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असम में बाढ़ से हालात और खराब हो गए हैं. बाढ़ की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि शिमला में भी बारिश के चलते शिमला-कालका नेशनल हाईवे 14 घंटों तक बंद रहा.
अब तक 12 की मौत
असम
में लगातार हो रही बारिश के चलते 1400 से अधिक गांव में 6.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बाढ़ की रिपोर्ट के अनुसार धुबरी जिले के बिलासिपारा राजस्व सर्कल के राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर दो लोग डूब गए. पिछले 24 घंटे में कोकराझाड़ में दो अन्य लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही असम में बाढ़ के कारण हुई मौतों का आंकड़ा 12 पर पहुंच गया. इनमें कोकराझाड़ में चार, लखीमपुर और धुबरी में दो-दो, बोंगईगांव, बक्सा, सोनितपुर और चिरांग प्रत्येक जिले में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई.
बोंगईगांव में हालात सबसे खराब
एएसडीएमए के मुताबिक 1417 गांव में 6.55 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए. शुक्रवार तक 19
जिलों
के 1071 गांव में करीब 5.76 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आ गए थे. एएसडीएमए के मुताबिक बोंगईगांव जिले में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं जहां करीब 1.68 लाख बाढ़ के कारण प्रभावित हुए. इसके बाद कोकराझाड़ में 1.64 लाख बाढ़ से प्रभावित हैं.
लैंडस्लाइड से 14 घंटे बंद रहा शिमला-कालका हाईवे
उधर हिमाचल प्रदेश में शोघी के पास विशाल भूस्खलन से शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग करीब 14 घंटों तक बंद रहा. जिसके चलते दूसरी तरफ सैकड़ों वाहन फंसे रहे. भूस्खलन शनिवार सुबह पांच बजे हुआ. यातायात के शोघी-मेहाली उपमार्ग पर मोड़ देने से समाचार पत्र, दूध, ब्रेड, सब्जियां समेत अन्य दैनिक जरूरतों के समान के लोगों तक पहुंचने में देरी हुई.
लैंडस्लाइड से सड़क पर 100 फीट गहरा गड्ढा
भूस्खलन से सड़क पर लगभग 100 फीट का गहरा गड्ढा हो गया और पूरी सड़क मलबे के नीचे दब गई. इस घटना में कोई भी हताहत नहीं हुआ है.यातायात के शोघी-मेहाली उपमार्ग पर मोड़ दिया गया लेकिन वाहनों की भारी भीड़ के चलते वहां भी जाम की स्थिति पैदा हो गई.
विस्फोट करके हटाई गईं चट्टानें
सुबह से मौके पर मौजूद इंजीनियर (राष्ट्रीय राजमार्ग) महेश सिंघल ने कहा कि लोक निर्माण विभाग ने चट्टानों और मलबा हटाने के लिए कई मजदूरों और भारी मशीनरी को तैनात किया, पर चट्टानें काफी विशाल थीं जिसके चलते उन्हें तोड़ने के लिए वहां विस्फोट करना पड़ा. बड़ी संख्या में पर्यटक भी वहां कई घंटों तक फंसे रहे. शाम तक भी सड़क के न खुलने की वजह से यातायात को दूसरी तरफ मोड़ा दिया गया है.
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बम्बई का बाबू 1960 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है जिसका निर्देशन राज खोसला ने किया है। इस फ़िल्म में देव आनन्द और सुचित्रा सेन ने अभिनय किया है। जिन चार हिन्दी फ़िल्मों में सुचित्रा सेन ने काम किया है उनमें यह दूसरी है।
संक्षेप
बाबू (देव आनन्द) एक अपराधी होता है। उसका बचपन का दोस्त मलिक एक पुलिस अफ़सर होता है और बाबू को सीधी राह पर चलने की सलाह देता है। बाबू कहता है कि वह कोशिश करेगा और अपराधों में अपने भागीदार बाली (जगदीश राज) से आगे कोई अपराध करने से मना कर देता है। एक जगह डाका डालते समय बाली और उसके साथी पुलिस की गिरफ़्त में आ जाते हैं और यह समझते हैं कि उनकी मुखबिरी बाबू ने की है। जब बाली ज़मानत पर बाहर आता है तो उसका सामना बाबू से होता है। दोनों में हाथापाई होती है जिसके चलते बाली को चाकू लग जाता है और उसकी मौत हो जाती है। पुलिस के डर से बाबू उत्तर भारत के एक कस्बे में रहने जाता है जहाँ उसकी मुलाक़ात एक और अपराधी भगत से होती है। भगत की आँख वहाँ के एक रईस शाहजी (नज़ीर हुसैन) की दौलत पर होती है। भगत बाबू से कहता है कि वह शाहजी का खोया हुआ बेटा कुन्दन बनकर शाहजी के घर जाये और फिर उनकी दौलत पर हाथ साफ़ कर दे। पहले तो बाबू मना करता है लेकिन जब भगत उसे पुलिस से पकड़वाने की धमकी देता है तो वह राज़ी हो जाता है।
कुन्दन बन कर बाबू जब शाहजी के घर जाता है तो वहाँ उसकी मुलाकात शाहजी की बेटी (और अब उसकी तथाकथित बहन) माया (सुचित्रा सेन) से होती है और धीरे-धीरे उसको माया से प्यार हो जाता है। बाबू को शाहजी के घर से ख़र्च के लिए पैसा मिलता रहता है और वह भगत को थोड़ा-थोड़ा पैसा देता रहता है लेकिन भगत को तो सारी दौलत एक साथ ही चाहिए। वह बाबू को फिर धमकी देता है और माया सब छिपकर सुन लेती है और उसे सच्चाई मालूम हो जाती है। जिस दिन माया की बारात आने वाली होती है उसी दिन भगत अपने साथियों के साथ शाहजी के घर में घुसकर माया की शादी के लिए बनाये हुए ज़ेवर और नकदी लेकर जाने लगता है तो बाबू उनको रोकता है। बाबू को मार-पीटकर भगत और उसके साथी शाहजी के घर से भाग जाते हैं। यह सब माया देख लेती है। बाबू भगत का पीछा करता है और थोड़ी मार-पीट के बाद चुराई हुई दौलत वापिस हासिल कर लेता है।
इधर चोरी की वजह से शाहजी बिल्कुल टूट जाते हैं लेकिन बाबू जब चोरी हुआ सारा सामान वापिस ले आता है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। माया की शादी हो जाती है और बाबू उसे विदा करके जब वापिस लौटता है तो मलिक, जो बम्बई से उसका पीछा करता हुआ आया है, शाहजी के घर की दहलीज़ पर खड़ा होता है लेकिन वह चुपचाप खड़ा रहता है क्योंकि वह समझ जाता है कि बाबू अब सुधर चुका है।
मुख्य कलाकार
देव आनन्द - बाबू/कुन्दन
सुचित्रा सेन - माया
जीवन
नासिर हुसैन - शाहजी
अचला सचदेव - रुक्मनी
रशीद ख़ान - भगत
धूमल - मामू
जगदीश राज - बाली
मनोहर दीपक - मलिक
ललिता कुमारी
टुन टुन
संगीत
फ़िल्म के संगीतकार एस डी बर्मन हैं और गीतों के बोल मजरुह सुल्तानपुरी ने लिखे हैं।
बाहरी कड़ियाँ
1960 में बनी हिन्दी फ़िल्म
हिन्दी फ़िल्में
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नानी बनने पर हेमा मालिनी ने यूं जताई खुशी, बोलीं- नन्हीं परी आ गई
देओल फैमिली के लिए इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है कि परिवार के लिए लगातार कुछ न कुछ अच्छा हो रहा है. पहले लोकसभा चुनाव में हेमा मालिनी और सनी देओल ने अपने अपने चुनाव जीते. अब धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की बेटी ईशा देओल दूसरी बार मां बनी हैं. ईशा देओल ने 10 जून को बेटी के जन्म की जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की थी.
मुंबई की सड़कों पर बॉडीगार्ड संग बेफिक्र अंदाज में जाह्नवी कपूर, PHOTOS
जाह्नवी कपूर अपनी फिटनेस का खास ख्याल रखती हैं. इसके लिए जाह्नवी कपूर रोजाना जिम जाना नहीं भूलती हैं. जाह्नवी को बुधवार जिम के बाहर स्पॉट किया गया. धड़क स्टार जाह्नवी जिम जाने के लिए बॉडीगार्ड के साथ नजर आईं. जाह्नवी की ये तस्वीरें देखकर लग रहा है जैसे वो किसी दुनिया में गुम, बेफिक्र अंदाज में चलती जा रही हैं.
सूखाग्रस्त गांव में रणदीप हुड्डा ने जो किया वो किसी मिसाल से नहीं है कम
एक्टर रणदीप हुड्डा सामाजिक कार्यों को लेकर सक्रिय रहते हैं और जरूरतमंदों की मदद करने से पीछे नहीं हटते. रणदीप हुड्डा ने यूके बेस्ड अंतरराष्ट्रीय मानवीय राहत संगठन "खालसा एड" के साथ महाराष्ट्र के नासिक स्थित गांव वेले का दौरा किया. ये गांव सूखे से ग्रस्त है. पीने के पानी की कमी के चलते यहां के लोग परेशानी झेल रहे हैं.
रियल लाइफ में इतनी ग्लैमरस हैं बालिका वधू फेम टीवी की ये संस्कारी बहू
टीवी एक्ट्रेस वीभा आनंद ने शो बालिका वधू से अपना डेब्यू किया था. इस शो ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा दिया. उनकी एक्टिंग को खूब पसंद किया गया. इस शो से घर-घर में वो पहचाने जाने लगीं. उनके सिंपल और स्वीट कैरेक्टर सुगना ने लोगों का दिल जीत लिया. वीभा अक्सर टीवी पर संस्कारी बहू के किरदार में नजर आती हैं, लेकिन रियल लाइफ में वो बेहद ग्लैमरस हैं.
तलाक-शराब-डिप्रेशन, हैरान करने वाले हैं ऋतिक की बहन के पर्सनल सीक्रेट्स
ऋतिक रोशन की बहन सुनैना रोशन इन दिनों चर्चा में हैं. इसकी वजह है सुनैना का वो इंटरव्यू जिसमें उन्होंने अपने परिवार से अलग रहने और शादी टूटने की वजह से शराब का आदी हो जाने जैसे तमाम सीक्रेट खोले हैं. सुनैना भले ही लाइमलाइट से दूर हों, लेकिन फिलहाल उनका इंटरव्यू चर्चा में हैं. सुनैना ने अब तक की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखें हैं, फिर वो रिश्ते से जुड़े हों या फिर बीमारियों के.
ईद पर सूर्यवंशी नहीं, फिल्म की रिलीज डेट बदलने से कुछ इस तरह नाराज हैं अक्षय कुमार के फैन
इस साल ईद पर सलमान खान की फिल्म भारत रिलीज हुई थी. भारत ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की है. फिल्म को खासा पसंद किया किया जा रहा है. सलमान खान को ईद का खिलाड़ी माना जाता है. उनकी ईद पर रिलीज हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित होती है. अगले साल ईद पर सलमान की इंशाअल्लाह रिलीज हो रही है और इसी दिन अक्षय कुमार की सूर्यवंशी भी रिलीज होने वाली थी.
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यह एक लेख है: Honor 20 Lite को आधिकारिक तौर पर पेश कर दिया गया है। गौर करने वाली बात है कि 21 मई को चीनी कंपनी Honor एक इवेंट आयोजित करने वाली है जहां हॉनर 20 हैंडसेट को लॉन्च किया जाएगा। Honor 20 Lite एक मिड-रेंज डिवाइस है। यह ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप, ड्यूड्रॉप नॉच और एंड्रॉयड 9 पाई के साथ आता है। यह कंपनी के ही Honor 10 Lite का अपग्रेड है जिसे बीते साल नवंबर में लाया गया था। हॉनर 10 लाइट का अपग्रेड होने के बावजूद हॉनर 20 लाइट अपने पुराने वेरिएंट से बहुत अलग नहीं है।
हॉनर 20 लाइट को मलेशियाई मार्केट में करीब 15,900 रुपये और यूनाइटेड किंगडम में करीब 22,500 रुपये में बेच जाएगा। फिलहाल, Honor 20 Lite को भारत में लॉन्च किए जाने के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन इसका भारत आना तय है और कीमत मलेशियाई दाम के आसपास ही होगी।
Honor 20 Lite को फैंटम रेड, फैंटम ब्लू और मिडनाइट ब्लू रंग में बेचा जाएगा।
हॉनर 20 लाइट एंड्रॉयड 9 पाई पर आधारित ईएमयूआई 9.0 पर चलता है। इस डुअल सिम स्मार्टफोन में 6.21 इंच का फुल-एचडी+ (1080x2340 पिक्सल) डिस्प्ले है, 19.5:9 आस्पेक्ट रेशियो के साथ। स्मार्टफोन को रफ्तार देने का काम करेगा हाइसिलिकॉन किरिन 710 प्रोसेसर। जुगलबंदी के लिए 4 जीबी रैम मौज़ूद हैं। बैटरी 3,400 एमएएच की है। हॉनर 10 लाइट भी इन सारे स्पेसिफिकेशन से लैस है।
मुख्य तौर पर कैमरा डिपार्टमेंट में ही Honor 20 Lite अपने पुराने वेरिएंट से अलग है। नए Honor फोन में ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप है। पिछले हिस्से पर एफ/ 1.8 अपर्चर वाला 24 मेगापिक्सल का प्राइमरी सेंसर, एफ/ 2.4 वाइड एंगल लेंस वाला 8 मेगापिक्सल का सेकेंडरी सेंसर और एफ/ 2.4 अपर्चर वाला 2 मेगापिक्सल का डेप्थ सेंसर है। फ्रंट पैनल पर एफ/ 2.0 अपर्चर वाला 32 मेगापिक्सल का कैमरा है।
Honor 20 Lite की इनबिल्ट स्टोरेज 128 जीबी है और ज़रूरत पड़ने पर 512 जीबी तक का माइक्रोएसडी कार्ड इस्तेमाल करना संभव होगा। फोन रियर फिंगरप्रिंट सेंसर, फेस अनलॉक सपोर्ट, माइक्रो-यूएसबी 2.0, 4जी वीओएलटीई, वाई-फाई, ब्लूटूथ और जीपीएस के साथ आता है।
फोन का डाइमेंशन 154.8x73.64x7.95 मिलीमीटर है और वज़न 164 ग्राम।
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घाटीगाँव भारत के मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले में स्थित शहर है। यह ग्वालियर से 35 किमी दूर स्थित है। 2009 के आंकड़ों के अनुसार, घाटीगाँव भी एक ग्राम पंचायत है।
शहर का कुल भौगोलिक क्षेत्र 1860.1 हेक्टेयर है। घाटीगाँव की कुल आबादी 5,641 लोगों की है। घाटीगाँव में लगभग 1,088 घर हैं। ग्वालियर, घाटीगाँव के नजदीकी महानगर है जो लगभग 35 किमी दूर है।
जनगणना 2011 की जानकारी के अनुसार घाटीगाँव का स्थान कोड 453771 है।
मध्य प्रदेश के शहर
ग्वालियर ज़िला
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नेमिचंद जैन अस्पताल किसी भुतहा इमारत की तरह ही दिखाई देता है.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर कस्बे
से कुछ किलोमीटर बाहर एक घासदार सड़क मुड़कर इस मांदनुमा अस्पताल में ले जाती है. अस्पताल अब बंद पड़ा है. कमरों में फफूंद की दुर्गंध बस गई है. खाली सीरिंज, टेस्ट ट्यूब और दवाओं के डिब्बे यहां-वहां बिखरे पड़े हैं. उन्हें छूते ही छिपकलियां सरपट बाहर आ जाती हैं. एक डिब्बे पर विशाल मकड़ी झूल रही है, जिस पर लिखा है— 'स्टेराइल सर्जिकल ग्लव्ज (ऑपरेशन के दस्ताने). एक नजर डालने पर अब यहां स्टराइल या जीवाणुरहित कुछ भी नहीं दिखता. यही वह जगह है, जहां कुछ हफ्ते पहले 83 औरतों को उनकी गर्भाशय नाल काटने के लिए एक साथ लिटाया गया था.
ये औरतें मानो सिर्फ एक गिनती थीं. वे 1,50,000 के उस 'लक्ष्य’ में शुमार थीं, जो छत्तीसगढ़ सरकार ने अप्रैल 2015 से पहले औरतों की नसबंदी के लिए तय किया था. लेकिन देखते ही देखते वे आंकड़ों से किस्सों में तब्दील हो गईं. उनमें 15 की जीवनलीला खत्म हो गई और 122 बाल-बाल बचीं. देश और दुनिया भर में सदमे की लहर दौड़ गई. पेचीदा सवालों का पिटारा खुल गया— नकली दवाएं और उनके पीछे अनैतिक साठ-गांठ, प्रोत्साहन की सरकारी योजनाएं, जबरदस्ती और टालमटोल, डॉक्टरों के पेशे की पवित्रता और मौजूदा कानून, लापरवाही और बेरुखी. जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ रहा है, देश एक कड़वी गोली निगलने को मजबूर है. वह है हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की घिनौनी और परपीड़क हालत की हकीकत. यह केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं, पूरे देश में है.
चौंकाने वाले आंकड़े
पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इसी साल जुलाई में संसद में स्वीकार किया था कि 2010 से 2013 के बीच केंद्र सरकार को 15,264 नाकाम नसबंदी ऑपरेशनों की एवज में मुआवजे के तौर पर 51 करोड़ रुपये चुकाने पड़े थे. संयुक्त राष्ट्र हमें बताता है कि डोमिनिकन रिपब्लिक और प्यूर्तों रिको के बाद भारत तीसरे नंबर का देश है, जहां महिला नसबंदी की दर सबसे ज्यादा है. हमारे यहां 37 फीसदी शादीशुदा महिलाओं की नसबंदी की गई, जबकि ऐसे पुरुष मात्र 1 फीसदी हैं. 2013-14 में चौंका देने की हद तक 38 लाख औरतों को ऑपरेशन टेबल पर और घनघोर लापरवाही के बीच उनके प्रजनन चक्र से, और कभी-कभी तो उनकी जिंदगी से भी, छुट्टी दे दी गई. महाराष्ट्र में 5,00,000, बिहार में 4,00,000, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 3-3 लाख से ज्यादा औरतों को यह कष्ट झेलना पड़ा. इसके बावजूद भारत प्रति औरत 2.1 बच्चे का महत्वाकांक्षी आबादी अनुपात हासिल नहीं कर सका है.
संदिग्ध दवाइयां
बात सिर्फ ऑपरेशन की नहीं है. सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी, कोलकाता की एक रिपोर्ट ने दवाइयों के जहरीले होने की तस्दीक की है. इससे सबूतों की तलाश और भी ज्यादा पहेली बन गई है. ऑपरेशन में ऐसी कई दवाओं का इस्तेमाल किया गया जो देश भर के सप्लायरों से प्राप्त हुई थीं. ऐंटीबायोटिक सिप्रोसिन रायपुर के महावर फार्मा ने, दर्द की दवा आइब्रुफेन हरिद्वार (उत्तराखंड) के टेक्निकल फार्मा ने, लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लिग्नोकैन हिसार (हरियाणा) की रिगेन लैबोरेटरीज ने, नर्व एजेंट एट्रोपाइन और डायजोपाम इंदौर की नंदिनी मेडिकल लैब्स ने, दर्द निवारक फोर्टविन इंजेक्शन गुजरात की मैग्ना लैबोरेटरीज ने, एब्जॉर्वेंट कॉटन वूल रायपुर की हैम्पटन इंडस्ट्रीज ने और स्किन लोशन जायलोन इंदौर के जी फार्मा ने सप्लाई किया था.
जानलेवा माहौल
बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में आप घुस नहीं सकते. यहां दरवाजों पर काले वस्त्र पहने नाइटक्लब बाउंसर बलखाती मांसपेशियों और घुटे हुए सिरों के साथ तैनात हैं. यहां जीवनरक्षक प्रणाली पर रखी गई गंभीर रूप से बीमार औरतों का इलाज चल रहा है. कई की मौत हो चुकी है— रेखा निर्मलकर, नेम बाई, रंजीता, फूल बाई, चंद्रा बाई, शिव कुमारी, चैती बाई. उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्टों से रक्तप्रवाह में घातक संक्रमण की वजह से सेप्टीसीमिया और बहुत सारा खून बह जाने की वजह से हाइपोवोलेमिक शॉक का खुलासा हुआ है. ये सभी ऑपरेशन के दौरान होने वाले संक्रमण के लक्षण बताते हैं.
डॉ. आरके गुप्ता को पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. आखिर वे 50,000 से ज्यादा नसबंदी ऑपरेशन कर चुके हैं. एक दिन में 300 ऑपरेशन करने का श्रेय भी उन्हें हासिल है. यह सब उन्होंने कैसे किया? प्रारंभिक जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि नेमिचंद अस्पताल में तीन घंटे के नसबंदी अभियान के दौरान उन्होंने, जलपान या हाथ धोने के लिए एक भी बार रुके बगैर, हर दो मिनट में एक महिला नसबंदी को अंजाम दिया. इसमें केवल एक जूनियर डॉक्टर उनके साथ था. जहां तक साफ-सफाई की बात है, एक ऑपरेशन के बाद वे नश्तर को जाहिर तौर पर स्पिरिट में डुबोते और फिर 10 और ऑपरेशन करने के लिए उसी का इस्तेमाल करते थे.
ऐसे आरोप भी चर्चा में हैं कि उनके औजार जंग लगे (या गंदे) थे, वे दस्ताने नहीं पहनते, वे जूनियर डॉक्टर से ऑपरेशन करवाते हैं. बेहोशी की दवा के काम न करने पर जब एक औरत दर्द से चीखी तो उन्होंने उसे चांटा रसीद कर दिया. वे इन सबसे इनकार करते हैं. और इस पूरी मेहनत का हासिल यह कि डॉक्टर ने उस दिन 6,225 रुपये कमाए (डॉक्टरों के लिए सरकारी दर प्रति ऑपरेशन 200-250 रुपये है).
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अजय देवगन और काजोल की जोड़ी बॉलीवुड की उन चुनिंदा जोड़ियों में शुमार है जो प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों फ्रंट पर सुपरहिट रही है. दोनों की शादी को 20 साल हो गए हैं. दोनों ने 24 फरवरी, 1999 को शादी की थी. इन 20 सालों में कपल की शानदार बॉन्डिंग देखने को मिली है. इस खास मौके पर काजोल ने एक वीडियो के जरिए बताया है कि लंबे वक्त से चले आ रहे उनके शानदार रिलेशनशिप का राज क्या है.
काजोल ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया. उन्होंने एक स्टोरी के फॉर्म में लिखा, आज आप क्या करना चाह रहे हैं. अजय बोले- मुझे नहीं पता कि तुम क्या करने जा रही हो. मैंने कहा- आप क्या करना चाह रहे हैं. अजय बोले- क्यों ना हम घर पर ही रहें और कुछ अच्छा फूड ऑर्डर करें. मैं कहती हूं- शानदार.
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Me: So what do you want to do today Ajay: I don’t know what do u want to do Me: what do u feel like Ajay: Let’s just stay in and order some good food Me : Perfect ! And they lived happily ever after in pajamas ...
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Kajol Devgan
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Feb 23, 2019 at 10:20pm PST
एक इंटरव्यू के दौरान अपने रिलेशनशिप के बारे में बात करते हुए अजय देवगन ने कहा था, "हम दोनों के रिलेशनशिप की सबसे अच्छी बात ये है कि हमने एक दूसरे से उस बारे में कभी बात नहीं की जैसे हम नहीं हैं. अगर उसको पर्सनल लाइफ के लिए थोड़ी स्पेस चाहिए तो मैंने कभी मना नहीं किया और अगर मुझे चाहिए तो उसने भी कभी इंकार नहीं किया. कई बार ऐसा होता है कि हम दोनों एक कमरे में अपना-अपना काम कर रहे होते हैं और एक दूसरे से कोई बात भी नहीं कर रहे होते हैं. मगर इसके बाद भी हम एक दूसरे को लेकर असहज महसूस नहीं करते कि हम बात नहीं कर रहे."
अजय ने आगे कहा- मैं और काजोल बहुत कूल कपल हैं. अगर आप ऐसा लहजा नहीं रखते हैं तो साथ रहना काफी मुश्किल हो जाता है. हम साथ में ऐसी बॉन्डिंग शेयर करते हैं जिसमें एक दूसरे को सहजता से ये बता सकते हैं कि हमारे मन में क्या है और हम क्या चाह रहे हैं. हम चाहें घर पर हों या बाहर हों, हम ऐसे ही रहते हैं. बता दें कि इस शादी से दोनों को न्यासा और युग नाम के दो बच्चे हैं.
प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो अजय देवगन की फिल्म टोटल धमाल हाल ही में रिलीज हुई है. वहीं काजोल और अजय के एक बार फिर से सिल्वर स्क्रीन पर वापसी करने की खबरें हैं. माना जा रहा है कि दोनों तानाजी में हसबेंड-वाइफ का रोल प्ले करते हुए नजर आएंगे.
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टोलेडो मध्य स्पेन का एक प्रांत है, जो कैस्टिले-ला मंच के स्वायत्त समुदाय के पश्चिमी भाग में है। इसकी सीमा मैड्रिड, कुएनका, स्यूदाद रियल, बदाजोज़, कैसरेस और एविला प्रांतों से लगती है। इसकी राजधानी टोलेडो शहर है।
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विराट और अनुष्का की शादी को गुप्त रखने की हर संभव कोशिश की गई थी, ताकि कम से कम लोगों को इसकी भनक लगे. शादी को इटली में इतना गुप्त रखा गया था कि शादी करवाने वाले पंडित पवन कुमार कौशल तक को भी इसकी जानकारी नहीं थी.
25 साल पहले उत्तरी इटली के बोर्गो सेन जियकमो शहर में जाकर बसे पवन मूलतः पंजाब के कपूरथला जिला के संधू छठा गांव के रहने वाले हैं. उनको शादी के कुछ घंटों पहले तक मालूम नहीं था कि वह विराट और अनुष्का का गठबंधन और सात फेरे करवाने वाले हैं.
विराट-अनुष्का की शादी में शामिल हुआ ये क्रिकेटर, रह चुके हैं कोहली के कप्तान
उन्हें इस विशेष शादी को संपन्न करवाने के लिए 400 किलोमीटर का सफर तय करके इटली के टस्कनी पहुंचना पड़ा. कपूरथला में उन्होंने अपने परिवार को बताया कि टस्कनी पहुंचने पर वह सबसे पहले विराट की मम्मी से मिले, जिन्होंने उन्हें पंजाबी में समझाया कि वह उनके बेटे विराट कोहली और अनुष्का शर्मा का विवाह संपन्न करवाने वाले हैं.
जब उन्हें यह मालूम हुआ कि वह दो सेलेब्रिटीज की शादी करवाने वाले हैं तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा. उनके मुताबिक अनुष्का और विराट दोनों ने उनके साथ बहुत आदर से बात की और उनको पंजाबी और संस्कृत समझने में कोई भी दिक्कत नहीं हुई.
पवन के रिश्तेदारों के मुताबिक उन्होंने सबसे पहले उनके साथ विराट और उनकी मम्मी ने पंजाबी में बात की और अनुष्का ने हिंदी भाषा में. उनके मुताबिक अनुष्का और विराट दोनों की दिलचस्पी सात फेरों के दौरान खाई जाने वाली कसमों में थी और दोनों ने खुशी से और भावनात्मक रूप से सात फेरे लिए.
विराट-अनुष्का की शादी में हुई लड़ाई, भिड़ गए डिजाइनर और फोटोग्राफर
अनुष्का और विराट को पहले से ही सात फेरों की कसमों की जानकारी थी और उन्होंने एक बार भी पंडित से उनका अर्थ नहीं पूछा. हालांकि पंडित पवन कुमार कौशल ने उनको खुद ही सात कस्बों और फेरों का महत्व समझाया. उनके मुताबिक अनुष्का और विराट ने बाकायदा हाथ में माइक्रोफोन लेकर सात फेरों की कसम के लिए अपनी सहमति दी.
विराट और अनुष्का की शादी करवाने वाले पवन शादी के बाद अचानक सुर्खियों में आ गए हैं. सोशल मीडिया पर उनको लगातार बधाइयां मिल रही है और वह खुद को एक सेलिब्रिटी की तरह महसूस कर रहे हैं.
विराट-अनुष्का की शादी से 'फूफा' नाराज, Twitter पर ऐसे उड़ा मजाक
पवन कुमार कौशल ने शादी से जुड़े दूसरे राज खोलने से इंकार किया और न ही शादी के बाद मिली दक्षिणा की जानकारी दी. पवन शनि देव के पुजारी हैं और इटली में अपना शिव मंदिर चलाते हैं.
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बिहार चुनाव की वजह से देश का सियासी पारा लगातार ऊपर चढ़ता जा रहा है. एक ओर चुनाव प्रचार के दौरान सियासतदान अपने विरोधियों पर जुबानी हमले करने में व्यस्त हैं, तो दूसरी ओर चुनाव के बाद के हालात और संभावित नतीजे को लेकर पब्लिक की उत्सुकता लगातार बढ़ती जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम दलों के शीर्ष नेता प्रचार अभियान के लिए मैदान में उतर चुके हैं और बिहार की जनता को नारों-वादों और घोषणाओं के जरिए अपने पाले में करने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं. बढ़ती सियासी हलचल के बीच लोगों की उत्सुकता भी बढ़ रही है.
हर कोई चुनाव से पहले ही यह जान लेना चाहता है कि आखिर सेहरा किसके सिर बंधने जा रहा है. इंडिया टुडे और सिसेरो ने फाइनल ओपिनियन पोल के जरिए बिहार के मतदाताओं
का मन-मिजाज
टटोलने की कोशिश की है.
CM पद के लिए नीतीश सर्वाधिक लोगों की पसंद
ओपिनियन पोल के मुताबिक, एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा लोगों की पसंद बनकर उभरे हैं. इस रेस में बीजेपी नेता सुशील मोदी दूसरे स्थान पर हैं.
महागठबंधन को मिल सकती है NDA पर बढ़त
ओपिनियन पोल के मुताबिक, बिहार में JDU-RJD और कांग्रेस के महागठबंधन को BJP की अगुवाई वाले NDA पर थोड़ी बढ़त मिलती दिखाई दे रही है. 243 सीटों वाली विधानसभा में महागठबंधन को 122 सीटें मिलने का अनुमान है. NDA को 111 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है. अन्य के खातों में 10 सीटें जा सकती हैं.
महागठबंधन की स्थिति में सुधार
इंडिया टुडे-सिसेरो के पहले ओपिनियन पोल में
NDA करे 125 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था, जबकि महागठबंधन को 106 सीटें ही मिलती दिखाई दे रही थीं.
गौरतलब है कि
बिहार में विधानसभा चुनाव
कुल 5 चरणों में होने जा रहा है. पहले चरण का चुनाव 12 अक्टूबर को, जबकि आखिरी चरण का मतदान 5 नवंबर को है. वोटों की गितनी 8 नवंबर को होगी, जिसके बाद आखिरी नतीजे सामने आ सकेंगे.
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अमेरिका का पूर्वी तट भीषण तूफान सैंडी से अभी ठीक से उबरा भी नहीं था कि न्यूयार्क और न्यू जर्सी में एक और तूफान आने की आशंका प्रबल हो गयी है.
इस तूफान को नोरस्टर नाम दिया गया है. इसके गुरूवार की सुबह तक न्यूयार्क सिटी पहुंचने का अनुमान है. मौसम विशेषज्ञों के अनुसार तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो सकती है.
मौसम विभाग ने आशंका जतायी है कि कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हिमपात भी हो सकता है. इसके साथ ही तटीय इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है.
हालांकि इस तूफान के संबंध में कोई चेतावनी नहीं जारी की गयी है लेकिन लोगों को सलाह दी गयी है कि वे निचले इलाकों से परहेज करें. न्यूयार्क में इस तूफान को लेकर एहतियात बरता जा रहा है. ब्लूमबर्ग के अनुसार लोगों को भी खराब मौसम के दौरान घरों में ही रहने को कहा गया है. विमानन कंपनियों ने न्यूयार्क की 770 उड़ानों को रद्द कर दिया है.
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बिहार के छपरा में मिड-डे मील को लेकर हंगामा अभी शांत भी नहीं हो पाया है कि राज्य के एक और स्कूल में विषाक्त भोजन करने से 50 बच्चे बीमार हो गए हैं. मामला मधुबनी जिले के विस्फी थाने के अतंर्गत नूरचक गांव के नवटोलिया स्थित मिडल स्कूल का है.
जानकारी के मुताबिक, मधुबनी से 50 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में मिड-डे मील में छिपकली गिर गई थी, इसके बावजूद बच्चों को खाना परोसा गया. खाना खाते ही 50 बच्चे बीमार हो गए.
बताया गया है कि मिड-डे मील खाने के बाद पेट में दर्द एवं उल्टी की शिकायत होने लगी, जिसके बाद इन बच्चों को स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया. भोजन में एक मरी हुई छिपकली पायी गयी. विस्फी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ए के प्रभात ने बताया कि बीमार बच्चों का इलाज जारी है और उनमें पांच की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जबकि बाकी बच्चे खतरे से बाहर हैं.
पढ़ें:
छपरा के स्कूल में मिड-डे मील से 21 बच्चों की मौत, जिदंगी की जंग लड़ रहे हैं 28 मासूम
गौरतलब है कि बिहार के छपरा में जहरीले मिड-डे मील खाने से अब तक 22 मौतें हो चुकी हैं. मरने वालों में 21 बच्चों के अलावा वह महिला भी शामिल है, जिसने भोजन तैयार किया था. पटना के अस्पताल में अब भी 24 बच्चों का इलाज चल रहा है, जिनमें 4 बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है.
इस दुखद घटना के बाद छपरा में बवाल मचा हुआ है. लोग प्रशासन के खिलाफ गुस्से का इजहार कर रहे हैं. पूर्व सीएम लालू प्रसाद और बीजेपी नेता ने इसे प्रशासन की लापरवाही मानते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा है.
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वेस्टइंडीज के हाथों हेडिंग्ले टेस्ट गंवाने के साथ ही मेजबान इंग्लैंड के साथ एक दिलचस्प फैक्ट जुड़ गया है. इंग्लैंड की पिछली चार टेस्ट सीरीज पर गौर करें, तो एक अजीब संयोग सामने आता है. दरअसल, इन लगातार चारों सीरीज के दूसरे टेस्ट में उसे हार मिली है.
इसी क्रम में वेस्टइंडीज ने भी मौजूदा सीरीज के दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड को 5 विकेट से हराकर तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली. इंग्लैंड के द्वारा दिए गए 322 रनों के लक्ष्य को वेस्टइंडीज ने मैन ऑफ द मैच शाई होप के बेहतरीन शतक की बदौलत 5 विकेट खोकर हासिल कर लिया. शाई होप ने दोनों पारियों में शतक (147, नाबाद 118 रन) लगाए.
इंग्लैंड की पिछली चार टेस्ट सीरीज
सीरीज का पहला टेस्ट
जीते- बांग्लादेश के खिलाफ 22 रन से जीते, चटगांव (20-24अक्टूबर, 2016)
ड्रॉ- भारत के खिलाफ ड्रॉ, राजकोट (9-13 नवंबर, 2016)
जीते- द.अफ्रीका के खिलाफ 211 रनों से जीते. लॉर्ड्स ( 6-9 जुलाई, 2017
जीते- इंडीज के खिलाफ 209 रनों से जीते, बर्मिंघम (17-19 अगस्त 2017)
सीरीज का दूसरा टेस्ट
हारे- बांग्लादेश के खिलाफ 108 रनों से हारे, ढाका (28-30अक्टूबर, 2016)
हारे- भारत के खिलाफ 246 रनों से हारे, विशाखापट्टनम (17-21 नवंबर, 2016)
हारे- द.अफ्रीका के खिलाफ 340 रनों से हारे, नॉटिंघम( 14-17 जुलाई, 2017
हारे- इंडीज के खिलाफ 5 विकेट से हारे, लीड्स (25-29 अगस्त 2017)
FACT
17 साल बाद इंग्लैंड के घरेलू मैदान पर वेस्टइंडीज की टीम इंग्लैंड को टेस्ट में हराने में कामयाब हुई. आखिरी बार 2000 (बर्मिंघम) में जिमी एडम्स की कप्तानी में वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को उसकी धरती पर हराया था.
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काजोल का जन्म बॉम्बे (मुंबई) में बंगाली-मराठी मूल के मुखर्जी-समर्थ फिल्म परिवार में हुआ था। उनकी मां तनुजा एक अभिनेत्री हैं, जबकि उनके पिता शोमू मुखर्जी एक फिल्म निर्देशक और निर्माता थे। 2008 में कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित होने के बाद शोमू की मृत्यु हो गई। उनकी छोटी बहन तनीषा भी एक अभिनेत्री हैं। उनकी मौसी अभिनेत्री नूतन थीं और उनकी नानी शोभना समर्थ और परदादी रतन बाई दोनों हिंदी सिनेमा से जुड़ी थीं। उनके चाचा, जॉय मुखर्जी और देब मुखर्जी, फिल्म निर्माता हैं, जबकि उनके दादा, शशधर मुखर्जी और कुमारसेन समर्थ, फिल्म निर्माता थे। काजोल की चचेरी बहनें रानी मुखर्जी, शरबानी मुखर्जी और मोहनीश बहल भी बॉलीवुड अभिनेता हैं; जबकि उनके एक और चचेरे भाई, अयान मुखर्जी एक निर्देशक हैं। काजोल खुद को एक बच्चे के रूप में "बेहद शरारती" बताती हैं। उन्होंने कहा कि वह छोटी उम्र से ही बहुत जिद्दी और आवेगी थीं। जब वह छोटी थी तब उसके माता-पिता अलग हो गए; लेकिन तनुजा के अनुसार, काजोल इस विभाजन से प्रभावित नहीं हुईं क्योंकि "हमने [उनके] सामने कभी बहस नहीं की"। अपनी मां की अनुपस्थिति में, काजोल की देखभाल उनकी नानी ने की, जिन्होंने "मुझे कभी महसूस नहीं होने दिया कि मेरी मां दूर हैं और काम कर रही हैं"। काजोल के मुताबिक, उनकी मां ने बहुत कम उम्र में ही उनमें आजादी की भावना पैदा कर दी थी। दो अलग-अलग संस्कृतियों के बीच पली-बढ़ी, उन्हें "महाराष्ट्रियन व्यावहारिकता" अपनी मां से और "बंगाली स्वभाव" अपने पिता से विरासत में मिली। काजोल ने पंचगनी के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई की। अपनी पढ़ाई के अलावा, उन्होंने नृत्य जैसी पाठ्येतर गतिविधियों में भी भाग लिया। स्कूल में ही उसने उपन्यास पढ़ने में सक्रिय रुचि विकसित करना शुरू कर दिया, क्योंकि इससे उसे अपने जीवन में "बुरे क्षणों से निपटने" में मदद मिली। सोलह साल की उम्र में, उन्होंने राहुल रवैल की फिल्म बेखुदी पर काम शुरू किया, जो उनके अनुसार "भाग्य की बड़ी खुराक" थी। वह शुरू में अपनी गर्मी की छुट्टियों के दौरान फिल्म की शूटिंग के बाद स्कूल लौटने का इरादा रखती थी। हालाँकि, फिल्म में पूर्णकालिक करियर बनाने के लिए अंततः उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। अपनी शिक्षा पूरी न कर पाने पर उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि मैं कम पढ़ी-लिखी हूं क्योंकि मैंने स्कूल पूरा नहीं किया।"
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टीवी इंडस्ट्री
के विशेषज्ञों की मानें दर्शकों को चैनल की वैरायटी मुहैया कराने के लिए साल 2014 में इंडियन टेलीविजन पर नए दौर की शुरुआत हुई है.
इस साल टेलीविजन की दुनिया में कई बदलाव देखने को मिले, फिर चाहे यह
अर्से से चले आ रहे 'पवित्र रिश्ता'
और 'बड़े अच्छे लगते हैं' जैसे सीरियल का टेलिकास्टबंद होना हो या
'जिंदगी चैनल'
के जरिए पाकिस्तानी धारावाहिकों का टेलिकास्ट शुरू होना हो.
छोटे पर्दे पर इतिहास एक सदाबहार विषय रहा है. इस विषय के असंख्य कद्रदान हैं.इसी वजह से इस साल 19 नवंबर को 'एपिक' नाम से एक नया चैनल शुरू हुआ है, जो इसी शैली को समर्पित है. वहीं 1 सितंबर से 'पल' चैनल लॉन्च हुआ है इसका मकसदट्रेडिशनल के साथ-साथ मॉर्डन महिला की छवियों को एकसाथ शोकेस करना है. अप्रैल, 2011 को उत्तर प्रदेश में लॉन्च हुआ रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क का 'चटपटा हर पल' टैग लाइन वाला 'बिग मैजिक' चैनल एक कॉमेडी चैनल के तौर पर उभर रहा है.
वहीं डिस्कवरी ने
एक दिसंबर से 'डिस्कवरी टर्बो'
नाम से एक नए चैनल की शुरुआत की है. डिस्कवरी नेटवर्क एशिया-पैसिफिक के मार्केटिंग के उपाध्यक्ष राहुल जोहरी को लगता है कि यह वक्त दर्शकों के सामने बेहतरीन कंटेंट का एक बड़ा थाल परोसने जैसा है. राहुल ने बताया, 'हम एक ऐसे युग में पहुंच गए हैं, जहां 24 घंटे अच्छे कंटेंट वाले चैनल टेलिकास्ट हो रहे हैं. एपिक टेलीविजन नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के सीइओ महेश सामत कहते हैं कि छोटे पर्दे पर कंटेंट की कमी नहीं है, लेकिन हालियासमय में ज्यादातर चैनलों पर कार्यक्रमों एक जैसे होने की वजह से दर्शकों के लिए डिफरेंट कंटेट वाले चैनल बनाने की जरूरत पड़ी है.
सामत ने बताया, 'हमें एक बात का अहसास हुआ कि छोटा पर्दा एक जैसाहो रहा है और इसलिए इसमें वैरायटी लाना जरूरी है. इसके अलावा राहुल ने कहा कि चैनल की वैरायटी आना ऐड जगत के लिए फायदे का सौदा है.
फिक्की-केपीएमजी की 'इंडियन मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री रिपोर्ट-2014' के मुताबिक भारत में टेलीविजन इंडस्ट्री 2013 में 417 अरब रुपये का रहा और 2013 से 2018 के बीच इसके 16 फीसदी की दर से विकास करने का अनुमान है. इस तरह 2018 में यह इंडस्ट्री 885 अरब रुपये की हो जाएगी.
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लेख: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ियों का मानना है कि आगामी विश्व कप में कप्तान रिकी पोंटिंग की टीम को नंबर एक वनडे टीम होने के बावजूद कड़ी चुनौती मिलेगी और सहमेजबान भारत एवं श्रीलंका परिस्थितियों का फायदा उठाकर खिताब के प्रबल दावेदार साबित हो सकते हैं। पूर्व विकेटकीपर इयान हीली ने ऑस्ट्रेलिया की लगातार चौथे खिताब की दावेदारी के बारे में कहा, उन्हें (ऑस्ट्रेलिया) इसके लिए निश्चित रूप से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। डेली टेलीग्राफ ने हीली के हवाले से कहा, विश्व कप जीतने के लिए यह (उपमहाद्वीप) हमें मदद करने वाला स्थल नहीं है लेकिन यह एक सीमा है जिसे 1987 की तरह फिर से लांघने की जरूरत है। भारत और श्रीलंका की ओर से कड़ी चुनौती मिलना तय है और मैं सेमीफाइनल के अन्य दो स्थानों के लिए असल जंग की उम्मीद कर रहा हूं। हीली ने श्रीलंका को खिताब का प्रबल दावेदार मानते हुए कहा कि अपना अंतिम विश्व कप खेल रहे दिग्गज आफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन अहम भूमिका निभाएंगे।
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यह लेख है: ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कहा, "यह खास चुनाव है. देश के लिए लड़ने वाले बहुत लोग नहीं हैं, कृपया चंद्रबाबू नायडू को वोट कीजिए. मोदी और शाह हर किसी पर धौंस जमा रहे हैं." उन्होंने आगे कहा, "यह एक विशेष चुनाव है. आपको यह सोचना चाहिए कि आप किसको वोट देते हैं. हम नरेंद्र मोदी को जीतने नहीं देंगे. दिल्ली में जनता की सरकार होगी. आप जीतने के बाद की चिंता मत करो, हमारे पास पीएम पद का उम्मीदवार है."
वहीं, इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने भी पीएम मोदी पर हमला बोला. उन्होंने कहा, " पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने आजादी के बाद से 'सबसे भ्रष्ट' सरकार का नेतृत्व किया है. उन्होंने बीजेपी प्रमुख अमित शाह (Amit Shah) के साथ मिलकर 5 सालों में देश को धर्म के आधार पर बांटने का काम किया है. पाकिस्तान भी 70 साल में यह काम नहीं कर सका है."
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने रविवार को विपक्षी दलों से नरेंद्र मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए छोटे-छोटे मतभेदों को दरकिनार कर हाथ मिलाने का आग्रह भी किया.
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आज उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर और उत्तराखंड के चमोली के एक-एक विधानसभा सीट पर मतदान हो रहा है.
अम्बेडकर नगर जिले की अलापुर विधानसभा
सीट से सपा प्रत्याशी चंद्रशेखर कनौजिया के निधन की वजह से यहां चुनाव स्थगित कर दिया गया था.
इस सीट पर चुनाव दूसरे चरण में गत 15 फरवरी को होना था. कनौजिया के निधन के बाद सपा ने उनकी पत्नी संगीता चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर कुल 10 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं.
चमोली जिले की कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर भी आज वोट डाले जा रहे हैं. खबर है कि दोपहर तक 11 बजे तक यहां 25 फीसदी मतदान हो चुका है. इस सीट पर
बसपा प्रत्याशी की मौत के बाद
चुनाव स्थगित कर दिया गया था.
बहुजन समाज पार्टी ने ज्योति कनवासी को मैदान में उतारा है. कांग्रेस प्रत्याशी और मौजूदा विधायक डा अनुसूईया प्रसाद मैखुरी, बीजेपी के सुरेंद्र नेगी, भाकपा के इंद्रेश मैखुरी समेत अन्य सभी पूर्ववत चुनावी मैदान में हैं.
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मथुरा में पुलिस और उपद्रवियों के बीच हिंसक झड़प में अभी तक 24 लोगों की मौत हो गई है. इलाके में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है, वहीं शनिवार इलाके की सांसद हेमा मालिनी झड़प वाले जवाहर बाग में स्थिति का जायजा लेने पहुंची. हालांकि, पुलिस ने प्रवेश करने से रोक दिया, जिसके बाद माननीय सांसद ने अस्पताल जाकर घायल पुलिसर्मियों का हालचाल लिया.
