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यहां जानें दिनभर क्या रहा टेक जगत का हाल. हम यहां आपको टेक्नोलॉजी की दुनिया की 5 बड़ी खबरें दे रहे हैं, नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक कर विस्तार से पढ़ सकते हैं हमारी पूरी खबर...
फेसबुक के डेस्कटॉप वर्जन में आया नया क्रिएट बटन, जानें क्या है खास
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के डेस्कटॉप वर्जन पर एक नया क्रिएट बटन जोड़ा गया है. ये बटन फेसबुक के डेस्कटॉप वर्जन में राइट टॉप में दिखाई दे रहा है. इस बटन के जरिए यूजर्स को फेसबुक पेज बनाने या विज्ञापन पोस्ट करने जैसे विकल्प मिलेंगे.
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संयुक्त राज्य में, गाँधी की प्रतिमाएँ न्यू यार्क शहर में यूनियन स्क्वायर के बहार और अटलांटा में मार्टिन लूथर किंग जूनियर राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल और वाशिंगटन डी.सी में भारतीय दूतावास के समीप मेसासुशैट्स मार्ग में हैं। भारतीय दूतावास के समीप पितर्मरित्ज़्बर्ग, दक्षिण अफ्रीका, जहाँ पर १८९३ में गाँधी को प्रथम-श्रेणी से निकल दिया गया था वहां उनकी स्मृति में एक प्रतिमा स्थापित की गए है। गाँधी की प्रतिमाएँ मदाम टुसौड के मोम संग्रहालय, लन्दन में, न्यू यार्क और विश्व के अनेक शहरों में स्थापित हैं। गाँधी को कभी भी शान्ति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ, हालाँकि उनको १९३७ से १९४८ के बीच, पाँच बार मनोनीत किया गया जिसमे अमेरिकन फ्रेंड्स सर्विस कमिटी द्वारा दिया गया नामांकन भी शामिल है . दशको उपरांत नोबेल समिति ने सार्वजानिक रूप में यह घोषित किया कि उन्हें अपनी इस भूल पर खेद है और यह स्वीकार किया कि पुरूस्कार न देने की वजह विभाजित राष्ट्रीय विचार थे। महात्मा गाँधी को यह पुरुस्कार १९४८ में दिया जाना था, परन्तु उनकी हत्या के कारण इसे रोक देना पड़ा.उस साल दो नए राष्ट्र भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ जाना भी एक जटिल कारण था। गाँधी के मृत्यु वर्ष १९४८ में पुरस्कार इस वजह से नहीं दिया गया कि कोई जीवित योग्य उम्मीदवार नहीं था और जब १९८९ में दलाई लामा को पुरस्कृत किया गया तो समिति के अध्यक्ष ने यह कहा कि "यह महात्मा गाँधी की याद में श्रद्धांजलि का ही हिस्सा है। "बिरला भवन (या बिरला हॉउस), नई दिल्ली जहाँ पर ३०जन्वरी, १९४८ को गाँधी की हत्या की गयी का अधिग्रहण भारत सरकार ने १९७१ में कर लिया तथा १९७३ में गाँधी स्मृति के रूप में जनता के लिए खोल दिया। यह उस कमरे को संजोय हुए है जहाँ गाँधी ने अपने आख़िर के चार महीने बिताये और वह मैदान भी जहाँ रात के टहलने के लिए जाते वक्त उनकी हत्या कर दी गयी।
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अगर आप कानून की पढ़ाई कर रहे हैं और आपको इसमें बेहतर करियर बनाना है तो देशभर में इसमें नए कोर्सों के स्टडी के लिए कई नई-नई ब्रांच खुल रही हैं.
कानून समाज से काफी गहराई से जुड़ा होता है. लॉ सब्जेक्टस में आप सिर्फ टेक्स्टबुक पढ़कर सब कुछ नहीं सीख सकते. प्रैक्टिकल एक्सपोजर और एक्सपीरिेएंस भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
आधुनिक जमाने में लॉयर्स सिर्फ कोर्टरूम तक ही सीमित नहीं हैं. देश भर में बैंक से लेकर मीडिया तक लॉयर्स की बड़े पैमाने पर मांग हो रही है. बदलते जमाने के साथ लॉ के क्षेत्र में भी कई नए फील्ड शामिल हो गए हैं. इंटरनेट के विस्फोट के साथ ही इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स और साइबर लॉ सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं. यह समय स्पेशलाइजेशन का है और इसी में करियर के बेहतर विकल्प भी मौजूद हैं.
कुछ कोर्स जो लॉ के क्षेत्र में नए हैं:
न्यूक्लियर लॉ:
इस क्षेत्र में न्यूक्लियर साइंस के शांतिपूर्ण उपयोगों के बारे में बताया जाता है. इसमें इससे संबंधित कानूनों को पढ़ाया जाता है. दुनिया भर में न्यूक्लियर लॉ की स्टडी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है क्योंकि राजनैतिक अस्थिरता की वजह से यह मामला काफी उलझा हुआ है. इस क्षेत्र में लॉयर बनने के लिए काफी मेहनत की जरूरत है.
कहां से करें इसकी पढ़ाई?
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूडिशियल साइंस
एमिटि यूनिवर्सिटी
सिम्बायोसिस लॉ स्कूल
साइबर लॉ:
ऑनलाइलन घटित हो रहे अपराधों और इसके कानून उल्लंघन से निपटने के बारे में पढ़ाया जाता है. दिल्ली लॉ की स्टूडेंट श्रीति गुरुवारा कहती हैं, ' इस समय स्पेशलाइजेशन के लिहाज से इंटरनेट लॉ वास्तव में काफी रोचक क्षेत्र है. दूसरे कानूनों के विपरित ऐसे मामलों के लिए केस बनाना कठिन है, जो ऑनलाइन घटित हो रहे क्योंकि इनमें पहचान वर्चुअल होती है. इसलिए आज के साइबर लॉयर्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि वर्चुअल माहौल में होने वाले अपराध और कानून के उल्लंघन से कैसे निपटें.'
कहां से करें इसकी पढ़ाई?
सिम्बायोसिस लॉ स्कूल
इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट
एनवायर्नमेंटल लॉ:
इसमें मानवीय गतिविधियों जो एनवायर्नमेंट से जुड़ी होती है, उसकी पढ़ाई करवायी जाती है, इस क्षेत्र में विभिन्न कंपनियां अपने यहां एनवायर्नमेंट लॉयरों को नौकरी देती हैं.
कहां से करें इसकी पढ़ाई?
इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी
इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट
महात्मा ज्योति राव फूले यूनिवर्सिटी
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ:
लीगल सिस्टम में प्रॉपर्टी की सुरक्षा के लिए कुछ कानून हैं, उसे ही इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ में पढ़ाया जाता है.
कहां से करें इसकी पढ़ाई?
राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी मैनेजमेंट
आइआइटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
मीडिया लॉ:
इसमें टेलीकम्यूनिकेशन, डीफेमेशन, कॉपीराइट, प्राइवेसी, फ्रीडम ऑफ इंफोर्मेशन इत्यादि के बारे में जानकारी हासिल की जाती है.
कहां से करें इसकी पढ़ाई?
एनएएलएसआर, हैदाराबाद
कलकता यूनिवर्सिटी
एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म
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हरियाणा के निशानेबाज अनमोल जैन सोमवार को 60वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में सभी को हैरान करते हुए 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के नए चैम्पियन बने. अनमोल ने ओलिंपिक में हिस्सा ले चुके कर्नाटक के पीएन प्रकाश को फाइनल में मात दी.
फाइनल में पहुंचे आठ निशानेबाजों में अनमोल ने 201.4 का स्कोर कर खिताब जीता. प्रकाश ने 197.5 के स्कोर के साथ रजत और ओमकार सिंह ने 175.8 के स्कोर के साथ कांस्य पदक पर कब्जा जमाया.टिप्पणियां
अनमोल ने देश के लिए ओलिंपिक रजत पदक विजेता विजय कुमार और पिस्टल स्पर्धा में आईएसएसएफ द्वारा वर्ष 2016 के लिए 'चैम्पियंस ऑफ चैम्पियन' अवार्ड पाने वाले जीतू राय जैसे दिग्गजों को हराकर यह खिताब जीता. अनमोल ने पिछले कुछ वर्षो में जूनियर स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है. उन्होंने इसी साल जूनियर विश्व कप में रजत पदक हासिल किया था. इसी साल हुए रियो ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले जीतू फाइनल में नहीं पहुंच सके और नौवें स्थान पर रहे. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फाइनल में पहुंचे आठ निशानेबाजों में अनमोल ने 201.4 का स्कोर कर खिताब जीता. प्रकाश ने 197.5 के स्कोर के साथ रजत और ओमकार सिंह ने 175.8 के स्कोर के साथ कांस्य पदक पर कब्जा जमाया.टिप्पणियां
अनमोल ने देश के लिए ओलिंपिक रजत पदक विजेता विजय कुमार और पिस्टल स्पर्धा में आईएसएसएफ द्वारा वर्ष 2016 के लिए 'चैम्पियंस ऑफ चैम्पियन' अवार्ड पाने वाले जीतू राय जैसे दिग्गजों को हराकर यह खिताब जीता. अनमोल ने पिछले कुछ वर्षो में जूनियर स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है. उन्होंने इसी साल जूनियर विश्व कप में रजत पदक हासिल किया था. इसी साल हुए रियो ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले जीतू फाइनल में नहीं पहुंच सके और नौवें स्थान पर रहे. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अनमोल ने देश के लिए ओलिंपिक रजत पदक विजेता विजय कुमार और पिस्टल स्पर्धा में आईएसएसएफ द्वारा वर्ष 2016 के लिए 'चैम्पियंस ऑफ चैम्पियन' अवार्ड पाने वाले जीतू राय जैसे दिग्गजों को हराकर यह खिताब जीता. अनमोल ने पिछले कुछ वर्षो में जूनियर स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है. उन्होंने इसी साल जूनियर विश्व कप में रजत पदक हासिल किया था. इसी साल हुए रियो ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले जीतू फाइनल में नहीं पहुंच सके और नौवें स्थान पर रहे. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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देश की राजधानी दिल्ली का एक रेस्तरां...उसमें बैठे लोग खा रहे थे कि अचानक ये रेस्तरां गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. जबतक इस गोलीबारी की आवाज थमती, तबतक खून से लथपथ एक शख्स जमीन पर गिरा पड़ा था. दिल्ली पुलिस की मानें, तो ये शख्स एक जालसाल था. लेकिन दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अफसरों ने
उस शख्स का एनकाउंटर
कर दिया.
लेकिन जिस तरीके से इस एनकाउंटर को अंजाम दिया गया, उसे देख कर ये सवाल तो उठता है कि क्या ये एक एनकाउंटर था या फिर एक मर्डर? दिल्ली के पटेल नगर में रहने वाला एक शख्स मनोज वशिष्ठ 16 मई की शाम करीब 8 बजे अपने एक दोस्त अन्नू यादव के साथ एक बिजनेस मीटिंग के लिए दिल्ली के न्यू राजेंद्र नगर के सागर रत्ना रेस्तरां पहुंचता है. गाड़ी से उतरने के बाद वो रेस्तरां के अंदर जाता है और रेस्तरां के अंदर पहले से मौजूद एक टेबल पर बैठे अपने पांच कारोबारी दोस्तों के साथ मीटिंग करने लगता है.
उस वक्त मनोज को ये पता नहीं था कि जिस रेस्तरां के अंदर वो मीटिंग कर रहा था, उसी रेस्तरां के बाहर कुछ लोग उस पर नजर रखकर बैठे हुए थे. यानी मनोज का इंतज़ार कर रहे लोगों के पास यह खबर पहले से थी कि मनोज अपने किसी जानकार से मिलने के लिए सागर रत्ना रेस्टोरेंट में आने रात के करीब साढ़े 8 बजे आने वाला है.
मनोज के रेस्तरां के अंदर जाने के कुछ देर बाद उस पर नजर रख रहे सात लोगों में से एक शख्स रेस्टोरेंट के अंदर जाता है. दरअसल जो लोग मनोज पर नजर रखे हुए थे वो दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अफसर थे. सभी सादी वर्दी में थे. जो शख्स रेस्तरां के अंदर जाकर मनोज की पहचान करता है, दरअसल वो स्पेशल का इंस्पेक्टर धर्मेंद्र था. मनोज की पहचान करने के बाद वो अपने साथियों को फोन कर अंदर आने के लिए कहता है.
रेस्टोरेंट के बाहर खड़ा उसका दोस्त अन्नू यादव तीन लोगों को अंदर जाते हुए देखता है. लेकिन तब भी उसे किसी अनहोनी का शक नहीं होता.
जैसे ही दिल्ली पुलिस के दो अफसर रेस्तरां के अंदर घुसते हैं तो रेस्तरां के अंदर मौजूद इंस्पेक्टर धर्मेंद्र मनोज की पीछे की तरफ से उसकी तरफ बढ़ता है और उसे पीछे से उसके नाम से पुकारता है और कहा कि मनोज मैं पुलिस से हूं, मेरे साथ चलो. मनोज पीछे मुड़कर देखता है और फिर बड़ी तेज़ी से अपनी पिस्टल निकालकर पुलिसवालों पर फायर कर देता है. इंस्पेक्टर धर्मेंद्र उसे पीछे से पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन वो उसकी गिरफ्त में नहीं आता. ये देखकर स्पेशल सेल का एक अफसर मनोज पर फायर कर देता है. गोली मनोज के सिर में लगती है और मनोज वहीं गिर पड़ता है.
अचानक हुई गोलीबारी से रेस्तरां के अंदर अफरा-तफरी मच जाती है, क्योंकि जिस वक्त मनोज का एनकाउंटर हुआ, उस वक्त रेस्तरां के अंदर करीब 20 स्टाफ और करीब 40 लोग खा रहे थे. एनकाउंटर के बाद पुलिसवाले लोगों को समझाते हैं कि वो दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अफसर हैं और जिस शख्स को गोली लगी है, दरअसल वो एक शातिर ठग है. दिल्ली पुलिस उसे पिछले काफी वक्त से तलाश कर रही थी. इतना ही नहीं, दिल्ली पुलिस ने उस पर 50 हजार का इनाम भी घोषित कर रखा था. लेकिन इसके बावजूद मनोज उसकी गिरफ्त में नहीं आ रहा था और फरार चल रहा था.
उधर जब तक मनोज को अस्पताल ले जाया गया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. एनकाउंट की खबर मिलते ही पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई. दिल्ली पुलिस के तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए और साथ ही मनोज का परिवार जिसने पूरे एनकाउंटर को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया.
स्पेशल सेल के अफसरों ने जिस तरह से मनोज वशिष्ठ का एनकाउंटर किया, उसको देखकर तो लगता है कि सेल के अधिकारियों को इस बात का गुमान तक नहीं था कि मनोज के पास हथियार भी हो सकता है. लेकिन इससे भी बड़ा सवाल ये कि आखिर क्यों धोखाधड़ी और चीटिंग के आरोपी को स्पेशल सेल गिरफ्तार करना चाहता था.
दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके राजेन्द्र नगर के एक रेस्टोरेंट में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम पहुंची और फिर पूरा रेस्टोरेंट गोलियों की आवाज से गूंज उठा. कुल मिलाकर दो राउंड फायिरंग हुई और पुलिस के मुताबिक जिसमें से एक गोली पुलिस ने चलाई, जबकि दूसरी गोली मनोज ने चलाई थी. हालांकि ये अभी तक साफ नहीं है कि पहली गोली किसने चलाई थी.
लेकिन भीड़भाड़ वाले इलाके में हुए एनकाउंटर ने तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस की मानें, तो वो एनकाउंटर में मारे गए मनोज को पकड़ने गए थे, लेकिन मनोज ने देखते ही उस पर गोली चला दी जवाबी फायरिंग में चली गोली मनोज के सिर में जाकर लगी और अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मनोज की मौत हो गई. एनकाउंटर की खबर मिलते ही सेल समेत दिल्ली पुलिस के तमाम अधिकारी मौके पर पहुंच गए. मनोज की मौत का पता चलते ही मनोज का परिवार भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने पूरे एनकाउंटर को ही सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया...
सवाल नंबर एक:
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल जो खासतौर पर आतंकियों और खूंखार अपराधियों को पकड़ने के लिए बनाई गई है, वो एक जालसाज को पकड़ने में इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रही थी?
सवाल नंबर दो:
स्पेशल सेल में मनोज के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं था, तो सेल के पुलिसवाले मनोज की गिरफ्तारी के लिए क्यों गए थे?
सवाल नंबर तीन:
मनोज सेंट्रल दिल्ली के पटेल नगर में ही रहता है और उसके खिलाफ एक मामला पटेल नगर थाने में ही दर्ज था, तो पटेल नगर थाना पुलिस ने उसे पकड़ने की जहमत क्यों नहीं उठाई?
सवाल नंबर चार:
मनोज के खिलाफ दो मामले बाराखंबा रोड में दर्ज थे, तो फिर बाराखंबा रोड पुलिस ने मनोज को गिरफ्तार क्यों नहीं किया?
सवाल नंबर पांच:
जब पुलिस मनोज के मूवमेंट को ट्रेक कर रही थी, तो उसने मनोज को उसके घर से ही गिरफ्तार क्यों नहीं किया?
सवाल नंबर छह:
आतंकियों को पकड़ने के लिए बनाई गई स्पेशल सेल के जवान एनकाउंटर में इतने नौसिखिए हैं कि उन्होने मनोज के हाथ या पैर में गोली मारने के बजाय सीधा मनोज के सिर में गोली मार दी.
सवाल नंबर 7:
आखिरकार पुलिस टीम ने मनोज के रेस्तरां के बाहर आने का इंतज़ार क्यों नहीं किया? क्यों उन्होंने मनोज को गिरफ्तार करने की इतनी जल्दबाज़ी दिखाई? क्या उन्होंने ये बात नहीं सोची कि फायरिंग के दौरान रेस्तरां में मौजूद लोगों की जान को भी खतरा हो सकता है?
हालांकि इस पूरे एनकाउंटर की तस्वीर तब ही साफ हो पाएगी जब रेस्टोरेंट में लगे सीसीटीवी की फुटैज सामने आएगी. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब किसी एनकाउंटर के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल विवादों में फंसी हो.
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रणवीर सिंह-दीपिका पादुकोण की शादी का इंतजार लंबे वक्त से फैंस कर रहे थे. आखिरकार ये इंतजार खत्म हो गया है. दोनों स्टार्स 14 नवंबर और 15 नवंबर को शादी के बंधन में बंधेंगे. लेकिन 9 दिन पहले
करण जौहर
के शो पर आलिया भट्ट ने इस बात का इशारा कर दिया था कि दीपिका की शादी जल्द होने जा रही है.
आलिया ने किया था दीपिका की शादी का खुलासा!
दरअसल, 12 अक्टूबर को करण जौहर ने कॉफी विद करण के सीजन 6 का प्रोमो जारी किया. इस बार शो की शुरुआत में पहले गेस्ट हैं आलिया और दीपिका. प्रोमो में करण आलिया और दीपिका से एक सवाल करते हैं कि तुम दोनों में पहले शादी कौन करेगा. इस सवाल को सुनते ही आलिया और दीपिका एक-दूसरे की तरफ इशारा करती हैं. लेकिन तभी आलिया और करण दोनों ही दीपिका को देखकर कहते हैं, ये झूठ बोल रही हैं. इस प्रोमो के रिलीज होने के 9 दिन बाद 21 अक्टूबर को दीपिका और रणवीर ने यह खुलासा कर दिया है कि वो शादी करने जा रहे हैं.
बता दें दोनों स्टार्स ने एक खास कार्ड सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए शादी की खुशखबरी सुनाई है. ये कार्ड वायरल हो गया है क्योंकि इस कार्ड के संदेश को हिंदी में लिखा गया है.
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खास लम्हा:
जब दागी सांसदों से संबंधित अध्यादेश को बकवास बताया
अगर 2013 का साल विपक्षी खेमे के लिए घटना प्रधान रहा, बीजेपी ने कांग्रेस की तरह व्यक्ति को ज्यादा अहमियत देते हुए नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया और वे पार्टी से बड़े हो गए, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी राहुल को शीर्ष पर लाने की कवायद शुरू कर दी.
128 साल पुरानी पार्टी ने जनवरी, 2013 में हुए जयपुर चिंतन शिविर में 43 वर्षीय राहुल को पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया. राहुल ने अपने भाषण में पार्टी के लिए भविष्य की रूपरेखा तय करने की जगह परिवार की विरासत पर ही जोर दिया. चुनावी साल की पूर्व संध्या पर एक ऐसी पार्टी के लिए जो लगभग 10 साल से सत्ता में है और जिसे देश की मौजूदा ज्यादातर समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है, इससे ज्यादा चिंता की बात और कुछ नहीं हो सकती थी.
राहुल ने जयपुर में कहा, ''अब शासन, प्रशासन और राजनीति में फैसले लेने की केंद्रीकृत और गैर-जिम्मेदाराना व्यवस्था पर सवाल उठाने का समय आ गया है. इसका जवाब यह नहीं है कि लोग कहें, व्यवस्था को बेहतर ढंग से चलाने की जरूरत है. इसका जवाब व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने में नहीं है. इसका जवाब यह है कि व्यवस्था को पूरी तरह बदलने की जरूरत है.”
वे दरअसल क्या कहना चाहते थे, इसका अर्थ वहां मौजूद कांग्रेस के लोगों की समझ में भी नहीं आया. राहुल ने जब बताया कि यह पद सौंपने से पहले उनकी मां उनके कमरे में आईं और रोने लगीं तो वहां मौजूद चाटुकारों की आंखों से गंगा-यमुना बहने लगी और वे रुमाल से अपने आंसू पोंछते नजर आए.
आउट-ऑफ-फॉर्म चल रहे किसी बल्लेबाज की तरह राहुल ने अपनी विरासत और पार्टी से बाहर लोगों की उम्मीदों के साथ अपने नजरिए को जोडऩे की नाकाम कोशिश की. राहुल ने पिछले साल अपने भाषणों से जो कुछ कहने की कोशिश की, उससे उनका संदेश और भी धुंधलाता गया, क्योंकि उनकी बातों में स्पष्टता की जगह अमूर्तवाद ही नजर आया.
उन्होंने अप्रैल में कन्फडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) के सम्मेलन में उद्योगपतियों से कहा था कि ''भारत मधुमक्खी का छत्ता है और यहां की जटिलताओं को देखते हुए व्यापारियों को पश्चिम की तुलना में प्रतिस्पर्धा का ज्यादा लाभ मिलेगा.”
सोशल मीडिया में उनके भाषण का मजाक उड़ाते हुए उन्हें #पप्पू करार दिया गया. मोदी ने राजस्थान की एक जनसभा में कहा, ''राहुल गांधी कहते हैं कि भारत मधुमक्खी का छत्ता है, लेकिन हमारे लिए भारत हमारी मां है.” और जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो जनता ने सरलता की जगह राहुल की इन जटिल और अस्पष्ट बातों को नकार दिया.
इसी तरह राहुल ने अक्तूबर में दिल्ली में अनुसूचित जातियों के लिए आयोजित राष्ट्रीय जागरूकता शिविर में कहा था कि दलित समुदाय को सफलता पाने और भारत में दमन के सामाजिक ढांचे से बाहर निकलने के लिए जुपिटर की ''एस्केप वेलोसिटी” की दरकार है. शायद उन्हें पता नहीं कि एस्केप वेलोसिटी शब्दावली का प्रयोग आम तौर पर सामाजिक उत्थान के संदर्भ में किया जाता है. लेकिन जिस संदर्भ में उन्होंने इसका इस्तेमाल किया, वह लोगों की समझ में आ ही नहीं सका.
राहुल ने इसी तरह का एक और उदाहरण उस वक्त पेश किया जब उन्होंने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पार्टी के कार्यक्रम में कम्युनिकेशन विभाग के प्रमुख अजय माकन को एक तरफ हटाते हुए घोषणा की कि दागी सांसदों को चुनाव में अयोग्य ठहराने से बचाने के लिए यूपीए सरकार का प्रस्तावित अध्यादेश ''पूरी तरह बकवास है और उसे फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए. यह मेरी निजी राय है.” लेकिन उनकी इस बेबाकी का मतदाताओं पर कोई असर नहीं हुआ.
अब विधानसभा चुनाव के नतीजों ने हो सकता है उन्हें कुछ कर दिखाने के लिए झ्कझेर दिया हो. 21 दिसंबर को फिक्की की बैठक में उन्होंने कहा, ''मैं अपनी बात यह स्वीकार करने के साथ शुरू करना चाहता हूं कि मेरे पिछली तिमाही के नतीजे बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. मैं जानता हूं कि जब आप बुरी खबरों के साथ बैठक में जाते हैं तो कैसा महसूस होता है.”
साल का अंत राहुल की स्वीकारोक्ति के साथ हुआ है. समय कम है, ऐसे में उन्हें खुद के लिए एस्केप वेलोसिटी यानी दुष्चक्र से बाहर आने वाली रफ्तार की सख्त जरूरत होगी.
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बॉलीवुड एक्टर विक्की कौशल फिल्म इंडस्ट्री में अपनी शानदार एक्टिंग के लिए मशहूर हैं. पिछले 2 सालों में उन्होंने अपनी एक्टिंग से सभी को खासा प्रभावित किया है और अच्छी-खासी फैन फॉलोइंग भी बना ली है. वे अपनी बचपन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं. उन्होंने हाल ही में बचपन की एक तस्वीर शेयर की है जिसमें वे बेहद क्यूट नजर आ रहे हैं.
तस्वीर में वे किसी बॉक्स जैसी चीज में स्थिर मुद्रा में बैठे हुए हैं. उन्होंने कैप्शन में लिखा है- ''Fridge potato. Circa ‘88.'' तस्वीर पर लोगों के प्यार भरे कमेंट आ रहे हैं और सभी उन्हें क्यूट कह रहे हैं. इससे पहले भी विक्की ने अपनी बचनप की एक फोटो शेयर की थी जिसमें वे व्हाइट और रेड कलर की टीशर्ट में बैठे हुए थे. वे काफी गंभीर नजर आ रहे थे. उन्होंने कैप्शन में लिखा था- Post shave look.
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Fridge potato. Circa ‘88.
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Vicky Kaushal
(@vickykaushal09) on
Aug 18, 2019 at 11:01pm PDT
साल 2018 के बाद से विक्की का फिल्मी करियर काफी तेजी से उड़ान भर रहा है. पिछले साल उनकी कई सारी फिल्में रिलीज हुईं जिन्हें खूब पसंद भी किया गया. पिछले साल लस्ट स्टोरीज, राजी, मनमर्जियां और संजू में उनके काम की खूब प्रशंसा हुई. इसके बाद साल 2019 में उनकी फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक रिलीड हुई थी. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के नए कीर्तिमान बनाए और इसके लिए विक्की को नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया.
विक्की के अपकमिंग प्रोजेक्ट्स की बात करें तो वे एक हॉरर फिल्म द हॉन्टेड फिल्म में नजर आएंगे. फिल्म का निर्देशन भानु प्रताप सिंह कर रहे हैं. फिल्म में उनके अपोजिट भूमि पेडनेकर नजर आएंगी. इसके अलावा एक अन्य प्रोजेक्ट का भी हिस्सा होंगी जिसमें वे फ्रीडम फाइटर सरदार उद्धम सिंह का रोल प्ले करते नजर आएंगे. इस रोल को प्ले करने को लेकर वे काफी ज्यादा एक्साइटेड भी हैं.
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा उनके और आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ दायर मानहानि के फौजदारी मामले मे निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि 'इसमें दम नहीं है'.
न्यायमूर्ति पीएस तेजी ने कहा, 'मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष अदालत की कार्यवाही स्थगित करने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को खारिज किया जाता है, क्योंकि इसमें दम नहीं है और मौजूदा याचिका खारिज की जाती है'. अदालत ने कहा, 'इस अदालत के समक्ष कुछ भी ऐसा नहीं पेश किया गया, जिससे यह लगे कि सीएमएम के समक्ष फौजदारी कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है और न्याय के लिए इस अदालत के आदेश की आवश्यकता है'.
अदालत ने कहा कि 'इस अदालत की राय है कि सीएमएम का 19 मई 2016 का आदेश, जिसमें कार्यवाही जारी रखने की बात की गई थी, वह दुराग्रह, अनौचित्य, अवैधता और टिकने लायक नहीं होने की बातों से मुक्त है. इसलिए अदालत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अंतर्निहित अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने पर मजबूर नहीं है. टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य पांच नेताओं के खिलाफ जेटली ने यह केस दायर किया था. उन पर सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. केजरीवाल ने जेटली को डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था.
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल के उस अनुरोध पर 25 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था जिसमें निचली अदालत के 19 मई के आदेश को चुनौती दी गई थी.
न्यायमूर्ति पीएस तेजी ने कहा, 'मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष अदालत की कार्यवाही स्थगित करने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को खारिज किया जाता है, क्योंकि इसमें दम नहीं है और मौजूदा याचिका खारिज की जाती है'. अदालत ने कहा, 'इस अदालत के समक्ष कुछ भी ऐसा नहीं पेश किया गया, जिससे यह लगे कि सीएमएम के समक्ष फौजदारी कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है और न्याय के लिए इस अदालत के आदेश की आवश्यकता है'.
अदालत ने कहा कि 'इस अदालत की राय है कि सीएमएम का 19 मई 2016 का आदेश, जिसमें कार्यवाही जारी रखने की बात की गई थी, वह दुराग्रह, अनौचित्य, अवैधता और टिकने लायक नहीं होने की बातों से मुक्त है. इसलिए अदालत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अंतर्निहित अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने पर मजबूर नहीं है. टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य पांच नेताओं के खिलाफ जेटली ने यह केस दायर किया था. उन पर सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. केजरीवाल ने जेटली को डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था.
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल के उस अनुरोध पर 25 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था जिसमें निचली अदालत के 19 मई के आदेश को चुनौती दी गई थी.
अदालत ने कहा कि 'इस अदालत की राय है कि सीएमएम का 19 मई 2016 का आदेश, जिसमें कार्यवाही जारी रखने की बात की गई थी, वह दुराग्रह, अनौचित्य, अवैधता और टिकने लायक नहीं होने की बातों से मुक्त है. इसलिए अदालत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अंतर्निहित अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने पर मजबूर नहीं है. टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य पांच नेताओं के खिलाफ जेटली ने यह केस दायर किया था. उन पर सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. केजरीवाल ने जेटली को डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था.
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल के उस अनुरोध पर 25 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था जिसमें निचली अदालत के 19 मई के आदेश को चुनौती दी गई थी.
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य पांच नेताओं के खिलाफ जेटली ने यह केस दायर किया था. उन पर सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. केजरीवाल ने जेटली को डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था.
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल के उस अनुरोध पर 25 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था जिसमें निचली अदालत के 19 मई के आदेश को चुनौती दी गई थी.
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल के उस अनुरोध पर 25 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था जिसमें निचली अदालत के 19 मई के आदेश को चुनौती दी गई थी.
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अमेरिका में कामकाजी एच-1बी वीजा के लिए निर्धारित 65,000 की सीमा प्राप्त कर ली गई है। यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज ने इसकी घोषणा की। भारतीय पेशेवरों में एच-1बी कामकाजी वीजा की काफी मांग है।टिप्पणियां
पिछले कई सालों में, खासकर हाल के आर्थिक संकट के दौरान यह पहला मौका है, जब तकनीकी पेशेवरों के लिए एच-1बी वीजा की सीमा वर्ष के मध्य में ही पूरी हो गई। आधिकारिक बयान के अनुसार यूएससीआईएस ने घोषणा की कि उसे वित्तवर्ष 2013 के लिए एच-1बी वीजा के उतने आवेदन मिल गए हैं, जिससे 65,000 की सांविधिक सीमा पूरी हो जाएगी।
एच-1बी वीजा के लिए आवेदन देने की अंतिम तारीख 11 जून थी। यूएससीआईएस उन आवेदनों को स्वीकार करना जारी रखेगा, जो इस सीमा के अंतर्गत नहीं आता। जो लोग पहले से एच-1बी वीजा के तहत यहां काम कर रहे हैं और जिन्हें पिछले साल सीमा से अलग रखा गया था, उनके आवेदनों को सीमा के अंतर्गत नहीं रखा जाएगा।
पिछले कई सालों में, खासकर हाल के आर्थिक संकट के दौरान यह पहला मौका है, जब तकनीकी पेशेवरों के लिए एच-1बी वीजा की सीमा वर्ष के मध्य में ही पूरी हो गई। आधिकारिक बयान के अनुसार यूएससीआईएस ने घोषणा की कि उसे वित्तवर्ष 2013 के लिए एच-1बी वीजा के उतने आवेदन मिल गए हैं, जिससे 65,000 की सांविधिक सीमा पूरी हो जाएगी।
एच-1बी वीजा के लिए आवेदन देने की अंतिम तारीख 11 जून थी। यूएससीआईएस उन आवेदनों को स्वीकार करना जारी रखेगा, जो इस सीमा के अंतर्गत नहीं आता। जो लोग पहले से एच-1बी वीजा के तहत यहां काम कर रहे हैं और जिन्हें पिछले साल सीमा से अलग रखा गया था, उनके आवेदनों को सीमा के अंतर्गत नहीं रखा जाएगा।
एच-1बी वीजा के लिए आवेदन देने की अंतिम तारीख 11 जून थी। यूएससीआईएस उन आवेदनों को स्वीकार करना जारी रखेगा, जो इस सीमा के अंतर्गत नहीं आता। जो लोग पहले से एच-1बी वीजा के तहत यहां काम कर रहे हैं और जिन्हें पिछले साल सीमा से अलग रखा गया था, उनके आवेदनों को सीमा के अंतर्गत नहीं रखा जाएगा।
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कपिल सिब्बल एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वे पूर्व में भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल
में मानव संसाधन मंत्रालय में मंत्री बनाया गया।
कपिल सिब्बल दिल्ली के चाँदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, एवं चौदहवीं लोकसभा के गठन के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विज्ञान एवं तकनीकी मामलों के साथा साथ भू वैज्ञानिक मामलों के कैबिनेट मंत्री रहे। कपिल सिब्बल ने 2016 हिंदी फिल्म शोरगुल के लिए गीत "तेरे बिना" और "मस्त हवा" के गीतों को लिखा है।
सन्दर्भ
भारत सरकार के मंत्री
भारत सरकार के मंत्री
१५वीं लोकसभा के सदस्य
१४वीं लोक सभा के सदस्य
1948 में जन्मे लोग
जीवित लोग
राज्यसभा सदस्य
भारत के क़ानून एवं न्याय मंत्री
भारतीय राजनीतिज्ञ
राजनीतिज्ञ
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बिहार विधानसभा के 35 क्षेत्रों के लिए पांचवें चरण में होने वाले चुनाव के लिए राज्यपाल देवानंद कुंवर के आदेश से चुनाव आयोग ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी. इस चरण के लिए नौ नवंबर को मतदान होगा.
अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कुमार अंशुमाली ने बताया कि पांचवें चरण में 35 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव के लिए हमने अधिसूचना जारी कर दी है.
उन्होंने कहा कि 23 अक्तूबर को प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों की जांच की जायेगी. उम्मीदवारों द्वारा नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 25 अक्तूबर होगी.
पांचवें चरण में शेखपुरा, नालंदा, पटना, भोजपुर, अरवल, जहानाबाद, गया और नवादा जिलों के 35 विधानसभा क्षेत्रों में वोट पड़ेंगे.
पटना जिले में फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज, बिक्रम, अरवल में अरवल, कुर्था, जहानाबाद, घोसी, मखदूमपुर, गया में बोधगया और नवादा में रजौली तथा गोविंदपुर जैसे नक्सल प्रभावित विधानसभा क्षेत्रों में सुबह सात बजे से अपराहन तीन बजे तक ही मतदान होगा. शेष 23 विधानसभा क्षेत्रों में सामान्य रूप से सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक वोट डाले जा सकेंगे.
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यॉर्क की राजकुमारी यूजीन(पूरा नाम:यूजीन विक्टोरिया हेलेना; सटीक उच्चारण:युझ़ीनी,) राजकुमार एंड्रू, यॉर्क के ड्यूक और सारा, यॉर्क की डचेस की दूसरी संतान और छोटी बेटी है। वह महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय की पोती हैं, और ब्रिटिश सिंघासन के उत्तराधिकार के अनुक्रम में आठवें स्थान पर हैं। वो इस क्रम में तीसरी स्त्री हैं। उमक जन्म २३ मार्च १९९० को हुआ था। वर्ष २०१५ में उन्होंने हौसेर एंड वर्थ आर्ट गैलरी, लंदन में काम करना शुरू किया था।
जीवन
बियैट्रिस का जन्म २३ मार्च १९९० को पोर्टलैंड अस्पताल, लंदन में हुआ था। वह राजकुमार एंड्रू और डचेस सारा की दूसरी पुत्री है। उनकी पर्वरिश इंग्लैंडमें हुई है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा, अपनी बहन, राजकुमारी बियैट्रिस के साथ ही विंड्सर, बर्कशायर के उपटाउन हाउस स्कूल और तत्पश्चात् एस्कोट के जॉर्जेज़ स्कूल से प्राथमीक और माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की है। तत्पश्चात् उन्होंने पांच वर्ष मलबोरो कॉलेज में पढाई की। तत्पश्चात् उनहोंने न्यूकासल विश्वविद्यालय से कला स्नातक की पढाई, कला इतिहास, अंग्रेज़ी साहित्य और राजनीति के विषय में की है। अपनी पढाई पूरी करने के पश्चात वे एक वर्ष के लिए पैडल8 नमक कंपनी में काम करने के लिए न्यूयॉर्क चली गयी थी। वर्ष २०१५ में वापसी के बाद से उन्होंने हौसेर एंड वर्थ आर्ट गैलरी, लंदन में काम करना शुरू किया।
राजकुमारी बियैट्रिस, राजपरिवार की, आधिकारिक तौर पर एक "कार्यशील" सदस्य नहीं है, अतः उन्हें शाही भत्ते से कोई अनुदान नहीं मुहैया कराई जाती है। और उनके निजी कार्यों को कोर्ट सर्क्युलर में रिपोर्ट नहीं किया जाता है। राजकुमारी यूजीनी की सार्वजनिक भागीदारी सीमित रही है, क्योंकि वे आम तौर पर अपने पढाई के कारण व्यस्त रहा करती थी। हालाँकि, वे शाही परिवार द्वारा प्रस्तुत कुछ कार्यक्रमों में शामिल रहती हैं। साथ ही कई सरकारी और राजकीय समारोहों में भी उनकी उपस्थिति रहती है। बहरहाल, वे दानकार्यों और चैरिटी संबंधित समारोहों में शमी होती है। इसके अलावा वे कुछ अवसरों पर शाही पेवर का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं।
इन्हें भी देखें
ब्रिटिश राजपरिवार
ब्रिटिश राजसत्ता का अनुक्रम
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
1990 में जन्मे लोग
जीवित लोग
विंडसर घराना
ब्रिटिश राजपरिवार
यूनाइटेड किंगडम के लोग
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उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर थाना मान्धाता इलाके के गांव मदईपुर सुबरनी के पास शुक्रवार की दोपहर बदमाशों की गोलीबारी के दौरान एक कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गया. अपर पुलिस अधीक्षक राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि कांस्टेबल मोहन (40) अलविदा नमाज की ड्यूटी पर मदईपुर गया था. नमाज के बाद वह थाना आ रहा था कि मदईपुर सुबरनी के बीच कुछ सन्दिग्ध युवक बैठे थे. मोहन के पूछताछ करने पर उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी. गोली लगने से मोहन गंभीर रूप से घायल हो गया.टिप्पणियां
अग्रवाल के अनुसार, मोहन को उपचार हेतु स्थानीय चिकित्सालय लाया गया ,जहाँ चिकित्सकों ने उसकी स्थिति गंभीर देखते हुए उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया. उन्होंने बताया कि घटना की जांच और आरोपियों की तलाश जारी है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अग्रवाल के अनुसार, मोहन को उपचार हेतु स्थानीय चिकित्सालय लाया गया ,जहाँ चिकित्सकों ने उसकी स्थिति गंभीर देखते हुए उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया. उन्होंने बताया कि घटना की जांच और आरोपियों की तलाश जारी है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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आखिरकार भारत ने पाकिस्तान को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की अनुमति दे दी है. यही वह मौका है जिसका कई पाकिस्तानी कंपनियां इंतजार कर रही थीं. पाकिस्तान के सबसे अमीर शख्स मियां मोहम्मद मंशा और उनके मैनेजर भारत के बैंकिंग क्षेत्र के लिए इन्वेस्टमेंट प्रस्ताव तैयार करने में व्यस्त हैं. ''हां, हमारा इरादा भारत में मुस्लिम कॉमर्शियल बैंक की शाखाएं खोलने का है.'' यह कहना है मंशा का जिनका 5 अरब डॉलर (27,500 करोड़ रु.) मूल्य का निशात ग्रुप बैंकिंग, कपड़ा, बीमा, सीमेंट और बिजली क्षेत्रों में दखल रखता है.
