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महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर वोटिंग शुरू
चुनाव में 3,237 उम्मीदवार आजमा रहे किस्मत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को चाक चौबंद सुरक्षा के बीच वोटिंग शुरू हो गई. इस चुनाव में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने अपनी सत्ता को बचाने की चुनौती है, तो विपक्षी कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सामने दोबारा से सत्ता में काबिज होने की. इस चुनाव में एक ओर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना ने हाथ मिला लिया है, तो दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी मिलकर चुना लड़ रहे हैं. लिहाजा महाराष्ट्र में चुनाव बीजेपी-शिवसेना गठबंधन बनाम कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन हो गया है.
फडणवीस सरकार ने मराठा आरक्षण, किसान कर्जमाफी, सुशासन और अनुच्छेद 370 को हटाने को अपना चुनावी मुद्दा बनाया, जबकि विपक्षी दल बेरोजगारी, किसान आत्महत्या, बुनियादी ढांचा, औद्योगिक क्षेत्र में घाटा और आर्थिकमंदी को मुद्दा बनाकर बीजेपी-शिवसेना सरकार को घेरने की कोशिश की. इसके अलावा मुंबई के आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई फडणवीस सरकार के गले की फांस बनी. इसको लेकर फडणवीस सरकार को पर्यावरण समर्थकों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी चुनावी रैलियों में बेरोजगारी, नोटबंदी, जीएसटी और नीरव मोदी के मुद्दे जोरशोर से उठाया. उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए यहां तक कहा कि चांद पर रॉकेट भेजने से महाराष्ट्र और देश के युवा के पेट मे खाना नहीं जाएगा. हम यहा आएं हैं, तो चांद के बारे में वादा नहीं करेंगे. हम रोजगार और विकास का वादा करेंगे, जो हम पूरा कर सकते हैं. अगर पूरे चुनाव में देखा जाए, तो कांग्रेस 370 के मुद्दे को उठाने से बचती नजर आई. हालांकि बीजेपी ने इसको जोरशोर से उठाया. इसके अलावा महाराष्ट्र बीजेपी ने केंद्र सरकार से वीर सावरकर को भारत रत्न दिलाने की मांग करने का भी वादा किया.
इसके अलावा एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने बुनियादी ढांचे, औद्योगिक क्षेत्र का घाटा, बेरोज़गारी, शिक्षा की स्थिति और आर्थिकमंदी के मुद्दों को उठाने की कोशिश की. साथ ही कहा कि बीजेपी अनुच्छेद 370 को हटाने का मुद्दा उठाकर बेरोजगारी और आर्थिकमंदी जैसे मुद्दों से आम जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. अगर इस बार के चुनाव प्रचार पर नजर डाला जाए, तो मराठा आरक्षण, आर्थिकमंदी, अनुच्छेद 370, किसान आत्महत्या, किसान कर्जमाफी, पीएमसी बैंक घोटाला, मुंबई के आरे में पेड़ों की कटाई और रोजगार के मुद्दों पर जमकर चर्चा हुई. अब जब लोग वोट डालने जाएंगे, तो उनके दिमाग में ये बातें जरूर रहेंगी.
महाराष्ट्र में कितने वोटर, कितने प्रत्याशी?
आपको बता दें कि आज महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहे हैं. इन सीटों पर कुल 3,237 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसमें से 235 महिला प्रत्याशी हैं, जबकि 3,001 पुरुष प्रत्याशी हैं.
इसके अलावा एक थर्ड जेंडर भी चुनाव मैदान में है. वोटिंग के लिए 96 हजार 661 पॉलिंग बूथ बनाए गए हैं. कुल 8 करोड़ 97 लाख 22 हजार 19 वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे.
इस चुनाव में बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी, बीएसपी, सीपीआई और सीपीआईएम समेत अन्य राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी 164, कांग्रेस 147, शिवसेना 126, एनसीपी 121, एमएनएस 101 और बीएसपी 262 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. |
यह लेख है: दक्षिण अफ्रीका में प्रिटोरिया हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने बुधवार को कहा कि अपनी महिला मित्र रीवा स्तीनकाम्प की हत्या करने को लेकर पैरालंपिक एथलीट ऑस्कर पिस्टोरियस को छह जून को सजा सुनाई जाएगी।टिप्पणियां
न्यायाधीश ने तीन दिनों की अदालती सुनवाई खत्म होने के बाद यह कहा। न्यायाधीश तोकोजीले मसीपा ने बताया, 'इस विषय को सजा सुनाए जाने को लेकर छह जुलाई के लिए मुल्तवी किया जाता है।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
न्यायाधीश ने तीन दिनों की अदालती सुनवाई खत्म होने के बाद यह कहा। न्यायाधीश तोकोजीले मसीपा ने बताया, 'इस विषय को सजा सुनाए जाने को लेकर छह जुलाई के लिए मुल्तवी किया जाता है।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) |
यह लेख है: भारत की सीमित ओवर क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि उनका जल्द संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है और वह केवल क्रिकेट पर ध्यान देना चाहते हैं.
बीती रात यहां 'एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' फिल्म का ट्रेलर लांच किया गया, जिसमें धोनी, अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत, निर्माता नीरज पांडे और फॉक्स स्टार स्टूडियो के विजय सिंह शामिल हुए.
जब धोनी से उनके अगले कदम के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है. जब मैं बड़ा हो रहा था, तो मेरी जिंदगी में दो ही विकल्प थे- क्रिकेट खेलना और पढ़ाई करना. जब मुझे नौकरी मिली तो मैं आश्वस्त हो गया कि अगर क्रिकेट नहीं हुआ तो मेरे हाथ में एक अच्छी नौकरी है.'
उन्होंने कहा, 'मुझे सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष देखना होगा और सोचना होगा कि लोग मुझे किस भूमिका में देखना चाहेंगे. मैं इसके बारे में बाद में सोचूंगा, क्योंकि इस समय मैं क्रिकेट खेल रहा हूं और इस पर ही ध्यान देना चाहूंगा.' धोनी ने कहा कि वह वर्तमान में जीने में विश्वास रखते हैं और अतीत या भविष्य को लेकर ज्यादा नहीं सोचते.
उन्होंने कहा, 'मैंने कभी भी यह सोचकर क्रिकेट नहीं खेला कि यह मेरे लिए मील का पत्थर है. जब हम स्कूल या पार्क में क्रिकेट खेलते थे तब हमारा एकमात्र लक्ष्य मैच जीतना होता था. मील के पत्थरों का इस्तेमाल कभी भी आपका भविष्य निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता.'टिप्पणियां
धोनी ने कहा, 'ऐसा होता तो माइकल फेल्प्स को पांच ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद संन्यास ले लेना चाहिए था. केवल यह मायने रखता है कि कोई अपना काम कैसे जारी रखता है, वह इसमें कितना अच्छा है और उसे किस तरह आगे ले जा सकता है.' धोनी के जीवन पर आधारित यह फिल्म 30 सितंबर को रिलीज होगी. सुशांत ने इसमें धोनी की भूमिका निभाई है और फिल्म में अनुपम खेर, कायरा आडवाणी और अन्य भी काम कर रहे हैं.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बीती रात यहां 'एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' फिल्म का ट्रेलर लांच किया गया, जिसमें धोनी, अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत, निर्माता नीरज पांडे और फॉक्स स्टार स्टूडियो के विजय सिंह शामिल हुए.
जब धोनी से उनके अगले कदम के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है. जब मैं बड़ा हो रहा था, तो मेरी जिंदगी में दो ही विकल्प थे- क्रिकेट खेलना और पढ़ाई करना. जब मुझे नौकरी मिली तो मैं आश्वस्त हो गया कि अगर क्रिकेट नहीं हुआ तो मेरे हाथ में एक अच्छी नौकरी है.'
उन्होंने कहा, 'मुझे सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष देखना होगा और सोचना होगा कि लोग मुझे किस भूमिका में देखना चाहेंगे. मैं इसके बारे में बाद में सोचूंगा, क्योंकि इस समय मैं क्रिकेट खेल रहा हूं और इस पर ही ध्यान देना चाहूंगा.' धोनी ने कहा कि वह वर्तमान में जीने में विश्वास रखते हैं और अतीत या भविष्य को लेकर ज्यादा नहीं सोचते.
उन्होंने कहा, 'मैंने कभी भी यह सोचकर क्रिकेट नहीं खेला कि यह मेरे लिए मील का पत्थर है. जब हम स्कूल या पार्क में क्रिकेट खेलते थे तब हमारा एकमात्र लक्ष्य मैच जीतना होता था. मील के पत्थरों का इस्तेमाल कभी भी आपका भविष्य निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता.'टिप्पणियां
धोनी ने कहा, 'ऐसा होता तो माइकल फेल्प्स को पांच ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद संन्यास ले लेना चाहिए था. केवल यह मायने रखता है कि कोई अपना काम कैसे जारी रखता है, वह इसमें कितना अच्छा है और उसे किस तरह आगे ले जा सकता है.' धोनी के जीवन पर आधारित यह फिल्म 30 सितंबर को रिलीज होगी. सुशांत ने इसमें धोनी की भूमिका निभाई है और फिल्म में अनुपम खेर, कायरा आडवाणी और अन्य भी काम कर रहे हैं.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जब धोनी से उनके अगले कदम के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है. जब मैं बड़ा हो रहा था, तो मेरी जिंदगी में दो ही विकल्प थे- क्रिकेट खेलना और पढ़ाई करना. जब मुझे नौकरी मिली तो मैं आश्वस्त हो गया कि अगर क्रिकेट नहीं हुआ तो मेरे हाथ में एक अच्छी नौकरी है.'
उन्होंने कहा, 'मुझे सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष देखना होगा और सोचना होगा कि लोग मुझे किस भूमिका में देखना चाहेंगे. मैं इसके बारे में बाद में सोचूंगा, क्योंकि इस समय मैं क्रिकेट खेल रहा हूं और इस पर ही ध्यान देना चाहूंगा.' धोनी ने कहा कि वह वर्तमान में जीने में विश्वास रखते हैं और अतीत या भविष्य को लेकर ज्यादा नहीं सोचते.
उन्होंने कहा, 'मैंने कभी भी यह सोचकर क्रिकेट नहीं खेला कि यह मेरे लिए मील का पत्थर है. जब हम स्कूल या पार्क में क्रिकेट खेलते थे तब हमारा एकमात्र लक्ष्य मैच जीतना होता था. मील के पत्थरों का इस्तेमाल कभी भी आपका भविष्य निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता.'टिप्पणियां
धोनी ने कहा, 'ऐसा होता तो माइकल फेल्प्स को पांच ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद संन्यास ले लेना चाहिए था. केवल यह मायने रखता है कि कोई अपना काम कैसे जारी रखता है, वह इसमें कितना अच्छा है और उसे किस तरह आगे ले जा सकता है.' धोनी के जीवन पर आधारित यह फिल्म 30 सितंबर को रिलीज होगी. सुशांत ने इसमें धोनी की भूमिका निभाई है और फिल्म में अनुपम खेर, कायरा आडवाणी और अन्य भी काम कर रहे हैं.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, 'मुझे सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष देखना होगा और सोचना होगा कि लोग मुझे किस भूमिका में देखना चाहेंगे. मैं इसके बारे में बाद में सोचूंगा, क्योंकि इस समय मैं क्रिकेट खेल रहा हूं और इस पर ही ध्यान देना चाहूंगा.' धोनी ने कहा कि वह वर्तमान में जीने में विश्वास रखते हैं और अतीत या भविष्य को लेकर ज्यादा नहीं सोचते.
उन्होंने कहा, 'मैंने कभी भी यह सोचकर क्रिकेट नहीं खेला कि यह मेरे लिए मील का पत्थर है. जब हम स्कूल या पार्क में क्रिकेट खेलते थे तब हमारा एकमात्र लक्ष्य मैच जीतना होता था. मील के पत्थरों का इस्तेमाल कभी भी आपका भविष्य निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता.'टिप्पणियां
धोनी ने कहा, 'ऐसा होता तो माइकल फेल्प्स को पांच ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद संन्यास ले लेना चाहिए था. केवल यह मायने रखता है कि कोई अपना काम कैसे जारी रखता है, वह इसमें कितना अच्छा है और उसे किस तरह आगे ले जा सकता है.' धोनी के जीवन पर आधारित यह फिल्म 30 सितंबर को रिलीज होगी. सुशांत ने इसमें धोनी की भूमिका निभाई है और फिल्म में अनुपम खेर, कायरा आडवाणी और अन्य भी काम कर रहे हैं.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, 'मैंने कभी भी यह सोचकर क्रिकेट नहीं खेला कि यह मेरे लिए मील का पत्थर है. जब हम स्कूल या पार्क में क्रिकेट खेलते थे तब हमारा एकमात्र लक्ष्य मैच जीतना होता था. मील के पत्थरों का इस्तेमाल कभी भी आपका भविष्य निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता.'टिप्पणियां
धोनी ने कहा, 'ऐसा होता तो माइकल फेल्प्स को पांच ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद संन्यास ले लेना चाहिए था. केवल यह मायने रखता है कि कोई अपना काम कैसे जारी रखता है, वह इसमें कितना अच्छा है और उसे किस तरह आगे ले जा सकता है.' धोनी के जीवन पर आधारित यह फिल्म 30 सितंबर को रिलीज होगी. सुशांत ने इसमें धोनी की भूमिका निभाई है और फिल्म में अनुपम खेर, कायरा आडवाणी और अन्य भी काम कर रहे हैं.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
धोनी ने कहा, 'ऐसा होता तो माइकल फेल्प्स को पांच ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद संन्यास ले लेना चाहिए था. केवल यह मायने रखता है कि कोई अपना काम कैसे जारी रखता है, वह इसमें कितना अच्छा है और उसे किस तरह आगे ले जा सकता है.' धोनी के जीवन पर आधारित यह फिल्म 30 सितंबर को रिलीज होगी. सुशांत ने इसमें धोनी की भूमिका निभाई है और फिल्म में अनुपम खेर, कायरा आडवाणी और अन्य भी काम कर रहे हैं.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
लव जिहाद के नाम पर राजस्थान के राजसमंद में एक जघन्य हत्याकांड की सच्चाई पुलिस ने कोर्ट के सामने रख दी है. पुलिस की जांच में पता चला है कि शंभू की राजसमंद के राजनगर की रहने वाली एक लड़की से संबंध थे. इसकी जानकारी मृतक अफराजुल को थी. लड़की की दोस्ती वेस्ट बंगाल के 2 लड़कों से भी थी. इससे शंभू नाराज था.
पुलिस ने राजसमंद कोर्ट में 413 पन्नों की चार्जशीट पेश की है. इसमें कहा है कि शंभू वेस्ट बंगाल से आए मजदूरों को भगाना चाहता था, ताकि अपने अवैध संबंध को कायम रख सके. दरअसल अफराजुल हत्याकांड की वजह बनी लड़की और उसकी मां तीनों एक साथ बैठकर शराब पीते थे. हत्यारे शंभू के खिलाफ लड़की की मां ने पंचायत बुलाई थी.
मां का आरोप था कि शंभू जबरदस्ती उसकी लड़की को ले जाकर एक घर में एक साल से रखा है. उसके साथ शारीरिक संबंध बना रहा है. इसके बाद समाज ने शंभू को लड़की छोड़ने को कहा और 10 हजार का जुर्माना लगाया. तब से शंभू लगातार लड़की का पीछा करता था, लेकिन वो उसके पास नहीं आना चाहती थी. इससे शंभू पागल जैसा हो गया था.
चार्जशीट में दर्ज लड़की के बयान के मुताबिक, अफराजुल, बल्लू और अज्जू शेख उसके घर आते थे. उनके साथ शराब पीते थे. 2010 में पूजा के दौरान वो बल्लू के साथ वेस्ट बंगाल के सैयदपुर चली गई थी. कुछ दिनों बाद वापस राजसमंद आ गई. साल 2012 में दुबारा अज्जू के साथ सैयदपुर चली गई. वहां से लौटी तो शंभू ने उसे अपने घर रख लिया.
हाउसिंग बोर्ड के जिस मकान में शंभू ने लड़की को रखा था, वहां एक नर्स भी थी. एक दिन नर्स ने उन दोनों को आपत्तिजनक हालत में देख लिया, जिसके बाद लड़की को घर से निकाल दिया. इसके बाद लड़की की मां ने पंचायत बुलाई थी. लड़की अपनी मां के पास ही रह रही थी, लेकिन इसके बाद भी बल्लू और अज्जू से मिलती रहती थी.
पुलिस ने
वारदात
के 36 दिन बाद 68 गवाहों के साथ चार्जशीट पेश की है, जिसमें चश्मदीद गवाह शंभू के 15 साल के भांजे को बनाया है. मुख्य गवाह लड़की को बनाया है. इसके अलावा शंभू की पत्नी को भी पुलिस ने गवाह बनाया है. पुलिस ने बताया कि शंभू ने वारदात से पहले और बाद में अपने नाबालिग भतीजे के साथ मिलकर वीडियो बनाए थे. |
एक नये शोध में कहा गया है कि आठ घंटे से कम नींद लेने वाले किशारों की अवसाद तथा आत्महत्या के विचारों से जूझने की अधिक संभावना रहती है.
न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिर्टी के ‘कॉलेज ऑफ फिजिशियंस एंड सर्जन्स’ के वैज्ञानिकों का दावा है कि जो किशोर मध्यरात्रि के बाद सोते हैं, उन्हें अवसाद होने की ज्यादा संभावना रहती है. जो रात में काफी देर तक जागे रहते हैं, उनमें रात 10 बजे ही सो जाने वाले किशारों के मुकाबले खुद को नुकसान पहुंचाने वाले विचार आने की संभावना ज्यादा रहती है.
शोध के शीर्ष लेखक जेम्स गैंगविस्क ने पत्रिका ‘स्लीप’ में लिखा, ‘‘हमारे नतीजे इस सिद्धांत से मेल खाते हैं कि अपर्याप्त नींद अवसाद का जोखिम बढ़ाती है. पर्याप्त और अच्छी नींद अवसाद के खिलाफ एहतियाती उपाय और उसके उपचार का काम करती है.’’ शोधकर्ता अमेरिकी स्कूलों में 12 से 17 वर्ष की उम्र के 15,000 से अधिक विद्यार्थियों और उनके माता पिता पर अध्ययन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे. |
पेट्रोल कीमतों में भारी वृद्धि पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कहा कि उनकी पार्टी इसे स्वीकार नहीं करेगी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर संप्रग सरकार को अस्थिर नहीं करेगी।टिप्पणियां
ममता ने कहा, ‘‘यह अनुचित और एकपक्षीय है। हमें लगता है कि लोगों पर बोझ डालने का यह एक आसान विकल्प है। हम लोगों पर मूल्यवृद्धि का बोझ स्वीकार नहीं कर सकते।’’ संप्रग सरकार में दूसरे सबसे सबसे बड़े घटक दल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी माकपा की तरह सरकार को अस्थिर नहीं करेगी क्योंकि इससे देश में राजनीतिक एवं आर्थिक अस्थिरता पैदा होगी।
संसद की अनेदखी किये जाने पर गंभीर आपत्ति जताते हुए ममता ने कहा, ‘‘संसद सत्र कल ही समाप्त हुआ है लेकिन इसे (मूल्यवृद्धि) आज ही घोषित क्यों किया गया।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के साथ विचार विमर्श नहीं किया गया। ममता ने कहा, ‘‘हमसे न तो मूल्यवृद्धि और न ही देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में विचार विमर्श किया गया। आखिर हमसे विचार विमर्श क्यों नहीं किया गया।’’
ममता ने कहा, ‘‘यह अनुचित और एकपक्षीय है। हमें लगता है कि लोगों पर बोझ डालने का यह एक आसान विकल्प है। हम लोगों पर मूल्यवृद्धि का बोझ स्वीकार नहीं कर सकते।’’ संप्रग सरकार में दूसरे सबसे सबसे बड़े घटक दल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी माकपा की तरह सरकार को अस्थिर नहीं करेगी क्योंकि इससे देश में राजनीतिक एवं आर्थिक अस्थिरता पैदा होगी।
संसद की अनेदखी किये जाने पर गंभीर आपत्ति जताते हुए ममता ने कहा, ‘‘संसद सत्र कल ही समाप्त हुआ है लेकिन इसे (मूल्यवृद्धि) आज ही घोषित क्यों किया गया।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के साथ विचार विमर्श नहीं किया गया। ममता ने कहा, ‘‘हमसे न तो मूल्यवृद्धि और न ही देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में विचार विमर्श किया गया। आखिर हमसे विचार विमर्श क्यों नहीं किया गया।’’
संसद की अनेदखी किये जाने पर गंभीर आपत्ति जताते हुए ममता ने कहा, ‘‘संसद सत्र कल ही समाप्त हुआ है लेकिन इसे (मूल्यवृद्धि) आज ही घोषित क्यों किया गया।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के साथ विचार विमर्श नहीं किया गया। ममता ने कहा, ‘‘हमसे न तो मूल्यवृद्धि और न ही देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में विचार विमर्श किया गया। आखिर हमसे विचार विमर्श क्यों नहीं किया गया।’’ |
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
पंजाब नेशनल बैंक की आर्थिक सेहत धीरे-धीरे सुधर रही है. हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी के हजारों करोड़ रुपये के घोटाले की वजह से पीएनबी को लगातार घाटा हो रहा था. लेकिन अब इस सरकारी बैंक का बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2019) का शुद्ध घाटा 65 फीसदी कम होकर 4,750 करोड़ रुपये रह गया. डूबे कर्ज के लिए प्रावधान घटने और संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार से बैंक का घाटा कम हुआ है.
दरअसल नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की वजह से PNB को पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 13,417 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. लेकिन अब बैंक तेजी से रिकवरी कर रहा है. शेयर बाजार को भेजी सूचना में बैंक ने कहा कि तिमाही के दौरान उसकी कुल आय बढ़कर 14,725.13 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 12,945.68 करोड़ रुपये रही थी.
पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में बैंक का एकीकृत शुद्ध घाटा 9,570.11 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में 12,113.36 करोड़ रुपये था. वित्त वर्ष के दौरान बैंक की आय बढ़कर 59,514.53 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 57,608.19 करोड़ रुपये थी. तिमाही के दौरान बैंक का नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) घटकर 15.50 फीसदी पर आ गया, जो मार्च, 2018 में 18.38 फीसदी थीं.
इसी तरह बैंक का शुद्ध NPA 11.24 फीसदी से घटकर 6.56 फीसदी रह गया. मूल्य के हिसाब से बैंक का सकल NPA 78,472.70 करोड़ रुपये रहा जो 2017-18 के अंत तक 86,620.05 करोड़ रुपये था. इसी तरह बैंक का शुद्ध NPA 48,684.29 करोड़ रुपये से घटकर 30,037.66 करोड़ रुपये पर आ गया.
NPA कम होने से डूबे कर्ज के लिए बैंक का प्रावधान भी घटकर 9,153.55 करोड़ रुपये पर आ गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के अंत तक 16,202.82 करोड़ रुपये था. NPA ने कहा कि उसने 2018-19 की मार्च तिमाही के दौरान तरजीही आधार पर 80 करोड़ इक्विटी शेयर जारी किए जिसपर सरकार से 5,908 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश मिला. |
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के सरकारी आवास 10 सर्कुलर रोड को दुल्हन की तरह सजकर तैयार है. शुक्रवार को इस घर पर दीवाली भी मनाई गई. क्योंकि लालू यादव 11 जून को पूरे 69 साल के हो गए. पटना शहर तो पहले से ही लालू के जन्मदिन की बधाइयों के बैनर से पट गया है.
नीतीश और सोनिया ने दी लालू को बधाई
नीतीश कुमार ने कहा कि लालूजी को जन्मदिन की बधाई है. इनका जीवन संघर्ष की कहानी है. उन्होंने काह कि हमलोग मिलकर काम कर रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे. यह चट्टानी एकता आगे भी जारी रहेगी. वहीं राबड़ी देवी ने बताया कि सोनिया गांधी ने लालूजी को फोन कर जन्मदिन की बधाई दी थी. मैं उनका धन्यवाद करती हूं.
गरीबों के लिए काम कर रही है महागठबंधन सरकार
इस मौके पर लालू यादव ने कहा कि नीतीश और हम भाई हैं. दोनो को बधाई है. महागठबंधन की सरकार के बाद सारे लोग जश्न मना रहे हैं. कोई भ्रम न रहे. नीतीश के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार गरीबों के लिए काम कर रही है. मेरा आह्वान है कि लोग बीजेपी का साथ छोड़ें. देश के प्रधानमंत्री अब विदेश के प्रधानमंत्री हो गए हैं.
10 सर्कुलर रोड पर बने हैं कई पांडाल
उनके घर के भीतर कई पांडाल बनाए गए हैं. इसमें कहीं केक कटेगा तो कही कव्वाली की महफिल सजेगी. लालू यादव का यह जन्मदिन कुछ खास है. पिछले साल तक सत्ता के दूर रहे
लालू के लिए
उनका 69 जन्मदिन कई बड़े तोहफे पहले ही ला चुका है. 15 सालों के बाद इस परिवार की सत्ता लौटी है.
लालू परिवार के लिए खास है यह साल
लालू का छोटा बेटा तेजस्वी यादव अब बिहार का उपमुख्यमंत्री है, बड़ा बेटा तेजप्रताप स्वास्थ्य मंत्री और बेटी मीसा अभी-अभी राज्यसभा में पहुंच चुकी है. इस परिवार के लिए खुशियां अपार है. शनिवार सुबह उन्होंने अपने जन्मदिन का केक काटा. 10 सर्कुलर रोड का दरवाजा सबों के लिए सुबह से ही खोल दिया गया है.
भोजपुरी गीत और नाच के साथ होगी कव्वाली
लालू के सचिव
रहे और विधायक भोला यादव के मुताबिक तैयारी पूरी हो गई है. ये साल लालू यादव के लिए सचमुच बेहतरीन सालों में एक है. कव्वाली गाने के लिए खास अजमेर से कव्वाल आए हैं. लालू की खास पसंद भोजपुरी लोकसंगीत और नाच के कार्यक्रम होंगे.
बिहियां की पूरी और आलू दम का भोज
इस जन्मदिन में खाने के लिए बिहियां की पूरी और गरम मसाले का आलू दम होगा. बिहियां की पूरी बिहार की खास मानी जाती है. यह हाथी के कान के बराबर होता है. बधाई देने वालों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खास मेहमानों की सूची में है.
लालू के घर
पर सुबह से ही नीतीश मंत्रिमंडल के लोगो के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. |
भारत का टॉप डेनिम ब्रांड न्यूमेरो उनो अगले महीने से शुरू हो रहे आईसीसी वर्ल्ड टी20 2016 क्रिकेट में क्लोदिंग का ऑफिसियल सप्लायर होगा.
कंपनी दिसंबर 2020 तक आईसीसी के ब्रांडेड एपेरल और मर्केंडाइज की भी आधिकारिक क्लोदिंग सप्लायर निर्माता और रिटेलर होगी. वर्ल्ड टी20 2016 के मुकाबले 8 मार्च से शुरू होकर 3 अप्रैल तक चलेंगे. |
पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर भारतीय वायु सेना के जांबाजों ने आतंकी मसूद अजहर के जिस टेरर कैंप को तबाह किया, वो टेरर कैंप थ्री स्टार था. उसमें शीशमहल और मस्कीन महल थे. उसमें आतंकियों के लिए हर सुख सुविधा थी. इतना ही नहीं आतंकियों के टेरर कैंप तक जाता था एक नेशनल हाईवे-15 और उसी कैंप में होती थी आतंकियों की ट्रेनिंग.
जैश के सरगना आतंकी मसूद अजहर ने बालाकोट में 3 स्टार शीशमहल बना रखा था. बालाकोट के आतंकी कैंप में था शानदार इजाज़तनामा और शीश महल तक जाता था आतंक का नेशनल हाईवे-15. बालाकोट के आतंकी कैंप के ध्वस्त होने की ख़बर सारी दुनिया ने देखी. सबने देखा कि कैसे वायु सेना के जांबाजों ने आतंक की फैक्ट्री को धुआं धुआं कर दिया है.
लेकिन हम आपको आतंकी मसूद अजहर के कैंप की वो एक्सक्लूसिव सच्चाई बताने जा रहे हैं, जिसे देखकर आपकी आंखे फटी रह जाएंगी. आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि मसूद अजहर का आतंकी कैंप किसी अय्याशगाह से कम नहीं था. ऐसी कोई सुख सुविधा नहीं थी जो बालाकोट में जैश के कैंप में न रही हो.
जैश का फिदायिन टेरर कैंप
पाकिस्तान के मानसेहरा नारन जलखांड रोड पर मौजूद है जैश-ए-मोहम्मद का टेरर कैंप. और इसे कहते हैं नेशनल हाईवे 15. इस आतंकी ट्रेनिंग कैंप में 600 से ज्यादा आतंकी एक साथ 5 से 6 बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में रहते थे. इन आतंकियों को मदरसा आयशा सादिक की आड़ में फ़िदायीन हमले करने की ट्रेनिंग दी जाती थी.
कैसे होती थी आतंकियों की भर्ती?
बालाकोट के इस आतंकी कैंप में जैश के मास्टरमाइंड किस तरीके से आतंकवादियों को ब्रेनवॉश कर उनको आतंकी ट्रेनिंग में शामिल करते थे उसका पूरा कच्चा चिट्ठा भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास मौजूद है.
मुज्जफराबाद के "सवाई नाला" में मौजूद जैश के ऑफिस में सबसे पहले आतंकियों को छांटा जाता था, फिर उनके लिए "इजाजतनामा" तैयार किया जाता था. फिर उसे मुजफ्फराबाद के सवाई नाला में मौजूद आतंकी कमांडर की साइन वाली चिट्ठी दी जाती थी. इस चिट्ठी में "अल रहमत ट्रस्ट" का स्टैंप लगा होता था. इस स्टैंप के लगे होने का मतलब था कि उस आतंकी की भर्ती जैश में हो चुकी है.
खुफिया एजेंसियों ने आजतक को जानकारी दी कि मुजफ्फराबाद के इस ऑफिस में एक रात रुकने के बाद गाड़ी के जरिए "बालाकोट" के आतंकी कैम्प में भर्ती हुए इन आतंकवादियों को ले जाया जाता था और फिर होता था उन्हें फ़िदायीन या आत्मघाती बनाने का सिलसिला शुरू.
6 एकड़ में फैले बालाकोट के इस फ़िदायीन फैक्ट्री में मुख्य ट्रेनिंग कैम्प मदरसे के पास था. इस मदरसे के दो दरवाज़े थे. इसमे "शीश महल" और "मस्कीन महल" दो अहम जगह थी. पाकिस्तानी सेना और ISI यहां रहने वाले आतंकियों को थ्री स्टार सुविधा मुहैया कराती थी, ताकि वो यहां से वापस न जा सकें. यहां आतंकियों के कमांडर के साथ-साथ मसूद अजहर और उसका भाई अब्दुल रऊफ आतंकियों का ब्रेनवॉश किया करते थे.
वहीं, पाक आर्मी के रिटायर्ड अफसर और आईएसआई के अधिकारी संयुक्त रूप से बालाकोट के इस कैंप में मौजूद आतंकवादियों को हथियारों और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दिया करते थे. बालाकोट के इस कैंप में 50 आतंकी हर समय ट्रेनिंग लिया करते थे. जिनमें से 20 से 25 आत्मघाती हमलावर होते थे.
बालाकोट के इस कैम्प में जैश के आतंकियों को 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती थी. ये ट्रेनिंग तीन दौर की होती थी-
1. दौरा-ए-ख़ास या एडवांस कॉम्बैट कोर्स
2 दौरा-अल-राद या एडवांस आर्म्ड ट्रेनिंग कोर्स
3. रिफ्रेशर ट्रेनिंग प्रोग्राम.
आतंकवादियों को बालाकोट के जैश कैम्प में AK47, LMG, रॉकेट लॉन्चर, UBGL और हैंड ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. जैश के आतंकियों को यहां पर जंगल सर्वाईवल, गोरिल्ला युद्ध, कॉम्युनिकेशन, इंटरनेट और GPS मैप की ट्रेनिंग दी जाती थी. यही नहीं आतंकियों को, तलवारबाजी, तैराकी और घुड़सवारी की ट्रेनिंग भी दी जाती थी.
बालाकोट से ट्रेंड आतंकियों को POK के रास्ते कश्मीर घाटी के कुपवाड़ा भेजा जाता था. 26 फरवरी के हमले में भारतीय युवा सेना के विमानों ने इस कैंप को नेस्तनाबूद कर दिया. अब बारी है मसूद अजहर जिसका बचना बेहद मुश्किल हो गया है. |
श्री चंद्र प्रभु भगवान जैन धर्म के २४ तीर्थकरो में से वर्तमान अवसर्पिणी काल के आठवें तीर्थंकर है। श्री चंदा प्रभु भगवान का गर्भ कल्याणक चैत्र कृष्णा पंचमी को ज्येष्ठा नक्षत्र में,चंद्र प्रभु का जन्म चन्द्रपुर नगर के राजपरिवार में पौष कृष्णा ग्यारस को अनुराधा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री महासेन राजा और माता का नाम श्रीमती लक्ष्मण देवी था। चंद्र प्रभु का चिह्न चन्द्रमा था। श्री चंद्र प्रभु भगवान का जन्म इक्ष्वाकु वंश में ।श्री चंद्र प्रभु भगवान के शरीर का वर्ण चन्द्रमा के समान श्वेत,श्री चंद्र प्रभु भगवान के शरीर की ऊंचाई एक सौ पचास धनुष
श्री चंद्र प्रभु भगवान की आयु दश लाख वर्ष पूर्व की थी। श्री चंद्र प्रभु भगवान का कुमार काल ढाई लाख वर्ष पूर्व का । श्री चंदा प्रभु भगवान का राज्य काल साढ़े छह लाख वर्ष पूर्व 24 पूर्वांग।श्री चंद्र प्रभु भगवान के वैराग्य का कारण अध्रुवादि भावनाओं के चिंतवन करने से हुआ।श्री चंदा प्रभु भगवान का दीक्षा कल्याणक पौष कृष्णा गयारस को हुआ । श्री चंद्र प्रभु भगवान की पूर्व पर्याय का नाम राजा श्री श्रीषेण था। श्री श्रीषेण सुगंध देश के राजा थे ।श्री श्रीषेण श्रीपुर नाम नगर के राजा थे पूर्व पूष्करार्ध द्वीप में सीता नदी के उत्तर तट पर सुगंधा देश के आर्यखंड में श्रीपुर नगर है
श्री चंद्र प्रभु भगवान के सात भव
1 - श्रीवर्मा नाम के राजा
2 - पहले स्वर्ग में देव
3 - अजित सेन नामक चक्रवर्ती
4 - अच्युत स्वर्ग में इन्द्र
5 - पद्मनाथ नाम के राजा
6 - वैजयंत विमान में देव
7 - तीर्थंकर श्री चन्द्र प्रभु
नौ सौ करोड सागर बीत जाने पर श्री चंद्र प्रभु भगवान हुए
श्री चंद्र प्रभु भगवान वैजयंतनामक अनुत्तर विमान से गर्भ में आये |
यह एक लेख है: प्रतिष्ठित अभिनेता मनोज बाजपेई लंबे समय बाद छोटे पर्दे पर लौट रहे हैं। वह नए अपराध धारावाहिक 'एनकाउंटर' के सूत्रधार की भूमिका निभाएंगे।
मनोज कहते हैं कि उन्होंने दादी मां की शैली में दर्शकों को कहानी सुनाने की कोशिश की है।
मनोज (44) ने रविवार को एक साक्षात्कार में कहा, "मैं इस कार्यक्रम का प्रस्तोता हूं और हम प्रस्तुतिकरण में कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं। जिस तरह दादी मां कहानियां सुनाया करती थीं और हम हर दृश्य की कल्पना कर लेते थे, ऐसा ही कुछ करने की कोशिश मैंने की है।"
मनोज ने यह भी कहा कि यह कार्यक्रम आपको फिल्म देखने जैसा एहसास देगा। उन्होंने बताया, 'एनकाउंटर' मुंबई में हुए उन प्रसिद्ध मुठभेड़ों के बारे में है, जो पुलिस और कुख्यात अपराधियों के बीच हुई। हर सप्ताह हम आपको एक एनकाउंटर और इसके पीछे के इतिहास के बारे में बताएंगे और रोचक ढंग से इसकी कहानी बताएंगे। सीधे शब्दों में कहूं तो यह टीवी पर फिल्म देखने का मजा है।'
मनोज आखिरी बार फिल्म 'सत्याग्रह' में दिखाई दिए थे। उनकी दो फिल्में 'ट्रैफिक' और 'सात उच्चके' जल्द ही सिनेमाघरों में आने वाली हैं। |
सपना चौधरी (Sapna Choudhary) इंटरनेट पर सिर्फ हरियाणवी (Haryanvi) या बॉलीवुड (Bollywood) में ही नहीं बल्कि पंजाबी (Punjabi) और भोजपुरी (Bhojpuri) इंडस्ट्री में भी धाक जमा चुकी हैं. जब भी उनका कोई भी गाना रिलीज होता है तो चारों इंडस्ट्री में सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का धमाल मच जाता है. सपना चौधरी (Sapna Choudhary) की आने वाली फिल्म 'दोस्ती के साइड इफेक्ट्स' (Dosti Ke Side Effects) का गाना 'ट्रिंग ट्रिंग' (Tring Tring) बेहद वायरल हो रहा है. इसे सिर्फ 5 दिन में करीब 28 लाख से ज्यादा बाद देखा जा चुका है. वहीं सपना चौधरी के गाने जब भी इंटरनेट पर रिलीज किए जाते हैं तो जमकर गरदा उड़ता है. कुछ ऐसा ही हाल उनका एक और हरियाणवी सॉन्ग 'घूंघट' (Ghunghat) पर भी देखने को मिला है.
A post shared by Sapna Choudhary Club (@isapnachaudhary) on Jan 21, 2019 at 4:58am PST
सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का 'घूंघट' (Ghunghat) सॉन्ग यूट्यूब पर टॉप 10 में पिछले 2 दिन से ट्रेंड कर रहा है. यही वजह है कि सपना चौधरी के इस गाने को 24 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. यह सॉन्ग 2 दिन पहले रिलीज हुआ है. भोजपुरी (Bhojpuri)-पंजाबी (Punjabi) और हरियाणवी (Haryanvi) सिनेमा में धूम मचाने वाली सपना चौधरी (Sapna Choudhary) के 'घूंघट' सॉन्ग में सपना के अलावा नवीन नारू नजर आ रहे हैं. सपना चौधरी के इस सॉन्ग को सोमवीर कथूरवाल ने गाया है और इसके लिरिक्स नवीन विशु बाबा ने लिखे हैं. सपना चौधरी के 'घूंघट' सॉन्ग का म्यूजिक बैम्बू बीट ने दिया है और इस म्यूजिक वीडियो को कुलदीप राठी ने डायरेक्ट किया है.
सपना चौधरी (Sapna Choudhary) की फिल्म 'दोस्ती के साइड इफेक्ट्स (Dosti Ke Side Effects)' के 'ट्रिंग ट्रिंग' सॉन्ग को आनिया सईद ने गाया है, और इसका म्यूजिक अल्ताफ सईद और मन्नी वर्मा ने दिया है. इस सॉन्ग के लिरिक्स अतिया सईद ने लिखे हैं. हरियाणा की बांकी छोरी सपना चौधरी (Sapna Choudhary) की फिल्म 'दोस्ती के साइड इफेक्ट्स' के प्रोड्यूसर जॉयल डेनियल हैं और डायरेक्टर हादी अली अबरार हैं.
सपना चौधरी (Sapna Choudhary) बॉलीवुड में दस्तक देने से पहले भोजपुरी, पंजाबी और हरियाणवी सिनेमा में जमकर अपना जलवा दिखाया है. सपना चौधरी ने बिग बॉस 11 से जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की थी, और उसके बाद से उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत महसूस नहीं हुई. सपना चौधरी के सॉन्ग यूट्यूब पर जमकर धमाल मचाते हैं और सोशल मीडिया पर तो सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का सिक्का चलता है. |
टीम इंडिया ने (Team India) बॉक्सिंग डे टेस्ट (Boxing Day Test) में ऑस्ट्रेलिया को 137 रन से हराकर न केवल सीरीज में 2-1 की बढ़त हासिल कर ली है बल्कि आईसीसी टेस्ट टीम रैंकिंग (ICC Test Rankings)में अपनी टॉप पोजीशन को और मजबूत कर लिया है. दूसरी ओर,न्यूजीलैंड लगातार चौथी सीरीज जीतने के बाद दक्षिण अफ्रीका को पीछे छोड़कर रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.भारत ने मेलबर्न टेस्ट (Melbourne test)के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की श्रृंखला में 2-1 से बढ़त बना ली है. अब उसके अब 116 अंक हैं और वह दूसरे स्थान पर काबिज इंग्लैंड (108 अंक) से आठ अंक आगे है.
Ind vs Aus 3rd Test: ऑस्ट्रेलिया टीम को फॉलोआन नहीं देने के मुद्दे पर यह बोले विराट कोहली..
न्यूजीलैंड ने क्राइस्टचर्च में श्रीलंका को दूसरे टेस्ट मैच में 423 रन के विशाल अंतर से हराया. इससे साल के अंत में उसके अंकों की संख्या 107 पर पहुंच गई है. न्यूजीलैंड अब भारत और इंग्लैंड के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया है जबकि दक्षिण अफ्रीका (106 अंक) चौथे स्थान पर खिसक गया है. न्यूजीलैंड अगर दोनों टेस्ट जीतता तो उसके 109 अंक हो जाते और वह दूसरे स्थान पर पहुंच जाता. दक्षिण अफ्रीका के पास अभी दूसरे स्थान पर पहुंचने का मौका है लेकिन इसके लिये उसे पाकिस्तान को तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 3-0 से हराना होगा. इससे उसके 110 अंक हो जाएंगे. दक्षिण अफ्रीका पहला टेस्ट मैच जीतकर अभी 1-0 से आगे है.
Thank you, Melbourne for all the support. Onto the next one at the SCG #TeamIndia#AUSvINDpic.twitter.com/6iCBgNaLcu
Ind vs Aus 3rd Test: 150वीं टेस्ट जीत हासिल करने वाला पांचवां देश बना भारत
गौरतलब है कि मेलबर्न में हुए बॉक्सिंग डे टेस्ट में भारत ने मैच में ऑस्ट्रेलिया के सामने जीत के लिए 399 रनों का लक्ष्य रखा था, जिसे मेजबान टीम हासिल नहीं कर पाई. उसकी दूसरी पारी 261 रनों पर समाप्त हो गई. ऑस्ट्रेलिया के लिए दूसरी पारी में पैट कमिंस (63) ने सबसे अधिक रन बनाए. इसके अलावा, शॉन मार्श ने 44 रनों का अहम योगदान दिया. भारत के लिए इस पारी में जसप्रीत बुमराह और रवींद्र जडेजा ने सबसे अधिक तीन-तीन विकेट लिए. इस जीत के साथ भारत ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा बरकरार रखा. |
लेख: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के दोषी करार दिए गए राज्य के माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र और ऐसे ही आरोपों से घिरे श्रम मंत्री बादशाह सिंह को पद से हटा दिया तथा दोनों के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान से जांच कराने के आदेश दिए। प्रदेश में सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने मिश्र के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा दर्ज करने और उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की है। इसके अलावा श्रम मंत्री पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर इल्जाम लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मायावती ने इन हालात के मद्देनजर दोनों मंत्रियों को तब तक पद से हटा दिया है, जब तक उन पर लगे आरोपों की सतर्कता अधिष्ठान की जांच पूरी नहीं हो जाती और वे निर्दोष साबित नहीं हो जाते। |
इंटरनेट इनसाइक्लोपीडिया विकिपीडिया अमेरिका के इंटरनेट पायरेसी कानून का विरोध करने के लिए बुधवार को 24 घंटे के लिए अपना संचालन बंद करेगी।
वेबसाइट के सह-संस्थापक जिम्मी वेल्स ने कहा कि सिर्फ कॉपीराइट हनन के आरोपों के आधार पर इंटरनेट किसी सेंसरशिप को बर्दाश्त नहीं करेगा।
समाचार पत्र टेलीग्राफ के मुताबिक वेल्स ने कहा कि मतसंग्रह के माध्यम से पूरी दुनिया में वेबसाइट संचालन को 24 घंटे के लिए बंद रखने का फैसला किया गया।
वेल्स ने अखबार से कहा, "साधारण तौर पर माना जा रहा है कि अमेरिकी कानून इंटरनेट को प्रभावित करेगा इसलिए सभी को प्रभावित करेगा।"टिप्पणियां
वेबसाइट बंद रखकर 'स्टॉप ऑनलाइन पायरेसी कानून' (सोपा) और 'प्रोटेक्ट इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी कानून' (पीपा) का विरोध किया जाएगा।
वेल्स ने ट्विटर पर लिखा कि बुधवार सुबह पांच बजे से गुरुवार सुबह पांच बजे तक वेबसाइट नहीं देखा जा सकेगा।
वेबसाइट के सह-संस्थापक जिम्मी वेल्स ने कहा कि सिर्फ कॉपीराइट हनन के आरोपों के आधार पर इंटरनेट किसी सेंसरशिप को बर्दाश्त नहीं करेगा।
समाचार पत्र टेलीग्राफ के मुताबिक वेल्स ने कहा कि मतसंग्रह के माध्यम से पूरी दुनिया में वेबसाइट संचालन को 24 घंटे के लिए बंद रखने का फैसला किया गया।
वेल्स ने अखबार से कहा, "साधारण तौर पर माना जा रहा है कि अमेरिकी कानून इंटरनेट को प्रभावित करेगा इसलिए सभी को प्रभावित करेगा।"टिप्पणियां
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वेल्स ने ट्विटर पर लिखा कि बुधवार सुबह पांच बजे से गुरुवार सुबह पांच बजे तक वेबसाइट नहीं देखा जा सकेगा।
समाचार पत्र टेलीग्राफ के मुताबिक वेल्स ने कहा कि मतसंग्रह के माध्यम से पूरी दुनिया में वेबसाइट संचालन को 24 घंटे के लिए बंद रखने का फैसला किया गया।
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वेल्स ने ट्विटर पर लिखा कि बुधवार सुबह पांच बजे से गुरुवार सुबह पांच बजे तक वेबसाइट नहीं देखा जा सकेगा।
वेल्स ने अखबार से कहा, "साधारण तौर पर माना जा रहा है कि अमेरिकी कानून इंटरनेट को प्रभावित करेगा इसलिए सभी को प्रभावित करेगा।"टिप्पणियां
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वेल्स ने ट्विटर पर लिखा कि बुधवार सुबह पांच बजे से गुरुवार सुबह पांच बजे तक वेबसाइट नहीं देखा जा सकेगा।
वेबसाइट बंद रखकर 'स्टॉप ऑनलाइन पायरेसी कानून' (सोपा) और 'प्रोटेक्ट इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी कानून' (पीपा) का विरोध किया जाएगा।
वेल्स ने ट्विटर पर लिखा कि बुधवार सुबह पांच बजे से गुरुवार सुबह पांच बजे तक वेबसाइट नहीं देखा जा सकेगा।
वेल्स ने ट्विटर पर लिखा कि बुधवार सुबह पांच बजे से गुरुवार सुबह पांच बजे तक वेबसाइट नहीं देखा जा सकेगा। |
यह एक लेख है: अमेज़न डॉट कॉम इंक के शेयर बुधवार को 7.4 प्रतिशत गिर गए. इससे कंपनी को करीब 53.6 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. यह नुकसान बाजार कीमत में हुआ. अमेज़न को यह नुकसान इसलिए हुआ क्योंकि रिपोर्टों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात का इशारा दिया है कि वह अमेरिकी टेक्नोलॉजी और रिटेल ग्रुप पर नियंत्रण करेंगे.
ट्रंप ने हाल ही में अमेजन के टैक्स विभाग को बदलने की बात कही थी. यह बात एक्सिऑस वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में कही गई थी. बता दें कि व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने बाद में कहा कि उन्हें इस प्रकार की अमेजन को लेकर विशेष नीति की जानकारी नहीं है, हां यह जरूर है कि राष्ट्रपति कई नीतिगत फैसलों पर गौर कर रहे हैं. टिप्पणियां
व्हाइट हाउस के इस प्रकार के बयान के बाद अमेजन के स्टॉक्स में हो रही गिरावट में कुछ कमी आई. इस मुद्दे पर अमेजिन से कोई रिएक्शन नहीं मिला है.
बता दें कि ट्रंप ने कंपनी पर टैक्स और नौकरियों को लेकर हमला किया था, यह अलग बात है कि उन्होंने कोई भी पुख्ता सबूत नहीं दिए थे. उल्लेखनीय है कि अमेजन के सीईओ जेफ बेजॉस वाशिंगटन पोस्ट के मालिक हैं, जिसकी ट्रंप अकसर आलोचना करते रहे हैं.
ट्रंप ने हाल ही में अमेजन के टैक्स विभाग को बदलने की बात कही थी. यह बात एक्सिऑस वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में कही गई थी. बता दें कि व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने बाद में कहा कि उन्हें इस प्रकार की अमेजन को लेकर विशेष नीति की जानकारी नहीं है, हां यह जरूर है कि राष्ट्रपति कई नीतिगत फैसलों पर गौर कर रहे हैं. टिप्पणियां
व्हाइट हाउस के इस प्रकार के बयान के बाद अमेजन के स्टॉक्स में हो रही गिरावट में कुछ कमी आई. इस मुद्दे पर अमेजिन से कोई रिएक्शन नहीं मिला है.
बता दें कि ट्रंप ने कंपनी पर टैक्स और नौकरियों को लेकर हमला किया था, यह अलग बात है कि उन्होंने कोई भी पुख्ता सबूत नहीं दिए थे. उल्लेखनीय है कि अमेजन के सीईओ जेफ बेजॉस वाशिंगटन पोस्ट के मालिक हैं, जिसकी ट्रंप अकसर आलोचना करते रहे हैं.
व्हाइट हाउस के इस प्रकार के बयान के बाद अमेजन के स्टॉक्स में हो रही गिरावट में कुछ कमी आई. इस मुद्दे पर अमेजिन से कोई रिएक्शन नहीं मिला है.
बता दें कि ट्रंप ने कंपनी पर टैक्स और नौकरियों को लेकर हमला किया था, यह अलग बात है कि उन्होंने कोई भी पुख्ता सबूत नहीं दिए थे. उल्लेखनीय है कि अमेजन के सीईओ जेफ बेजॉस वाशिंगटन पोस्ट के मालिक हैं, जिसकी ट्रंप अकसर आलोचना करते रहे हैं.
बता दें कि ट्रंप ने कंपनी पर टैक्स और नौकरियों को लेकर हमला किया था, यह अलग बात है कि उन्होंने कोई भी पुख्ता सबूत नहीं दिए थे. उल्लेखनीय है कि अमेजन के सीईओ जेफ बेजॉस वाशिंगटन पोस्ट के मालिक हैं, जिसकी ट्रंप अकसर आलोचना करते रहे हैं. |
कुमांऊँनी बोली भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक भाषा है। इस भाषा को पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमाऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर के अतिरिक्त असम, बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब, तथा हिमाचल प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी बोली जाती है।
इसका आईएसओ कोड: kfy है।
कुमांऊँनी भाषा का स्वरूप
कुमांऊँनी भाषा एक अर्वचीन भाषा है। मध्य पीढ़ी के लोग कुमांऊँनी और हिन्दी दोनो भाषाओं में संवाद करते हैं। अब इस भाषा को हिन्दी की बोली कहकर निरादर करने के कारण नयी पीढ़ी अपने मातृभाषा को भूल जाता है। कुमांऊँनी, देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। लिपिबद्ध न हो सकने के कारण कुमांऊँनी भाषा का कोई साहित्य उपलब्ध नहीं है।
कुमांऊँनी भाषा के प्रकार तथा भेद
कुमांऊँनी भाषा, कुमांऊँ क्षेत्र में विभिन्न रुपांतरणों में बोली जाती है जैसे:-
अल्मोड़ा और उत्तरी नैनीताल में मध्य कुमांऊँनी।
पिथौरागढ़ में उत्तर पूर्वी कुमांऊँनी।
दक्षिण पूर्वी नैनीताल में दक्षिण पूर्वी कुमांऊँनी।
पश्चिमी अल्मोड़ा और नैनीताल में पश्चिमी कुमांऊँनी।
कुमांऊँ क्षेत्र में लगभगग २० प्रकार की बोलियाँ बोली जाती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:- जोहारी, मझ कुमारिया, दानपुरिया, अस्कोटि, सिराली, सोरयाली, चुगरख्यैली, कमईया, गंगोला, खसपरजिया, फल्दकोटि, पछाइ, रौचभैसि.
