id
stringlengths 2
7
| url
stringlengths 32
738
| title
stringlengths 1
94
| text
stringlengths 313
146k
| word_count
int64 75
30.2k
|
---|---|---|---|---|
1411868 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE%20%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B2%20%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%9F%20%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%80 | महाराजा सुहेल देव स्टेट यूनिवर्सिटी | महाराजा सुहेल देव स्टेट यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश (भारत) के आजमगढ़ जिले में स्थित एक विश्वविद्यालय है। इसे आजमगढ़ विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। आजमगढ़ विश्वविद्यालय का नाम महाराजा सुहेलदेव के नाम पर होगा, इसकी घोषणा स्वयं गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया गया था.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय में स्नातक से शोध उपाधी तक की पढ़ाई होती है।
स्थापना
इसकी स्थापना उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी राजपत्र अधिसूचना संख्या 1446/79-वी-1-19-1 (के) -3-19, लखनऊ, दिनांक 5 अगस्त 2019 के तहत की थी।
राज्य सरकार के द्वारा अधिसूचना संख्या 610/सत्तार-1-2021-16(74)/2018 टी.सी., लखनऊ, दिनांक 28 अप्रैल 2021, विश्वविद्यालय का पहला शैक्षणिक सत्र 2021-2022 से शुरू किया गया था।
संबंधित महाविद्यालय
इस विश्वविद्यालय से आजमगढ़ और मऊ जिले से सम्बंधित ४३८ महाविद्यालय जुड़े हुए हैं। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से पूर्व ये सभी महाविद्यालय (आजमगढ़ और मऊ) , वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल यूनिवर्सिटी से सम्बंधित थे.
इस विश्वविद्यालय के 438 महाविद्यालयों में 15 सरकारी सहायता प्राप्त गैर-सरकारी कॉलेज, 4 सरकारी कॉलेज और 419 स्व-वित्तपोषित कॉलेज शामिल हैं।
पाठ्यक्रम
विश्वविद्यालय तथा उसके महाविद्यालयों में कृषि, कला, वाणिज्य, शिक्षा, कानून और विज्ञान संकाय के तहत विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम चलाये जाते है। स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में बीए, बीएड, बीएससी, बीएससी एजी, बीकॉम। और LL.B. प्रमुख हैं। परास्नातक पाठ्यक्रमों में M.A., M.Ed., M.Sc., M.Sc.Ag., M.Com। और LLM प्रमुख हैं।
स्थिति
महाराजा सुहेल देव स्टेट यूनिवर्सिटी की स्थापना उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुई है. आजमगढ़ जिला राज्य की राजधानी लखनऊ से 260 किमी पूर्व में स्थित है. वर्तमान समय में इसका स्थाई पता निम्न है -
डीएवी पी.जी. कॉलेज कैंपस (रैदोपुर आजमगढ़ उत्तर प्रदेश [276001])
बाहरी कड़ियाँ
उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालय और कॉलेज
आज़मगढ़ ज़िला
भारतीय विश्वविद्यालय | 280 |
1181902 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6 | उपेंद्र प्रसाद | उपेंद्र प्रसाद एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। उन्हें जनता दल (यूनाइटेड) से विधान सभा द्वारा निर्वाचित सदस्य के रूप में बिहार विधान परिषद के लिए चुना गया था। बाद में वह हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा में शामिल हो गए।उपेंद्र प्रसाद का जन्म एक कुशवाहा परिवार में हुआ था। उन्होंने सुशील कुमार सिंह के खिलाफ बिहार में औरंगाबाद निर्वाचन क्षेत्र से 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ा था। जीवन के शुरुआती वर्षों में वे क्रांतिकारी कम्युनिस्ट केंद्र के सदस्य थे|उन्होंने इस चुनाव में महागठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ा था। यह गठबंधन कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और वीआईपी पार्टी से बना था।
सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियां
जदयू एमएलसी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लिया।
1985-1989 तक पटना वि.वि. छात्र सभा का अध्यक्ष।
1989-1994 तक बिहार प्रदेश छात्र संधर्ष समिति का संयोजक।
1994- 2006 तक छात्र जनता दल से राष्ट्रीय छात्र जनता दल का प्रदेश अध्यक्ष।
1994 से जननायक कर्पूरी ठाकुर विचार केन्द्र का प्रधान महासचिव।
1997 से प्रकाशित त्रैमासिक वैचारिक पत्रिका 'विचार मंथन' का मुख्य संपादक।
2003 में पटना विश्वविद्यालय के सिनेट के सदस्य के रूप में योगदान।
2004 से 2008 तक पटना वि.वि. वित्त समिति का सदस्य।
शुद्रों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर जानकी प्रकाशन द्वारा पुस्तक का प्रकाशन।
विभिन्न शोध पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर शोधपरक लेखों का प्रकाशन।
विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से संबद्ध, जिनके माध्यम से कुष्ट रोग आश्रम का संचालन, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन इत्यादि।
सन्दर्भ
1964 में जन्मे लोग
जीवित लोग | 253 |
53350 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%AE%20%E0%A4%B6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%AF | अधिकतम शक्ति अन्तरण प्रमेय | विद्युत प्रौद्योगिकी में विद्युत परिपथ सम्बन्धी यह महत्त्वपूर्ण प्रमेय है। इसके अनुसार यदि स्रोत का इम्पीडेन्स (प्रतिबाधा) नियत हो और लोड की प्रतिबाधा बदलने की स्वतन्त्रता हो तो स्रोत से लोड को अधिकतम शक्ति उस दशा में हस्तानान्तरित होगी जब लोड का इम्पीडेन्स स्रोत के इम्पीडेन्स का समिश्र युगल (complex conjugate) के बराबर हो। इसे ही अधिकतम शक्ति (हस्तानान्तरण) प्रमेय (maximum power (transfer) theorem) कहते हैं।
ऐसा दावा किया जाता है कि जैकोबी (Moritz von Jacobi) ने सबसे पहले इसका आविष्कार किया।
विशेष
यह ध्यातब्य है कि यह प्रमेय अधिकतम शक्ति के बारे में है, अधिकतम दक्षता के बारे में नहीं। महत्तम शक्ति ट्रान्सफर की दशा में स्रोत से उत्पन्न कुल शक्ति का केवल ५०% ही लोड को स्थानातरित होता है। (अर्थात दक्षता=५०%)
इसमें स्रोत का इम्पीडेन्स दिया हुआ है (या, नियत है); लोड का इम्पीडेन्स बदलने की स्वतन्त्रता है। किन्तुइसके विपरीत लोड की इम्पीडेन्स नियत हो और स्रोत का इम्पीडेन्स बदलने की स्वतन्त्रता हो तो स्रोत से लोड को अधिकतम शक्त उस दश्आ में ट्रान्सफर होगी जब स्रोट का इम्पीडेन्स शून्य हो जाय।
शक्तिशाली परिपथों (पॉवर सर्किट्स) में कभी भी महत्तम शक्ति हस्तानातरण की बात नहीं की जाती है न ही इसकी कामना की जाती है। क्योंकि शक्ति-परिपथों में दक्षता बहुत महत्त्व की है; अधिकतम शक्ति का हस्तानान्तरण कोई मुद्दा ही नहीं होता।
इसी प्रकार अधिकतर संचार परिपथों में भीइसका उपयोग नहीं किया जाता - अधिकांश परिपथों के ऑउटपुट इम्पीडेन्स बहुत कम होते हैं और उनके इनपुट इम्पीडेन्स बहुत अधिक।
अधिकतम शक्ति ट्रान्सफर के लिये इम्पीडेन्स-मैचिंग कुछ ही स्थानों व्यावहारिक रूप से उपयोगी होता है। उदाहरण के लिये आर-एफ् पॉवर एम्प्लिफायर के ऑउटपुत को एन्टेना के इम्पीडेन्स से मैच कराया जाता है।
महत्तम शक्ति एवं महत्तम दक्षता (Maximizing power transfer versus power efficiency)
अधिकतम शक्ति ट्रान्सफर की दशा में अधिकतम दक्षता की प्राप्ति नहीं होती। यदि हम दक्षता (efficiency)
को लोड को प्राप्त शक्ति एवं स्रोत से उत्पन्न शक्ति के अनुपात (रेशियो) के रूप में परिभाषित करें तो,
इन तीन दशाओं पर विचार कीजिये:
यदि , तो .
यदि or , तो .
यदि , तो .
इस प्रकार स्पष्ट है कि जब अधिकतम शक्ति लोड को हस्तानान्तरित होती है तब दक्षता केवल ५०% ही है।
पूर्णतः प्रतिरोधात्मक परिपथ के लिये कैलकुलस पर आधारित उपपत्ति
(See Cartwright for a non-calculus-based proof)
सामने के चित्र में, वोल्टता एवं नियत स्रोत प्रतिरोध (source resistance]) वाले स्रोत से एक प्रतिरोध वाले लोड में विद्युत शक्ति दी जा रही है। इससे लोड में धारा प्रवाहित हो रही है। ओम के नियम के अनुसार का मान स्रोत वोल्टता को कुल प्रतिरोध से भाग करने पर प्राप्त संख्या के बराबर होगा।
लोड में व्यय हुई शक्ति धारा के वर्ग एवं लोड के प्रतिरोध के गुणनफल के बराबर होगी।
अब हम का वह मान निकाल सकते हैं जिसके लिये शक्ति का यह व्यंजक महत्तम मान ग्रहण करतअ है। इसके बजाय का वह मान ज्ञात करना अधिक आसान है जिसके लिये इस व्यंजक का हर (denominator) न्यूनतम हो। दोनो ही दशाओं में एक ही परिणाम मिलेगा।
के सापेक्ष अवकलन करने पर,
अधिअकतम या न्यूनतम (maximum or minimum) के लिये पहला अवकलज शून्य होना चाहिये।
or
व्यावहारिक परिपथों में एवं दोनो ही धनात्मक (positive.) मान वाले होते हैं। यह जानने के लिये कि प्राप्त परिणाम अधिकतम देता है या न्यूनतम, एक बार और अवकलन करने पर-
एवं के धनात्मक मानों के लिये यह धनात्मक है। इसका अर्थ है कि उक्त हर उपर्युक्त दशा में न्यूनतम होगा; अर्थात् शक्ति का मान महत्तम होगा।
रिएक्टिव परिपथों के लिये (In reactive circuits)
यह प्रमेय उस दशा में भी सत्य है जब स्रोत एवं लोड के इम्पीडेन्स पूर्ण्तः प्रतिरोधात्मक नहीं हैं बल्कि रिएक्टिव प्रकृति के हैं।
प्रतिबाधा सुमेलन (Impedance matching)
रेडियो, ट्रान्समिशन लाइनों एवं कुछ एलेक्ट्रॉनिक परिपथों में प्रायः ऐसी जरूरत होती है कि लोड (जैसे एन्टेना) का इम्पीडेन्स स्रोत (जैसे ट्रान्समिटर) के इम्पीडेन्स के बराबर रखा जाय। इससे ट्रान्समिसन लाइन में रिफ्लेक्शन (परावर्तन) की समस्या नहीं होता।
इन्हें भी देखें
प्रतिबाधा सुमेलन (इम्पीडेन्स मैचिंग)
टिप्पणियाँ
सन्दर्भ
H.W. Jackson (1959) Introduction to Electronic Circuits, Prentice-Hall.
बाहरी कड़ियाँ
The complex conjugate matching false idol
Conjugate matching versus reflectionless matching (PDF) taken from Electromagnetic Waves and Antennas
The Spark Transmitter. 2. Maximising Power, part 1.
Jacobi's theorem - unconfirmed claim that theorem was discovered by Moritz Jacobi
MH Jacobi Biographical notes
Google Docs Spreadsheet calculating max power transfer efficiencies by Sholto Maud and Dino Cevolatti.
परिपथ के प्रमेय
विद्युत प्रौद्योगिकी | 716 |
13329 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%A8 | गबोन | गबोन या गबॉन पश्चिम मध्य अफ़्रीका में स्थित एक देश है, जिसके पश्चिम में गिनी की खाड़ी, उत्तर पश्चिम में ईक्वीटोरियल गिनी, उत्तर में कैमरून और पूर्व व दक्षिण में कांगो गणराज्य से सीमा मिलती है। लगभग २,७०,००० वर्ग किमी में फैले देश की जनसंख्या करीबन १,५००,००० है। देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर लिब्रेविल है। 17 अगस्त 1960 में फ्रांस से स्वतंत्रता हासिल करने के बाद देश पर तीन राष्ट्रपति द्वारा शासन किया गया है। प्रचुर प्राकृतिक संसाधन और विदेशी निजी निवेश की वजह से कम आबादी वाला यह उप सहारा अफ्रीका क्षेत्र का सबसे समृद्ध और उच्च मानव विकास सूचकांक वाला देश है।
गैबॉन के राष्ट्रपतियों की सूची
देश
अफ़्रीका के देश
गबोन | 116 |
382393 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%A4%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%20%E0%A4%85%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BE%20%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%AC%20%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B0 | बलवंत पांडुरंग अण्णा साहब किर्लोस्कर | बलवंत पांडुरंग अण्णा साहब किर्लोस्कर (1843-1885 ई0) मराठी रंगमंच के आदि संगीत-नाटककार थे।
आपका जन्म महाराष्ट्र के बेलगाँव जिले के एक गाँव में हुआ था। विद्याध्ययन के लिए 1863 में पूना भेजे गए किंतु संगीत और नाटक में आरंभ से ही रुचि होने के कारण स्कूली पढ़ाई में मन नहीं लगा। पढ़ाई छोड़कर आपने अध्यापक, सिपाही आदि की नौकरी की पर उनके जीवन का विकास नाटक के क्षेत्र में ही हुआ। उन्होंने 1866 में भारत शास्त्रोत्तेजक मंडली की स्थापना की और अपने लिखे नाटक श्री शंकर-दिग्विजय और 'अलाउद्दीन' का मंचन किया। इसमें उन्हें पर्याप्त सफलता मिली। इससे उत्साहित होकर उन्होंने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर किर्लोस्कर संगीत नाटक मंडली के नाम से एक व्यावसायिक संस्था की स्थापना की और 1880 ई. में पूना में अभिज्ञान शाकुंतल का मराठी संगीत रूपक संगीत शाकुंतल प्रस्तुत किया। इस नाटक की सफलता ने मराठी रंगमंच में एक नया युग उपस्थित कर दिया। किर्लोस्कर ने 'संगीत शाकुंतल' के अतिरिक्त सौभद्र रामराज्य वियोग आदि अन्य कई नाटक लिखे और वे सभी समादरित हुए।
42 वर्ष की अवस्था में आपका 2 नवंबर 1885 ई. में देहांत हो गया।
मराठी रंगमंच का इतिहास
1843 में, उसी वर्ष जिसमें किर्लोस्कर का जन्म हुआ था, विष्णुदास भावे ने नाटक सीता स्वयंवर (सीतास्वयंवर) का मंचन करके मराठी नाटकों की प्रस्तुति की शुरुआत की, सांगली की रियासत के राजा तब दर्शकों के बीच उपस्थित थे।
बेलगाम में एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम करते हुए, किर्लोस्कर ने 1866 में भारतशास्त्रोत्तेजक मंडली की स्थापना की। सात साल बाद, उन्होंने अपने पहले गद्य नाटक श्री शंकर दिग्विजय (श्रीशंकर दिग्विजय) की रचना को कोल्हापुरकर नाटक मंडली द्वारा सार्वजनिक प्रस्तुति के लिए पूरा किया। ) 1874 के आसपास, उन्होंने किर्लोस्कर नाटक मंडली (किरहोस्कर नाट्य मंडली) की स्थापना की।
1879 में, नाटककार और निर्माता त्रिलोककर ने स्वतंत्र रूप से मराठी जनता के लिए अपना संगीत नाटक नल-दमयंती (नल-दमयंती) प्रस्तुत किया। यह मराठी मंच पर पहला संगीतमय नाटक था।
बाहरी कड़ियाँ
https://web.archive.org/web/20110822121928/http://www.kamat.com/indica/music/natya_sangeet.htm
मराठी साहित्यकार | 317 |
577733 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%96%E0%A5%8B%E0%A4%AE%20%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88%20%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%82 | साइखोम मीराबाई चानू | साइखोम मीराबाई चानू (जन्म : 8 अगस्त 1994) एक भारतीय भारोत्तोलन खिलाड़ी हैं। २०२१ के टोक्यो ओलंपिक खेलों में इन्होंने ४९ किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता। भारत के लिये भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने वाली वे प्रथम महिला हैं। वर्ष 2022 में बर्मिंघम हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में मीराबाई चानू ने 49kg वेटलिफ्टर में 109 kg वेटलिफ्टिंग कर गोल्ड मेडल अपने नाम की हैं।
व्यक्तिगत जीवन
साइखोम मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को भारत के एक उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर की राजधानी इम्फाल में हुई थी। इनकी माता का नाम साइकोहं ऊँगबी तोम्बी लीमा है जो पेशे से एक दुकानदार हैं वहीँ इनके पिता का नाम साइकोहं कृति मैतेई है जो PWD डिपार्टमेंट में नौकरी करते हैं। मीराबाई चानू अपने बचपन के दिनों से ही भारत्तोलन में रूचि रखती थी क्युकी केवल 12 वर्ष की उम्र में ही लकड़ियों के गुच्छे उठाकर अभ्यास किया करती थी।
कैरियर
चानू ने 2014 राष्ट्रमण्डल खेल में 48 किग्रा श्रेणी में रजत पदक जीता तथा गोल्ड कोस्ट में हुए 2018 संस्करण में विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण पदक जीता। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2017 में अनाहाइम, संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित हुई विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना था। चानू ने 24 जुलाई 2021 को ओलम्पिक में 49 किग्रा भारोत्तोलन मेंं भारत के लिए पहला रजत पदक जीता।
उन्होंने स्नैच में 87 kg भार उठाते हुए,क्लीन एंड जर्क में 115 kg सहित कुल 202 किलोग्राम वजन उठा कर रजत पदक पर कब्ज़ा किया । चानू ने टोक्यो ओलम्पिक 2020(2021) में भारत को पहला पदक दिलाकर पदक तालिका में खाता खोला।
गौरतलब है कि सुश्री कर्णम मल्लेश्वरी (कांस्य पदक सिडनी ओलंपिक 2000) के बाद चानू वेटलिफ्टिंग मे पदक जीतने वाली दूसरी व भारत की ओर से रजत पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय वैटलिफ्टर बन गई है। चानू ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वयं के 186 kg रिकॉर्ड को तोड़कर नया कीर्तिमान 202 kg स्थापित किया।
इन्होंने ग्लासगो में हुए 2014 राष्ट्रमण्डल खेलों में भारोत्तोलन स्पर्धा के 48 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक प्राप्त किया। उन्होंने कुल 170 किलो वजन उठाया, जिसमें 75 स्नैच में और 95 क्लीन एण्ड जर्क में था। इन्होंने ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में आयोजित २०१६ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया, किंतु क्लीन एण्ड जर्क में तीनों प्रयास असफल रहने के बाद वह पदक जीतने में असफल रहीं।
2017 में उन्होंने महिला महिला 48 किग्रा श्रेणी में 194 किग्रा (85 किग्रा स्नैच तथा 109 किग्रा क्लीन एण्ड जर्क) का भार उठाकर 2017 विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप, अनाहाइम, कैलीफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्वर्ण पदक जीता। वह भारत में मणिपुर राज्य से हैं।
चानू ने 196 किग्रा, जिसमे 86 kg स्नैच में तथा 110 किग्रा क्लीन एण्ड जर्क में था, का वजन उठाकर भारत को 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। इसके साथ ही उन्होंने 48 किग्रा श्रेणी का राष्ट्रमण्डल खेलों का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। मीराबाई चानू ने लगातार दूसरी बार भारत को कामनवेल्थ खेलों में वर्ष 2022 में 30 जुलाई 2022 को स्वर्ण पदक दिलाया है। https://importantsarkarischeme.blogspot.com/
प्रमुख परिणाम
सम्मान
2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण जीतने पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ₹15 लाख की नकद धनराशि देने की घोषणा की। 2018 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। इन्हें २०१८ में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
टोक्यो ओलंपिक 2021 में सवर्ण पदक जीतने पर मणिपुर सरकार ने 1 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि एवं सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है।
सन्दर्भ
2014 राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत के रजत पदक विजेता खिलाड़ी
भारतीय महिला भारोत्तोलक
2016 ओलम्पिक में भारत के खिलाड़ी
मणिपुर के खिलाड़ी
1994 में जन्मे लोग
जीवित लोग
पद्मश्री प्राप्तकर्ता
इम्फाल के लोग
2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत के स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी
राजीव गांधी खेल रत्न के प्राप्तकर्ता
2020 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भारत के रजत पदक विजेता
भारत के ओलम्पिक रजत पदक विजेता
भारत के ओलम्पिक खेल पदक विजेता
2020 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भारत के खिलाड़ी | 654 |
1461982 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A5%81%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%87 | सुधांशु पांडे | सुधांशु पांडे (जन्म 22 अगस्त 1974) एक भारतीय मॉडल, फिल्म और टेलीविजन अभिनेता, गायक, लेखक और निर्माता हैं। उन्हें अनुपमा और अनुपमा: नमस्ते अमेरिका में वनराज शाह की भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने करियर में हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषाओं की कई फिल्मों में काम किया है।
आजीविका
पांडे ने अपने करियर की शुरुआत 90 के दशक की शुरुआत में मॉडलिंग से की थी। उनका डेब्यूटेंट टेलीविज़न शो कन्यादान 1998 में प्रसारित हुआ। उनकी पहली फिल्म अक्षय कुमार के साथ समानांतर लीड के रूप में खिलाड़ी 420 है। 1999 में पांडे ने पंकज उधास के एल्बम महक के एक गीत मैखाने से शराब से में अभिनय किया। फिर वह भारत के पहले एवर म्यूजिक बैंड ए बैंड ऑफ बॉयज का हिस्सा बने। बाद में 2005 में पांडे बैंड से ऑप्ट आउट हो गए क्योंकि उन्हें आर्थिक रूप से बसने की जरूरत थी।
पांडे 2010 के पूरे दशक में नियमित रूप से तमिल सिनेमा में दिखाई दिए, और पहली बार अजित कुमार अभिनीत बिल्ला II (2012) में मुख्य खलनायक की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने मेघामन (2014), इंद्रजीत (2017) और 2.0 (2018) में भूमिकाएं निभाईं, जो रिलीज के समय सबसे महंगी भारतीय फिल्म थी।
पांडे का एक प्रोडक्शन हाउस रॉ स्टॉक प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड है, जिसके तहत उन्होंने 2018 में अपना पहला सिंगल तेरी अदा का एक म्यूजिक वीडियो बनाया था, जिसमें वे गीतकार भी थे, 2021 में एक शॉर्ट फिल्म फितरत के साथ ताहिर बेग उनका दूसरा होम प्रोडक्शन था।
2020 से, वह अनुपमा में वनराज शाह का किरदार निभा रहे हैं, जिसने उन्हें हिंदी भाषी दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। 2022 में, उन्होंने अनुपमा की ग्यारह-एपिसोड प्रीक्वल वेब श्रृंखला अनुपमा: नमस्ते अमेरिका में वनराज शाह की अपनी भूमिका को दोहराया, जो डिज्नी + हॉटस्टार पर प्रसारित होता है।
2023 में पांडे ने मदालसा शर्मा चक्रवर्ती अभिनीत अपना दूसरा एकल एकल दिल की तू ज़मीन का निर्माण किया।
व्यक्तिगत जीवन
पांडे की शादी मोना पांडे से हुई है और उनके दो बेटे निर्वान और विवान पांडे हैं।
फिल्मोग्राफी
पांडे 2001 से 2005 तक ए बैंड ऑफ़ बॉयज़ का हिस्सा थे क्योंकि उन्होंने 2005 में ऑप्ट आउट किया था।
फिल्में
वीडियो संगीत
टेलीविजन
वेब सीरीज
डिस्कोग्राफी
फिल्म संगीत
अविवाहित
पुरस्कार एवं नामांकन
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
1974 में जन्मे लोग
जीवित लोग | 376 |
812228 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC | टिफ़नी बराड़ | टिफ़नी बराड़ (जन्म 1988) एक भारतीय सामुदायिक सेवा कार्यकर्ता है, जो बचपन से ही अंधी है। वह एक गैर-लाभकारी संगठन तिर्गामया फाउंडेशन की संस्थापक हैं, जिसका लक्ष्य मिशन सफल और हमवार अस्तित्व के लिए आवश्यक कौशल हासिल करने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में अंधा लोगों कीहायता करना है।
जीवनी
मूल रूप से उत्तरी भारत की टिफ़नी बराड़ का जन्म चेन्नई में हुआ था। रेटिना रोग के कारण उसके जन्म के तुरंत बाद वह अंधी हो गई थी। एक भारतीय सैन्य अधिकारी की बेटी, बराड़ को कई क्षेत्रों में यात्रा करने का फायदा रहा। चूंकि वह अंधी थी, इसलिए मौखिक संचार बहुत महत्वपूर्ण था और परिणामस्वरूप वह बहुभाषी बन गई अपने बचपन के दौरान, बराड़ ने पांच भारतीय भाषाओं को धाराप्रवाह बोलना सीख लिया था। उसने अपने स्कूल को ग्रेट ब्रिटेन में शुरू किया था, जब उसके पिता वहां तैनात थे। वह तब भारत लौट आई और अंधों के लिए स्कूलों में, एकीकृत स्कूलों में, और सैन्य विद्यालयों में जो अंधा के लिए विशेष नहीं थे, पढ़ाई की।केरल में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उस के पिता को दार्जिलिंग में स्थानांतरित किया गया, जहां उस ने अंधों के लिए मैरी स्कॉट होम्स में अध्ययन किया।
उसकी मां की मौत ने उसे एक ऐसी स्थिति में छोड़ दिया जिससे उसे खुद के लिए बहुत सी बातें सीखने की आवश्यकता हो। अपने स्कूल के दिनों में एक अंधे व्यक्ति के रूप में, उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए, उसे कक्षा के पीछे बैठने के लिए कहा जाता था और कभी-कभी प्रश्नों के उत्तर देने की अनुमति भी नहीं थी। उसके ब्रेल नोट या तो बहुत देर में आते या बिल्कुल भी ना आते। उसे उसके माता पिता द्वारा आश्रित और संरक्षित किया गया था और जब तक वो 20 साल की नहीं हो गई उसे पता नहीं चला कैसे वो स्वतंत्र रूप से अपने खुद के मामलों का ख्याल रखने के लिए आगे बड़े। वह लगातार सुजाखे लोगों पर निर्भर थी कि वे उसे स्कूल, कॉलेज और अन्य स्थानों पर ले जाए। इस वजह से, बराड़ ने जीवन में बहुत देर से रोज़ जीवन के कौशल सीखे थे। यह उसके लिए एक बड़ी चुनौती थी।
अपने सहपाठियों द्वारा लगातार भेदभाव और अलगाव और विभिन्न ईवैन्टों में शामिल ना किया जाना क्योंकि वह अंधी थी, भी केरल में अंधों की स्थिति को बदलने के लिए उस में एक आंतरिक प्रेरणा निर्मित की थी। यद्यपि मूल रूप से उत्तरी भारतीय है, आज बराड़ को लगता है कि उसका बाकी भाग्य केरल में है, जहां वह वर्तमान में रहती है। उसके स्कूल और कॉलेज के दिनों के दौरान एक बच्चे के रूप में आने वाली चुनौतियों ने अंधे लोगों की वर्तमान स्थिति को बदलने के लिए अपना दृढ़ संकल्प बना लिया है।उसने अपनी सभी चुनौतियों का सामना किया, सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में उनके समक्षों के साथ 12 वीं कक्षा में पहली स्थान पर पहुंच गई।
References
1988 में जन्मे लोग
जीवित लोग | 485 |
690593 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A6%20%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%28%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%95%29 | साजिद खान (निर्देशक) | साजिद खान भारतीय फिल्म निर्देशक, अभिनेता और टीवी प्रस्तोता हैं।
निजी जीवन
साजिद खान का जन्म 24 नवम्बर 1971 को मुंबई में अभिनेता कमरन खान और मेनका ईरानी के यहाँ हुआ। इनकी एक बहन फराह खान है, जो फिल्म निर्देशक, निर्माता और अभिनेत्री हैं।
फ़िल्में
निर्देशक
डरना जरूरी है (2006)
हे बेबी (2007)
हाउसफुल (2010)
हाउसफुल 2 (2012)
हिम्मतवाला (2013)
हमशकल्स (2014)
अभिनेता
झूठ बोले कौवा काटे (1998)
मैं हूँ ना (2004)
मुझसे शादी करोगी (2004)
हेप्पी न्यू इयर (2014)
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
जीवित लोग
1971 में जन्मे लोग
भारतीय फ़िल्म निर्देशक | 92 |
926796 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AF%20%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4 | प्रत्यय अमृत | सर प्रत्यय अमृत भारतीय राज्य बिहार में एक भारतीय वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी है और जिसे गांवों के विद्युतीकरण कार्य, बिजली विभाग के कामकाज को सुव्यवस्थित करने और बिहार में सड़कों और पुलों का निर्माण करने के लिए जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
प्रत्यय अमृत गोपालगंज जिला के हथुआ सब डिविजन के भरतपुरा गांव का निवासी है। अमृत के पिता रिपुसूदन श्रीवास्तव एक कॉलेज शिक्षक थे पूर्व कुलपति, जबकि उनकी मां कविता वर्मा भी एक व्याख्याता थीं। उनकी एक बहन है, प्रज्ञा रिचा जो आईपीएस हैं, मध्यप्रदेश में एडीजीपी पद पर कार्यरत हैं।। बड़ा भाई प्रतीक प्रियदर्शी भारतीय एलाइड सेवा में चयनित होने के बाद बीमा क्षेत्र में अधिकारी रहे। प्रत्यय ने सेंट स्टीफ़न कॉलेज, दिल्ली से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने प्राचीन इतिहास में स्नातकोत्तर किया और दिल्ली विश्वविद्यालय में शीर्ष स्थान पर रहे। अमृत को श्री वेंकटेश्वर कॉलेज, नई दिल्ली में एक व्याख्याता का काम पेश किया गया था। बाद में, अमृत ने अपने दूसरे प्रयास में आईएएस स्थिति में इतिहास और मनोविज्ञान के साथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षाओं को मंजूरी दे दी।
करियर
प्रत्यय बिहार कैडर के 1991 के बैच आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने जिला अस्पताल के लिए कटिहार के डीएम के रूप में सार्वजनिक-निजी साझेदारी लागू की। उन्होंने छपरा के डीएम के रूप में सिनेमाघरों में सीसीटीवी स्थापित करने के लिए अनिवार्य बनाकर प्रसिद्ध सोनपुर मेला में शो को धुंधला करने का अंत किया। प्रत्याय ने दुमका (अब झारखंड में) में आईएएस परिवीक्षा के दौरान एक जनजातीय संथाली भाषा को सीखा। अमृत ने सिमडेगा में उप-मंडल मजिस्ट्रेट में दूर-दराज वाले गांवों में जुआ रैकेट को फेंक दिया। अमृत नवंबर 2001 से अप्रैल 2006 तक नई दिल्ली में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे, लेकिन उन्होंने बिहार में निर्धारित समय सीमा से पहले छह महीने पहले इसे काट दिया था।
बिहार राज्य पुल निर्माण निगम
प्रत्यय अमृत बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (बीआरपीएनएन) का नेतृत्व करने वाले पहले आईएएस अधिकारी थे - 11 जून 1975 को एक निगम बनाया गया था, और जब वह संभाला गया तो परिसमापन के कगार पर था। उन्होंने बिहार रोड निर्माण सचिव के रूप में बीआरपीएनएन में सड़क निर्माण के क्षेत्र में काम किया। उन्होंने 2006 में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। फरवरी 2011 में अमृत को बिहार राज्य सड़क विकास निगम के प्रबंध निदेशक बनाया गया और संगठन ने त्याग किए गए लड़कियों को अपनाया।
बिहार स्टेट पॉवर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड
प्रत्यय को जून 2014 में बिहार स्टेट पॉवर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बनाया गया था। उन्होंने बिहार में 39,073 राजस्व गांवों के ग्रामीण विद्युतीकरण को पूरा किया। प्रत्यय को फरवरी 2016 में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव पद पर पदोन्नत किया गया।
जून 2016 में, पेड़ों की गिरफ्तारी का विरोध करने वाले व्यक्ति को खत्म करने की कथित तौर पर कोशिश करने के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
व्यक्तिगत जीवन
प्रत्यय अमृत ने अपने साथी दिल्ली विश्वविद्यालय के सहपाठी रत्ना से शादी की। इस दम्पति के एक बेटी और एक बेटा है, अंशुमत श्रीवास्तव (जन्म 1998), जिन्होंने अप्रैल 2010 में अखिल भारतीय टेनिस चैम्पियनशिप जीती थी।
पुरस्कार
प्रत्यय अमृत भारत में केवल आईएएस अधिकारी थे कि भारत सरकार ने सार्वजनिक प्रशासन में प्रधान मंत्री के उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए व्यक्तिगत श्रेणी में 2011 में चुना था। सुविधा प्रमाण पत्र पढ़ता है "अंतर को ब्रिजिंग: बिहार स्टेट ब्रिज कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन को एक लाभकारी इकाई में बदलना।"
इन्हें भी देखें
अशोक खेमका
नितीश कुमार
बेल्ट्रॉन
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
प्रत्यय अमृत
प्रत्यय अमृत
प्रत्यय अमृत
प्रत्यय अमृत पुरस्कार
प्रत्यय अमृत
1967 में जन्मे लोग
जीवित लोग
भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी | 595 |
1416213 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BE%20%E0%A4%9A%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8 | कृष्णा चली लंदन | कृष्णा चली लंदन स्टार प्लस पर एक भारतीय टेलीविजन नाटक श्रृंखला है। यह 21 मई 2018 से 14 जून 2019 तक प्रसारित हुआ। इसमें मेघा चक्रवर्ती के साथ गौरव सरीन और करण वोहरा मुख्य भूमिका में थे।
सारांश
राधे लाल शुक्ला उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहते हैं और एक अमीर लेकिन अनपढ़ परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अपनी अशिक्षा के लिए अपमानित, उसके दबंग और अभिमानी गैर-जैविक पिता गजोधर ने जिला-टॉपर कृष्णा दुबे को अपनी दुल्हन के रूप में पड़ोसी शहर मलिहाबाद से चुना।
कलाकार
मुख्य
मेघा चक्रवर्ती डॉ. कृष्णा सहाय के रूप में (उर्फ़ दुबे ; पूर्व शुक्ला ) : नैदानिक कैंसर विशेषज्ञ ; कक्ष नाथ की बेटी; राधे की विधवा; वीर की पत्नी (2018–2019)
राधे शुक्ला के रूप में गौरव सरीन: लंबोदर और वृंदा का बेटा; कृष्णा के पहले पति (2018–2019)
डॉ. वीर सहाय के रूप में करण वोहरा: क्लीनिकल कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ; सुनैना और कैलाश का बेटा; नयनी का भाई; कृष्णा के दूसरे पति (2018–2019)
अन्य
संदर्भ
स्टार प्लस के धारावाहिक
भारतीय टेलीविजन धारावाहिक | 167 |
45612 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | महारानी विक्टोरिया | महारानी विक्टोरिया, यूनाइटेड किंगडम की महारानी और भारत की साम्राज्ञी थीं।
जीवन्
विक्टोरिया का जन्म सन् 1819 के मई मास में हुआ था। वे आठ महीने की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया। विक्टोरिया के मामा ने उनकी शिक्षा-दीक्षा का कार्य बड़ी निपुणता से संभाला। वे स्वयं भी बड़े योग्य और अनुभवी व्यक्ति थे। साथ ही वे पुरानी सभ्यता के पक्षपाती थे। विक्टोरिया को किसी भी पुरुष से एकांत में मिलने नहीं दिया गया। यहाँ तक कि बड़ी उम्र के नौकर-चाकर भी उनके पास नहीं आ सकते थे। जितनी देर वे शिक्षकों से पढ़तीं, उनकी माँ या।
राजतिलक
अठारह वर्ष की अवस्था में विक्टोरिया गद्दी पर बैठीं। वे लिखती हैं कि मंत्रियों की रोज इतनी रिपोर्टें आती हैं तथा इतने अधिक कागजों पर हस्ताक्षर करने पड़ते हैं कि मुझे बहुत श्रम करना पड़ता है। किंतु इसमें मुझे सुख मिलता है। राज्य के कामों के प्रति उनका यह भाव अंत तक बना रहा। इन कामों में वे अपना एकछत्र अधिकार मानती थीं। उनमें वे मामा और माँ तक का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करती थी। 'पत्नी, माँ और रानी - तीनों रूपों में उन्होंने अपना कर्तव्य अत्यंत ईमानदारी से निभाया। घर के नौकरों तक से उनका व्यवहार बड़ा सुंदर होता था'
विवाह
विवाह होने पर वे पति को भी राजकाज से दूर ही रखती थीं। परंतु धीरे-धीरे पति के प्रेम, विद्वत्ता और चातुर्य आदि गुणों ने उन पर अपना अधिकार जमा लिया और वे पतिपरायण बनकर उनके इच्छानुसार चलने लगीं। किंतु 43 वर्ष की अवस्था में ही वे विधवा हो गईं। इस दुःख को सहते हुए भी उन्होंने 39 वर्ष तक बड़ी ईमानदारी और न्याय के साथ शासन किया। जो भार उनके कंधों पर रखा गया था, अपनी शक्ति-सामर्थ्य के अनुसार वे उसे अंत तक ढोती रहीं। किसी दूसरे की सहायता स्वीकार नहीं की।
उनमें बुद्धि-बल चाहे कम रहा हो पर चरित्रबल बहुत अधिक था। पत्नी, माँ और रानी - तीनों रूपों में उन्होंने अपना कर्तव्य अत्यंत ईमानदारी से निभाया। घर के नौकरों तक से उनका व्यवहार बड़ा सुंदर होता था। भारी वैधव्य-दुःख से दबे रहने के कारण दूसरों का दुःख उन्हें जल्दी स्पर्श कर लेता था। रेल और तार जैसे उपयोगी आविष्कार उन्हीं के काल में हुए।
इन्हें भी देखें
ब्रिटेन के शासक
ब्रिटिश राजतंत्र
ब्रिटेन के शासक
महारानी विक्टोरिया
इंग्लैण्ड के शासक | 374 |
918216 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%AF%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A4%B0 | विजय मांजरेकर | विजय मांजरेकर (२६ सितम्बर १९३१ - १८ अक्तूबर १९८३) एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी थे। इन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए वर्ष १९५१-५२ से १९६५ तक टेस्ट क्रिकेट खेला था। ये पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी संजय मांजरेकर के पिता हैं। संजय मांजरेकर ने भारत के लिए ३७ टेस्ट और ७४ एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेले थे। विजय मांजरेकर मुख्य रूप से दाहिने हाथ के बल्लेबाज थे जिन्होंने ५५ टेस्ट मैच खेले थे जिसमें ३२०८ रन बनाये थे।
इन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए इन्होंने ३० दिसम्बर १९५१ को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था और वह मैच इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ कोलकता के ईडन गार्डन्स मैदान पर खेला गया था जिसमें ४८ रनों की पारी खेली थी। जबकि अंतिम मैच इन्होंने २७ फरवरी से २ मार्च १९६५ को न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ खेला था जिसमें दूसरी में १०२ रनों की शतकीय पारी खेली थी।
विजय मांजरेकर का निधन ५२ साल की उम्र में १८ अक्तूबर १९८३ को चेन्नई) तमिलनाडु में हुआ था।
सन्दर्भ
भारतीय टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी
1931 में जन्मे लोग
१९८३ में निधन
दाहिने हाथ के बल्लेबाज़
मुंबई के लोग
अर्जुन पुरस्कार के प्राप्तकर्ता | 188 |
753135 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97 | पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग | पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (उर्दू: تنظیم حقوق انسانی پاکستان), या HRCP, एक स्वतंत्र,
गैर लाभकारी संगठन है। 1987 में इसे स्थापित किया गया था। यह सरकार या किसी राजनीतिक पार्टी के साथ संबद्ध नहीं है। यह सभी मामलों में निष्पक्षता के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता फैला, जनता की राय जुटाने में सहायता, जानकारी इकट्ठा करना और मानव अधिकारों के हनन के बारे में ज्ञान के प्रसार, और निगरानी और पाकिस्तान में मानव अधिकारों की रक्षा करना है।
सन्दर्भ
पाकिस्तान | 93 |
1181676 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%A8%20%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2 | ग्रीष्मकालीन महल | ग्रीष्मकालीन महल या समर पैलेस (सरलीकृत चीनी: 颐和园; पारंपरिक चीनी: 頤和園; pinyin: Yíhéyuán), चीन की राजधानी बीजिंग से 15 किमी दूर स्थित एक महल संकुल है। झीलों, उद्यानों और महलों से मिलकर बनी यह विशाल समष्टि 2.9 वर्ग किलोमीटर (1.1 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैली है। यह चीनी किंग राजवंश का एक शाही उद्यान था। महल के अधिकांश पर दीर्घायु पहाड़ी (万寿山; 萬壽山; Wànshòu Shān) और कुनमिंग झील स्थित हैं साथ ही महल का तीन-चौथाई हिस्सा जलक्षेत्र है।
दीर्घायु पहाड़ी लगभग 60 मीटर (200 फीट) ऊंची है और इसमें कई इमारतें अनुक्रम में स्थित हैं। सामने की पहाड़ी शानदार हॉल और मंडपों से समृद्ध है, जबकि इसके विपरीत, पीछे की पहाड़ी पर प्राकृतिक सुंदरता का वास है। 2.2 वर्ग किलोमीटर (540 एकड़) में फैली केंद्रीय कुनमिंग झील पूरी तरह से मानव निर्मित थी और खुदाई से निकली मिट्टी का उपयोग दीर्घायु पहाड़ी के निर्माण के लिए किया गया था।
दिसंबर 1998 में, यूनेस्को ने ग्रीष्मकालीन महल को अपनी विश्व विरासत सूची में शामिल किया। साथ ही इसे "चीनी परिदृश्य उद्यान डिजाइन" की एक उत्कृष्ट कृति घोषित किया। पहाड़ियों और खुले पानी के प्राकृतिक परिदृश्य को कृत्रिम विशेषताओं जैसे कि मंडप, हॉल, महलों, मंदिरों और पुलों के साथ जोड़ा गया है ताकि उत्कृष्ट कलात्मक मूल्य की सामंजस्यपूर्ण समष्टि बनाई जा सके"।
हाल के इतिहास में, यह दक्षिण-उत्तरी जल अंतरण परियोजना का केंद्रीय मार्ग टर्मिनस भी है, जो डेनजिग्कोऊ जलाशय, हुबेई से 1,267 किमी (787 मील) की दूरी पर है, जो इसे बीजिंग का मुख्य जलापूर्ति स्रोत बनाती है।
सन्दर्भ | 249 |
1489893 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A8%20%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%AA | ट्रोमेलिन द्वीप | TTromelin Island
ट्रोमेलिन द्वीप हिंद महासागर में एक समतल, निचला द्वीप है, जो रियूनियन और मेडागास्कर के बीच स्थित है। यह फ्रांसीसी दक्षिणी और अंटार्कटिक भूमि का हिस्सा है, लेकिन मॉरीशस संप्रभुता का दावा करता है। ट्रोमेलिन में वैज्ञानिक अभियानों और एक मौसम स्टेशन की सुविधाएं हैं। और पक्षियों और हरे समुद्री कछुओं के लिए घोंसले के स्थान के रूप में कार्य करता है।
विवरण
मस्कारेने बेसिन में ट्रोमेलिन द्वीप, आइल्स एपर्सेस का हिस्सा है। यह एक समतल, छोटा द्वीप है, जो केवल 7 मीटर ऊँचा है, जिसमें 80 हेक्टेयर झाड़ियाँ हैं। यह मूंगा चट्टानों से घिरा हुआ है और इसमें उचित बंदरगाह का अभाव है। मुख्य पहुंच द्वीप के उत्तर की ओर 3,900 फुट ऊंची हवाई पट्टी के माध्यम से है।
इतिहास
इस द्वीप की खोज 1720 के दशक में फ्रांस ने की थी। इसे फ्रांसीसी नाविक जीन मैरी ब्रायंड डे ला फ्यूइली द्वारा रिकॉर्ड किया गया था और इसका नाम इले डे सेबल ("आइल ऑफ सैंड") रखा गया था।
यूटाइल जहाज का मलबा
1761 में, फ्रांसीसी जहाज "यूटाइल" मेडागास्कर से मॉरीशस तक गुलामों को अवैध रूप से ले जाते समय ट्रोमेलिन द्वीप पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जीवित बचे लोगों में चालक दल और लगभग 60 मालागासी व्यक्ति शामिल थे। प्रोविडेंस पर 122 फ्रांसीसी नाविकों के प्रस्थान के समय वापसी का वादा किया गया था। इस कहानी ने दास व्यापार की क्रूरता के उदाहरण के रूप में ध्यान आकर्षित किया। 1776 में, एनसाइन ट्रोमेलिन-लानुगुय ने द्वीप से सात महिलाओं और एक बच्चे को बचाया, जिससे उनकी 15 साल की कठिन परीक्षा समाप्त हो गई। बचे हुए लोग, जो मूल रूप से मेडागास्कर के थे, ने वापस न लौटने का फैसला किया और मॉरीशस में उन्हें आज़ाद घोषित कर दिया गया। इस घटना ने बाद में गुलामी को ख़त्म करने के तर्कों का समर्थन किया।
"भूले हुए गुलामों" के लिए अभियान
2006 में, मैक्स गुएरौट और थॉमस रोमन के नेतृत्व में "फॉरगॉटन स्लेव्स" पुरातात्विक अभियान ने ट्रोमेलिन द्वीप पर "यूटाइल" के मलबे का पता लगाया। इसका उद्देश्य मालागासी बचे लोगों के जीवन को समझना था। उन्हें एक गुमनाम लॉगबुक, समुद्र तट के बलुआ पत्थर और मूंगे से बने तहखाने, तांबे के कटोरे और पंद्रह वर्षों तक आग बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किए गए उपकरण मिले।
2016 में, इन मिशनों के परिणामों को फ्रांस और विदेशी क्षेत्रों के विभिन्न स्थानों पर "ट्रोमेलिन, भूले हुए दासों का द्वीप" नामक एक प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया गया था।
संदर्भ
मॉरीशस के क्षेत्रीय विवाद
फ़्रांस के क्षेत्रीय विवाद
अफ़्रीका के क्षेत्रीय विवाद
विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक
फ्रेंच भाषा पाठ वाले लेख | 417 |
439362 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%B6%E0%A4%95 | हल्लीशक | हल्लीशक महाभारत में वर्णित एक नृत्यशैली है। इसका एकमात्र विस्तृत वर्णन महाभारत के खिल्ल भाग हरिवंश (विष्णु पर्व, अध्याय 20) में मिलता है। विद्वानों ने इसे रास का पूर्वज माना है साथ ही रासक्रीड़ा का पर्याय भी। आचार्य नीलकंठ ने टीका करते हुए लिखा है - 'हस्लीश क्रेडर्न एकस्य पुंसो बहुभि: स्त्रीभि: क्रीडन सैव रासकीड़'। (हरि. 2.20.36) 'हल्लीशक' का शाब्दिक अर्थ है - 'हल का हत्था'।
यह नृत्य स्त्रियों का है जिसमें एक ही पुरुष श्रीकृष्ण होता है। यह दो दो गोपिकाओं द्वारा मंडलाकार बना तथा श्रीकृष्ण को मध्य में रख संपादित किया जाता है। हरिवंश के अनुसार श्रीकृष्ण वंशी, अर्जुन मृदंग, तथा अन्य अप्सराएँ अनेक प्रकार के वाद्ययंत्र बजाते हैं। इसमें अभिनय के लिए रंभा, हेमा, मिश्रकेशी, तिलोत्तमा, मेनका, आदि अप्सराएँ प्रस्तुत होती हैं। सामूहिक नृत्य, सहगान आदि से मंडित यह कोमल नृत्य श्रीकृष्णलीलाओं के गान से पूर्णता पाता है। इसका वर्णन अन्य किसी पुराण में नहीं आता। भासकृत बालचरित् में हल्लीशक का उल्लेख है। अन्यत्र संकेत नहीं मिलता।
भारत के नृत्य
महाभारत | 164 |
551177 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B9%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%2C%20%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%B2%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6 | बल्ह विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश | बल्ह विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा के 68 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। मंडी जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 65,451 मतदाता थे।
विधायक
2012 के विधानसभा चुनाव में प्रकाश चौधरी इस क्षेत्र के विधायक चुने गए।
कालक्रम
इन्हें भी देखें
मंडी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची
बाहरी कड़ियाँ
हिमाचल प्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट
सन्दर्भ
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र | 85 |
719015 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AB%20%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A8 | यूसुफ हारून | यूसुफ़ हारून (1916 -12 फरवरी 2011) एक पाकिस्तानी राजनेता थे। वह 18 फरवरी 1949 से प्रभावी 7 मई 1950 तक सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री रहे थे। उनका संबंध राजनीतिक दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग से था। वह कराची नगर नाज़िम भी थे और 1969 में पूर्वी पाकिस्तान के गवर्नर भी रहे। वे पाकिस्तानी, दैनिक द डॉन के संस्थापकों में से थे। उनकी मृत्यु 12 फ़रवरी 2011 को न्यूयॉर्क, अमेरिका में हुई थी।
इन्हें भी देखें
सिंध
पाकिस्तान की राजनीति
सिंध के मुख्यमंत्री
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
पाकिस्तान के लोग
पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ
सिंध के मुख्यमंत्री | 92 |
43095 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0%E0%A4%BE | काष्ठा | यह हिन्दू समय मापन इकाई है। यह इकाई अति लघु श्रेणी की है।
एक तॄसरेणु = 6 ब्रह्माण्डीय अणु.
एक तुटि = 3 तॄसरेणु, या सैकिण्ड का 1/1687.5 भाग
एक वेध =100 तुटि.
एक लावा = 3 वेध.
एक निमेष = 3 लावा, या पलक झपकना
एक क्षण = 3 निमेष.
एक काष्ठा = 5 क्षण, = 8 सैकिण्ड
एक लघु =15 काष्ठा, = 2 मिनट.
15 लघु = एक नाड़ी, जिसे दण्ड भी कहते हैं। इसका मान उस समय के बराबर होता है, जिसमें कि छः पल भार के (चौदह आउन्स) के ताम्र पात्र से जल पूर्ण रूप से निकल जाये, जबकि उस पात्र में चार मासे की चार अंगुल लम्बी सूईं से छिद्र किया गया हो। ऐसा पात्र समय आकलन हेतु बनाया जाता है।
2 दण्ड = एक मुहूर्त.
6 या 7 मुहूर्त = एक याम, या एक चौथाई दिन या रत्रि.
4 याम या प्रहर = एक दिन या रात्रि. https://web.archive.org/web/20100721112026/http://vedabase.net/sb/3/11/10/en1]
ऊष्ण कटिबन्धीय मापन
एक याम = 7½ घटि
8 याम अर्ध दिवस = दिन या रात्रि
एक अहोरात्र = नाक्षत्रीय दिवस (जो कि सूर्योदय से आरम्भ होता है)
एक तिथि वह समय होता है, जिसमें सूर्य और चंद्र के बीच का देशांतरीय कोण बारह अंश बढ़ जाता है। तुथियां दिन में किसी भी समय आरम्भ हो सकती हैं और इनकी अवधि उन्नीस से छब्बीस घंटे तक हो सकती है।
एक पक्ष या पखवाड़ा = पंद्रह तिथियां
एक मास = २ पक्ष (पूर्णिमा से अमावस्या तक कॄष्ण पक्ष; और अमावस्या से पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष)
एक ॠतु = २ मास
एक अयन = 3 ॠतुएं
एक वर्ष = 2 अयन
हिन्दू समय मापन | 266 |
1466208 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%28%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29 | एक्स (फ़िल्म) | एक्स () 2022 की अमेरिकी फ़िल्म है। इसे टीआई वेस्ट द्वारा निर्देशित, निर्मित और संपादित किया गया है। इसकी कहानी भी इन्हीं ने लिखी हैं। इसमें मिया गॉथ दोहरी भूमिकाओं में हैं: मैक्सिन नामक एक युवा महिला और पर्ल नामक एक बुजुर्ग महिला।
फिल्म में जेना ओर्टेगा, मार्टिन हेंडरसन, ब्रिटनी स्नो, ओवेन कैंपबेल, स्टीफन उरे और स्कॉट मेस्कुडी भी सहायक भूमिकाओं में दिखाई देते हैं। फ़िल्म कलाकारों के समूह के ऊपर है जो टेक्सास में एक बुजुर्ग जोड़े की ग्रामीण संपत्ति पर एक अश्लील फिल्म बनाने के लिए इकट्ठा होते हैं। लेकिन वह बुजुर्ग जोड़ा मानवघाती बन जाता है और उनको मारने लगता है।
निर्माण
नवंबर 2020 में, यह घोषणा की गई थी कि A24 नामक कंपनी एक हॉरर फिल्म एक्स का निर्माण करेगी। जिसे टीआई वेस्ट द्वारा लिखा और निर्देशित किया जाएगा। इस फ़िल्म के कलाकार मिया गोथ, स्कॉट मेस्कुडी (जो कार्यकारी निर्माता भी हैं) और जेना ओर्टेगा होंगे। फरवरी 2021 में, ब्रिटनी स्नो फ़िल्म के कलाकारों में शामिल हुईं।
मुख्य फिल्मांकन 16 फरवरी से 16 मार्च, 2021 तक उत्तर द्वीप के मनावातु क्षेत्र में हुआ। वांगानुई शहर और उसके आसपास में कई दृश्य फिल्माए गए। मिया गॉथ ने बुजुर्ग महिला को चित्रित करने के लिए व्यापक कृत्रिम मेकअप का प्रयोग किया। यह फ़िल्म संयुक्त राज्य अमेरिका में 18 मार्च, 2022 को जारी हुई थी। इसको 14 अप्रैल, 2022 को वीडियो ऑन डिमांड सेवाओं (जैसे, एप्पल टीवी, अमेज़न प्राइम वीडियो और यूट्यूब) पर जारी किया गया था।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
2022 की फ़िल्में
अंग्रेज़ी फ़िल्में | 246 |
841077 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%20%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8 | अतीन्द्रिय ज्ञान | अतीन्द्रिय क्षमता का सामान्य परिचय
मनुष्य स्वयं ही एक जादू है। उसकी चेतना चमत्कारी है। उसकी दौड़ जिधर भी चल पड़ती है, उधर ही चमत्कारी उपलब्धियां प्रस्तुत करती है। बाह्य जगत की अपेक्षा अंतर्जगत की शक्ति अदृश्य होकर भी कहीं अधिक प्रखर और प्रभावपूर्ण होती है। मस्तिष्क में क्या विचार चल रहे होते हैं, यह दिखाई नहीं देता, पर क्रिया व्यापार की समस्त भूमिका मनोजगत में ही बनती है। अंतर्जगत विशाल और विराट है, उससे एक व्यक्ति ही नहीं, बड़े समुदाय भी प्रेरित और प्रभावित होते हैं।
लोग जानकारी प्राप्त करने के लिए सामान्यतः अपनी पांच इन्द्रियों- आंख, कान, नाक, जीभ तथा त्वचा का प्रयोग करते हैं, किन्तु संसार में ऐसे व्यक्ति भी हैं जो कि इन्द्रियों के प्रयोग के बिना ही असामान्य विधियों से जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
असामान्य विधियों के द्वारा जानकारी प्राप्त करने की इस क्षमता को परामनोविज्ञान अतीन्द्रिय बोध की संज्ञा देता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अतीन्द्रिय बोध किसी व्यक्ति की छठी इन्द्रिय है। अतीन्द्रिय बोध से प्राप्त जानकारी वर्तमान, भूत या भविष्य में से किसी भी काल की हो सकती है।
अतीन्द्रिय बोध का इतिहास
सन् 1870 में जियोलॉजिकल सोसाइटी के फैलो सर रिचार्ड बर्टन ने सर्वप्रथम अतीन्द्रिय बोध शब्द का प्रयोग किया। पुनः 1870 में ही अतीन्द्रिय बोध शब्द का प्रयोग फ्रांसीसी शोधकर्ता के द्वारा किया गया। 1892 में डॉ. पाल जोरी द्वारा इस शब्द का प्रयोग सम्मोहन से प्रभावित व्यक्तियों के वर्णन के लिए किया गया। यह एक सामान्य विश्वास है कि सम्मोहन से प्रभावित व्यक्ति अतीन्द्रिय बोध का प्रदर्शन करता है। म्यूनिख के आप्थालमोलॉजिस्ट डॉ. रुडोल्फ टिश्नर ने चैतन्यता के भौतिकीकरण के लिए सन् 1920 के दशक में अतीन्द्रिय बोध शब्द का प्रयोग किया। अंततः सन् 1930 में अमेरिका के परामनोवैज्ञानिक जेबी रिने ने अतीन्द्रिय बोध शब्द को लोकप्रिय बना दिया। रिने ही पहले परामनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने अतीन्द्रिय बोध पर प्रयोगशाला में अनेक प्रयोग किए। अतीन्द्रिय बोध के प्रदर्शन से ज्ञात होता है कि भौतिक नियमों के द्वारा इसकी व्याख्या करना अत्यन्त दुष्कर है।
विचार की तरंग
मन में जब कोई तरंग उठती है तो मनुष्य को इसका अहसास नहीं रहता कि वह क्या कर रहा है और उसे क्या करना है? विचार की ऐसी तरंग का प्रभाव विचित्र होता है। पर इसके उलट असर एकाग्रता का होता है। एकाग्रता बहुत बड़ी शक्ति है। जिस व्यक्ति में एकाग्रता की शक्ति विकसित हो जाती है, उसकी सारी शक्ति केंद्रित हो जाती है और वह केंद्रित शक्ति विस्फोट करती है। जैसे किसी शिलाखंड को निकालने के लिए बारूद का विस्फोट किया जाता है, वैसे ही शक्ति के आवरण को हटाने के लिए यह विस्फोट किया जाता है।
अतीन्द्रिय साधना के उपाय
अतीन्द्रिय ज्ञान की साधना के अनेक उपाय हैं। उनमें दो हैं-इन्द्रिय का संयम और स्थिरीकरण या एकाग्रता। स्थिरीकरण मन का भी होता है और वाणी तथा शरीर का भी, यही एकाग्रता है। जब मन, वाणी और शरीर की चंचलताएं समाप्त होती हैं, तब बाधाएं दूर हट जाती हैं। चंचलता सबसे बड़ी बाधा है। हिलते हुए दर्पण में मुंह दिखाई नहीं देता। स्थिर दर्पण में ही मुंह देखा जा सकता है। जब चेतना स्थिर होती है, तब इसमें बहुत चीजें देखी जा सकती हैं। जब चेतना चंचल होती है, तब उसमें कुछ भी दिखाई नहीं देता।
निर्विकल्प और एकाग्रता
तीसरा उपाय है- निर्विकल्प होना। निर्विकल्प का अर्थ है, विचारों का तांता टूट जाए। एकाग्रता और निर्विकल्पता में बहुत बड़ा अंतर है। एकाग्रता का अर्थ है, किसी एक बिंदु पर टिक जाना। यह भी एक प्रकार की चंचलता तो है ही। हम अहं या ओम् पर स्थिर हो गए, फिर भी चंचलता है। वहां न कोई विकल्प होता है, न शब्द, न चिंतन और मनन।
निर्विकल्प अवस्था में न स्फूर्ति रहती है, न कल्पना रहती है। बाहर का कोई भान नहीं रहता। इसमें केवल अंतर्मुखता, आत्मानुभूति, गहराई में डुबकियां लेना होता है। इस स्थिति में आवरण बहुत जल्दी टूटता है। आवरण को बल मिलता है विकल्पों के द्वारा। विकल्प, विकल्प को जन्म देता है। तरंग-तरंग को पैदा करती है। जब विकल्प समाप्त हो जाता है, तब आवरण को पोषण नहीं मिल पाता। वह स्वत: क्षीण हो जाता है। आहार के अभाव में जैसे शरीर क्षीण होता है, वैसे ही पोषण के अभाव में आवरण क्षीण होता जाता है। जिन लोगों ने एकाग्रता साधी है, निर्विकल्पता और समता साधी है, उन्हें ही अतीन्द्रिय ज्ञान की प्राप्ति हुई है। अतीन्दिय ज्ञान के तीन प्रकार हैं -अवधिज्ञान, मनःपर्यवज्ञान और केवलज्ञान। इन सबकी प्राप्ति के लिए समता की साधना एक अनिवार्य शर्त है। जब तक राग-द्वेष या प्रियता-अप्रियता के द्वंद्व में आदमी उलझा रहता है, तब तक आवरण को पोषण मिलता रहता है। जब समता सध जाती है, तब आवरण पुष्ट नहीं होता। आवरण की क्षीणता में ही अतीन्द्रिय चेतना जागती है।
समता की साधना
भगवान महावीर, महात्मा बुद्ध, ईसा मसीह, मोहम्मद साहब आदि जितने भी विशिष्ट व्यक्ति हुए हैं और जिन-जिन को विशिष्ट ज्ञान या बोधि की प्राप्ति हुई है, वह साधना के द्वारा ही हुई है। उस विशिष्ट साधना का एक महत्वपूर्ण अंग है समता। समता की साधना का अर्थ है -इंद्रिय संयम की साधना। इसके अंतर्गत आहार-संयम की बात स्वतः प्राप्त हो जाती है। आहार का संयम हमारी भीतरी शक्ति को जगाने में सहायक होता है। आहार शरीर पोषण के लिए आवश्यक है, तो आहार संयम ज्ञान के स्रोतों को प्रवाहित करने के लिए अनिवार्य है। भोजन से मैल जमता है और वह इतना सघन हो जाता है कि अतीन्द्रिय चेतना के जागरण की बात दूर रह जाती है, इन्द्रिय चेतना भी अस्त-व्यस्त हो जाती है। हमारा शरीर अतीन्द्रिय ज्ञान का स्रोत है। कभी-कभी अचानक कोई घटना घटती है और वे स्रोत उद्घाटित हो जाते हैं, तब आदमी को अतीन्द्रिय ज्ञान की प्राप्ति का अनुभव होने लग जाता है। साधना और आकस्मिकता, ये दोनों अतीन्द्रिय ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होते हैं। साधना की अपनी विशेषता है, क्योंकि उसकी एक निश्चित प्रक्रिया होती है। आकस्मिकता कभी-कभार होती है।
ऐसे जागेगी अतीन्द्रिय चेतना
अतीन्द्रिय चेतना को जगाने की शर्तें
1. बुरे विचार न आएं।
2. अनावश्यक विचार न आएं।
3. विचार बिलकुल न आएं।
यही विकास का क्रम है। यह न समझें कि आज ध्यान करने बैठे हैं और आज ही विचार आना बंद हो जाएगा। यह संभव नहीं है, क्योंकि हमने अनगिनत संबंध जोड़ रखे हैं। व्यक्ति घर में बैठा है और कारखाना मन में चल रहा है। दुकान में बैठा है और परिवार पीछे चल रहा है। ध्यान-शिविर में आप अकेले आए हैं, पत्नी पीछे है, आपका मन उसकी चिंता में उलझा हुआ है। संबंध जोड़ रखा है हजारों चीजों के साथ और विचार किसी का न आए, यह कैसे संभव है।
संबंध और विचार
संबंध और विचार-दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं। जहां संबंध है, वहां विचार का आना अनिवार्य है। यदि ध्यान के लिए आते समय सारे संबंधों से मुक्त होकर आते तो संभव भी हो सकता था, किन्तु बंध कर आते हैं, इसलिए इतना जल्दी छूट पाना संभव नहीं है। इस सूत्र पर ध्यान दें- जितने ज्यादा संबंध मुक्ति का भाव, उतना ज्यादा निर्विचार। आप विचारों को रोकने का प्रयत्न न करें, पहले संबंधों को कम करने का प्रयत्न करें। आपने अनुबंध कर लिया-तीन बजे मिलना है तो ढाई बजे ही आपका मानसिक भाव बदल जाएगा और आप घड़ी देखना शुरू कर देंगे। किसी और काम में फिर मन नहीं लगेगा। अगर आधा घंटा की देरी हो जाए तो आपकी झुंझलाहट बढ़ जाएगी। आप इस भ्रम में न रहें- एक ही दिन में मन के सारे संकल्प-विकल्प समाप्त हो जाएंगे। ऐसा कभी न सोचें। एक-दो या पांच-सात दिनों के ध्यान से भी ऐसा संभव नहीं होगा। बिलकुल यथार्थवादी होकर चलें, सच्चाई को समझकर चलें। हमने अपने अनुबंधों का जितना विस्तार किया है, संबंधों को जितना विस्तृत किया है, उनके प्रति जब तक हमारी मूच्र्छा कम नहीं होगी, वे संबंध कम नहीं होंगे, तब तक विचारों के प्रवाह को भी रोका नहीं जा सकेगा।
विचार की चिंता छोड़ें
ध्यान करने वाले के लिए यह अपेक्षित है कि वह विचारों की चिंता छोड़े, पहले मूच्र्छा को कम करने की बात सोचें। यदि विचार आते हैं तो वे आपका क्या बिगाड़ते हैं? आप उनके साथ जुड़ते हैं, तभी आपका कुछ बनता-बिगड़ता है, अन्यथा आपको उसे कुछ भी लाभ-हानि नहीं होगी। आप अनुबंधों में फंसते हैं, विचारों में उलझते हैं, उनकी चिंता करते हैं। उनसे प्रभावित होते हैं, तो फिर आपका नुकसान होना ही है, परेशानी बढऩी ही है। हमें विचारों के साथ जुडऩा नहीं है, विचारों के साथ बहना नहीं है। विचार आया और गया। जुड़ें नहीं, मात्र देखें। यदि ऐसा हुआ तो फिर विचार कोई कठिनाई पैदा नहीं कर सकेगा। आप तटस्थ बन जाएं, मध्यस्थ बन जाएं, द्रष्टा और ज्ञाता बन जाएं, विचारों को जानते-देखते रहें, उनकी प्रेक्षा करते रहें, वे आपकी परेशानी और उद्विग्नता का कारण कभी नहीं बनेंगे। जिन लोगों को ध्यानकाल में बहुत विचार आते हैं, उन्हें विचारप्रेक्षा का प्रयोग करना चाहिए। हर शहर के रास्ते से दिन-रात कितनी गाडिय़ां, वाहन दौड़ते रहते हैं। सड़क के किनारे की दुकान का दुकानदार अगर उन्हीं पर ध्यान देता रहे तो पागल हो जाए। वह ध्यान देता है अपने धंधे पर। बाकी सब चीजों को वह देखकर भी अनदेखा कर देता है। ध्यान के साधक को भी यही करना है। यदि यह जागरूकता बनी रहे, दृष्टिकोण सही हो जाए तो सब ठीक हो जाए।
हमारे शरीर में अपार शक्ति
ध्यान की अवस्था में बहुत बुरे विचार आते हैं तो ध्यान ही नहीं हो पाता और यदि कोई विचार न आता तो हम समाधि की अवस्था में चले जाते, ध्यान की जरूरत ही न रह जाती। इसलिए हमारी यह ध्यान की क्रिया बस ठीक-ठाक है। मध्य का मार्ग है यह। न हम अति कल्पना करें और न निराश हों, केवल अपनी जागरूकता पर ध्यान दें, उसे निरंतर बढ़ाएं। देखने में बड़ी शक्ति है। हम देखने का अभ्यास बढ़ाएं। देखने का तात्पर्य हमारी जागरूकता से है। जैसे-जैसे प्रेक्षा की शक्ति बढ़ेगी, विचार आने भी कम हो जाएंगे। जहां आदर नहीं होगा, वहां कोई क्यों आएगा? अगर आप विचार का स्वागत करेंगे, उससे अपनापन जोड़ेंगे तो वे आपके स्थायी मेहमान बनने की कोशिश करेंगे। उपेक्षा करेंगे तो वे स्वतः चले जाएंगे। जैसे-जैसे यह जागरूकता बढ़ेगी, विचार की समस्या समाहित होती चली जाएगी।
मवेशियों का चुम्बकीय सामना
गूगल अर्थ सेटेलाइट इमेजेस की सहायता से किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि मवेशियों के झुंड प्रायः पृथ्वी के चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण दिशा में खड़े होने का प्रयास करते हैं। विश्व के 308 स्थानों में 8,510 मवेशियों पर किए गए अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार यही पता चला है कि प्रायः मवेशी पृथ्वी के चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण का ही सामना करते हैं। चेक रिपब्लिक में किए गए एक अन्य शोध के अनुसार 2,974 पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि सिर्फ मवेशी ही नहीं, हिरण भी पृथ्वी के चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण दिशा का सामना करना पसंद करते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही दक्षिण दिशा की ओर सिर तथा उत्तर दिशा की ओर पैर कर के सोने की परम्परा रही है, क्योंकि हमारे यहां यह माना जाता है कि इस प्रकार से सोने या लेटने से मनुष्य की जीवनी शक्ति में वृद्धि होती है और यही कारण है कि हिन्दुओं में मृत्यु के समय व्यक्ति को जमीन पर उत्तर दिशा की ओर सिर तथा दक्षिण दिशा की ओर पैर करके लिटाने का रिवाज है, जिससे कि मरने वाले व्यक्ति की जीवनी शक्ति का हृास हो और उसके प्राण आसानी के साथ निकल सकें।
मन से मन का संपर्क
योगनिद्रा का प्रयोग आज एस्ट्रोनोट्स को ट्रेंड करने के लिए दिया जा रहा है, क्योंकि योगनिद्रा के अभ्यास से आप अपनी अतीन्द्रिय शक्ति को जाग्रत कर सकते हैं, छठी इंद्रिय को जाग्रत कर सकते हैं। टेलीपैथिक कम्युनिकेशन कर सकते हैं। अब हवाई जहाज में कोई फेलियर हो जाए, कोई तकनीकी खराबी आ जाए, धरती के सेंटर से संपर्क टूट जाए तो इन अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेंड किया जा रहा है कि वे मन से मन का संपर्क कर सकें और अपनी समस्या बता सकें, संपर्क साध सकें। यंत्रों से नहीं, मन से। दूर का दर्शन, दूर का श्रवण, ये काल्पनिक शक्तियां नहीं हैं, अत्यंत वास्तविक हैं। आप में से बहुत लोगों ने यह अनुभव किया होगा कि आपके मन में एक बात उठती है, एक प्रश्न उठता है और ठीक उसी समय तुम्हें मुझसे उत्तर मिल जाता है। तीन-चार पत्र आज आए हुए थे। उन्होंने कहा, 'ऐसा कैसे हुआ, हमारे मन में एक विचार आया, आपने उसी का जवाब दे दिया। यह कैसे हुआ?
