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कौन जा रहे हैं कहाँ जा रहे हैं क्या हो रहा है
और आवाज़ भी बढ़ा सकती हूँ
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से किलोमीटर है
घर जाना होता अंक हमेशा मोरू के पास रहते
गॉँव लेना ही है तो अब क्या डर
अब अपमान करतीं हैं
उसी ने धोखा दिया तब मैं कैसे कहूँ
खुल कर बोलेआपको इससे कोई सरोकार न था
श्याम बाबू दूधिया बिस्कुट लाए थे
नेहरू युवा केंद्र युवाओं के नाम पर घमासान
कुछ दिन खालाजान ने सुना और सहा
मांझी द माउंटेन मैंन को बच्चा बच्चा याद रखेगा केतन मेहता
क्या लगता है तुम्हें बादल क्यों गरजते हैं
दो गांवों के लोगों को जोड़कर डेयरी
प्रेमियों के लिए बातचीत करने का सबसे बढ़िया जरिया है मोबाइल फोन
तुम्हें ज़्यादा कौन अच्छे लगते हैं जायंट्स या ड्रैगन्स
कल यहाँ सात बजे आना न भूलना।
अब अकेला बैल किस काम का
सबके साथ वह स्कूल चला जायेगा
हर कोई यही कह रहा था औरत हो तो सविताजी जैसी
आप इस निर्दयता से मेरे बच्चों का गला नहीं काट सकते
इसे वर्षा ॠतु कहते हैं
आज न जाने क्यों वह बेसुध थी
चलो बाज़ार से तुम्हारे लिए कुछ लेकर आते हैं
तुम्हारी मयूरी तुम्हें निराश नहीं करेगी
काम कठिन हैमाना
मेरी ममेरी बहिनें प्रिया और राम्या थरमस भर गर्म कॉफ़ी लेकर आ गईं
शिक्षक चिल्लाये मोरू को दिख रहा था कि वे गुस्से में थे
बटलोई की दाल को कटोरे में उड़ेल दिया
वैसे भी बिजली नहीं है
पढ़ाई करने के लिए स्कॉलरशिप दिया
आँधी के हाहाकार में उसे कोई न सुन सका
और नीलम की क्रीड़ा शैलमालाएँ बन रही थीं
मैंने भी बचपन से परियों की कल्पना की थी
शरत ॠतु के बाद वर्षा और
जो भी हम सोचते हैं या कुछ नया करने की कोशिश करते हैं
ये तुम्हारे बच्चे हैं
हमेशा उसी की बात करता रहता है
दादाजी ने ठहाका लगाया
मैं वहाँ नहीं जा सकती।
जब हम बैठे थे घरों में
चुप रहो महानाविक
तेनालीराम बोला कभी मैं भी तुम्हारी तरह कुबड़ा था
मोरू बोला
अब तो अनिल ज़िद्दी बच्चों की तरह ज़ोरज़ोर से रोने लगा
क्या इतने दिनों की दोस्ती कुछ भी काम न आवेगी
ईदगाह से लौटतेलौटते दोपहर हो जाएगी
हमारे घर की बिजली की तरह ही है
टॉम ने मेहनत की।
ऊपर इमली के घने वृक्षों की छाया है
बुधगुप्त के पूछने पर उसने कहा
कोई मेरी तरफ तिरछी आँख से नहीं देख सकता
देवी की समाधिसदृश पूजा करते थे
सच बात तो यह है कि मनुष्य स्वभावतः पापभीरु होता है और
अलगू चौधरी को हमेशा कचहरी से काम पड़ता था
इतना चलने के बाद मैं तो कमज़ोर हो जाऊँगा
कहाइस कपट का फल आपको अवश्य मिलेगा
तुम दोनों बेकार में मेहनत कर रहे हो
तुम्हारे भैया ने एक रोटी ली थी
इस दौरान उन्होंने अपने पसंदीदा विषय डेयरी
पर काम करती रहती है
बारह बज चुके थे
मानो बंदूक है और
उपकूल छोड़कर पश्चिमउत्तर की
मंत्रिमंडल पर आक्रमण करता है
लेकिन फिर थोड़ी सूझबूझ दिखाते हुए उसने अपनी जेब से
अचानक सड़क की ओर शोरगुल सुनाई दिया
ईमान से कह दो गॉँव किसका है
साथ ही मुसलमान
नोटबंदी के कारण सूना रहा इस बार का ट्रेड फेयर व्यापारी भी निराश
खुद खुश हो जाए खुदा
जान पड़ा कि कोई छिपा बैठा है
एक प्रतिकारक के तौर पर पहचाना जाए
खाना दो खाना दो
तुम जल्दी ही अच्छी तरह से अंग्रेज़ी बोलना सीख जाओगे।
कोटा में हिंदू कारोबारी और मुस्लिम ड्राइवर को गोतस्कर बताकर पीटा
वह महिमा की प्रतिमा
मैं अपने अदृष्ट को अनिर्दिष्ट ही रहने दूँगी
अभी नहीं बेटा पहले सो लो
एट
वह बहुत बोलती है।
आज कह रहा था कि भैया की शहर में बड़ी इज्जत होती हैं
उन्होंने आगे बढ़ कर भानुकुँवरि को प्रणाम किया
उसके बोलते ही उसके साथी मुझे घेर कर खड़े हो गए
गाँवों और शहरों से होते हुए पूरा महीना चलेंगे
वह सर झुकाये ध्यान से अपनी कॉपी में कुछ देख रहा था
और सोचने लगे कि गाड़ी कैसे घर पहुँचे
और वो सफ़ेद चमकदार बादल रूई के बड़ेबड़े गोलों जैसे दिखते हैं
यह मूक स्नेह था खूब ठोस
चुनाव में भी होती है सीटों की फिक्सिंग अजय सिंह
लेकिन किसी भी टहनी पर मोरू नहीं था
बैल की मृत्यु केवल इस कारण हुई कि
आपकी अवहेलना करने वाले या कम चिंता करने वाले और
वह भानुकुँवरि के घर का एक रास्ता था
एक साथ बुझ जाएँ और यही क्रम चलता रहे
लड़कों के लिए यहाँ कोई आकर्षण न था
पुलिसवालों के हाँ कहने पर दादाजी बोले तब मुझे विरोध करने दो
जायदाद जितनी है वह पंचों से छिपी नहीं
जब तक दानपत्र की रजिस्ट्री न हुई थी
जिसकी बागडोर अमृता ने सँभाली क्योंकि उनकी आवाज़ ऊँची थी