कुमांऊँनी भाषा की बोलियाँ
काली कुमांऊँनी, केन्द्रीय कुमांऊँनी।
उत्तर पूर्वी कुमांऊँनी।
दक्षिण पूर्वी कुमांऊँनी।
अस्कोटि।
भाभरी (रामपुर में)।
चुगरख्यैली।
दनपुरिया।
गंगोला।
जोहारी
खसपरजिया
कुमइयाॅं
पछाइ (पछे)
पाली पछांऊॅं की कुमांऊॅंनी
पश्चिमी कुमाऊँनी
फल्दकोटि
रहू चौभैसी
सिराली (सिरौय्लि)
सोरयाली
बैतडा
डोटियाली
कुमांऊँनी भाषा का लुप्त होता स्वरूप
कुमांऊँनी भाषा शनै-शनै लगभग लुप्त होने के कगार पर है। जिसके कई कारण है। पलायन, शहरीकरण, लिपिबद्ध न हो पाना इत्यादि। कुमांऊँनी जानने वाले लगभग सभी लोग हिन्दी समझ सकते हैं। हिन्दी भाषा के इस क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव के कारण यह भाषा तेजी़ से लुप्त होने की स्थिति में पहुँच चुकी है। नगरीय क्षेत्रों में बहुत कम लोग यह भाषा बोलते हैं और बहुत से मामलों में यदि माता पिता कुमांऊँनी या गढ़वाली जानते भी हैं तो उनके बच्चे इन भाषाओं को नहीं जानते हैं। बहुत से अन्य मामलों में बच्चे कुमांऊँनी समझ तो सकते हैं लेकिन बोल नहीं सकते। बहुत से कुमाऊँनी परिवारों में पुरानी दो पीढ़ी के लोग जब नई पीढ़ी के लोगों से कुमांऊँनी में संवाद करते हैं तो उन्हें उत्तर हिन्दी में मिलता है। हिन्दी की राजनीति के कारण हिन्दी को उत्तराखंड के औद्योगिक भाषा रखा गया और उत्तराखंड के अपने भाषा को पीछे छोड़ दिया और इसीलिए पहाड़ी भाषाओं की प्राधान्य कम होने लगा।
इन्हें भी देखें
गढ़वाली भाषा
नेपाली भाषा
कश्मीरी भाषा
पहाड़ी भाषा समूह
बाहरी कड़ियाँ
कुमाऊँनी-गढ़वाली शब्दकोष
तैरी सौं, १९९४ रामपुर तिराहा काण्ड पर आधारित एक कुमाऊँनी चलचित्र
कुमाऊँनी संस्कृति (हिन्दी चिट्ठा)
फोरम (कुमाऊनी / पहाडी फोरम)
कुमाऊँनी भाषा और साहित्य
ऑनलाइन कुमाऊँनी सीखें
आईएसओ/एथ्नोलॉग भाषा कूटः कुमाऊँनी भाषा
कुमाऊँनी भाषा के गीत
उत्तराखण्ड की भाषाएँ
हिन्द-आर्य भाषाएँ
पहाड़ी भाषाएँ |
लेख: ओबामा प्रशासन ने यह कहते हुए पाकिस्तान को दी गई 50 सर्वाधिक वांछित भगोड़ों की भारतीय सूची को समर्थन दिया है कि दोनों पड़ोसियों के बीच जारी वार्ता का यह एक अंग है। दक्षिण और मध्य एशिया के सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने कहा, मेरा मानना है कि इस सूची को सौंपना दोनों देशों के गृह सचिवों के बीच इस बारे में चल रही वार्ता का एक हिस्सा है कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान से संचालित आतंकवादियों के जोखिम को कम करने के लिए इस्लामाबाद क्या कदम उठा सकता है। उन्होंने कहा, जाहिरा तौर पर हम इसका समर्थन करते हैं। हालांकि हमने इस सूची पर वास्तव में कोई तालमेल नहीं किया है। ब्लेक ने पाकिस्तान के साथ वार्ता करने के भारत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, इस साल की शुरुआत में भारत ने जो फैसला किया था, वह व्यापक वार्ता की शुरुआत थी और वे अब इसमें शामिल हैं। हालांकि पाकिस्तानियों ने भारत की अनेक चिंताओं का हल नहीं किया है। |
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मामले की जांच एनआईए को सौंपने का फैसला किया
हथियार की बड़ी खेप, 5 एके-47, पिस्टल, सैटेलाइट फोन और हथगोले बरामद
ड्रोन से हथियार डिलिवर करने की बात सामने आई, अलर्ट पर सुरक्षा बल
पंजाब पुलिस ने पाकिस्तान और जर्मनी से जुड़े आतंकी संगठन के एक टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है. छापेमारी में एके-47 समेत अन्य हथियारों के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के कनेक्शन सामने आने की वजह से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मामले की जांच एनआईए को सौंपने का फैसला किया है.
अमरिंदर सिंह ने सीमा पार से हो रहे ड्रोन के इस्तेमाल से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना और सीमा सुरक्षा बल को निर्देश देने की भी अपील की है.
रिपोर्ट के मुताबिक, यह संगठन आतंकियों को हथियार डिलिवर करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता था. मॉड्यूल का पर्दाफाश करने के बाद पंजाब पुलिस ने दावा किया कि इस आतंकी संगठन का नाम खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेएफ) है जिसे पाकिस्तान और जर्मनी स्थित आतंकी संगठनों का समर्थन प्राप्त है. इस संगठन का पंजाब और आसपास के प्रदेशों में आतंकी हमले करने की योजना थी. छापेमारी में हथियार की बड़ी खेप, 5 एके-47, पिस्टल, सैटेलाइट फोन और हथगोले बरामद हुए हैं.
भारतीय वायु सेना (IAF) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) पंजाब के सीमावर्ती राज्य में ड्रोन के खतरे का मुकाबला करने के लिए हाई अलर्ट पर हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यमन के विद्रोही समूह हाउती ने 14 सितंबर को सऊदी अरब में तेल रिफाइनरी को नष्ट करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया था. पाकिस्तान के साथ भारत की लगती पश्चिमी सीमा हाई-अलर्ट पर है, ऐसे में यह कोई पहली घटना होगी जिसमें ड्रोन से हथियार डिलिवर करने की बात सामने आई है.
नवंबर में करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने के पाक के दावे के बावजूद आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है. इससे आशंका बढ़ गई है कि पाकिस्तान खालिस्तानी आतंकियों को फिर सक्रिय कर पंजाब के सीमावर्ती राज्यों में शांति भंग कर सकता है. इस आतंकी साजिश में अंतरराष्ट्रीय लिंक उभरने के साथ ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एनआईए को मामले में आगे की जांच सौंपी है ताकि यह पता चल सके कि इसके पीछे किसका हाथ है और इसमें आगे क्या किया जा सकता है. |
अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके एक्टर रणवीर सिंह की फिल्म 'गली बॉय' का पहला पोस्टर रिलीज हो चुका है. इस फिल्म में रणवीर सिंह के अपोजिट एक्ट्रेस आलिया भट्ट हैं. गली बॉय को जोया अख्तर डायरेक्ट कर रही हैं. फिल्म 14 फरवरी को रिलीज होने वाली है.
इसकी कहानी मुंबई की सड़कों के रैपर्स की जिंदगी पर आधारित है. फिल्म में रणवीर रैपर की भूमिका में दिखेंगे. रणवीर सिंह ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इसका पोस्टर शेयर किया है. उन्होंने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा- 'अपना टाइम आएगा.' #GullyBoy #14thFeb #2019.
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Apna Time Aayega! #GullyBoy #14thFeb #2019 @ritesh_sid @zoieakhtar @faroutakhtar @excelmovies #TigerBaby @aliaabhatt @zeemusiccompany
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Jan 1, 2019 at 2:32am PST
Ranveer Singh and Alia Bhatt... First poster of
#GullyBoy
... Directed by Zoya Akhtar... Produced by Ritesh Sidhwani, Zoya Akhtar and Farhan Akhtar... 14 Feb 2019 release.
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— taran adarsh (@taran_adarsh)
January 1, 2019
वर्क फ्रंट की बात करें तो रणवीर सिंह की पिछली फिल्म रोहित शेट्टी के निर्देशन में बनी 'सिंबा' है. फिल्म 28 दिसंबर को रिलीज हुई है. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई कर रही है. फिल्म में उनके अपोजिट सारा अली खान हैं. फैंस से फिल्म को खूब सराहना मिली है. गली बॉय के बाद रणवीर सिंह, कपिल देव की बायोपिक '83' में नजर आएंगे. फिल्म के निर्देशक कबीर खान हैं.
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Dec 25, 2018 at 3:40am PST
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Dec 16, 2018 at 10:05am PST
वहीं आलिया भट्ट की बात करें तो एक्ट्रेस फिलहाल अयान मुखर्जी की ब्रह्मास्त्र में रणबीर कपूर के साथ नजर आएंगी. फिल्म 20 दिसंबर को रिलीज होगी. ऐसा पहली बार है जब आलिया और रणबीर साथ काम कर रहे हैं. इसके अलावा अभिषेक वर्मा की कलंक और करण जौहर निर्देशित फिल्म तख्त में नजर आएंगी. |
रानू मंडल (Ranu Mandal) का पहला गाना, 'तेरी मेरी कहानी' रिलीज हो गया है. रातों रात मशहूर हुई रानू मंडल (Ranu Mandal) का ये गाना हिमेश रेशमिया की फिल्म 'हैप्पी हार्डी एंड हीर (Happy Hardy And Heer)' का है. रानू का ये गाना रिलीज होते ही यूट्यूब पर ट्रेंड कर रहा है. सोशल मीडिया पर भी इसका वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है. बता दें बॉलीवुड एक्टर और सिंगर हिमेश रेशमिया रानू मंडल (Ranu Mandal) की गायकी से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने अपनी फिल्म 'हैप्पी हार्डी एंड हीर' के लिए रानू से गाना गाने का अनुरोध किया था. रानू मंडल ने हिमेश (Himesh Reshammiya) के साथ बॉलीवुड में अपने पहले गाने की रिकॉर्डिंग भी की थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था.
रानू मंडल (Ranu Mondal) के इस गाने का फैंस को भी बेसब्री से इंतेजार था. हालांकि अब फैन्स का ये इंतजार खत्म हो गया है. गाने की रिलीज से पहले ही इसके टीजर और मेकिंग वीडियो ने फैंस का दिल जीत लिया था, लेकिन देखना यह है कि तेरी मेरी कहानी अब क्या धमाल मचाता है?
फिल्म 'हैप्पी हार्डी एंड हीर (Happy Hardy And Heer)' के गाने 'तेरी मेरी कहानी' के अलावा रानू मंडल ने हिमेश रेशमिया के साथ दो और गाने रिकॉर्ड किए हैं, जिनमें 'आदत' और 'आशिकी में तेरी' शामिल है. रानू मंडल (Ranu Mandal) के टैलेंट को देखते हुए उनके काफी फैंस भी बन गए हैं. उनके इस टैलेंट की तारीफ खुद लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने भी की थी, लेकिन उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा था कि नकल सफलता का स्थायी साधन नहीं है. हालांकि, लता मंगेशकर ने यह बात रानू मंडल के साथ ही बाकी सिंगर्स के लिए भी कही थी, लेकिन लता मंगेशकर की इस सलाह ने रानू मंडल के फैंस को नाराज कर दिया था. |
नेपाल की तरफ से होने वाली नकली नोटों की तस्करी हो या फिर मानव तस्करी दोनों को और प्रभावी ढंग से रोकने के लिए गृह मंत्रालय ने एसएसबी के इंटेलिजेंस विंग को सक्रिय कर दिया है. अब ना केवल नेपाल सीमा से अवैध तस्करी रोकी ही जा सकेगी बल्कि इस इंटेलिजेंस विंग के जरिये देश के खिलाफ एन्टी नेशनल एक्टिविटी करने वालों पर भी नजर रखी जा सकेगी.
बदलती हुई भू-राजनीतिक व्यवस्था में दीर्घकालीन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भारत सरकार ने SSB के लिए समर्पित इंटेलीजेंस तंत्र को बढ़ाने के लिए 650 अतिरिक्त नए पदों के सृजन की हाल ही में मंजूरी दी. इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष एक कार्यक्रम में कहा गया कि बल की चुनौतियों को ध्यान में रखकर सशस्त्र सीमा बल के द्वारा दिए गए प्रस्ताव के लिए शीघ्र ही एक समर्पित
सूचना तंत्र की स्थापना
की जाएगी और आज मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है.
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज इस सूचना तंत्र को क्रियान्वित कर दिया गया है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा ''मुझे इस बात की जानकारी है कि पिछले वर्ष SSB ने 306 करोड़ मूल्य के अवैध सामान को सीमा पर जब्त तक कर 5001 तस्करों और नक्सलियों को गिरफ्तार किया था. वहीं इस वर्ष के मात्र 8 महीनों में लगभग 570 करोड़ मूल्य का अवैध सामान जब्त कर 4628 असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार किया गया है.
इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अर्द्ध सैनिक बलों के कल्याण और पुनर्वास के लिए WARB ऐप को लांच किया. इस ऐप के जरिये रिटायर्ड जवानों और अधिकारियों को अपनी बात सरकार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी. विज्ञान भवन के कार्यक्रम में गृहमंत्री ने कहा ''मुझे इस अवसर पर
WARB ऐप का लोकार्पण
करते हुए अत्यंत खुशी है, केंद्रीय पुलिस बलों के सेवानिवृत्त कर्मियों की शिकायतों को दूर करने और उन्हें रोजगार देने एवं उनके कल्याण एवं पुनर्वास बोर्ड द्वारा निर्मित यह ऐप मोबाइल आधारित है''. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर केंद्रीय सशस्त्र बलों के भूतपूर्व कर्मियों के लिए यह ऐप मददगार साबित होगा. |
सोल माउंटेन गाओ जिंगजियान का एक उपन्यास है। उपन्यास मोटे तौर पर ग्रामीण चीन में लेखक की अपनी यात्रा पर आधारित है, जो फेफड़ों के कैंसर के झूठे निदान से प्रेरित था। उपन्यास का एक हिस्सा आत्मकथा है, और एक हिस्सा काल्पनिक पर्वत लिंगशान को खोजने के लिए एक आदमी की यात्रा काकाल्पनिक विवरण हैं। यह कहानी के अंशों, यात्रा खातों, अनाम पात्रों (सर्वनाम "मैं", "आप", "वह", आदि द्वारा संदर्भित), और लोक कविता/किंवदंतियों का एक संयोजन है। माबेल ली द्वारा अनुवादित एक अंग्रेजी संस्करण संयुक्त राज्य अमेरिका में 5 दिसंबर 2000 को प्रकाशित हुआ था।
सार
उपन्यास में वर्णन किये जाने वाले दो पात्रों में से पहला "यू" (आप) है। उन्हें एक स्थानीय पर्यटक के रूप में वर्णित किया गया है - "उस तरह का पर्यटक नहीं" बल्कि एक बैकपैकिंग वाला "मजबूत समझदार खेल के जूते पहने हुए और कंधे पर बैकपैक की पट्टियों के साथ एक व्यक्ति"। वह एक पवित्र पर्वत, मायावी लिंगशान, की तलाश करता है।
"यू" लंबे समय से शहर में रहते हैं, लेकिन अतीत से एक ग्रामीण अस्तित्व के लिए तरसते है। वह "एक शांतिपूर्ण और स्थिर अस्तित्व" के लिए एक ऐसे जीवन में बसने के विचार को छोड़ देता है जहां जीवन का मकसद केवल "एक औसत नौकरी में रहना, एक पति और एक पिता बनना, एक आरामदायक घर बनाना, बैंक में पैसा डालना और हर महीने उसमें जोड़ना ताकि बुढ़ापे के लिए कुछ हो और अगली पीढ़ी के लिए थोड़ा बचा हो"।
"यू" एक और पथिक से मिलता है, एक परेशान और भावुक "शी"। और इसलिए "यू" की यात्रा भी एक कामुक रिश्ते की एक यात्रा बन जाती है। "यू" अपने मन के अंदर की ओर भी यात्रा करते हैं जब वह एक कहानीकार के रूप में अपनी शक्तियों की खोज करता है। बाद में "यू" की कहानी में, "शी" विदा हो जाती है "जैसे कि एक कहानी में, जैसे कि एक सपने में"।
इस बीच, "मैं" एक लेखक और अकादमिक है जो एक टर्मिनल फेफड़ों के कैंसर के गलत निदान के बाद सिचुआन की यात्रा करता है। वह एक विराम लेना चाहता है और एक "प्रामाणिक जीवन" की तलाश शुरू करना चाहता है।
उनकी खोज के दौरान पात्रों की मानवता की भावना प्रकट होती है। "मैं" महसूस करता हैं कि वह अभी भी मानव समाज की परेशानियों के बावजूद उसकी गर्मजोशी को तरसता है।.
सन्दर्भ |
रानी (Rani) भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के पूर्व सियांग ज़िले में स्थित एक गाँव है।
नामोत्पत्ति
माना जाता है कि गाँव का नाम समीप के गोमसी नामक स्थल से सम्बन्धित है, जहाँ मध्यकाल में कभी सुतिया राजवंश की एक रानी का वास था। गोमसी में खंडहर मिले हैं।
आवागमन
राष्ट्रीय राजमार्ग ५१५ यहाँ से गुज़रता है, जिसपर दक्षिण दिशा में रुकसिन और फिर असम की राज्य सीमा के पार जोनाइ बाज़ार है। उत्तर दिशा में १२ किमी दूर राजमार्ग पासीघाट जाता है। रानी के समीप ही छोटी सड़क पर सीका तोदे गाँव स्थित है।
इन्हें भी देखें
गोमसी
सीका तोदे
पूर्व सियांग ज़िला
सन्दर्भ
पूर्व सियांग ज़िला
अरुणाचल प्रदेश के गाँव
पूर्व सियांग ज़िले के गाँव |
बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोनी ने टीवी रियलिटी शो 'स्प्लिट्सविला सीजन 10' की शूटिंग शुरू कर दी है. सनी ने इंस्टाग्राम पर शूटिंग की कई तस्वीरें साझा की है, जिसमें वे को-होस्ट रणविजय सिंघा के साथ मस्ती करती दिखाई दे रही हैं. गुरुवार को सनी लियोनी ने रणविजय के साथ एक तस्वीर पोस्ट की है, जिसमें वे कैमरा को चिढ़ाती दिख रही हैं. जबकि रणविजय अलग एक्सप्रेशन्स दे रहे हैं. बता दें, 'स्प्लिट्सविला सीजन 10' की शूटिंग सनी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में कर रही हैं.
Being all sorts of crazy with @RannvijaySingha on sets of @MTVSplitsvillaA post shared by Sunny Leone (@sunnyleone) on Jun 8, 2017 at 1:59am PDT Good morning everyone.. From the land of far far away!! #SunnyLeone #mtvsplitsvilla @MTVSplitsvillaA post shared by Sunny Leone (@sunnyleone) on Jun 7, 2017 at 10:04pm PDT
एक अन्य तस्वीर में सनी लियोनी कलरफुल टॉप और ब्लैक डुंगरी में बेहद खूबसूरत दिख दिख रही हैं. सनी द्वारा शेयर की गई अन्य तस्वीरें में वे सेट पर टीम से बातचीत और जीप में घूमते नजर आ रही हैं.
On sets of @MTVSplitsvilla with @RannvijaySingha #SunnyLeoneA post shared by Sunny Leone (@sunnyleone) on Jun 7, 2017 at 11:07am PDT Quick chat , always time for a little work between shots. Getting network when I can find it!. Blessed for amazing locations !!!A post shared by Sunny Leone (@sunnyleone) on Jun 6, 2017 at 11:27pm PDT Hanging out in the middle of the jungle!! :)) what an amazing place to shoot !!! #SunnyLeoneA post shared by Sunny Leone (@sunnyleone) on Jun 5, 2017 at 10:55pm PDT
बताते चलें कि, पिछले हफ्ते सनी लियोनी का प्राइवेट प्लेन हादसे का शिकार होते-होते बचा था. ये घटना महाराष्ट्र में हुई थी. सनी लियोनी, उनके पति और टीम मेंबर्स इस घटना में बाल-बाल बच गए थे. इसकी पूरी जानकारी सनी लियोनी ने ट्विटर पर वीडियो साझा करके दी थी. इस हादसे ने सनी की नींद तक उड़ा दी थी. इस बारे में मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में सनी ने कहा था, "हादसे के बाद मैं इसके बारे में सोचती रही. सुबह 6 बजे तक मुझे नींद नहीं आई. सोचती रही कि घर का ख्याल, मेरे कुत्तों की देखभाल कौन करेगा."
Private plane almost crashed through bad weather in Maharashtra! Thank you God we are all alive. And now driving back to Mumbai!A post shared by Sunny Leone (@sunnyleone) on May 31, 2017 at 4:48am PDT
बता दें, 30 वर्षीय सनी लियोनी जल्द ही फिल्म 'बेईमान लव' में दिखाई देंगे. इसमें रजनीश दुग्गल और अरबाज खान भी अहम रोल में होंगे. आखिरी बार सनी 2017 की शुरुआत में रिलीज हुई फिल्म 'रईस' में दिखी थीं. फिल्म के गाने लैला ओ लैला.. में वे शाहरुख खान के साथ थिरकते नजर आई थीं.टिप्पणियां
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Hanging out in the middle of the jungle!! :)) what an amazing place to shoot !!! #SunnyLeone
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दिल्ली के बवाना इलाके में आग लग जाने से 2 लोगों की मौत हो गई और 5 लोग जख्मी हो गए. आग से सैंकड़ों झुग्गियां राख हो गईं.
आग बुझाने के काम में दमकल की 20 गाडि़यों को लगाया गया. आग पर अब पूरी तरह से काबू पाया जा चुका है.
जानकारी के मुताबिक, सिलेंडर फटने की वजह से कई झुग्गियां आग की चपेट में आ गईं. आग लगने के बाद दमकल गाड़ियों के पहुंचने में देरी हुई, जिससे लोगों का गुस्सा भड़का उठा. इसके बाद लोगों ने खूब तोड़फोड़ और हंगामा किया.
आग और हंगामे की वजह से पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई. सैंकड़ों लोग बेघर हो गए हैं. |
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक ब्रिटेन के जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ से बाहर निकलने (ब्रेक्जिट) के पक्ष में फैसला आने के मद्देनजर बाजार पर निगाह रखे हुए है और किसी भी तरह की अस्त-व्यवस्तता की स्थिति में पहल करने के लिए तैयार है। राजन ने एक बयान में कहा कि धीरे-धीरे स्पष्ट हो रहा है कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई सभी बाजारों पर निगाह रखे हुए है। हम बाजार में अस्त-व्यस्तता और अफरा-तफरी की स्थिति में पहल करने के लिए तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाजार ब्रेक्जिट के परिणाम को जज्ब करने की कोशिश कर रहा है जिससे विश्वभर के वित्तीय बाजारों में भारी गिरावट आई है।’’
राजन ने कहा, ‘‘आवश्यकता पड़ने पर पहल करने के लिए तैयार हैं।’’ भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्व मजबूत हैं, अल्पकालिक वाह्य ऋण कम है और विदेशी मुद्रा भंडार विशाल हैं और इससे देश को आने वाले दिनों में मजबूती से खड़े रहने में मदद मिलनी चाहिए। टिप्पणियां
उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर बाजारों के घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए है और वह नकदी समर्थन (डॉलर और रुपया दोनों में) समेत सभी आवश्यक कदम उठाएगी ताकि वित्त बाजारों में व्यवस्था कायम रहे।’’(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई सभी बाजारों पर निगाह रखे हुए है। हम बाजार में अस्त-व्यस्तता और अफरा-तफरी की स्थिति में पहल करने के लिए तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाजार ब्रेक्जिट के परिणाम को जज्ब करने की कोशिश कर रहा है जिससे विश्वभर के वित्तीय बाजारों में भारी गिरावट आई है।’’
राजन ने कहा, ‘‘आवश्यकता पड़ने पर पहल करने के लिए तैयार हैं।’’ भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्व मजबूत हैं, अल्पकालिक वाह्य ऋण कम है और विदेशी मुद्रा भंडार विशाल हैं और इससे देश को आने वाले दिनों में मजबूती से खड़े रहने में मदद मिलनी चाहिए। टिप्पणियां
उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर बाजारों के घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए है और वह नकदी समर्थन (डॉलर और रुपया दोनों में) समेत सभी आवश्यक कदम उठाएगी ताकि वित्त बाजारों में व्यवस्था कायम रहे।’’(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
राजन ने कहा, ‘‘आवश्यकता पड़ने पर पहल करने के लिए तैयार हैं।’’ भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्व मजबूत हैं, अल्पकालिक वाह्य ऋण कम है और विदेशी मुद्रा भंडार विशाल हैं और इससे देश को आने वाले दिनों में मजबूती से खड़े रहने में मदद मिलनी चाहिए। टिप्पणियां
उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर बाजारों के घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए है और वह नकदी समर्थन (डॉलर और रुपया दोनों में) समेत सभी आवश्यक कदम उठाएगी ताकि वित्त बाजारों में व्यवस्था कायम रहे।’’(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर बाजारों के घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए है और वह नकदी समर्थन (डॉलर और रुपया दोनों में) समेत सभी आवश्यक कदम उठाएगी ताकि वित्त बाजारों में व्यवस्था कायम रहे।’’(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
दिल्ली वालों ने एक बार फिर से बीजेपी को अपना लिया है. सुबह 11 बजे तक दिल्ली की सातों सीटों पर BJP के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. वोट प्रतिशत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब शायद ही किसी सीट पर कोई दूसरी पार्टी कब्जा कर सकती है. अभी दूसरे चरण की काउंटिंग तक बीजेपी काफी आगे है. यहां पढ़ें दिल्ली के चुनाव परिणामों से जुड़ी पूरी जानकारी.
बीती लोकसभा चुनाव की तरह राजधानी दिल्ली में बीजेपी एक बार फिर से क्लीन स्वीप की तैयारी में दिख रही है. दिल्ली वालों ने 2014 चुनाव में दिल्ली में केजरीवाल, केंद्र में मोदी का नारा लगाकर सभी सातों सीटें प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम कर दी थीं. अबकी बार फिर से दिल्लीवालों में बीजेपी की दीवानगी कम नहीं दिखी, दिल्ली का वोट प्रतिशत फिर से बीजेपी के साथ लग रहा है.
पूर्वी दिल्ली में गंभीर का वोटों पर कब्जा
सुबह 11 बजे तक बीजेपी प्रत्याशी गौतम गंभीर के नाम 56.12 % वोट्स हो गए. गंभीर को 63034 वोट मिले हैं. दूसरे स्थान पर कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली हैं, उन्हें 11 बजे तक 28159 वोट मिले थे जो पूर्वी दिल्ली के कुल वोट प्रतिशत का 25.07 प्रतिशत है. वहीं तीसरे स्थान पर आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार आतिशी हैं. आतिशी को 11 बजे तक 20488 वोट मिल चुके थे जो प्रतिशत में 16.95 हैं.
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डॉ. हर्षवर्द्धन बड़ी जीत की ओर
चांदनी चौक से बीजेपी प्रत्याशी डॉ. हर्षवर्द्धन जीत का मंत्र फिर से दोहराने को तैयार हैं. सुबह 11 बजे तक पहले चरण की काउंटिंग में 55437 यानी 53.61 परसेंट ऑफ वोट मिल चुके थे. वह अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी जेपी अग्रवाल से काफी आगे हैं. शुरुआती रुझान से लग रहा है कि इस बार डॉ. हर्षवर्द्धन एक बड़ी जीत हासिल करेंगे. जेपी अग्रवाल को 11 बजे तक 33470 वोट मिले हैं जो कि 30.87 परसेंट वोट है.
अजय माकन दे रहे मीनाक्षी लेखी को टक्कर
नई दिल्ली सीट पर बीजेपी प्रत्याशी मीनाक्षी लेखी को दिल्ली वालों ने फिर से मैंडेट देने की ठानी है. पहले चरण की काउंटिंग में वह अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन से काफी आगे चल रही हैं. सुबह के 11.30 बजे तक 89403 वोट पड़ चुके थे. वहीं अजय माकन भी उन्हें 48952 वोटों से कड़ी टक्कर दे रहे हैं. मीनाक्षी को 11.30 तक 52.85 वोट मिले हैं तो वहीं 28.94 परसेंट ऑफ वोट मिले हैं. |
मध्यक्रम के युवा बल्लेबाज विराट कोहली के शानदार 93 रनों की नाबाद पारी की बदौलत भारतीय क्रिकेट टीम एम.चिन्नास्वामी स्टेडियम में जारी शृंखला के अंतिम टेस्ट मैच के दूसरे दिन खराब शुरुआत के बाद अपनी पहली पारी में सम्भलने में सफल रही।
कोहली ने सुरेश रैना के साथ पांचवें विकेट के लिए 99 और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ नाबाद 104 रनों की साझेदारी कर भारतीय टीम को मुश्किलों से उबारा और सुखद स्थिति में पहुंचाया।
दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक शनिवार को भारत ने अपनी पहली पारी में पांच विकेट के नुकसान पर 283 रन बना लिए थे। इससे पहले भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड की पहली पारी 365 रनों पर समेट दी थी। न्यूजीलैंड के मुकाबले भारतीय टीम पहली पारी में अब सिर्फ 82 रन ही पीछे है।
भारत की ओर से विराट कोहली के अलावा सुरेश रैना, वीरेंद्र सहवाग और कप्तान धोनी ने आकर्षक बल्लेबाजी की। कोहली अपने शतक से सात रन और धोनी अपने अर्द्धशतक से सिर्फ चार रन दूर हैं। खेल खत्म होने तक दोनों के बीच छठे विकेट के लिए 104 रनों की नाबाद साझेदारी हो चुकी थी। कोहली 93 रन बनाकर और धोनी 46 रन बनाकर नाबाद लौटे।
कोहली ने अपनी इस पारी के दौरान 174 गेंदों का सामना किया और 12 चौके तथा एक छक्का लगाया वहीं धोनी ने 70 गेंदों का सामना किया और पांच चौके व दो छक्के लगाए।
कोहली ने इससे पहले सुरेश रैना के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 99 रनों की साझेदारी की। रैना ने 90 गेंदों पर नौ चौके और एक छक्के की मदद से 55 रन बनाए। दिन का आखिरी विकेट रैना का ही गिरा। टिम साउदी की गेंद पर क्रूगर वान वैक ने उनका कैच लपका।
भारत के लिए एक बार फिर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गम्भीर ने पारी की शुरुआत की। गम्भीर कुछ खास नहीं कर सके और वह दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज टिम साउदी ने बोल्ड किया।
इसके बाद हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 159 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा नौ रन बनाकर आउट हुए। उन्हें साउदी ने ट्रेंट बोल्ट के हाथों कैच कराया।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
कोहली ने सुरेश रैना के साथ पांचवें विकेट के लिए 99 और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ नाबाद 104 रनों की साझेदारी कर भारतीय टीम को मुश्किलों से उबारा और सुखद स्थिति में पहुंचाया।
दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक शनिवार को भारत ने अपनी पहली पारी में पांच विकेट के नुकसान पर 283 रन बना लिए थे। इससे पहले भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड की पहली पारी 365 रनों पर समेट दी थी। न्यूजीलैंड के मुकाबले भारतीय टीम पहली पारी में अब सिर्फ 82 रन ही पीछे है।
भारत की ओर से विराट कोहली के अलावा सुरेश रैना, वीरेंद्र सहवाग और कप्तान धोनी ने आकर्षक बल्लेबाजी की। कोहली अपने शतक से सात रन और धोनी अपने अर्द्धशतक से सिर्फ चार रन दूर हैं। खेल खत्म होने तक दोनों के बीच छठे विकेट के लिए 104 रनों की नाबाद साझेदारी हो चुकी थी। कोहली 93 रन बनाकर और धोनी 46 रन बनाकर नाबाद लौटे।
कोहली ने अपनी इस पारी के दौरान 174 गेंदों का सामना किया और 12 चौके तथा एक छक्का लगाया वहीं धोनी ने 70 गेंदों का सामना किया और पांच चौके व दो छक्के लगाए।
कोहली ने इससे पहले सुरेश रैना के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 99 रनों की साझेदारी की। रैना ने 90 गेंदों पर नौ चौके और एक छक्के की मदद से 55 रन बनाए। दिन का आखिरी विकेट रैना का ही गिरा। टिम साउदी की गेंद पर क्रूगर वान वैक ने उनका कैच लपका।
भारत के लिए एक बार फिर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गम्भीर ने पारी की शुरुआत की। गम्भीर कुछ खास नहीं कर सके और वह दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज टिम साउदी ने बोल्ड किया।
इसके बाद हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 159 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा नौ रन बनाकर आउट हुए। उन्हें साउदी ने ट्रेंट बोल्ट के हाथों कैच कराया।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक शनिवार को भारत ने अपनी पहली पारी में पांच विकेट के नुकसान पर 283 रन बना लिए थे। इससे पहले भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड की पहली पारी 365 रनों पर समेट दी थी। न्यूजीलैंड के मुकाबले भारतीय टीम पहली पारी में अब सिर्फ 82 रन ही पीछे है।
भारत की ओर से विराट कोहली के अलावा सुरेश रैना, वीरेंद्र सहवाग और कप्तान धोनी ने आकर्षक बल्लेबाजी की। कोहली अपने शतक से सात रन और धोनी अपने अर्द्धशतक से सिर्फ चार रन दूर हैं। खेल खत्म होने तक दोनों के बीच छठे विकेट के लिए 104 रनों की नाबाद साझेदारी हो चुकी थी। कोहली 93 रन बनाकर और धोनी 46 रन बनाकर नाबाद लौटे।
कोहली ने अपनी इस पारी के दौरान 174 गेंदों का सामना किया और 12 चौके तथा एक छक्का लगाया वहीं धोनी ने 70 गेंदों का सामना किया और पांच चौके व दो छक्के लगाए।
कोहली ने इससे पहले सुरेश रैना के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 99 रनों की साझेदारी की। रैना ने 90 गेंदों पर नौ चौके और एक छक्के की मदद से 55 रन बनाए। दिन का आखिरी विकेट रैना का ही गिरा। टिम साउदी की गेंद पर क्रूगर वान वैक ने उनका कैच लपका।
भारत के लिए एक बार फिर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गम्भीर ने पारी की शुरुआत की। गम्भीर कुछ खास नहीं कर सके और वह दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज टिम साउदी ने बोल्ड किया।
इसके बाद हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 159 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा नौ रन बनाकर आउट हुए। उन्हें साउदी ने ट्रेंट बोल्ट के हाथों कैच कराया।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
भारत की ओर से विराट कोहली के अलावा सुरेश रैना, वीरेंद्र सहवाग और कप्तान धोनी ने आकर्षक बल्लेबाजी की। कोहली अपने शतक से सात रन और धोनी अपने अर्द्धशतक से सिर्फ चार रन दूर हैं। खेल खत्म होने तक दोनों के बीच छठे विकेट के लिए 104 रनों की नाबाद साझेदारी हो चुकी थी। कोहली 93 रन बनाकर और धोनी 46 रन बनाकर नाबाद लौटे।
कोहली ने अपनी इस पारी के दौरान 174 गेंदों का सामना किया और 12 चौके तथा एक छक्का लगाया वहीं धोनी ने 70 गेंदों का सामना किया और पांच चौके व दो छक्के लगाए।
कोहली ने इससे पहले सुरेश रैना के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 99 रनों की साझेदारी की। रैना ने 90 गेंदों पर नौ चौके और एक छक्के की मदद से 55 रन बनाए। दिन का आखिरी विकेट रैना का ही गिरा। टिम साउदी की गेंद पर क्रूगर वान वैक ने उनका कैच लपका।
भारत के लिए एक बार फिर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गम्भीर ने पारी की शुरुआत की। गम्भीर कुछ खास नहीं कर सके और वह दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज टिम साउदी ने बोल्ड किया।
इसके बाद हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 159 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा नौ रन बनाकर आउट हुए। उन्हें साउदी ने ट्रेंट बोल्ट के हाथों कैच कराया।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
कोहली ने अपनी इस पारी के दौरान 174 गेंदों का सामना किया और 12 चौके तथा एक छक्का लगाया वहीं धोनी ने 70 गेंदों का सामना किया और पांच चौके व दो छक्के लगाए।
कोहली ने इससे पहले सुरेश रैना के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 99 रनों की साझेदारी की। रैना ने 90 गेंदों पर नौ चौके और एक छक्के की मदद से 55 रन बनाए। दिन का आखिरी विकेट रैना का ही गिरा। टिम साउदी की गेंद पर क्रूगर वान वैक ने उनका कैच लपका।
भारत के लिए एक बार फिर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गम्भीर ने पारी की शुरुआत की। गम्भीर कुछ खास नहीं कर सके और वह दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज टिम साउदी ने बोल्ड किया।
इसके बाद हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 159 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा नौ रन बनाकर आउट हुए। उन्हें साउदी ने ट्रेंट बोल्ट के हाथों कैच कराया।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
कोहली ने इससे पहले सुरेश रैना के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 99 रनों की साझेदारी की। रैना ने 90 गेंदों पर नौ चौके और एक छक्के की मदद से 55 रन बनाए। दिन का आखिरी विकेट रैना का ही गिरा। टिम साउदी की गेंद पर क्रूगर वान वैक ने उनका कैच लपका।
भारत के लिए एक बार फिर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गम्भीर ने पारी की शुरुआत की। गम्भीर कुछ खास नहीं कर सके और वह दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज टिम साउदी ने बोल्ड किया।
इसके बाद हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 159 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा नौ रन बनाकर आउट हुए। उन्हें साउदी ने ट्रेंट बोल्ट के हाथों कैच कराया।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
भारत के लिए एक बार फिर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गम्भीर ने पारी की शुरुआत की। गम्भीर कुछ खास नहीं कर सके और वह दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज टिम साउदी ने बोल्ड किया।
इसके बाद हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 159 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा नौ रन बनाकर आउट हुए। उन्हें साउदी ने ट्रेंट बोल्ट के हाथों कैच कराया।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
इसके बाद हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 159 रन बनाने वाले चेतेश्वर पुजारा नौ रन बनाकर आउट हुए। उन्हें साउदी ने ट्रेंट बोल्ट के हाथों कैच कराया।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
भारत का तीसरा विकेट सहवाग के रूप में गिरा, जिन्हें 43 रन के निजी योग पर डग ब्रेसवेल ने डेनियल फ्लिन के हाथों कैच कराया। सहवाग ने 60 गेंदों पर आठ चौके लगाए।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर भी 17 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तेंदुलकर को ब्रेसवेल ने बोल्ड किया। तेंदुलकर ने सहवाग के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। न्यूजीलैंड की ओर से साउदी के खाते में तीन और ब्रेसवेल के खाते में दो विकेट गया।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
इससे पहले, दूसरे दिन का खेल निर्धारित समय से आधे घंटे पहले यानी सुबह नौ बजे शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन का खेल खराब रोशनी के कारण तय समय से कुछ समय पूर्व ही खत्म करना पड़ा था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
कीवी टीम ने पहले दिन के खेल की समाप्ति पर छह विकेट के नुकसान पर 328 रन बनाए थे। कल के नाबाद लौटे बल्लेबाज क्रूगर वान वैक (63) और ब्रेसवेल (30) ने दूसरे दिन के खेल की शुरुआत की।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
वैक अपने कल की रन संख्या में आठ रन और जोड़कर 71 रन के निजी योग पर पवेलियन लौट गए। उन्हें तेज गेंदबाज जहीर खान ने सुरेश रैना के हाथों कैच कराया।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
ब्रेसवेल 79 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 43 रन बनाकर आउट हुए। ब्रेसवेल के टेस्ट करियर का यह उच्च स्कोर है। ब्रेसवेल ने वैक के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 99 रन जोड़े।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
इसके बाद जीतन पटेल कुछ खास नहीं कर सके और वह खाता खोले बगैर उमेश यादव की गेंद पर गम्भीर के हाथों लपके गए। साउदी के रूप में कीवी टीम का अंतिम विकेट गिरा। साउदी को 14 रन के निजी योग पर ओझा ने पगबाधा आउट किया। बोल्ट (2) नाबाद लौटे।टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
उल्लेखनीय है कि कीवी टीम की ओर से मैच के पहले दिन कप्तान रॉस टेलर 113, मार्टिन गुपटिल 53, डेनियल फ्लिन 33, केन विलियमसन 17 और जेम्स फ्रेंकलिन आठ रन बनाकर आउट हुए थे। ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर पवेलियन लौटे थे।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था।
भारत की ओर से स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पांच जबकि जहीर खान ने दो विकेट झटके। यादव और रविंचद्रन अश्विन के खाते में एक-एक विकेट गया। भारत ने हैदराबाद में खेला गया श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच पारी और 115 रनों से अपने नाम किया था। |
प्रतीच्य चालुक्य पश्चिमी भारत का राजवंश था जिसने २१६ वर्ष राज किया।
तैलप २ (973 - 997)
सत्यश्रय (997 - 1008)
विक्रमादित्य ५ (1008 - 1015)
जयसिम्हा २ (1015 - 1042)
सोमेश्वर १ (1042 - 1068)
सोमेश्वर २ (1068 -1076)
विक्रमादित्य ६ (1076 - 1126)
सोमेश्वर ३ (1126 – 1138)
जगधेकमल्ल २ (1138 – 1151)
तैलप ३ (1151 - 1164)
जगधेकमल्ल ३ (1163 – 1183)
सोमेश्वर ४ (1184 – 1200)
वीर बल्लाल २ (होयसल साम्राज्य) (1173 - 1220) ने इसे पराजय कर नये राज्य की नींव रखी।
भारत का इतिहास
भूतपूर्व राजतन्त्र |
पिछले कुछ दिनों से एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में लगी अनुच्छेद 35ए को लेकर चर्चा हो रही है. इस बीच इस अनुच्छेद को चुनौती देने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 5 जजों की एक बेंच बनाई है, ये बेंच 6 हफ्तों में इस मामले की सुनवाई करेगी.
कोर्ट ने कहा कि बेंच अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 की जांच सैंविधानिक रुप से जांच करेगी. और इसके तहत मिलने वाला स्पेशल स्टेटस का दर्जा का भी रिव्यू होगा. वहीं जम्मू-कश्मीर की सरकार ने कोर्ट में कहा है कि 2002 में इस मुद्दे पर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था, जिससे यह मामला सेटल हो गया था.
पीएम मोदी से मिली थी मुफ्ती
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 35ए को लेकर चल रही बहस के बीच शुक्रवार को राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. पीएम से मिलने के बाद मुफ्ती ने कहा कि हमारे एजेंडे में ये तय था कि आर्टिकल 370 के तहत राज्य को मिल रहे स्पेशल स्टेटस में कोई बदलाव नहीं होगा. पीएम ने भी इस मुद्दे पर सहमति जताई है.
वहीं उन्होंने 35ए के मुद्दे पर कहा कि राज्य में स्थिति सुधर रही है, उसके लिए कई तरह के निर्णय लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि 35 ए के हटने से राज्य में निगेटिव मैसेज जाएगा, जिससे राज्य में काफी असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में काफी विविधताएं हैं. पिछले वर्ष राज्य में हालात काफी बिगड़े थे, अब 35ए के दोबारा चर्चा में आने से लोग फिर चिंतित हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मैंने पीएम को कहा कि
कश्मीर अभी मुश्किल हालात
से गुजर रहा है. लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम बहुल राज्य है, उनके लिए विशेष दर्जा होना चाहिए. वहीं गुरुवार को महबूबा मुफ्ती ने इसी मुद्दे पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. |
Congratulations to the Modi Govt on #100DaysNoVikas, the continued subversion of democracy, a firmer stranglehold on a submissive media to drown out criticism and a glaring lack of leadership, direction & plans where it's needed the most - to turnaround our ravaged economy.
राहुल गांधी ने ट्वीट ट्वीट किया, 'मोदी सरकार को विकास रहित 100 दिन पूरे करने की बधाई, लोकतंत्र का खात्मा, आलोचनाओं पर लगाम लगाने के लिए घुटने टेक चुकी मीडिया पर शिकंजा कसना और नेतृत्व, दिशा एवं योजनाओं की स्पष्ट कमी, जहां संकट में घिरी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है.' वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी केंद्र सरकार के 100 दिन पूरे होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मंदी की वजह से गईं नौकरियों पर सवाल पूछा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बताएं कि देश की अर्थव्यवस्था डांवाडोल क्यों है?
मोदी 2.0 के ऐतिहासिक उपलब्धियों से पूर्ण 100 दिनों पर प्रधानमंत्री @narendramodi जी और मंत्रिमंडल के अपने सभी साथियों को हृदय से बधाई देता हूँ।
साथ ही मैं समस्त देशवासियों को विश्वास दिलाता हूँ कि मोदी सरकार आपके विकास, कल्याण और सुरक्षा के लिए निरंतर कटिबद्ध है।#MODIfied100
वहीं, दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि मोदी सरकार समाज के हर वर्ग के लिए 'उम्मीद की किरण' और राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास और गरीबों के कल्याण का 'पर्याय' है. मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर शाह ने यह भी कहा कि इस अवधि के भीतर उसने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने समेत कई 'ऐतिहासिक फैसले' लिए.
मोदी 2.0 के ऐतिहासिक उपलब्धियों से पूर्ण 100 दिनों पर प्रधानमंत्री @narendramodi जी और मंत्रिमंडल के अपने सभी साथियों को हृदय से बधाई देता हूँ।
साथ ही मैं समस्त देशवासियों को विश्वास दिलाता हूँ कि मोदी सरकार आपके विकास, कल्याण और सुरक्षा के लिए निरंतर कटिबद्ध है।#MODIfied100
उन्होंने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर कहा, 'मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास और गरीबों के कल्याण की पर्याय है.' गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार समाज के हर वर्ग की उम्मीद की किरण है. उन्होंने कहा, 'मोदी 2.0 के 100 दिनों के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए जिसके लिए प्रत्येक भारतीय ने 70 वर्षों तक इंतजार किया था.' गृह मंत्री ने कहा कि चाहे 'जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370, अनुच्छेद 35ए हटाने का फैसला हो या तीन तलाक के अभिशाप से मुस्लिम महिलाओं को मुक्त कराना या गैर कानूनी गतिविधियां (निवारण) कानून में संशोधन करके देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाना हो, ये सभी ऐतिहासिक फैसले प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व का परिणाम हैं.' |
आसाराम पर गिरफ्तारी की तलवार लटकती जा रही है. अगर अगले तीन दिन आसाराम सरेंडर नहीं करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. ये जानकारी केंद्रीय गृहमंत्रालय के सूत्रों ने दी है.
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को आसाराम पर निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है. वहीं दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया आसाराम के समर्थन में उतर आए हैं तो गृहमंत्री शिंद से मुलाकात के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह दावा किया कि कानून से कोई ऊपर नहीं है और आसाराम मसले पर राज्य की पुलिस निष्पक्षता के साथ जरूरी कार्रवाई कर रही है.
प्रवीण तोगड़िया आसाराम के समर्थन में उतरे
प्रवीण तोगड़िया ने कहा, 'आसाराम का जीवन सात्विक संत का जीवन है. आजकल साधु-संतों पर आरोप लगाने का चलन बढ़ गया है. पर मामले की जांच होनी चाहिए और इस पर अंतिम फैसला कोर्ट ही करेगा.
आरोप पर आसाराम की सफाई, प्रवक्ता के बयान पर मांगी माफी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर सूरत पहुंचे आसाराम ने एक बार फिर से कबूल किया कि जिस लड़की ने उनपर यौन शोषण का मामला दर्ज करवाया है, उसे और उसके परिवार को वो जानते हैं. अपने बचाव में यह भी कहा कि उस दिन वो दिन सत्संग पूरा होने के बाद वो जोधपुर आश्रम में नहीं थे. वो एक किसान के फार्म हाउस में थे. इतना ही नहीं हजारों की संख्या में मौजूद अपने भक्तों के सामने सिख गुरु से तुलना करने पर अपने प्रवक्ता के बेतुका ब्यान पर माफी भी मांगी.
कोई कानून से ऊपर नहीं: अशोक गहलोत
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील शिंदे से मुलाकात के बाद अशोक गहलोत ने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं. कानून अपना काम कर रहा है. राजस्थान पुलिस जरूरी कदम उठा रही है. जब भी ऐसे वारदात होते हैं लोगों को दुख होता है. |
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी में वे सभी गुण और क्षमतायें हैं जो एक अच्छे प्रधानमंत्री के लिए अपेक्षित हैं. सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘राहुल गांधी के पास वह सभी गुण और क्षमतायें हैं जो एक अच्छे प्रधानमंत्री के लिए आवश्यक हैं.’
राहुल 19 जून को 41 वर्ष के हो जायेंगे. एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि कोई नेता अपने से यह नहीं कहता कि वह प्रधानमंत्री बनना चाहता है और यह सब कुछ हालात और परिस्थितियों पर निर्भर करता है. कांग्रेस नेता ने राहुल को एक अत्यंत परिपक्व बताते हुए कहा कि उन्हें सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों की समझ है.
गांधी परिवार के एक सदस्य होने के अलावा उनके पास जनता के साथ संबध बनाने के गुण है. यह पूछे जाने पर कि राजनीति में राहुल का मुख्य प्रतिद्वंदी कौन है, सिंह ने कहा वह दूसरों के साथ नहीं बल्कि खुद से प्रतिस्पर्धा करते हैं.
सिंह ने विपक्ष के इस आरोप को गलत बताया कि राहुल वास्तविक कार्रवाई के बजाय नाटकबाजी में ज्यादा मशगूल रहते हैं. उन्होंने कहा कि राहुल दृढता के साथ काम करते हैं. वह प्रतिबद्धता और विश्वास के साथ काम करते हैं. दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की. लेकिन उन्होंने इस मुलाकात में हुई बातचीत का ब्यौरा देने से इनकार करते हुए कहा कि यह एक सामान्य बैठक थी. |
फॉर्म में चल रहे लेग स्पिनर आदिल राशिद ने भारत के खिलाफ पहले टेस्ट के लिए इंग्लैंड की 13 सदस्यीय टीम में वापसी की. राशिद हालांकि कह चुके हैं कि वह अब अपना ध्यान सफेद गेंद के क्रिकेट पर लगाएंगे, लेकिन इसके बावजूद चयनकर्ताओं ने उन्हें टेस्ट टीम में जगह दी है.
एसेक्स के तेज गेंदबाज जेमी पोर्टर को काउंटी और इंग्लैंड लॉयन्स की ओर से लगातार अच्छे प्रदर्शन के कारण पहली बार राष्ट्रीय टेस्ट टीम में जगह मिली. उन्होंने एसेक्स को 2017 में काउंटी खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई और उन्हें साल का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी चुना गया.
दिसंबर 2016 में भारत के खिलाफ चेन्नई में अपना पिछला टेस्ट खेलने वाले राशिद को हाल में वनडे इंटरनेशनल में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत टेस्ट टीम में जगह दी गई है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और भारत के खिलाफ वनडे सीरीज में 23.95 की औसत से 20 विकेट चटकाए.
फरवरी में यॉर्कशायर के साथ सिर्फ सीमित ओवरों का क्रिकेट खेलने का करार करने वाले राशिद को अगर अंतिम एकादश में जगह मिलती है, तो यह उनका इंग्लैंड में पहला टेस्ट होगा. उन्होंने अब तक अपने सभी 10 टेस्ट विदेशी सरजमीं पर खेले हैं.
इंग्लैंड के खिलाफ पहली बार टेस्ट टीम में ऋषभ पंत को मौका, भुवनेश्वर बाहर
राष्ट्रीय चयनकर्ता एड स्मिथ ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘स्पष्ट तौर पर आदिल की टेस्ट टीम में वापसी को लेकर हालात सामान्य नहीं हैं. हालांकि चयन पैनल सर्वसम्मत था कि आदिल को इंग्लैंड की टीम में चुना जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘चयन बैठक से पहले आदिल ने इन पूरी गर्मियों और सर्दियों में श्रीलंका और इंग्लैंड के दौरों पर इंग्लैंड की टेस्ट टीम के लिए उपलब्धता की पुष्टि की.’
स्मिथ ने कहा, ‘आदिल ने फरवरी 2018 में यॉर्कशायर के लिए इन गर्मियों में सिर्फ सफेद गेंद से खेलने का अनुबंध किया था. इंग्लैंड के लिए चयन से इसमें कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि आदिल अच्छी तरह समझता है कि अगर वह 2019 सत्र में टेस्ट क्रिकेट के लिए पात्र रहना चाहता है, तो उसके पास चार दिवसीय क्रिकेट में खेलने का काउंटी का अनुबंध होना चाहिए.’
बहस का मुद्दा बना आदिल का चयन
आदिल का चयन हालांकि बहस का विषय बन गया है, जो यॉर्कशायर के सीईओ मार्क ऑर्थर के बयान के जाहिर होता है. ऑर्थर ने कहा, ‘हम हैरान है कि इस सत्र में लाल गेंद से क्रिकेट नहीं खेलने के बावजूद इंग्लैंड ने आदिल को टीम में शामिल किया है. उसकी ऐसा करने की इच्छा भी नहीं है. उम्मीद करता हूं कि इंग्लैंड को पता है कि वे आदिल और काउंटी खेल के साथ क्या कर रहे हैं.’
न्यूजीलैंड दौरे के बाद वॉरसेस्टरशायर के मोईन अली को भी पहली बार टीम में शामिल किया गया है. वॉरविकशायर के क्रिस वोक्स हालांकि जांघ और घुटने की चोट से उबरने में नाकाम रहे हैं और टीम में उन्हें जगह नहीं मिली है.
