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यह एक लेख है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 97 वर्षीय मां हीराबेन ने मंगलवार को गांधीनगर में अपने गांव के बैंक में जा कर अन्य लोगों की तरह ही अपने पुराने नोट बदलवाए. गौरतलब है कि 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट प्रधानमंत्री द्वारा अमान्य घोषित किए जाने के बाद पुराने नोटों को बदला जा रहा है. रायसान गांव में स्थित ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में हीराबेन व्हीलचेयर पर पहुंचीं. वह आज सुबह बैंक पहुंचीं और उनके साथ उनके संबंधी थे. उन्होंने 4,500 रुपये मूल्य के पुराने नोट बदल कर इतने ही मूल्य के नए नोट लिए. पांच सौ रुपये के नोट ले कर बैंक आईं हीराबेन ने आवश्यक प्रक्रिया पूरी करते हुए फॉर्म भरा, उस पर अंगूठे का निशान लगाया और अपने रुपये बदले. हीराबेन ने 2000 रुपये का एक नया नोट लेने के बाद उसे सामने खड़े उन मीडिया कर्मियों को भी दिखाया जो, संभवत: उनकी प्रतिक्रिया लेना चाहते थे. गांधीनगर के बाहरी हिस्से में स्थित रायसान में हीराबेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ रहती हैं. प्रधानमंत्री इस साल 17 सितंबर को अपने 66वें जन्मदिन पर उनका आशीर्वाद लेने के लिए अपनी मां के पास गए थे. हीराबेन सादगीपूर्ण जीवन जीती हैं और सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करती हैं. पिछली बार वह नियमित जांच के लिए गांधीनगर के सरकारी अस्पताल ऑटो रिक्शा से आई थीं.टिप्पणियां पीएम मोदी ने काले धन पर रोक लगाने के लिए 8 नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद करने का ऐलान किया था. इस घोषणा के बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के अमान्य हो चुके नोटों को बदलवाने के लिए देश भर में बैंकों के आगे लोगों की भारी भीड़ एकत्र है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) रायसान गांव में स्थित ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में हीराबेन व्हीलचेयर पर पहुंचीं. वह आज सुबह बैंक पहुंचीं और उनके साथ उनके संबंधी थे. उन्होंने 4,500 रुपये मूल्य के पुराने नोट बदल कर इतने ही मूल्य के नए नोट लिए. पांच सौ रुपये के नोट ले कर बैंक आईं हीराबेन ने आवश्यक प्रक्रिया पूरी करते हुए फॉर्म भरा, उस पर अंगूठे का निशान लगाया और अपने रुपये बदले. हीराबेन ने 2000 रुपये का एक नया नोट लेने के बाद उसे सामने खड़े उन मीडिया कर्मियों को भी दिखाया जो, संभवत: उनकी प्रतिक्रिया लेना चाहते थे. गांधीनगर के बाहरी हिस्से में स्थित रायसान में हीराबेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ रहती हैं. प्रधानमंत्री इस साल 17 सितंबर को अपने 66वें जन्मदिन पर उनका आशीर्वाद लेने के लिए अपनी मां के पास गए थे. हीराबेन सादगीपूर्ण जीवन जीती हैं और सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करती हैं. पिछली बार वह नियमित जांच के लिए गांधीनगर के सरकारी अस्पताल ऑटो रिक्शा से आई थीं.टिप्पणियां पीएम मोदी ने काले धन पर रोक लगाने के लिए 8 नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद करने का ऐलान किया था. इस घोषणा के बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के अमान्य हो चुके नोटों को बदलवाने के लिए देश भर में बैंकों के आगे लोगों की भारी भीड़ एकत्र है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) हीराबेन ने 2000 रुपये का एक नया नोट लेने के बाद उसे सामने खड़े उन मीडिया कर्मियों को भी दिखाया जो, संभवत: उनकी प्रतिक्रिया लेना चाहते थे. गांधीनगर के बाहरी हिस्से में स्थित रायसान में हीराबेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ रहती हैं. प्रधानमंत्री इस साल 17 सितंबर को अपने 66वें जन्मदिन पर उनका आशीर्वाद लेने के लिए अपनी मां के पास गए थे. हीराबेन सादगीपूर्ण जीवन जीती हैं और सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करती हैं. पिछली बार वह नियमित जांच के लिए गांधीनगर के सरकारी अस्पताल ऑटो रिक्शा से आई थीं.टिप्पणियां पीएम मोदी ने काले धन पर रोक लगाने के लिए 8 नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद करने का ऐलान किया था. इस घोषणा के बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के अमान्य हो चुके नोटों को बदलवाने के लिए देश भर में बैंकों के आगे लोगों की भारी भीड़ एकत्र है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) प्रधानमंत्री इस साल 17 सितंबर को अपने 66वें जन्मदिन पर उनका आशीर्वाद लेने के लिए अपनी मां के पास गए थे. हीराबेन सादगीपूर्ण जीवन जीती हैं और सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करती हैं. पिछली बार वह नियमित जांच के लिए गांधीनगर के सरकारी अस्पताल ऑटो रिक्शा से आई थीं.टिप्पणियां पीएम मोदी ने काले धन पर रोक लगाने के लिए 8 नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद करने का ऐलान किया था. इस घोषणा के बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के अमान्य हो चुके नोटों को बदलवाने के लिए देश भर में बैंकों के आगे लोगों की भारी भीड़ एकत्र है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) पीएम मोदी ने काले धन पर रोक लगाने के लिए 8 नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद करने का ऐलान किया था. इस घोषणा के बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के अमान्य हो चुके नोटों को बदलवाने के लिए देश भर में बैंकों के आगे लोगों की भारी भीड़ एकत्र है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
टीवी की दुनिया का पॉपुलर रियलिटी शो बिग बॉग 13 को लेकर लोगों में जबरदस्त क्रेज है. यह शो 29 सितंबर को टीवी पर आगाज देने जा रहा है. हर बार की तरह इस बार भी शो के कंटेस्टेट्स को लेकर लोगों में उत्सुकता है. खैर, अभी तक कंटेस्टेंस्ट्स की लिस्ट की ऑफिशियल घोषणा नहीं की गई है. चर्चा है कि टीवी एक्ट्रेस रश्मि देसाई बिग बॉस के इस सीजन का हिस्सा बनेंगी और उन्होंने इसके लिए मेकर्स से तगड़ी रकम ली है. रिपोर्ट्स के अनुसार, रश्मि इस बार शो की महंगी कंटेस्टेंट हैं. उन्हें बिग बॉस के घर में रहने के लिए 1.2 करोड़ रुपये दिया जा रहा है. पिंकविला ने अपनी रिपोर्ट में एक सोर्स के माध्यम से बताया है कि वह शो में बॉयफ्रेंड अरहान खान के साथ शिरकत करेंगी. उन्होंने फीस के रूप में लगभग 1 करोड़ 20 लाख रुपये  की मांग की है. उनकी पॉपुलैरिटी को देखते हुए मेकर्स ने भी हामी भर दी है. बिग बॉस का हिस्सा बनने के साथ ही इतनी फीस मिलने पर रश्मि बहुत खुश और उत्साहित हैं. View this post on Instagram Never miss an update by @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter @biggboss_reporter #biggboss12 #biggboss13 #biggbossauditions #salmankhan #hinakhan #gauharkhan #arshikhan #dipikakakkar #sreesanth #vikasgupta #gautamgulati #prince #bollywood #shilpashinde #princenarula #princeyuvika #biggbosaauditions #biggbiss13auditions #colorstv #colorsbiggboss #vootbiggboss #voot #biggbossmarathi #somikhan #sabakhan #karanvirbohra #romilchaudhary #srishtyrode #lonavlascenes #karanpatel A post shared by bigg boss 13 (@biggboss_reporter) on Aug 13, 2019 at 8:29am PDT रश्मि बॉयफ्रेंड अरहान के साथ शो में शामिल होंगी. इससे पहले यह भी चर्चा थी कि रश्मि, अरहान के साथ बिग बॉस के घर के अंदर शादी करेंगी. जब इस बारे में रश्मि से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह ऐसी खबरों से अपसेट हो गई हैं. क्यों लोकेशन में बदलाव से खुश नहीं हैं सलमान? रियलिटी शो बिग बॉस 13 में इस बार कई सारे बदलाव की बात सामने आई है. शो का लोकेशन भी चेंज होगा. इससे पहले बिग बॉस के सभी सीजन मुंबई के लोनावला में शूट हुए थे, लेकिन इस बार मेकर्स ने शो की लोकेशन मुंबई में गोरेगांव स्थित फिल्म सिटी रखी है. यह भी बताया जा रहा है कि सलमान खान को वेन्यू में बदलाव करना पसंद नहीं आया. IANS को दिए इंटरव्यू में सलमान बताया कि क्यों रियलिटी शो के लिए फिल्म सिटी सही फैसला नहीं है. उन्होंने कहा कि फिल्म सिटी पर सेट लगने से ट्रैवल का समय बचेगा. किलोमीटर के हिसाब से कम ट्रैवल होगा. लेकिन इस दौरान ट्रैफिक का सामना करना पड़ेगा. यहां से लोनावला पहुंचने में 2 या सवा घंटा लगता है. लेकिन गैलेक्सी अपार्टमेंट से फिल्म सिटी के रास्ते में जबरदस्त ट्रैफिक होता है और ऐसे में यह सफर 3 घंटे तक का हो जाएगा.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश भर के स्कूलों के हालात, शिक्षा, स्कूलों में पढ़ाई के स्तर और किसी भी तरह की अन्य जानकारी को प्राप्त करने के लिए शगुन नाम का पोर्टल लॉन्च किया है. इस पोर्टल की मदद से स्कूली शिक्षा से जुड़ी किसी भी जानकारी को हासिल और उससे जुड़ी कोई भी शिकायत भी दर्ज कराई जा सकेगी. अब अभिभावक इस पोर्टल के ज़रिए स्कूल में चल रही कोई भी जानकारी साझा कर सकेंगे.  मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, ''सभी स्कूल की जानकारी अब एक जगह शगुन पोर्टल में मिलेगी. यह पोर्टल बच्चों के विकास में भी सहयोग करेगा.'' उन्होंने कहा, ''130 करोड़ लोगों को शुभकामना देना चाहता हूं क्योंकि शिक्षा से ही मज़बूती मिलती है.''  रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा स्कूली अभियान शगुन से शुरू हो रहा है. शगुन पोर्टल से देश भर के 25 करोड़ छात्र जुड़े हैं, इसमें सीबीएसई के 2 करोड़ छात्र शामिल हैं. वहीं, 2 लाख 30 हज़ार वेबसाइट का एक मंच शगुन पोर्टल होगा. उन्होंने कहा कि स्कूल का निरीक्षण, सुझाव अभिभावक दे सकते हैं.
हैदराबाद में गैंगरेप के चारों आरोपियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत क्राइम सीन दोहराने के दौरान भागने की फिराक में थे आरोपी इशरत जहां-सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर भी रहा था काफी चर्चित हैदराबाद में शुक्रवार को वेटनरी डॉक्टर के गैंगरेप और मर्डर के चारों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया. हैदराबाद पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार ने एनकाउंटर की पुष्टि करते हुए बताया, 'ये घटना मौक़ा-ए-वारदात पर क्राइम सीन दोहराने के क्रम में हुई.' पुलिस के मुताबिक चारों आरोपियों ने मौक़े से भागने की कोशिश की. जिसके बाद उन्हें ढेर कर दिया गया. पुलिस कमिश्नर के मुताबिक एनकाउंटर की घटना सुबह 3-6 के बीच की है. बता दें कि 27-28 नवंबर की दरम्यानी रात को हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हैवानियत की वारदात को अंजाम दिया गया था. बाद में महिला डॉक्टर का जला शव बेंगलुरु हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर अंडरपास के करीब मिला था. पुलिस ने इस मामले में चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जिसके बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. हैदराबाद पुलिस द्वारा हिरासत की मांग के बाद आरोपियों को 7 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया था. पुलिस आरोपियों द्वारा सीन रिक्रिएट कराने के दौरान पुलिस मुठभेड़ में चारों आरोपी मारे गए. हालांकि पुलिस द्वारा आरोपियों के एनकाउंटर की यह पहली वारदात नहीं है. इससे पहले भी कई एनकाउंटर की घटना हुई है जो काफी चर्चित रहीं और एनकाउंटर की कई घटनाओं पर सवाल भी खड़े हुए. बटला हाउस एनकाउंटर सबसे पहले बात बटला हाउस एनकाउंटर की. 19 सितंबर 2008 की यह घटना काफी चर्चित रही थी. लेकिन इस एनकाउंटर की कहानी शुरू होती है 13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में हुए सीरियल बम ब्लास्ट से. उस ब्लास्ट में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे. दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया था. इस ब्लास्ट के बाद 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी बटला हाउस के एक मकान में मौजूद हैं. इसके बाद पुलिस टीम अलर्ट हो गई. 19 सितंबर 2008 की सुबह आठ बजे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की फोन कॉल स्पेशल सेल के लोधी कॉलोनी स्थित ऑफिस में मौजूद एसआई राहुल कुमार सिंह को मिली. उन्होंने राहुल को बताया कि आतिफ एल-18 में रह रहा है. उसे पकड़ने के लिए टीम लेकर वह बटला हाउस पहुंच जाए. राहुल सिंह अपने साथियों एसआई रविंद्र त्यागी, एसआई राकेश मलिक, हवलदार बलवंत, सतेंद्र विनोद गौतम आदि पुलिसकर्मियों को लेकर प्राइवेट गाड़ी में रवाना हो गए. इस टीम के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा डेंगू से पीड़ित अपने बेटे को नर्सिंग होम में छोड़ कर बटला हाउस के लिए रवाना हो गए. वह अब्बासी चौक के नजदीक अपनी टीम से मिले. सभी पुलिस वाले सिविल कपड़ों में थे. बताया जाता है कि उस वक्त पुलिस टीम को यह पूरी तरह नहीं पता था कि बटला हाउस में बिल्डिंग नंबर एल-18 में फ्लैट नंबर 108 में सीरियल बम ब्लास्ट के जिम्मेदार आतंकी रह रहे थे. सुबह 11 बजे के क़रीब सभी पुलिसकर्मी लोकेशन पर पहुंच गए. पुलिस वालों ने ऊपर जाकर देखा कि सीढ़ियों के सामने इस फ्लैट में दो गेट हैं. उन्होंने बाईं ओर वाला दरवाजा अंदर की ओर धकेल दिया. पुलिस वाले अंदर घुस गए. उन्हें अंदर चार लड़के नजर आए. वह थे आतिफ अमीन, साजिद, आरिज और शहजाद पप्पू. सैफ नामक एक लड़का बाथरूम में था. दोनों ओर से धड़ाधड़ फायरिंग होने लगी. लगभग 10 मिनट बाद दोनों तरफ से फायरिंग खत्म हो चुकी थी. इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को दो गोलियां लगी. हवलदार बलवंत के हाथ में गोली लगी. आरिज और शहजाद पप्पू दूसरे गेट से निकल कर भागने में कामयाब रहे. गोलियां लगने से आतिफ अमीन और साजिद की मौत हो गई. फायरिंग सुनकर लोग सीढ़ियों से नीचे भागने लगे. इसका फायदा उठाकर आरिज और शहजाद भी भाग गए. इसी बीच पुलिस ने दो आतंकियों को भागते समय गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद ओवेस मलिक नामक एक शख्स ने 100 नंबर पर फोन करके फायरिंग की खबर दी. पीसीआर से जामिया नगर पुलिस चौकी को इस एनकाउंटर की खबर मिली. मेसेज फ्लैश कर दिया गया. महज 10 मिनट के अंदर इस गोलीबारी की खबर इलाके में फैल गई. इस मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई. पुलिस भी भारी तादाद में पहुंच गई. उस फ्लैट को सील कर दिया गया. होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज के दौरान इंस्पेक्टर शर्मा का निधन हो गया. इंस्पेक्टर शर्मा ने अपनी 21 साल की पुलिस की नौकरी में 60 आतंकियों को मार गिराया था, जबकि 200 से ज्यादा खतरनाक आतंकियों और अपराधियों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन बटला हाउस का यह एनकाउंटर आखिरी साबित हुआ. इशरत जहां एनकाउंटर साल 2004 में हुए एनकाउंटर में गुजरात पुलिस ने इशरत जहां उसके दोस्त प्रनेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख और दो पाकिस्तानी नागरिकों अमजदाली राना और जीशान जोहर को आतंकी बताते हुए ढेर कर दिया था. इशरत जहां केस में पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, पूर्व एसपी एनके अमीन, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया गया है. पूर्व डीजीपी पीपीपी पांडेय को बीते साल सीबीआई अदालत ने इस मामले में आरोपमुक्त कर दिया था. सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर इस घटना की शुरुआत गुजरात के गृहमंत्री रह चुके हरेन पंड्या की हत्या के बाद हुई थी. 26 मार्च 2003 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. साल 2005 में अहमदाबाद में राजस्थान और गुजरात पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन में सोहराबुद्दीन शेख को मार गिराया था. साल 2006 में ये केस आगे बढ़ा और सोहराबुद्दीन के साथ रहे तुलसी प्रजापति का भी एनकाउंटर कर दिया गया. MP में 8 सिमी सदस्यों का एनकाउंटर साल 2016 के अक्टूबर महीने में सिमी से जुड़े आठ क़ैदियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था. ये सभी क़ैदी जेल से भाग गए थे. पुलिस के मुताबित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े इन कैदियों ने एक सुरक्षा गार्ड की गला रेत कर हत्या की थी. बाद में चादरों की रस्सी बनाकर जेल से भाग निकले थे. बाद में इन आंतकियों को ईंटखेड़ी के पास घेरा गया. पुलिस के मुताबिक दोनों तरफ से गोलीबारी हुई. जिसमें सभी क़ैदिय़ों को मार गिराया गया. दारासिंह एनकाउंटर स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने 23 अक्टूबर, 2006 को जयपुर में दारासिंह का एनकाउंटर किया था. जिसके बाद दारा सिंह की पत्नी सुशीला देवी ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए हत्या करार दिया था. सुशीला देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी थी. इस पर 23 अप्रैल 2010 को सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. मामले में मंत्री राजेन्द्र राठौड़, तत्कालीन एडीजी एके जैन सहित 17 लोगों को आरोपी बनाया था. इसके बाद सीबीआई ने जांच के बाद अदालत में चार्जशीट पेश की. कनॉट प्लेस एनकाउंटर 31 मार्च 1997 को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कनॉट प्लेस इलाके में एक एनकाउंटर को अंजाम दिया था. एसीपी एसएस राठी के नेतृत्व में क्राइम टीम ने हरियाणा के कारोबारी प्रदीप गोयल और जगजीत सिंह को उत्तर प्रदेश का गैंगस्टर समझ कर गोली मार दी थी. इस घटना में दोनों कारोबारी की मौत हो गई थी. फर्जी एनकाउंटर के इस मामले में 16 वर्ष तक सुनवाई चली. जिसके बाद अदालत ने आरोपी पुलिस और अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे.
लेख: अब भारतीय जनता पार्टी ने घोषणा की है कि वह चाहे मुख्यमंत्री के उम्मीदवार का फैसला हो या सीटें के तालमेल का आखिरी फैसला राष्ट्रीय लोकत्रांतिक गठबंधन के बैठक में लिया जाएगा जहां इसके सभी सहयोगी मौजूद रहेंगे। ये घोषणा बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता, सुशील कुमार मोदी ने पटना में मंगलवार को की। मोदी ने साफ़ किया कि उनकी पार्टी इन दोनों मुद्दों पर एक तरफ़ फैसला न कर सहयोगियों के साथ बैठकर अंतिम निर्णय लेगी। अब तक भारतीय जनता पार्टी यही कहती आ रही थी कि मुख्यमंत्री का उम्मीदवार हो या नहीं इसका फैसला पार्टी की संसदीय दाल की बैठक में लिया जाएगा। लेकिन, पिछले तीन दिनों में अपने सहयोगियों खासकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी जिसने न केवल अपने अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की सार्वजनिक मांग कर डाली बल्कि बीजेपी को सीटें के तालमेल पर फार्मूला भी पेश कर दिया था। कुशवाहा की पार्टी ने अभी तक 68 सीटों पर अपना दावा ठोका है।टिप्पणियां हालांकि मंगलवार को एक और सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने घोषणा की कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सब फैसला मान्य होगा और साथ ही उनके अध्यक्ष रामविलास पासवान ने ये भी कह डाला कि उनकी पार्टी में न वो और न कोई दूसरा व्यक्ति मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार हैं। निश्चित रूप से बीजेपी उनके इस बयां से राहत की सांस ले रही होगी। पासवान ने जीतन राम मांझी का भी बयान का स्वागत किया। दरअसल बिहार बीजेपी के सहयोगी खासकर उपेन्द्र कुशवाहा जानते हैं कि बीजेपी के लिए अब उनकी पार्टी मजबूरी है और महाराष्ट्र की तरह अंतिम समय में बीजेपी जैसा शिव सेना के बिना चुनाव में गई थी वैसा जोखिम बिहार में नीतीश लालू गठबंधन के सामने नहीं कर सकती। वहीं बीजेपी को मालूम हैं कि वो नीतीश कुमार को लालू यादव द्वारा नेता मानने के बाद अब सहयोगियों को नाराज कर नहीं चल सकती। इसलिए वो प्रयास कर रही है कि सहयोगियों के ज्यादा से ज्यादा मांगों को मान लिया जाये जिससे उनके विरोधियों को मजा लेने का मौका न मिले। मोदी ने साफ़ किया कि उनकी पार्टी इन दोनों मुद्दों पर एक तरफ़ फैसला न कर सहयोगियों के साथ बैठकर अंतिम निर्णय लेगी। अब तक भारतीय जनता पार्टी यही कहती आ रही थी कि मुख्यमंत्री का उम्मीदवार हो या नहीं इसका फैसला पार्टी की संसदीय दाल की बैठक में लिया जाएगा। लेकिन, पिछले तीन दिनों में अपने सहयोगियों खासकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी जिसने न केवल अपने अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की सार्वजनिक मांग कर डाली बल्कि बीजेपी को सीटें के तालमेल पर फार्मूला भी पेश कर दिया था। कुशवाहा की पार्टी ने अभी तक 68 सीटों पर अपना दावा ठोका है।टिप्पणियां हालांकि मंगलवार को एक और सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने घोषणा की कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सब फैसला मान्य होगा और साथ ही उनके अध्यक्ष रामविलास पासवान ने ये भी कह डाला कि उनकी पार्टी में न वो और न कोई दूसरा व्यक्ति मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार हैं। निश्चित रूप से बीजेपी उनके इस बयां से राहत की सांस ले रही होगी। पासवान ने जीतन राम मांझी का भी बयान का स्वागत किया। दरअसल बिहार बीजेपी के सहयोगी खासकर उपेन्द्र कुशवाहा जानते हैं कि बीजेपी के लिए अब उनकी पार्टी मजबूरी है और महाराष्ट्र की तरह अंतिम समय में बीजेपी जैसा शिव सेना के बिना चुनाव में गई थी वैसा जोखिम बिहार में नीतीश लालू गठबंधन के सामने नहीं कर सकती। वहीं बीजेपी को मालूम हैं कि वो नीतीश कुमार को लालू यादव द्वारा नेता मानने के बाद अब सहयोगियों को नाराज कर नहीं चल सकती। इसलिए वो प्रयास कर रही है कि सहयोगियों के ज्यादा से ज्यादा मांगों को मान लिया जाये जिससे उनके विरोधियों को मजा लेने का मौका न मिले। लेकिन, पिछले तीन दिनों में अपने सहयोगियों खासकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी जिसने न केवल अपने अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की सार्वजनिक मांग कर डाली बल्कि बीजेपी को सीटें के तालमेल पर फार्मूला भी पेश कर दिया था। कुशवाहा की पार्टी ने अभी तक 68 सीटों पर अपना दावा ठोका है।टिप्पणियां हालांकि मंगलवार को एक और सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने घोषणा की कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सब फैसला मान्य होगा और साथ ही उनके अध्यक्ष रामविलास पासवान ने ये भी कह डाला कि उनकी पार्टी में न वो और न कोई दूसरा व्यक्ति मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार हैं। निश्चित रूप से बीजेपी उनके इस बयां से राहत की सांस ले रही होगी। पासवान ने जीतन राम मांझी का भी बयान का स्वागत किया। दरअसल बिहार बीजेपी के सहयोगी खासकर उपेन्द्र कुशवाहा जानते हैं कि बीजेपी के लिए अब उनकी पार्टी मजबूरी है और महाराष्ट्र की तरह अंतिम समय में बीजेपी जैसा शिव सेना के बिना चुनाव में गई थी वैसा जोखिम बिहार में नीतीश लालू गठबंधन के सामने नहीं कर सकती। वहीं बीजेपी को मालूम हैं कि वो नीतीश कुमार को लालू यादव द्वारा नेता मानने के बाद अब सहयोगियों को नाराज कर नहीं चल सकती। इसलिए वो प्रयास कर रही है कि सहयोगियों के ज्यादा से ज्यादा मांगों को मान लिया जाये जिससे उनके विरोधियों को मजा लेने का मौका न मिले। हालांकि मंगलवार को एक और सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने घोषणा की कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सब फैसला मान्य होगा और साथ ही उनके अध्यक्ष रामविलास पासवान ने ये भी कह डाला कि उनकी पार्टी में न वो और न कोई दूसरा व्यक्ति मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार हैं। निश्चित रूप से बीजेपी उनके इस बयां से राहत की सांस ले रही होगी। पासवान ने जीतन राम मांझी का भी बयान का स्वागत किया। दरअसल बिहार बीजेपी के सहयोगी खासकर उपेन्द्र कुशवाहा जानते हैं कि बीजेपी के लिए अब उनकी पार्टी मजबूरी है और महाराष्ट्र की तरह अंतिम समय में बीजेपी जैसा शिव सेना के बिना चुनाव में गई थी वैसा जोखिम बिहार में नीतीश लालू गठबंधन के सामने नहीं कर सकती। वहीं बीजेपी को मालूम हैं कि वो नीतीश कुमार को लालू यादव द्वारा नेता मानने के बाद अब सहयोगियों को नाराज कर नहीं चल सकती। इसलिए वो प्रयास कर रही है कि सहयोगियों के ज्यादा से ज्यादा मांगों को मान लिया जाये जिससे उनके विरोधियों को मजा लेने का मौका न मिले। दरअसल बिहार बीजेपी के सहयोगी खासकर उपेन्द्र कुशवाहा जानते हैं कि बीजेपी के लिए अब उनकी पार्टी मजबूरी है और महाराष्ट्र की तरह अंतिम समय में बीजेपी जैसा शिव सेना के बिना चुनाव में गई थी वैसा जोखिम बिहार में नीतीश लालू गठबंधन के सामने नहीं कर सकती। वहीं बीजेपी को मालूम हैं कि वो नीतीश कुमार को लालू यादव द्वारा नेता मानने के बाद अब सहयोगियों को नाराज कर नहीं चल सकती। इसलिए वो प्रयास कर रही है कि सहयोगियों के ज्यादा से ज्यादा मांगों को मान लिया जाये जिससे उनके विरोधियों को मजा लेने का मौका न मिले।
प्रियंका चोपड़ा ने अगस्त में अपने ब्वॉयफ्रेंड निक जोनस से हिंदू रीति रिवाज से सगाई की. इस दौरान निक के पैरेंट्स भी वहां मौजूद थे. अब सगाई के बाद दोनों के शादी करने की भी खबरें सुर्खियों में हैं. दोनों की जोड़ी को पसंद भी किया जा रहा है. मगर कुछ लोग प्रियंका और निक के बीच उम्र के फासले पर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. इसपर फिल्म निर्देशक और प्रियंका के करीबी दोस्त करण जौहर ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा, "रिलेशनशिप को उम्र से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. मैं इस तरह की बातों पर यकीन नहीं रखता. मैंने कभी इस तरह से नहीं सोचा किसी का हसबैंड अपनी वाइफ से उम्र में छोटा कैसे है. अगर आप किसी भी रिलेशनशिप में सहजता और सरलता ढूंढ़ लेते हैं तो उसमें उम्र के फासले से कोई खास फर्क नहीं पड़ता." करण ने यह भी कहा, "ये नियम किसने बनाया कि किसी रिलेशनशिप में आदमी को ही बड़ा होना चाहिए. हालांकि मैं अपने आस-पास जरूर ऐसी बातें करते हुए लोगों को सुनता हूं. मगर इसमें यकीन नहीं रखता. कभी-कभी महिलाएं जिस तरह कि परिपक्वता दिखाती हैं कि उम्र के बीच का फासला रह ही नहीं जाता." सूत्रों की मानें तो प्रियंका और निक साल 2018 के आखरी में शादी कर सकते हैं. बताया जा रहा है कि- विराट और अनुष्का की तरह प्रियंका और निक के भी डिस्टेंट मैरिज करने का प्लान बना रहे हैं.
सुपर 30 की सफलता के साथ ही पंकज त्रिपाठी ने अपनी एक्टिंग क्षमताओं का एक बार फिर लोहा मनवाया है. ऋतिक रोशन ने इस फिल्म में मेन लीड आनंद कुमार की भूमिका निभाई है और उनकी इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक रिस्पॉन्स भी मिला है. गैंग्स ऑफ वासेपुर से चर्चा में आने वाले पंकज त्रिपाठी ने फिल्म न्यूटन, वेबसीरीज़ मिर्जापुर और फिल्म सुपर 30 से अपनी स्थिति मजबूत की है. पंकज त्रिपाठी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि किसी भी एक्टर के लिए पढ़ाई करना काफी मायने रखता है. उन्होंने कहा, कॉलेज के दौर में मुझे आंदोलन करने के चलते एक हफ्ते जेल में डाला गया था. जेल में खाना-पीना ठीक है, लेकिन आपको बाहर की दुनिया नहीं दिखती है. फिर आप बाहर की दुनिया को लेकर कल्पनाएं करने लगते हैं. मसलन, उस जेल के बाहर पटरी थी जिससे रेल गुजरती थी. मैं उस ट्रेन के कलर के बारे में सोचा करता था. तो मतलब कुछ करने के लिए नहीं था तो उस दौरान मैंने किताबें पढ़ना शुरू किया था और वहां से मेरी रुचि किताबों में हुई थी. View this post on Instagram Life’s ‘Sunny’ when the Reel PR Man Singh is around! @tahirrajbhasin | #PankajTripathi | @ranveersingh | @kabirkhankk | #MadhuMantena | @sarkarshibasish | #SajidNadiadwala | @vishnuinduri | @reliance.entertainment | @nadiadwalagrandson A post shared by '83 (@83thefilm) on May 29, 2019 at 9:34pm PDT बीते कुछ सालों में पंकज त्रिपाठी अपने स्टारडम में इज़ाफा करने में कामयाब रहे हैं. यही कारण है कि सुपर 30 के ट्रेलर लॉन्च होने पर कई फैन्स ने ये डिमांड की थी कि इस फिल्म में ऋतिक रोशन की जगह पंकज त्रिपाठी को आनंद कुमार की भूमिका निभानी चाहिए थी क्योंकि उनकी कद-काठी और बैकग्राउंड आनंद कुमार के साथ काफी मिलता जुलता है और फिल्म को रियलिस्टिक टच देने के लिए पंकज त्रिपाठी ऋतिक से बेहतर साबित हो सकते हैं. लेकिन ये भी सच है कि ऋतिक के स्टारडम की पंकज त्रिपाठी के स्टारडम से तुलना नहीं की जा सकती है और निश्चित तौर पर ऋतिक रोशन अपने स्टारडम के चलते इस महत्वपूर्ण फिल्म को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में कामयाब हो पाए हैं. ये वैसा ही है जब अक्षय कुमार जैसा सुपरस्टार सोशल मुद्दों से जुड़ी फिल्मों पर काम करते हैं और एक जरूरी मुद्दे को मेनस्ट्रीम दर्शकों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. वर्कफ्रंट की बात करें तो पंकज त्रिपाठी रणवीर सिंह की फिल्म 83 को लेकर चर्चा में बने हुए हैं.
रेशमा पटेल ने कहा, ‘हमारा आंदोलन ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण के बारे में था. यह भाजपा को उखाड़कर उसकी जगह कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिये नहीं था. जहां भाजपा ने हमेशा समुदाय का समर्थन किया है और हमारी ज्यादातर मांगें मान ली हैं. कांग्रेस सिर्फ पटेलों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है. हम इस तरह की दुर्भावनापूर्ण साजिश का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं.’(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दिल्ली परिवहन निगम (DTC) ने बसों में सुरक्षा को बेहतर बनाने, विशेष रूप से महिलाओं को ध्यान में रखते हुए अपनी 80 बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं. डीटीसी की योजना पहले चरण में 200 लो फ्लोर एसी और नॉन एसी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की है. डीटीसी ने दो नई बस सेवाएं शुरू कीं. डीटीसी के प्रवक्ता आर. एस. मिन्हास ने बताया, 'हमने राजघाट डिपो की डीटीसी की 80 बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं. इस शुक्रवार तक हम इस डिपो की 100 बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का लक्ष्य पूरा कर लेंगे.' उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत राजघाट और सरोजनी नगर डिपो को चुना गया है और पहले चरण में इनके 200 बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. - इनपुट: भाषा
जीरा हर घर में मसालों के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. ये हमारे खाने के स्वाद और खुशबू को बढ़ा देता है. बिना जीरे के तड़के के सब्जी, दाल और रायते का स्वाद फीका सा लगता है. वहीं गुड़ की मिठास से मीठे पकवानों का जायका और भी बढ़ जाता है. जीरा और गुड़ यूं तो हमारे खाने का बहुत ही अहम हिस्सा है लेकिन क्या आपको पता है गुड़ और जीरे का पानी आपको कई बीमारियों से बचा सकता है. आइए जानें, गुड़ और जीरे का पानी पीने के 5 फायदे... 1. एनीमिया में फायदेमंद: गुड़ और जीरे का पानी पीने से शरीर में एनीमिया या खून की कमी पूरी होती है. साथ ही यह खून में मौजूद अशुद्धियों को भी दूर करता है. 2. सिरदर्द से दिलाए राहत: सिरदर्द से परेशान रहते हैं तो गुड़ और जीरे का पानी पीने से आपको जरूर लाभ मिलेगा. साथ ही अगर आपको फीवर है तो यह इससे भी आपको छुटकारा दिलाएगा. 3. इम्यून सिस्टम को करे मजबूत: जीरा और गुड़ प्राकृतिक गुणों से भरपूर होते हैं जो शरीर के अंदर की गंदगी को साफ करके हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. 3. पेट के रोग करे दूर: पेट की समस्याओं जैसे कब्ज, गैस, पेट फूलना और पेट दर्द की समस्याओं में यदि आप गुड़ और जीरे का पानी पीते हैं तो आपको फायदा मिलेगा. साथ ही ये रोग भी धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं. 4. पीरियड्स की समस्याओं से राहत: पीरियड्स में होने वाली अनियमितता और पेट में दर्द जैसी परेशानियां में यह पानी पीना बहुत आराम पहुंचाता है. 5. कमर दर्द का बेजोड़ इलाज: पीठ का दर्द हो या कमर का दर्द गुड़ और जीरे का पानी पीने से आपको इन सभी समस्याओं से निजात मिलती है. जानें,कैसे बनता है गुड़-जीरे का पानी: सबसे पहले आप एक बर्तन में दो कप पानी डाल दें और इसमें एक चम्मच गुड़ का चूरा और एक चम्मच जीरे को मिलाकर इसे अच्छी तरह उबाल लें और बाद में इसे किसी कप में डालकर आप इस पानी को पी सकते हैं. इसका सेवन ऐसे करें: इस पानी को रोज सुबह खाली पेट एक कप पीने से जल्द फायदा होगा.
