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मनोरमा न्यूज़ एक मलयालम भाषा का टीवी चैनल है। यह एक समाचार चैनल है। |
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बौद्ध दर्शन में सम्यक प्रधान या सम्यकप्रहाण (पालि : सम्मप्पधान) ज्ञानप्राप्ति का मूल तत्त्व है। |
बांग्लादेशी संविधान ने धर्म की स्वतंत्रता दी और एक मौलिक अधिकार स्थापित किया जिसमें सभी बांग्लादेशी नागरिकों के धर्मों के बावजूद समान अधिकार हैं लेकिन बांग्लादेशी संविधान के अनुसार इस्लाम को बांग्लादेश के राज्य धर्म के रूप में पहचाना जाता है। २०११ की जनगणना के मुसलमानों में ९०% आबादी है, जबकि हिंदुओं में ८.५% और बाकी का शेष १% है। २००३ के उत्तरार्ध में एक सर्वेक्षण ने पुष्टि की कि धर्म स्वयं पहचान के लिए नागरिक द्वारा पहली पसंद है। बांग्लादेश केवल इस्लाम, हिंदू धर्म, ईसाई धर्म और बौद्ध धर्म को मान्यता देता है।
बांग्लादेश में मुस्लिम जनसंख्या १४६.० मिलियन है जो देश में 9०% आबादी का भाग बनती है। बांग्लादेश का संविधान इस्लाम को राज्य धर्म के रूप में घोषित करता है। बांग्लादेश तीसरा सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश है। मुस्लिम देश के प्रमुख समुदाय हैं और वे बांग्लादेश के सभी आठ विभाजनों में अधिकांश आबादी बनाते हैं। बांग्लादेश में मुस्लिमों का भारी बहुमत बंगाली मुस्लिम ८८% है, लेकिन उनमें से २% का एक छोटा-सा हिस्सा बिहारी मुस्लिम और असमिया मुसलमान हैं। बांग्लादेश में अधिकांश मुस्लिम सुन्नी हैं, लेकिन एक छोटा शिया समुदाय भी है। यहाँ छोटा अहमदिया समुदाय भी है। शिया ज्यादातर लोग शिया क्षेत्र में रहते हैं, हालांकि ये शिया संख्या में कम हैं।
बांग्लादेश में लगभग १,०००,००० लोग बौद्ध धर्म के थेरवाद शाखा का पालन करते हैं। बांग्लादेश बांग्लादेश की आबादी का यह लगभग ०.६% हैं।
पुरातनता में, वर्तमान में बांग्लादेश का क्षेत्र एशिया में बौद्ध धर्म का केंद्र था। दर्शनशास्त्र और वास्तुकला समेत बौद्ध सभ्यता, बंगाल से तिब्बत, दक्षिणपूर्व एशिया और इंडोनेशिया की यात्रा की। माना जाता है कि अंगकोर वाट मंदिर और बोरोबुदुर विहारा समेत कंबोडिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड का बौद्ध वास्तुकला, बांग्लादेश के प्राचीन मठों जैसे सोमापुरा महाविहार से प्रेरित है। अजीब हालांकि यह अब इतने भारी मुस्लिम देश में प्रतीत हो सकता है, बौद्ध धर्म देश के इतिहास और संस्कृति में कोई छोटा खिलाड़ी नहीं रहा है।
२०११ बांग्लादेश की जनगणना के लिए बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार हिंदू धर्म बांग्लादेश में दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक संबद्धता है, जिसमें लगभग ८.९६% आबादी शामिल है। आबादी के मामले में, बांग्लादेश भारत और नेपाल के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू राज्य है। बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (बीबीएस) के अनुमान के अनुसार, २०१५ तक बांग्लादेश में १७ मिलियन हिंदू थे| प्रकृति में, बांग्लादेशी हिंदू धर्म पड़ोसी भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल में हिंदू धर्म के रूपों और रीति-रिवाजों जैसा दिखता है, जिसके साथ बांग्लादेश (जिसे पूर्वी बंगाल के नाम से जाना जाता है) १९४७ में भारत के विभाजन तक एकजुट था। हिंदुओं के विशाल बहुमत बांग्लादेश में बंगाली हिंदू हैं। बांग्लादेशी हिंदू धर्म में पवित्र नदियों, पहाड़ों और मंदिरों के लिए अनुष्ठान स्नान, प्रतिज्ञा और तीर्थयात्रा आम अभ्यास हैं। मुस्लिम पीआईआर के मंदिरों में एक साधारण हिंदू पूजा करेगा, धर्म से चिंतित किए बिना उस स्थान को संबद्ध किया जाना चाहिए। हिंदुओं ने अपने शारीरिक बंधकों के लिए कई पवित्र पुरुषों और तपस्या को व्यक्त किया है। कुछ का मानना है कि वे केवल एक महान पवित्र व्यक्ति को देखकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं। सितंबर-अक्टूबर में आयोजित दुर्गा पूजा, बांग्लादेशी हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है और इसे व्यापक रूप से बांग्लादेश में मनाया जाता है। |
लंकपल्लिलंक (कृष्णा) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कृष्णा जिले का एक गाँव है।
आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट
आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग
निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल
आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट |
मल्लुवारिपल्लॆ (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है।
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तोराथल, बेरीनाग तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तराखण्ड के जिले
उत्तराखण्ड के नगर
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
उत्तरा कृषि प्रभा
तोराथल, बेरीनाग तहसील
तोराथल, बेरीनाग तहसील |
रसायन विज्ञान के सन्दर्भ में एकल-आबन्ध (सिंगल बॉन्ड) दो परमाणुओं के बीच एक रासायनिक आबन्ध है जिसमें दो संयोजी इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं। दूसरे शब्दों में, जहाँ यह आबन्ध बनता है वहाँ दोनों परमाणु एक जोड़ी इलेक्त्रॉनों को साझा करते हैं। अतः एकल-आबन्ध एक प्रकार का सहसंयोजी आबन्ध है। यहाँ 'साझा करने' से मतलब है कि दोनों इलेक्ट्रॉनों में से कोई भी इलेक्ट्रॉन उस मूल कक्षक के 'पूर्ण स्वामित्व' में नहीं होता जहाँ से यह उत्पन्न हुआ था। बन्धन की प्रक्रिया में दोनों कक्षक एक-दूसरे के साथ मिलकर (ओवरलाप करके) एक सम्मिलित कक्षक का निर्माण करते हैं जिसमें दोनों ही इलेक्ट्रॉन समय व्यतीत करते हैं। लुई संरचना (लुइस स्ट्रक्चर) के रूप में एकल-आबन्ध को आ या आ-आ द्वारा निरूपित किया जाता है, जिसमें आ एक तत्व को निरुपित करता है (मूर, स्टानित्स्की और जुर्स ३२९)। जो पहला वाला निरूपण है, उसमें बिन्दु (डॉट) साझा किए गए एक इलेक्ट्रॉन को निरूपित करता है। दूसरे वाले निरूपण में एक ही छोटी रेखा (बार) साझा किए गए दोनों इलेक्टॉनों को निरूपित करती है। |
कर्मेंदु शिशिर (जन्म:२६ अगस्त, १९५३ -) हिंदी के वामपंथी कथाकार, आलोचक और शोधार्थी हैं।
कर्मेंदु शिशिर जी का साक्षात्कार
मोहल्ला पे कर्मेंदु शिशिर जी का पत्र
कर्मेंदु शिशिर जी की कवितायेँ
१९५३ में जन्मे लोग |
यह भारत में अनुसूचित जनजातियों की सूची है । "अनुसूचित जनजाति" शब्द विशिष्ट स्वदेशी लोगों को संदर्भित करता है जिनकी स्थिति राष्ट्रीय कानून द्वारा कुछ औपचारिक उल्लेख के लिए स्वीकार की जाती है।
अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
अंडमानी, चरीर, चारी, कोरा, तबो, बो, येरे, केडे, बीवा, बलवा, बोजिआयब, जुवई, कोल
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
गोंड, नाइकपोड, राजगोंड
गौडू (एजेंसी पथ में, अर्थात: श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी और खम्मम जिले)
कोंध्स, कोडी, कोडु, देसया कोंध्स, डोंगरिया कोंध्स, कुटिया कोंध्स, टिकिरिया कोंडह्स, येनिटी कोंड्स
कोटिया, बेंटो उड़िया, बार्टिका, धूलिया, दुलिया, होल्वा, पिको, पुटिया, सैनोरोन, सिधोपिको
कोया, गौड, राजा, राशा कोया, लिंगधारी कोय (साधारण), कोट्टू कोया, भीन कोय, राजकोया
मालिस (आदिलाबाद, हैदराबाद, करीमनगर, खम्मम, महबूबनगर, मेदक, नलगोंडा, निजामाबाद और वारंगल जिलों को छोड़कर)
मुख धोरा, नुका धोरा
नायक (एजेंसी पथ में, अर्थात: श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी और खम्मम जिले)
सावरस, कापू सावरस, मलिया सावरस, खुत्तो सावरस
थोटी (आदिलाबाद, हैदराबाद, करीमनगर, खम्मम, महबूबनगर, मेडक, नलगोंडा, निज़ामाबाद और वारंगल जिलों में)
वाल्मीकि (एजेंसी पथ में, अर्थात: श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी और खम्मम जिले)
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची (संशोधन) आदेश, १९५६ के अनुसार और १९८६ के अधिनियम ६९ द्वारा डाला गया है।
राज्य सहित सभी जनजातियाँ :
कोई भी नागा जनजाति
कछार में बरमान
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
स्वायत्त जिलों में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, कार्बी आंगलोंग और उत्तरी कछार हिल्स जिले शामिल हैं।
खासी, जयंतिया, सिन्टेंग, पर्ण, वार, भोई, लिंग्गम
कोई कूकी ट्राइब्स
मैन (ताई बोलना)
कोई भी मिजो (लुशाई) जनजाति
कोई भी नागा जनजाति
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार और २००० के अधिनियम २८ द्वारा डाला गया है।
भारिया भूमिया, भुइंहर भूमिया, भूमिया, भारिया, पालीहा, पंडो
भतरा ,सान भतरा,पिता भतरा,अमनीत भतरा
भील, भिलाला, बरेला, पटेलिया
गोंड; अरख, अर्रख, अगरिया, असुर, बदी मारिया, बड़ा मारिया, भटोला, भीम, भूता, कोइलभुट्टा, कोलिभुती, भर, बिसनहोर मारिया, छोटा मारिया, डांडिया मारिया, धुर्वा, धोबा, धुलिया, दोरला, गिकी, गट्टा, गट्टा, गट्टा, गीता, गोंड, गौरी हिल मारिया, कंदरा, कालंगा, खटोला, कोइरा, कोयरा, खिरवार, कुचारा, कुचा मारिया, कुचकी मारिया, माडिया, मारिया, मैना, मनेवर, मोगिया, मोगिया, मंधिया, मुडिया, मुरिया, नगरची, नागवंशी, ओझा, राज गोंड, 'सोनझरी, झरेका, थटिया, थोडा, वेड मारिया, वेड मारिया, दारोई
क्वार, कंवर, कौर, चेरवा, राठिया, तंवर, छत्री
कोंध, खोंड, कंध
कोरकू, बोपची, मौसी, निहार, नाहुल, बौंडी, बोंडेया
उरांव, धनका, धनगढ़
क्षमा, पथरी, सरोती
पारधी, बहेलिया, बहेलिया, चिता पारधी, लंगोली पारधी, फाँस पारधी, शिकारी, तकनार, टाकिया (एक) बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, रायगढ़, जशपुरनगर, सर्गुजा और कोरिया जिले; (ई) कटघोरा, पाल, कार्तिक, पालम कोरबा जिले की तहसीलें (ई) बिलासपुर जिले की बिलासपुर, पेंड्रा, कोटा और तखतपुर तहसील; (इव) दुर्ग जिले की दुर्ग, पाटन, गौंडरदेही, धमधा, बालोद, गुरूर और डौंडीलोहारा तहसील; (व) चौकी, मानपुर और मोहला राजस्व। राजनांदगांव जिले के निरीक्षक मंडल (वि) महासमुंद, महासमुंद जिले की सरायपाली और बसना तहसील; (वी) बिंद्रा-नवागढ़ राजिम और रायपुर जिले की देवभोग तहसील; और (वी) धमतरी, धमतरी, कुरुद और सिहावा तहसील।
सहरिया, सहरिया, सेहरिया, सेहरिया, सोसिया, सोर
दादरा और नगर हवेली
संविधान (दादरा और नगर हवेली) अनुसूचित जनजाति आदेश, १९६२ के अनुसार।
हल्पाटी सहित डबला
कोलगढ सहित कोली धोर
नाइकडा या नायक
दमन और दीव
संविधान (गोवा, दमन और दीव) अनुसूचित जनजाति आदेश, १९६८ के अनुसार और १९८७ के अधिनियम १८ द्वारा डाला गया है।
संविधान (गोवा, दमन और दीव) अनुसूचित जनजाति आदेश, १९६८ के अनुसार और १९८७ के अधिनियम १८ द्वारा डाला गया है।
इस सूची को जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निम्नलिखित तीन को जोड़ने के लिए अद्यतन किया गया है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
भरवाड़ (एलेच, बारदा और गिर के जंगलों के नेस में)। इस क्षेत्र में जामनगर और जूनागढ़ जिले शामिल हैं।
भील, भील गरासिया, ढोली भील, डूंगरी भील, डुंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील, तडवी भील, भगालिया, भिलाला, पावरा, वसावा, वासेव
चरन (एलेच, बारदा और गिर के जंगलों के नेस में)। इस क्षेत्र में जामनगर और जूनागढ़ जिले शामिल हैं।
चौधरी (सूरत और वलसाड जिलों में)
धनका, तडवी, तेतरिया, वलवी
डबला, तलाविया, हलपति
गामित, गमता, गावित, मवची, पदवी
काठोड़ी, कटकरी, ढोर कथोड़ी, ढोर कटकरी, सोन कथोड़ी, सोन कटकरी
कोकना, कोकनी, कुकना
कोली (कच्छ जिले में)
कोली ढोर, टोकरे कोली, कोल्चा, कोलघा
कुनबी (डांग जिले में)
नायकदा, नायक, चोलीवाला नायक, कपाड़िया नायक, मोटा नायक, नाना नायक
पारधी (कच्छ जिले में)
पारधी, अडचिंचर, फाँसी पारधी (अमरेली, भावनगर, जामनगर, जूनागढ़, कच्छ, राजकोट और सुरेंद्रनगर जिले को छोड़कर)
रबारी (एलेच, बारदा और गिर के जंगलों के नेस में)। इस क्षेत्र में जामनगर और जूनागढ़ जिले शामिल हैं।
सिद्दी (अमरेली, भावनगर, जामनगर, जूनागढ़, राजकोट और सुरेंद्रनगर जिले में)
वाघरी (कच्छ जिले में) बी
वितोला, कोतवालिया, बड़ोदिया
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
गद्दी ( पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, १९६६ ( १९६६ का ३१)) की धारा ५ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट प्रदेशों को छोड़कर, लाहौल और स्पीति जिले के अलावा)। अभी शामिल क्षेत्रों में कांगड़ा, हमीरपुर, कुल्लू, ऊना और शिमला जिले शामिल हैं।
गुर्जर (पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, १९६६ (१९६६ का ३१)) की धारा ५ की उप-धारा (१) में निर्दिष्ट प्रदेशों को छोड़कर)। अब शामिल क्षेत्रों में कांगड़ा, हमीरपुर, कुल्लू, ऊना, शिमला और लाहुल और स्पीति जिले शामिल हैं।
जद, लांबा, खापा
जम्मू और कश्मीर
संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश, १९८९ और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९९१ के अनुसार।
ब्रोकपा, ड्रोकपा, डार्ड, शिन
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार और २००० के अधिनियम ३० द्वारा डाला गया है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार और १९९१ के अधिनियम ३९ द्वारा डाला गया है।
भील, भील गरासिया, ढोली भील, डूंगरी भील, डुंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील, तडवी भील, भगालिया, भिलाला, पावरा, वसावा, वासेव
डबला, तलाविया, हलपति
गामित, गमता, गावित, मवची, पदवी, वलवी
गोंड, नाइकपोड, राजगोंड
कम्मारा (दक्षिण कन्नड़ जिले में और चामराजनगर जिले के कोल्लेगल तालुक)
कनियन, कन्यायन (चामराजनगर जिले के कोल्लेगल तालुक में)
काठोड़ी, कटकरी, ढोर कथोड़ी, ढोर कटकरी, सोन कथोड़ी, सोन कटकरी
कोकना, कोकनी, कुकना
कोली ढोर, टोकरे कोली, कोल्चा, कोलघा
कोया, भीन कोय, राजकोया
कुरुबा (कोडागु जिले में)
मराठा (कोडागु जिले में)
मारती ( दक्षिणा कन्नड़ जिला)
नाइकडा, नायक, चोलीवाला नायक, कपाड़िया नायक, मोटा नायक, नाना नायक, नाइक, नायक, बेदा, बेदार
पारधी, सलाहकार, फाँसी पारधी
वितोलिया, कोतवालिया, बड़ोदिया
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
कम्मारा (राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ (१९५६ का ३७) की धारा ५ की उपधारा (२) द्वारा निर्दिष्ट के रूप में मालाबार जिले को शामिल करने वाले क्षेत्रों में)। मालाबार जिले में चित्तूर तालुक को छोड़कर कन्नूर (पूर्व में कैनानोर), कोझीकोड, मलप्पुरम जिले और पलक्कड़ (पहले पालघाट) जिले शामिल हैं।
मलायण (मालाबार जिले से युक्त क्षेत्रों में]] राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ (१९५६ का ३७) की धारा ५ की उपधारा (२) द्वारा निर्दिष्ट। मालाबार जिले में चित्तूर तालुक को छोड़कर कन्नूर (पूर्व में कैनानोर), कोझीकोड, मलप्पुरम जिले और पलक्कड़ (पहले पालघाट) जिले शामिल हैं।
मारती (होसड्रग तालुक में | होसड्रग और कासरगोड तालुका के कासरगोड जिले )
मुथुवन, मुदुगर, मुडुवन
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची (संशोधन) आदेश, १९५६ और लैकाडिव, मिनिकोय और अमिंदी द्वीप समूह (नाम का परिवर्तन) (कानून का अनुकूलन) आदेश, १९७४:
लक्षद्वीप के अभिजात वर्ग के लोग, और जिनके माता-पिता दोनों का जन्म केंद्र शासित प्रदेश में हुआ था।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
भारिया भूमिया, भुइंहर भूमिया, भूमिया, भारिया, पालीहा, पंडो
भील, भिलाला, बरेला, पटेलिया
गोंड; अरख, अर्रख, अगरिया, असुर, बदी मारिया, बड़ा मारिया, भटोला, भीम, भूता, कोईलभुता, कोलाभुट्टी, भर, बिसनहोर मारिया, छोटा मारिया, डंडामी मारिया, धूरु, धुर्वा, धुलिया, धौला, डोरला, गाती, गट्टा, गट्टा, गट्टा, गीता, गोंड गौरी, हिल मारिया, कंदरा, कालंगा, खटोला, कोइरा, कोया, खिरवार, कुचारा, कुचरा मारिया, कुचकी मारिया, माडिया, मारिया, माना, मनेवर, मोग्या, मोगिया, मंधिया, मुडिया, मुरिया, नागरची, नागवंशी, ओझा, राज, सोनझरी झरका, थटिया, थोडा, वेड मारिया, वेड मारिया, दारोई
क्वार, कंवर, कौर, चेरवा, राठिया, तंवर, छत्री
कीर (भोपाल, रायसेन और सीहोर जिलों में)
कोंध, खोंड, कंध
कोरकू, बोपची, मौसी, निहाल, नहूल, बौंडी, बोंडेया
मीना (विदिशा जिले के सिरोंज उपमंडल में)
उरांव, धनका, धनगढ़
पनिका (छतरपुर, दतिया, पन्ना, रीवा, सतना, शहडोल, सीधी और टीकमगढ़ जिलों में)
प्रशादन, पठारी सरोती
पारधी (भोपाल, रायसेन और सीहोर जिलों में)
पारधी; बालाघाट जिले के बहेलिया, बहेलिया, चिता पारधी, लंगोली पारधी, फाँस पारधी, शिकारी, टेकणकर, टाकिया ((ई) बस्तर, छिंदवाड़ा, मंडला, रायगढ़, सिवनी और सर्गुजा जिले; (ई) बैहर तहसील; (ई) बैतूल; बैतूल जिले की भैंसदेही तहसील; (इव) बिलासपुर जिले की बिलासपुर और कटघोरा तहसील; (व) दुर्ग जिले की दुर्ग और बालोद तहसील; (वि) चौकी, मानपुर और मोहला राजस्व निरीक्षक राजनांदगांव जिले के सर्किल; (वी) मुरवारा, पाटन और जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील; (वी) होशंगाबाद और होशंगाबाद जिले की सोहागपुर तहसील और नरसिंहपुर जिले; (इक्स) पूर्वी निमाड़ जिले की हरसूद तहसील; (क्स) धमतरी और महासमुंद जिले और रायपुर जिले की बिंद्रा-नवागढ़ तहसील)
सहरिया, सहरिया, सेहरिया, सेहरिया, सोसिया, सोर
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
भारिया भूमिया, भुइंहर भूमिया, पंडो
भील, भील गरासिया, ढोली भील, डूंगरी भील, डुंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील, तडवी भील, भगालिया, भिलाला, पावरा, वसावा, वासेव
चोधरा (अकोला, अमरावती, भंडारा, गोंदिया, बुलदाना, चंद्रपुर, नागपुर, वर्धा, यवतमाल, औरंगाबाद, जालना, बोली, नांदेड़, उस्मानाबाद, लातूर, परभणी और हिंगोली जिलों को छोड़कर)
धनका, तडवी, तेतरिया, वलवी
डबला, तलाविया, हलपति
गामित, गमता, गावित, मवची, पदवी
गोंड राजगोंड, अरख, अर्रख, अगरिया, असुर, बदी मारिया, बाड़ा मारिया, भटोला, भीम, भूता, कोईलभुता, कोईलभीटी, भार, बिसनहॉर्न मारिया, छोटा मारिया, डंडामी मारिया, धुर्वा, धुर्वा, धोबा, धुलिया, डोरला, गॉकी गट्टा, गट्टी, गीता, गोंड, गवरी, हिल मारिया, कंदरा, कलंगा, खटोला, कोइरा, कोया, खिरवार, खिरवाड़ा, कुचा मारिया, कुचकी मारिया, माडिया, मारिया, मन, मनेवर, मोगिया, मोंगिया, मंधिया, मुड़िया, मुड़िया, मुड़िया, नागरची, नाइकपोड़, नागवंशी, ओझा, राज, सोनझरी झक्का, थटिया, वेड मारिया, वेड मारिया
कथोड़ी, कटकरी, ढोर कथोड़ी, ढोर कथकरी, सोन कथोड़ी, सोन कटकरी
क्वार, कंवर, कौर, चेरवा, राठिया, तंवर, छत्री
कोकना, कोकनी, कुकना
कोली ढोर, टोकरे कोली, कोल्चा, कोलघा
कोली महादेव, डोंगर कोली
कोंध, खोंड, कंध
कोरकू, बोपची, मौसी, निहाल, नहूल, बौंडी, बोंडेया
कोया, भीन कोय, राजकोया
नायकदा, नायक, चोलीवाला नायक, कपाड़िया नायक, मोटा नायक, नाना नायक
क्षमा, पथरी, सरोती
पारधी: एड्विचिन्चर, फैंस पारधी, फानसे पारधी, लांगोली पारधी, बहेलिया, बहेलिया, चिता पारधी, शिकारी, टाकोणकार, टाकणकार, टाकिया
ठाकुर, ठाकुर, का ठाकुर, का ठाकुर, मा ठाकुर, मा ठाकर
थोटी (औरंगाबाद, जालना, बोली, नांदेड़, उस्मानाबाद, लातूर, परभणी और हिंगोली जिलों और चंद्रपुर जिले की राजुरा तहसील)
वितोलिया, कोतवालिया, बड़ोदिया
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
कोई भी मिजो (लुशाई) जनजाति
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९८७ के अनुसार।
खासी, जयंतिया, सिन्टेंग, पर्ण, वार, भोई, लिंग्गम
क्युकी कोई भी जनजाति
मैन (ताई बोलना)
कोई भी मिजो (लुशाई) जनजाति
कोई भी नागा जनजाति
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची (संशोधन) आदेश, १९५६ के अनुसार और १९७१ के अधिनियम ८१ द्वारा डाला गया है।
खासी और जयंतिया (खासी सिंटेंग या पर्ण, युद्ध, भोई या लिंगमंगम सहित)
कोई कूकी ट्राइब्स
मैन (ताई बोलना)
कोई भी मिजो (लुशाई) जनजाति
कोई भी नागा जनजाति
संविधान (नागालैंड) अनुसूचित जनजाति आदेश, १९७० के अनुसार।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
खोंड, कोंड, कंधा, नांगुली कंधा, सीता कंधा
कोल्हा लोहारस, कोल लोहारस
मुंडा, मुंडा लोहारा, मुंडा महालिस
सौरा, सावर, सौरा, सहारा
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
बाल्मीकि, चुरा, भंगी
बरार, बरार, बरार
चमार, जटिया चमार, रहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, रामदासिया, रामदासिया सिख, रविदासिया, रविदासिया सिख
देहा, धाय, धी
ढोगरी, धनगरी, सिग्गी
डुमना, महाशा, डूम
गाँधीला, गाँधील, गोंडोला