टीम इस प्रकार है -
जो रूट (कप्तान), मोईन अली, जेम्स एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, स्टुअर्ट ब्रॉड, जोस बटलर, एलिस्टेयर कुक, सैम कुरेन, कीटोन जेनिंग्स, डेविड मलान, जेमी पोर्टर, आदिल राशिद और बेन स्टोक्स. |
लेख: दालों, गेहूं और कुछ सब्जियों के दाम घटने से खाद्य वस्तुओं की महंगाई की दर 21 मई को समाप्त सप्ताह में घटकर 8.06 प्रतिशत पर आ गई है। इससे पिछले सप्ताह यह 8.55 प्रतिशत के स्तर पर थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि कम रहने के बीच सरकार को खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई घटने से कुछ राहत जरूर मिलेगी। पिछले साल पहले 3 मई, 2010 को खाद्य मुद्रास्फीति की दर 21.15 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। आज जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल दर साल आधार पर दालों के दाम 9.22 प्रतिशत घटे हैं, वहीं गेहूं 0.77 प्रतिशत सस्ता हुआ है। इसकी वजह 2010-11 के फसल वर्ष :जुलाई-जून: के दौरान गेहूं और दालों का रिकॉर्ड उत्पादन है। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सब्जियों के दाम सालाना आधार पर 1.06 प्रतिशत घटे। आलू 2.15 प्रतिशत नीचे आया। हालांकि अन्य खाद्य वस्तुओं में महंगाई बनी हुई है। साल दर साल आधार पर फलों के दाम 30.51 प्रतिशत बढ़े हैं, जबकि प्याज 12.32 फीसद महंगा हुआ। प्रोटीनयुक्त खाद्य वस्तुओं के दामों में महंगाई अभी कायम है। दूध की कीमतों में जहां 7.04 प्रतिशत का इजाफा हुआ, वहीं अंडा, मीट और मछली के दाम 5.50 प्रतिशत बढ़े। अनाज के दाम 4.78 प्रतिशत बढ़े, जबकि चावल 2.51 प्रतिशत महंगा हुआ। |
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के ज़रिये शेयर बाजार में निवेश का हिस्सा बढ़ाकर 10 प्रतिशत तक कर सकता है, जो अभी उसके सालाना बढ़ने वाले कोष के पांच प्रतिशत तक रखा गया है।
विशेषज्ञों की समिति ने अपनी एक रपट में ईपीएफओ को इसी प्रकार की सिफारिश की है। ईपीएफओ का केंद्रीय न्यासी मंडल मंगलवार को अपनी बैठक में इस मामले पर विचार करने वाला है। श्रमिक संगठन कर्मचारी भविष्य निधि का कोई भी पैसा शेयरों में लगाने के विरोध में हैं, लेकिन ईपीएफओ ईटीएफ के ज़रिये पांच प्रतिशत निवेश शेयरों में करने लगा है।
एक सूत्र ने बताया कि संभावना है कि ईपीएफओ ईटीएफ में अपने निवेश का स्तर दोगुना कर 10 प्रतिशत तक पहुंचा सकता है। इस संबंध में एक विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है और 26 जुलाई को इसके न्यासियों की बैठक में इस पर विचार होगा।टिप्पणियां
ईपीएफओ की वित्त अंकेक्षण एवं निवेश समिति द्वारा गठित विशेषों की समिति ने ईटीएफ में निवेश बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। उसका कहना है कि शेयरों में केवल पांच प्रतिशत निवेश से ईपीएफओ के सम्पूर्ण पोर्टफोलियो से होने वाली आय में कोई बड़ा योगदान नहीं मिलेगा।
समिति का कहना है कि इस समय ईपीएफओ का शेयरों में निवेशक इसके कुल कोष का एक प्रतिशत से भी कम है, जबकि इस क्षेत्र में वैश्विक औसत करीब 30 प्रतिशत है। इससे पहले श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संकेत दिया था कि ईपीएफओ शेयर में निवेश बढ़ा सकता है।
विशेषज्ञों की समिति ने अपनी एक रपट में ईपीएफओ को इसी प्रकार की सिफारिश की है। ईपीएफओ का केंद्रीय न्यासी मंडल मंगलवार को अपनी बैठक में इस मामले पर विचार करने वाला है। श्रमिक संगठन कर्मचारी भविष्य निधि का कोई भी पैसा शेयरों में लगाने के विरोध में हैं, लेकिन ईपीएफओ ईटीएफ के ज़रिये पांच प्रतिशत निवेश शेयरों में करने लगा है।
एक सूत्र ने बताया कि संभावना है कि ईपीएफओ ईटीएफ में अपने निवेश का स्तर दोगुना कर 10 प्रतिशत तक पहुंचा सकता है। इस संबंध में एक विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है और 26 जुलाई को इसके न्यासियों की बैठक में इस पर विचार होगा।टिप्पणियां
ईपीएफओ की वित्त अंकेक्षण एवं निवेश समिति द्वारा गठित विशेषों की समिति ने ईटीएफ में निवेश बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। उसका कहना है कि शेयरों में केवल पांच प्रतिशत निवेश से ईपीएफओ के सम्पूर्ण पोर्टफोलियो से होने वाली आय में कोई बड़ा योगदान नहीं मिलेगा।
समिति का कहना है कि इस समय ईपीएफओ का शेयरों में निवेशक इसके कुल कोष का एक प्रतिशत से भी कम है, जबकि इस क्षेत्र में वैश्विक औसत करीब 30 प्रतिशत है। इससे पहले श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संकेत दिया था कि ईपीएफओ शेयर में निवेश बढ़ा सकता है।
एक सूत्र ने बताया कि संभावना है कि ईपीएफओ ईटीएफ में अपने निवेश का स्तर दोगुना कर 10 प्रतिशत तक पहुंचा सकता है। इस संबंध में एक विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है और 26 जुलाई को इसके न्यासियों की बैठक में इस पर विचार होगा।टिप्पणियां
ईपीएफओ की वित्त अंकेक्षण एवं निवेश समिति द्वारा गठित विशेषों की समिति ने ईटीएफ में निवेश बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। उसका कहना है कि शेयरों में केवल पांच प्रतिशत निवेश से ईपीएफओ के सम्पूर्ण पोर्टफोलियो से होने वाली आय में कोई बड़ा योगदान नहीं मिलेगा।
समिति का कहना है कि इस समय ईपीएफओ का शेयरों में निवेशक इसके कुल कोष का एक प्रतिशत से भी कम है, जबकि इस क्षेत्र में वैश्विक औसत करीब 30 प्रतिशत है। इससे पहले श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संकेत दिया था कि ईपीएफओ शेयर में निवेश बढ़ा सकता है।
ईपीएफओ की वित्त अंकेक्षण एवं निवेश समिति द्वारा गठित विशेषों की समिति ने ईटीएफ में निवेश बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। उसका कहना है कि शेयरों में केवल पांच प्रतिशत निवेश से ईपीएफओ के सम्पूर्ण पोर्टफोलियो से होने वाली आय में कोई बड़ा योगदान नहीं मिलेगा।
समिति का कहना है कि इस समय ईपीएफओ का शेयरों में निवेशक इसके कुल कोष का एक प्रतिशत से भी कम है, जबकि इस क्षेत्र में वैश्विक औसत करीब 30 प्रतिशत है। इससे पहले श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संकेत दिया था कि ईपीएफओ शेयर में निवेश बढ़ा सकता है।
समिति का कहना है कि इस समय ईपीएफओ का शेयरों में निवेशक इसके कुल कोष का एक प्रतिशत से भी कम है, जबकि इस क्षेत्र में वैश्विक औसत करीब 30 प्रतिशत है। इससे पहले श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संकेत दिया था कि ईपीएफओ शेयर में निवेश बढ़ा सकता है। |
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन वाली सरकार (JDS-Congress coalition) कभी भारतीय जनता पार्टी की वजह से संकट में दिखती है तो कभी कांग्रेस नेता सिद्धारमैय्या और देवेगौड़ा (Deve Gowda) के बीच अंदरूनी कलह की वजह से. कर्नाटक में दोनों पार्टियों के बीच मनमुटाव से मुख्यमंत्री कुमारास्वामी इतने परेशान हैं कि वह दो अपने इस्तीफे की मंशा जता चुके हैं. जेडीएस कांग्रेस गठबन्धन की सरकार के वजूद को लेकर 15 दिनों के अंदर दूसरी बार सवाल उठने लगे हैं. पिछली बार बीजेपी सरकार गिराना चाहती थी, इस बार मुख्यमंत्री कुमारास्वामी खुद पद छोड़ना चाहते हैं. वजह पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धहरमैय्या और जेडीएस सुप्रीमो एच डी देवेगौड़ा के बीच तक़रीबन डेढ़ दशकों से जारी अहम का टकराव है. पार्टी के बैठक में कुमारास्वामी ने एक हफ्ते के दौरान दूसरी बार पद छोड़ने की बात कही है.
कर्नाटक की गठबंधन सरकार में दरारें बढ़ाने के संकेत के बीच जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख देवेगौड़ा ने एचडी कुमारस्वामी को निशाने पर लेने वाले कांग्रेस नेताओं के निंदा की और चेतावनी देते हुए कहा कि वह इस मामले पर अब और चुप नहीं बैठेंगे. पूर्व प्रधान मंत्री देवेगौड़ा ने मांग की कि कांग्रेस अपने विधायकों को ऐसे टिप्पणी करने से रोके, जो उनके कामकाजी संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि क्या यह गठबंधन की सरकार चलाने का कोई तरीका है? हर दिन हमें अपने गठबंधन के साथी से अनुरोध करना होगा कि वह ऐसी असंसदीय टिप्पणी न करे?''
देवेगौड़ा ने दावा किया कि वह बीते आधे साल पहले जबसे उनके बेटे के मुख्यमंत्री बने हैं, वह "दर्द" में हैं. उन्होंने कहा कि इन छह महीनों में सभी तरह की चीजें हुई हैं.मैंने अब तक अपना मुंह नहीं खोला है, लेकिन मैं अब और चुप नहीं रह सकता.' आगे देवगौड़ा का कहना है कि 'मेरी ये कोशिश है कि साझा सरकार सही ढंग से चले लेकिन कांग्रेस नेताओं को अपनी ज़ुबान क़ाबू में रखनी होगी. अगर ऐसा नही हुआ तो परेशानी होगी और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को ये समझना चाहिये' .
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि 'मेरे पिताजी ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ने में एक मिन्ट की देरी नही की आपको क्या लगता है मैं आपलोगों की उपेक्षा कर अपने पद पर बना रहूंगा.' कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में तल्खी के बीच बुधवार को मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने फिर से धमकी दी कि अगर कांग्रेस के नेता उनपर आक्षेप लगाते रहे तो वह इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने कहा, ‘‘हां, मैंने कहा था कि अगर कांग्रेस के नेता मुझे निशाना बनाते रहे तो मैं पद छोड़ दूंगा. जेडीएस के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे (कांग्रेस के नेता) फिर से इस तरह के बयान देंगे तो मैं कितने दिन तक यह सब बर्दाश्त करता रहूंगा. सत्ता तो अल्पकालिक है. जो स्थायी है, वह आप (पार्टी कार्यकर्ता) हैं और इस राज्य की साढ़े छह करोड़ जनता है.'
दरअसल हाल ही में सिद्धारमैय्या ख़ेमे के एक विधायक ने कुमारास्वामी के काम करने के तौर तरीक़ों पर सवाल उठाए थे। कुमारास्वामी इससे तो नाराज़ हैं ही कुछ और भी वजहें हैं. 1996 में जब देवेगौड़ा को प्रधानमंत्री बनाया गया तब सिद्धारमैया को लगा कि देवेगौड़ा उन्हें मुख्यमंत्री बना देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. खार खाये बैठे सिद्धारमैय्या को 2004 में एक बार फिर ऐसा लगा कि देवेगौड़ा उन्हें मुख्यमंत्री बनने नही देंगे और फिर कुछ दिनों बाद जेडीएस छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए बाद में कुमारास्वामी मुख्यमंत्री बने. मामला यहां नहीं थमा विधानसभा चुनाव के दौरान देवेगौड़ा ने सिद्धारमैय्या के खिलाफ जानबूझकर जी टी देवेगौड़ा को चामुंडेश्वरी से चुनाव लड़वाया और सिद्धारमैय्या हार गए. |
इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट में चल रहे पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम की पहली पारी 488 रनों पर सिमट गई. स्पिनर आर अश्विन ने 70 रन बनाए.
इंग्लैंड की ओर से स्पिनर अदिल राशिद ने सर्वाधिक 4 विकेट लिए, वहीं मोइन अली ने 2 विकेट चटके.
लंच के बाद शुरू में ही रिद्धिमान साहा अपना विकेट खो बैठे, साहा 35 रनों पर मोइन अली की गेंद पर विकेटकीपर बेयरस्टो को अपना कैच थमा बैठे.
भारत और इंग्लैंड के बीच राजकोट में चल रहे पहले टेस्ट मैच में लंच तक
भारत
ने 6 विकेट खोकर 411 रन बना लिए थे.
भारत के लिए चौथे दिन की शुरूआत अच्छी नहीं रही, तीसरे दिन के स्कोर 319 पर 4 विकेट से आगे खेलने उतरी टीम को विराट कोहली और अंजिक्य रहाणे के रूप में दोहरा झटका लगा. कप्तान कोहली 40 रन बनाकर स्पिनर राशिद की गेंद पर पेवोलियन लौटे तो रहाणे सिर्फ 13 रन ही बना पाए.
इंग्लैंड के 537 रनों के जवाब में
भारतीय टीम
की शुरूआत अच्छी रही थी, भारत की ओर से चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय ने शतक ठोके. ओपनर मुरली विजय ने 126 रनों की शानदार पारी खेली और अपने घरेलू मैदान पर खेल रहे पुजारा ने 124 रन बनाए. |
वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने गुरुवार को आम लोगों से कहा कि वह भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए सोना खरीदने की अपनी लालसा पर नियंत्रण रखें।
उन्होंने कहा, "मैं एक बार फिर से हर व्यक्ति से अनुरोध करता हूं कि वे सोना खरीदने की अपनी तीव्र इच्छा पर नियंत्रण रखें। इसका अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर बेहतर असर पड़ेगा।"
उन्होंने कहा कि सोने का आयात घटने का महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों और खासकर चालू खाता घाटा, व्यापार घाटा तथा महंगाई दर पर महत्वपूर्ण सकारात्मक असर होगा।
चिदम्बरम ने कहा, "लोग सोचते हैं कि वे रुपये में सोना खरीदते हैं। वास्तव में वे डॉलर में सोना खरीदते हैं। यदि एक साल के लिए सोने का आयात नहीं हो, तो उससे देश की चालू खाता घाटा की स्थिति बदल जाएगी।"
मौजूदा कारोबारी साल में हर महीने औसतन 152 टन सोने का आयात हो रहा है, जो 2012-13 में 70 टन प्रति माह था। 2013-14 के पहले दो महीने में सोने के आयात पर 15 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा के देश से बाहर चले जाने का अनुमान है। टिप्पणियां
उन्होंने यह भी कहा कि सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानना गलत है।
उन्होंने कहा कि कई अन्य आकर्षक विकल्प हैं और जानकार निवेशक उनमें निवेश करते हैं। उन्होंने हालांकि सोने का आयात घटाने के लिए शुल्क में कोई अन्य वृद्धि से इनकार किया।
उन्होंने कहा, "मैं एक बार फिर से हर व्यक्ति से अनुरोध करता हूं कि वे सोना खरीदने की अपनी तीव्र इच्छा पर नियंत्रण रखें। इसका अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर बेहतर असर पड़ेगा।"
उन्होंने कहा कि सोने का आयात घटने का महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों और खासकर चालू खाता घाटा, व्यापार घाटा तथा महंगाई दर पर महत्वपूर्ण सकारात्मक असर होगा।
चिदम्बरम ने कहा, "लोग सोचते हैं कि वे रुपये में सोना खरीदते हैं। वास्तव में वे डॉलर में सोना खरीदते हैं। यदि एक साल के लिए सोने का आयात नहीं हो, तो उससे देश की चालू खाता घाटा की स्थिति बदल जाएगी।"
मौजूदा कारोबारी साल में हर महीने औसतन 152 टन सोने का आयात हो रहा है, जो 2012-13 में 70 टन प्रति माह था। 2013-14 के पहले दो महीने में सोने के आयात पर 15 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा के देश से बाहर चले जाने का अनुमान है। टिप्पणियां
उन्होंने यह भी कहा कि सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानना गलत है।
उन्होंने कहा कि कई अन्य आकर्षक विकल्प हैं और जानकार निवेशक उनमें निवेश करते हैं। उन्होंने हालांकि सोने का आयात घटाने के लिए शुल्क में कोई अन्य वृद्धि से इनकार किया।
उन्होंने कहा कि सोने का आयात घटने का महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों और खासकर चालू खाता घाटा, व्यापार घाटा तथा महंगाई दर पर महत्वपूर्ण सकारात्मक असर होगा।
चिदम्बरम ने कहा, "लोग सोचते हैं कि वे रुपये में सोना खरीदते हैं। वास्तव में वे डॉलर में सोना खरीदते हैं। यदि एक साल के लिए सोने का आयात नहीं हो, तो उससे देश की चालू खाता घाटा की स्थिति बदल जाएगी।"
मौजूदा कारोबारी साल में हर महीने औसतन 152 टन सोने का आयात हो रहा है, जो 2012-13 में 70 टन प्रति माह था। 2013-14 के पहले दो महीने में सोने के आयात पर 15 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा के देश से बाहर चले जाने का अनुमान है। टिप्पणियां
उन्होंने यह भी कहा कि सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानना गलत है।
उन्होंने कहा कि कई अन्य आकर्षक विकल्प हैं और जानकार निवेशक उनमें निवेश करते हैं। उन्होंने हालांकि सोने का आयात घटाने के लिए शुल्क में कोई अन्य वृद्धि से इनकार किया।
चिदम्बरम ने कहा, "लोग सोचते हैं कि वे रुपये में सोना खरीदते हैं। वास्तव में वे डॉलर में सोना खरीदते हैं। यदि एक साल के लिए सोने का आयात नहीं हो, तो उससे देश की चालू खाता घाटा की स्थिति बदल जाएगी।"
मौजूदा कारोबारी साल में हर महीने औसतन 152 टन सोने का आयात हो रहा है, जो 2012-13 में 70 टन प्रति माह था। 2013-14 के पहले दो महीने में सोने के आयात पर 15 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा के देश से बाहर चले जाने का अनुमान है। टिप्पणियां
उन्होंने यह भी कहा कि सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानना गलत है।
उन्होंने कहा कि कई अन्य आकर्षक विकल्प हैं और जानकार निवेशक उनमें निवेश करते हैं। उन्होंने हालांकि सोने का आयात घटाने के लिए शुल्क में कोई अन्य वृद्धि से इनकार किया।
मौजूदा कारोबारी साल में हर महीने औसतन 152 टन सोने का आयात हो रहा है, जो 2012-13 में 70 टन प्रति माह था। 2013-14 के पहले दो महीने में सोने के आयात पर 15 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा के देश से बाहर चले जाने का अनुमान है। टिप्पणियां
उन्होंने यह भी कहा कि सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानना गलत है।
उन्होंने कहा कि कई अन्य आकर्षक विकल्प हैं और जानकार निवेशक उनमें निवेश करते हैं। उन्होंने हालांकि सोने का आयात घटाने के लिए शुल्क में कोई अन्य वृद्धि से इनकार किया।
उन्होंने यह भी कहा कि सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानना गलत है।
उन्होंने कहा कि कई अन्य आकर्षक विकल्प हैं और जानकार निवेशक उनमें निवेश करते हैं। उन्होंने हालांकि सोने का आयात घटाने के लिए शुल्क में कोई अन्य वृद्धि से इनकार किया।
उन्होंने कहा कि कई अन्य आकर्षक विकल्प हैं और जानकार निवेशक उनमें निवेश करते हैं। उन्होंने हालांकि सोने का आयात घटाने के लिए शुल्क में कोई अन्य वृद्धि से इनकार किया। |
कर्नाटक में आज हो सकता है फ्लोर टेस्ट
'लापता' MLA श्रीमंत पाटिल से मिलने पहुंची बेंगलुरु पुलिस
विधानसभा कार्यवाही में नहीं पहुंचे थे MLA
कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया है आरोप
कर्नाटक में राजनीतिक हलचल लगातार बढ़ती जा रही है. राज्य की एचडी कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल हैं और शुक्रवार तक फ्लोर टेस्ट होना है. इस बीच गुरुवार को जो कांग्रेस विधायक ‘लापता’ हो गए थे, उनसे पूछताछ करने बेंगलुरु पुलिस रात में ही मुंबई पहुंची. विधायक श्रीमंत पाटिल गुरुवार को विधानसभा ना पहुंचकर मुंबई के अस्पताल में भर्ती हो गए थे, जिसपर काफी राजनीति भी हुई थी. बेंगलुरु पुलिस अस्पताल पहुंचकर कांग्रेस विधायक का बयान दर्ज करेगी.
Maharashtra: Karnataka Police accompanied by Mumbai Police arrive at St. George Hospital, where Karnataka Congress MLA Shrimant Patil is admitted.
pic.twitter.com/89yr69DWzV
— ANI (@ANI)
July 19, 2019
कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि उनके विधायक बिल्कुल ठीक हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के कहने पर वह वहां पर चले गए थे. ऐसे में बेंगलुरु पुलिस देर रात को मुंबई पहुंची और विधायक का बयान लिया. बेंगलुरु पुलिस की DCP लेवल की टीम मुंबई के अस्पताल पहुंची. विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने राज्य सरकार को ‘लापता’ विधायक पर रिपोर्ट देने के लिए कहा था.
गौरतलब है कि गुरुवार को फ्लोर टेस्ट पर बहस से पहले कांग्रेस की ओर से शिकायत की गई थी कि उनका एक विधायक लापता हो गया है. वो श्रीमंत पाटिल ही थे. कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, पाटिल ने बुधवार रात को कांग्रेस नेताओं के साथ रिजॉर्ट में बैठक की थी लेकिन गुरुवार सुबह तक वह वहां पर नहीं थे.
कर्नाटक फ्लोर टेस्ट की पूरी कवरेज यहां क्लिक कर पढ़ें...
गुरुवार को विधानसभा में भी उनके लापता होने पर बवाल हुआ था. कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि रिजॉर्ट के बराबर में ही अस्पताल था, लेकिन विधायक वहां पर भर्ती ना होकर मुंबई चला गया.
हालांकि, देर शाम को पाटिल का बयान भी सामने आया था. उनका कहना था कि मैं चेन्नई किसी निजी काम की वजह से गया था, वहां मुझे सीने में दर्द महसूस हुआ. डॉक्टर से मिलकर उनकी सलाह पर मुंबई में आकर अस्पताल में भर्ती हुआ. जैसे ही मैं ठीक हो जाऊंगा, बेंगलुरु जाऊंगा. |
कर्नाटक के कन्नूर लोकेश राहुल ने हाल ही वनडे में ऐसा रिकॉर्ड बनाया, जो कि आज तक कोई भी भारतीय दिग्गज क्रिकेटर नहीं बना पाया था. राहुल ने जिम्बाब्बे के खिलाफ डेब्यू वनडे मैच में शतक लगाया और ऐसा करने वाले वो पहले भारतीय बने.
छक्के से डेब्यू मैच में शतक लगाने वाले केएल राहुल अपने इस खेल से चर्चा में आ गए और उनमें भविष्य की संभावनाएं तलाशी जाने लगीं. राहुल की खासियत है कि वे बैटिंग के साथ-साथ कीपिंग भी कर लेते हैं. उनकी ये काबिलियत भारतीय टीम में उनके सुनहरे भविष्य को और सुनिश्चित करती है. राहुल
जिम्बाब्वे
के खिलाफ वनडे सीरीज में 'मैन ऑफ द सीरीज' भी चुने गए.
कई सालों से धोनी के कंधों पर जिम्मेदारी
पिछले 11-12 साल से टीम इंडिया में विकेटकीपर की जिम्मेदारी महेंद्र सिंह धोनी के कंधों पर है. 2014 में उनके टेस्ट से संन्यास लेने के बाद रिद्धिमान साहा ये भूमिका निभा रहे हैं. पहले ही वनडे में शतक लगाने वाले केएल राहुल टेस्ट टीम का भी हिस्सा है.
हर फॉर्मेट में फिट
टेस्ट से रिटायरमेंट ले चुके धोनी का वनडे कैरियर कितना लंबा होगा, इस पर कुछ ज्यादा कहा नहीं जा सकता. लेकिन जल्द ही या आने वाले कुछ सालों में भारत को विकेटकीपर बल्लेबाज की आवश्यकता पड़नी ही है. वर्तमान समय में राहुल ही एक ऐसा नाम हैं, जो इस पर खरे उतरते दिखते हैं. साहा टेस्ट टीम में ये काम कर रहे हैं, लेकिन बल्लेबाजी में निरंतरता की कमी उनकी दावेदारी को राहुल के सामने कमजोर करती है. जबकि राहुल टेस्ट और वनडे दोनों में अच्छा कर रहे हैं.
आईपीएल में भी शानदार प्रदर्शन
हाल ही में खत्म हुए आईपीएल में राहुल रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की तरफ से खेले और उनका प्रदर्शन विकेट के आगे और पीछे दोनों जगह उम्दा रहा. राहुल यहां
कोहली
की कप्तानी में खेले. टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान कोहली धोनी के बाद वनडे टीम के भी कप्तान होंगे. ऐसे में राहुल के प्रति उनका झुकाव इस खिलाड़ी के लिए लाभ पहुंचाने वाला होगा. ऐसे में पूरी संभावना है कि राहुल ही धोनी के उत्तराधिकारी होंगे.
नमन ओझा और संजू सैमसन भी दौड़ में
हालांकि राहुल के साथ नमन ओझा और संजू सैमसन भी इस दौड़ में शामिल हैं. दोनों ने अपने खेल से उम्मीदें भी जगाई हैं, लेकिन वे पूरी तरह से अपने साथ न्याय भी नहीं कर पाए हैं. जबकि राहुल दिन-प्रतिदिन और मंजे हुए खिलाड़ी होते जा रहे हैं. |
यह लेख है: अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित दिग्गज मुक्केबाज अखिल कुमार का कहना है कि वह जीवन में रुकना नहीं, केवल आगे बढ़ते रहना चाहते हैं और यही कारण है कि उन्होंने प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखा है. आईओएस ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अखिल कुमार और भारत के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुके जीतेंद्र कुमार के साथ शनिवार को करार किया. इस करार के तहत एक अप्रैल को मुंबई में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में अखिल और जीतेंद्र को काफी समय बाद रिंग में उतरते देखा जाएगा.
पेशेवर लीग के लिए मिली प्रेरणा के बारे में आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में अखिल ने कहा, "प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने का कोई खास कारण नहीं है मेरे पास. मैं केवल जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता हूं. रुकना नहीं चाहता."
वर्ष 2005 में अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाले मुक्केबाज अखिल ने कहा, "हम खिलाड़ियों की पहचान हमारे खेल से है. मुझे लोग एक मुक्केबाज के तौर पर जानते हैं और अगर मैं इसी के लिए शांत बैठ जाऊंगा, तो इसका कोई फायदा नहीं है. मैं जीवन में कुछ न कुछ करते रहना चाहता हूं."
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के पीछे विजेंदर सिंह से प्रोत्साहन के बारे में अखिल ने कहा, "विजेंदर से पहले भी कई मुक्केबाज प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आए हैं, जिनमें राजकुमार सांगवान, वेंकटेश, अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित धर्मेद्र यादव शामिल हैं."
उल्लेखनीय है कि भारत को दिसम्बर, 2012 में तत्कालीन भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) के लिए चयन में हेरफेर के मामले में प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस प्रतिबंध के कारण भारतीय मुक्केबाजों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ध्वज के तहत खेलने का अवसर नहीं मिला.
हालांकि, पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर मुक्केबाजी संघ (आईबा) ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को मान्यता दे दी. ऐसे में प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने पर अखिल ने कहा, "खेल मंत्रालय ने पहले भी काफी मदद की है. खिलाड़ियों के लिए वह हर साल बजट पास करते हैं."
इन घटनाओं के कारण प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के संशय के बारे में अखिल ने कहा, "मेरे प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने के पीछे मुक्केबाजी संघ की कमी कारण नहीं है. सरकार ने हर तरह से मदद की है. मैंने ओलिंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का अनुभव ले लिया है और अब कुछ नया करने का मन है. यही कारण है कि मैं प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आया हूं. इसका प्रतिबंध से कोई लेना-देना नहीं है."
अखिल ने कहा कि बीएफआई जिस प्रकार से कार्य कर रही है, उन्हें आशा है कि बहुत ही जल्द एमेच्योर मुक्केबाजी में अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पेशेवर लीग के लिए मिली प्रेरणा के बारे में आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में अखिल ने कहा, "प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने का कोई खास कारण नहीं है मेरे पास. मैं केवल जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता हूं. रुकना नहीं चाहता."
वर्ष 2005 में अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाले मुक्केबाज अखिल ने कहा, "हम खिलाड़ियों की पहचान हमारे खेल से है. मुझे लोग एक मुक्केबाज के तौर पर जानते हैं और अगर मैं इसी के लिए शांत बैठ जाऊंगा, तो इसका कोई फायदा नहीं है. मैं जीवन में कुछ न कुछ करते रहना चाहता हूं."
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के पीछे विजेंदर सिंह से प्रोत्साहन के बारे में अखिल ने कहा, "विजेंदर से पहले भी कई मुक्केबाज प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आए हैं, जिनमें राजकुमार सांगवान, वेंकटेश, अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित धर्मेद्र यादव शामिल हैं."
उल्लेखनीय है कि भारत को दिसम्बर, 2012 में तत्कालीन भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) के लिए चयन में हेरफेर के मामले में प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस प्रतिबंध के कारण भारतीय मुक्केबाजों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ध्वज के तहत खेलने का अवसर नहीं मिला.
हालांकि, पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर मुक्केबाजी संघ (आईबा) ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को मान्यता दे दी. ऐसे में प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने पर अखिल ने कहा, "खेल मंत्रालय ने पहले भी काफी मदद की है. खिलाड़ियों के लिए वह हर साल बजट पास करते हैं."
इन घटनाओं के कारण प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के संशय के बारे में अखिल ने कहा, "मेरे प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने के पीछे मुक्केबाजी संघ की कमी कारण नहीं है. सरकार ने हर तरह से मदद की है. मैंने ओलिंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का अनुभव ले लिया है और अब कुछ नया करने का मन है. यही कारण है कि मैं प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आया हूं. इसका प्रतिबंध से कोई लेना-देना नहीं है."
अखिल ने कहा कि बीएफआई जिस प्रकार से कार्य कर रही है, उन्हें आशा है कि बहुत ही जल्द एमेच्योर मुक्केबाजी में अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
वर्ष 2005 में अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाले मुक्केबाज अखिल ने कहा, "हम खिलाड़ियों की पहचान हमारे खेल से है. मुझे लोग एक मुक्केबाज के तौर पर जानते हैं और अगर मैं इसी के लिए शांत बैठ जाऊंगा, तो इसका कोई फायदा नहीं है. मैं जीवन में कुछ न कुछ करते रहना चाहता हूं."
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के पीछे विजेंदर सिंह से प्रोत्साहन के बारे में अखिल ने कहा, "विजेंदर से पहले भी कई मुक्केबाज प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आए हैं, जिनमें राजकुमार सांगवान, वेंकटेश, अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित धर्मेद्र यादव शामिल हैं."
उल्लेखनीय है कि भारत को दिसम्बर, 2012 में तत्कालीन भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) के लिए चयन में हेरफेर के मामले में प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस प्रतिबंध के कारण भारतीय मुक्केबाजों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ध्वज के तहत खेलने का अवसर नहीं मिला.
हालांकि, पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर मुक्केबाजी संघ (आईबा) ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को मान्यता दे दी. ऐसे में प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने पर अखिल ने कहा, "खेल मंत्रालय ने पहले भी काफी मदद की है. खिलाड़ियों के लिए वह हर साल बजट पास करते हैं."
इन घटनाओं के कारण प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के संशय के बारे में अखिल ने कहा, "मेरे प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने के पीछे मुक्केबाजी संघ की कमी कारण नहीं है. सरकार ने हर तरह से मदद की है. मैंने ओलिंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का अनुभव ले लिया है और अब कुछ नया करने का मन है. यही कारण है कि मैं प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आया हूं. इसका प्रतिबंध से कोई लेना-देना नहीं है."
अखिल ने कहा कि बीएफआई जिस प्रकार से कार्य कर रही है, उन्हें आशा है कि बहुत ही जल्द एमेच्योर मुक्केबाजी में अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के पीछे विजेंदर सिंह से प्रोत्साहन के बारे में अखिल ने कहा, "विजेंदर से पहले भी कई मुक्केबाज प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आए हैं, जिनमें राजकुमार सांगवान, वेंकटेश, अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित धर्मेद्र यादव शामिल हैं."
उल्लेखनीय है कि भारत को दिसम्बर, 2012 में तत्कालीन भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) के लिए चयन में हेरफेर के मामले में प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस प्रतिबंध के कारण भारतीय मुक्केबाजों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ध्वज के तहत खेलने का अवसर नहीं मिला.
हालांकि, पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर मुक्केबाजी संघ (आईबा) ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को मान्यता दे दी. ऐसे में प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने पर अखिल ने कहा, "खेल मंत्रालय ने पहले भी काफी मदद की है. खिलाड़ियों के लिए वह हर साल बजट पास करते हैं."
इन घटनाओं के कारण प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के संशय के बारे में अखिल ने कहा, "मेरे प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने के पीछे मुक्केबाजी संघ की कमी कारण नहीं है. सरकार ने हर तरह से मदद की है. मैंने ओलिंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का अनुभव ले लिया है और अब कुछ नया करने का मन है. यही कारण है कि मैं प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आया हूं. इसका प्रतिबंध से कोई लेना-देना नहीं है."
अखिल ने कहा कि बीएफआई जिस प्रकार से कार्य कर रही है, उन्हें आशा है कि बहुत ही जल्द एमेच्योर मुक्केबाजी में अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उल्लेखनीय है कि भारत को दिसम्बर, 2012 में तत्कालीन भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) के लिए चयन में हेरफेर के मामले में प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस प्रतिबंध के कारण भारतीय मुक्केबाजों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ध्वज के तहत खेलने का अवसर नहीं मिला.
हालांकि, पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर मुक्केबाजी संघ (आईबा) ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को मान्यता दे दी. ऐसे में प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने पर अखिल ने कहा, "खेल मंत्रालय ने पहले भी काफी मदद की है. खिलाड़ियों के लिए वह हर साल बजट पास करते हैं."
इन घटनाओं के कारण प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के संशय के बारे में अखिल ने कहा, "मेरे प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने के पीछे मुक्केबाजी संघ की कमी कारण नहीं है. सरकार ने हर तरह से मदद की है. मैंने ओलिंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का अनुभव ले लिया है और अब कुछ नया करने का मन है. यही कारण है कि मैं प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आया हूं. इसका प्रतिबंध से कोई लेना-देना नहीं है."
अखिल ने कहा कि बीएफआई जिस प्रकार से कार्य कर रही है, उन्हें आशा है कि बहुत ही जल्द एमेच्योर मुक्केबाजी में अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हालांकि, पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर मुक्केबाजी संघ (आईबा) ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को मान्यता दे दी. ऐसे में प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने पर अखिल ने कहा, "खेल मंत्रालय ने पहले भी काफी मदद की है. खिलाड़ियों के लिए वह हर साल बजट पास करते हैं."
इन घटनाओं के कारण प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के संशय के बारे में अखिल ने कहा, "मेरे प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने के पीछे मुक्केबाजी संघ की कमी कारण नहीं है. सरकार ने हर तरह से मदद की है. मैंने ओलिंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का अनुभव ले लिया है और अब कुछ नया करने का मन है. यही कारण है कि मैं प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आया हूं. इसका प्रतिबंध से कोई लेना-देना नहीं है."
अखिल ने कहा कि बीएफआई जिस प्रकार से कार्य कर रही है, उन्हें आशा है कि बहुत ही जल्द एमेच्योर मुक्केबाजी में अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इन घटनाओं के कारण प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के संशय के बारे में अखिल ने कहा, "मेरे प्रोफेशनल बॉक्सिंग में कदम रखने के पीछे मुक्केबाजी संघ की कमी कारण नहीं है. सरकार ने हर तरह से मदद की है. मैंने ओलिंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का अनुभव ले लिया है और अब कुछ नया करने का मन है. यही कारण है कि मैं प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आया हूं. इसका प्रतिबंध से कोई लेना-देना नहीं है."
अखिल ने कहा कि बीएफआई जिस प्रकार से कार्य कर रही है, उन्हें आशा है कि बहुत ही जल्द एमेच्योर मुक्केबाजी में अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अखिल ने कहा कि बीएफआई जिस प्रकार से कार्य कर रही है, उन्हें आशा है कि बहुत ही जल्द एमेच्योर मुक्केबाजी में अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस साल अप्रैल में होने वाली प्रोफेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं. इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा. हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी.
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में अखिल ने कहा, "मैंने बहुत अच्छी तैयारी कर रखी है और अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं, बस रिंग में उतरने की देरी है."
हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
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हरियाणा में पुलिस उप अधीक्षक के रूप में सेवा दे रहे अखिल को हाल ही में हरियाणा सरकार से प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए अनुमति मिली है. वह काफी समय बाद रिंग में उतर रहे हैं. ऐसे में क्षमता की कमी के बारे में पूछे जाने पर अखिल ने कहा, "मेरे पास अनुभव है. मुझे बस अच्छी रणनीति बनानी है और आईओएस अच्छी योजना तैयार कर रही है. आशा है कि हम आईओएस के साथ लंबे समय तक खेलें."टिप्पणियां
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में स्वर्ण पदक विजेता रहे अखिल ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नेतृत्व किया है. 2008 मुक्केबाजी विश्व कप में कांस्य पदक विजेता अखिल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. अगर यह आपके पास है, तो आपकी आधी जीत तय है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि दिल्ली सरकार राजधानी में खेलों को बढावा देने के लिए ‘सुपर कोच’ पुलेला गोपीचंद की सेवाएं लेने की सोच रही है.
गोपीचंद की स्टूडेंट पीवी सिंधू ने रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता. केजरीवाल ने यहां सिंधू और साक्षी मलिक को क्रमश: दो और एक करोड़ रुपये पुरस्कार दिए.
गोपीचंद और मलिक के कोच मनदीप को भी पांच पांच लाख रुपये दिए गए. दिल्ली सरकार ने सिंधू के फिजियो को भी सम्मानित किया जो दिल्ली के रहने वाले हैं.
केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली सरकार गोपीचंद के साथ खेलों में कुछ करने की सोच रही है. हमें युवाओं को प्रोत्साहित करने के साथ अच्छा बुनियादी ढांचा भी देना होगा.’ |
बिहार की राजधानी पटना में भारी बारिश की वजह से सरकारी और निजी स्कूल कल यानी सोमवार को बंद रहेंगे. जिलाधिकारी कुमार रवि ने यह आदेश जारी किया है. डीएम ने बताया कि पटना, दानापुर, खगौल, फुलवारीशरीफ निगम क्षेत्र के सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूल सोमवार को बंद रहेंगे.
डीएम ने जिले के डीईओ और
बारिश
से प्रभावित इलाकों के एसडीओ को आदेश का पालन कराने का निर्देश दिया है. डीएम ने बताया कि कई क्षेत्रों में भारी जलजमाव है, लिहाजा छात्रों को स्कूल जाने में परेशानी होगी. इसलिए 12वीं तक की कक्षा को एक दिन के लिए सस्पेंड किया गया है. पिछले 48 घंटे में भारी वर्षा के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. पटना के निचले इलाकों में कमर तक पानी जमा हो गया है.
बता दें कि कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, लोहानीपुर, रामलखन पथ, कांग्रेस मैदान, पृथ्वीपुर, पोस्टल पार्क, अशोक नगर सहित कई मुहल्लों में घुटने तक पानी जमा है, जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है. कंकड़बाग और उसके आसपास के कई मोहल्लों में तो घरों के अंदर पानी घुस गया है.
इधर, पटना की मेयर सीता साहू ने भारी बारिश को देखते हुए पटना नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टियों को रद्द कर दिया है. मेयर का कहना है कि नगर निगम अपने स्तर से पूरी कोशिश कर रहा है कि मोहल्ले में जमा पानी को पंप के माध्यम से निकाला जाए. |
यह एक लेख है: पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) की प्रमुख ने गुरुवार को कहा कि प्रशिक्षण सत्रों में बड़ा फासला होने के चलते कोई भी पुलिसकर्मी सामान्य तौर पर 18 सालों में एक ही बार नवीनतम कानूनों एवं नियमों के बारे में जानकारी ले पाता है. गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला बीपीआरडी पुलिस प्रणाली से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाला राष्ट्रीय नोडल विभाग है.
बीपीआरडी की महानिदेशक मीरान सी बोरवणकर ने यहां पुलिस प्रशिक्षण पर एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हाल ही में हमने महसूस किया कि प्रशिक्षण में बड़ा फासला है. ’’ ब्यूरो द्वारा पुलिस संगठनों पर प्रकाशित आंकड़ा दर्शाता है कि वर्ष 2015 में देशभर में 73,000 पुलिस अधिकारियों की भर्तियां हुईं लेकिन केवल 57,000 को ही प्रशिक्षण दिया जा सका.
बोरवणकर ने कहा, ‘‘अतएव 16,000 पुलिसकर्मियों, जिनकी हमने भर्ती की, को मूलभूत प्रशिक्षण नहीं देने में एक फासला है. आंकड़ा यह भी दर्शाता है कि 22 लाख कर्मियों वाले पुलिस बल में हम केवल 1.4 लाख पुलिसकर्मियों को ही सेवा के दौरान प्रशिक्षण दे पाए जिसका मतलब है कि मुझे 18 साल में एक बार नवीनतम कानूनों, नियमों एवं विनिमयों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा. ’’ टिप्पणियां
उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशिक्षकों का जज्बा उंचा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बीपीआरडी की महानिदेशक मीरान सी बोरवणकर ने यहां पुलिस प्रशिक्षण पर एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हाल ही में हमने महसूस किया कि प्रशिक्षण में बड़ा फासला है. ’’ ब्यूरो द्वारा पुलिस संगठनों पर प्रकाशित आंकड़ा दर्शाता है कि वर्ष 2015 में देशभर में 73,000 पुलिस अधिकारियों की भर्तियां हुईं लेकिन केवल 57,000 को ही प्रशिक्षण दिया जा सका.