आकाशगंगाएँ तीन मुख्य प्रकारों में आती हैं: अण्डाकार, सर्पिल और अनियमित। आकाशगंगाओं के स्वरूप के आधार पर उनके प्रकारों का थोड़ा अधिक विस्तृत विवरण हबल अनुक्रम द्वारा दिया गया है। चूंकि हबल अनुक्रम पूरी तरह से दृश्य रूपात्मक प्रकार (आकार) पर आधारित है, इसलिए यह आकाशगंगाओं की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं जैसे स्टारबर्स्ट आकाशगंगाओं में तारा निर्माण दर और सक्रिय आकाशगंगाओं के कोर में गतिविधि को याद कर सकता है।
दिल्ली में निर्भया कांड को 4 साल बीत गए हैं, लेकिन वो आज भी हम सबके दिलों में जिंदा है. निर्भया गैंगरेप केस ने सड़क से संसद तक और देश से दुनिया तक, हर जगह तहलका मचा दिया. इसके चार साल पूरे होने पर 'आजतक' ने निर्भया के माता-पिता से खास बातचीत की. पेश है उनसे हुई बातचीत के खास अंश... सवाल- चार साल पहले जब आंदोलन हुआ, तो पूरे देश से हजारों लोग आपके साथ खड़े थे, लेकिन आज निर्भया चेतना दिवस पर 200 लोग भी नहीं हैं? -डर और अफसोस दोनों है कि अब लोग साथ नहीं है. जो 4 साल पहले थें, क्योंकि उन्हें पता है कि 4 साल पहले जो डंडे खाए थे. उसका कोई नतीजा नहीं निकला, लेकिन हमें न्याय तो अभी तक नहीं मिल पाया. सवाल- लेकिन कुछ बदला क्यों नहीं समाज में आज भी? -5 साल मे सरकार बदल जाती है, लेकिन 4 साल मे निर्भया को अभी तक न्याय नहीं मिला. समाज को नहीं फिलहाल न्याय व्यवस्था को बदलने और सुधरने की ज़रूरत है. शर्म और डर समाज से खत्म हो गए हैं. इसीलिए बदलाव भी नहीं आ पा रहा है. सवाल- किसी भी आरोपी को फांसी नहीं हुई अब तक, जबकि ये काफी बड़े मीडिया में कवर किया गया मामला है? -हर बार कोर्ट में रामायण और महाभारत की तरह पूरे केस को बताया जाता है, लेकिन सच तो ये है कि आज भी आरोपियों में से किसी को फांसी नहीं हुई है. इसी से बाकी अपराधियों के भी हौसले बढ़ते है कि एक दो साल जेल में रह लेंगे, कोई न कोई बचा लेगा और फिर बाहर आकर वही अपराध करेंगे. सवाल- 4 साल बाद निर्भया को कैसे याद कर रहे है आज आप? - निर्भया को हमने आज भी फोटो पर फूल माला नहीं पहनाई है, क्योंकि वो समाज और हमारे दिल में जिंदा है और हमेशा रहेगी. इस बात की नाराजगी है कि समाज को भी हमारी याद 16 दिसंबर को ही याद आती है. ये भी बदलने की जरूरत है. सवाल- निर्भया के बाद भी न समाज के नजरिए में कुछ बदलाव आया है न रेप के मामलों में? -जब भी इस तरह की घटनाएं होती है, तो सिर्फ-बाच्चियों पर ही सवाल खड़े किए जाते है. हम लोग तो फिर भी लड़ रहे हैं, लेकिन क्या सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई? क्या न् याय व्यवस्था ने अपना काम जिम्मेदारी से किया? जब तक ये नहीं होगा कुछ नहीं बदलने वाला, लेकिन हम फिर भी लड़ते रहेंगे.
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिलिप ह्यूज की मौत के बाद जिस एक बात पर सबसे अधिक चर्चा हो रही है वो है ब्रिसबेन में पहला टेस्ट खेला जाना चाहिए या नहीं. शेफील्ड शील्ड के जिस मैच में ह्यूज को चोट लगी उसमें वर्तमान टेस्ट टीम के प्लेयर ब्रैड हैडिन, डेविड वार्नर, शेन वाटसन, नथान लियोन भी खेल रहे थे. इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम का प्रत्येक सदस्य 26 टेस्ट खेल चुके ह्यूज का साथी था. कुछ पूर्व खिलाड़ियों का मानना है कि खिलाड़ी इस मनोदशा में नहीं होंगे कि वो इतनी जल्दी कोई मैच खेल सकें तो वहीं कुछ का कहना है कि यह टेस्ट खेला जाना चाहिए. पूर्व क्रिकेटर ब्रेंडन जूलियन और डेमियन मार्टिन ने सवाल उठाया है कि क्यों न ब्रिसबेन टेस्ट रद्द कर दिया जाए. जबकि 156 टेस्ट खेल चुके पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एलेन बॉर्डर ने कहा कि टेस्ट रद्द नहीं किया जाना चाहिए. वहीं पूर्व क्रिकेटर इयान चैपल ने माना कि गाबा टेस्ट पर फोकस कर पाना कठिन होगा लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि किसी बल्लेबाज के निधन के बावजूद ह्यूज खुद भी यही चाहते कि टेस्ट खेला जाए. उन्होंने कहा यह ह्यूज के प्रति श्रद्धांजलि होगी. उधर भारत के पूर्व टेस्ट बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने कहा कि मैच रद्द करने या नहीं करने के बारे में फैसला दोनों बोर्ड को लेना है. गौरतलब है कि ब्रिसबेन में भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला टेस्ट 4 दिसंबर से खेला जाना है. हालांकि ऑस्ट्रेलिया की जो टीम पहले टेस्ट के लिए घोषित की गई है उसमें ह्यूज शामिल नहीं थे. बावजूद इसके क्रिकेट के दिग्गजों में एक आम राय यह है कि अधिकतर खिलाड़ी ह्यूज के साथ खेल चुके हैं और ऐसे में उनकी मनोदशा क्या होगी यह समझना कठिन नहीं होगा.
संकटमोचन बजरंगबली के भक्तों के लिए यूं तो हर मंगलवार का बड़ा महत्व होता है लेकिन ज्येष्ट के महीने में पड़ने वाला बड़ा मंगल हर भक्त के लिए बेहद खास होता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान हनुमान भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. माना जाता है कि भगवान श्रीराम से हनुमान जी की पहली मुलाकात ज्‍येष्‍ठ माह के मंगल के दिन ही हुई थी इसीलिए बड़ा मंगल मनाया जाता है. पूरे ज्येष्ठ माह में भगवान हनुमान का दर्जा श्रीराम से भी बड़ा माना जाता है. ज्योतिषों के मुताबिक, जेष्ठ माह के साथ नौ मंगल को खास इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि चार साल के बाद जेष्ठ माह में नौ बड़े मंगल का संयोग पड़ा है. जयपुर के निकट घाट वाले बालाजी का भव्य मंदिर बड़ा मंगल के दिन गुड़, गेंहू, मीठी पूड़ी का प्रसाद चढ़ाना चाहिए. हनुमान जी इस दिन दान का विशेष फल देते हैं. बड़े मंगल पर मंदिर में हनुमान के जयकारे गूंजते हैं और जगह-जगह पर भंडारे और शरबत के लिए पंडाल लगाए जाते हैं. इस दिन सारे हनुमान मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है और भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है. इन तारीखों को पड़ेगा बड़ा मंगल पहला बड़ा मंगल एक मई 2018 को और दूसरा बड़ा मंगल 8 मई 2018 को मनाया गया. 15 मई को तीसरा बड़ा मंगल,  चौथा बड़ा मंगल 22 मई 2018, पांचवा बड़ा मंगल 29 मई 2018, छठा बड़ा मंगल 5 जून 2018, सातवां बड़ा मंगल 12 जून 2018, आठवां बड़ा मंगल 19 जून 2018 तथा नवां बड़ा मंगल 26 जून 2018 को मनाया जायेगा.
जोकोविच ने कहा, 'दुर्भाग्य से कोहनी की स्थिति बेहतर नहीं हुई है. मुझे अब भी दर्द महसूस होता है. इसलिए मुझे दोहा में एटीपी टूर्नामेंट से हटना पड़ेगा.
लेख: जाने-माने पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक तथा कॉमेडियन चो रामास्वामी का बुधवार को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से पूर्व राज्यसभा सदस्य कुछ समय से बीमार चल रहे थे, और अस्पताल में उपचाराधीन थे. वह राजनैतिक पत्रिका 'तुगलक' के संस्थापक तथा संपादक थे, और वह राज्य या केंद्र सरकार की आलोचना करने से कभी नहीं डरने के लिए मशहूर थे.टिप्पणियां वैसे, देश के कई राजनेताओं से चो रामास्वामी के निजी ताल्लुकात काफी गहरे रहे हैं. तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता उनकी अच्छी मित्र थीं, और उनसे सलाह-मशविरा किया करती थीं. इसी साल उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर जयललिता के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे. बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी चो रामास्वामी नाटककार तथा मंच अभिनेता भी रहे हैं. उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है, और कई फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी. वह राजनैतिक पत्रिका 'तुगलक' के संस्थापक तथा संपादक थे, और वह राज्य या केंद्र सरकार की आलोचना करने से कभी नहीं डरने के लिए मशहूर थे.टिप्पणियां वैसे, देश के कई राजनेताओं से चो रामास्वामी के निजी ताल्लुकात काफी गहरे रहे हैं. तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता उनकी अच्छी मित्र थीं, और उनसे सलाह-मशविरा किया करती थीं. इसी साल उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर जयललिता के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे. बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी चो रामास्वामी नाटककार तथा मंच अभिनेता भी रहे हैं. उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है, और कई फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी. वैसे, देश के कई राजनेताओं से चो रामास्वामी के निजी ताल्लुकात काफी गहरे रहे हैं. तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता उनकी अच्छी मित्र थीं, और उनसे सलाह-मशविरा किया करती थीं. इसी साल उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर जयललिता के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे. बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी चो रामास्वामी नाटककार तथा मंच अभिनेता भी रहे हैं. उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है, और कई फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी. बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी चो रामास्वामी नाटककार तथा मंच अभिनेता भी रहे हैं. उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है, और कई फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी.
तेजाब की बिक्री पर देश भर में रोक लगाने की मांग करने वाली सोनाली मुखर्जी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार समेत सभी राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्मी की ओर से दाखिल मुख्य याचिका के साथ ही मुखर्जी की याचिका की सुनवाई करने का निर्णय लिया है. शादी से मना किया तो लड़की पर तेजाब फेंका सोनाली व लक्ष्मी एसिड अटैक सरवाइवर हैं और अब अपने जैसी लड़कियों के लिए कार्य कर रही हैं. लक्ष्मी 2005 में नई दिल्ली के खान मार्केट में बस स्टॉप पर खड़ी थीं, जब उन पर एसिड फेंका गया था. उस वक्त लक्ष्मी की उम्र 16 साल थी और उनके दोस्त के एक भाई ने उन पर एसिड फेंक दिया था. इसी प्रकार से सोनाली पर जब एसिड फेंका गया था, तब वह 17 साल की थीं. इस हमले में वह 70 प्रतिशत जल गईं थीं, जबकि उनकी बहन का शरीर 20 प्रतिशत जल गया था. इस हमले के बाद उनकी आंखों की रोशनी आंशिक रूप से चली गई. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट सभी राज्यों को तेजाब की बिक्री और पीड़ितों को मुआवजों के लिए गाइडलाइंस बनाने का आदेश पहले ही दे चुका है.
ह्वाइट हाउस ने कहा है कि भारत-अमेरिकी परमाणु करार को विधायिका में द्विदलीय सहमति मिल रही है और लग रहा है कि तय समय के अंदर ही 123 समझौते को कांग्रेस से मंजूरी मिल जाएगी. ह्वाइट हाउस की प्रवक्‍ता डाना पेरिनो ने कहा कि द्विदलीय सहयोग मिलने से इस समझौते को मंजूरी मिलने की आशा और बढ़ती जा रही है. साथ ही करार को मंजूरी मिलने के बाद यह दोनों देशों के भविष्‍य के लिए काफी अच्‍छा रहेगा.  उन्‍होंने कहा कि विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस की टीम इस करार को तय समय के अंदर ही कांग्रेस से मंजूरी दिलाने का पूरा प्रयास कर रही है. भारत-अमेरिकी परमाणु करार को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से शनिवार को मंजूरी मिलने के बाद अब केवल अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी मिलनी बाकी है.
अमेरिका में छह महीने की मासूम के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या करने के मामले में दोषी करार दिए गए व्यक्ति की मौत की सजा दी गई है। स्टीव स्मिथ (46) को आज स्थानीय समयानुसार सुबह 10:29 बजे लुकासविल स्थित ओहायो प्रांतीय कारागार में जहर का इंजेक्शन लगाकर मौत की सजा दी गई। स्मिथ ने सितंबर, 1998 में अपनी प्रेमिका की छह माह की बेटी के साथ दुराचार और उसकी हत्या की थी। स्टीव स्मिथ (46) को आज स्थानीय समयानुसार सुबह 10:29 बजे लुकासविल स्थित ओहायो प्रांतीय कारागार में जहर का इंजेक्शन लगाकर मौत की सजा दी गई। स्मिथ ने सितंबर, 1998 में अपनी प्रेमिका की छह माह की बेटी के साथ दुराचार और उसकी हत्या की थी।
शाहजी को पहले ही अपने पुत्र को नियन्त्रण में रखने को कहा गया था पर शाहजी ने इसमें अपनी असमर्थता जाहिर की। शिवाजी से निपटने के लिए बीजापुर के सुल्तान ने अब्दुल्लाह भटारी (अफ़ज़ल खां) को शिवाजी के विरूद्ध भेजा। अफ़जल ने 120000 सैनिकों के साथ 1659 में कूच किया। तुलजापुर के मन्दिरों को नष्ट करता हुआ वह सतारा के 30 किलोमीटर उत्तर वाई, शिरवल के नजदीक तक आ गया। पर शिवाजी प्रतापगढ़ के दुर्ग पर ही रहे। अफजल खां ने अपने दूत कृष्णजी भास्कर को सन्धि-वार्ता के लिए भेजा। उसने उसके मार्फत ये सन्देश भिजवाया कि अगर शिवाजी बीजापुर की अधीनता स्वीकार कर ले तो सुल्तान उसे उन सभी क्षेत्रों का अधिकार दे देंगे जो शिवाजी के नियन्त्रण में हैं। साथ ही शिवाजी को बीजापुर के दरबार में एक सम्मानित पद प्राप्त होगा। हालांकि शिवाजी के मंत्री और सलाहकार अस सन्धि के पक्ष में थे पर शिवाजी को ये वार्ता रास नहीं आई। उन्होंने कृष्णजी भास्कर को उचित सम्मान देकर अपने दरबार में रख लिया और अपने दूत गोपीनाथ को वस्तुस्थिति का जायजा लेने अफजल खां के पास भेजा। गोपीनाथ और कृष्णजी भास्कर से शिवाजी को ऐसा लगा कि सन्धि का षडयन्त्र रचकर अफजल खां शिवाजी को बन्दी बनाना चाहता है। अतः उन्होंने युद्ध के बदले अफजल खां को एक बहुमूल्य उपहार भेजा और इस तरह अफजल खां को सन्धि वार्ता के लिए राजी किया। सन्धि स्थल पर दोनों ने अपने सैनिक घात लगाकर रखे थे मिलने के स्थान पर जब दोनों मिले तब अफजल खां ने अपने कट्यार से शिवाजी पे वार किया बचाव में शिवाजी ने अफजल खां को अपने वस्त्रों वाघनखो से मार दिया (10 नवम्बर 1659)। अफजल खां की मृत्यु के बाद शिवाजी ने पन्हाला के दुर्ग पर अधिकार कर लिया। इसके बाद पवनगढ़ और वसंतगढ़ के दुर्गों पर अधिकार करने के साथ ही साथ उन्होंने रूस्तम खां के आक्रमण को विफल भी किया। इससे राजापुर तथा दावुल पर भी उनका कब्जा हो गया। अब बीजापुर में आतंक का माहौल पैदा हो गया और वहां के सामन्तों ने आपसी मतभेद भुलाकर शिवाजी पर आक्रमण करने का निश्चय किया। 2 अक्टूबर 1665 को बीजापुरी सेना ने पन्हाला दुर्ग पर अधिकार कर लिया। शिवाजी संकट में फंस चुके थे पर रात्रि के अंधकार का लाभ उठाकर वे भागने में सफल रहे। बीजापुर के सुल्तान ने स्वयं कमान सम्हालकर पन्हाला, पवनगढ़ पर अपना अधिकार वापस ले लिया, राजापुर को लूट लिया और श्रृंगारगढ़ के प्रधान को मार डाला। इसी समय कर्नाटक में सिद्दीजौहर के विद्रोह के कारण बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी के साथ समझौता कर लिया। इस सन्धि में शिवाजी के पिता शाहजी ने मध्यस्थता का काम किया।
बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रीदेवी शनिवार को 53 साल की हो गई हैं. इनका जन्म 13 अगस्त, 1963 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव मीनमपट्टी में हुआ था. श्रीदेवी ने 1996 में अपनी उम्र से लगभग 8 साल बड़े फिल्म निर्माता बोनी कपूर से शादी की थी. इनकी दो बेटियां हैं- जाह्नवी और खुशी कपूर.टिप्पणियां बड़ी बेटी जाह्नवी 19 साल की हो गई हैं और छोटी बेटी खुशी 15 साल की हैं. श्रीदेवी आज किसी भी पहचान की मोहताज नहीं हैं. करियर की शुरुआत से लेकर अब तक उन्होंने एक्टिंग के जरिए बहुत-कुछ कमाया है.   गौरतलब है कि श्रीदेवी, बोनी कपूर की दूसरी बीवी हैं. पहली बीवी मोना सूरी कपूर से बोनी को एक बेटा अर्जुन कपूर और एक बेटी अंशुला कपूर हैं. श्रीदेवी की दोनों बेटियां बॉलीवुड के सबसे पॉपुलर स्टार किड्स में से एक हैं. ये दोनों ही सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. आए दिन इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं. इसी साल जनवरी में खुशी ने अपनी दोस्त आलिया कश्यप का बर्थडे सेलिब्रेट किया था. जिसकी कुछ तस्वीरें उन्होनें इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. इन तस्वीरों पर कुछ नेगेटिव और भद्दे कमेंट्स आए थे. जिसके जवाब में खुशी ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा पोस्ट लिखा था, उन्होंने पोस्ट में लिखा था, 'मैं अपनी तस्वीरें इसलिए पोस्ट करती हूं क्योंकि मैं विश्वास से भरी हुई हूं और ऐसा करना मुझे अच्छा लगता है.'      I post my pictures because I feel good and confident. I put out these pictures not because I want to show off or try to be anyone or anything else. I have my own sense of style and my own way to think and me putting out a picture that's accessible to so many people is taken more of an opportunity to judge me or my looks, clothes or anything else. I put something out there because it's something I feel good about, everyone is entitled to have their own opinion but putting someone else down because of it is not making you any better of a person. Please think twice before you decide to comment something rude or offensive, it's not a joke. It's sad how in this day and age where feminism is finally getting the attention it deserves, girls still feel the need to tear each other down and indulge in body shaming. I don't care if you think my stomach pops out or if I don't fit into your idea of beautiful, but for your own conscience please realize that having such narrow minded opinions of people makes you an ugly person inside. I truly believe everyone is beautiful in their own way, why can't we all celebrate that and encourage each other. There is only one of you, embrace your beauty, and don't rain on my parade when I'm confident enough to embrace mine. I hope that whatever it is that frustrates you enough to be so cruel will one day go away, because some people might actually take your snide remarks seriously, and I know from experience it can hurt. Let's be kind to one another, love always xA photo posted by Khushi Kapoor☽ (@khushikapoorr) on Jan 12, 2016 at 8:10am PSTश्रीदेवी ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपनी दोनों बेटियों के साथ कई तस्वीरें शेयर की हैं. आइए, देखते हैं श्रीदेवी द्वारा शेयर की गईं कुछ तस्वीरें-     बड़ी बेटी जाह्नवी 19 साल की हो गई हैं और छोटी बेटी खुशी 15 साल की हैं. श्रीदेवी आज किसी भी पहचान की मोहताज नहीं हैं. करियर की शुरुआत से लेकर अब तक उन्होंने एक्टिंग के जरिए बहुत-कुछ कमाया है.   गौरतलब है कि श्रीदेवी, बोनी कपूर की दूसरी बीवी हैं. पहली बीवी मोना सूरी कपूर से बोनी को एक बेटा अर्जुन कपूर और एक बेटी अंशुला कपूर हैं. श्रीदेवी की दोनों बेटियां बॉलीवुड के सबसे पॉपुलर स्टार किड्स में से एक हैं. ये दोनों ही सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. आए दिन इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं. इसी साल जनवरी में खुशी ने अपनी दोस्त आलिया कश्यप का बर्थडे सेलिब्रेट किया था. जिसकी कुछ तस्वीरें उन्होनें इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. इन तस्वीरों पर कुछ नेगेटिव और भद्दे कमेंट्स आए थे. जिसके जवाब में खुशी ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा पोस्ट लिखा था, उन्होंने पोस्ट में लिखा था, 'मैं अपनी तस्वीरें इसलिए पोस्ट करती हूं क्योंकि मैं विश्वास से भरी हुई हूं और ऐसा करना मुझे अच्छा लगता है.'      I post my pictures because I feel good and confident. I put out these pictures not because I want to show off or try to be anyone or anything else. I have my own sense of style and my own way to think and me putting out a picture that's accessible to so many people is taken more of an opportunity to judge me or my looks, clothes or anything else. I put something out there because it's something I feel good about, everyone is entitled to have their own opinion but putting someone else down because of it is not making you any better of a person. Please think twice before you decide to comment something rude or offensive, it's not a joke. It's sad how in this day and age where feminism is finally getting the attention it deserves, girls still feel the need to tear each other down and indulge in body shaming. I don't care if you think my stomach pops out or if I don't fit into your idea of beautiful, but for your own conscience please realize that having such narrow minded opinions of people makes you an ugly person inside. I truly believe everyone is beautiful in their own way, why can't we all celebrate that and encourage each other. There is only one of you, embrace your beauty, and don't rain on my parade when I'm confident enough to embrace mine. I hope that whatever it is that frustrates you enough to be so cruel will one day go away, because some people might actually take your snide remarks seriously, and I know from experience it can hurt. Let's be kind to one another, love always xA photo posted by Khushi Kapoor☽ (@khushikapoorr) on Jan 12, 2016 at 8:10am PSTश्रीदेवी ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपनी दोनों बेटियों के साथ कई तस्वीरें शेयर की हैं. आइए, देखते हैं श्रीदेवी द्वारा शेयर की गईं कुछ तस्वीरें-     इसी साल जनवरी में खुशी ने अपनी दोस्त आलिया कश्यप का बर्थडे सेलिब्रेट किया था. जिसकी कुछ तस्वीरें उन्होनें इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. इन तस्वीरों पर कुछ नेगेटिव और भद्दे कमेंट्स आए थे. जिसके जवाब में खुशी ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा पोस्ट लिखा था, उन्होंने पोस्ट में लिखा था, 'मैं अपनी तस्वीरें इसलिए पोस्ट करती हूं क्योंकि मैं विश्वास से भरी हुई हूं और ऐसा करना मुझे अच्छा लगता है.'      I post my pictures because I feel good and confident. I put out these pictures not because I want to show off or try to be anyone or anything else. I have my own sense of style and my own way to think and me putting out a picture that's accessible to so many people is taken more of an opportunity to judge me or my looks, clothes or anything else. I put something out there because it's something I feel good about, everyone is entitled to have their own opinion but putting someone else down because of it is not making you any better of a person. Please think twice before you decide to comment something rude or offensive, it's not a joke. It's sad how in this day and age where feminism is finally getting the attention it deserves, girls still feel the need to tear each other down and indulge in body shaming. I don't care if you think my stomach pops out or if I don't fit into your idea of beautiful, but for your own conscience please realize that having such narrow minded opinions of people makes you an ugly person inside. I truly believe everyone is beautiful in their own way, why can't we all celebrate that and encourage each other. There is only one of you, embrace your beauty, and don't rain on my parade when I'm confident enough to embrace mine. I hope that whatever it is that frustrates you enough to be so cruel will one day go away, because some people might actually take your snide remarks seriously, and I know from experience it can hurt. Let's be kind to one another, love always xA photo posted by Khushi Kapoor☽ (@khushikapoorr) on Jan 12, 2016 at 8:10am PSTश्रीदेवी ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपनी दोनों बेटियों के साथ कई तस्वीरें शेयर की हैं. आइए, देखते हैं श्रीदेवी द्वारा शेयर की गईं कुछ तस्वीरें-     I post my pictures because I feel good and confident. I put out these pictures not because I want to show off or try to be anyone or anything else. I have my own sense of style and my own way to think and me putting out a picture that's accessible to so many people is taken more of an opportunity to judge me or my looks, clothes or anything else. I put something out there because it's something I feel good about, everyone is entitled to have their own opinion but putting someone else down because of it is not making you any better of a person. Please think twice before you decide to comment something rude or offensive, it's not a joke. It's sad how in this day and age where feminism is finally getting the attention it deserves, girls still feel the need to tear each other down and indulge in body shaming. I don't care if you think my stomach pops out or if I don't fit into your idea of beautiful, but for your own conscience please realize that having such narrow minded opinions of people makes you an ugly person inside. I truly believe everyone is beautiful in their own way, why can't we all celebrate that and encourage each other. There is only one of you, embrace your beauty, and don't rain on my parade when I'm confident enough to embrace mine. I hope that whatever it is that frustrates you enough to be so cruel will one day go away, because some people might actually take your snide remarks seriously, and I know from experience it can hurt. Let's be kind to one another, love always x A photo posted by Khushi Kapoor☽ (@khushikapoorr) on Jan 12, 2016 at 8:10am PST
2जी घोटाले में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन पर भी शिकंजा कस गया है। एयरसेल और मैक्सिस के बीच डील के मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है। दयानिधि मारन उनके भाई कलानिधि मारन, मैक्सिस ग्रुप के सीआईओ राल्फ मार्शल और टी आनंदकृष्णन के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हुआ है। दिल्ली, चेन्नई और हैदराबाद में दयानिधि मारन और कलानिधि मारन के ठिकानों पर छापे मारे गए हैं। एयरसेल के पूर्व प्रमुख सी शिवशंकरण ने आरोप लगाया था कि मारन ने उन पर मैक्सिस के साथ डील करने के लिए दबाव बनाया था। सीबीआई ने भी कहा था कि उसे मारन के खिलाफ इस बात के ठोस सबूत मिले हैं कि उन्होंने मलेशियाई कंपनी मैक्सिस को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर एयरसेल को लाइसेंस देने में देरी की।
भारतीय पुरुष टीम ने क्वार्टर फाइनल में जापान को 3-1 से हराकर एशियाई खेलों के इतिहास में टेबल टेनिस में पहला पदक पक्का किया. जापान के चोटी के तीन खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में नहीं उतरे थे. लेकिन भारतीयों के लिए यह मायने नहीं रखता. पिछले 15 सालों से भारत के शीर्ष खिलाड़ी रहे अचंता शरत कमल ने कहा, ‘यह आखिरकार एशियाई खेल हैं. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हम इसमें पदक जीतेंगे.' Asian Games Live: आज सिंधु और तीरंदाजों से होगा 'गोल्डन आगाज' इससे पहले भारत कभी टेबल टेनिस में पदक नहीं जीत पाया था. लंबे समय तक चीन (61 स्वर्ण), जापान (20) और दक्षिण कोरिया (10) का ही इस खेल में दबदबा रहा. विश्व में 33वें नंबर के शरत ने 19वें नंबर के केंटा मात्सुदाइरा को 11-8, 12-10, 11-8 से हराया. युवा स्टार और 39वें नंबर के जी साथियान ने बड़े मंच पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 28वी रैंकिंग के जिन उएदा और मात्सुदाइरा दोनों के खिलाफ अपने एकल मैच जीते. सातियान ने उएदा को सीधे गेम में हराया, जबकि मात्सुदाइरा को उन्होंने चार गेमों में शिकस्त दी. इससे पहले महिला टीम क्वार्टर फाइनल में हांग कांग से 1-3 से हार गई थी.
वैश्विक मांग में तेजी के बीच देश का कॉफी निर्यात अप्रैल में 50.40 प्रतिशत बढ़कर 42,611 टन हो गया। भारतीय कॉफी बोर्ड ने यह जानकारी दी है। पिछले वर्ष इसी अवधि में 28,332 टन कॉफी का निर्यात किया गया था। मूल्य के हिसाब से कॉफी का निर्यात पिछले वर्ष के इसी अवधि के 5.58 करोड़ डॉलर के मुकाबले दोगुने से अधिक बढ़कर 12.5 करोड़ डॉलर हो गया। भारत मुख्य रूप से इटली, जर्मनी, बेलजियम और स्पेन को कॉफी निर्यात करता है।
दिल्ली में लगातार चल रही सीलिंग के विरोध में गुरुवार को चांदनी चौक में राजधानी के व्यापारी इकट्ठा हुए और यहां पर विरोध प्रदर्शन किया. जनसभा में जुटे व्यापारियों ने एकमत होकर केंद्र सरकार से तुरंत अध्यादेश लाकर सीलिंग पर रोक लगाने की मांग की. वहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार से एक दिन का विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर सीलिंग के खिलाफ प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजने की मांग की है. बीजेपी से जुड़े संगठन रहे मौजूद यह कार्यक्रम कंसंट्रेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी कैट के द्वारा आयोजित किया गया था, हालांकि भले ही दिल्ली के तमाम इलाकों के मार्केट से जुड़े व्यापारी यहां इकट्ठा हुए थे पर अधिकतर बीजेपी समर्थित व्यापार मंडल से जुडे़ मंच से थे. व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद सीलिंग का चाबुक चला है, जिससे दिल्ली का व्यापार प्रभावित हुआ है. सामान्य रूप से खुला रहा चांदनी चौक बाजार व्यापारियों की बड़ी सभा होने के बावजूद पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक बाजार में सामान्य चहल-पहल रही, क्योंकि बीते कई दिनों से यह कयास लगाए जा रहे थे कि इस जनसभा के दिन चांदनी चौक बंद रह सकता है, हालांकि ऐसा नजर नहीं आया. लगातार जारी है सीलिंग तमाम विरोध प्रदर्शन के बावजूद दिल्ली में सीलिंग कमेटी लगातार एक्शन में है. दिल्ली में लगातार अलग-अलग बाजारों में सीलिंग जारी है. तमाम बाजार के बाद अब सीलिंग का दस्ता रिहायशी इलाकों की ओर भी बढ़ गया है.
पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा की 825 घटनाओं में अब तक सात लोगों की जान जा चुकी है और 740 लोग घायल हो चुके हैं. चुनाव आयोग सूत्रों ने आज यह जानकारी दी. मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय में ओएसडी अमित रॉय चौधरी ने यहां बताया कि नादिया जिले में मार्च में एक व्यक्ति की जान चली गई थी जबकि दूसरे व्यक्ति की मौत अप्रैल के शुरूआत में मुर्शिदाबाद जिले के जलांगी में हुई. इसके बाद पिछले महीने ही तीसरी मौत बीरभूम में और चौथी मौत मालदा जिले के माणिकचक में हुई. सूत्रों ने बताया कि इनके अलावा 26 अप्रैल को दो लोगों को मौत हुई. चौधरी ने बताया कि सातवीं मौत पश्चिमी मिदनापुर जिले में पिछले महीने के आखिर में हुई. चुनाव आयोग ने सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम को अपशब्द कहने को लेकर तृणमूल कांग्रेस विधायक सलबोनी श्रीकांतो महतो के खिलाफ आज स्वत: संज्ञान लिया. राय चौधरी ने बताया कि पश्चिम मिदनापुर के डीएम को कार्रवाई करने और चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर स्याही फेंकने वाली भावना अरोरा ने इस बार मंत्री सत्येन्द्र जैन पर जूते से हमला किया है. आम आदमी सेना से जुड़ी भावना अरोरा ने सर्जिकल स्ट्राइक पर केजरीवाल के वीडियो से नाराज़गी जताई है और आम आदमी पार्टी पर पाकिस्तानी समर्थक होने का आरोप लगाया है. आम आदमी सेना की पूरी टीम काफी देर से इनकम टैक्स दफ़्तर के गेट पर मंत्री के बाहर निकलने का इंज़ार कर रही थी. भावना अरोड़ा के साथ सीएम अरविंद केजरीवाल पर जूता और सीडी फेंकने वाला वेद प्रकाश भी मौके पर मौजूद था. करीब तीन बजे सत्येन्द्र जैन इनकम टैक्स के दफ़्तर से बाहर निकलते हैं और उनके साथ 'आप' नेता संजय सिंह, आशुतोष भी मौजूद रहे. आम आदमी पार्टी के समर्थकों को इस बात की भनक लग गयी थी कि स्याही या जूते से हमला हो सकता है इसलिए सत्येन्द्र जैन को अपनी इनोवा कर की बजाय संजय सिंह की स्कोर्पियो में बैठकर निकलने की कोशिश करते हैं. इस बीच भावना अरोरा कर की तरफ दौड़ती हैं और मंत्री की तरफ जूता फेंककर मारती हैं लेकिन ये जूता कार के शीशे पर जाकर टकरा जाता है. भावना अरोरा सीएम अरविन्द केजरीवाल पर स्याही फेंकने के लिए जेल भी जा चुकी हैं. भावना ने सर्जिकल स्ट्राइक पर अरविन्द केजरीवाल का विरोध करते हुए कहा कि "कल अरविन्द केजरीवाल ने देश की सेना पे सवाल उठा दिए कि सेना को सबूत देना चाहिए. आप इतनी गन्दी राजनीति में उतर गए हैं कि पाकिस्तान के समर्थक बन गए हैं, क्योंकि पाकिस्तान आपको फंडिंग करता है. अरविन्द जी अपना प्रूफ दो कि आपमें हिंदुस्तानी खून है." आगे भावना अरोरा ने कहा कि "अरविन्द केजरीवाल पाकिस्तानी समर्थक हैं जिन्हें पाकिस्तान छोड़ आना चाहिए. इन्हें पाकिस्तान की चिंता है. इसलिए आज इनका मुंह भी काला करते, जूते मार मारकर बॉर्डर छोड़कर आते इन्हें." जूता उछालने या स्याही फेंकने के अलावा विरोध करने के कई और तरीके भी हो सकते हैं. हालाँकि सर्जिकल स्ट्राइक पर अरविन्द केजरीवाल के वीडियो सन्देश ने राजनीतिक भूचाल ज़रूर ला दिया है, जो आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ी मुसीबत बन सकता है.
दिल्ली की एक कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को बरी करते हुए कहा कि अदालतें भावनाओं में बहकर या मीडिया की खबर पर नहीं चल सकतीं. दरअसल, मामला एक तलाकशुदा महिला और दिल्ली के एक विवाहित पुरुष का है. महिला ने 2012 में पुरुष पर शादी का वादा कर दो साल तक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. दोनों लिव-इन में रह रहे थे. लेकिन महिला बाद में मुकर गई और कहा कि उसने गलतफहमी में शिकायत दर्ज करा दी थी. महिला ने पहले पति से तलाक के बाद दूसरी शादी की थी, पर वह भी नाकाम रही. दूसरे पति से तलाक का मामला लंबित है. महिला ने कोर्ट में कहा कि तलाक की प्रक्रिया पूरी न हो पाने के कारण वे दोनों शादी नहीं कर सके. व्यक्ति बेकसूर है. ऐसे तो किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता एडीशनल सेशंस जज निवेदिता अनिल शर्मा ने कहा कि 'आज हर तरफ लोगों में आक्रोश है कि अदालतें दुष्कर्म के आरोपियों को दोषी नहीं ठहराती. अगर गवाह ही प्रोसीक्यूशन का साथ न दे या पर्याप्त सबूत न हों तो किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता. अदालतों को भी कानून के दायरे में रहकर काम करना पड़ता है.'
