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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: Super 30 Box Office Collection Day 17: ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) स्टारर फिल्म 'सुपर 30 (Super 30)' की बॉक्स ऑफिस पर लगातार कमाई जारी है. बिहार के मैथमैटिशियन आनंद कुमार के जीवन पर आधारित ये फिल्म 100 करोड़ रुपये के क्लब में शामिल हो चुकी है. हालांकि अब फिल्म की कमाई करने की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ गई है. बॉक्स ऑफिस इंडिया डॉट कॉम के मुताबिक विकास बहल (Vikas Bahl) के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने शनिवार को 4.50 करोड़ रुपये की कमाई की थी. हालांकि रविवार को ये आंकड़ा बढ़कर करीब 6 करोड़ रुपये के आस-पास पहुंच गया है. इस हिसाब से फिल्म 'सुपर 30 (Super 30)' ने अब तक करीब 125 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है. हालांकि इसकी अभी आधिकारिक आंकड़े आना बाकी है.
फिल्म सुपर 30 (Super 30)' की कमाई की रफ्तार भले ही धीमी पड़ रही हो, लेकिन इसने दर्शकों के दिल में खूब जगह बनाई है. इस फिल्म को बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित भारत के पांच राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है. फिल्म क्रिटिक्स के साथ ही दर्शकों से भी इस फिल्म को काफी सराहना मिल रही है. बता दें कि 'सुपर 30' ने पहले हफ्ते 75.85 करोड़ रुपए और दूसरे हफ्ते 37.86 करोड़ रुपए की कमाई की है.
ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) की फिल्म 'सुपर 30 (Super 30)' बिहार के आनंद कुमार के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने पिछड़े पृष्ठभूमि के बच्चों को मुफ्त में आईआईटी की तैयारी करवाई. इस फिल्म के जरिए लोगों को न केवल आनंद कुमार (Anand Kumar) के बारे में पता चला है, बल्कि उनके जीवन की कई कहानियां भी सुनने को मिली हैं. |
लोकसभा में पास होने के बाद अब तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश होगा. केंद्र सरकार के सामने इस बिल को राज्यसभा में पास कराना बड़ी चुनौती है. दूसरी तरफ उत्तर भारत में सर्दी का सितम लगातार जारी है, सोमवार के बाद मंगलवार की सुबह भी काफी सर्द रही. जिसका सीधा असर यातायात पर भी पड़ता रहा. पढ़ें सुबह की बड़ी खबरें...
BJP की अग्निपरीक्षा, कांग्रेस ने बदला स्टैंड तो राज्यसभा में अटक सकता है 3 तलाक बिल
तीन तलाक को जुर्म घोषित कर इसके लिए सजा मुकर्रर करने संबंधी विधेयक पर लोकसभा में मोदी सरकार को कांग्रेस के हाथ का साथ मिला. इसका नतीजा रहा कि तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' गुरुवार को लोकसभा में बिना संशोधन के पास हो गया. लेकिन लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी कांग्रेस के हाथ का साथ मोदी सरकार के साथ हो, ये जरूरी नहीं. अगर कांग्रेस ने राज्यसभा में अपना स्टैंड बदला तो फिर तीन तलाक के खिलाफ कड़े कानून का सपना साकार नहीं हो सकेगा.
जारी है सर्दी का सितम, कोहरे के चलते दिल्ली में 64 ट्रेनें लेट, 30 उड़ानों पर भी असर
दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में नए साल के आगाज के साथ ही सर्दी का सितम भी बढ़ गया है. राजधानी दिल्ली मंगलवार को न्यूनतम तापमान 5 डिग्री जबकि अधिकतम तापमान 20 डिग्री रहने का अनुमान है. कोहरे की वजह से राजधानी दिल्ली आने-जाने वाली 64 ट्रेनें देरी से चल रही हैं और 21 ट्रेनों के रद्द करना पड़ा है.
आज देश भर में हड़ताल पर डॉक्टर, बंद रहेंगे प्राइवेट अस्पताल
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक 2017 को 'जन विरोधी और मरीज विरोधी' करार देते हुए मंगलवार को देशभर के निजी अस्पतालों को 12 घंटे बंद रखने का आह्वान किया है. आईएमए के 2.77 लाख सदस्य हैं, जिसमें देशभर में फैले कॉरपोरेट अस्पताल, पॉली क्लीनिक एवं नर्सिग होम शमिल हैं.
बीजेपी MP नेपाल सिंह बोले- आर्मी में तो रोज जवान मरेंगे
उत्तर प्रदेश के रामपुर से बीजेपी सांसद नेपाल सिंह की ओर से जवानों की शहादत पर दिए बयान से विवाद खड़ा हो गया है. नेपाल ने कहा कि सेना में जवान तो रोज मरेंगे. सांसद जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन हमले में जान गंवाने वाले जवानों पर बयान दे रहे थे.
राज्यसभा में बिल से पहले मेरठ में दहेज के लिए दिया 3 तलाक
लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पास होने के बाद अब सरकार राज्यसभा में बिल पेश करने की तैयारी कर रही है. तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मेरठ से कथित तौर पर तीन तलाक का एक और मामला सामने आया है. |
देश और दुनिया के इतिहास में 16 जनवरी कई कारणों से महत्वपूर्ण है, जिनमें से ये सभी प्रमुख हैं...
1581:
ब्रिटेन में संसद ने रोमन कैथेलिक ईसाइयों के खिलाफ कानून पारित किया.
1681:
महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में क्षत्रपति शिवाजी के पुत्र संभाजी का भव्य राज्याभिषेक हुआ
1761:
अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांस के कब्जे से छीन लिया था.
1769:
कलकत्ता (अब कोलकाता) के अकरा में पहली बार सुनियोजित घुड़दौड़ का आयोजन किया गया.
1938:
प्रख्यात बंगाली साहित्यकार शरत चंद्र चटोपाध्याय का निधन.
1989:
सोवियत संघ ने मंगल ग्रह के लिए दो साल के मानव अभियान की अपनी योजना की घोषणा की. |
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक अलोक कुमार वर्मा को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमले किए हैं. कांग्रेस ने कहा कि मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिनके अवैध आदेशों को शीर्ष कोर्ट ने खारिज किया है. वहीं दूसरे सियासी दलों ने भी कहा कि यह आदेश सरकार के लिए बड़ा झटका है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, प्रधानमंत्री सीबीआई को तबाह करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने बेनकाब होने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं. इससे पहले भी उन्होंने इसी तरह केंद्रीय सतर्कता आयोग की विश्वसनीयता (सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश की सलाह की जरूरत) को दरकिनार कर उसे तबाह कर दिया था. मोदी अब ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं जिनके अवैध आदेशों को शीर्ष कोर्ट ने रद्द कर दिया है.
सरकारें आयी और सरकारें गयीं पर हमारे संविधानिक संस्थानों की स्वायत्तता हमेशा बरक़रार रही।
आज का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मोदी सरकार के लिए सबक़ भी है और सीख भी!
मोदी जी,
आपके नापाक इरादे ध्वस्त हो जाने के बाद,अब आप देश से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे !
pic.twitter.com/m0cf0WhdcI
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala)
January 8, 2019
सुरजेवाला ने मोदी को यह याद रखने के लिए कहा कि सरकारें आती जाती रहेंगी लेकिन संस्थानों की अखंडता हमेशा कायम रहती है. सुरजेवाला ने ट्वीट किया, यह आपके लिए हमारे लोकतंत्र और संविधान की मजबूती के बारे में एक सबक है. इससे पता चलता है कि आप कितने भी स्वेच्छाचारी हों, अंत में कानून आपको पकड़ ही लेता है.
सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री को 'लोकतांत्रिक संस्थानों को कुचलने वाला' करार दिया. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अदालत के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा कि आज आप लोगों पर दबाव बनाने के लिए इन एजेंसियों का इस्तेमाल करेंगे, कल कोई और ऐसा करेगा. ऐसे में लोकतंत्र का क्या होगा? वहीं माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि अदालत के फैसले से साबित होता है कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार इस मामले में सीधे तौर पर शामिल थे.
संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजेडी) सांसद मनोज झा ने इस फैसले को सरकार के मुंह पर करारा तमाचा बताया. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह आदेश इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी को सीधे दोषी ठहराता है. आम आदमी पार्टी प्रमुख ने ट्वीटर पर लिखा, सुप्रीम कोर्ट का सीबीआई प्रमुख को बहाल करना प्रधानमंत्री को सीधे तौर पर दोषी ठहराता है. मोदी सरकार ने देश के संस्थानों और लोकतंत्र को तबाह कर दिया. क्या सीबीआई निदेशक को आधी रात को अवैध रूप से हटाना राफेल घोटाले की जांच रोकने की कोशिश नहीं थी, जिससे सीधे प्रधानमंत्री जुड़े हुए हैं?
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने सियासी फायदे के लिए सीबीआई और एनआईए जैसी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग बंद कर देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह आदेश सीबीआई चीफ वर्मा के लिए अधूरी जीत है. उन्होंने कहा, उन्हें बहाल तो कर दिया गया है लेकिन उन्हें कोई भी नीतिगत फैसला लेने से रोक दिया गया है.
गौरतलब है कि अपने आदेश में अदालत ने कहा कि आलोक वर्मा के बारे में कोई भी फैसला सीबीआई निदेशक का चुनाव और नियुक्त करने वाली उच्च शक्ति प्राप्त समिति करेगी. यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस. के. कौल और के. एम. जोसेफ की पीठ ने सुनाया है. सीबीआई के निदेशक के रूप में वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा है. |
कटरीना कैफ और रणबीर कपूर का ब्रेकअप कोई नई बात नहीं है. लेकिन इस ब्रेकअप का खामियाजा भुगतना पड़ेगा इनकी आनेवाली फिल्म 'जग्गा जासूस' को. करीब एक साल पहले रणबीर-कटरीना अलग हुए थे. फिल्म तीन साल पहले बननी शुरू हुई थी और 7 अप्रैल को रिलीज हो रही है.
हालांकि, कटरीना ने 'जग्गा जासूस' की शूटिंग पूरी की थी, लेकिन प्रमोशन में वे नहीं जाएंगी. सिर्फ रणबीर कपूर 'जग्गा जासूस' के प्रमोशन के लिए जाएंगे. बताते हैं कि रणबीर को कटरीना से कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन
कटरीना को ऐतराज था.
सोशल मीडिया पर कटरीना ने ट्वीट करके इशारा भी किया- 'I have seen fire and I've seen rain, seen sunny days that I thought would never end.' असल में रणबीर के लिये 'जग्गा जासूस' अहम फिल्म है, क्योंकि
रणबीर कपूर
इसके सह-निर्माता भी हैं. साथ में निर्देशक अनुराग बसु भी फिल्म के निर्माता हैं. बिना हीरोइन के प्रमोशन को लेकर वे भी खुश नहीं हैं. अब देखना होगा कि क्या रणबीर कपूर और अनुराग बसु, आखिरी वक्त में कटरीना कैफ को मना पाएंगे. |
11:46 PM तुर्की के इस्तांबुल में हेलीकॉप्टर क्रैश, 7 की मौत
11:03 PM कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के साथ वार्ता पर विचार कर रहे हैं संयुक्त राष्ट्र महासचिव
10:32 PM केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड हाईकोर्ट में नए मुख्य न्यायाधीश नियुक्त
जस्टिस नवनीति प्रसाद केरल हाईकोर्ट, जस्टिस टीबी राधाकृष्णन छत्तीसगढ़, जस्टिस हेमंत गुप्ता मध्य प्रदेश, तो पीके मोहंती झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस होंगे.
10:23 PM तमिलनाडु: विश्वास मत के खिलाफ पन्नीरसेल्वम खेमे के पंडियाराजन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की
10:05 PM यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने करगिल शहीदों के 101 परिवारों के लिए 55 लाख रुपये का पेंशन मंजूर किया
09:26 PM मंजीव सिंह पुरी को नेपाल में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया
अभी बेल्जियम में भारत के राजदूत हैं पुरी
09:05 PM सैफुल्ला के दोस्त रॉकी राणावत ने इटावा में SSP के सामने सरेंडर किया
एटीएस को लंबे समय से थी राणावत की तलाश
08:55 PM उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में अगले 24 घंटों में भारी बारिश और बर्फबारी की चेतावनी
08:42 PM छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बिजली गिरने से डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप के 3 जवान घायल
08:30 PM उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में जमीन धंसने से एक शख्स की मौत, दो लापता
08:08 AM जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा और बांदीपुरा में अगले 24 घंटे गंभीर हिमस्खलन की चेतावनी
07:58 PM रिजर्व बैंक ने 6 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया
07:40 PM श्रीलंका ने 53 भारतीय मछुआरों को जेल से रिहा किया
07:28 PM मदर डेयरी ने दिल्ली एनसीआर में दूध की कीमत प्रति लीटर 2 रुपये बढ़ाई
नई कीमतें शनिवार से होंगी लागू.
07:15 PM केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रीयो के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
टीएमसी विधायक महुआ मोइत्रा की शिकायत पर अलीपुर के सीजेएम ने जारी किया वारंट.
CJM Alipore issued arrest warrant against Union Min Babul Supriyo on a complaint by TMC MLA Mahua Moitra alleging he insulted her modesty.
pic.twitter.com/deA0PJRwDH
— ANI (@ANI_news)
March 10, 2017
07:06 PM दिल्ली के बवाना में दीवार ढहने से एक शख्स की मौत, एक घायल
07:02 PM महाराष्ट्र: 12वीं बोर्ड परीक्षा की 'बुक कीपिंग एंड अकाउंटेंसी' का प्रश्न पत्र लीक
कांदीवली में हुए इस पेपर लीक मामले में तीन लोग हिरासत में लिए गए.
06:39 PM एयर इंडिया के विमान का हंगरी के पास ATC से संपर्क टूटा, हंगरी सरकार ने पता लगाने को भेजे फायटर जेट्स
बचाव कोशिशों के बाद सुरक्षित लैंड किया एयर इंडिया का विमान. सभी यात्री और क्रू सदस्य महफूज.
06:36 PM दिल्ली में होली के दिन दोपहर 2:30 बजे तक नहीं चलेगी मेट्रो
06:31 PM अंडमान निकोबार द्वीपसमूह पर 4.7 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए
05:52 PM जनवरी महीने में औद्योगिक उत्पादन में 2.7% का इजाफा
05:42 PM गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर एक शख्स के पास 20 करोड़ रुपये कीमत वाली दुलर्भ छिपकली जब्त
Guwahati (Assam): Police seize a rare golden lizard worth Rs 20 crore (approx) from a person at city's railway station.
pic.twitter.com/LrRRmb25RK
— ANI (@ANI_news)
March 10, 2017
05.39 PM मणिपुर में नतीजों का असर नहीं, सभी जानते हैं चुनाव में बाहुबल और धनबल का इस्तेमाल- इरोम शर्मिला
05.11 PM जम्मू-कश्मीर: पुंछ में शहीद हुए सिपाही दीपक जगन्नाथ को सेना ने दी श्रद्धांजलि
J&K: Wreath laying ceremony of Army jawan, Sepoy Deepak Jagannath Ghadge, who lost his life in ceasefire violation by Pakistan in Poonch.
pic.twitter.com/kgHBbVYQdQ
— ANI (@ANI_news)
March 10, 2017
05.01 PM राज्य सभा की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित
04:56 PM नकद चंदा लेने के नियमों का उल्लंघन करने वाली पार्टियों पर होगी कड़ी कार्रवाई- चुनाव आयोग
04:04 PM दिल्ली और आसपास के इलाकों में तेज बारिश के साथ ओले गिरे
03:44 PM नासा को दिख गया गायब 'चंद्रयान-1', चांद का लगा रहा है चक्कर
03:40 PM पाकिस्तान की संसद ने ऐतिहासिक हिंदू मैरिज बिल पारित किया
03:39 PM विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के विज्ञापन खर्च में पाई गई गड़बड़ी
02:38 PM यूपी: कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज में धमाका, 2 घायल
02:32 PM अगले 2 घंटे में दिल्ली के कई इलाकों में होगी बारिश
अगले दो घंटों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र रेवाड़ी, नूह, सोहना, होडल, पलवल, मानेसर, गुडगांव, फ़रीदाबाद और आसपास के इलाकों में गर्ज के साथ बारिश होगी.
02:23 PM सीमा पर नेपाली नागरिक की हत्या के मामले में भारत-नेपाल के अधिकारियों ने की बैठक
शांति-व्यवस्था बनाए रखने पर हुई सहमति
02:19 PM दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया विधानसभा में पेश करेंगे सीएजी रिपोर्ट
02:10 PM वारंट के आदेश को जस्टि स सी एस कर्नन ने बताया मनमाना, बोले-दलित जज पर हो रहा अत्याचार
01:49 PM लालू प्रसाद यादव ने कहा-एक्जिट पोल हमेशा फेल होते हैं, यूपी में गठबंधन की सरकार बनेगी
01:43 PM पार्टी के विधायक करेंगे मुख्यमंत्री का चुनाव: केशव प्रसाद मौर्य
01:42 PM यूपी में बीजेपी को हर वर्ग ने वोट दिया: केशव प्रसाद मौर्य
01:36 PM श्रीलंका और पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारतीय मछुआरों की हत्या पर सरकार देगी विस्तृत बयान
01:32 PM गोवा में RSS से अलग हुए नेता सुभाष वेलिंगकर ने बीजेपी को नुकसान पर जताई खुशी
01:27 PM उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पूर्ण बहुमत हासिल करने का किया दावा
01:23 PM इलाहाबाद में एक्जिुट पोल्स से उत्साहित बीजेपी कार्यकर्ताओं ने की आतिशबाजी
BJP workers celebrate in Allahabad after
#ExitPolls
show the party leading/winning in Uttar Pradesh
pic.twitter.com/th1oLgTKsF
— ANI UP (@ANINewsUP)
March 10, 2017
01:09 PM फरवरी 2017 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह 10.7 फीसदी बढ़कर 6.17 लाख करोड़ रुपये पहुंचा
01:02 PM एमपी ट्रेन ब्लास्ट मामले में कुल 8 लोगों की गिरफ्तारी, आगे NIA करेगी जांच: राजनाथ सिंह
01:02 PM राज्यसभा की कार्यवाही 2:30 बजे तक स्थगित
01:00 PM 2012 मारुति सुजूकी फैक्ट्री हिंसा मामले में हरियाणा कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी करार दिया
2012 मारुति सुजूकी फैक्ट्री हिंसा मामले में हरियाणा कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी और 117 लोगों को निर्दोष करार किया.
12:55 PM फरवरी माह तक अप्रत्यक्ष कर संग्रह 22 फीसदी बढ़कर 7.72 लाख करोड़ रुपए पहुंचा
12:48 PM पाकिस्तान को 'आतंक का प्रायोजक देश' घोषित करने को अमेरिकी सांसदों ने बिल किया पेश
12:43 PM पाक को आतंकी राष्ट्र घोषित करने को लेकर आज 2.30 बजे सांसद राजीव चंद्रशेखर लाएंगे निजी बिल
12:40 PM केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष वी एम सुधीरन ने दिया इस्तीफा
12:38 PM नीट परीक्षा उर्दू में: केंद्र ने SC से कहा-अगले सत्र से इस पर करेगी विचार
12:28 PM नीट परीक्षा उर्दू में भी देने की मांग का मामला: केंद्र सरकार ने जवाब के लिए मांगा समय
12:25 PM SC ने धीरूभाई अंबानी को पद्म विभूषण देने को चुनौती देने वाली PIL की खारिज
12:22 PM लोकसभा में मातृत्व लाभ संशोधन विधेयक पास, प्रधानमंत्री ने बताया ऐतिहासिक क्षण
12:19 PM उरी हमले में गिरफ्तार दो पाक नागरिक सुबूतों के अभाव में रिहा, भेजे जाएंगे पाकिस्तान
12:09 PM रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा-सेना में सहायक सिस्टम के बारे में शिकायतों का होगा समाधान
11:56 AM अगस्टा वेस्टलैंड में पत्रकारों की भूमिका की जांच के लिए PIL को SC ने किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपों के आधार पर मीडिया की आजादी पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता
11:54 AM सैफुल्ला के पिता पर पूरे राज्यसभा को है गर्व: पीजे कुरियन, डिप्टी चेयरमैन
11:23 AM नेवी के वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट आईएनएस तिलांचांग का कर्नाटक समुद्र तट पर जलावतरण
11:19 AM यूपी में होगी कांग्रेस-सपा गठबंधन की जीत : राहुल गांधी
11:17 AM तिब्बती जनक्रांति दिवस के अवसर पर तिब्बती युवाओं ने चीनी दूतावास के सामने किया प्रदर्शन
तिब्बती जनक्रांति दिवस के अवसर पर तिब्बती युवाओं ने चीनी दूतावास के सामने किया प्रदर्शन
11:15 AM कलकत्ता हाईकार्ट के जज सीएस कर्नन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया वारंट
11:07 AM आजतक से बोले राहुल गांधी-एक्जिट पोल पर मेरी कोई राय नहीं
11:04 AM किंग्स एलेवन पंजाब में मुरली विजय की जगह ग्लेन मैक्सवेल बने कप्तान
10:52 AM बस्तर के पत्रकार संतोष यादव रिहा, माओवादियों से संपर्क के आरोप में जेल में थे बंद
10:43 AM छत्तीसगढ़: बीजापुर में दो माओवादी गिरफ्तार, राइफल और पिस्टल बरामद
राज्य के बीजापुर में पुजारीकिंकर जंगल से दो माओवादियों को गिरफ्तार किया गया. उनके पास से 1 303 राइफल और 1 पिस्टल बरामद हुई है.
10:37 AM संसद की रणनीति को लेकर पीएम मोदी की कोर ग्रुप की बैठक शुरू
संसद भवन में प्रधानमंत्री के दफ्तर में कोर ग्रुप की बैठक शुरू हो गई है. बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, वित्त मंत्री अरुण जेटली, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार बैठक में शामिल हैं.
10:30 AM जुगाड़ की सरकार के जो लोग सपने देख रहे हैं, वो सपने ही रहेंगे: नकवी
Jugaad ki sarkar ke jo log sapne dekh rahe hain, vo sapne sapne hi rahenge: MA Naqvi,Union Minister on Akhilesh Yadav
#uppolls
pic.twitter.com/jyJLMy6G9I
— ANI UP (@ANINewsUP)
March 10, 2017
10:20 AM रामगोपाल यादव ने सपा कांग्रेस गठबंधन को 236 सीट मिलने का दावा किया
रामगोपाल यादव ने कहा कि सपा कांग्रेस गठबंधन को 236 सीटें मिलेंगी और सैफई में कल होली मनाई जाएगी.
10:09 AM छत्तीसगढ़ के बीजापुर इलाके से दो माओवादी गिरफ्तार
10:06 AM बीजेपी संसदीय बोर्ड की कल शाम 4 बजे हो सकती है बैठक
चुनाव नतीजों की समीक्षा और आगे की रणनीति के लिए संसदीय बोर्ड की बैठक होगी
09:47 AM दबाव की वजह से टीवी के एक्जिट पोल्स में किया गया बदलाव: राम गोपाल यादव
09:40 AM अमेरिका में भारतीय छात्र देबार्पन मुखर्जी को ब्रेन हैमरेज, सुषमा स्वराज ने दिया मदद का भरोसा
09:36 AM ममता बनर्जी की माया के बारे में अखिलेश से बातचीत का TMC सूत्रों ने किया खंडन
09:26 AM बीजेपी यूपी में दो-तिहाई बहुमत लेकर आएगी: ओम माथुर, बीजेपी नेता
09:12 AM हैदराबाद में कथित रूप से एक हेड कांस्टेबल ने 15 साल की लड़की का अपहरण किया, केस दर्ज
08:42 AM आज लोकसभा की रणनीति को लेकर 10.15 बजे होगी कांग्रेस की बैठक
08:40 AM बर्फबारी से लगातार तीसरे दिन जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे बंद
08:37 AM जर्मनी के स्टेशन पर कुल्हाड़ी से हमला कर सात लोगों को घायल करने वाला व्यक्ति< गिरफ्तार
08:27 AM हेट क्राइम के खिलाफ सभी अमेरिकियों को एक होना चाहिए: व्हाइट हाउस प्रवक्ता
08:21 AM साउथ कोरिया की संवैधानिक कोर्ट ने दोषी राष्ट्रपति पार्क ग्वेन हे को बर्खास्त किया
08:06 AM पाक के रेड कॉर्नर नोटिस पर बोले बलोच नेता ब्रह्मदाग बुगती- इसे कोई गंभीरता से नहीं लेगा
07:55 AM हिमाचल प्रदेश के शिमला में फिर से बर्फबारी शुरू
06:30 AM भारतीय फुटबॉल टीम फीफा रैंकिंग में 2 रैंक खिसककर 132 पर पहुंची
05:48 AM स्विटजरलैंड कैफे में हुई गोलीबारी में दो लोग मारे गए
05:17 AM स्विटजरलैंड मे एक कैफे के भीतर गोलीबारी, 1 शख्स बुरी तरह घायल
04:30 AM जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के कई इलाकों में बर्फबारी के साथ हिमस्खलन की संभावना
02:55 AM डूसेलडॉर्फ स्टेशन के बाहर कुल्हाड़ी से हुए हमले में 5 लोग घायल
02:10 AM दूसरे हाउस पैनल ने ओबामाकेयर को हटाने के रिप्बलिक प्रपोजल को माना
01:30 AM स्नैप आईपीओ के बाद अमेरिकी रेगुलेटर स्टाइन ने वोट के अधिकार पर सवाल खड़े किए
12:12 AM कश्मीर के अवंतिपुरा में आतंकी को उसकी पत्नी के जरिये समझाने की सुरक्षा बलों की कोशिश नाकाम
सुरक्षा बलों की इस कोशिश के बावजूद आतंकी बरसाता रहा गोलियां, जिसके बाद उसे मार गिराया गया.
#WATCH
: To avoid killing a terrorist security forces take his wife's help but terrorist continued to fire & was later killed(Awantipora,J&K)
pic.twitter.com/K8T2RZ3DkH
— ANI (@ANI_news)
March 9, 2017 |
केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि इस समय दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार को पद से हटाने का कोई इरादा नहीं है.
चिदंबरम ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद बुधवार को कहा कि युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म के विरोध में प्रदर्शन के बाद नीरज कुमार को हटाना उचित नहीं होगा.
वित्त मंत्री ने कहा, 'मेरे विचार से इस समय यह करना पूरी तरह से अनुचित होगा. मेरे विचार से आयुक्त अपना काम कर रहे हैं. यदि कोई भी लापरवाही हुई है तो उसे हम देखेंगे.'
सामूहिक दुष्कर्म के बाद से ही नीरज कुमार लोगों के निशाने पर हैं. दुष्कर्म के विरोध में सड़क पर उतरे लोगों पर लाठी चार्ज की भी निंदा की जा रही है.
चिदंबरम ने कहा कि नीरज कुमार ने पुलिस द्वारा बल प्रयोग करने के लिए पहले ही खेद प्रकट कर चुके हैं.
उन्होंने कहा, 'मेरे विचार से पहली जरूरत स्थितियों को सामान्य करने की है. मैंने टीवी पर देखा है कि पुलिस आयुक्त ने किसी भी निर्दोष को चोट पहुंचने पर माफी मांगी है.' |
यह एक लेख है: केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि भ्रष्टाचार की बीमारी ने देश के मुसलमानों सहित कमजोर तबकों को सबसे ज्यादा अपना शिकार बनाया जिसके चलते मुस्लिम समाज गरीबी रेखा के नीचे आता गया. उन्होंने कहा कि गरीबों और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए उनकी सरकार सबका साथ, सबका विकास की भावना के साथ काम कर रही है.
‘सेलिब्रेशन अरेबिक डे 2016’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में नकवी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उनके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक सशक्तिरण के लिए किए गए बड़े पैमाने पर खर्च के बावजूद मुस्लिम गरीबी रेखा के नीचे रह गए. इसका मुख्य कारण बेईमानी और बिचौलियों का बोलबाला रहा है.
उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार ने बिना बिचौलियों के गरीबों तक सीधा लाभ पहुंचाने का अभियान शुरू किया, जिसके चलते अब तक अरबों रुपयों की होने वाली लूट रुकी है और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मुसलमानों सहित सभी गरीबों, जरूरतमंदों को हुआ है तथा लूट लॉबी पर लगाम लगी है.
नकवी ने कहा कि कुछ लोग सियासी वजहों से कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का विरोध कर गरीबों की खुशहाली को रोकना चाह रहे हैं लेकिन ईमानदारी बनाम बेईमानी की इस लड़ाई में पूरा देश एकसाथ खड़ा है और बेईमानों का बंटाधार तय है. उन्होंने नोटबंदी को गरीबों के विकास का एक बड़ा आधार बताया.टिप्पणियां
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
‘सेलिब्रेशन अरेबिक डे 2016’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में नकवी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उनके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक सशक्तिरण के लिए किए गए बड़े पैमाने पर खर्च के बावजूद मुस्लिम गरीबी रेखा के नीचे रह गए. इसका मुख्य कारण बेईमानी और बिचौलियों का बोलबाला रहा है.
उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार ने बिना बिचौलियों के गरीबों तक सीधा लाभ पहुंचाने का अभियान शुरू किया, जिसके चलते अब तक अरबों रुपयों की होने वाली लूट रुकी है और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मुसलमानों सहित सभी गरीबों, जरूरतमंदों को हुआ है तथा लूट लॉबी पर लगाम लगी है.
नकवी ने कहा कि कुछ लोग सियासी वजहों से कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का विरोध कर गरीबों की खुशहाली को रोकना चाह रहे हैं लेकिन ईमानदारी बनाम बेईमानी की इस लड़ाई में पूरा देश एकसाथ खड़ा है और बेईमानों का बंटाधार तय है. उन्होंने नोटबंदी को गरीबों के विकास का एक बड़ा आधार बताया.टिप्पणियां
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उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार ने बिना बिचौलियों के गरीबों तक सीधा लाभ पहुंचाने का अभियान शुरू किया, जिसके चलते अब तक अरबों रुपयों की होने वाली लूट रुकी है और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मुसलमानों सहित सभी गरीबों, जरूरतमंदों को हुआ है तथा लूट लॉबी पर लगाम लगी है.
नकवी ने कहा कि कुछ लोग सियासी वजहों से कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का विरोध कर गरीबों की खुशहाली को रोकना चाह रहे हैं लेकिन ईमानदारी बनाम बेईमानी की इस लड़ाई में पूरा देश एकसाथ खड़ा है और बेईमानों का बंटाधार तय है. उन्होंने नोटबंदी को गरीबों के विकास का एक बड़ा आधार बताया.टिप्पणियां
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नकवी ने कहा कि कुछ लोग सियासी वजहों से कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का विरोध कर गरीबों की खुशहाली को रोकना चाह रहे हैं लेकिन ईमानदारी बनाम बेईमानी की इस लड़ाई में पूरा देश एकसाथ खड़ा है और बेईमानों का बंटाधार तय है. उन्होंने नोटबंदी को गरीबों के विकास का एक बड़ा आधार बताया.टिप्पणियां
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हेडगेवार स्मृति मंदिर रेशमबाग, नागपुर, महाराष्ट्र, भारत में एक स्मारक है जो हेडगेवार एवं गोलवलकर को समर्पित है. ये दोनों हिंदू राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संघचालक रहे. १९६२ में इसका उद्घाटन किया गया था। महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) द्वारा 2017 में इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया था.
इतिहास
हेडगेवार राष्ट्रवादी हिन्दू संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे. १९४० में उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार रसस के मुख्यालय रेशमबाग में किया गया और वहां पर एक समाधी का निर्माण किया गया. ९ अप्रैल १९६२ (वर्ष प्रतिपदा) को इसका उद्घाटन श्री गोलवलकर के द्वारा हुआ. गोलवालकर की मृत्यु के बाद उनका समाधी स्थल भी यहीं बनाया गया. इसे बनाने में अनूठे शिल्पकला का प्रयोग किया गया है. इस स्मृति स्थल का प्रबंधन "डॉ हेडगेवार स्मारक स्मृति" के द्वारा किया जाता है. रसस का प्रशिक्षण वर्ग यहाँ पर किया जाता है.
संदर्भ
हिन्दी दिवस लेख प्रतियोगिता २०१८ के अन्तर्गत बनाये गये लेख |
चूंकि मेलबोर्न स्थित मिनोग के निवास स्थान के बाहर मीडिया तथा उनके प्रशंसकों की भीड़ एकत्रित होने लगी थी, विक्टोरियन प्रीमियर स्टीव ब्रेक्स ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को यह चेतावनी दी कि ऑस्ट्रेलियाई निजस्वता क़ानून के तहत मिनोग परिवार के अधिकारों पर किसी तरह का व्यवधान बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उनकी यह टिप्पणी मीडिया की समग्र प्रतिक्रिया के रूप में व्यापक आलोचना का शिकार बना, ख़ास तौर पर पीत पत्रकारिता के क्षेत्र में इस मामले को ख़ूब उछाला गया।मेल्वर्न के कैब्रिनी अस्पताल में 21 मई 2005 को मिनोग का ऑपरेशन हुआ एवं उसके तुरंत बाद ही उनकी केमोथेरपी शुरू हुई.सर्जरी के बाद वे सार्वजनिक रूप से पहली बार 8 जुलाई 2005 को नज़र आईं, जब उन्होंने मेलबोर्न स्थित रॉयल चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में बच्चों के कैंसर वार्ड का दौरा किया। उसके बाद वे फ्रांस लौटी जहां पेरिस के पास विलेजुइफ़ स्थित इंस्टीट्यूट गस्टेव-रूसी में उन्होंने अपने केमोथेरपी की चिकित्सा पूरी की. दिसंबर 2005 में, मिनोग ने अपने शोगर्ल दौरे का लाइव रिकॉर्डिंग वाला केवल एकल का एक डिजिटल "ओवर द रेनबो" रिलीज़ किया। अपने स्वास्थ्य-लाभ के दिनों में लिखी गई बच्चों की उनकी किताब द शोगर्ल प्रिंसेस ' अक्टूबर 2006 में प्रकाशित हुई तथा उनका इत्र नवम्बर में लॉन्च किया गया। अपने कॉन्सर्ट दौरे के लिए ऑस्ट्रेलिया लौटने के बाद उन्होंने अपनी बीमारी के बारे में चर्चा की तथा कहा कि उनकी केमोथेरेपी की चिकित्सा "किसी परमाणु बम के अनुभव" जैसा था। 2008 में द एलेन दिजेनेरेस शो ' के दौरान मिनोग ने कहा कि मूलतः उनका कैंसर गलत पकड़ा गया था। उन्होंने टिप्पणी की "महज़ इसलिए कि कोई सफ़ेद कोट पहने है और बड़े-बड़े चिकित्सा उपकरणों का प्रयोग कर रहा है, यह ज़रूरी नहीं कि उसका मतलब वे सही ही हों", लेकिन बाद में उन्होंने चिकित्सा पेशे के बारे में अपना सम्मान ज़ाहिर किया।अपने कैंसर के निदान तथा उसके उपचार के बारे में सार्वजनिक रूप से चर्चा किये जाने का जो प्रभाव उन्होंने डाला था, उसका असर हुआ; मई 2008 में फ्रांसीसी सांस्कृतिक मंत्री क्रिस्टीन एल्बनेल ने कहा "अब डॉक्टर इस हद तक पहुंच जाते हैं कि वे इसे "काइली प्रभाव" तक कह डालते हैं, जिससे युवा महिलाएं नियमित जांच के लिए जागरूक होती हैं।" |
छेदी पासवान (जन्म 4 फरवरी 1956) 16वीं लोकसभा के पूर्व सदस्य और बिहार विधान सभा के पूर्व सदस्य हैं। वह 2014 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रतिनिधित्व करते हैं। विभिन्न बिंदुओं पर, वह जनता पार्टी, फिर उसके चरण सिंह गुट, फिर जनता दल, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, लालू प्रसाद यादव की राजद और नीतीश कुमार की जद (यू) के साथ रहे हैं।
करियर
वह 1980 के बिहार विधानसभा चुनाव में चेनारी निर्वाचन क्षेत्र से चरण सिंह गुट के सदस्य के रूप में हार गए। 1985-89 के बीच, वह बिहार विधान सभा के सदस्य थे, जहाँ उन्होंने चेनारी से लोक दल पार्टी का प्रतिनिधित्व किया। वह 1987-89 के बीच बिहार में युवा लोक दल के महासचिव थे।
पासवान 1989 और 1991 में सासाराम निर्वाचन क्षेत्र से जनता दल के उम्मीदवार के रूप में भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुने गए, दोनों मौकों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की मीरा कुमार को हराया। वह 1996 का लोकसभा चुनाव भाजपा के मुनि लाल से हार गए। वह 1998 में सासाराम से राकांपा के सदस्य और 1999 में बसपा के सदस्य के रूप में लोकसभा चुनाव हार गए। फिर वे लालू प्रसाद के राजद के सदस्य के रूप में चेनारी से बिहार विधानसभा (2000-2005) के लिए चुने गए। फिर वह नीतीश कुमार के जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हो गए और फरवरी 2005 में मोहनिया सीट से चुनाव हार गए, और वहां से अक्टूबर 2005 और 2010 में जीत हासिल की।
पार्टी नेता नीतीश कुमार पर निरंकुश तरीके से काम करने का आरोप लगाने के बाद वह 2014 में जनता दल (यूनाइटेड) से भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और सासाराम सीट जीती लेकिन पटना उच्च न्यायालय ने इस आधार पर जीत को रद्द कर दिया कि उनके चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का उल्लेख नहीं है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश पर रोक लगा दी लेकिन पासवान के मतदान के अधिकार को बहाल नहीं किया गया, जिसने उन्हें 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने से रोक दिया।
व्यक्तिगत जीवन
पासवान का जन्म 4 फरवरी 1956 को सासाराम में रामचंद्र पासवान और लक्ष्मीना देवी के घर हुआ था। उन्हें पटना विश्वविद्यालय से श्रम और समाज कल्याण में एमए की डिग्री से सम्मानित किया गया। उन्होंने प्रेमकली देवी से शादी की है। उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं।
संदर्भ
१७वीं लोक सभा के सदस्य
बहुजन समाज पार्टी के राजनीतिज्ञ
राष्ट्रीय जनता दल के नेता
१६वीं लोक सभा के सदस्य
१०वीं लोक सभा के सदस्य
९वीं लोक सभा के सदस्य
जीवित लोग
1956 में जन्मे लोग |
यह एक लेख है: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनी पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने से निराश तलवार दम्पति ने कहा है कि जब तक उनकी इकलौती बेटी आरुषि के वास्तविक हत्यारे नहीं पकड़ लिए जाते, वे आराम से नहीं बैठेंगे।
गौरतलब है कि नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दंपति की पुनर्विचार याचिका के साथ-साथ आरुषि की मां नूपुर तलवार की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। दरअसल, पुनर्विचार याचिका में दंपति ने कोर्ट से हत्याकांड में उन पर मुकदमा चलाने का आदेश देने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था।
दम्पति ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "हम अदालत में अपने व अपनी इकलौती बच्ची आरुषि के सम्मान की रक्षा करेंगे और जब तक हम निर्दोष साबित नहीं हो जाते, हमारा सम्मान हमें वापस नहीं मिल जाता, वास्तविक हत्यारे नहीं पकड़े जाते व उनके खिलाफ सुनवाई शुरू नहीं होती, हम आराम से नहीं बैठेंगे।"टिप्पणियां
उन्होंने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हमारी पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने से बहुत निराश हैं, लेकिन हम इसे विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं। हमारा विश्वास है कि हमें एक दिन न्याय मिलेगा।" उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने मामले में आगे जांच कराने की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी है। नूपुर इस समय गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं, जबकि उसके पति जमानत पर हैं।
14-वर्षीय आरुषि 16 मई, 2008 को नोएडा में अपने माता-पिता के घर में मृत पड़ी मिली थी, और अगले ही दिन घर की छत से परिवार के नौकर हेमराज का शव भी बरामद हुआ था। सीबीआई ने इस मामले में तलवार दम्पति को आरोपी बनाया है।
गौरतलब है कि नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दंपति की पुनर्विचार याचिका के साथ-साथ आरुषि की मां नूपुर तलवार की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। दरअसल, पुनर्विचार याचिका में दंपति ने कोर्ट से हत्याकांड में उन पर मुकदमा चलाने का आदेश देने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था।
दम्पति ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "हम अदालत में अपने व अपनी इकलौती बच्ची आरुषि के सम्मान की रक्षा करेंगे और जब तक हम निर्दोष साबित नहीं हो जाते, हमारा सम्मान हमें वापस नहीं मिल जाता, वास्तविक हत्यारे नहीं पकड़े जाते व उनके खिलाफ सुनवाई शुरू नहीं होती, हम आराम से नहीं बैठेंगे।"टिप्पणियां
उन्होंने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हमारी पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने से बहुत निराश हैं, लेकिन हम इसे विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं। हमारा विश्वास है कि हमें एक दिन न्याय मिलेगा।" उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने मामले में आगे जांच कराने की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी है। नूपुर इस समय गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं, जबकि उसके पति जमानत पर हैं।
14-वर्षीय आरुषि 16 मई, 2008 को नोएडा में अपने माता-पिता के घर में मृत पड़ी मिली थी, और अगले ही दिन घर की छत से परिवार के नौकर हेमराज का शव भी बरामद हुआ था। सीबीआई ने इस मामले में तलवार दम्पति को आरोपी बनाया है।
दम्पति ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "हम अदालत में अपने व अपनी इकलौती बच्ची आरुषि के सम्मान की रक्षा करेंगे और जब तक हम निर्दोष साबित नहीं हो जाते, हमारा सम्मान हमें वापस नहीं मिल जाता, वास्तविक हत्यारे नहीं पकड़े जाते व उनके खिलाफ सुनवाई शुरू नहीं होती, हम आराम से नहीं बैठेंगे।"टिप्पणियां
उन्होंने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हमारी पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने से बहुत निराश हैं, लेकिन हम इसे विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं। हमारा विश्वास है कि हमें एक दिन न्याय मिलेगा।" उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने मामले में आगे जांच कराने की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी है। नूपुर इस समय गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं, जबकि उसके पति जमानत पर हैं।
14-वर्षीय आरुषि 16 मई, 2008 को नोएडा में अपने माता-पिता के घर में मृत पड़ी मिली थी, और अगले ही दिन घर की छत से परिवार के नौकर हेमराज का शव भी बरामद हुआ था। सीबीआई ने इस मामले में तलवार दम्पति को आरोपी बनाया है।
उन्होंने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हमारी पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने से बहुत निराश हैं, लेकिन हम इसे विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं। हमारा विश्वास है कि हमें एक दिन न्याय मिलेगा।" उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने मामले में आगे जांच कराने की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी है। नूपुर इस समय गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं, जबकि उसके पति जमानत पर हैं।
14-वर्षीय आरुषि 16 मई, 2008 को नोएडा में अपने माता-पिता के घर में मृत पड़ी मिली थी, और अगले ही दिन घर की छत से परिवार के नौकर हेमराज का शव भी बरामद हुआ था। सीबीआई ने इस मामले में तलवार दम्पति को आरोपी बनाया है।
14-वर्षीय आरुषि 16 मई, 2008 को नोएडा में अपने माता-पिता के घर में मृत पड़ी मिली थी, और अगले ही दिन घर की छत से परिवार के नौकर हेमराज का शव भी बरामद हुआ था। सीबीआई ने इस मामले में तलवार दम्पति को आरोपी बनाया है। |
पिछले कुछ समय से गुजरात में चल रहे पाटीदारों के आंदोलन के बीच मंगलवार को पाटीदारों ने सौराष्ट्र में अपनी पावर दिखाई. पाटीदारों ने अपनी कुलदेवी खोडल मां के नए मंदिर खोडलधाम के प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर शोभायात्रा निकाली. मंगलवार सुबह पाटीदारों ने राजकोट से शोभायात्रा की शुरुआत की, यह यात्रा 40 कि.मी. रही जिसमें 1000 बुलेट, 15000 बाइक और 5 हजार कारों के साथ शोभायात्रा निकाली.