एक अगस्त की सरकारी अधिसूचना तक पाकिस्तान इकलौता ऐसा देश था जिसे भारत में इन्वेस्टमेंट करने की इजाजत नहीं थी. अब पाकिस्तानी नागरिकों और कंपनियों को रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा को छोड़कर सभी क्षेत्रों में इन्वेस्टमेंट की इजाजत होगी. हरी झंडी देने से पहले फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआइपीबी) उनकी जांच करेगा. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोअज्जम खान कहते हैं, ''हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. ''
दोनों देश व्यापार में बढ़ोतरी के माध्यम से संबंधों में सुधार के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं. मार्च में, पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय ने 'निगेटिव लिस्ट' की अवधारणा को अपनाकर भारत के साथ अधिक वस्तुओं के व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी. निगेटिव लिस्ट में 1,200 ऐसी वस्तुएं शामिल की गई हैं जिनके व्यापार की अनुमति नहीं दी जा सकती जबकि इससे पहले एक प्रतिबंधात्मक 'पॉजिटिव लिस्ट' हुआ करती थी जिसमें शामिल 1,900 वस्तुओं का ही आयात संभव था.
अप्रैल में दोनों देशों ने वाघा-अटारी सीमा पर एक एकीकृत चौकी खोली जहां हर रोज सरहद पार करने वाले ट्रकों की संख्या को 150 से बढ़ाकर 600 कर दिया गया. साल के अंत तक पाकिस्तान द्वारा भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा दिए जाने की संभावना है. एमएफएन के दर्जे के मायने यह होंगे कि भारत पाकिस्तान को फिलहाल निर्यात की जा रही 2,000 वस्तुओं से अधिक 6,800 वस्तुओं का निर्यात करने में सक्षम होगा.
भारत में जानकारों का कहना है कि इन्वेस्टमेंट के वास्तविक प्रवाह की बनिस्बत यह कदम भरोसा बहाल करने की दिशा में अधिक महत्वपूर्ण होगा. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) के महासचिव राजीव कुमार कहते हैं, ''मुझे यह उम्मीद नहीं है कि भारत में पाकिस्तानी इन्वेस्टमेंट की बाढ़ आ जाएगी. ''
2010-11 में राष्ट्रों के बीच आधिकारिक दोतरफा व्यापार 2.7 अरब डॉलर (14,850 करोड़ रु.) रहा जबकि तीसरे देशों के माध्यम से अनाधिकारिक व्यापार के 10 अरब डॉलर (55,000 करोड़ रु.) होने का अनुमान है. अधिकारियों का अनुमान है कि 2015 तक दोतरफा व्यापार 6 अरब डॉलर (33,000 करोड़ रु.) पहुंच सकता है. प्राइस वाटरहाउस कूपर्स के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर संजीव कृष्णन कहते हैं, ''यह कदम प्रतीकात्मक ज्यादा है. ''
ज्यादा इन्वेस्टमेंट की उम्मीद टेक्सटाइल, खेल, सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स, डिजाइनर वियर, दुबई और पाकिस्तान में हॉस्पिटेलिटी-केटरिंग तथा ऑटो कंपोनेंट में है. कुछ कंपनियां पहले ही भारत के मौकों को लपकने में दिलचस्पी दिखा चुकी हैं. पाकिस्तानी सरकार के यूनाइटेड बैंक और सरकारी स्वामित्व वाले नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान को भारत में काम करने की इजाजत दे दी गई है. विविध क्षेत्रों में कारोबार करने वाले फतेह ग्रुप ने भी भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में इन्वेस्टमेंट की अनुमति के लिए आवेदन किया है. पाकिस्तान के हैदराबाद शहर के फतेह ग्रुप के गौहर उल्लाह कहते हैं, ''हमें लगता है कि भारत हमारे लिए बड़ा मौका साबित हो सकता है. ''
अभी बहुत कुछ किया जाना है. पहली बाधा यह है कि भारत सरकार को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 में संशोधन करने की जरूरत है. इंडस्ट्रियल पॉलिसी ऐंड प्रमोशन डिपार्टमेंट के सचिव सौरभ चंद्र कहते हैं, ''उसके बाद ही प्रस्ताव आ सकते हैं और एफआइपीबी के पास अनुमोदन के लिए भेजे जा सकते हैं. ''
सार्क चेंबर ऑफ कॉमर्स के विक्रमजीत साहनी का कहना है कि दोनों देशों के बीच व्यापारियों के लिए वीजा पाबंदियों को हटाने की जरूरत है. पाकिस्तान-भारत व्यापार परिषद ने भारत सरकार से पर्याप्त कानूनी संरक्षण प्रदान कर व्यापारियों के इन्वेस्टमेंट की सुरक्षा पक्की करने की मांग की है. व्यापार की खातिर छोटा-सा कदम दोनों देशों में आपसी संबंधों के लिए बड़ी छलांग साबित होगा.
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अपने कड़े कदम पर कायम और केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) के सुझावों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाई जा रही तीसरी या वैकल्पिक भाषा के रूप में जर्मन पढ़ाए जाने पर रोक लगा दी है. अब केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन की जगह संस्कृत पढ़ाई जाएगी.
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने इस बात का अंदेशा जताया था कि इस तरह बीच में जर्मन को यूं अचानक बंद करने से पैरेंट्स में नाराजगी और अन्य विभागीय मुद्दे पैदा हो सकते हैं. इस बात पर मंत्रालय द्वारा जर्मन को 2017-18 तक धीरे-धीरे चरणों में हटाए जाने को प्राथमिकता दिए जाने की बात कही गई थी.
सेशन के बीच में इस तरह के बदलाव से छठी, सातवीं और आठवीं क्लास के स्टूडेंट्स को होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए अब यह फैसला लिया गया है कि छठी क्लास के फर्स्ट टर्म के लिए अब संस्कृत का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा. इसी के आधार पर उनका रचनात्मक और योगा के आधार पर असेस्मेंट भी किया जाएगा. छात्रों के पहले टर्म में जर्मन या विदेशी भाषा के ग्रेड को उनके सालाना रिजल्ट तैयार करते हुए शामिल कर लिया जाएगा.
संगठन ने इस ओर भी ध्यान दिलाया था कि अगर स्टूडेंट स्कूल बदलते हैं, जैसा कि केंद्रीय विद्यालय सिस्टम में होता है, तो उन्हें अपनी पढ़ाई के साथ ताल-मेल बिठाने में भी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
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डंकन फ्लेचर जबसे टीम इंडिया से जुड़े हैं तभी से टीम इंडिया का अर्श से फर्श का सफर भी शुरू हो गया. पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज में मिली हार के बाद फ्लेचर को हटाए जाने की बातें शुरू हो गई हैं और उनकी जगह सौरव गांगुली को कोच पद की कमान सौंपी जा सकती है.
टीम इंडिया के खस्ते हाल देखकर फ्लेचर का जाना तो अब लगभग तय माना जा रहा है लेकिन उनके बाद कौन धोनी के धुरंधरों को कोचिंग देगा इसपर फैसला अभी नहीं हो सका है. पूर्व भारतीय कप्तान गुंडप्पा विश्वनाथ का मानना है कि सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा कोच डंकन फ्लेचर की जगह लेने के लिए आदर्श उम्मीदवार हैं.
वहीं गांगुली ने खुद भी इस पद के लिए अपनी इच्छा जाहिर की है. पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कहा था कि डंकन फ्लेचर के बाद किसी भारतीय को ही राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का कोच बनाया जाना चाहिए. फ्लैचर का दो साल का कार्यकाल अब समाप्त होने जा रहा है.
फ्लेचर के कार्यकाल के दौरान टीम इंडिया ने 20 टेस्ट मैच खेले जिसमें उसे 6 में जीत, 10 में हार जबकि 4 मैच ड्रॉ रहे थे. वहीं वनडे में भी टीम इंडिया का रिकॉर्ड फ्लेचर के कार्यकाल में खराब हुआ है.
विश्वनाथ ने कहा, ‘अगर गैरी कर्स्टन भारतीय कोच बन सकता है तो गांगुली क्यों नहीं. लेकिन इस मुद्दे पर फैसला बीसीसीआई और गांगुली को करना है.’ अपने समय के दिग्गज बल्लेबाजों में शामिल रहे विश्वनाथ ने भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का भी बचाव किया.
उन्होंने कहा, ‘पिछली दो सीरीज (तीन टेस्ट सीरीज) को छोड़ दिया जाए तो उसका रिकार्ड काफी अच्छा है.’ उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक टीम बुरे दौर से गुजरती है. हमने देखा कि वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी ऐसा हुआ. कुछ टीमों को वापसी करने में समय लगता है. यह खेल का हिस्सा है और भारत इस दौर से गुजर रहा है.’
वहीं गांगुली के मुताबिक, ‘हमें भारतीय कोच की जरूरत है और मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय टीम का कोच बनने के लिये हमारे देश में पर्याप्त कौशल मौजूद है. मुझे लगता है कि अब किसी भारतीय को कोच बनाने का समय आ गया है.’
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पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) की प्रमुखता को बरकरार रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आयोग को राज्य में पंचायत चुनाव 11 जुलाई से पांच चरणों में कराने के लिए कहा।
चुनाव के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल मुहैया कराने की मांग को लेकर दायर एसईसी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एके पटनायक और रंजन गोगोई ने निर्देश दिया कि चुनाव 11, 15, 19, 22 और 25 जुलाई को कराए जाएं।
सर्वोच्च न्यायालय ने ममता बनर्जी नीत राज्य सरकार को हर चरण के लिए 35,000 सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने का निर्देश दिया है। शेष सुरक्षा बल केंद्र सरकार मुहैया कराएगी।टिप्पणियां
एसईसी के वकील समरादित्य पाल ने कहा, "अदालत ने आज (शुक्रवार को) पूरे पंचायत चुनाव का कार्यक्रम पुनर्निधारित कर दिया और निर्देश दिया है कि 11 जुलाई से यह पांच चरणों में कराया जाना चाहिए। अदालत ने राज्य सरकार को हर चरण के लिए 35,000 सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने का निर्देश दिया है जबकि केंद्र सरकार जरूरत के हिसाब से शेष सुरक्षा बल मुहैया कराएगी।"
राज्य में पंचायत चुनाव कराने को लेकर बनर्जी सरकार और एसईसी के बीच कानूनी घमासान हुआ है।
चुनाव के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल मुहैया कराने की मांग को लेकर दायर एसईसी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एके पटनायक और रंजन गोगोई ने निर्देश दिया कि चुनाव 11, 15, 19, 22 और 25 जुलाई को कराए जाएं।
सर्वोच्च न्यायालय ने ममता बनर्जी नीत राज्य सरकार को हर चरण के लिए 35,000 सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने का निर्देश दिया है। शेष सुरक्षा बल केंद्र सरकार मुहैया कराएगी।टिप्पणियां
एसईसी के वकील समरादित्य पाल ने कहा, "अदालत ने आज (शुक्रवार को) पूरे पंचायत चुनाव का कार्यक्रम पुनर्निधारित कर दिया और निर्देश दिया है कि 11 जुलाई से यह पांच चरणों में कराया जाना चाहिए। अदालत ने राज्य सरकार को हर चरण के लिए 35,000 सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने का निर्देश दिया है जबकि केंद्र सरकार जरूरत के हिसाब से शेष सुरक्षा बल मुहैया कराएगी।"
राज्य में पंचायत चुनाव कराने को लेकर बनर्जी सरकार और एसईसी के बीच कानूनी घमासान हुआ है।
सर्वोच्च न्यायालय ने ममता बनर्जी नीत राज्य सरकार को हर चरण के लिए 35,000 सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने का निर्देश दिया है। शेष सुरक्षा बल केंद्र सरकार मुहैया कराएगी।टिप्पणियां
एसईसी के वकील समरादित्य पाल ने कहा, "अदालत ने आज (शुक्रवार को) पूरे पंचायत चुनाव का कार्यक्रम पुनर्निधारित कर दिया और निर्देश दिया है कि 11 जुलाई से यह पांच चरणों में कराया जाना चाहिए। अदालत ने राज्य सरकार को हर चरण के लिए 35,000 सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने का निर्देश दिया है जबकि केंद्र सरकार जरूरत के हिसाब से शेष सुरक्षा बल मुहैया कराएगी।"
राज्य में पंचायत चुनाव कराने को लेकर बनर्जी सरकार और एसईसी के बीच कानूनी घमासान हुआ है।
एसईसी के वकील समरादित्य पाल ने कहा, "अदालत ने आज (शुक्रवार को) पूरे पंचायत चुनाव का कार्यक्रम पुनर्निधारित कर दिया और निर्देश दिया है कि 11 जुलाई से यह पांच चरणों में कराया जाना चाहिए। अदालत ने राज्य सरकार को हर चरण के लिए 35,000 सुरक्षाकर्मी मुहैया कराने का निर्देश दिया है जबकि केंद्र सरकार जरूरत के हिसाब से शेष सुरक्षा बल मुहैया कराएगी।"
राज्य में पंचायत चुनाव कराने को लेकर बनर्जी सरकार और एसईसी के बीच कानूनी घमासान हुआ है।
राज्य में पंचायत चुनाव कराने को लेकर बनर्जी सरकार और एसईसी के बीच कानूनी घमासान हुआ है।
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इंग्लैंड दौरे पर गई
टीम इंडिया
ने साउथम्प्टन टेस्ट गंवाकर
सीरीज
जीतने का मौका भी गंवा दिया है और अब आम क्रिकेट प्रेमी से लेकर क्रिकेट दिग्गज भी भारतीय टीम की आलोचना कर रहे हैं.
विराट कोहली
की टीम को चौथे टेस्ट में 60 रनों से हार का सामना करना पड़ा और इसी के साथ
इंग्लैंड
ने 5 मैचों की सीरीज में 3-1 की अजेय बढ़त भी बना ली है. भारत की हार पर क्रिकेट दिग्गज
सुनील गावस्कर
ने विराट कोहली की कप्तानी पर सवाल उठाए हैं.
'आजतक' से खास बातचीत में गावस्कर ने कहा कि विराट की कप्तानी में अब वो बात नहीं है. उन्होंने कहा कि साल 2014 में जब विराट को टेस्ट टीम की कप्तानी सौंपी गई थी तब उन्होंने टीम को एक नया जोश और दिशा देने का काम किया. लेकिन उसी वक्त से यह साफ था कि विराट की असल परीक्षा ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में होगी, क्योंकि वेस्टइंडीज या श्रीलंका जैसी टीमों को हराना कोई बड़ी बात नहीं, वो सीरीज तो टीम इंडिया के लिए प्रैक्टिस मैचों की तरह थीं. बता दें कि इस साल की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2-1 से सीरीज हारने के बाद कोहली की कप्तानी में विदेशी धरती पर लगातार दूसरी बार सीरीज की हार है.
सुनील गावस्कर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज जीतकर विराट ने बतौर कप्तान अपनी काबिलियत साबित की थी. लेकिन इंग्लैंड में वैसा देखने को नहीं मिला. गावस्कर ने कहा कि बल्लेबाज के रूप में विराट ने उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन कप्तान तभी सफल हो सकता है जब उसकी टीम प्रदर्शन करेगी. विराट कोहली से हमेशा उम्मीदें बहुत ऊंची रहती हैं और इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ. यही वजह है कि देशभर के क्रिकेट प्रेमी इस हार से निराश हैं.
पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि यह हार निराशाजनक है और इसकी समीक्षा की जानी चाहिए. हमें देखना पड़ेगा कि कौन से खिलाड़ी टीम की जरूरत हैं और किसे बाहर किया जा सकता है. उन्होंने हार्दिक पंड्या पर दिए अपने बयान पर कहा कि हार्दिक ने पिछले कुछ टेस्ट मैच में खुद को साबित करके दिखाया है लेकिन इस सीरीज में ऑलराउंडर के तौर उनका भरपूर इस्तेमाल नहीं किया गया. गावस्कर ने कहा कि टीम इंडिया को आलोचना से प्रेरणा लेनी चाहिए क्योंकि ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने काबिलियत के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया है.
इंग्लैंड में खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर गावस्कर ने कहा कि एक-दो खिलाड़ियों को हार का दोष देना ठीक नहीं क्योंकि यह टीम गेम है. उन्होंने कहा कि अगर टीम इंडिया भरपूर प्रैक्टिस मैच खेलती तो फर्क जरूर पड़ता. उन्होंने कहा कि इससे खिलाड़ियों को वहां के हालात समझने में और मदद मिलती. अब इसके लिए टीम प्रबंधन की जिम्मेदार भी तय हो सकती है लेकिन उनका दोष कितना है इसके बार में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता.
गावस्कर ने कहा कि प्रबंधन और क्रिकेट बोर्ड को साझा रूप से प्रैक्टिस मैचों के लिए रणनीति बनानी चाहिए थी, क्योंकि नेट प्रैक्टिस काफी नहीं है, हमें मैच प्रैक्टिस की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में हमारे पास बोर्ड जैसा कुछ है ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुछ प्रशासक ही भारतीय क्रिकेट को चला रहे हैं.
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यूपी में फिलहाल 11 जिलों में इंटरनेट बंद
कई हजार लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ
नागरिकता संशोधन कानून पर जारी संग्राम के बीच उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन में 11 लोगों की मौत हो चुकी है. कानपुर, फिरोजाबाद और बिजनौर में दो-दो प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है. यूपी में फिलहाल 11 जिलों में इंटरनेट बंद है.
वहीं हिंसा के मामसे में 100 से ज्यादा
गिरफ्तारियां
और कई हजार लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. अकेले गाजियाबाद में 3600 लोगों पर केस दर्ज हुआ है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत बिजनौर, मेरठ, फिरोजाबाद, कानपुर, संभल, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, हाथरस, बहराइच और बुलंदशहर में इंटरनेट बंद है.
बुलंदशहर में 19 नामजद के खिलाफ FIR, 700-800 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है तो वहीं 16 लोगों को हिरासत में लिया गया है. गाजियाबाद में 3600 लोगों पर केस दर्ज किया गया है, जिसमें 400 से ज्यादा नामजद और 3200 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज हुआ है. इसके अलावा
गाजियाबाद
में 65 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है.
मेरठ में चार लोगों की मौत
मेरठ में शुक्रवार को हुई हिंसा में शामिल 4 लोगों की मौत हो गई जबकि 3 पुलिस वालों को भी चोट आई है. एसएसपी के मुताबिक साजिश के तहत हिंसा की गई. हिंसा करने वाले पुलिस पर भी फायरिंग कर रहे थे. भीड़ की तरफ से तकरीबन 50 राउंड से ज्यादा फायरिंग की गई. मौके से खोखे भी बरामद किया गया है. 13 एफआईआर दर्ज हुई हैं. आरोपियों के खिलाफ NSA के तहत कार्रवाई की जाएगी.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बाहरी लोग आए थे जो हिंसा में शामिल थे. एसएसपी के मुताबिक इन सभी को कुछ लोकल लोगों का कुछ लोकल संगठनों का भी सपोर्ट मिला है जिसकी जांच कर रहे हैं. 1 हफ्ते पहले PFI और SDPI के पम्फलेट मिले थे. CAA को लेकर इन सब पर भी जांच चल रही है. बड़े पैमाने पर पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया गया है. एक पुलिस चौकी इस्लामाबाद को भी तोड़ा गया. उसमें आग लगाई गई.
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बिहार की सियासत में मंगलवार को नहले पे दहला मारने का खेल चला. पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहरसा रैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अहंकारी बताया. फिर नीतीश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनकी एक-एक बात का जवाब दिया.
नीतीश ने मोदी को ललकारते हुए कहा- 'मैं यहीं रहूंगा. एक बिहारी, सब पर भारी पड़ेगा.' उन्होंने मोदी की बातों को जुमला बताया. कहा- बोलने में क्या जाता है. कालाधन वापस लाने पर उनके अध्यक्ष ने भी कह दिया था कि जुमला है.
विशेष पैकेज
पर बोले- ये भी जुमला
नीतीश ने कहा कि 'ये सवा लाख करोड़ रुपये भी वैसे ही हैं, जैसे लोगों ने सोचा था कालाधन वापस आएगा और उन्हें 15-15 लाख रुपए मिलेंगे. 1 लाख 40 हजार की मांग तो हम पहले से ही कर रहे हैं. कोई पैकेज नहीं है. ये री-पैकेजिंग है.'
जो याचक हो गया वो अहंकारी कैसे हुआ
नीतीश ने मोदी के शब्दों को ही पकड़ते हुए कहा- 'मोदी एक तरफ याचक कहते हैं और एक तरफ अहंकारी. जो याचक हो गया वो अहंकारी कैसे होगा. उनकी बातों में विरोधाभास है.' मोदी ने कहा था कि नीतीश बिहार के स्वाभिमान को दांव पर लगा UPA से मदद मांगने गए थे. इस पर नीतीश ने ट्वीट भी किया कि बिहार के लिए याचक भी बनना पड़े तो मंजूर है.
बिहार और बिहार की जनता के लिए अगर मुझे बार बार याचक के तौर पे किसी के दरवाज़े जाना पड़े तो इसमें मुझे कोई संकोच नहीं है (2/2)-Nitish Kumar
— ANI (@ANI_news)
August 18, 2015
एक मुर्गी को कब तक हलाल करेंगे
नीतीश बोले- 'आप कहते हैं कि बीमारू नहीं हो तो मांगते क्यों हो. हम याचक रहेंगे. हमें कोई ऐतराज नहीं. आप बिहार की बोली लगाकर बिहार का मजाक उड़ा रहे हैं. एक मुर्गी को कब तक हलाल करेंगे.'
पैसे खर्च न करने की बात गलत
नीतीश ने मोदी के इस आरोप का भी खंडन किया कि राज्य सरकार ने पहले दी गई आर्थिक मदद का बड़ा हिस्सा खर्च ही नहीं किया. उन्होंने कहा, 'खर्च इतना कर दिया है उतना तो पैसा भी नहीं मिला है. हमें विशेष राज्य का दर्जा चाहिए.'
ये तो ऊंट के मुंह में जीरा है
नीतीश ने कहा कि 'हम एग्रीकल्चर रोडमैप के लिए 41,587 करोड़ रुपये मांग रहे थे. PM ने घोषणा की 3094 करोड़ करोड़ रुपये की. ये तो ऊंट के मुंह में जीरा है.'
हमें
विशेष राज्य
का दर्जा चाहिए, दया नहीं: शरद
वहीं JDU के शरद यादव ने कहा कि हमें विशेष राज्य का दर्जा चाहिए किसी की दया नहीं.
Hume vishesh rajya ka darja chahiye,kisi ki daya nahi chahiye-Sharad Yadav,JDU on PM's speech
pic.twitter.com/LIEN9VnaFp
— ANI (@ANI_news)
August 18, 2015
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मलेशिया की उत्पत्ति मलय राज्यों में हुई है, जो 18वीं शताब्दी से, ब्रिटिश स्ट्रेट्स सेटलमेंट्स प्रोटेक्टोरेट के साथ, ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया। प्रायद्वीपीय मलेशिया को 1946 में मलायन संघ के रूप में एकीकृत किया गया था। मलाया को 1948 में मलाया संघ के रूप में पुनर्गठित किया गया था, और 31 अगस्त 1957 को स्वतंत्रता प्राप्त की। मलाया 16 सितंबर 1963 को उत्तरी बोर्नियो, सारावाक और सिंगापुर के साथ एकजुट होकर मलेशिया बन गया। 1965 में, सिंगापुर को महासंघ से निष्कासित कर दिया गया था। देश बहु-जातीय और बहु-सांस्कृतिक है, जो इसकी राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाता है। लगभग आधी आबादी जातीय रूप से मलय है, जिसमें मलेशियाई चीनी, मलेशियाई भारतीय और स्वदेशी लोग बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक हैं। इस्लाम को देश के स्थापित धर्म के रूप में मान्यता देते हुए संविधान गैर-मुसलमानों को धर्म की स्वतंत्रता देता है। सरकारी प्रणाली बारीकी से वेस्टमिंस्टर संसदीय प्रणाली पर आधारित है और कानूनी प्रणाली सामान्य कानून पर आधारित है। राज्य का मुखिया राजा होता है, जिसे यांग डि-पर्टुआन एगोंग के नाम से जाना जाता है। वह हर पांच साल में नौ मलय राज्यों के वंशानुगत शासकों में से चुना गया एक निर्वाचित राजा है। सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री है। देश की आधिकारिक भाषा मलेशियाई है, जो मलय भाषा का एक मानक रूप है। अंग्रेजी एक सक्रिय दूसरी भाषा बनी हुई है।
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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाली घरेलू चार टेस्ट मैचों की सीरीज की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे पर खेली जाने वाली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में चार टेस्ट मैच खेलेगी.
बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के तारीखों का ऐलान
चार टेस्ट मैचों
की सीरीज का पहला टेस्ट मैच 23 से 27 फरवरी के बीच पुणे के महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में खेला जाएगा. दूसरा टेस्ट चार से आठ मार्च के बीच बंग्लुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में जबकि तीसरा टेस्ट 16 से 20 मार्च के बीच झारखंड के जेएससीए क्रिकेट मैदान पर खेला जाएगा. आखिरी और चौथा टेस्ट दोनों टीमें 25 से 29 मार्च के बीच
धर्मशाला
के एचपीसीए क्रिकेट मैदान पर खेलेंगी.
इंग्लैंड के खिलाफ होंगे तीन वनडे और दो टी-20
भारत और इंग्लैंड के बीच जनवरी में तीन वनडे और दो टी-ट्वेंटी मुकाबले खेलेगी. जबकि फरवरी में उसे घरेलू मैदान पर ही इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी टी20 और
बांग्लादेश
के खिलाफ आठ से 12 फरवरी के बीच सिर्फ एक टेस्ट
मुकाबला
खेलना है. इसके 10 दिन बाद भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट की सीरीज खेलने के लिए तैयार हो जाएगी. मौजूदा समय में भारतीय न्यूज़ीलैंड को 3-0 से टेस्ट में हराकर नंबर एक टेस्ट टीम बनी हुई है. जबकि अगले महीने से भारतीय टीम को इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है.
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रुपये के अवमूल्यन और लागत में वृद्धि के असर से निपटने के लिए कम्पनियां टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ाने की योजना बना रही हैं. लिहाजा यदि इस महीने रेफ्रीजरेटर या एयरकंडीशनर खरीदने की आपकी योजना हो, तो देर मत कीजिए.
औद्योगिक सूत्रों का कहना है कि इस बार कीमतों में वृद्धि चार से 10 प्रतिशत के बीच होगी. अधिकांश कम्पनियों ने इसके पहले बजट के बाद कीमतें बढ़ाई थीं.
सैमसंग इंडिया (घरेलू वस्तुएं) के उपाध्यक्ष महेश कृष्णन ने से कहा, 'कम्पनी रेफ्रीजरेटर और वाशिंग मशीन की कीमतें बढ़ाएगी.'
कृष्णन, वृद्धि का वास्तविक प्रतिशत नहीं बता पाए, क्योंकि कम्पनी अभी इसके बारे में गुणा-गणित कर रही है. उन्होंने कहा, 'अभी हम इस पर काम कर रहे हैं.'
उद्योग एवं व्यापार के सूत्रों का कहना है कि कीमतें उत्पादों की आयात मात्रा पर निर्भर करेंगी. टिकाऊ वस्तुओं में 30-70 प्रतिशत हिस्सा आयात किया जाता है. लगभग सभी कम्पनियां अपने रेफ्रीजरेटर्स, एयरकंडीशनर्स और वाशिंग मशींस पूर्ण निर्मित अवस्था में आयात करती हैं. अंदर के सूत्रों ने कहा है कि पेट्रोल उत्पादों और माल भाड़ों में वृद्धि के कारण लागत बढ़ गई हैं.
भारतीय बाजार में छह दरवाजे वाले रेफ्रिजरेटर पेश करने की योजना बना रही कम्पनी, हेयर ने कहा है कि वह सबसे पहले वाशिंग मशीन और एलसीडी टीवी की कीमतें बढ़ा रही है.
हेयर इंडिया के प्रेसीडेंट एरिक ब्रैगैंजा ने से कहा, 'हम इस महीने वाशिंग मशींस और एलसीडी टीवी की कीमतें तीन से पांच प्रतिशत बढ़ाने जा रहे हैं.'
व्हर्लपूल, एलजी और गोदरेज भी कीमतों में वृद्धि की घोषणा करने से पहले मुनाफे पर बन रहे दबाव का अनुमान लगा रहे हैं.
व्हर्लपूल इंडिया के उपाध्यक्ष (कॉरपोरेट मामले एवं रणनीति) शांतनु दासगुप्ता ने कहा, 'मूल्य निर्धारण कोई आसान काम नहीं है, यह विभिन्न किस्मों के मूल्यांकन पर आधारित होता है जो मूल्य निर्धारण को प्रभावित करते हैं.'
दासगुप्ता ने कहा कि मूल्य वृद्धि का मूल कारण महंगाई और रुपये का अवमूल्यन है.
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बॉलीवुड के सबसे एनर्जेटिक एक्टर के तौर पर पहचाने जाने वाले रणवीर सिंह (Ranveer Singh) ने पिछले साल अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वह स्विटजरलैंड (Switzerland) के मशहूर जगहों पर घूमते हुए नजर आए थे. रणवीर सिंह (Ranveer Singh) ने इंस्टाग्राम पर कर कई तस्वीरें और वीडियो भी शेयर किया था, जो स्विटजरलैंड लोकेशन की थी. हालांकि उस वक्त किसी को समझ नहीं आया कि रणवीर सिंह (Ranveer Singh) अचानक अकेले स्विटजरलैंड (Switzerland) का टूर क्यों कर रहे हैं. अब जब यह वीडियो दुनियाभर में पहचान बना चुका है, सभी को मालूम है कि यह वीडियो उन्होंने स्विटजरलैंड टूरिज्म (Switzerland Tourism) के लिए ऐड शूट किया था. कहा जा रहा है कि यह दुनिया का नंबर वन ऐड बन चुका है, हालांकि अभी इसकी कही भी पुष्टि नहीं की गई है.
Made in Heaven#inLOVEwithSWITZERLAND@MySwitzerlandIN@mylausanne@[email protected]/yFRM2kLzLS
रणवीर सिंह (Ranveer Singh) ने इस वीडियो में कई अलग-अलग लुक में दिखाई दिए. इंस्टाग्राम पर वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें रणवीर सिंह चार्ली चैपलिन बने हुए दिखे थे. रणवीर इस वीडियो में दुनिया के मशहूर कॉमेडियन चार्ली चैपलिन की नकल करते हुए नजर आए. चार्ली चैपलिन के लुक में कुछ ऐसे अंदाज में रणवीर सिंह (Ranveer Singh) दिखे, मानो वह खुद ही चार्ली चैपलिन हो.
फिलहाल उन्होंने स्विटजरलैंड (Switzerland) के कई मशहूर जगहों पर जाकर एन्जॉय तो किया साथ ही स्विटजरलैंड टूरिज्म (Switzerland Tourism) को अपने अंदाज में सुपरहिट बना दिया. रणवीर का क्रेज देश में ही नहीं दुनिया के कई देशों में है. भारतीयों को स्विटजरलैंड टूरिज्म का बढ़ावा के लिए रणवीर ने यह ऐड किया, जिसका स्विटजरलैंड को फायदा भी हुआ.
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विपक्ष द्वारा शीला दीक्षित को हमलों का निशाना बनाये जाने के बीच दिल्ली सरकार ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी परियोजनाओं पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में मुख्यमंत्री या किसी भी अन्य राजनीतिक नेता पर दोषारोपण नहीं किया गया है और इसे लेकर अनावश्यक रूप से राजनीति की जा रही है.
दिल्ली के परिवहन मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि सरकार ने कैग की रिपोर्ट का अध्ययन किया है और इसमें दीक्षित या किसी भी अन्य राजनीतिक प्रमुख पर दोषारोपण नहीं किया गया है बल्कि इसमें शहर में बुनियादी सुविधाओं के विकास संबंधी कार्यों के लिए दिल्ली सरकार की प्रशंसा की गयी है.
उन्होंने कहा कि हमने रिपोर्ट पढ़ी है, रिपोर्ट में कही भी मुख्यमंत्री या किसी अन्य मंत्री या किसी अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है. किसी पर भी दोष नहीं लगाया गया है. उनके नामों का कोई जिक्र नहीं है. मुख्यमंत्री को कहां दोषी ठहराया गया है?
ऑडिट रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा करने वाली दिल्ली मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब सिर्फ कैग की रिपोर्ट पर अनावश्यक तौर पर राजनीति की जा रही है. कुछ लोग रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक बढ़त हासिल करना चाहते हैं. कहीं भी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार या घोटाला जैसे शब्दों का जिक्र नहीं है.
दीक्षित के इस्तीफे की मांग पर विपक्ष पर हमला बोलते हुए लवली ने कहा कि अगर कैग रिपोर्ट में मात्र नाम का जिक्र होने पर ही सरकारें इस्तीफा दे देतीं तो हर मार्च में केन्द्र और राज्य के स्तर पर सरकारें बदल जाती.
कैग ने स्ट्रीटस्केपिंग और सड़कों पर रोशनी की व्यवस्था से जुड़ी कुछ परियोजनाओं में अनेक अनियमितताओं का पता लगाया था जिसके कारण वित्तीय नुकसान हुआ है.
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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के ओएसडी डॉ. निकुंज अग्रवाल के दफ्तरों पर सीबीआई ने छापेमारी की.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली सरकार के उप सतर्कता सचिव केएस मीणा की शिकायत पर इस संबंध में केस दर्ज किया था. इस संबंध में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत दर्ज एफआईआर में चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के सीनियर रेसिडेंट निकुंग अग्रवाल और अस्पताल के निदेशक अनुप मेहता के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
सतर्कता आयोग ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि अग्रवाल को साल 2015 में चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में एड-हॉक बेसिस पर सीनियर रेसिडेंट पोस्ट पर नियुक्त किया गया, जबकि अस्पताल में ऐसा कोई पद नहीं था और ना ही ऐसी किसी रिक्ती के लिए विज्ञापन दिया गया.
इसके साथ ही इस विजिलेंस विभाग का कहना है कि अग्रवाल ने अस्पताल में नियुक्ति के लिए 6 अगस्त, 2015 में हाथ से लिखकर एक आवेदन दिया और इसके चार दिनों बाद ही बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे गई.
इस संबंध में बीजेपी नेता विजेंदर गुप्ता ने आरोप लगाया था कि अग्रवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवला के एक करीबी रिश्तेदार के दामाद हैं, इसी वजह से उन्हें सारे कायदे-कानून ताक पर रखकर ये पद दिया गया.
जैन की बेटी की नियुक्ति का मामला भी सीबीआई के सुपुर्द
इससे पहले दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने अपने जाते-जाते राज्य के स्वास्थ्यमंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी सौम्या जैन को स्वास्थ्य विभाग में सलाहकार नियुक्त करने का मामला सीबीआई को सौंप दिया था. सौम्या जैन को दिल्ली स्टेट हेल्थ मिशन में मिशन डायरेक्टर बनाया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के ही विभाग में ही उनकी बेटी की इस नियुक्ति पर बीजेपी और कांग्रेस ने काफी शोर-शराबा मचाया था और इससे दिल्ली की AAP सरकार की बदनामी भी हुई थी. अब एलजी की संस्तुति पर इस मामले की आगे की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है.
सूत्रों के अनुसार सीबीआई इस संबंध में दिल्ली सरकार के कई दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों से भी पूछताछ कर सकती है. इससे अरविंद केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़ने की आशंका है.
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इस कारोबारी हफ्ते के दूसरे दिन मंगलवार को शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ बंद हुआ है. सेंसेक्स ने 300 अंकों की गिरावट के साथ कारोबार समेटा. वहीं, निफ्टी की बात करें तो यह भी 100 अंक गिरकर बंद हुआ है.
भारतीय रिजर्व बैंक
की बोर्ड मीटिंग के बाद सुबह जब बाजार खुला, तो इसने गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की. इसके अलावा वैश्विक बाजार में कमजोरी से निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर हुआ. कारोबार खत्म होने तक यह माहौल बना रहा.
इसके चलते मंगलवार को
सेंसेक्स
ने 300.37 अंकों की गिरावट के साथ 35,474.51 के स्तर पर कारोबार समेटा. निफ्टी की बात करें तो यह भी 107.20 अंकों की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ है. यह 10,656.20 के स्तर पर बंद हुआ.
इससे पहले सुबह सेंसेक्स ने 88.42 अंकों की गिरावट के साथ 35,686.46 के स्तर पर शुरुआत की.
निफ्टी
में भी गिरावट रही. यह 30.40 अंकों की गिरावट के साथ 10733 के स्तर पर खुला.
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बॉलीवुड की नई पटाखा कुड़ी आलिया भट्ट ने हाल ही में ‘इंडिया कटर वीक’ में मनीष मल्होत्रा के लिए रैंप वॉक किया. आलिया भट्ट ने इस बारे में कहा, ' मनीष के लिए रैंप वॉक करना सपने के सच होने जैसा है.'
आलिया ने बताया, 'मनीष मल्होत्रा के लिए रैंप पर चलना मेरे लिए बड़ी बात है. दो साल पहले मैंने कैटरीना कैफ को मनीष के लिए रैंप वॉक करते देखा था, तब मैं रैंप के पास की पहली लाइन में बैठी थी और सोच रही थी कि मुझे कब यह मौका मिलेगा. पर मैं बहुत खुश हूं कि मुझे यह मनीष के लिए रैंप वॉक करने का मौका मिला.'
रैंप पर चलते वक्त झिझक के बारे में आलिया ने बताया, 'रैंप पर भले ही मैं बहुत कम्फर्ट दिख रही थी पर मैं उस वक्त काफी नर्वस थी. रैंप पर 25 किलोग्राम का लहंगा पहनकर चलना काफी मुश्किल काम था.'
