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चुवाड़ी-चंबा जिला के प्रवेश द्वार सांझी नाला और हटली चैक पोस्ट के माध्यम से रविवार को महाराष्ट्र, पंजाब व चेन्नई से 35 लोग घर वापस पहुंचे हैं। इन चैक पोस्टों पर मौजूद अधिकारियों व कर्मचारियों द्धारा लोगों की जांच पडताल के बाद निगरानी हेतु बार्डर बफर क्वारंटाइन केंद्र भेज दिया गया है। इसके अलावा रविवार को हिमाचल के विभिन्न जिलों से करीब 65 लोगों ने इन चैक पोस्टों के माध्यम से जिला में प्रवेश किया है। जानकारी के अनुसार रविवार को सांझी नाला चैक पोस्ट से महाराष्ट्र, चेन्नई व पंजाब से 29 लोग पहुंचे हैं, जबकि हटली बैरियर के जरिए छह लोग आए हैं। इन लोगों की चैक पोस्ट पर थर्मल स्कैनिंग के जरिए स्वास्थ्य जांच के बाद वाहनों के जरिए नजदीकी बार्डर बफर क्वारंटाइन केंद्र में शिफट कर दिया गया। जहां आगामी चौदह दिनों तक यह इन केंद्रों में प्रशासन की निगरानी में रहेंगें। इसके अलावा रविवार को ही प्रदेश के विभिन्न जिलों से हटली चैक पोस्ट पर 30 लोगों ने अपनी एंट्री दर्ज करवाई है। सांझी नाला चैक पोस्ट के जरिए चंबा जिला में आने वाले लोगों का आंकडा 35 के आस- पास रहा है। उधर, सांझी नाला चैक पोस्ट प्रभारी एवं नायब तहसीलदार चुवाडी आशीष ठाकुर ने बताया कि बाहरी राज्यों से आए लोगों को बार्डर बफर क्वारंटाइन में भेजा गया हैं, जबकि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों को होम क्वारंटाइन में रहने के निर्देश देकर घर भेजा गया है। बहरहाल, रविवार को हटली व सांझी नाला चैक पोस्ट से बाहरी राज्यों से 35 और प्रदेश के विभिन्न जिलों से 65 लोगों ने एंट्री की है। चंबा। राइजिंग स्टार पब्लिक स्कूल चंबा के आठवीं कक्षा के छात्र पुष्कर बिजलवान ने पेंटिंग के माध्यम से वैश्विक कोरोना वायरस महामारी से लोगों की जिदंगियां बचाने में जुटे डाक्टरों, नर्सिग स्टाफ व पुलिस कर्मचारी आदि कोरोना योद्धाओं को सलाम ठोंका है। पुष्कर बिजलवान का कहना है कि यही लोग इस विकट परिस्थिति में लोगों को इस महामारी की चपेट में आने और बचाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। पुष्कर बिजलवान ने साथ ही लोगों से भी कोरोना वायरस संक्त्रमण से बचाव को लेकर जारी सरकारी व प्रशासनिक हिदायतों का पालन करने का आह्वान भी किया है।
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जून 24 और 27 के बीच वियना में संपर्क केंद्र विश्व प्रतियोगिता में Renault MAIS को 4 अवार्ड मिला। संपर्क केंद्र विश्व प्रतियोगिता भविष्य के ग्राहक अनुभव के मुख्य दर्शन के ढांचे के भीतर आयोजित की जाती है। रेनॉल्ट MAIS ने 4 श्रेणी में प्रतियोगिता में भाग लिया और यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका के फाइनल में 4 से सम्मानित किया गया। Renault MA ,S, 3 स्वर्ण और 1 रजत श्रेणी में डायलॉग में प्रदान की गई सेवाओं के साथ 4 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। Renault MA RenaS A.Ş की सेवाओं में सर्वश्रेष्ठ ग्राहक सेवा, सर्वश्रेष्ठ सामाजिक मीडिया प्रबंधन और सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी / नवाचार की श्रेणियों में एक्सएनयूएमएक्स स्वर्ण पदक शामिल हैं; उन्हें सर्वश्रेष्ठ संचार केंद्र (मध्यम) श्रेणी में रजत पदक से सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता का विश्व फाइनल दिसंबर में एशिया प्रशांत और अमेरिका के फाइनल के बाद बार्सिलोना में होगा। ग्राहक संतुष्टि के ओईएके के दृष्टिकोण के अनुरूप, रेनॉल्ट एमएİएस ने डिजिटल परिवर्तन के लिए बहुत महत्व दिया है कि उसने 2,5 साल पहले नींव रखी थी। इस दिशा में, यह अपने ग्राहकों को एक व्यक्तिगत, आसान और अनोखा अनुभव प्रदान करता है, जिसमें वॉइस सेवाओं से लेकर सामाजिक और डिजिटल चैनलों तक, Diyalog प्लेटफॉर्म शामिल है। डायलॉग कम्युनिकेशन लाइन, दुर्घटना और खराबी जैसी स्थितियों में तत्काल हस्तक्षेप सेवाएं प्रदान करते हुए, Renault Yardım अपनी सोशल मीडिया और डिजिटल चैनल टीम के साथ-साथ Renault लिस्टिंग के साथ निर्बाध सेवा प्रदान करता है, जहां सभी अनुप्रयोगों और अनुरोधों का मूल्यांकन किया जाता है, और गुणवत्ता और संतुष्टि नियंत्रण खोजों।
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कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला द्वारा रविवार को आयोजित किए जा रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन पर जिला प्रशासन द्वारा रोक लगा दी गई है। विधायक शुक्ला ने इसे अवैधानिक और भाजपा के नेताओं को खुश करने का जरिया निरूपित किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के कहने पर प्रशासनिक अधिकारियों ने यह फैसला लिया है। दरअसल विधानसभा क्षेत्र 1 के विधायक संजय शुक्ला द्वारा हर रविवार को अपने विधानसभा क्षेत्र के वार्ड में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इस सम्मेलन में वार्ड के बुजुर्गों तथा कोरोना योद्धाओं का सम्मान होता है। रविवार 14 नवंबर को वार्ड 7 के कांग्रेसियों का सम्मेलन हंसराज मठ पीलिया खाल पर आयोजित किया गया था। इस आयोजन की सूचना विधायक शुक्ला द्वारा जिला प्रशासन के अधिकारियों को नियम के अनुसार भेज दी गई थी। मामले में उन्हें मल्हारगंज एसडीएम पराग जैन द्वारा एक पत्र भेजा गया जिसमें अनुमति निरस्त करने की जानकारी दी गई है। इस मामले विधायक शुक्ला ने कहा कि कोरोना के नाम पर एक ओर बुजुर्गों का सम्मान करने से रोका जा रहा है वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार द्वारा पूरे प्रदेश से आदिवासियों को इकट्ठा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में आयोजन किया जा रहा है। इंदौर का जिला प्रशासन एक ओर कोरोना के नाम पर भीड़ इकट्ठी होने से रोकने के लिए कदम उठाने की बात करता है तो दूसरी ओर खुद भोपाल के आयोजन में भाग लेने के लिए जा रहे आदिवासियों के लिए कैंप बनाकर व्यवस्था करने में लगा हुआ है। इस समय सारे शहर में सभी तरह के आयोजनों को अनुमति दी जा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि इंदौर की जनता सब जानती है। भाजपा के शासन में जो कुछ हो रहा है उसका सही समय पर सही जवाब इंदौर की जनता देगी। मामले में एसडीएम पराग जैन ने बताया कि कोरोना को लेकर सितम्बर में जारी आदेश अभी यथावत है जिसमें समारोह, धरना, प्रदर्शन, रैली आदि प्रतिबंधित है। इसके पालन में उक्त अनुमति निरस्त की गई है। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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देश का इतिहास गवाह है कि क्रांतिकारियों ने इसकी स्वतंत्रता के लिए संचालित सशस्त्र संघर्ष में 1925 में नौ अगस्त को लखनऊ के पास ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन ऐक्शन को अंजाम दिया तो ब्रिटिश साम्राज्य बुरी तरह हिल उठा था, क्योंकि इस ऐक्शन के तहत क्रांतिकारियों ने उसके विरुद्ध निर्णायक युद्ध छेड़ने के लिए अस्त्र-शस़्त्र खरीदने हेतु धन जुटाने हेतु ट्रेन से ले जाया जा रहा सरकारी खजाना सफलतापूर्वक लूट लिया था. ज्ञातव्य है कि गोरखपुर में उनकी शहादत के दिन ही ब्रिटिश साम्राज्य ने उनके दो साथियों अशफाकउल्लाह खां और रौशन सिंह को क्रमशः फैजाबाद व इलाहाबाद की मलाका जेलों में फांसियों पर लटका दिया था. राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को गोंडा की जेल में इससे दो दिन पहले 17 दिसम्बर, 1927 को ही शहीद कर दिया गया था. ग्यारह जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में माता मूलारानी और पिता मुरलीधर के पुत्र के रूप में जन्मे 'बिस्मिल' का व्यक्तित्व इस अर्थ में बहुआयामी था कि उसमें संवेदशील कवि/शायर, साहित्यकार व इतिहासकार के साथ-साथ एक बहुभाषाभाषी अनुवादक भी था. 1915 में भाई परमानंद को फांसी की सजा सुनाये जाने से उद्वेलित होकर वे क्रांतिकारी बने तो जल्दी ही उन गिनी-चुनी क्रांतिकारी विभूतियों में से एक बन गये थे, जिनका कलम व क्रांति से एक-सा रिश्ता था. जानकार बताते हैं कि अपने क्रांतिकर्म के लिए जरूरी हथियार उन्होंने अपनी पुस्तकों की बिक्री से प्राप्त रूपयों से ही खरीदे थे. उन्हें जीवन के सिर्फ 30 साल ही मिले, मगर इस दौरान उनके द्वारा राम और अज्ञात आदि उपनामों से लिखी गई कुल 11 पुस्तकें प्रकाशित हुईं. ये सबकी सब जब्त कर ली गयी थीं. यह भी पढ़ेंः जब तक जनता 'राजनीतिक उपभोक्ता' बनी रहेगी, उसे ऐसे ही महंगाई झेलनी पड़ेगी! बिस्मिल को शहादत भले ही शहादत काकोरी ऐक्शन का नेतृत्व करने को लेकर हासिल हुई, ऐतिहासिक 'मैनपुरी षडयंत्र' में भी उनकी कुछ कम भूमिका नहीं थी. वहां कांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के पैदल सैनिकों, घुड़सवारों व हथियारों से सम्पन्न 'मातृवेदी' संगठन के बैनर पर बिस्मिल ने अंग्रेजों के खिलाफ जो सशस्त्र संघर्ष चलाया, उसमें एक मुकाबले में कहते हैं कि पचास गोरे सैनिक मारे गये और 35 क्रांतिकारी देश के काम आये थे. तब बिस्मिल को दो वर्षों के लिए भूमिगत हो जाना पड़ा था. अंगे्रजों ने उन्हें मैनपुरी षडयंत्र केस का भगोड़ा घोषित कर उसमें पकड़े गये क्रांतिकारीयों को लम्बी-लम्बी सजायें सुना दीं तो बिस्मिल ने चंद्रशेखर 'आजाद' के नेतृत्व वालेे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों का नया दौर आरम्भ किया. हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. कम ही लोग जानते हैं कि बिस्मिल की शहादत के बाद क्रूरतम रूप में आई गरीबी और सामाजिक कृतघ्नता ने इस वीर माता को भी खून के आंसू रुला दिये थे. बिस्मिल की दादी को भी उनकी शहादत की कुछ कम कीमत नहीं चुकानी पड़ी थी. अपनी दुस्सह निर्धनता के दिनों में उन्हें उस दान पर निर्भर करना पड़ा था, जो एकादशी आदि पर शहीद की दादी नहीं, ब्राह्मणी होने के चलते उन्हें मिल जाता था. क्रांतिकारी संघर्षों के इतिहास के गम्भीर अध्येता सुधीर विद्यार्थी बताते हैं कि उन दिनों क्रांतिकारियों की शहादतों के प्रति सामाजिक कृतघ्नता चरम पर थी. ब्रिटिश साम्राज्य के कहर और कोप के डर से लोग उनसे दूर रहने में ही भलाई समझते थे. लेकिन 1936 में तुर्की, अब तुर्किए, के क्रांतिकारी मुस्तफा कमाल पाशा ने साउथ ईस्ट अनातोलिया स्थित अपने देश के दियारबाकिर राज्य में 'बिस्मिल शहर' बसाकर उनकी शहादत को सलाम किया था. दियारबाकिर अरबी का शब्द है, जिसका अर्थ है विद्रोहियों का इलाका. पाशा ने दियारबाकिर से ही क्रांति की शुरुआत की थी. उन्होंने अपने संस्मरणों में भी खुद को बिस्मिल से बेहद प्रभावित बताया है. वे उनके लिए भारतीय क्रांति के प्रतीक थे. यों, यह मामला एकतरफा नहीं था. बिस्मिल पर भी पाशा का जादू सिर चढकर बोलता था. 1922 में, जब तुर्की में विजय दिवस मनाया गया था, बिस्मिल ने 'प्रभा' पत्रिका में 'विजयी कमाल पाशा' शीर्षक लेख लिखा था. अपनी शहादत से दो दिन पूर्व तक बिस्मिल गोरखपुर में जेल अधिकारियों की नजर बचाकर अपनी आत्मकथा लिखते रहे थे. इस आत्मकथा को तीन बार में चुपके-चुपके बाहर भेजा गया और बिस्मिल के शहादत वर्ष में ही प्रकाशित कराया गया था. बिस्मिल ने नौजवानों में क्रांति की चेतना पैदा करने वाली कुछ कविताएं और गजलें भी रची हैं, लेकिन उनकी आत्मकथा का इस अर्थ में ज्यादा महत्व है कि वह क्रांतिकारी आन्दोलन की शक्ति ही नहीं, उसकी कमजोरियों का भी पता देती है. इसका भी कि किस तरह कई क्रांतिकारी नामधारियों की प्रांतीयताजनित संकीर्णताएं व भेदभाव क्रांतिकारी आन्दोलन की जड़ें मजबूत करने में गम्भीर बाधाएं खड़ी करते रहते थे और किस तरह विभिन्न ऐक्शनों में कमजोर इच्छाशक्ति वाले साथी पुलिस के दमन, अत्याचार व माफी जैसे प्रलोभनों के सामने टूटकर सारा भेद खोल देते थे. काकोरी ऐक्शन में बिस्मिल को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में भी ऐसे साथियों की बड़ी भूमिका थी. बिस्मिल के ही शब्दों में हालत यह थी कि 'जिन्हें हम हार समझे थे, गला अपना सजाने को, वही तब नाग बन बैठे थे हमारे काट खाने को. ' इन 'काट खाने को बैठे' नागों में सबसे बड़ा नाम उस बनारसीलाल का था, जिसने पुलिस के बहकाने पर सेशनकोर्ट में अपने बयान में यह तक कह दिया था कि बिस्मिल क्रांतिकारी आन्दोलन के लिए धन जुटाने हेतु अंजाम दिये गये ऐक्शनों से हासिल रूपयों से अपने परिवार का निर्वाह करता है. यह बनारसीलाल 'क्रांतिकारी' बनने से पहले रायबरेली जिला कांग्रेस कमेटी का मंत्री रह चुका था और असहयोग आन्दोलन में उसने छः महीनों कैद की सजा भी भोगी थी. बिस्मिल उस पर बहुत स्नेह रखते थे और आन्दोलन में पैसों की तंगी के वक्त भी उसे किसी तरह की कोई कमी नहीं होने देते थे. फिर भी वे उसे इकबाली मुल्जिम बनने से नहीं रोक पाये थे. अपनी अंतिम गजल में संभवतः इसी को लेकर उन्होंने लिखा थाः मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या! दिल की बर्बादी के बाद उनका पयाम आया तो क्या! मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब खयाल, उस घड़ी गर नामावर लेकर पयाम आया तो क्या! आखिरी शब दीद के काबिल थी 'बिस्मिल' की तड़प, सुब्ह-दम कोई अगर बाला-ए-बाम आया तो क्या! (कृष्ण प्रताप सिंह फैज़ाबाद स्थित जनमोर्चा अखबार के स्थानीय संपादक और वरिष्ठ पत्रकार हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)
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से रावण घनरा गया, और खड्ग को त्याग बरछी ले रामचन्द्रजी पर धावा करना चाहा परन्तु इतने अवसर में रामचन्द्रजी के सारथी ने घोड़ों की बाग ऐसी सावधानी से फेरी कि रथ तात्काल पछि हट गया और रावण की वार व्यर्थ गई, और इसके उतर में रामचन्द्रजी ने एक माय धनुष से ऐसा छोड़ा जो रावण के हृदय को बेषता हुमा पार हो गया और वह दीन रथ से नीचे गिर पड़ा ।। चौपाई । गिरा भुमि पर जब दस कन्धर, महा परतापी वीर धुरन्धर । राक्षस सारे भए दुखारी, सुरादिक सर्व भए सुखारी ।। डा ! देखिये ! रावण भूमि पर तड़प रहा है, और शेष सेना जो उसी मैदान की विस्त्रित भूमि में उतर की ओर डटी थी अभी तक युद्ध कर रही है और इधर विजय पताका अकाश में उड़ने लगा, महाराज रामचंद्र जी के जय २ कार की ध्वनि प्रकाश तक पहुंच गई, प्रसन्नता द्योतक हर्ष जनक शब्द सब ओर से आने लगा और शत्रु दल ने शस्त्र फेंक श्री रामचंद्र जी की मांगी ।। पाठक महाशय ! रावण की भूमि पर तड़फते विभषिय को भ्रातृप्रेम ने घेरा, शीघ्रता से रथ को चला उस के निकट जा पहुंचा, परंतु खेद कि इतने में वह परलोक यात्रा कर चुका था और मृत्यू ने उस के शरीर को ठण्डा कर दिया था, अव रावण हाथ पांव फैलाये मृत्यु शय्या पर पड़ा है, शरीर रुधिरा कांत है परंतु मृग के समान नेत्र वैसे ही खुले हैं, जैसे कि पाहिले थे । विभविण को भाई की यह दशा देखते ही उस की विद्वत्ता के कथन, वीरता के व्याख्यान और वव युक्त साहसमय पूर्वोक्त कथन स्मरण प्रागये, उधर वंश के विनाश और अपने एक मात्र रह जाने और सव के वियोग ने इस के आतुर हृदय को और भी विदग्ध कर दिया, सब ज्ञान के वचन इस समय भस्मीभूत हो धूम्र रुप धारण कर के मस्तिष्क को चढ़ गये और वेसुध हो भूमी पर गिर पड़ा जब तनिक सुघ आई तो उठ कर बैठ गया ।। अब देखिये दोनों हाथ भुमि पर टेके रावण के मुख को देखता हुआ हाय भ्राता हाय भ्राता ! कह कर कैसे विलपि कर रहा है और बहुत से बीर सर्दार इसकी चारों ओर बैठे रो रहे हैं । वह तो मंदादरी भी इस की मृत्यु का समाचार सुन रथारूढ़ हो रोती चिल्लाती भारही है, छा ! जैसे यह उस मृतक शरीर के निकट पहुंची और अपने स्वामी को रुघिरा कांत हाथ पांव फैलाये भूमि पर पड़े देखा वेसुध हो गिर पड़ी, जय आई तो रो रो कर कहने लगी " हा ! पति वेरी यह दश। क्योंकर हुई तुम से तो इन्द्र, यम, कुवेर आदि डरते थे आज तुम्हारी वह वीरता कहाँ गई जो इस प्रकार बेसुध पड़े हो ! हाथ मेरे कथन का उत्तर क्यों नहीं देते ? स्वामिन् ! आप के सिवा मुझ अधीर को कोई धैर्य देने वाला दीख नहीं पड़ता, हा ! मिया पुल पहिले ही सिधार गये, पौल मपौल भी दीख नहीं पड़ते । इा ! बीर कुंभकरण सरीखा देवर भी इस युद्ध की भेटा हुआहा ! विधाता अब मैं किधर जाऊं क्या करूं स्वामिन् ! आप को बहुतेरा समझाया लाखों यत्न किये कि आप इस छठ को छोड़ दें परंतु खेद कि आप ने एक न मानी' पाठकगण ! मंदोदरी इस प्रकार विलप कर ही रही थी कि महाराज रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी वहां पर आगये और कहने लगे, मंदोदरी तू आप बुद्धिमति है तनिक नयाय पूर्वक आप ही कहो कि जो दशा तेरे पुत्र या पौत्रों की हुई उस में किस का अपराध है देवी ! जब तू स्वयं दूर दर्शिनी और नयाकारिणी है तो धर्म से न्याय कर कि तेरा स्वामी जो अतीवाभिमानी प्रात्मश्लाघा और किसी की बात को न सुनने वाला था, उस की यह गत होनी चाहिये थी या नहीं ? तुम ने स्वयं बहुतेरा समझाया और हमने भी सहसो यत्न किये परंतु इस ने तनिक ध्यान न दिया अब कहिये इस को यह दिन भी देखना या या नहीं ? रानी संतोष कर कर्मरेख द्वारे नही दरती इस में किसी
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नयी दिल्लीः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर पहले दौर की वोटिंग कल होनेवाली है। इससे पहले मंगलवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र को जारी कर दिया है। इस घोषणा पत्र में दोनों दलों ने मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की है। बिजली से लेकर स्कूटी तक मुफ्त देने के वादे किए गए हैं। आइये सबसे पहले एक नजर डालते हैं कि दोनों दलों ने क्या-क्या मुफ्त देने का ऐलान किया है। बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में अगले पांच वर्षों तक किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का ऐलान किया है। इसके साथ ही मेधावी छात्राओं को रानी लक्ष्मीबाई योजना के तहत मुफ्त स्कूटी देने की भी घोषणा की गई है। इसके साध ही प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के सभी लाभार्थियों को होली और दीपावली पर दो मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा किया है। वहीं 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन में मुफ्त यात्रा की सुविधा देने का भी ऐलान किया है। वहीं बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के तहत दो करोड़ टेबलेट और स्मार्टफोन वितरित करने का भी ऐलान किया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में भी कई चीजें मुफ्त मुहैया कराने का ऐलान किया है। समाजवादी पार्टी सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली और ब्याज़ मुक्त ऋण देने का वादा किया है। इसके साथ ही समाजवादी पेंशन शुरू कर दिव्यांगों और वृद्धों को 18 हजार रुपये महीने तक की राशि देने का भी ऐलान किया है। 12 वीं पास सभी छात्रों को मुफ्त में लैपटॉप देने का वादा किया गया है। साथ ही हर गांव और शहर में मुफ्त वाई-फाई का भी ऐलान किया है। इसके साथ ही सपा ने अपने घोषणा पत्र में यह भी वादा किया है कि दोपहिया वाहन मालिकों को हर महीने एक लीटर पेट्रोल मुफ्त दिया जाएगा। इसके अलावा बीजेपी ने नए संकल्प पत्र में मुख्य रूप से कथित 'लव जिहाद' के दोषी लोगों को कम से कम 10 वर्षों की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान करने, अयोध्या में भगवान राम से संबंधित संस्कृति शास्त्रों तथा धार्मिक तथ्यों पर शोध के लिए रामायण विश्वविद्यालय की स्थापना करने, बुजुर्ग संतो पुजारियों और पुरोहितों के कल्याण की योजनाएं संचालित करने के लिए एक विशेष बोर्ड बनाने का वादा किया है। गन्ना किसानों को 14 दिन के अंदर भुगतान करने और देर से होने वाले भुगतान के लिए मिलों से ब्याज वसूल करके किसानों को ब्याज समेत भुगतान कराने, 5000 करोड़ की लागत से गन्ना मिलों के नवीनीकरण मिशन के तहत चीनी मिलों का नवीनीकरण और आधुनिकीकरण करने, प्रदेश में छह मेगा फूड पार्क और छह औद्योगिक पार्क विकसित करने और निषाद राज बोर्ड सब्सिडी योजना शुरू करके मछुआरों को एक लाख रुपये तक की नाव 40 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। सरकारी विभागों में खाली पदों को जल्द से जल्द भरने और आत्मनिर्भर युवा स्टार्टअप मिशन बनाकर रोजगार एवं स्वरोजगार के 10 लाख अवसर का प्रदान करने और राज्य में 6000 डॉक्टरों और 10,000 पैरामेडिकल स्टाफ की जल्द नियुक्ति करने का वादा भी किया गया है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालयों को स्मार्ट विद्यालय के तौर पर विकसित करने, हर मंडल में कम से कम एक विश्वविद्यालय की स्थापना करने और सभी महापुरुषों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने का वादा भी किया गया है। उधर, समाजवादी पार्टी ने गन्ना किसानों को 15 दिन में भुगतान के अलावा किसान आयोग के गठन का वादा किया है। किसानों को 2025 तक कर्जमुक्त किया जाएगा। ऋणमुक्त कानून बनाकर गरीब किसानों को लाभ पहुंचाने का वादा किया गया है। वहीं किसान बीमा योजना राशि बढ़ाकर 10 लाख करने का वादा किया गया है। महिलाओं को सरकारी नौकरी में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। पुलिस में महिलाओँ की अलग विंग होगी वहीं वूमेन पॉवर लाइन 1090 का सुदृढीकरण करने का वादा किया गया है। इसके साथ ही ई मेल, ह्वाट्अप के जरिए भी एफआईआर की व्यवस्था का वादा किया गया है। समाजवादी पार्टी ने वादा किया है कि उसकी सरकार आने पर राज्य स्वास्थ्य नीति 2022 लाई जाएगी। राज्य में महामारी राहत एजेंसी की स्थापना की जाएगी और कैशलेस स्वास्थ्य सर्विस शुरू की जाएगी। पुराने जिला अस्पतालों का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
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पुणे : DY Patil school principal Alexander beaten up : शहर के तालेगांव दाभाड़े इलाके से एक चौकाने वाली खबर सामने आई है। डी वाई पाटिल स्कूल के प्रिंसिपल अलेक्जेंडर कोट्स पर कथित तौर पर छात्रों को ईसाई प्राथनाएं पढ़ने और लड़कियों के शौचालय के बाहरी परिसर के अंदर सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए कहने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। यह घटना तब सामने आई जब अभिभावकों की कई शिकायतों के बाद कई बजरंग दल के कार्यकर्ता स्कूल पहुंचे और स्कूल परिसर में प्रिंसिपल के साथ मारपीट की। DY Patil school principal Alexander beaten up : कथित मारपीट का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया है। खबरों के मुताबिक, इस मामले में तालेगांव दाभाड़े स्थित डीवाई पाटिल हाई स्कूल के प्रिंसिपल अलेक्जेंडर कोट्स पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। DY Patil school principal Alexander beaten up : स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि, स्कूल अधिकारी उनके बच्चों को यीशु मसीह की प्रार्थना करने के लिए कह रहे हैं और छात्रों को हिंदू त्योहारों पर छुट्टी नहीं दी जाती है। इसके अलावा गर्ल्स टॉयलेट के अंदर भी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। जब हम इसका विरोध करने आये तो हमने देखा कि सभी शिकायतें सही थीं" एक कार्यकर्ता ने कहा।
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Khushali Kumar Hot Video: बॉलीवुड अभिनेत्री खुशहाली कुमार ने हाल ही में माल्टा में अपनी आगामी फिल्म 'स्टारफिश' के सेट पर लोगों का ध्यान खींचा, जब उन्होंने एक शानदार ऑरेंज ब्रालेट, लूज हेयर, और आत्मविश्वास से लबरेज हॉटनेस और स्टाइल में देखा गया. अभिनेत्री फिल्म में एक स्कूबा गोताखोर की भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार है, और उनके नवीनतम लुक ने प्रशंसकों और फॉलोअर्स को हैरान कर दिया है. खुशाली कुमार, जो अपने फैशन-फॉरवर्ड चॉइस और बोल्ड स्टाइल स्टेटमेंट के लिए जानी जाती हैं, को माल्टा में अपनी आगामी फिल्म 'स्टारफिश' के सेट पर देखा गया, जो बिल्कुल आश्चर्यजनक लग रही थीं. देखें वीडियोः (SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं. )
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AGRA:। ग्वालियर हाईवे स्थित ओम गार्डन गांव ककुआ के समीप सनसनीखेज वारदात के दो दिन बाद पुलिस हरकत में आई। मौके पर डीआईजी व एसएसपी ने जाकर छानबीन की तो मामला सही पाया गया। पुलिस ने जब मृतका के पति से बात की तो मामला खुल कर सामने आ गया। उसने पुलिस को दबंगों की असलियत बता दी। पुलिस ने ग्राम पंचायत सहित दस लोगों पर संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है। थाना मलपुरा स्थित ग्वालियर हाईवे से सटे ओम गार्डन में 40 वर्षीय हेमा की नृशंस हत्या कर दी गई और ग्रामीण चुप्पी साधे रहे। लेकिन जब मामला उछला तो गांव में खलबली मच गई। इसके बाद मौके पर रविवार की रात फॉरेंसिक टीम को भेजा गया। पूरे तीन घंटे फॉरेंसिक टीम की पड़ताल चलती रही। बाद में एसएसपी व डीआईजी भी मौके पर जांच करने पहुंचे थे। पुलिस टीम ने ग्रामीणों से सघन पूछताछ की। फॉरेंसिक टीम रात को करीब एक बजे पहुंच गई थी। पुलिस के साथ चली इंवेस्टीगेशन में फॉरेंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाए। टीम के लोग ओम गार्डन में बनी कोठरी की छत पर भी गए। छत पर बने निशान को देख कर प्रतीत हो रहा था कि यहां शव रखा गया हो। छत पर बॉडी के निशान थे। टीम ने जब स्पे्र डाला तो खून के निशान उभर कर आए। इससे एक बात की तो पुष्टि होती है कि हत्या तो हुई है। कल से हुई रिमझिम बारिश से खून के निशान मिट गए थे साथ ही मौके पर जमा साक्ष्य पर भी असर पड़ा है। लेकिन फॉरेंसिक टीम ने हर सम्भव प्रयास कर सबूत जुटाए। टीम ने वह स्थान भी देखा जहां पर चिता जलाई गई थी। आसपास के इलाके का भी मुआयना किया। चिता की आग से कुछ खास हाथ नहीं लगा है। पुलिस टीम मृतका के पति को लेने सतना मध्य प्रदेश गई हुई है। उसने पुलिस को बताया कि जिस दौरान वह आया था हेमा मृतावस्था में मिली थी। उसका चेहरा कुचला हुआ था। दबंगों ने उसे धमकी दी। उन्होंने उसके शव को जलवा दिया। जबरन उसे बीमारी से मौत की कहानी लिखवाई। जिस दौरान महिला की हत्या हुई उस दौरान गार्डन मालिक विक्रम ने गांव के प्रधान सुखपाल को सूचना दी। प्रधान ने उस दौरान बताया कि हेमराज ने उसे पत्र में पत्नी की मौत का कारण बीमारी के चलते बताया है। साथ ही उसने दाह संस्कार की बात कही थी। लेकिन हेमराज का कहना था कि दबंगों ने दबंगई से उससे सब करवा लिया। पुलिस ने इस संबंध में गार्डन मालिक विक्रम, प्रधान सुखपाल, मनीष, राजेंद्र सहित दस लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने इस सिलसिले में पांच लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने बलात्कार, हत्या व साक्ष्य मिटाने की धारा में मुकदमा पंजीकृत किया है। पुलिस मृतका के पति के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रही है।
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प्राचीन भारत में ऐसे कई लोग थे जिन्होंने बड़े-बड़े विवाद खड़े कर दिए थे और इन्हीं विवादों या उनके विवादित रहने के कारण ही उन्हें जाना जाता है। तो जानते हैं ऐसे कई लोगों में से छह लोगों के बारे में संक्षिप्त जानकारी। 1. इंद्र : इन्द्र को सभी देवताओं का राजा माना जाता है। इन्द्र किसी भी साधु और राजा को अपने से शक्तिशाली नहीं बनने देता था इसलिए वह कभी विश्वामित्र जैसे तपस्वियों को अप्सराओं से मोहित कर पथभ्रष्ट कर देता है, तो कभी राजाओं के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े चुरा लेता है। साम, दाम, दंड और भेद सभी तरीके से वह अपने सिंहासन को बचाने का प्रयास तो करता ही है, साथ ही वह इस प्रयास के दौरान कभी-कभी ऐसा भी कार्य कर जाता है, जो देवताओं को शोभा नहीं देता जिसके कारण देवताओं को बहुत बदनामी झेलना पड़ी। राजा बलि की सहायता से ही देवराज इन्द्र ने समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन के दौरान इन्द्र ने असुरों के साथ हर जगह छल किया। जो 14 रत्न प्राप्त हुए उनका बंटवारा भी छलपूर्ण तरीके से ही संपन्न हुआ। शास्त्रों के अनुसार शचिपति इन्द्र ने गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ छल से सहवास किया था। इंद्र ने कर्ण से भी छलपूर्वक कवच और कुंडल ले लिए थे। इंद्र ने ही बाल हनुमान की तोड़ दी थी ठुड्डी। 2. वृत्रासुर : कहते हैं कि इंद्र का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी वृत्रासुर ही था। यह सतयुग की बात है जब कालकेय नाम के एक राक्षस का संपूर्ण धरती पर आतंक था। वह वत्रासुर के अधीन रहता था। दोनों से त्रस्त होकर सभी देवताओं ने मिलकर सोचा वृत्रासुर का वध करना अब जरूरी हो गया। इस वृत्तासुर के वध के लिए ही दधीचि ऋषि की हड्डियों से एक हथियार बनाया जिसका नाम वज्र था। वृत्रासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने आर्यों के नगरों पर कई बार आक्रमण करके उनकी नाक में दम कर रखा था। अंत में इन्द्र ने मोर्चा संभाला और उससे उनका घोर युद्ध हुआ जिसमें वृत्रासुर का वध हुआ। इन्द्र के इस वीरतापूर्ण कार्य के कारण चारों ओर उनकी जय-जयकार और प्रशंसा होने लगी थी। शोधकर्ता मानते हैं कि वृत्रासुर का मूल नाम वृत्र ही था, जो संभवतः असीरिया का अधिपति था। पारसियों की अवेस्ता में भी उसका उल्लेख मिलता है। वृत्र ने आर्यों पर आक्रमण किया था तथा उन्हें पराजित करने के लिए उसने अद्विशूर नामक देवी की उपासना की थी। इन्द्र और वृत्रासुर के इस युद्ध का सभी संस्कृतियों और सभ्यताओं पर गहरा असर पड़ा था। तभी तो होमर के इलियड के ट्राय-युद्ध और यूनान के जियॅस और अपोलो नामक देवताओं की कथाएं इससे मिलती-जुलती हैं। इससे पता चलता है कि तत्कालीन विश्व पर इन्द्र-वृत्र युद्ध का कितना व्यापक प्रभाव पड़ा था। 3. रावण : रावण इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू और सभी शास्त्रों का ज्ञाता था। लेकिन उसने ऐसे कई कार्य किए जिसके चलते वह विवादों में रहा। उसने अपने सौतेले भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर की पत्नी अप्सरा रंभा पर बुरी नजर डाली। उसने शिव के गण नंदीजी का मजाक उड़ाया। उसने वेदवती नामक तपस्विनी के साथ जबरदस्ती की थी। उसने अपनी बहन शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का वध कर दिया था। उसने अपनी पत्नी मंदोदरी की बड़ी बहन पर भी वासनायुक्त नजर डाली थी। अंत में उसने प्रभु श्रीराम की पत्नी सीता का अपहरण करके सारी हदें पा कर दी थी। रावण ने इसके अलावा और भी कई कार्य किए थे जिसके चलते वह विवादों में रहा। जैसे उसने स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने का प्रयास किया। शनि सहित सभी ग्रहों के देवताओं को बंदी बना लिया था। रावण का रंग काला था और वह गौरे लोगों से नफरत करता था। वह खुद को ईश्वर मानता था और चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें। इसी के चलते रावण ने शिव, सहस्रबाहु और बाली से भी युद्ध किया था। चापलूस पसंद रावण चाहता था कि शराब से दुर्गंध समाप्त कर उसका राज्य में प्रचार किया जाए। रावण चाहता था कि दुनिया के सभी सोने पर मेरा कब्जा और स्वर्ण में से सुगंध पैदा हो। ताकि यह आसानी से पता चल सके कि सोना कहां छिपा है। रावण की एक अजीब इच्छा थी वह यह कि वह चाहता था कि खून का रंग लाल की जगह सफेद हो। इस तरह रावण ने अपनी इच्छा और कार्यों से खुद को विवादित बना लिया था। 4. हिरण्याक्ष : हिरण्याक्ष भयंकर दैत्य था। वह तीनों लोकों पर अपना अधिकार चाहता था। हिरण्याक्ष का दक्षिण भारत पर राज था। ब्रह्मा से युद्ध में अजेय और अमरता का वर मिलने के कारण उसका धरती पर आतंक हो चला था। हिरण्याक्ष भगवान वराहरूपी विष्णु के पीछे लग गया था और वह उनके धरती निर्माण के कार्य की खिल्ली उड़ाकर उनको युद्ध के लिए ललकारता था। वराह भगवान ने जब रसातल से बाहर निकलकर धरती को समुद्र के ऊपर स्थापित कर दिया, तब उनका ध्यान हिरण्याक्ष पर गया। आदि वराह के साथ भी महाप्रबल वराह सेना थी। उन्होंने अपनी सेना को लेकर हिरण्याक्ष के क्षेत्र पर चढ़ाई कर दी और विंध्यगिरि के पाद प्रसूत जल समुद्र को पार कर उन्होंने हिरण्याक्ष के नगर को घेर लिया। संगमनेर में महासंग्राम हुआ और अंततः हिरण्याक्ष का अंत हुआ। आज भी दक्षिण भारत में हिंगोली, हिंगनघाट, हींगना नदी तथा हिरण्याक्षगण हैंगड़े नामों से कई स्थान हैं। उल्लेखनीय है कि सबसे पहले भगवान विष्णु ने नील वराह का अवतार लिया फिर आदि वराह बनकर हिरण्याक्ष का वध किया इसके बाद श्वेत वराह का अवतार नृसिंह अवतार के बाद लिया था। हिरण्याक्ष को मारने के बाद ही स्वायंभूव मनु को धरती का साम्राज्य मिला था। 5. महाबली : महाबली बाली अजर-अमर है। कहते हैं कि वो आज भी धरती पर रहकर देवताओं के विरुद्ध कार्य में लिप्त है। पहले उसका स्थान दक्षिण भारत के महाबलीपुरम में था लेकिन मान्यता अनुसार अब मरुभूमि अरब में है जिसे प्राचीनकाल में पाताल लोक कहा जाता था। अहिरावण भी वहीं रहता था। समुद्र मंथन में उसे घोड़ा प्राप्त हुआ था जबकि इंद्र को हाथी। उल्लेखनीय है कि अरब में घोड़ों की तादाद ज्यादा थी और भारत में हाथियों की। शिवभक्त असुरों के राजा बाली की चर्चा पुराणों में बहुत होती है। वह अपार शक्तियों का स्वामी लेकिन धर्मात्मा था। वह मानता था कि देवताओं और विष्णु ने उसके साथ छल किया। हालांकि बाली विष्णु का भी भक्त था। भगवान विष्णु ने उसे अजर-अमर होने का वरदान दिया था। हिरण्यकश्यप के 4 पुत्र थे- अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद। प्रह्लाद के कुल में विरोचन के पुत्र राजा बाली का जन्म हुआ। बाली जानता था कि मेरे पूर्वज विष्णु भक्त थे, लेकिन वह यह भी जानता था कि मेरे पूर्वजों को विष्णु ने ही मारा था इसलिए बाली के मन में देवताओं के प्रति द्वेष था। उसने शुक्राचार्य के सान्निध्य में रहकर स्वर्ग पर आक्रमण करके देवताओं को खदेड़ दिया था। वह तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा था। बाली से भारत के एक नए इतिहास की शुरुआत होती है। 6. जरासंध : भगवान कृष्ण के मामा कंस अपने पूर्वजन्म में 'कालनेमि' नामक असुर था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। कंस का श्वसुर मगथ का सम्राट जरासंध था। महाभारत काल में जरासंध सबसे शक्तिशाली राजा था। श्रीकृष्ण द्वारा कंस का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण को सबसे ज्यादा यदि किसी ने परेशान किया तो वह था जरासंध। जरासंध बृहद्रथ नाम के राजा का पुत्र था और जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा नाम की राक्षसी ने उसे जोड़ा था तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। महाभारत युद्ध में जरासंध कौरवों के साथ था। जरासंध अत्यन्त क्रूर एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। हरिवंश पुराण अनुसार उसने काशी, कोशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, पांडय, सौबिर, मद्र, काश्मीर और गांधार के राजाओं को परास्त कर सभी को अपने अधीन बना लिया था। इसी कारण पुराणों में जरासंध की बहुत चर्चा मिलती है। जरासंध का मित्र था कालयवन। भीम ने जरासंध के शरीर को दो हिस्सों में विभक्त कर उसका वध कर दिया था। जरासंध के कई किस्से हैं जिसके चलते वह विवादों में रहा।
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किसी कारण पाप हुआ, तो वह यदि आगे बचनेका यत्न करेंगा, तो बहुत हानिकी संभावना नहीं है । परंतु यदि वह वारंवार एण्ड मिलने या मना करनेपर भी वही कुकर्म फिर करने लगा, तो उसकी अवनतिकी सीमा नहीं रह सकती । इसलिये उन्नति चाहनेवाले लोगोंको उचित है कि वे अज्ञानसे एक वार दोषमय आचरण हुआ। भी, तो उसको वारंवार न करें और जो कुछ दुराचार अपनी असावधानी से होगा, तो उसको असल्य बोलकर छिपानेका भी यत्न न करें। क्योंकि ऐसा करनेस वह कलंक बड़ा गहरा हो जाता है और इससे अधिक पाप होता जाता है । इसलिये दोष होनेपर सत्य बोलकर उसको यथार्थ रूप में प्रकट करना ही उचित है । मनुष्यको उन्नतिके लिये ये सात मर्यादाएं अत्यंत सहायकारी हैं, इसलिये कोई मनुष्य किसी भी कारण इनका उल्लंघन न करें । ( मं. ६ ) ( २० ) आयोः स्कंभ - आयुवा आधार स्तंभ बन अर्थात् विघात करनेवाला न बन । उक्त सात मर्यादाओंका उल्लंघन करनेसे जीवनका घात होता है और मर्यादाओं का पालन करनेसे आयुका आधार दृढ होता है । मर्यादाओंका पालन करनेका तात्पर्य संयमसे रहना है। संयमसे जीवन व्यतीत करनेसे जीवनका आधार शक्तिशाली होता है और उत्तम दीर्घ जीवन प्राप्त होता है । ( मं. ६ ) ( २१ ) उपमस्य नीडे, पथ विसर्गे घरुणेषु तस्थौँ - जो उपमा देने योग्य है और सबके अत्यंत समीप है उस परमात्मा के स्थान में, तथा अनेक मार्गोंकी जहाँ समाप्ति होती है, ऐसे धारक केन्द्रोंमें रहता है। यहां तनि उपदेश है, ( उपमस्य नीड ) उपमा देने योग्य वह परमात्मा हैं, ( रूपं रूपं प्रतिरूपो बभूव । ऋ ६१४७/४८) जगत् के प्रत्येक रूपके लिये वही आदर्श नमूना बना है, इस प्रकार के वर्णन वेदमें आते हैं, इससे सिद्ध है कि वह परम आत्मा सबके लिये आदर्श है, उसके ( नीडे) घोंसलेमें अपने लिये स्थान प्राप्त करना चाहिये । सदाचार आदि करनेसे ही उसके घोंसले में आरामसे रहनेके लिये स्थान मिल सकता है । वह स्थान और कैसा है, उसका वर्णन 'पथां विसर्गे ' इन शब्दोंसे हुआ है । ' विसर्ग ' का अर्थ है विरामका स्थान अथवा समाप्तिका स्थान, (पथां) संपूर्ण मार्गोका ( विसर्गः ) वह विरामका अथवा समाप्तिका स्थान है। किंवा 'सर्ग' का अर्थ है ' उत्पत्ति,' ' वि+सर्ग' का अर्थ होता है विगत सर्ग अर्थात् 'उत्पत्ति जहां नहीं है ऐसा स्थान ' । जां विविध मागका झंझट नहीं है, अथवा जहां विविध मार्ग एकरूप हो जाते हैं वह स्थान । ऐसे स्थानमें रहना चाहिये कि जिस स्थान में रहनेसे विविध मार्गों के । काण्ड ५ ऊपर से आक्रमण करनेका कष्ट उठाना न पडं । सभी मार्गों से गये हुए लोग जहां पहुंचते हैं, उस स्थान में पहुंचना और वहां जाकर स्थिर रहना चाहिये । षष्ठ मंत्रका भाव । सात मर्यादाएं । ज्ञानी मनुष्योंन मनुष्य व्यवहार के लिये सात मर्यादाएं निश्चित की हैं। उनमें से एक मर्यादाका उल्लंघन करनेसे भी मनुष्य पापी होता है। परंतु जो सातों मर्यादाओंका उल्लंघन न करता हुआ धर्मानुकूल व्यवहार करके अपने जीवनका आधारस्तंभ बनता है, वह सबके लिये उपमा देने योग्य परमा. स्थान में स्थिर रहता है ॥ ६ ॥ त्माके स्थानमें, जहां अनेक मार्ग पहुंचते हैं, वहांक आधारछठे मंत्रका मनन करनेके पश्चात् अब सप्तम मंत्र देखते हैं-( २२ ) व्रतः कृण्वन् अमृतासु एमि-व्रतरूप होकर विविध सत्कर्म करता हुआ अमर प्राणशक्ति से युक्त होकर आगे बढता हूं । उन्नति चाहनेवाले मनुष्यको योग्य है कि वह ( व्रतः ) व्रतरूप बने । व्रतरूप बनने का तात्पर्य यह है कि व्रत पालन करना जिसका स्वभाव ही बना है । एक मनुष्य ऐसा होता है कि वह नियम करता है और उनके अनुकूल चलता है । और दूसरा ऐसा मनुष्य होता है कि जो स्वभाव से ही नियमके विरुद्ध नहीं जाता है। पहिला मनुष्य प्रयत्नसे नियम पालन करता है और दूसरा स्वभावसे ही पालन करता है। इस प्रकार नियम रूप जो बना है वह मनुष्य ' व्रतः' शब्दसे यहां बताया है। ऐसा श्रेष्ठ मनुष्य स्वभाव से ही श्रेष्ठ सत्कर्मोको करता है और (अमृत+असुः ) अमर जीवन शकिसे संपन बनता है । स्वभावसे व्रत पालन करना और स्वभाव से ही सत्कर्म करना यहां अभीष्ट है । पहिले जब प्रयत्नसे यह व्रत पालन और सत्कर्म करेगा, तब जाकर बहुत समय के पश्चात् इसका यह स्वभाव बनेगा और स्वभाव बनने से अमृत रूप बनेगा । यहाँ अमर बननेकी मुख्य बात कही है, यह पाठक न भूलें । इस समय मनुष्य स्वभावसे असत्य बोलता है, कुकर्म करता है और नियम तोडता है, इस कारण इसका अधःपात होता है। परंतु जिस समय यह स्वभाव से सत्य बोलेगा और असल्यकी कल्पना तक इसके मनमें न उठेगी, इसी प्रकार अन्यान्य नियम पालन स्वभावसे ही होगा, तब इसकी सब रुकावटें दूर होंगी और यह अमर बनेगा । ( मं. ७) (२३) तत् आत्मा असुः तन्वः सुमद्गुः - उक्त अनुप्रानसे आत्मा, प्राण और शरीर ये सब उत्तम गुणवान् बनते