खोडलधाम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
का मंगलवार को शुभारंभ हुआ है, इस दौरान मां खोडल की मूर्ति के साथ राजकोट के रेसकोर्स मैदान से निकली शोभायात्रा राजकोट से करीब 40 दूर कागवड पहुंची.
खोडलधाम के ट्रस्टी नरेशभाई पटेल ने कहा कि इस शोभायात्रा के बीच में माता जी की मूर्ति और माताजी का रथ रहेगा, यहां से निकलने के बाद रिंग रोड़ और कागवड तक सभी गांवों में शोभायात्रा का स्वागत होगा.
21 जनवरी को कागवड में मां खोडल की विधि के अनुसार मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिस में एक साथ 3.5 लाख लोग राष्ट्रगान गाकर विश्व रिकॉर्ड स्थापित करेंगे. |
पिछले 24 घंटों के दौरान 55 तालिबान विदोहियों को ढेर करने के बाद पाकिस्तानी फौज स्वात घाटी के मुख्य कस्बे मिंगोरा पहुंच गई है. वहां प्रशासन ने नागरिकों से अपने घर छोड़ देने के लिए कहा है ताकि तालिबान आतंकवादियों के साथ आमने-सामने का संघर्ष शुरू किया जा सके.
सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने कहा, नागरिकों से शहर छोड़ देने के लिए कहा गया है ताकि सुरक्षा बल सड़कों पर उतर कर आतंकवादियों का सफाया कर सकें. स्वात में चल रहे अभियान के तहत सुरक्षाकमिर्यों ने गुरुवार से अब तक 55 तालिबान आतंकवादियों को ढेर कर दिया है. इसे मिला कर अब तक यहां लगभग 900 आतंकवादियों की मौत हो चुकी है.
पिछले माह शुरू किए गए इस अभियान के तहत अब तक कुल 45 सैनिकों की भी मौत हुई है. सेना ने कहा कि उसके जवान और टैंक मिंगोरा के 6 किलोमीटर भीतर पहुंच चुके हैं और उन्होंने तालिबान के एक महत्वपूर्ण कमांडर दावा नूर को पकड़ लिया है. |
मैच फिक्सिंग के आरोपों के चलते खुद पर लगे बैन को हटाने के केरल हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब एस श्रीसंत टीम इंडिया में वापसी के लिए कमर कस रहे रहे हैं और वापसी के लिए उनके निशाने पर अगले साल शुरू होने वाले टीम इंडिया का साउथ अफ्रीका दौरा है.
समाचार पत्र मुंबई मिरर के सात बातचीत करते हुए श्रीसंत का कहना है कि अगले साल भारत का साउथ अफ्रीका दौरा मेरा टारगेट है. मुझे उम्मीद है कि मैं सीनियर फास्ट बॉलर की हैसियत से टीम इंडिया के साथ साउथ अफ्रीका जाने वाली फ्लाइट में जरूर बैठूंगा. मैंने इससे पहले भी साउथ अफ्रीका में अच्छा प्रदर्शन किया है और आगे भी करुंगा.
साथ ही श्रीसंत का मानना है कि वह अभी 3-4 साल और क्रिकेट खेल सकते हैं और साल 2019 में होने वाले वर्ल्डकप में खेलना उनका सपना है और उसे वह हर हाल में पूरा करना चाहते हैं.
आपको बता दें पिछले दिनों केरल हाईकोर्ट के द्वारा श्रीसंत पर से बैन हटाए जाने के फैसले के बाद बोर्ड ने अभी तक साफ नहीं किया है कि वह श्रीसंत को वापस खेलने की अनुमति देगा या नहीं. बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक अभी इस फैसले का बारीकी से विचार किया जा रहा है.
गौरतलब है कि 2013 आईपीएल के दौरान श्रीसंत और राजस्थान रॉयल्स के उनके दो अन्य साथी अजित चंदेला और अंकित चौहान पर स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगने के बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. बीसीसीआई ने इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया था. इसके बाद दिल्ली की अदालत द्वारा बरी होने पर भी बीसीसीआई से राहत नहीं मिलने के कारण उन्होंने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और वहां उन्हें राहत मिली. |
यह लेख है: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप में मिली शानदार जीत का जश्न देशभर के तमाम शहरों में मनाया जा रहा है। इलाहाबाद में किक्रेट प्रेमी सड़कों पर निकल आए और टीम को जीत की बधाई दी। इस मौके पर लोगों ने खूब आतिशबाजी की। देर रात तक सड़कों पर जश्न मनाया गया। इस जीत के साथ ही टीम इंडिया सेमीफाइनल में पहुंच गई है जहां उसका मुकाबला पाकिस्तान से होगा। टीम इंडिया की जीत का जश्न आगरा में भी मना। मैच के खत्म होते ही लोग घरों से बाहर निकले और देर रात तक जमकर आतिशबाजी की गई। क्रिकेट प्रेमियों ने एक दूसरे को और टीम इंडिया को बधाई दी। खेलप्रेमियों का मानना है कि 30 तारीख को पाकिस्तान से होने वाला टीम इंडिया का मुकाबला वर्ल्ड कप फाइनल से भी ज्यादा रोमांचक होगा। लोगों ने इस मैच के लिए टीम को शुभकामनाएं दी और उम्मीद जताई की टीम पाकिस्तान को हराकर फाइनल की टिकट पक्की करेगी। वहीं, चंडीगढ़ में भी लोग सड़कों पर उतर आए और जश्न का माहौल देखते ही बन रहा था। लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी और जमकर नाचे। अगला मैच मोहाली में है और इसे लेकर भी चंडीगढ़ के फैन्स जोश में भरे हुए हैं। वर्ल्डकप का पहला सेमीफाइनल 30 मार्च को भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जाएगा। भारत ने एक ओर डिफेंडिंग चैंपियन को बाहर का रास्ता दिखाया है जबकि पाकिस्तान ने वेस्टइंडीज को 10 विकेट के अंतर से हराया है। इस पूरे टूर्नामेंट में पाकिस्तान का प्रदर्शन जोरदार रहा है लेकिन वर्ल्डकप का इतिहास भारत के पक्ष में है। वर्ल्डकप में अब तक दोनों टीमें चार बार आमने-सामने हुई हैं और चारों बार बाजी टीम इंडिया के नाम रही है। |
दिल्ली के सरोजनी नगर में सोमवार को गाड़ी में एक हॉकी खिलाड़ी की लाश मिलने के बाद इलाके में सनसनी फैल गई. मृतक खिलाड़ी के परिवार वालों ने हत्या का आरोप लगाया है. गाड़ी के अंदर से पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. पुलिस मामला दर्ज कर हत्या और आत्महत्या दोनों एंगल से मामले की जांच कर रही है.
मृतक रिज़वान स्टेट लेवल का हॉकी खिलाड़ी था और जामिया मीलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से BA की पढ़ाई कर रहा था. मंगलवार की सुबह सरोजनी नगर इलाके में 20 वर्षीय रिज़वान की लाश अपनी स्विफ्ट कार में ड्राइविंग सीट पर पड़ी मिली. रिज़वान के सिर पर गोली लगी थी. रिज़वान के पिता का आरोप है कि
उसकी महिला मित्र
और उसके परिवार वालों ने ही रिजवान की हत्या की है.
रिजवान के पिता शरीफ खान ने कहा, "गाड़ी में कहीं भी खून के छींटे नहीं थे. अगर रिजवान खुदकुशी करता तो गाड़ी में सब जगह खून के निशान होते. जब हम सरोजनी नगर रिजवान की महिला मित्र के घर के पास पहुंचे तो हमें नजदीक ही रिजवान की कार खड़ी दिखाई दी. गाड़ी के अंदर झांककर देखा तो रिजवान ड्राइविंग सीट पर मृत पड़ा था." रिजवान के पिता इतना कहते-कहते बिलखने लगते हैं.
रिजवान के भाई रियाजुद्दीन ने बताया कि रिजवान सोमवार को सुबह 10 बजे के करीब हॉकी प्रैक्टिस के लिए निकला था. रात तक जब रिजवान घर वापस नहीं पहुंचा तो परिवार वालों ने उसे फोन किया. लेकिन रिजवान का मोबाइल नंबर लगातार स्विच ऑफ बता रहा था. रिजवान के पास एक और मोबाइल नंबर था, जिस पर कॉल तो जा रही थी, लेकिन कोई फोन उठा नहीं रहा था. लगातार फोन मिलाते रहने पर काफी देर बाद किसी शख्स ने फोन उठाया और बताया कि वह मोबाइल, एक बैग और 2 लाख रुपये कोई उसके घर रख गया है. लेकिन उस
शख्स ने अपना पता नहीं बताया
.
रिजवान के परिवार वालों ने बताया कि सोमवार को देर रात किसी लड़की का फोन आया. उसने अपने पिता के घर का एड्रेस दिया और कहा कि वे आकर रिजवान का मोबाइल और पैसे ले जाएं. रिजवान के परिवार वाले अगले दिन मंगलवार की सुबह सरोजनी नगर में लड़की द्वारा दिए गए पते पर पहुंचे तो उन्हें वहां अपनी कार में रिजवान मृत पड़ा मिला.
षयज। |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: कमजोर वैश्विक रुख के साथ घरेलू आभूषण कारोबारियों की कम मांग से आज दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने का भाव 20 रुपये कम होकर 31,980 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया. हालांकि, इसके विपरीत औद्योगिक इकाइयों के छिटपुट सौदों से चांदी 100 रुपये सुधरकर 40,300 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी.
कारोबारियों ने कहा कि घरेलू आभूषण निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं से कम मांग और डॉलर में मजबूती से वैश्विक बाजार में सोने के कमजोर होने से यहां भी पीली धातु की कीमतों पर दबाव रहा. इसके अतिरिक्त निवेशक आज जारी होने वाले अमेरिकी रोजगार आंकड़ों पर भी नजर बनाए हुए हैं.
वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में सोना 0.12 प्रतिशत गिरकर 1,310 डॉलर प्रति औंस रहा जबकि चांदी 0.15 प्रतिशत गिरकर 16.37 डॉलर प्रति औंस रही. टिप्पणियां
दिल्ली सर्राफा बाजार में , 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 20-20 रुपये गिरकर क्रमश : 31,980 रुपये और 31,830 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया. दो दिनों में सोना 200 रुपये गिरा. हालांकि , आठ ग्राम वाली गिन्नी 24,700 रुपये प्रति इकाई पर टिकी रही.
वहीं , दूसरी ओर चांदी हाजिर 100 रुपये सुधरकर 40,300 रुपये प्रति किलोग्राम और साप्ताहिक डिलीवरी 150 रुपये बढ़कर 39,065 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी. चांदी सिक्का लिवाल और बिकवाल क्रमश : 74,000 रुपये और 75,000 रुपये प्रति सैकड़ा पर स्थिर रहे.
कारोबारियों ने कहा कि घरेलू आभूषण निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं से कम मांग और डॉलर में मजबूती से वैश्विक बाजार में सोने के कमजोर होने से यहां भी पीली धातु की कीमतों पर दबाव रहा. इसके अतिरिक्त निवेशक आज जारी होने वाले अमेरिकी रोजगार आंकड़ों पर भी नजर बनाए हुए हैं.
वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में सोना 0.12 प्रतिशत गिरकर 1,310 डॉलर प्रति औंस रहा जबकि चांदी 0.15 प्रतिशत गिरकर 16.37 डॉलर प्रति औंस रही. टिप्पणियां
दिल्ली सर्राफा बाजार में , 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 20-20 रुपये गिरकर क्रमश : 31,980 रुपये और 31,830 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया. दो दिनों में सोना 200 रुपये गिरा. हालांकि , आठ ग्राम वाली गिन्नी 24,700 रुपये प्रति इकाई पर टिकी रही.
वहीं , दूसरी ओर चांदी हाजिर 100 रुपये सुधरकर 40,300 रुपये प्रति किलोग्राम और साप्ताहिक डिलीवरी 150 रुपये बढ़कर 39,065 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी. चांदी सिक्का लिवाल और बिकवाल क्रमश : 74,000 रुपये और 75,000 रुपये प्रति सैकड़ा पर स्थिर रहे.
वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में सोना 0.12 प्रतिशत गिरकर 1,310 डॉलर प्रति औंस रहा जबकि चांदी 0.15 प्रतिशत गिरकर 16.37 डॉलर प्रति औंस रही. टिप्पणियां
दिल्ली सर्राफा बाजार में , 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 20-20 रुपये गिरकर क्रमश : 31,980 रुपये और 31,830 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया. दो दिनों में सोना 200 रुपये गिरा. हालांकि , आठ ग्राम वाली गिन्नी 24,700 रुपये प्रति इकाई पर टिकी रही.
वहीं , दूसरी ओर चांदी हाजिर 100 रुपये सुधरकर 40,300 रुपये प्रति किलोग्राम और साप्ताहिक डिलीवरी 150 रुपये बढ़कर 39,065 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी. चांदी सिक्का लिवाल और बिकवाल क्रमश : 74,000 रुपये और 75,000 रुपये प्रति सैकड़ा पर स्थिर रहे.
दिल्ली सर्राफा बाजार में , 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 20-20 रुपये गिरकर क्रमश : 31,980 रुपये और 31,830 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया. दो दिनों में सोना 200 रुपये गिरा. हालांकि , आठ ग्राम वाली गिन्नी 24,700 रुपये प्रति इकाई पर टिकी रही.
वहीं , दूसरी ओर चांदी हाजिर 100 रुपये सुधरकर 40,300 रुपये प्रति किलोग्राम और साप्ताहिक डिलीवरी 150 रुपये बढ़कर 39,065 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी. चांदी सिक्का लिवाल और बिकवाल क्रमश : 74,000 रुपये और 75,000 रुपये प्रति सैकड़ा पर स्थिर रहे.
वहीं , दूसरी ओर चांदी हाजिर 100 रुपये सुधरकर 40,300 रुपये प्रति किलोग्राम और साप्ताहिक डिलीवरी 150 रुपये बढ़कर 39,065 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी. चांदी सिक्का लिवाल और बिकवाल क्रमश : 74,000 रुपये और 75,000 रुपये प्रति सैकड़ा पर स्थिर रहे. |
दस करोड़ रुपये के रेलवे रिश्वत मामले में पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल को गवाह बनाने के सीबीआई के फैसले पर सवाल उठाते हुए इस मामले के तीन आरोपियों ने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि जिस व्यक्ति को आरोपी बनाया जाना चाहिए था, उसे मुक्त कर दिया गया.
गिरफ्तार आरोपियों- राहुल यादव, समीर संधीर और सुशील दागा की जमानत याचिकाओं पर दलील देते हुए उनके वकील ने कोर्ट से कहा कि सीबीआई उन्हें ‘फंसा रही है’ और वे इस मामले की ‘मुख्य साजिश’ में शामिल नहीं थे.
वकील एसके शर्मा ने विशेष सीबीआई जज स्वर्ण कांता शर्मा से कहा, ‘जिस दिन आपने (सीबीआई) बंसल को इस मामले में गवाह बनाया, इस कोर्ट को सभी आरोपियों को बरी करना चाहिए था. आखिर जांच किस दिशा में जा रही है?’
उन्होंने कहा, ‘वे (सीबाआई) इन बेचारों (यादव, संधीर और दागा) को फंसा रहे हैं और जिस व्यक्ति को आरोपी बनाया जाना चाहिए था उसे मुक्त कर दिया गया.’ कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर आदेश नौ मई तक सुरक्षित रखा.
गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई ने बंसल के भांजे विजय सिंगला सहित दस आरोपियों के खिलाफ दो जुलाई को आरोप पत्र में दायर किया था और पूर्व केन्द्रीय रेल मंत्री को अभियोजन पक्ष का गवाह बनाया था. |
राजधानी दिल्ली में सड़क हादसों का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है. रविवार रात हुए सड़क हादसे में सेना के एक जवान की मौत हो गई और दूसरा जख्मी हो गया. दोनों जवान एक ही मोटरसाइकिल पर सवार थे और एक ट्रक ने टक्कर मार दी. आरोपी ट्रक ड्राइवर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली कैंट इलाके में रविवार रात हीरो होंडा स्पलेंडर नम्बर RJ18 SS 2039 पर सवार सेना के जवानों की बाइक को ट्रक क्रमाकं HR69 A 3344 ने टक्कर मार दी. इस सड़क हादसे में सेना के लांस नायक जितेन्द्र यादव(28) की मौत हो गई.
राजस्थान
के झुंझुनूं के रहने वाले थे जितेंद्र 6 राजपूताना राइफल में तैनात थे. वहीं हादसे के वक्त बाइक पर उनके साथ सवार का नाम उदय प्रताप (28) है. राइफ़लमैन उदय प्रताप उत्तरप्रदेश के एटा का रहने वाला है. पुलिस ने ट्रक को जब्त कर आरोपी ट्रक ड्राइवर राजू प्रसाद(41) को पुलिस ने गिरफ्तार किया.
बता दें कि
डब्ल्यूएचओ
का दावा है कि भारत में साल 2016 में 2,99,091 (करीब 3 लाख) से ज्यादा लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई है. जिसमें मुख्य रूप से 5 से 14 साल के बच्चे और 15 से 29 साल के युवा शामिल हैं. वहीं, भारत सरकार के रिकॉर्ड के मुताबिक 2016 में देश में हुए सड़क हादसों में करीब डेढ़ लाख (150785) लोगों की मौत हुई. जिसमें 85% पुरुष और 15% महिलाओं ने अपनी जान गंवाई. |
भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आईं जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल (Angela Merkel) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साझा प्रेस कांफ्रेस की. मुलाकात के दौरान दोनों ही देशों के बीच सहयोग बढ़ाने को लेकर बातचीत हुई. साथ ही भारत, जर्मनी ने अंतरिक्ष, नागरिक उड्डयन, नौवहन प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में 11 समझौतों पर दस्तखत किए. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ''चांसलर डॉ मर्केल और उनके डेलीगेशन का भारत में हार्दिक स्वागत करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है. चांसलर मर्केल को जर्मनी और यूरोप ही नहीं, बल्कि विश्व की लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रमुख नेताओं में गिना जाता है. पिछले लगभग डेढ़ दशक से चांसलर के रूप में उन्होंने भारत-जर्मनी संबंधों को प्रगाढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इसके लिए मैं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं.''
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''हर दो साल के अंतराल पर होने वाली तीन IGC बैठकों में चांसलर मर्केल के साथ भाग लेने का मुझे सौभाग्य मिला है. इस अनूठी मैकेनिज्म से हर क्षेत्र में हमारा सहयोग और भी गहरा हुआ है. आज जिन समझौतों, आदि पर हस्ताक्षर हुए हैं, वे इस बात का प्रतीक है. मुझे बहुत खुशी है कि भारत और जर्मनी के बीच हर क्षेत्र में, खास तौर पर नई और एडवांस टेक्नॉलॉजी में दूरगामी और स्ट्रेटेजिक कॉरपोरेशन आगे बढ़ रहा है.''
उन्होंने कहा, ''सन् 2022 में स्वतंत्र भारत 75 वर्ष का होगा. तब तक हमने न्यू इंडिया के निर्माण का लक्ष्य रखा है. इस बहुआयामी प्रयास में भारत की प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं के लिए जर्मनी जैसे टेक्नोलॉजिकल और इकोनॉमिक पॉवर हाउस की क्षमताएं उपयोगी होंगी. हमने नई और एडवांस टेक्नॉलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्किल्स, शिक्षा, साइबर सेक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विशेष बल दिया है. ई-मोबाइलिटी, फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी, स्मार्ट सिटी, इनलैंड वाटर वे, कोस्टल मैनेजमेंट, नदियों की सफाई और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग की नयी संभावनाओं को विकसित करने का हमने फैसला किया है.''
प्रधानमंत्री ने कहा, ''व्यापार और निवेश में अपनी बढ़ती हुई भागीदारी को और गति देने के लिए हम प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित कर रहे हैं. चांसलर मर्केल और मैं दोनों देशों के कुछ प्रमुख बिजनेस और इंडस्ट्री लीडर से मुलाकात करेंगे. हम जर्मनी को आमंत्रित करते हैं कि रक्षा-उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर में अवसरों का लाभ उठाएं. आतंकवाद और उग्रवाद जैसे खतरों से निपटने के लिए हम द्वीपक्षीय और मल्टीलेटरल सहयोग को और घनिष्ठ बनाएंगे. भारत और जर्मनी के विश्वास और मित्रतापूर्ण संबंध, Democracy, Rule of law जैसे साझा मूल्यों पर आधारित है. इसलिए, विश्व की गंभीर चुनौतियों के बारे में हमारे दृष्टिकोण में समानता है.'' |
निमृत कौर अहलूवालिया (जन्म: 11 दिसंबर 1994) भारतीय अभिनेत्री हैं जो मुख्य रूप से हिन्दी टेलीविजन में काम करती हैं। निमृत ने 2018 में फेमिना मिस मणिपुर जीता और 2018 के फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में वह शीर्ष 12 में से एक रहीं। उन्होंने छोटी सरदारनी के साथ अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। इसमें उन्होंने मेहर कौर ढिल्लों और सहर कौर गिल नाम के दो किरदारों को निभाया। निमृत ने रियलिटी शो बिग बॉस 16 में भी भाग लिया था।
करियर
2018 में फेमिना मिस मणिपुर का खिताब जीतने के बाद उन्होंने मॉडलिंग में अपना करियर शुरू किया। वह बी प्राक के म्यूजिक वीडियो मस्तानी में दिखाई दीं।
निमृत अहलूवालिया ने 2018 में एक लघु फिल्म, हू सेड बॉयज़ कांट वियर मेकअप से अभिनय करियर की शुरुआत की। 2019 में, वह धारावाहिक छोटी सरदारनी में दिखाई दीं। मेहर ढिल्लों और सहर गिल के किरदार निभाना उनके करियर को लम्बी ऊंचाई तक ले जाने वाला साबित हुआ। इसने उन्हें घर-घर तक पहचान दिलाई। 2021 में, वह बैनेट दोसांझ की संगीत वीडियो सीरियस में दिखाई दीं।
2022 से 2023 तक, निमृत अहलूवालिया ने कलर्स टीवी के रियलिटी शो बिग बॉस 16 में भाग लिया। वह अंतिम सप्ताह में घर से बाहर हुईं और 6वें स्थान पर रहीं। वह 2023 में श्रेया घोषाल और विशाल मिश्रा की संगीत वीडियो ज़िहाल-ए-मिस्किन में दिखाई दीं।
धारावाहिक / संगीत वीडियो
धारावाहिक
विशेष उपस्थिति
संगीत वीडियो
सन्दर्भ
भारतीय टेलीविज़न अभिनेत्री
1994 में जन्मे लोग
बिग बॉस प्रतिभागी
भारतीय मॉडल |
पाकिस्तानी एक्ट्रेस माहिरा खान एक बार फिर चर्चा हैं. इसकी वजह उनका लेटेस्ट इंस्टाग्राम पोस्ट है. जो ये बताता है कि वो बॉलीवुड एक्टर गोविंदा की सबसे बड़ी फैन है. एक्ट्रेस ने अपने घर के फ्रिज पर चिपके एक मैगनेट की फोटो शेयर की है जिसमें गोविंदा की फिल्म कुली नंबर-1 के फेमस गाने के बोल ''तुझे मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं'' लिखा है.
तस्वीर शेयर करते हुए माहिरा ने लिखा- ''घर के फ्रिज पर चिपका ये मेरा फेवरेट मैगनेट है.'' बता दें, ये आइकॉनिक सॉन्ग आज भी लोगों की जुबां पर है. इस गाने के लिरिक्स काफी पॉपुलर हुए थे. सॉन्ग ''मैं तो रस्ते से..'' गोविंदा और करिश्मा कपूर पर फिल्माया गया था. माहिरा खान के इस मेजदार इंस्टा पोस्ट पर लोगों के फनी रिएक्शन आ रहे हैं. लेकिन यहां भी आलोचकों की कमी नहीं रही.
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🤷🏻♀️ P.S this is my favorite magnet on our fridge at home!
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Mahira Khan
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Feb 12, 2019 at 5:35am PST
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What it all comes down to.. Is that I haven't got it all figured out just yet 'Cause I've got one hand in my pocket And the other one is giving a peace sign ( well not really.. I forgot to make a peace sign, so here ✌🏼)
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Jun 21, 2018 at 8:39am PDT
कई ट्रोलर्स ने एक्ट्रेस को एक बार फिर बॉलीवुड के प्रति अपना झुकाव दिखाने के लिए लताड़ा है. एक यूजर ने लिखा- बस बॉलीवुड के दिग्गजों के आगे पीछे ही घूमना आता है इसको. दूसरे ने लिखा- हिंदी फिल्मों और गानों को प्रमोट करना छोड़ दो पाकिस्तानियों. अपने गाने हमारे बहुत अच्छे हैं.
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Jan 26, 2019 at 7:27am PST
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Here’s looking at you @mashionpk 👀🎉💐#mashaadi
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Dec 10, 2018 at 5:17am PST
मालूम हो कि माहिरा खान की 2017 में शाहरुख खान के अपोजिट फिल्म रईस रिलीज हुई थी. ये एक्ट्रेस का बॉलीवुड डेब्यू था. फिल्म रिलीज के वक्त ही पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में बैन करने का मुद्दा गरमाया था. इसलिए माहिरा ने मूवी के प्रमोशन में हिस्सा नहीं लिया था. फिलहाल एक्ट्रेस का ध्यान अपने पाकिस्तानी प्रोजेक्ट्स पर है. उनकी मूवी ''द लेजेंड ऑफ मौला जट'' रिलीज होने वाली है. जो कि 1979 में आई आइकॉनिक मूवी मौला जट का रीमेक है. |
फिल्म रैप के जरिए जानें टीवी और फिल्मों की दुनिया में रविवार के दिन क्या रहा खास.
साध्वी प्रज्ञा पर भड़कीं संजय खान की बेटी, कहा- तुमने हिन्दुओं को किया बदनाम
प्रज्ञा ठाकुर को राजनीति में कदम रखे चंद दिन हुए हैं लेकिन उनके नाम पर हर रोज नया विवाद जुड़ता जा रहा है. लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने मध्य प्रदेश के भोपाल से प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद माहौल गरमाया हुआ है और तरह-तरह की बातें की जा रही हैं. राम मंदिर को लेकर हाल ही में प्रज्ञा ठाकुर द्वारा दिए गए बयान पर बॉलीवुड एक्टर संजय खान की बेटी और ज्वैलरी डिजाइनर फराह खान अली का रिएक्शन आया है.
कुली नंबर वन की रीमेक नहीं होगी वरुण-डेविड की दूसरी फिल्म
वरुण धवन की हालिया रिलीज फिल्म कलंक को क्रिटिक्स और ऑडियंस से मिक्स रिएक्शन मिला है. इसमें उन्होंने जफर का किरदार निभाया है. फिल्म में उनके अपोजिट आलिया भट्ट थीं. इसके अलावा वरुण की कई फिल्में पाइप लाइन में हैं. इनमें से एक है कुली नंबर 1. इस फिल्म को वरुण के पिता डेविड धवन बना रहे हैं. इससे पहले वरुण ने पिता डेविड के साथ 2013 में मैं तेरा हीरो फिल्म में काम किया था.
भारत में शुरू एवेंजर्स की प्री-बुकिंग, देश के इन शहरों में देख सकते हैं फिल्म
एवेंजर्स के फैन्स का इंतज़ार खत्म होने को है. मार्वल स्टूडियोज़ की महत्वाकांक्षी फिल्म एवेंजर्स : एंड गेम 26 अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही है. भारत में भी फिल्म के टिकेट्स को लाइव कर दिया गया है. रविवार को पेटीएम और बुकमाईशो ने फिल्म की प्रीबुकिंग शुरु कर दी है. इसके अलावा सिनेमा चेन पीवीआर सिनेमा और INOX की आधिकारिक वेबसाइट्स पर भी टिकट को बुक किया जा सकता है.
मलाइका संग तलाक के बाद बोले अरबाज, मुझे शादियों पर यकीन
करीब 21 साल तक साथ में रहने के बाद अरबाज खान और मलाइका अरोड़ा ने अपना रिश्ता साल 2017 में आधिकारिक तौर पर खत्म कर दिया. दोनों ने साल 1998 में शादी की थी और मार्च 2016 में यह ऐलान कर दिया था कि वे अब अलग रह रहे हैं. जहां तक बात है दोनों के आधिकारिक तौर पर तलाक लेने की तो यह मई 2017 में हुआ. अरबाज मलाइका के बारे में यूं तो कम ही बात करते हैं लेकिन हाल ही में उन्होंने एक बार फिर मलाइका संग तलाक पर खुलकर बातचीत की.
तलाक लेने जा रही हैं एक्ट्रेस प्रिया? 2 साल पहले की थी दूसरी शादी
टीवी एक्ट्रेस प्रिया बठीजा ने दो साल पहले डीजे कवलजीत सलूजा संग शादी रचाई थी. रिपोर्ट के मुताबिक दोनों की शादी ठीक नहीं चल रही है, प्रिया ने पति कवलजीत से तलाक लेने का फैसला कर लिया है. |
गोल्डमैन सैक्स के भारतीय मूल के पूर्व अमेरिकी निदेशक रजत गुप्ता को सजा सुनाए जाने से पहले माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान की ओर से उन्हें समर्थन प्राप्त हुआ है। गुप्ता इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए दोषी ठहराए गए हैं।
गेट्स और अन्नान, गुप्ता के 200 से अधिक उन मित्रों-शुभचिंतकों में शामिल हैं, जिन्होंने अमेरिकी जिला न्यायाधीश रेकोफ को अपने वकीलों के माध्यम से 24 अक्टूबर को सजा सुनाए जाने से पहले पत्र लिखा है। गेट्स ने लिखा है, मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं कि रजत गुप्ता दुनिया के गरीब लोगों के एक सक्षम और स्पष्ट प्रवक्ता है। गेट्स ने गुप्ता के साथ उस समय काम किया था, जब गुप्ता एड्स, टीबी और मलेरिया के खिलाफ जंग के लिए वैश्विक कोष के अध्यक्ष थे।टिप्पणियां
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने गेट्स के हवाले से कहा है कि वह उनके खिलाफ मामले के किसी बिंदु पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन रजत के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करना चाहता हूं। अन्नान 1997-2006 के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव थे। उन्होंने कहा है कि गुप्ता ने उनके साथ कई परियोजनाओं पर काम किया था।
उन्होंने कहा, मैंने उनके निर्णय का आदर किया, और हम अच्छे मित्र बन गए। इनमें से एक परियोजना (संयुक्त राष्ट्र में प्रबंधन सुधार) में गुप्ता सलाहकार थे। बर्कशायर हैथवे के एक शीर्ष कार्यकारी अधिकारी और बफेट के संभावित उत्तराधिकारी, अजित जैन ने न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में कहा है कि गुप्ता के खिलाफ एक ऐसे व्यक्ति के रूप में सुनवाई, जो कि निजी लाभ के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया हो, से जो भाव पैदा होता है, वह उस व्यक्ति के बारे में मेरी अपनी समझ से बिल्कुल मेल नहीं खाता।
गेट्स और अन्नान, गुप्ता के 200 से अधिक उन मित्रों-शुभचिंतकों में शामिल हैं, जिन्होंने अमेरिकी जिला न्यायाधीश रेकोफ को अपने वकीलों के माध्यम से 24 अक्टूबर को सजा सुनाए जाने से पहले पत्र लिखा है। गेट्स ने लिखा है, मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं कि रजत गुप्ता दुनिया के गरीब लोगों के एक सक्षम और स्पष्ट प्रवक्ता है। गेट्स ने गुप्ता के साथ उस समय काम किया था, जब गुप्ता एड्स, टीबी और मलेरिया के खिलाफ जंग के लिए वैश्विक कोष के अध्यक्ष थे।टिप्पणियां
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने गेट्स के हवाले से कहा है कि वह उनके खिलाफ मामले के किसी बिंदु पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन रजत के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करना चाहता हूं। अन्नान 1997-2006 के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव थे। उन्होंने कहा है कि गुप्ता ने उनके साथ कई परियोजनाओं पर काम किया था।
उन्होंने कहा, मैंने उनके निर्णय का आदर किया, और हम अच्छे मित्र बन गए। इनमें से एक परियोजना (संयुक्त राष्ट्र में प्रबंधन सुधार) में गुप्ता सलाहकार थे। बर्कशायर हैथवे के एक शीर्ष कार्यकारी अधिकारी और बफेट के संभावित उत्तराधिकारी, अजित जैन ने न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में कहा है कि गुप्ता के खिलाफ एक ऐसे व्यक्ति के रूप में सुनवाई, जो कि निजी लाभ के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया हो, से जो भाव पैदा होता है, वह उस व्यक्ति के बारे में मेरी अपनी समझ से बिल्कुल मेल नहीं खाता।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने गेट्स के हवाले से कहा है कि वह उनके खिलाफ मामले के किसी बिंदु पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन रजत के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करना चाहता हूं। अन्नान 1997-2006 के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव थे। उन्होंने कहा है कि गुप्ता ने उनके साथ कई परियोजनाओं पर काम किया था।
उन्होंने कहा, मैंने उनके निर्णय का आदर किया, और हम अच्छे मित्र बन गए। इनमें से एक परियोजना (संयुक्त राष्ट्र में प्रबंधन सुधार) में गुप्ता सलाहकार थे। बर्कशायर हैथवे के एक शीर्ष कार्यकारी अधिकारी और बफेट के संभावित उत्तराधिकारी, अजित जैन ने न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में कहा है कि गुप्ता के खिलाफ एक ऐसे व्यक्ति के रूप में सुनवाई, जो कि निजी लाभ के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया हो, से जो भाव पैदा होता है, वह उस व्यक्ति के बारे में मेरी अपनी समझ से बिल्कुल मेल नहीं खाता।
उन्होंने कहा, मैंने उनके निर्णय का आदर किया, और हम अच्छे मित्र बन गए। इनमें से एक परियोजना (संयुक्त राष्ट्र में प्रबंधन सुधार) में गुप्ता सलाहकार थे। बर्कशायर हैथवे के एक शीर्ष कार्यकारी अधिकारी और बफेट के संभावित उत्तराधिकारी, अजित जैन ने न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में कहा है कि गुप्ता के खिलाफ एक ऐसे व्यक्ति के रूप में सुनवाई, जो कि निजी लाभ के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया हो, से जो भाव पैदा होता है, वह उस व्यक्ति के बारे में मेरी अपनी समझ से बिल्कुल मेल नहीं खाता। |
लेख: मंगलवार को टीवी पर दो तस्वीरें दिखाई दीं. इनमें पूछे जाते सवाल एक बार फिर कश्मीर को चर्चा के केंद्र में लाते हैं... पहली तस्वीर पत्रकारों से घिरे समाजविज्ञानी पार्थ चटर्जी की थी. जिन्हें घेर कर सहाफी ये पूछ रहे थे कि वो अपने ताज़ा लेख में प्रकट किये गये विचारों का बचाव कैसे करेंगे जिसमें उन्होंने सेनाध्यक्ष विपिन रावत और अंग्रेज़ जनरल डायर के बयानों की तुलना की है?
दूसरी तस्वीर पत्रकारों से घिरे सीपीएम नेता प्रकाश करात की है जिसमें उनसे पार्टी मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में लिखे संपादकीय पर सवाल किया जा रहा है जिसमें जनरल विपिन रावत की सेना का राजनीतिकरण करने के लिए आलोचना है और उनके हाल में दिये इंटरव्यू को मोदी सरकार की सोच बताया गया है.
जाने माने समाजविज्ञानी पार्थ चटर्जी ने अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘दि वायर’ में 2 जून को एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने घाटी में कश्मीरी नौजवान फारुख अहमद डार को जीप से बांधने और घुमाने की सेना की कार्रवाई (और उसके बाद इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले को मेजर लीतुल गोगोई को मिले सम्मान और आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत के इंटरव्यू ) को जनरल डायर मूमेंट कहा यानी उन्होंने उस घटना की तुलना जलियांवाला बाग हत्याकांड से की. ये तुलना पार्थ सिर्फ मेजर गोगोई की कार्रवाई के आधार पर नहीं करते बल्कि उन बयानों के आधार पर करते हैं जो जनरल विपिन रावत के इंटरव्यू का हिस्सा थे.
पार्थ चटर्जी अपने लेख में कहते हैं, “ये कहना सही नहीं होगा कि जनरल रावत के इरादे वही थे जो जनरल डायर के थे”. लेकिन चटर्जी उन बयानों की समानता दिखाते हैं जो जलियांवाला बाग के बाद डायर ने अपने एक्शन के बचाव में दिये और कश्मीर की घटना के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में मेजर गोगोई का बचाव करते हुये कहे.
लेख की शुरुआत में ही पार्थ जनरल डायर को उद्धृत करते हैं और कहते हैं – “ऐसा वक्त आता है जब आप आइना देखते हैं और उसमें एक ऐसा चेहरा देखकर स्तब्ध रह जाते हैं जिसे आप नहीं पहचानते – एक विकृत अजनबी का बदसूरत चेहरा. बहुत सारे भारतीयों के लिये इस पर विश्वास करना बेहद कठिन होगा कि एक राज्य के तौर पर हम जनरल डायर वाले पल में पहुंच गये हैं लेकिन सावधानी और निष्पक्षता से सोचें तो 1919 में ब्रिटिश – इंडियन आर्मी की कार्रवाई के पक्ष में दी दलीलों और आज 100 साल बाद भारतीय सेना के बचाव में कही बातों में डरावनी समानतायें हैं.”
पार्थ लिखते हैं कि जनरल डायर का बचाव ब्रिटिश नेताओं ने नहीं किया, लेकिन मेजर गोगोई का बचाव सेनाध्यक्ष के साथ सरकार के मंत्री भी कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने पार्थ चटर्जी के लेख की कड़ी आलोचना करते हुये इसके खिलाफ परवर्ज़न और इडियोटिक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. पत्रकारों से घिरे पार्थ चटर्जी ने कहा वह किसी भी आलोचना का जवाब लिखकर देंगे कैमरों के सामने बोलकर नहीं.
पार्थ चटर्जी का लेख जनरल रावत के इंटरव्यू से लेकर सेना के राजनीतिकरण तक के सवाल उठाता है. मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में ये तक कहा था कि लोगों को सेना से डरना चाहिये. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सेनाध्यक्ष का ये बयान डराने वाला है.
जनरल रावत ने कहा – “ऐसी ही जंग में आप नये तरीके ढूंढते हैं. आप एक गंदे युद्ध को नये तरीकों को खोज कर लड़ते हैं. अगर मेरे अफसर पूछते हैं कि हम क्या करें तो क्या मुझे उनसे कहना चाहिये कि इंतज़ार करो और मर जाओ? मैं तुम्हारे लिये एक बढ़िया कॉफिन और तिरंगा लेकर आऊंगा और तुम्हारे शव को सम्मान के साथ तुम्हारे परिवार वालों तक पहुंचा दूंगा.”
जनरल रावत का ये बयान भले ही सेना की मजबूरी और कठिन हालात के मद्देनज़र मेजर लीतुल गोगोई के कृत्य को सही ठहराता हो लेकिन वह कई सवालों को धुंधला करने और उनकी अनदेखी करने की कोशिश भी है. फारुख अहमद डार की तस्वीर अब कश्मीर में चल रहे विरोध का एक अमिट हिस्सा बन चुकी है और ये तस्वीर एक अनुशासित और मानवीय होने का दावा करने वाली भारतीय सेना का पीछा करती रहेगी. ये बात शायद मेजर गोगोई और जनरल रावत से बेहतर कोई और नहीं जानता.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
दूसरी तस्वीर पत्रकारों से घिरे सीपीएम नेता प्रकाश करात की है जिसमें उनसे पार्टी मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में लिखे संपादकीय पर सवाल किया जा रहा है जिसमें जनरल विपिन रावत की सेना का राजनीतिकरण करने के लिए आलोचना है और उनके हाल में दिये इंटरव्यू को मोदी सरकार की सोच बताया गया है.
जाने माने समाजविज्ञानी पार्थ चटर्जी ने अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘दि वायर’ में 2 जून को एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने घाटी में कश्मीरी नौजवान फारुख अहमद डार को जीप से बांधने और घुमाने की सेना की कार्रवाई (और उसके बाद इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले को मेजर लीतुल गोगोई को मिले सम्मान और आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत के इंटरव्यू ) को जनरल डायर मूमेंट कहा यानी उन्होंने उस घटना की तुलना जलियांवाला बाग हत्याकांड से की. ये तुलना पार्थ सिर्फ मेजर गोगोई की कार्रवाई के आधार पर नहीं करते बल्कि उन बयानों के आधार पर करते हैं जो जनरल विपिन रावत के इंटरव्यू का हिस्सा थे.
पार्थ चटर्जी अपने लेख में कहते हैं, “ये कहना सही नहीं होगा कि जनरल रावत के इरादे वही थे जो जनरल डायर के थे”. लेकिन चटर्जी उन बयानों की समानता दिखाते हैं जो जलियांवाला बाग के बाद डायर ने अपने एक्शन के बचाव में दिये और कश्मीर की घटना के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में मेजर गोगोई का बचाव करते हुये कहे.
लेख की शुरुआत में ही पार्थ जनरल डायर को उद्धृत करते हैं और कहते हैं – “ऐसा वक्त आता है जब आप आइना देखते हैं और उसमें एक ऐसा चेहरा देखकर स्तब्ध रह जाते हैं जिसे आप नहीं पहचानते – एक विकृत अजनबी का बदसूरत चेहरा. बहुत सारे भारतीयों के लिये इस पर विश्वास करना बेहद कठिन होगा कि एक राज्य के तौर पर हम जनरल डायर वाले पल में पहुंच गये हैं लेकिन सावधानी और निष्पक्षता से सोचें तो 1919 में ब्रिटिश – इंडियन आर्मी की कार्रवाई के पक्ष में दी दलीलों और आज 100 साल बाद भारतीय सेना के बचाव में कही बातों में डरावनी समानतायें हैं.”
पार्थ लिखते हैं कि जनरल डायर का बचाव ब्रिटिश नेताओं ने नहीं किया, लेकिन मेजर गोगोई का बचाव सेनाध्यक्ष के साथ सरकार के मंत्री भी कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने पार्थ चटर्जी के लेख की कड़ी आलोचना करते हुये इसके खिलाफ परवर्ज़न और इडियोटिक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. पत्रकारों से घिरे पार्थ चटर्जी ने कहा वह किसी भी आलोचना का जवाब लिखकर देंगे कैमरों के सामने बोलकर नहीं.
पार्थ चटर्जी का लेख जनरल रावत के इंटरव्यू से लेकर सेना के राजनीतिकरण तक के सवाल उठाता है. मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में ये तक कहा था कि लोगों को सेना से डरना चाहिये. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सेनाध्यक्ष का ये बयान डराने वाला है.