मज़हबी, मज़हबी सिख
सांसी, भेडकुट, मनेश
महातम, राय सिख
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
भील, भील गरासिया, ढोली भील, डूंगरी भील, डुंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील, तडवी भील, भगालिया, भिलाला, पावरा, वसावा, वासेव
धानका, तडवी, तेतरिया, वलवी
गरासिया (राजपूत गरासिया को छोड़कर)
काठोड़ी, कटकरी, ढोर कथोड़ी, ढोर कटकरी, सोन कथोड़ी, सोन कटकरी
कोकना, कोकनी, कुकना
कोली ढोर, टोकरे कोली, कोल्चा, कोलघा
मीना / मीणा
नायक [[नायक (जाति)|नायक
सेहरिया, सेहरिया, सहरिया
संविधान (सिक्किम) अनुसूचित जनजाति आदेश, १९७८ के अनुसार।
भूटिया (चुम्बीपा, दत्थापा, डुकपा, केगेटी, शेरपा, तिब्बती, ट्रोमा, योलमो सहित)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
कम्मारा (कन्नियाकुमारी जिले को छोड़कर और तिरुनेलवेली जिले के शेंकोत्तह तालुक)
कणिकरन, कनिककर (कन्नियाकुमारी जिले में और तिरुनेलवेली जिले के शेंकोतह तालुक)
कोटा (तिरुनेलवेली जिले के कन्नियाकुमारी जिले और शेंकोतला तालुक को छोड़कर)
कुरुम्बास (नीलगिरि जिले में)
मलयाली (धर्मपुरी, वेल्लोर, तिरुवन्नमलाई, पुदुक्कोट्टई, सलेम, नमक्कल, विल्लुपुरम, कुड्डलोर, तिरुचिरापल्ली, करूर और पेरम्बलुर जिलों में)
टोडा (कन्नियाकुमारी जिले को छोड़कर तिरुनेलवेली जिले के शेंकोत्तह तालुक)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
त्रिपुरा, त्रिपुरी, तिप्पेरा
पूर्व में उत्तरांचल। संविधान (अनुसूचित जनजाति) (उत्तर प्रदेश) आदेश, १ ९ ६७ के अनुसार और २००० के अधिनियम २ ९ के अनुसार डाला गया है।
संविधान (अनुसूचित जनजाति) (उत्तर प्रदेश) आदेश, १ ९ (के अनुसार।
गोंड, धुरिया, ओझा, नायक, पथारी, राज गोंड (महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, गाज़ीपुर, वाराणसी, मिर्ज़ापुर, संत कबीर नगर, कुशीनगर, चंदौली और भदोही जिलों मे)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, १९७६ के अनुसार।
भूटिया, शेरपा, टोटो, डुकपा, कागाटे, तिब्बती, योलमो
लोढ़ा, खेरिया, खारिया
गुजरात में अनुसूचित जनजातियों की सूची
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, १९८९
अनुसूचित जाति और जनजाति
अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों की सूची
भारत से सम्बन्धित सूचियाँ
भारत की जनजातियाँ
भारत की मानव जातियाँ |
भारत में कन्या भ्रूण हत्या ( हिंदी : भ्रूण हत्या , रोमनकृत : भूण- हत्या , शाब्दिक रूप से 'भ्रूण हत्या') कानूनी तरीकों के बाहर कन्या भ्रूण का गर्भपात है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के आधार पर प्यू रिसर्च सेंटर का एक शोध वर्ष २०००-२०१९ में कम से कम ९ मिलियन महिलाओं के भ्रूण हत्या का संकेत देता है। शोध में पाया गया कि इन भ्रूणहत्याओं में से ८६.७% हिंदुओं (आबादी का ८०%), सिखों (जनसंख्या का १.७%) के साथ ४.९% और मुस्लिम थे(जनसंख्या का १४%) ६.६% के साथ। शोध ने समय अवधि में बेटों के लिए वरीयता में समग्र गिरावट का भी संकेत दिया। [१]
प्राकृतिक लिंगानुपात प्रति १०० महिलाओं पर १०३ और १०७ पुरुषों के बीच माना जाता है, और इससे ऊपर की कोई भी संख्या कन्या भ्रूण हत्या का सूचक मानी जाती है। दशकीय भारतीय जनगणना के अनुसार, भारत में ० से ६ आयु वर्ग में लिंगानुपात 1९६1 में प्रति १०० महिलाओं पर 1०२.४ पुरुषों से बढ़कर, [२] 1९8० में 1०४.२, २००1 में १०७.५, २०11 में 1०8.९ हो गया है। [३]
बाल लिंग अनुपात भारत के सभी पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में सामान्य सीमा के भीतर है, [४] लेकिन कुछ पश्चिमी और विशेष रूप से उत्तर पश्चिमी राज्यों जैसे महाराष्ट्र , हरियाणा , जम्मू और कश्मीर (११८, १२० और ११६, २०११ तक) में काफी अधिक है। , क्रमश)। [५] पश्चिमी राज्यों महाराष्ट्र और राजस्थान में २०११ की जनगणना में बाल लिंगानुपात ११३, गुजरात में ११२ और उत्तर प्रदेश में १११ पाया गया। [६]
भारतीय जनगणना के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि जब महिलाओं के एक या दो बच्चे होते हैं तो लिंगानुपात खराब होता है, लेकिन यह बेहतर हो जाता है क्योंकि उनके अधिक बच्चे होते हैं, जो लिंग-चयनात्मक "रोकने की प्रथाओं" (जन्म लेने वालों के लिंग के आधार पर बच्चे पैदा करना बंद करना) का परिणाम है। . [७] भारतीय जनगणना के आंकड़े यह भी बताते हैं कि असामान्य लिंगानुपात और बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति और साक्षरता के बीच एक सकारात्मक संबंध है। यह भारत में दहेज प्रथा से जुड़ा हो सकता है जहां एक लड़की को वित्तीय बोझ के रूप में देखे जाने पर दहेज मृत्यु होती है। १९९१ , २००१ और २०११ के अनुसार शहरी भारत में ग्रामीण भारत की तुलना में बाल लिंगानुपात अधिक हैजनगणना डेटा, शहरी भारत में कन्या भ्रूण हत्या के उच्च प्रसार को दर्शाता है। इसी प्रकार, बाल लिंगानुपात प्रति १०० लड़कियों पर ११५ लड़कों से अधिक उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ हिंदू बहुसंख्यक हैं; इसके अलावा, "सामान्य" बाल लिंगानुपात प्रति १०० लड़कियों पर १०४ से १०६ लड़के हैं, उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां बहुसंख्यक मुस्लिम, सिख या ईसाई हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि लिंग चयन एक प्रथा है जो कुछ शिक्षित, समृद्ध वर्गों या भारतीय समाज के एक विशेष धर्म के बीच होती है। [५] [८]
इस बात पर बहस चल रही है कि क्या ये उच्च लिंगानुपात केवल कन्या भ्रूण हत्या के कारण हैं या कुछ उच्च अनुपात प्राकृतिक कारणों से समझाया गया है। [९] भारत सरकार ने 1९९4 में प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट (पपंड) पास किया था, ताकि प्रीनेटल सेक्स स्क्रीनिंग और कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध लगाया जा सके। वर्तमान में भारत में किसी को भी भ्रूण के लिंग का निर्धारण या खुलासा करना अवैध है। हालांकि, ऐसी चिंताएं हैं कि पीसीपीएनडीटी अधिनियम को अधिकारियों द्वारा खराब तरीके से लागू किया गया है। [१०]
भारत में गर्भपात |
सुन्नपुराल्लपल्लि (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है।
आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट
आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग
निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल
आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट |
हमारा संसार १९७८ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
नामांकन और पुरस्कार
१९७८ में बनी हिन्दी फ़िल्म |
बोला अहमद अदेकुनले टीनुबु (जन्म २९ मार्च १९५२) एक नाइजीरियाई लेखाकार, राजनेता और नाइजीरिया के राष्ट्रपति-चुनाव हैं, उन्होंने संक्षिप्त अवधि के दौरान १९९९ से २००७ तक लागोस राज्य के गवर्नर और लागोस वेस्ट के सीनेटर के रूप में कार्य किया। तीसरा गणराज्य ।
टीनूबू ने अपना प्रारंभिक जीवन दक्षिण-पश्चिमी नाइजीरिया में बिताया और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए जहां उन्होंने शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी में लेखांकन का अध्ययन किया। वह १९८० के दशक की शुरुआत में नाइजीरिया लौट आए और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के बैनर तले १९९२ में लागोस वेस्ट सेनेटोरियल उम्मीदवार के रूप में राजनीति में प्रवेश करने से पहले मोबिल नाइजीरिया द्वारा एक लेखाकार के रूप में कार्यरत थे। १९९३ में तानाशाह सानी अबाचा द्वारा सीनेट को भंग करने के बाद, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन आंदोलन के एक भाग के रूप में टीनुबु लोकतंत्र की वापसी के लिए अभियान चलाने वाला एक कार्यकर्ता बन गया। यद्यपि उन्हें १९९४ में निर्वासन के लिए मजबूर किया गया था, अबाचा की १९९८ की मृत्यु के बाद टीनुबु वापस लौट आए, जिससे चौथे गणराज्य में संक्रमण की शुरुआत हुई।
ट्रांज़िशन के बाद के पहले लागोस स्टेट गवर्नर चुनाव में, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के डेपो सारुमी और ऑल पीपल्स पार्टी के नोसिरुदीन केकेरे-एकुन पर एलायंस फ़ॉर डेमोक्रेसी के सदस्य के रूप में टीनुबू ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। चार साल बाद, उन्होंने पीडीपी के फ़नशो विलियम्स पर कम अंतर से दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुनाव जीता । टीनुबु की दो शर्तों को लागोस शहर के आधुनिकीकरण के प्रयासों और पीडीपी-नियंत्रित संघीय सरकार के साथ उनके झगड़ों द्वारा चिह्नित किया गया था। २००७ में पद छोड़ने के बाद, उन्होंने २०१३ में ऑल प्रोग्रेसिव कांग्रेस के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लंबा और विवादास्पद, टीनूबू का करियर भ्रष्टाचार के आरोपों और उनके व्यक्तिगत इतिहास की सत्यता के बारे में सवालों से ग्रस्त रहा है।
१९५२ में जन्मे लोग |
१५ अप्रैल १६८७ को भंगाणी का युद्ध हुआ। जिसमें कहिलूर के राजा भीमचंद ने अन्य राजाओं को साथ लेकर गुरु जी पर आक्रमण किया। पौंटा साहिब से सात मील पूर्व की तरफ यमुना और गिरी नदियों के बीच के स्थान भंगाणी पर युद्घ हुआ। इस युद्घ में गुरु जी की बुआ बीबी वीरों जी के पांचों पुत्रों तथा मामा कृपाल चंद जी ने हिस्सा लिया। गुरु जी के सिक्ख महंत कृपालदास जी उदासी ने भारी लाठी द्वारा हयात खान का सिर फोड़ दिया, इसमें गुरु जी की जीत हुई। |
जाने जिगर १९९८ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
जय किशन श्राफ
अयूब ख़ान - रवि कुमार
पुनीत इस्सर - राना
कादर ख़ान - घनश्याम
विकास आनन्द - प्रेम किशन
मैक मोहन - मैक
नामांकन और पुरस्कार
१९९८ में बनी हिन्दी फ़िल्म |
बीजिंग में २००८ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में टेनिस प्रतियोगिताओं का आयोजन १० अगस्त से १७ अगस्त तक ओलंपिक ग्रीन टेनिस सेंटर पर हुआ। डेकोटर्फ़ ने इस प्रतियोगिता के लिए हार्ड मैदान तैयार किये।
महिल एकल टेनिस ने इस प्रतियोगिता में विशेष ध्यानाकर्षण किया क्योंकि यह १९०८ के बाद दूसरी बार आयोजित हुआ था एवं दूसरा इसमें सभी विजेता एक ही देश रूस से थे।
पुरुष एकल इस तरह से महत्त्वपूर्ण रहा कि १९२० के खेलों के बाद यह पहली बार हुआ था कि किसी खिलाड़ी ने लगातार दो ओलंपिक मेडल जीते हैं जबकि पुरुष युगल स्विट्ज़रलैण्ड को पहली बार मिला।
एकल प्रतियोगिता में अधिकतर खिलाड़ी (६४ में से ५६ खिलाड़ी) को प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका सीधे उनकी एटीपी (पुरुष) अथवा ड्ब्ल्यूटीए (महिला) श्रेणी से मिला।
ओलंपिक ग्रीन टेनिस सेंटर
केन्द्रीय कोर्ट १०००० सीटें
शॉ कोर्ट १ ४००० सीटें
शॉ कोर्ट २ २000 सीटें
अन्य कोर्ट ७ कोर्ट, प्रत्येक में २०० सीटें हैं।
सतह डेकोटर्फ़ ई
ओलंपिक खेलों में टेनिस प्रतियोगिताओं को एकल उन्मूलन टूर्नामेंट के रूप में आयोजित किया गया। इस तरह एकल ड्रॉ, ६४ का अर्थ कुल ६ दौर में प्रतियोगिताओं का होना तय था जिसके साथ में ५ दौर युगल प्रतियोगिताओं में होना था इसमें शुरुआती स्तर के ड्रॉ की संख्या ३२ थी। सेमी-फाइनल में पहुँचने वाले खिलाड़ियों को पदक मिलना तय था क्योंकि सेमी-फाइनल के हारने वाले दोनों खिलाड़ियों को कांस्य पदक दिया गया।
पुरुष एकल और युगल फाइनल में ५ में सर्वश्रेष्ठ और अन्य मैचों में ३ में सर्वश्रेष्ठ का तरीका अपनाया गया। निर्णायक फाइनल में कोई टाइ-ब्रेक नहीं था।
बिजिंग ओलंपिक २००८ की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त आँकड़े।
|२००८ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक टेनिस - पुरुष एकल|पुरुष एकल
|२००८ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक टेनिस - पुरुष युगल|पुरुष युगल
|२००८ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक टेनिस - पुरुष एकल|महिला एकल
|२००८ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक टेनिस - महिला युगल|महिला युगल
इंटरनेशनल टेनिस फेडेरेशन २००८ के ओलंपिक में टेनिस स्पर्धायें
टेनिस आधिकारिक परिणाम पुस्तिका
२००८ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक स्पर्धायें |
चार दी कला भारत में प्रकाशित होने वाला पंजाबी भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है।
इन्हें भी देखें
भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची
भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र
पंजाबी भाषा के समाचार पत्र |
प्लैनेट ऑफ़ द एप्स एक अमेरिकी विज्ञान कथा मीडिया फ्रेंचाइज़ी है जिसमें फिल्मों, किताबों, टेलीविज़न श्रंखलाओं, कॉमिक्स और अन्य मीडिया की दुनिया शामिल है जिसमें मनुष्य और बुद्धिमान वानर (कपि) नियंत्रण (नियन्त्रण) के लिए संघर्ष करते हैं। फ्रैंचाइज़ी फ्रांसीसी लेखक पियरे बाउल के १९६३ के उपन्यास ला प्लैनेट देस सिंगल्स पर आधारित है, जिसका अनुवाद अंग्रेजी में प्लैनेट ऑफ़ द एप्स या मंकी प्लैनेट के रूप में किया गया है। इसकी १९६८ की फिल्म रूपांतरण, प्लैनेट ऑफ द एप्स एक महत्वपूर्ण और व्यावसायिक हिट थी, जिसमें सीक्वल, टाई-इन और व्युत्पन्न कार्यों की एक श्रंखला शुरू की गई थी। आर्थर पी॰ जैकब्स ने २०वीं सदी के फॉक्स के लिए एपीजेएसी प्रोडक्शंस के माध्यम से पहली पांच एप्स फिल्मों का निर्माण किया; १९७३ में उनकी मृत्यु के बाद से, फॉक्स ने मताधिकार को नियंत्रित किया है।
लोकप्रिय संस्कृति में क्रमविकास |
जैवसूचनाविज्ञान (बायोयनफोरमेटिक्स) जीव विज्ञान की एक शाखा है। बायोइंफॉर्मैटिक्स या जैव सूचना विज्ञान, जीव विज्ञान का एक नया क्षेत्र है, जिसके अन्तर्गत जैव सूचना का अर्जन, भंडारण, संसाधन, विश्लेषण, वितरण, व्याख्याआदि कार्य आते हैं। इस कार्य में जीव विज्ञान, सूचना तकनीक तथा गणित की तकनीकें उपयोग में लाई जातीं हैं। हम यहाँ भी कहा सकते है की यह कंप्यूटर और सूचना तकनिकी विज्ञान का मेल है
इसके माध्यम से खासतौर पर किसी पौधे के जीन्स में किस प्रकार के परिवर्तन करना, जानलेवा बीमारी के लिए उत्तरदायी जीन्स समूह का पता करना, औषधि निर्माण में सहायता आदि में किया जाता है। जैव सूचना विज्ञान इस विषय की स्थापना के बारे में पाउलिन होगेवेग और बेन हेस्पर ने वर्ष १९७८ को विचार किया और दुनिया के सामने बायोइन्फार्मेटिक्स विषय लाए। वर्तमान में कम्प्यूटर की पैटर्न रिकॉगनेशन, डाटा माइनिंग, मशीन लर्निंग अलगोरिद्मस व विजुअलाइजेशन से संबंधित एप्लिकेशंस का प्रयोग किया जा रहा है। इसके माध्यम से जीन खोजना, जिनोम असेंबली, ड्रग डिजाइन, ड्रग डिस्कवरी, प्रोटीन स्ट्रक्चर अलाइनमेंट, प्रोटीन स्ट्रक्चर प्रिडिक्शन आदि क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जा रहा है। बायोइन्फार्मेटिक्स अथवा कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी मालिक्यूलर बायोलॉजी के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग अथवा बायोलॉजिकल डाटा के प्रबंधन एवं विश्लेषण हेतु कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी का अनुप्रयोग है। इसमें कम्प्यूटर का उपयोग बायोलॉजिकल आंकड़ों के संकलन, भंडारण, विश्लेषण तथा संयोजन के लिए किया जाता है। यह एक उभरता हुआ इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च क्षेत्र है तथा जिंदगी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसका उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। बायोइन्फार्मेटिक्स का अंतिम लक्ष्य शृंखला, संरचना साहित्य तथा अन्य बायोलॉजिकल आंकड़ों में छिपी जैविक सूचनाओं को उजागर कर उसे मानव जीवन के स्तर को ऊपर उठाने के लिए उपयोग में लाना है।
भारत में जैवसूचनाविज्ञान के क्षेत्र में चल रही पूर्ण परियोजनाएंँ/प्रमुख उपलब्धियाँ
१. एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सीडीएसी) विकास केंद्र, पुणे में जैव सूचना विज्ञान संसाधन और आवेदन सुविधा (बीआरएएफ) चरण ई
२. जैव सूचना विज्ञान और एप्लाइड जैव प्रौद्योगिकी (आईबीएबी), बंगलौर में प्रोटीन और आरएनए के अनुक्रम संरेखण के लिए नोवल एल्गोरिदम
३. आईआईटी, दिल्ली में वेब-सक्षम प्रोटीन सट्रक्चर प्रीडिक्शन सॉफ्टवेयर का विकास
४. आईबीएबी, बंगलौर में मादा प्रजनन प्रणाली के लिए विशिष्ट जीन की एक्सप्रेशन पैटर्न की भविष्यवाणी के लिए सॉफ्टवेयर का विकास
५. राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई), लखनऊ में भारतीय वनस्पति बागवानी नेटवर्क
६. जैव प्रौद्योगिकी केंद्र जे.एन. कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर में प्रोटीन की ३ड संरचना की लिगैंड बाइंडिंग साइट को पहचानने के लिए सॉफ्टवेयर टूल का विकास
७. एयू-केबीसी अनुसंधान केन्द्र, अन्ना विश्वविद्यालय चेन्नई में बैक्टीरियल जीनोम और हाइड्रोजन प्राॅडक्शन पाथवे में काल्पनिक ओआरएफ की पहचान के लिए जैव सूचना विज्ञान दृष्टिकोण
८. कैंसर विरोधी खोजः राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र, तिरुवनंतपुरम में प्राकृतिक उत्पादों में समृद्ध रसायनिक प्रयोगशालाओं की वर्चुअल स्क्रीनिंग
९. जैविक प्रणालियों के उत्तेजक चरण के वर्णन के लिए सूक्ष्मवाद दुष्टिकोण का विकासः जेएनयू नई दिल्ली में एफओ-एफ१ के प्रोटोन पंपिंग पाथवे पर विषय अध्ययन
१०. जैव सूचना विज्ञान केन्द्र, पांडिचेरी विश्वविद्यालय में पौधे और स्तनधारी जीनोम के निर्माण की प्रोटीन डिजाइनिंग के लिए सॉफ्टवेयर टूल्स का विकास
११. आईबीएबी बैंगलोर में जैव सूचना विज्ञान में अनुसंधान और प्रशिक्षण उत्कृष्टता केंद्रों औश्र पुणे और पांडिचेरी विश्वविद्यालय में जैव सूचना विज्ञान केन्द्रों में टाइप २ डाइबिटिस मेलिटस के आणविक आधार, एमीलोईडोजेनिक प्रोटीन के मॉडलिंग फोेल्डिंग तेत्र को समझना
१२. सी-डैक, पुणे में उच्च प्रवाहक्षमता जीनोम विश्लेषण के लिए कंप्यूटेशनल कार्यप्रवाह का विकास
१३. आईबीएबी बंगलौर में महत्वपूर्ण स्तनधारी ऊतकों के लिए विशिष्ट जीन एक्सप्रेशन डेटाबेस और प्रमोटर प्रिडिक्शन प्रोग्राम का विकास
१४. अंतःविषयी विज्ञान और प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय संस्थान (एनआईआईएसटी), तिरुवनंतपुरम में जैविक सिमुलेशन के लिए एजेंट धावकाल परिवेश का विकास
१५. जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान विभाग, नॉर्थ ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय, शिलांग में मेघालय में माइक्रोबियल समुदाय का तुलनात्मक विश्लेषण
१६. भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरूचिरापल में टविलाइट जोन अनुक्रम एनोटेशन टूल का विकास
१७. आईआईएससी, बंगलौर में जिनोम और प्रोटीन क्रम में विभिन्न दोहरावों का पता लगाने के लिए इंटरनेट कम्प्यूटिंग सॉफ्टवेयर
१८. राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र, तिरुअनंतपुरम में टाइप ३ पोलीकेटाईड सिंथेस प्रोटीन संरचनाओं के डाटाबेस का विकास
१९. कृषि जैव सूचना विज्ञान संवर्धन कार्यक्रम
२०. जेएनयू में लक्ष्य आधारित फार्माकोर दृष्टिकोण का उपयोग करके नोवल मलेरिया रोधी औषधी का निर्माण
२१. हब प्रोटीन की भविष्यवाणी करने वाला वेब सर्वर
२२. औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पंजाब में उपकोशिकीय स्थानीयकरण की सिलिको प्रीडिक्शन में
२३. भरतीयार विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर में प्रोटीन कीनासिस रिलेशनशिप और पाथवे की टेक्स्ट माइनिंग और डेटा वेयरहाउसिंग
२४. आईआईटी, गुवाहाटी में पूर्वोत्तर के जिंगीबेरासीय में डीएनए बारकोडिंग आधारित जैव विविधता सूची
२५. आईआईटी, गुवाहाटी में लीशमनियासिस के विरुद्ध चिकित्सा
२६. चाय अनुसंधान संगठन, असम में चाय जैव सूचना विज्ञान पर पूर्वोतर परियोजना
२७. नॉर्थ ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय, शिलांग में पूर्वोत्तर भारत के माइक्रोबियल डेटाबेस का विकास
२८. पूर्वोत्तर परजीवी जानकारी और विश्लेषण केंद्र - नॉर्थ ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय, शिलांग में सिलिको दृष्टिकोण।
बायोइन्फॉर्मैटिक्स में निम्न साधन अपेक्षित हैं:
कम्प्यूटर एवं अन्य हार्ड्वेयर
कुछ महत्वपूर्ण डाटाबेस
इनमें तीन प्रमुख होते हैं:
न्यूक्लिक अम्ल अनुक्रम डाटाबेस
ई.एम.बी.एल. न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम डाटाबेस
एन.सी.बी.आई. जीन बैंक
प्रोटीन अनुक्रम डाटाबेस
प्रोटीन संरचना का डाटाबेस
कुछ महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर
इंटरनेट के अलग अलग सर्वर्स पर बायोइन्फॉर्मैटिक्स से संबंधित बहुत से सॉप्टवेयर उपलब्ध हैं। इनमें से प्रमुख हैं:-
डब्ल्यू ए आई एस
एस एफ़ गेट
डी एन ए टु ए.ए.
