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विंडोज़ मोबाइल ५.०
विंडोज़ मोबाइल ५.० (अंग्रेजी में: Windows Mobile 5.0) या विंडोज़ मोबाइल 5.0, जिसका मूल कूटनाम (codename) "मैग्नेटो" ("Magneto")था, को 9-12 मई, 2005 को लास वेगास मे माइक्रोसॉफ्ट के मोबाइल और एंबेडेड डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस 2005 में जारी (release) किया गया था। माइक्रोसॉफ्ट ने 12 अक्टूबर, 2010 तक विंडोज मोबाइल 5 के लिए मुख्यधारा-समर्थन (mainstream support) की घोषणा की, और इसे 13 अक्टूबर, 2015 तक विस्तारित (extend) किया। यह पहली बार Dell Axim x51 पर पेश किया गया था। यह .NET Compact Framework 1.0 SP3 का उपयोग करता था जो प्रोग्रामों के लिए .NET पर आधारित एक वातावरण (environment) है। विंडोज मोबाइल 5.0 में Microsoft Exchange Server "push" नामक सुधार भी शामिल थे जो Exchange 2003 SP2 के साथ काम करते थे। "पुश" कार्यक्षमता ("push" functionality) के लिए वेंडर/डिवाइस सपोर्ट की भी आवश्यकता होती थी। AKU2 सॉफ्टवेयर अपग्रेड के बाद सभी विंडोज़ मोबाइल 5.0 डिवाइस DirectPush को सपोर्ट करते हैं। इस संस्करण में मेमोरी के स्थायी संग्रहण (Persistent storage) की क्षमता होने के कारण बैटरी के जीवनकाल में वृद्धि हुई। शुरु मे, बैटरी पावर के 50% (स्टोरेज के 72 घंटे तक) को परिवर्तनशील (volatile) रैम में डेटा को बनाए रखने के लिए आरक्षित किया गया था। इसने विंडोज-आधारित उपकरणों के उस चलन (trend) को आगे बढ़ाया जिसमे प्राथमिक भंडारण (primary storage) के लिए सिर्फ रैम का उपयोग करने के बजाय रैम और फ्लैश मेमोरी के संयोजन का उपयोग किया जाता था (उपयोग की दृश्य से, उपयोगकर्ताओं के लिए दोनों के बीच कोई अंतर स्पष्ट नहीं है)। रैम में ही प्रोग्राम और अक्सर उपयोग (access) किए जाने वाले डेटा चलते हैं, जबकि बाकि (अधिकांश) भंडारण फ्लैश मेमोरी में होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) निर्बाध रूप से आवश्यकतानुसार दोनों के बीच डेटा स्थानांतरित करता है। सब कुछ फ्लैश मेमोरी में बैकअप होता है, इसलिए पूर्व उपकरणों के विपरीत, विंडोज़ मोबाइल 5.0 वाले उपकरण बिजली खो जाने पर भी कोई डेटा नहीं खोते हैं। 5.0 के लिए नई बात यह भी थी कि ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) अपडेट एडेप्टेशन किट अपग्रेड (Adaptation kit upgrades) के रूप में जारी होते थे, जिसमें अंतिम बार AKU 3.5 को जारी किया गया था। इसमेर Office का एक नया संस्करण "Microsoft Office Mobile" नाम से बंडल किया गया था जिसमें रेखांकन क्षमता (graphing capability) के साथ पॉवरपॉइंट मोबाइल, एक्सेल मोबाइल तथा टेबल और ग्राफिक्स सम्मिलित करने की क्षमता के साथ वर्ड मोबाइल शामिल है। इसमे वीडियो और चित्रों को अभिसरित (converge) करने वाले पिक्चर और वीडियो पैकेज तथा विंडोज मीडिया प्लेयर 10 मोबाइल, का उपयोग कर मीडिया प्रबंधन और प्लेबैक को उन्नत किया गया था । नए हार्डवेयर विशेषताओं में- ब्लूटूथ सपोर्ट, डिफॉल्ट QWERTY कीबोर्ड-सपोर्ट और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) के लिए मैनेजमेंट इंटरफेस का उन्नयन शामिल था। ActiveSync 4.2 में 15% बढ़ी हुई सिंक्रनाइज़ेशन गति के साथ सुधार किए गए थे। व्यापार ग्राहकों (Business customers) को डेस्कटॉप और सर्वर विंडोज सिस्टम में मौजूद नई त्रुटि रिपोर्टिंग जैसी ही सुविधा का लाभ दिया गया। कॉलर आई.डी. (Caller ID) अब तस्वीरों का समर्थन करती थी ताकि उपयोगकर्ता हर संपर्क (contact) पर एक तस्वीर लगा सके जो कॉल प्राप्त होने पर दिखाई दे। DirectShow को भी मूल रूप से जोड़ा गया था। यह GAPI के बहिष्कृत हो चुके ग्राफिक्स घटक (graphics component) की जगह हार्डवेयर त्वरण (hardware acceleration) के साथ DirectDraw को शामिल करने वाला पहला संस्करण था, और इससे पॉकेट एम.एस.एन. (Pocket MSN) को सीधे Today स्क्रीन पर देखा जा सकता था। विंडोज मोबाइल 5.0 में कम से कम 64 एमबी रैम की आवश्यकता होती है, और डिवाइस को ए.आर.एम. संगत प्रोसेसर जैसे कि इंटेल XScale या सैमसंग और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स द्वारा बनाया गया ए.आर.एम. कॉम्पिटिबल्स विंडोज मोबाइल पर ही चलाना चाहिए जो 8 मई 2005 तक बने हो। सन्दर्भ विंडोज़ मोबाइल माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ के बंद हो चुके संस्करण
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%AF%2C%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%20%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A1%E0%A4%BC
पूर्व माध्यमिक विद्यालय, राजपुर रोड़
पूर्व माध्यमिक विद्यालय देहरादून, उत्तराखंड के राजपुर रोड़ पर स्थित एक सरकारी विद्यालय है। इसकी स्थापना राज्य सरकार द्वारा १९५३ में की गई थी। विद्यालय के बारे में सामान्य जानकारी इस प्रकार है:- देहरादून में स्थिति : राजपुर रोड, देहरादून, जिला - देहरादून, उत्तराखंड - २४८ ००१ दिशा : यह घंटाघर से १ किलोमीटर की दूरी पर राजपुर रोड पर स्थित है। समय : गर्मी में ७:०० सुबह से १२:०० दोपहर सर्दी में १०:०० सुबह से ४:०० शाम कार्य दिवस : सोमवार से शनिवार। अन्य विशेषतायें/विशेष रुचि : इस विद्यालय में लगभग १२५ छात्र हैं और यहां ६टीं कक्षा से लेकर १२वीं तक है।
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केबल
केबल या मोटा तार दो या दो से अधिक तारों को लम्बाई में साथ साथ जोड़कर, मरोड़कर या गूंथकर तैयार की गयी एक, एकल रचना होती है। यांत्रिकी में, केबलों जिन्हें हिन्दी में रज्जु कहा जाता है (हिन्दी में इसके लिए आमतौर पर रस्सा या 'धातु का रस्सा' शब्द भी प्रयोग किया जाता है पर आजकल अंग्रेजी प्रभाव के चलते केबल शब्द भी प्रयोग किया जाने लगा है। हिन्दी में केबल का प्रयोग मुख्यत: बिजली के तार के संबंध में होता है।) का प्रयोग तनाव के माध्यम से उठाने, ढोने, खींचने और प्रवहण के लिए किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) में केबल का उपयोग विद्युत धारा के प्रवाह के लिए किया जाता है। प्रकाशीय केबल में एक सुरक्षात्मक आवरण के अंदर एक या एक से अधिक तंतु उपस्थित होते हैं। लोहे की कड़ियों से बनी जंजोरों को भी केबल कहते हैं। यह जहाजों के लंगर डालने के काम आता है। जमीन के नीचे या समुद्र के पानी में डाले हुए तार के उन रस्सों को भी केबल कहते हैं जिनके द्वारा तार या टेलीफोन का संचार होता है। ये भी देखें परिरक्षित केबल सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ National Electrical Manufacturers Association The European Confederation of National Associations of Manufacturers of Insulated Wire and Cable Marine cables selection केबल
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बहपुरा
बहपुरा (Bahupura) या बहपुरा उपरवार (Bahupura Uparwar) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के भदोही ज़िले (संत रविदास नगर ज़िले) के डीघ मंडल में स्थित एक गाँव है। यह गंगा नदी के किनारे स्थित है। इतिहास बहपुरा का पुराना नाम ब्रह्मपुर था, क्योंकि यहां पर बहुत ही प्रकांड विद्वान ब्राह्मण रहा करते थे। उन्ही ब्राह्मणो के निवास के कारण इसका नाम ब्रह्मपुर् रखा गया था। उन्ही विद्वान ब्राह्मणो के वन्शज आज भी इस गांव में रहते है। जनसांख्यिकी भारत की 2011 जनगणना के अनुसार इस गाँव की आबादी 1062 थी जिसमे महिलाये 465 और पुरुष 597 थे। इन्हें भी देखें भदोही ज़िला सन्दर्भ भदोही ज़िला उत्तर प्रदेश के गाँव भदोही ज़िले के गाँव
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आजकाल
आजकाल भारत में प्रकाशित होने वाला बांग्ला भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। आजकल एक साथ कोलकाता, सिलीगुड़ी से प्रकाशित होता है और इसका त्रिपुरा संस्करण अगरतला से प्रकाशित होता है। अख़बार की शुरुआत 1981 में अभय कुमार घोष ने की थी। इन्हें भी देखें भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ NEWSPAPERS.co.in - A dedicated portal showcasing online newspapers from all over India Newspaper Index - Newspapers from India - Most important online newspapers in India ThePaperboy.com India - Comprehensive directory of more than 110 Indian online newspapers भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र बांग्ला भाषा के समाचार पत्र