जो कुछ तुम सोच रहे हो, वह यहां मेरे तक पहुंच रहा है और यह कोई खास शक्ति नहीं है। इसको तुम भी प्राप्त कर सकते हो। योग निद्रा के माध्यम से हम अपनी अतीन्द्रिय शक्तियों को जाग्रत कर सकते हैं। सबसे बढिय़ा बात, जिनका चित्त विश्राम में है, मन विश्राम में है, ऐसे व्यक्ति जब सत्संग सुनते हैं, जब ज्ञान श्रवण करते हैं तो वह ज्ञान उनके लिए फलित होता है। तुम तोते नहीं रह जाते हो। फिर तुम्हारे लिए कथा सुनना एक मनोरंजन नहीं रह जाता। यह तुम्हारे लिए परिवर्तन की क्रिया हो जाती है। अभी मैं जो कुछ बोलता हूं, सच यह है कि शायद उसका पांच प्रतिशत ही आपके अंदर तक पहुंचता है, बाकी तो बस आया और गया।
शक्तियों को करें जाग्रत
आप अपने ज्ञान को जीवन में लागू नहीं कर पाते। कारण, मन बड़ा बिखरा हुआ है। पर योगनिद्रा से इस बिखरे हुए मन का उपचार किया जा सकता है। चित्त में चैन या विश्राम के साथ जब तुम प्रार्थना करने लगोगे तो तुम्हारी प्रार्थना में भी बल होगा। मतलब, तुम्हारी प्रार्थना तुम्हें अद्भुत आनंद और अद्भुत अनुभूतियों को प्रदान करेगी। अगर तुम भक्त हो तो तुम्हारी भक्ति में गहराई आ जाएगी। अगर तुम ज्ञान के साधक हो तो ज्ञान चिंतन तुम्हारा अच्छा हो जाएगा। अब अगर आपका प्राण, शरीर स्वस्थ और उन्नत हो तो आप एक बड़ी चमत्कारिक शक्ति प्राप्त कर लेते हैं। दुनिया में चमत्कार को नमस्कार है, ज्ञान को नहीं। इसके लिए किसी चमत्कारिक बाबा के पीछे घूमने की जरूरत नहीं, तुम नियमित योगनिद्रा का अभ्यास करो, अद्भुत शक्तियां जाग्रत होने लग जाएंगी। एक बात के लिए सावधान रहिए कि रजोगुणी और तामसिक व्यक्तिके पास जब शक्ति आती है तो वह अपना ही नाश कर लेता है। इसलिए शक्ति आए इसके पूर्व आपका चित्त सात्विक होना चाहिए और ईश्वर में जुड़ा हुआ होना चाहिए। सच तो यह है, जिनमें ये चीज नहीं है, उनकी शक्ति जाग्रत भी नहीं होती। जिनमें ईश्वर प्रणिधान यानी ईश्वर के प्रति एकाग्रता और समर्पण तथा सात्विकता होती है, उनकी शक्तियां सहज से जागने लग जाती हैं। आप अपने अंदर छिपी हुई इन रहस्यमयी शक्तियों को जाग्रत करिए। ऐसी शक्तियों के माध्यम से आप पाश्विकजीवन से ऊपर उठकर देवताओं जैसा जीवन जी सकते हो। जब तुम स्वयं ऋषि हो सकते हो तो फिर पशु की भांति, एक आम इंसान की भांति हंसते-रोते, क्रोधी, कामी, लोभी होते हुए क्यों जिएं। ऐसी कोई चीज नहीं है, जो तुम्हारे लिए प्राप्त करना संभव नहीं। सब चीज तुम प्राप्त कर सकते हो। फिलहाल तो तुम्हारा दिमाग इसमें है कि पैसा कैसे कमाया जाए। धन के पुजारी, पदार्थवादी, भोगवादी लोग कहते हैं कि धन कहां से आए? धन भी कमाया जा सकता है।
एकाग्र चित्त रखें मन को
जब तुम संयमित और एकाग्र चित्त के साथ अपने व्यवसाय को, अपने बिजनेस को चलाओगे तो निश्चित रूप से तुम्हें ऐसे फार्मूले सूझने लगेंगे, जिनसे तुम्हारा व्यापार दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति करने लग जाएगा। एक चीज समझ लें, जो सफल उद्योगपति हैं या सफल धनपति हैं, वे इसलिए सफल हो सके, क्योंकि उनके पास संकल्पबद्ध और एकाग्र मन था। धैर्य और संतोष के साथ उन्होंने अपने क्षेत्र में काम किया, इसलिए सफलता मिली। जिस व्यक्ति के पास यह शक्ति नहीं है, वह किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं हो सकता। धन चाहते हो धन कमाओ। शक्ति चाहते हो शक्ति प्राप्त करो, परंतु अंत में आपको यह बात समझना होगी कि धन से आप पदार्थ तो खरीद सकते हैं, धन से आप मन का विश्राम नहीं खरीद सकते। शक्ति से आप दूसरों को दबा तो सकते हैं, पर उस शक्ति का क्या लाभ, जिससे तुम अपने अंधकार और अपने उद्दंडी मन को दबा न सको। शक्ति वही, जिससे आप सार्थक और रचनात्मक उन्नति करें। ज्ञानपूर्वक अपने जीवन को जिएं। धन बुरा नहीं है, शक्ति बुरी नहीं, पदार्थ का सुख भी बुरा नहीं, पर तुम्हें मालूम होना चाहिए कि इसकी एक सीमा है। ये सब इससे अधिक तुम्हें नहीं दे सकते। सत्य पथ पर चलें। सत्य को समझते हुए सत्य की साधना करें तो आप अपने अंदर एक निर्भयता, फियरलेसनेस और शाश्वत आनंद विकसित कर सकते हैं। यह हमेशा आपके पास रहेगा और कभी आपको छोड़ कर नहीं जाएगा।
भवदीय
शैलेंद्र ठाकुर
रिसर्चर न्यूरो साइन्स | 2,709 |
1118087 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%A2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE | सूजी का ढोकला | सूजी खाना हेल्थ के लिए बहुत लाभदाययक है सूजी दो तरह की होती है १- रवा,( इसके दाने बारीक़ होते है रवा को कई तरह की रेसिपी में उपयोग किया जाता है ) २- सूजी ( जिसके दाने थोड़े मोटे होते है इसे भी कई तरह की रेसिपी बनाने में उपयोग किया जाता है एक ऐसी ही खास रेसिपी है सूजी का ढोकला जिसे बनाना बहुत आसान है और खाने में भी बहुत टेस्टी लगता है ) | 77 |
567994 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B0 | महर | इस्लाम में महर (अरबी : مهر) वह धनराशि है जो विवाह के समय वर या वर का पिता, कन्या को देता है। यद्यपि यह मुद्रा के रूप में होती है किन्तु यह आभूषण, घरेलू सामान, फर्नीचर, या जमीन आदि के रूप में भी हो सकती है।
परिचय
फ़िक़ह और शरीयत (इस्लामीय न्यायशास्त्र) मुस्लिम विधि के अंतर्गत वह धनराशि या दूसरे प्रकार की संपत्ति जिसकी पत्नी, विवाह के कारण, अधिकारिणी हो जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रारंभ में यह विक्रयमूल्य के सदृश या अनुरूप था लेकिन इस्लाम का आरंभ होने के बाद इसे विवाह संबंधी संभोग का मूल्य समझना ठीक नहीं जान पड़ता। अरबी (जूरिस्ट्स) स्मृतिशास्त्रज्ञों ने इसकी तुलना विक्रयमूल्य से इसलिए की है कि मुसलिम व्यवस्था में यह नागरिक संबंधी अनुबंध समझा जाता है।
इस्लाम के पूर्व अरब में वधूमूल्य को, जो उसके मातापिता को देय था, महर कहते थे तथा जो धन स्त्री को आदर और स्नेहसूचक उपहार के रूप में दिया जाता था उसे सदक कहते थे। दोनों में अंतर समझा जाता था। इस्लाम ने महर को स्त्री के पक्ष में एक वास्तविक व्यवस्था के रूप में परिवर्तित करने का प्रयत्न किया। दुर्दिन के लिये एक साधन के रूप में और सामाजिक दृष्टि से पति के तलाक के असीम अधिकार के मनमाने प्रयोग पर यह एक अंकुश हो गया था। पति को अपनी स्त्री को तलाक देने पर संपूर्ण महर राशि तत्काल देय होगी। आधुनिक संबुद्ध धारणा महर के विषय में यह है कि महर विवाह का पारितोषिक नहीं है वरन् स्त्री के प्रति आदर सूचित करने के लिये पति के ऊपर विधि द्वारा डाला गया दायित्व है। इसकी पुष्टि इस तथ्य से हो जाती है कि विवाह के समय महर का सविस्तार उल्लेख न होने पर भी विवाह की वैधानिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यदि महर वधूमूल्य होता तो विवाह के बाद महर प्रदान करने के लिये अनुबंध होने पर पारितोषिक के अभाव में वह अवैध होता। लेकिन ऐसा प्रतिज्ञापत्र वैध और बलपूर्वक प्रतिपादन योग्य होता है।
पति महर के रूप में कोई धनराशि अपनी स्त्री के लिये निश्चित कर सकता है, चाहे यह उसकी सामर्थ्य से अधिक ही क्यों न हो और चाहे इस धनराशि के देने के बाद उसके उत्तराधिकारियों के लिये कुछ भी न बच पाए। लेकिन वह किसी भी स्थिति में १० दरहम (लगभग तीन-चार रुपए) से कम की व्यवस्था नहीं कर सकता। महर अनुबंध में उल्लिखित संपूर्ण धनराशि प्रदान करता है जब तक कि किसी धारा सभा की विधि इसके विपरीत न हो। भारतवर्ष के मुसलमानों के पति द्वारा स्त्री को तलाक देने से बचाने के लिये महर प्राय: ऊँचा होता है। तलाक की स्थिति में स्वीकृत धनराशि उसे देनी ही पड़ेगी और यह तर्क कि स्वीकृत धनराशि अत्यधिक है या पति की सामर्थ्य के बाहर है, पत्नी को उसे देने से बचने के लिये पर्याप्त न होगा। न्यायालय महर की धनराशि निश्चित करने में अपनी इच्छा का तभी प्रयोग कर सकता है जब धारा सभा की विधि द्वारा उसे अधिकार प्राप्त हो। केवल पति की सामर्थ्य तथा स्त्री की स्थिति का सम्यक् विचार ही धनराशि निर्णय करने में निर्णायक तथ्य होगा। उल्लिखित महर विवाह के पहले, विवाह के अवसर पर या उसके बाद निश्चित किया जा सकता है और वैवाहिक जीवन के अंतर्गत इसमें वृद्धि की जा सकती है। यदि पति अवयस्क हो तो महर उसके पिता द्वारा निश्चित किया जा सकता है और पति द्वारा दिया जा सकता हे। शिया लोगों में प्रचलन है कि यदि लड़का अपनी स्त्री को महर देने में असमर्थ रहा तो पिता व्यक्तिगत रूप से महर देने का उत्तरदायी होता है।
यदि महर की राशि निश्चित नहीं है तो पत्नी उचित महर की या महरेमिसल की अधिकारिणी होती है। क्या उचित महर है इसका निश्चय करने में इसका ध्यान रखा जाता है कि उसके पिता के परिवार में स्त्रियों को, जैसे उसके पिता की बहनों को, कितना कितना महर मिला है।
चूँकि महर पत्नी का निहित अधिकार है, अत: उसकी माँग पर यह प्राप्त होना चाहिए और यह प्रांप्ट (तात्कालिक) महर कहा जाता हे। लेकिन कभी कभी मृत्यु से या तलाक से विवाह के विच्छेद पर महर देय होता है और यह डेफर्ड (आस्थगित) महर कहा जाता है। तात्कालिक महर पत्नी द्वारा किसी भी समय विवाह के उपरांत लिया जा सकता है, चाहे विवाह (संभोग द्वारा) पूर्ण या पक्का हुआ हो या नहीं। विवाह के समय यदि यह निश्चित नहीं हुआ हो कि महर तात्कालिक है या आस्थगित, तो शिया विधि के अनुसार वह तात्कालिक समझा जाएगा।
यद्यपि सुन्नी उसे अंशत: तात्कालिक और अंशत आस्थगित समझते हैं, दोनों का अनुपात रीति या उभय पक्ष की स्थिति पर आधारित होगा।
पत्नी अपी इच्छा से महर या इसका कोई भाग अपने पति या उसके उत्तराधिकारियों के पक्ष में छोड़ दे सकती है। यह परित्याग वैध होता है, भले ही यह बिना पारितोषिक के हो। यह आवश्यक है कि वह परित्याग उसकी अपनी स्वेच्छा से उसके द्वारा किया गया हो। जब तक कि महर का परित्याग न किया गया हो पत्नी इसके पाने का अधिकार रखती है, यद्यपि विवाह इस शर्त पर अनुबंधित हुआ हो कि वह किसी मुआवजे की माँग न करेगी।
जब तक कि तात्कालिक महर न दिया जाए पत्नी पति के पास जाना अस्वीकार कर सकती है। यदि पति उसके विरुद्ध वैवाहिक संबंधों के प्रतिपादन के लिए वाद प्रस्तुत करता है, तो महर का न दिया जाना ही पत्नी के लिये यथेष्ट बचाव है और वाद खारिज हो जाएगा।
दूसरी ओर यदि महर नहीं दिया जाता तो पत्नी या उसकी मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी इसके लिये उस तिथि से जबकि तात्कालिक महर की माँग की गई हो, या वह अस्वीकार किया गया हो, या जब मृत्यु या तलाक के कारण वैवाहिक संबंध विच्छेद हुआ हो, उसके तीन वर्ष के भीतर, वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
मृत मुसलमान के उत्तराधिकारी व्यक्तिगत रूप से महर देने के लिये उत्तरदायी नहीं हैं। लेकिन मृत व्यक्ति से पाई हुई संपत्ति के अपने हिस्से के अनुपात में वे उत्तरदायी होते हैं। महर एक ऋण के रूप में है और विधवा अपने मृत पति के दूसरे महाजनों के साथ उसकी संपत्ति से इसके भुगतान की अधिकारिणी होती है, लेकिन उसका अधिकार असुरक्षित महाजन के अधिकार से अधिक नहीं होता। यदि उसके अधिकार में उसके पति की संपत्ति हो जिसे उसने वैध रूप से बिना धोखे के या दबाव के महर के बदले में हस्तगत किया हो कि वह किराए और मुनाफे से स्वत्व की संतुष्टि कर सके, तो वह अपने पति के दूसरे उत्तराधिकारियों के विरुद्ध उस कब्जा को तब तक कायम रख सकती है तब तक कि महर के स्वत्व की संतुष्टि न हो जाए।
यह भी देखें
निकाह
फ़िक़ह
मुस्लिम साम्प्रदाय
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
इस्लाम
फ़िक़ह | 1,081 |
763837 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A5%87%20%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1 | हरम्बे हत्याकाण्ड | २०७३ जेष्ठ १५ विक्रम संवत (२८ मई २०१६ ईस्वी) के दिवस संयुक्त राज्य अमेरिका के सिनसिनाटी चिड़ियाघर में हरम्बे नामक गोरिल्ला की गोली मार कर निर्मम हत्या कर दी गई।
निर्दयी मानवों ने १७ वर्षीय हरम्बे को एक मीटर ऊंची दीवार वाले बाड़े में बंदी बना कर रखा था। अभिभावकों की लापरवाही के चलते एक चार साल का मानव बालक इस दीवार को पार कर हरम्बे निवास जा पहुंचा। श्री हरम्बे ने बालक को कोई हानि नहीं पहुंचाई। उल्टा प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार श्री हरम्बे ने बालक की रक्षा करने का प्रयास किया। परंतु चिड़ियाघर प्रशासन ने बालक की सलामती का बहाना बनाते हुए श्री हरम्बे को गोली मार दी। कुछ ही समय बाद श्री स्वर्ग सिधार गए। मरने से पूर्व श्री हरम्बे ने बालक की रक्षा करने हेतु उसे निकट घसीट कर अपने पैरों के बीच रख लिया था। जब वे गोली से घायल हुए, तो वे बालक पर गिर गए। इस कारण बालक को भी गंभीर चोट पहुँची, और उसे चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया।
चिड़ियाघर के आगंतुको द्वारा लिया गया हरम्बे वध का वीडियो सामाजिक मीडिया पर छा गया। इस क्रूर हत्या को देखकर पत्थर दिल लोगों का हृदय भी पिघल गया। न्याय की माँग करते हुए पशु प्रेमियों ने चिड़ियाघर के बाहर प्रदर्शन किया। २००,००० लोगों ने हरम्बे वध का विरोध करते हुए एक याचिका दायर की। संपूर्ण विश्व से हज़ारों लोगों ने संवेदना व्यक्त करते हुए चिड़ियाघर को सन्देश भेजे। संयुक्त राज्य राष्ट्रपति चुनाव, 2016 के चुनाव में कई लोगों ने श्री हरम्बे को अपना मत देकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
सन्दर्भ
हत्या
अन्याय | 257 |
99256 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8B%20%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%80 | कांगो नदी | कांगो नदी, जो ज़ाइरे नदी भी कहलाती है, अफ़्रीका की एक प्रमुख नदी है। ४,७०० किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह नदी पश्चिम मध्य अफ़्रीका की सबसे विशाल और नील नदी के बाद अफ़्रीका की सबसे लम्बी नदी है। कांगो नदी विश्व की समस्त नदियों में, दक्षिण अमेरीका की ऐमेंज़न नदी के बाद, दूसरी सबसे अधिक जलप्रवाह वाली नदी है। लम्बाई में यह दुनिया की नौवी सबसे लम्बी नदी है और पूर्व अफ़्रीकी रिफ़्ट की पहाड़ियों-पठारों में अपने स्रोत से लेकर अटलांटिक महासागर में विलय तक ४,७०० किमी का फ़ासला तय करती है। अपने मार्ग में कांगो नदी दो बार भूमध्य रेखा पार करती है। इस विशाल नदी का जलसम्भर क्षेत्र भी विशाल है और इसमें लगभग ४० लाख वर्ग किमी आते हैं, जो कि पूरे अफ़्रीकी महाद्वीप का १३% क्षेत्रफल है। कांगो नदी पर मुख्य रूप से दो जलप्रपात हैं स्टैनले जलप्रपात और लिविंगस्टोन जलप्रपात
विवरण
इसकी संपूर्ण लंबाई 2,900 मील है। इसका प्रवाहक्षेत्र 14,25,000 वर्ग मील है। नदी अपने मुहाने पर सात मील चौड़ा रूपधारण कर समुद्र में गिरती है। यह समुद्र में प्रति सेकेंड 20 लाख घन फुट कीचड़ युक्त पानी गिराती है। यह नदी मध्य अफ्रीका के 4,650 फुट की ऊँचाई से निकलती है उत्तरी रोडेशिया में चंबेज़ी तदुपरांत लूआ पूला (Lua Pula) नाम से विख्यात है। यह नदी 200 फुट की ऊँचाई से गिरकर स्टैनली जलप्रपात का सृजन करती है। इसके पश्चात यह बहुत बड़ी नदी का रूप धारण कर लेती है जो 980 मील चंद्राकार रूप में बहती हुई भूमध्य रेखा को दो बार आर-पार करती है। इसकी सहायक नदियों में कसाई तथा उंबागी विशेष उल्लेखनीय हैं। इस नदी में 4,000 लघु द्वीप हैं। इसमें छोटी-छोटी वाष्पचालित नौकाएँ भी चलाई जाती हैं। इसका निचला जलप्रवाह 28 स्थलों पर विघटित होकर जलशक्ति उत्पादक स्थानों का सृजन करता है। यहाँ पर शिकार खेलने योग्य भयंकर जंगली जानवर पाए जाते हैं क्योंकि इस
नदी का अधिकांश मार्ग घने तथा अभेद्य जंगलों से घिरा हुआ है। इसमें सैकड़ों जातियों की मछलियाँ मिलती हैं तथा तटीय प्रदेश में दुर्लभ कीड़े-मकोड़ों की प्राप्ति होती है।
चित्रदीर्घा
इन्हें भी देखें
पूर्व अफ़्रीकी रिफ़्ट
सन्दर्भ
अफ़्रीका की नदियाँ
विश्व की नदियाँ
अंगोला की नदियाँ
बुरुण्डी की नदियाँ
कैमरून की नदियाँ
कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य की नदियाँ
मध्य अफ़्रीकी गणराज्य की नदियाँ
गबोन की नदीयाँ
ज़ाम्बिया की नदियाँ
तंज़ानिया की नदियाँ
रुआण्डा की नदियाँ | 381 |
1208538 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%95 | डेडलॉक | समवर्ती कंप्यूटिंग में, डेडलॉक या गतिरोध एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें एक समूह का प्रत्येक सदस्य कोई काम कर्ने के लिये स्वयं सहित किसी अन्य सदस्य की प्रतीक्षा कर रहा होता है, जैसे कि संदेश भेजना या आमतौर पर लॉक जारी करना। डेडलॉक मल्टीप्रोसेसिंग सिस्टम, समानांतर कंप्यूटिंग, और वितरित सिस्टम में एक आम समस्या है, जहां सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर लॉक का उपयोग साझा संसाधनों को मध्यस्थ बनाने और प्रक्रिया सिंक्रनाइज़ेशन को लागू करने के लिए किया जाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम में, एक डेडलॉक या गतिरोध तब होता है जब कोई प्रक्रिया या थ्रेड प्रतीक्षा स्थिति में प्रवेश करता है, क्योंकि एक अनुरोधित सिस्टम संसाधन को किसी अन्य प्रतीक्षा प्रक्रिया ने रोका हुआ है, जो खुद किसी अन्य प्रतीक्षा प्रक्रिया द्वारा रोके गये किसी अन्य संसाधन की प्रतीक्षा कर रहा है। यदि कोई प्रक्रिया अनिश्चित समय तक अपने स्थिति को बदलने में असमर्थ है, क्योंकि इसके द्वारा प्रार्थित किए गए संसाधनों का उपयोग किसी अन्य प्रतीक्षा प्रक्रिया द्वारा किया जा रहा है, तो सिस्टम को डेडलॉक या गतिरोध में कहा जाता है।
एक संचार प्रणाली में, गतिरोध मुख्य रूप से खोए या भ्रष्ट संकेतों के कारण होते हैं, संसाधन विवाद से नही।
आवश्यक शर्तें
एक संसाधन पर गतिरोध की स्थिति तब ही उत्पन्न हो सकती है, जब निम्न स्थितियाँ एक सिस्टम में एक साथ हो:
म्यूचुअल बहिष्करण : कम से कम एक संसाधन को गैर-साझाकरण मोड में रोका जाना चाहिए। अन्यथा, आवश्यक होने पर संसाधन का उपयोग करने से प्रक्रियाओं को रोका नहीं जाएगा। केवल एक प्रक्रिया किसी भी समय पर संसाधन का उपयोग कर सकती है।
पकड़ना और रुकना या संसाधन पकडना : एक प्रक्रिया वर्तमान में कम से कम एक संसाधन को रोकी हुई है और अतिरिक्त संसाधनों का अनुरोध कर रही है जो अन्य प्रक्रियाओं द्वारा रोकी जा रही हैं।
कोई पूर्वधारणा नहीं: एक संसाधन को केवल स्वेच्छा से ही इसे धारण करने वाली प्रक्रिया द्वारा छोडा जा सकता है।
परिपत्र प्रतीक्षा: प्रत्येक प्रक्रिया को एक संसाधन की प्रतीक्षा करनी चाहिए जो किसी अन्य प्रक्रिया द्वारा रोकी जा रही है, जो बदले में पहली प्रक्रिया द्वरा संसाधन को छोडने की प्रतीक्षा कर रही है। सामान्य तौर पर, प्रतीक्षा प्रक्रियाओं का एक सेट होता है, P = {P1, P2, …, PN}, जिसमें P1 ,P2 द्वारा आयोजित संसाधन की प्रतीक्षा कर रहा है, P2 ,P3 द्वारा आयोजित संसाधन की प्रतीक्षा कर रहा है और इसी तरह P N, P 1 द्वारा रखे गए संसाधन की प्रतीक्षा कर रहा है।
इन चार शर्तों को एडवर्ड जी कॉफमैन, जूनियर द्वारा 1971 के लेख में अपने पहले विवरण से कॉफ़मैन की स्थिति के रूप में जाना जाता है ।
हालांकि ये स्थितियाँ एकल-उदाहरण संसाधन सिस्टम पर गतिरोध उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त हैं, वे केवल संसाधनों के कई उदाहरण वाले सिस्टम पर गतिरोध की संभावना को इंगित करते हैं।
डेडलॉक से निपटना
अधिकांश वर्तमान ऑपरेटिंग सिस्टम गतिरोध को रोक नहीं सकते हैं। जब एक गतिरोध होता है, तो विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन्न गैर-मानक तरीकों से उनका जवाब देते हैं। अधिकांश दृष्टिकोण चार कॉफ़मैन स्थितियों में से एक को रोकने का काम करते हैं, विशेष रूप से चौथा। प्रमुख दृष्टिकोण इस प्रकार हैं।
डेडलॉक की अनदेखी
इस दृष्टिकोण में, यह माना जाता है कि डेडलॉक कभी नहीं होगा। यह ऑस्ट्रिच एल्गोरिथ्म का भी एक अनुप्रयोग है। इस दृष्टिकोण का उपयोग शुरू में MINIX और UNIX द्वारा किया गया था। इसका उपयोग तब किया जाता है जब डेडलॉक की घटनाओं के बीच का समय अंतराल बड़ा हो और हर बार होने वाले डेटा का नुकसान सहनीय हो।
डेडलॉक की खोज
डेडलॉक का पता लगाने के तहत, डेडलॉक को उत्पन्न करने की अनुमति दी जाती है। फिर सिस्टम की स्थिति का पता लगाया जाता है कि क्या एक डेडलॉक हुआ है और बाद में इसे सही किया जाता है। एक एल्गोरिथ्म नियोजित किया जाता है जो संसाधन आवंटन और प्रक्रिया स्थिति को ट्रैक करता है, वह वापस लौटाता है और पता लगाए गए डेडलॉक को हटाने के लिए एक या अधिक प्रक्रियाओं को पुनरारंभ करता है। एक ऐसे डेडलॉक का पता लगाना जो पहले ही घटित हो चुका है, आसानी से संभव है क्योंकि जिन संसाधनों को प्रत्येक प्रक्रिया ने बंद कर दिया है और / या वर्तमान में अनुरोध किया है उन्के बारे में ऑपरेटिंग सिस्टम के संसाधन अनुसूचक को पता है।
एक डेडलॉक का पता चलने के बाद, उसे ठीक किया जा सकता है
[ उद्धरण वांछित ]
बाहरी कड़ियाँ | 717 |
919004 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A5%B0%E0%A4%8D%E0%A4%A8%E0%A5%B0%E0%A4%8F%E0%A5%B0%20%E0%A4%AA%E0%A5%89%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%9C%E0%A4%BC | आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ | आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ (RNA polymerase), जो संक्षिप्त रूप से आर॰ऍन॰ए॰पी॰ (RNAP) कहलाता है, एक प्रकार के प्रकिण्व समूह के सदस्यों को कहा जाता है जो हर जीव में पाया जाता है और जिसपर सभी जीव निर्भर हैं। RNAP दो-रज्जुओं वाले डी॰ऍन॰ए॰ को खोल देता है, जिस से उधड़े हुए डी॰ऍन॰ए॰ अणु के न्यूक्लियोटाइड अणु की बाहरी ओर आ जाते हैं और उन्हें साँचे की तरह प्रयोग कर के आर॰ऍन॰ए॰ का निर्माण करा जा सकता है। इस निर्माण प्रक्रिया को प्रतिलेखन (transcription) कहते हैं।
इन्हें भी देखें
आर॰ऍन॰ए॰
डी॰ऍन॰ए॰
न्यूक्लियोटाइड
प्रतिलेखन (जीवविज्ञान)
सन्दर्भ
जीन व्यवहार
आर॰ऍन॰ए॰
प्रकिण्व | 95 |
459994 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BE | पिकासा | पिकासा गूगल द्वारा निर्मित एवं निःशुल्क प्रयोग हेतु उपलब्ध तस्वीर सॉप्टवेयर है।
यह उपयोगकर्ता को अपने अभिकलित्र में तस्वीरों को खोजने, बदलने, बाँटने में मदद करता है। यह खोलते ही अपने आप अभिकलित्र से तस्वीरें खोजकर, तरीके से छांट कर चित्रकोश (एलबम) में दिखाता है। इसकी सहायता से आसानी से इन तस्वीरों को एक चित्रकोश से दूसरे में उठा कर डाल सकते हैं।
इसका नवीनतम संस्करण है - पिकासा 3.6 Build 105.41
और अभिकलित्र पर स्थापित करने के लिए इसकी उतारी गई फाइल का आकार है - 11.74 MB)
बाहरी कड़ियाँ
गूगल
सॉफ्टवेयर | 93 |
148491 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BE%20%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%20%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0 | भटिंडा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र | भटिंडा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के पंजाब राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है।
विधानसभा क्षेत्र
बठिंडा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 9 विधानसभा (विधान सभा) निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं। और उनके विधायक। 2012 के विधानसभा चुनावों के लिए कुछ क्षेत्रों के सीमा में परिवर्तन किया गया। मौर, भुच्चो मंडी, भटिंडा ग्रामीण, और तलवंडी साबो अब नये विधानसभा क्षेत्र हैं।
भुच्चो मंडी
2017: प्रीतम सिंह कोटभाई (कांग)
2012: अजायब सिंह
2007: अजायब सिंह भट्टी (नथाना)
भटिंडा शहरी
2017: मनप्रीत बादल (कांग)
2012: सरूप चंद सिंगला (सिअद)
2007: हरमिंदर सिंह जस्सी (कांग)
2002: सुरिन्दर सिंगला [आई.एन.सी.]
1997: चिरंजी लाल गर्ग {सिअद}
भटिंडा ग्रामीण
2017: रुपिंदर कौर रूबी (आप)
2012: दर्शन सिंह कोटफत्ता
2007: माखन सिंह
2002:
1997: माखन सिंह
1992:
तलवंडी साबो
2017: बलजिंदर कौर (आप)
2012: जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू
2007: जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू
2002: जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू
मौर
2017: जगदेव सिंह (आप)
2012: जनमेजा सिंह सेखों
मानसा
2017: नज़र सिंह मंझिया (आप)
2012: प्रेम मित्तल
2007: शेर सिंह गागोवाल
2002: शेर सिंह गागोवाल
1997:
सरदूलगढ़
2017: दिलराज सिंह (सिअद)
2012: अजीत इंदर सिंह मोफर
2007: अजीत इंदर सिंह मोफर
2002: बलविंदर सिंह भूंदर
1997: अजीत इंदर सिंह मोफर
बुधलादा
2017: बुध राम (आप)
2012: चतुर सिंह
2007: मंगत राय बंसल
2002: हरवंत सिंह दातावास
लाम्बी
2017: प्रकाश सिंह बादल (सिअद)
2012: प्रकाश सिंह बादल
2007: प्रकाश सिंह बादल
2002: प्रकाश सिंह बादल
1997: प्रकाश सिंह बादल
संसद के सदस्य
संदर्भ
पंजाब के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | 239 |
7079 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%20%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE | लखीसराय जिला | |province_name = लखीसराय Lakhisarai district
|loc_map = Bihar district location map Lakhisarai.svg
|capital = लखीसराय
|area = 1,228
|pop = 10,00,717
|pop_year = 2011
|pop_density = 810
|sub_province_title = ब्लॉक
|sub_provinces = 7
|languages= मगही
}}
लखीसराय ज़िला भारत के बिहार राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय लखीसराय है। यह जिला 3 जुलाई 1994 को स्थापित किया गया था। एक नए जिले के रूप में अस्तित्व में आने से पहले, लखिसराय मुंगेर जिले में एक उप-खंड था।मुख्य भाषा - मगही, हिन्दी
धर्म स्थल
अशोकधाम मंदिर, माँ बाला त्रिपुर सुंदरी (महारानी स्थान), बड़हिया तथा विषहरी महारानी स्थान (अभयपुर) यहाँ का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
इन्हें भी देखें
लखीसराय
बिहार
बिहार के जिले
सन्दर्भ
बिहार के जिले | 117 |
181234 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A3%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE%20%28%E0%A4%97%E0%A5%88%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B8%29 | दक्षिण प्लाजा (गैलापागोस) | गैलापागोस द्वीपसमूह का द्वीप दक्षिण प्लाज़ा सांताक्रूज़ द्वीप के पूर्वी तट से कुछ दूरी पर स्थित एक छोटा सा द्वीप है, इसका क्षेत्रफल 0.13 वर्ग किलोमीटर (0.05 वर्ग मील) और अधिकतम ऊंचाई 23 मीटर (75 फुट) है। दक्षिण प्लाज़ा का नाम ईक्वाडोर के पूर्व राष्ट्रपति जनरल लिओनिडास प्लाज़ा के सम्मान में रखा गया है।
दक्षिण प्लाज़ा द्वीप का निर्माण समुद्र के नीचे हुए ज्वालामुखी विस्फोट से ऊपर उठते लावा से हुआ है। अपने छोटे आकार के बावजूद यह प्रजातियों की एक बड़ी संख्या का घर है और अपनी असाधारण वनस्पति के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि यह द्वीप आगंतुकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। दक्षिण प्लाज़ा की वनस्पति में ओपंशिया कैक्टस और सेसुवियम पौधे शामिल हैं जो लावा संरचनाओं के ऊपर बिछे एक लाल कालीन के समान प्रतीत होते हैं।
इसके खड़ी ढलानों पर विभिन्न पक्षियों को देखा जा सकता है जिनमें, लाल चोंच वाली रेखीय पक्षी के घोंसले और अबाबील-पुच्छ गल शामिल हैं। लेकिन सबसे अधिक आनंददायक अनुभव तो इन खड़ी चट्टानों के शिखर पर खड़ा होकर नीचे के दृश्य को निहारना और इन चट्टानों के आधार पर चहलकदमी करना है। सेसुवियम के पौधे मौसम के अनुसार अपनी रंगत बदलते हैं, जहाँ बरसात के मौसम में यह गहरे हरे रंग के होते हैं वहीं सूखे के मौसम में इनका रंग बदलकर नारंगी और बैंगनी हो जाता है। द्वीप पर एक बड़ी बस्ती स्थलीय गोहों की भी है। यह भूमध्य रेखा पर है।
सन्दर्भ | 236 |
38852 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%28%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29 | जान (फ़िल्म) | जान 1996 की राज कँवर द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की फिल्म है। अजय देवगन और ट्विंकल खन्ना अभिनीत यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही थी।
संक्षेप
इंस्पेक्टर सूर्यदेव सिंह (अमरीश पुरी) शहर में एक ईमानदार और कुशल पुलिस वाला है। उनकी पोती काजल (ट्विंकल खन्ना) है, जिसके माता-पिता को उसके दुश्मनों द्वारा जहर खिलाकर मार दिया गया था। वह उसे अपने जीवन से अधिक महत्व देता है। लेकिन सूर्यदेव का चचेरे भाई विशम्भर (सुरेश ओबेरॉय) अपनी पत्नी और अपने साले बनवारी (शक्ति कपूर) के साथ सूर्यदेव के पूर्ण विनाश की योजना बना रहे हैं। विशम्भर काजल को मारने की योजना बना रहा है, तब उसका बदला पूरा हो जाएगा। इस उद्देश्य के लिए, विशम्भर करण (अजय देवगन) को काम पर रखता है।
करण अस्पताल में अपनी बीमार मां के इलाज के लिए धन की जरूरत में एक युवा और कुशल व्यक्ति है। विशम्भर के गुंडों द्वारा नकली अपहरण नाटक में काजल को बचाकर, उसने सूर्यदेव के विश्वास को जीता।
सूर्यदेव तब काजल को करन के साथ उसके अंगरक्षक के रूप में कुछ रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए अपने गांव में भेजने का फैसला करते हैं। वह इस बात से आश्वस्त हैं कि वह उसे नुकसान से बचाएगा।
गांव में, काजल करण से प्यार कर बैठती है, लेकिन वह मना कर देता है। वह कई मौकों पर उसे मारने की भी कोशिश करता है। लेकिन किसी कारण से उसे खत्म करने से हिचकिचाता है। आखिरकार, वह उसे सबकुछ बताने का फैसला करता है, लेकिन काजल सुनने से इंकार कर देती है। वह उसे लुभाने की कोशिश करती रहती है जब तक कि वो उसे प्यार नहीं करने लगता।
मुख्य कलाकार
अजय देवगन — करन
ट्विंकल खन्ना — काजल
अमरीश पुरी — इंस्पेक्टर सूर्यदेव सिंह
राखी — रुक्मिणी
विवेक मुशरान — रोहित
सुरेश ओबेरॉय — विशम्भर
शक्ति कपूर — बनवारी
बिन्दू — राजरानी
सईद जाफ़री — रोशनलाल
अरुणा ईरानी — करन की माँ
जॉनी लीवर — डमरू
प्रिया अरुण — धन्नो
शिवा रिन्दानी — दिलावर
ब्रह्मचारी — भैरों सिंह
विश्वजीत प्रधान — नगेन्द्र
संगीत
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
1996 में बनी हिन्दी फ़िल्म
आनंद–मिलिंद द्वारा संगीतबद्ध फिल्में | 346 |
1388189 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%89%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%20%28%E0%A4%B5%E0%A5%88%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%BE%29 | बॉडीवर्क (वैकल्पिक चिकित्सा) | बॉडीवर्क वैकल्पिक चिकित्सा में, चिकित्सीय या व्यक्तिगत विकास तकनीक है जिसमें मानव शरीर के साथ जोड़ तोड़ चिकित्सा, श्वास कार्य, या ऊर्जा दवा के रूप में काम करना शामिल है। बॉडीवर्क तकनीकों का उद्देश्य मुद्रा का आकलन या सुधार करना, "बॉडीमाइंड कनेक्शन" के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है, जो एक ऐसा दृष्टिकोण है जो मानव शरीर और दिमाग को एक एकीकृत इकाई के रूप में देखता है, या मानव शरीर को घेरने और स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र में हेरफेर करता है।
वैकल्पिक चिकित्सा | 89 |
1369357 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BE%20%E0%A4%93%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE | पालोमा कोस्टा ओलिवेरा | पालोमा कोस्टा ओलिवेरा एक ब्राज़ीलियाई कानून के छात्र, सोशियोइन्वायरमेंटलिस्ट, साइकलिंग एक्टिविस्ट, क्लाइमेट एजुकेटर और यूथ मोबिलाइज़र हैं । वह जलवायु संकट से निपटने और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए वैश्विक कार्रवाई पर एक युवा सलाहकार समूह को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा नियुक्त सात युवा जलवायु नेताओं (18-18 वर्ष की आयु के) में से एक है।
सक्रियतावाद
2019 में, कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग के साथ , पालोमा ने न्यूयॉर्क सिटी में क्लाइमेट एक्शन समिट के उद्घाटन पर भाषण दिया। भाषण ने उनके इस कथन की आलोचना की कि 'हमें प्रार्थनाओं की आवश्यकता नहीं है, हमें कार्रवाई की आवश्यकता है', जिसे कुछ लोगों ने अविश्वसनीय समझा था। 'मेरी बात', उसने स्पष्ट किया, 'यह कि पोस्टिंग रखना बेकार है कोस्टा ने अनुभव के बारे में सकारात्मक महसूस किया, लेकिन समग्र रूप से निराश किया: 'शायद ही कोई प्रतिबद्धता है ... वास्तव में मेरे दिल को कुछ भी नहीं मिला।' उसने एंजेला मर्केल और मिशेल बाचेलेट के साथ संक्षेप में बात करने की सूचना दी, जबकि उसके अपने देश के बोल्सोनारो प्रशासन का कोई भी प्रतिनिधि उससे चैट के लिए मनोरंजन करने को तैयार नहीं था।
एक साक्षात्कार में, कोस्टा ने घोषणा की कि वह 'दुनिया के सभी पैसे के लिए नहीं' एक कंपनी के लिए काम करेगी जो अमेज़ॅन में वनों की कटाई की सुविधा देती है। इसके अलावा, उसने मांस खाना बंद करने का फैसला किया जैसे ही उसने गोमांस आपूर्ति श्रृंखला और वनों की कटाई के बीच संबंध के बारे में सीखा। वह यह भी कहती है कि जब भी वह कभी-कभी पार्टियों में जा सकती है, तो वह अपने दैनिक आवागमन के लिए साइकिल का उपयोग करती है।
कोस्टा एक चिली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं और चिली के सुप्रीम कोर्ट के साथ एक प्रशिक्षु रहे हैं। वह Instituto Socioambiental (सामाजिक-पर्यावरण संस्थान), युवाओं के नेतृत्व वाले संगठन Engajamundo, सिक्लिमेटिकोस परियोजना से जुड़ी हुई है, जिसे उसने सह-स्थापना और #FreeTheFuture आंदोलन ।
संदर्भ
जन्म वर्ष अज्ञात (जीवित लोग)
जीवित लोग | 321 |
1102653 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%AE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A5%80 | कमचातका के ज्वालामुखी | कमचातका के ज्वालामुखी, पूर्वी रूस में कमचातका प्रायद्वीप पर स्थित ज्वालामुखियों का एक बड़ा समूह है। कमचातका नदी और आस-पास की मध्य घाटी लगभग 160 ज्वालामुखियों वाले बड़े ज्वालामुखीय बेल्टों से भरी हुई है, जिनमें से 29 अभी भी सक्रिय हैं। प्रायद्वीप में ज्वालामुखियों और संबंधित ज्वालामुखीय घटनाओं की उच्च घनत्व है, जिसमें कमचातका समूह के 29 सक्रिय ज्वालामुखियों में से छह को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची स्थलों में शामिल किया गया है, उनमें से अधिकांश कमचट्टा प्रायद्वीप पर स्थित हैं। समिति ने प्राकृतिक मापदंड (vii), (viii) और (ix) के आधार पर दुनिया में ज्वालामुखी क्षेत्रों के सबसे उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक के रूप में कामचटका के ज्वालामुखियों को अंकित किया है।
एक बड़े महाद्वीपीय भूभाग और प्रशांत महासागर के बीच प्रायद्वीप का स्थान भी वन्यजीवों की प्रमुख बहुतता के साथ अद्वितीय विशेषताओं को प्रदर्शित करता है। सक्रिय ज्वालामुखियों और ग्लेशियरों के परस्पर क्रिया से बड़ी सुंदरता का एक गतिशील परिदृश्य बनता है। स्थल में महान प्रजातियों की विविधता है जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी ज्ञात सामनॉइड मछली और समुद्री ऊद की असाधारण बहुतता, भूरे भालू और स्टेलर के समुद्री ईगल सहित कई जीव शामिल हैं।
भूविज्ञान
क्ल्यूचेव्सकाया सबसे ऊंचा ज्वालामुखी (4,750 मी या 15,584 फीट) है, जो उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी है, जबकि सबसे सक्रिय क्रोनोत्स्कि है, जिसका सही शंकु आकार को ज्वालामुखीविज्ञानी रॉबर्ट और बारबरा डेकर ने विश्व के सबसे सुंदर ज्वालामुखी के प्रमुख उम्मीदवार के रूप में बताया है। इसके अलावा तीन अन्य सुलभ ज्वालामुखी: कोरयाक्सकाया, अवंचिन्स्कि, और कोज़ेल्स्कि हैं, जो पेट्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की से दिखाई देते हैं। कमचातका के केंद्र में यूरेशिया की विश्व प्रसिद्ध गीजर घाटी है, जिसे जून 2007 में बड़े पैमाने पर विशाल भूस्खलन ने नष्ट कर दिया था।
कुरील-कमचातका ट्रेंच के कारण, गहरी-केंद्रित भूकंपीय घटनाएं और सुनामी काफी आम हैं। 16 अक्टूबर, 1737 और 4 नवंबर, 1952 को तट पर क्रमशः ~ 9.3 और 8.2 की तीव्रता की दो मेगाथ्रस्ट भूकंप आई। अधिक उथले भूकंपों की एक श्रृंखला हाल ही में अप्रैल 2006 में दर्ज की गई थी।
सन्दर्भ
रूस में विश्व धरोहर स्थल
कमचातका प्रायद्वीप के ज्वालामुखी | 338 |
41489 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%81%E0%A4%96%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%20%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87 | अँखियों से गोली मारे | अँखियों से गोली मारे 2002 में बनी हिन्दी भाषा की कॉमेडी फ़िल्म है। हर्मेश मल्होत्रा द्वारा निर्देशित, इसमें गोविन्दा, रवीना टंडन, कादर खान, शक्ति कपूर, असरानी और जॉनी लीवर प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म टिकट खिड़की पर असफल रही थी। इस फिल्म का नाम निर्देशक की फिल्म दूल्हे राजा (1998) के सुपरहिट गाने से आया है।
संक्षेप
अखेन्द्र उर्फ टोपीचंद भांगडे (कादर खान) पुरावस्तु की दुकान के पीछे अवैध गतिविधियों को चलाता है। वह कुख्यात चोर बाजार क्षेत्र के पास अपनी पत्नी सुलेखा और इकलौती बेटी किरण (रवीना टंडन) के साथ रहता है। वह किरण का विवाह सब से बड़े बदमाश से कराना चाहता है और गैंगस्टर शक्ति दादा (शक्ति कपूर) को अपना भावी दामाद होने के लिए चुनता है। लेकिन किरण पहले से ही राज ओबेरॉय (गोविन्दा) से प्यार करती है। वह एक अमीर परिवार से संबंधित है और उसका किसी भी गैंगस्टर के साथ कोई संबंध नहीं है। किरण ने अपने पिता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज को विश्वास दिलाया कि उसे पहले गैंगस्टर बनना होगा।
राज अनिच्छा से सहमत हो जाता है और सुब्रमण्यम (जॉनी लीवर) नामक गैंगस्टर-ट्रेनर से मिलता है। कई दुर्घटनाओं के बाद, राज अंततः अपना लक्ष्य पूरा करता है और किरण के लिए उपयुक्त दूल्हे बनने के योग्य होता है। फिर टोपीचंद के पिता आ जाते हैं, जो एक अमीर आदमी ठाकुर राणा होते हैं। अब चीजें अचानक बदल जाती हैं। अब किरण का विवाह किसी गैंगस्टर के साथ नहीं, किसी अमीर लड़के के साथ होना है। अब एक बदकिस्मत राज को अब अपनी गैंगस्टर छवि को साफ करना होगा।
मुख्य कलाकार
गोविन्दा - राज ओबेरोय / बौबडी दादा
रवीना टंडन - किरण भांगडे
कादर खान - अखेंद्र टोपीचंद' भांगडे / ठाकुर
असरानी - टोपीचंद का साला
जॉनी लीवर - मास्टर सुब्रमण्यम
अवतार गिल - थॉमसन
दिनेश हिंगू - शादीलाल
रजाक खान - फ़ैयाज टक्कर पहलवान
सत्येंद्र कपूर - न्यायाधीश कपूर
शक्ति कपूर - शक्ति दादा
टीकू तलसानिया - श्री ओबेरॉय
विजू खोटे - चोरगे
शरत सक्सेना - बाबू छपरी
अंजना मुमताज़ - सुलेखा भांगडे
बीना बैनर्जी - श्रीमती ओबेरॉय
घनश्याम रोहेडा - हवलदार ढांचे
राना जंग बहादुर - जैरी
संगीत
बाहरी कड़ियाँ
2002 में बनी हिन्दी फ़िल्म
आनंद–मिलिंद द्वारा संगीतबद्ध फिल्में | 362 |
40423 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%282005%20%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29 | एलान (2005 फ़िल्म) | एलान 2005 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
संक्षेप
चरित्र
मुख्य कलाकार
मिथुन चक्रवर्ती - बाबा सिकंदर
राहुल खन्ना - करण शाह
अर्जुन रामपाल - अर्जुन
अमीशा पटेल - प्रिया
जॉन अब्राहम - अभिमन्यु
अमीषा पटेल - प्रिया
लारा दत्ता - सोनिया
चंकी पांडे - सलीम
असरानी - किशोरीलाल
मिलिंद गुणाजी - आफ़ताब सिकंदर
पृथ्वी ज़ुत्शी - समीर सिकंदर
रितु शिवपुरी - अंजली के शाह
अवतार गिल - फ़रीद चाचा
मदन जोशी - कांतिलाल शाह
अतुल माथुर
जेलर पटेल
सुरेश
दल
निर्देशक - विक्रम भट
निर्माता - गणेश जैन, रतन जैन
कथा व पटकथा - रॉबिन भट, विक्रम भट
संवाद - गिरीश धमाजिया
छायाकार - प्रवीण भट
संपादक - कुलदीप मेहन
संगीत
रोचक तथ्य
परिणाम
बौक्स ऑफिस
समीक्षाएँ
नामांकन और पुरस्कार
बाहरी कड़ियाँ
2005 में बनी हिन्दी फ़िल्म | 129 |
28550 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%82%20%E0%A4%9A%E0%A4%B2%20%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%282000%20%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29 | तेरा जादू चल गया (2000 फ़िल्म) | तेरा जादू चल गया 2000 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
संक्षेप
चरित्र
मुख्य कलाकार
अभिषेक बच्चन - कबीर श्रीवास्तव
परेश रावल - गफ़ूर भाई
कादर खान - श्री ओबेराय
कीर्ति रेड्डी - पूजा सिन्हा
संजय सूरी - राज ओबेराय
जॉनी लीवर - मैगी
टीकू तलसानिया - रमेश तोलानी
फ़रीदा जलाल - पूजा की मां
हिमानी शिवपुरी - श्यामा आपा, गफ़ूर की पत्नी
सतीश कौशिक
असरानी
दल
संगीत
रोचक तथ्य
परिणाम
बौक्स ऑफिस
समीक्षाएँ
नामांकन और पुरस्कार
बाहरी कड़ियाँ
2000 में बनी हिन्दी फ़िल्म | 85 |
1352458 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%80 | काबुकी | काबुकी, जापानी नृृृत्य नाटक का एक उत्कृष्ट रूप है। काबुकी नाटकशाला (थिएटर) अपने प्रदर्शनों की शैैैली, आकर्षक एवं मोहक वेेेेशभूषाओं और कलाकारों द्वारा किए जाने वाले विस्तृत 'कुमादोरी' मेेकअप केे लिए जाना जाता है।
माना जाता है कि काबुकी कला की शुरुआत एदो काल के प्रारंभिक समय में हुई,जब इसके संस्थापक इज़ुमो नो ओकुनी ने एक महिला नृत्य मंडली बनाई जोकि 'क्योटो' नगर में नृत्य और छोटे-मोटे नाटकों का प्रदर्शन किया करती थी। 1629 में महिलाओं द्वारा काबुकी नाटकशाला में प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी गई, जिसके बाद ही काबुकी अपने समकालीन पुरुष प्रधान नाटकीय कला के रूप में विकसित हुआ। काबुकी का विकास 17वीं शताब्दी के अंत में हुआ जबकि मध्य 18वीं सदी आते-आते यह कला अपने चरम पर पहुंच गई।
यूनेस्को द्वारा साल 2005 में काबुकी को उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों वाली एक अमूर्त विरासत घोषित कर दिया गया । साल 2008 में यूनेस्को ने काबुकी को 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' की सूची में जगह दी।
मेइजी काल के बाद
व्युत्पत्ति विज्ञान
इतिहास | 166 |
753149 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%80 | आदित्य चौधरी | आदित्य चौधरी (अंग्रेज़ी: ''Aditya Chaudhary'', जन्म: 9 दिसम्बर, 1961) 'भारतकोश' और 'ब्रजडिस्कवरी' के संस्थापक एवं प्रधान सम्पादक हैं। उन्होंने वर्ष 2006 से भारतकोश का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया। वर्ष 2008 में ब्रज क्षेत्र का समग्र ज्ञानकोश (इंसाइक्लोपीडिया) 'ब्रजडिस्कवरी' का ऑनलाइन प्रकाशन किया तथा वर्ष 2010 में भारत का समग्र ज्ञानकोश (एंसाइक्लोपीडिया) 'भारतकोश' की ऑनलाइन वेबसाइट शुरू की।
संक्षिप्त परिचय
आदित्य चौधरी दूरदर्शन एवं अन्य चैनलों के अनेक प्रसिद्ध कार्यक्रमों और धारावाहिकों जैसे- कबीर, फटीचर, काल कोठरी (दूरदर्शन धारावाहिक), महायज्ञ (सोनी टी.वी. धारावाहिक), गुलाबड़ी (दूरदर्शन टेलीफ़िल्म) आदि के लेखक एवं रचनात्मक सलाहकार रहे हैं। वर्ष 2015 में चैतन्य महाप्रभु के वृन्दावन आगमन के पंचशती समारोह के अंतर्गत वृन्दावन शोध संस्थान के सौजन्य से 'चैतन्य हुआ वृन्दावन' नामक नाटक का निर्देशन किया। वे केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के इंटरनेट हिन्दी संबंधी तकनीकी सलाहकार हैं। उन्हें सितंबर, 2016 में हिंदी अकादमी, दिल्ली की ओर से हिंदी दिवस पर डिजिटल दुनिया में हिंदी भाषा व साहित्य के क्षेत्र में प्रसार व उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘भाषा दूत’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही उन्हें दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत के माननीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 12 सितम्बर, 2015 को 'विश्व हिन्दी सम्मान' से सम्मानित किया। हाल ही में उन्होंने विदेश मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से अक्टूबर, 2016 को रूस में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन, मॉस्को में भाग लिया।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
भारतकोश पर आदित्य चौधरी
साहित्यम में आदित्य चौधरी की कवितायें
आदित्य चौधरी रेडियो वार्ता दुबई
1961 में जन्मे लोग
जीवित लोग
हिन्दी कवि
हिन्दी लेखक | 250 |
679804 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80 | अधूरी कहानी हमारी | अधूरी कहानी हमारी एक भारतीय हिन्दी धारावाहिक है, जिसका प्रसारण एंड टीवी पर 16 नवम्बर 2015 से हो रहा है। यह सोमवार से शुक्रवार को रात साढ़े सात बजे प्रसारित होता है। जिसमें लक्ष्य लालवानी और महिमा मकवाना मुख्य किरदार में हैं।
सारांश
मनस्विनी या मनु (महिमा मकवाना) को एक इच्छाधारी नागिन माया जलन के कारण मार देती है। क्योंकि राजकुमार माधव (लक्ष्य लालवानी) उस पर अधिक ध्यान देता था। लेकिन कई वर्षों के बाद मनस्विनी की आत्मा राधिका के रूप में, जो एक फिल्म बनाना सीखने वाली एक विद्यार्थी के रूप में उसी जगह आती है। वह नारायणपूरी में आ जाती है, जहाँ एक पुराना गरुड़ मन्दिर रहता है। इस यात्रा में उसे उसके पिछले जन्म के कई राज का धीरे धीरे पता चलता है।
कलाकार
लक्ष्य लालवानी - राजकुमार माधव / कृष
महिमा मकवाना - मनस्विनी / राधिका
सुहानी ढाँकी - माया / इच्छाधारी नागिन
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
आधिकारिक जालस्थल | 152 |
222242 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A4%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%A5-%E0%A4%8F%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%B8 | आंत में उपांत्र शोथ-एपेंडिसाइटिस | उपांत्र शोथ एपेंडिक्स की सूजन की अव्स्था है। यह एक आपातकालीन चिकित्सा के रूप में वर्गीकृत है और कई मामलों में सूजन को हटाने या तोलेप्रोस्कोपी लेप्रोटोमी द्वारा, की आवश्यकता होती है। अनुपचारित, मृत्यु दर, मुख्य रूप से सदमे और पेरिटोनिटिस.वजह से अधिक है 1886 में पहले Reginald Fitz चिरकारी और तीव्र वर्णित की है, और यह दुनिया भर में सबसे सामान्य तीव्रपेट दर्द और गंभीर कारणों में से मान्यता प्राप्त किया गया। एक सही ढंग से गंभीर रूप से उपांत्र शोथ निदान किया rumbling के रूप में जाना गया।
शब्द "स्यूडोएपेंडिसाइटिस" नकल है इस्तेमाल है। यह enterocolitica Yersinia साथ संबद्ध किया जा सकता.
संकेत एवं लक्षण
अधिकांश भाग के लिए लक्षण आंत की क्रियात्मकता से संबंधित हैं। पहले दर्द और बुखार उल्टी तीव्र उपांत्र शोथ की क्लासिक प्रस्तुति के रूप में वर्णित है। दर्द मध्य पेट में शुरू होता है और 3 साल के कम उम्र के बच्चों को छोड़कर, के लिए कुछ ही घंटों में सही श्रोणि खात में स्थानीयकरण होता है। इस दर्द को विभिन्न संकेत के माध्यम से हासिल किया जा सकता है।
संकेत स्थानीयकृत श्रोणिफलक खात में शामिल हैं। पेट की दीवार बहुत संवेदनशील (कोमल दबाव) हो जाता है। इसके अलावा, पेट पर एक गहरे दबाव में अचानक गंभीर पलटाव दर्दहोता है। परिशिष्ट रेट्रो सीकल एक मामले में, तथापि, कम है वृत्त का चतुर्थ भाग में गहरे दबाव में) हो सकता है। सूजन कारण होता है कि अंधात्र साथ फूली, गैस तक पहुँचने से हाथ से छूकर दबाव रोकता है। इसी प्रकार, यदि परिशिष्ट श्रोणि के भीतर पूरी तरह झूठ, आमतौर पर पेट की कठोरता का पूर्ण अभाव है। ऐसे मामलों में, एक डिजिटल गुदा परीक्षा थैली रेक्टो वैसाइकल कोमलता में. खाँसी) से कोमलता बिंदु मॅकबर्नी बिंदुइस क्षेत्र में (और इस परिशिष्ट कम से कम सूजन दर्दनाक तरीके स्थानीय बनाना. अगर पेट पर टटोलने का कार्य भी अनायास) संरक्षित (कठोर, वहाँ शल्य हस्तक्षेप की आवश्यकता जरूरी पेरिटोनिटिस के संदेह में मजबूत किया जाना चाहिए.
रॉउजिंग संकेत
निरंतर गहरी परिशिष्ट बृहदान्त्र टटोलने का कार्य से बाईं श्रोणि खात दक्षिणावर्त विरोधी ऊपर (साथ श्रोणिफलक सही में) हो सकता है दर्द के कारण आसपास की ईलियोसिकल ओर आंत्र सामग्री धक्का खात, द्वारा दबाव बढ़ने से हो सकता है। यह रॉउजिंग संकेत है
सोआस संकेत
सोआस संकेत या " ओब्रत्सोवा संकेत" सही कम वृत्त का चतुर्थ भाग दर्द है इलियोसोआस मांसपेशियों और सोआस की मांसपेशियों के ऊपर की सूजन पैरीटोनियम; की सूजन के कारण कूल्हे तक मरीज के साथ उत्पादन किया जाता है। बाहर पैर सीधे दर्द का कारण बनता है क्योंकि यह मांसपेशियों को फैला है और "भ्रूण की स्थिति 'में हिप ठोकने से दर्द में राहत होती है।
गवाक्ष संकेत
अगर एक सूजन परिशिष्ट ईन्टरनस गवाक्ष साथ संपर्क में है, मांसपेशियों में ऐंठन के कूल्हे का रोटेशन से ठोके और आंतरिक प्रदर्शन किया जा सकता है। इसमें अधोजठरप्रदेश में दर्द का कारण होगा.
डन्फी संकेत
खाँसी से निचले सही में वृत्त का चतुर्थ भाग दर्द में वृद्धि
ब्लमबर्ग संकेत
इसके अलावा पलटाव कोमलता के रूप में संकेत. टटोलने का कार्य के बाद दबाव के अचानक रिलीज़ के द्वारा परिशिष्ट सूजन संदिग्ध पर आंत पेरिटोनिटिस है और गंभीर पर साइट ब्लमबर्ग संकेतकारणों सकारात्मक संकेत दर्द .
वॉकोविच (कोषेर) संकेत
एनेमेसिस के दौरान, श्रोणि क्षेत्र सही दर्द की उपस्थिति में पेट पर चारों ओर अधिजठर क्षेत्र या एक बीमारी के साथ की शुरुआत .
सिटकोवस्की (रॉजेन्स्टिन) ' संकेत
रोगी के रूप में सही श्रोणि क्षेत्र में बढ़ता दर्द उसकी / उसके बाईं
ओर पर है।
बार्टोमायर-मिशेल्सन संकेत
रोगी के रूप में सही श्रोणि क्षेत्र में टटोलने का कार्य पर बढ़ता दर्द के लिए जब लापरवाह स्थिति पर रोगी था की तुलना में उसकी / उसके बाईं ओर पर है।
ऑरे- रॉजानॉवा संकेत
त्रिकोण पेटिट सही में उंगली से छूने का काम बढ़ाएँ दर्द पर (संकेत है किया जा सकता है एक सकारात्मक-शेटकिन ब्लूमबर्ग) -. परिशिष्ट की स्थिति में रेट्रोसीकल
कारण
साक्ष्य के प्रायोगिक आधार पर, तीव्र पथरी लुमेन लगता परिशिष्ट रुकावट के प्राथमिक परिणाम का एक अंत होता है। एक बार यह बाधा बलगम होता है के साथ भरा हो जाता है बाद में परिशिष्ट और फूल जाती है, प्रवाह के भीतर बढ़ती दबाव लुमेन की दीवारों और छोटी परिशिष्ट, जिसके परिणामस्वरूप की आड़ में घनास्त्रता और वाहिनियों, लसीका में ठहराव. शायद ही कभी, सहज निवर्तन इस बिंदु पर हो सकता है। के रूप में पूर्व की प्रगति, परिशिष्ट परिगलित हो जाता है इस्किमिक और तब. के रूप में बैक्टीरिया) प्रारंभ सप्परेशन, दीवारों से रिसाव के माध्यम से बाहर मरने मवाद रूपों (भीतर और चारों ओर परिशिष्ट. इस झरना परिणाम अंत मृत्यु है एपेन्डिसाकल टूटना ('एक फट परिशिष्ट') के कारण पैरीटोनाइटिस, अंततः और सैप्टिसीमिया जो नेतृत्व करने के लिए कर सकते हैं।
प्रेरणा एजेंटों में, जैसे विदेशी आघात पेट के कीड़े,[[लसीकापर्वशोथ और निरोधक मलपथरी जिसे एपेनडिकोलिथ कहा जाता है बाधा डालने वाले ज्ञात जमा निकायों, ]] के रूप में /4} है। पथरी के साथ रोगियों में मलपथरी का प्रसार विकसित देशों की तुलना में विकासशील में काफी अधिक, और एक एपेन्डीसीकल मलपथरी पथरी जटिल साथ सामान्यतः जुड़े . है इसके अलावा, मल से संबंधित ठहराव और नियंत्रण स्वस्थ हो सकता है खेलना एक भूमिका प्रति सप्ताह की संख्या कम आंत्र आंदोलनों एक काफी द्वारा प्रदर्शन के रूप में रोगियों के साथ तुलना में तीव्र पथरी के साथ .
परिशिष्ट में एक मलपथरी की घटना समय लगता है पारगमन लंबे समय तक एक तरह से जिम्मेदार ठहराया जा मल से संबंधित पक्षीय प्रतिधारण सही करने के लिए एक जलाशय में बृहदान्त्र और . यह महामारी विज्ञान के डेटा से कहा गया है किडाइवर्डीकुलर रोग और एडिनोमेटस जंतु अनजान थे और पेट के कैंसर बेहद पथरी के लिए मुक्त समुदायों में दुर्लभ . इसके अलावा, तीव्र पथरी मलाशय बृहदान्त्र और में कैंसर के लिए दिखाया गया पूर्वपद के लिए होते हैं . कई अध्ययनों से प्रस्ताव सबूत है कि एक कम फाइबर सेवन पथरी के रोगजनन में शामिल है
. इस समय कम कर देता है पारगमन फाइबर की एक घटना है के अनुसार सही तरफा fecal जलाशय और आहार सच है कि .
निदान
निदान रोगी (लक्षण) इतिहास और शारीरिक न्यूट्रफिलिक सफेद रक्त कोशिकाओं की ऊंचाई के द्वारा समर्थित परीक्षा पर आधारित है। इतिहास को दो श्रेणियों, ठेठ और अप्रारूपिक हैं। ठेठ पथरी आमतौर पर पेट में कई घंटे के लिए नाभि, आहार, मतली या उल्टी के साथ जुड़ा के क्षेत्र में शुरुआत दर्द भी शामिल है। दर्द सही कम वृत्त का चतुर्थ भाग है, जहां विकसित कोमलता में फिर "सुलझेगी. Atypical इतिहास इस विशिष्ट प्रगति की कमी है और एक प्रारंभिक लक्षण के रूप में सही कम चक्र में दर्द शामिल हो सकते हैं। अप्रारूपिक इतिहास अक्सर स्कैनिंग सीटी आवश्यकता होती है या इमेजिंग के साथ अल्ट्रासाउंड और. / एक गर्भावस्था परीक्षण के लक्षण असर बच्चे महिलाओं की सभी महत्वपूर्ण है में इसी तरह के साथ उम्र, के रूप में उपस्थित पथरी और अस्थानिक गर्भधारण. एक अस्थानिक गर्भावस्था लापता के परिणाम गंभीर हो और संभावित जीवन धमकी. इसके अलावा महिलाओं में पेट दर्द (में इतना है कि यह पुरुषों में दृष्टिकोण से भिन्न है) के करीब पहुंच सामान्य सिद्धांतों की सराहना की जानी चाहिए.
