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कैरोलिन वार्ड एक ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेट टीम की पूर्व महिला क्रिकेट खिलाड़ी है, जो ऑस्ट्रेलिया के लिए १९९० के दशक में एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच और टेस्ट क्रिकेट मैच खेला करती थी।
ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेट खिलाड़ी
ऑस्ट्रेलियाई महिला एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी
ऑस्ट्रेलियाई महिला टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी
१९६९ में जन्मे लोग |
वाशिंगटन ऐल्स्टन (वॉशिंगटन ऑल्स्टन ; १७७९-१८४३) अमरीकी कवि तथा चित्रकार थे।
उन्होने शिक्षा हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पाई। युवावस्था में लंदन, पेरिस, रोम, वेनिस आदि का भ्रमण कर पुन: अमरीका लौट आए और वहीं अपना कार्य आरंभ कर दिया। इनकी कलाकृतियों में प्रकाश और छाया के प्रयोग तथा रंगों के चुनाव आदि में वेनिस की शैली का प्रभाव परिलक्षित है, इसीलिए इन्हें 'अमरीकी तिशियन' भी कहा जाता है। इनके चित्र मिलान के राजभवन और सांता मेरिया के गिरजे में हैं जो इनके गुरु कोरेज्जो की कृतियों से भी अधिक श्रेष्ठ हैं।
ये स्वयं धार्मिक स्वभाव के थे और इनके अधिकांश चित्रों की कथा वस्तु भी बाइबिल की कहानियाँ हैं। सर्वोत्तम कृतियाँ'मृत व्यक्ति का पुनर्जीवन', 'देवदूत द्वारा संत पीतर की मुक्ति' और 'जेकोब का स्वप्न' हैं।
लेखक के रूप में अभिव्यक्ति की सुगमता और काल्पनिक शक्ति के लिए ये विख्यात हैं। कोलरिज (ऐल्स्टन द्वारा बनाया जिसका चित्र आज भी नैशनल गैलरी में है) का कहना था कि उस युग में कला और काव्य के क्षेत्र में कोई और ऐल्स्टन की समता नहीं कर सकता था। |
गोगावा से निम्नलिखित का बोध हो सकता है:
गोगावा, मध्य प्रदेश - मध्यप्रदेश में एक जनगणना नगर और तहसील मुख्यालय।
गोगावा गाँव, खरगोन, मध्य प्रदेश - मध्य प्रदेश के खरगौन जिले के माहेशवर में एक गाँव,
गोगाँव, छत्तीसगढ़ - छत्तीसगढ़ में एक जनगणना नगर। |
पत्रलेखा मिश्रा पॉल एक अभिनेत्री है जिसने सिटीलाइट, लव गेम्स, नानू की जानू मे अभिनय किया है।
पत्रलेखा अभिनेता राजकुमार राव की पत्नी हैं।
१९९० में जन्मे लोग |
लिस्ता, चम्पावत तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तराखण्ड के जिले
उत्तराखण्ड के नगर
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
उत्तरा कृषि प्रभा
लिस्ता, चम्पावत तहसील
लिस्ता, चम्पावत तहसील |
तम्मराजुपल्लॆ (कर्नूलु) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कर्नूलु जिले का एक गाँव है।
आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट
आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग
निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल
आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट |
बिजवाण, भिकियासैण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तराखण्ड के जिले
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उत्तरा कृषि प्रभा
बिजवाण, भिकियासैण तहसील
बिजवाण, भिकियासैण तहसील |
पर्यावरण () शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है। "परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। पर्यावरण वह है जो कि प्रत्येक जीव के साथ जुड़ा हुआ है हमारे चारों तरफ़ वह हमेशा व्याप्त होता है।
सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समुच्चय से निर्मित इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी के अन्दर सम्पादित होती है तथा हम मनुष्य अपनी समस्त क्रियाओं से इस पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। इस प्रकार एक जीवधारी और उसके पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रय संबंध भी होता है।
पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं और इसके साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएँ और प्रक्रियाएँ भी। अजैविक संघटकों में जीवनरहित तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएँ आती हैं, जैसे: चट्टानें, पर्वत, नदी,हवा और जलवायु के तत्व सहित कई चीजे इत्यादि रहती है।
सामान्यतः पर्यावरण को मनुष्य के संदर्भ में परिभाषित किया जाता है और मनुष्य को एक अलग इकाई और उसके चारों ओर व्याप्त अन्य समस्त चीजों को उसका पर्यावरण घोषित कर दिया जाता है। किन्तु यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि अभी भी इस धरती पर बहुत सी मानव सभ्यताएँ हैं, जो अपने को पर्यावरण से अलग नहीं मानतीं और उनकी नज़र में समस्त प्रकृति एक ही इकाई है।जिसका मनुष्य भी एक हिस्सा है। वस्तुतः मनुष्य को पर्यावरण से अलग मानने वाले वे हैं जो तकनीकी रूप से विकसित हैं और विज्ञान और तकनीक के व्यापक प्रयोग से अपनी प्राकृतिक दशाओं में काफ़ी बदलाव लाने में समर्थ हैं।मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो प्रखण्डों में विभाजित किया जाता है - प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण। हालाँकि पूर्ण रूप से प्राकृतिक पर्यावरण (जिसमें मानव हस्तक्षेप बिल्कुल न हुआ हो) या पूर्ण रूपेण मानव निर्मित पर्यावरण (जिसमें सब कुछ मनुष्य निर्मित हो), कहीं नहीं पाए जाते। यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता का द्योतक मात्र है। पारिस्थितिकी और पर्यावरण भूगोल में प्राकृतिक पर्यावरण शब्द का प्रयोग पर्यावास (हबितट) के लिये भी होता है।
तकनीकी मानव द्वारा आर्थिक उद्देश्य और जीवन में विलासिता के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रकृति के साथ व्यापक छेड़छाड़ के क्रियाकलापों ने प्राकृतिक पर्यावरण का संतुलन नष्ट किया है, जिससे प्राकृतिक व्यवस्था या प्रणाली के अस्तित्व पर ही संकट उत्पन्न हो गया है। इस तरह की समस्याएँ पर्यावरणीय अवनयन कहलाती हैं।
पर्यावरणीय समस्याएँ जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की चर्चा है। मनुष्य वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से अपने द्वारा किये गये परिवर्तनों से नुकसान को कितना कम करने में सक्षम है, आर्थिक और राजनैतिक हितों की टकराव में पर्यावरण पर कितना ध्यान दिया जा रहा है और मनुष्यता अपने पर्यावरण के प्रति कितनी जागरूक है, यह आज के ज्वलंत प्रश्न हैं।
पृथ्वी पर पाए जाने वाले भूमि, जल, वायु, पेड़ पौधे एवं जीव जन्तुओ का समूह जो हमारे चारो और है। पर्यावरण के ये जैविक और अजैविक घटक आपस में अन्तक्रिया करते है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया एक तंत्र में स्थापित होती हे.जिसे हम पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में जानते हे।
पर्यावरण शब्द संस्कृत भाषा के 'परि' उपसर्ग (चारों ओर) और 'आवरण' से मिलकर बना है जिसका अर्थ है ऐसी चीजों का समुच्चय जो किसी व्यक्ति या जीवधारी को चारों ओर से आवृत्त किये हुए हैं। पारिस्थितिकी और भूगोल में यह शब्द अंग्रेजी के एन्वायरोनमेंट के पर्याय के रूप में इस्तेमाल होता है।
अंग्रेजी शब्द एन्वायरोनमेंट स्वयं उपरोक्त पारिस्थितिकी के अर्थ में काफ़ी बाद में प्रयुक्त हुआ और यह शुरूआती दौर में आसपास की सामान्य दशाओं के लिये प्रयुक्त होता था। यह फ़्रांसीसी भाषा से उद्भूत है जहाँ यह "स्टेट ऑफ बेइंग एन्वायरोंड" (सी एन्वायरों + -मेंट) के अर्थ में प्रयुक्त होता था और इसका पहला ज्ञात प्रयोग कार्लाइल द्वारा जर्मन शब्द उममेबंग के अर्थ को फ्रांसीसी में व्यक्त करने के लिये हुआ।
पर्यावरण का ज्ञान
आज पर्यावरण एक जरूरी सवाल ही नहीं बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है लेकिन आज लोगों में इसे लेकर जागरूकत है। ग्रामीण समाज को छोड़ दें तो भी महानगरीय जीवन में इसके प्रति खास उत्सुकता नहीं पाई जाती। परिणामस्वरूप पर्यावरण सुरक्षा महज एक सरकारी एजेण्डा ही बन कर रह गया है। जबकि यह पूरे समाज से बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध रखने वाला सवाल है। जब तक इसके प्रति लोगों में एक स्वाभाविक लगाव पैदा नहीं होता, पर्यावरण संरक्षण एक दूर का सपना ही बना रहेगा।
पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है। अपने परिवेश में हम तरह-तरह के जीव-जन्तु, पेड़-पौधे तथा अन्य सजीव-निर्जीव वस्तुएँ पाते हैं। ये सब मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं। विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जैसे-भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा जीव विज्ञान, आदि में विषय के मौलिक सिद्धान्तों तथा उनसे सम्बन्ध प्रायोगिक विषयों का अध्ययन किया जाता है। परन्तु आज की आवश्यकता यह है कि पर्यावरण के विस्तृत अध्ययन के साथ-साथ इससे सम्बन्धित व्यावहारिक ज्ञान पर बल दिया जाए। आधुनिक समाज को पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याओं की शिक्षा व्यापक स्तर पर दी जानी चाहिए। साथ ही इससे निपटने के बचावकारी उपायों की जानकारी भी आवश्यक है। आज के मशीनी युग में हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं। प्रदूषण एक अभिशाप के रूप में सम्पूर्ण पर्यावरण को नष्ट करने के लिए हमारे सामने खड़ा है। सम्पूर्ण विश्व एक गम्भीर चुनौती के दौर से गुजर रहा है। यद्यपि हमारे पास पर्यावरण सम्बन्धी पाठ्य-सामग्री की कमी है तथापि सन्दर्भ सामग्री की कमी नहीं है। वास्तव में आज पर्यावरण से सम्बद्ध उपलब्ध ज्ञान को व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है ताकि समस्या को जनमानस सहज रूप से समझ सके। ऐसी विषम परिस्थिति में समाज को उसके कर्त्तव्य तथा दायित्व का एहसास होना आवश्यक है। इस प्रकार समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की जा सकती है। वास्तव में सजीव तथा निर्जीव दो संघटक मिलकर प्रकृति का निर्माण करते हैं। वायु, जल तथा भूमि निर्जीव घटकों में आते हैं जबकि जन्तु-जगत तथा पादप-जगत से मिलकर सजीवों का निर्माण होता है। इन संघटकों के मध्य एक महत्वपूर्ण रिश्ता यह है कि अपने जीवन-निर्वाह के लिए परस्पर निर्भर रहते हैं। जीव-जगत में यद्यपि मानव सबसे अधिक सचेतन एवं संवेदनशील प्राणी है तथापि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वह अन्य जीव-जन्तुओं, पादप, वायु, जल तथा भूमि पर निर्भर रहता है। मानव के परिवेश में पाए जाने वाले जीव-जन्तु पादप, वायु, जल तथा भूमि पर्यावरण की संरचना करते है।
शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण का ज्ञान
शिक्षा मानव-जीवन के बहुमुखी विकास का एक प्रबल साधन है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के अन्दर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संस्कृतिक तथा आध्यात्मिक बुद्धी एवं परिपक्वता लाना है। शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्राकृतिक वातावरण का ज्ञान अति आवश्यक है। प्राकृतिक वातावरण के बारे में ज्ञानार्जन की परम्परा भारतीय संस्कृति में आरम्भ से ही रही है। परन्तु आज के भौतिकवादी युग में परिस्थितियाँ भिन्न होती जा रही हैं। एक ओर जहां विज्ञान एवं तकनीकी के विभिन्न क्षेत्रों में नए-नए अविष्कार हो रहे हैं। तो दूसरी ओर मानव परिवेश भी उसी गति से प्रभावित हो रहा है। आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों का ज्ञान शिक्षा के माध्यम से होना आवश्यक है। पर्यावरण तथा शिक्षा के अन्तर्सम्बन्धों का ज्ञान हासिल करके कोई भी व्यक्ति इस दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है। पर्यावरण का विज्ञान से गहरा सम्बन्ध है, किन्तु उसकी शिक्षा में किसी प्रकार की वैज्ञानिक पेचीदगियाँ नहीं हैं। शिक्षार्थियों को प्रकृति तथा पारिस्थितिक ज्ञान सीधी तथा सरल भाषा में समझायी जानी चाहिए। शुरू-शुरू में यह ज्ञान सतही तौर पर मात्र परिचयात्मक ढंग से होना चाहिए। आगे चलकर इसके तकनीकी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में पर्यावरण का ज्ञान मानवीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
लोग अपने आस पास के आवरण को नष्ट करने का हर संभव प्रयास में लगे हुए है पर्यावरण की सुरक्षा तो सिर्फ दिमाग मे ही है। नगरीकरण तथा औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण का अधिक से अधिक दोहन हो रहा है और इसका सीधा परिणाम यही निकल कर आ रहा है कि पर्यावरण का संतुलन विगड़ता जा रहा है जिससे कहीं सूखा कही अतिवृष्टि जैसी समस्याएं उत्पन्न होती जा रही है। जो जमीन कल तक उपजाऊ थी आज देखा जाए तो उसमें अच्छी फसल नही होती और ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले समय मे यह बंजर हो जाएगी। हमे प कही जाने वाली हमारी पृथ्वी एक दिन बन्जर होकर रह जायेगी और इससे जीवन समाप्त हो जाएगा और यह फिर से वही आकाश पिण्ड का गोला बनकर रह जायेगी।
पर्यावरण और पारितंत्र
पर्यावरण अपनी सम्पूर्णता में एक इकाई है जिसमें अजैविक और जैविक संघटक आपस में विभिन्न अन्तर्क्रियाओं द्वारा संबद्ध और अंतर्गुम्फित होते हैं। इसकी यह विशेषता इसे एक पारितंत्र का रूप प्रदान करती है क्योंकि पारिस्थितिक तंत्र या पारितंत्र पृथ्वी के किसी क्षेत्र में समस्त जैविक और अजैविक तत्वों के अंतर्सम्बंधित समुच्चय को कहते हैं। अतः पर्यावरण भी एक पारितंत्र है।
पृथ्वी पर पैमाने (स्केल) के हिसाब से सबसे वृहत्तम पारितंत्र जैवमंडल को माना जाता है। जैवमंडल पृथ्वी का वह भाग है जिसमें जीवधारी पाए जाते हैं और यह स्थलमंडल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल में व्याप्त है। पूरे पार्थिव पर्यावरण की रचना भी इन्हीं इकाइयों से हुई है, अतः इन अर्थों में वैश्विक पर्यावरण, जैवमण्डल और पार्थिव पारितंत्र एक दूसरे के समानार्थी हो जाते हैं।
माना जाता है कि पृथ्वी के वायुमण्डल का वर्तमान संघटन और इसमें ऑक्सीजन की वर्तमान मात्रा पृथ्वी पर जीवन होने का कारण ही नहीं अपितु परिणाम भी है। प्रकाश-संश्लेषण, जो एक जैविक (या पारिस्थितिकीय अथवा जैवमण्डलीय) प्रक्रिया है, पृथ्वी के वायुमण्डल के गठन को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया रही है। इस प्रकार के चिंतन से जुड़ी विचारधारा पूरी पृथ्वी को एक इकाई गाया'' या सजीव पृथ्वी (लिविंग अर्थ) के रूप में देखती है।
इसी प्रकार मनुष्य के ऊपर पर्यवारण के प्रभाव और मनुष्य द्वारा पर्यावरण पर डाले गये प्रभावों का अध्ययन मानव पारिस्थितिकी और मानव भूगोल का प्रमुख अध्ययन बिंदु है।
* यह भी देखें: प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन
ज्यादातर पर्यावरणीय समस्याएँ पर्यावरणीय अवनयन और मानव जनसंख्या और मानव द्वारा संसाधनों के उपभोग में वृद्धि से जुड़ी हैं। पर्यावरणीय अवनयन के अंतर्गत पर्यावरण में होने वाले वे सारे परिवर्तन आते हैं जो अवांछनीय हैं और किसी क्षेत्र विशेष में या पूरी पृथ्वी पर जीवन और संधारणीयता को खतरा उत्पन्न करते हैं। अतः इसके अंतर्गत प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का क्षरण और अन्य प्राकृतिक आपदाएं इत्यादि शामिल की जाती हैं। पर्यावरणीय अवनयन के साथ मिलकर जनसंख्या में चरघातांकी दर से हो रही वृद्धि तथा मानव द्वारा उपभोग के बदलते प्रतिरूप लगभग सारी पर्यावरणीय समस्याओं के मूल कारण हैं।
संसाधन न्यूनीकरण का अर्थ है प्राकृतिक संसाधनों का मनुष्य द्वारा अपने आर्थिक लाभ हेतु इतनी तेजी से दोहन कि उनका प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनर्भरण (रेप्ल्नीश्मेंट) न हो पाए। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संसाधन क्षरण के लिये जनसंख्या के दबाव, तेज वृद्धि दर और लोगों के उपभोग प्रतिरूप का भी प्रभाव जिम्मेवार माना जा रहा है।
संसाधनों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है - [नवीकरणीय संसाधन] और अनवीकरणीय संसाधन। इसके आलावा कुछ संसाधन इतनी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं कि उनका क्षय नहीं हो सकता उन्हें अक्षय संसाधन कहते हैं जैसे सौर ऊर्जा।
अनवीकरणीय संसाधनों का तेजी से दोहन उनके भण्डार को समाप्त कर मानव जीवन के लिये कठिन परिस्थितियां पैदा कर सकता है। कोयला, पेट्रोलियम, या धत्वित्क खनिजों के भण्डारों का निर्माण एक दीर्घ अवधि की घटना है और जिस तेजी से मनुष्य इन का दोहन कर रहा है ये एक न एक दिन समाप्त हो जायेंगे। वहीं दूसरी ओर कुछ नवीकरणीय संसाधन भी मनुष्य द्वारा इतनी तेजी से प्रयोग में लाये जा रहे हैं कि उनका प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनर्भरण उतनी तेजी से संभव नहीं और इस प्रकार वे भी अनवीकरणीय संसाधन की श्रेणी में आ जायेंगे।
प्रदूषण अथवा पर्यावरणीय प्रदूषण पर्यावरण में किसी पदार्थ (ठोस, द्रव या गैस) अथवा ऊर्जा (ऊष्मा, ध्वनि, रेडियोधर्मिता इत्यादि) के प्रवेश को कहते हैं यदि इसकी गति इतनी तेज हो कि सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा इसका परिक्षेपण, मंदन, वियोजन, पुनर्चक्रण अथवा अहानिकारक रूप में संरक्षण न हो सके।
इस प्रकार प्रदूषण के दो स्पष्ट सूचक हैं, किसी पदार्थ या ऊर्जा का पर्यावरण में प्रवेश और उसका प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति हानिकारक या अवांछित होना। इस तरह के अवांछित तत्व को प्रदूषक या दूषक कहते हैं।
प्रदूषण का वर्गीकरण प्रदूषक के प्रकार, स्रोत अथवा पारितंत्र के जिस हिस्से में उसका प्रवेश होता है, के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के तौर पर वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, इत्यादि प्रकार इस आधार पर निश्चित किये जाते हैं कि पारितंत्र के इस हिस्से में दूषक तत्व का प्रवेश होता है। वहीं दूसरी ओर रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, ध्वनि या रव प्रदूषण इत्यादि प्रकार प्रदूषक के स्वयं के प्रकार पर आधारित वर्गीकरण हैं।
हमारे जीवन मे हमने बहुत सारे परिवर्तन देखे है जल वायु परिवर्तन उन्ही मे से एक है जल वायु परिवर्तन के कारण ही पृथ्वी पर मौसम परिवर्तन होता है मौसम से हमे बहुत लाभ होता है मौसम के बिना कोई फसल नही उगाई जा सकती एवं ना ही मनुष्य जीवन को एक मौसम मे गुजार सकता है समस्त जीव धारी को मौसम की जरूरत होती है जलवायु परिवर्तन से हमे लाभ भी है तो नुकसान भी है
पृथ्वी पर उपस्थित विभिन्न प्रकार के पारितंत्र में उपस्थित जीवों व वनस्पतियों के प्रजातियों के प्रकार में कमी को जैवविविधता हृास कहते हैं।
इनमें चक्रवात, तेज तूफान, भूकंप, ज्वालामुखी का फटना, सुनामी, अत्यधिक बारिश, सूखा आदि शामिल है।
विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण आज का मानव प्रकृति पर पूर्णतया विजय प्राप्त करना चाहता है। इस कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। वैज्ञानिक उपलब्धियों से मानव प्राकृतिक संतुलन को उपेक्षा की दृष्टि से देख रहा है। दूसरी ओर धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि , औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है|
पर्यावरण संरक्षण का महत्त्वसंपादित करें
पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखकर सन् १९९२ में ब्राजील में विश्व के १७४ देशों का 'पृथ्वी सम्मेलन' आयोजित किया गया।
इसके पश्चात सन् २००२ में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। वस्तुतः पर्यावरण के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है, अन्यथा मंगल ग्रह आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन-चक्र भी समाप्त हो जायेगा।
पर्यावरण प्रबंधन का तात्पर्य पर्यावरण के प्रबंधन से नहीं है, बल्कि आधुनिक मानव समाज के पर्यावरण के साथ संपर्क तथा उस पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रबंधन से है। प्रबंधकों को प्रभावित करने वाले तीन प्रमुख मुद्दे हैं राजनीति (नेटवर्किंग), कार्यक्रम (परियोजनायें) और संसाधन (धन, सुविधाएँ, आदि)। पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता को कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है।
भारतीय संस्कृति में पर्यावरण चिंतन
भारतीय संस्कृति में पर्यावरण को विशेष महत्त्व दिया गया है। प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के अनेक घटकों जैसे वृक्षों को पूज्य मानकर उन्हें पूजा जाता है। पीपल के वृक्ष को पवित्र माना जाता है। वट के वृक्ष की भी पूजा होती है। जल, वायु, अग्नि को भी देव मानकर उनकी पूजा की जाती है। समुद्र, नदी को भी पूजन करने योग्य माना गया है। गंगा, सिंधु, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, नर्मदा जैसी नदीयों को पवित्र मानकर पूजा की जाती है। धरती को भी माता का दर्जा दिया गया है। प्राचीन काल से ही भारत में पर्यावरण के विविध स्वरुपों की पूजा होती है।
पर्यावरण के प्रकार
पर्यावरण को हम दो भागों में बांट सकते है-
१-भौतिक पर्यावरण और २-अभौतिक पर्यावरण
भौतिक पर्यावरण वह है जो हमारे चारो ओर हमारी आंखों के सामने विद्यमान है। जिसे हम अपने हांथो से छूकर देख सकते है, इसका आभास भी कर सकते है। ये आवरण बहुत सुंदर दृश्य के रुप में हमारी आंखों के सामने रहता है। कही पर इसकी सुंदरता बहुत हो मनमोहक होती है। जिसे आज के समय में पर्यटन स्थल के रूप में निहित किया गया है।
प्राचीन समय मे भौतिक पर्यावरण के प्रति लोग बहुत ही अभिरुचि रखते थे। और इसे सजाने के लिए नित्य तत्पर रहते थे ।
परंतु वर्तमान समय मे इसका विपरीत है लोग इसे मिटाने की और दिन प्रतिदिन तत्पर होते जा रहे है। और इसका खूब दोहन कर रहे सुंदर बनो को उजाड़ कर वहाँ पर बड़े बड़े मैदान निकलने में लगे है, बड़ी बड़ी चट्टानों को मिटाकर वहां पर रास्ते निकालने में लगे है। इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
अभौतिक पर्यावरण वह है जो कि हमे प्रत्यक्ष दिखाई नही देता जिसका सिर्फ आभास कर सकते है। यह भी हमारे चारों ओर व्याप्त है। यह हमें सिर्फ रीति रिवाज, धर्म, आस्था, विश्वास इत्यादि में दिखाई देता है।
इसका भी पतन आजकल के समय मे देखने मे मिलता है पुराने समय मे जो रीति रिवाज हमारे पूर्वजो ने बनाये थे, जो आस्था भाव का निर्माण किया गया था आज उसका पतन होता जा रहा है। लोग रीति रिवाजों का उलंघन करने के लिए अग्रणी होते जा रहे है। उदाहरण के लिए पहले शादी विवाहों में एक विशेष रीति रिवाज का प्रचलन था शादी होने से पहले वर को बधू का मुख देखना अशुभ माना जाता था, मगर आज के समय मे जब तक लड़का/लड़की अपने स्वेच्छा से ही शादी करते है और एक दूसरे को आपस मे देखे बगैर शादी तय नही होती है।
यह सही की पुराने रिवाजो में शोध करना आवश्यक है परंतु इसका उलंघन करना कदाचित उचित नही है।
पर्यावरणीय विधि अथवा पर्यावरण विधि समेकित रूप से उन सभी अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय सन्धियों, समझौतों और संवैधानिक विधियों को कहा जाता है जो प्राकृतिक पर्यावरण पर मानव प्रभाव को कम करने और पर्यावरण की संधारणीयता बनाये रखने हेतु हैं।
भारत में पर्यावरण क़ानून पर्यावरण (रक्षा) अधिनियम १९८६ से नियमित होता है जो एक व्यापक विधान है। इसकी रूप रेखा केन्द्रीय सरकार के विभिन्न केन्द्रीय और राज्य प्राधिकरणों के क्रियाकलापों के समन्वयन के लिए तैयार किया गया है जिनकी स्थापना पिछले कानूनों के तहत की गई है जैसा कि जल अधिनियम और वायु अधिनियम।
अन्य विधियों में भारतीय वन अधिनियम, १९२७ और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, १९७२ प्रमुख हैं।
एक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का भी गठन किया गया है।
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
भौगोलिक सूचना तंत्र
जल संसाधन प्रबंधन
आधुनिक जीवन और पर्यावरण (गूगल पुस्तक ; लेखक - दामोदर शर्मा)
पर्यावारण जानकारी प्रणाली केंद्र |
'"मेजा"' (अंग्रेजी -मेजा) प्रयागराज जिला के आठ तहसीलो में एक है। प्रयागराज से मिर्ज़ापुर मार्ग स्थित मेजारोड (लगभग दूरी ४७ किलोमीटर) चौराहे से तथा मेजारोड रेलवे स्टेशन से १०किलोमीटर दक्षिण स्थित है। मेजा तहसील में तीन ब्लॉक क्रमशः मेजा, उरुवा और मांडा है।भारत के पूर्व-प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह मांडा के राजा थे।
मुंसिफ (ग्राम न्यायालय) मेजा
मुंसिफ (ग्राम न्यायालय) मेजा जनपद प्रयागराज के मेजा तहसील मुख्यालय परिसर में स्थित है, इस न्यायालय में प्रथम श्रेणी सिविल जज द्वारा मेजा सर्किल के कोतवाली मेजा, थाना कोरांव, थाना मांडा, थाना खीरी के अंतर्गत आने वाले दिवानी एवं फौजदारी से सम्बंधित मुकदमों की सुनवाई होती है।
मेजा तहसील में तीन ब्लॉक क्रमशः मेजा,उरुवा और मांडा है।
सहायक पुलिस आयुक्त (ए.सी.पी.) मेजा
सहायक पुलिस आयुक्त(ए.सी.पी.)मेजा कार्यालय, मेजा ख़ास जनपद प्रयागराज उत्तर प्रदेश में स्थित है। सहायक पुलिस आयुक्त मेजा के अन्तर्गत तीन पुलिस थाने क्रमश: कोतवाली मेजा, थाना मांडा, थाना कोरांव आते हैं।
मेजा कोतवाली ,मेजा ख़ास जनपद प्रयागराज उत्तर प्रदेश में स्थित है। मेजा कोतवाली के अन्तर्गत चार पुलिस चौकी क्रमशः मेजारोड, सिरसा, कोहड़ार,जेवनिया आते हैं।
अग्निशमन केन्द्र मेजा
अग्निशमन केन्द्र मेजा ,मेजा खास जनपद प्रयागराज उत्तर प्रदेश में स्थित है,मेजा मुख्यालय में स्थापित अग्निशमन केंद्र यमुनापार का एक प्रमुख व महत्वपूर्ण पुलिस फायर स्टेशन है,जिससे क्षेत्र के लगभग ४०० गाँवों की आग से संबंधित सुरक्षा व अन्य किसी भी आपातकाल की स्थिति में भी नगर व कस्बों को राहत पहुँचाने की जिम्मेवारी है.
