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कहानी चाहे कुछ भी हो
जो भी हो कल फिर आएगा
के फिर जुड़ ना पाया
जिससे लोगों के बीच बातचीत कम होती जा रही है
चंपा के एक उच्चसौध पर बैठी हुई
तब भानुकुँवरि ने सत्यनारायण की तरफ देख कर कहालाला जी
कुछ लोग उनके साथ जाने के लिए मान गए
इतने सारे लोग मैंने कभी नहीं देखे थे
जीवन का कोई मोल नहीं लगा सकता
दिखती नहीं रेल पर सुनाई देती है
बॉब ने मेरी मदद की।
उसके दोनों ओर हाथी की विशाल प्रतिमाएँ हैं
सुनार ने उस पत्थर को ध्यान से देखा और बोला ये
मैं तुम्हें घृणा करती हूँ फिर भी तुम्हारे लिए मर सकती हूँ
पर किताबों से तो मैंने कुछ और ही सीखा है
जुम्मन ने क्रोध से कहाअब इस वक्त मेरा मुँह न खुलवाओ
कर हर मैदान फ़तेह
उसे कोई बीमारी न थी
भानुकुँवरि फिर पर्दे से निकल आयी और
आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टंगी थी
तो उनकी दृष्टि तेनालीराम पर पड़ी जो अपने कुर्ते की जेब से
हेमा मालिनी बोलीं विकास किया है पिछले चुनाव से ज्यादा वोटों से जीतूंगी
सेवन
किन्तु देखती हूँ
सेठ जी ने समझौते की बात छेड़ी
अम्मा क्या गाँधी जी कहीं जा रहे हैं
मोटे और लम्बे पुलिसवालों की जोड़ी गश्त पर थी
उसके हाथ में सिर्फ कर्म करना है और वह अपना काम बखूबी करेगी
इस यात्रा के दौरान ही गांधी को
आपका कहने से काम बिगड़ता था
अम्मा क्या गाँधी जी कहीं जा रहे हैं
मुखर्जी पसीनेपसीने हो गया
विश्राम करना पसंद करते हैं
दादाजी को पेड़ों की रक्षा क्यों करनी चाहिए
पर हत्याएं और ख़ूनख़राबा हुआ
त्री
आणंद में एक छोटे से गैराज
खैरियत यह हुई कि वकील ने देखा नहीं
ऐसे ही सत्यवादियों के बल पर पृथ्वी ठहरी है
दादाजी ने सिर हिलाया मुझे खेद है पर मैं नीचे नहीं आ सकता
लूटा लूटा किसने उसको ऐसे लूटा
दूसरे दिन तेनालीराम को बंदी बनाकर महाराज के समक्ष पेश किया गया
साधारण रहनसहन और
तेनालीराम क्या तुम्हें पता नहीं है कि आज हम सब लोग जंगल में तालाब
लता मंगेशकर की तबीयत में सुधार परिवार ने दी जानकारी
जिसमें कोई भी ध्यान केंद्रित कर सकता है
माताक्या बात हुई भानुकुँवरि का मिजाज तो ऐसा न था
परिवार के बुज़ुर्गों ने मोहनदास को समझाया कि
कड़वी बातों के कुछ तेज
भानुकुँवरि इन बातों को जानती न थी
स्वाभाविक प्रवृत्ति पाप की ओर होती है
भालू दादा ने गोद उठाया
बोला बाबू जी देवता के समान हैं
क्या लोग थे वो अभिमानी
और उनके साथी जिले में स्थित किसान परामर्श संस्था पहुँचे
उसके दादा के गाँव में लोग बाँस की टोकरियों में
बहू में आत्म सम्मान जरा भी नहीं था
पूछाक्यों चौधरी तुम्हें कोई उज्र तो नहीं
मुझे मदद की आवश्यकता थी
शांति स्थापित कर सकें
अब यह नैया तुम्ही पार लगाओगे तो लग सकती है
यह मशीन बिजली से चलती है।
एकएक कर के सारे अंक और उनके करतब मोरू के पास लौट आये
लड़के की नाक के पास हाथ रख दिया
एक अजीब सी आवाज़ सुन कर
सच में
मैं थक चुका था
बोलेजुम्मन मियाँ किसे पंच बदते हो
उनकी गणना महाराज के नवरत्नों में की जाती थी
हो जा तू भीड़ से जुदा
उसका कहा हुआ एक शब्द भी सुनने लायक नहीं है।
उस पर जो खर्च पड़ा वह मेरा था या आपका
इतने में अलगू ने फैसला सुनाया
तो हम कोई रास्ता निकाल सकते है
मुझे लगता है मुझे लगता है
तदुपरांत एक लोटा पानी लेकर खाने बैठ गई
अभीअभी खाकर काम पर गया है
मुंशी जी दाललगे हाथ को चाट रहे थे
दुनिया का सर्वाधिक दूध उत्पादक देश बनाने वाले
हर पोंगल पर उसे एक कोलम बनाने दिया जाता था
सरदार वल्लभ भाई पटेल की पहल और
गांधी ने इन मुसलमानों के हक़
समझ गये कि इस समय इससे कोई लाभ नहीं
बहू में आत्म सम्मान जरा भी नहीं था
अम्मा मुस्कराने लगीं अनिल भी मुस्कराने लगा
मीनू कैसा रहा तुम्हारा दिन और
अमित शाह का दो टूक निर्देश आतंकवाद पर नहीं बरत सकते ढिलाई
यहां से वे परियां भाग न जाएं इसलिए तो फाटकों पर ताले डाले गए हैं
ट्रंप के ट्रेड वॉर का जवाब अब चीन युआन को देगा डॉलर जैसी मजबूती
पता नहीं क्या हुआ।
मैं आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगा
मुझे पीले गुलाब सबसे अच्छे लगते है और दादाजी को सफ़ेद चमेली पसंद है
न चारे की फिक्र थी न पानी की बस खेपों से काम था
भानुकुँवरि और सत्य नारायण अब भी जीवित हैं
मोहन सिद्धेश्वरी का मंझला लड़का था
सत्यवादी मनुष्य पर कोई विपत्त पड़ती हैं
देश की सबसे बड़ी केलों की मंडी यहाँ स्थित है
गाँधी जी बड़े व्यस्त रहते थे
यहाँ पर सोलह घर बनने हैं
रंग का केला भी पाया जाता है