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थीटाहीलिंग
थीटाहीलिंग वर्ष 1994 में वियाना स्टाइबल द्वारा सृजित एक स्व-सहायता साधन है जिसे लोगों की उन अवचेतन आस्थाओं को सीमित करने में सहायता करने हेतु अभिकल्पित किया गया है जो उन्हें स्वास्थ्य, धन या प्रेम में उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधक होती हैं। विनियोग थीटाहीलिंग का विनियोग व्यक्तिगत सत्र के रूप में किया जाता है जिसे 'आस्था कार्य' कहा जाता है और जिसमें ग्राहक  और थीटा पेशेवर  एक-दूसरे के समक्ष सीधे बैठते हैं अथवा फ़ोन पर बात करते हैं। इसे दैनिक आत्म-ध्यान और आत्मनिरीक्षण के साधन के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। विचार यह है कि प्रतिभागी उन तथाकथित 'आस्थाओं' को खोज सकता है और परिवर्तित कर सकता है, जो कि मूल, आनुवंशिक, इतिहास एवं अन्तरात्मा पर अवचेतन रूप में हो सकती हैं। इसका लक्ष्य सामान्य स्वास्थ्य एवं कल्याण में सुधार लाना है, जैसा कि विआना कहती हैं, ‘आस्था कार्य हमें नकारात्मक विचार प्रतिरूपों को दूर करने और उन्हें सकारात्मक एवं लाभकारी विचार प्रतिरूपों से प्रतिस्थापित करने की क्षमता प्रदान करता है। सिद्धांत वियाना स्टाइबल के अनुसार, थीटाहीलिंग का सिद्धांत ‘अस्तित्व के सात तलों’ के आसपास केन्द्रित है, जो 'सातवें तल के सभी तत्वों का सृष्टिकर्ता’ के महत्व को दर्शाने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है, जिसे 'पूर्ण प्रेम और बुद्धिमत्ता का स्थान' भी कहा जाता है। अस्तित्व के सात तल भौतिक और आध्यात्मिक विश्व की व्याख्या करते हैं क्योंकि वे परमाणुओं और अणुओं की गति से संबंधित हैं, सातवां तल वह जीवन-शक्ति है जो सब कुछ सृजित करती है। इसके अतिरिक्त, इसकी अवधारणाएं अधिकांश धार्मिक अवधारणाओं के साथ एकीकृत हो सकती हैं। समालोचना थीटाहीलिंग के सिद्धांत की समालोचना उसके गूढ़ एवं विश्वास-आधारित प्रकृति के कारण की गई है। सन्दर्भ वैकल्पिक चिकित्सा
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गुलाम मुस्तफा खान
Articles with hCards गुलाम मुस्तफा खान गुलाम अहमद खान ( उर्दू : غلام مصطفے ان, हिंदी : गुलाम मुस्तफा खान; 1892-1970) गुलाम अहमद खान के पुत्र एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद थे। उन्होंने शिक्षा और किसानों के माध्यम से लोगों को जागृत कर के भारतीय समाज में सामाजिक सुधार लाने की मांग की। उनके पास गुलामी, सामाजिक असमानता और सांप्रदायिक वैमनस्य से मुक्त भारत की दृष्टि थी। 1921 में गुलाम मुस्तफा खान गुलाम अहमद खान ने भारत के बरार प्रांत में ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू भारतीय किसानों पर बारा बलुतेदार कराधान का विरोध किया। इन क्रांति के लिए उन्हें जेल हुई और 1500 जुर्माना हुआ और उन्हें 15 अगस्त 1966 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में सम्मानित किया गया जीवनी स्वतंत्रता सेनानी श्री गुलाम मुस्तफा खान गुलाम अहमद खान का जन्म 1892 में मालवीपुरा पिंपलगांव राजा, जिला बुलढाना, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्हें अपने पिता गुलाम अहमद खान चंद खान से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का उपहार मिला। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पिंपलगांव राजा के एक मराठी स्कूल में की। आगे की शिक्षा उन्होंने अमरावती के मोहमदान हाई स्कूल में की। माध्यमिक शिक्षा के बाद उन्होंने एंग्लो मोहम्मडन ओरिएंटल कॉलेज अलीगढ़ में उच्च शिक्षा में प्रवेश लिया। 1916 में उन्होंने कला स्नातक (बीए) में स्नातक डिग्री पूरी की।डिग्री पूरी कर जब वापस लौटे तो ग्रामीणों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। चूँकि वे उस समय उच्च शिक्षित थे, इसलिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कलेक्टर का आदेश दिया। लेकिन उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्हें यह पसंद नहीं था। उन्होंने फिर से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। वर्ष 1920 में, उन्होंने नागपुर में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में भाग लिया। वर्ष 1921 में बालूता प्रणाली के अनुसार किसान से अतिरिक्त कर वसूल किया जाता था। चूंकि वे इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सके, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया। इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और ब्रिटिश कांस्टेबल द्वारा सजा सुनाई गई और 1500 / - रुपये का जुर्माना लगाया गया। 1939 में खामगाँव में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आगमन होवा । गुलाम मुस्तफा खान ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्होंने एक परिचयात्मक भाषण भी दिया। इसलिए उनका नाम हर जगह प्रसिद्ध हुआ। 15 अगस्त 1966 को, महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता दी और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी के लिए उन्हें सम्मान का प्रमाण पत्र दिया और उन्हें 250/- रुपये के साथ संबोधित किया। उन्होंने मानदेय दिया और अंग्रेजी भाषा में उत्कृष्ट भाषण दिया, इसलिए लोगों ने उन्हें टाइम्स ऑफ इंडिया का नाम दिया। 28 दिसंबर 1970 को स्वतंत्रता सेनानी गुलाम मुस्तफा का निधन होवा , लोगों को एहसास हुआ कि एक देश प्रेमी इस दुनिया में नहीं रहा। संदर्भ १९७० में निधन 1892 में जन्मे लोग बुलढाणा जिले के लोग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बड़ा बलूतेदार व्यवस्था के विरोधी मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के पूर्व छात्र भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन महाराष्ट्र से भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता स्वतंत्रता सेनानी
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एलन कुर्दी की मृत्यु
एलन कुर्दी तीन वर्ष का कुर्दी मूल का सीरियाई बच्चा था जिसके शव का चित्र पूरे विश्व में सुर्ख़ियों में आया था। कुर्दी का परिवार सीरियाई गृहयुद्ध से बचने के लिए 2 सितंबर 2015 को एक नौका में तुर्की से ग्रीस जाने की कोशिश कर रहा था, पर नौका के डूबने से कुर्दी की मौत हो गई। जीवन वृत्त (Biography ) नन्हे मासूम एलन कुर्दी का जन्म 2012 में कोबेन, सीरिया में हुआ था। एक सीरियाई पत्रकार ने कहा कि, परिवार का नाम शेनू (Shenu ) था; तुर्की में "कुर्दी" का उपयोग उनकी जातीय पृष्ठभूमि के कारण किया गया था। गृह युद्ध और आई. एस. आई. एल. (I.S.I.L.) से बचने के लिए उत्तरी सीरिया के विभिन्न शहरों के बीच जाने के बाद, उनका परिवार तुर्की में बस गया। परिवार 2015 की शुरुआत में कोबानो में लौट आया, लेकिन जून 2015 में तुर्की लौट आया जब आई.एस.आई.एल. ने कोबानो पर फिर से हमला किया। इस समय के दौरान, कुर्दी के पिता ने कोस में एक अवैध मार्ग की व्यवस्था की। कुर्दी के परिवार के सदस्य कनाडा के वैंकूवर (Vancouver, British Columbia, Canada) में अपने रिश्तेदारों से जुड़ने की उम्मीद कर रहे थे, उनकी चाची टीमा कुर्दी द्वारा शरणार्थी प्रायोजन के लिए दायर किए जाने के बाद, लेकिन नागरिकता विभाग और आव्रजन कनाडा द्वारा इसे अस्वीकार कर दिया गया था क्योंकि परिवार के सदस्यों को बाहर निकलने से मना कर दिया गया था। तुर्की अधिकारियों द्वारा वीजा। विभाग के अनुसार एलन के चाचा, मोहम्मद द्वारा एक आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया था क्योंकि यह अधूरा था, और एलन के पिता अब्दुल्ला कुर्दी से कभी कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ। अब्दुल्ला कुर्दी ने कहा कि कनाडाई सरकार ने शरण के लिए उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया और वे इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार थे। कनाडाई न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP, एनडीपी) के सांसद फिन डोनली ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपनी फाइल नागरिकता और आव्रजन मंत्री क्रिस अलेक्जेंडर को साल में पहले ही सौंप दी थी, लेकिन आवेदन जून 2015 में खारिज कर दिया गया क्योंकि यह अधूरा था।  