जनगणना २०११ में मेजा ख़ास की जनसंख्या ७७८२ थी। वर्ष २०२१ में मेजा ख़ास की कुल जनसंख्या १०७०० है।
मेजा रेल एवं सडक से जुडा हुआ है।
मेजा रेल द्वारा बडी आसानी से पहुँचा जा सकता है। दिल्ली-कलकत्ता मेन लाइन में मेजारोड स्टेशन पड़ता है। दिल्ली से रेल द्वारा १३-१६ घंटे लगते हैं। इसके अलावा अन्य दो स्टेशन उचडीह और मांडारोड़ मेजा क्षेत्र में ही आते है
मेजा सडक द्वारा भी अच्छी तरह से जुडा हुआ है। सरकारी और निजी बसें प्रत्येक १० मिनट में इलाहाबाद और मिर्ज़ापुर से यहाँ के लिये उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग न्ह७६ए से जुडा़ है।मिर्ज़ापुर से दूरी ५५किमी या ३३मील जिसको तय करने में लगभग ४७ मिनट का समय लगता है। इलाहाबाद से ४७किमी या २९मील जिसको तय करने में ४०मिनट का समय लगता है। सड़क मार्ग से यह मिर्ज़ापुर और पड़ोसी तहसील कोरॉव को जोडता है।
राजकीय महिला पॉलिटेक्निक
जवाहर नवोदय विद्यालय
लाला लक्ष्मी नारायण महाविद्यालय सिरसा मेजा
आर. बी. एस. महाविद्यालय मेजा खास
राजकीय महाविद्यालय मेजा खास
लक्ष्मी नारायण इंटर कॉलेज मेजा खास इलाहाबाद
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय मेजा खास
श्री ब्रह्मदीन सिंह सिंगरौर संस्कृत महाविद्यालय ऊॅचडीह सोनार का तारा मेजा प्रयागराज
मेजा के उल्लेखनीय व्यक्ति
विश्वनाथ प्रताप सिंह
इलाहाबाद की शासकीय वेबसाइट
इलाहाबाद शिक्षा बोर्ड
इलाहाबाद उच्च न्यायालय
मुंसिफ (ग्राम न्यायालय) मेजा |
तेज प्रताप सिँह यादव भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र से २०१४ के लोकसभा सांसद है। वे समाजवादी पार्टी के राजनेता है।
पूर्व जीवन व शिक्षा
तेज़ प्रताप सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गाँव में स्व॰ श्री रणवीर सिंह व श्रीमती मृदुला यादव के यहाँ २१ नवंबर १९८७ में हुआ। उन्होने नोएडा के दिल्ली पब्लिक स्कूल में प्रारम्भिक पढ़ाई की, एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा से बी॰ कॉम॰ (ऑनर्स) किया। उच्च शिक्षा हेतु वह यूनाइटेड किंगडम गए व लीड्स विश्वविद्यालय से एम॰ एस सी॰ (प्रबंधन) की उपाधि प्रपट की। वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के भ्रातृ पौत्र हैं। उन्होने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री गण लालू प्रसाद यादव व राबड़ी देवी की छोटी पुत्री राजलक्ष्मी के साथ २६ फरवरी २०१५ को विवाह किया।
२०११ - निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख
२०१४ - मैनपुरी से सांसद (विरोधी उम्मीदवार से ३.१२ लाख मतों से विजयी)
सफाई महोत्सव के अध्यक्ष
समाजवादी पार्टी के राजनीतिज्ञ
१६वीं लोक सभा के सदस्य |
सिनो-ब्रिटिश कॉलेज (एसबीसी) शंघाई, चीन में ब्रिटिश डिग्री और योग्यता प्रदान करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय कॉलेज है, जिसे शंघाई के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूएसएसटी) और एनसीयूके के नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालयों द्वारा स्थापित किया गया है।
औपचारिक रूप से १ सितंबर २००६ को सिनो-ब्रिटिश कॉलेज की स्थापना की गयी थी। इसकी स्थापना के लिए यूएसएसटी (शंघाई) और तत्कालीन उत्तरी कंसोर्टियम (अब एनसीयूके) के नौ संस्थापक विश्वविद्यालय (ब्रैडफोर्ड विश्वविद्यालय, हडर्सफ़ील्ड विश्वविद्यालय, लीड्स विश्वविद्यालय, लीड्स मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी, लिवरपूल जॉन मूरेस विश्वविद्यालय, मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी, द यूनिवर्सिटी ऑफ सैलफोर्ड, द यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड, और शेफील्ड हॉलम यूनिवर्सिटी) के बीच सहयोग समझौता किया गया। एसबीसी को शिक्षा मंत्रालय द्वारा "एक से कई" मॉडल के अंतर्गत एक संयुक्त उद्यम के रूप में लाइसेंस दिया गया, जो की शंघाई क्षेत्र का एकमात्र उदाहरण है।
तीन सहयोगी ब्रिटिश विश्वविद्यालयों द्वारा एसबीसी के छात्रों को पढ़ाया जाता है और डिग्री वितरित की जाती है। इसके लिए एसबीसी और सहयोगी विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसर द्वारा छात्रों का अंग्रेजी में मूल्यांकन किया जाता है। योग्य छात्रों का दोहरे डिग्री कार्यक्रमों में नामांकित किया जा सकता है, जिसमे उनहे ४ साल के पाठ्यक्रम के सफल समापन पर ब्रिटिश और यूएसएसटी दोनों से स्नातक की डिग्री से सम्मानित किया जाता है।
एसबीसी शंघाई शहर के केंद्र में फॉक्सिंग रोड परिसर में एक ऐतिहासिक शैक्षणिक स्थल पर है। यह परिसर शंघाई में पूर्व फ्रांसीसी रियायत काल में मूल रूप से एक जर्मन मेडिकल स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था। बाद में वर्साय की संधि द्वारा इसे चीनी और फ्रांसीसी सरकारों के नियंत्रण में स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से ये व्यावसायिक शिक्षा के लिए एक संयुक्त संस्थान बन गया।आज कॉलेज ३ स्कूलों में विभाजित है: स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मैनेजमेंट (व्यावसायिक शिक्षा के लिए), स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटिंग (इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए) और स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, एजुकेशन एंड कल्चर (भाषा और सांस्कृतिक शिक्षा के लिए)। |
मैगलन अंतरिक्ष यान (मेगलन स्पैकक्राफ्ट), एक १०३५ किग्रा (२२८० पौंड) वजन का रोबोटिक अंतरिक्ष यान था जिसे सिंथेटिक एपर्चर रडार का उपयोग करते हुए शुक्र की सतह के मानचित्रण और ग्रहीय गुरुत्वाकर्षण को मापने के लिए ४ मई १९८९ को नासा द्वारा शुरू किया गया था। इसे वीनस राडार मैपर के रूप में भी जाना जाता है। |
पेंच राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। यह मध्य प्रदेश के सिवनी और छिन्दवाड़ा जिलों में स्थित है।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान को मोगली लैण्ड कहा जाता है। रुडयार्ड किपलिंग की भारत के जंगलों पर आधारित कथाएँ यहीं से प्रेरित मानी जाती हैं और विशेषकर "द जंगल बुक" (जिसके प्रमुख पात्र का नाम मोगली है) का इस क्षेत्र से सम्बन्ध है।
सिवनी और छिन्दवाड़ा जिले की सीमाओं पर २९२.८३ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है। यह नदी उद्यान के उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहती है। देश का सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्रात करने वाले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को १९९३ में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित इस नेशनल पार्क में हिमालयी प्रदेशों के लगभग २१० प्रजातियों के पक्षी आते हैं। अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क तेजी से पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है
अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क पर्यटकों को तेजी से अपनी ओर आकषिर्त कर रहा है। खूबसूरत झीलें, ऊंचे पेड़ों के सघन झुरमुट, रंगबिरंगे पक्षियों का कलरव, शीतल हवा के झोंके, सोंधी-सोंधी महकती माटी, वन्य प्राणियों का अनूठा संसार सचमुच प्रकृति के समूचे तन-बदन पर हरीतिमा का ऐसा अनंत सागर रोम-रोम में सिहरन भर देता है। पेंच नेशनल पार्क कोलाहल करते २१० से अधिक प्रजाति के पक्षियों, पलक झपकते ही दिखने और गायब हो जाने वाले चीतल, सांभर और नीलगायें, भृकुटी ताने खड़े जंगली भैंस और लगभग ६५ बाघों से भरा पड़ा है।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित इस नेशनल पार्क में हिमालय क्षेत्र के लगभग २१० प्रजातियों के पक्षी प्रवास के लिए आते हैं। अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क पर्यटकों को तेजी से अपनी ओर आकषिर्त कर रहा है। खूबसूरत झीलें, ऊंचे पेड़ों के सघन झुरमुट, रंगबिरंगे पक्षियों का कलरव, शीतल हवा के झोंके, सोंधी-सोंधी महकती माटी, वन्य प्राणियों का अनूठा संसार सचमुच प्रकृति के समूचे तन-बदन पर हरीतिमा का ऐसा अनंत सागर रोम-रोम में सिहरन भर देता है। पेंच नेशनल पार्क कोलाहल करते २१० से अधिक प्रजाति के पक्षियों, पलक झपकते ही दिखने और गायब हो जाने वाले चीतल, सांभर और नीलगायें, भृकुटी ताने खड़े जंगली भैंस और लगभग ६५ बाघों से भरा पड़ा है।
सतपुड़ा की पर्वतमाला के दक्षिणी छोर पर तलहटी में स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान २३ नवम्बर, १९९२ में टाइगर सं रक्षण योजना के तहत टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया। इसके बाद से ही इस क्षेत्र में वन्य प्राणियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होने लगी। क्या आपको विास है कि बर्फीले प्रदेशों या हिमालय की तराई में रहने वाले इन पक्षियों की आश्रय स्थली प्रदेश के किसी वन क्षेत्र में हो सकती है? प्रति वर्ष शीत ऋतु में बर्फीले क्षेत्रों के लगभग २१० प्रजातियों के पक्षी भोजन और प्रजनन के लिए यहां आश्रय लेते हैं।
पेंच नेशनल पार्क में जिन पक्षी प्रजातियों का मुख्य रूप से आना-जाना है, उनमें पीफोल, रेड जंगल फोल, कोपीजेन्ट, क्रीमसन, बेस्ट डबारबेट, रेड वेन्टेड बुलबुल, रॉकेट टेल डोगों, मेंगपाई राबिन, लेसर, व्हिस्टल टील, विनेटल सोवेला, ब्राह्मनी हक प्रमुख हैं। देशभर में तेजी से विलुप्त होते जा रहे गिद्ध भी यहां बहुतायत में पाये जाते है। इनमें दो प्रकार के गिद्ध प्रमुख हैं। पहला 'किंग वल्चर' जिसके गले में लाल घेरा होता है और दूसरा है- 'व्हाइट ब्रेंद वल्चर' जिसके पीछे सफेद धारियां होती हैं। यहां राज तोता (करन मिट्ठू) और बाज सहित प्रदेश का सरकारी पक्षी 'दूधराज' भी मस्ती करते दिखाई देते हैं।
अंतरराष्ट्रीय जल विद्युत परियोजना के तहत तोतलाडोह बांध बनने से मध्य प्रदेश का कुल ५,4५1 वर्ग किलोमीटर डूब क्षेत्र में आता है। इस बांध के बन जाने से राष्ट्रीय उद्यान के मध्य भाग में विशाल झील बन गई है, जो वन्यप्राणियों की पानी की आवश्यकता की दृष्टि से बहुत उपयुक्त है। डूब क्षेत्र में छिंदवाड़ा का ३१.२७१ वर्ग किमी तथा सिवनी का १७.२४६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है। कान्हा और बांधवगढ़ जैसे विख्यात राष्ट्रीय उद्यान के विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से पेंच टाइगर उद्यान बेहतर स्थिति में है।
इन्हें भी देखें
३.जंगल बुक का मशहूर पात्र मोगली और पेंच नेशनल पार्क का संबंध
भारत के राष्ट्रीय उद्यान
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय उद्यान |
बंडा आलू या बंडा (व्हाइट यम) एक कन्द है। इसके पौधे अरवी के समान होते हैं किन्तु इसकी कन्द काफी बड़ी (एक-दो किलो की) होती है। बंडा उपर से हरी, भूरी या काली होती है किन्तु अन्दर से सफेद होती है। इसे 'कचालू' भी कहते हैं।
फैजाबाद का बंडा सबसे मसहूर है जो की उत्तर प्रदेश मे अयोय्धा के पास स्तिथि है |
क्रीष्टु चरित्र तेलुगू भाषा के विख्यात साहित्यकार जी. जोशुआ द्वारा रचित एक काव्य है जिसके लिये उन्हें सन् १९६४ में तेलुगू भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत तेलुगू भाषा की पुस्तकें |
भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम सन् १९७२ भारत सरकार ने इस उद्देश्य से पारित किया था कि वन्य प्राणियों के अवैध शिकार तथा उनके हाड़-माँस और खाल के व्यापार पर रोक लगाई जा सके। इसे जनवरी २००३ में संशोधित करके दण्ड तथा जुर्माना और अधिक कठोर कर दिया गया है। |
बेसिन ब्रिज तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई का एक क्षेत्र है। यहां चेन्नई उपनगरीय रेलवे का एक स्टेशन है।
चेन्नई के क्षेत्र
चेन्नई के रेलवे स्टेशन
तमिल नाडु में रेलवे स्टेशन |
उमरिया ज़िला भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय उमरिया है। यह शहडोल संभाग में आता है और इसकी अवस्थिति उत्तरी अक्षांश २३३८ से '२४२०' और पूर्वी देशांतर ८० '२८ 'से ८२१२' के बीच है।
जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र ४५४८ वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है और इसकी आबादी ५१५,९६३ है। उमरिया जंगलों और खनिजों के अपने विशाल संसाधनों से समृद्ध है। कोयला खदानें जिले के लिए राजस्व का एक स्थिर स्रोत हैं।
जिले में पाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण खनिज कोयला है और परिणामस्वरूप जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (नौरोज़ाबाद) द्वारा ८ खदानें संचालित की जा रही हैं। जिले में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (ताला) और संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन मानगढ़ (पाली) में स्थित हैं। उमरिया पहले दक्षिण रीवा जिले का मुख्यालय था और उसके बाद बांधवगढ़ तहसील का मुख्यालय शहर था। यह अपने मूल जिले शहडोल, से लगभग ६९ किमी की दूरी पर स्थित है। सड़कें कटनी, रीवा, शहडोल, आदि के साथ शहर को जोड़ती हैं, जिस पर नियमित बसें चलती हैं। उमरिया में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कटनी-बिलासपुर मडंल का एक रेलवे स्टेशन भी है।
२०११ तक यह हरदा ज़िला के बाद मध्य प्रदेश (५२ में से) का दूसरा सबसे कम आबादी वाला जिला है।
उमरिया १९९८ में अलग होने से पहले शहडोल जिले का हिस्सा था।उमरिया में गोंड,लोधी राजपूतों (मालगुजार) का शासन रहा है।गोंडकाल की प्रमुख स्मारक सिंहपुर की सैन्य गढ़ी प्रमुख है।यहां के गोंड कोरचे वंश के राजा ढंगा कोरचे १८५७ की क्रांति के स्वतंत्रता सेनानी थे।बिरसिंहपुर पाली गढ़ा के गोंड राज्य का ५७ परगानो में से एक था।लोधी राजपूत परिवार ने लक्ष्मी नारायण का मंदिर बनवाया था। उन्होंने एक बड़ा प्रवेश द्वार भी बनवाया था, जहां से हाथी प्रवेश कर सके, इसलिये इसका नाम हाथी दरवाजा कहा जाता है। बाद में बघेल वंश के राजा श्री ठाकुर साहब रणमत सिंह जू देव, रीवा के महाराजा विक्रमादित्य के वंशज अपने सैन्य टुकड़ी के साथ आए और इसे लोधियों से जीत लिया। फिर यह १७वीं शताब्दी में कुछ वर्षों के बाद रीवा रियासत की दक्षिणी राजधानी बन गया। उमरिया घने जंगल और बाघ के कारण हमेशा से कई राजकुमारों और राजाओं के लिए एक पसंदीदा शहर था। बांधवगढ़ के जंगल, रीवा के बघेल महाराजाओं के लिये आखेट रहा है।
उमरिया जिला मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्से में स्थित है। यह उत्तर में सतना जिले, दक्षिण में डिंडोरी जिले, पूर्व में शहडोल जिले और पश्चिम में कटनी जिले से घिरा हुआ है। उमरिया जिले का क्षेत्रफल ४५४८ वर्ग किमी है। यह उत्तर से दक्षिण में लगभग १०० किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम में ६६ किलोमीटर तक फैला हुआ है। जिले का क्षेत्रफल ४५०३ वर्ग किलोमीटर है। जिले में कुल ५९१ गाँव आते हैं।
दक्षिण पश्चिमी मानसून के मौसम को छोड़कर इस जिले की जलवायु में एक गर्म गर्मी और सामान्य सूखापन रहता है। उमरिया जिले में औसत वार्षिक वर्षा लगभग १२४८.८ मिमी होती है। अधिकतम वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून अवधि के दौरान यानी जून से सितंबर के बीच होती है।
भौगोलिक रूप से, पठार, पहाड़ियों और घाटियों द्वारा दर्शाए गए संरचनात्मक भू-आकृतियाँ जिले के मध्य, दक्षिणी और उत्तर पूर्वी हिस्से में विकसित हुई हैं। उमरिया जिला में विभिन्न प्रकार के रॉक बेसाल्टिक, सेडिमेंटरी और ग्रेनिटिक इलाके पाये जाते हैं। मिट्टी भी क्षेत्र की लिथोलॉजी पर निर्भर करती है।
यहां से होकर बहने वाली नदियों में सोन, जोहिला और छोटी-महानदी शामिल है।
२००६ में पंचायती राज मंत्रालय ने उमरिया को देश के २५० सबसे पिछड़े जिलों (कुल ६४० में से) में से एक नाम दिया। यह मध्य प्रदेश के २४ जिलों में से एक है जो वर्तमान में पिछड़े क्षेत्र अनुदान निधि कार्यक्रम (ब्र्गफ) से धन प्राप्त कर रहा है। आय के मुख्य स्रोतों में खनिज़, वन्य संपदा और खेती है। खनिज में कोयला प्रमुख खनिज़ है। वनों से जलाऊ और इमरती लकडियाँ और बीड़ी पत्ता का संग्रह किया जाता है। कृषि में धान, मक्का, गेहूं, राई, चना और अरहर आदि प्रमुख फसल हैं।
२०११ की जनगणना के अनुसार २०११ की जनगणना के उमरिया जिला एक है जनसंख्या ६४४,७५८ की, मोटे तौर पर राष्ट्र के बराबर मोंटेनेग्रो या, अमेरिकी राज्य वरमोंट । यह इसे भारत में ५१३ वें (कुल ६४० में से ) की रैंकिंग देता है । जिले का जनसंख्या घनत्व १५ १५८ निवासियों प्रति वर्ग किलोमीटर (४१० / वर्ग मील) है। २००१-२०११ के दशक में इसकी जनसंख्या वृद्धि दर २४.७३% थी। उमरिया एक है लिंग अनुपात ९५३ की महिलाओं , हर १००० पुरुषों के लिए और एकसाक्षरता दर ६७.३४%। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों ने क्रमशः ९% और ४६.६% आबादी बनाई। गोंड कुल एसटी आबादी के ४०% के लिए सबसे बड़ा आदिवासी समूह बनाते हैं । अन्य महत्वपूर्ण जनजातियों में बैगा और कोल शामिल हैं।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
बांधवगढ़ एक अपेक्षाकृत छोटा पार्क है, पिछले कुछ वर्षों में यह पूर्व खेल रिज़र्व भारत के सबसे प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में से एक बन गया है। सभी अभिरुचियों का प्रमुख कारण बांधवगढ़ बाघों का उच्च घनत्व है, जो एक आसान मार की तलाश में नमकीन, बांस और एंबिलिका ओफिसिनले के मिश्रित जंगलों में घूमते हैं। बाघों ने न केवल सफलतापूर्वक प्रजनन करके स्थानीय आबादी को प्रभावित किया है, बल्कि उन्होंने पार्क और रॉयल बंगाल टाइगर की दुर्दशा के लिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भी ध्यान में लाया है। बांधवगढ़ में बाघों की आबादी भारत में सबसे अधिक है। ४५० किमी २ पर ६० बाघ। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में क्षेत्र। यह भी सफेद बाघ वाला देश है। आखिरी जिसे १९५१ में महाराजा मार्तंड सिंह द्वारा कब्जा कर लिया गया था। इस सफेद बाघ को "मोहन" नाम दिया गया था, जिसे अब रीवा के महाराजा के स्थान पर भरा गया और प्रदर्शित किया गया ।
नौरोजाबाद शहर (जोहिला क्षेत्र) क्षेत्र में पाए जाने वाले कोयले के भंडार से समृद्ध है। कोयला खदानों की निकटता के कारण इस क्षेत्र में कोयला औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुआ है। सबसे प्रतिष्ठित सरकारी उपक्रम और भारत में सबसे बड़ा कोयला उत्पादक उद्योग, साउथ ईस्टर्न कोल्फिल्ड्स लिमिटेड इस क्षेत्र में स्थित है। नौरोजाबाद कोयला उद्योग के १३ प्रशासनिक क्षेत्रों में से एक है। यह जोहिला क्षेत्र का प्रधान कार्यालय है। शहर में प्रमुख रोजगार स्रोत साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड की कोयला खदानें हैं। यह जोहिला नदी के किनारे बसा हुआ शहर है |
बांधवगढ़ का किला
बाँधवगढ़ उमरिया जिले में तहसील का नाम है। पूर्व में यह माघ वंश के बांधवगढ़ साम्राज्य की राजधानी थी, तब तहसील का मुख्यालय था। वर्तमान में इसका मुख्यालय उमरिया है। बांधवगढ़ का किला काफी पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्त्व का स्थान है।
यह एक प्राकृतिक अभेद्य किला है और समुद्र तल से लगभग २४३० मीटर की दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित है। बामनिया पहाड़ी भी किले का एक हिस्सा है, क्योंकि यह एक प्राचीर से घिरा है। उमरिया शहर से लगभग ४१ किमी की दूरी पर रीवा-उमा-कटनी मार्ग पर किला है।
उमरिया जिले का मुख्यालय शहर और बांधवगढ़ तहसील, पूर्व में उमरिया दक्षिण रीवा जिले का मुख्यालय था। यह शहडोल से लगभग ६९ किमी की दूरी पर स्थित है।
रेलवे स्टेशन के पास एक शिव मंदिर है, जिसे सगरा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह एक पुराना मंदिर था, जिसे हाल ही में फिर से बनाया गया है। खजुराहो मॉडल में नक्काशीदार पत्थर की मूर्तियों के साथ इसके मुख्य द्वार अभी भी बरकरार हैं। निकट ही ज्वालामुखी मंदिर है। शहर से लगभग ६.५ किमी दूर, खजुराहो पैटर्न की नक्काशी के साथ महाभारत युग का एक अन्य मंदिर है, जिसका नाम मड़ी बाग मंदिर है।
उमरिया अपनी कोयला-खदानों के लिए जाना जाता है, जो १८८१ में भारत सरकार द्वारा खोले गए थे और उसी वर्ष रीवा दरबार में स्थानांतरित कर दिए गए थे, जो मुख्य रूप से कटनी में रेलवे की आवश्यकता को पूरा करने के लिए था।
चंदिया लगभग २१ किमी की दूरी पर उमरिया-कटनी मार्ग पर स्थित है। उमरिया से। चंदिया रोड का रेलवे स्टेशन, जिसे चंदिया रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाता है।
चंदिया का सबसे महत्वपूर्ण स्थान एक छोटा सा मंदिर है, जिसमें देवी कालिका हैं। उसका मुंह खुला हुआ है, लेकिन उसकी बाहर फैली हुई जीभ टूटी हुई है। यहाँ भगवान राम और उनकी पत्नी जानकी का एक पुराना मंदिर भी है। यह चंदिया के राजाओं का एक ठिकाना (उप राज्य) था। शिवरात्रि के अवसर पर फरवरी / मार्च में ३ दिनों के लिए सुरसावाही चंदिया में एक छोटा मेला लगता है। बघेलों का एक किला भी चंदिया में स्थित है।
उमरिया से लगभग ३६ किमी की दूरी पर पाली उमरिया-शहडोल मार्ग पर स्थित है। एक अन्य सड़क पाली से मंडला होते हुए डिंडोरी जाती है। पाली एक रेलवे स्टेशन भी है, और पर्यटकों के ठहरने के लिए एक विश्राम गृह भी है। स्टेशन को पाली-बिरसिंहपुर स्टेशन के रूप में जाना जाता है। रेलवे स्टेशन के पास एक मंदिर है, जो बिरसिनीदेवी का स्थान है। लोकप्रिय मान्यता के अनुसार वह देवी काली हैं, यहां कंकाल देवी के रूप में प्रस्तुत की गईं, लेकिन उनका मुंह बंद था। कुछ हिंदू मंदिरों में पुरानी जैन मूर्तियों के कई अवशेष यहां रखे गए हैं। नवरात्रि के अवसर पर, देवी के मंदिर के पास, वार्षिक मेले अक्टूबर और मार्च दोनों में आयोजित किए जाते हैं।
बड़ेरी उमरिया जिले में एक ग्राम पंचायत है। यह बांधवगढ़ रोड में उमरिया से लगभग ५ किमी दूर स्थित है।
यह मध्य भारत में बघेल राजवंश का एक प्रांत था। यह रीवा रियासत की जागीर थी। १६ वीं शताब्दी में श्री ठाकुर साहब रणमत सिंह जू देव द्वारा शासित नंद महल और बड़ेरी का किला भी है।
मानपुर एक ब्लॉक है और उमरिया जिले की सबसे बड़ी तहसील है। यह जिला मुख्यालय से लगभग ४५ किमी और ताला-जयसिंहनगर मार्ग में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से लगभग १२ किमी दूर स्थित है। मानपुर तहसील में ८४ ग्राम पंचायतें हैं।
मंथार बांध (बिरसिंहपुर जलाशय)
बिरसिंहपुर जलाशय बिरसिंहपुर पाली रेलवे स्टेशन से १२१३ किमी दूर स्थित है। इस जलाशय का निर्माण संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन के लिए किया गया है । इस जलाशय का निर्माण जोहिला नदी पर किया जाता है, जो मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अमरकंटक के पास उत्पन्न होती है । जोहिला नदी सोन नदी की एक सहायक नदी है , जो दक्षिणी तट से गंगा नदी की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है।
इन्हें भी देखें
मध्य प्रदेश के जिले
मध्य प्रदेश के जिले |
उपगुप्त एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु थे। इन्हें 'अलक्षणक बुद्ध' भी कहा जाता है।
उपगुप्त वाराणसी के गुप्त नामक इत्र विक्रेता के पुत्र थे। १७ वर्ष की अवस्था में संन्यास लेकर इन्होंने योगसाधना की और काम पर विजय प्राप्त करने के उपरांत समाधिकाल में भगवान् बुद्ध के दर्शन किए। मथुरा के समीप नतभक्तिकारण्य में उरुमुंड या रुरुमुंड पर्वत पर इन्हें उपसंपदा हुई और वहीं उपगुप्त विहार नामक बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध प्रचारकेंद्र बना। बोधिसत्वावदानकल्पलता में उल्लेख है कि इन्होंने १८ लाख व्यक्तियों को बौद्ध धर्म से दीक्षित किया था। उतत्री बौद्ध परंपरा के अनुसार ये सम्राट अशोक के धार्मिक गुरु थे और इन्होंने ही अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। दिव्यावदान के अनुसार चंपारन, लुंबिनीवन, कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, जेतवन आदि बौद्ध तीर्थस्थलों की यात्रा के समय उपगुप्त अशोक के साथ थे। उल्लेख मिलते हैं कि पाटलिपुत्र में आयोजित तृतीय बौद्ध संगीति में उपगुप्त भी विद्यमान थे। इन्होंने ही उक्त संगीति का संचालन किया और कथावस्तु की रचना अथवा संपादन किया। संभवत: इसीलिए कुछ विद्वानों में मोग्गलिपुत्त तिस्स तथा उपगुप्त को एक ही मान लिया है, क्योंकि अनेक बौद्ध ग्रंथों में तृतीय संगीति के संचालन एवं कथावस्तु के रचनाकार के रूप में तिस्स का ही नाम मिलता है। |
महीधर १६वीं शताब्दी के वेद-भाष्यकार थे। इन्होंने मध्य युगीन भारत को देखते हुए हिंदू धर्म में पवित्र माने जाने वाले वेदों के नाम पर शुक्ला यजुर्वेद नामक वेद की रचना की, जिसमे इन्होंने वेदों में पशु बलि एवम गाय के मांस के खाने का प्रसंग अंकित किया। जिसके अनुसार आर्य समाज पहले मांस भक्षण करता था इस बात का उल्लेख किया। इसका प्रभाव केवल मात्र इतना था की हिंदुओ की अहिंशात्मक सोच में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाना था जिससे हिंदू अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए उन वैश्यी और नितांत हिंसक लोगो से लड़ सके जो मध्ययुग में भारत में अपने पैर जमा रहे थे ।इसलिए उन्होंने बली- प्रथा को जन तक पहुंचने के लिए वेदो का सहारा लिया जिससे लोग युद्ध में होने वाली हिंसा के लिए पहले से तैयार रहे । और उन्हें गायों का सहारा लेकर आसानी से हराया न जा सके।
इन्हें भी देखें |
सन्नति दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक के उत्तरी भाग में गुलबर्ग जिला में स्थित चितापुर तालुक का एक ग्राम है, जो भीमा नदी के तट पर स्थित है। यह चंद्रपरमेश्वरी मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। हाल ही में यहां भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा खुदाई में एक प्राचीन बौद्ध केन्द्र के अवशेष भी मिले हैं।
गुलबर्ग जिले के शहर
कर्नाटक का इतिहास
भारत का इतिहास
कर्नाटक में हिन्दू मंदिर
कर्नाटक में पर्यटन |
जयलखा-अभिमान बखरी, बेगूसराय, बिहार स्थित एक गाँव है।
बेगूसराय जिला के गाँव |
मोकास फैबुलस एडवेंचर्स (फ्रेंच: मोका) एक फ्रेंच एनिमेटेड टेलीविजन श्रृंखला है। यह एंड्रेस फर्नांडीज द्वारा निर्देशित और ज़िलम द्वारा निर्मित है। फ्रांस में, श्रृंखला का प्रसारण ४ जनवरी, २०२० से गुल्ली पर किया जा रहा है।
सवाना के बेटे का राजा मोका, एक भोला और लापरवाह छोटा मगरमच्छ, अपने विशाल राज्य का पता लगाने के लिए एक दिन घर छोड़ देता है। चेरी, रॉयल गार्ड के एक बहादुर गैंडे को उसकी सुरक्षा का बीमा करने के लिए साथ भेजा जाता है। लेकिन उसकी निराशा के लिए, मोका की अतृप्त जिज्ञासा और आवेगी व्यवहार उन्हें लगातार परेशानी में डाल रहा है!