जनरल रावत ने कहा – “ऐसी ही जंग में आप नये तरीके ढूंढते हैं. आप एक गंदे युद्ध को नये तरीकों को खोज कर लड़ते हैं. अगर मेरे अफसर पूछते हैं कि हम क्या करें तो क्या मुझे उनसे कहना चाहिये कि इंतज़ार करो और मर जाओ? मैं तुम्हारे लिये एक बढ़िया कॉफिन और तिरंगा लेकर आऊंगा और तुम्हारे शव को सम्मान के साथ तुम्हारे परिवार वालों तक पहुंचा दूंगा.”
जनरल रावत का ये बयान भले ही सेना की मजबूरी और कठिन हालात के मद्देनज़र मेजर लीतुल गोगोई के कृत्य को सही ठहराता हो लेकिन वह कई सवालों को धुंधला करने और उनकी अनदेखी करने की कोशिश भी है. फारुख अहमद डार की तस्वीर अब कश्मीर में चल रहे विरोध का एक अमिट हिस्सा बन चुकी है और ये तस्वीर एक अनुशासित और मानवीय होने का दावा करने वाली भारतीय सेना का पीछा करती रहेगी. ये बात शायद मेजर गोगोई और जनरल रावत से बेहतर कोई और नहीं जानता.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
जाने माने समाजविज्ञानी पार्थ चटर्जी ने अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘दि वायर’ में 2 जून को एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने घाटी में कश्मीरी नौजवान फारुख अहमद डार को जीप से बांधने और घुमाने की सेना की कार्रवाई (और उसके बाद इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले को मेजर लीतुल गोगोई को मिले सम्मान और आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत के इंटरव्यू ) को जनरल डायर मूमेंट कहा यानी उन्होंने उस घटना की तुलना जलियांवाला बाग हत्याकांड से की. ये तुलना पार्थ सिर्फ मेजर गोगोई की कार्रवाई के आधार पर नहीं करते बल्कि उन बयानों के आधार पर करते हैं जो जनरल विपिन रावत के इंटरव्यू का हिस्सा थे.
पार्थ चटर्जी अपने लेख में कहते हैं, “ये कहना सही नहीं होगा कि जनरल रावत के इरादे वही थे जो जनरल डायर के थे”. लेकिन चटर्जी उन बयानों की समानता दिखाते हैं जो जलियांवाला बाग के बाद डायर ने अपने एक्शन के बचाव में दिये और कश्मीर की घटना के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में मेजर गोगोई का बचाव करते हुये कहे.
लेख की शुरुआत में ही पार्थ जनरल डायर को उद्धृत करते हैं और कहते हैं – “ऐसा वक्त आता है जब आप आइना देखते हैं और उसमें एक ऐसा चेहरा देखकर स्तब्ध रह जाते हैं जिसे आप नहीं पहचानते – एक विकृत अजनबी का बदसूरत चेहरा. बहुत सारे भारतीयों के लिये इस पर विश्वास करना बेहद कठिन होगा कि एक राज्य के तौर पर हम जनरल डायर वाले पल में पहुंच गये हैं लेकिन सावधानी और निष्पक्षता से सोचें तो 1919 में ब्रिटिश – इंडियन आर्मी की कार्रवाई के पक्ष में दी दलीलों और आज 100 साल बाद भारतीय सेना के बचाव में कही बातों में डरावनी समानतायें हैं.”
पार्थ लिखते हैं कि जनरल डायर का बचाव ब्रिटिश नेताओं ने नहीं किया, लेकिन मेजर गोगोई का बचाव सेनाध्यक्ष के साथ सरकार के मंत्री भी कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने पार्थ चटर्जी के लेख की कड़ी आलोचना करते हुये इसके खिलाफ परवर्ज़न और इडियोटिक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. पत्रकारों से घिरे पार्थ चटर्जी ने कहा वह किसी भी आलोचना का जवाब लिखकर देंगे कैमरों के सामने बोलकर नहीं.
पार्थ चटर्जी का लेख जनरल रावत के इंटरव्यू से लेकर सेना के राजनीतिकरण तक के सवाल उठाता है. मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में ये तक कहा था कि लोगों को सेना से डरना चाहिये. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सेनाध्यक्ष का ये बयान डराने वाला है.
जनरल रावत ने कहा – “ऐसी ही जंग में आप नये तरीके ढूंढते हैं. आप एक गंदे युद्ध को नये तरीकों को खोज कर लड़ते हैं. अगर मेरे अफसर पूछते हैं कि हम क्या करें तो क्या मुझे उनसे कहना चाहिये कि इंतज़ार करो और मर जाओ? मैं तुम्हारे लिये एक बढ़िया कॉफिन और तिरंगा लेकर आऊंगा और तुम्हारे शव को सम्मान के साथ तुम्हारे परिवार वालों तक पहुंचा दूंगा.”
जनरल रावत का ये बयान भले ही सेना की मजबूरी और कठिन हालात के मद्देनज़र मेजर लीतुल गोगोई के कृत्य को सही ठहराता हो लेकिन वह कई सवालों को धुंधला करने और उनकी अनदेखी करने की कोशिश भी है. फारुख अहमद डार की तस्वीर अब कश्मीर में चल रहे विरोध का एक अमिट हिस्सा बन चुकी है और ये तस्वीर एक अनुशासित और मानवीय होने का दावा करने वाली भारतीय सेना का पीछा करती रहेगी. ये बात शायद मेजर गोगोई और जनरल रावत से बेहतर कोई और नहीं जानता.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
लेख की शुरुआत में ही पार्थ जनरल डायर को उद्धृत करते हैं और कहते हैं – “ऐसा वक्त आता है जब आप आइना देखते हैं और उसमें एक ऐसा चेहरा देखकर स्तब्ध रह जाते हैं जिसे आप नहीं पहचानते – एक विकृत अजनबी का बदसूरत चेहरा. बहुत सारे भारतीयों के लिये इस पर विश्वास करना बेहद कठिन होगा कि एक राज्य के तौर पर हम जनरल डायर वाले पल में पहुंच गये हैं लेकिन सावधानी और निष्पक्षता से सोचें तो 1919 में ब्रिटिश – इंडियन आर्मी की कार्रवाई के पक्ष में दी दलीलों और आज 100 साल बाद भारतीय सेना के बचाव में कही बातों में डरावनी समानतायें हैं.”
पार्थ लिखते हैं कि जनरल डायर का बचाव ब्रिटिश नेताओं ने नहीं किया, लेकिन मेजर गोगोई का बचाव सेनाध्यक्ष के साथ सरकार के मंत्री भी कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने पार्थ चटर्जी के लेख की कड़ी आलोचना करते हुये इसके खिलाफ परवर्ज़न और इडियोटिक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. पत्रकारों से घिरे पार्थ चटर्जी ने कहा वह किसी भी आलोचना का जवाब लिखकर देंगे कैमरों के सामने बोलकर नहीं.
पार्थ चटर्जी का लेख जनरल रावत के इंटरव्यू से लेकर सेना के राजनीतिकरण तक के सवाल उठाता है. मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में ये तक कहा था कि लोगों को सेना से डरना चाहिये. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सेनाध्यक्ष का ये बयान डराने वाला है.
जनरल रावत ने कहा – “ऐसी ही जंग में आप नये तरीके ढूंढते हैं. आप एक गंदे युद्ध को नये तरीकों को खोज कर लड़ते हैं. अगर मेरे अफसर पूछते हैं कि हम क्या करें तो क्या मुझे उनसे कहना चाहिये कि इंतज़ार करो और मर जाओ? मैं तुम्हारे लिये एक बढ़िया कॉफिन और तिरंगा लेकर आऊंगा और तुम्हारे शव को सम्मान के साथ तुम्हारे परिवार वालों तक पहुंचा दूंगा.”
जनरल रावत का ये बयान भले ही सेना की मजबूरी और कठिन हालात के मद्देनज़र मेजर लीतुल गोगोई के कृत्य को सही ठहराता हो लेकिन वह कई सवालों को धुंधला करने और उनकी अनदेखी करने की कोशिश भी है. फारुख अहमद डार की तस्वीर अब कश्मीर में चल रहे विरोध का एक अमिट हिस्सा बन चुकी है और ये तस्वीर एक अनुशासित और मानवीय होने का दावा करने वाली भारतीय सेना का पीछा करती रहेगी. ये बात शायद मेजर गोगोई और जनरल रावत से बेहतर कोई और नहीं जानता.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
पार्थ लिखते हैं कि जनरल डायर का बचाव ब्रिटिश नेताओं ने नहीं किया, लेकिन मेजर गोगोई का बचाव सेनाध्यक्ष के साथ सरकार के मंत्री भी कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने पार्थ चटर्जी के लेख की कड़ी आलोचना करते हुये इसके खिलाफ परवर्ज़न और इडियोटिक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. पत्रकारों से घिरे पार्थ चटर्जी ने कहा वह किसी भी आलोचना का जवाब लिखकर देंगे कैमरों के सामने बोलकर नहीं.
पार्थ चटर्जी का लेख जनरल रावत के इंटरव्यू से लेकर सेना के राजनीतिकरण तक के सवाल उठाता है. मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में ये तक कहा था कि लोगों को सेना से डरना चाहिये. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सेनाध्यक्ष का ये बयान डराने वाला है.
जनरल रावत ने कहा – “ऐसी ही जंग में आप नये तरीके ढूंढते हैं. आप एक गंदे युद्ध को नये तरीकों को खोज कर लड़ते हैं. अगर मेरे अफसर पूछते हैं कि हम क्या करें तो क्या मुझे उनसे कहना चाहिये कि इंतज़ार करो और मर जाओ? मैं तुम्हारे लिये एक बढ़िया कॉफिन और तिरंगा लेकर आऊंगा और तुम्हारे शव को सम्मान के साथ तुम्हारे परिवार वालों तक पहुंचा दूंगा.”
जनरल रावत का ये बयान भले ही सेना की मजबूरी और कठिन हालात के मद्देनज़र मेजर लीतुल गोगोई के कृत्य को सही ठहराता हो लेकिन वह कई सवालों को धुंधला करने और उनकी अनदेखी करने की कोशिश भी है. फारुख अहमद डार की तस्वीर अब कश्मीर में चल रहे विरोध का एक अमिट हिस्सा बन चुकी है और ये तस्वीर एक अनुशासित और मानवीय होने का दावा करने वाली भारतीय सेना का पीछा करती रहेगी. ये बात शायद मेजर गोगोई और जनरल रावत से बेहतर कोई और नहीं जानता.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
पार्थ चटर्जी का लेख जनरल रावत के इंटरव्यू से लेकर सेना के राजनीतिकरण तक के सवाल उठाता है. मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने के बाद जनरल रावत ने अपने इंटरव्यू में ये तक कहा था कि लोगों को सेना से डरना चाहिये. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सेनाध्यक्ष का ये बयान डराने वाला है.
जनरल रावत ने कहा – “ऐसी ही जंग में आप नये तरीके ढूंढते हैं. आप एक गंदे युद्ध को नये तरीकों को खोज कर लड़ते हैं. अगर मेरे अफसर पूछते हैं कि हम क्या करें तो क्या मुझे उनसे कहना चाहिये कि इंतज़ार करो और मर जाओ? मैं तुम्हारे लिये एक बढ़िया कॉफिन और तिरंगा लेकर आऊंगा और तुम्हारे शव को सम्मान के साथ तुम्हारे परिवार वालों तक पहुंचा दूंगा.”
जनरल रावत का ये बयान भले ही सेना की मजबूरी और कठिन हालात के मद्देनज़र मेजर लीतुल गोगोई के कृत्य को सही ठहराता हो लेकिन वह कई सवालों को धुंधला करने और उनकी अनदेखी करने की कोशिश भी है. फारुख अहमद डार की तस्वीर अब कश्मीर में चल रहे विरोध का एक अमिट हिस्सा बन चुकी है और ये तस्वीर एक अनुशासित और मानवीय होने का दावा करने वाली भारतीय सेना का पीछा करती रहेगी. ये बात शायद मेजर गोगोई और जनरल रावत से बेहतर कोई और नहीं जानता.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
जनरल रावत ने कहा – “ऐसी ही जंग में आप नये तरीके ढूंढते हैं. आप एक गंदे युद्ध को नये तरीकों को खोज कर लड़ते हैं. अगर मेरे अफसर पूछते हैं कि हम क्या करें तो क्या मुझे उनसे कहना चाहिये कि इंतज़ार करो और मर जाओ? मैं तुम्हारे लिये एक बढ़िया कॉफिन और तिरंगा लेकर आऊंगा और तुम्हारे शव को सम्मान के साथ तुम्हारे परिवार वालों तक पहुंचा दूंगा.”
जनरल रावत का ये बयान भले ही सेना की मजबूरी और कठिन हालात के मद्देनज़र मेजर लीतुल गोगोई के कृत्य को सही ठहराता हो लेकिन वह कई सवालों को धुंधला करने और उनकी अनदेखी करने की कोशिश भी है. फारुख अहमद डार की तस्वीर अब कश्मीर में चल रहे विरोध का एक अमिट हिस्सा बन चुकी है और ये तस्वीर एक अनुशासित और मानवीय होने का दावा करने वाली भारतीय सेना का पीछा करती रहेगी. ये बात शायद मेजर गोगोई और जनरल रावत से बेहतर कोई और नहीं जानता.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
जनरल रावत का ये बयान भले ही सेना की मजबूरी और कठिन हालात के मद्देनज़र मेजर लीतुल गोगोई के कृत्य को सही ठहराता हो लेकिन वह कई सवालों को धुंधला करने और उनकी अनदेखी करने की कोशिश भी है. फारुख अहमद डार की तस्वीर अब कश्मीर में चल रहे विरोध का एक अमिट हिस्सा बन चुकी है और ये तस्वीर एक अनुशासित और मानवीय होने का दावा करने वाली भारतीय सेना का पीछा करती रहेगी. ये बात शायद मेजर गोगोई और जनरल रावत से बेहतर कोई और नहीं जानता.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
शायद इसीलिये अपने लेख में पार्थ चटर्जी डार के मानव ढाल बनाये जाने की इसी तस्वीर की तुलना विएतनाम वॉर की उस बहुचर्चित तस्वीर से करते हैं. जहां एक 8 साल की लड़की बम से मिले ज़ख्मों के साथ सड़क पर दौड़ रही है. आप शर्मसार करने वाली और युद्ध का विकृत चेहरा दिखाने वाली ये तस्वीर गूगल में आसानी से ढूंढ सकते हैं.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
चटर्जी ने अपने लेख से जो सवाल उठाये हैं वो सेना के फैसलों को नैतिकता की कसौटी पर कसने की बहस फिर शुरू करते हैं.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
यहां अंग्रेज़ दार्शनिक जैरिमी बैंथम का यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत मेजर गोगोई का बचाव कर सकता है. बैंथम कहते हैं कि किसी फैसले का नैतिकता की कसौटी पर मूल्यांकन उस फैसले के परिणामों के आधार पर होना चाहिये. बैंथम का तर्क है कि हम अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम खुशी ढूंढें. उनके तर्क के हिसाब से सेना के जवानों के साथ कई लोगों को बचाने की मेजर गोगोई ने जो दलील दी वह काम कर सकती है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
मुझे नहीं पता कि मेजर लीतुल गोगोई जैरिमी बैंथम और उनकी थ्योरी को जानते हैं या फारुख डार को जीप में बांधते वक्त उन्होंने बैंथम के बारे में सोचा होगा लेकिन जो तर्क उन्होंने दिया वह यूटिलिटेरिनिज्म का सिद्धांत ही है जिसे अंग्रेज़ी में कॉन्सिक्वेंसियल मॉरल रीज़निंग कहा जाता है यानी आप अपने कृत्य के परिणाम के आधार पर नैतिकता तय करते हैं. महान दार्शनिक कहे जाने वाले जैरिमी बैंथम की अपनी इस थ्योरी के लिये बड़ी आलोचना भी हुई क्योंकि यह सोच किसी नैतिक फैसले में अल्पसंख्यकों (यहां शब्द का मतलब नंबर से है किसी धर्म से नहीं ) के अधिकारों को अनदेखा करती है यानी एक व्यक्ति के मरने से अगर 100 लोग बचते हैं तो बैंथम का सिद्धांत उस कृत्य की वकालत करता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
दूसरी ओर पार्थ चटर्जी जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह जर्मन दार्शनिक इमेन्युअल कांट का सिद्धांत है कि आखिरी नतीजे जो भी हों आप क्या कदम उठाते हैं वही आपकी नैतिकता का पैमाना है. इस आधार पर मेजर गोगोई और जनरल रावत की आलोचना जायज़ है. कांट ने अपने सिद्धांत में “मॉरल वर्थ” शब्द का इस्तेमाल किया यानी वह पूंजी जो इस बात की परवाह नहीं करती कि आखिर में आप बुराई को रोक पायेंगे या अच्छा परिणाम हासिल कर पायेंगे या नहीं. कांट कहते हैं कि फैसला नैतिकता के आधार पर ही होना चाहिये. गांधी जी की सोच बी इस बारे में स्पष्ठ रही है कि साधन और साध्य दोनों पवित्र होने चाहिए.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
अपने लेख में पार्थ चटर्जी कहते हैं कि डायर ने भारतीयों को अमृतसर की उस गली में रेंगकर चलने पर मजबूर किया जिसमें एक ब्रिटिश महिला की पिटाई हुई थी. डायर ने अपने बचाव में कहा कि ऐसा करना उनका “डरावना” और “गंदा फर्ज़” था.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
पार्थ चटर्जी डायर के इन शब्दों को जनरल विपिन रावत के उस इंटरव्यू के सामने रखते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर की लड़ाई को एक “डर्टी वॉर” कहा है. लेकिन मंगलवार को जो तस्वीरें सामने आई उनमें सेना के राजनीतिकरण का एक सवाल उठाने पर पत्रकार सीपीएम नेता प्रकाश करात के पीछे ये कह कर दौड़ रहे थे कि आप सेना के पक्ष में खड़े होने से क्यों हिचक रहे हैं. सेना का विरोध करना किसी देश देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के हित में है तो वह विरोध किया जाना चाहिये. इसमें देशद्रोह जैसी क्या बात है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
इसी बात को सावधानी के साथ कहते हैं पूर्व ब्यूरोक्रेट और लेखक पवन वर्मा. वर्मा ने कहा, “किसी भी अधिकारी या संस्था पर सवाल उठाया जा सकता है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. सवाल उठाना देशद्रोह नहीं है लेकिन मैं यहां पर इसी लय में ये भी कहूंगा कि पार्थ चटर्जी ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे वह बच सकते थे. ”टिप्पणियां
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
वर्मा जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह पार्थ चटर्जी के लेख में इस्तेमाल किये गये रूपकों का है. चटर्जी भावनाओं में बहकर न केवल एक अतिवादी तुलना करते हैं बल्कि वह नेताओं की राजनीतिक विफलता और कश्मीर में सीमापार से चल रहे आतंकवाद को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सवाल ये है कि क्या पार्थ चटर्जी जनरल डायर से तुलना के अतिरूपकों का इस्तेमाल किये बगैर यही बात नहीं कह सकते थे.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है.
जनरल डायर और जनरल विपिन रावत की साझा फोटो और लेख का शीर्षक शायद पार्थ के पूरे तर्क को धुंधला करता दिखता है. समाज और सत्ता में बैठे लोगों को झकझोरने और उनके ज़मीर को जगाने की लेखक की कोशिश इस अतिशयोक्ति में कहीं भटकती दिखती है और वह अहम सवाल कहीं खो जाता है जो वह अपने लेख के आखिर में उठाते हैं कि राष्ट्र के तौर पर हम ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं जो हमें पाकिस्तान की तरह मार्शल लॉ यानी सेना की हुकूमत की ओर ले जा सकता है. |
लेख: तेलंगाना के वारंगल में पटाखों के गोदाम में भीषण आग लग गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई. आग पर काबू पाने की कोशिश अभी लगातार जारी है. फायर फाइटर्स आग बुझाने का काम काम कर रहे हैं. बता दें कि आग की यह घटना कोटालिंगाला गांव में हुई है, जो वारंगल शहर से 135 किलोमीटर दूर है.
बताया जा रहा है कि दोपहर में लगी इस आग पर अब भी काबू नहीं पाया गया है. 1.45 मिनट पर जब आग की खबरें मिली, तब तक फायर फाइटर्स का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था. टिप्पणियां
पुलिस ने कहा कि जब गोदाम में आग लगी, तब 15 लोगों के अंदर होने की खबर थी. आग लगने की वजहों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. हालांकि, मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं.
चश्मदीदों ने कहा कि गोदाम में भीषण आग देखने से पहले उन्होंने बड़े विस्फोट की आवाज सुनी. वारंगल शहर में एमजीएम अस्पताल में पांच घायलों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है.
बताया जा रहा है कि दोपहर में लगी इस आग पर अब भी काबू नहीं पाया गया है. 1.45 मिनट पर जब आग की खबरें मिली, तब तक फायर फाइटर्स का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था. टिप्पणियां
पुलिस ने कहा कि जब गोदाम में आग लगी, तब 15 लोगों के अंदर होने की खबर थी. आग लगने की वजहों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. हालांकि, मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं.
चश्मदीदों ने कहा कि गोदाम में भीषण आग देखने से पहले उन्होंने बड़े विस्फोट की आवाज सुनी. वारंगल शहर में एमजीएम अस्पताल में पांच घायलों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है.
पुलिस ने कहा कि जब गोदाम में आग लगी, तब 15 लोगों के अंदर होने की खबर थी. आग लगने की वजहों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. हालांकि, मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं.
चश्मदीदों ने कहा कि गोदाम में भीषण आग देखने से पहले उन्होंने बड़े विस्फोट की आवाज सुनी. वारंगल शहर में एमजीएम अस्पताल में पांच घायलों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है.
चश्मदीदों ने कहा कि गोदाम में भीषण आग देखने से पहले उन्होंने बड़े विस्फोट की आवाज सुनी. वारंगल शहर में एमजीएम अस्पताल में पांच घायलों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. |
विधायक बनने के बाद भी ठेकेदारी करने वाले बीएसपी विधायक उमाशंकर सिंह और बीजेपी विधायक बजरंग बहादुर की विधानसभा सदस्यता खतरे में पड़ गई है. लोकायुक्त जज ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव से दोनों की सदस्यता को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है.
लोकायुक्त जांच में विधायक बनने के बाद भी दोनों के ठेकेदारी करते रहने की पुष्टि हुई है. विधायकों को अयोग्य घोषित करने का निर्णय राज्यपाल को करना है इसलिए लोकायुक्त जज एनके मेहरोत्रा ने मंगलवार को मुख्यमंत्री को भेजी गई अंतरिम रिपोर्ट में मामला राज्यपाल को संदर्भित करने को कहा है.
दो अन्य विधायकों के खिलाफ नहीं मिले सबूत
बलिया के सुभाष चंद्र सिंह उर्फ क्रांतिकारी ने लोकायुक्त से उमाशंकर सिंह की शिकायत करते हुए विधायक बनने के बाद भी ठेकेदारी करने का आरोप लगाया है. शिकायत में विधायक के कई साझेदारों का उल्लेख करते हुए बीएसपी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और टी राम की भी हिस्सेदारी का आरोप है. हालांकि शिकायतकर्ता नसीमुद्दीन और टी राम की हिस्सेदारी के बारे में कोई सबूत उपलब्ध नहीं करा सके हैं.
दूसरी ओर, मामले में जांच शुरू होने के बाद बीजेपी विधायक बजरंग बहादुर भी इसके लपेटे में आ गए. लोकायुक्त ने जांच करके मुख्यमंत्री को अंतरिम रिपोर्ट भेजी है. सरकार से सिफारिशों पर कार्यवाही करके एक महीने में जानकारी देने को कहा गया है. |
देश के 106 जिलों में नक्सली मौजूद हैं. देखिए, क्या आपका जिला है इस लिस्ट में, क्या आप गए हैं कभी किसी नक्सली इलाके में
बिहार के 22 जिले-
अरवल, औरंगाबाद, भोजपुर, पूर्वी चंपारण, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, मुंगेर, नालंदा, नवादा, पटना, रोहतास, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, शिवहर, वैशाली, बांका, लखीसराय, बेगुसराय और खगड़िया.
उत्तर प्रदेश के 3 जिले-
चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र.
झारखंड के 21 जिले-
बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, लातेहार, लोहरदग्गा, पलामू, रांची, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिम सिंहभूम, खूंटी, रामगढ़, दुमका, देवघर और पाकुड़.
छत्तीसगढ़ में 16 जिले-
बस्तर, बीजापुर, दंतेवाडा, जशपुर, कांकेर, कोरिया, नारायणपुर, राजनांदगांव, सरगुजा, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद बालौद, सुकमा, कोंडागांव और बलरामपुर.
मध्य प्रदेश में 1 जिला-
बालाघाट
पं. बंगाल में 4 जिले-
बांकुरा, पश्चिम मिदनापुर, पुरुलिया और बीरभूम.
आंध्र प्रदेश के 16 जिले-
अनंतपुर, आदिलाबाद, पूर्वी गोदावरी, गुंटूर, करीमनगर, खम्मम, करनूल, मेडक, महबूबनगर, नालगोंडा, प्रकाशम, श्रीककुलम, विशाखापट्टनम, विजयनगरम, वारंगल और निजामाबाद.
महाराष्ट्र के 4 जिले-
चंदनपुर, गढ़चिरौली, गोंडिया और अहेरी.
उड़ीसा के 19 जिले-
गजपति, गंजाम, क्योंझर, कोरापुट, मलकानगिरि, मयूरभंज, नवरंगपुर, रायगढ़, संभलपुर, सुंदरगढ़, नयागढ़, कंधमाल, देवगढ़, जयपुर, ढेंकनाल, कालाहांडी, नुआपाड़ा, बरगढ़ और बोलंगीर. |
अक्षय कुमार की फिल्म 'जॉली एलएलबी 2' का पहला गाना 'गो पागल' हाल ही में रिलीज हुआ है. यूं तो इंटरनेट पर आते ही इस गाने ने धूम मचा दी और लोग होली के इस मस्तीभरे गाने को काफी पसंद भी कर रहे हैं. लेकिन अक्षय के इस गाने के साथ एक और वीडियो है जो बहुत ही वायरल हो रहा है. यह है अक्षय कुमार और एक बच्चे का वीडियो जिसे देखकर आप हंसे बिना रह नहीं पाएंगें. इस वीडियो में अक्षय कुमार एक बच्चे के साथ अपने गाने 'गो पागल' पर मस्तीभरा डांस करते हुए दिखेंगे.टिप्पणियां
दरअसल वेलेनटीनो नाम का यह बच्चा, अक्षय कुमार के केप्टाउन स्थित घर की हाउस मेड (घरेलु कर्मचारी) का बेटा है. इस वीडियो में वेलेनटीनो और अक्षय कुमार बिना किसी डांस स्टेप के घूम-घूम कर नाचते दिख रहे हैं. अक्षय वेलेनटीनो का डांस देखकर इतना प्रभावित हुए कि खुद भी उसके साथ नाचने लगे. यह दोनों जमीन पर गिर-गिर कर इस गाने पर नाचते हुए आपको दिखेंगे.
अक्षय ने यह वीडियो ट्वीट किया और लिखा, ' मैं और वेलेनटीनो 'गो पागल' पर पागल हो गए हैं. अब दिखाएं आपका पागलपन मुझे. इस गाने पर अपना वीडियो अपलोड कीजिए और 'जोली एलएलबी 2' के तोहफे जीतें.
Valentino & I have gone pagal on #GoPagal.Ab dikhaiye aapka Pagalpan mujhe!Upload your videos on the song now and win #JollyLLB2 merchandise pic.twitter.com/yjLoVylTVh
— Akshay Kumar (@akshaykumar) January 6, 2017
बता दें कि अक्षय कुमार अपनी पत्नी ट्विंकल खन्ना और बेटी के साथ नए साल की छुट्टियां मनाने केप्टाउन गए हुए थे. कुछ दिन पहले अक्षय ने केप्टाउन से इस बच्चे के साथ एक फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया था. अक्षय ने इस बच्चे को गोद में लिए एक फोटो पोस्ट किया और लिखा, मेरी हाउस हेल्प के बच्चे वेलेनटीनो से मिलो. यह इस घर में सबसे पसंदीदा बच्चा है और यह सभी को प्रभावित कर लेने वाले व्यक्तित्व का धनी है.'
Boys & girls,meet Valentino,my house help's son here in Cape Town. Everyone's favourite in the house,he's blessed with an infectious spirit pic.twitter.com/5cietThAO2
— Akshay Kumar (@akshaykumar) December 30, 2016
अक्षय की फिल्म 'जॉली एलएलबी 2' का गाना 'गो पागल' 3 जनवरी को इंटरनेट पर रिलीज हुआ. अक्षय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस गाने को रिलीज किया और इसका लिंक शेयर करते हुए लिखा, 'गो पागल, यह हमारी फिल्म का पहला गाना है और यह मेरा सबसे पसंदीदा भी है.' इस गाने में हुमा कुरैशी और अक्षय कुमार होली खेलते हुए नजर आ रहे हैं.
दरअसल वेलेनटीनो नाम का यह बच्चा, अक्षय कुमार के केप्टाउन स्थित घर की हाउस मेड (घरेलु कर्मचारी) का बेटा है. इस वीडियो में वेलेनटीनो और अक्षय कुमार बिना किसी डांस स्टेप के घूम-घूम कर नाचते दिख रहे हैं. अक्षय वेलेनटीनो का डांस देखकर इतना प्रभावित हुए कि खुद भी उसके साथ नाचने लगे. यह दोनों जमीन पर गिर-गिर कर इस गाने पर नाचते हुए आपको दिखेंगे.
अक्षय ने यह वीडियो ट्वीट किया और लिखा, ' मैं और वेलेनटीनो 'गो पागल' पर पागल हो गए हैं. अब दिखाएं आपका पागलपन मुझे. इस गाने पर अपना वीडियो अपलोड कीजिए और 'जोली एलएलबी 2' के तोहफे जीतें.
Valentino & I have gone pagal on #GoPagal.Ab dikhaiye aapka Pagalpan mujhe!Upload your videos on the song now and win #JollyLLB2 merchandise pic.twitter.com/yjLoVylTVh
— Akshay Kumar (@akshaykumar) January 6, 2017
बता दें कि अक्षय कुमार अपनी पत्नी ट्विंकल खन्ना और बेटी के साथ नए साल की छुट्टियां मनाने केप्टाउन गए हुए थे. कुछ दिन पहले अक्षय ने केप्टाउन से इस बच्चे के साथ एक फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया था. अक्षय ने इस बच्चे को गोद में लिए एक फोटो पोस्ट किया और लिखा, मेरी हाउस हेल्प के बच्चे वेलेनटीनो से मिलो. यह इस घर में सबसे पसंदीदा बच्चा है और यह सभी को प्रभावित कर लेने वाले व्यक्तित्व का धनी है.'
Boys & girls,meet Valentino,my house help's son here in Cape Town. Everyone's favourite in the house,he's blessed with an infectious spirit pic.twitter.com/5cietThAO2
— Akshay Kumar (@akshaykumar) December 30, 2016
अक्षय की फिल्म 'जॉली एलएलबी 2' का गाना 'गो पागल' 3 जनवरी को इंटरनेट पर रिलीज हुआ. अक्षय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस गाने को रिलीज किया और इसका लिंक शेयर करते हुए लिखा, 'गो पागल, यह हमारी फिल्म का पहला गाना है और यह मेरा सबसे पसंदीदा भी है.' इस गाने में हुमा कुरैशी और अक्षय कुमार होली खेलते हुए नजर आ रहे हैं.
अक्षय ने यह वीडियो ट्वीट किया और लिखा, ' मैं और वेलेनटीनो 'गो पागल' पर पागल हो गए हैं. अब दिखाएं आपका पागलपन मुझे. इस गाने पर अपना वीडियो अपलोड कीजिए और 'जोली एलएलबी 2' के तोहफे जीतें.
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— Akshay Kumar (@akshaykumar) January 6, 2017
बता दें कि अक्षय कुमार अपनी पत्नी ट्विंकल खन्ना और बेटी के साथ नए साल की छुट्टियां मनाने केप्टाउन गए हुए थे. कुछ दिन पहले अक्षय ने केप्टाउन से इस बच्चे के साथ एक फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया था. अक्षय ने इस बच्चे को गोद में लिए एक फोटो पोस्ट किया और लिखा, मेरी हाउस हेल्प के बच्चे वेलेनटीनो से मिलो. यह इस घर में सबसे पसंदीदा बच्चा है और यह सभी को प्रभावित कर लेने वाले व्यक्तित्व का धनी है.'
Boys & girls,meet Valentino,my house help's son here in Cape Town. Everyone's favourite in the house,he's blessed with an infectious spirit pic.twitter.com/5cietThAO2
— Akshay Kumar (@akshaykumar) December 30, 2016
अक्षय की फिल्म 'जॉली एलएलबी 2' का गाना 'गो पागल' 3 जनवरी को इंटरनेट पर रिलीज हुआ. अक्षय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस गाने को रिलीज किया और इसका लिंक शेयर करते हुए लिखा, 'गो पागल, यह हमारी फिल्म का पहला गाना है और यह मेरा सबसे पसंदीदा भी है.' इस गाने में हुमा कुरैशी और अक्षय कुमार होली खेलते हुए नजर आ रहे हैं.
Valentino & I have gone pagal on #GoPagal.Ab dikhaiye aapka Pagalpan mujhe!Upload your videos on the song now and win #JollyLLB2 merchandise pic.twitter.com/yjLoVylTVh
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लेख: एशियाई बाजारों में मजबूती के चलते देश के शेयर बाजारों के शुरुआती कारोबार में बुधवार को मजबूती का रुख देखने को मिल रहा है. प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.49 बजे 49.28 अंकों की मजबूती के साथ 26,357.26 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 11.55 अंकों की बढ़त के साथ 8,093.95 पर कारोबार करते देखे गए.
बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 60.9 अंकों की बढ़त के साथ 26368.88 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 23.45 अंकों की तेजी के साथ 8,105.85 पर खुला.टिप्पणियां
अंबुजा सीमेंट, आईटीसी, एचयूएल, टाटा मोटर्स निगेटिव जोन में कारोबार करते देखे जा रहे हैं. वहीं निफ्टी में एचडीएफसी, एसीसी, आइचर मोटर्स में तेजी है.
बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 60.9 अंकों की बढ़त के साथ 26368.88 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 23.45 अंकों की तेजी के साथ 8,105.85 पर खुला.टिप्पणियां
अंबुजा सीमेंट, आईटीसी, एचयूएल, टाटा मोटर्स निगेटिव जोन में कारोबार करते देखे जा रहे हैं. वहीं निफ्टी में एचडीएफसी, एसीसी, आइचर मोटर्स में तेजी है.
अंबुजा सीमेंट, आईटीसी, एचयूएल, टाटा मोटर्स निगेटिव जोन में कारोबार करते देखे जा रहे हैं. वहीं निफ्टी में एचडीएफसी, एसीसी, आइचर मोटर्स में तेजी है. |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: राजनीतिक संकट का सामना कर रहे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को शनिवार को उस समय बड़ी राहत मिली, जब राज्यपाल कृष्णकांत पाल ने उन्हें 28 मार्च तक विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत साबित करने को कहा।
इसी से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में कृषि मंत्री हरक सिंह रावत को इस आधार पर मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया कि विधानसभा में उनका आचरण 'असंसदीय' था। हरक सिंह रावत ने बागी विधायकों का अगुवाई की थी।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि कैबिनेट ने हरक सिंह रावत को हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।
कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी प्रवक्ता रीता बहुगुणा जोशी से कहा है कि वह बागी रूख अपनाने वाले अपने बड़े भाई विजय बहुगुणा को मनाएं और सम्मान के साथ वापसी करने के लिए कहें। विजय बहुगुणा ने भाजपा का हाथ थाम लिया है।
इस बीच, उत्तराखंड भाजपा के विधायक कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ गुड़गांव के एक होटल में ठहरे हैं और आगे की रणनीति के लिए भाजपा के नेतृत्व के साथ बातचीत कर सकते हैं।
राज्यपाल का बहुत साबित करने का निर्देश ऐसे समय आया है जब भाजपा ने दावा किया कि 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को मिलाकर उसे 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही पार्टी ने कहा कि रावत सरकार अल्पमत में आ गई है।टिप्पणियां
उधर, रावत ने जोर दिया है कि वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को तैयार हैं। राजभवन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रावत को पत्र लिखकर राज्यपाल ने उन्हें 28 मार्च तक सदन में विश्वासमत हासिल करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी ने बताया कि यह पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
इसी से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में कृषि मंत्री हरक सिंह रावत को इस आधार पर मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया कि विधानसभा में उनका आचरण 'असंसदीय' था। हरक सिंह रावत ने बागी विधायकों का अगुवाई की थी।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि कैबिनेट ने हरक सिंह रावत को हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।
कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी प्रवक्ता रीता बहुगुणा जोशी से कहा है कि वह बागी रूख अपनाने वाले अपने बड़े भाई विजय बहुगुणा को मनाएं और सम्मान के साथ वापसी करने के लिए कहें। विजय बहुगुणा ने भाजपा का हाथ थाम लिया है।
इस बीच, उत्तराखंड भाजपा के विधायक कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ गुड़गांव के एक होटल में ठहरे हैं और आगे की रणनीति के लिए भाजपा के नेतृत्व के साथ बातचीत कर सकते हैं।
राज्यपाल का बहुत साबित करने का निर्देश ऐसे समय आया है जब भाजपा ने दावा किया कि 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को मिलाकर उसे 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही पार्टी ने कहा कि रावत सरकार अल्पमत में आ गई है।टिप्पणियां
उधर, रावत ने जोर दिया है कि वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को तैयार हैं। राजभवन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रावत को पत्र लिखकर राज्यपाल ने उन्हें 28 मार्च तक सदन में विश्वासमत हासिल करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी ने बताया कि यह पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि कैबिनेट ने हरक सिंह रावत को हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।
कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी प्रवक्ता रीता बहुगुणा जोशी से कहा है कि वह बागी रूख अपनाने वाले अपने बड़े भाई विजय बहुगुणा को मनाएं और सम्मान के साथ वापसी करने के लिए कहें। विजय बहुगुणा ने भाजपा का हाथ थाम लिया है।
इस बीच, उत्तराखंड भाजपा के विधायक कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ गुड़गांव के एक होटल में ठहरे हैं और आगे की रणनीति के लिए भाजपा के नेतृत्व के साथ बातचीत कर सकते हैं।
राज्यपाल का बहुत साबित करने का निर्देश ऐसे समय आया है जब भाजपा ने दावा किया कि 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को मिलाकर उसे 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही पार्टी ने कहा कि रावत सरकार अल्पमत में आ गई है।टिप्पणियां
उधर, रावत ने जोर दिया है कि वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को तैयार हैं। राजभवन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रावत को पत्र लिखकर राज्यपाल ने उन्हें 28 मार्च तक सदन में विश्वासमत हासिल करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी ने बताया कि यह पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी प्रवक्ता रीता बहुगुणा जोशी से कहा है कि वह बागी रूख अपनाने वाले अपने बड़े भाई विजय बहुगुणा को मनाएं और सम्मान के साथ वापसी करने के लिए कहें। विजय बहुगुणा ने भाजपा का हाथ थाम लिया है।
इस बीच, उत्तराखंड भाजपा के विधायक कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ गुड़गांव के एक होटल में ठहरे हैं और आगे की रणनीति के लिए भाजपा के नेतृत्व के साथ बातचीत कर सकते हैं।
राज्यपाल का बहुत साबित करने का निर्देश ऐसे समय आया है जब भाजपा ने दावा किया कि 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को मिलाकर उसे 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही पार्टी ने कहा कि रावत सरकार अल्पमत में आ गई है।टिप्पणियां
उधर, रावत ने जोर दिया है कि वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को तैयार हैं। राजभवन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रावत को पत्र लिखकर राज्यपाल ने उन्हें 28 मार्च तक सदन में विश्वासमत हासिल करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी ने बताया कि यह पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
इस बीच, उत्तराखंड भाजपा के विधायक कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ गुड़गांव के एक होटल में ठहरे हैं और आगे की रणनीति के लिए भाजपा के नेतृत्व के साथ बातचीत कर सकते हैं।
राज्यपाल का बहुत साबित करने का निर्देश ऐसे समय आया है जब भाजपा ने दावा किया कि 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को मिलाकर उसे 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही पार्टी ने कहा कि रावत सरकार अल्पमत में आ गई है।टिप्पणियां
उधर, रावत ने जोर दिया है कि वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को तैयार हैं। राजभवन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रावत को पत्र लिखकर राज्यपाल ने उन्हें 28 मार्च तक सदन में विश्वासमत हासिल करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी ने बताया कि यह पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
राज्यपाल का बहुत साबित करने का निर्देश ऐसे समय आया है जब भाजपा ने दावा किया कि 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को मिलाकर उसे 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही पार्टी ने कहा कि रावत सरकार अल्पमत में आ गई है।टिप्पणियां
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उधर, रावत ने जोर दिया है कि वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को तैयार हैं। राजभवन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि रावत को पत्र लिखकर राज्यपाल ने उन्हें 28 मार्च तक सदन में विश्वासमत हासिल करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी ने बताया कि यह पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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एलियस गैलेनस या क्लॉडियस गैलेनस ( ; सितम्बर 129 - ), जिसे अक्सर अंग्रेजी में गैलेन ( ) या पेर्गमॉन का गैलेन कहा जाता है, एक रोमन यूनानी चिकित्सक, सर्जन और दार्शनिक थे। पुरातन काल के सभी चिकित्सा शोधकर्ताओं में सबसे कुशल माने जाने वाले गैलेन ने शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान, विकृति विज्ञान, औषध विज्ञान, और तंत्रिका विज्ञान, साथ ही दर्शनशास्त्र सहित विभिन्न वैज्ञानिक विषयों के विकास को प्रभावित किया और तर्क ।
विद्वान अभिरुचि वाले एक धनी यूनानी वास्तुकार, एलियस निकॉन के बेटे, गैलेन ने एक व्यापक शिक्षा प्राप्त की जिसने उन्हें एक चिकित्सक और दार्शनिक के रूप में एक सफल कैरियर के लिए तैयार किया। प्राचीन शहर पेर्गमोन (वर्तमान बर्गामा, तुर्की) में जन्मे गैलेन ने बड़े पैमाने पर यात्रा की और रोम में बसने से पहले खुद को कई तरह के चिकित्सा सिद्धांतों और खोजों से अवगत कराया, जहां उन्होंने रोमन समाज के प्रमुख सदस्यों की सेवा की और अंततः उन्हें सम्राट के रूप में पदोन्नत किया गया। पद दिया गया. कई सम्राटों के निजी चिकित्सक के रूप में।
शरीर रचना विज्ञान और चिकित्सा के बारे में गैलेन की समझ मुख्य रूप से चार हास्य के तत्कालीन-वर्तमान सिद्धांत से प्रभावित थी: काला पित्त, पीला पित्त, रक्त और कफ, जैसा कि हिप्पोक्रेटिक कॉर्पस में ऑन द नेचर ऑफ मैन के लेखक ने पहली बार आगे बढ़ाया था। गैलेन के विचार 1,300 से अधिक वर्षों तक पश्चिमी चिकित्सा विज्ञान पर हावी और प्रभावित रहे। उनकी शारीरिक रिपोर्टें मुख्य रूप से बार्बरी वानरों के विच्छेदन पर आधारित थीं। हालाँकि, जब उन्हें पता चला कि उनके चेहरे के हाव-भाव बहुत हद तक इंसानों से मिलते-जुलते हैं, तो उन्होंने सूअर जैसे अन्य जानवरों की ओर रुख किया। मानव शरीर की खोज के लिए जानवरों का उपयोग करने का कारण यह तथ्य था कि उस समय मनुष्यों पर विच्छेदन और विविसेक्शन सख्ती से प्रतिबंधित थे। गैलेन अपने छात्रों को मानव शरीर से बेहतर परिचित होने के लिए मृत ग्लेडियेटर्स या बहकर आए शवों को देखने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उनकी शारीरिक रिपोर्टें 1543 तक निर्विरोध रहीं, जब मानव विच्छेदन के मुद्रित विवरण और चित्र एंड्रियास वेसालियस के मौलिक कार्य डी ह्यूमनी कॉर्पोरिस फैब्रिका में प्रकाशित हुए थे जहां गैलेन के शारीरिक सिद्धांत को इन नई टिप्पणियों के साथ समायोजित किया गया था। परिसंचरण तंत्र के शरीर विज्ञान के बारे में गैलेन का सिद्धांत , जब इब्न अल-नफीस ने अपनी पुस्तक शरह तशरीह अल-क़ानून ली 'इब्न सिना ( एविसेना के कैनन में एनाटॉमी पर टिप्पणी ) प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने फुफ्फुसीय परिसंचरण की अपनी खोज की सूचना दी।
गैलेन ने खुद को एक चिकित्सक और एक दार्शनिक दोनों के रूप में देखा, जैसा कि उन्होंने अपने ग्रंथ दैट द बेस्ट फिजिशियन इज़ अल्सो ए फिलॉसफर में लिखा है। गैलेन को तर्कवादी और अनुभववादी चिकित्सा संप्रदायों के बीच बहस में बहुत दिलचस्पी थी, और उनका प्रत्यक्ष अवलोकन, विच्छेदन और विविसेक्शन का उपयोग उन दो दृष्टिकोणों के चरम के बीच एक जटिल मध्य मैदान का प्रतिनिधित्व करता है। उनके कई कार्यों को संरक्षित किया गया है और/या मूल ग्रीक से अनुवादित किया गया है, हालांकि कई नष्ट हो गए थे और उनमें से कुछ को नकली माना जाता है। हालाँकि उनकी मृत्यु की तारीख पर कुछ बहस है, लेकिन जब उनकी मृत्यु हुई तो उनकी उम्र सत्तर वर्ष से कम नहीं थी।
संदर्भ |
यह लेख है: स्विट्जरलैंड के स्टैनिसलास वावरिंका ने ऑस्ट्रेलियाई ओपन टेनिस टूर्नामेंट के पुरुष एकल सेमीफाइनल में गुरुवार को मेलबर्न में चार सेट तक चले कड़े मुकाबले में टॉमस बरडिक को हराकर पहली बार किसी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई। आठवीं वरीयता प्राप्त वावरिंका ने चेक गणराज्य के सातवीं वरीय बरडिक को तीन घंटे 31 मिनट तक चले मैच में 6-3, 6-7, 7-6, 7-6 से हराया।
रविवार को होने वाले फाइनल में उनका मुकाबला स्पेन के राफेल नडाल और हमवतन रोजर फेडरर के बीच शुक्रवार को होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। क्वार्टर फाइनल में तीन बार के मौजूदा चैंपियन नोवाक जोकोविच को हराने वाले वावरिंका इस जीत से स्विटजरलैंड के नंबर एक खिलाड़ी भी बन गए हैं।
रोजर फेडरर वर्ष 2001 से स्विस नंबर एक खिलाड़ी थे। वावरिंका ने कहा, 'मेरे पास खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं पहली बार फाइनल में पहुंचकर बहुत खुश हूं। मैंने मैच जीतने के लिए प्रत्येक दिन कड़ी मेहनत की। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंच पाऊंगा, लेकिन आज रात ऐसा हो गया। इसलिए आज की रात मेरे लिए बहुत खुशियों से भरी है।'
वावरिंका ने एक बार भी अपनी सर्विस नहीं गंवाई और केवल एक बार उनकी सर्विस टूटने की स्थिति बनी। तेजतर्रार सर्विस करने वाले बरडिक ने सात डबल फाल्ट किए और इनमें से चार डबल फाल्ट उन्होंने तीसरे और चौथे सेट के टाईब्रेकर में किए।
बरडिक की सर्विस केवल एक बार टूटी और पूरे मैच में वावरिंका ने उनसे केवल एक अंक (143-142) अधिक बनाया।
पिछले साल अमेरिकी ओपन के सेमीफाइनल में जोकोविच से हारने वाले वावरिंका का यह पहला महत्वपूर्ण फाइनल होगा। वह 36 बार भाग लेने के बाद ग्रैंड स्लैम फाइनल में पहुंचे हैं। फेडरर के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह केवल दूसरे स्विस खिलाड़ी हैं।
वैसे, वावरिंका की बरडिक पर यह लगातार चौथी जीत है और तीन ग्रैंड स्लैम मैचों में यह उनकी चेक गणराज्य के खिलाड़ी पर यह दूसरी जीत है। बरडिक पहले सेट के सातवें गेम में ब्रेक प्वाइंट पर स्मैश को वापस करने में नाकाम रहे और यह सेट गंवा बैठे। उन्होंने हालांकि दूसरा सेट टाईब्रेकर में 7-1 से जीतकर मैच को बराबरी पर ला दिया। इसके बाद दोनों खिलाड़ियों में से कोई भी सर्विस तोड़ने में असफल रहा और वावरिंका ने अगले दोनों सेट टाईब्रेकर में 7-3 और 7-4 से जीतकर मैच अपने नाम किया। |
महिलाओं और पुरुषों में आमतौर पर रिनोवायरस के कारण सर्दी-जुकाम की समस्या होती है और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने इस वायरस से मुकाबला करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली के बारे में महत्वपूर्ण खोज का दावा किया है। प्रिंसेस अलेक्जेंड्रा अस्पताल में यूनिवर्सिर्टी ऑफ क्वींसलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के एक दल ने पता लगाया कि रिनोवायरस से मुकाबले के लिए युवतियों की प्रतिरक्षा प्रणाली युवकों की तुलना में अधिक मजबूत होती है। दल का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर जॉन उपहम ने कहा कि महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद ये अंतर दिखाई दिया। इससे लगता है कि ऐसा सेक्स हार्मोन्स के कारण हुआ होगा। उन्होंने कहा कि रिनोवायरस से मुकाबले के नए तरीके खोजने में ये नतीजे काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा, स्वस्थ लोगों में जहां ये वायरस थोड़ी बहुत परेशानी पैदा करते हैं, वहीं दमा या अन्य फेफेड़े संबंधी बीमारियों से घिरे लोगों को और बीमार कर सकते हैं। इस संक्रमण को रोकने के नए तरीके खोजने के हमारे प्रयासों में हमें हार्मोन्स के प्रभावों पर तथा उनके प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रोफेसर उपहम ने कहा कि दल इस बात पर शोध कर रहा है कि दमे से घिरे लोगों में प्रतिरक्षा प्रणाली किस तरह काम करती है या नहीं करती। वैज्ञानिकों का कहना है कि वे एक टीका विकसित करने की दीर्घकालिक योजना के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली पर हार्मोन्स के प्रभाव पर आगे और अध्ययन करेंगे। |
भारत का जनमत अपनी इस ऐतिहासिक दुविधा के एक नए संस्करण से फिर मुखातिब है कि उसे बेहद शक्तिशाली केंद्र सरकार चाहिए या फिर ताकत का संतुलन बनाते राज्य! भारत को भीमकाय अखिल भारतीय दल की सरकार चाहिए या फिर क्षेत्रीय दलों का इंद्रधनुष, जो 1991 के बाद उगा था और 2014 में देश के अधिकांश भूगोल पर 'कमलोदय' के बाद अस्त हो गया.