अल्ट्रासाउंड
अल्ट्रासोनोग्राफी और डॉपलर सोनोग्राफी बच्चों को प्रदान करने में उपयोगी विशेष रूप से मतलब है, पथरी का पता लगाने और डॉपलर प्रवाह में रंग संग्रह से पता चलता है मुफ्त तरल पदार्थ रक्त के बिना एक दृश्य के साथ परिशिष्ट खात साथ श्रोणिफलक में सही है।) में कुछ मामलों में (लगभग 15%, हालांकि, खात श्रोणिफलक अल्ट्रासोनोग्राफी की पथरी की उपस्थिति नहीं असामान्यताएं के बावजूद किसी भी प्रकट करते हैं। यह विशेष रूप से जल्दी पथरी का सच है से पहले परिशिष्ट में महत्वपूर्ण बन गया है distended और वयस्कों जहाँ वसा और आंत्र गैस की बड़ी मात्रा में करना वास्तव में परिशिष्ट को देखकर तकनीकी रूप से मुश्किल में. इन सीमाओं के बावजूद, हाथों में अनुभव सोनोग्राफ़ इमेजिंग ट्यूबों सकते फैलोपियन या अक्सर अंतर के रूप में अंडाशय पैल्विक अंगों में अन्य से होने वाले दर्द या परिशिष्ट के बीच पथरी और अन्य के पास सूजन के लिम्फ नोड्स जैसे रोगों के साथ बहुत इसी तरह के लक्षण.
कमप्युटेड टोमोग्राफी
उपलब्ध में स्थानों पर जहां आसानी से यह है, सीटी स्कैन भौतिक इतिहास रहा है पर स्पष्ट नहीं बन अक्सर इस्तेमाल किया है जिसका निदान वयस्कों, खासकर में. विकिरण के बारे में चिंताएं, हालांकि, सीटी की गर्भवती महिलाओं और बच्चों में उपयोग को सीमित करते हैं। एक अच्छी तरह से प्रदर्शन किया सीटी स्कैन के साथ आधुनिक उपकरण विशिष्टता (संवेदनशीलता 95) से अधिक की दर एक है पता लगाने% और एक समान. पथरी के लक्षण सीटी पर परिशिष्ट में मौखिक विपरीत (मौखिक डाई) की कमी शामिल है स्कैन, (मिमी अधिक से अधिक से अधिक 6 क्रॉस अनुभागीय व्यास में) उंडुकीय वृद्धि और चतुर्थ विपरीत (चतुर्थ डाई) के साथ उंडुकीय दीवार वृद्धि का प्रत्यक्ष दृश्य. में पथरी के कारण सूजन के आसपास चर्बी peritoneal भी सीटी पर देखा जा सकता है, एक तरह से जल्दी पता लगाने तंत्र पथरी और एक संकेत है कि पथरी उपस्थित होना भी जब परिशिष्ट अच्छी तरह से नहीं देखा है सकते हैं प्रदान (ताकि "वसा स्टरैन्डिंग" कहा जाता है). इस प्रकार, पथरी की सीटी द्वारा निदान और अधिक कठिन बहुत पतली रोगियों में और बच्चों में किया जाता है, दोनों जिनमें से कमी पेट के भीतर महत्वपूर्ण वसा के लिए करते हैं। सीटी की उपयोगिता स्पष्ट है बनाया स्कैनिंग, लेकिन यह प्रभाव नकारात्मक एपेंड्कटॉमी दर के द्वारा है। उदाहरण के लिए, सीटी के बोस्टन में पथरी के निदान के लिए उपयोग करते हैं, एमए सर्जरी में पूर्व सीटी युग में 20% से एक सामान्य परिशिष्ट मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार खोज केवल 3% करने के लिए की संभावना घट गई है।
अल्ट्रासाउंड और सीटी तुलना
UC-सैन फ्रांसिस्को से एक व्यवस्थित समीक्षा अल्ट्रासाउंड बनाम सीटी स्कैन की तुलना के अनुसार, सीटी स्कैन और अधिक वयस्कों और किशोरों में पथरी के निदान के लिए अल्ट्रासाउंड की तुलना में सटीक है। सीटी स्कैन के 94% संवेदनशीलता है एक) 17.9 विशिष्टता के 95 में एक सकारात्मक संभावना अनुपात 13.3% से (CI 9.9, के लिए और संभावना का अनुपात 0.09 नकारात्मक एक (CI, 0.07-0.12). अल्ट्रासोनोग्राफी) संवेदनशीलता के 86 समग्र था एक के 81% विशिष्टता, एक% सकारात्मक संभावना अनुपात का एक, 5.8 (CI, 9.5 से 3.5), नकारात्मक संभावना अनुपात का एक और 0.19 (CI, के लिए 0.13 0.27.
एलवारडो स्कोर
नैदानिक और प्रयोगशाला के एक नंबर प्रणाली स्कोरिंग आधार पर निदान की सहायता तैयार किया गया है। सबसे अधिक इस्तेमाल व्यापक रूप से एलवारडो स्कोर है
| -
| प्रवासी सही श्रोणि खात दर्द
1 अंक
| -
क्षुधानाश
1 अंक
| -
| मतली और उल्टी
1 अंक
| -
!संकेत (लक्षण)
!
| -
| सही श्रोणि खात कोमलता
2 अंक |
| -
| प्रतिक्षेप कोमलता
1 अंक
| -
| बुखार
1 अंक
| -
!प्रयोगशाला
!
| -
श्वेतकोशिका बहुलता
2 अंक |
| -
|) न्यूट्रोफिल शिफ्ट
1 अंक
| -
!कुल स्कोर
!10 अंक
|}
नीचे पाँच अंक एक पथरी के निदान के खिलाफ एक जोरदार है, जबकि या एक से अधिक एक 7 के स्कोर पथरी है तीव्र की जोरदार भविष्य कहनेवाला. 06/05 के एक गोलमोल स्कोर, सीटी संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रयोग किया जाता है स्कैन के साथ रोगियों में आगे नकारात्मक appendicectomy की दर को कम करने के लिए.
अन्य डाटा
मैट्रिक्स मेटाल्लोप्रटीनेज (एमएमपी) के स्तर मरीजों के बीच संबंध विच्छेद aएपेन्डीसीकल के जोखिम की वृद्धि की बायोमार्कर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है पथरी के साथ तीव्र अध्ययन काउहोट के अनुसार करने के लिए एक. 1-एमएमपी गल (<0.05 पी) और छिद्रित पथरी में अधिक था (पी <0.01) के नियंत्रण के साथ तुलना में. 9 एमएमपी सबसे बहुतायत से सूजन परिशिष्ट में व्यक्त किया गया था और एक दस गुना अधिक पथरी के साथ सभी समूहों में नियंत्रण (<.001 पी) के साथ तुलना की अभिव्यक्ति पर पहुंच गया।
सापेक्ष निदान
बच्चों में:
आंत्रशोथ, mesenteric adenitis, मेकेल डाीवर्टीकुलम, सोख लेना, Henoch-Schönlein चित्तिता, लोबार निमोनिया, मूत्र पथ के संक्रमण (अन्य लक्षण के अभाव में पेट दर्द यूटीआई के साथ बच्चों में हो सकता है), नई शुरुआत है क्रोह्न रोग या बृहदांत्रशोथ अल्सरेटिव, अग्नाशयशोथ और बच्चे के दुरुपयोग से पेट दर्द, बाहर का साथ सिस्टिक फाइब्रोसिस बच्चों में रोग आंत्र बाधा, लेकिमिया के साथ बच्चों में बडी़ आंत की शोथ; लड़कियों में: रजोदर्शन, कष्टार्तव, गंभीर मासिक धर्म क्रैम्प, Mittelschmerz, श्रोणि सूजन बीमारी, अस्थानिक गर्भावस्था
वयस्कों में -
पुरुषों में: क्षेत्रीय आंत्रशोथ, गुर्दे उदरशूल, छिद्रित पेप्टिक रेक्टस शीथ हिमेटोमा, [[वृषण मरोड़ हिमेटोमा है क्रोह्न रोग या सव्रण बृहदांत्रशोथ, महिलाओं में: श्रोणि सूजन बीमारी, अस्थानिक गर्भावस्था, अंतर्गर्भाशय-अस्थानता, पुटी डिम्बग्रंथि टूटना मरोड़ /, Mittelschmerz (अंडा एक गुजर में से एक में चक्र की उम्मीद एक मासिक धर्म से पहले अंडाशय लगभग दो सप्ताह)]]
बुजुर्गों में:
विपुटीशोथ, आंत्र रुकावट, कोलॉन कार्सिनोमा, mesenteric ischemia धमनीविस्फार महाधमनी, लीक.
प्रबंधन
शल्य मोटे तौर पर, किसी भी रूढ़िवादी प्रबंधन तीव्रता से सूजन परिशिष्ट के रूप में आपरेशन थियेटर की दहलीज पर किया जाता है इस तरह के उपचार के दौरान टूटना करने के लिए उत्तरदायी है।
सर्जरी से पहले
उपचार शल्य चिकित्सा के लिए तैयारी पीने में या शुरू होता है द्वारा खाने से रोगी रखे हुए हैं। एक अंतःशिरा ड्रिप करने के लिए रोगी हाइड्रेट किया जाता है। एंटीबायोटिक घाव या पेट में है नसों के द्वारा दी जटिलताओं पश्चात की और पेट में और के रूप में सिफरोक्ज़िम मेट्रोनिडेज़ोल सकता बैक्टीरिया को मारने में मदद करने के लिए जल्दी हो प्रशासित और संक्रमण की इस प्रकार कम करने में फैल गया। गोलमोल मामलों में अधिक मुश्किल हो एंटीबायोटिक और धारावाहिक परीक्षाओं से उपचार के साथ लाभ का आकलन कर सकते हैं। अगर पेट खाली (पिछले छह घंटे में खाना नहीं है) आमतौर पर सामान्य संज्ञाहरण किया जाता है। अन्यथा, रीढ़ की हड्डी संज्ञाहरण इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक appendectomy का निर्णय एक बार किया गया है, तैयारी प्रक्रिया को और अधिक या कम एक दो घंटे लगते हैं। इस बीच, सर्जन सर्जरी प्रक्रिया की व्याख्या और जोखिम है कि विचार किया जाना है जब एक appendectomy प्रदर्शन करना होगा मौजूद होगा. के साथ सभी सर्जरी वहाँ कुछ जोखिम भी हैं कि प्रक्रियाओं के प्रदर्शन से पहले मूल्यांकन किया जाना चाहिए. हालांकि, जोखिम परिशिष्ट की स्थिति पर निर्भर करता अलग हैं। अगर परिशिष्ट उठी है नहीं, जटिलता दर% ही है के बारे में 3, लेकिन अगर परिशिष्ट उठी है, जटिलता दर से 59% बढ़ जाता है लगभग. सबसे सामान्य जटिलताओं कि हो सकता है चिपचिपा बंधन हैं निमोनिया से, हर्निया चीरा, thrombophlebitis खून बह रहा है या नहीं. हाल ही में सबूत यह संकेत करता है कि मरीज के परिणाम में अंतर औसत दर्जे का कोई परिणाम प्राप्त करने में प्रवेश के बाद सर्जरी में देरी की
सर्जन भी समझा कब तक वसूली की प्रक्रिया लेना चाहिए. पेट बाल आमतौर पर करने के लिए जटिलताओं कि चीरा के संबंध में प्रकट हो सकता है से बचने के लिए हटा दिया है।
में मामलों रोगियों अनुभव मतली या उल्टी जो सर्जरी से पहले विशिष्ट दवा की आवश्यकता होती है कि सबसे. एंटीबायोटिक दवा के साथ दर्द भी appendectomies से पहले हो सकता है।
दर्द प्रबंधन
पथरी से दर्द गंभीर हो सकती है। मजबूत दर्द दवाओं (जैसे मादक दर्द दवा) दर्द से पहले सर्जरी करने के लिए प्रबंधन के लिए सिफारिश की है। अफ़ीम आम तौर पर दर्द के इलाज में वयस्क और बच्चों में देखभाल की पथरी से सर्जरी से पहले मानक है।
भौतिक में पिछले (प्रकाशित और कुछ अभी भी चिकित्सा पाठ्यपुस्तकों है कि आज), आमतौर पर यह स्वीकार किया गया है कि दर्द नहीं दवा दी जब तक सर्जन का मूल्यांकन किया गया है मौका रोगी का निष्कर्ष है, इसलिए के रूप में "भ्रष्ट नहीं है" परीक्षा. अभ्यास की यह पंक्ति, तथ्य यह है कि सर्जन कभी कभी घंटे लग सकते हैं के साथ संयुक्त करने के लिए रोगी का मूल्यांकन आने के लिए, खासकर अगर वह या वह सर्जरी के बीच में है या घर से ड्राइव में है, अक्सर एक स्थिति है कि नैतिकता की दृष्टि से संदिग्ध है कि ओर जाता है सबसे अच्छे रूप में. हाल ही में, कारण मरीजों में दर्द को नियंत्रित करने के महत्त्व की बेहतर समझ के लिए, यह दिखाया गया है कि शारीरिक परीक्षा वास्तव में है कि नाटकीय रूप से परेशान जब दर्द दवा चिकित्सा मूल्यांकन करने से पहले दिया जाता है नहीं है। व्यक्तिगत अस्पतालों और क्लीनिकों सर्जन एक अधिकतम करने के मूल्यांकन के लिए 20 से 30 मिनट, जैसे समय आने की इजाजत देने का एक समझौता विकसित करके पथरी का दर्द प्रबंधन के इस नए दृष्टिकोण के लिए अनुकूलित है, इससे पहले कि सक्रिय दर्द प्रबंधन शुरू की है। कई सर्जनों भी दर्द प्रबंधन प्रदान करने के बजाय तुरंत ही शल्य मूल्यांकन के बाद के इस नए दृष्टिकोण की वकालत.
सर्जरी
एपेंडिक्स को हटाने के लिए शल्यप्रक्रिया [[शल्यचिकित्सा|''[[एपेंडेक्टॉमी/1} कहा जाता है (यह एक एपेंडेक्टॉमी रूप में भी ']] '' ]] ज्ञात है). अक्सर अब ऑपरेशन लेप्रोस्कोपिक दृष्टिकोण के माध्यम से किया जा सकता है एक प्रदर्शन किया, या पेट के माध्यम से क्षेत्र के तीन कल्पना करने के लिए कैमरे के साथ एक छोटे चीरों. अगर निष्कर्ष रूपांतरण आदि, आसंजनशीलs, फोड़ा प्रकट suppurative पथरी के साथ उलझने जैसे टूटना, के लिए खुला laparotomy आवश्यक हो सकता है। एक खुली laparotomy चीरा अगर कम सही वृत्त का चतुर्थ भाग में बिंदु है, जरूरी अक्सर कोमलता अधिकतम, मॅकबर्नी बिंदु के केन्द्रों पर क्षेत्र. एक अनुप्रस्थ या एक ग्रिडिरॉन विकर्ण चीरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया है।
मार्च 2008 में, एक भारतीय महिला थी उसे परिशिष्ट योनि के माध्यम से उसे हटा दिया, भारत में कोयंबतूर, विधि में सर्जरी एक मेडिकल पहले से टिप्पणियाँ () इंडोस्कोपिक प्राकृतिक Orifice Transluminal.
प्रक्रियाओं खुली विश्लेषण से मेटा अनुसार करने के लिए एक और Cochrane सहयोग तुलना लेप्रोस्कोपिक, लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया प्रक्रिया प्रतीत खुला अधिक लाभ के लिए है विभिन्न. घाव में संक्रमण appendicectomy थे खुले के बाद appendicectomy से लेप्रोस्कोपिक के बाद कम होने की संभावना (अंतर अनुपात (या 0.45); विश्वास अंतराल (CI) 0.35-0.58), लेकिन intraabdominal फोड़े की घटनाओं में वृद्धि की गई थी (2.48 या, 1.45 CI 4.21 के लिए). सर्जरी की अवधि लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया के लिए अब 12 मिनट (7 CI 16) था। सर्जरी के बाद 1 दिन पर दर्द स्केल एनालॉग के बाद किया गया कम 13 प्रक्रियाओं लेप्रोस्कोपिक द्वारा 9 मिमी 5 (CI से दृश्य मिमी) पर एक 100 मिलीमीटर. अस्पताल में रहने के 1.1 दिन (0.6 1.5 से CI) के द्वारा छोटा था। सामान्य गतिविधियों, काम पर लौटें और खेल के खुले प्रक्रियाओं के बाद से लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया के बाद पहले हुई. जबकि लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया के संचालन लागत काफी अधिक थे, अस्पताल के बाहर लागत कम हो गई थी। युवा महिला, मोटे और नियोजित रोगियों समूहों लगते अन्य की तुलना में अधिक लाभ प्रक्रिया लेप्रोस्कोपिक से.
वहाँ आपातकाल appendicectomy कि बहस चल रही है (भीतर प्रवेश के 6 घंटे) या तत्काल appendicectomy (प्रवेश के बाद 6 से अधिक घंटे) बनाम वेध जटिलता का खतरा कम करता है। अध्ययन की समीक्षा के अनुसार एक पूर्वव्यापी मामले वेध दो समूहों के बीच दर में कोई महत्वपूर्ण मतभेद थे नोट (पी =. 397). विभिन्न (विद्रधि गठन पुन: प्रवेश) जटिलताओं कोई महत्वपूर्ण अंतर (0.667 = 0.999, पी) दिखाया. इस अध्ययन, एंटीबायोटिक चिकित्सा शुरुआत है और अगले दिन के लिए रात के बीच में से appendicectomy में देरी करता है मुंह या अन्य जटिलताओं के जोखिम में काफी वृद्धि नहीं के अनुसार. यह निष्कर्ष शल्य चिकित्सक और स्टाफ शामिल की सुविधा के लिए बस, लेकिन तथ्य यह है कि वहाँ अन्य अध्ययन है कि पता चला है कि सर्जरी रात, जब लोगों को और अधिक थक गया हो सकता दौरान जगह ले रही है और वहाँ कम कर्मचारी हैं उपलब्ध किया गया है के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, है शल्य जटिलताओं की उच्च दर.
शल्य चिकित्सा के समय में निष्कर्ष कम ठेठ पथरी में गंभीर हैं। अप्रारूपिक इतिहास के साथ, मुंह और अधिक सामान्य है और निष्कर्ष बताते हैं वेध लक्षण की शुरुआत में होता है। इन टिप्पणियों के एक सिद्धांत है कि तीव्र (विशिष्ट) पथरी और suppurative पथरी (atypical) दो अलग रोग प्रक्रियाओं कर रहे हैं फिट हो सकता है। 1.(
सर्जरी के रोगियों में पतली ठेठ पथरी में 30 मिनट से जटिल मामलों में कई घंटे के लिए पिछले कर सकते हैं।
उदरछेदन
Laparotomy सर्जरी के परंपरागत प्रकार पथरी के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के पेट एक के माध्यम से संक्रमित होते हैं परिशिष्ट में हटाने क्षेत्र एक बड़ा निचले सही में चीरा. एक laparotomy में चीरा 2-3 आमतौर इंच लंबा है। सर्जरी के प्रकार यह गुहा पेट है इस्तेमाल भी अंदर संरचनाओं की जांच के लिए visualizing और और यह laparotomy खोजपूर्ण कहा जाता है।
प्रक्रिया के दौरान एक पारंपरिक appendectomy, रोगी के क्रम में किया जा रहा है रखा संज्ञाहरण सामान्य रखने के लिए उसका / उसकी मांसपेशियों पूरी तरह से आराम करने के लिए और बेहोश रखने के रोगी. चीरा लंबा है दो से तीन इंच और यह. हड्डी ठीक है बनाया में कम से ऊपर इंच पेट, कई हिप एक बार चीरा गुहा खुलती पेट और परिशिष्ट पहचान की है, सर्जन के ऊतकों को हटा संक्रमित ऊतकों और चारों ओर से कटौती परिशिष्ट. बाद सर्जन सावधानी से और बारीकी से संक्रमित क्षेत्र निरीक्षण करता है और वहाँ कोई संकेत नहीं है कि आसपास के ऊतकों क्षतिग्रस्त या संक्रमित होते हैं, वह चीरा बंद शुरू कर देंगे. इस अप का अर्थ है मांसपेशियों या सिलाई और उपयोग शल्य प्रधान के टांके त्वचा के करीब है। संक्रमण को रोकने के लिएनिर्जीवाणुक पट्टी के साथ चीरा कवर किया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया में अब पिछले एक घंटे अगर जटिलताओं नहीं होती है नहीं की तुलना करता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
नए पथरी के इलाज के लिए विधि सर्जरी है लेप्रोस्कोपिक. यह शल्य प्रक्रिया है 0.5 इंच लंबा करने के लिए पेट में 3-4 चीरों, प्रत्येक 0.25 इंच बनाने के होते हैं। appendectomy इस प्रकार का एक चीरों में से एक में एक विशेष सर्जिकल उपकरण बुलाया लेप्रोस्कोप डालने से किया जाता है। लेप्रोस्कोप रोगी के शरीर के बाहर एक मॉनिटर से कनेक्टेड है और इसे करने के लिए पेट में संक्रमित क्षेत्र का निरीक्षण सर्जन मदद बनाया गया है। अन्य दो चीरों साधन शल्य की विशिष्ट हटाने के लिए कर रहे हैं बनाया का उपयोग करके परिशिष्ट एस
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में भी सामान्य संज्ञाहरण की आवश्यकता होती है और यह दो घंटे के लिए हो सकता हैं।
नवीनतम तरीके की उपांत्र-उच्छेदन टिप्पणियाँ कोयंबतूर, भारत में की गई जिसमें बाहरी त्वचा पर चीरा नहीं लगाया गया है और जहां SILS (सिंगल चीरा लेप्रोस्कोपिक सर्जरी) में एक ही 2.5 सेमी चीरा सर्जरी प्रदर्शन किया है।
सर्जरी के बाद
आमतौर पर हॉस्पिटल में रहने की लंबाई रात से लेकर कुछ दिनों के लिए हो सकती हैं, लेकिन यदि जटिलताएं आने पर कुछ ही हफ्तों हो सकती हैं। रिकवरी प्रक्रिया हालत की गंभीरता के आधार पर बदलती है, अगर सर्जरी से पहले रप्चर था या नहीं पर आश्रित हो सकता है। आम तौर पर एपेंडिक्स सर्जरी में स्वास्थ्य लाभ रप्चर नहीं होने पर बहुत तेजी से होता है। यह महत्वपूर्ण है कि रोगी चिकित्सक की सलाह को सम्मान अपने और शारीरिक गतिविधि सीमा करें ताकि उनके ऊतकोंको तेजी से चंगा कर सकते हैं। एक एपेंडिकेक्टोमी के बाद आहार परिवर्तन या एक जीवन शैली बदलने की आवश्यकता नहीं हैं।
सर्जरी के बाद रोगी देखभाल इकाई प्रधान होता है, जटिलताओं से बचने के निकट निगरानी के लिए स्थानांतरित करने के लिए एक तो उसके महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। यदि आवश्यक हो तो दर्द शामक दवा भी दी जा सकती है। रोगी को पूरी तरह से होश आने पर वे एक अस्पताल में ठीक करने के लिए कमरे में भेज दिये जाते हैं। सर्जरी के बाद अधिकांश व्यक्तियों साफ तरल पदार्थ की पेशकश की जाएगी और फिर आंतों को ठीक ढंग से काम शुरू करने पर एक नियमित आहार दिया जाता है। रोगियों को बिस्तर के किनारे पर बैठन और एक दिन में कई बार के लिए कम दूरी चलना की सिफारिश की जाती है। चलना अनिवार्य है और यदि आवश्यक हो तो दर्द दवा दी जा सकती है। एपेंडिक्स से पूरी स्वास्थ्य लाभ में 4 से 6 सप्ताह का समय लगता है लेकिन यह रप्चर होने पर 8 सप्ताह के लिए स्थगित हो सकता है।
पूर्वानुमान
अधिकांश उपांत्र शोथ रोगियों को शल्य चिकित्सा से आसानी से ठीक हो जाती है, लेकिन यदि में उपचार देरी होती है या पेरिटोनिटिसमें जटिलताएं आ सकती हैं स्वास्थ्य लाभ समय आयु, स्थिति, जटिलताओं और शराब की खपत की मात्रआ सहित अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर 10 और 28 दिनों के बीच है। छोटे बच्चों के लिए (लगभग 10 वर्ष की उम्र) तीन सप्ताह, स्वास्थ्य लाभ लेता है।
पेरिटोनिटिस वास्तविक जीवन के लिए खतरा संभावना कारण है कि तीव्र उपांत्र शोथ शीघ्र मूल्यांकन और इलाज वारंट है। रोगी को एक चिकित्सा निकास करने के लिए गुजरना पड सकता है जब एक समय पर चिकित्सा मूल्यांकन असंभव था एपेंडेक्टॉमी कभी कभी आपात स्थिति (अर्थात् एक उचित अस्पताल के बाहर), किया गया।
ठेठ तीव्र एपेंडिसाइटिस एपेंडेक्टॉमी के लिए जल्दी और कभी कभी अनायास हल होगा. यदि एपेंडिसाइटिस अनायास हल हो जाती है, यह विवादास्पद बनी हुई है कि क्या एक वैकल्पिक अंतराल एपेंडेक्टॉमी से एपेंडिसाइटिस का एक आवर्तक प्रकरण को रोकने के लिए किया जाना चाहिए . अप्रारूपिक एपेंडिसाइटिस (पूय से जुड़े) अधिक कठिन निदान होता है और अधिक जटिल होती है आमतौर पर या तो शीघ्र निदान स्थिति में और एपेंडेक्टॉमी, दो से तीन सप्ताह में सबसे अच्छा परिणाम होता है। मृत्यु दर और गंभीर जटिलताओं असामान्य हैं, लेकिन हो सकता है, खासकर अगर पेरिटोनिटिस बनी रहती है औरअनुपचारित रहती है।
अक्सर काफी एक और बातएपेंडिकुलरगांठ ''' के रूप में जाना जाता है। यह तब होता है जब एपेंडिक्स हटाया नहीं जाता है और जल्दी ओमेन्टम का संक्रमण होकर यह आंत के में एक स्पष्ट गांठ गठन करता है। इस अवधि के दौरान ऑपरेशन जोखिम भरा होता है जब कि बुखार और विषाक्तता द्वारा या यूएसजी से स्पष्ट मवाद गठन देखा जाता है। चिकित्सा प्रबंधन सकिया जाता है।
एपेंडेक्टॉमी की एक असामान्य जटिलता " स्टंप एपेंडिसाइटिस " है : सूजन पहले से बचे हुए अधूरा एपेंडेक्टॉमी होने से होता है।
महामारी विज्ञान या जानपदिकरोग विज्ञान
]
उल्लेखनीय लोगों की मृत्यु
एवलिन पार्नेल
एडवर्ड प्लंकेट, Dunsany की 18 वीं दिग्गज
वाल्टर रीड
हैरी Houdini
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
एपेंडिसाइटिस और एपेंडेक्टॉमी लेखक डेनिस ली, एमडी संपादक जे मार्क्स, एमडी - MedicineNet.com, डॉक्टर उत्पादित जानकारी प्लस रोगी चर्चाएँ MedicineNet.com द्वारा प्रदान
पथरी - MayoClinic.com, क्लिनिक के मेयो वेबसाइट से
एपेंडिसाइटिस, इतिहास और निदान, उपचार द्वारा शिक्षा सर्जन नेट
पथरी रिसर्च पर पथरी साहित्य से नवीनतम अनुसंधान
तीव्र और पूतिस्राव एपेंडिसाइटिस जर्नल Permanente चिकित्सा मुद्दे से स्प्रिंग 1998
अद्यतन एपेंडिसाइटिस पूरा एपेंडेक्टॉमी लेप्रोस्कोपिक जानकारी सहित
इसके रोगों और उपचार: Vermiformis एपेंडिसाइटिस का इतिहास. आर्थर सी. म्कार्टी तक एमडी,
पथरी: तीव्र पेट और सर्जिकल गेस्ट्रोन्टरलौजी व्यावसायिक से मर्क मैनुअल (सामग्री पिछले सितम्बर 2007 संशोधित)
पेट की आपात स्थिति 'सर्जिकल पेट'. बाल चिकित्सा सर्जरी
इन्फ्लामेशन्स
चिकित्सा आपात स्थिति
सामान्य शल्य चिकित्सा
परिशिष्ट का रोग | 4,395 |
714556 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%A3%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%A8 | गणभवन | गणभवन(, उच्चारण:गाॅनोभाॅबोन), बांग्लादेशकी राजधानी ढाका में जातीय संसद भवन के निकट स्थित एक भवन है। यह बांग्लादेश के प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास है। यह ढाका के शेर-ए-बांगला नगर क्षेत्र में, संसद भवन के उत्तरी कोने पर स्थित है।
उपयोग
इस भवन को बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास के रूप में उपयोग किया जाता है, और वश्व के अन्य ऐसे कई सरकारी निवासों के विरुद्ध, यह भवन प्रधानमंत्री के सचिवालय की मेजबानी नहीं करता, बल्कियह केवल निवास के लिये ही इस्तेमाल होता है। प्रधानमंत्री का सचिवालय अथवा कार्यालय, ढाका के तेजगाँव में प्रधानमंत्री कार्यालय के भवन में अवस्थित है, जो प्रधानमंत्री को सचिवीय, सुरक्षा व अन्य सुविधाओं व सहयोगों से भरपूर रखता है।
ईद के दिन इस भवन को आम आगंतुकों के लिए खोल दिया जाता है, और प्रधानमंत्री समाज के विभिन्न तपकों के लोगों से मिलतेहैं, जिनमें विभिन्न दलों के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ, वरिष्ठ सैन्य व जन अधिकारी, रजनयिक, न्यायाधीश व साधारण लोग भी शामिल होते हैं।
अवस्थिति
यह भवन मीरपुर रोड और लेक रोड के चौराहे के पश्चिमोत्तरी कोने पर स्थित है। यह राष्ट्रीय संसद भवन से, पैदल, पाँच मिनट की दूरी पर स्थित है। यह राजधानी के तीव्र सुरक्षा क्षेत्रों में से एक में स्थित है और संसद भवन एवं प्रधानमंत्री कार्यालय दोनों ही गणभवन से कुछ क्षणों की दूरी पर स्थित हैं।
इन्हें भी देखें
प्रधानमंत्री कार्यालय (बांग्लादेश)
बांग्लादेश के प्रधानमंत्री
बंगभवन
सन्दर्भ
बांग्लादेश के प्रधानमन्त्री
ढाका के सरकारी भवन
प्रधानमंत्री निवास | 235 |
1459665 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE | केतिका शर्मा | केतिका शर्मा (जन्म 24 दिसंबर 1995) एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से टॉलीवुड में दिखाई देती हैं। उन्होंने पुरी जगन के प्रोडक्शन बैनर की फिल्म रोमांटिक के माध्यम से टॉलीवुड में अपनी शुरुआत की और अपनी पहली रिलीज से पहले ही उन्हें नागा शौर्य की लक्ष्य के साथ एक फिल्म मिली। केतिका का जन्म 24 दिसंबर, 1995 को नई दिल्ली, भारत में हुआ था। वह एक अभिनेत्री हैं, जिन्हें रोमांटिक (2021), लक्ष्य (2021) और रंगा वैभवंगा (2022) के लिए जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन
केतिका शर्मा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मॉडलिंग शुरू की। उसने खुद को एक सामाजिक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में पेश किया। केतिका अपने डबमैश वीडियो क्लिप की वजह से सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं।
करियर
केतिका शर्मा ने 2021 में रिलीज हुई तेलुगू फिल्म रोमांटिक से डेब्यू किया था। फिल्म में केतिका के प्रदर्शन को व्यापक मान्यता मिली, इसके अलावा एक लोकप्रिय तेलुगु फिल्म अभिनेता प्रभास ने कहा कि "केतिका प्यारी लग रही है, मुझे यकीन है कि दर्शक उसे ऑन-स्क्रीन पसंद करेंगे"।
2021 में वह एक तेलुगु ओटीटी प्लेटफॉर्म आहा के लिए एक प्रोमो में दिखाई दीं , अल्लू अर्जुन के साथ
उन्हें एक तेलुगु फिल्म लक्ष्य में अभिनय करने का भी मौका मिला।
बाद में 2022 में, उन्होंने एक तेलुगु रोमांटिक ड्रामा फिल्म रंगा रंगा वैबावमगा में अभिनय किया। उन्होंने अपने अच्छे प्रदर्शन और स्क्रीन उपस्थिति के लिए दर्शकों से मूल्यांकन प्राप्त किया।
फिल्मोग्राफी
संगीत वीडियो
गाना
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
1995 में जन्मे लोग
जीवित लोग
तेलुगू अभिनेत्री
भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री | 255 |
261977 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%8D%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%AA%E0%A5%80 | इण्डिक ऍक्सपी | इण्डिक ऍक्सपी विंडोज़ २००० तथा ऍक्सपी में हिन्दी/इण्डिक सपोर्ट (भारतीय भाषायी समर्थन) स्वचालित रूप से सक्षम करने हेतु एक औजार है। विंडोज़ २००० तथा ऍक्सपी आदि में हिन्दी आदि भारतीय भाषाओं में काम करने के लिये कण्ट्रोल पैनल में जाकर इण्डिक सपोर्ट (कॉम्प्लैक्स लेआउट समर्थन) सक्षम करना पड़ता है जिसके लिये विंडोज़ सीडी की आवश्यकता होती है। कई बार विण्डोज सीडी उपलब्ध न होने पर समस्या आती है, इसके अतिरिक्त किसी नये हिन्दी प्रयोक्ता को यह प्रक्रिया समझाने में काफी मुश्किल होती है।
इण्डिक ऍक्सपी इस प्रक्रिया को आसान बनाता है। बिना सीडी की जरूरत के केवल दो क्लिक द्वारा इण्डिक समर्थन सक्षम किया जा सकता है। इसके अलावा यह विंडोज़ की लैंग्वेज हॉटकी को CTRL+SHIFT पर शिफ्ट कर देता है जो कि डिफॉल्ट संयोजन ALT+SHIFT की तुलना में बेहतर होती है। सब कुछ स्वचालित रूप से होता है, इंस्टालेशन के बाद बस एक बार कम्प्यूटर रीस्टार्ट करना पड़ता है। इसमें इण्डिक कण्ट्रोल पैनल नामक एक छोटा सा औजार शामिल है जिसके जरिये एक क्लिक द्वारा विंडोज़ में अन्तर्निमित विभिन्न भारतीय भाषायी इन्स्क्रिप्ट कीबोर्डों को जोड़ा जा सकता है तथा अन्य भाषा सम्बन्धी विकल्प सैट किये जा सकते हैं।
इण्डिक ऍक्सपी ई-पण्डित लैब्स (श्रीश बेंजवाल शर्मा) द्वारा विकसित किया गया है। यह दो संस्करणों में है – लाइट तथा प्लस।
इण्डिक ऍक्सपी लाइट
लाइट संस्करण विभिन्न भारतीय भाषाओं हेतु एक जनरलाइज्ड संस्करण है जो कि केवल इण्डिक समर्थन सक्षम करता है। यह विभिन्न भारतीय भाषाओं का समर्थन सक्षम करता है, इण्डिक कण्ट्रोल पैनल के जरिये उन भाषाओं के डिफॉल्ट कीबोर्ड आसानी से जोड़े जा सकते हैं। यह संस्करण उनके लिये है जो कि या तो विंडोज़ के डिफॉल्ट कीबोर्ड का प्रयोग करते हैं या किसी अन्य टाइपिंग टूल का प्रयोग करते हैं।
इण्डिक ऍक्सपी प्लस
प्लस संस्करण में इण्डिक सपोर्ट तथा इण्डिक कण्ट्रोल पैनल के अलावा इन्स्क्रिप्ट लाँचर तथा इण्डिक आइऍमई लाइट शामिल हैं। इसमें आप वाँछित इंस्टालेशन चुन सकते हैं।
इन्स्क्रिप्ट लाँचर – यह विंडोज़ में अन्तर्निर्मित दो हिन्दी इऩ्स्क्रिप्ट कीबोर्ड Hindi Traditional तथा Devanagari – INSCRIPT जोड़ता है। इंस्टालेशन के अन्त में यह कीबोर्ड स्वतः जुड़ जाते हैं। इनपुट भाषा बदलने हेतु आप CTRL+SHIFT तथा कीबोर्डों के मध्य स्विच करने हेतु ALT+SHIFT हॉटकी प्रयोग कर सकते हैं।
इण्डिक आइऍमई लाइट – यह इण्डिक आइऍमई का हल्का-फुल्का संस्करण है। यह औजार इण्डिक आइऍमई इंस्टाल करने के अलावा उसका कीबोर्ड स्वतः जोड़ देता है। यह विकल्प मुख्यतः रेमिंगटन प्रयोक्ताओं के लिये है क्योंकि इण्डिक आइऍमई का ट्राँसलिट्रेशन औजार आजकल शायद ही कोई प्रयोग करता हो।
इन्हें भी देखें
हिन्दी टूलकिट
इण्डिक आइऍमई
बाहरी कड़ियाँ
इण्डिक ऍक्सपी होमपेज
रिलीज़ नोट्स
कंप्यूटर
हिन्दी टाइपिंग
हिन्दी कम्प्यूटिंग | 424 |
1196188 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%9A%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A5%80%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE | अचुमी भाषा | अचुमी या खोडमोनी (फारसी: اچمی) भाषा लोगों की भाषा दक्षिण फ़ार्स प्रांत और करमान प्रांत, पूर्वी भाग बुशहर प्रांत और सभी होर्मोज़्गान प्रांत है; यह आसपास के गैर-अरब लोगों फ़ारस की खाड़ी की मूल भाषा भी है;
अचुमी परिवार भारत-यूरोपीय भाषा और एक शाखा भारत-ईरानी भाषाएँ के साथ-साथ एक उप-शाखा ईरान की पश्चिमी भाषाएँ का एक हिस्सा है;
यह व्याकरणिक भाषा व्याकरण आधुनिक फ़ारसी से अलग और अलग है और इसका पाहलवी सासानिड्स के साथ-साथ पार्थियन पार्थियन के साथ एक मजबूत संबंध है;
सन्दर्भ
ईरानी भाषाएँ
ईरान की भाषाएँ | 89 |
1282024 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%86 | दौआ | यह एक श्री बलराम और आल्हा ऊदल के वंशजो का समूह है जिसे दाऊ, दौवा, दौआ या दऊआ यादव (अहीर) के नाम से जाना जाता है, इनका बुंदेलखंड में बहुत ही गौरवपूर्ण इतिहास रहा है और आज भी इनकी बहुत अच्छी स्थिति है और इन्हे दाऊ साहब और ठाकुर साहब कहकर लोग सम्मान देते हैं। दाऊवंशी यादव बुंदेलो से बहुत पहले ही राज्य स्थापित कर चुके थे। चंदेलराज परमाल के अहीर सेनापति आल्हा व ऊदल के साथ युद्घ करने वाले डोगरसिंह दौवा और उनके भाई दलसिंह दौवा भी दाऊवंशी यादव (अहीर) थे।
सन्दर्भ | 93 |
1464168 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A5%89%E0%A4%AC%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%89%E0%A4%A8 | मिली बॉबी ब्राउन | मिली बॉबी ब्राउन () (जन्म 19 फरवरी 2004) एक ब्रिटिश अभिनेत्री हैं। उन्हें नेटफ्लिक्स साइंस फिक्शन सीरीज़ स्ट्रेंजर थिंग्स (2016-वर्तमान) में इलेवन की भूमिका निभाने के लिए पहचान मिली। इस किरदार के लिए उन्हें दो प्राइमटाइम एमी अवार्ड्स के लिए नामांकित किया गया। ब्राउन ने फिल्म गॉडजिला : किंग ऑफ द मॉन्स्टर्स (2019) और इसके सीक्वल गॉडजिला वर्सेस कोंग (2021) में अभिनय किया है। उन्होंने नेटफ्लिक्स मिस्ट्री फिल्म एनोला होम्स (2020) और उसके 2022 सीक्वल एनोला होम्स 2 में भी अभिनय किया तथा उसका निर्माण किया।
2018 में ब्राउन को टाइम 100 की दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया था। उन्हें यूनिसेफ सद्भावना राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था। इस पद के लिए चुने गए लोगों में ब्राउन की उम्र सबसे कम थी।
प्रारंभिक जीवन
ब्राउन का जन्म 19 फरवरी 2004 को मार्बेला, मलागा, स्पेन में हुआ था। ब्रिटिश माता-पिता केली और संपत्ति एजेंट रॉबर्ट ब्राउन से घर पैदा हुए चार बच्चों में ब्राउन तीसरी थी। वह अपने बाएं कान में आंशिक श्रवण हानि के साथ पैदा हुई थी और धीरे-धीरे कई वर्षों में उनके बाएं कान की श्रवण शक्ति खत्म हो गई। जब वह चार साल की थी तब अपने परिवार के साथ इंग्लैंड जाकर बोर्नमाउथ में बस गई। आठ साल की उम्र में पूरा परिवार ऑरलैंडो, फ्लोरिडा चला गया।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
2004 में जन्मे लोग
जीवित लोग | 227 |
760530 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6 | राष्ट्रीय रूढ़िवाद | राष्ट्रीय रूढ़िवाद रूढ़िवाद का एक प्रकार है, जो अधिकतर इतर रूढ़िवादियों की अपेक्षा, राष्ट्रीय हितों और सांस्कृतिक व संजातीय पहचान कायम रखने पर अधिक केन्द्रित होता है। यूरोप में, राष्ट्रीय रूढ़िवादी सामान्यतः यूरोसंदेही होते हैं। राष्ट्रीय रूढ़िवाद पारम्परिक रूढ़िवाद से भी सम्बन्धित है।
1989 से उत्तर-साम्यवादी केन्द्रीय और दक्षिणपूर्वी यूरोप में, अधिकतर रूढ़िवादी दल राष्ट्रीय रूढ़िवादी रहें हैं।.
विचारधारा
सामाजिक नीतियाँ
राष्ट्रीय रूढ़िवादी दल सामाजिक रूप से पारम्परिक होते हैं और पारम्परिक परिवार व सामाजिक स्थिरता का समर्थन करते हैं। ऑस्ट्रियाई राजनीति वैज्ञानिक Sieglinde Rosenberger के अनुसार, "राष्ट्रीय रूढ़िवाद, पहचान, ऐक्यभाव और भावना के एक घर तथा एक केन्द्र के रूप में, परिवार की प्रसंशा करता है।" अनेक राष्ट्रीय रूढ़िवादी अतः सामाजिक रूढ़िवादी होते हैं, और साथ ही, आप्रवासन सीमित करने और लॉ-एण्ड-ऑर्डर अधिनियमित करने के पक्ष में होते हैं।
आर्थिक नीतियाँ
विभिन्न देशों में राष्ट्रीय रूढ़िवादी दल, आर्थिक नीति पर एक आम स्थिति साझा नहीं करते: उनके मत नियोजित अर्थव्यवस्था के समर्थन से लेकर एक केन्द्रवादी मिश्रित अर्थव्यवस्था से लेकर एक अहस्तक्षेप-नीति के दृष्टिकोण तक विस्तृत हो सकते हैं। एक प्रथम, अधिक आम, मामले में, राष्ट्रीय रूढ़िवादी राजकोषीय रूढ़िवादियों से प्रभेदित किएँ जा सकते हैं, जिनके लिए मुक्त बाज़ार, आर्थिक नीतियाँ, अविनियमन और तंग ख़र्चा प्रमुख प्राथमिकताएँ हैं। कुछ टिप्पणीकारों ने राष्ट्रीय और आर्थिक रूढ़िवाद के मध्य एक बढ़ते फ़ासले की सचमुच शिनाख़्त की हैं: "दक्षिणपन्थ के [आज के] अधिकतर दल आर्थिक रूढ़िवादियों से चलते हैं, जिनके पास, भिन्न स्तरों में, हाशिए पर सामाजिक, सांस्कृतिक, और राष्ट्रीय रूढ़िवादी हैं।
राष्ट्रीय रूढ़िवादी राजनीतिक दलों की सूची
वर्तमान राष्ट्रीय रूढ़िवादी राजनीतिक दल अथवा राष्ट्रीय रूढ़िवादी गुटों वाले दल
निम्न राजनीतिक दलों का राष्ट्रीय रूढ़िवादी के रूप में विवरण हुआ हैं, क्योंकि इनके वैचारिक प्रभावों में से एक राष्ट्रीय रूढ़िवाद हैं।
— Future of Åland
— अल्जीरियाई राष्ट्रीय मोर्चा
— डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ अल्बानिया, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ अल्बानिया, अल्बानियाई विकल्प
— रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ अर्मेनिआ
— एक राष्ट्र, ऑस्ट्रेलियन लिबर्टी अलायन्स, क्रिस्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी, फ़ैमिली फर्स्ट पार्टी
— मदरलैण्ड पार्टी, सिविक सॉलिडेरिटी पार्टी
— नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक एक्शन
— पार्टी ऑफ़ डेमोक्रेटिक एक्शन, क्रोएशियन डेमोक्रेटिक यूनियन ऑफ़ बोस्निया और हेर्ज़ेगोविना, पार्टी ऑफ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेस
— आईएमआरओ – बुल्गारियन नेशनल मूवमेंट, यूनियन ऑफ़ डेमोक्रेटिक फोर्सेस, डेमोक्रेट्स फ़ॉर अ स्ट्रोंग बुल्गारिया, डेमोक्रेटिक पार्टी
— इंडिपेंडेंट डेमोक्रेटिक यूनियन
— क्रोएशियन डेमोक्रेटिक यूनियन, क्रोएशियन पार्टी ऑफ़ राइट्स dr. Ante Starčević, क्रोएशियन पार्टी ऑफ़ राइट्स
— सॉलिडेरिटी मूवमेंट
— सिविक डेमोक्रेटिक पार्टी, Coalition for Republic – Republican Party of Czechoslovakia, Dawn - National Coalition, National Democracy, Order of Nation
— Danish People's Party, Danish Unity
— Pro Patria and Res Publica Union, Conservative People's Party of Estonia, Estonian Free Party
— Finns Party
— Movement for France, National Front, France Arise
— Alternative for Germany, Christian Social Union in Bavaria (partially), The Republicans, Pro Germany Citizens' Movement
— Independent Greeks, Democratic Revival, Popular Orthodox Rally
— Fidesz
— Bharatiya Janata Party
— Yisrael Beiteinu, The Jewish Home
— Brothers of Italy, The Right, Northern League (factions)
– Liberal Democratic Party, Party for Japanese Kokoro
— National Alliance
— Kataeb Party, Lebanese Forces
— Progressive Citizens' Party
— Homeland Union, Order and Justice
— Alternative Democratic Reform Party
— Internal Macedonian Revolutionary Organization – Democratic Party for Macedonian National Unity, United for Macedonia
— New Serb Democracy, Democratic People's Party, Democratic Party of Unity
— Istiqlal Party
— Rastriya Prajatantra Party
— Progress Party
— Nacionalista Party
— Law and Justice, Solidary Poland, Congress of the New Right
— CDS – People's Party
— United Romania Party
— United Russia
— Serbian Progressive Party, Democratic Party of Serbia, Democratic Serb Party, New Serb Democracy
- Slovak National Party
— Slovenian Democratic Party,
— Saenuri Party
— Vox
— Sweden Democrats
— Swiss People's Party, Federal Democratic Union, Swiss Democrats, Geneva Citizens' Movement, Ticino League
– Kuomintang
— Justice and Development Party, Nationalist Movement Party, Homeland Party
— Ukrainian Republican Party
— Democratic Unionist Party, Traditional Unionist Voice,
— Constitution Party, Republican Party (factions)
Former national conservative parties or parties with national conservative factions
— National Alliance
— National Party, National Unity
— Conservative Party
— Sammarinese People
— People's Party - Movement for a Democratic Slovakia
सन्दर्भ
राजनीति विज्ञान शब्दावली
रूढ़िवाद
राष्ट्रवाद
रूढ़िवाद-सम्बन्धित सूचियाँ | 685 |
1075949 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80%20%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6 | स्वामी ज्ञानानंद | स्वामी ज्ञानानंद (जन्म; 1957, अंबाला, हरियाणा, भारत) एक शिक्षाविद, दार्शनिक, मार्गदर्शक, लेखक और योगी हैं। नैतिकता, मूल्यों, और गीता पर उनकी किताबें और व्याख्यान कई लोगों के लिए एक अध्याय बन गए हैं।
जीवनी
स्वामी ज्ञानानंद का जन्म 15 मई 1957 को हरियाणा राज्य के अंबाला शहर में हुआ था। उन्होंने अंबाला से स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में स्नातक स्तर तक राजनीतिक विज्ञान का अध्ययन किया। उन्होंने मास्टर की दो डिग्री हासिल की। स्वामी ज्ञानानंद ने अब तक कई किताबें भी लिखी है जिसमें गीता प्रेरणा, कृपा और ज्ञान साधना है।
श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति
ध्यान, सेवा, और मानवता के प्रति समर्पण (सत्संग, सेवा और सुमिरन) के दिव्य विचारों के लिए समर्पित ज्ञानानंद ने इस समिति (संगठन) की स्थापना की। वह 1990 से लगातार ध्यान और प्रार्थनाओं के व्यावहारिक लाभ सिखा रहे हैं और दिन-प्रतिदिन जीवन की समस्याओं और उनके समाधानों के लिए प्रेरणा देते हैं। जबकि उन्होंने युवा से लेकर बूढ़ों तक को गीता का ज्ञान देने के लिए जीओ (जी.आई.ई.ओ.) गीता की स्थापना की।
इसके अलावा स्वामी ज्ञानानंद विश्व भर में गीता महोत्सव करवाते आ रहे हैं। उन्होंने माॅरीशस, लंदन इत्यादि बड़े-बड़े शहरों में गीता महोत्सव का आयोजन किया है।
संदर्भ
आध्यात्मिक गुरु
1957 में जन्मे लोग | 202 |
20595 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80 | गोगामेड़ी | गोगामेड़ी (Gogamedi) भारत के राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ ज़िले में स्थित एक गाँव है।
मेला
गोगामेड़ी में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला लगता है। यहा राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार से लाखों श्रद्धालु आते है । इस मेले की खास बात यह है कि यहाँ सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था प्रकट करते है। गोगादेव गुरुभक्त, वीर योद्ध ओर प्रतापी राजा थे गुरु गोरखनाथ के परमशिष्य थे जिनकि याद में ये मेला लगता है। गौरतलब है कि गुरु गोरखनाथ जी ने यहाँ 12 वर्ष तपस्या की थी। यहां धुने पर भी लोग माथा टेकते है और मन्नत मांगते है।
इन्हें भी देखें
हनुमानगढ़ ज़िला
सन्दर्भ
राजस्थान के गाँव
हनुमानगढ़ ज़िला
हनुमानगढ़ ज़िले के गाँव | 120 |
184167 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE%20%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%A0%E0%A5%8D%E0%A4%A0%E0%A4%B2%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%20%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%A1%E0%A4%BC | राजा बिठ्ठलदास गौड़ | राजा बिठ्ठलदास गौड़, राजा गोपालदास गौड़ का दूसरा पुत्र। मुगल सम्राट् शाहजहाँ के प्रारंभिक काल में तीन हजारी 1500 सवार का मंसबदार हुआ। जुझारसिंह के विद्रोह करने पर यह खानजहाँ लोदी के साथ उसके दमन को नियुक्त हुआ। किंतु जब खानजहाँ लोदी ने ही विद्रोह के चिह्र प्रकट किए, तो उसके दमन का भी कार्य इसे सौंपा गया। राजा गजसिंह के सहायक के रूप में इसने खानजहाँ लोदी के दाँत खट्टे किए।
इसके बाद सम्राट् ने इसे क्रमश: रणथंभोर का दुर्गाध्यक्ष और अजमेर में फौजदार नियुक्त किया। परेंद: दुर्ग के घेरे में राजकुमार मुहम्मद शुजा के साथ रहा। जब दुर्ग विजित नहीं हो पाया, तो इसे पुन: अजमेर में रखा गया। दक्षिण में शाहजी भोंसले का विद्रोह दबाने के लिए सम्राट् ने इसे भी भेजा था। उसके पश्चात् यह आगरे का दुर्गाध्यक्ष नियुक्त हुआ। इसका मंसब पाँच हजारी सवार का कर दिया गया और यह राजकुमार मुरादबख्श के साथ बलख और बदख्शाँ पर आक्रमण करने को नियुक्त हुआ। बलख विजय के अनंतर यह वहाँ से राजकुमार के साथ लौट आया। राजकुमार औरंगजेब के साथ कांधार के काजिलबाशों के विरुद्ध युद्ध में इसने यश प्राप्त किया। जीवन के अंतिम समय में यह अपने प्रांत लौट गया और वहीं 1651 ई. में इसकी मृत्यु हुई।
भारत का इतिहास | 206 |
837182 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A5%B0%20%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A5%B0%20%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A1%E0%A5%82 | सी॰ के॰ नायडू | कोट्टेरी कनकैया नायडू ( (३१ अक्टूबर १८९५- १४ नवम्बर १९६७) भारतीय क्रिकेट टीम के पहले टेस्ट क्रिकेट मैचों के कप्तान थे। इन्होंने लंबे समय तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला था। इन्होंने लगभग १९५८ तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला और अंतिम बार ६८ साल की उम्र में १९६३ में क्रिकेट खेला था। सन १९२३ में इंदौर के होल्कर के शासक ने होल्कर के कैप्टन बनने के लिए भी आमंत्रित किया था।
आर्थर गल्लीगां के नेतृत्व में मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने भारत का दौरा किया था और मैच मुम्बई के बॉम्बे जिमखाना पर खेला गया था। जिसमें हिंदुओ की ओर से सी के नायडू ने ११६ मिनट में १५३ रनों की पारी भी खेली थी। उस मैच में इन्होंने ११ छक्के भी लगाए थे जिसमें एक छक्का बॉम्बे जिमखाना की छत पर जाकर गिरा था। इसके बाद एमसीसी ने इन्हें चांदी का एक बैट पुरस्कार में दिया था। नायडू को भारत सरकार ने १९५६ में भारत के द्वितीय सर्वोच्च पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
जीवन परिचय
कनकैया नायडू का जन्म ३१ अक्टूबर १८९६ को बारा बड़ा नागपुर, महाराष्ट्र में कोठारी सूर्य प्रकाश राव नायडू के घर पर हुआ था, जो कि आंध्र प्रदेश के राय बहादुर कोट्टरी नारायण स्वामी नायडू के पुत्र थे। इनके पिता एक वकील और मकान मालिक थे। इनके पिता एक समृद्ध वकील बनने के अलावा, अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक अग्रणी सदस्य भी थे। नायडू का देहांत १४ नवम्बर १९६७ को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ।
परिवार
सी॰ के॰ नायडू के दादाजी नारायण स्वामी पर्याप्त समृद्ध थे ताकि उनके दोनों बेटों को आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा जा सके। उनके बड़े बेटे, कोट्टरी वेंकटरमन नायडू, का एलुरू के राजा प्रभाकर मूर्ति की बेटी से विवाह हुआ था। छोटा बेटा (सी॰ के॰ नायडू), कोट्टरी सूर्य प्रकाश राव नायडू, उनके चार बेटे और दो बेटियां थीं, उन्होंने बी.ए. किया और डाउनिंग कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एम.ए. किया था।
इनके पिता अपने शारीरिक कौशल के लिए प्रशंसित थे और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय परिसर में हरक्यूलिस के रूप में जाने जाते थे। वे होलकर राज्य के उच्च न्यायालय में कुछ वर्षों तक कार्य किया था और कुछ समय के लिए मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्यरत थे। उन दिनों महाराजा शिवाजी राव होलकर शासक थे। महाराजा का कहना था कि उन्हें केवल दो व्यक्तियों पर विश्वास था - एक सूर्य प्रकाश राव और एक के.एस. नवानगर के रंजीतसिंहजी, जो ससेक्स और इंग्लैंड के लिए खेलते थे।
क्रिकेट कैरियर
सी॰ के॰ नायडू भारतीय क्रिकेट टीम के टेस्ट के पहले कप्तान थे इन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत सिर्फ ७ साल की उम्र में कर दी थी। तब ये अपने विद्यालय में क्रिकेट खेला करते थे। इन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत १९१६ में बॉम्बे ट्रेंगुलर ट्रॉफी में की थी।
इन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत २५ जून १९३२ को इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट मैच से की थी। जबकि इन्होंने अंतिम टेस्ट मैच १५ अगस्त १९३६ को इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इन्होंने अपने टेस्ट कैरियर में कुल ७ टेस्ट मैच खेले थे जिसमें २५.०० की औसत से ३५० रन बनाए थे जिसमें २ अर्धशतक लगाए थे। साथ ही इन्होंने गेंदबाजी करते हुए ९ विकेट भी लिए थे।
सन्दर्भ
भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
भारतीय टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी
1895 में जन्मे लोग
भारतीय क्रिकेट कप्तान
१९६७ में निधन
भारतीय बल्लेबाज़
नागपुर के लोग | 550 |
1346592 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | शक्ति दान कविया | डॉ. शक्ति दान कविया (17 जुलाई 1940 - 13 जनवरी 2021) राजस्थान से एक कवि, लेखक, आलोचक और विद्वान थे। डॉ. कविया जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में हिंदी व राजस्थानी के विभाग प्रमुख के पद पर रह चुके थे। उन्हें डिंगल ( राजस्थानी ) साहित्य के एक विशेषज्ञ के साथ हिंदी और ब्रज-भाषा के एक महान विद्वान के रूप में जाना जाता था। डॉ. कविया अपनी कृति ''धरती घणी रुपाळी' लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित थे।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
शक्ति दान कविया का जन्म 17 जुलाई 1940 को राजस्थान के जोधपुर ज़िले के बिराई गांव में हुआ था। उनके पिता गोविंद दान जी कविया राजस्थानी (डिंगल) और ब्रज साहित्य के विद्वान थे।
उनके मामाजी ठा. अलसीदान जी रतनू जैसलमेर रियासत के राज-कवि थे।1956 में, शक्ति दान का विवाह सिंध के खारोड़ा गाँव के लहर कंवर से हुआ था। डॉ. कविया के पांच पुत्र हैं:
वीरेंद्र कविया
मनजीत सिंह कविया
नरपत दान कविया
हिम्मत सिंह कविया
वासुदेव कविया
शिक्षा
डॉ. कविया ने बालेसर सरकारी स्कूल और मथानिया स्कूल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण की। मैट्रिक परीक्षा के लिए वह जोधपुर के चोपासनी स्कूल गए। मथानिया स्कूल में अपनी पढ़ाई के दौरान वह पद्म-श्री सीता राम लालस के एक छात्र थे, जिन्होंने राजस्थानी भाषा का पहला शब्दकोश राजस्थानी सबदकोस का निर्माण किया था ।
जोधपुर में अपनी शिक्षा के दौरान कविया ने सामाजिक, साहित्य और वाद -विवाद कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने वाक प्रदर्शन के लिए सम्मान प्राप्त किया। उन्होंने राजस्थानी और हिंदी कविता कार्यक्रमों के साथ-साथ अंग्रेजी कार्यों का राजस्थानी में अनुवाद भी किया।
कम उम्र में भी, शक्ति दान महत्वपूर्ण साहित्यकारों और गणमान्य व्यक्तियों के संपर्क में आ चुके थे। 1951 में, जब शक्ति दान पांचवीं कक्षा में थे, तब उनका शंकर दान जी देथा (लिम्बडी-काठियावाड़ के राज-कवि) के साथ पत्राचार प्रारम्भ हो चुका था। छठी कक्षा की स्कूली शिक्षा में, कविया ने साधना प्रेस (जोधपुर) में हिंदू देवी करणी माता को समर्पित अपनी रचना 'श्री करनी यश प्रकाश' शीर्षक से प्रकाशित की। विश्वविद्यालय में अपनी कला स्नातक की पढ़ाई के दौरान, कविया ने थॉमस ग्रे की अंग्रेजी कविता एलीजी का राजस्थानी में अनुवाद किया और हिंदी में इसका अर्थ लिखा। यह राजस्थानी प्रतिपादन और इससे जुड़ा हिंदी सार 1959 में मासिक प्रेरणा पत्रिका के अप्रैल संस्करण में प्रकाशित हुआ था।
शक्ति दान एसकेएस कॉलेज (जोधपुर) के पहले ऐसे छात्र थे, जिनकी कविताओं और रचनाओं को आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) जयपुर में नियमित प्रसारण के लिए चुना गया था। बाद में, वे आकाशवाणी कार्यक्रम सलाहकार समिति के निर्वाचित सदस्य भी बने।
1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भी डॉ. कविया सक्रिय थे और इस विषय पर उनकी डिंगल और ब्रज कविताएँ नियमित रूप से प्रकाशित होती थीं।
1964 में, जब जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने अपनी वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया, तब शक्ति दान ने इसके राजस्थानी भाग के सलाहकार के रूप में कार्य किया।
1969 में, शक्ति दान ने अपनी पीएच.डी. जोधपुर विश्वविद्यालय से 'डिंगल के ऐतिहासिक प्रबंधन काव्य नामक शोध थीसिस पर पूर्ण की।
कैरियर
शक्ति दान कविया ने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में एक व्याख्याता के रूप में प्रवेश लिया और 40 वर्षों तक संस्थान का हिस्सा रहे। 17 वर्षों तक उन्होंने हिंदी विभाग में और 20 वर्षों तक उन्होंने राजस्थानी विभाग में व्यख्याता के रूप में अध्यापन किया ।
डॉ. कविया साहित्य के महान विद्वान थे। उनकी रचनाएँ राजस्थानी, डिंगल, हिंदी और ब्रज साहित्य पर केंद्रित थीं। कविया ने तीन बार जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में राजस्थानी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
1974-75 में, राजस्थानी भाषा को साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता दी गई और जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने स्नातक स्तर पर पहली बार राजस्थानी कक्षाएं शुरू कीं। तीन छात्रों की कम संख्या के बावजूद, शक्ति दान काविया ने पहले बैच को पढ़ाने की जिम्मेदारी स्वीकार की और छात्रों को पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए राजी किया, अंततः छात्रों की संख्या बढ़ाकर 19 कर दी। उन्हें संस्था के इतिहास में पहले व्याख्याता के रूप में श्रेय दिया जाता है, जिन्होंने डिंगल साहित्य को व्यापक रूप से पढ़ाया। राजस्थानी के विभाग प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, जेएनवीयू विश्वविद्यालय राजस्थानी भाषा में एमफिल पाठ्यक्रम की पेशकश करने वाला दुनिया का पहला विश्वविद्यालय बन गया।
1993 में, डॉ. कविया को धरती घणी रुपाळी 'के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो रामेश्वर लाल खंडेलवाल द्वारा तरुण कविता की 20 कविताओं का राजस्थानी अनुवाद था।
डॉ. कविया ने डिंगल कविता में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और इसे बढ़ावा दिया।उन्होंने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में डिंगल कविता का एक परिचयात्मक गायन प्रदर्शन दिया। उन्हें "राजस्थानी डिंगल कविता का महान विशेषज्ञ" भी कहा गया है।
डॉ. कविया की कृतियों का अकादमिक उपयोग
रंगभीनी
शैक्षणिक सत्र 1976-77 के लिए, शक्ति दान काविया द्वारा रंगभीनी को कला अध्ययन के द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम के द्वारा रंगभीनी को पाठ्यपुस्तक में जोड़ा गया था।
लाखीणी
शक्ति दान कविया द्वारा रचित, डिंगल भाषा में राजस्थानी लोक कथाओं का एक संग्रह, 1964-65 और 1965-67 के 2 शैक्षणिक सत्रों के लिए एमए हिंदी के पाठ्यक्रम का हिस्सा था। बाद में, यह विषय के लिए एक संदर्भ पुस्तक बन गई।
संस्कृति री सोरम
1986 में, डॉ. कविया को संस्कृत री सोरम नामक निबंध संकलन के लिए पहला सूर्यमल मिश्रण शिखर पुरस्कार मिला।1993 से 2000 तक महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर में राजस्थानी वैकल्पिक पेपर के लिए 'संस्कृति री सोरम' आधिकारिक पाठ्यक्रम का हिस्सा था।
धरती घणी रुपाळी
डॉ. कविया को उनकी कविता कृति धरती घणी रुपाळी'' ' के लिए 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
शैक्षणिक संस्थाएं
डॉ. कविया केके बिड़ला फाउंडेशन (नई दिल्ली), साहित्य अकादमी (नई दिल्ली), और लखोटिया अवार्ड्स (नई दिल्ली) सहित कई साहित्य संस्थाओं में पुरस्कार निर्णय पैनल सदस्य थे।
साहित्य अकादमी
हिंदी, राजस्थानी और ब्रज साहित्य में अपने अपार ज्ञान और योगदान के कारण, डॉ. कविया राजस्थानी, हिंदी और ब्रजभाषा तीनों संबंधित साहित्य अकादमी के सदस्य रहे।
इटली का दौरा और ट्राएस्टे विश्वविद्यालय
1987 में, डॉ. कविया ने डिंगल पर एक विशेषज्ञ के रूप में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य संगोष्ठी के लिए इटली की यात्रा की। संगोष्ठी 8 दिनों तक चली जहां उन्होंने डिंगल कविता पर ध्यान आकर्षित किया। इटली में डॉ. कविया ने 'राजस्थानी साहित्य में एल.पी. टेसिटोरी का योगदान' विषय पर व्याख्यान भी दिया। ट्रिएस्ट विश्वविद्यालय में डॉ. काविया ने डिंगल साहित्य पर व्याख्यान दिया।
मृत्यु
डॉ. शक्ति दान कविया का 13 जनवरी 2021 को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे।
डॉ. आईदान सिंह भाटी, डॉ. गजादान चारण, मोहन सिंह रतनू, डॉ. मिनाक्सी बोराना, डॉ. गजसिंह राजपुरोहित, डॉ. भंवरलाल सुथार, डॉ. सुखदेव राव, और डॉ इंद्र दान चारण सहित पूरे राजस्थान के विद्वानों और साहित्यकारों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। डिंगल भाषा और साहित्य को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने में उनके अपार योगदान के कारण डॉ. कविया को "डिंगल भाषा का सूर्य'''" कहा जाता है।
महत्व
डॉ. कविया के शोध कार्यों का अंग्रेजी, इतालवी और गुजराती में भी अनुवाद और प्रकाशन किया गया है। उन्हें कई वृत्तचित्रों और टेलीफिल्मों में जोरदार डिंगल पाठ के लिए श्रेय दिया गया है।
शैक्षणिक पद व अन्य दायित्व
जोधुपर विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष एवं सीनेट एकेडमिक काउसिंल सदस्य
रिसर्च बोर्ड सदस्य एवं राजस्थानी पाठ्यक्रम समिति संयोजक
राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी
राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर-सरस्वती सभा के सदस्य
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर-कार्यसमिति सदस्य
विश्वविद्यालयों और राज. लोक सेवा आयोग की राजस्थानी पाठयक्रम समिति के सदस्य
आकाशवाणी केन्द्र जोधपुर-कार्यक्रम सलाहकार समिति सदस्य
अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर की एकेडेमिक काउंसिल के मनोनीत सदस्य
चौपासनी शिक्षा समिति-कार्यकारिणी सदस्य।
विश्वविद्यालय में हिंदी और राजस्थानी के मान्यता प्राप्त शोध-निर्देशक।
मरुभारती, परम्परा, वरदा, विश्वम्भरा आदि पत्रिकाओं के परामर्श-मंडल सदस्य
राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर की सामान्य सभा के सदस्य
पुरस्कार और उपलब्धियां
राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर: राजस्थानी पद्य पुरस्कार (1982)
राजस्थानी ग्रेजुएट्स एसोसिएशन मुम्बई पुरस्कार (1984)
भारतीय भाषा परिषद कोलकाता पुरस्कार (1985)
राजस्थान रत्नाकर, नई दिल्ली: महेंद्र जाजोदिया पुरस्कार (1986)
राजभाषा और संस्कृति अकादमी, बीकानेर: सूर्यमल्ल मिश्रण शिखर पुरस्कार (1986)
महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन, उदयपुर: महाराणा कुंभा पुरस्कार (1993)
श्री द्वारका सेवानिधि ट्रस्ट, जयपुर: राजस्थानी पुरस्कार (1993)
साहित्य अकादमी पुरस्कार, नई दिल्ली: राजस्थानी अनुवाद पुरस्कार (1993)
साहित्य समिति, बिसाऊ: राजस्थानी साहित्य पुरस्कार (1994)।
घनश्यामदास सराफ साहित्य पुरस्कार, मुंबई (2003)
फुलचंद बांठिया पुरस्कार, बीकानेर (2003)
लखोटिया पुरस्कार, नई दिल्ली (2005)
कमला गोयनका राजस्थानी साहित्य पुरस्कार मुंबई (2005)
पद्म श्री काग बापू ट्रस्ट, गुजरात: कविश्री काग बापू लोक साहित्य पुरस्कार (2013)
राजस्थानी भाषा और संस्कृति अकादमी: महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ पुरस्कार (2013)
ब्रज भाषा अकादमी पुरस्कार
राजस्थानी भाषा में प्रकाशित रचनाएँ
संस्कृति री सौरम (निबंध-संग्रै)
सपूतां री धरती (काव्य-संग्रै)
दारू-दूषण: डिंगळ शैली में सोरठाबद्ध काव्य (दूहा-संग्रै)- शक्तिदान कविया
पद्मश्री डॉ. लक्ष्मीकुमारी चुंडावत (जीवनवृत्त)
धरा सुरंगी धाट (काव्य-संग्रै)
धोरां री धरोहर (काव्य-संग्रै)
प्रस्तावना री पीलजोत (राजस्थानी निबंध)
अेलीजी (अनुवाद)
धरती घणी रुपाळी (पद्यानुवाद)
रूंख रसायण
संबोध सतसई
सोनगिर साकौ
गीत गुणमाल
दुर्गा सातसी
हिन्दी भाषा में प्रकाशित रचनाएँ
राजस्थानी साहित्य का अनुशीलन 1984 (निबंध-संग्रह)
शक्तिदान कविया, डिंगल के ऐतिहासिक प्रबंध काव्य (शोध-प्रबंध) (संवत 1700 से 2000 vi) 1997. जोधपुर, साइंटिफिक पब्लिशर्स।
राजस्थानी काव्य में संस्कृतिक गौरव 2004 (निबंध-सत्र)
ऐतिहासिक कार्यों का संपादन
शक्ति दान कविया द्वारा राजिया रा सोरठा (राजस्थानी दोहे), 1990. (जोधपुर: राजस्थानी ग्रंथागार)
शक्ति दान कविया द्वारा उमरदान ग्रंथावली (जनकवि उमरदान की जीवनी और काव्य कृतियाँ)(2009)
काव्य कुसुम (संपादन-1966 ई.)
