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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: शहर में हाल में एक रविदास मंदिर को गिराए जाने के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों से आए दलित समुदाय के लोगों ने हाथों में नीले रंग के झंडे लेकर झंडेवालान से रामलीला मैदान तक बुधवार को प्रदर्शन किया. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया था. प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से दोबारा मंदिर बनाने की मांग की. पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से आए प्रदर्शनकारी 'जय भीम' के नारे लगा रहे थे. उन्होंने सरकार से मांग की कि संबंधित जमीन दलित समुदाय को सौंप दी जाए और मंदिर दोबारा बनवाया जाए. यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है क्योंकि कई राजनीतिक पार्टियां तुगलकाबाद के संबंधित स्थल पर या किसी अन्य वैकल्पिक स्थल पर मंदिर बनवाने की मांग कर रही हैं. इसी मुद्दे पर 13 अगस्त को पंजाब में दलित समुदाय ने प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में दिल्ली के सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और इस समुदाय के आध्यात्मिक नेता मौजूद थे.
संरेख (nomogram) एक ग्राफ पर आधारित गणना की युक्ति है। दूसरे शब्दों में, यह एक द्वि-विम आरेख (two-dimensional diagram) होता है जो किसी फलन का मोटा-मोटी (approximate) गणना की सुविधा प्रदान करता है। स्मिथ चार्ट, चाई-वर्ग वितरण का संरेख, दो प्रतिरोधों के समान्तरक्रम का संरेख आदि कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। संरेखण (Nomography) अपेक्षतया एक नया विषय है, जो समतल ज्यामिति और लघुगणकों के सरल सिद्धांतों पर आधारित है। यह विषय वर्णनात्मक ज्यामिति, अथवा आलेखी स्थैतिकी (Graphic Statics), के सदृश है। इसकी उत्पत्ति इंजीनियरी के क्षेत्र से हुई है। एम. दोकेन (M. D Ocagne) इस दिशा में अग्रणी हैं और इन्होंने 1900 ई. में इस शाखा का प्रवर्तन किया। संरेखण का ध्येय यह है कि एक विशेष प्रकार के समस्त प्रश्नों का, एक ही आलेख खींचकर, आलेखी हल निकाल लें। संरेखण चार्टों का उद्देश्य होता है - तीन, चार अथवा अधिक चरों का सम्बन्ध दर्शाना। कुछ चार्टों में क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर मापनियों के अतिरिक्त विकर्ण और वक्र मापनियाँ भी होती हैं। कभी कभी निर्देशांक और संरेखण चार्टों को मिलाना सुविधाजनक होता है। पाठक मापनियों के अंकन और उचित दूरियों के चुनाव के विषय में मानक ग्रंथों का अवलोकन कर सकते हैं। परिचय संयत्र चालन, प्राविधिक नियंत्रण और गवेषण आयोजनों में बहुत से दैनिक परिकलन प्रतिदिन करने पड़ते हैं, जिनमें व्यस्त वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का बहुत समय नष्ट हुआ करता था। अपना समय बचाने के लिये ये लोग ऐसा काम कर्मचारियों को सौंप देते थे, जो आलेखी उपकरणों से काम करते-करते बड़े दक्ष हो जाते थे। संरेखण चार्ट (alignment charts), निर्देशांक सारणियाँ (coordinate tables) और संरेखण चार्ट (nomogram) इस काम के लिये बड़े सुगम और यथार्थ होते हैं। मान लें कि कोई समीकरण अथवा अनुबंधों का एक कुलक दिया है। एक चार्ट ऐसा बनाया जाता है जिसपर एक ऐसी ऋजु रेखा खींची जा सके जो तीन मापनियों को ऐसे मानों पर काटे जो उक्त समीकरण, अथवा अनुबंध के कुलक को, संतुष्ट करें। ऐसे चार्ट को संरेखण चार्ट कहते हैं। यदि कोई दो मान दिए हों, तो उक्त चार्ट से तीसरा मान निकाला जा सकता है। लाभ संरेखण चार्ट से तीन लाभ होते हैं : सरलता, द्रुतता और यथार्थता (accuracy)। चार्ट के आकार, अभिकल्प (design) और अक्षों की अंकन विधि पर विचार करने से निकटतम मान निकाला जा सकता है। (1) ऐसे समीकरण, अथवा एक ही प्रकार के एक घात सम्बन्ध, जिनसे दो चरों के पारस्परिक सम्बन्ध, निकाले जा सकें, यदि तीसरे चर का मान दिया हो। (2) चरों के मानों का परास (range)। (3) इस बात का ज्ञान कि दिया हुआ उदाहरण मानक (standard) अथवा मात्रकों (units) का चुनाव। मापनियाँ कई प्रकार की होती हैं, जैसे एक समान (uniform) मापनी, लघुगणकीय (logarithmic) मापनी, वर्ग मापनी, घन (cube) मापनी, वर्गमूल मापनी इत्यादि। मापांक इस बात पर निर्भर होता है कि प्रश्न में मानों का परास क्या है और कागज पर कितना स्थान प्राप्य है। संरेखण चार्टों में विभिन्न प्रकार की मापनियों के उपविभागों के अंकन और यथार्थ परिकलन (calculation) में तो बहुत समय लगता है। इसके बदले में हम जोज़ेफ़ लिप्का (Joseph Lipka) के बने-बनाए चार्टो से काम ले सकते हैं। हम विभिन्न पद्धतियों के मापांकों के विभिन्न मानों के लिये इनका उपयोग कर सकते हैं। इस विधि की यही प्रक्रिया है कि प्रत्येक प्रकार के प्रश्न के लिये उपयुक्त मापनियाँ चुननी होती है और उनकी मध्यस्थ दूरियाँ भी उचित लेनी होती हैं। इन्हें भी देखें स्लाइड रूल बाहरी कड़ियाँ Atmospheric nomogram (pdf) from the Department of Meteorology, University of Reading. PyNomo package to make nomograms with Python. The Art of Nomography describes the design of nomograms using geometry, determinants, and transformations. Nomograms for Wargames but also of general interest. nomogram.org is a site that uses nomograms for medical diagnosis of prostate and kidney cancers . Javascript Applet for constructing simple nomograms. Pressure-Temperature Nomograph Quickly and easily estimate boiling points at various pressures. "The Art of Nomography I: Geometric Design R Package for drawing nomograms to obtain predicted values from regression models; examples are here and here गणितीय उपकरण चार्ट
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर शुक्रवार को पंचकूला की CBI कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. राम रहीम करीब 800 गाड़ियों के काफिले के साथ कोर्ट के लिए रवाना हुए हैं. राम रहीम लगातार अपने लुक्स, फिल्मों की वजह से चर्चा में रहते हैं. तो इनकी वजह से ही एक बार कॉमेडियन कीकू शारदा को जेल की हवा खानी पड़ी थी. दरअसल, जनवरी 2016 में कीकू शारदा पर कॉमेडी शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल में राम रहीम की फिल्म की सीन की नकल करने का आरोप लगा था. जिसके बाद राम रहीम के कई समर्थकों ने उनपर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का केस दर्ज किया गया था. कीकू को कैथल पुलिस ने मुंबई से गिरफ्तार किया था, लेकिन 1 लाख रुपए के निजी मुचलके पर छोड़ भी दिया था. इस मामले में कीकू शारदा की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर कई हस्तियों ने इसका विरोध किया था. और कीकू के समर्थन में आवाज़ उठाई थी. क्या थे आरोप? दरअसल डेरा सच्चा सौदा समर्थकों का आरोप थे कि एक चैनल पर ‘जश्न-ए-आजादी' शो के कॉमेडी एक्ट में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की फिल्म ‘एमएसजी-टू' के एक सीन के साथ छेड़छाड़ की गई है. यह शो 27 दिसंबर को टेलिकास्ट किया गया था. इसमें गुरमीत राम रहीम जैसे गेटअप में टीवी आर्टिस्ट्स को शराब परोसते और लड़कियों के साथ अश्लील डांस करते दिखाया गया. डेरा सच्चा सौदा सर्मथकों ने कीकू शारदा के अलावा 9 और कलाकारों पर केस दर्ज किया था. जिसमें कॉमेडी नाइट्स विद कपिल शो में नजर आने वाले सुनील ग्रोवर (गुत्थी), असगर अली (दादी), राजीव ठाकुर, पूजा बनर्जी, मुन्ना राय, गौतम गुलाटी और सना खान पर केस दर्ज हुआ है. इनमें से कीकू को कैथल पुलिस ने पेशी वॉरंट पर हिरासत में लिया था.
अभिनेता और फिल्मकार कमल हासन की विवादित फिल्म 'विश्वरूपम' ने प्रदर्शित होने के पहले ही दिन तमिलनाडु में 5.81 करोड़ रुपये की कमाई की. व्यापार विशेषज्ञ त्रिनाथ ने बताया कि गुरुवार को प्रदर्शित होने के बाद उम्मीद है कि सप्ताहांत में फिल्म और भी ज्यादा कमाई करेगी. अभिनेता कमल हासन फिल्म के निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक हैं. बीती सात फरवरी को तमिलनाडु में करीब 600 सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन किया गया. फिल्म की कहानी एक भारतीय मुस्लिम जासूस के बारे में है जो आतंकवादी हमलों को रोकने के अभियान के सिलसिले में अमेरिका जाता है. कमल हासन, पूजा कुमार, एन्ड्रिया जरेमियाह, शेखर कपूर, राहुल बोस और जयदीप अहलावत फिल्म के मुख्य किरदार हैं. 'विश्वरूपम' का हिंदी संस्करण 'विश्वरूप' बीती एक फरवरी को दुनियाभर में प्रदर्शित किया गया. व्यापार विशेषज्ञ तरन आदर्श के अनुसार प्रदर्शन के पहले सप्ताहांत में फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 11.55 करोड़ रुपये की कमाई की.
अरबी टेलीविजन चैनल अल जज़ीरा के पत्रकार योसरी फाउदा ने सूचना दी कि अप्रैल 2002 में, खालिद शेख मोहम्मद ने "पवित्र मंगलवार के ऑपरेशन" में रैम्जी बिनालशिभ के साथ अपनी भागीदारी स्वीकार की थी। 9/11 आयोग की रिपोर्ट ने निर्धारित किया है कि 9/11 हमलों के प्रमुख शिल्पी खालिद शेख मोहम्मद की संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रति शत्रुता, "वहां उसके एक छात्र के रूप में अनुभव से नहीं, बल्कि अमेरिका की इसरायल को समर्थन देने वाली विदेश नीति के साथ उसकी उग्र असहमति से" उपजी थी।मोहम्मद अत्ता से उसे प्रेरणा मिली. अत्ता का एक पूर्व सहपाठी, राल्फ बॉडेन्सटीन के अनुसार "इस क्षेत्र में इसरायली राजनीति को अमेरिकी संरक्षण ने उसके दिल पर सर्वाधिक असर डाला था।" मोहम्मद अत्ता के साथ फ्लाइट 11 पर सवार एक अपहरणकर्ता, अब्दुलअजीज अल-उमरी अपनी वीडियो इच्छा में कहा, "जो मुझे सुन रहे हैं तथा वो सब जो मुझे देख रहे हैं, उनके लिए मेरा काम एक पैगाम है, इसी के साथ एक पैगाम है काफिरों के लिए कि हारे हुओ, अरब प्रायद्वीप छोड़ दो और फिलिस्तीन में कायर यहूदियों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाना बंद कर दो."खालिद शेख मोहम्मद 1993 की वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बमबारी का भी सलाहकार और वित्तपोषक था। वह हमले में प्रमुख बॉम्बर, रैम्जी यूसुफ का चाचा भी है।
फ्री, या जीपीएल्ड, या कॉपीलेफ्टेड सौफ्टवेर पर्यायवाची शब्द हैं। फ्री, या जीपीएल्ड, या कॉपीलेफ्टेड सौफ्टवेर कुछ लोग कॉपीराइट का वर्णन कर कंप्यूटर प्रोग्राम को सुरक्षित इस प्रकार से कर रहे हैं कि न तो वे स्वयं उस पर कोई भी मालिकाना हक रख रहें हैं न ही कोई और व्यक्ति उनके द्वारा बनाये गये कं‍प्यूटर प्रोग्राम पर मालिकाना अधिकार रख सकता है। उदाहरणार्थ, यदि मैं कोई कं‍प्यूटर प्रोग्राम लिखूं और उसका सोर्स कोड और ऑबजेक्ट कोड में इस तरह की घोषणा तथा शर्त लगाते हुये प्रकाशित करूं कि यह मैने लिखा है; और इसमें मेरा कॉपीराइट है; और मैं हर व्यक्ति को इस कम‍प्यूटर प्रोग्राम (सोर्सकोड और ऑबजेक्ट कोड) की कापी करने, वितरण करने, तथा संशोधन करने का अधिकार देता हूं। इसके लिये उन्हें मुझे कोई रॉयलटी नहीं देनी होगी; पर इसकी शर्त यह है कि, यदि वह व्यक्ति कम‍प्यूटर प्रोग्राम का संशोधित करके या बिना संशोधित किये वितरित करता हैं तो उसे भी सोर्सकोड और ऑबजेक्ट कोड प्रकाशित करना होगा; और अन्य लोगों को वही स्वतंत्रता देनी होगी जैसी कि मैंने उसे दी है। अब इस घोषणा और शर्त के कारण न तो मैं स्वयं न और कोई अन्य व्यक्ति इस कं‍प्यूटर प्रोग्राम के प्रयोग करने अथवा संशोधन करने हक रख सकता है। इस तरह की घोषणा के द्वारा मैने सुनिश्चित कर दिया है कि कोई अन्य व्यक्ति भी इसका प्रयोग अथवा संशोधन बिना कॉपीराइट के उल्लंघन किये कर सकता है। साधारणतय:, कॉपीराइट का अर्थ यह होता है कि कोई अन्य व्यक्ति उसका प्रयोग अथवा संशोधन उसके मालिक की अनुमति के न कर सके। यहां कॉपीराइट का प्रयोग करते हुये ठीक इसका उल्टा काम हुआ। कॉपीराइट का यदि कोई उल्टा शब्द हो सकता है तो वह है कॉपीलेफ्ट। यह एक नया शब्द है और अभी तक अंग्रेजी के शब्द कोश में नहीं आया है हालांकि कंप्यूटर शब्दकोश में यह एक प्रचलित शब्द है। जिस कं‍प्यूटर प्रोग्राम के लाईसेंस में इस तरह की घोषणा और शर्त होती है उसे कॉपीलेफ्टेड सॉफ्टवेयर कहा जाता है। इस तरह का सॉफ्टवेयर फ्री सॉफ्टवेयर, भी कहलाता है। फ्री शब्द का प्रयोग करना रिचर्ड स्टालमेन ने शुरू किया और यह आन्दोलन भी उनका ही शुरू किया गया है। वे 1980 के दशक में मैसाचुसेट इस्टिंट्यूट ऑफ टेक्नौलोजी में पढ़ाते थे। उनके मुताबिक पहले कम‍प्यूटर प्रोग्रामर सौफ्टवेयर में कापीराइट क्लेम नहीं करते थे और बहुत आसानी से एक दूसरे को अपना प्रोग्राम दे देते थे लेकिन बाद में कमप्यूटर प्रोग्रामरों ने अपना प्रोग्राम एक दूसरे को देना बन्द कर दिया और किसी और को उनके प्रोग्राम में संशोधन करने का अधिकार भी समाप्त कर दिया। स्टालमेन को लगा कि इस तरह से कम‍प्यूटर सौफ्टवेयर कुछ खास लोगों के पास रह जायेगा और उसका सर्वांगीण विकास नहीं हो पायेगा। इसलिये उन्‍होंने अपना इन्‍स्‍टीटयूट को छोड़ कर घन्यू प्रोजेक्‍ट (GNU project), फ्री सौर्स फाउण्डेशन (Free Source Foundation) के अंतर्गत शुरू किया। इसमें उस तरह के सौफ्टवेयर लिखने शुरु किये जो कि कौपीलेफ्टेड हों। उन्होंने इस तरह के साफ्टवेयर को फ्री-सौफ्टवेयर का नाम दिया। यह इसलिये, क्यों कि उनके मुताबिक इसमें लोगों को कम‍प्यूटर प्रोग्राम या सौफ्टवेयर को संशोधन करने की स्वतंत्रता है उनका कहना है कि फ्री को ऐसे मत सोचो जैसा फ्री बीयर में है पर ऐसे देखो जैसा कि फ्रीडम ऑफ स्पीच में है। फ्री सौर्स फाउण्डेशन की वेबसाईट के मुताबिक, उन्ही के शब्दों में 'Free software' is a matter of liberty, not price. To understand the concept, you should think of 'free' as in 'free speech', not as in 'free beer' फ्री तथा जीपीएल्ड (GPLed) सौफ्टवेर की शर्तें फ्री या कापीलेफटेड सौफ्टवेयर में निम्न बातें मुख्य हैं - इसमें सोर्स कोड हमेशा प्रकाशित किया जाता है इस तरह के सौफ्टवेयर के लिये कोई पैसा या रौयल्टी नहीं देनी पड़ती है पर यदि उसके सम्बन्ध में यदि आप कोई सर्विस दे रहें है तो सर्विस देने का पैसा ले सकते हैं। इस तरह के सौफ्टवेयर को कोई भी संशोधित कर सकता है इस तरह के सौफ्टवेयर को संशोधन करने के बाद प्रकाशित करने या बाटंने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप उसे बिना प्रकाशित या बाटें अपने संगठन में प्रयोग कर सकते हैं। पर यदि इस तरह के सौफ्टवेयर को बिना संशोधन किये या संशोधित करने के बाद बांटा जाता है तो उसमें वही शर्तें रहेंगीं जो कि पहले थीं यानी कि सोर्सकोड प्रकाशित करना पडेगा; अन्य लोगों को संशोधन करने की स्वतंत्रता देनी होगी; तथा सौफ्टवेयर के लिये कोई पैसा या रौयल्टी नहीं ली जा सकती है। स्टालमेन ने कुछ वकीलों की मदद से जनरल पब्लिक लाइसेंस (General Public License) (GPL) लिखा, जिसमें इस तरह की घोषणा एवं शर्त है जो किसी भी साफटवेयर को कौपीलेफ्ट करता है। इसलिये इस तरह के सौफ्टवेर को जीपीएल्ड (GPLed) सौफ्टवेर भी कहा जता है। यानि कि फ्री सौफ्टवेर या कौपीलेफ्टेड सौफ्टवेर या गीपीएल्ड सौफ्टवेर एक ही तरह के सौफ्टवेर के पर्यायवाची शब्द हैं। हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना विधि बौद्धिक सम्पदा अधिकार सॉफ्टवेयर नि:शुल्क सॉफ्टवेयर
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हड़ताल कर रहे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) के स्‍टूडेंट्स से मुलाकात की और हर तरह की मदद का भरोसा दिया. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'मुख्यमंत्री ने स्‍टूडेंट्स से कहा कि वे उनके साथ हैं और मुद्दे को संसद में उठाने की उनकी मांग से भी सहमत हैं.' स्‍टूडेंट्स ने अरविंद केजरीवाल को अपनी चिंताओं से अवगत कराया. संस्थान के नवनियुक्त अध्यक्ष गजेंद्र चौहान को हटाने की मांग को लेकर एफटीआईआई के स्‍टूडेंट्स बीते एक महीने से अधिक समय से हड़ताल पर हैं. स्‍टूडेंट्स ने कहा कि अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए. एफटीआईआई छात्र संघ के सचिव विकास उर्स ने कहा कि केजरीवाल से उनकी बातचीत अच्छी रही. उर्स ने कहा, 'हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वे मुद्दे को आगे ले जाएंगे.' इनपुट: IANS
दानिश सिद्दीक़ी (19 मई 1983 - 15 जुलाई 2021 ) मुंबई में स्थित एक भारतीय फोटो-पत्रकार थे, जो राष्ट्रीय रॉयटर्स मल्टीमीडिया टीम के प्रमुख थे। उन्हें रोहिंग्या शरणार्थी संकट का दस्तावेजीकरण करने के लिए रायटर्स टीम के हिस्से के रूप में २०१८ में पुलित्जर पुरस्कार मिला। 2021 में, पाकिस्तान के साथ सीमा पार के पास अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान बलों के बीच झड़प को कवर करते समय उन्हें गोली मार कर हत्या कर दी गई. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा सिद्दीकी दक्षिण दिल्ली के फादर अग्नेल स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया , दिल्ली से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की । उन्होंने २००७ में जामिया में एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया। कैरियर टीवी टुडे नेटवर्क में जाने से पहले सिद्दीकी ने हिंदुस्तान टाइम्स के लिए एक संवाददाता के रूप में अपना करियर शुरू किया। रायटर में 2010 में एक प्रशिक्षु के रूप में शामिल होने के बाद से मोसुल की लड़ाई (2016-17), अप्रैल 2015 नेपाल भूकम्प, 2015 रोहिंग्या शरणार्थी संकट, 2019-2020 हांगकांग विरोध प्रदर्शन, 2020 दिल्ली दंगों, और COVID-19 महामारी में अन्य कहानियों के बीच दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप में न्यूज़ फोटोग्राफी कवर की। जुलाई 2021 से, वह तालिबान के आक्रमण का दस्तावेजीकरण करने के लिए अफगान विशेष बलों के साथ एक एम्बेडेड पत्रकार के रूप में सेवा कर रहे थे, जो उनका अंतिम कार्य होगया। पुरस्कार 2018 में, वह रोहिंग्या शरणार्थी संकट का दस्तावेजीकरण करने के लिए अदनान आबिदी के साथ फीचर फोटोग्राफी (रॉयटर्स के फोटोग्राफी स्टाफ के हिस्से के रूप में) के लिए पुलित्जर पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय बने। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ www.https://www.danishsiddiqui.net दानिश का ऑफिशियल वेबसाइट फ़ोटो पत्रकार भारतीय फोटोग्राफर्स 1983 में जन्मे लोग
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को दिल्ली हाई कोर्ट से 6 साल पुराने एक मामले में बड़ी राहत मिली है. दरअसल, कोर्ट ने स्मृति ईरानी के खिलाफ कांग्रेस नेता संजय निरुपम द्वारा दर्ज कराए गए मानहानि के केस को खत्म कर दिया है. कोर्ट ने माना है कि संजय निरुपम ने लाइव टीवी डिबेट के दौरान जिस तरह से स्मृति ईरानी पर व्यक्तिगत हमले करते हुए उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया उससे उनके ऊपर मानहानि का केस बनता है. बता दें कि एक टीवी शो के दौरान संजय निरुपम ने स्मृति ईरानी पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया था जिसके बाद दोनों ने एक- दूसरे के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया था. आज दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद मानहानि का मुकदमा स्मृति ईरानी पर खत्म हो गया, लेकिन संजय निरुपम पर चलता रहेगा. फिलहाल ये मुकदमा पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा है. अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए दोनों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी जिस पर हाईकोर्ट ने आज फैसला  स्मृति ईरानी के पक्ष में सुनाया. इससे पहले हुई सुनवाई में हाई कोर्ट में दोनों पक्षों को समझौता करने का मौका दिया था लेकिन इसके लिए ना तो स्मृति ईरानी तैयार थीं और ना ही संजय निरुपम. स्मृति ईरानी ने कोर्ट से आए इस राहत भरे आदेश पर दिल्ली हाई कोर्ट का धन्यवाद किया और ट्विटर पर लिखा कि उनकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी. पटियाला हाउस कोर्ट में इस मामले से जुड़े ट्रायल में अब तक दोनों अपने बयान दर्ज करवा चुके हैं. पटियाला हाउस कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान भी स्मृति ईरानी ने जज के सामने इस बात पर सख्त ऐतराज जताया था. संजय निरुपम ने कोर्ट रूम में भी उनके साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. बहरहाल जब मानहानि से जुड़े हुए कई मामलों में कई नेता आपसी रजामंदी से या माफी मांग कर केस को खत्म कर चुके हैं. देखना होगा कि क्या संजय निरुपम भी इस मामले में माफी मांग कर इस मामले को खत्म करेंगे या फिर ट्रायल पूरा होने के बाद कोर्ट ही इस पर अपना कुछ फैसला सुनाएगा.
यह लेख है: भारतीय मुक्केबाज मनोज कुमार को रियो ओलिंपिक में रविवार को पुरुषों की लाइट वेल्टरवेट स्पर्धा के 64 किलोग्राम भारवर्ग में हार झेलना पड़ा और इस हार के साथ वह ओलिंपिक से बाहर हो गए. मनोज कुमार को उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज फजिलिद्दीन गैब्नाजारोव ने एकतरफा मुकाबले में 3-0 से हराया. गैब्नाजारोव तीनों राउंड में सभी निर्णायकों के पूरे अंक हासिल करने में सफल रहे, जबकि मनोज कुमार को तीनों राउंड में सभी निर्णायकों ने 9-9 अंक दिए. मनोज कुमार यह मुकाबला 27-30, 27-30, 27-30 से हारे.टिप्पणियां इससे पहले, रियो ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाज मनोज कुमार ने लिथुआनियाई मुक्केबाज इवालडस पेट्रॉस्कस को धराशायी कर 64 किलोग्राम वर्ग के प्री-क्वाटर फाइलन में जगह बनाई थी. कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले मनोज ने लंदन ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता इस बॉक्सर के पंच का डटकर मुकाबला किया था और तीन राउंड का मैच 2-1 से अपने नाम कर लिया था. लंदन ओलिंपिक में मनोज भी खेले थे, लेकिन वह क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाए थे. गैब्नाजारोव तीनों राउंड में सभी निर्णायकों के पूरे अंक हासिल करने में सफल रहे, जबकि मनोज कुमार को तीनों राउंड में सभी निर्णायकों ने 9-9 अंक दिए. मनोज कुमार यह मुकाबला 27-30, 27-30, 27-30 से हारे.टिप्पणियां इससे पहले, रियो ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाज मनोज कुमार ने लिथुआनियाई मुक्केबाज इवालडस पेट्रॉस्कस को धराशायी कर 64 किलोग्राम वर्ग के प्री-क्वाटर फाइलन में जगह बनाई थी. कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले मनोज ने लंदन ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता इस बॉक्सर के पंच का डटकर मुकाबला किया था और तीन राउंड का मैच 2-1 से अपने नाम कर लिया था. लंदन ओलिंपिक में मनोज भी खेले थे, लेकिन वह क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाए थे. इससे पहले, रियो ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाज मनोज कुमार ने लिथुआनियाई मुक्केबाज इवालडस पेट्रॉस्कस को धराशायी कर 64 किलोग्राम वर्ग के प्री-क्वाटर फाइलन में जगह बनाई थी. कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले मनोज ने लंदन ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता इस बॉक्सर के पंच का डटकर मुकाबला किया था और तीन राउंड का मैच 2-1 से अपने नाम कर लिया था. लंदन ओलिंपिक में मनोज भी खेले थे, लेकिन वह क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाए थे. कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले मनोज ने लंदन ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता इस बॉक्सर के पंच का डटकर मुकाबला किया था और तीन राउंड का मैच 2-1 से अपने नाम कर लिया था. लंदन ओलिंपिक में मनोज भी खेले थे, लेकिन वह क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाए थे.
टिकटॉक (TikTok) पर इन दिनों कुछ चेहरे भी देखने को मिल जाएंगे, जो अपने लुक की वजह से अपने चहेते कलाकारों की नकल कर रहे हैं. ऐसा ही एक नाम टिकटॉक के यो यो हनी सिंह (Yo Yo Honey Singh) यानी अंकित नेगी का भी है. अंकित नेगी टिकटॉक पर मशहूर सिंगर यो यो हनी सिंह के अंदाज में नजर आते हैं, और उनके वीडियो खूब पसंद भी किए जाते हैं. यही नहीं, यो यो हनी सिंह (Yo Yo Honey Singh) का लुक लेने की वजह से उनकी फैन फॉलोइंग भी जबरदस्त अंदाज में बढ़ रही है. अंकित नेगी को एकदम से देखने पर बिल्कुल ऐसा लगता है कि जैसे यो यो हनी सिंह हो. अंकित नेगी हनी सिंह के सॉन्ग पर ही अपने एक्सप्रेशस भी देते हैं. टिकटॉक स्टार (TikTok Star) अंकित नेगी लुक के साथ ही अपने बाल भी यो यो हनी सिंह (Yo Yo Honey Singh) के अंदाज में कटवा रखे हैं और वे हनी सिंह के गानों पर खूब जौहर भी दिखाते हैं. अंकित नेगी का हनी सिंह वाला अंदाज उनके फैन्स को खूब पसंद भी आता है. इसी स्टाइल की वजह से अंकित नेगी टिकटॉक पर काफी पॉपुलर चेहरा भी है. अंकित नेगी के इन वीडियो को पसंद करने वाली की जबरदस्त संख्या है, और उनके वीडियो को काफी लाइक भी मिलते हैं. अपने अंदाज और स्टाइल की वजह से ही अंकित नेगी को टिकटॉक का यो यो हनी सिंह भी कहा जाता है. जिस तरह अंकित नेगी (Ankit Negi) को टिकटॉक का यो यो हनी सिंह (Yo Yo Honey Singh) कहा जाता है, उसी तरह प्रियंका कंडवाल (Priyanka Kandwal) टिकटॉक  की मधुबाला (TikTok Ki Madhubala) के नाम से मशहूर हैं. प्रियंका कंडवाल के ये वीडियो बॉलीवुड एक्ट्रेस मधुबाला के गानों पर आधारित हैं, जिनमें एकदम मधुबाला के अंदाज में ही नजर आ रही हैं. इस तरह टिकटॉक स्टार्स में ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो अपने पसंदीदा सितारों की नकल करते हैं, और अपने लुक की वजह से फैन्स का दिल जीतते हैं.
एप्पल के बाद बायोमैट्रिक बनाने वाली कंपनी सिनेप्टिक और मोबाइल कंपनी सैमसंग ने एंड्रॉयड स्मार्टफोन के लिए ऐसी ही तकनीक ClearForce बनाने का ऐलान किया था. अब खबर आ रही है कि चीन की मशहूर कंपनी शाओमी भी एप्पल को मात देने के लिए 3D Touch स्मार्टफोन बनाने की तैयारी में है. यह भी पढ़ें: एंड्रॉयड में जल्द आ सकता है 3D Touch चीनी टेक वेबसाइट लीक्सफ्लाइ के मुताबिक, शाओमी अपने अगले लॉन्च होने वाले स्मार्टफोन में एप्पल जैसा ही 3D टच फीचर दे सकती है. हालांकि यह 3D Touch एप्पल जैसा ही होगा या फिर अलग तरीके का होगा, इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है. पर उम्मीद है कि अगले साल तक बाजार में एप्पल के अलावा 3D टच के दूसरे स्मार्टफोन भी बाजार में उपलब्ध होंगे.
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई है. मंगलवार सुबह से डब्बाकोंटा इलाके में यह मुठभेड़ चल रही है. सुरक्षाबलों ने मौके से एक वर्दीधारी नक्सली का शव और इंसास रायफल बरामद किया है. इसके अलावा कई बड़े नक्सलियों को गोली लगने की भी खबर है. इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. #UPDATE STF, District Reserve Guard and Cobra Battalion are jointly conducting search operation in Dabbakonta, Sukma. #Chhattisgarh https://t.co/S74OdF6Amw — ANI (@ANI) July 9, 2019 इससे पहले सुकमा में मार्च महीने में सीआरपीएफ की विशेष यूनिट के साथ मुठभेड़ में चार नक्सली मारे गए थे. जगरगुंडा क्षेत्र में बीमापुर से लगभग एक किलोमीटर अंदर जंगली क्षेत्र में सुबह छह बजे कमांडो बटालियन फॉर रिजोल्यूट एक्शन (कोबरा) यूनिट के खोजी अभियान के दौरान मुठभेड़ शुरू हो गई. घटनास्थल से यूनीफॉर्म पहने चार नक्सलियों के शव, एक इंसास रायफल और दो 303 रायफलें बरामद हुईं. उधर राजनंदगांव में सुरक्षा बलों ने 28 जून को मुठभेड़ के बाद नक्सली शिविर को नष्ट कर दिया. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की 27वीं बटालियन ने महाराष्ट्र की सीमा से सटे राजनंदगांव जिले में शिविर को निशाना बनाया. आईटीबीपी और छत्तीसगढ़ पुलिस के राजनंदगांव-कांकेर-गढ़चिरौली सीमा के पास कोहकाटोली के जंगलों में भोर में करीब 4 बजे पहुंचने के बाद यह मुठभेड़ शुरू हुई. घटनास्थल पर करीब 20 से 26 विद्रोही थे जो वहां से भाग खड़े हुए. वहां से करीब 303 राइफल, 12 बोर राइफल, एक एयरगन, एक वायरलेस सेट और अन्य सामान जब्त किए गए. आईटीबीपी के एक बयान के अनुसार, ऐसा अंदेशा है कि मुठभेड़ शुरू होने पर स्थानीय नक्सल कमांडर सुख लाल जंगल में इस समूह का नेतृत्व कर रहा था.
विलियम बाउमैन (सन् १७८५ - १८५३) अमरीकी सेना में शरीरक्रिया वैज्ञानिक थे जो 'जठर क्रियाविज्ञान के जनक' (Father of Gastric Physiology) कहे जाते हैं। इनहोने मानव के पाचनतंत्र पर बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया था। इनका जन्म कृषक परिवार में हुआ था। यह कुशाग्रबुद्धि बालक आगे चलकर प्रसिद्ध वैज्ञानिक हुआ। चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा इन्होंने वैयक्तिक रूप से एक चिकित्सक से पाई और वरमांट राज्य की तृतीय मेडिकल सोसायिटी से चिकित्सावृत्ति का लाइसेंस प्राप्त किया। बाद में ये अमरीकी सेना में सर्जन के पद पर नियुक्त हो गए। शरीररचना और उसके कार्य से संबंधित अनेक बातें उन दिनों अज्ञात थीं। बाउमैंन ने अनुसन्धान किया और बताया कि आमाशय के पाचक रस क्या कार्य करते हैं और कब तक किन अवस्थाओं में यह रस नहीं बनता। बाउमैन ने पाचन के रासायनिक रूप की सूत्रमाण स्थापना की। इन कार्यों की उनके शोधप्रबंध एक्सपेरिमेंट्स ऐंड आब्ज़रवेशंस में विस्तार से चर्चा है। शरीर क्रिया विज्ञान में बाउमैन का अनुदान महत्त्वपूर्ण है। इन्होंने प्रयोग और अवलोकन को नई दिशा प्रदान की। सन्दर्भ अमेरिकी वैज्ञानिक
खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की चर्चाओं के बीच सरकार ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी विकल्प खुले हैं। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कांग्रेस द्वारा महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहयोगी दलों की राय जानने के लिए बुलाई गई संप्रग समन्वय समिति की बैठक के बाद की गई है। कमलनाथ ने बैठक के बाद कहा, ‘खाद्य सुरक्षा विधेयक पर आगे कैसे बढ़ा जाए, इस बारे में सभी विकल्प अभी भी खुले हैं। हम आने वाले दिनों में इस पर और विचार करेंगे।’ हालांकि उन्होंने कहा कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक पर कोई चर्चा नहीं हुई। सोमवार की बैठक से पहले शनिवार को कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में यह तय किया गया था कि कमलनाथ अन्य दलों के नेताओं से बातचीत करेंगे और यदि वे राजी होते हैं तो इस विधेयक के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।टिप्पणियां विपक्ष ने सरकार से मांग की है कि विधेयक के लिए विशेष सत्र की बजाय मॉनसून सत्र को ही कुछ दिन पहले बुलाया जाए। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी कुछ संशोधनों के साथ पारित कराने के पक्ष में है। उन्होंने सरकार से इस कार्य के लिए संसद के मानसून सत्र को जल्दी बुनाने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कांग्रेस द्वारा महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहयोगी दलों की राय जानने के लिए बुलाई गई संप्रग समन्वय समिति की बैठक के बाद की गई है। कमलनाथ ने बैठक के बाद कहा, ‘खाद्य सुरक्षा विधेयक पर आगे कैसे बढ़ा जाए, इस बारे में सभी विकल्प अभी भी खुले हैं। हम आने वाले दिनों में इस पर और विचार करेंगे।’ हालांकि उन्होंने कहा कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक पर कोई चर्चा नहीं हुई। सोमवार की बैठक से पहले शनिवार को कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में यह तय किया गया था कि कमलनाथ अन्य दलों के नेताओं से बातचीत करेंगे और यदि वे राजी होते हैं तो इस विधेयक के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।टिप्पणियां विपक्ष ने सरकार से मांग की है कि विधेयक के लिए विशेष सत्र की बजाय मॉनसून सत्र को ही कुछ दिन पहले बुलाया जाए। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी कुछ संशोधनों के साथ पारित कराने के पक्ष में है। उन्होंने सरकार से इस कार्य के लिए संसद के मानसून सत्र को जल्दी बुनाने की मांग की। कमलनाथ ने बैठक के बाद कहा, ‘खाद्य सुरक्षा विधेयक पर आगे कैसे बढ़ा जाए, इस बारे में सभी विकल्प अभी भी खुले हैं। हम आने वाले दिनों में इस पर और विचार करेंगे।’ हालांकि उन्होंने कहा कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक पर कोई चर्चा नहीं हुई। सोमवार की बैठक से पहले शनिवार को कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में यह तय किया गया था कि कमलनाथ अन्य दलों के नेताओं से बातचीत करेंगे और यदि वे राजी होते हैं तो इस विधेयक के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।टिप्पणियां विपक्ष ने सरकार से मांग की है कि विधेयक के लिए विशेष सत्र की बजाय मॉनसून सत्र को ही कुछ दिन पहले बुलाया जाए। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी कुछ संशोधनों के साथ पारित कराने के पक्ष में है। उन्होंने सरकार से इस कार्य के लिए संसद के मानसून सत्र को जल्दी बुनाने की मांग की। विपक्ष ने सरकार से मांग की है कि विधेयक के लिए विशेष सत्र की बजाय मॉनसून सत्र को ही कुछ दिन पहले बुलाया जाए। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी कुछ संशोधनों के साथ पारित कराने के पक्ष में है। उन्होंने सरकार से इस कार्य के लिए संसद के मानसून सत्र को जल्दी बुनाने की मांग की। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी कुछ संशोधनों के साथ पारित कराने के पक्ष में है। उन्होंने सरकार से इस कार्य के लिए संसद के मानसून सत्र को जल्दी बुनाने की मांग की।
शुक्रवार को तापसी पन्नू की फिल्म 'नाम शबाना' का ट्रेलर ट्विटर इंडिया के ऑफिस में लॉन्च किया गया. यह फिल्म 'बेबी' का प्रीक्वल है. यानी इसमें तापसी पन्नू की 'बेबी' के पहले की कहानी दिखाई जाएगी. On my way to the twitter office! As excited as u all 😁 #NaamShabanatrailer — taapsee pannu (@taapsee) February 10, 2017 किसकी कहानी पर आधारित है 'नाम शबाना', जानें यहां फिल्म में तापसी का नाम शबाना खान है. ट्रेलर देख कर तो यही अनुमान लगाया सकता है कि शबाना किसी अपने की तलाश में हैं. उनकी मदद के लिए मनोज वाजपेयी उनके साथ एक डील करते हैं. डील के मुताबिक, एजेंसी वाले उस व्यक्ति को ढूंढ़ने में शबाना की मदद करेंगे और बदले में शबाना को एजेंसी के लिए काम करना पड़ेगा. तापसी की फिल्म 'रनिंग शादी.कॉम' का ट्रेलर रिलीज फिल्म में शबाना का जबरदस्त एक्शन देखने को मिलेगा. कुछ सीन्स में अक्षय कुमार और अनुपम खेर भी दिखाई दे रहे हैं. एक वेबसाइट से बात करते हुए तापसी ने कहा, फिल्म में मेरा किरदार बहुत मजबूत है और मैं बहुत से एक्शन सीन्स करते हुए दिखूंगी. लेकिन निजी जिंदगी में मैंने कभी किसी को थप्पड़ भी नहीं मारा है. यह किरदार मेरे कंफर्ट जोन से बिल्कुल अलग था. From ordinary to extra-ordinary, this is Shabana's story before BABY. #NaamShabanaTrailer https://t.co/hyCCpvO4P4 — taapsee pannu (@taapsee) February 10, 2017 तापसी ने आगे बताया कि उन्होंने फिल्म के लिए मार्शल आर्ट्स और ताइक्वांडो  की ट्रेनिंग ली है. वो कहती हैं, शूटिंग शपुरू होने से दो महीने पहले मैंने ट्रेनिंग शुरू कर दिया था. फिल्म 31 मार्च को रिलीज होगी. देखें फिल्म का ट्रेलर:
बिना का पौधा सुंदरवन (समुन्द्र के तटीय छेत्र में उगने वाले पौधौ का वन) में पैदा होता हें, यह भारत के पश्चिम छेत्र में समुन्द्र के तटीय छेत्र में नमकिन पानी में पैदा होता है। संस्कृत में इसे अग्निमुखा एवं अग्निसिखा कहते हैं। इसकी जड़े तटीय पानी में फैली हुई और लम्बी होती है। इसके पते समान्य, उल्टे, अंडे के आकर में लम्बे होते हें. इसका वनस्पति विज्ञानं नाम र्हिजोफोरा मंगल हें. इसका फूल छत्री की तरह अन्य छोटे-छोटे फूलों से बना होता है। इसका एक ही बीज होता है जो गिरने से पहले ही फलित हो जाता है। कच्छ वनस्पति
केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर 2.50 रुपये की कटौती के बाद कई राज्यों ने भी 2.50 रुपये की कमी कर दी है. केंद्र और राज्य से मिली राहत के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमत में 5 रुपये की कमी आई है. हालांकि दिल्लीवालों को केंद्र सरकार की ओर से राहत तो मिल गई है, लेकिन राज्य सरकार से राहत मिलने का अभी भी इंतजार है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार की ओर से वैट में कटौती न किए जाने के कारण राजधानी में लोगों को सिर्फ 2.50 रुपये की राहत मिली है. यहां पेट्रोल की कीमत 81.50 रूपए और डीजल की कीमत 72.95 रूपए है. केंद्र सरकार के ऐलान के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पेट्रोल और डीजल की कीमत में  2.50 रुपए की कटौती करने का ऐलान किया. सीएम योगी के ऐलान के बाद उत्तर प्रदेश में भी लोगों को पेट्रोल और डीजल की कीमत में 5 रुपये की राहत मिली. इस ऐलान के बाद दिल्ली से सटे नोएडा में पेट्रोल की कीमत 79.08 रूपए है और डीजल की 71.10 रूपए है. यहां पर पेट्रोल और डीजल दिल्ली से सस्ता मिल रहा है. यह शायद पहला मौका है, जब एनसीआर के अन्य शहरों में दिल्ली की तुलना में सस्ता पेट्रोल और डीजल मिल रहा है. पहले जहां नोएडा के लोग दिल्ली में पेट्रोल भरवाने जाते थे, अब इसका उल्टा हो रहा है. दिल्ली के लोग राज्य सरकार से पेट्रोल और डीजल की कीमत में राहत दिए जाने की आस लगाए हैं. यहां के मयूर विहार के पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भराने आए एक बाइक सवार ने कहा कि हालत बुहत ख़राब है. पहले स्कूटी की टंकी 300 रूपए में फुल हो जाती थी, अब 400 रूपए लगते हैं. इसी तरह एक और बाइक सवार ने कहा कि केजरीवाल सरकार को भी दाम कम करने चाहिए. उन्होंने इसे दिल्ली सरकार की सबसे बड़ी नाकामी करार दिया. नोएडा के पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भराने आए एक बाइक सवार ने कहा कि दिल्ली में भी दाम कम होने चाहिए. वहीं एक दूसरे बाइक सवार ने कहा कि 5 रुपए से कुछ नहीं होगा. सरकार को पेट्रोल और डीजल की कीमत में कम से कम 10 रुपये की कमी करनी चाहिए.