बोरवणकर ने कहा, ‘‘अतएव 16,000 पुलिसकर्मियों, जिनकी हमने भर्ती की, को मूलभूत प्रशिक्षण नहीं देने में एक फासला है. आंकड़ा यह भी दर्शाता है कि 22 लाख कर्मियों वाले पुलिस बल में हम केवल 1.4 लाख पुलिसकर्मियों को ही सेवा के दौरान प्रशिक्षण दे पाए जिसका मतलब है कि मुझे 18 साल में एक बार नवीनतम कानूनों, नियमों एवं विनिमयों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा. ’’ टिप्पणियां
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बोरवणकर ने कहा, ‘‘अतएव 16,000 पुलिसकर्मियों, जिनकी हमने भर्ती की, को मूलभूत प्रशिक्षण नहीं देने में एक फासला है. आंकड़ा यह भी दर्शाता है कि 22 लाख कर्मियों वाले पुलिस बल में हम केवल 1.4 लाख पुलिसकर्मियों को ही सेवा के दौरान प्रशिक्षण दे पाए जिसका मतलब है कि मुझे 18 साल में एक बार नवीनतम कानूनों, नियमों एवं विनिमयों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा. ’’ टिप्पणियां
उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशिक्षकों का जज्बा उंचा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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रेडियोधर्मी प्रदूषण ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।मुख्य मेनू खोलें

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परमाणु ऊर्जा का पर्यावरणीय प्रभाव
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पर्यावरण से जुड़ी परमाणु ऊर्जा गतिविधियाँ; खनन, संवर्धन, पीढ़ी और भूवैज्ञानिक निपटान।
परमाणु ईंधन चक्र, संचालन, और परमाणु दुर्घटनाओं के प्रभावों से परमाणु ऊर्जा के पर्यावरणीय प्रभाव।
।परमाणु विखंडन शक्ति से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कोयले, तेल और गैस से जुड़े लोगों की तुलना में बहुत कम है, और नियमित स्वास्थ्य जोखिम कोयले से जुड़े लोगों की तुलना में बहुत कम हैं। हालाँकि, एक "भयावह जोखिम" क्षमता है, यदि रोकथाम विफल हो जाती है, [1] जिसमें परमाणु रिएक्टरों को ईंधन के पिघलने और पर्यावरण में बड़ी मात्रा में विखंडन वाले उत्पादों को जारी करके लाया जा सकता है। यह संभावित जोखिम लाभ को मिटा सकता है। खर्च किए गए परमाणु ईंधन सहित सबसे लंबे समय तक रहने वाले रेडियोधर्मी कचरे को लंबे समय तक पर्यावरण से समाहित और अलग किया जाना चाहिए। दूसरी तरफ, खर्च किए गए परमाणु ईंधन का पुन: उपयोग किया जा सकता है, और भी अधिक ऊर्जा अर्जित की जा सकती है, और इसमें निहित कचरे की मात्रा को कम किया जा सकता है। जनता को इन जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाया गया है और परमाणु ऊर्जा के लिए काफी सार्वजनिक विरोध किया गया है।
1979 के तीन माइल द्वीप दुर्घटना और 1986 के चेरनोबिल आपदा, उच्च निर्माण लागत के साथ, प्रदर्शनों, निषेधाज्ञा और राजनीतिक कार्यों के एक स्थिर कार्यक्रम के परिणामस्वरूप देरी से भी जटिल, परमाणु-विरोधी विरोध के कारण, वैश्विक ऊर्जा शक्ति का तेजी से विकास समाप्त हो गया क्षमता।[
योग्यता
गुंज़ाइश
आयतन
बिसात
बूता
सामर्थ्य
हैसियत
स्थिति
1] रेडियोधर्मी पदार्थों की एक रिलीज़ ने 2011 जापानी सुनामी का अनुसरण किया जिसने फुकुशिमा I परमाणु ऊर्जा संयंत्र को नुकसान पहुंचाया, जिसके परिणामस्वरूप हाइड्रोजन गैस विस्फोट और स्तर 7 के रूप में वर्गीकृत मेल्टडाउन को वर्गीकृत किया गया। रेडियोधर्मिता के बड़े पैमाने पर जारी होने के परिणामस्वरूप लोगों को बिजली संयंत्र के चारों ओर स्थापित 20 किमी के अपवर्जन क्षेत्र से निकाला जा रहा था, 30 किमी के दायरे में चेरनोबिल अपवर्जन क्षेत्र के समान था। लेकिन प्रकाशित रचनाओं से पता चलता है कि रेडियोधर्मिता का स्तर अब काफी कम हो गया है और इसका वन्यजीवों पर सीमित प्रभाव पड़ता है। २] जापान में, जुलाई २०१६ में, फुकुशिमा प्रान्त ने घोषणा की कि ग्रेट ईस्ट जापान में भूकंप की घटनाओं के बाद ईवाक्सेस की संख्या ९ ०,००० से नीचे गिर गई थी, कुछ नगरपालिकाओं में जारी निकासी आदेशों को हटाने के बाद। [३]
अपशिष्ट धाराओं
परमाणु ऊर्जा में कम से कम तीन अपशिष्ट धाराएँ होती हैं जो पर्यावरण को प्रभावित कर सकती हैं: [४]
रिएक्टर साइट पर परमाणु ईंधन खर्च किया (विखंडन उत्पादों और प्लूटोनियमवस्तु सहित)
यूरेनियम खनन मिलों पर टेलिंग और बेकार चट्टान
दुर्घटनाओं के दौरान रेडियोधर्मी पदार्थों की बीमार-परिभाषित मात्रा का विमोचन
रेडियोधर्मी अपशिष्ट
मुख्य लेख: रेडियोधर्मी कचरा
उच्च-स्तरीय अपशिष्ट
इन्हें भी देखें: उच्च स्तरीय रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन डीप भूगर्भीय भंडार

न्यू मैक्सिको के कार्ल्सबैड के पास अपशिष्ट अलगाव पायलट प्लांट में ट्रांसयूरानिक कचरे का उत्सर्जन करने वाले तकनीशियन। 2014 में संयंत्र में विभिन्न दुर्घटनाओं ने वाणिज्यिक परमाणु रिएक्टरों से वर्तमान में व्यक्तिगत रिएक्टर साइटों पर संग्रहीत ईंधन के बढ़ते भंडार के साथ क्या करना है, इस समस्या पर ध्यान केंद्रित किया। 2010 में, USDOEmothballed नेवादा में युक्का पर्वत परमाणु अपशिष्ट भंडार विकसित करने की योजना बनाई। [५]
यूरेनियम -235 और प्लूटोनियम -239 परमाणु विखंडन से खर्च किए गए परमाणु ईंधन में स्ट्रॉन्शियम -90, आयोडीन -133 और सीज़ियम -137 के रूप में कार्सिनोजेनिक रेडियोन्यूक्लाइड आइसोटोपेस की एक विस्तृत विविधता शामिल है, और इसमें कुछ सबसे लंबे समय तक रहने वाले ट्रांसयुरानिक तत्व भी शामिल हैं जैसे एरिकेरियम- 241 और प्लूटोनियम के समस्थानिक। 6] सबसे लंबे समय तक रहने वाले रेडियोधर्मी कचरे, जिसमें खर्च किए गए परमाणु ईंधन शामिल हैं, आमतौर पर लंबे समय तक पर्यावरण से निहित और अलग-थलग करने में कामयाब होते हैं। परमाणु ईंधन रीसाइक्लिंग के लिए 1977 के राष्ट्रपति जिमी कार्टर निषेध के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका में परमाणु ईंधन भंडारण ज्यादातर एक समस्या है। फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन और जापान, कुछ ऐसे देश हैं जिन्होंने भंडार समाधान को अस्वीकार कर दिया। खर्च किया गया परमाणु ईंधन एक मूल्यवान संपत्ति है, न कि केवल अपशिष्ट। [posal] इंजीनियर की सुविधाओं, या रिपॉजिटरी में इन कचरे का निपटान, उपयुक्त भूगर्भिक संरचनाओं में गहरे भूमिगत स्थित को संदर्भ समाधान के रूप में देखा जाता है। [valuable] फिशाइल सामग्री पर अंतर्राष्ट्रीय पैनल ने कहा है:
यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि पर्यावरण में निहित रेडियोधर्मिता के रिलीज को कम करने के लिए, परमाणु ईंधन और उच्च-स्तरीय रिप्रोसेसिंग और प्लूटोनियम कचरे को लंबे समय तक अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए भंडारण की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों की भी आवश्यकता है कि न तो प्लूटोनियम और न ही अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम को हथियार के उपयोग के लिए मोड़ दिया जाए। सामान्य सहमति है कि सतह से सैकड़ों मीटर नीचे रिपॉजिटरी में खर्च किए गए परमाणु ईंधन को रखने से सतह पर खर्च किए गए ईंधन के अनिश्चित भंडारण से अधिक सुरक्षित होगा9]
रिपॉजिटरी के सामान्य तत्वों में रेडियोधर्मी अपशिष्ट, अपशिष्ट को घेरने वाले कंटेनर, कंटेनर के आसपास अन्य इंजीनियर बाधाएं या सील, कंटेनर आवास के आसपास की सुरंगें और आसपास के भूगर्भिक श्रृंगार शामिल हैं। [१०]
रेडियोधर्मी कचरे को अलग करने के लिए प्राकृतिक भूगर्भीय बाधाओं की क्षमता, ओक्लो, अफ्रीका में प्राकृतिक परमाणु विखंडन रिएक्टरों द्वारा प्रदर्शित की जाती है। लगभग 5.4 टन विखंडन उत्पादों के साथ-साथ 1.5 टन प्लूटोनियम के साथ-साथ अन्य ट्रांसयूरानिक तत्वों के यूरेनियम अयस्क शरीर में उत्पन्न होने की उनकी लंबी प्रतिक्रिया अवधि के दौरान। यह प्लूटोनियम और अन्य ट्रांसूरानिक्स वर्तमान दिन तक स्थिर रहे, लगभग 2 बिलियन वर्षों की अवधि। [11] यह इस तथ्य के मद्देनजर काफी उल्लेखनीय है कि भूजल का जमाव के लिए तैयार उपयोग था और वे कांच जैसे रासायनिक रूप से निष्क्रिय नहीं थे।
कई विशेषज्ञों के बीच लंबे समय से एक समझौते के बावजूद कि भूगर्भीय निपटान सुरक्षित, तकनीकी रूप से व्यवहार्य और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित हो सकता है, कई देशों में आम जनता का एक बड़ा हिस्सा संदेहपूर्ण है12] इन प्रयासों के समर्थकों के सामने एक चुनौती यह है कि आत्मविश्वास से प्रदर्शित किया जाए कि एक भंडार में इतने लंबे समय के लिए कचरा होगा कि भविष्य में होने वाली कोई भी रिहाई कोई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य या पर्यावरणीय जोखिम नहीं पैदा करेगी।
परमाणु पुनर्संसाधन एक भंडार की आवश्यकता को समाप्त नहीं करता है, लेकिन मात्रा को कम करता है, दीर्घकालिक विकिरण खतरे को कम करता है, और दीर्घकालिक ताप अपव्यय क्षमता की आवश्यकता होती है। रिप्रोसेसिंग से रिपोजिटरी साइटिंग के लिए राजनीतिक और सामुदायिक चुनौतियों को समाप्त नहीं किया जा सकता है। [९]
जिन देशों ने उच्च स्तरीय रेडियोधर्मी कचरे के लिए भंडार की दिशा में सबसे अधिक प्रगति की है, उन्होंने आम तौर पर सार्वजनिक परामर्श के साथ शुरुआत की है और स्वैच्छिक साइट को आवश्यक स्थिति बना दिया है। इस सर्वसम्मति से दृष्टिकोण की मांग करने वाले को निर्णय लेने के शीर्ष-डाउन मोड की तुलना में सफलता की अधिक संभावना है, लेकिन यह प्रक्रिया आवश्यक रूप से धीमी है, और यह जानने के लिए दुनिया भर में "अपर्याप्त अनुभव है कि क्या यह सभी मौजूदा और महत्वाकांक्षी परमाणु में सफल होगा राष्ट्र का"।[13] इसके अलावा, अधिकांश समुदाय एक परमाणु अपशिष्ट भंडार की मेजबानी नहीं करना चाहते हैं क्योंकि वे "हजारों वर्षों से बर्बाद हो रहे उनके समुदाय के बारे में चिंतित हैं, एक दुर्घटना के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय परिणाम, और कम संपत्ति मूल्यों"। [14]
2010 के राष्ट्रपति के ज्ञापन में, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने "अमेरिका के परमाणु भविष्य पर ब्लू रिबन आयोग" की स्थापना की। पंद्रह सदस्यों से बने आयोग ने परमाणु कचरे के निपटान का दो साल का गहन अध्ययन किया। 15] अपने शोध के दौरान आयोग ने फिनलैंड, फ्रांस, जापान, रूस, स्वीडन और यूके का दौरा किया और 2012 में आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट दी। [16] आयोग ने एक विशिष्ट साइट के लिए सिफारिशें जारी नहीं की बल्कि निपटान रणनीतियों के लिए एक व्यापक सिफारिश प्रस्तुत की। [१ not] अपनी अंतिम रिपोर्ट में आयोग ने एक व्यापक रणनीति विकसित करने के लिए सात सिफारिशों को आगे बढ़ाया। एक प्रमुख सिफारिश यह थी कि "संयुक्त राज्य अमेरिका को एक एकीकृत परमाणु कचरा प्रबंधन कार्यक्रम शुरू करना चाहिए जो खर्च किए गए ईंधन और उच्च-स्तरीय परमाणु कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए एक या अधिक स्थायी गहरी भूवैज्ञानिक सुविधाओं के समय पर विकास की ओर ले जाए।" [17]
अन्य बेकार
निम्न स्तर के कचरे की मध्यम मात्रा रासायनिक और मात्रा नियंत्रण प्रणाली (सीवीसीएस) के माध्यम से होती है। इसमें वाष्पीकरण के माध्यम से पानी को शुद्ध करने की प्रक्रिया के माध्यम से उत्पादित गैस, तरल और ठोस अपशिष्ट शामिल हैं। तरल अपशिष्ट को लगातार पुन: संसाधित किया जाता है, और गैस अपशिष्ट को फ़िल्टर्ड, संपीड़ित किया जाता है, क्षय, पतला और फिर छुट्टी दे दी जाती है। जिस दर पर इसे अनुमति दी जाती है, उसे विनियमित किया जाता है और अध्ययनों से यह साबित होना चाहिए कि इस तरह के निर्वहन जनता के एक सदस्य को खुराक की सीमा का उल्लंघन नहीं करते हैं (रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्सर्जन देखें)।
ठोस कचरे का निपटान बस उसे करके किया जा सकता है जहाँ उसे कुछ वर्षों तक परेशान नहीं किया जाएगा। संयुक्त राज्य अमेरिका में दक्षिण कैरोलिना, यूटा और वाशिंगटन में तीन निम्न-स्तरीय अपशिष्ट निपटान स्थल हैं। [१ level] सीवीसीएस से ठोस अपशिष्ट को ठोस रेडवेस्ट के साथ जोड़ा जाता है जो सामग्री को संभालने से पहले आता है, इसे ऑफ-साइट दफन कर दिया जाता है। [१ ९]
संयुक्त राज्य अमेरिका के पर्यावरण समूहों में कहा गया है कि यूरेनियम खनन कंपनियां, अप्रयुक्त यूरेनियम खदान स्थलों पर सफाई लागत से बचने का प्रयास कर रही हैं। कई राज्यों द्वारा एक खदान के निष्क्रिय हो जाने के बाद पर्यावरणीय सुधार की आवश्यकता है। खनन समूहों को अनिवार्य सफाई से बचने के लिए पर्यावरण समूहों ने कानूनी आपत्तियां दर्ज की हैं। यूरेनियम खनन कंपनियों ने समय-समय पर संक्षिप्त रूप से अपनी खदान साइटों को पुन: सक्रिय करके सफाई कानूनों को बढ़ाया है। दशकों से खानों को दूषित रहने देने से एक पर्यावरण समूह, जिम्मेदार खनन के लिए सूचना नेटवर्क के अनुसार, रेडियोधर्मी संदूषण के संभावित खतरे में वृद्धि होती है, जिसने मार्च 2013 के बारे में कानूनी कार्यवाही शुरू कीइस तरह की शायद ही कभी इस्तेमाल की जाने वाली खानों के साथ खनन कंपनियों को रखने वाले निगमों में जनरल एटॉमिक्स है। [२०]
पावर प्लांट का उत्सर्जन
रेडियोधर्मी गैसों और अपशिष्ट

Grafenrheinfeld परमाणु ऊर्जा संयंत्र। सबसे ऊँची संरचना चिमनी है जो प्रवाहित गैसों को छोड़ती है।
अधिकांश वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र रासायनिक आयतन नियंत्रण प्रणाली के उपोत्पाद के रूप में पर्यावरण में गैसीय और तरल रेडियोलॉजिकल अपशिष्टों को छोड़ते हैं, जिनकी निगरानी अमेरिका में EPA और NRC द्वारा की जाती है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र के 50 मील (80 किमी) के भीतर रहने वाले आम तौर पर प्रति वर्ष लगभग 0.1 μSv प्राप्त करते हैं। [21] तुलना के लिए, समुद्र तल पर या उससे ऊपर रहने वाले औसत व्यक्ति को ब्रह्मांडीय विकिरण से कम से कम 260 μSv प्राप्त होता है। [२१]
संयुक्त राज्य अमेरिका में सभी रिएक्टरों के लिए कानून की आवश्यकता होती है जिनके पास एक इमारत है। रोकथाम इमारतों की दीवारें कई फीट मोटी और कंक्रीट से बनी होती हैं और इसलिए पर्यावरण में रिएक्टर द्वारा उत्सर्जित किसी भी विकिरण की रिहाई को रोक सकती हैं। यदि किसी व्यक्ति को ऊर्जा स्रोत के बारे में चिंता करना है जो पर्यावरण में बड़ी मात्रा में विकिरण जारी करता है, तो उन्हें कोयले से चलने वाले पौधों की चिंता करनी चाहिए। "कोयला संयंत्रों द्वारा उत्पादित अपशिष्ट वास्तव में उनके परमाणु समकक्षों द्वारा उत्पन्न की तुलना में अधिक रेडियोधर्मी हैवास्तव में, एक [कोयला] बिजली संयंत्र द्वारा उत्सर्जित फ्लाई ऐश - बिजली के लिए जलते कोयले से एक उप-उत्पाद - आसपास के वातावरण में ऊर्जा के समान मात्रा में ऊर्जा उत्पादन करने वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र की तुलना में 100 गुना अधिक विकिरण करता है। ""कोयले से चलने वाले पौधे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में लोगों के स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि वे पर्यावरण में बहुत अधिक रेडियोधर्मी तत्व छोड़ते हैं और बाद में लोगों को परमाणु संयंत्रों की तुलना में विकिरण के अधिक स्तर तक उजागर करते हैं। "परमाणु संयंत्रों में रहने वाले लोगों के लिए कोयले के पौधों के आसपास रहने वाले लोगों द्वारा अनुमानित विकिरण खुराक खुराक के बराबर या उससे अधिक थीएक चरम पर, वैज्ञानिकों ने एक वर्ष में लगभग 18 मिलीमीटर (रेम के हज़ारवें हिस्से, आयोनाइजिंग विकिरण की खुराक मापने की एक इकाई) में लोगों की हड्डियों में फ्लाई ऐश विकिरण का अनुमान लगाया। दो परमाणु संयंत्रों के लिए खुराक, इसके विपरीत, इसी अवधि के लिए तीन से छह मिलीमीटर के बीच होती है। और जब क्षेत्र में सभी खाद्य पदार्थ उगाए गए, तो कोयले के पौधों के चारों ओर विकिरण की मात्रा 50 से 200 प्रतिशत अधिक थी। "[22]
इस विधि के माध्यम से जारी रेडियोधर्मिता की कुल मात्रा बिजली संयंत्र, नियामक आवश्यकताओं और संयंत्र के प्रदर्शन पर निर्भर करती है। वायुमंडलीय फैलाव मॉडल पाथवे मॉडल के साथ संयुक्त रूप से उत्सर्जित अपशिष्टों से जनता के एक सदस्य को खुराक को सटीक रूप से अनुमानित करने के लिए कार्यरत हैं। संयंत्र में निरंतर निगरानी की जाती है।
TritiumEdit
ट्रिटियम एफ्लुएंट लिमिट्स [उद्धरण वांछित] कंट्रीलीमिट (Bq / L) ऑस्ट्रेलिया76,103Finland30,000WHO10,000Sw Switzerland10,000Russia 7,700Ontario, कनाडा 7,000Eueanean Union1001United States740California Public Health Goal 14.8
वर्मोंट यांकीइन 2010 में रेडियोधर्मी पानी का रिसाव, हाल के वर्षों में 20 से अधिक अन्य अमेरिकी परमाणु संयंत्रों में इसी तरह की घटनाओं के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका में बढ़ती परमाणु प्रतिष्ठानों की विश्वसनीयता, स्थायित्व और रखरखाव के बारे में संदेह पैदा कर दिया है। [२३]
ट्रिटियम एक रेडियोएक्टिव आइसोटोप है, जो हाइड्रोजेनहाट का एक कम-ऊर्जा बीटा कण उत्सर्जित करता है और इसे आमतौर पर बीकरेल्स (यानी प्रति सेकंड क्षय करने वाले परमाणु) प्रति लीटर (Bq / L) में मापा जाता है। परमाणु संयंत्र से निकलने वाले पानी में ट्रिटियम को समाहित किया जा सकता है। ट्रिटियम रिलीज के लिए प्राथमिक चिंता पीने के पानी में उपस्थिति है, जैविक आवर्धन के अलावा भोजन के लिए खपत फसलों और जानवरों में ट्रिटियम के लिए अग्रणी है। [२४]
ट्रिटियम, [२५] हाइड्रोजन के द्रव्यमान ३ समस्थानिक को जानबूझकर थर्मोन्यूक्लियर हथियारों के उपयोग के लिए बनाया गया है, वाट्स बार जैसे सरकारी स्वामित्व वाले रिएक्टरों में, न्यूट्रॉन के साथ लिथियम ६ को विखंडन करके १। प्रकाश जल रिएक्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका में मानक प्रकार, न्यूट्रॉन द्वारा पानी में कम मात्रा में ड्यूटेरियम उत्पन्न करते हैं। यह पर्याप्त न्यूट्रॉन की खपत करता है कि प्राकृतिक यूरेनियम को दबावयुक्त जल रिएक्टरों के लिए अपने विखंडित U-235 सामग्री को 0.72% से 3.6% तक बढ़ाने के लिए संवर्धन की आवश्यकता होती है। कनाडा का CANDU डिजाइन "भारी पानी", ड्यूटेरियम ऑक्साइड का उपयोग करता है, और संयुक्त राष्ट्र संवर्धित यूरेनियम का उपयोग कर सकता है क्योंकि ड्यूटेरियम न्यूट्रॉन की बहुत कम मात्रा को कैप्चर करता है। इसलिए अमेरिका के रिएक्टरों में बहुत कम मात्रा में ट्रिटियम के उत्पादन की दर काफी कम होनी चाहिए।
कानूनी एकाग्रता सीमाएं जगह-जगह बहुत भिन्न हो गई हैं (तालिका सही देखें)। उदाहरण के लिए, जून 2009 में ओन्टेरियो ड्रिंकिंग वाटर एडवाइजरी काउंसिल ने 7,000 Bq / L से 20q / L तक की सीमा को कम करने की सिफारिश की26] एनआरसी के अनुसार, ट्रिटियम सबसे कम खतरनाक रेडियोन्यूक्लाइड है क्योंकि यह बहुत कमजोर विकिरण उत्सर्जित करता है और शरीर को अपेक्षाकृत जल्दी छोड़ देता है। ठेठ मानव शरीर में पोटेशियम -40 का लगभग 3,700 बीसी होता है। किसी भी परमाणु संयंत्र द्वारा जारी की गई राशि भी बहुत भिन्न होती है; 2003 में संयुक्त राज्य अमेरिका में परमाणु संयंत्रों के लिए कुल रिहाई 2,080 क्यूरीज़ (77 टीबीके) तक की बिना शर्त के थी। [उद्धरण वांछित]
यूरेनियम खनन
मुख्य लेख: यूरेनियम खनन

पीले रंग का एक ड्रम

खुले गड्ढे में यूरेनियम खदान, नामीबिया
यूरेनियम खनन जमीन से यूरेनियम अयस्क के निष्कर्षण की प्रक्रिया है। 2009 में यूरेनियम का विश्वव्यापी उत्पादन 50,572 टन था। काजाखस्तान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शीर्ष तीन उत्पादक हैं और विश्व यूरेनियम उत्पादन का 63% हिस्सा है। [27] खनन से यूरेनियम का एक प्रमुख उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए ईंधन के रूप में है। यूरेनियम का खनन और मिलिंग पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण खतरे हैं। [२ of]
"कोयले की थर्मल ऊर्जा का औसत मूल्य लगभग 6150 किलोवाट-घंटे (kWh) / टन है। .... परमाणु विखंडन में जारी थर्मल ऊर्जा लगभग 2 x 10E9 kWh / टन का उत्पादन करती है।" [29]
यह इस प्रकार है कि, ऊर्जा की समान मात्रा के लिए, परमाणु ऊर्जा उत्पादन पर यूरेनियम खनन के पर्यावरणीय प्रभावों में कटौती करते हुए, कोयले की तुलना में बहुत कम यूरेनियम की आवश्यकता होती है।
2010 में, दुनिया के यूरेनियम उत्पादन का 41% इन-सीटू लीचिंग द्वारा उत्पादित किया गया था, जो कि चट्टान को छोड़ते समय यूरेनियम को भंग करने के लिए समाधान का उपयोग करता है। 30] शेष का निर्माण पारंपरिक खनन द्वारा किया गया था, जिसमें खनन यूरेनियम अयस्क एक समान कण आकार में होता है और फिर रासायनिक लीचिंग द्वारा निकाला गया यूरेनियम। उत्पाद unenriched यूरेनियम का एक पाउडर है, "यैल्केक," जो यूरेनियम बाजार पर U3O8 के रूप में बेचा जाता है। यूरेनियम खनन में बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग किया जा सकता है - उदाहरण के लिए, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में रॉक्सबी डाउंस ओलंपिक डैम मेरा हर दिन 35,000 वर्ग मीटर पानी का उपयोग करता है और इसे प्रति दिन 150,000 मिलियन वर्ग मीटर तक बढ़ाने की योजना है। [31]
चर्च रॉक यूरेनियम मिल फैल न्यू मैक्सिको में 16 जुलाई, 1979 को हुआ था, जब यूनाइटेड न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन के चर्च रॉक यूरेनियम मिल टेलिंग निपटान तालाब ने अपना बांध तोड़ दिया था। 32] [३३] १,००० टन से अधिक ठोस रेडियोधर्मी मिल अपशिष्ट और ९ gall लाख गैलन अम्लीय, रेडियोधर्मी टेलिंग समाधान पुएर्को नदी में प्रवाहित होते हैं, और दूषित पानी (० मील (१३० किमी) नीचे की ओर नवजो काउंटी, एरिज़ोना और नवज्यो नेशन पर जाता है । [33] दुर्घटना ने अधिक विकिरण जारी किया, हालांकि तीन महीने पहले हुए थ्री माइल द्वीप दुर्घटना की तुलना में ज्यादातर पानी और सल्फ्यूरिक एसिड के 93 मिलियन गैलन से पतला था, जो अमेरिकी इतिहास में रेडियोधर्मी सामग्री की सबसे बड़ी रिहाई थी। [३३] [३४] [३५] [३६] स्पिल के पास भूजल दूषित हो गया था और पुएर्को स्थानीय निवासियों द्वारा अनुपयोगी हो गया था, जिन्हें तुरंत जहरीले खतरे की जानकारी नहीं थी। [३ []
शीत युद्ध परमाणु हथियारों की दौड़ यूरेनियम साइटों की सफाई में किए गए प्रयासों के बावजूद, यूरेनियम विकास की विरासत से उपजी महत्वपूर्ण समस्याएं आज भी नवाजो राष्ट्र और उटाह, कोलोराडो, न्यू मैक्सिको और एरिज़ोना राज्यों में मौजूद हैं। सैकड़ों परित्यक्त खानों, मुख्य रूप से अमेरिकी हथियारों की दौड़ और परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग नहीं किए गए हैं, कई समुदायों में पर्यावरण और स्वास्थ्य जोखिमों को साफ नहीं किया गया है38] पर्यावरण संरक्षण एजेंसी का अनुमान है कि प्रलेखित यूरेनियम उत्पादन के साथ 4000 खदानें हैं, और 14 पश्चिमी राज्यों में यूरेनियम की घटनाओं के साथ एक और 15,000 स्थान हैं, [39] सबसे अधिक चार कोनों क्षेत्र और व्योमिंग में पाए जाते हैं40] यूरेनियम मिल टेलिंग रेडिएशन कंट्रोल एक्ट एक संयुक्त राज्य अमेरिका का पर्यावरण कानून है जिसने 1954 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन किया और पर्यावरण संरक्षण एजेंसी को यूरेनियम के स्थिरीकरण, बहाली और निपटान के लिए स्वास्थ्य और पर्यावरण मानकों को स्थापित करने का अधिकार दियामिल का कचरा! [41]
कैंसर का खतरा
इन्हें भी देखें: परमाणु ऊर्जा बहस plants परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और श्रमिकों के पास आबादी पर स्वास्थ्य प्रभाव, और परमाणु श्रम मुद्दे
कैंसर पैदा करने में परमाणु ऊर्जा के संभावित प्रभाव पर कई अध्ययन किए गए हैं। इस तरह के अध्ययनों ने परमाणु संयंत्रों के सामान्य संचालन और परमाणु ऊर्जा उद्योग के अन्य हिस्सों के साथ-साथ आकस्मिक रिलीज के कारण श्रमिकों और जनता में अतिरिक्त कैंसर के कारण रिलीज होने के कारण दोनों संयंत्र श्रमिकों और आसपास की आबादी में अधिक कैंसर की तलाश की है। इस बात पर सहमति है कि दोनों संयंत्र श्रमिकों और आसपास के लोगों में अतिरिक्त कैंसर चेरनोबिल दुर्घटना जैसे आकस्मिक रिलीज के कारण हुए हैं। ४२] परमाणु ईंधन चक्र के अन्य भागों में कुछ श्रमिक, जिनमें विशेष रूप से यूरेनियम खनन - कम से कम पिछले दशकों में - कैंसर की दर बढ़ गई है43] हालांकि, सामान्य ऑपरेशन में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के कारण संभावित कैंसर के कई अध्ययन निष्कर्षों के विरोध में आ गए हैं और यह मुद्दा वैज्ञानिक विवाद और चल रहे अध्ययन का विषय है। [४४] [४५] [४६]
ऐसे कई महामारी विज्ञान अध्ययन हुए हैं जो कहते हैं कि परमाणु सुविधाओं के निकट रहने वाले लोगों में विभिन्न बीमारियों, विशेष रूप से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एक व्यापक रूप से बेकर एट अल द्वारा 2007 मेटा-विश्लेषण का हवाला दिया गया। यूरोपियन जर्नल ऑफ कैंसर केयर में 17 शोध पत्र प्रकाशित हुए। ४ 47] इसने यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, जापान और स्पेन में १३६ परमाणु सुविधाओं के पास रहने वाले बच्चों के बीच उच्च ल्यूकेमिया की दर के प्रमाण की पेशकश की। हालाँकि इस अध्ययन की कई आधारों पर आलोचना की गई है - जैसे कि विषम डेटा (विभिन्न आयु वर्ग, साइटें जो परमाणु ऊर्जा संयंत्र नहीं हैं, विभिन्न क्षेत्र परिभाषाएं), 37 में से 17 का मनमाना चयन, शून्य अध्ययन के साथ साइटों का बहिष्करण यामृत्यु, आदि [48] [49] बच्चों के बीच उन्नत ल्यूकेमिया की दर 2008 में कैत्स एट अल द्वारा जर्मन अध्ययन में भी पाई गई थी। जर्मनी में 16 प्रमुख परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के पास रहने वाले निवासियों की जांच की गई। [४ This] इस अध्ययन की कई आधारों पर आलोचना भी हुई है४ ९] [५०] ये २०० 2008 और २०० 2008 के परिणाम कई अन्य अध्ययनों के अनुरूप नहीं हैं, जो इस तरह के संघों को नहीं दिखाने के लिए प्रेरित हुए हैं५१] [५२] [५३] [५४] [५५] ब्रिटिश कमेटी ऑन मेडिकल ऐस्पेक्ट्स ऑफ रेडिएशन इन द एनवायरनमेंट ने १ ९ ६ ९ -२००४ की अवधि के दौरान ब्रिटेन में १३ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के पास रहने वाले पांच बच्चों में से २०११ में एक अध्ययन जारी किया। समिति ने पाया कि ब्रिटेन में बिजली संयंत्रों के आसपास रहने वाले बच्चों को कहीं और रहने वालों की तुलना में ल्यूकेमिया विकसित होने की संभावना नहीं है [49] इसी तरह, नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए 1991 के एक अध्ययन में पाया गया कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के करीब 107 अमेरिकी काउंटियों में कैंसर की अधिक मृत्यु दर नहीं है। [56] हालांकि, चल रहे विवाद के मद्देनजर, यूएस न्यूक्लियर रेगुलेटरी कमीशन ने नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज से अनुरोध किया है कि वे NRC- लाइसेंस प्राप्त सुविधाओं के पास आबादी में कैंसर के जोखिम के एक अत्याधुनिक अध्ययन की निगरानी करें। [४४]
नियमित रूप से अघोषित परमाणु श्रमिकों का एक उपसंस्कृति नियमित कर्मचारियों द्वारा गंदे, कठिन और संभावित खतरनाक काम करता है। वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन का कहना है कि "परमाणु जिप्सियों" के क्षणिक कार्यबल - उपमहाद्वीपों द्वारा नियुक्त किए गए आकस्मिक श्रमिक "कम से कम चार दशकों से परमाणु दृश्य का हिस्सा हैं।" [57] श्रमिकों के स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा करने वाले निरंतर श्रम कानून ठीक से लागू नहीं होते हैं। [58] कम खुराक वाले आयनीकृत विकिरण के संपर्क में आने के कारण कैंसर के जोखिमों के 15 देशों के एक सहयोगी अध्ययन ने 407,391 परमाणु उद्योग के श्रमिकों को शामिल किया, जिससे कैंसर की मृत्यु दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। अध्ययन ने 31 प्रकार के कैंसर, प्राथमिक और माध्यमिक का मूल्यांकन किया। [59]
परमाणु ऊर्जा रिएक्टर दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के रेडियो आइसोटोपों को पर्यावरण में छोड़ा जा सकता है। प्रत्येक रेडियो आइसोटोप का स्वास्थ्य प्रभाव विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। आयोडीन -१३१ संभावित रूप से अपने प्रसार के कारण आकस्मिक निर्वहन में रुग्णता का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और क्योंकि यह जमीन पर बसता है। जब आयोडीन -131 को छोड़ा जाता है, तो भोजन की श्रृंखला में प्रवेश करने के बाद इसे वास या सेवन किया जा सकता है, मुख्य रूप से दूषित फल, सब्जियां, दूध और भूजल के माध्यम से। शरीर में आयोडीन -133 तेजी से थायरॉयड ग्रंथि में जमा होता है, जो बीटा विकिरण का स्रोत बन जाता है। [60]
2011 फुकुशिमा दाइची परमाणु आपदा, 1986 के बाद से दुनिया की सबसे खराब परमाणु दुर्घटना, हवा, मिट्टी और समुद्र में विकिरण के बाद 50,000 घरों को विस्थापित कर दिया। [61] विकिरण जाँच से सब्जियों और मछलियों के कुछ लदान पर प्रतिबंध लग गया। [६२]
परमाणु ऊर्जा का उत्पादन परमाणु ईंधन चक्र पर निर्भर करता है, जिसमें यूरेनियम खनन और मिलिंग शामिल है। यूरेनियम कार्यकर्ता नियमित रूप से रेडॉन क्षय उत्पादों और गामा विकिरण के निम्न स्तर के संपर्क में हैं। गामा विकिरण की तीव्र और उच्च खुराक से ल्यूकेमिया के जोखिम को अच्छी तरह से जाना जाता है, लेकिन कम खुराक से जोखिम के बारे में बहस होती है। यूरेनियम श्रमिकों में अन्य हेमटोलॉजिकल कैंसर के जोखिमों की बहुत कम अध्ययनों में जांच की गई है। [63]
कोयले से चलने वाली पीढ़ी की तुलना
शुद्ध रेडियोधर्मी रिहाई के संदर्भ में, राष्ट्रीय विकिरण सुरक्षा और मापक परिषद (NCRP) ने अनुमान लगाया कि प्रति टन कोयले की औसत रेडियोधर्मिता 17,100 मिली / 4,000,000 टन है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 154 कोयला संयंत्रों के साथ, यह एक संयंत्र के लिए प्रति वर्ष 0.6319 TBq के उत्सर्जन की मात्रा है।
आस-पास रहने वाले मानव को खुराक के संदर्भ में, यह कभी-कभी उद्धृत किया जाता है कि कोयला संयंत्र परमाणु संयंत्रों की रेडियोधर्मिता का 100 गुना रिलीज करते हैं। यह एनसीआरपी रिपोर्ट नंबर 92 और नंबर 95 से आता है, जिसमें अनुमानित तौर पर 4.9 मेगावाट-एसएवी / वर्ष में 1000 मेगावाट कोयले और परमाणु संयंत्रों से आबादी का अनुमान लगाया गया था और क्रमशः 0.048 मानव-एसवी / वर्ष (एक सामान्य छाती एक्स-रे) तुलना के लिए लगभग 0.06 mSv की खुराक)६४] पर्यावरण संरक्षण एक कोयला संयंत्र के ५० मील (mill० किमी) के भीतर रहने के लिए प्रति वर्ष ०.३ year वीवीएस की एक अतिरिक्त खुराक का परीक्षण करता है और वार्षिक विकिरण खुराक के आकलन के लिए for.०० ९ मिली-रे परमाणु संयंत्र के लिए65] सामान्य ऑपरेशन में परमाणु ऊर्जा संयंत्र कोयला बिजली संयंत्रों की तुलना में कम रेडियोधर्मिता का उत्सर्जन करते हैं। [६४] [६५]
कोयला आधारित या तेल से चलने वाली पीढ़ी के विपरीत, परमाणु ऊर्जा उत्पादन सीधे तौर पर किसी भी सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, या पारे का उत्पादन नहीं करता है (हर साल यू.एस. (66]) में 24,000 शुरुआती मौतों के लिए जीवाश्म ईंधन से प्रदूषण को दोषी ठहराया जाता है)। हालाँकि, सभी ऊर्जा स्रोतों के साथ, खनन, विनिर्माण और परिवहन जैसी समर्थन गतिविधियों से जुड़े कुछ प्रदूषण हैं।
एक प्रमुख यूरोपीय संघ-वित्त पोषित अनुसंधान अध्ययन जिसे एक्सटर्ने, या बाह्य ऊर्जा के रूप में जाना जाता है, 1995 से 2005 की अवधि में किया गया, जिसमें पाया गया कि ऊर्जा की प्रति इकाई परमाणु ऊर्जा की पर्यावरणीय और स्वास्थ्य लागत € 0.0019 / kWh थी। यह बायोमास के उपयोग से होने वाले पर्यावरणीय प्रभाव और फोटोवोल्टिक सौर पैनलों के निर्माण सहित कई नवीकरणीय स्रोतों की तुलना में कम है, और € 0.06 / kWh, या 6 सेंट / किलोवाट के कोयले के प्रभाव की तुलना में तीस गुना कम था। हालाँकि, इससे जुड़ी सबसे कम बाहरी लागतों का ऊर्जा स्रोत € 0.0009 / kWh पर पवन ऊर्जा पाया गया, जो कि परमाणु ऊर्जा की आधी कीमत के तहत एक पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभाव है। [67]
औद्योगिक उत्सर्जन के साथ रेडियोधर्मी दुर्घटना उत्सर्जन का विरोध
समर्थकों का तर्क है कि जीवाश्म ईंधन कचरे की समस्याओं के निकट आने के लिए परमाणु कचरे की समस्याएं "कहीं भी करीब नहीं आती हैं"। 68] [६ ९] बीबीसी के एक लेख में कहा गया है: "विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन से प्रतिवर्ष ३ लाख लोग बाहरी वायु प्रदूषण से मारे जाते हैं और ठोस ईंधन का उपयोग करके १.६ मिलियन घर के अंदर रहते हैं।" [ 70] अकेले अमेरिका में, जीवाश्म ईंधन अपशिष्ट हर साल 20,000 लोगों को मारता है। [71] एक कोयला बिजली संयंत्र एक ही वाट क्षमता के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रूप में 100 गुना अधिक विकिरण जारी करता है। 72] यह अनुमान लगाया जाता है कि 1982 के दौरान, अमेरिकी कोयला जलने से तीन मील द्वीप दुर्घटना के रूप में वातावरण में 155 गुना अधिक रेडियोधर्मिता जारी हुई। [73] विश्व परमाणु संघ ऊर्जा उत्पादन के विभिन्न रूपों के बीच दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों की तुलना करता है। उनके जीवन-चक्र की तुलना में, 1970 से 1992 तक उत्पादित TW-yr बिजली से होने वाली मौतों को जलविद्युत के लिए 885, कोयले के लिए 342, प्राकृतिक गैस के लिए 85 और परमाणु के लिए 8 के रूप में उद्धृत किया जाता है। [74] आंकड़ों में यूरेनियम खनन शामिल है, जो एक खतरनाक उद्योग हो सकता है, जिसमें कई दुर्घटनाएं और घातक घटनाएं हो सकती हैं। [75]
बेकार गर्मी
इन्हें भी देखें: ऊर्जा स्रोतों का जीवन-चक्र ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन plants ताप विद्युत संयंत्रों से गर्मी

उत्तरी अन्ना संयंत्र एक कृत्रिम झील में प्रत्यक्ष विनिमय शीतलन का उपयोग करता है।
सभी थर्मोइलेक्ट्रिक संयंत्रों की तरह, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को शीतलन प्रणाली की आवश्यकता होती है। नाभिकीय सहित थर्मल पावर प्लांट के लिए सबसे आम सिस्टम हैं:
एक बार-शीतलन के माध्यम से, जिसमें पानी एक बड़े शरीर से खींचा जाता है, शीतलन प्रणाली से गुजरता है, और फिर वापस पानी के शरीर में बह जाता है।
कूलिंग तालाब, जिसमें उद्देश्य से समर्पित तालाब से पानी खींचा जाता है, शीतलन प्रणाली से गुजरता है, फिर तालाब में लौटता है। उदाहरणों में दक्षिण टेक्सास न्यूक्लियर जनरेटिंग स्टेशन शामिल हैं। नार्थ अन्ना न्यूक्लियर जनरेटिंग स्टेशन एक कूलिंग तालाब या कृत्रिम झील है, जो कि प्लांट डिस्चार्ज कैनाल में अक्सर झील के दूसरे हिस्सों या सामान्य झीलों की तुलना में लगभग 30 ° F गर्म होती है (यह) के आकर्षण के रूप में उद्धृतकुछ निवासियों द्वारा क्षेत्र) [76] कृत्रिम झीलों पर पर्यावरणीय प्रभावों को अक्सर नए पौधों के निर्माण के खिलाफ तर्क में भारित किया जाता है, और सूखे के दौरान मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जाता है77] टर्किश प्वाइंट न्यूक्लियर जनरेटिंग स्टेशन को अमेरिकी मगरमच्छ के संरक्षण की स्थिति में मदद करने का श्रेय दिया जाता है, जो बड़े पैमाने पर उत्पादित अपशिष्ट गर्मी का प्रभाव है। [78]
कूलिंग टॉवर, जिसमें शीतलन प्रणाली के माध्यम से टॉवर से वाष्पित होने तक पानी रिसता है। उदाहरणों में शियरॉन हैरिस न्यूक्लियर पावर प्लांट शामिल है।नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेटरी के 2011 के एक अध्ययन ने निर्धारित किया है कि कूलिंग टावरों के साथ औसतन परमाणु संयंत्र में 672 गैलन पानी प्रति मेगावॉट-घंटे की खपत होती है, जो कि सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने की औसत खपत से कम है (865 गैलन / ट्रफ प्रकार के लिए, और 786 गैलन) पावर टॉवर प्रकार के लिए मेघार),कोयले (687 गैलन / एमडब्ल्यूएचआर) से थोड़ा कम, लेकिन प्राकृतिक गैस के लिए इससे अधिक (198 गैलन / एमडब्ल्यूएचआर)एक बार के माध्यम से शीतलन प्रणाली अधिक पानी का उपयोग करती है, लेकिन कम पानी वाष्पीकरण में खो जाता है। एक बार-शीतलन के साथ मध्य अमेरिका के परमाणु संयंत्र में, 44,350 गैल / मेगावाट शीतलन प्रणाली से गुजरता है, लेकिन वाष्पीकरण द्वारा केवल 269 गैल / एमडब्ल्यूएचआर (1 प्रतिशत से कम) की खपत होती है। [79]
परमाणु संयंत्र अपनी तापीय ऊर्जा का 60 से 70% पानी के शरीर के साथ या एक ठंडा टॉवर के माध्यम से पानी को वाष्पित करके विनिमय करते हैं। यह थर्मल दक्षता कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की तुलना में कुछ हद तक कम है, [80] इस प्रकार अधिक अपशिष्ट गर्मी पैदा होती है।
जिला तापन जैसे तपन अनुप्रयोगों में अपशिष्ट गर्मी का उपयोग करना संभव है। परमाणु ऊर्जा के साथ कोजेनरेशन और जिला हीटिंग के सिद्धांत थर्मल पावर उत्पादन के किसी अन्य रूप के समान हैं। परमाणु ताप उत्पादन का एक उपयोग स्वीडन में ofesta परमाणु ऊर्जा संयंत्र के साथ था। स्विट्जरलैंड में, बेज़नाऊ परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगभग 20,000 लोगों को गर्मी प्रदान करता है। 81] हालांकि, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के साथ जिला ताप अपशिष्ट ताप निर्माण के अन्य साधनों की तुलना में कम आम है: क्योंकि या तो नियमों और / या NIMBY प्रभाव के कारण, परमाणु स्टेशन आमतौर पर घनी आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं बनाए जाते हैं। अपशिष्ट ताप का उपयोग आमतौर पर औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है। [used२]
यूरोप की 2003 और 2006 की गर्मी की लहरों के दौरान, फ्रांसीसी, स्पेनिश और जर्मन उपयोगिताओं को पर्यावरण में पानी को गर्म करने के लिए नियमों से छूट को सुरक्षित करना पड़ा। कुछ परमाणु रिएक्टर बंद हो गए। [83] [down४]
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की चरम सीमा जैसे गर्मी की लहरें, कम हो रही वर्षा के स्तर और सूखे, इन बायोमास-इलेक्ट्रिक और विखंडन-विद्युत स्टेशनों को समान रूप से इन बिजलीघरों में ठंडा करने सहित सभी थर्मल पॉवर स्टेशन अवसंरचना पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैंस्टीम कंडेनसर कुछ मीठे पानी के स्रोतों द्वारा प्रदान किया जाता है।]85] कई तापीय स्टेशन अप्रत्यक्ष समुद्री जल शीतलन या कूलिंग टावरों का उपयोग करते हैं, जिनकी तुलना में ताजे पानी की तुलना में बहुत कम उपयोग किया जाता है, जबकि गर्मी की लहरों के दौरान, जिन्हें नदियों और झीलों के साथ विनिमय करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, उत्पादन को कम करने या संचालन को रोकने के लिए नियमों के तहत हैं। पानी की रक्षास्तर और जलीय जीवन।वर्तमान में सभी थर्मल पावर स्टेशनों के बीच आम तौर पर होने वाली यह समस्या समय के साथ बढ़ती जा रही है। [।85] अगर ग्लोबल वार्मिंग जारी रहती है, तो बिजली के व्यवधान हो सकते हैं यदि स्टेशन ऑपरेटरों के पास शीतलन के अन्य साधन उपलब्ध नहीं हैं, जैसे कि कूलिंग टॉवर उपलब्ध हैं, इन दशकों में नए स्क्वाट मैकेनिकल ड्राफ्ट डिजाइन से पहले, अक्सर बड़ी संरचनाएं थीं और इसलिए कभी-कभी अलोकप्रिय होती हैंजनता।
सार्वजनिक
सामान्य
प्रचलित
प्रसिद्ध
जनता द्वारा बाँट लिया गया
लोक-संबंधी
जनमत
सामान्य जन
प्रजा
सार्वजनिक राय
पब्लिक
आम
लोक-सरकारीपानी की खपत और जोखिम
परमाणु ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान, बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग किया जाता है। रिएक्टरों के अंदर यूरेनियम ईंधन ने परमाणु विखंडन को प्रेरित किया है जो पानी को गर्म करने के लिए उपयोग की जाने वाली ऊर्जा की बड़ी मात्रा को जारी करता है। पानी भाप में बदल जाता है और टरबाइन को घुमाता है, जिससे बिजली बनती है। [86] इस प्रक्रिया के लिए परमाणु संयंत्रों को लगभग 600 गैलन / एमडब्ल्यूएच एकत्र करना चाहिए, [87] इसलिए पौधों को पानी के निकायों के पास बनाया जाता है।
नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेटरी के 2011 के एक अध्ययन में पाया गया कि कूलिंग टावरों वाले परमाणु संयंत्रों में 672 गैलन / एमडब्ल्यूएचआर की खपत होती है। परमाणु ऊर्जा के लिए पानी की खपत की तीव्रता कोयला बिजली (687 गैलन / एमडब्ल्यूएचआर) के समान थी, जो सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए खपत की दर से कम (865 गैलन / सीएसपी गर्त के लिए एमडब्ल्यूएचआर, सीएसपी टॉवर के लिए 786 गैलन / एमडब्ल्यूएचआर) और इससे अधिक थी। प्राकृतिक गैस (198 गैलन / एमडब्ल्यूएचआर) द्वारा उत्पादित बिजली। [79]
जब कोयला, भूतापीय और बायोमास बिजली संयंत्रों सहित सभी तापीय बिजली संयंत्रों की तरह, ठंडा, परमाणु संयंत्रों के लिए पानी का उपयोग करते हैं, तो विशेष संरचनाओं का उपयोग करते हैं। मलबे के प्रवेश को कम करने के लिए पानी को अक्सर स्क्रीन के माध्यम से खींचा जाता है। समस्या यह है कि कई जलीय जीव स्क्रीन के खिलाफ फंस जाते हैं और मारे जाते हैं, एक प्रक्रिया के माध्यम से जिसे अशुद्धि के रूप में जाना जाता है। स्क्रीन के माध्यम से पारित होने के लिए छोटे जलीय जीवों को प्रवेश प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है, जिसमें विषाक्त तनाव होता है। अरबों समुद्री जीवों, जैसे कि मछली, सील, शंख और कछुए, खाद्य श्रृंखला के लिए आवश्यक हैं, को शीतलन प्रणालियों में चूसा जाता है और नष्ट कर दिया जाता है। [88] [89] [बेहतर स्रोत की जरूरत है]
ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन
मुख्य लेख: जीवन-चक्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की तुलना

"जलविद्युत-आंतरिक लागत और बाह्य लाभ"; फ्राँस एच। कोच; अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)-हाइड्रोपावर टेक्नोलॉजी और प्रोग्राम्स के लिए समझौता लागू करना; 2000. यह उनके कुल जीवन चक्र पर विभिन्न ऊर्जा स्रोतों की उत्सर्जन तीव्रता को दर्शाता है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) नियमित रूप से सबसे आम ऊर्जा स्रोतों के जीवन चक्र उत्सर्जन की तीव्रता का आकलन करता है और 2014 में पवन ऊर्जा से परमाणु के समान उत्सर्जन पाया।
परमाणु ईंधन श्रृंखला के कई चरण - खनन, मिलिंग, परिवहन, ईंधन निर्माण, संवर्धन, रिएक्टर निर्माण, डीकमोशनिंग और अपशिष्ट प्रबंधन - जीवाश्म ईंधन का उपयोग करते हैं, या भूमि उपयोग में परिवर्तन शामिल करते हैं, और इसलिए कार्बन डाइऑक्साइड और पारंपरिक पोषक तत्वों का उत्सर्जन करते हैं। 90] [91] [92] परमाणु ऊर्जा वायुमंडल में बहुत कम मात्रा में उत्सर्जन में योगदान करती है जो कई पर्यावरणीय समस्याओं जैसे कि गर्म पानी की कमी का कारण बन सकती है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र में यूरेनियम को नहीं जलाया जाता है क्योंकि कोयले का उत्सर्जन नहीं होता है। यूरेनियम के विखंडन से उत्पन्न होने वाले सभी अपशिष्ट संयंत्र में रहते हैं और इसलिए इसका निपटान सुरक्षित तरीके से किया जाता है जिसमें यूरेनियम को पर्यावरण से बाहर रखा जाता है। [93] "संयुक्त राज्य में लगभग 73 प्रतिशत उत्सर्जन-मुक्त बिजली परमाणु संयंत्रों से आती है।परमाणु ऊर्जा कोयले की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में बहुत कम उत्पादन करती है, कोयला के लिए 790-1017 ग्राम प्रति किलोवाट घंटे की तुलना में 9 ग्राम प्रति किलोवाट घंटे। साथ ही, परमाणु ऊर्जा उसी राशि का उत्पादन करती है यदि नवीकरणीय संसाधनों की तुलना में ग्रीनहाउस गैस कम नहीं होती है। सभी ऊर्जा स्रोतों की तरह, विभिन्न जीवन चक्र विश्लेषण (LCA) अध्ययनों ने परमाणु ऊर्जा के लिए औसत मूल्य पर अनुमानों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है, कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की अधिकांश तुलना अक्षय ऊर्जा को अक्षय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में दिखाती है। [९ ४]
कई अलग-अलग मान्यताओं और तकनीकों का उपयोग करके शोधकर्ताओं द्वारा रिपोर्ट किए गए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की बेहतर मात्रा की तुलना और तुलना करने के लिए, यूएस नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेटरी ने हार्मोनाइजेशन का उपयोग करके मेटा-विश्लेषण अध्ययनों को प्रायोजित किया है, जिसमें रिपोर्ट किया गया कि जीवन-चक्र उत्सर्जन सुसंगत रूप से समायोजित किया गया हैमान्यताओं।
मान्यताएँ
परिणाम आमतौर पर किसी दिए गए ऊर्जा स्रोत के लिए कार्बन उत्सर्जन की सीमा को कम करते हैं। "96] परमाणु ऊर्जा से औद्योगिक पारिस्थितिकी विज्ञान के जीवन चक्र के मूल्यांकन के जर्नल में प्रकाशित 2012 के परिणाम के अध्ययन ने निर्धारित किया कि "सामूहिक LCA साहित्य इंगित करता है कि परमाणु ऊर्जा से जीवन चक्र GHG उत्सर्जन पारंपरिक जीवाश्म स्रोतों का केवल एक अंश हैअक्षय प्रौद्योगिकियों के लिए तुलनीय "।"97] यह भी कहा कि रिएक्टरों की सबसे आम श्रेणी के लिए, लाइट वाटर रिएक्टर (LWR): "हार्मोनाइजेशन ने सभी LWR प्रौद्योगिकी श्रेणियों के लिए औसतन अनुमान को कम कर दिया है, ताकि BWR, PWRs और सभी LWR के मध्यस्थ समान हों। 12 g CO2-eq / kWh "। [98]
हाथ में इस डेटा के साथ, इसलिए ऐतिहासिक रूप से, परमाणु ऊर्जा, मुख्य रूप से ~ 1970 से 2013 तक, अनुमान लगाया गया है कि सीओ 2-समतुल्य के 64 गीगाटन के वायुमंडलीय उत्सर्जन को रोका जा सकता है। [99]
कई टिप्पणीकारों ने तर्क दिया है कि परमाणु ऊर्जा के विस्तार से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। दूसरों ने तर्क दिया है कि यह उत्सर्जन को कम करने का एक तरीका है, लेकिन यह अपनी समस्याओं के साथ आता है, जैसे कि गंभीर परमाणु दुर्घटनाओं से संबंधित जोखिम, परमाणु साइटों पर युद्ध के हमले, परमाणु आतंकवाद और वर्तमान में रेडियोधर्मी कचरे के निपटान के लिए आम तौर पर स्वीकृत समाधान नहीं है जो होने की जरूरतसैकड़ों हजारों वर्षों से भारी सुरक्षा। [उद्धरण वांछित] इन अधिवक्ताओं का यह भी मानना है कि परमाणु ऊर्जा में निवेश की तुलना में जलवायु परिवर्तन से निपटने के बेहतर तरीके हैं, जिसमें बेहतर ऊर्जा दक्षता और विकेंद्रीकृत और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर अधिक निर्भरता शामिल है। 100]
परमाणु ऊर्जा के भविष्य के जीएचजी उत्सर्जन के आसपास कुछ अनिश्चितता भी है, जो कि संवर्धन विधियों की दक्षता में इसी वृद्धि के बिना घटते यूरेनियम अयस्क ग्रेड की क्षमता के साथ करना है। भविष्य के वैश्विक परमाणु विकास के एक परिदृश्य विश्लेषण में, क्योंकि यह औसत अयस्क ग्रेड के घटते वैश्विक यूरेनियम बाजार से प्रभावित हो सकता है, विश्लेषण ने निर्धारित किया कि स्थितियों के आधार पर, मध्ययुगीन जीवन चक्र परमाणु ऊर्जा GHG उत्सर्जन 9 और 110 ग्राम CO2- के बीच हो सकता है 2050 तक eq / kWh, के साथबाद के आंकड़े को अध्ययन के लेखकों द्वारा अवास्तविक "सबसे खराब स्थिति" के रूप में माना जाता है।101]हालांकि यह भविष्य वर्तमान पीढ़ी द्वितीय रिएक्टर प्रौद्योगिकी के लिए एक्सट्रपलेशन के साथ व्यवहार करता है, वही पेपर "एफबीआर" / फास्ट ब्रीडर रिएक्टर्स पर साहित्य का सारांश भी प्रस्तुत करता है, जिनमें से दो 2014 के अनुसार बीएन -800 के नवीनतम संचालन में हैं, इनके लिए रिएक्टरों में कहा गया है कि ए"औसत जीवन चक्र GHG उत्सर्जन ... [हैं] [वर्तमान] LWRs के समान या उससे कम या यूरेनियम अयस्क का उपभोग करने के लिए समान हैं।101]
दुर्घटनाओं और हमलों के पर्यावरणीय प्रभाव
इन्हें भी देखें: परमाणु और विकिरण दुर्घटनाएँ और परमाणु सुरक्षा
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में सबसे खराब दुर्घटनाओं के कारण गंभीर पर्यावरण प्रदूषण होता है। हालांकि, वास्तविक क्षति की सीमा पर अभी भी बहस चल रही है।
फुकुशिमा आपदा
इसे भी देखें: फुकुशिमा दाइची परमाणु आपदा की फुकुशिमा दाइची परमाणु आपदा की समय सीमा और विकिरण प्रभाव

2011 जापानी फुकुशिमा परमाणु आपदा के बाद, अधिकारियों ने देश के 54 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को बंद कर दिया। 2013 तक, फुकुशिमा साइट अत्यधिक रेडियोधर्मी बनी हुई है, कुछ 160,000 खाली जगह अभी भी अस्थायी आवास में रह रही है, और कुछ भूमि सदियों के लिए निंदनीय होगी। कठिन सफाई कार्य में 40 या अधिक वर्ष लगेंगे और दसियों अरबों डॉलर खर्च होंगे। [१०२] [१०३]

जापान, फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र के आसपास के शहर और गांव। 20 किमी और 30 किमी के क्षेत्रों में निकासी और आश्रय के आदेश थे, और अतिरिक्त प्रशासनिक जिले जिनके पास निकासी का आदेश था, पर प्रकाश डाला गया है।
मार्च 2011 में भूकंप और सुनामी ने नुकसान पहुंचाया जिससे जापान के फुकुशिमा I परमाणु ऊर्जा संयंत्र में विस्फोट और आंशिक मंदी हुई।
