्रहण की जाती है। यह प्रक्रिया, जैसा कि नीचे कहा गया है, अकसर प्रकाश-संश्लेषण के एक भाग के रूप में कार्बन डाई आक्साइड के कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित होने के साथ घटती है। ऊर्जा के ग्रहण करने और कार्बन का स्थिरीकरण प्रोकैर्योटों में अलग रूप से भी हो सकता है, क्यौंकि बैंगनी बैक्टीरिया और हरे गंधक बैक्टीरिया, कार्बन के स्थिरीकरण और कार्बनिक यौगिकों के किण्वन को बारी-बारी से करके सूर्य-प्रकाश को ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग में ला सकते हैं। कई जीवों में सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करने की क्रिया सैद्धांतिक रूप से आक्सीकारक फास्फारिलीकरण के समान होती है, क्यौंकि इसमें ऊर्जा प्रोटान सांद्रता ग्रेडिएंट में संचित होती है और यह प्रोटान एटीपी संश्लेषण को प्रोत्साहित करता है। इस इलेक्ट्रान परिवहन श्रंखला को आगे बढ़ाने के लिये इलेक्ट्रान प्रकाश-संश्लेषण प्रतिक्रिया केंद्रों या रोडाप्सिन नामक प्रकाश-संचयी प्रोटीनों से आते हैं। प्रतिक्रिया केंद्रों को प्रकाश-संश्लेषक रंजकों के प्रकार के अनुसार दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है। कई प्रकाश-संश्लेषक बैक्टीरिया में केवल एक ही प्रकार होता है, जबकि पौधों और सयानोबैक्टीरिया में दो प्रकार होते हैं। पौधों, शैवाल और सयानोबैक्टीरिया में प्रकाशतंत्र ई प्रकाश ऊर्जा का प्रयोग पानी से इलेक्ट्रानों को अलग करने के लिये करता है, जिससे आक्सीजन एक व्यर्थ उत्पाद के रूप में मुक्त होती है। इसके बाद इलेक्ट्रान साइटोक्रोम ब६फ काम्प्लेक्स की ओर बहते हैं, जो उनकी ऊर्जा का प्रयोग क्लोरोप्लास्ट की थायलकायड झिल्ली के पार प्रोटानों को पम्प करने के लिये करते हैं। ये प्रोटान पहले की तरह, एटीपी सिंथेज़ को चलाते हुए झिल्ली से वापस बाहर निकल जाते हैं। ये इलेक्ट्रान फिर प्रकाशतंत्र ई मे से प्रवाहित होते हैं और कैल्विन चक्र में उपयोग के लिये सहएंजाइम एनएडीपी + के अपघटन के लिये या और एटीपी उत्पादन के लिये फिर से काम में लिये जाते हैं। उपचय रचनात्मक चयापचयी प्रतिक्रियाओं के उस समूह को कहते हैं, जिसमें अपचय से उत्पन्न ऊर्जा को जटिल अणुओं के संश्लेषण के लिये प्रयोग में लाया जाता है। मोटे तौर पर, कोशिकीय रचना को बनाने वाले जटिल अणुओं का निर्माण छोटे और सादे अणुओं से विधिवत किया जाता है। उपचय की तीन मुख्य अवस्थाएं होती है। पहली, अमीनो एसिड, मोनोसैक्राइड, आइसोप्रेनायड और न्यूक्लियोटाइडों जैसे प्राथमिक अणुओं का उत्पादन, दूसरी, एटीपी से उर्जा का प्रयोग करके उन्हें प्रतिक्रियात्मक रूप में सक्रिय करना और तीसरी, इन प्राथमिक अणुओं को जोड़ कर जटिल अणु जैसे, प्रोटीन, पॉलिसैक्राइड, वसा पदार्थ और नाभिकीय अम्ल बनाना. जीवों में इस बात में भिन्नता होती है, कि उनकी कोशिकाओं के कितने अणुओं का निर्माण वे स्वयं कर सकते हैं। आटोट्राफ जैसे पौधे कोशिकाओं में सरल अणुओं जौसे कार्बन डाई आक्साइड और पानी से जटिल अणुओं जैसे पॉलिसैक्राइडों और प्रोटीनों का निर्माण कर सकते हैं। दूसरी ओर, हेटेरोट्राफों को इन जटिल अणुओं के उत्पादन के लिये अधिक जटिल पदार्थों जैसे, मोनोसैक्राइडों और अमीनो एसिडों की जरूरत होती है। जीवों को उनके ऊर्जा के अंतिम स्रोत के आधार पर आगे वर्गीकृत किया जा सकता है फोटोआटोट्राफ और फोटोहेटेरोट्राफ प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जबकि कीमोआटोट्राफ और कीमोहेटेरोट्राफ अकार्बनिक आक्सीकरण प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। कार्बन का स्थिरीकरण सूर्यप्रकाश और कार्बन डाईआक्साइड (को२) से कार्बोहाइड्रेटों के संश्लेषण को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पौधों, सयानोबैक्टीरिया और शैवाल में, आक्सीजनीय प्रकाश-संश्लेषण पानी का विच्छेद करता है, जिससे आक्सीजन व्यर्थ उत्पाद के रूप में उत्पन्न होती है। इस प्रक्रिया में, उपर्लिखित विवरण के अनुसार, प्रकाश-संश्लेषक प्रतिक्रिया केंद्रों द्वारा उत्पन्न एटीपी और एनएडीपीएच का प्रयोग को२ को ग्लिसरेट ३-फास्फेट में बदलने के लिये किया जाता है, जिसको फिर ग्लुकोज में बदला जा सकता है। यह कार्बन-स्थिरीकरण प्रतिक्रिया कैल्विन-बेन्सन चक्र के हिस्से के रूप में एंजाइम रूबिस्को द्वारा फलीभूत की जाती है। पौधों में तीन प्रकार का प्रकाश-संश्लेषण हो सकता है, सी३ कार्बन स्थिरीकरण, सी४ कारब्न स्थिरीकरण और सीएऐम प्रकाश-संश्लेषण. इनमें कैल्विन चक्र तक पहुंचने के लिये को२ द्वारा अपनाए गए मार्ग के अनुसार भिन्नता होती है, सी३ पौधे सीधे को२ का स्थिरीकरण करते हैं, जबकि सी४ और सीएऐम प्रकाश-संश्लेषण में तीव्र सूर्यप्रकाश और शुष्क परिस्थितियों से निपटने के लिये, सीओ२ को पहले अन्य यौगिकों में समाविष्ट किया जाता है। प्रकाश-संश्लेषक प्रोकैर्योसाइटों में कार्बन स्थिरीकरण की पद्धतियों में अधिक विविधता होती है। इसमें कार्बन डाईआक्साइड का स्थिरीकरण कैल्विन-बेन्सन चक्र, उल्टे सिट्रिक एसिड चक्र, या एसिटाइल-कोए के कार्बाक्सिलीकरण द्वारा किया जा सकता है। प्रोकैर्योटिक कीमोआटोट्राफ को२ को कैल्विन-बेन्सन चक्र द्वारा भी स्थिर कर सकते हैं, लेकिन इस प्रतिक्रिया के लिये आवश्यक ऊर्जा अकार्बनिक यौगिकों से प्राप्त होती है। कार्बोहाइड्रेट और ग्लाइकान कार्बोहाइड्रेट उपचय में, सरल कार्बनिक अम्लों को ग्लुकोज जैसे मोनोसैक्राइडों में बदला जा सकता है और फिर स्टार्च जैसे पलिसैक्राइडों के निर्माण के लिये प्रयोग में लाया जा सकता है। पायरूवेट, लैक्टेट, ग्लिसरॉल, ग्लिसरेट ३-फास्फेट और अमीनो एसिडों जैसे यौगिकों से ग्लुकोज के उत्पादन को ग्लुकोनियोजेनेसिस कहा जाता है। ग्लुकोलियोजेनेसिस में पायरूवेट को ग्लुकोज-६-फास्फेट में मध्यस्थों की एक श्रंखला के जरिये परिवर्तित किया जाता है, जिनमें से कई ग्लायकालिसिस में भी पाए जाते हैं। लेकिन यह पथ केवल उल्टी ग्लायकालिसिस नहीं है, क्यौंकि इसके अनेक चरण गैर-ग्लायकालिटिक एंजाइमों द्वारा उत्प्रेरित किये जाते हैं। ऐसा होना महत्वपूर्ण है क्यौंकि इससे ग्लुकोज के उत्पादन और विच्छेदन के पथ के नियमन में सहायता मिलती है और दोनों पथों को किसी चक्र में एक साथ घटने से रोका जा सकता है। हालांकि, वसा ऊर्जा के संचय का सामान्य तरीका है, पृष्ठवंशियों जैसे मानव में इन भंडारों के वसा अम्ल ग्लुकोनियोजेनेसिस द्वारा ग्लुकोज में नहीं बदले जा सकते हैं, क्यौंकि इन जीवों में एसिटाइल-कोए को पायरूवेट में बदलने की क्षमता नहीं होती. इसके लिये आवश्यक एंजाइम पोधों में होते हैं पर जानवरों में नहीं होते. फलतः लंबे समय तक बिना आहार के रहने के बाद पृष्ठवंशियों को मस्तिष्क जैसे ऊतकों, जो वसा अम्लों का चयापचय नहीं कर सकते हैं, में ग्लुकोज के स्थान पर वसा अम्लों से कीटोन कायों का उत्पादन करना पड़ता है। अन्य जीवों, जैसे पौधों और बैक्टीरिया में, इस चयापचयी समस्या का समाधान ग्लयाक्सिलेट चक्र का प्रयोग करके किया जाता है, जो सिट्रिक एसिड चक्र के विकार्बाक्सीलीकरण चरण को बाईपास करके एसिटाइल-कोए को आक्जेलोएसीटेट में बदलने देती है, जिसका प्रयोग ग्लुकोज के उत्पादन के लिये किया जा सकता है। पॉलिसैक्राइड और ग्लाइकान विकासशील पॉलिसैक्राइड पर स्थित ग्राहक हाइड्राक्सिल समूह पर यूरिडीन डाईफास्फेट जैसे प्रतिक्रियात्मक शुगर-फास्फेट दाता से ग्लायकोसिलट्रांसफरेज द्वारा मोनोसैक्राइडों के श्रंखलात्मक जोड़ से बनाए जाते हैं। चूंकि सबस्ट्रेट के छल्ले पर स्थित कोई बी हाइड्राक्सिल समूह ग्राहक हो सकते हैं, इसलिये उत्पन्न हुए पॉलिसैक्राइडो की रचना सीधी या शाखायुक्त हो सकती है। उत्पन्न पॉलिसैक्राइडों के अपने रचनात्मक या चयापचयी कर्तव्य हो सकते हैं या वे आलिगोसैकरिलट्रांसफरेजों नामक एंजाइमों द्वारा वसाओ और प्रोटीनों को अंतरित किये जा सकते हैं। वसा अम्ल, आइसोप्रेनायड और स्टीरायड वसा अम्ल वसा अम्ल सिंथेज़ों द्वारा बने जाते हैं, जो एसिटाइल-कोए इकाइयों को पालिमरित करके अपघटित कर देते हैं। वसा अम्लों की एसाइल श्रंखलाएं प्रतिक्रियाओं के एक चक्र द्वारा और लंबी की जाती हैं, जो एसाइल समूह जोड़ती हैं, उसे अल्कोहल में अपघटित करती हैं, निर्जलीकरण द्वारा अल्कीन समूह में परिणित करती हैं और फिर वापस अपघटित करके अल्केन समूह में बदल देती हैं। वसा अम्ल जैवसंश्लेषण के एंजाइम दो समूहों में विभाजित किये गए हैं, पशुओं और फफूंदी में ये सभी वसा अम्ल सिंथेज प्रतिक्रियाएं एक बहुकार्यशील टाइप ई प्रोटीन द्वारा फलीभूत की जाती हैं, जबकि वनस्पति प्लास्टिडों और बैक्टीरिया में पृथक टाइप ई एंजाइम पथमार्ग में हर चरण को पूरा करते हैं। टर्पीन और आइसोप्रेनायड वसाओं की एक बड़ी कक्षा हैं जिनमें कैरोटीनायड शामिल हैं और वनस्पति प्राकृतिक उत्पादनों के सबसे बड़े वर्ग का निर्माण करते हैं। ये यौगिक प्रतिक्रियात्मक अणुओं आइसोपेंटेनाइल पायरोफास्फेट और डाईमेथाइलएलिल पायरोफास्फेट द्वारा दी गई आइसोप्रीन इकाइयों के जमाव और संशोधन से बनाए जाते हैं। इन यौगिकों को भिन्न तरीकों से बनाया जा सकता है। पशुओं और आर्केइया में, मेवालोनेट पथमार्ग एसिटाइल-कोए से इन यौगिकों का उत्पादन करता है, जबकि पौधों और बैक्टीरिया में गैर-मेवालोनेट पथमार्ग पायरूवेट और ग्लिसराल्डीहाइड ३-फास्फेट का प्रयोग करते हैं। स्टीरायड जैवसंश्लेषण इन सक्रिय आइसोप्रीन दाताओं का प्रयोग करने वाली एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है। इसमें, आइसोप्रीन इकाइयां आपस में जुड़कर स्क्वालीन बनाती हैं और फिर दोहरी होकर छल्लों का समूह बना कर लैनास्ट्राल उत्पन्न करती हैं। लैनास्ट्राल को फिर कालेस्ट्राल और अर्गोस्ट्राल जैसे अन्य स्टीरायडों में परिवर्तित किया जा सकता है। २० सामान्य अमीनो अम्लों के संश्लेषम की क्षमता हर जीव में भिन्न होती है। अधिकांश बैक्टीरिया और पौधे सभी बीस का संश्लेषण कर सकते हैं, लेकिन स्तनपाय़ी केवल ग्यारह अनावश्यक अमीनो अम्लों का संश्लेषण कर सकते हैं। इस तरह, नौ आवश्यक अमीनो अम्ल भोजन से प्राप्त करने होते हैं। सभी अमीनो अम्ल ग्लाइकालिसिस, सिट्रिक एसिड चक्र, या पेंटोज फास्फेट पथमार्ग के मध्यस्थों से संश्लेषित किये जाते हैं। नाइट्रोजन ग्लूटामेट और ग्लूटामीन द्वारा उपलब्ध की जाती है। अमीनो अम्ल संश्लेषण उचित अल्फा-कीटो अम्ल के बनने पर निर्भर होता है, जो फिर ट्रांसअमीनीकृत होकर अमीनो अम्ल का निर्माण करता है। अमीनो एसिडों को पेप्टाइड बांडों द्वारा एक जंजीर के रूप में जोड़ कर प्रोटीनों में बदला जाता है। प्रत्येक भिन्न प्रोटीन में अमीनो एसिडों की एक अनूठी श्रंखला होती है। वर्णमाला के अक्षरों को जिस तरह जोड़ कर लगभग असीमित प्रकार के शब्द बनाए जा सकते हैं, ठीक उसी तरह अमीनो एसिडों को भी भिन्न प्रकार की श्रंखलाओं में जोड़ कर बहुत बड़ी विविधता वाले प्रोटीन बनाए जा सकते हैं। प्रोटीन उन अमीनो एसिडों से बनाए जाते हैं, जो ट्रांसफर आरएनए अणु से एक एस्टर बांड के जरिये जुड़कर सक्रिय किये गए हों. यह अमीनोएसिल-टीआरएनए प्रीकर्सर एक अमीनोएसिल टीआरएनए सिंथटेज द्वारा की गई एक एटीपी पर निर्भर प्रतिक्रिया में उत्पन्न होता है। यह अमीनोएसिल-टीआरएनए तब रिबोसोम के लिये सबस्ट्रेट होता है, जो, मेसेंजर आरएनए में मौजूद श्रंखला जानकारी का प्रयोग करके लंबी होती प्रोटीन जंजीर पर अमीनो एसिड से संलग्न हो जाता है। न्यूक्लियोटाइड संश्लेषण और संग्रह न्यूक्लियोटाइड उन पथमार्गों में अमीनो एसिडों, कार्बन डाईआक्साइड और फार्मिक एसिड से बनाए जाते हैं जिन्हें चयापचय ऊर्जा की बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ती है। फलस्वरूप, अधिकांश जीवों में पूर्वनिर्मित न्यूक्लियोटाइडों को संचित करने के लिये यथोचित व्यवस्था होती है। प्यूरीनों का न्यूक्लियोसाइडों (रिबोसोमों से संलग्न क्षार) के रूप में संश्लेषण किया जाता है। एडीनाइन और गुआनाइन दोनों अग्रगामी न्यूक्लियोसाइड आइनोसीन मोनोफास्फेट से बनते हैं, जो अमीनो एसिडों, ग्लाइसीन, ग्लुटामीन और एस्पार्टिक एसिड से प्राप्त परमाणुओं और सहएंजाइम टेट्राहाइड्रोफोलेट से अंतरित फार्मेट का प्रयोग करके संश्लेषित किया जाता है। दूसरी ओर पायरीमिडीन, ग्लुटामीन और एस्पार्टेट से बने क्षार ओरोटेट से संश्लेषित होता है। जीनोबायोटिक और रिडाक्स चयापचय सभी जीवों का सामना ऐसे यौगिकों से होता है, जिन्हें भोजन के रूप में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है और जो यदि कोशिकाओं में जमा हो जाएं तो हानिकारक हो सकते हैं क्यौंकि उनकी कोई चयापचयी भूमिका नहीं होती. ऐसे हानिकारक यौगिकों को यीनोबायोटिक कहा जाता है। संश्लेषित औषधियों, प्राकृतिक विषों और एंटीबायोटिकों जैसे जीनोबयोटिकों को जीनोबायोटिक-चयापचयी एंजाइमों के एक समूह द्वारा निष्क्रिय किया जाता है। मनुष्यों में, इनमें साइटोक्रोम पी४५० आक्सिडेज, यूडीपी-ग्लुकुरुनोसिलट्रांसफरेज, और ग्लुटाथयोन स -ट्रांसफरेज शामिल हैं। एंजाइमों का यह तंत्र तीन अवस्थाओं में कार्य करता है, पहले जीनोबायोटिक को आक्सीकृत करना (पहली अवस्था) और फिर जल-घुलनशील समूहों को अणु पर कान्जुगेट (दूसरी अवस्था) करना. संशोधित जल-घुलनशील जीनोबायोटिक को फिर कोशिका के बाहर पम्प कर दिया जाता है और बहुकोशिकीय जीवों में बाहर निकालने के पहले और चयपचयित किया जाता है। इकालाजी में ये प्रतिक्रियाएं दूषक तत्वों के जीवाणुओं द्वारा जैवअपघटन और दूषित जमीन व तेल के रिस जाने पर जैवउपचार के लिये विशेषकर महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कई जीवाणु प्रतिक्रियाएं बहुकोशिकीय जीवों में भी होती हैं, लेकिन जीवाणुओं के अविश्वसनीय विविध प्रकारों के कारण ये जीव बहुकोशिकीय जीवों की अपेक्षा कहीं अधिक प्रकार के जीनोबायोटिकों का सामना कर सकते हैं और आर्गैनोक्लोराइड यौगिकों जैसे हठी कार्बनिक दूषकों से भी निपट सकते हैं। एयरोबिक जीवों से संबंधित एक समस्या है, आक्सीकरण दबाव. इसमें, आक्सीकरणीय फास्फारिलीकरण और प्रोटीनों के दोहरेपन के समय डाईसल्फाइड बांडों के निर्माण सहित प्रक्रियाएं हाइड्रोजन पराक्साइड जैसी प्रतिक्रियात्मक जातियों का उत्पादन करती हैं। ये हानिकारक आक्सीडैंट आक्सीकरणविरोधी चयापचयकों जैसे ग्लूटाथयोन और एंजाइमों जैसे कैटालेजों और पराक्सिडेजों द्वारा निष्कासित किये जाते हैं। जीवित जन्तुओं की ऊष्मप्रगैतिकी जीवित जन्तुओं को ऊष्मप्रगैतिकी के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, जो ऊष्मा के अंतरण और कार्य के बारे में बतलाते हैं। ऊष्मप्रगैतिकी के दूसरे नियम के अनुसार, किसी भी बंद तंत्र में एंट्रापी (विकार) में वृद्धि होती है। हालांकि जीवित जंतुओं की आश्चर्य़पूर्ण जटिलता इस नियम के विरूद्ध जाती है, जीवन संभव है क्यौंकि सभी जीव खुले तंत्र हैं जो अपने आस-पास के वातावरण से पदार्थ और ऊर्जा का विनिमय करते हैं। इस तरह जीवित तंत्र संतुलन में नहीं होते, बल्कि नष्ट होने वाले तंत्र हैं जो अपने पर्यावरणों में एंट्रापी में अधिक वृद्धि करके अपनी उच्च जटिलता की स्थिति बने रखते हैं। कोशिका का चयापचय इसे अपचय की स्वाभाविक प्रक्रियाओं को उपचय की अस्वाभाविक प्रक्रियाओं से युग्मित करके संभव करता है। ऊष्मप्रगैतिकी की भाषा में, चयापचय असंतुलन उत्पन्न करके संतुलन बनाए रखता है। नियमन और नियंत्रण चूंकि अधिकांश जीवों के पर्यावरण लगातार बदलते रहते हैं, इसलिये चयापचयी प्रतिक्रियाओं का कोशिकाओं में एक स्थिर दशा बनाए रखने के लिये बारीकी से नियमित होना आवश्यक है, जिसे होमियोस्टैसिस कहते हैं। चयापचयी नियमन जीवों को संकेतों के प्रति जवाब देने और अपने पर्यावरणों से सक्रिय रूप से अंतर्क्रिया करने में सहायक होते हैं। चयापचयी पथमार्गों के नियंत्रण की क्रिया को समझने के लिये दो आपस में मजबूती से जुड़े सिद्धांत महत्वपूर्ण हैं। एक, किसी पथमार्ग में एंजाइम के नियमन के अनुसार संकेत के प्रति उसकी गतिविधि बढ़ती या घटती है। दूसरे, इस एंजाइम द्वारा किया गया नियंत्रण ही पथमार्ग की कुल दर पर गतिविधि में हुए परिवर्तनों का प्रभाव है। (पथमार्ग द्वारा बहाव) उदा.