इंजीनियरिंग छात्रों की बढ़ती बेरोजगारी और कॉलेजों में हर साल बढ़ती हुई खाली सीटों को देखते हुए ऑल ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्न‍िकल एजुकेशन (AICTE) ने देश भर के 800 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद करने का फैसला किया है. दाखिले में लगातार गिरावट सीटें खाली हैं और साल दर साल दाखिले में गिरावट आ रही है जिसके चलते ये सख्त फैसला लिया गया. साथ ही इन कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है. बेमिसाल है ये गुरु, जिसने छात्र की पढ़ाई के लिए बेच दिए अपने गहने मीडिया रिपोर्ट के अनुसार AICTE के अध्यक्ष अनिल दत्तात्रेय सहस्रबुद्धि ने बताया कि AICTE के कड़े नियमों के चलते हर साल करीब 150 स्कूल खुद ही बंद हो जाते हैं. काउंसिल के एक नियम के मुताबिक, जिन कॉलेजों में पिछले पांच साल से  30 प्रतिशत से कम सीटों पर ही दाखिले हुए हैं, उन्हें बंद करना होगा. AICTE की वेबसाइट के मुताबिक 2014-15 से 2017-18 तक पूरे भारत में 410 से अधिक कॉलेजों को बंद करने को मंजूरी दी है. इनमें से 20 संस्थान कर्नाटक में हैं. 2016-17 में सबसे ज्यादा संख्या में संस्थाओं को बंद करने की मंजूरी दी गई थी. प्री स्कूलों में लागू होगा एक समान पाठ्यक्रम, NCERT कर रही तैयारी तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कॉलेज ऐसे हैं, जिन्हें या तो कॉलेज बंद करना होगा, या फिर इंजीनियरिंग कॉलेजों को साइंस या आर्ट कॉलेज में बदलना पड़ेगा . पुराने स्टूडेंट्स की जारी रहेगी पढ़ाई बतादें पूरे भारत में 410 कॉलेजों को प्रोग्रेसिव क्लोजर घोषित किया गया है. जिसका मतलब है कि वो कॉलेज आगे छात्रों को एडमिशन नहीं दे सकेंगे . वहीं जो स्टूडेंट्स पहले से पढ़ रहे हैं, उनकी पढ़ाई जारी रहेगी. ये हैं आधुनिक भारत के गुरु, सैकड़ों गरीब बच्चों को बनाया आईआईटियन AICTE ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को भी अपने सिलेबस को और मॉर्डन करने की सलाह दी है, ताकि स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन ले सकें और कॉलेज बंद करने की नौबत ना आए.
एक लोकायुक्त अदालत ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, आवास मंत्री वी सोमन्ना और दो अन्य को कथित तौर पर एक भूखंड अधिसूचना से बाहर किए जाने के मामले में समन जारी करने का निर्देश दिया है।टिप्पणियां न्यायाधीश एनके सुधींद्र राव ने समन जारी करते हुए येदियुरप्पा, सोमन्ना, उनकी पत्नी और लिंगराजू नाम के एक अन्य व्यक्ति को 30 अप्रैल को उपस्थित होने को कहा। मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस ने 21 मार्च को ‘बी’ रिपोर्ट दाखिल करते हुए सोमन्ना को अपने पद के दुरूपयोग के आरोप से मुक्त कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि जब भूखंड को अधिसूचना से बाहर किया गया था, उस समय सोमन्ना न विधायक थे न ही मंत्री। मामले में येदियुरप्पा यहित अन्य आरोपियों को भी आरोपमुक्त कर दिया गया था, लेकिन इस रिपोर्ट को शिकायतकर्ता रवि कृष्ण रेड्डी ने चुनौती दी थी। न्यायाधीश एनके सुधींद्र राव ने समन जारी करते हुए येदियुरप्पा, सोमन्ना, उनकी पत्नी और लिंगराजू नाम के एक अन्य व्यक्ति को 30 अप्रैल को उपस्थित होने को कहा। मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस ने 21 मार्च को ‘बी’ रिपोर्ट दाखिल करते हुए सोमन्ना को अपने पद के दुरूपयोग के आरोप से मुक्त कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि जब भूखंड को अधिसूचना से बाहर किया गया था, उस समय सोमन्ना न विधायक थे न ही मंत्री। मामले में येदियुरप्पा यहित अन्य आरोपियों को भी आरोपमुक्त कर दिया गया था, लेकिन इस रिपोर्ट को शिकायतकर्ता रवि कृष्ण रेड्डी ने चुनौती दी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि जब भूखंड को अधिसूचना से बाहर किया गया था, उस समय सोमन्ना न विधायक थे न ही मंत्री। मामले में येदियुरप्पा यहित अन्य आरोपियों को भी आरोपमुक्त कर दिया गया था, लेकिन इस रिपोर्ट को शिकायतकर्ता रवि कृष्ण रेड्डी ने चुनौती दी थी।
बोगदा पर्वत शृंखला (मंगोल: Богд уул, बोग्द ऊल ; चीनी: 博格达山, बोगेदा शान; अंग्रेज़ी: Bogda Mountains) तियान शान पर्वत शृंखला की एक पूर्वी शाखा है जो जनवादी गणराज्य चीन की वर्तमान शिनजियांग प्रान्त में उरुम्ची शहर से ६० कि॰मी॰ पूर्व में स्थित है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ ५४४५ मीटर ऊँचा 'बोगदा पर्वत' (चीनी में 'बोगेदा फ़न्ग', मंगोल में 'बोग्द ऊल') है। यह शृंखला शिनजियांग प्रान्त के दाबानचंग रायोन (उईग़ुर: , अंग्रेज़ी: Dabancheng District) और जिम्सार ज़िले (Jimsar County) की सरहद पर खड़ी है और दोनों तरफ़ इन्हीं पहाड़ियों के नदी-झरने कृषि के लिए पानी प्रदान करते हैं। शृंखला की उत्तरी तरफ़ तियानची (Tianchi, अर्थ: स्वर्ग झील) नामक एक सुन्दर झील है। इन्हें भी देखें तियान शान शिनजियांग सन्दर्भ पर्वतमालाएँ चीन की पर्वतमालाएँ मध्य एशिया के पर्वत तियान शान शिंजियांग
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित की आखिरी चिट्ठी में आखिर क्या लिखा था और किनसे वो नाराज थीं? नाम न छापने की शर्त पर उनके करीबियों का कहना है कि शीला दीक्षित ने अपने निधन से दो दिन पहले एक पत्र सोनिया गांधी को लिखा जिसमें कहा था कि अजय माकन के इशारे पर दिल्ली कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको कुछ ऐसे कदम उठा रहे हैं जो कांग्रेस के लिए ठीक नहीं है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दिल्ली में दूसरे नंबर पर रही जबकि ये लोग गठबंधन के पक्ष में हवा बनाने में जुटे थे. शीला ने कहा कि अगर उनकी बात में  गलत हैं तो इस पर जांच करवाई जा सकती है. शीला दीक्षित इस चिट्ठी को खुद 18 जुलाई को सोनिया गांधी को देकर आई थीं फिर 19 जुलाई को उन्होंने अहमद पटेल से भी मुलाकात की. हालांकि इस चिट्ठी को उजागर नहीं किया गया है लेकिन यह साफ है कि दिल्ली कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको से अंतिम समय में उनका टकराव छिपा नहीं था.
बांग्लादेश को आईसीसी विश्व कप-2011 के उद्घाटन मुकाबले में 87 रनों से हराने के बाद छह दिनों से आराम करने वाली टीम इंडिया रविवार को इंग्लैंड के साथ होने वाले ग्रुप-बी के अहम मुकाबले के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम में उतरेगी। उद्घाटन मुकाबले के लिए भारत को स्पष्ट विजेता माना जा रहा था लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ महेंद्र सिंह धोनी के साथियों को जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। इंग्लैंड बेशक एकदिवसीय क्रिकेट में ताकत का दर्जा नहीं रखता लेकिन उसमें किसी भी टीम को हराने की क्षमता है। इस लिहाज से भारत को अपना दूसरा मैच जीतकर खिताब के दावेदार के तौर पर स्थिति मजबूत करने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना होगा। उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती इंग्लिश गेंदबाजों की ऊंची उठती गेंदें होंगी, जो हाल के दिनों में कई भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी के तौर पर सामने आई हैं। इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड कह चुके हैं कि उनकी टीम भारतीय बल्लेबाजों की इस कमजोरी का फायदा उठाने का प्रयास करेगी। ब्रॉड के अलावा जेम्स एंडरसन भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे। वैसे भी टीम इंडिया पहले से ही कई मुश्किलों से घिरी पड़ी है। शुक्रवार को अभ्यास करते वक्त वीरेंद्र सहवाग की पसली में चोट लगी थी जबकि एक दिन पहले युवराज सिंह अभ्यास करते वक्त चोटिल हो गए थे। इसी सोमवार को सचिन तेंदुलकर को अपनी कोहनी का एमआरआई स्कैन कराना पड़ा था। अच्छी बात यह है कि छोटी-मोटी परेशानियों के अलावा भारत के पास किसी खिलाड़ी के गम्भीर रूप से चोटिल होने की कोई बुरी खबर नहीं है। टीम प्रबंधन ने साफ कर दिया है कि सहवाग रविवार को खेलेंगे। इसी तरह युवराज और सचिन को भी खेलने के लिए हरी झंडी मिल गई है। छह दिनों के वक्त ने टीम इंडिया के कई प्रमुख खिलाड़ियों को पूरी तरह फिट होने में मदद की है। इनमें जहीर खान प्रमुख हैं। जहीर विश्व कप से पहले खेले गए दोनों अभ्यास मैचों में नहीं खेल सके थे। वह बेशक बांग्लादेश के खिलाफ खेले थे लेकिन अपनी पूरी लय में नहीं दिखे थे। आराम के इस क्षण ने शांताकुमारन श्रीसंत को कोच गैरी कर्स्टन से कुछ गुर सीखने का समय दे दिया है। श्रीसंत ने बांग्लादेश के खिलाफ पांच ओवरों में 53 रन लुटाए थे। बेंगलुरू में बीते तीन दिनों से कभी-कभार बारिश हो रही है और इस कारण पिच को अंतिम रूप देने में दिक्कत आ रही है। शनिवार को अच्छी धूप खिली और इससे पिच पर मौजूद नमी को हटने की उम्मीद की जा रही है। इसके बावजूद पिच में अपेक्षाकृत अधिक नमी रहेगी और यही बात कप्तानों को टीम संयोजन तैयार करने को लेकर परेशान करेगी। भारत चार विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ खेलना चाहेगा लेकिन इंग्लैंड पांच गेंदबाजों को मैदान में उतारने के पक्ष में दिखाई दे रहा है। भारत को किसी भी हाल में दो स्पिनर खिलाने होंगे क्योंकि आस्ट्रेलिया के खिलाफ यहां खेले गए अभ्यास मैच में स्पिनरों ने ही उसकी नैया पार लगाई थी। उस मैच के शुरुआती क्षणों में पिच ने तेज गेंदबाजों को मदद पहुंचाया था लेकिन बाद में वह स्पिनरों की दोस्त बनकर सामने आई थी। बेंगलुरू में बड़ा स्कोर बनने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है लेकिन दोनों टीमों के बीच मुकाबला कांटे का होगा, इसकी पूरी सम्भावना है। इंग्लैंड बेशक ऑस्ट्रेलिया से 1-6 से एकदिवसीय श्रृंखला हारकर विश्व कप के लिए भारत पहुंचा है लेकिन उसमें दिग्गजों को हराने की क्षमता है। एशेज जीतने के बाद वैसे ही इंग्लैंड के हौसले बुलंद हैं। इसके अलावा उसके पास कप्तान एंड्रयू स्ट्रास, जोनाथन ट्रॉट, केविन पीटरसन, रवि बोपारा, इयान बेल, पॉल कोलिगवुड और मैट प्रायर जैसे बल्लेबाज हैं। प्रयार को छोड़कर बाकी सभी खिलाड़ियों ने हाल के दिनों में अपना फार्म वापस पा लिया है। गेंदबाजी में इंग्लैंड के पास ग्रीम स्वान जैसा विशेषज्ञ स्पिनर है जो हालात मुताबिक होने पर किसी भी बल्लेबाजी क्रम को नेस्तनाबूत कर सकता है। साथ ही साथ इंग्लैंड को अपने सबसे भरोसेमंद तेज गेंदबाज ब्रॉड से सबसे अधिक उम्मीद रहेगी। एंडरसन के रूप में ब्रॉड के पास अच्छा साथी है जबकि टिम ब्रेस्नन  इस तिकड़ी का अहम हिस्सा हैं। बेंगलुरू में बीते दिनों टिकटों के लिए जिस स्तर का संघर्ष देखने को मिला, उससे तो यही लगता है कि इस मुकाबले को देखने के लिए 40,000 से अधिक लोग चिन्नास्वामी स्टेडियम का रुख करेंगे। टीमें इस प्रकार हैं : भारत : महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग, रविचंद्रन अश्विन, पीयूष चावला, गौतम गम्भीर, हरभजन सिंह, जहीर खान, विराट कोहली, प्रवीण कुमार, आशीष नेहरा, मुनाफ पटेल, यूसुफ पठान, सुरेश रैना, सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह। इंग्लैंड : एंड्रयू स्ट्रॉस, जेम्स एंडरसन, इयान बेल, टिम ब्रेस्नन, स्टुअर्ट ब्रॉड, पॉल कोलिंगवुड, केविन पीटरसन, मैट प्रायर, अजमल शहजाद, ग्रीम स्वान, जेम्स ट्रेडवेल, जोनाथन ट्रॉट, ल्यूक राइट, माइकल यार्डी, रवि बोपारा।
जनलोकपाल बिल को लेकर दिल्‍ली सरकार और एलजी नजीब जंग के बीच टकराव बढ़ गया है. शुक्रवार को एलजी ने विधानसभा स्‍पीकर एमएस धीर से यह साफ कर दिया कि बिना मंजूरी के बिल को विधानसभा में पेश नहीं कर सकते. दिल्‍ली के एलजी नजीब जंग ने स्‍पीकर को एक चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी में उन्‍होंने यह साफ कर दिया कि इस बिल को मेरी मंजूरी नहीं है. और बिना मंजूरी के यह बिल विधानसभा में पेश नहीं हो सकता है. उधर, आम आदमी पार्टी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एलजी नजीब जंग ने बिल पेश करने को लेकर कोई टिप्‍पणी नहीं की है. गौरतलब है कि कांग्रेस का इस बिल को समर्थन नहीं है. कांग्रेसी नेता हारून यूसुफ का कहना है कि यह बिल असंवैधानिक है और इसे सदन में हम समर्थन नहीं देंगे. मालूम हो कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा था कि यदि शुक्रवार को विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के अनिश्चितकालीन बंद के ऐलान के बाद पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग जिले में लगातार तीसरे दिन स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, लेकिन शुक्रवार को किसी तरह की अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। पुलिस की गोलीबारी में मारे गए दो कार्यकर्ताओं के विरोध में जीजेएम ने अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया है। दार्जीलिंग के जिलाधिकारी पीएमके गांधी ने कहा कि इलाके में तनाव बरकरार है, लेकिन किसी तरह की हिंसा की सूचना नहीं है। स्थिति नियंत्रण में है। अनिश्चितकालीन बंद का असर दार्जीलिंग, कलिंगपोंग और कुर्सीयांग इलाकों में देखने को मिला। बंद के दौरन बाजार, दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और कार्यालय पूरी तरह से बंद रहे और सड़कों पर बसों की आवाजाही भी बंद रही। बंद के दौरान जीजेएम समर्थकों ने तीनों पहाड़ी इलाकों में रैली निकाल कर नारेबाजी की। कोलकाता से लगभग 635 किलोमीटर दूर प्रमुख पर्यटन स्थल दार्जीलिंग में सन्नाटा छाया हुआ था। इलाके में कहीं-कहीं केवल जीजेएम कार्यकर्ता ही दिखाई दे रहे थे। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को जलपाई गुड़ी जिले में पुलिस की गोलीबारी में जीजेएम के दो समर्थकों की मौत के बाद चारों ओर हिंसा फैल गई थी। इस घटना के बाद प्रदर्शनकारियों ने दो पुलिस चौकियों और अन्य सरकारी कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया था। जीजेएम समर्थकों ने कथित तौर पर राइफल और कारतूस लूट लिए। यह घटना मंगलवार रात को बुधवार की सुबह हुई। इस घटना के बाद पुलिस ने कथित तौर पर हिंसा में शामिल होने के आरोप में जीजेएम के अध्यक्ष बिमल गुरुंग सहित पांच नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह हिंसा जलपाईगुड़ी के नगराकाता से शुरू हुई थी। पुलिस महानिरीक्षक रणधीर कुमार ने कहा, हमने गैर-जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस पर हमले के अलावा प्रदर्शनकारियों ने पुलिस चौकियों और सरकारी इमारतों को भी जला दिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जवानों का हौसला कम नहीं हुआ है. ऐसी घटनाओं से हमारा या जवानों का मनोबल कम नहीं होगा. नई प्रतिज्ञा, विश्वास और जिद के साथ नक्सलियों को जवाब दिया जाएगा तथा उन्हें पूरी तरह से समाप्त किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सीमा पर जिस तरह हमारे जवान लड़ रहे हैं यह लड़ाई भी किसी दृष्टि से कम नहीं है. यह इससे भी बड़ी और कठीन लड़ाई है क्योंकि हम यहां अज्ञात के खिलाफ लड़ते हैं. इस दौरान रमन सिंह मंत्रिमंडल के सदस्य, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी समेत अन्य ​वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में मंगलवार को नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर एंटी लैंडमाइन ​व्हीकल को उड़ा दिया था. इस घटना में सीआरपीएफ के नौ जवान शहीद हो गए हैं तथा दो अन्य घायल हैं.   इस दौरान रमन सिंह मंत्रिमंडल के सदस्य, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी समेत अन्य ​वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में मंगलवार को नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर एंटी लैंडमाइन ​व्हीकल को उड़ा दिया था. इस घटना में सीआरपीएफ के नौ जवान शहीद हो गए हैं तथा दो अन्य घायल हैं.
विकासशील देशों में आज भी रेडियो की लोकप्रियता बनी हुई है, भारत में भी इसे लगभग हर शहर में सुना जाता है. आज यानी कि 13 फरवरी को हर साल वर्ल्ड रेडियो दिवस मनाया जाता है. जानिये रेडियो से जुड़ी कई दिलचस्प बातें... दुनियाभर में 51,000 रेडियो स्टेशन हैं.वहीं भारत में 239 निजी रेडियो स्टेशन हैं. अब्राहम लिंकन से सीखें गिरकर संभलना भारत में FM रेडियो उद्योग दोगुना वृद्ध‍ि की ओर दिख रहा है. साल 2019 तक इसके 656 मिलियन होने की उम्मीद है. विकासशील देशों के करीब 75 प्रतिशत घरों में रेडियो की मौजूदगी पाई जाती है. अलविदा 'किंग ऑफ इंडियन रोड', जानें एंबेसडर की 10 खास बातें रेडिया को किसी एक व्यक्त‍ि ने नहीं बल्क‍ि जेम्स कर्ल्क मैक्सवेल, माहलोन लूमिस और गुगलील्मो मारकोली की कोशिशों की वजह से ही रेडियो तैयार हो पाया. रेडियो ने देश और दुनिया को जोड़ने का काम किया है, क्योंकि इसकी वजह से लोग दुनिया के हर कोने की खबरों से रु-ब-रु होते थे और अब भी होते हैं. इसलिए UNESCO ने 13 फरवरी को रेडियो दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया. अध‍िकारिक तौर पर पहली बार साल 2012 में 13 फरवरी को रेडियो दिवस मनाया गया. बचपन में भी गुस्सैल थे विराट, समझाने के लिए थप्पड़ तक लगा देते थे कोच दरअसल, साल 1946 में 13 फरवरी को ही अमेरिका में पहली बार रेडियो ट्रांसमिशन से संदेश भेजा गया था. भारत के वि‍भि‍न्न हिस्सों में रेडियाे दिवस के उपलक्ष में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. मसलन साल 2016 में उड़‍िसा में दो दिनों तक इंटरनेशनल रेडियो फेयर मनाया गया था.
यह लेख है: पंजाब में आज 117 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है. राज्य के लगभग दो करोड़ मतदाता 11 सौ उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे. चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा-अकाली दल, कांग्रेस और पहली बार किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.टिप्पणियां चुनावों में मतदाताओं के जनादेश पाने की होड़ में सत्तारुढ़ अकाली दल के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से लेकर, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान और कांग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बादल समेत राजनीति की कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं. पंजाब में जिन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वे इस तरह हैं-   चुनाव परिणाम 11 मार्च को 4 अन्य राज्यों के चुनावी नतीजों के साथ घोषित किए जाएंगे. पंजाब समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं. चुनावों में मतदाताओं के जनादेश पाने की होड़ में सत्तारुढ़ अकाली दल के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से लेकर, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान और कांग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बादल समेत राजनीति की कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं. पंजाब में जिन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वे इस तरह हैं-   चुनाव परिणाम 11 मार्च को 4 अन्य राज्यों के चुनावी नतीजों के साथ घोषित किए जाएंगे. पंजाब समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं. पंजाब में जिन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वे इस तरह हैं-   चुनाव परिणाम 11 मार्च को 4 अन्य राज्यों के चुनावी नतीजों के साथ घोषित किए जाएंगे. पंजाब समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं.
दो बार की चैम्पियन चेन्नई सुपर किंग्स टीम रविवार को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 49वें मुकाबले में मुम्बई इंडियंस से दो-दो हाथ करेगी। सुपर किंग्स जहां मुम्बई से बीते दिनों चेन्नई में मिली हार का हिसाब बराबर करने के अलावा अपनी लगातार आठवीं जीत चाहेगी वहीं मुम्बई का लक्ष्य बीते मुकाबले में सनराइजर्स हैदराबाद से मिली हार के गम को भुलाकर जीत की पटरी पर लौटना होगा। सनराइजर्स ने हैदराबाद में मुम्बई को हराकर उसका तीन मैचों से चला आ रहा विजय रथ रोक दिया था। उस हार ने मुम्बई को तालिका में शीर्ष-3 से बाहर कर दिया था लेकिन अब मुम्बई की टीम फिर से इस सूची में वापसी चाहेगी। फिलहाल मुम्बई के 10 मैचों से 12 अंक हैं और वह तालिका में चौथे क्रम पर है। राजस्थान रॉयल्स भी इतने ही अंकों के साथ तीसरे क्रम पर है लेकिन उसका नेट रन रेट मुम्बई से बेहतर है। सुपर किंग्स तालिका में 18 अंकों के साथ मजबूती से शीर्ष पर कायम हैं। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के 14 अंक हैं। सुपर किंग्स ने लगातार सात मैचों में जीत हासिल की है और अब आठवां मैच जीतकर आईपीएल-6 में पहली बार 20 अंकों के आंकड़े को छूने वाली टीम बनना चाहेगी। टिप्पणियां मुम्बई और चेन्नई के बीच रोमांचक भिड़ंत की आस है क्योंकि दोनों टीमें मजबूत और संतुलित हैं। सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में काफी तरक्की की है जबकि रिकी पोंटिंग के स्थान पर कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा की देखरेख में मुम्बई ने भी अपना प्रभाव दिखाया है। वानखेड़े में मुम्बई को हराना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सुपर किंग्स के लिए यह काम आसान भी हो सकता है क्योंकि उसके कई खिलाड़ी शानदार लय में हैं। कुछ हद तक गेंदबाजी उसके लिए चिंता का विषय हो सकती है लेकिन बल्लेबाज उसे इतनी ताकत प्रदान कर देते हैं कि गेंदबाजों का काम आसान हो जाता है। सुपर किंग्स जहां मुम्बई से बीते दिनों चेन्नई में मिली हार का हिसाब बराबर करने के अलावा अपनी लगातार आठवीं जीत चाहेगी वहीं मुम्बई का लक्ष्य बीते मुकाबले में सनराइजर्स हैदराबाद से मिली हार के गम को भुलाकर जीत की पटरी पर लौटना होगा। सनराइजर्स ने हैदराबाद में मुम्बई को हराकर उसका तीन मैचों से चला आ रहा विजय रथ रोक दिया था। उस हार ने मुम्बई को तालिका में शीर्ष-3 से बाहर कर दिया था लेकिन अब मुम्बई की टीम फिर से इस सूची में वापसी चाहेगी। फिलहाल मुम्बई के 10 मैचों से 12 अंक हैं और वह तालिका में चौथे क्रम पर है। राजस्थान रॉयल्स भी इतने ही अंकों के साथ तीसरे क्रम पर है लेकिन उसका नेट रन रेट मुम्बई से बेहतर है। सुपर किंग्स तालिका में 18 अंकों के साथ मजबूती से शीर्ष पर कायम हैं। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के 14 अंक हैं। सुपर किंग्स ने लगातार सात मैचों में जीत हासिल की है और अब आठवां मैच जीतकर आईपीएल-6 में पहली बार 20 अंकों के आंकड़े को छूने वाली टीम बनना चाहेगी। टिप्पणियां मुम्बई और चेन्नई के बीच रोमांचक भिड़ंत की आस है क्योंकि दोनों टीमें मजबूत और संतुलित हैं। सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में काफी तरक्की की है जबकि रिकी पोंटिंग के स्थान पर कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा की देखरेख में मुम्बई ने भी अपना प्रभाव दिखाया है। वानखेड़े में मुम्बई को हराना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सुपर किंग्स के लिए यह काम आसान भी हो सकता है क्योंकि उसके कई खिलाड़ी शानदार लय में हैं। कुछ हद तक गेंदबाजी उसके लिए चिंता का विषय हो सकती है लेकिन बल्लेबाज उसे इतनी ताकत प्रदान कर देते हैं कि गेंदबाजों का काम आसान हो जाता है। सनराइजर्स ने हैदराबाद में मुम्बई को हराकर उसका तीन मैचों से चला आ रहा विजय रथ रोक दिया था। उस हार ने मुम्बई को तालिका में शीर्ष-3 से बाहर कर दिया था लेकिन अब मुम्बई की टीम फिर से इस सूची में वापसी चाहेगी। फिलहाल मुम्बई के 10 मैचों से 12 अंक हैं और वह तालिका में चौथे क्रम पर है। राजस्थान रॉयल्स भी इतने ही अंकों के साथ तीसरे क्रम पर है लेकिन उसका नेट रन रेट मुम्बई से बेहतर है। सुपर किंग्स तालिका में 18 अंकों के साथ मजबूती से शीर्ष पर कायम हैं। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के 14 अंक हैं। सुपर किंग्स ने लगातार सात मैचों में जीत हासिल की है और अब आठवां मैच जीतकर आईपीएल-6 में पहली बार 20 अंकों के आंकड़े को छूने वाली टीम बनना चाहेगी। टिप्पणियां मुम्बई और चेन्नई के बीच रोमांचक भिड़ंत की आस है क्योंकि दोनों टीमें मजबूत और संतुलित हैं। सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में काफी तरक्की की है जबकि रिकी पोंटिंग के स्थान पर कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा की देखरेख में मुम्बई ने भी अपना प्रभाव दिखाया है। वानखेड़े में मुम्बई को हराना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सुपर किंग्स के लिए यह काम आसान भी हो सकता है क्योंकि उसके कई खिलाड़ी शानदार लय में हैं। कुछ हद तक गेंदबाजी उसके लिए चिंता का विषय हो सकती है लेकिन बल्लेबाज उसे इतनी ताकत प्रदान कर देते हैं कि गेंदबाजों का काम आसान हो जाता है। फिलहाल मुम्बई के 10 मैचों से 12 अंक हैं और वह तालिका में चौथे क्रम पर है। राजस्थान रॉयल्स भी इतने ही अंकों के साथ तीसरे क्रम पर है लेकिन उसका नेट रन रेट मुम्बई से बेहतर है। सुपर किंग्स तालिका में 18 अंकों के साथ मजबूती से शीर्ष पर कायम हैं। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के 14 अंक हैं। सुपर किंग्स ने लगातार सात मैचों में जीत हासिल की है और अब आठवां मैच जीतकर आईपीएल-6 में पहली बार 20 अंकों के आंकड़े को छूने वाली टीम बनना चाहेगी। टिप्पणियां मुम्बई और चेन्नई के बीच रोमांचक भिड़ंत की आस है क्योंकि दोनों टीमें मजबूत और संतुलित हैं। सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में काफी तरक्की की है जबकि रिकी पोंटिंग के स्थान पर कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा की देखरेख में मुम्बई ने भी अपना प्रभाव दिखाया है। वानखेड़े में मुम्बई को हराना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सुपर किंग्स के लिए यह काम आसान भी हो सकता है क्योंकि उसके कई खिलाड़ी शानदार लय में हैं। कुछ हद तक गेंदबाजी उसके लिए चिंता का विषय हो सकती है लेकिन बल्लेबाज उसे इतनी ताकत प्रदान कर देते हैं कि गेंदबाजों का काम आसान हो जाता है। सुपर किंग्स तालिका में 18 अंकों के साथ मजबूती से शीर्ष पर कायम हैं। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के 14 अंक हैं। सुपर किंग्स ने लगातार सात मैचों में जीत हासिल की है और अब आठवां मैच जीतकर आईपीएल-6 में पहली बार 20 अंकों के आंकड़े को छूने वाली टीम बनना चाहेगी। टिप्पणियां मुम्बई और चेन्नई के बीच रोमांचक भिड़ंत की आस है क्योंकि दोनों टीमें मजबूत और संतुलित हैं। सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में काफी तरक्की की है जबकि रिकी पोंटिंग के स्थान पर कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा की देखरेख में मुम्बई ने भी अपना प्रभाव दिखाया है। वानखेड़े में मुम्बई को हराना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सुपर किंग्स के लिए यह काम आसान भी हो सकता है क्योंकि उसके कई खिलाड़ी शानदार लय में हैं। कुछ हद तक गेंदबाजी उसके लिए चिंता का विषय हो सकती है लेकिन बल्लेबाज उसे इतनी ताकत प्रदान कर देते हैं कि गेंदबाजों का काम आसान हो जाता है। मुम्बई और चेन्नई के बीच रोमांचक भिड़ंत की आस है क्योंकि दोनों टीमें मजबूत और संतुलित हैं। सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में काफी तरक्की की है जबकि रिकी पोंटिंग के स्थान पर कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा की देखरेख में मुम्बई ने भी अपना प्रभाव दिखाया है। वानखेड़े में मुम्बई को हराना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सुपर किंग्स के लिए यह काम आसान भी हो सकता है क्योंकि उसके कई खिलाड़ी शानदार लय में हैं। कुछ हद तक गेंदबाजी उसके लिए चिंता का विषय हो सकती है लेकिन बल्लेबाज उसे इतनी ताकत प्रदान कर देते हैं कि गेंदबाजों का काम आसान हो जाता है। वानखेड़े में मुम्बई को हराना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सुपर किंग्स के लिए यह काम आसान भी हो सकता है क्योंकि उसके कई खिलाड़ी शानदार लय में हैं। कुछ हद तक गेंदबाजी उसके लिए चिंता का विषय हो सकती है लेकिन बल्लेबाज उसे इतनी ताकत प्रदान कर देते हैं कि गेंदबाजों का काम आसान हो जाता है।
जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के मसले पर बैठक के बीच पीडीपी ने महबूबा मुफ्ती को पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए चुन लिया है. गुरुवार को उन्हें निर्विरोध तौर पर पीडीपी विधायकों के दल का नेता चुना गया. #FLASH Mehbooba Mufti unanimously elected as the leader of PDP legislature party. — ANI (@ANI_news) March 24, 2016 शुक्रवार को राज्यपाल से मिलेंगी महबूबा महबूबा मुफ्ती के घर पर हो रही बैठक में बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के मसले पर चर्चा की गई. महबूबा ने खुद को नेता चुनने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को शुक्रिया कहा. शुक्रवार को वह राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात करनेवाली हैं. Visuals from PDP MLAs meeting at Mehbooba Mufti’s residence (J&K) pic.twitter.com/lTkT80lVhV — ANI (@ANI_news) March 24, 2016 और भी... https://aajtak.intoday.in/video/mehbooba-unanimously-elected-as-the-leader-of-pdp-legislature-party-1-860742.html राज्यपाल ने बीजेपी-पीडीपी नेताओं को बुलाया राज्यपाल ने इस दिन दोनों दलों के प्रदेश अध्यक्ष को बुलाया है. उन्होंने सरकार बनाने पर फिर से एक पहल की है. पूर्व मुख्यमंत्री मोहम्मद सईद के निधन के बाद जनवरी महीने से जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा हुआ है.