यह प्रश्न 1991 के बाद से ही भारतीय राजनीति को मथने लगा था कि अब अखिल भारतीय राजनैतिक दल बनने के लिए किसी पार्टी को आखिर करना क्या होगा? एकमात्र अखिल भारतीय पार्टी कांग्रेस का क्षरण हो चुका था. उदारीकरण और निजीकरण के बाद केंद्र सरकार की आर्थिक शक्तियां सीमित हो गईं और राज्यों के अधिकार बढ़ते चले गए. इसके साथ ही खत्म हो गई थीं चुनावों में अखिल भारतीय लहर! फिर क्या बचा था किसी अखिल भारतीय दल के पास जिसे लेकर वह पूरे देश को संबोधित कर सके?
नरेंद्र मोदी के पास विकल्प सीमित थे. राष्ट्रीय सुरक्षा या पाकिस्तान का खौफ ही इकलौता विषय था जिस पर राज्य सरकारें क्या सवाल उठातीं. यह उनके अधिकार में ही नहीं है. भाजपा ने इसका इस्तेमाल राज्यों की अपेक्षाओं की धार कुंद करने में किया और सुरक्षा की खातिर ताकतवर केंद्र की जरूरत को गले से उतारने की कोशिश की है.
अखिल भारतीय पार्टी बनने के लिए किसी भी दल को शक्तिशाली केंद्र सरकार गढ़नी पड़ती है. मोदी को भी 2014 के बाद ऐसा सब कुछ करना पड़ा, मुख्यमंत्री के तौर पर जिससे वे शायद कभी इत्तेफाक नहीं रखते. राज्यों के नजरिये से मोदी राज, उत्तर नेहरू युग की इंदिरा कांग्रेस जैसा ही रहा. राज्यों को बार-बार डराया गया. सरकारें (उत्तराखंड, और अरुणाचल) बरखास्त हुईं जो सुप्रीम कोर्ट की मदद से वापस से लौटीं. केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस कदर राजनैतिक इस्तेमाल हुआ कि तीन राज्य सरकारों ने सीबीआइ के खिलाफ बगावत कर दी. यही नहीं, पिछले साल अप्रैल में दक्षिणी राज्यों ने केंद्र पर संसाधनों के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाया और वित्त आयोग पर सवाल उठाए.
दरअसल, शक्तिशाली केंद्र बनाम संतुलित ताकत वाले राज्यों की उलझन संविधान जितनी पुरानी है. 1947 में बंटवारे के लिए माउंटबेटन प्लान की घोषणा के तीन दिन के भीतर ही संविधान सभा की उप समिति ने बेहद शक्तिशाली अधिकारों से लैस केंद्र वाली संवैधानिक व्यवस्था की सिफारिश की थी. यह आंबेडकर थे जिन्होंने ताकतवर केंद्र के प्रति संविधान सभा के आग्रह को संतुलित करते हुए ऐसे संविधान पर सहमति बनाई जो संकट के समय केंद्र को ताकत देता था लेकिन आम तौर पर संघीय (राज्यों को संतुलित अधिकार) सिद्धांत पर काम करता था.
शक्तिशाली केंद्र को लेकर अपने आग्रह के बावजूद, संविधान बनने के बाद नेहरू ने अधिकांश मामलों में राज्यों की सलाह ली. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्यों के 378 पत्र लिखे यानी प्रति 16वें दिन एक चिट्ठी. अचरज नहीं कि संविधान लागू होने के बाद बनने वाली पहली संस्था वित्त आयोग (1951) थी जिसने केंद्र पर राज्य के आर्थिक रिश्तों का स्वरूप तय किया. (संदर्भः बलवीर अरोरा, ग्रेनविल ऑस्टिन, बी.आर. नंदा की किताबें)
2019 के चुनाव से पहले मोदी इस निष्कर्ष पर पहुंच गए थे कि उन्हें 2014 से बड़ी अखिल भारतीय लहर चाहिए. जो उस सत्ता विरोधी लहर को परास्त कर सके जिस पर सवारी करते हुए वे राज्य दर राज्य जीतते चले गए थे और जो अब गठबंधनों के नेतृत्व में पलट कर उन के खिलाफ खड़ी होने लगी थी.
गठबंधन सरकारें नई नहीं हैं और न ही उनका प्रदर्शन बुरा रहा है. लेकिन पहली बार देश की सबसे बड़ी पार्टी, जो गठबंधनों के सहारे यहां तक आई है, वह क्षेत्रीय दलों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताकर ताकतवर केंद्र के लिए वोट मांग रही है.
दरअसल, मोदी के आने तक अखिल भारतीय लहरें (2014 में भाजपा को केवल 31 फीसदी वोट मिले) इतिहास बन चुकी थीं. वित्तीय अधिकारों के बंटवारे से लेकर चुनावी प्रतिनिधित्व तक शक्तिशाली केंद्र की संकल्पना भी पिघल चुकी है. शुरुआती चुनावों में क्षेत्रीय दलों के पास संसद में लगभग 35 सीटें थीं जो पिछली लोकसभा में 160 हो गईं. इसी क्रम में लोकसभा चुनावों में उनके वोटों का हिस्सा 4 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी पर पहुंच गया.
देश में विकास में राज्यों की भूमिका केंद्र से ज्यादा केंद्रीय हो चुकी है. यही वजह है कि बहुमत की शक्तिशाली सरकार के मुकाबले, सिर्फ पांच साल के भीतर ही भारत का संघवाद उठ कर खड़ा हो रहा है. न चाहते हुए भी यह चुनाव राज्यों की राजनीति पर केंद्रित हो रहा है. भाजपा शासित राज्यों में विपक्ष की वापसी इसकी शुरुआत थी. 23 मई का नतीजा चाहे जो हो लेकिन भारतीय गणतंत्र की नई सरकार शायद उस केंद्र-राज्य संतुलन को वापस हासिल कर लेगी जो 2014 में लड़खड़ा गया था.
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स्पोर्ट्स डेवलपमेंट ऑथोरिटी ऑफ तमिलनाडु (SDAT) में जूनियर असिस्टेंट कम टाइपिस्ट, स्टेनोटाइपिस्ट के पदों के लिए 40 भर्तियां निकली हैं. इन पदों के लिए आवेदन 24 सितंबर तक स्वीकार किए जाएंगे.
पदों का विवरण:
जूनियर असिस्टेंट कम टाइपिस्ट: 26
असिस्टेंट: 10
स्टेनोटाइपिस्ट ग्रेड III: 1
कमर्शियल एकाउंटेंट: 1
असिस्टेंट इंजीनियर (स्पोर्टस टेक्नोलॉजी) : 1
असिस्टेंट इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल): 1
उम्र सीमा:
18 से 30 साल
ज्यादा जानकारी के लिए
www.sdat.tn.gov.in/index.php/component/content/article?layout=edit&id=527
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व्हॉर्टन इंडिया इकोनॉमिक फोरम में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को व्याख्यान के लिए न्योता मिला.
केजरीवाल ने साफ किया कि उन्हे नरेंद्र मोदी की जगह न्योता नही मिला है. बहुत सारे लोगों को आमत्रिंत किया गया हैं और वो भी उनमें एक है.
पार्टी ने सोमवार रात को पुष्टि की कि अरविंद केजरीवाल को व्हॉर्टन से 23 मार्च को स्पीच का इन्विटेशन आया है.
केजरीवाल विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाषण देंगे. हालांकि 23 मार्च से ही वह दिल्ली में अनशन पर भी बैठ रहे हैं. ऐसे में उनके सामने टाईम मैनेज करना भी एक चुनौती होगी. |
हवाई (/həˈwaɪi/ (सुनो) hə-WY-ee; हवाईयन: हवाईयन [həˈvɐjʔi] या [həˈwɐjʔi]) पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में एक राज्य है, जो प्रशांत महासागर में अमेरिकी मुख्य भूमि से लगभग 2,000 मील (3,200 किमी) दूर है। यह उत्तरी अमेरिका के बाहर एकमात्र अमेरिकी राज्य है, एकमात्र राज्य जो एक द्वीपसमूह है, और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में एकमात्र राज्य है।
हवाई में लगभग पूरा हवाई द्वीपसमूह, 1,500 मील (2,400 किमी) तक फैले 137 ज्वालामुखी द्वीप शामिल हैं जो भौगोलिक और जातीय रूप से ओशिनिया के पॉलिनेशियन उपक्षेत्र का हिस्सा हैं। परिणामस्वरूप, राज्य की समुद्री तटरेखा लगभग 750 मील (1,210 किमी) के साथ अमेरिका में चौथी सबसे लंबी है। उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक आठ मुख्य द्वीप हैं, निइहाऊ, कौआई, ओआहू, मोलोकाई, लानाई, कहोओलावे, माउई और हवाई-इनमें से अंतिम, जिसके नाम पर राज्य का नाम रखा गया है, अक्सर "बड़ा द्वीप" या "कहा जाता है" हवाई द्वीप" राज्य या द्वीपसमूह के साथ भ्रम से बचने के लिए। निर्जन उत्तर-पश्चिमी हवाई द्वीप पापाहानामोकुआकिया समुद्री राष्ट्रीय स्मारक का अधिकांश भाग बनाते हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र और दुनिया में चौथा सबसे बड़ा है। |
श्रेया धनवंतरी (जन्म 29 अगस्त 1988) एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो हिंदी और तेलुगु भाषा की फिल्मों के साथ-साथ वेब श्रृंखला में अपने काम के लिए जानी जाती हैं। वह 2019 में अमेज़न प्राइम वीडियो वेब सीरीज़, द फैमिली मैन में ज़ोया के रूप में अपनी भूमिका से प्रसिद्ध हुईं। सोनी लिव के स्कैम 1992 (2020) में पत्रकार सुचेता दलाल की भूमिका निभाई,जहां उनके शानदार प्रदर्शन के कारण खूब प्रसंसा मिली।
प्रारंभिक जीवन
धनवंतरी ने फेमिना मिस इंडिया साउथ 2008 में भाग लिया जब वह तीसरे वर्ष की इंजीनियरिंग की छात्रा थी। उसने इवेंट में प्रथम रनर-अप रखा। इसके बाद वह फाइनलिस्ट के रूप में मिस इंडिया २००८ में प्रतिस्पर्धा करने चली गईं।
उनके द्वारा समर्थित लोकप्रिय ब्रांडों में एयरटेल, पयान्टालुनस, साफी, प्रभोग, भोग आईअयेर, गीतांजली माया गोल्ड ज्वैलरी, डि डामास ज्वेलरी, ज्याशन साड़ी और लिबर्टी फुटवियर शामिल हैं।
व्यवसाय
मिस इंडिया २००८ के तुरंत बाद, उन्हें तेलुगु फिल्म स्नेहा गीतम में एक भूमिका की पेशकश की गई थी। उन्होंने इमरान हाशमी के साथ होयाई चीट इंडिया के साथ बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की। उन्हें असली पहचान वेब सीरीज The Family Man से मिली।
फिल्मोग्राफी
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पाकिस्तान ने आज कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच की भारत की मांग को फिर से खारिज करते हुए कहा कि इस मामले की तुलना असैन्य कैदियों से करना ''तर्क का उपहास'' है. इससे पहले कल भारत ने जाधव तक जल्द राजनयिक पहुंच देने की मांग की थी जिन्हें पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई है.
विदेश कार्यालय ने यहां एक बयान में कहा, ''भारत की जाधव मामले की तुलना असैन्य कैदियों एवं मछुआरों से करने की कोशिश तर्क का उपहास है.'' कल दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की एक सूची का आदान-प्रदान किया था जिसके बाद विदेश कार्यालय ने यह टिप्पणी की. पाकिस्तान द्वारा मुहैया कराई गई सूची के अनुसार देश की जेलों में कम से कम 546 भारतीय नागरिक बंद हैं जिनमें से करीब 500 मछुआरे हैं.
विदेश कार्यालय ने दावा किया, ''कमांडर जाधव भारतीय नौसेना के एक सेवारत अधिकारी हैं जिन्हें भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने जासूसी, आतंकवाद एवं विद्रोही गतिविधियों, के लिए पाकिस्तान भेजा था, जिनके कारण कई निर्दोष जानें गईं और संपत्ति का नुकसान हुआ.''पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान राजनयिक पहुंच से संबंधित 2008 के समझौते के कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है जिसके तहत दोनों एक-दूसरे की जेलों में बंद अपने-अपने नागरिकों की सूची का हर साल दो बार एक जनवरी एवं एक जुलाई को आदान-प्रदान करते हैं. टिप्पणियां
कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान ने समझौते का पूरी भावना से कार्यान्वयन किया है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि मानवीय मामले राजनीति की भेंट न चढ़ें. विदेश कार्यालय ने कहा, ''हम भारत से बयानबाजी की बजाय कार्रवाई के जरिए इसका जवाब देने की उम्मीद करते है.''(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विदेश कार्यालय ने यहां एक बयान में कहा, ''भारत की जाधव मामले की तुलना असैन्य कैदियों एवं मछुआरों से करने की कोशिश तर्क का उपहास है.'' कल दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की एक सूची का आदान-प्रदान किया था जिसके बाद विदेश कार्यालय ने यह टिप्पणी की. पाकिस्तान द्वारा मुहैया कराई गई सूची के अनुसार देश की जेलों में कम से कम 546 भारतीय नागरिक बंद हैं जिनमें से करीब 500 मछुआरे हैं.
विदेश कार्यालय ने दावा किया, ''कमांडर जाधव भारतीय नौसेना के एक सेवारत अधिकारी हैं जिन्हें भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने जासूसी, आतंकवाद एवं विद्रोही गतिविधियों, के लिए पाकिस्तान भेजा था, जिनके कारण कई निर्दोष जानें गईं और संपत्ति का नुकसान हुआ.''पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान राजनयिक पहुंच से संबंधित 2008 के समझौते के कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है जिसके तहत दोनों एक-दूसरे की जेलों में बंद अपने-अपने नागरिकों की सूची का हर साल दो बार एक जनवरी एवं एक जुलाई को आदान-प्रदान करते हैं. टिप्पणियां
कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान ने समझौते का पूरी भावना से कार्यान्वयन किया है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि मानवीय मामले राजनीति की भेंट न चढ़ें. विदेश कार्यालय ने कहा, ''हम भारत से बयानबाजी की बजाय कार्रवाई के जरिए इसका जवाब देने की उम्मीद करते है.''(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विदेश कार्यालय ने दावा किया, ''कमांडर जाधव भारतीय नौसेना के एक सेवारत अधिकारी हैं जिन्हें भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने जासूसी, आतंकवाद एवं विद्रोही गतिविधियों, के लिए पाकिस्तान भेजा था, जिनके कारण कई निर्दोष जानें गईं और संपत्ति का नुकसान हुआ.''पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान राजनयिक पहुंच से संबंधित 2008 के समझौते के कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है जिसके तहत दोनों एक-दूसरे की जेलों में बंद अपने-अपने नागरिकों की सूची का हर साल दो बार एक जनवरी एवं एक जुलाई को आदान-प्रदान करते हैं. टिप्पणियां
कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान ने समझौते का पूरी भावना से कार्यान्वयन किया है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि मानवीय मामले राजनीति की भेंट न चढ़ें. विदेश कार्यालय ने कहा, ''हम भारत से बयानबाजी की बजाय कार्रवाई के जरिए इसका जवाब देने की उम्मीद करते है.''(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान ने समझौते का पूरी भावना से कार्यान्वयन किया है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि मानवीय मामले राजनीति की भेंट न चढ़ें. विदेश कार्यालय ने कहा, ''हम भारत से बयानबाजी की बजाय कार्रवाई के जरिए इसका जवाब देने की उम्मीद करते है.''(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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वाली मुहम्मद वाली (1667-1707) ( उर्दू : ولی محمد ولی , जिसे वाली डेक्कानी, उर्दू भी कहा जाता है: ولی دکنی, वाली गुजराती और वाली औरंगाबाद , भारत के शास्त्रीय उर्दू कवि थे।
उन्हें उर्दू कविता के पिता के रूप में जाना जाता है, पहली स्थापित कवि होने के कारण उर्दू भाषा में गज़ल बनाते हैं और एक दिवान संकलित (गज़लों का संग्रह जहां पूरे वर्णमाला का प्रयोग अंतिम पत्र के रूप में कम से कम एक बार किया जाता है कविता पैटर्न को परिभाषित करने के लिए)।
वाली से पहले, दक्षिण एशियाई गज़ल फारसी में रचित थे, लगभग साददी , जामी और खक्कानी जैसे मूल फारसी मास्टर्स से विचार और शैली में दोहराया जा रहा था। वाली ने न केवल एक भारतीय भाषा का उपयोग किया, बल्कि अपने गजलों में भारतीय विषयों, मुहावरे और इमेजरी का उपयोग किया। ऐसा कहा जाता है कि 1700 में दिल्ली की उनकी यात्रा के साथ, उर्दू गज़लों के उनके दिव्य के साथ उत्तर की साहित्यिक मंडलियों में एक लहर पैदा हुई, जो उन्हें ज़ौक , सौदा और मीर जैसे ताकतवर बनाने के लिए प्रेरित करती थीं ।
प्रारंभिक जीवन
वर्तमान महाराष्ट्र राज्य के एक महत्वपूर्ण शहर औरंगाबाद में 1667 में पैदा हुवे। वह यात्रा करना पसंद करते थे, जिसे वह शिक्षा के साधन के रूप में माना जाता था। उन्होंने दिल्ली, सूरत, बुरहानपुर का दौरा किया और मक्का और मदीना की तीर्थ यात्रा भी की।
करियर
1700 में दिल्ली की वाली मोहम्मद वाली की यात्रा उर्दू गज़लों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। उर्दू में उनकी सरल, कामुक और सुन्दर कविताओं ने काव्य अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में दिल्ली के फारसी प्रेमपूर्ण कवियों को "रेखा" (उर्दू के लिए पुराना नाम) की सुंदरता और क्षमता के लिए जागृत किया। वाली मोहम्मद वाली की इस यात्रा ने दिल्ली में उर्दू गज़ल के विकास और विकास को प्रोत्साहित किया।
1707 में अहमदाबाद में उनकी मृत्यु हो गई, जो अब गुजरात राज्य में है, और उसी शहर में दफनाया गया था। (वाली का दीवान 1719 में दिल्ली आया था)
शैली
यद्यपि वाली ने मस्नवी , कसीदा , मुखामास और रूबाई समेत कई प्रकार के कविता रूपों पर अपना हाथ लगाने की कोशिश की।, गज़ल उनकी विशेषता है। उन्होंने 473 गज़ल लिखे जिनमें 3,225 जोड़े (आशा) शामिल थे। उनकी कविताएं सरल, कामुक और सुन्दर थीं। वह शास्त्रीय कविता में एक प्रवृत्ति सेटटर थे जिन्होंने उर्दू में लिखने के लिए अलग-अलग कवियों को प्रेरित करके दिल्ली में उर्दू गज़ल स्थापित करने में मदद की थी। ऐसा माना जाता है कि वाली ने उर्दू में गजलों को लिखने की परंपरा स्थापित की है और यह भी जब वह दिल्ली गए तो अन्य लेखकों को प्रभावित किया। इससे पहले, गज़लों के लिए पसंदीदा भाषा फारसी थी।
उनके कुछ प्रसिद्ध जोड़े हैं
जिसा इश्क का तेर कारी लगय
जिंदगी जग मेरा भारी लगय का प्रयोग करें
ना चोड मोहब्बत दामे मार्ग ताक
जीस यार जानिसून यारी लगय
नावा होवे जग मी हरजीज कारार का प्रयोग करें
जेस इश्क की बेकारारी लगय
हर एक वकत मुज आशिक जार कुन
प्यारे तेरी बाट प्यारी लगय
"वाली" कून का तु तुगर याक बच्चन
राकिबन दिल मेरा कटारी लगय
थीम्स
उनकी पसंदीदा थीम प्यार थी - रहस्यमय और पृथ्वी दोनों - और उनकी विशेषता स्वर उदासीनता के बजाए हंसमुख प्रतिज्ञान और स्वीकृति में से एक था। वह पहले उर्दू कवि थे जिन्होंने एक महिला के रूप में प्रतिरूपण के मौजूदा सम्मेलन के मुकाबले मनुष्य के दृष्टिकोण से प्यार व्यक्त करने का अभ्यास शुरू किया था।
यदि, एक तरफ, वाली ने मूल भाषा की सुंदरता और समृद्धि को एक काव्य माध्यम के रूप में उजागर किया, तो वह फारसी उपन्यास और इमेजरी की शक्ति और कविता के लिए जीवित था जिसे उसने सफलतापूर्वक अपनी कविता के शरीर में शामिल किया। इस प्रकार उन्हें आधुनिक काव्य भाषा का वास्तुकार कहा जा सकता है, जो आम बोली और फारसी शब्दावली का एक कुशल मिश्रण है। उनका उपन्यास यहां अद्वितीय था, उनके प्रसिद्ध गज़ल में से एक है।
याद करना हर घारी हमें यार का
है वजीफा मुज दिल-ए-बिमार का।
आर्जू-ए-चज्जा-ए-कौसर नाहिन
तिष्ना-लैब शिकारी शब-ए-दीदार का।
अक्कत काय होवेगा मालम नहिन
दिल हुआ है मुट्टला डिल्डार का।
क्या कह तेरीफ दिल, है नाज़ीर,
हार्फ़ हार्फ़ हमें मख्ज़न-ए-इसरार का।
गार हुआ है तालिब-ए-अज़ादगी,
बैंड मैट हो सबबा-ओ-जुन्नार का।
मस्नाद-ए-गुल मंजिल-ए-शबनम हुई,
देख रुतबा दीदा-ए-बेडार का।
ऐ वैली होना श्रीजन पर निसार,
मुड्डा है चश्म-ए-गोहर बार का।
स्मारक
शाहिबाबाग , अहमदाबाद में उनकी स्मारक मकबरे पर 2002 में दंगों के दौरान हिंदू भीड़ ने हमला किया था और हनुमान मंदिर के साथ बदल दिया गया था। यह पूरी तरह से चकित था और सड़क रात भर बनाया गया था। नागरिकों और शहर के साहित्यिक वर्ग के विरोध के बाद, गुजरात उच्च न्यायालय में सार्वजनिक ब्याज मुकदमा दायर किया गया था।
2010 में, वाली के जीवन पर व्यापक रूप से प्रशंसित लघु फिल्म एक फिल्म निर्माता गोपाल के। अन्नम ने बनाई थी।
यह भी देखें
मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह
सिराज औरंगाबादी
आज़ाद बिल्ग्रामि
उर्दू
उर्दू शायरी
उर्दू शायरों की सूची
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Wali Mohammed Wali's Poetry
Wali's Biography
Wali Mohammed Wali at Kavita Kosh
Frontline Volume 19 – Issue 10, May 11–24, 2002
वली मुहम्मद वली की गज़लें
उर्दू शायर
1667 में जन्मे लोग |
बाबर आजम की बात करें तो उन्होंने पाकिस्तान के लिए अब तक 15 टेस्ट, 51 वनडे और 26 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 29.88 के औसत से 747 रन (सर्वोच्च 99), वनडे में 51.92 के औसत से 2129 रन (सर्वोच्च नाबाद 125) और टी20 इंटरनेशनल में 54.26 के औसत से 1031 रन (सर्वोच्च नाबाद 97) रन बनाए हैं. |
हॉलीवुड अभिनेत्री कैमरन डियाज़ अपनी पहली किताब लिख रही हैं, जिसमें वह पोषण संबंधी जानकारियां देंगी और युवा लड़कियों को बताएंगी कि वे कैसे स्वस्थ रह सकती हैं।टिप्पणियां
39-वर्षीय डियाज़ ने इसके लिए अपनी मित्र और ऑस्कर पुरस्कार विजेता हॉलीवुड अभिनेत्री ग्वाइनेथ पैल्ट्रो की जीवनशैली पर केंद्रित पत्रिका से प्रेरणा ली है।
वेबसाइट फीमेलफर्स्ट.को.यूके के मुताबिक एक सूत्र ने बताया, "डियाज़ दरअसल ग्वाइनेथ के बहुत करीब हैं, और उनके लिए यह देखना बहुत रोचक है कि ग्वाइनेथ अपनी पत्रिका के जरिये क्या कर रही हैं।" सूत्र ने कहा, "वह (कैमरन) ग्वाइनेथ से व उनके द्वारा लोगों की मदद के लिए अपनी प्रसिद्धि का इस्तेमाल किए जाने से प्रभावित हैं, और अब डियाज़ स्वयं भी ऐसा करना चाहती हैं।"
39-वर्षीय डियाज़ ने इसके लिए अपनी मित्र और ऑस्कर पुरस्कार विजेता हॉलीवुड अभिनेत्री ग्वाइनेथ पैल्ट्रो की जीवनशैली पर केंद्रित पत्रिका से प्रेरणा ली है।
वेबसाइट फीमेलफर्स्ट.को.यूके के मुताबिक एक सूत्र ने बताया, "डियाज़ दरअसल ग्वाइनेथ के बहुत करीब हैं, और उनके लिए यह देखना बहुत रोचक है कि ग्वाइनेथ अपनी पत्रिका के जरिये क्या कर रही हैं।" सूत्र ने कहा, "वह (कैमरन) ग्वाइनेथ से व उनके द्वारा लोगों की मदद के लिए अपनी प्रसिद्धि का इस्तेमाल किए जाने से प्रभावित हैं, और अब डियाज़ स्वयं भी ऐसा करना चाहती हैं।"
वेबसाइट फीमेलफर्स्ट.को.यूके के मुताबिक एक सूत्र ने बताया, "डियाज़ दरअसल ग्वाइनेथ के बहुत करीब हैं, और उनके लिए यह देखना बहुत रोचक है कि ग्वाइनेथ अपनी पत्रिका के जरिये क्या कर रही हैं।" सूत्र ने कहा, "वह (कैमरन) ग्वाइनेथ से व उनके द्वारा लोगों की मदद के लिए अपनी प्रसिद्धि का इस्तेमाल किए जाने से प्रभावित हैं, और अब डियाज़ स्वयं भी ऐसा करना चाहती हैं।" |
उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि यह हमारे फायदे के लिये ही हो.’श्रीलंका को इस साल के शुरू में तीनों प्रारूपों में घरेलू मैदान पर 0-9 की हार का मुंह देखना पड़ा था. रत्नायके ने कहा, ‘हालांकि बीते समय का परिणाम इतना अच्छा नहीं रहा, इसलिये हम नई शुरुआत की कोशिश कर रहे हैं.’ (इनपुट: एजेंसी) |
पाकिस्तान के संविधान का चौदहवें संशोधन ( उर्दू:'آئین پاکستان میں چودہویں ترمی ) को 1997 में पारित किया गया था। इसे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष)की सरकार के दौरान पारित किया गया था। इसके द्वारा सांसदों के लिए बहुत सख्त पार्टी अनुशासन अधीन काया गया था। इसके जरिए, पार्टी नेताओं को संसद से उनके विधायकों को, उनकी पार्टी के खिलाफ वोट करने पर, के किसी भी समय बर्खास्त करने की असीमित शक्ति प्राप्त कर दी गई थी।
इन्हें भी देखें
पाकिस्तान का संविधान
सन्दर्भ
पाकिस्तानी संविधान के संशोधन |
आज विश्वकर्मा पूजा है. लोग भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. विश्वकर्मा को दुनिया को सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है. इसलिए इस दिन उद्योगों, फेक्ट्रियों और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है.
आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है क्योंकि इसी दिन इनका जन्म हुआ था. रविवार के दिन ही विश्वकर्मा पूजा का संयोग शुभ फलदायी है.
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज दोपहर 12:54 बजे तक ही विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त है. इसी समय के अनुसार पूजन शुभकारी होगा.
ऐसे करें पूजन
भगवान विश्वकर्मा की पूजा और यज्ञ विशेष विधि-विधान से होता है. इसकी विधि यह है कि यज्ञकर्ता पत्नी सहित पूजा स्थान में बैठे. इसके बाद विष्णु भगवान का ध्यान करे.
तत्पश्चात् हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर मंत्र पढ़े और चारों ओर अक्षत छिड़के. अपने हाथ में रक्षासूत्र बांधे एवं पत्नी को भी बांधे. पुष्प जलपात्र में छोड़े. इसके बाद हृदय में भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें. दीप जलायें, जल के साथ पुष्प एवं सुपारी लेकर संकल्प करें.
शुद्ध भूमि पर अष्टदल कमल बनाए. उस पर जल डालें. इसके बाद पंचपल्लव, सप्त मृन्तिका, सुपारी, दक्षिणा कलश में डालकर कपड़े से कलश की तरफ अक्षत चढ़ाएं. चावल से भरा पात्र समर्पित कर विश्वकर्मा बाबा की मूर्ति स्थापित करें और वरुण देव का आह्वान करें.
पुष्प चढ़ाकर कहना चाहिए- ‘हे विश्वकर्माजी, इस मूर्ति में विराजिए और मेरी पूजा स्वीकार कीजिए’. इस प्रकार पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा कर हवन यज्ञ करें. |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नीति आयोग के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी. नीति बनाने वाली इस सर्वोच्च संस्था के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ही रहेंगे. इसका अध्यक्ष पद प्रधानमंत्री के जिम्मे होता है, इसलिए नरेंद्र मोदी इसकी अध्यक्षता करते रहेंगे. मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पदेन (एक्स ऑफिशियो) सदस्य बनाया गया है.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी पदेन सदस्य बनाए गए हैं. इसके अलावा, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, उद्योग-रेल मंत्री पीयूष गोयल, सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत, सांख्यिकी मंत्री राव इंद्रजीत सिंह नीति आयोग के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे. पैनल के सदस्यों में वीके सारस्वत, रमेश चंद और वीके पॉल को दोबारा मौका दिया गया है.
गौरतलब है कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कार्यकाल मोदी सरकार के साथ ही खत्म हो गया था. लेकिन उन्हें दोबारा मौका दिया गया है. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद पिछली सरकार के मंत्रिमंडल ने 24 मई को इस्तीफा दे दिया था. 16वीं लोकसभा का कार्यकाल 3 जून को खत्म हो गया. राजीव कुमार का कार्यकाल भी इसी महीने खत्म हो गया था. कुमार ने इस पद पर अरविंद पनगढ़िया की जगह ली थी, जिन्होंने अमेरिका में फिर से पढ़ाने के लिए एकाएक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
इससे पहले मार्च में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद को खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के नए महानिदेशक के पद के लिए नामित किया. उनके मुकाबले में इस पद के लिए चीन और तीन अन्य देशों के उम्मीदवार थे. एफएओ ने इस पद के चुनाव के लिए नामित उम्मीदवारों की घोषणा की थी. जून में संगठन के वर्तमान अध्यक्ष ब्राजील के अर्थशास्त्री जोस ग्राजियानो डा सिल्वा के उत्तरीधिकारी का चुनाव किया जाएगा, जो 2011 से दो कार्यकाल के लिए इस पद पर सेवारत हैं. इस पद के लिए नामित उम्मीदवारों की सूची में शामिल अन्य उम्मीदवार चीन के क्यू डोंनग्यू, कैमरून के मेडी मोंगुई, फ्रांस के कैथरीन गेसलेन-लेनीले और जॉर्जिया के डैविट किर्वालिड्ज थे. |
पाकिस्तान के लाहौर हाईकोर्ट में 24 वर्षीय एक युवती ने सेक्स-चेंज ऑपरेशन की इजाजत मांगते हुए याचिका दाखिल की है. इस युवती ने ये कदम तब उठाया जब डॉक्टरों ने इस तरह का ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया. डॉक्टरों का कहना था कि जब तक कोर्ट से इस तरह के ऑपरेशन का आदेश नहीं मिलता, तब तक वो इसे करने में असमर्थ हैं.
युवती ने शनिवार को अपने वकील नसीह हुसैन सिंधू के जरिए ये
याचिका
दाखिल की. लाहौर से 40 किलोमीटर दूर कसूर जिले की रहने वाली युवती ने कहा कि जब वो 14 साल की थी, तभी से उसने अपने शरीर में बदलावों को महसूस करना शुरू किया.
युवती ने बार-बार दर्द महसूस होने पर प्राइवेट अस्पताल में गाइनेकोलॉजिस्ट को दिखाया. लाहौर स्थित फातिमा मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने युवती को तत्काल सेक्स-चेंज ऑपरेशन की सलाह दी. जब युवती ने इस संबंध में कई सर्जन से संपर्क किया तो उन्होंने अपने खिलाफ
कानूनी कार्रवाई
का अंदेशा जताते हुए ऐसा ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया. उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में क्या कानून है, वो उससे अवगत नहीं है, इसलिए पहले कोर्ट से अनुमति का आदेश लाना जरूरी है.
लाहौर के फातिमा मेमोरियल अस्पताल में इस तरह के
ऑपरेशन
की सुविधा उपलब्ध नहीं है. युवती के वकील सिंधू ने कहा कि पाकिस्तान में सेक्स चेंज सर्जरी को लेकर पाकिस्तानी कानून में किसी तरह की पाबंदी नहीं है. सिंधू के मुताबिक डॉक्टर सिर्फ सामाजिक दस्तूरों के डर से ऐसा ऑपरेशन करने से बच रहे हैं. |
Chillin at Ganges.
Makin #BEATS writing #VERSES
"Jai Ganga Maiya Ki"#YoYo#YoYoHoneySingh#Musicpic.twitter.com/9q7dkBWlBu |
अमेरिका और यूरोप के बाहर Wikipedia को लेकर कम जागरूकता का हवाला देते हुए विकीमीडिया फाउंडेशन (WMF) ने घोषणा की है कि वह विकासशील देशों में अपनी 'विकीपीडिया जीरो' प्रोग्राम को बंद कर रहा है, जिसके तहत मोबाइल फोन पर विकीपीडिया की सेवा मुफ्त मुहैया कराई जाती है.
फाउंडेशन के मुताबिक, साल
2016
से ही इस सेवा के लेने वालों की संख्या में तेज गिरावट दर्ज की जा रही है. फाउंडेशन ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, 'इसका कारण मोबाइल डेटा की लागत में आई कमी और मोबाइल इंडस्ट्री में तेजी से हो रही ग्रोथ है.'
आईएएनएस की खबर के मुताबिक, फाउंडेशन ने कहा कि वह इस प्रोग्राम के लिए नए कैरियर के साथ आगे भागीदारी नहीं करेगी और 'विकीपीडिया जीरो' प्रोग्राम साल 2018 में बंद कर दिया जाएगा.