एंजाइम अपनी गतिविधि में बड़े परिवर्तन दिखाता है (अर्थात् बड़े तौर पर नियमित होता है), लेकिन यदि इन परिवर्तनों का चयापचयी पथमार्ग के बहाव पर थोड़ा सा प्रभाव हो, तो यह एंजाइम पथमार्ग के नियंत्रण में शामिल नहीं है। चयापचय नियमन के कई स्तर होते हैं। आंतरिक नियमन में चयापचयी पथमार्ग स्वतःनियमन करके सबस्ट्रेटों या उत्पादनों के स्तरों में परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया करता है। उदा.उत्पादन की मात्रा में कमी होने पर पथमार्ग से बहाव में वृद्धि हो जाती है। इस तरह के नियमन में अकसर पथमार्ग के अनेक एंजाइमों की गतिविधियों का एलोस्टेरिक नियमन होता है। बाह्य नियंत्रण में बहुकोशिकीय जीव की एक कोशिका अन्य कोशिकाओं के संकेतों के अनुसार अपने चयापचय में परिवर्तन लाती हैं। ये संकेत सामान्यतः हारमोनों और विकास कारकों जैसे घुलनशील संदेशवाहकों के रूप में होते हैं और कोशिका-सतह पर विशिष्ट ग्राहकों द्वारा पहचाने जाते हैं। फिर ये संकेत कोशिका के भीतर द्वितीय संदेशवाहक तंत्रों द्वारा संचरित किये जाते हैं, जो अकसर प्रोटीनों के फास्फारिलीकरण में लगे होते हैं। बाह्य नियंत्रण का एक बहुत अच्छी तरह से समझा गया उदाहरण है, इन्सुलिन हारमोन द्वारा ग्लुकोज चयापचय का नियमन. इन्सुलिन का उत्पादन रक्त ग्लुकोज स्तरों के बढ़ने पर होता है। कोशिकाओं पर स्थित इन्सुलिन ग्राहकों से हारमोन के जुड़ने पर प्रोटीन काइनेजों का प्रपात सक्रिय हो जाता है, जो कोशिकाओं द्वारा ग्लुकोज लेकर उसे वसा अम्लों और ग्लायकोजन जैसे संचय अणुओं में परिवर्तित करवाता है। ग्लायकोजन का चयापचय एंजाइम फास्फारिलेज, जो ग्लायकोजन का विघटन करता है और ग्लायकोजन सिंथेज, जो उसे बनाता है, द्वारा नियंत्रित होता है। फास्फारिलीकरण ग्लायकोजन सिंथेज का अवरोध करता है, लेकिन फास्फारिलेज को सक्रिय करता है। इन्सुलिन प्रोटीन फास्फेटेजों को सक्रिय करके और इन एंजाइमों के फास्फारिलीकरण में कमी लाकर ग्लायकोजन का संश्लेषण करवाता है। उपर्लिखित चयापचय के केंद्रीय पथमार्ग, जैसे ग्लायकालिसिस औऱ सिट्रिक एसिड चक्र, जीवित वस्तुओं के तीनों वर्गों में होते हैं और पिछले विश्व पूर्वज में मौजूद थे। यह सार्वभौमिक पूर्वज कोशिका प्रोकार्योटिक और शायद मेथेनोजन थी जिसमें व्यापक अमीनो एसिड, न्यूक्लियोटाइड, कार्बोहाइड्रेट और वसा चयापचय होता था। इन प्राचीन पथमार्गों का आगे के विकास में रखा जाना उनकी विशिष्ट चयापचयी समस्याओं के लिये इन प्रतिक्रियाओं का उचित समाधान होना संभव है, क्यौंकि ग्लायकालिसिस और सिट्रिक एसिड चक्र जैसे पथमार्ग बड़े यथोचित रूप से और कम से कम चरणों में उनके अंत-उत्पादों का उत्पादन करते हैं। एंजाइम पर आधारित चयापचय के पहले पथमार्ग प्यूरीन न्यूक्लियोटाइड चयापचय के हिस्से हो सकते हैं, जिसमें पहले के चयापचयी पथमार्ग प्राचीन आरएनए दुनिया के भाग थे। नए चयापचयी पथमार्गों के उत्पन्न होने के तरीकों को समझाने के लिये कई माडल प्रस्तुत किये गए हैं। इनमें नए एंजाइमों का किसी छोटे पूर्वज पथमार्ग से श्रंखला में जुड़ना, सारे पथमार्गों के प्रतिरूप बनाकर फिर उनका हट जाना, पहले से मौजूद एजाइमों का चयन और नवीन प्रतिक्रिया पथमार्ग में उनका जमाव शामिल है। इन प्रक्रियाओं का अपेक्षात्मक महत्व स्पष्ट नहीं है, लेकिन जीनोमिक अध्ययनों के अनुसार पथमार्ग के एंजाइमों के साझा पूर्वज होते हैं, जिससे ऐसा लगता है कि कई पथमार्ग बारी-बारी से उत्पन्न हुए हैं, जिनमें पथमार्ग में पहले से मौजूद चरणों में नए कार्य-कलाप बनते हैं। चयापचयी नेटवर्क में प्रोटीनों की रचनाओं के विकास के लिये किये गए अध्ययनों से प्राप्त एक वैकल्पिक माडल के अनुसार एंजाइमों का चयन व्यापक रूप से होता है (मैनेट डेटाबेस में स्पष्ट है), जिसमें भिन्न चयापचयी पथमार्गों में समान प्रकार के कार्य करने के लिये एंजाइम उधार लिये जाते हैं। इन चयन प्रक्रियाओं के कारण एक विकासीय एंजाइमेटिक मोजैक बनता है। एक तीसरी संभावना है, चयापचय के कुछ भाग माड्यूलों की तरह रह सकते हैं, जिन्हें भिन्न पथमार्गों में पुनः काम में लिया जा सकता है और जो भिन्न अणुओं में समान तरह के कार्य करते हैं। नए चयापचयी पथमार्गों के विकास की तरह, विकास के कारण चयापचयी कार्यशीलता में कमी आ सकती है। उदा. कुछ परजीवियों में जीवन के लिये अनावश्यक चयापचयी प्रक्रियाएं नहीं होती हैं और पहले से बने हुए अमीनो एसिड, न्यूक्लियोटाइड और कार्बोहाइड्रेट मेजबान द्वारा खा लिये जाते हैं। ऐसी ही चयापचयी क्षमताओं में कमी एंडोसिम्बयाटिक जीवों में देखी जाती है। जांच और परिवर्तन चयापचय का अध्ययन मान्य रूप से अपघटीय तरीके से किया जाता है, जो एक चयापचय पथमार्ग पर केंद्रित होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है, सम्पूर्ण जीव, ऊतक और कोशिकीय स्तर पर रेडियोसक्रिय लेसरों का प्रयोग, जो रेडियोसक्रिय रूप से लेबल किये गए मध्यस्थों और उत्पादनों को पहचान कर पूर्वजों से लेकर अंतिम उत्पादन तक के पथमार्गों को परिभाषित करते हैं। इन रसायनिक प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने वाले एंजाइमों का तब शुद्धीकरण किया जा सकता है और उनकी गतिकी व अवरोधकों के प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं की जांच की जा सकती है। एक समानांतर तरीका है, कोशिका या ऊतक में छोटे अणुओं को पहचानना. इन अणुओं के एक पूर्ण समूह को मेटाबोलोम कहा जाता है। कुल मिला कर इन अध्ययनों से सरल चयापचयी पथमार्गों की रचना और कार्य के बारे में अच्छी जानकारी मिलती है, लेकिन अधिक जटिल तंत्रों जैसे संपूर्ण कोशिका के चयापचय पर उन्हें लागू करने पर अपर्याप्त लगते हैं। विभिन्न प्रकार के हजारों एंजाइमों से युक्त कोशिकाओं के चयापचयी जाल की जटिलता का अंदाजा दांयी ओर दिये गए चित्र से लगाया जा सकता है, जिसमें सिर्फ ४३ प्रोटीनों और ४० चयापचकों के बीच अंतर्क्रुया को दर्शाया गया है जीनोमों की श्रंखलाएं ४५००० जीनों तक की फेहरिस्त उपलब्ध करती है। लेकिन अब इस जीनोमिक जानकारी का प्रयोग करके रसायनिक प्रतिक्रियाओं के संपूर्ण जालों का पुनर्निर्माण और उनके बर्ताव को समझने के लिये अधिक पूर्ण गणितीय माडल बनाना संभव है। ये माडल विशेष रूप से शक्तिशाली तब होते हैं जब उनका प्रयोग प्रोटीयोमिक और डीएनए माइक्रोऐरे अध्ययनों से प्राप्त जीन एक्सप्रेशन विषयक जानकारी को मान्य तरीकों से प्राप्त पथमार्ग और चयापचयी जानकारी से एकीकृत करने के लिये किया जाता है। इन तकनीकों का प्रयोग करके, मानव चयापचय का एक माडल बनाया गया है, जो भविष्य में औषधि की खोज और जैवरसायनिक शोध का मार्गदर्शन करेगा. ये माडल अभी नेटवर्क विश्लेषण में समान प्रोटीनों या चयापचयकों वाले समूहों में मानवी रोगों के वर्गीकरण के लिये प्रयोग में लाए जा रहे हैं। बैक्टीरिया के चयापचयी नेटवर्क बो-टाई संयोजन का अच्छा उदाहरण लगते हैं, जो अपेक्षाकृत कम मध्यस्थ मुद्राओं का प्रयोग करके पोषकों की बड़ी श्रंखलाओं की सहायता से बड़ी विविधता वाले उत्पादों और जटिल महाअणुओं को उत्पन्न कर सकते हैं। इस जानकारी का एक मुख्य तकनीकी उपयोग चयापचयी इंजीनियरिंग है। इसमें खमीर, वनस्पति या बैक्टीरिया जैसे जीव जीनों में संशोधन द्वारा उन्हें जैवतकनीकी में अधिक उपयोगी और एंटीबायोटिकों जैसी औषधियों या १,३-प्रोपेनडयाल और शिकिमिक एसिड जैसे औद्यौगिक रसायनों के उत्पादन में मददगार बनाया जाता है। इन जीनीय संशोधनों का उद्देश्य उत्पादन में लगने वाली ऊर्जा की मात्रा को कम करने और व्यर्थ पदार्थों का उत्पादन कम करने के लिये किया जाता है। मेटाबोलिज्म (चयापचय) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द, मेटाबोलिस्मॉस परिवर्तन या उलट देना से हुई है। चयापचय के वैज्ञानिक अध्ययन का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है और प्रारंभिक अध्ययनों में संपूर्ण पशुओं की परीक्षा से लेकर, आधुनिक जैवरसायनशास्त्र में व्यक्तिगत चयापचयी प्रतिक्रियाओं की जांच तक फैला है। चयापचय का सिद्धांत इब्न अल-नफीस (१२१३-१२८८) के समय से है, जिसने बताया कि, शरीर और उसके भाग लगातार विघटन और पोषण की स्थिति में रहते हैं। मानव के चयापचय के पहले प्रयोगों का प्रकाशन सैंटोरियो सैंटोरियो ने १६१४ में उनकी पुस्तक आर्स डी स्टैटिका मेडेसिना में किया। उसने बताया कि कैसे उसने अपने आपको भोजन करने, सोने, काम करने, मैथुन, उपवास, पीने और मलत्याग करने के पहले और बाद तौला. उसने पाया कि उसके द्वारा लिये गए आहार का अधिकांश भाग असंवेदी स्वेदन के जरिये गायब हो गया। इन प्रारंभिक अध्ययनों में, इन चयापचयी प्रक्रियाओं के तरीकों को पहचाना नहीं गया है और यह समझा जाता था कि कोई दैवी शक्ति जीवित ऊतक को नियंत्रित करती है। १९वीं शताब्दी में खमीर द्वारा शक्कर के अल्कोहल में किण्वन का अध्ययन करते समय, लुई पास्चर ने देखा कि किण्वन का उत्प्रेरण खमीर कोशिकाओं में स्थित पदार्थों द्वारा किया जाता है, जिन्हें उसने किण्वक का नाम दिया. उसने लिखा कि, अल्कोहली किण्वन खमीर कोशिकाओं के जीवन और संयोजन से संबंधित एक कार्य है और इसका कोशिकाओं की मृत्यु या सड़ने से कोई संबंध नहीं है. इस खोज और फ्रेड्रिच वोह्लर द्वारा १८२८ में यूरिया के रसायनिक संश्लेषण के प्रकाशन से यह सिद्ध हुआ कि कोशिकाओं में पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिकों और रसायनिक प्रतिक्रियाओं और रसायनशास्त्र के अन्य किसी भी भाग में सैद्धांतिक रूप से कोई भिन्नता नहीं है। २०वीं शताब्दी के शुरू में एड्वर्ड बकनर द्वारा एंजाइमों की खोज के बाद चयापचय की रसायनिक प्रतिक्रियाओं और कोशिकाओं के जीववैज्ञानिक अध्ययन अलग से किये जाने लगे और जैवरसायनशास्त्र की शुरूआत हुई. प्रारंभिक २०वीं शताब्दी में जैवरसायनिक जानकारी तेजी से बढ़ी. इन आधुनिक जैवरसायनज्ञों में सबसे सक्रिय थे हांस क्रेब्स, जिन्होंने चयापचय के अध्ययन में बड़ा योगदान किया। उन्होंने यूरिया चक्र और हांस कार्नबर्ग के साथ काम करते हुए, सिट्रिक एसिड चक्र और ग्लयाक्सिलेट चक्र का आविष्कार किया। आधुनिक जैवरसायनिक शोध को नई तकनीकों जैसे, क्रोमेटोग्राफी, एक्सरे डाइफ्रैक्शन, एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी, रेडियोआइसोटोपिक लेबलीकरण, इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी और आण्विक गतिकी सिमुलेशन से बहुत सहायता मिली है। इन तकनीकों से कोशिकाओं में अनेक अणुओं और चयापचयी पथमार्गों की खोज और विस्तृत विश्लेषण संभव हुआ है। इन्हें भी देखें आधारिक चयापचय दर चयापचय की अंतर्जात त्रुटि लोहे-सल्फर दुनिया सिद्धांत, "चयापचय पहले" मूल के जीवन का सिद्धांत. भोजन की थेर्मिक प्रभाव और , द कैमिस्ट्री 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इंग्लिश धरहरा, मुंगेर, बिहार स्थित एक गाँव है। मुंगेर जिला के गाँव
डब्बू रत्नाणी एक प्रमुख भारतीय फैशन फोटोग्राफर है। उन्को बॉलीवुड के सारे सेलिब्रिटी बहुत ही पसंद करते हैं। वह काफी मशहूर सेलिब्रिटीयों के लिए अनेक चित्र ले चुके है। वह एक अव्वल फोटोग्राफर है और उन्होंने फिल्मफेयर, हाय ब्लिट्ज, ठीक भारत, एली, दम, फेमिना, आदमी और बेहतर घरों और गार्डन तरह की सभी प्रमुख पत्रिकाओं के लिए चित्र खींचे है। वह अपनी वार्षिक कैलेंडर के लिए जाने जाते हैं। २००६ में, वह मिस इंडिया प्रतियोगिता के लिए निर्णायक मंडल में थे। २०१५ और २०१६ मैं वह "भारत की नेक्स्ट टॉप मॉडल" टीवी शो मे निर्णायक मंडल मे थे और अभी भी है। उनका जन्म २४ दिसंबर, मुंबई मैं हुआ। वह पहले-पहले सुमित चोपड़ा के साथ काम करते थे। वह सुमित चोपड़ा के अंतर्गत काम कर रहे थे। १९९४ के बाद से स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है। वह अपने बीवी और तीन बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। डब्बू रत्नाणी भारतीय सिनेमा के प्रमुख चित्र और सेलिब्रिटी फोटोग्राफर में से एक है। उनका इस उद्योग में प्रारंभ उनकी अच्छी किस्मत से हुआ। कई सालों से उनकी पत्नी उन्के साथ काम कर रही है। उनको फिल्मों के वजह से काफी संपादकीय काम करने को मिला और वे फिर मॉडल के पोर्टफोलियो का काम करने लगे। और इन सब के कारण डब्बू रत्नाणी विज्ञापन में चले गए। अपने फिल्म विज्ञापन और प्रचार अभियानों के लिए उन्हें इस्तेमाल किया गया है। डब्बू रत्नाणी का सबसे अच्छा काम उनका वार्षिक कैलेंडर है। उन्का इस सिनेमा मे अपने इस कैलेंडर के वजह से ही नाम हुआ है। उन्होंने सबसे प्रसिद्ध सेलिब्रिटीयो के साथ २००४ से काम करना प्रारंभ कर दिया था। पेरिजाद जोराबियन, उर्मिला मातोंडकर, प्रियंका चोपड़ा, नेहा धूपिया, बिपाशा बसु, ईशा देओल, प्रीति जिंटा, अमृता अरोड़ा, ऐश्वर्या राय, रानी मुखर्जी, रवीना टंडन, अमृता राव, शिल्पा शेट्टी, लारा दत्ता, दीया मिर्जा, कैटरीना कैफ, समीरा रेड्डी, सोहा अली खान, अमीषा पटेल, तब्बू, ईशा कोप्पिकर, पूजा भट्ट, रिया सेन, महिमा चौधरी, शाहरुख खान बिपाशा बसु, शाहिद कपूर, प्रियंका चोपड़ा, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, जॉन अब्राहम, उर्मिला मातोंडकर, अजय देवगन, रितिक रोशन, रिया सेन, फरदीन खान, लारा दत्ता, जायद खान, संजय दत्त, अमीषा पटेल, अभिषेक बच्चन, कोएना मित्रा, शाहरुख खान, करीना कपूर, समीरा रेड्डी, अर्जुन रामपाल, प्रीति जिंटा, सलमान खान मल्लिका शेरावत, आमिर खान, शाहरुख खान, संजय दत्त, रानी मुखर्जी, सेलिना जेटली, अर्जुन रामपाल, लारा दत्ता, बिपाशा बसु, शाहिद कपूर, रिया सेन, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, ईशा देओल, सलमान खान, करीना कपूर काजोल, ऋतिक रोशन, अमिताभ बच्चन, बिपाशा बसु, जॉन अब्राहम, ऐश्वर्या राय, अर्जुन रामपाल, सैफ अली खान, अक्षय कुमार, आयशा टाकिया, रिया सेन, शाहरुख खान, विद्या बालन, ईशा देओल, रानी मुखर्जी, प्रियंका चोपड़ा, अजय देवगन, प्रीति जिंटा, अभिषेक बच्चन, बॉबी देओल, मल्लिका शेरावत, रितेश देशमुख, सलमान खान, विद्या बालन रितिक रोशन, बिपाशा बसु, रणबीर कपूर, सैफ अली खान, जेनेलिया डिसूजा, जॉन अब्राहम, कंगना राणावत, इमरान खान, करीना कपूर, अभिषेक बच्चन, प्रियंका चोपड़ा, अक्षय कुमार, काजोल, अर्जुन रामपाल, दीपिका पादुकोण, फरहान अख्तर, कैटरीना कैफ, अमिताभ बच्चन, सोनम कपूर, शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय, सलमान खान, असिन थोट्टूमकल, विद्या बालन और इस साल २०१६ मे - अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अभिषेक बच्चन, अक्षय कुमार, जॉन अब्राहम, रणबीर कपूर, रितिक रोशन, फरहान अख्तर, रणवीर सिंह , वरुण धवन , सिद्धार्थ मल्होत्रा, अर्जुन रामपाल, विद्या बालन, प्रियंका चोपड़ा, आलिया भट्ट , लिसा हेडन, ऐश्वर्या राय बच्चन, अथिया शेट्टी, श्रद्धा कपूर, परिणीति चोपड़ा, जैकलिन फर्नांडीज, सोनाक्षी सिन्हा, अनुष्का शर्मा। उनका पहला कैलेंडर २००४ मे प्रक्षेपण हुआ था। सारे सेलिब्रिटी बेसब्री से इस कैलेंडर शूट का इंतजार करते हैं। डब्बू रत्नाणी ने कई फिल्मों के पोस्टर पर काम किया है और प्रशंसा भी पाई है। फिल्म जैसे ओम शांति ओम, आतिश, ब्लैकमेल, फिजा, हेरा फेरी, भगत सिंह के लीजेंड, आवारा पागल दीवाना, झंकार बीट्स, जिस्म, जो बोले सो निहाल, कहो ना ... प्यार है के पोस्टरों पर काम किया है। इन्हें भी देखें लाला दीन दयाल
