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सिद्धेश्वरी से कुछ कहते न बना और
हामिद ने कलेजा मजबूत करके कहातीन पैसे लोगे
दयालु होने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं
एक आदमी ऊपर चढ़ा
हूँ यह बात तो ठीक है गाँधी जी
और पेट कह रहा है
स्कूल आना भी अच्छा नहीं लगता था
सिद्धेश्वरीने पूछा
मैदान छोड़ भाग लिया
उसे पास खींच लिया
जब मिठाईवाले ने किसान को मजे से उसकी दुकान
यह सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुए
फिर खाने लग गया
जिस में चार सौ से ज़्यादा लोग मारे गए और
खोए खोए दिल से तेरे
दो साल बुटीक में काम करने का बाद कुछ अनुभव हुआ और
उसका पूरा चेहरा चाट लिया
चमचमाती और नये कागज़ की महक वाली
फ़िर टुल्लु ने दरवाज़े को थोड़ा सा और
लड़के वहाँ से एक फर्लांग पर हैं
सर्दियों का मौसम आने ही वाला है
वो शख़्स कैसे भारत के ग़रीबों का नुमाइंदा बना
मेरी सारी सहेलियां परी बनकर आ रही है मैं भी परी बन कर जाऊंगी
आँधी की संभावना है
चंपा ने उसके हाथ पकड़ लिए
बिखरे टुकड़ों में
अलगू ने गुरु जी की बहुत सेवा की थी
गाना गाते हुए अपनी कार में चले गए
कहाइस कपट का फल आपको अवश्य मिलेगा
मुझे ऑपेरा से नफ़रत है।
पर मेरी किताबों में तो कुछ और ही लिखा है
चपरासीसब उनकी कृपा की आकांक्षा रखते थे
और ब्रिटिश सरकार के लिये यह बड़ी शर्म की बात होगी
उसके यार दोस्त भी सब शराबी और जुआरी थे
सुबह के दस बज चुके थे
कोने में जाकर चुपचाप बैठ गई
छक्कनलाल अपनी तकदीर को ठोंकते हुए सेठ जी के पास गये
स्तंभ के संकीर्ण प्रकोष्ठ में बुधगुप्त और
वहां के नटाल सूबे में गांधी ने भारतीयों को
या इस कोशिश में अपना बलिदान कर देना चाहिए
यह भी उत्तरदायित्व के ज्ञान का फल है
अगले दिन अपनेअपने खेतों की मिट्टी के नमूने को साथ लेकर श्यामल काका
वहाँ उसे हज़ारों तारे टिमटिमाते दिखे
रोमांच हो आता है रोंगटे खड़े हो जाते हैं और
ठाकुर साहब को नजर किये गये
ब्रिटिश हुकूमत के प्रतीकात्मक विरोध
तब फिर सड़क पर आये
पिता जी क्या आप और अम्मा दाँडी यात्रा पर जा रहे हैं
जीवन का कोई मोल नहीं लगा सकता
चलाने के लिए राजा कृष्णदेव राय को सलाह भी दिया करते थे
फाइंडिंग फैनी में दीपिका का अग्नि अवतार
नायक की कातर आँखें प्राणभिक्षा माँगने लगीं
सब बच्चों पर हुक्म चलाते
करके वह जायदाद ही मॉँगी जाती है
तरूणी चंपा दीपक जला रही थी
गुरुग्राम नाबालिग के घर पिस्तौल लेकर पहुंचा सिरफिरा आशिक किया हंगामा
उनके नाम से कालांतर में अपभ्रंश होता हुआ
मुझे बारिश से भीगी मिट्टी की सौंधी महक बहुत अच्छी लगती है
जिनसे किसी न किसी कारण उनका वैमनस्य था
काले रंग की वजह से मीनू को हमेशा शर्मिंदा होना पड़ा
ललचाई आँखों से सबकी और देखता है
ड्रम रखे हैं
जैसलमेर में तो बर्फ़ नहीं पड़ती वहाँ केवल रेत ही रेत है
इस पर तेनालीराम हंसकर बोला
कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया
एक बाग़ी नौजवान थे
इतना जल
दोपहर के पहले लौटना असंभव है
सिक्स
रूठी तकदीरें तो क्या
बुधगुप्त ने उसे छोड़ दिया
वह संतरी हमारा वह पासबाँ हमारा
अपनी विपन्नता से बेखबर
दयालु होना क्यों महत्वपूर्ण है
जब तक भारतीय अपने ही घर में ग़ुलाम हैं
इस जीत को इंग्लैंड के
हर कोई उस देश के सच्चे सपूत के लिए रो रहा था
हर कोई यही कह रहा था औरत हो तो सविताजी जैसी
वो किसी भी नागरिक को केवल चरमपंथ
महाराज की बात सुनकर जादूगर बोला
इससे पहले कि मैं उन्हें चेतावनी दे पाता वे सीढ़ी से उलझकर गिर गए
मैं गंगा में डूब मरुँगी
उसने अपनी मुर्गी माँ से पूछा की
माता की आँखों में आँसू भर आये
क्या आप जानते हैं कि ये सारी चीज़ें गुड़ और तिल से बनती हैं
कुछ कहानियों की किताबें थीं जिनके आवरण पर तस्वीरें बनी थीं
पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं होती
मां ने मोहन को हिंदू परंपराओं
पाप के अथाह दलदल में जहाँ एक बार पड़े कि
इसी दौरान उन्हें एक अंग्रेज़ अधिकारी के घर से
सफ़र कर रहे थे
कोई इक्केताँगे पर सवार
किसने बुलाया था इस निगौड़ी ईद को
उसके पिता कामता प्रसाद सुहास के पिता जगदीश चंद्र प्रसाद के मित्र थे
मीनू भी उस टीम में शामिल थी
देखा अब मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई
उनका चेहरा आग की तरह तप रहा था लेकिन हाथ ठंडे थे
उसके मुँह का आकार बदल गया था
नसीमुद्दीन कांग्रेस में आजाद बोलेमाया से गठबंधन में रोड़ा नहीं बनेगी एंट्री
सिद्धेश्वरी जहाँकीतहाँ बैठी ही रह गई