कुर्दी परिवार ने एक निजी प्रायोजन कार्यक्रम के तहत कनाडा में प्रवेश पाने की कोशिश की, जिसके तहत पाँच लोगों के समूह किसी व्यक्ति या परिवार को प्रायोजित कर सकते हैं। उन्हें यह प्रदर्शित करने की आवश्यकता है कि वे चार शरणार्थियों के परिवार का समर्थन करने के लिए लगभग 27,000 कनाडाई डॉलर प्रदान कर सकते हैं। टोरंटो में एक शरणार्थी निपटान समूह, लाइफलाइन सीरिया के परियोजना प्रबंधक, एलेक्जेंड्रा कोटिक के अनुसार, कार्यक्रम के लिए आवश्यक है कि पहले तुर्की से कनाडा आने की इच्छा रखने वाले लोगों को तुर्की सरकार द्वारा शरणार्थी घोषित किया जाए। उसने कहा कि अक्सर पूरा करना मुश्किल या असंभव स्थिति थी। घातक दुर्घटना और मृत शरीर की प्राप्ति (Fatal Accident and Body Recovery ) घातक दुर्घटना और शरीर की वसूली 2 सितंबर 2015 के शुरुआती घंटों में, कुर्दी और उनके परिवार ने एक छोटी प्लास्टिक या रबर की हवा वाली नाव (Inflatable Boat) पर सवार हुए, जो तुर्की में बोडरम से निकलने के लगभग पांच मिनट बाद बंद हो गई। नाव में सोलह लोग सवार थे, जिसे अधिकतम आठ लोगों के लिए डिजाइन किया गया था। वे कोस के ग्रीक द्वीप, बोडरम से लगभग 30 मिनट (4 किलोमीटर या 2 मील) तक पहुँचने की कोशिश कर रहे थे। कुर्दी के पिता ने कहा: "हमारे पास कोई जीवन यापन नहीं था", लेकिन यह भी कहा कि उन्होंने जीवन जैकेट पहने थे, लेकिन वे "सभी नकली थे"। अन्य लोगों ने कहा है कि वे मानते थे कि वे लाइफजैकेट पहने हुए थे लेकिन आइटम अप्रभावी थे। बाद में सीरियाई रेडियो पर कहा गया कि कुर्दी परिवार ने नाव पर अपने चार स्थानों के लिए $ 5,860 का भुगतान किया, जो केवल पांच मीटर लंबा होने के बावजूद उस पर बारह अन्य यात्री थे। एलन कुर्दी की मां खुले समुद्र में होने के डर के बावजूद यात्रा में शामिल हुईं। एलन कुर्दी की चाची टीमा कुर्दी ने अपनी बहन को न जाने की सलाह दी थी। देर रात एक अलग समुद्र तट से बाहर निकलकर नाव पर मौजूद लोगों ने तुर्की के तटरक्षक बल को नष्ट कर दिया। लगभग 5 बजे, अधिकारियों ने एक आपातकालीन कॉल के बाद एक जांच शुरू की कि एक नाव ने कैप्सूलेट किया था और शव राख हो रहे थे। कुर्दी और एक अन्य बच्चे के शवों की खोज दो स्थानीय लोगों ने सुबह लगभग 6:30 बजे की। दोनों लोगों ने शवों को पानी से निकाला, जहां कुर्दी को बाद में तुर्की के एक प्रेस फोटोग्राफर ने फोटो खींचा था। 3 सितंबर 2015 को, एलन कुर्दी अपने भाई, गालिब और उनकी मां, रेहाना के साथ, कोबालों को दफनाने के लिए ले गए, जो अगले दिन हुआ। यदि संभव हो तो 24 घंटे के भीतर मृतकों को दफनाना इस्लामी परंपरा है। मार्च 2015 में कोबानो की घेराबंदी समाप्त हो गई और शहर से बाहर जाने पर इस्लामिक स्टेट के हमले अगस्त 2015 में पूरी तरह से रुक गए। कथित अपराधियों की गिरफ्तारी (Arrests of Alleged Perpetrators) तुर्की के अधिकारियों ने बाद में अवैध यात्रा के सिलसिले में चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, हालांकि वे निम्न-स्तरीय मध्यस्थ थे। एलन कुर्दी के पिता अब्दुल्ला कुर्दी ने अपने कुछ साक्षात्कारों में कहा है कि 'इंजन' को छोड़ देने और उसके बाकी सभी के साथ एक छोटी प्लास्टिक या रबर की हवा वाली नाव (Inflatable Boat) बेकाबू हो गई थी। कुछ तुर्की स्रोतों ने दावा किया कि डोगन समाचार एजेंसी (Doğan News Agency ) के साथ अपने पहले साक्षात्कार में, वह घटना का एक अलग खाता देता है; उन्होंने यह भी कहा कि ग्रीक द्वीप कोस में पार करने के दो असफल प्रयासों के बाद, उनके परिवार ने अपने स्वयं के साधनों के साथ अपनी नाव प्रदान की।  हालाँकि, अब्दुल्ला ने कभी भी डोगन समाचार एजेंसी (Doğan News Agency ) के साक्षात्कार की पुष्टि नहीं की। उसी नाव से एक इराकी बचे, ज़ैनब अब्बास, जिन्होंने दो बच्चों को भी पार करने की कोशिश की थी, ने संवाददाताओं को बताया कि अब्दुल्ला ने उन्हें "कप्तान" के रूप में पेश किया था, कि वह बहुत तेज़ नाव चला रहे थे, जिससे वह पलट गई। पर, और उसने उससे विनती की कि वे दोनों अभी भी पानी में हैं और उसे अधिकार में किसी को रिपोर्ट नहीं करेंगे। अब्बास ने कहा कि उसका परिवार आई.एस.आई.एस. (I.S.I.S.) से बगदाद से बच गया और वह गुस्से में था क्योंकि सारा मीडिया का ध्यान एलन कुर्दी और अब्दुल्ला कुर्दी पर था, न कि उसके परिवार पर। बाद में वह बग़दाद लौट आई और कहा कि उसके मृत बच्चों के शवों को दफनाने के लिए सही तरीके से तैयार नहीं किया गया था और ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री टोनी एबॉट को अपने परिवार को शरण देने के लिए बुलाया ताकि वे इस्लामिक स्टेट से बच सकें। रॉयटर्स एजेंसी ने बताया कि नाव में दो अन्य यात्रियों, इराक़ी अहमद हादी जव्वाद (ज़ैनब अब्बास के पति) और 22 वर्षीय आमिर हैदर के साथ साक्षात्कार, ने अब्बास के खाते को नष्ट कर दिया। अब्दुल्ला ने आरोप लगाते हुए इनकार किया, "अगर मैं एक व्यक्ति तस्कर था, तो मैं अपने परिवार को अन्य लोगों की तरह एक ही नाव में क्यों रखूंगा? मैंने लोगों के तस्करों को उतनी ही राशि का भुगतान किया।" और "मैंने अपना परिवार खो दिया, मैंने अपना जीवन खो दिया, मैंने अपना सब कुछ खो दिया, इसलिए उन्हें वह कहना चाहिए जो वे चाहते हैं।" तुर्की के अधिकारियों के अनुसार, तुर्की में तस्करी के संचालन की जांच से पता चला कि शरणार्थियों के साथ अक्सर काम किया जाता था। तस्करों की मदद करने वाले यात्रियों को तस्करी यात्राओं के लिए साइन अप करते हैं। यात्रियों में से एक को नाव चलाने की जिम्मेदारी देना भी असामान्य नहीं था। तुर्की में परिवार और आकर्षक तस्करी के व्यापार से एक स्थिर आय वाला कोई भी तस्कर यूरोप में अवैध रूप से समाप्त नहीं होगा और घर वापस नहीं जाने का जोखिम उठाएगा, जहां उसे वैसे भी गिरफ्तारी का सामना करना पड़ेगा। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने एलन के पिता को तुर्की की नागरिकता प्रदान की। प्रतिक्रियाएँ (Reactions) तस्वीरों के लिए प्रतिक्रिया (Reactions to the Photos ) कुर्दी के शरीर की तस्वीर शरणार्थी संकट पर अंतरराष्ट्रीय चिंता में एक नाटकीय बदलाव का कारण बनी। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन और कुछ यूरोपीय नेताओं को फोन किया कि कुर्दी की तस्वीरें मीडिया में सामने आने के बाद। उन्होंने कहा कि तस्वीर शरणार्थियों के बारे में दुनिया की ज़िम्मेदारी की याद दिलाती है।  ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि उन्होंने कुर्दी की छवियों को गहराई से महसूस किया है। आयरिश ताओइसेच एंडा केनी ने कुर्दी की तस्वीरों पर टिप्पणी की और शरणार्थी संकट को "मानव तबाही" के रूप में वर्णित किया और चित्रों को "बिल्कुल चौंकाने वाला" पाया। चित्र को प्रवासियों और शरणार्थियों की मदद करने वाले दान में एक उछाल लाने का श्रेय दिया गया है, एक दान के साथ, प्रवासी अपतटीय सहायता स्टेशन, अपने प्रकाशन के 24 घंटों के भीतर दान में 15 गुना वृद्धि दर्ज करता है। 