दक्षिण कोरिया में लैंगिक असमानता, दक्षिण कोरिया में पुरुषों और महिलाओं के साथ किसी भी तरह के असमान अवसर या व्यवहार का सामना करना है।गहरी पितृसत्तात्मक विचारधाराओं और प्रथाओं से व्युत्पन्न, दक्षिण कोरिया में लैंगिक असमानता को लगातार दुनिया में सर्वोच्च स्थान दिया गया है। जबकि दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था और राजनीति में लैंगिक असमानता विशेष रूप से प्रचलित है, इसने स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा में सुधार किया है। लिंग असमानता की गणना और मापने के विभिन्न तरीकों के कारण, दक्षिण कोरिया की लिंग असमानता रैंकिंग अलग-अलग रिपोर्टों में भिन्न होती है। जबकि २०१७ यूएनडीपी लिंग असमानता सूचकांक दक्षिण कोरिया को १६० देशों में १०वें स्थान पर रखता है, विश्व आर्थिक मंच ने २०१७ ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में १४४ देशों में दक्षिण कोरिया को ११८वें स्थान पर रखा है। अपने २०१३ के अध्ययन में, ब्रानिसा एट अल. समझाएं कि ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स जैसे सूचकांक "परिणाम-केंद्रित" होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एजेंसी और कल्याण में लैंगिक असमानताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। सामाजिक संस्थान और लिंग सूचकांक (एसआईजीआई, सिगी) जैसे सूचकांक लैंगिक असमानताओं की उत्पत्ति पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे कि कानून और मानदंड। दक्षिण कोरिया उन तीन ओईसीडी देशों में से एक है, जिन्होंने एक आदर्श सिगी स्कोर प्राप्त नहीं किया है। जबकि सिगी ने दक्षिण कोरिया को एक समग्र रैंकिंग नहीं दी, देश में भेदभावपूर्ण परिवार संहिता के बहुत निम्न स्तर, प्रतिबंधित नागरिक स्वतंत्रता के निम्न स्तर और प्रतिबंधित संसाधनों और संपत्तियों के मध्यम स्तर की सूचना मिली थी। २०१० में, सर्वेक्षण में शामिल ९३% दक्षिण कोरियाई लोगों का मानना था कि महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए, और उनमें से ७१% का मानना है कि उस लक्ष्य को प्राप्त करने से पहले और अधिक परिवर्तनों की आवश्यकता है। २०१७ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी उप-सूचकांक (स्वास्थ्य और उत्तरजीविता, शिक्षा, आर्थिक भागीदारी और समानता, और राजनीतिक सशक्तिकरण) २००६ (इस वार्षिक रिपोर्ट के पहले प्रकाशन की तारीख) की तुलना में सुधार दिखाते हैं। अन्य देशों की तुलना में, दक्षिण कोरिया ने स्वास्थ्य और उत्तरजीविता (८४वें), फिर राजनीतिक अधिकारिता (९०वें), फिर शैक्षिक प्राप्ति (१०५वें) पर उच्चतम स्कोर किया, और आर्थिक भागीदारी और समानता (१२१वें) पर सबसे कम स्थान प्राप्त किया। दक्षिण कोरिया में लैंगिक असमानता काफी हद तक देश के कन्फ्यूशियस आदर्शों में निहित है और ऐतिहासिक प्रथाओं और घटनाओं, जैसे सैन्य यौन दासता और पार्क ग्यून-हे के घोटाले से इसे कायम और गहरा कर दिया गया है। हालांकि, समकालीन दक्षिण कोरिया ने कानून और नीति निर्माण के माध्यम से लैंगिक असमानता को कम करने के प्रयास में काफी प्रगति की है। कन्फ्यूशीवाद एक सामाजिक-राजनीतिक दर्शन और विश्वास प्रणाली है जिसका दक्षिण कोरियाई समाज पर लंबे समय से प्रभाव रहा है। चीन में उत्पन्न, कन्फ्यूशीवाद ने 'बड़े पैमाने पर लिंग पर मुख्यधारा के प्रवचन को परिभाषित किया ... हान राजवंश से आगे' और इसके परिणामस्वरूप उन देशों में लिंग धारणाओं को बहुत प्रभावित किया है जिन्होंने बाद में कोरिया, जापान और वियतनाम जैसे कन्फ्यूशियस शिक्षाओं को अपनाया। इसे पहली बार चौथी शताब्दी में कोरिया लाया गया था और जोसियन राजवंश (१३९२-१९१०) के दौरान नव-कन्फ्यूशीवाद को राष्ट्रीय विचारधारा के रूप में चुना गया था। कन्फ्यूशीवाद एक विचारधारा है जो एक संतुलित और सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने के लिए सामाजिक पदानुक्रम के महत्व पर जोर देती है। इस पदानुक्रम को पांच रिश्ते के माध्यम से चित्रित किया गया है, कन्फ्यूशीवाद में एक प्रमुख शिक्षण जो लोगों के बीच मुख्य बुनियादी संबंधों का वर्णन इस प्रकार करता है; शासक और शासित, पिता और पुत्र, पति और पत्नी, बड़े भाई और छोटे भाई, तथा दोस्त और दोस्त। प्रत्येक रिश्ते में भूमिकाओं को व्यक्तिगत कर्तव्यों को भी निर्धारित किया गया था, जिसमें पति और पत्नी के लिए, पति को परिवार के लिए कमानेवाले के रूप में कार्य करना शामिल था, जबकि पत्नी को घर पर रहना, बच्चों की परवरिश करना और घर चलाना था। द थ्री बॉन्ड इन रिश्तों का एक विस्तार है जो बाद में कन्फ्यूशियस साहित्य में प्रकट हुआ और रिश्तों की श्रेणीबद्ध प्रकृति पर जोर देता है; शासित पर शासक, पुत्र पर पिता और पत्नी पर पति। यह मुख्य कन्फ्यूशियस सिद्धांत अपने पति के अधीन एक महिला की भूमिका पर जोर देता है। कन्फ्यूशियस साहित्य में एक और महत्वपूर्ण शिक्षा जो सीधे महिलाओं की अधीनता को प्रभावित करती है, वे हैं तीन आज्ञाकारिता और चार गुण, दिशानिर्देश जो बताते हैं कि एक महिला को समाज में कैसे व्यवहार करना चाहिए। तीन आज्ञाकारिता की आवश्यकता है कि महिलाएं 'विवाह से पहले पिता की आज्ञा मानती हैं, विवाह के बाद पति की बात मानती हैं, और पति की मृत्यु के बाद पहले बेटे का पालन करती हैं' जबकि चार गुणों के लिए '(यौन) नैतिकता, उचित भाषण, विनम्र तरीके और मेहनती काम'। जोसियन राजवंश ने लिंग भूमिकाओं में एक विशेष बदलाव देखा क्योंकि समाज बौद्ध से कन्फ्यूशियस आदर्शों में परिवर्तित हो गया था। इसके परिणामस्वरूप विवाह और नातेदारी की प्रणालियाँ मातृवंशीय होने के बजाय पितृवंशीय बन गईं। चूंकि पति की भूमिका पत्नी से बेहतर मानी जाती थी, पुरुषों का न केवल विरासत के मामलों पर नियंत्रण था, बल्कि 'तलाक देने का अधिकार राज्य और स्वयं पति तक सीमित था'। [१७] पति महिलाओं के लिए सात पापों या चिल्गोजिआक () के आधार पर तलाक देने में सक्षम थे; 'अपने सास-ससुर की अवज्ञा करना, एक पुरुष उत्तराधिकारी पैदा करने में विफलता, व्यभिचार, घर में अन्य महिलाओं के प्रति अत्यधिक ईर्ष्या, गंभीर बीमारी, चोरी और अत्यधिक बात करना'। सैन्य यौन दासता संपादितपूरे आधुनिक इतिहास में, दक्षिण कोरियाई महिलाओं को सैन्य यौन दासता का शिकार होना पड़ा है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, हजारों युवा कोरियाई महिलाओं को जापानी शाही सेना के लिए "कम्फर्ट वूमन" (यौन सेविका) बनने के लिए मजबूर किया गया था। कोरियाई युद्ध के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दस लाख से अधिक दक्षिण कोरियाई महिलाओं को सैन्य वेश्यावृत्ति में शामिल किया। [२०] जर्नल ऑफ कोरियन स्टडीज के लेखक हान (हाँ) और चुन (चुन) के अनुसार, "सैन्य प्रतिष्ठानों ने महिलाओं के व्यवस्थित भेदभाव पर निर्भर होकर और उसे उचित ठहराकर, स्त्रीत्व और पुरुषत्व, दुर्बलता और ताकत, पराजित और विजयी की लैंगिक धारणाओं को बढ़ावा दिया है ।" हान (हाँ) और चुन (चुन) का मानना है कि कि सैन्य यौन दासता ने पितृसत्तात्मक विचारधाराओं में योगदान दिया है जो दक्षिण कोरिया में लैंगिक असमानता को कायम रखती हैं। इसके अलावा, ये महिलाएं हिंसा और यौन शोषण दोनों की शिकार थीं। यूरोपियन जर्नल ऑफ विमेन स्टडीज में, लेखक योंसन अहं ने कहा है कि निचले रैंक के सैनिकों ने उच्च रैंक वाले सैनिकों और युद्ध से कठोर उपचार से निपटने के तरीके के रूप में कम्फर्ट महिलाओं के प्रति यौन शोषण के रूप में हिंसा की। शक्ति का अभ्यास करने और अपनी मर्दानगी की पुष्टि करने के लिए, सैनिकों के पास आह के शब्द में "छाया परिवार" (शैडो फेमिय) था। ये छाया परिवार (शैडो फमिली) गर्भवती कम्फर्ट महिलाएं थीं जो सैनिकों पर स्थिरता प्रदान करने के लिए निर्भर थीं। इस विचार ने पुरुषों के ठेठ कोरियाई परिवार में मौजूद लिंग असमानता के मौजूदा ढांचे को कायम रखा, जो निर्णयों के साथ और परिवार के मुखिया होने के कारण अधिक शक्ति रखते थे। कोरिया के लोकतंत्रीकरण के बाद, नारीवादी आंदोलनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। कोरियाई सरकार ने २०वीं सदी के अंत में निम्नलिखित विधायी कृत्यों के साथ लैंगिक समानता के मुद्दों को संबोधित करना शुरू किया: समानता रोजगार अधिनियम (१९८७) समान रोजगार और कार्य और परिवार के सुलह पर अधिनियम (१९८९) मातृ-बाल कल्याण अधिनियम (१९९१) यौन हिंसा की सजा और पीड़ित का संरक्षण अधिनियम (१९९३) महिला विकास अधिनियम (१९९५) घरेलू हिंसा की रोकथाम और पीड़ित की सुरक्षा अधिनियम (१९९७) २००५ में, लैंगिक समानता और परिवार मंत्रालय की स्थापना की गई और पितृवंशीय परिवार रजिस्टर (होजू) को समाप्त कर दिया गया। जबकि पिछले कुछ दशकों में नीति निर्माण और शासन में लैंगिक समानता में सुधार हुआ है, श्रम बाजारों में लैंगिक समानता और श्रम विभाजन स्थिर रहा है। हालांकि १९४८ में महिलाओं को वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार प्राप्त हुआ, लेकिन दक्षिण कोरियाई राजनीति में ऐतिहासिक रूप से महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम रहा है। जब पार्क ग्युन-हे २०१२ में दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं, तो कई लोगों ने उनके चुनाव को दक्षिण कोरिया में लैंगिक समानता की जीत के रूप में देखा। चार साल बाद, उसके घोटाले और महाभियोग ने उसके चुनाव द्वारा की गई किसी भी प्रगति को रद्द कर दिया और कई लोगों को यह विश्वास दिला दिया कि महिलाएं अपने देश का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। कई विशेषज्ञ पार्क ग्युन-हे को एक महिला राजनेता के रूप में देखने के बारे में भी संदेहपूर्ण थे, उन्होंने कहा कि उन्होंने रूढ़िवादी राजनीति को प्रभावित करने के अवसर के रूप में अपने लिंग का इस्तेमाल किया, और लैंगिक मुद्दों को असंबंधित राजनीतिक बहस में शामिल करने का प्रयास किया। दक्षिण कोरिया में पेशेवर असमानता विकसित देशों में असामान्य रूप से उच्च है। इस प्रकार की असमानता दक्षिण कोरिया के वेतन अंतर, रोजगार दर, व्यावसायिक अलगाव और माता-पिता की छुट्टी से संबंधित आंकड़ों में देखी जा सकती है। अपने २००१ के लेख में, मोंक-टर्नर और टर्नर ने रिपोर्ट किया कि "बाकी सभी समान हैं, तुलनीय कौशल वाली महिलाओं की तुलना में पुरुष ३३.६ प्रतिशत से 4६.९ प्रतिशत अधिक कमाते हैं।" २०१७ में, ओईसीडी ने कोरिया को सभी ओईसीडी देशों में अंतिम स्थान पर रखा लिंग वेतन अंतर के लिए, एक स्थिति जो ओईसीडी द्वारा पहली बार २००० में प्रकाशित करने के बाद से नहीं सुधरी है। कोरिया में लिंग वेतन अंतर ३४.६% है, जबकि ओईसीडी औसत १३.१% है। २००० के बाद से इस अंतर में ७% का सुधार हुआ है, हालांकि सुधार की दर अन्य ओईसीडी देशों की तुलना में धीमी रही है। कोरियाई लिंग वेतन अंतर को "औद्योगिक देशों में सबसे खराब..." कहा गया है। द इकोनॉमिस्ट द्वारा २०२० में प्रकाशित ग्लास-सीलिंग इंडेक्स में कोरिया लगातार आठवें वर्ष सबसे निचले स्थान पर रहा। ग्लास-सीलिंग इंडेक्स दस संकेतकों पर देश के प्रदर्शन द्वारा निर्धारित किया गया था जैसे कि वेतन अंतर, श्रम बल की भागीदारी, वरिष्ठ नौकरियों में प्रतिनिधित्व, भुगतान मातृत्व अवकाश, आदि। महिलाएं कम वेतन वाली, गैर-नियमित नौकरियों पर कब्जा कर लेती हैं और कार्यस्थल में उच्च प्रबंधकीय पदों पर पदोन्नत होने की संभावना कम होती है; हालांकि, पिछले कुछ दशकों में दक्षिण कोरिया में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों में लगातार वृद्धि हुई है। कोरियाई युद्ध से पहले, महिलाओं की रोजगार दर ३०% से कम थी। कोरिया के लिए अपने २०१८ के आर्थिक सर्वेक्षण में, ओईसीडी ने महिला रोजगार दर लगभग ५६.१% दर्ज की, जो सभी ओईसीडी देशों के औसत (५९.३%) से कम है। पुरुष रोजगार दर ७५.९% है, जो ओईसीडी औसत (७४.७%) से थोड़ा अधिक है। अपने २०१३ के पेपर में, पैटरसन और वालकट ने पाया कि कार्यस्थल में लैंगिक असमानता "कानूनी प्रवर्तन की कमी, एक कमजोर सजा प्रणाली, महिलाओं द्वारा यथास्थिति की मौन स्वीकृति, पारंपरिक कोरियाई मानसिकता से उत्पन्न संगठनात्मक सांस्कृतिक मुद्दों से उत्पन्न होती है जो कई कंपनियों द्वारा लिंग भेदभाव और ईओ (इओ) [समान अवसर] विनियमों के बारे में ज्ञान की सामान्य कमी की अनुमति देता है।" प्राथमिक देखभालकर्ता होने के लिए महिलाओं की सामाजिक और पारिवारिक अपेक्षाओं के अलावा, ओईसीडी रिपोर्ट बताती है कि "बच्चों के जन्म के बाद महिलाएं श्रम शक्ति से हट जाती हैं, आंशिक रूप से उच्च गुणवत्ता वाली प्रारंभिक बचपन की शिक्षा और देखभाल संस्थानों की कमी के कारण।" १९७० और १९८० के दशक के दौरान, महिलाओं ने "परिवार निर्माण में बहुत प्रारंभिक अवस्था" में कार्यबल छोड़ दिया।वर्तमान में, वे कार्यबल को बाद में छोड़ रही हैं, आमतौर पर गर्भावस्था से ठीक पहले या उसके दौरान। मे ने नोट किया कि यह प्रवृत्ति महिलाओं की बढ़ती वित्तीय स्वतंत्रता के कारण हो सकती है। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, महिलाओं के लिए आर्थिक भागीदारी और अवसर के मामले में दक्षिण कोरिया को दुनिया के १४९ देशों में १२४वें नंबर पर रखा गया है। महिलाओं को अक्सर उनकी शादी की स्थिति के बारे में सवालों का सामना करना पड़ता है, या क्या वे नौकरी के लिए आवेदन करते समय बच्चे पैदा करने की योजना बना रही हैं, और यहां तक कि यह सुझाव भी दिया जाता है कि 'पुरुष प्रधान' क्षेत्रों में नौकरी उनके लिए उपयुक्त नहीं है। ओईसीडी देशों में, दक्षिण कोरिया ३५ प्रतिशत के सबसे बड़े वेतन अंतर के साथ सबसे आगे है, जबकि ओईसीडी औसत वेतन अंतर १३.८ प्रतिशत है, और देश की ग्लास सीलिंग कॉर्पोरेट बोर्ड और नेतृत्व भूमिकाओं दोनों तक फैली हुई है। महिलाओं के लिए रोजगार की बढ़ती दर के बावजूद, कोरिया में श्रम शक्ति अभी भी लिंग के आधार पर अत्यधिक अलग है, जो पूर्णकालिक रोजगार लिंग हिस्सेदारी और औद्योगिक अंतरों द्वारा चिह्नित है। २०१७ में, अंशकालिक रोजगार में ६२.७% लिंग हिस्सेदारी के विपरीत, कोरिया में महिलाओं ने पूर्णकालिक रोजगार आबादी का ३९.५% हिस्सा बनाया। महिलाओं के लिए अपेक्षाकृत उच्च अंशकालिक रोजगार दर को आंशिक रूप से कोरिया में लिंग भूमिकाओं के पारंपरिक कन्फ्यूशियस आदर्शों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें महिलाओं से पारिवारिक कर्तव्यों और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी लेने की उम्मीद की जाती है। २००२ के ओईसीडी एम्प्लॉयमेंट आउटलुक विश्लेषण में बताया गया है कि अंशकालिक रोजगार पेशेवर और पारिवारिक जीवन के मेल-मिलाप की अनुमति देता है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए। पूर्ण और अंशकालिक रोजगार दरों में अंतर के अलावा, कोरिया में लैंगिक असमानता भी औद्योगिक अलगाव के माध्यम से प्रकट होती है। १९९४ के एक लेख में, मोंक-टर्नर और टर्नर ने देखा कि "खेती और उत्पादन सभी महिला श्रमिकों के ६६.