आज वर्ल्ड कैंसर दिवस है. यह दिन पूरी दुनिया में कैंसर के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. हर साल लोगों को इस बीमारी के खतरों और कारणों के बारे में बताने के बावजूद, भारत में यह तेजी से फैल रही है. खासकर मुंह का कैंसर हर साल भारत में हज़ारों जानें ले रहा है. World Cancer Day 2018: क्या होता है कैंसर, जानें इसके लक्षण, इलाज और कारण सर्वोच्च न्यायालय के तमाम निर्देशों के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पाया है. देश में तंबाकू उत्पादों का सेवन करने से हर साल 10 लाख लोग जान गंवा देते हैं. मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 66 हजार है. कैंसर से खुद को बचाने के लिए ज़रूर खाएं ये 10 फूड वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के स्टेट पैट्रन एंव कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. शाहू बताते हैं कि "तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन करवाए. जब यह स्पष्ट है कि मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों में तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं, तो तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए."ये हैं कैंसर के वो 5 खतरनाक लक्षण जिन्‍हें पुरुषों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.बॉलीवुड के वो 7 सितारे जो कैंसर से गुज़रे, कोई जीता बाजी तो किसी ने गंवाई जान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   World Cancer Day 2018: क्या होता है कैंसर, जानें इसके लक्षण, इलाज और कारण सर्वोच्च न्यायालय के तमाम निर्देशों के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पाया है. देश में तंबाकू उत्पादों का सेवन करने से हर साल 10 लाख लोग जान गंवा देते हैं. मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 66 हजार है. कैंसर से खुद को बचाने के लिए ज़रूर खाएं ये 10 फूड वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के स्टेट पैट्रन एंव कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. शाहू बताते हैं कि "तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन करवाए. जब यह स्पष्ट है कि मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों में तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं, तो तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए."ये हैं कैंसर के वो 5 खतरनाक लक्षण जिन्‍हें पुरुषों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.बॉलीवुड के वो 7 सितारे जो कैंसर से गुज़रे, कोई जीता बाजी तो किसी ने गंवाई जान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   सर्वोच्च न्यायालय के तमाम निर्देशों के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पाया है. देश में तंबाकू उत्पादों का सेवन करने से हर साल 10 लाख लोग जान गंवा देते हैं. मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 66 हजार है. कैंसर से खुद को बचाने के लिए ज़रूर खाएं ये 10 फूड वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के स्टेट पैट्रन एंव कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. शाहू बताते हैं कि "तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन करवाए. जब यह स्पष्ट है कि मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों में तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं, तो तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए."ये हैं कैंसर के वो 5 खतरनाक लक्षण जिन्‍हें पुरुषों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.बॉलीवुड के वो 7 सितारे जो कैंसर से गुज़रे, कोई जीता बाजी तो किसी ने गंवाई जान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   कैंसर से खुद को बचाने के लिए ज़रूर खाएं ये 10 फूड वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के स्टेट पैट्रन एंव कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. शाहू बताते हैं कि "तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन करवाए. जब यह स्पष्ट है कि मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों में तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं, तो तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए."ये हैं कैंसर के वो 5 खतरनाक लक्षण जिन्‍हें पुरुषों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.बॉलीवुड के वो 7 सितारे जो कैंसर से गुज़रे, कोई जीता बाजी तो किसी ने गंवाई जान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के स्टेट पैट्रन एंव कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. शाहू बताते हैं कि "तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन करवाए. जब यह स्पष्ट है कि मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों में तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं, तो तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए."ये हैं कैंसर के वो 5 खतरनाक लक्षण जिन्‍हें पुरुषों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.बॉलीवुड के वो 7 सितारे जो कैंसर से गुज़रे, कोई जीता बाजी तो किसी ने गंवाई जान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   ये हैं कैंसर के वो 5 खतरनाक लक्षण जिन्‍हें पुरुषों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.बॉलीवुड के वो 7 सितारे जो कैंसर से गुज़रे, कोई जीता बाजी तो किसी ने गंवाई जान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं. सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं.बॉलीवुड के वो 7 सितारे जो कैंसर से गुज़रे, कोई जीता बाजी तो किसी ने गंवाई जान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   बॉलीवुड के वो 7 सितारे जो कैंसर से गुज़रे, कोई जीता बाजी तो किसी ने गंवाई जान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे. देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं.  ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है. कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है.    गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है. इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं.  संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ के मुताबिक, कैंसर के उपचार पर होने वाले भारी भरकम खर्च व बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर ब्रिक्स देशों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इस सर्वे रपट के मुताबिक, केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व की 40 फीसदी से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जबकि इनका वैश्विक विकास दर में 25 फीसदी योगदान है. 2012 में कैंसर से होने वाली मौतों के कारण इन पांचों देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके तहत करीब 46.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - IANS   संजय सेठ ने आगे कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गेट्स) के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं. इनमें से अधिकतर को तंबाकू पर प्रतिबंध लगा कर मरने से बचाया जा सकता है.टिप्पणियां INPUT - 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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा कि भारत में सरकार को विशेषज्ञों की सलाह का फायदा मिलेगा. इसलिए हर आलोचना को दबाना सरकार के लिए ठीक नहीं है. किंग कॉलेज लंदन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजन धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आगे के कदमों के बारे में चर्चा कर रहे थे. राजन ने कहा, ‘‘जो समस्याएं हैं...उनमें एक ये है, मैंने इस पर बहुत दृढ़ता से कहा है कि आलोचना को दबाने का मतलब है कि आप प्रतिक्रिया नहीं सुनते हैं और, अगर आप प्रतिक्रिया नहीं सुनते हैं तो आप उचित समय पर सही कदम नहीं उठा सकते.'' उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, सभी आलोचकों से कहना कि सरकार की आलोचना ना करें, मुझे लगता है कि यह सरकार के लिए बुरा है. हो सकता है कि हर कोई आपकी प्रशंसा करे और यह कहे कि आप दूसरे मसीहा हैं, लेकिन इससे उस तरह की चेतना नहीं पैदा होने वाली जैसा कि आप सरकार के भीतर चाहते हैं. राजन ने आरबीआई के अपने कार्यकाल के दौरान पैदा स्थिति का उदाहरण दिया जब उन्हें निजी क्षेत्र की आलोचना का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से सुधारवादी कदम उठाने में उन्हें सहायता मिली. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सरकार सुनेगी और देखेगी कि उसे क्या करना चाहिए. भारत में बहुत सारे अर्थशास्त्री और बुद्धिमान लोग हैं, जो सलाह दे सकते हैं. लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उस सलाह को अपनाए और उस पर विचार-विमर्श तथा कार्रवाई करे.
ब्रिटानिया यूनाइटेड किंगडम का एक राष्ट्रीय व्यक्तित्व है, जो रोमन ब्रिटेन से उत्पन्न हुआ है। ब्रिटानिया को भूरे या सुनहरे बालों वाली एक युवा महिला के रूप में दर्शाया गया है, जो कोरिंथियन हेलमेट और सफेद वस्त्र पहने हुए है। वह पोसीडॉन का तीनधारी त्रिशूल और एक ढाल रखती है, जिस पर संघ का ध्वज अंकित है। कभी-कभी उसे शेर की पीठ पर सवार दिखाया जाता है। 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश साम्राज्य के चरम के बाद से, ब्रिटानिया को अक्सर ब्रिटिश समुद्री प्रभुत्व के साथ जोड़ा गया है, जैसा कि देशभक्ति गीत "रूल, ब्रिटानिया!" में है। 2008 तक, ब्रिटिश पचास पेंस के सिक्के पर ब्रिटानिया के पीछे और ब्रिटिश दस पेंस के सिक्के के पीछे शेर का प्रतीक दर्शाया गया था। इसका उपयोग ब्रिटिश सेना के गैर-औपचारिक ध्वज पर एक प्रतीक के रूप में भी किया जाता है। राष्ट्र का दूसरा, कम इस्तेमाल किया जाने वाला, चरित्र जॉन बुल है। बुलडॉग को कभी-कभी यूनाइटेड किंगडम के प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता है और इसे विंस्टन चर्चिल द्वारा नाज़ी जर्मनी की अवज्ञा से जोड़ा गया है।
यह लेख है: बॉलीवुड अभिनेता और फिल्म निर्माता जॉन अब्राहम का कहना है कि उनमें बहुत सी कमियां हैं। जॉन इन दिनों अपनी फिल्म 'आई मी और मैं' के प्रचार में व्यस्त हैं। जॉन ने फिल्म की प्रेस वार्ता में कहा, "मैं भी परिपूर्ण इंसान नहीं हूं। मुझमें सबसे ज्यादा कमियां हैं। यदि कोई कहता है कि वह एकदम सही है, वह झूठा है। मैंने कोशिश की है कि एक बेहतर इंसान बन सकूं।" जॉन के साथ अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह, प्राची देसाई और गोल्डी बहल सहित फिल्म की पूरी टीम मौजूद थी।टिप्पणियां जॉन (40) ने कहा कि फिल्म महिलाओं को समर्पित है। फिल्म 1 मार्च को प्रदर्शित हो रही है और 8 मार्च को विश्व महिला दिवस है इसलिए यह महिलाओं को समर्पित है। अपनी पसंद की लड़की के बारे में उन्होंने कहा, "वह साधारण लड़की होगी। रिश्ते की खूबसूरती सादगी में होती है। घर उसके साथ बसाइए जिसके साथ आपको जुड़ाव महसूस हो।" जॉन ने फिल्म की प्रेस वार्ता में कहा, "मैं भी परिपूर्ण इंसान नहीं हूं। मुझमें सबसे ज्यादा कमियां हैं। यदि कोई कहता है कि वह एकदम सही है, वह झूठा है। मैंने कोशिश की है कि एक बेहतर इंसान बन सकूं।" जॉन के साथ अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह, प्राची देसाई और गोल्डी बहल सहित फिल्म की पूरी टीम मौजूद थी।टिप्पणियां जॉन (40) ने कहा कि फिल्म महिलाओं को समर्पित है। फिल्म 1 मार्च को प्रदर्शित हो रही है और 8 मार्च को विश्व महिला दिवस है इसलिए यह महिलाओं को समर्पित है। अपनी पसंद की लड़की के बारे में उन्होंने कहा, "वह साधारण लड़की होगी। रिश्ते की खूबसूरती सादगी में होती है। घर उसके साथ बसाइए जिसके साथ आपको जुड़ाव महसूस हो।" जॉन के साथ अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह, प्राची देसाई और गोल्डी बहल सहित फिल्म की पूरी टीम मौजूद थी।टिप्पणियां जॉन (40) ने कहा कि फिल्म महिलाओं को समर्पित है। फिल्म 1 मार्च को प्रदर्शित हो रही है और 8 मार्च को विश्व महिला दिवस है इसलिए यह महिलाओं को समर्पित है। अपनी पसंद की लड़की के बारे में उन्होंने कहा, "वह साधारण लड़की होगी। रिश्ते की खूबसूरती सादगी में होती है। घर उसके साथ बसाइए जिसके साथ आपको जुड़ाव महसूस हो।" जॉन (40) ने कहा कि फिल्म महिलाओं को समर्पित है। फिल्म 1 मार्च को प्रदर्शित हो रही है और 8 मार्च को विश्व महिला दिवस है इसलिए यह महिलाओं को समर्पित है। अपनी पसंद की लड़की के बारे में उन्होंने कहा, "वह साधारण लड़की होगी। रिश्ते की खूबसूरती सादगी में होती है। घर उसके साथ बसाइए जिसके साथ आपको जुड़ाव महसूस हो।" अपनी पसंद की लड़की के बारे में उन्होंने कहा, "वह साधारण लड़की होगी। रिश्ते की खूबसूरती सादगी में होती है। घर उसके साथ बसाइए जिसके साथ आपको जुड़ाव महसूस हो।"
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने 14 साल पुराने रेप मामले में गुरमीत राम रहीम की दलील को खारिज करते हुए कड़ी फटकार लगाई है. 14 साल पुराने रेप का मामला दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज किया जिसमें रेप के एक मामले में पीड़ित महिला की हैंडराइटिंग और हस्ताक्षर के नमूनों की जांच कराने की अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई लेटर लिखता है और कहता है कि बाबाजी 'I Love u' तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह उपलब्ध है. सीबीआई अदालत जल्द सुना सकती है फैसला एक महिला ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था. डेरा प्रमुख इस मामले में जमानत पर जेल से बाहर हैं. वहीं दूसरी ओर पंचकुला की सीबीआई अदालत में लगातार मामले की सुनवाई चल रही है. और अब इस मामले में अदालत जल्द ही ​अपना फैसला सुना सकती ​है. इसी मामले में सालभर पहले गुरमीत राम रहीम ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से दो पीड़ित में से एक की हैंडराइटिंग और हस्ताक्षर की जांच केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला चंडीगढ़ के अलावा दूसरों जगहों पर कराने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. ​ हाई कोर्ट ने की थी CBI से जांच की सिफारिश गौरतलब है कि ये मामला साल 1999 में आया था और 2002 में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. हाई कोर्ट ने पत्र का संज्ञान लेते हुए सितंबर 2002 को मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद सीबीआई ने जांच में आरोपों को सही पाया और डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह के खिलाफ विशेष अदालत के समक्ष 31 जुलाई, 2007 में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था.
गुजरात के बारदोली में ब्लैकमेलिंग का हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक महिला ने टीवी शो देखकर राज्य के एक मंत्री को ही ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. महिला ने मंत्री पर उसकी बहन के साथ रेप करने का आरोप लगाते हुए एक करोड़ से ज्यादा रुपये की मांग की थी. लेकिन शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी महिला की पहचान 46 वर्षीय प्रवीणा बेन के रूप में हुई है. पकड़े जाने पर महिला ने पुलिस को बताया कि उसे पैसे की ज़रूरत थी, इसलिए उसने टीवी शो क्राइम पेट्रोल देखकर मंत्री को ब्लैकमेल करने की साजिश रच डाली. महिला ने बारडोली से विधायक और गुजरात के कबीना मंत्री ईश्वर सिंह परमार को ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी. पुलिस ने बताया कि मंत्री के एक कर्मचारी को 28 जून के दिन एक बंद लिफाफा मिला था. उस लिफाफे में एक पत्र था, जिसमें मंत्री से 2 करोड़ रुपये मांगे गए थे. उस पत्र के अंत में दर्शना बेन लिखा था. इसके बाद बीती 15 जुलाई को शहर के जनता नगर निवासी पूर्व नगर भाजपा प्रमुख सुरेंद्र सिंह परमार के घर के बाहर एक बंद लिफाफा बरामद हुआ. उस लिफाफे में एक पत्र था, जिसमें मंत्री पर किसी महिला की तरफ से उसकी बहन के साथ रेप करने का आरोप लगाया गया था और उन्हें रेप के नाम पर बदनाम करने की धमकी दी गई थी. इस मामले को रफा दफा करने के लिए पत्र लिखने वाले ने 1 करोड़ रुपये ज्यादा मांगे थे. पत्र में बताया गया था कि सोमवार की दोपहर 1 से 2 बजे के बीच सरभोण में हनुमान मंदिर के पास एक शख्स मौजूद रहेगा. उसी को पैसा देना है. रकम नहीं मिलने पर मंत्री के परिवार को जिंदा जलाने की धमकी दी गई थी. इस संबंध में पुलिस से शिकायत की गई. पुलिस ने मामले छानबीन शुरू की. बीजेपी नेता के आवास पर बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज पुलिस ने खंगाली तो उसमें एक महिला दिखाई दी. पुलिस तेजी से जांच पड़ताल करते हुए आरोपी महिला तक जा पहुंची. पुलिस ने बारडोली के आनंद नगर से ही प्रवीणा बेन को गिरफ्तार किया. पकड़े जाने के बाद उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.
भारत और अन्य देशों में कालाधन के खिलाफ चलाई जा रहे मुहिम के चलते स्विट्जरलैंड के बैंकों पर पड़ रहे दबाव के चलते स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई राशि पिछले साल 10 फीसदी घटकर 1.8 अरब स्विस फ्रैंक (12,615 करोड़ रुपये) रह गया. 203 से घटकर हुआ 181.5 करोड़ स्विस फ्रैंक स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक एसएनबी (स्विस नेशनल बैंक) द्वारा गुरुवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों द्वारा स्विट्जरलैंड के बैंकों में जमा धन 21.5 करोड़ स्विस फ्रैंक घटकर 181.5 करोड़ स्विस फ्रैंक (1.98 अरब डालर) पर आ गया जो इससे पहले 203 करोड़ स्विस फ्रैंक था. 2013 में हुआ था 40 फीसदी इजाफा गौरतलब है कि भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा राशि दूसरे न्यनूतम स्तर पर है और इससे पहले 2013 में इसमें 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई थी. इसके उलट विश्व के बाकी देशों के विदेशी ग्राहकों द्वारा स्विस बैंकों की जमा राशि 2014 में बढ़कर 1,500 अरब स्विस फ्रैंक (1,600 अरब डालर या 103 लाख करोड़ रुपये) हो गई, जो 2013 के अंत तक करीब 90 लाख करोड़ रुपये थी. 2014 में खाताधारकों ने सीधे जमा किया 12,350 करोड़ रुपये ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2014 के अंत में स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तियों और इकाइयों द्वारा सीधे रखा गया कुल धन 177.6 करोड़ स्विस फ्रांक या 12,350 करोड़ रुपये था. इसी तरह दूसरों या संपत्ति प्रबंधकों के माध्यम से जमा कराया गया धन 3.8 करोड़ स्विस फ्रांक रहा जो 2013 के अंत में 7.73 करोड़ स्विस फ्रांक था. हालांकि, ग्राहकों के बचत और जमा खाते में बकाया राशि केवल 5.2 करोड़ स्विस फ्रांक रही जो एक साल पहले 6.3 करोड़ स्विस फ्रांक थी. स्विस सांसद कर रहे सूचना साझा करने का विरोध ज्यूरिख स्थित एसएनबी से यह ताजा आंकड़ा ऐसे समय में आये हैं जबकि स्विट्जरलैंड ने भारत और अन्य देशों को जांच के मामलों में गड़बड़ी के साक्ष्य सौंपने पर उनके नागरिकों के बारे में बैंकिंग सूचनाएं साझा करना शुरू कर दिया है. भारत और अन्य कई देशों से स्विट्जरलैंड पर बैंकिंग सूचनाएं देने का दबाव बढ़ता जा रहा है हालांकि स्विट्जरलैंड के सांसद लंबे समय से ऐसी पहलों का विरोध कर रहे हैं.
भद्रवाही भाषा (Bhadarwahi language) भारत के जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के डोडा ज़िले में बोली जाने वाली एक पहाड़ी भाषा है। यह डोगरी भाषा के बहुत समीप है और इसे कभी-कभी उसकी उपभाषा भी समझा जाता है। इसका नाम डोडा ज़िले के भद्रवाह शहर पर पड़ा है, हालांकि यह पूरे ज़िले में बोली जाती है। इसकी स्वयं कुछ अपनी उपभाषाएँ हैं, जिनमें भलेसा तहसील में बोली जाने वाली भलेसी भाषा भी है। इन्हें भी देखें भद्रवाह डोडा ज़िला डोगरी भाषा पहाड़ी भाषाएँ सन्दर्भ हिन्द-आर्य भाषाएँ जम्मू और कश्मीर की भाषाएँ पहाड़ी भाषाएँ डोडा ज़िला
एक शख्स ने अपनी जान की परवाह किए बगैर रोड एक्सीडेंट के बाद एक चट्टान से कार सहित लटके ड्राइवर को मौत के मुंह से बचा लिया. घटना अमेरिका में इदाहो के लैविस्टन की है. ड्राइवर को कार के अंदर से सुरक्षित बाहर निकालने वाले शख्स ने जब हादसा देखा तो दंग रह गया. 29 वर्षीय जैशन वार्नाक ने बताया कि वह अपनी कार से जा रहा था, जब उसे रास्ते में कुछ ईंट-पत्थर बिखरे मिले. उसने कार रोक कर ऊपर देखा तो एक दूसरी कार चट्टान से फंसी हुई नजर आई. जैशन ने अपनी कार पार्क की और पैदल ब्रिज की ओर भागा. उसने कार के अंदर फंसे 23 वर्षीय मैथ्यू सित्को को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. उसने थोड़ी देर तक मैथ्यू से बात की और फिर पुलिस के आते ही वहां से निकल गया. काम के लिए देर होने के चलते उसने पुलिस को अपना नाम भी नहीं बताया और वहां से चला गया, जिसके चलते वह 24 घंटे तक पुलिस के लिए मिस्ट्री बना रहा. जब इंटरनेट पर इस घटना की तस्वीरें वायरल हुईं तो जैशन की पहचान हो सकी. आत्महत्या का प्रयास पुलिस ने बताया कि यह घटना बुधवार सुबह करीब 8 बजे हुई थी. मैथ्यू कार में गाने सुनते हुए जा रहा था, तभी उसे लगा कि गाने की धुन उसे बता रही है कि अब उसके मरने का वक्त आ गया है. उसने तुरंत अपनी आंखे बंद कीं और एक्सीलेटर पर पैर रख दिया. हालांकि उसकी कार चट्टान से फंस गई और वह बच गया.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने संगठित अपराध पर नकेल कसने के लिए राज्य में यूपीकोका के रूप में सख्त कानून लाने का फैसला किया है. प्रस्तावित कानून के तहत अंडरवर्ल्ड, जबरन वसूली, जमीनों पर कब्जा, वेश्यावृत्ति, अपहरण, फिरौती, धमकी और तस्करी जैसे अपराधों को शामिल किया गया है. योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में यूपीकोका (उत्तरप्रदेश कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) बिल पेश किया. महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा प्रदेश है जो इतना सख्त कानून लागू करने जा रहा है. हालांकि, पहले बसपा सुप्रीमो मायवाती ऐसा कानून लाने की कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें विरोध के बाद बैकफुट पर जाना पड़ा था. अब योगी सरकार द्वारा लाए जा रहे कानून का भी विरोध किया रहा है. राज्य के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी समेत दूसरे दलों ने योगी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं मुस्लिमों की पैरोकारी करने वाले संगठन भी इसकी मुखालफत में खड़े नजर आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि एक खास समुदाय को टारगेट करने के लिए इस कड़े कानून अमल में लाने का कदम उठाया गया. क्या मुस्लिमों के खिलाफ है कानून? यूपीकोका (उत्तरप्रदेश कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) के तहत संगठित रूप में होने वाले अपराध को निशाना बनाया जाएगा. इस कानून के तहत गिरफ़्तार व्यक्ति को 6 महीने से पहले ज़मानत नहीं मिले सकेगी. आरोपी की पुलिस रिमांड 30 दिन के लिए ली जा सकती है, जबकि बाकी क़ानूनों के तहत 15 दिन की रिमांड ही मिलती है. इसके अलावा अपराधी को पांच साल की सजा और अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान होगा. यूपी में कानून का राज कायम करने के नारे के साथ सत्ता में आई योगी सरकार यूपीकोका को अपराध के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बता रही है. लेकिन विरोधी इसे मुस्लिमों को टारगेट करने वाला बता रहे हैं. दरअसल, 2007 में मायावती के नेतृत्व में बसपा सरकार आने के बाद ऐसा ही एक कानून लाया गया. इसी दौरान आजमगढ़ जैसे दूसरे कुछ इलाकों में आतंकवाद से जुड़े संदिग्धों की गिरफ्तारियां हुईं. इन गिरफ्तारियों का असर ये हुआ कि मायावती सरकार के कानून का कड़ा विरोध किया गया. उस वक्त समाजवादी पार्टी विपक्ष में थी और उसकी तरफ से मायावती सरकार के कदम का पुरजोर विरोध किया गया. आतंकवाद के नाम पर बेकसूर मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारियों के आरोप लगे. नतीजतन, मायावती को कानून वापस करना पड़ा. मौजूदा कानून को लेकर भी इस तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस कानून का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि यूपीकोका का इस्तेमाल दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के दमन के लिए होगा. इसलिए व्यापक जनहित में यूपीकोका को वापस लिया जाए. आतंकवाद के नाम पर बेकसूर मुस्लिमों को कानून के शिकंजे से बचाने का काम करने वाले रिहाई मंच ने योगी सरकार के प्रस्तावित कानून को सांप्रदायिक राजनीतिक का पर्याय बताया और कहा है कि इसका इस्तेमाल मुस्लिमों के खिलाफ किया जाएगा. मायावती को क्यों वापस लेना पड़ा था कानून मायावती सरकार ने जब ये कानून वापस लिया तब यूपी के पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह थे. Aajtak.in से बातचीत में विक्रम सिंह ने बताया कि उस वक्त इस कानून का दुरुपयोग देखा गया, जिसके बाद उसे वापस लेने का निर्णय लिया गया. यूपीकोका पर क्या बोले पूर्व डीजीपी पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने योगी सरकार द्वारा लाए जा रहे यूपीकोका पर कहा कि अपराध खत्म करने के लिए पहले से ही कानून मौजूद है. ऐसे में यूपीकोका लाने की आवश्यता नहीं थी, क्योंकि इसका गलत इस्तेमाल होने की आशंका है. उनका मानना है कि आतंक और राष्ट्रविरोधी अपराधों के लिए ऐसे कानून लाए जा सकते हैं, बाकी जमीन विवाद या रंगदारी जैसे अपराध पर मौजूदा कानून से ही लगाम लगाई जा सकती है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि मौजूदा कानून के तहत सीनियर पुलिस ऑफिसर की संस्तुति के बाद ही केस दर्ज किए जा सकेंगे, जो इसे सही मायनों में प्रभावी रूप से लागू कराने में अहम साबित होगा. प्रस्तावित कानून के मसौदे से भी कानून के दुरुयोग की आशंका जाहिर होती है. नए कानून में इस बात के लिए भी नियम बनाए गए हैं कि उसका गलत इस्तेमाल न हो सके. केस दर्ज होने और जांच के लिए नियम बनाए गए हैं, जिसके तहत राज्य स्तर पर ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग खुद गृह सचिव करेंगे और मंडल के स्तर पर आईजी रैंक के अधिकारी की संस्तुति के बाद ही मामला दर्ज किया जाएगा. जिला स्तर पर अगर कोई संगठित अपराध करने वाला अपराधी है तो उसकी रिपोर्ट कमिश्नर, जिलाधिकारी देंगे जिसके बाद फ़ैसला किया जाएगा कि आरोपी के ख़िलाफ़ यूपीकोका कानून लगे या नहीं.
यह लेख है: आक्रामक बल्लेबाज रोस टेलर को न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम का नया कप्तान नियुक्त किया गया है। वह डेनियल विटोरी की जगह कप्तानी की जिम्मेदारी संभालेंगे जिन्होंने इस साल विश्व कप के बाद यह पद छोड़ दिया था। टेलर को विकेटकीपर बल्लेबाज ब्रेंडन मैककुलम पर तहजीह देते हुए कप्तान का पद सौंपा गया। न्यूजीलैंड के क्रिकेट मामलों के निदेशक जॉन बुकानन, राष्ट्रीय कोच जॉन राइट और कार्यवाहक राष्ट्रीय चयन प्रबंधक मार्क ग्रेटबैच ने टेलर को कप्तान बनाने की सिफारिश की जिसे न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने मंजूरी दे दी। मुख्य कार्यकारी जस्टिन वॉन ने कहा कि टेलर ने उपकप्तान के रूप में विटोरी का अच्छा साथ निभाया है और उनमें नेतृत्व की क्षमता है। सत्ताइस वर्षीय टेलर का 30 टेस्ट में 40 और 107 वनडे मैच में 36.8 का औसत है। टेलर ने कहा, विटोरी के नेतृत्व में मैंने काफी कुछ सीखा है और न्यूजीलैंड के इस सबसे सम्मानजनक पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए मैं तैयार हूं। गौरतलब है कि आलराउंडर विटोरी ने विश्व कप से पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह इस खेल महाकुंभ के बाद टेस्ट की कप्तानी से संन्यास लेंगे और वनडे तथा ट्वेंटी 20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देंगे।
Land Rover ने भारत में अपनी नई सेवन सीटर SUV Discovery को लॉन्च कर दिया है. इसकी शुरुआती कीमत 71.38 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) रखी गई है. ये सात सीटों वाली SUV पेट्रोल और इंजन के साथ पांच वैरिएंट्स में उपलब्ध होगी. वहीं इसके टॉप मॉडल की कीमत 1 करोड़ से भी ज्यादा है. नई डिस्कवरी में 3.0 लीटर टर्बो पेट्रोल V6 इंजन दिया गया है. जो 340hp का पावर और 450Nm का टॉर्क पैदा करता है. वहीं इसका 3.0 लीटर V6 डीजल इंजन 258hp का पावर और 600Nm का टॉर्क जेनरेट करता है. दोनों ही इंजन के साथ ट्रांसमिशन के लिए 8 स्पीड ऑटो बॉक्स दिया गया है. इस प्रिमियम लग्जरी SUV में सिक्स स्पीकर ऑडियो सिस्टम के साथ 10 इंच डिस्प्ले वाला InControl इंफोटेनमेंट सिस्टम दिया गया है. इसके अलावा दो सनरूफ, पैरेलल पार्क असिस्ट, हेड्स अप डिस्प्ले, 360 डिग्री कैमरा और ऑप्शनल टेरेन रिस्पॉन्स 2 सिस्टम दिया गया है. हायर स्पेसिफिकेशन्स वाले HSE ट्रिम में इनकंट्रोल टचप्रो इंफोटेनमेंट सिस्टम, हिटेड सीट्स, 9 यूएसबी पोर्ट्स, 4 12V चार्जिंग प्वाइंट, इन कार 3G Wi-Fi हॉटस्पॉट और 17 स्पीकर मेरीडीयन ऑडियो सिस्टम दिया गया है. भारतीय बाजार में लैंड रोवर डिस्कवरी का मुकाबला Audi Q7 , BMW X5 और Mercedes-Benz GLE से रहेगा. Land Rover भारत में अपनी नई Velar SUV को भी लॉन्च करने की तैयरी में है.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भेजी गई एक ऑनलाइन याचिका में उनकी भारत यात्रा के दौरान सिख समुदाय से संबंधित मुद्दों को उठाने का अनुरोध किया गया है. इस याचिका पर अब तक एक लाख से ज्यादा लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं. ओबामा अगले महीने भारत की यात्रा पर आने वाले हैं. न्यूयॉर्क के संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने 1 दिसंबर को इस ऑनलाइन याचिका को जारी किया था, जिसमें ओबामा से अनुरोध किया गया है कि भारत यात्रा के दौरान वह ‘क्यों भारतीय संविधान सिखों को हिंदू के दायरे में रखता है ?’, ‘सिख नरसंहार’ और ‘सिखों के स्वनिर्धारण का अधिकार’ जैसे मुद्दों को उठाएं. कल तक व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर इस ऑनलाइन याचिका पर 1,14,000 हस्ताक्षर हुए हैं. एक महीने से भी कम समय में किसी ऑनलाइन याचिका पर इतनी संख्या में हस्ताक्षर होने से इस पर व्हाइट हाउस भी गौर कर रहा है. हालांकि फर्जी हस्ताक्षरों की जांच के बाद व्हाइट हाउस ने लगभग 85000 हस्ताक्षरों को हटा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भी इस संगठन ने ऐसी ही एक ऑनलाइन याचिका जारी की थी. (इनपुट भाषा से)
सनराइजर्स हैदराबाद ने शिखर धवन को कप्तानी से बोझ से राहत देते हुए आज आईपीएल के बाकी सत्र के लिए वेस्टइंडीज के ऑलराउंडर डेरेन सैमी को टीम का नया कप्तान बनाया. हैदराबाद की टीम को उम्मीद है कि इस कदम से धवन बल्लेबाजी पर ज्‍यादा ध्‍यान दे पाएंगे. हाल में वेस्टइंडीज की टेस्ट कप्तानी से हटाए गए सैमी को टीम में शामिल किया गया और सीधे उन्हें कप्तान की भूमिका सौंप दी गई. हैदराबाद की टीम के मेंटर वीवीएस लक्ष्मण ने कहा, 'हमें बल्लेबाज के रूप में शिखर धवन से काफी उम्मीद है.' बायें हाथ के बल्लेबाज धवन अब तक टूर्नामेंट के 10 मैचों में केवल 215 रन बना पाए हैं. उन्होंने अब तक एक भी अर्धशतक नहीं जड़ा है और उनका शीर्ष स्कोर 45 रन रहा है. टूर्नामेंट के अंतिम पड़ाव में अब जब प्ले आफ का स्थान दांव पर लगा हुआ है तब हैदराबाद की टीम छठे स्थान के साथ काफी अच्छी स्थिति में नहीं है. शीर्ष चार टीमें प्ले आफ के लिए क्वालीफाई करेंगी.
इंडियन एयर फोर्स ने नोटिफिकेशन जारी कर 54 विभिन्‍न पदों पर आवेदन आमंत्रित किए हैं. इन पदों के लिए कौन आवेदन कर सकते हैं, योग्‍यता क्‍या होनी चाहिए और सैलरी कितनी होगी, इससे संबंध‍ित पूरी जानकारी यहां है... पदों की संख्‍या 54 इंडियन बैंक में निकली है वेकेंसी जॉब लोकेशन पूरे भारत में आवेदन की आख‍िरी तारीख 07 मार्च 2017 योग्‍यता आवेदन करने वाला प्रतिभागी किसी बोर्ड या यूनिवर्सिटी से 10वीं पास हो या इसके समानान्‍तर कोर्स किया हो. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में बंपर वैकेंसी उम्र आवेदक की उम्र न्‍यूनतम 18 और अध‍िकतम 25 वर्ष होनी चाहिए. कैसे करें अप्‍लाई आवेदन करने के‍ लिए एयर फोर्स की ऑफिश‍ियल वेबसाइट http://indianairforce.nic.in/ पर लॉगइन करें.