पुलिस ने कहा कि उक्त इलाके में अभी भी तलाशी अभियान जारी है, इसलिए वहां किसी भी असैन्य व्यक्ति का जाना प्रतिबंधित है. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इसमें कोई विशेष बात नहीं है. मथुरा से सांसद
हेमा मालिनी
को रोकने के पीछे पुलिस की कोई विशेष मंशा नहीं है और उनका इरादा साफ है. अभी पूरा इलाका सुरक्षित घोषित नहीं हुआ है.
Mathura (Uttar Pradesh): BJP MP Hema Malini visits hospital to meet policemen injured during
#MathuraViolence
pic.twitter.com/Gmmg9Odhja
— ANI UP (@ANINewsUP)
June 4, 2016
वीआईपी की सुरक्षा के मद्देनजर लिया फैसला
पुलिस और विशेषज्ञों के दल चप्पे-चप्पे की छानबीन कर रहे हैं कि कहीं कोई विस्फोटक न छिपा हो. यदि ऐसे में वीआईपी या किसी भी व्यक्ति के साथ कोई दुर्घटना घट जाती है तो जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.
ट्विटर पर हेमा की तस्वीर से लोगों में गुस्सा
गौरतलब है कि गुरुवार को
मथुरा
के दो जाबांज पुलिस अधिकारियों की शहादत और दो दर्जन अन्य लोगों के मारे जाने की घटना के बीच सांसद हेमा मालिनी ने ट्विटर पर अपनी कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं. ये तस्वीरें उनकी नई फिल्म ‘एक थी रानी’ की शूटिंग से जुड़ी थीं. सांसद की तस्वीरों के सामने आने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था.
सोशल मीडिया पर दुख जताया
विवाद गहराने पर बाद में हेमा ने अपनी वह पोस्ट तुरंत हटाकर मथुरा की घटना पर दुख जताने से संबंधित पोस्ट डाल दी थी. उन्होंने बाद में शनिवार को मथुरा पहुंचने की भी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की थी.
'यूपी सरकार विधि व्यवस्था पर ध्यान दे'
अपने लोकसभा क्षेत्र पहुंची हेमा मालिनी ने उपद्रव की घटना के लिए उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को विधि व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है. बीजेपी नेता ने कहा कि हिंसा की खबर मिलते ही वह अपनी फिल्म की शूटिंग रद्द कर तत्काल मथुरा पहुंचीं.
'जब भी जरूरत होगी, मैं आऊंगी'
तस्वीरें साझा करने के विवाद पर पर्दा डालने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं एक फिल्म की शूटिंग कर रही थी इसलिए मैंने ऐसा कहा. उसके बाद यह घटना हुई. कल रात मैं यहां पहुंचीं. मैंने अपनी सभी शूटिंग रद्द कर दीं और यहां आ गयी. मेरी मौजूदगी जब जरूरी होगी, मैं आऊंगी. मुझे और भी काम हैं. मैं पिछले दस दिन से यहां थीं. मैं जैसे ही गई, उसके अगले दिन यह हुआ.'
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भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण करके अपनी नयी पारी की शुरुआत कर दी.
सचिन को बीते 26 अप्रैल को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था. 39 साल के मास्टर ब्लास्टर ने राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी के कक्ष में शपथ ली. इस मौके पर सचिन की पत्नी अंजलि भी मौजूद थीं.
सचिन के साथ ही राज्यसभा के लिए मनोनीत की गई अभिनेत्री रेखा और कारोबारी अनु आगा ने पिछले महीने सत्र के दौरान ही शपथ ली थी॰
आईपीएल में व्यस्त होने के कारण सचिन पिछले महीने शपथ नहीं ले सके थे. इसी साल मार्च में इस महान क्रिकेटर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का शतक पूरा किया था. क्रिकेट के इतिहास में ऐसा करने वाले वह इकलौते खिलाड़ी हैं.
संसद में भी सचिन का कीर्तिमान
शपथ लेने के साथ सचिन राज्यसभा का सदस्य बनने वाले पहले खिलाड़ी बन गए. यही नहीं वो सांसद बनने वाले पहले सक्रिय खिलाड़ी हैं.
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यह लेख है: बांग्लादेश में गुलशन कैफे पर हुए हमले का 'मास्टरमाइंड' कनाडाई-बांग्लादेशी नागरिक तमीम अहमद चौधरी और दो अन्य आतंकी ढाका के नजदीक पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए हैं. पुलिस ने यह जानकारी दी.
आतंकवाद रोधी प्रकोष्ठ के अतिरिक्त उपायुक्त सनोवर हुसैन के हवाले से बीडीन्यूज 24 डॉट कॉम ने कहा, 'मुठभेड़ आज सुबह तब शुरू हुई जब पुलिस ने नारायणगंज के पिकेपरहा में एक इमारत पर छापेमारी की कार्रवाई शुरू की'. प्रकोष्ठ के प्रमुख मोनिरल इस्लाम ने कहा कि छापेमारी प्रतिबंधित जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के एक गिरफ्तार आतंकी से मिली सूचना के आधार पर की गई.
पुलिस ने चौधरी की पहचान ढाका में एक जुलाई को हुए कैफे हमले के मास्टरमाइंड के रूप में की थी. इस हमले में एक भारतीय लड़की और दो पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोग मारे गए थे. इसके बाद शोलाकिया में एक ईद कार्यक्रम पर हमला हुआ था.
पुलिस के अनुसार, चौधरी कनाडा में रहता था और 2013 में बांग्लादेश आने से पहले उसने संभवत: विदेशी वित्तपोषकों का एक नेटवर्क विकसित कर लिया था. टिप्पणियां
इस महीने के शुरू में पुलिस ने घोषणा की थी कि जो व्यक्ति चौधरी के बारे में सूचना देगा, उसे 20 लाख टके का पुरस्कार दिया जाएगा. कैफे पर हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
आतंकवाद रोधी प्रकोष्ठ के अतिरिक्त उपायुक्त सनोवर हुसैन के हवाले से बीडीन्यूज 24 डॉट कॉम ने कहा, 'मुठभेड़ आज सुबह तब शुरू हुई जब पुलिस ने नारायणगंज के पिकेपरहा में एक इमारत पर छापेमारी की कार्रवाई शुरू की'. प्रकोष्ठ के प्रमुख मोनिरल इस्लाम ने कहा कि छापेमारी प्रतिबंधित जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के एक गिरफ्तार आतंकी से मिली सूचना के आधार पर की गई.
पुलिस ने चौधरी की पहचान ढाका में एक जुलाई को हुए कैफे हमले के मास्टरमाइंड के रूप में की थी. इस हमले में एक भारतीय लड़की और दो पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोग मारे गए थे. इसके बाद शोलाकिया में एक ईद कार्यक्रम पर हमला हुआ था.
पुलिस के अनुसार, चौधरी कनाडा में रहता था और 2013 में बांग्लादेश आने से पहले उसने संभवत: विदेशी वित्तपोषकों का एक नेटवर्क विकसित कर लिया था. टिप्पणियां
इस महीने के शुरू में पुलिस ने घोषणा की थी कि जो व्यक्ति चौधरी के बारे में सूचना देगा, उसे 20 लाख टके का पुरस्कार दिया जाएगा. कैफे पर हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पुलिस ने चौधरी की पहचान ढाका में एक जुलाई को हुए कैफे हमले के मास्टरमाइंड के रूप में की थी. इस हमले में एक भारतीय लड़की और दो पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोग मारे गए थे. इसके बाद शोलाकिया में एक ईद कार्यक्रम पर हमला हुआ था.
पुलिस के अनुसार, चौधरी कनाडा में रहता था और 2013 में बांग्लादेश आने से पहले उसने संभवत: विदेशी वित्तपोषकों का एक नेटवर्क विकसित कर लिया था. टिप्पणियां
इस महीने के शुरू में पुलिस ने घोषणा की थी कि जो व्यक्ति चौधरी के बारे में सूचना देगा, उसे 20 लाख टके का पुरस्कार दिया जाएगा. कैफे पर हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पुलिस के अनुसार, चौधरी कनाडा में रहता था और 2013 में बांग्लादेश आने से पहले उसने संभवत: विदेशी वित्तपोषकों का एक नेटवर्क विकसित कर लिया था. टिप्पणियां
इस महीने के शुरू में पुलिस ने घोषणा की थी कि जो व्यक्ति चौधरी के बारे में सूचना देगा, उसे 20 लाख टके का पुरस्कार दिया जाएगा. कैफे पर हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस महीने के शुरू में पुलिस ने घोषणा की थी कि जो व्यक्ति चौधरी के बारे में सूचना देगा, उसे 20 लाख टके का पुरस्कार दिया जाएगा. कैफे पर हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी हुआवे ने हाल ही में अपना फ्लैगशिप पावरफुल स्मार्टफोन Mate 10 Pro लॉन्च किया था. अब कंपनी एक दूसरा स्मार्टफोन Mate 10 Lite लॉन्च कर दिया है. इस स्मार्टफोन की खासियत ये है कि इसमें 4 कैमरे दिए गए हैं. भारतीय बाजार में हाल ही में Huawei की सहायक कंपनी Honor ने 9i स्मार्टफोन लॉन्च किया है जिसमें भी चार कैमरे दिए गए हैं.
कंपनी ने इसे लॉन्च करने के लिए कोई इवेंट आयोजित नहीं किया जैसा आम तौर पर किया जाता है. इस स्मार्टफोन को खासतौर पर यूरोपियन बाजार के लिए डिजाइन किया गया है. यह बाजार में कई कलर ऑप्शन्स में उपलब्ध होगा. इनमें ग्रफाइट ब्लैक, ऑरोरा ब्लू और प्रेस्टीज गोल्ड शामिल हैं.
5.9 इंच फुल एचडी डिस्प्ले वाले इस
स्मार्टफोन का ऐस्पेक्ट रेश्यो 18:9 है
और इसमें कम से कम बेजल का यूज किया गया है जैसा ट्रेंड है. इसमें HiSilicon Kirin 659 ऑक्टाकोर प्रोसेसर दिया गया है और इसमें आठ कोर दिए गए हैं. मेमोरी की बात करें तो इसमें 4GB रैम के साथ 64GB की इंटरनल मेमोरी दी गई है. माइक्रो एसडी स्लॉट भी है जिसके जरिए आप इसकी स्टोरेज बढ़ा सकते हैं.
फोटोग्राफी के लिए इसमें चार कैमरे हैं- दो रियर और दो फ्रंट. कैमरा मॉड्यूल Honor 9i जैसा है और एक सेंसर 16 मेगापिक्सल का है जबकि दूसरा 2 मेगापिक्सल का मोनोक्रोम यूज किया गया है. सेल्फी के लिए 13 मेगापिक्सल के 2 मेगापिक्सल के सेंसर दिए गए हैं.
Honor Mate 10 Lite में एंड्रॉयड नूगट 7.0 बेस्ड कंपनी का अपना EMUI दिया गया है.
इसकी बटरी 3,430mAh की है
और कंपनी ने दावा किया है नॉर्मल यूज करने में यह 2 दिन का बैकअप देगी. इसकी कीमत 399 यूरो (लगभग 30,500 रुपये) रखी गई है. लेकिन यह साफ नहीं है कि इसे भारत में लॉन्च किया जाएगा या नहीं.
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1994 के आईसीसी ट्रॉफी (औपचारिक रूप से एबीएन एमरो आईसीसी ट्रॉफी) एक क्रिकेट टूर्नामेंट है कि 12 फरवरी और 6 मार्च 1994 के बीच केन्या में जगह ले ली थी। यह पांचवां आईसीसी ट्रॉफी टूर्नामेंट का मंचन किया जा रहा था, और १९९६ क्रिकेट विश्व कप के लिए क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के रूप में काम किया।
जिम्बाब्वे, पिछले तीन टूर्नामेंट के विजेताओं, 1992 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की पूर्ण सदस्यता दी गई थी और इसलिए अब कोई आईसीसी ट्राफी में भाग लेने के पात्र थे।
पहली बार के लिए, मैच, 50 ओवर में एक पक्ष पर खेला हालांकि सफेद कपड़े और लाल गेंदों अभी भी प्रयोग किया गया था।
संयुक्त अरब अमीरात, टूर्नामेंट जीता, फाइनल में मेज़बान देश केन्या को पराजित करते हुए नीदरलैंड तीसरे स्थान के प्ले ऑफ जीता। तीनों पक्षों ने इस तरह पहली बार विश्व कप के लिए योग्य।
टीम्स
बीस टीमों के टूर्नामेंट में चुनाव लड़ा। सभी बाईस समय में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के सहयोगी सदस्य, बेल्जियम और जापान के साथ ही लोगों को एक टीम भेजने के लिए नहीं टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करने के लिए पात्र थे। आयरलैंड, नामीबिया, और संयुक्त अरब अमीरात उनकी टूर्नामेंट डेब्यू कर रहे थे।
पूर्वी और मध्य अफ्रीका
पश्चिम अफ्रीका
क्रिकेट प्रतियोगितायें
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: यथा समय राजा की बड़ी रानी के गर्भ से एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया. राजा ने उस कन्या का नाम सावित्री रखा. राजकन्या शुक्ल पक्ष के चंद्रमा की भांति दिनों दिन बढ़ने लगी. धीरे-धीरे उसने युवावस्था में प्रवेश किया. उसके रूप लावण्य को जो भी देखता उस पर मोहित हो जाता. जब राजा के विशेष प्रयास करने पर भी सावित्री के योग्य कोई वर नहीं मिला तो उन्होंने एक दिन सावित्री से कहा, 'बेटी! अब तुम विवाह के योग्य हो गई हो इसलिए स्वयं अपने योग्य वर की खोज करो.'
पिता की आज्ञा स्वीकार कर सावित्री योग्य मंत्रियों के साथ स्वर्ण रथ पर बैठ कर यात्रा के लिए निकली. कुछ दिनों तक ब्रह्मर्षियों और राजर्षियों के तपोवनों और तीर्थों में भ्रमण करने के बाद वह राजमहल में लौट आई. उसने पिता के साथ देवर्षि नारद को बैठे देख कर उन दोनों के चरणों में श्रद्धा से प्रणाम किया.
महाराज अश्वपति ने सावित्री से उसकी यात्रा का समाचार पूछा. सावित्री ने कहा, 'पिता जी! तपोवन में अपने माता-पिता के साथ निवास कर रहे द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान सर्वथा मेरे योग्य हैं. अत: मैंने मन से उन्हीं को अपना पति चुना है.
नारद जी सहसा चौंक उठे और बोले, 'राजन! सावित्री ने बहुत बड़ी भूल कर दी है. सत्यवान के पिता शत्रुओं के द्वारा राज्य से वंचित कर दिए गए हैं, वह वन में तपस्वी जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अंधे हो चुके हैं. सबसे बड़ी कमी यह है कि सत्यवान की आयु अब केवल एक वर्ष ही शेष है.
नारद जी की बात सुनकर राजा अश्वपति व्यग्र हो गए. उन्होंने सावित्री से कहा, 'बेटी! अब तुम फिर से यात्रा करो और किसी दूसरे योग्य वर का वरण करो.
सावित्री सती थी. उसने दृढ़ता से कहा, 'पिताजी! सत्यवान चाहे अल्पायु हों या दीर्घायु, अब तो वही मेरे पति हैं. जब मैंने एक बार उन्हें अपना पति स्वीकार कर लिया फिर मैं दूसरे पुरुष का वरण कैसे कर सकती हूं?
सावित्री का निश्चय दृढ़ जानकर महाराज अश्वपति ने उसका विवाह सत्यवान से कर दिया. धीरे-धीरे वह समय भी आ पहुंचा जिसमें सत्यवान की मृत्यु निश्चित थी. सावित्री ने उसके चार दिन पूर्व से ही निराहार व्रत रखना शुरू कर दिया था. पति एवं सास-ससुर की आज्ञा से सावित्री भी उस दिन पति के साथ जंगल में फल-फूल और लकड़ी लेने के लिए गई. अचानक वृक्ष से लकड़ी काटते समय सत्यवान के सिर में भयानक दर्द होने लगा और वह पेड़ से नीचे उतरकर पत्नी की गोद में लेट गया.
उस समय सावित्री को लाल वस्त्र पहने भयंकर आकृति वाला एक पुरुष दिखाई पड़ा. वह साक्षात यमराज थे. उन्होंने सावित्री से कहा, 'तू पतिव्रता है. तेरे पति की आयु समाप्त हो गई है. मैं इसे लेने आया हूं.टिप्पणियां
इतना कह कर यमराज ने सत्यवान के शरीर से सूक्ष्म जीव को निकाला और उसे लेकर वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दी. सावित्री की बुद्धिमत्तापूर्ण और धर्मयुक्त बातें सुनकर यमराज का हृदय पिघल गया. सावित्री ने उनसे अपने सास-ससुर की आंखें अच्छी होने के साथ राज्य प्राप्ति का वर, पिता को पुत्र प्राप्ति का वर और स्वयं के लिए पुत्र वती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार सावित्री ने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया.
देखें वीडियो - सिर्फ बुरा ही नहीं है रावण!
पिता की आज्ञा स्वीकार कर सावित्री योग्य मंत्रियों के साथ स्वर्ण रथ पर बैठ कर यात्रा के लिए निकली. कुछ दिनों तक ब्रह्मर्षियों और राजर्षियों के तपोवनों और तीर्थों में भ्रमण करने के बाद वह राजमहल में लौट आई. उसने पिता के साथ देवर्षि नारद को बैठे देख कर उन दोनों के चरणों में श्रद्धा से प्रणाम किया.
महाराज अश्वपति ने सावित्री से उसकी यात्रा का समाचार पूछा. सावित्री ने कहा, 'पिता जी! तपोवन में अपने माता-पिता के साथ निवास कर रहे द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान सर्वथा मेरे योग्य हैं. अत: मैंने मन से उन्हीं को अपना पति चुना है.
नारद जी सहसा चौंक उठे और बोले, 'राजन! सावित्री ने बहुत बड़ी भूल कर दी है. सत्यवान के पिता शत्रुओं के द्वारा राज्य से वंचित कर दिए गए हैं, वह वन में तपस्वी जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अंधे हो चुके हैं. सबसे बड़ी कमी यह है कि सत्यवान की आयु अब केवल एक वर्ष ही शेष है.
नारद जी की बात सुनकर राजा अश्वपति व्यग्र हो गए. उन्होंने सावित्री से कहा, 'बेटी! अब तुम फिर से यात्रा करो और किसी दूसरे योग्य वर का वरण करो.
सावित्री सती थी. उसने दृढ़ता से कहा, 'पिताजी! सत्यवान चाहे अल्पायु हों या दीर्घायु, अब तो वही मेरे पति हैं. जब मैंने एक बार उन्हें अपना पति स्वीकार कर लिया फिर मैं दूसरे पुरुष का वरण कैसे कर सकती हूं?
सावित्री का निश्चय दृढ़ जानकर महाराज अश्वपति ने उसका विवाह सत्यवान से कर दिया. धीरे-धीरे वह समय भी आ पहुंचा जिसमें सत्यवान की मृत्यु निश्चित थी. सावित्री ने उसके चार दिन पूर्व से ही निराहार व्रत रखना शुरू कर दिया था. पति एवं सास-ससुर की आज्ञा से सावित्री भी उस दिन पति के साथ जंगल में फल-फूल और लकड़ी लेने के लिए गई. अचानक वृक्ष से लकड़ी काटते समय सत्यवान के सिर में भयानक दर्द होने लगा और वह पेड़ से नीचे उतरकर पत्नी की गोद में लेट गया.
उस समय सावित्री को लाल वस्त्र पहने भयंकर आकृति वाला एक पुरुष दिखाई पड़ा. वह साक्षात यमराज थे. उन्होंने सावित्री से कहा, 'तू पतिव्रता है. तेरे पति की आयु समाप्त हो गई है. मैं इसे लेने आया हूं.टिप्पणियां
इतना कह कर यमराज ने सत्यवान के शरीर से सूक्ष्म जीव को निकाला और उसे लेकर वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दी. सावित्री की बुद्धिमत्तापूर्ण और धर्मयुक्त बातें सुनकर यमराज का हृदय पिघल गया. सावित्री ने उनसे अपने सास-ससुर की आंखें अच्छी होने के साथ राज्य प्राप्ति का वर, पिता को पुत्र प्राप्ति का वर और स्वयं के लिए पुत्र वती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार सावित्री ने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया.
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महाराज अश्वपति ने सावित्री से उसकी यात्रा का समाचार पूछा. सावित्री ने कहा, 'पिता जी! तपोवन में अपने माता-पिता के साथ निवास कर रहे द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान सर्वथा मेरे योग्य हैं. अत: मैंने मन से उन्हीं को अपना पति चुना है.
नारद जी सहसा चौंक उठे और बोले, 'राजन! सावित्री ने बहुत बड़ी भूल कर दी है. सत्यवान के पिता शत्रुओं के द्वारा राज्य से वंचित कर दिए गए हैं, वह वन में तपस्वी जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अंधे हो चुके हैं. सबसे बड़ी कमी यह है कि सत्यवान की आयु अब केवल एक वर्ष ही शेष है.
नारद जी की बात सुनकर राजा अश्वपति व्यग्र हो गए. उन्होंने सावित्री से कहा, 'बेटी! अब तुम फिर से यात्रा करो और किसी दूसरे योग्य वर का वरण करो.
सावित्री सती थी. उसने दृढ़ता से कहा, 'पिताजी! सत्यवान चाहे अल्पायु हों या दीर्घायु, अब तो वही मेरे पति हैं. जब मैंने एक बार उन्हें अपना पति स्वीकार कर लिया फिर मैं दूसरे पुरुष का वरण कैसे कर सकती हूं?
सावित्री का निश्चय दृढ़ जानकर महाराज अश्वपति ने उसका विवाह सत्यवान से कर दिया. धीरे-धीरे वह समय भी आ पहुंचा जिसमें सत्यवान की मृत्यु निश्चित थी. सावित्री ने उसके चार दिन पूर्व से ही निराहार व्रत रखना शुरू कर दिया था. पति एवं सास-ससुर की आज्ञा से सावित्री भी उस दिन पति के साथ जंगल में फल-फूल और लकड़ी लेने के लिए गई. अचानक वृक्ष से लकड़ी काटते समय सत्यवान के सिर में भयानक दर्द होने लगा और वह पेड़ से नीचे उतरकर पत्नी की गोद में लेट गया.
उस समय सावित्री को लाल वस्त्र पहने भयंकर आकृति वाला एक पुरुष दिखाई पड़ा. वह साक्षात यमराज थे. उन्होंने सावित्री से कहा, 'तू पतिव्रता है. तेरे पति की आयु समाप्त हो गई है. मैं इसे लेने आया हूं.टिप्पणियां
इतना कह कर यमराज ने सत्यवान के शरीर से सूक्ष्म जीव को निकाला और उसे लेकर वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दी. सावित्री की बुद्धिमत्तापूर्ण और धर्मयुक्त बातें सुनकर यमराज का हृदय पिघल गया. सावित्री ने उनसे अपने सास-ससुर की आंखें अच्छी होने के साथ राज्य प्राप्ति का वर, पिता को पुत्र प्राप्ति का वर और स्वयं के लिए पुत्र वती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार सावित्री ने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया.
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नारद जी सहसा चौंक उठे और बोले, 'राजन! सावित्री ने बहुत बड़ी भूल कर दी है. सत्यवान के पिता शत्रुओं के द्वारा राज्य से वंचित कर दिए गए हैं, वह वन में तपस्वी जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अंधे हो चुके हैं. सबसे बड़ी कमी यह है कि सत्यवान की आयु अब केवल एक वर्ष ही शेष है.
नारद जी की बात सुनकर राजा अश्वपति व्यग्र हो गए. उन्होंने सावित्री से कहा, 'बेटी! अब तुम फिर से यात्रा करो और किसी दूसरे योग्य वर का वरण करो.
सावित्री सती थी. उसने दृढ़ता से कहा, 'पिताजी! सत्यवान चाहे अल्पायु हों या दीर्घायु, अब तो वही मेरे पति हैं. जब मैंने एक बार उन्हें अपना पति स्वीकार कर लिया फिर मैं दूसरे पुरुष का वरण कैसे कर सकती हूं?
सावित्री का निश्चय दृढ़ जानकर महाराज अश्वपति ने उसका विवाह सत्यवान से कर दिया. धीरे-धीरे वह समय भी आ पहुंचा जिसमें सत्यवान की मृत्यु निश्चित थी. सावित्री ने उसके चार दिन पूर्व से ही निराहार व्रत रखना शुरू कर दिया था. पति एवं सास-ससुर की आज्ञा से सावित्री भी उस दिन पति के साथ जंगल में फल-फूल और लकड़ी लेने के लिए गई. अचानक वृक्ष से लकड़ी काटते समय सत्यवान के सिर में भयानक दर्द होने लगा और वह पेड़ से नीचे उतरकर पत्नी की गोद में लेट गया.
उस समय सावित्री को लाल वस्त्र पहने भयंकर आकृति वाला एक पुरुष दिखाई पड़ा. वह साक्षात यमराज थे. उन्होंने सावित्री से कहा, 'तू पतिव्रता है. तेरे पति की आयु समाप्त हो गई है. मैं इसे लेने आया हूं.टिप्पणियां
इतना कह कर यमराज ने सत्यवान के शरीर से सूक्ष्म जीव को निकाला और उसे लेकर वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दी. सावित्री की बुद्धिमत्तापूर्ण और धर्मयुक्त बातें सुनकर यमराज का हृदय पिघल गया. सावित्री ने उनसे अपने सास-ससुर की आंखें अच्छी होने के साथ राज्य प्राप्ति का वर, पिता को पुत्र प्राप्ति का वर और स्वयं के लिए पुत्र वती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार सावित्री ने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया.
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सावित्री सती थी. उसने दृढ़ता से कहा, 'पिताजी! सत्यवान चाहे अल्पायु हों या दीर्घायु, अब तो वही मेरे पति हैं. जब मैंने एक बार उन्हें अपना पति स्वीकार कर लिया फिर मैं दूसरे पुरुष का वरण कैसे कर सकती हूं?
सावित्री का निश्चय दृढ़ जानकर महाराज अश्वपति ने उसका विवाह सत्यवान से कर दिया. धीरे-धीरे वह समय भी आ पहुंचा जिसमें सत्यवान की मृत्यु निश्चित थी. सावित्री ने उसके चार दिन पूर्व से ही निराहार व्रत रखना शुरू कर दिया था. पति एवं सास-ससुर की आज्ञा से सावित्री भी उस दिन पति के साथ जंगल में फल-फूल और लकड़ी लेने के लिए गई. अचानक वृक्ष से लकड़ी काटते समय सत्यवान के सिर में भयानक दर्द होने लगा और वह पेड़ से नीचे उतरकर पत्नी की गोद में लेट गया.
उस समय सावित्री को लाल वस्त्र पहने भयंकर आकृति वाला एक पुरुष दिखाई पड़ा. वह साक्षात यमराज थे. उन्होंने सावित्री से कहा, 'तू पतिव्रता है. तेरे पति की आयु समाप्त हो गई है. मैं इसे लेने आया हूं.टिप्पणियां
इतना कह कर यमराज ने सत्यवान के शरीर से सूक्ष्म जीव को निकाला और उसे लेकर वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दी. सावित्री की बुद्धिमत्तापूर्ण और धर्मयुक्त बातें सुनकर यमराज का हृदय पिघल गया. सावित्री ने उनसे अपने सास-ससुर की आंखें अच्छी होने के साथ राज्य प्राप्ति का वर, पिता को पुत्र प्राप्ति का वर और स्वयं के लिए पुत्र वती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार सावित्री ने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया.
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सावित्री का निश्चय दृढ़ जानकर महाराज अश्वपति ने उसका विवाह सत्यवान से कर दिया. धीरे-धीरे वह समय भी आ पहुंचा जिसमें सत्यवान की मृत्यु निश्चित थी. सावित्री ने उसके चार दिन पूर्व से ही निराहार व्रत रखना शुरू कर दिया था. पति एवं सास-ससुर की आज्ञा से सावित्री भी उस दिन पति के साथ जंगल में फल-फूल और लकड़ी लेने के लिए गई. अचानक वृक्ष से लकड़ी काटते समय सत्यवान के सिर में भयानक दर्द होने लगा और वह पेड़ से नीचे उतरकर पत्नी की गोद में लेट गया.
उस समय सावित्री को लाल वस्त्र पहने भयंकर आकृति वाला एक पुरुष दिखाई पड़ा. वह साक्षात यमराज थे. उन्होंने सावित्री से कहा, 'तू पतिव्रता है. तेरे पति की आयु समाप्त हो गई है. मैं इसे लेने आया हूं.टिप्पणियां
इतना कह कर यमराज ने सत्यवान के शरीर से सूक्ष्म जीव को निकाला और उसे लेकर वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दी. सावित्री की बुद्धिमत्तापूर्ण और धर्मयुक्त बातें सुनकर यमराज का हृदय पिघल गया. सावित्री ने उनसे अपने सास-ससुर की आंखें अच्छी होने के साथ राज्य प्राप्ति का वर, पिता को पुत्र प्राप्ति का वर और स्वयं के लिए पुत्र वती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार सावित्री ने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया.
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इतना कह कर यमराज ने सत्यवान के शरीर से सूक्ष्म जीव को निकाला और उसे लेकर वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दी. सावित्री की बुद्धिमत्तापूर्ण और धर्मयुक्त बातें सुनकर यमराज का हृदय पिघल गया. सावित्री ने उनसे अपने सास-ससुर की आंखें अच्छी होने के साथ राज्य प्राप्ति का वर, पिता को पुत्र प्राप्ति का वर और स्वयं के लिए पुत्र वती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार सावित्री ने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया.
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इतना कह कर यमराज ने सत्यवान के शरीर से सूक्ष्म जीव को निकाला और उसे लेकर वे दक्षिण दिशा की ओर चल दिए. सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दी. सावित्री की बुद्धिमत्तापूर्ण और धर्मयुक्त बातें सुनकर यमराज का हृदय पिघल गया. सावित्री ने उनसे अपने सास-ससुर की आंखें अच्छी होने के साथ राज्य प्राप्ति का वर, पिता को पुत्र प्राप्ति का वर और स्वयं के लिए पुत्र वती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार सावित्री ने सतीत्व के बल पर अपने पति को मृत्यु के मुख से छीन लिया.
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काशी विश्वनाथर मन्दिर (Kasi Viswanathar Temple) भारत के तमिल नाडु राज्य के तेन्कासी ज़िले के तेन्कासी नगर में भगवान शिव को समर्पित एक हिन्दू मन्दिर है। इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में पाण्ड्य राजवंश के शासक पराक्रम पाण्ड्य ने करा था, और इसमें बाद में मदुरई नायकों द्वारा जोड़ा गया। इस मन्दिर में शिव का काशी विश्वनाथर रूप और पार्वती का उलगम्मन रूप पूजा जाता है।
इन्हें भी देखें
तेन्कासी
तेन्कासी ज़िला
सन्दर्भ
तेन्कासी ज़िले में हिन्दू मन्दिर
पाण्ड्य वास्तुकला
पाण्ड्य राजवंश
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श्वेता बसु प्रसाद पंद्रह साल बाद बालाजी के आने वाले नए सीरियल चंद्रगुप्त मौर्या से छोटे पर्दे पर वापसी करने के लिए तैयार हैं. इस सीरियल में वह रजत टोकस के अपोजिट फीमेल लीड रोज में दिखेंगी. श्वेता ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत बालाजी के टीवी शो 'कहानी घर-घर की' से एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी.
सूत्रों के मुताबिक, श्वेता ने हाल में चंद्रगुप्त की पत्नी नंदिनी के रोल के लिए हामी भरी है. इस सीरियल में रजत टोकस को 'चंद्रगुप्त मौर्या' का किरदार निभाते देखा जाएगा. 'कहानी घर घर की' सीरियल के बाद श्वेता को बॉलीवुड की फिल्मों में काम मिलने लगा और उन्होंने
'मकड़ी' और 'इकबाल'
जैसी अवॉर्ड विनिंग फिल्मों में काम किया. इसके बाद ही श्वेता ने सॉउथ की फिल्मों की तरफ रूख किया जहां पर श्वेता ने कई फिल्मों में लीड किरदार निभाया.
2014 में एक बार फिर श्वेता सुर्खियों में आई लेकिन इस बार वह अपने काम की वजह से नहीं बल्कि एक सेक्स रैकेट में पकड़ी गई थी. इसके बाद कई तरह की बातें सामने आई जिसमें पता चला कि यह काम श्वेता ने अपने परिवार के लिए करना शुरू किया था. श्वेता के सपोर्ट में कई बड़े स्टार्स सामने आए और पिछले साल
श्वेता को एआइबी के एक वीडियो
में देखा गया. हाल ही में श्वेता बसु प्रसाद को एंड टीवी के हॉरर शो 'डर सबको लगता है' में देखा गया था.
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डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (DLW) में ट्रेड एप्रेंटीस की 200 वैकेंसी हैं. इच्छुक उम्मीदवार 29 अक्टूबर तक आवेदन कर सकते हैं.
पदों का विवरण:
फिटर: 72
मशीनिस्ट: 17
वेल्डर: 11
इलेक्ट्रिशियन: 20
शीट मेटल वर्कर: 3
फॉर्जर एंड हीट ट्रीटमेंट: 5
कारपेंटर: 1
इलेक्ट्रॉनिक्स: 8
पेंटर: 6
वायरमैन: 7
मकैनिक: 4
पीएएसएए: 4
सीएनसी प्रोग्रामर कम ऑपरेटर: 21
मकैनिक एंड पीएलसी: 21
योग्यता:
10वीं या 12वीं पास के साथ आईटीआई सर्टिफिकेट
और ज्यादा जानकारी के लिए
http://www.dlw.indianrailways.gov.in/
पर लॉग इन करें.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार में ‘कानून का नहीं बल्कि आपराधिक तत्वों का राजधर्म’ चलाने का आरोप लगाते हुये शनिवार को कहा कि यह सरकार प्रदेश की आम जनता को शांति, सद्भाव व सुरक्षा का जीवन देने की पहली संवैधानिक जि़म्मेदारी निभाने में विफल साबित हुई है. मायावती ने एक बयान में कहा कि सत्ता परिवर्तन का सही लाभ प्रदेश की आम जनता को मिलता नहीं दिख रहा है क्योंकि प्रदेश में अपराध में कोई कमी नहीं आई है बल्कि जातिवादी हिंसा व राजनीतिक विद्वेष की घटनाओं ने ज्यादा भयंकर रूप धारण कर लिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा का आधार वोट माने जाने वाले व्यापारी भी दिन-दहाड़े लूट व हत्याओं से दहल गए हैं. सहारनपुर व मथुरा की घटनाओं ने योगी सरकार के दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं. इसके बावजूद सरकार विधानसभा में कहती है कि अपराधी जिस भाषा में समझेंगे, उसी भाषा में समझाएंगे.
मायावती ने कहा, ‘‘इससे क्या स्पष्ट नहीं है कि भाजपा सरकार को पता ही नहीं है कि अपराधियों को समझाने के लिये केवल एक ही सरकारी भाषा की ज़रूरत होती है और वह है ‘कानून की भाषा’ जिसके लिये आश्वासनों व भाषणों की नहीं बल्कि दृढ़-इच्छाशक्ति की जरूरत होती है.’’ टिप्पणियां
मायावती ने कहा कि प्रदेश में जो साम्प्रदायिक, जातिवादी व अन्य आपराधिक घटनाएं हो रही हैं उनमें से ज्यादातर भाजपा एंड कंपनी के लोगों का ही षडयंत्र नज़र आता है और इन लोगों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया कानूनी तौर पर सही ना होकर लाचार बना हुआ है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मायावती ने कहा, ‘‘इससे क्या स्पष्ट नहीं है कि भाजपा सरकार को पता ही नहीं है कि अपराधियों को समझाने के लिये केवल एक ही सरकारी भाषा की ज़रूरत होती है और वह है ‘कानून की भाषा’ जिसके लिये आश्वासनों व भाषणों की नहीं बल्कि दृढ़-इच्छाशक्ति की जरूरत होती है.’’ टिप्पणियां
मायावती ने कहा कि प्रदेश में जो साम्प्रदायिक, जातिवादी व अन्य आपराधिक घटनाएं हो रही हैं उनमें से ज्यादातर भाजपा एंड कंपनी के लोगों का ही षडयंत्र नज़र आता है और इन लोगों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया कानूनी तौर पर सही ना होकर लाचार बना हुआ है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मायावती ने कहा कि प्रदेश में जो साम्प्रदायिक, जातिवादी व अन्य आपराधिक घटनाएं हो रही हैं उनमें से ज्यादातर भाजपा एंड कंपनी के लोगों का ही षडयंत्र नज़र आता है और इन लोगों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया कानूनी तौर पर सही ना होकर लाचार बना हुआ है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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शाहिद कपूर की फिल्म कबीर सिंह ने बॉक्स ऑफिस पर 200 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है. जाहिर है, अपनी पहली सोलो 200 करोड़ कमाने वाली फिल्म से शाहिद कपूर काफी खुश हैं. महज 13 दिनों में 200 करोड़ की कमाई करने वाली ये फिल्म इस साल की सबसे बड़ी हिट साबित हुई है. अपनी फिल्म की सफलता पर शाहिद ने फैंस के लिए एक इमोशनल पोस्ट शेयर किया है.
पोस्ट में शाहिद ने लिखा, "आपके प्यार के आगे शब्द कम पड़ गए हैं. शुक्रिया उस किरदार को समझने के लिए, उसे माफ करने के लिए और उसे प्यार करने के लिए. हम सब गलतियां करते हैं और हम सभी को अपनी गलतियों के ऊपर उठकर आगे बढ़ना होता है. ताकि हम बेहतर हो सकें. स्मार्ट हो सकें. सहनशील और दयालु हो सकें."
शाहिद ने लिखा, "उस किरदार में कमियां थी. लेकिन वो तो सबमें होती है. आपने उसे जज नहीं किया है, बल्कि उसके अनुभवों को महसूस किया है. उसे समझा है. मैंने कभी लोगों के प्यार के लिए इतना शुक्रगुजार नहीं फील किया है."
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Your love is so overwhelming words will always fall short. Thank you for understanding him forgiving him and loving him with all your heart. We all fall apart. And we all must strive to rise from our faults. To be better. To be wiser. To be kinder. He is flawed. So are we all. You didn’t judge him you experienced him. You understood him. I have never ever felt so thankful. The most flawed character I have ever played. Has become my most loved. Indeed indian cinema and the audience has come a long way. More power to brave choices. More power to you all for your maturity and humanness. You have given me wings to fly. To not only be burdened by the need to be loved to be a star but to have the courage to be hated in equal measure to be an actor. Here’s to cinema mirroring life. To protagonists who don’t have to be restricted by their goodness and can be human and imperfect. There is perfection in imperfection and that is the beauty and the challenge of this human life. Thank you. Again and again. You all are the heroes of this story.
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Shahid Kapoor
(@shahidkapoor) on
Jul 4, 2019 at 1:47am PDT
शाहिद ने कहा, "मेरे द्वारा निभाए गए सबसे ज्यादा गलतियां करने वाले इस किरदार के चलते मुझे सबसे ज्यादा प्यार मिला है. भारतीय सिनेमा और दर्शकों ने एक लंबी यात्रा तय की है. आप सभी की मैच्योरिटी के लिए शुक्रिया. आप सभी ने मुझे उड़ने के लिए पंख दे दिए हैं. ये फिल्म उन सभी के लिए भी हैं जो मानते हैं कि फिल्म का हीरो हमेशा सुलझा हुआ या अच्छा नहीं हो सकता है बल्कि वो इंसान है और गलतियां कर सकता है. थैंक्यू. आप सभी इस स्टोरी के हीरो हैं."
गौरतलब है कि ये फिल्म तेलुगू फिल्म अर्जुन रेड्डी का ऑफिशियल हिंदी रीमेक है. इस फिल्म ने इस साल सबसे जल्दी 200 करोड़ कमाने का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है. सलमान खान की फिल्म भारत ने 14 दिनों में 200 करोड़ की कमाई की थी. वहीं शाहिद कपूर की कबीर सिंह ने 13 दिनों में ये कारनामा कर दिखाया था. जबकि कबीर सिंह भारत से कम स्क्रीन्स पर रिलीज हुई थी.
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उत्तर प्रदेश में आगरा के एक गांव में 4 मासूम बच्चे अकेले जीने को मजबूर हैं वो भी ईंटों से बने कमरेनुमा ढांचे में। वो अपना खाना खुद ही बनाते हैं और उनसे कहा गया है कि हर महीने उन्हें 1000 रुपये मिलेंगे।
चारों में बच्चों में सबसे बड़ी है सोनिया जिसकी उम्र है 12 साल और अब वो इस परिवार की मुखिया है। चारों बच्चों को उनके चाचा ने 2 दिन पहले ही घर से बाहर कर दिया।
उनके माता-पिता ने 2013 में फसलों के नुकसान और गरीबी से तंग आकर ख़ुदकुशी कर ली और बच्चे अपने रिश्तेदारों के साथ रहने को मजबूर हो गए। अब रिश्तेदार भी कह रहे हैं कि वे इन बच्चों को साथ नहीं रख सकते।
सोनिया के चाचा राम अवतार का कहना है, 'मेरे खुद तीन बच्चे हैं। मैं इतना नहीं कमा पाता कि सात बच्चों को पाल सकूं।'
जब बच्चे बेघर और भूखे हुए तो उनमें से सबसे छोटा 6 वर्षीय रोहित मंगलवार को मदद की गुहार लगाने थाने पहुंच गया। पुलिस बच्चों को लेकर वापस गांव पहुंची और पंचायत को इस मामले में फैसला लेने को कहा।
ग्राम प्रधान रामजीत ने एनडीटीवी को बताया, 'हमने बच्चों को एक कमरा और 1000 रुपये प्रति माह देने का निर्णय लिया। जब उससे पूछा गया कि इतने पैसों में ये बच्चे खुद कैसे अपने खाने-पीने और बाकी चीजों की व्यवस्था करेंगे तो उसने कंधे उचकाते हुए कहा कि बड़ी लड़की सोनिया खेतों में काम कर पैसे कमा सकती है।टिप्पणियां
सोनिया, बस इतने भर से ख़ुश है कि अब उसको और उसके भाइयों को एक जगह मिल गई है, जिसे वे घर कह सकते हैं। लेकिन वो अपनी ज़िंदगी बेहतर करना चाहती है और मानती है कि पढ़ाई-लिखाई से मदद मिल सकती है।
एनडीटीवी पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन का ध्यान भी इस ओर गया है। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने बताया कि बच्चों की जैसे भी संभव हो मदद की जाएगी और जल्द ही एक अधिकारी उनसे मिलने भी जाएगा।
चारों में बच्चों में सबसे बड़ी है सोनिया जिसकी उम्र है 12 साल और अब वो इस परिवार की मुखिया है। चारों बच्चों को उनके चाचा ने 2 दिन पहले ही घर से बाहर कर दिया।
उनके माता-पिता ने 2013 में फसलों के नुकसान और गरीबी से तंग आकर ख़ुदकुशी कर ली और बच्चे अपने रिश्तेदारों के साथ रहने को मजबूर हो गए। अब रिश्तेदार भी कह रहे हैं कि वे इन बच्चों को साथ नहीं रख सकते।
सोनिया के चाचा राम अवतार का कहना है, 'मेरे खुद तीन बच्चे हैं। मैं इतना नहीं कमा पाता कि सात बच्चों को पाल सकूं।'
जब बच्चे बेघर और भूखे हुए तो उनमें से सबसे छोटा 6 वर्षीय रोहित मंगलवार को मदद की गुहार लगाने थाने पहुंच गया। पुलिस बच्चों को लेकर वापस गांव पहुंची और पंचायत को इस मामले में फैसला लेने को कहा।
ग्राम प्रधान रामजीत ने एनडीटीवी को बताया, 'हमने बच्चों को एक कमरा और 1000 रुपये प्रति माह देने का निर्णय लिया। जब उससे पूछा गया कि इतने पैसों में ये बच्चे खुद कैसे अपने खाने-पीने और बाकी चीजों की व्यवस्था करेंगे तो उसने कंधे उचकाते हुए कहा कि बड़ी लड़की सोनिया खेतों में काम कर पैसे कमा सकती है।टिप्पणियां
सोनिया, बस इतने भर से ख़ुश है कि अब उसको और उसके भाइयों को एक जगह मिल गई है, जिसे वे घर कह सकते हैं। लेकिन वो अपनी ज़िंदगी बेहतर करना चाहती है और मानती है कि पढ़ाई-लिखाई से मदद मिल सकती है।
एनडीटीवी पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन का ध्यान भी इस ओर गया है। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने बताया कि बच्चों की जैसे भी संभव हो मदद की जाएगी और जल्द ही एक अधिकारी उनसे मिलने भी जाएगा।
उनके माता-पिता ने 2013 में फसलों के नुकसान और गरीबी से तंग आकर ख़ुदकुशी कर ली और बच्चे अपने रिश्तेदारों के साथ रहने को मजबूर हो गए। अब रिश्तेदार भी कह रहे हैं कि वे इन बच्चों को साथ नहीं रख सकते।
सोनिया के चाचा राम अवतार का कहना है, 'मेरे खुद तीन बच्चे हैं। मैं इतना नहीं कमा पाता कि सात बच्चों को पाल सकूं।'
जब बच्चे बेघर और भूखे हुए तो उनमें से सबसे छोटा 6 वर्षीय रोहित मंगलवार को मदद की गुहार लगाने थाने पहुंच गया। पुलिस बच्चों को लेकर वापस गांव पहुंची और पंचायत को इस मामले में फैसला लेने को कहा।
ग्राम प्रधान रामजीत ने एनडीटीवी को बताया, 'हमने बच्चों को एक कमरा और 1000 रुपये प्रति माह देने का निर्णय लिया। जब उससे पूछा गया कि इतने पैसों में ये बच्चे खुद कैसे अपने खाने-पीने और बाकी चीजों की व्यवस्था करेंगे तो उसने कंधे उचकाते हुए कहा कि बड़ी लड़की सोनिया खेतों में काम कर पैसे कमा सकती है।टिप्पणियां
सोनिया, बस इतने भर से ख़ुश है कि अब उसको और उसके भाइयों को एक जगह मिल गई है, जिसे वे घर कह सकते हैं। लेकिन वो अपनी ज़िंदगी बेहतर करना चाहती है और मानती है कि पढ़ाई-लिखाई से मदद मिल सकती है।
एनडीटीवी पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन का ध्यान भी इस ओर गया है। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने बताया कि बच्चों की जैसे भी संभव हो मदद की जाएगी और जल्द ही एक अधिकारी उनसे मिलने भी जाएगा।
सोनिया के चाचा राम अवतार का कहना है, 'मेरे खुद तीन बच्चे हैं। मैं इतना नहीं कमा पाता कि सात बच्चों को पाल सकूं।'
जब बच्चे बेघर और भूखे हुए तो उनमें से सबसे छोटा 6 वर्षीय रोहित मंगलवार को मदद की गुहार लगाने थाने पहुंच गया। पुलिस बच्चों को लेकर वापस गांव पहुंची और पंचायत को इस मामले में फैसला लेने को कहा।
ग्राम प्रधान रामजीत ने एनडीटीवी को बताया, 'हमने बच्चों को एक कमरा और 1000 रुपये प्रति माह देने का निर्णय लिया। जब उससे पूछा गया कि इतने पैसों में ये बच्चे खुद कैसे अपने खाने-पीने और बाकी चीजों की व्यवस्था करेंगे तो उसने कंधे उचकाते हुए कहा कि बड़ी लड़की सोनिया खेतों में काम कर पैसे कमा सकती है।टिप्पणियां
सोनिया, बस इतने भर से ख़ुश है कि अब उसको और उसके भाइयों को एक जगह मिल गई है, जिसे वे घर कह सकते हैं। लेकिन वो अपनी ज़िंदगी बेहतर करना चाहती है और मानती है कि पढ़ाई-लिखाई से मदद मिल सकती है।
एनडीटीवी पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन का ध्यान भी इस ओर गया है। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने बताया कि बच्चों की जैसे भी संभव हो मदद की जाएगी और जल्द ही एक अधिकारी उनसे मिलने भी जाएगा।
जब बच्चे बेघर और भूखे हुए तो उनमें से सबसे छोटा 6 वर्षीय रोहित मंगलवार को मदद की गुहार लगाने थाने पहुंच गया। पुलिस बच्चों को लेकर वापस गांव पहुंची और पंचायत को इस मामले में फैसला लेने को कहा।
ग्राम प्रधान रामजीत ने एनडीटीवी को बताया, 'हमने बच्चों को एक कमरा और 1000 रुपये प्रति माह देने का निर्णय लिया। जब उससे पूछा गया कि इतने पैसों में ये बच्चे खुद कैसे अपने खाने-पीने और बाकी चीजों की व्यवस्था करेंगे तो उसने कंधे उचकाते हुए कहा कि बड़ी लड़की सोनिया खेतों में काम कर पैसे कमा सकती है।टिप्पणियां
सोनिया, बस इतने भर से ख़ुश है कि अब उसको और उसके भाइयों को एक जगह मिल गई है, जिसे वे घर कह सकते हैं। लेकिन वो अपनी ज़िंदगी बेहतर करना चाहती है और मानती है कि पढ़ाई-लिखाई से मदद मिल सकती है।
एनडीटीवी पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन का ध्यान भी इस ओर गया है। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने बताया कि बच्चों की जैसे भी संभव हो मदद की जाएगी और जल्द ही एक अधिकारी उनसे मिलने भी जाएगा।
ग्राम प्रधान रामजीत ने एनडीटीवी को बताया, 'हमने बच्चों को एक कमरा और 1000 रुपये प्रति माह देने का निर्णय लिया। जब उससे पूछा गया कि इतने पैसों में ये बच्चे खुद कैसे अपने खाने-पीने और बाकी चीजों की व्यवस्था करेंगे तो उसने कंधे उचकाते हुए कहा कि बड़ी लड़की सोनिया खेतों में काम कर पैसे कमा सकती है।टिप्पणियां
सोनिया, बस इतने भर से ख़ुश है कि अब उसको और उसके भाइयों को एक जगह मिल गई है, जिसे वे घर कह सकते हैं। लेकिन वो अपनी ज़िंदगी बेहतर करना चाहती है और मानती है कि पढ़ाई-लिखाई से मदद मिल सकती है।
एनडीटीवी पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन का ध्यान भी इस ओर गया है। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने बताया कि बच्चों की जैसे भी संभव हो मदद की जाएगी और जल्द ही एक अधिकारी उनसे मिलने भी जाएगा।
सोनिया, बस इतने भर से ख़ुश है कि अब उसको और उसके भाइयों को एक जगह मिल गई है, जिसे वे घर कह सकते हैं। लेकिन वो अपनी ज़िंदगी बेहतर करना चाहती है और मानती है कि पढ़ाई-लिखाई से मदद मिल सकती है।
एनडीटीवी पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन का ध्यान भी इस ओर गया है। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने बताया कि बच्चों की जैसे भी संभव हो मदद की जाएगी और जल्द ही एक अधिकारी उनसे मिलने भी जाएगा।
एनडीटीवी पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन का ध्यान भी इस ओर गया है। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने बताया कि बच्चों की जैसे भी संभव हो मदद की जाएगी और जल्द ही एक अधिकारी उनसे मिलने भी जाएगा।
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को विश्वास जताया कि पार्टी नेता पी.ए. संगमा अंतत: संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन करेंगे.