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नई दिल्ली। सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई की टीम ने शुक्रवार को अपना एक साल पूरा कर लिया है। इस टीम के पास हालांकि आईपीएल के 13वें सीजन का आयोजन कराने के अलावा कोई और उपलब्धि नहीं है, जिसका कारण है कोरोनावायरस महामारी। पिछले साल चारों अधिकारी बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से चुने गए थे। इस टीम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई प्रशासकों की समिति (सीओए) से 33 महीने बाद काम अपने हाथ में लिया था। चूंकि टीम में से किसी को भी बीसीसीआई में काम करने का अनुभव नहीं था इसलिए सभी ने अपना समय लिया। वह सीख रहे थे कि कोविड ने मार्च में सब कुछ रोक दिया। अब इस टीम के सामने एक बड़ा सवाल 2020-21 घरेलू सीजन को आयोजित कराना है जो जनवरी में शुरू हो सकता है। बीसीसीआई की शीर्ष परिषद ने फैसला किया है कि रणजी ट्रॉफी को ही आयोजित किया जाएगा, इसके अलावा सीनियर महिला टूर्नामेंट को भी आयोजित किया जा सकता है। एक राज्य संघ के अध्यक्ष ने आईएएनएस से कहा, "सभी अधिकारी बीसीसीआई में नए थे। ईमादारी से कहूं तो उन्हें ज्यादा समय नहीं मिला। वह सैटल होते इससे पहले ही कोविड ने सब कुछ रोक दिया था। प्राथमिकता आईपीएल को बचाने की थी, जो उन्होंने किया। आईपीएल चालू है और पैसा आ रहा है। " उन्होंने कहा, "लेकिन वो ज्यादा कुछ गतिविधियां नहीं कर सके, जैसे की कोविड के कारण घरेलू क्रिकेट का आयोजन। साथ ही भारत के पूर्व कप्तान बीसीसीआई अध्यक्ष हैं तो हम उम्मीद कर रहे थे कि वह घरेलू टूर्नामेंट में नए प्रारूप लेकर आएंगे। " उनसे जब गांगुली की टीम को नंबर देने को कहा गया तो उन्होंने कहा, "कोई नंबर नहीं क्योंकि इनकी परीक्षा ही नहीं हुई। उन्हें काम करने के लिए पूरा साल मिलता तो नंबर दिए जाते। " वहीं पूर्वोत्तर के राज्य बीसीसीआई से दुखी हैं क्योंकि उन्हें उनके हिस्से का फंड नहीं मिला है। पूर्वोत्तर के अधिकारी ने कहा, "सीओए की टीम ज्यादा प्रभावी थी। उन्होंने भी सट्टेबाजी प्रकरण के कारण सैटल होने में समय लिया था- सात-आठ महीने। और कोरोने से पांच महीने पहले बीसीसीआई के मौजूदा अधिकारियों ने कामकाज संभाल लिया था लेकिन हमने ज्यादा कुछ नहीं देखा। इसलिए हम दोनों में तुलना नहीं कर सकते। अगर कोरोना नहीं होता तो शायद यह टीम अच्छा करती। " पूर्वोत्तर के राज्यों में बीसीसीआई को मुद्दों पर ध्यान देने और सुलझाने की जरूरत है। अधिकारी ने कहा, "2018-19 में सीओए ने उन लोगों को सीधा भुगतान किया था जिन्होंने ट्रू्नामेंट के आयोजनों में मदद की थी,चाहे वो होटल हो, ट्रांसपोर्टर हों। 2018-19, 2019-20 में बीसीसीआई से संबद्ध प्रत्येक राज्य संघ को 30-30 करोड़ रुपये प्रत्येक संघ को दिए जाने थे। लेकिन यह पूर्वोत्तर के राज्यों को नहीं दी गई है। बीसीसीआई को वेंडरों को देने वाली राशि काट बाकी का पैसा हमें देना चाहिए जिसे हम क्रिकेट के विकास में मदद करें। उन्होंने कहा, "पिछले साल बीसीसीआई ने हर राज्य को एक सीजन के लिए 10. 80 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन हमने टूर्नामेंट्स की मेजबानी के लिए 11 से 12 करोड़ रुपये खत्म किए थे। हमें बाकी का पैसा क्रिकेट के विकास के लिए चाहिए। "
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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कोलकाताः कोरोना महामारी से अगर आपको बचाव रखना है तो आपका मास्क पहनना सबसे जरूरी है। हालांकि आपका मास्क वायरस को रोकने में कितना सक्षम है ये जानना बहुत जरूरी है। हालिया रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कोरोनावायरस का ट्रांसमिशन हवा के जरिए भी हो रहा है। इसलिए लोगों को घर में रहने की सलाह दी जा रही है। एक्सपर्ट की मानें तो इन दिनों आपको घर में भी मास्क पहनकर रहना चाहिए। हालांकि आपका मास्क कोरोना वायरस को रोकने में कितना सक्षम है ये जानना बहुत जरूरी है। आपका मास्क लूज और अनफिट तो नहीं है। इसलिए जरूरी है कि आपका मास्क पूरी तरह फिट हो और अगर आप कपड़े का मास्क पहन रहे हैं तो आपको डबल मास्क पहनने की जरूरत है। आइए कोरोना वायरस से निपटने के लिए हमारा मास्क कैसा होना चाहिए। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से ये वायरस कणों के जरिए हवा में फैलता है। हवा से ये दूसरे शख्स के शरीर में पहुंच जाता है। रिपोर्ट्स में यह दावा किया है कि अगर संक्रमित शख्स सांस छोड़ता है तो उसी हवा में सांस लेने से स्वस्थ इंसान भी कोरोना से संक्रामित हो सकता है। इसलिए कोरोना से बचने के लिए मास्क पहनना बहुत जरूरी है। कोरोना से बचाने के लिए मास्क कैसा हो? सर्जिकल मास्क- आप कोई भी तीन लेयर वाला मास्क पहन सकते हैं ये बेस्ट होते हैं। थ्री लेयर मास्क से हवा में मौजूद बड़े पॉल्यूशन के कण भी हमारे अंदर नहीं पहुंच पाते। यूज एंड थ्रो वाला यह सर्जिकल मास्क कोरोना से बचाव के लिए भी उपयोगी है। N95 मास्क- इसे सबसे सुरक्षित मास्क माना जाता है लेकिन इसे बिना वाल्व के इस्तेमाल करें। कोई भी वॉल्व वाला मास्क रिस्की हो सकता है। इससे हवा बाहर और अंदर आती जाती है जो आपको संक्रामित कर सकता है। N95 मास्क का इस्तेमाल ज्यादातर मेडिकल स्टॉफ ही करता है। कपड़े का मास्क- कॉटन के कपड़े का मास्क लगाने में काफी आरामदायर होते हैं, लेकिन ध्यान रखें ये मास्क तीन लेयर वाला होना चाहिए। आप इसे वॉश करके इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपको ये मास्क सुरक्षित नहीं लगते तो आप पहले कपड़े का मास्क और फिर उसके ऊपर सर्जिकल मास्क भी लगा लें। इससे आप सुरक्षित रहेंगे। रूमाल, तौलिया या अंगोछा भी है विकल्प- अगर आप भीड़-भाड़ में नहीं जाते तो आप दो-तीन लेयर बना कर रूमाल, तोलिया या अंगोछा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। घर में आकर इसे ऐसे उतारें कि चेहरे पर हाथ नहीं लगें। - मास्क ऐसा हो जिसमें नाक, मुंह और ठुड्डी सही कवर हो। - ऐसा मास्क हो जिसे आपको बार-बार एडजस्ट नहीं करना पड़े। - मास्क पहनने के बाद चेहरे और मास्क के बीच ज्यादा गैप नहीं हो। - सांस लेते समय हवा मास्क से गुजरनी चाहिए, सांस लेने में दिक्कत नहीं हो। - मास्क पहनने के बाद बार-बार मास्क को हाथों से ठीक न करें। - मास्क उतारने के बाद 20 सेकंड तक अच्छी तरह साबुन से हाथ धोने चाहिए।
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चन्द्रपुर (भूतपूर्व चंदा) शहर, पूर्वी महाराष्ट्र राज्य, पश्चिम भारत में वर्धा नदी की एक सहायक नदी के तट पर स्थित है। चंद्रपुर का अर्थ है, 'चंद्रमा का घर'। चंद्रपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज भी है। 12वीं से 18वीं शताब्दी तक चंद्रपुर गोंड वंश की राजधानी था। बाद में नागपुर के मराठा भोंसले ने इसे जीत लिया। 1854 से 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक यह ब्रिटिश मध्य प्रांत का हिस्सा था। यह ब्रिटिश शासन के दौरान चांद नाम से जाना जाता था। इस स्थान का प्राचीन नाम लोकपुरा भी था, जो आगे चलकर इन्दूर और उसके बाद चन्द्रपुर के नाम से जाना गया। इस ज़िले के प्राचीन स्थल वैरंगढ, कोसल, भद्रावती और मरकड हैं। चन्द्रपुर पर काफ़ी लंबे समय तक हिन्दू और बौद्ध राजाओं का शासन रहा है। बाद में गोंड राजाओं ने इस पर अधिकार कर लियाजिन्होंने 1751 तक यहाँ शासन किया। बाद में इसे ब्रिटिश शासन में मिला लिया गया। चन्द्रपुर का नज़दीकी हवाई अड्डा नागपुर में डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर हवाई अड्डा है जो देश के अनेक शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। मुंबई वर्धा चन्द्रपुर रेल लाइन से महाराष्ट्र का यह ज़िला जुड़ा है। महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से यहाँ के लिए नियमित रेलगाड़ियाँ हैं। मुंबई नासिक चन्द्रपुर सड़क मार्ग चन्द्रपुर को महाराष्ट्र और देश के अन्य शहरों से जोड़ता है। राज्य परिवहन के अलावा अनेक निजी बसें चन्द्रपुर के लिए चलती हैं। - प्रमुख रेल तथा सड़क मार्ग पर स्थित यह शहर आसपास के क्षेत्रों में उगने वाले कपास, अनाज और अन्य फ़सलों का वाणिज्यिक केंद्र है। - स्थानीय खनिजों पर आधारित उद्योगों में कोयले की कई खानें तथा शीशे का सामान बनाने के उद्योग शामिल हैं। - यह शहर रेशम के कपड़े और अलंकृत चप्पलें जैसे विलास-वस्तुओं के उत्पादन के लिए भी विख्यात है। 2001 की जनगणना के अनुसार चन्द्रपुर नगर पालिका क्षेत्र की जनसंख्या 2,97,612 है। पर्यटकों के देखने लायक़ यहाँ अनेक ऐतिहासिक मन्दिर और स्मारक हैं। साथ ही यहाँ के वन्यजीव अभ्यारण्य भी यहाँ आने वाले सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होते हैं। चंद्रपुर के उत्तर में ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। इसके 45 किमी दक्षिण में मानिकगढ़ वन पर्यावरण सैरगाह है। यहाँ कई प्रकार के बांस व दूसरे वृक्ष, बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ते, भालू गौर, सांबर, मुंतजाक हिरन जैसे जानवर व अनेक प्रजातियों के जंगली पक्षी पाए जाते हैं।
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पोर्टल navaltoday. com के अनुसार, नए जर्मन फ्रिगेट बाडेन-वुर्टेमबर्ग ने रॉकेट्स रैम और हार्पून का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, उन्हें मानक लांचर से जारी किया, रिपोर्ट "Warspot" बाडेन-वुर्टेमबर्ग जर्मन नौसेना के लिए आदेशित चार एफ 125 प्रकार के जहाजों में से पहला है। फ्रिगेट के कारखाने परीक्षणों को अंतिम गिरावट के बाद समाप्त कर दिया गया था, जिसके बाद इसे जर्मन नौसेना में स्थानांतरित कर दिया गया था और परीक्षण प्रणालियों का परीक्षण किया जा रहा है (इस वर्ष के जनवरी में, चालक दल ने हवाई तोपखाने के काम का परीक्षण किया)। यह योजना बनाई गई है कि इस गर्मी में बाडेन-वुर्टेमबर्ग औपचारिक रूप से युद्ध शुल्क लेंगे। परीक्षण के दौरान, चालक दल ने RIM-116 (जहाज की प्रत्यक्ष सुरक्षा के लिए विमान भेदी मिसाइल प्रणाली) से तीन मिसाइलें दागीं, साथ ही एक एंटी-शिप मिसाइल हार्पून भी। आकार में, टाइप एफ 125 के जहाज विध्वंसक के समान हैं, लेकिन जर्मनी में उन्हें फ्रिगेट के रूप में वर्गीकृत किया गया है। बाडेन-वुर्टेमबर्ग की लंबाई लगभग 150 मीटर है, इसकी चौड़ाई 19 मीटर है, ड्राफ्ट 5 मीटर है, कुल विस्थापन 7200 टन तक पहुंचता है। एफ 125 प्रकार के फ्रिगेट डीजल जनरेटर और इलेक्ट्रिक मोटर्स के संयोजन से एक कॉडलाग संयुक्त शक्ति से लैस हैं। नए जहाजों की प्रमुख विशेषताओं में से एक लंबे रखरखाव चक्र है। मध्यम तीव्रता (5000 प्रति वर्ष) का संचालन करते हुए, फ्रिगेट को दो साल तक आधार पर रखरखाव के बिना करना चाहिए। बाडेन-वुर्टेमबर्ग फ्रिगेट 127 मिमी ओटोब्रेडा तोपखाने और दो 27 मिमी एमएलजी 27 एंटी-एयरक्राफ्ट गन से लैस है। इसके अलावा, जहाज ने विभिन्न प्रकार की लड़ाकू मिसाइलों और पनडुब्बी रोधी बोरपेडो के लिए खानों को लॉन्च किया है।
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है और उसमे प्रज्ञान और उसका आवरण है । इसमे यह शका होती है - अज्ञान और उसका आवरण विचार दृष्टि से चेतन मे है, घट मे नही है । क्यो ? अज्ञान चेतन के आश्रित है और चेतन को ही विषय करता है। यह वेदान्त का सिद्धान्त है । और सात अवस्था के प्रसंग मे अज्ञान का आश्रय अत करण सहित आभास कहा था, सो अज्ञान का अभिमानी है । "मै अज्ञानी हूँ" ऐसा अभिमान अत कररण सहित आभास को होता है । इस कारण से अज्ञान का आश्रय कहते है । और मुख्य आश्रय चेतन है, आभास सहित अन्त. करण नहीं है । कैसे ? जैसे धन का मुख्य आश्रय कोश (पेटी आदिक धन का भडार) है और "मै धनी हूँ" ऐसा धन का अभिमानीरूप आश्रय पुरुष है । वैसे अज्ञान का मुख्य आश्रय चेतन है और अभिमानीरूप आश्रय साभास अत. करण है । क्यों ? आभाससहित अन्त करण अज्ञान का कार्य है । जो जिसका कार्य होता है, सो उसका आश्रय नही बनता । इससे चेतन ही अज्ञान का अधिष्ठान रूप आश्रय है । चेतन को ही अज्ञान विषय करता है। स्त्ररूप का जो आवरण करना है, सोई अज्ञान का विषय करना है । सो अज्ञानकृत आवरण जड वस्तु मे नही बनता । क्यो ? जड वस्तु स्वरूप से ही आवृत्त है । उसमे अज्ञानकृत आवरण का कुछ भी उपयोग नही है । इस रीति से अज्ञान का आश्रय और विषय चेतन है । कैसे ? जैसे गृह के मध्य जो अधकार है, सो गृह के मध्य को आवरण करता है । इससे घट मे अज्ञान और उसका आवरण नहीं बनता है । उक्त शका का यह समाधान है बाहर के पदार्थ मे वृत्ति और आभास दोनो का उपयोग जैसे चेतन के स्वरूप से भिन्न सत् असत् से विलक्षण प्रज्ञान चेतन के आश्रित है, उस अज्ञान से चेतन आवृत्त होता है, वैसे घट के स्त्ररूप से भिन्न अज्ञान यद्यपि घट के आश्रित नहीं है, तथापि अज्ञान ने घटादिक स्वरूप से प्रकाश रहित जडस्वरूप रचे है । इससे सदा ही अध के समान आवृत्त है । सो आवृत स्वभाव घटादिको का अज्ञान ने ही किया है। क्यों ? समोगुण प्रधान अज्ञान से भूतो की उत्पत्ति द्वारा घटादिक उत्पन्न होते है । सो तमोगुण आवरण स्वभाव वाला है। इससे घटादिक प्रकाश रहित अध ही होते है । इस रीति से अधतारूप आवरण घटादिको मे अज्ञानकृत स्वभावसिद्ध है ओर घटादिको के अधिष्ठान चेनन आश्रित अज्ञान, चेतन को आच्छादित करके स्वभाव से आवृत्त घटादिको को भी आवृत्त करता है । यद्यपि स्वभाव से प्रावृत्त पदार्थ के आवरण मे प्रयोजन नहीं है, तथापि आवरण कर्ता पदार्थ प्रयोजन की अपेक्षा से बिना ही निरावरण के समान आवरण सहित मे भी आवरण करता है । यह लोक मे प्रसिद्ध है । उस अज्ञान से आवृत घट को व्याप्त जो होती है अन्त करण की आभास सहित घटाकार वृत्ति, उसमें वृत्तिभाग तो घट के आवरण को दूर करता है । और वृत्ति मे जो आभासभाग है, सो घट का प्रकाश करता है । इस रीति से बाहर के पदार्थ मे वृत्ति और आभास दोनो का उपयोग है । जैसे अधकार मे कुडे से मृत्तिका अथवा लोह का पात्र ढका धरा हो, वहाँ दड से कू डे को फोड भी दे, पीछे भी दीपक बिना उस निरावरण पात्र का प्रकाश नही होता है, किन्तु दीपक से प्रकाश होता है । वैसे अज्ञान से आवृत्त जो घट, उसके आवरण को वृत्ति भग कर देती है । तथापि घट का प्रकाश नही होता है । क्यो ? घट तो स्त्ररूप से जड है और वृत्ति भी जड है । उसका आवरण भग मात्र प्रयोजन है । उससे प्रकाश नहीं होता । इससे घट का प्रकाशक आभास है । नेत्र का विषय जो वस्तु है, उसके प्रत्यक्ष ज्ञान की यह रीति कही है। और जहा श्रोत्र इन्द्रिय से शब्द विषय का प्रत्यक्ष होता है । वहा श्रोत्र द्वारा निकली जो अन्त. करण की साभास वृत्ति, सो दूर देश मे वा समीप देश मे स्थित शब्द के आकार के समान आकार को प्राप्त होती है । तब वृत्ति से शब्द का आवरण भंग होता है और आभासभाग शब्द का प्रकाश करता है । जहा त्वक् इन्द्रिय से स्पर्शगुण और उसके आश्रय घटादिक का प्रत्यक्ष होता है, वहा शरीररूप गोलक को छोड़कर वृत्ति बाहर नही जाती है। किन्तु शरीर की क्रिया से अथवा अन्य की क्रिया से शरीररूप गोलक के साथ सयोग को प्राप्त जो घटादिक विषय, उसको और उसके आश्रित कठिनतादिकरूप स्पर्शगुण को शरीररूप गोलक मे ही स्थित हुई साभास अत करण की वृत्ति विषय करती है । उस वृत्ति से आश्रय सहित स्पर्श का आवरण भग होता है । और चिदाभास उसका प्रकाश करता है । जहा रसन इन्द्रिय से रस विषय का प्रत्यक्ष होता है, वहा भी जिह्वारूप गोलक को छोडकर वृत्ति बाहर नही जाती है । किन्तु जिह्वारूप गोलक से जब रस विषय का सयोग होता है, तब जिह्वा के अग्रभाग वत्ति रमन इन्द्रिय मे स्थित साभासवृत्ति रस को विषय करती है । वहा वृत्ति से रस का आवरण भग होता है । और चिदाभास मधुरादिरस का प्रकाश करता है । जहा घ्राण इन्द्रिय से गध का प्रत्यक्ष होता है, वहा भी नासिकारूप गोलक से पुष्पादिरूप गध के आश्रय का वा उसके सूक्ष्म अवयवो का जब सयोग होता है, तब नासिका के अग्रभाग वत्ति घ्राणइन्द्रिय मे स्थित साभास अत करण की वृत्ति, पुष्पादिरूप द्रव्य के आश्रित गधमात्र को ग्रहण अर्थात् विषय करती है । वहा वृत्ति भाग से गध का आवरण भग होता है और वृत्ति में स्थित चिदाभास भाग गध का प्रकाश करता है । यह श्रोत्रादिको का जो विषय है, उसके प्रत्यक्ष की रीति है । वृत्ति और घट दोनो एक देश मे स्थित होने से घट का ज्ञान प्रत्यक्ष कहा जाता है । और अन्त करण की वृत्ति तो घटाकार हो, किन्तु घट के सग वृत्ति का सबन्ध न हो, अतर ही वृत्ति हो, उसको घट का परोक्ष ज्ञान कहते है । "यह घट है" ऐसा अपरोक्ष ज्ञान का आकार है । "घट है " वा "सो घट है" ऐसा परोक्ष ज्ञान का प्रकार है । यद्यपि स्मृति ज्ञान भी परोक्ष ज्ञान ही है, तथापि स्मृति ज्ञान तो सस्कारजन्य है और अनुमिति आदिक परोक्ष ज्ञान प्रमाणजन्य है । इतना भेद है । प्रमाण और प्रमा ज्ञान का लक्षण प्रमाण और प्रमा का लक्षण भी बताइये ? यद्यपि प्रमाण और प्रमा का वर्णन प्रमाण निरूपरण अश ३ से अश ८ तक किया गया है,
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ग्वालियर-चंबल अंचल की तेरह सीटाें पर उपचुनाव हाेना है, इसके लिए तीन नवंबर काे मतदान हाेगा। रविवार शाम छह बजे चुनाव प्रचार थमने से पहले भाजपा और कांग्रेस दाेनाें ही दलाें ने पूरी ताकत झाेंक दी है। कांग्रेस प्रत्याशियाें के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ मुरैना में राेड शाे कर रहे हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशियाें के समर्थन में राज्यसभा सदस्य ज्याेतिरादित्य सिंधिया और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा अंचल में सभाएं लेंगे। रविवार काे शाम छह बजे के बाद राजनीतिक दल काेई भी सभा या राेड शाे नहीं कर सकेंगे। इसके बाद व्यक्तिगत प्रचार ही संभव हाे सकेगा। इसलिए दाेनाें ही दलाें का फाेकस है कि किसी भी तरह अधिक से अधिक विधानसभा क्षेत्राें में स्टार प्रचारकाें की सभाएं हाे सकें। ऐसे में सुबह से ही अंचल में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का अपने पुत्र नकुल नाथ के साथ कांग्रेस प्रत्याशियाें के समर्थन में मुरैना में राेड शाे जारी है। इसमें खुली जीप में सवार कमल नाथ लाेगाें काे अभिवादन करते हुए चल रहे हैं। इसके बाद वह ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में इंटक मैदान में कार्यकर्ता सम्मेलन काे संबाेधित करेंगे और पत्रकाराें से चर्चा करेंगे। राज्यसभा सदस्य ज्याेतिरादित्य सिंधिया की मेहगांव के अमायन में आमसभा चल रही है। वे दाेपहर 12. 30 बजे भांडेर विधानसभा क्षेत्र और दाेपहर दाे बजे करैरा विधानसभा क्षेत्र में सभा काे संबाेधित करेंगे। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा दाेपहर एक बजे दिमनी विधानसभा क्षेत्र में बैठक लेंगे, इसके बाद मुरैना में सामाजिक बैठक काे संबाेधित करेंगे। शाम चार बजे ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में काेट्श्वर मंडल द्वारा राय प्रगति गार्डन में आयाेजित सभा काे संबाेधित करेंगे। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह ताेमर रविवार काे दाेपहर बारह बजे अंबाह में राेड शाे करेंगे। इसके बाद पाेरसा में भी राेड शाे हाेगा। भारतीय जनता युवा माेर्चा ने ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी मुन्नालाल गाेयल के समर्थन में वाहन रैली निकाली। यह रैली सुबह ग्यारह बजे महाराजा कॉम्पलेक्स डीडी नगर से शुरू हुई और बारादरी, थाटीपुर चाैराहा, कटाेराताल से हाेते हुए इंदरगंज पहुंचकर समाप्त हुई।
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बहुत पहले नहीं, शब्द "दचा" शहर के बाहर स्थित एक साधारण उद्यान को दर्शाता है। धीरे-धीरे, डच को पारिवारिक अवकाश के लिए एक शोर शहर से दूर जगह के रूप में माना जाना शुरू किया। इसलिए, ऐसे स्थान को डिजाइन करने के लिए बगीचे के औजारों को संग्रहित करने के लिए एक छोटा सा घर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है। तेजी से, विभिन्न क्षेत्रों में बहुत सारे विभाजित होते हैं, जिनमें एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें घर के बगल में एक हरा मनोरंजन क्षेत्र है। और अब पता लगाएं कि घर के सामने बगीचे को अपने हाथों से कैसे सजाने के लिए। विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करनाः पत्थरों, रेत, कंकड़, साथ ही शुष्क शाखाएं, स्टंप, मॉस, आप विभिन्न रचनाओं को बना सकते हैं। और यदि पास पानी है, तो एक छोटा सा मानव निर्मित झरना बहुत अच्छा और उचित लगेगा। इस तरह की रचनाओं को साइट के समग्र लेआउट में स्वाभाविक रूप से फिट होना चाहिए, इसे ओवरपेन्ड नहीं करना चाहिए। आप देश की साजिश कैसे सजाने सकते हैं? देश के घर के बरामदे को एक सुरुचिपूर्ण पेर्गोला से सजाया जा सकता है, और घर के सामने आप एक हरे रंग के लॉन के साथ गुलाब के बगीचे को तोड़ सकते हैं। यदि साइट पर कोई कुआं है, तो आप उस पर एक सुंदर छत बना सकते हैं, जो घर और आउटबिल्डिंग के आर्किटेक्चर के साथ जरूरी है। ऑटोमोटिव टायर से बने फूलों की जगह, विला क्षेत्र में असामान्य लगती हैं। लेकिन टायर सिर्फ एक-दूसरे पर नहीं खड़े होते हैं, लेकिन बाहर चिकनी तरफ बाहर निकलते हैं। यदि आप इस तरह के फूलदान के लिए ठोस आधार भी बनाते हैं, तो यह बहुत ही मूल और टिकाऊ होगा, जो भी बहुत महत्वपूर्ण है। विला को सजाने के लिए एक और विकल्प एक "हल्का" अल्पाइन स्लाइड है । इसे बनाने के लिए, आपको बड़ी पत्थरों, सबसे अच्छे, क्रूर या ग्रेनाइट और अपनी साइट से जमीन की आवश्यकता है। रोलर कोस्टर का रूप आपके विवेकानुसार, पत्थर और मिट्टी में किसी भी हो सकता है, जो टायरों के साथ ढेर होते हैं। ऐसी पहाड़ी में जड़ी-बूटियों के पौधे और फूलों के लिए, मिट्टी पर्याप्त होगी, और यदि आप इसे झाड़ियों के साथ सजाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको जमीन से अतिरिक्त आधार बनाना होगा। अपने आप द्वारा किए गए पेर्गोलस के अपने मेहमानों की गली पर तत्काल प्रभाव डालें। आप सामान्य बाड़ के बजाय ऐसे पेर्गोलस स्थापित कर सकते हैं, गुलाब, आईवी या अंगूर उन पर चीरते हैं। और आप इस प्रकार घर के रास्ते को सजाने के लिए, बाकी के लिए बेंच के पेर्गोलस के किनारों को सेट कर सकते हैं। यहां बताया गया है कि आप अपने बगीचे को कैसे सजाने सकते हैंः एक "जीवित" मूर्तिकला स्थापित करें। इसे बनाने के लिए आपको स्टील के तार के साथ स्टॉक करना होगा, बहुत उथले स्टील जाल, लॉन घास के बीज और अंडरसाइज्ड फूल, स्ट्रॉ और साधारण पृथ्वी। तार से भविष्य की मूर्ति का आकार बनता हैः एक कुत्ता, एक भालू या कोई अन्य आपके विवेकाधिकार पर। मोल्ड एक साथ वेल्डेड है। मिट्टी को भूसे और गीले से मिश्रित किया जाता है। भविष्य की मूर्ति को ग्रिड में लपेटा जाता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के मिश्रण से ढका होता है, जिसमें पौधों के बीज बोए जाते हैं। तो यह एक असामान्य पौधे मूर्तिकला बाहर निकलता है। फूलों के साथ बगीचे की साजिश को कैसे सजाने के लिए? साजिश को सजाने के लिए आप खूबसूरत फूलों के बिस्तर तोड़ सकते हैं। और यदि आप चाहते हैं कि आपकी डच साइट अपने पड़ोसियों से अनुकूल रूप से अलग हो, तो आप इसे असामान्य फूल बिस्तरों से सजा सकते हैं। इन उद्देश्यों के लिए, पुरानी बाल्टी, पानी के डिब्बे, पैन, और यहां तक कि पहने हुए जूते भी करेंगे। यह सब साइट के चारों ओर खूबसूरती से व्यवस्थित किया जा सकता है, जमीन और पौधे के पैनियों, पेटूनिया, नास्टर्टियम और अन्य अंडरसाइज्ड फूलों को भरें। और आपके सभी मेहमान इस तरह के विशेष फूल बिस्तर से प्रसन्न होंगे। बगीचे के क्षेत्र के लिए मूल गहने प्लास्टिक की बोतलों से बना सकते हैं। यह फूलों के साथ फूलों के बिस्तरों और फूलों के बर्तनों के रूप में, उदाहरण के लिए, गिनी सूअरों के रूप में curbs। और प्लास्टिक की बोतलों से भी इकट्ठे विदेशी हथेलियों को स्थापित करना संभव है। जितनी संभव हो उतनी बोतलों को जमा करने के बाद, आप बगीचे गैज़बो के रूप में एक असली कृति बना सकते हैं। प्रयोग करें, और अपने पड़ोसियों और मेहमानों को आश्चर्यचकित करें कोई सीमा नहीं होगी!
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रायगढ़। कोरोना लॉकडाउन के कारण संकट की इस घड़ी में सरकार द्वारा लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और नगद भुगतान की प्रक्रिया से संग्राहकों को बड़ी राहत मिलने लगी है साथ ही इससे वनोपजों के संग्राहकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ गए हैं। यह कहना है रायगढ़ जिले के अंतर्गत वनांचल के ग्रामीण वनवासियों का। वनवासियों द्वारा वनोपजों के संग्रहण के दौरान कोरोना से बचाव के लिए निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। रायगढ़ जिले में अब तक कुल 804. 91 क्विंटल वनोपज की खरीदी कर संग्रहकों को 10 लाख 18 हजार 176 रुपये का भुगतान किया जा चुका है, जिसमें 2 जिला यूनियनों के अंतर्गत रायगढ़ जिला यूनियन में कुल 540. 30 क्विंटल वनोपज की खरीदी की जा चुकी है। जिसके लिए 6 लाख 99 हजार 247 रुपये का भुगतान संग्राहकों को कर दिया गया है। इसी तरह धरमजयगढ़ जिला यूनियन अंतर्गत कुल 264. 61 क्विंटल वनोपज की खरीदी की जा चुकी है। जिसके लिए 3 लाख 18 हजार 929 रुपये का भुगतान संग्राहकों को किया जा चुका है। रायगढ़ जिले में मुख्यतः चरोटा, बहेड़ा, हर्रा, हर्रा कच, हर्रागोटा, ईमली, महुआ फूल, नागरमोथा, चरौटा बीज, थवई फूल, शहद, करंजबीज सवई घास, माहुल पत्ता, इन्द्रजौ, कांटा घास, कांटा झाड़ू, परसा फूल, भेलवा व गिलोय जैसे उत्पादों का संग्रहण व विक्रय किया जाता है।
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कांग्रेस ने मंगलवार को कश्मीर मुद्दे पर नेहरू की आलोचना को लेकर मोदी पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि उन्होंने एक बार फिर तथ्यों की अनदेखी की। गुजरात के आणंद जिले में सोमवार को एक रैली को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने नेहरू पर परोक्ष हमला करते हुए कहा था कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने अन्य रियासतों के विलय से संबंधित मुद्दों को चतुराई से हल किया, लेकिन "एक व्यक्ति" कश्मीर मुद्दे को नहीं सुलझा सका। रीजीजू ने सिलसिलेवार ट्वीट में नेहरू से जुड़े मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश पर पलटवार किया। भाजपा नेता ने कहा, "यह 'ऐतिहासिक झूठ' कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के सवाल को टाल दिया था, जवाहर लाल नेहरू की संदिग्ध भूमिका की रक्षा के लिए बहुत लंबे समय तक चला है। " रीजीजू ने लोकसभा में नेहरू के 24 जुलाई, 1952 के भाषण का हवाला देते हुए दावा किया कि महाराजा हरि सिंह ने पहली बार भारत में जम्मू कश्मीर के विलय के लिए आजादी से एक महीने पहले ही जुलाई 1947 में नेहरू से संपर्क किया था, और यह नेहरू थे जिन्होंने महाराजा की बात को अस्वीकार कर दिया। कानून मंत्री ने कहा, "और जयराम रमेश, न केवल नेहरू ने जुलाई 1947 में महाराजा हरि सिंह के विलय के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, बल्कि नेहरू अक्टूबर 1947 में भी टालमटोल कर रहे थे। यह तब था जब पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर के कई किलोमीटर अंदर पहुंच गए थे . . . कश्मीर को एकमात्र अपवाद क्यों बनाया गया था नेहरू द्वारा . . . सच तो यह है कि भारत अभी भी नेहरू की गलतियों की कीमत चुका रहा है। "
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चित्रकूट। जिले के व्यस्ततम करवी क्षेत्र में चाेरों ने एक आभूषण प्रतिष्ठान में सेंध लगाकर आठ लाख रूपये के जेवरात और 25 हजार रूपये की नगदी पर हाथ साफ (Stole) कर दिया। सोमवार सुबह घटना की जानकारी होने पर दुकान मालिक के परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सदर कोतवाली क्षेत्र के पुरानी बाजार मुख्य डाकघर के सामने स्थित सरजू आभूषण मंदिर के मालिक विनोद सोनी उर्फ लाला ने पुलिस को दर्ज करायी गयी तहरीर में कहा कि वह शहर के बाहर गया था। सोमवार को दुकान के पड़ोस में रहने वालों ने बताया कि दुकान की दूसरी मंजिल के बाहर का दरवाजा टूटा है। जानकारी होते ही उनके परिजन दुकान पहुंचे और पुलिस की मौजूदगी में दुकान के अंदर पहुंचे तो देखा कि ऊपरी मंजिल के बीच के चार दरवाजे टूटे हैं। शोकेस काउंटर में रखे लगभग दस किलो चांदी व 50 ग्राम सोने के आभूषण गायब हैं। 25 हजार रुपये की नगदी भी गायब है। सीसीटीवी कैमरे का सीडीआर गायब है। दुकान के अंदर रखे बड़े लॉकर को तोडने का प्रयास किया गया लेकिन खुल नहीं पाया। शहर के मध्य बडी चोरी की जानकारी होते ही अपर एसपी चक्रपाणि त्रिपाठी, सीओ हर्ष पांडेय व कोतवाल एके मिश्रा डॉग स्क्वायड व फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ टीम के साथ पहुंचे। दो घंटे की जांच पड़ताल के दौरान पता चला कि चोर दुकान के बगल के घरों से चढ़े और बाहरी हिस्से की जाली तोडकर दरवाजा तोडा। इसके बाद नीचे आने के दौरान तीन और दरवाजे तोडे तब काउंटर के पास पहुंचे और लाखों की चोरी करके इसी रास्ते से भाग निकले। दुकान मालिक के भाई रामविशाल सोनी की तहरीर पर अज्ञात चोरों के खिलाफ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की गई है। अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जल्द ही चोरों का पता लगाया जाएगा।
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अशोक गहलोत, राहुल गांधी और सचिन पायलट (फाइल फोटो) राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के लिए कांग्रेस की ओर से शेष 48 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए गए हैं. पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने शुक्रवार देर शाम बताया है कि दूसरी लिस्ट जारी करने की सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब उम्मीदवारों की लिस्ट कभी भी आ सकती है. हालांकि उन्होंने कहा कि कांग्रेस की दूसरी लिस्ट आज रात आएगी या कल सुबह, यह नहीं कह सकता, ये मुकुल वासनिक ही बता सकते हैं. गहलोत ने कहा कि अब CEC की कोई बैठक नहीं होगी, हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. सचिन पायलट, डॉ. सीपी जोशी, कटारिया समेत हम सब एक हैं. इसकी बानगी आपको आने वाले चुनाव में देखने को मिलेगी. यहां देखें- राजस्थान कांग्रेस की पहली लिस्ट में कहां से कौन हैं उम्मीदवार? इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी स्थित 15 GRG में कांग्रेस की बैठक हुई. इस बैठक के बाद अशोक गहलोत, सचिन पायलट, रामेश्वर डूडी, कुमारी शैलजा, अविनाश पांडे समेत तमाम नेता शामिल थे. बैठक खत्म होने के बाद बाहर निकले गहलोत ने वहां मौजूद लोगों से मुलाकात की. इस दौरान कुछ कार्यकर्ताओं और दावेदारों ने अपनी मांग भी रखी. ये भी पढ़ें- राजस्थान की कांग्रेस लिस्ट में झूठा निकला राहुल गांधी का ये दावा! कांग्रेस ने गुरुवार रात अपनी पहली लिस्ट जारी की थी. केंद्रीय चुनाव समिति की देर रात तक चली बैठक में 152 प्रत्याशियों के नामों के ऐलान किया गया. इस सूची में सचिन पायलट, अशोक गहलोत, रामेश्वरलाल डूडी, डॉ. सीपी जोशी के नाम शामिल हैं. कांग्रेस की पिछले सरकार के 22 मंत्रियों को भी इस सूची में जगह दी गई. .
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।। ॐ नम सिद्धेभ्य । अथ द्वितीयोऽध्यायः ॥ राजे सहजस्वभावतै । तजि परभाव विभाव । नमो आप्तके परमपद । प्रकटै शुद्धस्वभाव ॥१॥ औपशमिकक्षायिकौ भावौ मिश्रश्च जीवस्य स्वतत्वमौदयिकपारिणामिकौ च अर्थप्रकाशिका - औपशमिक । क्षायिक । मिश्र । औदयिक । पारिणामिक । ए जीवके पाच भाव है । ते जीक्षके निजतत्व है। जैसे मलिनजलके विषं कतकादिद्रव्यका मिलापतै कर्दम मल तो नीचे बैठीजाय है जल उज्वल होयजाय है तैसे कारणके वशतै प्रतिपक्षी कर्मकी शक्तिका उदय नही होना आत्माकी विशुद्धिता होना सो उपशम भाव है । बहुरि जैसे कतकद्रव्यके सबधतै जाका कर्दम तो नीचे बैठीगया अर जल ऊपरि निर्मल हो गया तिस जलकू अन्य पवित्र उज्वल भाजनमे धारणकीया कर्दम निकासि दूरि डारि दीया तिस जलमे अत्यत उज्वलता रहे है तैसे प्रतिपक्षी कर्मका अत्यंत अभाव होतासता आत्माके भावनिमे अत्यत विशुद्धिता होना सो क्षायिकभाव है । बहुरि जैसे प्रक्षलनिके वसते माचणेको दुनिमे मदशक्तिका कुछ क्षीणपणा कुछ अक्षीणपगा प्रकट होय है जैसे क्षयोपशमरूप कारणके वशतं प्रतिपक्षी कर्मके सर्वधातिस्पर्द्धानिका उदय नही होना सोही उदयाभाव क्षय अर उपरितन निषेकनिका सत्तामे उपशम रहना अर देशघातिस्पर्द्धकनिका उदय होना सो क्षायोपशमिकमाव हे याहीकू मिश्र कहिए है । बहुरि द्रव्य क्षेत्र काल भावरूप निमित्तके वरातै विपच्यमान कर्मका फल प्रकट होना अपना रस देना सो उदय है । उदयतै भाव होय मो औदयिकभाव है । वहुरि जहा कर्मकी
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अमरावती/दि. 23- कोविड संक्रमण काल से पहले अमरावती से जबलपुर और अमरावती से लातुर होते हुए पुणे ट्रेन चलायी जा रही थी. जिसे कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए अन्य रेलगाडियों के साथ-साथ बंद कर दिया गया था. परंतू कोविड संक्रमण का खतरा टलने के बाद जहां अब सभी रेलगाडियों को पहले की तरह शुरू कर दिया गया है, वही अमरावती से इन दोनों रेलगाडियों का परिचालन अब तक बंद ही रखा गया है. जिसे लेकर क्षेत्र की जनता द्वारा विगत लंबे समय से मांग उठाई जा रही है. परंतू रेल प्रशासन द्वारा जनभावनाओं की लगातार अनदेखी की जा रही है. इस आशय का आरोप लगाते हुए महानगर यात्री संघ द्वारा चेतावनी दी गई कि, यदि आगामी एक माह के भीतर अमरावती से इन दोनों रेलगाडियों को दोबारा शुरू नहीं किया जाता है, तो अगले महिने बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर रेल रोको आंदोलन किया जायेगा और पूरा दिन बडनेरा रेल्वे स्टेशन से किसी भी ट्रेन को गुजरने नहीं दिया जायेगा. महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा की अगुआई में आज स्थानीय मॉडल रेल्वे स्टेशन पर जबलपुर व पुणे ट्रेन को दुबारा शुरू किये जाने की मांग को लेकर जबर्दस्त प्रदर्शन किया गया. साथ ही रेल महकमे के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम स्टेशन प्रबंधक एम. एम. लोहकरे को ज्ञापन सौंपा गया. इस ज्ञापन में कहा गया कि, कोविड काल से पहले रोजाना चलनेवाली अमरावती-जबलपुर ट्रेन को अमरावती से अच्छी-खासी यात्री संख्या मिला करती थी. जिससे रेल महकमे को काफी आय होती थी और यह ट्रेन फायदे में भी चल रही थी. यही स्थिति अमरावती-पुणे व्हाया लातुर साप्ताहिक ट्रेन के साथ भी थी. जिसमें हमेशा ही अग्रीम आरक्षण हाउसफुल्ल रहा करता था. ऐसे में कोविड का खतरा निपटने के बाद इन दोनोें रेलगाडियों को बंद रखने का औचित्य समझ से परे है. साथ ही हैरतवाली बात यह भी है कि, जबलपुर ट्रेन को इस समय नागपुर तक चलाया जा रहा है. जहां पर यह ट्रेन पूरा दिन रेल्वे यार्ड में खाली खडी रहती है. जबकि नागपुर स्टेशन पर रेल्वे यार्ड में पहले ही काफी रैक खडे रहते है और वहां रेलगाडियों को खडे रखने हेतु जगह की कमी है. ऐसे में बहुत बेहतर रहेगा कि, इस ट्रेन को पहले की तरह अमरावती तक लाया जाये. जिससे रेल्वे को आय के साथ सुविधा भी होगी. इन सबके साथ ही विदर्भ क्षेत्र के नागरिकों, व्यवसायियोें व उद्योजकों के पास पहले की तरह मध्यप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र से सीधा संपर्क रखने का जरिया उपलब्ध होगा. जिससे यहां के व्यापार-व्यवसाय को गति मिलेगी. इसी तरह कोविड काल से पहले शुरू रहनेवाली अमरावती-पुणे व्हाया लातुर साप्ताहिक ट्रेन को भी दुबारा जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए, ताकि अमरावती शहर सहित जिले के नागरिकों के पास पुणे आने-जाने हेतु पहले की तरह अपना अधिकारपूर्ण साधन उपलब्ध हो सके. इन सबके साथ ही महानगर यात्री संघ ने नया अमरावती रेल्वे स्टेशन से होकर कुछ नई रेलगाडियों को चलाये जाने तथा बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर लंबी दूरीवाली कुछ रेलगाडियों को स्टॉपेज दिये जाने के साथ ही अमरावती रेल्वे स्टेशन से नासिक व पुणे के लिए दो नई रेलगाडियों को चलाये जाने की मांग भी रेल प्रशासन से की है और साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि, अगर एक माह के भीतर अमरावती से जबलपुर और अमरावती से लातुर होते हुए पुणे के लिए पहले की तरह ट्रेन शुरू नहीं की जाती है, तो अगले महिने बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर पूरा दिन रेल रोको आंदोलन किया जायेगा और उस दिन बडनेरा स्टेशन से होकर किसी भी ट्रेन को गुजरने नहीं दिया जायेगा. ज्ञापन सौंंपते समय महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा, अमरावती चेंबर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विनोद कलंत्री, सचिव सुरेंद्र देशमुख व सहसचिव मनीष करवा, रिटेल किराणा एसो. के अध्यक्ष आत्माराम पुरसवाणी, सागर गुप्ता, दिलीप छुटलाणी, सुधीर बजाज, जयपाल साधवानी, परमानंद शर्मा, नितीन कदम, विजय पिंजाणी, किशोर मोहता, मुकेश हरवाणी, अनुप हरवाणी, तुलसी सेतीया, राजु बुलाणी, प्रदीप हरवाणी, अनुराग तरडेजा, तरूण अरोरा के साथ ही बिझीलैण्ड, सिटीलैण्ड व ड्रीम्जलैण्ड व्यापारी एसो. के पदाधिकारी भी बडी संख्या में उपस्थित थे. इस आंदोलन के दौरान अपनी बेहद संतप्त प्रतिक्रिया देते हुए महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा ने कहा कि, अमरावती रेल्वे स्टेशन का कायाकल्प और यहां से रेल सुविधाओं का विस्तार अमरावती से वास्ता रखनेवाली देश की पूर्व राष्ट्रपती श्रीमती प्रतिभाताई पाटील की मेहरबानी के चलते हुआ था. जिसकी वजह से बरसों-बरस तक उपेक्षित पडा रहनेवाला अमरावती शहर देश के रेल्वे नक्शे पर दिखाई दिया. किसी भी क्षेत्र का विकास करने हेतु वहां पर आवागमन की नई-नई सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है. परंतू अमरावती में उलटी गंगा बहाई जा रही है. नई रेलगाडियां देना तो दूर, बल्कि जो रेलगाडियां पहले से चल रही थी, उन्हें बंद करने का कारनामा रेल महकमे द्वारा किया जा रहा है और हैरत की बात यह है कि, इसे लेकर किसी जनप्रतिनिधि द्वारा कुछ भी नहीं कहा जा रहा. ऐसे में अब आम जनता सडक पर उतरकर अपने अधिकारों की लडाई लडेगी. हम रेल महकमे से गाडियों की भीख नहीं मांग रहे, बल्कि अमरावती-जबलपुर और अमरावती-पुणे व्हाया लातूर ये दो रेलगाडियां हमारा अपना अधिकार है और हम इसे हर हाल में वापिस प्राप्त करेंगे. क्योंकि यह हमारे शहर व जिले के विकास व भविष्य से जुडा मामला है.