भारत की दस दिग्गज कंपनियों ने मिलकर एक नई सामूहिक संस्था डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) के गठन की घोषणा की है. ये कंपनियां सामूहिक रूप से मिलकर भारत की ऑनलाइन ऑडियंस में 70 फीसदी की हिस्सेदारी रखती हैं. यह संगठन भारतीय ऑडियंस को सभी भाषाओं में सबसे विश्वसनीय खबरें उपलब्ध कराने, सेल्फ-रेगुलेशन करने और सभी सदस्यों के कारोबारी और संपादकीय हितों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. गौरतलब है कि भारत में डिजिटल स्पेस काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है और डीएनपीए का गठन इसलिए किया गया है ताकि इस उद्योग की मौजूदा और भविष्य की संभावनाओं के ज्यादा से ज्यादा विस्तार के लिए सहयोग करने का रास्ता तलाशा जा सके. इस संस्था के 10 संस्थापक सदस्य इस प्रकार हैं: इंडिया टुडे ग्रुप, दैनिक भास्कर, एनडीटीवी, हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, अमर उजाला, दैनिक जागरण, ईनाडु और मलयाला मनोरमा. DNPA एक स्व-वित्तपोषित संस्था है और इससे जुड़ने के लिए सभी प्रकाशनों से मामूली शुल्क लिया जाता है. यह संगठन किसी भी ऑनलाइन न्यूज प्रकाशन के लिए खुला है, लेकिन बोर्ड की मंजूरी के बाद ही किसी को सदस्यता मिलेगी.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) सरकार ने कैबिनेट बैठक को लेकर अनोखा फैसला किया है. राज्य सरकार (CM Yogi) के इस फैसले के मुताबिक सीएम योगी  (CM Yogi) अपनी कैबिनेट की बैठक प्रयागराज स्थित कुंभ (Kumbh 2019)  मेले में करने जा रहे हैं. 29 जनवरी यानी मंगलवार को होने वाली इस बैठक को लेकर कुंभ (Kumbh 2019)  मेले में सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. अभी तक मिली जानकारी के अनुसार बैठक के बाद मुख्यमंत्री कुंभ (Kumbh 2019)  में पवित्र संगम में स्नान भी करेंगे . मुख्यमंत्री (CM Yogi) के साथ मंत्रिमंडल के उनके सहयोगी भी स्नान कर सकते हैं. इसे लेकर कुंभ में हर तरह की तैयारी पूरी कर ली गई है.  यूपी के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने को बताया कि 29 जनवरी को कैबिनेट की बैठक प्रयागराज में कुंभ मेला स्थल के इंट्रीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर में होगी. यह बैठक सुबह साढ़े दस बजे आरंभ होगी. बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी कुंभ के पवित्र संगम में स्नान भी करेंगे. स्नान के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पूरे मंत्रिमंडल के सदस्य 450 साल के बाद खोले गए अक्षयवट और पवित्र सरस्वती कूप के दर्शन करेंगे. अवस्थी के अनुसार यह सभी कार्यक्रम दोपहर तीन बजे तक पूरे हो जायेंगे. बता दें कुछ दिन पहले ही यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कुंभ में स्नान किया था. इसके बाद अखिलेश ने संगम स्थित बड़े हनुमानजी के दर्शन किए और फिर राष्ट्रीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी जी महाराज के कुंभ स्थित आश्रम में गए थे. इस मौके पर अखिलेश यादव ने कहा था कि जब सम्राट हर्षवर्धन यहां आते थे तो सब कुछ दान करके चले जाते थे. सरकार ने अभी तक कुछ दान नहीं किया. हम चाहेंगे कि केंद्र सरकार यहां पर स्थित किला प्रदेश सरकार को दान कर दे. कुंभ मेले में श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा में इसके सचिव नरेंद्र गिरि और अन्य साधु संतों के साथ प्रसाद ग्रहण करने के बाद अखिलेश ने संवाददाताओं से कहा था कि प्रदेश सरकार अगली कैबिनेट बैठक कुम्भ मेले में करने जा रही है. योगी सरकार इस कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर इसे केंद्र के पास भेज दे. कुंभ खत्म होते-होते कम से कम किला तो दिलवा दें.”सपा प्रमुख ने कहा, “फौज को अगर जगह चाहिए तो हमारे पास चंबल यमुना के पास बहुत जगह है. जितनी चाहे उतनी जगह फौज को दे दें.” उल्लेखनीय है कि केंद्र की पहल पर हाल ही में किला स्थित अक्षयवट और सरस्वती कूप को आम लोगों के दर्शन के लिए खोला गया है. अकबर द्वारा बनवाया गया यह किला सेना से नियंत्रण में है. समाजवादी पार्टी पर जातिगत राजनीति के आरोप लगाए जाने के बारे में पूछे जाने पर सपा प्रमुख ने कहा, “हम चाहते हैं कि सभी जातियों की गणना कर ली जाए. किसी जाति को दूसरी जाति के प्रति नफरत फैलाने का मौका न मिले. मैं गंगा मइया की कसम खाकर आपको भरोसा दिलाता हूं कि हम सत्ता में आए तो जातियों के आंकड़े सार्वजनिक करेंगे.”  प्रदेश सरकार द्वारा अर्द्धकुंभ का नाम कुंभ किए जाने के बारे में पूछने पर अखिलेश यादव ने कहा, “संगम और अर्द्धकुंभ, नाम बदल जाए, रंग बदल जाए और कुंभ के किनारे कैबिनेट हो जाए. अगर किसान खुशहाल न हो, नौजवानों को नौकरी न मिले तो सब बातें अधूरी रह जाती हैं.”  अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि से यह पूछे जाने पर क्या 2019 के आम चुनावों के लिए वह अखिलेश यादव को आशीर्वाद देंगे, नरेंद्र गिरि ने कहा, 'पूरा का पूरा आशीर्वाद है'.
मांडी पानीपत (Mandi Panipat) गांव मांडी, तहसील इसराना,जिला पानीपत,हरियाणा जनसंख्या :7454 समय जोन :IST (UTC+5:30) समुंद्र तल से ऊंचाई :231 मीटर गांव का इतिहास पानीपत जिले का मांडी गाँव धनाना से आये घनगस गोत्र के जाटों ने लगभग 11-12 वी शताब्दी के आसपास बसाया था । पहले गाँव को इसराना के पास जहाँ आजकल तहसील है वहाँ बसाया था, पर वहां का पानी खराब होने के कारण गाँव वर्तमान स्थान पर बसा । Report on the Revision of Settlement of the Panipat Tahsil and Karnal Parganah of the Karnal District के लेखक Denzil Charles Jelf Ibbetson के अनुसार मांडी गाँव इलाके में बहुत बड़ा तपा था । जब अंग्रेज इस इलाके पर काबिज हुए और उन्होंने कानून बनाने शुरू किए तो उन्होंने कानून में customary law आम चलन के रीति रिवाज को शामिल करते हुए लिखा कि जब गांव बसा तब से मांडी गांव के जाटों में जमीन का बटवारा चुंडाबाट आधार पर किया जाता है अंग्रेजो ने भी जब नई लैंड स्टेलमेंट लागू की तो चुंडाबाट (per head) को आधार बनाया। गांव में कई जमीन के मुकदमों का फैसला भी अदालतों ने इसी रिवाज को आधार मान कर किया। Gallant Haryana, The First and Crucial Battlefield of AD 1857 नामक किताब के लेखक C.B. Singh Sheoran ने किताब में लिखा है कि 1857 के प्रथम स्वत्रंत्रता सग्राम में इस इलाके में सबसे पहले मांडी गाँव ने व 15 अन्य पडोसी गावों ने अंग्रजो को लगान देने से इंकार कर दिया और लड़ाई में भाग लेने रोहतक चले गए । वहां से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने दिल्ली गए और २२ दिन बाद वापिस आये । धार्मिक स्थल गांव में मुख्य मार्ग पर श्री बाल गौपाल कृष्ण गौशाला है जिसमे समस्त गांव के सहयोग से बेसहारा गायों की सेवा की जाती है। गांव मांडी में आर्य समाज का भी खूब प्रभाव रहा है। गांव में गुग्गा वीर का प्राचीन मंदिर है जिसकी सेवा के लिए एक समिति बनाई गई है। यहां पर चैत की नौवीं को गुग्गा वीर की स्मृति में बहुत बड़ा मेला लगता है और कुश्ती प्रतियोगिता के लिए दंगल का आयोजन सैकड़ों वर्षों से आयोजित ही रहा है। गांव में सरकारी स्कूल के पास एक प्राचीन शिव भी बना हुआ है। गांव में लख़नाथ पाना के बड़े जोहड़ (तालाब) के समीप साईं मंदिर बना हुआ है। Notable Persons स्वतंत्रता सेनानी श्री मौजी राम मांडी, आजादी के लिए जेल जाने वाले स्वतंत्रता सेनानी मौजी राम कलसान का जन्म सन 1897 में गांव मांडी में हुआ था। श्री मौजी राम आजादी से पहले कांग्रेस के सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे, वे मौची का काम करते थे आजादी के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लेते थे और आजादी के लिए कांग्रेस द्वारा किए आंदोलन में 1934 में जेल गए थे। अंग्रेजी सरकार ने उन्हें छः महीने जेल की सजा सुनाई और पचास रुपए जुर्माना भी लगाया। उन्हें रोहतक जेल में रखा गया। 1947, में आजादी मिली बाद उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन भी मिली थी। स्वर्गीय चौधरी रामकिशन घनगस - मांडी गावं के प्रसिद्ध समाजसेवी स्वर्गीय चौधरी रामकिशन घनगस भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे है, वे जाट महासभा हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रहे थे। चौधरी रणदीप घनगस Randeep Ghangas - हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया कॉर्डिनेटर है । चंडीगढ़ में एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र में संपादक के पद पर कार्यरत रहे है । भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) के प्रदेश अध्यक्ष रहे है । इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय सचिव रहे है । आल इण्डिया न्यूज़पेपर एडिटर कांफ्रेंस, नई दिल्ली के सदस्य रहे है एवं स्टेट मीडिया एक्रिडेशन कमेटी चंडीगढ़ हरियाणा सरकार के सदस्य भी रहे है । डा. संदीप घनगस - गाँव मांडी के MBBS करने वाले पहले डाक्टर है आज कल पानीपत में बच्चो के डाक्टर है । चौधरी राजबीर घनगस एडवोकेट - हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय में सहायक महाअधिवक्ता के पद पर कार्यरत है । चौधरी प्रदीप कुमार घनगस - हरियाणा पर्यटन विभाग में सेवारत है। चौधरी प्रदीप कुमार घनगस के सपुत्र गौरव घनगस, करनाल में बैंक मैनेजर और एडवोकेट सुमित घनगस पानीपत में वकील है। पूर्व मंत्री प्रीत सिंह- गांव मांडी के श्री प्रीत सिंह 1977 में कलायत विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के विधायक बने और चौधरी देवीलाल ने उनको अपने मंत्रिमंडल में राजस्व विभाग का मंत्री बनाया। शहीद रणधीर सिंह- शहीद रणधीर सिंह का जन्म 7 जनवरी 1955को गांव मांडी में हुआ था। सन 1974 में रणधीर सिंह हरियाणा पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ। 20अप्रैल 2005 महम रोड गोहाना में रणधीर सिंह की शहदात हुई। संदर्भ हरियाणा पानीपत ज़िला पानीपत भारत गांव हरियाणा के गाँव
भारत तथा यूरोपीय संघ :ईयू: प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत सेवाओं क्षेत्र में एक दूसरे को और अधिक बाजार सुलभ कराने पर सहमत हुए हैं. इसके अलावा इसके अलावा यूरोपीय संघ विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तह भारतीय दवा कंपनियों द्वारा विनिर्मित पेटेंट दायरे से बाहर की दवाओं के निर्यात कारोबार पर लचीला रुख अपनाने पर भी सहमति जताई है. यूरोपीय संघ में 27 सदस्य देश हैं जो आर्थिक दिक्कतों से दोचार हैं. यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत अपने बीमा क्षेत्र में और उदारीकरण करे तथा बहु ब्रांड खुदरा कारोबार को विदेशी निवेश के लिए खोले. यूरोपीय संघ की प्रमुख मांगों में इन दोनों क्षेत्रों में उदारीकण हैं. व्यापार समझौते (बीटीआईए) संबंधी वार्ताओं की स्थिति पर संयुक्त रपट में कहा गया है, ईयू तथा भारत ने इस बात पर सहमति जताई है कि अंतिम निष्कर्ष से दोनों पक्षों को वास्तविक अतिरिक्त बाजार अवसर मिलें. यह पेशकशों में परीलक्षित होगा जिनकी अदला बदली पहले की जानी है. इस संयुक्त रपट को यहां ईयू-भारत शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष हर्मन वान रोम्पुए तथा यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जोस मैन्युएल बारोसो को सौंपा गया. इसमें कहा गया है कि तटकर कम करने के मामले में अच्छी प्रगति हुई है और संशोधित पेशकशों से भारत को लाभ होगा. इसमें स्पष्ट किया गया है कि भारत के दवा उउद्योग की लचीले रुख संबंधी चिंताओं पर ध्यान देना होगा.
ये है मुम्बई मेरी जान 1999 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है (पहला इसका नाम मि॰ आशिक रखा गया था और गीत इसी नाम पर जारी हुए हैं)। इसमें मुख्य भूमिका में सैफ़ अली ख़ान, ट्विंकल खन्ना, अक्षय आनन्द और चंकी पांडे हैं। यह फिल्म बहुत बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। यह महेश भट्ट की अंतिम निर्देशित फिल्म है। संक्षेप अनाथ राजू तारचंद नैनीताल में रहता है। राजू चतुर्वेदी द्वारा संचालित एक फर्म में खुद के लिए नाम बनाने के लिए वो मुम्बई जाने का फैसला करता है। आगमन पर, उसे पता चला कि चतुर्वेदी की फर्म दिवालिया हो गई है। वह नौकरी की तलाश में है, उसका सामान, वॉलेट और कार चाली नामक एक आदमी द्वारा चोरी की जाती है। वह चाली का पता लगाता है और उसे आवास प्रदान करने के लिए मजबूर करता है, जबकि वह खुद को मल्होत्रा ​​समूह की कंपनियों के साथ चपरासी के रूप में नौकरी पाता है। वह पोशाक डिजाइनर, जैस्मीन अरोड़ा से प्यार करता है, और हुसैन बानो के रूप में उसकी सहायता के लिए आता है। जब उसे पता चला कि मल्होत्रा ​​के बड़े भाई और उसका सहयोगी एम. आर पोप्लेट श्री मल्होत्रा ​​को नीचे गिराने की योजना बना रहे हैं, तो वह अमेरिकी डेविड राठोड का रूप धारण करता है। तभी असली डेविड राठोड की उपस्थिति वस्तुतः अपने जीवन को उल्टा कर देती है - और उसे गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेजा गया। मुख्य कलाकार सैफ़ अली ख़ान - राजू तारचंद / हुसैन बानो / डेविड राठोड ट्विंकल खन्ना - जैस्मीन अरोड़ा चंकी पांडे - चाली डिसूजा सौरभ शुक्ला - श्री मल्होत्रा 'छोटे' अक्षय आनन्द - डेविड राठोड / जो जो वासवानी गिरीश धमीजा - एम. आर पोप्लेट अवतार गिल - मल्होत्रा के भाई 'पापजी' संगीत एल्बम में छ: गीत हैं:- चार सुंदर रूमानी डुएट, एक कुमार सानु का मधुर गीत और एक अन्य पार्टी गाना है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 1999 में बनी हिन्दी फ़िल्म जतिन–ललित द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
हाल ही में गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई क्षेत्रीय दलों के संघीय मोर्चे का विचार सामने लाने वाली ममता बनर्जी ने सोमवार को पूर्वानुमान जाहिर किया कि अगले लोकसभा चुनाव समय से पहले होंगे. ममता ने भरोसा जताया कि क्षेत्रीय दल सरकार बनाएंगे. दक्षिण 24 परगना जिले में पंचायत चुनाव से जुड़ी एक रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, ‘यूपीए सरकार तीन से चार महीने में चली जाएगी और अगले लोकसभा चुनाव के बाद क्षेत्रीय दल केंद्र में सरकार बनाएंगे. सत्ताधारी गठबंधन तय करेगा कि राज्यों को किस तरह चलाना है.’ ममता ने यूपीए सरकार पर पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘पिछली सरकार द्वारा लिए गए कर्ज के लिए ब्याज के तौर पर 25,000 करोड़ रुपये का भुगतान हम क्यों करें? केंद्र ने पिछली सरकार को इतनी बड़ी रकम कर्ज के तौर पर क्यों लेने दी?’
#Mom witnesses 75.17% growth on Sat... EXCELLENT trending... Sun should be higher... Fri 2.90 cr, Sat 5.08 cr. Total: ₹ 7.98 cr. India biz. #Mom trending similar to Sri's last 'major release' #Judaai [1997]. #EV [2012] and #Mom following same trend: Biz grows slowly, but surely! A post shared by Sridevi Kapoor (@sridevi.kapoor) on Feb 10, 2017 at 6:05am PST
यह लेख है: उत्तर प्रदेश चुनाव में अपनी स्थिति सुधारने के लिए कांग्रेस हर दांव आजमाने की तैयारी में है। इसी सिलसिले में वो अगड़ी जाति के ग़रीबों के लिए आरक्षण का वादा कर सकती है। सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस ने जो नई टीम बनाई है उसकी तरफ से ये प्रस्ताव दिया गया है कि अगड़ी जाति को आर्थिक आधार पर आरक्षण का वादा किया जाए। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि पार्टी हाईकमान ने इस पर विचार की बात भी कही है। लेकिन असल समस्या इसे किस तरह लागू किया जाएगा इसे तय करने की है। इसलिए पार्टी ऐसे किसी वादे से पहले इसका मैकेनिज़्म तय कर लेना चाहती है। मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था के तहत आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता। इसमें 27 फीसदी ओबीसी, 15 फीसदी एससी और साढ़े सात फीसदी एसटी के लिए आरक्षण तय है। ऐसे में अगर कांग्रेस इसी 50 फीसदी में से अगर अगड़ी जाति के ग़रीबों का कोटा निकालती है कि पिछड़े वर्ग में नाराज़गी पैदा होगी। इससे दांव उल्टा पड़ सकता है और पिछड़ी जातियां कांग्रेस से पूरी तरह छिटक सकती हैं। उसी तरह जैसे मोहन भागवत ने बिहार चुनाव से पहले आरक्षण की समीक्षा संबंधी बयान देकर बीजेपी के लिए गड्ढा खोद दिया था। कांग्रेस को इस खतरे की भी आशंका है। इसलिए उत्तर प्रदेश चुनाव में कोऑर्डिनेशन कमेटी के मुखिया बनाए गए प्रमोद तिवारी संभल कर कहते हैं कि पार्टी ने अभी ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है। अगर इस तरह की कोई मांग आती है तो पार्टी उस पर विचार करेगी। कांग्रेस पिछड़ी जातियों के आरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है।टिप्पणियां उत्तर प्रदेश की चुनावी रणनीति तैयार करते समय कांग्रेस ने इस बार अगड़ी जातियों के समीकरण को ख़ास ध्यान में रखा है। शीला दीक्षित के तौर पर ब्राह्मण को सीएम पद का चेहरा बनाया है। संजय सिंह के रूप में ठाकुर चेहरे को प्रचार समिति की कमान सौंपी है। प्रमोद तिवारी को कोआर्डिनेशन कमेटी का मुखिया बनाया। दूसरी तरफ राज बब्बर को प्रदेश अध्यक्ष बना कर पिछड़ों में भी साथ जोड़ने की कोशिश की है। इसके अलावा ग़ुलाम नबी आज़ाद तो प्रदेश प्रभारी हैं ही, इमरान मसूद को उपाध्यक्ष बना कर मुस्लिमों को भी अपनी तरफ खींचने की कोशिश की है। कांग्रेस में आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर पहले भी विचार चलता रहा है। पार्टी लोकसभा चुनावों से पहले भी इस तरह का वादा कर चुकी है। यूपी में दलित चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी मायावती उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस के ऐसे किसी दांव को चुनावी ड्रामा बता रही हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार को भी कई बार ये कहा और लिखा कि अगड़ी जाति के ग़रीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जाए लेकिन कांग्रेस ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। अब अगड़ी जाति के लोगों को बहकाने की कोशिश कर रही है जो होने वाला नहीं। मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था के तहत आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता। इसमें 27 फीसदी ओबीसी, 15 फीसदी एससी और साढ़े सात फीसदी एसटी के लिए आरक्षण तय है। ऐसे में अगर कांग्रेस इसी 50 फीसदी में से अगर अगड़ी जाति के ग़रीबों का कोटा निकालती है कि पिछड़े वर्ग में नाराज़गी पैदा होगी। इससे दांव उल्टा पड़ सकता है और पिछड़ी जातियां कांग्रेस से पूरी तरह छिटक सकती हैं। उसी तरह जैसे मोहन भागवत ने बिहार चुनाव से पहले आरक्षण की समीक्षा संबंधी बयान देकर बीजेपी के लिए गड्ढा खोद दिया था। कांग्रेस को इस खतरे की भी आशंका है। इसलिए उत्तर प्रदेश चुनाव में कोऑर्डिनेशन कमेटी के मुखिया बनाए गए प्रमोद तिवारी संभल कर कहते हैं कि पार्टी ने अभी ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है। अगर इस तरह की कोई मांग आती है तो पार्टी उस पर विचार करेगी। कांग्रेस पिछड़ी जातियों के आरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है।टिप्पणियां उत्तर प्रदेश की चुनावी रणनीति तैयार करते समय कांग्रेस ने इस बार अगड़ी जातियों के समीकरण को ख़ास ध्यान में रखा है। शीला दीक्षित के तौर पर ब्राह्मण को सीएम पद का चेहरा बनाया है। संजय सिंह के रूप में ठाकुर चेहरे को प्रचार समिति की कमान सौंपी है। प्रमोद तिवारी को कोआर्डिनेशन कमेटी का मुखिया बनाया। दूसरी तरफ राज बब्बर को प्रदेश अध्यक्ष बना कर पिछड़ों में भी साथ जोड़ने की कोशिश की है। इसके अलावा ग़ुलाम नबी आज़ाद तो प्रदेश प्रभारी हैं ही, इमरान मसूद को उपाध्यक्ष बना कर मुस्लिमों को भी अपनी तरफ खींचने की कोशिश की है। कांग्रेस में आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर पहले भी विचार चलता रहा है। पार्टी लोकसभा चुनावों से पहले भी इस तरह का वादा कर चुकी है। यूपी में दलित चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी मायावती उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस के ऐसे किसी दांव को चुनावी ड्रामा बता रही हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार को भी कई बार ये कहा और लिखा कि अगड़ी जाति के ग़रीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जाए लेकिन कांग्रेस ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। अब अगड़ी जाति के लोगों को बहकाने की कोशिश कर रही है जो होने वाला नहीं। उत्तर प्रदेश की चुनावी रणनीति तैयार करते समय कांग्रेस ने इस बार अगड़ी जातियों के समीकरण को ख़ास ध्यान में रखा है। शीला दीक्षित के तौर पर ब्राह्मण को सीएम पद का चेहरा बनाया है। संजय सिंह के रूप में ठाकुर चेहरे को प्रचार समिति की कमान सौंपी है। प्रमोद तिवारी को कोआर्डिनेशन कमेटी का मुखिया बनाया। दूसरी तरफ राज बब्बर को प्रदेश अध्यक्ष बना कर पिछड़ों में भी साथ जोड़ने की कोशिश की है। इसके अलावा ग़ुलाम नबी आज़ाद तो प्रदेश प्रभारी हैं ही, इमरान मसूद को उपाध्यक्ष बना कर मुस्लिमों को भी अपनी तरफ खींचने की कोशिश की है। कांग्रेस में आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर पहले भी विचार चलता रहा है। पार्टी लोकसभा चुनावों से पहले भी इस तरह का वादा कर चुकी है। यूपी में दलित चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी मायावती उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस के ऐसे किसी दांव को चुनावी ड्रामा बता रही हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार को भी कई बार ये कहा और लिखा कि अगड़ी जाति के ग़रीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जाए लेकिन कांग्रेस ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। अब अगड़ी जाति के लोगों को बहकाने की कोशिश कर रही है जो होने वाला नहीं। कांग्रेस में आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर पहले भी विचार चलता रहा है। पार्टी लोकसभा चुनावों से पहले भी इस तरह का वादा कर चुकी है। यूपी में दलित चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी मायावती उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस के ऐसे किसी दांव को चुनावी ड्रामा बता रही हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार को भी कई बार ये कहा और लिखा कि अगड़ी जाति के ग़रीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जाए लेकिन कांग्रेस ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। अब अगड़ी जाति के लोगों को बहकाने की कोशिश कर रही है जो होने वाला नहीं।
कश्मीर घाटी में लंबे समय से दहशतगर्दी को अंजाम देने वाले हिज्बुल मुजाहिदीन को अमेरिका ने विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. इससे दो महीने पहले अमेरिका ने हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित किया था. पाकिस्तानी आतंकी सलाहुद्दीन का संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन लंबे समय से घाटी में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहा है. अमेरिका का यह फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है, जो इस आतंकी संगठन के जरिए कश्मीर घाटी में दहशतगर्दी को अंजाम देता आ रहा है. पिछले साल जुलाई में भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकी संगठन हिज्बुल के कमांडर बुरहान वानी की पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कई बार तारीफ कर चुके हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 219 और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर 13,224 के तहत हिज्बुल को स्पेशल डिजाइनेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) घोषित किया है.  इससे अमेरिका में आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़ी सभी संपत्तियां ब्लॉक कर दी गईं हैं. साथ ही अब हिज्बुल मुजाहिदीन की गतिविधियों पर भी पूरी तरह बैन लग गया है. इसके अलावा इस आतंकी संगठन से कोई किसी भी तरह न तो जुड़ सकेगा और न ही इसके साथ लेनदेन कर सकेगा. साल 1989 बना यह आतंकी संगठन लंबे समय से घाटी में अपनी दहशतगर्दी को अंजाम दे रहा है. कश्मीर में यह सबसे बड़ा और पुराना आतंकी संगठन है. हिज्बुल मुजाहिदीन का सरगना वैश्विक आतंकी मोहम्मेद यूसुफ शाह उर्फ सैय्यद सलाहुद्दीन है. हिज्बुल मुजाहिदीन अप्रैल 2014 में जम्मू एवं कश्मीर में हुए बम धमाके समेत कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है. इसमें 17 लोग जख्मी हो गए थे. बुधवार को US पब्लिक एंड द इंटरनेशनल कम्युनिटी ने हिज्बुल मुजाहिदीन को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किए जाने की जानकारी दी. अमेरिका के इस कदम से कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आतंकी संगठन हिज्बुल के खिलाफ कार्रवाई में मदद मिलेगी. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि आतंकवाद से जुड़ा घोषित होने से संगठन और व्यक्ति बेनकाब होते हैं. साथ ही अलग-थलग पड़ जाते हैं और अमेरिकी वित्तीय व्यवस्था तक उनकी पहुंच खत्म हो जाती है. इसके साथ ही इस कदम से अमेरिका और दूसरी सरकारों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मदद मिलती है.
पाकिस्तान में हर समस्या के लिए भारत को 'दोषी' ठहराने की बीमारी पुरानी है. भारत के खिलाफ लगातार जहर उगलने वाले आतंकी सरगना हाफिज सईद को पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक संकट में भी भारत का हाथ नजर आ रहा है. 26/11 हमले के मास्टरमाइंड और जमाते उद दावा के मुखिया हाफिज सईद ने कहा है कि कश्मीर के हालात से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए ये 'भारतीय साजिश' का हिस्सा है. 'द डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक हाफिज सईद ने कहा कि इमरान खान का पनामा पेपर लीक पर नवाज शरीफ से इस्तीफा मांगना, इमरान की पार्टी के कार्यकर्ताओं का पुलिस से भिड़ना, प्रदर्शनकारियों पर सरकार का आक्रामक रुख, ये सब कश्मीर के मुद्दे पर असर डाल रहा है. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद ने कराची में जमाते उद दावा के हेडक्वार्टर मरकज़-ई-तकवा में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा, अगर आप गहराई में जाए तो इस सारी अफरातफरी और संकट जैसे हालात में कश्मीर का मुद्दा राष्ट्रीय परिदृश्य से गायब हो गया है. हाफिज सईद ने कहा कि ऐसा लगता है पाकिस्तान ने कश्मीरियों की व्यथा को बुला दिया है. हाफिज ने पाकिस्तान की सत्तारूढ पार्टी और विपक्ष को अपने मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए कहा. हाफिज ने कहा कि इस तरह वो अंतरराष्ट्रीय ताकतों के हाथों का खिलौना बन रहे हैं. हाफिज सईद ने पाकिस्तान के सियासी संकट के पीछे भारतीय खुफिया एजेंसी 'रॉ' को बताया.
भारतीय मुद्रा के गिरते स्तर का असर फ्रांस के साथ हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर भी पड़ा है. 59,600 करोड़ रुपये में हुए राफेल विमान सौदे की कीमत 6,400 करोड़ रुपये बढ़कर 66,000 करोड़ हो गई है. दरअसल सितंबर 2016 में यूरोपीय मुद्रा यूरो के हिसाब से फ्रांस के साथ राफेल विमान का सौदा 7.89 बिलियन यूरो में हुआ था, जो भारतीय रुपये के हिसाब से 59,600 करोड़ रुपये था. लेकिन यूरो के मुकाबले रुपये के गिरते स्तर की वजह से इसकी कीमत अब 66,000 करोड़ रुपये हो गई है. कीमतें बढ़ना का असर राफेल डील के ऑफसेट करार पर भी पड़ा है. जिसके तहत अनिल अंबानी समेत दसॉ के साथ ऑफसेट करार करने वाली अन्य कंपनियों का हिस्सा भी बढ़ जाएगा. आपको बता दें कि राफेल फाइटर जेट डील भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच सितंबर 2016 में हुई थी. जिसके तहत भारतीय वायुसेना को 36 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान मिलेंगे. कांग्रेस इस सौदे में में भारी करप्शन का आरोप लगा रही है और कह रही है कि सरकार 1670 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है जबकि यूपीए के समय इस सौदे पर बातचीत के दौरान इस विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये प्रति राफेल तय हुई थी. गौरतलब है कि कांग्रेस लगातार सरकार पर विमान की कीमतों के बारे में जानकारी मांग रही है लेकिन सरकार की तरफ से गोपनीयता का हवाला देकर राफेल लड़ाकू विमान की कीमत बताने से इनकार किया जाता रहा है. कीमतों के अलावा राफेल डील पर कांग्रेस का मुख्य आरोप सरकारी कंपनी हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ सौदा रद्द कर अनिल अंबानी की कंपनी और दसॉ के बीच हुए ऑफसेट करार को लेकर केंद्रित है. कांग्रेस के इस आरोप को फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद के हालिया बयान से और बल मिल गया. उल्लेखनीय है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के उस बयान ने देश में सियासी भूचाल ला दिया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि अनिल अंबानी की कंपनी का नाम भारत की तरफ से आगे बढ़ाया गया. जबकि फ्रांस की सरकार और दसॉ की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि ऑफसेट करार में सरकार का कोई योगदान नहीं है और कंपनी अपनी निजी पार्टनर चुनने के लिए स्वतंत्र है.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: महाराष्ट्र राकांपा प्रमुख जयंत पाटिल (Jayant Patil) ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी और उसकी सहयोगी कांग्रेस जनादेश के मुताबिक राज्य में विपक्ष में बैठेगी. राज्य में सरकार गठन में शिवसेना का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) द्वारा समर्थन किये जाने की संभावना की अटकलों के बीच पाटिल की यह टिप्पणी आई है. दरअसल, अगली सरकार में सत्ता की साझेदारी को लेकर उद्धव ठाकरे नीत पार्टी (शिवसेना) का उसके सहयोगी दल भाजपा के साथ संबंध तनावपूर्ण चल रहा है. पाटिल ने कहा, ‘‘हमें लोगों ने विपक्ष में बैठने को कहा है और हम यह कर्तव्य निभाएंगे.''  राकांपा के वरिष्ठ नेता अजीत पवार ने कहा कि उनकी पार्टी सरकार की गलतियों को उजागर करेगी. पवार ने विपक्ष में बैठने का संकेत देते हुए कहा, ‘‘हम इस पर नजर रखेंगे कि क्या सरकार सही दिशा में काम कर रही है? हम सुनिश्चित करेंगे कि सरकार की ओर से समाज के किसी भी तबके के साथ कोई अन्याय नहीं हो.'' गौरतलब है कि मंगलवार को राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा था कि यदि भाजपा राज्य विधानसभा में बहुमत जुटाने में नाकाम रहती है तो उस स्थिति में एक वैकल्पिक सरकार बनाने पर विचार किया जा सकता है. वहीं, शिवसेना ने सरकार गठन पर भाजपा के साथ अपनी बैठक मंगलवार को रद्द कर दी.
भारत में हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों के संबंध में किया गया विश्‍लेषण बताता है कि गूगल खोज के परिणामों को बदलना लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. क्योंकि यह उन मतदाताओं की पसंद पर बड़ा असर डालता है जो अनिर्णय की स्थिति में हैं और जहां कांटे का मुकाबला है, वहां वोटों को एक ओर झुका सकता है. हालिया सप्ताह में भारत में किए गए अध्ययन में बताया गया है कि गूगल में चुनावों को फिक्स करने की ताकत है और इसके लिए किसी को कोई बहुत अधिक दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि ऐसा संभव होता है लोगों के विचारों पर पड़ने वाली गूगल सर्च की खोज रैकिंग से. अध्ययनों में पाया गया कि जिस खोज की रैंकिंग जितनी अधिक होती है, उसके परिणामों पर लोग उतना ही अधिक भरोसा करते हैं और यही वजह है कि कंपनियां अपने उत्पाद की रैंकिंग बढ़ाने के लिए अरबों रुपये खर्च करती हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार यदि मोदी के मुकाबले अरविंद केजरीवाल के पक्ष में खोज परिणामों को अधिक रैंकिंग मिली है तो इससे वोट केजरीवाल के पक्ष में जाते हैं. पिछले साल अमेरिका में किए गए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में खोज रैंकिंग अनिर्णय में पड़े मतदाताओं की पसंद को उस उम्मीदवार के पक्ष में 15 फीसदी या उससे अधिक तक बढ़ा सकती है.
शोध संस्थान सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआईई) ने कहा है कि अक्तूबर के बाद औद्योगिक तथा बुनियादी ढांचा निर्माण गतिविधियों में तेजी की संभावना है जिससे घरेलू स्टील कंपनियां कीमतों में वृद्धि कर सकती हैं। सीएमआईई ने अपनी मासिक समीक्षा में कहा है, औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों में तेजी आने से स्टील कंपनियां अक्तूबर-नवंबर में कीमत बढ़ा सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2011-12 में तैयार स्टील की कीमत 2010-11 के मुकाबले औसतन 7 प्रतिशत ऊंची रहने की संभावना है। स्टील की कीमत चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पहले ही करीब 15 फीसद चढ़ चुकी है। हालांकि सीएमआईई ने तैयार स्टील के उत्पादन वृद्धि के अनुमान को वित्त वर्ष 2011-12 में 12 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है। संस्थान के अनुसार, उत्पादन वृद्धि दर में कमी किए जाने का कारण पहली तिमाही में उम्मीद से कम मांग का रहना तथा कर्नाटक में स्टील इकाइयों को लौह अयस्क की कमी होने की आशंका है। सीएमआईई ने कहा, अगर उच्चतम न्यायालय का प्रतिबंध लंबे समय तक जारी रहता है तो कर्नाटक स्थित स्टील कारखानों को उत्पादन घटाना होगा। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 29 जुलाई को कर्नाटक के बेल्लारी जिले में लौह अयस्क के खनन पर रोक लगा दी। रिपोर्ट के अनुसार तैयार स्टील की खपत पहली तिमाही में महज 1.9 प्रतिशत बढ़ी। जबकि उत्पादन वृद्धि दर इस अवधि में 7.8 प्रतिशत रही जो उम्मीद से कम है। हालांकि जून महीने में उत्पादन वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत रही।
भारत के दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने अपनी सुषमा स्‍वराज की प्रशंसा करते हुए कहा, ''वह भारत और यहां के लोगों की जबर्दस्‍त पैरोकार हैं.'' इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के महत्‍व पर सुषमा हमेशा अपने विश्‍वास पर कायम रही हैं. दूसरी भारत-अमेरिका रणनीतिक डॉयलाग के सिलसिले में यहां आए केरी ने सुषमा स्‍वराज के साथ संयुक्‍त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ये बातें कहीं. इस दौरान केरी ने उनको एक से अधिक बार सुषमा कहकर संबोधित किया और उनके ''गंभीर विमर्श और साझेदारी के लिए'' आभार प्रकट किया.  टिप्पणियां इस दौरान जॉन केरी ने कहा, ''दो साल साथ काम करने के बाद मैं यह कहना चाहूंगा कि आप भारत और यहां के नागरिकों के हितों के मसले की हमेशा अपनी प्रतिष्‍ठा के अनुरूप जबर्दस्‍त पैरोकार रही हैं. इसके साथ ही द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के महत्‍व पर हमेशा कायम रही हैं और इसको लेकर आपमें कोई हिचकिचाहट नहीं रही है.'' अपनी चौथी भारत यात्रा पर आए जॉन केरी (72) ने कहा कि वह जब 1990 के दशक में भारत आए थे, उसकी तुलना में अब दोनों देशों के बीच संबंध एकदम अलग हैं. उन्‍होंने कहा ''उस दौर में हम लोग शीत युद्ध के दौर से उबरने और संबंध विकसित करने की दिशा में कोशिश कर रहे थे. लेकिन इन दो वर्षों में मैं यह कह सकता हूं कि अब वह भावना नहीं रही.'' अब हमारे संबंध मजबूत और गर्मजोशी से भरे हैं. दूसरी भारत-अमेरिका रणनीतिक डॉयलाग के सिलसिले में यहां आए केरी ने सुषमा स्‍वराज के साथ संयुक्‍त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ये बातें कहीं. इस दौरान केरी ने उनको एक से अधिक बार सुषमा कहकर संबोधित किया और उनके ''गंभीर विमर्श और साझेदारी के लिए'' आभार प्रकट किया.  टिप्पणियां इस दौरान जॉन केरी ने कहा, ''दो साल साथ काम करने के बाद मैं यह कहना चाहूंगा कि आप भारत और यहां के नागरिकों के हितों के मसले की हमेशा अपनी प्रतिष्‍ठा के अनुरूप जबर्दस्‍त पैरोकार रही हैं. इसके साथ ही द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के महत्‍व पर हमेशा कायम रही हैं और इसको लेकर आपमें कोई हिचकिचाहट नहीं रही है.'' अपनी चौथी भारत यात्रा पर आए जॉन केरी (72) ने कहा कि वह जब 1990 के दशक में भारत आए थे, उसकी तुलना में अब दोनों देशों के बीच संबंध एकदम अलग हैं. उन्‍होंने कहा ''उस दौर में हम लोग शीत युद्ध के दौर से उबरने और संबंध विकसित करने की दिशा में कोशिश कर रहे थे. लेकिन इन दो वर्षों में मैं यह कह सकता हूं कि अब वह भावना नहीं रही.'' अब हमारे संबंध मजबूत और गर्मजोशी से भरे हैं. इस दौरान जॉन केरी ने कहा, ''दो साल साथ काम करने के बाद मैं यह कहना चाहूंगा कि आप भारत और यहां के नागरिकों के हितों के मसले की हमेशा अपनी प्रतिष्‍ठा के अनुरूप जबर्दस्‍त पैरोकार रही हैं. इसके साथ ही द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के महत्‍व पर हमेशा कायम रही हैं और इसको लेकर आपमें कोई हिचकिचाहट नहीं रही है.'' अपनी चौथी भारत यात्रा पर आए जॉन केरी (72) ने कहा कि वह जब 1990 के दशक में भारत आए थे, उसकी तुलना में अब दोनों देशों के बीच संबंध एकदम अलग हैं. उन्‍होंने कहा ''उस दौर में हम लोग शीत युद्ध के दौर से उबरने और संबंध विकसित करने की दिशा में कोशिश कर रहे थे. लेकिन इन दो वर्षों में मैं यह कह सकता हूं कि अब वह भावना नहीं रही.'' अब हमारे संबंध मजबूत और गर्मजोशी से भरे हैं. अपनी चौथी भारत यात्रा पर आए जॉन केरी (72) ने कहा कि वह जब 1990 के दशक में भारत आए थे, उसकी तुलना में अब दोनों देशों के बीच संबंध एकदम अलग हैं. उन्‍होंने कहा ''उस दौर में हम लोग शीत युद्ध के दौर से उबरने और संबंध विकसित करने की दिशा में कोशिश कर रहे थे. लेकिन इन दो वर्षों में मैं यह कह सकता हूं कि अब वह भावना नहीं रही.'' अब हमारे संबंध मजबूत और गर्मजोशी से भरे हैं.