आलिया ने कहा, 'मैं रैंप पर बहुत नर्वस हो जाती हूं. मैं तो ठीक से खड़ी भी नहीं हो पाती. रैंप पर उंची हील और 25 किलोग्राम का लहंगा पहनकर चलना मेरे लिए सबसे मुश्किल काम था. रैंप पर चलने की खुशी का इजहार करते हुए आलिया ने कहा,' रैंप पर बिताए दो मिनट सबसे अच्छे थे.'
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जेम्स बॉन्ड की नई फिल्म 'क्वांटम ऑफ सोलेस' का बुधवार रात लंदन में धमाकेदार वर्ल्ड प्रीमियर हुआ. इस मौके पर प्रिंस विलिमय औऱ प्रिंस हैरी दोनों मौजूद थे. दोनों ही राजकुमारों ने जेम्स बॉन्ड की भूमिका निभा रहे डैनियर क्रेग से मुलाकात की. अभिनेता डेनियल क्रेग ने ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एम आई 6 के सीक्रेट एजेंट की भूमिका निभाई है.
बॉन्ड सीरीज की ये बाइसवीं फिल्म है. लिहाजा बड़ी तादाद में लोग भी अपने चहेते हीरो को देखने के लिए पहुंचे थे. लंदन के ऑडियॉन लीस्टर स्क्वायर पर हुए इस प्रीमियर पर बॉन्ड की पुरानी फिल्मों मे इस्तेमाल हुई इस सीक्रेट एजेंट की फेवरेट कार एस्टन मार्टिन डीबीएस भी रखी गई थी. ये फिल्म भारत में 7 नवंबर को रिलीज होगी.
प्रीमिय़र में बॉन्ड की नई जोड़ीदार ओल्गा भी मौजूद थी. जेम्स बॉन्ड पर बनी 22वीं फिल्म के निर्देषक मार्क फोर्स्टर और इसके प्रोड्यूसर माइकल जी विल्सन और बार्बरा ब्रोकोली भी वहां मौजूद लोगों से मुखातिब हुए. ये फिल्म भारत में 7 नवंबर को रिलीज़ हो रही है.
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कोयला ब्लॉक से संबद्ध अंतर-मंत्रालयी समूह ने उन कोयला आवंटियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की सिफारिश की है जिनके नाम सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में आए हैं।टिप्पणियां
घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘उन कोयला ब्लाक मामलों में जहां आवंटियों के खिलाफ सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है, अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने उत्पादन में विलंब के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने की सिफारिश की है।’
हालांकि, कोयला मंत्रालय द्वारा आईएमजी की सिफारिशों पर निर्णय करना बाकी है। इससे पहले, आईएमजी ने कोयला मंत्रालय को एफआईआर में नामित छह खानों के संबंध में कानून मंत्रालय से राय लेने को कहा था।
घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘उन कोयला ब्लाक मामलों में जहां आवंटियों के खिलाफ सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है, अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने उत्पादन में विलंब के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने की सिफारिश की है।’
हालांकि, कोयला मंत्रालय द्वारा आईएमजी की सिफारिशों पर निर्णय करना बाकी है। इससे पहले, आईएमजी ने कोयला मंत्रालय को एफआईआर में नामित छह खानों के संबंध में कानून मंत्रालय से राय लेने को कहा था।
हालांकि, कोयला मंत्रालय द्वारा आईएमजी की सिफारिशों पर निर्णय करना बाकी है। इससे पहले, आईएमजी ने कोयला मंत्रालय को एफआईआर में नामित छह खानों के संबंध में कानून मंत्रालय से राय लेने को कहा था।
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स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL), भिलाई में वैकेंसी निकली है. इच्छुक उम्मीदवार 12 दिसंबर 2015 तक आवेदन कर सकते हैं.
पदों का विवरण:
सर्वेवर:
3 पद
पे स्केल: 16800-24110 रुपये
माइनिंग मेट:
3 पद
पे स्केल: 15830-22150 रुपये
ब्लास्टर:
3 पद
पे स्केल: 15830-22150 रुपये
योग्यता: मान्यता प्राप्त संस्थान से
12वीं पास
ज्यादा जानकारी के लिए
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दीपिका पादुकोण
और
रणवीर सिंह
ने शादी के बाद, शादी के वक्त की तस्वीरें
सोशल मीडिया
पर शेयर करनी शुरू कर दी हैं. हाल ही में दोनों सितारों ने शादी की अलग-अलग फोटोज, अपने इंस्टाग्राम पेज पर शेयर कीं. फोटोज शेयर करते ही हर तरफ से बधाइयां मिलनी शुरू हो गई. बॉलीवुड सेलेब्स ने भी इस न्यूली मैरिड कपल को शादी की शुभकामनाएं दीं.
रवीना टंडन
, श्रद्धा कपूर, ईशा गुप्ता, पूजा हेगड़े, राखी सावंत और विशाल डडलानी ने दोनों कलाकारों को विश किया और दुआएं दीं. इसके अलावा दोनों कलाकारों की मोहक तस्वीरें देख करण जौहर से रहा नहीं गया और उन्होंने भी शादी करने की इच्छा जाहिर कर दी.
एक्ट्रेस करण जौहर के अलावा सोनाक्षी सिन्हां दीपवीर की शादी की तस्वीरें देख कर काबू से बाहर हो गई हैं. उन्होंने कमेंट में लिखा- ''हाय! नजर ना लगे, बाबा और बेबी को. बस अब मेरी करा दो.''
रवीना टंडन ने ट्विटर पर लिखा है- ''टच वुड, मैं बहुत खुश हूं. कुछ साल पहले दीपिका ने कहा था रणवीर में मुझे एक अपनापन लगता है. मैं उन शब्दों को कभी नहीं भूल सकती. भगवान से दोनों के लिए दुआएं.''
तस्वीरों में सिंधी रिवाज से हुई आनंद कराज की और कोंकणी रीति-रिवाज से हुई शादी की तस्वीरें शामिल हैं. इसमें दोनों सितारों के बीच शानदार बॉन्डिंग देखी जा सकती है. शादी के वक्त दोनों रिलेक्स और कूल अंदाज में नजर आ रहे हैं.
शादी की तस्वीरों के साथ बाकी रस्मों की भी तस्वीरें दोनों ने शेयर की हैं. इन तस्वीरों में दोनों रील लाइफ कलाकारों की शानदार रियल लाइफ केमिस्ट्री भी दिखाई दे रही है. 21 नवंबर को बेंगलुरु में दोनों की शादी का पहला रिसेप्शन है. इसके बाद 28 नवंबर को मुंबई में दूसरा रिसेप्शन रखा जाएगा. खबर ये भी है कि 1 दिसंबर को करीबी दोस्तों के लिए दीपवीर, अलग से एक रिसेप्शन प्लान कर रहे हैं.
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खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav) के इस गाने को जी म्यूजिक ने रिलीज किया है. 'नया साल के पार्टी' (Naya Saal Ke Party) गाने का म्यूजिक आशीष वर्मा ने दी है, जबकि इस गाने के बोल प्यारे लाल यादव, आजाद सिंह और श्याम देहाती ने लिखे हैं. इस गाने के प्रोड्यूसर सोनू कुमार पांडे हैं. खेसारी लाल यादव सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं और आए दिन अपने इवेंट के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं. वैसे भी खेसारी लाल यादव (Khesari lal Yadav) को यूट्यूब का किंग कहा जाता है. उनका कोई भी वीडियो हंगामा मचा देता है.
खेसारी लाल यादव (Khesari lal Yadav) ने इससे पहले 'ललकी ओढ़निया' सॉन्ग से तहलका मचा दिया था. खेसारी लाल यादव का वह वीडियो रिलीज होते ही वायरल हो गया था. बता दें कि खेसारी लाल यादव की काजल राघवानी के साथ जोड़ी भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) में धमाल मचा देती है. खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav) और काजल राघवानी (Kajal Raghwani) की जोडी ने 'गोली में डोली' से यूट्यूब पर धमाल मचा दिया था.
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बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की नई टीम
को लेकर देश की सियासत लगातार उबाल खा रही है. हालिया घटनाक्रम से ऐसा लग रहा है कि बीजेपी
गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी
को अगले चुनाव में पीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश कर सकती है. दूसरी ओर, जेडीयू की भूमिका उनकी राह में 'रोड़ा' बनने जैसी साबित हो सकती है.
बीजेपी का एक धड़ा जहां नरेन्द्र मोदी को संसदीय दल में शामिल करने को उनके प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने के रूप में देख रहा है, वहीं एनडीए के मुख्य सहयोगी जेडीयू ने कहा है कि केवल धर्मनिरपेक्ष छवि के व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनना चाहिए.
यह पूछने पर कि क्या मोदी को संसदीय बोर्ड में शामिल करना उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में पेश किए जाने का संकेत है, तो जेडीयू बिहार इकाई के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, ‘इस बारे में जेडीयू नेतृत्व के रुख से हर कोई परिचित है. हमारा मानना है कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की छवि धर्मनिरपेक्ष होनी चाहिए ताकि देश के विभिन्न समुदाय के लोगों को वह साथ लेकर चल सके.’
बहरहाल कुमार ने कहा कि नरेंद्र मोदी को बोर्ड में शामिल करना बीजेपी का ‘अंदरूनी मामला’ है. पटना में उन्होंने कहा, ‘यह राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का अंदरूनी मामला है.’
दिल्ली में जेडीयू के प्रमुख शरद यादव ने कहा कि नई टीम के साथ उन्हें कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, ‘इसके साथ मुझे कोई समस्या नहीं है.’ भविष्य के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘कौन जानता है कि कल क्या होगा.’ कुमार ने कहा कि विकास का ‘बिहार मॉडल’ देश के विकास के लिए एकमात्र मार्गदर्शक मंत्र है.
गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी की नई टीम का एलान किया गया है. प्रधानमंत्री पद के लिये पार्टी के प्रबल दावेदार माने जा रहे नरेंद्र मोदी की 6 साल बाद पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई संसदीय बोर्ड में वापसी हुई है.
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी पदाधिकारियों की नई टीम की घोषणा की. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इन्हीं राजनाथ सिंह ने अपने पहले अध्यक्षीय कार्यकाल में मोदी को संसदीय बोर्ड से हटा दिया था. लेकिन अब के बदले हालात में उन्हें मोदी को वापस लाना पड़ा.
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इस बार मुंबई महानगरपालिका चुनाव में किन्नर भी भाग्य आजमाएंगे. किन्नर मां ट्रस्ट की तरफ की तरफ से इसके लिए प्रिया पाटिल किन्नर का नाम आगे बढ़ाया गया है, लेकिन इसके लिए जरूरी दस्तावेजों को जमा करने में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
कुर्ला में रहने वाली 30 साल की प्रिया पाटिल 12 वीं पास है और निर्मला निकेतन से समाज सेवा में डिप्लोमा कर रही हैं. अपने समाज के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा रखने वाली प्रिया बीएमसी चुनाव में खड़ी हो रही हैं. उन्हें आधार कार्ड, मतदाता सूची में नाम और शौचालय का इस्तेमाल करने जैसे प्रमाण-पत्र तो मिल गए हैं लेकिन ओबीसी का प्रमाणपत्र नहीं मिल पाया. जबकि साल 2014 में सर्वोच्च न्यायालय किन्नरों को ओबीसी में शामिल करने का फैसला दे चुका है.
प्रिया ने बताया कि तहसीलदार का कहना है कि अभी इस संदर्भ में कोई जीआर ही नहीं निकला है. प्रिया ओबीसी उम्मीदवार के लिए आरक्षित वार्ड क्रमांक 163 से चुनाव लड़ना चाहती हैं लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते वे बगल के सामान्य वार्ड से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर हैं.
मुंबई में तकरीबन चार लाख किन्नर हैं. मुंबई में किन्नरों के उत्थान के लिए काम करने वाली संस्था किन्नर मां का दावा है कि कागजों पर तृतीयपंथी कॉलम तो छप गए हैं लेकिन अभी तक कोई सुविधा और संरक्षण नहीं मिला है. किन्नर मां ट्रस्ट की अध्यक्ष सलमा खान का कहना है कि उनके समाज को सरकार और समाज दोनों से उपेक्षा ही मिलती आई है. उन्होंने कहा कि ''किन्नरों के लिए शेल्टर होम, चिकित्सा और कुटीर उद्योग की तुरंत जरूरत है और यह सब हम भीख में नहीं मांग रहे, यह हमारा हक है.''टिप्पणियां
किन्नर सोनाली चौकेकर का कहना है कि किन्नर भी रोजगार और नौकरी के जरिए रोजी-रोटी कमाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया जाता. भेदभाव किया जाता है. ओबीसी का दर्जा मिलने से सरकारी योजनाओं और नौकरी का लाभ मिल सकता है लेकिन सरकार उसके लिए जरूरी कदम ही नहीं उठा रही.
चुनाव की तैयारी में जुटी प्रिया का कहना है बात चुनाव में जीत या हार की नहीं , बात मान-सम्मान की है. हमारी असली लड़ाई तो किन्नरों के प्रति लोगों के मन में बनी गलत धारणा को दूर करना है. इसके लिए चुनाव एक अच्छा मौका है.
कुर्ला में रहने वाली 30 साल की प्रिया पाटिल 12 वीं पास है और निर्मला निकेतन से समाज सेवा में डिप्लोमा कर रही हैं. अपने समाज के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा रखने वाली प्रिया बीएमसी चुनाव में खड़ी हो रही हैं. उन्हें आधार कार्ड, मतदाता सूची में नाम और शौचालय का इस्तेमाल करने जैसे प्रमाण-पत्र तो मिल गए हैं लेकिन ओबीसी का प्रमाणपत्र नहीं मिल पाया. जबकि साल 2014 में सर्वोच्च न्यायालय किन्नरों को ओबीसी में शामिल करने का फैसला दे चुका है.
प्रिया ने बताया कि तहसीलदार का कहना है कि अभी इस संदर्भ में कोई जीआर ही नहीं निकला है. प्रिया ओबीसी उम्मीदवार के लिए आरक्षित वार्ड क्रमांक 163 से चुनाव लड़ना चाहती हैं लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते वे बगल के सामान्य वार्ड से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर हैं.
मुंबई में तकरीबन चार लाख किन्नर हैं. मुंबई में किन्नरों के उत्थान के लिए काम करने वाली संस्था किन्नर मां का दावा है कि कागजों पर तृतीयपंथी कॉलम तो छप गए हैं लेकिन अभी तक कोई सुविधा और संरक्षण नहीं मिला है. किन्नर मां ट्रस्ट की अध्यक्ष सलमा खान का कहना है कि उनके समाज को सरकार और समाज दोनों से उपेक्षा ही मिलती आई है. उन्होंने कहा कि ''किन्नरों के लिए शेल्टर होम, चिकित्सा और कुटीर उद्योग की तुरंत जरूरत है और यह सब हम भीख में नहीं मांग रहे, यह हमारा हक है.''टिप्पणियां
किन्नर सोनाली चौकेकर का कहना है कि किन्नर भी रोजगार और नौकरी के जरिए रोजी-रोटी कमाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया जाता. भेदभाव किया जाता है. ओबीसी का दर्जा मिलने से सरकारी योजनाओं और नौकरी का लाभ मिल सकता है लेकिन सरकार उसके लिए जरूरी कदम ही नहीं उठा रही.
चुनाव की तैयारी में जुटी प्रिया का कहना है बात चुनाव में जीत या हार की नहीं , बात मान-सम्मान की है. हमारी असली लड़ाई तो किन्नरों के प्रति लोगों के मन में बनी गलत धारणा को दूर करना है. इसके लिए चुनाव एक अच्छा मौका है.
प्रिया ने बताया कि तहसीलदार का कहना है कि अभी इस संदर्भ में कोई जीआर ही नहीं निकला है. प्रिया ओबीसी उम्मीदवार के लिए आरक्षित वार्ड क्रमांक 163 से चुनाव लड़ना चाहती हैं लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते वे बगल के सामान्य वार्ड से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर हैं.
मुंबई में तकरीबन चार लाख किन्नर हैं. मुंबई में किन्नरों के उत्थान के लिए काम करने वाली संस्था किन्नर मां का दावा है कि कागजों पर तृतीयपंथी कॉलम तो छप गए हैं लेकिन अभी तक कोई सुविधा और संरक्षण नहीं मिला है. किन्नर मां ट्रस्ट की अध्यक्ष सलमा खान का कहना है कि उनके समाज को सरकार और समाज दोनों से उपेक्षा ही मिलती आई है. उन्होंने कहा कि ''किन्नरों के लिए शेल्टर होम, चिकित्सा और कुटीर उद्योग की तुरंत जरूरत है और यह सब हम भीख में नहीं मांग रहे, यह हमारा हक है.''टिप्पणियां
किन्नर सोनाली चौकेकर का कहना है कि किन्नर भी रोजगार और नौकरी के जरिए रोजी-रोटी कमाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया जाता. भेदभाव किया जाता है. ओबीसी का दर्जा मिलने से सरकारी योजनाओं और नौकरी का लाभ मिल सकता है लेकिन सरकार उसके लिए जरूरी कदम ही नहीं उठा रही.
चुनाव की तैयारी में जुटी प्रिया का कहना है बात चुनाव में जीत या हार की नहीं , बात मान-सम्मान की है. हमारी असली लड़ाई तो किन्नरों के प्रति लोगों के मन में बनी गलत धारणा को दूर करना है. इसके लिए चुनाव एक अच्छा मौका है.
मुंबई में तकरीबन चार लाख किन्नर हैं. मुंबई में किन्नरों के उत्थान के लिए काम करने वाली संस्था किन्नर मां का दावा है कि कागजों पर तृतीयपंथी कॉलम तो छप गए हैं लेकिन अभी तक कोई सुविधा और संरक्षण नहीं मिला है. किन्नर मां ट्रस्ट की अध्यक्ष सलमा खान का कहना है कि उनके समाज को सरकार और समाज दोनों से उपेक्षा ही मिलती आई है. उन्होंने कहा कि ''किन्नरों के लिए शेल्टर होम, चिकित्सा और कुटीर उद्योग की तुरंत जरूरत है और यह सब हम भीख में नहीं मांग रहे, यह हमारा हक है.''टिप्पणियां
किन्नर सोनाली चौकेकर का कहना है कि किन्नर भी रोजगार और नौकरी के जरिए रोजी-रोटी कमाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया जाता. भेदभाव किया जाता है. ओबीसी का दर्जा मिलने से सरकारी योजनाओं और नौकरी का लाभ मिल सकता है लेकिन सरकार उसके लिए जरूरी कदम ही नहीं उठा रही.
चुनाव की तैयारी में जुटी प्रिया का कहना है बात चुनाव में जीत या हार की नहीं , बात मान-सम्मान की है. हमारी असली लड़ाई तो किन्नरों के प्रति लोगों के मन में बनी गलत धारणा को दूर करना है. इसके लिए चुनाव एक अच्छा मौका है.
किन्नर सोनाली चौकेकर का कहना है कि किन्नर भी रोजगार और नौकरी के जरिए रोजी-रोटी कमाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया जाता. भेदभाव किया जाता है. ओबीसी का दर्जा मिलने से सरकारी योजनाओं और नौकरी का लाभ मिल सकता है लेकिन सरकार उसके लिए जरूरी कदम ही नहीं उठा रही.
चुनाव की तैयारी में जुटी प्रिया का कहना है बात चुनाव में जीत या हार की नहीं , बात मान-सम्मान की है. हमारी असली लड़ाई तो किन्नरों के प्रति लोगों के मन में बनी गलत धारणा को दूर करना है. इसके लिए चुनाव एक अच्छा मौका है.
चुनाव की तैयारी में जुटी प्रिया का कहना है बात चुनाव में जीत या हार की नहीं , बात मान-सम्मान की है. हमारी असली लड़ाई तो किन्नरों के प्रति लोगों के मन में बनी गलत धारणा को दूर करना है. इसके लिए चुनाव एक अच्छा मौका है.
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ऐश्वर्या रजनीकांत धनुष (जन्म 1 जनवरी 1982) एक भारतीय फिल्म निर्देशक है। वे दक्षिण भारतीय अभिनेता रजनीकांत की बड़ी बेटी है। उनकी एक छोटी बहन, सौंदर्या है, जो तमिल फिल्म उद्योग में निर्देशिका हैं। ऐश्वर्या का विवाह भारतीय फिल्म अभिनेता धनुष से हुआ तथा उनके दो बेटे हैं, यात्रा (जन्म- 2006) और लिंगा (जन्म- 2010)।उन्होने अपने पति अभिनेता धनुष अभिनीत फिल्म 3 (2012) के साथ अपनी पहली फीचर फिल्म की शुरुआत की। उन्होंने पार्श्व गायन भी किया है। अगस्त 2016 में, ऐश्वर्या को संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन के लिए भारत की सद्भावना राजदूत (goodwill ambassador) के रूप में चुना गया था। 18 जनवरी 2022 में दोनों ने अपने 18 साल पुराने शादी को अलग करने का निर्णय लिया
व्यक्तिगत जीवन
ऐश्वर्या का जन्म अभिनेता रजनीकांत और लता रंगाचारी के यहाँ हुआ था। उनकी एक छोटी बहन, सौंदर्या है, जो तमिल फिल्म उद्योग में निर्देशिका हैं। ऐश्वर्या का विवाह भारतीय फिल्म अभिनेता धनुष से हुआ तथा उनके दो बेटे हैं, यात्रा (जन्म- 2006) और लिंगा (जन्म- 2010)।
ऐश्वर्या स्टार विजय चैनल पर प्रासरित होने वाले नृत्य प्रतियोगिता जोड़ी नंबर वन के तीसरे सीज़न में कलाकार संगीता और जीवा के साथ जज थीं। उन्होने फिल्म आईरतिल ओरुवन में पार्श्व गायिका के साथ निर्देशिका की भी भूमिका निभाई थी।
अगस्त 2011 में, ऐश्वर्या ने घोषणा की कि वह अपने पति धनुष और श्रुति हसन अभिनीत अपनी पहली फीचर फिल्म 3 का निर्देशन करेंगी, जिसमें धनुष ने भी स्पष्ट किया कि वह उनकी पत्नी ऐश्वर्या के निर्देशन में उनकी एकमात्र फिल्म होगी। ऐश्वर्या के चचेरे भाई अनिरुद्ध रवीचंदर द्वारा रचित गीत "व्हाई दिस कोलावेरी डी" रिलीज होने के बाद इस फिल्म की प्रत्याशा बढ़ी. धनुष द्वारा गाया गया यह गीत इंटरनेट पर खूब वायरल हुआ। वे इस गीत की विडियो में प्रमुख कलाकारों और संगीतकार के साथ दिखाई दीं। जुलाई 2015 में, ऐश्वर्या ने घोषणा की कि वे जल्द ही "टेन एंटरटेनमेंट" बैनर के तहत एक यूट्यूब चैनल लॉन्च करने के लिए विशेष रूप से फिल्म निर्माताओं द्वारा निर्मित मूल सामग्री और लघु फिल्मों को बढ़ावा देंगी।
दिसंबर 2016 में, ऐश्वर्या रजनीकान्त धनुष ने स्टैन्डिंग ऑन एन अप्पल बॉक्स: द स्टोरी ऑफ ए गर्ल एमण्ग द स्टार्स नाम के अपने स्वयं के एक संस्मरण को जारी किया। इस किताब में, ऐश्वर्या ने स्वयं के एक सेलिब्रिटी के बच्चे होने की अपनी कहानी, अपने करियर के विकल्प,अपनी शादी और मुख्यतया 'इस युग में एक महिला होना' प्रकट किया। उन्होने अपनी इस लंबी सी पुस्तक में पाठकों के लिए स्वयं रजनीकांत की बेटी के रूप में अपने जीवन को उभारा है। उसने अपने प्यार के बारे में शानदार उल्लेख किया है और धनुष के साथ अपने बच्चों को उठाया है। इस किताब में उन्होने अपने प्यार के बारे में शानदार उल्लेख किया है और धनुष के साथ अपने बच्चों का भी परिचय कराया है।
पुरस्कार
ऐश्वर्या ने तमिलनाडु सरकार द्वरा नृत्य के लिए कलाईममनी पुरस्कार प्राप्त किया। 2012 में, उन्होंने जेएफए महिला अचीवर्स अवार्ड्स में वर्ष का न्यूज़मेकर पुरस्कार जीता।
आलोचना
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भरतनाट्यम का प्रदर्शन किया। लेकिन, उनके प्रदर्शन को सामाजिक माध्यम और पेशेवर भरतनाट्यम नर्तकियों से कई आलोचनाएं मिलीं। अनीता रत्नम ने उनके फ़ेसबुक पर लिखा, "ये कैसा भरतनाट्यम है........व्यंग्य और तमाशा"।
फिल्में
निर्देशक के रूप में
गायिका के रूप में
वॉइस एक्टर के रूप में
सन्दर्भ
1982 में जन्मे लोग
भारतीय फ़िल्म निर्देशक
चेन्नई के लोग
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टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर वैकेंसी निकली है. उम्मीदवार 14 अक्टूबर 2015 तक आवेदन कर सकते हैं.
पद का नाम:
असिस्टेंट प्रोफेसर
पे स्केल:
55000 रुपये
जॉब लोकेशन:
मुंबई
योग्यता:
मान्यता प्राप्त संस्थान से मास्टर डिग्री होने के साथ पीएचडी
ज्यादा जानकारी के लिए
यहां देंखे
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गूगल, फेसबुक और 19 अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट पर विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाने के आरोप में कानूनी कार्रवाई होगी। केंद्र सरकार ने इनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
सरकार ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि इन 21 साइट के खिलाफ कार्रवाई का उचित आधार है। इन पर विभिन्न वर्गों के बीच बैर बढ़ाने और राष्ट्रीय एकता को खतरा पैदा करने संबंधी आपत्तिजनक सामग्री डालने का आरोप है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार की अदालत में पेश अपनी रिपोर्ट में केन्द्र ने कहा है, ‘मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले अधिकारियों ने उनके समक्ष रखे गए सभी रिकार्ड और सामग्री को स्वयं देखा। इन सामग्रियों के आधार पर आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए, 153-बी और 295-ए के तहत मामला बनता है।’
दो पृष्ठ की यह रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखी गई। इसके बाद अदालत ने विदेश मंत्रालय को दस से अधिक विदेशी कंपनियों को समन जारी करने का निर्देश दिया। समन पिछले साल 23 दिसंबर को जारी हुए थे, पर उन्हें कंपनियों तक पहुंचाया नहीं गया।
अदालत ने 23 दिसंबर को आपराधिक साजिश, अश्लील पुस्तकों की बिक्री और युवाओं को आपत्तिजनक वस्तुएं बेचने के आरोप में 21 सोशल नेटवर्किंग साइट को समन जारी किया था।
अदालत ने कहा था कि शुरुआती प्रमाणों के आधार पर आरोपी कंपनियों के खिलाफ वर्ग वैमनस्य बढ़ाने, राष्ट्रीय एकता को क्षति पहुंचाने और लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए समन जारी करने का मामला बनता है।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने अपनी रिपोर्ट में 21 कंपनियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है।
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लापता विमान 'एमएच370' के सिग्नल्स की जांच करने वाले ऑस्ट्रेलियाई रक्षा वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि बोइंग 777 पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के तट से दूर हिंद महासागर में गिरने से पहले बेहद तेजी से गिरा था.
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डाटा विश्लेषण और अन्य जांच से पता चला है कि संभवत: 8 मार्च, 2014 को विमान का इंजन फेल हो चुका था, जिसके बाद वह आकाश से 20,000 फीट प्रति मिनट की रफ्तार से गिरने लगा. आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि 'एमएच370' हिंद महासागर में आकाश से गिरा था.टिप्पणियां
'एमएच370' ने कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरी थी. विमान 8 मार्च, 2014 को लापता हो गया था. उसमें 239 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डाटा विश्लेषण और अन्य जांच से पता चला है कि संभवत: 8 मार्च, 2014 को विमान का इंजन फेल हो चुका था, जिसके बाद वह आकाश से 20,000 फीट प्रति मिनट की रफ्तार से गिरने लगा. आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि 'एमएच370' हिंद महासागर में आकाश से गिरा था.टिप्पणियां
'एमएच370' ने कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरी थी. विमान 8 मार्च, 2014 को लापता हो गया था. उसमें 239 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
'एमएच370' ने कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरी थी. विमान 8 मार्च, 2014 को लापता हो गया था. उसमें 239 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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मेहर रमेश एक भारतीय फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक हैं जो मुख्य रूप से तेलुगु फिल्मों में काम करते हैं। उन्होंने कन्नड़ फिल्म वीरा कन्नडिगा (2004) के साथ निर्देशक के रूप में शुरुआत की। उसी समय यह फिल्म तेलुगु में आंध्रावाला (2004) के नाम से बनाई गई थी। उन्होंने कन्नड़ फिल्म अजय (2006) बनाईं जो ओक्काडु (2003) की रीमेक थी। रमेश ने एनटीआर के साथ तेलुगु फिल्म कांत्री (2008), प्रभास के साथ शक्ति (2011) तथा बिल्ला (2009) और वेंकटेश के साथ छाया (2013) का निर्देशन किया।
फिल्मोग्राफी
अभिनेता के रूप में
निर्देशक के रूप में
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
जीवित लोग
1976 में जन्मे लोग
भारतीय फ़िल्म निर्देशक
तेलुगु फ़िल्म निर्देशक
कन्नड़ फ़िल्म निर्देशक
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 18वें संस्करण में शिरकत की. उन्होंने गंगा की सफाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से नहीं हैं तो वो गंगा कैसे साफ करेंगे. गंगा साफ करने के लिए वो उत्तर प्रदेश में नहीं आए, बल्कि वो यहां प्रधानमंत्री बनने के लिए आए हैं. क्योंकि उत्तर प्रदेश से ही अब तक प्रधानमंत्री बनते आए हैं.
अखिलेश ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का जिक्र करते हुए कहा कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा को 13 माह में पूरा साफ़ करने की बात उन्होंने कही है. लेकिन सच तो यह है कि गंगा अब तक साफ़ नहीं हो पाई है. प्रधानमंत्री भी गंगा को साफ करने के झूठे वादे कर चुके हैं. गंगा की अहमियत तो केवल उत्तर प्रदेश के लोग जानते हैं. इसलिए उसे साफ भी उत्तर प्रदेश के लोग कर सकते हैं.
आप मीडिया के खिलाफ हो गए हैं
अखिलेश से जब सवाल किया गया आप मीडिया के खिलाफ हो गए है तो उन्होंने कहा कि नहीं मैं मीडिया के खिलाफ नहीं हूं. मैं ये कहता हूं कि मीडिया बीजेपी की तरफ से बात करती है. एक गांव का आदमी मुझसे पूछता है कि आप टीवी पर क्यों नहीं आते हैं. मैं उसको क्या जवाब दूं. पिछले कुछ दिनों से दो ही लोग टीवी पर दिख रहे हैं. कोई भी न्यूज चैनल देखें तो उसपर दो ही लोग दिखते हैं. उन्होंने कहा कि अगर समाज और देश को बदलना चाहते हैं तो टीवी देखना कम कर दीजिए. आप नेटफ्लिक्स देखिए.
शहीदों को दिए मुआवजे को लेकर सीएम योगी पर हमला
अखिलेश यादव ने पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिजनों को दिए गए मुआवजे को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले में सबसे ज्यादा शहीद उत्तर प्रदेश से हुए हैं. बाकी सरकारें शहीदों को 1 करोड़ रुपये दे रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार पैसा नहीं दे रही है. यूपी का बजट बड़ा है. ऐसे बजट का क्या करना जो शहीदों को 1 करोड़ रुपये भी न दे सके.
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गौरक्षा के नाम पर हिंसा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निंदा किए जाने के कुछ घंटे बाद विश्व हिंदू परिषद ने गुरुवार को कहा कि एक रक्षक कभी हत्यारा नहीं हो सकता. विहिप ने प्रधानमंत्री से यह अनुरोध भी किया कि गौरक्षा के लिए सख्त कानून बनाया जाए जिसकी वकालत महात्मा गांधी और विनोबा भावे ने भी की थी.टिप्पणियां
मोदी ने अपने भाषण में गांधी और विनोबा का जिक्र किया था. विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, ''हमारे प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे के बारे में उल्लेख किया. दोनों ही गौरक्षा के लिए कड़े कानून के पक्षधर थे.''
गौरक्षकों को मोदी के कड़े संदेश के संदर्भ में बंसल ने दावा किया कि गौरक्षक तभी सड़कों पर उतरते हैं जब प्रशासन गौहत्या नहीं रोक पाता. उन्होंने कहा, ''गौरक्षक रक्षक होते हैं. वे हत्यारे कैसे हो सकते हैं. हत्यारे रक्षक नहीं हो सकते.''
(इनपुट एजेंसी से)
मोदी ने अपने भाषण में गांधी और विनोबा का जिक्र किया था. विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, ''हमारे प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे के बारे में उल्लेख किया. दोनों ही गौरक्षा के लिए कड़े कानून के पक्षधर थे.''
गौरक्षकों को मोदी के कड़े संदेश के संदर्भ में बंसल ने दावा किया कि गौरक्षक तभी सड़कों पर उतरते हैं जब प्रशासन गौहत्या नहीं रोक पाता. उन्होंने कहा, ''गौरक्षक रक्षक होते हैं. वे हत्यारे कैसे हो सकते हैं. हत्यारे रक्षक नहीं हो सकते.''
(इनपुट एजेंसी से)
गौरक्षकों को मोदी के कड़े संदेश के संदर्भ में बंसल ने दावा किया कि गौरक्षक तभी सड़कों पर उतरते हैं जब प्रशासन गौहत्या नहीं रोक पाता. उन्होंने कहा, ''गौरक्षक रक्षक होते हैं. वे हत्यारे कैसे हो सकते हैं. हत्यारे रक्षक नहीं हो सकते.''
(इनपुट एजेंसी से)
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एक तरफ जहां दलितों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान निर्माता भीम राव अंबेडकर की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार अंबेडकर के नाम के साथ सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं.
सूत्रों के हवाले से खबर है 14 अप्रैल को अंबेडकर जंयती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के बीजापुर से विश्व की सबसे बड़ी
स्वास्थ्य योजना- आयुष्मान भारत मिशन
(National Health Protection Mission) की शुरुआत करेंगे.
इस योजना से देश के 10 करोड़ परिवारों के लिए 5 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाएगा. इस योजना से कुल 10.74 करोड़ परिवारों को लाभ मिलेगा. इस योजना का लाभ गरीबों और वंचितों को मिलने के दावे किए जा रहे हैं.
योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आंकड़ों के आधार पर होगी. सूत्रों की मानें तो 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह योजना बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
इस योजना को यूपीए की MNREGA
जैसे कार्ड के रूप में देखा जा रहा है.
हाल में दलितों के मुद्दे पर विपक्ष मोदी सरकार और बीजेपी की घेराबंदी कर रहा है. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एक्ट में बदलाव वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खासकर दलितों में मौजूदा सरकार के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है. जिसका असर 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान भी देखने को मिला. हालांकि, सरकार दलितों के विरोध के बाद बैकफुट पर आ गई है और उसने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है.
दूसरी तरफ यूपी जैसे बीजेपी शासित राज्य में भीम राव अंबेडकर की प्रतिमाओं को तोड़ने की घटनाएं भी विपक्ष को बीजेपी को घेरने का मौका दे रही हैं. इतना ही नहीं बीजेपी के अपने सांसद और केंद्र सरकार में सहयोगी दल और उनके दलित नेता भी कानून में बदलाव और आरक्षण जैसे मुद्दों पर बहस के दौरान मोदी सरकार से दूर खड़े नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और मोदी सरकार दलितों के गुस्से को शांत करने का हर मुमकिन प्रयास करते नजर आ रहे हैं.
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मेरी सास भूत है एक भारतीय हिंदी हास्य टेलीविजन श्रृंखला है जो २६ जनवरी २०२३ से स्टार भारत पर प्रसारित होगा। इसे फिल्म फार्म इंडिया प्रोडक्शन हाउस द्वारा निर्मित किया जा रहा है। ये धारावाहिक स्टार भारत पर लंबा चलने वाला धारावाहिक राधा कृष्ण के जगह लॉन्च हुआ।
कलाकार
सुष्मिता मुखर्जी - रेखा के रूप में
काजल चौहान - गौरा के रूप में
विभव रॉय
अनुष्का श्रीवास्तव
मीना मीर
विक्की आहूजा
उत्पादन
सुष्मिता मुखर्जी को घोस्ट की शीर्षक भूमिका में रेखा के रूप में लिया गया था।काजल चौहान को मुखर्जी के विपरीत गौरा के रूप में लिया गया था।
प्रारंभ में, नामिक पॉल पुरुष प्रधान भूमिका निभाने के लिए बातचीत कर रहे थे, लेकिन अपनी पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण इसमें शामिल नहीं हो सके। विभव रॉय को चौहान के साथ कास्ट किया गया था। अनुष्का श्रीवास्तव को नकारात्मक भूमिका निभाने के लिए कास्ट किया गया था।
श्रृंखला वाराणसी की पृष्ठभूमि के खिलाफ सेट है । यह मुख्य रूप से फिल्म सिटी, मुंबई में फिल्माया गया है । इसने 23 जनवरी 2023 से राधाकृष्ण का स्थान लिया।
यह भी देखे
स्टार भारत द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों की सूची
संदर्भ
स्टार भारत के धारावाहिक
भारतीय टेलीविजन धारावाहिक
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महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के हस्ताक्षर वाली उनकी एक तस्वीर के नीलाम होने के बाद अब उनकी खुशी की थ्योरी को एक नीलामी समारोह में बेच दिया गया. आइंस्टीन की थ्योरी को नीलामी में 1.56 मिलियन डॉलर मिले हैं. दरअसल जेरूसलम में आयोजित इस नीलामी समारोह में आइंस्टीन का लिखा हुआ एक पेपर नीलाम हुआ है, जिसमें खुशी की थ्योरी के बारे में लिखा हुआ है.
हालांकि आइंस्टीन ने अपने नोट में सुझाव दिया था कि सपना पूरा होना खुशी की गारंटी नहीं दे सकता है. इस नीलामी की शुरुआत 2000 डॉलर से हुई थी और यह आगे बढ़ गई. आइंस्टीन ने फिजिक्स में रिलेटिविटी की थ्योरी के लिए नोबेल जीता था और उनका 1955 में देहांत हो गया था.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक आइंस्टीन ने यह लेटर 1922 में टोक्यो में कोरियर किया था. नीलामी हाउस ने कहा कि 1922 में जर्मन में यह पत्र लिखा था, क्योंकि उस वक्त उनके पास बैलबॉय को देने को पैसे नहीं थे.