राकांपा की गुरुवार को होने वाली बैठक से पहले पार्टी नेता डी.पी. त्रिपाठी ने मंगलवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की.
त्रिपाठी ने बताया, 'यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी. हम संप्रग के सहयोगी हैं, इसलिए मैं उनसे मुलाकात के लिए यहां आया.'
संगमा द्वारा राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने से इंकार करने के विषय में पूछे जाने पर त्रिपाठी ने कहा, 'वह एक वरिष्ठ नेता हैं. हम 21 जून को बैठक कर रहे हैं और वह बैठक में शामिल होंगे. हमें विश्वास है कि वह संप्रग उम्मीदवार का समर्थन करेंगे.'
संगमा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) व बीजू जनता दल (बीजद) के संयुक्त उम्मीदवार हैं. राकांपा नेता शरद पवार की अपील के बावजूद वह चुनाव लड़ने पर आमादा हैं.
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लता मंगेशकर का गाना गाकर एक वीडियो से वायरल हुई रानू मंडल एक बार फिर वीडियो के सहारे सुर्खियों में हैं. इस वीडियो में दिख रहा है कि रानू किसी सुपर मार्केट में शॉपिंग कर रही हैं. उसी वक्त एक महिला फैन आती हैं और उन्हें कंधे पर छूते हुए सेल्फी लेने की गुजारिश करती हैं. रानू इस बात पर बिगड़ जाती हैं.
रानू मंडल ने फैन से कहा कि उन्हें इस तरह उनको हाथ नहीं लगाना चाहिए था. ये तरीका ठीक नहीं है. वही वहां मौजूद महिला फैन इस बात पर मुस्कुराती रह जाती हैं. ये वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. जहां कई लोगों ने रानू के व्यवहार की आलोचना की है वही कई लोग ऐसे भी हैं जो उनका समर्थन भी कर रहे हैं लेकिन ज्यादातर लोग इस वीडियो पर फनी मीम्स भी शेयर कर रहे हैं. वही कई यूजर्स रानू के बारे में मीम्स बनाकर कह रहे हैं कि उनमें थोड़ी सी सफलता हासिल कर घमंड आ गया है.
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November 6, 2019
बता दें कि रानू मंडल स्टार बनने से पहले पश्चिम बंगाल के राणाघाट में गलियों और रेलवे स्टेशनों पर घूम-घूम कर गाना गाती थीं. इसी दौरान अतींद्र चक्रवर्ती नाम के एक शख्स ने रानू का एक वीडियो बनाकर फेसबुक पर शेयर कर दिया, जिसमें वो लता मंगेशकर का गाना 'एक प्यार का नग्मा है' गा रही थीं. वीडियो ने उन्हें रातोरात स्टार बना दिया. हिमेश रेशमिया को उनका गाना बहुत पसंद आया और उन्होंने हिमेश की फिल्म के लिए गाने भी गाए.
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फिल्म 'तुम्हारी सुलु' दर्शकों और क्रिटिक्स के बीच लगातार सराही जा रही है. इस फिल्म ने अब तक 23 करोड़ रुपए की कमाई कर ली है. इस फिल्म से जहां लंबे समय बाद विद्या बालन के हाथ एक सफल फिल्म लगी, वहीं मानव कौल भी दमदार भूमिका में नजर आए. मानव कौल फिल्म में विद्या के पति अशोक की भूमिका में हैं. वे जय गंगाजल, काई पो चे, सिटीलाइ्ट्स जैसी फिल्मों में नजर आ चुके हैं. उन्होंने आजतक से की बातचीत में इस फिल्म के असर और अपनी फिल्मों के चुनाव के बारे में बताया.
- किसी फिल्म को चुनने का आपका क्या पैरामीटर होता है. कई फिल्मों में आप छोटी-छोटी भूमिका में भी नजर आए?
मैं फिल्मों के अलावा भी कई काम करता हूं. पिछले डेढ़ साल से मैं फिल्मों को 'न' कह रहा था. सब कुछ स्क्रिप्ट पर निर्भर करता है. मुझे स्क्रिप्ट अच्छी लगती है तो मैं बेशक फिल्म को करता हूं. यदि तुम्हारी सुलु में मुझे छोटी से छोटी भूमिका मिलती, तो भी मैं करता. ये कहानी ही इतनी जर्बदस्त थी.
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- फिल्मों के अलावा और किन कामों में अपना समय देते हैं?
मैं थिएटर करता हूं. लंबा वक्त उसमें जाता है. अभी लखनऊ में शो होने वाला है. इसके बाद बरेली में, फिर मुंबई में. इसके अलावा एक किताब लिख रहा हूं. ये मेरी तीसरी किताब है. इससे पहले 'ठीक तुम्हारे पीछे' और 'प्रेम कबूतर' लिख चुका हूं.
-तुम्हारी सुलु फिल्म कैसे मिली?
ये फिल्म कास्टिंग डायरेक्टर नंदिनी श्रीकेंट के जरिए मिली. ऑडिशन दिया, विद्या के अपोजिट लुक टेस्ट हुआ और बात बन गई. मैं लंबे समय से इस तरह की फिल्म का इंतजार था. मैंने मार्च में ये फिल्म साइन की और अप्रैल में शूटिंग शुरू हुई. बहुत कम समय में ये फिल्म रिलीज हो गई.
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-'बन जा मेरी रानी...' गाना इतना हिट हो गया. क्या कहेंगे?
वाकई हमें उम्मीद नहीं थी कि ये गाना इतना हिट हो जाएगा. इसे शूट करने में भी काफी मजा आया. हमें इसे एक दिन में शूट करना था. हमारे पास रात तक का वक्त था, लेकिन हमने इसे सिर्फ छह घंटे में फिल्मा लिया. मैं पहले काफी डरा हुआ था. मैंने पहले कभी डांस नहीं किया था. लेकिन जब सेट पर गए, तो अलग ही माहौल था. डायरेक्टर सुरेश त्रिवेणी ने समझाया कि ये गाना नहीं, एक सीन है पूरा. इसके बाद मैंने और विद्या ने इसे मस्ती करते हुए अपने तरीके से शूट किया. इसमें जो मस्ती है, वही लोगों को पसंद आई है. अशोक का जो कैरेक्टर है, वो ऐसा ही. उसे डांस नहीं आता, इसलिए इसमें किसी तरह के स्टेप्स का कोई बंधन नहीं था. ये इस बात का उदाहरण है कि यदि आप अपने कैरेक्टर में रहते हैं तो हर मुश्किल हल हो जाती है.
- आप पहली बार एक हीरो के तौर पर दिखे हैं. अन्य फिल्मों में निगेटिव रोल में दिखे. किस तरह के रोल को आप करना चाहते हैं?
मैं हर तरह के रोल करना चाहता हूं. मैं किरदारों का भूखा हूं, मुझे खाने के लिए बहुत कुछ चाहिए. जो भी रोल मुझे अच्छा लगता है या स्क्रिप्ट जोड़दार लगती है, मैं उसे साइन कर लेता हूं.
- फिल्म का जो संदेश है, उसके बारे में क्या कहेंगे. कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है?
हम एक पारिवारिक फिल्म बनाना चाहते थे. किसी तरह का मैसेज देने की हमारी कोई मंशा नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद लोगों को इसमें कुछ संदेश नजर आ रहा है तो बहुत अच्छी बात है. कई लोग मुझे मैसेज भेज रहे हैं कि मैं सुलु हूं, मेरा पति अशोक है. वो बिल्कुल ऐसे ही डांस करता है. लोग मुझे डांस के वीडियो बना बनाकर भेज रहे हैं. मेरी मां कहती है कि 'मैं सुलु थी'. मैं लाइफ में बहुत कुछ करना चाहती थी. मेरे सपने थे. इस तरह लोग फिल्म से कनेक्ट हुए, ये काफी अच्छी बात है.
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-आप एक स्थापित थिएटर आर्टिस्ट हैं. फिल्म और थिएटर के अंतर को कैसे देखते हैं?
देखिए, थिएटर में भी खराब एक्टर होते हैं और फिल्मों में भी. ये एक परफॉर्मिंग आर्ट है. थिएटर करने से कोई बड़ा एक्टर नहीं बन जाता. जैसे रणवीर कपूर ने कभी थिएटर नहीं किया, लेकिन फिर भी वे कमाल के एक्टर हैं. मैं जब फिल्में करता हूं तो थिएटर का जरा भी जिक्र नहीं करता. थिएटर की मेरी अपनी अलग दुनिया है.
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यह एक लेख है: मौजूदा सीरीज़ ऑस्ट्रेलिया के नाम हो चुकी है, लेकिन विराट कोहली के रवैये को लेकर बहस जारी रहेगी। शायद यह विराट कोहली की आक्रामकता ही थी, जिसकी वजह से मेज़बान ऑस्ट्रेलियाई टीम ने देर से पारी घोषित की, इसलिए इस ड्रॉ को टीम इंडिया मनोवैज्ञानिक जीत के तौर पर देख सकती है।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कहते हैं कि उनकी टीम लगातार सीख रही है, बस, खिलाड़ियों को थोड़ा वक्त चाहिए। टेस्ट में यह टीम अब तक करीब 45 मिनट का खेल खराब खेलती रही, जिसकी वजह से उसे हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्हें लगता है कि उनकी टीम सीख रही है और जल्दी ही मैच जीतकर बेहतर नतीजे भी पेश करेगी।
टीम इंडिया के डायरेक्टर रवि शास्त्री का कहना है कि खिलाड़ियों ने मेलबर्न टेस्ट में अपने प्रदर्शन से छाप छोड़ी है। स्टार टीवी पर मैच के बाद शो में उन्होंने कहा कि मेलबर्न में पिछले 10 साल में किसी टीम ने पहली बार ड्रॉ किया है, और मेलबर्न के दर्शकों ने इसे सराहा है। वह कहते हैं कि आप इस टीम को साल भर का समय दीजिए और यही टीम कमाल करती दिखेगी। रवि शास्त्री ने विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे की पारियों की भी जमकर तारीफ की।
कम से कम चौथी पारी में विराट कोहली का अर्द्धशतक बनाना इस बात का सबूत है कि वह सिर्फ बयानबाज़ी नहीं करते। टीम इंडिया भले ही मेलबर्न टेस्ट पर कब्ज़ा करने में नाकाम रही, लेकिन विराट ने अपने आक्रामक तेवर जारी रखे, यह जानते हुए भी कि मैच की चौथी पारी में उन्हें ऑस्ट्रेलियाई मुश्किल गेंदबाज़ी का सामना करना पड़ेगा।
विराट कोहली और मिशेल जॉनसन के बीच हुई तकरार को लेकर आशंका थी कि कोहली या टीम इंडिया के दूसरे बल्लेबाज़ क्रीज़ पर आएंगे तो उन्हें ऑस्ट्रेलिया की ओर से एक्स्ट्रा स्लेजिंग का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अच्छी बात यह रही कि विराट अपने आक्रामक तेवरों के साथ-साथ अपना बल्ला भी चला रहे हैं। वह शानदार फॉर्म में हैं और ज़बरदस्त आत्मविश्वास से भरे हैं। विराट के आंकड़े बताते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में वह महानतम बल्लेबाज़ों की सूची में दर्ज होने की दिशा में सफर कर रहे हैं।
सिर्फ 32 टेस्ट मैचों के सफर में विराट कोहली के नाम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई मैदानों पर चार शतकीय पारियां हैं। उन्होंने मौजूदा शृंखला में अब तक की छह पारियों में 499 रन जोड़े हैं। इसके साथ ही विराट ने चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी ज़मीन पर सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है। सचिन के नाम ऑस्ट्रलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में 480 रन हैं। ऑस्ट्रेलिया में खेली गई एक सीरीज़ में सबसे ज़्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में वह राहुल द्रविड़ के बाद दूसरे नंबर पर आ गए हैं। चार टेस्ट मैचों में राहुल द्रविड़ के नाम 619 रन हैं, जबकि विराट कोहली ने तीन मैचों में 499 रन बनाए हैं, सो, उनके पास अब भी राहुल द्रविड़ को पीछे छोड़ने का मौका है। टेस्ट की चौथी पारी में विराट का औसत भारतीय खिलाड़ियों की लिस्ट में सबसे ऊपर यानी 68.88 है।
भारत मेलबर्न टेस्ट में जीत हासिल नहीं कर सका, लेकिन कोहली के होते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम रक्षात्मक तरीके से फैसला लेने पर मजबूर हो सकती है, यह ज़रूर साबित हुआ। सो, टीम इंडिया ने टेस्ट में भले ही जीत हासिल नहीं की, और सीरीज़ ऑस्ट्रेलिया के नाम हो गई, लेकिन इस ड्रॉ के बाद भी टीम इंडिया यही मानकर सिडनी टेस्ट खेलना चाहेगी कि उसे मनोवैज्ञानिक तौर पर जीत हासिल हुई है और इसका फायदा उसे सिडनी टेस्ट में मिल सकता है।
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सवा पांच बजे हैं. सूरज की पहली किरणों ने अभी दशाश्वमेध घाट पर मंडराती मीनारों और गुंबदों को चूमा भी नहीं है, लेकिन वाराणसी के अनेक तिलिस्मी चेहरे गंगा के किनारे दिखाई देने लगे. सफेद दाढ़ी और भगवा वेशधारी साधु. सिल्क साडिय़ों में सुबह का रियाज करतीं महिला संगीतकार. चाय की चुस्कियों पर खबरों का तब्सरा करते लंबी दाढ़ी और मुगलिया टोपी पहने बुनकर. अपनी रंग-बिरंगी नावों को तैयार करते वे मल्लाह जिनकी आधा दर्जन यूरोपीय भाषाओं पर पकड़ है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पहला व्याख्यान देने के लिए तत्पर प्रोफेसर. पिछली रात बनारस क्लब में दुकानदारी के नुक्तों पर गपबाजी करने वाले कारोबारी और दुनियाभर से उमड़े आमजन. इनमें से कुछ तीर्थाटन के लिए आए हैं तो कुछ दशकों पहले गंगा मैया की गोद में आए थे और कभी नहीं लौटे.
हरेक के पास अपनी कहानी है. इनमें से हरेक ने इस प्राचीन शहर को एक साथ लास्य और तांडव का उत्सव मनाते और लगातार छीजते देखा है. गंगा से नजर उठाकर देखें तो नावें, किनारे से झांकती प्राचीन इमारतों के छज्जे और वाराणसी का सत्य मुंह बाए खड़ा है.
यहां की समस्याएं अनंत हैं. ढहती इमारतें, बदरंग होते घाट. गड्ढों से भरी सड़कों पर तीन-तीन घंटे का ट्रैफिक जाम. हर रोज गंगा में बहता 30,000 करोड़ लीटर सीवेज. हर साल गंगा के घाटों पर जलती 30,000 लाशों की गंध और उनके विसर्जित अवशेष. हर वर्ग किलोमीटर में 2,400 लोगों की ठुंसी हुई आबादी. जबकि लखनऊ में यह अनुपात 1,800 और कानपुर में 1400 है. चीन से आए सस्ते नकली माल और गुजरात में काम के अच्छे हालात से मात खाते स्थानीय दस्तकारों की गरीबी और बदहाली. रस्मों और संस्कारों में रचे-बसे शहर में इतिहास को संजोने वाले संग्रहालयों और सांस्कृतिक केंद्रों के अभाव में, लावारिस और गुमनामी की धूल में मिटता इतिहास. एक जमाने में देवताओं का वास रही वाराणसी अब बदहाली के गर्त में है और इसे अगर युद्ध स्तर पर उबारने के प्रयास न किए गए तो भस्म हो जाएगी. स्थानीय निवासियों का मानना है कि इस प्राचीन नगरी का उद्धार स्थानीय सांसद और देश के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगा. वाराणसी की विरासत भले ही इतनी अनूठी हो कि उसे भारत का लघु रूप न माना जा सके, फिर भी उसका जीर्णोद्धार मोदी का वचन है.
देशभर में बहुमत पाने और वाराणसी में 3.37 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल करने के दो दिन बाद 18 मई को मोदी ने गंगा आरती के दौरान कहा था, ‘‘मैं बनारस को चमकाने आपके बीच आया हूं. जब भारत विश्व गुरु हुआ करता था तो बनारस भारत का गुरु था. हमें भारत की सफाई की शुरुआत बनारस से करनी होगी.’’ मोदी के मिशन भारत की शुरुआत मिशन वाराणसी से होती है. मोदी ने जब यह शपथ ले ही ली है तो विभिन्न आर्थिक वर्ग, धर्म और आयुवर्ग के बनारसियों ने वाराणसी के भौतिक और आध्यात्मिक विकास या उस भीतरी विकास के लिए मांगों की सूची तैयार कर ली है, जिसकी खोज में सदियों से विदेशी यहां आते रहे हैं. 2013 में न्यूयॉर्क से फुलब्राइट स्कॉलर के रूप में आयुर्वेद पढऩे काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे 48 वर्षीय डॉक्टर भास्वति भट्टाचार्य का कहना है, ‘‘वे एक प्रतीक हैं जो हमें अपना माहौल बदलने की प्रेरणा दे सकते हैं. मोदी को इस शहर में श्सब चलता है’’ की सोच बदलनी होगी और राजनीति, नीति, शिक्षा, उद्यम और दैनिक जीवन में यथास्थिति का चक्र तोडऩा होगा, इसकी हमें बेहद जरूरत है. उनकी भूमिका ऐसे नेता की है जो लोगों को दिली इच्छा पूरी करने के लिए प्रेरित करे.’’
पहाड़-सी बड़ी इन अपेक्षाओं को पूरा करना मोदी की सबसे बड़ी चुनौती और शायद पहली स्पष्ट अग्निपरीक्षा है. वाराणसी उनके लिए कुरुक्षेत्र या पानीपत कुछ भी हो सकती है. बिल्डर दीपक बहल को लगता है कि दशकों की उपेक्षा के कारण शहर पूरी तरह चरमरा गया है. उनका कहना है, ‘‘आशाएं बहुत हैं. अगर मोदी बनारस की विरासत को अक्षुण्ण रखते हुए उसे बचा सकेंगे तो कुछ भी कर सकेंगे.’’
वाराणसी की तस्वीर बदलने वाले तीन बड़े काम हैं- घाटों का जीर्णोद्धार, रिंगरोड और नई सीवर प्रणाली का निर्माण. इन तीनों कामों पर कुल 1600 करोड़ रु. की लागत आएगी. यह रकम 2,800 करोड़ रु. की उस रकम के सामने बहुत छोटी है, जो उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने 12वीं क्लास पास करने वाले छात्रों को लैपटॉप बांटने पर खर्च की है. लेकिन ये काम पैसे की कमी या भूमि अधिग्रहण में रुकावट के कारण फंसे पड़े हैं.
(मशहूर बनारसी साड़ी बुनता एक बुनकर)
स्वर्ग की सीढ़ी
वाराणसी की समस्याएं ठीक उसी जगह से शुरू होती हैं, जहां मोदी ने भाषण दिया था. बनारस के ये घाट शहर का सांस्कृतिक और आर्थिक प्राण हैं. कुछ नदी में उतरती सीढिय़ां हैं तो कुछ उससे बड़े ढांचे हैं, लेकिन ये सब मिलकर उस धुरी का रूप लेते हैं जिस पर प्राचीन काशी नगरी विकसित हुई थी. राजघाट से अस्सी घाट तक गंगा किनारे के चौरासी घाटों में से हरेक की अपनी अलग पहचान है, लेकिन उन्हें जोडऩे वाली कथा शताब्दियों पहले कहीं गुम हो चुकी है.
कारोबार के हिसाब से यह शहर का सबसे जीता-जागता हिस्सा है. काशी विश्वनाथ मंदिर उसी शैव मत का गढ़ है, जिसका उल्लेख शताब्दियों से हिंदू ग्रंथों में मिलता है. इसी मंदिर के चारों तरफ की गलियों में बनारसी साड़ी और लकड़ी के खिलौनों जैसे उद्योग और पान और ठंडाई जैसे स्थानीय स्वाद बसे हैं.
लेकिन पांच फुट चौड़ी खड़ंजे वाली इन भूलभुलैया गलियों में हर तरह का ट्रैफि क चलता है. इंसान, जानवर, दुपहिया, शव यात्राएं सबके सब फूल, इत्र, चाट, मिठाई, चंदन और बर्तन बेचती दुकानों के बीच में से अपनी राह तलाशते नजर आते हैं. इन गलियों से गुजरने के लिए कचरे, गोबर और गंदे पानी में से रास्ता बनाना पड़ता है. यहां ‘‘जाई-दे’’ के ठेठ बनारसी अंदाज की कहावत है, ‘‘अगर सांड़ ने न पकड़ा तो संन्यासी पकड़ेगा.’’
16 साल पहले बनारस में आकर बसे पोलैंड के 32 वर्षीय योगानंद का कहना है, ‘‘मोदी को ये गलियां साफ करानी होंगी, लेकिन इनकी पहचान जिंदा रखनी होगी. विकसित होने का मतलब पश्चिम की नकल नहीं है. विकास समझदारी के साथ होना चाहिए और उस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.’’ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संस्कृत में पीएचडी कर रहे योगानंद का असली नाम स्कार्बिमिर रुसिंस्की है, लेकिन अब वे पुरानी पहचान बताने में झिझकते हैं. मोदी से योगानंद की पहली मांग है कि घाटों के आसपास के क्षेत्र में मोटर वाहन का प्रवेश वर्जित हो. उनका कहना है, ‘‘अगर आप चल नहीं सकते तो साइकिल या रिक्शा ले लें. इससे न सिर्फ गरीब को ताकत मिलेगी, बल्कि भीड़ और धुएं से भी मुक्ति मिल जाएगी.’’ उनकी दूसरी मांग वाराणसी को प्लास्टिक मुक्त करने की है. तीसरी मांग यह है कि घाटों पर कूड़ेदान रखे जाएं और पहरेदार खड़े किए जाएं जो लोगों को गंगा में कूड़ा फेंकने से रोकें.
जानी-मानी जीर्णोद्धार वास्तुशिल्पी आभा नारायण लांबा इन सुझावों से पूरी तरह सहमत हैं. उन्होंने शहर के नजारों में दिखने वाली भीड़ के बारे में अपनी राय देते हुए कहा, ‘‘अगर आप काशी विश्वनाथ के निकट घाटों की तरफ जाएं तो सड़कों पर बिजली के खंभों पर उलझे तार ही तार दिखाई देते हैं. उन्हें जमीन के नीचे डालना होगा. साइनबोर्ड के आकार-प्रकार का भी कोई नियम होना चाहिए.’’ राज्य सरकार ने इस पूरे इलाके में तार फिर से बिछाने के लिए तीन करोड़ रु. की योजना बनाई है, जिस पर अगले महीने से अमल होना है. एक और सुझाव यह है कि शहर का इतना बड़ा बुनकर उद्योग फालतू सामग्री से कपड़े के थैले बनाए. इससे उन्हें ज्यादा काम मिलेगा और शहर साफ रहेगा. ये सारी वे बातें हैं जो उस बात से मेल नहीं खातीं जिसे हम बनारसी मिजाज के तौर पर जानते हैं. लेकिन बदलाव तो समय का नियम है.
(बनारस की भीड़ भरी तंग गलियों का नजारा)
पत्थरों से रोमांस
लांबा का कहना है, ‘‘मुश्किल यह है कि केंद्र सरकार ने शहर के लिए जो योजना बनाई है वह जरूर द्विआयामी होगी, जिसे यहां नहीं अपनाया जा सकता, क्योंकि उसमें अवैध कब्जे जैसी समस्याओं को अनदेखा किया गया है. यहां जोर शहर गढऩे के बजाय गली गढऩे पर होना चाहिए.’’ इसका एक तरीका यह है कि हर ब्लॉक का फोटो मोन्टाज बनाया जाए और उसके आधार पर तय किया जाए कि किस गली में कौन-सी सामग्री लगाई जाएगी. यह ध्यान रखना होगा कि ऐसा पत्थर या भवन सामग्री चुनी जाए जो पहले लगी सामग्री से मेल खाए. इस ऐतिहासिक शहर का इस तरह जीर्णोद्धार करने से शहर की स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी जान पड़ सकती है, क्योंकि बहुत-सी पुरानी इमारतों में चुनार पत्थर लगा है, यह आजकल फैशन से बाहर है और जिसकी वजह से कारीगर बेकार हो गए हैं. इस तरह काम करने से उन दस्तकरों का कारोबार भी चल निकलेगा,जो पुराने शहर में महराबों, गलियारों और अहातों में नक्काशी किया करते थे.
2012 में वाराणसी को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और विश्व बैंक के संयुक्त धरोहर संरक्षण कार्यक्रम में शामिल किया गया, जिसमें इन सुझावों को अपनाया जा सकता था. इस कार्यक्रम में शहरी धरोहर संसाधन प्रबंधन को शहर के समग्र विकास से जोड़ा गया और 2012 में अहमदाबाद सेंटर फॉर एनवायरनमेंट प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी में आयोजित तीन दिन के सम्मेलन में इस पर चर्चा हुई. अगले वर्ष वाराणसी नगर निगम में नवगठित धरोहर प्रकोष्ठ ने कुछ हिस्सों में धरोहर विकास के लिए विस्तृत योजना रिपोर्ट पेश की. संस्कृति, पुरातत्व और पर्यटन विभाग के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि उनसे इसमें कोई सलाह नहीं ली गई. इन सबके बीच तालमेल के अभाव के कारण रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया.
बिल्डर दीपक बहल का सवाल है कि उसके बाद राज्य और केंद्र में आई सरकारों ने इस बारे में कुछ क्यों नहीं किया? ‘‘हमारे पूर्व सांसद मुरली मनोहर जोशी मोदी की अपनी पार्टी के कद्दावर नेता थे. वाराणसी जिले के पांच में से चार विधायक बीजेपी के हैं. उन्होंने या किसी अन्य अधिकारी ने इस शहर के लिए क्या किया है?’’
स्थानीय प्रशासन के एक सदस्य, वाराणसी के जिला अधिकारी प्रांजल यादव की गाहे-बगाहे तारीफ हो जाती है. 2006 बैच के आइएएस अधिकारी, आइआइटी ग्रेजुएट यादव ने पिछले एक साल में सड़कें चौड़ी करने और अवैध कब्जे हटाने का जो हौसला दिखाया, उसकी तारीफ हुई है. छावनी इलाके के पास अपने कार्यालय में यादव ने वाराणसी के विकास में बाधक कुछ मुख्य समस्याओं का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि शहर का सड़क नेटवर्क किस तरह कमजोर है. इसके अलावा बाकी शहरों की तरह इस शहर के पास बाहरी इलाकों में पांव फैलाने की गुंजाइश नहीं है.
नए शहर की उम्मीद
एक बड़ा मसला यह है कि ट्रकों में माल का लदान और उतराई करने वाला ट्रांसपोर्ट नगर शहर की सीमा के भीतर है. यादव ने बताया, ‘‘2001 से इसे शहर के केंद्र से 70 किलोमीटर से भी दूर इलाहाबाद हाइवे पर ले जाने की योजना है, लेकिन जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका है.’’ इसके लिए जरूरी 82 हेक्टेयर जमीन में से 52 हेक्टेयर के लिए मुआवजा दिया जा चुका है, लेकिन बाकी 30 हेक्टेयर के मालिकों को सरकारी सौदा मंजूर नहीं है. इसके चलते 13 साल से काम रुका पड़ा है. इसी वजह से भारी ट्रक घंटों तक शहर में आने और जाने के रास्तों पर अड़े रहते हैं. कई बार तो शाम से लेकर देर सुबह तक जाम रहता है. स्थानीय निवासियों और कारोबारियों की बार-बार मांग के बावजूद वाराणसी में कोई रिंग रोड न होने से मुश्किल और बढ़ गई है. वाराणसी चार प्रमुख सड़कों से जुड़ा है- लखनऊ से एनएच-56, गाजीपुर से एनएच-29, इलाहाबाद से एनएच-2 और चंदौली के लिए राज्य का हाइवे. यादव का कहना है, ‘‘आज सबसे बड़ी जरूरत इन चारों सड़कों को जोडऩे की है ताकि ये शहर का आम रास्ता न बनें, लेकिन इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए जमीन लेने की लागत 900 करोड़ रु. है.’’
पिछली केंद्र सरकार ने एनएच-56 का नाम एनएच-29 करने और लखनऊ- वाराणसी तथा वाराणसी-गाजीपुर हाइवे को आपस में मिलाने का फैसला किया था. इस पर 7 महीनों में काम शुरू होगा. यादव के मुताबिक, ‘‘वाराणसी में जरूरी विकास के सभी कामों में से सबसे अहम काम रिंग रोड बनाने का है.’’
लेकिन उनके सामने भी कुछ समस्याएं हैं. 20 साल का नया मास्टर प्लान जो 2011 में तय हो जाना चाहिए था, अभी तक पूरा नहीं हुआ है. आशा है कि इसे इस साल बाद में पूरा कर लिया जाएगा. इसमें महत्वपूर्ण सड़कों के किनारे जमीन का मिला-जुला इस्तेमाल शामिल है ताकि खेती के लिए सीमित खाली जमीन पर शहर फैल सके. इसके अलावा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पास नया हाइवे बनाने की योजना है ताकि विद्यार्थी और बाहर से आने वाले विद्वान आसानी से आ-जा सकें. इसमें भी जमीन के अधिग्रहण की समस्या है. लेकिन शहर को करीने से बसाना है तो इन समस्याओं से पार पाना होगा.
(गंगा में मिलता गंदे पानी का खिड़किया नाला)
लापता नदी
वाराणसी को तीन पाइप लाइन मिलनी थीं- एक पीने के पानी की, एक वर्षा के पानी की निकासी की और एक सीवेज की. हरेक पर करीब 400 करोड़ रु. की लागत आनी थी. शहर खोदा गया, सीवेज के पाइप डाले गए, लेकिन सीवेज साफ करने के संयंत्र के लिए जरूरी जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका. वाराणसी में पैदा होने वाले 40 करोड़ लीटर दैनिक (एमएलडी) सीवेज में से सिर्फ 100 एमएलडी साफ हो पाता है. बाकी सीधा गंगा में जाता है.
गंगा प्रदूषण, टूटते किनारों और मैदानों में पहुंचने से पहले ही बहुत सारा पानी निकाल लिए जाने जैसी समस्याओं से जूझ रही है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में गंगा अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष रह चुके यू.के. चौधरी एक दशक से भी पहले से संसद को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि वाराणसी में अब गंगा का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है. पवित्र गंगा जल का मूल गुण शहर में आने से पहले ही समाप्त हो जाता है. यहां तक पहुंचते-पहुंचते गंगा सिर्फ नाली भर रह जाती है क्योंकि उसका 90 फीसदी से अधिक पानी नरोरा और भीमगोडा बैराज में निकाल लिया जाता है.
पिछले 25 वर्ष में नदी को बचाने के लिए तरह-तरह की योजनाओं पर खर्च 20,000 करोड़ रु. से अधिक की रकम से कोई फायदा नहीं हुआ है. चौधरी का सवाल है, ‘‘किसी भी इलाज के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि कहां कितनी दवाई लगानी है. अगर घुटने में घाव हो तो कोहनी पर पट्टी बांधने से क्या हासिल होगा?’’
मोदी ने उमा भारती के नेतृत्व में गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय बनाकर गंगा को प्राथमिकता दी है जिससे जीर्णोद्धार विज्ञानियों में फिर आशा जगी है. चौधरी का कहना है, ‘‘जब मोदी ने कहा कि उन्हें गंगा ने बुलाया है तो मेरे कानों को बहुत अच्छा लगा. मैंने दशकों तक इंतजार किया है कि कोई नेता इस नदी को बचाने की शपथ ले. देखें, वे क्या करते हैं.’’
प्रधानमंत्री जी कुछ करें
उम्मीद का यह भाव समाज के हर वर्ग में है. वाराणसी के मध्यवर्ती इलाके में गैलेक्सी अस्पताल चलाने वाले न्यूरोसर्जन वी.डी. तिवारी चाहते हैं कि प्रधानमंत्री एक ज्ञान गंगा अनुसंधान संस्थान खोलें, जिसमें जेनेटिक इंजीनियरिंग से लेकर सांस्कृतिक पुनर्जीवन तक विभिन्न विषयों पर शोध हो और वाराणसी की ज्ञान की विरासत फिर जीवित हो जाए. पंडित छन्नूलाल मिश्र के जाने-माने शिष्य कमला शंकर हवाई गिटार पर शास्त्रीय धुनें बजाते हैं. वे चाहते हैं कि ऐसा सांस्कृतिक केंद्र बनाया जाए, जिसमें कलाकार और संगीतकार जमा हो सकें और अगली पीढ़ी को अपनी विरासत सौंप सकें. मदनपुरा निवासी अब्दुल मलिक अंसारी जैसे बुनकर, चीनी माल से टक्कर लेने और पाकिस्तान से व्यापार बढ़ाने के लिए सस्ती दर पर कच्चा माल चाहते हैं. पाकिस्तान में भारत के महीन बुने हुए कपड़े की बहुत मांग है.
इतनी मांगों के बोझ में दबे मोदी के सामने काम मुश्किल है. उन्हें न सिर्फ वाराणसी को आधुनिक शहर बनाना है बल्कि उसकी विरासत को कायम रखते हुए फिर से उसे विश्व की एक सांस्कृतिक और विद्वत राजधानी के रूप में स्थापित करना है. वाराणसी के निवासियों को आशा है कि उनका सांसद, प्रधानमंत्री के रूप में अपने दायित्वों में संतुलन रखते हुए उनका जीवन बदल देगा. वैसे भी काशी को शिव के त्रिशूल की नोक पर बसा माना जाता है और यहां तड़ित शक्ति भी सबसे अधिक मानी जाती है. धार्मिक मान्यता में जिस शहर के पास सबसे अधिक बिजली (तड़ित) हो, वहां बिजली की फुर्ती से काम होने की उम्मीद पालने में कोई खास बुराई नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 मई को अपने भाषण में वाराणसी से कहा था, ‘‘हमें बड़े काम करने के लिए छोटे कामों से शुरुआत करनी होगी. आपको पहली शपथ लेनी होगी कि आप इस शहर को गंदा नहीं होने देंगे. मेरे साथ काम करें, मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूंगा.’’ मनमौजी बनारसी अपनी-अपनी आंकाक्षांओं की फेहरिस्त के साथ इंतजार कर रहे हैं और बाकी भारत की निगाहें उन पर लगी हैं.
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2जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा और द्रमुक प्रमुख करुणानिधि की बेटी कनिमोई समेत 19 व्यक्तियों तथा कंपनियों पर आरोप तय कर दिए गए हैं। इन पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा चलेगा।
अदालत ने मामले में, द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल के खिलाफ भी आरोप तय किए। इस मामले में तीन से सात साल की सजा हो सकती है।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने 19 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120..बी (आपराधिक षड्यंत्र) और धनशोधन निरोधक कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप तय किए। आरोपियों में 10 व्यक्ति और नौ कंपनियां शामिल हैं। इन सभी को प्रवर्तन निदेशालय ने मामले के सिलसिले में आरोपित किया था।
न्यायाधीश ने कहा, प्रत्येक आरोपी के खिलाफ डीबी ग्रुप कंपनी से कलैगनर टीवी प्रा लि को 200 करोड़ रुपये का धन शोधन करने के लिए प्रथम दृष्टया सभी आरोप लगाए गए हैं। अदालत ने जैसे ही अपनी व्यवस्था दी, न्यायाधीश ने सभी आरोपियों से जानना चाहा कि क्या वह अपराध को लेकर अपना दोष स्वीकार करते हैं या सुनवाई चाहते हैं। इस पर, सभी आरोपियों ने कहा कि वे अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए सुनवाई चाहते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि आरोपी 200 करोड़ रुपये के लेनदेन में शामिल थे जो ‘असली’ और ‘वास्तविक’ नहीं था और यह राशि राजा द्वारा डीबी ग्रुप कंपनीज को दूरसंचार का लाइसेंस देने के लिए रिश्वत थी। एजेंसी ने दावा किया कि डीबी ग्रुप कंपनीज से द्रमुक द्वारा संचालित कलैगनार टीवी को कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्रा लि तथा सिनेयुग फिल्म्स प्रा लि के माध्यम से 200 करोड़ रुपये का हस्तांतरण करने के संबंध में किए गए लेनदेन की शृंखला ‘वास्तविक कारोबारी लेनदेन’ नहीं थी।
राजा, कनिमोई और दयालु अम्माल के अलावा मामले के अन्य आरोपी शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्रा लि के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल, शरद कुमार, बॉलीवुड के निर्माता करीम मोरानी तथा पी अमृतम हैं।
आरोपों के जवाब में राजा और कनिमोई ने तर्क दिया कि प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत के साथ दाखिल दस्तावेजों से कहीं भी यह जाहिर नहीं होता कि वह लोग डीबी ग्रुप से कलैगनार टीवी को किए गए 200 करोड़ रुपये के लेनदेन से जुड़े थे।
इसी तरह, स्वान टेलीकॉम प्रा. लि. के प्रमोटरों शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका सहित अन्य सह आरोपियों ने तर्क दिया कि कथित अपराध और उसकी कार्रवाई से उनके जुड़े होने के बारे में कोई सबूत नहीं है।
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ओरिएंट एक्सप्रेस 1883 में बेल्जियम की कंपनी कॉम्पैनी इंटरनेशनेल डेस वैगन्स-लिट्स (CIWL) द्वारा बनाई गई एक लंबी दूरी की यात्री ट्रेन सेवा थी जो 2009 तक संचालित थी। ट्रेन ने महाद्वीपीय यूरोप से पश्चिमी एशिया तक की लंबाई की यात्रा की, उत्तर-पश्चिम में पेरिस और लंदन में टर्मिनल स्टेशनों और दक्षिण-पूर्व में एथेंस या इस्तांबुल के साथ।
ओरिएंट एक्सप्रेस का मार्ग और रोलिंग स्टॉक कई बार बदला गया। अतीत में कई मार्गों ने समवर्ती रूप से ओरिएंट एक्सप्रेस नाम, या मामूली बदलाव का इस्तेमाल किया था। हालांकि मूल ओरिएंट एक्सप्रेस केवल एक सामान्य अंतरराष्ट्रीय रेलवे सेवा थी, यह नाम साज़िश और लक्जरी रेल यात्रा का पर्याय बन गया। ओरिएंट एक्सप्रेस के साथ सबसे प्रमुख रूप से परोसे जाने वाले और जुड़े दो शहर के नाम पेरिस और इस्तांबुल हैं, समय सारिणी सेवा के मूल समापन बिंदु। ओरिएंट एक्सप्रेस उस समय विलासिता और आराम का प्रदर्शन था जब यात्रा करना अभी भी कठिन और खतरनाक था।
1977 में, ओरिएंट एक्सप्रेस ने इस्तांबुल की सेवा बंद कर दी। इसके तत्काल उत्तराधिकारी, पेरिस से बुखारेस्ट के लिए रात भर की सेवा के माध्यम से, बाद में 1991 में बुडापेस्ट में वापस कर दिया गया था, और 2001 में फिर से वियना में छोटा कर दिया गया था, शुक्रवार 8 जून 2007 को पेरिस से आखिरी बार प्रस्थान करने से पहले। इसके बाद, मार्ग, जिसे अभी भी "ओरिएंट एक्सप्रेस" कहा जाता है, को स्ट्रासबर्ग से शुरू करने के लिए छोटा कर दिया गया था, एलजीवी स्था के उद्घाटन के कारण हुआ, जिसने पेरिस से स्ट्रासबर्ग तक यात्रा के समय को बहुत कम कर दिया। पेरिस से एक TGV के आने के तुरंत बाद, नई कटी हुई सेवा ने 22:20 दैनिक स्ट्रासबर्ग को छोड़ दिया, और एम्स्टर्डम से वियना के लिए रात भर स्लीपर सेवा के लिए कार्लज़ूए में संलग्न किया गया था।
14 दिसंबर 2009 को ओरिएंट एक्सप्रेस का संचालन बंद हो गया और मार्ग यूरोपीय रेलवे समय सारिणी से गायब हो गया, कथित तौर पर "हाई-स्पीड ट्रेनों और कट-रेट एयरलाइंस का शिकार" होने के कारण। 13 दिसंबर 2021 से, एक ओबीबी नाइटजेट पेरिस-वियना मार्ग पर प्रति सप्ताह तीन बार फिर से चलता है, हालांकि ओरिएंट एक्सप्रेस के रूप में ब्रांडेड नहीं है। वेनिस-सिम्पलोन ओरिएंट एक्सप्रेस ट्रेन, बेलमंड द्वारा एक निजी उद्यम है, जो 1920 और 1930 के दशक से मूल CIWL कैरिज का उपयोग कर रहा है, पेरिस से इस्तांबुल के मूल मार्ग सहित यूरोप के विभिन्न गंतव्यों के लिए और से चलना जारी है।
ट्रेन एक्लेयर डी लक्स ("टेस्ट" ट्रेन)
1882 में, बेल्जियम के एक बैंकर के बेटे, जॉर्जेस नागेलमैकर्स ने मेहमानों को की रेलवे यात्रा पर आमंत्रित किया। अपनी "ट्रेन एक्लेयर डी लक्स" ("लाइटनिंग लक्ज़री ट्रेन") पर। ट्रेन पेरिस गारे डे ल'एस्ट से मंगलवार, 10 अक्टूबर 1882 को 18:30 के ठीक बाद रवाना हुई और अगले दिन 23:20 पर विएना पहुंची। वापसी यात्रा शुक्रवार, 13 अक्टूबर को 16:40 बजे वियना से रवाना हुई और, योजना के अनुसार, शनिवार 14 अक्टूबर को 20:00 बजे गारे डे स्ट्रासबर्ग में फिर से प्रवेश किया।
जॉर्जेस नागेलमैकर्स कॉम्पैनी इंटरनेशनेल डेस वैगन्स-लिट्स के संस्थापक थे, जिसने पूरे यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका में अपनी लक्जरी ट्रेनों, ट्रैवल एजेंसियों और होटलों का विस्तार किया। इसकी सबसे प्रसिद्ध ट्रेन ओरिएंट एक्सप्रेस बनी हुई है।
रेलगाड़ी में इन प्रकारों के डब्बे थे:
सामान गाड़ी
16 बिस्तरों वाला स्लीपिंग कोच ( बोगियों के साथ)
14 बिस्तरों वाला स्लीपिंग कोच (3 एक्सल)
रेस्टोरेंट कोच (एनआर 107)
13 बिस्तरों वाला स्लीपिंग कोच (3 एक्सल)
13 बिस्तरों वाला स्लीपिंग कोच (3 एक्सल)
बैगेज कार (पूरा 101 टन)
बोर्ड पर पहला मेनू (10 अक्टूबर 1882): कस्तूरी, इतालवी पास्ते के साथ सूप, हरी चटनी के साथ टर्बोट, चिकन 'ए ला शेसूर', 'शैटू' आलू के साथ गोमांस का पट्टिका, खेल जानवरों का 'चौड-फ्रायड', सलाद, चॉकलेट का हलवा, मिठाइयों का बुफे।
बाहरी कड़ियाँ
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने जेईई मेंस की आंसर-की और ओएमआर शीट्स जारी कर दी है. जिन उम्मीदवारों ने ये परीक्षा दी हैं वह आधिकारिक वेबसाइट jeemain.nic.in पर जाकर आंसर की डाउनलोड कर सकते हैं. वहीं बताया जा रहा है कि परीक्षा के रिजल्ट 30 अप्रैल को जारी किए जा सकते हैं.