'द गार्जियन' (The Guardian ) के एक लेख ने 22 दिसंबर 2015 को अब्दुल्ला कुर्दी के खिलाफ "अपमानजनक दावों" के रूप में वर्णित एक संग्रह को रेखांकित किया। यह कहा गया कि वह एक अवसरवादी व्यक्ति था जिसने निजी लाभ के लिए सीरियाई शरणार्थी के रूप में अपनी स्थिति का उपयोग किया। एक अन्य सूत्र ने कहा कि अब्दुल्ला इस त्रासदी से पीड़ित थे, जिसमें उनके मृत बेटे के कपड़े पेरिस में एक संग्रहालय को बेचने थे। ऑस्ट्रेलियाई राजनीतिज्ञ कोरी बर्नार्डी ने दावा किया कि "पिता ने उन्हें उस नाव पर भेजा था ताकि उन्हें दंत चिकित्सा मिल सके"। कुछ आव्रजन विरोधी राजनेताओं ने दावा किया कि समुद्र तट पर एलन की छवि धूमिल हुई है। तस्वीरों के लिए सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं पर बहस (Debate on the Public Responses to the Pictures ) ब्रेंडन ओ'नील ने 3 सितंबर 2015 को द स्पेक्टेटर (The Spectator ) में लिखा कि: "इस स्नैपशॉट का वैश्विक प्रसार ... प्रवासी संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाने के एक तरीके के रूप में उचित है। कृपया, यह प्रगतिवादियों के लिए एक नासमझ तस्वीर की तरह है, मृत। बाल पोर्न, जिसे 21 वीं सदी में प्रवास के बारे में गंभीर बहस शुरू करने के लिए नहीं बल्कि पश्चिमी पर्यवेक्षकों के बीच उदासी की आत्म-संतुष्ट भावना को मिटाने के लिए बनाया गया है। " इसके विपरीत, ग्लोबल न्यूज़ के निक लोगन ने 4 सितंबर 2015 को तर्क दिया: "फोटोजर्नलिस्ट कभी-कभी छवियों को इतने शक्तिशाली रूप से कैप्चर करते हैं कि जनता और नीति निर्धारक चित्र दिखाने में अनदेखी नहीं कर सकते।" उन्होंने कुर्दी के शरीर की छवियों की तुलना "खूनी रविवार" घटना के दौरान की गई तस्वीरों में की, जिसमें नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान नागरिक अधिकारों के कार्यकर्ताओं को अलबामा राज्य के सैनिकों द्वारा पीटा गया था, और उन्होंने कहा कि उन लोगों के व्यापक दर्शकों ने मार्ग में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की मदद की। 1965 के मतदान अधिकार अधिनियम जैसे उपायों के बारे में। 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव पर प्रभाव (Impact on the 2015 Canadian Federal Election ) कुर्दी की मौत और उनके परिवार की रिपोर्ट है कि अंततः कनाडा पहुंचने की कोशिश कर रहा था, घरेलू कनाडा की राजनीति पर तत्काल प्रभाव पड़ा। प्रधान मंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता स्टीफन हार्पर ने एक फोटो कार्यक्रम को रद्द कर दिया और एक अभियान कार्यक्रम में इस मुद्दे को संबोधित करते हुए कहा, "कल, लॉरेन और मैंने इंटरनेट पर देखा, इस युवा लड़के की तस्वीर, एलन, समुद्र तट पर मृत। देखो, मुझे लगता है, उस पर हमारी प्रतिक्रिया, आप पहली बात जानते हैं जो हमारे दिमाग को पार कर गई थी वह उस उम्र में हमारे बेटे बेन को याद कर रही थी, जैसे वह चारों ओर दौड़ रही थी। " राष्ट्रीय रक्षा और बहुसंस्कृतिवाद मंत्री जेसन केनी ने कनाडा की आव्रजन प्रणाली की अखंडता और कनाडा की सुरक्षा की रक्षा के लिए रूढ़िवादी प्रयासों पर एक महत्वपूर्ण घोषणा को रद्द कर दिया। कनाडाई नागरिकता और आव्रजन मंत्री क्रिस अलेक्जेंडर ने घोषणा की कि वह अस्थायी रूप से 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में अपने प्रचार अभियान को निलंबित कर देंगे और ओटावा में अपने मंत्री के कर्तव्यों को फिर से शुरू करने और एलन कुर्दी के मामले की जांच करेंगे, जिनके शरणार्थी का दर्जा उनके मंत्रालय द्वारा खारिज कर दिया गया था। विपक्ष के नेता और एनडीपी के नेता थॉमस मुल्केयर ने कहा कि "क्रिस अलेक्जेंडर के पास जवाब देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन यह वह जगह नहीं है जहां हम अभी हैं। हम इस बात से चिंतित हैं कि हम यहां कैसे पहुंचे, सामूहिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया कितनी खराब रही है।" कैसे कनाडा पूरी तरह से विफल रहा है। ” एन.डी.पी. (N.D.P.) के सांसद फिन डोनली पर दुखद घटना को वोट हासिल करने के साधन के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि उन्होंने शुरू में संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से आव्रजन मंत्री क्रिस अलेक्जेंडर को एक पत्र सौंपा था, जिसमें मंत्री ने एलन कुर्दी के परिवार के शरणार्थी आवेदन को देखने का आग्रह किया था, लेकिन कनाडा के आव्रजन अधिकारियों ने परिवार के आवेदन को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, बाद में एलन कुर्दी की चाची ने खुलासा किया कि आवेदन केवल कुर्दी के चाचा के लिए किया गया था और अस्वीकार कर दिया गया था क्योंकि पूरा नहीं हुआ था। इस बीच, नागरिकता और आव्रजन कनाडा कार्यालय ने स्पष्ट किया कि उन्हें चाचा के परिवार के लिए शरणार्थी का दर्जा प्रमाणित करने के लिए उचित दस्तावेज नहीं मिला था। मुल्केयर ने बाद में डोनेलली का बचाव करते हुए कहा कि कोई माफी नहीं मिली क्योंकि पत्र में दोनों परिवारों का उल्लेख किया गया था, और कहा कि वह "ताकतवर, निष्ठा और परिश्रम के रूप में फिन डोनेली" के रूप में काम करने के लिए प्राउडर नहीं हो सकते हैं। कलाओं में प्रतिक्रिया (Reactions in the Arts) उनकी मृत्यु के एक हफ्ते बाद, लगभग 30 मोरक्कोवासियों ने मोरक्को की राजधानी में श्रद्धांजलि में कुर्दी के शरीर की खोज को फिर से शुरू किया। जनवरी 2016 में, चीनी कलाकार ऐ वेईवेई ने कुर्दी की तरह अपने मृत शरीर की नकल करते हुए मीडिया तस्वीरों में दिखाया। यह तस्वीर पहली बार भारतीय पत्रिका इंडिया टुडे में ऐ वेईवेई के एक साक्षात्कार के साथ प्रकाशित हुई थी, और इसे भारत कला मेले में भी दिखाया गया था। फरवरी 2016 में, मिसे हिग्स ने "ओह कनाडा" नामक एक गीत जारी किया, जो एलन कुर्दी को समर्पित था। मार्च 2016 में, फ्रैंकफर्ट में यूरोपीय सेंट्रल बैंक मुख्यालय के बगल में एक दीवार पर कुर्दी के मृत शरीर का एक विशाल भित्ति चित्र दिखाई दिया। सितंबर 2018 में, हिप हॉप कलाकार लुपे फासको ने अपने एल्बम ड्रोग्स वेव पर "एलन फॉरएवर" नामक एक गीत जारी किया। यह गीत एक वैकल्पिक वास्तविकता प्रस्तुत करता है जहाँ एलन जीवित रहा। अन्य उपयोग (Other Uses ) अप्रैल 2017 में, फिनलैंड के टकसाल ने फिनिश की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का का खुलासा किया, जिसमें सिक्का के अग्रभाग पर एलन कुर्दी के शरीर की तस्वीर का उपयोग किया गया था। यह चित्र "ग्लोबल जस्टिस" (ग्लोबाली ऑइकेडेनमुकैयस) के साथ है। एलन कुर्दी की मौत को सिक्के के रिवर्स साइड पर एक फिनिश पब्लिक लाइब्रेरी के साथ तुलना किया गया है। फरवरी 2019 में जर्मन समुद्री बचाव संगठन सी-आई [डी] के बचाव जहाज के प्रोफेसर अल्ब्रेक्ट पेनक का नाम बदलकर एलन कुर्दी कर दिया गया। जुलाई 2019 की शुरुआत में कैरोला रैकेट की कमान के तहत जर्मन सी-वॉच संगठन के बचाव जहाज सी-वॉच 3 के साथ इसी तरह के संघर्ष के बाद, इतालवी अधिकारियों ने 6 जुलाई 2019 को लैम्पेडुसा के बंदरगाह तक एलन कुर्दी की पहुंच से इनकार कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप के बाद, शरणार्थियों ने अंततः 9 जुलाई 2019 को माल्टा में प्रवेश किया। विरासत (Legacy) 4 सितंबर 2015 को एलन कुर्दी और अन्य शरणार्थियों की याद में डिफेंड इंटरनेशनल द्वारा एक समुद्र तट कार्यक्रम आयोजित किया गया था। गैर-सरकारी संगठनों द्वारा आयोजित विभिन्न संगठनों द्वारा प्रार्थना की घटनाओं और मौन के क्षणों को आयोजित किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय रक्षा के राष्ट्रपति ने "अंतरराष्ट्रीय एकजुटता और मानवाधिकारों के सिद्धांतों के अनुसार शरणार्थियों की रक्षा, सहायता और मेजबानी के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समान रूप से साझा करने की जिम्मेदारी दी।"  एक दैनिक रेडियो कार्यक्रम के एक मेजबान ने कामना की कि "एलन कुर्दी की मृत्यु हमें सीमाओं के बिना एक दुनिया बनाने के लिए प्रेरित करेगी", जबकि स्पीगेल ऑनलाइन में प्रकाशित एक टिप्पणी ने सुझाव दिया कि बर्लिन को "शरणार्थी नीति को सुधारने या समाप्त करने की आवश्यकता है"। दुनिया भर के कलाकारों और कवियों ने एलन कुर्दी को श्रद्धांजलि दी। तीन महीने बाद, क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, 3 न्यूज़ न्यूजीलैंड ने कहा, "समुद्र तट पर उसके निर्जीव शरीर के चित्र व्यापक त्रासदी का प्रतीक थे। क्या वहाँ एक और अधिक चलती है, जो छोटे बेजान की तस्वीर की तुलना में अधिक शक्तिशाली छवि है। आयलान कुर्दी का शव समुद्र से ले जाया जा रहा है? " 2 जनवरी 2016 को, बीबीसी समाचार वेबसाइट पर एक फीचर लेख शब्दों के साथ खोला गया: "यह उन क्षणों में से एक था जब पूरी तरह से देखभाल करने के लिए लगता है।" यह एलन कुर्दी की चाची, तिमा कुर्दी के उद्धरण पर गया: "यह उस तस्वीर के बारे में कुछ था, भगवान ने दुनिया को जगाने के लिए उस तस्वीर पर प्रकाश डाला।" 