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बरेली : मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला का आज यानि संडे को आगाज होगा। यह मेला डिस्ट्रिक्ट के समस्त सीएचसी-पीएचसी पर लगाया जाएगा। शहर में संजय नगर स्थित सीएचसी पर मेले का शुभारंभ केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार करेंगे। इस मौके पर डीएम नितीश कुमार, सीएमओ विनीत कुमार शुक्ला समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस आरोग्य मेले में डिस्ट्रिक्ट के मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स भी प्रतिभाग कर चिकित्सा अनुभव लेंगे। वहीं मेले में एक आयुष चिकित्सक और मोबाइल यूनिट भी तैनात होगी। आरोग्य मेले में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभागए आरबीएसके की टीम भी रहेगी। वह लोगों के बीच योजनाओं का प्रचार करेगी। मेले में ओपीडी की सुविधा होगी। मरीजों की जांच के साथ ही उनको दवाएं दी जाएंगी। आरोग्य मेला सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक लगाया जाएगा। आरोग्य मेले में टीबी, मलेरिया, डेंगू, दिमागी बुखार, कालाजार, फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारियोंकी जांच की जाएगी। गर्भवती महिलाओं के लिए चलने वाली योजनाओंए संस्थागत प्रसव के बारे में बताया जाएगा। पूर्ण टीकाकरण की जानकारी भी दी जाएगी। आज से हर एक सीएचसी-पीएचसी पर जन आरोग्य स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लोगों को काफी स्वास्थ्य लाभ के साथ गंभीर बीमारियों का इलाज दिया जाएगा। डॉ। विनीत कुमार शुक्ला, सीएमओ।
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बिहार बोर्ड की 10वीं की परीक्षाएं 17 से 24 फरवरी 2021 के बीच हुई थी. नई दिल्ली. बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड (Board School Examination Board, BSEB) ने कक्षा 12 के परिणाम के लिए स्क्रूटनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. रिजल्ट 26 मार्च को घोषित किया गया था. BSEB के अपडेट के अनुसार, परिणाम जांच के लिए आवेदन विंडो 7 अप्रैल तक खुली रहेगी. जो अपने परिणामों से संतुष्ट नहीं हैं, वे आधिकारिक वेबसाइट, biharboardonline. bihar. gov. in पर आवेदन कर अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करा सकते हैं. छात्रों को स्क्रूटनी के लिए प्रति विषय 70 रुपये का शुल्क देना होगा. -बीएसईबी की आधिकारिक वेबसाइट biharboardonline. bihar. gov. in पर जाएं. -होम पेज पर, "Scrutiny Registration' लिंक पर जाएं. -डिटल भरें और बीएसईबी कक्षा 12 के लिए स्क्रूटनी फॉर्म 2021 भरें. -सबमिट बटन पर क्लिक करें. -शुल्क का भुगतान क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग के माध्यम से करें. एक बार स्क्रूटनी परिणाम जांच के लिए आवेदन करने के बाद, कैंडिडेट्स अपनी इवैल्युएडेट उत्तर पुस्तिकाओं की फोटोकॉपी भी प्राप्त कर सकते हैं. जो छात्र एक या दो विषयों में असफल रहे, उन्हें कंपार्टमेंट परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी. इस साल बिहार बोर्ड कक्षा 12 का उत्तीर्ण प्रतिशत 78. 04 प्रतिशत रहा. पिछले साल कुल पास प्रतिशत 80. 44 प्रतिशत था. .
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रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में ईडी ने दिनभर पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप से पूछताछ की। पीएमएलए के तहत दर्ज बयान में दिनेश गोप ने स्वीकार किया है कि सहयोगियों के जरिए पैसे निवेश किए थे। रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में ईडी ने दिनभर पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप से पूछताछ की। पीएमएलए के तहत दर्ज बयान में दिनेश गोप ने स्वीकार किया है कि सहयोगियों के जरिए पैसे निवेश किए थे। उसने लेवी की राशि का निवेश अपनी दोनों पत्नियों व सहयोगियों के जरिए किया। दिनेश गोप ने पूछताछ में यह भी स्वीकार किया है कि सुमंत कुमार के डायरेक्टरशिप में बनी कंपनी में भी उसने निवेश किया। वहीं नोटबंदी के दौरान पुराने नोट को बैंक में जमा कराने के लिए बेड़ो में पेट्रोल पंप मालिक के इस्तेमाल की बात भी स्वीकारी। ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में टीम दिन के 11 बजे रांची केंद्रीय कारा पहुंची थी। वहां अधिकारियों ने शेल कंपनियों व लेवी की राशि के निवेश के पहलुओं पर पूछताछ की। इससे पहले केंद्रीय एजेंसी एनआईए भी दिनेश गोप से लंबी पूछताछ कर चुकी है। ईडी अधिकारियों के मुताबिक, मंगलवार को भी ईडी रांची जेल में दूसरे दिन की पूछताछ करेगी। ईडी ने दिनेश गोप से उसके पूरे नेटवर्क, लेवी के पैसों के स्रोत, पैसों का निवेश करने वाले सहयोगी कारोबारियों के बारे में पूछताछ की। ईडी को पूर्व में राज्य सरकार ने दिनेश गोप व उसके परिजनों की संपत्ति का विवरण भेजा था। उन संपत्तियों के विषय में भी दिनेश गोप से ईडी ने पूछताछ की। हालांकि पूछताछ में ईडी के समक्ष दिनेश गोप ने इन पहलुओं पर क्या खुलासा किया, यह स्पष्ट नहीं है। गौरतलब है कि दिनेश गोप को एनआईए ने नेपाल से गिरफ्तार किया था। फिर उसे भारत लाया गया। पहले एनआईए ने पूछताछ की।
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भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली (Virat Kohli) कतर में खेले जा रहे फीफा वर्ल्ड कप (Fifa World Cup) 2022 से बाहर हो जाने के बाद स्टार फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो (Cristiano Ronaldo) के समर्थन में उतरे हैं। वर्ल्ड कप में बीते शनिवार को पुर्तगाल को क्वार्टर फाइनल में मोरक्को के हाथों 1-0 से हार का सामना करना पड़ा था। इस वजह से पुतर्गाल के साथ रोनाल्डो का भी टूर्नामेंट से सफर समाप्त हो गया था। फुटबॉल के मेगा इवेंट से बाहर हो जाने के बाद रोनाल्डो मैदान पर ही भावुक होते दिखाई दिए थे, जिसे देखकर दुनियाभर के उनके फैंस भी मायूस हो गए थे। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान ने रोनाल्डो के लिए सोशल मीडिया पर एक इमोशनल पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने स्टार फुटबॉलर की जमकर तारीफ की है। किंग कोहली ने कहा कि रोनाल्डो को कोई भी टाइटल एक्सप्लेन नहीं कर सकता है। वह मेरे लिए सार्वकालिक महान खिलाड़ी हैं। सोशल मीडिया पर रोनाल्डो की तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन में लिखा, आपने इस खेल में और दुनियाभर के खेल प्रशंसकों के लिए जो कुछ भी किया है, उससे कोई ट्रॉफी या कोई खिताब कुछ भी कम नहीं कर सकता है। कोई भी शीर्षक यह नहीं बता सकता कि आपने लोगों पर क्या प्रभाव डाला है और जब हम आपको खेलते हुए देखते हैं तो मैं और दुनियाभर के कई लोग क्या महसूस करते हैं। आप भगवान की ओर से एक तोहफा हो। एक ऐसे व्यक्ति के लिए एक वास्तविक आशीर्वाद जो हर बार अपने दिल से खेलता है और किसी भी खिलाड़ी के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण और सच्ची प्रेरणा का प्रतीक है। आप मेरे लिए सर्वकालिक महान हैं। पुर्तगाल की इस हार के बाद यह तय हो गया था कि पांच विश्वकप में गोल दागने वाले दुनिया के एकमात्र खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो अब विश्व कप ट्रॉफी कभी नहीं उठा पाएंगे। संभवतः 37 वर्षीय खिलाड़ी अपना अंतिम विश्व कप खेल चुका है। रोनाल्डो पुर्तगाल के ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे शानदार फुटबॉलर्स में से एक हैं। उन्होंने इंटरनेशनल फुटबॉल में सबसे ज्यादा 118 गोल दागे हैं। दुनिया का कोई भी दूसरा खिलाड़ी उनके इस रिकॉर्ड के आसपास नहीं है। रोनाल्डो ने पुर्तगाल की फुटबॉल टीम के लिए 196 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं।
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ज्ञानदीप आगे की लाइनें पढ़ पाता कि दरवाजें पर दस्तक हुई। लगा जैसे खाने के बीच कंकड़ आ गया हो। उसने पन्ने उठाकर एक तरफ रखा और दरवाजा खोला। सामने अली खड़ा था। "भैंया, जल्दी चलिये अम्मी को दौरा पड़ा हैं." अली हाँफता हुआ बोला। ज्ञानदीप दरवाजा बंद करके उसके साथ चला गया। जब यह बात अम्मा को पता चली तो उन्होंने मुझे बहुत डाँटा। जबकि उस वक्त मुझे हिजड़ों के बारे में कुछ भी नहीं पता था। मगर विघि का विधान तो देखिये जिस हिजड़े समाज से बोलने के लिए मुझे इतनी बड़ी सज़ा मिली थी। आज मैं उसी हिजड़े समाज की नायक हूँ। डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता। नसीबों के खेल भी कितने निराले होते हैं। यह मैंने इस उमर में जाना था। भाग्य के मैं कितने रूप बखान करूँ, हर एक रूप में दर्द ही दर्द हैं। अब तो मैं इस दुर्भाग्य को अपनी तकदीर मान बैठी हूँ और उसी के सहारे घिसटती जा रही हूँ। न जाने कब तक घिसटती जाऊँगी। माँ-बाप ने क्या सोच कर मेरा नाम दीपक रखा होगा, कि एक दिन दीपक की तरफ सारे संसार में चमकूँगा। मगर अफसोस! मैं बदनसीब दीपक न बन सका। जहाँ चमकना था वहाँ चमक न सका। जहाँ बुझना था वहाँ चमक उठा।। क्या करती परिस्थितियों के आगे विवश थी। परिस्थितियाँ इंसान को क्या से क्या बना देती है। जब भाग्य का पहिया चलता हैं तो वह किसी को नहीं बख़्शता सिर्फ़ रौंदता चला जाता हैं। उस हिजड़े वाले हादसे के बाद से पिताजी मुझे अपने साथ रखते। उनकी पैनी निगाहें हर पल मुझ पर रहती। दिन-रात की कड़ी मेहनत के बाद भी परिवार का खर्चा नहीं चल पा रहा था। दो छोटी बहन और दो छोटे भाइयों की पढ़ाई का खर्चा ठेले से निकाल पाना दूभर हो गया था। फिर क्या था पूरा परिवार दस पैसे किलों पर टाफी लपटने लगा। दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद बीस किलो टाफी पैक हो पाती थी। यह सब देखकर हम-दोनें भाइयों को बहुत तकलीफ़ होती थी। काफी सोचने-विचारने के बाद हमने यह निश्चय निकाला कि हम लोग देहरादून जायेंगे। वहाँ जाने का सबसे बड़ा कारण यह था कि वहाँ हमारे रिश्तेदार थे। जबकि अम्मा-पिताजी नहीं चाहते थे कि हम में से कोई भी किसी से पल भर के लिए दूर हो। कहते हैं ना, तकदीर जो न कराये वह कम हैं। हम-दोनों भाई तैयारी करके देहरादुन चले गए। हमारे रिश्तेदारों ने मदद करना तो दूर, बात करना भी गंवारा न समझा। हम लोगों ने जैसे-तैसे कई रातें फुटपाथ पर काटी। दिन में हम लोग होटलों में काम करते और रात में टैम्पों पर कनडकटरी करते। देखते-देखते मेरा भाई टैम्पों चलाना सीख गया था। तभी अल्लाह का एक बंदा मिल गया जिसने मेरे भाई को टैम्पों दिया और कहा चलाओं। मैं अगले दिन ट्रेन पकड़ कर अपने शहर आ गया। एक हफ्ता रहने के बाद जब मैं देहरादुन आने लगा तो पिताजी मेरे साथ चल पड़े। यह तो मुझे बाद में पता चला कि वह घूमने नहीं, छोटी बहन के लिए लड़का ढूढ़ने आए हैं। तभी दूर की रिश्तेदारी में पिताजी को एक लड़का मिल गया था। पिताजी ने साफ़-साफ़ कह दिया था कि मेरे पास सिर्फ लड़की हैं और कुछ नहीं। लड़के वालों ने भी अपनी बात रख दी, हमें सिर्फ लड़की चाहिए जो हमारे परिवार को चला सके। नतीजा यह निकला कि शादी देहरादून में करनी होगी। पिताजी वापस अपने शहर आ गये। फिर एक हफ्ते के बाद अम्मा और भाई-बहनों को लेकर देहरादून आ गए। हम लोगों ने तो जो शादी में पैसा लगाया साथ-साथ लड़के वालों ने भी हमारी काफी मदद की। शादी ठीक-ठाक निपट गई थी। पिताजी सबको लेकर शहर आ गए थे। आठवे दिन मैं भी शहर आ गया। उसी के दूसरे दिन मेरे भाई का एक्सीडेंट हो गया। देहरादून के रिश्तेदारों ने मेरे बड़े भाई को खैराती अस्पताल में भर्ती कर दिया, और पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिताजी-अम्मा को बहुत दुःख हुआ। डॉक्टरों के अनुसार, भाई का एक हाथ बेकार हो चुका था। और अगर जल्दी नहीं काटा गया तो ज़हर पूरे ज़िस्म में फैल जाएगा। पिताजी भाई को लेकर अपने शहर आ गए थे। डॉक्टरों को दिखाया गया तो उन्होंने फौरन आप्ररेशन करने को कहा। रकम एक हज़ार थी मगर जहाँ खाने के लाले लगे हो, वहाँ यह रकम बहुत बड़ी थी। पिताजी ने हर एक के आगे गुज़ारिश की मगर किसी ने उनकी मदद नहीं की। वह पैसे के लिए इधर-उधर भागते रहे। पैसा मिला भी तो ब्याज पर, भाई का आप्ररेशन हुआ। पर डॉक्टर उसका दाया हाथ नहीं बचा सके। शहर में मेरे भाई का नाम था चाहे खेल का मैदान हो या पढ़ाई, वह हर जगह अव्वल आता था। मगर आज वह विकलांग बन कर रह गया था। भाई के ग़म में पिताजी घुटते जा रहे थे। फिर क्या था मैंने उन कलाकरों से मिलना-जुलना शुरू कर दिया, और गुज़ारिश की वे भी मुझे अपने साथ प्रोग्राम में ले चले। उस समय मेरी उम्र चैदह साल की थी। उन लोगों ने मुझे पाँच रूपया रोज पर रामलीला में नाचने का काम दिला दिया। दिन-भर मैं चाय का ठेला खींचता और रात-भर रामलीला में नाचता। फिर सुबह भाई को अस्पताल में ले जाकर डेसिंग कराना। यह सब मेरा रोज का काम था। मेरे तो जैसे काटों खून नहीं। ज्ञानदीप आगे की लाइनें पढ़ पाता कि अचानक बिजली गुल हो गई। उसे रह-रहकर बिजली विभाग पर गुस्सा आ रहा था। मगर वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सका। इस वक्त अँघेरे का वर्चस्व कायम था। तो क्या मज़ाल थी रोशनी की। ठंड़ भी अपने चरम सीमा पर थी। कोहरे का अपना बवाल था। जहाँ दिन में यह मोहल्ला कान फोड़ता हो, वही इस वक्त सन्नाटा अपनी चादर ओढ़े पड़ा था। ज्ञानदीप ने लालटेन में देखा उसमें तेल नहीं था। उसे अपने ऊपर काफी गुस्सा आया। उसका दिल-दिमाग दीपिकामाई के डायरी के पन्नों में खोया था। आगे क्या हुआ? उसकी उत्सुकता बनी हुई थी। ज्ञानदीप दरवाजा बंद करके रोड पर आ गया। मगर दुकान बंद देख वह आगे बढ़ गया। फिर भी उसे मोमबत्ती नहीं मिली तो वह हताश मन से लौट आया। जैसे 'रावन' फ्लाप होने से शाहरूख खान लंदन से मुंबई वापस आए थे। ज्ञानदीप बिस्तर पर ऐसे ढहे, जैसे जीरों पर आउट होने पर कोहली ढहे थे। ज्ञानदीप का दिल-दिमाग अभी भी दीपिकामाई के उन पन्नों में डूबा था। उन्होंने कितना कष्टमय जीवन जिया। जिस उमर में उन्हें खेलना-कूदना, पढ़ना-घूमना, मौज़मस्ती करना था। उस उमर में उन्होंने जी-तोड़ मेहनत करके अपने परिवार को पाला। वैसे तो दुख-तकलीफ़, परेशानी हर एक के साथ होती हैं। मगर दीपिकामाई के खाते में कुछ ज्यादा ही थी। जब परिस्थिति वश दीपक! दीपिकामाई! बनी होगी? तब उन पर क्या नहीं गुज़री होगी? कैसी-कैसी बातें परिवार वालों को सुननी पड़ी होगी। क्या बीती होगी उनके माँ-बाप, भाई-बहनों पर। कल्पना करता हूँ तो रूह काँप उठती हैं। कहते हैं घूर का भी एक अस्तित्व होता हैं। तो क्या दीपिकामाई का कोई अस्तित्व नहीं? ज्ञानदीप के ज़ेहन में तरह-तरह के समीकरण बन रहे थे। वह कभी दायें करवट लेता तो कभी बायें। उसकी भूख-प्यास ऐसे गायब हो गई। जैसे इंसान के जीवन से सच्चाई। मैंने डरते-डरते कहा, कि रामलीला देखने गया था। पिताजी की यह बातें मेरे दिल-दिमाग को झकझौर गई थी। शायद उन्हें मुझ पर शक हो गया था कि मैं कहाँ जाता हूँ, और क्या करता हूँ। वह अपनी बीमारी और परिस्थितियों के आगे विवश थे। वरना वह अब तक मेरे हाथ-पैर तोड़ चुके होते हैं। क्या करूँ मैं भी उनसे झूठ नहीं बोलना चाहता था, पर जो मजबूरियाँ थी उसके आगे मैं मजबूर था। आखि़रकार एक दिन मुझे चाय का ठेला बंद ही करना पड़ा। क्यों कि बनिये ने उधार देना बंद कर दिया था। याह ख़ुदा अगर मेरी झोली में और भी ग़म हैं। तो उठा ले मुझे, वरना खुशी का एक ही लम्हा दे दें ।। वक्त कभी नहीं थमता। थमता तो इंसान हैं। वक्त का पहिया तो हमेशा चलता ही जाता हैं। घर की परिस्थितियाँ दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी। छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई बीच में ही छूट गई थी। समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ? मगर परिवार तो चलाना ही था। भाई और पिता जी की बीमारी की चिंता मुझे रात-दिन खाये जा रही थी। मैं मरता क्या न करता, सीधे चंदा से मिली जो एक हिजड़ा थी। मैंने अपनी सारी बात उसे बताई। प्रोग्राम शुरू होने से पहले उसने मेरे पैरों में एक-एक किलों का घुघरूँ बाँध दिया। मैंने जैसे-तैसे उल्टा-सीधा डांस किया। प्रोग्राम खत्म होने के बाद चंदा ने मुझे दस रुपये दिए। मैंने पैसे लाकर अम्मा को दे दिए। जब यह नाचने वाली बात पिताजी को पता चली तो उन्होंने मुझे बहुत गाली दी। अगर उनकी तबियत ठीक होती तो न जाने वह मेरा क्या हाल करते। मैंने चंदा से पचास रूपये लेकर बस स्टैण्ड पर चाय की दुकान खोल ली। दिन मैं दुकान करता और रात मैं उसके साथ प्रोग्राम। मैंने उससे गुज़ारिश की यह बात किसी से मत कहना। इसी तरह मेरी उसकी दोस्ती हो गई। हम रोज़ मिलने लगे। मैंने अपने घर की सारी बातें उसे बतायी। हमारे हाथ में अपना क़ल़म कागज नहीं होता। चंदा के बार-बार हिदायत देने से भी मैं मर्दाना भाषा नहीं छोड़ पा रहा था। और वैसे भी जनानियों की भाषा बोलना मुझे जरा भी अच्छी नहीं लगता था। मैं जैसे ही जाने के लिए उठा कि तभी दो आदमी आये। उनमें से एक ने मेरा हाथ पकड़ा और जबरदस्ती मुझे अपने पास बैठाने लगा। उसकी इस हरकत से मैं तैश में आ गया और चंदा की तरफ़ मुखा़तिब हुआ, "देखो गुरू! इन्हें समझा लो हमसे बत्तमीजी न करे नहीं तो ईटा-वीटा उठा कर मार देगें." मेरे इतना कहते ही उसने मेरा हाथ छोड़ दिया। दूसरे दिन जब चंदा दुकान पर आयी तो मैंने उससे पूछा, "वे लोग तुम्हारे कौन थें? उसी बात को लेकर हम दोनों में खूब बहस हुआ। उस दिन शरीफ बाबा दोपहर में आया और पिक्चर चलने की जिद् करने लगा। मुझे उसकी जिद् के आगे झुकना पड़ा। अभी आधी ही पिक्चर ही हुई थी कि उसने मुझे घर चलने को कहा। वह घर चलने के बहाने मुझे ऐसे रास्ते पर ले गया जहाँ उसने मेरे साथ.....।
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कहते हैं अगर इरादे मजबूत हों, तो सपनों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती है। ये शब्द केरल की शीला पर सटीक बैठते हैं, जिन्होंने 64 साल की उम्र में अपने काम के जरिए लोगों को अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा दी है। शीला करीब 10 साल से घर में ही उगाए हुए फल-सब्जियों से जैम और अचार बना रही हैं। लोगों की सराहना और बढ़ती डिमांड के बाद शीला ने खुद का ब्रांड 'SHEILAS' नाम से रजिस्टर कराया। अब वे केरल से कश्मीर तक देश के कोने-कोने में नेचुरल तरीके से बने हुए घर के अचार और जैम का स्वाद लोगों तक पहुंचा रही हैं। कोरोना से पहले सिर्फ ऑफलाइन बिजनेस करती थीं, लेकिन अब इनके प्रोडक्ट ऑनलाइन भी मिलते हैं। कई महिलाओं को काम भी दिया है और अब हर महीने 2 लाख रुपए कमा रही हैं। आज की पॉजिटिव स्टोरी में जानेंगे शीला के 'SHEILAS' बनने के सफर के बारे में .... 64 वर्षीया शीला चाको केरल की मुंडाकायम की रहने वाली हैं। शीला अपने घर के बगीचे में कई तरह की फल और सब्जियां उगाती हैं। शीला के अनुसार उन्हें मार्केट में फल-सब्जियों का सही दाम नहीं मिलता और कई बार मार्केट ले जाने से पहले ही ज्यादातर फल खराब हो जाते हैं। सबसे पहले शीला ने केले के जैम से शुरुआत की जिसे केरल में बहुत पसंद किया जाता है। ये मार्केट में आसानी से मिलता नहीं, क्योंकि इसे बनाने का तरीका थोड़ा मुश्किल है। फिलहाल शीला तकरीबन 13 तरह के नेचुरल अचार और जैम बनाती हैं, जिसमें किसी तरह का प्रिजर्वेटिव नहीं मिलाया जाता है। केले के अलावा अमरूद का भी जैम बनाती हैं। जैम के साथ उन्होंने अचार में भी हाथ आजमाया। आम, बैंगन, लहसुन, नीबू, आंवला के अलावा मछली का भी अचार बनती हैं। शीला की पहली कमाई ज्यादा नहीं थी, लेकिन उन्हें आगे बढ़ने का हौसला मिला। इसके बाद वे धीरे-धीरे अपने काम को बढ़ाती गईं और आज हर महीने करीब 500 किलो जैम बनाती हैं। "जब मैंने शुरू किया था तब मुझे भी नहीं पता था कि लोगों को मेरा काम इतना पसंद आएगा। आज केरल के अलावा हिमाचल, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश सहित हर राज्य से मेरे पास आर्डर आते हैं और मैं लोगों की डिमांड समय पर पूरा करने की कोशिश करती हूं"। शीला ने बताया की उनके काम में उनके पति चाको कल्लिवयालिल ने उनकी बहुत मदद की। प्रोडक्शन का काम शीला और उनकी टीम करती है, लेकिन उसे शॉप पर ले जाने का काम उनके पति करते थे। धीरे-धीरे काम बढ़ता गया फिर शॉप के अलावा बड़े स्टोर पर भी उनके जैम रखे जाने लगे। शीला अपने घर के बगीचे में ही कुछ फल और सब्जियां उगातीं हैं। इसके अलावा वो लोकल लोगों से भी फल और सब्जियां खरीदतीं हैं। शीला के साथ चार और महिलाएं उनके काम में उनकी मदद करती हैं। जिसकी वजह से उनके प्रोडक्ट अब सिर्फ केरल के कुछ स्टोर्स तक ही सीमित नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग कोनों तक पहुंच रहे हैं। शीला का बिजनेस छोटे स्तर से शुरू हुआ और आज हर महीने तकरीबन 2 लाख रुपए कमाती हैं। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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कानपुर में कस्टडी मे हुई कारोबारी बलवंत की हत्या के मामले में शनिवार को लालपुर गांव पहुंचे सांसद देवेंद्र सिंह भोले प्रशासनिक अफसरों पर बुरी तरह भड़क गए। कहा, यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। कानपुर में कस्टडी मे हुई कारोबारी बलवंत की हत्या के मामले में शनिवार को लालपुर गांव पहुंचे सांसद देवेंद्र सिंह भोले प्रशासनिक अफसरों पर बुरी तरह भड़क गए। योगी सरकार में मंत्री राकेश सचान के सामने सांसद ने डीएम से यहां तक कह दिया कि यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। हर चीज में पैसा चाहिए। उन्होंने डीएम के पीछे खड़े एसडीएम की तरफ इशारा करते हुए कहा, ये खड़ा है पीछे आपके अफसर। बेइमान है। सांसद के इस आक्रोश का वीडियो कुछ ही देर में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हालांकि आपका अखबार हिन्दुस्तान इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। शनिवार को राकेश सचान, सांसद देवेंद्र सिंह भोले, डीएम नेहा जैन लालपुर सरैंया पहुंचे। कैबिनेट मंत्री ने पिता को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता का चेक सौंपा तो पिता फफक पड़े और बिलखते-बिलखते मां गश खाकर गिर पड़ी। पत्नी ने भी कैबिनेट मंत्री से न्याय की गुहार लगाई। मंत्री ने परिजनों को ढांढस बंधाते हुए हर संभव मदद करने के साथ साथ अन्य दोषियों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया। इसी दौरान परिजनों ने अभी तक पट्टा नहीं मिलने की जानकारी दी तो सांसद देवेंद्र सिंह भोले अफसरों पर भड़क गए। उन्होने कड़ी नाराजगी जताने के साथ ही डीएम नेहा जैन से कहा कि भ्रष्टाचार चरम पर है, इसीलिए यह हालत हुई है, कई बार आपसे कह चुका हूं, लेकिन कतई सुधार नहीं है। दरअसल, बलवंत की हत्या के बाद संसाद देवेंद्र सिंह भोले की मध्यस्थता में परिजनों और जिले के अफसरों के बीच वार्ता हुई थी। इसमें चार लाख रुपये की चेक परिजनों को देने के साथ ही मृतक की पत्नी व मां के नाम डेढ़- डेढ़ बीघा जमीन का पट्टा करने, विधवा पेंशन, एक आवास, पारिवारिक लाभ योजना के तहत 30 हजार रुपये व 23 साल तक बच्चों की पढ़ाई के लिए ढाई हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाने के आश्वासन पर समझौता हुआ था। इसके साथ ही मामले में एसडीएम मैथा को मजिस्ट्रेटी जांच भी सौंपी गई थी। हालांकि डीएम पहले चार लाख की सहायता राशि दे चुकी हैं। कैबिनेट मंत्री राकेश सचान ने बताया कि मुख्यमंत्री घटना को लेकर बहुत आहत हैं। वह खुद ही जांच और कार्रवाई की मानीटरिंग भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, इसके लिए उन्होंने 24 घंटे का समय मांगा। कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक ने भी सरैंया पहुंचकर बलवंत के परिजनों से बंद कमरे में एक घंटे तक वार्ता कर उन्हें ढांढस बंधाया और लिफाफे में एक लाख रुपये की सहाताया राशि भी पीड़ित परिवार को मुहैया कराई। इसके अलावा करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीरू सिंह न अन्य पदाधिकारियों ने भी परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वनी दी।
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Results for " प्रेम विवाह" युवती के पिता को सदमा लगा और पुलिस स्टेशन के बाहर ही उनकी हालत बिगड़ गई। थाने के बाहर से बेहोशी की हालात में उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। आदिवासी समुदाय से संबंध रखने वाली द्रौपदी मुर्मू के रूप में भारत को 15वीं राष्ट्रपति मिल चुकी है। यह इतिहास में पहला अवसर है जब एक आदिवासी समुदाय से संबंध रखने वाली महिला इतने बड़े सर्वोच्च पद पर पहुंची हो। उन्होंने खिड़की से देखा तो श्रुति फंदे से झूल रही थी। घटना की सूचना मिलने पर मायका पक्ष के लोग भी मौके पर पहुंचे। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। गीता देवी के पति मोहर सिंह का कहना है कि उसने भी गीता के साथ अस्पताल जाने की बात कही थी, लेकिन उसने मना कर दिया और अकेले ही अस्पताल चली गई। देवर ने बताया कि उसकी भाभी ने पहले भी ग्राम पंचायत में प्रधान और पंचों के समक्ष उसके भाई पर कई आरोप लगाए थे, जिसके बाद से वह अपने मायके चली गई थी। यह मामला प्रेम प्रसंग का है। युवक और सुसाइड करने वाली महिला एक ही गांव के रहने वाले थे। इन दोनों का काफी दिनों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण और राधा का भी विवाह हुआ था। उनका विवाह भांडीरवन में हुआ था और उनकी शादी को स्वयं ब्रह्माजी ने संपूर्ण करवाया था। उत्तर प्रदेश में कई महिलाएं मिलकर एक महिला को रस्सी से बांधकर कर पिटाई करती हुई नजर आ रही हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।
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पांवटा साहिब में पुलिस द्वारा अवैध खनन को रोकने के लिए एक विशेष अभियान चलाते हुए थाना प्रभारी पुरुवाला जीतराम आईसी सिंहपुरा की टीमों ने बांगरान ब्रिज, मानपुर देवदा, श्यामपुर, गोज्जर आदि के पास गिरि और यमुना नदी क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर छापामारी करते हुए। अवैध तरीके से बजरी रेत ले जा रहे 11 ट्रैक्टरों के चालान करते हुए 54,500 रुपए जुर्माना वसूला। बता दे कि बरसात के मौसम में खनन प्रतिबंधित है। इस तरह की अवैध खनन गतिविधियां लोगों के लिए घातक हो सकती हैं क्योंकि दोनों नदियों में बाढ़ आती है। ऐसे में पुलिस और प्रशासन द्वारा लोगों को नदी क्षेत्रों में प्रवेश न करने और अवैध खनन गतिविधियों में शामिल नहीं होने की चेतावनी दी गई है। इस दौरान पुलिस ने खनन माफियाओं को चेतावनी दी गई है कि वे इस तरह की अवैध खनन सामग्री को खरीदने एकत्रित करने लेने से परहेज करें। अन्यथा ऐसी किसी भी गतिविधि के संज्ञान में आने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दूसरी और पांवटा साहिब, पुरुवाला और माजरा की ट्रैफिक पुलिस ने एमवी एक्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले 250 से अधिक वाहनों का चालान किया और 48,200 रुपए का जुर्माना वसूला। इस दौरान पुलिस की टीमों ने यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वाले चालकों के खिलाफ थाना माजरा के मेलियन, टोक्यो, बातामंडी, सूरजपुर, थाना पांवटा साहिब के गोंदपुर, थाना पुरुवाला के रामपुरघाट, राजबन और पुरुवाला में नाके लगाए गए। डीएसपी पांवटा वीर बहादुर ने बताया कि पुरुवाला थाने की पुलिस की टीम ने अवैध खनन करते हुए 11 ट्रैक्टरों के चालान कर 54,500 जुर्माना वसूला इसके इलवा मजारा की पुलिस द्वारा बाता नदी में छापामारी करते हुए दो ट्रैक्टरों का चालान कर 9000 रुपए जुर्माना वसूला। इस दौरान उन्होंने बताया की यातायात नियमो का उल्लंघन करने वाले चालकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 48,200 रुपए जुर्मना वसूला। (एचडीएम)
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Ranchi: स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से अपने कथित वायरल वीडियो को लेकर बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी थी. इस दौरान उन्होंने कई बार भाजपा विधायक सीपी सिंह का भी जिक्र किया था. इससे नाराज सीपी सिंह ने गुरुवार को सोशल मीडिया के जरिये बन्ना गुप्ता से 6 सवाल पूछे हैं. सीपी सिंह ने कहा कि उनका सिद्धांत है कि वे किसी की व्यक्तिगत जिंदगी में टीका-टिप्पणी नहीं करते हैं. बन्ना मामले में भी जब मीडियाकर्मियों ने उनसे सवाल किया था, तो उन्होंने यही कहा कि मामला पुलिस के पास है, लेकिन जमाना कुछ ऐसा हो गया है कि लोग शराफत को कमजोरी समझने की भूल कर बैठते हैं. यही भूल बन्ना गुप्ता ने की है. अब वे जब मीडिया के सामने सीना चौड़ा करके बैठ ही गये हैं, तो लगे हाथों मेरे भी दो-चार सवालों के जवाब दे दें. 1. 24 अप्रैल की रात 1:15 बजे मेरे नंबर पर कॉल आया था. कॉल उठाने से काटने तक की सारी जानकारी मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दे दी. बन्ना बताएं, अब इसमें किंतु परंतु कहां है? 2. ऐसे मामले आजकल रोज सामने आ रहे हैं, अपराधियों ने पैसे कमाने का यह तरीका इजाद किया है. बन्ना गुप्ता क्या बता पाएंगे कि वे ऐसे किसी मामले में फंसे हैं, या उनका मामला "दूसरा" है? 3. कहीं ऐसा तो नहीं कि बन्ना गुप्ता के मामले को दबाने के लिए कुछ षड्यंत्र किया गया हो, लेकिन षड्यंत्र विफल हो गया? 4. 24 अप्रैल की रात 1:15 की तरह 25 की रात को भी 1:25 बजे मुझे दूसरे नंबर से एक मिस्ड कॉल आया था. बन्ना गुप्ता सरकार में मंत्री हैं. जरा पता लगाएं कि आखिर माजरा क्या है? 5. बन्ना गुप्ता में जरा भी हिम्मत है, तो वह बताएं कि आखिर वे किससे बात कर रहे थे. मोबाइल नंबर क्या था? 6. मुझे जिस नंबर से कॉल आया था, वह यूपी का बताया जा रहा है. मैं अपने मामले को लेकर यूपी के डीजीपी को पत्र लिखूंगा. क्या बन्ना गुप्ता भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग करने की हिम्मत रखते हैं?
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पैदा होने वाले संकट की बात सोच रहा था । तलवारें हमारा क्या कर लेंगी ? परन्तु बख्तखां और उसके छः हजार सिपाही बहुत आत पैदा कर सकते हैं और बादशाह खिसक गया तो मुसीबत पर मुसीबत आने की आशङ्का है -- विलसन की कल्पना में समाया । उसने इलाही बख्श से अनुरोध किया - नवाब साहब, बात तब है जब बादशाह बिना लड़ाई भिड़ाई करे कराये में समर्पण करदें । इलाही बख्श ने स्वीकार किया । बादशाह बहादुरशाह अपने परिवार और साथियों सहित हुमायूँ के मकबरे में थे । फौज-फांटा आस पास की बस्ती में डटा हुआ था । बहादुरशाह बहुत वृद्ध थे, परन्तु उनमें उत्साह था, कभी कभी कविता भी कर डालते थे । मकबरे के एक छोटे से स्थान में बैठे बहादुरशाह भविष्य की योजना पर सलाह कर रहे थे । बख्तखां आग्रह कर रहा था, - 'जहाँपनाह यहां से कूच करदें । जगह जगह लोग मुल्क के लिये, आपके लिये लड़ मरने के लिये तैयार हैं ।' मिर्ज़ा इलाही बख्श हतोत्साहित कर रहा था, 'जहांपनाह, लड़ाई बेकार है । लड़ाई में खून खराबी और बरबादी के अलावा और कुछ भी हाथ नहीं लग सकता ।" इलाही बख्श ने अंग्रेजों के हथियारों, सेना की संख्या और उनके साधनों को बढ़ा चढ़ा कर सराहना की। बादशाह का मन गिर गया वह थोड़ी देर चुप रहे। फिर उन्होंने एक कविता कह डाली'दम दमें में दम नहीं अब खैर मांगो जान की, ऐ जफ़र ठण्डी हुई तलवार हिन्दुस्तान की, ' बख्त खां के कलेजे में कांटा सा चुप गया । बोला, - 'जहांपनाह, बेअदबी माफ हो । हिन्दुस्तान की तलवार ठण्डी होना नहीं जानती । न ठण्डी हो सकती । और न कभी होगी । लखनऊ में लड़ाई जारी है । झांसी की रानी अपने इलाके में फौलाद की तरह मजबूत है ।' बख्त खां कुछ और कहता, परन्तु बादशाह के रिश्तेदार मिर्जा इलाही बख्श के सामने उसे मन मसोस कर रह जाना पड़ा। मिर्जा ने नव्याख्या पेश की, 'मैंने पता लगा लिया है, लखनऊ पर कम्पनी सरकार की अनगिनत फौजें पहुँच रहीं है और झांसी तो एक सी पड़ी जगह है । अंग्रेजों का मुकाबला कितने घण्टों कर सकेगी ? खैर इसी में है जो जहांपनाह के शेर से बखूबी जाहिर हो रही है । श्राह! क्या फरमाया है- ठण्डी हुई तलवार हिन्दुस्तान की बख्त खां की सब दलीलें व्यर्थ गई । बादशाह ने आत्म-समर्पण का निश्चय किया । मिर्ज़ा इलाही बख्श के द्वारा श्रात्म-समर्पण का समाचार दिया गया । बादशाह की गिरफ्तारी के लिये जनरल विलसन ने अपने एक अफसर कप्तान हौडसन को चुना । हौडसन बड़ा दम्भी, दर्पी, क्रूर, और दुस्साहसी सैनिक था । वह सेना की एक टुकड़ी लेकर हुमायूँ के मकबरे पर जा पहुँचा । उसने बादशाह के पास संवाद भेजा, 'अपने सब हथियार मेरे पास भेज दो। जरा भी गड़बड़ की तो कुत्ते की मौत मारे जाओगे ।' अकबर और औरङ्गजेब के उत्तराधिकारी को एक साधारण फिरङ्गी की यह धमकी ! परन्तु इस धमकी के पीछे भारत का कितना इतिहास आंसू बहा रहा था !! बहादुरशाह को मानना पड़ा । वे कीमती तलवारें भी बहादुरशाह को हौडसन के सुपुर्द करनी पड़ीं । पालकी में बैठ कर बहादुरशाह जनरल विलसन के सामने पहुँच गये और तत्काल कैद कर लिये गये । हौडसन ने जनरल विलसन को सलाम फटकारा । जनरल बहुत प्रसन्न था । वहीं कहीं आशायें बाधे गम्भीर मुद्रा बनाये मिर्जा इलाहींबख्श भी उपस्थित था । जनरल ने हौडसन से कहा, 'मैं समझता था कि तुम या बादशाह कोई भी मेरे सामने न पाओगे । हौडसन ने फिर सलाम फटकारा और दोनों आपके सामने आ गये ।। बोला, - 'लेकिन हम
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पिछले तीन दिन से सोनू सूद के घर और उनसे जुड़े परिसरों में आयकर विभाग सर्वे कर रहा था। अब अपने एक बयान में सीबीडीटी ने कहा है कि अभिनेता और उनके सहयोगियों के परिसरों की तलाशी के दौरान 20 करोड़ रुपये की कर चोरी से संबंधित साक्ष्य मिले हैं। आयकर विभाग का कहना है कि उनके पास अभिनेता के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। आयकर विभाग के अधिकारियों ने अपने बयान में कहा है कि अभिनेता ने फर्जी संस्थाओं से फर्जी और असुरक्षित ऋण के रूप में बेहिसाब पैसे जमा किए थे। सीबीडीटी ने कहा है कि आयकर विभाग ने मुंबई में अभिनेता के विभिन्न परिसरों के विकास में लगे लखनऊ स्थित औद्योगिक समूह में रेड की और जब्ती अभियान चलाया। सीबीडीटी के मुताबिक अभिनेता के मुंबई, लखनऊ, कानपुर, जयपुर, दिल्ली, गुरुग्राम समेत कुल 28 परिसरों पर छापेमारी की गई थी। जानकारी के मुताबिक ये सर्वे लखनऊ के बड़े कारोबारी अनिल सिंह से जुड़ा हुआ है। हाल ही में अनिल सिंह के दफ्तर पर भी इनकम टैक्स का छापा पड़ा है। सोनू सूद और अनिल सिंह कारोबार में पार्टनर बताए जा रहे हैं। आयकर विभाग की टीम उन सभी संस्थाओं की जांच कर रही है, जो सोनू सूद से जुड़े हुए हैं। सोनू सूद सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं हालांकि उन्होंने आयकर विभाग के इस सर्वे को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन सोशल मीडिया पर लोग उनके सपोर्ट में खड़े हैं। साल 2020 में शुरू हुई इस खतरनाक महामारी से लगे लॉकडाउन के बीच सोनू सूद ने कई प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाते हुए नेक कार्यों की शुरुआत की थी। बस उस वक्त से लेकर आज भी मदद का सिलसिला लगातार जारी है। सोशल मीडिया पर लोग सोनू सूद से मदद मांगते हैं और अभिनेता उन्हें फौरन मदद पहुंचाते हैं। फिर चाहे वो कोविड से जुड़ी हो या कोई अन्य समस्या हो। सोनू सूद एक बार हां कर देते हैं तो सहायता लोगों तक पहुंच ही जाती है।
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जब महारानी एलिजाबेथ पैगंबर मोहम्मद की वंशज हो सकती हैं तो कोई और क्यों नहीं ? कोलकाता का मौलवी खुद का पैगंबर मोहम्मद का वंशज बता रहा है, तो यह बात हमें बेवकूफी भरी लग रही है. लेकिन उन शोध को क्यों कहेंगे जो साबित किए बैठे हैं कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ भी पैंगबर की वंशज हैं. 'मेरा पैगंबर मोहम्मद से सीधा नाता है. मैं उनका 35वां वंशज हूं. . . ' ये है कथित इमाम का बयान. ये वही इमाम है जिसने सोनू निगम के खिलाफ 10 लाख का फतवा जारी किया था और सोनू ने इनके ही कारण अपना सिर मुंडवा लिया. इमाम (कथित इमाम) सैयद शा अतिफ अली अल कादरी ना तो इमाम हैं ना मौलाना हैं. उनके पास कोई भी धार्मिक अधिकार नहीं है. कादरी का मुस्लिम समुदाय का कोई ऐसा चर्चित चेहरा नहीं है कि उनकी बात को माना जाए, लेकिन HT को दिए अपने इंटरव्यू में कादरी ने पैगंबर के वंशज होने का दावा किया है. इतना ही नहीं उनके विजिटिंग कार्ड में भी यही लिखा हुआ है. इसी इंसान ने दावा किया है कि वो पैगंबर का 35वां वंशज हैअब इसे सुनकर आपको झटका लगा होगा और हो सकता है कि आप मन में इतना सोच रहे हों कि आखिर कितना फेंकता है ये इंसान. शायद स्वामी ओम जैसी छवि मन में बना ली हो आपने. खैर, कादरी की बात में कितना सच है ये तो बिलकुल नहीं पता और मुस्लिम समुदाय के लोगों को कादरी का ये बयान कैसा लगा होगा ये तो पता नहीं, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई किसी ईष्ट का वंशज होने का दावा कर रहा है. ये सुनकर शायद आप चौंक जाएं, लेकिन इंटरनेट के मुताबिक ऐसा सच है. क्वीन एलिजाबेथ 2 पैगंबर मोहम्मद की वंशज हैं! एक Quora थ्रेड के मुताबिक ब्रिटेन की महारानी वाकई पैगंबर की 43वीं वंशज हैं. (अब ज़ैदा का नाम कुछ जगहों पर इसाबेला भी कहा गया है. यहीं से पैगंबर के वंशज के इसाई होने की बात कही गई है) यहां से ब्रिटिश रॉयल परिवार शुरू हो गया : और जॉर्ज I के बेटे जॉर्ज II दोनों ही ब्रिटेन के राजा थे. . . . और फिर अब जॉर्ज VI की बेटी एलिज़ाबेथ II ब्रिटेन की रानी हैं. इस पूरी हिस्ट्री को देखें तो यकीन हो जाएगा कि ब्रिटेन की रानी पैगंबर मोहम्मद की वंशज हैं. अब ये जानकारी इंटरनेट पर बहुत सारी जगह मौजूद है. हाल ही में एक और खबर आई है जिसमें वैज्ञानिकों और बाइबल स्कॉलरों की एक टीम जीसस के डीएनए को ट्रैक करने की कोशिश कर रही है. ऐसा वो श्राउड ऑफ ट्यूरियन (जिस कपड़े में जीसस को मृत्यू के बाद लपेटा गया था) और जीसस के कजिन जॉन की हड्डियों के सैंपल की मदद से किया जा रहा है. टीम का मानना है कि DNA सैंपल उन्हें 'भगवान के बेटे' तक पहुंचा सकता है. जीसस के वंशज के बारे में बताती किताब 'ड विंची कोड' को भी लोग इसी से जोड़कर देखते हैं. जीसस के डीएनए का पता लगा लिया गया हैतो क्या भगवान की संतान हो सकती है? फिर तो ऐसा भी हो सकता है कि भगवान राम के वंशज भी मौजूद हों ! जो लोग क्वीन एलिज़ाबेथ को पैगंबर की वंशज मानते हैं, उन्हें तो फिर इस बात पर भी यकीन हो जाएगा कि कलकत्ता के कादरी पैगंबर के 35वें वंशज हैं. गाहे-बगाहे ऐसे किसी ना किसी किस्से के बारे में पता चल ही जाता है जिसमें लोग ये दावा करते हैं कि वो किसी इष्ट के खानदान से ताल्लुक रखते हैं. इन बातों में कितना सच है इसके बारे में तो नहीं बताया जा सकता, लेकिन हां ये सुनने में दिलचस्प जरूर लगता है. देशभक्ति का पाठ सिर्फ मदरसों में ही क्यों ?