विकराल फुकुशिमा I पावर प्लांट में विकिरण का स्तर 1,000 mSv / h (मिलिसवर्ट प्रति घंटा) तक विभिन्न प्रकार का होता है, [104] एक ऐसा स्तर है जो एक घंटे के प्रदर्शन के बाद बाद में विकिरण बीमारी का कारण बन सकता है। [ 105] तीन रिएक्टरों में हाइड्रोजन विस्फोट के बाद रेडियोधर्मी कणों के उत्सर्जन में महत्वपूर्ण रिहाई हुई, क्योंकि तकनीशियनों ने यूरेनियम ईंधन की छड़ों को ठंडा रखने के लिए समुद्री जल में पंप करने की कोशिश की, और समुद्री जल के लिए जगह बनाने के लिए रिएक्टरों से रेडियोधर्मी गैस को उड़ा दिया। [ 106]
रेडियोधर्मिता के बड़े पैमाने पर जारी होने की संभावना के बारे में चिंताओं के कारण 20 किमी के बहिष्करण क्षेत्र को बिजली संयंत्र के आसपास स्थापित किया गया और 20-30 किमी के क्षेत्र में लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी गई। बाद में, यूके, फ्रांस और कुछ अन्य देशों ने परमाणु प्रदूषण फैलने की आशंका के मद्देनजर अपने नागरिकों को टोक्यो छोड़ने पर विचार करने के लिए कहा। 107] न्यू साइंटिस्ट ने बताया है कि 1986 में चेरनोबिल आपदा के बाद रेडियोधर्मी आयोडीन और अपचयित फुकुशिमा I परमाणु संयंत्र से सीज़ियम के उत्सर्जन का स्तर स्पष्ट हो गया है१० 2011] २४ मार्च २०११ को, जापानी अधिकारियों ने घोषणा की कि "रेडियोधर्मी आयोडीन -१३३ टोक्यो में 18 जल शोधन संयंत्रों और पांच अन्य प्रान्तों में शिशुओं के लिए सुरक्षा सीमाओं को पार कर गया है"। अधिकारियों ने यह भी कहा कि दाई-इची संयंत्र से गिरावट "11 मार्च के भूकंप और सुनामी से पीड़ितों के लिए खोज प्रयासों में बाधा" है। [109]
जापान की इलेक्ट्रिक पावर कंपनियों के संघ के अनुसार, "27 अप्रैल तक रिएक्टर यूनिट 1 में लगभग 55 प्रतिशत ईंधन पिघल गया था, यूनिट 2 में 35 प्रतिशत ईंधन और यूनिट 3 में ईंधन का 30 प्रतिशत;" यूनिट 3 और 4 के स्टोरेज पूल में ओवरहीट फ्यूल जलायाशायद क्षतिग्रस्त भी थे। "११०] अप्रैल २०११ तक, अभी भी क्षतिग्रस्त रिएक्टरों में पिघलने वाले ईंधन की छड़ों को ठंडा करने के लिए पानी डाला जा रहा है। [१११] इस दुर्घटना ने 1979 के थ्री माइल द्वीप की दुर्घटना को गंभीरता से पार कर लिया है, और यह 1986 की चेरनोबिल आपदा के बराबर है110] इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट है कि फुकुशिमा आपदा "तीन-तीन मील द्वीप की तरह एक पंक्ति में है, खर्च किए गए ईंधन भंडार में अतिरिक्त नुकसान के साथ", [112] और इससे चल रहे प्रभाव होंगे:
सफाई के वर्षों दशकों में खींच लेंगे। स्थाई अपवर्जन क्षेत्र संयंत्र की परिधि से परे खींच सकता है। गंभीर रूप से उजागर श्रमिकों को अपने जीवन के बाकी हिस्सों में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है ... [112]
यूके के नेशनल न्यूक्लियर कॉरपोरेशन में सुरक्षा नीति इकाई के एक पूर्व सदस्य जॉन प्राइस ने कहा है कि "ईंधन की छड़ को जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से सुरक्षित रूप से हटाया जा सकता है" यह 100 साल पहले हो सकता है। [111]
अगस्त 2011 की दूसरी छमाही में, जापानी सांसदों ने घोषणा की कि प्रधान मंत्री नाओटो कान संभवतः फुकुशिमा प्रान्त का दौरा करने की घोषणा करेंगे कि नष्ट किए गए रिएक्टरों के आसपास के बड़े दूषित क्षेत्र को निर्जन घोषित किया जाएगा, शायद दशकों तक। फुकुशिमा के आसपास अस्थायी 12 मील (19 किमी) त्रिज्या निकासी क्षेत्र में से कुछ क्षेत्रों को जापानी विज्ञान और शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक नए सर्वेक्षण के अनुसार रेडियोन्यूक्लाइड से भारी दूषित पाया गया। ओकुमा शहर को प्रति वर्ष 20 मिलीसेवर की सुरक्षित सीमा से 25 गुना अधिक बताया गया था। [113]
इसके बजाय, 5 साल बाद, सरकार को उम्मीद है कि 2021 के आसपास, धीरे-धीरे कुछ "मुश्किल-से-वापसी-क्षेत्रों" के कुल 337 वर्ग किलोमीटर (130 वर्ग मील) क्षेत्र के पदनाम को उठाया जाएगाओकुमा शहर के मध्य जिले में बारिश, हवा और प्राकृतिक अपव्यय ने रेडियोधर्मी संदूषक, निचले स्तर को हटा दिया है, जैसे कि पांच वर्ष पहले, पांचवां स्तर।
चेरनोबिल आपदा
यह भी देखें: अन्य रेडियोधर्मिता रिलीज की तुलना में चेरनोबिल आपदा प्रभाव और चेरनोबिल

1996 में चेर्नोबिल क्षेत्र में सीज़ियम -137 संदूषण दिखाने वाला मानचित्र
2013 के रूप में यूक्रेन में 1986 चेरनोबिल आपदा थी और दुनिया की सबसे खराब परमाणु ऊर्जा संयंत्र आपदा बनी हुई है। इसकी मृत्यु के अनुमान विवादास्पद हैं और 62 से 25,000 तक की सीमाएं हैं, जिनमें उच्च अनुमानों सहित मौतें अभी तक नहीं हुई हैं। सहकर्मी की समीक्षा प्रकाशनों ने आम तौर पर हजारों की कम दसियों में अनुमानित अनुमानित आंकड़े का समर्थन किया है; उदाहरण के लिए वर्ष 2065 तक चेर्नोबिल दुर्घटना के कारण 16,000 अतिरिक्त कैंसर से होने वाली मौतों का अनुमान है, जबकि इसी अवधि में, कई सौ मिलियन कैंसरअन्य कारणों से मामलों की उम्मीद की जाती है (2006 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर) से115] IARC ने एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की, "इसे परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, तंबाकू धूम्रपान एक ही आबादी में कई हजार गुना अधिक कैंसर पैदा करेगा", लेकिन साथ ही, विभिन्न प्रकार के कैंसर की संख्या का उल्लेख करते हुए, "अपवाद थायराइड है" कैंसर, जो दस साल पहले थापहले से ही दुर्घटना के स्थल के आसपास सबसे अधिक दूषित क्षेत्रों में बढ़ा हुआ दिखाया गया है "।"११६] संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य प्रभाव रिपोर्ट का पूर्ण संस्करण, जिसे २००६ में भी प्रकाशित किया गया था, की भविष्यवाणी में कुल मिलाकर कैंसर से ४,००० लोगों की मौतें शामिल हैं११ Union] एक कागज जो संबंधित वैज्ञानिकों के संघ ने रिपोर्ट के साथ जारी किया, और उनके पास, कैंसर की संवेदनशीलता के विवादित रैखिक नो-थ्रेशोल्ड मॉडल (एलएनटी) मॉडल का अनुसरण करते हुए, [११]] इसके बजाय व्यापक आबादी के लिए अनुमान लगाया गया कि विरासत चेरनोबिल की कुल 25,000 अतिरिक्त होगीकैंसर से दुनिया भर में मौत119] यह इतिहास में सबसे खराब बांध की विफलता दुर्घटना के नीचे कुल चेरनोबिल मौत का स्थान है, चीन में 1975 का बानकियाओ बांध आपदा।
चेरनोबिल आपदा के कारण यूरोप भर में बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी संदूषण फैल गया, और कई कृषि उत्पादों, पशुधन और मिट्टी में सीज़ियम और स्ट्रॉन्शियम की मात्रा बढ़ गई। दुर्घटना ने पिपरियात के पूरे शहर और कीव से 300,000 लोगों को निकालने की आवश्यकता को पूरा किया, जो अनिश्चित काल के लिए मनुष्यों के लिए अनुपयोगी भूमि का एक क्षेत्र प्रदान करता है। [120]
रेडियोधर्मी पदार्थों के क्षय के रूप में, वे कणों को छोड़ते हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर को जन्म दे सकते हैं, विशेष रूप से सीज़ियम -137 और आयोडीन -131। चेरनोबिल आपदा में, सीज़ियम -137 दूषित भूमि की रिहाई। पूरे पिपरियात शहर सहित कुछ समुदायों को स्थायी रूप से छोड़ दिया गया था। एक समाचार स्रोत ने बताया कि रेडियोधर्मी आयोडीन से दूषित दूध पीने वाले हजारों लोगों ने थायराइड कैंसर विकसित किया है। 121] बहिष्करण क्षेत्र (चेरनोबिल के चारों ओर 30 किमी के दायरे) में विकिरण का स्तर काफी बढ़ा हुआ हो सकता है, जो कि मुख्य रूप से उस आइसोटोप के लगभग 10 आधे जीवन के लिए, सीज़ियम -137 के क्षय के कारण होता है, जो लगभग 300 के लिए है। साल। [122]
सीज़ियम -137 के बायोकैम्बुलेशन के कारण, कुछ मशरूम के साथ-साथ जंगली जानवर जो उन्हें खाते हैं, उदा। जर्मनी में जंगली सूअर के शिकार और ऑस्ट्रिया में हिरण, ऐसे स्तर हो सकते हैं जिन्हें मानव उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है123] यूके के कुछ हिस्सों में भेड़ों के अनिवार्य विकिरण परीक्षण जो दूषित पीट के साथ भूमि पर चर रहे थे, 2012 में हटा लिया गया था। [124]
2007 में यूक्रेनी सरकार ने चेरनोबिल अपवर्जन क्षेत्र, लगभग 490 वर्ग किलोमीटर (190 वर्ग मील), एक प्राणी प्राणी आरक्षित घोषित किया था125] जानवरों की कई प्रजातियों के साथ जनसंख्या वृद्धि का सामना करने के बाद से मानव प्रभाव काफी हद तक क्षेत्र छोड़ दिया है, जिसमें मूस, बाइसन और भेड़िया संख्या में वृद्धि शामिल है। [126] हालांकि अन्य प्रजातियां जैसे कि खलिहान निगलती हैं और कई अकशेरुकी, उदा। मकड़ी की संख्या नीचे संदिग्ध है। 127] जीवविज्ञानी के बीच बहुत विवाद के साथ, यदि वास्तव में चेरनोबिल अब एक वन्यजीव आरक्षित है। [128]
SL-1 मेल्टडाउनएडिट

एसएल -1 कोर की यह छवि एक परमाणु मंदी की वजह से होने वाली क्षति के शांत अनुस्मारक के रूप में कार्य कर सकती है।
SL-1, या स्टेशनरी लो-पॉवर रिएक्टर नंबर एक, एक संयुक्त राज्य अमेरिका का आर्मीएक्सपेरिमेंटल न्यूक्लियर पॉवर रिएक्टर था जो 3 जनवरी, 1961 को एक भाप विस्फोट और मेल्टडाउन के दौर से गुज़रा, जिससे उसके तीन परिचालकों की मृत्यु हो गई; जॉन ब्रीनेस, रिचर्ड मैककिनले और रिचर्ड लेग। 129] प्रत्यक्ष कारण केंद्रीय नियंत्रण रॉड का अनुचित मैनुअल वापसी था, जो रिएक्टर कोर में न्यूट्रॉन को अवशोषित करने के लिए जिम्मेदार था। इसके कारण रिएक्टर की शक्ति लगभग 20,000MW बढ़ गई और बदले में, एक विस्फोट हुआ। यह घटना संयुक्त राज्य अमेरिका में एकमात्र ज्ञात घातक रिएक्टर दुर्घटना और दुनिया में पहली घटना है। [१३०] [१२ ९] इस दुर्घटना में आयोडीन -१३१, [१३१] के लगभग accident० करी (३.० टीबीक) जारी किए गए, जो कि इदाहो के एक दूरस्थ रेगिस्तान में इसके स्थान के कारण महत्वपूर्ण नहीं माने जाते थे। लगभग 1,100 करी (41 टीबीक्यू) विखंडन उत्पादों को वायुमंडल में छोड़ा गया था। [132]
दुर्घटना से पहले विकिरण जोखिम सीमा एक जीवन बचाने के लिए और मूल्यवान संपत्ति को बचाने के लिए 25 को बचाने के लिए 100 röntgens थे। दुर्घटना की प्रतिक्रिया के दौरान, 22 लोगों को 3 से 27 रॉन्टगेंस के पूरे शरीर के संपर्क की खुराक मिली। [133] रेडियोधर्मी कचरे को हटाने और तीन निकायों के निपटान ने अंततः 790 लोगों को विकिरण के हानिकारक स्तर से अवगत कराया। 134] प्रारंभिक पीड़ितों के हाथों को उनके विकिरण के स्तर के जवाब में एक आवश्यक उपाय के रूप में उनके शरीर से अलग करके दफनाया गया था। [129]
हमलों और तोड़फोड़
मुख्य लेख: हमला करने के लिए परमाणु संयंत्रों की भेद्यता
परमाणु ऊर्जा संयंत्र, यूरेनियम संवर्धनकर्ता, ईंधन निर्माण संयंत्र और यहां तक कि संभावित यूरेनियम खदानें भी ऐसे हमलों की चपेट में हैं जिनसे व्यापक रेडियोधर्मी संदूषण हो सकता है। हमले का खतरा कई सामान्य प्रकारों का है: कमांडो-जैसे ग्राउंड-बेस्ड अटैक ऑन इक्विपमेंट जो अगर निष्क्रिय हो सकते हैं तो रिएक्टर कोर मेल्टडाउन या रेडियोधर्मिता का व्यापक फैलाव हो सकता है; और बाहरी हमले जैसे कि विमान रिएक्टर कॉम्प्लेक्स या साइबर हमलों में दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। 135] आतंकवादी पर्यावरण और समुदाय में रेडियोधर्मी संदूषण को छोड़ने के प्रयास में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को लक्षित कर सकते हैं।
सैन्य संघर्ष के दौरान परमाणु रिएक्टर पसंदीदा लक्ष्य बन गए हैं और उन पर बार-बार सैन्य हवाई हमले किए गए हैं: [136]
सितंबर 1980 में, ईरान ने इराक में अपूर्ण ओसिरक रिएक्टर परिसर पर बमबारी की।
जून 1981 में, एक इजरायली हवाई हमले ने इराक के ओसिरक रिएक्टर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
1984 और 1987 के बीच, इराक ने ईरान के अधूरे बुशहर परमाणु संयंत्र पर छह बार बमबारी की।
1991 में इराक में, अमेरिका ने तीन परमाणु रिएक्टर और एक समृद्ध पायलट सुविधा पर बमबारी की।
संयुक्त राज्य अमेरिका 9/11 आयोग ने कहा है कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र 11 सितंबर 2001 के हमलों के लिए मूल रूप से संभावित लक्ष्य थे। यदि आतंकवादी समूह परमाणु ऊर्जा संयंत्र में मुख्य मेल्टडाउन के कारण सुरक्षा प्रणालियों को पर्याप्त रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं, और / या पर्याप्त रूप से ईंधन पूलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो इस तरह के हमले से व्यापक रेडियोधर्मी संदूषण हो सकता है। 2004 की एक रिपोर्ट के अनुसार, यू.एसकांग्रेस के बजट कार्यालय, "परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर एक सफल हमले से मानव, पर्यावरण और आर्थिक लागत, जो पर्यावरण के लिए पर्याप्त मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री की रिहाई के परिणामस्वरूप महान हो सकते हैं।" 137] रिएक्टर के खर्च किए गए ईंधन पूल पर हमला भी गंभीर हो सकता है, क्योंकि ये पूल रिएक्टर कोर की तुलना में कम संरक्षित हैं। रेडियोधर्मिता के विमोचन से हजारों की संख्या में मृत्यु हो सकती है और दीर्घकालीन मृत्यु के अधिक से अधिक संख्या हो सकती है। [१३५]
अंदरूनी सूत्र तोड़फोड़ होती है क्योंकि अंदरूनी सुरक्षा उपायों के आसपास निरीक्षण और काम कर सकते हैं। इनसाइडर अपराधों के एक अध्ययन में, लेखकों ने बार-बार कहा कि सफल अंदरूनी अपराध अपराधियों के अवलोकन और सुरक्षा कमजोरियों के ज्ञान पर निर्भर करता है। जब से परमाणु युग शुरू हुआ, यू.एसऊर्जा के परमाणु प्रयोगशालाओं के विभाग को सुरक्षा नियमों के व्यापक उल्लंघन के लिए जाना जाता है। इनसाइडर खतरे की वास्तविकता की बेहतर समझ से शालीनता पर काबू पाने में मदद मिलेगी और देशों को मजबूत निवारक उपाय करने के लिए महत्वपूर्ण है। [१३ative]
शोधकर्ताओं ने तोड़फोड़ और हमलों से परमाणु सुविधाओं को बेहद सुरक्षित बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है जो पर्यावरण और समुदाय में बड़े पैमाने पर रेडियोधर्मिता को जारी कर सकते हैं। नए रिएक्टर डिजाइन में निष्क्रिय सुरक्षा की विशेषताएं हैं, जैसे रिएक्टर ऑपरेटरों द्वारा सक्रिय हस्तक्षेप के बिना रिएक्टर कोर की बाढ़। लेकिन इन सुरक्षा उपायों को आम तौर पर दुर्घटनाओं के संबंध में विकसित और अध्ययन किया गया है, न कि किसी आतंकवादी समूह द्वारा जानबूझकर रिएक्टर हमले के लिए। हालांकि, यूएस न्यूक्लियर रेगुलेटरी कमीशन को अब डिजाइन चरण के दौरान सुरक्षा पर विचार करने के लिए नए रिएक्टर लाइसेंस अनुप्रयोगों की आवश्यकता है। [१३५]
प्राकृतिक आपदा

1356 बेसल भूकंप के कारण राइन रिफ्ट घाटी में फेसेनहाइम न्यूक्लियर पावर प्लांट का स्थान चिंता का कारण बन रहा है।
2011 के फुकुशिमा I परमाणु दुर्घटनाओं के बाद भूकंपीय गतिविधि से जुड़े जोखिमों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है जो पर्यावरणीय पर्यावरणीय रिहाई की क्षमता है। genpatsu-shinsai, जिसका अर्थ है कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र भूकंप आपदा एक शब्द है जिसे 1997 में जापानी भूकंपविज्ञानी प्रोफेसर कट्सुहिको इशिबाशी द्वारा गढ़ा गया था। 139] यह एक डोमिनोज़ प्रभाव परिदृश्य का वर्णन करता है जिसमें एक बड़ा भूकंप परमाणु ऊर्जा संयंत्र में एक प्रमुख जनसंख्या केंद्र के पास एक गंभीर दुर्घटना का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप विकिरण का एक बेकाबू रिलीज होता है जिसमें विकिरण का स्तर क्षति नियंत्रण और बचाव असंभव बनाता है, और भूकंप क्षतिजनसंख्या की निकासी को गंभीर रूप से बाधित करता है।इशिबाशी की परिकल्पना है कि इस तरह की घटना का भविष्य में आने वाली पीढ़ियों पर गंभीर असर होगा। [१३ ९] [१४०]
1999 ब्लायाइस न्यूक्लियर पावर प्लांट में 27 दिसंबर, 1999 की शाम को बाढ़ आईयह तब हुआ था, जब ज्वार-भाटा और अतिरिक्त हवाओं के संयोजन से मार्टिन ने फ्रांस में ब्लायिस न्यूक्लियर पावर प्लांट की समुद्री दीवारों को उखाड़ फेंका था। 141] इस घटना के परिणामस्वरूप संयंत्र की ऑफ-साइट बिजली आपूर्ति का नुकसान हुआ और कई सुरक्षा-संबंधी प्रणालियों ने दस्तक दी, जिसके परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय परमाणु घटना पैमाने पर एक स्तर 2 का आयोजन हुआ। 142] इस घटना ने रेडियोधर्मी रिलीज की क्षमता के साथ एक संयंत्र में कई वस्तुओं को नुकसान पहुंचाने के लिए बाढ़ की क्षमता का वर्णन किया। [141] [143]
SustainabilityEdit
यहोशू के अनुसार एममिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी का एक वैश्विक-पैमाने पर "टिकाऊ परमाणु ऊर्जा प्रणाली" में प्रवेश करेगा: (i) नाटकीय रूप से कुशल ऊर्जा उपयोग और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की तीव्रता में सुधार करके पूरे जीवन चक्र के माध्यम से प्रौद्योगिकी और कार्यक्षमता को अद्यतन करना; (ii) परमाणु में सुधारपरमाणु ऊर्जा जोखिमों को कम करने के लिए सुरक्षा और यह सुनिश्चित करना कि परमाणु उद्योग बड़े सार्वजनिक परमाणु दुर्घटना बीमा सब्सिडी के बिना काम कर सकता है; (iii) जीवन के अंत में सभी रेडियोधर्मी कचरे को नष्ट करना और परमाणु ईंधन चक्र के दौरान पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना; और (iv)परमाणु उद्योग को सार्वजनिक विश्वास प्राप्त करना चाहिए या अप्रचलन का सामना करना चाहिए, क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की एक विविध श्रेणी को जल्दी से व्यावसायीकृत किया जाता है। पीयरस का यह भी मानना है कि परमाणु उद्योग को वर्तमान और बाद की पीढ़ियों के लिए, इक्विटी के मुद्दे को संबोधित करना चाहिए। [१४४]
DecommissioningEdit
मुख्य लेख: परमाणु विखंडन

डीकमीशनिंग का काम चल रहा है।

रिएक्टर दबाव पोत दफनाने के लिए साइट से दूर ले जाया जा रहा है। छवियाँ NRC के सौजन्य से।
परमाणु परिशोधन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थल को विघटित कर दिया जाता है ताकि उसे अब विकिरण सुरक्षा के उपायों की आवश्यकता न पड़े। रेडियोधर्मी सामग्री की उपस्थिति ऐसी प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है जो व्यावसायिक रूप से खतरनाक हैं, और प्राकृतिक पर्यावरण के लिए खतरनाक, महंगी और समय-गहन हैं। [१४५]
वर्तमान में अमेरिका में संचालित होने वाले अधिकांश परमाणु संयंत्रों को मूल रूप से लगभग ३०-४० वर्षों [१४६] के जीवन के लिए डिज़ाइन किया गया था और उन्हें अमेरिकी परमाणु नियामक आयोग द्वारा ४० वर्षों तक संचालित करने के लिए लाइसेंस दिया गया था। [१४]] इन रिएक्टरों की औसत आयु 32 वर्ष है। 147] इसलिए, कई रिएक्टर अपने लाइसेंस की अवधि के अंत में आ रहे हैं। यदि उनके लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जाता है, तो पौधों को एक परिशोधन और डीकमोशनिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा146] [148] कई विशेषज्ञों और इंजीनियरों ने उल्लेख किया है कि इन वृद्ध सुविधाओं में कोई खतरा नहीं है, और वर्तमान योजनाएं परमाणु रिएक्टरों को बहुत लंबे जीवनकाल तक चलाने की अनुमति देती हैं।
डिमोस्मिशनिंग एक प्रशासनिक और तकनीकी प्रक्रिया है। इसमें रेडियोधर्मिता और संयंत्र के प्रगतिशील विध्वंस की सफाई शामिल है। एक बार जब एक सुविधा पूरी तरह से विघटित हो जाती है, तो रेडियोलॉजिक प्रकृति का कोई खतरा नहीं रहना चाहिए। डीकमोशनिंग की लागत एक सुविधा के जीवनकाल में फैली हुई है और डिमोमीशनिंग फंड में बचाई गई है। एक सुविधा पूरी तरह से विघटित हो जाने के बाद, इसे विनियामक नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया है, और संयंत्र का लाइसेंसधारी अब अपनी परमाणु सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। कुछ पौधों के साथ अंत में "ग्रीनफील्ड" स्थिति में लौटने का इरादा है।
यह भी देखें
कारण
इसका मुख्य कारण निर्माण के समय होने वाले दुर्घटनाओं आदि के कारण या इसी के किसी समस्थानिक के अस्थिर नाभिक के कारण भी होता है। जिससे उसमें क्षय होना शुरू हो जाता है। लेकिन आम तौर पर इस प्रदूषण का मुख्य कारण परमाणु विस्फोट होता है। इसके अलावा रेडियोधर्मी गैसीय, तरल या अन्य रूपों में कोई भी पदार्थ भी इस प्रदूषण का कारण बन सकता है।
नाभिकीय चिकित्सा के दौरान कभी कभी ध्यान न देने पर भी इस तरह की दुर्घटना हो जाती है। यह तत्व मनुष्य के इधर उधर चलने के साथ साथ अन्य स्थानों में भी फैल सकता है। यह निश्चित रूप से परमाणु ईंधन के उपयोग करते समय होती है।
रेडियोसक्रिय संदूषण के संकेत
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
रेडियोसक्रियता
नाभिकीय दुर्घटना
नाभिकीय ऊर्जा
नाभिकीय सुरक्षा
विकिरण सुरक्षा
रेडियोसक्रिय अवशिष्ट (radioactive waste)
बाहरी कड़ियाँ
प्रदूषण
रेडियोधर्मिता |
अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति के दूसरे दिन हॉट सीट पर अपनी किस्मत आजमाई बिहार के सोमेश कुमार चौधरी ने. मंगलवार को केबीसी की एक्सपर्ट थीं ऋचा अनुरुद्ध. वे टीवी जर्नलिस्ट हैं.
शो के दौरान अमिताभ और सोमेश ने कई मजेदार किस्से शेयर किए. अमिताभ ने बताया कि जब वे और उनके दोस्त जवानी के दिनों में नौकरी ना मिलने से परेशान थे, तब उनके एक दोस्त ने कहा कि उन्हें नौकरी इसलिए नहीं मिल रही, क्योंकि उनके पिता ने उन्हें पैदा किया. ये बात अमिताभ को पसंद आ गई और उन्होंने भी घर जाकर गुस्से में अपने पिता हरिवंश राय बच्चन से पूछ लिया- आपने हमें पैदा क्यों किया? यह बोलकर अमिताभ वहां से निकल गए. दूसरे दिन अमिताभ के पिता ने एक चिट्टी अमिताभ के लिए छोड़ी, जिस पर लिखा था
जिंदगी और जमाने की
कशमकश से घबराकर
मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि
हमें पैदा क्यों किया था?
और मेरे पास इसके सिवाय
कोई जवाब नहीं है कि
मेरे बाप ने मुझसे बिना पूछे
मुझे क्यों पैदा किया था?
और मेरे बाप को उनके
बाप ने बिना पूछे उन्हें और
उनके बाबा को बिना पूछे उनके
बाप ने उन्हें क्यों पैदा किया था?
सोमेश ने खेल खेलते हुए जल्द अपनी तीन लाइफ लाइन गंवा दीं. वे उस सवाल का जवाब नहीं दे पाए, जिसमें पूछा गया था कि रेलवे और एयर टिकट के संबंध में पीएनआर में आर का क्या मतलब होता है. सोमेश रेलवे से होते हुए भी इसका जवाब नहीं दे पाए, उन्होंने जनता की राय का विकल्प चुना. इसका सही जवाब रिकॉर्ड था. सोमेश 80 हजार रुपए जीत गए हैं. |
देश के मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने कहा कि पेट्रोलियम ईंधनों की कीमत में वृद्धि से मुद्रास्फीतिक दवाब बढ़ेगा और भारतीय रिजर्व बैंक को इसके असर को कम करने के लिए कड़े उपाय करने होंगे.
सांख्यिकी दिवस समारोह के मौके पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'आप पहले से मुद्रास्फीतिक प्रक्रिया में हैं. गैर खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में ईंधन कीमत में वृद्धि मुद्रास्फीति की प्रक्रिया और मजबूत हो सकती है.' सरकार ने पिछले शुक्रवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमश: 3.73 रुपये और दो रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है तथा रसोई गैस के दाम को 35 रुपये प्रति सिलिंडर बढ़ाया है.
मुद्रास्फीति जहां 10 प्रतिशत के आसपास है वहीं खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 12 जून को समाप्त सप्ताह में 16.9 प्रतिशत के आसपास मंडराने लगी है. सेन ने कहा कि न तो वित्त मंत्रालय ने न ही भारतीय रिजर्व बैंक ने कोई मजबूत मुद्रास्फीति रोधी उपाय किये हैं.
उन्होंने कहा, 'शीघ्र ही या देर से ये उपाय किये जाने हैं.' रिजर्व बैंक की 27 जुलाई को निर्धारित नीतिगत समीक्षा बैठक से पहले उसके द्वारा सख्त मौद्रिक उपाय किये जाने की संभावना के बारे में उन्होंने कहा, 'यह सब रिजर्व बैंक पर निर्भर करता है.' तथापि सेन ने कहा कि हालिया स्पेक्ट्रम की नीलामी के कारण आर्थिक प्रणाली से भारी मात्रा में मौद्रिक निकासी हुई है.
उन्होंने कहा, 'स्पेक्ट्रम की नीलामी ने भारी मात्रा में नकदी को सोखा है जो नकद आरक्षित अनुपात में 50 प्रतिशत की वृद्धि के बराबर है.' नकद आरक्षित अनुपात जमा राशि का वह हिस्सा है जो बैंकों को रिजर्व बैंक के पास रखना होता है.
ईंधन कीमतों के प्रभावों के बारे में बताते हुए सेन ने कहा, 'आम तौर पर ऐसी वृद्धि के समय आम तौर पर लोग सिनेमा और बाकी फालतू खर्चे कम कर देते हैं. इसका असर मांग में गिरावट ला सकता है.' उन्होंने कहा कि जब ईंधन कीमतों में वृद्धि होती है तो आम तौर पर बाकी तरह के खर्च कम हो जाते हैं.
मुद्रास्फीति निरोधक कदम रिजर्व बैंक की 27 जुलाई की तिमाही नीतिगत समीक्षा बैठक से पहले उठेंगे या बाद में, इस संदर्भ में उन्होंने कहा, 'यह तो रिजर्व बैंक ही तय करेगा.' सेन ने साथ में हाल की ऐसी घटनाओं का भी उल्लेख किया जिनका मुद्रास्फीति पर शमनकारी असर होता है. इसी संदर्भ में उन्होंने हाल में थ्री-जी स्पेक्ट्रम के लिए शुल्क जमा कराने हेतु कंपनियों ने बैंकों से भारी रकम उधार ली जिसके कारण बैंकों से भारी मात्रा में धन की निकासी हुई है.
उन्होंने कहा, 'स्पेक्ट्रम की नीलामी ने भारी मात्रा में नकदी सोख ली है जो नकद आरक्षित अनुपात में 50 प्रतिशत की वृद्धि के बराबर है.' नकद आरक्षित अनुपात जमा राशि का वह हिस्सा है जो बैंकों को रिजर्व बैंक के पास रखना होता है.
ईंधन कीमतों के प्रभावों के बारे में बताते हुए सेन ने कहा, 'आम तौर पर ऐसी वृद्धि के समय आम तौर पर लोग सिनेमा और बाकी फालतू खर्चे कम कर देते हैं. इसका असर मांग में गिरावट ला सकता है.' उन्होंने कहा कि जब ईंधन कीमतों में वृद्धि होती है तो आम तौर पर बाकी तरह के खर्च कम हो जाते हैं. |
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि फांसी की जगह मौत की सज़ा के लिए किसी दूसरे विकल्प को अपनाया जाना चाहिए. फांसी को मौत का सबसे दर्दनाक और बर्बर तरीका बताते हुए जहर का इंजेक्शन लगाने, गोली मारने, गैस चैंबर या बिजली के झटके देने जैसी सजा देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है फांसी से मौत में 40 मिनट तक लगते है जबकि गोली मारने और इलेक्ट्रिक चेयर पर केवल कुछ मिनटों में मौत हो जाती है. सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका वकील ऋषि मल्होत्रा ने दाखिल की है. |
अमेरिकन साइको () ब्रेट एस्टन एलिस द्वारा लिखा गया एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर और व्यंग्यात्मक उपन्यास है जिसे 1991 में प्रकाशित किया गया था। कहानी को इसके नायक (सीरियल किलर और मैनहट्टन के व्यापारी) पैट्रिक बेटमैन द्वारा उसकी स्वयं की जुबानी कहा गया है। इसमें चित्रित हिंसा और यौन सामग्री ने प्रकाशन से पहले और इसके बाद काफी विवाद उत्पन्न किया है। तकरीबन 20 वर्षों के बाद, एलिस की रचना को हाल ही में "पिछली सदी की प्रमुख उपन्यासों में से एक" के रूप में उल्लिखित किया गया है। इसका एक क्रिस्टियन बेल अभिनीत फिल्म रूपांतरण वर्ष 2000 में रिलीज़ किया गया था जिसकी आमतौर पर काफी तारीफ की गयी। द ऑब्जर्वर की टिप्पणी है कि जबकि "कुछ देश [इसको] संभावित रूप से इतना असहज करने वाला मानते हैं कि इसे केवल संकुचित-स्वरुप में ही बेचा जा सकता है", "आलोचक इसकी प्रशंसा करते नहीं थकते" और "विद्वान इसके नियम-कायदों से परे और आधुनिक गुणों में डूबे रहना चाहते हैं।" 2008 में यह पुष्टि की गई थी कि निर्माता क्रेग रेसलर और जेस सिंगर, ब्रॉडवे पर दिखाने के लिए इस उपन्यास का एक संगीतमय रूपांतरण विकसित कर रहे हैं।
विकास
एलिस ने न्यूयॉर्क सार्वजनिक पुस्तकालय में हत्याओं पर गहरी छानबीन की थी। अमेरिकन साइको के उनके पहले ड्राफ्ट में भयावह दृश्यों को आखिर तक छोड़ दिया गया था ताकि बाद में उन्हें जोड़ा जा सके. एक समीक्षक को, एलिस की टिप्पणी
सारांश
मैनहट्टन में बनी और 1989 के अप्रैल फूल दिवस को शुरू की गयी अमेरिकन साइको धनी युवा इन्वेस्टमेंट बैंकर पैट्रिक बेटमैन की तकरीबन तीन वर्षों की जिंदगी पर आधारित है। कहानी की शुरुआत में 26 साल का बेटमैन अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों के बारे में बताता है, जो न्यूयॉर्क के अभिजात वर्ग के बीच उसकी दैनिक जिंदगी से लेकर शाम के समय हुई ह्त्या में उसके संलिप्त होने पर ख़त्म होती है।
काफी बड़े खानदान से संबंध रखने वाले बेटमैन ने सेंट पॉल्स स्कूल, हार्वर्ड (1984 की कक्षा) और उसके बाद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (1986 की कक्षा) से स्नातक की उपाधि हासिल की है। वह एक वॉल स्ट्रीट निवेश कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट के रूप में कार्य करता है और ऊपरी वेस्ट साइड में एक महंगे मैनहट्टन अपार्टमेंट में रहता है, जहाँ वह 1980 के दशक की युप्पी संस्कृति को अपना लेता है। स्वयं की ज़ुबानी में कही गयी कहानी के सचेतन प्रवाह के माध्यम से वह बार और कैफे में, अपने कार्यालय में और नाईट क्लबों में अपने साथियों के साथ हुई बातचीत के बारे में बताता है।
पुस्तक की पहली तिहाई में कोई हिंसा नहीं है (केवल बीती घटनाओं के लिए स्पष्ट हल्के संदर्भों को छोड़कर) और फ्राइडे नाईट की एक कड़ी की तरह एक साधारण सी कहानी है जिसमें बेटमैन अपने साथियों के साथ अलग-अलग प्रकार के नाइटक्लबों में जाने के बारे में बताता है जहाँ वे कोकीन का सेवन करते हैं, साथ ही क्लब जानेवाले साथियों के पहनावे की आलोचना करते हैं, फैशन व्यापार पर सलाह-मशविरा करते हैं और उपयुक्त शिष्टाचार को लेकर एक दूसरे से सवाल पूछते हैं।
पुस्तक की दूसरी तिहाई की शुरुआत के साथ, बेटमैन अपनी प्रतिदिन की गतिविधियों के बारे में बताना शुरू करता है, जिसमें वीडियोटेपों को किराए पर देने और रात के खाने के लिए स्थान आरक्षित करने जैसी दुनियादारी की चीजों से लेकर नृशंस हत्याएं करने तक की कहानी है। बेटमैन की चेतना का प्रवाह समय-समय पर उन अध्यायों में आकर टूट जाता है जिनमें बेटमैन 1980 के दशक के संगीतकारों, विशेषकर जेनेसिस, हुई लेविस और द न्यूज तथा व्हिटनी हस्टन के कार्यों की आलोचना करते हुए पाठक को सीधे तौर पर संबोधित करता है।
अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में बताने के अलावा बेटमैन अपनी "रोमांटिक" जिंदगी के बारे में भी कहता है। उसका एवलिन नाम की एक साथी युप्पी के साथ प्रेम संबंध है, हालांकि वह किसी के लिए कोई गहरी भावना नहीं रखता है; इसके अलावा, वह अक्सर आकर्षक महिलाओं ("हार्डबॉडीज") के साथ यौन संबंध बनाता है, अपने प्रति अपनी सेक्रेटरी की भावनाओं का दुरुपयोग करता है और लुईस कैरुथर्स के आकर्षण को नज़रअंदाज करने की कोशिश करता है, जो एक करीबी समलैंगिक साथी है और उसके प्रति अपने प्रेम का इजहार करता है। बेटमैन अपने विरक्त परिवार के साथ अपने संबंधों के बारे में भी बताता है, जिसमें बुढ़ापे के कारण सठियाई उसकी माँ जिनसे वह एक नर्सिंग होम में मिलता है और उसका एक अय्याश तथा कॉलेज को बीच में ही छोड़ने वाला एक छोटा भाई (सिएन बेटमैन, एलिस के पिछले उपन्यास द रूल्स ऑफ एट्रेक्शन के नायकों में से एक; स्वयं पैट्रिक बेटमैन भी उस उपन्यास में थोड़ी देर के लिए दिखाई देता है) शामिल हैं।
जैसे-जैसे पुस्तक की कहानी आगे बढ़ती है, अपनी हिंसक प्रवृत्तियों पर बेटमैन का नियंत्रण ख़त्म होता जाता है। उसके द्वारा की गयी हत्याओं का विवरण अधिक-से-अधिक पीड़ादायक और जटिल हो जाता है, जो टॉर्चर करने के क्रम में चाकू चलाने से लेकर, बलात्कार, अंग-भंग करना, राक्षसी प्रवृत्ति और नेक्रोफीलिया के रूप में आगे बढ़ता है। एक विवेकशील व्यक्ति का उसका मुखौटा तब उतर जाता है जब आकस्मिक बातचीत में वह सीरियल हत्यारों के बारे में नयी-नयी कहानियाँ सुनाता है और अपने सहकर्मियों के सामने अपने हिंसक कृत्यों को कबूल करता है। लोग इस प्रकार प्रतिक्रया व्यक्त करते हैं जैसे कि बेटमैन उनके साथ मज़ाक कर रहा है और उसके बारे में कुछ नहीं सुनना चाहते हैं, या अन्यथा उसे पूरी तरह गलत समझते हैं (उदाहरण के लिए, "मर्डर्स एंड एग्जीक्यूशंस" को गलती से "मर्जर्स एंड एक्वीजीशन्स" समझ लिया जाता है). पुस्तक के अंत में बेटमैन कुछ अजीबोगरीब घटनाओं के बारे में बताता है जैसे कि, एक टॉक शो पर एक चीरियो के एक साक्षात्कार को देखना, एक मानवरूपी पार्क बेंच द्वारा पीछा किया जाना और एक एटीएम द्वारा एक आवारा बिल्ली को उसे खिलाये जाने का आदेश देना. बेटमैन की मानसिक स्थिति अधिक से अधिक संदिग्ध दिखाई देने लगती है और उपन्यास में वर्णित घटनाओं पर यह सवालिया निशान लगता रहता है कि क्या उसके द्वारा बतायी गयी ह्त्या की घटनाओं में से वास्तव में उसने किसी भी हत्या को अंजाम दिया था।
उपन्यास के अंत में वह एक अपार्टमेंट में जाता है जहाँ उसने विकृत किये गए मृत शरीरों को इकट्ठा किया है; बेटमैन के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रहती जब वह एक बिल्कुल साफ-सुथरे, सुसज्जित आपार्टमेंट में प्रवेश करता है जहाँ सड़ती हुई लाशों का कोई अता-पता नहीं है, लेकिन कई तेज सुगंध वाले फूल हैं, संभवतः जिन्हें दुर्गन्ध को छिपाने के लिए रखा गया था। उसकी मुलाकात एक रियल एस्टेट एजेंट से होती है जो अपार्टमेंट को संभावित खरीदारों को दिखा रहा है। एस्टेट एजेंट उससे पूछता है कि क्या उसने द न्यूयॉर्क टाइम्स के विज्ञापन को देखा है। जब बेटमैन यह बहाना करता है कि उसने देखा है तो रियल एस्टेट एजेंट कहता है कि ऐसा कोई विज्ञापन है ही नहीं और उसे बिना कोई परेशानी पैदा किये वहां से चले जाने को कहता है।
बेट मैन अपने वकील हेरोल्ड कार्नेस से मिलता है जिसकी एन्सरिंग मशीन पर वह अपने सभी अपराधों को पहले ही कबूल कर चुका है; कार्नेस, जो बेटमैन को गलती से कोई और व्यक्ति समझ लेता है, इसे एक अच्छा मजाक समझकर खुश होता है। कार्नेस बेटमैन को अपने सारे अपराधों के बारे में बताने के लिए डांटता है और आगे कहता है कि बेटमैन अत्यंत डरपोक इंसान है और इस प्रकार के कृत्यों को अंजाम नहीं दे सकता है। बेटमैन द्वारा पॉल ओवेन (एक सहयोगी जिसे बेटमैन ने पेशेवर जलन की वजह से मौत के घात उतार दिया था) के लापता होने पर चुनौती दिए जाने के बाद कार्नेस अप्रत्याशित रूप से दावा करता है कि उसने कुछ ही दिन पहले लंदन में पॉल ओवेन के साथ डिनर किया था। इस गलत पहचान को संपूर्ण पुस्तक में बार-बार दोहराए जाने के कारण यह अस्पष्टता और अधिक बढ़ जाती है। पात्रों को लगातार दूसरे लोगों के रूप में पेश किया जाता है, या उन लोगों की पहचान पर बहस की जाते हैं जिन्हें वे रेस्तराओं या पार्टियों में देख सकते हैं। उपन्यास में चित्रित अपराधों में से कोई वास्तव में घटित हुआ था या नहीं, या वे मानसिक विकृति से उपजी भ्रमित करने वाली कल्पनाएँ हैं, इसे जान-बूझकर खुला छोड़ दिया गया है।
पुस्तक की शुरुआती पंक्तियों में टिमोथी प्राइस एक केमिकल बैंक की इमारत पर बनी ग्राफिटी को घूर रहा है, जिसपर लिखा है 'यहाँ प्रवेश करने वाले अपनी सभी उम्मीदों को छोड़ दें', जो दांते की डिवाइन कॉमेडी में चित्रित नरक के दरवाजों की ओर एक इशारा है; पुस्तक इसी प्रकार के एक दृश्य के साथ ख़त्म होती है जहाँ बेटमैन एक बार में बैठा एक चिह्न को घूर रहा है जिसपर लिखा है "यह कोई छुटकारा नहीं है".
पात्र
प्रमुख पात्र
पैट्रिक बेटमैन - मुख्य भूमिका और कथावाचक
एवलिन विलियम्स - बेटमैन की मंगेतर
टिमोथी प्राइस - बेटमैन का सबसे अच्छा दोस्त और सहयोगी. बाद में एलिस की उपन्यास दी इन्फोर्मर्स में एक टीनेजर के रूप में सामने आती है।
पॉल ओवेन - बेटमैन का सहयोगी जिसे बाद में बेटमैन मार देता है।
जीन - बेटमैन की सेक्रेटरी जो उससे प्रेम करती है।
लुईस कैरुथर्स - समलैंगिक सह-कार्यकर्ता जो बेटमैन से प्रेम करता है, जो उसे कतई नापसंद है।
कोर्टनी लॉरेंस - लुइस की गर्लफ्रेंड, जिसका अफेयर (प्रेम संबंध) बेटमैन के साथ चल रहा है।
क्रेग मैकडेर्मोट - बेटमैन का सहयोगी, जो बेटमैन, टिमोथी प्राइस और डेविड वान पैटन के साथ चार मित्रों के एक समूह का हिस्सा है
डेविड वेन पैटन - बेटमैन के सहयोगी, जो बेटमैन की प्रमुख मित्र मंडली का एक हिस्सा है।
अन्य पात्र
क्रिस्टी - एक वेश्या जिसका बेटमैन द्वारा कई अवसरों पर इस्तेमाल और यौन उत्पीड़न किया गया।
मार्कस हॉलबर्सटम - बेटमैन के सहयोगी; पॉल ओवेन अक्सर बेटमैन को मार्कस समझ लेता है।
डोनाल्ड किम्बेल - प्राइवेट जासूस जिसे पॉल ओवेन के गायब होने पर जांच पड़ताल के लिए रखा गया।
एलिसन पूल - जिसका बेटमैन द्वारा यौन शोषण किया गया; एलिस के मित्र जे मैकइनर्ली द्वारा उनकी नॉवेल 'स्टोरी ऑफ माय लाइफ ' में रचित और मैकइनर्ली की पूर्व गर्लफ्रेंड पर आधारित है; एलिस की बाद की नॉवेल ग्लेमोरामा ' में एक मुख्य चरित्र के रूप में दिखाई देती है और उसके हीरो विक्टर वार्ड के साथ उसका संबंध है।
शॉन बेटमैन - पैट्रिक बेटमैन के छोटे भाई और दी रूल्स ऑफ अट्रेक्शन के मुख्य पात्र.
पॉल डेंटन - पॉल ओवेन के मित्र, जो दी रूल्स ऑफ अट्रेक्शन में भी दिखाई देते हैं जहाँ पैट्रिक के भाई शॉन के साथ संभवतः उनका रोमांटिक संबंध भी है।
क्रिस्टोफर आर्मस्ट्रांग - पायर्स एंड पायर्स में बेटमैन का सहयोगी
बेथनी - पैट्रिक की एक पुरानी प्रेमिका जिसकी एक मुलाकात के बाद वह अत्यधिक नृशंस तरीके से हत्या कर देता है।
एलेक्स टेंग - वीडियो स्टोर रिसेप्शनिस्ट.
बेटमैन का व्यक्तित्व
पहली उपस्थिति में, बेटमैन मैनहट्टन के एक सफल प्रबंधकीय अधिकारी की छवि की मिसाल पेश करता है; वह सुशिक्षित, अमीर, महिलाओं के बीच लोकप्रिय, सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के बीच रचा-बसा, एक प्रमुख परिवार से है, उसके पास एक मोटी-कमाई वाली नौकरी है और वह एक उच्च स्तरीय, फैशनेबल अपार्टमेंट परिसर में रहता है। बेटमैन एक परिष्कृत, बुद्धिमान, विचारशील जवान आदमी के रूप में है, लेकिन वास्तविकता में वह एक हिंसक मनोरोगी है जो लोगों पर अत्याचार करता है और उनकी हत्याएं करता है, अपने पीड़ितों के शरीर को विकृत कर देता है और उनकी लाशों के साथ यौन संबंध बनाता है। बेटमैन सड़कों पर उपयुक्त शिकारों की खोज के लिए अपने निजी लिमोजीन का उपयोग करता है।
बेटमैन जीवन-शैली के प्रति अत्यंत संवेदनशील है और फैशन एवं उच्च स्तरीय उपभोक्ता वस्तुओं के प्रति विशेषज्ञता का भाव दिखाता है। अपनी कहानी में, वह पागलों की तरह अपने और अन्य लोगों के पास मौजूद चीजों, विशेषकर उनकी पोशाक और यहाँ तक कि लिखने वाली चीजों जैसे कलम और पॉकेट स्क्वायर्स के बारे में पूरे विस्तार से बताता है। उसके पास अपने डिजाइनर, खरीदने की जगह और जिन चीजों के बारे में वह बताता है उनकी शैली पर विशेष ध्यान देने की आम प्रवृत्ति है, जो अक्सर कपड़ों के प्रकार और रंग को नज़रअंदाज कर देता है। बेटमैन अपने मित्रों और सह-कर्मियों के सवालों का जवाब बड़े ही प्रभावशाली ढंग से देता है, विभिन्न प्रकार के मिनरल वाटर के बीच अंतर, कौन सी टाई विंडसर नॉट की तुलना में कम भारी है और एक कमरबंद, पॉकेट स्क्वायर और टाई पट्टी को पहनने के समुचित तरीके का अधिकारपूर्ण ढंग से वर्णन करता है।
ऐसा प्रतीत होता है कि बेटमैन को पायर्स एंड पायर्स में अपनी नौकरी की कतई आवश्यकता नहीं है। उसके पिता के पास एक और सफल कंपनी है, जिसके बारे में पैट्रिक और उसकी पूर्व प्रेमिका के बीच एक बातचीत के दौरान तब पता चलता है जब वह पूछती है कि वह पीएंडपी (P&P) में क्यों काम करेगा. पूछे जाने पर, उसके अब तक काम करने का एकमात्र औचित्य, उसके शब्दों में है, "मैं... इसमें... फिट... होना... चाहता हूँ." क्योंकि उसे काम करने की कोई जरूरत नहीं है, वह अपनी दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर है; वह आमतौर पर देर से काम पर आता है - कभी-कभी एक घंटे से भी ज्यादा देर से - और लंबे समय तक लंच में उलझा रहता है। इन सभी फायदों के बावजूद,
बेटमैन के प्रति उसके साथियों की ईर्ष्या पूरे उपन्यास में जारी रहती है। एक दृश्य में जहाँ इसमें शामिल पात्र व्यावसायिक कार्डों की तुलना करते हैं, बेटमैन उस समय घबरा जाता है जब उसे पता चलता है कि उसके मित्र का कार्ड उससे अधिक बेहतर है क्योंकि इसमें एक वॉटरमार्क शामिल है। सिर्फ इसीलिए कि बेटमैन पर संपत्ति और इसके प्रतीकों को लेकर एक जुनून सवार है, वह बातचीत में गरीब लोगों के प्रति बार-बार नफ़रत के भाव व्यक्त करता है।
हत्या का विवरण अमेरिकन साइको ने बेटमैन की हत्याओं पर एलिस के चित्रात्मक विवरण के लिए काफी विवाद पैदा किया था। कई लोग बेटमैन द्वारा यौन शोषण या यातना के स्वरुप को शामिल करते हैं, जिनमें दृश्यों का वर्णन करने के लिए चित्रात्मक भाषा का इस्तेमाल किया गया है। कई हत्याओं में जननांगों को विकृत करने सहित अंग-भंग के विभिन्न स्वरुपों को शामिल किया गया है। उपन्यास के एक हिस्से में, बेटमैन जबरदस्ती एक महिला की योनि में एक ट्यूब डालता है और एक चूहे को उसके अंदर छोड़ देता है। ट्यूब को बाहर खींचने के बाद वह एक चेनसॉ (आरी) के माध्यम से उसे दो हिस्सों में काटना जारी रखता है। एलिस बेटमैन द्वारा अपने कुछ पीड़ितों की ह्त्या करने के बाद उसके आतंरिक जननांगों की जाँच करने के साथ-साथ उन दृश्यों में जहाँ बेटमैन शरीर के अंगों को पकाता है और खाता है, उनका विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत करते हैं। एक जगह बेटमैन कहता है कि वह "लड़की के अंगों से मांस को निकालकर पाव रोटी बनाने की कोशिश करता हूँ लेकिन यह काम बहुत ही निराशाजनक हो जाता है और इसके बजाए मैं दोपहर बाद का समय उसके मांस को दीवारों पर चारों तरफ फैलाने, उसके शरीर से चमड़ी के टुकड़ों को नोचकर उन्हें चबाने में बिताता हूँ". अन्य विवरणों में बेटमैन द्वारा न्यूयॉर्क शहर के चिड़ियाघर में एक बच्चे की हत्या के साथ-साथ एक कुत्ते की ह्त्या भी शामिल है।
विवाद
इस पुस्तक को वास्तव में सिमोन एंड शुस्टर द्वारा मार्च 1991 में प्रकाशित किया जाना था, लेकिन इसके "सौन्दर्यात्मक मतभेदों" के कारण कंपनी ने इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींच लिए थे। विंटेज बुक्स ने उपन्यास के अधिकार खरीद लिए थे और आवश्यक संपादन के बाद पुस्तक को प्रकाशित किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में पुस्तक को हार्डकवर में कभी प्रकाशित नहीं किया गया था, हालांकि एक डीलक्स पेपरबैक का प्रस्ताव अवश्य आया था। अमेरिकन साइको के प्रकाशन के बाद एलिस को कई बार जान से मारने की धमकियां और नफ़रत पूर्ण मेल मिले थे।
नारीवादी कार्यकर्ता ग्लोरिया स्टीनेम उनमें से एक थी जिन्होंने महिलाओं के प्रति इसमें किये गए हिंसक चित्रण की वजह से एलिस की पुस्तक की रिलीज़ का विरोध किया था। स्टीनेम उपन्यास के फिल्म रूपांतरण में बेटमैन की भूमिका निभाने वाले क्रिस्टियन बेल की सौतेली माँ भी हैं। इस संयोग का उल्लेख एलिस के मॉक मेमोइर (संस्मरण) '''लूनार पार्क ' में किया गया है।
जर्मनी में पुस्तक को "नाबालिगों के लिए हानिकारक" समझा गया था और इसकी बिक्री और मार्केटिंग को 1995 से लेकर 2000 तक काफी हद तक प्रतिबंधित कर दिया गया था।
ऑस्ट्रेलिया में पुस्तक को एक संकुचित स्वरुप में बेचा गया और इसे राष्ट्रीय सेंसरशिप कानून के तहत "आर18" ("R18") वर्गीकृत किया गया। इस पुस्तक को 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों को नहीं बेचा जा सकता है और ऐसा करने पर उनपर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है। प्रथम श्रेणी के अन्य प्रकाशनों के साथ, इसकी बिक्री पर क्वींसलैंड राज्य में सैद्धांतिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है और इसे केवल संकुचित स्वरुप में ही खरीदा जा सकता है। ब्रिस्बेन में यह उपन्यास सभी सार्वजनिक पुस्तकालयों में 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए उपलब्ध है और इस निषेधाज्ञा के बावजूद इसे अभी भी कई पुस्तक भंडारों में ऑर्डर दिया और खरीदा (संकुचित स्वरुप में) जा सकता है।
न्यूजीलैंड में फिल्म और साहित्य के वर्गीकरण के सरकारी कार्यालय ने इस पुस्तक को आर18 (R18) का दर्ज़ा दिया है। इस पुस्तक को 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को बेचा या पुस्तकालयों में किराए पर नहीं दिया जा सकता है। इसे आम तौर पर किताब की दुकानों पर संकुचित स्वरुप में बेचा जाता है।
रूपांतरण
2009 में Audible.com ने अपनी ऑडियोबुक्स की मॉडर्न वैनगार्ड ' शृंखला के एक हिस्से के रूप में अमेरिकन साइको का एक ऑडियो संस्करण तैयार किया, जिसमें पाब्लो श्रेबर ने अपनी आवाज दी है।
इन्हें भी देखें
अमेरिकन साइको (फिल्म)''
अमेरिकन साइको में सांस्कृतिक संदर्भों की सूची
हिंसा का सुंदरीकरण
ट्रांसग्रेसिव फिक्शन
अविश्वसनीय कथावाचक
सन्दर्भ
1991 के उपन्यास
अविश्वसनीय कथावाचकों के साथ फिक्शन
ब्रेट एस्टन द्वारा लिखे उपन्यास
उत्तर आधुनिक साहित्य
व्यंग्य किताबें
नरभक्षण
व्यापारियों के बारे में पुस्तकें
अमेरिकी रोमांचक उपन्यास
अमेरिकी उपन्यासें जिनपर फ़िल्में बनाई गयी हैं |
क्षमता से अधिक कैदियों वाली मैक्सिको की जेलों में इस प्रकार के संघर्ष की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
श्री माधोपुर (Sri Madhopur) भारत के राजस्थान राज्य के नीमकाथाना जिले में स्थित एक नगर व नगरपालिका है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। इसकी स्थापना 18 अप्रैल 1790 को हुई और इसका नाम सवाई माधो सिंह पर रखा गया। यह अपने मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध हुआ था।
विवरण
इस शहर को जयपुर के राजा मान सिंह जी के दिवान साहब श्री कुशाली राम जी बोहरा द्वारा बसाया गया था। इस शहर की बसावट जयपुर शहर के समान है। इस शहर में अनगिनत मंदिर बावडिया, कुए, धर्मशालाए है।
श्री माधोपुर में 35 वार्ड है । यह शहर जयपुर और झुंझुनू के बीच स्थित है। यह अपनी अनाज मण्डी, मार्बल उधोग ,जौ व्यापार , बर्तन व्यापार , हवेलियों और कपड़ा व खादी व्यापार की दृष्टी से अति महत्वपूर्ण है। श्रीमाधोपुर तहसील सीकर जिले की सबसे बड़ी तहसील है । इस शहर की बसावट जयपुर शहर के समान है । इस शहर में प्राचीन काल में निर्मित कई दर्शनीय स्थल है। यह बहुत तेजी से विकसित होता हुआ शहर है । पिलानी-जयपुर न्यू एक्सप्रेसवे श्रीमाधोपुर से होकर गुजरता है । निकट के ही कई कस्बे जैसे खंडेला, रींगस, नीम का थाना, अजीतगढ, मऊ, मूंडरू, खेजरोली , पलसाना और कई गावों के लाखों लोग रोजगार और अन्य सुविधाओं के लिए श्रीमाधोपुर शहर पर आश्रित हैं।
भौगोलिक स्थिति
श्री माधोपुर उत्तरी अक्षांश 27°28′ एवं पूर्वी देशान्तर 75°36′ पर स्थित है। श्री माधोपुर राष्ट्रीय राजमार्ग ११ से 12 किमी दूरी पर स्थित है। नजदिकी रेलवे स्टेशन श्री माधोपुर है और नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा है। यह राजकीय राजधानी नगर जयपुर से 75 किमी दूरी पर स्थित है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 217 किमी दूरी पर स्थित है।
जनसांख्यिकी
2011 की जनगणना के अनुसार श्रीमाधोपुर तहसील की कुल जनसंख्या 5,83,564 है। श्रीमाधोपुर शहर की जनसंख्या 31366 है । जिसमे पुरुष 53% एवं महिलाएँ 47% हैं। श्री माधोपुर की साक्षरता दर 87% है जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से अधिक है जिसमें पुरुष साक्षरता 91% एवं महिला साक्षरता 76% है। श्रीमाधोपुर में कुल जनसंख्या का 16% लोग 6 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं। श्रीमाधोपुर तहसील, राज्य का दसवां सबसे बड़ा तहसील है। श्रीमाधोपुर शहर में 35 वार्ड हैं जिनमे से वार्ड नंबर 22,24,01 सबसे बड़े है।
तहसील के मुख्य कस्बे
रींगस - यह कस्बा श्रीमाधोपुर तहसील में श्रीमाधोपुर शहर के बाद सबसे बड़ा कस्बा है। कस्बा श्रीमाधोपुर शहर से लगबग 14 कीमी दूर है। यह कस्बा NH 11 पर स्थित है। रींगस बहुत तेजी से बढ़ता हुआ कस्बा है और जल्द ही शहर बनने वाला है।
मूंडरू - यह छोटा सा कस्बा अजीतगढ़ और मऊ गांव के करीब है। यह कस्बा SH 37 पर स्थित है।
अजीतगढ़ - यह छोटा सा कस्बा नीम का थाना और जयपुर के बीच में आता है। यह कस्बा SH 37 पर पड़ता है।
परिवहन
शहर को राजस्थान सरकार के तत्कालीन मंत्री दीपेन्द्र सिंह शेखावत के प्रयासों द्वारा RSRTC डिपो बनाया गया था । पिलानी और जयपुर के बीच स्थित होने के कारण शहर से कई लोक परिवहन बसें निकलती है । शहर का रेलवे स्टेशन भी जिले के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनो में से एक है। शहर मे औटो रिक्शा परिवहन का अहम साधन है। शहर से RSRTC की बसें जयपुर, नई दिल्ली, चंडीगढ़, झुंझुनू, हरिद्वार, इंदौर, सीकर, जोधपुर, अजमेर, कोटा के लिये जाती है , अन्य शहरों व कस्बों के लिये लोक परिवहन बसें उपलब्ध है। श्रीमाधोपुर शहर से राजस्थान के हर शहर व कस्बे के लिए डायरेक्ट बसें उपलब्ध है ।
शिक्षा
शहर में अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षा संस्थान है जोकि आरबीएसई तथा सीबीएसई व पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय सीकर से मान्यता प्राप्त है शहर में एक राजकीय संस्कृत कॉलेज तथा एक राजकीय महिला कॉलेज स्थित है. पड़ोस के गांव होल्याकाबास में स्थापित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय को ग्रामवासियों एवं राजकीय सहयोग से तत्कालीन प्रधानाचार्य विनोद कुमार शर्मा ने नई ऊँचाइयां दीं.