लाखीणी (संपादन-1963 ई.)
रंगभीनी (संपादन-1965 ई.)
दरजी मायाराम री वात
कविमत मंडण
फूल सारू पांखड़ी (विविधा) (1965)
भगती री भागीरथी
राजस्थानी दुहा संग्रह
मान-प्रकास
राजस्थानी भाषा में प्रकाशित शोध-पत्र
Source
हिन्दी भाषा में प्रकाशित शोध-पत्र
Source
ब्रजभाषा में प्रकाशित शोध-पत्र
Source
संदर्भ
राजस्थानी लोग
भारतीय कवि
Pages with unreviewed translations
__अनुक्रम_दिखाएँ__
__सूचीबद्ध__
चारण | 1,549 |
748598 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF | फोरेंसिक सामाजिक कार्य | फोरेंसिक सामाजिक कार्य के सवाल और कानून और कानूनी व्यवस्था से संबंधित मुद्दों के लिए सामाजिक कार्य के लिए आवेदन है।
सामाजिक कार्य पेशे की यह विशेषता दूर से परे क्लीनिक और आपराधिक बचाव पक्ष के लिए मनोरोग अस्पतालों और मूल्यांकन योग्यता और जिम्मेदारी के मुद्दों पर इलाज किया जा रहा है।
एक व्यापक परिभाषा जिसमे शामिल है सामाजिक कार्य अभ्यास जो किसी भी तरह से कानूनी मुद्दों और मुकदमेबाजी, दोनों आपराधिक और दीवानी से संबंधित है।
बच्चे को हिरासत मुद्दों, जुदाई, तलाक, उपेक्षा, माता पिता के अधिकारों की समाप्ति से जुड़े, बच्चे और पति या पत्नी के सेवन, किशोर और वयस्क न्याय सेवाओं, सुधार, और अनिवार्य उपचार के निहितार्थ सभी इस परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।
फोरेंसिक सामाजिक कार्यकर्ता भी नीति या विधायी विकास और सामाजिक न्याय में सुधार करने का इरादा में शामिल किया जा सकता है।
कार्य
फोरेंसिक सामाजिक कार्य व्यवसायी के कार्यों में शामिल है:
परामर्श, शिक्षा, या प्रशिक्षण के लिए प्रदान करना:
आपराधिक न्याय, किशोर न्याय, और सुधारक प्रणालियों
कानून निर्माताओं
कानून प्रवर्तन कर्मियों
वकीलों और कानून के छात्रों
जनता के सदस्यों
निदान, उपचार, और सिफारिशें:
निदान का आकलन करने, और इलाज के आपराधिक और किशोर न्याय आबादी
निदान के उपचार, या मानसिक स्थिति, बच्चों के हितों, अक्षमता, या गवाही देने के लिए असमर्थता के बारे में सिफारिशें करने
एक विशेषज्ञ गवाह के रूप में सेवा
स्क्रीनिंग का मूल्यांकन, या कानून प्रवर्तन और अन्य आपराधिक न्याय कर्मियों का इलाज
अन्य कार्य:
नीति और कार्यक्रम के विकास
मध्यस्थता, वकालत, और मध्यस्थता
शिक्षण, प्रशिक्षण, और पर्यवेक्षण
व्यवहार विज्ञान अनुसंधान और विश्लेषण
फोरेंसिक सामाजिक कार्य चिकित्सकों क्षमता और विशेषज्ञता के अपने क्षेत्रों के भीतर फोरेंसिक गतिविधियों में ही व्यस्त हैं।
ऐतिहासिक विकास
यूनाइटेड किंगडम
पहले नियुक्त लंदन में मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ता 1936 में किया गया था।
अमेरिका
फोरेंसिक सामाजिक कार्य में कम से कम 1899 निपटान घर आंदोलन की, भाग में बाहर आने के बाद से किया गया है, और शहरी दान के काम का विस्तार।
सन्दर्भ
न्यायालयिक विज्ञान
सामाजिक कार्यकर्ता | 323 |
189809 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%B6%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%20%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%B6%E0%A4%A8%E0%A4%BF%20%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0 | श्री शैनेश्वर देवस्थान शनि शिंगणापुर | अहमदनगर जिलें के नेवासे तहसील स्थित श्री शैनेश्वर देवस्थान शनि शिंगणापुर अहमदनगर-औरंगाबाद राज्य मार्ग क्रमांक 60 पर घोडेगाँव से 5 कि॰मी॰ दूरी पर बसा हुआ है। जागृत श्री शैनेश्वर देव की ख्याति सूर्यपुत्र शनि देव के कारण शनि शिंगणापुर गाँव में कभी चोरी नहीं होती तथा किसी भी मकान में खिड़की, दरवाज़ा अथवा ताला लगाया नहीं जाता है। गाँववालो की मान्यता है कि अगर कोई चोरी करता है तो वह अंधा बन जाता है। चोर कभी गाँव की हद पार नहीं कर सकता। इसी तरह गुलशन कुमार की फ़िल्म सूर्यपुत्र शनि देव व प्रख्यात गायिका अनुराधा पौडवाल के भजनों के कारण शनि शिंगणापुर की लोक प्रियता बढ गई है। यहॉ पूरे भारत एवं विदेशों से असंख्य शनि भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए लगी रहती है। आज के अस्थिर जीवन में हर कोई परेशान रहता है। मन:शांति और साडेसाती ग्रह पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए शनि भक्त शनि शिंगणापुर अवश्य पधारते है। शनि भक्तों में अनेक फ़िल्म कलाकार, राजनेता गण शामिल है।
देवता है लेकिन मंदिर नहीं,
घर है लेकिन दरवाज़ा नहीं
वृक्ष है पर छाया नहीं,
भय है पर शत्रु नहीं।
वैशाख वंद्य चतुर्दशी के अमावस के दिन शनि जयंति मनायी जाती है। पाँच दिनों तक यज्ञ और सात दिनों तक भजन, प्रवचन, कीर्तन आदि धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भक्तों के ठहरने के लिए भव्य भक्त निवास एवं एक साथ हज़ारों भक्तों के भोजन के लिए भव्य प्रसादालय बनाया गया है। ट्रस्ट ने गो शाला, प्रसादालय, भक्त निवास, रास्तों का विकास, अस्पताल, स्कूल आदि अनेक विकास कार्य पूर्ण किए हैं।
ओम निलांजल समाभासम्। रवि पुत्रम यमाग्रजम्।
छाया मार्तंडसम्भुतम्। तम् नमामि शनौश्चरम्।। | 266 |
1402310 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8B%20%E0%A4%93%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%A1%E0%A4%BE | हिरो ओनोडा | हिरो ओनोडा (जापानी: 小野田 , हेपबर्न: ओनोडा हिरू , 19 मार्च 1922 - 16 जनवरी 2014) एक इंपीरियल जापानी सेना के खुफिया अधिकारी थे जो द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े थे और एक जापानी होल्डआउट थे जिन्होंने अगस्त 1945 में युद्ध के अंत में आत्मसमर्पण नहीं किया था। युद्ध समाप्त होने के बाद, ओनोडा ने 1974 में सम्राट शोवा के आदेश से औपचारिक रूप से उन्हें कर्तव्य से मुक्त करने के लिए जापान से यात्रा करने तक फिलीपींस में 29 साल तक छिपे रहे। उन्होंने इंपीरियल जापानी सेना में दूसरे लेफ्टिनेंट का पद संभाला। वह आत्मसमर्पण करने वाले अंतिम जापानी सैनिक थे, बाद में 1974 में टेरुओ नाकामुरा ने आत्मसमर्पण कर दिया।
प्रारंभिक जीवन
ओनोदा का जन्म 19 मार्च 1922 को कामेकावा गांव, कैसाओ जिला, वाकायामा प्रान्त, जापान में हुआ था। जब वह 17 साल के थे, तब वे चीन के वुहान में ताजिमा योको ट्रेडिंग कंपनी के लिए काम करने गए। जब वह 18 वर्ष के थे, तब उन्हें इंपीरियल जापानी सेना इन्फैंट्री में भर्ती कराया गया था।
सैन्य सेवा
ओनोडा ने नाकानो स्कूल के में एक खुफिया अधिकारी के रूप में प्रशिक्षित किया। 26 दिसंबर 1944 को उन्हें फिलीपींस के लुबांग द्वीप भेजा गया। उसे द्वीप पर दुश्मन के हमलों में बाधा डालने के लिए हर संभव प्रयास करने का आदेश दिया गया था, जिसमें हवाई पट्टी और बंदरगाह पर घाट को नष्ट करना शामिल था। ओनोडा के आदेशों में यह भी कहा गया था कि किसी भी परिस्थिति में उसे आत्मसमर्पण करने या अपनी जान लेने के लिए नहीं था।
जब वह द्वीप पर उतरा, तो ओनोडा जापानी सैनिकों के एक समूह के साथ सेना में शामिल हो गया, जिन्हें पहले वहां भेजा गया था। समूह के अधिकारियों ने ओनोडा को पछाड़ दिया और उन्हें अपना काम पूरा करने से रोक दिया, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका और फिलीपीन कॉमनवेल्थ बलों के लिए 28 फरवरी 1945 को उतरने पर द्वीप पर कब्जा करना आसान हो गया। लैंडिंग के कुछ ही समय के भीतर, ओनोडा और तीन अन्य सैनिकों को छोड़कर सभी या तो मर गए या आत्मसमर्पण कर दिया। ओनोडा, जिसे लेफ्टिनेंट के रूप में पदोन्नत किया गया था, ने पुरुषों को पहाड़ियों पर ले जाने का आदेश दिया।
ओनोडा ने एक जापानी होल्डआउट के रूप में अपना अभियान जारी रखा, शुरू में फिलीपींस में लुबांग द्वीप के पहाड़ों में रहने वाले, तीन साथी सैनिकों ( निजी यूइची अकात्सु, कॉर्पोरल शुइची शिमाडा और निजी प्रथम श्रेणी किन्शीची कोज़ुका) के साथ। अपने प्रवास के दौरान, ओनोडा और उसके साथियों ने गुरिल्ला गतिविधियों को अंजाम दिया और स्थानीय पुलिस के साथ कई मुठभेड़ों में लगे रहे।
पहली बार उन्होंने अक्टूबर 1945 में जापान के आत्मसमर्पण की घोषणा करते हुए एक पत्रक देखा; एक अन्य प्रकोष्ठ ने एक गाय को मार डाला था और द्वीपवासियों द्वारा छोड़े गए एक पत्रक को पाया जिसमें लिखा था: "युद्ध 15 अगस्त को समाप्त हो गया। पहाड़ों से नीचे आओ!" हालांकि, उन्होंने पत्रक पर भरोसा नहीं किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यह मित्र देशों का प्रचार था और यह भी मानते थे कि यदि युद्ध वास्तव में समाप्त हो गया होता तो उन पर गोली नहीं चलाई जाती। 1945 के अंत में, चौदहवें क्षेत्र की सेना के जनरल टोमोयुकी यामाशिता से उन पर छपे एक आत्मसमर्पण आदेश के साथ पत्रक हवा से गिराए गए थे। जो लोग छह महीने से अधिक समय से छिपे हुए थे, उनके लिए यह पत्रक ही एकमात्र सबूत था कि युद्ध समाप्त हो गया था। ओनोडा के समूह ने यह निर्धारित करने के लिए पत्रक का बारीकी से अध्ययन किया कि क्या यह वास्तविक है, और यह तय किया कि यह नहीं था।
चार सैनिकों में से एक, युइची अकात्सु, सितंबर 1949 में दूसरों से दूर चला गया और मार्च 1950 में फिलीपीन सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, छह महीने के बाद। यह दूसरों के लिए एक सुरक्षा समस्या की तरह लग रहा था और वे और भी सतर्क हो गए। 1952 में, एक विमान से पत्र और पारिवारिक तस्वीरें गिरा दी गईं, जिसमें उन्हें आत्मसमर्पण करने का आग्रह किया गया था, लेकिन तीनों सैनिकों ने निष्कर्ष निकाला कि यह एक चाल थी। जून 1953 में स्थानीय मछुआरों के साथ गोलीबारी के दौरान शिमादा के पैर में गोली लग गई, जिसके बाद ओनोडा ने उसे स्वस्थ होने के लिए वापस पाला। 7 मई 1954 को, शिमदा को पुरुषों की तलाश में एक खोज दल द्वारा चलाई गई गोली से मार दिया गया था। 19 अक्टूबर 1972 को स्थानीय पुलिस द्वारा चलाई गई दो गोलियों से कोज़ुका की मौत हो गई जब वह और ओनोडा, अपनी छापामार गतिविधियों के हिस्से के रूप में, किसानों द्वारा एकत्र किए गए चावल को जला रहे थे। ओनोदा अब अकेला था।
20 फरवरी 1974 को, ओनोडा एक जापानी व्यक्ति, नोरियो सुज़ुकी से मिले, जो "उस क्रम में लेफ्टिनेंट ओनोडा, एक पांडा, और घृणित स्नोमैन " की तलाश में दुनिया भर में यात्रा कर रहे थे। चार दिनों की खोज के बाद सुजुकी ने ओनोडा को ढूंढ लिया। ओनोडा ने 2010 के एक साक्षात्कार में इस क्षण का वर्णन किया: "यह हिप्पी लड़का सुजुकी एक जापानी सैनिक की भावनाओं को सुनने के लिए द्वीप पर आया था। सुजुकी ने मुझसे पूछा कि मैं बाहर क्यों नहीं आऊंगा। . ।" . ओनोडा और सुजुकी दोस्त बन गए, लेकिन ओनोडा ने अभी भी आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि वह एक वरिष्ठ अधिकारी के आदेश की प्रतीक्षा कर रहा था। सुज़ुकी अपनी मुठभेड़ के सबूत के रूप में अपनी और ओनोडा की तस्वीरों के साथ जापान लौट आई, और जापानी सरकार ने ओनोडा के कमांडिंग ऑफिसर, मेजर योशिमी तानिगुची को स्थित किया, जिन्होंने लंबे समय तक आत्मसमर्पण किया था और तब से एक बुकसेलर बन गया था। तानिगुची लुबांग द्वीप गए, और 9 मार्च 1974 को, वह अंततः ओनोडा से मिले और उन्होंने 1944 में वापस किए गए एक वादे को पूरा किया: "जो कुछ भी होता है, हम आपके लिए वापस आएंगे"। तनिगुची ने तब ओनोडा को निम्नलिखित आदेश जारी किए:
इस प्रकार ओनोडा को कर्तव्य से उचित रूप से मुक्त कर दिया गया, और उसने आत्मसमर्पण कर दिया। उसने अपनी तलवार, एक कामकाजी अरिसका टाइप 99 राइफल, 500 राउंड गोला-बारूद और कई हथगोले, साथ ही साथ उसकी मां ने उसे 1944 में खुद को मारने के लिए दिया था, अगर वह पकड़ा गया था। इंडोनेशिया में 18 दिसंबर 1974 को गिरफ्तार किए गए केवल निजी टेरुओ नाकामुरा को लंबे समय तक गिरफ्तार किया गया।
बाद का जीवन
जापान लौटने के बाद ओनोडा बहुत लोकप्रिय थे और कुछ लोगों ने उनसे डाइट (जापान की द्विसदनीय विधायिका) के लिए दौड़ने का आग्रह किया। उन्होंने अपनी वापसी के तुरंत बाद एक आत्मकथा, नो सरेंडर: माई थर्टी-ईयर वॉर का विमोचन भी किया, जिसमें लंबे समय तक चले युद्ध में एक गुरिल्ला सेनानी के रूप में अपने जीवन का विवरण दिया गया था। एक फिलीपीन वृत्तचित्र ने ओनोडा के प्रवास के दौरान लुबांग द्वीप पर रहने वाले लोगों का साक्षात्कार लिया, जिसमें खुलासा हुआ कि ओनोडा ने कई लोगों को मार डाला था, जिसका उन्होंने अपनी आत्मकथा में उल्लेख नहीं किया था। समाचार मीडिया ने इस और अन्य भ्रांतियों की सूचना दी, लेकिन साथ ही उनके घर लौटने का स्वागत किया। जापानी सरकार ने उन्हें बैक पे में एक बड़ी रकम की पेशकश की, जिसे उन्होंने मना कर दिया। जब शुभचिंतकों ने उन पर धन का दबाव डाला, तो उन्होंने इसे यासुकुनि तीर्थ को दान कर दिया।
ओनोडा कथित तौर पर बहुत अधिक ध्यान आकर्षित करने के विषय से नाखुश थे और पारंपरिक जापानी मूल्यों के लुप्त होने के रूप में उन्होंने जो देखा उससे परेशान थे। अप्रैल 1975 में, उन्होंने अपने बड़े भाई तादाओ के उदाहरण का अनुसरण किया और ब्राजील के लिए जापान छोड़ दिया, जहां उन्होंने मवेशियों को उठाया। उन्होंने 1976 में शादी की और ब्राजील के माटो ग्रोसो डो सुल, टेरेनोस में एक जापानी समुदाय, कॉलोनिया जैमिक (जैमिक कॉलोनी) में एक प्रमुख भूमिका निभाई। ओनोडा ने ब्राजीलियाई वायु सेना को उस जमीन पर प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की भी अनुमति दी जो उसके पास थी। 1980 में अपने माता-पिता की हत्या करने वाले एक जापानी किशोर के बारे में पढ़ने के बाद, ओनोडा 1984 में जापान लौट आया और जापान में विभिन्न स्थानों पर आयोजित युवा लोगों के लिए ओनोडा शिज़ेन जुकू ("ओनोडा नेचर स्कूल") शैक्षिक शिविर की स्थापना की।
राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस ने उन्हें एक टेलीविज़न समारोह में स्थानीय निवासियों के खिलाफ उनके कार्यों के लिए पूर्ण क्षमा प्रदान की। नतीजतन, विवाद तब हुआ जब ओनोडा ने 1996 में लुबांग द्वीप का पुनरीक्षण किया, क्योंकि उनकी पत्नी माची ओनोडा ( नी होनोकू) ने वहां के स्थानीय स्कूल को उनकी ओर से यूएस $ 10,000 छात्रवृत्ति दान की व्यवस्था की थी। 2006 में, माची ओनोडा रूढ़िवादी जापान महिला संघ (जेडब्ल्यूए) के प्रमुख बने, जिसे सितंबर 2001 में रूढ़िवादी समूह निप्पॉन कैगी द्वारा स्थापित किया गया था।
कई सालों तक, ओनोडा ने साल के तीन महीने ब्राजील में बिताए। ओनोडा को 6 दिसंबर 2004 को ब्राज़ीलियाई वायु सेना द्वारा सैंटोस-ड्यूमॉन्ट के मेरिट पदक से सम्मानित किया गया। 21 फरवरी 2010 को, माटो ग्रोसो डो सुल की विधान सभा ने उन्हें सिदादाओ ("नागरिक") की उपाधि से सम्मानित किया।
मौत
16 जनवरी 2014 को टोक्यो के सेंट ल्यूक इंटरनेशनल हॉस्पिटल में निमोनिया की वजह से होने वाली जटिलताओं से ओनोडा की हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई । जापानी मुख्य कैबिनेट सचिव, और बाद में प्रधान मंत्री, योशीहिदे सुगा ने उनकी मृत्यु पर टिप्पणी की: "मुझे अभी भी स्पष्ट रूप से याद है कि जब श्री ओनोडा जापान लौटे तो मुझे युद्ध के अंत के बारे में आश्वस्त किया गया था" और जीवित रहने की उनकी इच्छा की भी प्रशंसा की।
फुटनोट
२०१४ में निधन
1922 में जन्मे लोग
जापानी भाषा पाठ वाले लेख | 1,590 |
537872 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A6%20%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%A6 | रशीद मसूद | रशीद मसूद (जन्म 15 अगस्त 1947) एक भारतीय सांसद हैं जो भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित किये गये हैं। मसूद 1990 और 1991 के बीच केंद्र की विश्वनाथ सिंह सरकार में स्वास्थ राज्य मंत्री थे। केंद्रीय पूल से देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अयोग्य उम्मीदवारों को नामित करने के मामले में मसूद को दोषी ठहराया गया था।
वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व लोक सभा सदस्य हैं। वो राज्यसभा सदस्य भी थे। वो १० अगस्त २००७ को उपराष्ट्रपति पद चुनाव के लिए संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन (तीसरा मोर्चा) के उम्मीदवार भी थे और ७५ मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
मसूद ऐसे पहले जनप्रतिनिधि बन गए हैं, जिनकी राज्य सभा सदस्यता अदालत से दोषी ठहराने के बाद गई है।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
भारतीय संसद के आधिकारिक जालस्थल पर संक्षिप्त जीवनी
मसूद उपराष्ट्रपति चुनाव में यूएनपीए के उम्मीदवार
1947 में जन्मे लोग
जीवित लोग
भारतीय मुस्लिम | 176 |
44999 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%80 | प्राणी | प्राणी या जन्तु पराजन्तु जगत के बहुकोशिकीय, जंतुसम पोषण प्रदर्शित करने वाले, और सुकेन्द्रक जीवों का एक मुख्य समूह है। जन्म होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जन्तु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतन्त्र रूप से गति कर सकते हैं।
अधिकांश जन्तु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे भोजन के लिए दूसरे जन्तु पर निर्भर रहते हैं।
अधिकतम ज्ञात जन्तु संघ ५४२ करोड़ वर्ष पूर्व कैम्ब्रियाई विस्तार के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए।
मूल प्राकृतिक परिघटनाएँ
सभी जीवित जीवों के जीवन की मूल प्राकृतिक परिघटनाएँ एक सी है। अत्यंत असमान जीवों में क्रियाविज्ञान अपनी समस्याएँ अत्यंत स्पष्ट रूप में उपस्थित करता है। उच्चस्तरीय प्राणियों में शरीर के प्रधान अंगों की क्रियाएँ अत्यंत विशिष्ट होती है, जिससे क्रियाओं के सूक्ष्म विवरण पर ध्यान देने से उन्हें समझना संभव होता है।
निम्नलिखित मूल प्राकृतिक परिघटनाएँ हैं, जिनसे जीव पहचाने जाते हैं:
(क) संगठन - यह उच्चस्तरीय प्राणियों में अधिक स्पष्ट है। संरचना और क्रिया के विकास में समांतरता होती है, जिससे शरीरक्रियाविदों का यह कथन सिद्ध होता है कि संरचना ही क्रिया का निर्धारक उपादान है। व्यक्ति के विभिन्न भागों में सूक्ष्म सहयोग होता है, जिससे प्राणी की आसपास के वातावरण के अनुकूल बनने की शक्ति बढ़ती है।
(ख) ऊर्जा की खपत - जीव ऊर्जा को विसर्जित करते हैं। मनुष्य का जीवन उन शारीरिक क्रियाकलापों (movements) से, जो उसे पर्यावरण के साथ संबंधित करते हैं निर्मित हैं। इन शारीरिक क्रियाकलापों के लिए ऊर्जा का सतत व्यय आवश्यक है। भोजन अथवा ऑक्सीजन के अभाव में शरीर के क्रियाकलापों का अंत हो जाता है। शरीर में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होने पर उसकी पूर्ति भोजन एवं ऑक्सीजन की अधिक मात्रा से होती है। अत: जीवन के लिए श्वसन एवं स्वांगीकरण क्रियाएँ आवश्यक हैं। जिन वस्तुओं से हमारे खाद्य पदार्थ बनते हैं, वे ऑक्सीकरण में सक्षम होती हैं। इस ऑक्सीकरण की क्रिया से ऊष्मा उत्पन्न होती है। शरीर में होनेवाली ऑक्सीकरण की क्रिया से ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो जीवित प्राणी की क्रियाशीलता के लिए उपलब्ध रहती है।
(ग) वृद्धि और जनन - यदि उपचयी (anabolic) प्रक्रम प्रधान है, तो वृद्धि होती है, जिसके साथ क्षतिपूर्ति की शक्ति जुड़ी हुई है। वृद्धि का प्रक्रम एक निश्चित समय तक चलता है, जिसके बाद प्रत्येक जीव विभक्त होता है और उसका एक अंश अलग होकर एक या अनेक नए व्यक्तियों का निर्माण करता है। इनमें प्रत्येक उन सभी गुणों से युक्त होता है जो मूल जीव में होते हैं। सभी उच्च कोटि के जीवों में मूल जीव क्षयशील होने लगता है और अंतत: मृत्यु को प्राप्त होता है।
(घ) अनुकूलन (Adaptation) - सभी जीवित जीवों में एक सामान्य लक्षण होता है, वह है अनुकूलन का सामथ्र्य। आंतर संबंध तथा बाह्य संबंधों के सतत समन्वय का नाम अनुकूलन है। जीवित कोशिकाओं का वास्तविक वातावरण वह ऊतक तरल (tissue fluid) है, जिसमें वे रहती हैं। यह आंतर वातावरण, प्राणी के सामान्य वातावरण में होनेवाले परिवर्तनों से प्रभावित होता है। जीव की उत्तरजीविता (survival) के लिए वातावरण के परिवर्तनों को प्रभावहीन करना आवश्यक है, जिससे सामान्य वातावरण चाहे जैसा हो, आंतर वातावरण जीने योग्य सीमाओं में रहे। यही अनुकूलन है।
लाक्षणिक गुण
जंतुओं में कई विशेष गुण होते हैं जो उन्हें अन्य सजीव वस्तुओं से अलग करते हैं। जंतु यूकेरियोटिक और बहु कोशिकीय होते हैं,(हालाँकि मिक्सोजोआ देखें), जो उन्हें जीवाणु व अधिकांश प्रोटिस्टा से अलग करते हैं।
वे परपोषी होते हैं, सामान्यतः एक आंतरिक कक्ष में भोजन का पाचन करते हैं, यह लक्षण उन्हें पौधों व शैवाल से अलग बनाता है, (यद्यपि कुछ स्पंज प्रकाश संश्लेषण व नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सक्षम हैं) वे भी पौधों, शैवालों और कवकों से विभेदित किये जा सकते हें क्योंकि उनमें कठोर कोशिका भित्ति का अभाव होता है, सभी जंतु गतिशील होते हैं, चाहे जीवन की किसी विशेष प्रावस्था में ही क्यों न हों। अधिकतम जंतुओं में, भ्रूण एक ब्लासटुला अवस्था से होकर गुजरता है, यह जंतुओं का एक विभेदक गुण है।
संरचना
कुछ अपवादों के साथ, सबसे खासकर स्पंज (संघ पोरिफेरा) और प्लेकोजोआ, जंतुओं के शरीर अलग-अलग उतकों में विभेदित होते हैं। इन में मांसपेशियां शामिल हैं, जो संकुचन तथा गति के नियंत्रण में सक्षम होती हैं और तंत्रिका उतक, जो संकेत भेजता है व उन पर प्रतिक्रिया करता है। साथ ही इनमें एक प्रारूपिक आंतरिक पाचन कक्ष होता है जो 1 या 2 छिद्रों से युक्त होता है। जिन जंतुओं में इस प्रकार का संगठन होता है, उन्हें मेटाजोअन कहा जाता है, या तब यूमेटाजोअन कहा जाता है जब, पूर्व का प्रयोग सामान्य रूप से जंतुओं के लिए किया जाता है।
सभी जंतुओं में युकेरियोटिक कोशिकाएं होती हैं, जो कोलेजन और प्रत्यास्थ ग्लाइकोप्रोटीन से बने बहिर्कोशिकीय मेट्रिक्स से घिरी होती हैं।
यह खोल, अस्थि और कंटक जैसी संरंचनाओं के निर्माण के लिए केल्सीकृत हो सकती हैं। विकास के दौरान यह एक अपेक्षाकृत लचीला ढांचा बना लेती हैं जिस पर कोशिकाएं गति कर सकती हैं और संभव जटिल सरंचनाएं बनाते हुए पुनः संगठित हो सकती हैं। इसके विपरीत, अन्य बहुकोशिकीय जीव जैसे पौधे और कवक की कोशिकाएं कोशिका भित्ति से घिरी होती हैं और इस प्रकार से प्रगतिशील वृद्धि द्वारा विकसित होती हैं।
इसके अलावा, जंतुओं की कोशिकाओं का एक अद्वितीय गुण है अंतर कोशिकीय संधियाँ: टाइट जंक्शन, गैप जंक्शन और डेस्मोसोम।
प्रजनन और विकास
लगभग सभी जंतु किसी प्रकार के लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया से होकर गुजरते हैं: पोलिप्लोइड। इन में कुछ विशेष प्रजनन कोशिकाएं हैं जो छोटे गतिशील शुक्राणुजन या बड़े गतिहीन अंडज के उत्पादन हेतु अर्द्धसूत्री विभाजन करती हैं। ये संगलित होकर युग्मनज बनाते हैं, जो विकसित होकर नया जीव बनाता है।
कई जंतुओं में अलैंगिक प्रजनन की क्षमता भी होती है। यह अनिषेकजनन के द्वारा हो सकता है, जहाँ बिना निषेचन के अंडा भ्रूण में विकसित हो जाता है, कुछ मामलों में विखंडीकरण के द्वारा भी ऐसा संभव है।
युग्मनज शुरू में ब्लासटुला नामक एक खोखले गोले में विकसित होता है, यह कोशिकाओं की पुनर्व्यवस्था तथा विभेदन की प्रक्रिया से होकर गुजरता है। स्पंज में, ब्लासटुला लार्वा तैर कर एक नए स्थान पर चला जाता है और एक नए स्पंज में विकसित हो जाता है। अधिकांश अन्य समूहों में, ब्लासटुला में अधिक जटिल पुनर्व्यवस्था की प्रक्रिया होती है। यह पहले अंतर वलयित होकर एक गेसट्रुला बनाता है, जिसमें एक पाचन कक्ष और दो अलग जनन स्तर होते हैं-एक बाहरी बाह्यत्वक स्तर और एक आंतरिक अन्तः त्वक स्तर।
अधिकतम मामलों में, इन दोनों स्तरों के बीच एक मध्य त्वक स्तर का भी विकास होता है। ये जनन स्तर अब विभेदित होकर उतक और अंग बनाते हैं।
खाद्य और ऊर्जा के स्रोत
शिकार एक जैविक अंतर्क्रिया है जिसमें एक शिकारी (एक परपोषी जो शिकार कर रहा है) अपने शिकार (जीव जिस पर हमला किया गया है) से भोजन प्राप्त करता है। शिकारी जीव अपने शिकार जीव खाने से पहले मार भी सकते हैं और नहीं भी, लेकिन शिकार की प्रक्रिया का परिणाम हमेशा शिकार जीव की मृत्यु ही होती है।
उपभोग की एक अन्य मुख्य श्रेणी है मृतपोषण, मृत कार्बनिक पदार्थ का उपभोग।
कई बार इन दोनों प्रकारों के खाद्य व्यवहारों में विभेद करना मुश्किल हो जाता है, उदाहरण के लिए, परजीवी प्रजाति एक परपोषी जीव का शिकार करती है और फिर उस पर अपने अंडे देती है, ताकि उनकी संतति इसके अपघटित होते हुए कार्बनिक द्रव्य से भोजन प्राप्त कर सके।
एक दूसरे पर लगाये गए चयनित दबाव ने शिकार और शिकारी के बीच विकासवादी दौड़ को जन्म दिया है, जिसके परिणामस्वरूप कई शिकारी विरोधी अनुकूलन विकसित हुए हैं।
ज्यादातर जंतु अप्रत्यक्ष रूप से सूर्य के प्रकाश से ही उर्जा प्राप्त करते हैं। पौधे प्रकाश संश्लेषण नामक एक प्रक्रिया के द्वारा इस ऊर्जा का प्रयोग करके सूर्य के प्रकाश को साधारण शर्करा के अणु में परिवर्तित कर देते हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और जल (H2O) के साथ शुरू होती है, इसमें सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल दिया जाता है, जो ग्लूकोस (C6H12O6) के बंधों में संचित हो जाती है, इस प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन (O2) भी मुक्त होती है। अब इस शर्करा का उपयोग निर्माण इकाइयों के रूप में होता है, जिससे पौधे में वृद्धि होती है। जब पशु इन पौधों को खाते हैं (या अन्य पशुओं को खाते हैं जिन्होंने इन पौधों को खाया है), पौधों के द्बारा उत्पन्न की गयी शर्करा जंतुओं के द्वारा काम में ले ली जाती है। यह या तो जंतु के प्रत्यक्ष विकास में सहायक होती है या अपघटित हो जाती है और संग्रहित सौर ऊर्जा छोड़ती है और इस प्रकार से जंतु को गति के लिए आवश्यक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
यह प्रक्रिया ग्लाइकोलाइसिस के नाम से जानी जाती है
जंतु जो जल उष्मा निकास के करीब या समुद्री तल पर ठंडे रिसाव के नजदीक रहते हैं, वे सूर्य की ऊर्जा पर निर्भर नहीं हैं। इसके बजाय, रसायन संश्लेषी जीव और जीवाणु खाद्य श्रृंखला का आधार बनाते हैं।
उत्पत्ति और जीवाश्म रिकॉर्ड
]
आम मान्यता है कि जंतु एक कशाभिकी यूकेरियोट से विकसित हुए हैं। उनके निकटतम ज्ञात सजीव संबंधी हैं कोएनो कशाभिकी, कोलर्ड कशाभिकी जिनकी आकारिकी विशिष्ट स्पंजों के कोएनो साइट्स के सामान है।
आणविक अध्ययन जंतुओं को एक परम समूह में रखता है, जिसे ओपिस्थोकोंट कहा जाता है, इसमें भी कोएनो कशाभिकी, कवक और कुछ छोटे परजीवी प्रोटिस्टा के जंतु शामिल हैं।
यह नाम गतिशील कोशिकओं में कशाभिका की पृष्ठीय स्थिति से व्युत्पन्न हुआ है, जैसे अधिकांश जंतुओं के स्पर्मेटोजोआ, जबकि अन्य यूकेरियोट जीवों में कशाभिका अग्र भाग में पायी जाती है।
पहले जीवाश्म जो जंतुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, लगभग 610 मिलियन वर्ष पूर्व, पूर्वकेम्ब्रियन काल के अंत में प्रकट हुए और ये एडियाकरन या वेन्दियन बायोटा कहलाते हैं।
लेकिन इन्हें बाद के जीवाश्म से संबंधित करना कठिन हैं कुछ आधुनिक संघों के पूर्ववर्तियों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, लेकिन वे अलग समूह हो सकते हैं और यह भी सम्भव है कि वे वास्तव में जंतु न हों। उन्हें छोड़ कर, अधिकतम ज्ञात जंतु संघ, 542 मिलियन वर्ष पूर्व, कैम्ब्रियन युग के दौरान, स्वतः ही प्रकट हुए।
यह अभी भी विवादित है, कि यह घटना जिसे कैम्ब्रियन विस्फोट कहा जाता है, भिन्न समूहों के बीच तीव्र विचलन का प्रतिनिधित्व करती है या परिस्थितियों में उन परिवर्तनों का प्रतिनिधित्व करती है जिसने जीवाश्मीकरण को संभव बनाया। हालाँकि कुछ पुरातत्वविज्ञानी और भूवैज्ञानिक बताते हैं कि जंतु पहले सोचे जाने वाले समय से काफी पहले प्रकट हुए, संभवतः 1 बिलियन वर्ष पूर्व.तोनियन युग में पाए गए जीवाश्म चिन्ह जैसे मार्ग और बिल, त्रिस्तरीय कृमियों जैसे मेताज़ोआ की उपस्थिति को सूचित करते हैं, ये संभवतः केंचुए की तरह बड़े और जटिल रहे होंगे (लगभग 5 मिलीमीटर चौडे)। इसके अलावा लगभग 1 बिलियन वर्ष पूर्व तोनियन युग की शुरुआत में (संभवतः यह वही समय था जिस समय इस लेख में जीवाश्म चिन्ह की चर्चा की गयी है), स्ट्रोमाटोलईट में कमी आयी।
विविधता जो इस समय स्ट्रोमाटोलईट के रूप में चरने वाले पशुओं के आगमन को सूचित करती है, ने ओर्डोविसियन और परमियन के अंत के कुछ ही समय बाद, विविधता में वृद्धि की, जिससे बड़ी संख्या में चरने वाले समुद्री जंतु लुप्त हो गए, उनकी जनसंख्या में पुनः प्राप्ति के कुछ ही समय बाद उनकी संख्या में कमी आ गयी।
वह खोज जो इन प्रारंभिक जीवाश्म चिन्हों के बहुत अधिक सामान है, उनकी उत्पत्ति आज के विशाल आकर के एक कोशिकीय प्रोटिस्टा के जीव ग्रोमिया स्फेरिका के द्वारा हुई है, इस पर प्रारंभिक जंतु के विकास के प्रमाण के रूप में उनकी व्याख्या पर संदेह है।
जानवरों के समूह
पोरिफेरा
लंबे अरसे पहले से स्पंज (पोरिफेरा) को अन्य प्रारंभिक जंतुओं से भिन्न माना जाता था। जैसा कि ऊपर बताया गया है, अन्य अधिकांश संघों में पाया जाने वाला जटिल संगठन इनमें नहीं पाया जाता है, उनकी कोशिकाएं विभेदित हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में अलग अलग ऊतकों में संगठित नहीं हैं। स्पंज तने रहित होते हैं और आम तौर पर इनके छिद्रों के माध्यम से जल खिंच कर भोजन प्राप्त करते हैं। आरकियोकाइथा, जिसमें संगलित कंकाल होता है, वह स्पंज का या एक अलग संघ का प्रतिनिधित्व कर सकता है। हालाँकि, 2008 में 21 वन्शों में 150 जीनों का एक फैलो जीनोमिक अध्ययन बताता है कि यह टिनोफोरा या कोम्ब जेली है जो कम से कम उन 21 संघों में जन्तुओ का आधार बनाती है।
लेखक विश्वास रखते हैं कि स्पंज या कम से कम वे स्पंज जो उन्होंने खोजे हैं- इतने आदिम नहीं हैं, लेकिन इसके बजाय द्वितीयक रूप से सरलीकृत किये जा सकते हैं।
अन्य संघो में, टिनोफोरा और नीडेरिया, जिनमें समुद्री एनीमोन, कोरल और जेलीफिश शामिल हैं, त्रिज्यात सममित होते हैं, इनमें एक ही छिद्र से युक्त पाचन कक्ष होता है, जो मुख और गुदा दोनों का काम करता है।
दोनों में स्पष्ट विभेदित उतक होते हैं, लेकिन ये अंगों में संगठित नहीं होते हैं।
इनमें केवल दो मुख्य जनन स्तर होते हैं, बाह्य त्वक स्तर और अन्तः त्वक स्तर, जिनके बीच में केवल कोशिकाएं बिखरी होती हैं। इसी लिए इन जंतुओं को कभी कभी डिप्लोब्लासटिक कहा जाता है। छोटे प्लेकोज़ोआ समान हैं, लेकिन उन में एक स्थायी पाचन कक्ष नहीं होता है।
शेष जंतु एक संघीय समूह बनाते हैं जो बाईलेट्रिया कहलाता है। अधिकतम भाग के लिए, वे द्विपार्श्व सममित होते हैं और अक्सर एक विशिष्टीकृत सिर होता है जो खाद्य अंगों और संवेदी अंगों से युक्त होता है। शरीर ट्रिपलोब्लास्टिक होता है, अर्थात, तीनों जनन परतें पूर्ण विकसित होती हैं और उतक विभेदित अंग बनाते हैं। पाचन कक्ष में दो छिद्र होते हैं, एक मुख और एक गुदा, साथ ही एक आंतरिक देह गुहा भी होती है जो सीलोम या आभासी देह गुहा भी कहलाती है। इन में प्रत्येक लक्षण के अपवाद हैं, हालाँकि- व्यस्क एकाईनोडर्मेट त्रिज्यात सममित होता है और विशिष्ट परजीवी जन्तुओं में बहुत ही सरलीकृत शारीरिक सरंचना होती है।
आनुवंशिक अध्ययन नें बाईलेट्रिया के भीतर सम्बन्ध को लेकर हमारे ज्ञान को काफी हद तक बदल दिया है। अधिकांश दो मुख्य वंशावलियों से सम्बन्ध रखते हैं: ड्यूटरोस्टोम और प्रोटोस्टोम, जिनमें शामिल हैं एकडाईसोजोआ, प्लेटिजोआ और लोफोट्रोकोजोआ.
इस के अतिरिक्त, द्विपार्श्वसममित जीवों के कुछ छोटे समूह हैं जो इन मुख्य समूहों के समक्ष विसरित होते हुए प्रतीत होते हैं।
इन में शामिल हैं एसोलमोर्फा, रोम्बोजोआ और ओर्थोनेकटीडा। ऐसा माना जाता है कि मिक्सोजोआ, एक कोशिकीय परजीवी जिन्हें मूल रूप से प्रोटोजोअन माना जाता था, बाईलेट्रिया से ही विकसित हुए हैं।
ड्यूटरोसोम
ड्यूटरोस्टोम अन्य बाईलेट्रिया, प्रोटोस्टोम से कई प्रकार से भिन्न हैं।
दोनों ही मामलों में एक पूरा पाचन पथ पाया जाता है। हालांकि, प्रोटोस्टोम (आर्कियोतेरोन) में प्रारम्भिक छिद्र मुह में विकसित होता है और गुदा अलग से विकसित होती है। ड्यूटरोस्टोम में यह उलट है। अधिकांश प्रोटोस्टोम में, कोशिकाएं साधारण रूप से गेसट्रुला के आंतरिक भाग में भर जाती हैं और मध्य जनन स्तर बनाती हैं, यह शाईजोसिलस विकास कहलाता है, लेकिन ड्यूटरोस्टोम में यह अंतर जनन स्तर के अन्तर्वलन से बनता है, जिसे एंट्रोसिलिक पाउचिन्ग कहा जाता है।
ड्यूटरोस्टोम में अधर के बजाय पृष्ठीय तंत्रिका रज्जू होता है और उनके भ्रूण में भिन्न प्रकार का विदलन होता है।
यह सब विवरण बताता है कि ड्यूटरोस्टोम और प्रोटोस्टोम अलग एक संघीय स्तर हैं।
ड्यूटरोस्टोम के प्रमुख संघ हैं, एकाईनोडरमेंटा और कोर्डेटा। पहले वाला त्रिज्यात सममित है और विशेष रूप से समुद्री है, जैसे तारा मछली, समुद्री अर्चिन और समुद्री खीरा। दूसरे वाले में मुख्य रूप से कशेरुकी जीव हैं जिनमें रीढ़ की हड्डी पाई जाती है। इन में शामिल हैं मछली, उभयचर, रेप्टाइल, पक्षी और स्तनधारी।
इनके अतिरिक्त ड्यूटरोस्टोम में हेमीकोर्डेटा और एकोन कृमि भी शामिल हैं। हालाँकि वे वर्तमान में मुख्यतः नहीं पाए जाते हैं, महत्वपूर्ण जीवाश्मी प्रमाण इनसे सम्बन्ध रखते हैं।
चेटोग्नेथा या तीर कृमि भी ड्यूटरोस्टोम हो सकते हैं, लेकिन अधिक हाल ही में किये गए अध्ययन प्रोटोस्टोम के साथ इनके सान्निध्य को दर्शाते हैं।
एकडाईसोजोआ
एकडाईसोजोआ प्रोटोस्टोम हैं, जिनका यह नाम परित्वकभवन या निर्मोचन के द्वारा वृद्धि के विशेष लक्षण के आधार पर दिया गया है। सबसे बड़ा जंतु संघ, आर्थ्रोपोड़ा इनसे सम्बन्ध रखता है, जिसमें कृमि, मकडियां, केकड़े और उनके निकट संबंधी शामिल हैं। इन सभी में शरीर खंडों में विभाजित होता है और प्रारूपिक तौर पर इनमें युग्मित उपांग पाए जाते हैं। दो छोटे संघ ओनिकोफोरा और टारडिग्रेडा, आर्थ्रोपोड़ा के निकट सम्बन्धी हैं और इनमें भी उनके समान लक्षण पाए जाते हैं।
एकडाईसोजोआ में निमेटोडा या गोल कृमि आते हैं, यह दूसरा सबसे बड़ा जंतु संघ है।
गोलकृमि आम तौर पर सूक्ष्म जीव होते हैं और लगभग हर ऐसे वातावरण में उत्पन्न हो जाते हैं जहां पानी होता है। कई महत्वपूर्ण परजीवी हैं। इन से सम्बंधित छोटे संघ हैं निमेटोमोर्फा या अश्वरोम कृमि और किनोरहिन्का, प्रियापुलिडा और लोरिसीफेरा।
इन समूहों का लघुकृत देहगुहा होती है, जो आभासी देह गुहा कहलाती है।
प्रोटोस्टोम के शेष दो समूह कभी कभी स्पाइरिला के साथ रखे जाते हैं, क्योंकि दोनों में भ्रूण का विकास सर्पिल विदलन से होता है।
प्लेटिजोआ
प्लेटिजोआ में शामिल है संघ प्लेटिहेल्मिन्थीज, चपटे कृमि। मूल रूप से इन्हें सबसे आदिम प्रकार के द्विपार्श्वी माना जाता था, लेकिन अब ऐसा माना जाता है कि वे अधिक जटिल पूर्वजों से विकसित हुए हैं।
इस समूह में कई परजीवी शामिल हैं, जैसे फ्लूक और फीता कृमि। चपटे कृमि अगुहीय होते हैं, इनमें देह गुहा का आभाव होता है, जैसा कि उनके निकटतम संबंधी, सूक्ष्म जीव गेसट्रोट्रिका में होता है।
प्लेटिजोआ के अन्य संघ ज्यादातर सूक्ष्म दर्शीय और आभासी देहगुहा से युक्त होते हैं। सबसे प्रमुख हैं रोटिफेरा या रोटीफर्स, जो जलीय वातावरण में सामान्य हैं। इनमें एकेंथोसिफेला या शल्की-शीर्ष वाले कृमि शामिल हैं, ग्नेथोस्टोमुलिडा, माइक्रोग्नेथोजोआ और संभवतः सिक्लियोफोरा। इन समूहों में जटिल जबड़े होते हैं, जिनकी वजह से ये ग्नेथिफेरा कहलाते हैं।
लोफोट्रोकोजोआ
लोफोट्रोकोजोआ में सबसे अधिक सफल दो जंतु संघ शामिल हैं, मोलस्का और एनेलिडा. पहले वाला, जो दूसरा सबसे बड़ा जंतु संघ है, में घोंघे, क्लेम और स्क्वीड जैसे जंतु शामिल हैं और बाद वाले समूह में खंडित कृमि जैसे केंचुआ और जौंक शामिल हैं।
दोनों ही समूह लंबे अरसे से निकट सम्बन्धी माने जाते हैं, क्योंकि दोनों में ही ट्रोकोफोर लार्वा पाया जाता है, लेकिन एनेलिडा को आर्थ्रोपोडा के अधिक नजदीक माना जाता था। क्योंकि वे दोनों ही खंडित होते हैं।
इसे आम तौर पर संसृत विकास माना जाता है, क्योंकि दोनों संघों के बीच कई आकारिकी और आनुवंशिक भेद हैं।
लोफोट्रोकोजोआ में निमेर्टिया या रिब्बन कृमि, सिपुन्कुला भी शामिल हैं और कई संघ जिनमें मुख के चारों ओर पक्ष्माभिका का एक पंखा होता है, लोफोफोर कहलाते हैं। इन्हें पारंपरिक रूप से लोफो फोरेट्स के साथ समूहित किया जाता था। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि वे पेराफाईलेटिक हैं, कुछ निमेर्टिया के नजदीकी हैं ओर कुछ मोलस्का व एनेलिडा के नजदीकी हैं। इनमें ब्रेकियोपोडा या लेम्प शेल शामिल हैं, जो जीवाश्म रिकोर्ड में मुख्य हैं, ये हैं एन्टोंप्रोकटा, फोरोनिडा, ओर संभवतः ब्रायोजोआ या मोस जंतु।
मॉडल जीव
जंतु में पायी जाने वाली भारी विविधता के कारण, वैज्ञानिकों के लिए चयनित प्रजातियों की एक छोटी संख्या को अध्ययन करना अधिक किफायती होता है, ताकि इस विषय पर उनके कार्यों ओर निष्कर्षों से सम्बन्ध स्थापित किया जा सके कि जंतु सामान्य रूप से किस प्रकार से कार्य करते हैं।
क्योंकि उन्हें रखना ओर उनमें संकरण कराना आसान है, फल मक्खी ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर, ओर निमेटोड केनोरहेबडीटिस एलिगेंस लम्बे समय से व्यापक अध्ययन किये जाने वाले नमूने के जीव रहें हैं और पहले जीवन रूपों में से थे जिन्हें आनुवंशिक रूप से अनुक्रमित किया गया।
इसे उनके जीनोम की बहुत अधिक अपचयित अवस्था के द्वारा सहज बनाया गया, लेकिन यहाँ दो धार की तलवार कई जीनो, इंट्रोन्स और लिंकेज लोस्ट के साथ है, ये एकडाईसोजोआ के जीव सामान्य रूप से जंतुओं की उत्पत्ति के बारे में हमें थोडा बहुत सिखा सकते हैं।
परम संघ के भीतर इस प्रकार के विकास की सीमा, क्रसटेशियन, एनेलिड और मोलस्का की जीनोम परियोजना के द्वारा प्रकट की जायेगी, जो वर्तमान में प्रगति कर रहा है।
स्टारलेट समुद्री एनीमोन जीनोम के विश्लेषण ने स्पन्जों, प्लेकोजोआ और कोएनोकशाभिकियों के महत्त्व पर जोर डाला है। और इन्हें एउमेताज़ोआ के लिए अद्वितीय 1500 पूर्वज जीनों के आगमन की व्याख्या में अनुक्रमित भी किया जा रहा है।
होमोस्क्लेरोमोर्फ स्पंज ओस्कारेला कर्मेला का विश्लेषण बताता है कि स्पंज के अंतिम सामान्य पूर्वज और एउमेताज़ोआ के जंतु पूर्व कल्पना से अधिक जटिल थे।
जंतु जगत से सम्बन्ध रखने वाले अन्य मोडल जीवों में शामिल हैं चूहा (मस मस्कुलस) और जेबराफिश (देनियो रेरियो)।
वर्गीकरण का इतिहास
अरस्तु ने सजीव दुनिया को पौधों और जंतुओं में विभाजित किया और इसके बाद केरोलस लिनियस (कोरल वोन लिने) ने पहला पदानुक्रमित वर्गीकरण किया।
तभी से जीव वैज्ञानिक विकास के संबंधों पर जोर दे रहे हैं और इसीलिए ये समूह कुछ हद तक प्रतिबंधित हो गए हैं।
उदाहरण के लिए, सूक्ष्मदर्शीय प्रोटोजोआ को मूल रूप से जंतु माना गया क्योंकि वे गति करते हैं, लेकिन अब उन्हें अलग रखा जाता है।
लिनियस की मूल योजना में, जंतु तीन जगतों में से एक थे, इन्हें वर्मीज, इनसेक्टा, पिसीज, एम्फिबिया, एवीज और मेमेलिया वर्गों में विभाजित किया गया था।
तब से आखिरी के चार वर्गों को एक ही संघ कोर्डेटा में रखा जाता है, जबकि कई अन्य रूपों को अलग कर दिया गया है।
उपरोक्त सूची समूह के बारे में हमारे वर्तमान ज्ञान या समझ का प्रतिनिधित्व करती है, हालांकि अलग अलग स्रोतों में कुछ विविधता होती है।
इन्हें भी देखें
जंतु व्यवहार
जंतु अधिकार
फौना या जंतु
जंतुओं के नामों की सूची
न्यूरॉन्स की संख्या पर आधारित जंतुओं की सूची
पौधे
सन्दर्भ
ग्रन्थसूची
क्लाउस नील्सन . एनीमल एवोल्यूशन: इंटर रिलेशनशिप ऑफ़ दी लिविंग फ़ाइला (दूसरा संस्करण).ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 2001।
नुट श्मिड्ट-नील्सन. एनीमल फिलोसोफी: अडेपटेशन एंड एनवायरनमेंट . (5 वां संस्करण).कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, 1997।
बाहरी कड़ियाँ
ट्री ऑफ़ लाइफ परियोजना
पशु विविधता वेब -- मिशिगन विश्वविद्यालय का जंतुओं का डेटाबेस, जो वर्गों के अनुसार वर्गीकरण, छवियों और अन्य जानकारी को दर्शाता है।
ARKive -विश्व की विलुप्तप्रायः / संरक्षित प्रजातियों का मल्टीमीडिया डेटाबेस और यू॰के॰ की आम प्रजातियां।
अमेरिकी वैज्ञानिक पत्रिका (दिसम्बर 2005 का अंक) - गेटिंग अ लेग अप ओन लैण्ड, मछलियों से चार पाद वाले जंतुओं तक का विकास।
जंतुओं पर साइटों की सूची।
जंतु
जीव विज्ञान
गूगल परियोजना | 3,579 |
45666 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80 | तिल्ली | प्लीहा या तिल्ली (Spleen) एक अंग है जो सभी रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाता है। मानव में तिल्ली पेट में स्थित रहता है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है तथा रक्त का संचित भंडार भी है। यह रोग निरोधक तंत्र का एक भाग है।
प्लीहा शरीर की सबसे बड़ी वाहिनीहीन ग्रंथि (ductless gland) है, जो उदर के ऊपरी भाग में बाईं ओर आमाशय के पीछे स्थित रहती है। इसकी आंतरिक रचना संयोजी ऊतक (connective tissue) तथा स्वतंत्र पेशियों से होती है। इसके अंदर प्लीहावस्तु भरी रहती है, जिसमें बड़ी बड़ी प्लीहा कोशिकाएँ तथा जालक कोशिकाएँ रहती हैं। इनके अतिरिक्त रक्तकरण तथा लसीका कोशिकाएँ भी मिलती हैं।
प्लीहा के कार्य
ये निम्नलिखित हैं :
१. यह गर्भ की प्रारंभिक अवस्था में रक्तकणों का निर्माण करती है, किंतु बाद में यह कार्य अस्थिमज्जा द्वारा होने लगता है। तब यह मुख्यत: कोशिका के रूप में रहती है, जहाँ से रक्तकण संचित होकर रुधिर वाहिनियों में जाते हैं।
२. यहाँ रुधिरकणों का विघटन भी होता है। इसीलिए प्लीहा में लौह की मात्रा अधिक मिलती है।
३. यह प्रोटीन के उपापचय (metabolism) में योग देती है (विशेषत: यूरिक अम्ल के निर्माण में )।
४. यह पित्तरंजकों, पित्तारुण तथा पित्तहरित निर्माण करती है।
५. यह पाचकनलिका, विशेषत: रक्तवाहिनियों के कोश का कार्य करती है, क्योंकि भोजन के पाचनकाल में यह संकुचित होकर पाचन के हेतु रुधिर को बाहर भेजती है।
६. इसमें से एक अन्तःस्राव निकलता है, जो आमाशय ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।
७. यह रक्तनिस्यंदक के रूप में भी कार्य करती है, जिससे रुधिर में प्रविष्ट जीवाणु छनकर वहीं पृथक् हो जाते हैं और श्वेत कणों (W.B.C.) के जीवाणुभक्षण (phagocytosis) द्वारा अंदर ही अंदर नष्ट हो जाते हैं।
सन्दर्भ
अंग
शारीरिकी
उदर | 284 |
521585 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%AB%20%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%20%E0%A4%B6%E0%A5%8B%20%E0%A5%A9 | मास्टरशेफ इंडिया कुकिंग शो ३ | आम जनता को अपने साथ जोड़कर उनकी रसोई में स्वादिश्ट भोजन बनाने की क्षमता को परखने वाला 'मास्टर शेफ इंडिया' इस बार भी एक नए जोश के साथ स्टार प्लस पर वापिस चुका है। मास्टर शेफ इंडिया सीजन 3' के लिये भारत के कई बड़े शहरों में बड़े स्तर पर ऑडीशंस चलाए गए। दिल्ली के प्रीतमपुरा ऑडीशन में 'मास्टर शेफ इंडिया सीजन 3' की टीम पहुंची थी जिसमें इस शो की तीन ज्यूरी जाने-माने शेफ संजीव कपूर, पिछले सीजन के होस्ट और इस बार के जज बन रहे मशहूर शेफ विकास खन्ना और शेफ कुणाल कपूर भी मौजूद थे।
सन्दर्भ
स्टार प्लस के धारावाहिक
भारतीय स्टार टीवी कार्यक्रम
भारतीय खानसामा | 110 |
27064 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%85%E0%A4%B0 | बोअर | बूर या बोअर (अफ़्रीकांस:[buːr]; बूर), "किसान" के लिए डच और अफ़्रीकांस शब्द है। दक्षिण अफ़्रीका में इस शब्द का प्रयोग 18 वीं शताब्दी के दौरान दक्षिणी अफ्रीका में पूर्वी केप सीमा में आकर बसे डच-भाषी लोगों के वंशज को दर्शाने के लिए किया जाता था। एक लंबे समय यह क्षेत्र डच ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में रहा, लेकिन अंततः इसको यूनाइटेड किंगडम (यूनाइटेड किंगडम) ने अपने कब्ज़े में ले कर ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल कर लिया।
इसके अलावा यह शब्द उन लोगों के लिए भी प्रयोग किया गया था, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के दौरान ऑरेंज फ्री स्टेट, ट्रांसवाल (जिसे संयुक्त रूप से बूर रिपब्लिक्स के नाम से जाना जाता है) और कम मात्रा में नताल में बसने के लिए केप उपनिवेश को छोड़ दिया था। उन्होने ऐसा मुख्य रूप से ब्रिटिश शासन से बचने और ब्रिटिश साम्राज्य सरकार और पूर्वी सीमा पर स्वदेशी लोगों के बीच निरंतर होने वाले सीमा युद्धों से दूर रहने के लिए किया था।
निवास क्षेत्र
बस्तियां
भोजन
वस्त्र
समाज
दक्षिण अफ़्रीका की मानव जातियाँ
अफ़्रीका की मानव जातियाँ | 174 |
14 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE | दैनिक पूजा | दैनिक पूजा विधि हिन्दू धर्म की कई उपासना पद्धतियों में से एक है। ये एक दैनिक कर्म है। विभिन्न देवताओं को प्रसन्न करने के लिये कई मन्त्र बताये गये हैं, जो लगभग सभी पुराणों से हैं। वैदिक मन्त्र यज्ञ और हवन के लिये होते हैं।
पूजा की रीति इस तरह है : पहले कोई भी देवता चुनें, जिसकी पूजा करनी है। फ़िर विधिवत निम्नलिखित मन्त्रों (सभी संस्कृत में हैं) के साथ उसकी पूजा करें। पौराणिक देवताओं के मन्त्र इस प्रकार हैं :
विनायक : ॐ सिद्धि विनायकाय नमः .
सरस्वती : ॐ सरस्वत्यै नमः .
लक्ष्मी : ॐ महा लक्ष्म्यै नमः .
दुर्गा : ॐ दुर्गायै नमः .
महाविष्णु : ॐ श्री विष्णवे नमः . or ॐ नमो नारायणाय .
कृष्ण : ॐ श्री कृष्णाय नमः . or ॐ नमो भगवते वासुदेवाय .
राम : ॐ श्री रामचन्द्राय नमः .
नरसिंह : ॐ श्री नारसिंहाय नमः .
शिव : ॐ शिवाय नमः या ॐ नमः शिवाय .
नीचे लिखे मन्त्र गणेश के लिये हैं :
दैनिक विनायक पूजा
ध्यान श्लोक
शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम् .
प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये ..
षोडशोपचार पूजन
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ध्यायामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आवाहयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आसनं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अर्घ्यं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पाद्यं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आचमनीयं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . उप हारं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पंचामृत स्नानं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . वस्त्र युग्मं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . यज्ञोपवीतं धारयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आभरणानि समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . गंधं धारयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अक्षतान् समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पैः पूजयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . प्रतिष्ठापयामि .
अथ अंग पूजा
विनायक (गणेश) के पाँच नाम चुनें और ऐसा कहें :
ॐ महा गणपतये नमः . पादौ पूजयामि .
ॐ विघ्न राजाय नमः . उदरम् पूजयामि .
ॐ एक दन्ताय नमः . बाहुं पूजयामि .
ॐ गौरी पुत्राय नमः . हृदयं पूजयामि .
ॐ आदि वन्दिताय नमः . शिरः पूजयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अंग पूजां समर्पयामि .
अथ पत्र पूजा
विनायक (गणेश) के पाँच नाम चुनें और ऐसा कहें :
ॐ महा गणपतये नमः . आम्र पत्रम् समर्पयामि .
ॐ विघ्न राजाय नमः . केतकि पत्रम् समर्पयामि .
ॐ एक दन्ताय नमः . मन्दार पत्रम् समर्पयामि .
ॐ गौरी पुत्राय नमः . सेवन्तिका पत्रं समर्पयामि .
ॐ आदि वन्दिताय नमः . कमल पत्रं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पत्र पूजां समर्पयामि .
अथ पुष्प पूजा
विनायक (गणेश) के पाँच नाम चुनें और ऐसा कहें :
ॐ महा गणपतये नमः . जाजी पुष्पं समर्पयामि .
ॐ विघ्न राजाय नमः . केतकी पुष्पं समर्पयामि .
ॐ एक दन्ताय नमः . मन्दार पुष्पं समर्पयामि .
ॐ गौरी पुत्राय नमः . सेवन्तिका पुष्पं समर्पयामि .
ॐ आदि वन्दिताय नमः . कमल पुष्पं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्प पूजां समर्पयामि .
नाम पूजा
अगर सम्भव हो तो गणेश के 108 नाम जपें :
ॐ सुमुखाय नमः . एक दन्ताय नमः .
कपिलाय नमः . गज कर्णकाय नमः .
लम्बोदराय नमः . विकटाय नमः .
विघ्न राजाय नमः . विनायकाय नमः .
धूम केतवे नमः . गणाध्यक्षाय नमः .
भालचन्द्राय नमः . गजाननाय नमः .
वक्रतुण्डाय नमः . हेरम्बाय नमः .
स्कन्द पूर्वजाय नमः . सिद्धि विनायकाय नमः .
श्री महागणपतये नमः . नाम पूजां समर्पयामि .
उत्तर पूजा
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . धूपं आघ्रापयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . दीपं दर्शयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . नैवेद्यं निवेदयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . फलाष्टकं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ताम्बूलं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . कर्पूर नीराजनं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . मंगल आरतीं समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पांजलिं समर्पयामि .
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च .
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणा पदे पदे ..
प्रदक्षिणा नमस्कारान् समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . समस्त राजोपचारान् समर्पयामि .
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . मंत्र पुष्पं समर्पयामि .
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ .
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ..
प्रार्थनां समर्पयामि .
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं .
पूजाविधिं न जानामि क्षमस्व पुरुषोत्तम ..
क्षमापनं समर्पयामि .
विसर्जन पूजा
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुनरागमनाय च .