विजयईमऊ कोट(रियासत) विजयईमऊ कोट का इतिहास (१८००) विजईमऊ कोट के तालुकेदार लाल कन्हैैया बक्स सिंह थे। उनके दो पुत्र थे ज्येष्ठ पुत्र हनुमत सिंह अौर क्निष्ट पुत्र माधव सिंह थे। सन् 1857 में अंग्रेजो ने सुल्तानपुर पर हमला किया था। जिसके खौफ के कारण तत्कालीन लखनऊ की बेगम हजरत ने राजा हनुमत सिंह से मदद की गुहार लगाई। राजा हनुमत सिंह ने बेगम हजरत का पत्र पाते ही अपने पुत्र राजकुमार लाल प्रताप सिंह और अपने कनिष्ठ (भाई) सेनापति माघव सिंह को उनकी सहायता के लिए भेजा। सन् 1858 में राजकुमार लाल प्रताप सिंह और सेनापति माधव सिंह ने सुल्तानपुर के चांदा में अंग्रेजो से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। सेनापति माधव सिंह जी के दो पुत्र थे ज्येष्ठ पुत्र मोहबल सिंह अौर क्निष्ट पुत्र शिवदऱशन सिंह थे। [[शिवदऱशन सिंह]] जी के चार पुत्र थे रमलला सिंह अौर दुसरे समशेर बहादुर सिंह अौर तीसरे काली प्रताप सिंह चौथे नरसिह बहादुर सिंह अौर दो पुत्री थी सुखपाल कुवर वा छतपाल कुवर थी। सुखपाल कुवर का जी का विवाह राजा प्रताप सिंह जी के बडे़ भाई के साथ हुआ था , जिनके कोई पुत्र नही थे। अौर दुसरे पुत्री का विवाह ग्वालियर राजघाराने मे हुआ था इनके भी कोई संन्तान नही थे। रमलला सिंह- रमलला सिंह जी के दो पुत्र थे। ज्येष्ठ पुत्र उदीतनारयण सिंह अौर क्निष्ट नरेश बहादुर सिंह थे। ज्येष्ठ पुत्र के एक पुत्र थे फतेबाहादुर सिंह अौर क्निष्ट पुत्र के तीन पुत्र थे अौर एक पुत्री थी। ज्येष्ठ पुत्र अमर बहादुर सिंह अौर दुसरे पुत्र अलखनारयण सिंह, तीसरे पुत्र देवनारयण सिंह थे। बाबू अमर बहादुर सिंह- अमर बहादुर सिंह जी के दो पुत्र अौर दो पुत्री ज्येष्ठ पुत्र बीरपाल सिंह अौर क्निष्ट पुत्र इंजीनिअर त्रिलोचन सिंह। ज्येष्ठ पुत्री चंदावती सिंह अौर क्निष्ट पुत्री मनोरमा देवी सिंह। बाबू बीरपाल सिंह जी के दो पुत्र। ज्येष्ठ पुत्र नरेन्र सिंह अौर क्निष्ट पुत्र भूपेन्र सिंह। बाबू त्रिलोचन सिंह जी के दो पुत्र अौर दो पुत्री ज्येष्ठ पुत्र सयलेनदर सिंह अौर इंजीनिअर देवेन्र सिंह अौर ज्येष्ठ पुत्री अनिता सिंह अौर क्निष्ट पुत्री सुनिता सिंह। । ज्येष्ठ पुत्र सयलेनद्र प्रताप सिंह जी के दो पुत्र अौर एक पुत्री। ज्येष्ठ पुत्र सुसांत सिंह अौर क्निष्ट पुत्र प्रसांक सिंह अौर पुत्री कामनी सिंह । देवेन्द्र प्रताप सिंह जी के दो पुत्र ज्येष्ठ पुत्र शिवांस सिंह अौर क्निष्ट पुत्र अभिवांस सिंह है। बाबू अलखनारयण सिंह - अलखनारयण सिंह जी के चार पुत्र अौर एक पुत्री। ज्येष्ठ पुत्र बेनी बहादुर सिंह अौर दुसरे पुत्र बीरेन्र बहादुर सिंह अौर तीसरे पुत्र बन्टेस बहादुर सिंह अौर चौथे पुत्र भदे्शवर सिंह। अौर एक पुत्री सवित्रि देवी। ज्येष्ठ पुत्र बेनी बहादुर सिंह जी के चार पुत्र अौर तीन पुत्रीयॉ ज्येष्ठ पुत्र बाबू [[चनंदभान सिंह]] जी के एक पुत्री सरला सिंह। जिनका विवाह भारतीय सेना के अधिकारी से हुआ। दुसरे पुत्र बाबू उमेश बहादुर सिंह का अल्प अायू मे ही स्वरगवास हो गया था। तीसरे पुत्र बाबू गीरेन्र बहादुर सिंह जी के एक पुत्र अौर दो पुत्री पुत्र [[प्रदीप सिंह]] अौर ज्येष्ठ पुत्री रेनु सिंह अौर क्निष्ट पुत्री नीलू सिंह। [[प्रदीप सिंह]] जी के दो पुत्र ज्येष्ठ पुत्र प्रग्यात सिंह अौर क्निष्ट पुत्र विग्यात सिंह। दुसरे पुत्र बाबू बीरेन्र बहादुर सिंह जी का अल्प अायू मे स्वरगवास हो गया था। तीसरे पुत्र बाबू बन्टेस बहादुर सिंह जी के एक पुत्री विमला देवी सिंह जी का विवाह रायबरेली हुआ। चौथे पुत्र बाबू भदे्शवर सिंह जी के दो पुत्र अौर एक पुत्री है। ज्येष्ठ पुत्र [[अतुल सिंह]] अौर क्निष्ट पुत्र [[विवेक सिंह]] अौर पुत्री विभा सिंह। ज्येष्ठ पुत्र के पुत्र के एक पुत्र अौर एक पुत्री। पुत्र अभिनव सिंह अौर पुत्री कुहू सिंह।
सलमान खान इन द‍िनों दबंग 3 की शूट‍िंग में ब‍िजी हैं. इस फिल्म में सलमान खान का एक्शन अवतार ए‍क बार फिर देखने को मिलेगा. फिल्म में फैंस के ल‍िए एक बड़ा सरप्राइज भी छ‍िपा हुआ है. र‍िपोर्ट के मुताब‍िक एक्ट‍िंग, स‍िंगिंग के बाद सलमान खान आइटम नंबर करते नजर आएंगे. सलमान खान की फिल्म दबंग 3 में मलाइका अरोड़ा के सुपरहिट नंबर मुन्नी बदनाम हुई को र‍िक्र‍िएट किया जाएगा. गाने में कई बड़े बदलाव भी होंगे. गाने के बोल इस बार मुन्नी बदनाम की जगह, मुन्ना बदनाम हुआ... होंगे. जब गाने के बोल बदल जाएंगे तो गाने में आइटम गर्ल की जगह आइटम बॉय की एंट्री भी होगी. इसकी तैयारी भी दबंग मेकर्स ने कर ली है. फिल्म में मुन्ना बदनाम हुआ... गाना सलमान खान पर फिल्माया जाएगा. फिल्म में ऐसा सीक्वेंस रखा गया, ज‍िसमें पुल‍िसवाला बनने से पहले सलमान कॉलेज स्टूडेंट के रोल में नजर आएंगे. इसी दौरान ये गाना शूट किया जाएगा. View this post on Instagram #DABANGG3 Soon A post shared by Salman khan (@beingsalnankham) on May 6, 2019 at 1:48pm PDT देखना ये होगा कि मलाइका के आइटम नंबर में थ‍िरकने को तैयार सलमान खान मलाइका जैसा जलवा ब‍िखेर पाते हैं या नहीं. वैसे सलमान अपनी स‍िंग‍िंग के जलवे कई फिल्मों में ब‍िखेर चुके हैं. उनका डांस स्टाइल भी काफी अलग होता है लेकिन आइटम नंबर में सलमान खान कौन सा नया हुनर द‍िखाएंगे इसका फैंस को बेसब्री से इंतजार है. बता दें पहले फिल्म में मलाइका अरोड़ा के आने की खबरें जोरों पर थीं. लेकिन अरबाज संग तलाक और अर्जुन कपूर संग र‍िलेशन की खबरों के बाद मलाइका से नाराज सलमान खान ने ये प्लान बदल द‍िया. इसके बाद खबरें आईं कि मलाइका को र‍िप्लेस करने के लिए सलमान खान किसी दूसरी एक्ट्रेस को मौका देंगे. फिलहाल सलमान खान किसी और पर भरोसा करने के बजाय खुद आइटम नंबर भी करने जा रहे हैं. वैसे गौर करें तो ऐसा पहली बार नहीं है. सलमान खान पहले भी जब स‍िंगर आत‍िफ पर सवाल उठा तो उनका गाना हटाने के बाद खुद उस गाने को गाते नजर आए हैं.
यह लेख है: अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए एक भावुक नोट लिखा और कहा कि आखिरकार न्याय की जीत हुई जिसकी मांग पूरा देश कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर, 2012 को 23 साल की पीड़िता के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए गए चार व्यक्तियों को मिली मौत की सजा बरकरार रखी. प्रियंका ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘न्याय वह चीज है जिसकी पूरा देश पांच साल पहले मांग कर रहा है और जिसने पूरे देश को मामला भूलने नहीं दिया. इस लड़ाई में शामिल हुई हर आवाज जोरदार एवं साफ थी कि छह (दोषियों) को सजा दी जाए. आखिरकार वे इसकी कीमत चुकाएंगे. इस तरह के अपराधों की बर्बरता मैं स्वीकार नहीं कर सकती.’ इन छह दोषियों में से एक की मौत हो चुकी है जबकि एक किशोर है जो अब सुधार गृह से छूट चुका है.टिप्पणियां 34 साल की अभिनेत्री ने कहा कि वह यह नहीं समझ पातीं कि 21वीं सदी के समाज में कभी भी किस तरह ऐसा कोई नृशंस अपराध हो सकता है. उन्होंने कहा कि अतीत बदला नहीं जा सकता और इसलिए हर नागरिक को प्रण लेना चाहिए कि वे भविष्य में इस तरह के ‘बर्बर एवं पैशाचिक अपराधों’ का विरोध करना बंद नहीं करेंगे. अभिनेत्री ने कहा, ‘न्याय प्रणाली ने उसकी (निर्भया) आवाज सुनी, मुझे इसपर गर्व है. उसने अपने मृत्यु पूर्व बयान में अपील की थी कि उसके गुनहगारों को बख्शा ना जाए.’ (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) प्रियंका ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘न्याय वह चीज है जिसकी पूरा देश पांच साल पहले मांग कर रहा है और जिसने पूरे देश को मामला भूलने नहीं दिया. इस लड़ाई में शामिल हुई हर आवाज जोरदार एवं साफ थी कि छह (दोषियों) को सजा दी जाए. आखिरकार वे इसकी कीमत चुकाएंगे. इस तरह के अपराधों की बर्बरता मैं स्वीकार नहीं कर सकती.’ इन छह दोषियों में से एक की मौत हो चुकी है जबकि एक किशोर है जो अब सुधार गृह से छूट चुका है.टिप्पणियां 34 साल की अभिनेत्री ने कहा कि वह यह नहीं समझ पातीं कि 21वीं सदी के समाज में कभी भी किस तरह ऐसा कोई नृशंस अपराध हो सकता है. उन्होंने कहा कि अतीत बदला नहीं जा सकता और इसलिए हर नागरिक को प्रण लेना चाहिए कि वे भविष्य में इस तरह के ‘बर्बर एवं पैशाचिक अपराधों’ का विरोध करना बंद नहीं करेंगे. अभिनेत्री ने कहा, ‘न्याय प्रणाली ने उसकी (निर्भया) आवाज सुनी, मुझे इसपर गर्व है. उसने अपने मृत्यु पूर्व बयान में अपील की थी कि उसके गुनहगारों को बख्शा ना जाए.’ (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) 34 साल की अभिनेत्री ने कहा कि वह यह नहीं समझ पातीं कि 21वीं सदी के समाज में कभी भी किस तरह ऐसा कोई नृशंस अपराध हो सकता है. उन्होंने कहा कि अतीत बदला नहीं जा सकता और इसलिए हर नागरिक को प्रण लेना चाहिए कि वे भविष्य में इस तरह के ‘बर्बर एवं पैशाचिक अपराधों’ का विरोध करना बंद नहीं करेंगे. अभिनेत्री ने कहा, ‘न्याय प्रणाली ने उसकी (निर्भया) आवाज सुनी, मुझे इसपर गर्व है. उसने अपने मृत्यु पूर्व बयान में अपील की थी कि उसके गुनहगारों को बख्शा ना जाए.’ (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
निर्माता व अभिनेता सैफ अली खान की लंबे समय से प्रतीक्षारत फिल्म 'एजेंट विनोद' की शूटिंग पूरी हो गई है। निर्देशक श्रीराम राघवन के मुताबिक 23 मार्च को फिल्म प्रदर्शित होगी। राघवन ने बताया कि सैफ व अभिनेत्री करीना कपूर ने 24 दिसंबर को फिल्म के अंतिम दृश्यों की शूटिंग की थी। 'एक हसीना थी' और 'जॉनी गद्दार' जैसी फिल्में बना चुके राघवन ने बताया, "सैफ व करीना के साथ मेरी शूटिंग पूरी हो गई है। सैफ व करीना ने मेरी फिल्म के लिए अंतिम शूटिंग 24 दिसंबर को पूरी की थी और फिर वे छुट्टियों के लिए निकल गए थे। अब शूटिंग के बाद की प्रक्रिया जारी है। फिल्म 23 मार्च को प्रदर्शित होगी।" करीना व सैफ मार्च के अंतिम सप्ताह में या अप्रैल के पहले सप्ताह में विवाह करेंगे। करीना फिल्मकार मधुर भंडारकर की 'हीरोइन' में भी अभिनय कर रही हैं। इस फिल्म की अगली शूटिंग फरवरी के अंत से लेकर मार्च मध्य तक होगी। 'एजेंट विनोद' के प्रचार कार्यक्रम, करीना-सैफ के विवाह व हनीमून को ध्यान में रखते हुए 'हीरोइन' की शूटिंग की तारीखें निर्धारित की गई हैं। एक सूत्र ने बताया, "'एजेंट विनोद' के प्रदर्शन के तुरंत बाद उनका विवाह होगा। करीना और सैफ इसमें और देरी नहीं करना चाहते हैं।"
सार्क की एंटी टेरर मैकेनिज्म की बैठक में आईबी चीफ ने पाकिस्तान पर जोरदार हमला किया. आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा ने भारत में आतंक के लिए सीधे-सीधे पड़ोसी देश पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया. बैठक में आईबी चीफ ने उरी हमले का भी जिक्र किया. दिल्ली में सार्क देशों की एंटी टेरर मेकेनिज्म की दूसरी बैठक में भाषण दिया. मीटिंग में पाकिस्तान उच्चायुक्त से आए प्रतिनिधि शामिल थे. आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा ने उरी हमले से उमड़े जन-आक्रोश का हवाला देते हुए कहा कि ये वाकया भारत में पिछले कई दशकों में हुई तमाम घटनाओं में से एक है. इन हमलों की प्लानिंग, आर्थिक मदद, ट्रेनिंग और लगातार धर्म के नाम पर कट्टरता सरहद पार से हो रही है. वहीं 22 और 23 सितंबर इस बैठक में सार्क देशों के प्रतिनिधि आतंक से निपटने के लिए साझा खाका पर चर्चा करेंगे. इस बैठक में पहले पाकिस्तान के आईएसआई के मुखिया हिस्सा लेने वाले थे, लेकिन उरी हमले के मद्देनजर पकिस्तान ने उनको भेजना मुनासिब नहीं समझा.
बॉलीवुड सिंगर नीति मोहन और निहार पांड्या 15 फरवरी को हैदराबाद में शादी के बंधन में बंध गए थे. हालांकि उनकी शादी का रिसेप्शन पिता की बिगड़ी तबीयत के चलते आगे खिसका दिया गया था. नीत के पिता बृज मोहन शर्मा की शादी समारोह के दौरान तबीयत काफी बिगड़ गई थी. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था. बुधवार को नीति ने निहार संग शादी की अपनी पहली तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की. नीति ने अपने वैरिफाइड इंस्टाग्राम अकाउंट से निहार के साथ शादी समारोह की तस्वीरें शेयर कीं. तस्वीर के कैप्शन में नीति ने लिखा, "परिवार, दोस्त और शुभचिंतकों के आशीर्वाद से हमारी शादी संपन्न हुई. पिता जी की तबीयत अब बेहतर होती जा रही है. मोहन और पांड्या परिवार आपके प्यार और सपोर्ट के लिए शुक्रगुजार है." View this post on Instagram With the blessings of family, friends and well wishers, we are blissfully married. Dad's health is getting better each day. The Mohan and Pandya family THANK YOU for your constant love and support 🙏 A post shared by NEETI MOHAN (@neetimohan18) on Feb 20, 2019 at 1:06am PST कुछ वक्त पहले नीति की बहन मुक्ति मोहन ने अपने पिता की तबीयत के बारे में बताया, "पिताजी बहुत ज्यादा शारीरिक तनाव नहीं ले सकते, इसलिए हमने उन्हें होटल के कमरे में रखा है. वह मंडप में नहीं नजर आए तो लोग थोड़े सहम गए थे. हमने डॉक्टरों को होटल रूम में बुलाया और उन्होंने यह मश्विरा दिया कि उन्हें अस्पताल में शिफ्ट कर देना चाहिए." View this post on Instagram Neeti Mohan and Nihar Pandya all set to tie knot in Hyderabad. Here's an image shared from one of their pre wedding event. @israniphotography #neetimohan #niharpandya #desibride #bigfatindianwedding @viralbhayani A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani) on Feb 14, 2019 at 12:37am PST नीति-निहार का शादी समारोह काफी चर्चित हुआ था क्योंकि दोनों ने वैलेंटाइन वीक में शादी की थी. दोनों ने कभी भी अपनी रिलेशनशिप को लेकर खुलकर बातचीत नहीं की. गौरतलब है कि निहार और नीति कपिल शर्मा के शो पर भी नज़र आए थे. इस शो पर निहार ने नीति को प्रपोज भी किया था. उन्होंने इस शो पर अपनी लव स्टोरी के बारे में भी बात की थी. View this post on Instagram Making this weekend PURRRFECT 🌸. Happy to be part of a special episode #MTVUnpluggedSeason8 Catch it this Saturday 8pm on @mtvindia #MakeItPerfect A post shared by NEETI MOHAN (@neetimohan18) on Feb 12, 2019 at 7:42pm PST निहार ने नीति के बारे में कहा था कि 'आसमां नाम का एक बैंड था जिससे नीति भी जुड़ी हुई थीं. मैंने अपनी एक दोस्त से मुझको नीति से मिलवाने के लिए कहा था, हालांकि वो कभी मुलाकात नहीं करा पाई. किस्मत से काफी समय बाद उसी दोस्त की शादी में मैं नीति से बहुत ही फॉर्मल तरीके से मिला. मैं उसे पहली नज़र में प्यार करने लगा था और इस तरह हमारी प्रेम कहानी शुरू हुई.'
हम सभी को हर रोज ऐसे कई ईमेल मिलते हैं, जो हमारे काम के नहीं होते. हम एक नजर देखते हैं और एक साथ कई मेल डिलीट कर देते हैं. इसलिए यह आवश्यक है कि अगर आप किसी को मेल भेजें तो वह इस तरीके से लिखे गए हों कि एक बार देखने में ही इंपार्टेंट लगें. इसके लिए आपको कुछ ईमेल एटिकेट्स पता होने चाहिए. आज हम इन्हीं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. 1. ईमेल में सब्जेक्ट लाइन अवश्य लिखी होनी चाहिए. वह विषय के अनुरूप होनी चाहिए, जिससे एक बार देखकर पता चले कि आखिर विषय क्या है. सामने वाला सब्जेक्ट पढ़कर समझ जाए कि आखिर ये मेल किसने और किस विषय पर भेजा है. 2. मेल लिखते समय कभी भी 'Reply all' बटन काे प्रेस ना करें. जब तक आप पूरी तरह यह ना सुनिश्चित कर लें कि ईमेल चेन के सभी प्राप्तकर्ताओं के लिए यह सूचना कितनी आवश्यक है. 3. जहां तक हो सके मेल को छोटा रखें. पहले दो वाक्यों में ही मेल भेजने का कारण स्पष्ट होना चाहिए. 4. हमेशा प्रोफेशनल ईमेल एड्रेस का प्रयोग करें. ईमेल आईडी पर आपका नाम होना चाहिए, जिससे प्राप्तकर्ता को समझ आ जाए कि उन्हें कौन मेल भेज रहा है. 5. कभी किसी के नाम को शार्ट करके लिखने का प्रयास ना करें. 6. हमेशा मेल लिखने के बाद प्रूफ की गलतियां चेक करें. हो सकता है कि आप कुछ गलतियां छोड़ दें पर जिसे आप मेल भेज रहे हैं उसकी नजर में ये आ ही जाएंगी. 7. मेल लिखते हुए एब्रीवेशंस का प्रयोग करने से बचें. जैसे कि great की जगह Gr8 ना लिखें. इससे प्राप्‍तकर्ता आपको मेच्‍योर नहीं समझता. 8. ईमेल में किसी बात को हाईलाइट करने के लिए सभी कैपिटल लैटर्स का प्रयोग ना करें. 9. साइन ऑफ अवश्‍य करें. हर ऑफिशियल मेल का एक सिग्‍नेचर होना चाहिए, जिसमें भेजने वाले का पूरा नाम, टाइटल, पूरा एड्रेस, कंपनी का नाम, लोगो आदि होना चाहिए. तो अगली बार जब भी आप कोई ईमेल भेजें तो इन साधारण से नियमों को ध्‍यान रखें.
यह लेख है: चीनी, सब्जी, खाद्य तेज और कपड़े की कीमतें बढ़ने से खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति नबंबर में बढ़कर 9.90 फीसदी हो गई। खुदरा मुद्रास्फीति लगातार दो माह से बढ़ रही है। अक्टूबर में यह 9.75 फीसदी और सितंबर में यह 9.73 फीसदी थी। बुधवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के मुताबिक नवंबर में खाद्य तेल एवं वसा वर्ग की खुदरा कीमतें एक साल पहले की तुलना में 17.67 फीसदी ऊंची रहीं। इसी तरह, चीनी 16.97 फीसदी और दलहन 14.19 फीसदी मंहगे रहे। सब्जियों की कीमत सालाना आधार पर 14.74 फीसदी ऊपर रही तथा मांस, मछली और अंडा 11.33 फीसदी मंहगे रहे। कपड़े और जूते की कीमत भी नवंबर में 11.08 फीसदी बढ़ी। शहरी इलाकों में खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में 9.69 फीसदी रही, जो इससे पिछले माह 9.46 फीसदी थी।टिप्पणियां हालांकि ग्रामीण इलाके में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने के पिछले महीने 9.98 फीसदी से घटकर 9.97 फीसदी रही। नवंबर में ग्रामीण, शहरी और सम्मिलित आखिल भारतीय उपभाक्ता मूल्य सूचकांक क्रमश: 126.9, 123.4, 125.4 रहे। माना जाता है कि रिजर्व बैंक अगले सप्ताह मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति के लिए दहाई अंक के करीब पहुंचने की इस स्थिति ध्यान में रखेगा। महंगाई का दबाव बढने से उसके लिए ऋण सस्ता करने का फैसला कठिन हो सकता है। अक्टूबर में सकल मुद्रास्फीति 7.45 फीसदी थी, जो आरबीआई के पांच से छह प्रतिशत के मध्यावधिक लक्ष्य से अधिक है। अक्टूबर में यह 9.75 फीसदी और सितंबर में यह 9.73 फीसदी थी। बुधवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के मुताबिक नवंबर में खाद्य तेल एवं वसा वर्ग की खुदरा कीमतें एक साल पहले की तुलना में 17.67 फीसदी ऊंची रहीं। इसी तरह, चीनी 16.97 फीसदी और दलहन 14.19 फीसदी मंहगे रहे। सब्जियों की कीमत सालाना आधार पर 14.74 फीसदी ऊपर रही तथा मांस, मछली और अंडा 11.33 फीसदी मंहगे रहे। कपड़े और जूते की कीमत भी नवंबर में 11.08 फीसदी बढ़ी। शहरी इलाकों में खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में 9.69 फीसदी रही, जो इससे पिछले माह 9.46 फीसदी थी।टिप्पणियां हालांकि ग्रामीण इलाके में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने के पिछले महीने 9.98 फीसदी से घटकर 9.97 फीसदी रही। नवंबर में ग्रामीण, शहरी और सम्मिलित आखिल भारतीय उपभाक्ता मूल्य सूचकांक क्रमश: 126.9, 123.4, 125.4 रहे। माना जाता है कि रिजर्व बैंक अगले सप्ताह मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति के लिए दहाई अंक के करीब पहुंचने की इस स्थिति ध्यान में रखेगा। महंगाई का दबाव बढने से उसके लिए ऋण सस्ता करने का फैसला कठिन हो सकता है। अक्टूबर में सकल मुद्रास्फीति 7.45 फीसदी थी, जो आरबीआई के पांच से छह प्रतिशत के मध्यावधिक लक्ष्य से अधिक है। सब्जियों की कीमत सालाना आधार पर 14.74 फीसदी ऊपर रही तथा मांस, मछली और अंडा 11.33 फीसदी मंहगे रहे। कपड़े और जूते की कीमत भी नवंबर में 11.08 फीसदी बढ़ी। शहरी इलाकों में खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में 9.69 फीसदी रही, जो इससे पिछले माह 9.46 फीसदी थी।टिप्पणियां हालांकि ग्रामीण इलाके में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने के पिछले महीने 9.98 फीसदी से घटकर 9.97 फीसदी रही। नवंबर में ग्रामीण, शहरी और सम्मिलित आखिल भारतीय उपभाक्ता मूल्य सूचकांक क्रमश: 126.9, 123.4, 125.4 रहे। माना जाता है कि रिजर्व बैंक अगले सप्ताह मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति के लिए दहाई अंक के करीब पहुंचने की इस स्थिति ध्यान में रखेगा। महंगाई का दबाव बढने से उसके लिए ऋण सस्ता करने का फैसला कठिन हो सकता है। अक्टूबर में सकल मुद्रास्फीति 7.45 फीसदी थी, जो आरबीआई के पांच से छह प्रतिशत के मध्यावधिक लक्ष्य से अधिक है। हालांकि ग्रामीण इलाके में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने के पिछले महीने 9.98 फीसदी से घटकर 9.97 फीसदी रही। नवंबर में ग्रामीण, शहरी और सम्मिलित आखिल भारतीय उपभाक्ता मूल्य सूचकांक क्रमश: 126.9, 123.4, 125.4 रहे। माना जाता है कि रिजर्व बैंक अगले सप्ताह मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति के लिए दहाई अंक के करीब पहुंचने की इस स्थिति ध्यान में रखेगा। महंगाई का दबाव बढने से उसके लिए ऋण सस्ता करने का फैसला कठिन हो सकता है। अक्टूबर में सकल मुद्रास्फीति 7.45 फीसदी थी, जो आरबीआई के पांच से छह प्रतिशत के मध्यावधिक लक्ष्य से अधिक है। माना जाता है कि रिजर्व बैंक अगले सप्ताह मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति के लिए दहाई अंक के करीब पहुंचने की इस स्थिति ध्यान में रखेगा। महंगाई का दबाव बढने से उसके लिए ऋण सस्ता करने का फैसला कठिन हो सकता है। अक्टूबर में सकल मुद्रास्फीति 7.45 फीसदी थी, जो आरबीआई के पांच से छह प्रतिशत के मध्यावधिक लक्ष्य से अधिक है।
बिहार के नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात सुरक्षा बल अभियानों में अपने कर्मियों की सुरक्षा सुरक्षित करने के लिए मानव रहित विमान (यूएवी) का प्रयोग कर रहे हैं. यह जानकारी रविवार को एक पुलिस अधिकारी ने दी. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि उत्तर बिहार के मैदानी इलाकों और दक्षिण बिहार के जंगली क्षेत्रों में स्थित नक्सलियों के दुर्ग में उनकी गतिविधि पर यूएवी नजर रख सकेंगे. इससे नक्सलियों के खिलाफ अभियान के दौरान सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या कम हो सकेगी. भूस्थैतिक प्रणाली (जीपीएस) का इस्तेमाल करते हुए यूएवी नक्सलियों की वास्तविक स्थिति और सटीक समय मुहैया करा सकेंगे, जिससे उनसे मुकाबला करने की सही योजना तैयार की जा सकेगी.