8 सितंबर 2015 को, प्रकाशन बिल्ड ने कुर्दी की छवियों को प्रकाशित करने के अपने निर्णय के बारे में शिकायतों के जवाब में अपने प्रिंट संस्करण और वेबसाइट से कुर्दी सहित सभी चित्रों को हटा दिया। अखबार ने "चित्रों की शक्ति" के बारे में कहा: "केवल जब कोई उन्हें नहीं देखता है, तो कोई भी उस जादू को समझता है जो चित्र बनाते हैं"। ISIL आतंकवादी समूह ने कुर्दी की मौत को अपने प्रचार अभियानों में शामिल किया, कुर्दी की लाश की एक छवि का उपयोग करते हुए दावा किया कि भगवान उन लोगों को दंडित करेंगे जो ISIL प्रभावों वाले देशों से बाहर निकलने की हिम्मत करते हैं। समूह ने यह भी कहा कि जो लोग छोड़ देते हैं वे धर्मत्यागी बनने की संभावना रखते हैं जिनकी मृत्यु के बाद उनकी आत्माएं नरक में प्रवेश करेंगी। यूके में चैनल 4 टेलीविजन, क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के क्रिसमस संदेश के विकल्प के रूप में एक वार्षिक क्रिसमस संदेश प्रस्तुत करता है। 2015 में, उनके वक्ता अब्दुल्ला कुर्दी थे, जिन्होंने कहा: "यदि कोई व्यक्ति किसी के चेहरे पर एक दरवाजा बंद कर देता है, तो यह बहुत मुश्किल है। जब एक दरवाजा खोला जाता है तो वे अपमानित महसूस नहीं करते हैं। वर्ष के इस समय मैं आप सभी से पिता, माताओं और बच्चों के दर्द के बारे में सोचने के लिए कहना चाहूंगा जो शांति और सुरक्षा चाहते हैं। हम आपसे बस थोड़ी सी सहानुभूति मांगते हैं। उम्मीद है कि अगले साल सीरिया में युद्ध समाप्त हो जाएगा और पूरी दुनिया में शांति कायम होगी।" (यह आलेख गूगल के मूल अंग्रेज़ी में उपलब्ध लेख का अनुवाद भर मात्र है। कहीं-कहीं आवश्यक सुधार किये गए हैं। मूल लेख को ज्यों का त्यों रखने की कोशिश की गई है। विवाद होने की स्थिति में या कहीं पर समझ में न आने पर मूल अंग्रेज़ी आलेख को देखें। धन्यवाद। —महावीर उत्तरांचली) इन्हें भी देखें यूरोपीय शरणार्थी संकट २०१५ में निधन सीरियाई गृहयुद्ध यूरोपीय शरणार्थी संकट
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%80
मातला नदी
मातला नदी (बंगाली: মাতলা নদী) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिण २४ परगना ज़िले में बहने वाली एक नदी है जो एक चौड़ा ज्वारनदीमुख (ऍस्चुएरी) बनाती है। मकर संक्रान्ति के पर्व पर दक्षिण बिश्नुपुर ग्राम में मातला व गंगा नदी के संगमस्थल में हर वर्ष ३,००,००० श्रद्धालु स्नान करते हैं। वर्षाऋतु में मातला में जल इतना अशांत होता है कि नाव इसे पार नहीं कर पाती, जबकि ग्रीष्मऋतु में जल कम होने से इसकी चौड़ाई सिकुड़ जाती है और एक रेतीला विस्तार पानी से बाहर उभर आता है। जनवरी २०११ में मातला के पार एक ६४४ मीटर लम्बे पुल का उदघाटन करा गया। इन्हें भी देखें दक्षिण २४ परगना ज़िला ज्वारनदीमुख सन्दर्भ पश्चिम बंगाल की नदियाँ दक्षिण २४ परगना ज़िला
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%91%E0%A4%B2%20%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%9A%E0%A5%87%E0%A4%B8%20%E0%A4%AB%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%A8
ऑल इंडिया चेस फेडरेशन
अखिल भारतीय शतरंज संघ (AICF) (Eng : ऑल इंडिया चेस फेडरेशन) भारत में शतरंज के खेल के लिए केंद्रीय प्रशासनिक निकाय है। 1951 में स्थापित, फेडरेशन Fédération Internationale Des Echecs (FIDE), शतरंज के लिए विश्व निकाय से संबद्ध है। एआईसीएफ ने चैंपियन विश्वनाथन आनंद, निहाल सरीन, पांटल हरिकृष्णा और विदित संतोष गुजराती और कई अन्य ग्रैंडमास्टर्स का निर्माण किया है। यह संगठन भारत में महिलाओं की शतरंज के प्रबंधन का भी प्रभारी है। इसका वर्तमान मुख्यालय चेन्नई में है। महासंघ अब 30 से अधिक संबद्ध राज्य संघों, 16 विशेष सदस्यों और 23 मान्यता प्राप्त अकादमियों को अपने घटक के रूप में अपने अधीन कर रहा है। अपनी स्थापना के बाद से, ऑल इंडिया चेस फेडरेशन ने नई प्रतिभाओं की पहचान करने और घरेलू स्तर पर गुणवत्ता प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने में एक सक्रिय भूमिका निभाई है। वर्तमान समय में, राज्य शतरंज संघ AICF के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि इसी उद्देश्य को पूरा करने के साथ-साथ भारत में शतरंज के मानक में सुधार हो सके। महासंघ भारत में खेल को बढ़ावा देने के अपने उत्साही प्रयासों के लिए प्रशंसा के पात्र हैं। यह उत्साह और ऊर्जावान आयोजन था जिसने भारत को समृद्ध लाभांश का भुगतान किया है। आज, एआईसीएफ ने अनिश्चितकालीन शतरंज उत्पादों का उत्पादन करने के लिए सफलतापूर्वक खुद का नाम बनाया है। नौकरशाही के हस्तक्षेप का आरोप एआईसीएफ पर नौकरशाही अक्षमता का बार-बार आरोप लगाया गया है। अक्टूबर 2009 में, शतरंज ग्रैंडमास्टर हंपी कोनेरू (तब महिला संसार नंबर 2) ने एआईसीएफ सचिव डीवी सुंदर पर उन्हें ट्यूरिन में 37 वें शतरंज ओलंपियाड में भाग लेने से रोकने का आरोप लगाया था। उसी साल एआईसीएफ पर ग्रैंडमास्टर जी एन गोपाल पर एक मैच में नहीं खेलने के लिए (प्रतिबंध बाद में निरस्त) कर दिया गया था। 2012 में, AICF के अध्यक्ष एन। श्रीनिवासन की विश्व शतरंज चैम्पियनशिप 2010 में विश्वनाथन आनंद का समर्थन नहीं करने के लिए, भारत में मैच की मेजबानी करने की कोशिश नहीं करने के लिए आलोचना की गई थी। सहबद्धों अब तक महासंघ के 30 से अधिक संबद्ध राज्य संघ, 16 विशेष सदस्य और 23 मान्यता प्राप्त अकादमियां इसके घटक हैं। यहाँ उनकी एक सूची है: संबद्ध राज्य निकाय तेलंगाना राज्य शतरंज संघ ऑल अरुणाचल प्रदेश शतरंज एसोसिएशन ऑल असम शतरंज एसोसिएशन ऑल बिहार शतरंज एसोसिएशन ऑल त्रिपुरा शतरंज एसोसिएशन ऑल झारखंड शतरंज एसोसिएशन शतरंज एसोसिएशन - केरल अंडमान निकोबार शतरंज गधा आंध्र प्रदेश शतरंज एसोसिएशन ऑल जे एंड के शतरंज एसोसिएशन चंडीगढ़ शतरंज एसोसिएशन शतरंज एसोसिएशन ऑफ उत्तरांचल दिल्ली शतरंज एसोसिएशन गुजरात राज्य शतरंज संघ एच. पी स्टेट शतरंज एसोसिएशन गोवा राज्य शतरंज संघ हरियाणा शतरंज एसोसिएशन मिजोरम शतरंज एसोसिएशन मेघालय शतरंज संघ मणिपुर शतरंज संघ मध्यक्षेत्र शत्रुंज संघ महाराष्ट्र शतरंज संघ नागालैंड शतरंज एसोसिएशन उड़ीसा शतरंज एसोसिएशन पांडिचेरी राज्य शतरंज असन पंजाब राज्य शतरंज संघ यूनाइटेड कर्नाटक शतरंज एसोसिएशन तमिलनाडु राज्य शतरंज संघ यूनाइटेड चेस एसोसिएशन ऑफ़ छत्तीसगढ़ यूपी शतरंज खेल संघ ऑल राजपुताना शतरंज एसोसिएशन पश्चिम बंगाल शतरंज संघ विशेष इकाइयाँ एएआई स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड एयर इंडिया स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड ऑल इंडिया शतरंज फेडरेशन फॉर द ब्लाइंड बीएसएनएल स्पोर्ट्स एंड कल्चरल बोर्ड रक्षा लेखा खेल नियंत्रण बोर्ड दिल्ली विकास प्राधिकरण भारतीय बैंक केंद्रीय खेल समिति एलआईसी स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड आयुध निर्माणी बोर्ड पेट्रोलियम स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड सेवाएं खेल नियंत्रण बोर्ड आयोजन एआईसीएफ ने भारत में विश्व की कई बड़ी घटनाओं की मेजबानी की है। उनमें से कुछ हैं: विश्व जूनियर चैंपियनशिप कॉमनवेल्थ शतरंज चैम्पियनशिप एशियाई टीम चैंपियनशिप भारत में शतरंज तमिल नाडु में स्थित संगठन
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रियल स्टील