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राजधानी लखनऊ में बेखौफ चोरों के हौसले बुलंद, पुलिस थाने की जीप लेकर चलते बने. . उत्तर प्रदेश की राजधानी में लगता है की चोर कुछ ज्यादा ही बेखौफ हो गए इसलिए चोर पुलिस के नाक के नीचे ही चोरी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। लखनऊः बिगड़ते कानून व्यवस्था का जीता जागता उदाहरण सोमवार को राजधानी लखनऊ से सामने आया जह चोर पुलिस थाने से ही जीप उठा कर ले गए और तैनात सिपाही बस देखता ही रह गया। दरअसल महिला सम्मान प्रकोष्ठ डीजी के कार्यालय के गैराज में जीप नंबर यूपी 32 बीजी 790 खड़ी थी और चोरों की नजर उसपर पर गयी फिर क्या था चोर बड़े ही शातिराना तरीके से गैराज में घुसे और जीप को लेकर चलते बने और मौके पर मौजूद पीएसी की एक बटालियन देखती रह गयी। दारोगा रामसागर यादव ने महानगर कोतवाली में इस मामले में शिकायत दर्ज करा दी है। खबर फैलते ही लखनऊ के बार्डर को सील कर दिया गया है और आसपास के जिलों में चेकिंग अभियान शुरू कर दिया गया है। राजधानी में यह चोरी की कोई पहली वारदात नही है इससे पहले भी गाजीपुर इलाके से पुलिस की सरकारी जीप चोरी हो गई थी और अब इस घटना ने पुलिस की सक्रियता की पोल खोल कर रख दी थी। पिछले दिनों हजरतगंज इलाके से ही एसपी हरदोई रहे राजीव मेहरोत्रा की सरकारी भी जीप चोरी हो गई थी जिसे पुलिस ने नेपाल से कटी हालत में बरामद करने का दावा किया था। फिलहाल जीप चोरी होने की सूचना से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। आनन-फानन में पुलिस ने शहर की घेराबंदी कर चेकिंग शुरू कराई लेकिन कोई सुराग अभी तक हाथ नहीं लग पाया है।
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Airtel 5G Plus Service: भारती एयरटेल ने सोमवार को पटना में अपनी हाई-स्पीड 5जी सेवा शुरू करने की घोषणा की है। Airtel 5G Plus Service In India: एयरटेल तथा रिलायंस जिओ ने इस साल 1 सितंबर को देश में अपने 5G सेवाओं को लांच किया था। फिलहाल दोनों टेलीकॉम कंपनियां भारत के चुनिंदा शहरों में अपनी 5G सेवाएं ग्राहकों को प्रदान भी कर रही हैं और काफी तेजी से दूसरे शहरों तक इसका विस्तार भी कर रही हैं। इसी सिलसिले में भारती एयरटेल ने सोमवार को बिहार के पटना में अपनी हाई स्पीड 5G सेवा को शुरू करने का ऐलान किया है। पटना में एयरटेल 5G की सेवा शुरू होने के बाद अब 5G स्माटफोन यूजर्स अपने हैंडसेट पर हाई स्पीड इंटरनेट का आनंद ले सकते हैं जिसके लिए उन्हें केवल कुछ सेटिंग्स करने होंगे। पटना के भीतर और बाहर उड़ान भरने वाले ग्राहक एयरपोर्ट टर्मिनल पर हाई-स्पीड एयरटेल 5G प्लस का आनंद ले सकते हैं। पटना एयरपोर्ट के साथ-साथ वर्तमान में, पटना साहिब गुरुद्वारा, पटना रेलवे स्टेशन, डाक बंगला, मौर्या लोक, बेली रोड, बोरिंग रोड, सिटी सेंटर मॉल, पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र और कुछ अन्य चुनिंदा स्थानों पर 5G सेवाएं चालू हैं। पटना के अलावा बेंगलुरु, पुणे, वाराणसी और नागपुर में नया टर्मिनल अन्य हवाईअड्डे हैं जिनके पास एयरटेल 5G प्लस है। एयरटेल अपने नेटवर्क का विस्तार करेगा और आने वाले समय में पूरे शहर में अपनी सेवाएं उपलब्ध कराएगा, और सेवाएं चरणबद्ध तरीके से ग्राहकों के लिए उपलब्ध होंगी क्योंकि कंपनी अपने नेटवर्क का निर्माण और रोलआउट पूरा करना जारी रखेगी। इस मौके पर भारती एयरटेल, बिहार, झारखंड और ओडिशा के सीईओ अनुपम अरोड़ा ने कहा, "मैं पटना में एयरटेल 5G प्लस के लॉन्च की घोषणा करते हुए रोमांचित हूं। एयरटेल ग्राहक अब अल्ट्राफास्ट नेटवर्क का अनुभव कर सकते हैं और मौजूदा 4G स्पीड की तुलना में 20-30 गुना तेज गति का आनंद ले सकते हैं। हम पूरे शहर को रोशन करने की प्रक्रिया में हैं जो ग्राहकों को हाई-डेफिनिशन वीडियो स्ट्रीमिंग, गेमिंग, कई चैटिंग, फोटो को तुरंत अपलोड करने और बहुत कुछ करने के लिए सुपरफास्ट एक्सेस का आनंद लेने की अनुमति देगा। " 5G पांचवीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है जो डेटा के एक बड़े सेट को बहुत तेज गति से प्रसारित करने में सक्षम है। कम विलंबता न्यूनतम विलंब के साथ बहुत अधिक मात्रा में डेटा संदेशों को संसाधित करने की दक्षता का वर्णन करती है। 3G और 4G की तुलना में, 5G में बहुत कम विलंबता है जो विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगकर्ता के अनुभव को बढ़ाएगी। 5G रोलआउट से खनन, वेयरहाउसिंग, टेलीमेडिसिन और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में रिमोट डेटा मॉनिटरिंग में और विकास होने की भी उम्मीद है।
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समय और दूरी सम्बन्धी प्रश्न । जितनी देर में खरगोश (४×१३) गज़ वा ६ गज़ दौड़ता है उतनी देर में इता ( ३४२३३ ) गज़ वा ७३ गज़ दौड़ता है, इस कारण खरगोश के ६ गज़दौड़ने में कुत्ता उससे १३ गज़ अधिक दौड़ता है, •• इष्ट दूरी १२० गज़ है। ३ उदाहरणक, प से फ स्थान को जो ५११ मील दूर है, ३० मील प्रतिघण्टा की चाल से चला, १ घण्टे पीछे ख, फ से प को ४२ मील प्रतिघण्टा की चाल से चला; तो बताओ क, ख को कब और कहाँ मिलेगा । जब क ३० मील चल चुका तब ख चला । शेष ४८ मील में से ३५ मील क और ४२ मील ख १ घण्टे में चलता है, अर्थात् दोनों मिलकर (३+४१) वा ८ मील १ घण्टे में चलते हैं। इस कारण ४८ मील हवा ६ घण्टे में चले, इस कारण ख के चलने से ६ घण्टे पीछे क, ख से मिला, इस कारण बे फ से ४२ ×६ वा २५३ मील की दूरी पर मिले । ४ उदाहरण - दो रेलगाड़ी ७७ गज़ और ६६ गज़ लम्बी क्रम से २५ २० मील प्रतिघण्टे की चाल से दो समानान्तर पटरियों पर विपरीत दिशाओं को जाती हैं, तो उनको एक दूसरी के पार करने में कितना समय लगेगा ? यदि वे एक ही दिशा में जातीं, तो पार करने में कितना समय लगता ? एक मनुष्य को, जो पहली गाड़ी में बैठा हुआ है, दूसरी गाड़ी के पार करने में कितनी देर लगेगी ? ( १ ) दोनों गाड़ियों को जब विरुद्ध दिशाओं में चलती हैं एक दूसरी हैं के पार करने में उतना समय लगता है जितना (७७+६६) वा १७६ गज़ को (२५+२०) वा ४५ मील प्रतिघण्टे की चाल से चलने में लगता जब, ४५ मील १ घण्टे में चलती है, अर्थात् ४५×१७६० गज़ १ घण्टे..... १७६ गज़ ४० घण्टे........; इष्ट समय= घण्टे बा ८ सेकण्ड । (२) जब गाड़ी एक हो दिशा को जातीं, तो उनको एक दूसरी के पार करने में उतना समय लगता जितना (७७+६६) वा १७६ गज़ को (२२ - २० ) वा ५ मोल प्रतिघण्टे की चाल से चलने में लगता, इस प्रकार इष्ट समय २७२ सेकण्ड होगा ।
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अमरावती/दि. 20- स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में हिरकणी कक्ष का अस्तित्व केवल कागजों पर ही है. जिला परिषद को छोडकर अन्य स्थानों हिरकणी कक्ष का अस्थित्व ही दिखाई नहीं देता और यदि कहीं पर यह कक्ष है भी, तो इस पर ताला लगा रहता है. साथ ही कुछ स्थानों पर कोई सुविधा नहीं है. जिसके चलते महिलाओं को काफी असुविधा का सामना करना पडता है. स्वायत्त संस्थाओं में आम जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला जनप्रतिनिधि भी इस असुविधा का शिकार हो रही है. साथ ही इन स्वायत्त संस्थाओं में अपने किसी काम के लिए आने वाली नवप्रसूता महिलाओं को भी अपने दुधमुहे बच्चे को स्तनपान कराने हेतु खुले में ही बैठना पडता है. बता दें कि, अपने वार्ड व प्रभाग का कार्यभार देखने वाली कई महिला जनप्रतिनिधियों के बच्चे बेहद छोटे होते है और उन्हें अपने बच्चों को साथ लेकर ही स्थानीय स्वायत्त संस्थाओें में अपने कामकाज के लिए आना पडता है. ऐसी महिला सदस्यों और उनके छोटे बच्चों हेतु प्रत्येक स्थान पर हिरकणी कक्ष स्थापित किया गया है. लेकिन पंचायत समिति व ग्राम पंचायत स्तर पर यह कक्ष उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते अपने वार्ड, गट व गन की समस्याओं को रखने हेतु सभागृह में आने वाली महिला सदस्यों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. जिले की 840 ग्राम पंचायतों में करीब 3 हजार 500 महिला सदस्य है, जो अपने गांव के वार्ड का प्रतिनिधित्व करते हुए ग्रापं का कामकाज देखती है. जिले की 14 पंचायत समितियों मेें 59 महिला सदस्य है. जिनके द्बारा अपने गण की समस्याओं व दिक्कतों को अपनी पंचायत समितियों में रखा जाता है. जिला परिषद में 50 गटों का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला सदस्यों की संख्या 30 है, जो ग्रामीण क्षेत्र के गट व गण का प्रतिनिधित्व करती है. ग्रापं, पंस व जिप की सदस्य रहने वाली कई महिला जनप्रतिनिधियों के बच्चे बेहद छोटे व दुधमुहे है. जिनके लिए हिरकणी कक्ष का रहता बेहद जरुरी है. ग्रामपंचायतों में हिरकणी कक्ष शुरु करने हेतु खुद ग्रामपंचायत प्रशासन ही गंभीर नहीं है. ऐसे में कई महिला प्रतिनिधियों को किसी कार्यालयीन कक्ष में बैठकर अपने दुधमुहे बच्चों को स्तनपान कराना पडता है. जिला परिषद कार्यालय परिसर में हिरकणी कक्ष तो है, लेेकिन इस कक्ष में साफ-सफाई व पीने के पानी की सुविधाओं का नितांत अभाव है. ऐसे में इस कक्ष में बैठकर अपने बच्चों को स्तनपान कराने में महिलाओं को काफी असुविधाओं का सामना करना पडता है. जिला परिषद के प्रांगण में हिरकणी कक्ष है. साथ ही कुछ पंचायत समितियों में भी यह सुविधा उपलब्ध है. इसके अलावा जिन स्थानों पर यह सुविधा नहीं है, वहां हिरकणी कक्ष शुरु करने के संदर्भ में संबंधित विभागों के जरिए निर्देश दिए जाएंगे. - संतोष जोशी, प्रभारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिप, अमरावती.
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शाहपुर - मंगलवार को शाहपुर के धारकंडी क्षेत्र की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी में अतिरिक्त कमरों के भवन का वन निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया ने शिलान्यास करके राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी के वार्षिक वितरण समारोह में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। पठानिया ने सरस्वती मां के आगे दीपज्योति प्रज्वलित करके वार्षिक वितरण समारोह का शुभारंभ किया। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी के प्रिंसीपल और कमेटी प्रधान सहित सभी सदस्यों ने पठानिया को शॉल टोपी और स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया। श्री पठानिया ने कहा कि प्रधान दुर्गा सिंह ने जो मांगें रखी उन पर 15 लाख से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में रिटेनिंग वाल और स्कूल का मैदान बनाया जाएगा। साइंस की क्लासें बिठाने की मांग पर कहा कि मुख्यमंत्री के आशीर्वाद से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी में साइंस की क्लासें बिठाने की मांग को पूरा किया जाएगा। घेरा से स्कूल तक सड़क बनाई जाएगी। करेरी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में एक एग्जामिनेशन हाल भी बनाया जाएगा। जल्द ही वन विभाग की दवब लेकर घेरा से करेरी कुठारना सड़क को जोड़ कर इस सड़क को बची 200 मीटर सड़क को जोड़ कर सड़क को धारकंडी की समस्या को दूर किया जाएगा। पठानिया ने कहा कि घेरा करेरी के बीच एक प्राइमरी हैल्थ सेंटर खोला जाएगा। मुख्यातिथि पठानिया ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला करेरी में वार्षिक वितरण समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाले छात्र छात्राओं को सरकार की तरफ से 21 हजार देने की बात कही। इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता देवदत्त शर्मा, नरेश लगवाल प्रिंसीपल, प्रधान दुर्गा सिंह, उपप्रधान राहुल कुमार, विनोद कुमार पूर्व प्रधान, अमर सिंह, देश राज, उत्तम चंद वार्ड पंच, नगीन वार्ड पंच, सुभाष चंद, मदन लाल, कांशी राम, ओम राज ओम प्रकाश उप प्रधान, रोशन लाल, बलदेव कपूर आदि गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
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"टामकाकाकी कुटिया इसलिए सरसतासे पूर्ण दासके हृदयने क्रमशः सेन्टफ्लेयर को प्रसन्नकर लिया। राम जो सेन्टक्लेयरकी भक्ति और श्रद्धा आकर्षित करने लगा इसमें कोई आश्चर्य नहीं । मैं पहिले ही बतला चुका है कि सेन्टक्लेयरके गृहकार्य मे कोई सुश्रृंखला न थी। वे आय-व्ययको कोई हिसाव न रखते थे। उनको सहधर्मिणी तो प्राय शैव्यापर ही पड़ी रहती थीं । अडालक नामक उनका प्रधान दास वड़ा शरावी था । घंह अपने इच्छानुसार मालिकका बड़ा अपव्यय करता था । किन्तु टामके आ जानेसे सेन्टफ्लेयर कभी-कभी उसे भी किसी-किसी कार्य में नियुक्त करते थे। वे सारे कार्य वह इस विश्वस्त रीतिसे सम्पादन करता कि सेन्टफ्लेयरने उस की साधुता और प्रभुभक्ति देखकर आय-व्ययका सारा भार उसपर छोड़ दिया। टामके हाथ रुपये देते समय वे गिनते भी न थे । वह इच्छा करने पर सहज ही बहुतसे रुपये सार सकता था, किन्तु धोखेवाजी अथवा झूठेपनसे टॉस पूर्णतः घृणा करता था। टाम सेन्टफ्लेयरको अपना स्वामी समझकर उनका सम्मान करता था। किन्तु सम्मानके भावने दूसरा ही रूप धारण किया। टाम वृद्ध था और सेन्टफ्लेयर तरुण युवक। • टाम गम्भीर प्रकृतिका आदमी था; सेन्टक्लेयर चंचल प्रकृतिकें थे । इसलिए टामके हृदयमें सेन्टक्लेयरके प्रति पितृवत्सलता उत्पन्न हुई । टामने देखा कि सेन्टक्लेयरको हृदय अत्यन्त दया पूर्ण है। किन्तु वे वाइविल नहीं पढ़ते । प्रातःकाल व सायं कालमें भूलकर भी कभी ईश्वरका नाम नहीं लेते। कभी गिरजो घरमें जाकर ईश्वरोपासना नहीं करते। सदा आमोद-प्रमोदमें ही रत रहते हैं, पं सदा नाट्यशाला में जाते है । कभी सम-घयस्क युवकोके साथ एकान्त में
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Khatron Ke Khiladi 12 first Elimination प्रोमो वीडियो देख फैंस शॉक्ड रह गए। इस वीडियो में टीवी की बहू शिवांगी जोशी के साथ हुए हादसे की झलक दिखाई गई है। इस प्रोमो में आप देख सकते हैं कि कैसे खतरनाक स्टंट करते वक्त शिवांग रोने और चिल्लाते लग जाती हैं। नई दिल्ली, जेएनएन। खतरों के खिलाड़ी का 12वां सीजन जल्द ही शुरू होने वाला है। रोहित शेट्टी के इस स्टंट रियलिटी शो की शूटिंग इस वक्त साउथ अफ्रीका के केपटाउन में चल रही है। हाल ही में ही शो के मेकर्स ने इसका एक प्रोमो वीडियो शेयर किया जिसे देख फैंस शॉक्ड रह गए। इस वीडियो में टीवी की बहू शिवांगी जोशी के साथ हुए हादसे की झलक दिखाई गई है। इस प्रोमो में आप देख सकते हैं कि कैसे खतरनाक स्टंट करते वक्त शिवांग रोने और चिल्लाते लग जाती हैं। कलर्स के ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर 'खतरों के खिलाड़ी 12' का एक ताजा प्रोमो शेयर किया गया है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि टीवी की सबसे पॉपुलर बहू शिवांगी जोशी बड़े जोश के साथ साड़ी पहने हुए शो में एंट्री के लिए पैरों से कलश को ठोकर मारती हैं। इसके अगले शॉर्ट में वो एक बॉक्स में लेटकर रोहित शेट्टी के शो का खतरनाक स्टंट करती हुई दिख रही हैं। वीडियो में आगे दिखाया है कि ये रिश्ता और बालिका वधू 2 जैसे सीरियल्स में काम करने वाली एक्ट्रेस फूट-फूट कर रो और चिल्ला रही हैं। वैसे बता दें कि कुछ दिनों पहले ही खबर आई कि रोहित शेट्टी के शो में पहला एलिमिनेशन हो चुका है। खतरों के खिलाड़ी 12 से बाहर जाने वाली कंटेस्टेंट कोई और नहीं बल्कि शिवांगी जोशी ही हैं। फिलहाल तो इस खबर पर अभी तक कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं आया है और ना ही शिवांगी केपटाउन से वापस लौटीं हैं। तो ये कहना जल्दबाजी होगी कि शिवांगी ही वो सबसे पहली कंटेस्टेंट हैं जो शो से बाहर हुईं हैं।
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गर्मियों के मौसम में लोग खीरे का उपयोग बहुत ज्यादा करते हैं. स्वस्थ के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है. खीरे में पाए जाने वाले कई विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट स्वस्थ को बहुत फायदा पहुंचाते हैं. इतने फायदे देखते हुए लोग गर्मी में रोज-रोज खीरा खरीद लाते हैं लेकिन कई बार ऐसा होता है कि खीरा जैसे ही सजकर प्लेट में सामने आता है और हम उसे खाते हैं तो वह कड़वा निकल जाता है. अक्सर ऐसा हो जाता है, जिसकी वजह से उसे फेंकने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होता है. आज हम आपको कुछ ऐसे ट्रिक्स बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आप खीरे की कड़वाहट झट से दूर कर सकते हैं. खीरा खाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लेना चाहिए . धोने के बाद उसे बिल्कुल बीच से चाकू से काट लें. खीरे के आगे और पीछे के हिस्से को हटा दें. अब खीरे को खाएं, यह कड़वा नहीं आएगा. यह तरीका काफी आसान है. खीरे की कड़वाहट दूर करने के लिए सबसे पहले दोनों तरफ से गोल-गोल काटकर साफ कर लें. अब चाकू से कटे हुए हिस्से पर आरी तिरछी कई लाइन बना दें. दोनों कटे हिस्सों को आपस में रगड़ें. जब झाग बन जाए तो आगे-पीछे से थोड़ा-थोड़ा काटकर अलग कर दें. अब आप खीरे को खा सकते हैं. इसमें कड़वाहट नहीं रहेगी. सबसे पहले खीरे के अगले और पिछले हिस्से को थोड़ा-थोड़ा काटकर उस पर नमक डाल दें. करीब दो मिनट बाद कटे हिस्से से इसे रगड़ लें. अब थोड़ा सा हिस्सा और काट लें. इसके बाद नमक वाले पानी में कुछ देर के लिए रख दें. इससे कड़वापन दूर हो जाएगा और आप मजे से इसे खा सकेंगे.
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चर्चा में क्यों? श्रीलंका अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति के माध्यम से COVID-19 महामारी से जूझते हुए चीन द्वारा दिये गए ऋण को पूरा करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें से 2 और द्विपक्षीय करदाताओं (चीन, जापान और भारत जैसे देश) से प्राप्त ऋण से बहुत अधिक था। - विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रीस और अर्जेंटीना जैसे देशों की तुलना में श्रीलंका की आर्थिक स्थिति अभी ठीक है क्योंकि यह अपने मुद्रा भंडार, स्थानीय ऋण और नई मुद्रा छाप कर अपने स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय दायित्त्वों को पूरा करने में सफल रहा है। - हालाँकि श्रीलंका द्वारा संप्रभु बॉण्ड (Sovereign Bond) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से लिया गया ऋण एक बड़ी चिंता का विषय है। - श्रीलंका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संप्रभु बॉण्ड के माध्यम से लिये गए 1 बिलियन डॉलर के ऋण की अवधि अक्तूबर माह में पूरी हो जाएगी जो श्रीलंका के संकट को बढ़ा सकता है। श्रीलंका द्वारा ऋण संकट से उबरने के प्रयासः - हाल ही में श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के आर्थिक दबाव को स्वीकार करते हुए यह प्रस्ताव रखा कि इस संकट की स्थिति में 'दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन' यानी सार्क को लंदन क्लब (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ार में निजी करदाताओं का एक अनौपचारिक समूह) से बातचीत कर समाधान का प्रयास करना चाहिये। - श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के अनुसार, वर्तमान ऋण के भुगतान के लिये कुछ दीर्घकालिक वित्तीय प्रबंध किये गए हैं, इन प्रयासों के माध्यम से श्रीलंका को मार्च 2020 में 500 मिलियन डॉलर प्राप्त हुए थे और जल्दी ही 300 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त सहयोग प्राप्त होने की उम्मीद है। - श्रीलंका के केंद्रीय बैंक द्वारा RBI के अलावा अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों के साथ भी मुद्रा हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के अंतिम चरण में है, साथ ही IMF और अन्य अंतर्राष्ट्रीय करदाताओं के साथ समझौते के प्रयास किये जा रहे हैं। भारत और श्रीलंकाः - ऐतिहासिक रूप से भारत और श्रीलंका के बीच सकारात्मक संबंध रहे हैं और भारत ने पूर्व में कई अन्य मौकों पर श्रीलंका को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई है। - वर्ष 2000 की मुक्त व्यापार संधि के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में काफी वृद्धि हुई है। - इस दौरान श्रीलंका को होने वाला भारतीय निर्यात 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2001) से बढ़कर 4495 मिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2018) तक पहुँच गया। - हाल के वर्षों में रक्षा के क्षेत्र में भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग में वृद्धि हुई है, दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास 'मित्र शक्ति' और नौसैनिक अभ्यास 'स्लिनेक्स' (SLINEX) का आयोजन किया जाता है। साथ ही श्रीलंका की सेना के 60% से अधिक सदस्य अपने 'यंग ऑफिसर्स कोर्स' (Young Officers' Course), जूनियर और सीनियर कमांड कोर्स का प्रशिक्षण भारत से प्राप्त करते हैं। - हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता की दृष्टि से भी भारत-श्रीलंका संबंधों का मज़बूत होना बहुत ही आवश्यक है। - हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका में बढ़ते चीनी निवेश और वर्ष 2019 में भारत द्वारा 'मताला एयरपोर्ट' संचालन के प्रस्ताव के रद्द होने से कुछ चिंताएँ बढ़ी हैं। आगे की राहः - हाल ही में विश्व बैंक और IMF द्वारा जारी अनुमानों के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में 3% की गिरावट आने की संभावना है, अतः विदेशी ऋण को पूरा करने के साथ ही श्रीलंका सरकार को स्थानीय ज़रूरतों पर भी ध्यान देना होगा। - विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में देश के ऋण में वृद्धि के साथ ही सरकार की आर्थिक नीतियों पर प्रश्न उठने लगे हैं, ऐसे में वर्तमान आर्थिक संकट से निपटने के साथ ही अब समय है कि सरकार अपनी आर्थिक नीतियों में कुछ मूलभूत बदलाव लाए और ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा कृषि पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। - हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता भारत के लिये एक चिंता का विषय है साथ ही हाल के वर्षों में श्रीलंका की राजनीतिक अस्थिरता से भारत-श्रीलंका संबंधों में कुछ अनिश्चितताएँ दिखने लगी हैं , अतः भारत द्वारा श्रीलंका के वर्तमान आर्थिक संकट में संभावित सहायता के साथ ही दोनों देशों के संबंधों में मज़बूती के लिये समन्वय और अन्य प्रयासों में वृद्धि की जानी चाहिये।
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JAMSHEDPUR: खाद्य आपूर्ति व संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने सोमवार को दलमा की तराई वाले इलाके का दौरा किया। दौरे का मकसद था दलमा के पानी को रोकने का उपाय करना। सरयू राय ने कहा कि बरसात के दिनों में दलमा से बहने वाला पानी पूरी तरह बर्बाद हो जाता है, जिसका खामियाजा गर्मी के दिनों में मानगोवासियों को उठाना पड़ता है। राय के अनुसार पारडीह से सन सिटी के पीछे तक करीब ब्00 हेक्टेयर खाली जमीन पर पेड़ लगाकर तथा तालाब व बांध बनाकर पानी को रोका जा सकता है। मंत्री सरयू राय के आह्वान पर आगामी फ्क् जुलाई को दलमा के तराई वाले क्षेत्रों में वृहद स्तर पर पौधरोपण कार्यक्रम रखा गया है। उन्होंने बताया कि वृक्ष लगाने से क्षेत्र में हरियाली होगी, साथ ही सरकारी वन भूमि पर कब्जा नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा कि मानगो को स्मार्ट मानगो के रूप में विकसित करना है। इस अवसर पर उपस्थित आरसीसीएफ शशि नंदकुलियार ने कहा कि इस क्षेत्र के समुचित विकास के लिए सरकार के पास प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि वन भूमि पर भू माफिया कब्जा कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों, सीओ व विशेष पदाधिकारी को आवश्यक कदम उठाने को कहा ताकि सरकारी व वन भूमि पर लोग कब्जा न करें। चारों ओर हरियाली देखने के बाद मंत्री ने इच्छा प्रकट की कि वह दलमा क्षेत्र का भ्रमण करेंगे। इस क्रम में मंत्री सरयू राय ने नए बन रहे आयुष भवन का शिलान्यास नारियल फोड़ कर किया। मंत्री के साथ आरसीसीएफ शशि नंदकुलियार, सीएफ, डीएफओ शबा आलम अंसारी, मानगो अक्षेस के विशेष पदाधिकारी जगदीश प्रसाद यादव, दलमा के फॉरेस्टर कोलेश्वर भगत, भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष विकास सिंह, नीरज सिंह, राजेश साव, संध्या नंदी, भोला पांडेय, सूरज प्रसाद के अलावा काफी संख्या में भाजपा व स्थानीय लोग उपस्थित थे।
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पिछली सदी में 20 के दशक में भारत में शुरू हुए कम्युनिस्ट आंदोलन ने कई पड़ाव तय किए हैं. 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी ने जहाँ 16 सीटें जीती थीं वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में वामपंथी दलों की कुल सीटों की संख्या बढ़कर 61 पहुँच गई थी. इसमें अकेले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 43 सदस्य थे. 1957 में कम्युनिस्टों ने पहली बार केरल में विधानसभा चुनाव जीता था. ये पहला मौक़ा था जब दुनिया में कोई भी कम्युनिस्ट सरकार मतदान द्वारा चुनकर सत्ता में आई थीं. ईएमएस नंबूदरीपाद वहाँ के मुख्यमंत्री बने. ये अलग बात है कि दो साल बाद 1959 में इस सरकार को केंद्र ने बर्ख़ास्त कर दिया. वामपंथी दलों के सामने सबसे बड़ा धर्मसंकट 1962 में आया जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया. जहाँ सोवियत संघ का समर्थन करने वाले वामपंथी नेताओं ने भारत सरकार का समर्थन किया, लेकिन कुछ कम्युनिस्ट नेताओं जैसे ईएमएस नम्बूदरीपाद और बीटी रणदिवे ने इसे समाजवादी और पूँजीवादी राष्ट्र के बीच संघर्ष करार दिया. 1964 के आते-आते कम्युनिस्ट पार्टी में औपचारिक विभाजन हो गया. 1970 से 1977 के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने काँग्रेस का समर्थन किया. केरल में उसने काँग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अच्युत मेनन वहाँ के मुख्यमंत्री बने. 1977 में ज्योति बसु के नेतृत्व में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई और तभी से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का भी काँग्रेस से मोह भंग शुरू हो गया. 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद वामपंथी दलों ने विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार को बाहर से समर्थन दिया. दिलचस्प बात यह कि इस सरकार को भारतीय जनता पार्टी भी बाहर से समर्थन दे रही थी. 1996 में जब काँग्रेस की हार हुई तो तीसरे मोर्चे की सरकार बनवाने में वामपंथी दलों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही. 'ऐतिहासिक भूल' एक समय तो ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनाए जाने पर लगभग सहमति बन गई थी. लेकिन उनकी पार्टी ने उन्हें ये पेशकश स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी. बाद में स्वयं ज्योति बसु ने इसे एक 'ऐतिहासिक भूल' बताया और कहा कि इसका कारण था पोलित ब्यूरो और केंद्रीय कमेटी के सदस्यों में उपयुक्त राजनीतिक समझ का अभाव. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने ज़रूर तीसरे मोर्चे की सरकार में शिरकत की और इंद्रजीत गुप्त भारत के गृह मंत्री बने. आठ साल बाद जब वामपंथियों के पास एक बार फिर सरकार में शामिल होने का मौक़ा आया, तो इतिहास ने एक बार फिर अपने आप को दोहराया. उन्हें केंद्र सरकार में भागीदारी कर किसानों, मज़दूरों, निम्न मध्यमवर्ग के लिए कुछ कर पाने और दक्षिणपंथियों द्वारा सत्ता व्यवस्था में कथित रूप से की गई घुसपैठ की सफ़ाई से ज़्यादा चिंता पश्चिम बंगाल और केरल के अपने किले को बचाए रखने की हुई. मज़ेदार बात ये है कि 1967 और 1969 में कम्युनिस्टों ने ही अजय मुखर्जी के नेतृत्ववाली काँग्रेस की सरकार में शामिल होकर पश्चिम बंगाल में अपना असर बढ़ाया था. सत्ता में शामिल हुए बग़ैर बंगाल में उनके द्वारा लाए गए भूमि सुधार के कार्यक्रम सफ़ल हो पाते इसमें काफ़ी संदेह है. वामपंथियों के ख़िलाफ़ ये टिप्पणी भी की जाती रही हैं कि वे सरकार की सफलताओँ का श्रेय तो लेना चाहते हैं लेकिन कमज़ोरियों, विफलताओं, गड़बड़ियों की पूरी ज़िम्मेदारी सरकार पर ही डालना चाहते हैं. वे इसका जवाब ये कहकर देते हैं कि जिस गठबंधन का नेतृत्व वामपंथियों के हाथ में न हो, उसकी नीतियों को भी एक सीमा से अधिक नहीं प्रभावित किया जा सकता. वैश्वीकरण और उदारीकरण की काँग्रेस की नीतियों को अगर वे गरीबों के पक्ष में नहीं मोड़ पाते हैं तो जनअसंतोष के दंड का भागीदार भी वामपंथियों को बनना पड़ेगा. केरल और पश्चिम बंगाल के बारे में उनकी दलील है कि दोनों राज्यों में काँग्रेस की नीतियों का विरोध कर ही वाम मोर्चे ने भारी विजय पाई है और उन्हीं नीतियों से भागीदारी दिखाना अलगे वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके लिए भारी पड़ जाएगा. लेकिन सरकार से बाहर रहते हुए भी कई मुद्दों पर उन्होंने सरकार का हाथ मरोड़ा है. हाल में संसद में पास हुआ पेटेंट बिल और पेंशन बिल का स्थाई समिति को भेजा जाना इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. कहा जाता है कि दुनिया भर में कम्युनिस्ट नेता कभी रिटायर नहीं होते-चाहे वो माओ हों, लियोनिद ब्रेझनेव हों या फिर फ़ीडेल कास्ट्रो हों. लेकिन मार्क्सवादी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता हरकिशन सिंह सुरजीत अगली पीढ़ी को पार्टी का नेतृत्व सौंपने के बारे में सोच रहे हैं. सुरजीत 1992 से पार्टी के महासचिव हैं और छह अप्रैल से शुरू होने वाली पार्टी काँग्रेस में नई केंद्रीय समिति का चयन होगा और नई केंद्रीय समिति नए महासचिव का चुनाव करेगी. सबकी आँखें पोलित ब्यूरो के अपेक्षाकृत युवा चेहरे प्रकाश करात पर हैं जिन्हें वामपंथी हलकों में कट्टरपंथी माना जाता है. इस पद के दूसरे दावेदार सीताराम येचुरी हैं जोकि गठबंधन राजनीति में पार्टी के रूख़ को सामने रखने के लिए जाने जाते हैं. पार्टी की पिछली काँग्रेस में भी नेतृत्व परिवर्तन की बात आई थी और कहा गया था कि सुरजीत किसी युवा चेहरे को नेतृत्व की बागडोर सौंपना चाहते हैं. लेकिन उन्होंने अंततः पद न छोड़ने का फ़ैसला किया था.
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जावेद अख्तर के लेखन की बात की जाए तो उनकी तारीफों के पुल बंधते जाएंगे, और निरंतर बंधते ही चले जायँगे. उनके लिखने की कला में उर्दू भाषा का प्रयोग और तलफ़्फ़ुज़ की बारीकियों को मापने वाले दीवानों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इसी के साथ-साथ जावेद अख्तर अपने उसूलों के भी बड़े पक्के हैं. इसीलिए उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म 'कुछ कुछ होता है' नहीं लिखी. जावेद ने शाहरुख के शो 'टेड टॉक्स- इंडिया नई सोच' के दौरान इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि उस वक्त उन्हें लगा था कि फिल्म का नाम 'डबल मीनिंग' वाला है. करन जौहर के निर्देशन में बनी फिल्म 'कुछ कुछ होता है' के लिए काम न करने के बारे में जब जावेद अख्तर से पूछा गया तो उन्होंने, "मुझे लगा कि फिल्म का नाम 'डबल मीनिंग' है, इसलिए मैं इस फिल्म को लिखने के लिए तैयार नहीं हुआ. लेकिन मैं 'कल हो ना हो' में शाहरुख के अभिनय का कायल हो गया और खुश हूं कि मैं उस यात्रा का हिस्सा बन सका. मैंने एक अर्थपूर्ण गीत बनाने के लिए उन शब्दों का इस्तेमाल किया, जिन्हें मैंने पहले खुद सिरे से नकार दिया था. लेकिन दर्शकों को गीत बहुत पसंद आया और बहुत मशहूर भी हुआ. यह गाना था 'कुछ तो हुआ है, कुछ हो गया है'. " साल 1998 में रिलीज 'कुछ कुछ होता है' ने 90 के दशक के अंतिम सालों में रिलीज हो रही मार-धाड़ वाली फिल्मों के बीच दोस्ती और प्यार का एक सन्देश लेकर उभरी थी. यह फिल्म एक ट्रेडमार्क बन गई थी. जावेद अख्तर के मना करने के बाद इसकी कहानी करन जौहर ने खुद ही लिखी थी. शाहरुख खान टेड टॉक के जरिए देशभर में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग और नया काम करने वालों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की उम्मीद रखते हैं जिसे टेलीविजन चैनल स्टार प्लस पर ब्रॉडकास्ट किया जाता है. तो इसलिए जावेद अख्तर ने नहीं लिखी 'कुछ कुछ होता है' शबाना ने जावेद को कहा- "आप में अब्बा कैफी आजमी वाली बात नहीं"
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एमएस धोनी, आधुनिक समय के क्रिकेट के दिग्गजों में से एक, अपनी सेवानिवृत्ति के बाद इंडियन प्रीमियर लीग में एक सक्रिय खिलाड़ी रहे हैं। एमएस धोनी खिताब जीतने के लिए अपनी टीम का नेतृत्व कर सकते हैं और उन्होंने आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के साथ 2021 में टूर्नामेंट जीतने के लिए अपनी उसी क्षमता को जारी रखा है। 2020 में संन्यास लेने के बाद भी एमएस धोनी अपने निस्वार्थ स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं। एमएस धोनी ने मैदान पर कई क्षण बनाए हैं जो हमें उनके निस्वार्थ स्वभाव के बारे में बताते हैं, फिर भी एमएस धोनी को कुछ पूर्व क्रिकेटरों द्वारा 'सबसे निस्वार्थ खिलाड़ी' के रूप में चुना गया है। एमएस धोनी, 'सबसे निस्वार्थ खिलाड़ी' पूर्व क्रिकेटर स्कॉट स्टायरिस, क्रिस गेल, अनिल कुंबले और रॉबिन उथप्पा एक इंटरव्यू के लिए एक साथ बैठे थे। इंटरव्यू के रैपिड-फायर दौर के दौरान, क्रिकेटरों ने एमएस धोनी को टी20 लीग इतिहास में 'सबसे निस्वार्थ खिलाड़ी' के रूप में चुना है। निर्णय सर्वसम्मत था और इसके बारे में कोई असहमति नहीं थी। पूर्व क्रिकेटरों ने केएल राहुल को सबसे स्टाइलिश क्रिकेटर भी चुना। आईपीएल के पूर्व खिलाड़ी जियो सिनेमा पर रैपिड-फायर सवालों के इंटरव्यू के लिए एक साथ बैठे थे। 2023 के आईपीएल में बस कुछ ही महीने दूर हैं, चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कमर कस ली है और आगामी टूर्नामेंट की तैयारी शुरू कर दी है। जीत के मामले में, एमएस धोनी इंडियन प्रीमियर लीग के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं क्योंकि उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स को 4 इंडियन प्रीमियर लीग खिताब जिताने में मदद की है। धोनी ने सीएसके के लिए 210 मैचों में कप्तानी करते हुए 58. 85 प्रतिशत जीत भी हासिल की है। कुछ दिन पहले जब भारतीय क्रिकेट टीम रांची में न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज का पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रही थी, तब एमएस धोनी को स्टेडियम में जाकर भारतीय टीम के खिलाड़ियों से मुलाकात करते देखा गया था. एमएस धोनी शुभमन गिल, युजवेंद्र चहल और वाशिंगटन सुंदर जैसे युवा खिलाड़ियों को अहम सलाह भी दे रहे थे। टीम के कप्तान हार्दिक पांड्या ने भी दिग्गज कप्तान से बात की। मैच से पहले एमएस धोनी के दौरे के बारे में बताते हुए पंड्या ने कहा, "माही भाई यहां हैं जो अच्छा है क्योंकि हम उनसे मिल सकते हैं। हम होटल से बाहर भी निकल सकते हैं (उनसे मिलने के लिए)। नहीं तो हम जिस तरह से आखिरी में खेले हैं। महीना, यह सिर्फ होटल से होटल तक रहा है। "
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ओक्साना कोंदाकोवा - स्मार्ट और सुंदर लड़की, एक प्रसिद्ध मॉडल। लेकिन पूरी दुनिया के लिए, वह है क्योंकि इसके उत्कृष्ट बाह्य डेटा की नहीं प्रसिद्ध हो गया है। कुछ साल वह एनएचएल स्टार इव्गेनि माल्किन के साथ मुलाकात सुनहरे। क्यों ओक्साना कोंदाकोवा के साथ उनकी विदाई था? फोटो, जीवनी मॉडल और उसके निजी जीवन के विवरण - यह सब आप लेख में मिल जाएगा। अपने पढ़ने का आनंद लें! प्रसिद्ध मॉडल Magnitogorsk में 23 फरवरी, 1984 को पैदा हुआ। उसके माता पिता मध्यम वर्ग के सदस्य हैं। खिलौने, कपड़े और इतने परः वे छोटी लड़की है के लिए हर प्रयास सब कुछ का सबसे अच्छा था। हमारी नायिका विनम्र और दयालु महिला वृद्धि हुई। स्कूल में वह एक अच्छा विद्यार्थी था। वह हमेशा गर्लफ्रेंड और प्रेमी का एक बहुत था। ओक्साना कोंदाकोवा एक उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जा रहा था, लेकिन यह स्थगित करना पड़ा। एक सुंदर चेहरे के साथ लंबे पैरों गोरा, लेकिन मदद नहीं ध्यान आकर्षित नहीं कर सका। एक बार सड़क पर वह Magnitogorsk मॉडलिंग एजेंसियों के एक प्रतिनिधि से संपर्क किया गया था। उन्होंने कहा कि महिला एक बिजनेस कार्ड सौंप दिया। ओक्साना कोंदाकोवा इस तरह के एक अवसर न कर सका। जल्द ही वह फैशन शो और फोटो शूट के लिए शुरू किया। Magnitogorsk महिला के देशी कोई वास्तविक स्टार बन गए। मॉडल अच्छा फीस मिलता है। वह प्रशिक्षण पर पैसा खर्च सकता है, लेकिन में निवेश करने का फैसला किया है "सौंदर्य। " ओक्साना उसके होंठ बनाया है, ताकि एंजेलीना जोली की तरह देखा। यह ज्ञात है कि मॉडल पहले से ही शादी की थी। इतिहास नहीं बहुत सुंदर बाहर आया था। महिला Magnitogorsk कंपनियों में से एक में एक सचिव के रूप में एक नौकरी मिल गई। कोंदाकोवा एक सफल कैरियर का निर्माण और रजिस्ट्रार को अपने बॉस लाने में कामयाब रहे। शादी लंबे समय तक नहीं। लगातार झगड़े, गलतफहमी, विश्वासघात उनकी पत्नी द्वारा - यह सब एक आदमी के लिए मजबूर तलाक के लिए। 2008 में, एनएचएल स्टार Magnitogorsk में पहुंचे। एक नाइट क्लब में उन्होंने उज्ज्वल गोरा के साथ मुलाकात की और उसके साथ पहली बार प्यार हो गया। आप कल्पना कर सकते हैं, हम ओक्साना कोंदाकोवा के बारे में बात कर रहे हैं। मॉल्किन अपनी प्रेयसी की खातिर सबसे obezbashennym कर्मों बनाने के लिए तैयार था। उदाहरण के लिए, वह अपने अपार्टमेंट असली आतिशबाजी की खिड़कियों दे दी है। वह आँसू करने के लिए ले जाया गया था। 2008 के अंत में, मॉडल पिट्सबर्ग (अमरीका) में हॉकी खिलाड़ी के साथ चला गया। सभी अमेरिका पत्रिकाएँ ओक्साना कोंदाकोवा साथ इव्गेनी मालकोव संबंध के बारे में लिखा था। प्यार में एक जोड़े की फोटो भी लेख से जुड़ा हुआ है। पत्रकारों महिला के अतीत में तल्लीन करना शुरू किया और उस में काले धब्बे का एक बहुत मिल गया। लेकिन यूजीन यह सब में कोई दिलचस्पी नहीं थी। सब के बाद, वह Magnitogorsk मॉडल प्यार करता था। मॉल्किन और Kondakov 4 साल के लिए मुलाकात की। उनके मित्रों और परिचितों आश्वस्त थे कि यह शादी के लिए एक मामला है। लेकिन जोड़ी अचानक जुदाई की घोषणा की। क्यों यह सब हुआ? कई संस्करण हैं। शायद उन दोनों के बीच प्यार बुझा रहा है। वहाँ भी अफवाहें हैं कि मॉल्किन माता-पिता मॉडल Magnitogorsk के साथ अपने रिश्ते के खिलाफ थे। खाई के लिए सच कारण केवल बच्चों से जाना जाता है। अब इव्गेनि माल्किन नई मंगेतर - टीवी प्रस्तोता अन्ना Kasterova। अब आप जानते हैं जो इस ओक्साना कोंदाकोवा और क्या यह प्रसिद्ध हो गया है। हॉकी खिलाड़ी इव्गेनि माल्किन साथ रिश्ता हमेशा के लिए अपने जीवन के प्रतिभाशाली और सबसे खुशी का एपिसोड में से एक रहेगा। हम व्यक्तिगत मोर्चे पर इस खूबसूरत और प्यारी लड़की के भाग्य कामना करते हैं!