बेसेमर प्रक्रिया, पिघले हुए ढलवां लोहे (पिग आयरन) से बड़े पैमाने पर स्टील के उत्पादन के लिए पहली सस्ती औद्योगिक प्रक्रिया थी। इस प्रक्रिया का नाम इसके अविष्कारक हेनरी बेसेमर के नाम पर रखा गया जिन्होंने 1855 में इस प्रक्रिया का पेटेंट करवाया. स्वतंत्र रूप से इस प्रक्रिया की खोज विलियम केली ने 1851 में की थी। इस प्रक्रिया को सैकड़ों सालों से यूरोप के बाहर भी इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन यह औद्योगिक स्तर पर नहीं होता था। इसका मुख्य सिद्धांत पिघले लोहे पर हवा की फुहारें मार कर ऑक्सीकरण द्वारा लोहे की अशुद्धियों को दूर करना है। ऑक्सीकरण लोहे के द्रव्यमान के तापमान को भी बढ़ा देता है और इसे पिघली हुई अवस्था में बनाए रखता है। मूल दुर्दम्य परत (बेसिक रिफ्रेक्टरी लाईनिंग) के उपयोग वाली प्रक्रिया को मूल बेसेमर प्रक्रिया या गिलक्रिस्ट थॉमस प्रक्रिया के नाम से जाना जाता है, यह नाम इसके अविष्कारक सिडनी गिलक्रिस्ट थॉमस के नाम पर पड़ा है। विवरण बेसेमर परिवर्तक यह प्रक्रिया एक बड़े अंडाकार स्टील के पात्र में की जाती है जिसमें चिकनी मिट्टी या डोलोमाइट की परतें लगी होती हैं, इसे बेसेमर परिवर्तक कहा जाता है। इस परिवर्तक की क्षमता 8 से 30 टन पिघले लोहे की होती थी और सामान्य तौर पर इसे लगभग 15 टन भरा जाता था। इस परिवर्तक के शीर्ष पर एक ढक्कन लगा होता है जो उस तरफ खुलता है जहां वो पात्र से जुड़ा होता है, इससे लोहा अंदर डाला जाता है और तैयार उत्पाद बाहर निकाला जाता है। इसकी तली में बहुत से छिद्र बने होते हैं जिन्हें टूयिरीज कहा जाता है, इनके द्वारा परिवर्तक में हवा का दबाव डाला जाता है। यह परिवर्तक एक घूमने वाली धुरी पर रखा होता है ताकि पदार्थ डालने के लिए इसे घुमाया जा सके, परिवर्तन के दौरान यह बिल्कुल सीधा हो जाता है और फिर बाद में पिघली हुई स्टील को बाहर निकालने के लिए वापस घूम जाता है। ऑक्सीकरण ऑक्सीकरण प्रक्रिया सिलिकॉन, मैंगनीज, और कार्बन जैसी अशुद्धियों को ऑक्साइड्स के रूप में निकाल देती है। ये आक्साइड गैस के रूप में या ठोस लावे के रूप में निकल जाते हैं। परिवर्तक में लगी दुर्दम्य परतें भी परिवर्तन में भूमिका निभाती हैं - चिकनी मिट्टी की परतों का इस्तेमाल एसिड बेसेमर में किया जाता है, यह तब होता है जब कच्चे माल में हल्की फास्फोरस मिली होती है। डोलोमाइट का प्रयोग तब किया जाता है जब मूल बेसेमर में फास्फोरस ज्यादा मात्रा में होती है (डोलोमाइट के स्थान पर कई बार चूना पत्थर या मैग्नेसाइट की परतों का भी प्रयोग किया जाता है)- इसे गिलक्रिस्ट थॉमस परिवर्तक के नाम से भी जाना जाता है, यह नाम इसके अविष्कारक सिडनी गिलक्रिस्ट थॉमस के नाम पर पड़ा है। स्टील को आवश्यक गुणधर्म प्रदान करने के क्रम में, परिवर्तन पूरा होने के बात पिघले हुए स्टील में अन्य पदार्थ भी मिलाए जा सकते हैं, जैसे स्पीग्लेशियन [लोहे(Fe)-कार्बन(C)-मैग्नीज(Mn) मिश्रधातु]। प्रक्रिया का प्रबंधन आवश्यक स्टील का प्रारूपण हो जाने के बाद इसे बाहर डोई (लैडल) में डाल दिया जाता था और फिर इसे सांचों में स्थानांतरित किया जाता था और हल्का धातुमल पीछे रह जाता था। परिवर्तन प्रक्रिया जिसे "ब्लो" कहा जाता है, 20 मिनट में पूरी हो जाती थी। इस अवधि के दौरान अशुद्धियों के ऑक्सीकरण की प्रगति को परिवर्तक के मुंह से निकलने वाली लौ से आंका जाता था: लौ के गुणों की रिकॉर्डिंग के फोटोइलैक्ट्रिक तरीकों के आधुनिक उपयोग से अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता नियंत्रण में ब्लोअर को काफी मदद प्राप्त हुई है। हवा के झोंके देने के बाद, तरल पदार्थ को वांछित बिंदु पर पुनः-कार्बनीकृत किया जाता था और वांछित उत्पाद के आधार पर अन्य मिश्रधातु पदार्थ मिलाए जाते थे। पूर्ववर्ती प्रक्रियाएं बेसेमर प्रक्रिया से पहले ब्रिटेन में ढलवां लोहे से कार्बन की मात्रा कम करने के लिए कोई प्रयोगात्मक विधि नहीं थी। स्टील का निर्माण कार्बन मुक्त बने लोहे में कार्बन जोड़ने की विपरीत प्रक्रिया द्वारा किया जाता था, जिसे आम तौर पर स्वीडन से आयात किया जाता था। यह निर्माण प्रक्रिया जिसे संयोजन प्रक्रिया कहा जाता है, इसमें लोहे की गर्म सलाखों को लकड़ी के कोयले के साथ पत्थर के बक्से में एक सप्ताह के लिए रखा जाता था। इससे ब्लिस्टर स्टील का उत्पादन होता था। प्रत्येक टन स्टील बनाने के लिए 3 टन मंहगा कोयला जलाया जाता था। ऐसे स्टील को सलाखों में ढालकर £ 50 से £ 60 (2008 में लगभग £ 3390 से 4070) प्रति टन के हिसाब से बेचा जाता था। यद्यपि प्रक्रिया का सबसे कठिन और काम करने वाला भाग, लोहे का स्वीडन की मैल निकालने वाली भट्टियों में होता था। इस प्रक्रिया को 18 वीं सदी में बेंजामिन हंटमैन की क्रूसिबल स्टील बनाने की तकनीक के आने के बाद परिष्कृत किया गया, इस तकनीक में तीन घंटे का अतिरिक्त फायरिंग समय लगता था और अतिरिक्त कोयलो की बड़ी मात्रा में आवश्यकता पड़ती थी। क्रूसिबल स्टील बनाने में ब्लिस्टर स्टील की छड़ों को टुकड़ों में तोड़ा जाता था और छोटी कुठालियों (एक पात्र) में पिघलाया जाता था, इन सभी कुठालियों में लगभग 20 किग्रा. पदार्थ आता था। इससे उच्च गुणवत्ता वाली क्रूसिबल स्टील का उत्पादन होता था लेकिन इससे लागत में वृद्धि आती थी। इस गुणवत्ता का स्टील बनाने में बेसेमर प्रक्रिया में आधा घंटा कम समय लगता है जबकि कोयले की जरूरत केवल शुरूआत में ढलवां लोहे के पिघलाने के लिए पड़ती है। शुरूआत में बेसेमर परिवर्तक £7 प्रति टन के हिसाब से स्टील का उत्पादन करते थे, यद्यपि शुरू में इसे लगभग £ 40 प्रति टन के हिसाब से बेचा जाता था। इतिहास इतिहासकार रॉबर्ट हार्टवैल बताते हैं कि 11 वीं सदी में सांग राजवंश ने ठंडे विस्फोट के तहत कच्चे लोहे को बार बार ढालने की "आंशिक अकार्बनिकरण" विधि का अविष्कार किया था। इतिहासकार जोसफ नीडहैम और वेरटाइम यह स्वीकार करते हैं कि यह विधि, बेसेमर प्रक्रिया की पूर्ववर्ती प्रक्रिया थी। इस प्रक्रिया के बारे में पहली बार विद्वान और बहुश्रुत सरकारी अधिकारी सेन कुओ (1031-1095) ने 1075 में संक्षेप में बताया था, जब वह किझोउ के भ्रमण पर थे। हार्टवैल कहते हैं कि शायद वह शुरूआती केंद्र जहां इसे प्रयोग में लाया जाता था, हेनान-हेबेई सीमा के पास कोई महान लौह उत्पादन क्षेत्र रहा हो। 1740 में बेंजामिन हंट्समैन ने शेफिल्ड के हैंड्सवर्थ जिले की अपनी कार्यशाला में स्टील बनाने की क्रूसिबल तकनीक का विकास किया। इस प्रक्रिया ने इस्पात उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला। सर हेनरी बेसेमर ने अपने इस अविष्कार की उत्पत्ति के बारे में अपनी आत्मकथा के 10वें और 11वें अध्याय में बताया है। इस किताब के अनुसार सिरेमिअन युद्ध के प्रकोप के बाद बहुत से अंग्रेज उद्योगपतियों और निवेशकों ने युद्ध तकनीकों में रूचि दिखाई और स्वयं बेसेमर ने तोपखाने के प्रोजेक्टाइल की ग्रूविंग के लिए एक तकनीक विकसित की ताकि वे बंदूक की बोर में राइफलिंग का प्रयोग किए बिना घूम सकें. उन्होंने 1854 में इस विधि का पेटेंट कराया और यह फ्रांस की सरकार के संयोजन से इसका विकास शुरू किया। फ्रांस के पॉलीगॉन में अपनी विधि के परीक्षण के सफल दिन के बाद उन्होंने क्लाउड-इटिनी माइनी के साथ बात की जिन्होंने कहा कि बड़े, भारी घुमाने वाले प्रोजेक्टाइल के प्रयोग में बंदूक की क्षमता एक मुख्य बाधा हो सकती है और विशेष रूप से "... वह (माइनी) नहीं मानते की 12-पाउंडर की कच्चे लोहे की बंदूक से 30-lb का शॉट फायर करने के लिए यह सुरक्षित नहीं है। असली सवाल जो उन्होंने कहा वो यह था कि क्या इतने भारी प्रोजेक्टाइल को सहन करने के लिए कोई बंदूक बनाई जा सकती है?" यही वह वजह थी जिसने बेसेमर को स्टील के बारे में सोचने पर मजबूर किया। उस समय स्टील को बनाना कठिन और मंहगा था और परिणाम स्वरूप इसका इस्तेमाल छोटे आइटम जैसे चाकू-छुरी और यंत्र बनाने में किया जाता था। जनवरी 1855 के शुरू में उन्होंने उस तरीके पर काम करना शुरू किया जिससे तोपखानों के लिए आवश्यक स्टील का बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जा सके और अक्टूबर में उन्होंने बेसेमर प्रक्रिया से संबंधी अपना पहला पेटेंट फाइल किया। उनकी आत्मकथा के अनुसार, बेसेमर ने पहले साधारण रिवरबेटरी भट्टी पर काम करना शुरू किया लेकिन एक परीक्षण के दौरान कुछ ढलवां सिल्लियां डोई की तरफ होकर भट्टी की गर्म हवा के ऊपर पहुंच गईं। जब बेसेमर ने उन्हें वापस डोई में डालने गए तो उन्होंने पाया कि वे अभी तक शैल थे: गर्म हवा ने सिल्लियों के बाहरी भागों को स्टील में बदल दिया था। इस महत्वपूर्ण खोज ने उन्हें भट्टी को पूरी तरह से फिर से बनाने पर विवश कर दिया ताकि वे विशेष वायु पंपों का उपयोग कर पिघले लोहे से उच्च-दाब वाली हवा गुजार सकें. सहज ज्ञान से तो यह मूर्खता लगती थी क्योंकि ऐसा करने से लोहा ठण्डा होगा, लेकिन एक्ज़ोथिर्मिक ऑक्सीकरण के कारण सिलिकॉन और कार्बन दोनो ही अतिरिक्त ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके गर्म लोहे से निकल जाते हैं, जिससे यह स्टील में बदल जाता है। बेसेमर ने अपनी प्रकिया के लिए पेटेंट के लाइसेंस कुल £27,000 में पांच लौहस्वामियों को दिए, लेकिन लाइसेंसों ने वादे के अनुसार गुणवत्ता वाली स्टील का उत्पादन नहीं किया और बेसेमर ने £32,500 में इन्हें वापस खरीद लिया। उन्होंने महसूस किया की यह समस्या लोहे की अशुद्धियों के कारण थी और निष्कर्ष निकाला कि इसका समाधान यह जानकार निकाला जा सकता है कि वायु का प्रवाह कब बंद करना है; ताकि अशुद्धियां जल जाएं और कार्बन की सही मात्रा बच जाए. हालांकि, प्रयोगों पर हजारों पाउंड खर्च करने के बावजूद उन्हें इसका उत्तर नहीं मिल सका। स्टील के कुछ ग्रेड 78% नाइट्रोजन के प्रति संवेदनशील हैं जोकि स्टील से गुजर रही हवा का हिस्सा हैं। एक साधारण मगर शिष्ट उपाय की खोज अंग्रेजी धातुशोधक रॉबर्ट फॉरेस्टर मुशेट ने की, जिन्होनें डीन के वनों में हजारों वैज्ञानिक रूप से मान्य प्रयोग किए थे। उनकी विधि के अनुसार जितना संभव हो सके सभी अशुद्धियों और कार्बन को पहले ही जला लेना चाहिए, फिर उचित मात्रा में स्पिजेलिशयन जोड़कर कार्बन औऱ मैग्नीज को पुनः जोड़ना चाहिए। इसने उत्पाद की आघातवर्धनीयता को बढ़ाकर तैयार होने वाले उत्पाद की गुणवत्ता को बेहतर बनाया- उच्च ताप पर इसके रोल करने और फोर्जिंग की क्षमता और इसे उपयोग की विशाल सारणी के लिए उपयुक्त बनाना. इस प्रक्रिया का लाइसेंस लेने वाली पहली कंपनी डाउलैस आयरन कंपनी थी। इस कंपनी ने पहली बार बेसेमर स्टील बनाने के लिए इस प्रक्रिया का उपयोग 1865 में किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बेसेमर स्टील मिल 1855 में डेट्रॉइट के दक्षिण में लगभग 14 मील की दूरी पर मिशिगन के वेनडोटे में डेट्रॉइट नदी पर स्थापित की गयी। उत्तरी मीशिगन, विस्कॉन्सिन और मिन्नेसोटा से लौह अयस्क और ग्रेट लेक शिपिंग तक आसान पहुंच होने के कारण डेट्रॉइट, उत्तरी अमेरिका में स्टील का उत्पादन करने वाला शुरूआती शहर बन गया। डेट्रॉइट के ऑटोमोबाइल निर्माण केंद्र के रूप में विकास में इसका प्रमुख योगदान था। पेटेंट की लड़ाई बेशक, इस तरह के स्पष्ट मूल्य का पेटेंट आलोचना से नहीं बचा और बहुत से क्षेत्रों में उनके खिलाफ अशक्तता की बातें स्वतंत्र रूप से बहुत जोर देकर कही गयीं। लेकिन बेसेमर काफी भाग्यशाली रहे कि उन्होंने बिना कानूनी झगड़े के अपने पेटेंट को साबित किया, हालांकि उन्हें लगा कि एक पेटेंटी के अधिकार खरीद लेना उचित रहेगा, जबकि रॉबर्ट फोरेस्टर मुशेट के मामले में, वे गैर-भुगतान फीस के कारण 1859 में पेटेंट के चूक जाने की चिंता से मुक्त थे। मुशेट की प्रक्रिया बिल्कुल जरूरी नहीं थी और बेसेमर ने 1865 में इसे सिद्ध कर दिया, उन्होंने केवल अपनी प्रक्रिया का उपयोग करके बनाई स्टील के नमूनों की एक श्रृंखला का प्रदर्शन किया, लेकिन बेसेमर की प्रक्रिया के साथ संयोजन के रूप में इसके निकट सार्वभौमिक अधिग्रहण के द्वारा मुशेट की प्रक्रिया के मूल्य दिखाए गए थे। मुशेट के पेटेंट की निरंतर के बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है, लेकिन 1866 में रॉबर्ट मुशेट की 16 साल की बेटी लंदन में हेनरी बेसेमर के ऑफिस में पहुंची और यह तर्क दिया कि बेसेमर की सफलता उनके पिता के कार्य के परिणामों पर आधारित थी। बेसेमर ने मुशेट को सालाना 300 पाउंड की वार्षिक पेंशन का भुगतान करने फैसला किया, यह बहुत महत्वपूर्ण राशि थी और इसका भुगतान 25 वर्षों तक किया गया; और यह संभव है कि मुशेट द्वारा कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए ऐसा किया गया हो। 1866 में, बेसेमर ने लंदन के बेडफोर्ट स्ट्रीट पर रहने वाले अमेरिका के लोकोमोटिव इंजीनियर और पत्रकार जेरह कॉलबर्न को इंजीनियरिंग नाम का साप्ताहिक अखबार निकालने के लिए पैसे दिए। कॉलबर्न पर परोपकार करने वाले का नाम बहुत वर्षों बाद ही उजागर हो सका था। इंजीनियरिंग लांच करने के पहले, कॉलबर्न ने दी इंजीनियर के पन्नों के माध्यम से बेसेमर के स्टील के काम और स्टील निर्माण में समर्थन किया था। महत्व बेसेमर की प्रक्रिया ने लागत कम करके (इसकी शुरूआत में £40 प्रति टन से £6-7 प्रति टन) स्टील निर्माण में क्रान्तिकारी परिवर्तन किया, इसके साथ ही इसने इस महत्वपूर्ण कच्चे माल के उत्पादन के पैमाने और गति को भी बहुत बढ़ा दिया। इस प्रक्रिया से स्टील बनाने के काम में मजदूर वर्ग की आवश्यकता में भी कमी आयी। इसकी शुरूआत से पहले तक पुल या भवनों की रूपरेखा तैयार करने के लिए स्टील बहुत महंगा हुआ करता था और इसलिए पूरी औद्योगिक क्रांति के दौरान लोहे का उपयोग किया गया था। बेसेमर प्रक्रिया की शुरूआत के बाद स्टील और लोहे के मूल्य समान हो गये और अधिकतर निर्माता स्टील की तरफ मुड़ गए। सस्ते स्टील की उपलब्धता के कारण बड़े पुलों, रेलमार्गों, गगनचुंबी इमारतों और बड़े जहाजों के निर्माण के लिए इसका उपयोग किया जाने लगा। अन्य महत्वपूर्ण स्टील उत्पाद- जो खुली भट्टी की प्रक्रिया का उपयोग करके भी बनते थे- स्टील केबल, स्टील सरिया और शीट स्टील थे, जिनसे बड़े, उच्च-दाब वाले बॉयलर और मशीनों के लिए भारी तनन वाले मजबूत स्टील का निर्माण संभव हुआ जिससे पहले की तुलना में अधिक शक्तिशाली इंजन, गियर, धुरे को बनाना संभव हो सका। स्टील की बड़ी मात्रा से अधिक शक्तिशाली बंदूको और सवारी डिब्बों, टैंकों, बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों और नौसेना के जहाजों का निर्माण संभव हो सका। औद्योगिक स्टील से विशाल टरबाइन और जनरेटर का निर्माण हुआ जिससे पानी का दोहन और वाष्प-ऊर्जा का निर्माण संभव हो पाया। हेनरी बेसेमर की बड़े पैमाने पर स्टील के उत्पादन की इस सिद्ध प्रक्रिया द्वारा औद्योगीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ, जैसा कि 19वीं-20वीं सदी में देखा गया। लुप्तप्रायता अमेरिका में, इस पद्धति द्वारा वाणिज्यिक स्टील उत्पादन 1968 में बंद कर दिया गया। इस प्रक्रिया की जगह बेसिक ऑक्सीजन प्रकिया (लिंज़-डोनाविट्ज) ने ली, जो अंतिम रसायनविज्ञान पर बेहतर नियंत्रण प्रदान करती थी। बेसेमर प्रक्रिया के बहुत तेज होने के कारण (गर्मी के लिए 10-20 मिनट) रासायनिक विश्लेषण या स्टील में मिश्रधातु तत्वों के समायोजन के लिए बहुत कम समय मिलता था। बेसेमर परिवर्तक पिघले हुए स्टील से फास्फोरस को निपुणता से दूर नहीं करते थे; जैसे-जैसे कम-फास्फोरस वाला अयस्क और अधिक महंगा हुआ, परिवर्तन की लागत भी बढ़ती गयी। इस प्रक्रिया में केवल सीमित मात्रा में ही स्क्रैप स्टील को चार्ज किया जा सकता था जिससे लागत और अधिक बढ़ गयी, खासकर जब स्क्रैप सस्ता था। इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस तकनीक के इस्तेमाल ने बेसेमर प्रक्रिया को कड़ी टक्कर दी जिससे यह लुप्तप्राय होती गई। इन्हें भी देखें ओपन हर्थ फरनेस, सीमेंस-मार्टिन प्रक्रिया सन्दर्भ संदर्भग्रन्थ बाहरी कड़ियाँ दी इंजिनियर, 15 अगस्त 1856. उसकी प्रकिया का बेसमर वर्णन कैसे आधुनिक स्टील फर्नेस अपना कार्य करता है, पॉपुलर साइंस, मासिक, फरवरी 1919, पृष्ठ 30-31, गूगल बुक्स द्वारा स्कैन किया गया: http://books.google.com/books?id=7igDAAAAMBAJ&pg=PA30 A retrospective of 20th century steel making technology अंग्रेजी आविष्कार इस्पात निर्माण
बिहार बोर्ड 12वीं कक्षा की परीक्षा जिन लड़कियों ने अच्छे नंबर से पास की है उन्हें बिहार सरकार ने 10 हजार रुपये की स्कॉलरशिप देने का ऐलान किया है. सरकार ने कहा- उन सभी अविवाहित लड़कियों को स्कॉलरशिप दी जाएगी जिन्होंने 12वीं बोर्ड में अच्छे अंकों के साथ परीक्षा पास की है. बिहार बोर्ड सतर्क! रिजल्ट से पहले करवा लिया था टॉपर्स का 'इंटरव्यू' आपको बता दें ''मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना'' (MKUY) की योजना के तहत एक बार स्कॉलरशिप दी जाती है. इस साल अप्रैल के महीने में बिहार के राज्य मंत्रिमंडल ने इस योजना को लॉन्च किया था. बता दें, राज्य सरकार ने अब तक स्कॉलरशिप की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. वहीं चुनी गई लड़कियों को स्कॉलरशिप का रकम सीधा उनके बैंक में ही ट्रांसफर कर दी जाएगी. बिहार इंटरमीडिएट Result: जानें- कैसा था रिजल्ट बिहार सरकार के अनुसार स्कॉलरशिप किसी भी परिवार के 2 सदस्यों को ही मिलेगी. आपको बता दें, बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं का रिजल्ट 6 जून का घोषित कर दिया गया था. इस परीक्षा में 52.9 फीसदी छात्र पास हुए थे, जिसमें साइंस में 44.41, आर्ट्स में 61 फीसदी और कॉमर्स में 91 फीसदी बच्चे पास हुए थे.
I won a medal at Commonwealth Games&you told me I will receive more help in future,but my calls were not answered later. Good you are congratulating and rewarding us today but no support was given when we needed most: Bronze medalist at Asian Games Divya Kakran to Delhi CM (4.9) pic.twitter.com/3wo7vlwmI4 #WATCH Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal replies to Asian Games bronze medalist Divya Kakran on her statement 'Good you are congratulating and rewarding us today but there was no support when we needed it the most' (4.9.18) pic.twitter.com/0QrBktQsjB
फसलों के नाशीजीवों (pests) कों नियन्त्रित करने के लिए दूसरे जीवों (प्राकृतिक शत्रुओं) को प्रयोग में लाना जैव नियन्त्रण (Biological pest control) कहलाता है। जैव नियन्त्रण, एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन का महत्वपूर्ण अंग है। इस विधि में नाशीजीवी व उसके प्राकृतिक शत्रुओ के जीवनचक्र, भोजन, मानव सहित अन्य जीवों पर प्रभाव आदि का गहन अध्ययन करके प्रबन्धन का निर्णय लिया जाता है। विभिन्न नाशीजीवों के नियंत्रण में उपयोग होने वाले प्राकृतिक शत्राुओं का विवरण निम्न प्रकार से हैं नाशीजीवों के प्राकृतिक शत्रु कीटों (नाशीजीवों) के नियन्त्रण के लिए प्रयोग किए जाने वाले प्राकृतिक शत्रुओं की तीन श्रेणियां हैं:- 1. परजीवी (Parasitoids) 2. परभक्षी (Predators) 3. रोगाणु (Pathogens) परजीवी कीट अपना जीवन चक्र दूसरे कीड़ो के शरीर में पूरा करते है जिसके परिणाम स्वरूप् दूसरे कीड़े मर जाते हैं। यह परजीवी कई प्रकार के होते है जैसे: अण्ड परजीवी, प्यूपा परजीवी, अण्ड सुण्डी परजीवी, व्यस्क परजीवी आदि। इनके उदहारण हैं: ट्राकोग्रामा, ब्रेकान, काटेशिया, किलोनस, एन्कारश्यिा इत्यादि। परभक्षी परभक्षी अपने भोजन के रूप में दूसरे कीडों का शिकार करते हैं। यह फसल नाशी कीटों को खा जाते हैं। इनके उदहारण हैं: मकड़ी, ड्रेगनफलाई, डेमसफलाई, कोकसीनेलिड बीटल, प्रेइंगमेन्टिस, क्राइसोपरला, सिरफिड, इअरविग, ततैया, चींटियो, चिड़िया, पक्षी, छिपकली इत्यादि। रोगाणु सूक्ष्म जीव होते है हारिकारक कीटो में बीमारियाँ उत्पन्न करके उन्हें मार डालते है। रोगाणुओं की प्रमुख श्रेणियां है: फफूँद, बैक्टीरिया तथा वायरस, इनके अतिरिक्त कुछ सूत्रकृमि (nematodes) भी कीटों में बीमारियां उत्पन्न करके उन्हेें मार डालते हैं। इनके उपयोग और प्रभाव के कारण इन्हें बायोपेस्टिसाईड भी कहते हैं। इनके उदहारण हैं: फफूँद प्रकृति में 90 प्रतिशत कीट, उनकी विभिन्न अवस्थाएं (अंडे, सूडी, प्यूपा, व्यस्क) फफूँद के आक्रमण से नष्ट हो जाते हैं। इनके उदहारण हैं: ब्यूवेरिया बासियाना, मेटारिजियम एनिसाप्ली, हिरिस्टुला, वार्टिसिलियम लिनाई, आदि। फफूंद का आक्रमण सभी कीटों पर लगभग समान रूप से होता हैं। फफूंद के आक्रमण से कीट 10 से 15 दिनों में मर जाते हैं। मेटारिजियम एनिसाप्ली, का प्रयोग टिड्डी दल के नियन्त्रण में व्यापक रूप से किया जा रहा है। ब्यूवेरिया बासियाना नरम शरीर वाले कीड़ो के लिए बहुत प्रभावी है। फफूंद संक्रमण द्वारा कीड़ों का मारती है। फफूंद द्वारा संक्रमण के लिए नमी का होना आवश्यक हैं। संक्रमण शरीर से संपर्क में आने से होता है। फफूंद कीड़ों की सभी अवस्थाओं पर प्रभावकारी होती हैं। बैक्टीरिया प्रकृति में बेलिलस थूरिनजैंसिस और और बेसिलस पौपिली नामक बैक्टीरिया कीट नियंन्त्रण में प्रभावकारी है। लैपीडाप्टरन कीटों के नियंन्त्रण में बेसिलस थूरिनजैंसिस का उपयोग व्यापक रूप से किया जा रहा हैं। बैक्टीरिया संक्रमण द्वारा कीड़ों को मारते हैं, संक्रमण आहार द्वारा होता है। वायरस प्रकृति में न्यूक्लियो पालीहाइड्रोसिस वायरस और ग्रेन्यूलोसिस वायरस नामक वायरस कीट नियंत्रण में प्रभावकारी हैं। वायरस संक्रमण द्वारा कीड़ों को मारते हैं, संक्रमण आहार द्वारा होता है। वायरस स्पीसीज स्पेसीफिक होते है। एक स्पीसीज के लिए उसका खास वायरस ही लाभकारी होगा। अतः वायरस के प्रयोग से पहले कीड़ों की सही पहचान हाना आवश्यक है। जैव नियन्त्रण रणनीतियाँ जैव नियन्त्रण की तीन रणनीतियां हैं: प्राकृतिक शत्रुओं का प्रवेश इस विधि में प्राकृतिक शत्रुओं को अन्य स्थान से लाकर आक्रमणकारी कीटांे पर छोड़ते हैं। यह बड़ी सावधानी के साथ वैज्ञानिक लोंगों द्वारा अम्ल में लाया जाता हैं। नाशीजीवों के नए स्थानों पर फैल जाने से वहां पर उनके प्राकृतिक शत्रु मौजूद नहीं होेते। वैज्ञिानिक उनके प्राकृतिक शत्रुओं को विश्व में अन्य स्थानों पर खोजते हैं। उनके सुरिक्षत होने को निश्चित करते हैं। फिर उन्हें प्रयोग में लाते हैं। बढ़ोतरी करना इस विधि में पहले से ही मौजूद प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या को इस कदर बढ़ाया जाता है ताकि हानिकारक कीड़ों की संख्या को आर्थिक हानि स्तर से नीचे रख सकें। यह बड़ोतरी प्रयोगशाला में गुणन किए हूए प्राकृतिक शत्राुओं द्वारा की जाती है। संरक्षण यह सबसे महत्वपूर्ण रणनीति है। यह ऐसी व्यवस्था है जिसमें प्रकृति में पाये जाने वाले प्राकृतिक शत्रुओं यानि मित्रजीवों को संरक्षण दिया जाता है। ताकि उनकी संख्या का संतुलन हानिकारक कीड़ों के साथ बना रहे। होता यूं है कि फसलों में हानिकारक कीड़ों की संख्या मित्र जीवों/प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या से बहुत कम होती है। यह मित्र जीव/प्राकृतिक शत्रु हानिकारक कीड़ों को नष्ट करते रहते हैं और उनकी संख्या को आर्थिक हानि स्तर से नीचे रखने में हमारी सहायता करते हैं। हम मित्र कीटों तथा दुश्मन कीटों की पहचान न होने के कारण या शत्रु कीड़ों के आपेक्षित आक्रमण के भयवस या शत्रु कीड़ो तथा मित्र कीटों के अनुपात का सही आंकलन न होने की स्थिति में अक्सर रासायनिक कीट नाशकों का छिड़काव तभी करें जब एकीकष्त नाशीजीव प्रबन्धन के अन्य तरिके सफल/कारगर न हों। रासायनिक कीट नाशकों का छिड़काव उन्हीं पौधों या पंक्तियों पर करें जहां आक्रूमण आर्थिक हानि स्तर से अधिक हो। हमें फसलों की लगातार निगरानी करते रहना चाहिए अर्थात हानिकारक कीड़ों, मित्र जीवों, बीमारियों, खरपतवारों की उपिस्थिति तथा संख्या का आंकलन हर समय करते रहना चाहिए। संरक्षण के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें:- हानिकारक कीड़ों के अण्ड-समूहों को एकत्र करके खेत में स्थापित बांस पिंजरे में रखना ताकि मित्र किटों को बचाया जा सके तथा हानिकारक कीटों को नष्ट किया जा सकें। किसानों को ऐसा प्रशिक्षण दिया जाये ताकि वे हानिकारक तथा मित्र किटों को पहचान कर स्प्रे के समय मित्र कीटों को कीटनाशकों से सीधे सम्पर्क से बचा जा सकें। यदि सभी सम्भव एककीकष्त नाशीजीव प्रबन्धन विधियां लाभकारी न हों तो सुरक्षित कीटनाशकों का उचित मात्रा में उचित विधि द्वारा सही समय का उपयोग करना चाहिए। रासायनों के प्रयोग से पहले मित्र तथा शत्रु कीटों का अनुपात तथा आर्थिक हानि स्तर देखना चाहिए। यदि यह अनुपात 1:1 हो तो रसायनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यहां जरूरी हो, केवल सुरक्षित, रिफरिश्ज्ञशुदा तथा कम प्रदूषण फैलाने वाली रासयनिक दवाईयों का ही प्रयोग करना चाहिए। यथासम्भव, रासायनों को स्पोट या स्ट्रीप विधि द्वारा ही प्रयोग में लाना चाहिए अर्थात जिस जगह हानिकारक कीड़ों की उपस्थिति आर्थिक हानि स्तर से ऊपर पाई जाए केवल उसी जगह ही रासायनों का प्रयोग हो ताकि दूसरी जगह के प्राक्तिक शत्रुओं का संरक्षण हो। बीज बोने तथा फसल काटने का समय इस तरह निर्धारित किया जाए ताकि फसल कीड़ों तथा बीमारियों के मुख्य प्रकोप से बच सके। मेढ़ों पर या उनके आसपास फूल वाली या ट्रेप फसल लगानी चाहिए जिससे मित्र किड़ों को मकरन्द तथा संरक्षण मिल सके। नर्सरी के पौधों की जड़ो का ट्राईकोडरमा विरडी/मैटारिजियम के घोल में डुबो कर उपचारित करके ही लगाना चाहिए। फसल चक्र अपनाने से भी किसान, मित्र कीड़ों को संरक्षण प्रदान कर सकते हैं। इन्हें भी देखें एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन नाशीजीव या पीड़क (पेस्ट) बाहरी कड़ियाँ जैव-नियंत्रण उपाय (एग्रोपेडिया) जैव नियंत्रण प्रयोगशाला हिमाचल प्रदेश: कीटनाशक नहीं, मित्र कीटों की तरफ बढ़े सूबे के किसान कीट
डीडी-गिरनार या डीडी गुजराती / डीडी-11 भारत के राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन का एक गुजराती भाषा का चैनल है। यह गुजरात राज्य में अहमदाबाद में दूरदर्शन केन्द्र (सेंटर) में स्टूडियो से प्रसारित होता है। इन्हें भी देखें डीडी नेशनल पर प्रसारित कार्यक्रमों की सूची ऑल इंडिया रेडियो डीडी डायरेक्ट प्लस देश अनुसार दक्षिण एशियाई टेलीविजन चैनलों की सूची चेन्नई में मीडिया सूचना और प्रसारण मंत्रालय बाहरी कड़ियाँ दूरदर्शन की आधिकारिक इंटरनेट साईट दूरदर्शन न्यूज़ साईट PFC पर एक लेख मीडिया वर्ल्ड एशिया सन्दर्भ दूरदर्शन चैनल
गोवा फिल्‍म फेस्टिवल पर भी आतंक का काला साया मंडराने लगा है. इस आशंका के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने अलर्ट जारी किया है. केंद्र सरकार भेजेगी विशेष टीम जानकारी के मुताबिक गोवा फिल्‍म फेस्टिवल लश्‍कर-ए-तैयबा के निशाने पर है. फिल्‍म-फेस्टिवल के मौके पर सुरक्षा चाक-चौबंद करने के इरादे से केंद्र सरकार टीम भेज रही है. यह टीम अप्रिय स्थिति पैदा होने पर तुरंत कार्रवाई कर सकेगी.
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में बुधवार को देश के शीर्ष संवैधानिक पद की शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह सुबह साढ़े ग्यारह बजे शुरू होगा. भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एच कपाड़िया मुखर्जी को देश के नए राष्ट्रपति के तौर पर पद की शपथ दिलाएंगे. इस अवसर पर ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य, विभिन्न राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री, विदेशी राजनयिक, संसद सदस्य और प्रशासन तथा सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद होंगे. समारोह की शुरुआत निर्वतमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और निर्वाचित राष्ट्रपति मुखर्जी के संसद भवन पंहुचने से होगी. संसद भवन पंहुचने पर भारत के प्रधान न्यायाधीश, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष उनका स्वागत करेंगे और सेना के बैंड की धुन पर पारंपरिक जुलूस की शक्ल में उन्हें केन्द्रीय कक्ष तक लाएंगे. उनके पोडियम पर आसीन होने के बाद शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत होगी. पाटिल मध्य में बैठेंगी और मुखर्जी उनके दायीं तरफ की सीट पर बैठेंगे. राष्ट्रगान की धुन बजने के बाद गृह सचिव आर के सिंह पाटिल की अनुमति लेंगे और नये राष्ट्रपति के तौर पर मुखर्जी के निर्वाचन की चुनाव आयोग की घोषणा पढ़ेंगे. नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद मुखर्जी को 21 तोपों की सलामी दी जाएगी. तत्पश्चात मुखर्जी पद स्वीकार करने के संबोधन के बाद पाटिल से सीट बदलेंगे. इसके बाद राष्ट्रगान की धुन के साथ ही समारोह का समापन होगा. इसके बाद वह पाटिल के साथ राष्ट्रपति भवन रवाना होंगे. इससे पहले मुखर्जी और उनकी पत्नी सुव्रा मुखर्जी बुधवार को सुबह राष्ट्रपति भवन के उत्तरी प्रांगण में पहुंचेंगे और सैन्य सचिव तथा राष्ट्रपति के एड.डि.कैंप उनकी अगवानी करेंगे और भव्य राष्ट्रपति भवन में लेकर जाएंगे. प्रतिभा पाटिल अपने उत्तराधिकारी की प्रतीक्षा कर रही होंगी और दोनों राष्ट्रपति भवन के अग्र प्रांगण में आएंगे जहां राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी उन्हें सलामी देंगे जिसके बाद वे राष्ट्रपति के लिमोजिन वाहन में संसद भवन पहुंचेंगे. राष्ट्रपति भवन से संसद भवन तक उनके मार्ग में थलसेना, नौसेना और वायुसेना के एक हजार जवान उन्हें सलामी देंगे. संसद भवन में शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुखर्जी निर्वतमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को तुगलक लेन स्थित उनके अस्थायी आवास पर छोड़ने जाएंगे. पुणे में आवास की साजसज्जा का काम पूरा होने तक पाटिल तुगलक लेन स्थित बंगले में रहेंगी.
यह लेख है: इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के सातवें संस्करण के तहत शुक्रवार को शेख जायेद स्टेडियम में आईपीएल की सबसे सफल टीम चेन्नई सुपर किंग्स अपने पहले आईपीएल खिताब का इंतजार कर रही किंग्स इलेवन पंजाब से भिड़ेगी। आईपीएल-7 के इस तीसरे मैच के साथ ही दोनों टीमें इस वर्ष अपने-अपने आईपीएल अभियान का शुभारंभ करेंगी। चेन्नई की टीम जहां स्थापना के बाद से ही महेंद्र सिंह धोनी के हाथ में है, वहीं एडम गिलक्रिस्ट के पिछले सत्र में संन्यास ले लेने के कारण पंजाब की कमान टीम में नए शामिल किए गए जॉर्ज बैली को सौंपी गई है। धोनी जहां आईपीएल के सबसे सफल कप्तान रहे हैं, वहीं बैली को अभी आईपीएल में सब कुछ साबित करना शेष है। चेन्नई के लिए सकारात्मक खबर यह है कि धोनी की टीम में उनके अधिकतर पसंददीदा खिलाड़ी शामिल हैं। सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन और ड्वेन ब्रावो के अलावा धोनी को इस बार फाफ डू प्लेसिस, ड्वेन स्मिथ और ब्रेंडन मैक्लम जैसे आईपीएल के सफल खिलाड़ियों की कमान सौंपी गई है। दो बार की चैम्पियन और पिछली बार की उपविजेता चेन्नई ऐसी टीम है, जिसने सभी संस्करणों में सतत बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन शुक्रवार को धोनी को पिछले वर्ष की अपेक्षा काफी बदली हुई पंजाब की टीम का सामना करना होगा। पंजाब की टीम में आईपीएल-7 के लिए काफी बदलाव किए गए हैं। बैली के अलावा शानदार फॉर्म में चल रहे तेज गेंदबाज मिशेल जॉनसन ने पंजाब की गेंदबाजी आक्रमण को काफी मजबूत किया है। पंजाब की बल्लेबाजी की बात करें तो डेविड मिलर, शॉन मार्श, चेतेश्वर पुजारा, ग्लेन मैक्सवेल के अलावा टीम ने आईपीएल-6 में खराब प्रदर्शन करने के बावजूद धुरंधर बल्लेबाज विरेंद्र सहवाग को शामिल किया है। पंजाब को आईपीएल के अपने पहले खिताब का अभी भी इंतजार है। पंजाब और चेन्नई के बीच आईपीएल में अब तक 12 मुकाबले हुए हैं, जिसमें चेन्नई को आठ बार सफलता मिली है, जबकि एक मैच टाई रहा था। टीमें : (संभावित) चेन्नई सुपर किंग्स- महेंद्र सिंह धौनी (कप्तान), रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा, सुरेश रैना, मोहित शर्मा, ड्वेन ब्रावो, ब्रेंडन मैक्लम, फाफ डू प्लेसिस, सैमुअल बद्री, आशीष नेहरा, ईश्वर पांडेय, मिथुन मन्हास, बाबा अपराजित। किंग्स इलेवन पंजाब- जॉर्ज बैली (कप्तान), विरेंद्र सहवाग, चेतेश्वर पुजारा, ऋषि धवन, मुरली कार्तिक, डेविड मिलर, मिशेल जॉनसन, ग्लेन मैक्सवेल, शॉन मार्श, रिद्धिमान साहा, थिसारा परेरा, संदीप शर्मा, अक्षर पटेल, परविंदर अवाना।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि देश के 161 जिले सूखे से प्रभावित हैं. उन्‍होंने कहा बुवाई में 20 फीसदी की कमी हुई है. उन्‍होंने कहा कि यह सूखा सदी का सबसे बड़ा सूखा है. सरकार के माथे पर भी पड़े बल ज़मीन पर सूखे के निशानों ने सरकार के माथे पर बल डाल दिए हैं. कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने भी कहा था ज़रूरी सामान की कीमते बढ़ सकती हैं. अब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी मान लिया है कि देश का एक बड़ा हिस्सा सूखे की चपेट में आ चुका है. वित्त मंत्री के मुताबिक देश में मौजूदा हालात काफी चिंता जनक हैं. इस साल 20 फीसदी खरीफ की बुआई कम हुई है और 161 जिले सुखे की चपेट में है. यानि आने वाले दिनों देश में आनाज और बाकि खाने पीने के सामान की कमी हो सकती है. 1987 में इस देश ने सबसे भयंकर सूखा देखा है. उस समय पीने का पानी और पशुओं के लिए चारा रेलवे के ज़रिए पहुचाया गया था. हमारे पास इस परिस्थिति से निपटने का अनुभव है. ये ज़रूरी नहीं कि बहुत ज़्याता इस चिंता विशय बनाया जाए. मुश्किल होगा 6 प्रतिशत विकास दर पाना वित्त मंत्री ये भी साफ कर दिया है कि सुखे का असर देश की विकास दर पर पड़ने जा रहा है और इस साल अर्थव्यवस्था के लिए 6 फीसदी की विकास दर का लक्ष्य हासिल करना इतना आसान नहीं होगा. ग्रोथ क्या रहेगी फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन इसपर पूरे समय नज़र रखनी होगी. लेकिन जैसी भी स्थिति सामने आएगी उसे हमें स्वीकार करना होगा. अभी पूरी तरह सामने नहीं आया सूखे का असर वित्त मंत्री कहते है कि सुखे की वजह से घबराने की ज़रूरत नहीं है, और सरकार के पास इससे निपटने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. लेकिन सवाल ये कि सरकार की बात कैसे मान ली जाए. अभी तो सुखे का असर पूरी तरह बाज़ार पर पड़ा भी नही है, तो ज़रूरी सामान की कीमतें आसमान छू रही हैं. जब सूखे का असल असर बाज़ार पर पड़ेगा तो पता नहीं कीमतें कहां जाएंगी. लेकिन इस बीच एक राहत की बात ये है कि पंजाब और हरियाणा में कम बारिश के बावजूद बुआई पर खास असर नहीं पड़ा है और ये हुआ सिर्फ इस लिए है क्योंकि इन इलाकों में ज़मीनी पानी का स्तर बाकि राज्यों से बेहतर है. प्रधानमंत्री ने सूखे को लेकर बुलाई बैठक इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 13वें वित्त आयोग के अध्यक्ष विजय केलकर और योजना आयोग की सचिव सुधा पिल्लई के साथ बैठक की और माना जाता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में सूखे की स्थिति पर चर्चा की. यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि खरीफ फसलों पर खराब मानसून के प्रभाव और आवश्यक खाद्य पदाथरें के बढ़ते दामों से लड़ने के लिए सरकार राज्यों को ज्यादा संसाधन उपलब्ध कराने की योजना बना रही है.