इस सेवा की शुरुआत 2012 में की गई थी. इसके तह म्यांमार और नेपाल समेत कई विकासशील देशों में इस सेवा की शुरुआत की थी और 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसकी पहुंच प्रदान की थी. इस दौरान, संगठन ने कहा है कि वह
विकासशील दुनिया
के लोगों की सेवा के लिए नई संभावनाओं की तलाश में जुटी है. |
#WATCH Man makes a narrow escape after being hit by a dumper on Halol-Pavagadh highway in #Gujarat's Godhra (20.02.18) pic.twitter.com/fmnqd0IYnJ |
विवेकानन्द अन्तरराष्ट्रीय फाउण्डेशन (Vivekananda International Foundation (VIF)) भारत का एक विचार समूह (थिंक टैंक) है। यह विवेकानन्द केन्द्र का एक भाग है। यह नयी दिल्ली में स्थित है।
स्थापना एवं इतिहास
विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन खुद को "स्वतंत्र, गैर-पक्षपातपूर्ण संस्था के रूप में वर्णित करता है जो गुणवत्ता अनुसंधान और गहन अध्ययन को बढ़ावा देता है।" फाउंडेशन की स्थापना दिसंबर 2009 में नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में एक साइट पर की गई थी, जिसे 1993 में पी। वी। नरसिम्हा राव सरकार द्वारा आवंटित किया गया था। अजीत डोभाल, जो 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए, इसके संस्थापक निदेशक बने। [1] फाउंडेशन ने 2011-2012 में खबर बनाई जब अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी को बाबा रामदेव के साथ मिलकर 'टीम अन्ना' बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई थी। [4]
2014 में, इसके निदेशक अजीत डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा और अतिरिक्त प्रधान सचिव पी। के। मिश्रा को भी फाउंडेशन के कर्मचारियों से भर्ती किया गया था। [५] कहा जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय से फाउंडेशन का अनुसरण कर रहे हैं और इसके काम से प्रभावित हैं।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
विवेकानन्द केन्द्र
बाहरी कड़ियाँ
विवेकानन्द अन्तरराष्ट्रीय फाउण्डेशन का जालघर
विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (तहलका)
भारत के विचार समूह |
अभिनेता सैफ अली खान से अक्टूबर 2012 में शादी करने वाली अभिनेत्री करीना कपूर अभी दो-तीन साल मां नहीं बनना चाहती हैं।
'बजरंगी भाईजान' की सफलता का आनंद ले रहीं करीना ने बताया, 'इस समय कोई प्लानिंग (बच्चे को लेकर) नहीं है और इसे लेकर मैं बहुत स्पष्ट हूं। बेशक, मैं एक दिन मां बनूंगी, लेकिन अगले दो-तीन सालों में नहीं। इसके बारे में अभी सोचा नहीं है।'टिप्पणियां
सैफ के साथ शादी करने के बाद 34-वर्षीय करीना सभी तरह की फिल्मों में लगातार काम कर रही हैं। दोनों ने पांच साल तक प्रेम संबंध रहने के बाद शादी की थी।
करीना ने कहा, शादी होने के बावजूद, व्यवसायिक फिल्मों सहित मैंने अच्छी मनोरंजक फिल्मों का चुनाव किया है। संतुलन बनाने में मुश्किल है। एक अभिनेत्री के रूप में सब कुछ करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब वह अपने करियर में पीछे मुड़ कर देखती हैं, तो अपने फिल्मी सफर को लेकर गौरवान्वित महसूस करती हैं।
'बजरंगी भाईजान' की सफलता का आनंद ले रहीं करीना ने बताया, 'इस समय कोई प्लानिंग (बच्चे को लेकर) नहीं है और इसे लेकर मैं बहुत स्पष्ट हूं। बेशक, मैं एक दिन मां बनूंगी, लेकिन अगले दो-तीन सालों में नहीं। इसके बारे में अभी सोचा नहीं है।'टिप्पणियां
सैफ के साथ शादी करने के बाद 34-वर्षीय करीना सभी तरह की फिल्मों में लगातार काम कर रही हैं। दोनों ने पांच साल तक प्रेम संबंध रहने के बाद शादी की थी।
करीना ने कहा, शादी होने के बावजूद, व्यवसायिक फिल्मों सहित मैंने अच्छी मनोरंजक फिल्मों का चुनाव किया है। संतुलन बनाने में मुश्किल है। एक अभिनेत्री के रूप में सब कुछ करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब वह अपने करियर में पीछे मुड़ कर देखती हैं, तो अपने फिल्मी सफर को लेकर गौरवान्वित महसूस करती हैं।
सैफ के साथ शादी करने के बाद 34-वर्षीय करीना सभी तरह की फिल्मों में लगातार काम कर रही हैं। दोनों ने पांच साल तक प्रेम संबंध रहने के बाद शादी की थी।
करीना ने कहा, शादी होने के बावजूद, व्यवसायिक फिल्मों सहित मैंने अच्छी मनोरंजक फिल्मों का चुनाव किया है। संतुलन बनाने में मुश्किल है। एक अभिनेत्री के रूप में सब कुछ करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब वह अपने करियर में पीछे मुड़ कर देखती हैं, तो अपने फिल्मी सफर को लेकर गौरवान्वित महसूस करती हैं।
करीना ने कहा, शादी होने के बावजूद, व्यवसायिक फिल्मों सहित मैंने अच्छी मनोरंजक फिल्मों का चुनाव किया है। संतुलन बनाने में मुश्किल है। एक अभिनेत्री के रूप में सब कुछ करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब वह अपने करियर में पीछे मुड़ कर देखती हैं, तो अपने फिल्मी सफर को लेकर गौरवान्वित महसूस करती हैं। |
ऐज़ यू लाइक इट विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक पैस्टोरल कॉमेडी है, जिसे 1599 या 1600 की शुरूआत में लिखा हुआ मानते हैं और यह 1623 के फोलियो में पहली बार प्रकाशित हुआ। यह कृति थॉमस लॉज के गद्य प्रेम-कथा रॉसलिंड पर आधारित थी। हालांकि इस नाटक के पहले प्रदर्शन की जानकारी अनिश्चित है, परन्तु सुझावों के अनुसार, 1603 में विल्टन हाउस में इसके एक प्रदर्शन की संभावना जताई गई है। ऐज़ यू लाइक इट की कहानी नायिका रॉसलिंड के इर्द-गिर्द घूमती है, जो उत्पीड़न के डर से अपनी चचेरी बहन सीलिया और महल के विदूषक टचस्टोन के साथ, अपने चाचा के महल से आर्डेन के जंगल में सुरक्षा और अंततः प्यार पाने के लिए भाग जाती है। ऐतिहासिक रूप से, इस पर आलोचकों की राय भिन्न रही है, कुछ आलोचकों के अनुसार यह कृति शेक्सपियर की अन्य कृतियों की तुलना में कम उत्कृष्ट है जबकि कुछ इस नाटक को बेहद उत्कृष्ट कृति मानते हैं।
शेक्सपियर की एक सर्वाधिक प्रसिद्ध और अक्सर-प्रयुक्त उक्ति "ऑल दी वर्लड इज़ अ स्टेज" इसी नाटक का हिस्सा है, साथ ही यह "टू मच ऑफ अ गुड थिंग" वाक्यांश का मूल भी है। यह नाटक दर्शकों की पसंदीदा बनी रही और रेडियो, फिल्म और संगीतमय रंगमंच के लिए रूपांतरित की गई।
पात्र ड्यूक फ्रेडरिक की सभा:
ड्यूक फ्रेडरिक, ड्यूक सीनियर का छोटा भाई और उसका अनाधिकार ग्राही, सीलिया का पिता
रॉसलिंड, ड्यूक सीनियर की बेटी
सीलिया, ड्यूक फ्रेडरिक की बेटी और रॉसलिंड की चचेरी बहन
टचस्टोन, महल का एक मूर्ख
ले ब्यू, एक दरबारी
चार्ल्स, एक पहलवानआर्डेन के जंगल में ड्यूक सीनीयर के निर्वासित दरबारी:
ड्यूक सीनियर, ड्यूक फ्रेडरिक के बड़े भाई और रॉसलिंड के पिता
जैक्स, एक असंतुष्ट, उदास लॉर्ड
एमियन्स, लॉर्ड का एक सेवक और संगीतकारमृतक सर रोलैंड डी बॉयज़ का परिवार:
ऑलिवर, ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी
जैक्स, दूसरा बेटा जो नाटक के अंत में एक संक्षिप्त भूमिका निभाता हैं
ऑरलैंडो, छोटा बेटा
ऐडम, एक पुराना वफादार नौकर जो निर्वासन में ऑरलैंडो के साथ जाता है
डेनिस, ऑलिवर का नौकर आर्डेन के जंगल के आम लोग:
फेबे, एक गड़ेरिन
सिलवियस, एक गडेरिया
ऑड्रे, एक ग्रामीण लड़की
कोरिन, एक बुजुर्ग चरवाहा
विलियम, एक ग्रामीण
सर ऑलिवर मारटेक्स्ट, एक पादरीअन्य पात्र:'''
ड्यूक फ्रेडरिक की सभा के गण्य-मान्य पुरुष और महिलाएं
ड्यूक सिनियर के वन्य सभा के गण्य-मान्य पुरुष
सेवक और संगीतकार
हाइमन, नाटक के भीतर चल रहे नाटक का एक पात्र
कथासार
फ्रांस में ड्यूक का क्षेत्र इस नाटक की पृष्ठभूमि है, लेकिन अधिकांश घटनाएं 'आर्डेन के जंगल' में ही घटती हैं।
फ्रेडरिक ने अपने बड़े भाई, ड्यूक सीनियर के क्षेत्र को धोखे से छीन लिया और उसे निर्वासित कर दिया। ड्यूक की बेटी रॉसलिंड को महल में रहने की अनुमति दी गई क्योंकि वह फ्रेडरिक की अकेली सन्तान सीलिया की करीबी दोस्त और चचेरी बहन भी है। ऑरलैंडो, जो राज्य का एक सज्जन युवक है और जिसे रॉसलिंड से पहली ही नजर में प्यार हो गया है, अपने बड़े भाई, ऑलिवर द्वारा सताए जाने के बाद अपने घर से पलायन करने को मजबूर हो जाता है। फ्रेडरिक क्रोधित हो जाता है और रॉसलिंड को सभा से बाहर निकाल देता है। सीलिया और रॉसलिंड विदूषक टचस्टोन के साथ भागने का निर्णय लेती हैं, जिस दौरान रॉसलिंड एक युवा पुरुष का छद्म वेश धारण करती है।
रॉसलिंड, जो अब गेनीमेड (जोव का अपना सेवक) के छद्म रूप में है और सीलिया जो एलिएना (लाटिन भाषा में "अजनबी") के छद्म वेश में है, अर्केडियाई आर्डेन के जंगल में पहुंचते हैं, जहां निर्वासित, ड्यूक अपने कुछ समर्थकों के साथ रहते हैं, इन समर्थकों में "उदास जैक्स" भी शामिल है जिसका परिचय हमें तब मिलता है जब वह एक हिरण के वध पर रोता है। "गेनीमेड" और "एलिएना" ड्यूक और उनके साथियों से तुरंत नहीं मिलते हैं, क्योंकि वे पहले कॉरिन नामक एक गरीब किरायेदार से मिलते हैं और उससे अपने मालिक के कच्चे घर को खरीदने की पेशकश करते हैं।
ऑरलैंडो और उसका नौकर ऐडम्स (एक ऐसी भूमिका जो संभवतः खुद शेक्सपियर ने निभाई होगी, हालांकि यह कहानी अप्रमाणिक है), इस बीच, ड्यूक और उसके साथियों से मिलते हैं और उनके साथ ही रहने लगते हैं और रॉसलिंड के लिए एकतरफा प्रणयगीत पेड़ों पर छोड़ने लगते हैं। रॉसलिंड को भी ऑरलैंडो से प्रेम है और वह उससे गेनीमेड के रूप में मिलती है और उसे प्रेम रोग से बचाने के लिए परामर्श देने का ढोंग करती है। गेनीमेड कहता है कि "वह" रॉसलिंड की जगह "लेगा" और "वह" और ऑरलैंडो अपने सम्बन्ध को नाटकीय रूप से निभाएंगे.
इस बीच, गड़ेरिन फेबे, जिससे सिलवियस प्रेम करता है, गेनीमेड (वास्तव में रॉसलिंड) से प्रेम करने लगती है, जबकि "गेनीमेड" वास्तव में यह ज़ाहिर करता है कि उसे फेबे में कोई दिलचस्पी नहीं है। निंदक टचस्टोन भी एक मूढ़-बुद्धि बकरी-चराने वाली लड़की ऑड्रे की ओर प्रणयशील पहल करता है और उससे विवाह करने का प्रयास करता है, पर उससे पहले ही अनुचित हस्तक्षेप करने वाले जैक्स द्वारा उसकी योजना विफल कर दी जाती है।
अंत में, सिलवियस, फेबे, गेनीमेड और ऑरलैंडो इस बहस में उलझ जाते हैं कि कौन किसे प्राप्त करेगा। गेनीमेड कहता है कि वह इस समस्या को सुलझा लेगा, वह ऑरलैंडो और फेबे से यह वादा लेता है कि यदि फेबे गेनीमेड से विवाह नहीं कर पाई तो वे क्रमशः रॉसलिंड और सिलवियस से शादी कर लेंगे. अगले दिन, गेनीमेड स्वयं को रॉसलिंड के रूप में ज़ाहिर करता है और चूंकि फेबे का प्रेम गलत साबित होता है, उसे सिलवियस को अपनाना पड़ता है।
ऑरलैंडो जंगल में ऑलिवर को देखता है और एक शेरनी से उसकी रक्षा करता है, जिसके फलस्वरूप ऑलिवर को ऑरलैंडो के साथ किए गए अपने दुर्व्यवहार पर पछतावा होता है (कुछ निर्देशक इसे एक वास्तविकता के बजाय एक कथा के रूप में वर्णित करते हैं). ऑलिवर की मुलाकात एलिएना (छद्म वेश में सीलिया) से होती है और वह उससे प्यार करने लगता है और वे विवाह करने का निर्णय करते हैं। ऑरलैंडो और रॉसलिंड, ऑलिवर और सीलिया, सिलवियस और फेबे और टचस्टोन और ऑड्रे सभी का अंतिम दृश्य में विवाह हो जाता है, जिसके बाद उन्हें पता चलता है कि फ्रेडरिक को भी अपनी गलतियों पर पछतावा है और वह अपने सच्चे भाई को ड्यूक की पदवी लौटाने और स्वयं एक धार्मिक जीवन जीने का निर्णय लेता है। जैक्स, जो सदा ही उदास रहता है, महल में लौटने के उनके निमंत्रण को ठुकरा देता है और जंगल में रह कर एक धार्मिक जीवन अपनाने का विचार करता है।
दिनांक और पाठ
4 अगस्त 1600 को यह नाटक स्टेशनर्स कम्पनी के रजिस्टर में दर्ज किया गया, लेकिन 1623 में फर्स्ट फोलियो में शामिल होने से पहले तक उसे मुद्रित नहीं किया गया था।
मंच सज्जा
आर्डेन संभवतः शेक्सपियर के शहर स्ट्रैटफ़ोर्ड-अपॉन-एवन के पास के एक जंगल का स्थान-नाम है। ऑक्सफोर्ड का शेक्सपियर संस्करण तर्कसंगत तरीके से इस भौगोलिक विसंगति की व्याख्या यह मानते हुए करता है कि 'आर्डेन' केवल फ्रांस के वनाच्छादित क्षेत्र आर्डेन्नस का अंग्रेजीकरण है (जहां लॉज ने अपनी कहानी का मंच स्थापित किया था) और इसे प्रतिबिम्बित करने के लिए उसके अक्षर विन्यास को बदला गया। अन्य संस्करण शेक्सपियर के 'आर्डेन' वर्तनी को ही मान कर चलतें हैं, ताकि यह तर्क दिया जा सके कि ग्रामीण शैली एक विलक्षण दुनिया को चित्रित करती है जहां भौगोलिक विवरण अप्रासंगिक होते हैं। शेक्सपियर के आर्डेन संस्करण का यह सुझाव है कि 'आर्डेन' नाम की उत्पत्ति आर्केडिया के पारम्परिक क्षेत्र और बाइबल के गार्डेन ऑफ़ ईडन के संयोजन से हुई है, क्योंकि नाटक में पारम्परिक और ईसाई मान्यताओं का मजबूत पारस्परिक प्रभाव है। इसके अतिरिक्त, शेक्सपियर की मां का नाम मेरी आर्डेन था और जंगल का नाम इस प्रकार द्विअर्थी भी हो सकता है।
प्रदर्शन
पुनरुद्धार के पूर्व वहां इसके प्रदर्शन का कोई भी अभिलेख नहीं हैं। तथापि, इसका एक सम्भावित प्रदर्शन, विल्टशायर के विल्टन हॉउस में हो सकता है, जो पेमब्रोक के अर्ल्स की ग्रामीण जगह थी। पेमब्रोक के तीसरे अर्ल विलियम हर्बर्ट ने अक्टूबर से दिसम्बर 1603 तक विल्टन हॉउस में जेम्स 1 और उनके दरबारियों की मेज़बानी की, जबकि जैकोबीयन लन्दन ब्युबोनिक प्लेग की महामारी से पीड़ित था। शाही लोगों को विल्टन हॉउस में आने और 2 दिसम्बर 1603 को राजा और दरबारियों के समक्ष प्रदर्शन करने के लिए 30 पाउंड का भुगतान किया गया। हरबर्ट की एक पारिवारिक परम्परा का यह मानना है कि उस रात प्रदर्शित नाटक ऐज़ यू लाइक इट ही थी।
अंग्रेज़ी पुनरुद्धार के दौरान, राजा के सहयोगियों को 1669 में शाही अधिपत्र द्वारा यह नाटक सौंपा गया था। 1723 में इसका ड्रुरी लेन में लव इन अ फॉरेस्ट के नाम से रूपांतरण प्रदर्शित किये जाने की जानकारी है; जिसमें जैक्स का किरदार कोले सिबर ने निभाया था। सत्रह वर्ष बाद एक और ड्रुरी लेन निर्माण शेक्सपीरियन पाठ में लौटा (1740).ऐज़ यू लाइक इट के उल्लेखनीय हालिया प्रदर्शनों में 1936 का एडिथ इवांस अभिनीत ओल्ड विक थिएटर प्रस्तुति और 1961 का वैनेसा रेडग्रेव अभिनीत शेक्सपियर मेमोरियल प्रस्तुति शामिल है। सर्वाधिक लंबे समय तक चलने वाली ब्रॉडवे प्रस्तुति में कैथरीन हेपबर्न ने रॉसलिंड की, क्लोरिस लीचमैन ने सीलिया की, विलियम प्रिंस ने ऑरलैंडो की और अर्नेस्ट थेसिगर ने जैक्स की भूमिका निभाई और इसे माइकल बेन्थल द्वारा निर्देशित किया गया। 1950 में इसके 145 प्रदर्शन हुए. इसका एक और उल्लेखनीय प्रदर्शन स्ट्रैटफ़ोर्ड, ओंटेरियो में 2005 के स्ट्रैटफ़ोर्ड महोत्सव में किया गया, ओंटेरियो को 1960 के दशक में बनाया गया और इसमें बेयरनेकेड लेडीज़ द्वारा लिखे संगीत पर विन्यस्त शेक्सपियर के बोलों को विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाता था।
आलोचनात्मक प्रतिक्रियाएं
विद्वानों ने लम्बे समय तक इस नाटक की खूबियों के बारे में असहमति जताई. आलोचक सैम्युल जॉनसन से लेकर जॉर्ज बर्नार्ड शॉ तक सभी ने यह असंतोष प्रकट किया कि ऐज यू लाइक इट में वह कलात्मकता लुप्त है जिसमें शेक्सपियर सक्षम थे। शॉ सोचते थे कि शेक्सपियर ने इस नाटक को आम लोगों को संतुष्ट करने के लिए लिखा होगा और इस कृति के बारे में अपने मध्यम विचार का संकेत उसे ऐज़ यू''' लाइक इट कहते हुए दिया - मानो इस राय से नाटककार सहमत नहीं थे। टॉल्स्टॉय ने पात्रों की अनैतिकता और टचस्टोन के निरंतर मूर्खतापूर्ण व्यवहार पर आपत्ति जताई. अन्य आलोचकों ने इस कृति में महान साहित्यिक मूल्यों को पाया। हेरोल्ड ब्लूम ने लिखा कि रॉसलिंड शेक्सपियर के महिला पात्रों में सबसे महान और सबसे पूर्णता प्राप्त महिला पात्र है। आलोचनात्मक विवादों के बावजूद, यह नाटक शेक्सपियर की एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण और प्रायः प्रदर्शित की जाने वाली हास्यप्रधान नाटक बनी हुई है।
कहानी में विस्तृत लिंग व्युत्क्रमण लिंग अध्ययनों में रूचि रखने वाले आधुनिक आलोचकों के लिए विशेष रूप से रुचिकर हैं। नाटक के चार अध्यायों में, रॉसलिंड - शेक्सपियर के ज़माने में जो भूमिका लड़कों द्वारा निभाई जाती थी - स्वयं को लड़के के रूप में वेश बदलना आवश्यक समझती है, जबकि ग्रामीण महिला फेबे (यह भूमिका भी लड़कों द्वारा निभाई जानेवाली), "गेनीमेड" के प्रति आकर्षित हो जाती है, जिसके नाम में एक समलैंगिककामुकता की ध्वनि है। वास्तव में, रॉसलिंड द्वारा दर्शकों से बताये गये उपसंहार में, स्पष्ट रूप से यह प्रकट होता है कि वह (या कम से कम उसे अभिनीत करने वाला अभिनेता) एक महिला नहीं है।
विषय-वस्तु
धार्मिक रूपक
विसकॉनसिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रिचर्ड नोव्लेस ने, जो 1977 में नाटक के न्यू वेरीओरम संस्करण के संपादक हैं, अपने लेख "मिथ एंड टाइप इन ऐज़ यू लाइक इट" में वर्णित किया है कि कैसे इस नाटक में पौराणिक संदर्भ शामिल हैं विशेषकर ईडन, हरक्युलिस और क्राइस्ट के संदर्भ में. हालांकि, वे रूपक-संबंधी कोई ठोस अर्थ निकाल पाने में असमर्थ रहे और इसलिए यह निष्कर्ष निकाला कि यह एक रूपक नाटक नहीं हो सकता है। बहरहाल, अन्य विद्वानों का दावा था कि वास्तव में इस नाटक में लगातार एक व्यंजनापूर्ण अर्थ है और इसे प्रस्तुति में बदला जा सकता है।
भाषा
अंक दो, दृश्य 7 में, शेक्सपियर का एक सबसे प्रसिद्ध एकालाप शामिल है, जो कहता है:
"All the world's a stage
And all the men and women merely players;
They have their exits and their entrances,
And one man in his time plays many parts,
His acts being seven ages."
यह प्रसिद्ध एकालाप जैक्स द्वारा बोला जाता है। इसमें आकर्षक परिकल्पना और अलंकार है जिससे केन्द्रीय रूपकालंकार का विकास हो सके, जिसके अनुसार: एक व्यक्ति का जीवनकाल सात अंकों वाला नाटक है। ये अंक, "सात दशाएं," "दाई की बांहों में किलकारियां भरते और कै करते शिशु" से शुरू होती हैं और छः सुस्पष्ट मौखिक चित्रांकन के माध्यम से आगे बढ़ते हुए "दूसरे बचपन और निरी विस्मृति में/ बेदांत, नेत्रहीन, बेस्वाद, बिना सबके" चरम बिंदु पर पहुंचती है।
ग्रामीण विधि
पैस्टोरल कॉमेडी की विषय वस्तु होती है ग्रामीण परिवेश में अपने हर रूप में प्रेम, ऑरलेंडो की कृत्रिम भावुकता की तुलना में रॉसलिंड द्वारा मूर्त वास्तविक प्रेम और अप्रत्याशित घटनाएं जो शहरी दरबारियों को प्रवास, सांत्वना या स्वतंत्रता की तलाश में भटकाती है, जंगल में अचानक होने वाले मुठभेड़ों के सिलसिले से अधिक अवास्तविक नहीं है, जो विनोदपूर्ण परिहास उत्तेजित करती हैं और जिसे आलेखन की बारीकी और चरित्र विकास की आवश्यकता नही होती है। पहले अंक का मुख्य कार्य-व्यापार किसी कुश्ती के खेल से बढ़कर और कुछ नहीं है और पूरा अभिनय एक गीत से प्रायः बाधित होता रहता है। अंत में, खुद हैमेन विवाह उत्सव में आशीर्वाद देने आता है।
विलियम शेक्सपियर द्वारा रचित नाटक ऐज़ यू लाइक इट स्पष्ट रूप से एक ग्रामीण रोमांस शैली के अंतर्गत आती है; परन्तु शेक्सपियर केवल शैली का इस्तेमाल ही नहीं करते, बल्कि उन्हें विकसित करते थे। शेक्सपियर ने ऐज़ यू लाइक इट को लिखने के लिए ग्रामीण शैली का प्रयोग इसलिए भी किया, ताकि वे दुःख व अन्याय को पैदा करने वाली सामाजिक प्रथाओं पर एक आलोचनात्मक दृष्टि डाल सकें और असामाजिक, मूर्ख और आत्मघाती व्यवहार का मज़ाक उड़ा सकें, सर्वाधिक स्पष्ट रूप से प्रेम की वस्तु-विषय के ज़रिये, जो परंपरागत अलभ्य प्रेमियों की अवधारणा की अस्वीकृति में परिणत होता है।
पारंपरिक परीस्थितियों में पारिवारिक पात्र शेक्सपियर व उनके दर्शकों के लिए परिचित विषय-वस्तु थी; वह तो केवल हाजिर जवाबी और विषय की व्यापकता है जो पाठ को बुद्धिमत्ता प्रदान करती है, जो कार्यवाही पर एक ताज़ा मोहर लगाती हैं। नाटक के केंद्र में रॉसलिंड की आशावादिता की तुलना जैक्स के स्त्री विरोधात्मक शोक के साथ की गई है। बाद में शेक्सपियर ने कुछ विषय-वस्तुओं को अधिक गंभीरता से लिया: अन्यायी ड्यूक और निर्वासित ड्यूक ने मेशर फॉर मेशर और टेम्पेस्ट को विषय-वस्तु प्रदान किया।
कई निर्देशकों ने यह पाया कि, एक नाटक जो जंगल में अचानक मुठभेड़ों और कई उलझे प्रेम-संबंधों पर आधारित है और जिसमें सभी घटनाएं एक शांत ग्रामीण परिवेश में घटती हैं, विशेष रूप से बाहर किसी बाग़ या उक जैसी जगहों पर प्रभावी रहेगी.
रूपांतरण
संगीत
डोनोवैन ने "अंडर दी ग्रीनवुड ट्री" के संगीत को तैयार किया और अ गिफ्ट फ्रॉम अ फ्लावर टू अ गार्डेन के लिए 1968 में रिकॉर्ड किया।
थॉमस मॉर्ले (सदी.1557-1602) ने "इट वॉज़ अ लवर एंड हिस लैस" के लिए संगीत की रचना की, वे और शेक्सपियर एक ही मुहल्ले में रहते थे और वे कभी-कभी शेक्सपियर के नाटकों के लिए संगीत रचना किया करते थे।
रेडियो
अमेरिकी राज्य मिनेसोटा के WCAL रेडियो स्टेशन के इतिहास में, ऐज़ यू लाइक इट रेडियो पर प्रसारित की जाने वाली सर्वप्रथम नाटक रही होगी। यह 1922 में प्रसारित हुई थी।
फ़िल्म
ऐज़ यू लाइक इट लॉरेंस ऑलिवर की पहली शेक्सपियर फिल्म थी, हालांकि उसका निर्माण और निर्देशन न कर के, उन्होंने केवल अभिनय किया था। ब्रिटेन में निर्मित और 1936 में प्रदर्शित, इस फिल्म में निर्देशक पॉल ज़िन्नेर की पत्नी एलिज़ाबेथ बर्गनर ने अपने जर्मन भाषा के मोटे उच्चारण के साथ रॉसलिंड की भूमिका निभाई थी। हालांकि यह फिल्म, लगभग उसी समय बनी अ मिडसमर नाइट्स ड्रीम और रोमियो और जूलियट संस्करणों से कम हॉलीवुड की रंगत लिए थी और हालांकि उसमें काम करने वाले सभी कलाकार शेक्सपीरियन अभिनेता ही थे, यह फिल्म ऑलीवर या आलोचकों द्वारा सफल नहीं मानी गयी।
बैसिल कोलेमन द्वारा निर्देशित ऐज़ यू लाइक इट के 1978 BBC वीडियो टेप संस्करण में हेलेन मिरेन ने रॉसलिंड की भूमिका निभाई.
1992 में, क्रिस्टाइन एड्जार्ड ने इस नाटक का एक और फिल्म रूपांतरण बनाया। इसमें, जेम्स फ़ॉक्स, सीरिल क्युसैक, एंड्रयू टीअर्नान, ग्रिफ रहिस जोन्स और एवेन ब्रेम्नर ने भूमिकाएं निभाईं. क्रियाकलापों को एक आधुनिक और फीकी शहरी दुनिया में स्थानांतरित किया गया है।
19वीं सदी के जापान में सेट और केनेथ ब्रैनाघ द्वारा निर्देशित ऐज़ यू लाइक इट का संस्करण जारी किया गया। इसमें ब्राइस डैलास हॉवर्ड, डेविड ओयेलोवो, रोमोला गेराई, एल्फ्रेड मोलिना, केविन क्लाइन और ब्रायन ब्लेस्ड ने अभिनय किया। हालांकि यह वास्तव में सिनेमाघरों के लिए बनाई गयी थी, लेकिन इसे केवल यूरोप के थिएटरों में ही जारी किया गया और 2007 में अमेरिका में HBO पर इसका प्रीमियर हुआ।
संगीत थिएटर
डैनियल एक्विसिटो और सैमी बक ने नाटक को "लाइक यू लाइक इट" शीर्षक के साथ 80 के दशक की संगीत-विषयक रूपांतरण में बदला.
ग्राफिक उपन्यास
जनवरी 2009 में सेल्फ-मेड हीरो प्रकाशकों द्वारा एक मंगा-स्टाइल ग्राफिक उपन्यास जारी किया गया, जिसमें आर्डेन के जंगलों को आधुनिक चीन में स्थानांतरित कर दिया गया। कहानी को रिचर्ड एपीग्नैनेसी द्वारा रूपांतरित किया गया और इसमें विशेष रूप से ची कुत्सूवादा के चित्र शामिल हैं।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
As You Like It -खोज-योग्य ई-टेक्स्ट
As You Like It - इस शीर्षक का HTML संस्करण है।
As You Like It -ग्युटेनबर्ग परियोजना से सादे वेनिला टेक्स्ट
MaximumEdge.com - दृश्य-अनुक्रमित, नाटक के खोज-योग्य संस्करण
"Character of Life" in As You Like It ह्यूमनसाइंस विकिया पर
Lesson plans for As You Like It वेब इंग्लिश टीचर पर
"Variations on a Theme of Love" शैली के रूप में नाटक और पैस्टोरल कॉमेडी का परिचय
1600 सदी के नाटक
अंग्रेजी पुनर्जागरण नाटक
विलियम शेक्सपीयर
गूगल परियोजना |
यह एक लेख है: आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा दी जाने वाली इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं होंगे। दरअसल, लालू खुद पटना में 13 जुलाई को एक इफ्तार पार्टी का आयोजन करने वाले हैं।टिप्पणियां
आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को लालू काफी व्यस्त रहेंगे, क्योंकि जातीय जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर उन्होंने राजभवन मार्च करने की योजना बनाई है। हालांकि लालू ने यह साफ किया है उनकी अनुपस्थिति की पूर्ति पार्टी के अन्य सांसद करेंगे।
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सोनिया की इफ्तार पार्टी में मौजूद रहेंगे। यह साफ संकेत है कि लालू यादव, नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में समर्थन देने के कांग्रेस के फैसले से नाखुश हैं।
आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को लालू काफी व्यस्त रहेंगे, क्योंकि जातीय जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर उन्होंने राजभवन मार्च करने की योजना बनाई है। हालांकि लालू ने यह साफ किया है उनकी अनुपस्थिति की पूर्ति पार्टी के अन्य सांसद करेंगे।
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सोनिया की इफ्तार पार्टी में मौजूद रहेंगे। यह साफ संकेत है कि लालू यादव, नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में समर्थन देने के कांग्रेस के फैसले से नाखुश हैं।
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सोनिया की इफ्तार पार्टी में मौजूद रहेंगे। यह साफ संकेत है कि लालू यादव, नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में समर्थन देने के कांग्रेस के फैसले से नाखुश हैं। |
उत्तर प्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने वाले अभ्यर्थियों पर गुरुवार देर रात पुलिस द्वारा किए गए लाठी चार्ज की विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी निंदा की है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र तिवारी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि टीईटी अभ्यर्थियों पर पुलिस की बर्बरता की भाजपा कड़े शब्दों में निंदा करती है. छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के लिए राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है.
तिवारी ने कहा कि सपा सरकार आंदोलन कर रहे टीईटी अभ्यर्थियों की मांगों पर विचार करने की बजाय उनके आंदोलन को कुचलने का काम कर रही है, जिसे न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता.
तिवारी ने कहा कि भाजपा टीईटी अभ्यर्थियों की मांगों का पूरी तरह समर्थन करती है. इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. प्रदेश में आए दिन पुलिस बल का प्रयोग कर आंदोलनों को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपनी हठधर्मिता को त्याग कर अभ्यर्थियों की मांगें यथाशीघ्र पूरी करे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे. भाजपा राज्य सरकार के ऐसे कारनामों का पदार्फाश करते हुए विरोध प्रदर्शन करेगी.
उल्लेखनीय है कि अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे टीईटी अभ्यर्थियों पर गुरुवार देर रात पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें महिलाओं सहित कई लोगों को चोटें आई थीं. |
रेलमंत्री मुकुल रॉय ने कहा है कि रेल मंत्रालय यात्रियों को फोन पर 'टिकट ऑन डिमांड' की सुविधा देने पर तीन महीने के अंदर विचार करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि आईआरसीटीसी की वेबसाइट से टिकट आरक्षण में गड़बड़ी रोकने के लिए एक नए सॉफ्टवेयर पर काम शुरू किया गया है।
रेलमंत्री ने लोकसभा में रंजन प्रसाद यादव के प्रश्न के उत्तर में कहा कि रेलों में टिकटों की मांग और उपलब्धता में काफी अंतर है और सरकार ने कई ट्रेनें बढ़ाई हैं तथा कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे यात्रियों को सुविधा हो। उन्होंने कहा, मैं विश्वास दिलाता हूं कि रेल मंत्रालय तीन महीने के अंदर फोन पर 'टिकट ऑन डिमांड' पर विचार करेगा।
रॉय ने तत्काल आरक्षण में कालाबाजारी की घटनाओं और आईआरसीटीसी की वेबसाइट दलालों द्वारा हैक किए जाने के मामलों के संदर्भ में कहा कि एक नया सॉफ्टवेयर लाया गया है, जिससे हैकिंग को रोका जा सकेगा। इसके अलावा कई नई प्रणालियां लाई जा रहीं हैं। इससे पहले रेलमंत्री ने रंजन प्रसाद यादव के पूरक प्रश्न के उत्तर में जब सदन के पटल पर पेश किए गए बयान को ही पढ़ना शुरू कर दिया, तो सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद रॉय ने रेल मंत्रालय के कुछ कदम गिनाए। टिप्पणियां
रेलवे राज्यमंत्री केएच मुनियप्पा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि दलालों को रोकने के लिए रेलवे ने कई कदम उठाए हैं और 2009-10 तक 5,125 दलालों पर आरोपपत्र दाखिल किए गए, जिनमें से 2317 दोषी ठहराए गए। इसके अलावा 218 आरोपी अधिकारियों को पकड़ा गया, जिनमें से 136 दोषी ठहराए गए या निलंबित किए गए। उन्होंने यह भी कहा कि दलालों को बढ़ावा देने में आम लोग ही दोषी हैं, क्योंकि वे टिकट लेने के लिए उनके पास जाते हैं। इस पर कुछ सदस्यों ने विरोध जताया।
संजय निरुपम के एक प्रश्न के उत्तर में रॉय ने बताया कि टिकटों की कालाबाजारी में आरपीएफ और जीआरपीएफ के जवानों की भूमिका को लेकर कोई अलग से आंकड़ा नहीं है। रॉय ने कहा कि इस मामले में जो जानकारी है, उसमें सभी अधिकारियों और जवानों का कुल आंकड़ा है और अलग से उन आरपीएफ जवानों की संख्या नहीं है, जो दलालों को संरक्षण देते हैं, लेकिन इस संख्या का पता लगाकर जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी।
रेलमंत्री ने लोकसभा में रंजन प्रसाद यादव के प्रश्न के उत्तर में कहा कि रेलों में टिकटों की मांग और उपलब्धता में काफी अंतर है और सरकार ने कई ट्रेनें बढ़ाई हैं तथा कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे यात्रियों को सुविधा हो। उन्होंने कहा, मैं विश्वास दिलाता हूं कि रेल मंत्रालय तीन महीने के अंदर फोन पर 'टिकट ऑन डिमांड' पर विचार करेगा।
रॉय ने तत्काल आरक्षण में कालाबाजारी की घटनाओं और आईआरसीटीसी की वेबसाइट दलालों द्वारा हैक किए जाने के मामलों के संदर्भ में कहा कि एक नया सॉफ्टवेयर लाया गया है, जिससे हैकिंग को रोका जा सकेगा। इसके अलावा कई नई प्रणालियां लाई जा रहीं हैं। इससे पहले रेलमंत्री ने रंजन प्रसाद यादव के पूरक प्रश्न के उत्तर में जब सदन के पटल पर पेश किए गए बयान को ही पढ़ना शुरू कर दिया, तो सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद रॉय ने रेल मंत्रालय के कुछ कदम गिनाए। टिप्पणियां
रेलवे राज्यमंत्री केएच मुनियप्पा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि दलालों को रोकने के लिए रेलवे ने कई कदम उठाए हैं और 2009-10 तक 5,125 दलालों पर आरोपपत्र दाखिल किए गए, जिनमें से 2317 दोषी ठहराए गए। इसके अलावा 218 आरोपी अधिकारियों को पकड़ा गया, जिनमें से 136 दोषी ठहराए गए या निलंबित किए गए। उन्होंने यह भी कहा कि दलालों को बढ़ावा देने में आम लोग ही दोषी हैं, क्योंकि वे टिकट लेने के लिए उनके पास जाते हैं। इस पर कुछ सदस्यों ने विरोध जताया।
संजय निरुपम के एक प्रश्न के उत्तर में रॉय ने बताया कि टिकटों की कालाबाजारी में आरपीएफ और जीआरपीएफ के जवानों की भूमिका को लेकर कोई अलग से आंकड़ा नहीं है। रॉय ने कहा कि इस मामले में जो जानकारी है, उसमें सभी अधिकारियों और जवानों का कुल आंकड़ा है और अलग से उन आरपीएफ जवानों की संख्या नहीं है, जो दलालों को संरक्षण देते हैं, लेकिन इस संख्या का पता लगाकर जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी।
रॉय ने तत्काल आरक्षण में कालाबाजारी की घटनाओं और आईआरसीटीसी की वेबसाइट दलालों द्वारा हैक किए जाने के मामलों के संदर्भ में कहा कि एक नया सॉफ्टवेयर लाया गया है, जिससे हैकिंग को रोका जा सकेगा। इसके अलावा कई नई प्रणालियां लाई जा रहीं हैं। इससे पहले रेलमंत्री ने रंजन प्रसाद यादव के पूरक प्रश्न के उत्तर में जब सदन के पटल पर पेश किए गए बयान को ही पढ़ना शुरू कर दिया, तो सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद रॉय ने रेल मंत्रालय के कुछ कदम गिनाए। टिप्पणियां
रेलवे राज्यमंत्री केएच मुनियप्पा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि दलालों को रोकने के लिए रेलवे ने कई कदम उठाए हैं और 2009-10 तक 5,125 दलालों पर आरोपपत्र दाखिल किए गए, जिनमें से 2317 दोषी ठहराए गए। इसके अलावा 218 आरोपी अधिकारियों को पकड़ा गया, जिनमें से 136 दोषी ठहराए गए या निलंबित किए गए। उन्होंने यह भी कहा कि दलालों को बढ़ावा देने में आम लोग ही दोषी हैं, क्योंकि वे टिकट लेने के लिए उनके पास जाते हैं। इस पर कुछ सदस्यों ने विरोध जताया।
संजय निरुपम के एक प्रश्न के उत्तर में रॉय ने बताया कि टिकटों की कालाबाजारी में आरपीएफ और जीआरपीएफ के जवानों की भूमिका को लेकर कोई अलग से आंकड़ा नहीं है। रॉय ने कहा कि इस मामले में जो जानकारी है, उसमें सभी अधिकारियों और जवानों का कुल आंकड़ा है और अलग से उन आरपीएफ जवानों की संख्या नहीं है, जो दलालों को संरक्षण देते हैं, लेकिन इस संख्या का पता लगाकर जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी।
रेलवे राज्यमंत्री केएच मुनियप्पा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि दलालों को रोकने के लिए रेलवे ने कई कदम उठाए हैं और 2009-10 तक 5,125 दलालों पर आरोपपत्र दाखिल किए गए, जिनमें से 2317 दोषी ठहराए गए। इसके अलावा 218 आरोपी अधिकारियों को पकड़ा गया, जिनमें से 136 दोषी ठहराए गए या निलंबित किए गए। उन्होंने यह भी कहा कि दलालों को बढ़ावा देने में आम लोग ही दोषी हैं, क्योंकि वे टिकट लेने के लिए उनके पास जाते हैं। इस पर कुछ सदस्यों ने विरोध जताया।
संजय निरुपम के एक प्रश्न के उत्तर में रॉय ने बताया कि टिकटों की कालाबाजारी में आरपीएफ और जीआरपीएफ के जवानों की भूमिका को लेकर कोई अलग से आंकड़ा नहीं है। रॉय ने कहा कि इस मामले में जो जानकारी है, उसमें सभी अधिकारियों और जवानों का कुल आंकड़ा है और अलग से उन आरपीएफ जवानों की संख्या नहीं है, जो दलालों को संरक्षण देते हैं, लेकिन इस संख्या का पता लगाकर जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी।
संजय निरुपम के एक प्रश्न के उत्तर में रॉय ने बताया कि टिकटों की कालाबाजारी में आरपीएफ और जीआरपीएफ के जवानों की भूमिका को लेकर कोई अलग से आंकड़ा नहीं है। रॉय ने कहा कि इस मामले में जो जानकारी है, उसमें सभी अधिकारियों और जवानों का कुल आंकड़ा है और अलग से उन आरपीएफ जवानों की संख्या नहीं है, जो दलालों को संरक्षण देते हैं, लेकिन इस संख्या का पता लगाकर जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी। |
सैक्सोफोन (अक्सर बोलचाल की भाषा में 'सैक्स' कहा जाता है) एक प्रकार का एकल-रीड वुडविंड वाद्य यंत्र है, जिसका शरीर शंक्वाकार होता है। यह आमतौर पर पीतल से बना होता है। जब माउथपीस पर लगी रीड उपकरण के शरीर के अंदर ध्वनि तरंग उत्पन्न करने के लिए कंपन करती है तब सभी एकल-रीड उपकरणों की तरह ध्वनि उत्पन्न होती है। पिच को ट्यूब की प्रभावी लंबाई को बदलने के लिए शरीर में छेद खोलने और बंद करने से नियंत्रित किया जाता है। छेदों को वादकों द्वारा संचालित चाबियों से जुड़े चमड़े के पैड द्वारा बंद कर दिया जाता है। सैक्सोफोन विभिन्न आकारों में बनाए जाते हैं और इन्हें लगभग हमेशा ट्रांसपोज़िंग उपकरण के रूप में माना जाता है। सैक्सोफोन वादकों को सैक्सोफोनिस्ट कहा जाता है।
सैक्सोफोन का उपयोग शास्त्रीय संगीत (जैसे कॉन्सर्ट बैंड, चैम्बर संगीत, एकल प्रदर्शनों की सूची, और कभी-कभी ऑर्केस्ट्रा), सैन्य बैंड एवं मार्चिंग बैंड, जैज़ (जैसे बड़े बैंड और जैज़ कॉम्बो), और समकालीन संगीत सहित संगीत शैलियों की एक विस्तृत शृंखला में किया जाता है। सैक्सोफोन का उपयोग एकल और संगीत वाद्ययंत्र के रूप में अथवा रॉक एंड रोल और लोकप्रिय संगीत की कुछ शैलियों में हॉर्न सेक्शन के सदस्य के रूप में भी किया जाता है।
सन्दर्भ
संगीत
वाद्य यंत्र
वाद्य यंत्र निर्माण
वाद्य यंत्र भाग व सहायक वस्तुएँ |
यूपी के
ग्रेटर नोएडा
में एक युवती का
अपहरण
करने के बाद रेप किए जाने का मामला सामने आया है. जहां दो युवकों ने पहले एक
लड़की
का अपहरण किया. फिर उसे जंगल में ले जाकर जबरन
शराब
पिलाई और उसके साथ बारी बारी से
बलात्कार
किया. विरोध करने पर आरोपियों ने लड़की के साथ मारपीट भी की.