वह एक छोटा मगरमच्छ है।
जैसा कि "द एक्सट्राऑर्डिनरी मीटिंग ऑफ डेस्टिनी" में दिखाया गया है, मोका अपना सारा समय महल में, अकेले खेलने में बिताता था। वह एक सक्रिय बच्चा था जब वह आज की तुलना में अधिक छोटा था। वह रॉयल गार्ड्स से बात करने और अपने सभी पागल सवाल पूछने की कोशिश करता है, लेकिन क्योंकि बात करना उनके नौकरी के विवरण में नहीं है, उन्होंने कभी जवाब नहीं दिया। वह चेरी से मिले जब उन्होंने गलती से अपनी गेंद रॉयल गार्ड्स के शिविर में फेंक दी, उसके कटोरे में। (जब वह बड़ा था) उसने सोचा कि मोका खो गया है इसलिए वह उसकी मदद करना चाहती है, उसे एक प्राणी से बचाया और उसके सभी सवालों का जवाब देते हुए उसके साथ महल के रास्ते में चली गई। मोका को प्यार था कि उसके पास बात करने, खेलने और समय बिताने के लिए कोई है। चेरी भी वास्तव में खुश थी क्योंकि वह अकेला महसूस नहीं कर रही थी, लेकिन उसे नक्शा प्राप्त करना था, जब उसने मोका को यह बताया, तो उसने सोचा कि रोमांच बहुत बढ़िया होगा। (विशेष रूप से उसके साथ) कुछ महीनों के बाद, जब चेरी नक्शे के साथ वापस आई, तो उसने उससे कहा कि उसके पिता ने उसे चेरी के साथ रोमांच पर जाने की अनुमति दी है। इस तरह उसने और मोका ने अपने कारनामों की शुरुआत की।
मोका एक दयालु, मददगार बच्चा है जो हमेशा कांच का पूरा हिस्सा देखता है। वह सचमुच सब कुछ के बारे में सवाल पूछता है, और यह नहीं समझता कि चेरी एक राइनो है, उसे हिप्पो कहने के साथ जो उसे गुस्सा दिलाता है। वह आमतौर पर चीजों को देर से समझता है। वह बहुत प्यारा और थोड़ा लापरवाह है।
प्रिंस मोका के रॉयल गार्ड और करीबी दोस्त हैं। वह मोका के फैबुलस एडवेंचर्स का एक और मुख्य पात्र है। वह एक राइनो है।
जैसा कि "द एक्सट्राऑर्डिनरी मीटिंग ऑफ डेस्टिनी", "द फ्रेंड फ्रॉम द डेप्थ ऑफ टाइम" में दिखाया गया है, चेरी हमेशा एक रॉयल गार्ड बनना चाहती थी क्योंकि वह एक बच्ची थी। उसकी बहनों और माँ को खेती में दिलचस्पी थी और उसके पिता भी एक रॉयल गार्ड थे। शायद यही कारण था कि वह उनमें से एक बनना चाहती थी। वह उसी स्कूल में थी और अरजा के साथ जूडो, कराटे आदि की क्लास लेती थी। शायद उसका पहला और इकलौता दोस्त। फिर कुछ हुआ और उन्होंने "द एडवेंचर्स ऑफ द लॉस्ट फ्रेंडशिप" तक फिर कभी बात नहीं की। जब उसकी शिक्षा समाप्त हुई, तो वह अंततः एक रॉयल गार्ड बनने जा रही थी। लेकिन अन्य गार्डों ने उसे बाहर कर दिया क्योंकि वह दूसरों की तरह नहीं थी, अन्य गार्ड पुरुष थे और वे चेरी की तुलना में अधिक शारीरिक थे। चेरी शायद पहली महिला रॉयल गार्ड भी थीं। वह मोका से मिली जब उसने गलती से अपनी गेंद रॉयल गार्ड्स के शिविर में फेंक दी, उसके कटोरे में। उसने सोचा कि मोका खो गया है इसलिए वह उसकी मदद करना चाहती है, उसे एक प्राणी से बचाया और उसके सभी सवालों का जवाब देते हुए उसके साथ महल की ओर चली गई। मोका को प्यार था कि उसके पास बात करने, खेलने और समय बिताने के लिए कोई है। चेरी भी वास्तव में खुश थी क्योंकि वह अकेला महसूस नहीं कर रही थी, लेकिन उसे नक्शा प्राप्त करना था, जब उसने मोका को यह बताया, तो उसने सोचा कि रोमांच बहुत बढ़िया होगा। (विशेष रूप से उसके साथ) कुछ महीनों के बाद, जब चेरी नक्शे के साथ वापस आई, तो उसने उससे कहा कि उसके पिता ने उसे चेरी के साथ रोमांच पर जाने की अनुमति दी है। वह इस तरह का कर्तव्य निभाने में सम्मान महसूस करती थी। इस तरह उसने और मोका ने अपने कारनामों की शुरुआत की।
चेरी वास्तव में एक बहादुर रॉयल गार्ड है। वह मोका पर बहुत अधिक सुरक्षात्मक है और कभी-कभी उसकी माँ की तरह काम करती है। वह मोका के सवाल का जवाब देने की कोशिश करती है लेकिन कभी-कभी सवाल उसके लिए भी बहुत परेशान करने वाला होता है। वह इतनी मजबूत है कि वह लगभग १५-२० मिनट में शेरों से भरी सेना को हरा सकती है। वह मोका को कभी कुछ नहीं होने देती, भले ही आप उससे कुछ असभ्य/अभद्र बात करें, आपको इसके लिए उसे भुगतान करना होगा। |
हकीम सय्यद ज़िल्लुर रहमान () (), एक मशहूर यूनानी चिकित्सा के अनुसंधानकर्ता हैं। उनका योगदान यूनानी वैद्य विधान के लिये काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्हों ने २००० ई को इब्न सीना अकाडेमी आफ़ मेडिसिन अंड सैन्सेस की स्थापना की। यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अजमल खान तिब्बिया कालेज के प्रोफ़ेसर और चैरमन रह चुके हैं। इल्मुल अद्विया विभाग में चलीस साल की सेवा के बाद वह डीन और इतर सेवाओं के बाद रिटैर हुए।
उन्होंने ४५ ग्रन्थ एवम पुस्तक लिखे, जो यूनानी वैद्य विधान पर निर्भर हैं। इन के पास यूनानी पुस्तक भंडार भी मौजूद है।
भारत की सरकार ने इनको यूनानी वैद्यविधान पर विशेश काम के लिये, पद्मश्री पुरस्कार से २००६ में सम्मानित किया।
इन के काम
इनका सारा काम वैद्यविधान के चरित्र पर रहा, जो मध्यकालीन युग से सम्बन्धित और इस्लामी मध्यकालीन वैद्यविधान पर खास काम किया है। यह यूनानी मेडिसिन के शास्त्रवेत्ता और प्राचीन अरबी और फ़ार्सी भाशाओं के पत्रों को खोज निकालने और उन्हें सरल तरीकी में पेश करने में सिद्धहस्त हैं।
पुरस्कार और गौरव
ज़िल्लुर रहमान को १९९७ में जामिया हमदर्द के विसिटिंग प्रोफ़ेसर का गौरव मिला। बाद में डाक्टर आफ़ लेटर्स की गौरव डिग्री भी प्राप्त हुई जो उनहें २०१३ में दी गयी।
आयुर्वेदिक अथवा तिब्बी पुरस्कार अवार्ड, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ १९६८.
उर्दू अकादमी अवार्ड, उत्तर प्रदेश सर्कार, लखनऊ, १९७४.
उर्दू अकादमी अवार्ड, उत्तर प्रदेश सर्कार, लखनऊ, १९७८.
उर्दू अकादमी अवार्ड, उत्तर प्रदेश सर्कार, लखनऊ, १९९३.
सर्टिफ़िकेट ऑफ़ आनर्स, फ़ारसी भाषा की सेवा के लिये, भारत के राष्ट्रपति के हाथों स्वतन्त्रता दिवस, १५ अगस्त १९९५ को दिया गया था।
पद्मश्री, भारत सरकार, २००६
यश भारती पुरस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ २०१४-१५
अलीगढ़ के लोग
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
भोपाल के लोग
१९४० में जन्मे लोग
भारत में यूनानी |
बच्चावाली तोप, मुर्शिदाबाद जिले के निज़ामत किला परिसर के उद्यान में स्थित एक तोप है। यह निज़ामत इमामबाड़ा और हज़ारद्वारी महल के बीच स्थित है और इसके पश्चिम में मदीना मस्जिद मौजूद है। यह तोप दो भिन्न व्यास वाले हिस्सों से मिल कर बनी है। इस तोप को १२ वीं और १४ वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था, संभवतः इसका निर्माण गौर के मुस्लिम शासकों ने किया था। मूल रूप से इस तोप को इच्छागंज के रेत के किनारे पर स्थापित किया गया था हालांकि, यह अज्ञात है कि यह इच्छागंज कैसे पहुँची। इसका उपयोग मुर्शिदाबाद शहर को उत्तर पश्चिमी हमलों से बचाने के लिए किया गया था। १८४६ में लगी भीषण आग के बाद निज़ामत इमामबाड़े का पुनर्निर्माण किया गया और निर्माणकार्य पूरा होने के बाद, सर हेनरी टोरेन्स जो कि गवर्नर जनरल के एक एजेंट थे, के सुझाव के अनुसार पवित्र निज़ामत इमामबाड़ा के वास्तुकार सादिक़ अली खान ने तोप को उसकी वर्तमान जगह में स्थानांतरित कर दिया। |
समुद्र विज्ञान में जायर (ज्ञ्रे) किसी सागरीय या महासागरीय क्षेत्र में घूर्णन करने वाले, यानि एक क्षेत्र में घूमने वाले, जल प्रवाह को कहते हैं। जायरों में पानी एक ही बड़े क्षेत्र में गोल-गोल घूमता रहता है। इनमें अक्सर साथ में भारी वायु प्रवाह भी चलता है।
यह देखा गया है कि हमारे महासागरों के जायर क्षेत्रों में समुद्रों में नासमझी से फेंका गया बहुत-सा तैरने वाला मलबा (जैसे कि प्लास्टिक की बोतले आदि) जाकर एकत्रित हो जाता है और वहीं घूमता रहता है। कुछ समीक्षकों के अनुसार इसने हमारे महासागरों में कुछ क्षेत्रों को कूड़ेदान जैसा बना दिया है। प्रशांत महासागर के एक क्षेत्र को अब महान प्रशांत कूड़ेदान (ग्रेट पेसिफिक गर्बागे पच) कहा जाता है।
जायर हमारे ग्रह के अपने घूर्णन से होने वाले कॉरिऑलिस प्रभाव से बनते हैं। यह जल व वायु दोनों में भ्रमिलता से घूर्णन का प्रभाव पैदा कर देता है।
पृथ्वी के महासागरों में पाँच प्रमुख जायर हैं:
हिन्द महासागर जायर (इंडियन ओशन ज्ञ्रे) - जो आमतौर से दक्षिणावर्त (क्लोकवाइज़) चलता है
इन्हें भी देखें |
दहिया एक जाट और अहीर गोत्र है जो भारतीय राज्य राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाया जाता है।
स्वामी ओमानंद सरस्वती के अनुसार, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अहीर और जाट विशेष रूप से गुड़गांव जिले के ताजपुर, दयालपुर गांवों और मेरठ जिले के ततारपुर गांव के निवासी दहिया परिवार के थे। संस्कृत शिलालेख में इस वंश कि नाम दधीचिक, दहियक या दधीच मिलता है। जोधपुर शहर से चार मील उत्तर किनसररिया गांव की पहाड़ी पर केवाय माता के मंदिर के सभामंडप में लगे हुए दहिया वंशी सामंत चच्च के वि सं १०५८ के शिलालेख मे उक्त वंश की उत्पत्ति के विषय मे लिखा है। मुहणोत नैणसी ने पर्वतसर मे रहकर दहियो का वृत्तांत अपनी ख्यात के लिए संग्रहीत किया। उसने लिखा है कि दहियो का मूल निवास स्थान नासिक त्र्यंबक के पास होकर बहने वाली गोदावरी नदी के निकट थालरेनगढ था। दहियो के स्थान देरावर, पर्वतसर, सांवरा,घंटियाली, हरसोर, मारोठ थे। जालोर का गढ भी दहियो का बनाया हुआ माना जाता है। <रेफ४</रेफ> |
के.वॆलमवारिपल्लॆ (कडप) में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के कडप जिले का एक गाँव है।
आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट
आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग
निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल
आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट |
छाल धरमजयगढ मण्डल में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत रायगढ़ जिले का एक गाँव है।
छत्तीसगढ़ की विभूतियाँ
रायगढ़ जिला, छत्तीसगढ़ |
द प्लैनेटरी सोसाइटी (थे प्लेनेटरी सोसायटी, अर्थ: ग्रहीय समिति) एक अमेरिकी, ग़ैर-सरकारी, ग़ैर-मुनाफ़ाकारी संस्था है जिसका सदस्य कोई भी बन सकता है। यह खगोलशास्त्र, ग्रहीय विज्ञान, और खोज, और इन से सम्बन्धित जन-शिक्षा और राजनैतिक पक्ष-पैरवी के कामों में जुटी हुई है। इसकी स्थापना सन् १९८० में कार्ल सेगन, ब्रूस मर्रे और लुइस फ़्रीडमन ने की थी और सन् २०१५ में इसके १०० देशों से ४०,००० सदस्य थे। द प्लैनेटरी सोसाइटी का लक्ष्य सौर मंडल में खोजकार्य, पृथ्वी-समीप वस्तुओं की खोज व छानबीन और ग़ैर-सांसारिक जीवों की खोज है।
इन्हें भी देखें |
सिकन्दर २००९ की एक बॉलीवुड फ़िल्म है।
२००९ में बनी हिन्दी फ़िल्म |
मेडागास्कर: एस्केप २ अफ्रीका (या बस सिर्फ मेडागास्कर २) एटन कोहेन द्वारा लिखित तथा एरिक डारनेल और टॉम मैक्ग्रा द्वारा निदेशित २008 की एक एनीमेटेड फिल्म है। २005 की फिल्म मेडागास्कर की इस अगली कड़ी में भी एलेक्स शेर, मार्टी जेब्रा, मेलमन जिराफ तथा ग्लोरिया हिप्पो के साहसिक कारनामे जारी हैं। इस ने प्रिय एनीमेटेड फिल्म के लिए २009 का किड्स च्वाइस अवार्ड जीता था।
इसमें बेन स्टिलर, क्रिस ऱॉक, डेविड श्विमर, जैडा पिंकेट स्मिथ, सैचा बैरन कोहेन, मनोरंजनकर्ता सिडरिक और एंडी रिचर जैसे सितारों की आवाजें हैं। बर्नी मैक, एलेक बाल्डविन, शेरी शेफर्ड, एलिसा गैब्रिएली और विल.आई.एम. ने भी इस फिल्म में अपनी आवाजें दी हैं। इसका निर्माण ड्रीमवर्क्स एनीमेशन ने और वितरण पैरामाउंट पिक्चर्स ने किया था तथा इसे ७ नवम्बर २००८ को जारी किया गया था।
शिकारियों द्वारा पकड़े जाने सहित, एलेक्स के आरंभिक जीवन के कुछ भाग दिखाते हुए, यह फिल्म एक पूर्व कड़ी के रूप में आरंभ होती है। जानवरों द्वारा न्यूयॉर्क लौटने से इन्कार करने के साथ, जल्दी ही मूल फिल्म का कथानक जहां रुका था, उससे आगे की कहानी आरंभ हो जाती है। वे मेडागास्कर में एक हवाईजहाज पर सवार होते हैं किंतु उन्हें जबरन अफ्रीका में उतरना पड़ता है, जहां प्रत्येक मुख्य पात्र अपनी अपनी प्रजाति के अन्य जानवरों से मिलता है; एलेक्स का अपने माता-पिता से पुनर्मिलन होता है। समस्याएं उत्पन्न होती हैं और उनके समाधान में फिल्म का अधिकांश शेष भाग पूरा हो जाता है।
पिछला शीर्षक मैडागास्करः द क्रेट एस्केप था, जिसे बेन स्टिलर के साथ एक संक्षिप्त झलकी में दिखाया गया था।
मैडागास्कर के साथ ही ७ नवम्बर २००८ को जारी हुई सोल मेन तथा इसके एक साल बाद, २५ नवम्बर २००९ को रिलीज हुई ओल्ड डॉग्स बर्नी मैक की अंतिम फिल्में थीं। इसलिए फिल्म में यह कहते हुए हास्य अभिनेता के प्रति विशेष समर्पण व्यक्त किया गया हैः हमारे मित्र बर्नी मैक के लिए, समस्त हास्य के लिए धन्यवाद.
इस फिल्म के अनेक सांस्कृतिक उल्लेख हुए थे, जिनमें से एक लाइफ पत्रिका के आवरण पर सैंडी कूफैक्स का था।
एक शावक के रूप मे एलेक्स शेर अलैके कहलाता था और झुण्ड के मुखिया शेर जुबा का पुत्र था। यद्यपि जुबा अलैके को शिकार करना सिखाना चाहता है, शावक की दिलचस्पी नृत्य में अधिक है और एक दिन जब, जुबा का प्रतिद्वंद्वी, माकुंगा जुबा को झुण्ड के मुखिया की गद्दी के लिए लड़ने को ललकारता है, तब अवैध शिकारियों द्वारा एलेक्स को पकड़ लिया जाता है। एलेक्स को एक बक्से में जबरन बंद किया जाता है और जुबा के उसको बचाने के प्रयासों के बावजूद उसे दूर ले जाया जाता है। बक्सा समुद्र में गिर जाता है जहां से बह कर यह न्यूयॉर्क पहुंच जाता है। वहां एलैके का नाम एलेक्स रखा जाता है तथा उसे सेन्ट्रल पार्क जू में भेज दिया जाता है, जहां वह मार्टी, मेलमन तथा ग्लोरिया से मिलकर बड़ा होता है। इसके बाद पहली फिल्म की घटनाएं, नई झलकियों की एक श्रृंखला के माध्यम से वर्णित की जाती हैं।
वर्तमान समय में, मुख्य पात्र वापस न्यूयॉर्क की ओर उड़ान भरने के लिए एक मरम्मत किए हुए जहाज पर सवार हैं। विमान उड़ान भरता है, लेकिन आपात स्थिति में उसे अफ्रीका महाद्वीप में उतरना पड़ता है। अफ्रीका में जानवर अपने जैसे और जानवरों को पाकर चकित हैं। एलेक्स का जुबा और अपनी मां के साथ पुनर्मिलन होता है। मार्टी ज़ेबरा के झुंड के बिलकुल अनुरूप है, जिसमें सब उसके जैसे दिखते हैं और बिलकुल उस की तरह बोलते हैं। रोगभ्रमी मेलमन एक ओझा बन जाता है। ग्लोरिया, एक मीठी बातें करने वाले, मोटो मोटो नामक हिप्पो का ध्यान आकर्षित करती है।
इस बीच, पेंगुइन विमान की मरम्मत करना शुरु कर देते हैं। वे "ऑपरेशन टूरिस्ट ट्रैप के अधीन पर्यटकों को जंगल में फंसे छोड़कर अनेक जीपों का अपहरण कर लेती हैं। पिछली फिल्म में एलेक्स की पिटाई करने वाली कठोर वृद्धा, नाना इस समूह की जिम्मेदारी संभालती है।
दुर्भाग्य से, अफ्रीका में जीवन उतना अद्भुत नहीं है जितना पहली बार में लगा था। माकुंगा अभी भी झुंड के मुखिया शेर का स्थान लेने के लिए दृढ़ संकल्प है। वह जुबा को याद दिलाता है कि एलेक्स को पारंपरिक वयस्कता चुनौती पूर्ण करनी चाहिये जो उसने अभी तक पूर्ण नहीं की है। एलेक्स, यह सोचकर कि चुनौती एक नृत्य प्रतियोगिता होगी (यह वास्तव में एक लड़ाई है) सबसे मजबूत शेर, तीत्सी (जिसकी सिफारिश माकुंगा ने की थी) से मुकाबला करता है और जल्दी हार जाता है। असफल होने पर पुत्र के निर्वासन से बचने के लिए, जुबा अपना झुंड के मुखिया शेर का पद त्याग देता है। माकुंगा तुरंत उसका स्थान ले लेता है और एलेक्स तथा उसके परिवार को निकाल देता है। इस बीच मार्टी परेशान रहने लगता है क्योंकि वहां उसके लिए कुछ भी अनूठा नहीं है। मेलमन तब तक खुश है जब तक उसे यह पता नहीं चलता कि असके भी वही लक्षण हैं, जिनके कारण पिछले ओझा की मृत्यु हुई थी। ग्लोरिया की मोटो मोटो के साथ मित्रता के संबंध में मेलमन असहाय है, क्योंकि वह लंबे समय से उससे मन ही मन प्रेम करता रहा है। ग्लोरिया मोटो मोटो के साथ डेट पर चली जाती है और उसे जल्दी ही पता चल जाता है कि वह केवल उसके बड़े शरीर के कारण उसे प्यार करता है।
अगले दिन, जब पानी का स्रोत सूख जाता है तो जानवरों में दहशत फैल जाती है। आरंभिक असफलता की पूर्ति के लिए दृढ़ संकल्प, एलेक्स और मार्टी उस अभयारण्य को छोड़ कर नया स्थान खोजते हैं। उन्हें पता चलता है कि नाना के निदेशानुसार फंसे हुए न्यूयॉर्क वासियों नें नदी को अवरुद्ध कर दिया है और वहां एक कच्ची बस्ती बसा ली है। एलेक्स के एक जाल में पकड़े जाने पर, मार्टी उसे छोड़ कर सहायता की तलाश करने को मजबूर होता है। इस बीच, जुबा को माकुंगा से पता चलता है कि एलेक्स ने क्या किया है और वह उसकी सहायता के लिए जाता है।
पीछे अभयारण्य में, राजा जूलियन सलाह देता है कि जल देवताओं को मनाने के लिए जानवर माउंट किलिमंजारो ज्वालामुखी में एक बलि दें. यह मानते हुए कि वह शीघ्र ही मरने वाला है, मेलमन स्वेच्छा से बलि चढ़ने को तैयार हो जाता है। ग्लोरिया उसे समय पर रोक देती है और मार्टी आकर उन्हें एलेक्स के बारे में बताता है। ये तीनों, पेंगुइन और कई चिम्पैंजी नये तैयार हुए विमान का उपयोग करके एक बचाव अभियान क्रियान्वित करते हैं।
हालांकि, एलेक्स पहले ही न्यूयॉर्क वासियों, जिन्हें वह चिड़ियाघर से ही अच्छी तरह से याद है, के लिए नृत्य करके खुद को और अपने पिता को बचाने में कामयाब रहता है। अन्य जानवर आकर उन्हें अपने साथ विमान (हैलीकॉप्टर के रूप में पुनराभिकल्पित) में ले जाते हैं, सभी मिल कर बांध को नष्ट कर के जल को मुक्त कर देते हैं।
इस बीच, पीछे ज्वालामुखी पर, जंगल में एक शार्क के द्वारा पीछा किये जाने के कारण मॉर्ट ऊपर जा रहा है। शार्क ज्वालामुखी में गिर जाती है, बलिदान पूर्ण होता है (मौरिस कहते हैं, "मुझे उम्मीद है, देवताओं को समुद्री-भोजन पसंद आएगा.") और राजा जूलियन सोचता है कि वह पानी वापस लाया है।
जब स्रोत जल से भर जाता है, माकुंगा गुस्से में नियंत्रण का मुद्दा उठाता है। हालांकि, एलेक्स नाना को माकुंगा पर हमले के लिए बहकाकर, माकुंगा को सत्ता से हटाने में कामयाब हो जाता है। जुबा झुंड के मुखिया का पद एलेक्स को दे देता है, लेकिन एलेक्स मना कर देता है, परिणामस्वरूप पिता-पुत्र दोनों सह-नेता बन जाते हैं।
फिल्म के अंतिम दृश्य में, स्किपर वर्षा-नृत्य करने वाली संग्रहणीय मैदानी गुड़िया के साथ विवाह कर के चिम्पैंजी, लीमर और एक टब भर कर हीरे व सोना साथ लेकर, हनीमून मनाने हेतु मोंटे कार्लो के लिए रवाना हो जाता है और एसेक्स, मार्टी, मेलमन तथा ग्लोरिया खुशी-खुशी अफ्रीका में एलेक्स के माता-पिता के पास रह जाते हैं।
एलेक्स द लॉयन के रूप में बेन स्टिलर
अन्य ज़ेब्रा और मार्टी ज़ेब्रा के रूप में क्रिस रॉक
मेलमन जिराफ़ के रूप में डेविड श्विमर
ग्लोरिया हिप्पोपोटेमस के रूप में जादा पिंकेट स्मिथ
किंग जुलिएन लेमर के रूप में साचा बैरन कोहेन
मौरिस द आये-आये के रूप में सिडरिक द इंटरटेनर
मोर्ट लेमर के रूप में एंडी रिचर
ज़ुबा द लॉयन के रूप में बर्नी मैक
फ्लोरी शेरनी के रूप में शेर्री शेफर्ड (नामावली मे "मॉम" के रूप मे दिखाई गयी हैं)
मकुंगा द लॉयन के रूप में एलेक बाल्डविन
नाना के रूप में एलिसा गैबरियाली
मोटो मोटो द हिप्पोपोटेमस के रूप में विल.आई.एम
स्कीपर पेंगुइन के रूप में टॉम मैक्ग्रा
कोवाल्स्की पेंगुइन के रूप में क्रिस मिलर
प्राइवेट पेंगुइन के रूप में
रीको पेंगुइन के रूप में जॉन डीमैग्गियो
मेसन के रूप में कॉनरोड वर्नन (फिल चुप है)
टीट्सी / शिकारी #१ के रूप में फ्रेड टाटास्कोइर
शिकारी #२ के रूप में एरिक डार्नेल
वीडियो कैमरे के साथ पर्यटक के रूप में स्टीफन कियरिन
न्यूयॉर्क टी-शर्ट के साथ पर्यटक के रूप में डैनी जैकब्स
बेबी एलेक्स के रूप में क्विन डेम्पसी स्टीलर (वास्तविक जीवन में बेन स्टीलर का पुत्र)
बेबी मार्टी के रूप में थॉमस स्टेनली
बेबी मेलमन के रूप में ज़कारी गॉर्डन
बेबी ग्लोरिया के रूप में विलो स्मिथ (जादा पिंकेट स्मिथ के वास्तविक जीवन की बेटी)
फ़िल्म को आलोचकों से आम तौर पर सकारात्मक समीक्षाएं प्राप्त हुई हैं। रॉटन टोमैटोज की रिपोर्ट के अनुसार, १३७ समीक्षाओं के आधार पर इस सर्वसम्मत दृष्टिकोण के साथ कि फिल्म में "अधिक सुवर्णित पात्र, विशद अनुप्राणन तथा अधिक सुसंगत हास्य के साथ, मूल फिल्म की अपेक्षा सुधार हुआ है", ६५% आलोचकों ने सकारात्मक समीक्षा की हैं। एक अन्य समीक्षा समूहक, मेटाक्रिटिक ने २४ समीक्षाओं के आधार पर ६१/१०० अनुमोदन मूल्यांकन, जो कि मूल फिल्म से उच्चतर अंक हैं, के साथ इस फिल्म को "सामान्यतया अनुकूल समीक्षाएं" श्रेणी में वर्गीकृत किया है।
शिकागो ट्रिब्यून के माइकल फिलिप्स ने अपनी समीक्षा में कहा कि फिल्म "पॉप संस्कृति पर चुटकुलों में सहज रूप से चलती है। मैं स्पष्ट कर दूं कि पटकथा की अधिक चुस्त बातों में से एक यह है कि जिस प्रकार एलेक्स, बॉब फॉसे और जेरोम रॉबिन्स की नृत्य हरकतों का अनुकरण करता है, वह पॉप-धारा पर फिल्म का प्रमुख मजाक बन जाता है।" शिकागो सन-टाइम्स के रोजर एल्बर्ट ने फिल्म को ३ सितारे दिए और लिखा "यह मूल मैडागास्कर से अधिक प्रकाशमान, अधिक आकर्षक फिल्म है।" स्टीवन डी. ग्रेडेनस ने शिकायत की कि फिल्म का कथानक, द लॉयन किंग, जो वर्सेज द वॉल्कैनो तथा हैप्पी फीट के समान है। फिलाडेल्फिया इन्क्वायरर के कैरी रिकी ने फिल्म को २ सितारे दिये और लिखा, सपाट टायर लो जो कि मैडागास्कर थी। द लॉयन किंग की पटकथा का रबर चढ़ाओ. इस में पम्प से हवा भरो. अब आपके पास मेडागास्कर: एस्केप २ अफ्रीका है।" जॉन एंडरसन ने फिल्म को ३ अनुमोदन मूल्यांकन दिया और कहा, "मेडागास्कर: एस्केप २ अफ्रीका ड्री्मवर्क्स के अत्यधिक सफल निर्माण की अगली कड़ी है तथा एक फिल्म, जो सम्पूर्ण लॉयन किंग /स्पिसीज-एज-डेस्टिनी/आत्मसंतुष्टि के प्रतिमानों के करीब गढ़ी गई है।"
इसके उद्घाटन के दिन, फिल्म ने ४०५६ सिनेमाघरों से औसत $४३२८ के साथ $१७,५५५,०२७ की कमाई की. आगे जाकर $१५,५५९ प्रति थिएटर के औसत से $६३,१०६,५८९ की आय करके बॉक्स ऑफिस पर #१ बनी. १9 मार्च २००९ को संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में इसकी कुल आय $१80,0१0,९५० थी तथा अन्य क्षेत्रों से कुल आय $४२२,२९७,२२८ मिला कर दुनिया भर में समग्र आय $६०२,३०८,१७8 हुई थी।
पुरस्कार और नामांकन
प्रसारण फिल्म आलोचक:
सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फिल्म (नामांकित)
निकेलोडियन किड्स च्वाइस अवॉर्ड्स २००९
पसंदीदा एनिमेटेड फिल्म
हैंस ज़िमर द्वारा "वंस अपॉन अ टाइम इन अफ्रीका"
विल.आई.एम द्वारा "द ट्रैवेलिंग सॉन्ग"
हैंस ज़िमर द्वारा "पार्टी, पार्टी पार्टी"
विल.आई.एम द्वारा "आई लाइक टू मूव इट"
हैंस ज़िमर द्वारा "द गुड, द बैड एंड द अगली (पोल्का संस्करण)"
विल.आई.एम द्वारा "बिग एंड चंकी"
हीटर परेरा द्वारा "चम्स"
हैंस ज़िमर द्वारा "न्यूयॉर्क, न्यूयॉर्क (पोल्का संस्करण)"
हैंस ज़िमर द्वारा "वाल्कैनो"
हैंस ज़िमर द्वारा "रेस्क्यू मी"
बोस्टन द्वारा "मोर दैन अ फिलिंग"
विल.आई.एम द्वारा "शी लव्स मी"
हैंस ज़िमर द्वारा "फूफी"
बैरी मैनिलो द्वारा "कोपाकबाना (एट द कोपा)"
हैंस ज़िमर द्वारा "मोनो क्रोमैटिक फ्रेंड्स"
विल.आई.एम द्वारा "बेस्ट फ्रेंड्स"
हैंस ज़िमर और विल.आई.एम द्वारा "एलेक्स ऑन द स्पॉट"
विल.आई.एम द्वारा "आई लाइक टू मूव इट"
विल.आई.एम द्वारा "शी लव्स मी"
विल.आई.एम द्वारा "बिग एंड चंकी" (केवल डीवीडी (द्व्ड))
ड्रीमवर्क्स के सीईओ जेफरी कैजनबर्ग ने पुष्टि की है कि मेडागास्करः एस्केप २ अफ्रीका की अगली कड़ी भी होगी. कैजनबर्ग ने कहा, "कम से कम एक अध्याय और है। हम अंततः पात्रों की न्यूयॉर्क में वापसी देखना चाहते हैं।" टेलीविजन क्रिटिक्स एसोसिएशन प्रेस दौरे पर कैजनबर्ग से पूछा गया कि क्या इस श्रृंखला की तीसरी फिल्म आएगी. उन्होंने उत्तर दिया, "हां, हम अब मेडागास्कर ३ बना रहे हैं और यह २01२ की गर्मियों में आएगी."