आपको बता दें कि सीबीएसई ने ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन मेंस (JEE Main) परीक्षा का आयोजन ऑफलाइन मोड में 8 अप्रैल और ऑनलाइन मोड में 15 अप्रैल और 16 अप्रैल को किया था. सीबीएसई की ओर से आयोजित की गई इस परीक्षा में 1043739 उम्मीदवारों ने भाग लिया था और यह परीक्षा 112 शहरों में 1621 परीक्षा केंद्रों पर करवाए गई थी. इन उम्मीदवारों में 646814 पुरुष उम्मीदवार, 266745 महिला उम्मीदवार और 3 ट्रांसजेंडर उम्मीदवार शामिल है. आपको बता दें, कई दिनों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि जेईई मेंस की आंसर की 24 अप्रैल से 27 अप्रैल के बीच जारी हो सकती है.
JEE MAIN 2018: इस बार ये हो सकती है कट-ऑफ, जल्द आएगी आंसर की
ऐसे डाउनलोड करें आंसर की
- सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट jeemain.nic.in पर जाएं.
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'JEE MAIN 2018 answer key Download'
पर क्लिक करें.
- पेपर I पर सेलेक्ट करें.
- आंसर की स्क्रीन पर दिखने लगेगा.
- डाउनलोड करें और प्रिंटआउट लेना न भूलें.
छत्तीसगढ़ बोर्ड: जानें कब जारी होंगे 10वीं-12वीं के रिजल्ट, ऐसे करें चेक
कितने उम्मीदवारों ने लिया हिस्सा?
सीबीएसई की ओर से जारी की गई जानकारी के अनुसार ऑफलाइन परीक्षा में 12.43 लाख और ऑनलाइन माध्यम से 2.16 लाख उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था.
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Gangs here and we are ready to jet pic.twitter.com/CsCqm79Kl0
निश्चित ही, रोहित ने वनडे में ऑस्ट्रेलिया में बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन यह बात उन पर टेस्ट में लागू नहीं होती. ऑस्ट्रेलिया में रोहित का 3 टेस्ट मैचों में सिर्फ 28.83 का औसत है. ऐसे में रोहित शर्मा के सामने ऑस्ट्रेलिया में दोहरी चुनौती है. पहली चुनौती टेस्ट इलेवन में जगह हासिल करना, तो दूसरी टेस्ट में अपना औसत वनडे की तरह बेहतर करना. अब देखने की बात यह होगी कि रोहित इस चुनौती पर खरे उतरते हैं या नहीं.
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लता मंगेशकर का हिंदी फिल्मी गीतों के लिए वही योगदान है जो ग़ालिब का उर्दू अदब के लिए और मकबूल फिदा हुसैन का पेंटिंग के लिए. इस क्षेत्र में काम करने वाले तमाम दिग्गजों में उनका स्थान हमेशा अव्वल रहा है, चाहे वह मोहम्मद रफी हों, किशोर कुमार, मुकेश, मन्ना डे या उनकी अपनी छोटी बहन आशा भोंसले. वे उन सबसे आगे निकल गईं, एक के बाद एक फिल्मों में हिट गाने गाती रहीं और सात दशक से भी ज्यादा वक्त से भारतीयों को यादगार पल देती रही हैं. वे मदन मोहन के कंपोजीशन की गज़ल थीं और नौशाद के तरानों का गुरूर. जब हम अपनी आंखें बंद करके हिरणी जैसी आंखों वाली शर्मिला टैगोर को 'कुछ दिल ने कहा' गाते हुए सुनते हैं तो वह आवाज में महीन कंपन लिए लता मंगेशकर होती हैं जो (अनुपमा) फिल्म में शर्मिला के संकोची और मितभाषी व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करती हैं. और फिर वही लता प्यार किया तो डरना क्या (मुगल-ए-आजम) में हिम्मती, बागी और ठाठदार आवाज सुनाती हैं.
जब उन्होंने ऐ मेरे वतन के लोगों गाया तो न केवल पंडित नेहरू की आंखें भीग गईं बल्कि पूरे देश के जख्मों पर मानो मरहम लग गया. लेकिन लता की कहानी में काफी कुछ और भी है. उन्होंने 1940 के दशक में 13 साल की उम्र में फिल्मों में कदम रखा. तब उनका मकसद अपने पिता की मौत के बाद मुश्किलें झेल रहे परिवार की मदद करना था. उन्होंने तब एक ऐसे फिल्म उद्योग में अपनी जगह बनाई जहां असहमति के स्वर ज्यादा होते थे और जहां पितृसत्ता हावी थी. उन्होंने खुद ही गाने वाले अभिनेताओं की जगह अपने जैसे प्रशिक्षित पाश्र्वगायकों को दिलाकर बदलाव का नया दौर शुरू किया. जब उनकी 'ख्याति उठाए जा उनके सितम' (अंदाज) और 'आएगा आने वाला' (महल) जैसे गानों के बाद आसमान छूने लगी तो न केवल उनकी आवाज का जादू फैलने लगा बल्कि बदलाव की बयार बहने लगी.
उन्होंने पाश्र्वगायकों के लिए रॉयल्टी और उनके लिए अलग से फिल्मफेयर अवार्ड दिए जाने को लेकर भी संघर्ष किया. जब उनकी उर्दू को लेकर सवाल उठे तो उन्होंने अपने लिए एक शिक्षक रखा. वे तब तक गानों का अभ्यास करतीं, जब तक उनका तलफ्फुज बिल्कुल दुरुस्त नहीं हो जाता. इसी अभ्यास ने उन्हें परफेक्ट बना दिया. लता मंगेशकर आज हम सभी के लिए वही हैं, एकदम परफेक्ट.
(लेखक ने म्यूजिक, मस्ती मॉडर्निटीः द सिनेमा ऑफ नासिर हुसैन नाम की किताब लिखी है)
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निर्देशक विकास बहल ने अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी के खिलाफ 10 करोड़ के मानहानि का केस दर्ज कराया है. इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी. कोर्ट ने अगली सुनवाई पर पीड़िता के मौजूद रहने की बात कही है.
बता दें साल 2015 में बनी फिल्म बॉम्बे वेलवेट के प्रमोशनल टूर के दौरान फ़िल्म के क्रू में शामिल एक महिला ने मशहूर निर्देशक विकास बहल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. इस मामले के सामने आने के बाद अनुराग कश्यप ने विकास बहल को दोषी बताया था. पूरे मामले पर पहले तो विकास ने चुप्पी रखी लेकिन बाद में अनुराग और और विक्रमादित्य को नोटिस भी भेजा. विकास का कहन था कि ये सब उनकी इमेज को खराब करने के लिए अनुराग कश्यप ने किया है.
अमेजन ने वापस लिया विकास से प्रोजेक्ट
विकास बहल अलग थलग पड़ते जा रहे हैं. अनुराग के बाद फैंटम फिल्म्स में सहयोगी रहे विक्रमादित्य मोटवानी ने भी उनका साथ छोड़ दिया है. मोटवानी ने पूरे मामले में एक स्टेटमेंट भी जारी किया है. उधर, रिपोर्ट के मुताबिक विकास को एक वेबसीरीज से बाहर निकाल दिया गया है, वे इसे डायरेक्ट करने वाले थे. यह वेब सीरीज अमेजॉन प्राइम के लिए बनाई जाने की तैयारी थी.
विकास से छिन सकती है रणवीर सिंह की फिल्म 83
रणवीर सिंह की अगली फिल्म '83' के निर्माताओं ने टीम से विकास बहल को हटाने का फैसला किया है. कबीर खान निर्देशित '83' में विशाल प्रोड्यूसर थे. उन्हें यौन दुर्व्यवहार के आरोपों के कारण हटाया गया है. उनके दुर्व्यवहार के कारण टीम सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है कि उन्हें इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं होना चाहिए.
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तलाक के सामंती नियमों और असमानता के विरोध में मुस्लिम औरतों के स्वर अब तीखे होने लगे हैं. मुस्लिम औरतों के अधिकारों को लेकर बनाए गए दो प्रमुख संगठनों परचम एवं भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने संयुक्त रूप से सहारनपुर में सम्मेलन आयोजित कर इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की. इस मौके पर देशभर में जागरूकता अभियान चलाने का अहम फैसला भी लिया गया.
महिला संगठनों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं सरकार से मुस्लिम निजी कानून संहिताबद्ध किए जाने एवं मुस्लिम औरतों को कुरान में बताए गए अधिकार दिए जाने की मांग की. सम्मेलन में ईमेल, खत, मोबाइल और एसएमएस आदि के जरिए तलाक दिए जाने पर पूरी तरह से रोक लगाए जाने की जरूरत पर जोर दिया गया.
'भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन' पिछले पांच वर्षों से देश के 15 राज्यों में सक्रिय है. देशभर में करीब 25,000 मुस्लिम औरतें इस संगठन से जुड़ी हैं. इसकी अध्यक्ष नाइश हसन ने इंडिया टुडे से कहा कि किसी भी धर्म के निजी कानून औरतों को सुरक्षा नहीं देते. मुस्लिम निजी कानून संहिताबद्ध कानून नहीं है. वह औरतों को सुरक्षा नहीं देता. उनके मुताबिक 1939 मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम में मुस्लिम औरतों को तलाक का अधिकार तो दिया पर मर्दों के एक तरफा तीन तलाक के हक पर अंकुश नहीं लगाया. सहारनपुुर में 28 अक्तूबर को परचम सामाजिक संस्थान के साथ मिलकर भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने 'मुस्लिम पारिवारिक कानून में सुधार की संभावना' विषयक परिचर्चा आयोजित की.
नाइश हसन ने इस मौके पर कहा कि कु रान से औरतों को मिले अधिकार निजी कानून में नजर नहीं आते. इसलिए वे समुदाय के भीतर शोषण का शिकार हो रही हैं. उन्होंने कहा कि अल्जीरिया, मिस्त्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लीबिया, मलेशिया, मोरक्को, फिलीपींस, सीरिया, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन में मुस्लिम पर्सनल लॉ को संहिताबद्ध किया जा चुका है. नाइश हसन का कहना था कि शरीयत में क्या प्रावधान दिए गए हैं, इससे जुड़ी व्याख्याएं कई जानी-मानी कानूनी हस्तियों जैसे जस्टिस अमीर अली, तैयब मुल्ला, विलसन, फि टजिराल्ड एवं बैली द्वारा की गई हैं, लेकिन कोई संवैधानिक कानून नहीं है.
कानून की व्याख्याएं तब तक कानून नहीं बनतीं, जब तक उसे संसद द्वारा अनुसमर्थित नहीं कर दिया जाता. संसद में 1937, 1939 और 1986 के कानून को अनुमोदित किया गया है. नाइश हसन के मुताबिक भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने यह पहल की है कि कुरान के विचारों की तर्ज पर शादी और तलाक से संबंधित कानूनों को संहिताबद्ध (कोडिफाइड) किया जाए. जो कुरान के न्याय, समानता, बुद्धि और सबसे महत्वपूर्ण रहम आदि मूल्यों के मार्ग पर हो.
डॉ. कुदसिया अंजुम का कहना था कि छोटी-छोटी बातों पर एक ही झ्टके में औरतों को तलाक दिए जाने से उनकी हालत नरक जैसी बन गई है. प्रमुख उर्दू पत्रकार एवं लेखक डॉ. शाहिद जुबैरी का कहना था कि मुस्लिम औरतों को तलाक कुरान की भावनाओं के अनुरूप ही दिया जाना चाहिए. अल्लाह की नजर में तलाक देना गुनाह है, जिससे बचने की पूरी कोशिश की जानी चाहिए. इस्लामिक राज्य में इसके लिए सजा का भी प्रावधान है.
इंस्टीट्यूट ऑफ मुस्लिम लॉ के डायरेक्टर एवं मशहूर वकील अनवर अली एडवोकव्ट का कहना था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ अंग्रेजी हुकूमत में 1936-37 के दौरान दारुल उलूम देवबंद के संरक्षक रहे मौलाना अरशफ अली थानवी, पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना एवं सहारनपुर के मौ. अहमद काजमी एडवोकव्ट के प्रयासों के चलते तैयार किया गया था. आज उसी की रोशनी में मुसलमानों के शादी, विवाह, मेहर एवं खर्चा आदि के मुकदमों का निबटारा किया जाता है.
अनवर अली एडवोकव्ट की मांग थी कि इस कानून की कमियों-खामियों को दूर किया जाए. महिला अधिवक्ता शहजाद ने कहा कि तलाक और भरण-पोषण के मामले सुलझ्ने की बजाए अदालतों में उलझ जाते हैं.
इस दौरान एक तलाकशुदा महिला अदीबा ने तलाक पूर्व और तलाक के बाद के अपने कड़वे अनुभव बताए. तीन तलाक के मुद्दे पर देवबंदी मसलक की विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम और जाने-माने अरबी के प्रोफव्सर मौलाना अब्दुल खालिक संभली ने इंडिया टुडे से कहा कि इस्लाम में तीन तलाक को गुनाह माना गया है और दारुल उलूम एवं जमीयत उलमाए हिंद लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है.
दारुल उलूम का फतवा विभाग व उसके विद्वान मुफ्ती तलाक और निकाह संबंधी देश-दुनिया के लोगों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों का कुरान और शरीयत की रोशनी में जवाब देने का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि तीन तलाक पर कोई रोक नहीं लगा सकता, लेकिन इससे बचे जाने की अपील की जा सकती है.
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राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी द्वारा एक आदेश के जरिये सभी शक्तियां अपने हाथ में लेने के फैसले पर चिंता जताते हुए व्हाइट हाउस ने मंगलवार को कहा कि मिस्र की सरकार को जनता की इच्छा स्वीकार करनी चाहिए.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्ने ने कहा, 'हमें 22 नवंबर के फैसलों और घोषणाओं को लेकर कुछ चिंताएं हैं और इनमें मिस्र के कई नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अन्य सदस्यों की चिंताएं निहित हैं क्योंकि हमने अपने दिमाग में मौलिक सिद्धांतों की स्थापना का भाव रखते हुए मिस्र में बदलाव लाने की कोशिश की और हम लोकतंत्र का समर्थन करते हैं.'
कार्ने ने कहा, 'हमारा मानना है कि मिस्र की सरकार को जनता की इच्छा को स्वीकार करना चाहिए तथा हमें लगता है कि मिस्र की जनता को यह फैसला करना चाहिए कि सरकार किस तरह की हो.' हालांकि व्हाइट हाउस ने इस्राइल और हमास के बीच हालिया गाजा संघर्ष विराम में मिस्र के राष्ट्रपति की भूमिका की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा, 'हमने 22 नवंबर को लिये गये फैसलों और घोषणाओं के बारे में चिंता जताई हैं और हम ऐसा करना जारी रखेंगे.' प्रेस सचिव कार्ने ने कहा कि मिस्र में लोकतंत्र कायम करने और देश के विकास में वह मंशा साफ दिखनी चाहिए जिसे लेकर मिस्र की जनता ने यह क्रांति की. हम इस लक्ष्य के लिए काम करते रहेंगे क्योंकि इसमें मिस्र की जनता की इच्छा दिखती है.
कार्ने ने कहा कि मिस्र के आंदोलन की एक आकांक्षा यह सुनिश्चित करना थी कि सत्ता पूरी तरह से किसी एक व्यक्ति या संस्था के हाथ में नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा यह दृष्टिकोण है कि वर्तमान संवैधानिक संकट ऐसे संविधान को स्वीकार करके ही सुलझ सकता है जो मौलिक अधिकारों, निजी अधिकारों और कानून के शासन को स्वीकार करे तथा मिस्र की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं से सामंजस्य बिठाए.
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गुजरात विधानसभा चुनाव में कारंज विधानसभा सीट से बीजेपी के प्रवीणभाई मांजीभाई गोगहरी ने बड़ी जीत दर्ज की है. उन्होंने कांग्रेस के भवेशभाई गोविंदभाई भुमभालिया को हराया है. प्रवीण भाई को 38 हजार से अधिक वोट मिले हैं. कांग्रेस के उम्मीदवार को करीब 13 हजार से अधिक सीटें हैं. यहां पहले चरण में मतदान करवाया गया था. शुरुआती रुझानों में बीजेपी आगे चल रही है.
साल 2012 में इस सीट से बीजेपी के जनकभाई मांजीभाई कछाड़िया ने जीत दर्ज की थी. इस बार बीजेपी ने पिछले बार के विजयी उम्मीदवार के अलावा नए उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. 2012 में जनकभाई ने कांग्रेस के जायसुखभाई देवचंदभाई को बड़े अंतर से हराया था. इस दौरान बीजेपीको 65696 और कांग्रेस को महज 16257 सीट हासिल हुई थी.
बता दें कि यह साल 2008 के बाद हुए परिसीमन के दौरान अस्तित्व में आई थी. यहां एक ही बार चुनाव हुआ है और इसमें बीजेपी ने खाता खोला है.
2012 में किसको कितनी सीटें
2012 में बीजेपी को 115 सीटें मिली थीं, बीजेपी को 47.9 फीसदी वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस को 2012 में 61 सीटों पर जीत दर्ज की थी, कांग्रेस को 38.9 फीसदी मत मिले थे. अगर 2014 लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को 60.1 फीसदी वोट मिले अगर विधानसभा के हिसाब से देखें तो 162 सीटें और वहीं कांग्रेस को 33.5 फीसदी वोट, सीटों के हिसाब से 17 सीटें मिली थीं.
आपको बता दें कि गुजरात में दो चरणों में चुनाव हुए थे. पहले चरण के लिए 9 दिसंबर, दूसरे चरण के लिए 14 दिसंबर को वोट डाले गए थे. गुजरात में दो चरणों में हुए चुनाव में औसतन 68.41 फीसदी मतदान हुआ था. गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 89 सीटों पर वोट डाले गए जबकि दूसरे चरण में 93 सीटों पर वोटिंग हुई.
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यह एक लेख है: ग्रीस को सरकारी कर्ज संकट से उबारने के लिए यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच एक सहमति बन गई है। इसके तहत बैंक ग्रीस की सरकार को दिए कर्ज की आधी राशि को अब अपने नुकसान के रूप में स्वीकार करेंगे। इस तरह ग्रीस की सरकार पर कर्ज का बोझ घटेगा। ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की आपात बैठक के बाद संघ के अध्यक्ष हरमैन वान रोम्पय ने गुरुवार को कहा कि ग्रीस सरकारी कर्ज को लेकर बैंकों के साथ एक समझौते पर पहुंचा गया है। इसके तहत ग्रीस के 50 फीसदी कर्ज को बैंक अपने नुकसान या खर्च में शामिल करेंगे। इस समझौते से वर्ष 2020 तक ग्रीस का कर्ज घटकर उसके जीडीपी के 120 फीसदी तक पहुंच जाएगा। वर्तमान में कर्ज जीडीपी का 180 फीसदी है। दरअसल, जुलाई में यूरो जोन के नेता ग्रीस को एक राहत पैकेज देने पर सहमत हुए थे। योजना में 109 अरब यूरो के सरकारी धन और निजी प्रतिभूतिधारकों से एक अच्छा-खासा सहयोग लेने के अलावा 110 अरब यूरो के राहत पैकेज की बात कही गई थी। बैंक पहले मान रहे थे कि वे ग्रीस के 21 फीसदी कर्ज को अपने खर्च में शामिल कर लेंगे लेकिन अगस्त में संकट के और गहराने के कारण खातों को समायोजित करना बेहद जरूरी हो गया। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि बैंकों को 40 से 60 फीसदी खर्च को अपने खातों में समायोजित करना चाहिए जबकि अन्य का कहना है कि इससे ग्रीस संकट का कोई समाधान नहीं निकलेगा। ग्रीस पर वर्तमान में 360 अरब यूरो का कर्ज है लेकिन अल्प अवधि के कर्जो के कारण यह और बढ़ता जा रहा है।
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यह लेख है: हिमाचल प्रदेश में दक्षिण पश्चिमी माॅनसून समय से पूर्व ही पहुंच गया है। मौसम विभाग ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कई इलाकों में मध्यम बारिश हुई है। मौसम विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह ने बताया, 'राज्य में दक्षिण पश्चिमी माॅनसून लगभग एक सप्ताह पहले ही पहुंच गया है।' सिंह ने कहा, माॅनसून आमतौर पर 27 जून तक राज्य में पहुंचता है।
राज्य के सिरमौर जिले के नाहन शहर में सुबह 8.30 बजे तक 49 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जबकि कांगड़ा जिले में स्थित गग्गल और धर्मशाला में क्रमश: 43 मिलीमीटर और 21 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। राज्य की राजधानी शिमला में 16.6 मिलीमीटर, जबकि डलहौजी में केवल दो मिलीमीटर बारिश हुई।
हिमाचल प्रदेश के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है और पिछले दो दक्षिण पश्चिमी माॅनसून में राज्य में कम बारिश हुई थी। राज्य में पिछले साल 27 प्रतिशत कम बारिश हुई। 2014 में राज्य में 38 प्रतिशत कम बारिश हुई थी, जिसके चलते वह दशक का सबसे सूखा माॅनसून रहा था।टिप्पणियां
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर ने कहा है कि इस मौसम में राज्य में अच्छी बारिश होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग के हवाले से उन्होंने कहा कि माॅनसून के लिए तैयारियां समय से हो रही हैं और संबंधित प्रशासनों को इसके लिए अलर्ट कर दिया गया है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
राज्य के सिरमौर जिले के नाहन शहर में सुबह 8.30 बजे तक 49 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जबकि कांगड़ा जिले में स्थित गग्गल और धर्मशाला में क्रमश: 43 मिलीमीटर और 21 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। राज्य की राजधानी शिमला में 16.6 मिलीमीटर, जबकि डलहौजी में केवल दो मिलीमीटर बारिश हुई।
हिमाचल प्रदेश के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है और पिछले दो दक्षिण पश्चिमी माॅनसून में राज्य में कम बारिश हुई थी। राज्य में पिछले साल 27 प्रतिशत कम बारिश हुई। 2014 में राज्य में 38 प्रतिशत कम बारिश हुई थी, जिसके चलते वह दशक का सबसे सूखा माॅनसून रहा था।टिप्पणियां
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर ने कहा है कि इस मौसम में राज्य में अच्छी बारिश होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग के हवाले से उन्होंने कहा कि माॅनसून के लिए तैयारियां समय से हो रही हैं और संबंधित प्रशासनों को इसके लिए अलर्ट कर दिया गया है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
हिमाचल प्रदेश के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है और पिछले दो दक्षिण पश्चिमी माॅनसून में राज्य में कम बारिश हुई थी। राज्य में पिछले साल 27 प्रतिशत कम बारिश हुई। 2014 में राज्य में 38 प्रतिशत कम बारिश हुई थी, जिसके चलते वह दशक का सबसे सूखा माॅनसून रहा था।टिप्पणियां
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर ने कहा है कि इस मौसम में राज्य में अच्छी बारिश होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग के हवाले से उन्होंने कहा कि माॅनसून के लिए तैयारियां समय से हो रही हैं और संबंधित प्रशासनों को इसके लिए अलर्ट कर दिया गया है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर ने कहा है कि इस मौसम में राज्य में अच्छी बारिश होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग के हवाले से उन्होंने कहा कि माॅनसून के लिए तैयारियां समय से हो रही हैं और संबंधित प्रशासनों को इसके लिए अलर्ट कर दिया गया है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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हमारे देश में किसानों की हालत बहुत दयनीय मानी गई है और शायद इसीलिए किसानों पर इनकम टैक्स नहीं लगता यानी हमारे देश में खेती से होने वाली आमदनी को टैक्स से मुक्त रखा गया है। लेकिन जरा देखिए देश की राजधानी में किसानों के साथ क्या हो रहा है।
देश की सबसे बड़ी मंडी आजादपुर में किसानों से उनकी उपज बिकवाने के बदले में आढ़ती उनसे कमीशन वसूलते हैं, जिसको आढ़त कहते हैं। आढ़त यानी आढ़ती का वह कमीशन, जो उसको किसान और खरीदार का सौदा करवाने के एवज में मिलता है।
वैसे तो पूरे देश में किसान से कहीं भी कमीशन नहीं लिया जाता, लेकिन कुछ समय पहले तक दिल्ली की आजादपुर मंडी और बाकी मंडियों में किसानों से छह फीसदी तक का कमीशन वैध था। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह तय हुआ कि दिल्ली में भी अब किसानों से कोई कमीशन नहीं लिया जाएगा। कमीशन केवल खरीदारों से लिया जा सकता है, वह भी छह फीसदी तक।
दिल्ली के बख्तावरपुर गांव के किसान राजपाल ने बताया कि वह मंडी में आढ़ती को छह फीसदी आढ़त देने को मजबूर हैं। राजपाल ने कहा कि उनको पता है कि कानूनन आढ़त खरीदार से ही ली जा सकती है, फिर भी वह आढ़ती को कमीशन देने को मजबूर हैं। अगर वह आढ़ती का विरोध करेंगे, तो आढ़ती कह देगा कि आप अपना माल मेरे यहां से उठाओ और कहीं और बेच लो। सारे आढ़ती ही कमीशन वसूलते हैं। यदि बेचने में ज्यादा देर हुई, तो सब्जियों के खराब होने का भी डर रहता है।
किसानों के हितों की रक्षा के लिए मंडी समिति यानी एपीएमसी है। एपीएमसी सदस्य बिजेंद्र त्यागी कहते हैं कि उन्होंने खुद इस बारे में समिति में शिकायत की है, लेकिन अफसर कार्रवाई करने को तैयार ही नहीं हैं। त्यागी बताते हैं कि मंडी में क्या हो रहा है, यह सबको पता है, लेकिन फिर भी सब कुछ जारी है। एपीएमसी के सदस्य राजेंद्र शर्मा के मुताबिक किसानों से अवैध आढ़त वसूली सब्जियों में छह फीसदी तक है, जबकि फलों में यह 12 फीसदी तक है। किसानों से तो अवैध वसूली हो ही रही है, साथ ही खरीदार से भी चुंगी के नाम पर बिना किसी लिखा-पढ़ी के वसूली की जा रही है, जिसको चुंगी कहते हैं।
राजेंद्र शर्मा के मुताबिक कुल मिलाकर सालाना करीब 1,000 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार अकेले आजादपुर मंडी में हो रहा है। एपीएमसी दिखावे के लिए कोई कार्रवाई कभी-कभार कर देती है, लेकिन सरकार की कोई मंशा इस भ्रष्टाचार को रोकने की नजर नहीं आती। उल्लेखनीय है कि इस साल फरवरी में जब आढ़तियों पर किसान की बजाय खरीदार से कमीशन वसूलने का दबाव बना, तो आढ़तियों ने मंडी में हड़ताल कर दी थी।
सरकार ने आलू, प्याज पर स्टॉक लिमिट लगाने का ऐलान किया था, जिसका महीने भर बाद भी अता पता नहीं। सरकार ने हाल ही में एपीएमसी कानून में बदलाव कर फल−सब्जी को डी−लिस्ट करने के बात कही थी, लेकिन आढ़तियों के दबाव में मंडियां पुराने ढर्रे पर चल रही हैं।
कहा जा रहा है कि पुरानी मंडियों में काम जैसा चल रहा है, वैसा चलता रहेगा और नई मंडियां बनाई जाएंगी, जिससे किसान अपना माल बिना आढ़ती की भूमिका के मंडी में बेच पाए और महंगाई कम हो पाए। जाने कब मंडी बनेगी, कहां बनेगी, कौन बनाएगा, कौन चलाएगा... यह विडंबना ही है कि हम किसान को अन्नदाता कहते हैं। जय जवान, जय किसान का नारा लगाते हैं, चुनावों में किसानों से खूब लुभावने वादे करते हैं, लेकिन हालत यह है कि किसान अपनी उपज बेचने के लिए भी कमीशन दे रहा है।
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राजधानी दिल्ली का सराय काले खां इलाका सुबह गोलियों की आवाज से उस समय थर्रा उठा जब पुलिस और बदमाश के बीच करीब आधा दर्जन राउंड फायरिंग हुई, जिसमें सद्दाम नाम का एक बदमाश घायल हो गया. सद्दाम पर लूट, फिरौती और हत्या की कोशिश जैसे आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं.
बताया जा रहा है कि सद्दाम नीरज बवानिया गैंग और नवीन भांजा के लिए काम करता था. पुलिस को जानकारी मिली थी कि सद्दाम सराय काले खां इलाके से गुजरने वाला है, जिसके बाद पुलिस ने सराय काले खां बस स्टैंड के सामने पिकेट लगाया.
जैसे ही सद्दाम मोटरसाइकिल पर सवार होकर पहुंचा तो पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन बदमाश ने पहले तो पिकेट में टक्कर मारी और फिर पुलिस पर फायरिंग कर भागने की कोशिश की. जिसके जबाव में पुलिस ने भी फायरिंग की और पुलिस की एक गोली सद्दाम के पैर में जा लगी.
इस दौरान करीब 5 राउंड फायरिंग की गई, जिसके बाद पुलिस ने सद्दाम को धर दबोचा. पुलिस ने बदमाश के पास से एक पिस्टल सहित कई राउंड जिंदा कारतूस भी बरामद किए हैं.
मुठभेड़
में 2 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. लेकिन गनीमत ये रही कि बुलेटफ्रूफ जैकेट के कारण पुलिसकर्मियों को गोली नहीं लगी.
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दिक् ( स्पेस) जगह के उस विस्तार या फैलाव को कहते हैं जिसमें वस्तुओं का अस्तित्व होता है और घटनाएँ घटती हैं। मनुष्यों के नज़रिए से दिक् के तीन पहलू होते हैं, जिन्हें आयाम या डिमेन्शन भी कहते हैं - ऊपर-नीचे, आगे-पीछे और दाएँ-बाएँ।
अन्य भाषाओं में
"दिक्" को अंग्रेज़ी में "स्पेस" (space), फ़ारसी में "फिज़ा" (), सिन्धी में "पोलार" (), यूनानी में "ख़ोरौस" (χώρος) और जर्मन में "राउम" (raum) कहते हैं। "आयाम" को अंग्रेज़ी में "डिमॅनशन" (dimension) और त्रिआयामी को "थ़्री-डिमॅनशनल" (three dimensional) कहते हैं। "आपेक्षिक" को अंग्रेज़ी में "रॅलेटिव" (relative) कहते हैं।
दिक् और आयाम (पहलू)
ऐसे तीन पहलूओं वाली (या "त्रिआयामी") दिक् में मौजूद किन्ही दो वस्तुओं की एक-दुसरे से आपेक्षिक स्थिति (या रॅलेटिव स्थिति) इन तीन पहलूओं पर बताई जा सकती है। हम कह सकते हैं के पहली वस्तु दूसरी वस्तु से १० मीटर ऊपर, ४ मीटर आगे और ६ मीटर दाएँ पर स्थित है। इसी तरह से द्विआयामी (दो पहलूओं वाले) दिक् में सिर्फ़ दो आयामों से दो वस्तुओं की एक-दुसरे से आपेक्षिक स्थिति का पता लगता है। भौगोलिक नक़्शों में इन आयामों (पहलूओं) को उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम का नाम दिया जाता है। किसी नक़्शे में दो वस्तुओं (या जगहों) को देखकर कहा जा सकता है के नक़्शे के द्विआयामी दिक् में पहला शहर दुसरे शहर से १०० किमी उत्तर और २०० किमी पूर्व में स्थित है। ठीक इसी तरह एकायामी दिक् भी एक लक़ीर या रेखा की सूरत में देखी जा सकती है। किसी भी रेखा पर स्थित दो बिन्दुओं की आपेक्षिक स्थिति बताने के लिए सिर्फ़ एक ही पहलू बताना काफ़ी है। उदाहरण से हम कह सकते हैं के किसी लक़ीर पर स्थित एक लाल बिंदु किसी दुसरे नीले बिंदु से १० सेंटीमीटर बाएँ पर मौजूद है।
यूक्लिडी और अयूक्लिडी दिक्
जिस दिक् में कोई मरोड़, गोलाई या टेढ़ापन न हो उसे यूक्लिडी दिक् कहते हैं। यह नाम प्राचीन यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड के नाम से बना है। यूक्लिडी दिक् में अगर दो समानांतर रेखाएँ (अंग्रेज़ी में पैरलल रेखाएँ) आरम्भ कर के उन्हें आगे बढ़ाया जाए तो उनका आपस का फ़ासला हमेशा एक ही रहेगा और वह एक-दुसरे से कभी नहीं मिलेंगी। लेकिन अगर वे अयूक्लिडी दिक् में खींची जा रहीं हैं जो स्वयं ही मुड़ा हुआ है तो उनमें आपस का फ़ासला बदल सकता है और वे मिल भी सकतीं हैं। पृथ्वी की सतह एक दो-आयाम वाला अयूक्लिडी दिक् है। इसपर अगर इक्वेटर पर उत्तर की ओर दो समानांतर रेखाएँ बनाई जाएँ तो वे दोनों एक दुसरे के नज़दीक आती जाएँगी और उत्तरी ध्रुव पर जा कर मिल जाएँगी।
दिक् में आपेक्षिक गतियाँ
ठीक इसी तरह हम किसी दिक् में स्थित दो वस्तुओं की एक-दुसरे से आपेक्षिक गति के बारे में भी बता सकते हैं। अगर हम ज़मीन से दो आतिशबाज़ियाँ (एक लाल और एक हरी) आसमान की ओर उड़ाएँ तो अलग अलग वस्तुओं की तुलना कर के ऐसी चीज़ें कह सकते हैं -
हम ज़मीन पर बिना हिले खड़े हैं। हमारी अपेक्षा में लाल आतिशबाज़ी ७० किमी प्रति घंटा (कि॰प्र॰घ॰) की रफ़्तार से ऊपर जा रही है।
हरी आतिशबाज़ी थोड़ी तेज़ है और हमारी अपेक्षा में हरी आतिशबाज़ी १०० कि॰प्र॰घ॰ की गति से ऊपर जा रही है।
अगर कोई काल्पनिक व्यक्ति हरी आतिशबाज़ी पर बैठा हो और अपने आपको स्थिर माने तो कहेगा के उसकी अपेक्षा में हम १०० कि॰प्र॰घ॰ की रफ़्तार से नीचे जा रहे हैं।
हरी आतिशबाज़ी वाला व्यक्ति यह भी देखेगा के लाल आतिशबाज़ी उस से ३० कि॰प्र॰घ॰ की रफ़्तार पर नीचे की ओर जा रही है।
ऐसा भी हो सकता है के हरी आतिशबाज़ी तो आसमान में सीधी चढ़ती रहे लेकिन लाल आतिशबाज़ी तिरछी होकर उत्तर की तरफ ३० कि॰प्र॰घ॰ और ऊपर की तरफ २० कि॰प्र॰घ॰ से चलना शुरू कर दे। अब हम और हरी आतिशबाज़ी वाला व्यक्ति यह कहेंगे -
हम कहेंगे के लाल आतिशबाज़ी उत्तर की तरफ़ ३० कि॰प्र॰घ॰ और ऊपर की तरफ़ २० कि॰प्र॰घ॰ से जा रही है।
हरी आतिशबाज़ी अभी भी १०० कि॰प्र॰घ॰ से ऊपर चढ़ रही है, तो उसपर बैठा व्यक्ति बोलेगा के लाल आतिशबाज़ी ८० कि॰प्र॰घ॰ से नीचे की तरफ़ और ३० कि॰प्र॰घ॰ उत्तर की तरफ़ जा रही है।
अगर लाल आतिशबाज़ी पूर्वोत्तर को चल देती तो देखा जा सकता है के इस त्रिआयामी दिक् में तीन आयामों के साथ किसी भी दो वस्तुओं की आपस की गति और दिशा को पूरी तरह बताया जा सकता है।
तीन से अधिक आयाम?
हालांकि मनुष्य दिक् में केवल तीन आयामों की कल्पना कर सकते हैं और उनकी इन्द्रियाँ उन्हें बताती हैं के वे तीन आयामों वाले ब्रह्माण्ड में रहते हैं, गणित में जितने चाहे उतने आयामों पर अध्ययन किया जा सकता है और किया जाता है। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है के ब्रह्माण्ड में १० या उस से भी अधिक आयाम हैं लेकिन मनाव इन्द्रियाँ और मस्तिष्क इनमे से केवल तीन ही को भांप पाती हैं। भौतिकी के तार सिद्धांत (स्ट्रिंग थ़िओरी) में ऐसी ही कल्पना की गयी है।
दिक्-काल
दिक्-काल या स्पेस-टाइम (spacetime) की सोच को अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपना सापेक्षिकता का सिद्धांत विकसित करते हुए प्रकाशित किया। इसके अनुसार समय या काल दिक् के तीन आयामों की तरह एक और आयाम है और भौतिकी में इन्हें एक साथ चार आयामों के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा के वास्तव में ब्रह्माण्ड की सारी चीज़ें इस चार-आयामी दिक्-काल में रहती हैं। उन्होंने ने यह भी कहा के कभी-कभी ऐसी परिस्थितियाँ बन जाती हैं के अलग-अलग वस्तुओं को इन चार आयामों का अनुभव अलग-अलग प्रतीत होता है। मिसाल के लिए -
ब्रह्माण्ड फैल रहा है। इसका बड़ा कारण यह नहीं है के ब्रह्माण्ड की वस्तुएँ तेज़ी से एक दुसरे से दूर जा रहीं हैं, बल्कि यह है के उनके बीच का दिक् स्वयं ही खिच कर फैल रहा है।
जो चीज़ें तेज़ गति से चलती हैं, उनके लिए समय धीरे हो जाता है। अगर एक व्यक्ति स्थिर रहे और दूसरा व्यक्ति एक यान पर अपनी घड़ी के मुताबिक़ एक साल तक प्रकाश की ९९% रफ़्तार पर सफ़र करके वापस आ जाये तो दुसरे व्यक्ति के लिए एक साल गुज़रा होगा लेकिन पहले व्यक्ति के लिए सात साल गुज़र चुके होंगे।
ब्रह्माण्ड में ब्लैक होल जैसी भारी वस्तुएँ दिक् को मरोड़ देती हैं जिस से उस इलाक़े से निकलती हुई प्रकाश की किरणे वैसे ही मुड़ जाती हैं जैसे कोई लेंस उन्हें मोड़ता है - इसलिए ब्रह्माण्ड में गुरुत्वाकर्षक लेंस देखे जा सकते हैं।
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यह लेख है: यह जानना बेहद ज़रूरी है कि जब बच्चे गुस्सा करें, चीजें इधर-उधर फेंके, रूस जाएं, चीखें-चिल्लाएं, तो आपको उनके साथ किस तरह से पेश आना चाहिए. आपको चाहिए कि ऐसे वक्त में आप शांत रहें. अगर आप भी चीखेंगे-चिल्लाएंगे तो हालात और खराब हो जाएंगे.
हो सकता है कि आपका बच्चा वो सब बातें भूल जाए जो आपने उससे कही हों, लेकिन वह परिवार के रीति-रिवाजों को हमेशा याद रखेगा जैसे बुरा समय या फिर रात के समय खेले जाने वाले खेल, जो आप उनके साथ खेलते हों.टिप्पणियां
अपने बच्चों को आजादी दें. उन्हें यह तय करने दें कि वह आपके साथ 10-15 मिनट कब, कहां और कैसे बिताना चाहते हैं. उनके प्रति अपने प्यार को दर्शाने को ये बेहद अच्छा तरीका है.
अपने बच्चे के लिए उसका रोल मॉडल बनें. बच्चे अपने माता-पिता को देख-देखकर ही बढ़े होते हैं. बच्चों को हर बात पर टोकने की तुलना में सम्मान, आपका अच्छा व्यवहार ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है.
हो सकता है कि आपका बच्चा वो सब बातें भूल जाए जो आपने उससे कही हों, लेकिन वह परिवार के रीति-रिवाजों को हमेशा याद रखेगा जैसे बुरा समय या फिर रात के समय खेले जाने वाले खेल, जो आप उनके साथ खेलते हों.टिप्पणियां
अपने बच्चों को आजादी दें. उन्हें यह तय करने दें कि वह आपके साथ 10-15 मिनट कब, कहां और कैसे बिताना चाहते हैं. उनके प्रति अपने प्यार को दर्शाने को ये बेहद अच्छा तरीका है.
अपने बच्चे के लिए उसका रोल मॉडल बनें. बच्चे अपने माता-पिता को देख-देखकर ही बढ़े होते हैं. बच्चों को हर बात पर टोकने की तुलना में सम्मान, आपका अच्छा व्यवहार ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है.
अपने बच्चों को आजादी दें. उन्हें यह तय करने दें कि वह आपके साथ 10-15 मिनट कब, कहां और कैसे बिताना चाहते हैं. उनके प्रति अपने प्यार को दर्शाने को ये बेहद अच्छा तरीका है.
अपने बच्चे के लिए उसका रोल मॉडल बनें. बच्चे अपने माता-पिता को देख-देखकर ही बढ़े होते हैं. बच्चों को हर बात पर टोकने की तुलना में सम्मान, आपका अच्छा व्यवहार ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है.
अपने बच्चे के लिए उसका रोल मॉडल बनें. बच्चे अपने माता-पिता को देख-देखकर ही बढ़े होते हैं. बच्चों को हर बात पर टोकने की तुलना में सम्मान, आपका अच्छा व्यवहार ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है.
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स्तनों की खुद जांच कर सकती हैं महिलाये।
डॉक्टर कहते है कि महिलाएं अपने स्तनों की खुद जांच कर सकती हैं। डॉक्टरों बताया कि महिलाओं में जागरूकता की कमी के कारण ही स्तन कैंसर के बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। कैंसर के कुछ सामान्य से लक्षण हैं, जिनमें सीने में दर्द होना, सीने की चमड़ी में लाली आ जाना, स्तन के आसपास सूजन आना, निप्पल डिस्चार्ज, निप्पल से खून बहना, स्तन के आकार में परिवर्तन होना अथवा निप्पल का भीतर की तरफ मुड़ना स्तन के कैंसर से लक्षण हैं। यदि उक्त लक्षणों में से महिलाओं को कोई लक्षण दिखता है तो वे तुरंत डाक्टर से सलाह लें। 20 से 30 साल की उम्र तक हर तीन साल के बाद और 30 साल तक की उम्र की महिला को साल में एक बार अपने स्तन कैंसर की जांच करवानी चाहिए। उन्होंने महिलाओं को खुद ही स्तन के कैंसर का चेकअप करने की ट्रेनिग भी दी। सीनियर एसएमओ डा. रमिदर कौर ने कहा कि अगर हम लोग स्तन कैंसर के प्रति जानकार रहेंगे तो कैंसर से होने वाली मौत दर को कम कर सकते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 'मन की बात' कार्यक्रम में जल संकट की समस्या से निपटने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें भारत के लोगों पर हमेशा से विश्वास था कि वे उन्हें एक बार फिर वापस लाएंगे. आपातकाल, इसके परिणामों, लोगों के सुझाव जो हमेशा उनके समाधान के साथ उन्हें हैरान करते हैं, इन सब पर बोलने के साथ ही मोदी ने देश के विशाल हिस्सों में बड़े पैमाने पर सूखे से निपटने के लिए जल संरक्षण पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयंसेवी संस्थाओं का, और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी का, उनकी जो जानकारी हो, उसे आप जन शक्ति फॉर जल शक्ति के साथ शेयर करें ताकि उनका एक डाटाबेस बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है. इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे.
My 3 requests:
Appeal to all Indians, including eminent people from all walks of life to create awareness on water conservation.
Share knowledge of traditional methods of water conservation.
If you know about any individuals or NGOs working on water, do share about them: PM
— PMO India (@PMOIndia)
June 30, 2019
पीएम मोदी ने कहा कि मेरा पहला अनुरोध है जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया. आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें. देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है. हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं. मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को शेयर करने का आग्रह करता हूं.
उन्होंने कहा कि हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं. मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को शेयर करने का आग्रह करता हूं. पीएम ने कहा, 'मेरा पहला अनुरोध है कि जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया. आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें. देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है. हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं. मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को शेयर करने का आग्रह करता हूं.
There is no fixed way to conserve water.
In different parts, different methods may be adopted but the aim is same- to conserve every drop of water.
#MannKiBaat
pic.twitter.com/39SYEL4Wcp
— PMO India (@PMOIndia)
June 30, 2019
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है. इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हमारे देश के लोग उन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है. जो भी पोरबंदर के कीर्ति मंदिर जाएं वो उस पानी के टांके को जरूर देखें. 200 साल पुराने उस टांके में आज भी पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है, ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह पर होंगे.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया द्वारा हाल ही में पहनी गई एक जैकेट चर्चा में बनी हुई है. टेक्सास में बाल प्रवासियों से मुलाकात के दौरान मेलानिया ने ये जैकेट पहनी थी. जैकेट पर लिखा था- I REALLY DON’T CARE, DO U?. जैकेट पर लिखे मैसेज की वजह से उनकी काफी आलोचना हो रही है. एक्टर शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत ने भी मेलानिया की इस जैकेट पर निशाना साधा है.