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इस्लामाबादः पाकिस्तान ने रविवार को भारतीय उच्चायोग को अपने यहां की जेलों में बंद 471 भारतीय कैदियों की की एक लिस्ट दी है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बयान जारी कर बताया कि इस लिस्ट को 21 मई 2008 को पाकिस्तान और भारत के बीच कॉन्सुलर एक्सेस एग्रीमेंट के प्रावधानों के मुताबिक दिया गया है। बयान में बताया गया है कि कुल 471 भारतीय कैदियों में से 418 मछुआरे और 53 अन्य कैदियों के नाम हैं। बयान के मुताबिक, इन कौदियो को पाकिस्तानी जल सीमा में कथित तौर पर गैर-कानूनी ढंग से घुस जाने पर गिरफ्तार किया गया था। आपको बता दें कि दोनों देश 21 मई 2008 में हुए समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान को साल में 2 बार 1 जनवरी और 1 जुलाई को अपने-अपने देश में बंद पड़ोसी देश के कैदियों की सूची का आदान-प्रदान करना होता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार भी नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग को पाकिस्तानी कैदियों की सूची सौंपेंगी। आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के संबंध पठानकोट एयरबेस और उड़ी में हुए आतंकी हमले के बाद बिगड़ते चले गए थे। उड़ी हमले का बदला लेने के लिए बाद में भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके अलावा भारतीय नेवी के पूर्व अधिकरी कुरभूषण जाधव की गिरफ्तारी के बाद भी दोनों देशों के संबंधों में खटास आई है। पाकिस्तान ने जाधव पर जासूसी के आरोप लगाते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई है जबकि भारत ने हमेशा जासूसी के आरोपों से इनकार किया है।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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निजी छोटे-बड़े अस्पतालों (Hospitals) द्वारा भी अपना कचरा निस्तारण खुद नहीं किया जा सकता, बल्कि इस कार्य को वहां पर भी वहां के लिए तय एजेंसी (agency) ही कर सकती है। योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़। हरियाणा में कोविड अस्पतालों से निकलने वाले कचरे के निस्तारण (Disposal) के लिए स्वास्थ्य मंत्री विज की ओर से जहां कचरा निस्तारण करने वाली एजेंसियों को खास दिशा निर्देश देकर उनका पूरी तरह से पालन करने के लिए कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ मेडिकल वेस्ट कोरोना संक्रमण मरीजों का हो या फिर अन्य तरह का इससे किसी भी तरह से पर्यावरण पर प्रतिकूल (Unfavorable) प्रभाव नहीं हो इस पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के दिशा निर्देशों का पालन कराने के लिए हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी पैनी नजर रखे हुए हैं। यहां पर उल्लेखनीय है कि पूरे राज्य में मेडिकल वेस्ट उठाने और इसका निस्तारण करने के लिए 11 एजेंसियों को काम दिया गया है। केंद्र की ओर से जारी नियमों के हिसाब से ही मेडिकल वेस्ट के निस्तारण का काम किया जाता है। नियमों के मुताबिक 70 किलोमीटर के दायरे में एक ही एजेंसी काम कर सकती है, इतना ही नहीं एजेंसियों की संख्या में इजाफा करने के लिए भी नियमों में बदलाव करना होगा, यह भी केंद्र की अनुमति से ही किया जाएगा। इन दिनों कोरोना संक्रमण की चुनौती औऱ मेडिकल वेस्ट भी कोविड अस्पतालों से ज्यादा निकल रहा है। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि राज्य के कोविड अस्पतालों से प्रतिदिन लगभग एक कुंतल कचरा रोजाना निकल रहा है क्योंकि संक्रमण और संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसके मेडिकल वेस्ट और दूसरे वेस्ट के निस्तारण के लिए बनाए गए नियमों के हिसाब से ही इसका निस्तारण एजेंसिया कर रही हैं। इस पर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी नजर रखते हैं। विभाग की मुखिया एसीएस धीरा खंडेलवाल का कहना है कि इस मामले में विभाग के अधिकारियों द्वारा नजर रखी जा रही हैं, इस संबंध में हमने मीटिंग लेकर दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं ताकि किसी भी तरह की ढ़ील अथवा लापरवाही नहीं हो। यहां पर यह भी बता दें कि निजी क्षेत्र के छोटे बड़े अस्पतालों द्वारा भी अपना कचरा निस्तारण खुद नहीं किया जा सकता, बल्कि इस कार्य को वहां पर भी वहां के लिए तय एजेंसी ही कर सकती है। हालांकि निजी क्षेत्र के अस्पताल संचालक इसके निस्तारण के लिए लंबे अर्से से उन्हें अधिकार देने की मांग कर रहे हैं। हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल का कहना है कि राज्य में सरकारी अस्पताल हों या फिर निजी अस्पताल सभी को मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए जारी किए दिशा निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना होगा। जिन एजेंसियों को फिलहाल कोरोना मेडिकल वेस्ट उठाने का जिम्मा दिया गया है, उन्हें भी बेहद सावधानी के साथ में सही निस्तारण के लिए कहा गया है, जिसको समय-समय पर चेक भी किया जा रहा है। इस संबंध में एचपीसी बोर्ड अधिकारी मानीटरिंग कर रहे हैं। अगर किसी भी तरह की कोई लापरवाही सामने आई, तो कार्रवाई करेंगे। प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कहना है कि मेडिकल वेस्ट के सही निस्तारण को लेकर हमने पहले से ही दिशा-निर्देश जारी किए हुए हैं। कोविड मेडिकल वेस्ट उठाने का काम जिन ठेकेदारों को दिया गया है, उस काम में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कुछ जिलों में जहां जहां पर भी शिकायत मिली हमने अधिकारियों को इस तरह के लोगों के विरुद्ध एक्शन के लिए कहा है।
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नई दिल्ली : जैन समाज के पर्यूषण पर्व को लेकर मुंबई में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसे लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। एक ओर जहां कांग्रेस विरोध में जुटी हुई है वहीं एमआईएम ने भी अपना विरोध जताया है। यही नहीं शिवसेना द्वारा भी इस मसले पर अपना रूख दर्शाया गया है। अब इस मसले को गुजरात में गौमांस को लेकर चस्पा किए गए पोस्टर विवाद से जोड़ा जा रहा है। इस मामले में एमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भाजपा गुजरात में झूठ की फैक्ट्री चला रही है। कुरान में ऐसा नहीं लिखा है। सरकार झूठा प्रोपेगेंडा फैला रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निवेशकों और उद्योगपतियों से भेंट कर रहे हैं। आखिर महाराष्ट्र में मांस नहीं मिलेगा तो लोग क्या खाऐंगे। लोगों का घर किस तरह से चलेगा। आखिर निवेशकों को क्या संदेश पहुंचेगा। मुंबई में इस तरह के प्रतिबंध को 2 दिन तक कर देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि मुंबई और मीरा-भायंदर क्षेत्र में पर्यूषण पर्व के चलते मांस की बिक्री पर पांच दिन का प्रतिबंध लगा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि इस तरह की मांगों को धार्मिक रंग दिया जा रहा है जिससे लोगों की भावनाऐं भड़क रही हैं। ऐसे में देश में विकट स्थिति सामने आने की संभावनाऐं हैं।
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यहां कुम्भलगढ़ को पर्वत श्रेणी के नीची हो जाने से दर्रा बन गया है। दोनों सेनाओं के बीच की दूरी अब सिर्फ बारह मील रह गयी थी । मोलेला गांव पहुंचने और ठहरने के बाद भी मानसिंह को यह पता नहीं लग पाया था कि प्रताप की सेना इतने पास है। इस कारण यहां एक घटना होते-होते रह गयी जो मेवाड़ को शायद जीत दिला देती, परन्तु प्रताप की कीर्ति कम कर सकती थी । खमनोर से दक्षिण पहाड़ी प्रदेश से जांच-पड़ताल करने के लिए, शिकार का बहाना करके, मानसिंह मेवाड़ के सैन्य शिविर के बहुत पास जा पहुंचा। उस समय उसके साथ एक हजार से अधिक घुड़सवार नहीं होगे । गुप्तचरों ने आकर प्रताप को उसकी खबर दी । "उस वक्त कितने ही सरदारो ने अर्ज की कि कुंवर मानसिंह पर हमला करें, लेकिन झाला वीदा ने कहा कि इस तरह दगा करना बहादुरो का काम नहीं है। महाराणा ने भी वीदा के कहने को पसन्द किया। दूसरे रोज कुंवर मानसिंह को महाराणा प्रतापसिंह के ( इतने नजदीक ) आने की खबर मिली।"" इस तरह मान सिंह, और प्रताप का, सम्मान बच गया। हां, झाला सरदार वीदा को अपने परामर्श का मूल्य अपने जीवन से देना पड़ा । परन्तु अपने इस परामर्श और बाद में युद्ध मे अत्यन्त असाधारण त्याग और वीरता का प्रदर्शन करके उसने मेवाड़ के इतिहास में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया, मानवीय गुण कहां तक एक व्यक्ति को उठा सकते है, इसका वह उदाहरण बन गया है । हल्दीघाटी का युद्ध मानसिंह और प्रतापसिंह के बीच हुआ यह युद्ध 'हल्दीघाटी युद्ध' के नाम से प्रसिद्ध है, परन्तु यह युद्ध हल्दीघाटी के भीतर नहीं हुआ था, और उस समय के भुगल इतिहासकारो ने इसका उल्लेख इस नाम से किया भी नहीं है । मेवाड़ के इतिहास से संबंधित जो प्राचीन ग्रन्थ उपलब्ध हैं उनमें भी इस युद्ध को 'हल्दीघाटी का युद्ध' नहीं कहा गया है । राजस्थानी का एक दोहा बहुत प्रचलित है, जिसकी प्रथम पंक्ति है गोगूंदा रै घाट पर, मचियो घाण मथाण अर्थात् जिस स्थान पर प्रतापसिंह और मानसिंह की सेनाओं के बीच 'भयंकर युद्ध' हुआ था वह 'गोगूंदा के घाट' के नाम से प्रसिद्ध था । उदयपुर से 40 मील उत्तर की ओर बने राजसमुद्र सरोवर के तट पर श्री रणछोड़ भट्ट की लिखी 'राजप्रशस्ति' 25 काले पत्थरों पर खुदी लगी हुई है। इसमें लिखा है कि 'खमणोर गांव में प्रताप और मानसिंह के बीच भीषण युद्ध हुआ। इसी कवि के लिखे 'श्रमरकाव्य' में कहा गया है, 'खमणोर के बीच इतना रक्तपात हुआ कि वनास नदी का पानी लाल हो गया । 1 'वीर विनोद', दूसरा भाग, पृष्ठ 151
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बिधूना। तहसील के थाना बेला क्षेत्र में बेला-बिधूना मार्ग पर बीती रात्रि बांधमऊ गांव के समीप महिला को बचाने के प्रयास में तेज रफ्तार ट्रक ने ट्रैक्टर को टक्कर मार दी। जिसके बाद महिला को रौंद दिया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। वहीं ट्रैक्टर सवार 4 किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। सूचना पर पहुँची थाना पुलिस ने घायलों को एम्बुलेंस की सहायता से सीएचसी बिधूना में भर्ती कराया है। जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। जानकारी के अनुसार बिधूना क्षेत्र के गांव खरगपुर निवासी किसान राजेश, संजीव, जयवीर व उमेश रात्रि करीब 3 बजे कन्नौज कोल्ड स्टोरेज में रखे अपने आलू लेकर ट्रैक्टर में लादकर गांव वापस लौट रहे थे। उनका ट्रैक्टर बेला-बिधूना मार्ग पर स्थित गांव बांधमऊ व पुरवा दूजे के बीच पहुंचा था कि तभी बिधूना की ओर से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने सामने से टक्कर मार दी। जिससे ट्रैक्टर के परखच्चे उड़ गये। वहीं उसमें सवार चारों किसान गंभीर रूप से घायल हो गये। यही नहीं ट्रैक्टर में टक्कर मारने के बाद अनियंत्रित ट्रक ने वहां से निकल रही एक महिला दीपा शर्मा (45) पत्नी राजेश शर्मा निवासी आदर्श नगर को रौंदता हुआ निकल गया, जिससे उसकी मौके पर मौत हो गयी। इसके बाद चालक व क्लीनर ट्रक को वहीं छोड़कर मौके से भाग गये। वहीं राहगीरों की सूचना पर पहुँची थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर घायलों को सीएचसी बिधूना में भर्ती कराया है। जहां से चारों घायलों को गंभीर हालत में रिम्स सैंफई के लिए रेफर कर दिया गया है। घटना के बाद लगभग एक घंटे तक मार्ग पर लम्बा जाम लगा रहा। जिससे बेला-बिधूना मार्ग बाधित रहा। मौके पर क्षेत्राधिकारी बिधूना महेन्द्र प्रताप सिंह, कोतवाल बिधूना जीवाराम यादव, थानाध्यक्ष बेला सुरेश चंद्र पहुँचे। क्षेत्राधिकारी बिधूना ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर व घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। ट्रक चालक व क्लीनर फरार है।
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KANPUR : अनुष्का शर्मा ने बॉलीवुड में अपने 10 साल पूरे कर लिए हैं। 2018 उनके लिए बेहद खास रहा। इस साल उनकी फिल्म परी आई, जो काफी पसंद की गई। वहीं दूसरी तरफ उनकी फिल्म सुई धागा भी कामयाब रही है। अब उनकी तीसरी फिल्म जीरो आ रही है और वह भी दिसंबर में। एक इंवेंट के दौरान जब अनुष्का से पूछा गया था कि वह अपने 10 साल के सफर को किस तरह देखती हैं? ऐसा लग रहा है कि मेरे लिए यह पूरे जीरो की तरह है। मेरा करियर का पॉजिटिवली रूप से जीरो की तरह एक सर्किल पूरा हो रहा है। मुझे पूरी उम्मीद है कि फिल्म में आफिया का कैरेक्टर लोगों को बेहद पसंद आएगा। अनुष्का ने जीरो के कैरेक्टर को लेकर कहा कि मुझे इस फिल्म से बहुत कुछ अलग करने का मौका मिला है। यह मेरे करियर की सबसे टफ फिल्म है। मैं रियल लाइफ में बहुत बबली सी लड़की हूं। लेकिन सेरेबल पैलेस नाम की बीमारी की वजह से पूरी फिल्म में चेयर पर ही बैठना पड़ा है। बता दें कि इस फिल्म में अनुष्का, वर्टिकली चैलेंड लड़की का कैरेक्टर प्ले कर रही हैं। मेरे लिए जीरो फिल्म से एक सर्किल पूरा हो रहा है। मेरे करियर की पहली फिल्म रब ने बना दी जोड़ी भी दिसंबर महीने में ही रिलीज हुई थी।
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बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र के तहत कुवारी गांव के पास पिंडर की सहायक नदी शंभू में पहाड़ से मलबा गिरने से झील बन गयी है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि झील से किसी तरह का खतरा नहीं है। बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र के तहत कुवारी गांव के पास पिंडर की सहायक नदी शंभू में पहाड़ से मलबा गिरने से झील बन गयी है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि झील से किसी तरह का खतरा नहीं है। नदी में पानी का बहाव जारी है। कपकोट के एसडीएम पारितोष वर्मा ने भी रविवार देर रात बताया कि भूस्खलन के मलबे से नदी का बहाव थोड़ा सा प्रभावित हुआ है और खतरे की कोई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि कुवारी गांव में वर्ष 2013 की आपदा के समय से ही भूस्खलन हो रहा है, इससे पिंडारी नदी की सहायक नदी शंभू के थोड़े से क्षेत्र में पानी जमा हो गया है। वर्मा ने कहा, भूस्खलन का मलबा नदी में गिर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि पूरी नदी रुक गयी है। मलबे ने नदी के बहाव को थोड़ा बाधित किया है और थोड़े से क्षेत्र में पानी एकत्र हो गया है। शंभू नदी इस स्थान कुछ दूरी पर पिंडर नदी में मिल जाती है। उन्होंने कहा कि झील से गांव को खतरा नहीं है, क्योंकि गांव काफी ऊपर है। हालांकि, उन्होंने कहा कि लगातार भूस्खलन होने से गांव से विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एसडीएम ने बताया कि अतिसंवेदनशील रूप में चिह्नित 18 परिवारों के विस्थापित करने का धन प्रशासन के पास आ गया है और उनमें से 10-12 परिवारों ने विस्थापन शुरू भी कर दिया है। बताया कि कुवारी गांव के 70-75 परिवारों को विस्थापन के लिए चिह्नित किया गया है।
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तीमरे अंतर को हम कच्छप काल कहेंगे । इमी काल में धरती पर फूलनेवाले पौधे लगे और रीढ़वाले जनुओं का आरभ हुआ । इस काल में सबसे बड़ी बात यह हुई कि उभयचरों का भी इसी समय आरंभ हुआ। उस समय समुद्र में भयानक मछलिया उत्पन्न हो चुकी थी और उभयचारी पशुओं का विकास हो चुका था। मंढक आदि का यही समय था । ५ स्थलचरों का विकास जिम युग के पत्थर के कोयले की बड़ी-बड़ी विस्तृत चट्टाने भूगर्भ में पड़ी हुई है उसमें इस धरतीपर ऋतु बहुत ही अनुकुल थी । न अत्यत ढडा था न बड़ी कड़ी गरमी थी । धगतल पर निरंतर वसत ऋतु का सुहावना समा था । आज कल के मे पेड़ न थे । घास-फूस के बड़े बड़े विशालकाय पौधे थे जिन से वन में घना धेरा रहा करता था । इन महायनों में जुड़े हुए पायांवाले सूखी धरती से चढाई करनेवाले कीड़े-मकोड़े भरे रहते थे। कनखजूरं, मकड़े, बिच्छू आदि की तरह के असख्य प्राणी थे और इन के भी भोजन कर जानेवाले, जल-स्थल दोनों में विचरनेवाले अनेक जीव थे । कोड़े-मकोड़े पौधों की बीजों को और फूलों के केशरी और परागों को मिलाने में बरावर सहायता किया करते थे जिस से नये पौधों की उत्पत्ति होती थी। इस तरह चरी और अचरी दोनों का विकास साथ साथ चलता था और दोनों परस्पर सहायक थे । इसी कोयली के युग में रंगीन फूलों की उत्पति और विकास का समय समझना चाहिये । इस समय के जल-स्थल या उभयचर आज-कल के गधों के से बड़े आकार के होते थे। इन्हीं बड़े-बड़े जगलां के दब जाने से और बड़वानल से झुलस जाने से पृथ्वी के गर्भ मे कोयले के विशाल स्तर हो गये । इसी युग के आरंभ में उभयचरी ने जल के अतिरिक्त, स्थल के लिए उपयुक्त इडियो का विकास किया। मास लेने के लिए फफड़े, तीन घरोवाला हृदय, हिलने-डोलनेवाली जीभ कान के ढोल और ांखों को ढकने के लिये पलके, उभयचारी के लिये आवश्यक हो गयीं। मेंढक के शरीर का विकास आज भी इन बातों का गवाह है। जल में रहते हुए शब्द की जो कमी थी वह पूरी हुई। स्वरयंत्र का विकास हुआ। ऐसा अनुमान किया जाता है कि पहले करोड़ों वरम तक इस धरातल पर बिजली, तूफान, जलप्रपात और लहरी के शब्दो को छोड़कर और किसी तरह का प्राणियों का शब्द सुनने में नहीं श्रा सकता था। कुछ कीड़ो के बजाने के शब्द के सिवाय इस युग में पहले शब्द उभयचारियों के थे। मेंढकों ने अपनी मेंढकियो को बुलाना आरंभ किया। फिर माता पिता ने बच्चों को जोखिम से सावधान करने के लिये शब्द निकाले। फिर बच्चे ने माता-पिता को पुकारना शुरू किया। फिर धीरे-धीरे पक्षी चहचहाने लगे। भाबी का उदय हुआ और भाति-भांति के स्वर निकलने लगे। धीरे-धीरे स्वरों और व्यंजनों का विभाग हुआ और शब्द बनने लगे। "भोजन" "जोखिम" "घर" "मुम्ब" और "दुःख" का प्रकाश होने लगा। और भाषा का विकास आरंभ हुआ। इसी काल में पतली या कटी कमरवाले कीड़े पैदा हुए और बड़े । श्रारभ में
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कैसे इनका अभाव कहते हो ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! यह सत्र जगत् विराट् पुरुष का शरीर है। जब वह आदि-विराट् ही उपजा नहीं, तो और की उत्पत्ति कैसे कहिये ? राम ने पूछा. हे मुनीश्वर जगत् का सद्भाव तो तीनों कालों में पाया जाता है, पर तुम कहते हो कि उपजा ही नहीं । वशिष्ठजी बोले, हे राम! जैसे स्वप्न में जगत् के सव पदार्थ प्रत्यक्ष दिखते हैं, पर कुछ उपजे नहीं। जैसे मृगतृष्णा का जल आकाश में द्वितीय चन्द्रमा और संकल्पनगर भ्रम से दिखता है, वैसे ही अहं त्वं आदि जगत् भ्रम से दिखता है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! अहं त्वं आदि जगत् दृढ़ भासित होता है, तब कैसे जानिये कि उपजा नहीं ? वशिष्ठजा बोले हे राम! जो पदार्थ कारण से उपजता है. निश्चय सत्य जाना जाता है। जब महाप्रलय होता है तब कारणकार्य कुछ नहीं रहता, सब शान्तरूप होता है, और फिर उस महाप्रलय से जगत् प्रकट होता है। इसी से जाना जाता है कि सव आभासगात्र है। राम ने पूछा, हे मुनीश्वर ! जब महायलय होता है, तब अज और अविनाशी गत्ता शेष रहती है। इसमे जाना जाता है कि वही जगत का कारण है। वशिष्ठजी बोले. हे राम! जैसा कारण होता है. वैसा ही उसका कार्य होता है. उससे उल्टा नहीं होता । जो आत्मसत्ता अद्वैत और आकाशरूप हैं तो जगत् भी वही रूप है। जैसे घट से पट नहीं उपजता. वैसे ही और कुछ नहीं उपजता । राम ने पूछा है भगवन् ! जब महाप्रलय होता है, तब जगत् सूक्ष्मरूप होकर स्थित होता है, और उसी से फिर प्रवृत्ति होती है। वशिष्ठजी बोले, हे निष्पाप राम महाप्रलय में जो तुमने सृष्टि का अनुभव किया, वह कैसी होती है ? राम बोले, हे भगवन् ! इतिरूप सत्ता ही वहाँ स्थित होती है और तुम जैमों ने अनुभव भी किया है कि वह चिदाकाशरूप है । सत्य और असत्य शब्द से नहीं कहा जाता । वशिष्ठजी बोले, हे महावाहु ! जो ऐसे हुआ तो भी जगत् तो ज्ञप्तिरूप हुआ इसलिए वह जन्म-गरण से रहित शुद्ध ज्ञानरूप है । राम ने पूछा, हे भगवन् ! तुम कहते हो कि जगत् उत्पन्न नहीं हुआ, भ्रममात्र है, तो वह भ्रम कहाँ से आया ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! यह जगत् चित् के फुरने से भासित होता है। जैसे-जैसे चित्त फुरता है, वैसे ही वैसे यह भी भासित होता है। इसका और कोई कारण नहीं है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो यह चित्त के फुरने से दिखता है, तो यह परस्पर विरुद्ध कैसे दिखता है कि अग्नि को जल नष्ट करता है और जल को अग्नि नष्ट करती हैं ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! जो द्रष्टा पुरुष है, वह दृश्यभाव को नहीं प्राप्त होता । और ऐसी कुछ वस्तु नहीं, मानरूप आत्मा ही चैतन्यघन सर्वरूप होकर भासित होता है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! चिन्मात्रतत्त्व आदि-अन्त से रहित है। और जब वह जगत् को चिताता है, तब होता है, पर तो भी तो वह कुछ हुआ। जगत्रूप चैत्य को असंभव कैसे कहिये ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! इसका कारण कोई नहीं, इससे चैत्य असंभव है। चेतन्य सदा मुक्त और अवाच्यपद है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो इस प्रकार है तो जगत् और तत्त्व कैसे प्रकट होते हैं, और अहं त्वं आदिक द्वैत कहाँ से आये ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! कारण के अभाव से यह जगत् कुछ आदि से उपजा नहीं, सब शान्तरूप है। और नाना जो भासित होता है, सो भ्रममात्र है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! सर्वदा प्रकाशरूप निर्मलतत्त्व निरुल्लेख और अचलरूप है। आपमें भ्रान्ति कैसे है और किसको है ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! निश्चय करके जानो कि कारण के अभाव से भ्रान्ति कुछ वस्तु नहीं । अहं त्वं आदिक सब एक अनामय सत्ता स्थित है। राम ने पूछा, हे ब्राह्मण ! मुझे भ्रम हो रहा है, इससे इस विषय में और अधिक प्रश्न करना नहीं जानता और अत्यन्त प्रबुद्ध भी नहीं, तो अब क्या पूछू ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! यह प्रश्न करो कि कारण बिना जगत् कैसे उत्पन्न हुआ ? जब विचार करके कारण का अभाव जानोगे, तब परम स्वभाव अशब्द पद में विश्रान्ति पाओगे । राम ने पूछा, हे भगवन् ! मैं यह जानता हूँ कि कारण के अभाव से जगत् कुछ उपजा नहीं, परन्तु चैत्य का फुरना भ्रम कैसे हुआ ? वशिष्ठजी बोले, हे राम ! कारण के अभाव से सर्वत्र शान्तिरूप है । भ्रम भी कुछ दूसरी वस्तु नहीं। जबतक आत्मपद में अभ्यास नहीं होता, तब तक भ्रम भासित होता है और शान्ति नहीं होती। पर जब अभ्यास करके केवल तत्त्व में विश्रान्ति पाओगे तब भ्रग मिट जायगा । राम ने पूछा, हे भगवन् ! अभ्यास और अनभ्यास कैसे होता है, और एक अद्वैत में अभ्यास अनभ्यास की भ्रान्ति कैसे होती है ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! अनन्ततत्त्व में शान्ति भी कुछ वस्तु नहीं और जो आभास शान्ति दिखती है, वह महाचिघन अविनाशरूप है। राम ने पूछा, हे ब्राह्मण ! उपदेश और उपदेश के अधिकारी, ये जो भिन्न-भिन्न शब्द हैं. वे सर्वात्मा में कैसे आमित होते हैं। वशिष्ठजी बोले, हे राम उपदेश और उपदेश के योग्य, ये शब्द भी ब्रह्म में कल्पित हैं। शुद्ध बोध में बन्धन और मोक्ष दोनों का अभाव है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो आदि में कुछ उत्पन्न नहीं हुआ तो देश, काल, किया और द्रव्य के भेद कैसे दिखते हैं ? वशिष्ठजी बोले हे राम! देश काल. क्रिया और द्रव्य के जो भेद हैं. सो संवेदन दृश्य में है और अज्ञानमात्र भासित होते हैंअज्ञानमात्र से कुछ मिन्न नहीं । राम ने पूछा, हे भगवन् ! बोध को दृश्य की प्राप्ति कैसे हुई ? जहाँ द्वेत और एकता का अभाव है, वहाँ दृश्य भ्रम कैसे है ? वशिष्ठजी बोले, हे राम! बोध को दृश्य की प्राप्ति और द्वैत एक का भ्रम मूखों का विषय है; हम जैसा का विषय नहीं है। राम ने पूछा, हे भगवन् ! अनन्ततत्त्व तो केवल बोधरूप है. तव अहं त्वं हमारे मन में कैसे होता है ? वशिष्ठजी बोले. हे राम! शुद्ध बोधसत्ता में जो बोध का जानना है, वह अहं त्वं द्वारा कहाता है। जैसे पवन में स्फुरण है वैसे ही उसमें चेतना जगती है। राम ने पूछा हे भगवन् ! जैसे निर्मल अचल समुद्र में तरङ्ग और बुलबुले उठते हैं, सो वे कुछ जल से भिन्न नहीं होते. वैसे ही बोध में बोधसत्ता से भिन्न कुछ नहीं । वह अपने आपमें स्थित हैं। वशिष्ठजी बोले हे राम! जो यह बात है तो किसका किसको दुःख हो ? एक अनन्ततत्त्व अपने आपमें स्थित और पूर्ण हैं । राम ने पूछा, हे भगवन् ! जो वह एक और निर्मल हैं तो अहं त्वं
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नई दिल्ली। महज सात साल पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में बनी आम आदमी पार्टी ने दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी को दिल्ली में करारी मात दी है. इस तरह से बीजेपी की दिल्ली में 22 साल के सत्ता के वनवास को खत्म करने की कोशिशें धरी की धरी रह गईं. इस तरह से बीजेपी का वनवास 5 साल का इजाफा और हो गया है. बीजेपी को आम आदमी पार्टी ने लगातार दूसरी बार शिकस्त दी और भाजपा दोनों बार डबल डिजिट भी पार नहीं कर सकी. दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की मिली प्रचंड जीत ने बीजेपी की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अन्ना आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के गठन के महज सात साल हुए हैं. कह सकते हैं कि AAP का सियासी आधार दिल्ली तक ही सीमित है और थोड़ा बहुत पंजाब में है. वहीं, बीजेपी के 12 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं और मौजूदा समय में बीजेपी या उसके सहयोगियों की 16 राज्यों में सरकार में है. ऐसे में बीजेपी ने दिल्ली की सल्तनत पर काबिज होने के लिए अपने सभी बड़े नेताओं ने प्रचार में उतारा था, लेकिन केजरीवाल के विजय रथ को नहीं रोक सके. आम आदमी पार्टी के मुफ्त बिजली, पानी व महिलाओं को डीटीसी में फ्री यात्रा के मुद्दे का बीजेपी कोई तोड़ नहीं निकाल सकी. हालांकि बीजेपी ने शाहीन बाग को भी मुद्दा बनाया और इसका उसे लाभ भी मिला, लेकिन इतना नहीं कि वह आम आदमी पार्टी से बराबरी का मुकाबला कर सके. दिल्ली में बीजेपी जिस तरह से शाहीन बाग मुद्दे पर आक्रामक रही, उससे मुस्लिम मतदाता आम आदमी पार्टी के पक्ष में एकजुट हो गया, जिसने करीब एक दर्जन सीटों को प्रभावित किया. वहीं, केजरीवाल ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह को भी अपनाया और उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया. इससे वह हिंदू वोटों का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण होने से भी रोकने में सफल रहे. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार के चुनाव को प्रतिष्ठा का चुनाव बनाकर लड़ा. गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई में भाजपा ने गली-कूचे तक पहुंचकर आम आदमी पार्टी को बराबरी की टक्कर देने की कोशिश की. दिल्ली चुनावों में पीएम मोदी ने दो जनसभाएं कीं और गृहमंत्री अमित शाह ने करीब 50 रैलियां और रोड शो किए. शाह ने डोर टू डोर कैंपेन भी किया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 30 आम सभाएं कीं. वहीं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 25 से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 10 रैलियों को संबोधित किया. मुख्यमंत्रियों की बात करें तो बीजेपी के फायरब्रांड नेता और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में 15 रैलियों को संबोधित किया. हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कई रैलियां कीं. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी दिल्ली में पार्टी के लिए कैंपेन किया. इसके अलावा कई और मंत्री और मुख्यमंत्रियों के आक्रामक प्रचार के बावजूद बीजेपी दहाई के अंक को पार नहीं कर सकी. 2015 में बीजेपी ने 3 सीटें जीती थीं, तो इस बार पार्टी 8 सीटों तक पहुंच सकी. दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिलीं और उसे दिल्ली में 54 फीसदी वोट मिले. 2015 के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर 32 से बढ़कर 38 तक पहुंचा, लेकिन इससे उसकी सीटें ज्यादा नहीं बढ़ीं. बीजेपी को सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिली. इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल सकी. खास बात तो यह रही कि कांग्रेस की 67 सीटों पर जमानत जब्त हो गई. दरअसल, बीजेपी की रणनीति दिल्ली में दस फीसदी वोट बढ़ाने की थी, लेकिन वह साढ़े छह फीसदी वोट ही बढ़ा सकी. कांग्रेस भी थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करती तो बीजेपी की राह आसान होती, क्योंकि कांग्रेस आम आदमी पार्टी का वोट काट सकती थी. लेकिन यह सब रणनीति सफल नहीं हो सकी. बीजेपी को तीनों नगर निगम में सत्ता में होने और सभी सात लोकसभा सांसदों के होने का भी कोई लाभ नहीं मिल सका. दिल्ली के चार संसदीय क्षेत्रों में तो बीजेपी का खाता भी नहीं खुला. गौतम गंभीर के संसदीय क्षेत्र पूर्वी दिल्ली में चार, प्रदेश अध्यक्ष व उत्तर पूर्व दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी के क्षेत्र में तीन और उत्तर पश्चिम दिल्ली के सांसद हंसराज हंस के क्षेत्र में एक सीट मिली है. दिल्ली के नतीजे बीजेपी के लिए चिंता से ज्यादा चिंतन का विषय हैं. बीजेपी में अब नया नेतृत्व आ गया है. यह असफलता बीजेपी के नए अध्यक्ष जेपी नड्डा के सिर तो नहीं बंधेगी, लेकिन उनको अब दिल्ली का तोड़ निकालना होगा तभी दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी का भारत के दिल पर काबिज होने का सपना साकार हो सकेगा.