बेंगलुरु के एमए चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच होने वाला चौथे दिन का खेल भी बारिश की भेंट चढ़ गया। बारिश के कारण लगातार तीन दिन मैच नहीं हो पाया। अब आखिरी दिन का खेल बाकी है। आज मौसम तो खुल गया, लेकिन भीगे मैदान के कारण मैच शुरू नहीं किया जा सका है। लगातार सात सत्र बारिश की भेंट चढ़ गए।टिप्पणियां अब तक सिर्फ पहले दिन का खेल हो सका है, जिसमें भारतीय टीम ने पहले गेंदबाजी करते हुए दक्षिण अफ्रीका को 214 रनों पर समेटने के बाद बिना कोई विकेट गंवाए 80 रन बना लिए हैं। मुरली विजय 28 और शिखर धवन 45 रन बनाकर नाबाद हैं। दक्षिण अफ्रीका के लिए अपना 100वां मैच खेल रहे अब्राहम डिविलियर्स (85) ने सर्वाधिक योगदान दिया। भारत के लिए रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा ने चार-चार विकेट चटकाए। मोहाली में हुआ पहला टेस्ट जीतकर भारत चार मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर चुका है। आज मौसम तो खुल गया, लेकिन भीगे मैदान के कारण मैच शुरू नहीं किया जा सका है। लगातार सात सत्र बारिश की भेंट चढ़ गए।टिप्पणियां अब तक सिर्फ पहले दिन का खेल हो सका है, जिसमें भारतीय टीम ने पहले गेंदबाजी करते हुए दक्षिण अफ्रीका को 214 रनों पर समेटने के बाद बिना कोई विकेट गंवाए 80 रन बना लिए हैं। मुरली विजय 28 और शिखर धवन 45 रन बनाकर नाबाद हैं। दक्षिण अफ्रीका के लिए अपना 100वां मैच खेल रहे अब्राहम डिविलियर्स (85) ने सर्वाधिक योगदान दिया। भारत के लिए रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा ने चार-चार विकेट चटकाए। मोहाली में हुआ पहला टेस्ट जीतकर भारत चार मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर चुका है। अब तक सिर्फ पहले दिन का खेल हो सका है, जिसमें भारतीय टीम ने पहले गेंदबाजी करते हुए दक्षिण अफ्रीका को 214 रनों पर समेटने के बाद बिना कोई विकेट गंवाए 80 रन बना लिए हैं। मुरली विजय 28 और शिखर धवन 45 रन बनाकर नाबाद हैं। दक्षिण अफ्रीका के लिए अपना 100वां मैच खेल रहे अब्राहम डिविलियर्स (85) ने सर्वाधिक योगदान दिया। भारत के लिए रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा ने चार-चार विकेट चटकाए। मोहाली में हुआ पहला टेस्ट जीतकर भारत चार मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर चुका है। दक्षिण अफ्रीका के लिए अपना 100वां मैच खेल रहे अब्राहम डिविलियर्स (85) ने सर्वाधिक योगदान दिया। भारत के लिए रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा ने चार-चार विकेट चटकाए। मोहाली में हुआ पहला टेस्ट जीतकर भारत चार मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर चुका है।
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अपने विकल्पों को खुला रखते हुए अमेरिका और यूरोपीय संघ ने संकेत दिया है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर एक साल से भी ज्यादा वक्त के बाद उसके साथ बातचीत बहाल हो सकती है। यह बातचीत शुरू होने का मार्ग तब प्रशस्त हुआ है, जब ईरान वार्ता से पहले किसी तरह की शर्त न रखने पर राजी हो गया है।टिप्पणियां अमेरिकी और यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने सतर्कता बरतते हुए आशा जताई कि ईरान नए सिरे से होने वाली वार्ता में प्रमुख देशों को शामिल करने की इच्छा जाहिर कर सकता है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी वार्ता परमाणु मुद्दे पर केंद्रित होनी चाहिए। यूरोपीय विदेश नीति के प्रमुख कैथरीन एश्टन ने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह देखना बड़ा अच्छा है कि पत्र मिल गया है और इस बात की पुरजोर संभावना है कि ईरान वार्ता की शुरुआत के लिए राजी हो सकता है।’’ एश्टन ने कहा कि बीते साल अक्टूबर में हमने जो पत्र भेजा था, उसके जवाब में ईरान ने हमें एक पत्र भेजा था, जो हमें मिल गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने सहकर्मियों से मशविरा कर रहे हैं और इस बात का विश्लेषण कर रहे हैं कि इस पत्र के मायने क्या हैं।’’ क्लिंटन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान की ओर देख रहा है, ताकि ईरान दिखा सके कि वह एक गंभीर एवं रचनात्मक तरीके से वार्ता की मेज पर आने को तैयार है। अमेरिकी और यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने सतर्कता बरतते हुए आशा जताई कि ईरान नए सिरे से होने वाली वार्ता में प्रमुख देशों को शामिल करने की इच्छा जाहिर कर सकता है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी वार्ता परमाणु मुद्दे पर केंद्रित होनी चाहिए। यूरोपीय विदेश नीति के प्रमुख कैथरीन एश्टन ने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह देखना बड़ा अच्छा है कि पत्र मिल गया है और इस बात की पुरजोर संभावना है कि ईरान वार्ता की शुरुआत के लिए राजी हो सकता है।’’ एश्टन ने कहा कि बीते साल अक्टूबर में हमने जो पत्र भेजा था, उसके जवाब में ईरान ने हमें एक पत्र भेजा था, जो हमें मिल गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने सहकर्मियों से मशविरा कर रहे हैं और इस बात का विश्लेषण कर रहे हैं कि इस पत्र के मायने क्या हैं।’’ क्लिंटन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान की ओर देख रहा है, ताकि ईरान दिखा सके कि वह एक गंभीर एवं रचनात्मक तरीके से वार्ता की मेज पर आने को तैयार है। एश्टन ने कहा कि बीते साल अक्टूबर में हमने जो पत्र भेजा था, उसके जवाब में ईरान ने हमें एक पत्र भेजा था, जो हमें मिल गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने सहकर्मियों से मशविरा कर रहे हैं और इस बात का विश्लेषण कर रहे हैं कि इस पत्र के मायने क्या हैं।’’ क्लिंटन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान की ओर देख रहा है, ताकि ईरान दिखा सके कि वह एक गंभीर एवं रचनात्मक तरीके से वार्ता की मेज पर आने को तैयार है।
बचपन में एंटोनियोनी को चित्रकारी और संगीत का शौक था। एक असामयिक वायलिन वादक, उन्होंने नौ साल की उम्र में अपना पहला संगीत कार्यक्रम दिया। हालाँकि किशोरावस्था में सिनेमा की खोज के साथ उन्होंने वायलिन बजाना छोड़ दिया, लेकिन चित्रकारी उनका आजीवन जुनून बना रहा। "मैंने कभी भी, यहां तक ​​कि एक बच्चे के रूप में, कठपुतली या सिल्हूट नहीं बनाए, बल्कि घरों और दरवाजों के मुखौटे बनाए। मेरे पसंदीदा खेलों में से एक में शहरों को व्यवस्थित करना शामिल था। वास्तुकला में अनभिज्ञ, मैंने छोटी-छोटी आकृतियों से भरी इमारतों और सड़कों का निर्माण किया। मैंने कहानियों का आविष्कार किया उनके लिए। बचपन की ये घटनाएँ - मैं ग्यारह साल का था - छोटी फिल्मों की तरह थीं। "अर्थशास्त्र में डिग्री के साथ बोलोग्ना विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद, उन्होंने 1935 में एक फिल्म पत्रकार के रूप में स्थानीय फेरारा समाचार पत्र इल कोरिएरे पाडानो के लिए लिखना शुरू किया।
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में सेमरा और सुगौली रेलवे स्टेशन के बीच आज मानव सहित रेलवे क्रासिंग पर ऑटोरिक्शा मुजफ्फरपुर से देहरादून जा रही राप्ती-गंगा एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गया, जिससे उस पर सवार 20 लोगों की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार ने बताया कि छिनौता गांव के समीप मानव सहित रेल फाटक पर हुए इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर अब 20 हो गई हैं, जबकि इस दुर्घटना में दो अन्य घायल हो गए हैं। मरने वाले में आठ बच्चे भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हताहत हुए लोगों में कई के ट्रेन इंजन में फंस जाने से दूर तक घिसटने से उनके शव के क्षतविक्षत हो गए और उनकी पहचान किया जाना मुश्किल है। सुधीर ने कहा कि यह दुर्घटना ऑटोरिक्शा चालक द्वारा गुजर रही ट्रेन से पूर्व रेल गुमटी को पार कर लेने की कोशिश के कारण हुई। मृतकों में शामिल अधिकांश लोगों के एक परिवार के होने की संभावना जताते हुए कहा कि इस हादसे में घायल हुए लोगों को जिला मुख्यालय मोतिहारी स्थित एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर केन्‍द्र सरकार की योजना पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और CNG गाड़ियों के लिए ब्लू स्टिकर और डीजल गाड़ियों में नारंगी स्टिकर लगाने की योजना बनाई है ताकि उनकी पहचान हो सके. आगामी 15 सिंतबर से पहले दिल्ली-एनसीआर की गाड़ियों पर होलोग्राम स्टिकर होंगे. केंद्र सरकार ने प्रदूषण को लेकर योजना दी थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. पेट्रोल-सीएनजी वाहनों के लिए हल्का नीला स्टिकर प्रयुक्त किया जाएगा. खास बात ये है कि वाहनों पर लगने वाले यह स्टीकर ‘सेल्फ डेस्ट्रेकेटिव’ होंगे. यानी एक निश्चित अवधि के बाद खुद ही खत्म हो जाएंगे. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. पुराने वाहनों के NCR में चलने पर NGT ने रोक लगा रखी है.टिप्पणियां केंद्र ने हलफनामे में कहा है पेरिस में इसी तरह 6 वर्गों के अलग-अलग स्टीकर बनाए गए हैं. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. यग योजना ईवन-ऑड स्कीम से ज़्यादा व्यवहारिक और वैज्ञानिक है. सरकार ने कहा कि 'अपने वाहन की खुद जानकारी' देने वाले स्टीकर विंड स्क्रीन पर ऊपर बाईं ओर लगाए जाएंगे. इसके लिए सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव करेगी. दरअसल, केंद्र सरकार ने प्रदूषण को लेकर योजना दी थी. दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि BS-3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट की योजना पर विचार कर रही है. बाद में केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट तय की गई है, लेकिन नंबर प्लेट से अच्छी योजना होलोग्राम स्टीकर की है जिससे दूर से ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का पता चल सकेगा. केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या BS- 3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट लागू की जा सकती है ताकि उनकी आसानी से पहचान हो सके. आगामी 15 सिंतबर से पहले दिल्ली-एनसीआर की गाड़ियों पर होलोग्राम स्टिकर होंगे. केंद्र सरकार ने प्रदूषण को लेकर योजना दी थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. पेट्रोल-सीएनजी वाहनों के लिए हल्का नीला स्टिकर प्रयुक्त किया जाएगा. खास बात ये है कि वाहनों पर लगने वाले यह स्टीकर ‘सेल्फ डेस्ट्रेकेटिव’ होंगे. यानी एक निश्चित अवधि के बाद खुद ही खत्म हो जाएंगे. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. पुराने वाहनों के NCR में चलने पर NGT ने रोक लगा रखी है.टिप्पणियां केंद्र ने हलफनामे में कहा है पेरिस में इसी तरह 6 वर्गों के अलग-अलग स्टीकर बनाए गए हैं. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. यग योजना ईवन-ऑड स्कीम से ज़्यादा व्यवहारिक और वैज्ञानिक है. सरकार ने कहा कि 'अपने वाहन की खुद जानकारी' देने वाले स्टीकर विंड स्क्रीन पर ऊपर बाईं ओर लगाए जाएंगे. इसके लिए सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव करेगी. दरअसल, केंद्र सरकार ने प्रदूषण को लेकर योजना दी थी. दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि BS-3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट की योजना पर विचार कर रही है. बाद में केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट तय की गई है, लेकिन नंबर प्लेट से अच्छी योजना होलोग्राम स्टीकर की है जिससे दूर से ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का पता चल सकेगा. केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या BS- 3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट लागू की जा सकती है ताकि उनकी आसानी से पहचान हो सके. पेट्रोल-सीएनजी वाहनों के लिए हल्का नीला स्टिकर प्रयुक्त किया जाएगा. खास बात ये है कि वाहनों पर लगने वाले यह स्टीकर ‘सेल्फ डेस्ट्रेकेटिव’ होंगे. यानी एक निश्चित अवधि के बाद खुद ही खत्म हो जाएंगे. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. पुराने वाहनों के NCR में चलने पर NGT ने रोक लगा रखी है.टिप्पणियां केंद्र ने हलफनामे में कहा है पेरिस में इसी तरह 6 वर्गों के अलग-अलग स्टीकर बनाए गए हैं. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. यग योजना ईवन-ऑड स्कीम से ज़्यादा व्यवहारिक और वैज्ञानिक है. सरकार ने कहा कि 'अपने वाहन की खुद जानकारी' देने वाले स्टीकर विंड स्क्रीन पर ऊपर बाईं ओर लगाए जाएंगे. इसके लिए सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव करेगी. दरअसल, केंद्र सरकार ने प्रदूषण को लेकर योजना दी थी. दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि BS-3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट की योजना पर विचार कर रही है. बाद में केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट तय की गई है, लेकिन नंबर प्लेट से अच्छी योजना होलोग्राम स्टीकर की है जिससे दूर से ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का पता चल सकेगा. केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या BS- 3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट लागू की जा सकती है ताकि उनकी आसानी से पहचान हो सके. केंद्र ने हलफनामे में कहा है पेरिस में इसी तरह 6 वर्गों के अलग-अलग स्टीकर बनाए गए हैं. इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी. यग योजना ईवन-ऑड स्कीम से ज़्यादा व्यवहारिक और वैज्ञानिक है. सरकार ने कहा कि 'अपने वाहन की खुद जानकारी' देने वाले स्टीकर विंड स्क्रीन पर ऊपर बाईं ओर लगाए जाएंगे. इसके लिए सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव करेगी. दरअसल, केंद्र सरकार ने प्रदूषण को लेकर योजना दी थी. दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि BS-3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट की योजना पर विचार कर रही है. बाद में केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट तय की गई है, लेकिन नंबर प्लेट से अच्छी योजना होलोग्राम स्टीकर की है जिससे दूर से ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का पता चल सकेगा. केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या BS- 3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट लागू की जा सकती है ताकि उनकी आसानी से पहचान हो सके. दरअसल, केंद्र सरकार ने प्रदूषण को लेकर योजना दी थी. दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि BS-3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट की योजना पर विचार कर रही है. बाद में केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट तय की गई है, लेकिन नंबर प्लेट से अच्छी योजना होलोग्राम स्टीकर की है जिससे दूर से ही प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का पता चल सकेगा. केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या BS- 3,4,6 गाड़ियों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट लागू की जा सकती है ताकि उनकी आसानी से पहचान हो सके.
सूचना का अधिकार (आरटीआई) से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए हर साल होने वाले केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के खुले सम्मेलन में इस बार सिर्फ आयुक्त ही भाग ले सकेंगे. क्योंकि मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली है, जो इस प्रकार के प्रशासनिक फैसले लेते हैं. आरटीआई कार्यकर्ताओं का मानना है कि आरटीआई कानून की 10वीं वषर्गांठ के मौके पर पारदर्शी कानून का मूल्यांकन करने और आगे के बारे में फैसला करने के लिए सालाना सम्मेलन एक आदर्श मंच होता. सीआईसी के सालाना सम्मेलनों को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कई मंत्री संबोधित कर चुके हैं. सीआईसी सूत्रों ने कहा कि इस प्रकार के प्रशासनिक फैसले सिर्फ मुख्य सूचना आयुक्त ही कर सकते हैं और नई सरकार ने अभी तक मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति नहीं की है. आखिरी मुख्य सूचना आयुक्त राजीव माथुर के अवकाश ग्रहण करने के बाद आयोग का अध्यक्ष पद खाली है, लिहाजा आयोग ने सम्मेलन में भाग न लेने का फैसला किया. कुछ सूत्रों ने यह भी कहा कि सम्मेलन में प्रधानमंत्री की मौजूदगी के बारे में पीएमओ की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है.
थ्रीडी एनिमेटेड कॉमेडी फिल्म 'द एंग्री बर्ड्स' का ट्रेलर रिलीज हो गया है. यह फिल्म एंग्री बर्ड गेम से प्रेरित है. फिल्म की कहानी एक टापू की है जिस पर हमेशा खुश रहने और उड़ न पाने वाले पक्षी रहते हैं. इस जन्नत में, रेड नाम की चिड़िया है जिसका मिजाज सबके लिए समस्या है जबकि बॉम्ब और चक को बाहरी माना जाता है. असली सिरदर्द उस समय पैदा होता है जब इस टापू पर रहस्यमय ग्रीन पिगिस आते हैं. बस इसके बाद मजेदार कहानी शुरू हो जाती है. फिल्म को फर्गल रिली और क्ले कैटिस ने डायरेक्ट किया है जबकि हॉलीवुड के कई बड़े सितारे इसमें डबिंग कर रहे हैं. फिल्म 3 जून को अंग्रेजी और हिंदी में रिलीज होगी. देखें थ्रीडी एनिमेटेड कॉमेडी फिल्म 'द एंग्री बर्ड्स' का ट्रेलर:
नए नवेले कप्तान विराट कोहली के शानदार शतक की बदौलत टीम इंडिया मेजबान जिम्‍बाब्‍वे के खिलाफ सीरीज का पहला मैच जीत चुकी है. पांच मैचों की सीरीज के दूसरे मुकाबले को भी जीतकर टीम इंडिया अपनी लय बनाए रखना चाहेगी. जिम्बाब्वे के कप्तान ब्रैंडन टेलर ने भारत के खिलाफ हरारे स्‍पोर्ट्स क्‍लब में होने वाले दूसरे वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट मैच में टॉस की भूमिका को अहम करार देते हुए कहा कि उनके बल्लेबाजों को अधिक सकारात्मक रवैया दिखाना होगा. टेलर को विश्वास है कि यदि वह टॉस जीतने में सफल रहते हैं तो फिर उनकी टीम सीरीज बराबर करने में सफल हो सकती है. उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि टॉस महत्वपूर्ण है. इससे भारत की हमारे खिलाफ शानदार जीत का महत्व कम नहीं हो जाता है. मेरा मानना हैं कि उन्होंने दिखाया कि आखिर वह दुनिया की नंबर एक टीम क्यों है.’ टेलर ने कहा, ‘दुर्भाग्य से टॉस हमारा साथ नहीं दे पाया, लेकिन हमारे बल्लेबाजों को सकारात्मक रवैया अपनाने की जरूरत है. क्योंकि इसी से हम बेहतर टीमों के खिलाफ जीत सकते हैं. हमने इस पर चर्चा भी की.’ भारतीय सलामी बल्लेबाज के तौर पर सफलता के झंडे गाड़ने वाले रोहित शर्मा को पहले ही मैच में नाकामी खल रही होगी, लेकिन वह इसकी भरपाई दूसरे मैच में करना चाहेंगे. यही हाल शिखर धवन और सुरेश रैना का है, जो शुक्रवार को निश्चित तौर पर हरारे स्पोर्ट्स क्लब मैदान पर बड़ी पारियां खेलने की मंशा से उतरेंगे. रैना के लिए जिम्बाब्वे दौरा अब तक अच्छा नहीं रहा है. 2010 में कप्तान के तौर पर यहां त्रिकोणीय सीरीज खेलने वाले रैना को इस बात की राहत होगी कि भारतीय टीम ने जिम्बाब्वे से पिछली सीरीज में मिली लगातार दो हार का हिसाब बराबर कर लिया. लेकिन इस अफ्रीकी देश में उनका व्यक्तिगत प्रदर्शन उनके लिए चिंता का विषय है. स्ट्राइक गेंदबाज के तौर पर विनय कुमार को अपने युवा साथियों के लिए प्रेरणा बनना होगा, क्योंकि पहले मैच में उन्होंने नौ ओवरों में 57 रन खर्च किए थे. कप्तान ने जिन छह गेंदबाजों को पहले मैच में आजमाया था, उनमें से विनय सबसे महंगे साबित हुए थे. विनय को अब मुख्‍य तेज गेंदबाज बनकर टीम की जीत में योगदान देना होगा. टीम इस प्रकार हैं: जिम्‍बाब्‍वे: ब्रेंडन टेलर (कप्‍तान), टीएल चतरा, एल्‍टन चिगुम्बुरा, मिशेल चिनौया, ग्रीम क्रेमर, काइल जार्विस, टी मरुमा, हेमिल्‍टन मसाकाद्जा, एन मुशांगवे, टीसी मुटोम्‍बोजी, रे प्राइस, वूसी सिबांडा, सिकंदर रजा, प्रोस्‍पर उत्सेया, ब्रायन विटोरी, एमएन वालर, सीन विलियम्स भारत: वी कोहली (कप्‍तान), शिखर धवन, रविंद्र जडेजा, दिनेश कार्तिक, अमित मिश्रा, मोहम्मद शमी, परवेज रसूल, चेतेश्‍वर पुजारा, अंबाती रायुडू, अजिंक्‍य रहाणे, सुरेश रैना, मोहित शर्मा, जयदेव उनादकत, विनय कुमार
आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय के साथ तलाक लेने का ऐलान करने के बाद से ही पटना से दूर वृंदावन में प्रवास कर रहे हैं और मंदिर-मंदिर घूमकर भक्ति में लीन है. तेज प्रताप और ऐश्वर्या के परिवार की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि वह अपनी पत्नी को तलाक देने का फैसला बदल दें. इसके साथ ही तेज प्रताप को पटना वापस लाने की भी कवायद चल रही है. लेकिन इन तमाम कोशिशों के बावजदू तेज प्रताप समझौते के मूड में नहीं लग रहे हैं. दरअसल,  तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर दोहे के जरिए अपने मन की स्थिति बताई है. गुरुवार देर रात उन्होंने सोशल मीडिया पर रहीम के दोहे की एक पंक्ति लिखी- "... टूटे से फिर ना जुटे, जुटे गांठ परि जाय." ...टूटे से फिर ना जुटे, जुटे गाॅठ परि जाये ।। — Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) November 22, 2018 क्या है दोहे का मतलब रहीम का पूरा दोहा इस प्रकार है “रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय.. टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय” जिसका मतलब होता है प्रेम के धागे को कभी तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि यह यदि एक बार टूट जाता है तो फिर दोबारा नहीं जुड़ता है और यदि जुड़ता भी है तो गांठ पड़ जाती है.हालांकि, तेज प्रताप ने कुछ बदलाव के साथ इस दोहे को ट्वीट किया. क्या है इसके मायने तेज प्रताप के इस पोस्ट से कहीं न कहीं साफ हो रहा है कि उनके ऊपर ऐश्वर्या के साथ विवाद सुलझाने का दबाव है, लेकिन वह रिश्ता नहीं निभाना चाहते हैं. इस पोस्ट के जरिए तेज प्रताप में स्पष्ट कर दिया है कि ऐश्वर्या के साथ अगर वह विवाद सुलझा भी लेते हैं तब भी दोनों के रिश्ते पहले की तरह मधुर नहीं हो सकते हैं. आज प्रयागराज जाने की उम्मीद इस बात की भी खबर मिली है कि तेज प्रताप ने मंगलवार को अपनी मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से फोन पर बात की. इस दौरान उन्हें आश्वासन दिया कि 23 नवंबर यानी आज कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर वह प्रयागराज पहुंचेंगे और गंगा में डुबकी लगाने के बाद पटना वापस आ जाएंगे.
गोवा में बीजेपी (BJP) नेतृत्व वाली प्रमोद सावंत सरकार (Pramod Sawant Government) के शपथ ग्रहण करने के सात दिन बाद ही उलटफेर हो गया. गोवा (Goa) की गठबंधन सरकार में सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) के कुल तीन विधायकों में से दो बीजेपी में शामिल हो गए. इस पार्टी के नेता और उप मुख्यमंत्री सुदीन धवलीकर (Sudin Dhavalikar) को पद से हटा दिया गया. गोवा के सबसे पुराने राजनीतिक दल एमजीपी के सामने अब संकट पैदा हो गया है.     महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) के दो विधायकों के अपनी पार्टी से अलग होकर सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) में शामिल होने के बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) ने उप मुख्यमंत्री सुदीन धवलीकर (Sudin Dhavalikar) को बुधवार को कैबिनेट से हटा दिया. धवलीकर एमजीपी के एकमात्र विधायक थे, जो पार्टी से अलग नहीं हुए थे. धवलीकर ने बीजेपी के इस कदम को ‘‘चौकीदारों की डकैती'' करार दिया. सावंत ने गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के नाम संबोधित पत्र में धवलीकर को हटाए जाने की सूचना दी. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सुदीन धवलीकर को कैबिनेट से हटा दिया है. रिक्त सीट को भरने का निर्णय शीघ्र लिया जाएगा.'' एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार सिन्हा ने धवलीकर को हटाए जाने की मुख्यमंत्री की सिफारिश स्वीकार कर ली. धवलीकर ने कहा, ‘‘जिस तरह से चौकीदारों ने एमजीपी पर आधी रात को डकैती की, लोग उसे देखकर हैरान हैं. लोग देख रहे हैं और वे तय करेंगे कि आगे क्या करना है.'' उन्होंने दावा किया कि एमजीपी लोगों का संगठन है और इस प्रकार के कदमों से वह खत्म नहीं होगी. धवलीकर को परिवहन एवं लोक कल्याण मंत्रालय सौंपे गए थे जिनका कार्यभार अब स्वयं सावंत संभालेंगे. फिलहाल नई दिल्ली में मौजूद राज्यपाल सिन्हा ने अपना दौरा समय से पूर्व समाप्त कर दिया है. वे धवलीकर का स्थान लेने वाले नए मंत्री को शपथ ग्रहण कराने के लिए बुधवार की शाम को गोवा पहुंचेंगी. विधायक मनोहर अजगांवकर और दीपक पावस्कर ने गोवा विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष माइकल लोबो को पत्र दिया था जिसमें एमजीपी विधायक दल के भाजपा में विलय की बात कही गई थी. हालांकि एमजीपी के तीसरे विधायक सुदीन धवलीकर के इस पर हस्ताक्षर नहीं हैं. गौरतलब है कि महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी वह राजनीतिक दल है जो सन 1961 में पुर्तगाली शासन खत्म होने के बाद सबसे पहले सत्तासीन हुआ था. पिछले 20 सालों में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन धावलीकर ने अपनी पार्टी को जीवंत बनाए रखा. (इनपुट भाषा से भी)
चैंपियंस ट्रॉफी के खिताबी मुकाबले में 14 बार के चैंपियन ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय पुरुष हॉकी टीम को शिकस्त देकर खिताब पर कब्जा कर लिया है. ऑस्ट्रेलिया ने 15वीं बार चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया है. ऑस्ट्रेलिया ने भारत को शूटआउट में 3-1 (1-1) से हराकर चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर लिया जबकि भारत दूसरी बार फाइनल में पहुंचने के बावजूद पहला खिताब नहीं जीत सका. निर्धारित समय तक दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर थीं. मैच का पहला गोल ऑस्ट्रेलिया के लिए गोवर्स ने 24वें मिनट में किया था जबकि भारत के विवेक सागर ने 42वें मिनट में गोल करते हुए स्कोर बराबर कर दिया था. इससे पहले साल 2016 में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी में भारत को फाइनल में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने शिकस्त देकर खिताब पर कब्जा किया था.  भारत अब तक चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब नहीं जीत सका है. चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी: नीदरलैंड्स को मात देकर फाइनल में पहुंचा भारत शूटआउट में ऑस्ट्रेलिया के लिए जेलेवस्की, बीले और जेरेमी एडवर्ड ने गोल किए जबकि भारत के लिए मनप्रीत सिंह ने एकमात्र गोल दागा. भारत की ओर से सरदार सिंह, ललित उपाध्याय और हरमनप्रीत सिंह गोल नहीं कर सके. भारतीय टीम मुकाबले के पहले क्वार्टर में मिले दो पेनाल्टी कॉर्नर का फायदा नहीं पाई जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 24वें मिनट में पहले ही पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल में तब्दील कर 1-0 की बढ़त हासिल कर ली. ऑस्ट्रेलिया के लिए यह गोल गोवर्स ने दागा. ऑस्ट्रेलिया ने इस बढ़त को हाफ टाइम तक कायम रखा. दूसरे हाफ में 33वें मिनट में भारत को उसका चौथा पेनाल्टी कॉर्नर हासिल हुआ. लेकिन मनप्रीत इस मौके को गले नहीं लगा पाए. भारत ने अपना आक्रमण जारी रखा और 37वें मिनट में भारत ने पेनाल्टी के लिए रेफरल मांगा लेकिन उसका यह रेफरल खारिज कर दिया गया. शोएब मालिक ने कोहली को छोड़ा पीछे, टी-20 में पूरे किए 2000 रन मुकाबले के 42वें मिनट में भारत को उस समस एक बड़ी सफलता हाथ लगी जब विवेक सागर प्रसाद ने मैदानी गोल कर स्कोर 1-1 से बराबरी पर ला दिया. भारत ने तीसरे क्वार्टर की समाप्ति तक इस बराबरी को कायम रखा. मैच का चौथा और आखिरी क्वार्टर काफी रोमांचक रहा. भारत के पास 54वें मिनट में बढ़त लेने का मौका था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के गोलकीपर ने इसका शानदार बचाव कर भारतीय टीम को बढ़त नहीं लेने दिया. मुकाबला समाप्त होने को पांच मिनट बचा था लेकिन दोनों टीमों में से कोई भी बढ़त नहीं ले पाई और मुकाबला शूटआउट में चला गया, जहां ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 3-1 से शिकस्त देकर खिताब जीत लिया. इससे पहले, छह टीमों की इस टूर्नामेंट में मेजबान नीदरलैंड्स ने दिन के एक अन्य मैच में ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना को 2-0 से हराकर तीसरा स्थान हासिल किया. वहीं बेल्जियम ने पाकिस्तान को 2-1 से मात देकर पांचवां स्थान प्राप्त किया.
गणतंत्र दिवस परेड में सोमवार को 16 राज्यों और कुछ विभागों की रंगबिरंगी झांकियों ने राजपथ पर देश की सांस्कृतिक विरासत को साकार करने के साथ ही देशभर में सरकार द्वारा चलाए जा रहे विविध कार्यक्रमों की बानगी पेश की. कर्नाटक के चन्नापटना खिलौनों से जम्मू और कश्मीर के लोक नृत्य तक, 16 राज्यों ने परेड में अपनी सांस्कृतिक विरासत और जैवविविधता का प्रदर्शन किया. 66वें गणतंत्र दिवस के लिए विशेष रूप से सजाए गए राजपथ पर झांकियों के कारवां की शुरुआत कर्नाटक की झांकी से हुई, जिसमें लकड़ी के रंग बिरंगे चन्नापटना खिलौने दिखाए गए थे. इसके बाद आंध्र प्रदेश की झांकी में मकर संक्रांति उत्सवों की रौनक दिखाई गई थी. असम की झांकी का मूल विषय मजौली था. उत्तर प्रदेश की झांकी वाजिद अली शाह पर केंद्रित थी. इस झांकी में सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया गया. गुजरात की झांकी सरदार सरोवर परियोजना और स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को ध्यान में रखकर बनाई गई थी. अरुणाचल प्रदेश की झांकी में वहां की इदु मिशमी जनजाति के इगु डांस को प्रदर्शित किया गया था. औद्योगिक उत्पादन और प्रसार विभाग ने मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मेड इन इंडिया’ योजना को अपनी झांकी का आधार बनाया, तो सीपीडब्ल्यूडी ने अपनी झांकी मां गंगा को समर्पित की. इसी तरह वित्तीय सेवा विभाग ने जन धन योजना को मूल विषय के रूप में रखकर झांकी का निर्माण किया. कानून और विधि मंत्रालय ने ‘वॉक ऑफ जस्टिस’’ के मूल विषय के साथ लोक अदालत का प्रदर्शन किया. इस वर्ष की परेड में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, असम, झारखंड, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात ने अपनी झांकियां पेश कीं. पिछले साल पश्चिम बंगाल की झांकी को सर्वश्रेष्ठ झांकी का खिताब दिया गया था.
समाज में असमानता की निंदा करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने रविवार को आरक्षण का समर्थन किया और कहा कि भेदभाव का शिकार लोगों को गैर-बराबरी से निकालने के लिए आरक्षण जरूरी है. हालांकि संघ ने आरक्षण के मुद्दे पर राजनीति को सही नहीं बताया. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा, ‘हम आरक्षण का समर्थन करते हैं. जब तक समाज में असमानता रहेगी, आरक्षण जरूरी है. गैर-बराबरी का सामना कर रहे लोगों को समानता के दायरे में लाने के लिए हमें आरक्षण की जरूरत है. लेकिन इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि 1000 वर्षों से इन लोगों ने देश के फायदे के लिए अन्याय सहा. भागवत ने कहा, ‘जिन वजहों से उन्होंने सहा, अब ये वजहें नहीं रहीं क्योंकि हमें स्वतंत्रता मिल गयी है. अब हमारी जिम्मेदारी उन्हें बराबरी का हक दिलाना है.’ संघ प्रमुख ने कहा कि विकास की अपेक्षा रखने वाला समाज लंबे समय तक यह नहीं होने दे सकता और आजादी के बाद समानता पाने का उद्देश्य पूरा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय कहते थे कि सभी को बराबरी में लाना है तो ऊपर के लोगों को झुककर अपने हाथ वंचित लोगों तक बढ़ाने चाहिए. समारोह में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने भी मंच साझा किया.
"सिक्स सिग्मा" को 11 जून 1991 को यू.एस. सर्विस मार्क 1,647,704 के रूप में पंजीकृत किया गया था। 2005 में मोटोरोला ने 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की बचत का श्रेय सिक्स सिग्मा को दिया। सिक्स सिग्मा को अन्य शुरुआती अपनाने वालों में हनीवेल और जनरल इलेक्ट्रिक शामिल हैं, जहां जैक वेल्च ने इस पद्धति की शुरुआत की। 1990 के दशक के अंत तक, फॉर्च्यून 500 संगठनों में से लगभग दो-तिहाई ने लागत कम करने और गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से सिक्स सिग्मा पहल शुरू कर दी थी। हाल के वर्षों में, कुछ चिकित्सकों ने सिक्स सिग्मा विचारों को लीन विनिर्माण के साथ जोड़कर लीन सिक्स नामक एक पद्धति बनाई है। सिग्मा. लीन सिक्स सिग्मा पद्धति लीन मैन्युफैक्चरिंग को देखती है, जो प्रक्रिया प्रवाह और अपशिष्ट मुद्दों को संबोधित करती है, और सिक्स सिग्मा, विविधता और डिजाइन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, "व्यावसायिक और परिचालन उत्कृष्टता" को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूरक विषयों के रूप में देखती है। 2011 में, मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (आईएसओ) ने सिक्स सिग्मा प्रक्रिया को परिभाषित करने वाला पहला मानक "आईएसओ 13053:2011" प्रकाशित किया है। अन्य मानक अधिकतर विश्वविद्यालयों या कंपनियों द्वारा बनाए गए हैं जिनके पास सिक्स सिग्मा के लिए प्रथम-पक्ष प्रमाणन कार्यक्रम हैं।
चुनाव आयोग ने दारूल उलूम देवबंद के पूर्व कुलपति मौलाना गुलाम मोहम्मद वस्तानवी को उनके चुनावी भाषण के मामले में क्लीन चिट दे दी. भाजपा ने वस्तानवी के भाषण को ‘भड़काउ’ और आचार संहिता का उल्लंघन बताया था. सूरत के मांडवी में 22 अक्तूबर को आयोजित कांग्रेस की एक चुनावी रैली में उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि ‘जालिम’ की तारीफ करना अपराध है और उन्होंने कभी मोदी की प्रशंसा नहीं की. वस्तानवी ने कथित तौर पर अल्पसंख्यकों से कांग्रेस को वोट करने की अपील की थी. भाजपा ने भाषण को भड़काउ करार देते हुए चुनाव आयोग में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी और इसे आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन बताया था. चुनाव आयोग ने पार्टी को भेजे पत्र में कहा कि उन्हें जांच के बाद वस्तानवी द्वारा सार्वजनिक रैली में दिए गए भाषण और अपील में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला. इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई जरूरी नहीं बनती है . मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पूरे कार्यक्रम की सीडी देखने के बाद आयोजक और दो वक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है लेकिन वस्तानवी के मामले में आदर्श चुनाव संहिता का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया.
यह एक लेख है: जर्मनी के फुटबॉल क्लब श्हाल्के-04 के निदेशक और संचार प्रमुख होर्स्ट हेल्डट ने अपना करार 2016 तक के लिए बढ़ा लिया है। क्लब ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से इसकी जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक इस करार पर अंतिम रूप से हस्ताक्षर नहीं हुआ है लेकिन क्लब ने कहा है कि हेल्डट के करार का नवीकरण अगले तीन साल के लिए करने पर सहमति बन गई है।टिप्पणियां हेल्डट ने क्लब के बोर्ड प्रमुख क्वीमेंस टोनीस के साथ हाथ मिलाकर अपने करार के नवीकरण को लेकर सहमति जताई। हेल्डट ने वर्ष 2010 में बुंडेशलीगा प्रतिद्वंद्वी क्लब स्टटगार्ट से आकर श्हाल्के के साथ तीन साल का करार किया था। मौजूदा समय में जर्मन लीग में श्हाल्के चौथे क्रम पर है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक इस करार पर अंतिम रूप से हस्ताक्षर नहीं हुआ है लेकिन क्लब ने कहा है कि हेल्डट के करार का नवीकरण अगले तीन साल के लिए करने पर सहमति बन गई है।टिप्पणियां हेल्डट ने क्लब के बोर्ड प्रमुख क्वीमेंस टोनीस के साथ हाथ मिलाकर अपने करार के नवीकरण को लेकर सहमति जताई। हेल्डट ने वर्ष 2010 में बुंडेशलीगा प्रतिद्वंद्वी क्लब स्टटगार्ट से आकर श्हाल्के के साथ तीन साल का करार किया था। मौजूदा समय में जर्मन लीग में श्हाल्के चौथे क्रम पर है। हेल्डट ने क्लब के बोर्ड प्रमुख क्वीमेंस टोनीस के साथ हाथ मिलाकर अपने करार के नवीकरण को लेकर सहमति जताई। हेल्डट ने वर्ष 2010 में बुंडेशलीगा प्रतिद्वंद्वी क्लब स्टटगार्ट से आकर श्हाल्के के साथ तीन साल का करार किया था। मौजूदा समय में जर्मन लीग में श्हाल्के चौथे क्रम पर है। हेल्डट ने वर्ष 2010 में बुंडेशलीगा प्रतिद्वंद्वी क्लब स्टटगार्ट से आकर श्हाल्के के साथ तीन साल का करार किया था। मौजूदा समय में जर्मन लीग में श्हाल्के चौथे क्रम पर है।
गौरतलब है कि अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से गुरुवार को दाखिल चार्जशीट में अहमद पटेल और किसी 'श्रीमती गांधी' का जिक्र किया गया है.  यह चार्जशीट इस डील के मुख्य आरोपी क्रिश्चेन मिशेल के खिलाफ दाखिल की गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बताया है कि पूछताछ के दौरान क्रिश्चेन मिशेल ने 'एपी' और 'फैम' का जिक्र किया है जिसका मतलब अहमद पटेल और फैम का मतलब फैमिली है. ईडी को जो डायरी मिली है उसमें एपी और फैम कोडवर्ड की तरह लिखे गए हैं.  52 पन्नों की चार्जशीट और उसके साथ 3 हजार पन्नों की पूरक चार्जशीट में तीन नए नाम भी सामने हैं जिसमें मिशेल का बिजनेस पार्टनर डिवेड सेम और दो कंपनियां हैं. चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि क्रिश्चेन मिशेल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर दबाव डालने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का इस्तेमाल किया था.
भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को मथुरा में हुई हिंसा की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. पार्टी का मानना है कि यह घटना सपा सरकार और भूमाफियाओं के कथित गठजोड़ का नतीजा है. बीजेपी ने यूपी सरकार पर साधा निशाना पार्टी के महासचिव श्रीकांत शर्मा ने उत्तर प्रदेश सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, ' जवाहरबाग में जमे हुए अतिक्रमणकारियों को अखिलेश सरकार का संरक्षण प्राप्त है. इसलिए उनके खिलाफ इतने लंबे समय से कोई सक्षम कार्यवाही नहीं की गई.' सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले सिंचाई एवं लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल यादव के बीजेपी पर दिए गए कथित बयान 'लाशों की राजनीति करती है भाजपा' का जवाब देते हुए शर्मा ने कहा, 'उन्हें यह तो जनता पर ही छोड़ देना चाहिए कि कौन सी पार्टी लाशों की राजनीति करती है. जनता खुद फैसला कर लेगी.' बीजेपी ने की सीबीआई जांच की मांग उन्होंने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसे मथुरा को कलंकित करने वाला प्रकरण बताया. उन्होंने प्रदेश के अधिकारियों पर भरोसा नहीं जताते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो से ही जांच कराए जाने की मांग की है. उन्होंने बताया कि भारतीय जनता पार्टी इस घटना के विरोध में शनिवार को सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक कलक्ट्रेट पर धरना देगी.