सन्दर्भ
हिन्दू धर्म | 726 |
1465633 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A5%89%E0%A4%89%E0%A4%9F%20%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F | वॉउट वेघोर्स्ट | वॉउट वेघोर्स्ट (जन्म 7 अगस्त 1992) एक डच पेशेवर फुटबॉलर हैं। वे प्रीमियर लीग क्लब बर्नले और नीदरलैंड की राष्ट्रीय टीम के लिए बतौर स्ट्राइकर में खेलते हैं। वेघोर्स्ट ने अपने खेल की शुरुआत एम्मेन (फुटबॉल क्लब) से की। उन्होंने वीएफएल वोल्फ्सबर्ग में शामिल होने से पहले वर्ष 2018 में हेराक्लीज़ अल्मेलो और एज़ के साथ इरेडिविसी में खेला। वोल्फ्सबर्ग के लिए 144 खेलों में 70 गोल करने के बाद उन्हें जनवरी 2022 में बर्नले ने £12 मिलियन में खिलाड़ी के बतौर ख़रीद लिया। क्लब को प्रीमियर लीग से हटा दिए जाने के बाद वेघोर्स्ट को तुर्की सुपर लिग क्लब बेसिकटास और मैनचेस्टर यूनाइटेड से ऋण लेना पड़ा।
वेघोर्स्ट ने 2014 में नीदरलैंड की अंडर-21 टीम में खेला था। उन्होंने यूईएफए यूरो 2020 और 2022 फीफा विश्व कप में नीदरलैंड का प्रतिनिधित्व किया था, जहाँ उन्होंने क्वार्टर फाइनल मैच में अर्जेंटीना के खिलाफ दो गोल किए।
जन्म
वेघोर्स्ट का जन्म बोर्न, ओवरिजस्सेल में हुआ था।
आरंभिक जीवन
वॉउट वेघोर्स्ट ने 2011 में इरेडिविसी क्लब विलेम II में शामिल होने से पहले, स्थानीय क्लब आरकेएसवी एनईओ और डीईटीओ ट्वेंटरैंड से अपने खिलाड़ी जीवन की शुरुआत की थी। पहली टीम में जगह बनाने का अवसर मिलने के बावजूद वे कभी सफल नहीं हुए इसलिए वे केवल रिज़र्व टीम के लिए ही खेले। उन्होंने 2012 में एर्स्ट डिविज़ी क्लब एम्मेन के लिए खेलना मंज़ूर किया।
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
प्रोफ़ाइल बेसिकटैस जे.के. वेबसाइट पर
प्रोफ़ाइल रॉयल डच फुटबॉल एसोसिएशन की वेबसाइट पर (डच में) | 240 |
184447 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE | ओलिम्पिया | ओलिंपिया नगर (Olympia) प्राचीन काल में ओलिंपिक खेलों का स्थल था। यह यूनान देश के पश्चिमी मोरिया में रूफ़िया नदी के उत्तरी किनारे पर आधुनिक पिरगोस नगर से 11 मील पूर्व स्थित है।
यूनान के इतिहास में इस नगर का धार्मिक और राजनीतिक महत्व रहा है। हीरा का मंदिर प्राचीनतम विद्यमान भवन है जिसका निर्माण, अपने मौलिक रूप में, संभवत: ईसा से 1,000 वर्ष पूर्व हुआ था। यहाँ खेलों की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न धारणाएँ हैं। एक मत के अनुसार पहली दौड़ पेलौप्स और आयनोमौस के बीच हुई थी, किंतु द्वितीय मतानुसार यहाँ सर्वप्रथम हेराकिल्स द्वारा खेलकूदों का उत्सव मनाया गया था। 11वीं शताब्दी के यूनानी लेखक सेड़ीनस के अनुसार ओलिंपिक उत्सव 393 ई. तक ही मनाए गए।
ओलिंपिया अथवा ओलिंबिया का वर्तमान गाँव क्लादियस नदी के दूसरे तट पर स्थित है। यहाँ एक संग्रहालय भी है।
बाहरी कड़ियाँ
Site containing Olympia attraction info, videos, and more
Very thorough photo tour of the entire site of Olympia
Harry Thurston Peck, Harper's Dictionary of Classical Antiquities, (1898): "Olympic Games"
Olympia - extensive black and white photo-essays of the site and related artifacts
Collection of colour photos of the monuments and sculpture of Olympia
Ancient Olympia museum
प्राचीन यूनानी संस्कृति | 199 |
193712 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%93%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AA | ओपेनटाइप | ओपेनटाइप (OpenType) फॉण्टों का एक प्रकार का फॉर्मट है। यह अपने पूर्ववर्ती ट्रूटाइप में कुछ नये गुण जोड़कर विकसित किया गया। ओपेनटाइप, माइक्रोसॉफ्त कॉरपोरेशन का ट्रेडमार्क है।
विशेषताएं/लाभ
सभी प्लेटफॉर्मों पर चलता है।
प्रबन्धन में आसानी
अधिक बड़ा वर्ण-समूह (कैरेक्टर सेट)
अनेकानेक लिपियों का समर्थन
उन्नत टाइपोग्राफीय समर्थन
बाहरी कड़ियाँ
देवनागरी के ओपेनटाइप फॉण्ट यहाँ से डाउनलोड करें
What’s OpenType? Is it right for me?
Adobe - Fonts : OpenType
The OpenType Specification (Adobe)
Layout Tags
The OpenType Specification (Microsoft)
HarfBuzz - OpenType Layout engine based on FreeType
Typo.cz Information on Central European typography and fonts
Diacritics Project — All you need to design a font with correct accents
How to install OpenType fonts with LaTeX
Bitstream Panorama: Line layout engine for worldwide text layout, multilanguage, multilingual fonts, and international complex scripts
D-Type Font Engine and Text Layout Module — Portable software components for OpenType font rasterization and text layout
Adobe Font Development Kit for OpenType (AFDKO)
लिपि | 158 |
47054 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A8 | तारामीन | तारा मछली इकाइनोडरमेटा संघ का अपृष्ठवंशी प्राणी है जो केवल समुद्री जल में ही पायी जाती है। इसके शरीर का आकार तारा जैसा होता है, शरीर में डिस्क और पांच भुजाएं होती है जो कड़े प्लेट्स से ढंकी रहता हैं। उपरी सतह पर अनेक कांटेदार रचनायें होती हैं। डिस्क पर मध्य में गुदा स्थित होती है। निचली सतह पर डिस्क के मध्य में मुंह स्थित है। भुजाओं पर दो कतारों में ट्यूब फीट होते हैं। प्रचलन की क्रिया ट्यूबफीट के द्वारा होती है तथा पैपुली द्वारा श्वसन की क्रिया होती है। इसकी एक प्रजाति,Gohongaze को जापानी लोग बडे चाव से खाते हैं।
संरचना और जीवन
स्टारफ़िश समुद्री अकशेरूकीय जीव हैं। उनके पास आमतौर पर एक केंद्रीय डिस्क और आमतौर पर पांच भुजाएं होती हैं, हालांकि कुछ प्रजातियों में भुजाओं की एक बड़ी संख्या होती है। एबोरल या ऊपरी सतह चिकनी, दानेदार या चमकदार हो सकती है, और अतिव्यापी प्लेटों ढकी होती हैं। कई प्रजातियां लाल या नारंगी रंग के विभिन्न रंगों में चमकीले रंग की होती हैं, जबकि अन्य नीले, भूरे या भूरे रंग की होती हैं। तारामीन में एक हाइड्रोलिक प्रणाली द्वारा संचालित ट्यूब पैर और निचली सतह के केंद्र में एक मुंह होते हैं। वे अवसरवादी शिकारी हैं और ज्यादातर बेन्थिक अकशेरूकीय पर शिकारी हैं। उनके जीवन चक्र जटिल हैं और वे लैंगिक और अलैंगिक दोनों रूप से प्रजनन कर सकते हैं। अधिकांश क्षतिग्रस्त हिस्सों या खोए हुए भुजाओं को पुनः प्राप्त कर सकते हैं और वे रक्षा के साधन के रूप में भुजाओं को बहा सकते हैं।तारामीन, जैसे गेरू समुद्री तारा (पिसास्टर ऑच्रेसस) और रीफ समुद्री तारा (स्टिचस्टर ऑस्ट्रालिस), पारिस्थितिकी में कीस्टोन प्रजाति अवधारणा के उदाहरण के रूप में व्यापक रूप से जाने जाते हैं। ट्रॉपिकल क्राउन-ऑफ-कांट्स तारामीन (एकांथस्टर प्लानि) पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में प्रवाल का एक भयावह शिकारी है, और उत्तरी प्रशांत समुद्री स्टार को दुनिया की 100 सबसे खराब आक्रामक प्रजातियों में से एक माना जाता है।
स्टारफ़िश के लिए जीवाश्म रिकॉर्ड प्राचीन है, लगभग 45 करोड़ साल पहल के, लेकिन वें विरल है, क्योंकि स्टारफ़िश मृत्यु के बाद विघटित हो जाती है। केवल पशु के अस्थि-पंजर और रीढ़ को संरक्षित होने की संभावना है, जिससे पता लगाना मुश्किल हो जाता है। उनके आकर्षक सममित आकार के साथ, तारामीन ने साहित्य, किंवदंती, डिजाइन और लोकप्रिय संस्कृति में एक भूमिका निभाई है। उन्हें कभी-कभी क्यूरियोस के रूप में एकत्र किया जाता है, डिजाइन में या लोगो के रूप में उपयोग किया जाता है, और कुछ संस्कृतियों में, संभव विषाक्तता के बावजूद, उन्हें खाया जाता है।
एक स्टारफ़िश का जीवनकाल प्रजातियों के बीच काफी भिन्न होता है, आमतौर पर बड़े रूपों में और प्लवक के लार्वा के साथ लंबे समय तक रहता है।
अधिकांश प्रजातियां सामान्य शिकारी हैं, माइक्रोलेग, स्पंज, बिवाल्व्स, घोंघे और अन्य छोटे जानवर खाती हैं। ये काफी गहराई में भी पायी जाती हैं।
चित्रदीर्घा
इन्हें भी देखें
शूलचर्मी
सन्दर्भ
तारामीन
शूलचर्मी
जलचर | 468 |
1000372 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B8%E0%A4%A8%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8 | गायसन राष्ट्रीय उद्यान | गायसन राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण कोरिया के एक बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है जो गया माउंटेन राष्ट्रीय उद्यान के नाम से भी जाना जाता है। उद्यान का नाम गया पर्वत के सम्मान में रखा गया है। 1972 में, गायसन को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया था। उद्यान 160 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र को कवर करता है और सोबेक पर्वत श्रृंखला इस क्षेत्र से गुजरती है।
राष्ट्रीय उद्यान की एक महत्वपूर्ण विशेषता हयीनसा (해인사, 海印寺: Temple of the Ocean Mudra) है। उद्यान की एक अन्य विशेषता योंगमुन फॉल्स और होंग्योंडोंग घाटी है।
वहां पौधों की 380 विभिन्न प्रजातियों की पहचान की गई है। साथ ही पक्षियों की 100 प्रजातियां और अन्य जंगली जानवर प्रजातियों की पहचान भी की गई है।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Korea in the Clouds: A Detailed Guide to Hiking Korea's Mountains
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय उद्यान | 141 |
636236 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0 | सच्चियाय माता मन्दिर | |colour = हरा
सच्चियाय माता (सचिया माता) के नाम से भी जानी जाती है इनका मंदिर जोधपुर से 63 किमी दूर ओसियां में स्थित है। यह मंदिर जोधपुर जिले का सबसे बड़ा मंदिर है इसका निर्माण 9वीं या 10वीं सदी में उपेन्द्र ने करवाया था। सच्चियाय माता को ओसवाल, जैन, परमार, पंवार, कुमावत,सुथार, राजपूत, जाट, चारण (पंवार वंश गेेेहड देवासी) पारीक ब्राह्मण,माहेश्वरी इत्यादि जातियों के लोग पूजते हैं। जैन की देवी है
हिन्दु पौराणिक इतिहास
सच्चियाय माता का पूर्व का नाम साची था तथा ये असुर राजा पौलोमा की बेटी थी। राजा पौलोमा वृत्र के सेना प्रमुख थे। वृत्र साची से विवाह करना चाहती थी। परंतु साची उससे विवाह नहीं करना चाहती थी इस कारण पौलोमा ने वृत्र का कार्य छोड़ दिया और जैन धर्म को मानने लगे
जैन पौराणिक इतिहास
एक पत्थर शिलालेख जो ओसियां में मिला था वह कुछ और कहानी बतलाती हैं। जैन धर्म के एक आचार्य श्रीमद् विजय रत्नाप्रभासुरीजी ने ओसियां की यात्रा की थी
इनके अनुसार ओसियां का पूर्व का नाम उपकेशपुर था और यहाँ चामुण्डा माता का एक मंदिर भी था। इनका मानना था कि चामुण्डा माँ लोगों से भैंसों की बली मांगती थी। जैन साधु विजय रत्नाप्रभासुरीजी इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रहे थे। इनका मानना था कि चामुण्डा माता का दूसरा नाम (सच्चियाय माता) ही था।
वर्तमान
आज वर्तमान समय में सच्चियाय माता के मंदिर में मिठाई, नारियल, कुमकुम, केसर, धुप, चंदन, लापसी इत्यादि का छड़ावा किया जाता है। बलि का कहीं ज़िक्र भी नहीं होता है।
इन्हें भी देखें
तनोट माता Rajput
सन्दर्भ
राजस्थान में हिन्दू मन्दिर
जोधपुर के दर्शनीय स्थल | 263 |
1726 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A0%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%82%20%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9A%E0%A5%80 | आठवीं अनुसूची | भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है। इस अनुसूची में 22भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है । प्रारम्भ में 14 भाषाओ को संवैधानिक मान्यता दी गई थी बाद में इसमें, सिन्धी भाषा को 21वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1967 ,कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा, और नेपाली भाषा को 71वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992ई. में जोड़ा गया। हाल में 92 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2003 में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा, और संथाली भाषा शामिल किए गए।
अनुसूची
कश्मीरी भाषा
सिन्धी भाषा
पंजाबी भाषा
हिन्दी भाषा
बंगाली भाषा
असमिया भाषा
ओड़िया भाषा
गुजराती भाषा
मराठी भाषा
कन्नड़ भाषा
तेलगु भाषा
तमिल भाषा
मलयालम भाषा
उर्दू भाषा
संस्कृत भाषा
नेपाली भाषा
मणिपुरी भाषा
कोंकणी भाषा
बोडो भाषा
डोंगरी भाषा
मैथिली भाषा
संथाली भाषा
माँग वाली अन्य भाषाएँ
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में ४० अन्य भाषाओं को शामिल करने की माँग है। य़े भाषाएँ हैं:
अवधी भाषा
अंगिका भाषा
बुंदेली भाषा
बंजारा भाषा
बज्जिका भाषा
भूमिज भाषा
भोजपुरी भाषा
भोटी भाषा
भोटीया भाषा
छत्तीसगढ़ी भाषा
धक्ती भाषा
अंग्रेज़ी भाषा
गढ़वाली भाषा
गोंडी भाषा
गोजरी भाषा
हो भाषा
कच्छी भाषा
कामतापुरी भाषा
कार्बी भाषा
खासी भाषा
कोडावा भाषा
ककबरक भाषा
कुमाऊँनी भाषा
कुड़ुख भाषा
कुड़माली भाषा
लेप्चा भाषा
लिंबू भाषा
मिज़ो भाषा
मगही
मुंडारी भाषा
नागपुरी भाषा
निकोबारी भाषा
हिमाचली भाषा
पालि भाषा
राजस्थानी भाषा
कोशली / सम्बलपुरी भाषा
शौरसेनी भाषा
सराइकी भाषा
टेनयीडी भाषा
तुलू भाषा
सन्दर्भ
भारत का संविधान
भारत की भाषाएँ | 235 |
1097236 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9D%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%80%20%E0%A4%9C%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%A8%20%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A5%87%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%A8 | झांसी जंक्शन रेलवे स्टेशन | वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी जंक्शन, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में झांसी शहर में स्थित एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है। यह भारत के सबसे व्यस्ततम और सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है। यह भारत में कई सुपरफास्ट ट्रेनों के लिए एक प्रमुख अन्तरनगरीय हब और तकनीकी ठहराव है। भारतीय रेलवे के उत्तर मध्य रेलवे जोन में झांसी का अपना एक मंडल है। यह दिल्ली-चेन्नई और दिल्ली-मुंबई लाइन पर स्थित है। इस स्टेशन का कोड VGLJ है। हाल ही में झांसी जंक्शन रेलवे स्टेशन की वैगन मरम्मत कार्यशाला में कुल 1.5 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने की योजना पर काम चल रहा है। जहाँ कॉम्प्लेक्स के प्रोडक्शन शेड और सर्विस बिल्डिंग की छत पर सोलर पैनल लगाये जाएगें।उत्तर प्रदेश सरकार ने रेलवे बोर्ड को एक प्रताव भेजा था जिसमें लिखा था कि झांसी रेलवे स्टेशन का नाम झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई साहेब नेवाळकर के नाम पर रखा जाए ।
इस प्रकार से इस रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी जंक्शन हो गया है।
इतिहास
रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने 1880 के दशक के अंत में किया था। तीन स्थानों के लंबे सर्वेक्षण के बाद वर्तमान स्थल को स्टेशन के लिए चुना गया था। स्टेशन में एक विशाल किले जैसी इमारत है जिसे मरून और श्वेत रंग में रोंगन किया गया है।
स्टेशन में शुरुआत में तीन प्लेटफार्म थे। (प्लेटफ़ॉर्म एक, लंबा था जो कि भारत में पांचवां सबसे लंबा है। यह एक समय में दो ट्रेनों को आसानी से संभाल सकता है (यही प्लेटफॉर्म दो और तीन में भी हैं)। )
झांसी जंक्शन इंडियन मिडलैंड रेलवे कंपनी का केंद्र बिंदु था जिसने झांसी जंक्शन से सभी दिशाओं में रेडियल लाइन बिछाई और झांसी में बड़ी कार्यशाला का प्रबंधन किया।
भारत की पहली शताब्दी एक्सप्रेस नई दिल्ली और झांसी के बीच शुरू हुई।
झांसी, पहले मुंबई में मुख्यालय वाले मध्य रेलवे ज़ोन का एक हिस्सा हुआ करता था, लेकिन अब यह उत्तर मध्य रेलवे ज़ोन के अन्तर्गत आता है जिसका मुख्यालय इलाहाबाद में है।
संयोजन
वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी जंक्शन भारत के कई औद्योगिक और महत्वपूर्ण शहरों जैसे: नई दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, भोपाल, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, जम्मू, आगरा, भुवनेश्वर, अहमदाबाद, बांदा, नागपुर आदि से सीधी ट्रेनों से जुड़ा हुआ है।
वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी जंक्शन में 4 ब्रॉड गेज मार्ग है:
दिल्ली से - मुंबई तक
दिल्ली से - चेन्नई तक
झांसी से - कानपुर सेंट्रल तक
बीना से - भोपाल तक
खजुराहो से - मानिकपुर तक
मध्य प्रदेश में वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी जंक्शन और शिवपुरी के बीच एक नई लाइन के लिए सर्वेक्षण चल रहा है जो आगे सवाई माधोपुर और जयपुर से जुड़ा होगा।
भारतीय रेलवे की कई प्रतिष्ठित रेलगाड़ियाँ झांसी से होकर गुजरती हैं, जिसमें गतिमान एक्सप्रेस (वर्तमान में भारत में सबसे तेज़ ट्रेन) शामिल है। )
गतिमान एक्सप्रेस (झांसी से प्रारंभ)
शताब्दी एक्सप्रेस
राजधानी एक्सप्रेस
ताज एक्सप्रेस (झाँसी से प्रारंभ)
कर्नाटक एक्सप्रेस
तमिलनाडु एक्सप्रेस
केरला एक्सप्रेस
तेलंगाना एक्सप्रेस
भोपाल एक्सप्रेस
दक्षिण एक्सप्रेस
पुष्पक एक्सप्रेस
बुंदेलखंड एक्सप्रेस
गोवा एक्सप्रेस
दुरन्त एक्सप्रेस
खजुराहो, एक यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और ओरछा जाने के इच्छुक पर्यटकों के लिए झाँसी एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
झांसी स्टेशन की पुरानी तस्वीर
विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक
झाँसी रेलवे मंडल
उत्तर प्रदेश में रेलवे स्टेशन
झाँसी ज़िला | 530 |
70037 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE | बुनियादी शिक्षा | भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के समय गांधीजी ने सबसे पहले बुनियादी शिक्षा की कल्पना की थी। आज जिसे विश्वविद्यालय स्तर पर "फाउंडेशन कोर्स" कहा जाता है, उसकी पृष्ठभूमि में गांधी की बुनियादी यानी बेसिक शिक्षा ही तो थी। इस बुनियादी प्रशिक्षण और प्राथमिक स्तर की शिक्षा के दो स्तर थे- स्कूली बच्चे कक्षा-एक से ही तकली से सूत कातते थे; रूई से पौनी बनाते थे और सूत की गुड़िया बनाकर या तो खादी भंडारों को देते थे या बैठने के आसन, रुमाल, चादर आदि बनाते थे।
शिक्षा के बारे में गांधीजी का दृष्टिकोण वस्तुत: व्यावसायपरक था। उनका मत था कि भारत जैसे गरीब देश में शिक्षार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ कुछ धनोपार्जन भी कर लेना चाहिए जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने ‘वर्धा शिक्षा योजना’ बनायी थी। शिक्षा को लाभदायक एवं अल्पव्ययी करने की दृष्टि से सन् १९३६ ई. में उन्होंने ‘भारतीय तालीम संघ’ की स्थापना की ।
इन्हें भी देखें
वर्धा शिक्षा योजना
बाहरी कड़ियाँ
डिजाइनर पाठ्यक्रम के प्रथम पुरुष गांधी
बुनियादी शिक्षा की त्रासदी
शिक्षा | 173 |
24361 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80 | शिवपुरी | शिवपुरी (Shivpuri) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के शिवपुरी ज़िले में स्थित एक नगर व नगर पालिका है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। भगवान शिव के नाम पर शिवपुरी शहर का नामकरण हुआ है।
विवरण
शिवपुरी ग्वालियर से 119 किमी की दूरी पर है। यह एक पर्यटक नगरी है। शिवपुरी की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने के लिए यहाँ पर्यटक बड़ी संख्या में आते है। शिवपुरी में ग्वालियर के सिंधिया वंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। वे शिवपुरी में गर्मियों के दिनों में यहाँ रहने के लिए आया करते थे। शिवपुरी के घने जंगलों में राजा महाराजा शिकार खेलने आते थे। महाराज ने यहीं से हाथियों के विशाल झुंड और शेरों को पकड़ा था। शिवपुरी के इन घने जंगलों को अब अभयारण्य में परिवर्तित कर दिया गया है, जहाँ अनेक दुर्लभ पशु-पक्षियों और वनस्पतियों को देखा जा सकता है। शिवपुरी में बने कुछ महल और झीलें यहाँ आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहती हैं।पूरे वर्ष शिवपुरी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहता है। शिवपुरी- झांसी रोड़ पर 42 किलोमीटर स्थिति ग्राम सिरसौद में सिद्ध श्री बिलैया महादेव मंदिर है।
माधव चौक
यह शिवपुरी नगर का मुख्य बाजार तथा मुख्य चौराहा है। यहां पर सभी प्रकार की दुकानें और बैंक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।यह नगर का आकर्षण केंद्र है।
छतरी
छतरी अलंकृत संगमरमर की कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना है।छतरी में प्रवेश करते ही विधवा रानी महारानी सख्या राजे सिंधिया की स्मृति में समाधि स्थल है। उसके ठीक सामने तालाब और उसके बाद सामने ही माधव राव सिंधिया का समाधि स्थल बना है। इनके बुर्ज मुग़ल और राजपूत की मिश्रित शैली में निर्मित हैं। इन समाधि स्थलों में संगमरमर और रंगीन पत्थरों की कारीगरी उत्कृष्ट एवं अद्वितीय है। इसी तालाब के एक ओर राम ,सीता और लक्ष्मण का मंदिर और मंदिर के बाहर हनुमान जी खड़े हैं। इस मंदिर के ठीक सामने तालाब के उस पार राधा -कृष्णा का मंदिर है। छत्री का निर्माण ग्वालियर नरेश श्री माधौ महाराज ने अपनी माता की स्मृति में कराया था। बाद में माधौ महाराज की स्मृति में एक और छत्री का निर्माण हुआ। इस तरह माता और पुत्र की छत्रियां आमने सामने हैं। यह स्थल एक पुत्र का अपनी माता के प्रति अटूट प्रेम का प्रतीक है।
धार्मिक स्थल
बाण गंगा धाम
मोहिनेश्वर धाम
चिन्ताहरण मंदिर
शिव मंदिर (छतरी रोड)
बांकडे हनुमान मंदिर- झाँसी रोड शिवपुरी
श्री राज राजेश्वरी मंदिर
श्री सिद्धेश्वर शिव मंदिर
श्री मंशापूर्ण हनुमान मंदिर
श्री धाय महादेव मंदिर खोड़
श्री बिलैयाजी निर्मित जगदीश्वर महादेव मन्दिर सिरसौद करैरा
जमा मस्जिद
बलारी माता मंदिर झांसी रोड
पवा पोहरी रोड
भूरा को
भदैया कुंड शिवपुरी
टपकेश्वर (शिवपुरी-मड़ीखेड़ा डेम रोड़)
कुंडलपुर (बूढीवरौद)
पर्यटक गांव
शिवपुरी पर्यटन केंद्र है। यहाँ पर दूर-दूर से पर्यटक सदैव आते रहते है। शिवपुरी पूरे वर्ष सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है लेकिन वर्षा ऋतु में पहली फुहारों के बाद यहां की प्रकृति में चार चाँद लग जाते हैं। सैलानियों के ठहरने के लिए मप्र पर्यटन विभाग की ओर से 'टूरिस्ट विलेज' की स्थापना की गई है। यह प्राकतिक कुण्ड " भदैया कुण्ड " के निकट स्थित है।
मोरई सरकार ग्राम मोहनगढ़
कंडऊ सरकार ग्राम बूढीवरौद
माधव नेशनल पार्क
शिवपुरी में आगरा -बम्बई और झाँसी -शिवपुरी के मध्य माधव नेशनल पार्क स्थित है। इसका क्षेत्रफल 157.58 वर्ग किलोमीटर है। पार्क पूरे वर्ष सैलानियों के लिए खुला रहता है। चिंकारा, भारतीय चिकारे और चीतल की बड़ी संख्या में हैं। नीलगाय, सांभर, चौसिंगा, कृष्णमृग, स्लोथ रीछ, तेंदुए और साधारण लंगूर इस विशाल पार्क के अन्य निवासी हैं।
चित्रदीर्घा
आवागमन
ग्वालियर से बैतूल तक जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 46 और गुजरात से असम जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 27 यहाँ से गुज़रते हैं और इसे कई अन्य स्थानों से सड़क द्वारा जोड़ते हैं।
NH 3 आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग भी यहीं गुजरता है
जनसांख्यिकी
भारत की 2011 जनगणना के अनुसार बदरवास की जनसंख्या 1,79,977 थी, जिसमें से 95,132 पुरुष और 84,845 स्त्रियाँ थीं। बदरवास की औसत साक्षरता दर 77.84% है, जो राज्य औसत 69.32% से अधिक है; पुरुषों में 84.62% और महिलाओं में 70.23% साक्षर हैं। जनसंख्या में से 23,373 बच्चे 6 वर्ष से कम आयु की है।
इन्हें भी देखें
माधव राष्ट्रीय उद्यान
शिवपुरी ज़िला
सन्दर्भ
शिवपुरी जिला सामान्य जानकारी
मध्य प्रदेश के शहर
शिवपुरी ज़िला
शिवपुरी ज़िले के नगर | 692 |
511175 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%20%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE | एग्नेस मोनिका | एग्नेस मोनिका (जन्म: 1 जुलाई 1986) इंडोनेशियाई रिकॉर्डिंग कलाकार और अभिनेत्री हैं। जकार्ता में जन्मी मोनिका ने मनोरंजन उद्योग में एक बाल गायिका के रूप में छह वर्ष की उम्र में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। यह बच्चो की तीन एल्बमो का निर्माण कर चुकि हैं। यह बच्चो के कई टेलिविज़न कार्यक्रमो में प्रस्तोता की भूमिका निभा चुकि हैं। एक किशोरी के रूप में एग्नेस ने अपने कैरियर का विस्तार करते हुए अभिनय क्षेत्र में कदम रखा। सोप ओपेरा परनिकाहन दिनी (हिन्दी: जल्दी शादी) में उनकी भूमिका ने उन्हें अभिनय उद्योग में जगह दिलवाई। बाद में यह सर्वाधिक पारिश्रमिक पाने वाली इन्डोनेशियाई किशोर कलाकार बन गईं।
जीवित लोग
इन्डोनेशियाई टेलिविज़न अभिनेता
इन्डोनेशियाई गायक
इंडोनेशिया ईसाई
1986 में जन्मे लोग | 120 |
1145709 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B7%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF | मेष संक्रांति | मेष संक्रांति (जिसे मेष संक्रमण भी कहा जाता है) सौर चक्र वर्ष के पहले दिन को संदर्भित करता है, जो कि हिंदू लूणी-सौर कैलेंडर में सौर नव वर्ष होता है। हिंदू कैलेंडर में एक चंद्र नव वर्ष भी होता है, जो धार्मिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण है, और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित अमंत और पुरिनामंत प्रणालियों में विभिन्न तिथियों पर पड़ता है। सौर चक्र वर्ष का ओडिया, पंजाबी, मलयालम, तमिल और बंगाली कैलेंडर में महत्वपूर्ण स्थान है।
प्राचीन संस्कृत ग्रंथों के अनुसार इस दिन सूर्य के एक विशिष्ट तरह का संक्रमण करता है। मेष संक्रांति भारतीय कैलेंडर की बारह संक्रांतियों में से एक है। यह अवधारणा भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में भी पाई जाती है, जिसमें यह मेष राशि में सूर्य के संक्रमण के दिन को संदर्भित करती है।
उपमहाद्वीप के सौर और चंद्र कैलेंडरों में यह दिन महत्वपूर्ण है। मेष संक्रांति आमतौर पर 13 अप्रैल और कभी-कभी 14 अप्रैल को पड़ती है। यह दिन प्रमुख हिंदू, सिख और बौद्ध त्योहारों का आधार है, जिनमें से वैशाखी और वेसक सबसे प्रसिद्ध हैं।
यह थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, म्यांमार, श्रीलंका, पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों, और वियतनाम और चीन के कुछ भागों में बौद्ध कैलेंडर पर आधारित नए साल के त्योहारों से संबंधित है। इन्हें सामूहिक रूप से सोंगक्रान के रूप में जाना जाता है।
यह सभी देखें
सोंगक्रान, यह शब्द अप्रैल के बौद्ध कैलेंडर-आधारित नए साल के त्योहारों को संदर्भित करता है
दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई नव वर्ष, मेष संक्रांति पर आधारित पर्व
राशिचक्र
संदर्भ
हिन्दू पर्व
भारतीय खगोलिकी
भारतीय ज्योतिष | 250 |
247447 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0 | सागरिका प्रक्षेपास्त्र | सागारिका भारतीय सेना में शामिल एक परमाणु हथियारों का वहन करने में सक्षम प्रक्षेपास्त्र है जिसे पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसकी सीमा ७०० किमी (४३५ मील) है।
सिंहावलोकन
सागारिका डीआरडीओ के हैदराबाद में मिसाइल परिसर में विकसित की गई थी।
यह प्रक्षेपास्त्र भारत के परमाणु शक्ति संतुलन त्रय का एक हिस्सा होगा और प्रतिकार परमाणु हमले की क्षमता प्रदान करेगा।
विकास
इस प्रक्षेपास्त्र का विकास १९९१ में के-१५ के गुप्तनाम से शुरु हुआ था।
भारत सरकार ने सबसे पहले इसकी पुष्टि सागरिका विकास के शुरु होने के सात साल बाद (1998) में किया, जब तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इसकी घोषणा की।
.
पानी के भीतर मिसाइल लांचर, परियोजना 420 (P420) का विकास, 2001 में पूरा किया गया और भारतीय नौसेना को परीक्षण के लिए सौंप दिया गया। इसका विकास हजीरा (गुजरात) में हुआ था।
जिन वैज्ञानिकों ने मिसाइल विकसित करने में मदद की उन्हे भारत के प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह द्वारा सम्मानित किया गया।
परीक्षण
प्रक्षेपास्त्र को सफलतापूर्वक छह बार परीक्षित किया गया और पूर्ण सीमा तक तीन बार परीक्षण किया गया। 26 फ़रवरी 2008 का परीक्षण विशाखापट्टनम के तट पर एक जलमग्न पोंटून से आयोजित किया गया।
सागारिका के भूमि आधारित संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण 12 नवम्बर 2008 को किया गया था।
अधिष्ठापन
भारतीय नौसेना का 2010 के अंत तक मिसाइल का सेवा में प्रयोग करने की योजना है। सागरिका मिसाइल भारत की अरिहंत वर्ग परमाणु संचालित पनडुब्बी के साथ एकीकृत है जिसका २६ जुलाई 2009 से समुद्री परीक्षण शुरू किया जा रहा है।
.
भारत ने सफलतापूर्वक सागरिका का भूमि आधारित संस्करण तैयार किया है - जिसे शौर्य रूप में जाना जाता है जो लंबे समय के लिए भूमिगत भंडारो में संग्रहित किया जा सकता है और बूस्टर से गैस कनस्तरों से प्रक्षेपित की जा सकती है।
इन्हें भी देखें
शौर्य प्रक्षेपास्त्र
बाहरी कड़ियाँ
क्रूज मिसाइल का परीक्षण अगले साल
क्रूज मिसाइल को सफलतापूर्वक शामिल किया गया
सन्दर्भ
रॉकेट विज्ञान | 322 |
213548 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE%20%E0%A4%B9%E0%A4%9F | पिज़्ज़ा हट | पिज़्ज़ा हट (कॉर्पोरेट शब्दावली में जिसे पिज़्ज़ा हट, इंक. कहा जाता है) एक अमेरिकन रेस्तरां चेन और अंतर्राष्ट्रीय फ्रेंचाइज़ है जो पिज़्ज़ा के विभिन्न स्टाइल उपलब्ध कराता है। साथ ही, इसमें पिज़्ज़ा के अलावा कुछ अन्य उप-व्यंजन जैसे पास्ता, बफलो विंग, ब्रेडस्टिक और गार्लिक ब्रेड की भी व्यवस्था होती है।
पिज़्ज़ा हट यम!ब्रांड्स, इंक (दुनिया की सबसे बड़ी रेस्तरां कम्पनी) के अंतर्गत 100 देशों में लगभग 34,000 रेस्तरां, डेलिवरी/कैरी-आउट लोकेशन और कियोस्क हैं।
इस समय टेक्सास के एडिशन (डलास का एक उत्तरी उपनगरीय क्षेत्र) में स्थित पिज़्ज़ा हट अपना मुख्यालय प्लैनों के निकट लेगसि ऑफिस पार्क में पुनर्स्थापित कर रहा है, जबकि 1995 में अधिकृत इसके वर्तमान भवन की लीज़ 2010 के अंत में समाप्त हो रही है।
अवधारणा और रूप-रेखा
पिज़्ज़ा हट कई विभिन्न रेस्तरां प्रारूपों में विभाजित है; मूल फैमिली स्टाइल का डाइनिंग लोकेशन; स्टोर फ्रंट डेलिवरी तथा कैरी-आउट लोकेशन और हाइब्रिड लोकेशन जो कैरी-आउट, डेलिवरी और डाइन-इन विकल्प प्रदान करते हैं। बहुत से फुल साइज़ पिज़्ज़ा हट लोकेशन ऐसे हैं जो “ऑल यू कैन ईट” पिज़्ज़ा, सलाद, ब्रेडस्टिक और स्पेशल पास्ता सहित लंच बफिट उपलब्ध कराते हैं। इसके अतिरिक्त पिज़्ज़ा हट में कुछ ऐसी भी व्यवसाय अवधारणाएं होती हैं जो स्टोर प्रकार से अलग हट कर होती हैं; पिज़्ज़ा हट “बिस्त्रो” लोकेशन “रेड रूफ” (लाल छत) के होते हैं जो विस्तृत मेन्यू और कुछ अधिक उच्च स्तरीय विकल्प उपलब्ध कराते हैं।
पारंपरिक रूप से पिज़्ज़ा हट अपने परिवेश और वहां मिलने वाले व्यंजनों के लिए जाने जाते हैं। लाल छ्त वाले क्लासिक लोकेशन संपूर्ण युनाइटेड स्टेट्स और यूके तथा ऑस्ट्रेलिया के कुछ स्थानों में पाए जाते हैं। ऐसे अनेक लोकेशन डेलिवरी/कैरीआउट सेवा उपलब्ध कराते हैं। इस इमारत शैली 1960 और 1970 में आम था। “रेड रूफ” नाम अब वक्त के साथ उपयुक्त नहीं है क्योंकि बहुत से लोकेशन भूरी छतों वाले हैं और दर्जनों लोकेशन अब या तो बंद हो गए हैं या फिर पुनर्स्थापित/पुनर्निर्मित किए गए हैं। 1980 के दशक में कंपनी ने डेलिवरी/कैरीआउट तथा फास्टफूड एक्स्प्रेस मॉडल सहित अन्य सफल प्रारूपों की ओर कदम बढ़ाया.
कुल मिलाकर, “पिज़्ज़ा हट एक्स्प्रेस” तथा “द हट” फास्ट फूड रेस्तरां के लोकेशन हैं। वे पारंपरिक पिज़्ज़ा हट में नहीं पाए जाने वाले अनेक प्रॉडक्टों वाले एक सीमित मेन्यू उपलब्ध कराते हैं। इस प्रकार के स्टोर प्रायः अपनी सहायक शाखा जैसे विंग स्ट्रीट, केएफसी या टैको बिल के साथ जोड़े में स्थित होते हैं और कॉलेज कैम्पस, फूड कोर्ट, थीम पार्क तथा टार्गेट जैसे स्टोरों में भी पाए जाते हैं।
इतिहास
1958 में डैन और फ्रैंक कार्नी नाम के दो भाइयों द्वारा उनके अपने गृहनगर विशिटा, कंसास में पिज़्ज़ा हट की स्थापना की गई थी। एक दोस्त द्वारा पिज़्ज़ा पार्लर खोलने की सलाह पर उन्हें लगा कि यह विचार सफल रहेगा और उन्होंने पार्टनर जॉन बेंडर के साथ व्यवसाय शुरू करने के लिए अपनी मां से $600 का कर्ज लिया। कार्नी भाइयों तथा बेंडर ने मिलकर विशिटा के 503 साउथ ब्लफ में एक छोटा घर किराए पर लिया और पिज़्ज़ा बनाने के लिए सेकेंड हैंड उपकरण खरीदकर पहला “पिज़्ज़ा हट” रेस्तरां खोला. जिस रात रेस्तरां खुला उन्होंने सामुदायिक हित में लोगों में पिज़्ज़ा बांटा. उन्होंने “पिज़्ज़ा हट” नाम इसलिए चुना क्योंकि जो साइन उन्होंने खरीदा था, उसमें केवल नौ अक्षरों तथा स्पेस के लिए जगह थी। 1959 में टोपेका, कंसास में पहले फ्रेंचाइज यूनिट खुलने के साथ कई अन्य रेस्तरां खोले गए। पिज़्ज़ा हट का मूल भवन बाद में विशिटा स्टेट युनिवर्सिटी कैम्पस में पुनर्स्थापित किया गया।
जल्द ही डैन और फ्रैंक कार्नी ने फैसला किया कि उन्हें ऊंचे स्तर की छवि बनानी चाहिए। कार्नी भाइयों ने विशिटा के एक आर्किटेक्ट रिचर्ड डी बर्क से संपर्क किया जिन्होंने दो तरफ से ढ़ाल वाली खास प्रकार की छत का आकार तैयार किया और ले आउट में सुधार किया। उन्हें उम्मीद थी कि इससे पश्चिमी किनारे पर फैल रहे शेकीज पिज़्ज़ा के चेन का प्रतियोगिता में मुकाबला किया जा सकता है। दोस्तों और व्यवसाय सहयोगियों के जरिए फ्रेंचाइज नेटवर्क का प्रसार जारी रहा और 1964 तक फ्रेंचाइज़ के तहत तथा कम्पनी के स्वामित्व वाले स्टोरों के लिए एक खास प्रकार के मानक भवन की संरचना और ले आउट स्थापित हो चुके थे इससे इसे एक वैश्विक रूप प्राप्त हुआ जिसे ग्राहक के लिए पहचानना आसान था।
1972 तक देश भर में फैले अपने 14 स्टोरों के साथ पिज़्ज़ा हट न्यूयॉर्क़ स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक टिकर चिह्न के अंतर्गत सूचीबद्ध हुआ। 1978 में पेप्सिको द्वारा पिज़्ज़ा हट को अधिग्रहीत कर लिया गया। बाद में पेप्सिको ने केएफसी तथा टैको बेल को भी खरीद लिया। 1997 में तीनों रेस्तरां चेन ट्राइकॉन के रूप में आए और 2001 में लॉन्ग जॉन सिल्वर्स तथा A&W रेस्तरांओं के साथ संयुक्त होकर यम! ब्रांड्स में रूपांतरित हो गए।ब्रांड्स. दुनिया का सबसे पुराना लगातार चलने वाला पिज़्ज़ा हट मैनहट्टन, कंसास के एक शॉपिंग तथा टैबर्न डिस्ट्रिक्ट में है जिसे एजिविले के नाम से जाना जाता है और यह कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी के पास है।
उत्पाद
पिज़्ज़ा हट में बिकने वाले उत्पाद हैं- “स्टफ्ड क्रस्ट” पिज़्ज़ा- जिसका बाहरी किनारा मोज़रेला चीज़ की कुंडलियों में लिपटा रहता है; “हैन्ड-टॉस्ड”- जो पारम्परिक पिज़ेरिया क्रस्ट के जैसा अधिक लगता है; “थिन एन क्रिस्पी”- यह पतली और कुरकुरी लोई होती है, जो पिज़्ज़ा हट का मूल स्टाइल था; “डिपिन स्ट्राइप्स पिज़्ज़ा”- यह छोटे-छोटे टुकड़ों में कटा हुआ पिज़्ज़ा है जिसे कई प्रकार के सॉसों में डुबोया जा सकता है; और “द एज़ पिज़्ज़ा”- इसमें पिज़्ज़ा के किनारे तक टॉपिंग की पहुंच होती है। पहले एक प्रकार का क्रस्ट भी हुआ करता था जो पिज़्ज़ा हट के पैन पिज़्ज़ा जितना मोटा नहीं होता था और न ही इसके क्रस्ट जितना पतला होता था। इस क्रस्ट का प्रयोग फुल हाउस XL पिज़्ज़ा पर किया जाता था जिसे 2007 में बन्द कर दिया गया।
पिज़्ज़ा हट अनवरत रूप से नए उत्पादों के साथ प्रयोग करते हैं जिसमें जो उत्पाद कम सफल रहते हैं उन्हें बन्द कर दिया जाता है। इनमें शामिल थे शुरुआती दौर के लोकप्रिय दो फुट बाई एक फुट का वर्गाकार कटा हुआ बिग फुट पिज़्ज़ा, मीठे सॉस से बना 16" वाला बिग न्यूयॉर्कर, शिकागो डिश पिज़्ज़ा तथा सिसिलियन पिज़्ज़ा जिसे 2006 में लैसेग्ना पिज़्ज़ा के रूप में प्रस्तुत किया गया। पिज़्ज़ा हट द्वारा उपलब्ध किए जाने वाले अन्य उत्पाद हैं कैल्जोन का पिज़्ज़ा हट रूपांतरण “पी जोन”; स्टफ्ड क्रस्ट पिज़्ज़ा के जैसा चीज़ी बाइट्स पिज़्ज़ा लेकिन इसमें क्रस्ट 28 बाइट-साइज़ के टुकड़ों में बंटा होता है जिसे अलग-अलग किया जा सकता है; और इनसाइडर पिज़्ज़ा जिसमें लोई के दो परतों के बीच चीज़ की एक परत रहती है। कुछ दिनों तक चला एक अन्य पिज़्ज़ा था डबल डीप पिज़्ज़ा जिसमें डबल टॉपिंग और 50% अधिक चीज़ हुआ करता था, साथ ही इसका क्रस्ट ऊपर तक पहुंचकर संपूर्ण टॉपिंग को ढ़क लेता था। 1985 में पिज़्ज़ा हट ने प्रिआज़ो प्रस्तुत किया। यह दो क्रस्ट वाला एक इटैलियन पाइ था जो डीप डिश पिज़्ज़ा जैसा लगता था। विभिन्न उत्पादों में से एक था प्रिआज़ो मिलानो. यह इटैलियन सॉसेज, पेपेरोनी, बीफ, पोर्क की भराई, बैकन के स्वाद, मोज़रेला और शेडर चीज़ का मिश्रण होता है। इसी तरह प्रिआज़ो फ्लोरेंटाइन, जो हैम के साथ पांच चीज़ों का एक हल्के मिश्रण से बना था जिसमें हल्का स्वाद पालक का भी मिलता था और प्रिआज़ो रोमा में पेपेरोनी, मशरूम, इटैलियन सॉसेज़, पोर्क की भराई, प्याज़, मोज़रेला और शेडर चीज़ भरा हुआ होता था। डबल क्रस्ट वाले पाइ को टमाटर सॉस की परत और पिघले हुए चीज़ के साथ ऊपर टॉप के रूप में रखा जाता था। $15 मिलियन के एक प्रचार अभियान के साथ प्रिआज़ो को बाज़ार में उतारा गया था लेकिन इसे अत्यंत श्रमसाध्य पाया गया और कई सालों बाद इसे मेन्यू से निकाल दिया गया।
अलग-अलग रेस्तराओं के आकार के अनुसार पिज़्ज़ा हटों में स्पैगेटी और कैवातिनी - कैवातेली (शेल), रोटिनी (स्पाइरल्स) और रोटेल (व्हील्स) के मिश्रण जैसे पास्ता डिनरों की भी व्यवस्था होती है।
2004 में एक नई उन्नत अवधारणा की शुरुआत की गई जिसे “पिज़्ज़ा हट इटैलियन बिस्त्रो” का नाम दिया गया। देश भर के 50 लोकेशनों पर शुरू किया गया बिस्त्रो किसी पारम्परिक पिज़्ज़ा हट जैसा ही होता है सिवाय उन नए इटैलियन थीम वाले व्यंजनों के जिनमें शामिल हैं पेनी पास्ता, चिकेन पोमोडोरो, टोस्टेड किए हुए सैंडविच और अन्य खाद्य पदार्थ. काले, सफेद और लाल के बदले बिस्त्रो लोकेशन बर्गन्डी और टैन रंग के मोटिफों से सज्जित होते हैं। पिज़्ज़ा हट बिस्त्रो आज भी अपने ग्राहकों को चेन के पारम्परिक पिज़्ज़ा और साइड परोसते हैं। कुछ स्थितियों में पिज़्ज़ा हट ने नई अवधारणा वाले लोकेशन पर “रेड रूफ” को प्रति-स्थापित किया है।
पिज़्ज़ा हट के पिज़्ज़ा का एक नया अवतरण जिसे ‘पिज़्ज़ा मिया’ नाम दिया गया है और जिसपर हल्की टॉपिंग होती है, 2007 में शुरू किया गया। यह उत्पाद कीमत-संवेदी ग्राहक वर्ग को ध्यान में रखकर उतारा गया और इसकी कीमत डोमिनोज़ 555 डील के बराबर ही रखा गया जहां प्रत्येक पिज़्ज़ा की कीमत, तीन अथवा अधिक की संख्या में लेने पर 5 डॉलर पड़ती है। तुलनात्मक रूप से पिज़्ज़ा हट के एक मीडियम साइज़ वाले हेंडटॉस्ड पेपेरोनी पिज़्ज़ा की कीमत अंतर्राष्ट्रीय रूप से $10.24 पड़ती है (डलास, टेक्सास 1/1/2009). पिज़्ज़ा मिया केवल एक साइज़ (मीडियम) में आता है और अतिरिक्त टॉपिंग की कीमत $1.25 से लेकर $1.49 तक होती है। पिज़्ज़ा हट के पेपेरोनी ‘पिज़्ज़ा मिया’ के एक टुकड़े का भार 83 ग्राम होता है जबकि पिज़्ज़ा हट के पेपेरोनी हेंडटॉस्ड पिज़्ज़ा के एक टुकड़े का भार 96 ग्राम होता है।
9 मई 2008 को सिएटल, डेनवर तथा डलास पिज़्ज़ा हट ने “द नेचुरल” नाम के एक नए बिल्कुल प्राकृतिक अनेक अनाजों से निर्मित क्रस्ट वाला और शहद से मीठा किया हुआ एक पिज़्ज़े का निर्माण कर उसकी बिक्री शुरू की, जिसके साथ ऑर्गेनिक टमाटर से हैं निर्मित लाल सॉस और पूर्णत: प्राकृतिक चीज़(अथवा ये पूर्ण प्राकृतिक चिकेन सॉसेज़ और रोस्ट किए हुए लाल मिर्च से युक्त होते हैं) की टॉपिंग होती है एक मीडियम नेचुरल पिज़्ज़ा जिसपर एक टॉपिंग होता है $9.99 में बिका. 27 अक्टूबर 2009 को डलास मार्केट में इस पर छूट दी गई। तब से एक देशव्यापी प्रचार अभियान चलाया गया है। 2008 में भी पिज़्ज़ा हट ने अपना अब तक का सबसे बड़ा पिज़्ज़ा पैनॉर्मस पिज़्ज़ा का निर्माण किया। 21 जून 2009 को पिज़्ज़ा हट ने बिग़ ईट टाइनी प्राइस मेन्यू की शुरुआत की। इसमें नए पिज़्ज़ा रॉल्स, पी-जोन पिज़्ज़ा, नया पर्सनल पैनॉर्मस पिज़्ज़ा और पिज़्ज़ा मिया पिज़्ज़ा थे और इनमें से प्रत्येक की कीमत $5.00 या $5.99 पर शुरू होती थी।
पिज़्ज़ा हट ने स्टफ्ड पैन पिज़्ज़ा की शुरुआत 23 अगस्त 2009 को की जिसके एक टॉपिंग वाले पिज्जा की कीमत $10.99 और स्पेशियलिटी की कीमत $13.99 रखी गई। सामान्य स्टफ्ड क्रस्ड के विपरीत इसमें चीज़ क्रस्ड के अन्दर नहीं होता बल्कि बस पैन क्रस्ड के साथ दबा कर चिपकाया होता है।
विज्ञापन
पिज़्ज़ा हट का सबसे पहला विज्ञापन "Putt Putt to Pizza Hut" (“पुट पुट टू पिज़्ज़ा हट”) था। इसकी शुरुआत एक आदमी से होती थी जो पिज़्ज़ा के लिए ऑर्डर देने अपनी 1965 मुस्तांग जूनियर (Mustang JR) को ड्राइव करता हुआ पिज़्ज़ा हट जाता है। शहर के कुछ लोग उसके पीछे पड़ जाते है। वह आदमी अपना पिज़्ज़ा लेकर अपने घर जाता है। अंतत: पिज़्ज़ा ऑर्डर करने वाले उस आदमी को छोड़कर उसे पीछा करने वाले सारे लोग पिज़्ज़ा खाते हैं। परेशान होकर वह फिर से पिज़्ज़ा हट को फोन करता है।
शुरुआती 2007 तक, पिज़्ज़ा हट का मुख्य विज्ञापन स्लोगन था “गैदर अराउंड द गुड स्टफ” और वर्तमान स्लोगन है “नाउ यू आर ईटिंग!” पिज़्ज़ा हट का कोई आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय शुभंकर (मस्कट) नहीं है लेकिन किसी समय युनाइटेड स्टेट्स में ‘द पिज़्ज़ा हेड शो’ कहे जाने वाले व्यावसायिक विज्ञापन थे। ये विज्ञापन 1993 से लेकर 1997 तक चले और मोटे तौर पर 1970 के दशक के सैटरडे नाइट लाइव के मि. बिल शॉट्स पर आधारित थे। इस विज्ञापन में पिज़्ज़े का एक टुकड़ा होता था, जिसपर ‘पिज़्ज़ा हेड’ कहे जाने वाला टाँपिंग से बना हुआ एक चेहरा दिखाया गया था। 1970 के दशक में पिज़्ज़ा हट ने “पिज़्ज़ा हट पेटे” ("Pizza Hut Pete") नाम वाले एक खुशनुमा व्यक्ति के साथ सिग्नेचर रेड रूफ का प्रयोग किया। पेटे की तस्वीर बैग, कप, बलून और बच्चों के लिए हाथ कठपुतलियों पर छपी होती थी। अस्ट्रेलिया में 1990 के दशक के मध्य काल से लेकर आखिरी तक विज्ञापन मस्कट एक डेलिवरी ब्वॉय था, जिसका नाम डोगी (Dougie) था। लड़कपन युक्त अपने बेहतरीन चेहरे-मोहरे वाला वह लड़का जब अपने पिता को पिज़्ज़ा की डेलिवरी देता था तो उसे एक उक्ति सुनना पड़ता था “हियर इज़ अ टिप: बी गुड टु योर मदर”.
पिज़्ज़ा हट ने 1989 में एक फिल्म बैक टु द फ्यूचर पार्ट-2 का प्रायोजन किया और पिज़्ज़ा हट से पिज़्ज़ा खरीदने पर “सोलर शेड” कहे जाने वाले धूप चश्मे लोगों को मुफ्त में दिए। पिज़्ज़ा हट ने फिल्म के अन्दर भी प्रॉडक्ट प्लेसमेंट किया जहां भविष्य में आने वाले उनके लोगों का प्रतिरूप मैकफ्लाई फैमिली डिनर दृश्य में माइलर डिहाड्रेटेड पिज़्ज़ा रैपर के किनारे पर छपे उनके ट्रेड मार्क रेड हट के साथ दिखाया गया था और 2015 के हिल वैली में स्टोर के सामने दर्शाया गया।
1990 के NES गेम Teenage Mutant Ninja Turtles II: The Arcade Game (टीनेज म्यूटेंट निंजा टर्टल्स II: द आर्केड गेम) में मुफ्त पिज़्ज़ा के कूपन दिए गए। खेल पर पिज़्ज़ा हट का विज्ञापन और पिज़्ज़ा छाया हुआ था, जिसकी छाप पात्र के जीवन पर भरपूर दिखती थी।
1994 में डोनाल्ड ट्रम्प और उनकी पूर्व पत्नी इवाना ट्रम्प ने एक व्यावसायिक विज्ञापन में काम किया। विज्ञापन के अंत में इवाना ट्रम्प को पिज़्ज़ा का अंतिम टुकड़ा मांगते हुए दिखाया गया जिसपर डोनाल्ड का जवाब था “दरअसल डियर, तुम्हारे हिस्से में केवल आधा था”. यह हाल में हुए उनके तलाक पर एक नाटक था।
1995 में, रिंगो स्टार ने पिज़्ज़ा हट के विज्ञापन में काम किया जिसमें ‘द मंकीज़’ भी दिखाया गया। रश लिम्बॉग ने भी उसी साल पिज़्ज़ा हट के विज्ञापन के लिए काम किया जहां उसका दावा था कि “कोई दूसरा मेरे जितना सही नहीं है”, हालांकि वह कहता है कि वह पहली बार कुछ गलत करने जा रहा है जो कि पिज़्ज़ा हट में भाग लेना है और फिर पिज़्ज़ा क्रस्ट को पहले खाना है। यह संदर्भ स्टफ्ड क्रस्ड पिज़्ज़ा के विज्ञापन का है।
टॉक शो के होस्ट जोनैथन रॉस ने अमेरिकन मॉडल कैप्रिस बरेट (Caprice Bourret) के साथ एक विज्ञापन किया। इसमें उन्होंने स्टफ्ड क्रस्ट पिज़्ज़ा का प्रचार किया था जहां जोनैथन रॉस ने "Stuffed Cwust" कहा जिसपर जोनैथन रॉस के 'R' के उच्चारण को लेकर एक नाटक भी है।
एक अन्य यूके एड शो में ब्रिटिश फॉर्मुला वन ड्राइवर डैमन हिल एक पिज़्ज़ा हट रेस्तरां में जाते हैं और एक पिज़्ज़ा ऑर्डर करते हैं। उनके साथ F1 उद्घोषक मुर्रे वाकर हैं जो इस वाकए का इस तरह वर्णन करते हैं जैसे यह कोई फार्मुला वन रेस हो। जब हिल अपना खाना खत्म करने को होते हैं, तो वाकर, हिल के 1994 तथा 1995 सीजंस के एक प्ले में जहां हिल फॉर्मुला वन विश्व चैम्पियनशिप में माइकल शूमाकर के हाथों हार जाते हैं, चिल्लाकर कहते हैं, “और यह लीजिए हिल ने फिर दूसरा खत्म किया!” इसपर हिल वाकर को उनकी कमीज पकड़ कर गुस्से से झकझोरते हैं और वाकर अपनी अंदाज में घोषणा करते हैं, “उसकी हार हो गई है! वह बेकाबू हो रहा है!”
यूरो 96 के सेमी-फाइनल में पेनाल्टी पर जर्मनी के हाथों इंग्लैंड की हार के बाद, गैरेथ साउथगेट, स्टुअर्ट पिअर्स तथा क्रिस वैडेल ने एक विज्ञापन में काम किया। विज्ञापन में साउथगेट को सिर पर शर्म के मारे एक कागज की थैली पहने दिखाया गया था, क्योंकि उनसे ही जर्मनी के खिलाफ उस महत्वपूर्ण पेनाल्टी में चूक हुई थी। वैडल और पिअर्स, जिनसे इटैलिया 90 के पेनाल्टी किक छूटे थे, हर मौके पर ‘मिस’ (चूक) शब्द बोलकर साउथगेट की हंसी उड़ाते हैं। जब साउथगेट अपना पिज़्ज़ा खत्म कर लेते हैं, अपने सिर से कागज की थैली उतारकर दरवाजे की ओर बढ़ते हैं और उनका सिर दीवार से टकरा जाता है। इस पर पिअर्स टिप्पणी करते हैं, “इस बार उसने पोस्ट को ठोंका है”.
1997 में, पूर्व सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाचेव ने पेरेस्त्रोइका आर्काइव्स के लिए धन जुटाने हेतु पिज़्ज़ा हट के एक विज्ञापन में काम किया। हाल के वर्षों में, पिज़्ज़ा हट के लिए जेसिका सिम्पसन, द मपेट्स (the Muppets), तथा डेमन हिल और मुर्रे वाकर जैसी कई नामचीन हस्तियों ने काम किया है। हाल के विज्ञापनों में क्वीन लतीफा ने वॉइसओवर प्रदान किया है। इसके अलावा 1997 में, पिज़्ज़ा हट ने महानतम सदाबहार मुक्केबाज मुहम्मद अली और प्रशिक्षक एंजेलो डुंडी को सुपर बॉल कॉमर्शियल के लिए बने एक भावपूर्ण दृश्य में एक साथ प्रस्तुत किया।
पिज़्ज़ा हट ने वर्ष 2001 में अंतरिक्ष पिज़्ज़ा आपूर्ति का आयोजन किया और वर्ष 2000 में रूसी प्रोटोन रोकेट पर अपने लोगो प्रदर्शित करने के लिए पैसे खर्च किए।
ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 2006 में पिज़्ज़ा हट के विज्ञापन में एक शुभंकर (मस्कट)- “पिज़्ज़ा मट” दिखाई पड़ा, जिसमें एक कुत्ते को पिज़्ज़ा की आपूर्ति करते दिखाया गया। केवल दो विज्ञापन के बाद वह शुभंकर खत्म कर दिया गया।
2007 के आरंभ में उपभोक्ताओं के लिए पिज़्ज़ा हट की मार्केटिंक अधिक आकर्षक तरीके से की गई। मोबाइल फोन द्वारा एसएमएस कर तथा अपने माय हट ऑर्डरिंग साइट के जरिए उन्होंने कई टेलीविजन विज्ञापनों (‘सुपर बॉल’ के ठीक पहले आरंभ हुआ) का प्रसारण किया, जिनमें ऐसे छिपे हुए शब्द थे जिन्हें दर्शक कूपन प्राप्त करने के लिए अपने फोन में टाइप कर सकते थे। अन्य नए प्रयासों के अंतर्गत शामिल था उनका “माय स्पेस टेड” अभियान जिसने सोशल नेटवर्किंग तथा अपने ‘वाइस-प्रेसिडेंट ऑफ पिज़्ज़ा कंटेस्ट’ के जरिए बुर्ज़ुआ प्रयोक्ता-जमा मार्केटिंग आंदोलन की लोकप्रियता का लाभ उठाया.
पिज़्ज़ा हट का विज्ञापन कोड गीज़ (Code Geass), मारिया-सामा गा मितेरू (Maria-sama ga Miteru), डार्कर दैन ब्लैक तथा तोरू कगाकू नो रेलगन (Toaru Kagaku no Railgun) जैसे एनिमे में भी हुआ है, हालांकि कोड गीज़ के अनूदित रूपांतरण में लोगों को हटा दिया गया और केवल रेड रूफ लोगों को रहने दिया गया।
अक्टूबर 2009 से पिज़्ज़ा हट अपनी आंतरिक जरूरतों की पूर्ति करते हुए 80% स्टोरों में उत्पाद उपलब्ध कर विंग स्ट्रीट ब्रांड का देशव्यापी विज्ञापन कर रहा है।
पास्ता हट
1 अप्रैल 2008 को अमेरिका के पिज़्ज़ा हट ने ग्राहकों को ई-मेल भेजकर विज्ञापन किया कि अब वे अपने मेन्यू में पास्ता व्यंजन शामिल कर रहे हैं। ई-मेल (तथा कम्पनी के वेबसाइट पर ऐसे ही विज्ञापन) में कहा गया “पास्ता इतना बेहतरीन है कि हमने अपना नाम बदलकर पास्ता हट रख लिया है!” नाम में परिवर्तन एक पब्लिसिटी स्टंट था जिसे अप्रैल फूल डे के अवसर पर किया गया था और अप्रैल भर कम्पनी के डलास हेडक्वार्टर ने अपने बाह्य लोगो (logo) को पास्ता हट के रूप में बदल कर रखा।
नाम में इस परिवर्तन का इस्तेमाल नए टस्कनी पास्ता लाइन तथा नए पिज़्ज़ा हट डाइन-इन मेन्यू को बढ़ावा देने के लिए किया गया। पहले पास्ता हट विज्ञापन में मूल पास्ता हट रेस्तरां को गिराकर भवन पर “पास्ता हट” के चिह्न के साथ फिर से बना रेस्तरां दिखाया गया।
युनाइटेड किंगडम
यूएस के अप्रैल फूल वाले प्रयोग के 6 महीने बाद अक्टूबर 2008 में युनाइटेड किंगडम में पिज़्ज़ा हट ने घोषणा की कि यह अपना नाम बदलकर पास्ता हट रख रहा है। इसे स्वास्थकर खाद्य पर बल देने की चेन की नई नीति को दर्शाने के लिए नाम में अस्थाई परिवर्तन के रूप में घोषित किया गया था। 19 जनवरी 2009 को पिज़्ज़ा हट द्वारा यह घोषित किया गया कि पास्ता हट वाले प्रयोग को बंद कर दिया गया है और सभी स्टोरों के नाम पास्ता हट से बदलकर पिज़्ज़ा हट कर दिया जाएगा. इसके बाद एक ऑनलाइन मतदान करवाया गया जिसमें 81% मत पिज़्ज़ा हट नाम के पक्ष में पड़े.
कोस्टारिका
कोस्टारिका में पिज़्ज़ा हट रेस्तरां के अलावा “PHD- पिज़्ज़ा डेलिवर्ड हॉट बाई पिज़्ज़ा हट” नाम का एक अन्य ब्रांड है। यह ब्रांड केवल मॉलों के फूड कोर्ट तथा एक्सप्रेस डेलिवरी के लिए होता है। इसकी शुरुआत “फास्ट फूड” बाजार की प्रतियोगिता में मुकाबला करने के लिए किया गया था, जबकि रेस्तरां पारंपरिक खाद्य पर केन्द्रित होता है।
दक्षिण-पूर्व एशिया
दक्षिण-पूर्व एशिया में पिज़्ज़ा हट रेस्तरांओं के अलावा एक अन्य सहायक ब्रांड है जिसका नाम “PHD- पिज़्ज़ा डेलिवर्ड हॉट बाई पिज़्ज़ा हट” है। यह ब्रांड केवल मॉलों के फूड कोर्ट तथा एक्सप्रेस डेलिवरी के लिए होता है। पिज़्ज़ा के प्रकार स्थानीय स्वाद के अनुरूप बदले हुए होते हैं; एशियन स्वाद वाले पास्ता उत्पाद केवल इंडोनेशिया में बेचे जाते हैं।
प्रायोजन
1990 के दशक के शुरुआती दिनों में पेप्सि को। द्वारा द न्यूज़ ऑवर विद जिम लेहरर (और इसके पूर्व मॉनिकर, द मैकनिल/लेहरर न्यूज ऑवर) के प्रायोजन के अंग के रूप में पिज़्ज़ा हट टैको बेल तथा केएफसी के साथ एक्नॉलेज़मेंट में शामिल किया गया जो उन दिनों पेप्सिको के स्वामित्व में थे।
2000 में, पिज़्ज़ा हट वैली डैलेनबैक जूनियर (Wally Dallenbach Jr.) द्वारा प्रायोजित तात्कालीन NASCAR विंसटन कप सिरीज़ में Galaxy Motorsports' #75 Ford का एक अंशकालिक प्रायोजक (स्पॉन्सर) था।
2001–02 सीज़न के लिए पिज़्ज़ा हट इंग्लिश फुटबॉल क्लब फुलहैम एफ. सी. का शर्ट स्पॉन्सर था।
2005 में अपनी #44 कार के प्राइमरी स्पॉन्सर के रूप में पिज़्ज़ा हट के साथ टेरी लैबोंटे ने चुनिंदा इवेन्ट में ड्राइव किया।
पिज़्ज़ा हट ने मेज़र लीग सॉकर क्लब एफ सी डलास के स्टेडियम में, 2005 में इसके उद्घाटन से पहले, पिज़्ज़ा हट पार्क के लिए नामकरण का अधिकार खरीदा.
मार्च 2007 में, चीज़ी बाइट्स पिज़्ज़ा खरीदने पर एक एलजी मोबाइल फोन मुफ्त देने के लिए पिज़्ज़ा हट ने वेरिज़न वायरलेस के साथ भागीदारी की।
यूके में 2007-08 EIHL सीज़न के लिए पिज़्ज़ा हट न्युकैसल वाइपर्स आइस हॉकी टीम का प्रायोजक है।
पिज़्ज़ा हट द फिलिपींस में चिल्ड्रेंस ज्वॉय फाउंडेशन का प्रायोजक है।
पिज़्ज़ा हट जापान ने पूरे सिरीज़ के दौरान कैमियो (लघुदृश्य) बनाते हुए चीज़ी-कन मस्कट के साथ एनिमे (anime) Code Geass: Lelouch of the Rebellion का प्रायोजन किया।
बुक इट! (Book It!)
पिज़्ज़ा हट लम्बे समय तक “बुक इट!” प्रोग्राम (1984 में आरंभ) का स्पॉन्सर रहा जो अमेरिकन स्कूलों में पढ़ाई को बढ़ावा देता है। जो छात्र कक्षा के शिक्षक द्वारा तय किए गए उद्देश्य के अनुसार किताबें पढ़ते हैं, उन्हें मुफ्त पर्सनल पैन पिज़्ज़ा अथवा मेन्यू के अन्य भोजनों पर छूट के लिए पिज़्ज़ा हट द्वारा कूपन दिए जाते हैं। 1980 के दशक के बाद के वर्षों में, पिज़्ज़ा हट द्वारा कक्षाओं के लिए, यदि सभी छात्र पढ़ाई के अपने निर्धारित लक्ष्य पूरे कर लेते थे, तो मुफ्त पिज़्ज़ा पार्टियों की व्यवस्था की जाती थी। कुछ मनोवैज्ञानिकों द्वारा इस कार्यक्रम की इस आधार पर आलोचना की गई कि इस कारण ओवरजस्टिफिकेशन (अतिवैधता) की स्थिति बनेगी और पढ़ने में बच्चों की आंतरिक रुचि घटेगी. हालांकि, पिज़्ज़ा हट के बुक इट! कार्यक्रम द्वारा कराए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि इस कार्यक्रम में भाग लेने से बच्चों में पढ़ने की प्रवृत्ति में कोई परिवर्तन नहीं आया – इसमें न वृद्धि हुई, न कमी आई. कार्यक्रम की 25वीं सालगिरह 2009 में थी।
पोषक तत्व
यूके में, पिज़्ज़ा हट की आलोचना उसके उत्पादों में नमक की अधिक मात्रा होने के कारण की गई। उनमें से कुछ में तो एक वयस्क के लिए प्रस्तावित नमक की दैनिक मात्रा से दुगुनी से भी अधिक मात्रा पाई गई। इसी तरह पिज़्ज़ा के टॉपिंग के लिए ग्राहकों की पसंद (पेपेरॉनी, सॉसेज़, बैकन इत्यादि) नमकीन और वसायुक्त मांस होती हैं। खाद्य उत्पादों के निर्माण विधियों पर भी चिंता जाहिर की गई कि क्योंकि बड़ी मात्रा में प्रशीतित (फ्रोजन) उत्पादों का प्रयोग किया जाता है और तैयार उत्पाद प्राय: ठंडे और निम्न गुणवत्ता वाले होते हैं, साथ ही इनमें पोषक तत्वों की भी कमी होती है।
इसे भी देखें
पिज़्ज़ा हट पार्क
यम! ब्रांड्स
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
पिज़्ज़ा हट फिलीपींस (अंग्रेजी)
पिज़्ज़ा हट
पिज़्ज़ा हट इंटरनेशनल
पिज्ज़ा हट भारत
पिज़्ज़ा हट इंडोनेशिया
संयुक्त राज्य अमेरिका के पिज्जा चेन्स
एडिसन, टेक्सास पर आधारित कंपनियां
पिज्जा फ्रेंचाइजी
1958 में स्थापित रेस्तरां
संयुक्त राज्य अमेरिका में रेस्त्रां श्रृंखलाएं | 3,859 |
547543 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8 | महाविज्ञान | महाविज्ञान (Big Science) से आशय वृहद आकार की वैज्ञानिक परियोजना से है जो राष्ट्रीय सरकारों द्वारा या कई सरकारों द्वारा मिलकर वित्तपोषित होतीं हैं। इसका चलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय औद्योगिक देशों में देखने को मिला। उदाहरण के लिए वृहद् हेड्रॉन कोलाइडर (Large Hadron Collider), जिसका बजट 5 से 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, को महाविज्ञान कह सकते हैं।
महाविज्ञान के मूल तत्त्व
मूलभूत अनुसंधान (Basic research)
विशाल बजट
बड़ी परियोजनाएँ (तथा भारी संख्या में कर्मचारी) - Genome Project, NASA, CERN आदि
बड़ी-बड़ी मशीने - साइक्लोट्रॉन, Space shuttle, ISS, Very Large Array, etc.