उन्होंने अपनी इंस्टा स्टोरी पर जैकेट पहने हुए मेलानिया की फोटो शेयर करते हुए लिखा- Seriously?. बता दें, सोशल मीडिया पर मेलानिया की इस जैकट पर बहस छिड़ गई है. लोग उन्हें असंवेदनशील करार दे रहे हैं.
👑 QUEEN 👑 #melaniatrump #donaldtrump #flotus #firstlady #beautiful #inside #outside #outfitinspiration #ootd #voguemagazine #maga #history #melaniatrumpstyle #melaniatrumpfashion #iconic #iconicstyle #queen #stansmith #converse #louboutin
A post shared by
Melania Trump
(@melaniatrump.style) on
Jun 22, 2018 at 6:46am PDT
PHOTOS: शॉपिंग करने गईं मीरा राजपूत, दिखा बेबी बंप
जारा ब्रांड की 39 डॉलर की इस जैकेट को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद जारी है. हालांकि पत्नी के विवादित जैकेट पर ट्रंप ने ट्वीट किया कि ''मेलानिया के जैकेट पर पीछे की ओर जो लिखा है वह फर्जी न्यूज मीडिया के लिए है. मेलानिया को पता चल गया है कि वे कितने झूठे हैं और वह अब वाकई में उनकी परवाह नहीं करती.''
“I REALLY DON’T CARE, DO U?” written on the back of Melania’s jacket, refers to the Fake News Media. Melania has learned how dishonest they are, and she truly no longer cares!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump)
June 21, 2018
प्रेग्नेंसी में शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत को हो रही है दिक्कत, ये बताया
वहीं मीरा राजपूत की बात करें तो इन दिनों वे अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी एंजॉय कर रही हैं. अक्सर मीरा की बेबी बंप में तस्वीरें सामने आती हैं. मीरा ने पहली बेटी को साल 2016 में जन्म दिया था. उनका नाम मीशा है. शाहिद और मीरा की शादी 2015 में हुई थी.
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वैसाख मास संकष्टी चतुर्थी ०३ अप्रैल,२०१८ को है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी विघ्न बाधायें दूर होती है. यदि संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़े तो यह अति शुभकारक मानी गयी है. मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को “अंगारकी चतुर्थी” कहते हैं. गणेश अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे साल भर के चतुर्थी व्रत के करने का फल प्राप्त होता है.
अंगारक (मंगल देव) के कठिन तप से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वरदान दिया और कहा कि चतुर्थी तिथि यदि मंगलवार को होगी तो उसे अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जायेगा. इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी काम बिना किसे विघ्न के सम्पूर्ण हो जाते हैं. भक्तों को गणेश जी की कृपा से सारे सुख प्राप्त होते हैं.
क्या है इस दिन भगवान गणेश की सामान्य पूजा विधि?
- प्रातःकाल स्नान करके गणेश जी की पूजा का संकल्प लें.
- दिन भर जलधार या फलाहार ग्रहण करें.
- संध्याकाल में भगवान् गणेश की विधिवत उपासना करें
- भगवान को लड्डू, दूर्वा और पीले पुष्प अर्पित करें
- चन्द्रमा को निगाह नीची करके अर्घ्य दें
- भगवान गणेश के मन्त्रों का जाप करें
- जैसी कामना हो, उसकी पूर्ति की प्रार्थना करें
गणेश चतुर्थी पर व्रत रखें, गणेश जी के विशेष मंत्र का जाप करें.
1. श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ऊँ .
ऊँ वक्रतुण्डाय नम: .
पँच अमृत अर्पित करें
2. श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ऊँ गं ऊँ .
महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ..
चँदन की धूप जलायें
3. ऊँ गं गणपतये नम:.
ऊँ श्री गणेशाय नम: .
दूर्वा जरूर अर्पित करें
4. ऊँ नमो भगवते गजाननाय .
ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् .
पँच अमृत अर्पित करें
5. श्री गणेशाय नम: .
महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ..
पूजा में आरती जरूर करें
6. ऊँ श्री गणेशाय नम: .
ऊँ गं गणपतये नम:.
दूर्वा जरूर अर्पित करें
7. ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् .
ऊँ गं ऊँ .
चँदन की धूप जलायें
8.ऊँ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:.
ऊँ .
लड्डू का भोग लगवायें
9. हीं श्रीं क्लीं गौं वरमूर्र्तये नम: .
ऊँ गं गणपतये नम:.
पँच अमृत अर्पित करें
10. हीं श्रीं क्लीं नमो भगवते गजाननाय .
ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् .
दूर्वा जरूर अर्पित करें
11.श्री गजानन जय गजानन.
ऊँ गं ऊँ .
चँदन की धूप जलायें
12.महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ..
ऊँ .
पँच अमृत अर्पित करें
खास उपाय
चाँदी की प्लेट में जल भर कर चाँदी के ठोस हाथी की पूजा करें. गणेश जी प्रसन्न होंगे मनोकामनायें पूरी होगी.
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गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्र इटली के पुनर्जागरण काल के चित्रकार राफेल द्वारा लगभग १५०६ में बनाया गया था। फिलहाल यह चित्र उफ़िज़ी संग्रहालय, फ्लोरेंस में लगा हुआ है। इसमें अर्बिनो के ड्यूक गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्रण किया गया है।
इतिहास
यह चित्र सम्भवत: अर्बिनो के ड्युकल संग्रह का हिस्सा था जिसे १६३५ में विट्टोरिया डेला रोवेरे के दहेज में फ्लोरेंस लाया गया था।इसका पहला उल्लेख १६२३ में पेसारो के ड्यूकल महल के संग्रहालयों में मिलता है।
१९०५ में इसे राफेल द्वारा निर्मित माना गया। इसके पहले इसे फ्रांसिस्को फ्रांसिया और सेसारे टमारोक्कियो द्वारा निर्मित माना जाता था।
इन्हें भी देखें
एलिज़ाबेथ गोन्ज़ागा का चित्र
सन्दर्भ
चित्र कला
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'बिग बॉस' के घर में हालात लगातार बदलते रहते हैं और सोमवार को भी कुछ ऐसा ही रहने वाला है. घर का कैप्टन अपने पूरे ताव में नजर आएगा और घर के सभी लोग खुलेआम उसके खिलाफ विद्रोह करते नजर आएंगे. यानी घर का हर सदस्य अब
अली
के हमलों से निपटने की तैयारीयों के लिए जुट जाएगा.
सोमवार के एपिसोड में आने वाले हफ्ते के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया की घोषणा होगी. इस हफ्ते घर के सदस्यों को ओपन नॉमिनेशंस का सामना करना पड़ेगा. घर के हर सदस्य को मुंह पर फोम वाले टास्क का सामना करना पड़ेगा. जिसमें सदस्यों को अपना नॉमिनेशन, नॉमिनेट किए जाने वाले सदस्य के मु्ंह पर फोम लगाकर देना होगा. घर के सदस्य इसमें सारे गिले-शिकवे भुलाकर मजबूत और संतुलित सदस्य को निशाना बनाते नजर आएंगे.
यही नहीं, सोनाली पहले तो मना करेंगी और कहेंगी कि इस तरह नॉमिनेट करना सही नहीं है, लेकिन जब बारी आएगी तो वह बहुत ही आक्रामक ढंग से इस काम को अंजाम देंगी. जहां सब बड़े ही आराम से फोम लगाएंगे वहीं सोनाली अपने शरीर की पूरी ताकत का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगी. जब वह आर्य के फोम लगाएंगी तो कहेंगी, 'पुलिसवाली की बेटी में बहुत दम है.'
ओपन नॉमिनेशन के वार के बाद, 'बिग बॉस' नए टास्क की घोषणा करेंगे . इस टास्क को आरजे प्रीतम को अंजाम देना होगा. इसका नाम 'मुद्दा प्रीतम प्यारे का' होगा. वे बहुत ही मजेदार ढंग से प्रोग्राम को अंजाम देंगे. प्रीतम को घर वालों की समस्याओं का सुलझाने की कोशिश करते देखा जा सकेगा.
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चार धाम महामार्ग या ऑल वेदर एक्सप्रेसवे उत्तराखंड राज्य में एक प्रस्तावित एक हाईवे परियोजना है, जिसके अंतर्गत राज्य में स्थित चार धाम तीर्थस्थलों को एक्सप्रेस राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से जोड़ा जायेगा। परियोजना के अंतर्गत कम से कम १०-१५ मीटर चौड़े दो-लेन (प्रत्येक दिशा में) राष्ट्रीय राजमार्ग बनाये जायेंगे। इस परियोजना के अंतर्गत कुल ९०० किमी सड़कों का निर्माण होगा। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी द्वारा दिसंबर २०१६ में इस परियोजना की आधारशिला रखी गयी थी।
मार्ग
यात्रा मार्ग ऋषिकेश से आरम्भ होंगे, और चारों धामों तक जाएंगे।
ऋषिकेश – यमुनोत्री
ऋषिकेश
धरासू (रारा ९४; ऋषिकेश से १४४ किमी की दूरी पर)
यमुनोत्री (रारा ९४; धरासू से ९५ किमी की दूरी पर)
ऋषिकेश – गंगोत्री
ऋषिकेश
धरासू (रारा ९४; ऋषिकेश से १४४ किमी की दूरी पर)
गंगोत्री (रारा १०८; धरासू से १२४ किमी की दूरी पर)
ऋषिकेश – केदारनाथ
ऋषिकेश
रुद्रप्रयाग (रारा ५८; ऋषिकेश से १४० किमी की दूरी पर)
गौरीकुंड (रारा १०९; रुद्रप्रयाग से ७६ किमी की दूरी पर)
ऋषिकेश – बद्रीनाथ
ऋषिकेश
रुद्रप्रयाग (रारा ५८; ऋषिकेश से १४० किमी की दूरी पर)
माणा (रारा ५८; रुद्रप्रयाग से १४० किमी की दूरी पर)
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Route map
Route map with Uttarakhand districts
Current functional road network before upgradation and realignment
उत्तराखण्ड में परिवहन
भारत के द्रुतगामी मार्ग
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हिन्द सहासागर के एक चट्टानी हिस्से में दो पहाड़ी चोटियों के बीच झूलती एक रस्सी पर करतब दिखाना कोराली जिरॉल्ट को भारी पड़ने वाला था, और उसकी जान लगभग चली ही गई थी... लेकिन कहते हैं न, जाको राखे साइयां... रीयूनियन आईलैंड में दो चोटियों के बीच लगभग 31 मीटर की दूरी को रस्सी पर चलते हुए पार करने का धड़कनों को रोक देने वाला कारनामा करती कोराली जिरॉल्ट जब रस्सी के बीच पहुंची, अचानक समुद्र अशांत हो गया, और प्राण सुखा देने वाली ऊंची-ऊंची लहरें उठने लगीं.टिप्पणियां
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि खतरनाक रूप अख्तियार करती जा रही समुद्री लहरों के बीच कोराली बेहद भयावह स्थिति में रस्सी पर अपना संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही है कि तभी लगभग 40 फुट ऊंची एक लहर बेहद खतरनाक गति से उसे अपनी चपेट में ले लेती है, और पूरी तरह 'लील' जाती है. कोराली जिरॉल्ट के लहर द्वारा निगल लिए जाने के बाद हर देखने वाले की सांस एकदम रुकने की कगार पर पहुंच जाती है, क्योंकि वीडियो शूट कर रही उसकी मित्र का भी संतुलन बिगड़ जाता है, और कैमरा हिलने लगता है, क्योंकि लहर का असर उस चट्टान तक हुआ, जिस पर खड़ी होकर वह शूटिंग कर रही है.
लेकिन कुछ ही पल के बाद जब लहर शांत होकर नीचे गिर जाती है, कोराली रस्सी पर मौजूद नज़र आने लगती है, और सांस में सांस आती है.
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि खतरनाक रूप अख्तियार करती जा रही समुद्री लहरों के बीच कोराली बेहद भयावह स्थिति में रस्सी पर अपना संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही है कि तभी लगभग 40 फुट ऊंची एक लहर बेहद खतरनाक गति से उसे अपनी चपेट में ले लेती है, और पूरी तरह 'लील' जाती है. कोराली जिरॉल्ट के लहर द्वारा निगल लिए जाने के बाद हर देखने वाले की सांस एकदम रुकने की कगार पर पहुंच जाती है, क्योंकि वीडियो शूट कर रही उसकी मित्र का भी संतुलन बिगड़ जाता है, और कैमरा हिलने लगता है, क्योंकि लहर का असर उस चट्टान तक हुआ, जिस पर खड़ी होकर वह शूटिंग कर रही है.
लेकिन कुछ ही पल के बाद जब लहर शांत होकर नीचे गिर जाती है, कोराली रस्सी पर मौजूद नज़र आने लगती है, और सांस में सांस आती है.
लेकिन कुछ ही पल के बाद जब लहर शांत होकर नीचे गिर जाती है, कोराली रस्सी पर मौजूद नज़र आने लगती है, और सांस में सांस आती है.
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भारतीय बाजार में एंड्रॉयड तेजी से पॉपुलर हो रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह इसकी कीमत और उपलब्धता है. ऑफलाइन या ऑनलाइन एंड्रॉयड स्मार्टफोन 3,000 रुपये से लेकर 60000 रुपये तक के मिल जाएंगे.
एंड्रॉयड की खासियत यह भी है कि इसमें 5,000-10,000 रुपये में अच्छे फीचर्स वाले स्मार्टफोन मिल जाएंगे.
हम आपको भारतीय बाजार के लिहाज से बेहतरीन एंड्रॉयड स्मार्टफोन के बारे में बताते हैं जिन्हें आप बेस्ट स्मार्टफोन भी कह सकते हैं.
Galaxy S7 :
सैमसंग का यह फ्लैगशिप स्मार्टफोन इस कीमत के दूसरे स्मार्टफोन पर हर लिहाज से भारी पड़ता है. चाहे कैमरे की बात हो या परफॉर्मेंस की यह iPhone 6S को भी टक्कर देता है.
एक तरफ इसकी डिजाइन और बिल्ड क्वालिटी बेहतरीन है तो दूसरी तरफ इसमें दिया गया सुपर एमोलेड डिस्प्ले इसमें चार चांद लगाता है. इस डिवाइस में दिया गया है एक्टिव डिस्प्ले फीचर इसे दूसरे स्मार्टफोन से अलग करता है.
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Nexus 6P :
यह गूगल का फ्लैगशिप स्मार्टफोन है जिसे हुवेई ने बनाया है. अगर आप एंड्रॉयड के हार्डकोर फैन हैं तो इसमें क्लीन एंड्रॉयड मार्शमैलो दिया गया है. फ्यूचर में आने वाले एंड्रॉयड के नए वर्जन इसमें सबसे पहले आएंगे.
क्वाड एचडी डिस्प्ले वाले इस स्मार्टफोन के स्पेसिफिकेशन हाई एंड हैं और परफॉर्मेंस और गेमिंग के मामले में यह काफी दमदार है. गूगल के दूसरे स्मार्टफोन के मुकाबले इसमें किलर कैमरा दिया गया है.
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Redmi Note 3 : अगर आप स्मार्टफोन में ज्यादा इन्वेस्ट न करते हुए भी अच्छा परफॉर्मेंस चाहते हैं तो यह आपके लिए है. 9,999 रुपये के स्मार्टफोन की बिल्ड क्वालिटी को देखकर यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल है कि यह इस कीमत का है. मेटैलिक बॉडी वाले इस स्मार्टफोन में फिंगरप्रिंट स्कैनर सहित बेहतरीन हार्डवेयर स्पेसिफिकेशन्स दिए गए हैं.
इसके स्पेसिफिकेशन के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें
Moto G4 Plus :
अच्छे एंड्रॉयड स्मार्टफोन की लिस्ट में अगर मोटो फोन के नाम ना हों तो वो लिस्ट अधूरी है. क्योंकि मोटोरोला ने Moto G लॉन्च करके भारतीय मिड रेंज स्मार्टफोन मार्केट में कब्जा जामाया है. अब कंपनी बेहतरीन कैमरा और फिंगरप्रिंट स्कैनर के साथ Moto G4 Plus के साथ बाजार में है. इसमें स्टॉक एंड्रॉयड के अलावा कई ऐसे फीचर्स हैं जो आम स्मार्टफोन में नहीं मिलेंगे
इसके स्पेसिफिकेशन्स के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें
LG G5 :
यह दुनिया का पहला मॉड्यूलर स्मार्टफोन है, यानी इसमें आप अलग अलग पार्ट्स लगा कर इसके परफॉर्मेंस को इंप्रूव कर सकते हैं. यह तमाम दूसरे स्मार्टफोन से अलग है.
उदाहरण के तौर पर अगर इसके कैमरे या बैट्री को बेहतर करना है तो अलग से कैमरा या बैट्री लगा ससकते हैं.
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सुकमा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए नक्सली हमले के बीच सीआरपीएफ को लेकर नई बात सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि फिलहाल सीआरपीएफ का कोई पूर्ण कालिक डीजी नहीं है. 28 फरवरी को पूर्व डीजी दुर्गा प्रसाद रिटायर हुए हैं तब से डीजी का चार्ज सुदीप लखटकिया के पास है. ये हाल तब है जब कश्मीर में भी भारी तनाव है.
घटना के बाद रायपुर पहुंचे गृह मंत्री राजनाथ सिंह से जब पत्रकार वार्ता में यह सवाल पूछा गया तो वे बचते नजर आए. उन्होंने कहाकि उनके पास कई अच्छे ऑफिसर हैं जो ठीक काम कर रहे हैं.
ये है नक्सलियों की कमाई का सीजन
सूत्रों के मुताबिक ये सीजन तेंदू पत्ते का समय चल रहा है और यहां से नक्सली काफी पैसा कमाते हैं. वे इस पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने में करते हैं. तीन महीने में नक्सली करीब 8 से 10 करोड़ रुपये तेंदू पत्ते से कमाते हैं. सूत्रों के मुताबिक नक्सली लेवी के जरिये पैसा उगाही करके एक साल में करीब 100 करोड़ रुपये कमाते हैं. उसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर विदेशी हथियार खरीदने में करते हैं.
अक्सर जून-जुलाई में होते हैं नक्सली हमले
देखा जाता है कि नक्सल हमला ज्यादातर अप्रैल से जून-जुलाई के बीच में होते हैं. इस दौरान नक्सली टैक्टिकल काउंटर और अफेंसिव कैम्पेन चलाते हैं और ज्यादा जवानों पर हमला करते हैं. इस बार हमले में 300 से 400 नक्सली का इस्तेमाल नक्सली कमांडर हिडिमा ने किया. जिसमें 150 के आस-पास फाइटर नक्सली शामिल थे. महिला नक्सलियों का भी इस्तेमाल किया गया.
ये है हमले की असली वजह
जानकारी के मुताबिक नक्सली दुर्गपाल से चिंतागुफा के बीच बनने वाला एक ब्रिज नहीं बनने देना चाहते हैं क्योंकि इसके बनने से नक्सली गढ़ तक CRPF पहुंच जाएगी. चिंतागुफा का यह ऐसा इलाका है जहां पर रिपोर्ट ये है कि नक्सली महिलाओं को ही AK47 चलाना सिखाते हैं. सूत्र बताते हैं कि इलाके के नक्सलियों के पास उतने हथियार हो सकते हैं. जितने यहां मौजूद CRPF के जवानों के पास.
सूत्रों के मुताबिक ऐसे हमले की CRPF के पास कोई स्पेसिफिक जानकारी नहीं थी. CRPF यहां के लोकल इंटेलीजेंस मॉड्यूल को और मजबूत करेगी.
ये है इस साल का हाल
- इस साल 30 जनवरी को 7 जवान शहीद हुए
- 11 मार्च को 12 जवान शहीद
- 24 अप्रैल को 25 जवान शहीद
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रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बतौर पूर्व विदेश मंत्री उन्होंने मौत, तबाही और कमजोरी की विरासत छोड़ी है. ट्रंप ने दुनियाभर में हो रही तबाही के लिए हिलेरी के खराब फैसलों को जिम्मेदार ठहराया.
हिलेरी के बहाने ट्रंप का ओबामा पर हमला
गुरुवार रात ट्रंप ने कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा कि
अमेरिका संकट
में फंसा हुआ है. उन्होंने कहा कि जो भी हिंसा, नफरत और उत्पीड़न का समर्थन करता है उसे अमेरिका में घुसने नहीं दिया जाएगा. 70 साल के रियल एस्टेट कारोबारी ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को हिलेरी को अमेरिकी विदेश नीति का प्रभारी बनाने के अपने फैसले पर पछतावा होना चाहिए.
हिलेरी की विदेश नीति गलत: ट्रंप
रिपब्लिकन पार्टी की अपनी
उम्मीदवारी को स्वीकार
करते हुए अपने भाषण में ट्रंप ने कहा कि मौत, तबाही और कमजोरी हिलेरी क्लिंटन की विरासत है. हिलेरी क्लिंटन को अमेरिका की विदेश नीति का प्रभार देने के ओबामा के फैसले से पहले की तुलना में अमेरिका आज कहीं ज्यादा असुरक्षित है और दुनिया कहीं ज्यादा अस्थिर. मुझे पूरा विश्वास है कि अपने इस निर्णय पर उन्हें वाकई अफसोस होगा. हिलेरी के रिकॉर्ड का आकलन करते हुए ट्रंप ने कहा कि 2009 तक आईएसआईएस नक्शे में दूर-दूर तक कहीं भी नहीं था और पश्चिम एशिया में हालात स्थिर थे.
दुनिया में ISIS की नापाक साजिश
उन्होंने कहा कि हिलेरी क्लिंटन के चार साल के कार्यकाल में हमें क्या मिला? आईएसआईएस पूरे इलाके और पूरी दुनिया में फैल चुका है. लीबिया बर्बाद हो चुका है, हमारे राजदूत और उनके सभी
कर्मचारी असहाय
हैं और बर्बर हत्यारों के हाथों मारे जाने के खौफ में जी रहे हैं. मिस्र में कट्टरपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड का कब्जा हो गया जिसके चलते सेना को देश पर अपना नियंत्रण लेना पड़ा. इराक में भी अराजकता फैली हुई है. ट्रंप ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि हिलेरी की विरासत, अमेरिका की भी विरासत हो.
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लंदन स्टैनस्टेड हवाई अड्डा एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो स्टैनस्टेड माउंटफिचेट, एसेक्स, इंग्लैंड में मध्य लंदन के उत्तर-पूर्व में दूर स्थित है। लंदन स्टैनस्टेड पूरे यूरोप, एशिया और अफ्रीका में 160 से अधिक गंतव्यों के लिए सेवा प्रदान करता है। स्टैनस्टेड कई प्रमुख यूरोपीय कम लागत वाली विमान वाहकों के लिए एक आधार है, जो कम लागत वाली एयरलाइन रयानएयर के लिए सबसे बड़ा आधार है, जिसमें एयरलाइन द्वारा 100 से अधिक गंतव्यों को उड़ान सेवा दी जाती है। 2015 में, यह हीथ्रो, गैटविक और मैनचेस्टर के बाद यूनाइटेड किंगडम का चौथा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा था। स्टैनस्टेड के रनवे का उपयोग निजी कंपनियों जैसे हैरोड्स एविएशन, टाइटन एयरवेज और एक्सजेट टर्मिनलों द्वारा भी किया जाता है, जो निजी भूमि सेवा प्रबंधक (ग्राउंड हैंड्लर्स) हैं जो निजी उड़ानों, चार्टर उड़ानों और राजकीय दौरों को संभालने में सक्षम हैं।
1940 के दशक के अंत में आरएएफ स्टैनस्टेड माउंटफिचेट से नागरिक उपयोग में परिवर्तित, स्टैनस्टेड का उपयोग चार्टर एयरलाइंस द्वारा किया गया था। यह 1966 में ब्रिटिश हवाई अड्डा प्राधिकरण के नियंत्रण में आ गया। बीएए के एकाधिकार की स्थिति के खिलाफ प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा मार्च 2009 के फैसले के परिणामस्वरूप निजीकृत बीएए ने फरवरी 2013 में स्टैनस्टेड को मैनचेस्टर एयरपोर्ट्स ग्रुप को बेच दिया।
अवलोकन
लंदन स्टैनस्टेड हवाई अड्डे का एक मुख्य यात्री टर्मिनल है, जो स्टैनस्टेड माउंटफिचेट गांव के पास है। तीन यात्री भवनों में प्रस्थान द्वार हैं; एक हवाई पुल द्वारा मुख्य टर्मिनल से जुड़ा है और अन्य दो स्टैनस्टेड एयरपोर्ट ट्रांजिट सिस्टम पीपल मूवर द्वारा।
टर्मिनल बिल्डिंग की रूपरेखा फोस्टर एसोसिएट्स द्वारा स्ट्रक्चरल इंजीनियर पीटर राइस के निर्देशों के साथ बनाई गई थी, और इसमें एक "फ्लोटिंग" छत है, जो उल्टे-पिरामिड रूफ ट्रस के एक स्पेस फ्रेम द्वारा समर्थित है, जो एक स्टाइलिश उड़ते हुए हंस की छाया बनाता है। प्रत्येक ट्रस संरचना का आधार एक "उपयोगिता स्तंभ" है, जो अप्रत्यक्ष रूप से उज्ज्वल रोशनी प्रदान करता है और ठंडी हवा, पानी, दूरसंचार और बिजली के आउटलेट के लिए स्थान है। हवाई अड्डे का लेआउट मूल रूप से यात्रियों को शॉर्ट-स्टे कार पार्क में आने, चेक-इन हॉल के माध्यम से जाने, और सुरक्षा के माध्यम से और प्रस्थान द्वार पर जाने के लिए एक ही स्तर पर एक अबाधित प्रवाह प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
1997 से 2007 तक, स्टैनस्टेड ने कम लागत वाली हवाई यात्रा में उछाल के कारण यात्रियों की संख्या में तेजी से विस्तार किया, जो 24 मिलियन पर चरम पर था। 12 महीनों में अक्टूबर 2007 तक लाखों यात्री रहे, लेकिन अगले पांच वर्षों में यात्रियों की संख्या में गिरावट आई। कुल यात्री बाद में बढ़े, और 2016 में 8.0% से 24.3 मिलियन की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई , और तब से संख्या में वृद्धि जारी है।
इतिहास
द्वितीय विश्व युद्ध
विमानक्षेत्र 1943 में खोला गया था और रॉयल एयर फ़ोर्स और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी एयर फ़ोर्स द्वारा बॉम्बर एयरफ़ील्ड के रूप में और एक प्रमुख रखरखाव डिपो के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान RAF स्टैनस्टेड माउंटफ़िचेट के रूप में इस्तेमाल किया गया था। हालांकि आधिकारिक नाम स्टैनस्टेड माउंटफिचेट था, इस सैन्य अड्डे को लिखित और बोली जाने वाली दोनों रूपों में सिर्फ़ स्टैनस्टेड के रूप में जाना जाता था।
स्टेशन को पहली बार यूएसएएएफ आठवीं वायु सेना को अगस्त 1942 में भारी बमवर्षक विमानक्षेत्र के रूप में आवंटित किया गया था। साथ ही एक चालू बमवर्षक अड्डा, स्टैनस्टेड एक वायु तकनीकी सेवा कमान रखरखाव और आपूर्ति डिपो भी था जो प्रमुख ओवरहाल और बी -26 के संशोधन से जुडा था। दी-डे के बाद, इन गतिविधियों को फ्रांस में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन महाद्वीप पर विमान के समर्थन के लिए अड्डा अभी भी आपूर्ति भंडारण क्षेत्र के रूप में उपयोग किया जाता था।
युद्ध के बाद का उपयोग
12 अगस्त 1945 को अमेरिकियों की वापसी के बाद, स्टैनस्टेड को वायु मंत्रालय ने अपने कब्जे में ले लिया और भंडारण उद्देश्यों के लिए नंबर 263 रखरखाव इकाई, आरएएफ द्वारा उपयोग किया गया। इसके अलावा, मार्च 1946 और अगस्त 1947 के बीच, स्टैनस्टेड का इस्तेमाल युद्ध के जर्मन कैदियों के आवास के लिए किया गया था।
नवंबर 1946 में, हाल ही में स्थापित ब्रिटिश कार्गो एयरलाइन, लंदन एयरो और मोटर सर्विसेज, जो पूर्व-आरएएफ हैंडली पेज हैलिफ़ैक्स से सुसज्जित थी, स्टैनस्टेड में चली गई, जुलाई 1948 में इसे बंद होने तक इसके संचालन के लिए एक आधार के रूप में उपयोग किया गया।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अंततः 1949 में स्टैनस्टेड का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और तब कई यूके चार्टर एयरलाइनों द्वारा हवाई अड्डे का उपयोग केंद्र के रूप में किया गया। नाटो को संभावित हस्तांतरण के लिए रनवे का विस्तार करने के लिए 1954 में अमेरिकी सेना वापस लौटी। नाटो को हस्तांतरण कभी नहीं हुआ और हवाईअड्डा नागरिक उपयोग में जारी रहा और1966 में बीएए के नियंत्रण में चला गया।
1960, 70 और 80 के दशक के दौरान, फायर सर्विस ट्रेनिंग स्कूल परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय जिसे अब नागरिक उड्डयन प्राधिकरण कहते हैं के तत्वावधान में हवाई क्षेत्र के पूर्वी हिस्से पर स्थित था। स्कूल ब्रिटिश हवाई क्षेत्रों के साथ-साथ कई विदेशी देशों के लिए सभी विमानन अग्नि कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार था।
वाणिज्यिक संचालन
1966 में, स्टैनस्टेड को बीएए नियंत्रण में रखे जाने के बाद, हवाई अड्डे का इस्तेमाल अवकाश चार्टर संचालकों द्वारा किया गया था, जो हीथ्रो और गैटविक से संचालन से जुड़ी उच्च लागत से बचना चाहते थे।
1950 के दशक से स्टैनस्टेड को तीसरे लंदन हवाई अड्डे के रूप में आरक्षित रखा गया था। हालांकि, 1966-67 में चेम्सफोर्ड में एक सार्वजनिक जांच के बाद, सरकार ने नए सिरे से समीक्षा करने के लिए रोस्किल आयोग की स्थापना की। 1968-71 के तीसरे लंदन हवाई अड्डे के लिए आयोग (" रोस्किल आयोग ") ने स्टैनस्टेड को अपनी चार लघु-सूचीबद्ध साइटों में से एक के रूप में शामिल नहीं किया और सिफारिश की कि बकिंघमशायर में क्यूब्लिंगटन को लंदन के तीसरे हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। हालांकि, टेड हीथ के तहत कंजर्वेटिव सरकार ने अल्पसंख्यक सिफारिश के साथ सहमति व्यक्त की कि टेम्स इस्ट्यूरी में फाउलनेस में एक स्थान, जिसे बाद में मैपलिन नाम दिया गया, विकसित किया जाना चाहिए, लेकिन 1974 में, हेरोल्ड विल्सन के तहत आने वाली लेबर सरकार ने आर्थिक परिस्थिति के कारणों से मैपलिन परियोजना को रद्द कर दिया। ।
स्टैनस्टेड को तब हवाई अड्डे की नीति पर सलाहकार समिति और दक्षिण पूर्व हवाई अड्डों पर अध्ययन समूह में दीर्घकालिक विकास के लिए एक विकल्प के रूप में माना जाता था और दिसंबर 1979 में कंजर्वेटिव सरकार द्वारा छह हवाई अड्डों की एक छोटी सी सूची से चुना गया था। मौजूदा रनवे से जुड़े एक नए टर्मिनल और दूसरे रनवे के लिए भूमि की सुरक्षा के प्रस्ताव पर 1981-83 की हवाईअड्डों की पूछताछ में विचार किया गया था। इंस्पेक्टर की रिपोर्ट 1984 में प्रकाशित हुई थी और निर्णय, 1985 में एक श्वेत पत्र में घोषित किया गया था, स्टैनस्टेड को दो चरणों में विकसित करने की योजना को मंजूरी देना था, जिसमें विमानक्षेत्र और टर्मिनल सुधार दोनों शामिल थे जो हवाई अड्डे की क्षमता को 15 मिलियन प्रति वर्ष यात्री तक बढ़ा देंगे। , लेकिन दूसरे रनवे का अनुमोदन नहीं किया गया।
वर्तमान टर्मिनल भवन की रूपरेखा वास्तुकार नॉर्मन फोस्टर द्वारा बनाई गई थी। निर्माण जॉन लैंग समूह द्वारा किया गया था और 1988 और 1991 के बीच हुआ था, लागत £100 मिलियन थी। 1990 में, इसे समकालीन वास्तुकला के लिए यूरोपीय संघ पुरस्कार / मिस वैन डेर रोहे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विकास के हिस्से के रूप में, हवाई अड्डे के लिए एक रेलवे शाखा का निर्माण किया गया था, और स्टैनस्टेड एयरपोर्ट रेलवे स्टेशन 1991 में खोला गया था।
लंबी दूरी की अनुसूचित सेवाएं 1990 के दशक की शुरुआत में शुरू हुईं जब अमेरिकन एयरलाइंस ने स्टैनस्टेड और ओ'हारे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बीच एक अटलांटिकपार सेवा संचालित की, लेकिन मार्ग आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं था और 1993 में इसे वापस ले लिया गया। कॉन्टिनेंटल एयरलाइंस ने 1990 के दशक के अंत में नेवार्क लिबर्टी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भी सेवाएं संचालित कीं, लेकिन 11 सितंबर के हमलों के तुरंत बाद यह सेवा बंद कर दी गई।
संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए लंबी दूरी की सेवाएं 2005 के अंत में फिर शुरु हुईं, जब ईओएस एयरलाइंस और मैक्सजेट एयरवेज ने स्टैनस्टेड से न्यूयॉर्क-जेएफके हवाई अड्डे तक सभी बिजनेस श्रेणी सेवाएं शुरू कीं। 2006 में, मैक्सजेट ने वाशिंगटन, डीसी, लास वेगास और लॉस एंजिल्स के लिए उड़ानों के साथ अपनी सेवा का विस्तार किया। अमेरिकन एयरलाइंस ने अक्टूबर 2007 में न्यूयॉर्क-जेएफके से स्टैनस्टेड के लिए दैनिक उड़ानें शुरू कीं और मूल रूप से अप्रैल 2008 से दूसरी दैनिक उड़ान संचालित करने की उम्मीद थी। हालांकि, ईंधन की कीमत में उछाल, कमजोर आर्थिक प्रदर्शन, और उस समय के बिगड़ते ऋण माहौल के कारण, दिसंबर 2007 में मैक्सजेट और अप्रैल 2008 में ईओएस एयरलाइंस के खत्म होने के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका में सभी तीन सेवाओं को बंद कर दिया गया है। अंत में, जुलाई 2008 में, अमेरिकन एयरलाइंस हवाई अड्डे से हट गई।
नवीनतम घटनाक्रम
मौजूदा टर्मिनल के लिए एक बड़ा विस्तार कार्यक्रम 2007 और 2009 के बीच हुआ, जिसमें अतिरिक्त सामान रखने के लिए, एक नया आव्रजन और पासपोर्ट नियंत्रण हॉल, और बेहतर सुविधाओं के साथ एक हाइपोस्टाइल आगमन हॉल के लिए जगह देने के लिए लगभग क्षेत्रफल फर्श की जगह जोडी गई।
2017 में, एंटोनोव एयरलाइंस ने कार्गो चार्टर उड़ानों के लिए जो आमतौर पर बड़े पैमाने पर भार ढोता है, स्टैनस्टेड में यूके के अपने कार्यों के लिए एक कार्यालय खोला, ।
कम लागत वाली एयरलाइन प्राइमेरा एयर ने स्टैनस्टेड से बोस्टन, नेवार्क और वाशिंगटन डीसी के लिए ना रुकने वाली उड़ानें शुरू कीं, हालांकि 2018 में एयरलाइन के पतन के बाद ये वायु मार्ग बंद हो गए और, हवाई अड्डे को एक बार फिर ट्रान्साटलांटिक मार्गों के अभाव में रहना पड़ा।
ईज़ीजेट ने अगस्त 2020 में स्टैनस्टेड में अपने (आधार) बेस को बंद करने की घोषणा की, जिसके पास यहाँ से दो दर्जन से अधिक वायु मार्ग का स्वामित्व था और यह एक दशक से अधिक समय से अस्तित्व में था, इसके बाद अमीरात ने उसी वर्ष सितंबर में दुबई-इंटरनेशनल के लिए उड़ानों को निलंबित कर दिया। 24 जून 2021 को, कम लागत वाली आइसलैंडिक वाहक प्ले (एयरलाइन) ने हवाई अड्डे से उड़ानें संचालित करना शुरू किया।
आधारभूत संरचना
टर्मिनल और उपग्रह भवन
टर्मिनल को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: सामने की ओर चेक-इन और मुख्य भीड़ का जमावडा स्थल, पीछे बाईं ओर प्रस्थान, और प्रवेश द्वार पर आते ही पीछे दाईं ओर आगमन। मुख्य टर्मिनल भवन में कोई द्वार नहीं है; इसके बजाय, वे तीन अलग-अलग आयताकार उपग्रह भवनों में स्थित हैं। हवाईअड्डे में 68 द्वार हैं: 40 जेटवे द्वार, और 28 हार्डस्टैंड जिसमें संकीर्ण विमानों को संग्रहीत करने के लिए 6 अतिरिक्त स्थान हैं।
एक अतिरिक्त इमारत, जिसे उन्नत यात्री वाहन (एपीवी) के रूप में जाना जाता है, को 2016 में व्यस्त 06:00 से 08:00 बजे की अवधि के दौरान प्रस्थान करने वाली उड़ानों के लिए उपयोग में लाया गया था। एपीवी भवन एक सुगम मार्ग द्वारा मुख्य टर्मिनल भवन से जुड़ा हुआ है और दूरस्थ स्टैंड पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए बस टर्मिनल के रूप में कार्य करता है। सैटेलाइट 3 के पूरा होने से पहले, यह टर्मिनल (तब गेट 90-95 से मिलकर बना था) नियमित यात्री उपयोग में था।
कार पार्क और होटल
स्टैनस्टेड में वैलेट और मिले और जाएँ पार्किंग सेवाओं के साथ-साथ लंबे-, कम- और क्षणिक रुकने के विकल्प सहित कई प्रकार की कार पार्किंग है। दो ड्रॉप ऑफ क्षेत्र भी उपलब्ध हैं। एक्सप्रेस क्षेत्र क्षणिक ठहराव कार पार्क के पास स्थित है, जबकि एक निःशुल्क सेवा मध्य-प्रवास क्षेत्र के भीतर है। एक्सप्रेस सेवा के लिए शुल्क लिया जाता है। 2013 में एमएजी के हवाई अड्डे के स्वामी बनने के तुरंत बाद टर्मिनल रोड नॉर्थ और टर्मिनल के बाहर इसका मुफ्त ड्रॉप-ऑफ क्षेत्र बंद कर दिया गया था। 2004 के बाद से, स्टैनस्टेड हॉलिडे इन एक्सप्रेस, नोवोटेल, प्रीमियर इन, और रैडिसन ब्लू होटल और हाल ही में खोले गए हैम्पटन बाय हिल्टन सहित होटल आवास की एक श्रृंखला प्रदान करता है, जिनमें से अंतिम दोनों एक भूमिगत मार्ग के माध्यम से टर्मिनल भवन के दो मिनट के भीतर हैं। पैदल मार्ग नियमित बस सेवा टर्मिनल भवन और स्टैनस्टेड के कार पार्कों और होटलों के बीच स्थानान्तरण को संभालती है।
नियंत्रण स्तंभ
स्टैनस्टेड का हवाई यातायात नियंत्रण टॉवर 1996 में बना था और इसके निर्माण के समय ब्रिटेन में सबसे ऊंचा था।
अन्य बुनियादी ढांचा
हवाई क्षेत्र के आसपास कई मालवाहक इमारतें और हैंगर हैं। मुख्य कार्गो केंद्र नियंत्रण टावर के पास स्थित है और मैकडॉनेल डगलस एमडी -11 और बोइंग 747 जैसे विमान सहित अधिकांश कार्गो संचालन को संभालता है। हवाई अड्डे के बाकी हिस्सों के लिए रनवे के दूसरी तरफ बहुत कम (छाया क्षेत्र) हैंगर हैं। सबसे बड़े, हवाई क्षेत्र के दक्षिण पूर्व में स्थित हैं, जिनमें से एक रयानएयर द्वारा उपयोग किया जाता है।
विमान सेवाएँ और गंतव्य
यात्री
ये विमान सेवाएँ स्टैनस्टेड से आने-जाने के लिए नियमित रूप से अनुसूचित और चार्टर उड़ानें संचालित करती है
माल वाहक
आंकड़े
विकास
1988 में, 11 लाख से अधिक यात्री स्टैनस्टेड से होकर गुजरे, पहली बार वार्षिक यात्री संख्या हवाई अड्डे पर 10 लाख से अधिक हो गई थी। लगातार साल-दर-साल वृद्धि हुई, और 1997 तक, कुल 50 लाख से अधिक तक पहुंच गई, तेजी से बढ़कर 2000 में लगभग 120 लाख हो गई।
2007 में, यात्री संख्या लगभग 24 मिलियन पर पहुंच गई, लेकिन फिर पांच साल के लिए गिरावट आई, और 2012 में, कुल लगभग 17.5 मिलियन तक ही थी। 2013 में 2.2% की वृद्धि 17.8 मिलियन यात्रियों तक दर्ज की गई, फिर 2014 में 11.7% बढ़कर 19.9 मिलियन हो गई, इसके बाद 2015 में 12.8% बढ़कर 22.5 मिलियन हो गई और 2016 में 8.0% की बढोत्तरी के साथ कुल रिकॉर्ड 24.3 मिलियन हो गई। ये आँकणे स्टैनस्टेड को यूनाइटेड किंगडम का चौथा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा बनाते हैं। स्टैनस्टेड भी एक प्रमुख माल ढुलाई हवाई अड्डा है, जो 2016 के दौरान यूके में तीसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा था, लंदन हीथ्रो और ईस्ट मिडलैंड्स हवाई अड्डे के बाद, प्रति वर्ष 223,203 टन से अधिक का संचालन करता है, हालांकि माल ढुलाई अपने 2005 के शिखर स्तर से थोड़ा कम हो गया है।
2007 के बाद पहली बार सितंबर 2016 को समाप्त वर्ष के लिए यात्री संख्या 8.4% बढ़कर 24 मिलियन से अधिक हो गई।
यातायात के आंकड़े
कैसे पहुंचे
पारगमन प्रणाली
स्टैनस्टेड हवाई अड्डा पारगमन प्रणाली टर्मिनल को लंबी नि:शुल्क स्वचालित पीपुल मूवर सेवा द्वारा जो दोहरी कंक्रीट पटरियों पर चलती है, के माध्यम से उपग्रह भवनों से जोड़ता है। इसी तरह के गैटविक हवाई अड्डा शटल पारगमन के विपरीत, स्टैनस्टेड ट्रांजिट केवल "एयरसाइड" पर ही पहुंच योग्य है (यानी यात्रियों के सुरक्षा जाँच से गुजरने के बाद ही)।
ट्रेनें
स्टैनस्टेड हवाई अड्डा रेलवे स्टेशन मुख्य टर्मिनल भवन के ठीक नीचे टर्मिनल भवन में स्थित है।
लंदन के लिए सेवाएं सेंट्रल लंदन में लंदन लिवरपूल स्ट्रीट से आने-जाने के लिए स्टैनस्टेड एक्सप्रेस ट्रेन से हैं। यह सेवा हर 15 मिनट में संचालित होती है और सामान्य यात्रा का समय लगभग 45 से 53 मिनट है। लिवरपूल स्ट्रीट को लंदन भूमिगत नेटवर्क के सेंट्रल, सर्कल, हैमरस्मिथ एंड सिटी और मेट्रोपॉलिटन लाइनों द्वारा सेवा दी जाती है, जो पूरे लंदन में पहुंच प्रदान करती है। स्टैनस्टेड एक्सप्रेस अंडरग्राउंड की विक्टोरिया लाइन और उत्तरी लंदन और वेस्ट एंड के विभिन्न गंतव्यों तक संपर्क के लिए टोटेनहम हेल को भी जाती है। कुछ स्टैनस्टेड एक्सप्रेस सेवाएं लंदन लिवरपूल स्ट्रीट के रास्ते में स्टैनस्टेड माउंटफिचेट, बिशप स्टॉर्टफोर्ड और/या हार्लो टाउन में भी जाती हैं।
सड़कें
स्टैनस्टेड एम11 मोटरवे द्वारा पूर्वोत्तर लंदन और कैम्ब्रिज से और ए120 द्वारा ब्रेनट्री, कोलचेस्टर और हार्विच से जुड़ा है, जो ब्रेनट्री तक दोहरा मार्ग है। लंदन के लिए सड़क की दूरी है।
घटनाएं और दुर्घटनाएं
स्टैनस्टेड को यूके सरकार द्वारा यूके में उतरने का अनुरोध करने वाले किसी भी अपहृत विमानों के लिए अपने पसंदीदा हवाई अड्डे के रूप में नामित किया गया है। इसका कारण यह है कि इसका डिज़ाइन एक अपहृत विमान को किसी भी टर्मिनल भवनों या रनवे से दूर अलग-थलग करने की अनुमति देता है, जिससे हवाईअड्डे को बातचीत के दौरान काम करना जारी रखने की इजाजत मिलती है, या यहां तक कि हमला या बचाव मिशन भी किया जाता है। इस कारण से, स्टैनस्टेड अपने आकार के हवाई अड्डे के लिए अपेक्षा से अधिक अपहरण की घटनाओं में शामिल रहा है।
27 फरवरी 1982, एक एयर तंजानिया बोइंग 737-2R8C मवान्ज़ा से दार एस सलाम को जा रही एक आंतरिक उड़ान के अपहरण कर लिए जाने के बाद हवाई अड्डे पर उतरा और नैरोबी, जेद्दा, और एथेंस, के माध्यम से यूके पहुँचा जहां दो यात्रियों को छोड दिया गया था। अपहर्ताओं ने तंजानिया के निर्वासित विपक्षी राजनेता ऑस्कर कम्बोना से बात करने की मांग की। इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया, और जमीन पर 26 घंटे के बाद, अपहर्ताओं ने आत्मसमर्पण कर दिया और यात्रियों को छोड़ दिया।
30 मार्च 1998 को, एक एमराल्ड एयरवेज हॉकर सिडली एचएस 748, जो लीड्स यूनाइटेड एफसी को ले जा रहा था, टेकऑफ़ के तुरंत बाद नीचे लाया गया जब इसके स्टारबोर्ड इंजन में विस्फोट हो गया। जहाज पर चालीस यात्री सवार थे (लीड टीम से 18) और फ्लाइट क्रू और तत्कालीन लीड्स के सहायक प्रबंधक डेविड ओ'लेरी की त्वरित सोच के कारण, केवल दो लोग मामूली रूप से घायल हुए।
22 दिसंबर 1999 को, कोरियन एयर कार्गो फ्लाइट 8509, बोइंग 747-200F, पायलट त्रुटि के कारण विमान क्षेत्र से टेक-ऑफ करने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। उस समय बोर्ड पर केवल विमान चालक दल थे, और चारों मारे गए थे। विमान ग्रेट हॉलिंगबरी गांव के पास हैटफील्ड जंगल में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
6 फरवरी 2000 को, 156 लोगों के साथ एक एरियाना अफगान एयरलाइंस बोइंग 727 को अपहृत किया गया और ताशकंद, कजाकिस्तान और मॉस्को में रुकते हुए - स्टैनस्टेड हवाई अड्डे पर उड़ा दिया गया। चार दिनों के गतिरोध के बाद, बोर्ड पर बंधकों को सुरक्षित मुक्त कर लिया गया और घटना शांतिपूर्वक समाप्त हो गई। बाद में यह सामने आया कि अपहरण के पीछे का मकसद ब्रिटेन में शरण हासिल करना था, जिससे देश में आप्रवासन के बारे में बहस छिड़ गई। विमान में बड़ी संख्या में यात्रियों ने शरण के लिए आवेदन भी किया था। शेष अफगानिस्तान लौट आए। नौ अपहर्ताओं को जेल भेजा गया था, लेकिन अपहरण के लिए उनकी सजा को 2003 में जूरी के गलत निर्देशन के लिए रद्द कर दिया गया था, और जुलाई 2004 में, एक अदालत ने फैसला सुनाया कि उन्हें यूके से निर्वासित नहीं किया जा सकता है।
24 मई 2013 को, लाहौर, पाकिस्तान से पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की उड़ान 709 को जहाज के अंदर खतरे के कारण मैनचेस्टर हवाई अड्डे से मोडे जाने के बाद आरएएफ टाइफून द्वारा अनुरक्षित (एस्कॉर्ट) किया गया था। दो लोगों पर एक विमान को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया था।
21 सितंबर 2013 को, हीथ्रो के लिए श्रीलंकाई एयरलाइंस की उड़ान यूएल 503 को मोडे जाने के बाद आरएएफ टाइफून द्वारा स्टैनस्टेड हवाई अड्डे तक ले जाया गया। एक विमान को खतरे में डालने के आरोप में दो लोगों को हिरासत में लिया गया, एक को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया।
4 अक्टूबर 2017 को, त्वरित प्रतिक्रिया सूचना (क्विक रिएक्शन अलर्ट) के बाद आरएएफ टाइफून ने रयानएयर की उड़ान FR2145 को ल्यूटन के लिए आते हुए बीच में ही घेर लोया गया और बम की धमकी के बाद इसे स्टैनस्टेड हवाई अड्डे तक ले गए। धमकी को फर्जी पाया गया।
यह भी देखें
संदर्भ
उद्धरण
ग्रन्थसूची
फ्रीमैन, रोजर ए. (1994) यूके एयरफील्ड्स ऑफ द नाइंथ: तब एंड नाउ। लड़ाई के बाद
मौरर, मौरर (1983)। विश्व युद्ध 2 की वायु सेना की युद्ध इकाइयां '। मैक्सवेल एएफबी, अलबामा: वायु सेना इतिहास का कार्यालय। आईएसबीएन 0-89201-092-4 । #
USAAS-USAAC-USAAF-USAF एयरक्राफ्ट सीरियल नंबर-1908 पेश करने के लिए
बिशप्स स्टॉर्टफ़ोर्ड हेराल्ड समाचार पत्र, 26 अप्रैल 2007।
बाहरी संबंध
विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक
यूनाइटेड किंगडम के हवाईअड्डे
लंदन
विकिपरियोजना हवाई अड्डा लेख
Pages with unreviewed translations
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अक्सर एक दूसरे का सामना करने वाली भारत और चीन की सेना के जवान लगभग 2 हफ्तों से दोस्तों की तरह एक साथ मिलकर काम में जुटे रहे।
चीन के यूनान प्रांत के कुनमिंग शहर में स्थित मिलिट्री एकेडमी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच ये पांचवां सैन्य अभ्यास हुआ जिसका नाम था हैंड इन हैंड 2015। इस अभ्यास में दोनों देशों की सेनाओं ने भारत-चीन सीमा पर आतंकवाद निरोधी अभियान का अभ्यास किया। हालांकि ये हास्यास्पद है क्योंकि ऐसी जानकारी भी है कि उत्तर पूर्व के आतंकियों को चीन हथियार देता रहा है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के जारी एक वक्तव्य में कहा गया, ‘भारत-चीन सीमा क्षेत्र में आतंकवाद निरोधी अभियान प्रदर्शित करते हुए एक संयुक्त जमीनी अभ्यास 21 से 22 अक्तूबर को अभ्यास के लक्ष्यों की पुष्टि करने के लिए किया गया।’टिप्पणियां
वक्तव्य में कहा गया, ‘उप इकाइयों की प्रतिक्रिया की पुष्टि के लिए चुनौतीपूर्ण सामरिक स्थितियों की एक श्रंखला पेश की गई और दोनों सेनाओं के सैन्यकर्मियों के बीच उच्च स्तर की व्यावसायिकता और समन्वय देखा गया।’ मंत्रालय की ओर से जारी एक वीडियो फुटेज में दोनों पक्षों को एक संयुक्त अभियान में एक आतंकवादी शिविर पर छापा मारते और उसपर नियंत्रण करते हुए दिखाया गया है।
लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हाल के तनावों के मद्देनजर सीमा पर दोनों सेनाओं के अभ्यास को महत्व दिया जा रहा है।
कुनमिंग अभ्यासों का जिक्र करते हुए प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि संयुक्त अभ्यास ने ‘आतंकवाद निरोधी प्रशिक्षण और आतंकवाद निरोधी अभियानों के अनुभवों के आदान-प्रदान करने, दोनों सेनाओं के बीच परस्पर विश्वास एवं समझ बढ़ाने और स्वस्थ सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने के तय उद्देश्यों को पूरा किया।’
जहां भारत कश्मीर में उग्रवादियों की घुसपैठ का सामना कर रहा है, चीन शिन्जियांग में ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) में आतंकवादियों से संघर्ष कर रहा है।
चीन के यूनान प्रांत के कुनमिंग शहर में स्थित मिलिट्री एकेडमी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच ये पांचवां सैन्य अभ्यास हुआ जिसका नाम था हैंड इन हैंड 2015। इस अभ्यास में दोनों देशों की सेनाओं ने भारत-चीन सीमा पर आतंकवाद निरोधी अभियान का अभ्यास किया। हालांकि ये हास्यास्पद है क्योंकि ऐसी जानकारी भी है कि उत्तर पूर्व के आतंकियों को चीन हथियार देता रहा है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के जारी एक वक्तव्य में कहा गया, ‘भारत-चीन सीमा क्षेत्र में आतंकवाद निरोधी अभियान प्रदर्शित करते हुए एक संयुक्त जमीनी अभ्यास 21 से 22 अक्तूबर को अभ्यास के लक्ष्यों की पुष्टि करने के लिए किया गया।’टिप्पणियां
वक्तव्य में कहा गया, ‘उप इकाइयों की प्रतिक्रिया की पुष्टि के लिए चुनौतीपूर्ण सामरिक स्थितियों की एक श्रंखला पेश की गई और दोनों सेनाओं के सैन्यकर्मियों के बीच उच्च स्तर की व्यावसायिकता और समन्वय देखा गया।’ मंत्रालय की ओर से जारी एक वीडियो फुटेज में दोनों पक्षों को एक संयुक्त अभियान में एक आतंकवादी शिविर पर छापा मारते और उसपर नियंत्रण करते हुए दिखाया गया है।
लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हाल के तनावों के मद्देनजर सीमा पर दोनों सेनाओं के अभ्यास को महत्व दिया जा रहा है।
कुनमिंग अभ्यासों का जिक्र करते हुए प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि संयुक्त अभ्यास ने ‘आतंकवाद निरोधी प्रशिक्षण और आतंकवाद निरोधी अभियानों के अनुभवों के आदान-प्रदान करने, दोनों सेनाओं के बीच परस्पर विश्वास एवं समझ बढ़ाने और स्वस्थ सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने के तय उद्देश्यों को पूरा किया।’
जहां भारत कश्मीर में उग्रवादियों की घुसपैठ का सामना कर रहा है, चीन शिन्जियांग में ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) में आतंकवादियों से संघर्ष कर रहा है।
वक्तव्य में कहा गया, ‘उप इकाइयों की प्रतिक्रिया की पुष्टि के लिए चुनौतीपूर्ण सामरिक स्थितियों की एक श्रंखला पेश की गई और दोनों सेनाओं के सैन्यकर्मियों के बीच उच्च स्तर की व्यावसायिकता और समन्वय देखा गया।’ मंत्रालय की ओर से जारी एक वीडियो फुटेज में दोनों पक्षों को एक संयुक्त अभियान में एक आतंकवादी शिविर पर छापा मारते और उसपर नियंत्रण करते हुए दिखाया गया है।
लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हाल के तनावों के मद्देनजर सीमा पर दोनों सेनाओं के अभ्यास को महत्व दिया जा रहा है।
कुनमिंग अभ्यासों का जिक्र करते हुए प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि संयुक्त अभ्यास ने ‘आतंकवाद निरोधी प्रशिक्षण और आतंकवाद निरोधी अभियानों के अनुभवों के आदान-प्रदान करने, दोनों सेनाओं के बीच परस्पर विश्वास एवं समझ बढ़ाने और स्वस्थ सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने के तय उद्देश्यों को पूरा किया।’
जहां भारत कश्मीर में उग्रवादियों की घुसपैठ का सामना कर रहा है, चीन शिन्जियांग में ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) में आतंकवादियों से संघर्ष कर रहा है।
कुनमिंग अभ्यासों का जिक्र करते हुए प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि संयुक्त अभ्यास ने ‘आतंकवाद निरोधी प्रशिक्षण और आतंकवाद निरोधी अभियानों के अनुभवों के आदान-प्रदान करने, दोनों सेनाओं के बीच परस्पर विश्वास एवं समझ बढ़ाने और स्वस्थ सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने के तय उद्देश्यों को पूरा किया।’
जहां भारत कश्मीर में उग्रवादियों की घुसपैठ का सामना कर रहा है, चीन शिन्जियांग में ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) में आतंकवादियों से संघर्ष कर रहा है।
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लोकसभा चुनाव की पहले चरण की वोटिंग के लिए विभिन्न दलों के दिग्गज नेताओं ने नामांकन दाखिल किया. पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल को होनी है और सोमवार को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था. नागपुर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मुजफ्फरनगर से चौधरी अजीत सिंह, गाजियाबाद से वी. के. सिंह, बागपत से रालोद के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी, बीजेपी के वर्तमान सांसद सत्यपाल सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं ने आखिरी दिन पर्चा भरा दाखिल किया.