किंग फीचर्स मैण्ड्रेक द मैजिसियन की सफलता के बाद, फ़ाॅक से सवाल किया कि आगे भविष्य में क्या बनाना चाहेंगे। अपनी पहली कोशिश में उन्होंन "किंग आर्थर एंड हिज नाइट्स" के बारे में लेखन और चित्रांकन का काम किया। पर जब किंग फीचर्स ने इस स्ट्रिप को लेने से इंकार किया तो फाॅक ने "द फैण्टम" के विकास पर ध्यान लगाया, एक रहस्यमयी शख्स, जो छद्म पोशाक पहनकर अपराध से लड़ता है। अपनी इस पहली योजना पर एक माह कहानी में तथा, और दो हफ्ते तस्वीरों के नमूनों पर लगाएँ।
लेख: पंजाब में चार फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू ने आज (बुधवार) अमृतसर पूर्व सीट से और पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह ने लांबी निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया. इन दोनों के अलावा आप नेता भगवंत मान ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर जलालाबाद सीट से नामांकन दाखिल किया. कांग्रेस के दिग्गज नेता अमरिंदर सिंह लांबी विधानसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को चुनौती दे रहे हैं. लांबी से दिल्ली के पूर्व विधायक और आप के नेता जनरैल सिंह भी मैदान में हैं. अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को अपनी परंपरागत पटियाला शहर सीट से नामांकन दाखिल किया था. हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले सिद्धू के नामांकन दाखिल करते समय उनके साथ उनकी पत्नी नवजोत कौर और अन्य कांग्रेसी नेता साथ थे. पूर्व सांसद, सिद्धू के खिलाफ अमृतसर भाजपा जिला प्रमुख राजेश कुमार हनी चुनाव लड़ रहे हैं. संगरूर से सांसद भगवंत मान शिअद अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ जलालाबाद से मैदान में हैं. टिप्पणियां कांग्रेस ने अपने युवा तुर्क और दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते सांसद रणवीत बिट्टू को जलालाबाद से मैदान में उतारा है. पंजाब के लांबी और जलालाबाद विधानसभा सीट पर जबरदस्त मुकाबला होने के आसार हैं. पंजाब में एक चरण में चार फरवरी को मतदान होना है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) कांग्रेस के दिग्गज नेता अमरिंदर सिंह लांबी विधानसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को चुनौती दे रहे हैं. लांबी से दिल्ली के पूर्व विधायक और आप के नेता जनरैल सिंह भी मैदान में हैं. अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को अपनी परंपरागत पटियाला शहर सीट से नामांकन दाखिल किया था. हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले सिद्धू के नामांकन दाखिल करते समय उनके साथ उनकी पत्नी नवजोत कौर और अन्य कांग्रेसी नेता साथ थे. पूर्व सांसद, सिद्धू के खिलाफ अमृतसर भाजपा जिला प्रमुख राजेश कुमार हनी चुनाव लड़ रहे हैं. संगरूर से सांसद भगवंत मान शिअद अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ जलालाबाद से मैदान में हैं. टिप्पणियां कांग्रेस ने अपने युवा तुर्क और दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते सांसद रणवीत बिट्टू को जलालाबाद से मैदान में उतारा है. पंजाब के लांबी और जलालाबाद विधानसभा सीट पर जबरदस्त मुकाबला होने के आसार हैं. पंजाब में एक चरण में चार फरवरी को मतदान होना है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले सिद्धू के नामांकन दाखिल करते समय उनके साथ उनकी पत्नी नवजोत कौर और अन्य कांग्रेसी नेता साथ थे. पूर्व सांसद, सिद्धू के खिलाफ अमृतसर भाजपा जिला प्रमुख राजेश कुमार हनी चुनाव लड़ रहे हैं. संगरूर से सांसद भगवंत मान शिअद अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ जलालाबाद से मैदान में हैं. टिप्पणियां कांग्रेस ने अपने युवा तुर्क और दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते सांसद रणवीत बिट्टू को जलालाबाद से मैदान में उतारा है. पंजाब के लांबी और जलालाबाद विधानसभा सीट पर जबरदस्त मुकाबला होने के आसार हैं. पंजाब में एक चरण में चार फरवरी को मतदान होना है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) कांग्रेस ने अपने युवा तुर्क और दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते सांसद रणवीत बिट्टू को जलालाबाद से मैदान में उतारा है. पंजाब के लांबी और जलालाबाद विधानसभा सीट पर जबरदस्त मुकाबला होने के आसार हैं. पंजाब में एक चरण में चार फरवरी को मतदान होना है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सत्यदेव दुबे (19 मार्च 1936 -25 दिसम्बर 2011), भारतीय रंगमंच निर्देशक, अभिनेता, नाटककार, पटकथा लेखक और चलचित्र अभिनेता तथा निर्देशक थे। रंगमंच और चलचित्र से जुड़े महती कार्यों के लिए उन्हें १९७१ ई. में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। १९७८ में उन्होंने श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित हिंदी चलचित्र भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। १९८० ई. में उन्हें जुनून के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद का पुरस्कार मिला। २०११ में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। जीवन परिचय सत्यदेव दुबे देश के शीर्षस्थ रंगकर्मी और फ़िल्मकार थे। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 1936 में जन्मे सत्यदेव दुबे देश के उन विलक्षण नाटककारों में थे, जिन्होंने भारतीय रंगमंच को एक नई दिशा दी। उन्होंने फ़िल्मों में भी काम किया और कई पटकथाएं लिखीं. देश में हिंदी के अकेले नाटककार थे, जिन्होंने अलग-अलग भाषाओं के नाटकों में हिंदी में लाकर उन्हें अमर कर दिया। उनका निधन 25 दिसम्बर 2011 को मुंबई में हुआ। कार्यक्षेत्र धर्मवीर भारती के नाटक अंधा युग को सबसे पहले सत्यदेव दुबे ने ही लोकप्रियता दिलाई. इसके अलावा गिरीश कर्नाड के आरंभिक नाटक ययाति और हयवदन, बादल सरकार के एवं इंद्रजीत और पगला घोड़ा, मोहन राकेश के आधे अधूरे और विजय तेंदुलकर के खामोश अदालत जारी है जैसे नाटकों को भी सत्यदेव दुबे के कारण ही पूरे देश में अलग पहचान मिली। सम्मान और पुरस्कार धर्मवीर भारती के नाटक अंधा युग को सबसे पहले सत्यदेव दुबे ने ही लोकप्रियता दिलाई. इसके अलावा गिरीश कर्नाड के आरंभिक नाटक ययाति और हयवदन, बादल सरकार के एवं इंद्रजीत और पगला घोड़ा, मोहन राकेश के आधे अधूरे और विजय तेंदुलकर के खामोश अदालत जारी है जैसे नाटकों को भी सत्यदेव दुबे के कारण ही पूरे देश में अलग पहचान मिली। बाहरी कड़ियाँ सत्यदेव दुबे का निधन रंगकर्मी सत्य देव का निधन चला गया कला का कोहिनूर ... सत्यदेव दुबे (१९३६ - २०११) सन्दर्भ लेखक हिन्दी अभिनेता अभिनेता भारतीय रंगकर्मी भारतीय नाटककार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार विजेता 1936 में जन्मे लोग २०११ में निधन छत्तीसगढ़ के लोग
देश की विभिन्न जेलों में कैद बंदियों की मानसिक और शारीरिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से 'मेडिटेशन फाउंडेशन' ने स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद जेलों में योग और ध्यान की मुफ्त कार्यशाला शुरू की है. गैर लाभकारी संगठन 'मेडिटेशन फाउंडेशन' ने पिछले महीने हिमाचल प्रदेश के चंबा जेल में 'वर्ल्ड टूर फॉर प्रिजन इनमेट्स' नाम से कैदियों के लिए मुफ्त योग और ध्यान कार्यक्रम की शुरुआत की. फाउंडेशन इससे पहले देहरादून और उत्तराखंड की जेलों में अनेक कार्यक्रम आयोजित कर चुका है. संगठन के संस्थापक स्वामी अद्वैत ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य जेलों को सुधार गृहों में बदलने में जेल अधिकारियों को सहायता पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि संगठन की योजना इस कार्यक्रम को देश के अन्य जेलों में भी शुरू करने की और कैदियों के मानसिक व शारीरिक स्तर में सुधार लाने में मदद करने की है. उन्होंने बताया कि मुफ्त कार्यशाला चलाने में संगठन की सहायता के लिए हजारों की संख्या में स्वयंसेवक आगे आए हैं. फाउंडेशन कुछ कैदियों को इसका प्रशिक्षण भी देता है, ताकि वे अपने साथी कैदियों को योग और ध्यान सिखा सकें. चंबा कारागार के सहायक अधीक्षक जगजीत चौधरी ने बताया कि अधिकांश कैदियों ने इस कार्यक्रम की सराहना की है. जेल अधिकारियों को पूरी उम्मीद है कि इससे कैदियों के विचार और व्यवहार में बदलाव आएगा.
पुंगा सागर (Punga Mare) सौर मंडल के शनि ग्रह के सबसे बड़े चन्द्रमा टाइटन के उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित एक झील है। यह टाइटन पर तीसरी सबसे बड़ी ज्ञात झील है (पहला स्थान क्रैकन सागर और दूसरा स्थान लाइजीया सागर का है)। टाइटन की अन्य झीलों की तरह इसमें भी पानी की जगह मीथेन जैसे हाइड्रोकार्बन द्रवावस्था में भरे हैं। यह उत्तरी ध्रुव के बहुत पास स्थित है और इसका व्यास (डायामीटर) लगभग ३८० किमी है। नाम का स्रोत 'पुंगा' न्यू ज़ीलैंड की आदिवासी माओरी जाति के एक देवता थे जो समुद्र के देवता तांगारोआ (Tangaroa) के पुत्र और हाँगर (शार्क), शंकुश (रे) और गिरगिट के जनक माने जाते थे। इस झील का नाम उन्ही पर रखा गया है। इन्हें भी देखें क्रैकन सागर लाइजीया सागर टाइटन (चन्द्रमा) सन्दर्भ टाइटन (शनि का चंद्रमा)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रविवार को असैन्य क्षेत्र में उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग से मुलाकात की. इसके बाद ट्रंप उत्तर कोरियाई नेता किम के साथ उत्तर कोरिया की सरजमीं पर कदम रखा. जब ट्रंप और किम जोंग उन के बीच मुलाकात हो रही थी, तभी किम जोंग उन के सुरक्षाकर्मी ने व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी के साथ बदसलूकी कर दी. Fox News reports White House Press Secretary Stephanie Grisham roughed up by North Korea security guards during US President Donald Trump-North Korean Leader Kim Jong-un meet. pic.twitter.com/VHMPAWIJ4M — ANI (@ANI) June 30, 2019 अमेरिकी समाचार चैनल फॉक्स न्यूज के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाकात के दौरान उत्तर कोरियाई सुरक्षा गार्ड ने व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी स्टेफनी ग्रिशम के साथ धक्कामुक्की और बदसलूकी की. बताया जा रहा था कि उत्तर कोरियाई सुरक्षा गार्ड अमेरिका के पत्रकारों को जाने से रोक रहे थे, जिसके चलते व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी स्टेफनी ग्रिशम भिड़ गईं. This is the moment White House Press Secretary Stephanie Grisham got into a scuffle with North Korean security guards who were blocking US journalists pic.twitter.com/WSBkdDw17g — Edward Hardy (@EdwardTHardy) June 30, 2019 आपको बता दें कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रविवार को पहली बार उत्तर कोरिया की सरजमीं पर पहुंचे. वो पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिसने उत्तर कोरिया की सरजमीं पर पैर रखा. उत्तर कोरिया पहुंचने पर ट्रंप ने कहा कि यह बेहद ऐतिहासिक पल है. उत्तर कोरिया की धरती पर आना बड़े गर्व की बात है. वहीं, उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन ने कहा कि यह मुलाकात उनकी डोनाल्ड ट्रंप के साथ बेहतर रिश्तों को दर्शाती है. रविवार को दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर बातचीत भी की. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किम जोंग उन को व्हाइट हाउस आने का न्यौता दिया. pic.twitter.com/bpbcInzUqn — Dan Scavino Jr.🇺🇸 (@Scavino45) June 30, 2019 अमेरिका और उत्तर कोरिया की दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन के बीच भी कई बार बदजुबानी देखने को मिली है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने तो उत्तर कोरिया को परमाणु बम से उड़ाने की धमकी तक दे डाली थी. इस पर किम जोंग उन ने भी अमेरिका को चेतावनी दी थी और हमला करने की धमकी दी थी. लंबी बदजुबानी के बाद दोनों नेता बातचीत की बेंच पर आए थे और सिंगापुर में पहली बार मुलाकात की थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर होने की बात कही जा रही थी, लेकिन कुछ दिन पहले गैर कानूनी तरीके से कोयले की खेप ले जा रहे उत्तर कोरिया के मालवाहक जहाज को अमेरिका ने सीज कर दिया था. इस पर किम जोंग उन ने सख्त तेवर दिखाए. उत्तर कोरिया ने मिसाइल परीक्षण भी किए और किम जोंग उन ने अपनी सेना को मारक क्षमता बढ़ाने का निर्देश भी दिया. अब कई दिनों के तनाव के  बाद एक बार फिर दोनों नेताओं ने मुलाकात की और रिश्ते सुधारने की वकालत की.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में रविवार को जिन आठ लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल कराया गया है उसमें सभी जनता दल यूनाइटेड के या तो विधायक हैं या विधान परिषद के सदस्य हैं. मंत्रिमंडल के इस विस्तार में कुछ पुराने चेहरे जैसे नरेंद्र नारायण यादव, श्याम रजक, अशोक चौधरी और बीमा भारती को फिर से मंत्री पद मिला वही नए चेहरों में 2 दिन पहले ही विधान परिषद सदस्य चुने गए संजय झा, पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार लक्षमेंश्वर राय और राम बालक सिंह को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया. अगर में जातीय समीकरण देखें तो नीतीश ने एक बार फिर अति पिछड़ी जाति के महादलित और अगड़ी जाति के लोगों को दो सीटें दीं. वहीं यादव जाति और कुशवाहा जाति के लोगों को एक-एक स्थान मिला है.  हालांकि BJP के कोटे से अभी भी एक स्थान ख़ाली है लेकिन पार्टी की ओर से किसी ने शपथ नहीं ली और इस पर ख़ुद उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर सफ़ाई दी. उन्होंने कहा कि एक पद के लिए ऑफर दिया गया था लेकिन हम इस पर भविष्य में फैसला करेंगे. इस शपथ ग्रहण समारोह की ख़ास बात यह रही कि जहां BJP के मंत्रिमंडल में सभी सदस्य मौजूद थे वहीं लोक जनशक्ति पार्टी से अब सांसद बने पशुपति कुमार पारस भी दिखे. लेकिन सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली उपस्थिति आरजेडी नेता रामचंद्र पूर्वे और वरिष्ठ विधायक ललित यादव की रही मानी जा रही है. हालांकि ये दोनों पार्टी के शीर्ष नेताओं से बिना पूछे तो नहीं आएंगे, इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं.  दूसरी ओर माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने आनुपातिक प्रतिनिधित्व के हिसाब से जगह न मिलने के बाद नाराज़ नीतीश कुमार ने इस मंत्रिमंडल के विस्तार में आठ लोगों को शामिल कर BJP को संदेश दिया है कि अगर वह अपने सहयोगी की इज़्ज़त नहीं करते हैं तो वो अब विधानसभा चुनावों के लिए अपनी तैयारी करने के लिए स्वतंत्र हैं. नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार से छह में से चार अगड़ी जाति के लोगों को मंत्री पद मिलने से संतुष्ट नहीं हैं. वही अपने मंत्रिमंडल के विस्तार में 75 प्रतिशत भागीदारी उन्होंने अपने कोर वोट बैंक अति पिछड़ा माह दलित और पिछड़ी जाति के लोगों को दिया.
सऊदी अरब की पुलिस ने पिछले हफ्ते एयर इंडिया के चार क्रू सदस्यों को हिरासत में ले लिया क्योंकि वे उन्हें अपने मूल पासपोर्ट नहीं दिखा सके. एयर इंडिया के एक पायलट के मुताबिक सभी एयरलाइन के क्रू सदस्यों को जेद्दा में अपना पासपोर्ट जमा कराना होता है जो इसके बदले एक सर्टिफिकेट जारी करता है. एयरलाइन के कर्मचारी होटल में इस सर्टिफिकेट को पेश करते हैं और उसकी एक प्रति अपने पास रखते हैं. इस प्रकार कर्मचारियों के पास देश में ठहरने के दौरान यात्रा दस्तावेज की फोटो कॉपी होती है.टिप्पणियां क्रू के सदस्य मुम्बई से जेद्दा पहुंचने के एक दिन बाद रात्रि भोजन के लिए बाहर निकले और तभी उनके यात्रा दस्तावेजों की जांच के लिए पुलिस की टीम वहां पहुंच गई. एयरलाइन के कर्मचारियों ने जब मूल दस्तावेज नहीं दिखाए तो पुलिस ने उन्हें अपने वाहन में बिठा लिया और उनके फोन जब्त कर लिए. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) क्रू के सदस्य मुम्बई से जेद्दा पहुंचने के एक दिन बाद रात्रि भोजन के लिए बाहर निकले और तभी उनके यात्रा दस्तावेजों की जांच के लिए पुलिस की टीम वहां पहुंच गई. एयरलाइन के कर्मचारियों ने जब मूल दस्तावेज नहीं दिखाए तो पुलिस ने उन्हें अपने वाहन में बिठा लिया और उनके फोन जब्त कर लिए. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लेख: बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने साफ किया है कि क्योंकि वह सार्वजनिक तौर पर अपनी पार्टी से असहमति जता देते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उनके और पार्टी के रास्ते अलग हैं. ndtv.com से बातचीत में सिन्हा ने कहा कि 'मैं इस पार्टी के साथ पिछले 28 सालों से हूं, तब तो ये सब लोग थे भी नहीं. ये लोग मेरे लिए इस तरह की टिप्पणियां करके बस ध्यान बटोरते हैं.' सिन्हा का इशारा बिहार में बीजेपी के नेता मंगल पांडे की तरफ था जिन्होंने कहा था कि अगर सिन्हा को पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले से इतनी ही दिक्कत है तो वह कांग्रेस में क्यों नहीं शामिल हो जाते. सिन्हा ने साफ किया कि विमुद्रीकरण को लेकर उन्होंने जो आलोचना की थी उसे गलत समझा गया. सिन्हा ने कहा 'मैं पीएम मोदी को इस साहसिक और समझदारी भरे कदम के लिए सैल्यूट करता हूं लेकिन उनकी टीम ने उन्हें निराश किया.' सिन्हा ने दोहराया कि 86 प्रतिशत नोटों को वापस लिए जाने का सबसे ज्यादा खामियाज़ा औरतों और ग्रामीण भारत के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. गौरतलब है कि पटना साहिब सीट से पार्टी के सांसद शत्रुघ्न ने दो दिन पहले ही नोटबंदी को लेकर कराए गए सर्वे पर सवाल उठाए थे. शत्रुघ्न ने अपने ट्वीट में नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था और लिखा कि 'मूर्खों की दुनिया में जीना बंद करें. ये मनगढ़ंत कहानियां और सर्वे निहित स्वार्थों के लिए किए गए हैं.' टिप्पणियां ndtv.com से बातचीत में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि इस वक्त ग्रामीण भारत को इस गंभीर स्थिति से बाहर निकालने के लिए पीएम को एक सलाहकार समिति बनानी चाहिए जिसकी अध्यक्षता बीजेपी की वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी करें और पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को इसका सदस्य बनाया जाए. बता दें कि ये दोनों ही नेता पीएम मोदी के नज़दीकी नहीं माने जाते. सिन्हा भी आडवाणी के ज्यादा करीब हैं. सिन्हा ने आगे बात करते हुए कहा कि इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी होना चाहिए. उनकी यह राय एक बार फिर पार्टी के आलाकमान से अलग हटकर सुर लगाते हुए देखी जा सकती है. पिछले ही हफ्ते डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में नोटबंदी को ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ और संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला बताया था. इस पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि 'यह निराशाजनक है कि हमें उन लोगों से इस बारे में सुनना पड़ रहा है, जिनकी सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा काला धन पैदा हुआ, सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आए.' इस पर सिन्हा ने एक बार फिर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की छवि एकदम साफ है और कोई यह नहीं कह सकता कि उनका किसी भी घोटाले में हाथ है. उनकी बात को गंभीरता से सुना जाना चाहिए. यह बात बीजेपी की गठबंधन पार्टी शिवसेना ने भी कही थी. सिन्हा ने साफ किया कि विमुद्रीकरण को लेकर उन्होंने जो आलोचना की थी उसे गलत समझा गया. सिन्हा ने कहा 'मैं पीएम मोदी को इस साहसिक और समझदारी भरे कदम के लिए सैल्यूट करता हूं लेकिन उनकी टीम ने उन्हें निराश किया.' सिन्हा ने दोहराया कि 86 प्रतिशत नोटों को वापस लिए जाने का सबसे ज्यादा खामियाज़ा औरतों और ग्रामीण भारत के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. गौरतलब है कि पटना साहिब सीट से पार्टी के सांसद शत्रुघ्न ने दो दिन पहले ही नोटबंदी को लेकर कराए गए सर्वे पर सवाल उठाए थे. शत्रुघ्न ने अपने ट्वीट में नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था और लिखा कि 'मूर्खों की दुनिया में जीना बंद करें. ये मनगढ़ंत कहानियां और सर्वे निहित स्वार्थों के लिए किए गए हैं.' टिप्पणियां ndtv.com से बातचीत में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि इस वक्त ग्रामीण भारत को इस गंभीर स्थिति से बाहर निकालने के लिए पीएम को एक सलाहकार समिति बनानी चाहिए जिसकी अध्यक्षता बीजेपी की वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी करें और पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को इसका सदस्य बनाया जाए. बता दें कि ये दोनों ही नेता पीएम मोदी के नज़दीकी नहीं माने जाते. सिन्हा भी आडवाणी के ज्यादा करीब हैं. सिन्हा ने आगे बात करते हुए कहा कि इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी होना चाहिए. उनकी यह राय एक बार फिर पार्टी के आलाकमान से अलग हटकर सुर लगाते हुए देखी जा सकती है. पिछले ही हफ्ते डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में नोटबंदी को ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ और संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला बताया था. इस पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि 'यह निराशाजनक है कि हमें उन लोगों से इस बारे में सुनना पड़ रहा है, जिनकी सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा काला धन पैदा हुआ, सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आए.' इस पर सिन्हा ने एक बार फिर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की छवि एकदम साफ है और कोई यह नहीं कह सकता कि उनका किसी भी घोटाले में हाथ है. उनकी बात को गंभीरता से सुना जाना चाहिए. यह बात बीजेपी की गठबंधन पार्टी शिवसेना ने भी कही थी. गौरतलब है कि पटना साहिब सीट से पार्टी के सांसद शत्रुघ्न ने दो दिन पहले ही नोटबंदी को लेकर कराए गए सर्वे पर सवाल उठाए थे. शत्रुघ्न ने अपने ट्वीट में नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था और लिखा कि 'मूर्खों की दुनिया में जीना बंद करें. ये मनगढ़ंत कहानियां और सर्वे निहित स्वार्थों के लिए किए गए हैं.' टिप्पणियां ndtv.com से बातचीत में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि इस वक्त ग्रामीण भारत को इस गंभीर स्थिति से बाहर निकालने के लिए पीएम को एक सलाहकार समिति बनानी चाहिए जिसकी अध्यक्षता बीजेपी की वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी करें और पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को इसका सदस्य बनाया जाए. बता दें कि ये दोनों ही नेता पीएम मोदी के नज़दीकी नहीं माने जाते. सिन्हा भी आडवाणी के ज्यादा करीब हैं. सिन्हा ने आगे बात करते हुए कहा कि इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी होना चाहिए. उनकी यह राय एक बार फिर पार्टी के आलाकमान से अलग हटकर सुर लगाते हुए देखी जा सकती है. पिछले ही हफ्ते डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में नोटबंदी को ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ और संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला बताया था. इस पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि 'यह निराशाजनक है कि हमें उन लोगों से इस बारे में सुनना पड़ रहा है, जिनकी सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा काला धन पैदा हुआ, सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आए.' इस पर सिन्हा ने एक बार फिर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की छवि एकदम साफ है और कोई यह नहीं कह सकता कि उनका किसी भी घोटाले में हाथ है. उनकी बात को गंभीरता से सुना जाना चाहिए. यह बात बीजेपी की गठबंधन पार्टी शिवसेना ने भी कही थी. ndtv.com से बातचीत में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि इस वक्त ग्रामीण भारत को इस गंभीर स्थिति से बाहर निकालने के लिए पीएम को एक सलाहकार समिति बनानी चाहिए जिसकी अध्यक्षता बीजेपी की वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी करें और पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को इसका सदस्य बनाया जाए. बता दें कि ये दोनों ही नेता पीएम मोदी के नज़दीकी नहीं माने जाते. सिन्हा भी आडवाणी के ज्यादा करीब हैं. सिन्हा ने आगे बात करते हुए कहा कि इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी होना चाहिए. उनकी यह राय एक बार फिर पार्टी के आलाकमान से अलग हटकर सुर लगाते हुए देखी जा सकती है. पिछले ही हफ्ते डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में नोटबंदी को ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ और संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला बताया था. इस पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि 'यह निराशाजनक है कि हमें उन लोगों से इस बारे में सुनना पड़ रहा है, जिनकी सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा काला धन पैदा हुआ, सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आए.' इस पर सिन्हा ने एक बार फिर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की छवि एकदम साफ है और कोई यह नहीं कह सकता कि उनका किसी भी घोटाले में हाथ है. उनकी बात को गंभीरता से सुना जाना चाहिए. यह बात बीजेपी की गठबंधन पार्टी शिवसेना ने भी कही थी. पिछले ही हफ्ते डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में नोटबंदी को ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ और संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला बताया था. इस पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि 'यह निराशाजनक है कि हमें उन लोगों से इस बारे में सुनना पड़ रहा है, जिनकी सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा काला धन पैदा हुआ, सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आए.' इस पर सिन्हा ने एक बार फिर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की छवि एकदम साफ है और कोई यह नहीं कह सकता कि उनका किसी भी घोटाले में हाथ है. उनकी बात को गंभीरता से सुना जाना चाहिए. यह बात बीजेपी की गठबंधन पार्टी शिवसेना ने भी कही थी.
शेल्डन ने द बैचलर और बॉबी-सॉक्सर के लिए मूल पटकथा (1947) लिखने के लिए अकादमी पुरस्कार जीता, अपने संगीतमय रेडहेड के लिए टोनी पुरस्कार (1959) जीता, और एक एनबीसी, आई ड्रीम ऑफ जेनी पर अपने काम के लिए एमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। सिटकॉम. शेल्डन को 1988 में हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में शामिल किया गया था और 1994 में उन्हें समर्पित पाम स्प्रिंग्स वॉक ऑफ स्टार्स पर एक गोल्डन पाम स्टार लगाया गया था।
बेहतर स्मरण क्षमता वाले लोगों के मस्तिष्क के अगले हिस्से (कोर्टेक्स) का आकार यदि छोटा हो तो व्यक्ति में शुरुआती अल्जाइमर का खतरा रहता है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई. बाल्टीमोर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग के शोधार्थी सुसान रेस्निक ने कहा, ‘यह खोज चिकित्सकों के लिए अल्जाइमर रोग की पहचान के रास्ते तलाशने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.’ मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के शोधार्थियों ने इस अध्ययन के तहत 159 लोगों के कोर्टेक्स की मोटाई नापी. इन लोगों में मनोभ्रंश के लक्षण नहीं थे और उनकी औसत उम्र 76 वर्ष थी. विज्ञान पत्रिका न्यूरोलॉजी के मुताबिक कोर्टेक्स हमारी बुद्धिमत्ता, व्यक्तित्व, अंगों की हरकत, समस्या के समाधान की क्षमता और स्पर्श संवेदना को प्रभावित करता है. विश्वविद्यालय के बयान के मुताबिक 159 लोगों में से 19 में शुरुआती अल्जाइमर का अधिक जोखिम बताया गया क्योंकि उनके मस्तिष्क के कोर्टेक्स का वह हिस्सा अपेक्षाकृत अधिक छोटा था, जो अल्जाइमर से प्रभावित होता है. इसके अलावा 116 लोगों में सामान्य जोखिम और 24 लोगों में कम जोखिम बताया गया. अध्ययन के शुरू में और तीन सालों के बाद परीक्षण में शामिल लोगों की समस्या समाधान क्षमता, योजना बनाने की क्षमता, याददाश्त क्षमता का परीक्षण किया गया और पाया गया कि अल्जाइमर के अधिक जोखिम वाले समूह में 21 फीसदी में संज्ञानात्मक क्षमता का ह्रास हुआ, जबकि सामान्य जोखिम वाले समूहों में से सात फीसदी लोगों में संज्ञानात्मक क्षमता का ह्रास हुआ और कम जोखिम वाले समूह में किसी में भी इस क्षमता का ह्रास नहीं हुआ.
टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज को एंटिगा के सर विवियन रिचर्ड्स नॉर्थ साउंड स्टेडियम में खेले गए तीसरे वनडे मैच में 93 रनों से मात देकर पांच मैचों की वनडे सीरीज में 2-0 से अजेय बढ़त बना ली है. इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 50 ओवर में 4 विकेट गंवा कर 251 रन बनाए और वेस्टइंडीज को 252 रनों का लक्ष्य दिया था. जवाब में लक्ष्य का पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज की टीम 38.1 ओवर में 158 रन ही ऑल आउट हो गई और भारत ये मैच 93 रनों से जीत गया. वेस्टइंडीज की ओर से जेसन मोहम्मद ने सबसे ज्यादा 40 रन बनाए वहीं रोमैन पॉवेल ने 30 रनों की पारी खेली. भारत की ओर से कुलदीप यादव और रविचंद्रन अश्विन ने 3-3 विकेट झटके. मुश्किल हालत में 78 रनों की बेहतरीन पारी के लिए महेंद्र सिंह धोनी को मैन ऑफ द मैच चुना गया. स्कोरबोर्ड LIVE वेस्टइंडीज के विकेट्स वेस्टइंडीज की टीम को पहला झटका तब लगा जब दूसरे ही ओवर में उमेश यादव ने इविन लुईस को क्लीन बोल्ड कर दिया. इसके बाद अपना डेब्यू मैच खेल रहे काइल होप को भी पंड्या ने पवेलियन भेजकर वेस्टइंडीज को दूसरा झटका दे दिया. वेस्टइंडीज का तीसरा विकेट रोस्टन चेस का रहा, जिन्हे कुलदीप यादव ने 14 वें ओवर में बोल्ड कर दिया. विकेटों के लगातार गिरने से वेस्टइंडीज पर दबाव बढ़ने लगा और संभल के खेल रहे शाई होप भी 17वें ओवर में पंड्या का शिकार बने. इसके बाद बल्लेबाजी के लिए आए कप्तान जेसन होल्डर भी ज्यादा देर टिक नहीं पाए और 20वें ओवर में अश्विन की गेंद पर धोनी के हाथों स्टंप आउट हो गए. होल्डर के रूप में वेस्टइंडीज को पांचवां झटका लगा. छठा विकेट रावमेन पॉवेल का रहा. 32.4 ओवर में जब टीम का स्कोर 141 रन था, तब कुलदीप यादव की बॉल पर हार्दिक पंड्या ने उन्हें कैच कर लिया.सातवें विकेट के रूप में एश्ले नर्स आउट हुए. अश्विन की बॉल पर उमेश यादव ने उन्हें कैच कर लिया. वे 33.6 ओवर में आउट हुए. 36.5 ओवर में कुलदीप यादव ने जेसन मोहम्मद को आउट करके वेस्टइंडीज को आठवां झटका दिया और उनकी बची हुई उम्मीदें भी तोड़ दी. अगले ही ओवर में अश्विन ने वेस्टइंडीज को कमिंस के रूप में 9वां झटका दिया. वहीं वेस्टइंडीज का आखिरी विकेट केदार जाधव ने झटका जब उन्होंने विलियम्स को बोल्ड कर दिया. भारत की पारी पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत अच्छी नहीं रही और तीसरे ही ओवर में 11 के स्कोर पर शिखर धवन आउट हो गए. इसके बाद भारत को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब 10वें ओवर में कप्तान विराट कोहली भी आउट हो गए. इसके बाद अजिंक्य रहाणे और युवराज सिंह के बीच तीसरे विकेट के लिए 66 रनों की पार्टनरशिप हुई. भारत का स्कोर 40 ओवर के बाद 151/3 था, लेकिन अगले 10 ओवर में टीम ने शानदार बैटिंग करते हुए 100 रन बना दिए और स्कोर को 251/4 रन तक पहुंचा दिया. रहाणे के आउट होने के बाद केदार जाधव ने धोनी के साथ मिलकर जबरदस्त बैटिंग की. पांचवें विकेट के लिए धोनी और जाधव ने मिलकर 46 बॉल पर 81 रन जोड़ दिए. भारत की ओर से एमएस धोनी ने 78 रनों की पारी खेली, जबकि अजिंक्य रहाणे ने 72 रन बनाए. वहीं केदार जाधव ने 26 गेंद पर 40 रनों की तेज पारी खेली. इसके अलावा युवराज सिंह ने भी 39 रन बनाए. वेस्टइंडीज की ओर से मिग्युएल कमिंस ने 2 विकेट झटके. भारत के विकेट्स टीम इंडिया को पहला झटका तीसरे ही ओवर में लगा जब मिग्युएल कमिंस ने शिखर धवन को रोस्टन चेस के हाथों कैच आउट करा दिया. शिखर धवन 2 रन बना कर आउट हुए. इसके बाद भारत को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब 10वें ओवर में जेसन होल्डर ने कप्तान विराट कोहली को काइल होप के हाथों कैच करा दिया. उस समय टीम इंडिया का स्कोर 34 रन था. कोहली 11 रन बना कर आउट हुए. कोहली के आउट होने के बाद अजिंक्य रहाणे और युवराज सिंह के बीच तीसरे विकेट के लिए 66 रनों की पार्टनरशिप हुई.लेकिन 26.2 ओवर में देवेंद्र बिशू ने युवराज सिंह को एलबीडब्लू आउट करके भारत को तीसरा झटका दे दिया. युवराज सिंह 39 रन बनाकर आउट हुए.चौथे विकेट के रूप में अजिंक्य रहाणे (72) आउट हुए. वे 42.2 ओवर में कमिंस की बॉल पर बिशू के हाथों कैच आउट हो गए.इसके बाद धोनी और जाधव ने मिलकर शानदार बैटिंग की और तेजी से रन बनाए. दोनों ने मिलकर पांचवें विकेट के लिए 46 बॉल पर 81* रन जोड़े. इससे पहले वेस्टइंडीज के कप्तान जेसन होल्डर ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया और भारत को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता दिया है. पहला मैच बारिश की भेंट चढ़ गया था, तो वहीं दूसरे मैच में भारत ने बाजी मारी थी. इस लिहाज से ये मैच दोनों टीमों के लिए काफी अहम रहने वाला है. भारत अगर इस मैच को जीत जाता है, तो उसके सीरीज हारने की संभावना खत्म हो जाएगी. दूसरी तरफ अगर वेस्टइंडीज को सीरीज में बने रहना है, तो उन्हें हर हाल में ये मुकाबला जीतना होगा.
अन्तर्राष्ट्रीय मानक ISO 80000 या IEC 80000 (यह इसपर निरभर करता है, कि मानक हेतु वस्तु विशेष जिस प्रभार के अन्तर्गत आती है, उसका अनुरक्षक कुन सी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन या अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततक्नीकी आयोग), ISO 31 और IEC 60027 का उत्तराधिकारी है। यह भौतिक इकाइयों के प्रयोग और मापन की इकाइयों की, एवं उनमें संलग्न सूत्रों की सर्वाधिक प्रशंसित शैली संदर्शिका है। यह वैज्ञानिक और शैक्षिक प्रलेखों में विश्वव्यापी प्रयुक्त होती है। अधिकतर देशों में गणित विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों एवं विश्वविद्यालयों में इसका पूर्ण पालन किया जाता है। ISO/IEC 80000 मानक समूह अभी प्रगतिशील ही है और इसके कुछ ही भाग अभी तक 2008 के संस्करण में प्रकाशित हुए हैं। यह भी प्रस्तावित है, कि SI के संग प्रयुक्त होने वाली मात्राएं और समीकरणों को अन्तर्राष्ट्रीय मात्रा प्रणाली कहा जाये. इसके भाग "मात्राएं और इकाइयाँ" का मानक 14 भागों में आयेगा: ISO 80000-1: सामान्य (पूर्व ISO 31-0 और IEC 60027-1) ISO 80000-2: गणितीय चिह्न, जो प्राकॄतिक विघ्यान और प्रौद्योगिकी में प्रयुक्त होते हैं (पूर्व ISO 31-11) ISO 80000-3: अंतरिक्ष और समय (formerly ISO 31-1 and ISO 31-2) ISO 80000-4: याँत्रिकी (formerly ISO 31-3) ISO 80000-5: ऊष्मगतिकी (formerly ISO 31-4) IEC 80000-6: विद्युतचुम्बकत्व (formerly ISO 31-5) ISO 80000-7: प्रकाश ISO 80000-8: धवनि संबंधित ISO 80000-9: भौतिक रसायनिकी और आण्विक भौतिकी ISO 80000-10: परमाण्विक और नाभिकीय भौतिकी ISO 80000-11: विशेष संख्याएं ISO 80000-12: सॉलिड स्टेट भौतिकी IEC 80000-13: सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी (पूर्व उपखण्ड 3.8 और 3.9 : IEC 60027-2:2005) IEC 80000-14: टेलीबायोमेट्रिक्स, मानवी शरीर क्रिया विघ्यान से सम्बन्धित इन्हें भी देखें SI – अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली BIPM – SI इकाइयों पर उपलब्ध मुक्त सूचना प्रकाशित करता है। बाहरी कडि़याँ ISO TC12 मानक – मात्राएं, इकाइयाँ, चिह्न और अंतरण कारक 80000 मापन की इकाइयाँ
भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में अल्पावधि की ब्याज दरों में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है। रिजर्व बैंक सोमवार को मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। मॉर्गन स्टेनले और बार्कले को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक रेपो दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है। दूसरी ओर, डन एंड ब्रैडस्ट्रीट व एचएसबीसी का मानना है कि यह कटौती आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट थामने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। मॉर्गन स्टेनले ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार ऊंची बनी है और जीडीपी वृद्धि दर घट रही है। हमें लगता है कि रिजर्व बैंक 18 जून को मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा कि बीते वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर में उल्लेखनीय गिरावट से आगे चलकर वृद्धि दर बढ़ाने के लिए कदम उठाने का मामला बनता है।
सल्लू मियां एक बार फिर अपनी आने वाली फिल्म 'किक' से दर्शकों को लुभाने के लिए तैयार हैं. अपनी एक्टिंग, डांसिंग और स्‍टाइल से इंडस्‍ट्री में अपनी पहचान बनाने वाले सलमान सिंगिग में अब हूनर दिखाने को तैयार हैं. अब आप अपने फेवरिट स्‍टार को गाना गाता सुनेंगे. जी हां, बॉलीवुड के चहेते सितारे सलमान खान ने अपनी नई फिल्म 'किक' में 'हैंगओवर' गाना गाया है. सलमान कहते हैं 'वह बुरे गायक हैं, लेकिन यह उन्हें गाने से कोई नहीं रोक सकता. सलमान ने एक इंटरव्यू में कहा, मैं बुरा गाता हूं, लेकिन मैं किसी भी समय गा सकता हूं. मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि मैं कैसा गाता हूं.' उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन अगर मुझे अचानक कहीं गाने को कहा जाए तो मैं हिचकिचाऊंगा. अगर मैं खुद ही गा रहा हूं, तो ठीक है.' सलमान ने बताया 'जब मैं स्टूडियो में गाता हूं और अजीब सा महसूस करता हूं और मैं तुरंत कहता हूं मैंने बकवास गाया है. जैसे ही टेक्निशियन ने मुझे गाना सुनाया तो मैं बेहद खुश हुआ और मैंने कहा, वाह कमाल हो गया, मजा आ गया....' सलमान खान ने 'किक' में गाना गाया, जैकलीन को दिया 'लव हैंगओवर...' सलमान ने कहा, मुझे गाना गाना बहुत पसंद है और मैं रोज रियाज भी करता हूं. दिलचस्प बात यह है कि मैं सिंगर नहीं हूं उसके बावजूद फिल्म 'हेलो ब्रदर' में 'चांदी की डाल पर सोने का मोर...' गाना गाया है, हालांकि वो गाना गाया नहीं है सिर्फ बोला है. यह मैंने पहली बार गाया है. सलमान ने यह भी कहा 'मैं अपनी आवाज तभी पसंद करता हूं जब मैं बाथरूम में होता हूं. मेरी आवाज सिर्फ बाथरूम तक ही अच्छी लगती है, पर मैं हर किसी को अपने बाथरूम में तो नहीं बुला सकता.' धोती, कुर्ता में नजर आए सलमान खान गौरतलब है सलमान 'हैंगओवर' गाने को लेकर अपने आसपास हो रहे प्रचार को देखकर काफी हैरान है. उन्होंने कहा, 'मैं पहले 'हैलो ब्रदर' और 'वांटेड' में भी गाना गा चुका हूं, 'द मोस्ट वांटेट' गाना मैंने गाया था.मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह सब क्यों हो रहा है.' उन्होंने कहा, 'इस प्रचार से मुझे ऐसा एहसास हो रहा है कि मैंने पहली बार गाना गाया है. मैंने पिछले दो बार से थोड़ बेहतर गाया है.' 'हैंगओवर' गाने को हिमेश रेशमिया ने संगीतबद्ध किया है. 'किक' में अभिनेत्री जैकलीन फर्नाडीज भी नजर आएंगी. फिल्म 25 जुलाई को सिनेमाघरों में उतरेगी.