मामला ग्रेटर नोएडा के जेवर थाना क्षेत्र का है. जहां बीती 24 अगस्त को दो युवक ने पहले 21 वर्षीय
युवती
को अगवा किया और फिर दूर जंगल में ले जाकर इस वारदात को अंजाम दिया. पहले पुलिस ने मामले में आनाकानी की लेकिन मीडिया में ख़बर आने आनन-फानन में दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
पुलिस के मुताबिक 21 अगस्त को युवती पास के गांव से सिलाई सीखकर वापस लौट रही थी. तभी दो युवकों ने उसे अगवा कर लिया और खुर्जा के पास जंगल में ले गए. उन दोनों पहले पीड़िता को जबरदस्ती शराब पिलाई. विरोध करने पर उसकी पिटाई की और फिर रेप की घटना को अंजाम दिया.
पीड़ित परिवार का आरोप है कि जब वे शिकायत लेकर थाने पंहुचे तो पुलिस ने उन्हें ये कहकर वापस लौटा दिया कि आप
बलात्कार
का झूठा केस बनाना चाहते हो. हम कोई कार्यवाई नहीं कर सकते. लेकिन जब ये मामला मीडिया के बीच आया तो पुलिस ने आनन-फानन में दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर पीड़िता को मेडिकल के लिए भेज दिया.
पीड़िता एक आरोपी को पहचानती है लेकिन दूसरे को नहीं. फिलहाल पुलिस अभी इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने से बचती नजर आ रही है. फोन पर पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और जांच में जुट गई है. |
किताब का नाम-
सिटीज एंड पब्लिक पॉलिसी
लेखक-
प्रसन्न के. मोहंती
प्रकाशक-
सेज पब्लिकेशन
मूल्य-
995 रुपये (हार्ड कॉपी)
'शहर' शब्द सुनते ही जो पहला ख्याल आता है वह सुविधाओं का है. फिर चाहे वह यातायात की सुविधा हो. बाजार हो, आवासीय सुविधा हो या फिर कामकाजी जीवन के लिए बेहतर नेटवर्किंग और वन विंडो क्लियरेंस की सुविधा. भारत सरकार हर साल 99 हजार करोड़ रुपये गांवों के विकास पर खर्च करती है, वहीं बेहतर जीवनशैली और रोजी-रोटी के लिए गांवों से पलायन बड़ी संख्या में अभी भी जारी है. आंकड़े के मुताबिक देश के शहरों में 50 हजार करोड़ से अधिक झुग्गियां हैं और अगर मौजूदा दर जारी रही तो अगले 10 वर्षों में यह बढ़कर 75 हजार करोड़ हो जाएंगी.
देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही अपने 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में शहर के विकास की चर्चा की है. बीजेपी ने तो 100 नए शहर बसाने का वादा भी कर दिया है. इसके पीछे एक तर्क यह है कि नए शहर बसेंगे तो टीयर-1 शहरों से लोगों की भीड़ कम होगी. यह जरूरी भी है, लेकिन इस बीच दो बड़े सवाल यह हैं कि क्या नए शहरों को बसाने के बजाए टीयर-2 और टीयर-3 शहरों को ही विकसित नहीं किया जा सकता? दूसरा यह कि अगर शहर बसाए जाएं या पुराने शहरों को ही विकसित किए जाए तो इन्हें लेकर जरूरी लोक योजना (पब्लिक पॉलिसी) क्या होगी? दरअसल, प्रसन्न के. मोहंती की किताब 'सिटीज एंड पब्लिक पॅलिसी' इन्हीं दो सवालों के संदर्भ में अर्थशास्त्र के नजरिए और मॉडलों के आधार पर जवाब ढूंढती है.
मोहंती भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी हैं और वर्तमान में आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव हैं. अर्थशास्त्री हैं और अपने अब तक के कार्यकाल में शहरीकरण की योजनाओं को लेकर इनका अनुभव काफी लंबा है. अपनी किताब में मोहंती अर्थशास्त्र के उन मॉडलों की चर्चा करते हैं जो एक बेहतर शहरी योजना के लिए 'इंडस्ट्रीयल क्लस्टरिंग' पर जोर देता है. यह किताब इन मायनों में महत्वपूर्ण है कि इसमें न सिर्फ शहर के बसने बल्कि उसके अर्थशास्त्र से लेकर मौजूद शहरी समस्याओं से निजात पाने की भी चर्चा है.
उदाहरण के तौर पर 'ओवर अर्बनाइजेशन', 'टाउनशिप मॉडल', 'अर्बन प्लानिंग एंड रिसोर्स', इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क' और ट्रांसपैरेन्सी से लेकर 'सिविक इन्वॉल्वमेंट' जैसे विषयों पर समस्या और साथ ही निजात के लिए जरूरी मॉडल की चर्चा है. मोहंती अपनी किताब में गुजरात और पुणे के टाउनशिप मॉडल की चर्चा करते हैं तो दुनिया में बेहतर शहरीकरण के लंदन, हांगकांग और बोगाटा मॉडल की भी चर्चा है. शहरों में जमीन का निपटारा और बंटवारा कैसे हो इसको लेकर भी कई उदाहरण और आंकड़ों की मदद ली गई है.
किनके लिए है महत्वपूर्ण
यह किताब उन पाठकों के लिए महत्वपूर्ण है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शहरीकरण, योजनाओं, अर्थशास्त्र आदि से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा अगर आप विभिन्न विषयों को पढ़ने का शौक रखते हैं और अर्थशास्त्र में आपकी रुचि है तो यह किताब आपके लिए रोचक है. |
वाईएस जगन मोहन रेड्डी नीत वाईएसआर कांग्रेस ने रविवार को कांग्रेस और तेदेपा से अपील की कि वे ‘अखंड’ आंध्र प्रदेश के लिए ‘एक पंक्ति के प्रस्ताव’ पर हस्ताक्षर करें ताकि सीमांध्र क्षेत्र के लोगों में अनिश्चितता समाप्त हो और उनकी भावनाओं शांत हों।
विधानसभा में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की उप-नेता एसएन रेड्डी ने रविवार को कहा, ‘वर्तमान संकट को एक राजनीतिक हल की जरूरत है और यदि सभी पार्टियों के नेता एकीकृत राज्य के समर्थन में एक पंक्ति के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दें तो बंटवारे की प्रक्रिया को रोका जा सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बोत्स सत्यनारायण, तेदेपा अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू और अन्य नेताओं को एक प्रस्ताव के साथ सामने आना चाहिए और हमारे पार्टी अध्यक्ष वाई एस जगनमोहन रेड्डी उस पर सबसे पहले हस्ताक्षर करेंगे।’टिप्पणियां
इस बीच कडप्पा से प्राप्त सूचना के अनुसार वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने वहां एक कार्ययोजना घोषित की है जिसके तहत आंध्र प्रदेश के बंटवारे के खिलाफ आगामी महीने में विभिन्न आंदोलन किये जाएंगे।
पूर्व सांसद एवं वाईएसआर कांग्रेस केंद्रीय कमेटी के सदस्य एमवीएम रेड्डी और अन्य नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
विधानसभा में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की उप-नेता एसएन रेड्डी ने रविवार को कहा, ‘वर्तमान संकट को एक राजनीतिक हल की जरूरत है और यदि सभी पार्टियों के नेता एकीकृत राज्य के समर्थन में एक पंक्ति के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दें तो बंटवारे की प्रक्रिया को रोका जा सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बोत्स सत्यनारायण, तेदेपा अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू और अन्य नेताओं को एक प्रस्ताव के साथ सामने आना चाहिए और हमारे पार्टी अध्यक्ष वाई एस जगनमोहन रेड्डी उस पर सबसे पहले हस्ताक्षर करेंगे।’टिप्पणियां
इस बीच कडप्पा से प्राप्त सूचना के अनुसार वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने वहां एक कार्ययोजना घोषित की है जिसके तहत आंध्र प्रदेश के बंटवारे के खिलाफ आगामी महीने में विभिन्न आंदोलन किये जाएंगे।
पूर्व सांसद एवं वाईएसआर कांग्रेस केंद्रीय कमेटी के सदस्य एमवीएम रेड्डी और अन्य नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा, ‘प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बोत्स सत्यनारायण, तेदेपा अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू और अन्य नेताओं को एक प्रस्ताव के साथ सामने आना चाहिए और हमारे पार्टी अध्यक्ष वाई एस जगनमोहन रेड्डी उस पर सबसे पहले हस्ताक्षर करेंगे।’टिप्पणियां
इस बीच कडप्पा से प्राप्त सूचना के अनुसार वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने वहां एक कार्ययोजना घोषित की है जिसके तहत आंध्र प्रदेश के बंटवारे के खिलाफ आगामी महीने में विभिन्न आंदोलन किये जाएंगे।
पूर्व सांसद एवं वाईएसआर कांग्रेस केंद्रीय कमेटी के सदस्य एमवीएम रेड्डी और अन्य नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
इस बीच कडप्पा से प्राप्त सूचना के अनुसार वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने वहां एक कार्ययोजना घोषित की है जिसके तहत आंध्र प्रदेश के बंटवारे के खिलाफ आगामी महीने में विभिन्न आंदोलन किये जाएंगे।
पूर्व सांसद एवं वाईएसआर कांग्रेस केंद्रीय कमेटी के सदस्य एमवीएम रेड्डी और अन्य नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
पूर्व सांसद एवं वाईएसआर कांग्रेस केंद्रीय कमेटी के सदस्य एमवीएम रेड्डी और अन्य नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया। |
नागालैंड पोस्ट भारत में प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। यह डिमापुर में प्रकाशित होता है।
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अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्र |
टेरर फंडिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान को FATF की ओर से फरवरी 2020 तक एक और डेडलाइन दी गई है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक पाकिस्तान से कहा गया है कि उसको चार महीने के समय दिया गया है अगर इस बार वह नाकाम रहा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की होगी. आपको बता दें कि पाकिस्तान को अभी ग्रे लिस्ट में रखा गया है. इसमें उन देशों को रखा गया है जिनके कानून मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग रोकने में कमजोर माने जाते हैं.
अब कई बार चेतावनी के बाद भी पेरिस स्थिति इस संस्था (FATF)की ओर से दिए गए सुझावों पर पाकिस्तान ने अमल नहीं किया है अब इस मामले में पाकिस्तान पर चार महीने बाद निर्णयाक फैसला किया जाएगा. FATF ने पाकिस्तान से साफ कहा है कि फरवरी 2020 तक वह इस ऐक्शन प्लान को पूरा करे. नहीं तो इसके बाद कार्रवाई की जाएगी जिसमें सदस्य देशों से कहा जाएगा वह उसके (पाकिस्तान) के साथ व्यापारिक संबंधों और लेनदेन का विशेष ध्यान रखें.
आपको बता दें कि FATF एक अंतर-सरकारी संस्था है जिसे 1989 में गठित किया गया था. इसका काम मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग और इससे जुड़े तमाम ऐसे मामलों जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के लिए खतरा बन सकते हैं, पर लगाम लगाना है.
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साक्षी ने बिजली कटौती पर किया ट्वीट
2019 से 24 घंटे बिजली की हुई थी घोषणा
झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्य की सत्ता में वापसी के लिए मुख्यमंत्री रघुबर दास और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपनी उपलब्धियां गिनाने में जुटी है. वहीं बदहाल बिजली व्यवस्था अब सत्ता पक्ष के लिए गले की हड्डी बनती नजर आ रही है.
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की साक्षी ने सरकार के जीरो पावर कट के दावों की पोल खोल दी है. वास्तविकता सरकार के दावे से बहुत दूर है. गुरुवार को भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी ने बिजली कटौती को लेकर ट्वीट किया.
अपने ट्वीट में साक्षी ने लिखा कि रांची में लोग प्रत्येक दिन बिजली कटौती का अनुभव करते हैं. इसकी रेंज चार से सात घंटे की होती है. साक्षी ने शाम 4.37 बजे किए गए अपने ट्वीट में पांच घंटे से बिजली न होने का उल्लेख किया और कहा कि बिजली कटौती का कोई कारण नहीं है. मौसम अच्छा है और कोई त्योहार नहीं है.
#ranchi
pic.twitter.com/OgzMHoU9OK
— Sakshi Singh 🇮🇳❤️ (@SaakshiSRawat)
September 19, 2019
उन्होंने इस समस्या का संबंधित अथॉरिटी द्वारा संज्ञान लिए जाने की उम्मीद जताई. सरकार की ओर से सन 2016 में ही घोषणा की गई थी कि 2019 से सूबे के प्रत्येक हिस्से में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति होगी. आलम यह है कि अन्य क्षेत्रों की कौन कहे, राजधानी रांची में भारी बिजली कटौती हो रही है, जिससे जनता परेशान है. |
विंडोज़ सर्वर एसेंशियल्स (अंग्रेजी में: Windows Server Essentials) (पहले- विंडोज़ स्मॉल बिजनेस सर्वर (Windows Small Business Server) या एसबीएस (SBS)) माइक्रोसॉफ्ट का एक एकीकृत सर्वर सूट है, जिसे ऐसे छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर (इंट्रानेट मैनेजमेंट और इंटरनेट एक्सेस दोनों) के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिनमें 25 से अधिक उपयोगकर्ता या 50 से अधिक डिवाइस नहीं हैं। एप्लिकेशन सर्वर प्रौद्योगिकियों को मज़बूती से एकीकृत किया गया है, ताकि एकीकृत सेटअप, बढ़ी हुई निगरानी, रिमोट वेब वर्कप्लेस, एकीकृत प्रबंधन कंसोल और रिमोट एक्सेस जैसे प्रबंधन लाभ प्रदान किये जा सकें।
SBS 2003 की रिलीज़ के बाद से, विंडोज़ सर्वर या अन्य सर्वर उत्पादों के लिए एक समान सर्विस पैक का उपयोग OS को अपडेट करने के लिए किया जा सकता है।
सन्दर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
Windows Server Essentials Product Information on Microsoft.com
Windows Server Essentials on Microsoft TechNet
विंडोज़ सर्वर |
नॉटोप्टेरिडे परिवार में ऑस्टियोग्लोसिफॉर्म (बोनी-जीभ वाली) मछलियों की दस प्रजातियां शामिल हैं, जिन्हें आमतौर पर फेदरबैक और नाइफफिश के रूप में जाना जाता है। ये मछलियाँ अफ्रीका और दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में मीठे पानी या खारे वातावरण में रहती हैं। |
पाकिस्तान के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि इस वर्ष के अंत तक उनका देश भारत को सबसे पसंदीदा देश (एमएफएन) का दर्जा दे सकता है। ऐसा करते हुए वह व्यापार से सम्बंधित बाधाओं को कम करेगा और दोनों देशों के बीच व्यापार के क्षेत्र को बढ़ाएगा। अधिकारी ने कहा कि इससे उम्मीद है कि मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार तीन वर्ष में तिगुनी हो जाएगी। भारत पहले ही पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा दे चुका है लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को देखते हुए वह अभी ऐसा नहीं कर सका है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के सलाहकार मिर्जा इख्तिआर बेग ने कहा, "पाकिस्तान के व्यापारिक समुदाय ने सरकार से जोरदार सिफारिश की है कि भारत को सर्वाधिक पसंदीदा देश का दर्जा दिया जाना चाहिए।" भारत दौरे पर आए बेग ने कहा, "पाकिस्तान सरकार इसे लेकर साकारात्मक है और शीघ्र ही आप एक सुखद समाचार सुनेंगे। यह शायद वर्ष के अंत तक हो सकता है।" उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में दोनों देशों के वाणिज्य सचिव नवम्बर में मुलाकात करेंगे। |
मुंगेर में पूर्व विधायक नीता चौधरी और उनके विधायक पति मेवालाल चौधरी की आग से झुलसने की खबर है. सोमवार देर रात किचन में रखे गैस सिलेंडर से अचानक आग लग गई. जिसकी चपेट में पूर्व विधायक नीता चौधरी आ गई. आग बुझाने की कोशिश में जदयू के मौजूदा विधायक और उनके पति मेवालाल चौधरी भी झुलस गए. इलाज के लिये उन्हें भागलपुर रेफर कर दिया गया. घटना तारापुर थाना क्षेत्र की है.
बताया जाता है कि रात करीब 12 बजे विधायक के घर में रखे सिलिंडर से गैस रिसाव होने लगा. गैस की गंध आने पर जब नीता चौधरी कमरे में गईं. इस दौरान आग लग गई. उनकी चीख-पुकार सुनकर विधायक मेवालाल भी रसोई में पहुंचे. वह भी आग बुझाने के चक्कर में झुलस गए.
नीता चौधरी और उनके पति को हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां गंभीर रूप से झुलस जाने के कारण पूर्व विधायक नीता चौधरी को रेफर कर दिया गया. यह हादसा विधायक मेवालाल चौधरी के मुंगेर स्थित तारापुर आवास पर हुआ. जलने से जदयू विधायक मेवालाल के हाथों में जख्म हैं. |
यह एक लेख है: भारत और वेस्टइंडीज की क्रिकेट टीमों के बीच केनसिंग्टन ओवल मैदान पर दूसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन बारिश के कारण 37.3 ओवरों बाद खेल दूसरी बार रोकना पड़ा। खेल रोके जाने तक वेस्टइंडीज ने पांच विकेट के नुकसान पर 98 रन बना लिए थे। इससे पहले 29वें ओवर के समाप्त होते ही मैच बारिश के कारण रोकना पड़ा था। वेस्टइंडीज की टीम पहली पारी के आधार पर अभी भी 103 रनों से पिछड़ी हुई है जबकि उसके पांच विकेट शेष हैं। शिवनारायण चंद्रपॉल 63 गेंदों पर 20 रन बनाकर खेल रहे हैं जबकि मार्लन सैमुएल्स 58 गेंदों पर 21 रन बनाकर दूसरी छोर पर उनका साथ दे रहे हैं। छठे विकेट के लिए दोनों के बीच 41 रनों की साझेदारी हो चुकी है। बुधवार का खेल मैदान गीला होने के कारण समय से शुरू नहीं हो सका था। ब्रिजटाउन में बुधवार सुबह भारी बारिश हुई थी। इसके कारण मैदान का बाहरी हिस्सा गीला था। मैदानकर्मियों के प्रयास के बाद मैदान को खेल के लायक बनाया गया। पहले दिन का खेल खत्म होने तक मेजबान टीम ने अपनी पहली पारी में तीन विकेट के नुकसान पर 30 रन बनाए थे। रामनरेश सरवन 10 रन बनाकर खेल रहे थे जबकि नाइटवॉचमैन देवेंद्र बीशु ने खाता नहीं खोला था। इससे आगे खेलते हुए वेस्टइंडीज के कुल योग में 27 रन जुड़े ही थे कि कल के नाबाद रहे ये दोनों बल्लेबाज पवेलियन लौट गए। कल के स्कोर से आगे खेलने उतरी वेस्टइंडीज टीम को बुधवार को बीशु के रूप में पहला झटका लगा। इशांत शर्मा ने उन्हें आउट किया। बिशु ने 13 रनों का योगदान दिया। इसके थोड़ी ही देर बाद सरवन भी चलते बने। सरवन को भी इशांत शर्मा ने अपना शिकार बनाया। उन्होंने 18 रन बनाए। इससे पहले, मैच के पहले दिन टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने वी.वी.एस. लक्ष्मण (85) और सुरेश रैना (53) की उम्दा पारियों की मदद से अपनी पहली पारी में 201 रन बनाए थे। भारतीय टीम 68 ओवर बल्लेबाजी कर सकी थी। |
जम्मू-कश्मीर में बारामुला जिले के सोपोर में गश्त के दौरान चार पुलिसकर्मी IED ब्लास्ट में शहीद हो गए. अधिकारियों ने बताया कि ये विस्फोटक आतंकियों ने 'छोटा बाजार' और 'बड़ा बाजार' के बीच एक दुकान के पास प्लांट किया था. पुलिसकर्मी अलगाववादियों द्वारा प्रायोजित हड़ताल को देखते हुए इलाके में गश्त कर रहे थे. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद ने ली है.
सोपोर में 6 जनवरी, 1993 को 50 से ज्यादा नागरिक मारे गए थे. इसी घटना के विरोध में अलगाववादियों ने आज सोपोर बंद कर रखा है. बंद की वजह से इस इलाके में भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था. सूत्रों के मुताबिक इसी कारण आतंकियों ने यहां बम प्लांट किया था. विस्फोट की खबर मिलते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हालत का जायजा लेने के लिए सोपोर पहुंचे हैं.
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर चार जवानों की शहादत पर दुख व्यक्त किया और शहीद जवानों के परिवार के लिए सांत्वना जाहिर की.
Pained to hear that four policeman have been killed in an IED explosion in Sopore. My deepest condolences to their families.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti)
6 January 2018
पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट सोपोर घटना पर शोक प्रकट करते हुए लिखा, 'शहीद जवानों की आत्मा को शांति मिले.'
Very sad news from
#Sopore
. May the four brave J&K police personnel killed in the line of duty today rest in piece.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah)
6 January 2018
बता दें कि जम्मू कश्मीर में लगातार बर्फबारी के चलते घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों में बड़ा इजाफा हुआ है. सरहद पर पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर का उल्लंघन किया जा रहा है. इस बीच शनिवार को आतंकी हमले की खबर आई है.
LoC पर भारत और PAK सैनिकों के बीच गोलीबारी
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शुक्रवार को भारत एवं पाकिस्तान के सैनिकों के बीच भारी गोलीबारी हुई. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि यह झड़प तब शुरू हुई जब पाकिस्तानी सेना ने शाहपुर क्षेत्र में भारतीय ठिकानों पर गोलीबारी शुरू कर दी.
एक अधिकारी ने बताया, "हमने दृढ़ता और प्रभावी तरीके से इसका जवाब दिया. हमारी तरफ से किसी भी तरह की क्षति की रिपोर्ट नहीं है." सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने गुरुवार को जम्मू के अरनिया सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों के घुसपैठ की कोशिश विफल कर दिया था.
बीएसएफ ने एक घुसपैठिये को मार गिराया था. पुलिस ने कहा कि बिना हथियार वाला यह घुसपैठिया पाकिस्तानी आतंवादियों को कश्मीर में घुसपैठ कराने वाला गाइड हो सकता है. आतंकी वापस पाकिस्तान भागने में सफल रहे. बीएसएफ ने कहा कि उसने गुरुवार को पाकिस्तान के दो मोर्टार पिकेट को भी तबाह कर दिया. |
तर्कसंग्रह न्याय एवं वैशेषिक दोनो दर्शनों को समाहित करने वाला ग्रंथ है। इसके रचयिता अन्नम्भट्ट हैं जिनका समय १६२५ से १७०० ई माना जाता है।
तर्कसंग्रह का अध्ययन से न्याय एवं वैशेषिक के सभी मूल सिद्धान्तों का ज्ञान मिल जाता है। इस ग्रन्थ में 'पदार्थों' के विषय में जो कुछ है वह पूर्णतः वैशेषिक के अनुसार है जबकि 'प्रमाण' के विषय में जो कुछ है वह पूर्णतः न्याय के अनुसार है। अर्थात् पदार्थों के लिये 'वैशेषिक मत' को स्वीकार किया गया है तथा प्रमाण के लिये 'न्याय मत' को। इस प्रकार इस ग्रन्थ के माध्यम से न्याय और वैशेषिक मत को एक में मिलाया गया है।
(१) द्रव्य, (२) गुण, (३) कर्म, (४) सामान्य, (५) विशेष, (७) समवाय, तथा (७) अभाव - ये सात पदार्थ तर्कसंग्रह के प्रतिपाद्य विषय हैं (द्रव्यगुणकर्मसामान्यविशेषसमवायाभावाः सप्त पदार्थाः)। तर्कसंग्रह में इनका संक्षिप्त विवेचन किया गया है। तर्कसंग्रहदीपिका में तर्कसंग्रह के प्रतिपाद्य विषय का विश्लेषण करते हुए न्याय तथा वैशेषिक दर्शनों के अन्य उपयोगी विषयों का भी प्रतिपादन किया गया है।
अन्नम्भट्ट ने बालकों को सुखपूर्वक न्यायपदार्थों का ज्ञान कराने के उद्देश्य से तर्कसंग्रह नामक अन्वर्थ लघुग्रंथ की रचना की तथा इसके अतिसंक्षिप्त अर्थ को स्पष्ट करने के अभिप्राय से स्वयं दीपिका नामक व्याख्या ग्रंथ की भी रचना की। इस ग्रन्थ का आरम्भ ही इसी बात पर बल देते हुए हुआ है कि इसमें विषय को बहुत सरल तरीके से प्रस्तुत किया गया है-
निधाय हृदि विश्वेशं विधाय गुरुवन्दनम्।
बालानां सुखबोधाय क्रियते तर्कसंग्रह: ॥
( हृदय में विश्वनाथ को रखकर गुरुवन्दना करके, बालकों को भी के सुखपूर्वक बोध के लिये (आसानी से द्रव्यादि सात पदार्थों का ज्ञान कराने हेतु) तर्कसंग्रह लिख रहा हूँ।)
तर्कसंग्रह का अर्थ
तर्कसंग्रह न्याय-वैशेषिक परम्परा का महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। यहाँ 'तर्क' शब्द का अर्थ है 'द्रव्यादि सप्त पदार्थ' (तर्क्यन्ते प्रतिपाद्यन्त्त इति तर्काः द्रव्यादिसप्तपदार्थाः।) न्याय में तर्क शब्द के अनेक अर्थ दिये हैं। इस शब्द का उक्त अर्थ जो यहां दिया गया है वह असाधारण है। 'संग्रह' शब्द 'संक्षेप' के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। वाक्य-विवृत्ति के अनुसार संग्रह के अन्तर्गत उद्देश, लक्षण और परीक्षा आते हैं। उद्देश का अर्थ है परिगणन। किसी पदार्थ के असाधारण धर्म का कथन उसका लक्षण कहलाता है तथा लक्षित पदार्थ में लक्षण ठीक ठीक बैठता है अथवा नहीं, इस प्रकार का विचार करना परीक्षा कहलाती है।
इस प्रकार तर्क संग्रह का अर्थ है द्रव्यादि सप्त पदार्थों के परिगणन के साथ उनके लक्षण तथा उन लक्षणों की परीक्षा का संक्षिप्त रूप से प्रतिपादन करने वाला ग्रन्थ।
यह ग्रन्थ न्याय वैशेषिक का प्रकरण ग्रन्थ है। प्रकरण की परिभाषा इस प्रकार की गई है :-
शास्त्रैकदेशसम्बद्धं शास्त्रकार्यान्तरे स्थितम्।
आहुः प्रकरणं नाम ग्रन्थभेदं विपश्चितः॥
(अर्थात् ‘शास्त्र के अंश से सम्बद्ध तथा शास्त्र के (विशिष्ट) विषय के अन्दर स्थित (ग्रन्थ) को विद्वान् लोग प्रकरण नामक ग्रन्थ का भेद कहते हैं।’ )
इस परिभाषा के अनुसार ‘प्रकरण’ सम्पूर्ण शास्त्र के विषय से सम्बद्ध न होकर उसके किसी विशिष्ट विषय से सम्बद्ध होना चाहिए। ‘प्रकरण’ शब्द जब ग्रन्थ के अंग के अर्थ में आता है तब तो सदैव ऐसा ही होता है किन्तु जब यह स्वतन्त्र ग्रन्थ के अर्थ में प्रयुक्त होता है तो हम सदैव उसमें शास्त्र के एक ही विषय का विवेचन प्राप्त नहीं करते। कुछ प्रकरण तो अवश्य ऐसे पाये जाते हैं जहाँ शास्त्र के एक ही विषय का निरूपण है, जैसे शंकराचार्यकृत ‘पचीकरणप्रक्रिया’, किन्तु अधिकांश प्रकरण-गन्थ ऐसे हैं जिनमें शास्त्र के सम्पूर्ण विषयों का संक्षेप में विवेचन है। न्याय-वैशेषिक के सप्तपदार्थी, तर्कभाषा, तर्कसंग्रह आदि ग्रन्थ ऐसे ही हैं।
प्रमुख विवेच्य विषय
तर्कसंग्रह में निम्नलिखित विषयों की विवेचना की गयी है-
1.पदार्थ 2.सृष्टि और संहार 3. ईश्वर की सिद्धि 4. ज्ञान 5. कारण 6. प्रत्यक्ष प्रमाण 7. षड्विध संन्निकर्ष
8. अनुमान-प्रमाण 9. हेत्वाभास 10. शब्द-प्रमाण 11. प्रामाण्यवाद 12. अभाव 13. जीवन का चरम लक्ष्य
टीकाएँ
अन्नम्भट्ट द्वारा रचित तर्कसंग्रह की स्वोपज्ञ टीका 'तर्कसंग्रहदीपिका' है जिसे न्याय-वैशेषिक दर्शन का अग्रिम सोपान माना जा सकता है। तर्कसङ्ग्रह तथा तर्कसङ्ग्रहदीपिका पर अनेक टीकाओं की रचना की गई। संस्कृत भाषा में लिखी गयी महत्त्वपूर्ण टीकाएं ये हैं -
चन्द्रजसिंह द्वारा रचित पदकृत्य तथा गोवर्धनमिश्र की न्यायबोधिनी (तर्कसंग्रह पर), नीलकण्ठ द्वारा रचित तर्कसंग्रहदीपिकाप्रकाश (तर्कसंग्रहदीपिकाप्रकाशिका) तथा वामाचरण भट्टाचार्य की विवृति (तर्कसंग्रहदीपिका पर)। नीलकण्ठ के पुत्र लक्ष्मीनृसिंहशर्मा ने तर्कसंग्रहदीपिकाप्रकाशिका पर 'भास्करोदया' नाम की टीका की रचना की। श्री रामानुज ताताचार्य ने तर्कसंग्रह, तर्कसंग्रहदीपिका तथा तर्कसंग्रहदीपिकाप्रकाशिका पर छात्रहितैषिणी बालप्रिया नामक टीका लिखी।
तर्कसंग्रह पर उपलब्ध टीकाओं तथा पाश्चात्य दर्शन की कतिपय अवधारणाओं को ध्यान में रखकर अथल्ये तथा बोडास ने तर्कसंग्रह पर अंग्रेजी में एक अच्छी व्याख्या की रचना की। इससे अलग हटकर तथा नीलकण्ठ की प्रकाशिका तथा लक्ष्मीनृसिंहशर्मा की भास्करोदया को आधार बनाकर गोपीनाथ भट्टाचार्य ने तर्कसंग्रह तथा तर्कसंग्रहदीपिका पर एक विशद शास्त्रप्रवण प्राञ्जल व्याख्या अंग्रेजी भाषा में ही लिखी।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
अर्थसंग्रह
पदार्थ
बाहरी कड़ियाँ
अन्नम्भट्टलिखित तर्कसंग्रह (देवनागरी में मूल पाठ)
तर्कसंग्रह: (हिन्दी अनुवाद एवं टीका सहित) (गूगल पुस्तक; टीकाकार- केदार नाथ त्रिपाठी)
अन्नम्भट्टस्य तर्कसङ्ग्रहः (साररूप में तर्कसंग्रह)
A study of tarkasamgraha as a compromise between the nyaay and vaisheshik schools of philosophies
Tarka-sangraha of Annam Bhaṭṭa, with a Hindí paraphrase and English version By Annambhaṭṭa, James Robert Ballantyne
Lectures on the Nyáya philosophy: embracing the text of the Tarka sangraha By Annambhaṭṭa, James Robert Ballantyne
तर्क संग्रह - स्वरूप व्याख्या, तर्कदीपिका सहित (गूगल पुस्तक ; व्याख्याकार - दयानन्द भार्गव)
भारतीय दर्शन
संस्कृत
पुस्तकें |
क्रिकेटर्स और बॉलिवुड की हीरोइन के लव अफेयर्स तो हमेशा चर्चा में रहते हैं. पर अगर बात विराट कोहली की करें तो बॉलिवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ उनका रिश्ता इस वक्त टॉक ऑफ द टाउन है. अनुष्का को देखे बिना मानता ही नहीं विराट का दिल.
खबरों के मुताबिक भारतीय बल्लेबाज
विराट कोहली
ने मुंबई के वर्ली में एक शानदार फ्लैट खरीदा है. अब जब मन चाहे वो अनुष्का के साथ वक्त बिता सकते हैं. साल 2015 में दोनों ओमकर रीयलटर्स की इस साइट पर फ्लैट देखने आए थे और खबरों की माने तो दोनों इस फ्लैट में शिफ्ट होने वाले हैं.
इस
फ्लैट की कीमत है 34 करोड़ है और ये फ्लैट 34 फ्लोर
पर है. ऐसा कहा जा रहा है कि विराट ने ये फ्लैट इसीलिए लिया है ताकि वह अनुष्का से आराम से मिल सकें. उनके साथ वक्त बिता सकें. दोनों की बिजी लाइफ़ के चलते बहुत मुश्किल हो जाता है दोनों का एक दूसरे को टाइम देना, पर किसी ना किसी तरीके से ये दोनों ढूंढ ही लेते है एक दूसरे से मिलने का बहाना.
खबरों के मुताबिक
अनुष्का और विराट
अपने बिजी शेड्यूल से फ्री होकर कुछ समय साथ बिताने वाले हैं, तो हो सकता है कि प्यार में गिरफ्तार ये विराट और अनुष्का जल्दी ही अपने आशियाने में नजर आ जाएं. |
लोकसभा चुनाव 2019 के तहत गुजरात की दाहोद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) ने फिर अपना परचम लहराया है. यहां से बीजेपी नेता जसवंत सिंह भाभोर 127596 वोटों के अंतर से अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी को शिकस्त देने में कामयाब रहे. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दाहोद सीट पर कुल 7 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी व कांग्रेस के बीच ही रहा.
2019 का जनादेश
बीजेपी प्रत्याशी जसवंत सिंह भाभोर को पांच लाख 61 हजार 760 वोट मिले, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी बाबूभाई कटारा को चार लाख 34 हजार 164 वोट मिले. 31936 वोटों के साथ नोटा का वोट प्रतिशत 3% रहा. बहुजन समाज पार्टी के दिताभाई भाभोर को 11339 वोट मिले. बता दें कि इस सीट पर तीसरे चरण के तहत 23 अप्रैल को मतदान हुआ था और मतदान का प्रतिशत 66.07 रहा है.
2014 का चुनाव
पिछले चुनाव में इस सीट पर 63.8% मतदान हुआ था जिसमें बीजेपी प्रत्याशी जसवंत सिंह भाभोर को 511,111 वोट 56.8%) कांग्रेस प्रत्याशी डॉ प्रभा किशोर को 280,757 (31.2%) वोट मिले थे.
दाहोद लोकसभा सीट: क्या फिर खिलेगा 'कमल'?
सामाजिक ताना-बाना
इस लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा आबादी आदिवासी समाज की है. 2011 की जनगणना के अनुसार, लोकसभा क्षेत्र की कुल आबादी 24,36,636 है. इसमें 91.34% ग्रामीण और 8.66% शहरी आबादी है. जाति के लिहाज से देखा जाए तो अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या करीब 75 फीसदी और अनुसूचित जाति की आबादी 2 फीसदी है. पूरे दाहोद जिले में 96 फीसदी आबादी हिंदू है, जबकि मुस्लिम आबादी करीब 3 फीसदी है.
गुजरात: अनसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दाहोद सीट पर कौन होगा काबिज?
दाहोद लोकसभा सीट का इतिहास
दाहोद सीट पर सबसे पहला चुनाव 1962 में हुआ था, उस वक्त यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. इस चुनाव में स्वतंत्र पार्टी के कुंवरभाई बारिया ने जीत दर्ज की थी. 1967 के चुनाव में यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी. इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बीआर परमार ने बाजी मारी. 1971 में भी बीआर परमार ने जीत दर्ज की. हालांकि, यह चुनाव उन्होंने कांग्रेस का विघटन होकर बनी नेशनल कांग्रेस (O) के टिकट पर जीता. 1971 का यह चुनाव सामान्य श्रेणी की सीट के तौर पर हुआ.1977 और 1980 के चुनाव में यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई. इन दोनों चुनाव में कांग्रेस और कांग्रेस (I) को जीत मिली. इसके बाद 1984 से 1998 तक लगातार पांच चुनाव में कांग्रेस ने परचम लहराया. भारतीय जनता पार्टी को 1999 में यहां पहली बार जीत मिली, जब खीमाभाई बाबूभाई कटारा ने कांग्रेस को शिकस्त दी. 2004 में भी खीमाभाई फिर से सांसद बने. 2009 में पहली बार इस लोकसभा क्षेत्र को महिला सांसद मिलीं, जब कांग्रेस के टिकट पर डॉ प्रभा किशोर ने चुनाव जीता. हालांकि, 2014 में वह बीजेपी के जसवंत सिंह भाभोर से हार गईं.
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पीयूष गोयल ने लिखा कि जब भी ऐसी पार्टी जिनकी कोई विचारधारा नहीं है, जिनका कोई कॉमन अजेंडा नहीं है, जिनकी सोच भी मिलती नहीं है, जब ऐसी पार्टी मिलजुल के सरकार बनाती है तो उसमें देश का आजतक नुक़सान ही हुआ है. उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा और शिवसेना ने Pre-Poll Alliance में चुनाव लड़ा था, इसलिये हमने उन्हें भी कई सीटों पर लड़ने का मौका दिया. यदि हम सभी सीटों पर लड़ते तो हम बहुमत में आते. उन्होंने कहा कि Pre-Poll Alliance को तोड़कर शिवसेना ने अपना धर्म नही निभाया, अपने मूल सिद्धांत जिसकी वजह से भाजपा के साथ उनकी साझेदारी थी, उन सब सिद्धांतों को उन्होंने पानी में डाल दिया.
महाराष्ट्र और हरियाणा के सियासी गठबंधनों की बात करते हुए पीयूष गोयल ने लिखा कि महाराष्ट्र में भाजपा की विजय हुई है, बाकि तीनो पार्टी हारी है, हम 105 सीट यानि कि 70% सीट जीते है. शिवसेना के जो भी मेंबर जीत कर आये हैं, हमने स्वयं उनकी जीत के लिये प्रचार किया है, लोग उन्हें वोट नही देना चाहते थे. हमें नही पता था कि हमारे साथ दगाबाजी होगी. जबकि हरियाणा में बहुमत किसी को नही मिला था, एक फ्रैक्चर मेंडेट था, तीनो एक दूसरे के विरुद्ध लड़े थे, उसके बाद दुष्यंत चौटाला जी को लगा कि पीएम मोदी अच्छी सरकार चला रहे हैं, जनता के मेंडेट में थोडी कमी थी, उसे उन्होंने आ कर पूरा कर दिया.