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रमुख चौधरी अजीत सिंह ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए मुजफ्फरनगर सीट से सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद संजीव बालियान यहां बीजेपी उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने इस सीट पर कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है. इस बीच, शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (पीएसपी-एल) ने इस सीट से ओमबीर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. मुजफ्फरनगर में भी 11 अप्रैल को मतदान होगा.
वीके सिंह ने भरा पर्चा
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए गाजियाबाद में भी अंतिम दिन लगभग 9 प्रत्याशी नामांकन पर्चा दाखिल करने के लिए पहुंचे. इनमें बीजेपी प्रत्याशी वी. के. सिंह, कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा और गठबंधन के प्रत्याशी सुरेश बंसल का नाम भी शामिल था. सोमवार सुबह करीब 11 बजे सबसे पहले डॉली शर्मा नामांकन के लिए पहुंचीं उनके साथ उनके पिता एवं महानगर अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज मौजूद रहे. वहीं गठबंधन प्रत्याशी सुरेश बंसल जिलाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार मुन्नी के साथ जिला मुख्यालय पहुंचे. बीजेपी प्रत्याशी वी. के. सिंह, महापौर आशा शर्मा, विधायक अजित पाल त्यागी के साथ अपना नामांकन करने के लिए पहुंचे थे.
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के चुनाव के लिए करीब 123 उम्मीदवारों ने सोमवार को पर्चा भरा. इस तरह अब तक कुल 146 उम्मीदवार नामांकन कर चुके हैं. पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में कांग्रेस के 5, भाजपा के 3 उम्मीदवार, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के एक उम्मीदवार ने राज्य की पांच सीटों पर 11 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिये पर्चा भरा.
चिराग पासवान जमुई से मैदान में
बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, लोजपा नेता चिराग पासवान, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बिहार के अध्यक्ष भूदेव चौधरी समेत 60 उम्मीदवारों ने सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल किये. राज्य की चार लोकसभा सीटों औरंगाबाद, जमुई, गया, और नवादा में 11 अप्रैल को मतदान होना है.
मेघालय में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल संगमा ने तुरा लोकसभा सीट से नामांकन किया. मेघालय की दो सीटों शिलांग और तुरा पर 11 अप्रैल को मतदान होना है.
नागपुर से नितिन गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर लोकसभा सीट के लिए सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल किया. इस सीट पर भी 11 अप्रैल को मतदान होगा. साल 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार विलास मुत्तेमवार को 2.84 लाख वोटों से हराने वाले गडकरी ने कहा कि वह इस बार ज्यादा बड़े अंतर से चुनाव जीतेंगे. नामांकन-पत्र दाखिल करते वक्त पूर्व बीजेपी अध्यक्ष गडकरी के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, परिजन और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे.
गडकरी ने कहा कि आपका समर्थन और स्नेह मेरे लिए सबसे बड़ी ताकत है. फडणवीस ने इस मौके पर कहा कि गडकरी नागपुर से ऐतिहासिक जीत हासिल करेंगे. उन्होंने कहा कि वह महाराष्ट्र में रिकॉर्ड कायम करेंगे. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन राज्य की 48 में से 45 सीटों पर जीत हासिल करेगा.
नागपुर में बीजेपी उम्मीदवार गडकरी से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने नाना पटोले को उतारा है. पटोले ने भी सोमवार को नामांकन दाखिल किया. पटोले ने दावा किया कि नागपुर की सीट कांग्रेस का गढ़ रही हैं और वह सहजता से गडकरी को मात देंगे.
हरिद्वार से निशंक
उत्तराखंड की पांचों सीटों पर पहले चरण में 11 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिये बीजेपी और कांग्रेस के 8 उम्मीदवारों सहित कई उम्मीदवारों ने अपने पर्चे दाखिल किये. हरिद्वार लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद और बीजेपी के प्रत्याशी रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी अंबरीश कुमार और कांग्रेस से बगावत कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी समर में उतरे फुरकान अली सहित कुल आठ उम्मीदवारों ने अपने पर्चे दाखिल किये.
वहीं नैनीताल सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अजय भट्ट और कांग्रेस की तरफ से ताल ठोंक रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी भारी लाव लश्कर के साथ अपने पर्चे दाखिल किये. अल्मोड़ा सीट पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी प्रत्याशी अजय टम्टा ने भी आज अपना नामांकन दाखिल किया. उनके अलावा बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनावी समर में उतर रहे राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने नामांकन दाखिल किया.
मनीष खंडूरी पौड़ी से मैदान में
पौड़ी में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मनीष खंडूरी ने भी नामांकन कर दिया. हाल में कांग्रेस में शामिल हुए मनीष वर्तमान सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता भुवन चंद्र खंडूरी के बेटे हैं और उनका मुकाबला उनके पिता के राजनीतिक शिष्य तीरथ सिंह रावत से हो रहा है जिन्होंने अपना नामांकन 22 मार्च को दाखिल किया.
नगालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट पर चुनाव के लिये सोमवार को दो प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र सौंपने के अंतिम दिन सोमवार को पर्चा दाखिल किया. यहां की लोकसभा सीट चुनाव और आन्ग्लेडेन विधानसभा सीट पर उपचुनाव एक साथ 11 अप्रैल को होंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल संगमा ने तुरा लोकसभा सीट के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. मुकुल संगमा वर्तमान में मेघालय विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. मेघालय में लोकसभा की दो सीटें शिलांग और तुरा है. इन दोनों लोकसभा सीटों के लिए चुनाव और सेलसेला विधानसभा क्षेत्र के वास्ते उपचुनाव 11 अप्रैल को होगा.
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They say - Back to one! In this case ill say - Back to Zero !! Happy to be back on the film and back to work with my lovely co actrors and crew !! Thank you for the beautifully decorated floral van
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धौलीनाग मंदिर (Dhaulinag Temple) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के बागेश्वर जनपद में धौलीनाग देवता को समर्पित एक पुराना मंदिर है। धौलीनाग मंदिर विजयपुर के पास एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है। धौलीनाग मंदिर मे रोजाना पूजा होती है और कुछ खास दिनों मे बहुत भीड़-भाड़ होती है, मुख्य रूप से नवरात्रि के दौरान तो यह भक्तों से भरा रहता है। प्रत्येक नाग पंचमी को मंदिर में मेला लगता है। नवंबर २०१६ में उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री, हरीश रावत ने इस मंदिर को गंगोलीहाट के महाकाली मंदिर और पाताल भुवनेश्वर से पर्यटन सर्किट द्वारा जोड़ने की घोषणा की थी।
धौलीनाग देवता
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने कालियनाग को यमुना छोड़कर चले जाने को कहा था, तो उसने उन्हें बताया कि उनके वाहन गरुड़ के डर के कारण ही वह यमुना में छुपा बैठा था। इस पर कृष्ण ने उसके माथे पर एक निशान बनाकर उसे उत्तर में हिमालय की ओर भेज दिया। कालियनाग कुमाऊँ क्षेत्र में आया, तथा शिव की तपस्या करने लगा। स्थानीय लोगों की कई प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करने पर उसे कुमाऊं क्षेत्र में भगवान का दर्जा दिया जाने लगा।
धवल नाग (धौलीनाग) को कालियनाग का सबसे ज्येष्ठ पुत्र माना जाता है। धवल नाग ने प्रारम्भ में कमस्यार क्षेत्र के लोगों को काफी परेशान किया, जिसके बाद लोगों ने उसकी पूजा करना शुरू कर दिया, ताकि वह उन्हें हानि न पहुंचाए। लोगों के पूजन से उसके स्वभाव पर विपरीत असर पड़ने लगा, और फिर उसने लोगों को तंग करने की जगह उनकी रक्षा करना शुरू कर दिया। महर्षि व्यास जी ने स्कंद पुराण के मानस खण्ड के ८३ वें अध्याय में धौली नाग की महिमा का वर्णन करते हुए लिखा है:
धवल नाग नागेश नागकन्या निषेवितम्।
प्रसादा तस्य सम्पूज्य विभवं प्राप्नुयात्ररः।।
कुमाऊँ में नागों के अन्य भी कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें छखाता का कर्कोटकनाग मंदिर, दानपुर का वासुकीनाग, सालम के नागदेव तथा पद्मगीर, महार का शेषनाग तथा अठगुली-पुंगराऊँ के बेड़ीनाग, कालीनाग, फेणीनाग, पिंगलनाग, खरहरीनाग तथा अठगुलीनाग अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं।
पंचमी मेला
पंचमी मेला यहां का एक बहुत प्रसिद्ध और पुराना त्योहार है, जिसमें कांडा-कमस्यार के २२ गांवों के लोगों के अलावा बड़ी संख्या में बाहर से भी लोग आते हैं। लोक मान्यता है कि जब धौलीनाग भगवान इस पहाड़ी में आए तो उन्होंने ग्रामीणों को आवाज देकर अपने पास बुलाया था। आवाज सुनकर रात में ही धपोलासेरा के धपोला लोग २२ हाथ लंबी चीड़ के छिलके से बनी जलती मशाल को हाथ में लेकर मंदिर क्षेत्र में पहुंचे तो वहां पंचमी के नवरात्र पर्व पर एक दिव्यशिला मिली, जिसे उन्होंने शिला को शक्ति रूप में स्थापित कर दिया। तब से ही प्रत्येक वर्ष पंचमी मेला मनाया जाता है। इस मेले के लिए धपोलासेरा के भूल जाति के लोग चीड़ के छिलके की मशाल तैयार करते हैं, जिसे लेकर धपोला लोग गाजे बाजे के साथ मंदिर के लिए निकलते हैं। मंदिर परिसर से कुछ दूरी पर स्थित भगवती मंदिर के पास पहुँचने पर वे पोखरी के चंदोला लोगाें का इंतजार करते हैं, जिनके साथ देव डांगर भी अवतरित होकर गाजे बाजे के साथ मंदिर पहुंचते हैं। यहां से दोनों दल जयकारा करते हुए मंदिर की परिक्रमा करते हैं, और फिर जलती मशाल को मंदिर के सामने रख कर वहां रात्रि भर सांस्कृतिक आयोजन चलते हैं।
आवागमन
धौलीनाग मंदिर विजयपुर के पास एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है। मंदिर विजयपुर से पैदल दूरी पर है लेकिन छोटी गाड़ियों के लिए, सड़क मार्ग भी बना है। इसके अतिरिक्त बिगुल की तरफ से भी मंदिर के लिए एक पैदल रास्ता है, जिसे मोटर मार्ग में बदला जा रहा है। पोखरी, खांतोली ग्रामों की ओर से भी जंगलों से होकर एक कच्चा रास्ता आता है, जिसपर बंजायण, मूलनारायण इत्यादि देवों को समर्पित मंदिर स्थित हैं।
इन्हें भी देखें
विजयपुर, उत्तराखण्ड
बागेश्वर ज़िला
सन्दर्भ
उत्तराखण्ड में हिन्दू मन्दिर
बागेश्वर जिला
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My childhood friend Zubin's daughter all grown up and so pretty... and just for the record I named her Shanelle... #Repost @smritiiraniofficial with @repostapp ・・・ #familyphoto some one is being missed sorely @shanelleirani
A post shared by Shah Rukh Khan (@iamsrk) on May 7, 2017 at 1:58am PDT
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लेख: अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि वह राष्ट्रपति के चुनाव की दौड़ में रहेंगी चाहे उप-राष्ट्रपति जोए बाइडेन भी इस दौड़ में क्यों न शामिल हो जाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि बाइडेन को इस पद की महत्वाकांक्षा के बारे में निर्णय करने का अवसर देना चाहिए।
हिलेरी ने कहा, मैं राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने जा रही हूं, चाहे जो भी हो। उनसे राष्ट्रपति पद की दौड़ में बाइडेन के उतरने की संभावनाओं के बारे में पूछा गया था, जिसे लेकर पिछले कुछ सप्ताह से मीडिया में ऐसी अटकलें चल रही हैं।टिप्पणियां
बाइडेन के परिवार की करीबी समझी जाने वाली हिलेरी ने कहा कि उप- राष्ट्रपति के समक्ष इस बारे में निर्णय करने की गुंजाइश होनी चाहिए और उन्हें इसका अवसर दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह इस दौड़ से पीछे नहीं हटने जा रही हैं।
उन्होंने कहा, बाइडेन मेरे मित्र हैं। वह और मैं सीनेट में सहयोगी रह चुके हैं। प्रथम महिला के तौर पर भी मैं उनके साथ काम कर चुकी हूं। राष्ट्रपति बराक ओबामा के पहले कार्यकाल के दौरान भी मैंने उनके साथ काम किया। मैं उनकी बड़ी प्रशंसक हूं। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं से कहा, उप-राष्ट्रपति ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह चुनाव लड़ने जा रहे हैं या नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि बाइडेन को इस पद की महत्वाकांक्षा के बारे में निर्णय करने का अवसर देना चाहिए।
हिलेरी ने कहा, मैं राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने जा रही हूं, चाहे जो भी हो। उनसे राष्ट्रपति पद की दौड़ में बाइडेन के उतरने की संभावनाओं के बारे में पूछा गया था, जिसे लेकर पिछले कुछ सप्ताह से मीडिया में ऐसी अटकलें चल रही हैं।टिप्पणियां
बाइडेन के परिवार की करीबी समझी जाने वाली हिलेरी ने कहा कि उप- राष्ट्रपति के समक्ष इस बारे में निर्णय करने की गुंजाइश होनी चाहिए और उन्हें इसका अवसर दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह इस दौड़ से पीछे नहीं हटने जा रही हैं।
उन्होंने कहा, बाइडेन मेरे मित्र हैं। वह और मैं सीनेट में सहयोगी रह चुके हैं। प्रथम महिला के तौर पर भी मैं उनके साथ काम कर चुकी हूं। राष्ट्रपति बराक ओबामा के पहले कार्यकाल के दौरान भी मैंने उनके साथ काम किया। मैं उनकी बड़ी प्रशंसक हूं। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं से कहा, उप-राष्ट्रपति ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह चुनाव लड़ने जा रहे हैं या नहीं।
हिलेरी ने कहा, मैं राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने जा रही हूं, चाहे जो भी हो। उनसे राष्ट्रपति पद की दौड़ में बाइडेन के उतरने की संभावनाओं के बारे में पूछा गया था, जिसे लेकर पिछले कुछ सप्ताह से मीडिया में ऐसी अटकलें चल रही हैं।टिप्पणियां
बाइडेन के परिवार की करीबी समझी जाने वाली हिलेरी ने कहा कि उप- राष्ट्रपति के समक्ष इस बारे में निर्णय करने की गुंजाइश होनी चाहिए और उन्हें इसका अवसर दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह इस दौड़ से पीछे नहीं हटने जा रही हैं।
उन्होंने कहा, बाइडेन मेरे मित्र हैं। वह और मैं सीनेट में सहयोगी रह चुके हैं। प्रथम महिला के तौर पर भी मैं उनके साथ काम कर चुकी हूं। राष्ट्रपति बराक ओबामा के पहले कार्यकाल के दौरान भी मैंने उनके साथ काम किया। मैं उनकी बड़ी प्रशंसक हूं। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं से कहा, उप-राष्ट्रपति ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह चुनाव लड़ने जा रहे हैं या नहीं।
बाइडेन के परिवार की करीबी समझी जाने वाली हिलेरी ने कहा कि उप- राष्ट्रपति के समक्ष इस बारे में निर्णय करने की गुंजाइश होनी चाहिए और उन्हें इसका अवसर दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह इस दौड़ से पीछे नहीं हटने जा रही हैं।
उन्होंने कहा, बाइडेन मेरे मित्र हैं। वह और मैं सीनेट में सहयोगी रह चुके हैं। प्रथम महिला के तौर पर भी मैं उनके साथ काम कर चुकी हूं। राष्ट्रपति बराक ओबामा के पहले कार्यकाल के दौरान भी मैंने उनके साथ काम किया। मैं उनकी बड़ी प्रशंसक हूं। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं से कहा, उप-राष्ट्रपति ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह चुनाव लड़ने जा रहे हैं या नहीं।
उन्होंने कहा, बाइडेन मेरे मित्र हैं। वह और मैं सीनेट में सहयोगी रह चुके हैं। प्रथम महिला के तौर पर भी मैं उनके साथ काम कर चुकी हूं। राष्ट्रपति बराक ओबामा के पहले कार्यकाल के दौरान भी मैंने उनके साथ काम किया। मैं उनकी बड़ी प्रशंसक हूं। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं से कहा, उप-राष्ट्रपति ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह चुनाव लड़ने जा रहे हैं या नहीं।
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लेख: कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल को न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जाना चाहिए. कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा, 'जहां तक सीबीआई की बात है तो चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में क्यों भेजा जाना चाहिए? उन्होंने (सीबीआई) सभी सवाल पूछ लिए हैं. मेरे मुवक्किल ईडी की कस्टडी में जाना चाहते हैं. उन्हें न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि चिदंबरम पर जांच को प्रभावित करने या उसमें किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करने का कोई आरोप नहीं है.
एयरसेल-मैक्सिस मामले में दिल्ली की अदालत ने सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ती को अग्रिम जमानत दे दी है. साथ ही अदालत ने पी. चिदंबरम, उनके बेटे कार्ती को सीबीआई, ईडी द्वारा दर्ज एयरसेल-मैक्सिस मामलों में जांच में शामिल होने का निर्देश दिया. वहीं अग्रिम जमानत मिलने के बाद कार्ति चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, 'हम कुछ और भी जीतेंगे'. इससे पहले सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ती की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर दोपहर दो बजे सुनाए जाने वाले आदेश को टालने का अनुरोध किया जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया. सीबीआई की ओर पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी से सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार को सुनाए गए आदेश पर विचार करने का अनुरोध किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के ब्लादिवोस्तोक शहर में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम को संबोधित कते हुए कहा कि वह राष्ट्रपति पुतिन के विजन से प्रभावित हैं. रूस के इस सफर में भारत उनके साथ है. दोनों देशों को भागीदारी मजबूत हुई है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का पहला देश बना है जिसने ब्लादिवोस्तोक शहर में कॉन्स्युलेट खोला है. रूस और भारत एक दूसरे पर काफी समय से विश्वास कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि व्लादिवस्तोक यूरेशिया और पैसिफिक का संगम है. यह आर्कटिक और नॉर्दन सी रूट के लिए नए अवसर खोलता है.
पीएम ने कहा कि रूस का करीब तीन चौथाई भाग एशियाई है. फार ईस्ट इस महान देश की एशियन पहचान को मजबूत करता है. इस क्षेत्र का आकार भारत से करीब दो गुना है. जिसकी आबादी सिर्फ 6 मिलियन है. राष्ट्रपति पुतिन का फॉर ईस्ट (Far East) के प्रति लगाव और विजन केवल इस क्षेत्र के लिए ही नहीं, अपितु भारत जैसे रूस के पार्टनर्स के लिए अभूतपूर्व अवसर लेकर आया है.. भारत में भी हम सबका साथ - सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ एक नए भारत के निर्माण में जुटें हैं. 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने के अभियान में भी हम जी-जान से जुटे हैं.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और कंजरवेटिव पार्टी के नेता बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) और यूके की लेबर पार्टी के सिख सांसद तनमनजीत सिंह (Tanmanjeet Singh Dhesi) की तीखी बहस सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इस वीडियो में तनमनजीत सिंह बोरिस जॉनसन द्वार की गई नक्सलीवादी टिप्पणी पर उनसे माफी मांगने को कह रहे हैं.
दरअसल, ब्रिटिश संसद में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 15 अक्टूबर को मध्यावधि चुनाव (समय पूर्व चुनाव) कराने का प्रस्ताव रखा.
इसी दौरान सिख सांसद तनमनजीन सिंह ने उन्हें साल 2018 में की गई नक्सलीवादी टिप्पणी याद दिलाई और माफी मांगने को कहा. वह 24 जुलाई 2019 को ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे. तनमनजीत सिंह की इस वीडियो को 10 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
टीचर्स डे (Teachers Day) के खास मौके पर कॉमेडियन सुनील ग्रोवर (Sunil Grover) ने भी ट्वीट किया है और उनका ट्वीट जमकर वायरल भी हो रहा है. अपनी कॉमेडी से जमकर लोकप्रियता हासिल करने वाले कॉमेडियन और एक्टर सुनील ग्रोवर (Sunil Grover) ने ट्विटर पर अपने अंदाज से टीचर्स डे की बधाई दी है. लेकिन इसके साथ ही सुनील ग्रोवर अपने अंदाज के साथ कायम भी नजर आए हैं.
सुनील ग्रोवर (Sunil Grover) ने टीचर्स डे (Teacher's Day) की बधाई देने के साथ ही यह भी बताया कि एक टीचर ने ही उन्हें मुर्गा बनना सिखाया था.
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भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का मानना है कि महेंद्र सिंह धोनी को अंपायर उल्हास गांधे से मैदान पर बहस करने के मामले में आसानी से छोड़ दिया गया, जबकि उन पर ‘दो से तीन मैचों का प्रतिबंध’ लगाकर उदाहरण पेश किया जाना चाहिए था.
धोनी राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच के दौरान अंपायर उल्हास गांधे के फैसले को चुनौती देने डगआउट से निकलकर मैदान पर आ गए. मैच के दौरान मैदानी अंपायर से बहस करने के बावजूद प्रतिबंध से बच गए, लेकिन उन्हें मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना देना पड़ा.
धोनी की इस हरकत लभगभ सभी ने आलोचना की, लेकिन सहवाग मौजूदा दौर के पहले बड़े भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने उनकी निलंबन की मांग की.
When MS Dhoni lost his cool
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@ipl
— bishwa mohan mishra (@mohanbishwa)
April 12, 2019
सहवाग ने ‘क्रिकबज’ वेबसाइट से कहा, ‘मुझे लगता है धोनी को आसानी से छोड़ दिया गया और उन्हें 2-3 मैचों के लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए था. क्योंकि अगर उन्होंने आज ऐसा किया है तो कोई दूसरा क्रिकेटर कल ऐसा कर सकता है. ऐसे में अंपायर का क्या महत्व रह जाएगा.’
सहवाग ने कहा, ‘मुझे लगता है कि उन्हें आईपीएल के कुछ मैचों से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए था, जिससे उदाहरण पेश हो सके. मैदान में उतरने की जगह उन्हें बाहर रह कर चौथे अंपायर के वॉकी टॉकी से बात करनी चाहिए थी.’
हसी बोले- हम धोनी विवाद से आगे बढ़ गए हैं
चेन्नई सुपर किंग्स के बल्लेबाजी कोच माइक हसी ने कहा कि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के अंपायर से बहस करने के विवाद को टीम पीछे छोड़ चुकी है. हसी ने कोलकाता के खिलाफ रविवार को होने वाले मैच से पहले कहा, ‘यह घटना किसी हार की तरह है और आप जल्द से जल्द अगले मैच की तरफ बढ़ना चाहते है. ईमानदारी से कहूं तो हमने इसके बारे में चर्चा नहीं की. हम इससे आगे बढ़ चुके हैं. इसके बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं.’
हसी ने पूर्व भारतीय कप्तान की तारीफ करते हुए कहा कि वह ऐसे शानदार खिलाड़ी है जो किसी भी परिस्थिति में खेल सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘अगर टीम मुश्किल में हो तो आप ने अक्सर देखा होगा कि वह धीरे-धीरे खेलते हुए पारी को आगे बढ़ाते हैं, साझेदारी बनाते हैं और फिर अंतिम ओवरों में बड़े शॉट लगाते हैं.’ ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व बल्लेबाज ने कहा, ‘वह टीम में कई भूमिका निभा सकते हैं और वह बहुत शांत रहते हैं. वह जिस टीम के लिए भी खेले उसके लिए फायदे का सौदा हैं.'
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हरियाली तीज श्रावण (सावन) माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है. यह त्यौहार नाग पंचमी के दो दिन पहले मनाया जाता है. यह महिलाओं के मुख्य त्यौहारों में से एक है.
हरियाली तीज से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
हरियाली तीज
पर शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत किया जाता है. शिव पुराण के अनुसार इसी दिन
भगवान शिव
और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. इसे छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है. उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यह व्रत और पूजा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार की महिलाएं विशेष रूप से करती हैं.
मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए. अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं.
हरियाली तीज पूजा विधि:
हरियाली तीज
के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है.
हरियाली तीज
के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं. इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है.
पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है. कथा के समापन पर महिलाएं
मां गौरी
से पति की लंबी उम्र की कामना करती है. इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते है. इस दिन झूला-झूलने का भी रिवाज है.
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उस्मानिया जनरल अस्पताल भारत के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है, हैदराबाद में अफ़ज़लगंज में स्थित है। हैदराबाद के अंतिम निज़ाम, मीर उस्मान अली खान ने इसकी स्थापना की थी और उन्ही के नाम पर इसका नाम रखा गया है। यह अस्पताल तेलंगाना सरकार द्वारा चलाया जाता है, और यह राज्य के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है।
उस्मानिया मेडिकल कॉलेज, जो उस्मानिया जनरल अस्पताल से जुड़ा हुआ है, की स्थापना 1846 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे पुराने चिकित्सा शैक्षिक संस्थानों में से एक है।
आजादी के बाद भ्रष्टाचार
दुर्भाग्यवश आजादी के बाद यह अस्पताल भ्रष्ट अधिकारियों का एक प्रमुख उदाहरण बन गया है और पहले स्तर बनाकर नहीं रख सका।
सन्दर्भ
भारत में स्वास्थ्य
हैदराबाद के निज़ाम
निज़ाम द्वारा स्थापित अस्पताल
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गर्भवती महिलाओं को योग न करने की नसीहतें दी जाती हैं, जबकि उनके लिए यह बेहद फायदेमंद होता है. प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं. इन बदलावों की वजह से उन्हें कई बार परेशानी भी उठानी पड़ती है. ऐसे में इऩ समस्याओं से छुटकारा पाने में योग आपकी मदद कर सकता हैं.
ताड़ासन-
गर्भवती महिलाओं के लिए ताड़ासन काफी फायदेमंद है. यह रीढ़ की हड्डी को मजबूती बनाने के साथ-साथ बैक पेन से भी राहत दिलाता है. इस आसन को शुरुआती 6 महीने तक करना ही फायदेमंद होता है.
शवासन-
शवासन करने से गर्भवती महिलाओं को तनाव से मुक्ति मिलती है. इस आसन को करने से गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में फायदा होता है. गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से श्वासन करना चाहिए.
वीरभद्रासन-
वीरभद्र आसन को वॉरियर पोज भी कहते हैं. इसे करने से हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है. यदि किसी गर्भवती महिला को उच्च रक्तचाप की शिकायत है तो वह इस आसन को न करे.
मार्जरी आसन-
यह आसन कैट पोज के नाम से भी प्रचलित है. इसे करने से रीढ़ में ताकत और शरीर में लचीलापन आएगा. इससे बेहतर रक्त का संचार बना रहता है और पाचन क्रिया में भी सुधार आता है.
कोणासन-
रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में कोणासन भी बेहतर है. ब्लड सर्कुलेश्न में वृद्धी होती है. इसे नियमित करने से गर्भवती महिला के शरीर के हिस्से स्वस्थ रहते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यही नहीं प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज से भी मुक्ती मिलती है.
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यह सूची तमिल भाषा के टीवी चैनलों की है:
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भारतीय स्रकारी चैनल
डीडीपोधिगइ
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श्री लंकाई चैनल
शक्ति टीवी
नेत्र टीवी
डैन तमिल ओझी
दीपम टीवी
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बाल चैनल
कर्टून नेटवर्क
छुट्टी टीवी
टून डिज़्नी
विजइ ६०६
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मनोरंजन
एस्ट्रो बॉक्स ऑफिस
इमायम टीवी
जया टीवी
जया टीवी प्लस
कलैग्नार टीवी
करन टीवी
मक्काल टीवी
मेगा टीवी
एनटीटी
राज डिजिटल प्लस
राज टीवी
शाक्ति टीवी
स्टार विजय
सन टीवी
तमिलियन टीवी
सक्ति टीवी
तमिल वन
तमिल विज़न इंटरनेशनल
वसंत टीवी
विन टीवी
ज़ी तमिल
कॉमेडी तिरै
निथारसनम टीवी
तमिल वेबटीवी
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धार्मिक
श्रुति टीवी .
साल्वेशन टीवी .
ॐ टीवी
एंजिल टीवी
आशिर्वादम टीवी
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जीवनशैली
ऐस्ट्रो वानविल
मक्काल टीवी
बीबीसी तमिल न्यूज़
संगम नेटवर्क
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फिल्म
एस्ट्रो वेल्लितिरै
एस्ट्रो बॉक्स ऑफिस मूवी तंगतिरै
टीबीओ
केटीवी
राज डिजिटल प्लस
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संगीत
सन म्यूज़िक
राज म्यूज़िक्स (चैनल)
इसाई अरुवि (चैनल)
जया मैक्स (चैनल)
गैलेक्सी ओसाई
एसएस म्यूज़िक .