भारतीय टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने कहा है कि मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजों की अपनी जगह को पक्की करने से भारतीय टेस्ट टीम विदेशों में भी सफलता हासिल कर सकती है. द्रविड़ ने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘हमारे पास जो बल्लेबाजी कौशल है उससे मैं काफी प्रभावित हूं और यह बढ़ रहा है. मुझे उम्मीद है कि जब भारतीय टीम विदेश दौरे पर जाएगी तो हमारे पास स्थायी बल्लेबाजी लाइन अप होगी. वह आत्मविश्वास से भरी होगी और मध्यक्रम में सफल बल्लेबाज होंगे.’ 'मौजूदा टेस्ट टीम है मजबूत' द्रविड़ ने कहा, ‘यदि आपका मध्यक्रम मजबूत रहता है और खिलाड़ी जानते हों कि उनकी जगह सुरक्षित है तो मुझे लगता है कि इससे हमें सफलता हासिल करने का सर्वश्रेष्ठ मौका मिलेगा. उनमें हर तरह की परिस्थितियों में सफलता हासिल करने की क्षमता है.’ द्रविड़ ने कहा, ‘वर्तमान खिलाड़ी जिस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं, मुझे लगता है कि वे प्रतिभा के धनी हैं. यह अच्छा है कि उन्हें अगले कुछ महीनों में घरेलू सरजमीं पर काफी टेस्ट मैच खेलने हैं.’ 'पुजारा ने नंबर तीन पर बेजोड़ प्रदर्शन किया' उन्होंने कहा, ‘मेरे संन्यास लेने के बाद चेतेश्वर पुजारा ने नंबर तीन पर बेजोड़ प्रदर्शन किया है. वह बहुत अच्छी बल्लेबाजी कर रहा है. वह इस सीरीज (इंग्लैंड के खिलाफ) में अच्छा खेल रहा है. वह बेहतरीन टेस्ट खिलाड़ी है. उम्मीद है कि हमें उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आगे देखने को मिलेगा. अजिंक्य रहाणे भी बेहतरीन बल्लेबाज है. विराट तो पूरी तरह से सनसनी है.’
दिल्ली की एक अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में पिछले सप्ताह गिरफ्तार किए गए पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) हिरासत की अवधि दो दिन बढ़ा दी है। राजा की पांच दिन की हिरासत अवधि खत्म होने पर उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया था। सुनवाई के बाद सीबीआई अदालत के न्यायाधीश ओ. पी. सैनी ने राजा की हिरासत अवधि 10 फरवरी तक के लिए बढ़ा दी। राजा के दो अन्य सहयोगियों सिद्धार्थ बेहुरा और आर. के. चंदोलिया को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
सलमान खान (Salman Khan) के पिता सलीम खान (Salim Khan) ने शनिवार को कहा कि अयोध्या (Ayodhya Verdict) में मुस्लिमों को दी जाने वाली पांच एकड़ भूमि पर स्कूल बनाया जाना चाहिए. अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Ayodhya Case) के फैसले पर सलीम खान (83) ने कहा कि भारत के मुसलमानों को मस्जिद नहीं, स्कूल की जरूरत है. अयोध्या विवाद (Ayodhya Case) पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए बॉलीवुड के तीन अभिनेताओं सलमान, सोहेल और अरबाज के पिता ने कहा कि पैगंबर ने इस्लाम की दो खूबियां बताई है, जिसमें प्यार और क्षमा शामिल हैं. अब जब इस कहानी (अयोध्या विवाद) का द एंड हो गया है तो मुस्लिमों को इन दो विशेषताओं पर चलकर आगे बढ़ना चाहिए. 'मोहब्बत जाहिर करिए और माफ करिये.' अब इस मुद्दे को फिर से मत कुरेदिये..यहां से आगे बढ़िए. सलीम खान ने यह अपील मुस्लिम समुदाय से की है. भारतीय समाज के परिपक्व होने की बात करते हुए सलीम खान (Salim Khan) ने आईएएनएस से कहा, "फैसला आने के बाद जिस तरीके से शांति और सौहार्द्र कायम रही यह प्रशंसनीय है. अब इसे स्वीकार कीजिए.. एक पुराना विवाद खत्म हुआ. मैं तह-ए-दिल से इस फैसले का स्वागत करता हूं. मुस्लिमों को अब इसकी (अयोध्या विवाद) चर्चा नहीं करनी चाहिए. इसकी जगह उनको बुनियादी समस्याओं की चर्चा करनी चाहिए और उसे हल करने की कोशिश करनी चाहिए. मैं ऐसी चर्चा इसलिए कर रहा हूं कि हमें स्कूल और अस्पताल की जरूरत है. अयोध्या में मस्जिद के लिए मिलने वाली पांच एकड़ जगह पर कॉलेज बने तो बेहतर होगा." सलीम खान (Salim Khan) कहा, "हमें मस्जिद की जरूरत नहीं, नमाज तो हम कहीं भी पढ़ लेंगे..ट्रेन में, प्लेन में जमीन पर, कहीं भी पढ़ लेंगे. लेकिन हमें बेहतर स्कूल की जरूरत है. तालीम अच्छी मिलेगी 22 करोड़ मुस्लिमों को, तो इस देश की बहुत सी कमियां खतम हो जाएंगी." बालीवुड में कई ब्लाकबस्टर फिल्में और इसका फार्मूला देने वाले फिल्म लेखक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी शांति पर जोर देते हैं. उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री से सहमत हूं. आज हमें शांति की जरूरत है. हमें अपने उद्देश्य पर फोकस करने के लिए शांति चाहिए. हमें अपने भविष्य पर सोचने की जरूरत है. हमें पता होना चाहिए कि शिक्षित समाज में ही बेहतर भविष्य है. मुख्य मुद्दा यह है कि मुस्लिम तालीम में पिछड़े हैं. इसलिए मैं दोहराता हूं कि आइए हम इसे (अयोध्या विवाद को) द एंड कहें और एक नई शुरुआत करें."
फिलिप एडवर्ड एंटोन वॉन लेनार्ड (7 जून 1862 - 20 मई 1947), हंगरी मे Lénárd Fülöp Eduárd Antal, एक हंगरी - जर्मन भौतिकशास्त्री और कैथोड किरणों पर अपने शोध और उनके गुणों से कई की खोज के लिए भौतिकी के लिए 1905 में नोबेल पुरस्कार का विजेता थे। वे नाजी विचारधारा के एक सक्रिय समर्थक भी थे। प्रारंभिक जीवन और कार्य फिलिप लेनार्ड पोज़सोनी, हंगरी, ऑस्ट्रियन साम्राज्य (वर्तमान ब्रटीस्लावा, स्लोवाकिया), मे ७ जुलाई १८६२ को एक वाइन व्यापारी के घर पैदा हुए थे। लेनार्ड के माता पिता जर्मन थे और उनका परिवार मूल रूप से १७ वीं सदी में टायरॉल से संबंधित था। १८८० में उन्होने वियना और बुडापेस्ट में भौतिकी और रसायन शास्त्र का अध्ययन किया। १९०५ में फिलिप लेनार्ड रॉयल स्वीडिश विज्ञान एकेडमी और १९०७ मे हंगरी विज्ञान अकादमी के सदस्य बन गए। भौतिकी में योगदान फोटोइलेक्ट्रिक अन्वेषण एक भौतिक विज्ञानी के रूप में, लेनार्ड का प्रमुख योगदान कैथोड किरणों का अध्ययन है, जो उन्होंने 1888 में शुरू किया था। उन्होने जे जे थॉमसन के कुछ कार्यों की पुष्टि की, एवम् अंततः समझ में आ गया कि कैथोड रे नकारात्मक चार्ज कणों की ऊर्जावान धारा है। उनकी क्रुक्स ट्यूब जांच का एक परिणाम यह सामने आया की, पराबैंगनी प्रकाश के साथ एक शून्य में धातुओं पर विकिरण द्वारा उत्पादित किरण कैथोड किरणों के कई मामलों में समान थी। उनकी सबसे महत्वपूर्ण खोज यह थी कि किरणों की ऊर्जा प्रकाश तीव्रता से स्वतंत्र था, लेकिन प्रकाश की तरंग दैर्ध्य के लिए अधिक से अधिक कम किया गया था। बाद की इन टिप्पणियों को अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक क्वांटम प्रभाव के रूप में समझाया। इस सिद्धांत ने भविष्यवाणी की कि कैथोड रे ऊर्जा बनाम प्लॉट की आवृत्ति प्लैंक स्थिरांक, एच के बराबर ढलान के साथ एक सीधी रेखा होगी। यह कुछ साल बाद मामला दिखाया गया था। 1921 में जब आइंस्टीन को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, तब फोटो-इलेक्ट्रिक क्वांटम सिद्धांत का हवाला दिया गया था। आइंस्टीन के सामान्य आराधन के बावजूद, लेनार्ड सापेक्षता और आइंस्टीन के सिद्धांतों का एक प्रमुख संदेह बन गया था; हालांकि, उन्होंने फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव के आइंस्टीन के स्पष्टीकरण का विवाद नहीं किया। लेनार्ड ने विलहम कॉनरैड रॉटजन को दिए गए श्रेय से बेहद नाराजगी जताई, जिन्हें एक्स-रे की खोज के लिए 1901 में भौतिकी में पहला नोबेल पुरस्कार मिला, इस तथ्य के बावजूद कि विल्हेल रॉन्टगन जर्मन थे और एक गैर- यहूदी। लेनार्ड ने लिखा है कि वह नहीं, Roentgen, "एक्स-रे की माँ" था, क्योंकि उसने उन उपकरणों का आविष्कार किया था जो उन्हें पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। लेनार्ड ने रॉन्जेन की भूमिका की तुलना एक "दाई" से की, जो केवल जन्म के साथ सहायता करती है। मौसम विज्ञान मे योगदान लेनार्ड 1892 में उसका अध्ययन करने वाले पहले व्यक्ति थे जिसे आज लेनार्ड प्रभाव कहा जाता है। जल बूंदों के साथ वायुगतिकीय अलगाव के साथ विद्युत प्रभार का विखंडन है। यह स्प्रे विद्युतीकरण या झरना प्रभाव के रूप में भी जाना जाता है। यहूदी विरोधी लेनार्ड को आज एक मजबूत जर्मन राष्ट्रवादी के रूप में याद किया जाता है जिसने अंग्रेजी भौतिकी को तुच्छ माना और जो उसे जर्मनी से उनके विचारों के चोरी के रूप में देखते थे। वह नेशनल सोशलिस्ट पार्टी में तब शामिल हो चुके थे जब ऐसा करना राजनीतिक आवश्यक या लोकप्रिय बन गया। एडॉल्फ हिटलर के लिए एक सलाहकार, लेनार्ड नाजियों के तहत आर्य भौतिकी के मुख्यमंत्री बन गए। लेनार्ड सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में 1931 में हीडलबर्ग विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुऐ. उन्होने वहाँ एमेरिटस स्थिति हासिल किया, लेकिन मित्र देशों के कब्जे बलों द्वारा अपने पद से 1945 में निष्कासित कर दिये गये जब वे 83 वर्ष के थे। उनकी 1947 में मृत्यु हो गई। सम्मान और पुरस्कार रॉयल सोसाइटी रमफोर्ड पदक (१८९६) इतालवी विज्ञान सोसायटी, मैट्ट्युसी पदक (१८९६) फ्रेंकलिन संस्थान फ्रेंकलिन पदक (१९३२) भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (१९०५) इन्हें भी देखें नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Nobel Foundation biography On Cathode Rays The Cathode Ray Tube site 1862 में जन्मे लोग भौतिक विज्ञानी नोबेल पुरस्कार विजेता नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी १९४७ में निधन
दिल्ली में गुरुवार को हुई नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच दो घंटे की बातचीत के बाद जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री पद से हटने की अटकलें और तेज हो गई है. दिल्ली जाते वक्त नीतीश कुमार ने ये कहकर इन अटकलों को और हवा दे दी है कि 'मांझी को मुख्यमंत्री बनाए रखने की गारंटी वो नहीं दे सकते.' नीतीश कुमार के इस बयान से साफ है कि लालू और नीतीश के बीच मांझी के भविष्य को लेकर लगभग एक राय बन चुकी है. आज भी नेताओं के बीच बैठकों का दौर जारी है, लेकिन इंतजार दोनों पार्टियों के विलय का हो रहा है. पहले मांझी को हटाए जाने पर लालू की सहमति नहीं थी पर अब सभी इस फैसले से सहमत है. सूत्रों के मुताबिक आरेजडी और जेडीयू के बीच विलय की बात काफी आगे बढ़ चुकी है और दोनों नेता जल्द विलय चाहते हैं. विलय की सूरत में नई पार्टी से नया नेता होगा और तब मांझी की जगह नीतीश फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं. इंतजार मुलायम सिंह के रुख का है. अगर तुरंत राष्ट्रीय स्तर पर विलय की बात नहीं बनी तो 14 जनवरी के बाद आरजेडी और जेडीयू के विलय का ऐलान हो जाएगा. 18 जनवरी से लालू-नीतीश मिलकर बिहार में संकर्प यात्रा निकालेंगे. एक तरफ दोनों पार्टियों में विलय की बात और प्रक्रिया तेज करने पर सहमति बनी है तो दूसरी ओर, विधायक दल विलय को लेकर दो फाड़ है. जेडीयू के करीब दो दर्जन विधायक ऐसे हैं, जो विलय के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में नीतीश और लालू के चाहने के बाद भी मांझी का हटना और विलय दोनों आसान नहीं है.
Hyundai ने अपनी बहुप्रतिक्षित नई Santro को भारत में लॉन्च कर दिया है. कंपनी ने इसकी शुरुआती कीमत 389,900 रुपये (एक्स-शोरूम) रखी है. आपको बता दें इस कार का इंतज़ार काफी दिनों से किया जा रहा था. इसकी खूबियां समय- समय पर कई लीक्स में सामने आती रहीं है. आज इसे आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया गया है. इस नई कार को मॉडर्न स्टाइलिश टॉलबॉय डिज़ाइन, प्रीमियम केबिन, नई टेक्नोलॉजी, बेहतर परफॉर्मेंस और पहले से बेहतर सेफ्टी फीचर्स के साथ पेश किया गया है. इस कार को खास तौर पर फैमिली बायर्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. ये नई कार 7 कलर ऑप्शन में उपलब्ध होगी. इसमें 2 नए कलर ऑप्शन- इम्पीरियल बीज और डायना ग्रीन शामिल है. नई सैंट्रो के डिज़ाइन का थीम Rhythmical Tension पर बेस्ड है. जो इसे मॉडर्न अपील के साथ खूबसूरत और स्पोर्टी इमेज देता है. इस कार के एक्सटीरियर की बात करें, तो इसे हुंडई की पहचान माने जाने वाले कास्केड ग्रिल विद क्रोम सर इंस्पायर्ड है. साथ ही नए फॉग लैंप इस तरह से लगाए गए हैं जो इसे स्पोर्टी लुक देते हैं. इस कार में मौजूद टेक्नोलॉजी की बात करें तो इसमें 17.64cm टच स्क्रीन, ऑडियो-वीडियो सिस्टम दिया गया है. इस मल्टी-मीडिया सिस्टम में एंड्रॉयड ऑटो, ऐपल  कारप्ले, मिरर लिंक और आईब्लू स्मार्टफोन ऐप सपोर्ट के साथ वॉयस रिकॉग्निशन फंक्शन दिया गया है. सेफ्टी के लिहाज से इसमें स्टैण्डर्ड तौर पर EBD के साथ ABS, डुअल फ्रंट एयरबैग, इम्पैक्ट सेंसिंग ऑटो डोर लॉक, रियर पार्किंग सेंसर और स्पीड सेंसिंग ऑटो डोर लॉक जैसे फीचर्स मौजूद हैं. नई Santro के पावर स्पेसिफिकेशन्स की बात करें तो इसमें 4- सिलिंडर 1.1 लीटर पेट्रोल इंजन दिया गया है. ये इंजन 69ps का पावर पैदा करता है. ट्रांसमिशन के लिए इस इंजन को 5 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स से जोड़ा गया है. साथ ही दो वैरिएंट में Smart AMT का ऑप्शन भी ग्राहकों को मिलेगा. ग्राहकों को इस कार के साथ CNG  का भी ऑप्शन मिलेगा. कंपनी के दावे के मुताबिक इसकी माइलेज 20.3 Kmpl है.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पोप फ्रांसिस ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर सेंट पीटर्स बैसीलिका में ‘‘क्रिसमस ईव मास’’ मनाया और दुनिया में शांति, युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे निर्दोष लोगों की सुरक्षा, प्रवास और गरीबी जैसी समस्याओं को दूर करने की अपील की. सिस्टीन चैपल में ‘ग्लोरिया’ और बैसीलिका की घंटियां पूरे रोम में सुनाई दीं. क्रिसमस की पूर्व संध्या की प्रार्थना क्रिसमस के मौसम का पहला बड़ा कार्यक्रम था. इसके बाद पोप ने इस मौके पर शहर और पूरी दुनिया को आर्शीवाद दिया.टिप्पणियां पोप फ्रांसिस ने वर्ष 2016 में इस्लामिक चरमपंथियों की हिंसा पर लगातार अफसोस जाहिर किया और शांति की अपील की है. प्रवासी संकट के समाधान के लिए उन्होंने यह कहते हुए यूरोप से अधिक से अधिक शरणार्थियों को शरण देने की मांग की थी कि जीसस खुद भी शरणार्थी थे. उन्होंने संपन्न लोगों के पास मौजूद अधिकतर सामान से लेकर खाद्य सामग्री तक की बर्बादी पर यह कहते हुए निराशा जाहिर की है कि हर दिन कई बच्चों और गरीब लोगों की भूख से मौत होती है. सिस्टीन चैपल में ‘ग्लोरिया’ और बैसीलिका की घंटियां पूरे रोम में सुनाई दीं. क्रिसमस की पूर्व संध्या की प्रार्थना क्रिसमस के मौसम का पहला बड़ा कार्यक्रम था. इसके बाद पोप ने इस मौके पर शहर और पूरी दुनिया को आर्शीवाद दिया.टिप्पणियां पोप फ्रांसिस ने वर्ष 2016 में इस्लामिक चरमपंथियों की हिंसा पर लगातार अफसोस जाहिर किया और शांति की अपील की है. प्रवासी संकट के समाधान के लिए उन्होंने यह कहते हुए यूरोप से अधिक से अधिक शरणार्थियों को शरण देने की मांग की थी कि जीसस खुद भी शरणार्थी थे. उन्होंने संपन्न लोगों के पास मौजूद अधिकतर सामान से लेकर खाद्य सामग्री तक की बर्बादी पर यह कहते हुए निराशा जाहिर की है कि हर दिन कई बच्चों और गरीब लोगों की भूख से मौत होती है. पोप फ्रांसिस ने वर्ष 2016 में इस्लामिक चरमपंथियों की हिंसा पर लगातार अफसोस जाहिर किया और शांति की अपील की है. प्रवासी संकट के समाधान के लिए उन्होंने यह कहते हुए यूरोप से अधिक से अधिक शरणार्थियों को शरण देने की मांग की थी कि जीसस खुद भी शरणार्थी थे. उन्होंने संपन्न लोगों के पास मौजूद अधिकतर सामान से लेकर खाद्य सामग्री तक की बर्बादी पर यह कहते हुए निराशा जाहिर की है कि हर दिन कई बच्चों और गरीब लोगों की भूख से मौत होती है. उन्होंने संपन्न लोगों के पास मौजूद अधिकतर सामान से लेकर खाद्य सामग्री तक की बर्बादी पर यह कहते हुए निराशा जाहिर की है कि हर दिन कई बच्चों और गरीब लोगों की भूख से मौत होती है.
चार लोकसभा और छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए आज वोट डाले जा रहे हैं। लोकसभा की जिन चार सीटों के लिए मतदान हो रहा है, वे हैं- बिहार में महाराजगंज, पश्चिम बंगाल में हावड़ा और गुजरात में पोरबंदर तथा बनासकांठा। इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की छह विधानसभा सीटों पर भी वोट डाले जा रहे हैं। महाराजगंज का चुनाव बिहार के दो बड़े नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के लिए नाक का सवाल बन गया है। लालू यादव ने जहां मैदान में पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उतारा है, वहीं जेडीयू ने पीके शाही को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की छह विधानसभा सीटों पर भी वोट डाले जा रहे हैं। महाराजगंज का चुनाव बिहार के दो बड़े नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के लिए नाक का सवाल बन गया है। लालू यादव ने जहां मैदान में पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उतारा है, वहीं जेडीयू ने पीके शाही को उम्मीदवार बनाया है।
यह एक लेख है: जापान में शुक्रवार को रिक्टर पैमाने पर 7.3 की तीव्रता वाला जबर्दस्त भूकंप आने के बाद पूर्वोत्तर जापान के समुद्र में एक मीटर ऊंची सुनामी आई। मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि इशिनोमाकई शहर के समुद्री तट पर ठीक शाम छह बजे बाद सुनामी की लहरें आईं। यह शहर, 2011 में भूकंप और उसके बाद आई तबाही से बुरी तरह प्रभावित हो गया था और हजारों लोग मारे गए थे। अमेरिकी जियोलाजिकल सर्वे के अनुसार 7.3 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इसके बाद 6.2 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए।टिप्पणियां कम से कम एक कस्बे मियागी के मिनामीसानरिकु में लोगों को सुरक्षा के उपाय करने को कहा गया है, जबकि कुछ अन्य कस्बों के भी प्रभावित होने की खबरें हैं। कस्बे के अधिकारी रिउची ओमारी ने बताया, हम लोगों को ऊंची जगहों पर जाने को कह रहे हैं। उन्होंने बताया कि मोबाइल और लैन्डलाइन दोनों फोन काम नहीं कर रहे हैं, जिससे लोगों की गतिविधि का पता लगाना कठिन हो रहा है। उन्होंने कहा, भूकंप बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन इसे बहुत (तेज) महसूस किया गया। पिछले साल की तुलना में यह बड़ा नहीं था। कस्बे का कार्यालय आपदा कार्यबल गठित कर रहा है। सरकारी प्रसारक एनएसके पर एक प्रस्तोता लोगों से लगातार सुरक्षित जगह जाने को कहा रहा है। वह कह रहा है, पिछले साल के भूकंप और सुनामी को याद करो। अपने पड़ोसी को बताओ और ऊंची जगहों पर जाओ। एनएचके ने राष्ट्रीय मौसम एजेंसी को बताया कि इवाती के तट के शाम पांच बजकर 40 मिनट, फुकुशिमा के शाम पांच बजकर 50 मिनट और आमोरी एवं इबाराकी के तट के शाम छह बजे सुनामी की चपेट में आने की आशंका है। यह शहर, 2011 में भूकंप और उसके बाद आई तबाही से बुरी तरह प्रभावित हो गया था और हजारों लोग मारे गए थे। अमेरिकी जियोलाजिकल सर्वे के अनुसार 7.3 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इसके बाद 6.2 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए।टिप्पणियां कम से कम एक कस्बे मियागी के मिनामीसानरिकु में लोगों को सुरक्षा के उपाय करने को कहा गया है, जबकि कुछ अन्य कस्बों के भी प्रभावित होने की खबरें हैं। कस्बे के अधिकारी रिउची ओमारी ने बताया, हम लोगों को ऊंची जगहों पर जाने को कह रहे हैं। उन्होंने बताया कि मोबाइल और लैन्डलाइन दोनों फोन काम नहीं कर रहे हैं, जिससे लोगों की गतिविधि का पता लगाना कठिन हो रहा है। उन्होंने कहा, भूकंप बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन इसे बहुत (तेज) महसूस किया गया। पिछले साल की तुलना में यह बड़ा नहीं था। कस्बे का कार्यालय आपदा कार्यबल गठित कर रहा है। सरकारी प्रसारक एनएसके पर एक प्रस्तोता लोगों से लगातार सुरक्षित जगह जाने को कहा रहा है। वह कह रहा है, पिछले साल के भूकंप और सुनामी को याद करो। अपने पड़ोसी को बताओ और ऊंची जगहों पर जाओ। एनएचके ने राष्ट्रीय मौसम एजेंसी को बताया कि इवाती के तट के शाम पांच बजकर 40 मिनट, फुकुशिमा के शाम पांच बजकर 50 मिनट और आमोरी एवं इबाराकी के तट के शाम छह बजे सुनामी की चपेट में आने की आशंका है। कम से कम एक कस्बे मियागी के मिनामीसानरिकु में लोगों को सुरक्षा के उपाय करने को कहा गया है, जबकि कुछ अन्य कस्बों के भी प्रभावित होने की खबरें हैं। कस्बे के अधिकारी रिउची ओमारी ने बताया, हम लोगों को ऊंची जगहों पर जाने को कह रहे हैं। उन्होंने बताया कि मोबाइल और लैन्डलाइन दोनों फोन काम नहीं कर रहे हैं, जिससे लोगों की गतिविधि का पता लगाना कठिन हो रहा है। उन्होंने कहा, भूकंप बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन इसे बहुत (तेज) महसूस किया गया। पिछले साल की तुलना में यह बड़ा नहीं था। कस्बे का कार्यालय आपदा कार्यबल गठित कर रहा है। सरकारी प्रसारक एनएसके पर एक प्रस्तोता लोगों से लगातार सुरक्षित जगह जाने को कहा रहा है। वह कह रहा है, पिछले साल के भूकंप और सुनामी को याद करो। अपने पड़ोसी को बताओ और ऊंची जगहों पर जाओ। एनएचके ने राष्ट्रीय मौसम एजेंसी को बताया कि इवाती के तट के शाम पांच बजकर 40 मिनट, फुकुशिमा के शाम पांच बजकर 50 मिनट और आमोरी एवं इबाराकी के तट के शाम छह बजे सुनामी की चपेट में आने की आशंका है। उन्होंने कहा, भूकंप बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन इसे बहुत (तेज) महसूस किया गया। पिछले साल की तुलना में यह बड़ा नहीं था। कस्बे का कार्यालय आपदा कार्यबल गठित कर रहा है। सरकारी प्रसारक एनएसके पर एक प्रस्तोता लोगों से लगातार सुरक्षित जगह जाने को कहा रहा है। वह कह रहा है, पिछले साल के भूकंप और सुनामी को याद करो। अपने पड़ोसी को बताओ और ऊंची जगहों पर जाओ। एनएचके ने राष्ट्रीय मौसम एजेंसी को बताया कि इवाती के तट के शाम पांच बजकर 40 मिनट, फुकुशिमा के शाम पांच बजकर 50 मिनट और आमोरी एवं इबाराकी के तट के शाम छह बजे सुनामी की चपेट में आने की आशंका है।
लेख: आपने शायद ही कभी सोचा हो कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में आपको पान की गिलौरी का लुत्फ़ मिल सकता है। लेकिन सिडनी के हैरिस पार्क इलाक़े ने हमारे सारे भ्रम तोड़ दिए। भारत और दक्षिण-अफ़्रीका के बीच हुए मुक़ाबले के दौरान हमने यहां पान खाते, मैच पर नज़र जमाए कई भारतीय फ़ैन्स को देखा।   असल में सिडनी के पैरामाटा नाम के सबअर्ब से जुड़े हैरिस पार्क में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी रहती है। जब-जब टीम इंडिया सिडनी आती है, इस  इलाक़ें में मौजूद भारतीय रेस्तरां और दुकानों में ज़रूर दिखाई देती है। यहां छोले-भटूरे से लेकर गुलाब जामुन और लस्सी जैसी हर वो चीज़ मिलेगी जो आपको अपने देश से दूरी महसूस नहीं होने देगी।   इसी इलाके के एक कोने में दस साल में पहले अहमदाबाद से आए केतन का पान-स्टॉल है। केतन से आप हर उस टॉपिक पर चर्चा कर सकते हैं जो भारत की किसी भी पान की दुकान का हॉट-टॉपिक होता है। लेकिन इन दिनों राजनीति या पैसा नहीं, हर शख़्स क्रिकेट टीम की सफलता के चर्चे करना चाहता है।   केतन को भी इंतज़ार है कि भारतीय टीम जब भी सिडनी आएगी वो उन्हें अपना पान का स्वाद ज़रूर चखाएंगे। और कैप्टन कूल धोनी के लिए केतन का एक मेसेज भी है - कीप काम एंड ईट पान - यानी शांत रहिए और पान खाते रहिए।
माणिक्कवाचकर (माणिकवासगर) तमिल कवि थे। यद्यपि उनकी गिनती नायनारों में नहीं की जाती है किन्तु तिरुवसाकम नामक ग्रन्थ की रचना में उनका भी योगदान है। इस पुस्तक में शंकर भगवान के भजन और गीत हैं। माणिक्कवाचकर तिरुमुरै के रचनाकारों में से एक हैं जो तमिल शैव सिद्धान्त का प्रमुख ग्रन्थ है। वे पाण्ड्य राजा वरगुणवर्मन द्वितीय (८६२ - ८८५ ई.) के मंत्री थे और मदुरै मे रहते थे। परिचय माणिक्कवाचगर का जन्म तीसरी शती में तिरुवत्तवूर के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पांड्य राजा ने उनकी विशद विद्वत्ता से प्रभावित होकर उन्हें 'तेन्नवन ब्रह्मार्यन' की उपाधि से विभूषित कर मंत्री नियुक्त किया। कहते हैं तिरुपेरुंतुरै में माणिक्कवाचगर को भगवान का दर्शन हुआ जो कुरुंथ वृक्ष के नीचे आसीन थे तथा वेद उन्हें शिष्यों के रूप में घेरे हुए थे। यह घटना उस समय हुई जब माणिक्कवाचगर राजा के लिये घोड़ा खरीदने जा रहे थे। माणिक्कवाचगर राजकीय धन से मंदिर का निर्माण कर वहीं रह गए। घोड़ो के न आने पर राजा ने उन्हें कारागार में बंद कर दिया। बाद में जब घोड़े पहुँच गए, राजा ने माणिक्कवाचगर से क्षमा माँगी। अंत में माणिक्कवाचगर राजपद का त्याग कर तिरुपेरुंतुरै चले गए। अनेक तीर्थस्थानों से होते हुए वे चिदंबरम् पहुँचे। यहाँ लंकाधिपति अपनी मूक पुत्री अैर कट्टर बौद्ध धर्मगुरु के साथ पधारे हुए थे। चुनौती पाकर माणिक्कवाचगर ने धर्मगुरु को मूक कर राजकुमारी की वाक्शक्ति पुन: ला दी। आभार मानकर लंका के पर्यटकों ने शैव मत ग्रहण कर लिया। माणिक्कवाचगर की कृतियों पर मर्मलै अदिगल, का० सुब्रह्मण्य पिल्लै और सी० के० सुब्रह्मण्य मुदालियर ने शोधग्रंथ लिखें हैं। डॉक्टर जी० सी० पोप ने माणिक्कवाचगर को 'असीसी के संत फ्रांसिस' और संत पाल की सदवृत्तियों के संयुक्त रूप में देखा है। पठनीय Dictionary of Hindu Lore and Legend (ISBN 0-500-51088-1) by Anna Dallapiccola नायनमार तमिल कवि
इसमें दो राय नहीं है कि भारतीय बॉक्सिंग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में प्रोफेशनल मुक्केबाज विजेंदर सिंह का बड़ा योगदान रहा है. अमेच्योर बॉक्सिंग के लेकर प्रोफेशनल बॉक्सिंग तक विजेंदर के मुक्कों की धमक पूरी दुनिया में पहुंची है. यह वजह कि भारत में कई युवा मुक्केबाज विजेंदर बनने की रहा पर निकल पड़े हैं. होनहार युवा मुक्केबाज सागर नर्वत भी अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत में जुटा है. फिलीपींस के बॉक्सर से मामो भिड़ेंगे सागर 23 साल के सागर दिल्ली में अपने कोच रोशन नथेनियल की देखरेख में कड़ी ट्रेनिंग में जुटे हैं. फिलीपिनो लेजेंड मैनी पैकियाओ के गढ़ में सागर का मुकाबला वहां के मुक्केबाज जुन मामो से होगा. जाहिर है 13 अक्टूबर को होने वाला यह मुकाबला आसान नहीं होगा. सागर ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि उन्हें इस मुकाबले का बेसब्री से इंतजार है. इसके लिए वह अपनी तकनीक और बेसिक पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. सागर और मामो के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो, मामो का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. जुन मामो ने अबतक 11 प्रोफेशनल फाइट लड़ी हैं. जिसमें उन्होंने 5 में जीत और 4 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. जबकि सागर का सुपर बॉक्सिंग लीग में (एसबीएल) 2-1 का रिकॉर्ड है. सागर के स्पीड और स्किल निखार रहे कोच सागर नर्वत के कोच रोशन नथेनियल की मानें, तो सागर में विदेशी धरती पर देश का नाम रोशन करने की क्षमता है. रोशन उन्हें खास तरह की ट्रेनिंग करा रहे हैं. उनकी स्पीड और स्किल को निखारने पर वह ध्यान दे रहे हैं. साथ ही वीडियो रिकॉर्डिंग देखकर रणनीति बनाने में लगे हैं. रोशन नथेनियल विजेंदर और अखिल कुमार जैसे मुक्केबाजों को ट्रेनिंग करा चुके हैं. ऐसे में वह प्रोफेशनल मुक्केबाजी का खासा अनुभव रखते हैं. सागर से हैं उम्मीदें सागर नर्वत अगर विदेशी जमीन पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हो जाते हैं. तो ये भारतीय पेशेवर मुक्केबाजी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा. खेल प्रेमियों को इस मुक्केबाज से काफी उम्मीदें हैं.
पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ भारत की मुहिम रंग ला रही है. चीन की वजह से भले ही मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में ग्लोबल आतंकी घोषित होने से बच गया हो, मगर फ्रांस ने बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी की है. फ्रांस ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का समर्थन करते हुए कहा है कि वह उसकी सारी संपत्तियां जब्त करेगी. फ्रांस ने कहा कि आतंकवाद के साथ लड़ाई में वह हमेशा भारत के साथ है. 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. जिसकी बाद में इसी आतंकी संगठन ने जिम्मेदारी ली थी. भारत ने जवाब में सीमा पार घुसकर बालाकोट में एयर स्ट्राइक करते हुए जैश के आतंकी कैंपों को तबाह किया था. बता दें, एक बार फिर जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर वैश्विक आतंकवादी घोषित होने से बच गया. चीन ने भारत की कोशिश को झटका देते हुए प्रस्ताव में रोड़े अटका दिए. चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘‘1267 अल कायदा सैंक्शन्स कमेटी'' के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने लाया था.  14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 40 जवानों की मौत हो गई थी. इस हमले की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया था. कमेटी के सदस्यों के पास प्रस्ताव पर आपत्ति जताने के लिए 10 कार्य दिन का वक्त था. यह अवधि बुधवार को (न्यूयॉर्क के) स्थानीय समय दोपहर तीन बजे (भारतीय समयनुसार बृहस्पतिवार रात साढ़े 12 बजे) खत्म होनी थी संयुक्त राष्ट्र में एक राजनयिक ने  बताया कि समयसीमा खत्म होने से ठीक पहले चीन ने प्रस्ताव पर ‘तकनीकी रोक' लगा दी. राजनयिक ने कहा कि चीन ने प्रस्ताव की पड़ताल करने के लिए और वक्त मांगा है.यह तकनीकी रोक छह महीनों के लिए वैध है और इसे आगे तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है.