औधोगिक क्षेत्र
शहर के जालपाली इलाके में RIICO में मार्बल, ग्रेनाइट,स्टील,लोहे,सीमेंट की कई फैक्ट्रीयाँ है। शहर का औधोगिक क्षेत्र काफी बड़े इलाके में फैला है । श्रीमाधोपुर शहर से लगभग 10 किमी दूर स्थित तत्कालीन राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री दीपेन्द्र सिंह शेखावत के प्रयासों द्वारा मऊ गांव तक औधोगिक क्षेत्र को बढाया गया है । इस शहर मे बहुत सी बड़ी-बड़ी फैक्ट्री हैं। यह शहर सीमेंट , मार्बल , कोटास्टोन , लोहा इत्यादी के लिये बहुत प्रसिद्ध है ।
शहर में मनोरंजन के साधन
पार्क
नगर पालिका पार्क (कोर्ट रोड़)
रेलवे स्टेशन पार्क (रेलवे स्टेशन)
नेहरू पार्क
कर्षि फार्म
श्रीमाधोपुर के बाहरी इलाके में कुछ कर्षि फार्म भी है जिनमे प्रमुख
मंगलम कर्षि फार्म जो कि नाडा की जोहरी के पास पड़ता है
सैनी कर्षि फार्म
एम डी टीसी कर्षि फार्म प्रमुख हैं
इनमे से मंगलम कर्षि फार्म का संचालन हांसपुर के निवासी ताराचंद सैनी के द्वारा किया जा रहा है
स्टेडियम
श्रीमाधोपुर शहर क्रिकेट स्टेडियम (कचियागढ़ कॉलोनी) तत्कालीन राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री दीपेन्द्र सिंह शेखावत के प्रयासों से दो करोड़ की लागत से स्थापित, परंतु अब देखरेख के अभाव में अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है.
स्पोर्ट्स थ्रोन क्रिकेट अकेडमी एण्ड स्टेडियम (श्रीमाधोपुर)
बालाजी स्टेडियम खेल गॉव डेरावाली कोटड़ी (श्रीमाधोपुर) पूर्व सैनिक बिरजू सिंह सामोता द्वारा स्थापित एवं संचालित , ग्रामवासियों के सहयोग से विकसित
खेल
राधेश्याम बिजारनियां बास्केटबॉल अकेडमी
टाईक्वांडो अकेडमी
कराटे अकेडमी
अन्य
सिंगिंग अकेडमी
डांस अकेडमी
गुरुकृपा म्यूज़िक अकेडमी
व कई अन्य डांस,सिंगिंग अकेडमी
सिनेमा हॉल
मिनाक्षी सिनेमा
मॉल
मंगलम प्लाजा
श्री श्याम प्लाजा
राम करण प्लाजा
पार्वती प्लाजा
पर्यटन स्थल
शहर में मुख्य रूप से हवेली और मंदिर मुख्य पर्यटन स्थल है । शहर में कई मन्दिर बहुत प्राचीन है जो शहर की स्थापना के समय बनवाए गये थे। इन में कुछ मुख्य मंदिर है-
प्राचीन बावड़ी
प्राचीन जैन मंदिर
श्री गोपीनाथ मंदिर
पोलादास हनुमान मंदिर
पंजाबी मंदिर
प्राचीन शिव मंदिर (चौपाड़ बाज़ार)
जानकी मंदिर
गणेश मन्दिर
प्राचीन बालाजी मंदिर (चौपड़ बाज़ार)
तहसील में मुख्य पर्यटन स्थल
अविनाशी धाम (सांवलपुरा तंवरान) में ध्वजाबंद जी महाराज का मंदिर है। यहां हर वर्ष धुलंडी से दूसरे दिन बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है।
अजीतगढ़- यह एक नगरपालिका क्षेत्र है। यहां चौकोर एवम विशालकाय पत्थरों से बनी आकर्षक पहाड़ी है जिस पर पच्चीस पापड़ा मंदिर है तथा इस पहाड़ी के नीचे हाथीदेह-बुर्जा की ढाणी रोड़ पर श्री सांई मंदिर स्थित है। अजीतगढ़ कृषि उपकरणों के लिए भारतवर्ष में जाना जाता है जिनमें मुख्यतः थ्रेसर, हल, बिजाई मशीन इत्यादि हैं।
मूंडरू - यहां प्राचीन श्री श्याम मंदिर है। यहां एक कछुए जैसे आकार की पहाड़ी है जिस पर हनुमान मंदिर अवस्थित है।
जालपाली धाम - यह लोगों की आस्था का केंद्र है।
जांट बाबाजी - यहां जांट (खेजड़ी) के पेड़ की पूजा की जाती है तथा छोटे बच्चों के जात-जडूले उतारे जाते हैं।
सुराणी धाम - यहां उत्तर भारत का प्रसिद्ध सूर्यमंदिर है जहां बाबा फकड़नाथ जी महाराज का आश्रम है।
मनसा माता मन्दिर - यह अरनियाँ गाँव के कृषि विज्ञान केन्द्र के पास मूंडरु-रींगस-खाटूश्यामजी रोड पर बना अति प्राचीन भव्य मन्दिर है, जहाँ धर्म-कर्म की मनसा से आये श्रद्धालुओं की इच्छाऐं मनसा माँ पूर्ण करती हैँ। वर्ष में चैत्र और अश्विन माह की नवमी को विशाल मेले का आयोजन होता है।
इन्हें भी देखें
सीकर ज़िला
सन्दर्भ
राजस्थान के शहर
नीमकाथाना ज़िला
नीमकाथाना ज़िले के नगर |
डॉ. राकेश पाण्डेय (जन्म 27 अगस्त 1968) एक भारतीय लेखक, साहित्यकार और "प्रवासी संसार" नामक एक अंतर्राष्ट्रीय हिंदी पत्रिका के संपादक हैं। उनका जन्म 27 अगस्त 1968 को उत्तर प्रदेश के अमेठी के एक गाँव कसारा में हुआ था। उन्होंने अवधी लोक नाट्य और हिंदी नाट्य कला के विश्लेषणात्मक अध्ययन में डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि प्राप्त की है। वह कई विश्व हिंदी सम्मेलनों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने भोपाल में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान तत्कालीन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज का साक्षात्कार भी लिया था।
वह हिंदी और अवधी के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। हिंदी भाषा हिंदी भाषा की अन्य बोलियों को संरक्षित करने और भारतीय संविधान की अनुसूची 8 में परिवर्तन न करने के लिए उन्होंने "हिंदी बचाओ मंच" के बैनर तले बहुत मेहनत और प्रयास किया है।उन्हें उतर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।। उनकी पत्रिका “प्रवासी संसार” ने 2016 में प्रकाशन के 10 साल पूरे करने अवसर के अवसर पर तत्कालीन गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा और श्री वीरेंद्र शर्मा (संसद सदस्य, हाउस ऑफ कॉमन्स, लंदन, यूनाइटेड किंगडम) ने शिरकत की।
साहित्यिक कार्य
प्रकाशन
गांधी और हिंदी (नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित)
गांधी साहित्य में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित (राष्ट्रीय अभिलेखागार, भारत सरकार और डायमंड बुक्स का संयुक्त प्रकाशन)
गांधी और गिरमिटिया (वाणी प्रकाशन)
मॉरीशस: भारतीय संस्कृति की अनुपम तीर्थ यात्रा
हिंदी और स्थानीय भाषाओं का योगदान
आठवीं अनुसूची और हिंदी
धूप के शब्द, कविता संग्रह
साहित्यिक विदेश यात्राएं
उन्होंने अमेरिका, जापान, यूके, मॉरीशस, सूरीनाम, हॉलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, त्रिनिदाद और टोबैगो, कंबोडिया, वियतनाम, नेपाल, श्रीलंका, दुबई, अबू धाबी, शारजाह, थाईलैंड, भूटान, रीयूनियन द्वीप, फिजी, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, चीन, हांगकांग, मकाऊ, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, स्कॉटलैंड, उजबेकिस्तान, कतर, मालदीव आदि सहित हिंदी के प्रचार के लिए कई देशों की यात्रा की है।
पुरस्कार व सम्मान
रोटरी क्लब दिल्ली द्वारा रोटरी हिंदी सेवा सम्मान 2009
डॉ विजय शिरधनकर पुरस्कार
अवध ज्योति रजत सम्मान
दुष्यंतकुमार पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल द्वारा देशांतर भाषा सेवा पुरस्कार 2008
विश्व हिंदी समिति न्यूयॉर्क अमेरिका को हिंदी सेवा के लिए अमेरिका में सम्मानित किया गया
राष्ट्रीय हिंदी परिषद द्वारा विशिष्ट हिंदी सेवा पदक
साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार पं. रामप्रसाद बिस्मिल फाउंडेशन
साहित्यिक संस्था उद्धव द्वारा सामाजिक सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय मानव सेवा पुरस्कार 2007
युगिन सम्मान 2006
त्रिनिदाद और टुबाग के हिंदी के प्रमुख संगठन स्वाहा द्वारा हिंदी सेवा के लिए सम्मान
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
हिंदी साहित्य
लेखक
हिन्दी लेखक
नाटककार
हिन्दी_साहित्यकार
लेखक
साहित्यकार
संपादक
हिंदी_साहित्यिक_पत्रिका_संपादक
उत्तर_प्रदेश_के_लोग
1968 में जन्मे लोग
जीवित लोग |
इंडिया टुडे ग्रुप के सालाना बिजनेस इवेन्ट माइंडरश के 7वें संस्करण का आयोजन आज
इसमें राजनीति और कारोबार जगत के तमाम दिग्गज विचारों का आदान-प्रदान करेंगे
कार्यक्रम के समापन सत्र में बिजनेस टुडे बेस्ट सीईओ अवार्ड्स भी दिए जाएंगे
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान होंगे चीफ गेस्ट
इंडिया टुडे ग्रुप के सालाना बिजनेस इवेन्ट माइंडरश के 7वें संस्करण का आयोजन शुक्रवार, 13 दिसंबर को हो रहा है. यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिस पर राजनीति और कारोबार जगत के तमाम दिग्गज उद्योग जगत का एजेंडा तय करने के लिए विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.
धर्मेंद्र प्रधान होंगे चीफ गेस्ट
इस बार इस बिजनेस कॉन्क्लेव का थीम है- ‘डिसरप्ट ऑर डाई’ यानी आमूल बदलाव के लिए तैयार रहें या खत्म हो जाएं. इस साल कॉन्क्लेव में इस बात पर मंथन होगा कि मौजूदा आर्थिक माहौल में तेजी से हो रहे बदलाव से कारोबार जगत किस तरह से निपट रहा है. इस आयोजन का समापन मुख्य अतिथि केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के संबोधन के साथ होगा. कार्यक्रम के समापन सत्र में बिजनेस टुडे बेस्ट सीईओ अवार्ड्स भी दिए जाएंगे.
इस कार्यक्रम वे दिग्गज राजनीतिक, कारोबारी अगुआ, शिक्षाविद और जनमत निर्माता शामिल होंगे जो विभिन्न कारोबार के समक्ष दिख रही आर्थिक और औद्योगिक चुनौतियों की पहचान करने और उनके समाधान की दिशा में काम कर चुके हैं.
‘द जियो रीवोल्युशन’ से लेकर ‘फ्यूचर ऑफ वर्कप्लेस’, ‘मेकिंग सेंस ऑफ द स्टॉक मार्केट्स’ और ‘द इकोनॉमी राउंडटेबल’ तक तमाम विषयों के सत्र में समूह चर्चा के दौरान कारोबार जगत की बारीकियों से रूबरू हुआ जा सकेगा.
कई दिग्गज होंगे शामिल
दिन भर के इस आयोजन में इंडस्ट्री जगत के कई दिग्गजों के सत्र होंगे. जैसे- रिलायंस जियो के प्रेसिडेंट मैथ्यू ओम्मेन, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के फैकेल्टी कविल रामचंद्रन, मारुति सुजुकी के एमडी एवं सीईओ केनिची आयुकावा, हैवेल्स इंडिया के सीएमडी अनिल राय गुप्ता, नेस्ले इंडिया के सीएमडी सुरेश नारायणन और टाटा सन्स के भास्कर भट्ट शामिल हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत ‘रिंगिंग इन द रिचेज-लेसन फ्रॉम मायथोलॉजी’ सत्र से होगी जिसमें वक्ता लेखक अश्विन सांघी होंगे. वह ‘द रोजबल लाइन’, ‘चाणक्याज चैंट’ जैसे कई बिजनेस बेस्टसेलर बुक्स के लेखक हैं. इसके बाद अन्य कई सत्रों में इंडस्ट्री जगत के दिग्गजों और जानकारों के द्वारा कारोबार से जुड़ी समसामयिक समस्याओं पर चर्चा होगी.
गौरतलब है कि बिजनेस टुडे माइंडरश के पिछले कई वर्षों के आयोजन के दौरान इसमें फ्यूचरिस्ट माइक वाल्श, प्रख्यात कोच एवं ट्रेनर डेविड वुड, जिमी वेल्स, राम चरन, जॉन काओ, पीटर डॉकर, देवदत्त पटनायक, अश्विन सांघी, जैमलिंग तेनजिंग, मुरली दुरईस्वामी जैसी देसी-विदेशी हस्तियां शामिल हुईं.
इस कार्यक्रम का लाइव वेबकास्ट सुबह 10.30 बजे से आप इस लिंक पर देख सकते हैं- www.btmindrush.com |
भारतीय शेयर बाजार में हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को तेज शुरुआत के बाद लगातार गिरावट का रुख देखने को मिला. प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स कारोबारी सत्र के अंत में 12 अंकों की गिरावट के साथ 25,610 पर और निफ्टी 1.20 अंकों की तेजी के साथ 7,789 पर बंद हुआ.
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 171.60 अंकों की तेजी के साथ 25,793.77 पर खुला और 12 अंकों या 0.05 फीसदी की गिरावट के साथ 25,610 पर बंद हुआ. दिन भर के कारोबार में सेंसेक्स ने 25,876 के ऊपरी और 25,530 के निचले स्तर को छुआ.
वहीं,
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)
का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 45.70 अंकों की तेजी के साथ 7,833.80 पर खुला और 1.20 अंकों या 0.02 फीसदी की तेजी के साथ 7,789 पर बंद हुआ. दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 7,865 के ऊपरी और 7,789 के निचले स्तर को छुआ.
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में तेजी
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में तेजी का रुख देखने को मिला. बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.17 फीसदी की बढ़त के साथ 10,520 पर पहुंचा. वहीं बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स भी 0.63 फीसदी की बढ़त के साथ 10,699 पर पहुंचा. |
रायगंज उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह राजशाही विभाग के सिराजगंज ज़िले का एक उपजिला है, जिसमें, ज़िला सदर समेत, कुल ५ उपज़िले हैं, और मुख्यालय सिराजगंज सदर उपज़िला है। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका से पूर्व की दिशा में अवस्थित है। यह मुख्यतः एक ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है।
जनसांख्यिकी
यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। राजशाही विभाग में, जनसांख्यिकीक रूप से, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन ८८.४२% है, जबकि शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है। यह मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है।
अवस्थिती
रायगंज उपजिला बांग्लादेश के पूर्वी भाग में, राजशाही विभाग के सिराजगंज जिले में स्थित है।
इन्हें भी देखें
बांग्लादेश के उपजिले
बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल
राजशाही विभाग
उपज़िला निर्वाहि अधिकारी
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी)
जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश
http://hrcbmdfw.org/CS20/Web/files/489/download.aspx (पीडीएफ)
श्रेणी:राजशाही विभाग के उपजिले
बांग्लादेश के उपजिले |
यह लेख है: जानकारी मिली है कि Vivo एक नए स्मार्टफोन पर काम कर रही है जिसे Vivo X15 के नाम से जाना जाएगा। एक ऑनलाइन रिपोर्ट के मुताबिक, फोन में वाइड नॉच है जो इन दिनों चलन से बाहर जा रहा है। पता चला है कि वीवो के इस फोन में 3.5 एमएम ऑडियो जैक नहीं होगा और यह यूएसबी टाइप-सी पोर्ट के साथ आएगा। फिलहाल, इस फोन के लॉन्च की तारीख के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। यह पहला मौका है कि जब इंटरनेट पर Vivo X15 के बारे में जानकारी लीक हुई।
Android Updated नाम के एक ब्लॉग ने वीवो एक्स15 के कथित रेंडर्स (ग्राफिक्स से बनी तस्वीरें) पब्लिश किए हैं। प्रतीत होता है कि Vivo X15 एक बजट स्मार्टफोन है। तस्वीरों के मुताबिक, वीवो का यह फोन बड़े चिन, दो रियर कैमरे, रियर फिंगरप्रिंट सेंसर और दो माइक्रोफोन के साथ आएगा। रेंडर्स में फोन के निचले हिस्से पर एक मात्र स्पीकर नज़र आ रहा है। इसके बगल में यूएसबी टाइप सी पोर्ट है। फोन के पिछले हिस्से पर डुअल एलईडी फ्लैश मॉड्यूल है। ऐसा लगता है कि फोन में 3.5 एमएम हेडफोन जैक भी नहीं है। संभव है कि यूज़र को ऑडियो के लिए यूएसबी टाइप-सी पोर्ट या ब्लूटूथ कनेक्टिविटी को इस्तेमाल करना पड़े।
फिलहाल इस स्मार्टफोन के स्पेसिफिकेशन रहस्य हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में Vivo X15 के बारे में आधिकारिक जानकारियां सार्वजनिक होंगी।
नया फोन Vivo की एक्स सीरीज़ का हिस्सा होगा। Vivo X15 से पहले Vivo X27, Vivo X27 Pro, Vivo X21s, Vivo X23, Vivo X21, Vivo X20, और Vivo X20 Plus जैसे फोन मार्केट में आ चुके हैं।
यह पहला मौका है कि जब एंड्रॉयड अपडेटेड नाम के ब्लॉग ने किसी फोन के बारे में जानकारी लीक की है। ऐसे में हम आपको इस पर पूरी तरह से भरोसा नहीं करने का सुझाव देंगे।
दूसरी तरफ, Vivo भारत में अपनी ज़ेड सीरीज़ का एक हैंडसेट लाने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि कंपनी Vivo Z5x को लॉन्च करेगी जिसे पहले ही चीन में पेश किया जा चुका है। |
चार टीमों के प्लेऑफ मुकाबले की दौड़ से बाहर हो चुकी कोलकाता नाइट राइडर्स के बल्लेबाज इयोन मोर्गन ने कहा कि उनकी टीम बाकी मैचों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने उतरेगी।टिप्पणियां
मोर्गन ने कहा, इसके बाद से हमारी टीम काफी खतरनाक होगी। दूसरी टीमें हमें हलके में लेंगी, जिससे हमारा फायदा ही होगा। हम चुपचाप बैठकर हार का दुख नहीं मनाने वाले। उन्होंने कहा, इसके बाद हम चीजों को सकारात्मक रूप में लेकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे जो अभी तक नहीं कर सके हैं। मुंबई इंडियंस ने कल केकेआर को 65 रन से हराया, जो 12 मैचों में गत चैम्पियन की आठवीं हार थी।
मोर्गन ने कहा, हम अपने प्रदर्शन से निराश हैं। हम लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। हमने इसकी झलक दिखाई, लेकिन लगातार अच्छा नहीं खेल सके। केकेआर के गेंदबाज रियान मैकलारेन ने आखिरी ओवर में 25 रन दिए, लेकिन मोर्गन ने उसका बचाव करते हुए कहा, यह हासिल करने योग्य लक्ष्य था। आखिरी ओवर में 25 रन देने से नुकसान हुआ, लेकिन मैच में हमने कई ओवरों में अच्छी गेंदबाजी भी की थी।
मोर्गन ने कहा, इसके बाद से हमारी टीम काफी खतरनाक होगी। दूसरी टीमें हमें हलके में लेंगी, जिससे हमारा फायदा ही होगा। हम चुपचाप बैठकर हार का दुख नहीं मनाने वाले। उन्होंने कहा, इसके बाद हम चीजों को सकारात्मक रूप में लेकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे जो अभी तक नहीं कर सके हैं। मुंबई इंडियंस ने कल केकेआर को 65 रन से हराया, जो 12 मैचों में गत चैम्पियन की आठवीं हार थी।
मोर्गन ने कहा, हम अपने प्रदर्शन से निराश हैं। हम लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। हमने इसकी झलक दिखाई, लेकिन लगातार अच्छा नहीं खेल सके। केकेआर के गेंदबाज रियान मैकलारेन ने आखिरी ओवर में 25 रन दिए, लेकिन मोर्गन ने उसका बचाव करते हुए कहा, यह हासिल करने योग्य लक्ष्य था। आखिरी ओवर में 25 रन देने से नुकसान हुआ, लेकिन मैच में हमने कई ओवरों में अच्छी गेंदबाजी भी की थी।
मोर्गन ने कहा, हम अपने प्रदर्शन से निराश हैं। हम लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। हमने इसकी झलक दिखाई, लेकिन लगातार अच्छा नहीं खेल सके। केकेआर के गेंदबाज रियान मैकलारेन ने आखिरी ओवर में 25 रन दिए, लेकिन मोर्गन ने उसका बचाव करते हुए कहा, यह हासिल करने योग्य लक्ष्य था। आखिरी ओवर में 25 रन देने से नुकसान हुआ, लेकिन मैच में हमने कई ओवरों में अच्छी गेंदबाजी भी की थी। |
कृत्रिम बारिश, मेघ-बीजन या बादल की बुआई (अंग्रेजी; Cloud seeding क्लाउड सीडिंग) एक प्रकार का मौसम संशोधन है जिसका उद्देश्य हवा में मेघ संघनन या बर्फ के नाभिक के रूप में काम करने वाले पदार्थों को फैलाकर, बादलों के भीतर होने वाली सूक्ष्म प्रक्रियाओं को बदल कर, उनसे गिरने वाले वर्षण की मात्रा या प्रकार को बदलना है। आम तौर पर कृत्रिम बारिश से आशय वर्षा (बारिश या बर्फ) को बढ़ाना है, लेकिन हवाई अड्डों जैसी जगहों पर जहाँ मौसम की स्थिति परिचालन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं, वहाँ ओलावृष्टि रोकने और धुंध हटाने में भी व्यापक रूप से कृत्रिम बारिश को अपनाया जाता है।
प्रकृति में कृत्रिम बारिश, बर्फ के नाभिकों के कारण भी होती है, जिनमें से अधिकांश का मूल जीवाणु होते हैं।
सन्दर्भ |
क्राइम ब्रांच से मिली खुफिया जानकारी के बाद रेलवे पुलिस ने सियालदह-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस पर छापा मारा. इस छापे में सरकार द्वारा अमान्य घोषित किए जा चुके 500 और 1000 के नोटों के पांच लाख रुपये बरामद हुए.
ये रुपये
पश्चिम बंगाल
के रहने वाले महादेव भंडारी के बताए जा रहे हैं. भंडारी ये
पुराने नोट
अपनी कंपनी लियोनार्ड एक्सपोर्ट के लिए दिल्ली से पश्चम बंगाल ले जाने आया था.
बंद किए जा चुके ये 500 और 1000 के
नोट जब्त
कर लिए गए हैं और इसकी सूचना आयकर विभाग को दे दी गई है. |
तमाम मोड़ों से गुजरी संजय दत्त की जिंदगी पर बनी फिल्म संजू शुक्रवार को रिलीज हो रही है. इस फिल्म के जरिए संजय दत्त की जिंदगी का हर राज सामने आ रहा है.
संजय दत्त एक समय पर ड्रग्स के बहुत बुरी तरह से शिकार हो गए थे. विदेश में उनका इलाज चला. संजय को सिगरेट की लत बहुत कम उम्र में लगी गई थी. संजय ने एक नेशनल टीवी को बताया था "मेरे पिता से मिलने प्रोड्यूसर्स आते थे. वे अकसर सिगरेट पीकर उसके बट्स बाहर फेंकते थे. इन बट्स को मैं उठाकर नीचे जमीन पर लेटकर पीता था. इसी दौरान एक दिन दत्त साहब (संजू के पिता सुनील दत्त) ने धुआं निकलते हुए देख लिया. उन्होंने झांककर देखा तो मैं सिगरेट पी रहा था. " इसके बाद संजय को सुधारने के लिए उनके पिता सुनील दत्त ने उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज दिया था.
क्या संजय दत्त को नहीं है अपने किए पर पछतावा? सालभर पुरानी बातचीत
संजय ने एक वाकया और शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया- कश्मीर में उनके पिता शूटिंग कर रहे थे. इस दौरान वे एक सीन में सिगरेट पीते दिखाए गए. संजय ने जब ये देखा तो उन्होंने अपनी मां नरगिस से जिद की कि यदि डैडी सिगरेट पी सकते हैं तो वे क्यों नहीं? जब ये बात सुनील दत्त को पता चली तो उन्होंने नरगिस से कहा कि उसे (संजू ) पीने दो सिगरेट. इसके बाद उन्होंने संजू को सिगरेट पीना बताया. लेकिन संजू थे कि पूरी सिगरेट पी गए. ये देखकर सुनील दत्त हैरान रह गए. सजा देने की उनकी सारी कोशिशें नाकाम रहीं.
12 साल तक ड्रग एडिक्ट रहे संजय दत्त, ऐसे छोड़ी थी नशे की लत
संजय दत्त की जिंदगी कंट्रोवर्सी से भरी रही. यही वजह है कि राजकुमार हिरानी ने उनकी बायोपिक पर "संजू" बनाने की ठानी. मूवी में एक्टर की लाइफ के सभी विवादित और अनसुनी किस्सों को शामिल किया गया है. ड्रग्स की लत का शिकार होना, आर्म्स एक्ट में जेल जाना हो या पर्सनल लाइफ की दूसरी उठापटक, संजय ने हर मुश्किल झेला है. इतनी रोलर-कोस्टर लाइफ से गुजरने के बाद कोई भी इंसान दोबारा उसे जीने की हिम्मत नहीं कर सकता. लेकिन एक दावे को मानें तो संजय के केस में ऐसा नहीं है. इसके आधार पर लगता है जैसे उन्हें अपने किए पर पछतावा नहीं है. |
आज तक के मुंबई मंथन 2018 में डिजिटल दुनिया के चमकते सितारे सत्र के दौरान शमा सिकंदर, छवि मित्तल और चंकी पांडे ने शिरकत की. बातचीत के दौरान चंकी पांडे ने बताया कि वे डिजिटल होती चीजों के बारे में क्या सोचते हैं.
चंडी पांडे जल्द एक वेब सीरीज में नजर आएंगे, जिसका नाम है बेबी कम ना. चंकी पांडे ने कहा कि वे फेसबुक पर नहीं हैं, क्योंकि उनकी पत्नी इसकी इजाजत नहीं देतीं. उन्हें लगता है कि यदि चंकी फेसबुक पर आए तो उनकी बहुत सारी गर्लफ्रेंड वापस आ जाएंगी. चंकी ने कहा- फेसबुक पर मेरे नाम से तीन चार फर्जी अकाउंट हैं. मैं इंस्टा और ट्विटर पर हूं.
चंकी पांडे ने कहा- "मेरा भतीजा है आहन पांडे उसने एक बड़े बैनर की फ़िल्में साइन की है. फिल्म नहीं आई है लेकिन सोशल मीडिया में उसके फ़ॉलोअर मुझसे दोगुने हैं. वो वीडियो अपलोड करता रहता है अपनी तस्वीरें डालता रहता है और लोग उसे पसंद करते हैं. आज इंटरनेट आपको स्टार बना सकता है.
चंकी ने कहा कि उन्हें उनकी बेटी अनन्या इंटरनेट के मामले में गाइड करती है. वे कुछ भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले अपने बच्चों से पूछते हैं. उन्होंने कहा कि लोग मुझे फिल्म स्टार बुलाते हैं, लेकिन अब कोई स्टार रहा नहीं है, क्योंकि फिल्म ही नहीं रहे. अब सब कुछ डिजिटल हो गया है. |
झारखंड में माओवादियों ने अपहृत प्रखंड विकास पदाधिकारी की रिहाई के लिए अपनी मांगों के संबंध में समय सीमा 24 घंटे के लिए बढ़ा दी है . इस बीच राज्य सरकार ने उन आरोपों पर पुनर्विचार करने पर सहमति जता दी है जिसमें कहा गया था कि लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाया गया है.
माओवादी बंगाल झारखंड उड़ीसा बोर्डर रिजनल कमेटी के प्रवक्ता राकेशजी ने कहा, ‘‘ हम प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रशांत कुमार लायक की सुरक्षा का आश्वासन कल शाम छह बजे तक के लिए देते हैं. झारखंड सरकार को हमारी उन मांगों को पूरा करने का आश्वासन लिखित में देना चाहिए जिनमें 14 लोगों की बिना शर्त रिहाई शामिल है.
अज्ञात स्थान से राकेशजी ने कहा कि उनके संगठन ने प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रशांत कुमार लायक की रिहाई के एवज में उनकी मांगों को मानने के लिए कल शाम छह बजे तक की समय सीमा निर्धारित की है .
झारखंड के गृह सचिव जे बी टुबिड ने प्रेट्र को यहां बताया, ‘‘ सरकार इस आरोप पर विचार करेगी कि कुछ लोगों को झूठे मामलों में फंसाया गया है.’’
टीवी चैनल में दिखाई जानेवाली उन खबरों को टुबिड ने खारिज कर दिया जिनमें कहा गया है कि सरकार ने माओवादियों की दो मांगों को स्वीकार कर लिया है . इनमें पूर्वी सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक को हटाये जाने की भी मांग शामिल है . गृह सचिव ने कहा, ‘‘नहीं, यह गलत है .’’ राकेशजी ने कहा कि समय सीमा बढ़ाने का निर्णय एक जन अदालत में किया गया था . झारखंड सरकार को हमारी मांगों के संबंध में निर्णय करना चाहिए.
उग्रवादियों के प्रवक्ता ने पुलिस के उस आश्वासन को मानने से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया गया था कि गिरफ्तार किये गए माओवादियों के खिलाफ मामलों की फिर से जांच की जाएगी.
इससे पहले बीडीओ की पत्नी ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर माओवादियों ने उनके पति को हानि पहुंचायी तो वह अपनी बेटी के साथ आत्मदाह कर लेंगी. इसके कुछ ही घंटे बाद समय सीमा बढ़ाये जाने की सूचना मिली.
प्रखंड विकास पदाधिकारी लायक का शनिवार को माओवादियो ने पूर्वी सिंहभूम जिले में उनके कार्यालय से अपहरण कर लिया था.
माओवादियों ने घोराबंधा पुलिस थाना क्षेत्र से सुरक्षा बलों को हटाने, तलाशी अभियान बंद करने, 14 लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने तथा संजीव उर्फ सोमेन मुंडा के परिजनों को दस लाख का मुआजवा देने की मांग की है. |
नाभिकीय चिकित्सा (अंग्रेज़ी:न्यूक्लियर मेडिसिन) एक प्रकार की चिकित्सकीय जाँच तकनीक होती है। इसमें रोग चाहे आरंभिक अवस्था में हों या गंभीर अवस्था में, उनकी गहन जाँच और उपचार संभव है। कोशिका की संरचना और जैविक रचना में हो रहे परिवर्तनों पर आधारित इस तकनीक से चिकित्सा की जाती है। इस पद्धति को न्यूक्लियर मेडिसिन भी कहा जाता है। वर्तमान प्रचलित चिकित्सा पद्धति में रोगों का मात्र अंदाजा या अनुमान ही लगाते हैं और उपचार करते हैं, जबकि नाभिकीय चिकित्सा में न केवल रोग को बहुत आरंभिक अवस्था में पकड़ा जाता है, वरन यह प्रभावशाली ईलाज और दवाइयों के बारे में भी स्पष्टता से बहुत कुछ बता पाने में सक्षम है। इससे किसी भी बीमारी की विस्तृत जानकारी, उसके प्रभाव और उसके उपचार निपटने के प्रभावशाली उपायों आदि के बारे में पता चलता है। इतना ही नहीं, इससे बीमारी के आगे बढ़ने के बारे में यानी भविष्य में इसके फैलने की गति, दिशा और तरीके का भी ज्ञान हो जाता है।
यह तकनीक सुरक्षित, कम खर्चीली और दर्द रहित चिकित्सा तकनीक है। सामान्यतः किसी प्रकार का रोग होने के बाद ही सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई और एक्स-रे आदि से परीक्षण करने से प्रभावित अंगो की स्थिति का पता चल पाता है। इस पद्धति में रोगी को एक रेडियोधर्मी समस्थानिक को दवाई के रूप में इंजेक्शन के रास्ते शरीर में दिया जाता है। फिर उसके रास्ते को स्कैनिंग के जरिये देखकर पता लगाय़ा जाता है, कि शरीर के किस भाग में कौन सा रोग हो रहा है। इसके साथ ही इनकी स्कैनिंग के कुछ दुष्प्रभाव (साइड इफैक्ट) की भी संभावना होती है।
नाभिकीय चिकित्सा में रोगी के शरीर में इंजेक्शन द्वारा बहुत ही कम मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व प्रविष्ट किये जाते हैं, जिसे शरीर में संक्रमित या प्रभावित कोशिका इसे अवशोषित कर लेती है। इससे होने वाले विकिरण को एक विशेष प्रकार के गामा कैमरे में उतार कर रोग की सटीक और विस्तृत जाँच की जाती है। न्यूक्लियर मेडिसिन स्कैनिंग से मिले अलग फिल्म में प्रभावित अंग की विस्तृत जानकारी मिलती है। नाभिकीय चिकित्सा तकनीक में रेडियो धर्मी तत्व का प्रयोग इतनी कम मात्र में किया जाता है कि इससे होने वाले विकिरण का प्रभाव कोशिकाओं पर नहीं पड़ता है।
नाभिकीय चिकित्सा द्वारा कैंसर, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ा, थायरॉइड अपटेक स्कैन और बोन स्कैन किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य रोगों का ईलाज भी नाभिकीय चिकित्सा द्वारा किया जाता है। अवटु ग्रंथि में आई खराबी और हड्डी में लगातार हो रहे दर्द का इलाज इसी तकनीक से होता है।
हृदय स्कैनिंग
हृदय के थैलियम परीक्षण के द्वारा हृदय की विभिन्न मांसपेशियों के ऊतकों की कार्यक्षमता को जाँचा जा सकता है। इसके अलावा वहाँ की धमनियों में होने वाले रक्त प्रवाह को जाँचा जाता है। इस प्रकार एंजियोग्राफी की आवश्यकता नहीं रहती है। इस जाँच से हृदयाघात की संभावना का अनुमान बहुत पहले पता लगाया जा सकता है जिससे सही समय पर उचित उपचार द्वारा जीवन की रक्षा की जा सकती है।
हड्डी स्कैन
नाभिकीय चिकित्सा द्वारा हड्डियों व संधियों में होने वाले सूक्ष्मतम परिवर्तन की जाँच की जाती है। हड्डियों में होने वाली गाँठों की जाँच भी संभव होती है। इसके द्वारा सूक्ष्मतम फ्रैक्चर (हेयरलाइन फ्रैक्चर) की जाँच व गंभीर ऑस्टियोमेलाइटिस की जाँच भी की जाती है। इसके द्वारा पीठ दर्द के निवारण के लिए रीढ़ की संपूर्ण जाँच भी संभव है।
वृक्क स्कैन
वृक्क (गुर्दा) जो शरीर का अत्यन्त महत्वपूर्ण शोधक अंग है, इस पद्धति द्वारा उसकी स्थिति व कार्यक्षमता का सही मूल्यांकन किया जा सकता है। गुर्दे के प्रत्यारोपण की आवश्यकता और प्रत्यारोपण के पश्चात उसकी कार्यक्षमता की जाँच इस पद्धति द्वारा की जाती है। उपरोक्त रोगों के अलावा पेट व अन्य रोगों की जाँच गामा स्कैनिंग द्वारा संभव है।
शिक्षण संस्थान
भारत में इसकी शिक्षा उपलब्ध कराने वाले संस्थानों में से कुछ प्रधान हैं:-
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली, वेबसाइट -
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली, वेबसाइट -
किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ, वेबसाइट -
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनउ, वेबसाइट -
कस्तूरबा गांधी मेडिकल कॉलेज, मणिपाल, वेबसाइट -
स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान चण्डीगढ
टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल मुम्बई
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
इंडियन जर्नल ऑफ न्युक्लियर मेडिसिन
नाभिकीय चिकित्सा सोसायटी
क्या है 'न्युक्लियर मेडिसिन?
चिकित्सकीय परीक्षण
स्वास्थ्य
चिकित्सा |
यह लेख है: सायरा बानो उन मशहूर अभिनेत्रियों की गिनती में शुमार रही हैं, जो अपनी खूबसूरती और अभिनय प्रतिभा से सभी का दिल जीतने में सफल रही हैं. उनके अंदाज-ए-बयां ने लोगों को अपना मुरीद बनाया है.
सायरा का जन्म 23 अगस्त, 1944 को भारत में हुआ था. उनकी मां नसीम बानो भी अपने समय की मशहूर अभिनेत्री रही हैं. उनके पिता मियां एहसान-उल-हक फिल्म निर्माता थे, जिन्होंने मुंबई में 'फूल' और पाकिस्तान में 'वादा' नामक फिल्म का निर्माण किया. सायरा की दादी छमियां बाई दिल्ली में तवायफ थीं, उन्हें शमशाद बेगम के नाम से भी जाना जाता था.
शायरा का अधिकांश बचपन लंदन में बीता, जहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौटीं. स्कूल से ही उन्हें अभिनय से लगाव था और उन्हें वहां अभिनय के लिए कई पदक मिले थे. सायरा कहती हैं कि 12 साल की उम्र से ही वह अल्लाह से प्रार्थना करती थीं कि वह उन्हें अम्मी जैसी हीरोइन बनाए.
उल्लेखनीय है कि 17 साल की उम्र में ही सायरा बानो ने बॉलीवुड में कदम रख दिया. उन्होंने 1961 में शम्मी कपूर के साथ फिल्म 'जंगली' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की. उन्होंने इस फिल्म में अपनी अदाओं के ऐसे जलवे बिखेरे कि उनकी छवि एक रोमांटिक हीरोइन की बन गई.
उनकी यह फिल्म अपने जमाने की हिट फिल्मों में शुमार हुई. फिर क्या कहना था, सायरा बानो का करियर चल पड़ा. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया.
इसके बाद सायरा बानो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया. 60 और 70 के दशक में सायरा बानो एक सफल अभिनेत्री के रूप में बॉलीवुड में जगह बना चुकी थीं.
वर्ष 1968 की फिल्म 'पड़ोसन' ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया. इस फिल्म ने उनके करियर को जैसे पंख लगा दिए. इसके बाद शायरा ने दिलीप कुमार के साथ 'गोपी', 'सगीना', 'बैराग' जैसी हिट फिल्मों में काम किया.
सायरा ने 11 अक्टूबर, 1966 को 22 साल की उम्र में अपने से दोगुने उम्र के दिलीप कुमार से शादी की थी. उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे. दोनों की मुलाकात, प्यार और फिर शादी की कहानी बिल्कुल फिल्मी हैं.
बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
सायरा ने 'जंगली' (1961), 'शादी' (1962),'ब्लफ मास्टर' (1963),'दूर की आवाज' (1964),'आई मिलन की बेला' (1964),'अप्रैल फूल' (1964),'ये जिंदगी कितनी हसीन है' (1966),'प्यार मोहब्बत '(1966),'शागिर्द' (1966),'दीवाना' (1967),'अमन' (1967),'पड़ोसन' (1968),'झुक गया आसमान' (1968),'आदमी और इंसान' (1969), 'पूरब और पश्चिम' (1970),'गोपी' (1970),'बलिदान' (1971),'विक्टोरिया नं. 203' (1972),'दामन और आग' (1973),'आरोप' (1973),'ज्वार भाटा' (1973),'पैसे की गुड़िया' (1974),'दुनिया' (1984), 'फैसला' (1988) जैसी फिल्मों में अभिनय किया.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सायरा का जन्म 23 अगस्त, 1944 को भारत में हुआ था. उनकी मां नसीम बानो भी अपने समय की मशहूर अभिनेत्री रही हैं. उनके पिता मियां एहसान-उल-हक फिल्म निर्माता थे, जिन्होंने मुंबई में 'फूल' और पाकिस्तान में 'वादा' नामक फिल्म का निर्माण किया. सायरा की दादी छमियां बाई दिल्ली में तवायफ थीं, उन्हें शमशाद बेगम के नाम से भी जाना जाता था.
शायरा का अधिकांश बचपन लंदन में बीता, जहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौटीं. स्कूल से ही उन्हें अभिनय से लगाव था और उन्हें वहां अभिनय के लिए कई पदक मिले थे. सायरा कहती हैं कि 12 साल की उम्र से ही वह अल्लाह से प्रार्थना करती थीं कि वह उन्हें अम्मी जैसी हीरोइन बनाए.
उल्लेखनीय है कि 17 साल की उम्र में ही सायरा बानो ने बॉलीवुड में कदम रख दिया. उन्होंने 1961 में शम्मी कपूर के साथ फिल्म 'जंगली' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की. उन्होंने इस फिल्म में अपनी अदाओं के ऐसे जलवे बिखेरे कि उनकी छवि एक रोमांटिक हीरोइन की बन गई.
उनकी यह फिल्म अपने जमाने की हिट फिल्मों में शुमार हुई. फिर क्या कहना था, सायरा बानो का करियर चल पड़ा. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया.
इसके बाद सायरा बानो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया. 60 और 70 के दशक में सायरा बानो एक सफल अभिनेत्री के रूप में बॉलीवुड में जगह बना चुकी थीं.
वर्ष 1968 की फिल्म 'पड़ोसन' ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया. इस फिल्म ने उनके करियर को जैसे पंख लगा दिए. इसके बाद शायरा ने दिलीप कुमार के साथ 'गोपी', 'सगीना', 'बैराग' जैसी हिट फिल्मों में काम किया.
सायरा ने 11 अक्टूबर, 1966 को 22 साल की उम्र में अपने से दोगुने उम्र के दिलीप कुमार से शादी की थी. उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे. दोनों की मुलाकात, प्यार और फिर शादी की कहानी बिल्कुल फिल्मी हैं.
बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
सायरा ने 'जंगली' (1961), 'शादी' (1962),'ब्लफ मास्टर' (1963),'दूर की आवाज' (1964),'आई मिलन की बेला' (1964),'अप्रैल फूल' (1964),'ये जिंदगी कितनी हसीन है' (1966),'प्यार मोहब्बत '(1966),'शागिर्द' (1966),'दीवाना' (1967),'अमन' (1967),'पड़ोसन' (1968),'झुक गया आसमान' (1968),'आदमी और इंसान' (1969), 'पूरब और पश्चिम' (1970),'गोपी' (1970),'बलिदान' (1971),'विक्टोरिया नं. 203' (1972),'दामन और आग' (1973),'आरोप' (1973),'ज्वार भाटा' (1973),'पैसे की गुड़िया' (1974),'दुनिया' (1984), 'फैसला' (1988) जैसी फिल्मों में अभिनय किया.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शायरा का अधिकांश बचपन लंदन में बीता, जहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौटीं. स्कूल से ही उन्हें अभिनय से लगाव था और उन्हें वहां अभिनय के लिए कई पदक मिले थे. सायरा कहती हैं कि 12 साल की उम्र से ही वह अल्लाह से प्रार्थना करती थीं कि वह उन्हें अम्मी जैसी हीरोइन बनाए.
उल्लेखनीय है कि 17 साल की उम्र में ही सायरा बानो ने बॉलीवुड में कदम रख दिया. उन्होंने 1961 में शम्मी कपूर के साथ फिल्म 'जंगली' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की. उन्होंने इस फिल्म में अपनी अदाओं के ऐसे जलवे बिखेरे कि उनकी छवि एक रोमांटिक हीरोइन की बन गई.
उनकी यह फिल्म अपने जमाने की हिट फिल्मों में शुमार हुई. फिर क्या कहना था, सायरा बानो का करियर चल पड़ा. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया.
इसके बाद सायरा बानो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया. 60 और 70 के दशक में सायरा बानो एक सफल अभिनेत्री के रूप में बॉलीवुड में जगह बना चुकी थीं.
वर्ष 1968 की फिल्म 'पड़ोसन' ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया. इस फिल्म ने उनके करियर को जैसे पंख लगा दिए. इसके बाद शायरा ने दिलीप कुमार के साथ 'गोपी', 'सगीना', 'बैराग' जैसी हिट फिल्मों में काम किया.
सायरा ने 11 अक्टूबर, 1966 को 22 साल की उम्र में अपने से दोगुने उम्र के दिलीप कुमार से शादी की थी. उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे. दोनों की मुलाकात, प्यार और फिर शादी की कहानी बिल्कुल फिल्मी हैं.
बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
सायरा ने 'जंगली' (1961), 'शादी' (1962),'ब्लफ मास्टर' (1963),'दूर की आवाज' (1964),'आई मिलन की बेला' (1964),'अप्रैल फूल' (1964),'ये जिंदगी कितनी हसीन है' (1966),'प्यार मोहब्बत '(1966),'शागिर्द' (1966),'दीवाना' (1967),'अमन' (1967),'पड़ोसन' (1968),'झुक गया आसमान' (1968),'आदमी और इंसान' (1969), 'पूरब और पश्चिम' (1970),'गोपी' (1970),'बलिदान' (1971),'विक्टोरिया नं. 203' (1972),'दामन और आग' (1973),'आरोप' (1973),'ज्वार भाटा' (1973),'पैसे की गुड़िया' (1974),'दुनिया' (1984), 'फैसला' (1988) जैसी फिल्मों में अभिनय किया.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उल्लेखनीय है कि 17 साल की उम्र में ही सायरा बानो ने बॉलीवुड में कदम रख दिया. उन्होंने 1961 में शम्मी कपूर के साथ फिल्म 'जंगली' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की. उन्होंने इस फिल्म में अपनी अदाओं के ऐसे जलवे बिखेरे कि उनकी छवि एक रोमांटिक हीरोइन की बन गई.
उनकी यह फिल्म अपने जमाने की हिट फिल्मों में शुमार हुई. फिर क्या कहना था, सायरा बानो का करियर चल पड़ा. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया.
इसके बाद सायरा बानो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया. 60 और 70 के दशक में सायरा बानो एक सफल अभिनेत्री के रूप में बॉलीवुड में जगह बना चुकी थीं.
वर्ष 1968 की फिल्म 'पड़ोसन' ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया. इस फिल्म ने उनके करियर को जैसे पंख लगा दिए. इसके बाद शायरा ने दिलीप कुमार के साथ 'गोपी', 'सगीना', 'बैराग' जैसी हिट फिल्मों में काम किया.
सायरा ने 11 अक्टूबर, 1966 को 22 साल की उम्र में अपने से दोगुने उम्र के दिलीप कुमार से शादी की थी. उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे. दोनों की मुलाकात, प्यार और फिर शादी की कहानी बिल्कुल फिल्मी हैं.
बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
सायरा ने 'जंगली' (1961), 'शादी' (1962),'ब्लफ मास्टर' (1963),'दूर की आवाज' (1964),'आई मिलन की बेला' (1964),'अप्रैल फूल' (1964),'ये जिंदगी कितनी हसीन है' (1966),'प्यार मोहब्बत '(1966),'शागिर्द' (1966),'दीवाना' (1967),'अमन' (1967),'पड़ोसन' (1968),'झुक गया आसमान' (1968),'आदमी और इंसान' (1969), 'पूरब और पश्चिम' (1970),'गोपी' (1970),'बलिदान' (1971),'विक्टोरिया नं. 203' (1972),'दामन और आग' (1973),'आरोप' (1973),'ज्वार भाटा' (1973),'पैसे की गुड़िया' (1974),'दुनिया' (1984), 'फैसला' (1988) जैसी फिल्मों में अभिनय किया.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उनकी यह फिल्म अपने जमाने की हिट फिल्मों में शुमार हुई. फिर क्या कहना था, सायरा बानो का करियर चल पड़ा. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया.
इसके बाद सायरा बानो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया. 60 और 70 के दशक में सायरा बानो एक सफल अभिनेत्री के रूप में बॉलीवुड में जगह बना चुकी थीं.