मेडागास्कर: एस्केप २ अफ्रीका, लघु फिल्म द पेंगुइन्स ऑफ मैडागास्कर के साथ ६ फ़रवरी २0०९ को डीवीडी (द्व्ड) और ब्ल्यू रे डिस्क पर रिलीज की गई थी। पहले सप्ताह में डीवीडी बिक्री चार्ट पर, मैडागास्कर १,६8१,९३८ इकाइयों की बिक्री से प्राप्त आय $२७.०९ मिलियन के साथ #१ स्थान पर रही. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, ७,0६0,99७ इकाइयों की बिक्री से $१0२,७9१,5११ की आय हो चुकी है। इसमें ब्ल्यू-रे की बिक्री/डीवीडी किराया शामिल नहीं है।
इस फिल्म तथा मूल फिल्म के गेम पर आधारित एक वीडियो गेम, एक्सबॉक्स (ज़्बॉक्स) ३६०, प्लेस्टेशन ३, वाई (वी), प्लेस्टेशन २, माइक्रोसोफ्ट विंडोज और निंटेंडो डीएस के लिए बनाया गया था और ४ नवम्बर २008 को उत्तरी अमेरिका में जारी किया गया। उन्हीं पात्रों तथा उन्हीं चालों किंतु अफ्रीका के वातावरण के साथ, इस वीडियो गेम का खेल-अनुभव, पहली फिल्म के वीडियो गेम के समान ही है। निंटेंडो चैनल ने ७ नवम्बर के सप्ताह में इस गेम का एक खेलने योग्य डेमो जारी किया है, जिसमें लेमिंग्स-शैली स्तर की एक साइड-स्क्रॉलिंग है, जिनमें श्रृंखला की पेंगुइन्स मुख्य पात्र हैं।
ड्रीमवर्क्स एनिमेशन वेबसाइट पर मेडागास्कर: इस्केप २ अफ्रीका
वीडियो गेम के लिए
आईजीएन (इग्न) में मेडागास्कर २: इस्केप अफ्रीका (पीएस३ (प्स३))
२००८ की फ़िल्में |
इस शाखा के भक्त-कवि निर्गुणवादी थे और नाम की उपासना करते थे। गुरु को वे बहुत सम्मान देते थे और जाति-पाँति के भेदों को अस्वीकार करते थे। वैयक्तिक साधना पर वे बल देते थे। मिथ्या आडंबरों और रूढियों का वे विरोध करते थे। लगभग सब संत अपढ़ थे परंतु अनुभव की दृष्टि से समृध्द थे। प्रायः सब सत्संगी थे और उनकी भाषा में कई बोलियों का मिश्रण पाया जाता है इसलिए इस भाषा को 'सधुक्कड़ी' कहा गया है। साधारण जनता पर इन संतों की वाणी का ज़बरदस्त प्रभाव पड़ा है। इन संतों में प्रमुख कबीरदास थे। अन्य मुख्य संत-कवियों के नाम हैं - नानक, रैदास, दादूदयाल, सुंदरदास तथा मलूकदास।
प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने निर्गुण भक्ति के स्वरूप के बारे में प्रश्न उठाए हैं तथा प्रतिपादित किया है कि संतों की निर्गुण भक्ति का अपना स्वरूप है जिसको वेदांत दर्शन के सन्दर्भ में व्याख्यायित नहीं किया जा सकता। उनके शब्द हैं:
भक्ति या उपासना के लिए गुणों की सत्ता आवश्यक है। ब्रह्म के सगुण स्वरूप को आधार बनाकर तो भक्ति / उपासना की जा सकती है किन्तु जो निर्गुण एवं निराकार है उसकी भक्ति किस प्रकार सम्भव है ? निर्गुण के गुणों का आख्यान किस प्रकार किया जा सकता है ? गुणातीत में गुणों का प्रवाह किस प्रकार माना जा सकता है ? जो निरालम्ब है, उसको आलम्बन किस प्रकार बनाया जा सकता है। जो अरूप है, उसके रूप की कल्पना किस प्रकार सम्भव है। जो रागातीत है, उसके प्रति रागों का अर्पण किस प्रकार किया जा सकता है ? रूपातीत से मिलने की उत्कंठा का क्या औचित्य हो सकता है। जो नाम से भी अतीत है, उसके नाम का जप किस प्रकार किया जा सकता है।
शास्त्रीय दृष्टि से उपर्युक्त सभी प्रश्न निर्गुण-भक्ति के स्वरूप को ताल ठोंककर चुनौती देते हुए प्रतीत होते हैं। कबीर आदि संतों की दार्शनिक विवेचना करते समय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने यह मान्यता स्थापित की है कि उन्होंने निराकार ईश्वर के लिए भारतीय वेदान्त का पल्ला पकड़ा है।इस सम्बन्ध में जब हम शांकर अद्वैतवाद एवं संतों की निर्गुण भक्ति के तुलनात्मक पक्षों पर विचार करते हैं तो उपर्युक्त मान्यता की सीमायें स्पष्ट हो जाती हैं:
(क) शांकर अद्वैतवाद में भक्ति को साधन के रूप में स्वीकार किया गया है, किन्तु उसे साध्य नहीं माना गया है। संतों ने (सूफियों ने भी) भक्ति को साध्य माना है।
(ख) शांकर अद्वैतवाद में मुक्ति के प्रत्यक्ष साधन के रूप में ज्ञान' को ग्रहण किया गया है। वहाँ मुक्ति के लिए भक्ति का ग्रहण अपरिहार्य नहीं है। वहाँ भक्ति के महत्व की सीमा प्रतिपादित है। वहाँ भक्ति का महत्व केवल इस दृष्टि से है कि वह अन्तःकरण के मालिन्य का प्रक्षालन करने में समर्थ सिद्ध होती है। भक्ति आत्म-साक्षात्कार नहीं करा सकती, वह केवल आत्म साक्षात्कार के लिए उचित भूमिका का निर्माण कर सकती है। संतों ने अपना चरम लक्ष्य आत्म साक्षात्कार या भगवद्-दर्शन माना है तथा भक्ति के ग्रहण को अपरिहार्य रूप में स्वीकार किया है क्योंकि संतों की दृष्टि में भक्ति ही आत्म-साक्षात्कार या भगवद्दर्शन कराती है। |
देवेन्द्र स्वरूप (जन्म: ३० मार्च १९२६ - निधन : १४ जनवरी, २०१९, दिल्ली) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक, पाञ्चजन्य (पत्र) के पूर्व सम्पादक, भारतीय इतिहास तथा संस्कृति के गहन अध्येता है। ८८ वर्ष की आयु में वे आज भी पूर्ण रूप से सक्रिय रहते हुए राष्ट्रवादी पत्रकारिता के लिये समर्पित हैं। जीवन में सादगी और विचारधारा से क्रान्तिकारी सोच के कारण उन्हें मीडिया में विशेष रूप से जाना जाता है।
पाञ्चजन्य, मंथन और नवभारत टाइम्स में समय-समय पर विभिन्न विषयों पर लिखे गये लेखों की पुस्तक माला का लोकार्पण भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया।
ब्रिटिश राज में ३० मार्च १९२६ को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के मुरादाबाद जिले में काँठ नामक कस्बे में जन्मे देवेन्द्र स्वरूप के माता-पिता दोनों ही स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय रूप से काम कर रहे थे जिसके कारण उन्हें पहले दसवीं फिर बारहवीं कक्षा में विद्यालय से निष्कासित किया गया। वकौल देवेन्द्र स्वरूप उस समय पूरे देश में स्वतन्त्रता की लहर चल रही थी अत: वे भी उसमें शामिल हो गये। लेकिन कुछ समय बाद उन्हें परीक्षा देने की अनुमति मिल गयी।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सन् १९४७ में बी॰एससी॰ किया। उसके बाद वे सन् १९४७ में संघ के पूर्णकालिक प्रचारक हो गये। अगले वर्ष जब संघ पर प्रतिबन्ध लगा तो उन्हें गिरफ़्तार करके गाजीपुर जेल में रक्खा गया। १९४८ में जब संघ ने प्रतिबन्ध के विरोध में सत्याग्रह शुरू किया और अटल जी भूमिगत (अण्डरग्राउण्ड) हो गये तो उन्होंने काशी से शुरू की गयी पत्रिका चेतना के सम्पादन का दायित्व सम्हाला।
१९६१ में लखनऊ विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में .एम॰ए॰ किया। उसके पश्चात् प्राचीन भारत में राष्ट्रीय एकता की प्रक्रिया विषय पर पीएच॰डी॰ की। सन् १९६१ में उन्होंने संघ से अनुमति लेकर विवाह कर लिया और १९६४ में वे दिल्ली आ गये। आजकल पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार (फेज-वन) में रह रहे हैं।
१९६८ में पाञ्चजन्य लखनऊ से दिल्ली स्थानान्तरित हो गया। संघ के आदेश पर उन्होंने कुछ वर्षों तक पाञ्चजन्य का सम्पादन किया। अपने परिवार के साथ रहते हुए चेतना, राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य, मंथन और नवभारत टाइम्स में समय-समय पर विभिन्न विषयों पर अब भी लेख लिखते रहते हैं।
प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली ने देवेन्द्र स्वरूप की निम्न पुस्तकें प्रकाशित की हैं:
संघ : बीज से वृक्ष,
संघ : राजनीति और मीडिया,
अयोध्या का सच,
जाति-विहीन समाज का सपना।
सभ्यताओं के संघर्ष में भारत कहां!
राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया)
देवेन्द्र स्वरूप जी से डा॰ मनोज चतुर्वेदी एवं डा॰ प्रेरणा चतुर्वेदी की बातचीत - प्रवक्ता डॉट कॉम
देवेन्द्र जी की पुस्तकों के बहाने देश और काल पर सामयिक चिंतन - पाञ्चजन्य डॉट कॉम
संघ परिवार के नेता
१९२६ में जन्मे लोग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य |
चन्द्रशेखर संख्या एक विमारहितराशी है जिसे श्यानता केलिएलॉरेंज बल के अनुपात को चुम्बकीय संवहन में निरुपित करने के लिए काम में लिया जाता है। इसका नामकरण भारतीय खगोलभौतिकविज्ञानी सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखरके सम्मान में किया गया।
इस संख्या का मुख्य फलन चुम्बकीय क्षेत्र का मापन है जब यह निकाय के क्रान्तिक चुम्बकीय क्षेत्र के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है।
चन्द्रशेखर संख्या को सामान्यतःअंग्रेज़ीअक्षर से निरुपित किया जाता है और इसका विमाहीन रूप, चुम्बकीय-द्रवगतिकी समीकरणों के चुम्बकीय बल की उपस्थिति में नेवियर-स्टोक्स समीकरण से प्रेरित है:
यहाँ प्रांटल संख्या तथा चुम्बकीय प्रांटल संख्या है।
अतः चन्द्रशेखर संख्या को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है:
जहाँ चुम्बकीय पारगम्यता, तरल का घनत्व, गतिकीय श्यानताऔर चुम्बकीय विसरणशीलता है। और क्रमशः क्रान्तिक चुम्बकीय क्षेत्र तथा निकाय का लम्बाई पैमाना है।
यह हार्टमान संख्या द्वारा निम्न प्रकार सम्बद्ध है:
इन्हें भी देखें |
लोकसभा का महासचिव कार्यपालिका का स्थायी पदाधिकारी होता है तथा लोकसभा अध्यक्ष के प्रति उत्तरदायी होता है।
वर्तमान लोकसभा महा सचिव उत्पाल कुमार सिंह हैं। |
अनंगरंग (अनंगरंग) , कल्याणमल्ल प्रणीत एक कामशास्त्रीय ग्रन्थ जिसमें मैथुन संबंधी आसनों का विवरणी है। ४२० श्लोकों एवं १० स्थल नामक अध्यायों में विभक्त यह ग्रन्थ 'भूपमुनि' के रूप में प्रसिद्ध कलाविदग्ध क्षत्रिय विद्वान कल्याणमल्ल द्वारा अपने घनिष्ठ मित्र लोदीवंशावतंस लाडखान के कौतुहल के लिये रची गयी थी। विश्व की विविध भाषाओं में इस ग्रन्थ के अनेक अनुवाद प्रकाशित हैं।
प्रथमस्थलं - स्त्रीलक्षणं
द्वितीय स्थलं - चन्द्रकल
तृतीयस्थलं - शशमृगादिभेदं
चतुर्त्थस्थलं - सामान्यधर्म्मं
पंचस्थलं - देशनियम
षष्ठस्थलं - विवाहाद्युद्देशं
सप्तमस्थलं - बाह्यसंभोगविधानं
अष्टमस्थलं - सुरतभेद
दशमस्थलं - वशीकरणादिकं
काम-विषयक अन्य प्राचीन ग्रन्थ
इन्हें भी देखें |
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय () (२७ जून १८३८ - ८ अप्रैल १८९४) बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत का राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रबीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है।
आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ। इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय और रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभायी। इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखना पसन्द करते थे। बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे।
बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म उत्तरी चौबीस परगना के कंठालपाड़ा, नैहाटी में एक परंपरागत और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई। १८५७ में उन्होंने बीए पास किया। प्रेसीडेंसी कालेज से बी. ए. की उपाधि लेनेवाले ये पहले भारतीय थे। शिक्षासमाप्ति के तुरंत बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्ति हो गई। कुछ काल तक बंगाल सरकार के सचिव पद पर भी रहे। रायबहादुर और सी. आई. ई. की उपाधियाँ पाईं।
और १८६९ में क़ानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होने सरकारी नौकरी कर ली और १८९१ में सेवानिवृत्त हुए। ८ अप्रैल १८९४ को उनका निधन हुआ।
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। दूसरे उपन्यास
[कपालकुंडला]] (१८६६) को उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने १८७२ में मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (१८७३) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। कृष्णकांतेर विल में चटर्जी ने अंग्रेजी शासकों पर तीखा व्यंग्य किया है।
आनंदमठ (१८८२) राजनीतिक उपन्यास है। इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में १७७३ के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में देशभक्ति की भावना है। चटर्जी का अंतिम उपन्यास सीताराम (१८८६) है। इसमें मुस्लिम सत्ता के प्रति एक हिंदू शासक का विरोध दर्शाया गया है।
उनके अन्य उपन्यासों में दुर्गेशनंदिनी, मृणालिनी, इंदिरा, राधारानी, कृष्णकांतेर दफ्तर, देवी चौधरानी और मोचीराम गौरेर जीवनचरित शामिल है। उनकी कविताएं ललिता ओ मानस नामक संग्रह में प्रकाशित हुई। उन्होंने धर्म, सामाजिक और समसामायिक मुद्दों पर आधारित कई निबंध भी लिखे।
बंकिमचंद्र के उपन्यासों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद किया गया। बांग्ला में सिर्फ बंकिम और शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को यह गौरव हासिल है कि उनकी रचनाएं हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं में आज भी चाव से पढ़ी जाती है। लोकप्रियता के मामले में बंकिम और शरद और रवीन्द्र नाथ ठाकुर से भी आगे हैं। बंकिम बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकार थे। उनके कथा साहित्य के अधिकतर पात्र शहरी मध्यम वर्ग के लोग हैं। इनके पात्र आधुनिक जीवन की त्रासदियों और प्राचीन काल की परंपराओं से जुड़ी दिक्कतों से साथ साथ जूझते हैं। यह समस्या भारत भर के किसी भी प्रांत के शहरी मध्यम वर्ग के समक्ष आती है। लिहाजा मध्यम वर्ग का पाठक बंकिम के उपन्यासों में अपनी छवि देखता है।
बंकिम चन्द्र का राष्ट्रवाद
महर्षि अरविन्द ने उग्रवादी राष्ट्रवाद के विषय पर अपने निबन्ध बंकिम तिलक दयानन्द में कहा है कि आन्दोलन के कई प्रतिभागी उस कार्य संगठन से प्रेरित थे, जिसकी योजना बंकिम चंद्र ने अपने उपन्यास आनन्द मठ में बनाई थी। श्री अरविन्द बंकिम चंद्र के स्वतंत्रता के आदर्शों से गहराई से प्रेरित थे।उन्होंने बंकिमचंद्र को राष्ट्रवाद का पुजारी कहा।
राष्ट्रवाद के विकास में बंकिम चंद्र का योगदान बहुत बड़ा है। उन्होंने श्रीकृष्ण के धर्मराज्य की स्थापना के बारे में अपना प्रसिद्ध निबंध कृष्णचरित्र प्रकाशित किया। जब उनका संगीत वन्देदमातरम् पहली बार १८७६ में बंगदर्शन अखबार में प्रकाशित हुआ, तो भारत के लोग एक नए राष्ट्रवादी आवेग से प्रेरित थे।
अरविन्द घोष का विचार है कि बंकिमचंद्र ने हिंदू धर्म और राष्ट्रवादी आदर्शों के बीच एक अद्भुत सामंजस्य स्थापित किया। इतिहासकार डॉ. राखलचंद्र नाथ ने कहा, "बंकिमचंद्र ईसाई पुजारी हस्ती साहिब के साथ धर्म के बारे में बहस के बाद हिंदू धर्म आंदोलन में शामिल हो गए।
हिन्दुओं के बारे में, बंकिमचंद्र ने एक बार इस प्रकार से शोक व्यक्त किया था, कुमारसंभव को छोड़ दें, हम स्वाइनबर्न पढ़ते हैं, गीता को छोड़ कर मिल को पढ़ते हैं, उड़ीसा की पत्थर कला को छोड़ देते हैं और साहिबों की चीनी गुड़िया को देखते हैं।
उनके 'आनन्दमठ', दुर्गशानंदिनी, सीताराम, धर्मतत्त्व, कमलकांता, राजसिंह में देशभक्ति की भावना देखी जा सकती है। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से आत्म-बलिदान का आदर्श और देशभक्ति का जो मंत्र प्रचारित किया, वह निस्संदेह एक महत्वपूर्ण घटना है।
अपनी रचना धर्मशास्त्र में उन्होंने देशभक्ति को सभी धर्मों से ऊपर रखा। उन्होंने लोक रहस्य पुस्तक में उदारवादियों के भीख मांगने पर व्यंग्य किया और देश को अपने पैरों पर खड़ा करने की बात कही। अपने निबंध अमर दुर्गोत्सव में उन्होंने विधवा विवाह, महिलाओं की स्वतंत्रता के बारे में बात की और अंधी अंग्रेजी नकल का जोरदार विरोध किया। उन्होंने अपनी मातृभूमि को अपनी मां के रूप में देखा।
इसीलिए हिरेन्द्रनाथ दत्त ने उन्हें भारतीय राष्ट्रवाद का असली जनक' कहा है। कई लोगों ने उन्हें उनकी देश सेवा और राजनीतिक ज्ञान के लिए राजनीतिक साधु कहा है।
बंकिमचंद्र चटर्जी : बंग साहित्य के भगीरथ
वन्देमातरम् के रचयिता - बंकिमचन्द्र (हिन्दी भारत)
मृणालिनी (गूगल पुस्तक ; लेखक - बंकिमचन्द्र चटर्जी) |
डॉक्टर प्रमोद करण सेठी (२८ नवम्बर १९२७ - ०६ जनवरी २००८) दुनियाभर में मशहूर 'जयपुर पांव' के जनक थे। श्री रामचन्द्र शर्मा के साथ मिलकर उन्होने सन् १९६९ में 'जयपुर पांव' नामक सस्ता एवं लचीला कृत्रिम पैर का विकास किया। वे हड्डी रोग विशेषज्ञ और मैगसायसाय व पद्मश्री पुरस्कारों से सम्मानित थे।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में भौतिकी के प्रोफेसर डॉ॰ एन. के. सेठी के यहां २३ नवम्बर १९२७ को जन्मे डॉक्टर प्रमोद करण सेठी ने आगरा विश्वविद्यालय से सात विषयों में सर्वोच्च अंकों के साथ एमबीबीएस की परीक्षा और १९५२ में मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) की उपाधि हासिल की। डॉ॰ सेठी ने १९५४ में इंग्लैंड के एडिनबरा से एफआरसीएस की डिग्री ली।
डॉक्टर प्रमोद करण सेठी ने एक सर्जन के रूप में १९५४ में सवाई मानसिंह अस्पताल में अपनी सेवा शुरू की और नवस्थापित अस्थि विभाग में खुद को एक विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया।
यहां कार्यरत रामचंद के सहयोग से डॉक्टर सेठी ने १९६९ में 'जयपुर फुट' को विकसित कर उसे विश्व पटल पर स्थान दिलाया। उनकी इस खोज ने किसी न किसी वजह से अपना पांव गंवाने वाले लाखों-करोड़ों लोगों को अपने पांवों पर चलने के काबिल बनाया। जयपुर के नाम पर रखे गए 'जयपुर फुट' का पूरी दुनिया में इतने लोगों ने इस्तेमाल किया कि डॉक्टर सेठी को इसके लिए गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में स्थान दिया गया। मशहूर एक्ट्रेस सुधा चंद्रन को भी जयपुर फुट से नई जिंदगी मिली थी।
अब 'जयपुर हाथ' भी बनेगा
लेबनान तक जा पहुँचा 'जयपुर फ़ुट'
मैगसेसे पुरस्कार विजेता |
भारत की जनगणना अनुसार यह गाँव, तहसील संभल, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है।
सम्बंधित जनगणना कोड:
राज्य कोड :०९ जिला कोड :१३५ तहसील कोड : ००७२१
उत्तर प्रदेश के जिले (नक्शा)
संभल तहसील के गाँव |
डैनियल मोजोन (२९ जुलाई १९६३, बर्न, स्विटज़रलैंड में ) एक स्विस नेत्र रोग विशेषज्ञ और नेत्र शल्य चिकित्सक हैं, मिनिमली इनवेसिव स्ट्रैबिस्मस सर्जरी (मिस), जो शल्य चिकित्सा द्वारा भेंगापन ठीक करने की एक विधि है जिसमें केवल दो से तीन मिलीमीटर के बहुत छोटे चीरे लगाये जाते हैं और माना जाता है कि इसमें स्वास्थ्य लाभ और घाव का भराव भी कम समय लेता है, का आविष्कारक माना जाता है। डैनियल मोजोन स्विस अकैडमी ऑफ़ ओप्थेलमोलॉजी (साऊ) की कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष हैं।
मोजोन ने कई अध्ययन प्रकाशित किये हैं जिनमें बताया गया है कि भेंगी दृष्टि वाले लोग दैनिक जीवन में कितना भेदभाव झेलते हैं और मजाक का पात्र बनते हैं - उदाहरण के लिए, जैसा कि मोजोन ने साबित किया है, भेंगी दृष्टि वाले बच्चे अपेक्षाकृत कम जन्मदिवस उत्सवों हेतु आमंत्रण पाते हैं। १९९० के दशक से भेंगेपन के उपचार में विशेषज्ञता प्राप्त, मोजोन ने पारंपरिक और अपेक्षाकृत अधिक दर्दनाक शल्य-चिकित्सा तकनीकों, जो क्षैतिज मांसपेशी उच्छेदन, वलीमयता, या प्रवलन हेतु टेनॉन स्थान में सीधा प्रवेश प्रदान करने के लिए आंगिक/लिम्बल तरीका अपनाती हैं, के विकल्प के रूप में मिनिमली इनवेसिव स्ट्रैबिस्मस सर्जरी (मिस) विकसित की। इन पारंपरिक तकनीकों के विपरीत, मिनिमली-इनवेसिव स्ट्रैबिस्मस सर्जरी में मात्र एक अस्त्रोपचार सूक्ष्मदर्शी (ऑपरेशन माइक्रोस्कोप) की जरुरत पड़ती है और आमतौर पर मरीज को बेहोश करके यह शल्यचिकित्सा की जाती है। कथित तौर पर, नेत्र-श्लेष्मला (कन्जन्क्टिवा) की अपेक्षाकृत अधिक विस्तृत शल्य क्रिया खुलावट की तुलना में मिस में शल्य-चिकित्सा के बाद काफी कम सूजन आती है। संरेखण, दृश्य तीक्ष्णता और जटिलताओं के संबंध में दीर्घकालिक परिणाम तुलनीय थे।
१९६३ में जन्मे लोग |
रॉबर्ट फ्राई एंगल तृतीय (जन्म: नवम्बर १०, १९४२) एक ब्रितानी अर्थशास्त्री हैं। उन्हें २००३ में अर्थशास्त्र में क्लाइव ग्रेंजर के साथ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एंगल का जन्म सिरैक्यूज़, न्यूयॉर्क में क्वेकर परिवार में हुआ था और उन्होंने विलियम्स कॉलेज से भौतिकी में बी.एस किया। उन्होंने एम.एस. भौतिकी में और एक पीएच.डी. अर्थशास्त्र में, दोनों क्रमशः १९६६ और १९६९ में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से की।अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद, एंगल १९६९ से १९७७ तक मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने। वह १९७५ में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो (यूसीएसडी) के संकाय में शामिल हुए, जहां से वे २००३ में सेवानिवृत्त हुए। अब वे यूसीएसडी में प्रोफेसर एमेरिटस और अनुसंधान प्रोफेसर के पद पर हैं। वह वर्तमान में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में पढ़ाते हैं, जहां वे वित्तीय सेवाओं के प्रबंधन में माइकल आर्मेलिनो प्रोफेसर हैं।