रियल स्टील () २०११ में बनी अमरीकी विज्ञान पर आधारित फ़िल्म है जिसमें ह्यू जैकमैन मुख्य भूमिका में है और जिसे शॉन लेवी द्वारा निर्मित व निर्देशित किया गया है। यह फ़िल्म रिचर्ड मैथेसन द्वारा १९५६ में लिखी लघु कहानी "स्टील" पर आधारित है। इसे ऑस्ट्रेलिया में ६ अक्टूबर २०११ को व अमरीका और कनाडा में ७ अक्टूबर २०११ को रिलीज़ किया गया था। रिलीज़ के बाद इसे समीक्षकों द्वारा मिली जुली प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ विश्वल इफेक्ट्स के लिए अकादमी पुरस्कार का नामांकन प्राप्त हुआ था। कथानक २०२० में मानवीय बॉक्सरों की जगह रोबोट बॉक्सरों ने ले ली है। चार्लीकेंटन एक भूतपूर्व बॉक्सर है जो ऐसे ही एक रोबोट, एम्बुश, का मालिक है जिसके साथ वह मैचों में हिस्सा लेता है। एक गाव में मेले के दौरान एम्बुश को ब्लैक थंडर नाम का बैल जिसका मालिक रिकी है, बर्बाद कर देता है। शर्त के अनुसार हारने पर चार्ली को अब रिकी को $२०,००० देने होते है जो वह दिए बिना ही भाग खड़ा होता है। चार्ली को पता चलता है की पूर्व प्रेमिका की मौत हो गई है और इसे अपने बेटे मैक्स के हक की सुनवाई में आना है। मैक्स की रईस मौसी डेबरा और अंकल मार्विन उसका हक चाहते है जिसे चार्ली उन्हें $१००,००० में खुशी खुशी दे देता है इस शर्त पर की बाकी की रकम उसे तीन महीने के बाद मिलेगी क्योंकि वह दाम्पत्य अपने दूसरे हनीमुन पर जा रहे है और तब टतक चार्ली को मैक्स की देखभाल करनी होगी। चार्ली और मैक्स चार्ली के बचपन की दोस्त बैले टालेट से मिलते है जो अब अपने मृत पिता का बॉक्सिंग जिम चला रही है, जो कभी चार्ली के कोच थे। वहा चार्ली एक पुराना विश्व रोबोट बॉक्सिंग लीग (डब्लूआरबी) का रोबोट नोइज़ी बॉय खरीदता है और उसे गैरकानूनी लड़ाइयों के चैम्पियन रोबोट मिडास के साथ उसके पुराने दोस्त फिन्न के अखाड़े में लड़वाता है। अपने अहंकार व नोइज़ी बॉय के कोम्बिनेशन से परिकूल न होने के कारण चार्ली लड़ाई हार जाता है और मिडास नोइज़ी बॉय को बर्बाद कर देता है। चार्ली एक कबाडखाने में मैक्स के साथ नए रोबोट बनाने के लिए पुर्ज़े चुराने घुस जाता है। वहा मैक्स एक खाई में गिर जाता है परन्तु एक गड़े हुए रोबोट के हाथ में अटक कर मरने से बच जाता है। चार्ली मैक्स को बाहर निकाल लेता है और मैक्स उस रोबोट को खुदाई कर अपने साथ ले आता है और उसे एटम बुलाता है। मैक्स की जिद्द पर चार्ली उसे बैले के जिम में ले आता है जहां उन्हें पता चलता है की एटम एक निवृत हो चुका जनरेशन-२ रोबोट है जिसे २०१४ में बनाया गया था। एटम को भारी नुकसान सहने के लिए बनाया गया था परन्तु वह स्वयं किसी को भारी नुक्सान नहीं पहुंचा सकता। एटम में "शैडो बॉक्सिंग" का कार्य प्रोग्राम किया गया है जो उसे मानवीय हरकतों की नक़ल करने की खूबी देता है। मैक्स की जिद्द और चार्ली की पैसों की तंगी के चलते दोनों एटम को एक मैच में मेट्रो नाम के रोबोट के साथ उतार देते है। एटम जीत जाता है और चार्ली को उसके कुछ पैसे वापस मिल जाते है। मैक्स बाद में एटम को आवाज़ पर आधारित सन्देश लेने के लिए सुधार लेता है और ज़ोरदार मुक्के मारने के लिए चार्ली के बर्बाद हुए रोबोटों के अंग लगा देता है। वह चार्ली को एटम को प्रशिक्षण देने के लिए मना लेता है। एटम की बढती जीतें डब्लूआरबी के प्रमोटर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है जो उन्हें ट्विन सिटिज़ रोबोट के साथ व्यावसायिक बॉक्सिंग में उतरने का निमंत्रण देता है, चार्ली मान जाता है और एटम चार्ली के अनुभव के चलते ट्विन सिटिज़ को हरा देता है। खुद को मिले आकर्षण के चलते मैक्स डब्लूआरबी चैम्पियन ज़्युस को चुनौती देता है जिसे ताक मशिदो ने बनाया है और जिसकी मालिक रईस औरत फेरा लेम्कोवा है जो मैच से पहले एटम को खरीदने की कोशिश करती है। ट्विन सिटिज़ से लड़ाई के बाद बाहर निकलते वक्त रिकी के आदमी चार्ली पर हमला करते है और उनके जीते हुए पैसे लेकर चले जाते है। इस बात से शर्मिंदा होकर चार्ली मैक्स को उसकी मौसी के हवाले कर देता है और अपनी आधी रकम लेने से मना कर देता है। बैले उसे समझती है की वह एक बेहतर पिता बन सकता है। डेबरा मैक्स को चार्ली के साथ एक रात के लिए जाने देने के लिए राज़ी हो जाती है ताकि वह ज़्यूस-एटम के मैच में उपस्थित रह सके। ज़्यूस एटम को भारी नुक्सान पहुंचाता है पर साथ ही साथ पहली बार खुद भी क्षतिग्रस्त होता है। रिकी, जिसने फिन्न से $१००,००० की शर्त लगाईं थी की एटम पहला राउंड नहीं टिक पाएगा, भागने की कोशिश करता है पर उसे फिन्न और उसके आदमी पकड़ लेते है। मैच के चौथे व पांचवें राउंड में एटम के आवाज़ समझने का संयंत्र खराब हो जाता है जिसके चलते उसे आखरी राउंड "शैडो बॉक्सिंग" तकनीक के सहारे चार्ली की हरकतों का अनुसरण करते हुए लड़ना पड़ता है। ज़्यूस, जिसे अब खुद मशिदो चलाना शुरू करता है, अपनी सारी ताकत बचाव कर रहे एटम को मारने में खर्च कर देता है और अब खत्म होती पावर के कारण धीमा पड़ने लगता है। मुकाबले का रुख बदल जाता है जब एटम उसे मारना शुरू करता है और ज़्यूस को धराशायी कर देता है परन्तु राउंड समाप्त होने के कारण जीतने में असफल रहता है। जज ज़्यूस को अंकों के अनुसार विजेता घोषित करते है परन्तु हार के इतना करीब आने के कारण ज़्यूस की टीम को अपमान सहना पड़ता है। एटम को "पीपल्स चैम्पियन" का ख़िताब दिया जाता है। पात्र ह्यू जैकमैन - चार्ली केंटन। डकोटा गोयो - मैक्स केंटन। इवैंजलीन लिली - बैली टालेट। एंथनी मैकी - फिन्न। केविन डूरंड - रिकी। होप डेविस - डेबरा। ओल्गा फोंडा - फरा लेम्कोवा। कार्ल युने - टक मशिदो। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ
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सुधाकरराव नाईक
सुधाकरराव नाईक (२१ अगस्त १९३४ - १० मई २००१) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। महाराष्ट्र मे उन्होंने काफी बदलाव पाने मे अहम भूमिका निभावली|जलसंसाधन क्षेत्र मे उनकी सराहना कामगिरी रही है |जलसंसाधन एव महिला बालिका कल्याण का स्वतंत्र विभाग सुधाकरराव नाईक ने स्थापित किया |मुंबई कि क्राईम कॅपीटल से मुक्ती दिलाने मे सुधाकरराव नाईक का अहम योगदान रहा | वे २५ जून १९९१ से २२ फरवरी १९९३ तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। १९९२-९३ के बम्बई दंगों कि बाद प्रधानमन्त्री नरसिंह राव ने पवार को वापीस मुख्यमंत्री बनाया। इन दंगों को बाद नाईक को उनके पद से इस्तीफा देना पड़ा। नाईक ने ३० जुलाई १९९४ से १७ सितम्बर १९९५ तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में सेवा की। सुधाकरराव नाईक का 10 मई यह स्मृतीदिवस को'जलसंधारण दिवस' करके मनाया जाता है | सन्दर्भ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री 1934 में जन्मे लोग २००१ में निधन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ
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मार्था फैरल
{{ज्ञानसन्दूक व्यक्ति |name = मार्था फैरल |image = |caption = |image_size = 250x350px |birth_date = ५ जून, १९५९ |birth_place = नई दिल्ली |death_date = १३ मई, २०१५ (उम्र ५५ वर्ष) |death_place = काबुल, अफ़ग़ानिस्तान |nationality = भारतीय |citizenship = भारत |education = अंडर-ग्रेजुएशन, सोशल वर्क में पॉट-ग्रेजुएशन, पीएचडी | alma_mater = मार्था फैरल एक नागरिक सामाजिक कार्यकर्ता थी। वो भारत और विदेशो में अपने काम को लेकर प्रसिद्ध थी । उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों, लैंगिक समानता और व्यस्क शिक्षा के लिए बहुत काम किया है । वह 13 मई २०१५ को काबुल, अफगानिस्तान में एक गेस्ट हाउस पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए 14 लोगों में से एक थी । वह हमले के समय काबुल में आगा खान फाउंडेशन के साथ एक लिंग प्रशिक्षण कार्यशाला का नेतृत्व कर रही थीं । प्रारंभिक जीवन और शिक्षा मार्था का जन्म 5 जून, १९५९ को लोना और नोयल फैरल के घर, दिल्ली में हुआ था । उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया, और दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क में सामाजिक कार्य में पोस्ट ग्रेजुएशन की । उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया से २०१३ में पीएचडी पूरी की । व्यवसाय उन्होंने १९८१ में, दिल्ली में महिला साक्षरता और सशक्तिकरण के लिए काम कर रहे एक गैर-सरकारी संस्थान अंकुर में साक्षरता कार्यकर्ता के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की । उन्होंने वयस्क शिक्षा की और अपना ध्यान केंद्रित किया, जहां पर उन्होंने पार्टिसिपेटरी लर्निंग पद्धति को अभ्यास में लाना शुरू किया । मार्था के अनुसार भागीदारी जीवन का एक अहम हिस्सा है, जिसे हमें अपनाना चाहये ।