वर्ष 1968 की फिल्म 'पड़ोसन' ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया. इस फिल्म ने उनके करियर को जैसे पंख लगा दिए. इसके बाद शायरा ने दिलीप कुमार के साथ 'गोपी', 'सगीना', 'बैराग' जैसी हिट फिल्मों में काम किया.
सायरा ने 11 अक्टूबर, 1966 को 22 साल की उम्र में अपने से दोगुने उम्र के दिलीप कुमार से शादी की थी. उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे. दोनों की मुलाकात, प्यार और फिर शादी की कहानी बिल्कुल फिल्मी हैं.
बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
सायरा ने 'जंगली' (1961), 'शादी' (1962),'ब्लफ मास्टर' (1963),'दूर की आवाज' (1964),'आई मिलन की बेला' (1964),'अप्रैल फूल' (1964),'ये जिंदगी कितनी हसीन है' (1966),'प्यार मोहब्बत '(1966),'शागिर्द' (1966),'दीवाना' (1967),'अमन' (1967),'पड़ोसन' (1968),'झुक गया आसमान' (1968),'आदमी और इंसान' (1969), 'पूरब और पश्चिम' (1970),'गोपी' (1970),'बलिदान' (1971),'विक्टोरिया नं. 203' (1972),'दामन और आग' (1973),'आरोप' (1973),'ज्वार भाटा' (1973),'पैसे की गुड़िया' (1974),'दुनिया' (1984), 'फैसला' (1988) जैसी फिल्मों में अभिनय किया.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इसके बाद सायरा बानो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया. 60 और 70 के दशक में सायरा बानो एक सफल अभिनेत्री के रूप में बॉलीवुड में जगह बना चुकी थीं.
वर्ष 1968 की फिल्म 'पड़ोसन' ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया. इस फिल्म ने उनके करियर को जैसे पंख लगा दिए. इसके बाद शायरा ने दिलीप कुमार के साथ 'गोपी', 'सगीना', 'बैराग' जैसी हिट फिल्मों में काम किया.
सायरा ने 11 अक्टूबर, 1966 को 22 साल की उम्र में अपने से दोगुने उम्र के दिलीप कुमार से शादी की थी. उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे. दोनों की मुलाकात, प्यार और फिर शादी की कहानी बिल्कुल फिल्मी हैं.
बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
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वर्ष 1968 की फिल्म 'पड़ोसन' ने उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया. इस फिल्म ने उनके करियर को जैसे पंख लगा दिए. इसके बाद शायरा ने दिलीप कुमार के साथ 'गोपी', 'सगीना', 'बैराग' जैसी हिट फिल्मों में काम किया.
सायरा ने 11 अक्टूबर, 1966 को 22 साल की उम्र में अपने से दोगुने उम्र के दिलीप कुमार से शादी की थी. उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे. दोनों की मुलाकात, प्यार और फिर शादी की कहानी बिल्कुल फिल्मी हैं.
बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
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सायरा ने 11 अक्टूबर, 1966 को 22 साल की उम्र में अपने से दोगुने उम्र के दिलीप कुमार से शादी की थी. उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे. दोनों की मुलाकात, प्यार और फिर शादी की कहानी बिल्कुल फिल्मी हैं.
बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
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बॉलीवुड के प्रेमी जोड़ों की जब भी बात की जाती है तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. शादी के बाद भी सायरा ने फिल्मों में काम जारी रखा. दिलीप साहब के अलावा वह दूसरे नायकों की भी नायिका बनती रहीं.
दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
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दिलीप कुमार और सायरा इन दिनों बुढ़ापे की दहलीज पर हैं. दिलीप कुमार अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं और सायरा उनकी एकमात्र सहारा हैं. हर कहीं दोनों एक साथ आते-जाते हैं और एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. दोनों को कई पार्टियों और फिल्मी प्रीमियर के मौके पर साथ देखा जाता है. सायरा अपने खाली समय को समाज सेवा में लगाती हैं.टिप्पणियां
सायरा ने 'जंगली' (1961), 'शादी' (1962),'ब्लफ मास्टर' (1963),'दूर की आवाज' (1964),'आई मिलन की बेला' (1964),'अप्रैल फूल' (1964),'ये जिंदगी कितनी हसीन है' (1966),'प्यार मोहब्बत '(1966),'शागिर्द' (1966),'दीवाना' (1967),'अमन' (1967),'पड़ोसन' (1968),'झुक गया आसमान' (1968),'आदमी और इंसान' (1969), 'पूरब और पश्चिम' (1970),'गोपी' (1970),'बलिदान' (1971),'विक्टोरिया नं. 203' (1972),'दामन और आग' (1973),'आरोप' (1973),'ज्वार भाटा' (1973),'पैसे की गुड़िया' (1974),'दुनिया' (1984), 'फैसला' (1988) जैसी फिल्मों में अभिनय किया.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सायरा ने 'जंगली' (1961), 'शादी' (1962),'ब्लफ मास्टर' (1963),'दूर की आवाज' (1964),'आई मिलन की बेला' (1964),'अप्रैल फूल' (1964),'ये जिंदगी कितनी हसीन है' (1966),'प्यार मोहब्बत '(1966),'शागिर्द' (1966),'दीवाना' (1967),'अमन' (1967),'पड़ोसन' (1968),'झुक गया आसमान' (1968),'आदमी और इंसान' (1969), 'पूरब और पश्चिम' (1970),'गोपी' (1970),'बलिदान' (1971),'विक्टोरिया नं. 203' (1972),'दामन और आग' (1973),'आरोप' (1973),'ज्वार भाटा' (1973),'पैसे की गुड़िया' (1974),'दुनिया' (1984), 'फैसला' (1988) जैसी फिल्मों में अभिनय किया.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारतीय कंपनियों ने जून महीने में 3.16 अरब डॉलर विदेशों से उधार लिया. यह उधारी बीते साल जून की तुलना में 67 फीसदी ज्यादा है.
घरेलू कंपनियों ने जून 2014 में विदेशी बाजारों से 1.89 अरब डॉलर जुटाए थे. आंकड़ों के अनुसार जून 2015 में 2.35 अरब डॉलर तय तरीकों से जुटाए गए जबकि 80.648 करोड़ डॉलर ऑटोमेटिक मार्ग से जुटाए गए.
मंजूरी लेकर धन जुटाने की प्रक्रिया के तहत
भारती एयरटेल
व पावर फिनांस कारपोरेशन ने एक-एक अरब डॉलर जुटाए. इस श्रेणी में
रिलायंस इंडस्ट्रीज
ने 20 करोड़ डालर तथा एयर इंडिया ने 10.5 करोड़ डॉलर जुटाए.
इनपुट : भाषा |
कोच्चि के कुंबलम इलाके में क्रंकीट से भरे एक लावारिस ड्रम के अंदर मानव कंकाल मिलने से सनसनी फैल गई. सूचना पर पहुंची पुलिस ने कंकाल को कब्जे में लेकर छानबीन शुरू कर दी है. पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कंकाल आखिर है किसका.
कोच्चि पुलिस कंट्रोल को किसी ने सूचना दी थी कि कुंबलम में बैकवाटर तट पर श्रमिक संघ के कार्यालय के निकट एक ड्रम लावारिस पड़ा हुआ मिला है. जिससे काफी बदबू आ रही है.
ड्रम से बदबू आने की शिकायत पाकर पुलिस मौके पर जा पहुंची. पुलिस ने जब ड्रम की छानबीन की तो खुले पड़े ड्रम से
मानव कंकाल
बरामद हुआ. वहां मौजूद लोग ये मंजर देखकर हैरान रह गए. पुलिस आयुक्त एमपी दिनेश सहित पुलिस के कई आलाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए.
पुलिस ने कंकाल कब्जे में लेकर जांच के लिए भेज दिया. पुलिस के एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि यह ड्रम तलमार्जन अभियान के दौरान बैकवाटर तट के पास मिला था.
इस घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है. पुलिस भी यही पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर
कंकाल
किसका था. ड्रम में कंकाल को किसने डाला. |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत मदतान के खत्म होने के बाद राजनीतिक बयानबाजी और तेज हो गई है. इसी क्रम में बिहार के हाजीपुर के बीजेपी विधायक अवधेश सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की नाक उनकी दादी इंदिरा गांधी से नहीं बल्कि किसी विदेशी से मिलती है. वह इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि उनकी बहन प्रियंका गांधी की नाक उनकी दादी से मिलती है लेकिन राहुल गांधी की किसी अन्य विदेशी की तरह है. और इसमें बीजेपी या एनडीए का कोई दोष नहीं है.
दरअसल, हाजीपुर में एनडीए दलों की बैठक हो रही थी. इसी दौरान विधायक अवधेश सिंह पहुंचे थे. पूरी चर्चा एनडीए के प्रत्यासी को चुनाव जिताने की तैयारियों को लेकर थी. लेकिन विधायक साहब की बारी आई तो उन्होंने प्रियंका गांधी से लेकर राहुल गांधी पर हमला बोल दिया. अपने कार्यकर्ताओं और साथी नेताओं की तालियां बटोरने के लिए विधायक ने भाषा की मर्यादा तक नहीं रखी.
गौरतलब है कि नेताओं द्वारा इस चुनाव में विवादित बयान देने का यह कोई पहला मौका नहीं है. इससे पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर कई बड़े नेता विवादित बयान दे चुके हैं. जिसे लेकर चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भी थमाया है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तो एक रैली में भारतीय सेना को मोदी जी की सेना बता दिया था. वहीं कुछ दिन पहले उन्होंने अली-बजरंगबली को लेकर भी एक विवादित बयान दिया था. जिसपर चुनाव आयोग ने आपत्ति भी जताई थी. |
लेख: बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर जानना चाहा है कि क्या पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन बोर्ड की बैठकों में भाग ले सकते हैं या नहीं। न्यायालय पहले ही श्रीनिवासन को बोर्ड का चुनाव लड़ने से वंचित कर चुका है।
बोर्ड ने शीर्ष अदालत के 22 जनवरी के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा है। इस आदेश के तहत ही श्रीनिवासन को कोई भी चुनाव लड़ने से वंचित किया गया है। बीसीसीआई ने 28 अगस्त को कोलकाता में कार्यसमिति की बैठक स्थगित करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से राय लेने का फैसला किया था। श्रीनिवासन तमिलनाडु क्रिकेट संघ के अध्यक्ष होने के नाते बैठक में भाग लेने पहुंचे थे।
श्रीनिवासन की स्थिति साफ नहीं होने के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी थी, क्योंकि कुछ सदस्यों ने श्रीनिवासन की उपस्थिति पर सवाल उठाए थे। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के मद्देनजर हितों के टकराव के आधार पर शीर्ष अदालत ने बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से श्रीनिवासन को वंचित कर दिया था।टिप्पणियां
श्रीनिवासन ने बोर्ड के सदस्यों को स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा था कि एक प्रशासक और सीएसके की स्वामित्व वाली इंडियन सीमेन्ट्स कंपनी के मालिक के रूप में उनकी स्थिति में कोई हितों का टकराव नहीं है।
उन्होंने दलील दी थी कि वह तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष की हैसियत से बैठक में शामिल हो रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने जस्टिस श्रीकृष्ण की राय भी पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि वह बैठक में शामिल होने के हकदार हैं।
बोर्ड ने शीर्ष अदालत के 22 जनवरी के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा है। इस आदेश के तहत ही श्रीनिवासन को कोई भी चुनाव लड़ने से वंचित किया गया है। बीसीसीआई ने 28 अगस्त को कोलकाता में कार्यसमिति की बैठक स्थगित करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से राय लेने का फैसला किया था। श्रीनिवासन तमिलनाडु क्रिकेट संघ के अध्यक्ष होने के नाते बैठक में भाग लेने पहुंचे थे।
श्रीनिवासन की स्थिति साफ नहीं होने के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी थी, क्योंकि कुछ सदस्यों ने श्रीनिवासन की उपस्थिति पर सवाल उठाए थे। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के मद्देनजर हितों के टकराव के आधार पर शीर्ष अदालत ने बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से श्रीनिवासन को वंचित कर दिया था।टिप्पणियां
श्रीनिवासन ने बोर्ड के सदस्यों को स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा था कि एक प्रशासक और सीएसके की स्वामित्व वाली इंडियन सीमेन्ट्स कंपनी के मालिक के रूप में उनकी स्थिति में कोई हितों का टकराव नहीं है।
उन्होंने दलील दी थी कि वह तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष की हैसियत से बैठक में शामिल हो रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने जस्टिस श्रीकृष्ण की राय भी पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि वह बैठक में शामिल होने के हकदार हैं।
श्रीनिवासन की स्थिति साफ नहीं होने के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी थी, क्योंकि कुछ सदस्यों ने श्रीनिवासन की उपस्थिति पर सवाल उठाए थे। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के मद्देनजर हितों के टकराव के आधार पर शीर्ष अदालत ने बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से श्रीनिवासन को वंचित कर दिया था।टिप्पणियां
श्रीनिवासन ने बोर्ड के सदस्यों को स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा था कि एक प्रशासक और सीएसके की स्वामित्व वाली इंडियन सीमेन्ट्स कंपनी के मालिक के रूप में उनकी स्थिति में कोई हितों का टकराव नहीं है।
उन्होंने दलील दी थी कि वह तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष की हैसियत से बैठक में शामिल हो रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने जस्टिस श्रीकृष्ण की राय भी पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि वह बैठक में शामिल होने के हकदार हैं।
श्रीनिवासन ने बोर्ड के सदस्यों को स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा था कि एक प्रशासक और सीएसके की स्वामित्व वाली इंडियन सीमेन्ट्स कंपनी के मालिक के रूप में उनकी स्थिति में कोई हितों का टकराव नहीं है।
उन्होंने दलील दी थी कि वह तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष की हैसियत से बैठक में शामिल हो रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने जस्टिस श्रीकृष्ण की राय भी पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि वह बैठक में शामिल होने के हकदार हैं।
उन्होंने दलील दी थी कि वह तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष की हैसियत से बैठक में शामिल हो रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने जस्टिस श्रीकृष्ण की राय भी पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि वह बैठक में शामिल होने के हकदार हैं। |
वैसे, ऐसा एक मौका इससे पहले भी आया था, जब किसी एक मैच में 450 से ज़्यादा रन बने थे... एक मैच में 400 या ज़्यादा रन बनने के नौवें मौके के रूप में दर्ज इस मैच के दौरान 29 अगस्त, 2013 को चिर-प्रतिद्वंद्वियों ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच साउथैम्पटन में खेले गए मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 248 रन बनाए, जो सबसे बड़ी टी-20 पारियों की सूची में दूसरे नंबर पर दर्ज है... इसके जवाब में इंग्लैंड की टीम अपने कोटे के ओवरों में 209 रन ही बना पाई... इस तरह इस मैच में 40 ओवरों में 11.42 की औसत से कुल 457 रन बने...
सो, अब आप जानते ही हैं कि उपरोक्त छह मौकों के अलावा भी आठ बार 400 या ज़्यादा रनों का आंकड़ा छुआ गया, जिनकी विस्तृत जानकारी नीचे दी गई टेबल में मौजूद है... वैसे, फिलहाल वर्ल्ड कप जारी है, इसलिए दर्शकों को इंतज़ार है ऐसे किसी मैच का, जिसमें ये सभी रिकॉर्ड टूटें...
सो, अब आप जानते ही हैं कि उपरोक्त छह मौकों के अलावा भी आठ बार 400 या ज़्यादा रनों का आंकड़ा छुआ गया, जिनकी विस्तृत जानकारी नीचे दी गई टेबल में मौजूद है... वैसे, फिलहाल वर्ल्ड कप जारी है, इसलिए दर्शकों को इंतज़ार है ऐसे किसी मैच का, जिसमें ये सभी रिकॉर्ड टूटें... |
केन्द्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश के विशेष न्यायालय विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दो फरवरी को किया जाने वाला मौनव्रत स्थगित हो गया है, जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस आगामी दो फरवरी को अपने मौनव्रत पर कायम है.
मुख्यमंत्री सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, चूंकि केन्द्र सरकार द्वारा उक्त विधेयक को मंजूरी के लिये राष्ट्रपति को भेज दिया गया है, इसलिये अब मौनव्रत को कोई औचित्य नहीं रह जाता है.
इस विधेयक को मंजूरी में देरी को लेकर मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अलावा प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह तथा केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदांबरम से मुलाकात भी की थी.
उनका कहना था कि केन्द्र द्वारा बिहार सरकार के इसी प्रकार के विधेयक को मंजूरी दी जा चुकी है तो मध्य प्रदेश के विधेयक को मंजूरी क्यों नहीं प्रदान की गयी.
इस विधेयक में आय से अधिक सम्पत्ति रखने वालों लोकसेवकों की सम्पत्ति राजसात करने के लिये सरकार विशेष न्यायालय में आवेदन दे सकती है और अदालत मामले का फैसला होने तक सम्पत्ति को शासन के पास रखने का आदेश दे सकती है.
एक साल में अदालत का फैसला आने पर यदि फैसला आरोपी के पक्ष में आता है तो सम्पत्ति उसे वापस लौटा दी जायेगी अन्यथा सम्पत्ति शासन की हो जायेगी.
मुख्यमंत्री के मौनव्रत की घोषणा के बाद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी राज्य सरकार की विफलताओं को उजागर करने के लिये प्रदेशव्यापी मौनव्रत आंदोलन की घोषणा की है. प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मानक अग्रवाल ने बताया कि कांग्रेस का प्रदेशव्यापी आंदोलन आगामी दो फरवरी को जिला स्तर पर होगा तथा कांग्रेसी महात्मा गांधी के प्रतिमा के सामने मौनव्रत धारण करेंगे तथा सभी स्थानों पर राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन संबंधित अधिकारियों को सौंपा जायेगा.
उन्होंने बताया कि ज्ञापन में मांग की जायेगी कि लोकायुक्त छोटे कर्मचारियों के साथ साथ बड़े अधिकारियों और मंत्रियों के यहां भी छापे डाले. |
उत्तराखंड में गढ़वाल के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारों धामों में सबसे प्रमुख बद्रीनाथ के कपाट आज सुबह श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं. सुबह करीब साढ़े चार बजे पट खुलने के साथ ही भक्तों ने अपने भगवान के दर्शन का सिलसिला शुरू कर दिया. जयकारों के साथ भक्त अपनी आवाज बद्रीविशाल तक पहुंचाने की कोशिश में लग गए.
बता दें कि पिछले दो दिनों में हजारों भक्त बाबा बद्रीनाथ के दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं. जैसे ही पट खुले बाबा बद्रीनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. चारों तरफ बर्फ की सफेद पहाड़ियों के बीच बना बद्रीनाथ का मंदिर एक अलग ही छटा बिखेरता है. जिसमें फूलों की सजावट ने चार चांद लगा दिए.
सैकड़ों-हजारों किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचे भक्तों में जबरदस्त उत्साह है. सोमवार सुबह साढ़े चार बजे बद्रीनाथ के पट खोले गए. हालांकि आज भगवान बद्रीनाथ जी के निर्वाण दर्शन कर रहे हैं. काली शिला पर भगवान के दर्शन बिना श्रृंगार के किए जाते हैं, इस लिए इसे निर्वाण दर्शन कहा जाता है. आज बद्रीनाथ मंदिर में विशेष पूजा अर्चना नहीं होती. आज शाम की आरती के बाद कल यानी मंगलवार से रोज विशेष पूजा अर्चना शुरू होगी.
गौरतलब है कि बद्रीनाथ सहित गढ़वाल के हिमालयी क्षेत्र में स्थित
चारों धामों के कपाट
सर्दियों में भारी हिमपात और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में
श्रद्धालुओं
के लिए बंद कर दिए जाते हैं. जो अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोल दिए जाते हैं.
गढ़वाल हिमालय की आर्थिक रीढ़ मानी जाने वाली चारधाम यात्रा छह माह के सीजन के दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस साल चार धामों के लिए यात्रा की शुरुआत 18 अप्रैल से गंगोत्री और यमुनोत्री के पट खुलने के साथ ही हो गई है.
गौरतलब है कि
केदारनाथ धाम के कपाट
रविवार की सुबह श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे. पुजारियों के मंत्रोच्चार और श्रद्धालुओं के जयकारे के बीच छह महीने बाद केदारनाथ के कपाट खोले गए. कपाट खुलने के बाद मंदिर में पूजा अर्चना की गई, उसके बाद भगवान शिव के दर्शन शुरू हो गए. |
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस-नीत केंद्र सरकार महिला आरक्षण विधेयक में संशोधन कर अगर दलित, पिछड़े वर्ग और मुस्लिम महिलाओं के लिए आरक्षण की बात करे तो उनकी पार्टी उसे समर्थन देने पर विचार करेगी.
मुलायम सिंह यादव ने कहा, 'सपा महिला आरक्षण के खिलाफ नहीं है. अगर महिला आरक्षण के लिए संशोधित विधेयक आता है तो हमारी पार्टी उसके समर्थन पर गंभीरता से विचार करेगी.'
यादव ने कहा कि सपा की मांग है कि महिला आरक्षण विधेयक में दलित, पिछड़े वर्ग की और मुस्लिम महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाए.
उन्होंने इससे पहले बाराबंकी में कहा था, 'अगर महिला आरक्षण विधेयक मौजूदा स्वरूप में पारित हो जाता तो गरीब और गांवों की महिलाओं को मौका नहीं मिलता. सपा इसीलिए इस विधेयक का विरोध कर रही है.' |
देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित सर्वश्रेष्ठ एवं कर्णप्रिय स्तुतियों में से एक है।
स्तोत्र
अथ देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्
||श्री गणेशाय नमः|| हरि: ॐ
न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥१॥
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत्।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥२॥
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥३॥
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥४॥
परित्यक्ता देवा विविधविधसेवाकुलतया
मया पञ्चाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥५॥
श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकैः।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥६॥
चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपतिः।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥७॥
न मोक्षस्याकांक्षा भवविभववांछापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपतः ॥८॥
नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभिः।
श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥९॥
आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥१०॥
जगदम्ब विचित्रमत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि।
अपराधपरम्परापरं न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥११॥
मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि।
एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु ॥१२॥
|| इति श्रीमद् परमहंस परिव्राज्रकाचार्य श्रीमच्छंकराचार्यकृतं देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् संपूर्णम् ||
बाहरी कड़ियाँ
Complete Works of Shankaracharya
स्तोत्र
दुर्गा |
कन्या भ्रूण हत्या जन्म से पहले लड़कियों को मार डालने की क्रिया है।
भारत मे कन्या भ्रूण हत्या 2018 to 2022
भारत सरकार प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण एवं कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगा चुकी है।
भारत में लिंग अनुपात
1000 / 972 (प्रति एक हजार (१०००) पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या)- जनगणना, १९०१
1000 / 933 (प्रति एक हजार (१०००) पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या)- जनगणना, २००१
इस परंपरा के वाहक अशिक्षित व निम्न व मध्यम वर्ग ही नहीं है बल्कि उच्च व शिक्षित समाज भी है। भारत के सबसे समृध्द राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में लिंगानुपात सबसे कम है। २००१ की जनगणना के अनुसार एक हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या पंजाब में 798, हरियाणा में 819 और गुजरात में 883 है। कुछ अन्य राज्यों ने इस प्रवृत्ति को गंभीरता से लिया और इसे रोकने के लिए अनेक कदम उठाए जैसे गुजरात में 'डीकरी बचाओ अभियान' चलाया जा रहा है। इसी प्रकार से अन्य राज्यों में भी योजनाएँ चलाई जा रही हैं। भारत में पिछले चार दशकों से सात साल से कम आयु के बच्चों के लिंग अनुपात में लगातार गिरावट आ रही है। वर्ष 1981 में एक हजार बालकों पर ९६२ बालिकाएँ थी। वर्ष २००१ में यह अनुपात घटकर ९२७ हो गया। यह इस बात का संकेत है कि हमारी आर्थिक समृध्दि और शिक्षा के बढते स्तर का इस समस्या पर कोई प्रभाव नहीं पड रहा है। वर्तमान समय में इस समस्या को दूर करने के लिए सामाजिक जागरूकता बढाने के लिए साथ-साथ प्रसव से पूर्व तकनीकी जांच अधिनियम को सख्ती से लागू किए जाने की जरूरत है। जीवन बचाने वाली आधुनिक प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग रोकने का हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए। देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने पिछले वर्ष महात्मा गांधी की 138वीं जयंती के मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की बालिका बचाओ योजना (सेव द गर्ल चाइल्ड) को लांच किया था। राष्ट्रपति ने इस बात पर अफसोस जताया था कि लडक़ियाें को लडक़ाें के समान महत्व नहीं मिलता। लडक़ा-लडक़ी में भेदभाव हमारे जीवनमूल्याें में आई खामियाें को दर्शाता है। उन्नत कहलाने वाले राज्याें में ही नहीं बल्कि प्रगतिशील समाजाें में भी लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक है। हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य में सैक्स रैशो में सुधार और कन्या भ्रूण स्हर्त्यातुजेत्द्स्ज्य्कि रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने एक अनूठी स्कीम तैयार की है। इसके तहत कोख में पल रहे बच्चे का लिंग जांच करवा उसकी हत्या करने वाले लोगाें के बारे में जानकारी देने वाले को 10 हजार रुपए की नकद इनाम देने की घोषणा की गई है। प्रत्येक प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को ऐसा सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है। प्रसूति पूर्व जांच तकनीक अधिनियम 1994 को सख्ती से लागू किए जाने की जरूरत है। भ्रूण हत्या को रोकने के लिए राज्य सरकारों को निजी क्लीनिक्स का औचक निरीक्षण व उन पर अगर नजर रखने की जरूरत है। भ्रूण हत्या या परीक्षण करने वालों के क्लीनिक सील किए जाने या जुर्माना किए जाने का प्रावधान की जरूरत है। फिलहाल इंदिरा गांधी बालिका सुरक्षा योजना व्केस्र्त्जुच्फ्य्जुय्तिक्र्त्यु तहत पहली कन्या के जन्म के बाद स्थाई परिवार नियोजन अपनाने वाले माता-पिता को 25 हजार रुपए तथा दूसरी कन्या के बाद स्थाई परिवार नियोजन अपनाने माता-पिता को 20 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किए जा रहे हैं। बालिकों पर हो रहे अत्याचार के विरुध्द देश के प्रत्येक नागरिक को आगे आने की जरूरत है। बालिकाओं के सशक्तिकरण में हर प्रकार का सहयोग देने की जरूरत है। इस काम की शुरूआत घर से होनी चाहिए।
ने ऊपर होने वाले अत्याचार को भी वे परिवार के लिए हंस कर सहन करती हैं। यह वास्तव में विडंबना है कि हमारे देश के सबसे समृध्द राज्याें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में लिंगानुपात सबसे कम है
बालिका भूण हत्या की प्रवृत्ित सबसे अधिक अमानवीय असख्य और घृणित कार्य है। पितृ सत्तात्मक मानसिकता और बालकाें को वरीयता दिया जाना ऐसी मूल्यहीनता है, जिसे कुछ चिकित्सक लिंग निर्धारण परीक्षण जैसी सेवा देकर बढावा दे रहे हैं।
यह एक चिंताजनक विषय है िक देश के कुछ समृध्द राज्याें में बालिका भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति अधिक पाई जा रही है। देश की जनगणना-2001 के अनुसार एक हजार बालकाें में बालिकाओं की संख्या पंजाब में 798, हरियाणा में 819 और गुजरात में 883 है, जो एक चिंता का विषय है। इसे गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है।
कुछ अन्य राज्याें ने अपने यहां इस घृणित प्रवृत्ति को गंभीरता से लिया और इसे रोकने के लिए अनेक प्रभावकारी कदम उठाए जैसे गुजरात में 'डीकरी बचाओ अभियान' चलाया जा रहा है। इसी प्रकार से अन्य राज्याें में भी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
यह कार्य केवल सरकार नहीं कर सकती है। बालिका बचाओ अभियान को सएउर्फत्लएरुइएत् बनाने के लिए समाज की सक्रिय भागीदारी बहुत ही जरूरी है। देश में पिछले चार दशकाें से सात साल से कम आयु के बच्चों के लिंग अनुपात में लगातार गिरावट आ रही है। वर्ष 1981 में एक हजार बालकाें के पीछे 962 बालिकाएं थीं। वर्ष 2001 में यह अनुपात घटकर 927 हो गया, जो एक चिंता का विषय है। यह इस बात का संकेत है कि हमारी आर्थिक समृध्दि और शिक्षा के बढते स्तर का इस समस्या पर कोई प्रभाव नहीं पड रहा है।
वर्तमान समय में इस समस्या को दूर करने के लिए सामाजिक जागरूकता बढाने के लिए साथ-साथ प्रसव से पूर्व तकनीकी जांच अधिनियम को सख्ती से लागू किए जाने की जरूरत है। जीवन बचाने वाली आधुनिक प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग रोकने का हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।
देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने पिछले वर्ष महात्मा गांधी की 138वीं जयंती के मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की बालिका बचाओ योजना (सेव द गर्ल चाइल्ड) को लांच किया था। राष्ट्रपति ने इस बात पर अफसोस जताया था कि लडक़ियाें को लडक़ाें के समान महत्व नहीं मिलता। लडक़ा-लडक़ी में भेदभाव हमारे जीवनमूल्याें में आई खामियाें को दर्शाता है। उन्नत कहलाने वाले राज्याें में ही नहीं बल्कि प्रगतिशील समाजाें में भी लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक है।
हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य में सैक्स रैशो में सुधार और कन्या भ्रूण स्हर्त्यातुजेत्द्स्ज्य्कि रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने एक अनूठी स्कीम तैयार की है। इसके तहत कोख में पल रहे बच्चे का लिंग जांच करवा उसकी हत्या करने वाले लोगाें के बारे में जानकारी देने वाले को 10 हजार रुपए की नकद इनाम देने की घोषणा की गई है। प्रत्येक प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को ऐसा सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है।
प्रसूति पूर्व जांच तकनीक अधिनियम 1994 को सख्ती से लागू किए जाने की जरूरत है। भ्रूण हत्या को रोकने के लिए राज्य सरकारों को निजी क्लीनिक्स का औचक निरीक्षण व उन पर अगर नजर रखने की जरूरत है। भ्रूण हत्या या परीक्षण करने वालों के क्लीनिक सील किए जाने या जुर्माना किए जाने का प्रावधान की जरूरत है।
फिलहाल इंदिरा गांधी बालिका सुरक्षा योजना के तहत पहली कन्या के जन्म के बाद स्थाई परिवार नियोजन अपनाने वाले माता-पिता को 25 हजार रुपए तथा दूसरी कन्या के बाद स्थाई परिवार नियोजन अपनाने माता-पिता को 20 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किए जा रहे हैं।
बालिकों पर हो रहे अत्याचार के विरुध्द देश के प्रत्येक नागरिक को आगे आने की जरूरत है। बालिकाओं के सशक्तिकरण में हर प्रकार का सहयोग देने की जरूरत है। इस काम की शुरूआत घर से होनी चाहिए।
बाहरी कड़ियाँ
भारत में कन्या भ्रूण हत्या:एक अभिशाप (बीबीसी हिन्दी पर)
कन्या भ्रूण हत्या के भारत ३ मिलयन लडकियों को खो चुका है। (९ अक्टूबर २०१२ को भारत सरकार के आंकड़ों पर आधारित "दी हिन्दू" समाचारपत्र की खबर)
नारी
अपराध |
पूर्व सांसद चिरंजीवी, वयलार रवि और राजीव शुक्ला सहित यूपीए के पूर्व मंत्रियों को बंगला खाली करने के लिए नोटिस मिला है. इन लोगों ने अब तक अपने आधिकारिक बंगले खाली नहीं किए हैं.
अजीत सिंह के बंगले पर मचा था बवाल
शहरी विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट मंत्रियों को आवंटित किए जाने वाले टाइप आठ बंगले पाने वाले पांच पूर्व मंत्रियों को बंगला खाली करने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं क्योंकि एस्टेट निदेशालय को नए मंत्रियों को आवास आवंटित करने का काम दिया गया है.
अधिकारी ने कहा कि तीन पूर्व मंत्री टाइप आठ बंगले में रह रहे हैं, जिसके वे हकदार नहीं हैं. रवि, चिरंजीवी और शुक्ला के अलावा के एच मुनियप्पा और अधीर रंजन चौधरी को भी बंगला खाली करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं. |
यह एक लेख है: शैलेश के बाद 'कौन बनेगा करोड़पति' (Kaun Banega Crorepati) में फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट का सही जवाब देकर मेदिनीनगर, झारखंड की दीपज्योति ने हॉटसीट पर बैठने का मौका हासिल किया. हॉटसीट पर बैठने के बाद अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने दीपज्योति से कहा कि आप थोड़ी मायूस लग रही हैं. इस पर कंटेस्टेंट ने कहा, "आपको सामने देख रही हूं, इसलिए सर." कंटेस्टेंट की बात सुनकर अमिताभ बच्चन ने कहा कि यह घिसा पिटा डायलॉग मत बोलिए. शो के दौरान कंटेस्टेंट ने बताया कि वह स्कूल में बच्चों को एबेकस पढ़ाती हैं, जिसका संबंध गणित से है. दीपज्योति का काम सुनकर खुद अमिताभ बच्चन भी हैरान रह गए. शो में आई दीपज्योति ने अपने परिवार को बखूबी संभाला हुआ है. उनके पिता के जाने के बाद और भाई की मृत्यु के बाद वह अपने परिवार के साथ मजबूती से खड़ी रहीं. शो के दौरान अमिताभ बच्चन ने बताया कि एक्ट्रेस आलिया भट्ट उनकी पसंदीदा कलाकार हैं.
शो में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने दीपज्योति (Deep Jyoti) से पूछा कि वह जीती हुई धनराशि से क्या करेंगी. इस पर कंटेस्टेंट ने कहा कि इन पैसों से अपनी बहन की शादी करवाने में मदद करेंगी और अपनी मम्मी को एक नया घर दिलवाएंगी. |
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में जाली भारतीय नोट धड़ल्ले से चल रहे हैं. यूएई ने लोगों को विशेष रूप से मुद्रा विनिमय कंपनियों और उनके ग्राहकों को इसके प्रति आगाह किया है. खास बात यह है कि ये जाली नोट पूरी तरह भारतीय मुद्रा से मिलते हैं.
सूत्रों के मुताबिक इन जाली
नोटों को छापने में इस्तेमाल प्रौद्योगिकी इतनी बेहतर है
कि सामान्य लोग ही नहीं एक्सचेंज के कर्मचारियों के लिए भी इन्हें पहचानना मुश्किल है. हाल में शारजाह की विदेशी मुद्रा विनिमय कंपनी को यूएई सुप्रीम कोर्ट ने जाली मुद्रा मामले में बरी किया है.
जून में एक भारतीय जिसका नाम सिर्फ एम एस बताया गया है, को शारजाह सीआईडी ने गिरफ्तार किया था. इस तरह की सूचना मिली थी कि दिरहम के बदले में एक ग्राहक को कुछ भारतीय नोट दिए गए जो बाद में नकली पाए गए.
पुलिस को इस बारे में सूचना केरल की एक महिला
की गिरफ्तारी के बाद मिली थी. इस महिला ने एक बैंक को कुछ जाली भारतीय नोट दिए थे. अधिवक्ता मोहम्मद अलावी ने बताया कि उस महिला के पति ने कुछ भारतीय रुपये के बदले दिरहम लिया था.
महिला ने केरल के एक बैंक में अपनी पुत्री के
एजुकेशन लोन के भुगतान के रूप में 6,000 रुपये दिए थे.
इनमें से पांच 1,000 के नोट जाली पाए गए थे. जांच के बाद पुलिस ने रिपोर्ट दी है कि बिना विशेष प्रकार की मशीनों के इस्तेमाल के जाली नोटों को पकड़ा नहीं जा सकता.
इनपुट: भाषा |
भारत और अफगानिस्तान के बीच बने एयर कार्गो कॉरिडोर के जरिए पहला विमान सोमवार को दिल्ली पहुंच गया. इस कॉरिडोर की महत्ता इसी बात से लगाया जा सकता है कि विमान के स्वागत के लिए खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गई थीं. उनके साथ नागर विमानन मंत्री गणपति राजू, विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर और भारत में अफगानिस्तान के राजदूत शाईदा मोहम्मद अब्दाली भी मौजूद थें.
पाकिस्तान को मिला मुंहतोड़ जबाव
भारत अफगानिस्तान के साथ कारोबार के लिए दिल्ली-काबुल के बीच रोड कॉरिडोर बनाने की कोशिश में था. यह रास्ता पाकिस्तान से होकर गुजरता. इसलिए पाकिस्तान ने इस पर एतराज जताया. इस कॉरिडोर के बनने से भारत न केवल काबुल बल्कि अफगानिस्तान से सटे देशों से भी कारोबारी रिश्ते बेहतर कर सकता था. भले ही पाकिस्तान ने अपने देश से होकर गुजरने वाली सड़क को मंजूरी नहीं दी हो. लेकिन भारत भी कहां चुप बैठने वाला था. पाकिस्तान के एतराज के बाद भारत ने एक कदम आगे चलकर
एयर कॉरिडोर
का तरीका निकाला डाला. दोनों देशों के डेलिगेशन के बीच हार्ट ऑफ एशिया में बायलैट्रल मीट के दौरान एयर कार्गो कॉरिडोर पर चर्चा हुई. दोनों देशों के बीच सिक्युरिटी, स्टैबिलिटी के अलावा ट्रेड के लिए एयर कॉरिडोर बनाने पर बातचीत हुई. गनी भी ट्रेड के लिए एयर कॉरिडोर बनाने के लिए तैयार हो गए. जिसके बाद दोनों के बीच यह सेवा शुरू कर दी गई है.
बता दें कि 2010 में पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच
ट्रेड एग्रीमेंट
हुआ है. इसके तहत अफगानिस्तान अपने ट्रक पाकिस्तान के रास्ते का इस्तेमाल करते हुए किसी दूसरे देश में नहीं भेज सकता.
प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट कर अपनी खुशी जाहिर की है. उन्होंने लिखा- काबूल से आया पहला एयर कार्गो कॉरिडोर विमान का हम स्वागत करते हैं. भारत और अफगानिस्तान के बीच इस जुड़ाव के लिए शुभकामनाएं. मैं राष्ट्रपति अशरफ गनी को हम बधाई देते हैं.
Happy to welcome the first Air Freight Corridor flight from Kabul.
pic.twitter.com/9mVobkpopv
— Narendra Modi (@narendramodi)
June 19, 2017
Direct connectivity between India and Afghanistan will usher prosperity. I thank President
@ashrafghani
for the initiative.
— Narendra Modi (@narendramodi)
June 19, 2017
काबूल से राष्ट्रपति अशरफ गनी ने दिखाई थी हरी झंडी
काबूल से चले इस विमान को अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी ने खुद हरी झंडी दिखाई थी. उनके साथ अफगानी कैबिनेट के कुछ मंत्री और अफगानिस्तान में भारतीय दूत मनप्रीत वोहरा भी मैजूद थें. दिल्ली आए इस विमान का भार 60 टन है. जिसमें ज्यादतर हींग का आयात हुआ है. इससे पहले 18 जून को एक कार्गो विमान दिल्ली से काबूल गया था. उसमें 100 टन माल भरा था. जिसमें दवाइयां, वाटर प्यूरीफायर और स्वास्थ से जुड़ी सामान थीं.
एयर कार्गो कॉरीडोर का उद्देश्य
इसका उद्देश्य अफगानिस्तान को भारतीय बाजार में एक वैकल्पिक व्यापार लिंक देना है. साथ ही भारतीय माल को युद्ध से तबाह हुए इस देश में पहुंचाना है. अफगानिस्तान के फल, मेवों और कालीन की भारत में काफी मांग है. माल ढुलाई गलियारे से इनके आयात को बढ़ावा मिलेगा. यह एक वाणिज्यिक उद्यम है जो दोनों सरकारों द्वारा बहुत दृढ़ता से और बहुत उद्देश्यपूर्वक समर्थित है. |
पदोन्नति में आरक्षण विधेयक के राज्यसभा में विरोध के दौरान अपने सदस्यों पर कड़ी कार्रवाई किये जाने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट किया कि संप्रग सरकार को उसका समर्थन जारी रहेगा.
सपा नेता राम गोपाल यादव ने संसद भवन परिसर में कहा, ‘राज्यसभा में गुरुवार की घटना और सरकार को समर्थन जारी रखने में कोई लेना देना नहीं है.’
गौरतलब है कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में सपा के सदस्यों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया.
इससे पहले भारी हंगामे के बीच सपा के दो सदस्यों को सदन से बाहर जाने का आदेश दिया गया था तथा नाटकीय घटनाक्रम में बैठक को तीन बार स्थगित करना पड़ा.
गुरुवार का दिन को संसदीय लोकतंत्र का ‘काला दिन’ करार देते हुए यादव ने कहा कि उनकी पार्टी पहले दिन से इस विधेयक का विरोध कर रही है लेकिन इसे अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी क्योंकि उच्च सदन में अन्य दल आपस में मिल गए थे.
सपा नेता ने कहा, ‘यह विधेयक असंवैधानिक है. लेकिन सरकार इसे पारित करने को आमदा है. यह लोगों के हित में नहीं है. विभिन्न दलों ने इसे पारित कराने का निर्णय किया है. हम इसका शुरू से ही विरोध कर रहे है और हमारे सदस्यों को एक-एक करके बाहर जाने का आदेश दिया गया.’
यादव ने संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ की टिप्पणी पर भी गहरी आपत्ति व्यक्त की जिसमें उन्होंने कहा कि शोर-शराबा करने वाले सभी सपा सदस्यों को बाहर जाना चाहिए. |
फोर्ब्स ने 2018 की वर्ल्ड मोस्ट पावरफुल 100 वुमेन की लिस्ट रिलीज की है. इसमें भारतीय एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. मीडिया एंड एंटरटेनमेंट कैटेगरी में दुनिया की सबसे पावरफुल वुमन की लिस्ट में
प्रियंका
इकलौती भारतीय एक्ट्रेस हैं. उन्हें फोर्ब्स की पावरफुल वुमेन की ओवरऑल लिस्ट में 94वां रैंक मिला है, वहीं मीडिया एंड एंटरटेनमेंट कैटेगरी में15वां रैंक हासिल हुआ है.
मीडिया एंड एंटरटेनमेंट कैटेगरी में पहले पायदान पर ओपरा विनफ्रे हैं. लिस्ट में
प्रियंका
चोपड़ा के अलावा भारत से रोशनी नाडर मल्होत्रा, शोभना भरतिया, किरण मजूमदार शॉ के नाम हैं. पावरफुल वूमन की लिस्ट में जहां प्रियंका ने बाजी मारी है. वहीं फोर्ब्स की हाईएस्ट पेड इंडियन सेलेब्रिटी की लिस्ट में प्रियंका की रैंकिंग गिरी है.
एक्ट्रेस को 18 करोड़ की इनकम के साथ 49वां रैंक मिला है. पिछले साल आई फोर्ब्स की इंडियन सेलेब्रिटी 100 की लिस्ट में एक्ट्रेस को 7वां रैंक मिला था.
दूसरी तरफ, Forbes 2018 की 100 सबसे अमीर सेलिब्रिटी की लिस्ट में सुपरस्टार
सलमान खान
का नाम सबसे ऊपर है. सलमान ने क्रिकेटर विराट कोहली को पीछे छोड़ते हुए टॉप पर जगह बनाई है. टॉप 10 की लिस्ट में अक्षय कुमार, दीपिका पादुकोण का नाम शमिल है. दूसरे पायदान पर रहने वाले शाहरुख 13वीं रैकिंग पर पहुंच गए हैं. इस साल
शाहरुख
की कमाई में 33 प्रतिशत की कमी आई है. |
टेस्ट मैचों के दौरान स्टेडियम में दर्शकों की गिरती संख्या को एक बार फिर बढ़ाने के इरादे से बीसीसीआई इस साल भारत में डे-नाइट टेस्ट मैच का आयोजन करेगी. बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर ने इसकी जानकारी दी.
टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलेगी पहला डे-नाइट टेस्ट मैच
अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘हमने फैसला किया है कि हम न्यूजीलैंड के खिलाफ इस साल के आखिर में गुलाबी गेंद से एक दिन-रात्रि टेस्ट मैच खेलेंगे. इससे पहले दलीप ट्रॉफी दिन रात्रि टेस्ट मैच के लिए ड्रेस रिहर्सल का काम करेगी. ठाकुर ने कहा कि दलीप ट्रॉफी को दिन रात्रि में करने का मुख्य मकसद उपमहाद्वीप की परिस्थितियों में दूधिया रोशनी में गुलाबी कुकाबुरा के मिजाज को समझना है.’
ठाकुर ने कहा, ‘हमने अभी तक मैच स्थल का चयन नहीं किया है. इसके लिए हमें कई कारकों पर विचार करना होगा. जैसे कि ओस के कारण स्पिनर गुलाबी कुकाबुरा से कैसे गेंदबाजी करते हैं. दलीप ट्रॉफी के दौरान हमें इन चीजों का अनुमान लग जाएगा. संभावना है कि इस दलीप ट्रॉफी मैच में भारत के चोटी के खिलाड़ी भाग लेंगे और टेस्ट मैच से पहले बोर्ड को फीडबैक भी देंगे.’
भारत में टेस्ट मैचों में एसजी टेस्ट गेंद का उपयोग किया जाता है लेकिन ठाकुर ने कहा कि इस मैच में गुलाबी कुकाबुरा का उपयोग किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘हम बाद एसजी से गुलाबी गेंद तैयार करने के लिए कह सकते हैं लेकिन वह उसी तरह से बेहतर होनी चाहिए जैसी अभी कुकाबुरा तैयार कर रहा है.’
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आज भारत के लिए भी यूएस ओपन में अहम दिन है। भारत के लिएंडर पेस और उनके चेक जोड़ीदार राडेक स्टेपनेक की जोड़ी पुरुष डबल्स के फाइनल में उतरेगी। चौथी वरीयता प्राप्त इस जोड़ी की फाइनल में टक्कर दूसरी वरीयता प्राप्त पेया और सोरेस की जोड़ी से होगी।
पेस पहले ही अपने नाम सात पुरुष डबल्स सहित 13 ग्रैंडस्लैम खिताब जीत चुके हैं। आज उनके पास अब अपना 14वां खिताब हासिल करने का मौका है।
पेस पहले ही अपने नाम सात पुरुष डबल्स सहित 13 ग्रैंडस्लैम खिताब जीत चुके हैं। आज उनके पास अब अपना 14वां खिताब हासिल करने का मौका है। |
फिल्म: सिम्बा
निर्देशक: रोहित शेट्टी
स्टार: रणवीर सिंह, सारा अली खान, सोनू सूद, आशुतोष राणा और अन्य
सर्टिफिकेट : U/A
अवधि: 2 घंटा 45 मिनट
क्रिटिक्स रेटिंग : 1
ऑडियंस रेटिंग्स: 3.5
चेन्नई एक्सप्रेस, सिंघम और गोलमाल अगेन जैसी मसालेदार मनोरंजक फ़िल्में बनाने वाले रोहित शेट्टी 2018 के अंत में सिम्बा लेकर आए हैं. सिम्बा, दक्षिण की फिल्म टेम्पर का रीमेक है. हालांकि इसमें हिंदी ऑडियंस के हिसाब से बदलाव भी किए गए हैं. पहली बार रोहित शेट्टी ने रणवीर सिंह और सारा अली खान को लेकर फिल्म बनाई है. इसमें उनकी पुरानी टीम, अजय देवगन और 2019 में अक्षय कुमार के साथ सूर्यवंशी की झलक भी है. आइए जानते हैं कैसी बन पड़ी है रणवीर की फिल्म...
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक पुलिस कॉप की है. ये उसी शिवगढ़ से शुरू होती है, जहां सिंघम खत्म हुई थी. एक अनाथ बच्चा है संग्राम भालेराव यानी सिम्बा. वो ग़लत धंधों में है, लेकिन कुछ ऐसा होता है कि उसने पुलिस अफसर बनने की ठान ली है. अफसर भी इसलिए बनना चाहता कि पावरफुल हो और ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाए. कैसे भी. ग़लत कामों के साथ मेहनत करते हुए परदे पर नौजवान पुलिस अफसर सिम्बा (रणवीर सिंह) एंट्री मारते हैं. सिम्बा मसखरा है, टपोरी है और हीरो है तो जाहिर सी बात है प्रेमी भी है. पर शर्मीला और बेपरवाह, घूस भी वसूलता है. फिल्म के शुरू के दो फ्रेम में हीरो, विलेन और दूसरे किरदार के साथ कहानी साफ़ है.
संग्राम भालेराव का तबादला दुर्वा रानाडे (सोनू सूद) के इलाके में होता है. रानाडे गोवा का ताकतवर डान है. वह अपने भाइयों सदाशिव और गौरव रानाडे के साथ ड्रग स्मगलिंग से लेकर जमीन कब्जाने तक के तमाम गैर कानूनी काम करता है. नई पोस्टिंग में आते ही सिम्बा, मेडिकल की पढ़ाई कर रही आकृति (वैदेही) को अपनी बहन बना लेता है, जो अनाथ बच्चों को फुटपाथ पर पढ़ाने का काम करती है.
सिम्बा की मुलाक़ात थाने के सामने कैटरिंग का बिजनेस चलाने वाली शगुन (सारा अली खान) से भी हो जाती है. पहली नजर में ही सिम्बा उसे दिल दे बैठता है. सारा के पिता पुलिस अफसर थे और एक एनकाउंटर में उनकी मौत हो गई थी. इंस्पेक्टर तावड़े, सीनियर कांस्टेबल नित्यानंद मोहिले (आशुतोष राणा), कांस्टेबल धोरकर और तमाम दूसरे किरदारों का परिचय सामने आता है.
सिम्बा नई पोस्टिंग में आकर घूसखोरी और मसखरी जारी रखता है. सिम्बा, रानाडे के लिए पैसे के बदले काम करने लग है. इस बीच सारा अली खान से उसकी प्रेम कहानी भी आगे बढ़ रही है. हालांकि सीनियर कांस्टेबल मोहिले (आशुतोष राणा), सिम्बा से नाराज है और उसे ग़लत रास्ते पर चलने से बार बार आगाह करता रहता है. कहानी में सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है इसी बीच इंटरवल से पहले सिम्बा के साथ कुछ ऐसा होता है जो उसकी जिंदगी को बदल कर रख देती है. सिम्बा के साथ ऐसा क्या होता है, क्यों वह रानाडे के खिलाफ चला जाता है और क्यों बेईमानी के रास्ते को छोड़ता है? इन तमाम बातों के लिए फिल्म देखने जाना होगा.
कहानी, संवाद, कैमरा और म्यूजिक
सिम्बा जैसी कहानियां पर्दे पर सैकड़ों बार दिखाई जा चुकी हैं और पहले फ्रेम से ही मालूम हो जाता है कि अगले पल क्या होने वाला है. फिर भी कहानी बोर नहीं करती है. तो इसके लिए रोहित शेट्टी के निर्देशन की तारीफ होनी चाहिए. उन्होंने मूवी की पिच को मनोरंजक बनाए रखा है.
फिल्म के मूड के हिसाब से कहानी की जान दर्जनों वन लाइनर संवाद हैं. इसके लिए फरहाद शम्जी की तारीफ होनी चाहिए. ज्यादातर संवाद सिम्बा यानी रणवीर सिंह के हिस्से आए हैं. दूसरे कलाकारों के हिस्से के संवाद भी तीखे, ट्रेंडी और चुटीले हैं. जिन्होंने फिल्म नहीं देखी है उन्होंने ट्रेलर में इसकी झलक भी देखी होगी. बैकग्राउंड स्कोर भी बढ़िया बन पड़ा है.
चेन्नई एक्सप्रेस को छोड़ दें तो रोहित शेट्टी की अधिकांश फिल्मों में आउटडोर लोकेशन ज्यादा मायने नहीं रखते. हालांकि सिम्बा में उन्होंने बेहतरीन लोकेशन पर रणवीर और सारा अली खान के ऊपर रोमांटिक गाना फिल्माया है. एक दो जगह को छोड़ दी जाए तो फिल्म की गति बंटी नेगी के सम्पादन की वजह से ठीक है.
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Dec 27, 2018 at 4:34am PST
कैमरा वर्क भी अच्छा है. खासतौर से एक्शन सीन्स के विजुअल बहुत प्रभावी बन पड़े हैं. सिर्फ क्लाइमेक्स के सीन को छोड़ दिया जाए तो पहली बार रोहित शेट्टी ने अपनी किसी फिल्म में कारों का ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया है.
फिल्म के लिए आंख मारे को रीक्रिएट किया गया है. कई और गाने भी हैं. गाने लम्बी उम्र के नहीं है पर फिल्म के मूड को देखते हुए उन्हें ठीक कहा जा सकता है.
कलाकारों का अभिनय कैसा है?
सारा अली खान अपनी दूसरी ही फिल्म में साबित कर देती हैं कि अगर उन्हें स्क्रीन पर बढ़िया स्पेस मिला तो वो बहुत आगे तक जाएंगी. उनका किरदार ज्यादा बड़ा नहीं था. लेकिन वो कैमरे के सामने अच्छी और विश्वास से भरी नजर आती हैं. सारा की आंखों में एक्टिंग नजर नहीं आती. रणवीर का टपोरी किरदार देखकर कभी कभी अनिल कपूर की याद आती है.