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हास्य
आदित्या
सिरिपोली
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सामयिक एवं व्यापार
सन न्यूज़
गैलेक्सी न्यूज़
जया प्लस
राज न्यूज़ 24x7
कलइग्नार न्यूज़
ज़ी न्यूज़ तमिल
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इंटरनेट प्रोटोकॉल टीवी
टीवीI ऑन डिमांड
तमिल आईपीटीवी
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बाहरी कड़ियाँ
मीडिया वर्ल्ड एशिया
ईसाई चैनल
तमिल
तमिल भाषा
तमिल
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(13 फरवरी 1894 से 16 जुलाई 1984) इतिहासकार वासुदेव सीताराम बेंद्रे ऐतिहासिक अनुसंधान और लेखन के क्षेत्र में असाधारण काम करने वाले दिग्गजों की सूची में एक सक्रिय व्यक्ति हैं। सी. बेंद्रे का प्रदर्शन अद्वितीय है। प्रसिद्ध इतिहासकार श्री वी.सी.बेंद्रे का जन्म 13 फरवरी 1894 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा कोलाबा जिले के पेन में अंग्रेजी चौथी से मन्त्री तक मुंबई के विल्सन हाई स्कूल में की। उस समय परीक्षा के लिए आयु की आवश्यकता सोलह वर्ष थी। इसी वजह से और परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते 14 साल की उम्र में उन्हें जी. मैं। पी। ऑडिट में अवैतनिक उम्मीदवारी लेनी थी। वहां उन्होंने 3 महीने में टाइपराइटिंग सीख ली और शॉर्टहैंड मेथड सीखने के बाद एलन ब्रदर्स में काम करने लगे। 1913 में, 19 वर्ष की आयु में, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहले स्वर्ण पदक के साथ शॉर्ट-हैंड टेस्ट पास किया। लेकिन मि. बेंद्रे ने शिक्षा विभाग में नौकरी करने का फैसला किया। 1918 में, उन्होंने भारत इतिहास अनुसंधान बोर्ड में काम करना शुरू किया। बेंद्रे ने मुख्य रूप से महाराष्ट्र के 17वीं शताब्दी के इतिहास को शोध के क्षेत्र के रूप में चुना। एक टूल-कलेक्टर, टूल-एडिटर, टूल-डॉक्टर, शोधकर्ता और इतिहासकार ने विभिन्न भूमिकाओं को कुशलता से निभाया। वर्ष 1928 में उनकी पहली पुस्तक "साधन चिसिया", शिवशाही के इतिहास का परिचयात्मक खंड प्रकाशित हुआ था। . इस पुस्तक को प्रकाशित कर उन्होंने विशेष रूप से नए विद्वानों और शोधकर्ताओं को बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया। भले ही वह सरकारी नौकरी में हों। पी। उन्होंने कवरटन के सहयोग से इतिहास के क्षेत्र में प्रवेश किया। वह हमेशा व्यस्त रहता था। एक युवा व्यक्ति के रूप में भी जब वे पुणे आए, तो वे न केवल एक सरकारी कर्मचारी थे, बल्कि एक आशुलिपिक भी थे और भारतीय इतिहास बोर्ड से भी जुड़े हुए थे। बनाम क्यों उन्होंने रजवाडे को गुरुस्थानी मानकर शोध कार्य प्रारंभ किया और अपने गुरु की शोध परंपरा को जारी रखा। अपने गुरु की तरह, बेंद्रे का उद्देश्य महाराष्ट्र के राष्ट्रीय इतिहास का निर्माण करना था। 'स्वदेशी लोगों और उनके अपने लोगों के इतिहास को देखते हुए, राष्ट्र को जीवित रखने के लिए हमारा देश इतिहास के शुद्ध कड़वे या मीठे सत्य से कैसे सीख सकता है, इस पर चर्चा करना शाही या राष्ट्रीय इतिहास की परंपरा थी', और यह परंपरा थी बेंद्रे ने आगे बढ़ाया। इतिहास के शोधकर्ता बेंद्रे की अपार मेहनत, लगन और अध्ययन को देखते हुए सन् 1938 में मुंबई के पूर्व गवर्नर लार्ड ब्रेबोन के अनुरोध पर श्री. खेर ने विशेष छात्रवृत्ति दी। सी। बेंद्रे को सरकार "हिस्टोरिकल रिसर्च स्कॉलर" के रूप में ऐतिहासिक शोध के लिए यूरोप और इंग्लैंड भेजा गया था।
दो वर्षों में मराठों विशेषकर संभाजी महाराज की ऐतिहासिक सामग्री का शोध और उसके लिए इण्डिया हाउस तथा ब्रिटिश संग्रहालय से ऐतिहासिक सामग्री के लगभग 25 खण्ड वापस लाए गए। इंग्लैंड में रहने के कारण बेंद्रे के अनुसंधान और संग्रह के क्षेत्र में काफी विस्तार हुआ। जब श्री. जब बेंद्रे को ऐसे औजारों की जांच करने का मौका मिला, तो उन्हें मराठों और वास्तव में महाराष्ट्र के इतिहास में एक महान मूल्य का खजाना मिला। तब तक इब्राहिम खान नाम के एक विदेशी की तस्वीर को महाराष्ट्र के इतिहास पर एक किताब में "शिवाजी महाराज" की तस्वीर के रूप में छापा गया था। यह चित्र चित्रकार मनुची से संबंधित था। इससे तथाकथित शिवाजी महाराज की कई तस्वीरें प्रसारित की गईं, जिनमें उसी आकृति के चेहरों को चित्रित किया गया था और मुस्लिम कपड़े पहने हुए थे। महाराज के चित्र को समाज में सन्दर्भहीन मानकर पूजा जाता था। जिस छायाचित्र को आज हर जगह शिवाजी महाराज की आधिकारिक छवि के रूप में स्वीकार किया गया है, उसे इतिहासकार वासुदेवराव बेंद्रे ने अपने विदेश दौरे के दौरान खींचा था।पहले के ऐतिहासिक नाटकों को देखते हुए, वे ज्यादातर अकिवा की जानकारी के आधार पर बखर वंदमाया के आधार पर सजाए गए थे। और पारंपरिक परंपरा। संभाजी महाराज के जीवन पर मराठी भाषा में कई नाटक लिखे गए, उनमें से अधिकांश में संभाजी को नाटककार ने व्यसनी, व्यभिचारी, व्यभिचारी आदि के रूप में चित्रित किया। बेंद्रे को यह महसूस नहीं हुआ। संभाजी महाराज की जीवनी को संशोधित करने का विचार उनके मन में बहुत समय से रहा होगा। मंडली में उनके मित्र श्री पंडोबा पटवर्धन ने उनसे इस विषय पर शोध करने का विशेष आग्रह किया था। श्री बेंद्रे जी का ध्यान इस विषय पर आदि। एस। 1918 के बाद से। इसके लिए वे जहां कहीं भी होते थे, औजार इकट्ठा करने जाते थे। अंत में, उन्होंने कठिनाइयों पर काबू पाया और इस विषय से संबंधित हजारों सामग्रियों को इकट्ठा करने के लिए विदेशों में खोज की और उस पर आधारित संभाजी महाराज की जीवनी आदि। एस। 1958 में लिखा और पूरा हुआ। यानी उन्होंने इस विषय पर करीब 40 साल बिताए। इस किताब ने समाज में सनसनी पैदा कर दी। वगैरह। एस। 1960 में, "संभाजी" की सच्ची जीवनी हम सभी को ज्ञात हुई। इस पुस्तक ने समाज में महाराष्ट्र इतिहास अनुसंधान के क्षेत्र में अपना नाम बनाया है। सी। बेंद्रे का नाम संभाजी महाराज पर उनके व्यापक शोध और संभाजी महाराज की पारंपरिक छवि को बदलकर एक नई छवि बनाने के लिए प्रसिद्ध है। इसने संभाजी महाराज के व्यक्तित्व को बदल दिया। इसलिए, संभाजी महाराज की एक शक्तिशाली, बहादुरी से संकट का सामना करने वाले, रणनीतिक और कूटनीतिक के रूप में उज्ज्वल छवि को ऊंचा किया गया। संभाजी महाराज की जीवनी प्रकाशित करके। सी। बेंद्रे ने बहुत अच्छा काम किया है। जैसे ही संभाजी महाराज का चरित्र बदला गया, वंदमायिन की पिछली रचनाएँ बेकार हो गईं। बेंद्रे ने सभी व्याख्याओं को सरल और शोध पर आधारित बनाया। इस जीवनी के कारण स्वाभिमानी, धर्मपरायण, पराक्रमी और संस्कृत के ज्ञाता संभाजी राजा के बारे में सारी भ्रांतियाँ दूर हो गईं। उसी के आधार पर उन्होंने संभाजी महाराज के जीवन की सभी विसंगतियों को दूर किया। बेंद्रे ने इसके लिए ऐतिहासिक पत्र की उपेक्षा नहीं की। यह किरदार वास्तव में लोकप्रिय हुआ था। उन्होंने अभ्यासियों को अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया। जीवनी में एक नए अध्ययन के आधार पर प्रो. संभाजी महाराज का नया चरित्र "इथे ओशाल्ला मारती" या "रायगडाला जाजम यजा" मनोविज्ञान पर आधारित है। कनेतकरण जैसे नाटक मंच पर सफल हुए। शिवाजी सावंत की 'चाव' ने यह दिखाया। कला के इन नए कार्यों से इतिहास के नए विद्वानों को अधिक गुंजाइश मिली। "शिवपुत्र संभाजी" जैसे पी. एच। डी की किताब के लिए डॉ. श्रीमती। कमल गोखले ने अपने शोध के लिए बेंद्रे के अपने शोध को ही आधार बनाया। देखा जाए तो बाद के काल में कमला और गोखले की थीसिस होगी, कनेतकर के नाटक होंगे, जो संभाजी महाराज के वास्तविक स्वरूप को दर्शाएंगे, लेकिन इसकी नींव इतिहास के शोधकर्ता बेंद्रे की संभाजी महाराज की जीवनी है। इतिहास के औजारों के विशाल पहाड़ की खुदाई की प्रक्रिया में, महान विभूति के संभाजी को पुराने लोकप्रिय धार्मिक नायक लेकिन दुष्ट संभाजी के बिना पाया गया। इतिहासकारों और नाटककारों ने संभाजी को एक व्यसनी, एक हत्यारे और धर्मांध के रूप में दिखाया है जो धर्म के लिए घोर यातना की आग में बहादुरी और धैर्य से खड़ा रहा। दार्शनिक के लिए यह एक अनसुलझी पहेली थी। जब शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो रहे हों, आंखें निकाली जा रही हों, जीवित रहते हुए शरीर को छीला जा रहा हो, जो व्यक्ति भक्ति के साथ संसार में रहता है और अपनी भक्ति की अंतिम परीक्षा में आता है, वह दुनिया के गुलाम के रूप में व्यवहार करता है। उसके बाकी जीवन में, यह घटना सुसंगत नहीं लगती, बेतुकी लगती है। अब बेंद्रे को इन वैचारिक पहेलियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया है. मराठों के बारे में गलतफहमी रखने वाले एक मुस्लिम इतिहासकार काफिखान संभाजी को शिवाजी के बजाय सवाई मानते हैं, यह जीवनी बताती है। चरित्र एक वास्तविक हिट बन गया, जिससे चिकित्सकों को पूर्वाभ्यास करने के लिए प्रेरित किया। इस पुस्तक को साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है। वे कहा करते थे कि बिना प्रमाण के हम कुछ नहीं लिखते और यह सच था।शुरुआत में ऐसी मान्यता थी कि संभाजी महाराज की समाधि तुलापुर में है। कालान्तर में और सन्दर्भ मिलने के बाद बेंद्रे ने अनुभव किया कि यह मूल समाधि वधु -बद्रुक में है। और बड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार उन्होंने संभाजी की समाधि खोज ही ली और आज भी उस अनमोल खजाने को खूब संगीत के साथ मनाया जाता है।
1948 में, पेशवा ने विभाग में एक शोध अधिकारी नियुक्त किया। जब वे पेशवा दफ्तरखाने के एक अधिकारी थे, तब बेंद्रे ने ऐतिहासिक दस्तावेजों के संदर्भ में बहुत से मूल्यवान कार्य किए हैं। पेशवा दफ्तर के पास लगभग 4 करोड़ ऐतिहासिक दस्तावेजों का अराजक संग्रह था। इन दस्तावेजों को सूचीबद्ध करना, उन्हें विषयवार विभाजित करना, विद्वान के लिए इस उपयोगी कार्य की शुरुआत वी.सी.बेंद्रे ने की थी।उन्होंने संत वांग्मय का भी गहन अध्ययन किया था। संत तुकाराम महाराज के बारे में उनके द्वारा किया गया शोध बहुत मूल्यवान है। कई विद्वानों ने तुकाराम महाराज की जीवनियाँ लिखी हैं, साथ ही उनकी कविता की आलोचना करने वाली किताबें भी लिखी हैं, लेकिन केवल एक अभंग के आधार पर, जिसमें तुकोबा की गाथा में तीन गुरुओं का उल्लेख है, केवल बेंद्रे ने ही उनका पता लगाने की कोशिश की है। उनकी किताब ने उन्हें एक स्वतंत्र आयाम दिया है। संत तुकाराम का अध्ययन... साहित्य के अनुसंधान क्षेत्र में अननवय को अलंकार के समान माना जाता है। वे 1963 में मुंबई-मराठी ग्रंथ संग्रहालय के इतिहास अनुसंधान बोर्ड के निदेशक के रूप में मुंबई आए। कई वर्षों तक उन्होंने इस संस्था के सिद्धांतों को संभाला। 1965 से वे "महाराष्ट्रतीस परिषद" संस्था के मुख्य पदाधिकारी भी थे। बेंद्रे ने ऐतिहासिक शोध में इतनी बड़ी उपस्थिति क्यों बनाई है, इसका कारण शोध विधियों और शोध सामग्रियों पर उनकी दृढ़ पकड़ है, जिसे उन्होंने बड़ी मेहनत से साबित किया। वासुदेवराव बेंद्रे न केवल एक ऐतिहासिक शोधकर्ता थे बल्कि एक चतुर लेखक भी थे। उन्होंने ऐतिहासिक विषयों के साथ-साथ विभिन्न विषयों पर लिखा था। 1896 से 1986 तक उनके जीवन के नब्बे साल। सामान्य तौर पर, इस जीवन प्रत्याशा को एक मध्यवर्गीय व्यक्ति को अभिभूत करना चाहिए। लेकिन बेंद्रे के लिए ये जिंदगी भी छोटी थी. 1972 में उन्होंने 'शिवचरित्र' प्रकाशित किया और 1975 में, यानी लगभग 80 वर्ष की आयु में , राजाराम महाराज की जीवनी, जीवन के प्रति उनकी निष्ठा और उन्मुखता को सिद्ध करती है। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कई संकलन लिखे हैं। उन्होंने छात्र संघ, भाईचारा स्काउट संगठन आदि विभिन्न रूपों में सामाजिक कार्यों में भाग लिया। उस समय उन्होंने दहेज विरोधी अभियान भी चलाया था।
16 जुलाई 1986 को उनका निधन हो गया। अपने काम के प्रति इतना समर्पित विद्वान विरले ही होता है। बेंद्रे ने अपने दीर्घ जीवन में अंत तक निरंतर पढ़ने-लिखने के व्रत का पालन किया। इतिहासकार वासुदेव सीताराम बेंद्रे जैसे महर्षियों ने आधुनिक महाराष्ट्र के निर्माण में बहुत बड़ी और मूल्यवान भूमिका निभाई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बेंद्रे का लक्ष्य, दृढ़ संकल्प और संघर्ष हम सभी को हमेशा के लिए प्रेरित करता रहेगा!
वासुदेव सीताराम बेंद्रे (बी : पेन, रायगढ़ जिला - महाराष्ट्र, 13 फरवरी 1896; मृत्यु 16 जुलाई 1986) महाराष्ट्र के एक इतिहासकार थे। छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म तिथि - फाल्गुन वद्य तृतीया, शक 1551, (19 फरवरी, संवत् 1630) - इसकी पुष्टि करने का एक अभूतपूर्व कार्य है। सी। बेंद्रे ने किया। तिथि आदि अनेक पूर्व इतिहासकारों ने दी है। एस। 1627, शक 1549 प्रभाव नाम संवत्सर, वैशाख शुक्ल तृतीया - यह अब कम से कम महाराष्ट्र में स्वीकार नहीं किया जाता है।
1. उनका एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य 1933 में उनके द्वारा खोजा और प्रकाशित किया गया छत्रपति शिवाजी महाराज का चित्र है। 1933 तक एक मुस्लिम सरदार की तस्वीर शिवाजी महाराज की तस्वीर के रूप में प्रचलित थी। यह न केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ अन्याय था बल्कि मराठों के पूरे इतिहास के साथ अन्याय था। इतिहासकार वासुदेव सीताराम बेंद्रे द्वारा खोजे गए इस चित्र को तत्कालीन गवर्नर वेलेंटाइन के कहने पर एक डच चित्रकार ने चित्रित किया था। इस तस्वीर में उन्होंने शिवाजी महाराज की पोशाक को बहुत अच्छे से दिखाया है, जो पहले की लोकप्रिय तस्वीरों में मुस्लिम सरदार की पोशाक से अलग है।
2. छत्रपति शिवाजी महाराज के चित्र की खोज के बाद उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि संभाजी महाराज की जीवनी है। या सी। बेंद्रे के 40 वर्षों के अथक शोध से जनता के मन में तब तक संभाजी महाराज की नकारात्मक छवि मिट गई और एक योद्धा मराठी राजा के रूप में उनकी छवि उभर कर सामने आई। अपने शोध की मदद से उन्होंने वधु बुद्रुक में संभाजी महाराज की समाधि की खोज की। अपने काम के प्रति वफादारी और प्यार। सी। उनके गुण इस बात की गवाही देते हैं कि वे महाराष्ट्र के सच्चे भूमिपुत्र हैं। बाद के काल में, कई लेखक, कलाकार या सी। बेंद्रे के साहित्य और लेखन को आधार बनाकर ही संभाजी महाराज की छवि बनाई गई।
3. या सी। बेंद्रे का शोध केवल मराठा साम्राज्य और राजाओं के जीवन कार्य को प्रस्तुत करने तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने उस समय के सामान्य व्यक्तित्वों से भी परामर्श किया जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना के लिए अत्यधिक कार्य किया। उनके द्वारा खोजे गए संतों के अप्रकाशित अंश इस बात की गवाही देते हैं। यह अभंग उनकी मृत्यु के बाद 1986 में रिलीज़ हुई थी।
4. सत्तर से अधिक वर्षों की अवधि में, उन्होंने ऐतिहासिक शोध पर आधारित 60 से अधिक पुस्तकें लिखीं। उनकी पुस्तकें इस बात का अच्छा उदाहरण हैं कि कैसे ऐतिहासिक शोध को वैज्ञानिक रूप से परखा और तथ्यात्मक होना चाहिए। लिखते समय, वे इस बात का ध्यान रखते थे कि नाटकीय या काल्पनिक न लगे। इसलिए, बेंद्रे की कुछ किताबें दुनिया भर के प्रसिद्ध पुस्तकालयों के साथ-साथ अमेरिका के व्हाइट हाउस के पुस्तकालय में भी देखी जा सकती हैं।
5. उनके द्वारा लिखित 'साधन-छिया' पुस्तक इतिहास के शोधार्थियों के लिए आज भी पथप्रदर्शक है। उनके द्वारा लिखी गई यह पुस्तक अपनी तरह की एकमात्र ऐसी पुस्तक है जो यह बताती है कि इस शोध को किस प्रकार बहुत सावधानीपूर्वक और कड़ाई से किया जाना चाहिए और ऐसा लगता है कि किसी अन्य मराठी इतिहासकार ने इस तरह की पुस्तक नहीं लिखी है।
6. शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज की जीवनी लिखकर। सी। अगर बेंद्रे नहीं रुकते तो वे दूसरी किताबें भी लिखते, साथ ही साथ ढेर सारा शोध भी करते। उदाहरण के लिए, शाहजी राजे भोसले (शिवाजी महाराज के पिता), मालोजीराजे भोसले (शिवाजी महाराज के दादा), संभाजी भोसले (शिवाजी महाराज के पिता के भाई), राजाराम, आदिल शाह, कुतुब शाह और राजा जय सिंह। बेंद्रे ने इन व्यक्तियों के जीवन का अध्ययन किया और उन घटनाओं और परिस्थितियों का पता लगाया जिनके कारण मराठा साम्राज्य की स्थापना हुई। इस मसले के बारे में बहुत कम लोगों ने जानने की कोशिश की है।
7. उनके शोध लेखन का एक वास्तविक उदाहरण उनका 'शिव-चरित्र' (शिवाजी की जीवनी) है। इसे लिखने से पहले, बेंद्रे दो साल इंग्लैंड और यूरोप में रहे और ब्रिटिश संग्रहालय और यूरोप के विभिन्न संग्रहालयों के दस्तावेजों का अध्ययन किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह इस जगह से एकत्रित किए गए कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जहाज से भारत लाए थे। यह एक ऐसे दौर पर प्रकाश डालता है जिसकी उपेक्षा की गई थी। उनकी इस यात्रा ने कई सच्चाइयों को जन्म दिया, जिनमें से एक थी शिवाजी महाराज की तलवार। बेंद्रे ने यह साबित करने की कोशिश की कि इस तलवार को 'जगदंबा' के नाम से जाना जाता है न कि 'भवानी तलवार' के नाम से।
8. वास्तव में, छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो जनता के मन पर हावी हैं और हर मराठी व्यक्ति का दिल और गौरव हैं। उसके कारण महाराष्ट्र सरकार ने कई विद्वानों को शिवाजी की जीवनी लिखने के लिए बुलाया। उसके लिए कई सुविधाएं देने का वादा किया गया था और बहुत पारिश्रमिक भी तैयार किया गया था, लेकिन लेखन के इस शिव धनुष को पूरा करने के लिए कोई आगे नहीं आया। केवल सी। बेंद्रे ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को बड़ी सफलता के साथ किया। यह लेखन उनकी लगन और वर्षों की कड़ी मेहनत का फल है।
9. या सी। बेंद्रे ने बहुत ही कम समय में पेशवा दप्त्रा दस्तावेजों के चार करोड़ से अधिक पृष्ठों को छांटने और मिलान करने और सूचीबद्ध करने के जटिल कार्य को बड़ी मेहनत से पूरा किया। इसलिए, मद्रास राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजगोपालाचारी ने उन्हें तंजावुर दप्टरा को सूचीबद्ध करने की जिम्मेदारी दी। जिस काम को पूरा करने में सरकार को पांच साल लगने की उम्मीद थी, काम या सी। बेंद्रे ने अत्यधिक दृढ़ता के साथ इसे केवल दो वर्षों में पूरा किया। उनका कार्य केवल उनकी अपार दक्षता, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का परिणाम है।
10. उन्होंने 80 वर्ष की आयु में ' राजाराम महाराज चरित्र' पुस्तक लिखी।
मराठी लेखक
१९८६ में निधन
1896 में जन्मे लोग
इतिहासकार
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लेख: सिसोदिया ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद एलजी ने सरकार से ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार अपने पास रख लिए थे या डिपार्टमेंट हेड को दे दिए थे. कुछ अधिकार सीएस को दिए गए थे. थोड़ी देर पहले मैंने आर्डर दिए हैं कि आईएस दानिक्स के ट्रांसफर सीएम के अप्रूवल से होंगे, ग्रेड 2 डिप्टी सीएम, ग्रेड 3 और 4 के लिए सर्विस डिपार्टमेंट मंत्री की मंजूरी ली जाएगी.टिप्पणियां
दिल्ली के सर्विसेज विभाग की दलील है कि 29 अगस्त 2016 को नोटिफिकेशन हुआ था जिसके मुताबिक ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार उपराज्यपाल, मुख्य सचिव, सेक्रेटरी सर्विसेज और सम्बंधित विभाग के सचिव के पास ही रहेंगे.
वैसे मई 2015 में केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके सर्विसेज विभाग दिल्ली सरकार से लेकर केंद्र के अधीन कर दिया था लेकिन लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार की दलील है कि कोर्ट ने साफ कहा है कि ज़मीन, पुलिस और कानून व्यवस्था को छोड़ सब विषय दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं.
दिल्ली के सर्विसेज विभाग की दलील है कि 29 अगस्त 2016 को नोटिफिकेशन हुआ था जिसके मुताबिक ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार उपराज्यपाल, मुख्य सचिव, सेक्रेटरी सर्विसेज और सम्बंधित विभाग के सचिव के पास ही रहेंगे.
वैसे मई 2015 में केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके सर्विसेज विभाग दिल्ली सरकार से लेकर केंद्र के अधीन कर दिया था लेकिन लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार की दलील है कि कोर्ट ने साफ कहा है कि ज़मीन, पुलिस और कानून व्यवस्था को छोड़ सब विषय दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं.
वैसे मई 2015 में केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके सर्विसेज विभाग दिल्ली सरकार से लेकर केंद्र के अधीन कर दिया था लेकिन लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार की दलील है कि कोर्ट ने साफ कहा है कि ज़मीन, पुलिस और कानून व्यवस्था को छोड़ सब विषय दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं.
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एक अनोखे सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि एक बैंक लुटेरा एक ईमानदार व्यक्ति की तुलना में कहीं ‘कम’ कमाई कर पाता है.
ससेक्स और सरे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपनी तरह के इस अभूतपूर्व सर्वेक्षण में ब्रिटेन में बैंक लुटेरों की कमाई का विश्लेषण किया.
विशेषज्ञों का दावा है कि आम लुटेरा औसतन 12,706 पाउंड लूटकर भागता है, जो किसी ईमानदार कर्मचारी को औसतन छह महीने में मिलने वाले वेतन से कम ही होता है. हालांकि टीवी में दिखाया जाता है कि लुटेरे नोटों से भरे बैग लेकर भाग रहे होते हैं, जबकि असलियत में वह तीन बैंको में से एक से खाली हाथ ही लौटते हैं.
डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार लुटेरों को पुलिस द्वारा उच्च तकनीकी उपकरणों द्वारा पकड़े जाने का खतरा रहता है. साथ ही साथ पकड़े जाने पर अदालत द्वारा लम्बी जेल की सजा भी दी जाती हैं. तथ्यों के अनुसार अगर कोई लुटेरा अपनी माली हालत सुधारने के लिये लगातार कई बैंक लूटता है, तो औसतन चौथी लूट के बाद वह पकड़ा जाता है और जेल में डाल दिया जाता है.
शोधकर्ताओं ने ब्रिटिश बैंकर्स एसोसिएशन से कई विचित्र डाटा जुटाये कि अब तक कितनी लूट हुई और कितने में हथियारों का इस्तेमाल हुआ. अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि ब्रिटेन में डकैतियों मे औसतन 20,331 पाउंड लूटे गए और लुटेरों की संख्या के हिसाब से हर सदस्य को 12,706 पाउंड मिले हैं.
सर्वेक्षण के अनुसार हथियारों के साथ लूट को अंजाम देने वाले लुटेरे ज्यादा माल बटोरते हैं, जितना बड़ा गिरोह होता है लूट का माल भी उतना ही ज्यादा होता है. अतिरिक्त सदस्य के आने पर लूट की कुल रकम औसतन 9,033 पाउंड बढ़ जाती है, किन्तु हर लुटेरे को मिलने वाला हिस्सा घट जाता है.
शोधकर्ताओं ने सुरक्षा मापदण्डों जैसे अलार्म से लेकर स्टाफ तक के काम करने के तरीकों को भी परखा. सुरक्षा की दृष्टि से लगाई गई स्क्रीन के कारण लूट की घटनाओं में एक-तिहाई तक कमी आई, लेकिन अत्यधिक महंगे होने के कारण ब्रिटेन के 10 में से एक ही बैंक में यह स्क्रीन लगी हुई थी.
सरे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नील रिकमैन ने कहा कि यह शोध दर्शाता है कि बैंक लूटना कोई फायदे का सौदा नहीं है. उन्होंने कहा कि यह अध्ययन लूटपाट जैसे काम को अंजाम देने वालों की सामाजिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों और इस तरह के जोखिमपूर्ण काम करने के दौरान लगने वाली चोटों के बारे में नहीं बताता.
उन्होंने कहा कि अपराध करने में फायदा है या नहीं इस सवाल का जवाब आपके इस विचार पर निर्भर करता है कि 20,331 पाउंड की रकम के लिए इतना जोखिम उठाया जा सकता है या नहीं. वैसे उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि यह अपराधियों के उस समूह के लिए फायदे का सौदा है जो अपने काम को अंजाम देने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और बड़े पेशेवराना अंदाज में अपने काम को अंजाम देते हैं.’
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त्रिशनीत अरोरा (जन्म 2 नवम्बर 1993) एक एथिकल हैकर है। वह सायबर सिक्यूरिटी कम्पनी TAC Security का संस्थापक और सीईओ है। अरोरा ने एथिकल हैकिंग और वेब सुरक्षा पर कई किताबे लिखी है।
पुरस्कार तथा सम्मान
Punjab मुख्यमन्त्री, प्रकाश सिंह बादल ने अरोड़ा को 65 वें गणतंत्र दिवस (पंजाब सरकार, भारत) पर एक 'स्टेट अवार्ड' दिया।
2015 में PCHB द्वारा पंजाबी आइकॉन पुरस्कार मिला।
आकाश अम्बानी, विजय शेखर शर्मा, रणवीर सिंह, प्रभास और अन्य लोगों के साथ 2017 मे GQ मगज़ीन द्वारा 50 सबसे प्रभावशाली युवा भारतीयो की सूची में शामिल।
2013 में, अरोड़ा ने गुजरात के बिजनेस रिलेशन्स सम्मेलन में यशवंत सिन्हा, भारत के पूर्व वित्त मन्त्री के साथ मंच साझा किया।
इन्हें भी देखें
अंकित फ़ादिया
प्रणव मिस्त्री
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
अधिकारिक जालस्थल
1993 में जन्मे लोग
जीवित लोग
कंप्यूटर सुरक्षा से जुड़े लोग
हैकर
उद्यमी
भारत के लोग
पंजाब के लोग
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होम वर्क पूरा नहीं करने पर बच्ची का मुंह काला करके घुमाया
हिसार के एक निजी स्कूल की घटना, लोगों में आक्रोश
हरियाणा के हिसार में एक निजी स्कूल में दलित समुदाय की चौथी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची के साथ स्कूल प्रशासन ने जो शर्मनाक हरकत की है वो जानकर आप हैरान हो जाएंगे. टेस्ट में कम नंबर और होम वर्क पूरा नहीं करके आने पर छात्रा का मुंह काला करके उसे दूसरे क्लासों में घुमाया गया.
दरअसल हिसार के बडवाली में एक निजी स्कूल में कक्षा चार में पढ़ने वाली दलित समुदाय की लड़की किसी कारण से अपना होम वर्क पूरा नहीं कर पाई थी. उसे टेस्ट में भी कम नंबर आया था. जब वो स्कूल पहुंची और टीचर को पता चला कि उसने होम वर्क नहीं किया है तो बतौर सजा उसका मुंह काला करवा दिया और उसे दूसरे क्लासों में घुमाया. घर आकर बच्ची ने यह बात अपने पिता को बताई.
अब इस मामले ने वहां तूल पकड़ लिया है और दलित समुदाय के लोगों ने प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है कि ऐसा करने वाले शख्स के खिलाफ अगर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो वो पूरे राज्य में आंदोलन करेंगे.
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस स्कूल के सीसीटीवी फुटेज को खंगालने में जुट गई है. पुलिस ने बच्ची का भी बयान दर्ज कर लिया है और स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. दलित समुदाय के लोगों ने प्रशासन को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए 72 घंटे का समय दिया है.
सफाई कर्मचारी यूयियनों में इस घटना को लेकर काफी गुस्सा है. इस घटना को लेकर सभी दलित समाज के लोगों और कुछ संगठनों ने सब्जी मंडी पुलिस चौकी के सामने स्कूल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन भी किया. उनकी मांग है कि स्कूल प्रशासन और अन्य टीचरों के खिलाफ कार्रवाई करके उन्हें गिरफ्तार किया जाए.
वहीं पीड़ित बच्ची के पिता ने कहा है कि उनकी बच्ची का मुंह काला करके स्कूल की दूसरी क्लासों में उसे घुमाया गया जो निहायत ही घिनौनी हरकत है. उन्होंने स्कूल प्रशासन और दोषी कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
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हरियाणा में बीजेपी को मिला निर्दलीयों का साथ
9 विधायकों ने किया समर्थन का ऐलान
दिल्ली में जेपी नड्डा से मिले गोपाल कांडा
हरियाणा में बहुमत के आंकड़ों से दूर दिख रही भारतीय जनता पार्टी को निर्दलीय विधायकों का साथ मिल गया है. बीजेपी को हरियाणा में सिर्फ 40 सीटें मिली थीं और 6 सीटों की दरकार थी. लेकिन शुक्रवार दोपहर तक 9 विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है, यानी अब मनोहर लाल खट्टर के पास कुल 49 विधायकों का साथ हो गया है. जो कि बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा है.
गुरुवार देर रात हरियाणा के पांच निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और हरियाणा बीजेपी के प्रभारी और महासचिव अनिल जैन से मुलाकात कर हरियाणा में बीजेपी को समर्थन देने पर मुहर लगा दी. उसके बाद बाकी के विधायक भी बीजेपी के साथ आए और अपना समर्थन देने की चिट्ठी दी. मनोहर खट्टर दिवाली के बाद सीएम पद की शपथ ले सकते हैं.
भाजपा के समर्थन में सबसे पहले गोपाल कांडा आए, बाद में निर्दलीयों ने भी साथ दिया. जो विधायक चुनाव से पहले टिकट ना मिलने के कारण बीजेपी से नाराज़ थे, उन्होंने पार्टी का समर्थन करने की बात कही है. इसके अलावा INLD के अभय चौटाला भी भाजपा के साथ आए हैं.
जिन विधायकों ने जेपी नड्डा और अनिल जैन से मुलाकात की हैं वो हैं:-
1)
रणधीर गोलन- पुंडरी
2)
बलराज कुंडू- महम
3)
रणजीत सिंह- रानियां
4)
राकेश दौलताबाद- बादशाहपुर
5)
गोपाल कांडा – सिरसा
6)
सोमवीर सांगवान- दादरी
7)
धर्मपाल गोंदर- नीलोखेड़ी
8)
अभय चौटाला - आईएनएलडी
9)
नयनपाल रावत - पृथला
इसे पढ़ें: कभी सड़क पर उतरकर की थी गिरफ्तारी की मांग, अब गोपाल कांडा को मंत्री बनाएगी BJP?
गुरुवार दोपहर को नतीजों के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने की जुगत में लग गई थी. बीजेपी को 6 विधायकों की दरकार थी और निर्दलीयों के नंबर कुल सात थे.
इनमें से चार तो बीजेपी के ही बागी विधायक थे, ऐसे में 24 घंटे के अंदर भाजपा ने इनका समर्थन अपने नाम कर लिया है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर शुक्रवार को ही नई दिल्ली रवाना हुए और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. इस दौरान हरियाणा चुनाव के नतीजों पर चर्चा हुई. हरियाणा भवन में मनोहर खट्टर ने निर्दलीय विधायकों से भी मुलाकात की. उन्होंने यहां कहा कि हरियाणा में बीजेपी ही सरकार बनाने जा रही है.
गोपाल कांडा पर घिरी BJP, उमा भारती बोलीं- चुनाव जीतना अपराधों से बरी नहीं करता
नहीं बन पाई कांग्रेस की सरकार!
गुरुवार को नतीजों के दौरान जब भाजपा और कांग्रेस में टक्कर चल रही थी, तब एक समय ऐसा भी आया था जब कांग्रेस सरकार बनने की उम्मीद दिख रही थी. कांग्रेस और जेजेपी की बीच सरकार बनाने की बात चल रही थी, जेजेपी ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात भी कही थी. लेकिन बदले में मुख्यमंत्री पद मांग लिया था, लेकिन बाद में स्थिति बदल गई. भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे.
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फ़ोटोग्राफ़र एनी लीबोविट्ज़ रोलिंग स्टोन पत्रिका के लिए फ़ोटो शूट करने के लिए लेनन्स के अपार्टमेंट में गईं। लीबोविट्ज़ ने लेनन से वादा किया था कि ओनो के साथ एक तस्वीर पत्रिका का मुखपृष्ठ बनेगी, हालांकि शुरुआत में उसने खुद लेनन के साथ एक तस्वीर लेने की कोशिश की थी। लीबोविट्ज़ ने कहा, "कोई भी कवर पर [ओनो] नहीं चाहता था"। लेनन ने जोर देकर कहा कि वह और उनकी पत्नी दोनों कवर पर हों, और तस्वीरें लेने के बाद, लीबोविट्ज़ ने 3:30 बजे अपना अपार्टमेंट छोड़ दिया। फोटो शूट के बाद, लेनन ने आरकेओ रेडियो नेटवर्क पर प्रसारित होने वाले एक संगीत शो के लिए सैन फ्रांसिस्को डीजे डेव शोलिन को अपना आखिरी साक्षात्कार दिया। 5:40 बजे, लेनन और ओनो, देर से आने वाली लिमोसिन की वजह से, रिकॉर्ड प्लांट स्टूडियो में "वॉकिंग ऑन थिन आइस" (लीड गिटार पर लेनन की विशेषता वाला एक ओनो गीत) गाने को मिक्स करने के लिए अपने अपार्टमेंट से निकल गए।
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केंद्रीय खेलमंत्री अजय माकन को देश में पहली बार हो रही फॉर्मूला वन इंडियन ग्रां प्री के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। सूत्रों के मुताबिक माकन को इसलिए न्यौता नहीं भेजा गया, क्योंकि उन्होंने इस आयोजन को उत्पाद और सीमा शुल्क में छूट देने से इनकार कर दिया था। समझा जाता है कि आयोजकों ने करीब 100 करोड़ रुपये की रियायत का आग्रह किया था, जिसे ठुकरा दिया गया। शनिवार को बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में अंतिम अभ्यास सत्र जारी है। उधर, माकन ने ट्विटर पर लिखा है कि जब एफ 1 का फ्लैग ऑफ हो रहा है, मैं खेलमंत्री की हैसियत से कालीकट के पास कोइलंडी स्थित पीटी उषा अकादमी में सिंथेटिक टर्फ के निर्माण कार्य का शिलान्यास कर रहा हूं।
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Mamata Banerjee vs CBI: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जारी सीबीआई बनाम ममता सरकार (Mamata Banerjee) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कमिश्नर राजीव कुमार को सीबीआई के समक्ष पेश होने को कहा है. हालांकि, कोर्ट (Supreme Court) ने राजीव कुमार (Rajeev Kumar's Case Hearing in Supreme Court) की गिरफ्तारी से साफ इनकार कर दिया है. सीबीआई-कोलकाता पुलिस आयुक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ममता बनर्जी ने कहा, यह हमारी नैतिक जीत है. इस बीच कोलकाता में ममता बनर्जी के धरने का तीसरा दिन जारी है और अभी इसके कोई संकेत नहीं मिले हैं कि ममता बनर्जी कब धरना खत्म करेंगी. ममता बनर्जी ने सीबीआई की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है और उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है. धरनास्थल से ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह देश बचाने के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर देंगी, मगर अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगी.
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Samsung के लिए भारतीय मार्केट में Galaxy A सीरीज गेम चेंजर की तरह है.
बजट सेग्मेंट में सैमसंग ने Galaxy A और Galaxy M सीरीज से अपनी खोई हुई लोकप्रियता एक बार फिर से हासिल की है.
सैमसंग भारत कुछ नए स्मार्टफोन्स लॉन्च की तैयारी में है. 11 सितंबर को कंपनी Galaxy A सीरीज के कुछ स्मार्टफोन्स लॉन्च करेगी. फिलहाल कंपनी ने ऑफिशियली इसका नाम नहीं बताया है. उम्मीद है ये Galaxy A30s और Galaxy A50s होंगे. ये दोनों Galaxy A30 और Galaxy A50 के अपग्रेडेड वेरिएंट्स हैं.
Galaxy A50s और Galaxy A30s को पिछले महीने ही ग्लोबली लॉन्च किया गया था. डिजाइन और पैटर्न नया है और कंपनी ने इन्हें चार कलर ऑप्शन में लॉन्च किए हैं. इनमें प्रिज्म क्रश ब्लैक, प्रिज्म क्रश वाइट, प्रिज्म क्रश ग्रीन और प्रिज्म क्रश वॉयलेट शामिल हैं. हालांकि लॉन्च के समय इन स्मार्टफोन्स की कीमतों का ऐलान नहीं किया गया था.
Galaxy A30s और Galaxy A50 में इन डिस्प्ले फिंगरप्रिंट स्कैनर दिया गया है. दोनों ही स्मार्टफोन्स में ट्रिपल रियर कैमरे भी दिए गए हैं. उम्मीद है इन दोनों स्मार्टफोन्स की कीमत भारत में कंपनी 20,000 रुपये के अंदर रखेगी.
Samsung Galaxy A50s स्पेसिफिकेशन्स
Galaxy A50s में 6.4 इंच की फुल एचडी प्लस डिस्प्ले दी गई है. AMOLED Infinity U पैनल का यूज किया गया है. इस स्मार्टफोन में Samsung का Exynos 9610 चिपसेट है और इसमें 4GB और 6GB रैम वेरिएंट्स हैं. इंटर्नल स्टोरेज की बात करें तो इनमें 64GB और 128GB की मेमोरी दी गई है. माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए इनमें 512GB तक स्टोरेज कर सकते हैं.
इस मोबाइल में ट्रिपल रियर कैमरे दिए गए हैं. प्राइमरी लेंस 48 मेगापिक्सल का है, दूसरा 8 मेगापिक्सल का अल्ट्रा वाइड और तीसरा 5 मेगापिक्सल का डेप्थ सेंसिंग कैमरा है. इस फोन में USB Type C है और 4,000mAh की बैटरी है. ये फोन फास्ट चार्जिंग भी सपोर्ट करता है.
Samsung Galaxy A30s स्पेसिफिकेशन्स
Galaxy A30s में 6.4 इंच की एचडी प्लस डिस्प्ले है. इसमें भी सुपर AMOLED पैनल का यूज किया गया है और इसमें Infinity V डिस्प्ले है. इस फोन में Samsung का ऑक्टाकोर Exynos 7904 चिपसेट है. मेमोरी वेरिएंट की बात करें तो इसमें 3GB रैम के 64GB मेमोरी और 4GB रैम के साथ 128GB की इंटर्नल स्टोरेज जी जाएगी.
Galaxy A30s में ट्रिपल रियर कैमरा है. प्राइमरी कैमरा 25 मेगापिक्सल का है, दूसरा 5 मेगापिक्सल का डेप्थ सेंसिंग कैमरा और तीसरा 8 मेगापिक्सल का अल्ट्रा वाइड कैमरा दिया गया है. इस फोन की बैटरी 4000mAh की है और इसमें 15W फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट दिया गया है.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: सीबीआई की फजीहत पर फजीहत होनी जारी है। अभी पाकिस्तान को सौंपी गई 50 मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों की लिस्ट में दो गड़बड़ियों की वजह से देश की छीछालेदर होना बंद भी नहीं हुआ था कि शुक्रवार को सीबीआई की अपनी मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में भी न सिर्फ मारे जा चुके आतंकी शामिल पाए गए, बल्कि कुछ और ऐसे नाम भी सामने आए, जो मुल्क की जेलों में ही बंद हैं। इस सूची में हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी के आतंकवादी मोहम्मद अब्दुल शाहेद उर्फ शाहेद बिलाल का नाम भी शामिल है, जबकि उसकी मौत हो चुकी है। बांग्लादेश से संचालित होने वाले इस आतंकवादी संगठन के पूर्व कमांडर की मौत पाकिस्तान में ही हुई थी। वैसे बिलाल के खिलाफ इंटरपोल का नोटिस भी जारी किया गया था। इसके अलावा बिलाल का सेकंड-इन-कमांड कहे जाने वाले शेख अब्दुल खाजा उर्फ मोहम्मद अमजद का नाम भी सूची में दर्ज है, जबकि वह हैदराबाद की जेल में बंद है। इनके अतिरिक्त मणिपुर के उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) का नेता राजकुमार मेघेन भी सीबीआई की इस लिस्ट में मौजूद है, जबकि वह भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की गिरफ्त में है। मेघेन को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था, जहां से अक्टूबर, 2010 में उसे भारत ले आया गया था। यहां तक कि सीबीआई द्वारा मेघेन को मोस्ट वॉन्टेड बताए जाने के कारण इंटरपोल ने भी उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है। हालांकि यह समाचार लिखे जाने के वक्त तक सीबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर से सभी तरह की मोस्ट वॉन्टेड सूचियां हटा ली गई हैं।
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अमेरिका के सबसे धूर्त और खराब राष्ट्रपति के नाम से मशहूर रिचर्ड निक्सन शराबी थे और वह अक्सर नशे में अपनी पत्नी को मारा करते थे। ये बातें एक पूर्व व्हाइट हाउस संवाददाता डॉन फुलसोम ने ‘निक्सन्स डार्केस्ट सीक्रेटस’ नामक किताब में लिखी हैं। उन्होंने लिखा है कि निक्सन बहुत बड़े शराबी थे और अपनी पत्नी को अक्सर पीटा करते थे।
उनके संबंध अमेरिका के तत्कालीन सबसे शक्तिशाली गुंडे न्यू ऑर्लिंस के गॉडफादर कालरेस मार्केलो समेत माफिया से भी थे। पुस्तक का दावा है कि समलैंगिकों से चिढ़ने वाले निक्सन, जिन्होंने ‘वाटरगेट कांड’ में देश से झूठ बोलकर इतिहास में सबसे धूर्त और खराब राष्ट्रपति का खिताब अपने नाम कर लिया, स्वयं गे (समलैंगिक) हो सकते हैं।
'डेली मेल' में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अगर यह सच हुआ, तो यह सबसे धूर्त राजनीतिज्ञ के व्यवहार और प्रेरणा के बारे में कई दिलचस्प राज खोलेगा। निक्सन (1969-74 तक) अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति थे। उन्हें ‘वाटरगेट कांड’ के कारण इस्तीफा देना पड़ा।
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रसूलाबाद (Rasulabad) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर देहात ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है।
प्रशासनिक दर्जा
रसूलाबाद नगर पंचायत का गठन वर्ष २००५ में हुआ था। ब्रिटिश शासन में यह तहसील का मुख्यालय था लेकिन १८९४ में इस तहसील को विभाजित कर डेरापुर और बिल्हौर तहसीलों में सम्मिलित कर दिया गया था। वर्ष १९८८ में इस तहसील पुनर्सृजन हुआ।
स्थिति
यह नगर कानपुर से पश्चिम दिशा में ६५ किलोमीटर दूरी पर कानपुर -बेला रोड पर स्थित है। इस नगर की झींझक रेलवे स्टेशन की दूरी १४ किलोमीटर है जो दक्षिण दिशा में स्थित है। इस नगर से उत्तर दिशा में स्थित बिल्हौर नगर ३० किलोमीटर दूर है।
यातायात
यह नगर जिले के मुख्यालय अकबरपुर (५२ किलोमीटर) से रोड द्वारा जुड़ा हुआ है। जहाँ रूरा होकर जा सकते हैं। कानपुर नगर (६४ किलोमीटर ) रोड द्वारा जुड़ा हुआ है। उत्तर दिशा में यह नगर रोड द्वारा बिल्हौर (३० किलोमीटर ) से जुड़ा हुआ है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन झींझक है जहाँ फ़ास्ट और सुपर फ़ास्ट रेलगाड़ियाँ ठहरती हैं। झींझक से पश्चिम की दिशा में इटावा, आगरा, दिल्ली मेरठ आदि नगरों को जा सकते हैं तथा पूर्व दिशा में कानपुर, लखनऊ, पटना, हावड़ा आदि नगरों से जुड़ा हुआ है। इस नगर से पश्चिम की ओर इटावा, फिरोजाबाद, आगरा, और दिल्ली के लिए बसों की सुविधाएं उपलब्ध हैं,वहीं कानपुर नगर एवं कानपुर देहात के मुख्यालय के लिए भी सीधी सेवाएं हैं, दक्षिण की ओर औरया जिला जो दिबियापुर होते हुए जाया जा सकता है, इस नगर से उत्तरी-पूर्वी मध्य में लखनऊ के लिए आगरा एक्सप्रेस वे जो 45 किलोमीटर अरौल होते हुए जा सकते हैं जिसकी दूरी 141 किलोमीटर है।
दर्शनीय स्थल
हजरत गुल पीर शाह रहमतुल्ला अलेह की दरगाह रसूलाबाद में हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक है, और यहां पर हर वर्ष उर्स मनाया जाता है, और यहां पर हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक धनगर बाबा का मंदिर भी है।जिले के रसूलाबाद कस्बा में स्थित यह शिव मंदिर धर्मगढ़ बाबा के नाम से विख्यात है। जहां लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है। मान्यता है कि इस मंदिर में मत्था टेकने वाले प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूरी होती है। सावन के महीने भर यह मंदिर रोशनी से जगमगाता है। मदिर में स्थापित शिव की प्रतिमा से एक अदभुत प्रकाश ज्योति लोगों को आकर्षित करती है। इस मंदिर की खास विशेषता है कि मंदिर को हिंदू-मुस्लिम भाई आस्था का प्रतीक मानते हैं। थाना परिसर में बने इस मंदिर से सटी मजार पर हिंदू चादर चढ़ाते हैं तो मुस्लिम मंदिर में दर्शन करते हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसमें शिव प्रतिमा की स्थापना बहुत वर्ष पूर्व थाने में कार्यरत थानाध्यक्ष इसरार हुसैन ने स्वप्न के बाद सुबह उठकर कराई थी। जिसके बाद से रसूलाबाद थाने में आने वाला हर थानाध्यक्ष धर्मगढ़ बाबा मंदिर की सेवा करने में जुट जाता है।
इन्हें भी देखें
कानपुर देहात ज़िला
सन्दर्भ
कानपुर देहात ज़िला
उत्तर प्रदेश के नगर
कानपुर देहात ज़िले के नगर
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राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है, और इस सूची के अनुसार सत्ता में बने रहने की कोशिशों में जुटी पार्टी ने अपने पुराने नेताओं पर ही भरोसा जताया और कई जगह नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया है.
राजस्थान
में सोमवार सुबह 11 बजे से नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इससे करीब 12 घंटे पहले बीजेपी ने राजस्थान के रण में अपने 131 उम्मीदवारों उतार दिया है. राज्य विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं. इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
राजस्थान चुनाव
में नामांकन की आखिरी तारीख 19 नवंबर है. इसके बाद नामांकन वापस लेने की तारीख 22 नवंबर है. राज्य में 7 दिसंबर को मतदान किया जाएगा. इसके बाद 11 दिसंबर को मतगणना होगी.
हालांकि, पार्टी ने इसमें पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है और जैसा कि कहा जा रहा था कि बड़ी संख्या में बीजेपी एंटी इनकंबेंसी को खत्म करने के लिए टिकट काट सकती है, वैसा इस सूची में दिख नहीं रहा. महज दो मंत्रियों सहित 23 विधायकों की टिकट कटे हैं.
जिन विधायकों के टिकट कटे हैं उनमें से ज्यादातर विधायकों के रिश्तेदारों और बेटों को टिकट देकर खुश कर दिया गया है.
131 उम्मीदवारों की सूची
वंशवाद के नाम पर कांग्रेस को घेरने वाली
बीजेपी ने राजस्थान के रण
में एक बार फिर से नेताओं के बेटे और रिश्तेदारों पर भरोसा जताया है. बीजेपी ने रविवार रात 131 उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसमें करीब 20 नेताओं के बेटे और रिश्तेदारों को जगह दी गई है.
सार्दुल शहर से बीजेपी के विधायक गुर्जंट सिंह के पोते गुरबीर सिंह पहाड़ को टिकट दिया गया है. डीग-कुम्हेर से दिगंबर सिंह के बेटे शैलेश सिंह को, नसीराबाद से सांवरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा को, रवायत से देवी सिंह भाटी की पुत्रवधू पूनम कंवर को, सपोटरा से किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा को, शाहपुरा से सुंदर लाल के बेटे कैलाश चंद्र मेघनाथ को टिकट मिला है.
वहीं, प्रतापगढ़ से नंदलाल मीणा के बेटे हेमंत मीणा, मुमडावर से धर्मपाल चौधरी के बेटे मनजीत चौधरी, बामनवास से कुंजी लाल मीणा के बेटा राजेंद्र मीणा, सादुलपुर से कमला कस्वा की जगह उनके पति राम सिंह कस्वा को बीजेपी ने मैदान में उतारा है. इनमें से ज्यादातर वो बीजेपी नेता हैं जो या तो बुजुर्ग हो चुके हैं या फिर से चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी थे मगर उनकी मौत हो चुकी है.
मुस्लिम नेता को टिकट नहीं
राजस्थान
में बीजेपी हमेशा से 4-5 मुस्लिम चेहरों को चुनावी मैदान में उतारती रही है, लेकिन इस बार 131 उम्मीदवारों की सूची में एक भी मुस्लिम नाम नहीं है. नागौर से तीन बार से विधानसभा चुनाव जीत रहे हबीबुर्र रहमान का टिकट काट दिया गया है.
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे करीबी डीडवाना से पीडब्ल्यूडी मंत्री यूनुस खान का नाम इस लिस्ट में नहीं है. जबकि बाकी के पिछले चुनाव हारे मुस्लिम प्रत्याशियों को भी इस बार जगह नहीं दी गई है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी हिंदुत्व का कार्ड खेलेगी.