१९९१ में, उन्होंने क्रिएटिव लर्निंग फॉर चेंज नामक एक संस्था की नींव रखी। इसमें, एक गैर-औपचारिक संदर्भ में, छात्रों, शिक्षकों और फसिलिटटोरों के लिए शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाती थी, ताकि शिक्षा एक रचनात्मक ढंग से हो सके। मार्था १९९६ में, औपचारिक रूप से पार्टिसिपेटरी रिसर्च इन एशिया (प्रिया) से जुड़ी। प्रिया, उनके पति, डॉ राजेश टंडन द्वारा स्थापित किया हुआ है । वे प्रिया की जेंडर मुख्यधारा प्रोग्राम की निदेशक थी और इसके तहत, उन्होंने हज़ारो की तादात में ज़मीनी महिला लीडरों को प्रशिक्षित किया था । उन्होंने महिलाओं के जीवन के रोज़ के महत्वपूर्ण पहलू, जैसे कि स्थानीय शासन में नागरिक भागीदारी, जेंडर मुख्यधारा और यौन उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों पर जागरूक किया । २००५ के बाद से, उन्होंने प्रिया के डिस्टेंस एजुकेशन पर हो रहे काम को बढ़ाया और साथ ही प्रिया इंटरनेशनल अकादमी को बनाया और बढ़ाया। उन्होंने विक्टोरिया विश्वविद्यालय और रॉयल रोड कनाडा विश्वविद्यालय में अंश कालिक (पार्ट टाइम) तौर पे पढ़ाया भी है । पुस्तकें उन्होंने २०१४ में, यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर पहली भारतीय पुस्तक प्रकाशित की । इस पुस्तक का शीर्षक "एनजेंडरिंग द वर्कप्लेस: ए स्टडी ऑफ जेंडर डिस्क्रिमिनेशन एंड सेक्सुअल हरासमेंट इन सिविल सोसाइटी आर्गेनाईजेशन" है । यह पुस्तक कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर आगे काम करने के इच्छुक लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण है । उन्होंने वयस्क शिक्षा, पर्यावरण, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, लिंग मुख्यधारा, और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर कई अन्य किताबें लिखी हैं । व्यक्तिगत मार्था ने प्रिया को एक ख़ुशनुमा और आरामदायक जगह बनाने में अद्भुत योगदान दिया । वो सभी कर्मचारियों और आगंतुकों का स्वागत करती थी, ताकि प्रिया सीखने और सीखाने की एक खूबसूरत जगह बनी रहे । मार्था सबको साथ लेके चलती थी और ये उनके कई विशेषताओं में से एक थी। वह एक विचारशील दोस्त थी और बेहद संवेदनशील थी। उनको दूसरों को तोहफा देना और अच्छा खाना खिलाना बहुत पसंद था । उनका घर हमेशा अतिथियों और उनकी हँसी से भरा होता था और इतना भोजन होता था कि, शायद ही कोई खत्म कर पाए । विरासत मार्था के विचार और काम को आगे ले जाने के लिए, मार्था फैरल फाउंडेशन की स्थापना की गई है। इसका लक्ष्य भारत के साथ साथ, दुनिया भर में लैंगिक समानता हासिल करना है । फाउंडेशन, लैंगिक मुख्यधारा, लैंगिक समानता, महिलाओं के प्रति यौन उत्पीडन और हिंसा को रोकना और सतत शिक्षा से सम्बंधित लक्षित और व्यावहारिक हस्तक्षेपों का समर्थन करती है । पुरस्कार नवंबर २०१८ में, नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स इन इंडिया (NAPSWI) ने मार्था को मरणोपरांत "लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार" से सम्मानित किया । यह पुरस्कार उनके पुत्र सुहैल फैरल टंडन ने छठ्ठी नेशनल सोशल वर्क कांग्रेस में लिया, जोकि दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित की गई थी । सन्दर्भ भारतीय महिला सामाजिक कार्यकर्ता
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सरबंगा नदी
सरबंगा नदी (Sarabanga River) भारत के तमिल नाडु राज्य के सेलम ज़िले में स्थित एक नदी है। यह कावेरी नदी की एक उपनदी है। यह यरकौड के समीप शेवरोय पहाड़ियों में उत्पन्न होती है और तेवूर के समीप कावेरी नदी में विलय हो जाती है। सरबंगा सेलम के कई नगरों - जैसे कि ओमलूर, तारमंगलम और तेवूर - से गुज़रती है। इन्हें भी देखें कावेरी नदी सेलम ज़िला सन्दर्भ तमिल नाडु की नदियाँ सेलम ज़िला कावेरी नदी की उपनदियाँ
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जोवाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
भारतीय राज्य मेघालय का एक विधानसभा क्षेत्र है। यहाँ से वर्तमान विधायक वेलादमिकी शयल्ला हैं। विधायकों की सूची इस निर्वाचन क्षेत्र से विधायकों की सूची निम्नवत है |-style="background:#E9E9E9;" !वर्ष !colspan="2" align="center"|पार्टी !align="center" |विधायक !प्राप्त मत |- |१९७२ |bgcolor="#CEF2E0"| |align="left"| आल पार्टी हिल लीडर्स कांफ्रेंस |align="left"| बी॰ बी॰ शल्लाम |२९०७ |- |१९७८ |bgcolor="#DDDDDD"| |align="left"| निर्दलीय |align="left"| त्यल्ली कंडिया |२२३० |- |१९८३ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"| भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"| डाॅ॰ रॉयटर क्रिस्टोफर लालो |२२९१ |- |१९८८ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"| भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"| डाॅ॰ रॉयटर क्रिस्टोफर लालो |३६४५ |- |१९९३ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"| भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"| डाॅ॰ रॉयटर क्रिस्टोफर लालो |७५७२ |- |१९९८ |bgcolor="#CEF2E0"| |align="left"| यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी |align="left"| मुलिएह सिंह |८७७५ |- |२००३ |bgcolor="#CEF2E0"| |align="left"| यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी |align="left"| मुलिएह सिंह |८९६७ |- |२००८ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"| भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"| डाॅ॰ रॉयटर क्रिस्टोफर लालो |७७१२ |- |२०१३ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"| भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"| डाॅ॰ रॉयटर क्रिस्टोफर लालो |९४९६ |- |२०१८ |bgcolor="#DB7093"| |align="left"| नेशनल पीपल्स पार्टी |align="left"| वेलादमिकी शयल्ला |१०६५७ |} इन्हें भी देखें शिलांग लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र मेघालय के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची सन्दर्भ मेघालय के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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बलवंत सिंह नेगी
लेफ्टिनेंट जनरल बलवंत सिंह नेगी, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम और बार भारतीय सेना के मध्य कमान के पूर्व जनरल ऑफिसर-कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) हैं, जिन्होंने 1 दिसंबर 2015 से कार्यालय में सेवा की है। 30 सितंबर 2018 तक। लेफ्टिनेंट जनरल राजन बख्शी के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने पद ग्रहण किया और लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्ण ने उनका स्थान लिया। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा नेगी राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में सीनियर कमांड कोर्स पूरा किया है; बांग्लादेश में कमांड एंड स्टाफ कोर्स; आर्मी वॉर कॉलेज, महू में हायर कमांड कोर्स और नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली में कमांड कोर्स। उनके पास सामरिक अध्ययन और रक्षा अध्ययन में डबल एमफिल भी है); रक्षा अध्ययन में एक डबल मास्टर डिग्री और मद्रास विश्वविद्यालय से सामरिक अध्ययन में पीएचडी जहां उनका शोध विषय " चीन का आधुनिकीकरण और इसके निहितार्थ " था। आजीविका नेगी को 16 दिसंबर 1978 को असम रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था। उन्हें उत्तर पूर्व भारत और जम्मू-कश्मीर में व्यापक अनुभव है। उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर पर एक बटालियन, पश्चिमी कमान में एक ब्रिगेड, जम्मू और कश्मीर और झारखंड और बिहार में एक काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स, XIV कॉर्प्स (लेह) की कमान संभाली है। उन्होंने ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन पराक्रम, ऑपरेशन फाल्कन, ऑपरेशन ट्राइडेंट, ऑपरेशन सहायता I और II सहित कई ऑपरेशनों की कमान संभाली है। उन्होंने ऑपरेशन पराक्रम के दौरान जम्मू और कश्मीर में एक इन्फैंट्री डिवीजन के कर्नल जनरल स्टाफ सहित स्टाफ नियुक्तियों को भी संभाला है; भारतीय सैन्य अकादमी के कमांडेंट। अपने 40 वर्षों के करियर के दौरान उन्हें 1998 में सियाचिन के लिए युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया; 2002 में जम्मू और कश्मीर के लिए सेना पदक ; 2009 और 2013 में जम्मू-कश्मीर के लिए दो बार विशिष्ट सेवा पदक ; 2016 में उत्तम युद्ध सेवा मेडल और जनवरी 2018 में परम विशिष्ट सेवा मेडल। उन्हें जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ कमेंडेशन कार्ड (दो बार) और चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ कमेंडेशन कार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। सम्मान और अलंकरण व्यक्तिगत जीवन वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से बॉक्सिंग और जिम्नास्टिक में तीन ब्लूज़ के साथ एक उत्कृष्ट खिलाड़ी हैं। वह ऊटी हंट क्लब के लिए एक उत्सुक घुड़सवारी ट्रैक और फॉक्स हाउंड्स के मास्टर भी हैं; हिमालय में व्यापक ट्रेकिंग और मोटर बाइकिंग का अनुभव है। एक 350cc रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल पर। संदर्भ जन्म वर्ष अज्ञात (जीवित लोग) परम विशिष्ट सेवा पदक प्राप्तकर्ता जीवित लोग