बोर्ड के नए मानकों के अनुसार वरिष्ठ खिलाड़ियों को टीम इंडिया में वापसी के लिए अनिवार्य रूप से न्यूनतम 16.1 से लेकर 16.5 या 17 का स्कोर करना होगा. ऐसे में अब आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जब युवी व रैना जैसे तेज तर्रार खिलाड़ियों के लिए 16.1 स्कोर लाने के लिए ही लाले पड़ रहे थे, तो इस नए मानक पर ये कैसे खरे उतरेंगे.बहरहाल बोर्ड ने साफ कर दिया है कि टीम इंडिया में पहली बार आने वाले खिलाड़ियों के लिए न्यूनतम स्कोर 16.1 ही बना रहेगा.
यह लेख है: भारत में 'धार्मिक असहिष्णुता' के बारे में बात रखते हुए उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में इस समस्या के अलग-अलग आयाम हैं और इस पर ध्यान देने की तत्काल जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को मानवाधिकार उल्लंघनों, धार्मिक असहिष्णुता, तस्करी की चुनौती पर ध्यान देना चाहिए। कार्डिन ने कहा कि भारत का संघीय ढांचा सुशासन के लिए अनेक राष्ट्रीय नीतियों के प्रभाव क्षमता में अवरोध पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, 'भारत की संघीय व्यवस्था सुशासन को चुनौती देती है। हम संघवाद में भरोसा करते हैं। यह सही तरह की नीतियों के साथ देश की मदद कर सकता है।'टिप्पणियां कार्डिन ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध किसी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) कार्डिन ने कहा कि भारत का संघीय ढांचा सुशासन के लिए अनेक राष्ट्रीय नीतियों के प्रभाव क्षमता में अवरोध पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, 'भारत की संघीय व्यवस्था सुशासन को चुनौती देती है। हम संघवाद में भरोसा करते हैं। यह सही तरह की नीतियों के साथ देश की मदद कर सकता है।'टिप्पणियां कार्डिन ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध किसी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) कार्डिन ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध किसी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया है।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
यूपी में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है और पार्टियां चुनावी रण में कूदने को कमर कस चुकी हैं. इसी बीच इंडिया टुडे ग्रुप के लिए एक्सिस-माई इंडिया की ओर से किए गए ताजा ओपिनियन पोल के नतीजे बीजेपी के लिए खुशखबरी लेकर आए हैं. हालांकि इन्हीं नतीजों में केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के लिए एक नसीहत भी छिपी है कि अगर वो सीएम कैंडीडेट के बिना चुनाव मैदान में उतरती है तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. बीजेपी को मिलने जा रहा है पूर्ण बहुमत ओपिनियन पोल के नतीजों के मुताबिक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अपने दम पर पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है और उसे 206 से 216 सीटें मिल सकती हैं. राज्य की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी अपने मौजूदा अवतार में 92 से 97 सीटों तक सिमट सकती है. बीएसपी को 79 से 85 तो कांग्रेस को महज 5 से 9 सीटें मिलने का अनुमान है. बीजेपी के लिए सर्वे के उक्त आंकड़े जहां उत्साहवर्धक हैं, वहीं सीएम कैंडिडेट के बिना उतरना उसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. सर्वे में जब मुख्यमंत्री के पद पर जनता की पसंद के बारे में पूछा गया तो सबसे अधिक वोट मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मिले. अखिलेश इस मामले में 33% वोटरों की पसंद रहे जबकि मायावती को 25% ने सीएम के रूप में अपनी पहली पसंद बताया. सीएम कैंडिडेट की रेस में पिछड़ी पार्टी इन नतीजों से साफ है कि भले ही लोग बीजेपी को पसंद करते हों और राज्य की सत्ता में देखना चाहते हों लेकिन सीएम के रूप में उनकी पहली पसंद अखिलेश और दूसरी पसंद मायावती ही हैं. यानी अगर बीजेपी इन नेताओं के कद का सीएम कैंडिडेट आगे नहीं करती तो उसे मिल रही अपनी बढ़त गंवानी पड़ सकती है. बीजेपी के जिस नेता को लोगों ने सीएम कैंडिडेट के रूप में पसंद किया वो गृहमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह रहे. उन्हें 20% प्रतिभागियों ने अगले मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद बताया. हालांकि राजनाथ खुद ही अपने आप को इस पद की रेस से बाहर कर चुके हैं. शायद यही वजह कि पार्टी अपना सीएम कैंडिडेट घोषित करने में हिचक रही है लेकिन उसकी ये हिचक जीत की उसकी उम्मीदों को पलीता लगा सकती है. हाल ही में हुए कई राज्यों में चुनाव के नतीजे भी इस बात पर मुहर लगाते हैं कि लोग अब पार्टी से ज्यादा नेता को तरजीह देते हैं. बिहार, दिल्ली, बंगाल के चुनाव इसके बड़े उदाहरण हैं. लोकसभा चुनाव में भी लोगों ने 'बीजेपी' सरकार की बजाय 'मोदी' सरकार को प्राथमिकता दी. बीजेपी ने भी अपना स्लोगन 'अबकी बार-मोदी सरकार' रखा. यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की ऐतिहासिक जीत का श्रेय अखिलेश यादव को दिया गया क्योंकि पार्टी ने उनके नाम पर ही चुनाव लड़ा था.
यह लेख है: पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की ओर से शांति और मित्रता की बुनियाद पर विदेश नीति तामीर किए जाने के शाहिद खाकान अब्बासी के दावे पर सुषमा ने कहा था कि वह नहीं जानतीं कि जिन्ना ने किन सिद्धांतों की पैरवी की थी, लेकिन इतना जरूर कह सकती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पदभार संभालने के बाद शांति और दोस्ती का हाथ बढ़ाया. उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को यह जवाब देना चाहिए कि आपके देश ने इस प्रस्ताव को क्यों ठुकराया.’’ सुषमा ने अब्बासी को याद दिलाया कि नौ दिसंबर, 2015 को हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के लिए जब वह इस्लामाबाद पहुंची थीं तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने फैसला किया था कि भारत और पाकिस्तान बातचीत बहाल करनी चाहिए और इसे ‘समग्र द्विपक्षीय वार्ता’ नाम दिया.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सुपरस्टार शाहरुख खान का कहना है कि वह डायरेक्टर यश जौहर को याद करते हैं और वह उन्हें बहुत पंसद करते हैं. डायरेक्टर यश जौहर के बेटे करन जौहर ने अपने पिता के साथ शाहरुख खान की एक तस्वीर शेयर की थी. तस्वीर में 1998 की फिल्म 'डुप्लीकेट' की एक प्रेस कांफ्रेंस में दोनों एक-दूसरे के हाथ पकड़े हुए हैं. वहीं बॉलीवुड बादशाह ने तस्वीर रीट्वीट कर लिखा, 'मैं मेरे दोस्त को कितना याद करता हूं वह चले गए. टॉम अंकल को प्यार और मिस यू मोस्ट.' Oh how I miss my friends who are gone...love u Tom Uncle & miss u most... https://t.co/HCwAylHKX8 — Shah Rukh Khan (@iamsrk) September 1, 2015 सीने में संक्रमण के बाद जून 2004 को यश जौहर का निधन हो गया. उनकी मौत के बाद उनके बेटे करन ने धर्मा प्रोडक्शंस का कार्यभार संभाल लिया. शाहरुख और करन की काफी गहरी दोस्ती है, उन्होंने कई फिल्मों जैसे 'कुछ कुछ होता है' और 'कभी अलविदा ना कहना' में साथ काम किया है. आखिरी बार एक्टर-डायरेक्टर की जोड़ी ने 2010 में फिल्म ' माई नेम इज खान ' में साथ काम किया था. इनपुट: IANS
दिल्ली में गैंगरेप का शिकार हुई पैरामेडिकल छात्रा ने सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया है. मौत की खबर मिलने के बाद दिल्ली में सुरक्षा चौकस कर दी गई है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो सके. दिल्ली पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की है. दिल्ली पुलिस के बड़े अधिकारियों ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए अलर्ट किया गया है. दिल्ली के महत्वपूर्ण इलाकों में पुलिस तैनात कर दी गई है. इंडिया गेट के चारों तरफ बेरिकेटिंग की गई है. वहां जा सकने के तमाम रास्ते बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा जहां-जहां व्यवस्था गड़बड़ाने का अंदेशा है, वहां-वहां पुलिस बल तैनात है. पुलिस सुबह होने से पहले ही सभी जगहों को कवर कर लेना चाहती है.
भविष्य में आने वाली प्रौद्योगिकी से शराब पीने वालों को वाहन चलाने से रोकने में मदद मिलेगी और इससे कई जिंदगियां बचाई जा सकेंगी। मैसाचुसेट्स के शोधकर्ता एक ऐसी प्रणाली विकसित कर रहे हैं, जिसके तहत अगर चालक के रक्त में स्वीकार्य सीमा से अधिक अल्कोहल होगा, तो कार चालू ही नहीं होगी। इस नई तकनीक सुरक्षा के लिए चालक अल्कोहल परीक्षण प्रणाली में सेंसरों का इस्तेमाल किया जाएगा, जो दो संभावित तरीकों के जरिये चालकों के रक्त में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाएंगे। पहला तरीका चालक की सांस के जरिये और दूसरा तरीका चालक की त्वचा के जरिये अल्कोहल की मात्रा का पता लगाएगा। अगर प्रणाली में पाया जाता है कि चालक ने स्वीकार्य सीमा से अधिक अल्कोहल का सेवन किया है, तो वाहन चालू ही नहीं होगा। क्विनेटिक्यू नॉर्थ अमेरिका इंक द्वारा स्वीडन और न्यू मैक्सिको की कंपनियों के सहयोग से विकसित की जा रही यह तकनीक कार निर्माताओं को एक विकल्प प्रदान करेगी। क्विनेटिक्यू के इंजीनियरों ने कहा कि श्वसन विश्लेषण प्रणाली में वाहन चालक को एक ट्यूब में सांस छोड़नी पड़ती है और नतीजों के लिए कुछ सेकंड का इंतजार करना पड़ता है। इसके विपरीत नई तकनीक के जरिये वाहन चालक के रक्त में अल्कोहल की मात्रा का एक सेकंड के भीतर ही पता लग जाएगा।
सलमान खान अपने भांजे आहिल से कितने क्‍लोज हैं यह बात किसी से छुपी नहीं है. चाहे सलमान की फिल्‍म 'ट्यूबलाइट' की शूटिंग पर आहिल का पहुंचना हो या फिर आहिल के बर्थडे पर सलमान खान का इस पार्टी में शामिल होने के लिए मॉरिशस जाना हो, यह मामा-भांजे एक दूसरे से मिलने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. बॉलीवुड के इस 'दबंग' के आगे भले ही कोई सिर झुकाता हो, लेकिन सलमान खान के नन्‍हें से भांजे आहिल ने इस 'सुल्‍तान' को अपने बॉक्‍सिंग पंच से घायल कर दिया है. सलमान ने शुक्रवार को अपने भांजे आहिल के साथ एक वीडियो पोस्‍ट किया है जिसमें सलमान खान, अपनी बहन अर्पिता खान शर्मा के बेटे आहिल के साथ मस्‍ती करते नजर आ रहे हैं. इस मस्‍तीभरे पल में आहिल अपने नन्‍हें हाथों से सलमान खान को पंच मार रहे हैं और आखिर में आहिल का नॉकआउट पंच भी आता है. इस वीडियो में आहिल अपने दूसरे मामा सोहेल खान की गोद में हैं और सोहेल खान ही आहिल को मामा सलमान के साथ यह कुश्ति करवा रहे हैं. हालांकि सलमान को यह वीडियो पोस्‍ट किए अभी एक घंटा (खबर लिखे जाने तक) ही हुआ है लेकिन इस वीडियो को अभी तक सिर्फ फेसबुक पर 3 लाख से ज्‍यादा लोग देख चुके है. सलमान खान ने प्‍यारे भांजे के साथ यह वीडियो अपने फेसबुक, इंस्‍टाग्राम पर शेयर किया है. टिप्पणियां यह पहली बार नहीं है जब सलमान खान अपने भांजे के साथ यूं मस्‍तीभरे अंदाज में नजर आए हैं.    A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Dec 26, 2016 at 10:40am PST @beingsalmankhanA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:24am PST   Priceless moments ! Family first @beingsalmankhanA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:14am PST यहां तक की आहिल अपने मामा सलमान की फिल्‍म 'ट्यूबालाइट' के सेट पर भी पहुंचे थे.    My life in one frame , My brother , My husband , My son. My strength , My weakness , My happiness . My world blessed with the best . Thank you @beingsalmankhan @aaysharmaA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Sep 17, 2016 at 1:23am PDT ध्‍यान देने वाली बात है कि इस वीडियो में सलमान और सोहेल दोनों ही 'ट्यूबलाइट' लिखी टीशर्ट पहने नजर आ रहे हैं. एक दिन पहले ही सलमान खान की फिल्‍म 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर रिलीज हुआ है जिसे उनके फैन्‍स काफी पसंद कर रहे हैं. गुरुवार को 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर मुंबई में खुद सलमान खान, डायरेक्‍टर कबीर खान और सलमान के भाई सोहेल खान ने रिलीज किया. फिल्‍म में सोहेल खान भी अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं और असल जिंदगी के यह भाई पर्दे पर भी भाई बने नजर आएंगे. इस ट्रेलर के लॉन्‍च के मौके पर डायरेक्‍टर कबीर खान ने कहा, 'फिल्‍म में युद्ध एक पीछे चलने वाली घटना है, असल में यह फिल्‍म सलमान खान के किरदार के बारे में है.' 'ट्यूबलाइट' ईद के मौके पर 25 जून को रिलीज हो रही है. इस वीडियो में आहिल अपने दूसरे मामा सोहेल खान की गोद में हैं और सोहेल खान ही आहिल को मामा सलमान के साथ यह कुश्ति करवा रहे हैं. हालांकि सलमान को यह वीडियो पोस्‍ट किए अभी एक घंटा (खबर लिखे जाने तक) ही हुआ है लेकिन इस वीडियो को अभी तक सिर्फ फेसबुक पर 3 लाख से ज्‍यादा लोग देख चुके है. सलमान खान ने प्‍यारे भांजे के साथ यह वीडियो अपने फेसबुक, इंस्‍टाग्राम पर शेयर किया है. टिप्पणियां यह पहली बार नहीं है जब सलमान खान अपने भांजे के साथ यूं मस्‍तीभरे अंदाज में नजर आए हैं.    A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Dec 26, 2016 at 10:40am PST @beingsalmankhanA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:24am PST   Priceless moments ! Family first @beingsalmankhanA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:14am PST यहां तक की आहिल अपने मामा सलमान की फिल्‍म 'ट्यूबालाइट' के सेट पर भी पहुंचे थे.    My life in one frame , My brother , My husband , My son. My strength , My weakness , My happiness . My world blessed with the best . Thank you @beingsalmankhan @aaysharmaA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Sep 17, 2016 at 1:23am PDT ध्‍यान देने वाली बात है कि इस वीडियो में सलमान और सोहेल दोनों ही 'ट्यूबलाइट' लिखी टीशर्ट पहने नजर आ रहे हैं. एक दिन पहले ही सलमान खान की फिल्‍म 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर रिलीज हुआ है जिसे उनके फैन्‍स काफी पसंद कर रहे हैं. गुरुवार को 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर मुंबई में खुद सलमान खान, डायरेक्‍टर कबीर खान और सलमान के भाई सोहेल खान ने रिलीज किया. फिल्‍म में सोहेल खान भी अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं और असल जिंदगी के यह भाई पर्दे पर भी भाई बने नजर आएंगे. इस ट्रेलर के लॉन्‍च के मौके पर डायरेक्‍टर कबीर खान ने कहा, 'फिल्‍म में युद्ध एक पीछे चलने वाली घटना है, असल में यह फिल्‍म सलमान खान के किरदार के बारे में है.' 'ट्यूबलाइट' ईद के मौके पर 25 जून को रिलीज हो रही है. टिप्पणियां यह पहली बार नहीं है जब सलमान खान अपने भांजे के साथ यूं मस्‍तीभरे अंदाज में नजर आए हैं.    A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Dec 26, 2016 at 10:40am PST @beingsalmankhanA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:24am PST   Priceless moments ! Family first @beingsalmankhanA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:14am PST यहां तक की आहिल अपने मामा सलमान की फिल्‍म 'ट्यूबालाइट' के सेट पर भी पहुंचे थे.    My life in one frame , My brother , My husband , My son. My strength , My weakness , My happiness . My world blessed with the best . Thank you @beingsalmankhan @aaysharmaA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Sep 17, 2016 at 1:23am PDT ध्‍यान देने वाली बात है कि इस वीडियो में सलमान और सोहेल दोनों ही 'ट्यूबलाइट' लिखी टीशर्ट पहने नजर आ रहे हैं. एक दिन पहले ही सलमान खान की फिल्‍म 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर रिलीज हुआ है जिसे उनके फैन्‍स काफी पसंद कर रहे हैं. गुरुवार को 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर मुंबई में खुद सलमान खान, डायरेक्‍टर कबीर खान और सलमान के भाई सोहेल खान ने रिलीज किया. फिल्‍म में सोहेल खान भी अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं और असल जिंदगी के यह भाई पर्दे पर भी भाई बने नजर आएंगे. इस ट्रेलर के लॉन्‍च के मौके पर डायरेक्‍टर कबीर खान ने कहा, 'फिल्‍म में युद्ध एक पीछे चलने वाली घटना है, असल में यह फिल्‍म सलमान खान के किरदार के बारे में है.' 'ट्यूबलाइट' ईद के मौके पर 25 जून को रिलीज हो रही है. यह पहली बार नहीं है जब सलमान खान अपने भांजे के साथ यूं मस्‍तीभरे अंदाज में नजर आए हैं.    A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Dec 26, 2016 at 10:40am PST @beingsalmankhanA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:24am PST   Priceless moments ! Family first @beingsalmankhanA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:14am PST यहां तक की आहिल अपने मामा सलमान की फिल्‍म 'ट्यूबालाइट' के सेट पर भी पहुंचे थे.    My life in one frame , My brother , My husband , My son. My strength , My weakness , My happiness . My world blessed with the best . Thank you @beingsalmankhan @aaysharmaA post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Sep 17, 2016 at 1:23am PDT ध्‍यान देने वाली बात है कि इस वीडियो में सलमान और सोहेल दोनों ही 'ट्यूबलाइट' लिखी टीशर्ट पहने नजर आ रहे हैं. एक दिन पहले ही सलमान खान की फिल्‍म 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर रिलीज हुआ है जिसे उनके फैन्‍स काफी पसंद कर रहे हैं. गुरुवार को 'ट्यूबलाइट' का ट्रेलर मुंबई में खुद सलमान खान, डायरेक्‍टर कबीर खान और सलमान के भाई सोहेल खान ने रिलीज किया. फिल्‍म में सोहेल खान भी अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं और असल जिंदगी के यह भाई पर्दे पर भी भाई बने नजर आएंगे. इस ट्रेलर के लॉन्‍च के मौके पर डायरेक्‍टर कबीर खान ने कहा, 'फिल्‍म में युद्ध एक पीछे चलने वाली घटना है, असल में यह फिल्‍म सलमान खान के किरदार के बारे में है.' 'ट्यूबलाइट' ईद के मौके पर 25 जून को रिलीज हो रही है. A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Dec 26, 2016 at 10:40am PST @beingsalmankhan A post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:24am PST Priceless moments ! Family first @beingsalmankhan A post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Feb 8, 2017 at 1:14am PST My life in one frame , My brother , My husband , My son. My strength , My weakness , My happiness . My world blessed with the best . Thank you @beingsalmankhan @aaysharma A post shared by Arpita Khan Sharma (@arpitakhansharma) on Sep 17, 2016 at 1:23am PDT इस ट्रेलर के लॉन्‍च के मौके पर डायरेक्‍टर कबीर खान ने कहा, 'फिल्‍म में युद्ध एक पीछे चलने वाली घटना है, असल में यह फिल्‍म सलमान खान के किरदार के बारे में है.' 'ट्यूबलाइट' ईद के मौके पर 25 जून को रिलीज हो रही है.
लेख: क्रिकेट के स्टेडियम में जब दो टीमे भिड़ती हैं तो खेल के रोमांच को दर्शकों का जोश एक नई ऊंचाई देता है। खचाखच भरे स्टेडियम में जब चौके−छक्कों की बौछार होती है तो मैच देखने आए लोगों का मानों पैसा वसूल हो जाता है। लेकिन जब फ़ैन्स अपने फ़ेवरेट टीम को एक ही विरोधी के ख़िलाफ़ लगातार खेलते हुए देखते हैं तो ज़ाहिर है रोमांच का कम होना लाज़मी है। कुछ ऐसा ही भारत−श्रीलंका के क्रिकेट फ़ैन्स के साथ हो रहा है। जनवरी, 2008 से भारत−श्रीलंका ने 49 वनडे मैच खेले हैं जो किसी भी टीम के बीच में खेला गया सबसे ज़्यादा वनडे मैच है। इसी दौरान इंग्लैंड−ऑस्ट्रेलिया ने 34 वनडे खेले जबकि श्रीलंका−पाकिस्तान 32 बार एक−दूसरे से टकराई। भारत−श्रीलंका के बीच क्रिकेट की हद का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दोनों ने 2008 के बाद से क़रीब 26 फ़ीसदी मैच एक−दूसरे के ख़िलाफ़ खेला। जब भारत−श्रीलंका की बात हो तो विराट कोहली के बारे में चर्चा होना भी लाज़मी है। कोहली जब भी श्रीलंका के ख़िलाफ़ मैदान में उतरते हैं तो उनके बल्ले से गेंद गोली की रफ़्तार से निकलती है। कोहली ने 2008 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ अपना पहला वनडे मैच खेला। 141 वनडे खेल चुके हैं कोहली ने अपना 35 वनडे श्रीलंका के साथ खेलते हुए 1527 रन बनाए और 5 शतक लगाए। साफ़ है विराट के 26 प्रतिशत रन और 25 प्रतिशत शतक श्रीलंका के ख़िलाफ़ ही बने हैं। अगर विरोधी खेमे की बात करें तो श्रीलंकाई टीम में कुमार संगाकारा एक ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो भारत के ख़िलाफ़ हमेशा ज़ोरदार प्रदर्शन करते आए हैं। संगाकारा ने 2008 से अब तक भारत के ख़िलाफ़ 1785 रन बनाए हैं, जो 2008 के बाद किसी भी खिलाड़ी द्वारा किसी टीम के ख़िलाफ़ बनाया गया सबसे ज़्यादा स्कोर है। किसी एक देश के ख़िलाफ़ सबसे कामयाब बल्लेबाज़ों की लिस्ट में पहले 6 बल्लेबाज़ भारत−श्रीलंका के ही हैं। इन सब मुक़ाबलों के अलावा भारत−श्रीलंका एशिया कप, वर्ल्ड कप और चैम्पियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में खेल चुके हैं। ऐसे में भारत−श्रीलंका सीरीज़ शुरू होने से पहले ही फ़ैन्स के बीच सीरीज़ का उत्साह कम ना हो जाए इस बात का भी ध्यान दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड को रखना चाहिए।
दिल्ली सरकार की नींद इन दिनों दिल्ली आजतक के उस खुलासे ने उड़ा रखी है, जिसमें वैसे दस हजार लोगों को पेंशन देने का खुलासा हुआ था जो लोग मर चुके हैं. अब सीएम शीला दीक्षित ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर इस मामले में गाइडलाइन बनाने के लिए अधिकारियों की एक कमेटी बनाई है. सरकार को डर है कि ये पूरा मामला कहीं आने वाले चुनावों में सरकार का सिरदर्द न बन जाए. दिल्ली सरकार इन दिनों मुश्किल में है, वजह है बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन. दरअसल 10 हजार से भी ज्यादा पेंशन लेने वाले इस दुनिया में मौजूद ही नहीं हैं. बाकी लगभग एक लाख को सरकार ढूंढ़ नहीं पा रही है. ये खुलासा दिल्ली आजतक ने 19 जुलाई को दिखाई अपनी रिपोर्ट में किया था. गड़बड़ी साफ दिखती तो है, लेकिन शीला सरकार के सामने मुश्किल ये है कि सामने चुनाव हैं, ऐसे में पेंशन को लेकर घोटाले पर सख्ती सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है. इसलिए शीला ने कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक बुलाकर तीन सीनियर अधिकारियों को मामला जल्द सुलटाने को कहा. दिल्ली की समाज कल्याण मंत्री किरण वालिया ने कहा, 'हमने अधिकारियों को कहा है कि वो तरीका निकालें.' बुजुर्गों को पेंशन देने के मामले में दिल्ली सरकार ने पिछले दिनों काफी मेहरबानी दिखाई. न सिर्फ 70 साल से ऊपर उम्र के बुजुर्गों को हजार रुपये की जगह डेढ़ हजार देने का फैसला लिया, बल्कि आंकड़े तो ये भी बताते हैं कि औसत के लिहाज से दिल्ली सरकार ने लगातार ऐसे बुजुर्गों की संख्या बढ़ाई. मगर संख्या बढ़ाने के साथ उन लोगों के नाम नहीं काटे गए जो मौजूद नहीं हैं. अब इस धांधली का असर ये हुआ है कि दिल्ली के सभी बुजुर्गों को पिछले तीन महीने से पेंशन नहीं मिल पा रही है, जो चुनाव के लिहाज से कांग्रेस के लिए खतरनाक हो सकता है.
संगीत सिद्धांत (Music theory) संगीत की प्रथाओं और संभावनाओं का अध्ययन है। संगीत का ऑक्सफॉर्ड सहयोगी ( "ऑक्सफोर्ड कम्पेनियन टु म्युजिक") "संगीत सिद्धांत" शब्द के तीन परस्पर संबंधित उपयोगों का वर्णन करता है। पहला "संगीत के मूलभूत अंग या तत्व" है, जो संगीत स्वरांकन (आधार स्वर चिह्र, समय स्वर चिह्न, और छंदगतिक संकेतन) को समझने के लिए आवश्यक हैं; दूसरा प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक संगीत पर विद्वानों के विचार सीखना; तीसरा संगीतशास्त्र का एक उप-विषय है जो "संगीत में प्रक्रियाओं और सामान्य जड़सूत्रों को परिभाषित करना चाहता है"। सिद्धांत के प्रति संगीतशास्त्रीय दृष्टिकोण संगीत विश्लेषण से इस प्रकार भिन्न होता है कि "इसमें यह अपने शुरुआती बिंदु के रूप में व्यैक्तिक कृतियों या प्रदर्शन को नहीं बल्कि मूलभूत सामग्री को आधार लेता है जिससे यह बना है।" संगीत सिद्धांत अक्सर यह वर्णन करने से संबंधित होता है कि संगीतकार और प्रबंधक संगीत कैसे बनाते हैं, जिसमें समस्वरण व्यवस्था, रचना पद्धति के साथ अन्य विषय भी शामिल है। "संगीत क्या है", इसकी लगातार बढ़ती अवधारणा के कारण, मौन सहित किसी भी ध्वनि घटना पर विचार करना इसकी एक अधिक समावेशी परिभाषा हो सकती है। हालांकि, यह एक पूर्ण दिशानिर्देश नहीं है; उदाहरण के लिए, क्वाड्रिवियम (चतुर्विद्या) लिबरल आर्ट्स विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में "संगीत" का अध्ययन , जो मध्यकालीन यूरोप में आम था, अनुपातों की एक सार प्रणाली थी जिसका वास्तविक संगीत अभ्यास से एक निश्चित सावधान दूरी पर अध्ययन किया गया था। लेकिन यह मध्ययुगीन विद्या बाद की शताब्दियों में समस्वरण व्यवस्था का आधार बना और आम तौर पर संगीत सिद्धांत के इतिहास पर आधुनिक शिक्षण-विद्वता में शामिल है। एक व्यावहारिक विधा के रूप में संगीत सिद्धांत उन तरीकों और अवधारणाओं को शामिल करता है जो संगीतकार और अन्य प्रबंधक संगीत बनाने में उपयोग करते हैं। इस अर्थ में संगीत सिद्धांत का विकास, संरक्षण और प्रसारण मौखिक और लिखित संगीत-निर्माण परंपराओं, संगीत वाद्ययंत्रों, और अन्य कलाकृतियाँ में पाया जा सकता है, उदाहरण के लिए, दुनिया भर के प्रागैतिहासिक स्थलों के प्राचीन उपकरण उनके द्वारा उत्पादित संगीत के बारे में विवरण प्रकट करते हैं और संभवतः उनके निर्माताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले संगीत सिद्धांत के बारे में कुछ बताते हैं। दुनिया भर की प्राचीन और जीवित संस्कृतियों में, संगीत सिद्धांत की गहरी और लंबी जड़ें वाद्ययंत्रों, मौखिक परंपराओं और वर्तमान संगीत-निर्माण में दिखाई देती हैं। कई संस्कृतियों ने संगीत सिद्धांत को अधिक औपचारिक तरीकों से भी माना है उदाहरण हेतु लिखित ग्रंथ और संगीत संकेतन का उपयोग करके। व्यावहारिक और विद्वतापूर्ण परंपराएं अधिव्याप्त होती हैं, क्योंकि संगीत के बारे में कई व्यावहारिक ग्रंथ स्वयं को अन्य ग्रंथों की परंपरा के भीतर रखते हैं, जिन्हें नियमित रूप से उसी तरह उद्धृत किया जाता है जैसे वर्तमान अकादमिक विद्वानों के लेखन में पहले के शोधपत्रों का हवाला दिया जाता है। आधुनिक शिक्षा में, संगीत सिद्धांत, संगीतशास्त्र और संगीत संस्कृतियों और इतिहास के व्यापक अध्ययन का एक उपक्षेत्र है। जैसे, यह अक्सर सार संगीत पहलुओं जैसे समस्वरण और समस्वरण व्यवस्था, मेल (स्केल), संवादिता और स्वर-बैषम्य तथा छंदगतिक संबंधों से संपृक्त होता है। इसके अलावा, संगीत की व्यावहारिक पहलुओं से संबंधित सिद्धांतों का एक समूह भी है, जैसे संगीत, वाद्यवृंदन, अलंकरण, आशुरचना और इलेक्ट्रॉनिक ध्वनि उत्पादन का निर्माण या प्रदर्शन। एक व्यक्ति जो संगीत सिद्धांत पर शोध करता है या सिखाता है वह संगीत सिद्धांतकार है। विश्वविद्यालय अध्ययन में, आमतौर पर एमए या पीएचडी स्तर की उपाधि, यूएस या कनाडाई विश्वविद्यालय में कार्यकाल-ट्रैक संगीत सिद्धांतकार के रूप में पढ़ाने के लिए आवश्यक है। विश्लेषण के तरीकों में गणित, ग्राफिक विश्लेषण और विशेष रूप से पश्चिमी संगीत संकेतन द्वारा सक्षम विश्लेषण शामिल हैं। तुलनात्मक, वर्णनात्मक, सांख्यिकीय और अन्य विधियों का भी उपयोग किया जाता है। संगीत सिद्धांत पाठ्यपुस्तकों में, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में, अन्य विषयों के अलावा , अक्सर संगीत ध्वनिकी के तत्व, संगीत स्वरांकन के विचार , और समस्वरण प्रबंधन (सहस्वरता और सहचलन) की तकनिक शामिल होती हैं। इतिहास प्रागितिहास संरक्षित प्रागैतिहासिक उपकरणों, कलाओं, और कलाकृतियों में प्रदर्शन के बाद के चित्रण प्रागैतिहासिक संस्कृतियों में तारता की संरचना के लिए सुराग दे सकते हैं। उदाहरण के लिए देखें पुरापाषाणकालीन बांसुरी , गुदी और अनासाज़ि बांसुरी । प्राचीन काल मेसोपोटामिया कई जीवित सुमेरियन और अक्कादियन मिट्टी की गोलियों में एक सैद्धांतिक स्वभाव की संगीत संबंधी जानकारी शामिल है, मुख्य रूप से अंतराल और समस्वरण की सूची। विद्वान सैम मिरेलमैन की रिपोर्ट है कि इन ग्रंथों में से सबसे पहले की तारीख १५०० ईसा पूर्व से पहले की है, जो कि तुलनात्मक संगीत विचार की किसी भी अन्य संस्कृति के जीवित साक्ष्य से एक सहस्राब्दी पहले है। इसके अलावा, "सभी मेसोपोटामिया के ग्रंथ (संगीत संबंधी) संगीत के लिए एक शब्दावली के उपयोग में समान्य हैं, जो ग्रंथों की अनुमानित डेटिंग के अनुसार, १,००० से अधिक वर्षों के लिए उपयोग में थे।" प्राचीन भारत सामवेद और यजुर्वेद (१२०० - १००० ईसा पूर्व) भारतीय संगीत के शुरुआती साक्ष्यों में से हैं, लेकिन उनमें यथायोग्य कोई सिद्धांत नहीं है। २०० ईसा पूर्व से २०० ईस्वी के बीच लिखा गया नाट्यशास्त्र , अंतराल (श्रुति), मेल (ग्रामस्), संवादिता और विस्वरता, धुन संरचना के वर्ग (मूर्छनास्), धुन प्रकार (जातिस्), उपकरणों, आदि पर चर्चा करता है। प्राचीन चीन अधिकांश चीनी संगीत इतिहास और सिद्धांत अस्पष्ट हैं। चीनी सिद्धांत संख्या से शुरू होता है, मुख्य संगीत संख्या बारह, पांच और आठ होती है। बारह उन तारत्वों की संख्या को संदर्भित करता है जिन पर स्केल का निर्माण किया जा सकता है। लगभग 239 ईसा पूर्व के "लुशी चुन्किउ" लिंग लुन की कथा की स्मृति है। पीले सम्राट के आदेश पर, लिंग लुन ने बारह बांस की लंबाई को मोटी और समान गांठों के साथ एकत्र किया। इनमें से एक को पाइप की तरह फूंकते हुए, उन्होंने इसकी ध्वनि को सुखद पाया और इसका नाम "हुआंगझोंग" , "पीलि घण्टि" रखा। फिर उन्होंने फीनिक्स को गाते हुए सुना। नर और मादा फीनिक्स प्रत्येक ने छह स्वर गाए। "लिंग लून" ने फ़ीनिक्स की पिचों से मिलान करने के लिए अपने बांस के पाइपों को काटा, दो समुच्च्यों में बारह पिच पाइपों का उत्पादन किया: नर फ़ीनिक्स से छह और मादा से छह: इन्हें "लुलु" या बाद में "शिरलू" कहा जाता था। तकनीकी और संरचनात्मक पहलुओं के अलावा, प्राचीन चीनी संगीत सिद्धांत भी संगीत के स्वभाव और कार्यिकी जैसे विषयों पर चर्चा करता है। यूजी ("संगीत का रिकॉर्ड", पहली और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व), उदाहरण के लिए, अपने सामाजिक संदर्भ में संगीत को समझने के कन्फ्यूशियस नैतिक सिद्धांतों को प्रकट करता है । कन्फ्यूशियसवादी विद्वान-अधिकारियों [...] द्वारा अध्ययन और कार्यान्वित, इन सिद्धांतों ने एक संगीतमय कन्फ्यूशीवाद बनाने में मदद की, जो प्रतिद्वंद्वी दृष्टिकोणों को मिटा नहीं पाया। इनमें मोज़ी ( 468 - 376 ईसा पूर्व) का दावा शामिल है कि संगीत ने मानव और भौतिक संसाधनों को बर्बाद कर दिया, और लाओज़ी का दावा है कि सबसे महान संगीत में कोई आवाज़ नहीं थी। [...] यहां तक ​​कि कन्फ्यूशियस विद्वान-अधिकारियों के साथ निकटता से जुड़ी एक शैली, चिन जिथर का संगीत भी, दाओवादी संदर्भों के साथ कई कृतियां शामिल करता है, जैसे कितियानफ़ेंग हुआनपेई ("स्वर्गीय हवा और जेड पेंडेंट की आवाज़")। संगीत के मूलभूत तत्व तारत्व pitch ध्वनिगुणता Timbre काकु, ताम्बर, ध्वनिरूप, रणन सहस्वरता harmony स्वरांकन notation ठाठ और मेल Scales और modes संवादिता और विस्वरता consonance (संवादिता, अनुरूपता, सहमधुरता) और dissonance (विस्वरता,स्वर-बैषम्य, कर्णकटुता) छंदगति Rhythm, ताल स्वर संघात Chord धुन Melody स्पष्टोच्चारण Articulation अभिव्यंजना Expression गतिकी Dynamics संव्यूति Texture एक अकादमिक विधा के रूप में इन्हें भी देखें सन्दर्भ
छींट (Chintz) मूलतः भारत में निर्मित सूती वस्त्र थे जिसे हजारों वर्ष पहले से भारत में बनाया जा रहा है। सदियों सदियों तक भारत की छींट दुनिया भर में प्रसिद्ध रही। यह लोकसंस्‍कृति व लोकजीवन का पर्याय रहा था। आवश्यक नहीं कि यह चमकीला या फूल-पत्तेदार प्रिंट वाला कपड़ा हो, जैसा कि अधिकांश लोग सोचते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो छींट सूती कपड़ा होता है, जिस पर रंगबंधकों (मोर्डेंट और रेसिस्ट) का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि कपड़े का रंग पक्का रहे। समय के साथ, छींट (चिंट्ज़) शब्द का उपयोग कई तरह के कपड़ों के लिए किया जाने लगा। १८वीं सदी में अंग्रेजी बोलने वाले लोग इसका इस्तेमाल कारखानों में तैयार होने वाले प्रिंटेड सूती कपड़ों के लिए करने लगे। १९वीं सदी में फूल-पत्तेदार डिजाइन और चमक वाले कपड़ों को चिंट्ज़ कहा जाने लगा। रॉयल ऑन्टोरियो म्यूजियम की क्यूरेटर अलेंक्जांड्रा पामर का कहना है कि "महंगे भारतीय चिंट्ज़ चमकदार होते थे, उनमें एक कड़क अहसास होता था।" सन्दर्भ वस्त्र
दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से महिला के साथ चलती कथित गैंगरेप की वारदात सामने आई है. महिला को हरियाणा के सोहना से अगवा किया गया. इसके बाद वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपियों ने महिला को ग्रेटर नोएडा के कासना के पास फेंक दिया. 3 लड़कों पर अगवा कर गैंगरेप का आरोप है. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. दरअसल, 30 साल की महिला जो सोहना की रहने वाली है का कहना है कि बीती रात करीब 8.30 बजे स्विफ्ट डिजायर कार में लड़कों ने उसे सोहना से अगवा कर लिया. उसके साथ चलती कार में गैंगरेप किया और इसके बाद सुबह करीब 4 बजे ग्रेटर नोएडा के कासना इलाके में उसे फेंक दिया . इसके बाद राहगीर ने पुलिस को महिला के खराब हालत में पड़े होने की जानकारी दी. पुलिस ने महिला को ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया है. पुलिस ने महिला के बयान के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है और  एक टीम हरियाणा भेज दी है. पुलिस ने मौके से कई शराब की बोतलें भी बरामद की है, जिससे साफ होता है कि आरोपी शराब के नशे में थे. लेकिन क्या आरोपी महिला के जानकार थे या नहीं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है.टिप्पणियां बता दें कि यूपी में गैंगरेप की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. ग्रेटर नोएडा में ही बुलंदशहर जा रहे एक परिवार को बंधक बनाकर गैंगरेप की वारदात सामने आई थी. हाल ही में सहारनपुर में एक नाबालिग लड़की से गैंगरेप का मामला सामने आया था. पुलिस के मुताबिक 17 साल की पीड़ित लड़की पंजाब से अपने नाना-नानी केस साथ रेल से धामपुर जा रही थी. जब ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकी तो पीड़ित लड़की पानी लेने उतरी फिर भीड़ की वजह से ट्रेन पर चढ़ नहीं पाई. इन तीन लड़कों ने उसे अगली ट्रेन पकड़ाने का भरोसा दिया और अपने साथ ले जा कर वारदात को अंजाम दिया था.   इसके बाद राहगीर ने पुलिस को महिला के खराब हालत में पड़े होने की जानकारी दी. पुलिस ने महिला को ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया है. पुलिस ने महिला के बयान के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है और  एक टीम हरियाणा भेज दी है. पुलिस ने मौके से कई शराब की बोतलें भी बरामद की है, जिससे साफ होता है कि आरोपी शराब के नशे में थे. लेकिन क्या आरोपी महिला के जानकार थे या नहीं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है.टिप्पणियां बता दें कि यूपी में गैंगरेप की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. ग्रेटर नोएडा में ही बुलंदशहर जा रहे एक परिवार को बंधक बनाकर गैंगरेप की वारदात सामने आई थी. हाल ही में सहारनपुर में एक नाबालिग लड़की से गैंगरेप का मामला सामने आया था. पुलिस के मुताबिक 17 साल की पीड़ित लड़की पंजाब से अपने नाना-नानी केस साथ रेल से धामपुर जा रही थी. जब ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकी तो पीड़ित लड़की पानी लेने उतरी फिर भीड़ की वजह से ट्रेन पर चढ़ नहीं पाई. इन तीन लड़कों ने उसे अगली ट्रेन पकड़ाने का भरोसा दिया और अपने साथ ले जा कर वारदात को अंजाम दिया था.   बता दें कि यूपी में गैंगरेप की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. ग्रेटर नोएडा में ही बुलंदशहर जा रहे एक परिवार को बंधक बनाकर गैंगरेप की वारदात सामने आई थी. हाल ही में सहारनपुर में एक नाबालिग लड़की से गैंगरेप का मामला सामने आया था. पुलिस के मुताबिक 17 साल की पीड़ित लड़की पंजाब से अपने नाना-नानी केस साथ रेल से धामपुर जा रही थी. जब ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकी तो पीड़ित लड़की पानी लेने उतरी फिर भीड़ की वजह से ट्रेन पर चढ़ नहीं पाई. इन तीन लड़कों ने उसे अगली ट्रेन पकड़ाने का भरोसा दिया और अपने साथ ले जा कर वारदात को अंजाम दिया था.