सिम्बा में भी अनिल के 'राम लखन' जैसा किरदार है. लेकिन ये उतना दमदार नहीं है जितनी उम्मीद थी और कभी अनिल ने उसे शिद्दत से पर्दे पर निभाया था. इंटरवल से पहले और बाद में रणवीर के किरदार के दो शेड्स हैं. किरदार की डिमांड के हिसाब से दोनों को असरदार होना था, घूसखोर टपोरी के रोल में रणवीर प्रभावित नहीं करते हैं. शुरुआती फ्रेम में तो वे ओवर एक्टिंग करते दिखते हैं. हालांकि चुटीले वन लाइनर संवादों ने उन्हें बचा लिया है. लेकिन एंग्री यंगमैन के किरदार में उनके हर इमोशन बेहद उम्दा बनकर दिखाई देते हैं. वो अपनी एक्टिंग की रौ में दर्शकों को बहा ले जाते हैं.
सोनू सूद ने अच्छा काम किया है. डॉन, भाई पति और पिता के किरदार में वो जमे हैं. पर सिंघम में प्रकाश राज के जैसा किरदार सिम्बा में नहीं गढ़ा गया. ये सोनू सूद का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा. आशुतोष राणा, अश्विनी कलसेकर, विपिन शर्मा, सिद्धार्थ जाधव, अमृत पाल सिंह, नौशाद अब्बास और दूसरे कलाकारों का अभिनय भी अपनी लेंथ के हिसाब से ठीक ठाक है.
रोहित शेट्टी ने किस तरह का निर्देशन किया है?
सिम्बा से साफ़ होता है कि रोहित शेट्टी अब निर्देशन में दूसरे लेवल यानी फैमिली फिल्मों की ओर बढ़ रहे हैं. पहली बार फिल्म में वो सोसायटी के लिहाज से एक संवाद करने और उसे मैसेज देने की कोशिश करते हैं. इस फिल्म में उन्होंने कॉमेडी, इमोशन और एक्शन का जोरदार त्रिकोण रचा है. मनोरंजन के लिहाज से उनके निर्देशन को पूरा नंबर दिया जा सकता है लेकिन तमाम चीजें अखरती हैं. जैसे उनकी फिल्मों में अभिनेत्रियों के लिए ज्यादा कुछ करने को नहीं रहता. चेन्नई एक्सप्रेस में दीपिका पादुकोण का काम अपवाद माना जा सकता है.
फिल्म की कहानी में हीरोइन के किरदार को बड़ा किया जा सकता था. विषय के हिसाब से ये जायज भी था. अच्छा यह होता कि सिम्बा की मुंहबोली बहन के किरदार और सारा अली खान के किरदार को मिक्स कर दिया जाता तो एक घूसखोर पुलिस अफसर में बदलाव और उसका रिवेंज आमिर खान की गजनी की तरह बेहद प्रभावी बन पड़ता.
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Dec 23, 2018 at 10:58pm PST
अजय देवगन की एंट्री के साथ क्लाइमैक्स और बेहतर किया जा सकता था. अचानक से रानाडे बदला लेने के लिए आगे आता है और कुछ ही देर में उसके गुंडे सिम्बा को उठा ले जाते हैं. असहाय सिम्बा को बचाने सिंघम (अजय देवगन) की एंट्री होती है. यहां आकर रणवीर का किरदार मरता नजर जाता है. लेंथ की कमी नहीं थी, फिल्म बड़ी है तो कायदे से एनकाउंटर सीन्स और क्लाइमेक्स को बनाना जरूरी था. इन वजहों से कुछ जर्क आएं हैं पर अच्छी बात यह है कि वे परेशान नहीं करते. वैसे भी भारत में फ़िल्में दिल और दिमाग दोनों के साथ देखी भी कहां जाती है.
कुल मिलाकर सब ठीक ठाक है. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ा कीर्तिमान बनाए तो हैरान नहीं होना चाहिए. रोहित शेट्टी कह चुके हैं कि सिम्बा का मतलब शेर का बच्चा होता है और जब बच्चा शेर (सिंघम) का ही है तो उसकी सौ गलतियां माफ. |
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने शनिवार को इस बात का खुलासा किया कि एयर इंडिया का एक विमान आज तड़के जब जेद्दा में उतरा था तो उस वक्त उसमें एक डमी निष्क्रिय ग्रेनेड पाया गया। ऐसा कह कर उन्होंने इस घटना को ढंकने की एयर इंडिया की कोशिशों को अस्वीकार कर दिया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस निष्क्रिय ग्रेनेड के अंदर कोई विस्फोटक नहीं था। इसे बोइंग 747-400 की बिजनेस श्रेणी के ऊपरी डेक में पाया गया। यह विमान मुंबई-हैदराबाद-जेद्दा मार्ग पर उड़ान संख्या एआई 965 से परिचालित हो रहा था।
उन्होंने बताया कि सुरक्षाकर्मी विमान को हवाई अड्डे पर किनारे ले जाया गया और सुरक्षा कर्मियों ने इसकी जांच की तथा बाद में परिचालन मंजूरी दी।
राजू ने विजयनगरम में संवाददाताओं से कहा, 'सुरक्षा अभ्यास के बाद यह ग्रेनेड रह गया होगा, इस पर बीएसएफ के चिह्न हैं।' सुरक्षा अभ्यास राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने 24 से 27 सितंबर के बीच चुनिंदा हवाईअड्डों और विमानों में देशभर में किया था ताकि चालक दल के सदस्यों और अन्य संबद्ध लोगों की मुस्तैदी को परखा जा सके। इस घटना को कुछ चूक बताते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि यात्रियों को कोई खतरा नहीं था पर चूक हुई है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सुधार करने के लिए उपाय किए जाएं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जेद्दा में विमान के उतरने से ठीक पहले उन्होंने बताया कि प्लास्टिक में लिपटा एक बक्सा बिजनेस क्लास की एक सीट के नीचे पड़ा मिला। चालक दल के सदस्यों ने इसे देखा और फौरन ही पायलट को इसकी सूचना दी जिन्होंने इससे जेद्दा विमान यातायात नियंत्रण को अवगत कराया।
सूत्रों ने बताया कि हवाईअड्डे पर विमान के उतरने पर पायलटों से उसे एक किनारे ले जाने को कहा गया जहां सुरक्षाकर्मियों ने ग्रेनेड को निकाला और पाया कि इसमें कोई विस्फोटक नहीं है। बाद में विमान को आगे के परिचालन की इजाजत दे दी गई। ग्रेनेड पर 'एंटी रॉयट स्टन ग्रेनेड' जैसे चिह्न हैं और इसे बीएसएफ के तेकनपुर आधारित टियर स्मोक यूनिट में तैयार किया गया है। अधिकारियों को संदेह है कि पिछले महीने पहले हुए सुरक्षा अभ्यास के बाद यह रह गया होगा।
सूत्रों ने बताया कि उड़ान भरने से पहले किसी विमान को विभिन्न चरणों की जांच और साफ सफाई के दौर से गुजरना होता है जिसमें विभिन्न श्रेणी के कर्मचारी शामिल होते हैं। विमान में ऐसी वस्तु नहीं देख पाने के जिम्मेदार वे भी हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस घटना के मद्देनजर मुंबई और हैदराबाद में सुरक्षा प्रभारी निलंबित कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पूरे मुद्दे की गहन जांच की जा रही है और जांच के बाद जिम्मेदारी तय की जाएगी।
बहरहाल, यह विमान वह नहीं है जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की हालिया यात्रा के लिए तैयार रखा गया था और इस अवधि के दौरान यह दिल्ली-फ्रैंकफर्ट मार्ग पर परिचालित हो रहा था। प्रधानमंत्री 25 सितंबर से अमेरिका की पांच दिवसीय यात्रा पर गए थे। |
कुख्यात आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने रविवार को जारी अपने नए वीडियो में ब्रिटेन में हमला करने की धमकी दी है. इस वीडियो को सीरिया के राक्का शहर में तैयार किया गया है. वीडियो में कुल छह लोग दिखाई दे रहे हैं.
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, वीडियो में आईएसआईएस के आतंकवादी ने प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को 'मूर्ख' कहा. इसमें आतंकवादी के साथ पांच लोग नजर आ रहे हैं, जिन्होंने नारंगी रंग की पोशाक पहन रखी है. इन पर जासूसी का आरोप है.
आत्मघाती हमला करने की दी धमकी
पिछले साल दिसंबर में भी इस्लामिक स्टेट ने ब्रिटेन को बम धमाकों की धमकी दी थी. वीडियो जारी कर आतंकी संगठन ने कहा था कि वह ब्रिटेन पर आत्मघाती बम हमला करेगा, क्योंकि ब्रिटेन के सांसदों ने सीरिया में हवाई हमलों को जारी रखने के पक्ष में मतदान किया था.
ब्रितानी संसद में हुआ था मतदान
बताते चलें कि इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हवाई हमलों की मंजूरी के लिए ब्रितानी संसद में मतदान हुआ था. उसके कुछ ही घंटे बाद ब्रिटेन के लड़ाकू विमानों ने सीरिया पर हवाई हमले शुरू कर दिए थे. रॉयल एयरफोर्स के चार टोरनैडो लड़ाकू विमानों ने हवाई हमले किए थे. |
विश्व भारती पुरस्कार उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान ,लखनऊ ,भारत के द्वारा दिया जाने वाला सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार है। यह पुरस्कार संस्कृत ,पाली एवम प्राकृत भाषाओं में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है।
विश्व भारती पुरस्कार
इस पुरस्कार में रुपये 2,51,000 नकद ,एक शाल तथा ताम्रपत्र प्रदान किया जाता है।
पुरस्कार में परिवर्तन
वर्ष 2014 से इस पुरस्कार की नकद धन राशि रुपये 2,51,000 बढ़ाकर रुपये 5,00,000 कर दी गई।
पुरस्कार पाने वालों की सूची
2009: प्रो आद्या प्रसाद (इलाहाबाद)
2010: प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी (इलाहाबाद)
2011: प्रो किशोर नाथ झा (मधुबनी, बिहार)
2012: डॉ गिरधर लाल मिश्रा (वाराणसी)
2013: डॉ भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी (वाराणसी)
2014; आचार्य राम यत्न शुक्ला
2015: प्रो अभिराज राजेन्द्र मिश्र
सन्दर्भ
श्रेणी :पुरस्कार
श्रेणी :उत्तर प्रदेश
श्रेणी :संस्कृत |
दो दिन के रूस दौरे पर PM मोदी
व्लादिवोस्तोक में होगी मोदी-पुतिन की मुलाकात
दोनों देशों के बीच हो सकते हैं कई समझौते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर रूस के व्लादिवोस्तोक पहुंचे हैं. यहां पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और एक बार फिर दुनिया दोनों की दोस्ती को देखेगी. प्रधानमंत्री का ये दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि रूस के पूर्वी हिस्से में जाने वाले पीएम मोदी पहले भारतीय PM हैं. ना सिर्फ सामरिक बल्कि व्यापारिक दृष्टि से भी पीएम मोदी का ये दौरा अहम होने वाला है, एक तरफ दुनियाभर में छिड़ी ट्रेड वॉर तो वहीं पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंध. इस बैठक में कई अहम मसलों पर चर्चा होने की संभावना है. प्रधानमंत्री के इस दौरे पर कितने समझौते होने हैं और दौरे में क्या-क्या खास है, यहां पढ़ें...
भारत के लिए क्यों अहम है ये समिट?
पीएम मोदी का ये दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है जब भारत में मंदी की आहट है. ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में इस वक्त कुछ ऐसा ही हो रहा है, चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड युद्ध चल रहा है, चीन हांगकांग के चक्कर में परेशान है और यूरोप ब्रेक्ज़िट में बिज़ी है. ऐसे में भारत के पास अवसर है कि इन मौकों का फायदा अपने स्तर को बढ़ाने में उठाए. और रूस इसमें अहम साझेदार हो सकता है. इस दौरे में यही ट्रेड के बारे में चर्चा होगी और भारत-रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को 2025 तक 30 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को रखा जाएगा.
A new chapter in our Special & Privileged Strategic Partnership
PM
@narendramodi
departs for Vladivostok, the 1st visit by an Indian PM to Russian Far East, for 20th India-Russia Annual Summit. On a special invitation from Prez Putin, PM will also attend 5th EEF as Chief Guest
pic.twitter.com/LO0drviDsw
— Raveesh Kumar (@MEAIndia)
September 3, 2019
भारत और रूस की दोस्ती की मिसाल हमेशा दी जाती रही है. हाल ही में जब जम्मू-कश्मीर का मसला आया तो रूस भारत के साथ खड़ा हुआ. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में जब पाकिस्तान के कहने पर चीन ने कश्मीर का मसला उठाया, तो रूस ने ही वहां पर भारत का साथ दिया और ये मसला तभी तय हो गया. रूस ने खुले तौर पर भारत का साथ दिया और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के मसले को भारत का आंतरिक मामला बताया.
प्रधानमंत्री का कार्यक्रम: भारतीय समयानुसार
ज्वेदजा शिपिंग प्लांट का दौरा 9.30 AM
भारत-रूस का 20वां वार्षिक सम्मेलन 11.30 AM
- पीएम मोदी-व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता
- दोनों देशों के बीच डेलिगेशन लेवल बातचीत
पीएम मोदी, व्लादिमीर पुतिन की साझा प्रेस वार्ता 01.30 PM
‘स्ट्रीट ऑफ द फार ईस्ट’ एक्सीबेशन का दौरा 04.30 PM
व्लादिमीर पुतिन के साथ डिनर 05.30 PM
बताया जा रहा है कि भारत और रूस के बीच कुल 25 समझौते हो सकते हैं. इसमें डिफेंस, तकनीक समेत कई क्षेत्रों में अहम समझौते हो सकते हैं.
- प्रधानमंत्री यहां पर ईस्टर्न इकॉनोमिक फॉरम में हिस्सा लेंगे. यहां प्रधानमंत्री रूसी बिजनेसमैन को भारत में निवेश करने के लिए अपील करेंगे.
- भारत-रूस के बीच असैनिक परमाणु सहयोग को बढ़ाने पर विचार.
- सैन्य तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर हो सकता है फैसला.
- भारत-रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को 2025 तक 30 बिलियन डॉलर पहुंचाने की कोशिश.
- इसके अलावा डिफेंस, ट्रेड, इन्वेस्टमेंट, इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेशन, कनेक्टविटी कॉरिडोर के क्षेत्रों में समझौते होने की संभावना है.
मोदी-पुतिन की दोस्ती की मिसाल
गौरतलब है कि अक्टूबर 2018 में राष्ट्रपति पुतिन सालाना वार्ता के लिए भारत दौरे पर आए थे, तब PM मोदी ने अपने आवास पर उनके लिए वन-टू-वन डिनर का आयोजन किया था. इससे पहले अप्रैल 2018 में जब PM मोदी एक अनौपचारिक समिट में शामिल होने सोचि गए थे तो उन्होंने पुतिन के साथ अकेले काफी समय गुजारा था और पुतिन खुद पीएम मोदी को एयरपोर्ट तक छोड़ने आए थे. |
भारत में स्मार्ट स्पीकर सेगमेंट में काफी चुनिंदा स्पीकर्स ही बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. फिलहाल बाजार में जो बहुतायत में स्मार्ट स्पीकर्स मौजूद हैं वो खुद वॉयस असिस्टेंट टेक्नोलॉजी डेवलपर्स द्वारा ही उतारे जाते हैं. इसमें Alexa के साथ वाले Amazon Echo सीरीज और गूगल असिस्टेंट के साथ Google Home सीरीज का नाम शामिल है. अब स्मार्ट वॉयस असिस्टेंट से लैस कई स्पीकर्स और हेडफोन्स दूसरे ब्रांड्स की ओर से भी आ रहे हैं. इस बीच Boat ने अपना अमेजन Alexa बेस्ड नया Stone 700A स्मार्ट स्पीकर उतारा है.
Boat Stone 700A की कीमत 3,199 रुपये रखी गई है. ग्राहक इसे अमेजन इंडिया की साइट से खरीद सकते हैं. इसमें बिल्ट-इन Alexa कनेक्टिविटी दी गई है. Alexa अमेजन द्वारा तैयार की गई वॉयस असिस्टेंट टेक्नोलॉजी है. इसका इस्तेमाल Boat Stone 700A स्पीकर में किया गया है. ताकि वॉयस कमांड दिया जा सके. इस स्पीकर में एक डेडीकेटेड Alexa बटन दिया गया है, जिससे Alexa को शुरू किया जा सकता है. ग्राहक बोट निरवाना ऐप का भी इस्तेमाल Alexa का उपयोग करने के लिए कर सकते हैं.
बोट के मुताबिक, सर्विस के सारे फंक्शन को इनेबल के लिए अमेजन अलेक्सा के साथ रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इस स्पीकर में 5W फुल रेंज ड्राइवर्स, 95-18,000Hz तक फ्रिक्वेंसी रेंज, 2,000mAh बैटरी और कनेक्टिविटी के लिए 3.5mm ऑक्स केबल और ब्लूटूथ दिया गया है. ये स्पीकर IPX6 रेटिंग वाला है. यानी ये वाटर और डस्ट रेसिस्टेंट हैं. रग्ड डिजाइन होने की वजह से कंपनी के दावे के मुताबिक ये ड्रॉप रेसिस्टेंट भी है. इसे माइक्रो-USB पोर्ट के जरिए चार्ज किया जा सकता है.
याद के तौर पर बता दें हाल ही में बोट ने Stone SpinX वायरलेस स्पीकर को भारत में लॉन्च किया था. कंपनी ने इसकी कीमत 2,699 रुपये रखी थी. इसमें एक फीचर था, जिससे दो स्पीकर्स को वायरलेस तरीके से कनेक्ट किया जा सकता है और साउंड आउटपुट को बढ़ाया जा सकता है. बोट के प्रोडक्ट्स अपनी कीमत आसान उपलब्धता के चलते बाजार में अच्छी पकड़ बना रहे हैं. |
ऑस्ट्रियाई साम्राज्य (ऑस्ट्रियाई भाषा : Kaiserthum Oesterreich, आधुनिक वर्तनी ) मध्य यूरोप का एक साम्राज्य था जो १८०४ में हैब्सबर्ग राजतन्त्र से बना था। यह एक बहु-देशीय साम्राज्य था तथा यूरोप की महाशक्ति था। भौगोलिक रूप से यह रूसी साम्राज्य के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश था। जनसंख्या की दृष्टि से यह रूस और फ्रांस के बाद सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश था। इस साम्राज्य की घोषणा प्रथम फ्रांसीसी साम्राज्य के जवाब में की गयी थी।
इन्हें भी देखें
आस्ट्रिया का इतिहास
मेटरनिख
जर्मनी का एकीकरण
आस्ट्रिया |
एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने पिछले काफी समय से तमाम मुद्दों पर हो रही अपनी ट्रोलिंग को लेकर सोशल मीडिया पर एक लंबा नोट लिखा है. उन्होंने ट्रोलर्स और अफवाह फैलाने वाले लोगों की कड़े शब्दों में निंदा की है और एक्ट्रेस की इस ट्विटर पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं जाहिर की है.
दरअसल हाल ही में एक BCCI सेलेक्टर ने दावा किया था कि इस साल इंग्लैंड विश्व कप के दौरान बीसीसीआई सेलेक्टर्स ने टीम इंडिया के कप्तान कोहली की वाइफ
अनुष्का शर्मा
को चाय पिलाई थी. इस न्यूज के सामने आने के बाद ही अनुष्का शर्मा ने एक नोट के सहारे अपना नजरिया लोगों के सामने रखा है.
अनुष्का पर इससे पहले भी कई तरह के आरोप लगते रहे हैं फिर चाहे उन्हें विराट कोहली की खराब फॉर्म के लिए जिम्मेदार ठहराना हो या टीम सेलेक्शन को प्रभावित करने जैसे आरोप, लेकिन उन्होंने ज्यादातर मामलों में चुप्पी साधे रहना ही बेहतर समझा था. हालांकि इस बार अनुष्का ने इन सभी मुद्दों पर अपनी राय रखी है.
अनुष्का शर्मा
की इस स्ट्रॉन्ग प्रतिक्रिया पर कई लोगों ने भी रिएक्ट किया है.
कई लोगों ने अनुष्का के इस फैसले की तारीफ की वही कई लोग उनके इस नोट पर मीम शेयर कर उन्हें बधाई दे रहे थे.
pic.twitter.com/HHrvQc8P7a
— Niraj Singh (@SinghNiraz)
October 31, 2019
More Power to you. Well said. I hope the media atleast now is little more responsible than making headlines for TRP. The last ball six was fantastic, Coffee it is and not Tea. 👏
— Prabhu (@Cricprabhu)
October 31, 2019
After reading the first two lines
pic.twitter.com/gCJtNcIOIB
— चाचा lame मौंक (@oldschoolmonk)
October 31, 2019
Silence is not golden anymore...
— Gutta Jwala (@Guttajwala)
October 31, 2019
कई सेलेब्स ने भी अनुष्का के इस ट्वीट पर रिएक्ट किया. बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गट्टा ने ट्वीट करते हुए कहा कि शांत रहना अब गोल्डन नहीं रह गया है.
अनुष्का ने दी थी चेतावनी
अनुष्का ने इस मामले में चेतावनी देते हुए कहा था, 'अगली बार अगर किसी को मेरा नाम इस्तेमाल करना है या बोर्ड या मेरे पति को बदनाम करना है तो आप कर सकते हैं, लेकिन इसे पूरे तथ्यों और सबूतों के आधार पर करें. मैं अपने जीवन का खुद नेतृत्व करती हूं, मैंने अपना करियर अत्यंत गरिमा के साथ बनाया है और मैं इसमें कोई समझौता नहीं कर सकती. शायद कुछ लोगों के लिए मेरी इन बातों पर विश्वास करना मुश्किल हो, क्योंकि मैं सेल्फ मेड और स्वतंत्र महिला हूं जो कि एक क्रिकेटर की पत्नी भी है.' |
सितंबर में होने वाले सेंट्रल एलिजबिलिटी टेस्ट (CTET) के एडमिट कार्ड शुक्रवार से ऑनलाइन उपलब्ध हैं. इस एडमिट कार्ड में छात्रों के फोटोग्राफ के साथ हस्ताक्षर भी होंगे.
अपने एडमिट कार्ड को डाउनलोड करने के लिए स्टूडेंट्स को CTET की ऑफिशियल साइट पर जाना होगा. अगर एडमिट कार्ड में कोई अशुद्धि है तो छात्र उसे CTET यूनिट से संपर्क कर के ठीक करा सकते हैं.
आपको बता दें कि इस साल CTET की परीक्षा 21 सितंबर को होगी. यह परीक्षा पहली से लेकर आठवीं तक की कक्षाओं के शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए एक उम्मीदवार की योग्यता का निर्धारण करने के लिए होती है.
CTET की ऑफिशियल साइट
ctet.nic.in |
रियलिटी टीवी शो 'स्प्लिट्सविला 8' होस्ट कर रही सनी लियोन फिलहाल पिछले सीजन के विनर पारस छाबड़ा से तंग आ चुकी हैं. सूत्रों के अनुसार, 'शो होस्ट करने के दौरान सनी को सभी कंटेस्टेंट से बात करनी होती है. ऐसे में पारस उन्हें इम्प्रेस करने के लिए जोक करते रहते हैं या छेड़खानी करते रहते हैं.
पहले तो सनी ने इस पर कुछ रिएक्ट नहीं किया, लेकिन बाद में सनी इतनी परेशान हो गईं कि उन्हें
शो के मेकर्स
से इसकी शिकायत करनी पड़ी.'
प्रोडक्शन अधिकारियों ने भी पारस को समझाया है कि वो थोडा ढंग से रहें. सूत्रों के अनुसार
सनी के साथ शूट
के दौरान उनके पति डेनियल वेबर होते हैं तो कोई उनके साथ बदतमीजी नहीं कर सकता. लेकिन पारस फिर भी वहां उनसे दोस्ताना बढ़ाने की कोशिश करते नजर आए. इससे परेशान होकर
सनी ने शो के मेकर्स
से गुजारिश की है कि शो के लॉन्च पर पारस को न बुलाया जाए.
हालांकि इस सब से
पारस ने साफ इनकार
किया है. पारस बताते हैं कि उन्होंने सनी के लिए कोई कमेंटबाजी नहीं की. वो जिस तरह दूसरे प्रतियोगियों से बात कर रहे थे वैसे ही जूरी से भी कर रहे थे. पारस के अनुसार सनी की
पर्सनालिटी इतनी चार्मिंग है
कि आसपास के सभी लोगों को आकर्षित करती है. पारस ने बताया कि शो की लॉन्चिंग पर उन्हें आना था, लेकिन उनका साइनस का ऑपरेशन होना है जिस वजह से वो नहीं आ पाएंगे. |
गरीब आदमी के लिए कोर्ट पहुंचना बहुत मुश्किल
फैसलों की जानकारी हिंदी में उपलब्ध कराई जाए
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि न्यायिक प्रक्रिया बहुत महंगी हो गई है. उन्होंने कहा, 'गरीब आदमी के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो गया है. ऐसी स्थिति में हमें देश के लोगों को सस्ता और त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे.'
कोविंद ने शनिवार को जोधपुर में राजस्थान हाई कोर्ट की नई इमारत का उद्घाटन करते हुए कहा, "इसके अलावा गरीबों और वंचितों को मुफ्त कानूनी सहायता मुहैया कराने का दायरा भी व्यापक करना होगा."
राष्ट्रपति ने
राजस्थान हाईकोर्ट
के न्यायाधीशों से आग्रह किया कि दिए गए निर्णयों की जानकारी हिंदी में उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा कि उच्चतम तकनीक का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट नौ भाषाओं में अपने निर्णयों के बारे में जानकारी दे रहा है. उन्होंने कहा कि सत्य हमारे गणतंत्र की नींव बनाता है और संविधान ने न्यायपालिका को सत्य की रक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है.
उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में न्यायपालिका की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. हमारे देश में अतीत में राजाओं और बादशाहों से न्याय पाने के लिए कोई भी व्यक्ति उनके निवास के बाहर घंटी बजा सकता था और न्याय पा सकता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है."
राष्ट्रपति ने कहा, "न्यायिक प्रणाली बहुत महंगी हो गई है. देश के किसी भी गरीब व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच स्थापित करना मुश्किल हो गया है. ऐसी स्थिति में हम सभी की जिम्मेदारी है कि देश के प्रत्येक नागरिक की सस्ते न्याय तक पहुंच हो. सभी को इस दिशा में प्रयास करने होंगे."
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने न्याय की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी के लिए न्याय सुलभ होना चाहिए. उन्होंने कहा, 'मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्या हम, सभी के लिए न्याय सुलभ करा पा रहे हैं?' साथ ही उन्होंने न्याय प्रक्रिया के खर्चीला होते जाने की बात भी की.
उन्होंने कहा, ‘‘यह सवाल सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि संविधान की प्रस्तावना में ही हम सब ने, सभी के लिए न्याय सुलभ कराने का दायित्व स्वीकार किया है.'' उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्या हम, सभी के लिए न्याय सुलभ करा पा रहे हैं?''
(एजेंसियों के इनुपट के साथ) |
भारतीय जूनियर महिला टीम ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए रविवार को सातवें महिला जूनियर एशिया कप हाकी टूर्नामेंट में अपने दूसरे मैच में सिंगापुर को 12-0 से हरा दिया.
टीम आत्मविश्वास से थी भरी
भारत ने शनिवार को
उत्तर कोरिया को भी 13-0 से हराया
था, जिससे टीम आत्मविश्वास से भरी थी. भारतीय टीम ने शुरुआत से ही आक्रामक खेल दिखाया.दूसरी तरफ सिंगापुर की टीम ने सतर्क शुरुआत की और गेंद को अपने कब्जे में रखने की कोशिश की.
भारतीय
टीम ने लगातार हमले करते हुए विरोधी टीम के डिफेंस को नेस्तनाबूद कर दिया. भारत को शुरू में ही दबाव बनाने का फायदा पेनल्टी कार्नर के रूप में मिला, लेकिन जसप्रीत कौर इसे गोल में नहीं बदल पाईं. पूनम बार्ला ने छठे मिनट में भारत की ओर से पहला गोल दागा.
भारत ने सिंगापुर के मंसूबों पर फेरा पानी
सिंगापुर ने दाएं छोर से हमले करके खाता खोलने की कोशिश की, लेकिन भारतीय डिफेंस ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. भारतीय
कप्तान
रानी रामपाल के पास पर अनुपा बार्ला ने 10वें मिनट में भारत की बढ़त को दोगुना कर दिया. प्रीति दुबे ने 15वें मिनट में भारत की बढ़त को 3-0 किया, जबकि जसप्रीत ने 25वें मिनट पेनल्टी कार्नर पर गोल करके टीम को 4-0 से आगे कर दिया. भारतीय टीम इंटरवल तक 4-0 से आगे थी. लिली मायेबगबाम ने 49वें मिनट में पेनल्टी कार्नर पर भारत की ओर से पांचवां गोल दागा.
अगला मुकाबला चीन से होगा
भारत ने नियमित अंतराल पर गोल किए. टीम ने 52वें, 59वें, 61वें, 64वें, 65वें, 68वें और 70वें मिनट में गोल दागे. भारतीय टीम ने अंतिम 11 मिनट में छह गोल किए.
महिला
जूनियर एशिया कप 2015 अगले साल होने वाले एफआईएच जूनियर विश्व कप की क्वालीफाइंग प्रतियोगिता है. भारत अपने अगले मुकाबले में नौ सितंबर को चीन से भिड़ेगा.
इनपुट- भाषा |
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवेसी ने राष्ट्रीय गान एक्ट, 1971 में संशोधन की मांग की है. उन्होंने साथ ही गृह मंत्रालय की एडवाइजरी को भी बदलने की जरूरत बताई है. ओवैसी ने ये बयान सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद दिया है, जिसमें सिनेमाहॉलों में किसी भी फिल्म को दिखाने से पहले राष्ट्र गान बजाने को अनिवार्य कर दिया गया है.
ओेवैसी ने
कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किसी को आपत्ति नहीं है, इस पर अमल होना चाहिए लेकिन सवाल ये है कि क्या आप ऐसा करके किसी व्यक्ति को देशभक्त बना सकते हैं. ओवैसी ने कहा कि आप राष्ट्रवादी हो सकते हैं लेकिन अहम ये है कि क्या आप देशभक्त हैं? ओवैसी ने आरोप लगाया कि ये सरकार अति-राष्ट्रवादियों की है. जो उनके साथ सहमत नहीं होता, वो उनकी नजर में देशद्रोही है.
ओवैसी ने
सुप्रीम कोर्ट
के बुधवार के आदेश के संदर्भ में कहा कि 1971 अधिनियम और गृह मंत्रालय की एडवाइजरी को भी बदलना होगा. ओवैसी ने ये सवाल भी उठाया कि जो व्यक्ति खड़े होकर राष्ट्रगान नहीं गा सकता, शारीरिक तौर से फिट नहीं है या अगर कोई बीमार है तो उनका क्या होगा? ओवेसी ने कहा, 'ये तमाम सवाल है जिन को देखना पड़ेगा.
गृह मंत्रालय
की एडवाइजरी में और 1971 के एक्ट में यह कहीं नहीं लिखा गया है कि सब को खड़े होकर राष्ट्र गान गाना ही पड़ेगा.' |
मई की 31 तारीख को रक्षा मंत्री के तौर पर अपनी नियुक्ति की इत्तिला मिलने के चंद ही घंटों बाद 67 साल के राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को फोन लगाया. वे कामकाज का पहला दिन, 3 जून सियाचिन में गुजारना चाहते थे. सेना प्रमुख सहर्ष तैयार हो गए. 48 घंटे से कुछ ज्यादा वक्त बाद रक्षा मंत्री हेलिकॉप्टर से सियाचिन बेस कैंप पहुंचे, जहां उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची सैन्य तैनाती—समुद्र स्तर से 12,000 फुट ऊपर—पर जवानों के साथ दिन बिताया. यात्रा के बाद उन्होंने करीबी सहयोगियों से कहा, ''मैंने शिखर से शुरुआत की है और मैं वहां टिका रहूंगा.''
यह बयान नई सरकार में अपनी हैसियत बनाए रखने के लिए परदे के पीछे अपनाए गए सिंह के कामयाब पैंतरों की कहानी भी बयान कर सकता है. चुनाव नतीजे आने पर मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद उन्होंने उन आठ में से छह कैबिनेट कमेटियों में अपनी जगह बनाए रखी जिनमें पूर्व में वे बतौर गृह मंत्री शामिल थे. सिंह ने शायद इस हकीकत की दुहाई दी कि राष्ट्रीय सुरक्षा भाजपा के लिए बेहद अहम मुद्दा है. 2019 के चुनाव अभियान में यह सबसे अव्वल मुद्दा था, जिसमें प्रधानमंत्री ने उन हवाई हमलों का पुरजोर जिक्र किया, जो 26 फरवरी को पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर किए गए थे. प्रधानमंत्री की कोर सुरक्षा टीम—गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर—का गठन भी सुरक्षा पर सरकार के अडिग और आक्रामक रुख की झलक देता है.
रक्षा मंत्रालय का कामकाज नई सरकार के लिए बेहद अहम होगा और खुद सिंह की परख इससे होगी कि वे अपने कार्यकाल में क्या हासिल कर पाते हैं. इस ओहदे पर एक सियासी दिग्गज की नियुक्ति संकेत है कि साउथ ब्लॉक के कमरा नंबर 129 में बार-बार बदलाव का सिलसिला थम गया है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में यह कमरा पांच साल में तीन ओहदेदारों का गवाह बना. मगर राजनाथ सिंह के पास रक्षा मंत्रालय को नए सांचे में ढालने का अपने किसी भी पूर्ववर्ती से ज्यादा मौका है.
हालांकि रक्षा मंत्रालय आतंकवाद से जूझ रहे कश्मीर में सामान्य हालात बहाल करने के लिए काम कर रहा (सेना के जरिए) एक साझेदार भर है. फिर भी जब ऊपरी पायदानों की बात आती है तो उसकी भूमिका अहम और अव्वल है. उसके चुने विकल्पों से यह तय हो सकता है कि कश्मीर की कोई घटना आंतरिक सुरक्षा का मामला बनी रहेगी या बढ़कर भारत-पाकिस्तान के बीच पूरी जंग में बदल जाएगी. 26 फरवरी की एयर स्ट्राइक के बाद यह खासी सचाई है, क्योंकि बालाकोट में एक अहम रणनीतिक दहलीज लांघी जा चुकी है—वह दहलीज जिसे लांघने की हिम्मत 1999 की करगिल जंग के दौरान प्रधानमंत्री वाजपेयी ने भी पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के डर से नहीं की थी.
माना जाता है कि पुलवामा आतंकी हमले की घटना का जवाब बालाकोट की एयर स्ट्राइक से—यानी एक ऐसे सीमित हमले से देकर जिसने जवाब में परमाणु हमले के लिए नहीं उकसाया—प्रधानमंत्री मोदी ने परमाणु सीमा रेखा के विस्तार का काम कर दिया है. यानी इसे वे एक ऐसे स्तर पर ले आए हैं, जो पाकिस्तान को अपने परमाणु ब्लैकमेल को सच साबित करने की तरफ ले जाएगा. इसने 'सब-कंवेंशनल' या उप-पारंपरिक विकल्पों के दरवाजे खोल दिए हैं, ऐसे विकल्प जिन्हें एनएसए डोभाल 'आक्रामक प्रतिरक्षा'—यानी गैर-पारंपरिक बलों के जरिए पलट हमला करने की आजादी—कहते हैं. अलबत्ता इसके यथार्थवादी विकल्प होने के लिए हिंदुस्तान को अपनी सेना की पूरी और चौतरफा ताकत लगानी होगी. यह सेना को बड़े पैमाने पर लैस और सुसज्जित करके ही किया जा सकता है—उस चीज के लिए सुसज्जित करके, जिसे 'जंग से इतर कार्रवाइयां' कहा जाता है और जो कुछ ही घंटों के नोटिस पर अमल में लाई जा सकें.
गृह मंत्री की कुर्सी पर रहते हुए सिंह ने बड़ी मेहनत से सेना-समर्थक छवि बनाई है. इसकी खातिर उन्होंने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटी सरहदी चौकी पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस कर्मियों के साथ या माओवाद से त्रस्त बस्तर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के साथ रातें गुजारीं. उन्होंने अपने दम पर सशस्त्र बलों को ऊंचा उठाने के लिए कई कल्याणकारी कामों को अंजाम दिया: जवानों को दिल्ली से श्रीनगर मुफ्त हवाई सफर की इजाजत दी, कश्मीर में और मध्य भारत में वामपंथी उग्रवादियों का मुकाबला कर रहे अर्धसैनिक बलों के लिए कठिनाई भत्ते (हार्डशिप अलाउंस) में इजाफा किया, मुठभेड़ में मरने वाले जवानों के परिजनों के लिए अनुग्रह भुगतान को दोगुना किया और जवानों के कल्याण के लिए 'भारत के वीर' फंड की स्थापना की.
रक्षा मंत्रालय में अपना नया ओहदा संभालने के बाद सिंह ने जो पहला काम किया, वह एक रैंक एक पेंशन कार्यक्रम में सुधार के लिए और शांतिकाल में अधिकारियों के राशन (जो 2017 में बंद किए जाने के बाद से ही सशस्त्र बलों के सदस्यों की दुखती रग रहा है) पर काम करने और इसे बहाल करने के लिए कमेटी बनाना है. सशस्त्र बलों के प्रति उनके लगाव का एक बीते जमाने का किस्सा भी है—1970 के दशक के शुरुआती सालों में मिर्जापुर के के.बी. पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में भौतिकशास्त्र का लेक्चरर बनने से पहले सिंह ने सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर सेना में शामिल होने की महत्वाकांक्षा अपने दिल में संजो रखी थी.
अलबत्ता साउथ ब्लॉक के बेहद पेचीदा और उलझे हुए गलियारों में अपना रास्ता खोजते हुए सिंह का काम पहले ही तय है—उन्हें अफसरशाही पर लगाम लगानी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि फैसले लेने की प्रक्रिया में सेना भी शामिल हो. नया ओहदा संभालने के बाद एक महीने में सिंह ने सशस्त्र बलों की तरफ से पेश दर्जन भर प्रेजेंटेशन में हिस्सा लिया है और सरकार के इस सबसे पेचीदा मंत्रालय के कामकाजी ब्योरे और बारीकियां समझने की कोशिश की है.
अधूरे सुधार
इस साल 27 जुलाई को मनाए जाने वाले विजय दिवस पर करगिल जंग के 20 साल पूरे हो जाएंगे. देश के सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के लिहाज से बहुत कुछ बदल चुका है. मसलन 2019 वह साल भी है जब भारत की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) मंत्रिमंडल की सुरक्षा समिति के सामने मंजूरी के लिए आएगी. इसे सुरक्षा से जुड़े तमाम साझेदारों के साथ विचार करके एनएसए अजित डोभाल ने तैयार किया है. भारत अपने सशस्त्र बलों से जिस किस्म की जंग लडऩे की उक्वमीद करता है, उनके लिए यह खुद को तैयार करने में उनकी मदद करेगी.
एक और चीज है जो सशस्त्र बलों के पारिस्थितिकी तंत्र में कम से कम दो दशकों से गायब रही है और वह है सेना की शाखाओं के बीच काम करने के लिए जरूरी तालमेल.
करगिल से पाकिस्तानी घुसपैठियों को निकाल फेंकने के लिए 1999 में 11 दिनों की जो लड़ाई लड़ी गई थी, उसका एक नतीजा यह भी था कि करगिल समीक्षा समिति (केआरसी) ने एक ऐतिहासिक सैन्य सुधार रिपोर्ट तैयार की थी. समिति ने जो सबसे बड़ी कमियां उजागर की थीं, उनमें जंग में शामिल तमाम सशस्त्र बलों और खासकर सेना और वायु सेना के बीच तालमेल की कमी भी थी. केआरसी के निष्कर्षों की जांच-परख के लिए बनाई गई मंत्रियों के समूह की एक समिति ने भी 2001 में इस निष्कर्ष को सही ठहराया था और सशस्त्र बलों को रक्षा मंत्रालय के साथ जोडऩे और एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त करने की सिफारिश की थी. 2001 में ही नरेश चंद्रा समिति ने भी सरकार और सशस्त्र बलों के बीच एक सलाहकार की जरूरत बताई थी. उसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल डी.बी. शेकटकर समिति ने भी 2016 में फिर इसे दोहराया था. लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया.
बहरहाल, बदलाव का शायद यही वक्त है. अभी पिछले ही साल तीनों सेनाओं—सेना, नौसेना और वायु सेना—के बीच दुर्लभ सर्वानुमति के साथ सीडीएस की नियुक्ति का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. यह बेहद अहम कदम है—सीडीएस के बगैर और वाकई सुधारों को उनके नतीजे पर पहुंचाने के लिए जरूरी राजनीतिक देखरेख के बगैर सशस्त्र बलों को कारगर बनाने और उन्हें 21वीं सदी की लड़ाइयों के तैयार करने की कोशिशें बेकार और नाकाम हो सकती हैं. सीडीएस सैन्य बलों का एकीकरण करेगा और 17 अलग-अलग कमान ढांचों को तीन कमान का स्वरूप देगा—उत्तरी कमान चीन के लिए, पश्चिमी कमान पाकिस्तान के लिए और दक्षिण कमान समुद्री क्षेत्र के लिए. इससे न केवल संसाधनों की बचत होगी, सैन्य प्रभावशीलता भी बढ़ेगी.
रक्षा विश्लेषक एयर वाइस मार्शल अर्जुन सुब्रमण्यम कहते हैं, ''बीते चार या पांच साल में सुधारों के नाकाम होने की वजह यह है कि सेनाओं की ओर से नीचे से ऊपर के क्रम में, वह भी टुकड़ों-टुकड़ों में बदलाव का तरीका अपनाया गया. शीर्ष प्रतिरक्षा संगठनों को शामिल करके सुधार की प्रक्रिया ऊपर से नीचे की ओर होनी चाहिए, जिसमें राजनैतिक नेतृत्व जोर देकर सुधारों को उनके अंजाम पर पहुंचाता है.'' रक्षा मंत्रालय में भी सुधारों को फौरन अंजाम देने की सक्चत जरूरत है. यह बदलाव भी केवल राजनैतिक नेतृत्व ही ला सकता है. सैन्य अभियानों के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डी.बी. शेकटकर (सेवानिवृत्त) जो एमओडी की सुधार समिति के प्रमुख रह चुके है—कहते हैं, ''राजनाथ सिंह को अफसरशाही के हाथों बेवकूफ बनने से बचना चाहिए. मंत्रालय को नए सिरे से संगठित करने, उसकी दशा बदलने और नए ढंग से ढांचा बनाने की सक्चत जरूरत है. संख्याबल घटाने की दरकार है. संख्या से कार्यकुशलता नहीं बढ़ती.''
पुराने उपकरणों को बदलना
भाजपा का 2019 का घोषणापत्र 'रक्षा से जुड़े उपकरण और हथियार खरीदने की रफ्तार तेज करने' और 'आधुनिक उपकरणों के साथ सशस्त्र बलों की आक्रमण क्षमता को मजबूत करने के साफ और दोटूक कदम उठाने' का वादा करता है. इसकी किस कदर फौरन जरूरत है, यह सिंह के रक्षा मंत्री पद संभालने के कुछ दिनों बाद 3 जून को डरावने ढंग से सामने आया. एक सैन्य परिवहन विमान एएन-32 क्रैश होकर अरुणाचल प्रदेश की पहाडिय़ों में जा गिरा. इसमें सवार सभी 13 लोग मारे गए.
यह पिछले छह महीनों में भारतीय वायु सेना का दसवां एयर क्रैश था, जिसने इसके शांतिकाल के रिकॉर्ड को बदतर बना दिया. इनमें से कई क्रैश हुए विमानों की उड़ान मियाद बहुत पहले खत्म चुकी है. मसलन, एएन-32 को ही लें, यह 1980 के दशक में हासिल किया गया था और अगले कुछ साल में इसे रिटायर हो जाना था. दूसरे क्रैश हुए विमानों में मिग-21 और मिग-27 शामिल हैं और ये दोनों भी दशकों पुराने हैं. एएन-32 की जगह संभवत: एयरबस सी-295 को लेनी है, जिसका निर्माण भारत में ही टाटा-एयरबस मिलकर कर रहे हैं. यह पिछले करीब एक दशक से 'निर्माण की प्रक्रिया में' है. हाल ही में 56 विमानों का सौदा, जिसकी शुरुआत 2009 में की गई थी, न्यूमतम कीमत को लेकर अटक गया—रक्षा मंत्रालय जितनी रकम लगाने को तैयार था, यह कीमत उससे बहुत ज्यादा थी.
कुल मिलाकर तीनों सेनाओं का 60 फीसदी से ज्यादा असलहा पुराना और बेकार हो चुका है और तत्काल बदलने की मांग करता है. वायुसेना को पाकिस्तान और चीन के खिलाफ अपने बेड़े को मजबूत करने के लिए फौरन 100 नए लड़ाकू विमानों की दरकार है. नौसेना का पनडुब्बियों का बेड़ा बहुत घट गया है. वहीं विमान-रोधी हथियारों के जखीरे से लेकर रसद हेलिकॉप्टरों तक सेना की जरूरतों की फेहरिस्त पहले ही बहुत लंबी है. यही वजह है कि सशस्त्र बलों ने बीते एक पखवाड़े में सिंह को जो प्रेजेंटेशन सौंपे हैं, उनमें से ज्यादातर उपकरणों की टलती आ रही खरीद से जुड़े हैं.
आइएएफ की लंबित जरूरतों में से एक करगिल जंग जितनी पुरानी है और वह है 126 लड़ाकू विमान, जो क्रैश होते जा रहे मिग-21 की जगह ले सकें. करगिल के बाद सेनाओं को आधुनिक बनाने की कवायदें बजट की मजबूरियों की वजह से कागजों पर अटकी हुई हैं, ऐसे में टलती आ रही खरीदों के लिए जरूरी रकम, सशस्त्र बलों के अपने हिसाब से, आसमान छूने लगी हैं और करीब 400 अरब डॉलर (27 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गई है.
ऐसे में राजनाथ सिंह की भूमिका दोगुनी अहमियत वाली हो जाती है. वे तमाम सैन्य खरीदों को अनिवार्य मंजूरी देने वाली रक्षा खरीद परिषद के भी प्रमुख हैं. उन्हें वही करना होगा जो उनके पूर्ववर्ती मनोहर पर्रीकर और निर्मला सीतारमन ने किया था—उन्हें जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों सरीखे अधिग्रहणों के ऊपर हेल्मेट, बुलेटप्रूफ जैकेट और असॉल्ट राइफलों सरीखे इंतहाई जरूरी उपकरणों को प्राथमिकता देनी होगी. उन्हें सेना और वायु सेना के लिए बालाकोट के बाद की आपातकालीन खरीदों को अंजाम देना होगा, जिनकी मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है.
मसलन, सेना को अपनी पैरास्पेशल फोर्स की इकाइयों को फिर से लैस करने की जरूरत है, जिसकी लागत तकरीबन 1,000 करोड़ रुपए आएगी. इसी तरह वायु सेना ने आधुनिक रेडियो, हवा से हवा और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जैमर और एईडब्लूऐंडसी विमानों की जरूरत का खाका तैयार किया है, जिनमें से सभी अगले कुछ महीनों में खरीदने जरूरी होंगे.
बहुत कम बजट
रक्षा मंत्री के तौर पर सिंह के सबसे पहले कामों में एक सेना की धन की जरूरतों का आकलन करना भी है. उनके सामने आए प्रेजेंटेशन की बड़ी तादाद, खासकर 5 जुलाई को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में, ज्यादा रकम मुहैया करवाने की वकालत करती है. पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय के सामने पेश प्रेजेंटेशन में सशस्त्र बलों ने मौजूदा रक्षा बजट के ऊपर और उसके अलावा 1.5 लाख करोड़ रुपए की जरूरत बताई थी ताकि बेहद जरूरी खरीदों को अंजाम दिया जा सके.
सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने की तमाम योजनाएं रोकड़े की कमी की वजह से अटकी हुई हैं. मसलन इस फरवरी में पेश अंतरिम रक्षा बजट 8 फीसदी बढ़ाकर 3.01 लाख करोड़ रु. कर दिया गया. मगर यह भी नाकाफी था. इसे समझने के लिए जानना होगा कि 2018-19 में 30 फीसदी रकम कम मिली थी—3.71 लाख करोड़ रु. की जरूरत के मुकाबले 1.12 लाख करोड़ रुपए कम मिले थे.
सिंह जहां इन जरूरतों को लेकर संवेदनशील और प्रस्तावों को लेकर खुले हैं, वहीं हाल ही में उन्होंने सहयोगियों से कहा, ''(सशस्त्र बलों को) ऐसी मांगें सामने नहीं रखनी चाहिए जिन्हें हम केवल आसमान से तारे तोड़कर पूरा कर सकें.'' सवाल है कि—सशस्त्र बलों के लिए नाकाफी धन पर क्या किया जाए? यहां तक कि अगर नए उपकरणों की खरीद को टाल दिया जाता है, तब भी सशस्त्र बलों का करीब 60 से 70 फीसदी पूंजीगत बजट उन चीजों को पूरा करने में खर्च हो जाता है जिन्हें 'पहले से वादा की गई देनदारियां' कहा जाता है. ये सालाना रकमें हैं जो पहले खरीदे ऌगए उपकरणों के लिए हथियार निर्माताओं को चुकानी होती हैं—उसी तरह जैसे ऑटोमोबाइल और घर मालिकों को सालाना मासिक किस्तें चुकानी होती हैं. मसलन, वायु सेना को फ्रांस से खरीदे गए 36 राफेल विमानों और रूस से एस-400 मिसाइलों का डाउन पेमेंट करना होता है.
इस तरह के मुद्दों के चलते रक्षा मंत्रालय के खर्चों में किसी भी बढ़ोतरी पर अनाधिकारिक सीमारेखा खींच दी गई है. इस संदर्भ में पिछले साल रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने लोकसभा में कहा था कि सरकार का खर्चों का 18 फीसदी पहले ही रक्षा में चला जाता है. (उनके इस आंकड़े में रक्षा पेंशन के 1 लाख करोड़ रुपए भी शामिल थे, जो आम तौर पर सशस्त्र बलों के बजट में शामिल नहीं होते.) अगर सशस्त्र बलों से करगिल और पुलवामा सरीखी दूसरी लड़ाइयों के लिए तैयार रहने की उम्मीद की जाती है तो सिंह को बजट की यह एक जंग लडऩी—और जीतनी—होगी.
मेक इन इंडिया
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल की सबसे बड़ी नाकामियों में स्वदेश में ही हथियार बनाने का मेक इन इंडिया कार्यक्रम था जो मुर्दा ही पैदा हुआ. मेक इन इंडिया के जरूरी तौर पर दो हिस्से हैं. एक है रणनीतिक भागीदारी (एसपी) जिसमें भारतीय निजी क्षेत्र से विदेशी हथियार निर्माताओं के साथ कामकाजी रिश्ते कायम करके स्वदेशी हथियार उत्पादन उद्योग विकसित करने की उम्मीद की जाती है.
दूसरा हिस्सा इस पहले हिस्से से विकसित होना है—एक बार जब निर्माण का आधार स्थापित हो जाएगा, तब उससे हथियारों की रिसर्च, 'भारत में विकसित और निर्मित' हथियार प्लेटफॉर्मों, या आइडीडीएम परियोजनाओं में निवेश करने की उम्मीद की जाएगी. इन परियोजनाओं में बौद्धिक संपदा—हथियारों के खाके, मिलिटरी सॉफ्टवेयर और इसी किस्म की चीजों—पर पूरी तरह भारतीय कंपनियों का नियंत्रण होगा.
रणनीतिक भागीदारी कार्यक्रम तब के रक्षा मंत्री पर्रीकर ने 2016 में लॉन्च किया था और इसका मकसद टैंक, हेलिकॉप्टर, लड़ाकू विमान और पनडुब्बियां बनाने के काम में भारतीय निजी क्षेत्र को लाना था. इस प्रमुख नीति पर अभी रक्षा मंत्रालय की मंजूरी की मोहर लगना है. यह रणनीतिक भागीदारी नीति साउथ ब्लॉक के गलियारों में चक्कर लगा रही है. इस साल हथियार आयातक देशों की विश्व रैंकिंग में हालांकि भारत खिसककर दूसरे पायदान पर आ गया है—और ऐसा केवल इसलिए हुआ है क्योंकि सऊदी अरब ने अपनी रक्षा खरीद में इजाफा किया है—तिस पर भी भारत अपने 60 फीसदी से ज्यादा रक्षा हार्डवेयर अब भी आयात करता है. राजनाथ सिंह के सामने मुंहबाए खड़ी चुनौतियां बहुत सारी भी हैं और बहुत भारी-भरकम भी हैं. इस ओहदे पर उनके सामने दरपेश इनमें से कई गुत्थियां उनके पूर्ववर्तियों को पछाड़ कर चुकी हैं. अगर सिंह उनसे पार पा लेते हैं, तो वे इतिहास में अपनी कुरसी पक्की कर लेंगे. |
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