३ प्रतिशत को अवशोषित करता है," और "सभी महिलाओं में से अन्य २९ प्रतिशत लिपिक, बिक्री या सेवा श्रमिकों के रूप में काम करती हैं।" २०१७ में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के अनुसार, कृषि क्षेत्र का रोजगार पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लगभग ५% तक कम हो गया था; ८२.१% महिला श्रमिक सेवा क्षेत्र में केंद्रित थीं, ११.५% उत्पादन में और १.४% निर्माण में, पुरुषों के विपरीत सेवाओं में 6१.९%, उत्पादन में २०.८%, और निर्माण में ११.२%। दो दशकों में, पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए कृषि से दूर क्षेत्रीय-स्थानांतरण की राष्ट्रीय प्रवृत्ति के अलावा, कुछ उद्योगों में महिला कामकाजी आबादी अत्यधिक समूह में बनी हुई है, जबकि पुरुषों के लिए समान पैटर्न लागू नहीं होता है। इसके अलावा, कोरिया के लिए २०१८ ओईसीडी आर्थिक सर्वेक्षण में, यह देखा गया कि उद्यमशीलता क्षेत्र के भीतर, "महिला उद्यमी बुनियादी आजीविका क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जैसे कि स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण, आवास और रेस्तरां, अन्य व्यक्तिगत सेवाएं और शैक्षिक सेवाएं, जो आंशिक रूप से वित्त पोषण और उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि तक उनकी सीमित पहुंच को दर्शाता है।" यद्यपि दक्षिण कोरिया मातृत्व अवकाश के लिए १२ सप्ताह और सभी ओईसीडी देशों में ५३ सप्ताह में सबसे लंबे समय तक भुगतान किए जाने वाले पितृत्व अवकाश की पेशकश करता है, लेकिन कोरियाई कंपनियों के भीतर छुट्टी लेना अत्यधिक अलोकप्रिय और अनौपचारिक रूप से हतोत्साहित किया जाता है, जो महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद कार्यस्थल से बाहर होने पर मजबूर करता है। परिणामस्वरूप, कामकाजी माता-पिता - विशेष रूप से माताओं - को बच्चे के पालन-पोषण के लिए अपेक्षाकृत कम समर्थन मिलता है। पैतृक अवकाश के लिए सार्वजनिक धन के साथ-साथ चाइल्डकैअर कार्यक्रमों के विकास ने दक्षिण कोरिया में धीरे-धीरे जमीन हासिल की है, जहां चाइल्डकैअर और इसका आर्थिक क्षेत्र मुख्य रूप से निजी था। कन्फ्यूशियस पारिवारिक मूल्य पारंपरिक यौन भूमिकाओं का समर्थन करते हैं, पुरुषों से "पुरुष-प्रकार" कार्य करने की अपेक्षा की जाती है और महिलाओं से "महिला-प्रकार" कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। चूंकि परिवारों में पुरुषों के प्रमुख कमानेवाले होने की उम्मीद की जाती है, इसलिए महिलाओं की भूमिकाओं को पत्नी, मां और गृहस्वामी के रूप में परिभाषित करने की एक मजबूत सांस्कृतिक प्रवृत्ति है। १९९८ में, एक कोरियाई महिला विकास संस्थान के सर्वेक्षण में पाया गया कि दक्षिण कोरियाई महिलाओं में से अधिकांश घर का सारा काम अपने घरों में करती हैं। घरेलू असमानताओं के परिणामस्वरूप, दक्षिण कोरियाई महिलाएं बाद में शादी कर रही हैं और उनके कम बच्चे हैं। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की २००७ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ये रुझान "कई मायनों में दोनों दुनिया के सबसे खराब हैं। कोरिया में अब किसी भी विकसित देश की तुलना में कम प्रजनन दर है और महिला श्रम-बल की भागीदारी की सबसे कम दरों में से एक है - ६०% २५ से ५४ वर्ष की महिलाओं के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में ७५% और यूरोपीय संघ में ७६%। कोरियाई महिलाओं का प्रतिशत जो कहते हैं कि बच्चे पैदा करना "आवश्यक" है, १९९१ में ९०% से घटकर २००० में ५८% हो गया। १९७० में, महिलाओं के लिए पहली शादी की औसत आयु २३ थी; २००५ तक यह लगभग २८ था। रिपोर्ट से पता चलता है कि बेहद कम प्रजनन दर के कारण गंभीर आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को रोकने के लिए पारंपरिक कोरियाई परिवार और कार्यस्थल संस्कृतियों को बदलना होगा। विशेष अवसर असमानता २०वीं शताब्दी से आधुनिक युग तक, महिलाओं के लिए तृतीयक शिक्षा तक पहुंच बढ़ी है, लेकिन कई विकसित देशों की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम बनी हुई है, विशेष रूप से उन देशों में जहां पुरुषों की तुलना में शिक्षित महिलाओं का अनुपात अधिक है। पुरुष-प्रधान कार्यबल की व्यापकता, और बच्चों की शिक्षा के कड़े माता-पिता के पर्यवेक्षण ने उन महिलाओं को बनाया जो आगे की शिक्षा को करियर बनाने के बजाय बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए एक उपकरण के रूप में देखते हैं। हालांकि दक्षिण कोरिया की ७४.९% महिलाओं (२५ और ३४ की उम्र के बीच) ने तृतीयक शिक्षा पूरी कर ली है - एक प्रतिशत जो ओईसीडी औसत (५०.७%) से बहुत अधिक है - तृतीयक शिक्षा वाली महिलाओं की रोजगार दर ओईसीडी में सबसे कम है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के भीतर, एसटीईएम क्षेत्रों में महिलाओं की अधिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। अधिक महिलाओं को प्रवेश देने के लिए तृतीयक संस्थानों पर दबाव डाला जा रहा है। रोजमर्रा की जिंदगी में लैंगिक असमानता स्त्रीत्व के पारंपरिक आदर्श पुरुषों और महिलाओं के बीच लिंग असंतुलन के माध्यम से निर्मित होते हैं, जो रोजमर्रा की जिंदगी में खुद को प्रदर्शित करता है। इसका एक उदाहरण महिलाओं को मित्रों और सहकर्मियों द्वारा एग्यो () करने के लिए कहा जा रहा है। एग्यो 'प्यारा' दिखने के लिए चेहरे के भाव, हावभाव और आवाज के स्वर की विशेषता वाले बच्चे जैसी क्रियाओं का प्रदर्शन है। जबकि यह व्यवहार पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है, आम तौर पर महिलाओं को एग्यो करने के लिए कहा जाता है। एक विशेष लेख में यह उल्लेख किया गया था कि महिलाओं को अक्सर कार्यस्थल में 'मनोदशा को हल्का' करने के लिए एग्यो करने के लिए कहा जाता है। आगे यह भी नोट किया गया कि काम पर एग्यो का उपयोग करने वाली महिलाओं को अधिक प्रीतिकर माना जाता है। महिलाओं के लिए सुंदर और नाजुक दिखने की आवश्यकता को प्रीतिकर माना जाना इस बात का एक उदाहरण है कि दैनिक जीवन में लैंगिक असमानता कैसे प्रकट होती है। दक्षिण कोरिया में महिलाओं पर इन दैनिक असमानताओं और स्त्रीत्व के मानकों को 'एस्केप द कॉर्सेट' आंदोलन द्वारा चुनौती दी जा रही है। महिलाओं के लिए आमतौर पर लंबे बाल रखना, मेकअप करना और अच्छे कपड़े पहनना है, जबकि पुरुषों की अपेक्षाएं कम कठोर होती हैं।यह आदर्श समाज में इतना प्रचलित है कि कुछ महिलाओं को नौकरी के लिए साक्षात्कार में भाग लेने के लिए अपने बाल उगाना आवश्यक लगता है। 'एस्केप द कॉर्सेट मूवमेंट' महिलाओं को कपड़ों और सौंदर्य उद्योगों के बहिष्कार के लिए प्रोत्साहित करके इसका जवाब देता है। इससे कॉस्मेटिक सर्जरी सेक्टर को घाटा हुआ है। इन दैनिक असमानताओं से और लड़ने के लिए, बहुत सी महिलाएं भी शादी के विचार के खिलाफ हैं क्योंकि दक्षिण कोरिया में उनसे अक्सर बच्चे की परवरिश के लिए अपने करियर को छोड़ने की उम्मीद की जाती है। मीडिया में असमानता लिंग असमानता की बातचीत दक्षिण कोरियाई मीडिया में तेजी से प्रचलित हो रही है, आंशिक रूप से दोहरे मानकों के कारण पुरुष और महिला मशहूर हस्तियों को अपने शरीर की छवि के बारे में सामना करना पड़ता है। जबकि कुछ सितारों ने इस मामले पर बात की है, महिला हस्तियों को अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में ऐसा करने के लिए बहुत कठोर प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता है। लैंगिक असमानता पर मीडिया प्रवचन दक्षिण कोरियाई मीडिया में, महिला के-पॉप कलाकारों और अभिनेताओं को अक्सर लैंगिक असमानता के बारे में बोलने के लिए कठोर आलोचना का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, लड़की समूह रेड वेलवेट की आइरीन ने किम जी-यंग,१९८२ में जन्मी, किताब पर टिप्पणी की, जो एक नारीवादी उपन्यास है जो दक्षिण कोरिया में महिलाओं द्वारा अनुभव की जाने वाली दैनिक लैंगिक असमानताओं के बारे में बात करती है। नतीजतन, उन्हें पुरुष प्रशंसकों से भारी प्रतिक्रिया का अनुभव हुआ, जिन्होंने मर्चेंडाइजजलाकर अपना गुस्सा और निराशा व्यक्त की।पुस्तक के विमोचन पर बहुत विवाद छिड़ गया था क्योंकि गंगनम स्टेशन की हत्या कुछ महीने पहले ही हुई थी। जबकि पुरुष आइडल, जैसे कि बीटीएस के आरएम, ने भी किताब को पढ़ा और टिप्पणी की, उन्हें महिला आइडलके रूप में उतनी प्रतिक्रिया नहीं मिली। किताब को बाद में एक फिल्म में बदल दिया गया और इसे भी जनता से बहुत नफरत मिली। गोंग ह्यो-जिन, एक के-ड्रामा अभिनेत्री, जो व्हेन द कैमेलिया ब्लूम्स नामक ड्रामा में दिखाई दी, कोरिया में लैंगिक असमानता के बारे में भी मुखर है। वह अपने नाटकों में किरदार निभाने के लिए मजबूत महिला पात्रों को चुनती है और महिला निर्देशकों के साथ काम करती है जो उनके विचार साझा करती हैं। उनके कार्यों को उनकी फिल्मों को प्रदर्शित होने से रोकने के लिए याचिकाओं जैसे बैकलैश के साथ सामना कीजाती है। कई अन्य हस्तियां हैं जिनकी इसी तरह की स्थितियां हैं जैसे कि बे सूज़ी, मून गा-यंग और रेड वेलवेट की जॉय। हाल ही में, मीडिया प्रतिनिधित्व में लैंगिक असमानता से लड़ने के लिए, अधिक के-नाटकों में शक्तिशाली महिला पात्रों को शामिल करना शुरू कर दिया गया है जैसे कि स्ट्रांग वुमन डू बोंग सून या सर्च: डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू। यह ठेठ 'कैंडी गर्ल' की छवि से एक बड़ा बदलाव है जिसे कई बार के-ड्रामा जैसे बॉयज ओवर फ्लावर्स में देखा गया है। 'कैंडी गर्ल' की कहानी एक अमीर आदमी की कहानी बताती है जिसे एक गरीब लेकिन आशावादी लड़की से प्यार हो जाता है। के-पॉप . में शारीरिक मानक के-पॉप उद्योग में पुरुष और महिला लिंग भूमिकाओं के बीच असमानताएं प्रचलित हैं और २००० के दशक के अंत में हॉलयू की लहर के बाद इसे उजागर किया गया है। आइडल-प्रशंसक संस्कृति के आस-पास आइडल के शरीर और प्रथाओं के संशोधन ने आइडल के यौनकरण की अनुमति दी है, जो महिलाओं के सौंदर्य मानकों पर असमान रूप से प्रतिबिंबित होती है। महिला आइडल के शरीर को उद्योग के भीतर प्रशंसकों और पेशेवरों दोनों से जांच और आपत्ति के अधीन किया गया है। महिला आइडल को 'राष्ट्रीय सामूहिक के गुण' के रूप में माना जाता है, जबकि पुरुष आइडोल्स को 'कठोर पुरुष मांसलता [जो] कोरियाई वैश्विक शक्ति का प्रतीक है' के रूप में चित्रित किया जाता है। यह मुद्दा केवल यूट्यूब और ट्विटर जैसे डिजिटल मीडिया के लोकप्रिय होने और आइडल सामग्री की उपलब्धता के साथ और बिगड़ गया है। महिला आइडल पर विशेष जोर देने के साथ, सफलता तेजी से किसी की रूप की सार्वजनिक स्वीकृति पर निर्भर करती है। २०२०में२०% युवा दक्षिण कोरियाई महिलाओं की प्लास्टिक सर्जरी हुई है, महिला आइडल पर प्रक्षेपित मानक असमानता की एक बड़ी सांस्कृतिक प्रथा और समाज के भीतर लैंगिक भूमिकाओं के बीच एक ऐतिहासिक असमानता में आते हैं। इन मानकों का एक और प्रतिबिंब महिला आइडल और '५० किलो नियम' पर लगाए गए वजन अनुरूपता की अपेक्षाओं से अनुमानित किया गया है। गायिका आईयू (ईऊ) जैसी प्रसिद्ध महिला आइडल और लड़की समूह फ(क्स) के सदस्यों ने वजन कम करने के लिए किए गए कठोर उपायों पर खुलकर चर्चा की है, जिसका पालन सभी महिला आइडल के लिए अनिवार्य माना जाता है। फ(क्स) सदस्य लूना ने दावा किया कि उसका सबसे कम वजन ४० किलो था, और उसने एक दिन में केवल तीन लीटर चाय पीने के बाद सिर्फ एक हफ्ते में ८ किलो वजन कम किया। यद्यपि सभी के-पॉप आइडल के लिए चरम डायट को आदर्श माना जाता है, हाल ही में मीडिया का ध्यान महिला आइडल वजन घटाने के निर्धारण पर खींचा गया है, खासकर जब एक कोरियाई नाटक स्टार ने टिप्पणी की कि "यदि एक महिला का वजन ५० किलोग्राम से अधिक है, तो उसे पागल होना चाहिए". २०१६ के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला है कि दक्षिण कोरिया में ३६% लड़कों की तुलना में १८ साल से कम उम्र की ७२% लड़कियों ने महसूस किया कि उन्हें अपना वजन कम करने की आवश्यकता है। डॉ यूली किम द्वारा किए गए इसी तरह के एक अध्ययन में पाया गया कि ३ में से १ दक्षिण कोरियाई महिला को खाने की बीमारी होने का अनुमान है। वर्तमान में, प्रो-एना (मतलब प्रो-एनोरेक्सिया) द्वारा चरम डायट युक्तियों को साझा करने की घटना को एक सामाजिक समस्या के रूप में उद्धृत किया गया है। लिंग आधारित हिंसा लिंग आधारित हिंसा महिलाओं और पुरुषों के बीच असमान शक्ति संबंधों की अभिव्यक्ति का परिणाम है। लिंग आधारित अपराध लिंग की असमानताओं पर निर्भर करते हैं और महिलाओं को एक अधीनस्थ स्थिति में लाने के लिए मजबूर करते हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक वैश्विक समस्या है, और यह दक्षिण कोरियाई समकालीन समाज में व्याप्त है। उदाहरण के लिए, दक्षिण कोरिया में महिलाओं की हत्या, अंतरंग साथी हिंसा और डेटिंग हिंसा का शिकार होने की सांख्यिकीय रूप से अधिक संभावना है। २०१९ में, यह अनुमान लगाया गया था कि कम से कम एक महिला को 'हर १.८ दिनों में उसके पुरुष साथी द्वारा मार दिया जाता है या लगभग मार दिया जाता है'।
ग़ुलाम अहमद फ़रोगी (१८६१-१९१९) भोपाल राज्य में अरबी और फ़ारसी भाषा के ख्याति के एक विद्वान और शायर थे। उन्होंने भोपाल के जहांगीरा स्कूल में शिक्षक और सुलेमानिया स्कूल में 'हेड मौलवी' के रूप में कार्य किया। ये दोनों स्कूल भोपाल रियासत के दौरान धनी वर्ग के छात्रों के दाखिले के लिए बहुत प्रसिद्ध थे।
अंकित बठला एक भारतीय मॉडल तथा अभिनेता है। वर्तमान में संकटमोचन महाबली हनुमान में रावण का किरदार निभा रहे हैं। १९८८ में जन्मे लोग
नीलिमा मिश्रा वर्ष २०११ की रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने पारोला तहसील के छोटे से गांव बहादरपुर से अपने सामाजिक कार्यो की शुरुआत की थी। वे बहादरपुर व धुलिया, नंदुरबार, जलगांव, नाशिक आदि जिलों में दीदी के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने ग्रामीण जमीनी स्तर के कार्यो में स्वयं को झोंक दिया। भगिनी निवेदिता ग्रामीण विज्ञान निकेतन उन्होंने ग्रामीण उद्योग व महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वर्ष २००० में भगिनी निवेदिता ग्रामीण विज्ञान निकेतन की स्थापना की। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने गाँव में बचत गुट स्थापित करना प्रारंभ किया। महिला बचत गट उन्होंने महिला रोजगार उत्थान एवं स्वावलंबन को लेकर महिला बचत गुटों की स्थापना की। उन्होंने इन बचत गुटों के माध्यम से प्रमुख रूप से कढ़ाइदार रजाइयों का निर्माण प्रारंभ कराया। उन्होंने महिला स्वयं रोजगार में बचत गुटों के माध्यम से गरीबी रेखा के नीचे या जरूरतमंद, आर्थिक दरिद्रता में जी रही महिलाओं को विभिन्न कार्यो में लगाया है। इन गुटों द्वारा स्वयं आमदनी के रूप में पैसा एकत्रित करते हुए एक करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। इसके साथ ही घर पहुंच, भोजन, डिब्बा व्यवस्था, गृह उद्योगों को बढ़ावा, दुग्ध व्यवसय, महिलाओं में सिलाई कढ़ाई कार्य, युवाओं को तकनीकी शिक्षा, कम्प्यूटर प्रशिक्षण आदी भी प्रारंभ किया गया। इसके अलावा उन्होंने शासकीय योजना, पानी रोको, पानी बचाओ के अंतर्गत गांव में अपने समूहों को प्रोत्साहित करते हुए नाला निर्माण, खेतों की मेड़ आदि निर्माण का कार्य कराया। उन्होंने किसानों को विभिन्न कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध कराया और वर्मी कंपोस्ट, देसी खाद आदि के प्रयोग लिए जागरुक बनाया। दुग्ध उत्पादन केंद्र उन्होंने दूध उत्पादन में किसानों के साथ होनेवाली परेशानियों का अध्ययन किया और दूध उत्पादकों को न्याय दिलाने के लिए एक भव्य डेयरी स्थापना की संकल्पना की है। इसके लिए उनकी संस्था ने बहादरपुर गांव के छह जरूरतमंद किसानों को दो-दो भैंसे खरीदने के लिए ऋण उपलब्ध कराया है। मैगसेसे पुरस्कार विजेता