लेख: बाजार नियामक सेबी विलय एवं अधिग्रहण सौदों के लिए प्रस्तावित नयी संहिता पर इसी माह निर्णय करेगा। सेबी के निदेशक मंडल की बैठक इसी माह प्रस्तावित है, जिसमें इस पर विचार किया जाएगा। सेबी की कार्यकारी निदेशक उषा नारायण ने बुधवार को उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम के मौके पर कहा, हम विचार विमर्श की प्रक्रिया में हैं। अगली बोर्ड की बैठक में हम अधिग्रहण संहिता के मुद्दे को देखेंगे। सी अचुतन की अध्यक्षता वाली सेबी की समिति ने पिछले साल जुलाई में अधिग्रहण दिशानिर्देशों का जो प्रस्ताव दिया था उसमें किसी इकाई द्वारा किसी कंपनी में 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीदने पर उसे शेष शेयरधारकों के लिए खुली पेशकश लाना अनिवार्य होगा। वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार शेयरधारकों के लिए खुली पेशकश लाने की सीमा 15 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण है। सेबी ने अचुतन समिति की रिपोर्ट पर विभिन्न अंशधारकों के विचार मांगे थे। नारायणन ने कहा, जिन दो मुद्दों पर सबसे ज्यादा विचार मिले वे गैर प्रतिस्पर्धा शुल्क से जुड़े हैं। अपनी रपट में अचुतन समिति ने गैर प्रतिस्पर्धा शुल्क को समाप्त करने की सिफारिश की है। अधिग्रहण करने वाली कंपनी खरीदी गई कंपनी के प्रवर्तक को इस शुल्क का भुगतान करती है। विलय एवं अधिग्रहण सौदों में गैर प्रतिस्पर्धा शुल्क दिया जाता है। इसका मकसद यह होता है कि लक्षित कंपनी बाद में उसी कारोबार में न उतरे। कई बार यह शुल्क कुल सौदा मूल्य का 25 प्रतिशत तक हो जाता है। यदि समिति की रिपोर्ट को सेबी स्वीकार कर लेता है, तो खुली पेशकश सभी शेयरधारकों के लिए उपलब्ध होगी। प्रस्तावित नए दिशानिर्देशों में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए खुली पेशकश से सभी शेयरधारकों को कंपनी से निकलने और अपनी हिस्सेदारी के लिए उचित कीमत पाने का मौका मिल सकेगा। अभी खुली पेशकश 20 प्रतिशत शेयर पूंजी के लिए होती है। अचुतन समिति का गठन सितंबर, 2009 में किया गया था। इसका उद्देश्य देश में अगले 5-10 साल में अधिग्रहण के दिशनिर्देशों को आकार देना है।
हममें से कई लोगों का सपना विदेश में पढ़ाई करने का होता है. लेकिन ज्यादातर लोग वहां पढ़ाई के महंगे खर्च आदि के बारे में सोचकर ही अपना फैसला बदल लेते हैं. अगर आपका भी सपना है विदेश जाकर पढ़ाई करना, तो अपने सपनों को उड़ान दें, न कि इसे बड़ी बात मानकर रास्ता ही बदल लें. ज्यादातर लोगों को विदेश में पढ़ाई को लेकर होती हैं ये गलतफहमियां : 1. अक्सर लोगों को ऐसा लगता है विदेश की पढ़ाई हमारे बजट से बाहर की बात है. केवल अमीर लोग ही इसे अफोर्ड कर सकते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. अगर आप विदेशी स्कॉलरशि‍प पा लेते हैं तो आपके लिए यह काफी आसान हो सकता है. 2. भारतीय स्टूडेंट्स में ज्यादातर लोगों को यह गलतफहमी है कि विदेशी डिग्री की भारत में उतनी वैल्यू नहीं हैं. जबकि ऐसा नहीं है. बता दें कि उन लोगों को नौकरी मिलने में ज्यादा आसानी होती है जो एक से ज्यादा भाषा के ज्ञानी होते हैं . साथ ही आपकी इंटरनेशनल क्वालिफिकेशन आपको औरों से ज्यादा आगे ले जाती है. 3. भारतीयों की सबसे बड़ी समस्या है अंग्रेजी बोलना. ज्यादातर स्टूडेंट्स सोचते हैं कि बिना इंग्लिश तो हमारा कोई चांस ही नहीं. जबकि ऐसा नहीं है ज्यादातर देशों में नॉन इंग्लिश स्पीकिंग लोगों के लिए अलग से स्पेशल क्लासेज चलाई जाती हैं. साथ ही अगर किसी कॉलेज की रिक्वायरमेंट किसी विशेष भाषा की है तो वहां स्टूडेंट्स के लिए उसकी अलग से क्लास चलाई जाती है. 4. कुछ लोगों को लगता है कि अब्रॉड की पढ़ाई के लिए ज्यादा स्कॉलरशि‍प उपलब्ध नहीं हैं, जबकि बता दें कि मेरिट में आने वाले और कमजोर आर्थिक वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए ऐसे कई विकल्प मौजूद हैं. कई प्राइवेट और सरकारी ऑर्गनाइजेशन्स की ओर से आपको विदेश में पढ़ने का मौका मिल सकता है. 5. स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स को लगता है कि बाहर की पढ़ाई यानी सिर्फ मस्ती और घूमना. जबकि विदेशों में किसी कोर्स से जुड़ने के बाद पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल स्तर तक आपका पूरा मेकओवर हो जाता है. बाहर जाकर आप अपनी जिम्मेदारियों से पहले से ज्यादा वाकिफ होते हैं.
आसमान को छुने वाले पहले शख्स 'कॉस्मोनॉट यूरी गैगरिन' ने 1968 में 27 मार्च को दुनिया को अलविदा कह दिया था. 12 अप्रैल 1961 को 27 साल के इस पायलट ने अंतरिक्ष में कदम रख कर इतिहास रच दिया .  वह पहले शख्स थे जिन्होने दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को प्रेरणा दी. ये भी कहा जाता है कि रूसी-सोवियत पायलट गागरिन ने ही अंतरिक्ष में मानव उड़ान के युग की शुरुआत की. इसलिए हर साल 12 अप्रैल को ' इंटनेशनल डे ऑफ ह्यूमन स्पेस फ्लाइट' मनाया जाता है. आइए जानते है उनके बारे में 1. 12 अप्रैल 1961 को रूसी-सोवियत पायलट यूरी गागरिन को अंतरिक्ष पहुंचाने वाला यान 'वोस्ताक-1' रवाना हुआ. जाने से पहले उन्होंने कहा "पोयेख़ाली" जिसका अर्थ होता है "अब हम चले" . 2. ये दुनिया के लिए ऐसा समय था जब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक आम आदमी आसमान के पार जा सकता है. इस महिला ने पेड़ों को बचाने के लिए लगा दी थी जान की बाजी 3. यूरी ने पृथ्वी की कक्षा में 108 मिनट तक चक्कर लगाया. उन्होंने 203 मील की उंचाई पर 27000 किलोमीटर प्रतिघंटे की तेज गति का सामना किया. 4. 16 साल की उम्र में उन्होंने फाउंड्रीमैन के रूप में ट्रेनिंग की. बाद में उन्होंने ट्रैक्टर के बारे में पढ़ाई की. 1955 में सारातोव शहर में उन्होंने कास्टिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा लिया. साथ ही, वहां के फ्लाइंग क्लब में भर्ती हो कर विमान चलाना भी सीखने लगे. ऐसे थे महान पत्रकार गणेशशंकर विद्यार्थी... 5. मजेदार बात ये है कि यूरी गैगरिन को उनकी कम ऊंचाई के वजब से ही इस अभियान के लिए चुना गया था. उनकी ऊंचाई मात्र 5 फुट 2 इंच थी. 6. यूरी के बारे में एक बात मशहूर है, जब वह 6 साल के थे तब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनके घर पर एक नाजी अधिकारी ने कब्जा कर लिया था. इसलिए उनका परिवार दो साल तक 10X10 की झोपड़ी में रहा. ये है वो जिससे 'मौत' को भी है खौफ, जानिए अंडरटेकर के बारे में... 7. मिग-15 ट्रैनिंग जेट हादसे का शिकार हो गया, जिसमें आसमान पर राज करने वाले इस सितारे की मौत हो गई.
अमित शाह ने झारखंड के पाकुड़ में की रैली शाह ने बताया राम मंदिर निर्माण का समय 4 महीने में राम मंदिर निर्माण: अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने झारखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पाकुड़ में जनसभा को संबोधित करते हुए राम मंदिर निर्माण पर बड़ा बयान दिया है. अमित शाह ने भरी जनसभा में बाकायदा राम मंदिर निर्माण का समय भी बता दिया. शाह ने कहा कि 4 महीने के अंदर अयोध्या में राम मंदिर बनने जा रहा है. अमित शाह ने कहा कि अभी कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के लिए फैसला दिया, 100 वर्षों से दुनिया भर के भारतीयों की मांग थी कि वहां राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनना चाहिए. राम मंदिर की दशकों पुरानी मांग का जिक्र करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हर कोई राम मंदिर निर्माण चाहता था, लेकिन कांग्रेस और उसके वकील कोर्ट में इसके सामने रोड़ा अटकाते रहते थे. शाह ने कहा, 'कांग्रेस के नेता और वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में कहते थे कि अभी केस मत चलाइये, क्यों भाई आपके पेट में क्यों दर्द हो रहा है?' कांग्रेस पर मंदिर केस में रोड़ा अटकाने का आरोप लगाते हुए अमित शाह ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का वक्त भी बता दिया. शाह ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है, 4 माह के अंदर आसमान को छूता हुआ प्रभु राम का मंदिर अयोध्या में बनने जा रहा है.' मैं आपसे कहना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है, 4 माह के अंदर आसमान को छूता हुआ भव्य राम मंदिर अयोध्या में बनने जा रहा है: श्री @AmitShah #HarVoteModiKo — BJP (@BJP4India) December 16, 2019 राम मंदिर समेत दूसरे तमाम मुद्दों पर घेरते हुए अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस न विकास कर सकती है, न देश को सुरक्षित कर सकती है और न देश की जनता की जन भावनाओं का सम्मान कर सकती है . कोई मीर जाफर न चुनकर आए इसके अलावा रैली में अमित शाह ने कहा कि ये भूमि वीरों की भूमि है और सबसे पहले अंग्रेजों को देश छोड़ने की किसी ने चेतावनी दी तो इसी भूमि ने दी थी. उन्होंने कहा कि संथाल हूल की लड़ाई में अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते यहां के आदिवासियों ने बलिदान दिया और अंग्रजों के दांत खट्टे करने का काम किया. साथ ही उन्होंने मीर जाफर के कृत्यों को उजागर करते हुए कहा कि उसके जैसा कोई प्रतिनिधि चुनकर न आ जाए. धर्मांतरण को रोका अमित शाह ने मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार करते हुए कहा कि झारखंड में जबरन धर्म परिवर्तन बड़ा मुद्दा था और बीजेपी की सरकार आने के बाद रघुबर दास ने जबरन धर्मांतरण को बंद करके आदिवासियों की सहायता करने का काम किया है.
LISFF विज़-आर्ट एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव है, जो जुलाई के अंत में यूक्रेन के लविवि में होता है। उत्सव कला निर्माण विज़-आर्ट द्वारा शुरू किया गया था, जिसे 2008 में स्थापित किया गया था। इस फेस्टिवल में हर साल 100 से अधिक ब्रांड नई लघु फिल्में दिखाई जाती हैं। विज़-आर्ट एक शक्तिशाली सांस्कृतिक और शैक्षिक मंच है जो यूक्रेनी और विदेशी फिल्म निर्माताओं को एकजुट करता है और उन्हें यूक्रेनी दर्शकों के अनुभवी पेशेवरों से परिचित कराता है। प्रतियोगिता कार्यक्रम महोत्सव में दुनिया भर से लघु फिल्में भाग लेती हैं। किसी भी देश के प्रतिभागी आवेदन पत्र भेज सकते हैं। यह फेस्टिवल हर साल 100 से अधिक ब्रांड नई लघु फिल्में दिखाता है। प्रत्येक श्रेणी में चयनित फिल्में कई पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। साथ ही, दर्शक गैर-प्रतिस्पर्धा कार्यक्रम से फिल्में देख सकेंगे। पुरस्कार LISFF विज़-आर्ट का ग्रैंड प्रिक्स (दोनों प्रतियोगिताओं में) अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता: सर्वश्रेष्ठ निर्देशक दर्शक पुरस्कार राष्ट्रीय प्रतियोगिता: सर्वश्रेष्ठ यूक्रेनी फिल्म दर्शक पुरस्कार पंचायत त्योहार जूरी त्योहार के प्रशासन द्वारा चुना जाता है। आमतौर पर जूरी में कई विदेशी मेहमान होते हैं और आवश्यक रूप से यूक्रेनी सिनेमा के प्रतिनिधि होते हैं। जूरी के प्रतिभागी पेशेवर निर्देशक, फिल्म निर्माता और निर्माता हैं। त्योहार के अस्तित्व के आठ वर्षों के लिए जूरी के प्रतिनिधि थे: रूथ पैक्सटन ( स्कॉटलैंड ), डेविड लिंडनर ( जर्मनी ), विंसेंट मून ( फ्रांस ), इगोर पोडॉल्चक ( यूक्रेन ), अचिक्टन ओज़ान ( तुर्की ), अन्ना क्लारा एलेन आहरन ( स्वीडन ), कटारज़ीना गोंडेक ( पोलैंड ), क्रिस्टोफ़ श्वार्ज़ ( ऑस्ट्रिया ), गनहिल्ड एंगर ( नॉर्वे ), सिज़मन स्टेम्पलेव्स्की ( पोलैंड ), फिलिप इल्सन ( यूके ) और अन्य। त्योहार का इतिहास 2008 20-22 नवंबर 2008 - मैं विजुअल आर्ट विज़-आर्ट का अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव। सीन कॉनवे ( यूके ), बोरिस कज़ाकोव ( रूस ), मिलोस टॉमिच ( सर्बिया ), वोल्कर श्राइनर ( जर्मनी ) की फिल्मों की स्क्रीनिंग और प्रसिद्ध अवांट-गार्डिस्ट माया डेरेन ( यूएसए ) के कार्यों का पूर्वव्यापी प्रदर्शन था। 50 फिल्में दिखाई गईं, जिनमें से 10 युवा यूक्रेनी फिल्म निर्माताओं की लघु फिल्में थीं। 2009 23-25 मई 2009 — द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय दृश्य कला महोत्सव विज़-आर्ट। विशेष अतिथि ब्रिटिश फिल्म निर्माता और कवि जूलियन गेंडे, जर्मन निर्देशक मार्टिन सुल्जर (लैंडजुगेंड) और केविन किरहेनबावर, रूसी निर्माता और शिक्षक व्लादिमीर स्मोरोडिन थे। वीजे शिफ्टेड विजन और बैंड адто онна (2स्लीपी) के प्रदर्शन थे। स्कॉट पैगानो और डेविड ओरेली के कार्यों के पूर्वव्यापी शो और ज़िलिन (चेक गणराज्य), स्टॉकहोम (स्वीडन) और हैम्बर्ग (जर्मनी) में फिल्म स्कूल की सर्वश्रेष्ठ फिल्में थीं। गोल्डन खुबानी येरेवन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और स्लोवाक महोत्सव अर्ली मेलन्स (ब्रातिस्लावा) ने अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कुल मिलाकर, 100 लघु फिल्में दिखाई गईं। 2010 20-23 मई 2010 - III अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव विज़-आर्ट 2010। विशेष अतिथि और जूरी के सदस्य तुर्की के निर्देशक ओज़ान अचिक्टन, स्लोवाक मीडिया कलाकार एंटोन सेर्नी, स्वीडिश फिल्म निर्माता अन्ना क्लारा ओरेन, यूक्रेनी निर्माता अलेक्जेंडर डेबच थे। इस महोत्सव में आयरलैंड (टोनी डोनोह्यू), स्पेन (फर्नांडो यूसन), पुर्तगाल (एना मेंडेस), पोलैंड (टॉमाज़ जर्किविज़), यूक्रेन (अन्ना स्मोलि, ग्रेगरी समोडी दिमित्री रेड, मिसेज एर्मिन) के निर्देशकों ने भाग लिया। फ़िनलैंड और एशिया की लघु फ़िल्मों के पूर्वव्यापी शो थे। इटली (ए कॉर्टो डि डोने) और रूस (शुरुआत) में त्योहारों की सर्वश्रेष्ठ फिल्में प्रस्तुत की गईं। ग्रांड प्रिक्स को फिल्म "द डे ऑफ लाइफ" (जून क्वोक, हांगकांग द्वारा निर्देशित) मिली। प्रतियोगिता और गैर-प्रतियोगिता कार्यक्रमों में 30 देशों की 105 फिल्मों ने भाग लिया। 2011 26-29 मई 2011 - चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव विज़-आर्ट 2011। विशेष अतिथि और जूरी के सदस्य स्कॉटिश फिल्म निर्माता रूथ पैक्सटन, जर्मन निर्माता डेविड लिंडनर और यूक्रेनी निर्देशक इगोर पोडॉल्चक थे। टॉमी मुस्तनीमी (वीडियो-कलाकार, फ़िनलैंड), माइक मुदगी (फ़िल्म निर्माता, जर्मनी), एमिल स्टैंग लुंड (निर्देशक, नॉर्वे), मोर्टन हल्वोर्सन (निदेशक, डेनमार्क), आर्मिन डिरॉल्फ़ (निर्देशक, जर्मनी) और अन्य लोगों ने उत्सव का दौरा किया। कनाडा के फ्रांसीसी-भाषी हिस्से, फ्रांसीसी एनीमेशन और यूक्रेनी लघु फिल्मों के विशेष कार्यक्रम के पूर्वव्यापी लघु फिल्म शो थे। प्रतियोगिता और गैर-प्रतियोगिता कार्यक्रमों में 98 फिल्में दिखाई गईं। ग्रांड प्रिक्स को एनिमेटेड फिल्म द लिटिल क्वेंटिन (अल्बर्ट 'टी हूफ्ट' मिली) 2012 26-29 जुलाई 2012 - वी इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल विज़-आर्ट 2012। विशेष अतिथि और जूरी के सदस्य फ्रांसीसी फिल्म निर्माता और यात्री विन्सेंट मून, आइसलैंडिक फिल्म निर्माता इसोल्ड उहादोतिर, अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव मोलोडिस्ट इल्को ग्लैडस्टीन (यूक्रेन) के समन्वयक, आयरिश फिल्म निर्माता पॉल ओडोनाह्यू, जिन्हें ओक्यूसोनिक, कनाडाई निर्देशक और निर्माता फेलिक्स डुफोर-लेपेरियर (फेलिक्स ड्यूफोर-लेपेरिएरे) के नाम से भी जाना जाता है। इस उत्सव में हंगरी के निदेशक और बुशो महोत्सव के एक आयोजक तमस हाबेली, यूक्रेनी निदेशक अलेक्जेंडर युडिन, मैक्स अफानासेव और लारिसा अर्टुहिना ने भाग लिया। हंगेरियन और इतालवी लघु फिल्मों के पूर्वव्यापी शो थे, साथ ही साथ युवा यूक्रेनी फिल्मों "क्राई, बट शूट" (अलेक्जेंडर डोवजेन्को का उद्धरण) के शो में निर्देशक शामिल थे। विज़-आर्ट 2012 के हिस्से के रूप में दर्शकों को विज़-आर्ट लैब - फिल्म स्कूल में व्याख्यान और उत्सव के प्रतिभागियों और मेहमानों द्वारा दिए गए मास्टर कक्षाओं का दौरा करने का अवसर मिला। प्रतियोगिता और गैर-प्रतियोगिता कार्यक्रमों में 38 देशों की 98 फिल्मों को दिखाया गया। ग्रांड प्रिक्स को फिल्म फंगस (शार्लोट मिलर, स्वीडन, 2011) प्राप्त हुई। 2013 24-29 जुलाई 2013 - VI अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव विज़-आर्ट 2013। विशेष अतिथि थे लंदन शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के निदेशक फिलिप इल्सन, ऑस्ट्रियाई फिल्म निर्माता मारिया सिग्रिस्ट, दिमित्रो सुखोलिट्की-सोबचुक, यूक्रेनी फिल्म निर्माता, फ्लोरियन पोचलात्को, ऑस्ट्रियाई फिल्म निर्माता और रोमास ज़बरौस्कस, लिथुआनियाई फिल्म निर्देशक। ग्रांड प्रिक्स को फिल्म मेब्स (फ्लोरियन पोक्लतको, ऑस्ट्रिया, 2012) प्राप्त हुई - एक अंतरंग कहानी जिसमें हम जिस समय में रह रहे हैं, उससे संबंधित बड़े मुद्दे दांव पर लगे हैं। विज़-आर्ट 2013 के अन्य विजेता हैं: सर्वश्रेष्ठ निर्देशक - फिल्म द रिवर (ऑस्ट्रेलिया, 2012) के लिए तारक्विन नेदरवे, सर्वश्रेष्ठ स्क्रिप्ट - प्रेमातुर (गनहिल्ड एंगर, नॉर्वे, 2012), स्पेशल मेंशन - जैमोन (इरिया लोपेज, यूनाइटेड किंगडम, 2012), ऑडियंस अवार्ड - टच एंड सी (तारस ड्रोन, यूक्रेन, 2013)। 2014 24-27 जुलाई 2014 - VII अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव विज़-आर्ट 2013। विशेष अतिथि और जूरी के सदस्य हैं: गनहिल्ड एंगर, नॉर्वेजियन फिल्म निर्देशक, कटेरिना गोर्नोस्टाई, यूक्रेनी फिल्म निर्देशक, सिजमोन स्टेम्पलेव्स्की, शॉर्ट वेव्स फेस्टिवल ( पोलैंड ) के निदेशक, मायकीटा लिस्कोव, यूक्रेनी निर्देशक-एनिमेटर, वलोडिमिर टाइख्य, कला निर्देशक बेबीलोन'13 परियोजना, ओल्हा मकारचुक, यूक्रेनी निर्देशक-एनिमेटर, लिसा वेबर, ऑस्ट्रियाई फिल्म निर्माता, और इस्माइल नवा एलेजोस, मैक्सिकन फिल्म निर्देशक। प्रतियोगिता कार्यक्रम में दुनिया भर की 15 लघु फिल्में शामिल हैं। राष्ट्रीय प्रतियोगिता कार्यक्रम में 11 यूक्रेनी शॉर्ट्स हैं। इसके अलावा, विज़-आर्ट 2014 यूरोमैडन के बारे में लघु फिल्मों और XX सदी की सर्वश्रेष्ठ यूक्रेनी लघु फिल्म क्लासिक के पूर्वव्यापी के लिए समर्पित एक विशेष वृत्तचित्र कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। विज़-आर्ट फिल्म स्कूल, एक शैक्षिक ब्लॉक, जिसमें व्याख्यान, प्रश्नोत्तर सत्र, बैठकें और उत्सव के मेहमानों के साथ कार्यशालाएं शामिल हैं। संदर्भ बाहरी संबंध आधिकारिक वेबसाइट Pages with unreviewed translations
प्रीति दुबे के महत्वपूर्ण गोल की बदौलत भारत ने आज यहां चिली को 1-0 से हराकर एफआईएचएल महिला हॉकी विश्व लीग (एचडब्ल्यूएल) सेमीफाइनल के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया. प्रीति के 38वें मिनट में किये गये गोल ने सुनिश्चित किया कि भारत टूर्नामेंट में अपनी पहली जीत दर्ज करे जबकि उसने पिछले मैचों में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक गोलरहित ड्रॉ खेला था और उसे मजबूत अमेरिका से 1-4 से शिकस्त का सामना करना पड़ा था. चिली ने मैच के चौथे ही मिनट में पहला पेनल्टी कार्नर हासिल किया जबकि भारत को 12वें मिनट में पहला शार्ट कॉर्नर मिला. हालांकि ऐसा लग रहा था कि भारत ने रिबाउंड पर गोल किया है लेकिन वीडियो रेफरल के बाद इसे गोल नहीं माना गया क्योंकि यह खिलाड़ी के शरीर से हुआ था, स्टिक से नहीं. दूसरे क्वार्टर में चिली ने कुछ मोके बनाए लेकिन वह भारत को गोल करने के मौकों से नहीं रोक पाया. ऐसा ही मौका 19वें मिनट में मिला जब अनूपा बार्ला ने चिली की खिलाड़ी से गेंद छीनते हुए सर्कल के अंदर रानी के पास भेजा लेकिन यह स्ट्राइकर मौका चूक गई. पहले हाफ में दोनों टीमें कोई गोल नहीं कर सकीं लेकिन भारत को आखिर रानी और प्रीति के साथ प्रयास करने से सफलता मिली. टिप्पणियां रानी-प्रीति विपक्षी टीम के सर्कल में घुसीं, लेकिन प्रीति ने 38वें मिनट में बॉल पर तेज शॉट लगाया और चिली की गोलकीपर को पछाड़ते हुए गोल दागा. भारत ने लगातार आक्रमण करते हुए चिली पर दबाव बनाया और रानी को गोल करने का एक और मौका मिला लेकिन चिली की गोलकीपर ने अपनी सतर्कता से इसे विफल कर दिया. रेणुका यादव को पीला कार्ड दिखाये जाने से बेंच पर बैठना पड़ा जिससे भारत ने चौथे क्वार्टर की शुरुआत 10 खिलाड़ियों के साथ की. चिली ने 17 बार सर्कल के अंदर सेंध लगाई लेकिन गोल पर एक भी बार निशाना नहीं लगा सकी जबकि भारत ने 16 बार सर्कल के अंदर प्रवेश करते हुए पांच बार गोल की ओर शॉट लगाए. अंतिम 15 मिनट काफी तनावपूर्णरहे जिसमें चिली ने भारतीय डिफेंस को तोड़ने के लिए कई प्रयास किए. अब भारत की भिड़ंत 16 जुलाई को पूल 'बी' के अंतिम मैच में अर्जेंटीना से होगी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) दूसरे क्वार्टर में चिली ने कुछ मोके बनाए लेकिन वह भारत को गोल करने के मौकों से नहीं रोक पाया. ऐसा ही मौका 19वें मिनट में मिला जब अनूपा बार्ला ने चिली की खिलाड़ी से गेंद छीनते हुए सर्कल के अंदर रानी के पास भेजा लेकिन यह स्ट्राइकर मौका चूक गई. पहले हाफ में दोनों टीमें कोई गोल नहीं कर सकीं लेकिन भारत को आखिर रानी और प्रीति के साथ प्रयास करने से सफलता मिली. टिप्पणियां रानी-प्रीति विपक्षी टीम के सर्कल में घुसीं, लेकिन प्रीति ने 38वें मिनट में बॉल पर तेज शॉट लगाया और चिली की गोलकीपर को पछाड़ते हुए गोल दागा. भारत ने लगातार आक्रमण करते हुए चिली पर दबाव बनाया और रानी को गोल करने का एक और मौका मिला लेकिन चिली की गोलकीपर ने अपनी सतर्कता से इसे विफल कर दिया. रेणुका यादव को पीला कार्ड दिखाये जाने से बेंच पर बैठना पड़ा जिससे भारत ने चौथे क्वार्टर की शुरुआत 10 खिलाड़ियों के साथ की. चिली ने 17 बार सर्कल के अंदर सेंध लगाई लेकिन गोल पर एक भी बार निशाना नहीं लगा सकी जबकि भारत ने 16 बार सर्कल के अंदर प्रवेश करते हुए पांच बार गोल की ओर शॉट लगाए. अंतिम 15 मिनट काफी तनावपूर्णरहे जिसमें चिली ने भारतीय डिफेंस को तोड़ने के लिए कई प्रयास किए. अब भारत की भिड़ंत 16 जुलाई को पूल 'बी' के अंतिम मैच में अर्जेंटीना से होगी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) रानी-प्रीति विपक्षी टीम के सर्कल में घुसीं, लेकिन प्रीति ने 38वें मिनट में बॉल पर तेज शॉट लगाया और चिली की गोलकीपर को पछाड़ते हुए गोल दागा. भारत ने लगातार आक्रमण करते हुए चिली पर दबाव बनाया और रानी को गोल करने का एक और मौका मिला लेकिन चिली की गोलकीपर ने अपनी सतर्कता से इसे विफल कर दिया. रेणुका यादव को पीला कार्ड दिखाये जाने से बेंच पर बैठना पड़ा जिससे भारत ने चौथे क्वार्टर की शुरुआत 10 खिलाड़ियों के साथ की. चिली ने 17 बार सर्कल के अंदर सेंध लगाई लेकिन गोल पर एक भी बार निशाना नहीं लगा सकी जबकि भारत ने 16 बार सर्कल के अंदर प्रवेश करते हुए पांच बार गोल की ओर शॉट लगाए. अंतिम 15 मिनट काफी तनावपूर्णरहे जिसमें चिली ने भारतीय डिफेंस को तोड़ने के लिए कई प्रयास किए. अब भारत की भिड़ंत 16 जुलाई को पूल 'बी' के अंतिम मैच में अर्जेंटीना से होगी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