सफलता की कुंजी हैं महान वैज्ञानिक आइंस्टीन की ये 10 बातें
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पेनिसिलिन के आविष्कारक
अलेक्जेंडर फ्लेमिंग (Sir Alexander Fleming (6 अगस्त 1881 – 11 मार्च 1955)), स्कॉटलैण्ड के जीववैज्ञानिक एवं औषधिनिर्माता (pharmacologist) थे। उनकी प्रसिद्धि पेनिसिलिन के आविष्कारक के रूप में है (१९२८)। उन्होने जीवाणुविज्ञान (बैक्टिरिओलॉजी), रोग-प्रतिरक्षा-विज्ञान ९immunology) एवं रसचिकित्सा (केमोथिरैपी) आदि विषयों के ऊपर अनेक शोधपत्र प्रकाशित किये। उन्होने सन् १९२३ में लिसोजाइम (lysozyme) नामक एंजाइम की खोज भी की। पेनिसिलिन के आविष्कार के लिये उन्हें सन् १९४५ में संयुक्त रूप से चिकित्सा का नोबेल सम्मान दिया गया।
बाहरी कड़ियाँ
कोई भी बीमारी नहीं होती है लाइलाज
अलेक्जेंडर फ्लेमिंग की जीवनी
फ्लेमिङ, अलेक्ज़ांडर
फ्लेमिङ, अलेक्ज़ांडर
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इस बीच, मीडियाकर्मियों ने उस आलीशान होटल में घुसने का नाकाम प्रयास किया, जहां कर्नाटक के कुछ कांग्रेसी विधायकों को रखा गया है. इस पांच सितारा रिजार्ट की सुरक्षा बढा दी गई है, जहां दो निर्दलीय और कथित रूप से कांग्रेस के चार विधायक मौजूद हैं. मंगलवार की सुबह, कुछ मीडियाकर्मियों ने होटल में घुसने का प्रयास किया लेकिन वे होटल लॉबी से आगे नहीं बढ पाए.
मुंबई के एक होटल में मौजूद दो विधायकों एच नागेश (निर्दलीय) और आर शंकर (केपीजेपी) ने कर्नाटक के राज्यपाल वाजूभाई वाला को पत्र लिखकर अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने के फैसले से अवगत कराया. इस पत्र ने राजनीतिक गरमागहमी बढा दी है.
कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री डी के शिवकुमार ने कहा था कि कांग्रेस के तीन विधायक ‘भाजपा के कुछ नेताओं की मौजूदगी में' मुंबई के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं. इस बीच, सात महीने पुरानी सरकार को लेकर अनिश्चितता की खबरों के बीच, कुमारस्वामी ने कहा है कि उनकी सरकार स्थिर है और वह ‘पूरी तरह से निश्चिंत हैं.' भाजपा ने सत्तारूढ गठबंधन द्वारा विधायकों की खरीद फरोख्त की आशंका को देखते हुए अपने 104 विधायकों को हरियाणा के नूह जिले के एक रिजार्ट में ठहराया है.
उधर, कांग्रेस ने भाजपा पर महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के जरिये कमाए धन का इस्तेमाल कर्नाटक की कुमारस्वामी नीत सरकार को अस्थिर करने में करने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि कर्नाटक की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी. महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख अशोक चव्हाण ने कहा कि कर्नाटक के विकास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का ‘सत्ता की भूख' वाले चेहरे का पर्दाफाश कर दिया है.
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रेलवे में सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) की तलाश कर रहे युवाओं के लिए कई पदों पर वैकेंंसी निकली हैं. रेल कोच फैक्ट्री आरआरसी (RRC) ने अपरेंटिस के 223 पदों पर वैकेंसी निकाली है. इन पदों पर आवेदन करने की आखिरी तारीख 23/03/2019 है. इसके अलावा नोर्थेर्न रेलवे में फैसिलिटेटर के 275 पदों पर भर्ती होनी है. इन सभी पदों पर 10वीं पास आवेदन कर सकते हैं. बता दें कि रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) और रेलवे भर्ती सेल (RRC) 1 लाख 30 हजार पदों पर भर्ती करने वाला है. इन पदों पर आवेदन की प्रक्रिया 28 फरवरी से शुरू होगी. इन सभी वैकेंसी के संबंध में और अधिक जानकारी नीचे दी गई है.
ऑफिशियल नोटिफिकेशन
पद का नाम: अपरेंटिस
योग्यता: 10वीं, ITI
कुल पदों की संख्या: 223
अनुभव: फ्रेशर
आवेदन करने की अंतिम तिथि: 23/03/2019
ऑफिशियल नोटिफिकेशन
पद का नाम: फैसिलिटेटर
योग्यता: 10वीं, 12वीं
कुल पदों की संख्या: 275
अनुभव: 15 - 20 वर्ष
नौकरी करने का स्थान: नई दिल्ली,गुडगाँव,गाज़ियाबाद,नोएडा,सोनीपत,बल्लभगढ़
आवेदन करने की अंतिम तिथि: 28/02/2019
सरकारी नौकरी की खबरों के लिए यहां क्लिक करें.
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महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को
सुप्रीम कोर्ट
में दावा किया कि पांच वामपंथी कार्यकर्ताओं को विरोध के कारण नहीं बल्कि प्रतिबंधित
भाकपा (माओवादी)
से उनके संपर्को के बारे में ठोस सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है.
चीफ
जस्टिस दीपक मिश्रा
की अध्यक्षता वाली बेंच ने 29 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश देते हुए
महाराष्ट्र पुलिस
को नोटिस जारी किया था. इस नोटिस के जवाब में ही राज्य पुलिस ने बुधवार को हलफनामा दाखिल किया.
सुप्रीम कोर्ट ने
भीमा-कोरेगांव हिंसा
मामले में इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की यचिका पर 29 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा था कि ‘असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व’ है. यह बेंच गुरुवार को इस मामले में आगे सुनवाई करेगी.
घात लगाकर हमले की थी योजना
पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र पुलिस ने इस नोटिस के जवाब में ही अपने हलफनामे में दावा किया है कि ये कार्यकर्ता देश में हिंसा फैलाने और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना बना रहे थे. राज्य पुलिस का कहना है कि विरोधी नजरिए की वजह से इन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया और इसे सिद्ध करने के लिए उसके पास पर्याप्त सबूत हैं.
महाराष्ट्र पुलिस
ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं से पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में देने का अनुरोध करने के साथ ही सवाल उठाया है कि याचिकाकर्ता रोमिला थापर और अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक, देविका जैन, समाजशास्त्री सतीश देशपांडे और कानून विशेषज्ञ माजा दारूवाला ने किस हैसियत से याचिका दायर की है और कहा कि वे इस मामले की जांच से अनजान हैं.
28 अगस्त को हुई थी गिरफ्तारी
महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त को कई राज्यों में प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे थे और माओवादियों से संपर्क होने के संदेह में कम से कम पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. इन गिरफ्तारियों को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जबर्दस्त विरोध किया था. पुलिस ने इस छापेमारी के दौरान प्रमुख तेलुगु कवि वरवरा राव को हैदराबाद और वेर्नन गोंसाल्विज और अरुण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था जबकि ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद और नागिरक अधिकारों के कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था.
आपराधिक साजिश का हिस्सा थे कार्यकर्ता
पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे के नजदीक आयोजित एलगार परिषद कार्यक्रम के बाद भीमा-कोरेगांव गांव में भड़की हिंसा की जांच के सिलसिले में यह छापेमारी की थी. हलफनामे में कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता आपराधिक साजिश का हिस्सा थे और वे प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं जिन्होंने एलगार परिषद के बैनर तले सार्वजनिक बैठकों का आयोजन किया था.
हलफनामे में कहा गया है कि राज्य हर नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और विरोधी नजरिए या वैचारिक मतभेद या राजनीतिक विचारधारा पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता और प्रत्येक देश में हमेशा इसका स्वागत होना चाहिए.
हलफनामे में कहा गया है कि वे पांच आरोपी, जिनके हितों की खातिर मौजूदा याचिका दायर की गई है, किसी राजनीतिक या वैचारिक विरोध के आधार पर गिरफ्तार नहीं किए गए हैं बल्कि आठ जनवरी, 2018 (प्राथमिकी दर्ज करने की तारीख) से चल रही जांच के दौरान उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक आरोपों का पता चला और उनके खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री भी मिली.
हिंसा की फिराक में थे वामपंथी काडर
हलफनामे में कहा गया है कि यह कोर्ट उन व्यक्तियों के मामले को देख रहा है जिनके खिलाफ अभी तक रिकार्ड पर आए ठोस सबूतों से पता चलता है कि वे प्रतिबंधित आतंकी संगठन
भाकपा (माओवादी)
के सक्रिय सदस्य हैं और वे न सिर्फ हिंसा की योजना की तैयारी में थे बल्कि 2009 से प्रतिबंधित आतंकी संगठन भाकपा (माओवादी) के एजेंडे के मुताबिक समाज में बड़े पैमाने पर हिंसा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और अव्यवस्था पैदा करने की दिशा में थे.
पुलिस ने कोर्ट से यह भी कहा है कि पांचों गिरफ्तार पहली बार किसी प्राथमिकी में आरोपी नहीं बनाए गए हैं बल्कि कुछ की पहले के भी ‘आपराधिक बैकग्राउंड’ थे और वे जेल भी गए थे. हलफनामे के मुताबिक, कार्यकर्ताओं की खोज में जून महीने में रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडगिल, सुधीर धवले और कुछ अन्य के वीडियोग्राफ लिए गए थे.
कंप्यूटर से मिली चौंकाने वाली जानकारी
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों के कंप्यूटर/लैपटॉप/पेन ड्राइव्स/मेमोरी कार्ड्स से मिली सामग्री चौंकाने वाली है और यह साफतौर पर इन व्यक्तियों के न सिर्फ भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य होने की पुष्टि करते हैं बल्कि अपराध करने के उनके राजनीतिक मंसूबे का पता चलता है. इससे यह भी पता चलता है कि वे समाज में अस्थिरता पैदा करने के लिए अपराध करने में लगे थे.
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मिशेल ऐनी मेसन (जन्म 18 सितम्बर, 1978) जिसे पेशेवर रूप से केण्ड्रा लस्ट के रूप में जाना जाता है, एक अमेरिकी पॉर्न फिल्म अभिनेत्री और निर्देशक हैं। एक वेबकैम मॉडल के रूप में शुरू करके, उन्होंने 2012 की शुरुआत में वयस्क उद्योग में प्रवेश किया। केंड्रा ने दो बार मिल्फ परफ़ॉर्मर ऑफ़ द ईयर के लिए एक्सबीज़ अवार्ड जीता है। उन्होंने मिस बैंगब्रोस "हॉटेस्ट मिल्फ" का खिताब जीता, जिसे 2013 में ट्विटर पर प्रशंसकों द्वारा वोट दिया गया था।
इन्हें भी देखें
एरिका लस्ट
शर्लिन चोपड़ा
शनेल प्रेस्टन
रेचल स्टार
पूनम पांडेय
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
जीवित लोग
1978 में जन्मे लोग
व्यस्क फिल्म अभिनेता
अमेरिका के लोग
महिला व्यस्क फ़िल्म अभिनेता
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परजान दस्तूर एक भारतीय अभिनेता हैं। उन्होंने बाल कलाकार के रूप में भी कार्य किया था।
पृष्ठभूमि
परजान दस्तूर को "धारा" नामक प्रसिद्ध विज्ञापन के उस बच्चे के रूप में जाना जाता है जो उसमें वह स्वादिष्ट अंदाज में कहता है "जलेबी..."
फ़िल्मी करियर
परजान ने विभिन्न वाणिज्यीक विज्ञापनों में कार्य किया है। परजान ने फ़िल्मों में अपने अभिनय की शुरूआत मौन सरदारजी (सिख-बच्चा) के रूप में फ़िल्म कुछ कुछ होता है (१९९८) से किया। उनकी अन्य फ़िल्में मोहब्बतें (2000), ज़ुबेदा (2001) और कभी खुशी कभी ग़म (2001) हैं। उन्होंने राहुल ढोलकिया की फ़िल्म परजानिया (2005) में परजान की भूमिका निभाई है एक ऐसा वह लड़का जो गुजरात दंगों में खो जाता है। (1097) yah or woh Siddhartha dhar
परजान ने पियूष झा की फ़िल्म सिकन्दर (2009) में एक ऐसे लड़के का अभिनय किया है जो एक फुटबॉल खिलाड़ी बनना चाहता है लेकिन उसे एक बन्दूक मिल जाती है और उसकी दूनिया ही बदल जाती है।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
जीवित लोग
1993 में जन्मे लोग
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कांग्रेस अध्यक्ष
राहुल गांधी
ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ
(RSS) पर हमला करना तेज कर दिया है. हाल ही में उन्होंने संघ की तुलना
मुस्लिम ब्रदरहुड
से की थी, जिसकी संघ ने घोर निंदा भी की थी. अब कांग्रेस की ओर से तथ्यों के साथ संघ पर निशाना साधा गया है.
कांग्रेस की IT सेल प्रमुख और पूर्व लोकसभा सांसद
दिव्या
स्पंदना ने गुरुवार को ट्वीट कर संघ और मुस्लिम ब्रदरहुड की तुलना की. उन्होंने कुछ आंकड़े जारी करते हुए लिखा कि मुस्लिम ब्रदरहुड और संघ की स्थापना एक ही दशक में हुई, दोनों का लक्ष्य समान ही है. इतना ही नहीं बल्कि इनके काम करने का तरीका भी एक ही है.
दिव्या ने गिनाए ये तर्क
मुस्लिम ब्रदरहुड
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
1920 के दशक में स्थापना
1920 के दशक में स्थापना
सेकुलर स्टेट को बदलने का लक्ष्य
सेकुलर स्टेट को बदलने का लक्ष्य
2011 में अरब क्रांति ने मुस्लिम ब्रदरहुड को शक्ति दी और मोरसी सत्ता में आया
2011 में अन्ना आंदोलन से RSS को तेजी मिली, जिसके बाद मोदी सत्ता में आए
मुस्लिम ब्रदरहुड देश पर पूरी तरह कंट्रोल चाहता था
आरएसएस देश पर कंट्रोल चाहता है
अनवर सादत की हत्या के बाद बैन किया गया
महात्मा गांधी की हत्या के बाद किया गया था बैन
राहुल गांधी ने की थी तुलना...
बता दें कि लंदन स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज में लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था, 'आरएसएस की सोच अरब देशों के मुस्लिम संगठन ब्रदरहुड जैसी है. आरएसएस भारत की प्रकृति को बदलने की कोशिश कर रहा है. अन्य पार्टियों ने भारत की संस्थाओं पर कब्जा करने के लिए कभी हमला नहीं किया, लेकिन आरएसएस कर रहा है.'
pic.twitter.com/5a4kgRqXp9
— Divya Spandana/Ramya (@divyaspandana)
August 29, 2018
मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र का सबसे पुराना और सबसे बड़ा इस्लामी संगठन है. इसे इख्वान अल- मुस्लमीन के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना 1928 में हसन अल-बन्ना ने की थी.
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गॉस जिसे G द्वारा निरुपित किया जाता है सीजीएस पद्धति में चुम्बकीय क्षेत्र (B) की इकाई है, जिसे "चुम्बकीय फलक्स घनत्व" और "चुम्बकीय प्रेरण" के रूप में भी जाना जाता है। इसका नामकरन जर्मन गणितज्ञ और वैज्ञानिक कार्ल फ्रेडरिक गॉस के सम्मान में किया गया। एक गॉस, एक मैक्सवेल प्रति वर्ग सेमी के रूप में परिभाषित किया जाता है। सीजीएस निकाय के औपचारिक रूप से व्यापकीकृत अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली है जिसमें B की इकाई टेसला को उपयोग किया जाता है। एक गॉस का मान 1×10−4 टेसला (100 μT) होता है।
इकाई नाम और संकेत
गॉस इकाई को का उच्चारण गॉस () किया जाता है और इसे G से लिखा जाता है।
इकाई परिवर्तन
1 goses = 1×10^4 texla
प्ररूपी मान
10−9–10−8 गॉस – मानव मस्तिष्क का चुम्बकीय क्षेत्र
0.31–0.58 गॉस – पृथ्वी की सतह पर चुम्बकीय क्षेत्र
25 गॉस – पृथ्वी की आंतरिक सतह का चुम्बकीय क्षेत्र
50 गॉस – एक प्ररूपी रेफ्रीजिरेटर (फ्रिज) चुम्बक
100 गॉस – एक छोटी लौह चुम्बक
2000 गॉस – लघु नीयोडिमियम-लौह-बॉरोन चुम्बक
600-70,000 गॉस – चिकित्सा में काम आने वाली चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) मशीन
1012–1013 गॉस – न्यूट्रॉन तारे की स्तह पर
4×1013 गॉस – क्वांटम वैद्युतगतिकी देहली
1015 गॉस – नव मेगनेटार की स्तह का चुम्बकीय क्षेत्र।
1017 गॉस – न्यूट्रॉन तारे के चुम्बकत्व का अधिकतम मान; इससे अधिक चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात नहीं है,
ये भी देखें
सन्दर्भ
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चारा घोटाले के एक और मामले में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत कुल 31 लोगों के भाग्य का फैसला 23 दिसंबर को होगा. चारा घोटाले से जुड़े कांड संख्या आरसी 64A/96 में सीबीआई की विशेष अदालत उस दिन फैसला सुनाएगी. आज इस मामले को लेकर अंतिम बहस पूरी कर ली गई है.
23 दिसम्बर को सभी आरोपी कोर्ट में रहेंगे हाजिर
रांची में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने मामले में फैसला सुनाने के लिए 23 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है. कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी आरोपियों को निर्धारित तिथि के दिन कोर्ट में सशरीर हाजिर होने का आदेश जारी कर दिया है.
इनमें
लालू प्रसाद यादव
, डॉ जगन्नाथ मिश्र, सांसद जगदीश शर्मा, पूर्व सांसद डॉ आर के राणा, बिहार के पूर्व पशुपालन मंत्री विद्या सागर निषाद के अलावा आईएएस अधिकारी एवं पशुपालन अधिकारी का भी फैसला होना है.
देवघर कोषागार से जुड़ा है मामला
यह मामला देवघर कोषागार से अवैध निकासी का है. सीबीआई स्पेशल जज के कोर्ट में
लालू प्रसाद यादव
और जगन्नाथ मिश्र की ओर से बीते कुछ दिनों से बहस चल रही थी. इस दौरान सीबीआई के वकील और
लालू प्रसाद
के वकील ने कई बार जिरह किया. अंतिम बहस की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसले की तिथि मुकर्रर की है.
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रवैया
लंबे समय से चल रहे चारा घोटाले मामले पर सख्त रवैया दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने CBI को 9 महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मामले की सुनवाई में तेजी आई और हर सप्ताह इसकी सुनवाई होने लगी.
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3000 ई. पूर्व में ये नदी दिल्ली में वर्तमान 'रिज' के पश्चिम में होकर बहती थी। उसी युग में अरावली की श्रृंखलाओं के दूसरी ओर सरस्वती नदी बहती थी, जो पहले तो पश्चिम की ओर सरकी और बाद में भौगोलिक संरचना में भूमिगत होकर पूर्णत: लुप्त हो गई। एक अंग्रेज द्वारा १८०७ में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर बने उपर्युक्त नक्शे में वह जलधाराएं दिखाई गई हैं, जो दिल्ली की यमुना में मिलती थीं। एक तिलपत की पहाड़ियों में दक्षिण से उत्तर की ओर बहती थी, तो दूसरी हौजखास में अनेक सहायक धाराओं को समेटते हुए पूर्वाभिमुख बहती बारापुला के स्थान पर निजामुद्दीन के ऊपरी यमुना प्रवाह में जाकर मिलती थी। एक तीसरी और इनसे बड़ी धारा जिसे साहिबी नदी (पूर्व नाम रोहिणी) कहते थे। दक्षिण-पश्चिम से निकल कर रिज के उत्तर में यमुना में मिलती थी। ऐसा लगता है कि विवर्तनिक हलचल के कारण इसके बहाव का निचाई वाला भूभाग कुछ ऊँचा हो गया, जिससे इसका यमुना में गिरना रूक गया। पिछले मार्ग से इसका ज्यादा पानी नजफगढ़ झील में जाने लगा। कोई ७० वर्ष पहले तक इस झील का आकार २२० वर्ग किलोमीटर होता था। अंग्रेजों ने साहिबी नदी की गाद निकालकर तल सफ़ाई करके नाला नजफगढ़ का नाम दिया और इसे यमुना में मिला दिया। यही जलधाराएं और यमुना-दिल्ली में अरावली की श्रृंखलाओं के कटोरे में बसने वाली अनेक बस्तियों और राजधानियों को सदा पर्याप्त जल उपलब्ध कराती आईं थीं। हिमालय के हिमनदों से निकलने के कारण यमुना सदानीरा रही है। परन्तु अन्य उपर्युक्त उपनदियाँ अब से २०० वर्ष पूर्व तक ही, जब तक कि अरावली की पर्वतमाला प्राकृतिक वन से ढकी रहीं तभी तक बारहमासी रह सकीं। खेद है कि दिल्ली में वनों का कटान खिलजियों के समय से ही शुरू हो गया था। इस्लाम स्वीकार न करने वाले स्थानीय विद्रोहियों और लूटपाट करने वाले मेवों का दमन करने के लिए ऐसा किया गया था। साथ ही बढ़ती शहरी आबादी के भार से भी वन प्रांत सिकुड़ा है। इसके चलते वनांचल में संरक्षित वर्षा जल का अवक्षय हुआ। ब्रिटिश काल मेंअंग्रेजी शासन के दौरान दिल्ली में सड़कों के निर्माण और बाढ़ अवरोधी बांध बनाने से पर्यावरण परिवर्तन के कारण ये जलधाराएं वर्ष में ग्रीष्म के समय सूख जाने लगीं। स्वतंत्रता के बाद के समय में बरसाती नालों, फुटपाथों और गलियों को सीमेंट से पक्का किया गया, इससे इन धाराओं को जल पहुँचाने वाले स्वाभाविक मार्ग अवरुद्ध हो गये। ऐसी दशा में, जहां इन्हें रास्ता नहीं मिला, वहाँ वे मानसून में बरसाती नालों की तरह उफनने लगीं। विशद रूप में सीमेंट कंक्रीट के निर्माणों के कारण उन्हें भूमिगत जलभृत्तों या नदी में मिलाने का उपाय नहीं रह गया है। आज इन नदियों में नगर का अधिकतर मैला ही गिरता है। दिल्ली के महाद्वीपीय जलवायु में ग्रीष्म ऋतु एवं शीत ऋतु के तापमान में बहुत अन्तर होता है। ग्रीष्म ऋतु लंबी, अत्यधिक गर्म अप्रैल से मध्य-अक्टूबर तक चलती हैं। इस बीच में मानसून सहित वर्षा ऋतु भी आती है। ये गर्मी काफ़ी घातक भी हो सकती है, जिसने भूतकाल में कई जानें ली हैं। मार्च के आरम्भ से ही वायु की दिशा में परिवर्तन होने लगता है। ये उत्तर-पश्चिम से हट कर दक्षिण-पश्चिम दिशा में चलने लगती हैं। ये अपने साथ राजस्थान की गर्म लहर और धूल भी लेती चलती हैं। ये गर्मी का मुख्य अंग हैं। इन्हें ही लू कहते हैं। अप्रैल से जून के महीने अत्यधिक गर्म होते हैं, जिनमें उच्च ऑक्सीकरण क्षमता होती है। जून के अन्त तक नमी में वृद्धि होती है जो पूर्व मॉनसून वर्षा लाती हैं। इसके बाद जुळाई से यहां मॉनसून की हवाएं चलती हैं, जो अच्छी वर्षा लाती हैं। अक्टूबर-नवंबर में शिशिर काल रहता है, जो हल्की ठंड के संग आनन्द दायक होता है। नवंबर से शीत ऋतु का आरम्भ होता है, जो फरवरी के आरम्भ तक चलता है। शीतकाल में घना कोहरा भी पड़ता है, एवं शीतलहर चलती है, जो कि फिर वही तेज गर्मी की भांति घातक होती है। यहां के तापमान में अत्यधिक अन्तर आता है जो −०.६ °से. (३०.९ °फ़ै.) से लेकर 48 °से. (118 °फ़ै) तक जाता है। वार्षिक औसत तापमान २५°से. (७७ °फ़ै.); मासिक औसत तापमान १३°से. से लेकर ३२°से (५६°फ़ै. से लेकर ९०°फ़ै.) तक होता है। औसत वार्षिक वर्षा लगभग ७१४ मि.मी. (२८.१ इंच) होती है, जिसमें से अधिकतम मानसून द्वारा जुलाई-अगस्त में होती है। दिल्ली में मानसून के आगमन की औसत तिथि २९ जून होती है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) आम तौर पर जनवरी से सितंबर के बीच मध्यम (101-200) स्तर है, और फिर यह तीन महीनों में बहुत खराब (301-400), गंभीर (401-500) या यहां तक कि खतरनाक (500+) के स्तर में भी हो जाती है। अक्टूबर से दिसंबर के बीच, विभिन्न कारकों के कारण, स्टबल जलने, दिवाली में जलने वाले अग्नि पटाखे और ठंड के मौसम । १९०१ में ४ लाख की जनसंख्या के साथ दिल्ली एक छोटा नगर था। १९११ में ब्रिटिश भारत की राजधानी बनने के साथ इसकी जनसंख्या बढ़ने लगी। भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान से एक बहुत बड़ी संख्या में लोग आकर दिल्ली में बसने लगे। यह प्रवासन विभाजन के बाद भी चलता रहा। वार्षिक ३.८५% की वृद्धि के साथ २००१ में दिल्ली की जनसंख्या १ करोड़ ३८ लाख पहुँच चुकी है।
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यह लेख है: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मानहानि के मामले में आज अमृतसर की अदालत में पेश हुए। कोर्ट ने केजरीवाल और संजय सिंह को 40-40 हज़ार के मुचलके पर ज़मानत दे दी।
पंजाब सरकार के मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया है। पेशी के दौरान कोर्ट परिसर में केजरीवाल समर्थकों की भीड़ जमा थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।टिप्पणियां
पेशी से पहले केजरीवाल ने अमृतसर की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन किया। बड़ी तादाद में मौजूद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने बादल सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि बादल सरकार के दिन अब लद गए। केजरीवाल के साथ संजय सिंह और भगवंत मान समेत पार्टी के कई दूसरे नेता भी मौजूद थे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब बादल सरकार के दिन लद गए हैं। चुनाव में जनता मजीठिया से बदला लेगी। 6 महीने बाद हम सब मिलकर नया पंजाब बनाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मजीठिया ने पंजाब की जवानी को नशे में डुबो दिया।
पंजाब सरकार के मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया है। पेशी के दौरान कोर्ट परिसर में केजरीवाल समर्थकों की भीड़ जमा थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।टिप्पणियां
पेशी से पहले केजरीवाल ने अमृतसर की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन किया। बड़ी तादाद में मौजूद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने बादल सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि बादल सरकार के दिन अब लद गए। केजरीवाल के साथ संजय सिंह और भगवंत मान समेत पार्टी के कई दूसरे नेता भी मौजूद थे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब बादल सरकार के दिन लद गए हैं। चुनाव में जनता मजीठिया से बदला लेगी। 6 महीने बाद हम सब मिलकर नया पंजाब बनाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मजीठिया ने पंजाब की जवानी को नशे में डुबो दिया।
पेशी से पहले केजरीवाल ने अमृतसर की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन किया। बड़ी तादाद में मौजूद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने बादल सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि बादल सरकार के दिन अब लद गए। केजरीवाल के साथ संजय सिंह और भगवंत मान समेत पार्टी के कई दूसरे नेता भी मौजूद थे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब बादल सरकार के दिन लद गए हैं। चुनाव में जनता मजीठिया से बदला लेगी। 6 महीने बाद हम सब मिलकर नया पंजाब बनाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मजीठिया ने पंजाब की जवानी को नशे में डुबो दिया।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब बादल सरकार के दिन लद गए हैं। चुनाव में जनता मजीठिया से बदला लेगी। 6 महीने बाद हम सब मिलकर नया पंजाब बनाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मजीठिया ने पंजाब की जवानी को नशे में डुबो दिया।
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अभिनेता रामचरन तेजा के अंगरक्षकों द्वारा सड़क पर कुछ लोगों से मारपीट करने की खबर है। इसके चलते, तेलंगाना अधिवक्ता संयुक्त कार्रवाई समिति ने हैदराबाद पुलिस से कहा कि वह केंद्रीय मंत्री के चिरंजीवी के अभिनेता बेटे राम चरन तेजा और उसके अंगरक्षकों पर दो सॉफ्टवेयर पेशेवरों की कथित पिटाई के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करे।
संयोग से यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब उच्चतम न्यायालय ने ‘जंजीर’ की रिमेक फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है जिसमें प्रियंका चोपड़ा और तेजा ने अभिनय किया है।टिप्पणियां
सह समन्वयक टी श्रीरंगा राव के नेतृत्व में समिति के नेताओं ने हैदराबाद के पुलिस आयुक्त को प्रतिवेदन दिया और तेजा तथा उसके निजी अंगरक्षकों के खिलाफ रविवार को सॉफ्टवेयर पेशेवरों कल्याण और फनिश की पिछले रविवार को ‘पिटाई के लिए’ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया।
इन पेशेवरों ने तेजा और उसके अंगरक्षकों पर बंजारा हिल्स इलाके में गाड़ी को साइड देने को लेकर विवाद के बाद पिटाई का आरोप लगाया था।
संयोग से यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब उच्चतम न्यायालय ने ‘जंजीर’ की रिमेक फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है जिसमें प्रियंका चोपड़ा और तेजा ने अभिनय किया है।टिप्पणियां
सह समन्वयक टी श्रीरंगा राव के नेतृत्व में समिति के नेताओं ने हैदराबाद के पुलिस आयुक्त को प्रतिवेदन दिया और तेजा तथा उसके निजी अंगरक्षकों के खिलाफ रविवार को सॉफ्टवेयर पेशेवरों कल्याण और फनिश की पिछले रविवार को ‘पिटाई के लिए’ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया।
इन पेशेवरों ने तेजा और उसके अंगरक्षकों पर बंजारा हिल्स इलाके में गाड़ी को साइड देने को लेकर विवाद के बाद पिटाई का आरोप लगाया था।
सह समन्वयक टी श्रीरंगा राव के नेतृत्व में समिति के नेताओं ने हैदराबाद के पुलिस आयुक्त को प्रतिवेदन दिया और तेजा तथा उसके निजी अंगरक्षकों के खिलाफ रविवार को सॉफ्टवेयर पेशेवरों कल्याण और फनिश की पिछले रविवार को ‘पिटाई के लिए’ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया।
इन पेशेवरों ने तेजा और उसके अंगरक्षकों पर बंजारा हिल्स इलाके में गाड़ी को साइड देने को लेकर विवाद के बाद पिटाई का आरोप लगाया था।
इन पेशेवरों ने तेजा और उसके अंगरक्षकों पर बंजारा हिल्स इलाके में गाड़ी को साइड देने को लेकर विवाद के बाद पिटाई का आरोप लगाया था।
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Samsung Galaxy J7 (2017) को एंड्रॉयड 9 पाई अपडेट मिलने लगा है। सैमसंग गैलेक्सी जे7 (2017) को मिला अपडेट ओवर-द-एयर (OTA) के जरिए स्पेन में रोल आउट किया गया है लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही अपडेट को अन्य मार्केट के लिए भी रोल आउट किया जाएगा। अपडेट वन यूआई वर्जन 1.1 के साथ आ रहा है। Galaxy J7 (2017) को एंड्रॉयड पाई अपडेट मिलने से पहले Samsung ने कुछ दिनों पहले इंटरनेशनल मार्केट में Galaxy J7 Nxt और Galaxy J7 Pro स्मार्टफोन के लिए अपडेट को जारी किया था।
SamMobile की रिपोर्ट के अनुसार, Galaxy J7 (2017) को मिले एंड्रॉयड 9 पाई अपडेट का बिल्ड नंबर J730FXXU4CSF1 है और यह One UI वर्जन 1.1 और मई एंड्रॉयड सिक्योरिटी पैच के साथ आ रहा है। अपडेट वन यूआई फीचर्स जैसे कि नाइट मोड, यूआई में बदलाव, नेविगेशन जेस्चर और डिजिटल वेलबींग टूल के साथ आ रहा है।
Samsung Galaxy J7 (2017) अपडेट को ओवर-द-एयर (OTA) के जरिए रोल आउट किया गया है, ऐसे में स्पेन में रह रहे सभी गैलेक्सी जे7 (2017) यूज़र तक अपडेट पहुंचने में थोड़ा समय लग सकता है। अगर आपको अपडेट का नोटिफिकेशन प्राप्त नहीं हुआ है तो Settings > Software update में जाकर अपडेट की जांच कर सकते हैं।
याद करा दें कि सैमसंग गैलेक्सी जे7 (2017) को जून 2017 में एंड्रॉयड 7.0 नूगा के साथ लॉन्च किया गया था। लॉन्च के बाद फोन को एंड्रॉयड 8.1 ओरियो अपडेट प्राप्त हुआ था। फोन में 5.5-इंच की फुल-एचडी स्क्रीन है और यह ऑक्टा-कोर एक्सीनॉस 7870 प्रोसेसर से लैस है। इसमें फ्रंट और रियर पैनल पर 13 मेगापिक्सल के सेंसर मिलेंगे। बैटरी 3600 एमएएच की है। कनेक्टिविटी फ़ीचर में 4जी वीओएलटीई, वाई-फाई 802.11 बी/जी/एन, ब्लूटूथ 4.1 और जीपीएस शामिल हैं।
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कुछ दिनों पहले Samsung Galaxy J7 Nxt और Galaxy J7 Pro स्मार्टफोन के लिए एंड्रॉयड पाई पर आधारित वन यूआई अपडेट को जारी किया गया था।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले नब्बे दिनों में सौ से अधिक सरकारी और राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. उनका देश भर का दौरा चुनावों के ऐलान से पहले शुरू हुआ था. जनवरी से अब तक उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक दौरे किए.
पीएम मोदी ने जनवरी के पहले सप्ताह में पंजाब के गुरुदासपुर से दौरा शुरू किया था. उन्होंने बाईस राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा किया. उन्होंने एक ही दिन में जम्मू-कश्मीर के तीनों क्षेत्रों जम्मू, श्रीनगर और लेह का दौरा किया. वे उत्तर-पूर्व के चार राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा भी गए.
पीएम मोदी ने पिछले तीन माह में कश्मीर से कन्याकुमारी तक के दौरे किए. वे अपने चुनाव क्षेत्र बनारस में चार बार गए. वहां कई योजनाओं की शुरुआत की. उन्होंने अपने कार्यकाल में पूरे किए गए कई विकास कार्यों का उद्घाटन भी किया और कनेक्टिविटी पर जोर दिया. पीएम मोदी का फोकस नए हाईवे शुरू करने और मेट्रो नेटवर्क पर रहा.
लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले पीएम मोदी की 100 रैलियां
पीएम मोदी ने अहमदाबाद और नागपुर मेट्रो देश को समर्पित कीं. इसके अलावा गाजियाबाद तक मेट्रो शुरू की, लखनऊ मेट्रो की एक लाइन शुरू की. उन्होंने पटना और कानपुर में मेट्रो की आधारशिला रखी और अहमदाबाद मेट्रो का दूसरा चरण शुरू किया.
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विराट कोहली (Virat Kohli) के नेतृत्व वाली टीम इंडिया (Team India) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ (India vs Australia) उसी के देश में टेस्ट सीरीज (Test Series) जीतकर इतिहास रचा है. भारतीय टीम ने चार टेस्ट मैचों की सीरीज 2-1 के अंतर से अपने नाम की और ऑस्ट्रेलिया को उसी के देश में टेस्ट सीरीज हराने वाली पहली एशियाई टीम बनने का गौरव हासिल किया. टीम ने अपने इस प्रदर्शन से ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) और इयान चैपल (Ian Chappell) जैसे दिग्गजों की बोलती बंद कर दी. भारत के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया टीम को कमजोर माना जा रहा था, लेकिन इसके बावजूद इन दोनों ने टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया टीम की जीत की भविष्यवाणी कर दी थी. बड़बोले रिकी पोंटिग ने इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए कह दिया था कि ऑस्ट्रेलिया के उस्मान ख्वाजा सीरीज में भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली से ज्यादा रन बनाएंगे. ये दोनों ही पूर्व खिलाड़ी अपने अनुमान में पूरी तरह गलत साबित हुए.
विराट कोहली उतरे ग्राउंड पर तो कंगारू फैन्स करने लगे हूटिंग, पोंटिंग ने कह डाली ऐसी बात
Before the start of this series #AusvInd#AusvsInd
Ricky Ponting had predicted..
“Usman Khawaja will just pip Kohli”
- But Kohli made 282 runs to Usman Khawaja's 198 runs
"Australia will win series 2-1"
- But India won 2-1
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज शुरू होने के पहले अनुमान लगाया था कि उस्मान ख्वाजा इस सीरीज में विराट कोहली से ज्यादा रन बनाएंगे. पोंटिंग ने अपनी टीम के पक्ष में भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि ऑस्ट्रेलिया 2-1 से इस सीरीज को अपने नाम करेगी. पोंटिंग ने उस समय कहा था, 'उस्मान ख्वाजा इस समय अच्छे फॉर्म में हैं और और उनका ऑस्ट्रेलिया में बेहतरीन शानदार है. मुझे उम्मीद है कि वह सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाएंगे और मैन ऑफ द सीरीज भी रहेंगे.' पोंटिंग का यह अनुमान उनका बड़बोलापन बनकर रह गया. उस्मान ख्वाजा सीरीज के चार टेस्ट में 28.28 के साधारण से औसत से 198 रन ही बना पाए, इसमें 72 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. भारतीय कप्तान विराट कोहली ने इस टेस्ट सीराीज में एक शतक की मदद से 282 रन बनाए.
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और क्रिकेट समीक्षक इयान चैपल ने भी कहा था कि भारत चार टेस्ट मैच की यह सीरीज हार जाएगा. चैपल ने सीरीज से पहले कहा,‘मैं ऑस्ट्रेलिया को चुनूंगा लेकिन मुझसे कारण मत पूछना. भारत ने जिस तरह से इंग्लैंड में खेला, वह निराशाजनक था. मुझे लगता है कि उन्हें वह सीरीज जीतनी चाहिए थी.' इयान ने कहा,‘प्रतिभा के दम पर वे इस ऑस्ट्रेलियाई टीम को हरा सकते हैं लेकिन कुछ तो कमी है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजी आक्रमण अच्छा है.' उन्होंने कहा,‘ऑस्ट्रेलियाई हालात में उसके गेंदबाज कहर बरपा सकते हैं लेकिन भारतीय गेंदबाजों के बारे में यह नहीं कहा जा सकता. यही वजह है कि मैं ऑस्ट्रेलिया को तरजीह दूंगा.'
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने वैकेंसी निकाली हैं. इच्छुक उम्मीदवार 10 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं. यह वैकेंसी लखनऊ में है.
पद का नाम:
मेडिकल कंसल्टेंट
योग्यता:
MBBS डिग्री
चयन प्रक्रिया:
उम्मीदवारों का चयन इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा.
ज्यादा जानकारी के लिए
यहां क्लिक करें.
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तीन तलाक बिल लोकसभा में पास होने के बाद मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया गया. जहां भाजपा बिल को पास कराने की पूरी कोशिश कर रही है, वहीं विपक्षी दल इसके विरोध में हैं. अधिकत्तर विपक्षी दलों की मांग है कि बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. एनडीए में सहयोगी पार्टी जदयू भी इस बिल के विरोध में हैं. लोकसभा में बिल पेश होने के बाद जदयू ने वॉकआउट कर दिया था, वहीं मंगलवार को राज्यसभा से भी जदयू ने वॉकआउट कर दिया.
जदयू बिहार अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बताया कि जदयू इस बिल का विरोध क्यों कर रही है. उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'तीन तलाक बिल पर सरकार को मुस्लिम समुदाय के साथ बात करनी चाहिए थी. उनकी सहमति लेना जरूरी था. इस मामले पर अभी समाज में और जन जागरण की जरूरत है. सामाजिक जागरूकता कैम्पेन चलाना जरूरी होगा.'