बड़ी प्रयोगशालाएँ - बेल प्रयोगशाला, Centre for Artificial Intelligence and Robotics, PARC, SAP Labs, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र आदि
महाविज्ञान के क्षेत्र
सैन्यविज्ञान एवं सैन्यप्रौद्योगिकी - Manhattan Project
भौतिकी : Shiva laser → Nova laser → National Ignition Facility
अन्तरिक्ष अनुसंधान
जीवविज्ञान : Human Genome Project, Human Brain Project
महाविज्ञान का इतिहास
इन्हें भी देखें
महापरियोजना (मेगा प्रोजेक्ट)
विज्ञान
अनुसंधान | 153 |
1120212 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%AE%20%E0%A4%95%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2 | रहकेम कॉर्नवाल | रहकेम राशवेन शेन कॉर्नवाल (जन्म 1 फरवरी, 1993) एक एंटीगुआन क्रिकेटर है। एक दाहिने हाथ के ऑफ-ब्रेक गेंदबाज, कॉर्नवाल ने लेवर्ड आइलैंड्स क्रिकेट टीम के लिए खेला है और कैरेबियन प्रीमियर लीग में एंटीगुआ हॉक्सबिल्स के लिए लाइन-अप में चित्रित किया गया है। वह इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले सबसे भारी क्रिकेटर हैं। अगस्त 2019 में, क्रिकेट वेस्टइंडीज ने उन्हें चैम्पियनशिप प्लेयर ऑफ द ईयर के रूप में नामित किया। उसी महीने के अंत में, उन्होंने वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में खेलने वाले सबसे भारी क्रिकेटर का रिकॉर्ड भी बनाया, जिसका वजन 140 किलोग्राम से अधिक था।
सन्दर्भ | 106 |
1013781 | https://hi.wikipedia.org/wiki/2019%20%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%20%E0%A4%95%E0%A4%AA | 2019 रग्बी विश्व कप | 2019 रग्बी विश्व कप नौवां रग्बी विश्व कप होगा , और 20 सितंबर से 2 नवंबर तक जापान में आयोजित होना है। यह पहली बार होगा जब टूर्नामेंट एशिया में आयोजित किया जाएगा, पहली बार एक ही गोलार्ध में लगातार टूर्नामेंटों का मंचन किया गया है, और यह भी पहली बार है कि यह आयोजन खेल के पारंपरिक मैदान के बाहर होगा।
हांगकांग और सिंगापुर ने कुछ मैचों की मेजबानी में रुचि व्यक्त की थी और जेआरएफयू की सफल मूल होस्टिंग बोली के हिस्से के रूप में विश्व रग्बी (अंतर्राष्ट्रीय रग्बी बोर्ड, या आईआरबी के रूप में बोली के समय ज्ञात) के रूप में शामिल थे, लेकिन चौदह में से नहीं थे 5 नवंबर 2014 को आयोजकों जापान 2019 द्वारा घोषित किए गए स्थानों ने खेलों की मेजबानी के अधिकार के लिए औपचारिक रूप से बोली लगाई थी।
2019 रग्बी विश्व कप का उद्घाटन मैच टोक्यो के चोफू में अजीनोमोटो स्टेडियम में होगा, और अंतिम मैच योकोहामा के निसान स्टेडियम, कनागावा प्रान्त में होगा। ये स्थल असाइनमेंट सितंबर 2015 में घोषित किए गए थे जब टूर्नामेंट की योजना जापान की आयोजन समिति द्वारा संशोधित की गई थी और वर्ल्ड रग्बी द्वारा स्वीकार की गई थी। राष्ट्रीय ओलंपिक स्टेडियम, 2020 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए फिर से बनाया जा रहा है, मूल रूप से जापान की रग्बी विश्व कप बोली का केंद्रबिंदु था, लेकिन ओलंपिक स्टेडियम की योजनाओं के संशोधन ने विश्व कप के स्थान परिवर्तन को अनिवार्य किया।
बोली
आईआरबी ने अनुरोध किया कि 2019 या 2015 रग्बी विश्व कप की मेजबानी करने के इच्छुक किसी भी सदस्य यूनियनों को 15 अगस्त 2008 तक अपनी रुचि का संकेत देना चाहिए। यह विशुद्ध रूप से ब्याज को इंगित करने के लिए होगा; इस स्तर पर कोई विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया था। एक रिकॉर्ड दस यूनियनों ने 2015 और / या 2019 की घटनाओं की मेजबानी में रुचि दिखाई। 2019 टूर्नामेंट को नौ विभिन्न राष्ट्रों से रुचि मिली।
जमैका इस कार्यक्रम की मेजबानी में रुचि की घोषणा करने के लिए सबसे आश्चर्यजनक संघ था, यह देखते हुए कि उन्होंने पिछले विश्व कप में कभी भी भाग नहीं लिया था, हालांकि वे जल्दी से वापस ले गए। रूस ने शुरू में 2015 और 2019 विश्व कप दोनों के लिए बोली लगाने की योजना की घोषणा की, लेकिन 2013 रग्बी विश्व कप सेवन्स के लिए एक सफल बोली साबित होने के पक्ष में दोनों बोलियों को फरवरी 2009 में वापस ले लिया। ऑस्ट्रेलिया 6 मई 2009 को बोली प्रक्रिया से हट गया।
तीन संभावित मेज़बान - इटली , जापान और दक्षिण अफ्रीका - 8 मई 2009 को घोषित किए गए थे। 28 जुलाई 2009 को डबलिन में आयोजित एक विशेष बैठक में, अंतर्राष्ट्रीय रग्बी बोर्ड (IRB) ने पुष्टि की कि इंग्लैंड 2015 रग्बी विश्व कप की मेजबानी करेगा, और जापान 2019 के आयोजन की मेजबानी करेगा। IRB ने रग्बी वर्ल्ड कप लिमिटेड (RWCL) की सिफारिश को मंजूर करने के पक्ष में 16-10 से मतदान किया कि इंग्लैंड और जापान को मेज़बान बनाया जाए।
स्थानों
आईआरबी, आरडब्ल्यूसी लिमिटेड, जेआरएफयू और मेज़बान आयोजकों जापान 2019 ने रुचि के भाव पूछने और 2013 के अंत से इच्छुक पार्टियों के लिए गेम होस्टिंग आवश्यकताओं के साथ बैठक करने और समझाने की प्रक्रिया से गुजरा। मई में यह घोषणा की गई कि पूरे जापान से बाईस नगरपालिका और / या प्रीफेक्चुरल संगठनों ने रुचि व्यक्त की है। इच्छुक संगठनों को 31 अक्टूबर 2014 तक औपचारिक बोली लगाने के लिए कहा गया था। 5 नवंबर को टोक्यो में एक संवाददाता सम्मेलन में, आयोजकों जापान 2019 ने घोषणा की कि चौदह इलाकों से बोलियां प्राप्त हुई थीं। आयोजन समिति के महासचिव, अकीरा शिमाज़ु ने सलाह दी कि बाईस इच्छुक पार्टियों के बीच, योकोहामा ( योकोहामा अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम, 2002 फीफा विश्व कप फाइनल के लिए स्थान ), और निगाता का डेन्का बिग बान स्टेडियम, जो 2002 भी था। फीफा विश्व कप स्थल ने बोली नहीं लगाने का फैसला किया था। शिमाजु ने कहा कि योकोहामा के बोली न लगाने के निर्णय का अर्थ यह था कि यह वास्तव में एक सामने आया निष्कर्ष था कि टोक्यो में नया राष्ट्रीय स्टेडियम दोनों सेमीफाइनल और तीसरे स्थान के प्लेऑफ में शुरुआती खेल और फाइनल के अलावा होगा।
2009 में जेआरएफयू की मूल बोली में प्रस्तुत किए गए स्थानों में कई बदलाव हुए हैं। हांगकांग और सिंगापुर में स्थान बन गए हैं। सभी खेल जापान में होंगे। टोक्यो में JRFU का अपना चिचिबुनोमिया स्टेडियम, जिसकी राजधानी में छोटे रुचि वाले खेलों की मेजबानी की उम्मीद की जा सकती है, गायब है। इसके अलावा JRFU ने 2009 में ओसाका में खेलों के लिए अपने पसंदीदा स्थान के रूप में बड़े, और अधिक आधुनिक 50,000 सीट वाली नागाई बहुउद्देश्यीय स्टेडियम के लिए जोर दिया, लेकिन ओसाका नगर पालिका और पूर्वी ओसाका सिटी सरकारों ने हानज़ोनो रग्बी स्टेडियम को प्रस्तुत किया, जिसे वे फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं ओसाका स्थल विकल्प। पूर्वी ओसाका शहर अप्रैल 2015 में लंबे समय तक कॉर्पोरेट मालिकों किंत्सु से स्टेडियम का अधिग्रहण करेगा। कामिशी, शिज़ुओका, क्योटो, ओइटा, नागासाकी और कुमामोटो वे सभी स्थल हैं जो जेआरएफयू की बोली का हिस्सा नहीं थे। जबकि बोली में जापान के एक व्यापक क्षेत्र से स्थान शामिल हैं, दो भाग होस्टिंग में शामिल नहीं होंगे। सबसे पहले Hokushin'etsu क्षेत्र ( Hokuriku क्षेत्र और Koshin'etsu क्षेत्र ) है, जो निगाटा के शहर, और दूसरी शामिल चुगोकू क्षेत्र , हिरोशिमा, और आसपास सहित शिकोकू द्वीप । बाद के क्षेत्र में कोई भी शहर 2002 फीफा विश्व कप में खेलों के लिए स्थान नहीं थे, लेकिन हिरोशिमा ने 2006 के एफआईबीए चैंपियनशिप में मेज़बान खेलों का आयोजन किया।
17 जुलाई 2015 को, जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे ने घोषणा की कि स्टेडियम की इमारत की लागत पर असंतोष के बीच नए राष्ट्रीय स्टेडियम के निर्माण की योजना को खत्म कर दिया जाएगा। परिणामस्वरूप, 2020 का ग्रीष्मकालीन ओलंपिक तक नया स्टेडियम तैयार नहीं होगा। वर्ल्ड रग्बी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वे "जापान रग्बी 2019 आयोजन समिति और जापान स्पोर्ट्स काउंसिल से विपरीत आश्वासन के बावजूद" घोषणा से बेहद निराश थे, और "() घोषणा के प्रभाव से संबंधित विकल्पों पर विचार करने की आवश्यकता होगी" । "
सितंबर 2015 में, वर्ल्ड रग्बी ने 2019 रग्बी विश्व कप के लिए जापान रग्बी 2019 आयोजन समिति के संशोधित रोडमैप को मंजूरी दी, जिसने राष्ट्रीय स्टेडियम के विकास के कारण होने वाले अपर्याप्तता वाले स्थल को हल करने की मांग की। यह सहमति हुई कि मूल रूप से प्रस्तावित नेशनल स्टेडियम जुड़नार चोफू (टोक्यो का एक उपनगर) में अजीनोमोटो स्टेडियम द्वारा वहन किया जाएगा, जो उद्घाटन समारोह और उद्घाटन मैच की मेजबानी करेगा, और योकोहामा स्टेडियम, जो फाइनल की मेजबानी करेगा। रग्बी विश्व कप 2019 स्थानों की पूरी संशोधित सूची है:
योग्यता
2015 के रग्बी विश्व कप में चार पूलों में से प्रत्येक में शीर्ष तीन टीमों ने स्वचालित रूप से अगले टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया। जापान ने 2015 रग्बी विश्व कप के दौरान पूल बी में तीसरा स्थान हासिल किया और इसलिए क्वालीफाइंग स्थिति में समाप्त हुआ - हालांकि, टूर्नामेंट की मेजबानी करने से, जापान को 2015 के रग्बी विश्व कप से पहले टूर्नामेंट के लिए योग्यता का आश्वासन दिया गया था। शेष आठ रिक्त स्थान मौजूदा क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं (जैसे रग्बी यूरोप इंटरनेशनल चैंपियनशिप ) द्वारा तय किए गए थे, इसके बाद कुछ क्रॉस क्षेत्रीय प्ले-ऑफ थे। अंतिम स्थान नवंबर 2018 में मार्सिले में एक रेपेचेज टूर्नामेंट द्वारा तय किया गया था, जिसे कनाडा ने जीता था।
नीचे दी गई तालिका योग्य टीमों को दिखाती है:
जबकि सभी क्वालीफाइंग टीमें पहले विश्व कप के लिए कम से कम एक बार क्वालीफाई कर चुकी थीं, 2019 टूर्नामेंट के लिए सबसे उल्लेखनीय अनुपस्थिति रोमानिया थी , जो हर पिछले टूर्नामेंट में खेली थी, लेकिन योग्यता प्रक्रिया के दौरान अयोग्य खिलाड़ियों को क्षेत्ररक्षण के बाद प्रभावी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
खींचना
पूल ड्रा ले लिया जगह में 10 मई 2017 क्योटो । नवंबर के बाद पिछले विश्व कप के बाद वर्ष में दिसंबर के अपने पारंपरिक स्थान से ड्रॉ को हटा दिया गया था, ताकि राष्ट्रों के पास ड्रा से पहले अपनी विश्व रैंकिंग बढ़ाने के लिए अधिक समय हो।
पिछले रग्बी विश्व कप से सीडिंग सिस्टम को 2015 के 12 स्वचालित क्वालीफायर के साथ बनाए रखा गया था, जो ड्रा के दिन उनके विश्व रग्बी रैंकिंग के आधार पर उनके संबंधित बैंड को आवंटित किया गया था:
बैंड 1: चार सर्वोच्च रैंक वाली टीमें
बैंड 2: अगली चार सर्वोच्च रैंक वाली टीमें
बैंड 3: अंतिम चार सीधे योग्य टीमें
शेष दो बैंड आठ क्वालीफाइंग टीमों से बने थे, जिनमें से प्रत्येक बैंड को पिछले रग्बी विश्व कप खेलने की ताकत के आधार पर आवंटित किया गया था:
बैंड 4: - ओशिनिया 1, अमेरिका 1, यूरोप 1, अफ्रीका 1
बैंड 5: - ओशिनिया 2, अमेरिका 2, प्ले-ऑफ विजेता, रेपचेज विजेता
इसका मतलब है कि 20 टीमें, योग्य और क्वालीफायर, इस प्रकार (विश्व रैंकिंग 10 मई 2017 तक) वरीयता प्राप्त थीं:
ड्रॉ ने एक प्रतिनिधि को बेतरतीब ढंग से एक गेंद को खींचते हुए देखा, पहली ड्रॉ बॉल पूल ए, दूसरी पूल बी, तीसरी पूल सी और चौथी पूल डी में जाती है। ड्रॉ जापानी प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे के पूल से शुरू हुआ था मेज़बान जापान को किसके लिए आवंटित किया गया था। बैंड 5 पर जारी रहा, जापानी ओलंपियन Saori Yoshida द्वारा खींचा गया, उसके बाद Band 4, पूर्व जापानी रग्बी अंतर्राष्ट्रीय Yoshihiro Sakata द्वारा खींचा गया, फिर Band 3, जिसे सभी अश्वेत प्रमुख कोच स्टीव हेन्सन द्वारा खींचा गया, पहली टीम के साथ इसे आवंटित किया गया पूल बी, बैंड 2, योकोहामा फुमिको हयाशी के मेयर द्वारा खींचा गया और अंत में बैंड 1, वर्ल्ड रग्बी के अध्यक्ष बिल ब्यूमोंट द्वारा तैयार किया गया।
पूल चरण
पहले दौर या पूल चरण में, बीस टीमों को पाँच टीमों के चार पूलों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक पूल दस खेलों का एक एकल राउंड-रॉबिन होगा , जिसमें प्रत्येक टीम एक ही टीम के खिलाफ एक ही पूल में एक मैच खेलती है। टीमों को एक जीत के लिए चार लीग अंक, ड्रॉ के लिए दो और आठ या अधिक अंकों से हार के लिए कोई नहीं दिया जाता है। एक मैच में चार प्रयास करने वाली टीम को बोनस अंक से सम्मानित किया जाता है, जैसा कि एक टीम है जो आठ से कम अंकों से हार जाती है - दोनों स्थितियों के लागू होने पर दोनों बोनस अंक प्रदान किए जाते हैं।
प्रत्येक पूल के शीर्ष दो में रहने वाली टीमें क्वार्टर फाइनल में आगे बढ़ती हैं। प्रत्येक पूल की शीर्ष तीन टीमों ने 2023 रग्बी विश्व कप के लिए स्वचालित योग्यता प्राप्त की।
टाई-ब्रेकिंग मानदंड
यदि दो या अधिक टीमों को मैच पॉइंट पर बांधा जाता है, तो निम्नलिखित टाईब्रेकर लागू होते हैं:
दोनों टीमों के बीच मैच का विजेता
सभी पूल मैचों में अंक के लिए बनाए गए अंकों और अंकों के बीच अंतर
सभी पूल मैचों में किए गए प्रयासों के बीच अंतर और कोशिश की गई के बीच अंतर
अंक सभी पूल मैचों में बनाए गए
सभी पूल मैचों में सर्वाधिक रन बनाए गए
14 अक्टूबर 2019 तक आधिकारिक विश्व रग्बी रैंकिंग
यदि तीन टीमों को अंकों पर बांधा गया था, तो उपर्युक्त मानदंड का उपयोग पूल में पहला स्थान तय करने के लिए किया जाएगा, और फिर मापदंड का उपयोग फिर से किया जाएगा (मानदंड 1 से शुरू) पूल में दूसरा स्थान तय करने के लिए।
Pld = खेले जाने वाले खेलों की संख्या; W = जीत गए खेलों की संख्या; डी = तैयार किए गए गेम की संख्या; एल = गेम की संख्या खो गई; TF = रन किए गए प्रयासों की संख्या (Tries For); पीएफ = गेम में बनाए गए अंकों की संख्या (पॉइंट्स फॉर); पीए = टीम के खिलाफ बनाए गए अंकों की संख्या (पॉइंट्स अगेंस्ट); +/ + = अंतर, पीएफ - पीए; बीपी = बोनस (पूल) अंक; अंक = (पूल) अंक की कुल संख्या।
पूल ए
पूल बी
पूल सी
पूल डी
नॉकआउट चरण
क्वार्टर फाइनल
सेमीफाइनल
प्रायोजक
प्रसारण
टिप्पणियाँ
उपलब्ध होने पर 16 सितंबर 2019 तक रैंकिंग दर्ज की जाएगी।
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
विश्व रग्बी आधिकारिक साइट
Pages with unreviewed translations | 1,978 |
19489 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%8F%E0%A4%9F%E0%A4%BE | एटा | एटाउत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख जिला और शहर है, एटा में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें मंदिर और अन्य महत्त्वपूर्ण इमारतें शामिल हैं। एटा के आस-पास भी कई आकर्षक स्थान है, जैसे कि अवागढ़, जलेसर,सकीट और कादिरगंज, जो एटा जिले के आसपास स्थानीय पर्यटन आकर्षणों के लिए भी जाने जाते हैं। एटा में पर्यटन केवल अपने खूबसूरत स्थानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एटा में लोकप्रिय मेलों, त्योहारों और खाद्य पदार्थों तक भी फैला हुआ है। एटा उत्तर प्रदेश में घूमने के लिए कई महत्वपूर्ण स्थानों से जुड़ा हुआ है, जिसमें आगरा, वृंदावन और मथुरा शामिल हैं। एनएच-34 जैसे कई राष्ट्रीय मार्ग एटा से गुजरते हैं।नई दिल्ली एटा शहर से केवल 5 घंटे (207 किमी) की दूरी पर स्थित है।एटा के निकट मलावन में जवाहर तापीय विद्युत परियोजना का संयंत्र स्थापित किया जा रहा है जिसकी क्षमता 660 मेगावाट है। इसे दक्षिणी कोरिया की दुसान कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है।
इतिहास
यह कानपुर-दिल्ली राजमार्ग पर मध्य बिंदु है ऐतिहासिक रूप से, यह 1857 के विद्रोह के केंद्र के लिए भी जाना जाता है। प्राचीन काल में, एटा को “आंथा” कहा जाता था । यह तब था जब अगरगढ़ का राजा अपने 2 कुत्तों के साथ जंगल में शिकार कर रहा था। कुत्तों ने एक लोमड़ी को देखा और भौंकने शुरू कर दिया और उसका पीछा किया। लोमड़ी अपने आप को राजा के कुत्तों से बचाने की कोशिश कर रही थी लेकिन जब वह एटा पहुंच गई, तो लोमड़ी ने राजा के कुत्तों को बहुत आक्रामक प्रतिक्रिया दी।
राजा लोमड़ी के व्यवहार परिवर्तन से हैरान था। इसलिए, उन्होंने सोचा कि इस जगह में कुछ ऐसा होना चाहिए जिसमें भाग लेने वाले लोमड़ी परिवर्तन रवैया बनाया गया था।
इसलिए, इस जगह को नामित किया गया था, जिसे बाद में एटा के रूप में गलत माना गया। विद्या भारती की पुस्तक में एक और कहानी है, जो यहां खोए हुए व्यक्ति के कारण एटा का पुराना नाम ‘इंता’ कहता है। पानी की तलाश में, वह जमीन में खुदाई करता था और उसके जूते ने एक ईंट को मारा जो कि एन्टा नाम की ओर जाता है और बाद में यह शब्द एटा में बदल गया। एटा अपने यज्ञशाला के लिए बहुत प्रसिद्ध है जो गुरुकुल विद्यालय में स्थित है। यज्ञशाला को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा यज्ञशाला माना जाता है। एक ऐतिहासिक किला है जो अवागढ़ के राजा द्वारा बनाया गया था। अवागढ़ एक जगह है जो एटा से 22 किमी दूर है। एटा के पास भगवान शिव को समर्पित कैलाश मंदिर नामक एक ऐतिहासिक मंदिर भी है, जो उत्तर भारत का सर्वाधिक मानव निर्मित ऊंचाई पर स्थित शिवालय है। इसको कासगंज के कायस्थ(कुलश्रेष्ठ) राजा दिलसुख राय बहादुर द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में जाने के लिए लगभग 108 सीढियां हैं।मंदिर के बराबर में ही एक विशाल सरोवर का निर्माण भी कायस्थ राजा दिलसुख राय बहादुर द्वारा किया गया था।अमीर खुसरो पटियाली(कासगंज)में पैदा हुए थे और उर्दू के सबसे अच्छे कवियों में से एक माने जाते हैं।
यह जिला अलीगढ़ डिवीजन का हिस्सा है। बहुसंख्य आबादी यादव और लोदी राजपूत हैं। कुलश्रेष्ठ परिवारों (कास्यथ समुदाय) का जिला एटा में है। राष्ट्रीय राजमार्ग-91 इस जिले से गुजरता है। एटा के निकटतम जिले फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद, हाथरस, कासगंज से घिरा हुआ है। पहले कासगंज एटा जिले का हिस्सा था। कासगंज की स्थापना 15 अप्रैल 2008 को एटा जिले के कासगंज, पटियाली और सहवार तहसील के विभाजन के द्वारा की गई थी। वर्तमान में एटा में 8 ब्लॉक हैं। जैथरा, मारहरा, निधौली कलां, सकिट, शीतलपुर, अवागढ़, अलीगंज, जलेसर, राजा का रामपुर प्रमुख शहर है।
भूगोल
एटा 27.63 डिग्री एन 78.67 डिग्री ई पर स्थित है। [4] इसकी औसत ऊंचाई 170 मीटर (557 फीट) है।गांव गाजीपुर पहोर के पीछे ईसेन नदी बहती है!एटा भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त के अलीगढ़ डिवीजन का एक जिला है। यह उत्तर में कासगंज, दक्षिण में मैनपुरी और फिरोजाबाद, पूर्व में फ़र्र्खाबाद व पश्चिम में अलीगढ़, हाथरस, मथुरा व आगरा जिलों से घिरा है। जो कि उत्तर प्रदेश मे आते हैं। जिले की किसी अन्य राज्य से सीमा नहीं लगती है।
स्थलाकृति
एटा शहर का आकार बन्द मुठ्ठी के समान है। कटोरेनुमा जमीन है अर्थात शहर बाहरी किनारों पर ऊंचा है जबकि बीच में कुछ गहरा है।
जलवायु
यहां की जलवायु नम व शुष्क दोनों प्रकार की है।
कृषि
जिले के लोगों का प्राथमिक व्यवसाय कृषि है यह क्षेत्र गंगा और यमुना (दोआब) के बीच स्थित है जो कि अत्यधिक उपजाऊ (जलोढ़ मिट्टी) है। किसान एक वर्ष में तीन फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। सिंचाई के लिए पानी वर्ष दौर उपलब्ध है। मुख्य कृषि उत्पाद चावल, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का; मिट्टी तंबाकू की खेती के लिए उपयुक्त है।
वनस्पति और जीव
यहां अनेक प्रकार की वनस्पतियां, पेड़-पोधे और जीव जंतु रहते हैं।
कला और संस्कृति
एटा की संस्कृति और विरासत बहुत प्राचीन हैं।
एटा एक विकासशील शहर है।यह ब्रिटिश काल के बाद से जिला मुख्यालय है।राष्ट्रीय राजमार्ग 34(गंगोत्री धाम उत्तराखंड से लखनादौन मध्य प्रदेश) शहर एटा के माध्यम से गुजरता है। पड़ाव मैदान (खुले मैदान) सेना के आंदोलन के दौरान सेना के लिए उपयोग किया जाने वाला क्षेत्र है।हर साल सितंबर और अक्टूबर महीने में दशहरा में राम-लीला के लिए और दिसंबर से फरवरी तक प्रदर्शनी के लिए इस क्षेत्र का उपयोग किया जाता है।केवल ये एक वर्ष में दो घटनाएं हैं जब जिला एटा के लोग कविसमेलन, नृत्य प्रतियोगिता और मेला जैसी घटनाओं का आनंद ले सकते हैं।
त्यौहार व समारोह
चूंकि ये उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में है इसलिए उत्तर प्रदेश में होने वाले हर त्यौहार यहां मनाए जाते हैं। जैसे- होली,दिवाली,दशहरा,रक्षाबंधन,श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, बुद्ध पूर्णिमा, ईद,क्रिसमस डे आदि। जिले में गाँव जमलापुर की होली बहुप्रसिध्द है। यहाँ ब्रज की तर्ज पर दो दिन की होली मनायी जाती है । दोनों दिन गाँव में फाग निकाली जाली जाती है और नृत्य का आयोजन होता है। फाग में ठाकुर राजेन्द्र सिंह, ठाकुर आदेश सिंह,ठाकुर राजवीर सिंह,पंडित नरेश मुदगल के द्वारा गाये होली गीत और ठाकुर अशोक सिंह राठौर और दिनेशचन्द्र सैनी द्वारा बजाया गया ढोल बहुप्रसिध्द है।
जनसांख्यिकी
2011 की नगणना के अनुसार एटा जिले की कुल जनसंख्या 1,761,152 है। यह लगभग गाम्बिया नामक देश अथवा अमेरिकी राज्य नेब्रास्का की कुल जनसंख्या के समान है। इस आधार पर इसको भारत में 272वें जिले का दर्जा प्राप्त है। जिले का जनसंख्या घनत्व है। 2001–2011 के दौरान यहाँ जनसंख्या वृद्धि दर 12.77 प्रतिशत रही। यहाँ लिंगानुपात 863 महिला प्रति 1000 पुरुष है और यहाँ साक्षरता दर 82.27% है।
2011 की जनगणना के अस्थायी आबादी के आंकड़ों के मुताबिक:एटा शहर की 2011 में जनसंख्या 1.32 लाख थी।जबकि एटा अर्बन क्षेत्र की जनसंख्या 1लाख 70 हजार है।
क्षेत्र: 4,446 वर्ग किमी
नगर निकायों की संख्या: 9
न्याय पंचायतों की संख्या: 72
तहसील की संख्या: 3
संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की संख्या: 3
डिवीजन: अलीगढ़
ब्लॉक की संख्या: 8
ग्राम पंचायत की संख्या: 576
गांवों की संख्या: 883
असेंबली निर्वाचन क्षेत्र की संख्या: 4
भाषा
यहां की मूल भाषा हिन्दी है।कहीं कहीं इंग्लिश और उर्दू भी प्रयोग की जाती है। जीटी रोड पर स्थित एटा की सिंधी कॉलोनी में सिंधी भाषा बोलने वाले सिंधी समाज के लोग भी रहते हैं जो आपसे बोलचाल की भाषा में सिंधी भाषा ही प्रयोग करते हैं।
प्रशासनिक सेटअप
एटा उत्तर प्रदेश के 75 प्रशासनिक जिलों में से एक है। हैं।इसका मुख्यालय एटा में स्थित है।देश के अन्य सभी जिलों के मामले में, कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट एटा जिला का प्रशासनिक प्रमुख है। जिले में 3 तहसील,4 नगरपालिका परिषद,8 ब्लॉक,5 नगर पंचायत,892 गांव,576 ग्राम पंचायत,18 पुलिस स्टेशन शामिल हैं।
अर्थव्यवस्था
एटा जिला की अर्थव्यवस्था चरित्र में कृषि है। भूगोल और जलवायु धान, गन्ना, सूरजमुखी, तिलहन आदि जैसे फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल हैं। यह शहर ऐसे उत्पादों के संचय और विपणन के लिए एक नोडल बिंदु के रूप में व्यवहार करता है। कुछ एग्रोबी एन। पैलेसप्रोकैसिंग इकाइयों को छोड़कर, इस जिले में कोई बड़ा उद्योग नहीं है।
उद्योग
उद्योग क्षेत्र
खनन और खनन
विनिर्माण (पंजीकृत और अनियंत्रित)
बिजली, गैस और जल आपूर्ति
निर्माण
सेवा क्षेत्र
अन्य साधनों और भंडारण द्वारा परिवहन
संचार
बैंकिंग और बीमा
रियल एस्टेट, आवास और व्यापार सेवाओं के स्वामित्व
सार्वजनिक प्रशासन
अन्य सेवाएं
यातायात
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का बस स्टैण्ड व एटा डिपो की बसें सभी जिलों को जोड़तीं हैं। एटा शहर में बस व कार द्वारा ही पहुंचा जा सकता है, हालांकि यहाँ पर रेलवे स्टेशन भी है पर रेल केवल एटा से अवागढ़,जलेसर,बरहन जं ,टूंडला जं तथा मितावली-एत्मादपुर-आगरा फोर्ट तक ही जाती है वो भी सवारी कम मालगाडी अधिक है, सवारी डिब्बों के नाम पर मात्र 8 डिब्बे ही लगे हैं जिनमें केवल दैनिक-यात्री ही यात्रा करते है, क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के अलीगढ डिवीजन के अन्दर आता है व दिल्ली से कानपुर वाले मार्ग पर जिसे ग्रांट ट्रंक रोड (NH-91या N H -24) या पूर्व नाम शेरशाह सूरी मार्ग भी कहते हैं पर स्थित है इसलिए यहाँ बस के द्वारा आराम से पहुंचा जा सकता है। यह भारत की राजधानी दिल्ली व उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगर कानपुर दोनों से ही सामान दूरी लगभग २०० कि० मी० दूर स्थित है।
यह आगरा से 85 किमी अलीगढ़ से 70 किमी, कासगंज से 30 किमी ,फर्रुखाबाद से 105 किमी, फिरोजाबाद से 70 किमी इटावा से 110 किमी,मैनपुरी से 55 किमी ,शिकोहाबाद से 52 किमी पटियाली से 31 किमी सहावर से 32 किमी सकीट से 17 किमी जलेसर से 40 किमी मारहरा से 22 किमी निधौली कलां से 17 किमी दूर है।
पर्यटन स्थल
पटना पक्षी विहार
प्रवासी व अप्रवासी पक्षियों की शरणस्थली बन चुका पटना पक्षी विहार उत्तर प्रदेश के एटा जिले की जलेसर तहसील में स्थित है। जलेसर - सिकन्दराराऊ राजमार्ग पर एटा से 45 किमी दूर तथा जलेसर से पांच किमी दूर स्थित इस अभयारण्य को सन 1990 में एक संपूर्ण अभयारण्य घोषित किया गया था। यहाँ का औसत तापमान गर्मियों में 47 डिग्री सेल्सियस व सर्दियों में 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। पटना पक्षी विहार बहुत पुराने खजूर के वृक्षों से घिरा एक विशाल जलाशय है,जिसकी खुदाई में प्रागैतिहासिक साक्ष्य भी मिले हैं। कहा जाता है कि यह मगध के सम्राट जरासंध के मित्र कालिया का वन था, जहाँ उसका महल था। उसके महल के खंडहर और जमीन के नीचे दबे अवशेष कुछ ऐतिहासिक सत्य की गवाही देते हैं। यहाँ मिले सोने व चांदी के सिक्के द्वापर युग के बताये जाते हैं। करीब 107 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले पटना पक्षी विहार में स्थानीय व प्रवासी पक्षियों के झुण्ड, खजूर के पेड़ों से आच्छादित वन तथा विशाल झील का प्राकृतिक सौन्दर्य यहाँ के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। वर्ष 1999 में वन्य प्राणी विशेषज्ञों के द्वारा की गयी गणना के अनुसार पटना पक्षी विहार में लगभग 175 प्रजातियों के प्रख्यात पक्षी यहाँ प्रवास करते हैं। इनमें से लगभग 65 प्रजातियाँ के दुर्लभ पक्षी साईबेरिया, चीन, मंगोलिया तथा अन्य बाहरी देशों से यहाँ आते हैं। शीतकाल (लगभग अक्टूवर नवम्बर के मध्य से) शुरू होते ही यहाँ प्रवासी पक्षियों का आगमन प्रारंभ हो जाता है | अनुकूल मौसम में यहाँ लगभग 75 हजार विभिन्न प्रजातियों के पक्षिओं का विशाल झुण्ड एक साथ देखा जा सकता है। यहाँ आने वाले पक्षियों में सबसे सुन्दर पछी ' कौरमोरेंट ' है। यह काफी हद तक कनकउआ से मिलता - जुलता है। इसे गनहिल नाम से भी जाना जाता है। एक ऐसा पक्षी है जिसे ' आर्टिकटोन ' के नाम से जाना जाता है, जिसकी गति सर्वाधिक तीव्र है। इनमें सबसे अधिक दुस्साहसी पछी ' उर्न ' है। यह हिमालय की बर्फीली चोटियों को लांघता हुआ यहाँ आता है। यहाँ आने वाले मेहमान पक्षियों में हिमालयन, वीयरदडे, वल्चर, फ्लोवरपैक, फायर विस्टेड फ्लोवर पिकड़, गूज आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। धार्मिक दृष्टि से भी इसका चमत्कारिक महत्व है। यहाँ के वन में 30 फुट से भी अधिक गहराई तक लम्बा एक शिवलिंग भी है, जोकि एक मंदिर के अन्दर स्थित है।
दरगाह हज़रत मख़्दूम अब्दुल ग़फ़ूर शाह सफ़वी
दरगाह हज़रत मख़्दूम अब्दुल ग़फ़ूर शाह सफ़वी ज़िला मुख्यालय के होली मुहल्ला में स्थित है आप "सिलसिला ऐ चिश्तिया और सफविया खादिमिया" के बहुत बड़े सूफी हैं,आप के बहुत से चमत्कार जगज़ाहिर है आज भी आपकी दरगाह पर हज़ारो निःसन्तान दम्पति संतान के लिये अर्ज़ी लगाते है और एक साल के अंदर ही ईश्वर की इच्छा से संतान सुख प्राप्त करते हैं और फिर वार्षिक उर्स के मौके पर अपनी संतानों को मेवा,मिष्ठान और सिक्कों से तुलवाते हैं आप का उर्स इस्लामिक माह जमादिउस्सानी की 22 से 25 तारीख़ तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, इस समय दरगाह से सज्जादा नशीन हाजी मुहम्मद इस्लाम सफ़वी साहब हैं।
अवागढ़ का किला
एटा से 22 किमी. दूर अवागढ़ में अवागढ़ किला स्थित है।यह अभी भी अच्छी हालत में है।अवागढ़ एक नगर पंचायत है। यह कई रंगों और विरोधाभासों का एक शहर है। यहां क्षत्रिय वंश के जादौन शासकों ने 108 एकड़ के प्राचीन किले का निर्माण किया, जिन्होंने करौली से प्रवास के बाद 12 वीं शताब्दी में एक छोटे से माउण्ड पर इस शानदार किले का निर्माण किया था, जो कि हरे रंग के घास के मैदानों से घिरा हुआ एक सुन्दर किला है।आगरा में अवागढ़ के राजा बलवंत सिंह जी के नाम पर एक कॉलेज बनाया गया। जिसका नाम राजा बलबन्त सिंह कालेज रखा। उन्होंने कॉलेज के निर्माण में सैकड़ों एकड़ भूमि एवं धन का दान किया था । उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना के लिए रवींद्र नाथ टैगोर की भी मदद की।
आर्ष गुरुकुल
एटा से 3 किमी. दूर एटा रेलवे स्टेशन के नजदीक गुरुकुल विद्यालय स्थित है। यहां की यज्ञशाला प्रसिद्ध है।
अतरंजी खेड़ा
एटा से 20 किमी. दूर अचलपुर रोड पर प्रसिद्ध बौद्घ स्मारक स्थित है।
कैलाश मन्दिर
एटा शहर में स्थित इस मंदिर का निर्माण संवत 1924 में कुलश्रेष्ठ (कायस्थ) राजा दिलसुख राय बहादुर ने करवाया था | मंदिर निर्माण के साथ ही इसके आसपास के पूरे क्षेत्र का नामकरण भी कैलाशगंज हो गया है | धरातल से इस मंदिर की चोटी तक की ऊँचाई करीब 200 फुट है, जबकि शिवजी की चतुर्मुखी मूर्ति धरातल से लगभग सवा सौ फुट की ऊँचाई पर स्थित है | जमीन से लेकर मूर्ती तक का पूरा आधार ठोस है,धरातल से शिवजी की चतुर्मुखी मूर्ति तक के गर्भ स्थल में किसी प्रकार का खोखलापन नहीं है, इस ठोस गर्भ पर ही दीप के आकार में शिवजी के चारों दिशाओं में उभरे मुखों की सफ़ेद पत्थर से निर्मित मूर्ति रखी गयी है, मूर्ति के समीप ही सफ़ेद पत्थर से ही निर्मित नंदी की मूर्ति स्थापित है | इसके अलावा मूर्ति की दो विपरीत दिशाओं उत्तर व दखिण में क्रमश: गणेश व माँ पार्वती की सफ़ेद पत्थर से ही निर्मित आदमकद मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं | मंदिर की छत पर अजन्ता व अलोरा की तरह ही शानदार भित्ति चित्रों को उकेरा गया है, जिन्हें देखते ही श्रद्धालु खो जाते हैं | मंदिर के अन्दर पांच मंजिलों में अर्थात चतुर्मुखी मूर्ति की ऊँचाई तक 16 कमरे हैं | इसके अलावा मंदिर के धरातल के प्रांगण में एक ओर काफी विशाल सरोवर है जिसमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गयी हैं, सरोवर उपेक्षा के कारण ख़राब हालत में है | मंदिर के एक ओर बाग़ के लिए विशाल स्थान है, जो कि उपेक्षा का शिकार है |
108 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं :
मंदिर में ऊपर चढ़ने के लिए श्रद्धालुओं को 108 सीढियाँ चढ़नी पड़ती हैं, सीढियाँ 70 फुट की ऊंचाई के बाद तीन भागों में विभक्त हो जाती हैं, सबसे बाईं ओर की सीढ़ियाँ मंदिर में ऊपर जाने के लिए व दायीं ओर की सीढ़ियाँ नीचे उतरने के लिए हैं जबकि बीच में विश्राम स्थल बनाया गया है जिनका इस्तेमाल चढ़ते वक्त थक जाने वाले यात्री करते हैं |
शिवरात्रि और सावन में लगता है मेला :
फाल्गुन माह में शिवरात्रि महापर्व और श्रावण मास के दौरान मंदिर में मेले लगते हैं, इन पर्वों पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, सावन के पूरे माह में पड़ने वाले सोमवार को भक्तों की विशेष भीड़ रहती है | सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि के दौरान भक्तजन कांवरों में गंगाजल भरकर कोसों दूर की लम्बी पदयात्रा करके कैलाश मंदिर में शिवजी का जलाभिषेक कर मनौती मांगते हैं |
मंदिर के बारे में अन्य महत्वपूर्ण बातें :
1. किवदंती के अनुसार कैलाश मंदिर के नीचे एक सुरंग है जो कासगंज तक खुदी थी, सुरंग का द्वार मंदिर के ठीक नीचे है लेकिन सुरंग का द्वार सालों से बंद है जिसके कारण किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं है की सुरंग कहाँ तक जाती है|
2. भारत में कहीं भी नहीं है ऐसी शिवजी की चतुर्मुखी मूर्ती |
3. सवा सौ फुट के ठोस गर्भ स्थल पर स्थित है अदभुत प्रतिमा |
4. पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में नहीं है इतना उंचा शिवजी का मंदिर |
5. धरातल से 200 फुट ऊंचा है कैलाश मंदिर |
काली मंदिर
एटा का काली मंदिर 43 साल पहले बना था। इस मंदिर को एटा के ही रहने वाले रामबाबू वाष्र्णेय ने बनवाया था। मंदिर में खास बात यह है कि यहां काली माता की आदमकद प्रतिमा स्थापित है, जोकि अपने आप में आकर्षक लगती है। यह प्रतिमा बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। शुरूआत में जब यह प्रतिमा स्थापित की गई तो यह मंदिर इतना भव्य नहीं था जितना कि आज है, लेकिन श्रद्धालुओं के बीच मंदिर की मान्यता काफी रही और इसका विकास कराने के लिए शहर के तमाम श्रद्धालु आगे आते गए और विकास कराते गए। धीरे-धीरे काली मंदिर के बराबर ही पथवारी मंदिर विकसित किया गया, जहां कई मंदिर हैं और उसमें मां दुर्गा समेत सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।
नवरात्र के दिनों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ इस मंदिर में जुटती है। वर्ष में नवदुर्गा पर्व पर मंदिर की विशेष महत्ता नजर आती है। यहां वर्ष में आने वाले दोनों नवदुर्गा पर्वों पर भंडारा होता है तथा हर रोज हवन, भजन, कीर्तन समेत कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में खासी तादाद में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
हनुमान गढ़ी
यह सिद्ध मंदिर रेलवे रोड़ पर स्थित है। यहां हर साल होली पर मेला लगता है।
राम दरबार
यह मंदिर जी.टी.रोड़ पर स्थित है। इसका निर्माण संत धन्नो बाई ने करवाया था। इसमें एक कांच का शीशमहल है।
एटा की महाकाली
एटा की महाकाली का देश भर में डंका बजता है। स्थानीय कलाकारों की प्रतिभा और उनके हैरतअंगेज कारनामों के साथ माता महाकाली का रूप लोगों को रोमांचित करता है। जिले में कला को जीवंत करते काली मंडलों ने देशभर में खूब नाम कमाया है।
40 साल पहले शहर में कई काली मंडल रामनवमी और नवरात्र के मौके पर शहर भर में अपनी प्रतिभा दिखाते थे। इन मंडलों में 25 से 30 कलाकार होते हैं, जो कि विभिन्न धार्मिक स्वरूप धरकर शहर में जगह-जगह लोगों का मनोरंजन करते हैं। वहीं विशेष प्रदर्शन होता है काली की तलवारबाजी। काली मंडल का प्रमुख सदस्य माता महाकाली का रौद्र रूप धरकर, हाथ में तलवार लेकर निकलते हैं। बताया जाता है कि काफी वर्ष पूर्व स्व. रम्मू पान वाले, रमेश कुमार, उस्ताद कालीचरन ने मिलकर काली मंडल की परंपरा शुरू की।
शुरू-शुरू में अलग-अलग मोहल्ले के लोग मिलकर धार्मिक पात्रों की भूमिका निभाते। धीरे-धीरे काली मंडलों का चलन कई मेलों और कार्यक्रमों में होने लगा। समय बदला तो काली मंडलों का महत्व बढ़ा। रामनवमी और नवरात्र पर निकलने वाली शोभायात्रा में बाहरी जिलों से आने वाले लोग काली मंडलों को बुक कर जाते हैं। जिले के काली मंडलों के प्रदर्शन ने एटा का नाम चमकाया है।
शिव मंदिर परसोंन
यह एटा जिला का एक प्राचीन मंदिर शिव मंदिर है। यह मुख्यालय से अलीगंज रोड पर 22 किमी दूर गोलाकुआं चौराहा के समीप परसोंन में काली नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर महर्षि परशुराम ने तपस्या की थी। उसी जगह पर यहाँ एक शिवलिंग प्रकट हुई। जब शिवलिंग भूगर्भ से प्रकट हुई तो उसके आधिपत्य को लेकर वहाँ परसोंन गाँव के लोगों और वहीं से 4 किमी दूर स्थित जमलापुर गाँव के लोगों मे विवाद हुआ। विवाद न्यायालय तक पहुँचा परन्तु कोई न्यायाधीश फैसला नहीं कर पाया। अतः ये फैसला दोनों पक्षों ने शिवलिंग पर ही छोड़ दिया । दोनों पक्ष शिवलिंग को बीच में करके अपने गाँव की दिशा की तरफ बैठ गये। परसोंन के व्यक्ति उत्तर दिशा में और जमलापुर के व्यक्ति दक्षिण दिशा में बैठे और शिवलिंग की पूजा की तत्पश्चात दोनों ने भगवान शंकर से प्रार्थना की कि आप जिससे पूजा और सेवा कराना चाहते है आप उसकी तरफ झुक जायें। इतनी प्रार्थना करके दोनों पक्ष अपने घर चले गये। और अगले दिन जब सुबह दोनों पक्ष वहाँ पहुचें तो सभी ने शिवलिंग को दक्षिण मे झुका हुआ पाया। तभी से आज तक वो शिवलिंग दक्षिण की तरफ झुकी है।जिसकी वजह से गाँव जमलापुर के माली लोंगों को उसकी पूर्ण जिमेदारी दे दी गई।
प्रत्येक वर्ष देवछठ और शिवरात्रि को वहाँ विशाल मेला लगता है जो कम से कम दस दिन चलता है। दूर दूर से कावंडिया कावंड लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। प्रत्येक वर्ष श्रावण के प्रत्येक सोमवार को वहाँ भक्तों बहुत भीड़ होती है।
ऐतिहासिक स्थल
एटा से 20 km दूर अवागढ़ किला और एटा से 20 km दूर अतरंजी खेड़ा काफी प्राचीन ऐतहासिक स्थल है।
वास्तुकला
यहां की वास्तुकला मथुरा और ब्रज के समान ही है।
एटा में कहांं ठहरने
सभी प्रमुख सुविधाओं और आस-पास के प्रमुख आकर्षणों के आसपास स्थित रणनीतिक स्थानों पर स्थित, एटा के होटल मध्यम कीमतों पर मेहमानों को आवास, भोजन और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करते हैं।
होटल माया पैलेस, होटल समीर प्लाजा, होटल रामेश्वरम, होटल ग्रैंड स्पाइस, होटल वंदना पैलेस, होटल शिखर,होटल श्री जी पैलेस आदि।
जलस्रोत
यहां की भूमि काफी उपजाऊ है,इसलिए यहां पानी की कोई कमी नहीं है। गंगा नदी के पास स्थित होने के कारण यहां का पानी मृदु और ठंडा होता है। हालाकि जहां पानी की ज्यादा जरूरत होती है वहां एटा नगर पालिका पानी उपलब्ध कराती है।
स्वास्थ्य
शहर में जिला अस्पताल,जिला महिला अस्पताल,नेत्र अस्पताल की उपलब्धता है। और तो और यहां मेडीकल कॉलेज भी है।
शैक्षिक संस्थान
प्राथमिक विद्यालयों की संख्या: 2315
यूपी की संख्या स्कूल (6 से 8): 1322
हाई स्कूलों की संख्या (9 से 10): 671
पीजी कॉलेजों की संख्या: 75
एटा में शैक्षणिक संस्थान हैं जिनमें शामिल हैं:आर्ष गुरुकुल एटा, सरस्वती विद्या मंदिर, सेंट पॉल का सीनियर सेकेंडरी स्कूल, असीसी कॉन्वेंट स्कूल (सीनियर + जूनियर), लिमरा इंटरनेशनल स्कूल, बी.एस.डी. पब्लिक स्कूल, बीपीएस पब्लिक स्कूल (ICSE & ISC), अगापे स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय, ज्ञान भारती इंटर कॉलेज, ट्यूलिप पब्लिक स्कूल, श्री राम बाल भारती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, डॉ। लोकमन दास पब्लिक स्कूल, एपेक्स पब्लिक स्कूल, एसबी पब्लिक स्कूल, सत्यशील पब्लिक स्कूल नगला जवाहरी, क्रिश्चियन एग्रीकल्चरल इंटर कॉलेज, जीआईसी इंटर कॉलेज (राजकीय इंटर कॉलेज, एटा, यूपी के प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक है। 1914 में स्थापना के 100 साल पूरे हो गए। इसमें कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रशासक, कुलपति, अन्य शिक्षाविद पैदा करने का गौरव प्राप्त है। सैन्यकर्मी, डॉक्टर, उद्योगपति और कई अन्य लोगों के इंजीनियर), अविनाश सहाय आर्य इंटर कॉलेज, गांधी स्मारक कॉलेज, जेएलएन पी. जी.कॉलेज, प्रिंटिस गर्ल्स कॉलेज, जीजीआईसी इंटर कॉलेज, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, गवर्नमेंट आई.टी.आई और लक्ष्मी बाई इंटर कॉलेज, श्री भूमि राज सिंह लीला देवी महाविद्यालय लरामपुर अलीगंज एटा, गंजडुंडवारा पीजी कॉलेज, डॉ। जेड.एच. डिग्री कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू डिग्री कॉलेज एटा, श्री भोले नाथ जी पब्लिक स्कूल एटा, एस. के.डिग्री कॉलेज एटा।
खेल
कुश्ती,कबड्डी,फुटबॉल और क्रिकेट यहां के लोगों के द्वारा खेले जाने वाले प्रमुख खेल हैं।
पार्क और मनोरंजन
शहर में मेहता पार्क,सुनहरी नगर पार्क,शिवदत्त उद्यान,शहीद भगत सिंह पार्क, इंद्रपुरी पार्क प्रमुख हैं।
एटांं के इलाकों में मौज-मस्ती और मनोरंजन के लिए आदर्श स्थानों में घण्टा घर, हाथी गेट, ठंडी सड़क और मेहता पार्क शामिल हैं। टांगी भारतीय समोसा शिकोहाबाद रोड़ में प्राथमिक आकर्षण हैं। एटा के स्थानीय लोग आमतौर पर बाहर जाने के लिए इन स्थलों को पसंद करते हैं।
एटा में समय समय पर कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।जनवरी माह में एटा महोत्सव भी होता है। यहां के लोग खेलों के बहुत शौकीन हैं।सिनेमा हॉल या मल्टीप्लेक्स नहीं हैं।शिकोहाबाद रोड पर एक छोटा वाटर पार्क है।
बाजार
एटांं में विभिन्न प्रकार की दुकानें हैं, जो वस्त्र और अन्य स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं को बेचती हैं। एटा के नज़दीक अवागढ़ शहर में कई आभूषण भंडार, सोने के आभूषणों की दुकानें, मिठाइयों और कपड़ों की दुकानों की बिक्री होती है। एटांं के समीप स्थित जलेसर शहर पीतल से बनी वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सुंदर डाली की घंटियाँ शामिल हैं।
यहां का मुख्य बाजार घंटाघर, हाथी गेट, बाबूगंज, गांधी मार्केट, शाह पैलेस,दास मार्केट, मंगल बाजार, पीपल अड्डा, आगरा रोड़ चुंगी प्रमुख हैं। शहर में मात्र एक मॉल उपलब्ध है।
उपयोगी सेवाएं
घंटाघर, जी.टी रोड, रेलवे रोड, पीपल अड्डा हार्डवेयर और हर तरह के सामानों के प्रमुख केंद्र हैं।
न्याय
जनपद न्यायालय, जिला जेल, किशोर न्यायालय, प्रोजेक्ट दीदी
पुलिस
सिटी कोतवाली,देहात कोतवाली,महिला थाना आदि।
सामरिक महत्व
एटा का इतिहास स्वर्णिम रहा है। सामरिक दृष्टि से शेर शाह सूरी द्वारा बनवाई गई सड़क जी. टी. रोड़ (ग्रांड ट्रक रोड)वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग-91 एटा के मध्य से होकर गुजरती है। सामरिक दृष्टि से एटा पूर्वी उत्तर प्रदेश को राजधानी दिल्ली से जोड़ता है।
मीडिया और संचार
हालांकि एटा बहुत बड़ा महानगर नहीं है, इसलिए यहां ज्यादा न्यूज चैनल नहीं है। द न्यूज एकमात्र चैनल है। किन्तु यहां पर ज्यादातर न्यूज पेपर उपलब्ध हैं। दैनिक जागरण, अमर उजाला, दैनिक भास्कर आदि न्यूज पेपर उपलब्ध हैं। यहां आकाशवाणी का केंद्र भी है।
उललेखनीय व्यक्ति
पंडित शिवदत्त,रोहनलाल चतुर्वेदी,गोस्वामी तुलसीदास जी एटा के ही सुपुत्र थे।
नजदीक जिले
*कासगंज
*हाथरस
*फ़िरोज़ाबाद
*मैनपुरी
*इटावा
*फ़र्रूख़ाबाद
*अलीगढ़
*मथुरा
*आगरा | 4,135 |
470305 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B8 | बिलियर्ड्स | बिलियर्ड्स आयताकार टेबल पर छोटी गेंदों की एक निश्चित संख्या व एक लम्बी छ्ड़ी से, जिसे क्यू कहा जाता है, से खेले जाने वाले विभिन्न खेलों में से एक है। कैरम या फ़्रेंच बिलियर्ड्स तीन गेंदों से एक बिना पॉकेट वाली टेबल पर खेला जाता हैं अन्य प्रमुख खेल छ: पॉकेट वाली टेबलों पर खेले जाते हैं, जिनमें हर कोने में एक-एक और दोनों लम्बी भुजाओं में एक-एक पॉकेट होती हैं।
स्नूकर
स्नूकर इंग्लिश बिलियर्ड्स के लिये प्रयुक्त टेबल पर व उसी आकार की गेंदों से खेला जाता है। यह खेल 22 गेंदों से खेला जाता है: सफ़ेद क्यू गेंद, 15 लाल गेंद और छह रंगीन गेंद, जिनका पीली के 2, हरी के 3, भूरी के 4, नीली के 5, गुलाबी के 6 व काली के 7 के हिसाब से अंक होते हैं।
खेल के नियम
खिलाड़ी को पहले एक लाल गेंद को पॉकेट में डालकर फिर किसी भी रंग की गेंद डालने का प्रयास करना चाहिये, जिससे उसे पॉकेट में डाली गई गेंद के रंग के अनुसार अंक मिलते रहें।
उसके बाद लाल व रंगीन गेंदें एक के बाद एक पॉकेट में डाली जाती हैं।
पॉकेट में डाले जाने के पश्चात प्रत्येक लाल गेंद वहीं रहती है, जबकि अन्य रंगों की गेंदें, जब पॉकेट में डाल दी जाएं, तो जब तक कोई भी लाल गेंद टेबल पर बची रहती है, तब तक वापस अपने निर्धारित स्थान पर रखी जाती हैं।
खेल तब तक चलता है, जब तक केवल छह रंगो की गेंदें ही टेबल पर न रह जाएं।
अंत में छह रंगीन गेंदों को उनके अंकों के मूल्य के अनुसार क्रम से पॉकेट में डाला जाना चाहिये।
जब आख़िरी गेंद पॉकेट में डाल दी जाती है, तो खेल समाप्त हो जाता है।
खेल के दौरान यदि (अन्य गेंद अथवा गेंदों की रूकावट के कारण) कोई खिलाड़ी उस गेंद पर प्रहार नहीं कर पाता, जिस पर उसे नियमानुसार प्रहार करना चाहिये, तो कहा जाता है कि उसने स्नूकर कर दिया है और वह अपना दांव खो देता है; यह स्थिति खेल को उसका नाम देती है।
पॉकेट बिलियर्ड्स या पूल
पॉकेट बिलियर्ड्स या पूल, जो 15 गेंदों व एक क्यू गेंद से खेला जाता है।
पॉकेट बिलियर्ड्स सामान्यत:1.4 मीटर x 2.7 मीटर की टेबल पर खेला जाता है, यद्यपि विशेष प्रतियोगिताओं में टेबल कभी-कभी 1.5 मीटर x 3 मीटर भी होती है।
पॉकेट बिलियर्ड्स में एक सफ़ेद गेंद के साथ ही 15 संख्याकित लक्ष्य गेंदें होती हैं; जिनमें 1 से 8 लक्ष्य गेंदों पर एक ही रंग होता है, 9 से 15 तक पट्टियां होती हैं।
खेल की शुरुआत में 15 लक्ष्य गेंदें टेबिल के एक कोने पर त्रिभुजाकार अभिरचना में त्रिभुजाकार लकड़ी अथवा प्लास्टिक के, रैक के द्वारा रखी जाती है।
पहला खिलाड़ी संरचना को क्यू बॉल से तोड़ता है; फिर वह लक्ष्य गेंदों को किसी निर्दिष्ट क्रम या रीति से पॉकेट में डालने का प्रयास करता है।
सफल प्रहार न कर पाने पर दूसरे खिलाड़ी को प्रहार करने का अवसर मिलता है।
ऐसा ही क्यू बॉल को पॉकेट में डाल देने से होता है, जिसे ‘स्क्रैचिंग’ कहा जाता है।
स्ट्रेट पूल में प्रत्येक खिलाड़ी 14 लक्ष्य गेंदों को किसी भी क्रम अथवा संयोजन में पॉकेट में डालने का प्रयास करता है। हालांकि प्रत्येक प्रहार के पूर्व, खिलाड़ी को गेंद की संख्या व निर्दिष्ट पॉकेट बताना होता है; यदि वह सफल होता है, तो उसे एक अंक मिलता है।
उपकरण
बिलियर्ड्स के सभी खेलों के लिये एक टेबल, क्यू स्टिक्स व और गेंदें आवश्यक हैं।
पारंपरिक महोगनी की टेबल आज भी प्रयोग की जाती है, लेकिन अब टेबल सामान्यत: अन्य लकड़ियों व सिंथेटिक साम्रगी की बनती हैं।
इसकी विशाल आयताकार टेबल विशिष्ट रूप से चौड़ाई से अधिक दुगुनी लम्बी होती है।
इसकी ऊपरी सतह सामान्यत: समतल स्लेट की बुने हुए ऊनी कपड़े से ढकी होती है, जिसे कभी-कभी ‘फ़ेल्ट’ कहा जाता है।
कठोर रबड़ अथवा सिंथेटिक रबड़ का मुड़ा हुआ घेरा, जिसे कुशन कहा जाता है, टेबल की अंदरूनी किनारे पर लगा होता है।
क्यू चिकनी लकड़ी अथवा सिंथेटिक साम्रगी की एक ओर से क्रमश: पतली होती छ्ड़ होती है, जो लंबाई में 100 से 150 सेमी तक होती है।
क्यू के पतले छोर पर, जिससे गेंद पर प्रहार किया जाता है, प्लास्टिक, फ़ाइबर तथा हाथीदांत जड़ा जाता है, जिस पर एक चमड़े का टुकड़ा चिपका होता है।
छोटे घनाकार टुकड़ों से क्यू के सिरे पर एक समान चॉक लगाया जाता है, जिससे खिलाड़ियों को क्यू गेंदों को मध्य से प्रहार कर फिरकी वाली चाल देने में सहायता मिलती है, जिसे ग्रेट ब्रिटेन में ‘साइड’ व संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘इंग्लिश’ कहा जाता है।
बिलियर्ड्स की गेंद, जो पहले हाथीदांत अथवा बेल्जियन मिट्टी की बनाई जाती थीं, अब सामान्यत: प्लास्टिक की होती हैं; और उनमें प्रत्येक 5.7 से 6 सेमी व्यास की होती है, बड़ी गेंद कैरम बिलियर्ड्स में प्रयोग की जाती हैं।
भारत में बिलियर्ड्स
भारत में बिलियर्डस और स्नूकर जैसे कौतूहल जगाने वाले खेल बहुत कम हुये हैं।
अंधेरे कमरे, बेहतरीन कपड़े पहने खिलाड़ी और कुछ वर्ष पूर्व तक 18 की उम्र के नीचे वालों का प्रवेश निषेध करते सूचना पट्ट, सभी बिलियर्ड्स और स्नूकर को रहस्यमय बनाते थे, जिससे कई युवा इस खेल की ओर आकर्षित हुए।
इनमें से एक चार बार के पेशेवर बिलियर्ड्स के विश्व विजेता गीत सेठी थे। 12 वर्ष की उम्र में गीत अक्सर अहमदाबाद के रेलवे क्लब बिलियर्ड्स कक्ष में नज़र बचाकर घुस जाते व क्यू पर हाथ आजमाते। यह शीघ्र ही उनका शौक़ बन गया और केवल आठ वर्ष बाद 1981 में वह सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय विजेता बने।
उन्हें शौक़िया खिलाड़ियों का विश्व ख़िताब 1984 में मिला। सेठी की सफलता उसी महान भारतीय बिलियर्ड्स परंपरा की कड़ी थी, जो 1958 में उस समय सुर्खियों में आई थी, जब विल्सन जोन्स ने शौक़िया खिलाड़िया का विश्व खिताब जीता।
जोन्स द्वारा स्थापित प्रतिमान के बाद, माइकल फ़रेरा ने पुराने और नए दौर के बीच सेतु का काम किया। फ़रेरा ने अपना पहला शौक़िया ख़िताब 1977 में जीता और 1983 तक दो बार और जीतकर अंग्रेज़ों के वर्चस्व को गंभीर चुनौती दी, जिन्होंने 19वीं शाताब्दी में खेल का भारतीय उपमहाद्वीप में परिचय कराया था।
फ़रेरा उन बहुत से खिलाड़ियों की पीढ़ी के थे, जो अच्छा बिलियर्ड्स खेलते थे और प्रतिद्वंद्वियों को निश्चित ही कठिन चुनौती देते थे। इस पीढ़ी में सतीश मोहन, अरविंद सावूर और अलीम शामिल थे।
गीत सेठी द्वारा फ़रेरा के नक़्शे क़दम पर चलने से, 1980 व 1990 के दशक ने निश्चित ही भारतीय बिलियर्ड्स का स्वर्णिम युग देखा। सेठी ने 1986 में एक और शौक़िया ख़िताब जीता और 1990 के दशक में चार पेशेवर विश्व ख़िताब जीते, जिनमें से अंतिम 1998 में जीता गया।
शौक़िया बिलियर्ड्स में भारत के कीर्तिमानों में एक और प्रतिष्ठापूर्ण अध्याय 1990 में तब जुड़ा मनोज कोठारी 'आर्थर वॉकर ट्राफ़ी' जीतने वाले चौथे भारतीय बने।
जब 1988 में बैंकाक के एशियाई खेलों में ये खेल शामिल किये गए, तब अशोक शांडिल्य ने भारत के लिये स्वर्ण पदक जीते। शांडिल्य ने सेठी के साथ मिलकर युगल स्पर्द्धा जीती और फ़ाइनल में सेठी को हराकर स्वर्ण पदक जीता।
आलोक कुमार, देवेंद्र जोशी, धर्मेंद्र लिली, मन्नन चंद्र और अन्य के साथ शांडिल्य बिलियर्ड्स में भारत के भविष्य के प्रति आशा बंधाते हैं।
ओम अग्रवाल ने स्नूकर में शौक़िया विश्व प्रतियोगिता 1984 में जीती।
यासिन मर्चेंट 1989 में एशियाई प्रतियोगिता जीतकर विश्व स्नूकर में अपना मुक़ाम बनाने वाले एकमात्र अन्य भारतीय बने।
क्यू खेल भारत के युवाओं में तेज़ी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं। पूल और कैरम आजकल युवाओं को बहुत आकर्षित कर रहे हैं, जो हर क्षेत्र में बढ़ते पूल पार्लरों के कारण सुलभ भी होते जा रहे हैं।
बिलियर्ड्स के इन अधिक आकर्षक रूपों के बेहतर नियोजन से भविष्य के विजेताओं का उदय निश्चित है।
सन्दर्भ
खेल | 1,253 |
273330 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A5%8D%E0%A4%B8 | लीड्स | लीड्स () इंग्लैंड के वेस्ट यॉर्कशायर का एक शहर और महानगरीय प्रशासनिक प्रभाग है। 2001 में लीड्स के मुख्य शहरी उपखंड की आबादी 443,247 थी जबकि पूरे शहर की जनसंख्या () थी। लीड्स वेस्ट यॉर्कशायर शहरी क्षेत्र का सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यावसायिक केंद्र है जिसकी जनसंख्या 2001 की जनगणना में 1.5 मिलियन थी और लीड्स का शहरी क्षेत्र जिसके महत्वपूर्ण भाग में लीड्स का एक आर्थिक क्षेत्र शामिल है, इसकी जनसंख्या 2.9 मिलियन थी। लीड्स व्यवसाय, कानूनी एवं वित्तीय सेवाओं के लिए लंदन के बाहर ब्रिटेन का सबसे बड़ा केंद्र है।
ऐतिहासिक रूप से लीड्स यॉर्कशायर की वेस्ट राइडिंग का एक भाग है जिसके इतिहास का विवरण पांचवीं सदी में दर्ज पाया जा सकता है जब एल्मेट का साम्राज्य "लोइडिस" के वनों से घिरा हुआ था, जिससे लीड्स नाम की उत्पत्ति हुई है। इस नाम का प्रयोग सदियों से कई प्रशासनिक संस्थाओं के लिए किया जा रहा है। इसका नाम 13वीं सदी में एक छोटे से जागीर संबंधी नगर से कई स्वरूपों में बदलते हुए वर्तमान महानगरीय प्रशासनिक प्रभाग से जुड़े नाम के रूप में रूपांतरित हुआ है। 17वीं और 18वीं सदियों में लीड्स ऊन के उत्पादन और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन गया था। फिर औद्योगिक क्रांति के दौरान लीड्स एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ; ऊन अभी भी एक प्रमुख उद्योग था लेकिन पटसन, इंजीनियरिंग, लोहे की ढलाई, छपाई और अन्य उद्योग महत्वपूर्ण थे। 16वीं सदी में आयरे नदी की घाटी में एक संक्षिप्त बाजार शहर से लीड्स का विस्तार आसपास के गांवों को अपने अंदर समाहित करते हुए 20वीं सदी के मध्य तक एक घनी आबादी वाले शहरी केंद्र के रूप में हो गया।
इस क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन, रेल और सड़क के संचार नेटवर्क लीड्स को केंद्रित कर बनाए गए हैं और अन्य देशों के नगरों एवं शहरों के साथ जोड़ने की कई व्यवस्थाएं की गयी हैं। लीड्स के शहरी क्षेत्र की भागीदारी में इसकी सौंपी गयी भूमिका क्षेत्रीय आर्थिक विकास के लिए शहर के महत्त्व को पहचान दिलाती है।
इतिहास
नामावली
लीड्स का नाम "लोइडिस" से निकला है, यह नाम एल्मेट साम्राज्य के अधिकांश हिस्से को घेरने वाले एक वन को दिया गया था जो 5वीं सदी से लेकर 7वीं सदी की शुरुआत के दौरान अस्तित्व में था। एडविन ऑफ नॉर्थुमब्रिया द्वारा बनवाये गए एक गिरजाघर से प्राप्त एक वेदी के बारे में एक चर्चा में अपनी पुस्तक हिस्टोरिका ऐकलेसियास्टिका के चौदहवें अध्याय में बेडे कहते हैं कि "...regione quae vocatur Loidis", यह क्षेत्र लोइडिस के रूप में जाना जाता था। लीड्स के निवासियों को स्थानीय तौर पर लॉयनर के रूप में जाना जाता है, यह एक अनिश्चित मूल का शब्द है।
आर्थिक विकास
लीड्स स्थानीय कृषि अर्थव्यवस्था के एक हिस्से के रूप में मध्य युग में एक बाजार शहर के रूप में विकसित हुआ। औद्योगिक क्रांति से पहले यह ऊनी कपड़ा बनाने के लिए एक समन्वय केंद्र बन गया था; जहां लीड्स व्हाइट क्लॉथ हॉल में सफेद ब्रॉडक्लोथ का व्यापार किया जाता था। 1770 में लीड्स इंग्लैंड के निर्यात व्यापार के छठे हिस्से को संचालित करता था। शुरुआत में कपड़ों के क्षेत्र में प्रगति ने 1699 में आयरे एवं कैलडर नेविगेशन और 1816 में लीड्स और लिवरपूल नहर के निर्माण से रफ़्तार पकड़ी. लीड्स के आसपास रेलवे नेटवर्क का निर्माण किया गया जिसकी शुरुआत 1834 में लीड्स और सेल्बी रेलवे के साथ हुई जिससे राष्ट्रीय बाजारों के साथ संचार व्यवस्था में सुधार हुआ और महत्वपूर्ण रूप से इसके विकास के लिए मैनचेस्टर के साथ एक पूर्व-पश्चिम संपर्क और लिवरपूल एवं हल के बंदरगाह ने इंटरनेशनल बाजारों तक एक बेहतर पहुंच कायम किया। तकनीकी विकास और औद्योगिक विस्तार के साथ-साथ 1864 में कॉर्न एक्सचेंज की शुरुआत ने लीड्स में कृषि वस्तुओं के व्यापार में एक रूचि को बनाए रखा.