प्रिडिक्ल्शन ऑफ़ सैकिंडरी स्ट्रक्चर
प्रिडिक्शन प्रिडिक्ट प्रोटीन
बायोइन्फ़ॉर्मैटिक्स ने जैविकी के क्षेत्र में शोध करने के तरीके को ही बदल दिया है। विशेष प्रासंगिकता के जैव सूचना विज्ञान में, देश विशिष्ट मानव, पौधों और पशुओं के रोगों को समझना, औषधि खोज की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करना और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को जानना जैसे मुद्दे शामिल हैं। जैव सूचना विज्ञान में बड़े पैमाने पर साधारण मनुष्यों और समाज से संबंधित इन मुद्दों में से कुछ को हल करने की कुंजी है। प्रयोगात्मक उपमार्ग के बजाय अब किसी भी शोध का प्रारंभ कम्प्यूटर पर उपलब्ध डाटाबेसेज़ की उपयुक्त सॉफ़्टवेयर द्वारा तलाश एवं तुलना से होता है। किसी वैज्ञानिक द्वारा एक जीन के बेस अनुक्रम को प्राप्त कर लेने के पश्चात, उसकी किसी डाटाबेस पर पहले से विद्यमान किसी अनुक्रम से तुलना की जा सकती है। दोनों अनुक्रमों में कितनी समानता है, इस आधार पर नए जीन की कार्यशैली या उत्पत्ति पर प्रकाश डाला जा सकता है। इससे निम्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन की आशाएं हैं:-
किसी जानलेवा बीमारी के लिए उत्तरदायी जीन-समूह का पता लगाना।
औषधि निर्माण के लिए एक लक्ष्य को निर्धारित करना।
उस लक्ष्य को हिट करने के लिए उपयुक्त अणुओं (लिंगेड्स) का डिज़ाइन तैयार करना।
एक उपयुक्त औषधि को उसके वैध प्राप्तकर्ता तक आसानी तथ शीघ्रता से पहुंचाना।
किसी पौधे के जीन में इस प्रकार से परिवर्तन करना कि पुनर्योजी प्रोटीन का उपयोग मानव कल्याण में हो सके।
कैरियर में उभरता नया क्षेत्र है बायोइन्फॉर्मेटिक्स
बायोइन्फॉरमेटिक्स की बड़ी मांग है इन दिनों
बायो-इन्फॉर्मेटिक्स में बनाएं करियर
व्यावहारिक विज्ञान में है कामयाबी की कुंजी-मन बनाइए
यूरोपियन बायोइन्फॉर्मैटिक्स संस्थान
यूरोपियन आण्विक जैविकी प्रयोगशाला |
हावड़ा एक्स्प्रेस २३४८ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन रामपुर हट रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:र्फ) से ०४:३५प्म बजे छूटती है और हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:हह) पर ०८:१५प्म बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है ३ घंटे ४० मिनट।
मेल एक्स्प्रेस ट्रेन |
एक संगीत निर्देशक, संगीत निर्देशक, या संगीत निर्देशक एक ऑर्केस्ट्रा या कॉन्सर्ट बैंड के निर्देशक हो सकते हैं, एक फिल्म के लिए संगीत निर्देशक, एक रेडियो स्टेशन पर संगीत निर्देशक, एक स्कूल में संगीत विभाग के प्रमुख, एक विश्वविद्यालय, कॉलेज, या संस्था में संगीत कलाकारों के समन्वयक। |
निर्म सीर नेदुमर नायनमार तमिल नाडु में सन्त था।
बहार देख्ने को
निर्म सीर नेदुमर - ६३ नायनमार |
चेस्टर इंग्लैंड के चेशायर में एक चारदीवारी वाला कैथेड्रल शहर है। यह अंग्रेजी-वेल्श सीमा के करीब, डी नदी पर स्थित है। २०११ में ७९,६४५ की आबादी के साथ, यह चेशायर वेस्ट और चेस्टर (एक एकात्मक प्राधिकरण जिसकी २०११ में ३२९,६०८ की आबादी थी) का सबसे अधिक आबादी वाला समझौता है और इसके प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। यह चेशायर का ऐतिहासिक काउंटी शहर भी है और वॉरिंगटन के बाद चेशायर में दूसरा सबसे बड़ा समझौता है।
चेस्टर की स्थापना ७९ ईस्वी में सम्राट वेस्पासियन के शासनकाल के दौरान "कैस्ट्रम" या रोमन किले के रूप में देव विक्ट्रिक्स नाम से की गई थी। रोमन ब्रिटेन में मुख्य सैन्य शिविरों में से एक, देवा बाद में एक प्रमुख नागरिक बस्ती बन गया। ६८ ९ में, मर्सिया के राजा एथेलरेड ने वेस्ट मर्सिया के मिनस्टर चर्च की स्थापना की, जो बाद में चेस्टर का पहला कैथेड्रल बन गया, और एंगल्स ने डेन के खिलाफ शहर की रक्षा के लिए दीवारों को बढ़ाया और मजबूत किया। चेस्टर इंग्लैंड के अंतिम शहरों में से एक था जो नॉर्मन्स के अधीन था, और विलियम द कॉन्करर ने शहर और पास की वेल्श सीमा पर हावी होने के लिए एक महल के निर्माण का आदेश दिया। १५४१ में चेस्टर को शहर का दर्जा दिया गया था।
चेस्टर की शहर की दीवारें देश में सबसे अच्छी तरह से संरक्षित हैं और ग्रेड ई सूचीबद्ध स्थिति है। इसमें कई मध्ययुगीन इमारतें हैं, लेकिन शहर के केंद्र के भीतर कई श्वेत-श्याम इमारतें विक्टोरियन पुनर्स्थापन हैं, जो ब्लैक-एंड-व्हाइट रिवाइवल आंदोलन से उत्पन्न हुई हैं। १०० मीटर (३३० फीट) खंड के अलावा, दीवारें लगभग पूरी हो चुकी हैं। औद्योगिक क्रांति ने शहर में रेलवे, नहरों और नई सड़कों को लाया, जिसने पर्याप्त विस्तार और विकास देखा; चेस्टर टाउन हॉल और ग्रोसवेनर संग्रहालय इस अवधि के विक्टोरियन वास्तुकला के उदाहरण हैं। पर्यटन, खुदरा उद्योग, लोक प्रशासन और वित्तीय सेवाएं आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। चेस्टर शहर में प्रवेश करने वाली मुख्य सड़कों पर सड़क के संकेतों पर चेस्टर इंटरनेशनल हेरिटेज सिटी के रूप में हस्ताक्षर करता है।
सम्राट वेस्पासियन के शासनकाल के दौरान रोमन लेगियो ई एडियूट्रिक्स ने ७९ ईस्वी में चेस्टर की स्थापना "कैस्ट्रम" या रोमन किले के रूप में की थी जिसका नाम देवा विक्ट्रिक्स था। यह प्राचीन कार्टोग्राफर टॉलेमी के अनुसार, सेल्टिक कॉर्नोवी की भूमि में स्थापित किया गया था, [६] उत्तर की ओर रोमन विस्तार के दौरान एक किले के रूप में, और इसका नाम देव नाम दिया गया था या तो डी की देवी के बाद, या सीधे से नदी के लिए ब्रिटिश नाम। नाम का 'विक्ट्रिक्स' भाग लेगियो ऐक्स वेलेरिया विक्ट्रिक्स के शीर्षक से लिया गया था जो देवा पर आधारित था।. सेंट्रल चेस्टर की चार मुख्य सड़कें, ईस्टगेट, नॉर्थगेट, वाटरगेट और ब्रिजगेट, इस समय निर्धारित मार्गों का अनुसरण करती हैं।
सैन्य अड्डे के आसपास एक नागरिक बस्ती विकसित हुई, संभवतः किले के साथ व्यापार से उत्पन्न हुई। किला, ब्रिटानिया के रोमन प्रांत के अन्य किलों की तुलना में २०% बड़ा था, जिसे यॉर्क (एबोराकम) और कैरलियन (इस्का ऑगस्टा) में एक ही समय में बनाया गया था; इससे यह सुझाव दिया गया है कि लंदन (लोंडिनियम) के बजाय किले ), ब्रिटानिया सुपीरियर के रोमन प्रांत की राजधानी बनने का इरादा था। सिविलियन एम्फीथिएटर, जिसे पहली शताब्दी में बनाया गया था, में ८,००० से १०,००० लोग बैठ सकते थे। यह ब्रिटेन में सबसे बड़ा ज्ञात सैन्य अखाड़ा है, और यह एक अनुसूचित स्मारक भी है। रोमन खदान में मिनर्वा श्राइन ब्रिटेन में अभी भी सीटू में एकमात्र रॉक कट रोमन मंदिर है।
कम से कम चौथी शताब्दी के अंत तक किले को सेना द्वारा घेर लिया गया था। यद्यपि सेना ने ४१० तक किले को छोड़ दिया था जब रोमन ब्रिटानिया से पीछे हट गए थे, रोमानो-ब्रिटिश नागरिक समझौता जारी रहा (शायद कुछ रोमन दिग्गज अपनी पत्नियों और बच्चों के साथ पीछे रह रहे थे) और इसके रहने वालों ने शायद किले का उपयोग करना जारी रखा और आयरिश सागर से हमलावरों से सुरक्षा के रूप में इसकी सुरक्षा।
रोमन सैनिकों के हटने के बाद, रोमानो-ब्रिटिश ने कई छोटे-छोटे राज्यों की स्थापना की। माना जाता है कि चेस्टर पॉविस का हिस्सा बन गया है। डेवरडोई चेस्टर के लिए १२ वीं शताब्दी के अंत तक एक वेल्श नाम था (क्फ डायफ्रद्वी, डी नदी के लिए वेल्श)। एक अन्य, जिसे ९वीं शताब्दी में ब्रिटेन के इतिहास में प्रमाणित किया गया है, पारंपरिक रूप से नेनिअस को जिम्मेदार ठहराया गया है, वह है केयर लीजन ("किला" या "सिटी ऑफ द लीजन"); यह बाद में कैरलीन और फिर आधुनिक वेल्श कैर में विकसित हुआ। (शहर के महत्व को प्रत्येक मामले में सरल रूप लेने के द्वारा नोट किया जाता है, जबकि मॉनमाउथशायर में इस्का ऑगस्टा, एक अन्य महत्वपूर्ण सैन्य आधार, पहले उस्क पर कैरलीन के रूप में जाना जाता था, और अब कैरलीन के रूप में जाना जाता था)। कहा जाता है कि राजा आर्थर ने "सेनाओं के शहर" (कैरलेन) में अपनी नौवीं लड़ाई लड़ी थी और बाद में सेंट ऑगस्टीन चर्च को एकजुट करने की कोशिश करने के लिए शहर आए, और वेल्श बिशप के साथ अपने धर्मसभा का आयोजन किया।
६१६ में, नॉर्थम्ब्रिया के एथेलफ्रिथ ने चेस्टर की क्रूर और निर्णायक लड़ाई में एक वेल्श सेना को हराया, और संभवत: तब से इस क्षेत्र में एंग्लो-सैक्सन की स्थिति स्थापित की। नॉर्थम्ब्रियन एंग्लो-सैक्सन ने ब्रिटिश नाम, लेगासीस्टर के पुराने अंग्रेजी समकक्ष का इस्तेमाल किया, जो ११ वीं शताब्दी तक चालू था, जब वेल्श के उपयोग के साथ समानांतर में, पहला तत्व उपयोग से बाहर हो गया और साधारण नाम चेस्टर उभरा। ६८९ में, मर्सिया के राजा एथेलरेड ने वेस्ट मर्सिया के मिनस्टर चर्च की स्थापना की, जिसे प्रारंभिक ईसाई स्थल माना जाता है: इसे सेंट जॉन द बैपटिस्ट, चेस्टर (अब सेंट जॉन्स चर्च) के मंत्री के रूप में जाना जाता है, जो बाद में पहला कैथेड्रल बन गया। . बहुत बाद में, एथेलरेड की भतीजी, सेंट वेरबर्ग के शरीर को ९वीं शताब्दी में स्टैफोर्डशायर के हनबरी से हटा दिया गया था और इसे डेनिश लुटेरों द्वारा अपवित्रता से बचाने के लिए, एसएस पीटर और पॉल के चर्च में फिर से दफनाया गया था - बाद में एबी चर्च बन गया। (वर्तमान गिरजाघर)। उसका नाम अभी भी सेंट वेरबर्ग स्ट्रीट में याद किया जाता है जो कैथेड्रल के साथ और शहर की दीवारों के पास से गुजरता है।
एंग्लो-सैक्सन ने डेन के खिलाफ शहर की रक्षा के लिए चेस्टर की दीवारों को बढ़ाया और मजबूत किया, जिन्होंने इसे थोड़े समय के लिए कब्जा कर लिया जब तक कि अल्फ्रेड ने सभी मवेशियों को जब्त नहीं किया और उन्हें बाहर निकालने के लिए आसपास की भूमि को बर्बाद कर दिया। यह अल्फ्रेड की बेटी एथेलफ्लैड, लेडी ऑफ द मर्सियंस थी, जिसने नए एंग्लो-सैक्सन बुर का निर्माण किया। अकेले सेंट पीटर को समर्पित एक नए चर्च की स्थापना ९०७ ईस्वी में लेडी ठेल्फ्लेडा द्वारा क्रॉस बनने के लिए की गई थी। ९७३ में, एंग्लो-सैक्सन क्रॉनिकल ने रिकॉर्ड किया कि, बाथ में अपने राज्याभिषेक के दो साल बाद, इंग्लैंड के राजा एडगर चेस्टर आए, जहां उन्होंने एक महल में अपना दरबार रखा, जिसे अब हैंडब्रिज में पुराने डी ब्रिज के पास एडगर फील्ड के नाम से जाना जाता है। एक बजरा की कमान संभालते हुए, उन्हें एडगर के फील्ड से डी नदी तक सेंट जॉन द बैपटिस्ट के महान मिनस्टर चर्च में छह (भिक्षु हेनरी ब्रैडशॉ रिकॉर्ड करता है कि उन्हें आठ राजाओं द्वारा पंक्तिबद्ध किया गया था) की छोटी दूरी पर रेगुली कहा जाता था।
१०७१ में, किंग विलियम द कॉन्करर ने ह्यूग डी'वेरांचेस को बनाया, जिन्होंने चेस्टर कैसल का निर्माण किया, चेस्टर का पहला अर्ल (दूसरी रचना)।
१४वीं शताब्दी से १८वीं शताब्दी तक उत्तर पश्चिम इंग्लैंड में शहर की प्रमुख स्थिति का मतलब था कि इसे आमतौर पर वेस्टचेस्टर के नाम से भी जाना जाता था। इस नाम का इस्तेमाल सेलिया फिएनेस ने १६९८ में शहर का दौरा करते समय किया था। और मोल फ़्लैंडर्स में भी इसका उपयोग किया जाता है।
प्रारंभिक आधुनिक काल
अंग्रेजी गृहयुद्ध में, चेस्टर ने किंग चार्ल्स ई के शाहीवादी कारण का पक्ष लिया, लेकिन १६४३ में सांसदों द्वारा वश में कर लिया गया। चेस्टर के मेयर, चार्ल्स वॉली को कार्यालय से हटा दिया गया और उनकी जगह एल्डरमैन विलियम एडवर्ड्स ने ले लिया। एक अन्य एल्डरमैन, एक शाही सांसद और पूर्व मेयर, फ्रांसिस गामुल को डी मिल्स को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया गया था: उन्हें ध्वस्त कर दिया जाना था, और शहर की जमीन पर नई मिलों का निर्माण किया जाना था।
चेस्टर ने औद्योगिक क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो १८ वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम में शुरू हुई थी। न्यूटाउन का शहर गांव, शहर के उत्तर पूर्व में स्थित है और श्रॉपशायर यूनियन कैनाल से घिरा हुआ है, इस उद्योग के केंद्र में था। बड़े चेस्टर मवेशी बाजार और दो चेस्टर रेलवे स्टेशन, चेस्टर जनरल और चेस्टर नॉर्थगेट स्टेशन का मतलब था कि न्यूटाउन अपने मवेशी बाजार और नहर के साथ, और होल अपने रेलवे के साथ श्रमिकों के विशाल बहुमत को प्रदान करने के लिए जिम्मेदार थे और बदले में, विशाल राशि औद्योगिक क्रांति के दौरान चेस्टर के धन उत्पादन का। १८41 तक जनसंख्या २३,११५ थी।
चेस्टर में काफी मात्रा में भूमि वेस्टमिंस्टर के ७ वें ड्यूक के स्वामित्व में है, जो एक्लेस्टन गांव के पास एक संपत्ति, ईटन हॉल का मालिक है। मेफेयर में उनकी लंदन की संपत्तियां भी हैं।
ग्रोसवेनर ड्यूक का पारिवारिक नाम है, जो शहर में ग्रोसवेनर ब्रिज, ग्रोसवेनर होटल और ग्रोसवेनर पार्क जैसी सुविधाओं की व्याख्या करता है। चेस्टर की अधिकांश वास्तुकला विक्टोरियन युग की है, कई इमारतें जैकोबीन अर्ध-लकड़ी शैली पर बनाई गई हैं और जॉन डगलस द्वारा डिजाइन की गई हैं, जिन्हें ड्यूक ने अपने प्रमुख वास्तुकार के रूप में नियुक्त किया था। उनके पास मुड़ी हुई चिमनी के ढेर का एक ट्रेडमार्क था, जिनमें से कई शहर के केंद्र की इमारतों पर देखे जा सकते हैं।
डगलस ने अन्य इमारतों ग्रोसवेनर होटल और सिटी बाथ के बीच डिजाइन किया। १९११ में, डगलस के शिष्य और शहर के वास्तुकार जेम्स स्ट्रॉन्ग ने नॉर्थगेट स्ट्रीट के पश्चिम की ओर तत्कालीन सक्रिय फायर स्टेशन को डिजाइन किया। वेस्टमिंस्टर की संपत्ति से संबंधित सभी इमारतों की एक अन्य विशेषता 'ग्रे डायमंड्स' है - हीरे के निर्माण में रखी गई लाल ईंटों में ग्रे ईंटों का एक बुनाई पैटर्न।
द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में, किफायती आवास की कमी का मतलब चेस्टर के लिए कई समस्याएं थीं। शहर के बाहरी इलाके में कृषि भूमि के बड़े क्षेत्रों को १९५० और १९६० के दशक की शुरुआत में आवासीय क्षेत्रों के रूप में विकसित किया गया था, उदाहरण के लिए, ब्लाकॉन का उपनगर। १९६४ में, यातायात की भीड़ से निपटने के लिए शहर के केंद्र के आसपास और आसपास एक बाईपास बनाया गया था।
इन नए विकासों ने स्थानीय चिंता का कारण बना दिया क्योंकि भौतिकता [स्पष्टीकरण की आवश्यकता] और इसलिए शहर की भावना को नाटकीय रूप से बदला जा रहा था। १९६८ में, अधिकारियों और सरकार के सहयोग से डोनाल्ड इन्सॉल की एक रिपोर्ट ने सिफारिश की कि चेस्टर में ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित किया जाए। नतीजतन, इमारतों को समतल करने के बजाय नए और अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया गया।
१९६९ में शहर संरक्षण क्षेत्र नामित किया गया था। अगले २० वर्षों में द फाल्कन इन, डच हाउस और किंग्स बिल्डिंग जैसी ऐतिहासिक इमारतों को बचाने पर जोर दिया गया।
१३ जनवरी २००२ को, चेस्टर को फेयरट्रेड सिटी का दर्जा दिया गया था। इस स्थिति को फेयरट्रेड फाउंडेशन द्वारा २० अगस्त २०03 को नवीनीकृत किया गया था।
इंग्लैंड की काउंटी
इंग्लैंड के शहर |
तीर के दो अर्थ हो सकते हैं -
किनारा - जैसै नदी का तीर (नदी का किनारा)।
बाण - एक अस्त्र।
"नदी के तीर पर पहुंचकर पथिकों ने चैन की सांस ली " - यहां तीर का किनारा वाला अर्थ प्रयुक्त हुआ है।
युद्ध में आजकल तीर-तलवार की जगह मीज़ाइल और हवाई बमबारी का प्रयोग होता है।
दोनो ही अर्थों में यह संस्कृत से अवतरित हुआ है।
तूणीर - तरकश, तीर रखने की जगह।
अन्य भारतीय भाषाओं में निकटतम शब्द |
मालगोरज़ाटा गोर्स्क एक पोलिश कार्यकर्ता और संरक्षणवादी हैं, जिन्होंने यूरोप के अंतिम सच्चे जंगल क्षेत्रों में से एक, उत्तर-पूर्वी पोलैंड में रोस्पुडा घाटी की रक्षा के लिए आंदोलन में एक अभिन्न भूमिका निभाई। वह पोलैंड में पॉडलास्की वोइवोडशिप में ट्रज़्सियन क्षेत्र से आती है।
मालगोरज़ाटा गोर्स्क पक्षियों के संरक्षण के लिए पोलिश सोसायटी के लिए काम करता है। २००२ से वह रोस्पुडा घाटी को संरक्षित करने के लिए वाया बाल्टिका एक्सप्रेसवे के नियोजित मार्ग को बदलने के लिए एक अभियान चला रही है। २००२ में जदविगा कोपाटा द्वारा पुरस्कार जीतने के बाद, २०१० में उन्होंने इतिहास के दूसरे ध्रुव के रूप में अपनी उपलब्धियों के लिए गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार जीता। इसके अलावा, वे अपने पति के साथ मिलकर बीब्रज़ा घाटी में एक इकोटूरिज्म परिवार चलाती हैं।
रोस्पुडा घाटी के संरक्षण में योगदान
जब रोस्पुडा घाटी के अनूठे और साफ-सुथरे क्षेत्रों के माध्यम से वाया बाल्टिका एक्सप्रेसवे के निर्माण की योजना स्थापित की गई, तो राजनेताओं से योजनाओं को बदलने के लिए आग्रह करने के लिए मालगोरज़ाटा गोरस्का ने अपना अभियान शुरू किया। २००२ में उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ पोलैंड, ग्रीनपीस, पोलिश ग्रीन नेटवर्क और पोलिश सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स सहित कार्यकर्ताओं और संगठनों के गठबंधन को मजबूत किया। वह जन आंदोलन की सह-आयोजक थीं, जिसके दौरान लोगों ने उनके विचारों के समर्थन में हरे रंग का रिबन पहना था। मालगोरज़ाटा गोर्स्क मीडिया में सक्रिय थीं, उन्होंने साक्षात्कार दिए और कई बहसों में भाग लिया। उनकी गतिविधियाँ अक्सर पत्रिका और समाचार पत्रों के लेखों का विषय होती थीं।
२००४ में जब पोलैंड यूरोपीय संघ में शामिल हुआ, तो नेचुरा २००० कार्यक्रम की बदौलत रोस्पुडा घाटी एक संरक्षित क्षेत्र बन गई। हालाँकि, पोलिश सरकार के साथ उसकी बातचीत अभी भी वांछित परिणाम नहीं ला सकी। २००७ में यूरोपीय आयोग ने मामले को यूरोपीय संघ के न्याय न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया। अंत में, यूरोपीय संसद ने इस विषय पर एक रिपोर्ट तैयार की। उसी समय, पोलिश अदालतों ने तीन मौकों पर घोषणा की कि नियोजित मार्ग पोलिश कानून के अनुकूल नहीं है।
आठ साल की लड़ाई के बाद, मार्च २००९ में, पोलिश सरकार ने घोषणा की कि मार्ग बदल दिया जाएगा और रोस्पुडा घाटी के साथ प्रतिच्छेद नहीं करेगा। मूल उद्देश्य हासिल होने के बावजूद, माल्गोरज़ाटा गोरस्का वहाँ नहीं रुके। मार्ग में बदलाव की आवश्यकता थी ताकि न्याज़िन प्राइमवल फ़ॉरेस्ट, बीब्रज़ा मार्शेस और ऑगस्टो प्राइमवल फ़ॉरेस्ट के संरक्षित क्षेत्रों में घुसपैठ न करें। आखिरकार, २० अक्टूबर २००९ को इन विवादास्पद मार्ग खंडों के लिए एक पुन: मार्ग की योजना बनाई गई और इन इलाकों को विनाश से बचाया गया।
गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार और समारोह के लिए आवेदन
२०१० में, मनाना कोचलादेज़, जो बैंकवाच से जुड़े हुए हैं और २००४ के गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार के विजेता हैं, ने उस वर्ष के पुरस्कार के लिए माल्गोरज़ाटा गोरस्का को नामित किया। पोलिश ग्रीन नेटवर्क संगठन, जो बैंकवॉच का भागीदार है, ने गोल्डमैन पुरस्कार के लिए आवेदन शुरू किया। पुरस्कार जीतने पर, उन्हें सैन फ्रांसिस्को में समारोह में आमंत्रित किया गया था, लेकिन इससे पहले उन्होंने कई बैठकों में भाग लिया, उनमें से एक संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ थी।
गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार
मालगोरज़ाटा गोर्स्क के बारे में एक लेख - वाइल्डेवरोप.ऑर्ग
मालगोरज़ाटा गोर्स्क के बारे में एक लेख - एक.यूरोपा.यू
वाया बाल्टिका एक्सप्रेसवे के संबंध में गैर सरकारी संगठनों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट
जन्म वर्ष अज्ञात (जीवित लोग) |
प्रोफेसर ऐल्बस पर्सिवल वुल्फ्रिक ब्रायन डम्बलडोर () जे. के. रोलिंग द्वारा रचित हैरी पॉटर (उपन्यास) श्रृंखला में एक जादूगर हैं। वे इस श्रृंखला के प्रमुख किरदार हैरी पॉटर के दोस्त और शुभचिन्तक है। वो तन्त्र-मन्त्र और जादू के विद्यालय हॉग्वार्ट्स के प्रधानाचार्य हैं। डम्बलडोर सामान्य मगलू (ग़ैर-जादूगर) इंसानों से प्रेम और सहानुभूति भी रखते हैं। दुष्ट लॉर्ड वोल्डेमॉर्ट से लड़ने में डम्बलडोर ने हैरी की कई बार मदद की है। ज़्यादातर जादूगर डम्बलडोर को दुनिया का महानतम और शक्तिशाली जादूगर मानते हैं। यहाँ तक कि ख़ुद लॉर्ड वोल्डेमॉर्ट भी उनसे डरता है। वह माया पंछी का समूह के संस्थापक और नेता है। यह समूव इस श्रृंखला में अनिष्ट देव वोल्डेमॉर्ट से लड़ने के लिए समर्पित है। रोलिंग का कहना है कि डम्बल्डोर का अंग्रेज़ी शब्दकोश का अर्थ मधुमक्खी है। रोलिंग के अनुसार डम्बलडोर १८८१ में पैदा हुए थे और उनकी मौत १९९७ में हुयी थी। उनकी मौत ११५ - ११६ वर्ष की उम्र में हुई थी।
लेखक के अनुसार डम्बल्डोर के बारे में लिखने में मज़ा आता है क्योंकि वह "अच्छाई का प्रतीक है" | रोलिंग ने कहा कि डम्बल्डोर उनके जैसे हैं, क्यौन्कि "वह सब जानते हैं " डम्बल्डोर केंद्रीय चरित्र हैरी पॉटर एक गुरु के रूप में हैं। एक युवा प्रशंसक ने रोलिंग से पूछा था की क्या डम्बल्डोर को "सच्चा प्यार " मिलता है तब रोलिंग ने कहा है कि वह हमेशा समलैंगिक होने के रूप में डम्बल्डोर के बारे में सोचा करती थी और उनका गेल्लेर्ट ग्राइंडेल्वॉल्ड से चक्कर भी चला था, जो डम्बल्डोर के जीवन में '"बड़ा हादसा था" | |
चिंतामणि मालवीय भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के उज्जैन से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं।
भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर सांसदों के बारे में संक्षिप्त जानकारी
१६वीं लोक सभा के सदस्य
मध्य प्रदेश के सांसद |
इन्हें भी देखें
नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार
१८६१ में जन्मे लोग
नोबेल पुरस्कार विजेता
नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक
नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी
१९३८ में निधन |
आर्.लोचर्ल (अनंतपुर) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के अनंतपुर जिले का एक गाँव है।
आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट
आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग
निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल
आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट |
सिन्हा पुस्तकालय पटना का एक सार्वजनिक पुस्तकालय है। इसकी स्थापना १९२४ में सच्चिदानन्द सिन्हा ने की थी। इसका मूल नाम 'श्रीमती राधिका सिन्हा संस्थान एवं सच्चिदानन्द सिन्हा पुस्तकालय' था। १९५५ में राज्य सरकार ने इसे अपने अधिकार में ले लिया।
पुस्तकालय की विशेषता
सिन्हा पुस्तकालय की लाइब्रेरियन एस़ फजल बताती हैं कि वर्तमान समय में यहां एक लाख ८० हजार पुस्तकें हैं। वह कहती हैं कि प्रत्येक वर्ष बिहार सरकार द्वारा इस लाइब्रेरी को २० लाख रुपये के करीब मिलते हैं, जिसमें से ७५ हजार रुपये किताबों पर और करीब ३६ हजार रुपये पत्रिकाओं पर और शेष राशि वेतनादि पर खर्च किए जाते हैं। वह कहते हैं कि यहां प्रतिदिन १५ अखबार और प्रत्येक महीने २७ पत्रिकाएं आती हैं।
क्या यह इस महान पुस्तकालय का अंत है? (बिहार खबर)
भारत के पुस्तकालय |
नौका डूबी १९४७ में बनी हिन्दी भाषा की एक फिल्म है। इसमें अन्य साथी कलाकारो के साथ हिंदी नायक दिलीप कुमार ने भुमिका निभायी थी। |
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के रीवा में स्थित एक स्वायत्त विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय का नाम कप्तान अवधेश प्रताप सिंह के नाम पर रखा गया है जो भारत के ख्यातनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।
यह विश्वविद्यालय सन १९६८ में बनाया गया। इसे फरवरी १९७२ में यूजीसी से इस मान्यता मिली। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालय संघ और सभी विश्वविद्यालयों के राष्ट्रमंडल एसोसिएशन के सदस्य है।
विंध्य क्षेत्र के रीवा, सीधी, सिंगरौली, सतना, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया जिले के १४७ शासकीय और अशासकीय महाविद्यालय इस विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय से २ आयुर्वेद महाविद्यालय भी संबद्धता रखते हैं। सर्वसुविधायुक्त इस विश्वविद्यालय में कुल १३ नियमित पाठ्यक्रम और लगभग ४५ स्ववित्तीय पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं। सुनहरे भविष्य का सपना संजो कर अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में देश-विदेश के लगभग ३ हजार छात्र-छात्राएं प्रतिवर्ष अध्य्यन करने आते हैं।
शहर से लगभग ५ किलोमीटर दूरी पर यह विशाल भूखण्ड पर स्थापित है। यहाँ प्रशासनिक भवन के अलावा विश्वविद्यालय परिसर में पर्यावरण, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, मानविकी, अम्बेडकर भवन, हिन्दी विभाग, एम.बी.ए विभाग, आदिवासी केन्द्र, कम्प्यूटर केन्द्र, विक्रम अंतरिक्ष विभाग, भौतिक केन्द्र, यूएसआईसीए केन्द्रीय पुस्तकालय, छात्रावास, गेस्ट हाउस, आडिटोरियम, स्टेडियम, स्टाफ क्वार्टर, हाॅल हाॅस्टल, बैक, रोजगार ब्यूरो, भारतीय डाक, चिकित्सा डिस्पेंसरी, मौसम विज्ञान वेधशाला मौजूद है। इसके अलावा कैंटीन, जीराॅक्स, एस.टी.डी और शाॅपिंग सेन्टर, जिमनेजि़यम हाॅल, योगा हाॅल, शिव मंदिर और पार्क स्थित है।
पर्यावरण विज्ञान, फिज़िक्स, कम्प्यूटर सांईस, कमेस्ट्री, मैथ एण्ड स्टेटिक्स, पीएसलाजी, इतिहास, कल्चर एण्ड आर्ट, बिजनेस इकोनामिक्स, जे.एन.सेंटर पाॅलिसी रिसर्च, इंग्लिश, हिन्दी, रूसी भाषा, मास्टर आॅफ बिजनेस एडमनिस्ट्रेशन, अडल्ट एजुकेशन और सेल्फ सपोर्ट कोर्स सहित कुल ४२ कोर्स हैं जिसमें बी.पी.एड, बी.सी.ए, बी.बी.ए, बी.ए.एल.एल.बी, एम.बी.ए. एम.बी.ए.एचआरडी, एमबीए टूरिज़म, एम.एस.सी., एम.एस.डब्ल्यू, एम.पी.एड, एम.फिल, एम.काम जैसे कई कोर्स संचालित है।
इसके अलावा कई पत्राचार पाठ्यक्रम के डिग्री, डिप्लोमा कोर्स संचालित है। साथ ही अन्य कई नये कोर्स विश्वविद्यालय शुरू करने जा रहा है, जिसमें बी.एस.सी. नर्सिंग, बी.काम. अाॅनर्स एम.जे. आदि है।
अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय का जालघर
रीवा जिले की निक वेबसाइट
मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालय |
पाडली न.ज़.आ., कोश्याँकुटोली तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तराखण्ड के जिले
उत्तराखण्ड के नगर
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
उत्तरा कृषि प्रभा
न.ज़.आ., पाडली, कोश्याँकुटोली तहसील
न.ज़.आ., पाडली, कोश्याँकुटोली तहसील |
अधातु (नॉन-मेटाल) रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्त्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्त्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (मेटलॉइड) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये १४वें (क्सीव) से लेकर १८वें (ख्वी) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे ऊपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं।
प्रायः आवर्त सारणी के केवल २२ तत्त्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में ९२ तत्त्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है।
वैसे 'अधातु' की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। फिर भी मोटे तौर पर अधातुओं के निम्नलिखित गुण हैं-
धातुओं की तुलना में कम विद्युत चालकता
धातुओं की तुलना में कम ऊष्मा चालकता
अधातुएँ अम्लीय आक्साइड बनाती हैं। (जबकि धातुएँ क्षारीय आक्साइड बनाती हैं।)
जो अधातुएँ ठोस हैं, वे भी भंगुर (ब्रिटल) और चमकहीन होती हैं।
अधातुओं का घनत्व कम होता है।
अधातुओं का क्वथनांक और गलनांक धातुओं से काफी कम होता है।
अधातुओं की एलेक्ट्रान बंधुता सर्वाधिक होती है (अक्रिय गैसें अपवाद हैं।)। |
बट्टिकलोवा जिला ( माक्काप्पू म्वाम, ) श्रीलंका के २५ प्रशासनिक जिलों में से एक है। जिले का प्रशासनिक अधिकार जिला सचिव (पूर्व में सरकारी एजेंट) होता है जिसकी नियुक्ति श्रीलंका सरकार द्वारा की जाती है। इस जिले का जिला मुख्यालय बट्टिकलोवा में स्थित है। बट्टिकलोवा जिले के दक्षिणी भाग से १९५८ में अम्पारा जिले का निर्माण किया गया।
बट्टिकलोवा जिला पूर्वी श्रीलंका के पूर्वी प्रान्त में स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग है।
बट्टिकलोवा जिले को १४ संभागीय सचिव विभागों में बाँटा गया है जिसमें प्रत्येक का विभाग सचिव प्रमुख होता है। सम्भागीय सचिव विभागों को ३४६ ग्राम निलाधारी विभाग नामक उप-विभागों में विभक्त किया जाता है।
श्रीलंका के प्रान्त और जिले |
प्यार का सागर १९६१ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसकी मुख्य भूमिकाओं में मीना कुमारी, राजेन्द्र कुमार और मदन पुरी ने अभिनय किया। फिल्म देवेन्द्र गोयल द्वारा निर्देशित है और इसका संगीत रवि ने दिया है।
अपने माता-पिता के निधन के बाद बॉम्बे स्थित बिशन चंद गुप्ता (मदन पुरी) ने अपने छोटे भाई किशन (राजेन्द्र कुमार) को पाला। वह अहमदाबाद में उसकी शिक्षा की व्यवस्था करता है। जब किशन महाबलेश्वर में छुट्टियां मना रहा होता है, जिस बस में वे यात्रा कर रहा होता है वह एक तूफान के कारण टूट जाती है और यात्री घायल हो जाते हैं। किशन सह यात्री राधा (मीना कुमारी) की सहायता के लिए आता है और अंततः दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं। चूँकि राधा का जन्मदिन उस महीने की २० तारीख को है, इसलिए किशन राधा के लिए भगवान कृष्ण और देवी राधा की मूर्ति खरीदता है, जो उनके प्यार का प्रतीक है।
इसके बाद उसकी बुआ ने उसे बताया कि राधा की शादी हो चुकी है। हैरान और तबाह हो चुका किशन सीढ़ियों से नीचे गिर जाता है, घायल हो जाता है और अपनी दृष्टि खो देता है। वह पुन: भाग जाता है और अपने भाई के साथ रहने के लिए वापस बॉम्बे चला जाता है, जो अब रानी नामक एक महिला से शादी कर लेता है। किशन को नहीं पता कि रानी कोई और नहीं बल्कि राधा ही है, जो किशन को अपना असली नाम बताने से इनकार कर रही है। देखिए क्या होता है जब बिशन राधा को किशन की आँख की सर्जरी कराने के लिए कहता है। क्या राधा उसे मना लेगी, और यदि वह अपनी दृष्टि पुन: प्राप्त कर लेगा, तो दोनों एक ही छत के नीचे कैसे रहेंगे?
राजेन्द्र कुमार किशन गुप्ता
मीना कुमारी राधा / रानी
मदन पुरी बिशन गुप्ता
मल्लिका शीला सिंह
मोहन चोटी शीला का भाई
लीला मिश्रा राधा की चाची
१९६१ में बनी हिन्दी फ़िल्म
रवि द्वारा संगीतबद्ध फिल्में |
यह अमृतलाल नागर द्वारा लिखित स्त्री समस्या केंद्रित उपन्यास है। महादेवी वर्मा को समर्पित किए गए इस उपन्यास में सुशिक्षित होकर भी निरंतर अवहेलना झेलती हुई सीता पांडे की कहानी है। सीता पांडे को प्रतिष्ठा मिलती है तो रामेश्वर रूपी एक ऐसे पुरुष के सहयोग के कारण जो अपने सहयोग के बदले सीता का सर्वस्व हथिया लेता है और बदले में उसे कुछ भी नहीं देना चाहता है। सीता के बहाने यह उस नारी की कहानी बन गई है जिसे आदमी की कामुक स्वार्थी और घिनौनी इच्छाएं अग्निगर्भा बना डालती हैं। और जो जीवनपर्यन्त धर्यशीला वसुंधरा की तरह अपने भीतर बिखरने वाली ज्वालाओं को निरंतर समेटती रहती है। वह जीवन भर अपनी अक्षय संपदा लुटाकर भी आदमी की तृषा को नहीं बुझा पाती। और रक्त की अंतिम बूंद चूसकर भी वह प्यासा बना रहता है। दहेज के लिए भारतीय नारी का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष शोषण आदमी की क्रूरतम मनो वृत्तति का एक घिनौना रूप है। नागर जी ने अपने इस उपन्यास में अपनी चिर-परिचित सहज-सरल रोचक और चुटीली भाषा में इस ज्वलंत समस्या पर अपनी लेखनी का प्रहार किया है। |
इतिहास-लेख या इतिहास-शास्त्र (हिस्टोरियोग्राफी) से दो चीजों का बोध होता है- (१) इतिहास के विकास एवं क्रियापद्धति का अध्यन तथा (२) किसी विषय के इतिहास से सम्बन्धित एकत्र सामग्री। इतिहासकार इतिहासशास्त्र का अध्ययन विषयवार करते हैं, जैसे- भारत का इतिहास, जापानी साम्राज्य का इतिहास आदि।
इतिहास लेखन निरन्तर चलने वाली एक प्रक्रिया है। मानव समाज के क्रिया-कलापों का क्रमबद्ध विवरण हमें ५०० ई. पूर्व से ही प्राप्त हो सका है। सबसे पहले इतिहास लेखन का क्रमबद्ध विवरण यूनानी विद्वान हेरोडोट्स के द्वारा किया गया था। उसने ५०० ई.पू. से लेखन कार्य शुरू किया था। इस प्रकार हेरोडोट्स को ही प्रथम ऐतिहासिक लेखक के रूप में जाना जाता हैं। हेरोडोट्स के बाद यूनान में लेखक थ्यूसीडाइड्स का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वही १९वीं शताब्दी में 'रैन्क' नामक शख्स ने इतिहास को वैज्ञानिक आधार पर लिखकर अपनी रचना को जर्मनी में प्रकाशित करवाया था। फिर दुनिया के अन्य देशों विशेषकर भारत, फ्रांस, , इटली,अरब आदि में इतिहास लेखन चालू हुआ, वर्तमान में ऑगस्ट कामप्टे का प्रत्यक्षवाद इतिहास लेखन प्रचलन में हैं, क्योंकि इसमें वैज्ञानिक आधार पर इतिहास लेखन किया जाता हैं।
इतिहास के मुख्य आधार युगविशेष और घटनास्थल के वे अवशेष हैं जो किसी न किसी रूप में प्राप्त होते हैं। जीवन की बहुमुखी व्यापकता के कारण स्वल्प सामग्री के सहारे विगत युग अथवा समाज का चित्रनिर्माण करना दु:साध्य है। सामग्री जितनी ही अधिक होती जाती है उसी अनुपात से बीते युग तथा समाज की रूपरेखा प्रस्तुत करना साध्य होता जाता है। पर्याप्त साधनों के होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि कल्पनामिश्रित चित्र निश्चित रूप से शुद्ध या सत्य ही होगा। इसलिए उपयुक्त कमी का ध्यान रखकर कुछ विद्वान् कहते हैं कि इतिहास की संपूर्णता असाध्य सी है, फिर भी यदि हमारा अनुभव और ज्ञान प्रचुर हो, ऐतिहासिक सामग्री की जाँच-पड़ताल को हमारी कला तर्कप्रतिष्ठत हो तथा कल्पना संयत और विकसित हो तो अतीत का हमारा चित्र अधिक मानवीय और प्रामाणिक हो सकता है। सारांश यह है कि इतिहास की रचना में पर्याप्त सामग्री, वैज्ञानिक ढंग से उसकी जाँच, उससे प्राप्त ज्ञान का महत्त्व समझने के विवेक के साथ ही साथ ऐतिहासक कल्पना की शक्ति तथा सजीव चित्रण की क्षमता की आवश्यकता है। स्मरण रखना चाहिए कि इतिहास न तो साधारण परिभाषा के अनुसार विज्ञान है और न केवल काल्पनिक दर्शन अथवा साहित्यिक रचना है। इन सबके यथोचित संमिश्रण से इतिहास का स्वरूप रचा जाता है।
इतिहास न्यूनाधिक उसी प्रकार का सत्य है जैसा विज्ञान और दर्शनों का होता है। जिस प्रकार विज्ञान और दर्शनों में हेरफेर होते हैं उसी प्रकार इतिहास के चित्रण में भी होते रहते हैं। मनुष्य के बढ़ते हुए ज्ञान और साधनों की सहायता से इतिहास के चित्रों का संस्कार, उनकी पुरावृत्ति और संस्कृति होती रहती है। प्रत्येक युग अपने-अपने प्रश्न उठाता है और इतिहास से उनका समाधान ढूंढ़ता रहता है। इसीलिए प्रत्येक युग, समाज अथवा व्यक्ति इतिहास का दर्शन अपने प्रश्नों के दृष्टिबिंदुओं से करता रहता है। यह सब होते हुए भी साधनों का वैज्ञानिक अन्वेषण तथा निरीक्षण, कालक्रम का विचार, परिस्थिति की आवश्यकताओं तथा घटनाओं के प्रवाह की बारीकी से छानबीन और उनसे परिणाम निकालने में सर्तकता और संयम की अनिवार्यता अत्यंत आवश्यक है। उनके बिना ऐतिहासिक कल्पना और कपोलकल्पना में कोई भेद नहीं रहेगा।
इतिहास की रचना में यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि उससे जो चित्र बनाया जाए वह निश्चित घटनाओं और परिस्थितियों पर दृढ़ता से आधारित हो। मानसिक, काल्पनिक अथवा मनमाने स्वरूप को खड़ा कर ऐतिहासिक घटनाओं द्वारा उसके समर्थन का प्रयत्न करना अक्षम्य दोष होने के कारण सर्वथा वर्जित है। यह भी स्मरण रखना आवश्यक है कि इतिहास का निर्माण बौद्धिक रचनात्मक कार्य है अतएव अस्वाभाविक और असंभाव्य को प्रमाणकोटि में स्थान नहीं दिया जा सकता। इसके सिवा इतिहास का ध्येयविशेष यथावत् ज्ञान प्राप्त करना है। किसी विशेष सिद्धांत या मत की प्रतिष्ठा, प्रचार या निराकरण अथवा उसे किसी प्रकार का आंदोलन चलाने का साधन बनाना इतिहास का दुरुपयोग करना है। ऐसा करने से इतिहास का महत्त्व ही नहीं नष्ट हो जाता, वरन् उपकार के बदले उससे अपकार होने लगता है जिसका परिणाम अंततोगत्वा भयावह होता है।
इन्हें भी देखें
प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के साधन |
सीन सोलिया (जन्म १५ दिसंबर १९९२) न्यूजीलैंड-समोआ के क्रिकेटर हैं। उन्होंने समोआ और न्यूजीलैंड घरेलू क्रिकेट के लिए ऑकलैंड एसेस के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला है। |
घाणामंगरा गांव जोधपुर जिले की बिलाड़ा तहसील का गांव हैं। इस गांव की भौगोलिक स्थिति खेजड़ला गांव के नजदीक है। यह गांव कृषि प्रधान है। घाणामंगरा का पिन कोड ३४२६०१ हैं।
जोधपुर के गाँव |
भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं। तीर्थंकर का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करें। जो संसार सागर (जन्म मरण के चक्र) से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करें, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर के पांच कल्याणक होते हैं। भगवान ऋषभनाथ जी को आदिनाथ भी कहा जाता है। भगवान ऋषभदेव वर्तमान हुडाअवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर हैं। भगवान ऋषभदेव का जन्म एक इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार में हुआ था।
जैन पुराणों के अनुसार अन्तिम कुलकर राजा नाभिराज और महारानी मरुदेवी के पुत्र भगवान ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्ण नवमी को अयोध्या में हुआ। वह वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर थे।
भगवान ऋषभदेव का विवाह नन्दा और सुनन्दा से हुआ। ऋषभदेव के १०० पुत्र और दो पुत्रियाँ थी। उनमें भरत चक्रवर्ती सबसे बड़े एवं प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हुए जिनके नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। दूसरे पुत्र बाहुबली भी एक महान राजा एवं कामदेव पद से बिभूषित थे। इनके आलावा ऋषभदेव के वृषभसेन, अनन्तविजय, अनन्तवीर्य, अच्युत, वीर, वरवीर आदि ९८ पुत्र तथा ब्राम्ही और सुन्दरी नामक दो पुत्रियां भी हुई, जिनको ऋषभदेव ने सर्वप्रथम युग के आरम्भ में क्रमश: लिपिविद्या (अक्षरविद्या) और अंकविद्या का ज्ञान दिया। बाहुबली और सुंदरी की माता का नाम सुनंदा था। भरत चक्रवर्ती, ब्रह्मी और अन्य ९८ पुत्रों की माता का नाम यशावती था। ऋषभदेव भगवान की आयु ८४ लाख पूर्व की थी जिसमें से २० लाख पूर्व कुमार अवस्था में व्यतीत हुआ और ६३ लाख पूर्व राजा की तरह|
जैन पुराण साहित्य में असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, शिल्प, कला का उपदेश ऋषभदेव जी ने दिया।
जैन ग्रंथो के अनुसार लगभग १,००० वर्षो तक तप करने के पश्चात् ऋषभदेव को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। और निर्वाण मोक्ष की प्राप्ति कैलाश पर्वत से हुई थी। भगवान ऋषभदेव के समवशरण में निम्नलिखित व्रती थे :
२२ हजार केवली
१२,७०० मुनि मन: पर्ययज्ञान ज्ञान से विभूषित
९,००० मुनि अवधी ज्ञान से
४,७५० श्रुत केवली
२०,६०० ऋद्धि धारी मुनि
३५०,००० आर्यिका माता जी
हिन्दू ग्रन्थों में वर्णन
वैदिक दर्शन में, अथर्ववेद वा पुराणों कुछ ग्रंन्थो में ऋषभदेव का वर्णन आता है | वैदिक दर्शन में ऋषभदेव को विष्णु के २४ अवतारों में से एक के रूप में संस्तवन किया गया है।
भागवत में अर्हन् राजा के रूप में इनका विस्तृत वर्णन है। श्रीमद्भागवत् के पाँचवें स्कन्ध के अनुसार मनु के पुत्र प्रियव्रत के पुत्र आग्नीध्र हुए जिनके पुत्र राजा नाभि (जैन धर्म में नाभिराय नाम से उल्लिखित) थे। राजा नाभि के पुत्र ऋषभदेव हुए जो कि महान प्रतापी सम्राट हुए। भागवत् पुराण अनुसार भगवान ऋषभदेव का विवाह इन्द्र की पुत्री जयन्ती से हुआ। इससे इनके सौ पुत्र उत्पन्न हुए। उनमें भरत चक्रवर्ती सबसे बड़े एवं गुणवान थे ये भरत ही भारतवर्ष के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हुए;जिनके नाम से भारत का नाम भारत पड़ा | उनसे छोटे कुशावर्त, इलावर्त, ब्रह्मावर्त, मलय, केतु, भद्रसेन, इन्द्रस्पृक, विदर्भ और कीकट ये नौ राजकुमार शेष नब्बे भाइयों से बड़े एवं श्रेष्ठ थे। उनसे छोटे कवि, हरि, अन्तरिक्ष, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविर्होत्र, द्रुमिल, चमस और करभाजन थे।
शिव पुराण के अनुसार भगवान ऋषभदेव को शिव के अवतारों में भी संस्तवन किया गया है।
भगवान ऋषभदेव जी की एक ८४ फुट की विशाल प्रतिमा भारत में मध्य प्रदेश राज्य के बड़वानी जिले में बावनगजा नामक स्थान पर है और मांगीतुंगी (महाराष्ट्र ) में भी भगवान ऋषभदेव की १०८ फुट की विशाल प्रतिमा है। उदयपुर जिले का एक प्रसिद्ध शहर भी ऋषभदेव नाम से विख्यात है जहां भगवान ऋषभदेव का एक विशाल मंदिर तीर्थ क्षेत्र विद्यमान हैं। भगवान आदिनाथ की विशाल पद्मासन प्रतिमा मूलनायक के रूप में सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर जिला दमोह में विराजमान है इस प्रतिमा को बड़े बाबा के नाम से जाना जाता है।
भारत में अनेकों स्थान पर ऋषभनाथ भगवान के जिनालय विद्यमान है इनमे कुछ अति प्राचीन है
कुछ प्राचीन मंदिरों के नाम आदिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चांदखेड़ी खानपुर राजस्थान, दिगंबर जैन दर्शानोदय अतिशय क्षेत्र थोबोनजी जिला अशोकनगर मध्य प्रदेश, दिगंबर जैन सर्वोदय तीर्थ क्षेत्र अमरकंटक
भगवान महावीर का साधना काल
पुराणों में ऋषभ पर टिप्पणी(संस्कृत) |
शंकर अन्तर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय नई दिल्ली में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना मशहूर कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लई-(१९०२-१९८९) ने की थी। यहाँ विभिन्न परिधानों में सजी गुड़ियों का संग्रह विश्व के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है। यह संग्रहालय बहादुर शाह जफर मार्ग पर चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के भवन में स्थित है। इस गुड़िया घर के निर्माण के पीछे एक रोचक घटना है। जवाहरलाल नेहरू जब देश के प्रधानमंत्री थे तो देश के प्रसिद्ध कार्टूनिष्ट के० शंकर पिल्लै उनके साथ जाने वाले पत्रकारों के दल के सदस्य थे। वे हर विदेश यात्रा में नेहरू जी के साथ जाया करते थे। कार्टूनिष्ट के० शंकर पिल्लै की रुचि गुड़ियों में थी। वे प्रत्येक देश की तरह-तरह की गुड़ियाँ एकत्र किया करते थे। धीरे-धीरे उनके पास ५०० तरह की गुड़ियाँ इकट्ठी हो गईं। वे चाहते थे कि इन गुड़ियों को देश भर के बच्चे देखें। उन्होंने जगह-जगह अपने कार्टूनों की प्रदर्शनी के साथ-साथ इन गुड़ियों की भी प्रदर्शनी लगाई। बार-बार गुड़ियों को लाने ले जाने में कई गुड़ियाँ टूट फूट जाती थीं। एक बार पं० नेहरू अपनी बेटी इन्दिरा गाँधी के साथ प्रदर्शनी देखने गए। गुड़ियों को देखकर वे बहुत खुश हुए। उसी समय शंकर ने गुड़ियों को लाने ले जाने में होने वाली परेशानी की ओर नेहरू जी का ध्यान खींचा। चाचा नेहरू ने गुड़ियों के लिए एक स्थाई घर का सुझाव दिया।