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वाले घोंघे, झींगुर आदि जन्तुओं का विकास हुआ। फिर इनसे जल और स्थल दोनों जगह रहने वाले मेडक, मछली, छिपकली, तथा फिर कई लाखों सालों में सांप, गोह, मगरमच्छ आदि बने । इन से पीछे हाथी, घोड़े, और लंगूर आदि की सृष्टि हुई। लंगूर से बन्दर, बन्दर से बनमानुस और सब से अन्त में मनुष्य की सृष्टि हुई । मनुष्य की सृष्टि सब से अन्त में हुई । आज की अपेक्षा पहले जीवों के शरीर की रचना सरल थी और उनके अंग थोड़े थे तथा मस्तिष्क का तो नाम भी न था । पीछे से विकास होते होते जीवों के अंग बन गए और मस्तिष्क भी बढ़ता गया और अन्तिम जीव मनुष्य की रचना सब से पेचीदी और पूर्ण है उसका दिमाग भी अन्य जीवों की अपेक्षा बहुत अधिक विकसित हो चुका है। ऊपर दिए हुए विकास के क्रम को बुद्धि एक दम नहीं मानती। परन्तु यदि हम प्रकृति के ढंग का सूक्ष्मता से अवलोकन करें तो इस के न मानने का कोई कारण नहीं रह जाता। आइए, ज़रा हम अपनी गाड़ियों की रचना का इतिहास देखें । सब से पहले बिना पहिए की गाड़ी की रचना मनुष्य ने की। अंग्रेजी में एक कहावत है कि ही आविष्कार की जननी है। पहली गाड़ी तेज़ नहीं चल सकती थी और उसे खींचने मे बल भी बहुत लगता था । इस लिए गाड़ी में पहिए लगाए गए। उसके बाद पहिए पर स्प्रिंग और ग्रीज़ तथा बैठने के लिए गद्दे और छत लग गई। परन्तु यह गाड़ियाँ भी धीमी साबित हुई, इस लिए अपने आप ही रेल गाड़ी, मोटर का विकास हुआ। पानी में चलने के लिए स्टीमर और हवा में उड़ने के लिए हवाई जहाज़ तथा पहाड़ों जैसी ऊबड़ खाबड़ जगहों पर चलने के लिये टैंक बने । पहले वाहनों की अपेक्षा पिछले वाहन अधिक पंची और उपयोगी तथा पूर्ण बनते गए। गाड़ियों मे जो विकास हुए हैं, उनमें दो बातें मुख्य थीं । एक तो वे अधिक-अधिक पूर्ण अर्थात् उपयोगी बनते गए और दूसरा परिस्थितियों के अनुसार उनके अंगों में भेद होता गया अर्थात् जल स्थल, व श्राकाश मे जाने वाले वाहनों के अंगों का विकास अलग अलग ढंग से हुआ। आज भी बर्फ पर चलने वाली गाड़ी के पहिए नहीं है। ठीक यही बात वैज्ञानिकों के मतानुसार प्राणियों के विकास में हुई। भिन्न भिन्न प्राणियों को जिन जिन परिस्थितियों में रहना पड़ा । उसो प्रकार उन के अंग विकसित होते गए। जल मे रहने वाले प्राणियों के पर और पूँछ, स्थलवासियों की टागे और आकाश में उड़ने वाले पक्षियों के पंखों का विकास हुआ । परिस्थितियों के अनुसार जिस अंग की आवश्यकता हुई, वह निकल आया और व्यर्थ अंग नष्ट होते गए । विकासवाद के जन्मदाता डार्विन है । हम पहले कह चुके हैं कि पानी के प्रवाह से चट्टाने टूट कर मिट्टी बनती गई और नीचे स्थानों मे भरती गई। एक के ऊपर दूसरी मिट्टी के तहे वनती गई । इन तहों मे खोदने पर पिछले जमाने के प्राणियों के अस्थि-पंजर मिलते हैं। नीचे की तहों मे पहले जीवों के अस्थिपंजर मिलते हैं और ऊपर की तहों से क्रमशः विकास पाए हुए जीवों की उत्पत्ति के प्रमाण मिलते हैं, यह पंजर हमारे लिए सृष्टि के इतिहास के पृष्ठ है तथा डार्विन के विकासवाद के मूर्त प्रमाण हैं । ( १ ) विभिन्न जातियाँ. पहले कभी संसार में एक ही मानव जाति रही होगी, लेकिन विभिन्न प्रदेशों में बस जाने के कारण बहुत समय बाद वह भिन्न भिन्न जातियों में बट गई । इस समय संसार के मनुष्य निम्न जातियों में बँटे हुए हैं। हबशी - - ये लोग रेगिस्तान के दक्षिण मे अफ्रीका महाद्वीप में बसे हुए हैं। हबशी जाति के लोग मलय प्रायद्वीप, फिलीपाइन प्रायद्वीप, न्यूगिनी और आस्ट्रेलिया में पहुँच गए। जिन दिनों मे योरुप के लोगों ने गुलामों को बेचने का पेशा बना रखा था, उन दिनों में अफ्रीका के बहुत से लोग पकड़ लिए गए और नई दुनियाँ में बेच दिये गये । इस तरह लगभग तीन करोड़ हबशी लोग उत्तरी अमरीका के गरम भागों में बसे हुए हैं। इस जाति के लोगों का सिर लम्बा होता है। उनकी नाक चपटी और चौड़ी होती है। उनके होंठ मोटे और मुड़े हुए होते है। उनकी आँखे बड़ी होती हैं। उनके बाल छोटे काले और ऊन के समान घूंघर दार होते हैं। उनका क़द लम्बा और गठीला होता है। रंग प्रायः काला होता है। मंगोलियन या पीली इस जाति के लोगों का निवासस्थान 'हिमालय के उत्तर मे हैं। यहाँ से वे हिन्दु चीन (इण्डोचाइना) चीन, जापान, मलय प्रायद्वीप, तुर्किस्तान आदि में फैल गये। उनका. सिर छोटा और नाक बैठी हुई होती है। उनके होंठ पतले और आँखें तिरछी होती हैं। कहा जाता है कि इस्किमो और अमरीका के मूल निवासी तुर्क और हँगरी के मेगायर लोग भी इसी जाति के हैं। रंग के अनुसार अमरीका के मूल निवासी लाल जाति मे गिने जाते हैं। लाल जाति के लोग प्रायः पीले होते हैं ! काकेशियन लोग - -गोरे होते हैं। ठंठ गोरं लोग रूप में बसे हुए हैं। पर ऐशिया के लोग काकेशियन जाति के होते हुए भी भूरे या गेहुए रंग वालों में गिने जाते हैं । इन वडी वडी जातियों की अनेक उपजातियाँ है । धर्मों के अनुसार योरुप और अमरीका के अधिकांश लोग ईसाई, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका के लोग मुसलमान, दक्षिणी पूर्वी एशिया के लोग बौद्ध, भारतवर्ष के हिन्दू है । अफ्रीका, आस्ट्रेलिया आदि संसार के बहुत से भागा के लोग प्रकृति के उपासक हैं। दूसरा अध्याय भौगोलिक परिचय पांच महासागर हम पिछले अध्याय में पढ़ आये हैं कि इस विशाल पृथ्वी और मानव प्राणी का जन्म कैसे हुआ । पृथ्वी के इस स्थूल रूप से आने के बाद भी उसमें समय समय पर परिवर्तन होते रहे । भूमि के अन्नवर्ती ज्वालामुखी, भूकम्प और पानी का बहाव आदि के कारण पृथ्वी मे भारी परिवर्तन हुए। जहाँ जल था, वहाँ बड़े बड़े विशालकाय पर्वत वन गये और जहाँ पहले बड़े बड़े पहाड़ थे, यहाँ व सागर हिलोरें मार रहा है। हिमालय, ऐल्पस आदि पहाड़ भी किसी समय समुद्र थे । संपूर्ण भारत और यूरोप का भारी भाग भी जल मग्न था । लाखों करोड़ों सालों के परिवर्तनों के बाद का यह बना है और यह नहीं कहा जा सकता कि लाखों साल बाद क्या रूप होगा । आज कल समस्त भूमण्डल का नेत्रफल प्रायः १९ करोड़ २० लाख वर्ग मील है । इसमें स्थल भाग सिर्फ ५, ७०,००,००० वर्ग मील है, शेष विशाल भाग जल है। इस प्रकार पृथ्वी में ७१ फ़ीलही जल और २६ फ़ोसड़ी स्थल है। स्थल का सबसे बड़ा भाग उत्तरी गोलाई में है, पर ४० अक्षांश के दक्षिा में न्यूजीलैट टसमेनिया, तथा अन्य छोटे छोटे द्वीप और टिका प्रदेश को छोड़कर
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इंडिया न्यूज़, नई दिल्लीः IPL 2022 का 65वां मुकाबला मुंबई इंडियंस और सनराइज़र्स हैदराबाद के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला जाएगा। इस साल इन दोनों ही टीमों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। मुंबई इंडियंस की टीम के लिए तो यह साल किसी बुरे सपने से कम नहीं है। मुंबई इंडियंस ने इस सीजन में अपने शुरूआती 8 मैच हारकर एक शर्मनाक रिकॉर्ड अपने नाम किया है। इससे पहले आईपीएल की कोई भी टीम अपने पहले 8 मुकाबले लगातार नहीं हारी थी। लेकिन यह शर्मनाक रिकॉर्ड मुंबई ने अपने नाम कर लिया है। हालांकि इससे अगले 4 मुकाबलों में से मुंबई इंडियंस की टीम ने 3 मुकाबले जीते हैं। लेकिन फिर भी मुंबई की टीम इस साल पॉइंट्स टेबल में अब तक सबसे नीचे है। वहीं हैदराबाद के लिए भी सीजन की शुरुआत अच्छी नहीं थी। अपने शुरूआती 2 मैच हारने के बाद हैदराबाद ने शानदार वापसी की थी और अगले 5 मुकाबले लगातार जीते। लेकिन इसके बाद फिर हैदराबाद की टीम जीत की पटरी से उतर गई और लगातार 5 मुकाबले हार गई। हैदराबाद की टीम इस समय पॉइंट्स टेबल में आठवें स्थान पर है। हैदराबाद को प्लेऑफ की रेस में बने रहने के लिए मुंबई को इस मैच में बड़े अंतर से हराना होगा। इस मैच का सीधा प्रसारण डिज्नी+हॉटस्टार और स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क पर किया जाएगा। यह मैच भारतीय समयनुसार शाम 7:30 बजे शुरू होगा और मैच से आधा घंटा पहले टॉस होगा।
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नई दिल्ली। भीषण सर्दी से ठिठुर रही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश व पंजाब समेत उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत के लोगों को 19 जनवरी के बाद से कुछ राहत मिलने की संभावना है। पहाड़ों से आ रही बर्फीली हवाओं से इन इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। आईएमडी ने बताया कि आज सुबह 8. 30 बजे सफदरजंग का तापमान 2. 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और पालम का 4. 8 डिग्री दर्ज किया गया। मंगलवार धूप निकलने के साथ ही एक बार फिर मौसम बेहद सुहाना हो गया है। हालांकि कोहरे के कारण उत्तर भारत में कई ट्रेनें लेट हुईं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोग ट्रेनों का इंतजार करते देखे गए। बता दें कि सोमवार को दिल्ली के मुख्य मौसम विज्ञान केंद्र सफदरजंग में न्यूनतम तापमान 1. 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इससे 16 जनवरी राजधानी में इस सीजन का सबसे ठंडा दिन रहा। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, दिल्ली में मंगलवार को न्यूनतम तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है। विभाग के मुताबिक, 18 और 20 जनवरी की रात पश्चिमी विक्षोभ के चलते गुरुवार से सर्दी कुछ कम होनी शुरू होगी। हालांकि, घने कोहरे से लगभग मुक्ति मिल जाने की उम्मीद है। जन्मदर घटने से चिंता में चीन! बीजिंग। चीन की जनसंख्या में साल 1961 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। चीन में अब नकारात्मक जनसंख्या ग्रोथ शुरू हो गई है। बता दें कि चीन में मरने वालों का आंकड़ा, पैदा होने वाले बच्चों से अधिक है। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 के अंत में देश की जनसंख्या 1. 41175 अरब थी जो कि साल 2021 के 1. 41260 अरब के मुकाबले कम है। चीन में कई दशकों तक जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू रही और माना जा रहा है कि उन जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के चलते ही देश की जनसंख्या में गिरावट आ रही है। हालांकि गिरती जनसंख्या से चीन की सरकार चिंतित है और वह देश की आबादी को फिर से बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रही है लेकिन किसी का भी सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आ रहा है। आबादी में गिरावट, बुजुर्ग होती आबादी और जनसांख्यिकी में आ रहे बदलावों को रोकने के लिए चीन की सरकार कई नीतियां लेकर आई है, जिससे लोग एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित हो जिनमें आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा शामिल है, लेकिन इसके बावजूद चीन की आबादी नहीं बढ़ पा रही है। साल 2021 में चीन में जन्मदर 7. 52 बच्चे प्रति एक हजार लोग थी लेकिन बीते साल यह घटकर 6. 77 बच्चे प्रति एक हजार हो गई। इससे चीन की जनसंख्या में 10 लाख से ज्यादा बच्चे कम पैदा हुए। इतना ही नहीं चीन में मृत्युदर भी साल 1976 के बाद सबसे ज्यादा है। चीन में 2022 में मृत्युदर 7. 37 मौते प्रति एक हजार लोग रही। बुजुर्ग होती जनसंख्या के चलते चीन के सरकारी खजाने पर भी बोझ बढ़ रहा है और चीन की सरकार को बुजुर्गों की देखभाल और पेंशन आदि पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह खर्च और बढ़ेगा। नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के दूसरे दिन की शुरुआत भी काफी हंगामेदार रही। आज भी दिल्ली विधानसभा में शिक्षकों को फिनलैंड जाने से रोकने के मामले में जोरदार हंगामा देखने को मिला। सीएम अरविंद केजरीवाल ने सदन में एलजी को टीचर्स ट्रेनिंग की फाइल रोकने पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि एलजी साहब संविधान व सुप्रीमकोर्ट की भी नही सुन रहे। वह आम आदमी की सरकार को काम नही करने दे रहे। केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यापल के ंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर दिल्ली की चुनी सरकार को परेशान कर रहे है। उन्होंने कहा ऐसा लगता जैसे वह दिल्ली से चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं। इससे पहले सदन में बीजेपी विधायकों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया, वहीं मार्शल के जरिए बीजेपी विधायक ओपी शर्मा , जितेंद्र महाजन ,अजय महावर को सदन से बाहर किया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने आज पूरे दिन के लिए बीजेपी के 6 सदस्यों को सदन से बाहर निकाला। मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन टैक्स नहीं चुकाने के मामले मेेंं सुर्खियों आ गई है। ऐसी जानकारी मिली है कि ऐश्वर्या राय बच्चन को उनकी जमीन पर बाकी टैक्स जमा नहीं करने की वजह से नासिक के तहसीलदार ने नोटिस भेजा है। ऐश्वर्या राय को नोटिस सिन्नर (नासिक) तहसीलदार की तरफ से भेजा गया है। नासिक के सिन्नर के अदवाड़ी शिवरात में एक्ट्रेस की जमीन है। इस जमीन का एक साल का टैक्स बाकी है, जो 21,960 रुपये है, इसे एक्ट्रेस ने जमा नहीं किया है, इसी बकाया टैक्स के चलते तहसीलदार ने ऐश्वर्या राय के खिलाफ नोटिस जारी किया है। नोटिस 9 जनवरी को जारी किया गया था और ऐश्वर्या राय बच्चन को मिला या नहीं, इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। बताया जा रहा है कि ऐश्वर्या के पास सिन्नर के थानगांव के पास अदवाड़ी के पहाड़ी इलाके में करीब 1 हेक्टेयर जमीन है। जानकारी सामने आ रही है कि ऐश्वर्या पर इस जमीन का एक साल का टैक्स बकाया है, ऐश्वर्या के साथ ही 1200 अन्य संपत्ति मालिकों को भी टैक्स बकाया के लिए नोटिस जारी किया गया है। राजस्व विभाग द्वारा यह कार्रवाई मार्च के अंत तक, वसूली के लक्ष्य को पूरा करने के लिए की गई है, क्योंकि मार्च का महीना राजस्व विभाग के लिए क्लोजिंग का महीना होता है। हालांकि, ऐश्वर्या राय ने अभी इस मामले पर रिएक्ट नहीं किया है। ये भी बताया जा रहा है कि ऐश्वर्या ने पवन ऊर्जा उत्पादन करने वाली कंपनी सुजलॉन में निवेश किया है, ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ-साथ कई मशहूर हस्तियों ने भी पवन ऊर्जा कंपनी सुजलॉन में निवेश किया है। नई दिल्ली। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी इस बार गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि होंगे। भारत और मिस्र के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के इस महत्वपूर्ण अवसर पर जश्न मनाने के लिए मिस्र के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया गया है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने पर विदेश मंत्रालय के सचिव औसाफ सईद ने कहा कि इस दौरान दोनों देशों के बीच आपसी गर्मजोशी और दोस्ती मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिलने के सिर्फ तीन दिन के बाद ही दोनों देशों ने औपचारिक संबंध स्थापित किए थे। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिस्र के राष्टï्रपति अब्देल फतह को गणतंत्र दिवस के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था, जिसका उन्होंने गर्मजोशी से स्वीकार किया।
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कर ज्ञान विशेषकों पृथक् पदार्थ मानीयें, तव तो पदार्थ बहुत हो जायेंगे, क्योंकि ज्ञान विशेष अनेक प्रकारकें हैं. संशय से उपरि नवितव्यता प्रत्ययरूप सदर्थपर्यालोचनात्मक तिसकों तर्क कहते हैं, जैसे कि यह स्याणु अथवा पुरुष जरुर होवेगा, यहनी ज्ञान विशेषही है, ज्ञानविशेष जो है, सो ज्ञातासें अनिन्न है, इस वास्ते पृथक् पदार्थ कल्पना ठीक नहीं. ए संशय अरु तर्कसेंती उत्तर काल नावी नियात्मक पैसा जो ज्ञान, तिसका नाम निर्णय है, यहनी ज्ञान विशेष है, यरु निश्चयरूप हो ऐसें प्रत्यक्षादि प्रमाणोंके अंतर्भाव होनेंसें पृथक् पदार्थ कल्पना ठीक नहीं. १०-११-१२ तथा वाद, जल्प, वितंभा, तहां प्रमाण तर्क साधन उपालंन सिद्धांत अविरुद्ध पंचावयव करके संयुक्त पत्र प्रतिपक्षका जो ग्रहण करण, तिसका नाम वाद है. सो वादतत्त्व ज्ञानके वास्ते शिष्य अरु आचार्यका होता है, यरु सोइ वाद जिसकों जीतना होवे, तिसके साथ ढल, जाति, निग्रह स्थान करके साधनोपलंन, सो जल्प है, तथा सो वादही प्रतिष स्थापना करकेंदी वितंमा है, यह वाद, जल्प, विर्तमा, इन तीनोका नेद ही नहीं हो सक्ता है, क्योंकि तत्त्वचिंताविषे तत्त्वके निर्णयार्थ वाद क रनां चाहियें, परंतु बल जाति आदिक करके तत्त्वका निश्चय नहीं होता है, क्योंकि बलादिक जो हैं, सो परके वंचने वास्ते करियें हैं, तिनसें त त्व निर्णयकी प्राप्ति नहीं होती है, जे कर इनका जेदजी मानोगे, तोन! ये पदार्थ नहीं हो सक्के हैं, क्योंकि जो परमार्थसें वस्तु है, सोइ पदार्थ है. घरु वाद जो है, सो पुरुषकी इबाके अधीन है, नियतरूप नहीं है. इस वास्ते पदार्थ नहीं, तथा एक औौरनी बात है, कि कुक्कड, लाल, मोंढे, ३ नके वादी पक्ष प्रतिपक ग्रहण करते हैं, तिनोंकोंजी तत्त्वज्ञान की प्राप्ति होनी चाहियें, परंतु यह तुम नहीं मानते हो, इस वास्ते वाद पदार्थ नहीं है. १३ तथा १ असिद्ध, २ अनेकांतिक, ३ विरुद्ध, यह तीनो हेत्वानास हैं. हेतु तो नहीं, परंतु हेतुकी तरें नासन होते हैं, इस वास्ते हेत्वानास कहते हैं. जब सम्यक् हेतुवोंकी ही तत्त्वव्यवस्थिति नहीं, तो हेत्वानासों का तो क्याही कहना है ? क्योंकि जो नियत स्वरूप करकें रहे, सो वस्तु
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देश के नए सीडीएस का ऐलान हो गया है। 9 महीने पहले हेलिकॉप्टर हादसे में तत्कालीन सीडीएस जनरल बिपिन रावत की मौत हो गई थी। उसके बाद से यह पद खाली था। बुधवार शाम को रक्षा मंत्रालय ने CDS पर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को नियुक्त करने की घोषणा की। नई दिल्लीः लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) को बुधवार को नए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) के रूप में नियुक्त किया गया। जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद से ही यह पद रिक्त था। पद रिक्त होने के 9 महीने से अधिक समय बाद इस पर नियुक्ति की गई है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर लेफ्टिनेंट जनरल चौहान की नियुक्ति की घोषणा की। मंत्रालय ने कहा कि 61 वर्षीय चौहान कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से सैन्य मामलों से जुड़े विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। लगभग 40 वर्षों से अधिक के अपने करियर में, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने कई कमान, स्टॉफ और महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्हें जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों का व्यापक अनुभव हैं। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान पिछले साल मई में सेवानिवृत्त हुए थे। उस समय वह पूर्वी सेना कमांडर के रूप में कार्यरत थे। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था। उन्हें 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्रदान किया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। मेजर जनरल के रैंक में उन्होंने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान संभाली और सितंबर 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने। मई 2021 में सेवानिवृत्ति तक यह पदभार संभाला। इन कमान नियुक्तियों के अलावा वह महानिदेशक, सैन्य अभियान के प्रभार समेत महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया। सेवानिवृत्त होने के बाद भी, उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा। सेना में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है।
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को त्रिपिटक कहा गया है ) । ये अंग महावीर के गणधर सुधर्मा स्वामी रचित माने जाते हैं। बारहवें अंग का नाम दृष्टिवाद है जिसमें चौदह पूर्वो का समावेश है । यह लुप्त हो गया है, इसलिये आजकल ग्यारह ही अंग उपलब्ध हैं। इन अंगों के विपयों का वर्णन समवायाग और नन्दीसूत्र मे दिया हुआ है । आयारंग (आचारांग ) आचारांग सूत्र का द्वादश अंगों से महत्वपूर्ण स्थान है, इसलिये इसे अगों का सार कहा है। सामयिक नाम से भी इसका उल्लेख किया गया है। निर्जन्थ और निर्मन्धिनियो के आचार-विचार का इनमें विस्तार से वर्णन है। इसमें दो श्रुतरकंब है। प्रथम श्रुतस्कन में अध्ययन है जो बचेर ( ब्रह्मचर्य ) कहलाते है । इनमे १४ उद्देशक है। द्वितीय श्रुतस्कंध में १६ अध्ययन है जो तीन चूलिकाओं में विभक्त हैं। दोनों के विषय और वर्णनषैली देखकर जान पड़ता है कि पहला श्रुनरकन दूसरे की अपेक्षा अधिक मौलिक और प्राचीन है। मृ में परवाही श्रुतस्कंध था, बाद में भद्रबाहु द्वारा आचाराग पर नियुक्ति लिखते समय इससे आयाश्ग्ग ( चूलिका) लगा दिये गये । आचाराय की गणना प्राचीनतम जैन सूत्रों में की जाती है । यह गद्य और पदोनों में कुछ गाधाये अनुष्टुप् छद में इसकी भाषा प्राचीन प्राऊत का नमूना है। इस सूत्र पर भद्रबाहु ने नियुक्ति जिनदासगण ने चूर्णी और शीलांक ( ईसवी मन ८७६ ) ने टीका लिखी है। शीलांक की टीका गधहस्तिकृत शत्रपरिक्षा विवरण के अनुसार लिखी गई है। जिनहन 1 नियुक्ति और शीलाक की टीका महिन आगमोदय समिति द्वारा सन् १९३५ में प्रकाशित । इसका प्रथम श्रुतस्कघ वाल्टर शूलिंग द्वारा संपादित होकर हिप्जग मे सन् १९१० में प्रकाशित हुआ । २. अगाणं कि सारो ? आयारो । आधारांग १.१ की भूमिका । ३. मायाधम्मकहाओ, अध्ययन ५ । ने इस पर दीपिका लिखी है। हर्मन जैकोबी ने सेक्रेड बुक्स ऑन द ईस्ट के २२वे भाग में इसका अंग्रेजी अनुवाद किया है और इसकी खोजपूर्ण प्रस्तावना लिखी है। शस्त्रपरिज्ञा नाम के प्रथम अध्ययन में पृथ्वीकाय आदि जीवों की हिंसा का निषेध है । लोकविजय अध्ययन में अप्रमाद, अज्ञानी का स्वरूप धनसंग्रह का परिणाम आशा का त्याग, पापकर्म का निषेध आदि का प्रतिपादन है । मृत्यु से हर कोई डरता है, इस सम्बन्ध में उक्ति है :नत्थि कालस्स णागमो । सव्वे पाणा पियाउया. सुहमाया, दुक्खपडिकुला, अपियवहा. पियजीविणो जीविउकामा । सव्वेमि जीवियं पिय । -- मृत्यु का आना निश्चित है । सब प्राणियों को अपनाअपना जीवन प्रिय है, सभी सुख चाहते हैं, दुःख कोई नहीं चाहता, मरण सभी को अप्रिय है, सभी जीना चाहते हैं । प्रत्येक प्राणी जीवन की इच्छा रखता है. सबको जीवित रहना अच्छा लगता है । शीतोष्णीय अध्ययन में विरक्त मुनि का स्वरूप, सम्यकदर्शी का लक्षण और कपाय-त्याग आदि का प्रतिपादन है। मुनि और अमुनि के सम्बन्ध में कहा है. सुत्ता अमुणी, मया मुणिणो जागरंति ।" अर्थात अमुनि मोते है और मुनि सदा जागते हैं । १. मिलाइये थेरगाथा ( १९३ ) के साथ --- न ताव सुपित होति रतिनक्खत्तमालिनी । पटिरजग्मेिवेसा रति होनि विजानता । -नपत्रों से भरी यह रात सोने के लिये नहीं। ज्ञानी के लिये यह रात जागकर ध्यान करने योग्य है । इसियुत्तक, जागरियसुस ( ४७ ) और भगवद्गीता ( २ ६९ ) भी देखिये । रति और अरति में समभाव रखने का उपदेश देते हुए कहा हैःका अरई ? के आणंडे ? इत्थंपि अग्गहे चरं । सव्वं हामं परिवज आलीनगुत्तो परिव्वाए ।। - क्या अरति है और क्या आनन्द है ? इनमें आसक्ति न रख कर संयमपूर्वक विचरण करे । सब प्रकार के हास्य का परित्याग करे, तथा मन, वचन और काया का गोपन करके संयम का पालन करें । सम्यक्त्व अध्ययन में तीर्थंकरभापितधर्म, अहिंसा, देहदमन, सयम की साधना आदि का विवेचन है । यहाँ देह को कृश करने, मांस और शोणित को सुखाने तथा आत्मा को दमन करने का उपदेश है । लोकसार अध्ययन मे कुशील-त्याग, संयम में पराक्रम, चारित्र, तप आदि का प्ररूपण हूँ। बाह्य शत्रुओ से युद्ध करने की अपेक्षा अभ्यन्तर शत्रु से जूझना ही श्रेष्ठ बताया है । इन्द्रियों की उत्तेजना कम करने के लिये रूखा-सूखा आहार करना, भूख से कम खाना, एक स्थान पर कायोत्सर्ग से खड़े रहना और दूसरे गाँव में बिहार करने का उपदेश है । इतने पर भी इन्द्रियों यदि वश में न हो तो आहार का सर्वथा त्याग कर दे, किन्तु स्त्रियों के प्रति मन को चंचल न होने दे । धूत अध्ययन में परीपह-सहन, प्राणिहिसा, धर्म में रति आदि विविध विषयों का विवेचन है। मुनि को उपधि का त्याग करने का उपदेश देते हुए कहा है कि जो मुनि अल्प वस्त्र रखता है अथवा सर्वथा वस्नरहित होता होता है, उसे यह चिन्ता नहीं होती कि उसका वस्त्र जीर्ण हो गया है, उसे नया वस्त्र लाना है। अचेल मुनि को कभी तृण स्पर्श का कष्ट होता है, कभी गर्मी सर्दी का और कभी दंशमशक का, लेकिन इन सब कष्टों को वह यही सोच कर सहन करता है कि इससे उसके कर्मों का भार हलका हो रहा है।
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दमदार एक्शन से भरपूर फिल्म है "नाम शबाना" एक्शन में खासकर महिला किरदार के होने की वजह से फिल्म अलग है। आज सिनेमा घरों में तापसी पन्नू, मनोज वाजोयी, ओमपुरी सरीखे सितारों से सजी फिल्म 'नाम शबाना' दर्शकों के बीच है। नाम शबाना का रियल एक्शन दर्शकों को देखने को मिलेगा। एक्शन में खास कर महिला किरदार के होने की वजह से फिल्म अलग हो गई है। फिल्म में एक ही कमी है कहानी। अगर नीरज पांडेय ने थोड़ा और ध्यान दिया होता तो एक बेहतरीन फिल्म मिलती। निर्देशक शिवम नायर ने मिली हुई स्क्रिप्ट के साथ न्याय किया है। उन्होंने एक्शन, माहौल और प्रस्तुति में कोई कोताही नहीं की है। पुरानी मूवी पिंक से लोगों के दिलों पर अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ चुकी तापसी पन्नू इस भूमिका में प्रभावित करेंगी। मुख्य कलाकारः तापसी पन्नू, मनोज वाजपेयी, ओमपुरी, पृथ्वीराज सुकुमारन, अनुपम खेर । यह जानना रोचक होगा कि क्या नीरज पांडेय ने तापसी पन्नू को शबाना की पृष्ठभूमि के बारे में यही सब बताया था जो 'नाम शबाना' में है। 'नाम शबाना' के केंद्र में शबाना है। तापसी पन्नू को टाइटल रोल मिला है। युवा अभिनेत्री तापसी पन्नू के लिए यह बेहतरीन मौका है। उन्होंने लेखक नीरज पांडेय और निर्देशक शिवम नायर की सोच के मुताबिक शबाना को विदाउट मुस्कान सख्त जान किरदार के रूप में पेश किया है। वह 'नो नॉनसेंस' मिजाज की लड़की है। जिंदगी के कटु अनुभवों ने उसकी मुस्कान छीन ली है। सहज इमोशन में भी वह असहज हो जाती हैं। यहां तक कि अपने प्रेमी तक को नहीं बता पाती कि वह उससे उतना ही प्यार करती हैं। मूवी में यह सभी घटनाक्रम बड़ी तेजी से घटता है। वह अपने एटीट्यूड की वजह से सुरक्षा एजेंसी की नजर में आ जाती हैं। वे उसकी मदद करते हैं और बदले में उसका गुस्सा और जोश ले लेते हैं। सुरक्षा एजेंसी की कार्यप्रणाली बहस का विषय हो सकती है। सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी स्पष्ट शब्दों में बता देते हैं कि मुस्लिम परिवेश की होने की वजह से शबाना उनके लिए अधिक काम की है। जाहिर है कि मजहब, नाराजगी और प्रतिरोध का फायदा दोनों पक्ष उठाते हैं आतंकवादी और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां। नीरज पांडेय के लेखन में राष्ट्रवादी सोच की झलक रहती है। उनके किरदार देशहित में लगे रहते हैं। वे पुरानी फिल्मों के किरदारों की तरह देशभक्ति होड़ में नहीं चलते। इसी फिल्म में शबाना किडो में इंटरनेशनल अवार्ड लाना चाहती है। तापसी पन्नू फिल्म दर फिल्म निखरती जा रही हैं। उन्हें दमदार भूमिकाएं मिल रही हैं और वह किरदारों के अनुरूप खुद को ढाल रही है। किरदारों की बारीकियों को वह पर्दे पर ले आती हैं। उनके एक्सप्रेशन संतुलित और किरदार के मिजाज में होते हैं। 'नाम शबाना' में उन्होंने किरदार की स्फूर्ति और हिम्मत बनाए रखी है। मनोज वाजपेयी कर्मठ व निर्मम अधिकारी के रूप में जंचे हैं। वे सचमुच बहुरुपिया है जैसा किरदार समेत वैसी भाव-भंगिमाएं। उनके पोर-पोर से संजीदगी टपकती है। अक्षय कुमार ने फिल्म की जरूरत के मुताबिक छोटी भूमिका निभाई है जिसे कैमियो कहा जाता है। लंबे समय के बाद वीरेन्द्र सक्सेना दिखे और सही लगे।
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यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंका के बीच अमेरिका ने भी बड़ी तैयारी कर ली है। यदि रूस की ओर से यूक्रेन पर अटैक किया जाता है तो बाइडेन प्रशासन की ओर से टेक प्रोडक्ट्स की सप्लाई पर रोक लगाई जा सकती है। कॉमर्शियल इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर्स, सेमीकंडक्टर्स और एयरक्राफ्ट के पार्ट्स की सप्लाई इससे प्रभावित हो सकती है। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि अमेरिका की ओर से उन कंपनियों के प्रोडक्ट्स की सप्लाई रोक लगाई जा सकती है, जिनके एक्सपोर्ट के लिए कंपनियों को अमेरिकी सरकार से मंजूरी लेनी होती है। इन लाइसेंसों की मंजूरी बाइडेन प्रशासन खारिज कर सकता है। अमेरिका की रणनीति यह है कि लेजर, टेलिकॉम इक्विपमेंट्स से लेकर मैरीटाइम आइटम्स तक की सप्लाई पर रोक लगा दी जाए। मंगलवार को बाइडेन प्रशासन ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनमें यह शामिल नहीं है। अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'यदि पुतिन यूक्रेन से जंग में आगे बढ़ते हैं तो फिर हम भी आगे बढ़ेंगे। हमारी तरफ से आर्थिक प्रतिबंधों को लागू किया जा सकता है। इसके साथ ही एक्सपोर्ट पर भी कंट्रोल हो सकता है। अभी हम इस पर ऐलान करने वाले हैं। ' अधिकारी ने कहा कि हम यह जानने की कोशिशकर रहे हैं कि कौन सी तकनीकी चीजों की जरूरत रूस को ज्यादा है। उन पर हम रोक लगाएंगे ताकि वह ज्यादा प्रभावित है। यही नहीं अमेरिका की रणनीति दूसरे देशों को भी इन प्रतिबंधों में साथ लाने की है। अमेरिकी अफसर ने कहा, 'बड़ी संख्या में हमने देशों की लिस्ट तैयार की है, जो एक्सपोर्ट कंट्रोल के नियमों को लागू करेंगे। ' दरअसल अमेरिका की रणनीति यह है कि युद्ध की स्थिति में रूस की औद्योगिक उत्पादकता को प्रतिबंधों के जरिए कमजोर किया जा सके। खासतौर पर तकनीकी मामलों में रूस पर इन प्रतिबंधों को लगाने की तैयारी की जा रही है। इस बीच जापान ने भी रूस पर कई पाबंदियां लगाने का ऐलान कर दिया है। जापान में रूसी बॉन्डों को जारी करने पर लगा दी गई है। इसके अलावा कई रूसी नागरिकों की संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया गया है। यही नहीं जापान आने-जाने पर भी रोक लगाई गई है। जापान ने कहा कि रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला किया है और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। हम इन कदमों कती कड़ी निंदा करते हैं और रूस से अपील करते हैं कि वह कूटनीतिक तरीकों से मसलों का हल करने पर विचार करे।
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कश्मीर का मुद्दा एक बार सुर्ख़ियों में है इसकी वजह है कि UNSC यानि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसको चीन के तरफ उठाना है. आपको बता दें कि कश्मीर का मुद्दा उठाने के फैसले का चीन ने बचाव किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसका मकसद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करना है। इसके पीछे उसका नेक इरादा है। उसने दावा किया कि परिषद में ज्यादातर सदस्यों ने घाटी की स्थिति पर चिंता जताई है। आपको बता दें कि एक दिन पहले भारत ने कहा था कि पाकिस्तान की तरफ से सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाने का चीन का प्रयास विफल हो गया है। परिषद ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय मुद्दे पर चर्चा के लिए यह सही मंच नहीं है। इसके बाद से चीन की लगातार आलोचना शुरू हो गयी थी. वहीँ अब चीन ने इस मसले पर अपनी बात कही है. गौरतलब है कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन की स्थिति एकरूप और स्पष्ट है। यह मुद्दा इतिहास से जुड़ा एक विवाद है। इसे संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, यूएनएससी के प्रस्तावों और द्विपक्षीय संधियों के आधार पर, शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए। वहीं गेंग ने कहा कि अगर आपको हमारी बात पर भरोसा नहीं है तो आप दूसरी साइट्स देख सकते हैं। भारत के बयान के बारे में उन्होंने कहा कि हम भारत के रुख और राय को समझते हैं, लेकिन मैंने जो कहा वह चीन की राय और रुख है। * चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, हमारी स्थिति एकरूप और स्पष्ट। * दावा किया, यूएन के सदस्यों ने कश्मीर की हालत पर चिंता जताई।
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मुंबई में बने फ्लाईओवर के नीचे की जगह को राज्य सरकार ने नो पार्किंग जोन घोषित कर दिया है। राज्य सरकार ने इसकी जानकारी मुंबई हाई कोर्ट की दी। राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार फ्लाईओवर के नीचे गाड़ी पार्क करने पर अब कार्रवाई की जाएगी। इसके आदेश भी परिवहन पुलिस को दे दिए गये हैं। इस बारे में प्रणव पोलिकर नामक व्यक्ति द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में आशंका जताई गई थी कि फ्लाईओवर के नीचे गाड़ी खड़ी करना सुरक्षा में भारी चूक हो सकती है। याचिका में आगे यह भी दर्ज था कि इसका अनुचित फायदा आतंकवादी संगठन उठा सकते हैं। इस बारे में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सुरक्षा संबधी आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था। जिसे लेकर अब राज्य सरकार ने फ्लाईओवर के नीचे की जगह को नो पार्किंग जोन घोषित कर दिया है। मुंबई जैसे शहर में जहां लाखो करोडो गाड़ियां चलती हैं पार्किंग एक बहुत बड़ी समस्या है। सरकार के इस निर्णय से मुंबईकरों पर क्या प्रभाव पड़ता है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। डाउनलोड करें Mumbai live APP और रहें हर छोटी बड़ी खबर से अपडेट। मुंबई से जुड़ी हर खबर की ताज़ा अपडेट पाने के लिए Mumbai live के फ़ेसबुक पेज को लाइक करें। (नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स में जाकर स्टोरी पर अपनी प्रतिक्रिया दे)
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लिये जो सत्-कर्म, सत्-चर्चा और सत्-चिन्तन परमात्मप्राप्ति के किये जाते है, उनमें जडता ( असत् ) का आश्रय रहता ही है । - कारण यह है कि जड़ता ( स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर ) का आश्रय लिये बिना इनका होना सम्भव ही नहीं है । वास्तनमें इनकी सार्थकता जड़तासे सम्बन्धविच्छेद करानेमें ही हे । जड़तासे सम्बन्ध-निच्छेद तभी होगा, जन ये ( सत्-कर्म, सत्-चर्चा और सत्-चिन्तन ) केनल ससारके हित के लिये ही किये जायेंगे, अपने लिये कटापि नहीं । किसी विशेष साधन, गुण, योग्यता, लक्षण आदिके बदले में परमात्मप्रामि होगी - यह बिल्कुल गठत धारणा है । किसी मूल्यके बदलेमें जो वस्तु प्राप्त होती है, यह उस मूल्यसे कम मूल्यकी ही होती है- यह सिद्धान्त हे । अत यदि किसी विशेष साधन, योग्यता आदिके द्वारा ही परमात्मप्राप्तिका होना माना जाय, तो परमात्मा उस सापन, योग्यता आढिसे कम मूल्यके ( कमजोर ) ही सिद्ध होते हैं, जनकि परमात्मा किसीसे कम मूल्यके नहीं है। इसलिये वे किसी साधन आदिसे खरीदे नहीं जा सकते । इसके अतिरिक्त यदि किसी मूल्य (सान, योग्यता आदि ) के बदलेमें परमात्माकी प्रामि मानी जाय, तो उनसे हमें लाभ भी क्या होगा ? क्योकि उनसे अधिक मूल्यकी वस्तु ( साधन आदि ) तो हमारे पास पहलेसे है ही ! जैसे सासारिक पदार्थ कर्मोसे मिलते हैं ऐसे परमात्माकी प्राप्ति कर्मोंसे नहीं होती, क्योंकि परमात्मप्राप्ति किमी कर्मका फल नहीं है । * न त्वत्ममोऽस्त्यम्यधिक तोऽयो लोकत्रयेऽप्यप्रतिमप्रभाव ।। ( गीता ११ । ४३ )
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आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश से भयंकर तबाही मची है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगातार बारिश होने की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 29 हो गई है। दक्षिणी आंध्र प्रदेश के चित्तूर, कडप्पा, नेल्लोर और अनंतपुर जिलों में भारी बारिश के कारण फँसे 20,000 से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है और उन्हें राहत शिविरों में भेज दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि 1,316 से अधिक गाँव जलमग्न हो गए हैं। वहीं, चार जिलों की अलग-अलग घटनाओं में 100 अधिक लोगों के बह जाने का अंदेशा है। राज्य सरकार के अनुसार, भारतीय वायु सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और दमकल सेवाकर्मियों ने अनंतपुरम, कडप्पा और चित्तूर जिलों में भीषण बाढ़ की चपेट में आए एक पुलिस निरीक्षक सहित कम-से-कम 64 लोगों को बचाया। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने शनिवार (20 नवंबर 2021) को प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और जिला कलेक्टरों के साथ बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से बाढ़ का पानी कम होते ही फसल के नुकसान का आंकलन करने लिए भी कहा। राहत के रूप में प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है। इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में बाढ़ की स्थिति पर मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था। इसी के साथ उन्होंने सभी के सुरक्षित रहने की प्रार्थना भी की। बता दें कि बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात के चलते गुरुवार (18 नवम्बर 2021) की रात से ही आंध्र प्रदेश में भारी बारिश हो रही है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव मंदिर में पूजा कर रहे श्रद्धालु भी बाढ़ की चपेट में आ गए थे। राज्य की पुलिस, भारतीय वायु सेना, एसडीआरएफ और दमकल सेवा बचाव कार्यों में लगी हुई है।
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कृषि के लिए चीन में निर्मित इस मशीनरी पर सरकार ने बंद की सब्सिडी. . बागवानी एवं कृषि के लिए चीन निर्मित पावर टिल्लर पर हिमाचल सरकार ने सब्सिडी बंद कर दी है। प्रदेश सरकार ने कृषि विभाग को पावर टिल्लर सब्सिडी बजट के साथ यह आदेश जारी किया है। सरकार ने किस मॉडल के पावर टिल्लर को खरीदना है, इसकी भी एक सूची भेजी है। बताया जा रहा है कि सूची में करीब 200 से अधिक पावर टिल्लर के मॉडल हैं। अभी अभीः बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ पर बड़े हमले होने की मिली धमकी. . सरकार का यह आदेश उन डीलरों के लिए बड़ा झटका है, जो चीनी कंपनियों के पावर टिल्लरों का कारोबार कर रहे हैं। बता दें कि कुल्लू जिला को पावर टिल्लर खरीदने के लिए 15 लाख रुपये जारी किए गए हैं। कृषि विभाग ने सरकार के आदेश के तहत किसानों से पावर टिल्लर खरीदने से पहले विभाग से संपर्क करने को कहा है। कृषि विभाग कुल्लू ने राशि कम और मांग अधिक होने की वजह से 150 पावर टिल्लरों के लिए और सब्सिडी की मांग की है। विभाग ने एक पत्र भी सरकार को भेज दिया है। कृषि विभाग कुल्लू के उपनिदेशक डॉ. राजेंद्र वर्मा और जिला कृषि अधिकारी डॉ. मनोज गौतम ने कहा कि सरकार के आदेशों के तहत चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित पावर टिल्लर पर सब्सिडी किसानों को नहीं मिलेगी। प्रदेश सरकार ने कृषि विभाग को इस वित्त वर्ष के लिए किसानों को दी जाने वाली विभिन्न स्कीमों की सब्सिडी जारी कर दी है। विभाग की ओर से पावर टिल्लर पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। खेत-खलियानों को जोतने के काम में आने वाले पावर टिल्लर की कीमत 1. 50 से 1. 65 लाख रुपये तक है। ऐसे में इस पर आधी रकम कृषि विभाग देगा और आधी राशि किसान को देनी होगी।
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नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी राहुल द्रविड़ और गौतम गंभीर समय-समय पर संजू सैमसन की तारीफ करते रहे हैं। वहीं उनके आलोचक यह कहते हुए सैमसन को नकारते रहे हैं कि उनमें निरंतरता की कमी है। ऐसे में जब टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने साफ कर दिया है कि अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप के लिए टीम में विकेटकीपर की जगह अभी भी खाली है तो सभी के दिमाग में सवाल यही है कि क्या सैमसन वो स्थान भर सकते हैं। सैमसन को हाल ही में विंडीज सीरीज के लिए चोटिल शिखर धवन के स्थान पर भारतीय टी20 टीम में जगह मिली है। सैमसन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि वे विकेटकीपिंग के लिए तैयार हैं और निरंतरता वो चीज नहीं है जिसके कारण उन्हें परेशानी आ रही हो। सैमसन ने कहा कि उनके लिए टीम की जीत में योगदान देना प्राथमिकता है। केरल से आने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, मैंने इसके (निरंतरता) बारे में नहीं सोचा है कि यह एक मुद्दा है। मैंने जो समझा है वो यह है कि मैं थोड़ा अलग तरह का खिलाड़ी हूं और मुझे लगता है कि मैं मैदान पर जाकर गेंदबाजों पर हावी हो सकता हूं। ऐसा हो सकता है कि जब मैं निरंतरता पर ध्यान दूं तो मैं अपनी स्टाइल खो बैठूं। निरंतरता लाने के लिए मैं अपने खेलने की शैली में बदलाव नहीं कर सकता। है। सैमसन ने बताया कि मैं पिछले पांच-छह साल से केरल के लिए सीमित ओवरों में विकेटकीपिंग कर रहा हूं। मैंने रणजी ट्रॉफी में भी की है। मैं इसे विकल्प के तौर पर रखता हूं। जो भी टीम चाहेगी वो मैं करूंगा। आईपीएल में जब मेरी टीम ने चाहा मैंने विकेटकीपिंग की। लेकिन जब उन्हें लगा कि मैं फील्डिंग से योगदान दे सकता हूं तो मैंने वैसा किया। मैंने अपने आपको एक कीपर और फील्डर दोनों के तौर पर तैयार किया है क्योंकि आप नहीं जानते कि टीम क्या देख रही है। शास्त्री के साथ बैठकर आगे के बारे में बात करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए तैयार हूं, मुझे पहले ऐसा करने का मौका नहीं मिला। मैं उनसे बात करने को तैयार हूं। क्या उम्मीदों के दबाव ने उनके खिलाफ काम किया है? इस पर सैमसन ने कहा कि वे इन बातों को ज्यादा अहमियत नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं लोगों के विचारों का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं इन्हें अपने दिमाग में नहीं आने देता। भरना उनका लक्ष्य है? सैमसन ने जवाब दिया ट्रॉफी जीतना है। उन्होंने कहा, सपना भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया में खेले जाने वाला टी20 विश्व कप को जीतना है। मैं इसके लिए तैयारी कर रहा हूं, न कि टीम का हिस्सा होने के लिए। मैं अपने देश के लिए विश्व कप जीतना चाहता हूं और यही पैमाना मैंने अपने लिए तय किया है। निश्चित तौर पर सपना ट्रॉफी जीतना है क्योंकि हमें विश्व कप जीते हुए काफी समय हो गया है। यही सपना है और मैं इस पर काम कर रहा हूं। (IANS)
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देशः भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान आखिरकार अपने वतन को लौट आए हैं। उन्हें अटारी बॉर्डर से अमृतसर लाया गया है। उसके बाद विमान जरिए दिल्ली आये। बॉर्डर पर पहुंचते ही उन्होंने अपने अधिकारी से मुलाकात की। बाद में मीडिया ने उस अधिकारी से पूछा कि अभिनंदन से सबसे पहले क्या बोला। तब उन्होंने कहा कि अभिनंदन के सबसे पहले के शब्द थे कि वतन लौटने से खुश हूं। अभिनंदन के वाघा-अटारी बॉर्डर पर पहुंचते ही भारत माता की जय के नारे के साथ उनका स्वागत किया गया। वायुसेना के अधिकारी ने प्रेस कॉंफ्रेंस में कहा कि हमने पाकिस्तान अथॉरिटीज से कुछ सवाल नहीं पूछा और हम खुश हैं कि अभिनंदन वापस भारत लौट चुके हैं। उन्हें मेडिकल के लिए भेजा गया है। दरअसल, 27 फरवरी को पाकिस्तान की ओर से विमानों ने भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन किया। पाकिस्तान के हवाई हमले को वायुसेना ने बेअसर किया और एक एफ-16 विमान को नेस्तनाबूद कर दिया। पाकिस्तान के जहाजों को खदेड़ते हुए भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन का मिग-21 क्रैश हो गया और वो पैराशूट के जरिए पाकिस्तान में उतरे। इसके बाद वहां उन्हें लोगों ने घेर लिया। बाद में पाकिस्तान की सेना ने अभिनंदन को अपने कब्जे में ले लिया। पहले तो विंग कमांडर को पता नहीं चला कि वे कहां हैं लेकिन जैसे ही उन्हें ये आभास हुआ कि वे पाकिस्तान में हैं तो उन्होंने अपने पास मौजूद दस्तावेज तालाब में फेंक दिए और कुछ को निगल गए। जिससे देश के अहम जानकारी दुश्मन देश के हाथ न लगे। वहां के लोगों ने उनपर हमला भी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं खोई। भारतीय वायु सेना की मेडिकल टीम उनका मेडिकल टेस्ट करेगी। उसके बाद विंग कमांडर से बातचीत होगी। इसमें इंटेलिजेंस भी उनसे बात करेगी। उनसे सवाल पूछे जाएंगे कि उनके साथ क्या हुआ, कैसे हुआ और पाकिस्तान ने उन्हें किसी तरह से प्रताड़ित तो नहीं किया। इसके बाद एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी।