एंगल का सबसे महत्वपूर्ण योगदान वित्तीय बाजार की कीमतों और ब्याज दरों में अप्रत्याशित आंदोलनों का विश्लेषण करने के लिए एक पद्धति की उनकी पथ-प्रदर्शक खोज थी। इन अस्थिर आंदोलनों का सटीक लक्षण वर्णन और भविष्यवाणी जोखिम को मापने और प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिए, जोखिम माप मूल्य निर्धारण विकल्पों और वित्तीय डेरिवेटिव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पिछले शोधकर्ताओं ने या तो निरंतर अस्थिरता मान ली थी या इसका अनुमान लगाने के लिए सरल उपकरणों का उपयोग किया था। एंगल ने अस्थिरता के नए सांख्यिकीय मॉडल विकसित किए जो उच्च अस्थिरता और कम अस्थिरता अवधि ("ऑटोरेग्रेसिव कंडीशनल हेटेरोस्केडैस्टिसिटी: एआरसीएच") के बीच स्थानांतरित करने के लिए स्टॉक की कीमतों और अन्य वित्तीय चर की प्रवृत्ति पर कब्जा कर लिया। ये सांख्यिकीय मॉडल आधुनिक आर्बिट्रेज मूल्य निर्धारण सिद्धांत और व्यवहार के आवश्यक उपकरण बन गए हैं।
वे एंगल एनवाईयू-स्टर्न वोलैटिलिटी इंस्टिट्यूट के केंद्रीय संस्थापक और निदेशक थे, जो अपनी व-लब साइट पर सभी देशों में प्रणालीगत जोखिम पर साप्ताहिक तिथि प्रकाशित करता है। हाल ही में, इंगल और एरिक गिसेल्स ने सोसाइटी फॉर फाइनेंशियल इकोनॉमेट्रिक्स (सोफी) की सह-स्थापना की।
पैतृक दादाजी - रॉबर्ट फ्राई एंगल, सीनियर (बी। १८७९ डी। १९४६)
पिता - रॉबर्ट फ्राई एंगल, जूनियर (बी। १९१० डी। १९८१, ड्यूपॉन्ट केमिस्ट)
मां - मैरी स्टार एंगल ("मुरी", फ्रांसीसी शिक्षक, एम। १९३९)
बहन - पेट्रीसिया ली एंगल ("पैटी", जुड़वां, यूनिसेफ अधिकारी)
बहन - सैली एंगल मेरी (मानवविज्ञानी, जुड़वां)
पत्नी - मैरिएन एगर एंगल (मनोवैज्ञानिक, एम। १०-अगस्त-१९६९, दो बच्चे)
बेटी - लिंडसे एंगल रिचलैंड (मनोवैज्ञानिक)
बेटा - जॉर्डन एंगल (अभिनेता, बी। मई-१९८०)
सास - एडिथ एगर (मनोवैज्ञानिक, बी। २९-सितंबर-१९२७)
एंगल, रॉबर्ट एफ. (१९८२)। "यूनाइटेड किंगडम मुद्रास्फीति की भिन्नता के अनुमान के साथ ऑटोरेग्रेसिव सशर्त विषमता"।
एंगल, रॉबर्ट एफ.; हेंड्री, डेविड एफ.; रिचर्ड, जीन-फ्रेंकोइस (१९८३)। (डेविड एफ. हेंड्री और जीन-फ्रेंकोइस रिचर्ड के साथ)।
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एंगल, रॉबर्ट एफ.; ग्रेंजर, सी. डब्ल्यू. जे. (१९८७)। (क्लाइव ग्रेंजर के साथ)।
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.(वी। एनजी, और एम। रोथ्सचाइल्ड के साथ)। "एक कारक आर्च सहप्रसरण संरचना के साथ परिसंपत्ति मूल्य निर्धारण
एंगल, रॉबर्ट एफ.; रसेल, जेफरी आर। (१९९८)। (जेआर रसेल के साथ)। "ऑटोरेग्रेसिव कंडीशनल ड्यूरेशन: ए न्यू मॉडल फॉर इरेरेली स्पेस्ड ट्रांजैक्शन डेटा"।
"गतिशील सशर्त सहसंबंध - बहुभिन्नरूपी गर्च मॉडल का एक सरल वर्ग"। व्यापार और आर्थिक सांख्यिकी जर्नल।
इस्ले, डी.; एंगल, आर. एफ.; ओ'हारा, एम.; वू, एल। (२००८)। (मॉरीन ओ'हारा, डेविड इस्ले और एल. वू के साथ)। "सूचित और बेख़बर व्यापारियों की समय-भिन्न आगमन दर"।
इन्हे भी देखें
वित्तीय बाजारों का मॉडलिंग और विश्लेषण
१९४२ में जन्मे लोग
अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता |
नावाहो (नवाजो), जो स्वयं को दीने (दिन) या नाबीहो (नाबीह) भी बुलाते हैं, दक्षिणपश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले एक मूल अमेरिकी आदिवासी लोग हैं। इस क़बीले के ३,००,०४८ पंजीकृत सदस्य हैं (सन् २०११ का आंकड़ा) और यह संयुक्त राज्य की संघीय सरकार द्वारा मान्यता-प्राप्त जनजातियों में सबसे बड़ी है। यह संयुक्त राज्य के चार कोने नामक क्षेत्र में भारी तादाद में रहते हैं और वहाँ इनकी अपनी अलग क़बीलाई सरकार भी चलती है। यहाँ बहुत से लोग नावाहो भाषा बोलते हैं, हालाँकि अंग्रेज़ी भी बहुत बोली जाती है।
इन्हें भी देखें
मूल अमेरिकी आदिवासी
मूल उत्तर अमेरिकी जातियाँ
संयुक्त राज्य अमेरिका की आदिवासी जनजातियाँ |
एदुल्पाड, तिर्यानि मण्डल में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के अदिलाबादु जिले का एक गाँव है।
आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट
आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग
निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल
आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट |
तंत्रयुक्ति (६०० ईसा पूर्व) रचित एक भारतीय ग्रन्थ है जिसमें परिषदों एवं सभाओं में शास्त्रार्थ (देबतें) करने की विधि वर्णित है। वस्तुतः तंत्रयुक्ति, हेतुविद्या (लॉजिक) का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। इसका उल्लेख अर्थशास्त्र ग्रन्थ, चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता, अष्टाङ्गहृदय, विष्णुधर्मोत्तर पुराण आदि ग्रन्थों में भी मिलता है। किन्तु इसका सर्वाधिक उपयोग न्यायसूत्र एवं उसके भाष्यों में हुआ है। इसके अतिरिक्त न्यायसूत्रभाष्य, युक्तिदीपिका, तन्त्रयुक्तिविचार, ईश्वरप्रत्यभिज्ञाविवृतिविमर्शिणी में भी हुआ है। कुछ पालि एवं तमिल ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख मिलता है। अष्टाध्यायी में तन्त्रयुक्ति का उल्लेख नहीं है किन्तु इसके कुछ अवयव अष्टाध्यायी में विद्यमान हैं। सम्पूर्ण भारतीय विद्वत्समाज तन्त्रयुक्ति से परिचित था और इसका उपयोग करता था।
सुश्रुतसंहिता के उत्तरतन्त्र में कहा गया है कि युक्तितंत्र की सहायता से कोई अपनी बात मण्डित कर सकता है और विरोधी के तर्क को खण्डित कर कर सकता है।
तन्त्रयुक्ति एक उपकरण भी है जो किसी ग्रन्थ की रचना करते समय अत्यन्त उपयोगी होता है। निम्नलिखित श्लोक तन्त्रयुक्ति के ज्ञान का महत्व प्रतिपादित करता है-
अधीयानोऽपि तन्त्राणि तन्त्रयुक्त्यविचक्षणः।
नाधिगच्छति तन्त्रार्थमर्थं भाग्यक्षये यथा॥ (सर्वाङ्गसुन्दरा पृष्ठ ९२)
(अर्थ : जिस प्रकार भाग्य के क्षय होने पर व्यक्ति को अर्थ (धन) की प्राप्ति नहीं होती है, उसी प्रकार यदि किसी ने तन्त्र (शास्त्र) का अध्ययन किया है किन्तु वह तन्त्रयुक्ति का उपयोग करना नहीं जानता तो वह शास्त्र का अर्थ नहीं समझ पाता है।)
चरकसंहिता में ३६ तंत्रयुक्तियाँ गिनाई गयीं हैं।
तत्राधिकरणं योगो हेत्वर्थोऽर्थः पदस्य च ४१प्रदेशोद्देशनिर्देशवाक्यशेषाः प्रयोजनम्
उपदेशापदेशातिदेशार्थापत्तिनिर्णयाः ४२प्रसङ्गैकान्तनैकान्ताः सापवर्गो विपर्ययः
निदर्शनं निर्वर्चनं संनियोगो विकल्पनम् ४४प्रत्युत्सारस्तथोद्धारः संभवस्तन्त्रयुक्तयः
(१) अधिकरण (२) योग (३) हेत्वर्थ (४) पदार्थ (५) प्रदेश (६) उद्देश (७) निर्देश (८) वाक्यशेष
(९) प्रयोजन (१०) उपदेश (११) अपदेश (१२) अतिदेश (१३) अर्थापत्ति (१४) निर्णय (१५) प्रसङ्ग (१६) एकान्त
(१७) अनैकान्त (१८) अपवर्ग (१९) विपर्यय (२०) पूर्वपक्ष (२१) विधान (२२) अनुमत (२३) व्याख्यान (२४) संशय
(२५) अतीतावेक्षण (२६) अनागतावेक्षण (२७) स्वसंज्ञा (२८) ऊह्य (२९) समुच्चय (३०) निदर्शन (३१) निर्वचन (३२) संनियोग
(३३) विकल्पन (३४) प्रत्युत्सार (३५) उद्धार (३६) सम्भव ।
अष्टांगहृदय में भी इन ३६ तन्त्रयुक्तियों को गिनाया गया है। सुश्रुतसंहिता के ६५वें अध्याय में ३२ तन्तयुक्तियाँ गिनायी गयीं हैं। अर्थशास्त्र के १५वें अधिकरण में चाणक्य ने ३२ तन्त्रयुक्तियाँ गिनायीं हैं। वे कहते हैं कि उनके इस ग्रन्थ को समझने के लिए ये ३२ तन्त्रयुक्तियाँ बहुत उपयोगी हैं। कौटिल्य द्वारा गिनायी गयीं ३२ तन्त्रयुक्तियाँ अधिकांशतः सुश्रुत द्वारा गिनाए गये ३२ तन्त्रयुक्तियों से बहुत मिलतीं हैं।
तन्त्रयुक्ति के उपयोग
संक्षेप में, तन्त्रयुक्ति के मुख्यतः दो उपयोग हैं-
(अत्रासां तन्त्रयुक्तीनां किं प्रयोजनम्? उच्यते- वाक्ययोजनमर्थयोजनं च ॥४॥)
(१) वाक्ययोजन -- वाक्यों का उचित संयोजन
(२) अर्थयोजन -- अर्थ का सही ढंग से प्रस्तुतीकरण या विन्यास
असद्वादिप्रयुक्तानां वाक्यानां प्रतिषेधनम् ।
स्ववाक्यसिद्धिरपि च क्रियते तन्त्रयुक्तितः ॥५॥
व्यक्ता नोक्तास्तु ये ह्यार्था लीना ये चाप्यनिर्मलाः ।
लेशोक्ता ये च केचित्स्युस्तेषां चापि प्रसाधनम् ॥६॥
यथाऽम्बुजवनस्यार्कः प्रदीपो वेश्मनो यथा ।
प्रबोधस्य प्रकाशार्थं तथा तन्त्रस्य युक्तयः ॥७॥ (तन्त्रयुक्त्यध्यायः / सुश्रुतसंहिता )
तन्त्रयुक्ति उनका भी अर्थ स्पष्ट कर देती है जो अव्यक्त , अनुक्त , लीनार्थ , अनिर्मलार्थ , लेषोक्त होते हैं।
तन्त्रयुक्ति तथा वैज्ञानिक और सैद्धांतिक ग्रंथों की रचना
किसी ग्रन्थ की व्यवस्थित संरचना के लिए आवश्यक सभी मूलभूत पहलू तन्त्रयुक्ति में शामिल हैं। इसको ग्रन्थ की आवश्यकताओं के अनुसार अपनाया जा सकता है। सभी वैज्ञानिक और सैद्धांतिक ग्रंथों की रचना पद्धति के रूप में तन्त्रयुक्ति १५०० से अधिक वर्षों के लिए प्रभावशाली थी। इसका अखिल भारतीय प्रसार था।
ईसा से पूर्व चौथी शताब्दी से लेकर ईसा पश्चात १२वीं शताब्दी तक (लगभग १५०० वर्ष) संस्कृत वाङ्मय में हम तन्त्रयुक्तियों के संदर्भ पाते हैं। यह ग्रंथ-रचना-पद्धति जो इतने लंबे समय से प्रचलन में थी , कालान्तर में अप्रचलित हो गयी और फलस्वरूप उसे भुला दिया गया।
निम्नलिखित सारणी में तन्त्रयुक्ति के उपयोगों को सार रूप में प्रस्तुत किया गया है-
तन्त्रयुक्तियों का संक्षिप्त परिचय
अधिकरण ( में टॉपिक ) :- जिस मुुुख्य विषय को लेकर बाकी सब बाते कही जा रही है।
योग ( कॉरेलेशन ) :- पहले वाक्य में कहे हुए शब्द से दूसरे वाक्य में कहे गए शब्द से परस्पर संबंध होना, अलग अलग कहे शब्दों का आपस में एकत्र होना योग है।
पदार्थ :- किसी सूत्र में, या किसी पद में कहा गया विषय पदार्थ है।
हेत्वर्थ :- जो अन्यत्र कहा हुआ अन्य विषय का साधक होता है, वह हेत्वर्थ है।
उद्देश्य :- संक्षेप में कहा गया विषय।
निर्देश :- विस्तार से कहा जाना निर्देश है।
अपदेश :- कार्य के प्रति कारण का कहा जाना अपदेश कहा जाता है। जैसे :- मधुर रस सेवन से कफ की वृद्धि होती है क्योंकि दोनों के गुण समान है।
प्रदेश:- अतीत अर्थ से साधन प्रदेश कहा जाता है।अतिदेश :- प्रकृत विषय से उसके सदृश अनागत विषय का साधन अतिदेश कहा जाता है। जैसे :- आकाश नीला होता है, अगर इसके अलावा कोई और होगा तो उसका साधन अतिदेश कहा जाएगा।उपवर्ग :- सामान्य वचन के कथन से किसी का ग्रहण और पुनः विशेष वचन से उसका कुछ निराकरण अपवर्ग है।वाक्य दोष :- जिस पद के कहे बिना ही वाक्य समाप्त हो जाता है, वह वाक्यदोष कहा जाता है, पर यह वाक्य दोष कार्य विषय का बोधक होता है । जैसे :- शरीर के अंगो के नाम के साथ पुरुष का प्रयोग शरीर को दर्शाता है वहीं केवल पुरुष का प्रयोग आत्मा का बोधक होता है।अर्थापत्ति :- एक विषय के प्रतिपादन से अन्य अप्रतिपादित विषय का स्वतः सिद्ध हो जाना (अर्थात् ज्ञान हो जाना) अर्थापति कहलाता है।विपर्यय :- जो कहा जाये, उससे विपरीत विपर्यय कहा जाता है।प्रसङ्ग :- दूसरे प्रकरण से विषय की समाप्ति अथवा प्रथम कथित विषय के प्रकरण में आ जाने से उसे पुनः कहना प्रसंग कहा जाता है।एकान्त :- जो सर्वत्र एक समान कहीं गई बात है। जैसे मदन फल का वमन में उपयोग।अनेकान्त :- कहीं किसी का कुछ कहना कहीं कुछ। जहां पर आचार्यों के बीच में मतभेद हो। जैसे :- रस संख्या की संभाषा में अलग-अलग आचार्यों के रस की संख्या अलग-अलग थी।पूर्वपक्ष :- आक्षेप पूर्वक प्रश्न करना। जैसे :- क्यों वात जनित प्रमेह असाध्य होते हैं।निर्णय :- पूर्वपक्ष का जो उत्तर होता है वही निर्णय है।अनुमत-लक्षण :- दूसरे के मत का भिन्न होने पर प्रतिषेध न करना अनुमत कहलाता है। जैसे कोई कहे रस की संख्या ७ है ( आचार्य हारित ने भी रस ७ माने है )।विधान :- प्रकरण के अनुपूर्वक्रम ( यथाक्रम ) से कहा गया विधान है।अनागतावेक्षण :- भविष्य में (या आगे) कहा जाने वाला विषय।अतिक्रान्तावेक्षण :- जो विषय प्रथम कहा गया हो, उस पर पुनः विचार करना अतिक्रान्तावेक्षण कहा जाता है।संशय :- दोनों प्रकार के हेतुओं का दिखलायी देना संशय कहा जाता है। जैसे :- कोई ऐसा विषय जिसमें समझ में नहीं आए की यह करना है अपितु नहीं करना।व्याख्यान :- शास्त्र में विषय का अतिशय रूप से सम्यकृतया समझाकर वर्णन करना व्याख्यान कहा जाता है। जैसे :- आयुर्वेद संहिता में रोगों की चिकित्सा की व्याख्या की गई है।स्वसंज्ञा :- किसी की अन्य शास्त्रों से भिन्न जो अपनी संज्ञा दी जाती है। जैसे :- मिश्रक वर्गीकरण अलग-अलग आचार्यों ने एक साथ योगों को अपने अपने नाम दिए है।निर्वचन :- निश्चित वचन कहना निर्वचन कहा जाता है। जैसे रस की संख्या ६ है।निदर्शन :- जिस वाक्य में दृष्टान्त से विषय व्यक्त किया गया हो, वह निदर्शन है।नियोग :- यह ही करना है, यह नियोग है। जैसे पथ्य का ही सेवन करना है।समुच्चय :- यह और यह - इस प्रकार कहना समुच्चय है। जैसे :- सब बातों को इकठ्ठा करके कहना।विकल्प :- यह अथवा यह इस प्रकार का वाक्य अथवा कहकर कहा जाना विकल्प कहलाता है।ऊह्म :- शास्त्र में अनिर्दिष्ट विषय को बुद्धि से तर्क कर जो जाना जाता है। जैसे :- किसी रोग में उपद्रव होने का कारण जानना।प्रयोजन :- जिस विषय की कामना करते हुए उसकी सम्पन्नता में कर्ता प्रवृत्त होता है, वह प्रयोजन है।प्रत्युत्सार :- प्रमाण एवं युक्ति द्वारा दूसरे के मत का निवारण करना प्रत्युत्सार कहा जाता है। जैसे भगवान पुनर्वसु ने रस की संख्या निर्धारण से पहले सभी आचार्यों के प्रति उत्तर दिए थे।उद्धार :- दूसरे के पक्ष में दोष निकाल कर अपना पक्ष सिद्ध करना।सम्भव' :- जो जिसमें उपपद्यमान होता है, वह उसका सम्भव है।
तन्त्रयुक्ति से भिन्न युक्तियाँ
अष्टाङ्गहृदय के भाष्यकार अरुण दत्त ने तंत्रयुक्ति से इतर अनेक युक्तियों का वर्णन किया है। इसमें १५ व्याख्या , ७ कल्पना , २० आश्रय , १७ तच्छील्य'' हैं।
इन्हें भी देखें
आन्वीक्षिकी (अर्थात् 'अन्वेषण विज्ञान')
न्याय (दृष्टांत वाक्य)
तन्त्रयुक्तिः ( अरुणदत्तव्याख्या, चक्रपाणीव्याख्या, डल्हणव्याख्या, इन्दुव्याख्या, श्रीदासव्याख्या)
वैद्यनाथ नीलमेघ कृत तंत्रयुक्तिविचारः
तन्त्रयुक्ति- एक प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक-सैद्धान्तिकग्रन्थ निर्माण पद्धति- भाग -१
तन्त्रयुक्ति- एक प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक-सैद्धान्तिक ग्रन्थ निर्माण पद्धति- भाग -२
तन्त्रयुक्ति- एक प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक-सैद्धान्तिक ग्रन्थ निर्माण पद्धति- भाग -३
तन्त्रयुक्ति- एक प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक- सैद्धान्तिक ग्रन्थ निर्माण पद्धति- भाग -४ |
किस्मत १९८० में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है।
मिथुन चक्रवर्ती - मोती
शक्ति कपूर - जीवन
ओम शिवपुरी - ख़ान
टी पी जैन - रंजीत
१९८० में बनी हिन्दी फ़िल्म |
रीता तराई भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में इन्होंने ओडिशा की जाजपुर सीट से बीजू जनता दल की ओर से भाग लिया।
भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर सांसदों के बारे में संक्षिप्त जानकारी
१६वीं लोक सभा के सदस्य
ओडिशा के सांसद
बीजू जनता दल के सांसद |
रिचर्ड ओवेन कोलिंग (जन्म २ अप्रैल १९४६) न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर हैं, जिन्होंने ३५ टेस्ट और १५ वनडे खेले। वह १९७१ में न्यूजीलैंड क्रिकेट अलमनैक प्लेयर ऑफ द ईयर थे।
न्यूज़ीलैंड के क्रिकेट खिलाड़ी
न्यूज़ीलैंड के वनडे क्रिकेट खिलाड़ी
१९४६ में जन्मे लोग |
दिवालोक बचत समय (दि॰ब॰स॰) या ग्रीष्मसमय कुछ देशों की उस प्रथा को कहते हैं जहाँ गर्मियों के मौसम में सुबह जल्दी होने वाली रौशनी का लाभ उठाने के लिए ग्रीष्म ऋतु में घड़ियों को आगे कर दिया जाता है। आमतौर पर दि॰ब॰स॰ में हर वर्ष में निर्धारित शुरूआती और अंतिम तिथियाँ तय करके प्रशासनिक आदेश द्वारा घड़ियों को एक घंटा आगे चलाया जाता है। इस से पूरे देश की दिनचर्या लगभग एक घंटे पहले शुरू होती है और एक घंटे पहले ख़त्म होती है, यानि रात को बत्तियाँ इत्यादि एक घंटा कम प्रयोग होती हैं और उर्जा की बचत होती है।
इन्हें भी देखें
समन्वयित विश्वव्यापी समय (यूटीसी) |
चन्ना मेरेया एक भारतीय रोमांटिक ड्रामा टेलीविज़न सीरीज़ है, जो यश ए पटनायक और ममता पटनायक द्वारा उनके बैनर बियॉन्ड ड्रीम्स एंटरटेनमेंट के तहत सह-निर्मित है। श्रृंखला में करण वाही और नियति फतनानी हैं और इसका प्रीमियर ५ जुलाई २०२२ को स्टार भारत पर हुआ।
नियति फतनानी गिन्नी आदित्य सिंह (नी गरेवाल) के रूप में: खुशवंत और गुरराज की बेटी; गोल्डी, डिंपी और शैम्पी की बहन; आदित्य की पत्नी
आदित्य सिंह के रूप में करण वाही : अंबर और गुरकीरत का बेटा; सुप्रीत का सौतेला बेटा; आकाश का सौतेला भाई; राजवंत का पोता, गिन्नी का पति
स्वर्णिम नीमा बाल आदित्य सिंह के रूप में
पुनीत इस्सर - राजवंत सिंह: अंबर के पिता; आदित्य, गुरलीन, मार्लीन और आकाश के दादा
अंबर सिंह के रूप में शक्ति आनंद : गुरकीरत की विधुर; सुप्रीत का पति; आदित्य और आकाश के पिता
सुप्रीत अंबर सिंह के रूप में विश्वप्रीत कौर: अंबर की दूसरी पत्नी; आकाश की माँ; आदित्य की सौतेली माँ
गुरकीरत के रूप में परनीत चौहान अंबर सिंह: अंबर की पहली पत्नी; आदित्य की मां (मृत)
तनुश्री कौशल गुरराज गरेवाल के रूप में: खुशवंत की विधवा; गिन्नी, गोल्डी, डिम्पी और शैम्पी की माँ
गोल्डी गरेवाल के रूप में कंवलप्रीत सिंह: खुशवंत और गुरराज; गिन्नी, डिंपी और शैम्पी का भाई; सिमरनप्रीत के पति
सिमरनप्रीत गोल्डी गरेवाल / सैम ढिल्लों के रूप में चारु मेहरा: गोल्डी की पत्नी; आदित्य का दीवाना प्रेमी
खुशवंत गरेवाल के रूप में हरपाल सिंह सोखी : गिन्नी और गोल्डी के पिता; गुरराज के दिवंगत पति (मृत)
अरमान के रूप में शार्दुल पंडित : आदित्य का सबसे अच्छा दोस्त
श्री सिंह के रूप में आशीष कौल : शैलजा के पति; गुरलीन और मार्लीन के पिता; अंबर का बड़ा भाई
शैलजा सिंह के रूप में ममता वर्मा: श्री सिंह की पत्नी; गुरलीन और मार्लीन की मां
डिंपी गरेवाल के रूप में अनन्या रावल: खुशवंत और गुरराज की बेटी; गिन्नी और गोल्डी की छोटी बहन; शैम्पी की जुड़वां बहन
जसलीन सिंह - शंपी गरेवाल: खुशवंत और गुरराज की बेटी; गिन्नी और गोल्डी का छोटा भाई; डिंपी का जुड़वां भाई
गुरलीन चीमा (नी सिंह) के रूप में धृति गोयनका: श्री सिंह और शैलजा की बेटी; राजवंत की पोती; मार्लीन की बहन; आदित्य और आकाश के चचेरे भाई; हरजीत की पत्नी
हरनाज़ चीमा के रूप में आराधना शर्मा: आदित्य की पूर्व भावी दुल्हन
हरजीत चीमा के रूप में चिराग भनोट: गुरलीन के पति
सोनिया के रूप में सोनिका गिल: राजवंत की दोस्त
मार्लीन सिंह के रूप में संजना सोलंकी: मिस्टर सिंह और शैलजा की बेटी; राजवंत की पोती; गुरलीन की बहन; आदित्य और आकाश के चचेरे भाई
बाल आकाश सिंह के रूप में धनतेजस पंडित: अंबर और सुप्रीत का बेटा; आदित्य का छोटा सौतेला भाई; राजवंत के पोते
नियति फतनानी को मुख्य भूमिका में लिया गया था।
शो का शीर्षक २०१६ की फिल्म ऐ दिल है मुश्किल के अरिजीत सिंह द्वारा गाए गए गीत " चन्ना मेरेया " पर आधारित है। श्रृंखला की शूटिंग मई २०२२ में शुरू हुई।
यह भी देखें
स्टार भारत द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों की सूची
डिज्नी+हॉटस्टार पर चन्ना मेरेया
भारतीय टेलीविजन धारावाहिक |
सौर एवं सौरचक्रीय वेधशाला (सोहो) () यूरोप के एक औद्योगिक अल्पकालीन संघटन ऐस्ट्रियम द्वारा निर्मित एक अंतरिक्ष यान है। इस वेधशाला को लॉकहीड मार्टिन एटलस २ एएस रॉकेट द्वारा २ दिसम्बर १९९५ को अंतरिक्ष में भेजा गया। इस प्रयोगशाला का लक्ष्य सूर्य और सौरचक्रीय परिवेश का अध्ययन करना और क्षुद्रग्रहों की उपस्थिति संबंधित आँकड़े उपलब्ध कराना है। सोहो द्वारा अब तक कुल २३०० से अधिक क्षुद्रग्रहों का पता लगाया जा चुका है। सोहो, अंतरराष्ट्रीय सहयोग से संबद्ध, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नासा की संयुक्त परियोजना है। हालांकि सोहो मूल रूप से द्विवर्षीय परियोजना थी, लेकिन अंतरिक्ष में १५ वर्षों से अधिक समय से यह कार्यरत है। २००९ में इस परियोजना का विस्तार दिसंबर २०१२ तक मंज़ूर कर लिया गया है।.