दिल्ली में जब चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट के भवन का निर्माण हुआ तो उसके एक भाग में गुड़ियों के लिए उनका घर बनाया गया। इस तरह दुनिया भर की गुड़ियों को रहने के लिए एक अनोखा घर मिल गया। दिल्ली में बहादुरशाह जफर मार्ग पर बने इस संग्रहालय का नाम "गुड़िया घर" है। यहाँ विभिन्न परिधानों में सजी गुडि़यों का संग्रह विश्व के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है। ५१८४.५ वर्ग फुट आकार वाले इस संग्रहालय में १००० फीट की लम्बाई में दीवारों पर १६० से अधिक काँच के केस बने हुए हैं। यह संग्रहालय दो हिस्सों में बँटा है। एक हिस्से में यूरोपियन देशों, इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, राष्ट्र मंडल देशों की गुडि़याँ रखी गई हैं। दूसरे भाग में एशियाई देशों, मध्यपूर्व, अफ्रीका और भारत की गुडि़याँ प्रदर्शित की गई हैं। इन गुड़ियों को खूब सजाकर रखा गया है। इस गुड़िया घर का प्रारम्भ १००० गुड़ियों से हुआ था। वर्तमान समय में यहाँ ८५ देशों की करीब ६५०० गुडि़यों का संग्रह देखा जा सकता है।
यह संग्रहालय सुबह १० बजे से शाम ६ बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहता है। प्रवेश शुल्क बड़ों के लिए १५ रुपए प्रति व्यक्ति तथा बच्चों के लिए ५ रुपए है। बच्चे यदि २० के समूह में गुड़िया घर देखने आयें तो प्रति बच्चे के लिए टिकिट का मूल्य मात्र ३ रुपए है। सोमवार को गुड़िया घर बंद रहता है।
चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट - डॉल्स म्यूज़ियम
दिल्ली के संग्रहालय
हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना |
टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है।
इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय
मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी।
सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है।
यह क्षेत्र उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक पूर्णतः वनों से आच्छादित था। नेपाल की सीमा से संलग्न टनकपुर एक छोटा सा गांव था। यहां से तीन मील की दूरी पर ब्रह्मदेव मंडी थी, जिसे कत्यूरी राजाओं ने बसाया था। कालान्तर में भूस्खलन होने के कारण मंडी पूर्ण रूप से दब गई और कुछ समय बाद यहां पर पुनः एक व्यापारिक कस्बा विकसित होने लगा।
सन् १८९० में एक अंग्रेज सैलानी टलक अपने मित्र मंजर हसी के साथ जब इस स्थान पर आए, तो इस स्थल की प्राकृतिक सुन्दरता से प्रभावित होकर सर्वप्रथम टलक व हसी ने बगडोरा (सैलानी गोठ) में तथा एक अन्य अंग्रेज मेटसिन ने पुरानी टंकी के निकट आवास के लिए बंगले बनवाये। इसके पश्चात् सुनियोजित ढंग से इस नगर को बसाने का प्रयास किया जाने लगा। लार्ड टलक के नाम से पहले इसे टलकपुर कहा गया, किन्तु बाद में यह स्थान टनकपुर कहा जाने लगा। पहले यह क्षेत्र जनपद अल्मोड़ा में सम्मिलित था। ब्रिटिश काल में टनकपुर से तवाघाट तक ६ फीट चौड़ा पैदल मार्ग बनाया गया था, जिससे आवागमन की काफी सुविधा हो गई।
ब्रिटिशकाल तथा स्वतंत्रता के कई वर्षों बाद तक डर्मा और ब्याँस घाटियों के भोटिया व्यापारी यहां आकर ऊन का व्यापार करते थे। नेपाल से भी यहां आयात-निर्यात होता रहा है। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में यहां अवध-तिरहुत रेल कंपनी द्वारा पीलभीत को जोड़ती रेल लाईन बिछाई गई। साथ ही यह नगर सड़क मार्ग से दिल्ली, देहरादून, मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ आदि से जुड़ गया। बागेश्वर रेल परियोजना, टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग, पंचेश्वर बांध आदि महत्वाकांक्षी परियोजनायें इस क्षेत्र में प्रस्तावित है।
टनकपुर की जलवायु हल्की गर्म और समशीतोष्ण हैं। टनकपुर भारी बारिश वाला शहर है; यहां तक कि सबसे शुष्क महीने में भी काफी वर्षा होती है। कोपेन जलवायु वर्गीकरण के अनुसार नगर का कोड 'क्फा' है। टनकपुर का वार्षिक औसत तापमान २४.४ है, और औसत वार्षिक वर्षा १७३९ मिमी है। ३०.८ डिग्री सेल्सियस औसत तापमान के साथ मई साल का सबसे गर्म महीना होता है। जनवरी का औसत तापमान १५.६ है, जो पूरे वर्ष का सबसे कम औसत तापमान है। सबसे काम वर्षापात अप्रैल में ७ मिमी होती है जबकि ५२८ मिमी औसत के साथ सबसे अधिक वर्षापात जुलाई में होता है। सबसे शुष्क माह, और सबसे नम माह के बीच वर्षा में अंतर ५२१ मिमी रहता है। पूरे वर्ष के दौरान, तापमान में १५.२ डिग्री सेल्सियस तक का अंतर देखा जा सकता है।
टनकपुर नगर उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित है। नगर कुल १.२ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। टनकपुर शारदा नदी के तट पर स्थित है, और, समुद्र तल से २५५ मीटर की ऊंचाई पर है।
२००१ की जनगणना के अनुसार, टनकपुर की जनसंख्या १५,८१० थी, जो २०११ में बढ़कर १७,६२६ हो गई। २०११ की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या में ५२.५% पुरष और ४७.५% महिलाएं हैं। टनकपुर में औसत साक्षरता दर ७८.२४% है: ८४.०६% पुरुष और ७१.८४% महिलाएं साक्षर है। कुल जनसंख्या के १२.६८% की उम्र ६ साल से कम है।
२०११ की जनगणना के अनुसार, टनकपुर में ८०.३२% लोग हिंदू हैं। १८.२२% लोग इस्लाम का अनुसरण करते हैं, जो नगर में सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह हैं। इसके अतिरिक्त नगर में ईसाई धर्म के अनुयाइयों का प्रतिशत ०.५५%, जैन धर्म के अनुयाइयों का ०.०८%, सिख धर्म के अनुयाइयों का ०.६९% और बौद्ध धर्म के अनुयाइयों का ०.०१% था। लगभग ०.१३% लोग किसी भी धर्मं से सम्बन्ध नहीं रखते।
टनकपुर ब्रिटिश भारत में कुमाऊँ प्रान्त का प्रमुख व्यापारिक बाजार था। क्षेत्र के स्थानीय उत्पादों में इमारती लकड़ी, कत्था, पेड़ों की छाल, शहद और अन्य छोटे जंगली उत्पाद शामिल थे, जिनका व्यापार नवंबर और मई के बीच होता था। भोटिया व्यापारी तिब्बत से ऊन और सुहागा नीचे लाया करते थे, और बदले में शक्कर और कपड़े वापस ले जाते थे। दूसरी ओर, चीनी और नमक को हल्दी, मिर्च और घी के बदले अल्मोड़ा और नेपाल के पहाड़ी बाजारों से आयात किया गया था। १८९० तक, भोटिया व्यापारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तकलाकोट-टनकपुर व्यापार मार्ग का मानसरोवर क्षेत्र के ऊन व्यापार पर पूर्ण नियंत्रण था।
इसके अतिरिक्त परिवहन तथा पर्यटन भी टनकपुर की अर्थव्यवस्था के प्रमुख अंग हैं। पर्वतों की तलहटी में स्थित यह नगर चम्पावत तथा पिथौरागढ़ की यात्रा में पड़ने वाला अंतिम रेलवे स्टेशन तथा मैदानी नगर है। इस कारण पहाड़ों की ओर जाने वाले हज़ारों पर्यटक टनकपुर में रुकते हैं। टनकपुर पूर्णागिरी मन्दिर का प्रवेश द्वार है, और वहां लगने वाले वार्षिक पूर्णागिरी मेले के समय भी नगर में काफी चहल पहल रहती है। टनकपुर बस डिपो को उत्तराखण्ड परिवहन निगम की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक माना जाता है।
टनकपुर के विद्यालय निम्नलिखित हैं:
सेंट फ्रांसिस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, टनकपुर
ट्रू रिवाइवल कान्वेंट स्कूल
नई लाइट सैनिक स्कूल
विवेकानन्द विद्या मन्दिर, टनकपुर
संजय स्मृति जूनियर हाई स्कूल
राजकीय इण्टर कॉलेज, टनकपुर
सरस्वती शिशु मन्दिर, टनकपुर
राधे हरि राजकीय इण्टर कॉलेज
होली ट्रिनिटी पब्लिक स्कूल, टनकपुर
राजकीय प्राइमरी विद्यालय, टनकपुर
नन्दा कान्वेंट स्कूल
राष्ट्रीय राजमार्ग ९ टनकपुर से होकर गुजरता है, जो इसे रुद्रपुर, खटीमा, चम्पावत और पिथौरागढ़ नगरों से जोड़ता है। व सितारगंज के पास राष्ट्रीय राजमार्ग ९ से लिंक होकर कुमाऊँ मण्डल के महानगर हल्द्वानी से जोड़ता है इसके अतिरिक्त टनकपुर रेल मार्ग से पीलीभीत तथा बनबसा से भी जुड़ा है।
टनकपुर के उत्तर में पूर्णागिरि एवं पंचमुखी महादेव, पश्चिम में गुरुद्धारा तथा दक्षिण में मैथोडिस्ट चर्च धार्मिक एकता एवं बन्धुत्व के प्रतीक हैं। यह नगर कुमाऊं की प्रसिद्ध व्यापारिक मण्डियों में से एक है। कार्तिकी ज्येष्ठ पूर्णिमा, मकर संक्रांति आदि पर्वों के अवसर पर अनेक श्रद्धालु शारदा नदी में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से टनकपुर आते हैं। अन्य समय पर भी देश-विदेश के पर्यटकों का यहां आवागमन होता रहता है। विशेष रूप से पूर्णागिरि मेले के समय लाखों श्रद्धालुओं से नगर में चहल-पहल रहती है। अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक महत्ता और प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण टनकपुर चम्पावत जनपद का प्रमुख नगर माना जाता है।
यह भी देखें
उत्तराखण्ड के नगरों की सूची
टनकपुर इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया १९०१, वॉल्यूम २३, प॰ २१८
उत्तराखण्ड के नगर
चम्पावत ज़िले के नगर |
भरेरी खैर, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है।
अलीगढ़ जिला के गाँव |
राइड अलॉन्ग एक २०१४ की दोस्त कॉप कॉमेडी फिल्म है, जो टिम स्टोरी द्वारा निर्देशित है और इसमें आइस क्यूब, केविन हार्ट, जॉन लेगुइज़ामो, ब्रायन कैलन, टीका सिम्पर और लॉरेंस फिशबर्न द्वारा अभिनीत है। ग्रेग कूलिज, जेसन मांटजौकास, फिल हेय और मैट मैनफ्रेडी ने मूल रूप से कूलिज की कहानी पर आधारित पटकथा लिखी थी।
फिल्म बेन बार्बर (हार्ट) का अनुसरण करती है, जो एक हाई स्कूल सुरक्षा गार्ड है, जिसे अपनी प्रेमिका के भाई, जेम्स पेटन (आइस क्यूब) को साबित करना होगा कि वह उससे शादी करने के योग्य है। जेम्स, एक पुलिस अधिकारी जो एक सर्बियाई तस्करों के मालिक को पकड़ने के लिए बाहर निकलता है, बेन को खुद को साबित करने के लिए एक सवारी पर ले जाता है।
प्रधान फोटोग्राफी ३१ अक्टूबर, २०१२ को अटलांटा में शुरू हुई और १९ दिसंबर, २०१२ को समाप्त हुई। फिल्म का निर्माण सापेक्षता मीडिया, क्यूब विजन प्रोडक्शंस और रेनफॉरेस्ट फिल्म्स द्वारा किया गया था, और इसे यूनिवर्सल पिक्चर्स द्वारा वितरित किया गया था। अटलांटा और लॉस एंजिल्स में दो प्रीमियर के बाद, फिल्म को १७ जनवरी २०१४ को दुनिया भर में रिलीज़ किया गया था। नकारात्मक समीक्षाओं के बावजूद, फिल्म ने $ २५ मिलियन के बजट के मुकाबले दुनिया भर में $ १५३ मिलियन से अधिक की कमाई की। फिल्म ने जनवरी के महीने में सबसे ज्यादा घरेलू ओपनिंग वीकेंड ग्रॉस का रिकॉर्ड तोड़ दिया, $ ४१.५ मिलियन में, एक साल बाद फिर से एक रिकॉर्ड टूट गया जब अमेरिकन स्नाइपर ने अपनी व्यापक रिलीज की।
१५ जनवरी, २०१६ को एक सीक्वल, राइड अलंग २ रिलीज हुई थी।
सुरक्षा गार्ड बेन को अपनी प्रेमिका के भाई, शीर्ष पुलिस अधिकारी जेम्स को खुद को साबित करना होगा। वह अटलांटा के २४ घंटे के गश्त पर जेम्स के साथ सवारी करता है।
ओकजेम्स पेटन के रूप में आइस क्यूब, अटलांटा में एक अंडरकवर ऑपरेशन में एक जासूस जो उमर नाम के एक तस्कर मालिक को पकड़ने के लिए था। अपनी बहन के लिए एक प्यारा और सुरक्षात्मक भाई होने के बावजूद, वह किनारों के आसपास खुरदरा है और बेन को खारिज कर रहा है। क्यूब ने नवंबर २००९ में स्टार और प्रोड्यूस दोनों में फिल्म को शामिल किया।
बेन बार्बर के रूप में केविन हार्ट, एक तेजी से बात करने वाला हाई स्कूल सुरक्षा गार्ड है जो अटलांटा सिटी पुलिस अकादमी के लिए आवेदन करता है। वह अपनी प्रेमिका से प्यार करता है और अपने भाई को समझाने के लिए जो भी करना चाहता है वह करने को तैयार है कि वह सही आदमी है। वह खुद को पायटन की बहन, एंजेला के योग्य साबित करने के लिए पेटन के साथ एक सवारी पर जाती है। हार्ट ने जुलाई २०१२ में कलाकारों को शामिल किया।
टीका सुम्प्टर एंजेला पायटन के रूप में, जेम्स की बहन और बेन की प्रेमिका, जिसके लिए बेन को खुद को योग्य साबित करना है। अक्टूबर २०१२ में फिल्म से जुड़े हुए थे।
सैंटियागो के रूप में जॉन लेगुइज़ामो, एक जासूस और मिग्स के साथी। लेगुइज़ामो अक्टूबर २०१२ में फ़िल्म से जुड़े।
मिगन के रूप में ब्रायन कैलन, एक जासूस और सैंटियागो के साथी। कैलन अक्टूबर २०१२ में फिल्म में शामिल हुए।
लारेंस फिशबर्न को उमर के रूप में, सर्बियाई तस्करों का एक मालिक, जिसे कभी किसी ने नहीं देखा, और उसे एक भूत माना जाता है। दिसंबर २०१२ में फिशबर्न डाली गई थी।
ब्रूस मैकगिल लेफ्टिनेंट ब्रूक्स के रूप में, अटलांटा पुलिस विभाग में एक लेफ्टिनेंट, और पेटन, सैंटियागो और मिग्स के बॉस।
अतिरिक्त कलाकारों में शामिल हैं गैरी ओवेन पागल कोड़ी के रूप में, जय फरोह रुनालत के रूप में, डेविड बैनर ब्याजख़ोर का दुकान जे, के रूप में ड्रेगस बुसूर मार्को के रूप में, गैरी सप्ताह डॉ कोवान, के रूप में जैकब लेटिमोर रामोन के रूप में और बेंजामिन फ्लोरेस, जूनियर मॉरिस के रूप में, रनफ्लट का भाई।
२९ नवंबर, २००९ को, हॉलीवुड रिपोर्टर ने घोषणा की कि कॉमेडियन जेसन मांटज़ुकास को कॉप- ब्वॉय कॉमेडी फिल्म राइड अलॉन्ग टू न्यू लाइन सिनेमा लिखने के लिए काम पर रखा गया था, जो मूल रूप से ग्रेग कूलिज द्वारा लिखी गई थी, जिसमें आइस क्यूब सेट के साथ और फिल्म के निर्माण के लिए सेट किया गया था। क्यूब की फिल्म कंपनी, क्यूब विजन प्रोडक्शंस के माध्यम से मैट अल्वारेज़। ११ जुलाई २०१२ को, यूनिवर्सल पिक्चर्स ने न्यू लाइन से फिल्म के वितरण अधिकार हासिल किए, अक्टूबर में उत्पादन शुरू होने के साथ, टिम स्टोरी को फिल्म का निर्देशन करने के लिए सेट किया गया, मैट मैनफ्रेडी और फिल हे द्वारा लिखित और विल पैकर और लारिए ब्रेन्जर द्वारा निर्मित । ३१ अक्टूबर को, स्टूडियो ने घोषणा की कि फिल्म १७ जनवरी २०१४ को रिलीज़ होगी।
फिल्म की मुख्य फोटोग्राफी ३१ अक्टूबर, २०१२ को अटलांटा में शुरू हुई और ३१ अक्टूबर और नवंबर को अंडरग्राउंड अटलांटा में कुछ दृश्य फिल्माए गए थे। ३१ अक्टूबर को, सीबीएस अटलांटा ने खबर पोस्ट की कि अटलांटा पुलिस निवासियों को चेतावनी दे रही है कि गुरुवार १ नवंबर को फिल्मांकन के दौरान मॉल क्षेत्र के अंदर एक नकली बंदूक लड़ाई होगी। यह एक ३५-दिवसीय शूट था, जो १9 दिसंबर को अटलांटा में फिल्मांकन के साथ लिपटा था।
प्रचार एवं रिलीज
१ जुलाई 20१3 को एक टीज़र ट्रेलर और एक छवि जारी की गई थी। २६ सितंबर को, स्टूडियो ने क्यूब और हार्ट की विशेषता वाले पहले टीज़र पोस्टर का खुलासा किया। ५ नवंबर को, सेट और पोस्टर से आठ नए चित्र सामने आए थे। फिल्म का एक दूसरा ट्रेलर ७ नवंबर पर स्टूडियो से पता चला था १9 दिसंबर को, यूनिवर्सल ने फिल्म के लिए एक पूर्ण लंबाई ट्रेलर जारी किया।
६ जनवरी २०१४ की रात को, फिल्म का पहला प्रीमियर अटलांटा के अटलांटिक स्टेशन में आयोजित किया गया था। १३ जनवरी को हॉलीवुड, कैलिफोर्निया में टीसीएल चीनी थियेटर में लॉस एंजिल्स का प्रीमियर आयोजित किया गया था। दो प्रीमियर के बाद, फिल्म को १७ जनवरी २०१४ को दुनिया भर में रिलीज़ किया गया।
फिल्म का ३-दिवसीय ओपनिंग वीकेंड ग्रॉस $ ४१,५१६,१७० था, २,66३ यूएस और कनाडाई सिनेमाघरों (औसतन $ १५,५९० प्रति थिएटर ग्रॉस) पर, जनवरी के महीने में उच्चतम घरेलू ओपनिंग वीकेंड ग्रॉस के लिए राइड के साथ - साथ २008 के क्लोवरफील्ड से आगे। ४ दिन के रिकॉर्ड तोड़ने वाले म्ल्क सप्ताहांत के लिए, फिल्म ने $ ४8,6२6,३80 की कमाई की। फिल्म ने तीन हफ्तों तक अमेरिकी बॉक्स ऑफिस पर नंबर एक स्थान पर काबिज रही, अपने दूसरे और तीसरे सप्ताहांत में $ २1 मिलियन और $ 1२ मिलियन की कमाई की। उत्तरी अमेरिकी घरेलू सकल $ 1३४,२0२,५६५ था, अंतर्राष्ट्रीय सकल $ १९,०५९,6१९ के साथ, दुनिया भर में कुल १५३,२6२,18४ डॉलर तक पहुंचा।
राइड एग १५ और २०१४ को डीवीडी और ब्लू-रे पर जारी किया गया था। इस रिलीज़ में एक वैकल्पिक अंत, एक गॅग रील, डिलीटेड सीन्स, एक बैक-टू-सीन्स डॉक्यूमेंट्री और स्टोरी द्वारा फिल्म की एक फीचर कमेंट्री शामिल थी। संयुक्त राज्य में, फिल्म ने डीवीडी की बिक्री से $ १३.५ मिलियन और ब्लू-रे की बिक्री से $ ८.७ मिलियन की कुल कमाई की, जिसने कुल २२.२ मिलियन डॉलर कमाए।
२३ अप्रैल २०१३ को, स्टूडियो ने घोषणा की कि फिल्म का सीक्वल होगा। १८ फरवरी २०१४ को, यह घोषणा की गई थी कि पहली राइड विद फिल्म की सफलता के बाद, यूनिवर्सल अगली कड़ी के साथ आगे बढ़ रहा था, जिसे टिम स्टोरी निर्देशित करने के लिए वापस आ जाएगी। आइस क्यूब और केविन हार्ट ने विल पैकर निर्माण के साथ, और फिल हे और मैट मैनफ्रेडी को पटकथा लेखक के रूप में फिर से अपनी भूमिकाओं को दोहराया। ७ जुलाई, २०१४ को राइड टू २ ने फिल्मांकन शुरू किया; फिल्मांकन के स्थानों में मियामी, फ्लोरिडा और अटलांटा, जॉर्जिया शामिल थे। यूनिवर्सल ने १५ जनवरी, २016 को फिल्म को रिलीज़ किया।
२०१४ की फ़िल्में |
''पाटीदारी'' बोली , जो मध्यप्रदेश के निमाड़ स्थित बावन खेड़ा के पाटीदार समुदाय द्वारा बोली जाने वाली बोली है। इस बोली की लिपि देवनागरी है और यह गुजराती भाषा से काफी मिलती-जुलती है। पाटीदारों के अनुसार यह [गुजराती]] का ही एक टूटा-फूटा रूप है, जिसमें १७वीं सदी में गुजरात से भागे पाटीदारों द्वारा कुछ थोड़ा अंतर प्रतिपादित किया गया। इसका अपना कोई लिखित साहित्य अभी तक उपलब्ध नहीं है किंतु मौखिक साहित्य की इसमें भरमार है, जिसे पाटीदारों द्वारा अपने सामुदायिक कार्यक्रमों यथा शवयात्रा, विवाह, गम्मत आदि में गाया अथवा सुनाया जाता है। इसमें बच्चों के लिए मनोरंजक कथाओं का भी विपुल भंडार है , जिसे पाटीदारी में वार्ता कहा जाता है। |
जॉन बर्क क्रज़िन्स्की (अंग्रेजी: जॉन बुरके क्रसिंस्की; जन्म: २० अक्टूबर १९७९) एक अमेरिकी अभिनेता और फिल्म निर्माता हैं। फिल्मों में अभिनय करने या फिर निर्माण करने के अलावा, वह एनबीसी की सिटकॉम शृंखला द ऑफिस में निभाई जिम हेल्पर की भूमिका के लिए जाने जाते हैं। क्रज़िन्स्की इस शृंखला के सभी नौ सत्रों के निर्माता होने के साथ-साथ इसके कुछ हिस्सों के निर्देशक भी हैं।
ब्राउन विश्वविद्यालय और नेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट से थिएटर कला में शिक्षित, क्रज़िन्स्की चार प्राइमटाइम एमी पुरस्कार नामांकन और दो स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड सहित कई पुरस्कार जीत चुके हैं। टाइम ने उन्हें २०१८ में दुनिया के १०० सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक बताया था।
क्रज़िन्स्की अमेज़न जासूस थ्रिलर श्रृंखला जैक रायन (२०१८-वर्तमान) में शीर्षक चरित्र को चित्रित करती है, जिस पर वह एक सह-निर्माता भी है। बाद में उनकी भूमिका के लिए, उन्हें एक ड्रामा सीरीज़ में एक पुरुष अभिनेता द्वारा उत्कृष्ट अभिनय के लिए स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था।
१९७९ में जन्मे लोग |
मणीनगर दक्षिण अहमदाबाद का एक उपनगर है।
अंग्रेजो के जमाने में यहाँ युगांडा से आए लोग रहते थे। लेकिन आज यह अहमदाबाद के सबसे विकसित इलाकों में से एक है।
मणीनगर में प्रसिद्ध कांकरीया झील भी है।
मणीनगर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का निर्वाचन स्थल भी है।
ंमनिनगर अहमदाआबद का उप रेल स्तेसन है। |
यमन का संविधान धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करता है, और सरकार आमतौर पर व्यवहार में इस अधिकार का सम्मान करती है; हालाँकि, कुछ प्रतिबंध थे। संविधान घोषणा करता है कि इस्लाम राज्य धर्म है, और यह कि शरीयत (इस्लामी कानून) सभी कानूनों का स्रोत है। सरकार की नीति ने धर्म के सामान्य रूप से मुक्त अभ्यास में योगदान करना जारी रखा; हालाँकि, कुछ प्रतिबंध थे। इस्लाम के अलावा अन्य धार्मिक समूहों के मुस्लिम और अनुयायी अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन सरकार इस्लाम से धर्मांतरण और मुसलमानों के अभियोग का निषेध करती है। हालाँकि धार्मिक समूहों के बीच संबंधों ने धार्मिक स्वतंत्रता में योगदान जारी रखा, लेकिन धार्मिक विश्वास या व्यवहार के आधार पर सामाजिक दुर्व्यवहार और भेदभाव की कुछ रिपोर्टें थीं। यहूदियों पर अलग-अलग हमले हुए और कुछ प्रमुख ज़ायदी मुसलमानों को उनके धार्मिक जुड़ाव के लिए सरकारी संस्थाओं द्वारा लक्षित महसूस किया गया। शादा इस्लाम के ज़ायरा स्कूल का पालन करने वाले अल-हौथी परिवार से जुड़े विद्रोहियों के साथ तीसरे सैन्य संघर्ष के बाद, जनवरी २००७ में साडा गवर्नमेंट में सरकारी सैन्य पुनर्रचना ने राजनीतिक, जनजातीय और धार्मिक तनाव पैदा कर दिया ।
वस्तुतः सभी नागरिक मुस्लिम हैं, जो या तो शिया इस्लाम के ज़ायदी आदेश (४५% -५०%) से संबंधित हैं या सुन्नी इस्लाम के शैफ़ी आदेश (५५-५०%) के हैं। यहूदी सबसे पुराने धार्मिक अल्पसंख्यक हैं। देश की लगभग सभी एक बार रहने वाली यहूदी आबादी वहां बस गई है। देश में ५०0 से कम यहूदी रहते हैं। पूरे देश में ३,००० ईसाई हैं, जिनमें से अधिकांश शरणार्थी या अस्थायी विदेशी निवासी हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति
संविधान धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करता है, और सरकार आमतौर पर व्यवहार में इस अधिकार का सम्मान करती है; हालाँकि, कुछ प्रतिबंध थे। संविधान यह घोषणा करता है कि इस्लाम राजकीय धर्म है और शरीयत सभी कानूनों का स्रोत है। इस्लाम के अलावा धार्मिक समूहों के अनुयायी अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा करने और धार्मिक विशिष्ट आभूषण या पोशाक पहनने के लिए स्वतंत्र हैं; हालाँकि, शरीयत धर्मांतरण पर रोक लगाती है और गैर-मुसलमानों को मुकदमा चलाने से रोकती है, और सरकार इस निषेध को लागू करती है। सरकार को पूजा के नए स्थानों के निर्माण के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है और निर्वाचित पद धारण करने से गैर-मुस्लिमों को प्रतिबंधित करता है।
एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख |
कमलाकर (१६१६१७००) भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलविद थे। उनके तीन भाइयों में से अन्य दो भी गणितज्ञ व खगोलविद थे। इनमें से दिवाकर सबसे बड़े थे और उनका जन्म १६०६ में हुआ था। उनके सबसे छोटे भाई रंगनाथ भी गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे।
कमलाकर का जन्म गोदावरी के उत्तरी किनारे पर स्थित गोलग्राम में हुआ था। उनका परिवार विद्वानों का परिवार था। कमलाकर ने अपने बड़े भाई दिवाकर से खगोलशास्त्र सीखा। बाद में कमलाकर का परिवार वाराणसी आ गया था।
कमलाकर, मुनीश्वर के सिद्धान्तों के विरुद्ध थे।
इन्हें भी देखें
भारतीय गणितज्ञ सूची |
राधाकान्त ठाकुर संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह चलदूरवाणी के लिये उन्हें सन्२०१३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत संस्कृत भाषा के साहित्यकार |
देवली (देओली) भारत के महाराष्ट्र राज्य के वर्धा ज़िले में स्थित एक नगर है।
राष्ट्रीय राजमार्ग ३६१ यहाँ से गुज़रत है और इसे देशभर के कई स्थानों से सड़क द्वारा जोड़ता है।
इन्हें भी देखें
महाराष्ट्र के शहर
वर्धा ज़िले के नगर |
मिसिर खप में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है।
बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
बिहार के गाँव |
डेविड ट्रिम्बल (१५ अक्टूबर १९४४ २५ जुलाई २०२२) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थे जो १९९८ से २००२ तक उत्तरी आयरलैंड के पहले प्रथम मंत्री थे।
डेविड ट्रिम्बल का जन्म १५ अक्टूबर १९४४ को बैंगोर, उत्तरी आयरलैंड में हुआ। १९६८ में क्वीन्स विश्वविद्यालय, बेलफास्ट कानून में डिग्री प्राप्त की और वही पर सिखाना शुरू किया।
१९७५ में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। १९९५ में उल्स्टर यूनियनिस्ट पार्टी के नेता बनने पर ट्रिम्बलने आयरलैंड के संघर्ष पर समझौते की तलाश में अपने राजनीतिक विरोधियों के साथ चर्चा शुरू की। १० अप्रैल १९९८ को ट्रिम्बल के प्रयासोंसे गुड फ्राइडे समझौता निर्माण हुआ जिस में विरोधी पक्ष सिन फेन, ब्रिटिश सरकार और आयरिश सरकार ने उत्तरी आयरलैंड की वर्तमान सरकार की प्रणाली बनाई।
सन् १९९८ में उत्तरी आयरलैंड के संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के उनके प्रयासों के लिए जॉन ह्यूम और डेविड ट्रिम्बल को संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया। १९९८ में वे उत्तरी आयरलैंड के पहले प्रथम मंत्री बने।
नोबल शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता
१९४४ में जन्मे लोग
२०२२ में निधन
उत्तरी आयर्लैण्ड के राजनीतिज्ञ |
ऑग्सबर्ग एयरवेज़ जर्मनी की एक क्षेत्रीय विमान सेवा थी। यह लुफ़्थान्सा की ओर से म्यूनिख विमानक्षेत्र में खाद्य सुविधाएँ प्रदान करती थी। कम्पनी की स्थापना १९८० में इन्टरओट एयरवेज़ के नाम से हुई थी जो ऑग्सबर्ग विमानक्षेत्र में वाणिज्यिक विमान सेवा इसकी मुखिया हैंडल पपिएर की ओर से कराती थी। |
जाबुका, बेरीनाग तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तराखण्ड के जिले
उत्तराखण्ड के नगर
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
उत्तरा कृषि प्रभा
जाबुका, बेरीनाग तहसील
जाबुका, बेरीनाग तहसील |
निखिल आर्य एक भारतीय अभिनेता हैं। यह केसर, रब्बा इश्क़ न होवे, कस्तुरी, छूना है आसमान, सजन रे झूठ मत बोलो, तेरे लिए, महा भारत, ये दिल सुन रहा है, कुमकुम भाग्य आदि में कार्य कर चुके हैं।
केसर - रुद्र मालल्या
रब्बा इश्क़ ना होवे - विवान
कस्तुरी - निखिल
छूना है आसमान - अभिमन्यु अधिकारी
सजन रे झूठ मत बोलो
तेरे लिए - रितेश बसु
महाभारत - इन्द्र देव
ये दिल सुन रहा है - वतन बच्चा सिंह
कुमकुम भाग्य - निखिल सूद
भारतीय टेलिविज़न अभिनेता |
कण भौतिकी में विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल अन्योन्य क्रिया प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से दो विद्युत-चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और दुर्बल अन्योन्य क्रिया का एकीकृत रूप है। यद्यपि ये दोनों बल निम्न ऊर्जा क्षेत्र में बहुत अलग दिखाई देते हैं, सैद्धान्तिक रूप से इन भिन्न छवि के दो बलों की एक बल के रूप में प्रतिकृती करते हैं। एकीकरण पैमाने से उपर, १०० गेव कोटि पर, वो एक बल में परिणीत हो जाते हैं।
मूलभूत कणों में विद्युत-चुम्बकीय व दुर्बल अन्योन्य क्रियाओं के एकीकरण में सहयोग के लिए सन् १९७९ में अब्दुस सलाम, शेल्डन ग्लास्हौ और स्टीवन वाईनबर्ग को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल अन्योन्य क्रिया के अस्तित्व को प्रायोगिक रूप से दो स्तरों में प्रमाणित किया गया, प्रथम ई.सन् १९७३ में गर्गामेले सहयोग द्वारा न्यूट्रिनो प्रकिर्णन द्वारा उदासीन धारा की खोज और द्वितीय १९८३ में यूए१ व यूए२ प्रयोगो ने सुपर प्रोटॉन सिंक्रोट्रॉन से प्राप्त प्रोटॉन प्रति-प्रोटॉन कीरण पूँज की टक्कर में व और ज़ आमान बोसोनों की का आविष्कार।
गणित में, एकीकरण, आमान समूह सू(२) उ(१) में पूरा किया जता है। इसके अनुरूप आमान बोसॉन सू(२) से दुर्बल समभारिक प्रचक्रण के तीन व बोसॉन (, और ) और उ(१) से दुर्बल हायपर आवेश से ब०, ये सभी द्रव्यमान रहित हैं। मानक प्रतिमान में और बोसॉन और फोटोन, हिग्स प्रक्रिया के कारण सू(२) उ(१)य से उ(१)एम में विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल''' सममिति के स्वतः सममिति विघटन से उत्पन्न हुए। (हिग्स बोसॉन भी देखें) उ(१)य और उ(१)एम, उ(१) की विभिन्न प्रतियाँ हैं।; उ(१)एम का जनक क = य/२ + ई३ से दिया जाता है, जहां य, उ(१)य का जनक है (जिसे हायपर आवेश कहा जाता है।) और ई३, सू''(२) के जनकों में से एक है (दुर्बल समभारिक प्रचक्रण का एक घटक)।
विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल सममिति विघटन से पहले
विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल अन्योन्य क्रियाओं के लिए लाग्रांजियन को विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल सममिति विघटन से पहले चार भागों में विभक्त किया जाता है :
विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल सममिति विघटन के पश्चात
ये भी देखें
मानक प्रतिमान का गणितीय विश्लेषण |
तुस्यारी, रानीखेत तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तराखण्ड के जिले
उत्तराखण्ड के नगर
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
उत्तरा कृषि प्रभा
तुस्यारी, रानीखेत तहसील
तुस्यारी, रानीखेत तहसील |
चाँदौक (चांदूक) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बिजनौर ज़िले में स्थित एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तर प्रदेश के गाँव
बिजनौर ज़िले के गाँव |
चेम्माप्पिल्ली (चेम्माप्पिली) भारत के केरल राज्य के त्रिस्सूर ज़िले में स्थित एक स्थान है। यह अंतिकाड नगर के अंतर्गत आता है।
इन्हें भी देखें |
चिम्बेल (चिंबल) भारत के गोवा राज्य के उत्तर गोवा ज़िले में स्थित एक नगर है।
भारत की २००१ की जनगणना के अनुसार, चिम्बेल की जनसंख्या ११,९८३ है। कुल जनसंख्या में पुरुष ५१%, और महिलाएँ ४९% हैं। यहाँ की औसत साक्षरता दर ६१% है जो राष्ट्रीय साक्षरता दर ५९.५% से अधिक है जिसमें से पुरुष साक्षरता दर ६७% और महिला साक्षरता दर ५4% है। १४% लोग ०-६ वर्ष आयुवर्ग के हैं।
इन्हें भी देखें
उत्तर गोवा ज़िला
उत्तर गोवा ज़िला
गोवा के नगर
उत्तर गोवा ज़िले के नगर |
इजेवन आर्मेनिया का एक समुदाय है। यह तवूश मर्ज़ (प्रांत) में आता है। इसकी स्थापना १९६१ में हुई थी। यहां की जनसंख्या १५,६२० है। |
सकर्खोरी में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है।
बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
बिहार के गाँव |
निम्नलिखित सूची अंग्रेजी (रोमन) से मशीनी लिप्यन्तरण द्वारा तैयार की गयी है। इसमें बहुत सी त्रुटियाँ हैं। विद्वान कृपया इन्हें ठीक करने का कष्ट करे।
इन्हें भी देखें
हिन्दी पुस्तकों की सूची
संस्कृत शब्दकोशों की सूची
भारतीय गणित ग्रन्थ
संस्कृत के व्याकरण ग्रन्थ और उनके रचयिता
काव्यशास्त्र से सम्बन्धित ग्रन्थ
आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ
रसविद्या के प्रमुख ग्रन्थ
भारत में रचित संगीत ग्रन्थ |
१९९६ निम्न रूप से नामित किया गया था:
गरीबी उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय वर्ष
जनवरी ३ मोटोरोला एक मोटोरोला स्टारटैक वैरेबल सेलुलर टेलीफोन पेश करता है, जो अब तक का विश्व का सबसे छोटा और हल्का मोबाइल फोन हैं।
जनवरी ५ हमास कार्यकर्ता यहया अय्याश को एक इसरायली शिन बेट द्वारा सुनियोजित तरीक़े से बम-युक्त सेल फोन द्वारा मार दिया गया है।
जनवरी ७ अमेरिकी इतिहास का सबसे खराब तीन घंटों या उससे अधिक चलने वाली बर्फ़बारी पूर्वी राज्यों पर छा जाती है, जिससे १५० से अधिक लोगों की मौत हो जाती हैं। फिलाडेल्फिया में रेकॉर्ड बर्फ गिरता हैं, न्यूयॉर्क शहर के सार्वजनिक स्कूल १८ वर्षों में पहली बार बंद किए जाते हैं और वॉशिंगटन डी॰ सी॰ में संघीय सरकार कई दिनों तक ठप्प पड़ जाती है।
जनवरी ८ ज़ैर का एक कार्गो विमान राजधानी किंशासा के केन्द्र में एक भरे बाज़ार में क्रैश हो जाता हैं, जिसमें ३०० लोगों की मौत हो जाती हैं।
जनवरी ९२० रूसी सैनिकों और बागी लड़ाकुओं के बीच चेचन्या में गंभीर लड़ाई शुरू हो जाती हैं।
जनवरी ११ रियुतारो हाशिमोतो जो उदारवादी लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हैं जापान के प्रधान मंत्री बन जाते हैं।
जनवरी १३ इटली के प्रधान मंत्री लम्बेर्तो दिनी इस्तीफा दे देते हैं। इसका कारण वहाँ राजनीति में सर्व-दलीय वार्ता असफल साबित होना है। नई सरकार बनाने के लिए राष्ट्रपति ऑस्कर लुइगी स्कालफ़ारो द्वारा नई वार्ता प्रारम्भ की जाती है।
जनवरी १४ जॉर्ग सम्पाइओ पुर्तगाल के राष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं।
जनवरी १६ सिएरा लियोन के राष्ट्रपति वैलेन्टाइन स्ट्रेसर रक्षा प्रमुख, जूलियस मादा बिओ के द्वारा पदच्युत कर दिए जाते हैं। बिओ फ़रवरी के लिए निर्धारित चुनावों के बाद सत्ता बहाल करने का वादा करते हैं।
उत्तरी केप तेल रिसाव रोड आइलैण्ड के दक्षिण किंग्सटाउन में स्थित मूनस्टोन साहिल पर होता है जिससे टगबोट तैरते हुए ऊपर आती है। त्तरी केप के इस रिसाव में ८२०,००० गैलन खौलता तेल बह जाता है।
इंडोनेशिया की एक नाव सुमात्रा में १०० लोगों के साथ डूब जाती है।
जनवरी २० यासिर अराफ़ात दोबारा फ़िलस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति चुन लिए गए।
जनवरी २१ फ़्रान्स अपना अंतिम परमाणु परीक्षण करता है।
जनवरी २२ यूनान के प्रधानमंत्री आंद्रेअस पापान्द्रेउ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इस्तीफ़ा देते हैं। कोस्तस सिमितिस की अध्यक्षता में नई सरकार का गठन होता है।
जनवरी २४ पोलिश प्रधानमंत्री जोज़ेफ़ ओलेक्सी मॉस्को के लिए जासूसी के आरोपों के बाद इस्तीफ़ा दे देते हैं। उनका स्थान व्लॉद्ज़िमिएर्ज़ सिमॉसज़ेवित्स्ज़ ने ले लिया।
जनवरी २७ कर्नल इब्राहिम बारे मईनस्सारा नाइजर के पहले जनतांत्रिक रूप से ज़ुने गए राष्ट्रपति महामाने उस्माने को एक फ़ौजी बग़ावत में पद से हटा देते हैं।
कोलम्बो केन्द्रीय बैंक बम्बारी: एक धमाकु माद्दे से भरा ट्रक कोलम्बो, श्रीलंका के केन्द्रीय बैंक की फाटकों से टकराता हुआ चला गया जिससे कम से कम ८६ लोग मारे गए और १,४०० घायल हुए।
शाओयांग, चीन में होने वाले एक धमाके में १२२ लोग मारे गए और ४०० से अधिक घायल हुए जब डाइनामाइट एक अवैध गोदाम में फट पड़ा जो एक रिहायशी परिसर के नीचे था।
दक्षिण जापान का एक नौसीख खगोलज्ञ ह्याकुटाके दुमतारा ढूँढ निकाला; यह मार्च मे पृथ्वी के निकट से गुज़रेगा।
२६ जनवरी- अमरीकी सीनेट ने रूस के साथ परमाणु हथियार और मिसाइल की होड़ कम करने संबंधी समझौते स्टार्ट..२ को मंजूरी दी।
४ जुलाई - रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन फिर से चार वर्ष के लिए राष्ट्रपति चुने गए।
१३ दिसंबर- कोफी अन्नान संयुक्त राष्ट्र के महासचिव चुने गए।
महमूद दाहूद, जर्मन फुटबॉलर
टाइलर उलिस, अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी
मैक्सिम बाल्ड्री, अंग्रेज़ी अभिनेता
किशन श्रीकांत, भारतीय अभिनेता और निदेशक
हरमनप्रीत सिंह, भारतीय पुरुष फ़ील्ड हॉकी खिलाड़ी
हैली शाह, भारतीय अभिनेत्री
आयज़ैक सक्सेस, नाइजीरियाई फुटबॉलर
जनवरी ९ ओआना ग्रेगरी, रोमानियाई अमेरिकी अभिनेत्री
जनवरी १० ऐना सुतान्कोविक्स, हंगरी की तैराकी
जनवरी ११ लेरोय सन, जर्मन फुटबॉलर
जनवरी १२ ऐला हेंडरसन, अंग्रेज़ी गायिका
अनिता हीन्रिक्सत्तिर, आइसलैण्ड की मध्य-दूरी धावक
जनवरी १५ डव कैमरन, अमेरिकी अभिनेत्री
जनवरी १८ सैरा गिल्मन, अमेरिकी अभिनेत्री
जनवरी २१ मार्को असेंसियो, स्पेनी फुटबॉलर
जोशुआ हो-सांग, कनाडाई आइस हॉकी खिलाड़ी
खलिल रामोस, फ़िलीपीन अभिनेता और गायक
जनवरी २४ पैट्रिक स्शिक, चेक फुटबॉलर
टाइगर ड्रियू-हनी, ब्रिटिश अभिनेता
३ फ़रवरी - दूती चन्द, भारतीय महिला खिलाड़ी
१४ फ़रवरी - अबु हैदर, बांग्लादेशी क्रिकेट खिलाड़ी
२१ फ़रवरी - सोफी टर्नर, अंग्रेज़ी अभिनेत्री
२७ मार्च - कांची सिंह, भारतीय टीवी अभिनेत्री
३ जुलाई - अनुराग कुमार (बिट्टू यादव) (बाबा) ,साँगी मधुबनी बिहार भारत
३० जुलाई - टिनपिता शिघकिआ, इंडोनेशियाई गायक
१० दिसम्बर - मानस मादरेचा, भारतीय कवि, वक्ता एवं ब्लॉगर
१३ दिसम्बर - अवेश खान, भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
३१ दिसम्बर - अय्यासामी धरुण, भारतीय एथलीट
तिथि अज्ञात - सुमेध मुदगलकर, भारतीय टीवी अभिनेता
तिथि अज्ञात - यतिन मेहता, भारतीय टीवी अभिनेता
१८ जनवरी नन्दमूरि तारक रमाराव (आयु ७२ वर्ष) भारतीय अभिनेता, निर्देशक, निर्माता एवं राजनेता।
१३ मार्च शफ़ी ईनामदार (आयु ५० वर्ष) भारतीय अभिनेता।
३ जुलाई राज कुमार (आयु ६९ वर्ष) हिंदी चलचित्र अभिनेता।
२० जुलाई अन्ना चांडी (आयु ९१ वर्ष) भारत की पहली महिला न्यायाधीश।
८ अगस्त नेविल एफ मोट्ट (आयु ९० वर्ष) भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता (१९७७) अंग्रेज़ वैज्ञानिक।
१२ अक्टूबर रेने लेकोस्ते (आयु ९२ वर्ष) प्रसिद्ध फ्रांसीसी टेनिस खिलाड़ी एवं व्यवसायी।
भौतिकी डेविड एम. ली, डगलस दी. ओशेरॉफ, रॉबर्ट कोलमान रिचर्डसन
अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञानों में बैंक ऑफ़ स्वीडन पुरस्कार जेम्स मिर्लीस, विलियम विच्क्रे |
वे एक पाकिस्तानी जनरल, राजनीतिज्ञ और पाकिस्तान के प्रांत, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के पूर्व राज्यपाल थे।
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के राज्यपाल
पाकिस्तान की राजनीति
खैबर पख्तूनख्वा सर्कार का आधिकारिक जालस्थल
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के राज्यपाल
पाकिस्तान के लोग |
ओनिका तान्या माराज (जन्म: दिसम्बर ८, 19८2), मुख्यतः अपने मंचीय नाम निकी मिनाज द्वारा जानी जाती हैं, त्रिनिदाद में जन्मी अमेरिकी संगीतकार हैं। मिनाज का जन्म सेन्ट जेम्स, त्रिनिदाद और टोबैगो में हुआ था और पाँच वर्ष की आयु में यह न्यूयॉर्क शहर के क्वींस बोरो में चली गईं।
२००७ से २००९ के बीच तीन मिक्स-टेप निकालने और २००९ में यंग मनी एंटरटेनमेंट के साथ हुए अपने अनुबंध के पश्चात्, मिनाज ने नवंबर २०१० में अपनी पहली एल्बम पिंक फ्राइडे जारी की।
अमेरिकी पॉप गायक
१९८२ में जन्मे लोग |
तिलौरा, सोमेश्वर तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तराखण्ड के जिले
उत्तराखण्ड के नगर
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
उत्तरा कृषि प्रभा
तिलौरा, सोमेश्वर तहसील
तिलौरा, सोमेश्वर तहसील |
रामनगर वाराणसी एक्स्प्रेस ४६२ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन रामनगर रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:र्म्र) से ०८:५०प्म बजे छूटती है और वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:ब्सब) पर ०३:४५प्म बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है १८ घंटे ५५ मिनट।
मेल एक्स्प्रेस ट्रेन |
न्यायालयिक सबूत जूतों के निशान कानूनी कार्यवाही मे यह साबित करने मे इस्तमाल आते है की अपराधिक स्थान पर कोई मौजूत था। जूतों के निशान सबके वैसे ही अलग होते है जेसे उगलियो के निशान।
जूतों के निशान की जाँच की जाती है और मिले दूसरे जूतों के निशानों से मिलाया जाता है। जूतों के निशान यह साबित करता है की कोन अपराधिक स्थान पर आया और गया था।
जूतों के निशान के प्रकार
जूतों के निशान के तीन प्रकार है
जूतों के निशान किसी भी वस्तु पर पाना या अपराधिक स्थान पर मिलना। जेसे दिवार पर मिलना या बहार मिटी पर निशान पाना। यह निशान जरुरी नही की पुरे और साफ हो।
बहारी जूतों के निशान सावधानी से उठाना पड़ता है क्योंकी वह सबूत नष्ट होने मे देर नही लगते है।
जब कोई लगातर जूते पहनता है तो जूतों के अंदर निशान हो जाते है पैर की उगलियों के और अंगूठे के। इससे यह पता लग जाता है की वह जूता पहेना हुआ था।
जब जूते का कोई थोडा सा हिस्सा मिलता है किसी अपराधिक स्थान पर जसे गीली मिट्टी मे मिलना या किसी और वस्तु के साथ मिलना।
जूतों के निशान की वसूली (रिकवरी)
जूतों के निशान जादा तर नरम जमीन पर ही अच्छे आते है जेसे की गीली मिट्टी पर। उन सबूतों को अच्छेसे उठाने के लिए कुछ तकनीके है जेसे की
जूतों के निशान उठाय जाते है इलेक्ट्रोनिक लिफ्टिंग यंत्र से।
जूतों के निशान उठाने के लिए पॉप का इस्तमाल कर के उस निशान पर डाला जाता है और उसे सुखा के उठाया जाता है।
जूते के निशान के ऊपर कांच की प्लेट रख कर अनुरेखण करना।
जूतों के निशान स्थान पर प्राप्त हुए को दुसरो से मिलाया जाता है।
जूतों के निशान के विश्लेषण करने से यह जानकारी प्राप्त की:
कितने व्यक्ति थे अपराधिक स्थान पर।
जिसके जूते के निशान है उसकी लम्बाई कितनी है।
जुते के निशान देख कर व्यक्ति अपराधिक स्थान पर हरकत का पता लग जाता है।
जूता कोनसी कंपनी का है।
जूते पहने वाले व्यक्ति अपंग तो नही। |
बहुलक उत्पादों में विफलता के अध्ययन को फोरेंसिक पॉलिमर इंजीनियरिंग कहा जाता है। इस विषय में शामिल है, प्लास्टिक उत्पादों के फ्रैक्चर या कोई भी अन्य कारण है जिसे एक उत्पाद सेवा में विफल क्यों रहता है, या इसके विनिर्देश को पूरा करने में विफल रहता है।
विषय अपराध या दुर्घटना के दृश्य से साक्ष्यों पर केंद्रित करता है, उन सामग्रियों को समझा सकता है कि क्यों एक दुर्घटना हुई है।
विश्लेषण करने के तरीके
थर्माप्लास्टिक बुनियादी लाल स्पेक्ट्रोस्कोपी, पराबैंगनी दिखाई स्पेक्ट्रोस्कोपी, परमाणु चुंबकीय अनुनाद स्पेक्ट्रोस्कोपी और पर्यावरण स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग कर विश्लेषण किया जा सकता है।
विफल नमूनो को या तो एक उपयुक्त विलायक में भंग किया जा सकता है और सीधे जांच भी किया जा सकता है।
इंफ्रा-रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी पॉलिमर के ऑक्सीकरण का आकलन करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जैसे की बहुलक दोषपूर्ण इंजेक्शन मोल्डिंग की वजह से गिरावट।
कई पॉलिमर वातावरण में विशिष्ट रसायनों द्वारा भी नष्ट हो जाते है और गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं जैसे सड़क दुर्घटनाओं और व्यक्तिगत चोट।
क्लोरीन प्रेरित खुर |
विश्व हिन्दी सम्मेलन हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिन्दी विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा विज्ञानी, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी प्रेमी जुटते हैं। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रति जागरुकता पैदा करने, समय-समय पर हिन्दी की विकास यात्रा का आकलन करने, लेखक व पाठक दोनों के स्तर पर हिन्दी साहित्य के प्रति सरोकारों को और दृढ़ करने, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने तथा हिन्दी के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावुकतापूर्ण व महत्त्वपूर्ण रिश्तों को और अधिक गहराई व मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से १० जनवरी १९७५ में विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शृंखला आरम्भ की गयी। इस बारे में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी ने पहल की थी। पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहयोग से नागपुर, महाराष्ट्र में सम्पन्न हुआ जिसमें प्रसिद्ध समाजसेवी एवं स्वतन्त्रता सेनानी विनोबा भावे ने अपना विशेष सन्देश भेजा।
प्रारम्भ में इसका आयोजन हर चौथे वर्ष में किया जाता था लेकिन अब यह अन्तराल घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया है। अब तक १२ विश्व हिन्दी सम्मेलन हो चुके हैं। मुख्यतः मारीशस, नई दिल्ली, त्रिनिडाड व टोबेगो, लन्दन, सूरीनाम न्यूयार्क और जोहांसबर्ग में। दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन २०१५ में भोपाल में आयोजित हुआ। २०१८ में इसका आयोजन मॉरीशस में हुआ है। १२वां विश्व हिंदी सम्मेलन १५-१७ फरवरी २०२३ में फिजी में हुआ।
पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन १० जनवरी से १४ जनवरी १९७५ तक नागपुर में आयोजित किया गया। सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के तत्वावधान में हुआ। सम्मेलन से सम्बन्धित राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष महामहिम उपराष्ट्रपति श्री बी डी जत्ती थे। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष श्री मधुकर राव चौधरी उस समय महाराष्ट्र के वित्त, नियोजन व अल्पबचत मन्त्री थे। पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन का बोधवाक्य था - वसुधैव कुटुम्बकम। सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे मॉरीशस के प्रधानमन्त्री श्री शिवसागर रामगुलाम, जिनकी अध्यक्षता में मॉरीशस से आये एक प्रतिनिधिमण्डल ने भी सम्मेलन में भाग लिया था। इस सम्मेलन में ३० देशों के कुल १२२ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सम्मेलन में पारित किये गये मन्तव्य थे-
१- संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाये।
२- वर्धा में विश्व हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना हो।
३- विश्व हिन्दी सम्मेलनों को स्थायित्व प्रदान करने के लिये अत्यन्त विचारपूर्वक एक योजना बनायी जाये।
दूसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन मॉरीशस की धरती पर हुआ। मॉरीसस की राजधानी पोर्ट लुई में २८ अगस्त से ३० अगस्त १९७६ तक चले विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजक राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष, मॉरीशस के प्रधानमन्त्री डॉ॰ सर शिवसागर रामगुलाम थे। सम्मेलन में भारत से तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मन्त्री डॉ॰ कर्ण सिंह के नेतृत्व में २३ सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने भाग लिया। भारत के अतिरिक्त सम्मेलन में १७ देशों के १८१ प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
तीसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन भारत की राजधानी दिल्ली में २८ अक्टूबर से ३० अक्टूबर १९८३ तक आयोजित किया गया। सम्मेलन के लिये बनी राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष डॉ॰ बलराम जाखड़ थे। इसमें मॉरीशस से आये प्रतिनिधिमण्डल ने भी हिस्सा लिया जिसके नेता थे श्री हरीश बुधू। सम्मेलन के आयोजन में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने प्रमुख भूमिका निभायी। सम्मेलन में कुल ६,५६६ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिनमें विदेशों से आये २६० प्रतिनिधि भी शामिल थे। हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री सुश्री महादेवी वर्मा समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं। इस अवसर पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था - "भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथ जैसी है जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिये गये हों।"
चौथा विश्व हिन्दी सम्मेलन २ दिसम्बर से ४ दिसम्बर १९९३ तक मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित किया गया। १७ साल बाद मॉरीशस में एक बार फिर विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था। इस बार के आयोजन का उत्तरदायित्व मॉरीशस के कला, संस्कृति, अवकाश एवं सुधार संस्थान मन्त्री श्री मुक्तेश्वर चुनी ने संभाला था। उन्हें राष्ट्रीय आयोजन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसमें भारत से गये प्रतिनिधिमण्डल के नेता थे श्री मधुकर राव चौधरी। भारत के तत्कालीन गृह राज्यमन्त्री श्री रामलाल राही प्रतिनिधिम्ण्डल के उपनेता थे। सम्मेलन में मॉरीशस के अतिरिक्त लगभग २०० विदेशी प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
पाँचवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन त्रिनिदाद एवं टोबेगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में ४ अप्रैल से ८ अप्रैल १९९६ के मध्य हुआ। इसका आयोजन त्रिनीदाद की हिन्दी निधि द्वारा किया गया। सम्मेलन के प्रमुख संयोजक थे हिन्दी निधि के अध्यक्ष श्री चंका सीताराम। भारत की ओर से इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमण्डल के नेता अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री माता प्रसाद थे। सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था- प्रवासी भारतीय और हिन्दी। जिन अन्य विषयों पर इसमें ध्यान केन्द्रित किया गया, वे थे - हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास, कैरेबियाई द्वीपों में हिन्दी की स्थिति एवं कप्यूटर युग में हिन्दी की उपयोगिता। सम्मेलन में भारत से १७ सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने हिस्सा लिया। अन्य देशों के २५७ प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए।
छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन लन्दन में १४ सितम्बर से १८ सितम्बर १९९९ तक आयोजित किया गया। यू०के० हिन्दी समिति, गीतांजलि बहुभाषी समुदाय और बर्मिंघम भारतीय भाषा संगम, यॉर्क ने मिलजुल कर इसके लिये राष्ट्रीय आयोजन समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष थे डॉ॰ कृष्ण कुमार और संयोजक डॉ॰ पद्मेश गुप्त। सम्मेलन का केंद्रीय विषय था - हिन्दी और भावी पीढ़ी। सम्मेलन में विदेश राज्यमन्त्री श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमण्डल ने भाग लिया। प्रतिनिधिमण्डल के उपनेता थे प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ॰ विद्यानिवास मिश्र। इस सम्मेलन का ऐतिहासिक महत्त्व इसलिए है क्योंकि यह हिन्दी को राजभाषा बनाये जाने के ५०वें वर्ष में आयोजित किया गया। यही वर्ष सन्त कबीर की छठी जन्मशती का भी था। सम्मेलन में २१ देशों के ७०० प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें भारत से ३५० और ब्रिटेन से २५० प्रतिनिधि शामिल थे।
सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन सुदूर सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो में ५ जून से ९ जून २००३ के मध्य हुआ। इक्कीसवीं सदी में आयोजित यह पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन था। सम्मेलन के आयोजक थे श्री जानकीप्रसाद सिंह और इसका केन्द्रीय विषय था - विश्व हिन्दी: नई शताब्दी की चुनौतियाँ। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश राज्य मन्त्री श्री दिग्विजय सिंह ने किया। सम्मेलन में भारत से २०० प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें १२ से अधिक देशों के हिन्दी विद्वान व अन्य हिन्दी सेवी सम्मिलित हुए। सम्मेलन का उद्घाटन ५ जून को हुआ था। यह भी एक संयोग ही था कि कुछ दशक पहले इसी दिन सूरीनामी नदी के तट पर भारतवंशियों ने पहला कदम रखा था।
आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन १३ जुलाई से १५ जुलाई २००७ तक संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी न्यू यॉर्क में हुआ। इस सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था - विश्व मंच पर हिन्दी। इसका आयोजन भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय द्वारा किया गया। न्यूयॉर्क में सम्मेलन के आयोजन से सम्बन्धित व्यवस्था अमेरिका की हिन्दी सेवी संस्थाओं के सहयोग से भारतीय विद्या भवन ने की थी। इसके लिए एक विशेष वेबसाईट का निर्माण भी किया गया। इसे प्रभासाक्षी.कॉम के समूह सम्पादक बालेन्दु शर्मा दाधीच के नेतृत्व वाले प्रकोष्ठ (सैल) ने विकसित किया।
नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन २२ सितम्बर से २४ सितम्बर २०१२ तक, दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहांसबर्ग में हुआ। इस सम्मेलन में २२ देशों के ६०० से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें लगभग ३०० भारतीय शामिल हुए। सम्मेलन में तीन दिन चले मंथन के बाद कुल १२ प्रस्ताव पारित किए गए और विरोध के बाद एक संशोधन भी किया गया।
दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन १० से १२ सितंबर तक भोपाल में हुआ। दसवें सम्मेलन का मुख्य कथ्य (थीम) था - ' हिन्दी जगत : विस्तार एवं सम्भावनाएँ '।
ग्यारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मीलन मॉरिशस में आयोजित किया गया।
बारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन १५ से १७ फरवरी २०२३ में नाडी, फ़िजी के देनाराऊ द्वीप कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया। यह आयोजन अबकी बार पाँच साल बाद हो रहा है, आखिरी बार यह २०१८ में आयोजित किया गया था। इस साल विश्व हिंदी दिवस की थीम पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। विश्व हिंदी सम्मेलन की आधिकारिक वेबसाइट पर एक पोस्ट में लिखा है। सम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रम और कवि सम्मेलन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली द्वारा आयोजित किए गए हैं।फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नाडी में १२वे विश्व हिंदी सम्मेलन में हिस्सा लिया।
विश्व हिन्दी सम्मेलनों में पारित प्रस्ताव
प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाए।
वर्धा में विश्व हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना हो।
विश्व हिन्दी सम्मेलनों को स्थायित्व प्रदान करने के लिए ठोस योजना बनाई जाए।
द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन
मॉरीशस में एक विश्व हिन्दी केंद्र की स्थापना की जाए जो सारे विश्व में हिन्दी की गतिविधियों का समन्वय कर सके।
एक अंतरराष्ट्रीय हिन्दी पत्रिका का प्रकाशन किया जाए जो भाषा के माध्यम से ऐसे समुचित वातावरण का निर्माण कर सके जिसमें मानव विश्व का नागरिक बना रहे और आध्यात्म की महान शक्ति एक नए समन्वित सामंजस्य का रूप धारण कर सके।
हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र् संघ में एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान मिले। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाए।
तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन
अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के प्रचार-प्रसार की संभावनाओं का पता लगा कर इसके लिए गहन प्रयास किए जाएं।
हिन्दी के विश्वव्यापी स्वरूप को विकसित करने के लिए विश्व हिन्दी विद्यापीठ स्थापित करने की योजना को मूर्त रूप दिया जाए।
विगत दो सम्मेलनों में पारित संकल्पों की संपुष्टि करते हुए यह निर्णय लिया गया कि अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के विकास और उन्नयन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक स्थायी समिति का गठन किया जाए। इस समिति में देश-विदेश के लगभग २५ व्यक्ति सदस्य हों।
चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन
विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस में स्थापित किया जाए।
भारत में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए।
विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिन्दी पीठ खोले जाएं।
भारत सरकार विदेशों से प्रकाशित दैनिक समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तकें प्रकाशित करने में सक्रिय सहयोग करे।
हिन्दी को विश्व मंच पर उचित स्थान दिलाने में शासन और जन-समुदाय विशेष प्रयत्न करे।
विश्व के समस्त हिन्दी प्रेमी अपने निजी एवं सार्वजनिक कार्यों में हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें और संकल्प लें कि वे कम से कम अपने हस्ताक्षरों, निमंत्रण पत्रों, निजी पत्रों और नामपट्टों में हिन्दी का प्रयोग करेंगे।
सम्मेलन के सभी प्रतिनिधि अपने-अपने देशों की सरकारों से संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए समर्थन प्राप्त करने का सार्थक प्रयास करेंगे।
चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन (दिसम्बर-१९९३) के बाद विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना मॉरीशस में हुई
पांचवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
विश्व व्यापी भारतवंशी समाज हिन्दी को अपनी संपर्क भाषा के रूप में स्थापित करेगा।
मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना के लिए भारत में एक अंतर-सरकारी समिति बनाई जाए।
सभी देशों, विशेषकर जिन देशों में अप्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में हैं, उनकी सरकारें अपने-अपने देशों में हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करें। उन देशों की सरकारों से आग्रह किया जाए कि वे हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के लिए राजनीतिक योगदान और समर्थन दें।
छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन
विश्व भर में हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन, शोध, प्रचार-प्रसार और हिन्दी सृजन में समन्वय के लिए महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय केंद्र सक्रिय भूमिका निभाए।
विदेशों में हिन्दी के शिक्षण, पाठ्यक्रमों के निर्धारण, पाठ्य-पुस्तिकों के निर्माण, अध्यापकों के प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था भी विश्वविद्यालय करे और सुदूर शिक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
मॉरीशस सरकार अन्य हिन्दी-प्रेमी सरकारों से परामर्श कर शीघ्र विश्व हिन्दी सचिवालय स्थापित करे।
हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता दी जाए।
हिन्दी को सूचना तकनीक के विकास, मानकीकरण, विज्ञान एवं तकनीकी लेखन, प्रसारण एवं संचार की अद्यतन तकनीक के विकास के लिए भारत सरकार एक केंद्रीय एजेंसी स्थापित करे।
नई पीढ़ी में हिन्दी को लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक पहल की जाए।
भारत सरकार विदेश स्थित अपने दूतावासों को निर्देश दे कि वे भारतवंशियों की सहायता से विद्यालयों में एक भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण की व्यवस्था करवाएँ।
सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाया जाए।
विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पीठ की स्थापना हो।
भारतीय मूल के लोगों के बीच हिन्दी के प्रयोग के प्रभावी उपाय किए जाएं।
हिन्दी के प्रचार हेतु वेबसाइट की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग हो।
हिन्दी विद्वानों की विश्व-निर्देशिका का प्रकाशन किया जाए।
विश्व हिन्दी दिवस का आयोजन हो।
कैरेबियन हिन्दी परिषद की स्थापना हो।
दक्षिण भारत के विश्व विद्यालयों में हिन्दी विभाग की स्थापना हो।
हिन्दी पाठ्यक्रम में विदेशी हिन्दी लेखकों की रचनाओं को शामिल किया जाए।
सूरीनाम में हिन्दी शिक्षण की व्यवस्था की जाए।
आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
विदेशों में हिन्दी शिक्षण और देवनागरी लिपि को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से दूसरी भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण के लिए एक मानक पाठ्यक्रम बनाया जाए तथा हिन्दी के शिक्षकों को मान्यता प्रदान करने की व्यवस्था की जाए।
विश्व हिन्दी सचिवालय के कामकाज को सक्रिय करने एवं उद्देश्य परक बनाने के लिए सचिवालय को भारत तथा मॉरीशस सरकार सभी प्रकार की प्रशासनिक एवं आर्थिक सहायता प्रदान करें और दिल्ली सहित विश्व के चार-पाँच अन्य देशों में इस सचिवालय के क्षेत्रीय कार्यालय खोलने पर विचार किया जाए। सम्मेलन सचिवालय यह आह्वान करता है कि हिन्दी भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए विश्व मंच पर हिन्दी वेबसाइट बनाई जाए।
हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विषयों पर सरल एवं उपयोगी हिन्दी पुस्तकों के सृजन को प्रोत्साहित किया जाए। हिन्दी में सूचना प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के प्रभावी उपाय किए जाएं। एक सर्वमान्य व सर्वत्र उपलब्ध यूनिकोड को विकसित व सर्वसुलभ बनाया जाए।
विदेशों में जिन विश्वविद्यालयों तथा स्कूलों में हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन होता है उनका एक डेटाबेस बनाया जाए और हिन्दी अध्यापकों की एक सूची भी तैयार की जाए।
यह सम्मेलन विश्व के सभी हिन्दी प्रेमियों और विशेष रूप से प्रवासी भारतीयों तथा विदेशों में कार्यरत भारतीय राष्ट्रिकों से भी अनुरोध करता है कि वे विदेशों में हिन्दी भाषा, साहित्य के प्रचार-प्रसार में योगदान करें।
वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में विदेशी हिन्दी विद्वानों के अनुसंधान के लिए शोधवृत्ति की व्यवस्था की जाए।
केंद्रीय हिन्दी संस्थान भी विदेशों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार व पाठ्यक्रमों के निर्माण में अपना सक्रिय सहयोग दे।
विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पीठ की स्थापना पर विचार-विमर्श किया जाए।
हिन्दी को साहित्य के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और वाणिज्य की भाषा बनाया जाए।
भारत द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर आयोजित की जाने वाली संगोष्ठियों व सम्मेलनों में हिन्दी को प्रोत्साहित किया जाए।
नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
२२ से २४ सितम्बर २०१२ को दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ९वें विश्व हिन्दी सम्मेलन ने, जिसमें विश्वभर के हिन्दी विद्वानों, साहित्यकारों और हिन्दी प्रेमियों आदि ने भाग लिया, रेखांकित किया कि:
हिन्दी के बढ़ते हुए वैश्वीकरण के मूल में गांधी जी की भाषा दृष्टि का महत्वपूर्ण स्थान है।
मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना की संकल्पना प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान की गई थी। यह सम्मेलन इस सचिवालय की स्थापना के लिए भारत और मॉरीशस की सरकारों द्वारा किए गए अथक प्रयासों एवं समर्थन की सराहना करता है।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय भी विश्व हिन्दी सम्मेलनों में पारित संकल्पों का ही परिणाम है। यह विश्वविद्यालय हिन्दी के प्रचार-प्रसार और उपयुक्त आधुनिक शिक्षण उपकरण विकसित करने में सराहनीय कार्य कर रहा है।
सम्मेलन केंद्रीय हिन्दी संस्थान की भी सराहना करता है कि वह उपयुक्त पाठ्यक्रम और कक्षाओं का संचालन करके विदेशियों और देश के गैर हिन्दी भाषी क्षेत्र के लोगों के बीच हिंन्दी का प्रचार-प्रसार कर रहा है।
दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन १० सितम्बर से १२ सितम्बर २०१५ तक भोपाल में हुआ। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने किया। सम्मेलन का मुख्य विषय "हिन्दी जगत : विस्तार एवं संभावनाएं " था।
ग्यारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
११वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन १८-२० अगस्त २०१८ तक मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस सरकार के सहयोग से होगा। इस सम्मेलन की योजना का निर्णय सितंबर २०१५ में भोपाल में आयोजित १०वें विश्व हिंदी सम्मेलन में लिया गया था।
इन्हें भी देखें
विश्व हिन्दी सचिवालय
विश्व हिन्दी दिवस
हिन्दी साहित्य सम्मेलन
अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन
विश्व हिन्दी सम्मेलन का जालघर
१०वां विश्व हिन्दी सम्मेलन
भाषा : दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन से अपेक्षाएं (जनसत्ता)
विश्व हिन्दी सम्मेलन : इतिहास के झरोखों से (वेबदुनिया)
नौवें विश्व हिन्दी सम्मेलन का जालस्थान
जोहांसबर्ग में होगा नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन (दैनिक जागरण)
सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन, सूरीनाम की वेबसाइट
विश्व हिन्दी सम्मेलनों में पारित प्रस्ताव
विदेश मन्त्रालय की वेबसाइट
विश्व हिन्दी सम्मेलन का महत्व (साहित्य वैभव)
विश्व हिन्दी सम्मेलन-त्रिनीदाद को याद करते हुए - बच्चू प्रसाद सिंह
विश्व हिन्दी सम्मेलन : संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी के लिए अब समयबद्ध कार्रवाई - ब्रजेन्द्र नाथ सिंह
हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना |
बिशनचंद्र सेठ हिन्दू महासभा के जुझारू नेता थे। वे शाहजहाँपुर के थे। वे एटा से कई बार सांसद रहे।
इन्हें भी देखें
भारत के नेता |
राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय ( एनडीएस, रियासत-ए-अमनियत-ए मिल्ली ) अफगानिस्तान की प्राथमिक खुफिया एजेंसी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय की स्थापना २००२ में अफगानिस्तान के इस्लामिक गणराज्य की प्राथमिक घरेलू और विदेशी खुफिया एजेंसी के रूप में की गई थी, और इसे केएचएडी का उत्तराधिकारी माना जाता है, जो अफगान गृह युद्ध (१९९६-२००१) से पहले का खुफिया संगठन था ) का है ।