आकृति कक्कड़ एक भारतीय गायिका हैं। फिल्म हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया के "सैटरडे सैटरडे" और २ स्टेट्स के "इस्की उसकी" उनके गाने लोकप्रिय हुए। आकृति ज़ी बांग्ला के सा रे गा मा पा: लिटिल चैंप्स में जज थीं और कलर्स (टीवी चैनल) के झलक दिखला जा में दिखाई देने वाली थीं। कक्कड़ का जन्म और पालन-पोषण दिल्ली में हुआ था। उनकी दो बहनें हैं, जुड़वां सुकृति कक्कड़ और प्रकृति कक्कड़, जो पेशेवर पार्श्व गायिका भी हैं। काकर ने मार्च २०१६ में निर्देशक चिराग अरोड़ा से शादी की। आकृति ने अपना एकल एल्बम गैर बॉलीवुड प्लेबैक एल्बम - "आकृति" रिलीज़ किया जो अप्रैल २०१० में सोनी म्यूज़िक इंडिया के तहत रिलीज़ हुई। गाने शंकर महादेवन और आकृति कक्कड़ द्वारा रचित थे। एल्बम के लिए ट्रैक सूची इस प्रकार है स्वैग वाली दुल्हन ना रे ना ना रे दिल वी दीवाना चल कहीं संगी आकृति ने माधुरी की विशेषता वाले संतोष सिंह के साथ "रिंग डायमंड दी" नामक एक गीत भी जारी किया। यह गीत उस समय विवादों में घिर गया था जब संगीत वीडियो को गर्ल्स जेनरेशन के " द बॉयज़ " और " आई गॉट ए बॉय " के साथ कथित रूप से चोरी कर लिया गया था। जन्म वर्ष अज्ञात (जीवित लोग) भारतीय महिला फिल्म गायिका
भाविक अलंकार अलंकार चन्द्रोदय के अनुसार काव्य में प्रयुक्त एक अलंकार है। साहित्य दर्पण के अनुसार बीत चुके अथवा भविष्य में होने वाले अदभुत पदार्थ का प्रत्यक्ष के समान वर्णन करने को भाविक अलंकार कहते हैं। ("अद्भुतस्य पदार्थस्य भूतस्याथ भविष्यतः। यत्प्रत्यक्षायमाणत्वं तद्भाविकमुदाहृतम्॥९३॥") उदाहरण और व्याख्या विश्वनाथ ने दो उदाहरण देकर इसकी व्याख्या की है :- "'मुनिर्जयति योगीन्द्रो महात्मा कुम्भसम्भवः। येनैकचुलुके दृ्ष्टौ दिव्यौ तौ मत्स्यकच्छपौ॥'" अर्थात मुनिरिति। योगीन्द्र महात्मा अगत्स्य मुनि उत्कर्ष के साथ रहते हैं। जिन्होंने एक अंजलि में दिव्य प्रसिद्ध मस्त्य (मत्स्यावतार) और कच्छप (कच्छपावतार) का साक्षात्कार कर लिया। यहाँ चुल्लू किए गए समुद्र में देखे गए दिव्य मत्स्य और कच्छप इन दो अदभुत पदार्थों के वर्णन विशेष से प्रत्यक्ष के समान प्रतीत होने से भाविक अलंकार है। "'आसीदञ्जनमत्रेति पश्यामि तव लोचने। भाविभूषणसम्भारां साक्षात्कुर्वे तवाकृतिम्॥'" अर्थात आसीदिति। हे कन्ये! तुम्हारे इन नयनों में काजल था ऐसा विचार कर तुम्हारे नयनों को देखता हूँ। पीछे होने वाले अलंकार से युक्त तुम्हारी आकृति को प्रत्यक्ष कर रहा हूँ। इस प्रसंग में पूर्वार्द्ध में लगाए गए काजल का 'पश्यामि' कहकर और उत्तरार्द्ध में पीछे होने वाले भूषण समूह का 'साक्षात्कुर्वे' प्रत्यक्ष कर रहा हूँ, कहकर वर्तमान काल के निर्देश से प्रत्यक्ष के समान आचरण करने से भाविक अलंकार हुआ है। भामह अन्य अलंकारों को वाक्योलंकार मानते हैं किन्तु भाविक को प्रबंध का गुण मानते हैं।
साहेबपुर-चतुर्भुजपुर पानदारक, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है। पटना जिला के गाँव
() ब्राज़ील के आमेज़ोनास राज्य का शहर है। इसकी जनसंख्या २३.७८५ लोग थी। ब्राज़ील के शहर
पोंटा ग्रोसा () एक ब्राज़ीलियाई शहर है। इसकी जनसंख्या ३५८.३६७ लोग थी और पाराना राज्य में चौथा सबसे बड़ा शहर है। ब्राज़ील के शहर
पक्षधर हिंदी की एक पत्रिका है। हिंदी जनक्षेत्र के साहित्यिक और सांस्कृतिक निर्माण में रचनात्मक योगदान इस पत्रिका का लक्ष्य है। इसका पहला अंक सन् १९७५ में निकला था। प्रसिद्ध कथाकार दूधनाथ सिंह इसके संपादक थे | देश में आपातकाल लागू हो जाने से यह पत्रिका अपने पहले अंक के साथ ही बंद हो गयी। सन् २००७ से विनोद तिवारी के संपादन में इसका पुनः प्रकाशन हो रहा है। पत्रिका का वेब पता है :
खरहादृष्ट या लेपोरिडे (अंग्रेज़ी:लेपोरिडे) खरगोशों और खरहाओं का कुल हैं, जिसमें सब मिलाकर अविलुप्त स्तनधारियों की ६० से अधिक जातियाँ हैं। लातिन शब्द लेपोरिडे का अर्थ है "वे जो लेपस ((लेपुस) अर्थात् खरहा) से मेल खाते हैं"। पिकाओं के साथ, खरहादृष्ट स्तानधारीय गण खरहारूपी को निर्मित करते हैं। खरहादृष्ट पिकाओं से इन मामलों में भिन्न होते हैं कि उनके पास छोटी, फरी पूँछे और दीर्घिभूत कान और पिछले पैर होते हैं।
मुन्योली, अल्मोडा तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा मुन्योली, अल्मोडा तहसील मुन्योली, अल्मोडा तहसील
वैनिटी प्रेस या वैनिटी प्रकाशक एक ऐसे प्रकाशन घर को कहते हैं जिसमें पुस्तकें प्रकाशित करवाने के लिए लेखक को पैसे देने पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त, वैनिटी प्रकाशकों के पास कोई चयन मापदंड नहीं होता है।
शुकुलपुर फूलपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। इलाहाबाद जिला के गाँव
महतगांव, डीडीहाट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा महतगांव, डीडीहाट तहसील महतगांव, डीडीहाट तहसील
वीरपुर हरिहरपुर अमृतपुर, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। फर्रुखाबाद जिला के गाँव
द मिचल्स वर्सेस द मशीन्स () एक अमेरिकी ३डी कंप्यूटर-एनिमेटेड कॉमेडी फिल्म है, जिसका उत्पादन सोनी पिक्चर्स एनिमेशन ने किया है। इसका निर्देशन माइक रिआंडा ने किया है। अब्बी जैकबसन - केटी मिशेल डैनी मैकब्राइड - रिक मिशेल माया रूडोल्फ - लिंडा मिशेल माइक रिआंडा - हारून मिशेल एरिक आंद्रे - डॉक्टर मार्क बोमन ओलिविया कोलमैन - पीएली फ़्रेड आर्मीसेना - दबोराहबोट ५००० बेक बेनेट - एरिक क्रिसी तेगेन - हैली पोसी जॉन लीजेंड - जिम पोसे चार्लीन यी - अभय पोसी ब्लेक ग्रिफिन - पीएली मैक्स प्राइम कॉनन ओ'ब्रायन - ग्लैक्सन ५००० डौग द पग - मोन्चि २०२१ की फ़िल्में
रणजीत सीताराम पण्डित (१८९३ - १४ जनवरी १९४४) भारत के राजकोट से भारतीय बैरिस्टर, कांग्रेसी, भाषाविद और विद्वान थे। उन्हें भारतीय असहयोग आंदोलन में अपनी भूमिका और संस्कृत ग्रंथों मुद्राराक्षस, ऋतुसंहार और कल्हण की राजतरंगिणी का अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए के लिए जाना जाता है। वह विजय लक्ष्मी पण्डित के पति, मोतीलाल नेहरू के दामाद, जवाहरलाल नेहरू के बहनोई और नयनतारा सहगल के पिता थे। रणजीत का जन्म १८९३ में राजकोट में समृद्ध ब्राह्मण परिवार में हुआ था। १९२६ तक वह कलकत्ता में एक बैरिस्टर थे। १० मई १९२१ को उन्होंने विजय लक्ष्मी पण्डित से १८५७ के विद्रोह की सालगिरह पर शादी की। उनकी पहली बेटी वत्सला का नौ महीने की उम्र में निधन हो गया। इसके बाद उनकी तीन बेटियाँ हुई; चंद्रलेखा मेहता, नयनतारा सहगल और रीता डार, जिनका जन्म क्रमशः १९२४, १९२७ और १९२९ में हुआ। राजकोट में अपने परिवार की इच्छाओं के खिलाफ, वह सत्याग्रही बन गए और महात्मा गांधी और मोतीलाल नेहरू के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। बाद में, उन्हें आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के विधान सभा का सदस्य (एमएलए) नियुक्त किया गया। उन्हें कई बार जेल की सजा दी गई, जिनमें जवाहरलाल नेहरू के साथ दो जेल की सजाएँ, १९३१ में नैनी सेंट्रल जेल और एक अन्य देहरादून में शामिल थी। जेल में रहते हुए, रणजीत ने कल्हण की राजतरंगिणी का अंग्रेजी में अनुवाद किया, जो कश्मीर के राजाओं का १२ वीं शताब्दी का संस्कृत में लिखा गया इतिहास है। उन्होंने संस्कृत से अंग्रेजी में, मुद्राराक्षस और ऋतुसंहार का अनुवाद पूरा किया। १९४४ में अंग्रेजों द्वारा उनके चौथे कारावास से रिहा होने के तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो गई। १८९३ में जन्मे लोग १९४४ में निधन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ
डॉ॰ संजय जयसवाल भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में इन्होंने बिहार की पश्चिम चम्पारण सीट से भारतीय जनता पार्टी की ओर से भाग लिया। भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर सांसदों के बारे में संक्षिप्त जानकारी १६वीं लोक सभा के सदस्य बिहार के सांसद भारतीय जनता पार्टी के सांसद
२०६ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग बामनबोर को पोरबंदर से जोड़ता है। इसका रूट बामनबोर - राजकोट पोरबंदर है। भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग (पुराने संख्यांक)
ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ , फ़्रांसीसी क्रांति के पहले और दौरान पेरिस और लंदन की पृष्ठभूमि में रचित (१८५९) चार्ल्स डिकेन्स द्वारा लिखित उपन्यास है। इसकी २०० मिलियन से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं, यह सबसे अधिक मुद्रित मूल अंग्रेज़ी पुस्तक है और उपन्यास विधा की सबसे प्रसिद्ध कृति. उपन्यास में फ़्रेंच अभिजात्य वर्ग से हतोत्साहित फ़्रांस के कृषकों की दशा जिसके कारण क्रांति ने जन्म लिया, क्रांति के शुरुआती वर्षों में क्रांतिकारियों द्वारा पूर्व अभिजात्य वर्ग के प्रति क्रूरता और उसी अवधि के दौरान लंदन में जीवन की अनेक विषम सामाजिक समानताएं वर्णित हैं। उपन्यास इन घटनाओं के माध्यम से कई नायकों के जीवन का अनुसरण करता है, विशेषकर कभी अभिजात्य वर्ग के रह चुके एक फ़्रांसीसी चार्ल्स डारने के जो अपने भले स्वभाव के बावजूद क्रांतिकारियों के अंधाधुंध क्रोध का शिकार होता है और सिडनी कार्टन, एक व्यस्त ब्रिटिश बैरिस्टर जो डारने की पत्नी, लूसी मैनेट से एकतरफ़ा प्यार करके अपने व्यर्थ गंवाए हुए जीवन को सुधारने का प्रयास करता है। उपन्यास साप्ताहिक किश्तों (उनके अधिकांश अन्य उपन्यासों के विपरीत मासिक में नहीं) में प्रकाशित हुआ था। पहली किस्त ३० अप्रैल १८५९ को डिकेन्स के साहित्यिक आवधिक एल थे ईयर राउंड के पहले अंक में जारी हुई, इकतीसवीं और अंतिम उसी साल २५ नवम्बर को जारी हुई। उपन्यास की पहली पुस्तक वर्ष १७७५ में घटित होती है। जार्विस लॉरी, बैंक टेलसन का एक कर्मचारी डॉ॰ एलेक्सेंडर मैनेट को लंदन लाने के लिए इंग्लैंड से फ़्रांस की यात्रा कर रहा है फ़्रांस में प्रवेश से पहले, वह डॉवर में सत्रह वर्षीय लूसी मैनेट से मिलता है और उसे बताता है कि उसके पिता डॉ॰ मैनेट मरे नहीं है, जैसा कि उसे बताया गया था बल्कि वह पिछले १८ सालों से बैस्टिली में बंदी हैं। लॉरी और लूसी पेरिस के एक उपनगर, सेंट एन्टॉइन को जाते हैं और मस्यूर अर्नेस्ट और मैडम थिरेस डिफ़ार्गे से मिलते हैं। डिफ़ार्गे परिवार एक शराब की दुकान चलाते हैं जिसे वे चोरी से क्रांतिकारियों के एक बैंड का नेतृत्व करने के लिए इसेतमाल करते हैं जो एक दूसरे को "जैक्स" (जो डिकेन्स ने एक वास्तविक फ़्रेंच क्रांतिकारी समूह जैकेरी के नाम से लिया है) के कूटनाम से संबोधित करते हैं। मस्यूर डिफ़ार्गे (जो मैनेट कारावास से पहले डॉ॰ मैनेट के नौकर थे और अब उसकी देखभाल करते हैं) उन्हें डॉक्टर को दिखाने के लिए ले जाते हैं। लंबे समय के कारावास के कारण डॉ॰ मैनेट ऐसी मनोविकृति का शिकार हो गया है जिससे उस पर जूते बनाने का जुनून सवार हो जाता है, यह हुनर उसने कैद में सीखा था। पहले पहल, वह अपनी बेटी को नहीं पहचानता फिर अंततः वह उसके लंबे सुनहरे बालों की तुलना उसकी माँ (जो वह अपनी आस्तीन पर पाता है जब उसे बंदी बनाया गया था) से करता है और उसके जैसी, आँखों का नीला रंग देखता है। लॉरी और लूसी तब उसे इंग्लैंड वापस ले जाते हैं। पांच साल बाद, फ़्रेंच उत्प्रवासी चार्ल्स डारने पर ओल्ड बेली में राजद्रोह के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है। दो ब्रिटिश जासूस, जॉन बरसाड और रॉजर क्लाइ, अपने स्वयं के लाभ के लिए निर्दोष डारने को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका दावा है कि डारने, एक फ़्रांसीसी ने उत्तरी अमेरिका में ब्रिटिश सैनिकों के बारे में फ़्रांस को जानकारी दी। डारने तब बरी हो जाता है जब एक गवाह जिसका दावा था कि वह डारने को पहचान सकता है किन्तु अदालत में मौजूद बैरिस्टर (डारने के पक्ष वाला नहीं), सिडनी कार्टन जो संयोग से उस जैसा ही दिखता है उसमें और डारने में अंतर नहीं कर सकता. पेरिस में, मारकिस सेंट एवरमॉन्ड (मॉसेन्यूर), डारने का चाचा, एक किसान गैस्पर्ड के बेटे को कुचलकर मार देता है और क्षतिपूर्ति के रूप में गैस्पर्ड की ओर एक सिक्का उछाल देता है। मस्यूर डिफ़ार्गे गैस्पर्ड को दिलासा देता है। जब मारकिस की बग्घी आगे बढ़ जाती है तो डिफ़ार्गे सिक्का वापस बग्घी में फेंक देता है जिससे मारकिस को क्रोध आ जाता है। अपने महलपहुँचकर मारकिस अपने भतीजे:चार्ल्स डारनेसे मिलता है। (डारने का वास्तविक उपनाम एवरमॉन्ड है, अपने परिवार से घृणा करने के कारण, डारने अपनी माँ का मायके का नाम डी'ऑल्नैस रख लेता है।) उनका तर्क है: डारने को कृषकों से सहानुभूति है जबकि मारकिस क्रूर और बेरहम है: "दमन ही एकमात्र स्थायी दर्शन है। "डर और गुलामी का काला सम्मान, मेरे दोस्त," मारकिस कहता है, "कुत्ते को तबतक कोड़े के अधीन रखेगा जबतक इस छत से" ऊपर की ओर देखते हुए, "आकाश दिखाई नहीं देता." उस रात, गैस्पर्ड (जो बग्घी के नीचे लटककर मारकिस का पीछा करते हुए उसके महल पहुँच जाता है) सोते हुए मारकिस की हत्या कर देता है। पीछे एक पुर्जा छोड़ देता है कि, "इसे जल्दी से इसकी कब्र तक ले जाओ. यह जैक्स की ओर से है।" लंदन में, लूसी से शादी करने के लिए डारने को डॉ॰ मैनेट की अनुमति मिल जाती है। लेकिन कार्टन भी लूसी के प्रति अपना प्यार कबूल करता है। यह जानते हुए कि वह उसे प्यार नहीं करती, कार्टन "तुम्हारे लिए और तुम्हें प्रिय लोगों के लिए हर कुर्बानी देने का" वादा करता है। शादी की सुबह, डॉ॰ मैनेट के अनुरोध पर डारने अपने परिवार के बारे में बताता है, जो बात उसने अब तक छुपा रखी थी। इससे डॉ॰ मैनेट पागल हो जाता है और उस पर फिर से जूते बनाने का भूत सवार हो जाता है। लूसी की हनीमून से वापसी से पहले उसका दिमागी संतुलन ठीक हो जाता है लॉरी उसका जूते बनाने वाला वह बेंच नष्ट कर देता है जो डॉ॰ मैनेट अपने साथ पेरिस से लाया था ताकि उस पर दोबारा दौरा न पड़े. १४ जुलाई १७८९ है। डिफ़ार्गे परिवार बैस्टिली पर धावा बोलने में मदद करता है। डिफ़ार्गे डॉ॰ मैनेट की पुरानी कोठरी, "एक सौ पांच, उत्तरी टॉवर" में प्रवेश करता है। पाठक को पुस्तक ३, अध्याय ९ तक पता नहीं चलता कि मस्यूर डिफ़ार्गे को किसकी तलाश है। (यह एक बयान है जिसमें डॉ॰ मैनेट बताता है कि उसे क्यों कैद किया गया था।) १७९२ की गर्मियों में, एक पत्र है टेलसन बैंक पहुंचता है। श्री लॉरी, जो टेलसन की फ़्रेंच शाखा को बचाने के लिए पेरिस जाने की योजना बना रहे हैं, घोषणा करते हैं कि पत्र एवरमॉन्ड को संबोधित है। कोई नहीं जानता कि एवरमॉन्ड कौन है क्योंकि डारने ने इंग्लैंड में अपना असली नाम गुप्त रखा हुआ है। डारने यह कहकर पत्र ले लेता है कि एवरमॉन्ड उसका परिचित है। वह पत्र पूर्व मारकिस के एक नौकर गैबेल द्वारा