सोहो २३३३ एक क्षुद्रग्रह है जिसका पता हाल ही में लगाया गया है। इसकी सौरचक्रीय अवस्थिति की खोज दिल्ली के एक छात्र प्रफुल्ल शर्मा ने की है। सोहो २३३३ क्षुद्रग्रह सौरमंडल की लैंगरेंजी बिंदु की एल-१ () कक्षा में चक्कर लगा रहा है। एल-१ कक्षा वह अवस्थिति है जहाँ सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्व बल एक दूसरे को शून्य कर देते हैं।
अंतरिक्ष शोध यान |
चेर्पल्लि, आसिफाबाद मण्डल में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के अन्तर्गत के अदिलाबादु जिले का एक गाँव है।
आंध्र प्रदेश सरकार का आधिकारिक वेबसाइट
आंध्र प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग
निक की वेबसाइट पर आंध्र प्रदेश पोर्टल
आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस की सरकारी वेबसाइट |
देव टिब्बा (डेव तिब्बा) हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले मे स्थित ६,००१ मीटर ऊँचा एक पर्वत है। यह पीर पंजाल पर्वतमाला का सदस्य है और हिमाचल प्रदेश राज्य का दूसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है।
इन्हें भी देखें
पीर पंजाल पर्वतमाला
हिमाचल प्रदेश के पर्वत |
मार्गरेट अल्वा (जन्मः १४ अप्रैल १९४२), भारत के राजस्थान राज्य की राज्यपाल रही हैं। उन्होंने ६ अगस्त २००९ से १४ मई २०१२ तक उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की आम सचिव हैं। वे मर्सी रवि अवॉर्ड से सम्मानित हैं।
मारग्रेट अल्वा का जन्म १४ अप्रैल १९४२ को मैंगलूर के पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और एलिजाबेथ नजारेथ के यहाँ हुआ। अल्वा को अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाने के लिए बंगलौर ले जाया गया, जहां माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लाँ कॉलेज में इनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। २४ मई १९६४ में उनकी शादी निरंजन अल्वा से हुई। उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं। दोनों बेटे क्रमश: निरेत अल्वा और निखिल अल्वा ने मिलकर १९९२ में मेडिटेक नामक कंपनी की स्थापना की, जो कि एक टेलीविज़न सॉफ्टवेयर कंपनी है। . निरंजन अल्वा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और भारतीय संसद की पहली जोड़ी जोकिम अल्वा और वायलेट अल्वा के पुत्र हैं।
अल्वा ने चढ़ती वय में ही एक एडवोकेट के रूप में विशिष्ट पहचान बना ली थी। सुखद आश्चर्य तो यह है कि कानूनी लड़ाई के पेशे में रहते हुए उन्होंने तैल चित्र बनाने जैसी ललितकला में और गृह-सज्जा के क्षेत्र में भी हस्तक्षेप किया। वे अपनी सुरूचि पूर्ण जीवन शैली और सौन्दर्य बोध के लिए भी सुपरिचित रही हैं।
कांग्रेस पार्टी की महासचिव रहने और तेजस्वी सांसद के रूप में पाँच पारियाँ (१९७४से २००४) खेल चुकने के साथ-साथ वे केन्द्र सरकार में चार बार महत्वपूर्ण महकमों की राज्यमंत्री रहीं। एक सांसद के रूप में उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में अपनी प्रभावी भूमिका अदा की। महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिन्ट बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराये जाने की प्रक्रिया में उनका मूल्यवान योगदान रहा। केवल देश में में ही नहीं, समुद्र पार भी उन्होंने मानव-स्वतन्त्रता और महिला-हितों के अनुष्ठानों में अपनी बौद्धिक आहुति दी। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने तो उन्हें वहाँ के स्वाधीनता संग्राम में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अपना समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया। वे संसद की अनेक समितियों में रहने के साथ-साथ राज्य सभा के सभापति के पैनल में भी रहीं।
वे ६ अगस्त २००९ से १४ मई २०१२ तक उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया। तत्पश्चात १२ मई २०१२ से वे राजस्थान राज्य की राज्यपाल हैं।
सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में किसी महिला की ओर से किए गए अहम योगदान के लिए २०१२ में उन्हें मर्सी रवि अवॉर्ड प्रदान किया गया था।
नवम्बर २००८ में उन्होंने जब अपनी पार्टी पर ही कांग्रेस सीटों के लिए टिकिटों के क्रय-विक्रय का आरोप लगाया, तो उन्हें अपनी स्पष्टवादिता की भारी कीमत चुकानी पड़ी और कांग्रेस पार्टी की महासचिव के पद से तथा सैन्ट्रल इलैक्शन कमेटी और महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा तथा मिजोरम राज्यों के लिए कांग्रेस पार्टी की प्रभारी पद से भी मुक्त होना पड़ा।
१९४२ में जन्मे लोग
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ
राजस्थान के राज्यपाल
भारतीय महिला राजनीतिज्ञ |
मिशन: इम्पॉसिबल () एक अमेरिकी टेलीविजन शृंखला है जिसमे ख़ुफ़िया अमेरिकी सरकार के एजंटों की एक टीम, जिसे इम्पॉसिबल मिशन फ़ोर्स (आईएमएफ़) कहते है, के कई मिशन व कारनामे दिखाए जाते है। यह कार्यक्रम १९९६ की इसी नाम की टीवी शृंखला का पुनर्निमाण है। इसमें पुराणी शृंखला से वापसी करने वाले पिटर ग्रेव्स ही एक मात्र अभिनेता है जिन्होंने जिम फेलिप्स की भूमिका अदा की थी, हालांकि दो पिछली शृंखला के दो अन्य सदस्य अतिथि भूमिका में आते है।
इस शृंखला की घटनाएं मुख्य मिशन इम्पॉसिबल टीवी शृंखला के आखरी सत्र से १५ साल बाद शुरू होती है। जब ख़ुफ़िया मिशन इम्पॉसिबल फ़ोर्स का भविष्य का अध्यक्ष मारा जाता है तब जिम फ़िलिप को उसकी निवृत्ती से वापस लाया जाता है ताकि एक नई आईएमएफ़ टीम बनाई जा सके जो उस हत्यारे को पकड़ने का कार्य संपन्न करेगी।
उसकी टीम में निकोलस ब्लैक, एक बहरूपिया और बेहतिरिन अभिनेता; मैक्स हार्टे, एक शक्तिशाली व्यक्ति; केसी रैंडल, एक मॉडल जो अब एजंट है; और ग्रैंट कोलियर, बार्नी कोलियर का बेटा जो एक तकनीकी जीनियस है, शामिल है। हत्यारे का पता लगाने के बाद जिम रूक कर टीम को एक साथ रखने का निर्णय लेता है। प्रथम सत्र के बिच में ही केसी एक मिशन के दौरान मारी जाती है और सीक्रेट सर्विस की एजंट शैनोन रीड उसकी जगा बाकी की शृंखला में ले लेती है। इस बदलाव के अलावा फिलिप्स की टीम बाकी की पुरी शृंखला में वही रहती है।
पिटर ग्रेव्स - जिम फिलिप्स
थाओ पेंघ्लिस - निकोलस ब्लैक
एंथोनी हैमिल्टन - मैक्स हार्टे
फिल मोरिस - ग्रांट कोलियर
जेन बैड्लर - शैनोन रीड
बोब जॉनसन - डिस्क की आवाज़
अंग्रेज़ी भाषा के टीवी कार्यक्रम |
स्वीकृत भुगतान मूल्य (विलिंग्नेस तो पाय) किसी उपभोक्ता के लिए वह अधिकतम कीमत (मूल्य) होती है जिसपर या जिस से नीचे वह किसी माल या सेवा को खरीदने के लिए तैयार होता है। किसी भी चीज़ के लिए अलग-अलग उपभोक्ता के लिए यह स्वीकृत भुगतान मूल्य एक-दूसरे से भिन्न हो सकती है। किसी माल या सेवा की बाज़ार में माँग (डिमांड) समझने के लिए भिन्न उपभोगताओं के समूहों में स्वीकृत भुगतान मूल्यों को समझना आवश्यक होता है वरना विक्रेता उस चीज़ की कीमत गलत निर्धारित करने की गलती कर सकता है।
अगर किसी उपभोक्ता को कोई चीज़ अपने स्वीकृत भुगतान मूल्य से कम मूल्य पर मिल जाती है तो उस अंतर को उपभोक्ता अधिशेष (कन्सूमर सर्प्लस) कहा जाता है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि:
अशोक बाज़ार दो स्वेटर खरीदने जाता है। वह प्रत्येक स्वेटर खरीदने के लिए अधिक-से-अधिक ४०० देने को तैयार है, यानि उसका स्वीकृत भुगतान मूल्य ४०० है।
अशोक को मनचाहे स्वेटर २५० के दाम पर मिल जाते हैं, यानि अपने स्वीकृत भुगतान मूल्य से ४०० - २५० = १५० कम। कुल मिलाकर उसने अपने दोनों स्वेटरों की खरीद में ३०० बचाए, यानि उसका उपभोक्ता अधिशेष ३०० है।
उसी दिन सुशीला भी बाज़ार में तीन स्वेटर खरीदने जाती है, और उसका स्वीकृत भुगतान मूल्य २०० है। लेकिन बाज़ार में स्वेटर २५० से कम में उपलब्ध ही नहीं हैं। वह स्वेटर खरीदे बिना ही घर लौट आती है।
उसी दिन एक तीसरी ग्राहक, रीता, भी बाज़ार में पाँच स्वेटर खरीदने जाती है, और उसका स्वीकृत भुगतान मूल्य ४५० है। उसे स्वेटर २५० की कीमत पर खरीदने का मौका मिलता है और वह अपने मनचाहे पाँच स्वेटर इसी दाम पर खरीद लेती है। यानि हर स्वेटर पर उसे २०० बचाने का और पाँचों स्वेटरों पर उसे १००० बचाने का अवसर मिल जाता है। रीता का उपभोक्ता अधिशेष १००० है।
अगर उस दिन बाज़ार में केवल यही तीन ग्राहक स्वेटर खरीदने आए थे, तो उस बाज़ार में उस दिन के लिए कुल उपभोक्ता अधिशेष ३०० + १००० = 1३०० है।
इन्हें भी देखें
स्वीकृत प्राप्त मूल्य |
चक्र नदी (चक्र रिवर) भारत के कर्नाटक राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में उत्पन्न होती है और कुंदापुर से गुज़रती है। इसका संगम सौपर्निका नदी, वराही नदी, केदका नदी और कुब्जा नदी से होता है। इस संयुक्त नदी को पंचगंगावल्ली नदी कहा जाता है, और यह कुछ दूर बहकर अरब सागर में विलय हो जाती है।
इन्हें भी देखें
कर्नाटक की नदियाँ |
अमोलर छिबरामऊ, कन्नौज, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है।
कन्नौज जिला के गाँव |
बिजय सिंह,भारत के उत्तर प्रदेश की पंद्रहवी विधानसभा सभा में विधायक रहे। २००७ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद जिले के फर्रूखाबाद विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से सपा की ओर से चुनाव में भाग लिया।
उत्तर प्रदेश १५वीं विधान सभा के सदस्य
फर्रूखाबाद के विधायक |
गप्प चुप एक मूक कॉमेडी है, जिसे ६ अगस्त 201६ से सब टीवी पर प्रसारित किया गया था।
विवेक कोहली के रूप में सानंद वर्मा (कोहली केक की दुकान के मालिक / हमेशा नींद में / बुलबुल शेठी के लिए आकर्षण)
लवली कोहली के रूप में मोनिका कैस्टेलिनो (विवेक कोहली की पत्नी / शेथिस को हराने के लिए हमेशा ट्रिकी आइडिया होता है)
साहिबा खुराना नानीजी के रूप में (लवली कोहली की माँ / सोनू शेठी के पिता की ओर आकर्षित / रे करिंग रोल)
पलक दिवस के रूप में टीना कोहली (कोहली की बेटी / बॉबी कोहली की दोस्त / हमेशा दोनों परिवार को एकजुट करना चाहती थी
सोनू सेठी के रूप में नवीन बावा (शेठी मिठाई की दुकान के मालिक / कोहली को हराने के लिए हमेशा मुश्किल विचार रखते हैं)
दादाजी के रूप में शरद व्यास (सोनू शेठी के पिता / पूर्व सेना अधिकारी / सहायक भूमिका)
समीक्षा भटनागर बुलबुल शेठी के रूप में (सोनू शेठी / सेल्फी क्वीन की पत्नी)
बॉबी शेठी के रूप में लविश जैन (सोनू शेठी का बेटा / टीना कोहली का दोस्त / रीक्यूरिंग रोल)
सब टीवी के कार्यक्रम |
चायना टाउन १९६२ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
नामांकन और पुरस्कार
१९६२ में बनी हिन्दी फ़िल्म |
विद्याकर (१०५० - ११३०) एक बौद्ध विद्वान तथा कवि थे। उनके जीवन के बारे में बहुत कम ज्ञात है। उनकी कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध है। वस्तुतः यह सुभाषितों का एक संग्रह-ग्रन्थ है। कुछलोग इसे संस्कृत साहित्य की सर्वश्रेष्ठ संग्रहग्रन्थ मानते हैं। इसमें संग्रहीत श्लोकों के मूल रचनाकारों का नाम भी प्रायः दिया हुआ है। जिन श्लोकों के मूल लेखकों के नाम दिए हैं, वे इसकी रचना के दो सौ वर्ष पहले तक के हैं। इस दृष्टि से यह ग्रन्थ, अपने समय का 'आधुनिक काव्य संग्रह' कहा जा सकता है।
सुभाषितरत्नकोश में निम्नलिखित ५० व्रज्या (पाठ) हैं-
सुभाषितरत्नकोशः (देवनागरी में)
सुभाषितरत्नकोश (इयास्त में)
सुभाषितरत्नकोश (उपरोक्त से कुछ पाठभेद) |
गोविन्द शंकर कुरुप की रचना ओटक्कुषल् (बाँसुरी) वह पहली पुस्तक है जिसे ज्ञानपीठ के लिए १९६५ में चुना गया। इसकी कविताओं में भारतीय अद्वैत भावना का साक्ष्य है, जिसे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महाकवि जी, शंकर कुरूप ने प्रकृति के विविध रूपों में प्रतिबिम्बित आत्मछवि की गहरी अनुभूति से अर्जित किया है, केवल परम्परागत रहस्यवादी मान्यता को स्वीकार भर कर लेने से नहीं। चराचर के साथ तादात्म्य की प्रतीति के कारण कवि के रूमानी गीतों में भी एक आध्यात्मिक और उदात्त नैतिक स्वर मुखरित हुआ है। कुरूप बिम्बों और प्रतीकों के कवि है। इनके माध्यम से परम्परागत छन्द-विधान और संस्कृतनिष्ठ भाषा को परिमार्जित कर उन्होंने अपने चिन्तन को समर्थ अभिव्यक्ति दी है। इसलिए कथ्य और शैली-शिल्प दोनों में ही उनकी कविता मलयालम साहित्य ही नहीं, भारतीय साहित्य की एक उपलब्धि बनकर गूँज रही है।
२००२ में इसके नये संस्करण का प्रकाशन साहित्य प्रेमियों के लिए गौरव की बात है। अपनी पुस्तक के विषय में कवि कहते हैं, हो सकता है कि कल यह वंशी, मूक होकर काल की लम्बी कूड़ेदानी में गिर जाये, या यह दीमकों का आहार बन जाये, या यह मात्र एक चुटकी राख के रूप में परिवर्तित हो जाये। तब कुछ ही ऐसे होंगे जो शोक निःश्वास लेकर गुणों की चर्चा करेंगे; लेकिन लोग तो प्रायः बुराइयों के ही गीत गायेंगे : जो भी हो, मेरा जीवन तो तेरे हाथों समर्पित होकर सदा के लिए आनन्द-लहरियों में तरंगित हो गया।
धन्य हो गया।
कवि की काव्य चेतना ने ऐतिहासिक तथा वैज्ञानिक युगबोध के प्रति सजग भाव रखा है और उत्तरोत्तर विकास पाया है। इस विकास-यात्रा में प्रकृति-प्रेम का स्थान यथार्थ ने, समाजवादी राष्ट्रीय चेतना का स्थान अन्तर्राष्ट्रीय मानवता ने ले लिया और इन सब की परिणति आध्यात्मिक विश्वचेतना में हुई जहाँ मानव विराट् विश्व की समष्टि से एकतान है; जहां मृत्यु भी विकास का चरण होने के कारण वरेण्य है। कुरूप बिम्बों और प्रतीकों के कवि हैं। उन्होंने परम्परागत छन्द-विधान और संस्कृति-निष्ठ भाषा को अपनाया, परिमार्जित किया और अपने चिन्तन तथा काव्य-प्रतिबिम्बों के अनुरूप उन्हें अभिव्यक्ति की नयी सामर्थ्य से पुष्ट किया। इसीलिए कवि का कृतित्व कथ्य में भी शैली-शिल्प में भी मलयालम साहित्य की विशिष्ट उपलब्धि के रूप में ही नहीं भारतीय साहित्य की विशिष्ट उपलब्धि के रूप में ही नहीं, भारतीय साहित्य की एक उपलब्धि के रूप में भी सहज ग्राह्य है। |
कांठे महाराज (१८८०-१ अगस्त १९७०) भारत के प्रसिद्ध तबला वादक रहे हैं। ये बनारस घराने से थे। इनका जन्म १८८० में कबीर चौराहा मोहल्ले, वाराणसी में हुआ था। इनके पिता पंडित दिलीप मिश्र भी जाने माने तबला वादक थे। इनकी आरंभिक संगीत शिक्षा बलदेव सहायजी से आरंभ हुई थी। कांठे महाराज को प्रथम संगीतज्ञ माना जाता है, जिन्होंने तबला वादन द्वारा स्तुति प्रतुत की थी।
लगभग ७० वर्ष तक इन्होंने सभी विख्यात गायकों एवं नर्तकों को अपने तबले पर संगति दी। १९५४ में इन्होंने ढाई घंटे लगातार तबला बजाने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था। इन्हें सभी शैलियों में तबला वादन पर महारत प्राप्त थी, किंतु इनकी विशेषता बनारस बाज में थी। १९६१ में इन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया था। १ अगस्त, १९७० को ९० वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गयी। इनके भतीजे किशन महाराज भी विख्यात तबला वादक हैं।
१८८० में जन्मे लोग
१९७० में निधन |
स्वतंत्रता सेनानी, वकील एवं संस्कृत भाषा के विद्वान। जन्म अल्मोड़ा (उत्तराखंड)। पंडित मदनमोहन मालवीय के आग्रह में बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय में धर्म के विभाग के संस्थापक रहे और संस्कृत में अनेक पुस्तकें लिखी जिनमें से अनेक पुस्तकों को राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे विद्वानों से पुरस्कार प्राप्त।
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी |
जोनाइ बाज़ार (जोनाई बाज़ार) भारत के असम राज्य के धेमाजी ज़िले में स्थित एक शहर है। यहाँ से राष्ट्रीय राजमार्ग ५१५ निकलता है।
इन्हें भी देखें
असम के नगर
धेमाजी ज़िले के नगर |
द स्टोनमैन एक नाम है जो कलकत्ता, भारत के लोकप्रिय अंग्रेजी भाषा के प्रिंट मीडिया द्वारा दिया गया है एक अज्ञात सीरियल किलर को जिसने १९८९ में कलकत्ता में कम से कम १३ सोए हुए बेघर लोगों की हत्या कर दी थी। यह नाम अपराधी को भी दिया गया है। १९८५ से १९८८ तक मुंबई में इसी तरह की हत्याओं की श्रृंखला। यह अनुमान लगाया गया है कि ये उसी व्यक्ति का काम था, जो २६ हत्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकता था।
स्टोनमैन को छह महीने (जून १९८३ में पहली) में तेरह हत्याओं के लिए दोषी ठहराया गया था, लेकिन यह कभी स्थापित नहीं किया गया था कि अपराध एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा किए गए थे। कलकत्ता पुलिस यह भी पता लगाने में विफल रही कि क्या कोई अपराध नकल हत्या के रूप में किया गया था। आज तक, किसी पर भी किसी भी अपराध का आरोप नहीं लगाया गया है; सभी तेरह मामले अनसुलझे हैं।
भारत में बेघर कूड़ा बीनने वालों और भिखारियों को निशाना बनाने वाले सीरियल किलर का पहला संकेत मुंबई से मिला। १९८५ में शुरू हुआ, और दो साल से अधिक समय तक, शहर के सायन और किंग्स सर्कल इलाके में बारह हत्याओं की एक श्रृंखला की गई। अपराधी या अपराधियों के संचालन का तरीका सरल था: पहले वे एक निर्जन क्षेत्र में अकेले सोए हुए शिकार को ढूंढते थे। मृतक का सिर ३० किलो वजन के एक ही पत्थर से कुचल दिया गया था। ज्यादातर मामलों में, पीड़ितों की पहचान सुनिश्चित नहीं की जा सकी क्योंकि वे अकेले सोते थे और उनके कोई रिश्तेदार या सहयोगी नहीं थे जो उन्हें पहचान सकें। इससे जुड़ा तथ्य यह था कि पीड़ित बहुत ही साधारण साधनों के लोग थे और व्यक्तिगत अपराध हाई-प्रोफाइल नहीं थे। छठी हत्या के बाद मुंबई पुलिस को अपराधों में एक पैटर्न नजर आने लगा था.
एक बेघर वेटर स्टोनमैन के हमलों में से एक से बच गया और पुलिस को इसकी सूचना देने के लिए भागने में सफल रहा, हालांकि, सायन के मंद रोशनी वाले क्षेत्र में जहां वह सो रहा था, वह अपने हमलावर को ठीक से देख नहीं पाया था।
कुछ ही समय बाद, १९८७ में, माटुंगा के निकटवर्ती उपनगर में एक कूड़ा बीनने वाले की हत्या कर दी गई। भले ही पुलिस और मीडिया को स्टोनमैन हत्यारे पर संदेह था, घटनाओं को जोड़ने वाला कोई सबूत कभी नहीं मिला।
१९८८ के मध्य में, हत्याएं अचानक बंद हो गईं। मामला अनसुलझा रहता है।
१९८९ की गर्मियों में कलकत्ता में
मुंबई की हत्याओं को कलकत्ता "स्टोनमैन" हत्याओं से जोड़ा गया था या नहीं, इसकी कभी पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, उपकरण में समानता, पीड़ितों की पसंद, निष्पादन, और हमलों के समय से पता चलता है कि हमलावर मुंबई की घटनाओं से परिचित थे, यदि वही हत्यारे खुद नहीं थे।
जून १९८९ में कलकत्ता में पहले पीड़ित की सिर में चोट लगने से मृत्यु हो गई। अगले छह महीनों के भीतर स्टोनमैन के लिए जिम्मेदार बारह और हत्याएं दर्ज की गईं। मारे गए सभी लोग बेघर फुटपाथ पर रहने वाले थे, जो शहर के कम रोशनी वाले इलाकों में अकेले सोते थे। अधिकांश हत्याएं हावड़ा ब्रिज से सटे मध्य कलकत्ता में हुईं।
क्योंकि हत्यारे ने एक भारी पत्थर या कंक्रीट स्लैब गिराकर पीड़ितों को मार डाला, पुलिस ने माना कि हमलावर शायद एक लंबा, अच्छी तरह से निर्मित पुरुष था। हालांकि, किसी भी चश्मदीद गवाह के अभाव में, कोई पुष्ट भौतिक विवरण कभी उपलब्ध नहीं हुआ।
पुलिस को शहर के विभिन्न हिस्सों में तैनात किया गया था, और कई गिरफ्तारियां की गईं। गिरफ्तारी के एक दौर के बाद जिसमें मुट्ठी भर "संदिग्ध व्यक्तियों" को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया, हत्याएं बंद हो गईं। हालांकि, सबूतों की कमी का हवाला देते हुए, संदिग्धों को जनता के बीच छोड़ दिया गया। अपराध अनसुलझे रहते हैं।
स्टोनमैन गुवाहाटी में
फरवरी २००९ के दौरान असम राज्य के गुवाहाटी शहर में इसी तरह की घटनाओं की सूचना मिली थी।
घटनाओं पर आधारित फिल्म रूपांतरण
निर्माता बॉबी बेदी ने इन घटनाओं पर आधारित द स्टोनमैन मर्डर्स नामक फिल्म का निर्माण किया। १३ फरवरी २००९ को रिलीज़ हुई इस फिल्म में के के मेनन और अरबाज खान ने अभिनय किया था और इसे मनीष गुप्ता ने लिखा और निर्देशित किया था। गुप्ता ने कहा कि फिल्म के लिए उनकी कहानी ४०% तथ्य और ६०% काल्पनिक है। फिल्म में हत्याओं को एक पुलिसकर्मी द्वारा किए जा रहे धार्मिक अनुष्ठान का एक हिस्सा होने के रूप में दर्शाया गया है, जिसमें वास्तविक अपराधी को अंत में व्याख्या के लिए खुला छोड़ दिया गया है।
२०११ में, श्रीजीत मुखर्जी द्वारा निर्देशित एक बांग्ला फिल्म बैशे सर्बोन रिलीज़ हुई थी। फिल्म का कथानक कोलकाता में उन्हीं रहस्यमयी सीरियल हत्याओं के इर्द-गिर्द घूमता है, जो १९८९ की अवधि के दौरान हुई थीं। फिल्म में, हत्यारे को समाज के ज्यादातर गरीब और बेघर वर्ग के पीड़ितों को चुनते हुए दिखाया गया है; या तो यौनकर्मी, नशीली दवाओं के उपयोगकर्ता या सड़क के लोग। हालांकि, फिल्म सीरियल किलर द्वारा अपने सभी अपराधों को कबूल करने के बाद खुद को गोली मारने के साथ समाप्त होती है।
इन्हें भी देखें
द स्टोनमैन मर्डर्स
भारत में हत्याकांड
सिलसिलेवार हत्यारे पुरुष |
ताराबाई मोडक (१९ अप्रैल १९७२-१९७३) का जन्म मुंबई में हुआ था। उन्होंने १९१४ में मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक किया। उनकी शादी श्री मोडक से हुए जो एक वकील थे और बाद में उन्हें १९२१ में उनसे तलाक ले लिया। उन्होंने राजकोट में महिला कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में काम किया। पूर्वस्कूली शिक्षा में उनके काम के लिए उन्हें १९६२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। उनके जीवन पर आधारित एक नाटक बनाया गया,'घर तेघांचा हावा' रत्नाकर मतकारी द्वारा निर्मित किया गया था।
पद्म भूषण सम्मान प्राप्तकर्ता
सामाजिक कार्य में पद्म भूषण प्राप्तकर्ता
१८९२ में जन्मे लोग
१९७३ में निधन
मुम्बई के लोग
मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र |
ललिताम्बिक अन्तर्जनम (मलयालम : ; १९०९१९८७) भारत की एक साहित्यकार एवं समाज-सुधारक थीं। उन्होने मलयालम में साहित्य रचना की है। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अग्निसाक्षी के लिये उन्हें सन् १९७७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत मलयालम भाषा के साहित्यकार
१९०९ में जन्मे लोग
१९८७ में निधन |
, अर्जेन्टीना का एक नगर है, और साल्टा प्रान्त की राजधानी है।
कोरियेन्टेस नगर निगम
अर्जेन्टीना के नगर |
नौहटी कोइल, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है।
अलीगढ़ जिला के गाँव |
सुनाली, कर्णप्रयाग तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है।
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
सुनाली, कर्णप्रयाग तहसील
सुनाली, कर्णप्रयाग तहसील |
चाहत पांडे एक भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हमारी बहू सिल्क में पाखी पारेख, दुर्गा में दुर्गा अनेजा - माता की छाया और नथ - ज़ेवर या जंजीर में महुआ मिश्रा के रूप में मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं।
चाहत पांडे का जन्म और पालन-पोषण मध्य प्रदेश के दमोह के चंडी चोपड़ा गाँव में हुआ था। उनकी मां भावना पांडे हैं। उन्होंने चंडी चोपड़ा से ५वीं तक पढ़ाई की। जब वह छोटी थी तब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। उसने जबलपुर नाका के आदर्श स्कूल से १०वीं और दमोह जिले के जेपीबी स्कूल से १२वीं की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने बालाजी ग्रुप के साथ इंदौर में एक्टिंग की ट्रेनिंग भी ली। वह अपने अभिनय करियर को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई चली गईं।
जून २०२० में, पांडे और उसकी मां को उसके चाचा के अपार्टमेंट में घुसने, तोड़फोड़ करने और उसके साथ मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया।
पांडे ने २०१६ में टेलीविज़न सोप ओपेरा पवित्र बंधन में शुरुआत की, जहाँ उन्होंने मुख्य चरित्र गिरीश की छोटी बेटी मिष्टी रॉय चौधरी को चित्रित किया, जो अमेरिका में रहने से लौटती है। अपराध नाटक श्रृंखला सावधान इंडिया में भी उनकी प्रासंगिक भूमिकाएँ थीं। २०१७ में, पांडे ने सोप ओपेरा राधाकृष्ण के टीज़र ट्रेलर में मुख्य किरदार राधा के रूप में अभिनय किया, लेकिन बाद में उनकी जगह मल्लिका सिंह ने ले ली।
पांडे ने २०१९ के टीवी धारावाहिक हमारी बहू सिल्क में पाखी पारेख की मुख्य भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने एक आवाज कलाकार की भूमिका निभाई, जो एक ऐसी अभिनेत्री के लिए डब करती है, जो कई कामुक फिल्मों में अभिनय करती है, लेकिन वास्तविक जीवन में कर्कश आवाज है। २०२० में, उसने और शो के अन्य अभिनेताओं ने शिकायत की कि उन्हें उनका भुगतान बकाया नहीं मिला है, और यह कि उनके मकान मालिक ने उन्हें किराया नहीं देने के लिए छोड़ने के लिए कहा था। ऐसी भी अफवाहें थीं कि उसने खुद को मारने का प्रयास किया था लेकिन उसने जल्द ही यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसकी मां के बयान को गलत समझा गया था। उसके बकाया भुगतान से संबंधित मुद्दा अंततः २०२१ में हल हो गया।
फरवरी २०२० में, मेरे साईं-श्रद्धा और सबुरी के लिए एक एपिसोड की शूटिंग के दौरान, पांडे को कुछ समय के लिए घायल हो गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया, जब उन्होंने नंगे पैर कांच के टुकड़े पर कदम रखा।
उन्होंने शीर्षक चरित्र दुर्गा अनेजा को चित्रित किया, जो टेलीविजन श्रृंखला दुर्गा - माता की छाया, में देवी दुर्गा से वरदान के साथ पैदा हुई एक ईश्वर प्रदत्त संतान है, जो दिसंबर २०२० से मार्च २०२१ तक स्टार भारत पर चलती थी। अगस्त २०२१ से, पांडे दंगल टीवी शो नाथ ज़ेवर या जंजीर में महुआ के रूप में अभिनय कर रहे हैं, जहां महुआ भारत के कुछ ग्रामीण हिस्सों में प्रचलित नाथ व्यवस्था के खिलाफ लड़ रही एक लड़की है।
यह सभी देखें
हिंदी टेलीविजन अभिनेत्रियों की सूची
भारतीय टेलीविजन अभिनेत्रियों की सूची
२१वीं सदी की भारतीय अभिनेत्रियाँ
भारतीय टेलीविज़न अभिनेत्री
१९९९ में जन्मे लोग |
शीआँ पाड़ी (शियन परी) भारत के पंजाब राज्य के फ़िरोज़पुर ज़िले में स्थित एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
पंजाब के गाँव
फ़िरोज़पुर ज़िले के गाँव |
चौदहवीं लोकसभा के सदस्य
१. मयूरभंज (स्त)सुदाम मरांडीझामुमो</त्र>
२. बालासोरमहामेघ बहन अईरा खरबेला स्वेनभाजपा</त्र>
३. भद्रक (स्क)अर्जुन चरण सेठीबीजद</त्र>
५. केन्दरपाड़ाअनुभव महान्तिबीजद
६. कटकभरतुहारी माहताबबीजद</त्र>
७. जगतसिंहपुरब्रम्हानंद पांडाबीजद</त्र>
८. पुरीब्रजकिशोर त्रिपाठीबीजद</त्र>
९. भुवनेश्वरअपराजिता षडग़्गीभाजपा</त्र>