वहीं जयदू के वॉकआउट करने पर भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद प्रभात झा ने कहा, 'हर पार्टी की अपनी विचारधारा होती है. जदयू ने तीन तलाक बिल को अपने तराजू पर तौला और बहिष्कार करने का निर्णय किया. हमें विश्वास है कि तीन तलाक बिल हम पास करा लेंगे.' बता दें, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 राज्यसभा में पेश किया. प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक निषेध विधेयक मानवता, महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने वाला है.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि तीन तलाक संबंधी विधेयक मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से लाया गया है और उसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा एक फैसले में इस प्रथा पर रोक लगाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा जारी है. इस विधेयक को लोकसभा से पिछले सप्ताह पारित किया जा चुका है.
प्रसाद ने कहा, ‘इस मुद्दे को राजनीतिक चश्मे या वोट बैंक की राजनीति के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिये. यह मानवता का सवाल है. यह महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से एवं उनकी गरिमा तथा अधिकारिता सुनिश्चित करने के लिये पेश किया गया है. इससे लैंगिक गरिमा एवं समानता भी सुनिश्चित होगी.'
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘प्रौद्योगिकी उत्साहियों’ के साथ डिजिटल संवाद करेंगे और इसके लिए उन्होंने उन लोगों के विचार और सुझाव आमंत्रित किए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह 5 जुलाई को ‘प्रौद्योगिकी उत्साहियों’ के कुछ प्रश्नों के उत्तर भी देंगे।
इस चर्चा में शामिल होने के लिए प्रौद्योगिकी उत्साही ‘‘डिजिटल डायलॉग’’ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार ‘‘डिजिटल डायलॉग के इस्तेमाल से फेसबुक, ट्वीटर और लिंक्डिन जैसे मंचों से प्रश्न साझा किए जा सकते हैं।’’टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि मोदी ने 1 जुलाई को ‘डिजिटल इंडिया पहल’ का शुभारंभ करते हुए कहा था कि ‘डिजिटल इंडिया’ के साथ भारत, भविष्य का खाका बदलने को तैयार है। उन्होंने कहा था कि इसके शुभारंभ से ही साढ़े चार लाख करोड़ रूपयों के निवेश का ऐलान हो गया है और इससे 18 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
उनका कहना था कि इस डिजिटल क्रांति से हर नागरिक का सपना पूरा होगा और गांव गांव इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। उनके अनुसार देश की विरासत को तकनीक से जोड़ना बहुत आवश्यक है और सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी तकनीक से वंचित नहीं रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह 5 जुलाई को ‘प्रौद्योगिकी उत्साहियों’ के कुछ प्रश्नों के उत्तर भी देंगे।
इस चर्चा में शामिल होने के लिए प्रौद्योगिकी उत्साही ‘‘डिजिटल डायलॉग’’ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार ‘‘डिजिटल डायलॉग के इस्तेमाल से फेसबुक, ट्वीटर और लिंक्डिन जैसे मंचों से प्रश्न साझा किए जा सकते हैं।’’टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि मोदी ने 1 जुलाई को ‘डिजिटल इंडिया पहल’ का शुभारंभ करते हुए कहा था कि ‘डिजिटल इंडिया’ के साथ भारत, भविष्य का खाका बदलने को तैयार है। उन्होंने कहा था कि इसके शुभारंभ से ही साढ़े चार लाख करोड़ रूपयों के निवेश का ऐलान हो गया है और इससे 18 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
उनका कहना था कि इस डिजिटल क्रांति से हर नागरिक का सपना पूरा होगा और गांव गांव इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। उनके अनुसार देश की विरासत को तकनीक से जोड़ना बहुत आवश्यक है और सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी तकनीक से वंचित नहीं रहे।
इस चर्चा में शामिल होने के लिए प्रौद्योगिकी उत्साही ‘‘डिजिटल डायलॉग’’ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार ‘‘डिजिटल डायलॉग के इस्तेमाल से फेसबुक, ट्वीटर और लिंक्डिन जैसे मंचों से प्रश्न साझा किए जा सकते हैं।’’टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि मोदी ने 1 जुलाई को ‘डिजिटल इंडिया पहल’ का शुभारंभ करते हुए कहा था कि ‘डिजिटल इंडिया’ के साथ भारत, भविष्य का खाका बदलने को तैयार है। उन्होंने कहा था कि इसके शुभारंभ से ही साढ़े चार लाख करोड़ रूपयों के निवेश का ऐलान हो गया है और इससे 18 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
उनका कहना था कि इस डिजिटल क्रांति से हर नागरिक का सपना पूरा होगा और गांव गांव इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। उनके अनुसार देश की विरासत को तकनीक से जोड़ना बहुत आवश्यक है और सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी तकनीक से वंचित नहीं रहे।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार ‘‘डिजिटल डायलॉग के इस्तेमाल से फेसबुक, ट्वीटर और लिंक्डिन जैसे मंचों से प्रश्न साझा किए जा सकते हैं।’’टिप्पणियां
उल्लेखनीय है कि मोदी ने 1 जुलाई को ‘डिजिटल इंडिया पहल’ का शुभारंभ करते हुए कहा था कि ‘डिजिटल इंडिया’ के साथ भारत, भविष्य का खाका बदलने को तैयार है। उन्होंने कहा था कि इसके शुभारंभ से ही साढ़े चार लाख करोड़ रूपयों के निवेश का ऐलान हो गया है और इससे 18 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
उनका कहना था कि इस डिजिटल क्रांति से हर नागरिक का सपना पूरा होगा और गांव गांव इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। उनके अनुसार देश की विरासत को तकनीक से जोड़ना बहुत आवश्यक है और सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी तकनीक से वंचित नहीं रहे।
उल्लेखनीय है कि मोदी ने 1 जुलाई को ‘डिजिटल इंडिया पहल’ का शुभारंभ करते हुए कहा था कि ‘डिजिटल इंडिया’ के साथ भारत, भविष्य का खाका बदलने को तैयार है। उन्होंने कहा था कि इसके शुभारंभ से ही साढ़े चार लाख करोड़ रूपयों के निवेश का ऐलान हो गया है और इससे 18 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
उनका कहना था कि इस डिजिटल क्रांति से हर नागरिक का सपना पूरा होगा और गांव गांव इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। उनके अनुसार देश की विरासत को तकनीक से जोड़ना बहुत आवश्यक है और सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी तकनीक से वंचित नहीं रहे।
उनका कहना था कि इस डिजिटल क्रांति से हर नागरिक का सपना पूरा होगा और गांव गांव इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। उनके अनुसार देश की विरासत को तकनीक से जोड़ना बहुत आवश्यक है और सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी तकनीक से वंचित नहीं रहे।
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लेख: पुड्डूचेरी स्थित अरबिंदो आश्रम से हाल में अपनी पांच बहनों के साथ निकाली गई 39-वर्षीय महिला से दो लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया था, जब 18 दिसंबर को अपनी तीन बहनों और अपने पिता के साथ आत्महत्या का विफल प्रयास करने के बाद वह बहकर समुद्र के किनारे आ गई थी।
पुलिस ने बताया कि इस मामले में दो लोगों को नजदीकी पिल्लैचावडी गांव से सोमवार को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस अधीक्षक एन रविकुमार ने संवाददाताओं को बताया कि महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि दो लोगों ने उसके साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया और उन्होंने उसकी अंगूठी लूट ली थी।
उन्होंने बताया कि विशेष दल ने जांच शुरू की और दोनों को पिल्लैचावडी से गिरफ्तार किया। उन्होंने अपराध करने और उससे लूटपाट करने की बात स्वीकार की। उन्होंने बताया कि लूटी गई अंगूठी बरामद कर ली गई। पुलिस ने दोनों को स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें 15 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
बिहार की रहने वाली पांचों बहनों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 17 दिसंबर को आश्रम से निकाला गया था। अगले दिन दो बहनों और उनकी मां ने कथित तौर पर समुद्र में कूदकर आत्महत्या कर ली। तीन अन्य बहनों और उनके पिता भी पुड्डूचेरी-मरकानम मार्ग पर कलापेट में आत्महत्या के लिए समुद्र में कूदे थे, लेकिन उन्हें स्थानीय मछुआरों ने बचा लिया था और उनका इलाज यहां सरकारी अस्पताल में चल रहा है।
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गुजरात के सिधपुर से विधायक बलवंत सिंह राजपूत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखते हुए कहा, 'पार्टी के कुछ लोग शंकर सिंह वाघेला से मेरे पारिवारिक रिश्ते को लेकर पार्टी में मेरी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी को ऐसी गतिविधियां करने वाले लोगों पर लगाम लगानी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. ऐसे हालात में कांग्रेस पार्टी में मेरे लिए काम करना मुमकिन नहीं है, इस वजह से मैं कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा देता हूं.
विधायक बलवंत सिंह राजपूत, तेजश्रीबेन पटेल और प्रहलाद पटेल के इस्तीफे से 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 54 रह गई है. कांग्रेस उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 47 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी और ऐसे में कांग्रेस अगर अपने बाकी विधायकों को एकजुट रखने में कामयाब रहती है तो अहमद को मुश्किल नहीं होगी.टिप्पणियां
बता दें कि बीजेपी ने गुजरात से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है.
(इनपुट भाषा से भी)
विधायक बलवंत सिंह राजपूत, तेजश्रीबेन पटेल और प्रहलाद पटेल के इस्तीफे से 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 54 रह गई है. कांग्रेस उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 47 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी और ऐसे में कांग्रेस अगर अपने बाकी विधायकों को एकजुट रखने में कामयाब रहती है तो अहमद को मुश्किल नहीं होगी.टिप्पणियां
बता दें कि बीजेपी ने गुजरात से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है.
(इनपुट भाषा से भी)
बता दें कि बीजेपी ने गुजरात से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है.
(इनपुट भाषा से भी)
(इनपुट भाषा से भी)
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सूत्रों का कहना है कि सरकार से सरकार के सौदों में प्रत्येक आइटम पर प्रत्येक का मूल्य अलग-अलग नहीं किया जा सकता है. भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण कमांड के एक अधिकारी, कमांडिंग एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) बी के पांडे कहते हैं, 'सौदा में हर घटक के सभी विवरणों को संबोधित करने के लिए व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है. यह इसलिए क्योंकि घटकों का मूल्य विमान के जीवन चक्र में परिवर्तन करने के लिए बाध्य है.टिप्पणियां
एनडीटीवी ने राफेल अनुबंध के तत्वों से प्राप्त व्यापक अनुमानों की रिपोर्ट न करने का चयन किया है, जब तक कि रक्षा मंत्रालय द्वारा रिकॉर्ड की पुष्टि न हो(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एनडीटीवी ने राफेल अनुबंध के तत्वों से प्राप्त व्यापक अनुमानों की रिपोर्ट न करने का चयन किया है, जब तक कि रक्षा मंत्रालय द्वारा रिकॉर्ड की पुष्टि न हो(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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आम आदमी के प्रति सहानुभूति का उदाहरण पेश करते हुए एक पेट्रोल पंप मालिक ने स्टॉक रहने तक पेट्रोल को पुरानी दरों पर ही बेचा।
पेट्रोल पंप मालिक नई कीमत पर बेचकर डेढ़ लाख रुपये का फायदा कमा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
पुराने शहर के मुनव्वराबाद इलाके में आजाद फिलिंग स्टेशन के मालिक समीर आजाद ने पेट्रोल के दाम बढ़ने की खबर आने के बाद एक बुजुर्ग ऑटो चालक को बोतलों में तेल खरीदते देखकर यह फैसला किया।
आजाद ने बताया, ‘वह आदमी जिस भी तरह से पेट्रोल ले सकता था, ले रहा था। यहां तक कि पीने के पानी की बोतल में भी उसने पेट्रोल लिया। इसलिए मैंने सोचा कि यदि मैं अपने पुराने स्टॉक को पुरानी ही कीमत पर बेचूं तो मेरे पास खोने को कुछ नहीं होगा।’
पेट्रोल की कीमत दो दिन पहले से 7.54 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई हैं जिससे पुरानी दरों पर ही तेल लेने के लिए पूरे देश के पेट्रोल पंपों पर वाहनों की कतार लग गई। टिप्पणियां
आजाद के पेट्रोल पंप पर पुराना स्टॉक दोपहर दो बजे खत्म हो गया लेकिन उन्होंने पूरे दिन पुरानी कीमत पर पेट्रोल बेचने का फैसला किया।
पंप मालिक आजाद ने बताया, ‘18 हजार लीटर तेल का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद भी पुरानी दरों पर पेट्रोल लेने के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। इसलिए मैंने फैसला किया कि शेष दिन नए स्टॉक को भी पुरानी कीमत पर बेचूंगा।’ उन्होंने मूल्यवृद्धि की घोषणा के बाद कुल 23,240 लीटर पेट्रोल पुरानी कीमत पर बेचा।
पेट्रोल पंप मालिक नई कीमत पर बेचकर डेढ़ लाख रुपये का फायदा कमा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
पुराने शहर के मुनव्वराबाद इलाके में आजाद फिलिंग स्टेशन के मालिक समीर आजाद ने पेट्रोल के दाम बढ़ने की खबर आने के बाद एक बुजुर्ग ऑटो चालक को बोतलों में तेल खरीदते देखकर यह फैसला किया।
आजाद ने बताया, ‘वह आदमी जिस भी तरह से पेट्रोल ले सकता था, ले रहा था। यहां तक कि पीने के पानी की बोतल में भी उसने पेट्रोल लिया। इसलिए मैंने सोचा कि यदि मैं अपने पुराने स्टॉक को पुरानी ही कीमत पर बेचूं तो मेरे पास खोने को कुछ नहीं होगा।’
पेट्रोल की कीमत दो दिन पहले से 7.54 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई हैं जिससे पुरानी दरों पर ही तेल लेने के लिए पूरे देश के पेट्रोल पंपों पर वाहनों की कतार लग गई। टिप्पणियां
आजाद के पेट्रोल पंप पर पुराना स्टॉक दोपहर दो बजे खत्म हो गया लेकिन उन्होंने पूरे दिन पुरानी कीमत पर पेट्रोल बेचने का फैसला किया।
पंप मालिक आजाद ने बताया, ‘18 हजार लीटर तेल का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद भी पुरानी दरों पर पेट्रोल लेने के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। इसलिए मैंने फैसला किया कि शेष दिन नए स्टॉक को भी पुरानी कीमत पर बेचूंगा।’ उन्होंने मूल्यवृद्धि की घोषणा के बाद कुल 23,240 लीटर पेट्रोल पुरानी कीमत पर बेचा।
पुराने शहर के मुनव्वराबाद इलाके में आजाद फिलिंग स्टेशन के मालिक समीर आजाद ने पेट्रोल के दाम बढ़ने की खबर आने के बाद एक बुजुर्ग ऑटो चालक को बोतलों में तेल खरीदते देखकर यह फैसला किया।
आजाद ने बताया, ‘वह आदमी जिस भी तरह से पेट्रोल ले सकता था, ले रहा था। यहां तक कि पीने के पानी की बोतल में भी उसने पेट्रोल लिया। इसलिए मैंने सोचा कि यदि मैं अपने पुराने स्टॉक को पुरानी ही कीमत पर बेचूं तो मेरे पास खोने को कुछ नहीं होगा।’
पेट्रोल की कीमत दो दिन पहले से 7.54 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई हैं जिससे पुरानी दरों पर ही तेल लेने के लिए पूरे देश के पेट्रोल पंपों पर वाहनों की कतार लग गई। टिप्पणियां
आजाद के पेट्रोल पंप पर पुराना स्टॉक दोपहर दो बजे खत्म हो गया लेकिन उन्होंने पूरे दिन पुरानी कीमत पर पेट्रोल बेचने का फैसला किया।
पंप मालिक आजाद ने बताया, ‘18 हजार लीटर तेल का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद भी पुरानी दरों पर पेट्रोल लेने के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। इसलिए मैंने फैसला किया कि शेष दिन नए स्टॉक को भी पुरानी कीमत पर बेचूंगा।’ उन्होंने मूल्यवृद्धि की घोषणा के बाद कुल 23,240 लीटर पेट्रोल पुरानी कीमत पर बेचा।
आजाद ने बताया, ‘वह आदमी जिस भी तरह से पेट्रोल ले सकता था, ले रहा था। यहां तक कि पीने के पानी की बोतल में भी उसने पेट्रोल लिया। इसलिए मैंने सोचा कि यदि मैं अपने पुराने स्टॉक को पुरानी ही कीमत पर बेचूं तो मेरे पास खोने को कुछ नहीं होगा।’
पेट्रोल की कीमत दो दिन पहले से 7.54 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई हैं जिससे पुरानी दरों पर ही तेल लेने के लिए पूरे देश के पेट्रोल पंपों पर वाहनों की कतार लग गई। टिप्पणियां
आजाद के पेट्रोल पंप पर पुराना स्टॉक दोपहर दो बजे खत्म हो गया लेकिन उन्होंने पूरे दिन पुरानी कीमत पर पेट्रोल बेचने का फैसला किया।
पंप मालिक आजाद ने बताया, ‘18 हजार लीटर तेल का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद भी पुरानी दरों पर पेट्रोल लेने के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। इसलिए मैंने फैसला किया कि शेष दिन नए स्टॉक को भी पुरानी कीमत पर बेचूंगा।’ उन्होंने मूल्यवृद्धि की घोषणा के बाद कुल 23,240 लीटर पेट्रोल पुरानी कीमत पर बेचा।
पेट्रोल की कीमत दो दिन पहले से 7.54 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई हैं जिससे पुरानी दरों पर ही तेल लेने के लिए पूरे देश के पेट्रोल पंपों पर वाहनों की कतार लग गई। टिप्पणियां
आजाद के पेट्रोल पंप पर पुराना स्टॉक दोपहर दो बजे खत्म हो गया लेकिन उन्होंने पूरे दिन पुरानी कीमत पर पेट्रोल बेचने का फैसला किया।
पंप मालिक आजाद ने बताया, ‘18 हजार लीटर तेल का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद भी पुरानी दरों पर पेट्रोल लेने के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। इसलिए मैंने फैसला किया कि शेष दिन नए स्टॉक को भी पुरानी कीमत पर बेचूंगा।’ उन्होंने मूल्यवृद्धि की घोषणा के बाद कुल 23,240 लीटर पेट्रोल पुरानी कीमत पर बेचा।
आजाद के पेट्रोल पंप पर पुराना स्टॉक दोपहर दो बजे खत्म हो गया लेकिन उन्होंने पूरे दिन पुरानी कीमत पर पेट्रोल बेचने का फैसला किया।
पंप मालिक आजाद ने बताया, ‘18 हजार लीटर तेल का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद भी पुरानी दरों पर पेट्रोल लेने के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। इसलिए मैंने फैसला किया कि शेष दिन नए स्टॉक को भी पुरानी कीमत पर बेचूंगा।’ उन्होंने मूल्यवृद्धि की घोषणा के बाद कुल 23,240 लीटर पेट्रोल पुरानी कीमत पर बेचा।
पंप मालिक आजाद ने बताया, ‘18 हजार लीटर तेल का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद भी पुरानी दरों पर पेट्रोल लेने के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। इसलिए मैंने फैसला किया कि शेष दिन नए स्टॉक को भी पुरानी कीमत पर बेचूंगा।’ उन्होंने मूल्यवृद्धि की घोषणा के बाद कुल 23,240 लीटर पेट्रोल पुरानी कीमत पर बेचा।
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१९७१ भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। १६ दिसंबर को ही पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था।
१९७१ का भारत-पाक युद्ध भारत एवं पाकिस्तान के बीच एक सैन्य संघर्ष था। इसका आरम्भ तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम के चलते ३ दिसंबर, १९७१ से दिनांक १६ दिसम्बर, १९७१ को हुआ था एवं ढाका समर्पण के साथ समापन हुआ था। युद्ध का आरम्भ पाकिस्तान द्वारा भारतीय वायुसेना के ११ स्टेशनों पर रिक्तिपूर्व हवाई हमले से हुआ, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेशी स्वतंत्रता संग्राम में बंगाली राष्ट्रवादी गुटों के समर्थन में कूद पड़ी। मात्र १३ दिन चलने वाला यह युद्ध इतिहास में दर्ज लघुतम युद्धों में से एक रहा।
युद्ध के दौरान भारतीय एवं पाकिस्तानी सेनाओं का एक ही साथ पूर्वी तथा पश्चिमी दोनों फ्रंट पर सामना हुआ और ये तब तक चला जब तक कि पाकिस्तानी पूर्वी कमान ने समर्पण अभिलेख पर १६ दिसम्बर, १९७१ में ढाका में हस्ताक्षर नहीं कर दिये, जिसके साथ ही पूर्वी पाकिस्तान को एक नया राष्ट्र बांग्लादेश घोषित किया गया। लगभग ~९०,००० से ~९३,००० पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना द्वारा युद्ध बन्दी बनाया गया था। इनमें ७९,६७६ से ९१,००० तक पाकिस्तानी सशस्त्र सेना के वर्दीधारी सैनिक थे, जिनमें कुछ बंगाली सैनिक भी थे जो पाकिस्तान के वफ़ादार थे। शेष १०,३२४ से १५,००० युद्धबन्दी वे नागरिक थे, जो या तो सैन्य सम्बन्धी थे या पाकिस्तान के सहयोगी (रज़ाकर) थे। एक अनुमान के अनुसार इस युद्ध में लगभग ३०,००० से ३ लाख बांग्लादेशी नागरिक हताहत हुए थे। इस संघर्ष के कारण, ८०,००० से लगभग १ लाख लोग पड़ोसी देश भारत में शरणार्थी रूप में घुस गये।
पृष्ठभूमि
पूर्वी पाकिस्तान में स्थापित प्रभावशाली बंगाली लोगों एवं पाकिस्तान के चार प्रान्तों में बसे बहु-जाति पाकिस्तानी लोगों के बीच राज्य करने के अधिकार को लेकर चल रहे मुक्ति संघर्ष ने भारत-पाकिस्तान युद्ध में चिंगारी का काम किया। पाकिस्तान (पश्चिमी) एवं पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के बीच १९४७ में संयुक्त राजशाही द्वारा भारत की स्वतंत्रता के फलस्वरूप पाकिस्तान के सृजन के समय से ही राजनैतिक तनाव चल रहा था जो समय के साथ बढ़ता ही जा रहा था। इसको हवा देने वाले मुख्य कारकों में १९५० का प्रसिद्ध भाषा आन्दोलन, १९६४ के पूर्व में बड़े दंगे और अन्ततः १९६९ में भारी विरोध प्रदर्शन रहे। इनके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान कोअपने पद से त्याग-पत्र देकर सेना प्रमुख जनरल याह्या ख़ान को पाकिस्तान की केन्द्रीय सरकार संभालने का न्यौता देना पड़ा। पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान की भौगोलिक दूरी भी अत्यधिक थी, लगभग ~, जो बंगाली संस्कृति एवं पाकिस्तानी संस्कृति के राष्ट्रीय एकीकरण के प्रत्येक प्रयास में बाधा बनती थी।
बंगाली प्रभाव को दबाने एवं उन्हें इस्लामाबाद की केन्द्रीय सरकार बनाने में हिस्सेदारी देने के अधिकार से रोकने के लिये एक विवादित वन युनिट कार्यक्रम चलाया गया जिसके अन्तर्गत पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान की स्थापना की गई, किन्तु इस प्रयास का स्थानीय पश्चिमी लोगों द्वारा घोर विरोध किया गया, एवं इसके कारण सरकार के दोनों धड़ों को साथ-साथ चलाना असंभव होता गया। १९६९ में, तत्कालीन राष्ट्रपति याह्या खान ने प्रथम आम चुनावों की घोषणा की १९७० में पश्चिमी पाकिस्तान की स्थिति का स्थगन कर दिया जिससे की उसे अपनी १९४७ में पाकिस्तान की स्थापना के समय बनायी गई चार प्रान्तों वाली मूल विषम स्थिति में बहाल किया जा सके। इसके साथ-साथ ही वहां बंगालियों एवं बहु-जातीय पाकिस्तानियों के बीच धार्मिक एवं जातीय विवाद भी उठने लगे, क्योंकि बंगाली लोग उन प्रभावशाली पश्चिम पाकिस्तानियों से बहुत भिन्न थे।
१९७० में हुए आम चुनावों में पूर्वी-पाकिस्तान की आवामी लीग को पूर्वी पाकिस्तान विधान सभा की १६९ में से १६७ सीटें मिली जिसके परिणामस्वरूप उसे ३१३ सीटों वाली नेशनल असेम्बली में लगभग पूर्ण बहुमत मिल गया, जबकि पश्चिम पाकिस्तान का वोट-बैंक कंज़र्वेटिव पाकिस्तान मुस्लिम लीग एवं समाजवादी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी, और तत्कालीन--साम्यवादी आवामी नेशनल पार्टी में बंट गया। आवामी लीग नेता शेख मुजीबुर्रहमान ने अपनी राजनीतिक स्थिति पर जोर देते हुए इस संवैधानिक संकट को एक छः सूत्री कार्यक्रम के द्वारा समाधान दिया साथ ही राज्य करने के बंगालियों के अधिकार का पुरजोर समर्थन किया। आवामी लीग की चुनावी जीत के चलते बहुत से पाकिस्तानियों को यह भय लगा कि कहीं इस तरह बंगालीे संविधान को भी उन छः-सूत्री कार्यक्रम की ओर घुमा न लें।
इस संकट से उबरने हेतु सिफ़ारिशों एवं समाधान के लिये अहसान-याकूब मिशन बनायी गई एवं उसकी सिफ़ारिशों एवं रिपोर्ट को आवामी लीग, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी तथा पाकिस्तान मुस्लिम लीग और साथ ही राष्ट्रपति याहया खान से समस्थन मिला।
हालांकि इस मिशन को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के कई घटकों का समर्थन नहीं मिल पाया था, और परिणामस्वरूप इसे वीटो कर दिया गया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष, ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के वीटो को समर्थन देने और पाकिस्तान की प्रीमियरशिप को शेख मुजीबुर्रहमान को देने से मना कर देने पर आवामी लीग ने राष्ट्रव्यापी सामान्य हड़ताल कि घोषणा कर दी। राष्ट्रपति याह्या खान ने नेशनल असेम्बली के संयोजन को स्थगित कर दिया जिससे आवामी लीग एवं उसके पूर्वी पाकिस्तान के ढ़ेरों समर्थकों का मोहभंग हो गया। इसकी प्रतिक्रियास्वरूप शेख मुजीबुर्रहमान ने सामान्य हड़ताल की घोषणा की जिससे सरकार बंदी के हालात हो गये साथ ही उधर पूर्व में असंतुष्टों के समूह ने बिहारी जातीय समूहों पर अपनी अहिंसक प्रतिक्रिया करनी आरम्भ कर दी, जिन समूहों ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। मार्च १९७१ के आरम्भ में अकेले चिट्टागॉन्ग में ही लगभग ३०० बिहारियों को बंगालियों की हिंसक भीड़ ने काट डाला। पाकिस्तान सरकार ने इस "बिहारी हत्याकाण्ड'" के बहाने पूर्वी पाकिस्तान में कुछ दिन बाद २५ मार्च को ऑपरेशन सर्चलाइट के तहत सेना तैनात कर दी। राष्ट्रपति याह्या खान ने तब पूर्वी पाक-सेनाध्यक्ष लेफ़्टि.जन.साहबज़ादा याकूब खां से त्यागपत्र मांगने के बाद पूर्व के असन्तुष्टों को दबाने के लिये और सेना बढ़ा दी जिसमें पश्चिमी पाकिस्तानी सैनिकों की बहुतायत थी।
वहां असन्तुष्टों की भीड़ की भीड़ गिरफ़्तार की जाने लगीं और कई दिनों की हड़ताल एवं असहयोग आन्दोलन के बाद, टिक्का खान के नेतृत्त्व में पाकिस्तानी सेना ने २५ मार्च १९७१ की रात्रि में ढाका पर अधिकार कर लिया। आवामी लीग को सरकार ने अवैध घोषित कर दिया। इसके बहुत से सदस्यों तथा सहानुभूतिज्ञों को पूर्वी भारत के भागों में शरण लेनी पड़ी। मुजीब को २५/२६ मार्च १९७१ की अर्धरात्रि के ०१:३० प्रातः बजे (२९ मार्च १९७१ की रेडियो पाकिस्तान के समाचार के अनुसार) गिरफ़्तार करके पाकिस्तान लेजाया गया। इसके बाद ऑपरेशन सर्चलाइट कार्रवाई की गयी और उसके तुरन्त बाद ही ऑपरेशन बरीसल की कार्रवाई की गई जिसके अन्तर्गत्त पूर्व के बौद्धिक अभिजात वर्ग को निपटाने की मंशा थी।
२६ मार्च १९७१ को पाकिस्तानी सेना के मेजर ज़ियाउर रहमान ने शेख मुजीबुर्रहमान की ओर से बांग्लादेश की स्वतंत्रता का एलान कर दिया।
उसी वर्ष अप्रैल में विस्थापित आवामी लीग के नेताओं ने मेहरपुर के बैद्यनाथताला में बांग्लादेश की प्रावधानिक सरकार का गठन किया। तब ईस्ट पाकिस्तान राईफ़ल्स, थल सेना, वायु एवं नौसेना तथा पाकिस्तान मैरीन्स के बंगाली अधिकारियों ने भी अपने दलबदल कर लिये साथ ही भारत के विभिन्न भागों में डर के मारे शरण ले ली। बांग्लादेश की सेना जिसे मुक्ति बाहिनी कहते हैं एवं जिसमें नियमितो बाहिनी तथा गॉनो बाहिनी दो प्रमुख अंग थे, की स्थापना सेवानिवृत्त कर्नल मुहम्मद अताउल गनी उस्मानी के नेतृत्त्व में की गई।
बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष में भारत की भूमिका
एड्मिरल सैयद मुहम्मद एहसान और लेफ़्टि.जनरल साहबज़ादा याकूब खान के त्यागपत्र दे देने के बाद, मीडिया के समाचारों में पाकिस्तानी सेना के बंगाली नागरिकों के व्यापक नरसंहार को,, जिसमें विशेष तौर पर निशाना बने अल्पसंख्य्क हिन्दू समुदाय थे; को बड़ा स्थान मिला। इसके परिणामस्वरूप इस समुदाय को पड़ोसी देश पूर्वी भारत में शरण लेने हेतु भागना पड़ा। इस शरणार्थियों के लिये पूर्वी भारत की सीमाओं को भारत सरकार द्वारा खोल दिया गया। इन्हें शरण देने हेतु निकटवर्ती भारतीय राज्य सरकारों, जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, असम, मेघालय एवं त्रिपुरा सरकारों द्वारा बड़े स्तर पर सीमावर्त्ती क्षेत्रों में शरणार्थी कैम्प भी लगाये गए। इस तेजी से भागते पूर्वी पाकिस्तानी शरणार्थी जनसमूह द्वारा भारत में घुस जाने के कारण भारत की पहले ही बोझिल अर्थ०व्यवस्था पर असहनीय भार पड़ा।
युद्ध के बाद, पूर्व के पाकिस्तानी सेना जनरलों में एक दूसरे पर पिछले दिनों किये गए प्रतिबद्ध अत्याचारों के लिये एक दूसरे पर दोषारोपण का काम शुरु हो गया, किन्तु अधिकतर दोष लेफ़्टि.जनरल टिक्का खान के सिर मढ़े गए, जिसे पूर्वी पाकिस्तान के गवर्नर होने के कारण अधिकतम उत्तरदायित्व उठाना था। उसे बंगाल का कसाई, आदि संज्ञाएं दी गयीं, क्योंकि अधिकतर अत्याचार के कार्य उसके नेतृत्त्व में हुए थे। अपने समकालीन साहबज़ादा याकूब खान, जो अपेक्षाकृत शांतिप्रिय था एवं बल प्रयोग में कम विश्वास रखता था, उससे भिन्न टिक्का खान को विवादों के निपटारे हेतु बल प्रयोग करने को आतुर कहा जाता था।
युद्ध जांच आयोग की सुनवाईयों में अपने अपराध-स्वीकारोक्ति में, लेफ़्टि.जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने उसके कार्यकलापों पर टिप्पणी करते हुए लिखा: "२५/२६ मार्च १९७१ के बीच की रात को जन.टिक्का खान ने आक्रमण किया। तब वह शांतिपूर्ण रात्रि एक विलाप, चित्कार और आगज़नी भरी रात में बदल गयी। जन.टिक्का ने अपनी ओर से किसी हमले की तरह कोई कसर नहीं छोड़ी थी, जैसे वे किसी शत्रु पर हमला कर रहे हों, न कि अपने ही दिशाभ्रमित एवं गुमराह लोगों पर। यह सैन्य कार्रवाई पूर्ण क्रूरता एवं नृशंसता भरी थी, जो निर्दयता में चंगेज़ खान एवं हलाकू खान द्वारा बुखारा और बग़दाद में किये गए भयंकर नरसंहार से कहीं अधिक थे...जनरल टिक्का ने नागरिकों की हत्या करवायी और तप्त भूमि नीति अपनायी। अपनी टुकड़ियों के लिये उनके आदेश थे: मुझे भूमि चाहिये न कि आदमी..."। मेजर जनरल राव फ़रमान अली ने अपनी दैनिक डायरी में लिखा है: "पूर्वी पाकिस्तान की हरित भूमि को रक्त कर देंगे। इसे बंगाली रक्त से लाल कर दिया।" हालाम्कि राव फ़रमान ने इस टिप्पणी का जोरदार विरोध करते हुए १९७४ की युद्ध जांच समिति के आगे स्वीकारोक्ति में सारा उत्तरदायित्त्व टिक्का खान पर डाल दिया।
भारत सरकार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से बारम्बार अपील की गयी, किन्तु भारतीय विदेश मन्त्री स्वरण सिंह के विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियों से भेंट करने के बावजूद भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई। तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री इन्दिरा गाँधी ने २७ मार्च १९७१ को पूर्वी पाकिस्तान के मुक्ति संघर्ष के लिये अपनी सरकार के पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि लाखों शरणार्थियों को भारत में शरण देने से कहीं बेहतर है कि पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध कर इस संघर्ष को विराम दिया जाए।ल २८ अप्रैल १९७१ को इन्दिरा गांधी मंत्रिमण्डल ने भारतीय तत्कालीन सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ को पूर्वी पाकिस्तान को कूच करने का आदेश दिया। पूर्वी पाकिस्तानी सेना से विलग हुए अधिकारियों एवं भारतीय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के घटकों द्वारा तुरन्त ही भारतीय शरणार्थी शिविरों से मुक्तिबाहिनी के गुरिल्लाओं हेतु पाकिस्तान के विरुद्ध प्रशिक्षण देने के लिये एवं भर्ती का काम आरम्भ कर दिया गया। १९७१ में, पूर्व में भारत समर्थित बांग्लादेशी राष्ट्रवाद की सशक्त लहर फैल गयी थी। इसके बाद ही स्थिति अहिन्सात्मक होती गयी और व्यवस्थित रूप से पूर्व में रह रहे बहु-जातीय पाकिस्तानियों की लक्ष्य बना कर हत्याएं करनी आरम्भ हो गयीं। पाकिस्तान के राष्ट्रभक्त बंगाली राजनीतिज्ञों की वाहन में बम लगाकर हत्याएं तथा सरकारी सचिवालयों में उच्च पदासीनों को लक्ष्य बनाने व हत्या करने के कार्य तेजी से दिखाई देने लगे थे। फीनिश आतंकवाद रिपोर्टर जुस्सी हान्हीमाकी के अनुसार पूर्व का बंगाली उग्रवाद कुछ-कुछ "एक भुला दिये गए आतंकवाद के इतिहास" की भांति था। हमुदूर रहमान आयोग ने बंगाली उग्रवाद के दावों का समर्थन करते हुए लिखा कि बहु-जातीय पाकिस्तानियों से हुए दुर्व्यहवार ने पाकिस्तानी सैनिकों को अहिन्सा की ओर उक्साया ज्जिससे कि वे अपने लोगों का बदला लेकर सरकार के आदेशों का पालन करने में सहायक हो सकें।
पाकिस्तानी मीडिया का मनोभाव भी तेजी से बदलते हुए युद्ध-प्रिय एवं पूर्व पाकिस्तान तथा भारत के विरुद्ध सैन्यवादी होता जा रहा था। हालांकि कुछ पाकिस्तानी मीडिया विद्वानों की भाषा इन पूर्व की गतिविधियों की रिओपिर्ट देते हुए, मिली-जुली भी दिखाई देती थी। सितम्बर १९७१ के अंत तक संभवतः पाकिस्तान सरकार के अंदरूनी घटकों के समर्थन से एक संगठित प्रचार अभियान चालू हो चुका था, जिसके परिणामस्वरूप क्रश इण्डिया आदि सन्देश वाले स्टीकरों को वाहनों के पीछे लगाया जाने लगा। ये अभियान रावलपिण्डी, इस्लामाबाद एवं लाहौर से आरम्भ होते हुए शीघ्र ही पूरे पश्चिमी पाकिस्तान में फ़ैलता चला गया। अक्र्तूबर माह तक अन्य स्टीकरों में हैंग द ट्रेटर (देशद्रोही को फ़ांसी दो) भी दिखाई देने लगा जो शेख मुजीबुर्रहमान के सन्दर्भ में था। दिसम्बर के अंत तक कुछ रूढ़िवादी प्रिंट मीडिया ने "जिहाद" संबंधी पाठ्य सामग्री को छापना भि आरम्भ कर दिया जिससे सेना में भर्ती प्रक्रिया को बढ़ावा मिले।
भारत की पाकिस्तान के साथ आधिकारिक भिड़न्त
उद्देश्य
अप्रैल १९७१ के अंत आते तक भारतीय प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी ने भारतीय सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ से भारत के पाकिस्तान से युद्ध करने की तैयारी के बारे में चर्चा कर ली थी। सैम मानेकशॉ के निजी अभिलेखों के अनुसार उन्होंने अभी इस युद्ध के लिये दो कारणॊं से असमर्थता जतायी थी: एक तो पूर्वी पाकिस्तान क्षेत्र में मॉनसून के आने का समय था, दूसरे सेना के टैंकों का पुनरोद्धार कार्य प्रगति पर था। उन्होंने इस असमर्थता के कारण अपना त्यागपत्र भी प्रस्तुत किया, जिसे गांधी ने अस्वीकार कर दिया। हां उन्होंने गांधी से ऐसे युद्ध में जीत का आश्वासन दिया कि यदि उन्हें आक्रमण उनके तरीके व शर्तों पर करने दिया जाए व एक तिथि सुनिश्चित की जाये,; जिसे गांधी ने मान लिया। असल में इन्दिरा गांधी जल्दबाजी में की गई सैन्य कार्यवाही के दिष्परिणाम से अवगत थीं, किन्तु वे अपनी सेना के विचार भी जानना चाहती थीं, जिससे वे अपने मंत्रिमण्डल के कई तीखे सहकर्मियों के उत्तर दे सकें, तथा जन समुदाय को भी शांत कर सकें जो भारत के उस समय के संयम रखने के निर्णय के समर्थन के लिए अति महत्त्वपूर्ण थे।
नवम्बर १९७१ तक की परिस्थितियों को देखते हुए युद्ध अपरिहार्य सा प्रतीत हो रहा था, जिसके बारे में सोवियत संघ ने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी थी। इस चेतावनी को उस समय पाकिस्तान की एकता और अखण्डता के लिये आत्मघाती मार्ग (suicidal course for Pakistan's unity) कहा गया था। नवंबर १९७१ के माह भर पाकिस्तानी रूढिवादी व अपरिवर्तनवादी राजनीतिज्ञों द्वारा उकसाये हुए हजारों लोगों ने लाहौर और अन्य पाकिस्तानी शहरों में क्रश इण्डिया (भारत को कुचल दो) मार्च निकालीं। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप भारत ने अपनी पश्चिमी सीमाओं पर वृहत स्तर पर भारतीय सेना के जमावड़े बनाने आरम्भ कर दिये, किन्तु उन्होंने दिसम्बर तक शांतिपूर्ण प्रतीक्षा की, जिससे की मॉनसून के वर्षाकाल उपरान्त की भूमि शुष्क होकर अभियान हेतु सहायक जाये तथा हिमालय के दर्रों में हिमपात से आवाजाही अवरोधित हो जाये तथा चीन को बीच में घुसने को मार्ग ही न सुलभ हो। २३ नवम्बर को पाकिस्तानी राष्ट्रपति याह्या खान ने पूरे पाकिस्तान में आपातकाल कि घोषणा कर दी तथा अपने लोगों को युद्ध हेतु तैयार रहने का आह्वान किया।
३ दिसम्बर की शाम लगभग ०५:४० बजे, पाकिस्तान वायुसेना (पीएएफ़) ने भारत-पाक सीमा से दूर बसे आगरा सहित उत्तर-पश्चिमी भारत के ११ वायुसेना बेसेज़ पर अप्रत्याशित रिक्ति-पूर्व हमले कर दिये। इस हमले के समय विश्व-प्रसिद्ध ताजमहल को घास-फूस व पत्तियों, बेलों व लताओं से ढंक कर गन्दे कपड़ों से घेर दिया गया था, क्योंकि उसका श्वेत संगमर्मर रात्रि की चांदनी में श्वेत मार्गदर्शक कि भांति चमकता था।
इन रिक्ति-पूर्व हमलों, जिन्हें ऑपरेशन चंगेज़ खान भी कहा गया था, की प्रेरणा इज़्रायल के अरब-इज़्रायली छः दिवसीय युद्ध में आपरेशन फ़ोकस की विजय से ली गई थी, किन्तु १९६७ के उस युद्ध में अरब वायुसेना बेसेज़ पर बड़ी संख्या में इज़्रायली लड़ाकू वायुयान भेजे गये थे, जबकि पाकिस्तान ने लगभग ५० से भी कम वायुयानों को भेजा था।
उसी शाम, राष्ट्र के नाम एक सन्देश में प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी ने कहा कि ये हवाई हमले पाकिस्तान की ओर से भारत पर युद्ध कि घोषणा हैं और उसी रात को भारतीय वायुसेना ने पहली पहल जवाबी हवाई कार्रवाई भी कर दी। अगले दिन ही इन जवाबी हमलों को वृहत स्तर के हवाई आक्रमण में बदल दिया गया।
इसके साथ ही १९७१ के भारत-पाक युद्ध का आधिकारिक आरम्भ हुआ एवं इन्दिरा गांधी ने सेना कि टुकड़ियों को सीमा की ओर कूच करने के आदेश दिये तथा पूरे स्तर पर पाकिस्तान पर आक्रमण आरम्भ कर दिया। इस अभियान में समन्वय बनाकर वायु, सागर एवं भूमि से पाकिस्तान पर सभी मोर्चों पर हमले बोल दिये गए। भारत के इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पूर्वी मोर्चे पर ढाका पर अधिकार करना एवं पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान को भारतीय भूमि में घुसने से रोकना था। There was no Indian intention of conducting any major offensive into Pakistan to dismember it into different states.