साम्यवाद, कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा प्रतिपादित तथा साम्यवादी घोषणापत्र में वर्णित समाजवाद की चरम परिणति है। साम्यवाद, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत एक ऐसी विचारधारा के रूप में वर्णित है, जिसमें संरचनात्मक स्तर पर एक समतामूलक वर्गविहीन समाज की स्थापना की जाएगी। ऐतिहासिक और आर्थिक वर्चस्व के निजी प्रतिमान ध्वस्त कर उत्पादन के साधनों पर समूचे समाज का स्वामित्व होगा। अधिकार में आत्मार्पित सामुदायिक सामंजस्य स्थापित होगा। स्वतंत्रता और समानता के सामाजिक राजनीतिक आदर्श एक दूसरे के पूरक सिद्ध होंगे। न्याय से कोई वंचित नहीं होगा और मानवता एक मात्र जाति होगी। श्रम की संस्कृति सर्वश्रेष्ठ और तकनीक का स्तर सर्वोच्च होगा। साम्यवाद सिद्धांततः अराजकता का पोषक हैं जहाँ राज्य की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। मूलतः यह विचार समाजवाद की उन्नत अवस्था को अभिव्यक्त करता है। जहाँ समाजवाद में कर्तव्य और अधिकार के वितरण को 'हरेक से अपनी क्षमतानुसार, हरेक को कार्यानुसार' () के सूत्र से नियमित किया जाता है, वहीं साम्यवाद में 'हरेक से क्षमतानुसार, हरेक को आवश्यकतानुसार' () सिद्धांत का लागू किया जाता है। साम्यवाद निजी संपत्ति का पूर्ण प्रतिषेध करता है। इतिहास प्रथम विश्वयुद्ध, समाजवादी आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। जहाँ एक ओर तो इसके आरंभ होते ही समाजवादी आंदोलन और उनका अंतरराष्ट्रीय संगठन प्राय: छिन्न-भिन्न हो गया वहीं दूसरी ओर इसके बीच रूस में बोल्शेविक क्रांति (अक्टूबर-नंवबर 1917) हुई और संसार में प्रथम सफल समाजवादी राज्य की नींव पड़ी जिसका संसार के समाजवादी आंदोलनों पर गहरा असर पड़ा। प्रथम महायुद्ध के पूर्व समाजवादी दलों का मत था कि पूंजीवादी व्यवस्था ही युद्धों के लिए उत्तरदायी है और यदि विश्वयुद्ध आरंभ हुआ तो प्रत्येक समाजवादी दल का कर्तव्य होना चाहिए कि वह अपनी पूँजीवादी सरकार की युद्धनीति का विरोध करे और गृहयुद्ध द्वारा समाजवाद की स्थापना के लिए प्रयत्नशील हो। परंतु ज्यों ही युद्ध आरंभ हुआ, रूस और इटली के समाजवादी दलों को छोड़कर शेष सब दलों के बहुमत ने अपनी सरकारों की नीति का समर्थन किया। समाजवादियों के केवल एक नगण्य अल्पमत ने ही युद्ध का विरोध किया और आगे चलकर इनमें से कुछ व्लादिमीर लेनिन और उसके साम्यवादी अंतरराष्ट्रीय संगठन के समर्थक बने। परंतु विभिन्न देशों के समाजवादी आंदोलनों की परस्पर विरोधी युद्धनीति के कारण उनका ऐक्य खत्म हो गया। रूस में साम्यवाद बोल्शेविक दल रूस के कई समाजवादी दलों में से एक था। 1917 की विशेष परिस्थितियों में इसको सफलता प्राप्त हुई। रूसी समाजवाद की पार्श्वभूमि अन्य यूरोपीय समाजवादों की स्थिति से भिन्न थी। रूसी साम्राज्य यूरोप के अग्रणी देशों से उद्योग धंधों में पिछड़ा हुआ था, अत: यहाँ मजदूर वर्ग बहुसंख्यक और अधिक प्रभावशाली न हो सका। यहाँ लोकतंत्रात्मक शासन और व्यक्तिगत स्वाधीनताओं का भी अभाव था। रूसी बुद्धिजीवी और मध्यमवर्ग इनके लिए इच्छुक था पर जारशाही दमननीति के कारण इनकी प्राप्ति का संवैधानिक मार्ग अवरुद्धप्राय था। इन परिस्थितियों से प्रभावित वहाँ के प्रथम समाजवादी रूस के ग्रामीण कम्यून (समुदाय) को अपने विचारों का आधार मानते थे तथा क्रांतिकारी मार्ग द्वारा जारशाही का नाश लोकतंत्रवाद की सफलता के लिए प्रथम सोपान समझते थे। उन विचारकों में हर्जेन (Herzen), लावरोव (Lavrov), चर्नीशेव्सकी (Chernishevrzky) और बाकुनिन (Bakunin) मुख्य हैं। इनसे प्रभावित होकर अनेक बुद्धिजीवी क्रांति की ओर अग्रसर हुए। इस प्रकार नरोदनिक (Narodnik) जन आंदोलन की नींव पड़ी तथा नारोदन्या वोल्या (Narodnya Volya, जनेच्छा) संगठन बना। सन् 1901 में इसका नाम सामाजिक क्रांतिकारी पार्टी (Social Revolutionary Party) रखा गया। सन् 1917 की बोल्शेविक क्रांति के समय तक यह रूस का सबसे बड़ा समाजवादी दल था, परंतु इसका प्रभावक्षेत्र अधिकांशत: ग्रामीण जनता थी। इसके वाम पक्ष ने बोल्शेविक क्रांति का समर्थन किया। दूसरी समाजवादी विचारधारा, जिसमें बोल्शेविक दल भी सम्मिलित था, रूसी सामाजिक जनवादी मजदूर पार्टी (Russian Social Democratic Labour Party, R. S. D. L. P.) के नाम से प्रसिद्ध है। इसका प्रभाव मुख्यत: नागरिक मजदूर वर्ग में था। रूस में उद्योग कम थे, परंतु बड़े पैमाने के थे और अपेक्षया अधिक मजदूरों को नौकर रखते थे। अत: इन मजदूरों में राजनीतिक चेतना और संगठन अधिक था। लोकतंत्र के अभाव में मजदूरों का संघर्ष करना कठिन था, इसलिए मजदूर वर्ग क्रांतिकारी प्रभाव में आ गया और जर्मनी जैसी परिस्थितियों के कारण यहाँ के अधिकांश मजदूर नेता भी मार्क्सवादी तथा जर्मनी के सामाजिक लोकतंत्रवादी दल से प्रभावित हुए। सन् 1890 के लगभग एक्सलरोड (Axelrod) और प्लेखानोव (Plekhanov) ने पीटर्सवर्ग (बाद में लेनिनग्राड) में प्रथम मजदूर समूह स्थापित किए जो आगे चलकर 1898 में रूसी सामाजिक लोकतंत्रवादी मजदूर पार्टी के आधार बने। रूसी सामाजिक लोकतंत्रवादी मजदूर पार्टी के नेता कट्टर मार्क्सवादी थे, अत: उन्होंने पुनरावृत्तिवाद को अस्वीकार किया और मार्क्सवाद को विकसित कर रूसी परिस्थितियों में लागू किया। मजदूरों की रहन सहन के स्तर में उन्नति हुई थी, इस सत्य को न मानना कठिन था, परंतु प्लेखानोव ने सिद्ध किया कि नई मशीनों के प्रयोग और मजदूरी में अपेक्षया वृद्धि न होने के कारण पूँजीवादी शोषण की दर बढ़ती जा रही है। बुखारिन (Bukharim) का तर्क था कि साम्राज्यवादी देश उपनिवेशों के शोषण द्वारा अपने श्रमजीवी वर्ग को संतुष्ट रख पाते हैं। ट्राटस्की आदि ने कहा कि पूँजीवादी का संकट सर्वव्यापी हो गया है और इस स्थिति में यह संभव है कि क्रांति पश्चिम यूरोप के अग्रणी देशों में न होकर अपेक्षाकृत पिछड़े देशों में, जहाँ सम्राज्यवादी कड़ी सबसे कमजोर है, वहाँ हो। कुछ विचारकों ने सर्वप्रथम समाजवादी क्रांति का स्थान रूस को बतलाया। ट्राटस्की और लेनिन का मत था कि समाजवादी क्रांति उसी समय सफल हो सकती है जब वह कई देशों में एक साथ फैले, स्थायी क्रांति के बिना केवल एक देश में समाजवाद की स्थापना कठिन है। बाद में लेनिन और स्टालिन ने इस सिद्धांत में संशोधन कर एकदेशीय समाजवाद के आधार पर सोवियत सत्ता का निर्माण किया। निकोलाई लेनिन ने उपर्युक्त विचारों का समन्वय करके बोल्शेविक दल का संगठन और अक्टूबर (नवंबर) क्रांति का नेतृत्व किया। सन् 1903 की लंदन कांफ्रेंस में रूसी सामाजिक लोकतंत्रवादी मजदूर दल ने अपने समाजवादी आदर्श को स्पष्ट किया, परंतु इसी वर्ग दल के अंदर दो विचारधाराएँ सामने आईं और कालांतर में उन्होंने दो दलों का रूप धारण किया। इस कांफ्रेंस में उत्पादन के साधनों के राष्ट्रीयकरण, जमींदारी उन्मूलन, उपनिवेशों का आत्मनिर्माण का अधिकार, ध्येय की प्राप्ति का क्रांतिकारी मार्ग और क्रांति के बाद सर्वहारा की तानाशाही-इस नीति को स्वीकार किया गया, परंतु दल के संगठन के संबंध में नेताओं में मतभेद हो गया। प्रश्न था कि दल की सदस्यता केवल कार्यकर्ताओं तक सीमित हो अथवा आदर्शों को स्वीकार करनेवाला प्रत्येक व्यक्ति उसका अधिकारी हो और क्या केंद्रीय समिति को दल की शाखाओं के भंग करने और उनके स्थान में नई शाखाओं की नियुक्ति करने का अधिकार हो? लेनिन एक फौजी अनुशासनवाले सुव्यवस्थित दल के पक्ष में था और कांफ्रेंस में उसका बहुमत था, अत: इस धारा का नाम बोल्शेविक (बहुमत) पड़ा और दूसरी धारा मेन्शेविक (अल्पमत) कहलाई। आगे चलकर इन दलों के बीच और भी मतभेद उपस्थित हुए। मेंशेविक दल पहले जारशाही का अंत का पूँजीवादी लोकतंत्रात्मक क्रांति करना चाहता था और इस क्रांति में वह पूँजीवादी दलों के वाम पक्ष से सहयोग करना चाहता था, परंतु 1905 की क्रांति के बाद लेनिन उसके साथी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि समाजवादी क्रांति के भय के कारण पूंजीवाद प्रतिक्रियावादी हो गया है, अत: वह पूँजीवादी लोकतंत्रात्मक क्रांति का नेतृत्व करने में भी असमर्थ है। इसलिए इस क्रांति का नेतृत्व भी केवल सर्वहारा वर्ग ही कर सकता है और इस क्रांति को सर्वहारा क्रांति के साथ मिलाकर जारशाही के बाद एकदम समाजवाद की स्थापना संभव है। क्रांति में किसानों का सहयोग प्राप्त करने के लिए लेनिन सामंतवादी जमीन को किसानों में बाँटने के पक्ष में था, मेंशेविक उसका तुरंत समाजीकरण करना चाहते थे। बोल्शेविक दल ने प्रथम महायुद्ध का विरोध किया और समाजवाद की स्थापना के लिए गृहयुद्ध का नारा दिया। युद्ध से त्रस्त जनता और विशेषकर रूसी सैनिकों ने इस नीति का स्वागत किया, परंतु मेंशेविकों ने युद्ध का विरोध नहीं किया और फरवरी मार्च (1917) की क्रांति के बाद उन्होंने सरकार में शामिल होकर युद्ध जारी रखा। सन् 1917 की अक्टूबर क्रांति में लेनिन के विचारों और बोलशेविक संगठन की विजय हुई। सन् 1871 की पेरिस कम्यून के बाद सन् 1917 में प्रथम स्थायी समाजवादी राज्य-सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ की स्थापना हुई। इस राज्य में उत्पादन के साधनों-उद्योग धंधे, व्यापार, विनिमय, भूमि आदि-का राष्ट्रीयकरण किया गया और शोषक वर्ग की आर्थिक तथा राजनीतिक शक्ति का अंत कर दिया गया। देश के अंदर, आरंभ में किसान, मजदूर और सैनिकों के प्रतिनिधियों की मिलीजुली सोवियतों के हाथ में शासन था, परंतु सन् 1936 के संविधान के अनुसार एक द्विसदनात्मक संसद् की स्थापना हुई। इसके ऊपरी सदन का चुनाव सोवियत देश के विभिन्न गणराज्यों द्वारा होता है तथा निम्न सदन के सदस्य क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा चुने जाते हैं। परंतु सोवियत देश एकदलीय राज्य हैं, वहाँ राजकीय शक्ति साम्यवादी दल के हाथ में है। किसी दूसरे दल को राजनीति में भाग लेने का अधिकार नहीं। अक्टूबर क्रांति के बाद बोल्शेविक दल ने अपना नाम साम्यवादी दल रखा और सन् 1919 में उसने एक दूसरा साम्यवादी घोषणापत्र (प्रथम घोषणापत्र माक्र्स और एंगिल्स ने सन् 1847-48 में लिखा था) प्रकाशित किया जिसके आधार पर एक नए अंतरराष्ट्रीय आंदोलन-साम्यवादी अंतरराष्ट्रीय-की स्थापना हुई और उसकी सहायता से विभिन्न देशों में साम्यवाद का प्रचार आरंभ हुआ। लेनिन के विचारों को साम्यवाद की संज्ञा दी जाती है, परंतु लेनिन के बाद जोसेफ स्टालिन (Joseph Stalin) माओत्सेतुंग (Mao Tse tung) निकीता ख्रिश्चोव (Nikita Khrushchov) तथा विभिन्न देशों के साम्यवादी नेताओं ने इन विचारों की व्याख्या और उनका विकास किया है। ये सभी विचार साम्यवाद की कोटि में आते हैं। स्टालिन के विचारों में उसका उपनिवेशों को आत्मनिर्णय का अधिकार, नियोजित अर्थव्यवस्था अर्थात् पंचवर्षीय आदि योजनाएँ तथा सामूहिक और राजकीय स्वामित्व में खेती मुख्य हैं। समाजवाद (साम्यवाद) का प्रसार और कठिनाइयाँ द्वितीय महायुद्ध के बीच और उसके बाद सोवियत सेनाओं की सफलता तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के कारण संसार में समाजवाद (साम्यवाद सहित) का प्रभाव बढ़ा। युद्ध का अंत होने तक न केवल पूर्वी यूरोप सोवियत प्रभावक्षेत्र बन गया, वरन् सन् 1948 ई. तक इनमें से अधिकांश देशों में साम्यवादी राज्य स्थापित हो गए। एशिया में भी चीन जैसे विशाल देश में साम्यवाद सफल हुआ और सोवियत तथा जनवादी चीनी गणराज्य के प्रभाव में उत्तरी कोरिया और उत्तरी वियतनाम के शासन साम्यवादी प्रभाव में आ गए। साम्यवाद का असर सभी देशों में बढ़ा। फ्रांस, इटली और हिंदएशिया जैसे देशों में शक्तिशाली साम्यवादी दल हैं। परंतु साम्यवाद के प्रसार ने उस आंदोलन के सामने कई सैद्धांतिक और व्यावहारिक कठिनाइयाँ उपस्थित की हैं- (१) मार्क्सवाद लेनिनवाद की धारणा थी कि साम्यवादी स्थापना क्रांति द्वारा ही संभव है परंतु यूगोस्लाविया और अल्बानिया को छोड़ कर शेष पूर्वीय यूरोप में युद्धकाल में साम्यवादी दलों का अस्तित्व नहीं के बराबर था और बाद में भी चेकोस्लोवाकिया को छोड़ कदाचित् किसी भी देश में इनका बहुमत नहीं था। पूर्वी यूरोप और उत्तरी कोरिया में से अधिकांश देशों में साम्यवादी शासनों की स्थापना क्रांति द्वारा नहीं, सोवियत प्रभाव द्वारा हुई। (२) दूसरी समस्या साम्यवादी आंदोलन के नेतृत्व और साम्यवादी देशों के पारस्परिक संबंधों की थी। साम्यवादी विचारकों का साम्यवाद की विश्वव्यापकता में विश्वास है। जब तक साम्यवाद केवल एक देश तक सीमित था, साम्यवादी आंदोलन साधारणत: सोवियत नेतृत्व को स्वीकार करता रहा। उस समय भी माओ जैसे विचारकों का स्टालिन से मतभेद था परंतु अधिकांशत: साम्यवादी दल और नेता साम्यवादी अंतरराष्ट्रीय के अनन्य भक्त थे। द्वितीय महायुद्ध के बाद यह एकता संभव न हो सकी। साम्यवादी यूगोस्लाविया का शासक जोसिप ब्रोजोविट टीटो (Josip Brozovich Tito, 1892) और उसके अन्य साम्यवादी साथी सोवियत नेतृत्व को चुनौती देने में प्रथम थे। यूगोस्लाविया बहुत कुछ अपने प्रयत्नों से स्वतंत्र हुआ था अत: उसके अंदर स्वाभिमान की भावना थी। वह पूर्व यूरोप के अन्य साम्यवादी देशों की भाँति सोवियत प्रभाव से घिरा हुआ भी न था। यूगोस्लाव पक्ष का कहना था कि सोवियत सरकार उनकी औद्योगिक उन्नति में बाधक है तथा उनकी स्वतंत्रता को सीमित करती है। उनके ये लांछन बाद में सत्य सिद्ध हुए परंतु उस समय टीटोवाद को पुनरावृत्तिवाद, ट्राटस्कीवाद अथवा साम्राज्यवाद का पिट्ठू कहा गया। सिद्धांत के स्तर पर टीटोवाद ने राष्ट्रीय साम्यवाद्, शक्ति के विकेंद्रीकरण, किसानों द्वारा भूमि का निजी स्वामित्व, राज्य और नौकरशाही के स्थान में उद्योगों पर मजदूरों का नियंत्रण तथा साम्यवादी दल और देश के अंदर अपेक्षाकृत अधिक स्वाधीनता पर जोर दिया। टीटो के इन विचारों का प्रभाव पूर्वी यूरोप के अन्य साम्यवादी देशों पर भी पड़ा है। साम्यवादी देशों के बीच समानता की माँग को स्वीकार करके ख्रुश्चोव ने टीटोवाद को अंशत: स्वीकार किया, परंतु साथ ही उसने लेनिन स्टालिनवाद में भी कई महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। लेनिन का विचार था कि जब तक साम्राज्यवाद का अंत नहीं होता संसार में युद्ध होते रहेंगे, परंतु ख्रुश्चोव के अनुसार इस समय प्रगति की शक्तियाँ इतनी मजबूत हैं कि विश्वयुद्ध को रोका जा सकता है और पूँजीवादी तथा समाजवादी व्यवस्थाओं के बीच शांतिमय सहअस्तित्व संभव है। वह यह भी कहता है कि इन परिस्थितियों में समाजवाद की स्थापना का केवल क्रांतिकारी मार्ग ही नहीं है, वरन् विभिन्न देशों में अलग अलग साम्यवादी दलों द्वारा विकासवादी और शांतिमय तरीकों से भी उसकी स्थापना संभव है। विश्व के अन्य देशों में साम्यवाद विश्व के अन्य देशों में साम्यवादी विचारधारा पर उपर्युक्त विचार परिवर्तन का गहरा प्रभाव पड़ा है। टीटो के विद्रोह के बाद पूर्व यूरोप के अन्य साम्यवादी देशों ने भी सोवियत प्रभाव से स्वतंत्र होने का प्रयत्न किया है। रूसी साम्यवादी ख्रुश्चेव के संशोधनों को अस्वीकार करते हैं और सोवियत तथा चीन के बीच सैद्धांतिक ही नहीं सैन्य संघर्ष भी विकट रूप धारण करता जा रहा है। संसार के लगभग सभी साम्यवादी दल सोवियत और चीनी विचारधाराओं के आधार पर विभक्त होते जा रहे हैं कुछ विचारक राष्ट्रीय साम्यवादी दलों की सैद्धांतिक और संगठनात्मक स्वतंत्रता पर भी जोर देते हैं। इस प्रकार साम्यवादी विचारों और आंदोलन की एकता और अंतरराष्ट्रीयता का ह्रास हो रहा है। प्रथम महायुद्ध के बाद साम्यवाद की ही नहीं लोकतंत्रात्मक समाजवाद की भी प्रगति हुई है। दो महायुद्धों के बीच ब्रिटेन में अल्पकाल के लिए दो बार मजदूर सरकारें बनीं। प्रथम महायुद्ध के बाद जर्मनी और आस्ट्रिया में समाजवादी शासन स्थापित हुए; फ्रांस और स्पेन आदि देशों में समाजवादी दलों की शक्ति बढ़ी। परंतु शीघ्र ही इनकी प्रतिक्रिया भी आरंभ हुई। सन् 1922 में बेनिटो मुसोलिनी ने इटली में फासिस्ट शासन स्थापित किया। फासिज्म मजदूर और समाजवादी आंदोलनों का शत्रु और युद्ध और साम्राज्यवाद का समर्थक है। वह पूँजीवादी व्यवस्था का अंत नहीं करता। नात्सीवाद के मूल सिद्धांत फासिज्म से मिलते जुलते हैं। इस विचारधारा का प्रचारक एडोल्फ हिटलर था। सन् 1929 के आर्थिक संकट के बाद सन् 1932 में जर्मनी में नात्सी शासन स्थापित हो गया और बाद में इस विचारधारा का प्रभाव स्पेन, आस्ट्रिया, चेकोस्लोवाकिया, पोलैंड और फ्रांस आदि देशों में फैल गया। द्वितीय महायुद्ध के बीच फासीवादी विचारों का ह्रास तथा समाजवादी विचारों और आंदोलनों की प्रगति हुई है। पूर्वी यूरोप के साम्यवादी शासनों के अतिरिक्त पश्चिमी यूरोप में कुछ काल के लिए कई देशों में समाजवादी और साम्यवादी दलों के सहयोग से सम्मिलित शासन बने। यूरोप के कुछ अन्य देशों जैसे (ब्रिटेन, स्वीडन, नार्वें, फिनलैंड) तथा आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि देशों में समय समय पर समाजवादी सरकारें बनती रही हैं। इस काल में एशिया, अफ्रीका और लातीनी अमरीका के देशों में भी समाजवादी शासन स्थापित हो चुके हैं। इनमें चीन, बर्मा, सिंगापुर, घाना और क्यूबा मुख्य हैं। सन्दर्भ तथतभरणबणभतबचखदणबदम तझड इन्हें भी देखें मार्क्सवाद समाजवाद विचारधारा बाहरी कड़ियाँ साम्यवाद भूमिका समाजवाद के आधुनिक रूप "ब्रुसेल्स में साम्यवाद और फ़ासीवाद की तुलना को रूस ने बेहयाई बताया" राजनीतिक विचार दर्शन विचारधाराएँ राजनीति समाजशास्त्र वामपंथी विचारधारा आर्थिक प्रणालियाँ
पीलीभीत के जिलाधिकारी ने मेनका गांधी के वरुण से मिलने पर 7 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी है. ताजा घटनाक्रम के बाद मेनका गांधी ने उत्तर प्रदेश की मुख्‍यमंत्री मायावती को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वरुण के साथ बुरा बर्ताब हो रहा है. उन्‍होंने कहा कि यूपी में लोकतंत्र नहीं, बल्कि तानाशाही है. मेनका ने यह भी कहा है कि अगर मायावती मां होतीं, तो एक मां का दर्द समझतीं. वरुण के साथ ऐसा व्यवहार करते हुए यूपी सरकार को शर्म आनी चाहिए.
हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि फिलहाल हर व्यक्ति अपने बचाव में एक तर्क ढूंढ रहा है, लेकिन सच्चाई यही है कि केंद्र ने बिहार सरकार द्वारा करीब 22 करोड़ से अधिक प्रभावित परिवारों के खाते में छह हज़ार प्रति परिवार नगद राशि का भुगतान किया था. बिहार में पिछले साल बाढ़ में 500 से अधिक लोगों की मृत्य हो गई थी और उन्नीस जिलों में डेढ़ करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए थे.
गाजियाबाद पुलिस ने मुरादनगर इलाके में छापेमारी कर अवैध रूप से जमा की गई अनाज की 1200 बोरी बरामद की हैं. ये अनाज सरकारी है, जिन्हें कालाबाजारी के लिए गोदामों में स्टोर किया गया था. मुरादनगर पुलिस ने डिप्टी एसपी और जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी के नेतृत्व में जावली रोड़ पर बने 5 गोदामों में छापे मारे. जहां से करीब 1200 बोरी गेहूं और 1 बोरी चावल बरामद किये गये हैं. अनाज की इन बोरियों पर उत्तर प्रदेश सरकार का मार्का (स्‍टाम्‍प) है, जिन्हें कालाबाजारी के लिए यहां रखा गया था. बताया जाता है कि इस अनाज को बिहार, राजस्थान और पंजाब में बेचा जाता है. जिस अनाज पर गरीब लोगों का हक है, उस अनाज को कालाबाजारी कर बेचा जाता था. लोगों का आरोप है कि कालाबाजारी की सूचना पहले भी कई बार जिला आपूर्ति विभाग को दी, लेकिन आपूर्ति विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गयी. इस मामले में कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. इस बात की पड़ताल भी शुरू हो गई है कि इस गोरखधंधे के पीछे कौन लोग हैं. अफसरों का कहना है कि इसकी भी जांच करायी जाएगी. सवाल ये है कि जहां गरीब लोगों को अनाज खाने को नहीं मिल रहा, वहीं इतने बड़े पैमाने पर गरीबों को बंटने वाले अनाज की कालाबाजारी कर कुछ लोग मोटी रकम कमा रहे हैं और आपूर्ति विभाग खबर दिए जाने के बावजूद आखिर क्‍यों बेखबर बना रहा?
साउथ वेस्ट दिल्ली के द्वारका इलाके में स्थित वेलकम होटल के पिछले हिस्से में शुक्रवार सुबह अचानक आग लगने से अफरा-तफरी मच गई. मौके पर मौजूद स्टाफ ने आग बुझाने की कोशिश की और तुरंत फायर ब्रिगेड की टीम को सूचना दी गई. आग लगने की खबर मिलते ही होटल में भगदड़ मच गई. इस दौरान होटल में इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और झारखंड टीम के खिलाड़ी मौजूद थे. सभी को सुरक्षित बाहर निकला गया. खिलाड़ी जब होटल के गेट से बाहर निकल रहे थे लोगों ने उन्हें रोककर सेल्फी भी ली. दिल्ली के इस फाइव स्टार होटल में ठहरे करीब 550 इंडियन फॉरनर्स गेस्ट को भी सुरक्षित बाहर निकाला गया है. मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने होटल में लगी आग पर काबू पा लिया. हालांकि आग में झारखंड के खिलाड़ियों की किट जल गई है.
वीवीआईपी हेलीकॉप्टर से जुड़े मनी लॉड्रिंग के मामले में फंसे कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी लेकिन बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने एक गवाह के गायब होने और हत्या होने की बात पर यू-टर्न लेते हुए कहा कि वह गवाह बहुत जल्दी जांच में शामिल हो सकता है. जिस गवाह के दम पर ईडी अगुस्ता वेस्टलैंड घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में आरोपी कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी की अग्रिम जमानत खारिज करने की दलील दे रहा था, उसी गवाह को लेकर गुरुवार को उसने यू-टर्न ले लिया. ईडी (Enforcement Directorate) ने पहले कहा था कि इस केस के अहम गवाह 73 साल के केके खोसला पिछले चार महीने से गायब हैं, शक है कि उनकी हत्या हो गई है, इसके पीछे रतुल पूरी का हाथ हो सकता है क्योंकि वे गवाहों पर दबाब डाल रहे हैं. लेकिन बुधवार को ईडी ने यूटूर्न लेते हुए कहा कि केके खोसला अगले एक दो दिनों में या बहुत जल्दी जांच में शामिल हो जाएंगे. दिल्ली के विकासपुरी इलाके में केके खोसला का घर है, लेकिन वे घर पर नहीं हैं. उनका परिवार भी तीन महीने से इस घर में नहीं है. खोसला कहां हैं, किसी को पता नहीं हे. खोसला रतुल पूरी के चार्टड एकाउंटेंट हैं. ईडी ने कोर्ट से यह भी कहा कि केस के जांच अधिकारी को धमकी दी जा रही है. रतुल पूरी के दफ्तर में जिन कर्मचारियों से पूछताछ हो रही है वे रतुल पूरी का आफिस छोड़ रहे हैं. बुधवार की बहस में एक बार फिर ईडी ने जोर देते हुए कहा कि रतुल पुरी को इस केस में आरोपी क्रिश्चियन मिशेल और राजीव सक्सेना के जरिए बड़ी मात्रा में पैसा मिला है. उनके खिलाफ सबूत हैं और वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत न दी जाए. इस मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी. इस मामले में सोमवार से मैराथन सुनवाई चल रही है. बचाव और अभियोजन पक्ष की तरफ से तीखी बहस की जा रही है. रतुल पूरी की अग्रिम जमानत याचिका के मामले में ईडी ने अपने अरगुमेंट पूरे कर लिए हैं. रतुल पुरी को कल तक अंतरिम प्रोटेक्शन जारी रहेगा.
प्याज के  भाव में आई तेजी के कारण अच्छे प्याज की फसल लिए पुणे गुलटेकडी बाजार में आने वाले किसानों के चेहेरे पर इन दिनों रौनक छाई हुई है. किसानों के चेहरे खिले हुए दिखाई दे रहे हैं और हो भी क्यों ना, किसानों की मानें तो तीन साल के बाद उनके प्याज की फसल को 40 रुपया प्रति किलो का भाव मिल रहा है. सोमवार को जब 'आज तक' ने प्याज मंडी में भाव का जायजा लिया, तो व्यापारी और किसान खुश दिखाई दे रहे थे. व्यापारी जाधव के मुताबिक तीन साल के बाद प्याज के लिए अच्छे दिन आए हैं. पहले प्याज का बहुत कम भाव आया करता था. ग्राहकों के नजरिये से देखें तो दिवाली के तुरंत बाद प्याज के बढ़ते दाम उन्हें रुला सकते हैं क्योंकि प्याज के भाव आसमान छूने लगे हैं. भाव में तेजी आने की वजह पिछले दिनों महाराष्ट्र समेत कई पश्चिमी राज्य में भारी बारिश होने से होलसेल मार्केट में प्याज आना कम हो गए. एक ओर बाजार में अच्छा प्याज कम आ रहा है, वही डिमांड बढ़ने से भाव भी बढ़ गए हैं. पुणे के गुलटेकडी मार्केट में रविवार और सोमवार को प्याज 3500 से 4000 रुपये क्विंटल यानी 100 किलो प्याज के लिए 4000 रुपये भाव हो गया है और ये प्याज दिल्ली व अन्य बड़े शहरों में पहुंचते-पहुंचते तक 55 रुपए प्रति किलो हो जाएगा. आम तौर पर पुणे के मंडी में प्याज के 150 ट्रक का व्यापार होता है, लेकिन बारिश के कारण प्याज की कम आवक हो रही है. अच्छे प्याज के 60 से 70 ट्रक आ रहे हैं, जिनके भाव 35 से 40 रुपए प्रति किलो रह रहे हैं. वहीं हल्के क्वालिटी वाले प्याज के 50 ट्रक, जिनके भाव 15 से 20 रुपए प्रति किलो रह रहा है. भाव अच्छे मिलने से किसान खुश मंडी में 'आज तक' के संवाददाता की मुलाकात उस किसान से हुई जिसे दस अक्टूबर को प्याज के लिए 25 रुपये प्रति किलो का भाव मिला था और 24 अक्टूबर को उसने 40 रुपए प्रति किलो भाव से अपना प्याज बेचा. किसान का कहना है कि सभी लोगों को किसानों की खुशी में शरीक होना चाहिए. कई बार किसानों को 2 से 5 रुपये किलो के भाव से प्याज बेचना पड़ता है, तो तब वो भी दुखी होते हैं. सरकार ना करे हस्ताक्षेप: व्यापारी बाजार में व्यापारियों ने बताया कि लगातार हो रही बारिश के कारण प्याज खराब होने से किसान माल नहीं भेज पा रहे हैं और इसी वजह से माल कम है, तो भाव ज्यादा होना लाजमी है. पुणे मार्केट में व्यापारियों का कहना है कि पिछले तीन साल किसानों को नुकसान सहन करना पड़ रहा था. तीन वर्षों से प्याज किसानों को रुला रहा था. अबकी बार प्याज किसानों के लिए खुशियां लाया है, तो सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
बेलीज़, पहले ब्रिटिश होंडुरास, मध्य अमेरिका के पूर्वी तट पर एक स्वतंत्र देश है। बेलीज के उत्तर में मैक्सिको, दक्षिण और पश्चिम में ग्वाटेमाला, और पूर्व में कैरेबियन सागर है। इसकी मुख्य भूमि लगभग 290 किमी (180 मील) लंबी और 110 किमी (68 मील) चौड़ी है। बेलीज का क्षेत्रफल 22,800 वर्ग किलोमीटर (8,800 वर्ग मील) तथा आबादी 368,310 (2015) है। यह मध्य अमेरिका में सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला देश है। देश की जनसंख्या वृद्धि दर 1.87% प्रति वर्ष (2015) इस क्षेत्र के अलावा पश्चिमी गोलार्ध में सबसे ऊंची है।
एक आरटीआइ कार्यकर्ता की मदद से सीबीआइ ने एआइसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) के  भ्रष्ट अधिकारियों को भिलाई में रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. ये अधिकारी घूस लेकर इंजीनियरिंग कॉलेजों को मान्यता देने जा रहे थे. भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ने के लिए सीबीआइ ने फिल्मी स्टाइल में जाल बिछाया. भिलाई के जिस एवलॉन होटल में ये अधिकारी रुके थे, उसमें आरटीआइ कार्यकर्ता डॉ. विकास सिंह भी ठहर गए और सीबीआइ को तीन दिन तक अधिकारियों की हरेक गतिविधि की जानकारी देते रहे. सीबीआइ के एसपी एल.एम. मांझी कहते हैं, ''विकास सिंह ने सूचना दी थी कि एआइसीटीई की टीम 4 मई से होटल में रुकी है और निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों से सौदेबाजी कर रही है.'' इसके बाद उन्हें पकड़ने की योजना बनाई गई. 7 मई को सौदा पटाने के लिए साईं शिक्षण संस्थान के सलाहकार प्रवीण विश्वकर्मा और संदीप खुल्लर तथा भारती इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमैन सुशील चंद्राकर होटल गए. सीबीआइ की टीम सादे कपड़ों में यहां पहले से तैनात थी. कॉलेज संचालकों के अधिकारियों के कमरे में पहुंचने के कुछ ही देर बाद सीबीआइ ने वहां दबिश दी और रिश्वत के 12 लाख रु. और सोने के 12 सिक्के बरामद कर लिए. कथित तौर पर यह घूस निरीक्षण किए बगैर कॉलेजों के पक्ष में रिपोर्ट तैयार करने के लिए दी गई थी. सीबीआइ ने दोनों कॉलेजों के अधिकारियों और एआइसीटीई जांच दल के अध्यक्ष संजय सोनी समेत दो अन्य सदस्यों मनोज कुशवाहा और राजेश कुमार को भी गिरफ्तार किया है. सोनी भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में  एसोसिएट प्रोफेसर हैं और वर्तमान में एआइसीटीई में डेपुटेशन पर हैं, जबकि कुशवाहा पंजाब के फिरोजपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. राजेश कुमार दिल्ली मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के आर्किटेक्ट विभाग के डिप्टी डायरेक्टर हैं. सीबीआइ को कमरे से 12 अन्य कॉलेजों के दस्तावेज भी मिले हैं. इस फर्जीवाड़े में एआइसीटीई के सेंट्रल जोन, भोपाल के रीजनल डायरेक्टर पी.एम. मिश्र का भी नाम आया है, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है. वैसे राज्‍य में इंजीनियरिंग और एमबीए कॉलेज कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं. राज्‍य गठन के समय इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या पांच थी, जो अब 52 हो गई है. इसी तरह एमबीए कॉलेजों की संख्या एक से बढ़कर 31 हो गई. आरटीआइ के तहत मिली जानकारी से पता चलता है कि इन इंजीनियरिंग कॉलेजों के 17 विभागों, 29 एमबीए कॉलेजों और 20 फार्मेसी कॉलेजों में एक भी प्रोफेसर नहीं है. जबकि 2010 में सात इंजीनियरिंग कॉलेजों ने बीई की क्लासेज दूसरी पारी में भी लगानी शुरू कर दी थी. इसके लिए न तकनीकी शिक्षा परिषद से मंजूरी ली गई, न ही यूनिवर्सिटी से संबंद्धता. दुर्ग पुलिस को इस फर्जीवाड़े की खबर बहुत पहले से थी लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की. पुलिस ने इंजीनियरिंग कॉलेजों के संचालकों के खिलाफ मामला भी दुर्ग की न्यायिक दंडाधिकारी ममता शुक्ला के निर्देश पर दर्ज किया था. आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए सीएसपी रवींद्र उपाध्याय को अदालत से माफी तक मांगनी पड़ी. प्रदेश के 30 इंजीनियरिंग कॉलेजों की नींव ही फर्जीवाड़े से रखी गई है. इंडिया टुडे के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि इन कॉलेजों के पास एनओसी भी नहीं थी और तकनीकी शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों ने इनकी काउंसलिंग कर ली. पुलिस की जांच में भी इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों के संचालकों ने 2010 में एनओसी और संबद्घता के बगैर ही छात्रों को प्रवेश दे दिया था. विकास सिंह ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद में आरटीआइ आवेदन लगाया था. इसमें भी चौंकाने वाले खुलासे हुए थे. दरअसल, कॉलेजों का निरीक्षण कागजों में ही हो गया और एनओसी भी जारी हो गई. रिपोर्ट में कहीं भी निरीक्षण की तारीख का जिक्र तक नहीं है. पुलिस ने इस बारे में एआइसीटीई, दिल्ली को पत्र भेजकर इस बारे में जानकारी मांगी थी, लेकिन आज 10 माह बाद भी वहां से कोई जवाब नहीं आया है.