१०. आस्काहरिहर स्वेनबीजद</त्र>
११. बरहामपुरचंद्रशेखर साहूकांग्रेस</त्र>
१२. कोरापुट (स्त)गिरिधर गमांगकांगेस</त्र>
१३. नवरंगपुर (स्त)परसुराम मांझीभाजपा</त्र>
१४. कालाहांडीबिक्रम केसरी देवभाजपा</त्र>
१५. फुलबनी (स्क)सुग्रीव सिंहबीजद</त्र>
१६. बोलांगीरसंगीता कुमारी सिंहदेवभाजपा
१७. संबलपुरप्रसन्न आचार्याबीजद</त्र>
१८. देवगढधर्मेन्द्र प्रधानभाजपा</त्र>
१९. ढेंकनालतथागत सतपतिबीजद</त्र>
२०. सुंदरगढ (स्त)जुएल ओराँवभाजपा</त्र>
ओड़िशा की राजनीति
लोक सभा सदस्य |
कुंदन शाह (मृत्यु: ७ अक्तूबर 201७) एक भारतीय फिल्म निर्देशक और लेखक थे। वह अपनी कॉमेडी फ़िल्म जाने भी दो यारों (१९८३) और १९८५-८६ की टीवी श्रृंखला नुक्कड़ के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं। उन्होंने भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान से निर्देशन सीखा। 'जाने भी दो यारो' फिल्म के लिये पहला और एकमात्र राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने ने २०१५ में राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिया था।
१९८८ में उन्होंने हास्य धारावाहिक वागले की दुनिया का निर्देशन किया। यह कॉर्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के आम आदमी के किरदार पर आधारित था। उन्होंने १९९३ में शाहरुख खान अभिनीत कभी हां कभी न के साथ मुख्यधारा की फ़िल्मों में वापसी की। २००० में आई उनकी प्रीति जिंटा और सैफ अली खान अभिनीत फिल्म क्या कहना टिकट खिड़की पर सफल रही थी। इसके बाद बॉबी देओल और करिश्मा कपूर अभिनीत हम तो मोहब्बत करेगा (२०००) और रेखा, प्रीति और महिमा चौधरी अभिनीत दिल है तुम्हारा (२००२) सफल नहीं रही।
फ़िल्मों की सूची
२०१७ में निधन
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजेता |
ओखला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र दिल्ली में स्थित एक विधान सभा क्षेत्र है। यह पूर्वी दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत आता है।
२०१३ के रूप में, इस क्षेत्र के विधायक आसिफ मोहम्मद खान हैं।
ये भी देखें
पूर्वी दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
दिल्ली के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र |
आइओवा (इओवा सिटी) संयुक्त राज्य अमरीका के आइओवा राज्य का एक प्रसिद्ध नगर है, जो आइओवा नदी के तट पर ६८५ फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह शिकागो, शक द्वीप तथा प्रशांत महासागरीयतट से रेलों द्वारा संबद्ध है तथा डेस म्वाइंस से १५१ मील पूर्व में स्थित है। यहाँ एक हवाई अड्डा भी है। इसकी ख्याति विश्वविद्यालय के कारण है जो आइओवा राज्य की सबसे बड़ी शिक्षासंस्था है। सन् १८३९ ई. में आइओवा नगर आइओवा राज्य की राजधानी चुना गया था, परंतु सन् १८५३ ई. में इसे पदच्युत करके डेस म्वाइंस को राजधानी बनाया गया। संप्रति राजधानी के पुराने कार्यालय में विश्वविद्यालय का कार्यालय स्थित है।
अमेरिका के नगर |
योनिच्छद (हमन) उस झिल्ली को कहते हैं जो योनिद्वार के बाहरी प्रवेशद्वार को अम्शतः या अधिकांशतः ढके रहती है। यह भग (वुल्वा) का भाग है और इसकी संरचना योनि जैसी ही होती है।
इन्हें भी देखें
स्तनपायी मादाओं का प्रजनन तंत्र |
संयुक्त राज्य अमेरिका में एक स्वयं प्रमाणित दस्तावेज, सबूत के कानून के तहत, एक मुकदमे में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।
दस्तावेज़ की कई श्रेणियों को स्व-प्रमाणित दस्तावेज कहा जा सकता है जैसे की:
सार्वजनिक या व्यापार अभिलेखों की प्रमाणित कॉपी;
सरकारी एजेंसियों के सरकारी प्रकाशनों ;
अखबारों में लेख;
इस तरह के उत्पादों पर लेबल के रूप में व्यापार शिलालेख;
वर्दी वाणिज्यिक संहिता के तहत वाणिज्यिक पत्र;
हालांकि ज्यादातर अमेरिकी राज्यों ने साक्ष्य के नियम समान्य है साक्ष्य के संघीय नियम के, कैलिफोर्निया साक्ष्य संहिता फ्रे से काफी अंतर पाया कि यह आत्म सत्यापन के रूप में व्यापार शिलालेख इलाज नहीं है।
संयुक्त राज्य अमेरिका की न्यायप्रणाली |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र भारत देश में परिचालित, महाराष्ट्र का प्रमुख बैंक है।
यह १०.०० लाख रूपये की अधिकृत पूंजी के साथ १६ सितम्बर १९३५ को पंजीकृत हुआ और ८ फ़रवरी १९३६ को इसने सक्रिय रूप से व्यापार शुरू किया।
स्थापना के बाद से इसे एक आम आदमी के बैंक के रूप में जाना जाता है, छोटी इकाइयों को प्रारंभिक मदद देने के कारण इसने आज के कई औद्योगिक घरानों को जन्म दिया है। १९६९ में राष्ट्रीयकरण के बाद, बैंक का तेजी से विस्तार हुआ। अब इसकी पूरे भारत भर में (३१ मार्च २००८ के अनुसार) १३७५ शाखाएं है। महाराष्ट्र राज्य में किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की तुलना में यह सबसे ज्यादा शाखाओं के नेटवर्क वाला बैंक है।
बैंक की स्थापना स्वर्गीय वी. जी. काले और स्वर्गीय डी.के.साठे के नेतृत्व में स्वप्नदर्शी व्यक्तियों के समूह द्वारा की गयी थी और १६ सितंबर १९३५ को पुणे में इसे एक बैंकिंग कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया। इनका स्वप्न आम आदमी तक पहुंचना और उनकी सेवा करना और उनकी सभी बैंकिंग जरूरतों को पूरा करना था। बैंक और इसके कर्मचारियों के सफल नेतृत्व ने उनके सपनों को पूरा करने का प्रयास किया है।
१६-०९-१९३५ को पंजीकृत
१९३६ : पुणे में ०८-०२-१९३६ को बैंक के परिचालन का प्रारंभ हुआ।
१९३८ : बैंक की दूसरी शाखा १९३८ को फोर्ट, मुम्बई में खोली गई।
१९४० : बैंक की तीसरी शाखा डेक्कन जिमखाना, पुणे में शुरू हुई।
१९४४ : अनुसूचित बैंक का दर्ज़ा प्राप्त हुआ।
१९४६ : जमाराशियों ने रु.एक करोड़ की सीमा पार की। पूरी तरह से अपने स्वामित्व में एक सहायक कंपनी दि महाराष्ट्र एक्जिक्यूटर एण्ड ट्रस्टी कंपनी गठित की। महाराष्ट्र के बाहर की पहली शाखा हुबळी (मैसूर राज्य, अब कर्नाटक) में खोली गई।
१९४९ : आंध्र प्रदेश में विस्तार : हैदराबाद शाखा खोली गई।
१९६३ : गोवा में विस्तार : पणजी शाखा खोली गई।
१९६६ : मध्य प्रदेश में विस्तार : इन्दौर शाखा खोली गई। गुजरात में प्रवेश : वडोदरा शाखा खोली गई।
१९६९ : अन्य १३ बैंकों समेत राष्ट्रीयकृत हो गया। १९-१२-६९ को करोलबाग शाखा खोलकर दिल्ली में प्रवेश किया गया।
१९७४ : जमाराशियों ने रु १०० करोड़ का लक्ष्य पार किया।
१९७६ : मराठवाडा ग्रामीण बैंक पहला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक २६-०८-१९७६ को स्थापित किया गया।
१९७८ : माननीय प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई द्वारा नए मुख्यालय का उदघाटन हुआ। जमाराशियों ने रु.५०० करोड़ का लक्ष्य पार किया।
१९७९ : अनुसंधान तथा विस्तृत कार्य शुरू करने एवं किसानों को अधिक विस्तृत सेवाएँ प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र कृषि अनुसंधान और ग्रामीण विकास प्रतिष्ठान(महाबैंक अग्रीकल्चर रिसर्च एण्ड रुरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) नामक सार्वजनिक न्यास स्थापित किया गया।
१९८५ : महाराष्ट्र राज्य की ५०० वीं शाखा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के हाथों नरीमन पाइंट, मुम्बई में खोली गई। डॉ॰ मन पहला एडवान्स लेजर पोस्टिंग मशीन (ए.एल.पी.एम.) शाखा में बिठाया गया। डॉ॰मनमोहन सिंह गर्वनर, भारतीय रिज़र्व बैंक के हाथों स्वर्ण जयंती समारोह शुरू किया गया।
१९८६ : ठाणे ग्रामीण बैंक प्रायोजित किया गया।
१९८७ : पुणे में बैंक की १०००वीं शाखा इन्दिरा वसाहत, बिबवेवाडी में भारत के माननीय उप राष्ट्रपति डॉ॰ शंकरदयाल शर्मा के हाथों खोली गई।
१९९१ : महाबैंक किसान क्रेडिट कार्ड शुरू किया गया। इसके द्वारा घरेलु क्रेडिट कार्ड व्यवसाय में प्रवेश किया गया। मेन फ्रेम कम्प्यूटर स्थापित किया गया। एस.डब्ल्यू.आई.एफ.टी.(स्विफ्ट) का सदस्य बन गया।
१९९५ : हीरक जयन्ती समारोह के अवसर पर भारतीय रिज़र्व बैंक के गर्वनर डॉ॰सी.रंगराजन प्रमुख अतिथि थे। जमाराशियों ने रु.५००० करोड़ का लक्ष्य पार किया गया।
१९९६ : पहले की सी श्रेणी से ए श्रेणी में दाखिल हुआ। स्वायत्तता प्राप्त की गई।
२००० : जमाराशियों ने रु.१०,००० करोड़ का लक्ष्य पार किया।
२००४ : शेयर्स का सार्वजनिक निर्गम बी.एस.ई.और एन.एस.ई. में सूचीबध्द सार्वजनिक द्वारा २४ प्रतिशत का स्वामित्व।
२००५ : बैंकाशुरन्स और मुच्युअल फंड वितरण व्यवसाय शुरू किया गया।
२००६ : कुल व्यवसाय का स्तर रु. ५०,००० करोड़ पार कर चुका। शाखा सी.बी.एस. परियोजना प्रारंभ की गई।
२००९ : राष्ट्र की समर्पित सेवा के ७५ वें वर्ष में प्रवेश किया। एकीकृत सर्वांगीण विकास के लिए ७५ अल्प विकसित देहातों को अंगीकृत किया गया।
२०१० : १०० प्रतिशत सी.बी.एस. शाखाओं का लक्ष्य हासिल किया गया। कुल व्यवसाय ने रु.एक लाख करोड़ का लक्ष्य पार किया। प्लैटिनम वर्ष में ७६ शाखाएँ खोलकर कुल शाखा संख्या १५०६ हो गई।
बैंक ने १९९८ में स्वायत्त दर्जा प्राप्त किया। यह सरकार के हस्तक्षेप के बिना ही सरल प्रक्रियाओं के साथ अधिक से अधिक सेवाएं देने में मदद करता है।
लाभ के पहलू की अनदेखी कर बैंक ने सामाजिक बैंकिंगके क्षेत्र में श्रेष्ठता हासिल की है, इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की ३८% शाखाओं के साथ प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण का एक अच्छा हिस्सा है।
बैंक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति का संयोजक हैं।
बैंक १३१ शाखाओं में डिपोजिटरी सेवा और डीमैट सुविधा प्रदान करता है।
बीमा पॉलिसियों की बिक्री के लिए बैंक का भारतीय जीवन बीमा निगम लिक और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस *कंपनी के साथ गठबंधन है।
बैंक की सभी शाखाएं पूरी तरह कंप्यूटरीकृत हैं।
भविष्य की योजना - दृष्टि २००९
मार्च २००९ तक ८५,५००/- करोड़ रूपये के व्यवसाय स्तर को पार करना।
बचत बैंक जमा में १९.८४% की बढ़त और औसत बचत जमा की विकास दर में १७.६९% की वृद्धि.
करेंट डिपोजिट में १९.६५% की बढ़त और औसत करेंट डिपोजिट में १७.२९% की विकास दर.
नेट नपा स्तर को १% से कम करने के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण
नए व्यापारिक केंद्रों पर ६४ शाखाओं को खोलने और ३ विस्तार काउंटरों को संपूर्ण शाखाओं में परिवर्तित करने का प्रस्ताव है।
४ मुद्रा चेस्ट खोले जाने की योजना.
एटीएम नेटवर्क को ३४५ से ५०० तक बढ़ाने की योजना.
चयनित शाखाओं पर बायोमेट्रिक एटीएम शुरू करना।
इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और फोन बैंकिंग की शरुआत.
कृषि के लिए विशेष संदर्भ के साथ स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जाए और छोटे और सीमांत किसानों के लिए वित्तपोषण में वृद्धि हेतु वित्तपोषण लागू किया जाये.
बैंक का उपयोग न करने वाली आबादी को वित्तीय समावेश प्रदान करना।
इन्हें भी देखें
भारत में बैंकिंग
बैंक ऑफ महाराष्ट्र का जालघर
१९३५ में स्थापित बैंक
भारत में सरकार के स्वामित्व वाले बैंक
महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था
मुंबई की अर्थव्यवस्था
पुणे में आधारित कंपनियां |
मांडवी गुजरात प्रान्त का एक शहर है।
गुजरात के शहर
भारत के नगर |
फ़िर वो ही दिल लाया हूँ १९६३ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
जमुना (वीना) और उसके पति के बीच रिश्तों में दरार बढ़ता जाता है और अंत में वो घर छोड़ कर जाने का फैसला करती है। लेकिन उसका पति उसे अपने बेटे को साथ ले जाने नहीं देता है। इस कारण जमुना अपने बेटे को पाने के लिए उसका अपहरण कर लेती है और अपने पति की जिंदगी से हमेशा के लिए चले जाती है।
कुछ सालों के बाद जमुना का बेटा, मोहन (जॉय मुखर्जी) बड़ा हो जाता है और एक दिन मोहन की मुलाक़ात मोना (आशा पारेख) से होती है। दोनों एक दूसरे की ओर खींचे चले जाते हैं। लेकिन मोना के माता-पिता उसकी शादी बिहारीलाल उर्फ दिफू से करना चाहते हैं, जो विलायत से लौटा है और एक अमीर खानदान से है। एक दिन मोना और उसके दोस्त श्रीनगर घूमने जाते हैं, मोहन भी उनका पीछा करते हुए वहीं चले जाता है।
वहीं, जमुना का पति अचानक एक दिन घोषणा करता है कि उसका बेटा, मोहन घर लौट आया है। जब ये खबर जमुना को मिलती है तो वो हैरान रह जाती है। उसे पता चलता है कि जो उनका बेटा होने का दावा कर रहा है, वो रमेश है। अब उसे इस झूठ से पर्दा हटाने के लिए अपने आप को सामने लाना पड़ेगा और मोहन के अपहरण की बात भी कबूलनी पड़ेगी।
जॉय मुखर्जी मोहन
आशा पारेख मोना
संगीत ओंकारप्रसाद नय्यर
१९६३ में बनी हिन्दी फ़िल्म |
मलकाजगिरि (मालकजगिरी) भारत के तेलंगाना राज्य के मेडचल-मलकाजगिरि ज़िले में स्थित एक बस्ती है। यह हैदराबाद का एक मुहल्ला है।
इन्हें भी देखें
तेलंगाना के नगर
मेडचल-मलकाजगिरि ज़िले के नगर
हैदराबाद में मुहल्ले |
मठकोट खाल, गैरसैण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है।
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
खाल, मठकोट, गैरसैण तहसील
खाल, मठकोट, गैरसैण तहसील |
आचार्य शय्यंभव भगवान महावीर के चतुर्थ पट्टधर आचार्य थे।। इनका जन्म राजगृह के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। श्वेताम्बर मान्यताओं के अनुसार इन्होनें 'दशवईकालिका' नामक ग्रन्थ की रचना की थी। ऐसा मुमकिन है कि यह पूरी रचना आचार्य शय्यंभव की ना हों और कुछ भाग बाद में जोड़े गयें हो। |
कमेटपानी, भिकियासैण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है।
इन्हें भी देखें
उत्तराखण्ड के जिले
उत्तराखण्ड के नगर
उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर
उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ
उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी)
उत्तरा कृषि प्रभा
कमेटपानी, भिकियासैण तहसील
कमेटपानी, भिकियासैण तहसील |
वोल्गा नदी (वोल्गा) यूरोप की एक नदी है। यह कैस्पियन सागर में गिरती है।
वॉल्गा नदी यूरोप तथा यूरोपीय रूस की सबसे लंबी नदी तथा रूस का महत्वपूर्ण जलमार्ग है। वल्डाइ पहाड़ी पर ६६५ फुट ऊँचाई पर स्थित स्रोत से निकलकर, यह नदी १,३०० मील लंबे घुमावदार मार्गों से होती हुई कैस्पिऐन सागर में गिरती है और मुहाने पर डेल्टा बनाती है। यह डेल्टा लगभग ७० मील चौड़ा है और इसमें लगभग २०० निर्गम मार्ग हैं तथा डेल्टा समुद्रतल से ८६ फुट नीचा है। वल्डाइ पहाड़ी से उतरने के बाद नदी छोटी छोटी झीलों की शृंखलाओं को मिलाती है। अका (ओंका), कामा (कामा) तथा ऊँझा मुख्य सहायक नदियों के अतिरिक्त इसकी अनेक छोटी सहायक नदियाँ हैं। वॉल्गा और इसकी सहायक नदियों के द्वारा ५,६३,००० वर्ग मील क्षेत्र का जलनिकास होता है तथा २०,००० मील तक जलयात्रा की जाती है। वॉल्गा की अधिकांश लंबाई वर्ष में तीन महीने के लिए जम जाती है, जिसपर इन दिनों स्लेज के द्वारा माल की ढुलाई की जाती है। नदी नहर के द्वारा बाल्टिक सागर, आर्कटिक सागर तथा मॉस्को से जुड़ी हुई है। नदी की घाटी गेहूँ के उत्पादन का तथा इमारती लकड़ी के उद्योग का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस नदी के किनारे पर स्थित महत्वपूर्ण नगर है : स्टालिनग्रैड, गोर्की, सराटफ तथा ऐस्ट्राकैन। वाल्गा नदी की डेल्टा और उसके समीप का कैस्पिऐन सागर का जल विश्व के प्रसिद्ध मत्स्य क्षेत्रों में से एक है। बसंत ऋतु में वॉल्गा में इतनी भीषण बाढ़ आती है कि कैस्पिऐन सागर के जल का स्तर बढ़ जाता है। ऋतु और स्थान के अनुसार इस नदी की गहराई परिवर्ति होती रहती है। |
सफिया अब्दुल वाजिद,भारत के उत्तर प्रदेश की प्रथम विधानसभा सभा में विधायक रहीं। १९५२ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के २० - बरेली (पूर्व) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया।
उत्तर प्रदेश की प्रथम विधान सभा के सदस्य
२० - बरेली (पूर्व) के विधायक
बरेली के विधायक
कांग्रेस के विधायक |
मोहबलिपुर पालीगंज, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है।
पटना जिला के गाँव |
ओरॅस्त ख़्वोलसन (रूसी: , अंग्रेज़ी: ऑरेस्ट ख्वोल्सन) एक रूसी भौतिकविज्ञानी थे। १९१६ में अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की घोषणाके बाद ख़्वोलसन ने उसपर गहरा अध्ययन किया और १९२४ में ब्रह्माण्ड में गुरुत्वाकर्षक लेंसों के पाए जाने की भविष्यवाणी की। गुरुत्वाकर्षक लेंस के ऊपर अध्ययन करने वाले और उसकी घोषणा करने वाले यह पहले वैज्ञानिक थे। पचपन साल बाद, १९७९ में, इनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई जब ट्विन क्वेज़ार नाम की वस्तु की एक के बजाए दो-दो छवियाँ देखी गयी।
इन्हें भी देखें
हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना |
जोजो नोएल ब्लैकडेन लेवे स्क (जन्म, २० दिसम्बर १९९०), जो अपने व्यसाय में जोजो के नाम से प्रसिद्द हैं, एक अमेरिकी पॉप/आर&बी गायक, गीतकार, नर्तक और अभिनेत्री हैं। टेलिविज़न कार्यक्रम, अमेरीकाज़ मोस्ट टैलेंटेड किड्ज, प्रतियोगता में भाग लेने के बाद, रिकार्ड निर्माता विन्सेंट हर्बर्ट का ध्यान उनकी ओर गया और उन्होंने उनसे ब्लैकग्राउंड रिकॉर्ड्स के लिए स्वर-परीक्षण देने को पूछा.
अपने पहले, स्व-शीर्षक एल्बम के जारी होने के बाद उनको प्रसिद्धी मिली, जिसने बिलबोर्ड में #४ से शुरुआत की, इसकी ९५,००० प्रतियाँ बिकीं और विश्व स्तर पर इसकी ३ मिलियन से भी ज्यादा प्रतियाँ बिकीं. एल्बम का पहला एकल गाना, "लीव (गेट आउट)," फरवरी 200४ में जारी हुआ था। यह बिलबोर्ड हॉट १०० में #१२ वें स्थान पर पहुँच गया और इसे आरआइएए द्वारा स्वर्ण (गोल्ड) प्रमाण भी दिया गया. यह एकल गाना ५ सप्ताह तक बिलबोर्ड टॉप ४0 मेनस्ट्रीम पर #१ स्थान पर रहा, जिसने उन्हें संयुक्त राज्य की सबसे कम उम्र की ऐसी एकल गायिका के रूप में प्रसिद्ध कर दिया जिसका गाना पहले स्थान पर रहा हो.
वह फिल्मों में भी काम करती हैं। वह द बर्नी मैक शो द्वारा पहली बार टेलिविज़न पर दिखाई पडीं. २००६ में, उन्होंने हॉलीवुड की दो फिल्मों में काम किया जिसमे एक्वामरीन, उनकी पहली फिल्म और आरवी हैं. जोजो का दूसरा एल्बम, द हाई रोड, १७ अक्टूबर २००६ को जारी हुआ था और इसने अपनी पहले सप्ताह की १०८, ००० प्रतियों की बिक्री के साथ यू.एस. बिलबोर्ड २०० में तीसरे स्थान पर शुरुआत की, दुनिया भर में इसकी २ मिलियन प्रतियाँ बिकीं. एल्बम का पहला एकल गाना,"टू लिटिल टू लेट", अगस्त २००६ में जारी हो गया था और बिलबोर्ड हॉट १०० में तीसरे स्थान पर पहुँच गया था। इस एकल गाने को आरआइएए द्वारा प्लेटिनम प्रमाण भी मिला था.प्रारंभिक जीवन और कैरियर
इन्होने अल्टीमेट प्रोम की मेजबानी भी की है और फिल्म ट्रू कंफेशंस ऑफ़ ए हॉलीवुड स्टारलेट में काम भी किया था, जिसके लिए उन्हें पॉपटेस्टिक अवार्ड्स में नामांकन भी मिला था। उनका तीसरा स्टूडियो एल्बम, आल आइ वांट इज़ एव्रीथिंग, अभी भी जारी होने की प्रतीक्षा में है.
प्रारंभिक जीवन और कैरियर
जोजो का जन्म ब्रेटलबोरो, वरमॉन्ट में हुआ था और पालन-पोषण कीन न्यू हेम्पशायर और फौक्स्बोरो, मेसाचुसेट्स में हुआ था। वह अंग्रेजी, आयरिश, पोलिश, फ्रेंच, स्कॉटिश और मूल अमेरिकी वंशक्रम से सम्बद्ध हैं. वह फौक्स्बोरो के एक कमरे वाले घर में, कम आया वाले परिवार में बड़ी हुई थीं। उनके पिता शौक के तौर पर गाते हैं, उनकी माँ कैथोलिक गिरिजाघर के गायक-मंडल में गाती हैं और संगीत संबंधी रंगमंच में प्रशिक्षित हैं। जब वह तीन साल की थी तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया था।
अपने प्रारंभिक वर्षों में, जोजो अपनी माँ को ईसाईयों के स्तुति गीत का अभ्यास करते हुए सुनती थी। उसने नक़ल करते हुए २ वर्ष, ३ महीने की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था, वह नर्सरी की कविताओं से लेकर आर&बी, जैज़ और सोल ट्यून्स सब कुछ गाती थी। ए&इ के कार्यक्रम चाइल्ड स्टार्स ई: टीन रॉकर्स पर, उनकी माँ ने यह दावा किया था कि जोजो का बौद्धिक स्तर किसी भी अतिविलक्षण व्यक्ति के सामान है। एक बच्चे के रूप में जोजो को मूल अमेरिकी त्योहारों में शामिल होना पसंद करती थी और स्थानीय व्यासायिक रंगशालाओं में अभिनय करती थी'' .
सात वर्ष की उम्र में जोजो अमेरिकी हास्य कलाकार और अभिनेता बिल कॉस्बी के साथ टेलिविज़न कार्यक्रम किड्ज से द डैमेस्ट थिंग्स: ऑन द रोड इन बोस्टन, में दिखाई पडीं और उन्होंने गायक चेर के द्वारा गाया एक गाना भी गया. टेलिविज़न कार्यक्रम डेस्टिनेशन स्टारडम के लिए परीक्षण देने के बाद, जोजो ने अरेथा फ्रैंकलिन का १९६७ का सफल गाना "रिस्पेक्ट" & चेन ऑफ़ फूल्स गाया. इसके कुछ ही समय बाद, द ओफ्रा विनफ्रे कार्यक्रम ने उनसे कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए संपर्क किया। "किड्ज विद टेलेंट" की नियमित कड़ियों में से एक और अन्य कई कर्यरामों में उन्होंने मौरी पर प्रदर्शन किया. उस अनुभव को यद् करते हुए वह कहती हैं कि जब अभिनय की बात आती है, तो उन्हें किसी बात से डर नहीं लगता.:
जोजो का प्रसिद्द व्यवसायिक नाम उनके बचपन के उपनाम से लिया गाया है. ६ साल की उम्र में, जोजो के पास एक रिकॉर्ड के अनुबंध का प्रस्ताव आया, लेकिन उनकी माँ ने इसे अस्वीकार कर दिया क्यूंकि उन्हें लगता था कि जोजो अभी संगीत में कैरियर बनाने के लिहाज से बहुत छोटी है। वार्ता कार्यक्रमों में और मेक डोनाल्ड के गौस्पल फेस्ट, व्हिटनी हॉउसटन के "आइ बिलीव इन यू एंड मी" में काम करने के बाद टेलिविज़न कार्यक्रम, अमेरिकाज़ मोस्ट टैलेंटेड किड्ज, प्रतियोगता में भाग लिया, लेकिन वह इस कार्यक्रम की विजेता नहीं बन सकी और डायना डेगैम्रो से हार गयीं। रिकॉर्ड निर्माता विन्सेंट हर्बर्ट ने उनसे ब्लैकग्राउंड रिकॉर्ड्स के लिए परीक्षा देने हेतु संपर्क किया। बैरी हेंकर्सन के लिए परीक्षा के दौरान, हेंकर्सन ने उन्हें बताया कि उनकी भतीजी आलिया, जोकि बाद में गायिका बन गयी, के उत्साह के कारण ही वह उसके पास आये हैं। उन्हें इस उपनाम (लेबल) के लिए अनुबंधित कर लिया गया और उन्होंने द अन्डरडॉग एंड सोलशॉक & कार्लिन जैसे प्रसिद्द निर्माताओं के साथ रिकॉर्डिंग सत्र में भाग लिया।
जोजो का सजीव प्रसारण, जोना लेवेस्क, २००१ में रिकॉर्ड किया गया था, सोल और आर&बी गाने के प्रमुख कवर, जिसमे कि विल्सन पिकेट का १९६६ का "मस्टैंग सैली", एट्टा जेम्स का १९८९ का "इट एन्ट आल्वेस वाट यू डू (इट्स हू यू लेट सी यू डू इट)", अरेथा फ्रैंकलिन का १९६८ का "चेन ऑफ़ फूल्स" और १९६९ "द हॉउस दैट जैक बिल्ट", द मूनग्लोस का १९५६ का "सी सा", स्टीव वंडर का १९७२ का "सुपरस्टीशन" और द टेम्पटेशंस का १९७५ का "शेकी ग्राउंड" आदि शामिल थे।
२००३-२००५:जोजो नाम के साथ संगीत कैरियर की शुरुआत
२००३ में, १२ साल कि उम्र में, जोजो ने ब्लैकग्राउंड रिकॉर्ड्स/डा फैमिली के साथ अनुबंध कर लिया था और अपने पहले एल्बम पर कुछ निर्माताओं के साथ काम भी शुरू कर दिया था। जोजो का प्लेटिनम प्रमाणित पहला एकल गाना "ली (गेट आउट)" २००४ में जारी हुआ था। एल्बम के जारी होने के पहले, जोजो अपने जीवन के पहले दौरे, द सिंग्युलर बडी वाश, के लिए फेफे डॉबसन, यंग गुंज और ज़ेब्राहेड के साथ निकल पड़ी. यह दल ९ व्यवसायिक भवनों में गया, इसकी शुरुआत एटलान्टा के नौर्थलेक मॉल से हुई और अंत साउथ शोर प्लाज़ा पर हुआ। जब यह एकल टॉप ४० मेनस्ट्रीम में पहले स्थान पर पहुँच गया तो, १३ साल की उम्र में वह ऎसी सबसे युवा एकल गीतकार बन गई जिसका गाना अमेरिका का पहले स्थान का एकल गाना रहा हो। उनका पहला एकल गाना एमटीवी वीडियो म्युज़िक अवार्ड्स २००४ में सर्वोत्तम नए कलाकार के लिए नामांकित हुआ, जिसने जोजो को एमटीवी वीडियो म्युज़िक अवार्ड्स का सबसे युवा नामांकित कलाकार बना दिया। इसके बाद उनका पहला एल्बम जोजो आया, जिसकी बिक्री प्लेटिनम स्तर तक हुई थी, यह यू.एस. बिलबोर्ड २०० में चौथे स्थान पर पहुंचा और शीर्ष आर&बी/हिपहॉप एल्बम में दसवें स्थान पर रहा, इसकी लगभग १०७,००० प्रतियाँ बिकीं और यह यू.के एल्बम चार्ट में शीर्ष ४० में पहुँच गया। जोजो ने एल्बम के दो गानों का सहलेखन किया और एक पूरे गाने का सहलेखन और सहनिर्माण दोनों किया। दिसंबर २००४ में, बिलबोर्ड म्युज़िक अवार्ड्स में उन्हें मेनस्ट्रीम शीर्ष ४० और फ़ीमेल न्यू आर्टिस्ट ऑफ़ द इयर के लिए नामांकित भी किया गया। वह बिलबोर्ड म्युज़िक अवार्ड्स में नामांकन पाने वाली सबसे युवा कलाकार भी हैं।
उनका दूसरा एकल, "बेबी इट्स यू" जिसकी बिक्री स्वर्ण स्तर तक हुई थी और जिसमे रैपर बो वो भी विशेष रूप से सम्मिलित थे- यह गाना यू.एस. में २२ वें स्थान पर और यू॰के॰ में ८ वें स्थान पर पर रहा। स्व-शीर्षक एल्बम का आखिरी एकल, "नॉट द काइंडा गर्ल," २००५ में जारी हो गया था और जर्मनी में यह गाना ८5 वें स्थान पर पहुंचा था। २००५ के मध्य में एमिनेम ने अपने गाने "एज़ लाइक दैट" में उस समय की अन्य प्रसिद्द युवा महिला हस्तियों के साथ जोजो का भी उल्लेख किया था।
२००४ में जोजो ने "कम टूगेदर नाउ" में भाग लिया था जोकि २००४ एशियन सुनामी और २००५ के हरीकेन कैटरीना के पीड़ितों को लाभ पहुँचाने के लिए परोपकार के उद्देश्य से बनाया गया एकल गाना था। उस वर्ष, प्रथम महिला लारा बुश ने उनसे वाशिंगटन स्पेशल में २००४ क्रिसमस में प्रदर्शन देने के लिए अनुरोध किया था, इसका प्रसारण टीएनटी द्वारा और मेजबानी डॉ॰फिल एवम उनकी पत्नी रॉबिन मेक ग्रा द्वारा किया गया था. दूसरे अन्य कार्यक्रमों में रिपब्लिकन पार्टी की और से प्रदर्शन देने के बावजूद भी उन्होंने कहा था की "वह राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू. बुश द्वारा किये गए कार्यों से सहमत नहीं हैं। पर उसे अभी मैं वही छोड़ देना चाहूंगी." २००५ में जोजो ने होप रॉक्स कार्यक्रम में मेजबानी की और उसमे प्रदर्शन भी दिया, जो सिटी ऑफ़ होप कैंसर सेंटर के लाभ के लिए था और २००६ में उन्होंने टीवी गाइड चैनल के काउंटडाउन टू ग्रेमी अवार्ड्स की संयुक्त मेजबानी भी की थी।
२००६-२००७: द हाई रोड का काल
जोजो का दूसरा एल्बम, द हाई रोड, १७ अक्टूबर २००६ को जारी हुआ था। एल्बम ने बिलबोर्ड २०० पर तीसरे स्थान से शुरुआत की। यह स्कॉट स्टोर्च, स्विज़ बिट्ज़, जे.आर. रोटेम, कोरे विलियम्स, सोलशॉक & कार्लिन और रेयान लेज़ली द्वारा बनाया गया था। इसे मुख्यतः सकारात्मक समीक्षाएं ही मिलीं। जोजो कहती हैं की उनका अगला एल्बम वास्तव में यह दिखायेगा की वह किस प्रकार संगीत के इस स्तर तक पहुंची हैं और उन्हें अपनी आवाज़ और जो वह गाती हैं उस पर और अधिक विश्वास का अनुभव होता है.