नौसैनिक युद्ध स्थिति
पिछले १९६५ के युद्ध से अलग, इस बार पाकिस्तान भारत के संग नौसैनिक मुठभेड़ के लिये तैयार नहीं था। इस तथ्य से पाकिस्तानी नौसेना मुख्यालय के उच्च पदासीन अधिकारीगण भली-भांति अवगत थे कि उनकी नौसेना बिल्कुल तैयार नहीं है तथा उन्हें इस बार बुरी तरह मुंह की खानी पड़ेगी। पाकिस्तानी नौसेना भारतीय नौसेना के विरुद्ध गहरे सागर में आक्रामक युद्ध के लिये किसी भी स्थिति में सज्ज नहीं थी, न ही भारतीय नौसेना के सागरीय अतिक्रमण के सामने पर्याप्त सुरक्षा ही दे पाने में समर्थ थी।
युद्ध के पश्चिमी मोर्चे पर, भारतीय नौसेना की पश्चिमी नवल कमान से वाइस एड्मिरल सुरेन्द्र नाथ कोहली के नेतृत्त्व में ४/५ दिसम्बर १९७१ की रात्रि में कूटनाम: त्रिशूल नाम से कराची बंदरगाह पर अचानक हमला बोल दिया। इन नौसैनिक हमलों में सोवियत-निर्मित ओसा मिसाइल नावों के द्वारा पाकिस्तानी नौसेना के ध्वंसक एवं माइनस्वीपर को तो जलमग्न ही कर दिया जबकि भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया गया। इसके बदले में पाकिस्तानी नौसैनिक पनडुब्बियों, , मॅन्ग्रो, एवं शुशुक, ने भारतीय युद्धपोतों की खोज का अभियान शुरु कर दिया। पाकिस्तानी नौसैनिक स्रोतों के अनुसार लगभग ७२० नौसैनिक या तो हताहत हुए या लापता थे, पाकिस्तान का ईंधन भण्डार एवं बहुत से व्यापारिक पोत भी नष्ट हो गये, जिससे पाकिस्तानी नौसेना का युद्ध करना या युद्ध में बने रहना अब और कठिन हो गया। ९ दिसम्बर १९७१ को हैंगर ने को जलमग्न कर दिया, जिसमें १९४ भारतीय हताहत हुए; एवं यह घटना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद प्रथम पनडुब्बी हमला थी।
आईएनएस खुकरी के हमले के तुरन्त बाद ही ८/९ दिसम्बर की रात को ही कराची बंदरगाह पर एक और बड़ा हमला हुआ जो कूटनाम: पायथन के नाम से था। भारतीय नौसेना की ओसा मिसाइल नावों ने कराची बंदरगाह पहुंचकर सोवियत से ली हुई स्टाइक्स प्रक्षेपास्त्र से मार की किसके परिणामस्वरूप कई बड़े ईंधन टैंक द्ज्वस्त हुए एवं तीन पाकिस्तानी व्यापारी बेड़े तथा एक वहां खड़े विदेशी जहाज को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। पाकिस्तानी वायु सेना ने किसी भी भारतीय नौसैनिक युद्धपोत पर हमला नहीं किया एवं अगले दिन तक भी उन्हें संदेह बना रहा, जिसके चलते पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के टोही युद्ध विमानचालक की तरह कार्यरत एक नागरिक विमान चालक ने अपने ही को भारतीय पोत के भ्रम में हमला कर दिया, जिससे उस पोत को भयंकर क्षति पहुंची व साथ ही कई कार्यरत नौसैनिक अधिकारीगण भी हताहत हुए।
युद्ध के पूर्वी मोर्चे पर, भारतीय पूर्वी नवल कमान ने वाइस एड्मिरल नीलकांत कृष्णन के नेतृत्त्व में पूर्वी पाकिस्तान को बंगाल की खाड़ी में एक नौसैनिक अवरोध बनाकर पश्चिमी पाकिस्तान से एकदम अलग-थलग कर दिया। इससे पूर्वी पाकिस्तानी नौसेना एवं आठ विदेशी व्यापारिक जहाज भी वहीं फंस गये। ४ दिसम्बर से विमानवाहक पोत को तैनात किया गया और उसके सी-हॉक लड़ाकू बमवर्षकों ने चटगांव एवं कॉक्स बाज़ार सहित पूर्वी पाक के कई तटवर्त्ती नगरों व कस्बों पर हमला बोल दिया। पाकिस्तान ने बदले की कार्रवाई में को भेजा, को संदेहजनक परिस्थितियों में रास्ते में ही, विशाखापट्टनम के निकट डूब गयी। सेना के भी कई भाग हो जाने के कारण पाक नौसेना ने रियर एड्मिरल लेज़्ली मुंगाविन पर भरोसा किया, एवं पाकिस्तान मैरीन्स के द्वारा भारतीय सेना के विरुद्ध जलीय युद्ध (रिवराइन वारफ़ेयर) आरम्भ किया, किन्तु उसमें उन्हें आश्चर्यजनक भीषण हानि हुई। जिसका मुख्य कारण उन्हें बांग्लादेश की आर्द्र भूमि के अनुभव की कमी तथा अभियान युद्ध की बारे में अज्ञानता ही थे।
पाक नौसेना को हुई हानि में ७ तोपनावें, १ माइनस्वीपर, १ पनडुब्बी, २ ध्वंसक, ३ गश्तीदल वाहक नावें, तटरक्षकों के ३ गश्ती जहाज, १८ मालवाहक, आपूर्ति एवं संचार पोत, कराची बंदरगाह पर नौसैनिक बेसेज़ पर तथा डॉक्स पर हुए वृहत-स्तर की हानियां थीं। तटीय नगर कराची को भी काफ़ी हानि हुई। तीन मर्चेण्ट नेवी के जहाज – अनवर बख़्श, पास्नी एवं मधुमति – aएवं दस छोटे जहाज पकड़े भी गये थे। लगभग १९०० नौसैनिक लापता हुए, जबकि १४१३ सेवारत लोगों को भारतीय सेना ने ढाका में पकड़ा। एक पाकिस्तानी विज्ञ, तारिक क्ली के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी पाकिस्तान मैरीन्स की पूर्ण हानि हुई एवं लगभग आधी से अधिक नौसेना युद्ध में काम आ गयी।
वायु हमले
अब तक के चोरी-छिपे हमलों में मुँह की खाने के बाद एवं उसके परिणामस्वरूप भारतीय हमलों में हानि के बाद अब पाकिस्तान ने रक्षात्मक रुख अपना लिया जिसके चलते युद्ध क्जैसे जैसे बढ़ता गया भारतीय वायु सेना ने प्रत्येक मोर्चों पर पाकिस्तानी वायु सेना को कड़ी टक्कर दी और अब पाकिस्तान के द्वारा हमले दिन-प्रतिदिन घटते जा रहे थे। भारतीय वायुसेना ने लगभग ४००० से अधिक उड़ानें भरीं जबकि पाक वायुसेना ने उसकी जवाबी कार्रवाई नामलेवा ही की, जिसका आंशिक कारण गैर-बंगाली तकनीकी लोगों की अति-न्यून उपलब्धि भी रही
इस तरह युद्ध में पीछे हटने का उत्तरदायी, पाक वायु मुख्यालय के अपने नुकसान को कम करने के निर्णय को भी टहराया जाता है; क्योंकि बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष के दौरान भी भारी हानि उठायी थीं। पाक वायु सेना ने भारतीय वायुसेना के द्वारा कराची बंदरगाह को दो बार भारी नुक्सान पहुंचाये जाने के बाद भारतीय नौसेना से सम्पर्क लगभग बंद ही कर दिये, किन्तु पाक वायुसेना ने इसके बदले में ओखा बंदरगाह पर हमला बोला एवं उन ईंधन भण्डारों को नष्ट किया जिसने पाक पर हमला करने वाली नावें आदि आपूर्ति लेती थीं।
इधर पूर्व में नं.१४ स्वाड्रन टेल चॉपर्स जो स्क्वाड्रन लीडर परवेज़ मेहन्दी कुरैशी, जिन्हें युद्ध बंदी बना लिया गया था, के नेतृत्त्व में थी, उसको नष्ट-भ्रष्ट कर दिया गया। इसके बाद ढाका की पाक वायु सुरक्षा समाप्त होने से पूर्व में भारत का अधिकार सिद्ध हो गया।
युद्ध के अंत तक, पाक वायुसेना के विमानचालक पूर्वी पाकिस्तान से पड़ोसी देश बर्मा में बच निकले, एवं बहुत से पाक वायुसेना के लोग पूर्व से बर्मा के लिये ढाका के भारतीय अधिकृत होने से पूर्व ही पलायन कर चुके थे।
पाकिस्तान पर भारतीय हमले
पूर्वी पाकिस्तान पर पकड़ मजबूत होने के बाद भी भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर अपने हमले जारी रखे}। अब ये अभियान दिन में विमान-भेदी तोपों, रडार-भेदी विमानों एवं लड़ाकू जेट विमानों के पास-पास से निकलने वाले आक्रमणों की श्रेणी तथा रात्रि में विमानक्षेत्रों, हवाईपट्टियों, एयरबेसेज़ पर हमलों तथा पाकिस्तानी बी-५७ व सी-१३० और भारतीय कॅनबरा व एएन-१२ के बीच भिड़तों की शृंखला में बदलता जा रहा था।
पाक वायुसेना ने अपने वायु बेसेज़ की आंतरिक सुरक्षा एवं रक्षात्मक गश्ती दल हेतु एफ़-६ तैनात करे शुरु किये, किन्तु अधिमान्य वायु श्रेष्ठता के अभाव में वह प्रभावी आक्रामक अभियान नहीं चला पा रहा था, अतः उसके आक्रमण अधिकतर प्रभावहीन ही रहे थे। भारतीय वायुसेना ने एक संयुक्त राज्य वायुसेना एवं एक संयुक्त राष्ट्र विमान को डाका में नष्ट कर दिया एवं इस्लामाबाद में कनाडा के रॉयल कनाडा वायुसेना के डीएचसी-४ कॅरिबोउ के साथ खड़े हुए सं.राज्य मिलिट्री के सम्पर्क प्रमुख ब्रिगेडियर-जनरल चुक यीगर के निजी सं.राज्य वायुसेना से लिये हुए बीच यू-८ सहित दोनों को उड़ा डाला। इसके बाद भी भारतीय वायुसेना द्वारा पाक वायुसेना पर पाकिस्तान में उनके हवाई-अड्डों पर छिटपुट छापे जैसे हमले युद्ध के अंत तक जारी रहे। इनमें सेना का पूरा हस्तक्षेप तथा सहयोगबना रहा।
पाकिस्तानी वायुसेना ने इस अभियान में अत्यधिक सीमित भाग लिया, इनके सहयोग में जॉर्डन से एफ़-१०४, मध्य-पूर्व के एक अज्ञात सहयोगी (अभी तक) द्वारा मिराज विमानों तथा साउदी अरब से एफ़-८६ विमान आते रहे। इनके आगमन से पाकिस्तानी वायुसेना की क्षमता एवं हानि पर से पूर्ण रूप से पर्दा नहीं हट सका। लीबियाई एफ़-५ विमानों को संभवतः एक संभावित प्रशिक्षण इकाई के रूप में सरगोधा बेस पर तैनात किया गया जो पाकिस्तानी विमानचालकों को साऊदी अरब से और एफ़-५ विमानों की आवक हेतु प्रशिक्षित कर सकें। भा.वा.सेना कई प्रकार के कार्य सफ़लतापूर्वक करती रही, जैसे – सैनिकों को सहायता पहुंचाना; हवाई मुकाबले, गहरी पैठ वाले हमले, शत्रु ठिकानों के निकट पैरा-ड्रॉपिंग; वास्तविक लक्ष्य से शत्रु सेनानियों को दूर रखने, बमबारी और टोह लेने के कार्य। इसके मुकाबले पाक वायुसेना जो मात्र हवाई हमलों में केन्द्रित रही, युद्ध के प्रथम सप्ताह तक महाद्वीपीय आकाश से विलुप्त हो चली थी। जो कोई पाक सेना विमान बचे भी थे, उन्होंने या तो ईरानी वायुबेस में शरण ली या कंक्रीट के बंकरों में जा छिपे व आगे किसी हमले से हाथ ही खींच लिया।
युद्ध के आक्रमण आधिकारिक रूप से १५ दिसम्बर को ढाका पर अधिकार एवं भारत के पाकिस्तान की भूमि पर बड़े स्तर पर अधिकार के दावे के उपरान्त (हालांकि युद्धोपरान्त पुनः युद्ध-पूर्व सीमाएं स्थापित कर दी गईं) १७ दिसम्बर १९७१ को १४:३० (यूटीसी) बजे पाकिस्तान के पूर्वी भाग को बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता की घोषणा के बाद बंद किये गए। भारत ने पूर्व में १,९७८ उड़ानें भरीं और पश्चिम में पाकिस्तान पर ४,०००; जबकि पाकिस्तान ने लगभग पूर्व में ३० तथा पश्चिमी मोर्चे पर २,८४०। ८०% से अधिक भारतीय वायुसेना की उड़ानें पुरी सहायता सहित एवं चौकी के नियंत्रण में रहीं, और लगभग ४५ विमान लापता हो गये।
पाक ने ४५ विमान खोये जिनमें उन एफ़-६, मिराज ३, या ६ जॉर्डनियाई एफ़-१०४ की गिनती नहीं हैं जो अपने दानदाताओं के पास कभी नहीं पहुंच पाये। उड़ानों की हानि में इतने बड़े स्तर के असन्तुलन का कारण भा.वा.सेना के उल्लेखनीय स्तर की बड़ी उड़ान दर तथा उनके भूमि मार पर जोर देने के कारण कहा जा सकता है। भूमि के मोर्चों पर पाक के ८,००० सैनिक मृत एवं २५,००० घायल हुए जबकि भारत के ३,००० सैनिक मृत तथा १२,००० घायल हुए। सशस्त्र वाहनों की क्षति भी इसी प्रकार असन्तुलित ही थी और इसी से अन्त में पाकिस्तान की भारी हार को आंका जाता है।
भूमि आक्रमण
युद्ध पूर्व भारतीय सेनाएं दोनों मोर्चों पर अति सुव्यवस्थित तरीके से आयोजित थीं और पाक सेना की तुलना में इनकी मात्रा भी कहीं अधिक थी। भारतीय सेना के युद्ध में असाधारण युद्ध प्रदर्शन ने उसकी चीन के संग युद्ध के समय खोई प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास, और गरिमा वापस लौटा दी थी।
इनकी आपसी मुठभेड़ के आरम्भ होने के कुछ ही समय में भारत एवं उनके बंगाली विद्रोही साथियों के पक्ष में निर्णायक करवट ले ली थी। दोनों ही मोर्चों पर पाकिस्तान ने कई बार भूमि के हमले किये, किन्तु भारतीय सेना के दोनों ही मोर्चों पर सुसमन्वित भूमि संचालन के आगे उनकी हिम्मत एवं भूमि दोनों ही भारतीयों के आगे हारे गये। पाकिस्तान द्वारा बड़े स्तर के भूमि हमले पश्चिमी मोर्चों पर पाकिस्तान मरीन्स (दक्षिणी सीमा पर) के संग किये गए किन्तु भारतीय सेनाएं पाक भूमि पर घुसने व अधिकार जमाने में बड़े स्तर पर सफ़ल हुई तथा शीघ्र ही और आरम्भ में ही लगभग पाक भूमि अधीन पर ली जिनमें आजाद कश्मीर, पंजाब एवं सिंध के क्षेत्र आते हैं, किन्तु बाद में १९७२ के शिमला समझौते के अन्तर्गत्त सद्भावना के रूप में वापस कर दिये गए। पाक सेना के प्रथम कॉर्प एवं द्वितीय कॉर्प में हताहतों की संख्या काफ़ी बड़ी थी। इसमें बहुत से सैनिकों की हानि का कारण भारतीय सेना की दक्षिणी एवं पश्चिमी कमान के विरुद्ध हमलों में मात्र सेना की आंतरिक संरचना के परिचालन योजना और समन्वय की कमी थे। युद्ध के अंत आते आते पश्चिमी मोर्चे पर पाक सेना के सैनिकों तथा मरीन्स भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत ही हतोत्साहित हो चुकी थी और अब उनमें आगे बढ़ती भारतीय सेना का सामना करने को कोई भी उत्साह न हिम्मत शेष थी।
युद्ध जाँच समिति ने बाद में यह तथ्य भी उजागर किया कि पाकिस्तान की सेनाओं के लिये प्रत्येक स्तर एवं प्रत्येक कमान स्तर पर सैनिकों हेतु पर्याप्त शस्त्रों एवं प्रशिक्षण की गहन आवश्यकता थी।
२३ नवंबर १९७१ को भारतीय सेनाओं ने पूर्ण रूप से पूर्वी मोर्चे पर प्रवेश किया एवं पूर्वी पाकिस्तान की सीमाओं में घुस कर बंगाली राष्ट्रावादी संघर्षकर्ता साथियों का साथ दिया। १९६५ के युद्ध से अलग, जिसमें धीमी गति से आगे बढ़त ली थी, इस बार अपनायी गई रणानीति में तेजी थी, नौ पैदल सेना टुकड़ियों के साथ संलग्न बख्तरबंद इकाइयों एवं इनके सहायक वायु हमलों के साथ भारतीय सेनाओं ने शीघ्र ही पूर्वी पाकिस्तान की तत्कालीन राजधानी ढाका तक पहुंच बनायी। भारतीय सेना की पूर्वी कमान के जनरल ऑफ़िसर मुख्य कमान अध्यक्ष लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने पूर्वी पाकिस्तान पर पूरा जोर लगाकर आक्रमण किया और इनकी सहायता में वायुसेना ने त्वरित गति से पाकिस्तानी पूर्वी कमान के उपस्थित छोटे-छोटे हवाई दलों को नष्ट कर डाला जिससे ढाका वायुक्षेत्र का प्रचालन एकदम स्तंभित हो गया। इस बीच भारतीय नौसेना ने पूर्वी पाकिस्तान को समुद्री मार्ग पर प्रभावी रूफ से बाधित कर दिया।
भारतीय अभियानों में "ब्लिट्ज़क्रीग" तकनीकें अपनायी, जिसके अन्तर्गत्त शत्रु के स्थानों में कमजोरी व्याप्त कर, उनके विरोध से बचते हुए शीघ्रता से विजय प्राप्त की गयीं। असहनीय एवं अत्यंत हानि झेलने के बाद पाकिस्तानी सेनाओं ने एक पखवाड़े के अन्दर ही समर्पण कर दिया एवं पूर्वी कमान के सैन्य अधिकारियों के मन में एक डर एवं आतंक बैठ गया। पूर्व में भारतीय सेना की बढ़त से पाकिस्तानोयों में एक मनोवैज्ञानिक डर उपजा जिससे उन पाकिस्तानी सैनिकों में हतोत्साह का संचार हुआ। इसके बाद १६ दिसम्बर १९७१ को भारतीय सेनाओं ने ढाका को घेर लिया और अन्ततः मात्र ३०-मिनट में समर्पण कर देने अन्तिमेत्थम जारी किया। इस अन्तिमेथम कि घोषणा को सुनने के बाद, पूर्वी पाकिस्तान में तैनात अपने लेफ़्टि-जनरल आमिर अब्दुल्लाह खान नियाज़ी के नेतृत्व में पाकिस्तानी पूर्वी कमान ने बिना किसी विरोध के समर्पण कर दिया। १६ दिसम्बर १९७१ को पाकिस्तान ने अन्ततः एकतरफ़ा युद्ध-विराम की घोषणा कर दी एवं इसके साथ ही अपनी संयुक्त थल सेना को भारतीय सेना को सौंप दिया जिसके साथ ही १९७१ का भारत-पाक युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया।
पाक पूर्वी कमान का पूर्वी पाकिस्तान में समर्पण
आधिकारिक रूप से पूर्वी पाकिस्तान स्थित पूर्वी कमान द्वारा भारतीय पूर्वी कमान के जन.आफ़िसर कमाण्ड-इन चीफ़ लेफ़्टि-जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा एवं पाक पूर्वी कमान के कमाण्डर, लेफ़्टि.जन ए ए के नियाज़ी के बीच रमणा रेसकोर्स, ढाका में १६:३१ बजे (भामास) समर्पण अभिलेख पर हस्ताक्षर हुए। भारतीय लेफ़्टि.जन.अरोड़ा द्वारा समर्पण अभिलेख पर बिना कुछ बोले हस्ताक्षर कर दिये गए, रेसकोर्स में व उसे घेरे हुए खड़ी बड़ी भीड़ में पाकिस्तान विरोधी नारे लगने लगे तथा प्राप्त रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी मिलिट्री के समर्पण करते कमाण्डरों के विरुद्ध अपशब्द भी ऊंचे स्वरों में बोले गये।
समर्पण होने पर भारतीय सेना ने लगभग ९०,००० से अधिक पाक सैनिक एवं उनके बंगाली सहायकों को युद्धबंदी बना लिया। यह द्वितीय विश्व युद्ध से अब तक का विश्व का सबसे बड़ा समर्पण था। आरम्भिक णनाओं के अनुसारलगग ~७९,६७६ व्दीधार सैनिक, जिनें से५५,६९२ पाकिस्तान सेनाके सैनिक थे, १६,३५४ अर्द्धसैनिक बल, ५,२९६ पुलिस, १,००० नौसैनिक एवं ८०० पाक वायु सैनिक थे।
इनके अलावा शेष बंदी सामान्य नागरिक थे जो या तो इन सैनिकों के निकट सम्बन्धी थे या उनके सहायक (रज़ाकर) थे। हमुदूर रहमान आयोग एवं युद्धबन्दी जाँच आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान द्वारा सौंपी गयी युद्धबन्दियों की सूचियों में: सैनिकों के अलावा १५,००० बंगाली नागरिकों को भी युद्धबन्दी बना लिया गया था।
प्रभाव
2 जुलाई 1 9 72 को, भारत-पाकिस्तानी शिखर शिमला, हिमाचल प्रदेश में शिमला में आयोजित किया गया था, भारत में शिमला समझौता पर हस्ताक्षर किए गए थे और राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो और प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के बीच हर राज्य की एक सरकार एक डिपॉजिटरी भूमिका निभाते थे। इस संधि ने बांग्लादेश को बीमा प्रदान किया था कि पाकिस्तान ने पाकिस्तानी सैनिकों की वापसी के बदले बांग्लादेश की संप्रभुता को मान्यता दी थी क्योंकि भारत 1 9 25 में जेनेवा कन्वेंशन के अनुसार युद्ध कैदियों के साथ व्यवहार कर रहा था। केवल पांच महीनों में, भारत ने लेफ्टिनेंट-जनरल एए.के. के साथ व्यवस्थित रूप से 9 0,000 से अधिक युद्ध कैदियों को जारी किया। नियाज़ी पाकिस्तान को सौंपे जाने वाले अंतिम युद्ध कैदी हैं।
इस संधि ने 13,000 वर्ग किमी से भी ज़्यादा जमीन वापस कर दी जो युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में जब्त की थी, हालांकि भारत ने कुछ रणनीतिक क्षेत्र (तुरतुक, थांग , त्याक्षी (पूर्वी तियाक़ी) और चोरबत घाटी के चुलुंका सहित) को बरकरार रखा है, जो कि 804 वर्ग किमी से अधिक था। भारतीय राष्ट्रवादियों ने हालांकि महसूस किया कि यह संधि राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो के लिए बहुत ही उदार थी, जिन्होंने उदारता के लिए अनुरोध किया था, उनका तर्क था कि अगर पाकिस्तान में नाजुक स्थिरता कम हो जाती तो समझौता पाकिस्तानियों द्वारा अत्यधिक कठोर होने के रूप में माना जाता था और वह आरोपी होगा पूर्वी पाकिस्तान के नुकसान के अलावा कश्मीर को खोने का। जिसके परिणामस्वरूप प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की भूटो की 'मीठी बात और झूठी शपथ' के विश्वास के लिए भारत के एक सेक्शन की आलोचना की गई, जबकि अन्य खंड ने दावा किया कि इसे "वर्साइल सिंड्रोम" जाल में गिरने के लिए सफल नहीं होने के कारण।
विदेशी प्रतिक्रिया और अन्तर्भावितता
संयुक्त राज्य एवं सोवियत संघ
सोवियत संघ ने पूर्वी पाकिस्तान से सहानुभूति दिखाते हुए भारतीय सेना एवं मुक्ति बाहिनी द्वारा पाकिस्तान के विरुद्ध हमले का समर्थन किया क्योंकि व्यापक रूप से उसे लगा कि पूर्व पाकिस्तान की बांग्लादेश के रूप में पहचान संघ के प्रतिद्वंदियों—संयुक्त राज्य एवं चीन की स्थिति को कमजोर कर देगी। सोवियत संघ ने भारत को युद्ध पूर्व कड़ा आश्वासन दिया था कि भविष्य में यदि इस युद्ध के कारण सं.राज्य या चीन से टकराव की स्थिति बनी तो वह भारत के समर्थन में उससे निबटने के उपाय करेगा। ये आश्वासन अगस्त १९७१ में की गयी भारत-सोवियत मैत्री एवं सहयोग संधि के रूप में सुरक्षित एवं सुनिश्चित किये गए थे।
हालांकि भारत-सोवियत संधि के तहत भारत की प्रत्येक स्थिति के लिये सोवियत संघ की कोई प्रतिबद्धता नहीं थी, जबकि लेखक रॉबर्ट जैकसन के अनुसार संघ ने संघर्ष के दौरान भारती की स्थिति को स्वीकार कर लिया था। सोवियत संघ ने पाकिस्तान के प्रति मध्य-अक्तूबर तक अपना सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार ही बनाये रखा था। अक्तूबर के मध्य में संघ ने पाकिस्तान को राजनीतिक समझौते कर मामले को सुलझाने पर जोर दिया, जिसके उपरान्त ही वह पाकिस्तान को अपनी औद्योगिक सहायता जारी रखने की पुष्टि करेगा। नवम्बर १९७१ में पाकिस्तान में सोवियत राजदूत ने एक गुप्त सन्देश (रोदियोनोव सन्देश) के द्वारा पाकिस्ताण को सूचित चेतावनी दी कि "यदि उपमहाद्वीप में तनाव और बढ़ता है तो वह पाकिस्तान के लिये एक आत्मघाती कार्यकलाप सिद्ध होगा।
संयुक्त राज्य पाकिस्तान के प्रति नैतिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं, भौतिक रूप से समर्थन में रहा एवं तत्कालीन यू.एस राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन एवं उनके राज्य सचिव हेनरी किसिन्जर ने इस वृहत स्तर के सिविल युद्ध को रोकने हेतु हस्तक्षेप करने के लिये एक आशापूर्ण प्रयास से एकदम मना कर दिया। सं.राज्य इस भुलावे में रहा कि उन्हें दक्षिण एशिया में भारत के साथ सोवियत प्रभाव एवं अनौपचारिक मैत्री को इस प्रकार रोकने में पाकिस्तान की आवश्यकता होगी। शीत युद्ध के समय पाकिस्तान संयुक्त राह्य का एक औपचारिक साथी रहा था उसके चीन के संग भी घनिष्ठ सम्बन्ध रहे थे, जिनके द्वारा सं.राज्य चीनी-अमरीकी मेल-मिलाप को बढ़ावा देने हेतु निक्सन फरवरी १९७२ में यहां की यात्रा करने को भी उत्सुक था। निक्सन को यह भय था कि पाक पर भारतीय आक्रमण इस क्षेत्र में सोवियत वर्चस्व को बढ़ावा देगा, जिससे सं.राज्य की वैश्विक सत्ता स्थिति पर एवं साथ ही अमेरिका की यहां क्षेत्रीय स्थिति पर और उनके नये साथी चीन के संग उनके सम्बन्ध पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। निक्सन ने जॉर्डन एवं ईरान को पाकिस्तान की सहायता के लिये सैन्य सहायता भेजने पर जोर दिया तथा चीन को भी पाकिस्तान के लिये हथियार भेजने पर जोर दिया, हालांकि ये सभी आपूर्तियां बहुत सीमित रहीं। निक्सन प्रशासन द्वारा पाक सेना द्वारा पूर्वी पाकिस्तान में किये जा रहे नरसंहार की रिपोर्ट्स की भी अवहेलना की गयी, जिसकी यूनाइटेड स्टेट्स कॉंग्रेस तथा अन्तर्राष्ट्रीय प्रेस द्वारा कड़ी निन्दा की गयी।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत]] जॉर्ज बुश, सीनियर ने संयुक्र्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत-पाक के बीच युद्ध-बन्दी करने और दोनों को अपनी-अपनी सेनाएं हटाने के लिये एक प्रस्ताव रखा।
इन्हें भी देखें
लोंगेवाला का युद्ध
बोगरा का युद्ध
बॉर्डर (1997 फ़िल्म)
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Video of General Niazi Surrendering
साभार: Indo-Pakistani War of 1971- लेख- अंग्रेज़ी विकिपीडिया पर।
An Atlas of the 1971 India - Pakistan War: The Creation of Bangladesh by John H. Gill
Actual conversation from the then US President Nixon and Henry Kissinger during the 1971 War - US Department of State's Official archive.
Indian Army: Major Operations
Pakistan: Partition and Military Succession USA Archives
Pakistan intensifies air raid on India BBC
A day by day account of the war as seen in a virtual newspaper.
The Tilt: The U.S. and the South Asian Crisis of 1971.
16 दिसम्बर 1971: any lessons learned? By Ayaz Amir - Pakistan's Dawn (newspaper)
India-Pakistan 1971 War as covered by TIME
Indian Air Force Combat Kills in the 1971 war (unofficial), Centre for Indian Military History
Op Cactus Lilly: 19 Infantry Division in 1971, a personal recall by Lt Col Balwant Singh Sahore
All for a bottle of Scotch, a personal recall of Major (later Major General) C K Karumbaya, SM, the battle for Magura
TIME Magazine article from 20 दिसम्बर 1971 describing the War
TIME Magazine article from 20 दिसम्बर 1971 critical of the US policy during this war
बांग्लादेश
भारत-पाक युद्ध
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लोकसभा चुनाव प्रचार में रंग जमाने के लिए तमाम पार्टियां बॉलीवुड सितारों को सड़कों पर उतारने की कोशिश करती हैं. इसी कड़ी में सोशल मीडिया पर एक दावा किया गया है कि अभिनेता अजय देवगन मुंबई पश्चिम से कांग्रेस उम्मीदवार प्रिया दत्त के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने अपनी जांच में पाया कि ये दावा गलत है. अजय देवगन किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर रहे हैं.
कांग्रेस नेता प्रिया दत्त के साथ अभिनेता अजय देवगन की एक फोटो खूब वायरल हो रही है, जिसमें वो भीड़ के बीच दिख रहे हैं. कांग्रेस, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के फैन्स के अलग-अलग फेसबुक पेज पर इसे खूब शेयर किया जा रहा है. 'राहुल गांधी समर्थक' नाम के फेसबुक पेज पर 2 अप्रैल को ये फोटो अपलोड की गई. इस पेज को 2 लाख 60 हजार 586 लोग फोलो करते हैं.
इस पोस्ट
को स्टोरी के लिखे जाने तक 3700 लोगों ने शेयर किया. यही पोस्ट इसी दावे के साथ 'प्रियंका गांधी' का समर्थन करने वाले एक पेज पर भी देखा जा सकता है.
ये पोस्ट
भी 2 अप्रैल को किया गया है. इस खबर के लिखे जाने तक इस तस्वीर को 1700 लोग शेयर कर चुके थे. इस फोटो में प्रिया दत्त के दुपट्टे पर भारत का झंडा लगा हुआ है. वहीं, अजय देवगन की हल्की मूंछे हैं और वो सफेद रंग की शर्ट के साथ गॉगल पहने हुए हैं.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने सबसे पहले फोटो का रिवर्स सर्च किया, तो पाया कि ये फोटो कहीं और नहीं है, लेकिन इसके जैसी कई फोटो इंटरनेट पर मौजूद हैं, जिसमें लिखा है कि यह तस्वीर मुंबई में 26 जनवरी 2013 को झंडा फहराने के समय ली गई थी.
साल 2013 के गणतंत्र दिवस के दौरान मुंबई के एक इलाके में उस समय के कांग्रेस विधायक कृष्णा हेगडे ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें अजय देवगन और उस समय की कांग्रेस सांसद प्रिया दत्त ने भी शिरकत की थी. इससे जुड़ी खबरें और ढ़ेर सारी तस्वीरें
यहां
और
यहां
देखी जा सकती हैं.
प्रिया दत्त ने हाल ही में नामांकन पत्र भरने के बाद कैम्पेनिंग शुरू की है. नामांकन के दिन
उनके भाई अभिनेता संजय दत्त उनके साथ
ज़रूर थे, पर बॉलीबुड का कोई और अभिनेता प्रिया दत्त के लिए फिलहाल कैंपेनिंग करता नहीं दिखा.
इन दिनों अजय देवगन मुंबई में ही हैं, पर वो अपनी फिल्म तानाजी की शूटिंग में व्यस्त हैं, जिसकी खबर
यहां
पढ़ी जा सकती है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने अजय देवगन की टीम से बात की, तो उनके प्रवक्ता पराग देसाई ने कहा, 'फिलहाल अजय देवगन अपनी फिल्म में व्यस्त हैं और वो किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए कैंपेनिंग नहीं कर रहे हैं.'
जाहिर है कि वायरल तस्वीर पुरानी है और इस फेसबुक पोस्ट में किया गया दावा गलत है.
(पिया हिंगोरानी के इनपुट के साथ)
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13 अप्रैल 2017 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने दूसरा सबसे बड़ा गैर-परमाणु बम गिराय जिसे जीबीयू-43/ बी एयर ब्लास्ट के रूप में भी जाना जाता है। अमेरिका द्वारा गिराए गये इस बम का उद्देश्य पूर्वी अफगानिस्तान के नांगहार प्रांत के अचिंन जिले में आईएसआईएस द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरंग परिसरो को नष्ट करने के लिए गिराया गया था आईएसआईएस ने इस क्षेत्र में 2015 कब्जा किया था जो किसी अरब क्षेत्र के बहार आईएसआईएस की पहली शाखा थी।
हथियार
जीबीयू -43 एक 9797 किग्रा भार, और जीपीएस- निर्देशित बम है, अमेरिका के शस्त्रागार में सबसे शक्तिशाली पारंपरिक बम है, पहले मार्च 2003 में परीक्षण किया गया, इराक युद्ध की शुरुआत से कुछ दिन पहले उपयोग किया गया था। ये बम बड़े आकार का होने के कारण इसे केबल बड़े कार्गो विमान के पिछले हिस्से में ही ढोकर ले जाया जा सकता है और कार्गो विमान के पिछले हिस्से से ही दागा जा सकता है।
सन्दर्भ
अफगानिस्तान
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गौरतलब है कि कर्नाटक में इन दिनों काफी हलचल देखने को मिली है. भाजपा और कांग्रेस-जेडीएस एक दूसरे पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था. कांग्रेस और जेडीएस ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि भाजपा ऑपरेशन लॉटस चलाकर कर्नाटक सरकार को गिराना चाहती है. शुक्रवार को कुमारस्वामी ने दावा किया था कि जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार को गिराने के लिए विपक्षी भाजपा अपना ऑपरेशन लोटस जारी रखे हुए है. साथ ही कहा था कि भाजपा ‘उपहार' के माध्यम से कांग्रेस विधायक को अपने पाले में लाने का प्रयास किया है. हालांकि, भाजपा ने इस आरोप को खारिज कर दिया है.