इसी कड़ी में उन्होंने NRC और CAB का भी जिक्र किया और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि NRC में किसी के साथ अन्याय नहीं होगा. पीयूष गोयल ने कहा कि जो NRC पहले हुआ वो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ, हम जब NRC लेकर आएंगे तो हम उसमे सबको मौका देंगे. जो भारत का नागरिक है, या CAB के द्वारा उसे सिटिजनशिप मिली है, हम उनमे से किसी के साथ अन्याय नही होने देंगे. उन्होंने कहा कि विश्व में हर देश के नागरिकता के कानून होते हैं, उनके अनुसार नागरिकता मिलती है. देश कानून व्यवस्था से चलता है, जो शरणार्थी देश में सिटिजनशिप के हकदार हैं उन्हें सिटिजनशिप मिलेगी, जो हकदार नही है, उन्हें अनुमति नही देनी चाहिये. |
सरकार ने पेंशन निधि में विदेशी निवेश को गुरुवार को हरी झंडी दे दी। उसका कहना है कि विदेशी निवेश की यह सीमा बीमा क्षेत्र की तरह 49 प्रतिशत तक जा सकती है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) विधेयक को मंजूरी दे दी गई।
बैठक के बाद वित्तमंत्री पी चिंदबरम ने बताया कि विधेयक को मार्च 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था। उसके बाद वित्त संबंधी संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल सितंबर में अपनी सिफारिशें दीं।
उन्होंने कहा कि पेंशन में विदेशी निवेश की सीमा बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा के अनुरूप ही होगी। यदि बीमा विधेयक पारित हुआ और विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी रही तो पेंशन क्षेत्र में यह 49 प्रतिशत रहेगा।
विधेयक पेंशन निधि में होने वाले निवेश के कुछ हिस्से का निवेश शेयर बाजार में करने का प्रस्ताव करता है। विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।
मूल विधेयक में विदेशी निवेश को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी संसद की समिति ने हालांकि सुझाव दिया था कि पेंशन योजनाओं में 26 प्रतिशत की सीमा तय की जाए।टिप्पणियां
वाम दलों के कड़े विरोध के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व कार्यकाल वाली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। जून 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विरोध के कारण कैबिनेट को विधेयक पर फैसला टालना पड़ा। विधेयक में प्रावधान है कि पीएफआरडीए देश में कई पेंशन निधियों की निगरानी कर सकता है और वहीं इस क्षेत्र का पूर्णकालिक नियामक भी होगा।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) विधेयक को मंजूरी दे दी गई।
बैठक के बाद वित्तमंत्री पी चिंदबरम ने बताया कि विधेयक को मार्च 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था। उसके बाद वित्त संबंधी संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल सितंबर में अपनी सिफारिशें दीं।
उन्होंने कहा कि पेंशन में विदेशी निवेश की सीमा बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा के अनुरूप ही होगी। यदि बीमा विधेयक पारित हुआ और विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी रही तो पेंशन क्षेत्र में यह 49 प्रतिशत रहेगा।
विधेयक पेंशन निधि में होने वाले निवेश के कुछ हिस्से का निवेश शेयर बाजार में करने का प्रस्ताव करता है। विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।
मूल विधेयक में विदेशी निवेश को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी संसद की समिति ने हालांकि सुझाव दिया था कि पेंशन योजनाओं में 26 प्रतिशत की सीमा तय की जाए।टिप्पणियां
वाम दलों के कड़े विरोध के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व कार्यकाल वाली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। जून 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विरोध के कारण कैबिनेट को विधेयक पर फैसला टालना पड़ा। विधेयक में प्रावधान है कि पीएफआरडीए देश में कई पेंशन निधियों की निगरानी कर सकता है और वहीं इस क्षेत्र का पूर्णकालिक नियामक भी होगा।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं।
बैठक के बाद वित्तमंत्री पी चिंदबरम ने बताया कि विधेयक को मार्च 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था। उसके बाद वित्त संबंधी संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल सितंबर में अपनी सिफारिशें दीं।
उन्होंने कहा कि पेंशन में विदेशी निवेश की सीमा बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा के अनुरूप ही होगी। यदि बीमा विधेयक पारित हुआ और विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी रही तो पेंशन क्षेत्र में यह 49 प्रतिशत रहेगा।
विधेयक पेंशन निधि में होने वाले निवेश के कुछ हिस्से का निवेश शेयर बाजार में करने का प्रस्ताव करता है। विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।
मूल विधेयक में विदेशी निवेश को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी संसद की समिति ने हालांकि सुझाव दिया था कि पेंशन योजनाओं में 26 प्रतिशत की सीमा तय की जाए।टिप्पणियां
वाम दलों के कड़े विरोध के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व कार्यकाल वाली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। जून 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विरोध के कारण कैबिनेट को विधेयक पर फैसला टालना पड़ा। विधेयक में प्रावधान है कि पीएफआरडीए देश में कई पेंशन निधियों की निगरानी कर सकता है और वहीं इस क्षेत्र का पूर्णकालिक नियामक भी होगा।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि पेंशन में विदेशी निवेश की सीमा बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा के अनुरूप ही होगी। यदि बीमा विधेयक पारित हुआ और विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी रही तो पेंशन क्षेत्र में यह 49 प्रतिशत रहेगा।
विधेयक पेंशन निधि में होने वाले निवेश के कुछ हिस्से का निवेश शेयर बाजार में करने का प्रस्ताव करता है। विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।
मूल विधेयक में विदेशी निवेश को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी संसद की समिति ने हालांकि सुझाव दिया था कि पेंशन योजनाओं में 26 प्रतिशत की सीमा तय की जाए।टिप्पणियां
वाम दलों के कड़े विरोध के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व कार्यकाल वाली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। जून 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विरोध के कारण कैबिनेट को विधेयक पर फैसला टालना पड़ा। विधेयक में प्रावधान है कि पीएफआरडीए देश में कई पेंशन निधियों की निगरानी कर सकता है और वहीं इस क्षेत्र का पूर्णकालिक नियामक भी होगा।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं।
विधेयक पेंशन निधि में होने वाले निवेश के कुछ हिस्से का निवेश शेयर बाजार में करने का प्रस्ताव करता है। विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।
मूल विधेयक में विदेशी निवेश को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी संसद की समिति ने हालांकि सुझाव दिया था कि पेंशन योजनाओं में 26 प्रतिशत की सीमा तय की जाए।टिप्पणियां
वाम दलों के कड़े विरोध के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व कार्यकाल वाली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। जून 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विरोध के कारण कैबिनेट को विधेयक पर फैसला टालना पड़ा। विधेयक में प्रावधान है कि पीएफआरडीए देश में कई पेंशन निधियों की निगरानी कर सकता है और वहीं इस क्षेत्र का पूर्णकालिक नियामक भी होगा।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं।
मूल विधेयक में विदेशी निवेश को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी संसद की समिति ने हालांकि सुझाव दिया था कि पेंशन योजनाओं में 26 प्रतिशत की सीमा तय की जाए।टिप्पणियां
वाम दलों के कड़े विरोध के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व कार्यकाल वाली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। जून 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विरोध के कारण कैबिनेट को विधेयक पर फैसला टालना पड़ा। विधेयक में प्रावधान है कि पीएफआरडीए देश में कई पेंशन निधियों की निगरानी कर सकता है और वहीं इस क्षेत्र का पूर्णकालिक नियामक भी होगा।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं।
वाम दलों के कड़े विरोध के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व कार्यकाल वाली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। जून 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विरोध के कारण कैबिनेट को विधेयक पर फैसला टालना पड़ा। विधेयक में प्रावधान है कि पीएफआरडीए देश में कई पेंशन निधियों की निगरानी कर सकता है और वहीं इस क्षेत्र का पूर्णकालिक नियामक भी होगा।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं। |
लेख: आईपीएल के आगामी मीडिया अधिकारों (टीवी, मोबाइल और इंटरनेट) को लेकर संभावित बोली लगाने वाली कंपिनयां ई-नीलामी के पक्ष में हो सकती हैं लेकिन बीसीसीआई ऐसा नहीं चाहता क्योंकि उसके शीर्ष अधिकारियों को लगता है कि इससे राजस्व में कमी आ सकती है. बीसीसीआई पारपंरिक मुहर बंद निविदा प्रक्रिया को ही बरकरार रखना चाहता है जिससे बोर्ड को फायदा होता है.
विभिन्न मीडिया अधिकारों के लिये ई-नीलामी की पुरजोर मांग की जा रही है. आईपीएल मीडिया अधिकार दस्तावेज को खरीदने की अंतिम तिथि 24 अगस्त है और अधिकार हासिल करने वाले की घोषणा 28 अगस्त को की जा सकती है.
बीसीसीआई को डर है कि ई-नीलामी में मुंहरबंद प्रक्रिया से जुड़ी गोपनीयता समाप्त हो जाएगी. ई-नीलामी में बोली राशि का खुलासा होने से बोली लगाने वाला एक अनुमान लगा लेगा कि अधिकार हासिल करने के लिये कितनी राशि सही रहेगी. इससे मोटी बोली लगने की संभावना भी समाप्त हो जाएगी. उच्चतम न्यायालय ने अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिये बीसीसीआई को पहले ही दो सप्ताह का समय दिया है.
पढ़ें : IPL के मीडिया अधिकारों की ऑनलाइन नीलामी पर सुप्रीम कोर्ट का बीसीसीआई को नोटिसटिप्पणियां
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने इस पर अपनी आशंका व्यक्त की. अधिकारी ने कहा, "माना कि आईपीएल टीवी अधिकारों के लिये दस संभावित बोलीकर्ता हैं. बीसीसीआई को नीलामी के लिये आधार मूल्य तय करना होगा जैसा कि खिलाड़ियों की नीलामी के मामले में होता है. अब अनुमान लगा लीजिए कि टीवी अधिकारों का आधार मूल्य 100 रूपये है." उन्होंने कहा, "सभी दस संभावित बोलीकर्ताओं को 'लॉग इन' और 'पासवर्ड' उपलब्ध कराये जाएंगे. बोली के प्रत्येक दौर में एक विशेष समयकाल होगा जिसमें कंपनियां बोली लगाएंगी. प्रत्येक दौर के बाद बोली राशि का खुलासा करना होगा." अधिकारी ने कहा, "इसका मतलब है कि बोलीकर्ता को अन्य बोलियों के बारे में भी पता चल जाएगा जिससे संभावना है कि वह अपनी अधिकतम बोली लगाने से बचे."(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विभिन्न मीडिया अधिकारों के लिये ई-नीलामी की पुरजोर मांग की जा रही है. आईपीएल मीडिया अधिकार दस्तावेज को खरीदने की अंतिम तिथि 24 अगस्त है और अधिकार हासिल करने वाले की घोषणा 28 अगस्त को की जा सकती है.
बीसीसीआई को डर है कि ई-नीलामी में मुंहरबंद प्रक्रिया से जुड़ी गोपनीयता समाप्त हो जाएगी. ई-नीलामी में बोली राशि का खुलासा होने से बोली लगाने वाला एक अनुमान लगा लेगा कि अधिकार हासिल करने के लिये कितनी राशि सही रहेगी. इससे मोटी बोली लगने की संभावना भी समाप्त हो जाएगी. उच्चतम न्यायालय ने अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिये बीसीसीआई को पहले ही दो सप्ताह का समय दिया है.
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बीसीसीआई के एक अधिकारी ने इस पर अपनी आशंका व्यक्त की. अधिकारी ने कहा, "माना कि आईपीएल टीवी अधिकारों के लिये दस संभावित बोलीकर्ता हैं. बीसीसीआई को नीलामी के लिये आधार मूल्य तय करना होगा जैसा कि खिलाड़ियों की नीलामी के मामले में होता है. अब अनुमान लगा लीजिए कि टीवी अधिकारों का आधार मूल्य 100 रूपये है." उन्होंने कहा, "सभी दस संभावित बोलीकर्ताओं को 'लॉग इन' और 'पासवर्ड' उपलब्ध कराये जाएंगे. बोली के प्रत्येक दौर में एक विशेष समयकाल होगा जिसमें कंपनियां बोली लगाएंगी. प्रत्येक दौर के बाद बोली राशि का खुलासा करना होगा." अधिकारी ने कहा, "इसका मतलब है कि बोलीकर्ता को अन्य बोलियों के बारे में भी पता चल जाएगा जिससे संभावना है कि वह अपनी अधिकतम बोली लगाने से बचे."(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बीसीसीआई को डर है कि ई-नीलामी में मुंहरबंद प्रक्रिया से जुड़ी गोपनीयता समाप्त हो जाएगी. ई-नीलामी में बोली राशि का खुलासा होने से बोली लगाने वाला एक अनुमान लगा लेगा कि अधिकार हासिल करने के लिये कितनी राशि सही रहेगी. इससे मोटी बोली लगने की संभावना भी समाप्त हो जाएगी. उच्चतम न्यायालय ने अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिये बीसीसीआई को पहले ही दो सप्ताह का समय दिया है.
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बीसीसीआई के एक अधिकारी ने इस पर अपनी आशंका व्यक्त की. अधिकारी ने कहा, "माना कि आईपीएल टीवी अधिकारों के लिये दस संभावित बोलीकर्ता हैं. बीसीसीआई को नीलामी के लिये आधार मूल्य तय करना होगा जैसा कि खिलाड़ियों की नीलामी के मामले में होता है. अब अनुमान लगा लीजिए कि टीवी अधिकारों का आधार मूल्य 100 रूपये है." उन्होंने कहा, "सभी दस संभावित बोलीकर्ताओं को 'लॉग इन' और 'पासवर्ड' उपलब्ध कराये जाएंगे. बोली के प्रत्येक दौर में एक विशेष समयकाल होगा जिसमें कंपनियां बोली लगाएंगी. प्रत्येक दौर के बाद बोली राशि का खुलासा करना होगा." अधिकारी ने कहा, "इसका मतलब है कि बोलीकर्ता को अन्य बोलियों के बारे में भी पता चल जाएगा जिससे संभावना है कि वह अपनी अधिकतम बोली लगाने से बचे."(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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बीसीसीआई के एक अधिकारी ने इस पर अपनी आशंका व्यक्त की. अधिकारी ने कहा, "माना कि आईपीएल टीवी अधिकारों के लिये दस संभावित बोलीकर्ता हैं. बीसीसीआई को नीलामी के लिये आधार मूल्य तय करना होगा जैसा कि खिलाड़ियों की नीलामी के मामले में होता है. अब अनुमान लगा लीजिए कि टीवी अधिकारों का आधार मूल्य 100 रूपये है." उन्होंने कहा, "सभी दस संभावित बोलीकर्ताओं को 'लॉग इन' और 'पासवर्ड' उपलब्ध कराये जाएंगे. बोली के प्रत्येक दौर में एक विशेष समयकाल होगा जिसमें कंपनियां बोली लगाएंगी. प्रत्येक दौर के बाद बोली राशि का खुलासा करना होगा." अधिकारी ने कहा, "इसका मतलब है कि बोलीकर्ता को अन्य बोलियों के बारे में भी पता चल जाएगा जिससे संभावना है कि वह अपनी अधिकतम बोली लगाने से बचे."(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने इस पर अपनी आशंका व्यक्त की. अधिकारी ने कहा, "माना कि आईपीएल टीवी अधिकारों के लिये दस संभावित बोलीकर्ता हैं. बीसीसीआई को नीलामी के लिये आधार मूल्य तय करना होगा जैसा कि खिलाड़ियों की नीलामी के मामले में होता है. अब अनुमान लगा लीजिए कि टीवी अधिकारों का आधार मूल्य 100 रूपये है." उन्होंने कहा, "सभी दस संभावित बोलीकर्ताओं को 'लॉग इन' और 'पासवर्ड' उपलब्ध कराये जाएंगे. बोली के प्रत्येक दौर में एक विशेष समयकाल होगा जिसमें कंपनियां बोली लगाएंगी. प्रत्येक दौर के बाद बोली राशि का खुलासा करना होगा." अधिकारी ने कहा, "इसका मतलब है कि बोलीकर्ता को अन्य बोलियों के बारे में भी पता चल जाएगा जिससे संभावना है कि वह अपनी अधिकतम बोली लगाने से बचे."(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
CommonWealth Games: Good news to start off the day folks as India has opened its account; Gururaja Poojari wins Silver medal in Weightlifting (Men's 56kg) #CWG2018pic.twitter.com/abslsvjmUv |
हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीकांत वलगाड ने आज कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए 10 अप्रैल को होने वाले मतदान में राज्य के 75 से 80 प्रतिशत मतदाताओं के भाग लेने की संभावना है.
आज यहां मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस बार, हमें आशा है कि यह 75 से 80 प्रतिशत के बीच रहेगा. उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियान के कारण मत प्रतिशत में वृद्धि की आशा की जा रही है. वलगाड़ ने कहा कि हरियाणा में 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान 68 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि 2004 में महज 65.72 प्रतिशत मतदान हुआ था.
राज्य में 74 लाख महिलाओं सहित कुल 1.59 करोड़ मतदाता हैं, जो 10 अप्रैल को 10 लोकसभा सीटों पर खड़े 230 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. हरियाणा में संवेदनशील क्षेत्रों के बारे में पूछने पर वलगाड़ ने बताया कि राज्य में 3,000 संवेदनशील और अति-संवेदनशील मतदान केंद्र चिन्हित किए गए हैं.
उन्होंने बताया कि स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित कराने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल की 60 कंपनी और 49,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. |
दूरसंचार सेवा प्रदाता कम्पनी वोडाफोन को वर्ष 2007 में हच एस्सार का अधिग्रहण करने के लिए अब कर नहीं चुकाना होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें उच्च न्यायालय ने वोडाफोन को 11,218 करोड़ रुपये कर चुकाने का निर्देश दिया था.
प्रधान न्यायाधीश एस.एच. कपाड़िया ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विदेश में पूरा हुए सौदे भारतीय कर विभाग के क्षेत्राधिकार में नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में स्थायित्व के लिए निवेशकों को अपनी स्थिति से वाकिफ रहना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हच एस्सार अविश्वसनीय कम्पनी नहीं है. वह 1994 से भारत में मौजूद है और उसने प्रत्यक्ष और परोक्ष कर के रूप में राजस्व में 20,242 करोड़ रुपये जमा किए हैं. हच एस्सार के भारतीय संचालन का वोडाफोन ने अधिग्रहण किया है. अदालत ने कहा कि कर विभाग शुक्रवार के बाद से दो महीने के भीतर वोडाफोन को 2,500 करोड़ रुपये की वह राशि लौटा देगा, जो कम्पनी ने जमा किए थे. आदेश में यह भी कहा गया है कि कर अधिकारी इस राशि पर चार फीसदी सलाना की दर से कम्पनी को ब्याज भी अदा करेंगे. |
कमजोर बाजार रुख के उलट बुधवार को शेयर बाजारों में विजय माल्या की अगुवाई वाली किंगफिशर एयरलाइंस का जलवा रहा. किंगफिशर के शेयरों में 18 फीसदी से अधिक का उछाल आया.
पिछले कई दिनों से किंगफिशर के शेयरों में गिरावट आ रही थी, जिसके बाद बुधवार को निवेशकों ने जमकर एयरलाइन कंपनी के शेयरों की लिवाली की. माल्या ने मंगलवार को निवेशकों को भरोसा दिलाया था कि एयरलाइन के सामने बंद होने जैसा कोई संकट नहीं है.
साथ ही उन्होंने धन के प्रबंध तथा उधारी, ईंधन और परिचालन लागत के बारे में योजना की रूपरेखा पेश की. बाजार विश्लेषकों ने कहा कि कंपनी के शेयरों में इन खबरों के बाद भी निवेशकों की रुचि जगी कि किंगफिशर में एक रणनीतिक निवेशक ने रुचि दिखाई है.
साथ ही इस तरह की भी अटकलें थीं कि कुछ बड़े उद्योग घराने एयरलाइन में रुचि दिखा रहे हैं. नेशनल स्टाक एक्सचेंज में किंगफिशर का शेयर 18.12 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25.75 रुपये पर बंद हुआ. बंबई शेयर बाजार में कंपनी का शेयर 14.42 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25 रुपये पर बंद हुआ. |
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने भारतीय छात्रों के लिए इंटर्नशिप योजना शुरू करने का फैसला किया है, जिसका नाम MHRD इंटर्नशिप स्कीम-2014 होगा.
इस इंटर्नशिप के तहत छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा. अगर आप ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन या रिसर्च में पढ़ाई करते हैं, तो इसके लिए आवेदन कर सकते है.
सरकार ने इस इंटर्नशिप योजना के लिए पहला बैच 1 अक्टूबर, 2014 से शुरू करने का फैसला किया है. इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को दो महीनों के लिए मंत्रालय के साथ काम करना होगा. छात्रों को इस इंटर्नशिप में 10,000 रुपये भी दिए जाएंगे. इंटर्नशिप के लिए प्रत्येक बेच में केवल 6 छात्रों को चुना जाएगा. |
पुलिस बल के लिए स्वैच्छिक समूह में काम करने वाले एक सिख को आयरलैंड की अदालत ने सेवा के दौरान पगड़ी पहनने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
आयरिश टाइम्स के मुताबिक आयरलैंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश केविन फीनेए ने गुरुवार को रविंदर सिंह ओबेराय की गार्डा रिजर्व के लिए कर्तव्य निर्वाह करते हुए पगड़ी पहनने की अनुमति देने की अपील खारिज कर दी। गार्डा रिजर्व एक स्वैच्छिक समूह है जिसका गठन आयरलैंड के पुलिस बल गार्डा सिओचाना की सहायता के लिए किया गया है।टिप्पणियां
गार्डा सिओचाना को कर्तव्य में सहायता देने के लिए 1000 स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं के साथ गार्डा रिजर्व का गठन वर्ष 2006 में किया गया।
ओबेराय ने अपने प्रशिक्षण का तीन स्तर पूरा कर लिया तब उसे बताया गया कि उसे गार्डा की पूरी वर्दी पहननी होगी इसलिए वह पगड़ी नहीं बांध सकता।
आयरिश टाइम्स के मुताबिक आयरलैंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश केविन फीनेए ने गुरुवार को रविंदर सिंह ओबेराय की गार्डा रिजर्व के लिए कर्तव्य निर्वाह करते हुए पगड़ी पहनने की अनुमति देने की अपील खारिज कर दी। गार्डा रिजर्व एक स्वैच्छिक समूह है जिसका गठन आयरलैंड के पुलिस बल गार्डा सिओचाना की सहायता के लिए किया गया है।टिप्पणियां
गार्डा सिओचाना को कर्तव्य में सहायता देने के लिए 1000 स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं के साथ गार्डा रिजर्व का गठन वर्ष 2006 में किया गया।
ओबेराय ने अपने प्रशिक्षण का तीन स्तर पूरा कर लिया तब उसे बताया गया कि उसे गार्डा की पूरी वर्दी पहननी होगी इसलिए वह पगड़ी नहीं बांध सकता।
गार्डा सिओचाना को कर्तव्य में सहायता देने के लिए 1000 स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं के साथ गार्डा रिजर्व का गठन वर्ष 2006 में किया गया।
ओबेराय ने अपने प्रशिक्षण का तीन स्तर पूरा कर लिया तब उसे बताया गया कि उसे गार्डा की पूरी वर्दी पहननी होगी इसलिए वह पगड़ी नहीं बांध सकता।
ओबेराय ने अपने प्रशिक्षण का तीन स्तर पूरा कर लिया तब उसे बताया गया कि उसे गार्डा की पूरी वर्दी पहननी होगी इसलिए वह पगड़ी नहीं बांध सकता। |
यह एक लेख है: अगले सप्ताह शेयर बाजार की चाल घरेलू और वैश्विक व्यापक आर्थिक आंकड़े, प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे, मॉनसून की चाल, वैश्विक बाजारों के रुख, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू संस्थापक निवेशकों (डीआईआई) द्वारा किए गए निवेश, डॉलर के खिलाफ रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों का प्रदर्शन मिलकर तय करेंगे। अगले सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव का दौर रहेगा, क्योंकि निवेशक मई 2018 से जून 2018 सीरीज के वायदा और विकल्प खंड में अपनी स्थिति तय करेंगे जबकि मई 2018 की डेरिवेटिव निविदा (एफएंडओ) की समाप्ति गुरुवार (31 मई) को हो रही है।
निवेशकों की नजर जिन प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजों पर रहेगी, उनमें एनटीपसी अपनी जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा सोमवार (28 मई) को करेगी। बीपीसीएल और कोल इंडिया अपनी जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा मंगलवार (29 मई) को करेगी। वाहन कंपनियां अपने मई माह के बिक्री के आंकड़े 1 जून से जारी करना शुरू कर देंगे।
घरेलू व्यापक आर्थिक आंकड़ों में, सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पहली तिमाही के नतीजे गुरुवार (31 मई) को जारी करेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था साल-दर-साल आधार पर पिछले तीन महीनों में 7.2 फीसदी की वृद्धि दर से बढ़ी है, जबकि इसके पिछली तिमाही में इसकी रफ्तार 6.5 फीसदी थी।
मार्किट इकॉनमिक्सस देश के विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन के मई के आंकड़ों को शुक्रवार को जारी करेगी। पिछले महीने देश का निक्केई मैनुफैक्चरिंग पीएमाई बढ़कर 51.6 अंक पर था, जबकि मार्च में यह 51 पर था। इस सूचकांक में 50 से कम अंक मंदी का तो 50 से अधिक अंक तेजी का संकेत है।
वहीं, निवेशकों की नजर मॉनसून की चाल पर बनी हुई है। सामान्यत: दक्षिणपश्चिम मॉनसून केरल में 1 जून को पहुंच जाता है। भारतीय मौसम विभाग और निजी कंपनी स्काईमेट ने भी हाल में ही इस साल मॉनसून जल्दी आने का अनुमान लगाया है। देश के कृषि क्षेत्र के लिए जून से सितंबर तक रहनेवाला मॉनसून का मौसम बेहद जरूरी है, क्योंकि अभी भी देश की कृषि का बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर है। टिप्पणियां
वैश्विक मोर्चे पर, निवेशकों की नजर अमेरिका और उत्तर कोरियो के बीच रिश्तों पर बनी हुई है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के साथ सिंगापुर में 12 जून को प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दी है। ट्रंप का कहना है कि "उत्तरी कोरिया द्वारा प्रदर्शित जबरदस्त क्रोध और खुली शत्रुता को देखते हुए" अमेरिका का इस बैठक में शामिल होना ठीक नहीं रहेगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
निवेशकों की नजर जिन प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजों पर रहेगी, उनमें एनटीपसी अपनी जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा सोमवार (28 मई) को करेगी। बीपीसीएल और कोल इंडिया अपनी जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा मंगलवार (29 मई) को करेगी। वाहन कंपनियां अपने मई माह के बिक्री के आंकड़े 1 जून से जारी करना शुरू कर देंगे।
घरेलू व्यापक आर्थिक आंकड़ों में, सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पहली तिमाही के नतीजे गुरुवार (31 मई) को जारी करेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था साल-दर-साल आधार पर पिछले तीन महीनों में 7.2 फीसदी की वृद्धि दर से बढ़ी है, जबकि इसके पिछली तिमाही में इसकी रफ्तार 6.5 फीसदी थी।
मार्किट इकॉनमिक्सस देश के विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन के मई के आंकड़ों को शुक्रवार को जारी करेगी। पिछले महीने देश का निक्केई मैनुफैक्चरिंग पीएमाई बढ़कर 51.6 अंक पर था, जबकि मार्च में यह 51 पर था। इस सूचकांक में 50 से कम अंक मंदी का तो 50 से अधिक अंक तेजी का संकेत है।
वहीं, निवेशकों की नजर मॉनसून की चाल पर बनी हुई है। सामान्यत: दक्षिणपश्चिम मॉनसून केरल में 1 जून को पहुंच जाता है। भारतीय मौसम विभाग और निजी कंपनी स्काईमेट ने भी हाल में ही इस साल मॉनसून जल्दी आने का अनुमान लगाया है। देश के कृषि क्षेत्र के लिए जून से सितंबर तक रहनेवाला मॉनसून का मौसम बेहद जरूरी है, क्योंकि अभी भी देश की कृषि का बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर है। टिप्पणियां
वैश्विक मोर्चे पर, निवेशकों की नजर अमेरिका और उत्तर कोरियो के बीच रिश्तों पर बनी हुई है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के साथ सिंगापुर में 12 जून को प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दी है। ट्रंप का कहना है कि "उत्तरी कोरिया द्वारा प्रदर्शित जबरदस्त क्रोध और खुली शत्रुता को देखते हुए" अमेरिका का इस बैठक में शामिल होना ठीक नहीं रहेगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
घरेलू व्यापक आर्थिक आंकड़ों में, सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पहली तिमाही के नतीजे गुरुवार (31 मई) को जारी करेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था साल-दर-साल आधार पर पिछले तीन महीनों में 7.2 फीसदी की वृद्धि दर से बढ़ी है, जबकि इसके पिछली तिमाही में इसकी रफ्तार 6.5 फीसदी थी।
मार्किट इकॉनमिक्सस देश के विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन के मई के आंकड़ों को शुक्रवार को जारी करेगी। पिछले महीने देश का निक्केई मैनुफैक्चरिंग पीएमाई बढ़कर 51.6 अंक पर था, जबकि मार्च में यह 51 पर था। इस सूचकांक में 50 से कम अंक मंदी का तो 50 से अधिक अंक तेजी का संकेत है।
वहीं, निवेशकों की नजर मॉनसून की चाल पर बनी हुई है। सामान्यत: दक्षिणपश्चिम मॉनसून केरल में 1 जून को पहुंच जाता है। भारतीय मौसम विभाग और निजी कंपनी स्काईमेट ने भी हाल में ही इस साल मॉनसून जल्दी आने का अनुमान लगाया है। देश के कृषि क्षेत्र के लिए जून से सितंबर तक रहनेवाला मॉनसून का मौसम बेहद जरूरी है, क्योंकि अभी भी देश की कृषि का बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर है। टिप्पणियां
वैश्विक मोर्चे पर, निवेशकों की नजर अमेरिका और उत्तर कोरियो के बीच रिश्तों पर बनी हुई है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के साथ सिंगापुर में 12 जून को प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दी है। ट्रंप का कहना है कि "उत्तरी कोरिया द्वारा प्रदर्शित जबरदस्त क्रोध और खुली शत्रुता को देखते हुए" अमेरिका का इस बैठक में शामिल होना ठीक नहीं रहेगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मार्किट इकॉनमिक्सस देश के विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन के मई के आंकड़ों को शुक्रवार को जारी करेगी। पिछले महीने देश का निक्केई मैनुफैक्चरिंग पीएमाई बढ़कर 51.6 अंक पर था, जबकि मार्च में यह 51 पर था। इस सूचकांक में 50 से कम अंक मंदी का तो 50 से अधिक अंक तेजी का संकेत है।
वहीं, निवेशकों की नजर मॉनसून की चाल पर बनी हुई है। सामान्यत: दक्षिणपश्चिम मॉनसून केरल में 1 जून को पहुंच जाता है। भारतीय मौसम विभाग और निजी कंपनी स्काईमेट ने भी हाल में ही इस साल मॉनसून जल्दी आने का अनुमान लगाया है। देश के कृषि क्षेत्र के लिए जून से सितंबर तक रहनेवाला मॉनसून का मौसम बेहद जरूरी है, क्योंकि अभी भी देश की कृषि का बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर है। टिप्पणियां
वैश्विक मोर्चे पर, निवेशकों की नजर अमेरिका और उत्तर कोरियो के बीच रिश्तों पर बनी हुई है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के साथ सिंगापुर में 12 जून को प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दी है। ट्रंप का कहना है कि "उत्तरी कोरिया द्वारा प्रदर्शित जबरदस्त क्रोध और खुली शत्रुता को देखते हुए" अमेरिका का इस बैठक में शामिल होना ठीक नहीं रहेगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
वहीं, निवेशकों की नजर मॉनसून की चाल पर बनी हुई है। सामान्यत: दक्षिणपश्चिम मॉनसून केरल में 1 जून को पहुंच जाता है। भारतीय मौसम विभाग और निजी कंपनी स्काईमेट ने भी हाल में ही इस साल मॉनसून जल्दी आने का अनुमान लगाया है। देश के कृषि क्षेत्र के लिए जून से सितंबर तक रहनेवाला मॉनसून का मौसम बेहद जरूरी है, क्योंकि अभी भी देश की कृषि का बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर है। टिप्पणियां
वैश्विक मोर्चे पर, निवेशकों की नजर अमेरिका और उत्तर कोरियो के बीच रिश्तों पर बनी हुई है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के साथ सिंगापुर में 12 जून को प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दी है। ट्रंप का कहना है कि "उत्तरी कोरिया द्वारा प्रदर्शित जबरदस्त क्रोध और खुली शत्रुता को देखते हुए" अमेरिका का इस बैठक में शामिल होना ठीक नहीं रहेगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
वैश्विक मोर्चे पर, निवेशकों की नजर अमेरिका और उत्तर कोरियो के बीच रिश्तों पर बनी हुई है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के साथ सिंगापुर में 12 जून को प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दी है। ट्रंप का कहना है कि "उत्तरी कोरिया द्वारा प्रदर्शित जबरदस्त क्रोध और खुली शत्रुता को देखते हुए" अमेरिका का इस बैठक में शामिल होना ठीक नहीं रहेगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: एलिस्टेयर कुक की अगुवाई वाली इंग्लैंड टीम अपने सहयोगी स्टाफ के साथ दुबई से भारत पहुंच गई है। इंग्लैंड की टीम मेजबान भारत के खिलाफ चार टेस्ट मैचों और दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों की शृंखला खेलेगी।
मध्यक्रम बल्लेबाज केविन पीटरसन को टीम के साथियों के साथ सुलह के बाद 17वें सदस्य के रूप में टीम में शामिल किया गया। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट मैच में एसएमएस विवाद के बाद उन्हें शृंखला के बीच में ही टीम से बाहर कर दिया गया था।
पीटरसन चैम्पियंस लीग ट्वेंटी-20 में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेल रहे थे, जो सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गई। वह दक्षिण अफ्रीका से देर रात यहां पहुंच गए थे जबकि टीम के अन्य सदस्य संयुक्त अरब अमीरात से यहां आए हैं, जहां उन्होंने कुछ दिन आईसीसी की ग्लोबल क्रिकेट अकादमी में अभ्यास किया।
पीटरसन को 18 अक्तूबर को टीम में दोबारा शामिल किया गया। उन्हें अगस्त में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लीड्स में पिछली घरेलू शृंखला के दूसरे टेस्ट के दौरान विपक्षी टीम के दो खिलाड़ियों डेल स्टेन और एबी डिविलियर्स को तब के इंग्लैंड टीम के कप्तान एंड्रयू स्ट्रास और साथी खिलाड़ियों के बारे में आलोचनात्मक एसएमएस भेजने के कारण टीम से बाहर कर दिया गया था।
इंग्लैंड की टीम 15 नवंबर से अहमदाबाद में शृंखला के शुरुआती टेस्ट से पहले तीन अभ्यास मैच खेलेगी। इंग्लैंड दौरे की शुरुआत सुरेश रैना की अगुवाई वाली भारत ‘ए’ टीम के खिलाफ यहां 30 अक्तूबर को क्रिकेट क्लब आफ इंडिया में तीन दिवसीय अ5यास मैच से करेगी।
मेहमान टीम के लिए दूसरा अभ्यास मैच मुंबई ‘ए’ के खिलाफ होगा, जो 3 से 5 नवंबर को नवी मुंबई में डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेला जाएगा।
तीसरा और अंतिम अभ्यास मैच चार दिन का होगा जो अहमदाबाद में 8 से 11 नवंबर तक खेला जाएगा। यहीं पर पहला टेस्ट शुरू होगा।
बचे हुए टेस्ट मैच मुंबई (23 से 27 नवंबर), कोलकाता (5 से 9 दिसंबर) और नागपुर (13 से 17 दिसंबर) में आयोजित होंगे।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
मध्यक्रम बल्लेबाज केविन पीटरसन को टीम के साथियों के साथ सुलह के बाद 17वें सदस्य के रूप में टीम में शामिल किया गया। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट मैच में एसएमएस विवाद के बाद उन्हें शृंखला के बीच में ही टीम से बाहर कर दिया गया था।
पीटरसन चैम्पियंस लीग ट्वेंटी-20 में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेल रहे थे, जो सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गई। वह दक्षिण अफ्रीका से देर रात यहां पहुंच गए थे जबकि टीम के अन्य सदस्य संयुक्त अरब अमीरात से यहां आए हैं, जहां उन्होंने कुछ दिन आईसीसी की ग्लोबल क्रिकेट अकादमी में अभ्यास किया।
पीटरसन को 18 अक्तूबर को टीम में दोबारा शामिल किया गया। उन्हें अगस्त में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लीड्स में पिछली घरेलू शृंखला के दूसरे टेस्ट के दौरान विपक्षी टीम के दो खिलाड़ियों डेल स्टेन और एबी डिविलियर्स को तब के इंग्लैंड टीम के कप्तान एंड्रयू स्ट्रास और साथी खिलाड़ियों के बारे में आलोचनात्मक एसएमएस भेजने के कारण टीम से बाहर कर दिया गया था।
इंग्लैंड की टीम 15 नवंबर से अहमदाबाद में शृंखला के शुरुआती टेस्ट से पहले तीन अभ्यास मैच खेलेगी। इंग्लैंड दौरे की शुरुआत सुरेश रैना की अगुवाई वाली भारत ‘ए’ टीम के खिलाफ यहां 30 अक्तूबर को क्रिकेट क्लब आफ इंडिया में तीन दिवसीय अ5यास मैच से करेगी।
मेहमान टीम के लिए दूसरा अभ्यास मैच मुंबई ‘ए’ के खिलाफ होगा, जो 3 से 5 नवंबर को नवी मुंबई में डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेला जाएगा।
तीसरा और अंतिम अभ्यास मैच चार दिन का होगा जो अहमदाबाद में 8 से 11 नवंबर तक खेला जाएगा। यहीं पर पहला टेस्ट शुरू होगा।
बचे हुए टेस्ट मैच मुंबई (23 से 27 नवंबर), कोलकाता (5 से 9 दिसंबर) और नागपुर (13 से 17 दिसंबर) में आयोजित होंगे।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
पीटरसन चैम्पियंस लीग ट्वेंटी-20 में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेल रहे थे, जो सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गई। वह दक्षिण अफ्रीका से देर रात यहां पहुंच गए थे जबकि टीम के अन्य सदस्य संयुक्त अरब अमीरात से यहां आए हैं, जहां उन्होंने कुछ दिन आईसीसी की ग्लोबल क्रिकेट अकादमी में अभ्यास किया।
पीटरसन को 18 अक्तूबर को टीम में दोबारा शामिल किया गया। उन्हें अगस्त में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लीड्स में पिछली घरेलू शृंखला के दूसरे टेस्ट के दौरान विपक्षी टीम के दो खिलाड़ियों डेल स्टेन और एबी डिविलियर्स को तब के इंग्लैंड टीम के कप्तान एंड्रयू स्ट्रास और साथी खिलाड़ियों के बारे में आलोचनात्मक एसएमएस भेजने के कारण टीम से बाहर कर दिया गया था।
इंग्लैंड की टीम 15 नवंबर से अहमदाबाद में शृंखला के शुरुआती टेस्ट से पहले तीन अभ्यास मैच खेलेगी। इंग्लैंड दौरे की शुरुआत सुरेश रैना की अगुवाई वाली भारत ‘ए’ टीम के खिलाफ यहां 30 अक्तूबर को क्रिकेट क्लब आफ इंडिया में तीन दिवसीय अ5यास मैच से करेगी।
मेहमान टीम के लिए दूसरा अभ्यास मैच मुंबई ‘ए’ के खिलाफ होगा, जो 3 से 5 नवंबर को नवी मुंबई में डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेला जाएगा।
तीसरा और अंतिम अभ्यास मैच चार दिन का होगा जो अहमदाबाद में 8 से 11 नवंबर तक खेला जाएगा। यहीं पर पहला टेस्ट शुरू होगा।
बचे हुए टेस्ट मैच मुंबई (23 से 27 नवंबर), कोलकाता (5 से 9 दिसंबर) और नागपुर (13 से 17 दिसंबर) में आयोजित होंगे।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
पीटरसन को 18 अक्तूबर को टीम में दोबारा शामिल किया गया। उन्हें अगस्त में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लीड्स में पिछली घरेलू शृंखला के दूसरे टेस्ट के दौरान विपक्षी टीम के दो खिलाड़ियों डेल स्टेन और एबी डिविलियर्स को तब के इंग्लैंड टीम के कप्तान एंड्रयू स्ट्रास और साथी खिलाड़ियों के बारे में आलोचनात्मक एसएमएस भेजने के कारण टीम से बाहर कर दिया गया था।
इंग्लैंड की टीम 15 नवंबर से अहमदाबाद में शृंखला के शुरुआती टेस्ट से पहले तीन अभ्यास मैच खेलेगी। इंग्लैंड दौरे की शुरुआत सुरेश रैना की अगुवाई वाली भारत ‘ए’ टीम के खिलाफ यहां 30 अक्तूबर को क्रिकेट क्लब आफ इंडिया में तीन दिवसीय अ5यास मैच से करेगी।
मेहमान टीम के लिए दूसरा अभ्यास मैच मुंबई ‘ए’ के खिलाफ होगा, जो 3 से 5 नवंबर को नवी मुंबई में डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेला जाएगा।
तीसरा और अंतिम अभ्यास मैच चार दिन का होगा जो अहमदाबाद में 8 से 11 नवंबर तक खेला जाएगा। यहीं पर पहला टेस्ट शुरू होगा।
बचे हुए टेस्ट मैच मुंबई (23 से 27 नवंबर), कोलकाता (5 से 9 दिसंबर) और नागपुर (13 से 17 दिसंबर) में आयोजित होंगे।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
इंग्लैंड की टीम 15 नवंबर से अहमदाबाद में शृंखला के शुरुआती टेस्ट से पहले तीन अभ्यास मैच खेलेगी। इंग्लैंड दौरे की शुरुआत सुरेश रैना की अगुवाई वाली भारत ‘ए’ टीम के खिलाफ यहां 30 अक्तूबर को क्रिकेट क्लब आफ इंडिया में तीन दिवसीय अ5यास मैच से करेगी।
मेहमान टीम के लिए दूसरा अभ्यास मैच मुंबई ‘ए’ के खिलाफ होगा, जो 3 से 5 नवंबर को नवी मुंबई में डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेला जाएगा।
तीसरा और अंतिम अभ्यास मैच चार दिन का होगा जो अहमदाबाद में 8 से 11 नवंबर तक खेला जाएगा। यहीं पर पहला टेस्ट शुरू होगा।
बचे हुए टेस्ट मैच मुंबई (23 से 27 नवंबर), कोलकाता (5 से 9 दिसंबर) और नागपुर (13 से 17 दिसंबर) में आयोजित होंगे।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
मेहमान टीम के लिए दूसरा अभ्यास मैच मुंबई ‘ए’ के खिलाफ होगा, जो 3 से 5 नवंबर को नवी मुंबई में डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेला जाएगा।
तीसरा और अंतिम अभ्यास मैच चार दिन का होगा जो अहमदाबाद में 8 से 11 नवंबर तक खेला जाएगा। यहीं पर पहला टेस्ट शुरू होगा।
बचे हुए टेस्ट मैच मुंबई (23 से 27 नवंबर), कोलकाता (5 से 9 दिसंबर) और नागपुर (13 से 17 दिसंबर) में आयोजित होंगे।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
तीसरा और अंतिम अभ्यास मैच चार दिन का होगा जो अहमदाबाद में 8 से 11 नवंबर तक खेला जाएगा। यहीं पर पहला टेस्ट शुरू होगा।
बचे हुए टेस्ट मैच मुंबई (23 से 27 नवंबर), कोलकाता (5 से 9 दिसंबर) और नागपुर (13 से 17 दिसंबर) में आयोजित होंगे।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
बचे हुए टेस्ट मैच मुंबई (23 से 27 नवंबर), कोलकाता (5 से 9 दिसंबर) और नागपुर (13 से 17 दिसंबर) में आयोजित होंगे।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
इसके बाद पुणे (20 दिसंबर) और मुंबई (22 दिसंबर) में दो ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाएंगे।टिप्पणियां
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
इंग्लैंड की टीम ट्वेंटी-20 शृंखला के समाप्त होने के बाद क्रिसमस और नए वर्ष के ब्रेक के लिए स्वदेश जाएगी और फिर पांच मैचों की वनडे शृंखला खेलने के लिए 3 जनवरी को भारत लौटेगी।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट।
वनडे टेस्ट शृंखला 11 से 27 जनवरी तक राजकोट, कोच्चि, रांची, मोहाली और धर्मशाला में खेली जाएगी। इंग्लैंड टीम इस प्रकार है : एलिस्टेयर कुक (कप्तान), जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, इयान बेल, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्राड, निक कोम्पटन, स्टीवन फिन, ग्राहम अनियंस, इयोन मोर्गन, मोंटी पनेसर, समित पटेल, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, जो रूट, ग्रीम स्वान और जोनाथन ट्राट। |
फतेहपुर (Fatehpur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है।
विवरण
तहसील फतेहपुर की दक्षिण पश्चिम सीमा लखनऊ से सटी है तो उत्तरी सीमा की ओर बेलहरा रामपुर मथुरा (घाघरा नदी) और बहराइच तक विस्तृत है। जनपद बाराबंकी के उद्योग क्षेत्र कुर्सी में स्थित है। इसी उद्योग क्षेत्र से लगा हुआ एशिया का सबसे बड़ा पावर ग्रिड इसी तहसील में है। फ़तेहपुर तहसील मुख्यालय शांतिपुर्ण समभाव व मजबूत आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है।
इन्हें भी देखें
बाराबंकी ज़िला
सन्दर्भ
उत्तर प्रदेश के नगर
बाराबंकी ज़िला
बाराबंकी ज़िले के नगर |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पाकिस्तान में मौत की सजा पाए भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को आशा है कि उसकी ताजा क्षमा याचिका पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी उसके ‘पक्ष में फैसला’ देंगे।
सरबजीत के वकील अवायस शेख ने कहा कि उसकी ताजा क्षमा याचिका पर जरदारी की ओर से ‘विशेष ध्यान’ दिया जा रहा है। उन्होंने बताया, ‘‘इस बार सरबजीत की रिहाई की काफी संभावना है।’’ वकील ने दावा किया कि सरबजीत की रिहाई से भारत और पाकिस्तान के बीच की शांति प्रक्रिया में भी तेजी आएगी।टिप्पणियां
शेख ने दावा किया कि सरबजीत को पिछले साल 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर रिहा किया जाना था। उसे पाकिस्तानी नागरिक खली चिश्ती की रिहाई के ऐवज में छोड़ा जाना था, जो फिलहाल राजस्थान की एक जेल में कैद है।
वकील शेख ने दावा किया, ‘‘लेकिन अंतिम समय में उस समय यह फैसला बदल दिया गया, जब भारतीय अधिकारियों ने चिश्ती को रिहा नहीं किया।’’ शेख ने कहा कि उन्होंने हाल ही में भारत की यात्रा की, जहां उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे भारत की जेलों में कैद पाकिस्तान के नागरिकों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लाएं।
सरबजीत के वकील अवायस शेख ने कहा कि उसकी ताजा क्षमा याचिका पर जरदारी की ओर से ‘विशेष ध्यान’ दिया जा रहा है। उन्होंने बताया, ‘‘इस बार सरबजीत की रिहाई की काफी संभावना है।’’ वकील ने दावा किया कि सरबजीत की रिहाई से भारत और पाकिस्तान के बीच की शांति प्रक्रिया में भी तेजी आएगी।टिप्पणियां
शेख ने दावा किया कि सरबजीत को पिछले साल 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर रिहा किया जाना था। उसे पाकिस्तानी नागरिक खली चिश्ती की रिहाई के ऐवज में छोड़ा जाना था, जो फिलहाल राजस्थान की एक जेल में कैद है।
वकील शेख ने दावा किया, ‘‘लेकिन अंतिम समय में उस समय यह फैसला बदल दिया गया, जब भारतीय अधिकारियों ने चिश्ती को रिहा नहीं किया।’’ शेख ने कहा कि उन्होंने हाल ही में भारत की यात्रा की, जहां उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे भारत की जेलों में कैद पाकिस्तान के नागरिकों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लाएं।
शेख ने दावा किया कि सरबजीत को पिछले साल 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर रिहा किया जाना था। उसे पाकिस्तानी नागरिक खली चिश्ती की रिहाई के ऐवज में छोड़ा जाना था, जो फिलहाल राजस्थान की एक जेल में कैद है।
वकील शेख ने दावा किया, ‘‘लेकिन अंतिम समय में उस समय यह फैसला बदल दिया गया, जब भारतीय अधिकारियों ने चिश्ती को रिहा नहीं किया।’’ शेख ने कहा कि उन्होंने हाल ही में भारत की यात्रा की, जहां उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे भारत की जेलों में कैद पाकिस्तान के नागरिकों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लाएं।
वकील शेख ने दावा किया, ‘‘लेकिन अंतिम समय में उस समय यह फैसला बदल दिया गया, जब भारतीय अधिकारियों ने चिश्ती को रिहा नहीं किया।’’ शेख ने कहा कि उन्होंने हाल ही में भारत की यात्रा की, जहां उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे भारत की जेलों में कैद पाकिस्तान के नागरिकों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लाएं। |
भौतिकी में, गाउस का गुरुत्वाकर्षण नियम एक नियम है जो न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त के समतुल्य है। यह कार्ल फ़्रीड्रिख गाउस के नाम पर रखा गया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी बन्द सतह पर गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का प्रवाह (पृष्ठ समाकलज) संलग्न द्रव्यमान के समानुपाती होता है। यह नियम अक्सर न्यूटन के नियम की तुलना में कार्यान्वयन में अधिक सुविधाजनक होता है।
गुरुत्वाकर्षण हेतु यह नियम का रूप गाणितिक रूप से स्थिरवैद्युतिकी हेतु गाउस का नियम के समरूप है, जो मैक्सवेल के समीकरण में से एक है। गाउस के गुरुत्वाकर्षण नियम का न्यूटन के नियम से वही गाणितिक सम्बन्ध है जो गाउस के स्थिरवैद्युतिकी नियम का कूलॉम-नियम से है।
सन्दर्भ |
कश्मीर में मोदी सरकार द्वारा धारा 370 पर उठाए गए कदम से पाकिस्तान की बौखलाहट कम नहीं हो रही. पाकिस्तान इसके बाद से लगातार भारत को परेशान करने के लिए कोई न कदम उठा रहा है. अब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में सीजफायर का उल्लंघन किया है. वहीं भारतीय सेना करारा जवाब देते हुए राजौरी सेक्टर में पाक सेना की एक चौकी को उड़ा दिया है.
सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पाक की ओर से सीजफायर का उल्लंघन किए जाने के बाद भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई की गई. इस दौरान भारतीय सेना ने राजौरी में पाक की एक चौकी उड़ा दी. हालांकि नौशेरा में आज सुबह पाक फायरिंग में एक भारतीय जवान शहीद हो गए.
Army Sources: A Pakistani post opposite the RAJOURI sector (J&K) has been hit in action by Indian Army today. The exchange of fire between the two sides is still on after Pakistan violated ceasefire. One Indian Army soldier lost his life this morning in Pakistani firing
pic.twitter.com/ws4rnRQndr
— ANI (@ANI)
August 17, 2019
इससे पहले पाकिस्तानी सेना ने शनिवार सुबह साढ़े छह बजे नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की और मोर्टार से गोले भी दागे, जिसका भारतीय सेना ने कड़ा जवाब दिया. हालांकि इस घटना में भारतीय सेना के एक जवान शहीद हो गए हैं.
शहीद हुए जवान लांस नायक संदीप थापा 35 साल के थे और पिछले 15 साल से नौकरी कर रहे थे. देहरादून के रहने वाले संदीप पाकिस्तानी गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
Indian Army: Lance Naik Sandeep Thapa has lost his life in the ceasefire violation by Pakistan in Nowshera Sector, Rajouri.
https://t.co/L9Oqu251Ko
— ANI (@ANI)
August 17, 2019
सीजफायर का उल्लंघन बढ़ा
पिछले कई दिनों से पाकिस्तानी सेना ने सीजफायर का उल्लंघन बढ़ा दिया है. 15 अगस्त के दिन भी जम्मू-कश्मीर के पूंछ में केजी सेक्टर में पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया. इसके अलावा उरी और राजौरी में भी पाकिस्तान की ओर से सीजफायर उल्लंघन किया गया जिसमें तीन पाकिस्तानी जवान मारे गए. इससे पहले भी वह सीजफायर का उल्लंघन कर चुका है.
इसके द्वारा संभवत: पाकिस्तान दुनिया का ध्यान कश्मीर की तरफ आकर्षित करना चाहता है. संयुक्त राष्ट्र में मुंह की खाने के बाद अब पाकिस्तान विक्टिम कार्ड खेलना चाहता है और कोशिश कर रहा है कि कम से कम सीमा पर हलचल से ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया जा सके.
गौरतलब है कि मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर पर फैसले के बाद पाकिस्तान बेचैन है. जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा हटाने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से लेकर आर्मी चीफ और तमाम नेता अब युद्ध की बात कर रहे हैं. कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान हर तरह से भारत पर दबाव बनाने कोशिश कर रहा है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल में कहा कि यदि भारत के साथ युद्ध होता है तो हम इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं. इसी के चलते पाकिस्तान ने अपनी पूर्वी सीमा पर फौज बढ़ा दी है.
वहीं, पाकिस्तान में कट्टरपंथी संगठन मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर पर लिए गए फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. पेशावर, लाहौर, कराची समेत पाकिस्तान के कई शहरों में मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ रैलियां निकाली गई.
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 में बदलाव का संकल्प और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बिल को संसद की मंजूरी दी गई. इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य बन गए जो 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आ जाएंगे. |
उत्तर प्रदेश की प्रयाग नगरी इलाहाबाद में अगले वर्ष होने वाले कुम्भ मेले की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे लोक निर्माण एवं सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव की जुबान शनिवार को फिसल गई. शिवपाल ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में कमीशनखोरी में कमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
इलाहाबाद के सर्किट हाउस में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए शिवपाल की जुबान लड़खड़ा गई. उन्होंने कहा, 'सूबे में किसी भी क्षेत्र में चाहे वह सिंचाई विभाग हो, नलकूप लगाने का काम हो या सड़कें बनाने का काम हो कमीशनखोरी में कमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.'
शिवपाल ने कहा कि पिछली सरकार की कमियों की वजह से ही कुंभ मेले की तैयारियों में देरी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि 15 दिसंबर तक इलाहाबाद में सबकुछ सही हो जाएगा.
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि कुंभ मेले में पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी. सबकुछ अपने समय पर ठीक हो जाएगा. अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं.
ज्ञात हो कि शिवपाल यादव को दो दिन पहले भी मैनपुरी में दिए गए अपने बयान को लेकर सफाई देनी पड़ी थी. शिवपाल ने मैनपुरी में दिए गए अपने एक विवादास्पद बयान में कहा था कि थोड़ी-बहुत चोरी बर्दाश्त की जा सकती है.
मीडिया में इस बयान के तूल पकड़ने के बाद उन्होंने अगले ही दिन लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन बुलाकर अपनी स्थिति स्पष्ट की थी. तब शिवपाल ने सारा दोष यह कहकर मीडिया के ऊपर ही मढ़ा था कि यह चर्चा उन्होंने कुछ जनप्रतिनिधियों के साथ की थी. यह उनका आधिकारिक बयान नहीं था. शिवपाल ने यहां तक कहा था कि उनकी छवि बिगाड़ने के लिए उनके खिलाफ साजिश की जा रही है. |
मध्य प्रदेश के नीमच शहर की कोतवाली थाना क्षेत्र के महू रोड स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एटीएम को काट कर अज्ञात चोरों ने करीब 17 लाख रुपये चुरा लिये. एसबीआई दशहरा मैदान शाखा के मुख्य प्रबंधक नवीन ओसवाल ने बताया, ‘‘मुझे भी एटीएम में चोरी होने की जानकारी मिली थी. मौके पर जाकर देखा तो एसबीआई के एटीएम के कैश बॉक्स को काट कर उसमें रखे गए करीब 17 लाख रुपये चोर बीती रात ले गए हैं. छुट्टियों को देखते हुए शुक्रवार को ही यह कैश एटीएम में डाला गया था.’’टिप्पणियां
इसी बीच, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह पवार ने बताया कि घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और मामला दर्ज कर जांच में जुटी है. पवार ने कहा कि चोरों ने गैस कटर से एटीएम के कैश बॉक्स को काट कर उसमें से कैश चुराया और वहां से फरार हो गए. उन्होंने कहा कि घटना के वक्त एटीएम का गार्ड वहां मौजूद नहीं था. इसका फायदा उठाकर चोरों ने घटना को अंजाम दिया. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इसी बीच, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह पवार ने बताया कि घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और मामला दर्ज कर जांच में जुटी है. पवार ने कहा कि चोरों ने गैस कटर से एटीएम के कैश बॉक्स को काट कर उसमें से कैश चुराया और वहां से फरार हो गए. उन्होंने कहा कि घटना के वक्त एटीएम का गार्ड वहां मौजूद नहीं था. इसका फायदा उठाकर चोरों ने घटना को अंजाम दिया. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले
कांग्रेस
नेता ज्योतिरादित्य
सिंधिया
के एक बयान ने बवाल खड़ा कर दिया है. दरअसल, सिंधिया ने इशारों में ही खुद को राज्य के सीएम पद का उम्मीदवार बता दिया है.
उन्होंने डिंडोरी की एक चुनावी सभा के दौरान कहा, "मैं संग्राम के रण में कूद चुका हूं. आपके सामने दो तरह के नेता हैं. एक नेता वो हैं जो सिंधिया परिवार की परंपरा के हैं. जो 'जान जाए पर वचन ना जाए' की बात करते हैं. वहीं दूसरे नेता
शिवराज सिंह
जी हैं, जो कहते हैं कि वचन जाए पर जान ना जाए." जाहिर है सिंधिया ने इस बयान के जरिए खुद को शिवराज सिंह के विकल्प के तौर पर सबके सामने रखा है.
कमलनाथ ने दी प्रतिक्रिया
वहीं
सिंधिया
के बयान पर कांग्रेस के सीनियर नेता
कमलनाथ
की भी प्रतिक्रिया आ गई है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद का नाम सेंट्रल कमेटी ही तय करती है. भोपाल में कमलनाथ ने कहा, ''मुझे नहीं पता कि ज्योतिरादित्य ने क्या कहा है लेकिन ये बात सही है कि एक तरफ झूठ है, तो दूसरी तरफ सच्चाई है. लोगों से विनती है कि सच्चाई का साथ दें.'' उन्होने आगे कहा कि कोई भी प्रत्याशी सेंट्रल कमेटी की मीटिंग के बाद घोषित होता है.
वहीं सिंधिया के बयान पर
बीजेपी
ने चुटकी लेते हुए कहा कि वह खुद मुंह मिंया मिट्ठू बन रहे हैं. मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि सिंधिया खुद बोलने लगे हैं कि मैं मुख्यमंत्री का दावेदार हूं. ये वही कहावत है कि मेरी मौसी को मूंछे होंगी तो मैं उन्हें मामा कहूंगा. ये कांग्रेस की गुटबाजी और हताशा का परिणाम है. बता दें कि इंडिया टुडे ग्रुप के पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज कार्यक्रम में भी शिवराज के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ही सीएम के चेहरे के लिए सबसे ज्यादा पसंद हैं. |
बुलंदशहर गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट सरकारी पदों पर बैठे लोगों की बयानबाजी को लेकर दिशा-निर्देश जारी करने पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट में इस बात पर बहस चल रही है कि किसी भी तरह का सार्वजनिक बयान देने वाले मंत्रियों के व्यवहार और कर्तव्य पर क्या निर्देश जारी हों. बुलंदशहर में मां-बेटी के साथ हुए गैंगरेप केस में यूपी के पूर्व मंत्री के कथित विवादित बयान के बाद कोर्ट दायर याचिका की सुनवाई कर रहा है.
अभिव्यक्ति की आजादी का सवाल
पिछली सुनवाई में वरिष्ठ न्यायविद फली नरीमन ने ही ये कहा था कि कुछ दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट
को जारी करने चाहिए. बुधवार को सुनवाई के दौरान फली नरीमन ने कहा कि क्या हम किसी व्यक्ति की टिप्पणी करने की संवैधानिक आजादी वापस ले सकते हैं, वो आज़म खान हों या कोई और?
इस पर कोर्ट ने पूछा कि किसी सरकारी पद पर रह कर इस तरह का बयान किसी
रेप
पीड़िता पर कर सकते हैं? क्या सार्वजनिक पद पर आसीन लोगों को ऐसा करने का अधिकार है?
संविधान में टिप्पणियों पर रोक नहीं
नरीमन ने कहा हमें देखना होगा हम कहां तक जा सकते हैं. हमे संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और 19 (2) (पाबंदियों) को लेकर काफी सावधान रहना होगा. नरीमन ने बताया कि संविधान में इस तरह की टिप्पणियों पर कोई रोक नहीं है.
अभिव्यक्ति पर तर्कसंगत पाबंदी
इस पर कोर्ट ने 19(2) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाई गई तर्कसंगत पाबंदियों का जिक्र किया, जिसमें कानून-व्यवस्था, नैतिकता और शिष्टाचार की बात पर बल दिया गया है. कोर्ट ने ये भी कहा कि इस मसले को संविधान में दिए गए मूल कर्तव्यों के परिपेक्ष्य में भी देखा जाना चाहिए.
रेप पीड़िता पर टिप्पणी
जस्टिस दीपक मिश्रा ने सवाल पूछा, 'क्या संविधान का अनुछेद 19(1)(ए) और 19(2 )सम्पूर्ण है? क्या कोई भी व्यक्ति जो किसी संवैधानिक या राजकीय पद पर है उसको अधिकार है कि वो रेप जैसे जघन्य अपराध की पीड़िता पर टिप्पणी करे, जिससे पीड़िता के संवैधानिक अधिकार प्रभावित होते हों?' कोर्ट ने कहा, 'महिलाओं पर इस तरह की टिप्पणी एक संवैधानिक सवाल है क्योंकि वो एक ऐसी परेशानी से गुजर रही है, जिसमें उसकी खुद की गरिमा प्रभावित हुई हो.'
बयानबाजी पर आपराधिक अभियोजन नहीं
इस पर
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा
कि इस तरह के कमेंट पर कोई आपराधिक अभियोजन नहीं हो सकता क्योंकि अभी तक इस तरह के मामले के लिए कोई कानून नहीं है. अगर ऐसा होगा तो कोई कुछ बोल ही नहीं पाएगा. संसद में भी बोला जाता है, फिर तो उस पर भी विचार करना होगा.
कोर्ट ने कहा कि संसद में दिया गया बयान कोर्ट के विचार के दायरे में नहीं है. कोर्ट की तरफ से ये भी पूछा गया कि कोई कानून ना होने की वजह से क्या कोई कुछ भी टिप्पणी कर सकता है.
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से मांगी मदद
कोर्ट ने ये भी कहा कि उदाहरण के तौर पर अगर कोई एफआईआर दर्ज होती है तो क्या पुलिस महानिदेशक जैसे पद का अधिकारी ये कमेंट कर सकता है कि ये राजनैतिक साजिश का नतीजा है. आखिर फिर जांच का सवाल ही कहां रह जाएगा? कोर्ट ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को कोर्ट की मदद के लिए आग्रह किया है.
20 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में मां-बेटी से गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट में पीड़ित परिवार की ओर से किसलय पांडे ने याचिका दायर की है. इस गैंग रेप के मामले में यूपी के पूर्व मंत्री
आज़म खान
ने कथित रूप से ये बयान दिया था कि ये एक राजनीतिक साजिश थी. बाद में आज़म खान ने अपने बयान के लिए बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी थी. इस मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी. |
लेख: प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अपना रुख और कड़ा कर लिया है। मुलायम सिंह यादव ने साफ कर दिया है कि अगर केंद्र सरकार प्रमोशन में आरक्षण बिल को पास करती है तो उनकी पार्टी सरकार को समर्थन जारी रखने पर दोबारा विचार कर सकती है।टिप्पणियां
फिलहाल समाजवादी पार्टी केंद्र की यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे ज़ोरदार हंगामा कर चुके हैं।
समाजवादी पार्टी की घोर विरोधी बीएसपी इस बिल के समर्थन में है, जबकि यूपी के 18 लाख सरकारी कर्मचारी प्रमोशन में आरक्षण बिल के विरोध में हड़ताल पर हैं।
फिलहाल समाजवादी पार्टी केंद्र की यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे ज़ोरदार हंगामा कर चुके हैं।
समाजवादी पार्टी की घोर विरोधी बीएसपी इस बिल के समर्थन में है, जबकि यूपी के 18 लाख सरकारी कर्मचारी प्रमोशन में आरक्षण बिल के विरोध में हड़ताल पर हैं।
समाजवादी पार्टी की घोर विरोधी बीएसपी इस बिल के समर्थन में है, जबकि यूपी के 18 लाख सरकारी कर्मचारी प्रमोशन में आरक्षण बिल के विरोध में हड़ताल पर हैं। |
कश्मीर की घाटी में आग लगी है और उस आग की आंच में पाकिस्तान की साजिश की परतें पिघल रही हैं. कई ऐसे खुलासे हो रहे हैं जिन्होंने पाकिस्तान के आतंकपरस्त चेहरे को और दागदार कर दिया है. साथ ही अलगाववादियों की साजिश का भी पर्दाफाश हो रहा है.
अलगाववादी नेता गिलानी घेरे में
जम्मू-कश्मीर पुलिस के हाथ लगे एक वीडियो से ये खुलासा हुआ है कि
किराए के पत्थरबाजों
से घाटी में आतंकवादी हिंसा फैला रहे हैं. साथ ही पाकिस्तान की उस साजिश का भी पर्दाफाश हुआ है जिसके तहत हर साल करोड़ों रुपए का फंड आतंकियों को वो भेजता है. पत्थर फेंकने वाले आरोपी का कहना है कि अलगावादी नेता गिलानी के लोग पत्थर फेंकने के लिए हर दिन के हिसाब से 500 रुपए देते हैं.
भारत के खिलाफ कश्मीरी युवाओं का इस्तेमाल
दरअसल खुद को कश्मीरियों का रहनुमा बताने वाले
अलगाववादियों की असलियत
खुल रही है. कश्मीरी नौजवानों में किस तरह भारत के खिलाफ नफरत का जहर भरा जा रहा है इसकी पोल खुलने लगी है. चंद रुपए देकर कश्मीर के अलगाववादी नेता अपने ही नौजवानों को बरगला रहे हैं, उन्हें हिंसा की आग में झोंक रहे हैं. जिन हाथों को अपने और अपने मुल्क की तरक्की का जरिया होना चाहिए उन्हीं हाथों से घाटी में अमन का गला घोंटा जा रहा है.
पत्थरबाजी के पीछे पाकिस्तान की साजिश
किराए के नौजवानों से घाटी में पत्थरबाजी कराने वाले अलगाववादियों के चेहरे बेनकाब हो रहे हैं तो सरहद के उस पार बैठे इनके पाकिस्तानी आकाओं की साजिशों का भी खुलासा हो रहा है. 'आज तक' को मिली जानकारी के मुताबिक कश्मीर में ताजा पत्थरबाजी के पीछे पाकिस्तान का हाथ है और अलगाववादी जो रकम बांट रहे हैं वो सीधे
पाकिस्तान
से भेजी गई है.
घाटी में अशांति के लिए सीमा पार से फंडिंग
सूत्रों के मुताबिक हवाला के जरिए पाकिस्तान से 60 करोड़ रुपए कश्मीर भेजे गए हैं. आईएसआई इस रकम इस्तेमाल कश्मीर के माहौल में जहर घोलने के लिए कर रही है. पैसा भेजने के लिए जमात-उद-दावा चीफ हाफिज सईद और हिजबुल के आका सलाहुद्दीन के नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया.
लश्कर-ए-तौएबा और हिजबुल
के स्थानीय संपर्कों के सहारे 60 करोड़ की रकम आतंकियों तक पहुंची.
पाकिस्तान की दोहरी विदेश नीति का खुलासा
यही नहीं, जांच एजेंसियों ने आतंकियों और पाकिस्तानी हैंडलर्स के बीच बातचीत इंटरसेप्ट की है. एक तरफ पाकिस्तान कश्मीर में आग लगा रहा है तो दूसरी तरफ वो अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामन भारत को नीचा दिखाने की कोशिशों में भी जुटा है. संयुक्त राष्ट्र के मंच पर मानवाधिकार की बहस छिड़ी तो पाकिस्तान ने वहां भी अपनी ढपली बजानी शुरू कर दी. यूएन में पाकिस्तान की कमिश्नर मलीहा लोधी ने बुरहान को कश्मीर का नेता और उसकी मौत को एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग बताकर भारत के जख्म पर नमक रगड़ने की कोशिश की जिसका जवाब भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने दो टूक शब्दों में दी. |
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे कर्मचारियों को दिवाली का तोहफ़ा दिया है। कैबिनेट ने आज रेलवकर्मियों को 78 दिन का बोनस दिए जाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी।टिप्पणियां
दरअसल, रेलकर्मियों को वित्त वर्ष 2014-15 के लिए 78 दिन का वेतन उत्पादकता से संबंद्ध बोनस (पीएलबी) के रूप में दिए जाने की खबर थी, जिस पर आज केंद्रीय कैबिनेट ने मुहर लगा दी। वित्तीय संकट के बावजूद रेलकर्मियों को 78 दिन का बोनस दिए जाने का फैसला लिया गया है।
कैबिनेट के इस प्रस्ताव से करीब 12 लाख रेलकर्मियों को इस महीने 8,897 करोड़ रुपये बोनस के रूप में दिए जाएंगे।
दरअसल, रेलकर्मियों को वित्त वर्ष 2014-15 के लिए 78 दिन का वेतन उत्पादकता से संबंद्ध बोनस (पीएलबी) के रूप में दिए जाने की खबर थी, जिस पर आज केंद्रीय कैबिनेट ने मुहर लगा दी। वित्तीय संकट के बावजूद रेलकर्मियों को 78 दिन का बोनस दिए जाने का फैसला लिया गया है।
कैबिनेट के इस प्रस्ताव से करीब 12 लाख रेलकर्मियों को इस महीने 8,897 करोड़ रुपये बोनस के रूप में दिए जाएंगे।
कैबिनेट के इस प्रस्ताव से करीब 12 लाख रेलकर्मियों को इस महीने 8,897 करोड़ रुपये बोनस के रूप में दिए जाएंगे। |
दिल्ली में 2002 में हुए नीतीश कटारा हत्याकांड के मुख्य गवाह अजय कटारा को पुलिस ने एक प्रोपर्टी डीलर के अपहरण के आरोप में शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने अजय कटारा को गाजियाबाद से गिरफ्तार से किया, जबकि उसका कहना है कि प्रोपर्टी डीलर धर्मेंद्र यादव ने जान से मारने की कोशिश की. पुलिस उपायुक्त विजय भूषण ने कहा कि अजय कटारा ने गुरुवार रात को धर्मेंद्र यादव का अपहरण कर लिया लेकिन गश्त लगा रही पुलिस ने मदद की शोर शुनकर उसे छुड़ा लिया.
हालांकि, गश्त कर रही पुलिस ने दोनों को छोड़ दिया. उसके बाद धर्मेंद्र यादव ने अजय कटारा के खिलाफ एक शिकायत पत्र दाखिल कर उसे गिरफ्तार करने की मांग की.
अजय कटारा का कहना है कि मुझे जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है. पुलिस धर्मेंद्र यादव की मदद उत्तर प्रदेश में शासन कर रही बहुजन समाज पार्टी के नेता डी पी यादव के कहने पर कर रही है, जिसका बेटा और भतीजा नीतीश कटारा हत्याकांड मामले में दोषी हैं.
अजय कटारा ने कहा कि धर्मेंद यादव ने गुरुवार दोपहर चार बजे उसपर गोली चलाई थी, जिसकी उसने पुलिस में शिकायत भी की थी. साथ ही कटारा ने कुछ महीने पहले धर्मेंद्र यादव पर हत्या करने की कोशिश की शिकायत दर्ज करवाई थी, जिस पर इस मामले में गैर जमानती वारंट जारी किया गया.
गौरतलब है कि अजय कटारा का बयान नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी डी पी यादव के बेटे विकास यादव और भतीजे विशाल यादव के लिए काफी अहम था. एक आईएएस अधिकारी के बेटे नीतीश कटारा को 16 फरवरी 2002 को गाजियाबाद में हो रही एक शादी समारोह से अपहरण्ा कर हत्या कर दी गई थी, जिसका शव बाद में बुलंदशहर के एक गांव से अधजले हाथ में मिला था. |
मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक व्यक्ति ने शराब के नशे में अपनी डेढ़ वर्षीय मासूम बेटी की जमीन पर पटककर हत्या कर दी. इस वारदात को आरोपी की बड़ी बेटी ने देखा. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, बाद में पुलिस के कहने पर चश्मदीद बेटी ने पिता को कई तमाचे मारे. पुलिस के अनुसार, विजय नगर थाना क्षेत्र में एक शराबी युवक अज्जू वर्मन ने गुरुवार की रात अपनी डेढ़ साल की मासूम बेटी को सिर के बल पटक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई. युवक की पत्नी अस्पताल में भर्ती थी. रात के समय युवक शराब पीकर आया था. उस समय उसकी छोटी बेटी रो रही थी. युवक ने मंझली बेटी को पीटा और छोटी बेटी को सिर के बाल पटक दिया.
पुलिस ने आरोपी को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी की चश्मदीद बेटी ने पुलिस अधीक्षक अमित सिंह के सामने पूरा घटनाक्रम बताया. उसने बताया कि पिता ने किस तरह उसकी छोटी बहन को जमीन पर पटक दिया। बाद में पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में बेटी ने पिता को कई तमाचे जड़े. अतिरिक्त पुलिस आीक्षक संजीव कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि आरोपी की पहचान अज्जू उर्फ रमेश वर्मन के रूप में हुई है. रमेश मूलत: शहडोल का रहने वाला है और पिछले कुछ समय से दीन दयाल चौक के समीप झोपड़ी बनाकर परिवार के साथ रहता था. |
The prefix Z is used for the People's Republic of China with three exceptions:
ZK is used for North Korea
ZM is used for Mongolia
ZZZZ is a special code which is used when no ICAO code exists for the airport. It is often used by helicopters not operating at an aerodrome.
Z (except ZK, ZM and ZZZZ) - People's Republic of China
ZB
ZBAA (PEK) – Beijing Capital International Airport – Beijing
ZBCF (CIF) – Chifeng Airport – Chifeng, Inner Mongolia
ZBCZ (CIH) – Changzhi Airport – Changzhi, Shanxi
ZBDT (DAT) – Datong Airport – Datong, Shanxi
ZBHH (HET) – Hohhot Baita International Airport – Hohhot, Inner Mongolia
ZBLA (HLD) – Hailar Dongshan Airport – Hailar, Inner Mongolia
ZBNY (NAY) – Beijing Nanyuan Airport – Beijing
ZBOW (BAV) – Baotou Airport – Baotou, Inner Mongolia
ZBSH (SHP) – Qinhuangdao Shanhaiguan Airport – Qinhuangdao, Hebei
ZBSJ (SJW) – Shijiazhuang Daguocun International Airport – Shijiazhuang, Hebei
ZBTJ (TSN) – Tianjin Binhai International Airport – Tianjin
ZBTL (TGO) – Tongliao Airport – Tongliao, Inner Mongolia
ZBUL (HLH) – Ulanhot Airport – Ulanhot, Inner Mongolia
ZBXT (XNT) – Xingtai Airport – Xingtai, Hebei
ZBYN (TYN) – Taiyuan Wusu Airport – Taiyuan, Shanxi
ZG
ZGBH (BHY) – Beihai Airport – Beihai, Guangxi
ZGGG (CAN) – Guangzhou Baiyun International Airport – Guangzhou, Guangdong
ZGHA (CSX) – Changsha Huanghua International Airport – Changsha, Hunan
ZGHY (HNY) – Hengyang Airport – Hengyang, Hunan
ZGKL (KWL) – Guilin Liangjiang International Airport – Guilin, Guangxi
ZGNN (NNG) – Nanning Wuxu International Airport – Nanning, Guangxi
ZGOW (SWA) – Shantou Airport – Shantou, Guangdong
ZGSD (ZUH) – Zhuhai International Airport – Zhuhai, Guangdong
ZGSY (SYX) – Sanya Fenghuang International Airport – Sanya, Hainan
ZGSZ (SZX) – Shenzhen Bao'an International Airport – Shenzhen, Guangdong
ZGWZ (WUZ) – Wuzhou Changzhoudao Airport – Wuzhou, Guangxi
ZGZH (LZH) – Liuzhou Airport – Liuzhou, Guangxi
ZGZJ (ZHA) – Zhanjiang Airport – Zhanjiang, Guangdong
ZH
ZHAY (AYN) – Anyang Airport – Anyang, Henan
ZHCC (CGO) – Zhengzhou Xinzheng International Airport – Zhengzhou, Henan
ZHHH (WUH) – Wuhan Tianhe Airport – Wuhan, Hubei
ZHLY (LYA) – Luoyang Airport – Luoyang, Henan
ZHNY (NNY) – Nanyang Airport – Nanyang, Henan
ZHSS (SHS) – Shashi Airport – Shashi (Jingzhou), Hubei
ZHXF (XFN) – Xiangfan Airport – Xiangfan, Hubei
ZHYC (YIH) – Yichang Airport – Yichang, Hubei
ZJ
ZJHK (HAK) – Haikou Meilan International Airport – Haikou, Hainan
ZJSY (SYX) – Sanya Phoenix International Airport – Sanya, Hainan
ZL
ZLAN (LHW) – Lanzhou Airport – Lanzhou, Gansu
ZLDH (DNH) – Dunhuang Airport – Dunhuang, Gansu
ZLGM (GOQ) – Golmud Airport – Golmud, Qinghai
ZLHZ (HZG) – Hanzhong Airport – Hanzhong, Shaanxi
ZLIC (INC) – Yinchuan Helanshan Airport – Yinchuan, Ningxia
ZLJN (JNG) – Jining Airport – Jining, Shandong
ZLJQ (CHW) – Jiuquan Airport – Jiuquan, Gansu
ZLLL (ZGC) – Lanzhou Zhongchuan Airport (Lanzhou West Airport) – Lanzhou, Gansu
ZLQY (IQN) – Qingyang Airport – Qingyang, Gansu
ZLXN (XNN) – Xining Caojiabu Airport – Xining, Qinghai
ZLXY (XIY) – Xi'an Xianyang International Airport – Xi'an, Shaanxi
ZLYA (ENY) – Yan'an Airport – Yan'an, Shaanxi
ZLYL (UYN) – Yulin Airport – Yulin, Shaanxi
ZP
ZPBS (BSD) – Baoshan Airport – Baoshan, Yunnan
ZPJH (JHG) – Xishuangbanna Gasa Airport – Jinghong, Yunnan
ZPLJ (LJG) – Lijiang Airport – Lijiang, Yunnan
ZPLX (LUM) – Luxi Mangshi Airport – Luxi City, Yunnan
ZPPP (KMG) – Kunming Wujiaba International Airport – Kunming, Yunnan
ZPSM (SYM) – Simao Airport – Simao, Yunnan
ZPZT (ZAT) – Zhaotong Airport – Zhaotong, Yunnan
ZS
ZSAM (XMN) – Xiamen Gaoqi International Airport – Xiamen, Fujian
ZSAQ (AQG) – Anqing Airport – Anqing, Anhui
ZSBB (BFU) – Bengbu Airport – Bengbu, Anhui
ZSCG (CZX) – Changzhou Benniu Airport – Changzhou, Jiangsu
ZSCN (KHN) – Nanchang Changbei International Airport – Nanchang, Jiangxi
ZSFY (FUG) – Fuyang Airport – Fuyang, Anhui
ZSFZ (FOC) – Fuzhou Changle International Airport – Fuzhou, Fujian
ZSGZ (KOW) – Ganzhou Huangjin Airport – Ganzhou, Jiangxi
ZSHC (HGH) – Hangzhou Xiaoshan International Airport – Hangzhou, Zhejiang
ZSJD (JDZ) – Jingdezhen Airport – Jingdezhen, Jiangxi
ZSJJ (JIU) – Jiujiang Lushan Airport – Jiujiang, Jiangxi
ZSJN (TNA) – Jinan Yaoqiang Airport – Jinan, Shandong
ZSLG (LYG) – Lianyungang Airport – Lianyungang, Jiangsu
ZSLQ (HYN) – Huangyan Luqiao Airport – Huangyan, Zhejiang
ZSNB (NGB) – Ningbo Lishe International Airport – Ningbo, Zhejiang
ZSNJ (NKG) – Nanjing Lukou International Airport – Nanjing, Jiangsu
ZSOF (HFE) – Hefei Luogang International Airport – Hefei, Anhui
ZSPD (PVG) – Shanghai Pudong International Airport – Shanghai
ZSQD (TAO) – Qingdao Liuting International Airport – Qingdao, Shandong
ZSQZ (JJN) – Quanzhou Jinjiang Airport – Quanzhou, Fujian
ZSSL – Longhua Airport – Shanghai
ZSSS (SHA) – Shanghai Hongqiao International Airport – Shanghai
ZSSZ (SZV) – Suzhou Guangfu Airport – Suzhou, Jiangsu
ZSTX (TXN) – Huangshan Tunxi International Airport – Huangshan, Anhui
ZSWF (WEF) – Weifang Airport – Weifang, Shandong
ZSWX (WUX) – Wuxi Airport – Wuxi, Jiangsu
ZSWY (WUS) – Nanping Wuyishan Airport – Wuyishan, Nanping, Fujian
ZSWZ (WNZ) – Wenzhou International Airport – Wenzhou, Zhejiang
ZSXZ (XUZ) – Xuzhou Airport – Xuzhou, Jiangsu
ZSYT (YNT) – Yantai Laishan Airport – Yantai, Shandong
ZSYW (YIW) – Yiwu Airport – Yiwu, Zhejiang
ZSZS (HSN) – Zhoushan Airport – Zhoushan, Zhejiang
ZU
ZUBD (PBX) – Qamdo Bangda Airport – Bangda, Tibet Autonomous Region
ZUCK (CKG) – Chongqing Jiangbei International Airport – Chongqing
ZUDX (DAX) – Dachuan Airport – Dazhou, Sichuan
ZUGY (KWE) – Guiyang Longdongbao Airport – Guiyang, Guizhou
ZUJZ (JZH) – Jiuzhaigou Huanglong Airport – Songpan, Sichuan
ZULS (LXA) – Lhasa Gonggar Airport – Lhasa, Tibet Autonomous Region
ZUNC (NAO) – Nanchong Airport – Nanchong, Sichuan
ZUTR (TEN) – Tongren Daxing Airport – Tongren, Guizhou
ZUUU (CTU) – Chengdu Shuangliu International Airport – Chengdu, Sichuan
ZUXC (XIC) – Xichang Qingshan Airport – Xichang, Sichuan
ZUYB (YBP) – Yibin Airport – Yibin, Sichuan
ZUZY (ZYI) – Zunyi Airport – Zunyi, Guizhou
ZW
ZWAK (AKU) – Aksu Airport – Aksu, Xinjiang
ZWAT (AAT) – Altay Airport – Altay, Xinjiang
ZWFY (FYN) – Fuyun Airport – Fuyun, Xinjiang
ZWHM (HMI) – Hami Airport – Hami (Kumul), Xinjiang
ZWKC (KCA) – Kuqa Airport – Kuqa (Kucha), Xinjiang
ZWKL (KRL) – Korla Airport – Korla, Xinjiang
ZWKM (KRY) – Karamay Airport – Karamay, Xinjiang
ZWSH (KHG) – Kashgar Airport (Kashi Airport) – Kashgar (Kashi), Xinjiang
ZWTN (HTN) – Hotan Airport – Hotan (Khotan), Xinjiang
ZWWW (URC) – Urumqi Diwopu International Airport – Urumqi, Xinjiang
ZWYN (YIN) – Yining Airport – Yining, Xinjiang
ZY
ZYAS (AOG) – Anshan Airport – Anshan, Liaoning
ZYCC (CGQ) – Changchun Longjia International Airport – Changchun, Jilin
ZYDD (DDG) – Dandong Airport – Dandong, Liaoning
ZYHB (HRB) – Harbin Taiping International Airport – Harbin, Heilongjiang
ZYHE (HEK) – Heihe Airport – Heihe, Heilongjiang
ZYJL (JIL) – Jilin Airport – Jilin City, Jilin
ZYJM (JMU) – Jiamusi Airport – Jiamusi, Heilongjiang
ZYJZ (JNZ) – Jinzhou Airport – Jinzhou, Liaoning
ZYMD (MDG) – Mudanjiang Airport – Mudanjiang, Heilongjiang
ZYQQ (NDG) – Qiqihar Airport – Qiqihar, Heilongjiang
ZYTL (DLC) – Dalian Zhoushuizi International Airport – Dalian, Liaoning
ZYTN (TNH) – Tonghua Liuhe Airport – Tonghua, Jilin
ZYTX (SHE) – Shenyang Taoxian International Airport – Shenyang, Liaoning
ZYYJ (YNJ) – Yanji Chaoyangchuan Airport – Yanji, Jilin
ZK - North Korea
ZKPY (FNJ) – Sunan International Airport – Pyongyang
ZM - Mongolia
ZMAH (AVK) – Arvaikheer Airport – Arvaikheer, Övörkhangai
ZMAT (LTI) – Altai Airport – Altai, Govi-Altai
ZMBH (BYN) – Bayankhongor Airport – Bayankhongor, Bayankhongor
ZMBN (UGA) – Bulgan Airport – Bulgan, Bulgan
ZMBS – Bulgan Airport, Khovd – Bulgan, Khovd, Khovd
ZMBU (UUN) – Baruun-Urt Airport – Baruun-Urt, Sükhbaatar
ZMCD (COQ) – Choibalsan Airport – Choibalsan, Dornod
ZMDZ (DLZ) – Dalanzadgad Airport – Dalanzadgad, Ömnögovi
ZMHH (KHR) – Kharkhorin Airport – Kharkhorin, Övörkhangai
ZMHU (HJT) – Khujirt Airport – Khujirt, Övörkhangai
ZMKD (HVD) – Khovd Airport – Khovd, Khovd
ZMMG (MXW) – Mandalgovi Airport – Mandalgovi, Dundgovi
ZMMN (MXV) – Mörön Airport – Mörön, Khövsgöl
ZMTG (TSZ) – Tsetserleg Airport – Tsetserleg, Arkhangai
ZMUB (ULN) – Chinggis Khaan International Airport (formerly Buyant Ukhaa Airport) – Ulan Bator (Ulaanbaatar)
ZMUG (ULO) – Ulaangom Airport – Ulaangom, Uvs
ZMUH (UNR) – Öndörkhaan Airport – Öndörkhaan, Khentii
ZMUL (ULG) – Ölgii Airport – Ölgii, Bayan Ölgii
References
See also
List of airports in the People's Republic of China
China's busiest airports by passenger traffic
Notes
Z |
गैमेंज़ोन नोर्मडाटाई (Gemeinsame Normdatei, अनुवाद रूप सामान्य प्राधिकरण फ़ाइल अथवा एकीकृत प्राधिकरण फ़ाइल अथवा यूनिवर्सल अथॉरिटी फ़ाइल के रूप में भी जाना जाता है) या जीएनडी (GND) कैटलॉग से व्यक्तिगत नामों, विषय शीर्षकों और कॉर्पोरेट निकायों के संगठन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय प्राधिकरण फ़ाइल है। इसका उपयोग मुख्य रूप से पुस्तकालयों में प्रलेखन के लिए और तेजी से अभिलेखागार और संग्रहालयों द्वारा भी किया जाता है। जर्मन भाषी यूरोप और अन्य भागीदारों में विभिन्न क्षेत्रीय पुस्तकालय नेटवर्क के सहयोग से जीएनडी का प्रबंधन जर्मन नेशनल लाइब्रेरी (जर्मन: ड्यूश नेशनलबिब्लियोथेक; डीएनबी) द्वारा किया जाता है। जीएनडी क्रिएटिव कॉमन्स ज़ीरो (CC0) लाइसेंस के अंतर्गत आता है।
जीएनडी विनिर्देश उच्च-स्तरीय संस्थाओं और उप-वर्गों का एक पदानुक्रम प्रदान करता है, जो पुस्तकालय वर्गीकरण में उपयोगी है, और एकल तत्वों की स्पष्ट पहचान के लिए एक दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसमें आरडीएफ प्रारूप में उपलब्ध सिमेंटिक वेब में ज्ञान के प्रतिनिधित्व के लिए अभिप्रेत एक ऑन्कोलॉजी भी शामिल है।
जीएनडी अप्रैल 2012 में चालू हो गया और निम्नलिखित प्राधिकरण फाइलों की सामग्री को एकीकृत करता है, जिन्हें तब से बंद कर दिया गया है:
पर्सनेनामेंडेटी (पीएनडी) (अनुवाद: नाम प्राधिकरण फ़ाइल)
सामान्य कॉर्पोरेट फ़ाइल (GKD) (अनुवाद: कॉर्पोरेट निकाय प्राधिकरण फ़ाइल)
विषय प्राधिकरण फ़ाइल (SWD) (अनुवाद: विषय शीर्षक प्राधिकरण फ़ाइल)
जर्मन संगीत संग्रह की समान विषय शीर्षक फ़ाइल (DMA-EST)
इसे GND-ID नाम के पहचानकर्ताओं द्वारा संदर्भित किया जाता है।
5 अप्रैल 2012 को इसकी शुरूआत के समय, जीएनडी के पास 2,650,000 व्यक्तिगत नामों सहित 9,493,860 फाइलें थीं।
GND उच्च स्तरीय संस्थाओं के प्रकार
GND संस्थाओं के छह मुख्य प्रकार हैं:
External links
Information pages about the GND from the German National Library
Search via OGND ()
Bereitstellung des ersten GND-Grundbestandes DNB, 19 April 2012
From Authority Control to Linked Authority Data Presentation given by Reinhold Heuvelmann (German National Library) to the ALA MARC Formats Interest Group, June 2012
सन्दर्भ
(Help:Authority control)
2012 में कंप्यूटर से संबंधित परिचय
पुस्तकालय सूचीकरण और वर्गीकरण
अद्वितीय पहचानकर्ता
क्रिएटिव कॉमन्स-लाइसेंस प्राप्त डेटाबेस |
Subsets and Splits
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