मार्शल का मिल 1790 के आसपास लीड्स में सबसे पहले बनने वाले कई कारखानों में से एक था। शुरुआती वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण कारखाने ऊन के परिष्करण और पटसन मिलों के रूप में थे; फिर 1914 तक मुद्रण, इंजीनियरिंग, रसायन और कपड़ों के उत्पादन में इनका विविधीकरण हुआ। 1930 के दशक में उत्पादन में गिरावट के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अस्थायी तौर पर इसकी जगह सैन्य वर्दी और हथियारों के उत्पादन पर ध्यान दिया गया। हालांकि 1970 के दशक तक वस्त्र उद्योग अपरिवर्तनीय गिरावट के दौर में था जिसे सस्ती विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा था। लीड्स की समकालीन अर्थव्यवस्था को लीड्स सिटी काउंसिल द्वारा आकार दिया गया है जिसका उद्देश्य एक "24 घंटे व्यस्त यूरोपीय शहर" और "उत्तर क्षेत्र की एक राजधानी" बनना है। औद्योगिक काल के बाद की गिरावट से विकसित होकर यह आधुनिक वैश्विक अर्थव्यवस्था के इलेक्ट्रॉनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा एक टेलीफोन बैंकिंग केंद्र बन गया है। व्यावसायिक और कानूनी क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है और बढ़ती स्थानीय समृद्धि ने लग्जरी वस्तुओं के बाजार सहित एक खुदरा क्षेत्र का विस्तार किया है।
स्थानीय सरकार
लीड्स यॉर्कशायर के वेस्ट राइडिंग के स्काईरैक वैपेनटेक में स्थित विशाल प्राचीन बस्ती लीड्स सेंट पीटर में एक टाउनशिप और जागीर थी। लीड्स के प्रशासनिक प्रभाग का निर्माण 1207 में हुआ था जब जागीर के मालिक मौरिस पेनल ने जागीर के भीतर नदी की क्रॉसिंग के निकट एक छोटे से क्षेत्र को एक चार्टर प्रदान किया जो अब शहर का केंद्र है। चार सदियों के बाद लीड्स के निवासियों ने चार्ल्स प्रथम के पास निगमन के चार्टर के लिए एक याचिका दायर की जिसे 1626 में प्रदान किया गया। नए चार्टर ने सभी ग्यारह उपनगरों सहित संपूर्ण बस्ती को लीड्स के प्रशासनिक प्रभाग के रूप में निगमित कर दिया और पहले चार्टर को वापस ले लिया। ब्रिगेट सहित मुख्य सड़कों के निर्माण, प्रकाश व्यवस्था और सफाई के लिए 1755 में सुधार आयुक्तों का गठन किया गया; जिसमें आगे 1790 में जल आपूर्ति में सुधार के अतिरिक्त अधिकारों को जोड़ा गया।
प्रशासनिक प्रभाग निगम को म्युनिसिपल कॉरपोरेशंस एक्ट 1835 के प्रावधानों के तहत संशोधित किया गया था। लीड्स प्रशासनिक प्रभाग पुलिस बल का गठन 1836 में किया गया और लीड्स टाउन हॉल को निगम द्वारा 1858 में पूरा किया गया था। 1866 में लीड्स और प्रशासनिक प्रभाग के अन्य उपनगरों में से प्रत्येक एक सिविल पैरिश बन गया था। प्रशासनिक प्रभाग 1889 में एक काउंटी प्रशासनिक प्रभाग बन गया जिससे यह नवगठित वेस्ट राइडिंग काउंटी काउंसिल से स्वतंत्र हो गया और 1893 में इसे सिटी का दर्जा प्राप्त हुआ। 1904 में लीड्स पैरिश ने प्रशासनिक प्रभाग के भीतर से बीस्टन, चैपल एलर्टन, फर्नले, हेडिंग्ले कम बर्ले और पॉटरन्यूटन को समाहित कर लिया। बीसवीं सदी में काउंटी प्रशासनिक प्रभाग ने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय विस्तारों की एक श्रृंखला शुरू की, यह सिलसिला 1911 में से बढ़ते हुए 1961 में तक चला. 1912 में लीड्स के पैरिश और काउंटी प्रशासनिक प्रभाग ने लीड्स रूरल डिस्ट्रिक्ट को समाहित कर लिया जिसमें राउंडहे और सीक्रॉफ्ट की बस्तियां शामिल थीं; और शैडवेल जो वेदरबाई रूरल डिस्ट्रिक्ट का हिस्सा रहा था। 1 अप्रैल 1925 को लीड्स के पैरिश का विस्तार कर संपूर्ण प्रशासनिक प्रभाग को इसमें शामिल कर लिया गया।
प्रमण्डल के प्रशासनिक प्रभाग को 1 अप्रैल 1974 को बंद कर दिया गया और इसके पहले के क्षेत्र को मॉर्ले एवं पुडसे के म्युनिसिपल प्रशासनिक प्रभाग; आयरेबरो, हॉर्सफोर्थ, ओटले, गारफोर्थ एवं रोथवेल के शहरी जिलों; और टेडकास्टर, वेदरबाई एवं व्ह़ारफेडले के ग्रामीण जिलों के हिस्सों के साथ मिला दिया गया। इस क्षेत्र को वेस्ट यॉर्कशायर की काउंटी में एक महानगरीय जिले का गठन करने के लिए इस्तेमाल किया गया, इसने प्रशासनिक प्रभाग और सिटी दोनों का दर्जा हासिल किया शहर और यह लीड्स सिटी के रूप में जाना जाता है। प्रारंभ में स्थानीय सरकारी सेवाएं लीड्स सिटी काउंसिल और वेस्ट यॉर्कशायर काउंटी काउंसिल द्वारा प्रदान की गयी थीं। हालांकि इस काउंटी परिषद को 1986 में समाप्त कर दिया गया और सिटी काउंसिल ने इसके कार्यों को अवशोषित कर लिया जहां कुछ अधिकार वेस्ट यॉर्कशायर पैसेंजर ट्रांसपोर्ट ऑथोरिटी जैसे संगठनों को हस्तांतरित कर दिए गए। 1988 से सिटी सेंटर के निकट दो मंद और परित्यक्त क्षेत्रों को पुनर्गठन के लिए नामित किया गया और सिटी काउंसिल की स्वीकृत योजना के बाहर लीड्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के दायित्व क्षेत्र का गठन किया गया। 1995 में विकास निगम को समाप्त कर दिए जाने के बाद, योजना के अधिकार को स्थानीय प्राधिकारी को बहाल कर दिया गया।
उपनगरीय विकास
1801 में लीड्स की 42% आबादी व्यापक प्रशासनिक प्रभाग में टाउनशिप के बाहर रहती थी। 1832 और 1849 में हैजा फैलने के कारण प्रशासनिक प्रभाग के अधिकारियों ने जल निकासी, स्वच्छता और जल आपूर्ति की समस्याओं से निपटने पर ध्यान दिया. जल की आपूर्ति मूलतः नदी घाटी (ह्वार्प) से की गयी थी लेकिन 1860 तक यह इतना अधिक प्रदूषित था कि इसका उपयोग नहीं किया जा सकता था। 1867 के लीड्स वाटरवर्क्स एक्ट के बाद लीड्स के उत्तर में लिंडले वुड, स्विंसटी और फ्यूस्टन में तीन जलाशयों का निर्माण किया गया। 1801 से लेकर 1851 तक होलबेक और हंसलेट में आवासीय विकास हुआ लेकिन इन उपनगरों के औद्योगीकृत होते ही मध्यवर्गीय आवास के लिए नए क्षेत्रों को पसंद किया जाने लगा. इसके बाद मुख्य रूप से उद्योग के लिए और दूसरे एक के बाद एक कामगारों के आवासों के लिए नदी के दक्षिण की भूमि का विकास किया गया। लीड्स सुधार अधिनियम 1866 की मांग ऐसे घरों की संख्या को सीमित कर कामगार वर्ग के आवासों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए की गयी थी जिनका निर्माण एकल छत में किया जा सकता था। 1858 तक होलबेक और लीड्स ने एक निरंतर निर्मित क्षेत्र का गठन किया जबकि हंसलेट उनके आसपास तक पहुंच गया था। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में हंसलेट, आर्मले और वर्टले में जनसंख्या वृद्धि ने स्वयं लीड्स को पीछे छोड़ दिया था। जब प्रदूषण एक समस्या बन गयी, अमीर निवासी छोटे औद्योगिक उपनगरीय विस्तार को छोड़कर हेडिंग्ले, पॉटरन्यूटन और चैपल एलर्टन के उत्तर के गांवों में रहने चले गए; इसके कारण 1951 से लेकर 1961 तक हेडिंग्ले और बर्ले की आबादी में 50% की वृद्धि हो गयी। औद्योगिक क्षेत्रों से मध्य वर्ग की उड़ान राउंडहे और एडेल में प्रशासनिक प्रभाग से आगे विकास का कारण बनी. बिजली के ट्राम की पटरी की शुरुआत ने हेडिंग्ले और पॉटरन्यूटन में विकास की रफ़्तार और राउंडहे में प्रशासनिक प्रभाग के बाहर विस्तार को बढ़ावा दिया.
1870 में निगम द्वारा दो निजी गैस आपूर्ति करने वाली कंपनियों का अधिग्रहण किया गया और इस नयी नगरपालिका संबंधी आपूर्ति का इस्तेमाल सड़कों में प्रकाश व्यवस्था और घरों में किफायती गैस प्रदान करने के लिए किया गया। 1880 के दशक की शुरुआत से यॉर्कशायर हाउस-टू-हाउस इलेक्ट्रिसिटी कंपनी ने लीड्स को उस समय तक बिजली की आपूर्ति की जब लीड्स निगम ने इसे भी खरीद लिया और यह एक निगम की एक आपूर्ति व्यवस्था बन गयी।
लीड्स में मलिन बस्तियों को हटाने और पुनर्निर्माण का कार्य युद्धकाल की अवधि के दौरान शुरू हुआ जब काउंसिल द्वारा क्रॉस गेट्स, मिडलटन, गिप्टन, बेले आइले और हल्टन मूर जैसे स्थानों में 24 एस्टेटों में 18,000 से अधिक घरों का निर्माण किया गया। 1975 में ध्वस्त की गयी क्वैरी हिल की मलिन बस्तियों की जगह नए क्वैरी हिल फ्लैटों का निर्माण किया गया। अन्य 36,000 घरों का निर्माण निजी क्षेत्र के बिल्डरों द्वारा किया गया जिससे ग्लेडहाउ, मूरटाउन, अलवूडली, राउंडहे, कोल्टन, विटकर्क, ओकवुड, वीटवुड और एडेल के उपनगरों का निर्माण हुआ। 1949 के बाद काउंसिल ने 30,000 अन्य उप-स्तरीय घरों को ध्वस्त कर दिया जिसके स्थान पर सीक्रॉफ्ट, आर्मले हाइट्स, टिनशिल और ब्रैकेनवुड जैसे एस्टेटों में कुल मिलाकर 151 माध्यम-आकार की ऊंचाई वाले और गगनचुम्बी ब्लॉकों का निर्माण किया गया।
हाल ही में लीड्स में शहर के पुनर्निर्माण पर काफी स्थानीय निवेश होता देखा गया है जिसने निवेशों और अग्रणी परियोजनाओं को आकर्षित किया जैसा कि लीड्स सिटी सेंटर में पाया जाता है। सिटी सेंटर से सिर्फ कुछ ही दूरी पर पहले ही कई इमारतों का निर्माण किया गया है जिसने भव्य पेंटहाउस अपार्टमेंटों को बढ़ावा दिया है।
भौगोलिक स्थिति
(53.799°, -1.549°) और मध्य लंदन के उत्तर-पश्चिमोत्तर में पर लीड्स का केंद्रीय क्षेत्र आयरे नदी पर आयरे घाटी के एक संकरे हिस्से में स्थित है जो पेनाइंस की पूर्वी तलहटी में स्थित है। सिटी सेंटर समुद्र तल से लगभग ऊपर स्थित है जबकि डिस्ट्रिक्ट सेंटर का विस्तार इल्कली मूर की ढलानों पर सुदूर पश्चिम में से लेकर लगभग तक है जहां आयरे और ह्वार्फ़ नदियां पूर्वी सीमा को पार करती हैं। लीड्स का केंद्र एक निरंतर निर्मित क्षेत्र का हिस्सा है जिसका विस्तार पुंडसे, ब्रैमले, हॉर्सफोर्थ, अलवूडली, सीक्रॉफ्ट, मिडलटाउन और मूरले तक है। लीड्स में ब्रिटेन के किसी भी स्थानीय प्राधिकरण जिले में की दूसरी सबसे बड़ी आबादी (बर्मिंघम के बाद) रहती है और इसका विस्तार किसी भी अंग्रेजी महानगरीय जिले का दूसरे सबसे बड़े क्षेत्र (डोंकास्टर के बाद) के रूप में है जो पूर्व से पश्चिम तक 15 मील (24 किमी) और उत्तर से दक्षिण तक 13 मील (21 किमी) तक फैला है। उत्तरी सीमा कई मीलों तक ह्वार्फ़ नदी का अनुसरण करती है लेकिन यह नदी की उत्तर दिशा में स्थित ओटले के हिस्से को शामिल करने के लिए नदी को पार करती है। लीड्स जिले का 65% से अधिक हिस्सा हरित पट्टी के रूप में है और सिटी सेंटर यॉर्कशायर डेल्स नेशनल पार्क से बीस मील (32 किमी) से कम दूरी पर स्थित है जहां ब्रिटेन के कुछ सबसे शानदार दृश्य और ग्रामीण इलाके मौजूद हैं। लीड्स के भीतरी और दक्षिणी क्षेत्र मूंगे के आकार के बलुआ पत्थरों की एक परत पर स्थित हैं। उत्तरी हिस्से पुराने बलुआ और बजरी वाले पत्थरों से निर्मित हैं और उत्तर दिशा में इसका विस्तार मैग्नेशियाई चूना पत्थरों की पट्टी के रूप में है। लीड्स के केंद्रीय क्षेत्रों में भूमि का उपयोग जबरदस्त ढंग से शहरी है।
लीड्स के सटीक भौगोलिक अर्थ को परिभाषित करने का प्रयास संदर्भ की भिन्नता के आधार पर इसके विस्तार की विभिन्न अवधारणाओं को जन्म देता है; इसमें सिटी सेंटर, शहरी फैलाव, प्रशासनिक सीमाएं और कार्यात्मक क्षेत्र शामिल हैं।
लीड्स सिटी सेंटर लीड्स के भीतरी रिंग रोड में शामिल है जो ए58 रोड, ए61 रोड, ए64 रोड, ए643 रोड और एम621 मोटरमार्गों के हिस्सों से मिलकर बना है। प्रमुख उत्तर-दक्षिण शॉपिंग मार्ग, ब्रिगेट पैदल मार्ग के रूप में निर्मित है और क्वीन विक्टोरिया स्ट्रीट जो विक्टोरिया क्वार्टर का एक हिस्सा है यह एक सीसे की छत के अंतर्गत समाहित है। मिलेनियम स्क्वायरएक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र बिंदु है। लीड्स के पोस्टकोड क्षेत्र में अधिकांश लीड्स शहर शामिल है और यह लगभग पूरी तरह से लीड्स पोस्ट टाउन से निर्मित है। ओटले, वेदरबाई, टेडकास्टर, पुडसे और इल्कले पोस्टकोड क्षेत्र के भीतर अलग-अलग पोस्ट टाउन हैं। लीड्स के निर्मित क्षेत्र के साथ ही जिले के भीतर कई उपनगर और एक्सअर्ब स्थित हैं।
जलवायु
लीड्स की समुद्री जलवायु विशेष रूप से ब्रिटिश द्वीपों की तरह है जिसमें साल भर तापमान में थोड़ी भिन्नता रहती है।
शहर की जलवायु काफी हद तक अटलांटिक सागर से और कुछ हद तक पेनाइंस से प्रभावित होती है। लीड्स में गर्मियां आम तौर पर हल्की और कभी-कभी गरम रहती हैं जबकि सर्दियां ठिठुरन वाली और कभी-कभी बहुत अधिक ठंडी होती है जहां कभी-कभार बर्फ गिरती है। लीड्स के निवासी हर साल कुछ दिनों तक बर्फ बिछी होने की उम्मीद कर सकते हैं। गंभीर रूप से पाला गिरना यहां आम है। इसके उत्तरी अक्षांश के कारण लीड्स में दिन की रोशनी के घंटे वर्ष भर में बदलते रहते हैं। सबसे छोटे दिन में सूरज प्रातः 8:22 बजे उगता है और शाम को 3:46 पर सूरज अस्त होता है जिससे दिन का उजाला केवल 7 घंटे तक रहता है। बादलों से घिरे और नमी युक्त दिनों में दिन का उजाला और भी कम महसूस होता है। सबसे लंबे दिन में सूरज 4:35 बजे प्रातः उगता है और शाम को 9:41 बजे अस्त होता है जिससे कुल मिलाकर 17 घंटे दिन का उजाला रहता है जहां खगोलीय धुंधला प्रकाश रात भर मौजूद रहता है। जब उच्च दबाव मौसम पर हावी रहता है, दिन असाधारण रूप से लंबे और गर्म महसूस हो सकते हैं।
सबसे गर्म महीना जुलाई और अगस्त के बीच बँटा हुआ होता है, जिसमें दोनों का एक औसत उच्चतम स्टार 19.9° सेल्सियस (67.8° फारेनहाइट) होता है जबकि फरवरी सबसे ठंडा महीना होता है जब औसत न्यूनतम तापमान 0.2° सेल्सियस (32.3° फारेनहाइट) होता है। गर्मियों में 30° सेल्सियस (86° फारेनहाइट) से अधिक और सर्दियों में -5° सेल्सियस से कम तापमान सामान्य नहीं है लेकिन या अनसुना नहीं है, अगस्त 2003 और जुलाई 2006 में तापमान कुछ दिनों के लिए 30° सेल्सियस (86° फारेनहाइट) से अधिक हो गया था और 3 दिसम्बर 2010 को तापमान -15° सेल्सियस (5° फारेनहाइट) तक गिर गया था और यह -5° सेल्सियस (23° फारेनहाइट) से ऊपर नहीं उठ पाया था।
लीड्स में प्रति वर्ष औसतन 660 मिमी (25.9 इंच) वर्षा होती है जो यूनाइटेड किंगडम में सबसे शुष्क मौसमों में से एक है, ऐसा पेनाइन्स पर्वत श्रेणियों के कारण होता है जो अटलांटिक की ओर से हवाओं को आने से रोकती है, फिर भी लीड्स में हर साल औसतन 147 दिनों तक वर्षा होती है जो अधिकांशतः हल्की फुहारों के रूप में होती है लेकिन वसंत के उत्तरार्द्ध/गर्मियों की शुरुआत के दौरान भारी मूसलाधार बारिश हो सकती है।
हालांकि ऐसा शायद ही कभी होता है लेकिन चरम मौसम हो सकता है। वर्ष 2007 के दौरान यूनाइटेड किंगडम में आयरे नदी के तटबंध के टूटने के कारण सिटी सेंटर को बाढ़ का सामना करना पडा था। 14 सितम्बर 2006 को शहर के हेयरहिल्स क्षेत्र में एक टोरनाडो का आक्रमण हुआ था जिसने पेड़ों को उखाड़ दिया था, इसी तूफ़ान ने लीड्स स्टेशन के सिगनलों को नाकाम कर दिया था।
जनसांख्यिकी
शहरी उपखंड
2001 की युनाइटेड किंगडम की जनगणना के समय लीड्स के शहरी उपखंड ने क्षेत्र को घेर लिया था और यहाँ 443,247 की आबादी थी; जो इसे इंग्लैंड के भीतर सबसे अधिक आबादी वाला चौथा शहरी उपखंड और युनाइटेड किंगडम के भीतर पांचवां सबसे बड़ा शहर बनाता है। जनसंख्या का घनत्व था जो शेष वेस्ट यॉर्कशायर शहरी क्षेत्र से थोड़ा अधिक था। इसमें लीड्स सिटी का 20% क्षेत्र और 62% जनसंख्या शामिल है। शहरी उपखंड की जनसंख्या में महिला-पुरुष का अनुपात 100 में 93.1 का था। 16 वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों में 39.4% अविवाहित (जिसने कभी शादी नहीं की) और 35.4% पहली बार शादी करने वाले लोग शामिल थे। शहरी उपखंड के 188,890 परिवारों में 35% एक व्यक्ति वाले, 27.9% साथ रहने वाले शादी-शुदा जोड़े, 8.8% साथ रहने वाले जोड़े और 5.7% अपने बच्चों के साथ रहने वाले एकल माता-पिता शामिल थे। लीड्स वेस्ट यॉर्कशायर शहरी क्षेत्र का सबसे बड़ा घटक है और यूरोस्टेट द्वारा इसकी गणना लीड्स-ब्रैडफोर्ड विशाल शहरी क्षेत्र के हिस्से के रूप में की जाती है। लीड्स 2001 में कार्य के लिए यात्रा करने वाला क्षेत्र बन गया जिस लीड्स सिटी का संपूर्ण भाग, ब्रैडफोर्ड सिटी की उत्तरी पट्टी, कर्कलीस का पूर्वी क्षेत्र और दक्षिणी नॉर्थ यॉर्कशायर का एक भाग शामिल है; यह को घेरता है।
महानगरीय जिला
2001 की ब्रिटेन की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 715,402 थी। लीड्स के 301,614 परिवारों में 33.3% साथ रहने वाले शादी-शुदा जोड़े, 31.6% एक व्यक्ति वाले परिवार, 9.0% साथ रहने वाले जोड़े और 9.8% अकेले रहने वाले माता या पिता थे जो शेष इंग्लैंड की पद्धति का अनुसरण करता है। जनसंख्या का घनत्व था और प्रत्येक 100 महिलाओं पर पुरुषों का अनुपात 93.5 था।
लीड्स में अधिकांश लोग अपनी पहचान ईसाई के रूप में कराते हैं। देश में मुसलमानों का अनुपात (जनसंख्या का 3.0%) सामान्य है। लीड्स में लंदन और मैनचेस्टर के बाद युनाइटेड किंगडम का तीसरा सबसे बड़ा यहूदी समुदाय रहता है। अलवूडली और मूरटाउन के क्षेत्रों में बहुत बड़ी यहूदी आबादी शामिल है। 2001 की जनगणना में लीड्स के 16.8% निवासियों ने खुद को "कोई धर्म नहीं" मानने वाला बता जो मोटे तौर पर संपूर्ण ब्रिटेन का आंकड़ा है (इसके अलावा 8.1% लोग ऐसे थे जिन्होंने "अपना धर्म नहीं बताया" था). अपराध की दर लीड्स में कई अन्य प्रमुख अंग्रेजी शहरों की तरह राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर है। जुलाई 2006 में थिंक टैंक रिफॉर्म ने विभिन्न अपराधों के लिए अपराध के दरों की गणना की और इसका संबंध प्रमुख शहरी क्षेत्रों (100,000 की आबादी से अधिक वाले शहरों के रूप में पारिभाषित) की आबादी के साथ जोड़ा. इस रेटिंग में लीड्स को 11वां स्थान (लंदन के प्रशासनिक प्रभाग को छोड़कर, लंदन के प्रशासनिक प्रभाग सहित 23वां स्थान) दिया गया था। नीचे दी गयी तालिका 1801 के बाद से जिले के वर्तमान क्षेत्र की जनसंख्या का विवरण उपलब्ध कराती है जिसमें अंतिम उपलब्ध जनगणना के आंकड़ों के बाद प्रतिशत बदलाव भी शामिल है।
सरकार
लीड्स सिटी स्थानीय जिला सरकार है और लीड्स सिटी काउंसिल स्थानीय प्राधिकरण है। यह काउंसिल 99 पार्षदों से मिलकर बना है जिसमें शहर के प्रत्येक वार्ड के लिए तीन पार्षद हैं। चुनाव चार वर्षों में तीन बार मई महीने के पहले गुरूवार को आयोजित किये जाते हैं। प्रत्येक चुनाव में एक तिहाई पार्षदों को चार वर्ष के एक कार्यकाल के लिए चुना जाता है। 2004 में सीमा परिवर्तन की वजह से सभी सीटों पर चुनाव कराये गए थे। काउंसिल वर्त्तमान में किसी भी समग्र नियंत्रण के अधीन नहीं है और इसका संचालन लेबर और ग्रीन के पार्षदों के एक गठबंधन द्वारा द्वारा किया जाता है। वेस्ट यॉर्कशायर में कोई काउंटी काउंसिल नहीं है, इसलिए लीड्स सिटी काउंसिल शहर के लिए स्थानीय सरकार की सेवाओं का प्रमुख प्रदाता है। जिला यॉर्कशायर और इंग्लैंड के हंबर क्षेत्र में है और इसमें एक गैर-नगरीय क्षेत्र एवं सिविल पैरिश शामिल हैं। ये स्थानीय सरकार के सबसे निचले स्तर हैं और इन क्षेत्रों में लीड्स सिटी काउंसिल की कुछ सीमित कार्य प्रणालियों को नियंत्रित करते हैं। हॉर्सफोर्थ, मॉर्ले, ओटले और वेदरबाई के काउंसिल शहर के काउंसिल हैं। जिले में 27 अन्य सिविल पैरिश मौजूद हैं।
जिले का प्रतिनिधित्व आठ सांसदों द्वारा किया जाता है जिनमें शामिल हैं एल्मेट और रोथवेल (एलेक शेलब्रूक, कंजर्वेटिव); लीड्स सेंट्रल (हिलेरी बेन लेबर); लीड्स ईस्ट (जॉर्ज मूडी, लेबर), लीड्स नॉर्थ ईस्ट (फेबियन हैमिल्टन, लेबर); लीड्स नॉर्थ वेस्ट (ग्रेग मूलोलैंड, लिब डेम); लीड्स वेस्ट (राहेल रीव्स, लेबर); मॉर्ले और आउटवुड (वेकफील्ड सिटी के साथ साझा निर्वाचन क्षेत्र) (एड बॉल्स, लेबर); और पुडसे (स्टुअर्ट एंड्रयू, कंजर्वेटिव). लीड्स यॉर्कशायर एवं हंबर यूरोपीय निर्वाचन क्षेत्र के भीतर आता है जिसका प्रतिनिधित्व दो कंजर्वेटिव एक लेबर, एक यूकेआईपी, एक लिबरल डेमोक्रेट और एक बीएनपी एमईपी द्वारा किया जाता है। जून 2009 के यूरोपीय संसद के चुनाव में लीड्स के लिए मतदान के आंकड़े इस प्रकार थे: कंजर्वेटिव 22.6%, लेबर 21.4%, यूकेआईपी 15.9%, लिब डेम 13.8%, बीएनपी 10.0%, ग्रीन 9.4%.
अर्थव्यवस्था
लीड्स में एक विविध अर्थव्यवस्था है जहां सेवा क्षेत्र में रोजगार अब पारंपरिक विनिर्माण उद्योगों से काफी आगे निकल गया है। 2002 में लीड्स जिले में 401,000 कर्मचारियों को पंजीकृत किया गया था। इनमें से 24.7% लोक प्रशासन, शिक्षा और स्वास्थ्य में थे जबकि 23.9% बैंकिंग, वित्त और बीमा क्षेत्र में और 21.4% वितरण, होटल और रेस्तरांओं के क्षेत्र में थे। बैंकिंग, वित्त और बीमा सेक्टरों में लीड्स इस क्षेत्र और देश की वित्तीय संरचना से काफी अलग है। यह शहर लंदन के बाहर इंग्लैंड में सबसे बड़े वित्तीय केंद्रों में से एक का स्थान है। रिटेल, कॉल सेंटर, ऑफिस और मीडिया जैसे तृतीयक उद्योगों ने आर्थिक विकास की एक उच्च दर हासिल करने में योगदान किया है। इस शहर में ब्रिटेन के बैंक ऑफ इंग्लैंड का एक मात्र सहायक कार्यालय स्थित है। 2006 में शहर का जीवीए 16.3 बिलियन पाउंड दर्ज किया गया था जिसमें संपूर्ण लीड्स सिटी क्षेत्र द्वारा 46 बिलियन पाउंड की एक अर्थव्यवस्था का सृजन किया जाता था।
लीड्स के व्यापक रिटेल क्षेत्र की पहचान संपूर्ण यॉर्कशायर और हंबर क्षेत्र के लिए प्रमुख क्षेत्रीय शॉपिंग सेंटर के रूप में की जाती है और लगभग 3.2 मिलियन लोग इसके जलग्रहण क्षेत्र के भीतर रहते हैं। शहर के मध्य में कई इनडोर शॉपिंग सेंटर स्थित हैं जिनमें मेरियन सेंटर, लीड्स शॉपिंग प्लाजा, सेंट जॉन्स सेंटर, हीड्रो सेंटर, विक्टोरिया क्वार्टर, द लाइट और कॉर्न एक्सचेंज शामिल हैं। कुल मिलाकर वहां लगभग 1,000 रिटेल स्टोर स्थित है जिसका संयुक्त फ्लोरस्पेस है। लीड्स में रिटेलिंग में कार्यरत 40,000 लोगों में से 75% ऐसे स्थानों में काम करते हैं जो सिटी सेंटर में स्थित नहीं हैं। कई ऐसे गांवों में जो काउंटी प्रशासनिक प्रभाग का हिस्सा बनते हैं और ऐसे कस्बों में जिन्हें 1974 में लीड्स सिटी में निगमित किया गया था, अतिरिक्त शॉपिंग सेंटर स्थित हैं।
ऑफिस संबंधी निर्माण भी परंपरागत रूप से भीतरी क्षेत्र में स्थित है जो आयर नदी के दक्षिण में फ़ैल गया है और यह कुल मिलाकर स्थान घेरता है। 1999 से 2008 की अवधि में 2.5 बिलियन पाउंड की संपत्ति का निर्माण केंद्रीय लीड्स में किया गया; जिनमें से 711 मिलियन पाउंड ऑफिस, 265 मिलियन पाउंड रिटेल, 389 मिलियन पाउंड लीजर और 794 मिलियन पाउंड आवास के रूप में था। इस अवधि में नयी संपदा के निर्माण में विनिर्माण और वितरण के उपयोग का हिस्सा 26 मिलियन पाउंड का था। सिटी सेंटर में 130,100 नौकरियां मौजूद हैं जो विस्तृत जिले में सभी नौकरियों का 31% हिस्सा है। 2007 में 47,500 नौकरियां वित्त और व्यापार में, 42,300 सार्वजनिक सेवाओं में और 19,500 खुदरा एवं वितरण में थी। जिले में वित्तीय क्षेत्र की नौकरियों का 43% लीड्स सिटी सेंटर में मौजूद था और सिटी सेंटर में कार्यरत लोगों में 44% नौ किलोमीटर से अधिक दूरी पर रहते थे। पर्यटन लीड्स की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, 2009 में लीड्स ब्रिटेन के पर्यटकों द्वारा इंग्लैंड में सबसे अधिक भ्रमण किया जाने वाला आठवां शहर था और विदेशी पर्यटकों के मामले में यह 13वां सबसे अधिक भ्रमण किया जाने वाला शहर था।
जनवरी 2011 में सेंटर फॉर सिटीज द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में लीड्स को पांच "दर्शनीय शहरों" में एक के रूप में नामित किया गया है। रिपोर्ट से यह पता चलता है कि लीड्स के औसत निवासी प्रति सप्ताह 471 पाउंड अर्जित करते हैं
जो राष्ट्रीय स्तर पर सत्रहवां है, लीड्स के 30.9% निवासियों के पास एनवीक्यू4+ की उच्च-स्तरीय स्तर की योग्यताएं हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर पंद्रहवां है और लीड्स की बेरोजगारी की दर 2010 में 70.4% पर ब्रिस्टल के साथ खड़ी है जो राष्ट्रीय औसत पर या उससे अधिक रोजगार की दर है। इससे यह भी पता चलता है कि लीड्स 2014/2015 में कल्याण योजनाओं में होने वाली कटौती से सबसे कम प्रभावित प्रमुख शहर होगा जहां लीवरपूल में -192 पाउंड और ग्लासगो में -175 पाउंड प्रति व्यक्ति की कटौती की तुलना में -125 पाउंड प्रति व्यक्ति की कटौती का अनुमान है।
प्रसिद्ध स्थल
लीड्स में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक और निर्मित सुप्रसिद्ध स्थल देखे जाते हैं। प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों में ओटले चेविन का ग्रिटस्टोन आउटकॉर्प और फेयरबर्न इंग्स आरएसपीबी रिजर्व जैसे विविधतापूर्ण स्थल शामिल हैं। राउंडहे और टेम्पल न्यूसैम में स्थित शहर के पार्कों का स्वामित्व और रखरखाव करदाताओं के लाभ के लिए काफ़ी समय से काउंसिल के हाथों में है और लीड्स के केंद्र में खुले स्थानों में मिलेनियम स्क्वायर, लीड्स शहर स्क्वायर, पार्क स्क्वायर और विक्टोरिया गार्डंस शामिल हैं। विक्टोरिया गार्डंस सेंट्रल सिटी के युद्ध स्मारक का स्थल है: उपनगरों, कस्बों और गांवों में 42 अन्य युद्ध स्मारक मौजूद हैं।
निर्मित परिवेश में मॉर्ले टाउन हॉल और लीड्स, लीड्स टाउन हॉल एवं कॉर्न एक्सचेंज में इमारतों की तिकड़ी और वास्तुकार कथबर्ट ब्रॉडरिक द्वारा निर्मित लीड्स सिटी म्यूजियम जैसे नागरिक गौरव की इमारतें समाहित हैं। लीड्स के क्षितिज पर आश्चर्यजनक रूप से सफ़ेद दो इमारतें लीड्स यूनिवर्सिटी की पार्किन्सन बिल्डिंग और सिविक हॉल हैं जिसके जुड़वां शिखरों पर के शीर्ष पर आकर्षक सुनहरे उल्लू बने हुए हैं। आर्म्ले मिल्स, घंटाघर से प्रेरित अपने टावरों के साथ टावर वर्क्स और मिस्र की शैली के टेम्पल वर्क्स शहर के औद्योगिक इतिहास की याद दिलाते हैं जबकि कर्कस्टॉल एबी के खंडहर और स्थल सिस्टर्सियन वास्तुकला की सुंदरता और भव्यता को दर्शाते हैं। उल्लेखनीय गिरजाघर हैं सिटी सेंटर में स्थित लीड्स पैरिश चर्च, सेंट जॉर्ज चर्च और लीड्स कैथेड्रल और शांत स्थलों में सेंट जॉन द बैपटिस्ट, एडेल और बार्डसे पैरिश चर्च.
ब्रिजवाटर प्लेस का टॉवर जिसे द डैलेक के रूप में भी जाना जाता है, यह एक प्रमुख कार्यालय और आवासीय निर्माण का एक हिस्सा है और क्षेत्र की सबसे ऊंची इमारत है; इसे मीलों दूर से देखा जा सकता है। एनी टॉवर ब्लॉकों में सिटी सेंटर के उत्तर में 37-मंजिला स्काई प्लाजा एक ऊंचाई पर स्थित है जिसके कारण इसकी ऊंचाई ब्रिजवाटर से कहीं अधिक दिखाई देती है।
एलांड रोड (फुटबॉल) और हेडिंग्ले स्टेडियम (क्रिकेट एवं रग्बी) खेल के प्रति उत्साह रखने वालों के बीच काफी मशहूर है और व्हाइट रोज सेंटर एक सुप्रसिद्ध रिटेल आउटलेट है।
परिवहन
लीड्स ए62, ए63, ए64, ए65 और ए660 सड़कों का प्रारंभिक बिंदु है, इसके अलावा यह ए58 और ए61 पर स्थित है। एम1 और एम62 इसके दक्षिण में एक दूसरे को काटते हैं और ए1 (एम) पूर्व से होकर गुजरता है। लीड्स उत्तरी मोटरमार्ग नेटवर्क के प्रमुख केन्द्रों में से एक है। इसके अतिरिक्त वहां एक शहरी मोटरमार्ग नेटवर्क भी है, रेडियल एम621 ट्रैफिक को एम62 और एम1 से सेंट्रल लीड्स के भीतर ले जाता है। इसके अलावा आंशिक मोटरमार्ग के दर्जे के साथ एक इनर रिंग रोड और आउटर रिंग रोड भी मौजूद है। सिटी सेंटर का एक हिस्सा पैदल यात्रियों के लिए है और यह केवल-दक्षिणावर्त लूप रोड से घिरा हुआ है।
लीड्स क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन को वेस्ट यॉर्कशायर मेट्रो द्वारा समन्वित और द्वारा विकसित किया जाता है जहां सेवा की जानकारी लीड्स सिटी काउंसिल और वेस्ट यॉर्कशायर मेट्रो द्वारा प्रदान की जाती है। लीड्स में सार्वजनिक परिवहन के लिए प्रमुख साधन बस सेवाएं हैं। मुख्य प्रदाता फर्स्ट लीड्स है और अर्रिवा यॉर्कशायर शहर के दक्षिण के मार्गों पर सेवाएं प्रदान करती हैं। लीड्स एक मुफ्त बस सेवा, फ्रीसिटी बस की सेवा भी प्रदान करता है। लीड्स सिटी बस स्टेशन डायर स्ट्रीट पर है और इसका इस्तेमाल यॉर्कशायर में कस्बों और शहरों की बस सेवा द्वारा किया जाता है, साथ ही कुछ स्थानीय सेवाएं भी मौजूद हैं। नेशनल एक्सप्रेस कोच सेवा के लिए कोच स्टेशन इसके पास ही है। शहर से बाहर की बस सेवाएं मुख्य रूप से फर्स्टबस और अर्रिवा यॉर्कशायर द्वारा प्रदान की जाती हैं। हैरोगेट एंड डिस्ट्रिक्ट हैरोगेट और रिपन के लिए एक सेवा प्रदान करती है। कीले एंड डिस्ट्रिक्ट शिपली, बिंगले और कीले के लिए सेवा प्रदान करती है। यॉर्कशायर कोस्टलाइनर सेवा लीड्स से यॉर्क और माल्टन से होकर ब्रिडलिंगटन, फाइले, स्कारबोरो और व्हिटबी के लिए चलती है। स्टेजकोच गूले से होकर हल के लिए एक सेवा प्रदान करती है।
न्यू स्टेशन स्ट्रीट में लीड्स रेलवे स्टेशन से नौर्दर्न रेल द्वारा
मेट्रोट्रेन्स (MetroTrains) संचालित की जाती है जो लीड्स के उपनगरों और इससे आगे लीड्स सिटी रीजन के सभी भागों के लिए चलती है।
यह स्टेशन लंदन के बाहर इंग्लैंड में सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है, प्रति दिन 900 से अधिक ट्रेनें और 50,000 से अधिक यात्री यहां से होकर गुजरते हैं। यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संपर्क के साथ-साथ स्थानीय और क्षेत्रीय गंतव्यों के लिए सेवाएं प्रदान करता है। स्टेशन में 17 प्लेटफार्म हैं जो इसे लंदन के बाहर इंग्लैंड का सबसे बड़ा स्टेशन बनाता है।
लीड्स ब्रैडफ़ोर्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यीडन में स्थित है जो सिटी सेंटर के उत्तर-पश्चिम में लगभग दूर है और यहां यूरोप के साथ-साथ मिस्र, पाकिस्तान और तुर्की के भीतर के गंतव्यों के लिए चार्टर एवं नियमित दोनों तरह की उड़ानें उपलब्ध हैं। यहां लंदन गैटविक एयरपोर्ट, पेरिस चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट और एम्स्टर्डम शिफोल एयरपोर्ट से होकर दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए संपर्क सुविधाएं उपलब्ध हैं। लीड्स से मैनचेस्टर एयरपोर्ट तक एक सीधी रेल सेवा मौजूद है। रॉबिन हूड एयरपोर्ट डोंकास्टर शेफील्ड लीड्स से दूर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। लीड्स का संपर्क हल के साथ सड़क, रेल और कोच के माध्यम से है जिसमें केवल एक घंटे का समय लगता है जहां से पीएंडओ फेरीज द्वारा संचालित फेरी सेवाओं के माध्यम से रॉटरडम और जीब्रूज के लिए यात्रा की जा सकती है।
पैदल यात्रा
लीड्स कंट्री वे शहर के ग्रामीण इलाकों से होकर का एक चिह्नित रास्तों से युक्त वृत्ताकार पैदल मार्ग है जिसमें सिटी स्क्वायर से कभी भी से अधिक समय नहीं लगता है। मीनवुड वैली ट्रेल वुडहाउस मूर से निकलकर मीनवुड बेक के साथ गोल्डन एकर पार्क तक जाती है। लीड्स का डेल्स वे का विस्तार इल्कली और वाइंडरमेयर की ओर शाखित होकर आगे बढ़ने से पहले मीनवुड वैली ट्रेल का अनुसरण करता है। लीड्स पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों के लिए ट्रांस पेनाइन ट्रेल के उत्तरी खंड में स्थित है और लीड्स लिवरपूल कैनाल का टोपाथ एक अन्य लोकप्रिय पैदल मार्ग है। इसके अलावा लीड्स के शहरी और ग्रामीण दोनों हिस्सों में कई पार्क और सार्वजनिक फुटपाथ मौजूद हैं और रैम्बलर्स एसोसिएशन, वायएचए एवं अन्य पैदल यात्रा संगठन सामाजिक पैदल यात्राएं उपलब्ध कराते हैं। रैम्बलर्स एसोसिएशन लीड्स में और इसके आसपास पैदल यात्राओं की विभिन्न पुस्तिकाएं प्रकाशित करता है।
शिक्षा
विद्यालय
2001 की जनगणना के समय लीड्स में 0-19 वर्ष की उम्र के युवाओं की जनसंख्या 183,000 थी जिनमें से 110,000 युवा स्थानीय प्राधिकरण के स्कूलों में जाते थे। 2008 में लीड्स सिटी काउंसिल के स्वामित्व वाली एक अलाभकारी कंपनी एडुकेशन लीड्स ने 220 प्राथमिक विद्यालयों, 39 माध्यमिक विद्यालयों तथा 6 विशेष समावेशी शिक्षण केंद्रों की व्यवस्था की थी। सरकारी बिल्डिंग स्कूल्स फॉर द फ्यूचर की पहल के अंतर्गत लीड्स ने 13 माध्यमिक विद्यालयों को उच्च-स्तरीय उपलब्धियों वाले, ई-आत्मविश्वासी, समावेशी स्कूलों के रूप में रूपांतरित करने के लिए 260 मिलियन पाउंड की राशि शुरक्षित की थी। इनमें से पहले तीन स्कूल एलर्टन हाई स्कूल, पुडसी ग्रेंजफील्ड स्कूल और रोडिलियन स्कूल सितंबर 2008 में खोले गए थे। क्योंकि लीड्स में एक गिरती हुई जन्म दर है, इसलिए काउंसिल हाल पर दिनों में स्कूल के स्थानों को कम करने का दबाव बढ़ा है जिसके परिणाम स्वरूप कुछ स्कूलों का विलय कर दिया गया और कुछ बंद कर दिए गए हैं। शहर का सबसे पुराना और सबसे बड़ा निजी स्कूल लीड्स में स्थित द ग्रामर स्कूल है जिसका 2005 में कानूनी रूप से पुनर्गठन 1552 में स्थापित लीड्स ग्रामर स्कूल्स और 1857 में स्थापित लीड्स गर्ल्स हाई स्कूल के विलय के बाद किया गया था। लीड्स में अन्य स्वतंत्र स्कूलों में यहूदी और मुस्लिम समुदायों के लिए सेवारत धार्मिक स्कूल शामिल हैं।
अतिरिक्त और उच्च शिक्षा
अतिरिक्त शिक्षा लीड्स सिटी कॉलेज (2009 में एक विलय के जरिये गठित और 60,000 से अधिक छात्रों की मौजूदगी के साथ), लीड्स कॉलेज ऑफ बिल्डिंग, मॉर्ले में जोसफ प्रेस्टली कॉलेज और नोट्रे डेम कैथोलिक सिक्स्थ फॉर्म कॉलेज द्वारा प्रदान की जाती है। शहर में दो विश्वविद्यालय हैं: लीड्स विश्वविद्यालय को 1904 में अपना चार्टर प्राप्त हुआ था जो 1874 में स्थापित यॉर्कशायर कॉलेज और 1831 के लीड्स स्कूल ऑफ मेडिसीन से विकसित हुआ था, इसके अलावा लीड्स मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी 1992 में एक विश्वविद्यालय बना था लेकिन इसकी जड़ें 1824 के मेकानिक्स इंस्टिट्यूट में पायी जा सकती हैं। लीड्स विश्वविद्यालय में कुल मिलाकर 31,000 छात्र हैं जिनमें से 21,500 पूर्णकालिक या सैंडविच अंतरस्नातक डिग्री के छात्र हैं, लीड्स मेट्रोपोलिटन विश्वविद्यालय में छात्रों की कुल संख्या 52,000 है जिनमें से 12,000 पूर्णकालिक या सैंडविच अंतरस्नातक डिग्री के छात्र और 2,100 पूर्णकालिक या सैंडविच एचएनडी छात्र हैं। अन्य उच्च-स्तरीय शिक्षण संस्थान हैं: लीड्स ट्रिनिटी यूनिवर्सिटी कॉलेज जहां 3,000 से भी कम छात्र हैं, लीड्स कॉलेज ऑफ आर्ट, लीड्स कॉलेज ऑफ म्यूजिक और नॉर्दर्न स्कूल ऑफ कांटेम्पोरेरी डांस. द इंडिपेंडेंट समाचार पत्र द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में इस शहर को बेस्ट यूके यूनिवर्सिटी डेस्टिनेशन चुना गया था। शिक्षार्थियों का संयुक्त कुल योग 250,000 से अधिक छात्रों के साथ लीड्स को देश में सबसे बड़ी छात्र संख्या रखने का दर्जा देता है।
संस्कृति
मीडिया
यॉर्कशायर पोस्ट न्यूजपेपर लिमिटेड जिसका स्वामित्व जॉनस्टन प्रेस पीएलसी के पास है, इसी शहर में स्थित है और यह एक दैनिक प्रातःकालीन प्रसारण यॉर्कशायर पोस्ट तथा एक सायंकालीन अखबार यॉर्कशायर ईवनिंग पोस्ट (वायईपी) निकालता है। वायईपी की एक वेबसाइट है जिसमें सामुदायिक पृष्ठों की एक श्रृंखला शामिल है जो शहर के विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान करती है। वेदरबाई न्यूज मुख्य रूप से जिले के उत्तर-पूर्वी सेक्टर के भीतर के क्षेत्रों को कवर करता है और ह्वार्फ़डेल एंड आयरेडेल ऑब्जर्वर जो इल्कली में प्रकाशित होता है और यह उत्तर-पश्चिम को कवर करता है, दोनों साप्ताहिक रूप से निकलते हैं। दोनों ही विश्वविद्यालयों के अपने छात्र अखबार हैं, साप्ताहिक लीड्स स्टूडेंट लीड्स विश्वविद्यालय से और मासिक द मेट लीड्स मेट्रोपोलिटन विश्वविद्यालय का अखबार है। द लीड्स गाइड एक पाक्षिक लिस्टिंग पत्रिका है जिसकी स्थापना 1997 में हुई थी। निःशुल्क मुफ्त प्रकाशन में लीड्स वीकली न्यूज शामिल है जिसे यॉर्कशायर पोस्ट न्यूजपेपर द्वारा चार भौगोलिक संस्करणों में निकाला जाता है और इसका वितरण शहर के प्रमुख शहरी क्षेत्र के घरों में किया जाता है और मेट्रो का क्षेत्रीय संस्करण जिसका वितरण बसों और रेलवे स्टेशनों पर किया जाता है।
क्षेत्रीय टेलीविजन और रेडियो स्टेशनों का आधार शहर में है; बीबीसी टेलीविजन और आईटीवी दोनों के पास लीड्स में क्षेत्रीय स्टूडियो और प्रसारण केंद्र हैं। आईटीवी यॉर्कशायर जो पहले यॉर्कशायर टेलीविजन था यह कर्कस्टॉल रोड पर द लीड्स स्टूडियो से प्रसारित होता है। यहाँ कई कई स्वतंत्र फिल्म निर्माण कंपनियां भी मौजूद हैं जिनमें 1978 में स्थापित अलाभकारी सहकारी लीड्स एनिमेशन वर्कशॉप; सामुदायिक वीडियो निर्माता वेरा मीडिया और कई छोटी व्यावसायिक निर्माण कंपनियां शामिल हैं। बीबीसी रेडियो लीड्स, रेडियो आयरे, मैजिक 828, गैलेक्सी यॉर्कशायर, रीयल रेडियो और यॉर्कशायर रेडियो इस शहर से प्रसारित होते हैं। LSRfm.com लीड्स यूनिवर्सिटी यूनियन में स्थित है और यह नियमित रूप से शहर के आसपास बाहरी प्रसारण का आयोजन करता है। लीड्स के भीतर कई समुदायों का अपना स्थानीय रेडियो स्टेशन है जैसे कि वेदरबाई और आसपास के क्षेत्रों के लिए ईस्ट लीड्स एफएम और टेम्पो एफएम. लीड्स के पास अपना स्वयं का निजी swaamitv वाला टेलीविजन स्टेशन भी है अपने स्वयं के : लीड्स टेलीविजन स्वयंसेवकों द्वारा चलाया जाता है और उद्योग के मीडिया में समर्थित द्वारा पेशेवरों.
संग्रहालय
2008 में मिलेनियम स्क्वायर में एक नए लीड्स सिटी म्यूजियम की शुरुआत हुई थी। एबी हाउस म्यूजियम कर्कस्टॉल एबी के पूर्व गेटहाउस में स्थित है और इसमें विक्टोरियाई मार्गों और गलियारों का विवरण शामिल है जो एबी, बचपन और विक्टोरियाई लीड्स के इतिहास का वर्णन करता है। आर्मले मिल्स औद्योगिक संग्रहालय उस स्थान पर स्थित है जो कभी दुनिया का सबसे बड़ा ऊन का कारखाना था और इसमें औद्योगिक मशीनरी तथा रेलवे लोकोमोटिव शामिल हैं। यह संग्रहालय दुनिया के सबसे पहले ज्ञात चलचित्र का भी प्रदर्शन करता है जिन्हें राउंडहे गार्डन सीन और लीड्स ब्रिज के लुई डी प्रिंस द्वारा 1888 में लिया गया था। थ्वायट मिल्स वाटरमिल म्यूजियम आयरे नदी पर सिटी सेंटर के पूर्व में स्थित 1820 के दशक का एक पूरी तरह से पुनर्गठित जल-संचालित मिल है। ठाकरे म्यूजियम दवाओं के इतिहास का एक संग्रहालय है जो विक्टोरियाई जन स्वास्थ्य, चेतनाशून्यता के पूर्व की शल्य चिकित्सा और प्रसव में सुरक्षा जैसे विषयों को दर्शाता है। यह सेंत जेम्स अस्पताल के बगल में एक पूर्व कार्यशाला में स्थित है। रॉयल आर्मरीज म्यूजियम को 1996 में एक नाटकीय आधुनिक इमारत में खोला गया था जब राष्ट्रीय संग्रह के इस भाग को लंदन के टॉवर से स्थानांतरित कर दिया गया था। लीड्स आर्ट गैलरी को एक बड़े नवीकरण के बाद जून 2007 में फिर से खोला गया था और इसमें पारंपरिक एवं समकालीन ब्रिटिश कला का एक महत्वपूर्ण संग्रह मौजूद है। लीड्स के छोटे संग्रहालयों में शामिल हैं ओटले म्यूजियम, हॉर्सफोर्थ विलेज म्यूजियम, यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स टेक्सटाइल आर्काइव (यूएलआईटीए) और फुलनेक मोरेवियन सेटलमेंट में स्थित संग्रहालय.
संगीत, रंगमंच और नृत्य
लीड्स में ग्रांड थियेटर है जहां ओपेरा नॉर्थ स्थित है, सिटी वेराइटीज म्यूजिक हॉल जिसने चार्ली चैपलिन और हैरी हॉडिनी के कार्यक्रमों का आयोजन किया था और यह बीबीसी टेलीविजन कार्यक्रम द गुड ओल्ड डेज का आयोजन स्थल भी थी और वेस्ट यॉर्कशायर प्लेहाउस.
लीड्स फीनिक्स डांस थिएटर जिसका गठन 1981 में शहर के हेयरहिल्स क्षेत्र में किया गया था और नॉर्दर्न बैले थियेटर का एक केंद्र भी है। 2010 की शरद ऋतु में दोनों कंपनियां उद्देश्य से निर्मित नृत्य केन्द्र में चली जाएगी जो लंदन के बाहर नृत्य के लिए सबसे बड़ा स्थान हो जाएगा. यह एक दूसरे के निकट राष्ट्रीय शास्त्रीय और एक राष्ट्रीय समकालीन नृत्य कंपनी के गठन के लिए नृत्य का एकमात्र स्थान होगा.
लीड्स से उत्पन्न होने वाले लोकप्रिय संगीत कलाओं में शामिल हैं द वेडिंग प्रेजेंट, सॉफ्ट सेल, द सनशाइन अंडरग्राउंड, द सिस्टर्स ऑफ मर्सी, हैंडाउकेन!, कैसर चीफ्स, गैंग ऑफ फॉर, द रिदम सिस्टर्स और स्पाइस गर्ल्स की मेलानी बी.
कार्निवल और उत्सव
लीड्स कार्निवल पश्चिमी यूरोप का सबसे पुराना वेस्ट इंडियन कार्निवल और नॉटिंग हिल कार्निवल के बाद ब्रिटेन का दूसरा सबसे बड़ा कार्निवल है। तीन दिनों के आयोजन में यह लगभग 100,000 लोगों को चैपलटाउन और हेयरहिल्स की सडकों की ओर आकर्षित करता है। यहाँ पौटर न्यूटन पार्क में एक विशाल जुलुस का आयोजन होता है जहां स्टॉल, मनोरंजन और जलपान की व्यवस्थाएं होती हैं। लीड्स महोत्सव रॉक और इंडी संगीत के कुछ सबसे बड़े नामों का प्रदर्शन करता है जिनका आयोजन हर साल ब्रम्हम पार्क में होता है। लीड्स एशियाई महोत्सव जो पहले लीड्स मेला था, इसका आयोजन राउंडहे पार्क में होता है। ओटले फोक फेस्टिवल (संरक्षक: निक जोन्स), वाकिंग फेस्टिवल, कार्निवल और विक्टोरियन क्रिसमस फेयर वार्षिक आयोजन हैं। लाइट नाइट लीड्स का आयोजन हर साल अक्टूबर में होता है और सितंबर में हेरिटेज ओपन डेज के लिए कई स्थल सार्वजनिक रूप से खुले होते हैं। फैनी वाटरमैन और मैरियन स्टीन द्वारा 1963 में स्थापित लीड्स इंटरनेशनल पियानोफोर्ट प्रतियोगिता 1963 से हर तीन साल पर शहर में आयोजित की जाती है और इसने संगीत कार्यक्रमों के कई प्रमुख पियानोवादकों के कैरियर को शुरुआत दी है। द लीड्स इंटरनेशनल कॉन्सर्ट सीजन, जिसमें लीड्स टाउन हॉल में आयोजित होने वाले आर्केस्ट्रा और कोरल कंसर्ट तथा अन्य आयोजन शामिल हैं, यह ब्रिटेन में स्थानीय प्राधिकरण का सबसे बड़ा संगीत कार्यक्रम है।
लीड्स अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह इंग्लैंड के बाहर लंदन का सबसे बड़ा फिल्मोत्सव है और यहां दुनिया भर के फिल्मों को दिखाया जाता है। इसमें अत्यंत सफल लीड्स यंग पीपुल्स फिल्म फेस्टिवल शामिल है जो बच्चों एवं युवाओं द्वारा उनके लिए बनाए गए रोमांचक और अभिनव दोनों तरह के फिल्मों का प्रदर्शन करता है। गारफोर्थ एक पखवाड़े तक चलने वाले महोत्सव द गारफोर्थ आर्ट्स फेस्टिवल का आयोजन स्थल है जो 2005 से एक वार्षिक आयोजन रहा है। लीड्स फेस्टिवल फ्रिंज एक सप्ताह तक चलने वाली एक संगीत समारोह है जिसका सृजन 2010 में लीड्स फेस्टिवल से पूर्व के सप्ताह में स्थानीय प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था।
नाइट लाइफ
लीड्स में एक बहुत बड़ी छात्र जनसंख्या है, नतीजतन यहां पबों, बारों, नाइटक्लबों और रेस्तराओं की एक बड़ी संख्या मौजूद है, साथ ही यहां लाइव संगीत कार्यक्रमों के आयोजन स्थल भी बहुतायत में हैं। लीड्स संगीत की पसंद की एक पूरी रेंज को दर्शाता है। इसमें बैक 2 बेसिक और स्पीडक्वीन क्लब नाइट्स का मूल केंद्र शामिल है। मॉर्ले टेक्नो क्लब द ऑर्बिट का स्थल था। लीड्स में कई बड़े 'सुपर क्लब' हैं और यहां स्वतंत्र क्लबों का एक विकल्प मौजूद है।
लीड्स में एक सुव्यस्थित समलैंगिक नाइटलाइफ़ दृश्य मौजूद है। ब्रिज इन और द न्यू पेनी दोनों कॉल लेन पर स्थित हैं और काफी समय से समलैंगिक रात्रि केंद्र रहे हैं।
मिलेनियम स्क्वायर और सिविक या नॉर्दर्न क्वार्टर की ओर छात्रों और सप्ताहांत के आगंतुकों के लिए एक उभरता मनोरंजन जिला स्थित है। स्क्वायर में कई बार और रेस्तराएं मौजूद हैं और सिविक थियेटर के पास एक विशाल आउटडोर स्क्रीन निर्मित है। मिलेनियम स्क्वायर क्रिसमस मार्केट, गिग्स एंड कंसर्ट्स, सिटीवाइड पार्टीज और द रिदम्स ऑफ सिटी फेस्टिवल्स जैसे बड़े मौसमी कार्यक्रमों का आयोजन स्थल है। यह मंडेला गार्डन के पास स्थित है जिसका उदघाटन 2001 में नेल्सन मंडेला द्वारा किया गया था। सिटी सेंटर के रोमांचों के मध्य में कई लोक कला प्रदर्शनियां, फव्वारे, एक नहर और हरियाली को भी देखा जा सकता है।
खेल
इस शहर के पास सभी प्रमुख राष्ट्रीय खेलों का प्रतिनिधित्व करने वाली टीमें हैं। लीड्स युनाइटेड ए.एफ.सी. शहर के मुख्य फुटबॉल क्लब हैं। लीड्स राइनोज (रग्बी लीग), लीड्स कार्नेगी (रग्बी यूनियन और यॉर्कशायर काउंटी क्रिकेट क्लब भी इस शहर में स्थित हैं। लीड्स युनाइटेड का गठन 1919 में किया गया था और यह बीस्टन में 40,000 की क्षमता वाले एलांड रोड में खेलती है। यह टीम द चैम्पियनशिप - अंग्रेजी फुटबॉल की द्वितीय श्रेणी में खेलती है।
लीड्स राइनो लीड्स की सबसे सफल रग्बी लीग टीम है। 2009 में यह लगातार तीन सीजन तक सुपर लीग चैम्पियन बनने वाला पहला क्लब रहा था, जिसने इनका चौथा सुपर लीग टाइटल प्रदान किया था। ये अपना स्थानीय खेल हेडिंग्ले कार्नेगी स्टेडियम में खेलते हैं। जॉन चार्ल्स सेंटर फॉर स्पोर्ट में स्थित हंसलेट हॉक्स को-ऑपरेटिव चैम्पियनशिप वन में खेलती है। ब्रैमले बुफैलोज और लीड्स एक्कीज रग्बी लीग कॉन्फ्रेंस के सदस्य हैं। लीड्स कार्नेगी जिसे पहले लीड्स टाइक्स के रूप में जाना जाता था, यह लीड्स में सबसे अग्रणी रग्बी यूनियन टीम है और यह हेडिंग्ले कार्नेगी स्टेडियम में खेलती है। ये गिनीज प्रीमियरशिप में खेलते हैं जो इंग्लैंड में शीर्ष स्तर का स्थानीय रग्बी यूनियन है। ओटले आर.यू.एफ.सी. शहर के उत्तर में स्थित एक रग्बी यूनियन क्लब है और यह नेशनल डिवीजन वन में भी प्रतिस्पर्धा करती है जबकि मॉर्ले में स्थित मॉर्ले आर.एफ.सी. वर्त्तमान में नेशनल डिवीजन थ्री नॉर्थ में खेलती है। लीड्स कार्नेगी एल.एफ.सी. लीड्स में सर्वश्रेष्ठ दर्जा प्राप्त महिला महिला फुटबॉल टीम है जो इंग्लैंड में उच्चतम स्तर, एफए वुमेन्स प्रीमियर लीग नेशनल डिवीजन में प्रतिस्पर्धा करती है।
लीड्स सिटी एथलेटिक्स क्लब ब्रिटिश एथलेटिक्स लीग और यूके वुमेन्स लीग के साथ-साथ नॉर्थ उत्तरी एथलेटिक्स लीग में प्रतिस्पर्धा करता है। इस शहर में प्रचुर मात्रा में खेल सुविधाएं मौजूद हैं जिनमें शामिल हैं एलांड रोड फुटबॉल स्टेडियम जो 1996 के यूरोपीय फुटबॉल चैम्पियनशिप के दौरान एक आयोजक स्टेडियम था, हेडिंग्ले कारनेगी स्टेडियम जो क्रिकेट और रग्बी लीग दोनों के लिए आसन्न विश्व प्रसिद्ध स्टेडियम है और जॉन चार्ल्स सेंटर फॉर स्पोर्ट्स जिसके एक्वेटिक्स सेंटर में एक ओलंपिक आकार का तरणताल मौजूद है और इसमें एक बहु-उपयोगी स्टेडियम भी शामिल है। अन्य सुविधाओं में लीड्स वॉल (सीढ़ीदार) और यीडन टार्न नौकायन केन्द्र शामिल हैं। 1929 में ब्रिटिश धरती पर होने वाले गोल्फ की पहली राइडर कप की प्रतियोगिता लीड्स के मूरटाउन गोल्फ क्लब में हुई थी और वेदरबाई में एक राष्ट्रीय हंट रेस कोर्स मौजूद है। 1928 से 1939 तक की अवधि में स्पीडवे रेसिंग का आयोजन लीड्स के एलांड रोड पर स्थित ग्रेहाउंड स्टेडियम के एक ट्रैक पर किया गया था। इस ट्रैक को 1931 के नॉर्दर्न लीग में एक टीम में प्रवेश मिला.
धर्म
लीड्स में ज्यादातर लोग अपनी पहचान ईसाई के रूप में देते हैं। लीड्स में चर्च ऑफ इंग्लैंड कैथेड्रल मौजूद नहीं है क्योंकि लीड्स रिपन एवं लीड्स के एंग्लिकन डायोसीज का हिस्सा है और इस डायोसीज का कैथेड्रल रिपन में स्थित है; बिशप का निवास 2008 से लीड्स में रहा है। सबसे महत्वपूर्ण एंग्लिकन चर्च लीड्स पैरिश चर्च है। लीड्स में एक रोमन कैथोलिक कैथेड्रल मौजूद है जो लीड्स के रोमन कैथोलिक डायोसीज का एपिस्कोपल सीट है। कई अन्य ईसाई संप्रदाय और नए धार्मिक गतिविधियां लीड्स में स्थापित हैं जिनमें एसेम्बली ऑफ गॉड, बैपटिस्ट, क्रिश्चियन साइंटिस्ट, चर्च ऑफ जीसस क्राइस्ट ऑफ लैटर डे सेंट्स ("एलडीएस चर्च", मोर्मोन को भी देखें), कम्युनिटी ऑफ क्राइस्ट, ग्रीक ऑर्थोडॉक्स, येहोवाज विटनेस, जीसस आर्मी, लुथेरन, मेथोडिस्ट, नाजरीन, न्यूफ्रंटायर्स नेटवर्क, पेंटेकोस्टल, साल्वेशन आर्मी, सेवंथ डे एडवेंटिस्ट, सोसायटी ऑफ फ्रेंड्स ("क्वार्क्स"), यूनिटेरियन, युनाइटेड रिफॉर्मड, विनेयार्ड, वेस्लेयन चर्च, एक सार्वभौम चीनी चर्च और कई स्वतंत्र चर्च शामिल हैं।
मुसलमानों का अनुपात लीड्स में देश के औसत स्तर पर है। मस्जिद शहर भर में पाए जा सकते हैं जो चैपलटाउन, हेयरहिल्स, हाइड पार्क और बीस्टन के कुछ भागों में मुस्लिम समुदायों को सेवाएं प्रदान करते हैं। हाइड पार्क में स्थित लीड्स ग्रैंड मस्जिद सबसे बड़ी मस्जिद है। सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व शहर भर में फैले गुरुद्वारों (मंदिरों) से होता है जिनमें सबसे बड़ा चैपलटाउन है। बैसाखी - सिखों के नव वर्ष और इस धर्म के जन्म की तिथि का उत्सव मनाने के लिए 13-14 अप्रैल के आसपास सिटी सेंटर के मिलेनियम सिटी स्क्वायर में एक रंगीन धार्मिक वार्षिक जुलूस निकाला जाता है जिसे नगर कीर्तन कहते हैं। अनुमान है कि लीड्स में करीब 3,000 सिख इस वार्षिक आयोजन में भाग लेते हैं।
लीड्स में लंदन और मैनचेस्टर के बाद युनाइटेड किंगडम का तीसरा सबसे बड़ा यहूदी समुदाय रहता है। अलवुडली और मूरटाउन में एक बड़ी संख्या में यहूदी आबादी मौजूद है। लीड्स में आठ सक्रिय सिनेगॉग (यहूदी उपासनागृह) हैं। लीड्स में एक छोटे से हिंदू समुदाय का एक मंदिर हाइड पार्क में स्थित है। इस मंदिर में सभी प्रमुख हिंदू देवी-देवता मौजूद है और यह जैनियों के भगवान महावीर को समर्पित है। लीड्स में विभिन्न बौद्ध परंपराओं का प्रतिनिधित्व किया जाता है जिनमें शामिल हैं: सोका गकई, थेरावदा, तिब्बती त्रिरत्न बौद्ध समुदाय और जेन. बौद्ध समुदाय (संघ) मई के महीने में वेसाक का प्रमुख उत्सव मनाने के लिए एक साथ मिलते हैं। बहाई धर्म का भी एक समुदाय लीड्स में मौजूद है।
सार्वजनिक सेवाएं
लीड्स में जल आपूर्ति और मल-जल निकासी की सुविधा यॉर्कशायर वाटर द्वारा प्रदान की जाती है जो केल्दा समूह का हिस्सा है। 1973 के पहले यह सुविधा लीड्स कॉरपोरेशन द्वारा प्रदान की जाती थी। लीड्स सिटी काउंसिल का एक लक्ष्य 2010 तक तटवर्ती हवा से 11 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा प्राप्त करने की है और 2020 तक 75 मेगावाट का एक आकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में लीड्स में कोई भी विंड फ़ार्म कार्यशील नहीं है।
क्षेत्र में पुलिस सेवा वेस्ट यॉर्कशायर पुलिस द्वारा प्रदान की जाती है। इस पुलिस बल के आठ प्रभाग हैं जिनमें से तीन लीड्स को कवर करते हैं: एए "नॉर्थ वेस्ट लीड्स डिवीजन" वेस्टवुड में स्थित एक स्टेशन से उत्तर और पश्चिम लीड्स को कवर करता है; बीए "नॉर्थ ईस्ट लीड्स डिवीजन" चैपल एलर्टन और किलिंगबेक के निकट स्टेनबेक में स्थित एक स्टेशन से उत्तर और पूर्व लीड्स को कवर करता है; सीए "सिटी एंड होलबेक डिवीजन" मिलिगार्थ (सिटी सेंटर) और होलबेक में स्थित स्टेशनों से मध्य और दक्षिण लीड्स को कवर करता है। आग और बचाव सेवाएं वेस्ट यॉर्कशायर फायर एंड रेस्क्यू सर्विस द्वारा प्रदान की जाती है। लीड्स में स्थित अग्निशमन केंद्र हैं: कुकरिज, गिप्टन, हंस्लेट, व्हिनमूर "लीड्स" (सिटी सेंटर के पास, कर्कस्टॉल रोड पर) और मूरटाउन.