भेजा गया होता है। गैबेल को कैद कर दिया गया है और वह नए मारकिस को उसकी सहायता करने के लिए आने का अनुरोध करता है। डारने, जो स्वंय को दोषी मानता है, गैबेल की मदद करने के लिए पेरिस रवाना हो जाता है। फ़्रांस में डारने पर फ़्रांस त्यागकर जाने का आरोप लगता है और पेरिस में ला फ़ोर्स जेल में कैद कर लिया जाता है। डॉ॰ मैनेट और लूसी मिस प्रॉस, जेरी क्रंचर और चार्ल्स व लूसी डारने की बेटी "लिटल लूसी" के साथ-पेरिस आते हैं और डारने को स्वतंत्र कराने के प्रयास में श्री लॉरी से मिलते हैं। एक साल और तीन महीने बीतने के बाद अंततः डारने पर मुकदमा चलाया जाता है। डॉ॰ मैनेट, जिसे बंदी बनाए जाने के कारण बदनाम बैस्टिली में नायक के रूप में देखा जा रहा है उसे रिहा करवाने में सफल हो जाता है। लेकिन उसी शाम डारने को फिर गिरफ़्तार कर लिया जाता है और डिफ़ार्गे परिवार और एक "किसी अज्ञात" द्वारा लगाए नए आरोपों के कारण अगले दिन फिर से मुकदमा चलाया जाता है। हमें जल्द ही उसके बयान की गवाही से पता चलता है कि यह दूसरा डॉ॰ मैनेट है ([उसकी] कैद के दसवें वर्ष के आखिरी महीने में बैस्टिली में लिखा गया उसके अपने कारावास का बयान"), मैनेट नहीं जानता कि उसका बयान मिल गया है और जब उसके शब्दों को डारने की निंदा करने के लिए प्रयोग किया जाता है तो वह घबरा जाता है। किसी काम पर, मिस प्रॉस अपने गुमशुदा भाई सॉलॉमन प्रॉस को देखकर चकित हो जाती है लेकिन प्रॉस नहीं चाहता कि उसे पहचाना जाए. अचानक सिडनी कार्टन प्रकट होता है (अंधेरे में से निकलते हुए जैसे वह लंदन में डारने के पहले मुकदमे के बाद आता है) और सॉलॉमन प्रॉस को जॉन बरसाड के रूप में पहचानता है, उन लोगों में से एक जिन्होंने लंदन में पहले मुकदमे में डारने को राजद्रोह के लिए फासंने की कोशिश थी। कार्टन धमकी देता है कि वह सॉलॉमन की शिनाख्त अपनी सुविधानुसार फ़्रांस या ब्रिटेन के लिए जासूसी करने वाले एक अंग्रेज़ और मौक़ापरस्त के रूप में कर देगा। अगर यह बता दिया गया तो सॉलॉमन को निश्चित रूप से मार दिया जाएगा, इस तरह कार्टन का पलड़ा भारी है। अधिकरण में डारने का सामना मस्यूर डिफ़ार्गे से होता है जो मारकिस सेंट एवरमॉन्ड के रूप में डारने की पहचान करता है और बैस्टिली में अपने कक्ष में छिपाए हुए डॉ॰ मैनेट के पत्र पढ़ता है। डिफ़ार्गे एवरमॉन्ड के रूप में डारने की पहचान कर सकता है क्योंकि पुस्तक २, अध्याय १६ में डिफ़ार्गे परिवार की शराब की दुकान पर जब बरसाड जानकारी इकट्ठी कर रहा था तो बरसाड ने उसे डारने की पहचान बतायी थी। पत्र में वर्णन किया गया है कि किस तरह एक किसान परिवार के खिलाफ़ उनके अपराधों की रिपोर्ट की कोशिश करने के लिए मृतक मारकिस एवरमॉन्ड (डारने के पिता) और उसके स्वंय के जुड़वां भाई (पुस्तक में शुरू में जिसके पास मारकिस का खिताब होता है और डारने के चाचा गैस्पर्ड के हाथों जिसकी मौत होती है) द्वारा डॉ॰ मैनेट को बैस्टिली में बंद कर दिया गया था। छोटा भाई एक लड़की पर मुग्ध हो गया था। उसने उसका अपहरण किया, उसके साथ बलात्कार किया और उसके पति को मार दिया, जिसकी खबर मिलने पर उसके पिता की मृत्यु हो गई और उसके सम्मान की रक्षा की लड़ाई में उसका भाई मारा गया। जिस किसान स्त्री का बलात्कार हुआ था उसके भाई ने मरने से पहले परिवार के अंतिम सदस्य, अपनी छोटी बहन को, "कहीं सुरक्षित" छिपा दिया था। लेख के अंत में एवरमॉन्ड परिवार, "उनकी और उनके वंशज, नस्ल के अंतिम व्यक्ति" की निंदा की गई है। डॉ॰ मैनेट भयभीत हो उठता है लेकिन उसके विरोध की उपेक्षा कर दी जाती है-उसे अपनी निंदा वापस लेने की अनुमति नहीं है। डारने को कॉनसेरजरी भेज दिया जाता है और अगले दिन गिलोटिन की सज़ा सुना दी जाती है। कार्टन डिफ़ार्गे परिवार की शराब की दुकान में चला जाता है जहां वह डारने के बाकी के परिवार (लूसी और "लिटल लूसी") को प्रताड़ित करने की मैडम डिफ़ार्गे की योजनाओं के बारे में सुन लेता है। कार्टन को पता चलता है कि मैडम डिफ़ार्गे उस किसान परिवार की जीवित बची बहन थी जिसे एवरमॉन्ड परिवार ने नष्ट किया था। कथानक की एकमात्र जानकारी जिससे मैडम डिफ़ार्गे के लिए कोई सहानुभूति उत्पन्न हो सकती है वह है कि उसका परिवार खो चुका है और कि उसका कोई (पारिवारिक) नाम नहीं है। "डिफ़ार्गे" उसकी शादी के बाद का नाम है और डॉ॰ मैनेट को उसके परिवार का नाम नहीं पता चल पाता यद्यपि वह उसकी मर रही बहन से पूछता है। जब डॉ॰ मैनेट रात भर चार्ल्स को बचाने के विफल प्रयासों से हताश होकर अगली सुबह लौटता है तो उस पर जूते बनाने का पागलपन फिर सवार हो जाता है। कार्टन लॉरी को लूसी, उसके पिता और "लिटल लूसी" के साथ पेरिस से पलायन करने का आग्रह करता है। उसी सुबह कार्टन जेल में डारने से मुलाकात करता है। कार्टन डारने को दवा से बेहोश कर देता है और बरसाड (जिसे कार्टन ब्लैकमेल कर रहा है) डारने को जेल से बाहर लाता है। कार्टन- जो इतना ज़्यादा डारने के समान दिखता है कि इंग्लैंड में डारने के मुकदमे में एक गवाह उनमें अंतर नहीं बता सकता-डारने होने का नाटक करने का और उसके स्थान पर मरने का फ़ैसला करता है। ऐसा वह लूसी के प्यार की खातिर, उसे पहले दिए गए अपने वादे को याद करके करता है। कार्टन के पहले निर्देशों का पालन करते हुए डारने का परिवार और लॉरी बग्घी में एक बेहोश आदमी जिसके पास पहचान पत्र कार्टन के हैं लेकिन वास्तव में डारने है, के साथ पेरिस और फ़्रांस से पलायन कर जाते हैं। इस बीच मैडम डिफ़ार्गे, एक पिस्तौल से लैस, लूसी परिवार के निवास पर उन्हें डारने के लिए शोक करते हुए पकड़ने की उम्मीद में जाती है (क्योंकि गणतंत्र के शत्रु के साथ सहानुभूति या उसके लिए शोक करना गैरकानूनी था) लेकिन लूसी, उसका बच्चा, डॉ॰ मैनेट और श्री लॉरी पहले से ही जा चुके हैं। उन्हें बचाव का समय देने के लिए, मिस प्रॉस मैडम डिफ़ार्गे से भिड़ जाती है और उनमें संघर्ष होता है। प्रॉस केवल अंग्रेज़ी और डिफ़ार्गे केवल फ़्रेंच ही बोलती है, इसलिए कोई भी एक दूसरे की बात नहीं समझ सकता. लड़ाई में, मैडम डिफ़ार्गे की पिस्तौल चल जाती है, उसकी मौत हो जाती है; शॉट के शोर और मैडम डिफ़ार्गे की मौत के सदमे के कारण मिस प्रॉस स्थायी रूप से बहरी हो जाती है। उपन्यास सिडनी कार्टन को गिलोटीन करने के साथ समाप्त होता है। कार्टन के अंतिम विचार भविष्यवाणी करते हैं: कार्टन को दिखाई दे जाता है कि डिफ़ार्गे, बरसाड और द वेन्जेंस (मैडम डिफ़ार्गे का एक लेफ्टिनेंट) सहित कई क्रांतिकारियों को खुद को गिलोटिन करने के लिए भेजा जाएगा और कि डारने और लूसी का एक बेटा होगा जिसका नाम वे कार्टन के नाम पर रखेंगे: बेटा जो कि कार्टन द्वारा अधूरे छोड़े गए सभी वादे पूरा करेगा. पुस्तक की शुरुआत में लूसी और डारने का पहला बेटा पैदा होता है और एक ही पैरा के भीतर मर जाता है। यह संभावना है कि यह पहला बेटा उपन्यास में इसलिए आता है ताकि कार्टन के नाम वाला उनका दूसरा बेटा एक और तरीके का प्रतिनिधित्व कर सके जिसमें अपने बलिदान के माध्यम से कार्टन लूसी और डारने को पुनर्स्थापित करता है। ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ चार्ल्स डिकेन्स के मात्र दो ऐतिहासिक उपन्यासों में से एक है (दूसरा बार्नबी रज है). चार्ल्स डिकेन्स के एक विशिष्ट उपन्यास की तुलना में इसमें कम पात्र और उप-कथानक हैं। लेखक का प्राथमिक ऐतिहासिक स्रोतथे फ्रेंच रिवॉल्यूशन: आ हिस्ट्री थॉमस कार्लाइल द्वारा था: टेल की प्रस्तावना में चार्ल्स डिकेन्स ने लिखा कि "कोई श्री कार्लाइल की अद्भुत पुस्तक के दर्शन में कुछ भी जोड़ने की आशा नहीं कर सकता" कार्लाइल का विचार कि इतिहास विनाश और पुनर्जीवन के चक्र से गुज़रता है, ने उपन्यास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला, सिडनी कार्टन के जीवन और मृत्यु द्वारा विशेष रूप से अच्छी तरह से चित्रित किया गया है। डिकेन्स अंग्रेज़ी बोलने में असमर्थ पात्रों के लिए फ़्रांसीसी मुहावरों के शाब्दिक अनुवाद का उपयोग करते हैं जैसे, "उस गैली में तुम क्या करते हो?!!" और "मेरे पति कहां है? --- यहाँ आप मुझे देखते हैं।" उपन्यास के पेंगुइन क्लासिक्स संस्करण में नोट दिया गया है कि "सभी पाठकों ने प्रयोग को कामयाब नहीं माना है।" डिकेन्स अपने हास्य के लिए विख्यात हैं लेकिन ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ उनकी सबसे कम हास्यकारक पुस्तक है। बहरहाल, जेरी क्रंचर, मिस प्रॉस और श्री स्ट्राइवर कॉमेडी प्रदान करते हैं। विभिन्न दृष्टिकोणों को दर्शाने के लिए डिकेन्स पुस्तक में व्यंग्य का उपयोग हास्य के रूप में करते हैं। पुस्तक दुखद परिस्थितियों से भरी है इसलिए इसमें डिकेन्स के हास्य के लिए ज़्यादा जगह नहीं है। "जीवन को वापसी" डिकेन्स के इंग्लैंड में, पुनर्जीवन निश्चित रूप से सदैव एक ईसाई सन्दर्भ में होता है। मोटे तौर पर, सिडनी कार्टन की आत्मा उपन्यास के अंत में पुनर्जीवित की जाती है (चूंकि यह एक विडंबना है कि वह भी डारने को बचाने के लिए अपने भौतिक जीवन का त्याग करता है-जैसे कि ईसाई विश्वास के अनुसार मसीह ने सब लोगों के पापों के लिए मृत्यु को गले लगाया.) और अधिक साकार रूप से, "पहली पुस्तक" डॉ॰ मैनेट की क़ैद में जीवित मौत से लेकर पुनर्जन्म से संबंधित है। पुनर्जीवन पहली बार तब प्रकट होता है जब श्री लॉरी जेरी क्रंचर के संदेश का उत्तर "जीवन को वापसी" शब्दों के साथ देते हैं। श्री लॉरी की डॉवर को बग्घी की सवारी के दौरान भी पुनर्जीवन प्रकट होता है, जब वह लगातार डॉ॰ मैनेट के साथ परिकल्पित बातचीत पर मनन करता है: ("दफ़न कब से?" "लगभग अठारह वर्ष." ... "आपको पता है कि आपको जीवन स्मरण कर रहा है?" "वे मुझसे ऐसा कहते हैं।") उनका मानना है कि वह डॉ॰ मैनेट की पुनर्जीवित होने में मदद कर रहे हैं और वह कल्पना करते हैं कि वह खुद "खुदाई" करके डॉ॰ मैनेट को कब्र से निकाल रहे हैं। पुनर्जीवन उपन्यास का मुख्य विषय है। पुनर्जीवन को एक विषय-वस्तु के रूप में पहले पहल डॉ॰ मैनेट के बारे में जार्विस लॉरी के विचारों में देखा जाता है। यही अंतिम विषय-वस्तु भी है: कार्टन का बलिदान. डिकेन्स मूलतः पूरे उपन्यास को रीकॉल्ड टू लाइफ़ का नाम देना चाहते थे। (लेकिन यह उपन्यास की पहली तीन "पुस्तकों" का शीर्षक बन गया।) जेरी भी इस आवर्ती विषय-वस्तु का हिस्सा है: वह स्वंय मृत्यु और पुनर्जीवन में इस तरीके से शामिल है कि पाठक को अभी तक पता नहीं चलता. इसका पहला पूर्वाभास उसकी अपने लिए की गई टिप्पणी में मिलता है: "जेरी, अगर जीवन को वापसी का फैशन चल निकला तो तुम्हारी तो चांदी हो जाएगी!" इस बयान का मलिन हास्य बहुत बाद में स्पष्ट होता है। पांच साल बाद, एक अंधेरी और बादलों भरी रात (जून १७८० में), श्री लॉरी जेरी से यह कहकर कि "यह बहुत-कुछ ...मृतकों को कब्र से बाहर लाने की रात है," रहस्यात्मकता में पाठक की रुचि को पुनर्जागृत करते हैं। जेरी दृढ़ता से जवाब देता है कि उसने रात को कभी ऐसा करते नहीं देखा है। पता लगता है कि पुनर्जीवन की विषय-वस्तु के साथ जेरी क्रंचर की भागीदारी यही है कि वह विक्टोरियन भाषा में कहा जाने वाला "पुनर्जीवन देने वाला मनुष्य" है, वह जो चिकित्सा से जुड़े लोगों को बेचने के लिए (अवैध रूप से) शवों को खोद निकालता है (उस समय अध्ययन करने के लिए शवों की खरीद-फ़रोख्त का कोई कानूनी रास्ता नहीं था). निस्संदेह, पुनर्जीवन का विलोम मृत्यु है। मृत्यु और पुनर्जीवन उपन्यास में अक्सर दिखाई देते हैं। डिकेन्स इस बात से रुष्ट हैं कि फ़्रांस और इंग्लैंड में अदालतें तुच्छ अपराधों के लिए मौत की सज़ा दे देती हैं। फ़्रांस में किसी कुलीन की झक पर बिना कोई मुकदमा किए किसानों को मौत के घाट तक उतार दिया जाता है। मारकिस सहर्ष डारने से कहता है कि "अगले कमरे में (मेरे बेडरूम में), एक आदमी को... उसकी बेटी से किसी स्वादिष्ट भोजन के बारे में गुस्ताखी से बात करने के लिए - उसकी बेटी के सम्मान में स्थल पर ही छुरा भोंक दिया गया था।" मज़े की बात है, मिस प्रॉस और श्री लॉरी द्वारा डॉ॰ मैनेट के जूता बनाने वाले बेंच को नष्ट किए जाने को "शरीर जलाने" के रूप में वर्णित किया गया है। यह स्पष्ट लगता है कि यह एक दुर्लभ मामला है जहां मृत्यु या विनाश (पुनर्जीवन के विपरीत) का सकारात्मक अर्थ है क्योंकि "जलना" डॉक्टर को उसके लंबे कारावास की स्मृति से मुक्त करने में मदद करता है। लेकिन दयालु और औपचारिक कार्य का इस तरह डिकेन्स का वर्णन बहुत सच्चे मन को विनाश और गोपनीयताइतनी खलती है कि अपना काम करते हुए और इसके निशान मिटाने में लगे श्री लॉरी और मिस प्रॉस को ऐसा महसूस होता है और वे ऐसे प्रतीत होते हैं मानो किसी अपराध में संलिप्त हों. सिडनी कार्टन की शहादत उसे अतीत में किए गए उसके सभी गलत कामों से मुक्त करती है। अपने जीवन के अंतिम कुछ दिनों के दौरान मसीह के राहत देने वाले शब्दों, "मैं पुनर्जीवन और जीवन हूँ" को दोहराते हुए वह भगवान को भी ढूँढता है। पुनर्जीवन उपन्यास के अंतिम भाग की प्रमुख विषय-वस्तु है। डारने को अंतिम क्षण में बचा लिया जाता है और जीवन के लिए वापस बुला लिया जाता है, कार्टन अपने जीवन से बेहतर जीवन के स्थान पर मौत और पुनर्जीवन को चुनता है: "वह बेहद शांत आदमी का चेहरा था।.. वह उदात्त और देव समान दिख रहा था". व्यापक अर्थ में, उपन्यास के अंत में डिकेन्स को फ़्रांस में पुराने की राख से एक पुनर्जीवित सामाजिक व्यवस्था की उम्मीद दिखती है। अनेक ठेठ युनियन परंपरा वाले हैंस बीडरमन से सहमत होंगे जो लिखता है कि जल "अचेतन की समस्त ऊर्जा का बुनियादी प्रतीक है-वह ऊर्जा जो अपनी उचित सीमा लांघ जाने पर खतरनाक भी हो सकती है (अक्सर आने वाला सपने का अनुक्रम)." यह प्रतीकवाद डिकेन्स के उपन्यास को रास आता हैः ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ में अक्सर जल का बिम्ब किसानों की भीड़ के बढ़ते क्रोध का प्रतीक है, ऐसा क्रोध जिससे कुछ हद तक डिकेन्स सहानुभूति रखते हैं लेकिन अंततः इसे तर्कहीन और पाशविक भी मानते हैं। पुस्तक के प्रारंभ में डिकेन्स यह लिखकर यही बताते हैं,"समुद्र ने वही किया जो उसे पसंद है और उसे विनाश पसंद था।" यहाँ समुद्र भीड़ या क्रांतिकारियों के आने का प्रतिनिधित्व करता है। जब गैस्पर्ड मारकिस की हत्या कर देता है, उसे "वहां चालीस फुट की ऊंचाई पर फांसी पर लटकाया जाता है-और लटकता छोड़ दिया जाता है, जल को विषाक्त करते हुए." कुएं की विषाक्तता गैस्पर्ड के वध से किसानों की सामूहिक भावना पर पड़े कटु प्रभाव का प्रतिनिधित्व करती है। गैस्पर्ड की मृत्यु के बाद, बैस्टिली पर धावे का नेतृत्व (कम से कम सेंट एन्टॉइन के इलाके से) डिफ़ार्गे परिवार द्वारा किया जाता है, "चूंकि उबलते पानी के भँवर का केंद्र बिंदु होता है इसलिए यह सब प्रकोप डिफ़ार्गे की शराब की दुकान के चारों ओर परिक्रमा करता है और भंवर की ओर खिंचने की प्रवृत्ति कड़ाही की हर मानवी बूंद में थी।.." भीड़ की एक समुद्र के रूप में कल्पना की गई है। "ऐसी गर्जन के साथ जिससे लगे मानो कि फ़्रांस की समस्त सांस ने एक घिनौने शब्द [शब्द बैस्टिली ] का रूप ले लिया हो, सजीव समुद्र में लहर पर लहर, गहराई पर गहराई का उफ़ान आया और शहर को जलमग्न कर गया।.." डारने के जेलर को "भद्दे ढ़ंग से फूले चेहरे और शरीर वाला आदमी जो मानो डूब गया हो और पानी से भर गया हो" के रूप में वर्णित किया गया है। बाद में, आतंक के शासनकाल के दौरान, क्रांति "इतना अधिक उत्पाती और