#WATCH: Karnataka CM HD Kumaraswamy says "...If they want to continue with the same thing, I am ready to step down. They are crossing the line", when asked 'Congress MLAs are saying that Siddaramaiah is their CM'.' pic.twitter.com/qwErh4aEq4
गुरुवार रात कथित रूप से की गई इस पेशकश के पीछे भाजपा और उसके प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा के होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि विधायक ने उन्हें बताया कि उन्होंने उपहार ठुकरा दिया. इस दावे को बकवास करार देते हुए येदियुरप्पा ने पलटवार किया कि कुमारस्वामी ने एक भाजपा विधायक को लालच देने की कोशिश की. कुमारस्वामी ने कहा, ‘ऑपरेशन लोटस जारी है. कल रात भी उन्होंने (भाजपा वालों ने) एक कांग्रेस विधायक को फोन कर उनसे पूछा कि कहां उपहार भेजना है.' मुख्यमंत्री का नया आरोप तब आया है जब कुछ ही दिन पहले येदियुरप्पा ने कहा था कि भाजपा सत्तारुढ़ गठबंधन को अस्थिर नहीं करेगी.
हाल ही में कर्नाटक कई दिनों तक राजनीतिक अशांति की गिरफ्त में था. दो निर्दलीय विधायकों के गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा द्वारा गठबंधन सरकार के विधायकों को अपने पाले में करने की कथित कोशिश को लेकर कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट रखने में जी-तोड़ प्रयास में लगी रही. जब कुमारस्वामी से उपहार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘अनुमान लगाना तो कठिन है लेकिन आप चकित रह जायेंगे.' वैसे उन्होंने इसका ब्योरा नहीं दिया. इस आरोप पर येदियुरप्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री बकवास आरोप लगा रहे है. यह अपनी विफलताओं से लोगों का ध्यान भंग करने की कोशिश है.
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महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन की गुत्थी आखिरकार सुलझ गई. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को दोनों दलों का गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में बरकरार रहने की घोषणा की. महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में शिवसेना 23 और बीजेपी 25 सीटों पर लड़ेगी. फडणवीस ने कहा कि 'अब हमारे बीच कोई गलतफहमी नहीं है.' सीएम देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन की स्थित भी साफ कर दी. उन्होंने कहा कि 'प्रदेश में हमारे जो मित्र हैं उनकी सीटें छोड़कर बीजेपी और शिवसेना आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ेगी.'
बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दोनों दलों के बीच बनी सहमति का खुलासा किया. फडणवीस ने कहा कि 'शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी का 25 साल से गठबंधन है. कुछ मुद्दों पर मतभेद हुआ होगा, पर सैद्धांतिक रूप से दोनों हिंदुत्ववादी हैं, इसलिए हम इतने सालों तक साथ रहे. विधानसभा चुनाव हम साथ नहीं लड़े लेकिन उसके बाद केंद्र और राज्य में हम साथ में सरकार चला रहे हैं.'
फडणवीस ने कहा कि 'राष्ट्रीय विचार की पार्टियों को एक साथ आना चाहिए. ऐसी जनभावना है उसे हमने कायम रखा है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर चर्चा हुई. किसानों का हित ध्यान में रखकर फैसला हुआ है.'
उन्होंने कहा कि 'अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए उद्धव जी ने मांग की है. हमारा भी यही उद्देश्य है. महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज किसान कर्जमाफी योजना के तहत कर्जमाफी दी गई. कुछ लोग तकनीकी कारणों की वजह से मदद से वंचित हैं, उस पर उद्धव जी ने ध्यान दिलाया है. हम उस पर उचित कार्यवाही करेंगे.'
उन्होंने कहा कि 'नाणार प्रकल्प को लेकर शिवसेना की अपत्ति थी, हमने काम रोक रखा था. जहां के लोग परियोजना के लिए तैयार होंगे वहां ही परियोजना लागू की जाएगी.' देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इसके बाद शिवसेना-बीजेपी के नेता राज्य के सूखा ग्रस्त इलाकों में जाएंगे.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि स्वाभाविक है गठबंधन करना है तो क्यों और नहीं तो क्यों? ये सवाल है. मैंने पंढरपुर की सभा में भी कहा था कि कर्जमुक्ति, फसल बीमा योजना में खामियां, इसके साथ ही राम मंदिर का मुद्दा.मुख्यमंत्री ने कहा कि अविवादित जमीन के मुद्दे को केंद्र सरकार आगे बढ़ा रही है. नाणार प्रकल्प को कहीं और ले जाने की बात पर मुख्यमंत्री का आभार मानते हैं हम.
उन्होंने कहा कि विधानसभा में विभाग और जिम्मेदारी बराबर होगी. देश में बीजेपी और शिवसेना को हराने के लिए अलग विचार की पार्टियां अगर साथ आ सकती हैं तो समान विचार वाली पार्टियां क्यों नहीं साथ आ सकती हैं. जो हुआ वो हुआ लेकिन अब साफ मन से आगे बढ़ेंगे.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सभी कार्यकर्ता चाहते थे कि दोनों पार्टी साथ में लड़ें और केंद्र और राज्य में फिर से सरकार बनाएं. शिवसेना और अकाली दल ने हमेशा बीजेपी का साथ दिया है. ये सिर्फ राजनीतिक युति नहीं सिद्धांतों के आधार पर है. शिवसेना-बीजेपी कम से कम 45 सीटों पर जीतेगी.
उन्होंने कहा कि मैं पुणे में कही गई अपनी बात फिर से दोहराता हूं. अब शिवसेना के साथ आने के बाद इसमें कोई कमी नहीं होगी. भ्रष्टाचार से लड़ने में दोनों पार्टियों ने बड़ा काम किया है. मनमुटाव को समाप्त करने में बड़े हृदय के साथ सेना प्रमुख ने काम किया है. हमारी पार्टी के लोगो ने भी संयम रखा.
गठबंधन की घोषणा से पहले पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को नमन किया गया. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को पुष्पमाला अर्पित की गई. स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर और बाल ठाकरे की प्रतिमा पर पुष्प माला अर्पित की गई. इस मौके पर मनोहर जोशी, आदित्य ठाकरे, रावसाहब दानवे , प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल आदि भी उपस्थित थे.
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बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. अब पूर्व बीसीसीआई चीफ शरद पवार ने भी श्रीनिवासन पर निशाना साधा है.
शरद पवार ने बुधवार को प्रेस कॉन्फेंस कर कहा कि श्रीनिवासन को मामले की जांच होने तक इस्तीफा दे देना चाहिए. पवार ने कहा कि मै उनकी जगह होता तो ये सब नहीं होता.
पवार ने पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर के सुझाव का समर्थन किया जिसके मुताबिक आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले की जांच गृह मंत्रालय से करानी चाहिए. पवार के मुताबिक आईपीएल के सभी मैचों की जांच होनी चाहिए.
शरद पवार ने कहा कि मैं इस पूरे विवाद से आहत हूं. इससे भारतीय क्रिकेट की छवि को झटका लगा है. उन्होंने इस स्थिति के लिए एन श्रीनिवासन को जिम्मेदार ठहराया.
गौरतलब है कि सट्टेबाजी प्रकरण में दामाद गुरुनाथ मयप्पन की गिरफ्तारी के बाद से श्रीनिवासन पर इस्तीफा देने का दबाव है. पर वह इससे इनकार करते रहे हैं.
आपको बता दें कि मंगलवार को बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा विरोध की आवाज उठाने के बाद बुधवार को राजीव शुक्ला ने उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन की सट्टेबाजी प्रकरण में भूमिका पर जांच प्रक्रिया से उन्हें दूर रहने की सलाह दी. वहीं, खेल मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने भी उनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने को कहा.
इन सबके बीच श्रीनिवासन ने इस्तीफा देने से इनकार कर रहे हैं. अपना बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता. मेंरे ऊपर कोई आरोप नहीं है. इसके अलावा जांच प्रक्रिया से भी मैंने खुद को दूर रखा है.
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सोशल वेबसाइट्स पर हॉलीवुड की कई एक्ट्रेस की न्यूड फोटो लीक हो गई है. इनमें जेनिफर लॉरेंस, केट अपटोन, मेरी विनस्टेड, अरायना ग्रांड और अन्य अन्य का नाम शामिल है. न्यूड तस्वीरों को '4चैन' नाम की वेबसाइट पर शेयर किया गया है.
बताया जाता है कि एक्ट्रेस की न्यूड तस्वीरें आईक्लाउड हैक के जरिए पोस्ट की गई हैं. सूत्रों की मानें तो आईक्लाउड हैक के जरिए इन सिलेब्रिटीज के फोन से उनकी न्यूड तस्वीरों को हैक किया गया है. '4चैन' वेबसाइट पर शेयर की गई इन तस्वीरों के यूजर्स 'इमगर' और 'रेडीट' नाम की दो और वेबसाइट से जुड़ जाते हैं. इस तरह तस्वीरें ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर हो जाती हैं. वेबसाइट्स के मिलियन यूजर्स हैं.
न्यूड तस्वीरों के लीक होने की इस घटना के कारण ट्विटर पर भी कमेंट का दौर जारी है. लोगों ने इस रूप में अपनी प्रतिक्रिया दी है.
Jennifer Lawrence nude photos have leaked on the internet.Kudos to you Jennifer, I guess you're going to be super famous now.
— Jeff Dwoskin (@bigmacher)
August 31, 2014
Jennifer Lawrence's nude photos just got leaked but Obama keeps playing golf.
— Simmy Kustanowitz (@simmykay)
September 1, 2014
तस्वीरों को लेकर अफवाएं यह भी हैं कि इन एक्ट्रेस के एक्स ब्वॉयफ्रेंड्स ने बदले की भावना से न्यूड तस्वीरों को लीक करने का काम किया है.
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कर्ज में डूबी हुई एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज संकट में अब नया मोड़ आ गया है. कंपनी के चेयरमैन नरेश गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वहीं नरेश गोयल की पत्नी अनिता गोयल ने भी बोर्ड से दूरी बना ली है. वहीं जेट एयरवेज को बैंकों से तत्काल 1,500 करोड़ रुपये तक का आर्थिक मदद मिलेगी.जेट एयरवेज के निदेशक मंडल में बैंक दो सदस्यों को नामित करेंगे और एयरलाइन के दैनिक परिचालन के लिये अंतरिम प्रबंधन समिति बनाई जाएगी.
वहीं स्पाइसजेट के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह ने जेट एयरवेज के ताजा घटनाक्रम को दुखद करार दिया है. उन्होंने कहा कि आज एविएशन इंडस्ट्री के लिए बेहद दुखद दिन है. नरेश गोयल और अनिता गोयल ने वर्ल्ड क्लास एयरलाइन की शुरुआत कर भारत का मान बढ़ाया था. यह आर्थिक नीति बनाने वाले लोगों के लिए एक अलर्ट है.
बता दें कि जेट एयरवेज का नियंत्रण अभी तक नरेश गोयल के पास था जिनके पास 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है. अबुधाबी स्थित एतिहाद एयरवेज के पास 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है. बता दें कि पैसों की कमी की वजह से बीते कुछ दिनों में जेट एयरवेज ने अपनी 40 से ज्यादा विमानों को खड़ा कर दिया. जेट एयरवेज पर कर्ज की बात करें तो 8,200 करोड़ रुपये का है और उसे मार्च अंत तक 1,700 करोड़ रुपये भुगतान करने हैं.
इस्तीफा देने की क्या है वजह
दरअसल, बीते दिनों मीडिया में ऐसी खबरें आईं कि खाड़ी की एयरलाइन कंपनी एतिहाद एयरवेज नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज को उबारने के लिए 1,600 से 1,900 करोड़ रुपये का निवेश करने वाली है. इस निवेश के साथ ही यह शर्त थी कि नरेश गोयल को एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज के चेयरमैन पद से इस्तीफा देना होगा. इसके अलावा जिन बैंकों का कर्ज जेट एयरवेज पर है, उनका भी नरेश गोयल के इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा था.
जेट एयरवेज के शेयर में 17 फीसदी की तेजी
नरेश गोयल के इस्तीफे की खबर के बीच कारोबार के दौरान जेट एयरवेज के शेयर में 17 फीसदी तक का इजाफा हुआ. कारोबार के दौरान जेट एयरवेज का शेयर प्राइस 266 रुपये तक पहुंच गया जबकि बाजार बंद होने पर कंपनी का शेयर 254.50 रुपये के भाव पर रहा. जेट एयरवेज के शेयर में इतनी बड़ी बढ़ोतरी करीब दो महीने पहले देखने को मिली थी. जेट एयरवेज के शेयर का 52 हफ्ते का उच्चतम 650.50 रुपये है जबकि न्यूनतम स्तर 163 रुपये है. वर्तमान में कंपनी की मार्केट कैप 2,891.05 करोड़ है.
एसबीआई ने मदद के दिए थे संकेत
बीते हफ्ते देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) ने जेट एयरवेज को कर्ज के जंजाल से निकालने के संकेत दिए थे. इसी के तहत एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्र के साथ बीते बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की.एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार ने जोर देकर कहा था कि जेट एयरवेज को परिचालन में बनाए रखना कर्जदाताओं तथा उपभोक्ताओं के हित में है. जेट एयरवेज को बैंकरप्सी कानून (आईबीसी) के अंतर्गत ले जाना अंतिम विकल्प है.
Sources: Jet Airways Chairman Naresh Goyal and his wife Anita Goyal step down from Jet Airways Board due to financial crisis; bank-led board to run the airlines.
pic.twitter.com/f3NVDOhFNs
— ANI (@ANI)
March 25, 2019
जेट एयरवेज के पायलटों को मिली नौकरी
बता दें कि जेट एयरवेज के इस संकट की वजह से 16 हजार से ज्यादा पायलटों के वेतन और नौकरी को लेकर मुसीबत बढ़ गई है. हालांकि इंडिगो ने सैलरी संकट से जूझ रहे जेट एयरवेज के 100 पायलट को नौकरी दी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंडिगो ने 100 से अधिक बोइंग 737 कमांडर स्तर के पायलटों को हायर किया है. जेट एयरेवज के पायलटों ने मंगलवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उनका वेतन 31 मार्च तक नहीं दिया गया, वे उड़ानों का परिचालन बंद कर देंगे.
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कुर्सी न छोड़ने की जिद पर अड़े मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी ने सेना का अल्टीमेटम ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि 25 जनवरी 2011 की ऐतिहासिक क्रांति की भावना से ‘एक भी कदम पीछे हटने’ की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी. मिस्र की शक्तिशाली सेना ने चेतावनी दी थी कि प्रदर्शनकारियों की मांग 48 घंटे के भीतर नहीं मानी गई तो वह दखल देगी.
राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक सेना ने अपनी घोषणा स्पष्ट नहीं की. मोर्सी ने ऐसी किसी भी घोषणा की निंदा की जिससे ‘फूट और गहरी’ हो और ‘सामाजिक शांति को खतरा’ पैदा हो.
उधर, सेना ने कहा कि उसका अल्टीमेटम ‘सत्ता परिवर्तन की चेतावनी’ नहीं है. इसका मकसद मसले का तेजी से हल ढूंढना है.
मोर्सी लगातार अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं. विदेश मंत्री मोहम्मद कामिल अम्र ने भी इस्तीफा दे दिया है. उनके चार मंत्री पहले ही पद छोड़ चुके हैं.
मोर्सी ने हुस्नी मुबारक को अपदस्थ करने वाले 2011 के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘25 जनवरी की क्रांति से मिस्र में लोकतंत्र की स्थापना हुई, जो देश की अहम उपलब्धियों में एक है. मिस्र किसी भी हालत में ऐसा कोई कदम उठाने की इजाजत नहीं देगा जो देश को पीछे ले जाता हो.’’
मोर्सी ने प्रधानमंत्री हिशाम कांदिल, रक्षा मंत्री जरन अब्दुल फतह अल सीसी और सैन्य बल के प्रमुख से मुलाकात की. मुर्सी के इस्तीफे की मांग को लेकर शुरू हुए प्रदर्शनों के बाद तनाव कम करने के मकसद से हुई यह दूसरी बैठक थी.
विरोधियों का आरोप है कि मोर्सी देश हित से ज्यादा मुस्लिम ब्रदरहुड के हितों को तवज्जो दे रहे हैं.
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दिल्ली का बीजेपी युवा मोर्चा भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतर गया है. युवा मोर्चा ने दिल्ली की राजनीति में दखल देने वाले चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सद्बुद्धि की कामना और सीएम अरविंद केजरीवाल से दूर रहने की प्रार्थना के साथ हवन का आयोजन किया.
दिल्ली बीजेपी प्रदेश युवा मोर्चा अध्यक्ष सुनील यादव और प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश के साथ युवा मोर्चा कार्यकर्ता इस हवन में शामिल हुए. प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष जय प्रकाश ने आरोप लगाया कि केजरीवाल की आदतों से युवाओं में नाराजगी है. आज का यह हवन कार्यक्रम इसलिए किया गया है ताकि युवाओं से जो वादे केजरीवाल ने किए थे वो उन्हें पूरा करें.
उन्होंने कहा कि हवन के ज़रिए उन चार मुख्यमंत्रियों के लिए सद्बुद्धि की भी प्रार्थना की गई जिहोंने एलजी सचिवालय में केजरीवाल के धरने वाली राजनीति का समर्थन किया. युवा मोर्चा ने केजरीवाल से मांग की है कि वह हड़ताल छोड़कर दिल्ली की जनता की सेवा में वापस लौटें.
बता दें कि दिल्ली में नीति आयोग की बैठक से पहले गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केजरीवाल के परिवार से मुलाकात कर मुद्दे को सुलझाने के लिए मोदी से आग्रह किया था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने केंद्र से तुरंत 'संकट' का समाधान करने को कहा था.
बहरहाल हवन के दौरान युवा मोर्चा अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि 2015 में केजरीवाल की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ दिल्ली के युवाओं का था, लेकिन साढ़े तीन साल बाद आज युवा सीएम के
नकारात्मक रवैये
से खुश नही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार द्वारा खेल कूद परिसरों के विकास और वाई-फाई जैसे मुद्दों पर कोई काम नहीं करने से युवा वर्ग केजरीवाल से नाराज है.
सीएम आवास के पास बांटेंगे रायता
दसरी तरफ दिल्ली बीजेपी ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष गौरव खारी ने बताया कि केजरीवाल की राजनीति करने के तरीके के विरोध में सीएम आवास के पास मंगलवार सुबह 11 बजे रायता बांटा जाएगा.
उपराज्यपाल करें मुकदमा
बीजेपी अकाली विधायक मनजिंदर सिंह ने कहा, उन्होंने उपराज्यपाल अनिल बैजल से केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा करने की गुजारिश की है. अगर वह नहीं करते हैं तो फिर बीजेपी उनके खिलाफ मुकदमा करेगी.
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यह लेख है: वोडाफोन का समर्थन करते हुए एक अन्य अमेरिकी संगठन टीईआई ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर विदेश में हुए विलय और अधिग्रहण के ऐसे सौदों को पिछली तिथि से कर के दायरे में लाने के संबंध में संशोधन करने के सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है।
वाशिंगटन के टैक्स एक्जिक्यूटिव इंस्टिट्यूट (टीईआई) ने कहा, ‘सरकार अपनी कर नीतियों में बदलाव करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन निष्पक्षता का तकाजा है कि ऐसे मामलों में बदलाव भावी तिथि से होनी चाहिए।’ इस संस्था का दावा है कि वह विश्व की 3,000 सबसे बड़ी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है।टिप्पणियां
टीईआई ने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को भेजे पत्र में कहा कि पिछली तारीख से कर कानून में संशोधन के अधिकार का इस्तेमाल संयम के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा ‘खेद की बात है कि वित्त विधेयक 2012 में उचित संयम का अभाव है, इसके कुछ प्रावधानों के अनुसार भारत के कर कानून में जो बदलाव होगा वह 1962 से प्रभावी होगा।’ यह पत्र बजट में आयकर अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव के संदर्भ में है ताकि वोडाफोन जैसे विदेशी सौदों के मामलों में कर लगाया जा सके जिनमें घरेलू परिसंपत्तियां शामिल हैं।
इस संशोधन से उच्चतम न्यायालय का वह आदेश निष्प्रभावी हो जाएगा जिसमें उसने 11,000 करोड़ रुपये के कर के मामले में ब्रिटेन की प्रमुख दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के पक्ष में फैसला किया था।
वाशिंगटन के टैक्स एक्जिक्यूटिव इंस्टिट्यूट (टीईआई) ने कहा, ‘सरकार अपनी कर नीतियों में बदलाव करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन निष्पक्षता का तकाजा है कि ऐसे मामलों में बदलाव भावी तिथि से होनी चाहिए।’ इस संस्था का दावा है कि वह विश्व की 3,000 सबसे बड़ी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है।टिप्पणियां
टीईआई ने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को भेजे पत्र में कहा कि पिछली तारीख से कर कानून में संशोधन के अधिकार का इस्तेमाल संयम के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा ‘खेद की बात है कि वित्त विधेयक 2012 में उचित संयम का अभाव है, इसके कुछ प्रावधानों के अनुसार भारत के कर कानून में जो बदलाव होगा वह 1962 से प्रभावी होगा।’ यह पत्र बजट में आयकर अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव के संदर्भ में है ताकि वोडाफोन जैसे विदेशी सौदों के मामलों में कर लगाया जा सके जिनमें घरेलू परिसंपत्तियां शामिल हैं।
इस संशोधन से उच्चतम न्यायालय का वह आदेश निष्प्रभावी हो जाएगा जिसमें उसने 11,000 करोड़ रुपये के कर के मामले में ब्रिटेन की प्रमुख दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के पक्ष में फैसला किया था।
टीईआई ने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को भेजे पत्र में कहा कि पिछली तारीख से कर कानून में संशोधन के अधिकार का इस्तेमाल संयम के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा ‘खेद की बात है कि वित्त विधेयक 2012 में उचित संयम का अभाव है, इसके कुछ प्रावधानों के अनुसार भारत के कर कानून में जो बदलाव होगा वह 1962 से प्रभावी होगा।’ यह पत्र बजट में आयकर अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव के संदर्भ में है ताकि वोडाफोन जैसे विदेशी सौदों के मामलों में कर लगाया जा सके जिनमें घरेलू परिसंपत्तियां शामिल हैं।
इस संशोधन से उच्चतम न्यायालय का वह आदेश निष्प्रभावी हो जाएगा जिसमें उसने 11,000 करोड़ रुपये के कर के मामले में ब्रिटेन की प्रमुख दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के पक्ष में फैसला किया था।
इस संशोधन से उच्चतम न्यायालय का वह आदेश निष्प्रभावी हो जाएगा जिसमें उसने 11,000 करोड़ रुपये के कर के मामले में ब्रिटेन की प्रमुख दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के पक्ष में फैसला किया था।
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मुंबई हमले की जांच में शामिल मुख्य लोगों के बयान दर्ज करने के खातिर पाकिस्तान के एक न्यायिक आयोग को अनुमति दे दी गई है जो फरवरी के पहले हफ्ते में मुंबई पहुंचेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां कहा कि पाकिस्तान उच्चायोग ने मुंबई अपराध शाखा को कूटनीतिक माध्यम से तीन और चार फरवरी की तारीख बता दी है। मुंबई पुलिस से दौरे के लिये आवश्यक प्रबंध करने का आग्रह भी किया गया है।टिप्पणियां
पाकिस्तानी न्यायिक आयोग के दौरे को बंबई उच्च न्यायालय ने अनुमति दी। पाकिस्तानी न्यायिक आयोग 26/11 मामले के जांच अधिकारी रमेश महाले और एकमात्र जीवित पाकिस्तानी बंदूकधारी अजमल कसाब का बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट सावंत वाघुल का बयान दर्ज करेगा।
सूत्रों ने कहा कि सभी बयान दक्षिण मुंबई के इसपलांदे अदालत में दर्ज किए जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कूटनीतिक माध्यमों से पाकिस्तान को सूचित किया था कि बंबई उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिल गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां कहा कि पाकिस्तान उच्चायोग ने मुंबई अपराध शाखा को कूटनीतिक माध्यम से तीन और चार फरवरी की तारीख बता दी है। मुंबई पुलिस से दौरे के लिये आवश्यक प्रबंध करने का आग्रह भी किया गया है।टिप्पणियां
पाकिस्तानी न्यायिक आयोग के दौरे को बंबई उच्च न्यायालय ने अनुमति दी। पाकिस्तानी न्यायिक आयोग 26/11 मामले के जांच अधिकारी रमेश महाले और एकमात्र जीवित पाकिस्तानी बंदूकधारी अजमल कसाब का बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट सावंत वाघुल का बयान दर्ज करेगा।
सूत्रों ने कहा कि सभी बयान दक्षिण मुंबई के इसपलांदे अदालत में दर्ज किए जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कूटनीतिक माध्यमों से पाकिस्तान को सूचित किया था कि बंबई उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिल गई है।
पाकिस्तानी न्यायिक आयोग के दौरे को बंबई उच्च न्यायालय ने अनुमति दी। पाकिस्तानी न्यायिक आयोग 26/11 मामले के जांच अधिकारी रमेश महाले और एकमात्र जीवित पाकिस्तानी बंदूकधारी अजमल कसाब का बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट सावंत वाघुल का बयान दर्ज करेगा।
सूत्रों ने कहा कि सभी बयान दक्षिण मुंबई के इसपलांदे अदालत में दर्ज किए जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कूटनीतिक माध्यमों से पाकिस्तान को सूचित किया था कि बंबई उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिल गई है।
सूत्रों ने कहा कि सभी बयान दक्षिण मुंबई के इसपलांदे अदालत में दर्ज किए जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कूटनीतिक माध्यमों से पाकिस्तान को सूचित किया था कि बंबई उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिल गई है।
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समवर्ती सूची अथवा तीसरी-सूची(सातवीं अनुसूची) भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में दिये गये 52 विषय (हालांकि अन्तिम विषय को 47वाँ स्थान दिया गया है) की सूची है। इसमें राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों के साझा अधिकारों को वर्णित किया गया है। विधायी खंड को तीन भागों में बांटा गया है: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के विपरीत अन्य सभी अधिकार संघीय सरकार के पास हैं जो कनाडा संघीय सरकार के समरूप है।
सन्दर्भ
भारत के ऐतिहासिक दस्तावेज़
भारत का संविधान
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मैक्सिको में विमान अपहरण की एक साजिश को नाकाम कर दिया गया है. मैक्सिको सिटी में एयरपोर्ट पर अपहरणकर्ताओं ने विमान अपने कब्जे में लेने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो सके.
विमान के सारे यात्रियों को भी सुरक्षित बचा लिया गया. कानकून से आनेवाले विमान ने जब मैक्सिको सिटी के रनवे पर लैंड किया तब अपहरणकर्ताओं ने उसे रोक लिया था. अपहरणकर्ता बोलीवियाई नागरिक थे और मैक्सिको के राष्ट्रपति से बातचीत करने की मांग कर रहे थे, लेकिन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया.
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ऑफ स्पिनर ग्रीम स्वान ने कहा कि इंग्लैंड भारत के खिलाफ अहमदाबाद क्रिकेट टेस्ट के पहले दिन अगर पांच या छह विकेट चटका लेता तो टीम को खुशी होती. ग्रीम स्वान ने पहले दिन चार विकेट झटके.
आक्रामक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग सहित भारत के सभी चार विकेट चटकाने वाले स्वान ने पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद कहा, ‘वे काफी मजबूत स्थिति में हैं. इसमें कोई शक नहीं कि पहला सत्र उनके नाम रहा. बाकी दो बराबरी के रहे. टॉस हारने के बाद इस पिच पर गेंदबाजी करते हुए हमें अगर पांच या छह विकेट मिले होते तो अच्छा रहता लेकिन हमें चार विकेट मिले.’
उन्होंने कहा, ‘अगर हम पांच या छह विकेट चटकाते तो यह हमारे लिए शानदार दिन होता और कुल स्कोर में से 60 रन भी कम हो जाते.’ सहवाग ने लगभग दो साल में अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा और स्वान ने उन्हें इसका पूरा श्रेय दिया.
उन्होंने कहा, ‘वीरू ने शुरुआत में जिस तरह की बल्लेबाजी की आपको उसको पूरा श्रेय देना होगा. उसने जिस तरह की बल्लेबाजी की उससे शुरुआती घंटों में ही मैच हमारी पकड़ से दूर कर दिया इसलिए वापसी करना काफी अहम है. हमें पता है कि वह कितना विध्वंसक हो सकता है. उसने पहले भी हमारे खिलाफ ऐसा किया है.’
सहवाग ने 117 गेंद में 117 रन की पारी खेली जबकि स्वान ने इंग्लैंड को अच्छी वापसी दिलाते हुए 85 रन देकर चार विकेट चटकाए. स्वान इस मैच से पहले जिम लेकर (193 विकेट) से एक विकेट पीछे थे और सहवाग के विकेट के साथ वह इंग्लैंड की ओर से सर्वाधिक विकेट चटकाने वाले ऑफ स्पिनर बने.
उन्होंने कहा, ‘यह गौरवपूर्ण लम्हा था. मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि मैं आंकड़ों के बारे में अधिक नहीं सोचता लेकिन जब लोगों ने मुझसे कहा कि मैं जिम लेकर के करीब पहुंच गया हूं तो मैं काफी रोमांचित हो गया था. जब मैं बड़ा हो रहा था तो यह खेल के प्रतिष्ठित नाम थे, इनको पीछे छोड़ना तो दूर आप इनकी बराबरी करने का सपना भी नहीं देख सकते.’
स्वान ने सहवाग के अलावा गौतम गंभीर, विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर को पवेलियन भेजा. स्वान ने कहा कि पिच से अधिक टर्न नहीं मिल रहा था लेकिन वह भाग्यशाली रहे कि अतिरिक्त टर्न के कारण कोहली और अन्य भारतीय बल्लेबाजों को बोल्ड करने में सफल रहे.
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बुद्ध अन्तरराष्ट्रीय परिपथ (Buddh International Circuit) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के नोएडा में बना फॉर्मूला वन दौड़ का परिपथ (रास्ते का लूप) है। इसका उद्घाटन १८ अक्टूबर २०११ को किया गया। ३० अक्टूबर २०११ को इस पर 'फॉर्मूला वन भारतीय ग्रैण्ड प्रिक्स' का आयोजन हुआ जिसमें जर्मनी के सिबेस्तियन वेटेल ने खिताब अपने नाम किया।
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उत्तर भारत हो या पूर्वी भारत या फिर मध्य भारत या दक्षिण भारत हर जगह बादलों की आवाजाही के बीच मौसम सुहाना हो गया है और मई के महीने में जुलाई की तरह का मौसम हो चुका है. दिल्ली एनसीआर में तेज हवाओं के साथ रुक-रुक कर बारिश हो रही है, तो वहीं पहाड़ों पर बारिश ने भयानक रूप ले लिया है.
इस बार देर से आएगा मानसून
कई लोगों को यह मानसून की
बारिश
लग रही होगी, लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि यह मानसून की बारिश कतई नहीं है. वैसे तो केरल में मानसून पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून होती है, लेकिन इस बार खास बात है कि मानसून ने अभी तक भारत की मुख्य भूमि पर दस्तक ही नहीं दी है. ऐसा अनुमान है कि इस बार मानसून देर से आएगा.
रोनू चक्रवात के चलते हुई बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक अंडमान निकोबार के आस-पास मानसून 17 मई को ही पहुंच गया था, लेकिन उसी दौरान रोनू चक्रवात के बनने से मानसून की
हवाएं
साइक्लोन के साथ खिंचकर बांग्लादेश की तरफ चली गई. खास बात यह रही कि रोनू चक्रवात के चलते तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत के तमाम इलाकों में झमाझम बारिश रिकॉर्ड की गई. इसका बुरा असर यह हुआ कि भूमध्यरेखा से बना मानसूनी सिस्टम काफी कमजोर पड़ गया.
आगे नहीं बढ़ पाया मानसून
ऐसी स्थिति में पूरे भारत में हवाओं की दशा-दिशा बदल गई. इन स्थितियों में अरब सागर की नम हवाएं गुजरात के ऊपर होती हुई उत्तर भारत में दाखिल होने लगी और इसी के साथ
बंगाल की खाड़ी
से भी नम हवाओं ने उत्तर भारत की तरफ रुख कर लिया. ऐसे में पूर्वोत्तर भारत, उत्तर भारत और मध्य भारत में आंधी के साथ बारिश का सिलसिला तो बन गया, लेकिन इसने मानसून के सिस्टम को आगे बढ़ने से रोक दिया.
केरल में देरी से आएगा मानसून
मौसम के जानकारों का कहना है कि इस समय केरल के तटीय इलाकों में बारिश तो हो रही है, लेकिन ये बारिश मानसूनी हवाओं की वजह से नहीं हो रही है. मौसम विभाग का कहना है कि केरल में मानसून की बारिश तब मानी जाती है जब दक्षिण-पश्चिम दिशा से आ रही नम हवाएं बारिश लेकर आएं और ये वेदर सिस्टम लंबे समय तक रिमझिम बारिश दे. केरल में मानसून की बारिश देर से आने की आशंका है. इसके लिए
मौसम विभाग ने
सात दिन की देरी के पूर्वानुमान जारी किए हैं.
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खेती में बागवानी (Horticulture) तेजी से उभरता हुआ कृषि व्यवसाय है। इस क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं हैं। बागवानी को भविष्य की खेती भी कहा जाता है। इसे एक बार लगा देने से कई सालों तक मुनाफा ले सकते हैं। बागवानी अपने अंदर तमाम संभावनाएं समेटे हुए है जो किसानों के लिए भविष्य में सुनहरे आय का एक साधन बन सकती है।
किसान साथियों, यदि आपको प्रकृति से प्यार है और खेती-किसानी की चाह है तो आप भी बागवानी (Horticulture) में संभावनाएं तलाश सकते हैं। आपको बता दें, कुछ सालों में बागवानी फसलों के उत्पादन में काफी तेजी से ग्रोथ हुआ है। फलों की मांग बाजार में सालभर रहती है। फूलों की बात करें तो इसके उत्पादन में भी काफी वृद्धि दर्ज की गई है।
तो आइए द रूरल इंडिया के ब्लॉग में बागवानी (Horticulture) को विस्तार से जानते हैं।
बागवानी क्या है? (what is horticulture in hindi)
बागवानी (horticulture) एक तेजी से उभरता हुआ कृषि व्यवसाय है। बागवानी में मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, फूलों और फलों की खेती, चाय बागान आदि प्रमुख विषय हैं। बागवानी में संभावनाओं और उसके गुणवत्ता को बेहतर बनाने का कार्य किया जाता है।
बागवानी शब्द की उत्पति ग्रीक के शब्दों से हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ है उद्यान की खेती। बागवानी में फलों, सब्जियों, मशरूम, कट फूलों, सजावटी फूलों और पौधों, मसालों, औषधियों फसलों का प्रमुख स्थान है जिससे किसान को फायदा होता है। बागवानी को भविष्य की खेती भी कहा जाता है जो किसानों आय के साथ-साथ जीवनस्तर में भी सुधार करता है।
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१९०६ तक नगर की जनसंख्या दस लाख के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता के बाद भारत में, दूसरे स्थान सबसे बड़ा शहर था। बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी के रूप में, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना १९४२ में महात्मा गाँधी द्वारा छेड़ा गया भारत छोड़ो आंदोलन था। १९४७ में भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, यह बॉम्बे राज्य की राजधानी बना। १९५० में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को मिलाते हुए, यह नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा। १९५५ के बाद, जब बॉम्बे राज्य को पुनर्व्यवस्थित किया गया और भाषा के आधार पर इसे महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में बांटा गया, एक मांग उठी, कि नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि संयुक्त महाराष्ट्र समिति के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये और अन्ततः १ मई, १९६० को महाराष्ट्र राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी मुंबई को बनाया गया। १९७० के दशक के अंत तक, यहां के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि अपनी संस्कृति, व्यवसाय, भाषा के खोने से आशंकित थे। बाला साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी। नगर का धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ।
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बेंगलुरु के इंदिरा नगर में स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल के दफ्तर में घुसने की कोशिश कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. इससे 10 कार्यकर्ताओं को चोटें आईं. इनमें से कुछ के चेहरे खून से भीग गए थे. घायलों को सीएमएच अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
लाठी चार्ज के बाद बेंगलुरु शहर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पी हरिशेखरण ने कहा कि पुलिस की जानकारी के मुताबिक "एबीवीपी के कार्यकर्ता अपने साथ दो बोतल पेट्रोल लाए थे. अगर पुलिस अधिकारियों ने उन्हें न रोका होता तो वे लोग दफ्तर और घरों में घुसकर आग लगा सकते थे."
रविवार से एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. वे मांग कर रहे हैं कि एमनेस्टी इंटरनेशनल के अधिकारियों और उन कश्मीरी युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए जिन्होंने कथित तौर पर कश्मीर की आजादी के नारे लगाए.
पुलिस ने इस कार्यक्रम में मौजूद एक व्यक्ति की शिकायत पर एमनेस्टी इंटरनेशनल के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया है. इस कार्यक्रम की करीब दो घंटे की रिकॉर्डिंग का विश्लेषण पुलिस ने पूरा कर लिया है. अब फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट का इंतजार है. इसके बाद तय होगा कि किन धाराओं के तहत और किन लोंगों के खिलाफ मामला दर्ज हो.
उधर एमनेस्टी इंटरनेशनल के कार्यकारी अधिकारी आकार पटेल पहली बार मीडिया के सामने आए और सफाई दी. उन्होंने कहा कि "एमनेस्टी इंटरनेशनल देशद्रोह की हिमायत नहीं करता और पुलिस को संस्था सहयोग दे रही है."
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सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में कैप्टन रहीं डॉक्टर लक्ष्मी सहगल का लम्बी बीमारी के बाद सोमवार, 23 जुलाई, 2012 की सुबह कानपुर के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे 98 वर्ष की थीं. स्वतंत्रता सेनानी, डॉक्टर, सांसद, समाजसेवी के रूप में यह देश उन्हें सदैव याद रखेगा.
कैप्टन डॉक्टर लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्तूबर 1914 को एक परंपरावादी तमिल परिवार में हुआ था. उनके पिता वकील डॉ0 स्वामिनाथन और मां समाज सेविका व स्वाधीनता सेनानी अम्मुकुट्टी थीं. कैप्टन सहगल 1932 में विज्ञान में स्नातक परीक्षा पास की. 1938 में उन्होंने मद्रास मेडिकल कालेज से एम.बी.बी.एस. किया और अगले वर्ष 1939 में जच्चा-बच्चा रोग विशेषज्ञ बनीं. कुछ दिन भारत में काम करने के बाद वह 1940 में सिंगापुर चली गयीं.
वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब अंग्रेज़ों ने सिंगापुर को जापानियों को समर्पित कर दिया तब उन्होंने घायल युद्धबन्दियों के लिये काफी काम किया. जुलाई 1943 में जब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस सिंगापुर आए तो डॉ. लक्ष्मी भी उनके विचारों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकीं और अंतत: उन्होंने नेताजी से अपने को भी शामिल करने की इच्छा जाहिर की.
डॉ. लक्ष्मी के टीम में शामिल होने के साथ ही आज़ाद हिन्द फौज़ की पहली महिला रेजिमेंट बना जिसका नाम रानी झाँसी रेजिमेंट रखा गया. अक्तूबर 1943 में डॉ. लक्ष्मी ने रानी झाँसी रेजिमेंट में कैप्टेन पद पर कार्यभार संभाला. अपने साहस और अद्भुत कार्य की बदौलत बाद में उन्हें कर्नल का पद भी मिला.
दितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद ब्रिटिश सेनाओं ने आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिकों की भी धरपकड़ की. सिंगापुर में पकड़े गये आज़ाद हिन्द सैनिकों में डॉ. लक्ष्मी भी थीं. जुलाई 1946 को भारत लाये जाने के बाद उन्हें बरी कर दिया गया.
डॉ. लक्ष्मी ने लाहौर में मार्च 1947 में कर्नल प्रेम कुमार सहगल से विवाह कर लिया और फिर कानपुर आकर बस गईं. बाद में वे सक्रिय राजनीति में भी आयीं और 1971 में मर्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से राज्यसभा की सदस्य बनीं. वे अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की संस्थापक सदस्यों में रहीं. 1998 में उन्हें भारत सरकार द्वारा उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पद्म विभूषण से सम्मनित किया गया. वर्ष 2002 में वाम दलों की ओर से डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के विरुद्ध राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ीं थीं.
उनकी बेटी सुभाषिनी अली 1989 में कानपुर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद भी रहीं. सुभाषिनी अली ने कम्युनिस्ट नेत्री बृन्दा करात की फिल्म अमू में अभिनेत्री का किरदार भी निभाया था. डॉ सहगल के पौत्र और सुभाषिनी अली और मुज़फ्फर अली के पुत्र शाद अली फिल्म निर्माता निर्देशक हैं, जिन्होंने साथिया, बंटी और बबली इत्यादि चर्चित फ़िल्में बनाई हैं. प्रसिद्ध नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई उनकी सगी बहन हैं.
98 वर्षीया कैप्टन डॉ. लक्ष्मी सहगल की हालत नाजुक बनी हुई है थी. लम्बी बीमारी के बाद 23 जुलाई, 2012 की सुबह कानपुर के अस्पताल में उनका निधन हो गया.
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भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) हैदराबाद ने एक मोबाइल ऐप विकसित किया है जो समुद्र में लोगों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा करेगा.
सारत नाम का यह टूल
64 तरह के खोए
हुए चीजों का पता लगाने में मदद करेगा, जिसमें नाव, जहाज और उस पर सवार लोग भी शामिल हैं.
इस ऐप को राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव (NMSAR) के अध्यक्ष और भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक राजेंद्र सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में लॉन्च किया. ये ऐप गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है.
सारत सिस्टम का वेब वर्जन पिछले साल जारी किया गया था, जिसे भारतीय तटरक्षक, भारतीय नौसेना और तटीय सुरक्षा पुलिस के खोज अभियान में वक्त बचाने और उनके विभिन्न अभियानों के दौरान
जिन्दगी बचाने
, लोगों को घायल होने से बचाने और संपत्तियों की बर्बादी को बचाने के लिए लॉन्च किया गया था.
इस ऐप पर लोग उस जगह को चिन्हित कर सकते हैं, जहां कोई वस्तु या व्यक्ति आखिरी बार देखा गया था. इस सिस्टम के इस्तेमाल से भारतीय तटरक्षक के साल 2015 में चेन्नई से उड़ान भरने के बाद गायब हुए डोर्नियर की खोज की गई थी.
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने अपने साथी नेताओं को सलाह दी है. उन्होंने कहा कि नेताओं को दूसरे क्षेत्रों में दखल नहीं देना चाहिए, बल्कि विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, साहित्य और काव्य जगत के लोगों को अपने मामले खुद निपटाने देना चाहिए. नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने यह बात यवतमाल में सालाना मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन समारोह में कही. आपको बता दें कि यह सम्मेलन लेखिका नयनतारा सहगल को दिया गया न्यौता वापस लेने की वजह से विवादों में रहा है. कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि ‘आपातकाल के दौरान दुर्गा भागवत और पीएल देशपांडे जैसे मराठी लेखकों के भाषणों के दौरान राजनीतिक रैलियों से ज्यादा भीड़ जुटती थी. ये दोनों लोग चुनावों के बाद साहित्य के क्षेत्र में लौटे थे. उन्होंने यहां तक कि राज्यसभा की सदस्यता जैसी राजनीतिक नियुक्ति की भी मांग नहीं की थी'. दुर्गा ने आपातकाल की खुल कर आलोचना की थी, जबकि देशपांडे ने आपातकाल हटने और 1977 में चुनाव की घोषणा होने के बाद जनता पार्टी के लिए प्रचार किया था.
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आजतक के स्टिंग में कमीशन लेकर नोट बदलते रंगे हाथों पकड़े गए बीएसपी नेता वीरेंद्र जाटव को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिया है. पार्टी के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दकी ने बिना किसी कारण बताओ नोटिस के वीरेंद्र जाटव को पार्टी से बाहर कर दिया.
नसीमु्द्दीन सिद्दकी ने वीरेंद्र जाटव को पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देकर वीरेंद्र जाटव को पार्टी से निकाला, इसके साथ ही चिठ्ठी को मीडिया में जारी कर दिया गया. गौरतलब है कि वीरेंद्र जाटव आजतक के कालेधन के खिलाफ किये गए स्टिंग में कैमरे पर पकड़े गए थे और खुलेआम काले धन को सफ़ेद करने को लेकर कमीशन मांगते कैमरे में कैद हो गए थे.
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1947 में पाकिस्तान के हमले के जवाब में 27 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में सेना भेजे जाने के विरोध में अलगाववादियों द्वारा आहूत हड़ताल से कश्मीर में जनजीवन प्रभावित हुआ। अधिकारियों के मुताबिक दुकान और पेट्रोल पंप, निजी कार्यालय समेत अन्य कारोबारी प्रतिष्ठान बंद हैं। सड़क पर आम दिनों की तुलना में काफी कम भीड़-भाड़ है। उन्होंने बताया कि नियमित यातायात सुविधा की अनुपलब्धता के कारण सरकारी कार्यालयों में भी कम उपस्थिति दर्ज की जा रही है। घाटी के अन्य जिला मुख्यालयों से भी बंद की खबरें मिली हैं। हालांकि घाटी में श्रीनगर शहर के उपनगरीय इलाकों और दूर-दराज के गावों में दुकानें खुली हुई हैं। सैयद अली शाह गिलानी की अगुवाई वाले कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस ने 27 दिसंबर, 1947 को कश्मीर में सेना के आगमन के खिलाफ बंद का आह्वान किया था। हर साल अलगाववादी इस दिन हड़ताल का आह्वान करते हैं।
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सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन में 74 इंस्पेक्टर के पद पर वैकेंसी निकली है. इच्छुक उम्मीदवार 6 अप्रैल 2016 तक आवेदन कर सकते हैं.
पद का नाम:
इंस्पेक्टर
पदों की संख्या:
74
पे स्केल:
40000 रुपये
योग्यता:
मान्यता प्राप्त संस्थान से ग्रेजुएट
ज्यादा जानकारी के लिए
यहां क्लिक करें.
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उत्तर प्रदेश में मात्र दो साल (2011 और 2012 ) की अवधि में कुल 1828 प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीस) अधिकारियों के तबादले हुए। इनमें अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) रैंक के 478 और पुलिस उपाधीक्षक (डिप्टी एसपी) रैंक के 1350 अधिकारी शामिल हैं। यह जानकारी एक सूचना के अधिकार (आरटीआई) तहत सामने आई है।
उत्तर प्रदेश में कुल पीपीएस अफसरों की संख्या 917 है। इनमें 203 एएसपी और 714 डिप्टी एसपी हैं।
लखनऊ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार अपर पुलिस अधीक्षक रैंक में वर्ष 2012 में 307 और 2011 में 171 तबादले हुए। डिप्टी एसपी रैंक में वर्ष 2012 में 892 और 2011 में 458 तबादले हुए।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) स्थापना रेणुका मिश्रा द्वारा ठाकुर को 4 अप्रैल 2013 को भेजी गई 723 पृष्ठों की सूचना के अनुसार इस दौरान शासन ने 263 मामलों में अपना ही ट्रांसफर आदेश निरस्त किया या उसे संशोधित कर दिया। अपर पुलिस अधीक्षक रैंक के 21 आदेश निरस्त किए गए जबकि 36 आदेश संशोधित हुए।
डिप्टी एसपी रैंक के 74 आदेश निरस्त हुए जबकि 132 आदेश संशोधित हुए।
आरटीआई सूचना के अनुसार चार बार शासन के एक आदेश में सौ से अधिक पीपीएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया। इसके अलावा तीन अन्य अवसरों पर पचास से अधिक पीपीएस अधिकारियों का एक आदेश पर स्थानांतरण हुआ।
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद 27 मार्च 2012 को 120 अपर पुलिस अधीक्षक, 1 अप्रैल को 153, 7 अप्रैल को 110 और 16 अक्टूबर को 121 डिप्टी एसपी के तबादले एक आदेश पर हुए। मायावती के समय 9 अप्रैल 2011 को 97 अपर पुलिस अधीक्षक और 8 अगस्त को 82 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर एक आदेश पर हुए थे।टिप्पणियां
विधानसभा चुनाव के समय पुलिस अधिकारियों को बहुत राहत थी और 24 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 के बीच किसी पीपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश जारी नहीं हुआ।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
उत्तर प्रदेश में कुल पीपीएस अफसरों की संख्या 917 है। इनमें 203 एएसपी और 714 डिप्टी एसपी हैं।
लखनऊ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार अपर पुलिस अधीक्षक रैंक में वर्ष 2012 में 307 और 2011 में 171 तबादले हुए। डिप्टी एसपी रैंक में वर्ष 2012 में 892 और 2011 में 458 तबादले हुए।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) स्थापना रेणुका मिश्रा द्वारा ठाकुर को 4 अप्रैल 2013 को भेजी गई 723 पृष्ठों की सूचना के अनुसार इस दौरान शासन ने 263 मामलों में अपना ही ट्रांसफर आदेश निरस्त किया या उसे संशोधित कर दिया। अपर पुलिस अधीक्षक रैंक के 21 आदेश निरस्त किए गए जबकि 36 आदेश संशोधित हुए।
डिप्टी एसपी रैंक के 74 आदेश निरस्त हुए जबकि 132 आदेश संशोधित हुए।
आरटीआई सूचना के अनुसार चार बार शासन के एक आदेश में सौ से अधिक पीपीएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया। इसके अलावा तीन अन्य अवसरों पर पचास से अधिक पीपीएस अधिकारियों का एक आदेश पर स्थानांतरण हुआ।
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद 27 मार्च 2012 को 120 अपर पुलिस अधीक्षक, 1 अप्रैल को 153, 7 अप्रैल को 110 और 16 अक्टूबर को 121 डिप्टी एसपी के तबादले एक आदेश पर हुए। मायावती के समय 9 अप्रैल 2011 को 97 अपर पुलिस अधीक्षक और 8 अगस्त को 82 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर एक आदेश पर हुए थे।टिप्पणियां
विधानसभा चुनाव के समय पुलिस अधिकारियों को बहुत राहत थी और 24 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 के बीच किसी पीपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश जारी नहीं हुआ।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
लखनऊ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार अपर पुलिस अधीक्षक रैंक में वर्ष 2012 में 307 और 2011 में 171 तबादले हुए। डिप्टी एसपी रैंक में वर्ष 2012 में 892 और 2011 में 458 तबादले हुए।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) स्थापना रेणुका मिश्रा द्वारा ठाकुर को 4 अप्रैल 2013 को भेजी गई 723 पृष्ठों की सूचना के अनुसार इस दौरान शासन ने 263 मामलों में अपना ही ट्रांसफर आदेश निरस्त किया या उसे संशोधित कर दिया। अपर पुलिस अधीक्षक रैंक के 21 आदेश निरस्त किए गए जबकि 36 आदेश संशोधित हुए।
डिप्टी एसपी रैंक के 74 आदेश निरस्त हुए जबकि 132 आदेश संशोधित हुए।
आरटीआई सूचना के अनुसार चार बार शासन के एक आदेश में सौ से अधिक पीपीएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया। इसके अलावा तीन अन्य अवसरों पर पचास से अधिक पीपीएस अधिकारियों का एक आदेश पर स्थानांतरण हुआ।
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद 27 मार्च 2012 को 120 अपर पुलिस अधीक्षक, 1 अप्रैल को 153, 7 अप्रैल को 110 और 16 अक्टूबर को 121 डिप्टी एसपी के तबादले एक आदेश पर हुए। मायावती के समय 9 अप्रैल 2011 को 97 अपर पुलिस अधीक्षक और 8 अगस्त को 82 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर एक आदेश पर हुए थे।टिप्पणियां
विधानसभा चुनाव के समय पुलिस अधिकारियों को बहुत राहत थी और 24 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 के बीच किसी पीपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश जारी नहीं हुआ।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) स्थापना रेणुका मिश्रा द्वारा ठाकुर को 4 अप्रैल 2013 को भेजी गई 723 पृष्ठों की सूचना के अनुसार इस दौरान शासन ने 263 मामलों में अपना ही ट्रांसफर आदेश निरस्त किया या उसे संशोधित कर दिया। अपर पुलिस अधीक्षक रैंक के 21 आदेश निरस्त किए गए जबकि 36 आदेश संशोधित हुए।
डिप्टी एसपी रैंक के 74 आदेश निरस्त हुए जबकि 132 आदेश संशोधित हुए।
आरटीआई सूचना के अनुसार चार बार शासन के एक आदेश में सौ से अधिक पीपीएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया। इसके अलावा तीन अन्य अवसरों पर पचास से अधिक पीपीएस अधिकारियों का एक आदेश पर स्थानांतरण हुआ।
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद 27 मार्च 2012 को 120 अपर पुलिस अधीक्षक, 1 अप्रैल को 153, 7 अप्रैल को 110 और 16 अक्टूबर को 121 डिप्टी एसपी के तबादले एक आदेश पर हुए। मायावती के समय 9 अप्रैल 2011 को 97 अपर पुलिस अधीक्षक और 8 अगस्त को 82 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर एक आदेश पर हुए थे।टिप्पणियां
विधानसभा चुनाव के समय पुलिस अधिकारियों को बहुत राहत थी और 24 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 के बीच किसी पीपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश जारी नहीं हुआ।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
डिप्टी एसपी रैंक के 74 आदेश निरस्त हुए जबकि 132 आदेश संशोधित हुए।
आरटीआई सूचना के अनुसार चार बार शासन के एक आदेश में सौ से अधिक पीपीएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया। इसके अलावा तीन अन्य अवसरों पर पचास से अधिक पीपीएस अधिकारियों का एक आदेश पर स्थानांतरण हुआ।
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद 27 मार्च 2012 को 120 अपर पुलिस अधीक्षक, 1 अप्रैल को 153, 7 अप्रैल को 110 और 16 अक्टूबर को 121 डिप्टी एसपी के तबादले एक आदेश पर हुए। मायावती के समय 9 अप्रैल 2011 को 97 अपर पुलिस अधीक्षक और 8 अगस्त को 82 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर एक आदेश पर हुए थे।टिप्पणियां
विधानसभा चुनाव के समय पुलिस अधिकारियों को बहुत राहत थी और 24 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 के बीच किसी पीपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश जारी नहीं हुआ।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
आरटीआई सूचना के अनुसार चार बार शासन के एक आदेश में सौ से अधिक पीपीएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया। इसके अलावा तीन अन्य अवसरों पर पचास से अधिक पीपीएस अधिकारियों का एक आदेश पर स्थानांतरण हुआ।
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद 27 मार्च 2012 को 120 अपर पुलिस अधीक्षक, 1 अप्रैल को 153, 7 अप्रैल को 110 और 16 अक्टूबर को 121 डिप्टी एसपी के तबादले एक आदेश पर हुए। मायावती के समय 9 अप्रैल 2011 को 97 अपर पुलिस अधीक्षक और 8 अगस्त को 82 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर एक आदेश पर हुए थे।टिप्पणियां
विधानसभा चुनाव के समय पुलिस अधिकारियों को बहुत राहत थी और 24 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 के बीच किसी पीपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश जारी नहीं हुआ।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद 27 मार्च 2012 को 120 अपर पुलिस अधीक्षक, 1 अप्रैल को 153, 7 अप्रैल को 110 और 16 अक्टूबर को 121 डिप्टी एसपी के तबादले एक आदेश पर हुए। मायावती के समय 9 अप्रैल 2011 को 97 अपर पुलिस अधीक्षक और 8 अगस्त को 82 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर एक आदेश पर हुए थे।टिप्पणियां
विधानसभा चुनाव के समय पुलिस अधिकारियों को बहुत राहत थी और 24 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 के बीच किसी पीपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश जारी नहीं हुआ।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
विधानसभा चुनाव के समय पुलिस अधिकारियों को बहुत राहत थी और 24 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 के बीच किसी पीपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश जारी नहीं हुआ।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
नई सरकार बनने के बाद अपर पुलिस अधीक्षकों में पहला तबादला 17 मार्च को बीपी अशोक का एसपी (सिटी) मेरठ से (क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र) आरटीसी चुनार और विजय यादव का आरटीसी चुनार से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय हुआ था।
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आजकल TV मॉडल धीरे-धीरे स्लिम होते जा रहे हैं. इसके साथ ही बेहतरीन ऑडियो क्वालिटी की समस्या भी बढ़ती जा रही है. कुछ बड़ी कंपनियां अच्छी ऑडियो क्वालिटी उपलब्ध कराती हैं लेकिन उनकी कीमत भी ज्यादा होती है. ऐसे में बजट में टीवी खरीद कर एक होम थिएटर खरीदना अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.
इसी विकल्प के लिए ऑडियो दिग्गज JBL के पास 2.1 साउंडबार उपलब्ध है. इसका हमने काफी समय तक उपयोग किया है और अब हम इसका रिव्यू आप तक पहुंचा रहे हैं. फिलहाल ये स्पीकर JBL इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर 23,499 रुपये में उपलब्ध है. तो आइए जानते हैं कैसा है या ये साउंडबार.
बिल्ड, डिजाइन एंड स्पेसिफिकेशन्स:
इस साउंडबार के बिल्ड और डिजाइन की बात करें तो स्पीकर दो हिस्सों में मौजूद होगा. यानी एक बेस के लिए सबवूफर, जोकि वायरलेस होगा. वहीं दूसरी तरफ साउंडबार, जिससे बाकी सारे फंक्शन्स कंट्रोल होंगे. इस साउंडबार का लुक काफी प्रीमियम है इसे आप आसानी से टीवी के नीचे रख सकते हैं ये बिल्कुल भी खराब फील नहीं देता है. साउंडबार में ही ऊपर के हिस्से में चुनिंदा फिजिकल बटन दिए गए हैं, जिनसे आप रिमोट की गौरमौजूदगी में भी साउंडबार को ऑपरेट कर सकते हैं.
वहीं इसके पीछे के हिस्से में सारे पोर्ट्स दिए गए हैं. यहां AUX इनपुट, USB, HDMI IN, ARC के लिए HDMI OUT, ऑप्टिकल इन का पोर्ट मौजूद है. बॉक्स के साथ आपको ऑक्स केबल और ऑप्टिकल केबल मिलेगा. बाकी कनेक्टिविटी के लिए यहां ब्लूटूथ का फीचर भी मौजूद है. साउंडबार के ओवरऑल लुक की बात करें तो इसके ड्राइवर्स के ऊपर मेटल का ग्रिल मौजूद है. साउंडबार में फ्रंट की तरफ एक LED डिस्प्ले भी दिया गया है, जिसे ग्रिल के पीछे शानदार तरीके से छुपाया गया है. इसकी रौशनी को रात के वक्त रिमोट से हल्की भी की जा सकती है.
दूसरी तरफ सबवूफर की बात करें तो इसका लुक भी काफी शानदार है. ये भी साउंडबार को कॉम्पलिमेंट करता है. यहां 6.5-इंच बेस ड्राइवर मौजूद है जो डाउन फायरिंग है. सबवूफर और साउंडबार दोनों ही वायरलेस तरीके ही सेकेंड्स में ही कनेक्ट हो जाते हैं. यानी प्लग एंड प्ले वाला ही हिसाब यहां रहेगा. हालांकि दोनों को अलग-अलग सॉकेट में प्लग करने की जरूरत रहेगी. खास बात ये है कि इन्हें अलग-अलग पर रखा जा सकता है. सवबूफर को साउंडबार से कनेक्ट करने के लिए केवल सबवूफर के बैक में दिए गए बटन को दबाना होगा. उसके बाद ये ऑटो कनेक्ट हो जाते हैं. साउंडबार की वजन थोड़ा ज्यादा लग सकता है, लेकिन इसकी परफॉर्मेंस भी कमाल की है.
इसके साथ आने वाले रिमोट की बात करें तो ये प्रीमियम प्लास्टिक का बना हुआ है. इसमें मौजूद बटन काफी कम और आसानी से दिखने वाले रखे गए हैं. इन्हें ऑपरेट काफी आसान स्मूद है. यहां आपको बेस कम ज्यादा का ऑप्शन मिलेगा, सराउंड ऑन करने के लिए बटन मिलेगा अलग-अलग साउंड मोड में जाने के लिए भी बटन मिलेगा. बाकी बटन्स स्टैंडर्ड मिलेंगे.
चुनिंदा स्पेसिफिकेशन्स की बात करें तो इसकी मैक्जिमम पावर आउटपुट 300W और फ्रिक्वेंसी रिस्पॉन्स 40Hz टू 20KHz है. इसमें वायरलेस कनेक्टिविटी के लिए ब्लूटूथ वर्जन 4.2 का सपोर्ट दिया गया है. यानी केवल ब्लूटूथ से इसे कनेक्ट करो और अपनी पसंद के ऑडियो और वीडियो कंटेंट के मजे लो.
परफॉर्मेंस:
अब इसकी परफॉर्मेंस पर बात करें तो सबसे पहले इसे कनेक्ट करना बहुत ही आसान है. यदि ब्लूटूथ कनेक्टिविटी की भी बात करें एक बार किसी डिवाइस से कनेक्ट हो जाने के बाद ये सेकेंड्स में ही ऑटो कनेक्ट हो जाता है. ऑडियो क्वालिटी की बात करें तो इसे म्यूजिक, फिल्म और गेम के लिए अलग-अलग समझना होगा. म्यूजिक की बात करें तो यहां आपको दमदार सबवूफर और साउंडबार में मौजूद ट्वीटर्स के जरिए बेहतरीन साउंड क्वालिटी मिलती है. रिमोट में मौजूद सिंक ऑप्शन, साउंड मोड और बेस को कम-ज्यादा कर इस इफेक्ट को और भी बढ़ा सकते हैं.
अच्छी ऑडियो क्वालिटी के लिए आप साउंडबार और सबवूफर से कुछ दूरी पर रहें वरना साउंडबार की आवाज को ज्यादा लग सकती है. एक तरफ जहां आपको सबवूफर से बेहतरीन बेस मिलेगा तो दूसरी तरफ साउंडबार से क्रिस्पी हाई नोट्स मिलेंगे. JBL की जो फिनिशिंग PA ऑडियो सिस्टम में मिलती वैसी ही फिनिशिंग यहां आपको साउंडबार में भी मिलती है. हालांकि इसकी ओवरऑल डिटेलिंग को किसी स्टूडियो मॉनिटर से तुलना नहीं कर सकते, क्योंकि इंस्ट्रूमेंट्स की वैसी डिटेलिंग आपको नहीं मिलेगी. मेरी समझ से मैं इसे बेस के लिए ज्यादा बेहतर मान सकता हूं. सबवूफर का डिजाइन भी ऐसा है कि इसमें ड्राइवर्स नीचे की तरफ दिए गए हैं जिससे सॉफ्ट बेस मिलता है और वाइब्रेशन भी मिलता है.
कुछ कमियों की बात करें तो गेम खेलते और मूवी देखते वक्त चैनल सेपेरेशन की दिक्कत महसूस हो सकती है. मूवी की बेहतरीन फिलिंग के लिए सराउंड ऑन करना सही रहेगा. ध्यान रहे अगर कंटेंट की ऑडियो क्वालिटी बेहतर नहीं होगी तो ये स्पीकर में भी रिफलेक्ट होगी और आप ब्लूटूथ, HDMI और ऑडियो जैक में से अलग-अलग ऑडियो क्वालिटी को भी चेक कर सकते हैं. एक दिक्कत और ये कि यहां 4K पासथ्रू मौजूद नहीं है, जोकि इस कीमत के साउंडबार में होना चाहिए था. आजकल 4K टीवी मॉडल वैसे भी बजट में आ रहे हैं.
फैसला:
तो अब सवाल ये है कि क्या आपको इस साउंडबार में पैसे लगाने चाहिए? तो जवाब ये है कि आप मूवी और म्यूजिक जैसी जरूरतों के लिए JBL इस साउंडबार पर भरोसा कर पैसा लगा सकते हैं. यहां आपको क्रिस्पी ऑडियो क्वालिटी के साथ-साथ प्रीमियम लुक और डिजाइन वाला प्रोडक्ट मिलेगा. चैनल सेपरेशन जैसी कुछ दिक्कतें भी हैं जो आपको कुछ हद तक निराश कर सकती हैं. लेकिन इन सबसे बड़ी बात ये है कि इसके लिए आपको ज्यादा पैसा देना होगा. क्योंकि इससे भी कम कीमत पर सैमसंग, सोनी और एलजी जैसी कंपनियों के 5.1 होम थिएटर तक मिल जाते हैं. ऐसे में एक बार आप किसी पास के स्टोर में जाकर खरीदने से पहले ऑडियो क्वालिटी की टेस्टिंग कर सकते हैं.
रेटिंग: 3.5/5
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यह एक लेख है: पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ के मौजूदा असर को देखते हुये उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अगले सप्ताह भी कोहरा, बारिश और शीत लहर के कारण मौसम का उतार चढ़ाव जारी रहेगा. मौसम विभाग द्वारा शनिवार को जारी साप्ताहिक पूर्वानुमान के अनुसार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित उत्तर पश्चिमी इलाकों में अगले 36 घंटों तक हल्की से मध्यम बारिश, कोहरा और शीत लहर की स्थिति रहेगी. विभाग ने 17 फरवरी को पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में पहले से अधिक तीव्रता वाले एक और पश्चिमी विक्षोभ के उत्पन्न होने के कारण 18 फरवरी को इसका प्रभाव उत्तर पश्चिम के मैदानी इलाकों में दिखने की आशंका जतायी है.
मौसम विभाग ने तुलनात्मक रूप से अधिक तीव्रता वाले इस विक्षोभ के कारण 19 से 21 फरवरी तक पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों (जम्मू कश्मीर, हिमाचाल प्रदेश और उत्तराखंड) में भारी बारिश और बर्फबारी की संभावना व्यक्त की है. उल्लेखनीय है कि हाल ही में पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिल्ली सहित आसपास के इलाकों में ओलावृष्टि और बारिश हुयी थी. अगले सप्ताह के अंत में देश के उत्तर पश्चिमी, मध्य, पूर्वी, और पूर्वोत्तर इलाकों में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है. इसके अलावा पश्चिमी विक्षोभ के कारण इस अवधि में दक्षिणी हरियाणा, दिल्ली, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तर पूर्वी मध्य प्रदेश, बिहार, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, कर्नाटक, और तमिलनाडु के अंदरूनी इलाकों में रात के समय सामान्य से अधिक गर्मी का अहसास होगा. इसमें रात के तापमान में दो से तीन डिग्री तक इजाफे की उम्मीद है.
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अपनी फिल्म ‘माई नेम इज खान’ के प्रदर्शन के लिये सर्द हवाओं के बीच बर्लिन फिल्म महोत्सव के लाल कालीन पर नजर आये अभिनेता शाहरुख खान ने मुंबई में पैदा हुए तनाव को समाप्त करने की गरज से कहा कि बातों को सुलझाया जा सकता है.
खान ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं ईमानदारी से यह कह सकता हूं कि निजी स्तर पर मेरे सभी से अच्छे संबंध हैं और जहां किसी विचारधारा की बात है, तो हम चर्चा करेंगे और बातों को सुलझायेंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘‘माई नेम इज खान’ के इस मामले में भी मेरे विचार से मेरे वक्तव्य से जुड़े जो भी मुद्दे हैं, इंशा अल्लाह, मुझे भरोसा है कि मेरी फिल्म यह बात कहती है कि हम बैठ कर इस पर बात कर सकते हैं. इसके लिये यह जरूरी नहीं कि हम उस स्थिति पर पहुंच जायें जहां हम चर्चा न कर सकें. लिहाजा, हम ऐसा (बातचीत) करेंगे.’’ आईपीएल में पाकिस्तानी क्रिकेटरों को शामिल करने का समर्थन करती अपनी टिप्पणी पर माफी मांगने की शिवसेना की मांग पर झुकने से शाहरुख इनकार कर चुके हैं.
मुंबई में मल्टीप्लेक्सों और एक पर्दे वाले सिनेमाघरों ने शुक्रवार को उनकी फिल्म के सुबह के शो नहीं चलाए थे, लेकिन मुंबईकरों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद दिन के शो तय कार्यक्रम के मुताबिक हुए.
शाहरुख ने कहा, ‘‘काफी कुछ कहा गया है, काफी कुछ बोला गया है और मेरे शहर मुंबई तथा मेरे देश सहित दुनिया में मौजूद हर व्यक्ति के प्रति सम्मान दर्शाते हुए मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि अब मैं लाल कालीन पर चलना चाहता हूं, थोड़ी शैम्पेन पीना चाहता हूं, फिल्म का लुत्फ उठाना चाहता हूं और खुश रहना चाहता हूं. इंशा अल्लाह, आखिर में सब कुछ ठीक हो जायेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘सिनेमा में, थिएटर में, असल जिंदगी में और नजरिये में हमेशा ऐसी विचाराधाराएं होती हैं, जिनमें मतभेद होते हैं. हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिये और उसके साथ शांतिपूर्ण ढंग से जीना चाहिये.’’
अभिनेता अपनी फिल्म को बर्लिन में प्रशंसकों से मिली अच्छी प्रतिक्रिया से खासे खुश थे. फिल्म का शुक्रवार रात यहां बर्लिने पेलास्ट थिएटर में प्रीमियर हुआ. खान ने कहा, ‘‘मैं कई फिल्म उत्सवों में गया हूं, लेकिन मैंने कहीं भी इतने लोगों को मेरी भाषा जाने बिना मुझे प्यार करते नहीं देखा. यह आश्चर्यजनक है. मैं काफी विनम्रता और प्यार से इसे स्वीकार करता हूं.’’
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बिग बॉस सीजन-12 फिनाले के करीब है. दीपिका कक्कड़ इब्राहिम, दीपक ठाकुर, करणवीर बोहरा, श्रीसंत और रोमिल चौधरी में से कोई एक ट्रॉफी और 50 लाख प्राइज मनी जीतेगा. हर साल विनर के लिए अलग-अलग प्राइज मनी रखी जाती है. सीजन -12 में विजेता को 50 लाख मिलेंगे. वहीं सीजन-11 की विजेता शिल्पा शिंदे को 44 लाख प्राइज अमाउंट मिला था.
इस बार टास्क के दौरान घरवालों की प्राइज मनी कटकर 43 लाख हो गई थी. लेकिन फिनाले से पहले हुए BB वाटर स्टेशन टास्क में घरवालों को फिर से प्राइज मनी को 50 लाख करने का मौका मिला. टास्क को अंजाम देने के लिए घर में एक्स कंटेस्टेंट्स काम्या पंजाबी, गौतम गुलाटी और प्रियंका शर्मा आए थे. दीपक, सुरभि और रोमिल ने चतुराई से खेलते हुए टास्क जीता और विनिंग अमाउंट को 50 लाख तक पहुंचाया.
एक नजर डालते हैं पिछले सीजन के विजेताओं और उनकी प्राइज मनी पर...
बिग बॉस सीजन-1
मूवी आशिकी फेम एक्टर राहुल रॉय ने पहला सीजन जीता. इसे अरशद वारसी ने होस्ट किया था. मॉडल Carol Gracias पहली रनर अप रहीं. प्राइज मनी थी 1 करोड़.
BB12 Finale Live: भारती सिंह की ग्रैंड मस्ती, दीपक ठाकुर का उड़ा मजाक
Have an awesome day😍😍@jattinsinghphotography and@studiohimmat
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Rahul Roy
(@officialrahulroy) on
Jul 11, 2018 at 7:42pm PDT
बिग बॉस सीजन-2
रोडीज फेम आशुतोष कौशिक ने दूसरे सीजन की ट्रॉफी जीती. वे ट्रॉफी और 1 करोड़ के प्राइज अमाउंट के साथ घर गए. शो शिल्पा शेट्टी ने होस्ट किया था.
Rana Range Gurukul of shooting & Archery D Royals sports club.. #voot @voot #saharanpur @mtv @mtvroadies @bigboss12__official #fashion #royalfamily
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pandit Ashutosh Kaushik
(@bigbossashutosh) on
May 20, 2018 at 5:57am PDT
बिग बॉस सीजन-3
तीसरे सीजन को सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने होस्ट किया था. विंदू दारा सिंह ने ट्रॉफी, 1 करोड़ प्राइज मनी और लग्जरी कार जीती थी.
@danubehomein are celebrating 25 years of success and has entered India too.😙😆😘 Excited!!😍 #vindudarasingh #darasingh #danube #india #hyderabad Happy birthday @rizwan.sajan Bhai
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Vindu dara Singh
(@vindusingh) on
Dec 28, 2018 at 12:27am PST
बिग बॉस सीजन-4
सीजन 4 को सलमान खान ने होस्ट किया था. कसौटी फेम एक्ट्रेस श्वेता तिवारी ने शो जीता. उन्हें 1 करोड़ प्राइज मनी मिली थी.
BB12 Finale: फैंस का दावा- टॉप 2 में जाएगी श्रीसंत-दीपिका कक्कड़ इब्राहिम की जोड़ी
Of All the things that I’ll ever do in my lifetime, Mothering my Children will always be my greatest accomplishment🤱🏻 Oh and a customised quilt to snuggle your baby in is always a bonus 🤗 Thank you for all the Christmas gifts @littlewestst❤️ #motherhood #motherandson #nanhayatri #travelpartners #jahanmainwahanyeh
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Shweta Tiwari
(@shweta.tiwari) on
Dec 22, 2018 at 11:11am PST
बिग बॉस सीजन-5
5वें सीजन को सलमान खान और संजय दत्त ने होस्ट किया था. एक्ट्रेस जूही परमार ने ट्रॉफी और 1 करोड़ प्राइज मनी जीती थी.
I loved reading all the fun captions you guys sent last time so I thought, once more toh banta hi hai! Share your captions and once again my favorite I’ll upload for sure. #CaptionThis
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Juhi Parmar
(@juhiparmar14) on
Dec 28, 2018 at 4:59am PST
बिग बॉस सीजन-6
रियलिटी शो का छठा सीजन उर्वशी ढोलकिया ने जीता था. उनकी प्राइज मनी 50 लाख थी.
“Create ur Own Visual Style .. Let it be Unique for Urself and yet Identifiable for Others” !! ❣️ Quote : Orson Welles : : #thisisme #urvashidholakia9 #alwaysreadytopose #lifeisbeautiful #liveittothefullest #liveinthemoment #believer #dreamer #wanderer #iamwhoiam #live #love #laugh #behappy #lovetoall #❣️
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Urvashi Dholakia
(@urvashidholakia9) on
Dec 27, 2018 at 4:23am PST
बिग बॉस सीजन-7
7वां सीजन गौहर खान ने जीता था. उनके गेम को खूब पसंद किया गया. गौहर को 50 लाख प्राइज मनी मिली थी.
Loooove the jacket @aashimabehl ! Earnings @diosajewels !Styled by my most talented @devs213 ❤️. Event ready!!
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GAUAHAR KHAN
(@gauaharkhan) on
Dec 22, 2018 at 10:09pm PST
बिग बॉस सीजन-8
आठवां सीजन टीवी एक्टर गौतम गुलाटी ने जीता था. उन्हें ट्रॉफी और 50 लाख प्राइज मनी मिली थी.
Hey lovely to meet you brother,god bless you 💥 🙏🏻 stay happy and blessed 🤓
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Gautam Gulati 🇮🇳
(@welcometogauthamcity) on
Dec 26, 2018 at 7:57am PST
बिग बॉस सीजन-9
रियलिटी टीवी स्टार प्रिंस नरूला ने 9वां सीजन जीता था. खबरों के मुताबिक, उन्हें 35 लाख प्राइज मनी मिली थी.
A dedication to total and complete speed! #OnePlus6T McLaren edition has arrived! Swipe left to see the brilliant box with all the goodies. Go follow @oneplus_india to know more! #salutetospeed
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Prince Yuvika Narula
(@princenarula) on
Dec 15, 2018 at 5:24am PST
बिग बॉस सीजन-10
10वां सीजन नोएडा के कॉमनर मनवीर गुर्जर ने जीता था. उन्हें प्राइज मनी में 40 लाख रुपये मिले थे.
भैया जी #look कैसा लगा.... दबंग 💪🏻
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मनवीर गुर्जर 🇮🇳
(@imanveergurjar) on
Dec 1, 2018 at 12:49am PST
बिग बॉस सीजन-11
सलमान खान के शो का 11वां सीजन भाबीजी शिल्पा शिंदे ने जीता था. उन्हें ट्रॉफी और 44 लाख प्राइज मनी मिली थी. हिना खान फर्स्ट रनर अप और विकास गुप्ता सेकंड रनर अप थे.
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ये रिश्ता क्या कहलाता है में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. आने वाले दिनों में शो में कायरव की कस्टडी को लेकर हंगामा होने वाला है. वहीं वेदिका भी कार्तिक को छोड़ने का मन बनाएगी.
बॉलीवुड लाइफ की रिपोर्ट्स के मुताबिक, शो में कार्तिक कायरव की कस्टडी मिल जाएगी. कार्तिक कायरव को लेकर घर आ जाएगा. वहीं नायरा से भी कार्तिक का तलाक हो जाएगा. लेकिन इस सब के बाद भी वेदिका कार्तिक की अटेंशन पाने में फेल रहेगी.
जब कायरव घर आ जाएगा तो कार्तिक कायरव के साथ बिजी हो जाएगा. वो वेदिका को टाइम नहीं देगा. कायरव कार्तिक को बार-बार नायरा की याद दिलाएगा, जिसकी वजह से वेदिका उदास हो जाएगी. इस सब से परेशान होकर वेदिका कार्तिक से अलग होने का फैसला लेगी.
इन दिनों चल रहे प्लॉट की बात करें तो बता दें कि नायरा कार्तिक को तलाक के पेपर्स भेजती है और कायरव संग गोवा जाने का प्लान बनाती है. इसके बाद कार्तिक बेहद गुस्से में आ जाएगा. कार्तिक नायरा को कायरव की कस्टडी के पेपर्स भेजेगा और दोनों कायरव की कस्टडी के लिए लड़ेंगे. शो में एक ट्विस्ट और देखने को मिलेगा. नायरा को जब कोई अच्छा वकील नहीं मिलेगा तो वो खुद वकील बनकर अपने बच्चे की कस्टडी का केस लड़ेगी. लेकिन केस जीत नहीं पाएगी.
दोबारा शादी करेंगे कार्तिक-नायरा?
बता दें कि रिपोर्ट्स के मुताबिक,
शो में कार्तिक और नायरा की दोबारा शादी करने जा रहे हैं.
राजस्थान में एक बार फिर से दोनों की शादी होगी. इसी जगह पर कार्तिक और नायरा की पहले भी शादी हुई थी. हालांकि इसकी पुष्टि अभी तक मेकर्स ने नहीं की है.
देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में शो में और कौन-कौनसे मोड़ आएंगे.
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