अफगानिस्तान के प्राथमिक खुफिया अंग के रूप में, न्ड्स अफगानिस्तान के मंत्रालयों और प्रांतीय अधिकारियों के साथ जानकारी साझा करता है। न्ड्स (राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय) अमेरिकी सिया, भारतीय रऑ, पाकिस्तानी इसी और अन्य नाटो खुफिया एजेंसियों के साथ भी सहयोग करता है। २००२ में तालिबान को हटाने के बाद, न्ड्स (राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय) ने इसी को निर्वासित आतंकवादी कमांडरों और अल-कायदा के गुर्गों के पाकिस्तान में छिपे होने की चेतावनी दी। २००६ की शुरुआत में, न्ड्स (राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय) बंदियों से मिली खुफिया जानकारी के मुताबिक ओसामा बिन लादेन पश्चिमी पाकिस्तान के शहर मानसेहरा का रहने वाला था । मई में पूरा हुआ एक वर्गीकृत एनडीएस पेपर, जिसका शीर्षक था, "तालिबान की रणनीति", का दावा आईएसआई और सऊदी अरब ने २००५ में तालिबान के लिए सक्रिय समर्थन को फिर से शुरू किया। पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने अफगानिस्तान और भारत के बीच एक गठबंधन को रोकने के लिए, हामिद करज़ई की सरकार को कमजोर करने और उसे सौंपने की मांग की। २००७ में, अमरिल्ला सालेह के एनडीएस ने पाकिस्तान के फेडरली प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों से पुश्तों में उत्पन्न हुए आत्मघाती बम विस्फोटों की खोज के लिए गिरफ्तारी और पूछताछ का इस्तेमाल किया। अप्रैल २०१४ के अफगान राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, रहमतुल्ला नबील के तहत एनडीएस, ने हजारों संकेतों की खुफिया जानकारी एकत्र की जिसमें अशरफ गनी के सहयोगियों ने बड़े पैमाने पर चुनावी धोखाधड़ी का आयोजन किया। न्ड्स को सफलता मिली है, जिसमें मौलवी फैज़ुल्लाह को पकड़ना, एक उल्लेखनीय तालिबानी नेता, और २०१४ में अब्दुल रशीद दोस्तम के खिलाफ हत्या का प्रयास शामिल है।
एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख |
गडनानदी (गड़नानधी) भारत के तमिल नाडु राज्य के तिरूनेलवेली ज़िले और तेन्कासी ज़िले में बहने वाली एक नदी है। यह अगसत्यमला संरक्षित जैवमंडल की पहाड़ियों में उत्पन्न होती है और तिरुप्पुडैमरुदूर गाँव के समीप तामिरबरणी नदी में विलय हो जाती है।
इन्हें भी देखें
अगसत्यमला संरक्षित जैवमंडल
तमिल नाडु की नदियाँ
तिरुनेलवेली ज़िले का भूगोल |
संपूर्ण नाम सय्यद मुनव्वर हसन कमाल। कलमी नामकमालहै। आपका जन्म भारत की रियासत उत्तर प्रदेश के शहर मुज़फ़्फ़र नगर में ९ अगस्त , 1९5९ ई. को हुवी। पिता सय्यद मुहम्मद हसन और माता उस्मानी बेगम। पत्नी राशिदा बेगम। पिता श्रीमान सय्यद मुहम्मद हसन काज़िमी भी अपने दौर के जाने माने शायर और लेखक थे।
बचपन और शिक्षा
आपधार्मिकविद्याप्राप्तकरनेकेबावजूदसमाजीजीवनमेंसंपादकताऔरलेखकजीवनकोचुना बहुतसारेउर्दूवार्तापत्रिकाओंमेंकामकिया।अबरोज़नामासहारा,राश्ट्रीयसहारानईदिल्लीकेलियेकामकररहेहैं इनकीविशेशतायहहैकिये,खिलाफ़तपर,खिलाफ़तकेइतिहासपरलिखा।औरअलीबिरादरपरभीकईलेखलिखे।
विभिन्न विषयों पर १००से ज्यादा मज़मून लिखे। विभिन्न विषयों पर एक हज़ार से ज्यादा किताबों पर व्याख्या और टिप्पणियां लिखी।उर्दूमुशायरे,सम्मेलन,सेमिनार,हाज़िरयुवे।कईविशयोंपरशोधपत्रलिखे।खासतौरपरपुस्तकसमीक्षाकारकेरूपमेंजानेपहचानेजातेहैं।और इनकी संरचनाएँ भी उर्दू साहित्यिक दुनिया मैं एक अच्छा स्थान रखती हैं। कमाल साहिब उर्दू लेखक, संपादक, समीक्षाकार, पत्रकार, शायर के रूप में भी जाने जाते हैं। दिल्ली के सहारा वार्तापत्रिका के उप-संपादक भी हैं।
कमाला साहिब खिलाफ़त पर बहुत सारी किताबें लिखी, जो उर्दू साहिती जगत में इनकी पहचान बनी।
हज़रत थानवी और मुख्तसर हालात, खिद्मात और कारनामे
अदीब और गाइड
उर्दू के निसाबी शोरा
तहरीक-ए-खिलाफ़त और जिद-ओ-जहद आज़ादी
इदराक में आज़ादी हिन्द और तहरीक-ए-खिलाफ़त
फ़ख्रुद्दीन अली अहमद पुरस्कार
१९५९ में जन्मे लोग
उत्तर प्रदेश के लोग |
तेलंगाना विधान सभा चुनाव ७ दिसंबर २०१८ को तेलंगाना में दूसरी विधानसभा का गठन करने के लिए आयोजित किया जाएगा। मौजूदा तेलंगाना राष्ट्र समिति, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, तेलंगाना जन समिती, और तेलुगू देशम पार्टी को चुनाव में मुख्य प्रतियोगी माना जाता है। राज्य में चार विपक्षी दलों, आईएनसी, टीजेएस, टीडीपी और सीपीआई ने चुनाव में सत्तारूढ़ टीआरएस को हराने के उद्देश्य से 'महाकुटुमी' (महागठबंधन/ग्रैंड एलायंस) के गठन की घोषणा की है।
के॰ चंद्रशेखर राव २०१८ में शुरुआती चुनाव के लिए गए, जब उन्होंने अपनी अवधि पूरी होने से छह महीने पहले इस्तीफा दे दिया।
चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन
भारत के निर्वाचन आयोग ने घोषणा की कि तेलंगाना में विधानसभा चुनावों में सभी ३२,५७४ मतदान केंद्रों में वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। १२ अक्टूबर २०१८ को प्रकाशित अंतिम चुनावी रोल के अनुसार, तेलंगाना में २.७३ करोड़ मतदाता हैं, जो २014 तेलंगाना विधानसभा चुनावों में २.8२ करोड़ से कम है। मतदाताओं की सूची में लगभग २,६०० ट्रांसजेंडर थे। ११९ विधानसभा क्षेत्रों में सभी पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों को लगभग २5 सीटें आवंटित कीं।
दलवार सीटों की स्थिति
इन्हें भी देखें
वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल
तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों की सूची
कर्नाटक विधानसभा चुनाव, २०१८
२०१८ में भारत के राज्य विधानसभा चुनाव
२०१८ में भारत के चुनाव
भारत में चुनाव
२०१५ में भारत |
राजनैतिक दर्शन के सन्दर्भ में, क्रांति का अधिकार (राइट ऑफ रिवॉल्यूशन या राइट ऑफ रेबेलियन) किसी देश के लोगों का वह अधिकार है जिसके तहत वे सामूहिक हित के विरुद्ध कार्य करने वाली सरकार को उखाड़कर फेंक सकते हैं। यह अधिकार ही नहीं, लर्तव्य भी है। इसीलिये इसे 'क्रांति का कर्तव्य' भी कहा जाता है। इस अधिकार का इतिहास प्राचीन चीन के समय जितना पुराना है और इसका उपयोग इतिहास में समय-समय पर किया जाता रहा है। |
जी.एम.बी.इंग्लिश मीडियम हायस्कूल अंन्ड जुनिअर काॅलेज, अर्जुनी मोरगाँव भारत के महाराष्ट्र राज्य में अर्जुनी मोरगाँव शहर में एक स्कूल है। यह गोंदिया जिला में एक अच्छी शिक्षा प्रदान करने वाली एक संस्थान है| |
अज़रा कोलाकोवीक (१ जनवरी १977 - २ अक्टूबर २0१7), जिन्हें उनके मंच नाम डोना एरेस द्वारा जाना जाता है, एक बोस्नियाई गायक थी। उनका अंतिम स्टूडियो एल्बम पोव्रतका नेमा २0११ में जारी किया गया था। उनकी ४० साल की उम्र में गर्भाशय के कैंसर के साथ तीन साल की लंबी लड़ाई के बाद मृत्यु हो गई थी।
अज़रा कोलाकोवीक का जन्म पश्चिमी बोस्नियाई शहर बिहाक में बोस्नीक माता-पिता मेहमद और अक्का के यह हुआ था। उन्होंने स्थानीय संगीत स्कूलों में भाग लिया और १९९५ में बोस्नियाई युद्ध के दौरान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसने एक संगीत अकादमी में भाग लेना शुरू कर दिया, लेकिन देश में चल रहे युद्ध के कारण रुक गई।
१९९७ में उन्होंने अपने एकल गायन करियर की शुरुआत की। उन्होंने १९९७ में अपने मंच नाम डोना एरेस के तहत डेब्यू एरेस में गाना शुरू किया, जो कि यूरोविजन सॉन्ग कॉन्टेस्ट में क्रोएशिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए क्रोएशियाई डोरकोम्पेटिशन में गाने के लिए था।
कोलाकोवीक को अक्टूबर २०१४ की शुरुआत में अस्पताल में भर्ती होने से पहले महीनों के लिए थकान और वजन कम किया गया था। उन्हें गर्भाशय के कैंसर का पता चला था और २१ अक्टूबर २०१४ को आगे के इलाज के लिए साराजेवो में ले जाने से पहले अपने गृहनगर बिहाव के एक अस्पताल में कीमोथेरेपी प्राप्त की थी।
वह २ अक्टूबर २017 को अपने गृहनगर में बीमारी के कारण ४० वर्ष की आयु में मृत्यु हो गईं, जब कोमा में थीं। उसके पिता के बगल में उन्हें दो दिन बाद दफनाया गया था।
१९७७ में जन्मे लोग |
राष्ट्रीय राजमार्ग २०८ (नेशनल हाइवे २०८) भारत का एक राष्ट्रीय राजमार्ग है। यह त्रिपुरा में कुमारघाट से सबरूम तक जाता है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग ८ का एक शाखा मार्ग है।
इस राजमार्ग पर आने वाले कुछ पड़ाव इस प्रकार हैं: कुमारघाट, खोवाई, तेलियामुरा, अमरपुर, सबरूम।
इन्हें भी देखें
राष्ट्रीय राजमार्ग (भारत)
राष्ट्रीय राजमार्ग ८ (भारत) |
प्रेम सुन्दर,भारत के उत्तर प्रदेश की तीसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। १९६२ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के ३९९ - हापुड़ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय की ओर से चुनाव में भाग लिया।
उत्तर प्रदेश की तीसरी विधान सभा के सदस्य
३९९ - हापुड़ के विधायक
मेरठ के विधायक
निर्दलीय के विधायक |
देशीया मुरपोक्कु द्रविड़ कलगम जिसे तेमुतिका नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु की एक प्रमुख राजनीतिक दल है। विजयकान्त अभी इसके प्रमुख और महासचिव है।
देशीया मुरपोक्कु द्रविड़ कलगम
भारत के राजनीतिक दल
तमिल नाडु के राजनीतिक दल |
फतुहा पटना, बिहार का एक प्रखण्ड है।
यातायात यह शहर पटना से मात्र २२ क्म दूर है पर विकास से ५० साल पीछे भी है यातायात के नाम पर कुछ ट्रेन है जो बाकी शहरों से नगर को जोड़ती है ऑटो का जबरदस्त जाम रहता है शहर में पटना मुख्य राजधानी के लिये राज्य सरकार के तरफ से कोई सुविधा नहीं है बस सेवा तक नहीं है मेट्रो और ट्राम सेवा तो दूर की बात है ये बिल्कुल नदी के किनारे होकर भी फैरी सेवा से नदारत है
बिहार के प्रखण्ड |
सौमित्र ख़ान भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में इन्होंने पश्चिम बंगाल की विष्णुपुर सीट से सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस की ओर से भाग लिया।
भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर सांसदों के बारे में संक्षिप्त जानकारी
१६वीं लोक सभा के सदस्य
पश्चिम बंगाल के सांसद
सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस के सांसद
१९८० में जन्मे लोग |
यह विश्व की एक प्रमुख भाषा है |
बोलने वाले व्यक्तियों की संख्या
विश्व की प्रमुख भाषाएं |
आगर चिमनी, थराली तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है।
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
चिमनी, आगर, थराली तहसील
चिमनी, आगर, थराली तहसील
चिमनी, आगर, थराली तहसील |
जमालपुर (औरंगाबाद) में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है।
बिहार - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
बिहार सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
बिहार के गाँव |
कल्याण बी आडवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक मूल्यांकन शाह जो रिसालो मुजामिल के लिये उन्हें सन् १९६८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत सिन्धी भाषा के साहित्यकार |
हिन्दू धर्म में; सद्गृहस्थ की, परिवार निर्माण के कर्त्तव्य-निर्वाह योग्य शारीरिक, मानसिक परिपक्वता आ जाने पर युवक-युवतियों का विवाह संस्कार कराया जाता है। समाज के सम्भ्रान्त व्यक्तियों की, गुरुजनों की, कुटुम्बी-सम्बन्धियों की, देवताओं की उपस्थिति इसीलिए इस धर्मानुष्ठान के अवसर पर आवश्यक मानी जाती है कि दोनों में से कोई इस कत्तर्व्य-बन्धन की उपेक्षा करे, तो उसे रोकें और प्रताड़ित करें। पति-पत्नी इन सन्भ्रान्त व्यक्तियों के सम्मुख अपने निश्चय की, प्रतिज्ञा-बन्धन की घोषणा करते हैं। यह प्रतिज्ञा समारोह ही विवाह संस्कार है। विवाह संस्कार में देव पूजन, यज्ञ आदि से सम्बन्धित सभी व्यवस्थाएँ पहले से बनाकर रखनी चाहिए।
विवाह संस्कार में देव पूजन, यज्ञ आदि से सम्बन्धित सभी व्यवस्थाएँ पहले से बनाकर रखनी चाहिए। सामूहिक विवाह हो, तो प्रत्येक जोड़े के हिसाब से प्रत्येक वेदी पर आवश्यक सामग्री रहनी चाहिए, कमर्काण्ड ठीक से होते चलें, इसके लिए प्रत्येक वेदी पर एक-एक जानकार व्यक्ति भी नियुक्त करना चाहिए। एक ही विवाह है, तो आचार्य स्वयं ही देख-रेख रख सकते हैं। सामान्य
व्यवस्था के साथ जिन वस्तुओं की जरूरत विशेष कमर्काण्ड में पड़ती है, उन पर प्रारम्भ में दृष्टि डाल लेनी चाहिए। उसके सूत्र इस प्रकार हैं। वर सत्कार के लिए सामग्री के साथ एक थाली रहे, ताकि हाथ, पैर धोने की क्रिया में जल फैले नहीं। मधुपर्क पान के बाद हाथ धुलाकर उसे हटा दिया जाए।
यज्ञोपवीत के लिए पीला रंगा हुआ यज्ञोपवीत एक जोड़ा रखा जाए। विवाह घोषणा के लिए वर-वधू पक्ष की पूरी जानकारी पहले से ही नोट कर ली जाए।
वस्त्रोपहार तथा पुष्पोपहार के वस्त्र एवं मालाएँ तैयार रहें। कन्यादान में हाथ पीले करने की हल्दी, गुप्तदान के लिए गुँथा हुआ आटा (लगभग एक पाव) रखें। ग्रन्थिबन्धन के लिए हल्दी, पुष्प, अक्षत, दुर्वा और द्रव्य हों। शिलारोहण के लिए पत्थर की शिला या समतल पत्थर का एक टुकड़ा रखा जाए। हवन सामग्री के अतिरिक्त लाजा (धान की खीलें) रखनी चाहिए। वर-वधू के पद प्रक्षालन के लिए परात या थाली रखे जाए। पहले से वातावरण ऐसा बनाना चाहिए कि संस्कार के समय वर और कन्या पक्ष के अधिक से अधिक परिजन, स्नेही उपस्थित रहें। सबके भाव संयोग से कमर्काण्ड के उद्देश्य में रचनात्मक सहयोग मिलता है। इसके लिए व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों ही ढंग से आग्रह किए जा सकते हैं। विवाह के पूर्व यज्ञोपवीत संस्कार हो चुकता है। अविवाहितों को एक यज्ञोपवीत तथा विवाहितों को जोड़ा पहनाने का नियम है। यदि यज्ञोपवीत न हुआ हो, तो नया यज्ञोपवीत और हो गया हो, तो एक के स्थान पर जोड़ा पहनाने का संस्कार विधिवत् किया जाना चाहिए। अच्छा हो कि जिस शुभ दिन को विवाह-संस्कार होना है, उस दिन प्रातःकाल यज्ञोपवीत धारण का क्रम व्यवस्थित ढंग से करा दिया जाए। विवाह-संस्कार के लिए सजे हुए वर के वस्त्र आदि उतरवाकर यज्ञोपवीत पहनाना अटपटा-सा लगता है। इसलिए उसको पहले ही पूरा कर लिया जाए। यदि वह सम्भव न हो, तो स्वागत के बाद यज्ञोपवीत धारण करा दिया जाता है। उसे वस्त्रों पर ही पहना देना चाहिए, जो संस्कार के बाद अन्दर कर लिया जाता है। जहाँ पारिवारिक स्तर के परम्परागत विवाह आयोजनों में मुख्य संस्कार से पूर्व द्वारचार (द्वार पूजा) की रस्म होती है, वहाँ यदि हो-हल्ला के वातावरण को संस्कार के उपयुक्त बनाना सम्भव लगे, तो स्वागत तथा वस्त्र एवं पुष्पोपहार वाले प्रकरण उस समय भी पूरे कराये जा सकते हैं विशेष आसन पर बिठाकर वर का सत्कार किया जाए। फिर कन्या को बुलाकर परस्पर वस्त्र और पुष्पोपहार सम्पन्न कराये जाएँ। परम्परागत ढंग से दिये जाने वाले अभिनन्दन-पत्र आदि भी उसी अवसर पर दिये जा सकते हैं। इसके कमर्काण्ड का संकेत आगे किया गया है। पारिवारिक स्तर पर सम्पनन किये जाने वाले विवाह संस्कारों के समय कई बार वर-कन्या पक्ष वाले किन्हीं लौकिक रीतियों के लिए आग्रह करते हैं। यदि ऐसा आग्रह है, तो पहले से नोट कर लेना-समझ लेना चाहिए। पारिवारिक स्तर पर विवाह-प्रकरणों में वरेच्छा, तिलक (शादी पक्की करना), हरिद्रा लेपन (हल्दी चढ़ाना) तथा द्वारपूजन आदि के आग्रह उभरते हैं। उन्हें संक्षेप में दिया जा रहा है, ताकि समयानुसार उनका निवार्ह किया जा सके।
इसी संस्कार का द्वादश चरण है पाणिग्रहण।
दिशा एवं प्रेरणा
वर द्वारा मर्यादा स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में
सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे। इस प्रकार दोनों एक
दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं। यह क्रिया हाथ से हाथ मिलाने जैसी होती है
। मानों एक दूसरे को पकड़कर सहारा दे रहे हों। कन्यादान की तरह यह वर-दान
की क्रिया तो नहीं होती, फिर भी उस अवसर पर वर की भावना भी ठीक वैसी होनी
चाहिए, जैसी कि कन्या को अपना हाथ सौंपते समय होती है। वर भी यह अनुभव
करें कि उसने अपने व्यक्तित्व का अपनी इच्छा, आकांक्षा एवं गतिविधियों के
संचालन का केन्द्र इस वधू को बना दिया और अपना हाथ भी सौंप दिया। दोनों
एक दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए एक दूसरे का हाथ जब भावनापूर्वक समाज के
सम्मुख पकड़ लें, तो समझना चाहिए कि विवाह का प्रयोजन पूरा हो गया।
क्रिया और भावना
नीचे लिखे मन्त्र के साथ कन्या अपना हाथ वर की ओर बढ़ाये, वर उसे अँगूठा
रूप से) पकड़ ले। भावना करें कि दिव्य वातावरण में परस्पर मित्रता के भाव
सहित एक-दूसरे के उत्तरदायित्व स्वीकार कर रहे हैं।
ॐे यदैषि मनसा दूरं, दिशोऽ नुपवमानो वा।
हिरण्यपणोर् वै कणर्ः, स त्वा मन्मनसां करोतु असौ॥ - पार०गृ०सू० १.४.१५
इससे अगला कार्यक्रम या चरण है ग्रंथि बंधन।
इसी प्रकार हिन्दू विवाह के बाईस चरण होते हैं। इन सभी चरणों के बाद हिन्दू विवाह पूर्ण होता है।
इन्हें भी देखें
गायत्री शांतिकुंज की ओर से] |
इस कीट का वैज्ञानिक नाम ट्रोगोडर्मा ग्रेनेरियम है। इस कीट का उत्पत्ति स्थल भारत ही है परंतु यह संसार के उन सभी देशों में मिलता है जहां तापक्रम ३२ से ४४ डिग्री सेल्सियस रहता है। यह भारत, अफ़्रीका, म्यान्मार, पाकिस्तान, चीन आदि देशों में प्रमुखता से मिलता है। यह कीट गेहूँ, जौ, बाजरा, ज्वार, मक्का, धान, चना, पोस्त दालें, पिस्ता तथा अन्य सूखे फल आदि को हानि पहुंचाता है। |
महा कंबनी पंजाबी भाषा के विख्यात साहित्यकार दर्शन बुट्टर द्वारा रचित एक कवितासंग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् २०१२ में पंजाबी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत पंजाबी भाषा की पुस्तकें |
दानघाटी मथुरा में गोवर्धन परिक्रमा का एक स्थान है और यहाँ पर गोवर्धन जी का मन्दिर भी बना हुआ है। यह स्थान गोवर्धन में ही माना जा सकता है।
मथुरा के मंदिर |
बेथानी एलिसिया लैंगस्टन (जन्म ६ सितंबर १९९२) एक अंग्रेजी क्रिकेटर हैं, जिन्होंने इंग्लैंड की महिला क्रिकेट टीम के लिए छह मैच खेले: २०१३ में दो बार और 201६ में चार बार। मुख्य रूप से एक मध्यम गति की गेंदबाज, उन्होंने 201६ में यॉर्कशायर जाने से पहले २००९ में एसेक्स के साथ अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की। वह लॉफबोरो लाइटनिंग और यॉर्कशायर डायमंड्स दोनों के लिए महिला क्रिकेट सुपर लीग में भी खेली।
१९९२ में जन्मे लोग |
चैती उत्तर प्रदेश का, चैत माह पर केंद्रित लोक-गीत है। इसे अर्ध-शास्त्रीय गीत विधाओं में भी सम्मिलित किया जाता है तथा उपशास्त्रीय बंदिशें गाई जाती हैं। चैत्र के महीने में गाए जाने वाले इस गीत प्रकार का विषय प्रेम, प्रकृति और होली रहते है। चैत श्री राम के जन्म का भी मास है इसलिए इस गीत की हर पंक्ति के बाद अक्सर रामा यह शब्द लगाते हैं। संगीत की अनेक महफिलों केवल चैती, टप्पा और दादरा ही गाए जाते है। ये अक्सर राग मिश्र पहाड़ी या मिश्र मांझ खमाज निबद्ध होते हैं। चैती, ठुमरी, दादरा, कजरी इत्यादि का गढ़ पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा मुख्यरूप से वाराणसी है। पहले केवल इसी को समर्पित संगीत समारोह हुआ करते थे जिसे चैता उत्सव कहा जाता था। आज यह संस्कृति लुप्त हो रही है, फिर भी चैती की लोकप्रियता संगीत प्रेमियों में बनी हुई है। बारह मासे में चैत का महीना गीत संगीत के मास के रूप में चित्रित किया गया है।
चढ़त चइत चित लागे ना रामा/
बाबा के भवनवा/
बीर बमनवा सगुन बिचारो/
कब होइहैं पिया से मिलनवा हो रामा/
चढ़ल चइत चित लागे ना रामा
चैत मास का विशेष गीत चैती - शांति जैन
क्या आपने चैती सुना है? |
तलाकोना भारत के आन्ध्र प्रदेश प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित एक जलप्रपात है। इस जल प्रपात की ऊँचाई २७० फुट है।
चित्तूर जिले के येर्रावारिपालेम मंडल के नेराबैलु गांव में स्थित है।
यह श्री वेंकटेश्वर अभयारण्य में स्थित है, जो तिरुपति-तिरूमला के क़रीब है। यह एक वन प्रांत में स्थित है। यहां के रमणीय दृश्य मनमोह लेते हैं। पर्याटकों का तांता लगा रहता है। यहां एक मंदिर भी है जिसको सिद्धेश्वर स्वामी मंदिर भी कहा जाता है।
यहां के जंगलों में गिलहरियां, हिरन, चीता, सांबार इत्यादी जानवर हैं। कई जडी बूटियों का भी गेहवारा है। फल फूल, पौदे, पेड से भरा जंगल है, जो एक अभयारण्य है। यहां चंदन के वृक्ष भी काफ़ी मात्रा में हैं। औषधी पौदे और वृक्ष भी हैं।
भारत के जल प्रपात |
यूसी ब्राउजर एक वेब ब्राउजर (यूसी मोबाइल के नाम से भी जाना जाता है) है। सिंगापुर में इसका मजबूत यूज़र बेस है और कस्टमाइज करने के बाद इसकी भारत के स्थानीय बाजार में काफी वृद्धि हुई है। यह मूलतः २००४ में लांच हुआ था। उस समय ये केवल ज२मे (जावा) के लिए उपलब्ध था।पर ये अब एंड्राइड विंडोज़ आईओएस ब्लैकबेरी पर भी उपलब्ध है। २010 में इसने अपनी पहली एप (आईओएस के लिए) एप्पल एप स्टोर पर लांच की थी।
इसपर हम कंप्यूटर तथा मोबाइल पर इंटरनेट देख सकते हैं। यूसी ब्राउजर पर इंटरनेट देखना बहुत सरल है। इस ब्राउजर में हम अनगिनत पृष्ठों को रोक कर कभी भी देख सकते हैं। जो की काफी सरल है
यूसी वेब ये दावा करता है कि यूसी वेब ब्राउज़र सभी मेनस्ट्रीम ऑपरेटिंग सिस्टम्स के साथ कम्पेटेवल है। |
मथिरा एक पाकिस्तानी मॉडल, डांसर, टेलीविज़न होस्टेस, गायिका और अभिनेत्री हैं। वह कई टेलीविजन शो होस्ट कर चुकी हैं और संगीत वीडियो में दिखाई देती हैं। मथिरा ने साल २०१३ में एक पंजाबी फिल्म 'यंग मलंग' में आइटम नंबर किया था। साल २०१४ में मथिरा ने विपिन शर्मा की फिल्म में डेब्यू किया था।
मथिरा २०१२ में शादी कर चुकी हैं।
इन्हें भी देखें
१९९२ में जन्मे लोग |
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