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- #Independence DayUS Independence Day: आजादी की 247वीं वर्षगांठ मनाएगा अमेरिका, जानिए कैसे हुआ था ब्रिटेन का गुलाम? नई दिल्ली, 14 अगस्त : भारत 1947 में मिली आजादी के बाद 15 अगस्त को स्वाधीनता की 76वीं वर्षगांठ मनाएगा। 76वें स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर देश जश्न-ए-आजादी में डूब गया है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आजादी का अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा जैसा अभियान भी जारी है। भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस समारोह का मुख्य समारोह लाल किले पर आयोजित होगा। राष्ट्रीय राजधानी तिरंगे के रंग में रंग चुकी है। दिल्ली से लेकर जम्मू-कश्मीर तक मेगा समारोह होंगे। दिल्ली किले में तब्दील हो चुकी है। संवेदनशील जगहों पर सुरक्षाबलों मुस्तैद हैं, मानो 'सुरक्षा कवच' तैयार किया गया है। जश्न-ए-आजादी में किसी भी तरह की बाधा या खलल न पड़े इसके लिए राज्यों में पुलिस तंत्र को सतर्क कर दिया गया है। मुख्य समारोह दिल्ली में होगा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे। मुगल-युग के स्मारक की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस के 10,000 से अधिक जवानों को तैनात किया गया है। सुरक्षा बढ़ा दी गई है। लाल किले के प्रवेश द्वार पर लगे फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (FRS) कैमरों और बहुस्तरीय सुरक्षा कवर जैसे उपायों से सतर्कता बरती जा रही है। किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए किला क्षेत्र में छतों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर 400 से अधिक पतंग पकड़ने वालों और फ़्लायर्स की तैनाती की गई है। पारंपरिक हवाई प्लेटफार्म से किसी भी तरह की आशंका से निपटने के मद्देनजर हॉक आई की टीम निगरानी कर रही है। लाल किले के कार्यक्रम में लगभग 7,000 आमंत्रित लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। स्मारक के आसपास के पांच किलोमीटर के क्षेत्र में तिरंगा फहराए जाने तक "कोई पतंगबाजी नहीं" की जा सकेगी। इलाके को no kite flying zone के रूप में चिह्नित किया गया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने बताया कि दिल्ली में धारा 144 के प्रावधान पहले ही लागू किए जा चुके हैं। पुलिस ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के ड्रोन रोधी सिस्टम भी लगाए गए हैं। देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में सुरक्षा बंदोबस्त के सवाल पर एक अधिकारी ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एजेंसियों की मदद ली जा रही है। महानगर की सड़कों पर ड्रोन रोधी प्रणालियों के साथ लॉ एनफोर्सिंग यूनिट्स तैनात की गई हैं। अधिकारी के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर कोई चिंताजनक खुफिया इनपुट नहीं है, लेकिन नियमित रूप से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अधिकारियों को मौके का दौरा करने भी भेजा गया। अधिकारी ने कहा, "हम तोड़फोड़ विरोधी जांच (anti-sabotage check) कर रहे हैं। बुधवार से ही, 'ऑपरेशन ऑल आउट' चल रहा है, जिसमें होटल, वाहनों और रोड बैरिकेडिंग की जांच शामिल है। हिस्ट्रीशीटर और बाहरी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। " बता दें कि देश आजादी के 75 साल पूरे करने के मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में अधिकारी ने हर वर्ष से अधिक या सामान्य से अधिक लोगों की भीड़ जुटने की आशंका जताई है। कश्मीर में, जहां मुख्य समारोह शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में होगा, जिसकी अध्यक्षता उपराज्यपाल मनोज सिन्हा करेंगे। सुरक्षा के लिए ड्रोन, स्नाइपर और सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को निगरानी के लिए तैनात किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, वाहनों की जांच तेज कर दी गई है, जबकि शहर और घाटी में कई जगहों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों को भारी संख्या में तैनात किया गया है, जिससे आतंकवादियों के किसी भी नापाक मंसूबे को विफल किया जा सके। उन्होंने बताया कि घाटी में कई स्थानों पर वाहनों की अचानक तलाशी ली जा रही है और लोगों की तलाशी भी ली जा रही है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए स्टेडियम के आसपास की सभी ऊंची इमारतों पर शार्प शूटर तैनात किए गए हैं। मानव और तकनीकी निगरानी का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। श्रीनगर पुलिस ने ट्विटर पर कहा, "श्रीनगर शहर के प्रमुख बाजारों में उपद्रवियों, अपराधियों और विध्वंसक तत्वों की तलाश में हवाई निगरानी की जा रही है। ऐसे तत्वों को पता होना चाहिए कि उनकी निगरानी में ऊपर एक नजर है। " इसी बीच एक चिंताजनक खबर में रविवार शाम श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में मुठभेड़ हुई। इसमें एक पुलिसकर्मी के घायल होने की सूचना है। पूर्वोत्तर भारत में प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) (उल्फा (आई)) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के "बहिष्कार" का ऐलान किया है। पूर्वोत्तर के पांच राज्यों में "पूर्ण बंद" के आह्वान के कारण सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि अगरतला में रणनीतिक क्षेत्रों में अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है, जबकि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए श्वान दस्ते को तैनात किया गया है। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समारोह के दौरान शांति सुनिश्चित करने के लिए 856 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा को हाई अलर्ट पर रखा गया है। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं करीब हैं। ऐसे में असम के परेड मैदानों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। असम के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा "हमें कुछ जिलों में उग्रवादी गतिविधियों के इनपुट मिले हैं, ज्यादातर गतिविधियां ऊपरी असम में अरुणाचल के साथ लगती अंतर-राज्यीय सीमा के पास होने की आशंका है। ऐले में जिला एसपी को राज्य में परेड मैदान और उसके आसपास एक बहुस्तरीय सुरक्षा प्रणाली तैनात करने के लिए कहा गया है। " स्वतंत्रता दिवस का "बहिष्कार" ! बता दें कि असम में मुख्य स्वतंत्रता दिवस समारोह गुवाहाटी के खानापारा में पशु चिकित्सा कॉलेज के खेल के मैदान में आयोजित किया जाएगा। विगत 5 अगस्त को, उल्फा (आई) और एनएससीएन ने एक संयुक्त बयान जारी कर स्वतंत्रता दिवस के "बहिष्कार" और रविवार आधी रात से सोमवार शाम 6 बजे तक "पूर्ण बंद" का आह्वान किया है। अन्य राज्यों की बात करें तो पंजाब और उत्तर प्रदेश (यूपी) में पुलिस बलों ने स्वतंत्रता दिवस से पहले आतंकवादी समूहों से जुड़े कुछ प्रमुख संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया। अधिकारियों ने रविवार को कहा, यूपी में पुलिस ने एक 19 वर्षीय व्यक्ति को कथित तौर पर आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के साथ संबंध रखने और सोशल मीडिया के माध्यम से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आकाओं के संपर्क में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पंजाब पुलिस ने रविवार को दावा किया कि उसने पाकिस्तान आईएसआई समर्थित आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है और चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस ऑपरेशन को पंजाब पुलिस और दिल्ली पुलिस ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सोमवार को लुधियाना में राज्य स्तरीय समारोह में तिरंगा फहराएंगे, जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कड़ी सुरक्षा के बीच पानीपत के समालखा में झंडा फहराएंगे।
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जेल पॉलिश "Masaru": समीक्षा। जेल पॉलिश "Masaru" एकल चरण और तीन चरण। "बिल्ली नेत्र" उच्च गुणवत्ता वाले लंबे समय से स्थायी मैनीक्योर सिर्फ कई लड़कियों के लिए एक सपना नहीं रह गया है। अब यह एक वास्तविकता है। नाखून के लिए आधुनिक उत्पादों कला आप एक सुंदर बना सकते हैं मैनीक्योर खुद। और यह विशेष रूप से आसान है, तो आप समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए। जेल पॉलिश "Masaru", उदाहरण के लिए, रूस में बहुत लोकप्रिय है। कंपनी किस तरह का? , कुछ स्वामी, जो उपयोग किया जाता है अमेरिकी ब्रांड्स इस सामग्री को आगे बढ़ रहे हैं के साथ काम करने के लिए - तथ्य यह है कि प्रचलित सकारात्मक प्रतिक्रिया (आज तक का सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक जेल नाखून "Masaru") के बावजूद। तो कंपनी, Masura किस तरह? सबसे पहले, यह एक घरेलू ब्रांड है कि न केवल हाथ, पैर, नाखूनों की देखभाल के लिए एक जेल रोगन, लेकिन यह भी अन्य साधनों के उत्पादन होता है। दूसरे, यह एक अपेक्षाकृत युवा कंपनी है। यह 2002 में स्थापित किया गया था। तीसरा, यह न केवल निर्माता, लेकिन यह भी एक प्रशिक्षण केंद्र है। कंपनी अपने दुकान जहां बिचौलियों मार्कअप के बिना कंपनी के उत्पादों की खरीद कर सकते हैं। और यह अपने आप ही प्रतिक्रिया है। जेल पॉलिश "Masaru" अनुमान नहीं है, लेकिन दुकान में ही। केवल विवरण और मूल्य - वैसे, उत्पादन की साइट पर उपकरणों की कोई समीक्षा कर रहे हैं। , नकद और नकदी और इलेक्ट्रॉनिक धन ( "Yandex-धन" और Webmoney) प्लास्टिक कार्ड का उल्लेख नहींः एक ऑनलाइन स्टोर का लाभ तथ्य यह है कि यह नियमित रूप से, प्रचार और बिक्री का आयोजन के साथ-साथ कई भुगतान विधियों हो रहा है वीसा या मास्टरकार्ड। संयोग से, दुकान बहुत, बहुत अच्छी समीक्षा के अनुसार। जेल पॉलिश "Masaru" हमेशा सट्टेबाजों, कि लेकिन आनन्दित नहीं कर सकते हैं की तुलना में कम के लायक है। इससे पहले कि आप किसी विशेष उत्पाद का मूल्यांकन, आप हमेशा क्या निर्माता प्रदान करता है के साथ परिचित हो जाना चाहिए। तो, संग्रह में भी सिंगल फेज जेल कोटिंग्स, और तीन चरण हैं। आवेदन के लिए है कि तीन चरण में एक दूसरे से उन दोनों के बीच मुख्य अंतर basecoat और फिक्सर की आवश्यकता है। सिंगल फेज एक पूरी तरह से स्वतंत्र और तैयार साधन के रूप में लागू किया जा सकता है। कौन सा सामग्री का चयन करने के लिए अपनी प्राथमिकताएँ पर निर्भर करता है। हालांकि, यह है कि शब्द मोजे तीन चरण जेल लाह अब नोटों। लेकिन सबसे पहली बात। लगातार विकास हो रहा है, कंपनी ने बनाया है और अपना पहला है "मसूरीः सिंगल फेज जेल नाखून", समीक्षा , जिनमें से पहली बार में सबसे प्रशंसा कर रहे थे। और अच्छे कारण के साथ! सबसे पहले, वहाँ आधार और शीर्ष लागू करने के लिए कोई जरूरत नहीं है। लेकिन वे भी काफी एक बहुत कुछ कर रहे हैं। दो सप्ताह सामग्री की उपस्थिति को कोई नुकसान बिना रुके थे - दूसरे, खुद को पहनने के लिए odnofazniki बहुत अच्छा दिखाया। वैसे, फूलों का संग्रह बहुत व्यापक है। और मुख्य बात यह है कि यह लगातार अद्यतन किया जाता है। इन घड़ियों ध्यान के निर्माता, समय पर वर्गीकरण को अद्यतन करने। समय के साथ, सिंगल फेज जेल नाखून "Masaru" है, जो की समीक्षा तो प्रशंसात्मक और सकारात्मक थे पहले हासिल कर लिया और कुछ नकारात्मक छाया के लिए प्रतिक्रियाओं। तो, उदाहरण के लिए, कई महिलाओं है कि odnofazniki तीन चरण सामग्री, एक छोटे से "पट्टी" से भी बदतर झूठ और मोजे के तीसरे सप्ताह तोड़ना का कहना है। बेशक, कई आधुनिक महिलाओं के लिए पिछले कसौटी, सबसे मौलिक नहीं है क्योंकि दूसरे सप्ताह में, मैं नाखून के डिजाइन में परिवर्तन करना चाहते हैं, लेकिन तलछट अभी भी बनी हुई है। और यह सब नकारात्मक समीक्षा नहीं है। जेल पॉलिश «मसूरी» एकल चरण अपने बगीचे में कुछ और पत्थर मिला है। कुछ स्वामी का कहना है कि को हटाने सामग्री में कुछ कठिनाइयों देखते हैं किः रंग वर्णक मजबूती से प्राकृतिक नाखून का पालन करता है। वहाँ एक समाधान हैः उपयोग अभी भी odnofaznik के तहत जेल नाखून आधार बनाते हैं। इस मामले में, हटाने के दौरान असुविधा नहीं होगा। उत्पाद लाइन का यह हिस्सा सिंगल फेज की तुलना में अधिक व्यापक होते हैं। सबसे पहले, कंपनी के डेवलपर्स अच्छी तरह से पता है कि अच्छी चीजें सिर्फ लंबे समय से एक आधार है और शीर्ष के बिना नहीं रह सकते हैं। और अगर किसी भी चरण में पहले से ही उत्पाद का गठन किया। दूसरे, इस तरह के उपकरणों के लिए खुद को साबित किया है ज्यादा बेहतर। तथ्य यह है कि इसकी कीमत प्रतियोगिता से बहुत अलग नहीं है के बावजूद। और यह नहीं है, वास्तव में, जेल कील बाजार में "Masaru" चरण पर प्रकाश डाला गया। कई बार उसके बारे में जवाब के लिए एक एकल चरण पर की तुलना में बेहतर। रंगों की व्यापक संग्रह के लिए उल्लेखनीय है, और जाहिर है, गुणवत्ता। यह शीर्ष पर रहता है। सामग्री अच्छी तरह से और सुचारू रूप से है नाखून पर पड़ता है, जल्दी से लंबे polymerizes (लगभग तीन सप्ताह) करता है। फिर भी, नहीं सब कुछ गुलाबी है। कुछ प्रयोक्ताओं की राय पर्ची वाक्यांशों कि कंपनी के उत्पादों के परीक्षण के लिए प्रदान किया गया है। तो, लेखकों बस नहीं उद्देश्य, हो सकता है क्योंकि वे जेल से मुक्त पेंट मिला है। निश्चित रूप से, आप केवल एक बात कह सकते हैंः "Masaru" छोटे स्ट्रिप्स के हल्के रंगों, भले ही वे कई परतों में डाले गए। इससे बचने के लिए, यह आधार जेल लाह प्राकृतिक रंग की एक पतली परत लागू करने के लिए संभव है। फिर चमकीले रंग इतना चमक नहीं हैं। दूसरी बात यह है कि खरीदारों को confuses - लागत। फिर भी, 6. 5 मिलीलीटर की एक बोतल के लिए 400 रूबल का भुगतान करना होगा। यह सबसे किफायती मूल्य नहीं है। हालांकि, एक लंबे समय के लिए इस तरह के एक मात्रा की कमी है, यह एक नुकसान कॉल करने के लिए कठिन है क्योंकि। फैशन नाखून "बिल्ली नेत्र" उन्होंने कहा कि तेजी से फैशन में प्रवेश किया। और युवा लड़कियों और सभी उम्र की महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय। और बेशक, निर्माता इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। यही कारण है कि जेल नाखून "बिल्ली नेत्र" ( "Masaru") स्थापित किया गया है। उसके बारे में समीक्षा, वैसे, बहुत, बहुत अच्छा। कई लड़कियों और स्वामी यह "बिल्ली नेत्र" के संग्रह से सामग्री से संतुष्ट थे। वे डिफ़ॉल्ट तीन चरण जेल रोगन के हैं - दोनों आधार है और शीर्ष की आवश्यकता है। जब पूरी तरह से, पट्टी करने के लिए नीचे रोल नहीं है लागू किया, एक समान और समरूप है। लेकिन प्रभाव है, जो चुंबक के लिए एक विशेष प्रस्तुति के द्वारा प्राप्त किया जाता है, वहाँ हमेशा एक आश्चर्य और अतुलनीय है। और वह दोनों लंबी और छोटी नाखून पर उचित लग रहा है। शायद यह "Masaru" के सबसे सफल संतान है। इस प्रकार, जेल नाखून "Masaru" कंपनियों उपयोग के लिए सिफारिश की जा सकती।
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RRB Group D Result for PET Exam: आरआरबी ग्रुप डी रिजल्ट 2022 पीईटी परीक्षा के लिए जारी कर दिया गया है। रेलवे भर्ती बोर्ड ग्रुप डी पीईटी परिणाम आरआरसी की संबंधित वेबसाइट और rrbcdg. gov. in पर जारी किया गया है। पीईटी क्लियर करने वाले उम्मीदवारों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन राउंड के लिए बुलाया जाएगा। RRB Group D PET Result : रेलवे भर्ती बोर्ड, आरआरबी ग्रुप डी रिजल्ट 2022 के पीईटी दौर का परिणाम जारी कर दिया गया है। आरआरबी ग्रुप डी पीईटी रिजल्ट आरआरसी की संबंधित वेबसाइट पर जारी किया गया है। पीईटी के लिए उपस्थित हुए उम्मीदवार अपना रिजल्ट पीडीएफ आधिकारिक वेबसाइटों जैसे - rrbcdg. gov. in से चेक और डाउनलोड कर सकते हैं। यहां दिए गए रिजल्ट को डाउनलोड करने के लिए डायरेक्ट लिंक और स्टेप्स को उम्मीदवार चेक कर सकते हैं। आरआरबी पीईटी 2022 परीक्षा सीबीटी स्टेज को पास करने वाले उम्मीदवारों के लिए आयोजित की गई थी। जोनल रेलवे के संबंधित रेलवे भर्ती सेल (आरआरसी) की ओर से शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के लिए पीईटी आयोजित किया जाता है। अब जिन उम्मीदवारों ने पीईटी पास कर लिया है, उन्हें डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन राउंड के लिए बुलाया जाएगा। आरआरबी के आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार, 'डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन (डीवी) प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जाएगा और कार्यक्रम वेबसाइट पर पब्लिश किया जाएगा। डीवी के लिए निर्धारित उम्मीदवारों को आरआरबी वेबसाइट से अपना ई कॉल लेटर डाउनलोड करने के लिए एक ईमेल और एसएमएस आएगा। ' आरआरबी ग्रुप डी पीईटी रिजल्ट तक पहुंचने का तरीका जानने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स चेक कर सकते हैं। - आधिकारिक वेबसाइट rrbcdg. gov. in पर जाएं। - दिखाई देने वाले होम पेज पर, आरआरबी ग्रुपो डी रिजल्ट लिंक को क्लिक करें। - एक नई पीडीएफ फाइल खुलेगी। - अपना रोल नंबर जांचें और पीडीएफ को सेव करें। - आवश्यकतानुसार प्रिंटआउट निकाल लें। ट्रेंडिंगः
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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रदेश के विकास का नया मॉडल विकसित करना चाहिए। हाइड्रो पावर क्रेज मॉडल, जो कि औद्योगिक प्रदूषण फैलाता है, के लिए बिना दिमाग की तलाश की जो हालिया परिपाटी है, उसे फेंक देने की जरूरत है। हिमाचल के मौसम, वातावरण व संस्कृति के संरक्षण के लिए जो विश्वव्यापी चिंता उभरी है, उसे संबोधित करने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी हो गया है। हिमाचली पर्वतों व बर्फ से संपन्न कुदरती नजारों को कायम रखना आज बेहद आवश्यक हो चुका है। प्रकृति ने हमें धूल रहित वातावरण दिया है, जिसे जॉब पैदा करने के नाम पर क्षति नहीं पहुंचाई जानी चाहिए। पैसा कमाने के लिए सीमेंट प्लांट लगाने के नाम पर पर्यावरणीय प्रदूषण के आगे किसी सूरत में समर्पण भी नहीं होना चाहिए। सरकार ने विकास के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करने को मापदंड बनाने के उद्देश्य से एक सराहनीय पहल की है। उसने संबंधित विधायकों से सलाह-मशविरा भी किया है, परंतु यह केवल लोकतंत्र का सलाहकारी पहलू है। विकास के लिए चेतनायुक्त नियोजन की जरूरत होती है, जो कि राज्य की शक्ति व कमजोरी पर आधारित होती है। विकास की योजना के लिए विशेषज्ञ अध्ययन व चेतनायुक्त होकर रणनीति का निर्माण भी जरूरी है। इसके लिए एक विशेषज्ञ कमेटी की भी जरूरत है, जो विकास चार्टर का प्रारूप प्रस्तावित करे। मैं ऐसे निकाय के समक्ष विचार के लिए छह स्तंभों वाला विकास दृष्टिकोण रखना चाहूंगा। हमें अपने विचारों में बदलाव लाते हुए परंपरागत नजरिए को बदलना होगा। हमें परंपरागत फसलों को उगाना बंद कर देना चाहिए तथा उच्च दामों वाली फसलों की बिजाई करनी चाहिए। तीन कारणों के चलते हम गेहूं, मक्की इत्यादि परंपरागत फसलों को उगाने के कारण कृषि क्षेत्र में अवनति की ओर जा रहे हैं। प्रथम, हमारे पास पर्याप्त सिंचाई सुविधा नहीं है तथा जलवायु परिवर्तन के इस दौर में वर्षा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। इसके कारण हमारी फसलें अकसर सूख जाती हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण खेती योग्य जमीन की उपलब्धता भी कम है। दूसरे, प्रदेश में बंदरों का आतंक निरंतर जारी है, जो कि सभी फसलों व फलों को नष्ट कर रहे हैं। सरकार इस समस्या से निपटने को अब तक कोई ठोस योजना नहीं बना पाई है। अन्य जंगली जानवर भी फसलों को नष्ट करते हैं। तीसरे, लैंटाना घास व अन्य खरपतवार, जो फसलों के लिए हानिकारक हैं, को नियंत्रित नहीं किया जा सका है। इसलिए राज्य को ऐसी फसलों को बढ़ावा देना चाहिए, जो इन तीन कारकों के प्रभाव से मुक्त हों। बेशक ऊंचे इलाकों में पैदा होने वाला सेब सुरक्षित है, लेकिन उसे भी सुरक्षा की जरूरत है। जहां पर सेब पट्टी नहीं है, उन क्षेत्रों में भी नकदी फसलों की जरूरत है। किसानों को ऐेसी फसलों का उत्पादन करना चाहिए जो उन्हें उच्च दाम दिलाती हों तथा जो यहां वर्णित की गई सिरदर्दी का भी इलाज करती हों। मिसाल के तौर पर हल्दी, अदरक, अखरोट, आंवला व इसी तरह की अन्य फसलें उगाई जा सकती हैं। ये फसलें आपदाओं से प्रभावित भी नहीं होतीं, साथ ही इनके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। कृषि व बागबानी विभाग ऐसी तालिका बना सकते हैं तथा किसानों को मार्गदर्शन दे सकते हैं कि कैसे इन फसलों को उगाया जाए। साथ ही फसलों की विपणन व्यवस्था भी उन्हें सिखाई जा सकती है। कृषि क्षेत्र के बदले परिप्रेक्ष्य में जैविक खेती भविष्य की फसल रणनीति होनी चाहिए। विकास के नए दृष्टिकोण का दूसरा स्तंभ यह है कि हाई एंड टूरिज्म के पक्ष में ट्रक टूरिज्म व धार्मिक पर्यटन पर फोकस करना छोड़ देना चाहिए। प्रदेश की ओर पर्यटकों को लुभाने के लिए पैकेज व्यवस्था शुरू की जानी चाहिए, ताकि इस प्रदेश को विश्व मानचित्र पर उभारा जा सके। पर्यटन से जुड़ी योजनाएं बनाते समय सृजनात्मकता व कल्पनात्मकता को तरजीह दी जानी चाहिए। इससे प्रदेश को मिलने वाले राजस्व में वृद्धि होगी। मैंने कई ऐसे देशों का अध्ययन किया, जिन्होंने पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास किया है। पर्यटन पैकेज के तहत हमने थाईलैंड की कावाई नदी पर बने पुल का भ्रमण किया। यह जगह द्वितीय विश्वयुद्ध पर बनी पुरानी हालीवुड फिल्म का एक आकर्षक स्थल है, जहां इसे फिल्मांकित किया गया था। हम फाइव स्टार होटल में ठहरे तथा इस स्थल तक हम नौका में गए। रास्ते में हमने देखा कि मिश्री बनाने के लिए लोग सीधे पेड़ों से चीनी निकाल रहे थे। इसी तरह मैं फ्रांस के दक्षिण में स्थित एक प्रसिद्ध स्थल पर भी गया। वहां मैं यह देख कर हैरान रह गया कि गांवों पर बने पर्यटन पैकेज बेचे जा रहे थे। हमें फाइव स्टार होटल से पहाड़ी क्षेत्र में स्थित एक गांव में ले जाया गया। यह एक शांत गांव के अलावा कुछ भी नहीं था। इसी ओर जाते समय हमें एक परफ्यूम फैक्टरी भी दिखाई गई। हिमाचल में इतना कुछ है, लेकिन हम इसकी मार्केटिंग नहीं करते तथा इसे टूअर पैकेज के रूप में बेचते भी नहीं हैं। फाइव स्टार होटल्स से जुड़ा पर्यटन हमारे पास नहीं है। हमारे पास सड़कें भी नहीं हैं तथा कई आकर्षक स्थलों तक अभी तक पहुंच नहीं बन पाई है। मैंने मसरूर मंदिर की खोज की तथा इसके इतिहास पर लिखा। मैंने इसके लिए अनुसंधान किया। पुस्तक का नाम है-कारनेशन ऑफ शिवा ः रिडिस्कवरिंग मसरूर टैंपल। यह स्थल विश्व धरोहर स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता था, लेकिन अब तक इसकी उपेक्षा ही हुई है। जब मैंने इस विषय पर किताब लिखी, तो कई पाठकों का ध्यान इस ओर गया तथा सरकार ने मुझे पे्रजेंटेशन बनाने को कहा। धर्मशाला में मैंने मंदिर का स्वरूप भेंट किया। इसकी खासियत यह है कि इसमें भगवान शिव का राज्याभिषेक दिखाया गया है, जबकि अन्य देवताओं के विपरीत अब तक उन्हें इस रूप में दिखाया नहीं गया था। यह एक अद्वितीय मंदिर है, पर इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस मंदिर के विकास में रुचि दिखाई थी, लेकिन उनके सत्ता से हटने के बाद इसकी ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। प्रेम कुमार धूमल ने इस मंदिर के प्रोजेक्ट को विकसित करना तथा इसे प्रचारित करना शुरू किया था। इस मंदिर के आसपास पौंग बांध के पक्षियों का डेरा इस स्थल को आकर्षक व एक बड़ा पर्यटक स्थल बनाता है, लेकिन इसे विकसित करने की जरूरत है। दुखद पहलू यह है कि हमारे पास यहां नजदीक में कोई कैफेटेरिया व शौचालय तक नहीं है। प्रदेश में कई ऐसे स्थल हैं, जिन्हें पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित किया जा सकता है, लेकिन इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया अन्यथा कई रोजगार पैदा हो सकते थे और राजस्व भी कमाया जा सकता था। सरकार को बहुत सारे पैसे खर्च करने की जरूरत भी नहीं है, बस उसे कुछ सृजनात्मक सोच का परिचय देना होगा। हिमाचल में इतना कुछ होते हुए भी हम पर्यटन का विकास नहीं कर पाए, जबकि हरियाणा ने न कुछ होते हुए भी रोड साइड पर्यटन को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। आज जब एक ओर विश्व में प्रदूषण बढ़ रहा है, तो प्रदूषण रहित हिमाचल में वातावरण पर आधारित पैकेज बना कर उन्हें आसानी से बेचा जा सकता है। इससे हमारा पर्यटन समृद्ध होगा।
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लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह की पांचवीं शाम कवि डॉ. कुमार विश्वास के गीतों से जवां हो उठी। लखनऊ को समर्पित गोमती का मचलता ये पानी भी है. . . गीत से कार्यक्रम की शुरुआत करने वाले कुमार ने दो घंटे तक सभी को गुदगुदाया, युवा मन को टटोला, प्रेम का आभास कराया, टूटे मन को सांत्वना दी तो कुलपति और राजनेताओं की खिंचाई भी की। उनके गीतों में अटलजी को समर्पित इस शाम में पूर्व प्रधानमंत्री के लिए सम्मान दिखा तो कश्मीर के हालातों पर संजीदगी भी झलकी। कोविड-19 की वजह से काफी बंदिशों के साथ विद्यार्थियों को कार्यक्रम में शामिल होने दिया गया था। इसको देखते हुए कुमार विश्वास ने कुलपति से हालत सामान्य होने पर दोबारा बुलाने के लिए न्योता भी मांगा। कुमार विश्वास ने अटलजी की कर्मभूमि लखनऊ को नमन करते हुए अपने गीत 'गोमती का मचलता ये पानी भी है, हिंद के उस गदर की कहानी भी है। गंज हजरत चिकन चौक की आबरू, ये शाम-ए-अवध तर्जुमा रूबरू-रूबरू से कार्यक्रम की शुरुआत की तो पूरा कला प्रांगण तालियों से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने जवानी में कई गजलें अधूरी छूट जाती हैं. . . का भी वाचन किया। अटलजी की मशहूर कविता गीत नहीं गाता हूं, हार नहीं मानूंगा, गीत नया गाता हूं. . . सुनाया। इसके बाद डॉक्टर विश्वास ने ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता. . . गीत गाया तो युवाओं ने उनके शब्दों में अपने शब्द शामिल कर दिए। पराए आंसुओं से आंखें नम कर रहा हूं मैं, इस अधूरी जवानी का क्या फायदा, बिन कथानक कहानी का क्या फायदा. . . से युवाओं में प्रणय का भाव भरा तो वक्त के क्रूर कल का भरोसा नहीं, आज जी लो कल का भरोसा नहीं. . . सुनाकर टूटे दिलों को दिलासा भी दी। ताल को ताल की झंकृति तो मिले, रूप को भाव की आकृति तो मिले, मैं भी सपनों में आने लगूं आपके, पर मुझे आपकी स्वीकृति तो मिले. . . सुनाई तो प्रांगण तालियाें और सीटियाें से गूंज उठा। इसके बाद कश्मीर के हालात पर 'ऋषि की कश्यप की तपस्या ने तपाया है तुझे, ऋषि अगस्त ने हम वार बनाया है तुझे, तेरी सरगोशी पर कुर्बान मेरा वतन, मेरे कश्मीर मेरी जान मेरे प्यारे चमन. . . सुनाकर सभी को देशभक्ति के भाव से भर दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. राकेश चंद्रा ने किया। कार्यक्रम के दौरान कुमार विश्वास नेे चुटीले अंदाज तथा कटाक्षों से भी सभी को खूब हंसाया। मांस को लेकर हुई सख्ती पर उन्होंने कहा कि बाबा ने ऐसी व्यवस्था की कि चिकन केवल कपड़े पर ही रह गया। इसी तरह एंटी रोमियो स्क्वॉयड पर उन्होंने कहा कि मोदी कहते हैं कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा और यहां यह है कि न करूंगा न करने दूंगा।
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WWE Smackdown Highlights-Big E Injury: फ्राइडे नाइट स्मैकडाउन (Friday Night Smackdown) के आज रात के एपिसोड में रिज हॉलैंड और शेमस (Ridge Holland and Sheamus) ने कोफी किंग्सटन और बिग ई ( Kofi Kingston and Big E) का सामना किया था। लेकिन इस मैच के दौरान बिग ई आज रात बुरी तरह से घायल हो गए और उनकी गर्दन में चोट लग गई। जिसके बाद उन्हें तुरंत ही मेडिकल स्टाफ रिंग साइड पर आ गया और बिग ई को स्ट्रेचर पर बाहर ले गया। बिग ई को यह चोट उस समय लगी जब इस मैच के दौरान रिज हॉलैंड ने बिग को रिंग के बाहर एक बेली-टू-बेली सुपलेक्स लगाया था। लेकिन इस सुपलेक्स बाद बिग ई अपने सिर के बल जमीन पर आकर गिरे। जिसके बाद मेडिक्स तुरंत आ गए और उन्होंने बिग ई की तरफ अपना रुख किया जबकि रिंग के अंदर शेमस ने किंग्सटन को पिन करके इस मैच को समाप्त कर दिया। बिग ई की इस चोट का एक वीडियो एक डब्ल्यूडब्ल्यूई की फैंस के द्वारा भी शेयर किया गया है। जहां मेडिकल स्टाफ के द्वारा बिग ई को स्ट्रेचर पर ले जाते हुए देखा जा सकता है। वहीं इसके अलावा बिग ई ने भी अपने फैंस के लिए एक सेल्फी वीडियो जारी करते हुए संदेश दिया है। जिसमें उन्होंने घोषणा की है कि हॉलैंड के साथ स्पॉट के दौरान उनकी गर्दन में यह चोट आई है। डब्ल्यूडब्ल्यूई की तरफ से बिग ई की इस चोट की गंभीरता के बारे में अभी कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन जैसे ही डब्ल्यूडब्ल्यूई की तरफ से बिग ई की चोट के बारे में कोई अन्य जानकारी दी जाती है तो हम आपको यहां अपडेट कर देंगे।
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पहले पीटीएस में फर्जी प्रशिक्षु महिला का पकड़ा जाना और अब पीएसी से चोरी इंसास की नाटकीय ढंग से बरामदगी से साफ है कि सुरक्षा बलों में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की घुसपैठ बढ़ती जा रही है। भले ही पीएसी के सिपाहियों ने इंसास चोरी करने में कोई साजिश रची हो। लेकिन यह सुरक्षा में बड़ी चूक मानी जा रही है। इस तरह की सेंधमारी से बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे पहले कुछ पुलिसकर्मियों के बदमाशों को संरक्षण देने और खुद अपराध में लिप्त पाए जाने के मामले भी सामने आते रहे हैं। 17 जून की रात पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय (पीटीएस) में एक फर्जी महिला प्रशिक्षु सिपाही को पकड़ा गया था। इस युवती के पास से परिचय पत्र, बेल्ट, टोपी और वर्दी भी बरामद की गई थी। इसका खुलासा तब हुआ जब महिला प्रशिक्षुओं की गिनती की गई तो 401 के स्थान पर 402 महिला प्रशिक्षु मिलीं। बिजनौर निवासी प्रीति नाम की जो युवती अतिरिक्त प्रशिक्षु मिली, उसका कहीं भी रिकॉर्ड नहीं मिला था। जिसके बाद आरोपी प्रीति के खिलाफ थाना खरखौदा पर केस दर्ज कराते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकरण में आईजी पीटीएस लक्ष्मी सिंह ने जांच बैठाते हुए कहा था कि फर्जी महिला आरक्षी ने दूसरे जनपदों में भी ट्रेनिंग ली है, जिसके चलते उसकी भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। वहीं, पुलिस की जांच में बिजनौर का सिपाही कपिल जांच के घेरे में है। विवेचक बीएस चौहान के अनुसार आरोपी सिपाही कपिल ने धामपुर के साइबर कैफे से युवती के फर्जी कागजात तैयार कराए। मेडिकल भी फर्जी पाया गया। फर्जी महिला प्रशिक्षु सिपाही का मामला शांत भी नहीं हुआ कि पीटीएस के सामने ही 44 वी वाहिनी पीएसी के कमांड हाउस से इंसास चोरी हो गई। यह इंसास 22 जून को चोरी हो गई थी। लेकिन इसे 28 जून को चोरी होना बताकर पीएसी के एचसीपी गुरुदेव सिंह, कांस्टेबल सोनू सिंह, रत्नेश, प्रेमवीर और अंकित नागर के खिलाफ मुकदमा हुआ। इंसास प्रेमवीर के नाम आवंटित थी। इन पांच पुलिसकर्मियों के अलावा 11 अन्य के खिलाफ विभागीय जांच बैठी तो खलबली मच गई। अभी तक प्राथमिक जांच में सामने आया कि साजिश के तहत नजदीकी सिपाही ने ही इंसास को चोरी कराया। उसके बाद अलग-अलग मोबाइल नंबरों से इंसास के बदले में 3. 5 लाख की की रकम मांगी गई। रकम न देने के लिए यह भी कहा गया कि तो फिर मुकदमा झेलने के लिए तैयार रहें। पुलिस मान रही है कि सिपाही प्रेमवीर और उसके साथियों पर मुकदमा, निलंबन और जेल भिजवाने को लेकर साजिश रची गई। जिसमें वह खुद भी फंस गया है। पुलिस और पीएसी के अधिकारी पहले से ही मान रहे थे कि मामला अंदर से ही जुड़ा हुआ है। कमांड हाउस की गारद तक बाहरी व्यक्ति नहीं पहुंच सकता। इंसास की चोरी का जब केस दर्ज हुआ तो पीएसी परिसर का चप्पा-चप्पा खोजा गया था। लेकिन सुराग नहीं लगा था। लेकिन जैसे ही अधिकारी सक्रिय हुए तो शनिवार देर रात यह इंसास पीएसी परिसर के छज्जे पर रखवा दी गई।
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साक्षी रावत, गुड़गांव कैंसर से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए अप्रैल में एशियन अंडर-14 लॉन टेनिस टूर्नमेंट आयोजित किया जाएगा। यह टूर्नमेंट 14 अप्रैल से वालियाबास स्थित वैन स्पोर्ट्स क्लब में होगा। 8 दिनों के इस टूर्नमेंट में कई देशों के 100 से अधिक खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। हर खिलाड़ी को रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी। टूर्नमेंट के जरिए इकट्ठा हुई पूरी राशि कैंसर पीड़ित बच्चों की मदद के लिए एनजीओ को दी जाएगी। वैन स्पोर्ट्स क्लब की डायरेक्टर मलिका रघुवंशी ने बताया कि कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह प्रतियोगिता कराई जा रही है। इसके जरिए लोगों को बताया जाएगा कि ब्लड कैंसर से जूझ रहे बच्चे ठीक हो सकते हैं। वैन स्पोर्ट्स क्लब में एक साल में इस तरह के 30 नैशनल टूर्नमेंट आयोजित हो चुके हैं। अब एशियन चैंपियनशिप के माध्यम से कैंसर पीड़ितों की मदद की जाएगी। कैन किड्स संस्था की फाउंडर पूनम ने बताया कि यह एनजीओ कैंसर से पीड़ित बच्चों की पूरी मदद करता है। ऐसे में इस टूर्नमेंट के माध्यम से बच्चों के लिए फंड मिलेगा, जिससे कई बच्चों को मदद मिल पाएगी। 12 साल के कृषांग रघुवंशी को बनाया ब्रैंड ऐंबैसडर लॉन टेनिस खिलाड़ी कृषांग रघुवंशी को टूर्नमेंट के लिए ब्रैंड ऐंबैसडर बनाया गया है। 12 साल का कृषांग कैंसर सर्वाइवर है। उसे 3 साल की उम्र में कैंसर हुआ था। लंबे इलाज के बाद 8 साल की उम्र में वह पूरी तरह से ठीक हुआ। आज वह इंटरनैशनल लेवल का खिलाड़ी है। ऐसे में वह दूसरे बच्चों के लिए प्रेरणा है। कृषांग का कहना है कि वह इस बीमारी से उबरकर बेस्ट लॉन टेनिस प्लेयर बनने के लिए मेहनत कर रहा है।
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Vikram Vedha actress Yogita Bihani: योगिता बिहानी ऋतिक रोशन और सैफ अली खान अभिनीत अपनी आगामी फिल्म विक्रम वेधा के प्रमोशन में जुटी हुई हैं। इस मौके के लिए स्टार ने सी-थ्रू मेश ड्रेस में दिखाई दीं। Yogita Bihani Latest Look: ऋतिक रोशन और सैफ अली खान की आगामी फिल्म विक्रम वेधा की स्टार कास्ट फिल्म प्रमोशन में जुट गई है। इस मौके पर योगिता का जबरदस्त लुक सामने आया। बोल्ड स्टाइल स्टेटमेंट के साथ एक्ट्रेस एक सी-थ्रू मेश ड्रेस और हॉट पिंक ब्लेजर में दिखाई दीं। एक्ट्रसे की ये तस्वीरें काफी ज्यादा वायरल हो रही हैं। सेलिब्रिटी स्टाइलिस्ट गरिमा गर्ग ने योगिता को हेड-टर्निंग मेश ड्रेस और ब्लेजर में स्टाइल किया। योगिता बिहानी अपने इंस्टाग्राम पर अक्सर ही फैशनेबल फोटोज शेयर करती रहती हैं। हाल ही में फिल्म प्रमोशन के लिए उन्होंने एक ऑफ-व्हाइट ड्रेस को सी-थ्रू मेश फैब्रिक में चुना है। इस आउटफिट में एक्ट्रेस अपनी छत पर खड़ी हुई दिख रही हैं, वहीं उनका बोल्ड मेकअप लुक बहुत ही बढ़िया लग रहा था। एक्ट्रेस की इस आउटफिट में बॉडी-हगिंग सिल्हूट, कट-आउट और प्लंजिंग यू-नेकलाइन है। लुक के लेवल को अप करने के लिए और असे क्लासी बनाने के लिए हसीना ने हॉट पिंक ब्लेजर भी पहना है। जिसमें नॉच लैपल कॉलर, फ्रंट बटन क्लोजर, पुल-बैक फुल-लेंथ स्लीव्स, साइड में पैच पॉकेट, बॉडी फिटिंग और पैडेड कंधे थे। योगिता ने इस प्रमोशनल लुक को उन्होंने लेयर्ड बीडेड चेन्स और पेंडेंट के साथ नेकलेस, स्लीक ब्रेसलेट्स, मल्टी-कलर्ड स्टेटमेंट रिंग्स और स्ट्रैपी पिंक हाई हील्स के साथ एक्सेसराइज किया है। हसीना ने बोल्ड-मिनिमल लुक को कैरी किया है। योगिता ने कर्ल, स्मोकी आई शैडो, स्लीक ब्लैक आईलाइनर, लैशेस पर मस्कारा, ग्लॉसी पिंक लिप शेड, ब्लश्ड गाल, बीमिंग हाइलाइटर और ग्लैम पिक्स के साथ कॉन्टूरिंग की है। वहीं बालों को सेंटर-पार्टेड करके ओपन हेयरडू चुना। यह भी पढ़ेंः कियारा आडवाणी ने डीप नेक आउटफिट में इंटरनेट पर लगाई आग, लुक देख आप भी कह देंगे 'सो हॉट'
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छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए भारत सरकार सब्सिडी स्कीम चला रही है. (तस्वीरः Canva) Rooftop Solar Scheme: महंगाई के इस दौर में सभी चीजों के साथ बिजली बिल भी काफी महंगा हो गया है. वहीं अब गर्मियों में एसी, कूलर और पंखों के चलने से बिजली बिल भी दोगुना आता है. ऐसे में आपकी गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बिजली के बिल भरने में खर्च हो जाता है और भविष्य के लिए ज्यादा बचत नहीं हो पाती. लेकिन अगर आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल (Rooftop Solar Panel) लगवा लेते हैं, तो बस एक बार के खर्च में हर साल हजारों के बिजली बिल भरने से बच सकते हैं. फायदे की बात ये हैं कि आपको आपकी छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए भारत सरकार सब्सिडी भी देगी, जिससे सोलर पैनल को लगवाने का खर्च लगभग आधा हो जाएगा. सोलर पैनल 25 साल तक चलते हैं, इसलिए लंबे समय तक इन्हें बदलवाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. 25 साल तक फ्री बिजली और ऊपर से सब्सिडी भी, क्यों है न ये फायदे की बात? तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे आप इस स्कीम का लाभ उठा सकते हैं. घर में सोलर पैनल लगवाने से पहले इस बात पर जरूर चर्चा कर लें कि आपको कितनी बिजली की जरूरत है. कहने का मतलब है कि आप अपनी आवश्यकता के हिसाब से ही घर में सोलर सेटअप लगवाएं. वैसे तो घरों के लिए 1 KW से 10 KW क्षमता के सोलर सिस्टम उपलब्ध हैं, लेकिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल 3 KW के सोलर सिस्टम का होता है. साफ तौर पर कहें तो अगर आपको घर में 5-6 एलईडी बल्ब, 2-3 पंखे, एक ऐसी या एक कूलर, टीवी, फ्रिज और वाशिंग मशीन चलाना हो तो आपको 3 KW के सोलर सिस्टम की जरूरत पड़ेगी. इस सिस्टम से ये सभी उपकरण आसानी से चल सकते हैं. वहीं अगर आपकी जरूरत ज्यादा है तो 4KW या उससे ऊपर का सोलर सिस्टम बेहतर होगा. कैसे लगवाएं रूफटॉप सोलर? अगर आप सोलर पैनल लगवाने में सरकार की स्कीम का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपको डिस्कॉम (Discom) पर रजिस्टर्ड कंपनियों से ही सोलर सिस्टम खरीदना होगा. देश में केंद्र सरकार की "रूफटॉप सोलर योजना" चल रही है जिसके तहत आप सोलर पैनल लगवाने पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी के हकदार होंगे. घर में रूफटॉप सोलर पैनल लगवाने के लिए आपको नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New & Renewable energy) की वेबसाइट (solarrooftop. gov. in) पर जाकर डिस्कॉम में शामिल किसी भी सेलर से सोलर सिस्टम खरीद सकते हैं. इसके बाद कंपनी आपके घर में सोलर प्लांट इनस्टॉल करने आएगी. डिस्कॉम द्वारा आपके घर में सोलर पैनल लगाए जाने के बाद सरकार उसे प्रमाणित करती है. इंस्टालेशन के पूरा होने के बाद आपको प्लांट की पूरी जानकारी देते हुए नेट मीटर के लिए ऑनलाइन आवेदन देना होता है. इसके बाद डिस्कॉम घर में लगाए गए प्लांट और सभी उपकरणों की जांच करता है. सभी तरह से प्रमाण हासिल करने के बाद आपके रजिस्टर्ड बैंक खाते में 30 दिनों के भीतर सब्सिडी भेज दी जाती है. उदहारण के तौर पर, यदि 3KW का सोलर लगवाने में 1. 20 लाख रुपये का खर्च आता है, तो आपको उसका 40%, यानी सरकार से 40 हजार रुपये सब्सिडी के तौर पर मिल जाएंगे. . 'हमारे पास तेज गेंदबाजों की लाइन नहीं लगी हुई है. . . ' प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाराज दिखे रोहित, क्यों कहा ऐसा?
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Upendra Kushwaha News : उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि JDU में 95 प्रतिशत आए-गए ही लोग ही हैं। उन्होंने इस बयान के साथ पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह आए-गए लोग सत्ता सुख भोगने आए हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने अपने साथ कई नेताओं को बैठाकर जताया कि वह अकेले नहीं हैं। जनता दल यूनाईटेड में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जदयू में 95 प्रतिशत आए-गए ही लोग ही हैं। उन्होंने इस बयान के साथ पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह आए-गए लोग सत्ता सुख भोगने आए हैं। हम दो बार पार्टी छोड़े हैं, तीन बार की बात गलत है। कुछ लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बरगलाते रहते हैं। वह दूसरों से हैंडिल हो रहे हैं। अपना कुछ नहीं है! मुख्यमंत्री ने 2009 की पटेल जयंती पर मुझे भरी महफिल में ऑफर दिया था। इस बार भी एक नेता को मेरे पीछे लगाया गया, मुख्यमंत्री आवास से कॉल आया. . . तब पार्टी में आया। मैं नीतीश कुमार को अपना परिवार मानता हूं, उनका अपमान मेरा अपमान है। जब विलय हुआ था, तो उसके बाद उन्होंने कहा था अब मुझे कितना दिन रहना है आप लोग संलालिए. . . यानी मुझे यह कहा था। पार्टी जब जब कमजोर हुई तबतब मेरी खोज हुई। 2009 में जब उपचुनाव हुए थे तो जदयू कई सीट हार गई थी। तब मुझे बुलाया गया। फिर 2020 में 43 पर आ गए तो मुझे बुलाया गया। शुक्रवार को कुशवाहा ने कुछ नेताओं को अपने साथ प्रेस कांफ्रेंस में बैठाया था, ताकि इसका भी पता चल जाए कि वह अकेले नहीं। शुरुआत में उन्होंने कहा कि चार-पांच दिनों में कई तरह की बात चल रही है और उसमें मुख्यमंत्री ने ऐसा कहा है, यह भी कहा गया। दिल्ली के अस्पताल की बात पर मुख्यमंत्री ने पहले मीडिया के जरिए बात कही। कुशवाहा ने कहा कि मैं तो पहले से चाह रहा कि पार्टी फोरम में बात करूं, लेकिन मैंने तो पहले मीडिया के जरिए बात नहीं की। मैंने इन विषयों पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की मांग की थी। उन्होंने कहा- "अध्यक्ष बैठक तो करें, अगर करनी है तो। बैठक होती है तो जाएंगे, इसके लिए तैयार हैं। राजद से डीलिंग की बात भी पार्टी की मीटिंग में रखना चाहते हैं। किस परिस्थिति में किससे और कैसी डील हुई, यह तो पार्टी के मंच पर रखना ही चाहते हैं। " कुशवाहा ने मुख्यमंत्री के बयानों का जवाब थोड़ा संयमित होकर दिया और इस बहाने बरगलाने का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार के आसपास रहने वाले अपने धुरंधर विरोधियों को जमकर निशाना बनाया। कुशवाहा ने तेजस्वी यादव का नाम भी लिया। उन्होंने कहा कि "मुख्यमंत्री के आसपास कौन हैं, यह उन्हें देखना चाहिए। 2020 के विधानसभा तेजस्वी यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री का एक बेटा है और वो उनका है भी या नहीं. . . । " उन्होंने कहा कि 2 फरवरी को जगदेव बाबू की जयंती मनाने से मुझे मना किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि वह अलग संगठन है। तो, इसका जवाब कौन देगा कि महाराणा प्रताप की जयंती किस बैनर के तहत हुई थी? 2 फरवरी का कार्यक्रम होगा ही। मैं पार्टी में हूं, लेकिन इस सामाजिक कार्यक्रम को जरूर करूंगा। उन्होंने घुमाकर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को भी लपेटा। उन्होंने कहा- ये मुझे आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं, जबकि हर बार नीतीश कुमार ने जरूरत में मुझे याद किया और दोनों बार मैं उनके बुलावे पर ही आया। इस परेशानी की शुरुआत मकर संक्रांति के पहले तब हुई, जब उनके बारे में कुछ मीडिया ने यह खबरें चला दीं कि वह डिप्टी सीएम बनने वाले हैं। कुशवाहा ने भी हां में हां मिलाकर अपने लिए गड्ढा इसलिए खोद लिया कि उन्हें ऐसी कुछ उम्मीद है। तेजस्वी यादव के समकक्ष किसी को खड़ा नहीं करने की अपनी मंशा को साफ करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा का सपना तोड़ दिया कि ऐसी कोई वैकेंसी नहीं है। मामला यहां भी ठंडा हो सकता था, लेकिन फिर एक तस्वीर आई, जिसमें एम्स में इलाज करा रहे कुशवाहा को देखने भाजपा के तीन नेता आए। उन नेताओं की मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर भाजपा और जदयू को हैशटैग करते हुए आई। हंगामा यहां और बढ़ गया। जदयू नेताओं पहले इसपर चुप थे, लेकिन फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा के पार्टी में आते-जाते रहने की बात कह दी। कुशवाहा भी चुप नहीं रहे और पटना एयरपोर्ट पर बातचीत में कह दिया कि जदयू ही भाजपा के साथ जुड़ती-हटती रही है। पार्टी बीमार है, इलाज की जरूरत है। इसके बाद मामला बहुत आगे बढ़ गया। नीतीश कुमार को जवाब देना जदयू में रहते हुए संभव नहीं। बाकी नेता भी बोलते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री ने भी कुशवाहा को मीडिया के जरिए ही जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया कि जबतक बोलना है बोलें और जितनी जल्दी निकलना है निकल जाएं। उधर नीतीश ने बाहर का रास्ता दिखाया और इधर कुशवाहा ने खुद को उनका सिपाही बता दिया। फिर बात पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा ने हिस्सेदारी की बात कर दी। गुरुवार को नीतीश थोड़े नरम होकर विकल्प देते भी नजर आए, लेकिन कुछ ही देर बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कह दिया कि उन्हें (उपेंद्र कुशवाहा को) शर्म आनी चाहिए। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. 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समाज आर प्रस / १७१ कानून पास हुआ था कि तु शासक वर्ग इतना ही चाहता था कि मतदाता लिख पढ़ सक और कुशल मजदूर बन सक अपना मालिक वनाना तो उनके विचारा से बहुत दूर था । वह कहते थे कि मतदाता हमारे मालिक हैं, जिस प्रकार हम किसान को अन्नदाता कहते हैं । नार्थ क्लिफ के विचार के पत्र मालिक अपने बचाव मे कहते हैं कि सर्वसाधारण जो चाहते है वही हम उनको देते है । हम सर्वसाधारण के लिए राजनीतिक शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए नहीं हैं। इन पत्र- मालिकों का गठवन्धन विज्ञापन देने वाली फर्मों से हुआ और आपस के सहयोग से दोनों फलने-फूलने लगे। इस परिवर्तन से पत्र जगत् मे बड़ी हलचल मची। 'टाइम्स' और 'मैन्चेस्टर गार्जियन' अपना स्वरूप बदलने के लिए विवश हुए किन्तु उन्होंने अपने मूल ध्येय का परित्याग नहीं किया। अनेक पत्र बन्द हो गये या नये पत्र व्यापारियों द्वारा खरीद लिए गये । पुराने स्वतन्त्र विचार के सम्पादक धीरे-धीरे लुप्त होने लगे, पत्रों पर व्यवस्थापकों का अधिकार हो गया। आज सम्पादक की अपेक्षा व्यव स्थापक का स्थान ऊँचा है, उसी का अधिक मान और उसी का अधिक पुरस्कार है। कुछ पत्रों को जीवित रहने के लिए अपने ढग को बदलना पड़ा । उनको आदर्श और व्यापार के बीच समझौता करना पड़ा। आज उन्ही पत्रों की अधिक जिनमें अपराध, स्त्री-पुरुष का सम्वन्ध और खेल के समाचार अधिक रहते हैं। यद्यपि ये पत्र शुद्ध व्यापार की दृष्टि से चलाये जाते है तथापि इनकी सहानुभूति पूंजीपतियों के साथ होती है। अपने मालिकों के विशेष राजनीतिक विचारों को भी यह परिलक्षित करते है । धीरे-धीरे इनमें शक्ति के लिए प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है और यह राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करते है । इंगितों से जनता के विचार कैसे मोड़े जा सकते हैं और उनके भावों का उद्रेक कैसे हो सकता है, इस शास्त्र में वे व्युत्पन्न होते है और राजनीति में वे अपने मानव ज्ञान का उपयोग करते हैं । अपने विज्ञापनदाताओं का भी इनको लिहाज करना पड़ता है क्योंकि इनकी आय का मुख्य स्रोत विज्ञापन ही है । समाचार पत्रों के क्षेत्र में भी एकाधिकार होता जाता है। आज का युग पूंजी के एकाधिकार का है। फिर पत्रों का व्यवसाय इससे कैसे बच सकता था ? इंगलैंड प्रेस मँगनेट कुछ थोड़े से पत्रो से सन्तुष्ट नहीं हैं। उन्होंने स्थानीय पत्रों पर भी धावा बोल दिया है। पत्र व्यवसायियों के गुटों ने स्थानीय पत्रों में से बहुतों को खरीद लिया है। सबकी नीति लन्दन से निर्धारित होती है। आज केम्जले प्रेस का बोलबाला है। जहाँ जाइये, वही आपको इसका अखबार मिलेगा । यही अवस्था अमेरिका में होती जा रही है। अभी हाल में वहाँ की सिनेट ने एक कमेटी नियुक्त की थी। उसकी रिपोर्ट है कि १९४१-१९४४ में केवल २ प्रतिशत फर्मों
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अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव जल्द होने वाला है. इस पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन ने बताया है कि अगर वह इलेक्शन जीत जाते हैं, तो उनका प्रशासन भारत के समक्ष मौजूद खतरों से निपटने में उसके साथ खड़ा रहेगा. बिडेन ने भारत और अमेरिका के मध्य संबंधों को और मजबूत करने की बात कही है. बता दे कि पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन में उपराष्ट्रपति रहे, बिडेन ने भारत के स्वाधीनता दिवस पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए, बताया कि मैं 15 वर्ष पहले भारत के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते को मंजूरी देने के कोशिशों का नेतृत्व कर रहा था. मैंने बताया कि अगर भारत और अमेरिका निकट मित्र और सहयोगी बनते हैं, तो दुनिया अधिक सुरक्षित हो जाएगी. बिडेन ने बताया कि अगर वह इलेक्शन जीत जाते हैं, तो भारत अपने इलाकों और अपनी सीमाओं पर जिन खतरों का सामना कर रहा है, वह उनसे निपटने में उसके साथ खड़े रहेंगे. उन्होंने बताया कि वह दोनों मुल्कों के बीच व्यापार बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा जैसी बड़ी वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर कार्य करेंगे. बिडेन ने बताया कि अगर उन्हें राष्ट्रपति चुना जाता है, तो वह उन लोकतंत्रों को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे जिनकी शक्ति उनकी विविधता है. उन्होंने कहा कि इस अवसर पर "आइए, हमारे देशों और लोगों के बीच रिश्तों को और मजबूत करें". बिडेन ने कहा कि मैं राष्ट्रपति के तौर पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर भरोसा करना जारी रखूंगा. यह समुदाय दोनों देशों को जोड़कर रखता है. उन्होंने बताया कि डेलावेयर में मेरे निर्वाचन क्षेत्र के सदस्यों और सीनेट में मेरे कर्मियों में बड़ी तादाद में भारतीय-अमेरिकी थे.