ननबन 2012 की तमिल भाषा फिल्म है। इसे शंकर द्वारा निर्देशित किया गया है। यह राजकुमार हिरानी और विधु विनोद चोपड़ा की हिन्दी फिल्म 3 इडियट्स (2009) की रीमेक है। फ़िल्म में विजय, जीवा, श्रीकांत, इलियाना डी'क्रूज़, सत्यराज और सत्यन हैं। फिल्म में संगीत हैरिस जयराज द्वारा तैयार किया गया है। इसके छायांकन का संचालन मनोज परमहंस ने किया है। जबकि फिल्म का निर्माण जेमिनी फिल्म सर्किट द्वारा किया गया था। फिल्म दो दोस्तों की एक खोए हुए दोस्त को खोजने की कहानी बतलाती है। उसे वह बहुत ही प्रतिभाशाली और आशावादी छात्र के रूप में याद करते हैं। फिल्म में उनके कॉलेज जीवन के प्रसंगों को दर्शाया गया है। फिर उनका दोस्त स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद चुपचाप गायब हो जाता है। यह खोज एक प्रतिद्वंद्वी सहपाठी की उपस्थिति से शुरू होती है। जो बार-बार उनके साथ एक लंबे समय से भूली हुई शर्त याद दिलाता है। इस फ़िल्म का फिल्मांकन कुल आठ महीनों तक यूरोप और भारत के विभिन्न स्थानों पर हुआ। फ़िल्म को आम तौर पर सकारात्मक समीक्षा के साथ 12 जनवरी 2012 को जारी किया गया था। फिल्म को मेलबर्न फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार फिल्म ने टिकट खिड़की पर ₹150 करोड़ की कमाई की। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 2012 की फ़िल्में तमिल फ़िल्में
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केंद्र सरकार के ग्रामीण विद्युतीकरण अभियान की तीखी आलोचना करते हुए एक संसदीय समिति ने सोमवार को कहा कि गैर-विद्युतीकृत गांवों की संख्या आधिकारिक आंकड़े से कहीं अधिक है। समिति ने गांवों के विद्युतीकरण में भी कमी पाई। समिति ने कहा कि ऐसे मामले हैं, जहां सिर्फ रिकॉर्ड में गांवों का विद्युतीकरण हो गया है, जबकि हकीकत में वो अब भी इससे वंचित हैं। बिजली पर संसद की स्थायी समिति की सोमवार को लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि जिन गांवों का विद्युतीकरण किया जाना है, उनकी संख्या आधिकारिक आंकड़े (31 मार्च 2016 तक 11 हजार 344) से काफी अधिक है।टिप्पणियां रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे मामले भी हैं जहां गांवों का विद्युतीकरण सिर्फ रिकॉर्ड में किया गया है, लेकिन हकीकत में वो अब भी इससे वंचित हैं। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) समिति ने गांवों के विद्युतीकरण में भी कमी पाई। समिति ने कहा कि ऐसे मामले हैं, जहां सिर्फ रिकॉर्ड में गांवों का विद्युतीकरण हो गया है, जबकि हकीकत में वो अब भी इससे वंचित हैं। बिजली पर संसद की स्थायी समिति की सोमवार को लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि जिन गांवों का विद्युतीकरण किया जाना है, उनकी संख्या आधिकारिक आंकड़े (31 मार्च 2016 तक 11 हजार 344) से काफी अधिक है।टिप्पणियां रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे मामले भी हैं जहां गांवों का विद्युतीकरण सिर्फ रिकॉर्ड में किया गया है, लेकिन हकीकत में वो अब भी इससे वंचित हैं। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) बिजली पर संसद की स्थायी समिति की सोमवार को लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि जिन गांवों का विद्युतीकरण किया जाना है, उनकी संख्या आधिकारिक आंकड़े (31 मार्च 2016 तक 11 हजार 344) से काफी अधिक है।टिप्पणियां रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे मामले भी हैं जहां गांवों का विद्युतीकरण सिर्फ रिकॉर्ड में किया गया है, लेकिन हकीकत में वो अब भी इससे वंचित हैं। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे मामले भी हैं जहां गांवों का विद्युतीकरण सिर्फ रिकॉर्ड में किया गया है, लेकिन हकीकत में वो अब भी इससे वंचित हैं। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत की तैयारी कर रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में सोमवार को उनके लिए रात्रि भोज आयोजित करेंगे, जो इस प्रशासन में अपनी तरह की पहली मेजबानी है. एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने पीएम मोदी के आगमन की पूर्व संध्या पर संवाददाताओं से कहा, व्हाइट हाउस को इसे विशेष यात्रा में बहुत रुचि है. हम सचमुच शानदार स्वागत की तैयारी कर रहे हैं और तो और दोनों (नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप) साथ में व्हाइट हाउस में रात्रि भोज करेंगे. उन्होंने कहा कि इस प्रशासन के तहत व्हाइट हाउस में यह एक विदेशी गणमान्य के लिए पहला रात्रि भोज होगा. इसलिए हम समझते हैं कि यह बहुत अहम है. पीएम मोदी आज रात 3 दिन की यात्रा पर यूएस कैपिटोल पहुंचेंगे जिस दौरान वह व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ बैठक करेंगे. सोमवार की दोपहर से दोनों नेता विभिन्न बैठकों में साथ वक्त बिताएंगे जिसमें दोनों के बीच सीधी बातचीत, शिष्टमंडल के स्तर की वार्ता, स्वागत शामिल है, जो रात्रि भोज के साथ खत्म होगा. अधिकारी ने कहा कि वे सीधी बातचीत से शुरुआत करेंगे. फिर वह दिपक्षीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे, जो करीब एक घंटे तक चलेगी. इसके बाद दोनों प्रेस में बयान जारी करेंगे. अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होगा. टिप्पणियां उन्होंने बताया, प्रेस को बयान देने के बाद वह दोनों स्वागत समारोह में जाएंगे. इसके बाद रात्रिभोज होगा. इस तरह यह लंबी बातचीत होगी, दोनों नेताओं को एक दूसरे को जानने के लिए और उन अहम मुद्दों पर संवाद के लिए समय लगेगा जिनका सामना दोनों देश कर रहे हैं. बैठकों के दौरान अमेरिकी पक्ष का प्रतिनिधित्व उप राष्ट्रपति माइक पेन्स, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एच आर मैक्मास्टर, विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन, रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस, वाणिज्य मंत्री विल्बर रोज और वित्त मंत्री स्टीवेन न्यूशिन करेंगे.  (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) पीएम मोदी आज रात 3 दिन की यात्रा पर यूएस कैपिटोल पहुंचेंगे जिस दौरान वह व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ बैठक करेंगे. सोमवार की दोपहर से दोनों नेता विभिन्न बैठकों में साथ वक्त बिताएंगे जिसमें दोनों के बीच सीधी बातचीत, शिष्टमंडल के स्तर की वार्ता, स्वागत शामिल है, जो रात्रि भोज के साथ खत्म होगा. अधिकारी ने कहा कि वे सीधी बातचीत से शुरुआत करेंगे. फिर वह दिपक्षीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे, जो करीब एक घंटे तक चलेगी. इसके बाद दोनों प्रेस में बयान जारी करेंगे. अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होगा. टिप्पणियां उन्होंने बताया, प्रेस को बयान देने के बाद वह दोनों स्वागत समारोह में जाएंगे. इसके बाद रात्रिभोज होगा. इस तरह यह लंबी बातचीत होगी, दोनों नेताओं को एक दूसरे को जानने के लिए और उन अहम मुद्दों पर संवाद के लिए समय लगेगा जिनका सामना दोनों देश कर रहे हैं. बैठकों के दौरान अमेरिकी पक्ष का प्रतिनिधित्व उप राष्ट्रपति माइक पेन्स, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एच आर मैक्मास्टर, विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन, रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस, वाणिज्य मंत्री विल्बर रोज और वित्त मंत्री स्टीवेन न्यूशिन करेंगे.  (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने बताया, प्रेस को बयान देने के बाद वह दोनों स्वागत समारोह में जाएंगे. इसके बाद रात्रिभोज होगा. इस तरह यह लंबी बातचीत होगी, दोनों नेताओं को एक दूसरे को जानने के लिए और उन अहम मुद्दों पर संवाद के लिए समय लगेगा जिनका सामना दोनों देश कर रहे हैं. बैठकों के दौरान अमेरिकी पक्ष का प्रतिनिधित्व उप राष्ट्रपति माइक पेन्स, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एच आर मैक्मास्टर, विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन, रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस, वाणिज्य मंत्री विल्बर रोज और वित्त मंत्री स्टीवेन न्यूशिन करेंगे.  (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम पर ध्यान दिए बगैर केंद्र सरकार असम के विकास के लिए लगातार काम करती रहेगी. हालांकि मंत्री ने कहा कि अगर केंद्र और राज्य दोनों में एक ही पार्टी की सरकार रहेगी, तो राज्य में आने वाले अवैध प्रवासियों के मुद्दे का बेहतर समाधान हो सकता है. विकास के साथ कोई राजनीति नहीं केंद्रीय परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री ने कहा, ‘यहां तक कि अगर बीजेपी हार जाती है और कांग्रेस सत्ता में आती है, तब भी हम असम में लगातार बुनियादी ढांचे का विकास करेंगे. विकास के साथ कोई राजनीति नहीं होगी. हाल ही में मैंने बिहार में सड़कों के निर्माण के लिए पैकेज की घोषणा की थी.’ वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि अगर उनकी पार्टी सरकार बनाने में असफल रहती है, तो क्या असम में बुनियादी विकास पर केंद्र का समर्थन लगातार जारी रहेगा. अगले पांच सालों में विकास का दावा गडकरी ने दावा किया, ‘मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि पिछले 50-60 सालों में किये गए कामों तुलना में अधिक काम अगले पांच सालों में करेंगे. पिछले 60 सालों में, कांग्रेस को असम का विकास करने का मौका मिला. स्वतंत्रता के दौरान, असम का देश में पांचवा स्थान था और अब यह देश का चौथा गरीब राज्य है.' ग्वालपाड़ा में गडकरी की रैली गडकरी ने बुधवार को असम के ग्वालपाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी उसके कार्यकर्ताओं की पार्टी है. गडकरी ने कहा, 'मैं एक साधारण किसान परिवार से हूं. मेरे माता-पिता में से कोई भी विधायक नहीं था.' Union Minister Nitin Gadkari addressed a rally in Goalpara, Assam. pic.twitter.com/pJR4Jceyuv — ANI (@ANI_news) April 6, 2016
कडपा लोकसभा क्षेत्र आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में पड़ता है. यहां पहले फेज के तहत मतदान हो गया. मतदान के लिए भारी संख्या में लोग घरों से निकले. आंध्र प्रदेश की कुल 25 लोकसभा क्षेत्रों में कडपा भी एक है. इस सीट पर वाईएसआर कांग्रेस का दबदबा है जिसने 2009 और 2014 में जीत दर्ज की. इस जिले के जम्मलमडुगु में वाईएसआरसी और टीडीपी कार्यकर्ताओं के पथराव करने से पोन्नतोट गांव में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है. यहां 63.90 प्रतिशत मदतान हुआ. पूरे आंध्र प्रदेश में लगभग 56 प्रतिशत वोटिंग का आंकड़ा है. YSR Congress Party Chief Jagan Mohan Reddy after casting his votes in Kadapa: I'm very confident, people are looking for a change, vote without fear. #AndhraPradeshElection2019 #LokSabhaElections2019 pic.twitter.com/jitKKO8VWK — ANI (@ANI) April 11, 2019 वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष वाई एस जगमोहन रेड्डी ने भी कड्प्पा जिले के अपने पैतृक गांव पुलिवेंदुला में वोट डाला, जहां से वह दोबारा मैदान में हैं. मुख्यमंत्री पद की आशा रखने वाले जगन ने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि लोग बदलाव चाहते हैं.’ जन सेना के अध्यक्ष पवन कल्याण और राज्य मुख्य सचिव एल वी सुब्रह्मण्यम ने विजयवाड़ा में वोट डाला. आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद राज्य में यह पहला चुनाव है. राज्य में कुल 3,93,45,717 मतदाता हैं, जिनमें 1,94,62,339 पुरुष, 1,98,79,421 महिलाएं और 3,957 ट्रांसजेंडर शामिल हैं. इनमें से 18-19 वायु वर्ग के 10.5 लाख मतदाता पहली बार मतदान करेंगे. राज्य में लोकसभा की 25 सीटों के लिए 319 उम्मीदवार और विधानसभा की 175 सीटों के लिए 2,118 उम्मीदवार मैदान में हैं. राज्य में कुल 46,120 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जिनमें 8,514 की पहचान संवेदनशील और 520 की नक्सल प्रभावित इलाके के तौर पर की गई है. वामपंथी चरमपंथी इलाकों में मतदान शाम पांच बजे तक ही चलेगा. ये इलाके अधिकतर ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे हैं. Andhra Pradesh: A YSRCP worker has been taken to a hospital after he was injured in a clash which broke out between YSRCP and TDP workers at a polling station in Jammalamadugu Mandal of Kadapa district today. #IndiaElections2019 #AndhraPradeshElections2019 pic.twitter.com/JTQ0c7AnWL — ANI (@ANI) April 11, 2019 वाईएसआर कांग्रेस ने अपने मौजूदा सांसद अविनाश रेड्डी को फिर मैदान में उतारा है. 2014 के चुनाव में उन्होंने टीडीपी उम्मीदवार श्रीनिवास रेड्डी को 190323 वोटों से हराया था. यह सीट साल 1977 से 2009 तक कांग्रेस का गढ़ रही जब पार्टी ने 10 बार जीत दर्ज की. प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे वाईएसआर रेड्डी कांग्रेस को लगातार जीत दिलाते रहे. इनका कडपा में काफी दबदबा रहा जिन्होंने 1989, 1991, 1996 और 1998 में जीत दर्ज की. उनके छोटे भाई वाईएस विवेकानंद रेड्डी 1999 और 2004 में चुनाव जीते. बाद में वाईएसआर के बेटे जगनमोहन रेड्डी चुनाव मैदान में उतरे और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर जीते. बाद में 2011 में कांग्रेस छोड़कर उन्होंने अपनी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस बनाई. इस सीट पर कांग्रेस के दबदबे से पहले सीपीआई की जबरदस्त पकड़ थी. जिसने लगातार 4 बार जीत हासिल की थी. टीडीपी ने चांदीपिराला नारायण रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की कुल आबादी 2013506 है जिसमें 58.64 प्रतिशत ग्रामीण और 41.36 प्रतिशत शहरी आबादी है. यहां एससी और एसटी का अनुपात क्रमशः 16.09 और 2.01 प्रतिशत है. आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी है. वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश की सभी 175 विधानसभा सीटों और लोकसभा की बाकी 17 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. जगनमोहन रेड्डी अपने परिवार के गढ़ कडपा जिले के पुलिंवेंदुला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ेंगे. वाईएसआरसीपी ने 40 मौजूदा विधायकों की सीटें बरकार रखी है. पार्टी ने पिछड़े वर्गों, युवाओं, अनुभवी और वफादारों को प्राथमिकता दी है. विधानसभा उम्मीदवारों की सूची में ऑल इंडिया सर्विसेज में काम कर चुके नौ लोग और 15 डॉक्टर शामिल हैं. 175 उम्मीदवारों में से 33 उम्मीदवार 45 से कम आयु के हैं. राज्य की 175 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों पर 11 अप्रैल को चुनाव होने हैं. चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर
वसंतकुमारी भारत के तमिलनाडु राज्य की राजधानी चेन्नई में एक बस चालक के रूप में प्रसिद्ध हुई हैं। उनके साथ उल्लेखनीय बात यह है कि पूरे एशिया में वह पहली महिला बस चालक हैं। प्रारंभिक जीवन वसंतकुमारी का जन्म 17 अप्रैल 1959 को कन्याकुमारी में हुआ। कम आयु में उनकी माँ का निधन हो गया था। पिता ने दूसरी शादी की। 19 साल की आयु में उनकी स्वयं की शादी हुई। परन्तु यह शादी एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसकी चार लड़कियाँ पहली शादी से जन्मे थे और फिर दो बच्चे उन्हें इस शादी से हुए। पति एक निर्माण मजदूर होने के कारण परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वसंतकुमारी को कुछ समय के लिए 'महालीर मंडार्म' में सचिव का काम करना पड़ा जो वहाँ का एक महिला संगठन है। व्यवसाय वसंतकुमारी आर्थिक समस्याओं के दौर से गुजर रही थी। चूँकि वह बस चलाने से परिचित थी, इसलिए जब तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम ने बस चालकों की नियुक्ति की घोषणा की, तब वह आशावादी रूप से आवेदन प्रस्तुत कर चुकी थीं, हालांकि राज्य संस्था के प्रभावशाली अधिकारी चालक पद के लिए एक महिला के नाम को लेकर अनिच्छुक थे। उन्हें किसी परीक्षा के लिए बुलाया ही नहीं जा रहा था। इस मामले का कई उच्चाधिकारियों के समक्ष प्रतिनिधित्व करने के बाद अंत में वसंतकुमारी को बुलाया गया और मार्च 1993 में उन्हें बस चालक की नौकरी दे दी गई। काम में आने वाली समस्याँ वसंतकुमारी को एक महिला होने के कारण समय या काम के बार में कोई छूट नहीं दी गई। उन्हें सामान्य चालकों के समान आठ घंटे काम करना पड़ा। प्ररंभ में सुबह छह बजे की शिफ़्ट उन्हें करनी पड़ती थी। परन्तु अब वह अन्य शिफ़्टों में भी काम कर रही हैं। कभी कभी वह नागरकोइल-तिरुवनन्तपुरम जैसे मार्गों पर भी चलाती हैं और उनकी शिफ़्ट रात 10 बजे ही जाकर समाप्त होती है। फिर भी वह अपने काम से संतुष्ट हैं। महिलाओं के लिए एक विशेष ड्राइविंग स्कूल बनाने की प्रतिबद्धता वसंतकुमारी अप्रैल 2017 में सेवा निवृत्त होने जा रही हैं। इसके बाद वह महिलाओं के लिए एक विशेष ड्राइविंग स्कूल स्थापित करने का इरादा रखती हैं। इसके अलावा वह कॉलेज कैमपसों में ड्राइवर के रूप में काम करने के लिए भी तैयार हैं। पुरस्कार और सम्मान वसंतकुमारी को उनके साहस, प्रतिबद्धता और उत्कृष्ट सेवाओं की वजह से 2016 में रेनड्रापस सफल महिला पुरस्कार (Raindropss Women Achiever Award) से सम्मानित किया गया है। सन्दर्भ 1959 में जन्मे लोग तमिलनाडु के लोग भारतीय महिलाएँ जीवित लोग
देश की राजधानी दिल्ली भले ही हाई अलर्ट पर हो मगर इसके बावजूद यहां बदमाशों के हौंसले बुलंद है. ताज़ा मामला अमन विहार थाना इलाके का है, जहां बीती रात बीजेपी के एक कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई. वारदात को अंजाम देकर आरोपी फरार हो गए. पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी है. दिल्ली के अमन विहार थाना क्षेत्र में प्रवेश नगर है. जहां भाजपा कार्यकर्ता आशाराम अपने परिवार के साथ रहते थे. उन्होंने वहीं घर में ही एक दफ्तर बना रखा था. आशाराम किराड़ी विधान सभा में बीजेपी SC/ST मोर्चे के उपाध्यक्ष भी थे. बीती रात करीब 9 बजे कोई अनजान शख्स आशाराम के घर में बने दफ्तर पहुंचा और उन्हें वहां गोली मार दी. वारदात को अंजाम देकर आरोपी मौके से फरार हो गया. गोली आशाराम के सीने में लगी थी. खून बहुत बह रहा था. उन्हें फौरन मंगोलपुरी के संजय गांधी अस्पताल में ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. मृतक के परिवारवालों का कहना है कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी या झगड़ा नहीं था. लेकिन पिछले साल दीवाली के समय अमन विहार इलाके में ही उनके एक परिचित की भी हत्या कर दी गई थी. जिसमें मृतक आशाराम गवाह था. ऐसे में परिवार को लग रहा है कि शायद उसी के चलते उनकी हत्या की गई है. जिस वक्त आशाराम को गोली मारी गई, उस वक्त उनकी पत्नी करवाचौथ की पूजा कर रही थी. लेकिन उन्हें क्या पता था कि करवाचौथ के दिन ही उनका सुहाग उजड़ जाएगा. आशाराम की पत्नी ने गोली की आवाज़ सुनकर बहुत शोर मचाया. आसपास के लोग भी वहां आ गए और फिर आशाराम को अस्पताल ले जाया गया. फिलहाल अमन विहार थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस हर पहलू से इस मामले की जांच कर रही है. इस संबंध में पुलिस आसपास के लोगों से पूछताछ कर रही है.
पक्षीविज्ञान (Ornithology) जीवविज्ञान की एक शाखा है। इसके अंतर्गत पक्षियों की बाह्य और अंतररचना का वर्णन, उनका वर्गीकरण, विस्तार एवं विकास, उनकी दिनचर्या और मानव के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आर्थिक उपयोगिता इत्यादि से संबंधित विषय आते हैं। पक्षियों की दिनचर्या के अंतर्गत उनके आहार-विहार, प्रव्रजन, या एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरण, अनुरंजन (courtship), नीड़ निर्माण, मैथुन, प्रजनन, संतान का लालन पालन इत्यादि का वर्णन आता है। आधुनिक फोटोग्राफी द्वारा पक्षियों की दिनचर्याओं के अध्ययन में बड़ी सहायता मिली है। पक्षियों की बोली के फोनोग्राफ रेकार्ड भी अब तैयार कर लिए गए हैं। इतिहास पक्षीविज्ञान का प्रारंभ बहुत ही प्राचीन है। अरस्तू (Aristotle) के लेखों मे पक्षी संबंधी अनेक सही वैज्ञानिक अवलोकनों का उल्लेख पाया जाता है। किंतु विज्ञान की एक शाखा के रूप में पक्षीविज्ञान की मान्यता अपेक्षया आधुनिक है। घरेलू चिड़ियों की आकर्षक सुंदरता, आर्थिक उपयोगिता और चिड़ियों के शिकार द्वारा मनुष्य का मनोरजंन इत्यादि अनके कारणों से, अन्य प्राणियों की अपेक्षा, पक्षी वर्ग भली भाँति विख्यात है और व्यावसायिक तथा शौकिया दोनों ही प्रकार के वैज्ञानिकों के लिए आकर्षण का विषय रहा है। पक्षियों के विषय में अनेक वैज्ञानिक खोजें की गई और नवीन ज्ञान प्राप्त हुए हैं, जिनका समावेश पक्षी संबंधी अनेक नवीन पुस्तिकाओं में किया गया है। यद्यपि ये पुस्तिकाएँ पूर्णत: वैज्ञानिक नहीं हैं, फिर भी इनसे अनेक वैज्ञानिक वृत्तांत उपलब्ध होते हैं। यही कारण है कि पृथ्वी के उन खंडों में भी, जो अधिक बीहड़ जंगल हैं और जिनकी भली भाँति छानबीन नहीं हुई हैं, बहुत कम नई जाति के पक्षियों का पता लग पाया है, क्योंकि उन स्थानों के भी अधिकांश पक्षियों के विषय में बहुत पहले ही अधिक खोज और जानकारी हो चुकी है। किंतु यही के रूप में प्राप्त होनेवाले पक्षियों के विषय में नहीं क्योंकि पक्षियों के जीवाश्म के विषय में सम समय आश्चर्यजनक खोजें हुई हैं और अभी बहुत अधिक खोज की जाती है। चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत ने पक्षीविज्ञान तथा जीवविज्ञान की अन्य शाखाओं में बहुत ही क्रांति पैदा की है। जिन दिनों प्राणिविज्ञान के अन्य वर्गों के विशेषज्ञ नई जाति के वर्णन में व्यस्त रहे, पक्षीविज्ञानवेत्ता पक्षियों की जाति के सूक्ष्म अंतरों का पता लगाने में और इस बात की खोज में लगे थे कि प्रकृति में नई जाति के जीवों का अभ्युदय कैसे होता है। पक्षियों के अध्ययन से आजकल इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि प्राणियों की नई जाति की उत्पत्ति उनके भौगोलिक अलगाव द्वारा होती है और यही कारण है कि सब प्राणियों के वैज्ञानिक नामकरण के तृतीय खंड में भौगोलिक स्थान का समावेश हो गया है। जीवों के वैज्ञानिक नामकरण से, जिससे किसी भी देश और भाषा के वैज्ञानिक प्राणियों तथा पक्षियों की जाति को पहचान सकें, जीवविज्ञान में बहुत बड़ी प्रगति हुई है। जीवों के वैज्ञानिक नामकरण की पद्धति स्वीडेन निवासी कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus) के ग्रंथ "सिस्टेमा नैचुरी" (Systema Naturae) के दशम संस्करण (1758 ई.) से अपनाई गई हैं। इस पद्धति के अनुसार किसी प्राणी के नाम के दो या तीन खंड होते हैं। नाम का प्रथम खंड उसके वंश (genus) को बताता है, दूसरा खंड उसकी जाति (species) को और तीसरा खंड उसकी उपजाति (subspecies) को, जो भौगोलिक क्षेत्र अथवा उसकी अन्य विशेषता पर आधारित होती है। उदाहरणार्थ साधारण भारतीय घरेलू कौए का वैज्ञानिक नाम सामान्य भस्मच्छवि काक (Corvus splendens) और दक्षिण भारतीय कौए का नाम दक्षिण कृष्ण काक (Corvus levaillanti culminatus) और भारतीय जंगली कौए का नाम सामान्य कृष्ण काक (Corvus machrrorhynchus macrrophynchus) है। पक्षीविज्ञानवेत्ताओं ने नामकरण की इस पद्धति को 1910 ई. से अपना लिया था, किंतु अन्य प्राणिवर्गों के अध्ययनकर्ताओं ने इसे अब अपनाना प्रारंभ कर दिया है। भारतीय पक्षियों के विषय में अनेक व्यक्तियों ने अच्छे काम किए हैं और पुस्तकें लिखी हैं। भारत में डॉ. सलीम अली इनका नाम बड़ी गर्व से लिया जाता है, पक्षी पक्षीविज्ञानमें इन्हें गुरुसमान मानते हैं। महाराष्ट्र में श्री. मारुती चित्तमपल्ली इनकी अनेक किताबे प्रकशित हैं। युवा पीढ़ी में देखे तो ' सचिन मेन ' यह भी एक नाम बहुत प्रचलित हैं। भारतीय संस्कृति में पक्षी भारतीय संस्कृति में पक्षियों का बहुत महत्व है। विभिन्न देवताओं के वाहन के रूप में उन्हें सम्मान मिलता रहा है यथा विष्णु का गरुड, ब्रह्मा और सरस्वती का हंस, कामदेव के तोता, कार्त्तिकेय का मंयूर, इंद्र तथा अग्नि का अरुण क्रुंच (फलैमिंगो), वरुण का चक्रवाक (शैलडक) आदि। लक्ष्मी के वाहन उल्लू आदि सम्मान नहीं मिलता है तब वह वास्तव में लक्ष्मी को कम सम्मान देने की इच्छा से। कृष्ण का ‘मोर पंख’ तो सभी भारतीयों के हृदय में स्थान पा चुका है। हंसों का ‘नीर-क्षीर’ न्याय तो प्रसिद्ध ही है। पहले तो मैं इसे कवियों की कल्पना ही मानता था किंतु जब अरुण क्रुंचों को बहते पानी में से (जिसमें मानों ‘नीर-क्षीर’ मिला हो) अपनी विशेष छन्नीदार चोंचो की सहायता से अपने लिए पौष्टिक भोजन (क्षीर) निकालकर खाते हुए देखा तब संस्कृति साहित्यकारों की अवलोकन शक्ति और रचना शक्ति की भूरि-भूरि प्रशंसा ही कर सका। ऋग्वेद के (1, 164, 20) मंत्र में वृक्ष पर बैठे दो सुपर्णों के रूपक से जीव और आत्मा का अंतर बतलाया गया है। अर्थवेद (14/2/64/) के मंत्र में नवदंपति को चकवा दंपति के समान निष्ठावान रहने का आशीर्वाद दिया गया है। यजुर्वेद एक संहिता - 'तैत्तिरीय' का नाम तित्तिर पक्षी के नाम पर ही है। पहाड़ी मैना तथा शुकों को उनकी वाक क्षमता के आधार पर उन्हें वाग्देवी सरस्वती को समर्पित किया गया है। यहां ऋग्वेद में 20 पक्षियों का उल्लेख है, यजुर्वेद में 60 पक्षियों का है। यह ध्यान देने योग्य है क्योंकि ऋग्वेद का रचनाकाल लगभग 4,000 वर्ष ई. पू. है (New Light on the date of the Rgveda-Dr. _Waradpande, Sanskrit B.P Sabha, Nagpur)। रामायण तथा महाभरत में, फिर पुराणों मे अनेक पक्षियों पर सूक्ष्म अवलोकन हैं। सारा संस्कृति साहित्य, प्राकृत तथा पालि साहित्य भी, पक्षियों के ज्ञान से समृद्ध है। यह और भी प्रशंसनीय है कि पक्षियों के संरक्षण हेतु मनुस्मृति, पराशरस्मृति आदि में कुछ विशेष पक्षियों के शिकार का निषेध किया गया है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी ऐसे ही पक्षी-संरक्षण के समचित निर्देश हैं। ये सब उस काल की घटनाएं हैं जब विश्व में अन्यत्र पालतू के अतिरिक्त पशु-पक्षियों को मुख्यता शिकार तथा भोजन के रूप में ही देखा जा रहा था। चरकसंहिता का संकलन काल सातवीं शती ईशा पूर्व है (भारतीय विज्ञान के कर्णधार डॉ॰ सत्यप्रकाश, Research Institute of Ancient Scientific Studies, Delhi)। चरक संहिता, संगीत रत्नाकार तथा भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में पक्षियों की चारित्रिक विशेषताओं का सूक्ष्म वर्णन है जो वैज्ञनिक पद्धति पर आधारित है। किंतु इसके बाद के उपलब्ध साहित्य से ऐसा लगता है कि, बाद में, संभवतया बर्बरों से अपनी रक्षा में जूझते भारत में, पक्षियों का अध्ययन वैज्ञानिक दृष्टि से न किया जा सका। हां, ससंकृत साहित्य में पक्षियों का वर्णन सूक्ष्म अवलोकन के आधार पर, बहुत ही कोमलता तथा अनुरागपूर्ण भावनाओं के साथ किया गया है। मिथुनरत क्रौंच के वध को देखकर आदिकवि वाल्मिकि का हृयद करुण रस से ओतप्रोत होकर कविता के रूप में बह निकला था, ‘‘मा निषाद प्रतिष्ठानम् त्वम्....’’ अर्थात हे निषाद तुम्हें समाज में प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी....। हां, मुगल काल में बाबर, हुमायूं तथा जहांगीर ने, जो बहुत सिकार प्रेमी थे, पक्षियों का सूक्ष्म अवलोकन किया और लिखा। लोक साहित्य में भी पक्षियों का विशेष स्थान है, किंतु हिंदी साहित्य में पक्षियों के वैज्ञानिक अध्ययन तथा सूक्ष्म अवलोकन की परंपमरा किंही कारणों से आगे नहीं बढ़ी। और पक्षियों का जो भी वर्णन है वह अधिकतर बंधी-बंधाई रुढ़ि पर है चाहे वे पक्षी चातक, चकोर, पपीहा, सारस चक्रवाक आदि हों अथवा तोता, मैना, हंस, उल्लू, कौआ, गिद्ध, अबाबील, खंजन आदि हों। किंतु इसके साथ यह दुखद सच है कि आज सामान्य विद्यार्थी या व्यक्ति को पक्षियों तथा पेड़-पौधों की सही पहचान बतलाने वाला रुचिकर साहित्य, हिन्दी में, नहीं के बराबर है। पक्षिविज्ञान की तकनीकें पक्षिविज्ञान में तरह-तरह के तरीके एवं औजार प्रयुक्त होते हैं। नये आविष्कार आदि को शीघ्र ही इसमें काम में लाने की कोशिश की जाती है। पक्षिविज्ञान से सम्बन्धित तकनीकों को मुख्यत: दो भागों में बांता जा सकता है - नमूनों के अध्ययन से सम्बन्धित तकनीकें कार्यक्षेत्र में प्रयुक्त तनीकें इन्हें भी देखें सालिम अली पक्षिविज्ञान एवं प्रकृतिक इतिहास केंद्र बाहरी कड़ियाँ सालिम अली पक्षि-विज्ञान एवं प्रकृति-विज्ञान केंद्र, कोयंबत्तूर Ornithologie (1773-1792) François-Nicolas Martinet Digital Edition Smithsonian Digital Libraries List of oldest ornithological organisations in the world History of ornithology in North America History of ornithology in China Hill ornithology collections Robert Ridgway's A Nomenclature of Colors (1886) and Color Standards and Color Nomenclature (1912) - text-searchable digital facsimiles at Linda Hall Library जीव विज्ञान
यूपी में होने वाले 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए अभी से कमर कस रही भारतीय जनता पार्टी के 40 सांसदों ने राजधानी लखनऊ में अखिलेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ये सांसद 24 घंटे के लिए विधानसभा के सामने बैठ गए हैं. सांसदों ने सपा सरकार के नकारात्मक रवैये, जनहित-विकास के कार्यो में भेदभाव और सांसदों की उपेक्षा को मुद्दा बनाया गया है. बीजेपी का आरोप है कि जिन सांसदों ने गांव गोद लिए हैं या जिन क्षेत्रों से वे चुने गए हैं, उनका विकास नहीं कराया जा रहा है. सिर्फ समाजवादी पार्टी के जन प्रतिनिधियों के क्षेत्रों में विकास की बयार लाने में सपा की सरकार जुटी हुई है. 'रफ्तार पर वसूली उद्योग' कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह ने कहा कि यूपी में कोई उद्योग चले न चले, लेकिन अखिलेश सरकार में वसूली उद्योग अपनी रफ्तार पकड़े हुए है. यह वसूली सपा कार्यकर्ता तो करते ही हैं साथ ही इनकी यादव ब्रिगेड है जो हर जिले और थाने पर तैनात रहती है. ये लोग वसूली को अंजाम देते हैं. प्रदेश की जनता इनकी वसूली से त्रस्त है. डुमरियागंज से सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि राज्य में स्थापित कुशासन को हटाना है. प्रदेश में न तो आम जनता सुरक्षित है और न ही पत्रकार. पत्रकार जगेंद्र सिंह को पुलिसकर्मियों द्वारा जिंदा जलाए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जनता को अब सपा सरकार के चक्रव्यूह से निकालना है. -इनपुट भाषा से
सलमान खान की फिल्म भारत 5 जून को ईद पर रिलीज हो रही है. फिल्म का ट्रेलर जारी हो चुका है जिसे सलमान के फैन्स ने काफी पसंद किया. इस फिल्म में एक बार फिल्म सलमान और कटरीना कैफ की जोड़ी नजर आएगी. खबर आ रही है कि सलमान की फैमिली के एक ख़ास मेंबर ने फिल्म रिलीज होने से पहले पहले ही इसे देख लिया है. सलमान खान की भांजी अलिजे अग्निहोत्री ने मामा की फिल्म भारत को रिलीज से काफी पहले ही देखा लिया है. यह खुलासा किसी और ने नहीं भारत के डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने किया. एक इंटरव्यू में जब उनसे इसकी वजह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया, ''मेरा ऐसा मानना है कि मैं जितनी भी फिल्में बनाऊं सभी को पहले टीनएज और बच्चों को दिखाई जानी चाहिए. मुझे लगता है कि अगर उन्हें फिल्म पसंद आती है तो यह फिल्म अपने आप सीनियर जेनरेशन को अच्छी लगेगी. इसलिए मैंने अलिजे को यह फिल्म दिखाई है और वो इस फिल्म को देखने वाली पहली दर्शक है.'' View this post on Instagram I have voted.... have u? #VoteKarMumbai A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Apr 29, 2019 at 1:26am PDT View this post on Instagram Aaja doob jaoon teri aankhon ke ocean mein, ‘slow motion’ mein! #SlowMotionSong (Link in bio) @bharat_thefilm @aliabbaszafar @atulreellife #BhushanKumar @katrinakaif @tabutiful @apnabhidu @sonalikul @dishapatani @whosunilgrover @norafatehi @iaasifsheikhofficial @shreyaghoshal @vishaldadlani @shekharravjiani @nakash_aziz @kamil_irshad_official @vaibhavi.merchant @nikhilnamit @reellifeproduction @skfilmsofficial @tseries.official A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Apr 24, 2019 at 11:30pm PDT हाल ही में चर्चा थी कि अलिजे जल्द ही बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली हैं. इस बात को लेकर अली ने कहा कि अलिजे अभी काफी यंग है और उन्हें अभी अपनी स्किल्स को और बेहतर करने की जरूरत है. बता दें कि फिल्म में सलमान भारत नाम के शख्स का किरदार निभाते नजर आएंगे. वो फिल्म में पांच अलग अलग लुक में दिखाई देंगे. इसका खुलासा फिल्म के टीजर से ही चुका था. यह कोरियन फिल्म ओड टू माई फादर का हिंदी रीमेक है. इसमें सलमान-कटरीना के अलावा दिशा पाटनी, जैकी श्रॉफ और सुनील ग्रोवर जैसे सितारे काम करते हुए नजर आएंगे.