स्वास्थ्य सेवाएं लीड्स टीचिंग हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट, लीड्स प्राइमरी केयर ट्रस्ट और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले लीड्स पार्टनरशिप्स एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा प्रदान की जाती हैं। लीड्स जनरल इनफर्मरी ("एलजीआई") एक सूचीबद्ध इमारत है जिसमें हाल ही में नयी सुविधाएं जोड़ी गयी हैं और जो सिटी सेंटर में स्थित है। सेंट जेम्स यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल, लीड्स में जिसे स्थानीय रूप से "Jimmy's" के रूप में जाना जाता है, यह सिटी सेंटर के उत्तर पूर्व में स्थित है और यूरोप के सबसे बड़े शिक्षण अस्पतालों में से एक है। अन्य एनएचएस अस्पताल हैं चैपल एलर्टन हॉस्पीटल, सीक्रॉफ्ट हॉस्पीटल ओटले में स्थित ह्वार्फ़डेल हॉस्पीटल और लीड्स डेंटल इंस्टिट्यूट. नई एनएचएस लीड्स वेबसाइट लीड्स में उपलब्ध एनएचएस सेवाओं की जानकारी प्रदान करती है।
वेस्ट यॉर्कशायर ज्वाइंट सर्विसेस लीड्स और वेस्ट यॉर्कशायर के चार अन्य जिलों में विश्लेषणात्मक, पुरातात्विक, अभिलेखागार संबंधी, पारिस्थितिकीय, सामग्री परीक्षण और व्यापार मानकों की सेवाएं प्रदान करती है। इसका गठन 1986 में सिटी काउंसिल के उन्मूलन के बाद और विस्तार 1997 में किया गया था, इसका वित्त पोषण पांच जिला परिषदों द्वारा उनकी आबादी के यथानुपात आधार पर किया जाता है। अभिलेखागार संबंधी सेवाओं के लिए लीड्स का स्थल लीड्स के शीप्सकार में स्थित पूर्व सार्वजनिक पुस्तकालय में है।
लीड्स सिटी काउंसिल पूरे शहर में मौजूद 50 से अधिक सार्वजनिक पुस्तकालयों के साथ-साथ 5 मोबाइल पुस्तकालयों लिए उत्तरदायी है। मुख्य सेंट्रल लाइब्रेरी सिटी सेंटर में हीड्रो पर स्थित है।
जुड़वां शहर
शहर में कई जुड़वां या साझेदारी व्यवस्थाएं मौजूद हैं:
ब्रनो, चेक गणराज्य
कोलंबो, श्रीलंका
डॉर्टमंड, जर्मनी
डर्बन, दक्षिण अफ्रीका
हांगझू, चीन
लायेल, फ्रांस
लूइसविले, संयुक्त राज्य अमेरिका
सिएगेन, जर्मनी
"जारी परियोजनाओं के लिए" निम्नलिखित शहरों के साथ इस शहर के "काफी मजबूत संबंध" हैं:
ब्रासोव, रोमानिया
सेंट मेरी, जमैका
स्टॉकहोम, स्वीडन
संदर्भ और टिप्पणियां
संदर्भग्रन्थ
बाहरी कड़ियाँ
'लीड्स इनिशिएटिव' लीड्स इनिशिएटिव सिटी पार्टनरशिप.
लीड्स सिटी काउंसिल लीड्स सिटी काउंसिल.
लेओडिस लीड्स लाइब्रेरी एंड इन्फोर्मेशन सर्विस फोटोग्राफ आर्काइव.
वीआर लीड्स लीड्स 360º वर्चूअल टूर.
'लीड्स चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री' लीड्स चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
माई लाइफ इन लीड्स लीड्स में मेरा जीवन
लीड्स टीवी लीड्स टेलीविजन
(पैरिश के बाहरी स्थानों के लिए पश्चिमी राइडिंग पैरिश के गेनुकी के इंडेक्स या मैप को देखें)
इंग्लैंड के शहर
लीड्स सिटी क्षेत्र
यूनाइटेड किंगडम में यूनिवर्सिटी टाउन
पश्चिमी यॉर्कशायर में मार्केट टाउन
पश्चिमी यॉर्कशायर के टाउन | 8,466 |
47144 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%B5 | प्रकिण्व | प्रकिण्व रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरण करने वाले प्रोटीन को कहते हैं। इनके लिये एंज़ाइम शब्द का प्रयोग सन १८७८ में कुह्ने ने पहली बार किया था। प्रकिण्वों के स्रोत मुख्यतः सूक्ष्मजीव, पादप तथा प्राणी होते हैं। किसी प्रकिण्व के अमीनो अम्ल में परिवर्तन द्वारा उसके गुणधर्म में उपयोगी परिवर्तन लाने हेतु अध्ययन को प्रकिण्व अभियांत्रिकी कहते हैं। प्रकिण्व अभियांत्रिकी का एकमात्र उद्देश्य औद्योगिक अथवा अन्य उद्योगों के लिये अधिक क्रियाशील, स्थिर एवं उपयोगी प्रकिण्वों को प्राप्त करना है। पशुओं से प्राप्त रेनेट भी एक प्रकिण्व ही होता है। ये शरीर में होने वाली जैविक क्रियाओं के उत्प्रेरक होने के साथ ही आवश्यक अभिक्रियाओं हेतु शरीर में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करते हैं। इनकी भूमिका इतनी महत्त्वपूर्ण है कि ये या तो शरीर की रासायनिक क्रियाओं को आरंभ करते हैं या फिर उनकी गति बढ़ाते हैं। इनका उत्प्रेरण का गुण एक चक्रीय प्रक्रिया है।
सभी उत्प्रेरकों की ही भांति, प्रकिण्व भी अभिक्रिया की उत्प्रेरण ऊर्जा (Ea‡) को कम करने का कार्य करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अभिक्रिया की गति में वृद्धि हो जाती है। अधिकांश प्रकिण्वन अभिक्रियाएं अन्य अनुत्प्रेरित अभिक्रियाओं की तुलना में लाखों गुणा तेज गति से होती हैं। इसी प्रकार अन्य सभी उत्प्रेरण अभिक्रियाओं की तरह ही प्रकिण्व भी अभिक्रिया में खपते नहीं हैं, न ही अभिक्रिया साम्य में परिवर्तन करते हैं। तथापि प्रकिण्व अन्य अधिकांश उत्प्रेरकों से इस बाट में अलग होते हैं, कि प्रकिण्व किसी विशेष अभिक्रिया हेतु विशिष्ट होते हैं। प्रकिण्वों द्वारा लगभग ४००० से अधिक ज्ञात जैवरासायनिक अभिक्रियाएं संपन्न होती हैं। कुछ राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल अणु भी अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, जिसका एक अच्छा उदाहरण है राइबोसोम के कुछ भागों में होती अभिक्रियाएं। कुछ कृत्रिम अणु भी प्रकिण्वों जैसी उत्प्रेरक क्रियाएं दिखाते हैं। इन्हें कृत्रिम प्रकिण्व कहते हैं। कार्बोनिक ऐन्हाइड्रेस अभी तक ज्ञात तीव्रतम प्रकिण्व है।
अभिक्रिया
प्रकिण्वों की क्रियाओं के फलस्वरूप तैयार होने वाले रासायनिक तत्त्व क्रियाधार और उनकी उपस्थिति के बिना तैयार होने वाले अभिकर्मक कहलाते हैं। जीवों के शरीर में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाएँ उनके जीवन के लिए अनिवार्य होती हैं। शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बनता है। रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप इन कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है। शरीर में ये अभिक्रियाएँ अविरल होती रहें, इसके लिए प्रकिण्वों की उपस्थिति आवश्यक होती है। क्रियाधार के साथ साधारणतः प्रकिण्वों की अभिक्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं:
क्रियाधार का अनुकूलन,
भौतिक बल और
क्रियाधार से क्रिया
क्रियाधार का अनुकूलन तब होता है, जब प्रकिण्व क्रियाधार अणुओं के साथ क्रिया कर उनके साथ रासायनिक आबन्ध बनाते हैं। इसमें प्रकिण्व, क्रियाधार से क्रिया कर उसके अणुओं को खण्डित कर देता है। क्रियाधार के साथ क्रिया कर प्रकिण्व उसमें रासायनिक परिवर्तन करता है और अणुओं के इलेक्ट्रॉन की स्थिति में परिवर्तन कर देता है। इसके कारण ही अणु शेष अणुओं के साथ आबन्ध बना पाते हैं। प्रकिण्व जब क्रियाधार के संपर्क में आते हैं तो उन पर गड्ढे बन जाते हैं। प्रकिण्व के संपर्क में आने पर क्रियाधार इन गड्ढों के साथ क्रिया कर रासायनिक निर्माण करते हैं। इस अभिक्रिया के पूर्ण होने पर वे उस उत्पाद को मुक्त कर देते हैं और दूसरे क्रियाधार के साथ क्रिया के लिए तैयार हो जाते हैं। इस तरह के प्रकिण्व कभी नष्ट नहीं होते, बल्कि बार बार चक्रीय प्रक्रिया में शामिल होते रहते हैं। प्रकिण्वों के न बनने पर फिनाइलकीटोनूरिया रोग होता है, जिससे मस्तिष्क के विकास में बाधा आती है।
प्रकृति
प्रत्येक प्रकिण्व के अणु में क्रियाधार बन्धन स्थल मिलता है जो क्रियाधार सम्बन्ध कर सक्रिय प्रकिण्व क्रियाधार सम्मिश्र का निर्माण करता है। यह सम्मिश्र अल्पावधि का होता है, जो उत्पाद एवं अपरिवर्तित प्रकिण्व में विघटित हो जाता है इसके पूर्व मध्यावस्था के रूप में प्रकिण्व उत्पाद जटिल का निर्माण होता है। प्रकिण्व क्रियाधार जटिल का निर्माण उत्प्रेरण के लिए आवश्यक होता है।
प्रकिण्व + क्रियाधार <-> प्रकिण्व क्रियाधार जटिल -> प्रकिण्व उत्पाद जटिल -> प्रकिण्व + उत्पाद
प्रकिण्व क्रिया के उत्प्रेरक चक्र को निम्न चरणों में व्यक्त किया जा सकता है:
सर्वप्रथम क्रियाधार सक्रिय स्थल में व्यवस्थित होकर प्रकिण्व के सक्रिय स्थल से बंध जाता है।
बन्धने वाला क्रियाधार प्रकिण्व के आकार में इस प्रकार से बदलाव लाता है कि क्रियाधार प्रकिण्व से मजबूती से बन्ध जाता है।
प्रकिण्व का सक्रिय स्थल अब क्रियाधार के काफी समीप होता है जिसके फलस्वरूप क्रियाधार के रासायनिक आबन्ध टूट जाते हैं और नए प्रकिण्व उत्पाद जटिल का निर्माण होता है।
प्रकिण्व नवनिर्मित उत्पाद को अत करता है व प्रकिण्व न होकर क्रियाधार के दूसरे अणु से बँधने हेतु प्रस्तुत हो जाता है। इस प्रकार पुनः उत्प्रेरक चक्र प्रारंभ जाता है।
प्रकिण्व क्रियाविधि को प्रभावित करने वाले कारक
जी कारक प्रोटीन की तृतीयक संरचना को परिवर्तित करते हैं, वे प्रकिण्व को सक्रियता को भी प्रभावित करते हैं जैसे- तापक्रम, pH। क्रियाधार की सान्द्रता में परिवर्तन या किसी विशिष्ट रसायन का प्रकिण्व से बन्धन उसकी प्रक्रिया को नियन्त्रित करते हैं।
तापमान व pH
प्रकिण्व सामान्यतः तापमान व pH के लघु परिसर में कार्य करते हैं। प्रत्येक प्रकिण्व की अधिकतम क्रियाशीलता एक विशेष तापमान व pH पर ही होती हैं, जिसे क्रमश: इष्टतम तापक्रम व pH कहते हैं। इस इष्टतम मान के ऊपर या नीचे होने से क्रियाशीलता घट जाती है। निम्न तापमान प्रकिण्व को अस्थायी रूप से निष्क्रियावस्था में सुरक्षित रखता है, जबकि उच्च तापमान प्रकिण्व की क्रियाशीलता को समाप्त कर देता है क्योंकि उच्च तापमान प्रकिण्व प्रोटीन को विकृत कर देता है।
क्रियाधार की सान्द्रता
क्रियाधार की सान्द्रता के वृद्धि के साथ पहले तो एंजाइम क्रिया की गति बढ़ती हैं। अभिक्रिया अन्ततोगत्वा सर्वोच्च गति प्राप्त करने के बाद क्रियाधार की सान्द्रता वृद्धि पर भी अग्रसर नहीं होती है। ऐसा इसलिए होता है कि प्रकिण्व के अण्वों की संख्या क्रियाधार के अण्वों से कहीं कम होती हैं और इन अण्वों से प्रकिण्व के सन्तृप्त होने के बाद प्रकिण्व का कोई भी अणु क्रियाधार के अतिरिक्त अण्वों से बन्धन करने हेतु मुक्त नहीं बचता है।
सन्दमन
किसी भी प्रकिण्व की क्रियाशीलता विशिष्ट रसायनों को उपस्थिति में संवेदनशील होती है जो प्रकिण्व से बन्धते हैं। जब रसायन का एंजाइम से बन्धने के उपरान्त इसकी क्रियाशीलता बंद हो जाती है तो इस प्रक्रिया को सन्दमन व उस रसायन को प्रकिण्व सन्दमक कहते हैं।
जब सन्दमक अपनी आण्विक संरचना में क्रियाधार से काफी समानता रखता है और प्रकिण्व की क्रियाशीलता को सन्दमित करता हो तो इसे प्रतिस्पर्धात्मक सन्दमन कहते हैं। सन्दमक की क्रियाधार से निकटतम संरचनात्मक समानता के फलस्वरूप यह क्रियाधार से प्रकिण्व के क्रियाधार बन्धक स्थल से बन्धते हुए प्रतिस्पर्धा करता है। फलस्वरूप क्रियाधार, क्रियाधार बन्धक स्थल से बन्ध नहीं पाता, जिसके फलस्वरूप प्रकिण्व क्रिया मन्द हो जाती हैं। उदाहरणार्थ, सक्सिनिक डिहाइड्रोजिनेस का मैलोनेट द्वारा सन्दमन जो संरचना में क्रियाधार सक्सिनेट से निकट की समानता रखता है। ऐसे प्रतिस्पर्धी सन्दमको का अक्सर उपयोग रोगजनक जीवाणु के नियन्त्रण हेतु किया जाता है।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
जैवरसायनिकी
शब्दावली
सूक्ष्मजैविकी
जैव प्रौद्योगिकी
आण्विक जैविकी
मानव शरीर
चयापचय
उत्प्रेरण
प्रक्रिया रसायन
हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
कार्यानुसार प्रोटीन
जैवाणु | 1,113 |
675119 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BE%20%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8 | अहिंसा एक्सप्रेस | 11095/11096 अहिंसा एक्सप्रेस, पुणे एवं अहमदाबाद जंक्शन के बीच चलती हैं। यह भारतीय रेलवे की एक महत्वपूर्ण एक्सप्रेस ट्रेन है। अहमदाबाद जंक्शन से पुणे जंक्शन के बीच चलने वाली ट्रेन का नंबर 11096 है जबकि विपरीत दिशा में यह ट्रेन नंबर 11095 के तौर पर चलती है। देवनागरी भाषा में अहिंसा का मतलब हिंसा नहीं करने वाला होता है।
कोच [संपादित करें]
11095/11096 अहिंसा एक्सप्रेस वर्तमान में एक एसी फर्स्ट क्लास है, एक एसी 2 टियर, दो एसी 3 टियर, दस स्लीपर क्लास, और चार सामान्य अनारक्षित डिब्बे हैं। इसमें पेंट्री कार की भी सुविधा हैं। जैसा की भारतीय रेलवे की प्रथा है, कोच में परिवर्तन (घटाव या बढ़ाव) मांग के आधार पर होता है एवं यह भारतीय रेल के विवेकाधीन होता है।
समय सारिणी [संपादित करें]
11095 अहिंसा एक्सप्रेस गुरुवार को 16.25 मिनट पर अहमदाबाद से रवाना होती हैं एवं अगले दिन और 4:45 बजे पुणे पहुँचती हैं। यह 635 किलोमीटर की दूरी 12 घटे 20 मिनट में 51.49 किलोमीटर/घंटे की रफ़्तार से तय करती है।
इसके विपरीत 11096 अहिंसा एक्सप्रेस प्रत्येक बुधवार 19:50 पर पुणे जंक्शन से रवाना होती है एवं सुबह के 7.45 बजे अहमदाबद पहुँचती है। 635 किलोमीटर की दूरी यह 11 घंटे 55 मिनट में तय करती है। इसकी औसत गति 53.29 किलोमीटर/घंटे की होती है।
किराया तालिका
सन्दर्भ
मेल एक्स्प्रेस ट्रेन | 217 |
703447 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8B%20%282007%20%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29 | हीरो (2007 फ़िल्म) | हीरो जापानी फिल्म है, जो एक 2001 में बने समान नाम के जापानी धारावाहिक पर आधारित है। इसके सभी कलाकार इसी धारावाहिक से ही लिए गए हैं। इसी फिल्म का दूसरा भाग इसी नाम से 2015 में प्रदर्शित हुआ था। यह फिल्म 8 सितम्बर 2007 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुआ।
कहानी
यह कहानी कुरयु कोहेइ के इश्गकी द्वीप में जाने के 6 वर्षों के बाद शुरू होती है। कुरयु वापस टोक्यो जिले में जाता है और अपने पुराने दोस्तों के साथ मिलता है। कुरयु एक गाड़ी द्वारा टक्कर मार कर भागने वाले एक प्रकरण का हिस्सा बनता है। उसे एक शक्तिशाली वकील कोशिरो का सामना करना पड़ता है। कुरयु इसके बाद केवल सबूत कि तलाश में लगा रहता है। जिसमें वह कई बहुत दूरी वाले यात्रा भी करता है।
कलाकार
टकुया कीमुरा - कोहेइ कुरयु
टाकाको मात्सु - मईको अममिया
हिरोशी अबे - मिट्सुगु शिबायमा
टाकूजो काडोनो
फुमियों कोहिनाटा
नोरिटो याशिमा - केंजी एंडो
कियोशी कोडामा
मत्सुमोटो
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
2007 की फ़िल्में | 163 |
1056844 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A5%80 | डोमिनिक सिबली | डोमिनिक पीटर सिबली (जन्म 5 सितंबर 1995) एक अंग्रेजी क्रिकेटर है जो वार्विकशायर के लिए खेलता है। वह दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं, जो दाएं हाथ के लेग ब्रेक को गेंदबाजी करते हैं। उन्होंने 2 अगस्त 2013 को एसेक्स के खिलाफ सरे के लिए अपनी लिस्ट ए की शुरुआत की, हालांकि उन्हें चोट के कारण रिटायर नाबाद होना पड़ा।
अपने तीसरे प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच में, जबकि अभी भी व्हिटगिफ्ट स्कूल में एक छात्र था, उसने यॉर्कशायर के खिलाफ 18 साल और 21 दिन की उम्र में दोहरा शतक बनाया। ऐसा करने के बाद वह काउंटी चैम्पियनशिप के इतिहास में सबसे कम उम्र के दोहरे शतक बनाने वाले, किसी भी राष्ट्रीयता के प्रथम श्रेणी के दोहरे शतक और तेरहवें सबसे कम उम्र के दोहरे शतक बनाने वाले दूसरे युवा थे। चार दिवसीय मैच के अंतिम दिन, 242 के लिए सिबली (रयान साइडबॉटम द्वारा बोल्ड) आउट हुए।
अगस्त 2017 में, सिबली ने 2018 सीज़न के आगे वार्विकशायर में शामिल होने के लिए सरे के साथ एक नए तीन साल के अनुबंध की पेशकश को ठुकरा दिया। On 3 अगस्त 2017 में, सिक्की रिंकी क्लार्क के साथ अन्य दिशा में आगे बढ़ने के लिए 2017 के शेष के लिए लोन पर वारविकशायर चला गया।
सन्दर्भ | 203 |
1138817 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%BC%20%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%20%E0%A4%8F%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B8 | विंडोज़ सर्वर एसेंशियल्स | विंडोज़ सर्वर एसेंशियल्स (अंग्रेजी में: Windows Server Essentials) (पहले- विंडोज़ स्मॉल बिजनेस सर्वर (Windows Small Business Server) या एसबीएस (SBS)) माइक्रोसॉफ्ट का एक एकीकृत सर्वर सूट है, जिसे ऐसे छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर (इंट्रानेट मैनेजमेंट और इंटरनेट एक्सेस दोनों) के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिनमें 25 से अधिक उपयोगकर्ता या 50 से अधिक डिवाइस नहीं हैं। एप्लिकेशन सर्वर प्रौद्योगिकियों को मज़बूती से एकीकृत किया गया है, ताकि एकीकृत सेटअप, बढ़ी हुई निगरानी, रिमोट वेब वर्कप्लेस, एकीकृत प्रबंधन कंसोल और रिमोट एक्सेस जैसे प्रबंधन लाभ प्रदान किये जा सकें।
SBS 2003 की रिलीज़ के बाद से, विंडोज़ सर्वर या अन्य सर्वर उत्पादों के लिए एक समान सर्विस पैक का उपयोग OS को अपडेट करने के लिए किया जा सकता है।
सन्दर्भ
और पढ़ें
बाहरी कड़ियाँ
Windows Server Essentials Product Information on Microsoft.com
Windows Server Essentials on Microsoft TechNet
विंडोज़ सर्वर | 145 |
883270 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%20%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%AA%20%E0%A4%91%E0%A4%AB%E0%A4%BC%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%B0 | द शेप ऑफ़ वाटर | द शेप ऑफ़ वाटर (), 2017 की एक अमेरिकी कल्पनिक, ड्रामा फिल्म है। इस फ़िल्म का निर्देशन गुइलेर्मो डेल तोरो एवं कहानी गुइलेर्मो डेल तोरो और वैनेसा टेलर द्वारा लिखा गया है। इस फिल्म को बाल्टीमोर में 1962 के परिदृश्य में फ़िल्माया गया है। यह फ़िल्म उच्च सुरक्षा वाले सरकारी प्रयोगशाला के एक मूक अभिरक्षक के बारे में है, जिसे एक पकड़े गये, मनुष्य कि तरह दिखने वाले एम्फीबियन प्राणी से प्यार हो जाता है। इस फिल्म में सैली हॉकिन्स, माइकल शैनन, रिचर्ड जेनकिंस, डग जोन्स, माइकल स्टुब्लबर्ग और ऑक्टेविया स्पेन्सर ने अभिनय किया है।
इस फिल्म का प्रदर्शन 74वें वेनिस अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह, मे 31 अगस्त 2017 को किया था, जहाँ इसने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिये गोल्डन लाइन पुरस्कार जीता था। इसे 2017 के टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में भी प्रदर्शित किया गया था। फिल्म के अभिनय, पटकथा, दिशा, उत्पादन डिजाइन, और संगीत स्कोर को लेकर कई विषयों में इसकी सराहना की गई है।
8 दिसम्बर को वैश्विक प्रदर्शन से पहले इस फिल्म का आशिंक प्रदर्शन संयुक्त राज्य में 1 दिसम्बर को किया गया था। इस फिल्म का वैश्विक कारोबार 91 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है।
90वें अकादमी पुरस्कार पर, फ़िल्म को सबसे अधिक 13 नामांकन प्राप्त हुए, जिसमें इसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ ओरिजिनल स्कोर, सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन डिज़ाइन में चार पुरस्कार प्राप्त हुए। ब्रिटिश अकादमी फ़िल्म पुरस्कार में इसे सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सहित तीन पुरस्कार प्राप्त हुए।
कलाकार
सैली हॉकिन्स - एलिसा एस्पोसितो के रूप में
माइकल शैनन - कर्नल रिचर्ड स्ट्रिकलैंड के रूप में
रिचर्ड जेनकिंस - जाइल्स के रूप में
ओक्टाविया स्पेन्सर - जेल्डा डिलिला फुलर के रूप में
माइकल स्टुब्लबर्ग - डा. रॉबर्ट हॉफ्स्टेटलर/दिमित्री एंटोनोविच मोसेनकोव के रूप में
डग जोन्स - एम्फिबियन मैन/द एसेट के रूप में
डेविड हेवले - फ्लेमिंग के रूप में
निक सर्सेसी - जनरल फ्रैंक हॉय के रूप में
लॉरेन ली स्मिथ - ऐलेन स्ट्रिकलैंड के रूप में
मॉर्गन केली - पाई गाय के रूप में
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
अमेरिकी फ़िल्में
अंग्रेज़ी फ़िल्में | 323 |
488706 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%9A | उरगेन्च | उरगेन्च (उज़बेक: Урганч, अंग्रेज़ी: Urgench) मध्य एशिया के उज़बेकिस्तान देश के ख़ोरज़्म प्रान्त की राजधानी है। यह प्रसिद्ध बुख़ारा शहर से ४५० किमी पश्चिम में किज़िल कुम रेगिस्तान के पार आमू दरिया और शवत नहर के किनारे बसा हुआ है।
पुराना और नया उरगेन्च
कृपया ध्यान दें कि यह शहर तुर्कमेनिस्तान के कोन्या-उरगेन्च शहर से भिन्न है। कोन्या-उरगेन्च, जिसे 'पुराना उरगेन्च' भी कहते हैं, आमू दरिया के किनारे बसा एक शहर था जो ख़्वारेज़्म की राजधानी भी था। १६वीं सदी में आमू दरिया के अचानक अपने रुख़ बदल लेने से यहाँ पानी नहीं रहा और निवासियों को अपना पुराना शहर छोड़ देना पड़ा। फिर दक्षिण-पूर्व में आधुनिक उरगेन्च शहर की नवस्थापना हुई। समय के साथ यह ख़ीवा ख़ानत का एक व्यापारिक केंद्र बन गया।
आधुनिक युग
आधुनिक युग में उरगेन्च एक सोवियत-शैली का शहर है। सोवियत संघ ने आसपास के क्षेत्र में कपास की खेती पर ज़ोर दिया था इसलिए पूरे नगर की बत्तियों और मकानों पर कपास-सम्बन्धी आकृतियाँ और चित्र हैं। यहाँ एक स्मारक उन २० बच्चों के साम्यवादी (कोम्युनिस्ट) टोली को याद करता है जो १९२२ में सिर दरिया के किनारे बासमाची विद्रोहियों द्वारा मारे गए थे। यहाँ मुहम्मद अल-ख़्वारिज़्मी की भी एक प्रतिमा है जो इस क्षेत्र के ९वीं सदी के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। बहुत से सैलानी यहाँ से ३५ किमी दक्षिणपूर्व को स्थित ख़ीवा शहर में पर्यटन के लिए उरगेन्च से गुज़रते हैं।
इन्हें भी देखें
आमू दरिया
ख़्वारेज़्म
ख़ोरज़्म प्रांत
सन्दर्भ
ख़ोरज़्म प्रान्त
उज़्बेकिस्तान के नगर
मध्य एशिया के शहर
उज़्बेकिस्तान | 247 |
228233 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%88%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A4%A6 | तैत्तिरीयोपनिषद | तैत्तिरीयोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण प्राचीनतम दस उपनिषदों में से एक है। यह शिक्षावल्ली, ब्रह्मानन्दवल्ली और भृगुवल्ली इन तीन खंडों में विभक्त है - कुल ५३ मंत्र हैं जो ४० अनुवाकों में व्यवस्थित है। शिक्षावल्ली को सांहिती उपनिषद् एवं ब्रह्मानन्दवल्ली और भृगुवल्ली को वरुण के प्रवर्तक होने से वारुणी उपनिषद् या वारुणी विद्या भी कहते हैं। तैत्तरीय उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का ७, ८, ९वाँ प्रपाठक है।
तैत्तिरीय उपनिषद में अधिलोक आदि की सन्धियों की व्याख्या, भूः, भुवः, स्वः व महः व्याहृतियों की विषद व्याख्या, अन्नमय आदि कोशों का विवरण, सृष्टि की उत्पत्ति का वर्णन और ब्रह्म की व्याख्या है । आनन्द की भी मीमांसा प्रस्तुत की गई है । ये सभी पठनीय हैं ।
इस उपनिषद् के बहुत से भाष्यों, टीकाओं और वृत्तियों में शांकरभाष्य प्रधान है जिसपर आनंद तीर्थ और रंगरामानुज की टीकाएँ प्रसिद्ध हैं एवं सायणाचार्य और आनंदतीर्थ के पृथक् भाष्य भी सुंदर हैं।
ऐसा माना जाता है कि तैत्तिरीय संहिता व तैत्तिरीय उपनिषद की रचना वर्तमान में हरियाणा के कैथल जिले में स्थित गाँव तितरम के आसपास हुई थी।
परिचय
तैत्तरीय उपनिषद् अत्यन्त महत्वपूर्ण प्राचीनतम दस उपनिषदों में सप्तम उपनिषद् है तथा शिक्षावल्ली, ब्रह्मानन्दवल्ली और भृगुवल्ली इन तीन खंडों में विभक्त है। यह कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तरीय आरण्यक का 7, 8, 9वाँ प्रपाठक है। शिक्षा वल्ली में १२ अनुवाक और २५ मंत्र, ब्रह्मानंदवल्ली में ९ अनुवाक और १३ मंत्र तथा भृगुवल्ली में १९ अनुवाक और १५ मंत्र हैं। शिक्षावल्ली को सांहिती उपनिषद् एवं ब्रह्मानंदवल्ली और भृगुवल्ली को वरुण के प्रवर्तक होने से वारुणी उपनिषद् या विद्या भी कहते हैं।
वारुणी उपनिषद् में विशुद्ध ब्रह्मज्ञान का निरूपण है जिसकी उपलब्धि के लिये प्रथम शिक्षावल्ली में साधनरूप में ऋत और सत्य, स्वाध्याय और प्रवचन, शम और दम, अग्निहोत्र, अतिथिसेवा, श्रद्धामय दान, मातापिता और गुरुजन सेवा और प्रजोत्पादन इत्यादि कर्मानुष्ठान की शिक्षा प्रधानतया दी गई है। इस में त्रिशंकु ऋषि के इस मत का समावेश है कि संसाररूपी वृक्ष का प्रेरक ब्रह्म है तथा रथीतर के पुत्र सत्यवचा के सत्यप्रधान, पौरुशिष्ट के तपःप्रधान एवं मुद्गलपुत्र नाक के स्वाध्याय प्रवचनात्मक तप विषयक मतों का समर्थन हुआ है। 11वें अनुवाक मे समावर्तन संस्कार के अवसर पर सत्य भाषण, गुरुजनों के सत्याचरण के अनुकरण और असदाचरण के परित्याग इत्यादि नैतिक धर्मों की शिष्य को आचार्य द्वारा दी गई शिक्षाएँ शाश्वत मूल्य रखती हैं।
ब्रह्मानन्द और भृगुवल्लियों का आरंभ ब्रह्मविद्या के सारभूत 'ब्रह्मविदाप्नोति परम्' मन्त्र से होता है। ब्रह्म का लक्षण सत्य, ज्ञान और अनन्त स्वरूप बतलाकर उसे मन और वाणी से परे अचिंत्य कहा गया है। इस निर्गुण ब्रह्म का बोध उसके अन्न, प्राण, मन, विज्ञान और आनंद इत्यादि सगुण प्रतीकों के क्रमश: चिंतन द्वारा वरुण ने भृगु को करा दिया है। इस उपनिषद् के मत से ब्रह्म से ही नामरूपात्मक सृष्टि की उत्पत्ति हुई है और उसी के आधार से उसकी स्थिति है तथा उसी में वह अंत में विलीन हो जाती है। प्रजोत्पत्ति द्वारा बहुत होने की अपनी ईश्वरींय इच्छा से सृष्टि की रचना कर ब्रह्म उसमें जीवरूप से अनुप्रविष्ट होता है। ब्रह्मानंदवल्ली के सप्तम अनुवाक में जगत् की उत्पत्ति असत् से बतलाई गई है, किंतु 'असत्' इस उपनिषद् का पारिभाषिक शब्द है जो अभावसूचक न होकर अव्याकृत ब्रह्म का बोधक है, एवं जगत् को सत् नाम देकर उसे ब्रह्म का व्याकृत रूप बतलाया है। ब्रह्म रस अथवा आनंद स्वरूप हैं। ब्रह्मा से लेकर समस्त सृष्टि पर्यंत जितना आनंद है उससे निरतिशय आनंद को वह श्रोत्रिय प्राप्त कर लेता है जिसकी समस्त कामनाएँ उपहत हो गई हैं और वह अभय हो जाता है।
वर्ण्य विषय
शिक्षावल्ली
शिक्षावल्ली में १२ अनुवाक हैं । उनमें वर्णित विषय निम्नलिखित हैं-
ब्रह्मानन्दवल्ली
ब्रह्मानन्दवल्ली में ९ अनुवाक हैं। उनमें विषयप्रस्तुति कुछ इस प्रकार है-
भृगुवल्ली
भृगुवल्ली में १० अनुवाक हैं जिनमें प्रस्तुत विषय निम्नलिखित हैं-
कथा
यह उपनिषद् एक दीर्घ ग्रन्थ है , तथापि इसमें केवल एक कथा प्राप्त होती है जो भृगु-वल्ली में भृगु की कथा है जिन्होने ब्रह्मविद्या को प्राप्त किया था । यह उनके खोज की कहानी है । उनके पिता वरुण थे, जो पूर्ण ज्ञानी थे ।
एक बार भृगु पिता के पास गया और उनसे बोला, “पिताजी, मुझे ब्रह्मोपदेश करिए ।” पिता बोले, “अन्न, प्राण, चक्षु, श्रोत्र, मन, वाणी ”। उन्होने फिर कहा, “जिससे यह सब प्राणी उत्पन्न होते है, जिससे उत्पन्न होकर जीते हैं, जिससे ये (इस लोक से) प्रयाण करते हैं और जिसमें (मरणोपरान्त) प्रवेश करते हैं, उसको जानने की इच्छा (=प्रयत्न) कर क्योंकि वही ब्रह्म है ।”
भृगु ने तप आरम्भ किया । उस तप से उसने जाना कि अन्न ही वह वस्तु है जिससे प्राणी उत्पन्न होते हैं, जीते हैं, जिसके बिना वे मृत्यु को प्राप्त करते हैं और, मरणोपरान्त, अन्न में ही समाविष्ट हो जाते हैं । उन्होंने पिता को अपनी खोज का परिणाम बताया । पिता ने कहा कि ठीक है, परन्तु यह अन्तिम उत्तर नहीं है। उन्होंने भृगु को और तप करने को कहा ।
भृगु ने पुनः घोर तपस्या की और जाना कि पिता ने जो पहला विचित्र वाक्य कहा था, उसी में उत्तर छुपा है। भृगु ने जाना कि प्राण ही तो वह वस्तु है जिससे यह सब प्राणी उत्पन्न होते हैं, जिससे उत्पन्न होकर जीते हैं, जिसके निकल जाने पर इस लोक से वे प्रयाण कर देते हैं और उसी में विलीन हो जाते हैं । परन्तु पिता फिर भी सन्तुष्ट नहीं हुए और उससे और तप करने को कहा ।
अब की बार भृगु को ब्रह्म के रूप में मन ज्ञात हुआ, जिससे भी सब प्राणी उत्पन्न होते हैं, जिसकी सहायता से जीते हैं, जिसके न रहने पर मरते हैं, और अन्तकाल में उसी में विलीन हो जाते हैं । परन्तु इस उत्तर से भी पिता सन्तुष्ट नहीं हुए । तब भृगु को ब्रह्म के रूप में विज्ञान जान पड़ा, जिससे भी सब उपर्युक्त कार्य होते हैं । जब पिता ने और आगे ढूढ़ने की प्रेरणा दी, तो भृगु को आनन्द-रूपी ब्रह्म जान पड़ा । अबकी बार पिता सन्तुष्ट हुए । इन दोनों के तप से जानी गई यह विद्या भार्गवी-वारुणी विद्या कहलाई । वस्तुतः, भृगु ने ध्यान-रूपी तप से शरीर के पंच कोशों का रहस्य ढूढ़ निकाला । ये पंच कोश हैं – अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और आनन्दमय कोश । ये जैसे शरीर की स्थूल से सूक्ष्मतर परते हैं, जो एक के अन्दर एक बैठी हैं ।
अन्नमय कोश स्थूल शरीर है, जो कि पंच महाभूतों का बना हुआ है । इसी को हम अधिकतर अनुभव करते हैं – भूख-प्यास, चोट, बल, आदि, स्थूल शरीर के लक्षण होते हैं ।
प्राणमय कोश में श्वास-निःश्वास ही नहीं, अपितु शरीर की सभी चेष्टाएं सम्मिलित हैं । प्राणों से ही रक्त को गति मिलती है और आंतों से शरीर में रस बहता है । ध्यान करते समय, पहले भौतिक शरीर के किसी अंश के बाद, हमें अपने प्राणों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । बृहदारण्यक में कहा गया है कि सभी इन्द्रियां, और मन भी, पाप-युक्त हो सकती हैं, परन्तु प्राण पाप से परे रहता है । प्राणों पर ध्यान लगाने से, हमारा मस्तिष्क पवित्र हो जाता है ।
और अन्दर जाने पर, योगी को मन का रूप स्पष्ट होता है – वह मन जो इन्द्रियों से बाह्य विषयों का ग्रहण करता है और फिर शरीर में चेष्टा उत्पन्न करने का संकल्प-विकल्प करता है ।
मनोमय कोश से भी सूक्ष्मतर होता है विज्ञानमय कोश, जो कि बुद्धि का पर्याय है । यहां हमारे गहन विचार स्थित होते हैं । जब हम किसी विचार में लीन होते हैं, तो अपने शरीर की सुध-बुध भूल जाते हैं, हमारा शरीर शिथिल पड़ जाता है, हमें अपने आस-पास की सुध भी नहीं रहती, हम किसी और ही संसार में होते हैं । वह विज्ञानमय कोश होता है । योगी भी इसमें प्रवेश करके शरीर और इन्द्रियों को भूल जाता है ।
इस कोश के अन्दर स्थित होता है आनन्दमय कोश । यह वह कोश है जहां आत्मा अपने को देखने लगता है, परमात्मा की झलक पाने लगता है । जैसे-जैसे वह इसमें प्रवेश करता जाता है, वैसे-वैसे प्रकृति का अंकुश उसपर से उठता जाता है, और वह अपने स्वरूप में प्रतिष्ठित होने लगता है । इस अवस्था में जिस आनन्द की अनुभूति उसे होती है, वह वर्णनातीत है, क्योंकि वर्णन में तो शारीरिक और मानसिक सुख-दुःख ही आते हैं । योगदर्शन में इसी स्थिति को आनन्दा समाधि कहा गया है, जिसके आगे अस्मिता समाधि में वह अपने में स्थित हो जाता है । यहीं पहुंच कर ब्रह्मलोक के द्वार खुलने लगते हैं और मोक्ष-मार्ग प्रशस्त होता है ।
शिक्षा
यह उपनिषद् शिक्षा देने की शैली में लिखा हुआ है, जिसमें आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले योगी और सांसारिक व्यक्ति – दोनों के लिए अनेक सुन्दर शिक्षाएं हैं। उदाहरण के लिये, शिक्षा-वल्ली के एकादश अनुवाक में आचार्य गुरुकुल से स्नातक होकर उसे छोड़ते हुए अन्तेवासी को अन्तिम शिक्षा देते हैं कि सांसारिक जीवन-निर्वाह किस प्रकार करना चाहिए –
वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति । सत्यं वद । धर्मं चर । स्वाध्यायान्मा प्रमदः । आचार्याय प्रियं धनमाहृत्य प्रजातन्तुं मा व्यवछेत्सीः । सत्यान्न प्रमदितव्यम् । धर्मान्न प्रमदितव्यम् । कुशलान्न प्रमदितव्यम् । भूत्यै न प्रमदितव्यम् । स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम् । देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम् ।
(अर्थ : वेदों को भली-भांति पढ़ाकर, आचार्य अन्तेवासी को शिक्षा देते हैं – सत्य बोलना । धर्म करना । (गृहस्थ-जीवन प्रारम्भ करने पर भी) स्वाध्याय बिना प्रमाद के करते रहना । (जाते-जाते) आचार्य के प्रिय धन से उसको तृप्त करके, गृहस्थ जीवन में प्रवेश करके प्रजा के धागे को मत तोड़ना, अर्थात् सन्तति उत्पन्न करके कुल को बढ़ाना (उस समय यह भय होता था कि स्नातक इतना निर्मोही कहीं न हो जाए, कि विवाह ही न करे । आजकल तो यह भय ही हास्यास्पद है !) । सत्य से कभी मत डिगना । धर्म से कभी मत डिगना । शुभ, कल्याणकारी कर्मों में आलस्य कभी मत करना । भौतिक उन्नति के प्रयास से मत विरत होना । स्वाध्याय और प्रवचन – अपनी और अन्यों की धर्म में शिक्षा – से कभी विरत मत होना । देव = ज्ञानियों और पितृ = परिवार के वृद्धों की सेवा में कभी चूक मत करना ।)
मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव । अतिथिदेवो भव । यान्यवद्यानि कर्माणि तानि सेवितव्यानि नो इतराणि । यान्यस्माकँ सुचरितानि तानि त्वयोपास्यानि नो इतराणि । ये के चास्मच्छ्रेयाँसो ब्राह्मणाः तेषां त्वयासनेन प्रश्वसितव्यम् । श्रद्धया देयम् । अश्रद्धयादेयम् । श्रिया देयम् । ह्रिया देयम् । भिया देयम् । संविदा देयम् ।
('अर्थ : माता तेरे लिए देव-तुल्य हो । एवमेव पिता, आचार्य और घर आए साधु-सन्त रूपी अतिथि को देव मानना । (उनके सत्कार और सेवा में कमी न होने पाए ।) जो हमारे प्रशंसित कर्म हैं, उनका अनुसरण कर, हमारे अन्य (दुष्कर्मों) का नहीं । जो हमारे गुण हैं, उनको प्राप्त कर, अन्यों (दुर्गुणों) को नहीं । हममें जो श्रेष्ठ ब्राह्मण हैं, उनकी आसन आदि से सेवा-सत्कार कर । दान करते समय ध्यान रखना कि – श्रद्धा (पूर्ण मनोभाव) से देना । अश्रद्धा से मत देना (यहां ’अश्रद्धया देयम्’ पाठ भी उपलब्ध होता है, जिसका अर्थ किया जाता है कि सुपात्र को, श्रद्धा-भाव न होने पर भी, देना) । अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करना । अहंकार-शून्य होकर देना । परमात्मा के भय से देना । सुपात्र जानकर, विवेकपूर्वक देना ।)
अथ यदि ते कर्मविचिकित्सा वा वृत्तचिकित्सा वा स्यात् । ये तत्र ब्राह्मणाः सम्मर्शिनः । युक्ता आयुक्ताः । अलूक्षा धर्मकामाः स्युः । यथा ते तत्र वर्तेरन् । तथा तत्र वर्तेथाः । अथाभ्याख्यातेषु । ये तत्र ब्राह्मणाः सम्मर्शिनः । युक्ता आयुक्ताः । अलूक्षा धर्मकामाः स्युः । यथा ते तेषु वर्तेरन् । तथा तेषु वर्तेथाः । एष आदेशः । एष उपदेशः । एषा वेदोपनिषत् । एतदनुशासनम् । एवमुपासितव्यम् । एवमु चैतदुपास्यम् ।
(अर्थ : तुझे किसी कर्म में कोई शंका हो, या किसी आचार के विषय में शंका हो, तो तेरे आसपास जो विचारशील, स्वयं उस कार्य में लगे हुए, अथवा नियुक्त किए हुए, स्नेहमय, धर्म की कामना करने वाले ब्राह्मण हों, वे उस आचरण में जैसे वर्तें, वैसे ही तू भी वर्तना । इसी प्रकार किसी विवादास्पद कार्य और मनुष्य में भी तू उनके समान वर्तना । (अर्थात् जो ज्ञानी, आचारनिपुण और धार्मिक व्यक्ति हों, उनसे सीख लेकर अपना आचार सुधारना । आचार ऐसा विषय है जिसमें कभी भी पूर्णतया सब स्थितियां नहीं बताई जा सकतीं । जो हमने न बताया हो, जिसमें तुझे शंका हो, उसे अन्य विद्वानों के आचरण से सीखना ।) यह ही हमारी आज्ञा है । यही हमारा तुमको परामर्श है । यही वेद का गूढ़ उपदेश है । यही परम्परागत सीख है । इस प्रकार ही करने योग्य है । निश्चय से इसी प्रकार करने योग्य है ।)
सूक्तियाँ
तैत्तिरीय की कुछ अन्य सूक्तियां हैं –अद्यतेऽत्ति च भूतानि । तस्मादन्नं तदुच्यते ॥ २।२ ॥
– खाया जाता है और खाता है प्राणियों को, इसलिए ’अन्न’ कहा जाता है ।
अन्नं न निन्द्यात् । तद्व्रतम् ॥ ३।७ ॥
– अन्न ही जीवन का आधार है, इसलिए अन्न की निन्दा कभी न करना । यह तुम्हारा व्रत हो । सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म ॥ २।१ ॥
– ब्रह्म सत्यस्वरूप (सत्ता वाला), ज्ञानस्वरूप (सर्वज्ञ) और अनन्त (काल और दिशा के परे) है ।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
समावर्तन संस्कार
बाहरी कड़ियाँ
मूल ग्रन्थ
तैत्तिरीयोपनिषत् (संस्कृत विकिस्रोत)
उपनिषद (संस्कृत डॉक्युमेन्ट्स)
पीडीईएफ् प्रारूप, देवनागरी में अनेक उपनिषद
GRETIL
TITUS
अनुवाद
तेत्तिरीय उपनिषद
Translations of major Upanishads
11 principal Upanishads with translations
Translations of principal Upanishads at sankaracharya.org
Complete translation on-line into English of all 108 Upaniṣad-s
दर्शन
वैदिक धर्म
उपनिषद | 2,165 |
463007 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%86%E0%A4%A8 | चांगआन | चांग'आन (, चीनी: 長安, अंग्रेज़ी: Chang'an) प्राचीन चीन में एक शहर था जो दस से भी अधिक राजवंशों कि राजधानी रहा। आधुनिक काल में इसका नाम शियान (西安, Xi'an) है और यह जनवादी गणतंत्र चीन के शान्शी प्रान्त में स्थित है। शास्त्रीय चीनी भाषा में चांग'आन का अर्थ 'अनंत शान्ति' है। सुई राजवंश के काल में इसका नाम दाशिंग था। मिंग राजवंश के दौरान इसका नाम 'पश्चिमी शान्ति' (शि'आन) रख दिया गया। इस नगर के क्षेत्र में नवपाषाण युग (नियोलिथिक) से लोग बसे हुए हैं। आठवी सदी में चांगआन पृथ्वी का सब से बड़ा शहर था और इसमें १० लाख से अधिक लोग रहते थे।
इन्हें भी देखें
शियान
सन्दर्भ
चीन के शहर
चीन की ऐतिहासिक राजधानियाँ
चीन का इतिहास | 120 |
1051665 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%A5%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%97%E0%A4%A2%E0%A4%BC%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0 | पथरीगढ़ का मन्दिर | यह मंदिर बरौंधा के नजदीक ग्राम पाथर कछार तहसील मझगवां, जिला सतना मध्य प्रदेश में स्थित है। जिसका निर्माण लगभग सोलवीं सदी में करवाया गया था । निर्माण होने का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है लेकिन वहां के ग्रामीण बुजुर्गों व पुजारी के कथन अनुसार निर्माण कार्य लगभग 16वी सदी में प्रमाणित किया गया ।इस मंदिर की स्थापना जहां के सैनी परिवार एवं स्थानीय लोगों के द्वारा की गई थी। मंदिर के ठीक सामने एक बड़ा सा तालाब है जिसमें पत्थर कछार का राजा ज्वाला सिंह स्नान किया करता था। स्नान करने के पश्चात काली माता की पूजा किया करता था यह मंदिर सोलवीं सदी में सैनी परिवार एवं स्थानीय लोगों के द्वारा बनाया गया था । श्री कालका सैनी समस्त ग्रामवासी देवी जी के पुजारी थे। सोलवीं सदी लगभग 20 वर्ष पहले स्वर्गीय कालका सैनी के परिवार की पीढ़ी इस मंदिर का दायित्व संभालती आ रही है वर्तमान में श्री कालका सैनी के नाती श्री दिनेश कुमार सैनी देवी जी की पूजा अर्चना करते हैं मंदिर में एक और हनुमान जी की मूर्ति और दूसरी और शंकर जी की मूर्ति विराजमान है जो मंदिर की शोभा बढ़ाती।
सन्दर्भ | 189 |
631363 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A5%8B%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE | टोटो भाषा | टोटो एक चीनी-तिब्बती भाषा है जो भारत और भूटान की सीमा पर टोटो आदिवासियों द्वारा टोटोपारा में बोली जाती है। हिमालयाई भाषा परियोजना टोटो के व्याकरण के पहली तस्वीर बनाने का प्रयास कर रही है।
टोटो भाषा यूनेस्को द्वारा गंभीर रूप से लुप्तप्राय भाषाओं की सूची मे शामिल है। एक अनुमान के अनुसार टोटो बोलने वालों की संख्या 1,000 है। अधिकांश परिवार इस भाषा का प्रयोग घर में करते हैं। हालांकि बच्चे इस भाषा का प्रयोग घर में सीखते हैं, परन्तु उन्हें स्कूल में बंगाली पढ़ाई जाती है।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
India's tribal people fast becoming lost for words
पश्चिम बंगाल की भाषाएँ | 103 |
822634 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A4%20%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%A4 | बर्तोल्त ब्रेख्त | बर्तोल्त ब्रेख्त बीसवीं सदी के एक प्रसिद्ध जर्मन कवि, नाटककार और नाट्य निर्देशक थे। द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद ब्रेख्त ने अपनी पत्नी हेलेन विगेल के साथ मिलकर बर्लिन एन्सेंबल नाम से एक नाट्य मंडली का गठन किया और यूरोप के विभिन्न देशों में अपने नाटकों का प्रदर्शन किया।
जीवन परिचय
यूगेन बर्थोल फ्रेडरिक ब्रेख्त (बचपन का नाम) का जन्म जर्मनी के औग्स्बुर्ग में हुआ था। ब्रेख्त की मां एक धर्मपरायण प्रोटेस्टैंट थी जबकि उनके पिता कैथोलिक। उनके पिता एक स्थानीय पेपर मिल में काम करते थे, जिसमें तरक्की करते हुए वो कंपनी के निदेशक बने। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गृह कस्बे आग्सबुर्ग में हुई थी। 1917 में वह म्यूनिख विश्वविद्यालय में अध्ययन हेतु चले गये। यहाँ उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए चिकित्साशास्त्र को चुना। लेकिन उनका मन इसमें नहीं रमा। म्यूनिख विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान ही ब्रेख्त कविता तथा नाटक में दिलचस्पी लेने लगे थे। वहाँ के स्थानीय अखबारों में उनकी रचनायें प्रकाशित होने लगी थी। ब्रेख्त की उम्र महज 16 की थी जब पहला विश्व युद्ध शुरू हो गया। प्रथम विश्वयुद्ध के समय ही उन्हे सेना में जाने का अवसर मिला। उनको सेना के मैडिकल कोर में काम पर रखा गया। संयोगवश उनकी नियुक्ति उन्हीं के कस्बे आग्सबुर्ग में ही हो गई। सेना में सेवा की वजह से उनकी काव्य संवेदना पर युद्ध की विनाशकारी विभीषिका का गहरा असर पड़ा।
नाट्य सिद्धांत
ब्रेख्त ने अपनी रचनाओं के लिये जो विचाधारा चुनी वे उसके साथ आजीवन जुड़े रहे। उन्होंने नाटकों द्वारा मार्क्सवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करने के लिये ‘एपिक थियेटर’ नाम से नाट्य मंडली का गठन किया। हिंदी में एपिक थियेटर को लोक नाटक के रूप में जाना जाता है। ब्रेख्त ने पारंपरिक अरस्तू के नाट्य सिद्धांतों से सर्वथा भिन्न तथा मौलिक नाट्य सिद्धांत रचे। उनका तर्क था कि जो कुछ मंच पर घटित है उससे दर्शक एकात्म न हों। वे समझे कि जो कुछ दिखाया जा रहा है वह विगत की ही गाथा है। गौरतलब है कि ऐसा ही प्रभाव लोक गीतों को गाये जाने की कला करती है।
रचनाएं
बर्तोल्त ब्रेख्त की प्रमुख रचनाएं हैं :
द थ्री पेन्नी ओपेरा
लाइफ ऑफ गैलीलियो
मदर करेज एण्ड हर चिल्ड्रेन (नीलाभ अश्क द्वारा हिन्दी में हिम्मत माई शीर्षक से अनुवाद)
द गुड पर्सन ऑफ शेजवान
द कॉकेसियन चॉक सर्कल
सन्दर्भ
जर्मन भाषा
जर्मन साहित्यकार
1898 में जन्मे लोग
१९५६ में निधन | 383 |
1439058 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8B | हिकिको | हिकिको- सान एक जापानी शहरी किंवदंती है।
अवलोकन
एक बरसात के दिन , वह एक फटे-पुराने सफेद किमोनो में एक महिला से मिलता है, जो अपने साथ एक गुड़िया जैसी वस्तु खींचती है। अगर आप बारीकी से देखेंगे तो आप देख सकते हैं कि महिला की आंखें तिरछी हैं और उसका मुंह कानों तक फैला हुआ है। और जो महिला घसीट रही थी वह कोई गुड़िया नहीं थी, बल्कि प्राथमिक विद्यालय की उम्र का एक बच्चा था। महिला उसे देखने वाले बच्चे को पकड़ती है, घसीटती है जब तक कि वह मांस का ढेर न बन जाए, उसे एक निर्धारित स्थान पर ले जाकर वहीं छोड़ देती है। ऐसा कहा जाता है कि, अपने द्वारा की गई क्रूर धौंस से नाराज़ होकर, वह बच्चों को पकड़ती है और उन्हें तब तक घसीटती रहती है जब तक कि वे मांस के लोथड़े में नहीं बदल जाते।
इस शहरी किंवदंती को 2008 में टीएमसी द्वारा हिकिको-सान शीर्षक के तहत एक फिल्म में बनाया गया था।
विवरण और व्युत्पत्ति
ऐसा कहा जाता है कि वह मूल रूप से उत्कृष्ट ग्रेड, एक प्यारा चेहरा और एक दयालु दिल वाली एक लंबी लड़की थी जिसे उसके शिक्षकों से प्यार था। बताए जाने वाले पैटर्न हैं। ऐसा कहा जाता है कि स्वयं या उसके माता-पिता द्वारा नजरबंद किए जाने के बाद वह एक हिकिकोमोरी बन गया, और अंततः एक राक्षस में बदल गया। ऐसा कहा जाता है कि वह उन बच्चों को इकट्ठा करता है जिन्हें वह घसीट कर अपने घर ले जाता है ।
"हिकिको-सान" का असली नाम "मोरिहिकिको" कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे 'हिकिको' के पठन को हिकिको' में बदलकर और इसके अलावा, 'उपनाम को 'हिकिकोमोरी' में बदलकर स्थापित किया गया है। इसके अलावा, यह कहा जाता है कि शहरी कथा के रूप में घटना के पीछे 'हिकिकोमोरी' के प्रति पूर्वाग्रह है। | 302 |
167123 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%20%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%80%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE%20%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0 | इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार | इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार राजभाषा नीति के कार्यान्वयन और हिंदी के प्रयोग को आगे बढ़ाने में उपलब्धियों के लिए दिए जाते हैं। वर्ष 1986-87 में यह पुरस्कार योजना आरंभ की गई थी। इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ष विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों व शहर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को राजभाषा नीति के अनुपालन में उपलब्धियों के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं। साथ ही केंद सरकार, बैंक, वित्तीय संस्थानों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण संस्थानों और केंद्रीय सरकार के स्वायत्त निकायों को हिंदी में मूल पुस्तकें लिखने वाले कार्यरत या सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नकद पुरस्कार दिए जाते हैं।
अन्य पुरस्कार
आधुनिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी व समकालीन विषयों के ज्ञान-विज्ञान पर मूल पुस्तक लेखन के लिए ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय पुरस्कार योजना‘ भी चलाई जाती है। इस योजना में कोई भी भारतीय नागरिक भाग ले सकता है। क्षेत्रीय स्तर पर ‘क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कार‘ चलाए जाते हैं। ये पुरस्कार राजभाषा नीति के कार्यान्वयन और हिंदी के प्रयोग को आगे बढ़ाने में उपलब्धियों के लिए दिए जाते हैं। इसके लिए क्षेत्रीय/अधीनस्थ कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, शहर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों, बैंक व केंद्र सरकार के वित्तीय संस्थानों को पुरस्कार दिए जाते हैं।
बाहरी कड़ियाँ
पुरस्कार योजनाएं (नगर राजभाषा कार्यान्यवन समिति, बीकानेर)
सन्दर्भ
हिन्दी
पुरस्कार | 198 |
804825 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BE | तात्याना कुज़नेत्सोवा | तात्याना कुज़नेत्सोवा एक पूर्व सोवियत अंतरिक्ष यात्री है जिनका जन्म १४ जुलाई १९४१ को हुआ था। वह सरकारी मानव अंतरिक्षोत्सव कार्यक्रम द्वारा चुनी गई सबसे कम उम्र की महिला हैं। १९६१ में सोवियत सरकार द्वारा महिला कॉस्मोनाट प्रशिक्षुओं का चयन अधिकृत किया गया था, जिसमे तात्याना कुज़नेत्सोवा को पांच महिला कोस्मोनौट्स के एक समूह के सदस्य के रूप में चुनी गई थी। उसके बाद वह वोस्तोक अंतरिक्ष यान में एक एकल अंतरिक्ष यान के लिए प्रशिक्षित की गई। हालांकि उन्होंने एक सचिव के रूप में काम किया था। उन्हें पैराशूट का शौक था, जिसे उन्होंने १९५८-१९६१ तक एक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय चैंपियन भी बनी थी। अपने प्रशिक्षण के शुरुआती दिनों में, कुज़नेत्सोवा अंतरिक्ष में पहली महिला बनने के लिए पसंदीदा थी, लेकिन प्रशिक्षण के कुछ समय बाद शारीरिक और भावनात्मक रूप से कठिन व्यवस्था के कारण उन्हें प्रशिक्षण से हटा दिया गया। और अंतरिक्ष में पहली महिला होने का सम्मान अंततः वेलनटीना तेरेश्कोवा को दिया गया था जो कि पृथ्वी की ऑर्बिट में जून १९६३ में वोस्तोक-6 पर सवार हुई थी। उनकी पिछली कठिनाइयों के बावजूद, कुज़नेत्सोवा को जनवरी १९६५ में दो महिला वास्कोद 5 मिशन पर अंतरिक्ष यात्री के प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया था, लेकिन उस परियोजना को भी उड़ान भरने का मौका देने से पहले ही रद्द कर दिया गया था। उन्हें १९६९ में अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम से रिटायर किया गया।
सन्दर्भ
महिला अंतरिक्ष यात्री
रूस के अंतरिक्षयात्री
1941 में जन्मे लोग
विज्ञान में महिलाएं
महिला वैज्ञानिक | 240 |
51580 | https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%AE | कोल्लम | कोल्लम (Kollam), जिसे पहले क्विलोन (Quilon) कहा जाता था, भारत के केरल राज्य में अरब सागर के किनारे बसा एक बंदरगाह शहर है। प्रशासनिक रूप से यह कोल्लम ज़िले में है और उस ज़िले का मुख्यालय है। समीप ही अष्टमुडी झील है। इस नगर का प्राचीन काल से व्यापारिक महत्व रहा है। इसके फोनीशियाई, रोमन, चीनी, अरबी और यूरोपीय संस्कृतियों से व्यापारिक सम्बन्ध थे और इन समुदायों के लोग भी समय-समय पर यहाँ बसे हैं। इब्न बतूता ने 14वीं शताब्दी में इसे भारत के पाँच बड़े बंदरगाहों में गिना था।
भूगोल
कोल्लम की सीमाओं से पत्तनमत्तिट्टा जिला और आलप्पुषा़ जिला उत्तरी ओर, तथा तिरुअनन्तपुरम जिला दक्षिणी ओर से लगते हैं। कोल्लम को यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती और विविधताओं के लिए जाना जाता है। समुद्र, झील, मैदान, पहाड़, नदियाँ, बैकवाटर, जंगल, घने जंगल आदि विविधताएं इसे अन्य स्थानों से पृथक करती हैं।
प्रमुख आकर्षण
थंगसेरी
समुद्र के किनार बसा यह गाँव अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। अठारहवीं शताब्दी में बने पुर्तगाली और डच किले के अवशेष यहाँ देखे जा सकते हैं। यहाँ का लाइटहाउस भी काफी चर्चित है। यह लाइटहाउस आगंतुकों के लिए शाम 3:30 से 5:30 बजे तक खुला रहता है। हर 15 मिनट के अंतराल में कोल्लम से यहाँ के लिए बसें उपलब्ध है। यह ऐतिहासिक गाँव कोल्लम नगर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रामेश्वर मंदिर
इस मंदिर में पांड्य शैली का स्पष्ट छाप देखा जा सकता है। मंदिर में 12 से 16वीं के शताब्दी पुराने अभिलेख खुदे हुए हैं। मंदिर में व्याला दैत्य की नक्काशीदार मूर्ति बनी हुई है।
अंचेनकोइल
पूनालुर से 80 किलोमीटर दूर स्थित यह एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यहाँ के घने जंगलों के बीचों बीच सास्था मंदिर बना हुआ है। मंदिर में स्थापित सास्था की मूर्ति ईसा युग से कुछ शताब्दी पूर्व की मानी जाती है। मांडला पूजा और रेवती नामक दो पर्व यहाँ बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
अलुमकडावू
अलुमकडावू कोल्लम शहर से 26 किलोमीटर दूर कोल्लम-अलप्पुजा राष्ट्रीय जलमार्ग पर स्थित है। यहाँ का ग्रीन चैनल बेकवाटर रिजॉर्ट देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। यहाँ दूर-दूर तक फैला नीला-हरा पानी इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाता है। सैकड़ों की तादाद में लगे नारियल के पेड़ ग्रीन चैनल रिजॉर्ट को एक अलग ही पहचान देते हैं।
मायानद
मायानद अपने मंदिरों के लिए चर्चित है। उमयनल्लौर में बना सुब्रह्मण्य मंदिर यहाँ के नौ मंदिरों में अपना विशेष स्थान रखता है। माना जाता है कि यह मंदिर महान हिन्दू दार्शनिक शंकराचार्य को समर्पित है। मायानद कोल्लम से 10 किलोमीटर की दूरी पर है। कोल्लम से यहाँ के लिए नियमित बस सेवाएं हैं।
ओचिरा
इस पवित्र तीर्थस्थल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ के परब्रह्म मंदिर में कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है, बल्कि यह मंदिर विश्व बंधुत्व को समर्पित है। आचिरा काली पर्व यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
जटायुपर
चदायमंगलम गाँव की इस विशाल चट्टान का नाम पौराणिक पक्षी जटायु के नाम पर पड़ा। कहा जाता है कि रावण से संघर्ष के दौरान वह इस पर गिर पड़ा था। जटायु ने सीता को रावण के चुंगल से मुक्त कराने का प्रयास किया था।
पालरुवी जलप्रपात
पालारूपी का अर्थ दूधिया धारा होता है। 300 फीट की ऊँचाई से चट्टानों पर गिरने वाला यह झरना दूधिया झरने सा दिखाई देता है। यहाँ का पालारूवी वुड्स लोकप्रिय पिकनिक स्थल है।
पिकनिक विलेज
48 एकड़ गेस्ट हाउस कॉम्प्लेक्स में आश्रमम पिकनिक विलेज स्थित है। यह केरल का सबसे बड़ा ट्रैफिक पार्क है। यहाँ समय व्यतीत करने के अनेक माध्यम उपलब्ध हैं। साथ ही ठहरने की भी उत्तम व्यवस्था है। अष्टामुदी झील के बेकवॉटर में नौकायन का आनंद भी लिया जा सकता है।
आवागमन
वायु मार्ग
तिरूअनंतपुरम विमानक्षेत्र कोल्लम का नजदीकी एयरपोर्ट है जो लगभग 72 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के तमाम बड़े शहरों से यह एयरपोर्ट जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग
कोल्लम रेलवे स्टेशन केरल और अन्य राज्यों के अनेक शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है। पड़ोसी शहरों से अनेक रेलगाड़ियाँ कोल्लम के लिए चलती हैं।
सड़क मार्ग
केरल राज्य सड़क परिवहन निगम की अनेक बसें केरल के अन्य शहरों से कोल्लम जाती हैं। पनवेल (मुम्बई के समीप दक्षिण में स्थित एक शहर) से कन्याकुमारी जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 66 कोल्लम से गुज़रता है और इसे कई स्थानों से जोड़ता है।
इन्हें भी देखें
कोल्लम ज़िला
सन्दर्भ
केरल के शहर
कोल्लम ज़िला
कोल्लम ज़िले के नगर | 708 |