२००६ की गर्मियों में, उनके दूसरे एल्बम का पहला एकल, "टू लिटिल टू लेट" रडियो स्टेशनों के लिए जारी कर दिया गया था। "टू लिटिल टू लेट" ने बिलबोर्ड हॉट १०० चार्ट के तीसरे स्थान पर पहुंचकर, सबसे ऊंची छलांग के पिछले सभी कीर्तिमानों को तोड़ दिया और एक ही सप्ताह में ६२वें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुँच गया; इससे पहले यह कीर्तिमान मरिया केरे के पास था जो उन्हें उनके २००१ के एकल "लवरबॉय" के लिए मिला था, जिसने ६०वें स्थान से दूसरे स्थान पर छलांग लगाई थी।[४६][४८] एल्बम का एक दूसरा आधिकारिक एकल, "हाउ टू टच अ गर्ल" इतनी सफलता नहीं पा सका। यह बिलबोर्ड हॉट १०० से बाहर ही रहा और बिलबोर्ड पॉप १०० में ७६वें स्थान पर पहुंचा। यह एकल द हाई रोड के उनके पसंदीदा गानों में से है जिसे उन्होंने स्वयं ही किखा था। १६ मार्च २००७ को द सेकेंड जैमएक्स किद्ज़ आल स्टार डांस स्पेशल ने जोजो के एक नए गाने का प्रसारण किया, जिसका शीर्षक "एनिथिंग" था, जिसमे १९८२ के टोटो के सफल गाने "अफ्रीका" के नमूने हैं, लेकिन इसका संगीत वीडियो नहीं था।[५०] इस एल्बम की 5५०,००० से भी ज्यादा प्रतियाँ बिकीं और इसे आरआइएए द्वारा स्वर्ण (गोल्ड) का प्रमाण भी मिला।
२० जुलाई २०07 को, सीन किंगस्टन के "ब्यूटीफुल गर्ल्स" के लिए जोजो द्वारा दिया गया उत्तर इंटरनेट पर प्रकट हो गया, जिसका शीर्षक "ब्यूटीफुल गर्ल्स रिप्लाई" था।[५२] एक महीने बाद बिलबोर्ड रिदमिक टॉप ४० चार्ट पर ३९वें स्थान से शुरुआत की। [५४] जोजो ने यह संदेश छोड़ा कि उसे अगले एकल गानेके लिए "कमिंग फॉर यू" और "लेट आईटी रेन" के बीच चुनाव करने के लिए अपने प्रशंसकों का सहयोग चाहिए, लेकिन द हाई रोड हेतु एक तीसरे एकल के जारी होने के कारण इसे निरस्त कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वह द हांइ रोड के समर्थन में २०07 की गर्मियों में यू.एस. और यूरोप का दौरा करेंगी
हालांकि कोई आधिकारिक दौरा नहीं किया गया, २००७ की गर्मियों में वह एक सजीव प्रसारण देने वाले बैंड के साथ सिक्स फ्लैग्स स्टारबर्स्ट थर्सडे नाइट कॉन्सर्ट के एक हिस्से के रूप में प्रदर्शन दे रही थी।[५६] इनमे से कुछ कार्यक्रमों के दौरान उन्होंने अपने पसंदीदा गानों का मिश्रण भी जोड़ दिया था, जिसमे बेयॉन्से का ("देजा वू"), केली क्लार्कसन का ("सीन्स यू बीन गोन"), एसडब्लूवी, नर्ल्स बर्कले, जैक्सन ५, जस्टिन टिम्बरलेक ("माय लव"), मरून ५, उशर, कैर्लोस सैन्टाना, जिल स्कॉट, माइकेल जैक्सन, जॉर्ज बेन्सन, मुसिक सोलचाइल्ड और एमी विनहाउस ("रिहैब", "बोस्टन" द्वारा प्रतिस्थापित शीर्षक).[५8][६०][६२] नवंबर २००७ में, जोजो ने लाइव पॉप रॉक ब्रासील में ब्रासील का भ्रमण किया।[६४]
१ दिसम्बर २००७ को 'टू लिटिल टू लेट" के लिए जोजो को वर्ष की राष्ट्रीय महिला गायक का बोस्टन म्यूज़िक अवार्ड मिला और उन्होंने प्रदर्शन भी दिया। [६६][६८][७०]
२००७ के अंत में जोजो ने कहा कि वह अपने तीसरे एल्बम के लिए गाने लिख रही थी, यह एल्बम उनके १८ वर्ष के हो जाने पर जारी किया जायेगा.[७२][७४] वह चाहती हैं कि उनके प्रशंसक उनके संगीत के विकास को देखें वह एक प्रकाशक भी रख रही हैं जिससे कि वह अपने लिहे कुछ गानों को गा भी सकें.[७६]
=== २००८- से अब तक: नया रिकॉर्ड अनुबंध और आल आइ वांट इस अवेरिथिंग
८ अप्रैल २००८ को "अल्टीमेट प्रॉम पार्टी" के लिए हर्स्ट टावर पर दिए गए एक साक्षात्कार में जोजो ने कहा कि वह बोस्टन और एट्लान्टा में एक एल्बम लिख रही हैं और इसका निर्माण भी करेंगी। [७९] उन्होंने निर्माताओं टैंक, डीजे टूम्प, जे. मॉस, टॉबी गेड, द अंडरडॉग्स, देन्जा, जे.आर. रोटेम, बिली स्टीनबर्ग, ब्रायन माइकेल कोक्स, मेर्षा एम्ब्रोसियस, मैड साइंटिस्ट, टोनी दिक्सान, एरिक दौकिंस और जे. गैट्सबाई को पंक्तिबद्ध कर रखा है।[८१] तैयार कार्य के तीन चौथाई हिस्से में उन्होंने मात्र एक गाना ही लिखा था।[८३] उन्होंने कहा कि यह अब तक का उनका सर्वाधिक निजी एल्बम होगा जिसकी प्रेरणा एक प्रेमसंबंध के टूटने और एक नए सम्बन्ध को ढूँदने से मिली है और साथ ही साथ पहले से और अधिक कामुक तथा एक औरत के रूप में और अधिक आत्मा-विश्वास का अनुभव करने से है उनका स्व-रचित शीर्षक गाने एक प्रेरणादायक गाने के रूप में वर्णित है।[८४] ३० अगस्त २००८ को, जोजो ने गाने "कैन्ट बिलीव इट" के उत्तर का अपने पक्ष प्रेषित किया, जिसमे वास्तव में टी-पेन ने काम किया था। १ सितम्बर को जोजो ने कहा कि उनका एल्बम २००९ की शुरुआत में जारी हो जायेगा. २००८ में, आर&बी गायक ने-यो ने जोजो के दूसरे एकल "बेबी इट्स यू" का नमूना बनाया[८६].
१४ अक्टूबर २००८ को, जोजो ने फेनवे पार्क बोस्टन, मेसाचुसेट्स में एएलसीएस के गेम ४ के पहले राष्ट्रगान गाया.[८८] ९ दिसम्बर २००८ को जोजो को पुनः बोस्टन म्यूज़िक अवार्ड और आउटस्टैंडिंग पॉप /आर&बी एक्ट ऑफ द इयर के लिए नामांकित किया गाया, लेकिन यह पुरस्कार गायक दल जेदा ने जीत लिया।[९0][९2]
जनवरी २००९ को जोजो ने अपने आधिकारिक माई स्पेस पर कहा कि वह निर्माताओं चेड ह्यूगो, जिम बीन्ज़ और केना के साथ काम कर रही है और वह वर्तमान में अपने नए एल्बम के लिए बहुत मेहनत कर रही हैं।[९४] उन्होंने कहा कि उन्हें अपने रिकॉर्ड लेबल को लेकर समस्या आ रही है और उन्होंने अपना लेबल ब्लैकग्राउंड से बदलकर इंटरस्कोप रिकॉर्ड्स को कर दिया है।
अप्रैल २००९ में, जोजो ने अपने माई स्पेस ब्लॉग में कहा कि वह भी ब्लैकग्राउंड द्वारा अधिकृत हैं।[९५] गायक-गीतकार जोवएं डाईस ने कहा कि वह जोजो के आने वाले एल्बम में डीजे टूम्प के साथ काम करेंगे। उन्होंने कहा: मै इस बारे में बहुत चयनशील हूँ कि मैं किसके साथ काम कर रहा हूँ क्यूंकि बहुत अलग अलग लोगों के साथ काम करने में मुझे अधिक रूचि नहीं रहती .मैं वास्तव में जोजो को पसंद करता हूँ. मुझे उनकी आवाज़ और संगीत पसंद है, मेरा ऐसा मानना है कि वह सच में प्रतिभाशाली हैं। हमने कुछ बहुत ही अच्छा संगीत तैयार किया है .[९७][९९] अप्रैल २००९ में जोजो ने अपने माई स्पेस ब्लॉग में कहा कि, वह नॉर्थइस्टर्न यूनिवर्सिटी में पदाई करेगी और अपने संगीत कैरियर पर भी ध्यान देंगी[१००]. अभी वह प्रतीक्षा कर रही हैं कि उनका रिकॉर्ड लेबल ब्लैकग्राउंड रिकॉर्ड्स एक नया अनुबंध पूर्ण कर ले जिससे कि वह शीघ्र ही अपना नया एल्बम जारी कर सकें.[१०१]
जोजो के दूसरे एल्बम द हाई रोड का गाना "नोट टू गॉड" अभी हाल ही में फिलीपीनी पॉप गायिका चेरिस द्वारा बनाया गया है।[१०२][१०४]
३ जून २००९यू ट्यूब को जोजो ने अपने आधिकारिक यूट्यूब अकाउंट पर कहा कि वह प्रतीक्षा कर रही हैं कि उनका रिकॉर्ड लेबले उनके एल्बम को जारी करने के लिए एक नए वितरण अनुबंध पर हस्ताक्षर करे, इसके अतिरिक्त आने वाले एल्बम पर उनका काम पूरा हो चूका है।[१०६] १० जून २००९ को टोबी गेड द्वारा लिखित उनके गानों "फियरलेस", "टच डाउन" और "अंडरनीथ" के नमूने नेट पर लीक हो गए।[१०7][१०9] जोजो ने अपने आधिकारिक माइ स्पेस पर यह प्रेषित किया कि:"यह गाने एल्बम में नहीं हैं और ना ही यह इस रिकॉर्ड की आवाज़ और निर्देशन को व्यक्त करते हैं ."[१११] मध्य जुलाई में उन्होंने अपने माई स्पेस पर कहा कि वह अन्य रिकॉर्डिंग कलाकारों और अपने लिए गाने लिख रही हैं और लॉस एंजेल्स में कुछ प्रतिभाशाली निर्माताओं के साथ बातचीत कर रही हैं।[11३]
अक्टूबर २००९ में, अंततः ब्लैकग्राउंड रिकॉर्ड्स द्वारा एक अनुबंध बना लिया गया जिसमे जोजो के तीसरे एल्बम का वितरण इंटरस्कोप रिकॉर्ड्स द्वारा करने की अनुमति दे दी गयी। जोजो ने ट्विटर पर इस बात की पुष्टि भी की.[११४][११६][११८] उन्होंने ६ वर्ष बाद डा फैमिली इंटरटेनमेंट को छोड़ दिया और अब इंटरस्कोप के साथ हैं। वर्तमान में उनका लेबल सभी २०१० में जारी होने वाले उनके तीसरे एल्बम के लिए सभी कानूनी मुद्दों को सुलझाने में लगा है।[११९]
२००९ के अंत में, जोजो टिम्बालैंड के शॉकवैल्यू ई के एक गाने "लूस कंट्रोल" में दिखायी पड़ीं और यह दो वर्षों बाद उनका किसी एल्बम पर आधिकारिक गाना है नवंबर में दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वह टिम्बालैंड के रिकॉर्ड पर काम करके बहुत उत्साहित हैं। वह एक अन्य गाने "टिमोथी वेयर यू बीन" में भी ऑस्ट्रेलियाई बैंड जेट के साथ बैक ग्राउंड की गायिका के रूप में दिखायी पड़ीं.[१२१][१२३] रैप-अप को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि:"मै कुछ ऐसा करना चाहती हूँ जिससे लोग यह कहकर प्रशंसा करें कि,"अद्भुद, इस लडकी ने बहुत लंबा सफर तय किया है और अब यह वास्तव में यहाँ राज करेगी, मैं चाहती हूँ कि लोग यह जान जाएँ कि मैं क्या हूँ" और यह भी बताया कि टिम्बालैंड, जिम बीन्ज़, द मेसेंजर्स, केना, चेड ह्यूगो और फेरेल विलियम्स उनके नए रिकॉर्ड पर काम कर रहे हैं, वह वापसी के लिए तैयार हैं और जनवरी में एल्बम के कुछ आखिरी सज्जा से सम्बंधित काम पूरे करेंगी.[१२४][१२५]
जोजो चार वर्ष की उम्र से अभिनय कर रही हैं। उन्होंने न्यू इंग्लैंड क्षेत्र के, स्थानीय रंगमंच, रेडियो और टीवी विज्ञापनों में काम किया और सात वर्ष की उम्र से राष्ट्रीय टीवी कार्यक्रमों में भी काम किया। जोजो ने मंच पर अपनी व्यवसायिक शुरुआत हंटिंग्टन थियेटर से आठ वर्ष की उम्र में शेक्सपियर के ए मिडसमर नाइट्स ड्रीम्स में मस्टर्डसीड के रूप में की थी। उन्हें अमेरिकन फेडेरेशन ऑफ़ टेलिविज़न एंड रडियो आर्टिस्ट (आफ्त्र) की और से १० वर्ष की उम्र में पहला यूनियन कार्ड मिला था।
टेलिविज़न कार्यक्रम श्रंखला द बर्नी मैक शो और अमेरिकन ड्रीम्स में काम करने के बाद, जोजो को हैली के किरदार के लिए एक्वामरीन में एम्मा रॉबर्ट्स और सारा प्रैक्सटन के विपरीत लिया गया। यह फिल्म ३ मार्च २००६ को जारी हुई, यह ७.५ मिलियन डॉलर के साथ पांचवें स्थान पर शुरू हुई.
उसकी दूसरी बड़ी फिल्म, आरवी, रॉबिन विलियम्स अभिनीत कॉमेडी फिल्म थी, यह २८ अप्रैल २००६ को जारी की गयी थी। इसकी शुरुआत पहले स्थान पर हुयी और इसने कुल ६९.७ मिलियन का व्यवसाय किया। जोजो को इस फिल्म में अपने किरदार के लिए ५ बार परीक्षण देना पड़ा था और अंततः उन्हें उस लड़की की जगह इस फिल्म में लिया गया जिसे पहले चुन लिया गया था।
जोजो ने कहा कि, "एक्वामरीन के सेट पर किसी ने मेरे लिए अभिनय प्रसिखाक की व्यवस्था नहीं की थी।" उन्होंने घोषणा की कि अपने फिल्मी किरदारों के लिए उनके पारिश्रमिक का लेखा "जोना'जोजो'लेवेस्क" के नाम से किया जायेगा, लेकिन अपने संगीत के कार्य के लिए वह:जोजो" के नाम से ही जानी जाएँगी.
२००५ में डिज्नी चैनल की और से सफल टेलिविज़न श्रंखला हेन्ना मोंटाना में जो स्टीवर्ट के किरदार का प्रस्ताव आया, उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया क्यूंकि वह वास्तव में टेलिविज़न कार्यक्रम करने में ज्यादा रूचि नहीं रखती थी। वह एक वैध कलाकार बनने के लिए ज्यादा चिंतित थी और वह वास्तव में अपने लिए एक फ़िल्मी कैरियर की इच्छा नहीं रखती थी।[१३०][१३२][१३४][१३४]
२८ अगस्त २००७, को बीओपी और टाइगर बीत ऑनलाइन के साथ एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा कि, वह एक नयी फिल्म पर काम काम कर रही हैं। १० सितम्बर को जोजो ने यह बताया कि वह लोला डगलस की ट्रू कन्फेशंस ऑफ अ हॉलीवुड स्टारलेट के एक लघु रूपांतरण के फिल्मांकन के लिए टोरंटो जा रही हैं और वह इसमें गोल्डेन ग्लोब विजेता वालेरी बर्टीनेल और ९02१०- सितारे शिएं ग्राइम्स के साथ मॉर्गन कार्टर की भूमिका करेंगी, इसका प्रसारण लाइफटाइम टेलिविज़न पर होगा.[१३८] यह फिल्म ९ अगस्त २००८ को लाइफटाइम टेलिविज़न पर जारी हो गयी थी और ३ मार्च 200९ को डीवीडी पर जारी हो गयी थी।[१४०]
अफवाहों के अनुसार, इस फिल्म की अगली कड़ी एल्विन एंड द चिप्मुंक्स में जोजो को ड्रू बैरी मोर और मिले साइरस के साथ जेनेट मिलर की भूमिका का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन २००९ में इन अफवाहों का खंडन कर दिया गया। बदले में यह भूमिका अभिनेत्री क्रिस्टीना एपलगेट कि मिल गयी।[१४२]
जोजो और उसकी माँ न्यू जर्सी में रहते हैं और उनका रिकॉर्डिंग स्टूडियो मैनहट्टन, न्यूयॉर्क शहर में है। उन्हें तीन वर्ष तक घर पर शिक्षा दी गयी थी, उन्होंने कहा है की "स्कूल निश्चित तौर पर उनके जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा था।" उनका शैक्षिकप्रदर्शन अच्छा था, उन्हें ए और बी की श्रेणी में अंक मिलते थे.
मई २००५ से सितम्बर २००६ तक, जोजो अमेरिकी फ़ुटबाल खिलाडी फ्रेडी एडू के साथ प्रेम संबंध में रहीं. दोनों की मुलाकात एमटीवी के कार्यक्रम फेक आइडी क्लब पर हुई थी, जब जोजो इसका संचालन कर रही थी। न्यू इंग्लैंड रिवौल्युशन के एक घरेलू खेल के दौरान जोजो कमेंट्री बॉक्स पर उपस्थित हुयी, जब वह लोग डी.सी. युनाइटेड से खेल रहे थे। फ्रेडी एडू इस खेल में एक सहायक के रूप में थे। नवम्बर २००६ में वाशिंगटन पोस्ट के एक लेख में यह कहा गया कि एक साल बाद इस जोड़े का अलगाव हो गया था। अमेरिकन टॉप ४० पर रायन सीक्रेस्ट के साथ जोजो ने यह बताया कि वह और फ्रेडी अभी भी अच्छे दोस्त हैं।
१८ अक्टूबर २००६ को लाइव विद रेगिस एंड केली की एक कड़ी में जोजो ने कहा कि वह इस समय किसी सम्बन्ध में नहीं है। वह, टीन पीपल पत्रिका के २००६ के संस्करण में भी थी जिसमे उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि अब फ्रेडी के साथ उनका अलगाव हो चुका है। उन्होंने कहा, "इस समय मैं किसी सम्बन्ध में नहीं हूँ और यह अच्छा भी है ."मेरी उम्र अभी बहुत कम है मै दिसंबर में १६ साल की होने वाली हूँ और अभी मैं बहुत व्यस्त हूँ. "अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्रेम करते हैं जो उच्च स्तरीय व्यवसाय में है तो स्थिति बहुत कठिन हो जाती है; हम दोनों ही अपने अपने जीवन में बहुत व्यस्त रहते थे।.."२००६ से उनकी, अभिनेत्री एम्मा रॉबर्ट्स, सारा प्रेक्स्टन और रॉबिन विलियम्स की बेटी ज़ेल्डा विलियम्स से बहुत अच्छी दोस्ती है ज़ेल्डा विलियम्स, जोजो के टू लिटिल टू लेट के बिहाईंड द सीन पर अपने पिता के साथ उपस्थित हुई थीं
२८ फ़रवरी २००७ को, उन्हें फ़ोर्ब्स सूची में, १ मिलियन वार्षिक आय वाले २५ वर्ष से कम उम्र के शीर्ष २० लोगों में, दसवां स्थान मिला
जोजो ने अपने माई स्पेस के ब्लॉग पर यह घोषणा की कि वह नॉर्थइस्टर्न यूनिवर्सिटी में पदेंगी, लेकिन इसके लिए वह आना कैरियर नहीं आरोधित करेंगी और यह तय किया कि वह अपने संगीत कैरियर पर भी ध्यान केंद्रित रखेंगी.[१४७] अगस्त २००९ में, उन्होंने यह बताया कि वह हाई स्कूल समाप्त कर चुकी हैं और अब अपनी आने वाली परियोजनाओं पर अत्यधिक ध्यान देंगी.[१४८]
जुलाई २००९ में, जोजो को सूची कॉम्प्लेक्स डोट कॉम की बेयरली लीगल : ९० के दशक की १० सर्वाधिक आकर्षक लड़कियों की सूची, एम्मा रॉबर्ट्स और विला हौलैंड के बाद ५ वां स्थान मिला.
अगस्त २००९ में सूचना मिली थी कि जोजो न्यूयॉर्क में अपने रिकॉर्ड लेबल दा परिवार मनोरंजन के खिलाफ उसे संगीत लीम्बो में डालने के लिए एक मुकदमा दायर किया। लेबल उसके अनुबंध से बाहर नहीं होने दे रहा था और उसे एक नया एल्बम भी रिकॉर्ड नहीं करने दे रहा था। उसे अपनी परेशानोयों से मुक्ति पाने और इस अनुबंध से मुक्त होने के लिए ५००, ००० डॉलर की आवश्यकता है. अक्टूबर २००९ में जोजो अपने इस अनुबंध से मुक्त हो गयी और इंटरस्कोप रिकॉर्ड्स के पास उनका वितरण लेबल बनने के लिए सौदे का प्रस्ताव भेजा गया.
डिस्कोग्राफी (रिकॉर्ड्स की सूची)
२००६: द हाई रोड
२०१०: आल आइ वांट इस एवरीथिंग''
फिल्मोग्राफी (फिल्मों की सूची)
सरकारी यूट्यूब चैनल
१९९० के दशक के गायक
अमेरिकी बाल कलाकार
अमेरिकी बाल गायक
अमेरिकी फिल्म कलाकार
अमेरिकी पॉप गायक
अमेरिकी रिदम और ब्ल्यूज़ के गायक-गीतकार
अमेरिकी टेलीविज़न कलाकार
आयरिश मूल के अमेरिकी संगीतकार
अंग्रेजी मूल के अमेरिकन लोग
फ्रेंच मूल के अमेरिकी लोग
वरमोंट के संगीतकार
मूल अमेरिकी कलाकार
मूल अमेरिकी गायक
पोलिश मूल के अमेरिकी संगीतकार
स्कॉटिश मूल के अमेरिकी संगीतकार
श्रेष्ठ लेख योग्य लेख
१९९० में जन्मे लोग |
अर्धसैनिक बल अर्ध-सैन्यीकरण बल होता है जिसका संगठनात्मक संरचना, रणनीति, प्रशिक्षण, उपसंस्कृति, और (अक्सर) कार्य एक पेशेवर सेना के समान होता है। लेकिन जिसे राज्य की औपचारिक सशस्त्र बलों के हिस्से के रूप में शामिल नहीं किया जाता है।
इन्हें भी देखें
भारत के अर्धसैनिक बल |
सजावलपुर-१ मुंगेर, मुंगेर, बिहार स्थित एक गाँव है।
मुंगेर जिला के गाँव |
दसवां संविधान संशोधन अधिनियम, १९६१
संविधान संशोधन अधिनियम
इसके अंतर्गत भूतपुर्व पुर्तगाली अन्तः क्षेत्रो - दादर एवम नगर हवेली को भारत में शामिल कर उन्हें केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है।
राष्ट्रपति की विनिमय बनाने की शक्ति के तहत उसमे प्रशाशन की व्यवस्था करने के लिये अनुच्छेद २४० ओर पहली सूची को संशोधित किया गया। |
एलूमलई (एलुमलाई) भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई ज़िले में स्थित एक नगर है।
इन्हें भी देखें
तमिल नाडु के शहर
मदुरई ज़िले के नगर |
इंडियन प्रीमियर लीग २०१९ का सीज़न आईपीएल का बारहवां सीजन होगा, २००७ में बीसीसीआई द्वारा स्थापित एक पेशेवर ट्वेंटी-२० क्रिकेट लीग है जिसका पहला संस्करण साल २००८ में खेला गया था। यह बारहवां संस्करण २३ मार्च से शुरू होने वाला है। हालांकि पहले बीसीसीआई के एक अधिकारी के मुताबिक, भारतीय आम चुनावों के कारण संयुक्त अरब अमीरात या दक्षिण अफ्रीका में इसका आयोजन हो सकता था लेकिन अब भारत में ही खेला जाएगा।
नीलामी और परिवर्तन
नवंबर २०१८ में सीजन के लिए खिलाड़ियों के स्थानान्तरण और रिटेनशन सूची की घोषणा की गई थी। गौतम गंभीर, युवराज सिंह और ग्लेन मैक्सवेल को अपनी-अपनी टीमों ने जारी किया जो सबसे बड़े खिलाड़ी थे। २०१८ की नीलामी में सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी जयदेव उनादकट को भी जारी किया गया। वहीं खिलाड़ियों की नीलामी १८ दिसंबर २०१८ को जयपुर में आयोजित की गई थी। जिसमें जयदेव उनादकट और अनकैप्ड वरुण चक्रवर्ती ८.४ करोड़ रुपये में सबसे महंगे खिलाड़ी रहे। सैम कुर्रन ७.२ करोड़ रुपये में सबसे महंगे विदेशी खिलाड़ी रहे। चेतेश्वर पुजारा, ब्रेंडन मैकुलम, मुशफिकुर रहीम और एलेक्स हेल्स जैसे प्रमुख खिलाड़ियों को फिर से किसी ने नहीं खरीदा।
ईएसपीएन पर पूरा कार्यक्रम
इंडियन प्रीमियर लीग
२०१९ में क्रिकेट |
वहाब रियाज़ (अंग्रेजी : वहब रियाज़) (उर्दू : ) जिनका जन्म पाकिस्तान के लाहौर शहर में २८ जून १९८५ में हुआ था। ये राष्ट्रीय टीम पाकिस्तान क्रिकेट टीम के लिए खेलते हैं। इन्होंने अपना पहला टेस्ट क्रिकेट मैच इंग्लैंड क्रिकेट टीम के विरुद्ध २०१० में खेला था। जबकि पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच ज़िम्बाब्वे सामने २००८ में खेला था।
पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी
१९८५ में जन्मे लोग |
१२ अक्षांश दक्षिण (१२त परलेल साउथ) पृथ्वी की भूमध्यरेखा के दक्षिण में १२ अक्षांश पर स्थित अक्षांश वृत्त है। यह काल्पनिक रेखा हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर व अटलांटिक महासागर के दक्षिणी भाग और दक्षिण अमेरिका, ओशिआनिया (ऑस्ट्रेलिया, इत्यादि) व अफ़्रीका के भूमीय क्षेत्रों से निकलती है।
इन्हें भी देखें
१३ अक्षांश दक्षिण
११ अक्षांश दक्षिण |
रबड़ी एक प्रकार का पकवान है जो दूध को बहुत उबाल कर व उसे गाढ़ा करके बनाया जाता है। भावप्रकाशनिघण्टु के अनुसार बिना जल छोड़े दूध को जितना ही अधिक औटाया जाये वह उतना ही अधिक गुणकारी, स्निग्ध (तरावट देने वाला), बल एवं वीर्य को बढ़ाने वाला हो जाता है। इसमें यदि खाँड व शक्कर मिला दी जाये तो रबड़ी बन जाती है। यह खाने में बहुत अधिक स्वादिष्ट होती है परन्तु देर से पचती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से ठण्ड की ऋतु में इसका सेवन लाभप्रद होता है। |
Subsets and Splits