विचलित हो गई ... कि दक्षिण की नदियां रात में हिंसक तरीके से डुबाए हुए के शवों से भर गई।.." बाद में एक भीड़ "बढ़ रही है और पास की गलियों में बह निकली है।.. कैर्मनयोला हर एक को अपने में लवलीन कर उन्हें दूर उड़ा ले जाता है।" मिस प्रॉस के साथ लड़ाई के दौरान मैडम डिफ़ार्गे उसके साथ इस तरह चिपक जाती है जो "एक डूबती हुई महिला की पकड़ से अधिक" है। उपन्यास पर टिप्पणीकारों ने उस विडंबना पर ध्यान दिया है कि मैडम डिफ़ार्गे अपनी ही बंदूक से मारी जाती है और शायद उपर्युक्त कथन से डिकेन्स संकेत करते हैं कि मैडम डिफ़ार्गे जैसी शातिर प्रतिशोध की भावना अंततः अपने शिकारियों को भी नष्ट कर देगी. अनेक ने उपन्यास को फ्रायड की रोशनी में पढ़ा (ब्रिटिश) अहम और फिर भी कार्टन अपनी अंतिम चाल में एक बवंडर देखता है जो "बेमतलब घूमता रहा जब तक धारा इसे अवशोषित कर समुद्र में नहीं ले गई"-उसकी संतृप्ति भले ही काम और अहम से चालित हो किन्तु अवचेतन के साथ एक उन्मादपूर्ण मिलन है। अंधकार और प्रकाश जैसा कि अंग्रेज़ी साहित्य में आम है, प्रकाश और अंधकार अच्छाई और बुराई के प्रतीक हैं। लूसी मैनेट को अक्सर प्रकाश और मैडम डिफ़ार्गे को अंधेरे के साथ जोड़ा जाता है। लूसी पहली बार डिफ़ार्गे परिवार द्वारा रखे गए कमरे में अपने पिता से मिलती है।" लूसी के बाल खुशी का प्रतीक हैं जब वह "उन्हें एक साथ बांधने के लिए सुनहरा धागा" बांधती है। वह "बहुत उज्ज्वल और चंमकते हुए हीरों", से अलंकृत है और उसकी शादी के दिन की खुशी का प्रतीक है। अंधेरा अनिश्चितता, भय और जोखिम का प्रतिनिधित्व करता है। श्री लॉरी अंधेरे में डॉवर को रवाना होते हैं, जेलों में अंधेरा है, काले साये मैडम डिफ़ार्गे का पीछा करते हैं, डॉ॰ मैनेट को गहरा, उदास विषाद परेशान करता है, उसकी गिरफ़्तारी और बंदीकरण अंधेरे में डूबे हैं, मारकिस की संपत्ति को रात के अंधेरे में जला दिया जाता है, जेरी क्रंचर अंधेरे में कब्रें लूटता है, चार्ल्स की द्वितीय गिरफ़्तारी भी रात में होती है। लूसी और श्री लॉरी दोनों को मैडम डिफ़ार्गे से गहरा खतरा महसूस होता है। लूसी टिप्पणी करती है, "उस भयानक औरत का मुझ पर साया पड़ा जान पड़ता है". हालांकि श्री लॉरी उसे सांत्वना देने की कोशिश करते हैं, "उस पर भी डिफ़ार्गे परिवार के तौर-तरीके की छाया है।" मैडम डिफ़ार्गे "सफ़ेद सड़क पर एक छाया की तरह" है, बर्फ शुद्धता का और मैडम डिफ़ार्गे अंधेरे भ्रष्टाचार का प्रतीक है। डिकेन्स खून के गहरे रंग की तुलना भी शुद्ध सफ़ेद बर्फ़ से करते हैं: रक्त इसे बहाने वालों के अपराधों का रंग ले लेता है। बचपन में कारखाने में काम करने को मजबूर किया गया चार्ल्स डिकेन्स अपने कड़ुवे अनुभव की वजह से सताए हुए गरीबों का हमदर्द था। तथापि क्रांतिकारियों के साथ उसकी सहानुभूति सिर्फ एक सीमा तक ही थी, वह भीड़ के पागलपन की आलोचना करता है जो जल्द ही छा जाता है। जब एक रात में पागल आदमी और औरतें ग्यारह सौ बंदियों का नरसंहार करके सान पर अपने हथियारों को धार देने के लिए जल्दी से लौटते हैं तो वे प्रदर्शित करते हैं "ऐसी आँखें जिसके लिए किसी भी दयालु दर्शक को एक सही तरह से तानी गई बंदूक के साथ जीवन के बीस साल लग गए होते." पाठक को दिखाया गया है कि फ़्रांस और इंग्लैंड में गरीबों पर एक जैसे ही अत्याचार होते हैं। जैसे जैसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं इंग्लैंड में जल्लाद "विविध अपराधियों की लंबी कतारें बांध रहा है, अब सेंधमार को फांसी ... अब लोगों के हाथ जलाना" या छह पेन्स की चोरी करने वाले दिवालिए को लटकाया जा रहा है। फ़्रांस में, एक लड़के का हाथ काट दिया जाता है और जिंदा जलाने की सज़ा सुनाई जाती है, सिर्फ इसलिए क्योंकि पचास गज की दूरी पर गुज़र रही भिक्षुओं की एक परेड के सामने उसने बारिश में घुटने नहीं टेके. मॉसेन्यूर के भव्य निवास में मिलता है, " सबसे बुरे सांसारिक विश्व के बेशर्म पादरी, कामुक आँखें, बेलगाम ज़ुबान और निर्लज्ज जीवन ... सैन्य ज्ञान रहित सैन्य अधिकारी ... [और] डॉक्टर जो धनवान बने ... काल्पनिक विकारों के उपचार से". मारकिस सानन्द उन दिनों को याद करते हैं जब उनके परिवार का उनके दासों के जीवन और मौत पर अधिकार था, "जब ऐसे कई कुत्तों को फांसी पर लटकाने के लिए बाहर ले जाया जाता था". वह दूसरों की कब्र से अलग पहचान के लिए एक विधवा को उसके मृत पति के नाम का बोर्ड लगाने की अनुमति भी नहीं देता था। वह मैडम डिफ़ार्गे के बीमार देवर को पूरे दिन गाड़ी भरने और रात में मेंढ़कों को दूर भगाने का आदेश देता है ताकि जवान आदमी की बीमारी बढ़ जाए और वह जल्दी मर जाए. इंग्लैंड में, बैंक भी असंतुलित दंड देते थे: घोड़े को दांता लगाने या कोई पत्र खोलने के लिए आदमी को मौत की सज़ा दे दी जाती थी। जेलों की हालत भयानक होती थी। "अनेक प्रकार के भ्रष्ट आचरण और दुष्टता होती थी और ... भयानक रोग पलते थे", कभी कभी अभियुक्त से पहले न्यायाधीश मारे जाते थे। अंग्रेज़ी कानून की क्रूरता से डिकेन्स इतना उखड़े हुए हैं कि वह इसके कुछ दंड पर व्यंग्य करते हैं: "कोड़े लगाने वाला खंबा, एक और पुराना प्रिय संस्थान, देखने में बहुत मानवीय और वहां की गतिविधियां बहुत दयालुतापूर्ण". सुधार न करने के लिए वह कानून को दोषी ठहराते हैं: "जो भी सही है" बेली की पुरानी उक्ति है। चार टुकड़ों में चीरने का भीषण चित्रण इसकी क्रूरता पर प्रकाश डालता है। पूरी तरह से उसे क्षमा किए बिना, डिकेन्स समझता है कि जेरी क्रंचर अपने बेटे का पेट भरने के लिए कब्रें लूटता है और पाठक को याद दिलाता है कि संभव है कि श्री लॉरी जेरी को किसी और कारण की बजाए उसकी निम्न सामाजिक स्थिति के लिए अधिक कोसते हैं। जेरी श्री लॉरी को याद दिलाता है कि डॉक्टर, बजाज, चंडाल और चौकीदार भी शरीर बेचने की साजिश में शामिल हैं। डिकेन्स अपने पाठकों को सावधान करना चाहता है कि जिस क्रान्ति ने फ़्रांस को इतना बरबाद किया वह ब्रिटेन में नहीं होगी जिसे (कम से कम पुस्तक की शुरुआत में) फ़्रांस की तरह अन्यायपूर्ण दिखाया गया है। लेकिन उनकी चेतावनी ब्रिटेन के निचले वर्गों को संबोधित नहीं है बल्कि अभिजात्य वर्ग के लिए है। वह बार बार बुवाई और कटाई के रूपक का उपयोग करता है, अगर अभिजात्य वर्ग अन्यायपूर्ण व्यवहार के माध्यम से क्रांति के बीज बोते रहेंगे तो समय आने पर उन्हें क्रांति की कटाई अवश्य करनी पड़ेगी. इस रूपक में निम्न वर्ग का कोई अभिकरण नहीं हैं: वे केवल अभिजात्य वर्ग के व्यवहार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इस मायने में यह कहा जा सकता है कि यद्यपि डिकेन्स गरीबों के साथ सहानुभूति रखते हैं लेकिन वह स्वंय की पहचान अमीरों के साथ करते हैं: वे पुस्तक के श्रोता हैं, यह "हम" है न कि "वे". "एक बार और इसी तरह के हथौड़ों से मानवता को कुचलो और यह अपने आप ही प्रताड़ित रूप धारण कर लेगी. फिर से लालच और उत्पीड़न के बीज बोने से वैसे ही फल उगेंगे. डिकेन्स के निजी जीवन से संबंध कुछ का कहना है कि ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ में डिकेन्स ने अठारह वर्षीय अभिनेत्री एलेन टेरनन के साथ हाल ही में शुरू अपने संभवतः अलैंगिक लेकिन निश्चित रूप से रोमांटिक प्रेम संबंध को दर्शाया है लूसी मैनेट शारीरिक तौर पर टेरनन जैसी दिखती है और कुछ को डॉ॰ मैनेट और उसकी बेटी के बीच रिश्ते में "एक निहित भावनात्मक कौटुम्बिक यौनाचार" दिखाई दिया। विकी कॉलिन्स के नाटक द फ़्रोज़न डीप में अभिनय करने के बाद पहले पहल डिकेन्स टेल लिखने के लिए प्रेरित हुए. नाटक में, डिकेन्स एक ऐसे आदमी की भूमिका निभाता है जो अपने जीवन का इसलिए बलिदान कर देता है ताकि उसके प्रतिद्वंद्वी को वह औरत मिल सके जिससे वे दोनों प्यार करते हैं, नाटक का प्रेम त्रिकोण टेल में चार्ल्स डारने, लूसी मैनेट और सिडनी कार्टन के बीच रिश्तों का आधार बना. सिडनी कार्टन और चार्ल्स डारने ने भी डिकेन्स के व्यक्तिगत जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला. कथानक सिडनी कार्टन और चार्ल्स डारने के बीच निकट परिपूर्ण सादृश्य पर टिका है, दोनों में इतनी समानता है कि कार्टन दो बार उन्हें अलग से पहचान न पाने की दूसरों की असमर्थता से डारने को बचाता है। इसका अर्थ यह निकलता है कि कार्टन और डारने न केवल एक जैसे दिखते हैं बल्कि उनकी "आनुवंशिक" वृत्तियां (इस शब्द से डिकेन्स परिचित न होंगे) भी एक सी हैं: कार्टन डारने का बुरा रूप है . कार्टन के रूप का ज्यादा पता चलता है: 'तुम्हें आदमी [डारने] विशेष रूप से पसंद है क्या?' वह अपने स्वयं की छवि [जो वह एक आईने में देख रहा है] देखकर बुदबुदाता है; 'तुम्हें विशेष रूप से ऐसा आदमी क्यों पसंद होना चाहिए जो तुम जैसा ही दिखता है? तुम जानते हो, तुम में पसंद करने लायक कुछ भी नहीं है। आह, तुम उलझ गए! आप अपने आप में क्या परिवर्तन किया है तुमने! एक आदमी से बात करने का एक अच्छा कारण, कि वह तुम्हें दर्शाता है कि तुमने क्या खोया है और क्या हो सकते थे! उसकी जगह स्वंय को रखकर देखो तो उन नीली आँखों [लूसी मैनेट की] को खुद को देखता पाओगे और उसके उत्तेजित चेहरे से समवेदना जागेगी? चलो और इसे सादे शब्दों में कहो! तुम्हें उससे नफ़रत है।' कईयों ने महसूस किया है कि कार्टन और डारने प्रतिच्छाया हैं जिसे एरिक रैब्किन ऐसी जोड़ी के रूप में परिभाषित करते हैं "पात्र जो कथा में एक साथ एक मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करें". यदि ऐसा है तो इस तरह के कार्यों में उन्हें रॉबर्ट लुई स्टीवन्सन के डॉ॰ जेकाइल और मिस्टर हाइड की झलक दिखाई देगी. डारने योग्य और सम्मानजनक लेकिन उबाऊ है (कम से कम अधिकतर आधुनिक पाठकों के लिए), कार्टन बदनाम है लेकिन आकर्षक है। केवल अनुमान लगाया जा सकता है कि कार्टन और डारने एक साथ किसके मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व का प्रतीक हैं (अगर वे करते हैं), लेकिन इसे अक्सर डिकेन्स का ही मानस माना जाता है। डिकेन्स को पता था कि कार्टन और डारने उसके ही प्रथमाक्षर हैं। डिकेन्स के कई पात्र, उपन्यासकार ई. एम. फॉर्स्टर के प्रसिद्ध शब्दों में, "फ्लैट" हैं "राउंड" नहीं यानि कि मोटे तौर पर उनका भाव एक सा ही है। उदाहरण के लिए टेल में, मारकिस लगातार दुष्ट है और उसे इसी में आनंद आता है, लूसी पूरी तरह से प्यार और सहायता करने वाली है। (प्रसंग के रूप में, डिकेन्स अक्सर इन पात्रों को मौखिक पहचान या दिखाई पड़ने वाले चिह्न दे देते हैं जैसे कि मारकिस की नाक पर चोट. फॉर्स्टर का मानना था कि डिकेन्स ने कभी पेचीदा पात्र सृजित नहीं किए, लेकिन कार्टन जैसा एक चरित्र निश्चित रूप से कम से कम पेचीदगी के करीब आता है। सिडनी कार्टन - एक तेज़ दिमाग लेकिन निराश अंग्रेज़ बैरिस्टर, शराबी और सनकी, उसका मसीह की तरह स्वयं अपने ही जीवन का बलिदान उसका और चार्ल्स डारने को मुक्ति दिलाता है। लूसी मैनेट - हर तरह से परिपूर्ण, एक आदर्श पूर्व-विक्टोरियन काल की औरत. कार्टन और चार्ल्स डारने (जिससे वह शादी करती है) दोनों उसे प्यार करते हैं और वह डॉ॰ मैनेट की बेटी है। वह "सुनहरा धागा" है जिसके नाम पर पुस्तक दो का नाम रखा गया है, ऐसा उसे इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह अपने पिता और अपने परिवार के जीवन को एक साथ बांधे रहती है (और क्योंकि अपनी मां की तरह उसके बाल भी सुनहरे हैं). पुस्तक में वह लगभग हर चरित्र को भी एक साथ बांधती है। चार्ल्स डारने - एवरमॉन्ड परिवार का एक कुलीन फ़्रेंच नौजवान. फ़्रेंच कृषकों के प्रति अपने परिवार की क्रूरता से घृणा करते हुए वह अपना नाम (अपनी माँ के मायके के नाम, डी 'ऑल्नैस पर) "डारने" रख लेता है और फ़्रांस छोड़कर इंग्लैंड चला जाता है। डॉ॰ एलेक्जेंडर मैनेट - लूसी के पिता हैं, अठारह वर्षों से बैस्टिली में कैद हैं। मस्यूर अर्नेस्ट डिफ़ार्गे - फ़्रांसीसी शराब की दुकान के मालिक और जैकेरी के नेता, मैडम डिफ़ार्गे के पति, एक युवा के रूप में डॉ॰ मैनेट के नौकर. एक प्रमुख क्रांतिकारी नेता जो अन्य क्रांतिकारियों के विपरीत एक नेक उद्देश्य के साथ क्रांति का नेतृत्व करता है। मैडम थिरेस डिफ़ार्गे - एक प्रतिहिंसक महिला क्रांतिकारी, तर्कसाध्य रूप से उपन्यास की प्रतिपक्षी द वेन्जन्स - मैडम डिफ़ार्गे का साथी जिसे उनकी "छाया" और लेफ्टिनेंट के रूप में संदर्भित किया जाता है, सेंट एन्टॉइन में महिला क्रांतिकारियों के समुदाय का एक सदस्य और कट्टरपंथी क्रांतिकारी. (क्रांति के प्रति अपना उत्साह दर्शाने के लिए कई फ़्रांसिसी पुरूषों और महिलाओं ने अपने नाम बदले.) जार्विस लॉरी - टेलसन बैंक में एक बुजुर्ग प्रबंधक और डॉ॰ मैनेट के प्रिय दोस्त. मिस प्रॉस - जब लूसी दस साल की थी तब से लूसी मैनेट की संरक्षिका. लूसी और इंग्लैंड के प्रति घोर वफ़ादार . मारकिस सेंट एवरमॉन्ड - चार्ल्स डारने के क्रूर चाचा। जॉन बरसाड (असली नाम सॉलॉमन प्रॉस) - ब्रिटेन का जासूस जो बाद में फ़्रांस के लिए जासूसी करता है (जहां उसे छिपाना पड़ता है कि वह एक ब्रिटिश है). वह मिस प्रॉस का गुमशुदा भाई है। रॉजर क्लाइ - एक अन्य जासूस, बरसाड का सहयोगी. उनका पहला नाम जेरेमाया का संक्षिप्त नाम है। यंग जेरी क्रंचर - जेरी और श्रीमती क्रंचर का पुत्र. यंग जेरी छोटे मोटे काम करते अपने पिता के आसपास अक्सर मंडराता रहता है और कहानी में एक बिंदु पर, रात में अपने पिता का अनुसरण करता है और उसे पता चलता है कि उसके पिता ही रीसरेक्शन मैन हैं। यंग जेरी अपने पिता को एक आदर्श के रूप में देखता है और बड़ा होने पर खुद भी रीसरेक्शन मैन बनना चाहता है। श्रीमती क्रंचर - जेरी क्रंचर की पत्नी. वह एक बहुत ही धार्मिक स्त्री है, लेकिन उसके पति जिस पर थोड़ा उन्माद सवार है, दावा करता है कि वह उसके खिलाफ़ प्रार्थना करती है और यही वजह है कि वह अक्सर अपने काम में सफल नहीं हो पाता है। वह अक्सर मौखिक रूप से उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और लगभग अक्सर, जेरी शारीरिक रूप से उसके साथ दुर्व्यवहार करता है लेकिन कहानी के अंत में, वह इस बारे में खुद को अपराधी महसूस करता है। श्री स्ट्राइवर - एक अभिमानी और महत्वाकांक्षी बैरिस्टर, कार्टन सिडनी का वरिष्ठ. यह एक आम गलत धारणा है कि स्ट्राइवर का पूरा नाम है "सी.जे. स्ट्राइवर" है आद्यक्षर च. ज. का उल्लेख लगभग निश्चित रूप से एक कानूनी पदवी (शायद "मुख्य न्यायाधीश") के लिए किया गया है, स्ट्राइवर कल्पना करता है कि वह मुकदमे की हर भूमिका निभा रहा है जिसमें वह लूसी मैनेट को उससे शादी करने के लिए धमकाता है। दर्जिन - टेरर में जकड़ी एक युवती. वह सिडनी कार्टन से पहले आती है जो उसे आराम के लिए गिलोटिन देता है। गैबेल - गैबेल "डाकपाल और कुछ अन्य चुंगी पदाधिकारी है, संयुक्त रूप से" मारकिस सेंट एवरमॉन्ड के किरायेदारों के लिए. गैबेल क्रांतिकारियों द्वारा कैद है और उसका अनुनय भरा पत्र डारने को फ़्रांस ले आता है। गैबेल "घृणित नमक कर के नाम पर रखा गया" है। गैस्पर्ड - गैस्पर्ड वह आदमी है जिसका बेटा मारकिस द्वारा कुचला गया है। वह मारकिस को मार देता है और एक वर्ष के लिए छुप जाता है। अंततः वह खोज लिया जाता है, गिरफ़्तार करके मार दिया जाता है। पुस्तक पर आधारित कम से कम पांच फ़ीचर फ़िल्में बन चुकी हैं: ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़, १९११ मूक फ़िल्म. ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़, १९१७ मूक फ़िल्म. ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़, १९२२ मूक फ़िल्म. ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ १९३५ रॉनल्ड कॉल्मन, एलिज़ाबेथ एलन, रेजिनल्ड ओइन, बैसिल रैथबोन और एडना मॅई ऑलिवर अभिनीत मम की श्याम और श्वेत फ़िल्म. इसे सर्वश्रेष्ठ चित्र के लिए अकादमी पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़, १९५८ संस्करण, डर्क बोग्रेड, डोरोथी टयुटिन, क्रिस्टोफ़र ली, लियो मैक्कर्न और डोनाल्ड प्लैजंस अभिनीत. फ़िल्म आ सिंपल विश में नायक का पिता ऑलिवर (संभवतः डिकेन्स के अन्य प्रसिद्ध उपन्यास, ऑलिवर ट्विस्ट में से) अपनी थिएटर कंपनी के ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ के म्युज़िकल निर्माण का हिस्सा बनने की कोशिश में है जिसके प्रारम्भ और अंत में दो प्रसिद्ध उद्धरणों का प्रयोग मिलता है, "इट इस आ फर, फर बेटर तिंग तत ई दो", कुछ एकल गायन के हिस्से के रूप में. टेरी गिलियम ने भी १९९० के दशक के मध्य में मेल गिब्सन और लियाम नेसन के साथ एक फ़िल्मी रूपांतरण विकसित किया। अंततः परियोजना को छोड़ दिया गया। स्टार ट्रक ई: थे व्रथ ऑफ खानमें ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ को श्रद्धांजलि दी गई है, स्पॉक कर्क को उसके जन्मदिन पर पुस्तक की प्रतिलिपि देता है, बाद में सिडनी कार्टन की तरह एंटरप्राइज़ को बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देता है। कर्क पुस्तक की शुरुआती और आखिरी लाइनों का क्रमशः फ़िल्म के पहले और आखिरी दृश्यों में उद्धरण देता है। १९३८ में, मरक्युरी थिएटर ऑन द एयर (उर्फ़ द कैंपबेल प्लेहाऊस) ने ऑर्सन वेल्स अभिनीत रेडियो अनुकूलित संस्करण का निर्माण किया। १९४५ में, उपन्यास के एक भाग का अनुकूलन सिंडिकेटेड कार्यक्रम द वीयर्ड सर्किल में "डॉ॰ मैनेटस मैन्युस्क्रिप्ट" के रूप में किया गया था। १९५० में, टेरेंस रैटीगन और जॉन गिल्गुड द्वारा लिखित रेडियो अनुकूलन बीबीसी द्वारा प्रसारित किया गया। उन्होंने इसे १९३५ में एक मंच नाटक के रूप में लिखा था लेकिन इसे बनाया नहीं गया था। जून १९८९ में, बीबीसी रेडियो ४ ने निक मैक्कार्टी द्वारा लिखित और इयान कॉटेरेल द्वारा निर्देशित, रेडियो के लिए अनुकूलित ७-घंटे के नाटक का निर्माण किया। यह अनुकूलन बीबीसी रेडियो ७ पर कभी कभी दोहराया जाता है। शामिल कलाकार हैं: सिडनी कार्टन के रूप में चार्ल्स डान्स डॉ॰ एलेक्सेंडर मैनेट के रूप में मॉरिस डेनहम लूसी मैनेट के रूप में शार्लेट एटनबरो जार्विस लॉरी के रूप में रिचर्ड पास्को चार्ल्स डारने के रूप में जॉन डटाइन मिस प्रॉस के रूप में बारबरा ली-हंट मैडम डिफ़ार्गे के रूप में मार्गरेट रॉबर्टसन जेरी क्रंचर के रूप में जॉन हॉलिस अर्नेस्ट डिफ़ार्गे के रूप में जॉन बुल श्री स्ट्राइवर के रूप में ऑब्रे वुड्स श्रीमती क्रंचर के रूप में ईवा स्टुअर्ट मारकिस सेंट एवरमॉन्ड के रूप में जॉन मॉफ़ैट जॉन बरसाड और जैक्स #२ के रूप में जेफ़री व्हाइटहेड द वुडकटर और जैक्स #३ के रूप में निकोलस कोर्टनी १९५७ में बीबीसी के द्वारा एक ८-भाग मिनी-सीरीज़ का निर्माण किया गया जिसमें पीटर विनगार्डे ने "सिडनी कार्टन" के रूप में, एडवर्ड डी सोज़ा ने "चार्ल्स डारने" के रूप में और वेन्डी हचिन्सन ने "लूसी मैनेट" के रूप में अभिनय किया। एक और मिनी सीरीज़, यह १० भागों में था, बीबीसी द्वारा १९६५ में निर्मित किया गया। १९८० में एक तीसरा बीबीसी मिनी-सीरीज़ (८ भागों में) बनाया गया जिसमें पॉल शैली ने "कार्टन / डारने" के रूप में, सैली ओसबोर्न ने "लूसी मैनेट" के रूप में और नाइजेल स्टॉक ने "जार्विस लॉरी" के रूप में अभिनय किया। उपन्यास को १९८० टेलीविज़न फ़िल्म के रूप में रूपांतरित किया गया जिसमें क्रिस सैरन्डन ने "सिडनी कार्टन / चार्ल्स डारने" के रूप में अभिनय किया। पीटर कुशिंग "डॉ॰ एलेक्जेंडर मैनेट" के रूप में, एलिस क्रिज "लूसी मैनेट" के रूप में, फ़्लोरा रॉब्सन "मिस प्रॉस" के रूप में, बैरी मोर्स "द मारकिस सेंट एवरमॉन्ड" के रूप में और बिली व्हाइटलॉ "मैडम डिफ़ार्गे" के रूप में. १९८९ में ग्रेनेडा टेलीविज़न ने "सिडनी कार्टन" के रूप में जेम्स विल्बी, "लूसी मैनेट" के रूप में सेरेना गॉर्डन, "चार्ल्स डारने" के रूप में ज़ेवियर डीलक, "मिस प्रॉस" के रूप में ऐना मैसी और जॉन मिल्स "जार्विस लॉरी" के रूप में अभिनीत एक मिनी-सीरीज़ बनाया जिसे पब्स टेलीविज़न सीरीज़ मास्टरपीस थिएटर के भाग के रूप में अमेरिकी टेलीविज़न पर दिखाया गया था। १९७० में मोंटी पायथॉन के फ्लाइंग सर्कस एपिसोड "द अटिला हुन शो", स्केच "द न्यूज़ फ़ॉर पैरट्स" में ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ (एज़ टोल्ड फ़ॉर पैरट्स) का एक दृश्य शामिल किया गया। एनिमेटेड सीरीज़ किंग ऑफ थे हिल में यह उपन्यास पैगी की पसंदीदा पुस्तक थी और फुल मेटल डस्त जाकेट एपिसोड में इसने एक प्रमुख भूमिका निभायी. बच्चों के टेलीविज़न सीरीज़ विश्बोने ने एपिसोड "ए टेल ऑफ़ टू सीटर्स" के लिए उपन्यास का अनुकूलन किया। निकलोडियन शो हे आर्नल्ड में भी इस उपन्यास का उल्लेख किया गया था जहां ऑस्कर पढ़ना सीख रहा होता है। निकोलस मेयेर के उपन्यास द कैनरी ट्रेनर में चार्ल्स और लूसी के वंशज, एक बार और मारकिस डी सेंट एवरमॉन्ड का खिताब उनके पास है, द फ़ैंदम ऑफ़ द ओपरा की घटनाओं के दौरान पेरिस ओपरा में आते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में २००० में प्रकाशित अमेरिकी लेखक सुज़ैन एलिन का उपन्यास आ फर बेटर रेस्ट , सिडनी कार्टन के दृष्टिकोण से ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ की पुनर्कल्पना थी। डाएन मेयर ने २००५ में आईयुनीवर्स के माध्यम से अपने उपन्यास एवरमॉन्ड को स्वंय प्रकाशित किया, इसमें फ़्रांसीसी क्रांति के बाद चार्ल्स और लूसी डारने और उनके बच्चों की कहानी बतायी गयी है। अंग्रेज़ी भाषा सीख रहे लोगों के लिए ए टेल ऑफ़ टू सिटिज़ का सरलीकृत संस्करण कठिनाई के कई स्तरों में पेंग्विन रीडर्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। उपन्यास पर आधारित चार म्युज़िकल्स बन चुके हैं: जेफ़ वेन का म्युज़िकल, जेरी वेन के गीत और एडवर्ड वुडवर्ड द्वारा अभिनीत १९६८ का मंच रूपांतरण, टू सिटिज़, द स्पेक्टैकुलर न्यू म्युज़िकल . जिल सांतोरेलो के म्युज़िकल अनुकूलन, ए टेल ऑफ़ टू सिटिज़ का अक्टूबर व नवंबर, २००७ में सरसोटा, फ्लोरिडा के एसोलो रिपर्टरी थिएटर में प्रदर्शन किया गया था। जेम्स स्टेसी बार्बर ("सिडनी कार्टन") और जेसिका रश ("लूसी मैनेट") कलाकारों में शामिल थे। म्युज़िकल के एक निर्माता ने १९ अगस्त २००८ को ब्रॉडवे पर प्रीव्यू शुरू किया जो १८ सितम्बर को अल हियर्षफ़ेल्ड थिएटर में आरम्भ हुआ। वॉरेन कार्लाइल कोरियोग्राफ़र / निर्देशक है, कलाकारों के रूप में शामिल हैं "सिडनी कार्टन" के रूप में जेम्स स्टेसी बार्बर,"लूसी मैनेट" के रूप में ब्रैंडी बर्खर्त, "चार्ल्स डारने" के रूप में एरॉन लाज़र, "डॉ॰ मैनेट" के रूप में ग्रेग इडलमैन, "मिस प्रॉस" के रूप में कैथरीन मैक्ग्रैथ, "जार्विस लॉरी" के रूप में माइकल हेवर्ड-जोन्स और "मैडम डिफ़ार्गे" के रूप में नैटली टोरो. २००६ में, हावर्ड गुडॉल ने टू सिटिज़ उपन्यास के अलग म्युज़िकल अनुकूलन के लेखन के लिए जोएना के साथ गठबंधन किया। केंद्रीय कथानक और पात्र वही थे हालांकि गुडॉल ने पृष्ठभूमि रूसी क्रांति के दौरान की रखी। जापान की पूर्णतया महिला ओपरा कंपनी रेव्यू टकारज़ुका ने म्युज़िकल के लिए उपन्यास का अनुकूलन किया है। पहला निर्माण १९८४ में, ग्रांड थियेटर में किया गया था जिसमें माओ डाइची ने अभिनय किया और दूसरा २००३ में, बो हॉल में किया गया था यह जून सेना द्वारा अभिनीत था। आर्थर बेंजामिन द्वारा उपन्यास के ओपरा संस्करण का रोमांटिक मेलोड्रामा इन सिक्स सीन्स के उपशीर्ष से १७ अप्रैल १९५३ को बीबीसी पर मंचित, म्युज़िकलकार द्वारा आयोजित, २२ जुलाई १९५७ को सैडलर्स वेल्स में लियॉन लवेट के संरक्षण में, पहली बार स्टेज पर मंचन किया गया। बीडरमन, हैंस. प्रतीकों का शब्दकोश. न्यू यॉर्क: मेरीडियन (१९९४) इसब्न ९७८-०-४५२-०1118-२ डिकेन्स, चार्ल्स. ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़. रिचर्ड मैक्सवेल द्वारा संपादित और परिचय व टिप्पणियों के साथ. लंदन: पेंगुइन क्लासिक्स (२००३) इसब्न ९७८-०-१४-१४396०-० . २००५ पुनर्मुद्रण: लंदन: पेंगुइन.इसब्न ९७८-०-१४-१४41६9-६ अतिरिक्त पाठ्य सामग्री ग्लैंसी, रुथ. चार्ल्स डिकेन्स ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़: ऐ सोर्सबुक . लंदन: रटलेज (२००६) इसब्न ९७८-०-४१५-2876०-९ सैंडर्स, एंड्रयू. द कॉम्पैनियन टू ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ . लंदन: अनवीन ह्य्मान (१९८९) इसब्न ९७८-०-०4-8०००5०-७ आउट ऑफ़ प्रिंट. इंटरनेट पुरालेख पर ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ . ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ , अध्याय गतिविधियों और ऑडियो सहित पूरी विषय वस्तु. ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ , ऑडियो सहित पूरी विषय वस्तु. ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ लिबरीवॉक्स परियोजना पर पूरी ऑडियो पुस्तक. डिकेन्स: ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़' , पुस्तक के लेखन पर ३ जुलाई २००७ को ग्रेशम कॉलेज में डॉ॰ टोनी विलियम्स द्वारा व्याख्यान (डाउनलोड के लिए उपलब्ध वीडियो और ऑडियो फ़ाइलें तथा प्रतिलिपि). एसोलो रिपर्टरी थिएटर और बियोंड द बुक - एसोलो रिपर्टरी का पाठन-पठन और समुदाय सम्पर्क को प्रेरित करने के लिए समुदाय का साक्षरता प्रयास - २००७-०८ के दौरान ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ फ़िल्मायी गई ऐ टेल ऑफ़ टू सिटिज़ अध्ययन गाइड, शिक्षण गाइड, उद्धरण, विषय, संसाधन चार्ल्स डिकेन्स के उपन्यास उपन्यास में पेरिस पहली बार धारावाहिक रूप में प्रकाशित उपन्यास फ़्रांसीसी क्रांति की पृष्ठभूमि वाले उपन्यास श्रेष्ठ लेख योग्य लेख
उमलेश यादव,भारत के उत्तर प्रदेश की पंद्रहवी विधानसभा सभा में विधायक रहे। २००७ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिसौली विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से रा०परि०दल की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश १५वीं विधान सभा के सदस्य बिसौली के विधायक
पश्चिम सिंगहीछाड़ा (पश्चिम सिंघिचारा) भारत के त्रिपुरा राज्य के खोवाई ज़िले में स्थित एक गाँव है। इन्हें भी देखें त्रिपुरा के गाँव खोवाई ज़िले के गाँव
समूल में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत पुर्णिया मण्डल के अररिया जिले का एक गाँव है। बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ बिहार के गाँव
पक्कीरिस्वामी चंद्र शेखरन को सन २००० में भारत सरकार ने विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये कर्नाटक राज्य से हैं। २००० पद्म भूषण तमिलनाडु के लोग १९३४ में जन्मे लोग २०१७ में निधन
मध्यम आय जाल या मिडिल इंकम ट्रैप किसी देश के आर्थिक विकास की ऐसी स्थिति है, जिसमें वह देश जो एक निश्चित आय प्राप्त कर लेता है (अपने तुलनात्मक लाभ के कारण), किंतु उससे निकल नहीं पाता है। अन्य शब्दों में कहें तो ऐसे देश की प्रति व्यक्ति आय एक मध्य स्तर पर फंस जाती है, जहाँ वह न तो बहुत ग़रीब है, और न ही उसके भविष्य में सम्पन्न (और विकसित) होने की कोई उम्मीद है। विश्व बैंक मध्यम-आय सीमा वाले देशों को प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद के आधार पर परिभाषित करता है। यह आय २०११ की स्थिर कीमतों के हिसाब से $ १,००० से $ १2,००० के बीच होती है। ऐसा माना जाता है मध्यम आय वाले देशों ने बढ़ती मजदूरी (पगार) के कारण विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात में अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त खो दी है। अब जो देश इनसे ज़्यादा ग़रीब हैं, उत्पाद बनाना वहाँ तुलनात्मक रूप से सस्ता पड़ेगा। साथ ही साथ ये देश उच्च कोटि के उत्पाद बनाने में विकसित देशों से मुक़ाबला करने में असमर्थ है, क्योंकि इनके कारीगर उतने कुशल या किफ़ायती नहीं हैं। नतीजतन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देश दशकों से 'मध्यम-आय सीमा' में ह्ही फँसे हुए हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनकी प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद निरंतर $ १,००० से $ १2,००० के बीच बना हुआ है (20११ की कीमतें )। चूँकि यहाँ कम निवेश होता है, तो द्वितीयक उद्योग में वृद्धि भी धीमी होती है, औद्योगिक विविधीकरण सीमित होता है और श्रम बाजार की स्थिति खराब है। इस दुष्चक्र में फँसे होने की वजह से इन देशों के भविष्य में पूर्ण रूप से विकसित होने की सम्भावना कम ही है। जाल से बचाव मध्य आय के जाल से बचने के लिए नई प्रक्रियाओं को शुरू करने और निर्यात वृद्धि को बनाए रखने की आवश्यकता है, जिसलिए निर्यात के लिए नए बाजार ढूँढना ज़रूरी है। घरेलू मांग को पूरा करना भी महत्वपूर्ण है एक विस्तृत मध्यम वर्ग अपनी बढ़ती क्रय शक्ति का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले नवीन उत्पादों को खरीदने और विकास करने में मदद कर सकता है। किंतु सबसे बड़ी चुनौती संसाधन-संचालित विकास से बढ़ रही है जो उच्च उत्पादकता और नवाचार के आधार पर सस्ते श्रम और पूंजी पर निर्भर विकास से आती है। इसके लिए आधारिक संरचना और शिक्षा में निवेश की आवश्यकता है। यदि कोई देश इस जाल से बचना चाहता है, तो इसके लिए उसे चाहिए कि वह एक उच्च-गुणवत्ता की शिक्षा प्रणाली का निर्माण करे। ऐसी शिक्षा प्रणाली रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती है और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सफलताओं को बढ़ावा देती है जिनसे अर्थव्यवस्था में वापस जान डाली जा सकती है। यह सभी देखें दोहरे क्षेत्र का मॉडल आगे की पढाई एशिया २०५०: एशियाई सदी को साकार करना इंडोनेशिया जोखिम मध्य आय जाल में गिर रहा है फिलीपींस मिडिल इनकम ट्रैप का सामना करता है रूस के 'मिडिल इनकम ट्रैप' में फंस गए हैं लैटिन अमेरिका की मिडिल इनकम ट्रैप चीन मध्य आय के जाल से कैसे बच सकता है मिडिल-इनकम ट्रैप। मिश्रित-आय मिथक, " द इकोनॉमिस्ट १७ अक्टूबर - १३ वीं 20१७, पीपी ६-८। येल्डन, एरिनक, कामिल टासिक, इब्रु वोयोवोडा और एमिन ओज़सन (२०१३) "मिडल इनकम ट्रैप से बचना: कौन सा तुर्की?" तुर्की उद्यम और व्यापार परिसंघ (तुर्की), इस्तांबुल।
ज्वाला प्रसाद,भारत के उत्तर प्रदेश की दूसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। १९५७ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के १६५ - घाटमपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। उत्तर प्रदेश की दूसरी विधान सभा के सदस्य १६५ - घाटमपुर के विधायक कानपुर के विधायक कांग्रेस के विधायक
ज्यामिति में, किसी बहुभुज के किसी भी शीर्ष पर दो कोण बनते हैं, एक कोण को आन्तरिक कोण और दूसरे को वाह्य कोण कहते हैं। सरल बहुभुज (अपने आप को न काटने वाले बहुभुज), चाहे वह उत्तल बहुभुज हो या नहीं, के जिस कोण के अन्दर स्थित कोई बिन्दु बहुभुज के अन्दर हो तो उस कोण को 'आन्तरिक कोण' (इंटरनाल एंगल) कहते हैं। प्रत्येक बहुभुज के हरेक शीर्ष पर केवल एक ही आन्तरिक कोण होता है।