84 साल की उम्र में टिकट
बीजेपी ने इस बार टिकट के लिए जो उम्र के सीमा रखी थी उसमें भी अपवाद रखा गया है. विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को 84 साल की उम्र में टिकट दिया गया है तो कांग्रेस से बीजेपी में आकर जसवंत सिंह को हराने वाले बाड़मेर के बुजुर्ग सांसद कर्नल सोनाराम को बाड़मेर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है.
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सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से निकालने के मामले में आड़े हाथों लिया. दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में केजरीवाल से मुलाकात के दौरान अन्ना ने उन्हें पार्टी में वापस लाने की सलाह भी दी.
मुलाकात से पहले अन्ना
ने मीडिया से बातचीत के दौरान योगेंद्र और प्रशांत को पार्टी से बाहर किए जाने को गलत ठहराते हुए केजरीवाल के फैसले की निंदा की. अन्ना ने कहा, 'मतभेदों को बातचीत से दूर किया जा सकता है. हर समस्या का समाधान संभव है, इसके लिए हर किसी को गलतफहमी के दौरान बातचीत के जरिए समाधान तलाशने चाहिए.' उन्होंने योगेंद्र और प्रशांत को से समझौता कर पार्टी में वापस लाने की बात भी केजरीवाल से कही.
बोले अन्ना- एक हाथ से ताली नहीं बजती
दिल्ली में उपराज्यपाल नजीब जंग और केजरीवाल के बीच चल रहे विवाद को लेकर जह अन्ना से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र को शांतिपूर्वक सभी
मुद्दों को सुलझा लेना
चाहिए. अन्ना ने कहा, 'ताली एक हाथ से नहीं बजती.'
बता दें कि रविवार को अन्ना ने दिल्ली के जंतर मंतर में मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सैनिकों के हित में 'वन रैंक वन पेंशन' (OROP) को जल्द लागू करने की मांग की. उन्होंने कहा कि बीजेपी अपने वादे से मुकर रही है. अगर वह इसे जल्द लागू नहीं करते तो अगले महीने देश भर में विरोध प्रदर्शन होंगे.
दो अक्तूबर से भूख हड़ताल करेंगे अन्ना
अन्ना ने कहा, 'अगर हम घर में चैन की नींद सोते हैं तो वह हमारे सैनिकों की वजह से ही संभव है. OROP को लागू करवाने के लिए मैं हर संभव कोशिश करूंगा.' अन्ना ने पहले ही ऐलान कर रखा है कि वह मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए भूमि अधिग्रहण बिल और OROP को लेकर 2 अक्तूबर से अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे.
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कॉलेजियम से तबादले पर पुनर्विचार करने की मांग
मदुरै बेंच के वकीलों के दो संगठनों ने प्रदर्शन किया
मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस वीके ताहिलरमानी के तबादले के विरोध में वकील आज प्रदर्शन कर रहे हैं. वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम से तबादले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. मदुरै बेंच के वकीलों के दो संगठनों ने यह विरोध प्रदर्शन किया और कोर्ट की कार्यवाही का बहिष्कार किया.
इन वकीलों का कहना है कि चीफ जस्टिस ताहिलरमानी का ट्रांसफर मेघालय हाई कोर्ट में ट्रांसफर किए जाने के कारण साफ नहीं किया गया है.
मद्रास हाई कोर्ट बड़े हाई कोर्ट में से एक है, जबकि मेघालय हाई कोर्ट छोटे हाई कोर्ट में से एक है. इतने बड़े हाई कोर्ट से इतने छोटे हाई कोर्ट में ताहिलरमानी के ट्रांसफर किए जाने से मद्रास हाई कोर्ट के वकील बेहद नाराज हैं. वहीं, ताहिलरमानी ने अपना तबादला किए जाने के चलते इस्तीफा देने की पेशकश की है.
ताहिलरमानी के ट्रांसफर के खिलाफ वकील मद्रास हाई कोर्ट के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके बाद 10 सितंबर को मद्रास हाई कोर्ट की कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे. साथ ही ताहिलरमानी के ट्रांसफर की निंदा करेंगे.
बता दें कि 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस ताहिलरमानी का ट्रांसफर मेघालय हाई कोर्ट करने का फैसला किया था. इसके बाद इस सिफारिश को 3 सितंबर को सार्वजनिक किया गया था. इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने अपने फैसले पर दोबारा से विचार करने से इनकार कर दिया, तो वीके ताहिलरमानी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा भेज दिया. साथ ही अपने इस्तीफे की एक प्रति सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भी भेज दी.
ताहिलरमानी उन महिला न्यायमूर्ति में से एक हैं, जो हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस हैं. ताहिलरमानी मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस हैं, जो देश की सबसे पुरानी हाई कोर्ट में से एक है. मद्रास हाई कोर्ट देश का चौथा सबसे बड़ा हाई कोर्ट है. मद्रास हाई कोर्ट में न्यायमूर्तियों की संख्या 75 है. मेघायल हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस समेत कुल तीन न्यायमूर्ति हैं.
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समालोचन हिन्दी का एक ऑनलाइन वेब पोर्टल है। यह साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय और सुरुचिपूर्ण साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है. यह हिंदी ही नही भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ पत्रिका के रूप में समादृत है.
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प्रदर्शनी के बारे में तो आपने सुना ही होगा, फोटो प्रदर्शनी से लेकर कार्टून प्रदर्शनी को भी देखा होगा. लेकिन दिल्ली में विरोध करने के नए-नए रंग देखे जा रहे हैं. बीजेपी नेताओं ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ विरोध करने का अनोखा तरीका अपनाया है.
दिल्ली के कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में फोटो प्रदर्शनी लगी है. इसका नाम है
केजरीवाल के झूठे वादों
की प्रदर्शनी. इसमें 22 कटआउट लगाए गए हैं. इनमें दिल्ली में केजरीवाल सरकार के झुठे वादों को पंजाब में किए गए वादों से तुलना कर व्यंगात्मक रूप से कार्टुन के जरिए दिखाया गया है.
नए पंजाब में
केजरीवाल का वादा
नशामुक्त पंजाब जबकि दिल्ली में 400 से ज्यादा शराब के लाइसेंस दिए गए. वहीं सीसीटीवी कैमरे लगाएंगे, जबकि दिल्ली में 150 भी सीसीटीवी कैमरे डेढ साल में नही लगाए.
प्रदर्शनी में केजरीवाल के अलावा संजय सिंह और दुर्गेश पाठक पर भी निशाना साधा गया है. यानी पंजाब
चुनाव में केजरीवाल
के वादों को दिल्ली के वादों से तुलना कर निशाना साधा है.
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बिग बॉस 13 में आए दिन कुछ ना कुछ नया देखने को मिल रहा है. घर में सभी प्रतियोगियों की दोस्ती में बदलाव आए हैं और ऐसे में सिद्धार्थ शुक्ला ने भी अपने दोस्त असीम रियाज और आरती सिंह से दूरी बना ली है. सिद्धार्थ की दोस्ती आजकल पारस छाबड़ा, माहिरा शर्मा और अन्य लोगों से ज्यादा देखने को मिल रही है.
जहां सिद्धार्थ और असीम की दोस्ती टूटने का गम फैंस को है वहीं रविवार रात सिद्धार्थ को कैप्टन बना दिया गया है. इस बात से सिद्धार्थ के सपोर्टर्स की खुशी का ठिकाना नहीं रहा है. माहिरा शर्मा से लड़ाई के बाद सिद्धार्थ को दो हफ्ते के लिए नॉमिनेट कर दिया गया था. अब उनकी ये सजा खत्म हो गई है और उन्हें एकमत से घर का कप्तान चुन लिया गया है. कप्तान बनने की रेस में उनका मुकाबला असीम और विशाल आदित्य सिंह के साथ हुआ था.
सिद्धार्थ के घर का कप्तान बनने से फैंस बेहद खुश हैं और ट्विटर पर अपनी खुशी जाहिर भी कर रहे हैं. हालांकि कुछ लोगों को उनके असीम से घर के कामों में बात ना करने और पारस, माहिरा और बाकी सदस्यों के साथ विचार करने को लेकर शिकायत भी हैं.
ट्विटर पर लोग असीम के सिद्धार्थ से बात ना करने और उनकी बातों को सुनने के बारे में अपने विचार रख रहे हैं. जानिए लोगों ने क्या कहा:
Captains always discuss duties with others.
#SidharthShukla
called
#Asim
3 times but he didn't come! What do we judge here?
Sid's friends betrayed him. How can we expect him to behave as if nothing happened?
— Divya Devis (@Random_Muser111)
November 27, 2019
Wat to say about this guy. Incredible transformation from being against almost every1 to being supported by almost evry1 such a champ u r sid.
@BeingSalmanKhan
must really note that this guy is taking his advice seriously. that's a sign of true champion
#sidnaz
#SidharthShukla
— Sidharth Shukla and sehnaz gill official fan club (@vickymishra120)
November 27, 2019
Nobody didnt even dare to touch
#SidharthShukla
Scooter. Itna khauf bande ka.
#WeLoveBiggBoss
— kam (@Rubal_kam)
November 27, 2019
#LessonOfLife
Jinke liy tum ladte ho hmesha,
Vahi dhoka dete hai hmesha,
Jinse tum pyar krte ho,
Vahi apne mann me nafrat liy ghumte hai hmesha
Rt if agree 👑❤️🙏
#AstinAsimSnakeRiaz
#SidharthShukla
#WeLoveBiggBoss
#BiggBoss13
#AsimRiaz
pic.twitter.com/Glax56ubLe
— ❤️Shuklaji FAN-mily Club❤️👑#BB13 (@Sid_FANmily)
November 27, 2019
#BiggBiss13
ka king kaun
#SidharthShukla
#WeLoveBiggBoss
— VasuShri ❤❤ (@VasuShrikande)
November 27, 2019
सिद्धार्थ के साथ-साथ असीम रियाज भी लोगों के बीच हॉट टॉपिक बने हुए हैं. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि दोनों की दोबारा से दोस्त बन जाएं.
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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत ने पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सेना को खुली छूट दी है, तो वहीं कूटनीतिक तौर पर भी PAK को सबक सिखाने की तैयारी चल रही है. पुलवामा हमले में 40 जवानों की शहादत के बाद से ही देश की जनता गुस्से में है और सड़कों पर उतर कर मांग कर रही है कि पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया जाए. आतंकी हमले को 8 दिन हो चुके हैं और भारत की ओर से इस दौरान 8 ऐसे प्रहार किए गए हैं जिन्हें पाकिस्तान कभी भूलेगा नहीं.
1. अब पाकिस्तान में नहीं जाएगा हमारा पानी
पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार ने बड़ा फैसला किया है. दरअसल, सिंधु जल समझौते के मुताबिक पश्चिमी रेंज की तीन नदियों- झेलम, चेनाब और सिंधु के पानी का 80 फीसदी इस्तेमाल पाकिस्तान और 20 फीसदी का इस्तेमाल भारत कर सकता है. इनमें से सिर्फ चार फीसदी पानी का इस्तेमाल भारत करता था, बाकी 16 फीसदी पाकिस्तान में चला जाता था.
लेकिन अब सरकार ने फैसला किया है कि वह इस पानी को पाकिस्तान में नहीं जाने देगी. इसके लिए बांध बनाया जाएगा और इस पानी का इस्तेमाल भारत में ही किया जाएगा. पाकिस्तान का पूरा पंजाब प्रांत सिंधु नदी के पानी पर ही निर्भर है. इस फैसले से पाकिस्तान में चल रहे बड़े बिजली के प्रोजेक्ट्स को झटका लग सकता है, इसके अलावा अगर भविष्य में भारत पानी छोड़ता है तो पाकिस्तान में बाढ़ के हालात हो सकते हैं.
2. दुनिया में अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान
पाकिस्तान की कूटनीतिक घेराबंदी करने की भी मोदी सरकार की पूरी तैयारी की है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पुलवामा आतंकी हमले को जघन्य और कायराना करार दिया है. इस बार चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का साथ दिया है. दुनिया के 15 शक्तिशाली देशों के इस मंच ने कहा कि इस हमले के गुनाहगारों को सजा जरूर मिलनी चाहिए.
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ चीन ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. मतलब, जैश-ए-मोहम्मद पर चीन के रुख में बड़ा बदलाव पाकिस्तान के लिए झटका और भारत के लिए बड़ी राहत है. हालांकि, इसमें मसूद अजहर का जिक्र नहीं है, UNSC ने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरों में से एक बताया गया है.
3. हाफिज सईद पर भी पाबंदी
भारत की ठोस कूटनीति और कड़े रुख से पाकिस्तानी हुक्मरानों की बेचैनी बढ़ गई है. आनन-फानन में गुरुवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक की. इसमें जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया. ये दोनों ही संगठन मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद द्वारा चलाए जाते हैं, हाफिज दोनों संगठनों के जरिए करीब 300 धार्मिक शिक्षण संस्थान चलाता है.
4. अलगाववादियों से सुरक्षा वापस
जम्मू-कश्मीर में बैठे पाकिस्तानी समर्थकों को बड़ा झटका देते हुए मोदी सरकार ने उनकी सुरक्षा ही वापस ले ली. सरकार ने हुर्रियत के 18 नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली, इससे पहले चार नेताओं की सुरक्षा छिनी गई थी. यानी अब तक हुर्रियत के 22 नेताओं सरकारी सुरक्षा हटाई जा चुकी है. जिन बड़े हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटाई गई है उनमें एसएएस गिलानी, यासीन मलिक, आगा सईद मोसवी, मौलवी अब्बास अंसारी समेत अन्य नेता शामिल हैं.
5. पाकिस्तान के कारोबार पर चोट
पाकिस्तान को जोर का झटका देने के लिए भारत ने तरजीही देश यानी मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया. इतना ही नहीं भारतीय किसानों ने अपना टमाटर भी पाकिस्तान को बेचने से इनकार कर दिया है.
हिंदुस्तान के कारोबारियों ने साफ-साफ कह दिया है कि अब आतंकिस्तान का कोई माल नहीं खरीदेंगे, इससे पाकिस्तान को सालाना 60 करोड़ रुपये मिल जाते थे. 2017-18 में भारत से पाकिस्तान को करीब 3500 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था.
6. क्रिकेट में भी बोल्ड हुआ पाकिस्तान
भारत-पाकिस्तान के बीच मैच का इंतजार पूरी दुनिया के क्रिकेट दीवानों को रहता है. हर बॉल पर दर्शकों की सांसें ऊपर-नीचे होती हैं. लेकिन जब जवानों की शहादत और पाकिस्तान के धोखे की बात आई तो हमारे क्रिकेटर भी बोलने लगे कि ऐसे कैसे खेल लेंगे पाकिस्तान से, कई खिलाड़ियों ने इसका विरोध किया है. बीसीसीआई भी आईसीसी को चिट्ठी लिख पाकिस्तान को वर्ल्ड कप से बाहर करने की कोशिश की जा रही है.
7. बॉलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों की 'नो एंट्री'!
आतंक समर्थित देश पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए बॉलीवुड ने भी कड़े कदम उठाए हैं. एक ओर बॉलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों को काम नहीं देने को लेकर बहस तेज हो गई है तो दूसरी ओर बॉलीवुड में पाकिस्तान में फिल्में रिलीज नहीं करने का फैसला किया है. कुछ फिल्म मेकर्स ने अपनी फिल्मों से पाकिस्तानी गायकों को हटा दिया है.
8. पाकिस्तान में नहीं रिलीज होंगी बॉलीवुड फिल्में
हाल फिलहाल में छह फिल्में रिलीज हो रही हैं, टोटल धमाल, मिलन टॉकीज, भारत, केसरी, मेंटल है क्या और बदला. बॉलीवुड ने फैसला लिया है कि इन सभी फिल्मों को पाकिस्तान को भी रिलीज किया जाना था, लेकिन पुलवामा हमले के बाद इस पर बैन लगा दिया है. पाकिस्तान में बॉलीवुड की फिल्मों की अच्छी खासी कमाई होती है. लेकिन अब पाकिस्तान को इस क्षेत्र में भी झटका दिया जा रहा है.
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भारत में आयोजित हो रहे ग्लोबल सिटीजन मूवमेंट इन इंडिया (भारत में वैश्विक नागरिक अंदोलन) को समर्थन देने आईं अभिनेत्री करीना कपूर का कहना है कि वह खुद भी संतान के तौर पर एक लड़की हैं और वह एक लड़की को ही जन्म देना पसंद करेंगी.
करीना ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा, 'जहां भी मैं जाती हूं, मुझसे बस एक ही सवाल पूछा जाता है, जो मुझे व्यक्तिगत मामले में दखल लगता है. मुझसे और सैफ, हम दोनों से यह पूछा जाता है कि यह लड़का है या लड़की? क्या आपने पता लगा लिया है? मुझे कहना पड़ता है कि माफ कीजिए, इससे क्या फर्क पड़ता है'.
उन्होंने कहा, 'मैं भी संतान के तौर पर एक लड़की हूं और मैं एक लड़की को ही संतान के तौर पर पाना पसंद करूंगी. मैंने अपने माता-पिता के लिए शायद एक बेटे से बढ़कर किया है'. करीना ने कहा कि सिर्फ औरत ही वह रूह है, जिसे अपने शरीर में एक रूह को पालने का अधिकार है.
ग्लोबल सिटीजन इंडिया एक ऐसा मंच है, जो जमीनी स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों, मीडिया प्रचार और ऑनलाइन सक्रियता द्वारा गरीबी, विषमता हटाकर सतत विकास के लक्ष्य की दिशा में भारत की यात्रा को आगे बढ़ाता है. टिप्पणियां
ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल इंडिया का उद्घाटन मुंबई में 19 नवंबर 2016 को किया जाएगा. इस फेस्टिवल में रॉकबैंड कोल्ड प्ले व विभिन्न हस्तियों जे जेड, आमिर खान, रणवीर सिंह, कैटरीना कैफ, अर्जुन कपूर, दीया मिर्जा, मोनाली ठाकुर और शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी के शामिल होने की उम्मीद है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
करीना ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा, 'जहां भी मैं जाती हूं, मुझसे बस एक ही सवाल पूछा जाता है, जो मुझे व्यक्तिगत मामले में दखल लगता है. मुझसे और सैफ, हम दोनों से यह पूछा जाता है कि यह लड़का है या लड़की? क्या आपने पता लगा लिया है? मुझे कहना पड़ता है कि माफ कीजिए, इससे क्या फर्क पड़ता है'.
उन्होंने कहा, 'मैं भी संतान के तौर पर एक लड़की हूं और मैं एक लड़की को ही संतान के तौर पर पाना पसंद करूंगी. मैंने अपने माता-पिता के लिए शायद एक बेटे से बढ़कर किया है'. करीना ने कहा कि सिर्फ औरत ही वह रूह है, जिसे अपने शरीर में एक रूह को पालने का अधिकार है.
ग्लोबल सिटीजन इंडिया एक ऐसा मंच है, जो जमीनी स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों, मीडिया प्रचार और ऑनलाइन सक्रियता द्वारा गरीबी, विषमता हटाकर सतत विकास के लक्ष्य की दिशा में भारत की यात्रा को आगे बढ़ाता है. टिप्पणियां
ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल इंडिया का उद्घाटन मुंबई में 19 नवंबर 2016 को किया जाएगा. इस फेस्टिवल में रॉकबैंड कोल्ड प्ले व विभिन्न हस्तियों जे जेड, आमिर खान, रणवीर सिंह, कैटरीना कैफ, अर्जुन कपूर, दीया मिर्जा, मोनाली ठाकुर और शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी के शामिल होने की उम्मीद है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, 'मैं भी संतान के तौर पर एक लड़की हूं और मैं एक लड़की को ही संतान के तौर पर पाना पसंद करूंगी. मैंने अपने माता-पिता के लिए शायद एक बेटे से बढ़कर किया है'. करीना ने कहा कि सिर्फ औरत ही वह रूह है, जिसे अपने शरीर में एक रूह को पालने का अधिकार है.
ग्लोबल सिटीजन इंडिया एक ऐसा मंच है, जो जमीनी स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों, मीडिया प्रचार और ऑनलाइन सक्रियता द्वारा गरीबी, विषमता हटाकर सतत विकास के लक्ष्य की दिशा में भारत की यात्रा को आगे बढ़ाता है. टिप्पणियां
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ग्लोबल सिटीजन इंडिया एक ऐसा मंच है, जो जमीनी स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों, मीडिया प्रचार और ऑनलाइन सक्रियता द्वारा गरीबी, विषमता हटाकर सतत विकास के लक्ष्य की दिशा में भारत की यात्रा को आगे बढ़ाता है. टिप्पणियां
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ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल इंडिया का उद्घाटन मुंबई में 19 नवंबर 2016 को किया जाएगा. इस फेस्टिवल में रॉकबैंड कोल्ड प्ले व विभिन्न हस्तियों जे जेड, आमिर खान, रणवीर सिंह, कैटरीना कैफ, अर्जुन कपूर, दीया मिर्जा, मोनाली ठाकुर और शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी के शामिल होने की उम्मीद है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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एक्टर आमिर खान को अपनी बेटी इरा की पहली पेंटिंग एग्जिबिशन बेहद पसंद आई और उन्होंने एक पेंटिंग खरीद भी ली.
आमिर
ने ट्विटर पर अपने फैन्स को बताया कि उन्हें अपनी बेटी द्वारा बनाई गई ब्लैक एंड व्हाइट पेंटिंग बेहद पसंद आई.
आमिर
खान ने रविवार रात ट्विटर पर लिखा, 'मेरी
बेटी इरा
की पहली एग्जिबिशन और मैंने यह खरीदा. इसका टाइटल है 'बाघ का घोंसला'(The Tiger's Nest'). मुझे यह बेहद पसंद आया.
My daughter Ira's first exhibition, and I managed to buy this one. It's called 'The Tiger's Nest'. I love it!
pic.twitter.com/NLWsHHSyfv
— Aamir Khan (@aamir_khan)
October 25, 2015
इरा
आमिर
और उनकी पहली पत्नी रीना की बेटी हैं.
इनपुट: IANS
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अमेरिका में साथ रहने वाले अपने समलैंगिक रूममेट की जासूसी करने के मामले में दोषी करार दिए गए भारतीय छात्र ने यह कहते हुए अपनी इस ‘असंवेदनशील और अपरिपक्व’ हरकत के लिए पहली बार सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है कि वह अपनी एक महीने की जेल की सजा शुरू करने के लिए इस सप्ताह आत्मसमर्पण कर देगा। भारतीय छात्र रवि के समलैंगिक साथी ने बाद में आत्महत्या कर ली थी।टिप्पणियां
रवि ने कहा कि उसे अपनी उस ‘मूर्ख और बचकानी’ हरकत का बेहद अफसोस है जब उसने सितम्बर 2010 में दो बार अपने रूममेट टाइलर क्लीमेंटी के एक अन्य व्यक्ति के साथ यौन क्रिया को देखने के लिए एक वेबकैम लगाया था। रवि ने हालांकि कहा कि उसने ऐसा द्वेष के चलते नहीं किया।
20 वर्षीय रवि ने अपने वकील स्टीवन अल्टमैन के जरिए बयान में कहा, ‘‘मैं अपने बिना सोचे, असंवेदनशील, अपरिपक्व, मूखर्तापूर्ण और बचकानी हरकत की जिम्मेदारी लेता हूं और उसके खिलाफ मुझे बेहद अफसोस है। मेरा व्यवहार और कार्य गलत निर्णय था लेकिन इसका उद्देश्य कभी भी नफरत, कट्टरता, पूर्वाग्रह, चोट पहुंचाने, अपमानित करने या किसी को नीचा दिखाना नहीं था।’’ रवि ने कहा, ‘‘मैं अपने व्यवहार से प्रभावित सभी लोगों से माफी मांगता हूं।’’
रवि ने कहा कि उसे अपनी उस ‘मूर्ख और बचकानी’ हरकत का बेहद अफसोस है जब उसने सितम्बर 2010 में दो बार अपने रूममेट टाइलर क्लीमेंटी के एक अन्य व्यक्ति के साथ यौन क्रिया को देखने के लिए एक वेबकैम लगाया था। रवि ने हालांकि कहा कि उसने ऐसा द्वेष के चलते नहीं किया।
20 वर्षीय रवि ने अपने वकील स्टीवन अल्टमैन के जरिए बयान में कहा, ‘‘मैं अपने बिना सोचे, असंवेदनशील, अपरिपक्व, मूखर्तापूर्ण और बचकानी हरकत की जिम्मेदारी लेता हूं और उसके खिलाफ मुझे बेहद अफसोस है। मेरा व्यवहार और कार्य गलत निर्णय था लेकिन इसका उद्देश्य कभी भी नफरत, कट्टरता, पूर्वाग्रह, चोट पहुंचाने, अपमानित करने या किसी को नीचा दिखाना नहीं था।’’ रवि ने कहा, ‘‘मैं अपने व्यवहार से प्रभावित सभी लोगों से माफी मांगता हूं।’’
20 वर्षीय रवि ने अपने वकील स्टीवन अल्टमैन के जरिए बयान में कहा, ‘‘मैं अपने बिना सोचे, असंवेदनशील, अपरिपक्व, मूखर्तापूर्ण और बचकानी हरकत की जिम्मेदारी लेता हूं और उसके खिलाफ मुझे बेहद अफसोस है। मेरा व्यवहार और कार्य गलत निर्णय था लेकिन इसका उद्देश्य कभी भी नफरत, कट्टरता, पूर्वाग्रह, चोट पहुंचाने, अपमानित करने या किसी को नीचा दिखाना नहीं था।’’ रवि ने कहा, ‘‘मैं अपने व्यवहार से प्रभावित सभी लोगों से माफी मांगता हूं।’’
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने देश की क्रिकेट व्यवस्था के खिलाफ कड़ा रवैया जारी रखते हुए कहा कि राष्ट्रीय टीम के अधिकतर खिलाड़ी मानसिक रूप से परेशान हैं।टिप्पणियां
अख्तर ने कहा, अधिकतर खिलाड़ी मैदान पर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे है क्यों? क्योंकि वे मानसिक रूप से परेशान हैं। उन्हें कई तरह के डर हैं। उस डर को हटाना होगा और यह कोच का काम है। कोच का काम खेल सिखाना नहीं है।
शोएब अख्तर ने कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट अभी 'अंधकार युग' से गुजर रहा है। अख्तर ने चैंपियंस ट्रॉफी में टीम के लचर प्रदर्शन के बाद यह कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि खराब कोचिंग के कारण बल्लेबाज अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और पाकिस्तानी टीम को नए कोच की जरूरत है।
अख्तर ने कहा, अधिकतर खिलाड़ी मैदान पर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे है क्यों? क्योंकि वे मानसिक रूप से परेशान हैं। उन्हें कई तरह के डर हैं। उस डर को हटाना होगा और यह कोच का काम है। कोच का काम खेल सिखाना नहीं है।
शोएब अख्तर ने कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट अभी 'अंधकार युग' से गुजर रहा है। अख्तर ने चैंपियंस ट्रॉफी में टीम के लचर प्रदर्शन के बाद यह कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि खराब कोचिंग के कारण बल्लेबाज अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और पाकिस्तानी टीम को नए कोच की जरूरत है।
शोएब अख्तर ने कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट अभी 'अंधकार युग' से गुजर रहा है। अख्तर ने चैंपियंस ट्रॉफी में टीम के लचर प्रदर्शन के बाद यह कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि खराब कोचिंग के कारण बल्लेबाज अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और पाकिस्तानी टीम को नए कोच की जरूरत है।
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एलीसियम एक 2013 की अमेरिकी विज्ञान कथा एक्शन फिल्म है, जिसे नील ब्लोकैंप द्वारा लिखित, निर्मित और निर्देशित किया गया है। इसमें मैट डेमन, जोडी फोस्टर, एलिस ब्रागा और शार्लेटो कोपले जैसे सितारे हैं। यह फिल्म एक तबाह पृथ्वी, और एक शानदार अंतरिक्ष आवास (स्टैनफोर्ड टोरस डिजाइन, प्रस्तावित नासा डिजाइनों में से एक) पर स्थित है जिसे एलिसियम कहा जाता है। फिल्म खुद को जानबूझकर सामाजिक टिप्पणी प्रदान करती है जो राजनीतिक और समाजशास्त्रीय विषयों की पड़ताल करती है जैसे आव्रजन, अतिभोग, पारगमन, स्वास्थ्य देखभाल, कार्यकर्ता शोषण, न्याय प्रणाली और सामाजिक वर्ग के मुद्दे।
यह फिल्म , 2013 को ट्राइस्टार पिक्चर्स द्वारा पारंपरिक और आईमेक्स डिजिटल सिनेमाघरों में रिलीज़ की गई थी। यह एक मामूली सफलता थी और आलोचकों से आम तौर पर सकारात्मक समीक्षा प्राप्त की, भले ही कई लोग इसे ब्लोमकैंप की पहली फिल्म डिस्ट्रिक्ट 9 के बाद निराशा मानते थे। एलिसियम को 17 दिसंबर, 2013 को डीवीडी और ब्लू-रे पर रिलीज़ किया गया था।
संक्षेप
वर्ष 2154 में, बहुत अमीर एक मानव निर्मित अंतरिक्ष स्टेशन पर रहते हैं, जबकि शेष आबादी एक बर्बाद पृथ्वी पर रहती है। एक आदमी एक मिशन पर ले जाता है जो ध्रुवीकृत दुनिया में समानता ला सकता है।
कास्ट
मैक्स डे कोस्टा के रूप में मैट डेमन
युवा मैक्स के रूप में मैक्सवेल पेरी कॉटन
रक्षा सचिव जेसिका डेलाकोर्ट के रूप में जोडी फोस्टर
एलिस ब्रागा फ्रेट सैंटियागो के रूप में
वैलेंटिना गिरोन युवा फ्रे के रूप में
एजेंट एम। क्रूगर के रूप में शार्लेटो कोपले
जूलियो के रूप में डिएगो लूना
वैगनर मौरा स्पाइडर के रूप में
जॉन कार्लाइल के रूप में विलियम फिच्टनर
ड्रेक के रूप में ब्रैंडन मूत्र
क्रो के रूप में जोश ब्लैकर
अध्यक्ष पटेल के रूप में फरहान ताहिर
मटिल्डा सैंटियागो के रूप में एम्मा ट्रेमब्ले
जोस पाब्लो कैंटिलो को सैंड्रो के रूप में
मैनुअल होम्स के रूप में एड्रियन होम्स
रीको के रूप में जारेड कीसो
माइकल मैंडो - रिको (गैर मान्यता प्राप्त)
सीसीबी एजेंटों के रूप में कैली पोप, ओना ग्रेउर और माइकल शैंक्स
उत्पादन
एलीसियम का निर्माण बिल ब्लॉक, नील ब्लोमकैंप और साइमन किनबर्ग द्वारा किया गया था, और जिला 9 (2009) के निदेशक और सह-लेखक नील ब्लोमकम्प द्वारा लिखित और निर्देशित किया गया था। यह इस तरह के संपादक के रूप में अपने डिस्ट्रिक्ट 9 समूह में से कुछ के साथ Blomkamp reunites जूलियन क्लार्क, प्रोडक्शन डिजाइनर फिलिप Ivey, छायाकार ट्रेंट ओपालोच, और अभिनेता Sharlto कोप्ले, फिल्म के विरोधियों में से एक खेल रहे हैं। Elysium TriStar Pictures और MRC का सह-उत्पादन है। हालांकि फिल्म की कहानी 2154 में सेट की गई है, ब्लोमकैंप ने कहा है कि यह समकालीन मानव स्थिति पर एक टिप्पणी है। "हर कोई मुझसे भविष्य के लिए मेरी भविष्यवाणियों के बारे में हाल ही में पूछना चाहता है," निर्देशक ने कहा, "नहीं, नहीं, नहीं।" यह विज्ञान कथा नहीं है। यह आज है। यह अब है। " जनवरी 2011 में, स्वतंत्र स्टूडियो मीडिया राइट्स कैपिटल ने एलीसियम वितरित करने के लिए प्रमुख स्टूडियो के साथ मुलाकात की, और ब्लोमकैंप ने अपनी प्रस्तावित विज्ञान कथा फिल्म के कला डिजाइनों को साझा किया। कला चित्रों ने सोनी पिक्चर्स के अधिकारियों पर जीत हासिल की, जिन्होंने अन्य स्टूडियो की तुलना में अधिक आकर्षक पेशकश करने के बाद फिल्म खरीदी। जुलाई 2011 में उत्पादन बजट के साथ, उत्पादन शुरू हुआ। मेक्सिको सिटी के बाहरी इलाके में ग़रीब इज़तपालपा जिले में एक फिल्म के पृथ्वी-बंधे दृश्यों को एक डंप में फिल्माया गया था, जबकि इलिसियम के दृश्यों को वैंकूवर और मेक्सिको सिटी के धनी Huixquilucan-Interlomal उपनगरों में शूट किया गया था । मैट डेमन ने मैक्स की भूमिका के लिए अपना सिर मुंडवा लिया। मुख्य भूमिका पहली बार दक्षिण अफ्रीकी रैपर वाटकिन ट्यूडर जोन्स (उर्फ निंजा ) को प्रदान की गई थी, जो जिला 9 के प्रशंसक होने के बावजूद (उनके आंतरिक होंठ पर डी 9 टैटू है) ने भूमिका नहीं ली। भूमिका तो rapper करने की पेशकश की गई थी एमिनेम, लेकिन वह फिल्म करना चाहता था डेट्रायट में गोली मार दी हो। यह दो स्टूडियोज के लिए एक विकल्प नहीं था, इसलिए ब्लोमकैंप अपनी अगली पसंद के रूप में डेमन चला गया। फ्यूचरिस्टिक डिजाइनों को फिलिप इवे द्वारा लंबे समय तक शोध और पुरानी विज्ञान कथा फिल्मों का अध्ययन करने के बाद निष्पादित किया गया था। Ivey ने लगातार सिड मीड को फिल्म के लिए पर्याप्त प्रभाव के रूप में उद्धृत किया है। Weta कार्यशाला बनाया exosuits जबकि जटिल दृश्य प्रभाव मुख्य रूप से ने संभाला, डैमन और कोप्ले के पात्रों के लिए छवि इंजन Whiskytree, एमपीसी, दूतावास और औद्योगिक प्रकाश और जादू से अतिरिक्त काम के साथ (जो भी डिस्ट्रिक्ट 9 पर सहयोग)। अक्टूबर 2012 के माध्यम से पुनः शूटिंग हुई। फिल्म का संगीत स्कोर नवागंतुक रेयान एमोन द्वारा रचा गया था और फिल्म्सोनिया ऑर्केस्ट्रा के साथ एबी रोड स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया था । साउंडट्रैक 6 अगस्त 2013 को जारी किया गया था।
मुकदमा
अक्टूबर 2013 में, स्टीव विल्सन ब्रिग्स द्वारा कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एक मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने एक पटकथा लिखी थी जो फिल्म के समान थी। मुकदमा दायर करने के कई महीने पहले, उन्होंने उल्लंघन की शिकायत दर्ज करने के लिए यूएस कॉपीराइट कार्यालय के साथ अपनी पटकथा दर्ज की।
3 अक्टूबर 2014 को, कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय ने फिल्म के निर्माताओं के पक्ष में पाया।
रिलीज़
जब पहली बार फिल्म की घोषणा की गई थी, तो सोनी ने इसे 2012 के अंत में रिलीज़ करने का इरादा किया था। इसने बाद में ओज़ द ग्रेट और पावरफुल के खिलाफ प्रतिस्पर्धा को रोकने के लिए एक सप्ताह पहले जाने से पहले , 2013 लिए आधिकारिक रिलीज़ की तारीख तय की। अक्टूबर 2012 में, सोनी ने घोषणा की कि उन्होंने 2013 को रिलीज की तारीख को पीछे धकेल दिया। अप्रैल 2013 में, सोनी ने यह भी घोषणा की कि फिल्म को आईमैक्स थिएटरों के लिए विशेष रूप से सुधारित किया जाएगा। उस समय तक, दो थियेटर ट्रेलरों और एक टीवी स्पॉट को पहले ही शोकेस किया गया था। 17 दिसंबर 2013 को, क्षेत्र 1 में डीवीडी और ब्लू-रे डिस्क पर एलीसियम जारी किया गया था।
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
स्पेनी (भाषा) फ़िल्में
अंग्रेज़ी फ़िल्में
अमेरिकी फ़िल्में
2013 की फ़िल्में
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गुजरात के शहर सूरत से बेहद अफसोसनाक खबर और दहला देने वाली तस्वीरें सामने आईं. सूरत की चार मंजिला तक्षशिला कॉम्पलेक्स में अचानक आग लग जाती है. इसी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर कोचिंग सेंटर चलता है. उस वक्त इंस्टीट्यूट में करीब 40 बच्चे पढ़ रहे थे. आग की लपटें इतनी तेजी से बिल्डिंग में फैलती है कि किसी को समझ ही नहीं आता कि जान बचाने के लिए क्या करें? तब तक कुछ बच्चे लपटों का शिकार हो चुके थे. कुछ धुएं की टपेट में आर बेहोश भी हो गए. बाकी बच्चों ने जब ये देखा तो जान बचाने के लिए बिना सोचे-समझे उन्होंने चौथी मंजिल से छलांग मारनी शुरू कर दी.
तक्षशिला कॉम्प्लेक्स, सूरत
सूरत शहर के कोडियार नगर में मौजूद तक्षशिला कॉम्प्लेक्स. शाम के करीब 5 बजे थे. उस कॉमर्शिल कॉम्प्लेक्स में कई दुकानों के साथ-साथ एक कोचिंग सेंटर भी चलता है. स्मार्ट डिज़ाइन स्टूडियो नाम का कोचिंग सेंटर चौथी मंजिल पर है. इस कोचिंग सेंटर में आर्ट एंड क्राफ्ट की पढ़ाई होती है. शुक्रवार की शाम तब क्लास में करीब 40 बच्चे मौजूद थे.
तभी शाम करीब पांच बजे अचानक तीसरी मंजिल पर ही आग लग जाती है. आग के शोले बेहद तेजी से उठते हैं, देखते ही देखते चारों तरफ फैल जाते हैं. इसके बाद शोलों और धुओं ने ऐसा कहर बरपाया कि बच्चों को कुछ समझ ही नहीं आया. ये परेशान करने वाला मंज़र है. जहां जान बचाने की जद्दोजहद में छात्र-छात्राएं चौथी मंज़िल से एक एक कर कूदते नज़र आ रहे हैं. सड़क पर खड़े लोगों ने अपने मोबाइल में इस दर्दनाक मंज़र को रिकॉर्ड किया है.
पहला कैमरे की दर्दनाक तस्वीरें
सड़क के दूसरी तरफ से रिकॉर्ड की गई एक दर्दनाक तस्वीर सामने आई. जिसमें आग के ज़ोर पकड़ने के फौरन बाद एक लड़का कोचिंग सेंटर का बोर्ड पकड़कर बाहर की तरफ लटक गया. उसे उसके एक साथी ने पकड़ा हुआ है. फिर अचानक हाथ छूटा और ये लड़का दूसरी मंज़िल से टकराता हुआ नीचे गिर गया. फिर इसके बाद एक एक करके चार बच्चे नीचे की तरफ कूदे. कोई मुंह के बल ज़मीन की तरफ गिर रहा था. तो कोई पीठ के बल. तो कोई सीधा चौथी मंज़िल से ज़मीन की तरफ आ रहा था. इनके साथ इनके इंस्टीट्यूट का बोर्ड भी उखड़ गया. अभी भी एक लड़का बोर्ड पकड़कर हवा में लटका हुआ था कि तभी एक लड़की ने चौथी मंज़िल से छलांग लगा दी. उसके बाद करीब चार और लड़के ज़मीन पर आ गए.
दूसरे कैमरे
की दर्दनाक तस्वीरें
अब दूसरी तस्वीरें तक्षशिला कॉम्प्लेक्स के ठीक नीचे से लिए गए कैमरे की हैं. वो वही पहला लड़का है जो इस कॉम्प्लेक्स में आग लगने के बाद सबसे पहले कूदा. देखिए जब इसके साथी ने इसका हाथ छोड़ा तो इसका पैर पहले दूसरी मंज़िल से टकराया फिर ये सिर के बल नीचे गिरा. उसके बाद एक साथ चार और बच्चों के चौथी मंज़िल से कूदने की तस्वीर है. अभी भी एक लड़का स्मार्ट डिज़ाइन स्टूडियो का बोर्ड पकड़े हवा में लटका है. जबकि उसके ठीक ऊपर दम घुटने से अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे दो बच्चे अचानक नीचे की तरफ आ जाते हैं. कॉम्प्लेक्स के नीचे अफरातफरी का माहौल था कि तभी एक छात्रा काफी तेज़ी से नीचे की तरफ गिरती हुई कैमरे में रिकॉर्ड हुई.
उसके फौरन बाद अगले ही पल बिल्डिंग में तीन लड़के और पीली टीशर्ट पहने ये लटकी हुई लड़की नज़र आई. चौथी मंज़िल की खिड़की पर दो और छात्र बैठे हुए नज़र आते हैं. मगर तभी इनमें से एक छात्र का हाथ बिल्डिंग से छूट जाता है और वो अपने इंस्टीट्यूट के बैनर समेत ज़मीन पर आ गिरता है.
तीसरे कैमरे की दर्दनाक तस्वीरें
तीसरी तस्वीर तक्षशिला कॉम्प्लेक्स के नज़दीक से गुज़र रहे किसी राहगीर के मोबाइल से ली गई हैं. जिसमें आग और धुएं के अलावा एक साथ चौथी मंज़िल से गिरते कई बच्चे नज़र आए. इस कैमरे से नज़र आया कि चौथी मंज़िल पर ये आग बिल्डिंग की पिछली तरफ लगी जो तेज़ी से बढ़ते हुए अगले हिस्से में आ गई. इमारत से कूदते उन्हीं बच्चों की अलग अलग कैमरों से ली गई तस्वीरें हैं. मगर इस कैमरे से बिल्डिंग में लगी आग और उससे उठता काला धुआं साफ तौर पर देखा जा सकता है. नीचे फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी नज़र आ रही है. जिसने अभी अपना काम शुरू भी नहीं किया. उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा है कि शुरू कहां से करें.
उधर, दूसरी तरफ एक के बाद बच्चे इमारत की चौथी मंज़िल से कूदते जा रहे हैं. अफसोस की बात ये है कि ये सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि इन कूदते बच्चों को बचाने के लिए नीचे ना तो नेट था और ना ही कोई दूसरा इंतजाम. बच्चे बदहवासी में आग से बचने के लिए सीधे नीचे कूद रहे थे.
इस अफसोसनाक हादसे की दो और तस्वीरें हैं. पहली ये कि आग लगने की खबर मिलने के बाद भी फायर ब्रिगेड की गाड़ियां करीब पौन घंटे बाद मौके पर पहुंचीं. और जब पहुंचीं तो भी पूरी तैयारी से नहीं. उनके पास इतनी ऊंची सीढ़ी ही नहीं थी कि वो कूदते बच्चों तक पहुंच सकती. दूसरी तस्वीर नीचे खड़े लोगों की थी. ज्यादातर हाथ मोबाइल थामे था और कूदते बच्चों की तस्वीरें उतार रहा था. अगर उतनी देर में ही लोग बिल्टिंग के नीचे नेट, गद्दा या कुछ और इंतजाम कर देते तो बहुत से बच्चों की जान बचाई जा सकती थी.
तक्षशिला कॉम्प्लेक्स की चौथी मंजिल पर फाइबर शेड से बने कोचिंग सेंटर के हॉल में करीब 40 छात्र पढ़ रहे थे. फाइबर शेड होने की वजह से आग बेहद तेजी से फैली. और फिर देखते ही देखते हर तरफ आग के शोले और धुआं ही धुआं नज़र आने लगा. इमारत की चौथी मंज़िल से आग के शोले दिख रहे थे. बीच में फंसे छात्र बदहवास चीख रहे थे. और नीचे खड़े लोग उन्हें बचाने की गुहार लगा रहे थे. ऊपर आग थी और नीचे अफरातफरी. छात्रों को पता था कि चौथी मंज़िल से नीचे कूदना जान लेवा हो सकता है.
मगर आग के करीब रहना भी मुमकिन नहीं था. लिहाजा आग से बचने के लिए उन्होंने छत से कूदना ही बेहतर समझा. देखते ही देखते सूरत का ये तक्षशिला कॉम्प्लेक्स दहकते शोलों और धधकती आग का श्मशान बन गया. जो जान पर खेलकर बाहर आया. उसने जान की बाजी लगाते हुए नीचे छलांग लगा दी. जो अंदर रह गया. उसे आग की लपटों ने अपनी आगोश में ले लिया. मौत के इस तांडव को बीते शुक्रवार शाम देखकर पूरा देश दहल गया.
इस भयानक आग को बुझाने और इमारत में फंसे बच्चों को बचाने के लिए फायर ब्रिगेड की 18 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं. मगर पूरे पौन घंटे बाद. तब तक यहां का मंज़र ही बदल चुका था. और सूरत की लेट लतीफ फायर ब्रिग्रेड ने जब तक मोर्चा संभाला तब तक दर्जनों बच्चे चौथी मंज़िल से छलांग लगा चुके थे. सूरत की फायर ब्रिग्रेड की मुस्तैदी का आलम ये था कि उनकी गाड़ियों के पास ना तो ऊपर से कूदते हुए इन बच्चों को बचाने के लिए कोई जाल था. और ना ही इन गाड़ियों में लगी सीढ़िय़ां इतनी ऊंची थीं कि वो चौथी मंजिल पर बच्चों तक पहुंच पाती.
अब इन लोगों को देखिए जो ठीक तक्षशिला कॉम्प्लेक्स की नीचे खड़े हैं. इनकी तादाद सैकड़ों में है. जो नीचे खड़े होकर इस कयामत के मंज़र की तस्वीरें तो कैमरे में रिकार्ड कर रहे हैं. मगर इनमें से मौत की छलांग लगाते इन बच्चों को बचाने कोई नहीं आया..कई बच्चों की मौत तो सिर्फ कूदने की वजह से हुई.
शुरूआत में खबर आई कि इस हादसे में 5 लोगों की मौत हुई. फिर ये आंकड़ा 10-12-15-16-22 तक जा पहुंचा. इनमें से ज़्यादातर बच्चों की मौत दम घुटने से या कूदने से हुई. हादसे में कई बच्चे बुरी तरह ज़ख्मी भी हुए हैं. जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. ये आग कितनी भयानक थी, इसका अंदाज़ा हादसे के बाद की तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है. इसके बाद पूरा का पूरा तक्षशिला कॉम्प्लेक्स जलकर खाक हो गया.
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