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नई दिल्लीः पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चीफ लालू प्रसाद ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर हमला बोला है। लालू यादव ने आरक्षण समाप्त करने की बात करने वालों को नसीहत देते हुए कहा है कि आरक्षण समाप्त करने की बात करने वाले जातियां खत्म करने की बात क्यों नहीं करते? राजद प्रमुख के इस विचार की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक व मोटिवेशनल स्पीकर चेतन भगत ने प्रशंसा की है। चर्चित चारा घोटाले के कई मामलों में सजा काट रहे बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद के ट्विटर हैंडल से सोमवार को लिखा गया कि, 'आरक्षण समाप्त करने की बात करने वाले लोग जातियां खत्म करने की बात क्यों नहीं करते? इसलिए कि जातियां उन्हें श्रेष्ठ बनाती हैं, ऊंची जगह देकर अकारण उन्हें स्वयं पर अहंकार करने का मौका देती है। हम कहते हैं कि पहले बीमारी समाप्त करो, लेकिन वो कहते हैं कि नहीं, पहले उपचार खत्म करो। ' लालू के इस ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लेखक चेतन भगत ने लिखा कि, 'जाति हटाओ। सरल और महान विचार। ' सजा काट रहे लालू इन दिनों बीमारी की वजह से रांची के एक अस्पताल में भर्ती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण का दावा करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है और राज्य नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए विवश नहीं हैं। Delhi Results Live: जानिए क्या है प्रमुख सीट का हाल, कहीं चली 'झाड़ू' तो कहीं खिला 'कमल'
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सच ये है कि लुटियंस इलाके की लगभग सारी कोठियां सरकार के शीर्ष मंत्रियों और बड़े बाबुओं को आवंटित होती हैं। सो सरकार के ही लोग सही मायने में आज के लुटियंस गैंग ठहरते हैं। किसी भी वक्त जाएं वहां इन्हीं के भीमकाय कमांडो और बड़ी-बड़ी एसयूवी गाड़ियां दिख जाएंगी। अपने लंबे इतिहास में राजधानी दिल्ली बार-बार बसी और उजड़ी है। मुहम्मद तुगलक से लेकर अकबर और ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजधानी यहां से हटाकर अन्य जगह ले जाने के प्रयोग किए। पर कुछेक समय तक उलट-पलट के बाद दिल्ली ही दोबारा राजधानी बन गई। ऐसी नगरी में राजनीति के बदलाव का दौर सिर्फ कुछ सत्तारूढ़ या सत्ता से दर बदर हुए घरानों या दलों तक सीमित नहीं रहता। वह कई तरह की अनकही उलझनों से भरा और कहीं न कहीं बहत गहरे सामूहिक मानवीय अनुभवों और दर्शन से भी जुड़ा साबित हुआ होता है। सत्ता के बदलाव के इन पहलुओं को अक्सर राजनेता नहीं, साहित्यकार का मन ही पकड़ पाता है। वजह यह, कि वह निजी राग-द्वेष या लालच की तहत फौरी डायग्नोसिस नहीं देता। बदलाव को वह तटस्थ मन से देश की सनातन विचार परंपरा की रौशनी में परखता है। आज जबकि 2019 के चुनाव खत्म हो चुके हैं और यह क्षण इसी तरह के सही शोध-बोध का है। पर यह काम दलीय प्रवक्ताओं और तथाकथित विशेषज्ञों की चें-चें, पें-पें से भरी टीवी बहसों की या राजनेताओं की फब्तियों, उक्तियों की तरफ से कान बंद करके ही किया जा सकता है। सो चलिए इस बार के जनादेश को बाहर खड़े होकर देखा जाए। विजय गर्व से दमकते सत्ता पक्ष की जयकार बुलवा रहे पक्ष का सवाल चौखट पर रोकता है। राजनीतिक बदलाव में जो दौर पीछे छूट गया, जो दल वनवास भेज दिया गया, उसके इतिहास पर इतना क्या सोचना? क्या मतदाता ने इस बार यह साफ नहीं जता दिया है कि उसे राजनीति के शीर्ष पर पुराना संभ्रांत वर्ग (जाने क्यों अच्छी भली हिंदी बोलने वाले भी इसके लिए अंग्रेजी के 'इलीट' या 'खान मार्केट गैंग' सरीखे विशेषण इस्तेमाल कर रहे हैं) कुबूल नहीं है। नए को समझो, उसका स्वागत करो। इलीट वर्ग और उसकी विचारधारा और जीवन शैली पर खाक डालो। जीत के बाद हारे हुओं की खिल्ली उड़ाना हर विजयी दल का प्रिय शगल होता है। मौजूदा पार्टी ही इसका अपवाद क्यों हो? पर इस बार खिल्ली का विषय चयन कठिन है। वाम दल की समाप्तप्राय धारा के मद्देनजर पुराने आरोप, शंकाएं या उपहास बेमानी पड़ चुके हैं। केंद्र द्वारा तेजी से अपनी विचारधारा में रंगे जा रहे जेएनयू के लिए 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का विशेषण या कि बड़ी तादाद में पिछले पांच सालों में बड़े सरकारी पुरस्कारों के कृतज्ञ लाभार्थियों के द्वारा की जा रही हर मंच से वंदना के बाद 'अवार्ड वापसी गैंग' को कोसना भी अब पहले की तरह सरकारी मीडिया प्रकोष्ठ के दिल की कली नहीं खिला सकता है। 'भारतमाता ग्रामवासिनी, खेतों में फैला है अंचल धूल धूसरित'. . . किस्म का 'हम गरीब बनाम वे शहरी थैलीशाह' वाला रुदन भी अब संभव नहीं। वजह यह कि इस बार की नवनिर्वाचित लोकसभा खुद भी करोड़पतियों से भरी पूरी है, जिनकी निजी संपत्ति का औसत लगभग 20. 9 करोड़ बताया जा रहा है। तो सत्तारूढ़ दल के लोग देश की कुल आबादी के 0. 1 फीसदी संपन्नतम वर्ग के सदस्य साबित होने के बाद अब तर्क दे रहे हैं कि मां भारती तरक्की कर गरीबी से उबर चुकी है, देखा नहीं कि इन चुनावों में धर्म और जाति के रसायनों से वोट बैंकों की कितनी सफल लामबंदी की गई? 'नामदार बनाम कामदार' की तुकबंदी भी सुनने में नहीं आ रही। ऊपर वाले की कृपा से सत्तारूढ़ सरकार में कितने नामदार आ गए हैं। 40 करोड़ की घोषित संपत्ति वाली बादल परिवार की बहू हरसिमरत कौर, मेनका गांधी, वरुण गांधी, धौलपर के राजकुंवर और जयपुर की राजकुमारी जैसे नामदार खानदानी रईस लोग भारी बहुमत से चुनाव जीत कर सांसद बन गए हैं तो नामदार कामदार छोड़ो। फिर वे सोचते हैं चलो खान मार्केट पर ही चर्चा करें। सुनें कि पुराने रईस क्या खा-पहन या पढ़ रहे हैं! युवा वर्ग भी अब इस 'चलो जरा खान मार्केट तक टहल आते हैं,' वाली कामना से सहमत है। उसकी अपनी इच्छा पहले की पीढ़ी के झोलाधारियों की तरह किसी गांव में जाकर एनजीओ खोलकर धूल-पानी के बीच रहते हुए जनसेवा करने की नहीं है। वह पुराने अमीरों की नए अमीरों द्वारा टीवी पर खिंचाई सुन हंसता है। पर उस हंसी में कुंठा अधिक है, देश प्रेम या समाज सुधार के लिए लगाव बहुत कम। फेसबुक गवाह है कि आज का औसत मिलेनियल सोशल मीडिया पर सेल्फी युग का अमरत्व हासिल करने, विदेश जाकर पढ़ने, अपने दोस्तों के साथ मॉल जाकर कीमती सामान मोलाने, रेस्तरां-पब गुलजार करने और अंततः खुद भी एक सेलेब्रिटी नामदार बनने के ही सपने दिन-रात देखता है। भारत, चीन या जल संकट से अधिक चिंता उसे अपनी पोस्ट पर आने वाली लाइक्स की रहती है। रही बात भ्रष्टाचार की, सो उनके लिए इतना ही काफी है कि भगोड़े माल्या और नीरव मोदी पर सात समुंदर पार अदालती कार्रवाई चालू है। बैंकिंग के कई बड़े सितारों को भी अस्ताचलगामी बना दिया गया है। चीन के देंग श्याओ फिंग के व्यावहारिक मुहावरे में यह भारतीय मतदाता भी सोचता है कि बिल्ली काली हो या सफेद, इससे क्या फर्क पड़ना है? इतना ही जरूरी है कि वह उसकी खातिर चूहे पकड़ सकती हो। तो इस तरह कुल मिलाकर हमको तो भविष्य के लिए जो आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक सपने जगाए, गढ़े और मीडिया की मार्फत प्रचारित किए जा रहे हैं, बारीकी से देखने पर क्रांतिकारी नहीं यथास्थितिवादी ही दिख रहे हैं। एक गुलाबी अखबार ने यह भी भली याद दिलाई है कि 'खान मार्केट गैंग' का विशेषण दरअसल मीडियावालों के बीच सभी दलों के खाते-पीते सांसदों के समूह के लिए मजाक-मजाक में बना था। यह वे गुट थे, जिनको संसद के सेंट्रल हॉल में मिलने वाला रेलवई का खाना रास नहीं आता था और अच्छा कुछ खाने-पीने के लिए यह मंडली संसदीय सत्र के दौरान अक्सर दोपहर में खान मार्केट के किसी दामी रेस्तरां का रुख करती दिखती थी। बहरहाल, इन दिनों खान मार्केट गैंग विशेषण को पुरानी इलीट का समानार्थक बनाकर धड़ल्ले से टीवी और सोशल मीडिया पर फेंका जा रहा है। दूसरी गुप्त सच्चाई यह है कि लुटियंस इलाके की लगभग सारी कोठियां सरकार के शीर्ष मंत्रियों और बड़े बाबुओं को आवंटित होती रही हैं। सो आज की सरकार के ही लोग सही मायने में आज का लुटियंस गैंग ठहरते हैं। हाथ कंगन को आरसी क्या? आप किसी भी समय खान मार्केट चले जाइए आपको वहां इन्हीं के भीमकाय काले कैट कमांडो और बड़ी-बड़ी एसयूवी गाड़ियां मार्केट में उनके बीबी-बच्चों को शॉपिंग कराते या मालिकान के किसी रेस्तरां से खा-पीकर लौटने के इंतज़ार में चहलकदमी करते दिख जाएंगे। तब 'मीर' की तरह उजड़ी दिल्ली के दयार के गरीब बाशिंदों, खासकर मीडिया के वरिष्ठ जनों को, अचानक खान मार्केट गैंग के खास उल खास नाम से काहे नवाजा जा रहा है? दरअसल, पत्रकारों और पढ़ने-पढ़ाने वालों के आकर्षण का विषय उस इलाके की 'बाहरी संस' या 'फकीरचंद' सरीखी पीढ़ियों पुरानी किताबों की दुकानें ही बची हैं, जो कमर्शियल आग्रह कम पुस्तक प्रेम के कारण ही अधिक चल रही हैं, और कब तक चलेंगी कहना कठिन है। उनमें घंटों नई किताबें पलटना वहां के जानकार पुराने कर्मचारियों से लेखकों की बाबत गप लड़ाने का अपना ही सुख है। और पुराने किताबी कीड़ों के लिए ऐसी रसमय जगहें अब शेष दिल्ली में बहुत कम बची हैं। पब्लिक लायब्रेरियां तो और भी कम। पार्कों, कहवाखानों की न पूछिए, जिनकी जगह छोटे-बड़े पब हर जगह उपज रहे हैं। वहां बाहर पहलवानी व्यायमशालाओं से निकले मुच्छड़ दरबान पहरा देते हैं और भीतर अनवरत नाच-गाना और शराबनोशी चलती रहती है। सो खान मार्केट में बची-खुची लुप्तप्राय सरस्वती धाराओं से ज्ञान रस ग्रहण करने, घर खर्च में कटौती करके भी किताबें खरीदने, और उजड्डता भरे अराजक कैंपसों में पढ़ने-पढ़ाने वालों का सीमित विद्याव्यसनी वर्ग बस किताबें खरीदता है। यह वही समुदाय है जो भारत की असली परंपराओं, 1950 के संविधान निर्माताओं के द्वारा एक समन्वयवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक भारत के सपनों का चश्मदीद गवाह और जानकार बचा है। कई बार अपनी नौकरी या सर गंवाने की कीमत पर भी दिल्ली के इसी वर्ग ने पीढ़ी दर पीढ़ी बर्बर जत्थों द्वारा उजाड़ी-जलाई जा रही ज्ञान की परंपराओं को वेदव्यास की तरह किसी सुदूर जंगल में छुपा कर बचाया भी है।
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ज्योति प्रसार व्याख्यान मे उन्होंने विधवा विवाह का विरोध नहीं किया। बल्कि अपने पत्र मे बावू सूरजभान और घावू भूमनलाल एम० ए० वकील के लेख विधवा-विवाह के पक्ष मे बराबर निकाले । चावू ऋषभदास विधवा-विवाह के आन्दोलन को असामयिक ( Untisnely ) समझते थे और उनका विचार था, कि विधवाओं की वृद्धि, वृद्ध-विवाह, बाल-विवाह आदि कारणों को रोका जाय तथा इस प्रश्न पर समाज की शक्ति को खराब न किया जाय। बाल-विधवाओं के विवाह के वे हृदय से पक्ष में थे, पर बाबू ऋषभदास जी ने अपने इस विचार को भी कभी साहस करके प्रगट नहीं किया, वरन् विधवा-विवाह का विरोध किया । बाबू ऋषभदास के ऐसे लेख भी 'जैन प्रदीप' मे बराबर निकलते रहे । बाबू ज्योति प्रसाद का ढंग और कार्य-नीति भी कुछ. ऐसी ही रही। उन्होंने भी बार-बार विधवा-वृद्धि के कारणों को दूर करने के लिये लिखा । पर वावू ऋषभदास के समान उन्होंने विधवा विवाह का विरोध कभी नहीं किया। बावू के चरित्र मे एक ख़ास बात 'लोकेपणा' थी यानी जनता मे प्रिय तथा प्रसिद्ध बनने की इच्छा थी और विधवा- बवाह का समर्थन या विरोध करने से उनके सच्चे भाव तो प्रगट हो जाते, पर वे एक पक्ष को अवश्य खो बैठते । यही उनकी कमजोरी थी। मैं इसको नीति कहने को तैयार नहीं, इसे उनकी बुजदिली कहना, अधिक ठीक होगा । उनके इस दुतर्फा व्यवहार के कारण दोनों पक्षों मे वे अप्रिय से बन गए। " ६, ७ मई सन १६२७ को. 'सनातन जैन, समाज' का प्रथम i www वार्षिक अधिवेशन घावू सूरजभान जी के सभापतित्व में अकोला में हुआ था । बाबू ज्योतीप्रसाद इस में जाना चाहते थे, परन्तु स्वास्थ्य अच्छा न होने के कारण वे आकोला की लम्बी यात्रा करने के योग्य न थे। पर सनातन जैन समाज के बारे में प्रदीप में उन का स्वलिखित नोट उन के हार्दिक भावों को अवश्य प्रकट करता है । उसका कुछ अंश पाठक देखेंः-"सनातन जैन समाज का उद्देश्य केवल विधवा विवाह का प्रचार करना ही नहीं है, बल्कि जैनधर्म का सच्चे रूप में प्रचार करना और समाज की हर तरह से चहवूदी ( उन्नति) और बहतराई के साधनो पर अमल करना भी है । सनातन जैन समाज का काम अगर इसही रफ्तार से चलता रहा, तो आशा है कि यह जरूर जैन समाज में समय के अनुसार परिवर्तन करदेगा । अगर समय के अनुसार परिवर्तन हो गया, तब जैन धर्म का सितारा भारत वर्षके आकाश मण्डल पर चमकता हुआ नजर आयेगा। इस सभा का मेम्बर ( सदस्य ) हरएक जैनी को होना चाहिये और सच्चे हृदय से काम करना चाहिए। ब्रह्मचारी जी ( त्र० सीतल प्रसाद जी ) अपने प्रयत्न मे सफल हों, ऐसी हमारी भावना है। बाबू सूरजभान सभापति का भाषण हमे मिल गया है । बडा ही दलेरी के साथ लिखा गया है । हमारा इरादा है, कि इस का उर्दु अनुवाद विचार के उद्देश्य से पाठकों के रूबरू पेश करे । " पर सन् १९२८ की २३ जनवरी को उन्होंने मुझे एक पत्र लिखा जिसमे एक वाक्य यह है "विधवा विवाह का मजमून जैन प्रदीप वर्ष १७, अंक ५, पृष्ट ३४ । (लेख) जैन प्रदीप में शाया ( प्रकाशित ) न करूंगा। इस के लिए अभी मुफी चाहता हूँ ।" इसके बाद जैन प्रदीप मे विधवा विवाह के समर्थन या विरोध मे मे कोई लेख नहीं मिलता। एक बार फिर इस प्रश्न पर कुछ लेख लिखवाने का आपका विचार हुआ था। परन्तु फिर जैन प्रदीप ही बन्द हो गया । ऊपर की बातों का यही सार है कि आप विधवा विवाह पक्ष मे जरूर थे, परन्तु प्रकट रूप से उसके अनुकूल बोलने, लिखने या अपने विचारों को अमली जामा पहिनने मे हिचकते थे। और अपनी किसी प्रतिष्ठा मे धक्का लगने की जोखम को उठाने को तैयार नहीं थे। ११ विरोध सुधार का मार्ग विरोध के दांतों मे से होकर गुजरता है। संसार में कौन ऐसा सुधार कार्य है, जिसका हंसी मजाक न उड़ाया गया हो और जिसका विरोध और दमन न किया गया हो शक्ति- पूर्ण प्रचार और हितकर प्रमाणित होने पर उन्ही सुधारों 1 को जनता ने देर या सवेर मे अपनाया है। जैन समाज के अन्य सुधारकों के समान बाबू ज्योतिप्रसाद भी विरोध से न बच सके। मध्यम मार्ग को ग्रहण करके और प्रेम पूर्ण स्वभाव रखते हुए भी, आपका सम्बन्ध बाबू सूरजभान की पार्टी से होने तथा वैसे ही विचारों का नरम शब्दो मे प्रचार करने के कारण आपका विरोध होना भी अनिवार्य था । "धर्म चला" "धर्म डूवा" "धर्म को मिटाया जा रहा है" इस प्रकार चिल्लाने वाले पण्डित दल की नजर आप पर कैसे न पड़ती १ यदि आपके पत्र हिन्दी मे होते, तो मेरे विचार में यह विरोध और तीव्र हो जाता। एक बार सम्पादक हिंदी जैन गज़ट ने आपकी समालोचना करते हुए आपको 'नास्तिक' लिख दियाथा। आपने पण्डित जी को रजिस्टर्ड नोटिस देकर नास्तिक होने का प्रमाण मांगा था । सहारनपुर मे जैनबालयोधिनी सभा के जलसे पर एक प्रस्ताव के द्वारा जैन प्रदीप में धर्म विरुद्ध (1) निकलने वाले लेखों का जचाव देने के लिये 'जैन पत्र समालोचक' कमेटी स्थापित की गई थी । जिसके कार्यकर्ता सहारनपुर के बडे बडे प्रतिष्ठित आदमी थे । पर इस सभा ने भी जैन प्रदीपक के किसी लेख का उत्तर किसी जैन पत्र या ट्रेक्टद्वारा नहीं दिया । हिंदी जैन गजट क ३५ (२३ जूलाई सन् १६२३ ) मे उसके प्रकाशक ने "पजाब प्रान्त के जैन भाई ध्यान दे ।" लेख मे पंजाब और सहारनपुर, फीरोजपुर, मेरठ आदि के जैनियों से अपील की थी, कि वे जैन प्रदीप को न पढौं क्योंकि यह (पत्र) जैन धर्म के विरुद्ध लेख लिखता है और उनके ( बाबू ज्योतिप्रसाद के ) विचार धर्म से गिरे हुये हैं x । इस प्रकार के दमन मय प्रचार से जैन समाज के कितने पत्रों और कार्यकर्ताओं को दवाने का प्रयत्न किया गया है, यह लिखते हुये हृदय कापता है । इस प्रकार के आन्दोलन का न बाबू ज्योतिप्रसाद पर और न जैन प्रदीप पर कुछ प्रभाव पड़ा, कारण कि जैन प्रदीप के पाठक अधिक उन्नति शील विचारों वाले थे। इस विरोध के बाद भी 'प्रदीप' सात आठ वर्ष चलता रहा और बा० ज्योति प्रसाद जैन समाज की सभाओं में सम्मानित रूप से रहे। विरोध और बायकाट की छाप लगजाने से निसन्देह आपका नाम सुधारकों की श्रेणी मे कुछ ऊ चा होगया है। जैन प्रदीप वपे १०, अक २१ - २२, पृष्ट ३१ । x जैन प्रदीप वर्ष ११, १२-१३, पृष्ठ ६
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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( ७ ) प्रत्येक वस्तु दुःख उत्पन्न करने वाली है। यहाँ तक कि सुख और वेदना भी दुःख ही उत्पन्न करती हैं। इसलिए सौत्रान्तिक लोगों के मत में समस्त पदार्थ दुःखमय है। ( ८ ) इनके मत में अतीक ( भूत ) तथा अनागत ( भविष्य ) दोनों शून्य हैं। वर्तमान ही काल सत्य है। काल के विषय में इस प्रकार वैभाषिकों से इनका पर्याप्त मतभेद है । वैभाषिक लोग भूत, वर्तमान है। तथा भविष्य तीनों काल के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं। परन्तु सौत्रान्तिक मत में वर्तमान काल की ही सता मानी जाती है । ( १ ) निर्वाण के विषय में सौत्रान्तिक मत के आचार्य श्रीलब्ध का एक विशिष्ट मत था कि 'प्रतिसंख्यानिरोध' तथा 'अप्रति संख्या निरोध' में किसी प्रकार का अन्तर नहीं है। प्रतिसंख्या निरोध का अर्थ है प्रशानिबन्धन, भाविक्लेशानुत्पत्ति अर्थात् प्रज्ञा के कारण भविष्य में उत्पन्न होने वाले समस्त क्लेशों का न होना । अप्रति संख्या निरोध का अर्थ है क्लेश निवृत्तिमूलक दुःखानुत्पत्ति अर्थात् क्लेशों के निवृत्त हो जाने पर दुःख का उत्पन्न न होना । क्लेशों की निवृत्ति के ऊपर ही दुःख अर्थात् संसार को अनुत्पत्ति भवलम्बित है । अतः क्लेश का उत्पन्न न होना संसार के सत्पन्न न होने का कारण है। श्रीलब्ध की निर्वाण के विषय में यही कल्पना है। ( १० ) धर्मों का वर्गीकरण - सौत्रान्तिक मत के अनुसार धर्मों का एक नवीन वर्गीकरण है। जहाँ वैभाषिक लोग ७५ धर्म मानते हैं और विज्ञानवादी पूरे १०० धर्म मानते हैं, वहाँ सौत्रान्तिक केवल ४३ धर्मं स्वीकार करते हैं। यह वर्गीकरण साधारणतया उपलब्ध नहीं होता । सौभाग्यवश तामिळ देश के अरुणन्दीशिवाचार्य ( १२७५-१३२५ ई० ) द्वारा लिखित 'शिव्रज्ञान सिद्धिचर' नामक तामिळ ग्रन्थ में यह वर्गीकरण तथा सौत्रान्तिकमतेऽतीतानागतं शून्यमन्यदशून्यम् । - माध्यमिक वृत्ति पृ० ४४४ । उपलब्ध होता है । प्रमाण दो प्रकार का है- प्रत्यक्ष और अनुमान । इनके विषय सौत्रान्तिकों के अनुसार ४ प्रकार के हैं ( 9 ) रूप ( २ ) अरूप ( ३ ) निर्वाण ( ४ ) व्यवहार । रूप ४ ) व्यवहार । रूप दो प्रकार का उपादान और उपादाय, जो प्रत्येक ४ प्रकार का होता है। अन्तर्गत पृथ्वी, जल, तेज तथा वायु की गणना है तथा उपादाय में रूक्षता, आकर्षण, गति, तथा उष्णता इन चार धर्मों की गणना है । 'अरूप' भी दो प्रकार का होता है - चित्त और कर्म । निर्वाण दो प्रकार को है - सोपधि और निरुपधि व्यवहार भी दो प्रकार का होता है सत्य और असत्य । इस सामान्य वर्णन के अनन्तर ४३ धर्मों का वर्गकरण इस तरह है-( १ ) रूप = ८ ( ४ उपादान + ४ उपादाय ( २ ) वेदना = ३ ( सुख, दुःख, न सुख न दुःख ) । न ३) संज्ञा = ६ ( ५ इन्द्रियाँ तथा १ चित्त ) । ( ४ ) विज्ञान = ६ ( चक्षु, श्रोत्र, घाण, रसन, काय तर्था मन ) -इन इन्द्रियों के विज्ञान । ( ५.) संस्कार = २० ( १० कुशल + १० अकुशल ) । (ग) सर्वास्तिवाद का समीक्षण सर्वास्तिवादियों के सिद्धान्तों की समीक्षा अनेक आचार्यों ने की है बादरायण ने ब्रह्मसूत्र के तर्कपाद ( २ २ ) में इसकी बड़ो मार्मिक आलोचना की है। शङ्कराचार्य ने अपने भाष्य में इस समीक्षा की युक्तियों का बड़ा ही भव्य प्रदर्शन किया है। अबौद्ध दार्शनिकों ने अपनी उँगली बौद्धमत के सबसे दुर्बल अंश पर रखी है। वह दुर्बल अंश है संघातवाद ! सर्वास्तिवादियों की दृष्टि में परमाणुओं के संघात से भूतभौतिक जगत् का निर्माण होता १- लम्बनपरीक्षा (रसंस्करण ) पृ. ११६-१८ है और पञ्चस्कन्धों से आन्तर जगत् ( चित्त - चैत्त ) की रचना होती है । भूत तथा चित्त दोनों संघातमात्र हैं। भूत परमाणुओं का संघात है । और चित्त पन्चस्कन्धाधोन होने से संघात है। सबसे बड़ी समस्या है इन समुदायों की सिद्धि । चेतन पदार्थों का संघात-मेलन युक्तियुक्त है, परन्तु यहाँ समुदायी द्रव्य ( अणु तथा संज्ञा ) अचेतन हैं। ऐसी परिस्थिति में समुदाय की सिद्धि नहीं बन सकती । चित्त अथवा विज्ञान इस संघात का कारण नहीं माना जा सकता। देह होने पर विज्ञान का का उदय होता है और विज्ञान के कारण देहात्मक संघात उत्पन्न होता है। ऐसी दशा में देह विज्ञान पर अवलम्बित रहता है और विज्ञान देह पर । फलतः अन्योन्याश्रय दोष से दूषित होने से यह पक्ष समीचीन नहीं है । स्थिर संघातकर्ता की सत्ता बुद्धधर्म में मान्य नहीं है जो स्वयं चेतन होता हुआ इन अचैतनों को एक साथ संयुक्त कर देता । चेवनकर्ता के अभाव में परमाणुओं के संघात होने की प्रवृत्ति निरपेक्ष है अर्थात् विना किसी अपेक्षा ( आवश्यकता ) के ही ये समुदायी प्रवृत्ति उत्पन्न करते हैं, तब तो इस प्रवृत्ति के कभी न बन्द होने की भापत्ति उठ खड़ी होती है। साधारण नियम तो यही है कि कोई भी प्रवृत्ति किसी अपेक्षा के लिए होती है प्रवृत्ति का कर्ता चेतन होता है। जब तक उसे उसकी आवश्यकता बनी रहती है तब तक वह कार्य में प्रवृत्त रहता है। अपेक्षा की समाप्ति के साथ ही प्रवृत्ति का भी विराम हो जाता है । परन्तु अचेतन के लिए अपेक्षा कैसी ? अतः सर्वास्तिवादी मत में प्रवृत्ति के कहीं भी •समाप्त होने का अवसर ही नहीं भावेगा, जो व्यवहार से नितान्त विरुद्ध है। विज्ञानवाढी कह सकते हैं कि श्रालय विज्ञान ( समस्त विज्ञानों का अण्डार ) इस संघात का कर्ता हो सकता है। पर प्रश्न यह है कि यह
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Sonbhadra News: बभनी थाना क्षेत्र के एक गांव में एक महिला के साथ चार साल तक शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किया गया। पीड़िता ने शादी के लिए दबाव बनाया तो आरोपी शौच के बहाने उसके मायके से भाग खड़ा हुआ। आरोप है कि अब वह चोरी छुपे दूसरी जगह शादी रचाने में लगा हुआ है। एसपी से लगाई गई गुहार में पीड़िता ने जानकारी दी है कि वह चोरी-छिपे रविवार की रात शादी करने वाला है। पेट में आरोपी के संयोग से तीन माह का गर्भ पलने का हवाला देते हुए शादी रोकवाने और झांसा देकर कथित दुष्कर्म किए जाने के मामले में कार्रवाई की गुहार लगाई गई है। एडीजी जोन वाराणसी और डीआईजी मिर्जापुर की तरफ से सोनभद्र पुलिस को प्रकरण संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पीड़िता की तरफ से एसपी सहित अन्य को अवगत कराया गया है कि बभनी थाना क्षेत्र के ही एक 27 वर्षीय युवक ने, शादी का झांसा देकर उसके साथ लगातार चार वर्ष तक दुष्कर्म किया। आरोप है, कि कई बार वह उसके मायके में आकर उसके साथ संबंध बनाया। जब उसने विधि विधान से शादी या कोर्ट मैरिज करने के लिए दबाव बनाया तो वह उसके मायके से शौच जाने की बात कह कर गायब हो गया। रविवार को एसपी, डीआईजी और एडीजी को ट्वीट के जरिए दी गई जानकारी में बताया गया है कि रविवार की दोपहर उसे पता चला कि वह इलाके की एक युवती से चोरी छुपे शादी रचाने की तैयारी में लगा हुआ है।
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नक्काशी फल, सब्जियां, चॉकलेट, पनीर पर काटने की कला है। कड़ाई से बोलते हुए, अंग्रेजी से शाब्दिक अनुवाद में, जहां परिभाषा स्वयं से आई, नक्काशी का मतलब है "नक्काशी"। इस तकनीक में महारत हासिल उत्पादों की कला का असली काम करता है बना सकते हैं। हम आपको क्या नक्काशी है से अधिक परिचित बनने के लिए। जैसा कि आप अनुमान लगा सकते हैं, फल और सब्जियों के लिए नक्काशीदार नक्काशी की कला एशिया से यूरोप आ गई। लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि चीनी या थाई नक्काशी की खोज करने वाले पहले व्यक्ति कौन थे। यद्यपि एक किंवदंती हैः त्योहार थाईलैंड में लॉय क्राथोंग (वर्ष निर्दिष्ट नहीं है, लेकिन लगभग अवधि - बारहवीं सदी) के बाद, राजा सब्जियों और फलों के पक्षियों और फूल है कि वह चाहती थी कि हर महिला ऐसा करने में सक्षम है की खुदी हुई आंकड़ों के साथ इतने खुश प्रतिनिधित्व किया कटोरा था। इसके बाद पूर्व भर में फैले हुए नक्काशी, और इस तरह की मेज सजाने और पकवान एक परंपरा बन गई है। समय के साथ, फल पर नक्काशीदार नक्काशी की कलाऔर यूरोप में सब्जियां विकसित होने लगीं। लेकिन चीन और थाईलैंड में यह मान्यता, यहां नक्काशी प्राप्त नहीं हुई है। सबसे अधिक संभावना है, यह इस तथ्य के कारण है कि एशियाई देशों में सब्जियों और फलों के व्यंजन प्रमुख हैं, इसलिए, किसी भी तरह से मेज को विविधता देने के लिए, लोगों ने नक्काशी के रूप में ऐसी चाल का सहारा लिया। यूरोप में, व्यंजन बहुत अधिक विविध थे, इसलिए सब्जियों और फलों की नक्काशीदार मूर्तियों के साथ मेज को सजाने के लिए केवल रेस्तरां उद्योग के विकास के साथ ही शुरू हुआ। अब नक्काशी में दो मुख्य शैलियों हैंः यूरोपीय और एशियाई। उनके मतभेद हैंः - फल और सब्जियों का चयन; - काटने की तकनीक; - कुछ उपकरण; - भूखंडों। काम अच्छा हो, इसके लिएआपको उपयुक्त बुनियादी साधनों का उपयोग करना चाहिए। नक्काशी की तकनीक में ये विशेष चाकू हैं। यह इस तथ्य के कारण है कि सामान्य लोगों का उपयोग करके, आप बस उचित परिणाम प्राप्त नहीं करेंगे। उदाहरण के लिए, आपको ओपनवर्क पैटर्न नहीं मिल सकता है। नक्काशी चाकूः - चाकू लेनेः फीता काटने के लिए उपयोगी, बड़े और छोटे उत्पादों के लिए उपयुक्त; - त्रिकोण तरबूज चाकू; - पेंच चाकूः घने सब्जियों और फलों (उदाहरण के लिए, आलू, सेब), कोर हटाने और भराई के लिए गोल सर्पिल काटने के लिए उपयोग किया जाता है; - लहराती काटने के लिए चाकू; - स्क्वायर क्रॉस सेक्शन के साथ चाकूः पैटर्न और विभिन्न आकृतियों को काटने के लिए उपयोगी; - लहराती अंडाकार चाकूः पंखुड़ी बनाने के लिए आवश्यक; - कबूतर चाकूः त्रिकोणीय आकार की पंखुड़ियों को बनाने के लिए उपयोगी; - छील के लिए चाकू; - थाई चाकूः घनी त्वचा पर पतले पैटर्न बनाने के लिए आवश्यक है। नक्काशी के लिए अतिरिक्त उपकरणः - गाजर के लिए चोखाः विभिन्न सजावट के गाजर बनाने में मदद करता है (उदाहरण के लिए, फूल); - दो तरफा चम्मचः सब्जियों और फलों से विभिन्न आकारों के गोले को काटने में मदद करता है; - लगा दो तरफा चम्मच; - सब्जी छीलने वाला; - खाना पकाने की चिमटी; - कटरों को काटें। नक्काशी उपकरण के रूप में खरीदा जा सकता हैटुकड़ा द्वारा, और सेट, जो साधारण और पेशेवर में विभाजित हैं। सामान्य सेट में केवल 3-4 चाकू होते हैं। पेशेवर सेट में कई चाकू और अतिरिक्त उपकरण होते हैं (एक नियम के रूप में, लगभग 10-15 टुकड़े)। किट में मास्टर क्लास और उपयोगी युक्तियों के साथ एक पुस्तक और एक डीवीडी भी शामिल है। एशियाई नक्काशी की एक जटिल रचना हैविदेशी सब्जियां और फल। पैटर्न में चित्रलिपि और प्राच्य रूपांकनों (उदाहरण के लिए, ड्रेगन और युद्ध के दृश्य) का प्रभुत्व है। और काटने की प्रक्रिया में मास्टर विभिन्न प्रकार के उपकरण, स्टेंसिल और रूपों का उपयोग करता है। यूरोपीय नक्काशी एक मेज को सजाने के लिए एक बहुत ही सुंदर और अपेक्षाकृत सस्ती तरीका है। यह सबसे सरल सब्जियों और फलों का उपयोग करता है। जटिल पैटर्न और आकार अत्यंत दुर्लभ हैं। 1932 की क्रांति के अंत में, नक्काशी की कलाफल और सब्जियों ने थाईलैंड में पूर्व लोकप्रियता का हिस्सा खो दिया। इसलिए, अधिकारियों ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया, और आज ग्यारह साल की उम्र तक पहुंचने वाले बच्चों के लिए स्कूलों में नक्काशी सिखाई जाती है। यूरोपीय देशों में भी मौजूद हैंविशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम जो शुरुआती, उन्नत मास्टर्स, साथ ही कुछ पैटर्न बनाने के लिए एक मिनी-प्रोग्राम के लिए कार्यक्रम प्रदान करते हैं। ऐसे पाठ्यक्रम सस्ते नहीं हैं, और उनकी अवधि में लगभग सात से आठ घंटे लगते हैं, जिन्हें कई वर्गों में विभाजित किया गया है। प्रशिक्षण के बाद, आपको नक्काशी की कक्षाओं - नक्काशी के पूरा होने का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। स्नातकों की समीक्षाओं का कहना है कि कुछ इस कला से इतने अधिक मोहित हो गए हैं कि उन्होंने इससे कमाई भी शुरू कर दी है। सब के बाद, लाक्षणिक रूप से कटी हुई सब्जियाँ और फल बेचे जा सकते हैं। घर पर नक्काशी की तकनीक में महारत हासिल करना अधिक कठिन है, लेकिन संभव है। ऐसा करने के लिए, आपको उपकरण और शैक्षिक सामग्री पर स्टॉक करने की आवश्यकता हैः विशेष साहित्य और वीडियो जिसमें नक्काशी तकनीक में वास्तविक शिक्षकों से सबक होता है। एमेच्योर या चित्र के बिना मास्टर कक्षाएं आपको वास्तव में इस तकनीक में महारत हासिल करने की अनुमति नहीं देंगी। इस पर विचार किया जाना चाहिए। नक्काशी में नए शौकीन आसानी से तरबूज की टोकरी-फूलदान बना सकते हैं। काम का अनुक्रमः - एक तरबूज लें। इसे अच्छे से धोकर सुखा लें। - पूरे व्यास के बीच में चाकू की नोक से हल्के से निशान करें। - मोटे पेपर पर एकल लिंक पैटर्न बनाएं। - चिपकने वाली टेप के साथ, तरबूज की दीवार के लिए खाका खींचा, मध्य में लंबवत। - चाकू की नोक से पैटर्न को सर्कल करें। - ऊपर दिए गए टेम्पलेट को स्थानांतरित करें और इसे तरबूज में स्थानांतरित करें। पूरी टोकरी को इस तरह से ड्रा करें। - तरबूज के टुकड़ों को संभाल के किनारों पर सावधानी से काटें (यह दो चौथाई निकलता है), और इसके ऊपर मांस को न छुएं। - संभाल पर लिंक के बीच से काटें। - चम्मच गूदे से हैंडल के नीचे की जगह को साफ करते हैं, जिससे हैंडल पर लगभग दो सेंटीमीटर निकल जाता है। - घुंघराले किनारों को आधा तरबूज बनाओ, जो एक टोकरी के रूप में कार्य करता है। - लुगदी से आधा तरबूज चम्मच, दीवारों पर लगभग दो सेंटीमीटर छोड़ दें। - छोटे बेरीज के साथ तैयार तरबूज की टोकरी भरेंः अंगूर, स्ट्रॉबेरी, रसभरी, चेरी, चेरी। खाद्य टोकरी तैयार! - आपको केवल ताजा और चिकनी सब्जियों और फलों का उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्हें अच्छी तरह से धोया और सूखा भी होना चाहिए। - नक्काशीदार सजावट को मुख्य व्यंजनों के साथ रंग और स्वाद में जोड़ा जाना चाहिए। - सभी उपकरणों को अच्छी तरह से तेज किया जाना चाहिए। - फल का काम समाप्त हो गया (तरबूज और तरबूज को छोड़कर), ठंडे पानी में दस मिनट के लिए डालें।
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शुक्रवार (14 जुलाई) को लॉन्च के बाद चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष में तीसरी बाधा पार कर ली है। चंद्रयान-3 ने दूसरा ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार दोपहर यह अपडेट दिया। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 की लोकेशन अब 41603 km x 226 ऑर्बिट में है। यह धरती के चक्कर लगाते हुए उसके गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकलेगा। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 की तीसरी कक्षा को सफलतापूर्वक बदल दिया गया है। अगली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग 20 जुलाई 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे ही होगी. फिलहाल ISRO ने यह नहीं बताया है कि दूरी में कितना बदलाव किया गया है। चंद्रयान-3 के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करने की संभावना है। चंद्रयान-3 में एक प्रपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723. 89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है। अभियान के तहत चंद्रयान 41 दिन की अपनी यात्रा में चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। गौरतलब है कि दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक किसी देश ने सॉफ्ट लैंडिंग नहीं की है। चांद की सतह पर अबतक अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं लेकिन उनकी सॉफ्ट लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हो सकी है। वहीं, अगर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) का 600 करोड़ रुपये लागत से बना चंद्रयान-3 मिशन चार साल में तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग की तकनीक में सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन जाएगा। यह चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का ISRO का दूसरा प्रयास है। धरती से लेकर चांद की दूरी 3. 83 लाख किलोमीटर है और चंद्रयान-3 अपनी यात्रा के दौरान फिलहाल पृथ्वी की कक्षा में ही चक्कर काट रहा है। इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने शनिवार को जानकारी दी थी कि चंद्रयान-3 ने पहला ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि अंतरिक्ष यान सामान्य चाल से चल रहा था। चंद्रयान-3 अब ऐसी कक्षा में है, जो पृथ्वी से सबसे नजदीक होने पर 173 किलोमीटर पर है और पृथ्वी से सबसे दूर होने पर 41,762 किलोमीटर पर है।
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आगरा। एससी एसटी एक्ट को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद पूरे दिन भर चले बवाल आगजनी तोड़फोड़ देर शाम तक शांत हो गई। एसएसपी अमित पाठक और प्रभारी जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार इस पूरे मामले में मोर्चा संभाला। आगजनी और तोड़फोड़ के बाद पुलिसकर्मियों ने जैसे ही प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा तो उसी दौरान दलित समाज के बाहुल्य क्षेत्रों के पास PAC और क्षेत्रीय थाने की पुलिस को तैनात कर दिया गया। शाम होते-होते मामला जैसे-जैसे शांत पड़ता चला गया तो पुलिसकर्मियों ने भी राहत की सांस ली लेकिन प्रदर्शनकारियों ने अभी तक रेलवे ट्रैक को खाली नहीं किया था। बाराहखंबा रेलवे ट्रैक हो या फिर काजीपाड़े क्षेत्र से गुजरने वाली रेलवे लाइन। यहां पर देर शाम तक दलित समाज के लोग बैठे रहे और रेल के आवागमन को बाधित करते रहे। ऐसे में फिर से कोई बवाल हो जाए इसके लिये एसएसपी अमित पाठक ने RAF की टुकड़ी को बुलवा लिया और ऐसे स्थानों पर RAF तैनात कर दी गई। एसएसपी अमित पाठक का कहना था कि प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन अब शांत होता जा रहा है लेकिन अभी भी रेलवे ट्रैक पर जो लोग बैठे हैं उन से वार्ता की जा रही है। SP रेलवे भी इस पूरे मामले में जुटे हुए हैं। बवाल ना हो लाठीचार्ज ना करना पड़े इसके लिए दलित समाज के लोगों से शांति से वार्ता कर रेलवे ट्रैक खाली कराने का प्रयास किया जा रहा है। SSP अमित पाठक का कहना था कि इस पूरी कार्रवाई में 30 से अधिक बलवाइयों को गिरफ्तार किया गया है यह ऐसे असामाजिक तत्व जो सुबह से शराब पिए हुए थे जिन्होंने दंगा भड़काया। प्रभारी जिलाधिकारी का कहना था कि भारत बंद को लेकर ऐसी आशंकाएं थी कि बवाल हो सकता है इसलिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। पुलिस बल तैनात ना होता तो बवाल बढ़ सकता था। फिलहाल स्थिति कंट्रोल में है और यथावत स्थिति को बनाए रखने के लिए दलित बाहुल्य क्षेत्र में अत्यधिक पुलिस बल और RAF की टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं।
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