यह लेख है: बता दें, करवा चौथ (Karva Chauth) का त्‍योहार दीपावली (Diwali) से नौ दिन पहले मनाया जाता है. हिन्‍दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को आता है. वहीं, अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह त्‍योहार अक्‍टूबर के महीने में आता है. इस बार करवा चौथ 17 अक्‍टूबर 2019 को है. 1. छलनी 2. मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन 3. करवा चौथ की थाली 4. दीपक 5. सिंदूर 6. फूल 7. मेवे 8. फल 9. रूई की बत्ती 10. कांस की तीलियां 11. करवा चौथ कैलेंडर 12. नमकीन मठ्ठियां 13. मीठी मठ्ठियां 14. मिठाई 15. रोली और अक्षत (साबुत चावल)  16. आटे का दीया 17. फूल 18. धूप या अगरबत्ती 19. चीनी का करवा 20. पानी का तांबा या स्टील का लोटा 21. गंगाजल 22. चंदन और कुमकुम 23. कच्चा दूध, दही रऔ देसी घी 24. शहद और चीनी 25. गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी 26. लकड़ी का आसन 27. आठ पूरियों की अठावरी और हलवा 28. दक्षिणा 1. सिंदूर 2. मंगलसूत्र 3. बिंदी 4. मेहंदी 5. लाल रंग के कपड़े 6. चूड़ियां 7. बिछिया 8. काजल 9. नथनी 10. कर्णफूल (ईयररिंग्स) 11. पायल 12. मांग टीका 13. तगड़ी या कमरबंद 14. बाजूबंद 15. अंगूठी 16. गजरा
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: बुधवार को सरोगेसी मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि कमर्शल सरोगेसी पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। विदेशी को देश में सरोगेसी की इजाजत नहीं दी जाएगी। भ्रूण के आयात पर पाबंदी रहेगी और सिर्फ रिसर्च के लिए इसकी इजाजत दी जाएगी। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि बिल ड्राफ्ट राज्यों को भेजा गया क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का मामला है। बिल में अपंग बच्चों की जिम्मेदारी लेने से इंकार करने पर दंपत्ति पर जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। सरकार ने कहा है कि सरोगेट मां के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधान तय किए जा रहे हैं। कमर्शल सरोगेसी के लिए भी बड़ा जुर्माना लगाया जाना है। यहां बता दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में तब आया है जब एक जर्मन दंपत्ति ने सरोगेसी के लिए गुजरात के आनंद में एक महिला को सरोगेसी के लिए लिया। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चा भारतीय नागरिक है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में बच्चे को जर्मनी भेज दिया। अब सुप्रीम कोर्ट को इस मामले के कानूनी पहलू को तय करना है। टिप्पणियां इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले सरकारी दलील अखबार में आने पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि मीडिया से बात मत करो लेकिन यह सब आपके गिल्टी माइंड की वजह से हुआ है। सॉलिसीटर जनरल ने खबर यूं लीक हो जाने पर कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि मंत्रायल से खबर लीक हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार सरोगेसी पर क्या दलील देगी, ये अखबार से पता चल गया है। सरकार अब हलफनामा दाखिल करे और 24 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई होगी। दरअसल, सरोगेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है। केंद्र चाहती है कि विदेशी लोगों को सरोगेसी की इजाजत न दी जाए। लेकिन सुनवाई से पहले ये दलील एक अखबार में छप गई। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि बिल ड्राफ्ट राज्यों को भेजा गया क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का मामला है। बिल में अपंग बच्चों की जिम्मेदारी लेने से इंकार करने पर दंपत्ति पर जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। सरकार ने कहा है कि सरोगेट मां के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधान तय किए जा रहे हैं। कमर्शल सरोगेसी के लिए भी बड़ा जुर्माना लगाया जाना है। यहां बता दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में तब आया है जब एक जर्मन दंपत्ति ने सरोगेसी के लिए गुजरात के आनंद में एक महिला को सरोगेसी के लिए लिया। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चा भारतीय नागरिक है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में बच्चे को जर्मनी भेज दिया। अब सुप्रीम कोर्ट को इस मामले के कानूनी पहलू को तय करना है। टिप्पणियां इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले सरकारी दलील अखबार में आने पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि मीडिया से बात मत करो लेकिन यह सब आपके गिल्टी माइंड की वजह से हुआ है। सॉलिसीटर जनरल ने खबर यूं लीक हो जाने पर कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि मंत्रायल से खबर लीक हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार सरोगेसी पर क्या दलील देगी, ये अखबार से पता चल गया है। सरकार अब हलफनामा दाखिल करे और 24 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई होगी। दरअसल, सरोगेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है। केंद्र चाहती है कि विदेशी लोगों को सरोगेसी की इजाजत न दी जाए। लेकिन सुनवाई से पहले ये दलील एक अखबार में छप गई। यहां बता दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में तब आया है जब एक जर्मन दंपत्ति ने सरोगेसी के लिए गुजरात के आनंद में एक महिला को सरोगेसी के लिए लिया। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चा भारतीय नागरिक है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में बच्चे को जर्मनी भेज दिया। अब सुप्रीम कोर्ट को इस मामले के कानूनी पहलू को तय करना है। टिप्पणियां इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले सरकारी दलील अखबार में आने पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि मीडिया से बात मत करो लेकिन यह सब आपके गिल्टी माइंड की वजह से हुआ है। सॉलिसीटर जनरल ने खबर यूं लीक हो जाने पर कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि मंत्रायल से खबर लीक हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार सरोगेसी पर क्या दलील देगी, ये अखबार से पता चल गया है। सरकार अब हलफनामा दाखिल करे और 24 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई होगी। दरअसल, सरोगेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है। केंद्र चाहती है कि विदेशी लोगों को सरोगेसी की इजाजत न दी जाए। लेकिन सुनवाई से पहले ये दलील एक अखबार में छप गई। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले सरकारी दलील अखबार में आने पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि मीडिया से बात मत करो लेकिन यह सब आपके गिल्टी माइंड की वजह से हुआ है। सॉलिसीटर जनरल ने खबर यूं लीक हो जाने पर कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि मंत्रायल से खबर लीक हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार सरोगेसी पर क्या दलील देगी, ये अखबार से पता चल गया है। सरकार अब हलफनामा दाखिल करे और 24 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई होगी। दरअसल, सरोगेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है। केंद्र चाहती है कि विदेशी लोगों को सरोगेसी की इजाजत न दी जाए। लेकिन सुनवाई से पहले ये दलील एक अखबार में छप गई। दरअसल, सरोगेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है। केंद्र चाहती है कि विदेशी लोगों को सरोगेसी की इजाजत न दी जाए। लेकिन सुनवाई से पहले ये दलील एक अखबार में छप गई।
पंचायत आज तक में चर्चा के दौरान नीतीश कुमार ने BJP की ओर से लगाए जा रहे जंगलराज के आरोप का जवाब उन्होंने विकास की बात से दिया. नीतीश से पूछा गया कि 2015 के घोषणा पत्र में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. चरवाहा विद्यालय, गरीबों की आवाज, आपके सामने टारगेट क्या है? नीतीश ने कहा कि लालू जी को लेकर हमेशा से सवाल आता रहा है. जंगलराज की बातें आती हैं. उस पर अंत में बातें करेंगे. पहले विकास की बातें कर लें. इसे कहते हैं विकास नीतीश ने कहा कि लड़कियों के लिए साइकिल 1 लाख 70 हजार से बढ़कर 8 लाख हो गई है. लड़कों के लिए भी साइकिल योजना लाने वाले हैं. गांव में लड़कियां साइकिल नहीं चलाती थीं. अब ये साइकिल चलाने लगी हैं. इसको कहते हैं विकास. लड़कियों की संख्या केवल स्कूलों में नहीं बढ़ी. उनमें आत्मविश्वास आ गया है. आसमान की ऊंचाईयों को छूने की ललक जाग गई है. मेडिकल कॉलेज अभी नहीं बनाया है. अभी और बनाएंगे. जो हम कर सकते हैं वो ही कहेंगे. जो नहीं कर सकते वो नहीं कहेंगे. जो नहीं हो सकता, वो सात जन्म में नहीं हो सकता. बहस विकास पर नहीं हो रही. बिहार का विकास नहीं रोक सकती दिल्ली नीतीश ने कहा कि बिहार ने विकास किया, यहां तो जेडीयू और भाजपा की सरकार थी. दिल्ली की सरकार हमारा विकास नहीं रोक सकती. हमारे यहां रोजगार के इतने अवसर प्राप्त होंगे कि हमारे युवाओं को बाहर नहीं जाना पड़ेगा. हमें विशेष राज्य का दर्जा चाहिए. जहां माइन्स और मिनरल हैं, वहीं आकर निवेश करना पड़ेगा. किसी भी शहर में एक काम जिस इलाके में होता है वहीं दूसरे लोग भी रोजगार के लिए जाते हैं. हमारे यहां वो तभी आएंगे जब उन्हें इन्सेंटिव मिलेगा. बिहार जैसे राज्य के साथ जो अन्याय हुआ है उसकी भरपाई हो. नीतीश ने गिनाई अपनी उपलब्धियां नीतीश ने अपने काम भी गिनाए. बोले- हमने बहुत सारे काम किए हैं. शिक्षा पर जोर दिया है. प्राथमिक शिक्षा में 12.50 फीसदी बच्चे जो बाहर थे अब केवल 1 फीसदी रह गए हैं. निजी अस्पतालों में जाने के लिए लोगों के पास पैसे नहीं हैं. प्राइमरी हेल्थ सेंटर में दिन में एक आदमी जाता था. हमने डॉक्टरों, स्टाफ, फ्री मेडिसीन शुरू की. अब हर ब्लॉक में प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर 11 हजार लोग जा रहे हैं. सिंचाई, सड़क, स्टोरेज, प्रोसेंसिंग, मार्केट सबको मिलाकर कृषि पर काम किया. मिशन ह्यूमन डेवलपमेंट पर काम किया. कॉलेज, इंजीनियरिंग, लॉ कॉलेज, आईआईटी पटना, निफ्ट, एनआईटी अपग्रेड हुआ. जमीन और मकान बनाकर हमने दिया. नगर निकायों, शिक्षकों की भर्ती में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया. अब यह करेंगे नीतीश ने कहा कि इन सब कामों को जारी रखते हुए हर स्टूडेंट को 4 लाख रुपये की लिमिट के साथ क्रेडिट कार्ड देंगे. युवाओं के कौशल विकास पर काम करेंगे. पहले इम्प्लायमेंट एक्सचेंज में रजिस्ट्रेशन होगा. कंप्यूटर का ज्ञान, संवाद शैली, भाषा, हिंदी, अंग्रेजी सही से बोलें इस पर फोकस होगा. रोजगार की तलाश कर रहे 20 से 25 साल के युवाओं को दो साल तक स्वयं सहायता देंगे. वो जाए रोजगार ढूंढ़े. नेट कनेक्टिविटि देंगे. हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में फ्री वाई-फाई देंगे. सभी में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण दिया है. पीने के पानी की असुविधा है. 2016 तक हर बसावट तक बिजली पहुंच जाएगी. बीपीएल परिवार के लिए पहले से प्रावधान करेंगे. सबको सरकार के खर्च पर बिजली कनेक्शन दिया जाएगा.
आरजेडी के पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है. जिसमें उन्होंने सीवान के पत्रकार हत्याकांड में अपने आपको निर्दोष बताया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि पत्रकार हत्याकांड के आरोपी मौ. कैफ और मृतक पत्रकार राजदेव रंजन के संबंधों की जांच सीबीआई से कराई जाए. पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड का आरोपी मौ. कैफ फिलहाल सीवान जेल में बंद है. शहाबुद्दीन ने दायर याचिका में पत्रकार राजदेव के संबंध अन्य आरोपियों से कैसे थे, इस बात की भी जांच कराने की मांग की है. विदित हो कि 13 मई 2016 को सिवान के पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस पत्रकार हत्याकांड में पूर्व सांसद और आरजेडी नेता शहाबुद्दीन को भी आरोपी बनाया गया था. शहाबुद्दीन पर आरोप है कि उनके कहने पर लड्डन मियां ने पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या की थी. इस मामले में कई आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. राजदेव की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग भी की है. पत्रकार हत्याकांड की जांच सीबीआई कर रही है. लेकिन अभी तक सीबीआई को कुछ अहम सुराग हाथ नहीं लगा है.
अ ग्रेन ऑफ सेंड इन द आवरग्लास ऑफ टाइमः ऐन ऑटोबायोग्राफी अर्जुन सिंह, साथ में अशोक चोपड़ा प्रकाशकः हे हाउस कीमतः 599 रु. पेजः 400 मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर 1980 में अपने पहले कार्यकाल से लेकर अब तक घटे इतिहास चक्र में अर्जुन सिंह की केंद्रीय भूमिका रही है. चाहे वह उनकी आंखों के सामने घटा भोपाल गैस कांड हो या बाबरी मस्जिद विध्वंस, जिसके बारे में उनका कहना है कि उसे रोकने की उन्होंने पूरी कोशिश की थी; चाहे वह ऐतिहासिक लोंगोवाल समझौता हो जिसने पंजाब में अमन-चैन कायम किया या फिर सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कोटे का मुद्दा, अर्जुन सिंह राजनीति के मैदान में हमेशा पूरी तरह से सक्रिय रहे. ताउम्र नेहरूवादी विचारों के पैरोकार रहे अर्जुन सिंह इंदिरा, राजीव और सोनिया गांधी के प्रशंसक थे. उनकी आंखों पर यह खानदानी पट्टी इस कदर बंधी थी कि इमरजेंसी में थोपे गए 'अनुशासन' में या फि र अयोध्या में रामजन्मभूमि का ताला खोलने के राजीव गांधी के फैसले में उन्हें कुछ भी गलत नहीं नजर आया. वे खुद को 'विनम्र अनुयायी' कहते रहे, लेकिन जैसा कि उनका बेहतरीन तरीके से लिखा गया संस्मरण दिखाता है, वे खुद अपने दौर के इतिहास को गढ़ने वालों में एक रहे, चाहे वह उनके बतौर मानव संसाधन विकास मंत्री के कार्यकाल में दोबारा लिखी गई पाठ्यपुस्तकें हों या फिर उस सांस्कृतिक विरासत में जो वे मध्य प्रदेश में अपने पीछे छोड़ आए थे. मरणोपरांत प्रकाशित अपने संस्मरण अ ग्रेन ऑफ सैंड इन द आवरग्लास ऑफ टाइम में उन्होंने दिवंगत नरसिंह राव के साथ अपने काफी हद तक विवादास्पद रिश्तों पर लिखा है. राव बाद में प्रधानमंत्री भी बने. यह पद अर्जुन सिंह को भी मिल सकता था क्योंकि उनके शब्दों में ''समय की रेतघड़ी'' में ''रेत के एक कण'' से कहीं ज्‍यादा बड़ी शख्सियत थी उनकी. तख्‍तापलट का न्‍योता बात 1987 के मध्य की है, विदेश मंत्रालय से रिटायर्ड हो चुके के.सी. सिंह ने मुझसे मुलाकात के लिए वक्त मांगा. मैंने समय दे दिया. वे मेरे पास एक ऊटपटांग सूचना लेकर आए कि तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनके पद से हटाने वाले हैं. वे मुझ्से जानना चाहते थे कि क्या मैं राजीव की जगह लेने को तैयार हूं. मैंने उनसे कहा कि मेरा इस धंधे से कोई सरोकार नहीं है और मैं राजीव के साथ हूं. मैंने उसके बाद उन्हें बीच में ही काटते हुए एक चेतावनी देकर चलता कर दिया. उनके जाने के बाद मैंने राजीव से निजी मुलाकात में इस बात का जिक्र किया. राजीव ने मेरी बात सुनने के बाद कहा, ''आपने सही किया, अगर यह शख्स दोबारा आपसे मिलने के लिए वक्त मांगे, तो पहले मुझे बता दीजिएगा.'' कुछ दिन बाद के.सी. सिंह ने दोबारा मिलने के लिए वक्त मांगा और मैंने इसकी सूचना राजीव को दे दी. मेरी उनसे मिलने की कतई इच्छा नहीं थी, लेकिन इंटेलिजेंस एजेंसियों ने मुझे मुलाकात करने की सलाह दी थी ताकि प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने की साजिश के बारे में और जानकारी मिल सके. दूसरी मुलाकात में उन्होंने फिर से मुझे इस पेशकश को स्वीकार करने के लिए कहा. मैंने उनसे कड़े शब्दों में कहा कि वे अपना और मेरा वक्त जाया कर रहे हैं, लेकिन वे कहां मानने वाले थे. उन्होंने फिर बताया कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रपति की इस बात पर हामी भर दी है कि ''सही वक्त पर सामूहिक कार्रवाई करनी होगी.'' इस दौरान हमारी बातचीत इंटेलिजेंस एजेंसियां टैप कर रही थीं. उनसे और उगलवाने के लिए मैंने उनसे उन नेताओं के नाम पूछे जिन्होंने राष्ट्रपति को मदद करने की हामी दी थी. उन्होंने कुछ नाम बताए (जिनका खुलासा मैं नहीं करूंगा). जुलाई 1987 में मीडिया में खबरें आईं कि राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह राजीव गांधी सरकार को बरखास्त करने के बारे में सोच रहे थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. राजीव के जाने के बाद राजीव गांधी की हत्या के बाद मई 1991 के अंत में मैं, एम.एल. फोतेदार और विंसेंट जॉर्ज सबसे पहले जिस कांग्रेसी नेता के पास पार्टी अध्यक्ष के लिए सोनिया का नाम लेकर गए, वे अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यसमिति के कोषाध्यक्ष सीताराम केसरी थे. बिहार से कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता रहे केसरी को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हमारी पसंद पर कोई हैरत नहीं हुई और वे सोनिया गांधी का समर्थन करने के लिए तैयार हो गए. हालांकिउनकी हामी में मैंने एक संकोच का भाव भांप लिया था. इसके तुरंत बाद मैं, केसरी और फोतेदार वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी.वी. नरसिंह राव के पास पहुंचे. यहां मुझे राजनीति का विद्रूप चेहरा दिखा और मैं वाकई चिढ़ गया. हमारा सुझाव सुनकर राव कुछ मिनट के लिए तो शांत भाव-भंगिमा लिए मौन रहे, फि र अचानक ही गुस्से में चीख पड़े और उनके शब्दों के मायने कुछ इस तरह से थे, 'क्या यह जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी के साथ एक ऐसी रेलगाड़ी की तरह पेश आया जाए जिसके सारे डिब्बे नेहरू-गांधी खानदान के इंजन से खींचे जाते रहें या फिर कोई अन्य विकल्प भी है?' राव के गुस्सा जाहिर करने के अंदाज को देखकर में ठगा-सा रह गया. मैं चुप रहा, हालांकि केसरी ने बात को आगे बढ़ाया और कहा कि अगर हम सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष का पद दे देते हैं तो हालात कुछ हद तक संभल जाएंगे. राव को लगा, जैसे उन्होंने बहुत कम वक्त में बहुत ज्‍यादा कह दिया था और नेहरू खानदान के विरोध की अपनी भावना को जल्दबाजी में उजागर कर दिया था. उन्होंने संभलते हुए पूछा, ''इस सुझाव से कोई नुकसान नहीं होने वाला, लेकिन क्या वे इसे स्वीकार करेंगी?'' इस सवाल का हमारे पास तुरंत तो कोई जवाब नहीं था, सिवाय इसके कि हम सोनिया गांधी के पास जाते और उनकी प्रतिक्रिया लेते. *** मुझे अब भी 1992 की शुरुआत में प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव के साथ (उनके आवास 3, रेसकोर्स रोड पर) हुई वह मुलाकात एकदम सही से याद है जब वे अमेरिका से लौटे थे. वहां सिर्फ हम दोनों थे. वे आरामकुर्सी पर बैठे थे और तमाम घरेलू मुद्दों पर बात कर रहे थे. अचानक वे उचके और जोर देकर बोले, ''मुझे किसी का डर नहीं क्योंकि अब मेरे सिर पर प्रेसिडेंट (जॉर्ज) बुश सीनियर का हाथ है.'' इस अनपेक्षित विस्फोट से मैं चौंक गया क्योंकि जिन मुद्दों पर हम बात कर रहे थे, उनका राष्ट्रपति बुश से कोई लेना-देना नहीं था. यह शायद एक ऐसे प्रधानमंत्री की भीतर की आवाज थी जिसे बुश से मुलाकात के बाद कुछ बल मिला था और उसे लगता था कि मुश्किल हालात में बुश का समर्थन उनकी राह आसान कर देगा. मैं कुछ देर के लिए शांत बैठा रहा, उनकी बात को समझने की कोशिश करता रहा, फिर मैंने कहा, ''प्रेसिडेंट बुश से आपको मिले समर्थन से हम भी खुश हैं लेकिन मौजूदा प्रसंग में प्रेसिडेंट बुश हमारे हित में कु छ नहीं कर पाएंगे.'' मैंने कहा, ''ऐसे मामलात में अपने मूल्यों और विचारधारा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और दृढ़ता ही हमें बचा सकती है.'' भारत का नीरो, नरसिंह राव अयोध्या कांड पर प्रधानमंत्री नरसिंह राव सभी को खुश रखने की कोशिश में थे. जब कभी कोई गंभीर किस्म की खबर उन तक आती, वे तुरंत अपने किसी सहयोगी से चाहते कि वह हिंदुत्व ब्रिगेड के किसी सदस्य से मिलकर मामले को पटरी पर ले आए. इस हद तक वे सबको खुश रखने की कोशिश करते कि एक मौके पर तो उन्होंने आरएसएस प्रमुख (मधुकर दत्तात्रेय देवरस जिन्हें बाबासाहेब देवरस के नाम से भी जाना जाता है) से खुद जाकर मिलने का फैसला कर डाला ताकि सरकार पर से दबाव हटाने के लिए उन्हें ठंडा किया जा सके. मैंने इस प्रस्तावित कदम पर आपत्ति जताई और कहा कि इससे तो सरकार की बड़ी बदनामी होगी. मैंने कहा कि इसकी बजाए प्रधानमंत्री को उन्हें अपने दफ्तर में बुलाना चाहिए. अब तक मेरे और प्रधानमंत्री के बीच मतभेद सार्वजनिक हो चुके थे, लेकिन मैंने एक कैबिनेट सहयोगी के नाते अपना संयम और अनुशासन बनाए रखा, हालांकि कुछ मौकों पर ऐसा करना मुश्किल भी होता था. मैं नहीं जानता कि सीपीपीए की बैठकों की फाइलें कब सार्वजनिक होंगी, पर ऐसा जब भी होगा, लोगों को पता चलेगा कि कैसे अयोध्या की फांस निकालने के लिए एक भ्रमित सरकार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. मैंने कभी किसी सरकार का इतना खराब प्रदर्शन नहीं देखा. *** मैं 4 दिसंबर की शाम दिल्ली पहुंचा. अगली सुबह मैंने नरसिंह राव से मुलाकात करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से हुई बातचीत की उन्हें अक्षरशः जानकारी दे दी. राव ऐसा नाटक कर रहे थे कि वे बहुत गौर से मेरी बातें सुन रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं था. वे मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे थे. ऐसा लगा गोया मैं किसी छोटे-मोटे अफसर से हुई अपनी सामान्य-सी मुलाकात का ब्यौरा दे रहा हूं. मेरे बात खत्म करने पर उन्होंने पूछा, ''हालात का आपका अपना आकलन क्या कहता है?'' मैंने जवाब दिया, ''आपने मुझे लखनऊ से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी, तो मैं आपको क्या आकलन दे सकता हूं?'' उन्होंने और अधिक जानना चाहा, ''अरे नहीं, मैं जानता हूं कि आपके अपने स्त्रोत हैं, इसलिए मैं जानना चाह रहा हूं कि आने वाले दिनों में हालात कैसे होंगे?'' मैंने उन्हें साफ शब्दों में बताया कि बाबरी मस्जिद ढहा दी जाएगी. इस खबर ने उन्हें हिला दिया और वे मेरे दावे को चुनौती देना चाह रहे थे, लेकिन कुछ सोचकर वे चुप रह गए. कुछ झनझनाते हुए वे तेजी से अटकल लगाने लगे कि यदि मस्जिद ढहा दी गई तो उसके नतीजे क्या हो सकते हैं. अचानक उन्हें ज्ञान हुआ और वे चीखे, ''इसका कांग्रेस पार्टी पर बहुत बुरा असर होगा'', यह बात हालांकिजग जाहिर थी. उस पल मैं खुद को रोक नहीं पाया और उनसे कड़े शब्दों में कह दिया कि हमने बीजेपी और अन्य हिंदुत्व समर्थक संगठनों की कारगुजारियों पर ''अपनी आंखें मूंद रखी हैं.'' तो उन्होंने सवाल किया, ''यह (विध्वंस) कब हो सकता है?'' मैंने जवाब दिया, ''किसी भी वक्त.'' मुझे खुद अंदाजा नहीं था कि ठीक अगले ही दिन (6 दिसंबर, 1992) को मस्जिद ढहा दी जाएगी. उस महत्वपूर्ण दिन दिल्ली से 380 किमी दूर पंजाब के मुक्तसर में युवा कांग्रेसी सांसद जगमीत सिंह बरार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मेरा जाना पहले से तय था और इसकी सूचना मैंने प्रधानमंत्री को दे रखी थी. *** मेरे दिमाग में मस्जिद ढहाए जाने की छवियां लगातार घूम रही थीं और मैं सोच रहा था कि हमारे देश के इतिहास में इस त्रासद घटना के निहितार्थ अकल्पनीय और असीमित होंगे. भारत का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना बिखर चुका था. यही सोचते-सोचते मैंने मुक्तसर से प्रधानमंत्री आवास पर दोपहर में फोन लगाया. मुझे बताया गया कि अभी वे ''किसी से बात नहीं कर सकते.'' मैंने जवाब देने वाले से पूछाः ''वे कब से बातचीत नहीं कर रहे हैं? या फिर वे दिल्ली से बाहर हैं?'' उसने जवाब दिया, ''वे दिल्ली में ही हैं, लेकिन उन्होंने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया है और हमें निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें किसी भी स्थिति में डिस्टर्ब न किया जाए.'' मेरे दिमाग में अचानक नीरो की वह मशहूर छवि कौंध गई कि जब रोम जल रहा था तो वह बांसुरी बजा रहा था. मैंने अपने मेजबान से तुरंत अनुमति ली और दिल्ली के लिए निकल पड़ा. शाम चार बजे दिल्ली पहुंच कर मैं सीधा प्रधानमंत्री निवास गया. नरसिंह राव ने अब तक अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला था, लेकिन अपने प्रधान सचिव को निर्देश दे दिया था कि उनके निवास पर ही शाम 6 बजे कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई जाए. पिछड़ों का जनक भारत की आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की लगभग 50 फीसदी की भागीदारी है. भारतीय संविधान में पहला संशोधन 1951 के मध्य में पंडित जवाहर लाल नेहरू लेकर आए थे, जिसमें इस वर्ग के लिए विशेष प्रावधान था. इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इस वर्ग को आरक्षण सहित शैक्षिक कार्यक्रम और रोजगार जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए राज्यों ने कोई विशेष कानून पारित नहीं किया. सवर्णों में इस वर्ग के प्रति एक दबा-छिपा पूर्वाग्रह था. वे ओबीसी के लिए होने वाले किसी भी विशेष प्रावधान के सख्त खिलाफ थे. मेरे विचार से, इस तरह का विरोध साफ तौर पर अन्याय ही था, जिसे जल्द से जल्द सुधारना जरूरी था. जून, 1980 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की हैसियत से मैंने इस मुद्दे को उठाया था. राज्य में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया और जहां तक संभव हो सका, आयोग के सुझावों को लागू भी किया. हालांकि यह भी नाकाफी था. उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए तो आरक्षण था, लेकिन उनकी तर्ज पर पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं था. 1980 में मंडल कमीशन की रिपोर्ट में नौकरियों में ओबीसी के लिए आरक्षण की सिफारिश की गई थी, जिसे अगस्त 1990 में लागू किया गया. उस समय वी.पी. सिंह प्रधानमंत्री थे. लेकिन तब भी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण लागू नहीं किया गया था. इस बाबत मैंने जब-जब अपने दोस्तों और सहयोगियों से चर्चा की, हर बार सन्नाटा पसरा हुआ पाया, अस्वीकृति भरा मौन. इसके बावजूद मैंने आगे बढ़ने की ठानी. 2006 की शुरुआत में बतौर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री मैंने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के सामने खुले तौर पर औपचारिक रूप से इस मुद्दे को उठाया. हालांकि शुरुआत में वे भी झ्झ्किे, लेकिन बाद में उन्होंने मुझे अनुमति दे दी. जैसे ही मेरे इस तरह के प्रयासों की खबरें बाहर आईं, वैसे ही सवर्ण वर्ग की ओर से मेरी योजनाओं का विरोध शुरू हो गया. इसी वर्ग ने वी.पी. सिंह के कार्यकाल में भी आरक्षण का कड़ा विरोध किया था. यहां तक कि 1990 के अगस्त-सितंबर में आरक्षण विरोधी छात्रों ने उत्तरी भारत में हिंसक प्रदर्शन किए थे. कुछ ने तो विरोध जताने के लिए आत्मदाह तक कर लिया था. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, विशेषकर बसें जलाई गईं. मैं ऐसा घटनाओं का दोहराव नहीं चाहता था. इसलिए अपने लक्ष्य को पाने के लिए मैंने थोड़ा और संभलकर और क्रमबद्ध ढंग से काम जारी रखा. मैंने सांसदों की सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें मेरे प्रस्ताव को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया गया. जबकि देश के उत्तरी राज्यों में मीडिया ने एक तरह से अभियान चला दिया था, जिसमें बताया जाता था कि कैसे एक बार फिर समाज का ''मंडलीकरण'' होने जा रहा है और इसका जिम्मेदार मुझे ठहराया जाता. मई 2006 में पूरे उत्तरी भारत में इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए. दक्षिण भारत से कोई विपरीत प्रतिक्रिया नहीं मिली क्योंकि वहां ओबीसी आरक्षण की नीति को विभिन्न राज्य सरकारों ने समय-समय पर लागू कर दिया था. पृष्ठभूमि कुछ इस प्रकार हैः यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (यूपीए), जिसमें वाम दल शामिल थे, की समन्वय समिति के समक्ष मैंने अपने प्रस्ताव को ज्यादा से ज्यादा स्वीकार्य रूप में पेश किया और सभी सदस्यों ने इस नीति का पूरा समर्थन किया. फैसला हुआ कि इसे ''वर्तमान स्वरूप'' में जस का तस लागू किया जाना चाहिए. नीति को लागू होने से भटकाने के लिए काफी तरकीबें अपनाई गईं. 2006 के शुरू में राजपूतों का एक दल मेरे खिलाफ खड़ा हो गया. पहले तो उन्होंने मुझे ऐसा न करने की सलाह दी और बाद में चेतावनी देते हुए कहा कि यह कदम विनाशकारी है. उन्हें लगा कि इस तरह के कदम से सवर्णों का प्रभुत्व खत्म हो जाएगा. मैंने उनसे अपनी राय बदलने का आग्रह किया और यह भी कहा कि इसके जो भी नतीजे होंगे, मैं उनका सामना करने के लिए तैयार हूं. इस पर उनका कहना था कि संविधान में संशोधन किए बगैर इस नीति को लागू करना संभव नहीं है. मेरा जवाब था, ''इस बात से मैं वाकिफ हूं और संविधान में संशोधन हो सके, इसके लिए मैं हर संभव कोशिश करूंगा.'' उसी के मुताबिक, एक कैबिनेट पेपर (संशोधन प्रस्ताव) तैयार किया गया और उसे स्वीकृति के लिए मंत्रिपरिषद के समक्ष पेश किया गया. मंत्रिमंडल के भीतर ऐसे महत्वपूर्ण और ताकतवर लोग थे, जो इस तरह के संशोधन के सख्त खिलाफ थे और जिन्होंने इसकी स्वीकृति के रास्ते में रोड़े अटकाने के लिए हर संभव जुगत लगा दी. लेकिन मेरा पक्ष साफ था और मैं अपने रुख पर अटल रहा. मैं प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष को याद दिलाता रहा कि यह संशोधन सामाजिक न्याय के प्रति सरकार और पार्टी की निष्ठा को मजबूत करेगा. अंततः जनवरी 2006 में इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृति मिली, जो भारतीय संविधान में 93वें संशोधन के रूप में सामने आया. अलविदा कहने का समय कांग्रेस पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगियों को 2009 के आम चुनाव में बहुमत हासिल हुआ. डॉ. मनमोहन सिंह एक बार फि र 22 मई, 2009 को प्रधानमंत्री बने जबकि सोनिया गांधी ने कांग्रेस और यूपीए की अध्यक्ष बने रहने का ही फैसला किया. कैबिनेट गठन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब मुझे पता चला कि मेरा नाम मंत्रिपरिषद की सूची में नहीं है, तो मैं अवाक्‌ रह गया, मैंने इतने दशकों तक कांग्रेस पार्टी के वफादार के तौर पर क्या कु छ नहीं किया था. एक जमाने में मुझे इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का भरोसा हासिल था और उनके कार्यकाल में मैंने कई अहम जिम्मेदारियां निभाई थीं. मुझे भीतर तक चोट लगी थी, मैं नहीं समझ पा रहा था कि मुझे मंत्री क्यों नहीं बनाया गया. फिर मैंने इस सच्चाई को व्यावहारिक धरातल पर तौलने की कोशिश की और काफी गहन आत्मावलोकन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि पुरानी पीढ़ी हमेशा सत्ता में नहीं बनी रह सकती, उसे नई पीढ़ी के लिए रास्ता खाली करना ही होगा.
सुतानुती (Sutanuti) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता महानगर का एक क्षेत्र है। यह उन तीन मूल गाँवों में से एक हैं जिन्हें मिलाकर कोलकाता शहर आरम्भ हुआ था - सुतानुती, गोबिंदपुर, कलिकाता । प्रशासनिक रूप से यह कोलकाता ज़िले में स्थित है। यहाँ कोलकाता मेट्रो का स्टेशन भी है। इन्हें भी देखें कोलकाता ज़िला सन्दर्भ कोलकाता ज़िला पश्चिम बंगाल के गाँव कोलकाता ज़िले के गाँव कोलकाता के क्षेत्र कोलकाता मेट्रो स्टेशन कोलकाता का इतिहास
गाने की बात करें तो यह दूसरे ब्रेकअप गानों की तरह शांत, दिल को छू लेने वाला नहीं है, यह गाना आपको थिरकने पर मजबूर कर देगा. गाने में रणबीर को देखना मज़ेदार है, उनकी डांसिंग इतनी एफर्टलेस है कि लग रहा है जैसे वह हवा में डांस कर रहे हैं. यहां देखें गाना...
यह लेख है: भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौर के मुताबिक जुलाई और अगस्त के महीने में क्रमश: आठ और दस फीसदी कम बारिश हो सकती है। उन्होंने बताया कि जून में काफी अच्छी बारिश हुई है। यह बुआई का मौसम भी था, लेकिन हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए और एक आकस्मिक योजना बनानी चाहिए, क्योंकि जुलाई और अगस्त में जून के बराबर बारिश होने की संभावना नहीं है। राठौर ने बताया कि हालांकि यह राहत की बात है कि मॉनसून पूर्व की बारिश से कुछ जलाशय भर गए हैं। दूसरी ओर, निजी मौसम भविष्यवाणी एजेंसी 'स्काईमेट' ने जुलाई में सामान्य से अधिक (104 फीसदी) तथा अगस्त (99 फीसदी) और सितम्बर में (96 फीसदी) सामान्य बारिश की संभावना व्यक्त की है।टिप्पणियां भारतीय मौसम विभाग ने इस साल सामान्य की तुलना में 88 फीसदी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है जो कि कम है। उसके अनुसार देश के अधिकांश भागों, खासकर उत्तर पश्चिम भारत को कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि जून में सामान्य से 28 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। राठौर ने किसानों से मौसम की भविष्यवाणी को ध्यान में रखकर काफी समझ बूझकर अपनी फसल चुनने को कहा है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, जिस क्षेत्र में आमतौर पर 100 से 110 मिलिमीटर बारिश होती है, उसमें सिर्फ 60 से 70 मिलिमीटर बारिश हुई है, इसलिए वहां के किसानों को धान की जगह मक्की उगाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जून में काफी अच्छी बारिश हुई है। यह बुआई का मौसम भी था, लेकिन हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए और एक आकस्मिक योजना बनानी चाहिए, क्योंकि जुलाई और अगस्त में जून के बराबर बारिश होने की संभावना नहीं है। राठौर ने बताया कि हालांकि यह राहत की बात है कि मॉनसून पूर्व की बारिश से कुछ जलाशय भर गए हैं। दूसरी ओर, निजी मौसम भविष्यवाणी एजेंसी 'स्काईमेट' ने जुलाई में सामान्य से अधिक (104 फीसदी) तथा अगस्त (99 फीसदी) और सितम्बर में (96 फीसदी) सामान्य बारिश की संभावना व्यक्त की है।टिप्पणियां भारतीय मौसम विभाग ने इस साल सामान्य की तुलना में 88 फीसदी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है जो कि कम है। उसके अनुसार देश के अधिकांश भागों, खासकर उत्तर पश्चिम भारत को कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि जून में सामान्य से 28 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। राठौर ने किसानों से मौसम की भविष्यवाणी को ध्यान में रखकर काफी समझ बूझकर अपनी फसल चुनने को कहा है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, जिस क्षेत्र में आमतौर पर 100 से 110 मिलिमीटर बारिश होती है, उसमें सिर्फ 60 से 70 मिलिमीटर बारिश हुई है, इसलिए वहां के किसानों को धान की जगह मक्की उगाना चाहिए। राठौर ने बताया कि हालांकि यह राहत की बात है कि मॉनसून पूर्व की बारिश से कुछ जलाशय भर गए हैं। दूसरी ओर, निजी मौसम भविष्यवाणी एजेंसी 'स्काईमेट' ने जुलाई में सामान्य से अधिक (104 फीसदी) तथा अगस्त (99 फीसदी) और सितम्बर में (96 फीसदी) सामान्य बारिश की संभावना व्यक्त की है।टिप्पणियां भारतीय मौसम विभाग ने इस साल सामान्य की तुलना में 88 फीसदी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है जो कि कम है। उसके अनुसार देश के अधिकांश भागों, खासकर उत्तर पश्चिम भारत को कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि जून में सामान्य से 28 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। राठौर ने किसानों से मौसम की भविष्यवाणी को ध्यान में रखकर काफी समझ बूझकर अपनी फसल चुनने को कहा है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, जिस क्षेत्र में आमतौर पर 100 से 110 मिलिमीटर बारिश होती है, उसमें सिर्फ 60 से 70 मिलिमीटर बारिश हुई है, इसलिए वहां के किसानों को धान की जगह मक्की उगाना चाहिए। भारतीय मौसम विभाग ने इस साल सामान्य की तुलना में 88 फीसदी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है जो कि कम है। उसके अनुसार देश के अधिकांश भागों, खासकर उत्तर पश्चिम भारत को कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि जून में सामान्य से 28 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। राठौर ने किसानों से मौसम की भविष्यवाणी को ध्यान में रखकर काफी समझ बूझकर अपनी फसल चुनने को कहा है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, जिस क्षेत्र में आमतौर पर 100 से 110 मिलिमीटर बारिश होती है, उसमें सिर्फ 60 से 70 मिलिमीटर बारिश हुई है, इसलिए वहां के किसानों को धान की जगह मक्की उगाना चाहिए। राठौर ने किसानों से मौसम की भविष्यवाणी को ध्यान में रखकर काफी समझ बूझकर अपनी फसल चुनने को कहा है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, जिस क्षेत्र में आमतौर पर 100 से 110 मिलिमीटर बारिश होती है, उसमें सिर्फ 60 से 70 मिलिमीटर बारिश हुई है, इसलिए वहां के किसानों को धान की जगह मक्की उगाना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को ट्वीट कर राफेल डील के मामले में केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला है. केंद्र सरकार के खिलाफ किए गए इस ट्वीट में राहुल ने पहले राफेल की कीमतों पर सवाल उठाया और उसके बाद लिखा कि एक तरफ सेना  आधुनिकीकरण के लिए पैसे मांग रही है. वहीं दूसरी तरफ केंद्र ने राफेल डील पर 36 हजार करोड़ अपने पॉकेट में डाल लिए हैं. राहुल ने ट्वीट में लिखा है कि डसाल्ट द्वारा जारी रिपोर्ट में सरकार के झूठ का खुलासा हुआ है. जहां राफेल विमान कतर को 1319 करोड़ में बेचा है तो वहीं भारत को यह मोदी सरकार में एक विमान के लिए 1670 करोड़ चुकाने पड़ रहे हैं. राहुल ने यह भी लिखा है कि यह विमान मनमोहन सरकार के समय 570 करोड़ का मिल रहा था. ऐसे में भारत अब इसके लिए प्रत्येक विमान पर 1100 करोड़ रुपये ज्यादा या कहे कि पूरे डील के लिए लगभग 36 हजार करोड़ रुपये ज्यादा दे रहा है. यह रकम हमारे डिफेंस बजट का लगभग 10 प्रतिशत बैठ रही है. आपको बता दें कि वर्तमान में भारत का डिफेंस बजट ₹359,000 करोड़ रुपये हैं. Dassault called RM's lie and released prices paid per RAFALE plane in report: Qatar = 1319 Cr MODI = 1670 Cr MMS = 570 Cr 1100 Cr per plane or 36,000 Cr i.e 10 % of our Defence budget, in the pocket. Meanwhile, our Army begs our Govt. for money. pic.twitter.com/fE5tj4IaeN — Office of RG (@OfficeOfRG) March 16, 2018 इन आंकड़ों के साथ ही राहुल गांधी ने डसाल्ट की रिपोर्ट की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा कि दूसरी तरफ भारतीय सेना को आधुनिकीकरण के लिए भीख मांगनी पड़ रही है. फ्रांस ने भी दे दी है हरी झंडी आपको बता दें कि भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल डील पर अपने भारत दौरे पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि यदि भारत इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ किसी तरह की बहस के लिए डील की कुछ बारीकियों से पर्दा उठाना चाहता है तो फ्रांस सरकार विरोध नहीं करेगी. मैक्रों ने कहा कि कुछ टेक्निकल मुद्दों पर रहस्य केवल कॉमर्शियल एग्रीमेंट के कारण है. मैक्रों ने दावा किया कि यदि भारत में मोदी सरकार इस डील पर उठ रहे विवादों के बीच विपक्ष के साथ संवाद में कुछ बारीकियों पर से पर्दा उठाना चाहती है तो उनकी सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी. अब तक मोदी सरकार फ्रांस से गोपनीयता का समझौता का हवाला देकर कीमत का खुलासा करने से बचती आ रही है. कांग्रेस राफेल डील को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है. विमान की कीमत के मुद्दे पर उससे जवाब मांग रही है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राफेल लड़ाकू विमानों की फ्रांसीसी निर्माता कंपनी दशॉ एविएशन से विमान खरीद कर मोदी सरकार ने सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है.