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शुलामिथ फ़ायरस्टोन
शुलामिथ "शूली" फायरस्टोन (अंग्रेज़ी- Shulamith"Shulie" Firestone, जनवरी 7, 1945 - अगस्त 28, 2012) एक कनाडाई मूल की अमेरिकी कट्टरपंथी नारीवादी थीं। वे कट्टरपंथी नारीवाद और नारीवाद की दूसरी-लहर के शुरुआती दौर में इस आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में से थीं। फायरस्टोन तीन कट्टरपंथी-नारीवादी समूहों की एक संस्थापक सदस्य थीं: न्यूयॉर्क रेडिकल वीमेन, रेडस्टॉकिंग और न्यूयॉर्क रेडिकल फेमिनिस्ट। वे आज भी मार्क्सवादी नारीवाद का सबसे प्रमुख चेहरा मानी जाती हैं। वे 1960 के दशक में राजनीति में भी सक्रिय रहीं। 1970 में उन्होंने द डायलेक्टिक ऑफ सेक्स: द केस फॉर फेमिनिस्ट रिवोल्यूशन लिखी, जो एक प्रभावशाली नारीवादी पाठ बन गई। नाओमी वुल्फ (अमेरिकी नारीवादी लेखिका) ने 2012 में इस पुस्तक के बारे में कहा: "यह पुस्तक दूसरी-लहर नारीवाद के लिए मील का पत्थर है, इसे पढ़े बिना कोई भी यह नहीं समझ सकता है कि नारीवाद कैसे विकसित हुआ है।" प्रारंभिक जीवन और शिक्षा शुलामिथ फ़ायरस्टोन का जन्म 7 जनवरी, 1945 को कनाडा के ओटावा शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। उनके पिता ने किशोरावस्था में रूढ़िवादी यहूदी धर्म अपना लिया था और द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी सेवाएँ दी थी। सुसान फलूदी के अनुसार, फ़ायरस्टोन के पिता ने धर्मपरिवर्तन के उत्साह के साथ अपने बच्चों पर कड़ा नियंत्रण रखा। उनकी एक बहन, तिरज़ा फ़ायरस्टोन ने फालुदी को बताया, "मेरे पिता ने शूली पर अपना सारा गुस्सा उतारा।" शुलामिथ ने परिवार में होने वाले लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाई; जब उनके पिता ने उनसे यह अपेक्षा की कि वे अपने भाई का बिस्तर ठीक करें, सिर्फ़ इसलिए "क्योंकि, तुम एक लड़की हो"। दूसरी बहन लीया फायरस्टोन सेगी ने बताया कि पिता और बेटी में रिश्ते इतने ख़राब थे कि वे दोनों एक-दूसरे को मारने की धमकी दिया करते थे। बाद में शुलामिथ नारीवादी स्वयंसेवक कार्य में जुट गयीं। लेखन द डायलेक्टिक ऑफ सेक्स: द केस फॉर फेमिनिस्ट रिवोल्यूशन (1970) सेकंड-वेव फेमिनिज्म का एक क्लासिक पाठ बन गया। यह फायरस्टोन की पहली किताब थी और जब वह सिर्फ 25 साल की थी तब प्रकाशित हुई थी। पुस्तक में, फायरस्टोन ने सेक्स के आधार पर इतिहास केएक भौतिकवादी दृष्टिकोण को विकसित करने की मांग की। इसके अलावा पुस्तक में एक महिला उत्पीड़न रहित समाज की कल्पना भी की गई है, जो फ़ायरस्टोन के मुताबिक़ आदर्श समाज है। द डायलेक्टिक अव सेक्स (1970) जिस तरह आर्थिक वर्गों के उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए अंडरक्लास (सर्वहारा) के विद्रोह की आवश्यकता होती है, और एक अस्थायी तानाशाही में, उत्पादन के साधनों की जब्ती चाहिए होती है, इसी प्रकार लैंगिक वर्गों के उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए अंडरक्लास (महिलाओं) के विद्रोह की आवश्यकता है और प्रजनन के साधनों की जब्ती अनिवार्य है- न केवल अपने शरीर पर महिलाओं का पूर्ण रूप से स्वामित्व, बल्कि [अस्थायी रूप से] उनके मानव प्रजनन क्षमता के साधनों पर नियंत्रण स्थापित करना- नई आबादी जीव विज्ञान के साथ-साथ बच्चे पैदा करने वाले सभी सामाजिक संस्थानों और बाल-पालन पर नियंत्रण ...नारीवादी क्रांति का अंतिम लक्ष्य, पहले नारीवादी आंदोलन के विपरीत, न केवल पुरुष विशेषाधिकार के उन्मूलन, बल्कि लिंग भेद स्वयं का ही उन्मूलन : मानव के बीच जननांग के अंतर सांस्कृतिक रूप से मायने नहीं रखेंगे। फायरस्टोन ने राजनीति के कट्टरपंथी नारीवादी सिद्धांत में सिगमंड फ्रायड, विल्हेम रीच, कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्सऔर सिमोन द बोउआर के विचारों को संश्लेषित किया। अपनी पुस्तक के भीतर, फायरस्टोन का दावा है कि आधुनिक समाज तब तक वास्तविक रूप से लैंगिक बराबरी हासिल नहीं कर सकता जब तक कि महिलाओं की पहचान को उनके जैविक लक्षणों से अलग नहीं कर दिया जाता जाता। यानी महिला होना किसी मनुष्य की पहचान का, उसके अस्तित्व का अपने आप में एक अलग पहलू माना जाए, ऐसा जो कि महिला होने के सार को केवल उनके जननांग दूसरों से अलग होने तक सीमित न रखे। वे यह भी दावा करती हैं कि फ्रायड और मार्क्स ने एक बात नज़रअंदाज़ कर दी थी, जिसे वे "सेक्स वर्ग" (क्लास) बताती हैं (जो कि मार्क्स की बताई वर्कर क्लास/ कामगार वर्ग से भिन्न है)। जहाँ मार्क्स यह कहते हैं कि सर्वहारा (कामगार-मज़दूर) शोषित वर्ग हैं, और उनके शोषण से निजात पाने के लिए सर्वहारा-क्रांति करने की सलाह देते हैं, फ़ायरस्टोन का मानना है कि महिलाएँ भी अपने आप में एक अलग शोषित वर्ग हैं, जिसे अब तक नज़रंदाज किया गया है। स्त्री-पुरुष में जैविक अंतर का तर्क देकर समाजी तौर पर लिंगभेद को उचित ठहराया जाता है। महिलाओं के द्वारा लगाए गए बोझ (लिंग असमानता) पितृसत्तात्मक सामाजिक ढांचे से उत्पन्न होते हैं। फ़ायरस्टोन ने तर्क दिया कि यह सोच महिलाओं के शरीर और उसकी भिन्नता के कारण पैदा हुई- विशेष रूप से गर्भावस्था, प्रसव और बच्चे के पालन-पोषण से होने वाले शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक नुकसान। उस समय के कई अन्य नारीवादियों के विपरीत (जिन्होंने अपने तर्क में महिला अस्तित्व को श्रेष्ठतर बताया), फायरस्टोन ने स्वतंत्र रूप से स्वीकार किया कि पुरुषों और महिलाओं के बीच जैविक अंतर हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही ये अंतर वास्तविक क्यों न हों, लेकिन इन्हें एक (लैंगिक) समूह का दूसरे के ऊपर पूर्वाग्रह या श्रेष्ठता की नींव के रूप में नहीं माना जा सकता। फायरस्टोन यह भी जोर देकर कहती हैं कि मानव होने का अर्थ है प्रकृति से ऊपर उठना, वे कहती हैं, "हम अब प्रकृति का हवाला देकर पर एक भेदभावपूर्ण लैंगिक वर्ग प्रणाली के रखरखाव को उचित नहीं ठहरा सकते।" उन्होंने माना कि सेक्स-वर्ग को ख़त्म के लिए आवश्यक है कि महिलाएँ प्रजनन के साधनों पर नियंत्रण सम्भालें। उन्होंने गर्भावस्था और बच्चे के जन्म को एक "बर्बर" प्रक्रिया बताया (उनकी एक दोस्त ने बच्चे को जन्म देने के दौरान होने वाले दर्द की तुलना "शौच में कद्दू निकालने" से की)। उन्होंने एकल परिवार (nuclear family) को महिला उत्पीड़न का प्रमुख स्रोत माना। गर्भनिरोधक, इन विट्रो फ़र्टिलाईज़ेशन (IVF) और अन्य अग्रिमों का मतलब था कि एक दिन मैथुन की प्रक्रिया (सेक्स) गर्भावस्था और बच्चे के पालन-पोषण से अलग हो जाएगी, और तब महिलाएं मुक्त हो सकती हैं। हालांकि, फ़ायरस्टोन ने प्रजनन को एक कदम आगे ले जाने की उम्मीद भी की, एक ऐसा चरण जिसमें इसे महिला शरीर से पूरी तरह से अलग कर दिया जाए। उन्होंने "बोतलबंद बच्चे" के रूप में संदर्भित एक नए प्रकार के कृत्रिम प्रजनन के उद्भव का आग्रह किया, हालांकि इस तरह की क्रिया के लिए हमारे पास इन विट्रो के रूप में निकटतम विकल्प है, हम अभी तक फायरस्टोन के अंतिम लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाए हैं। फायरस्टोन उस विषमता की भी आलोचना करती है जो विषमलैंगिक (heterosexual) पालन-पोषण और बाल विकास में मौजूद है। उन्होंने तर्क दिया कि तीन चीज़ें बच्चों की विकसित होने में बाधा बनती हैं- उनकी शिक्षा, सामाजिक पदानुक्रम में उनके पद का पहले से तय होना, और उनके जीवन में वयस्कों की तुलना में "कम महत्व" मिलना । इसी कारण माँओँ की अपने बच्चों से अपेक्षाएँ और उनके लिए दायित्व बढ़ गए हैं। इस बारे में फ़ायरस्टोन यह उम्मीद जताती हैं कि समाज एक दिन इससे आगे बढ़ जाएगा। माँओँ और बच्चों का एक-दूसरे पर इस प्रकार से निर्भर होना बच्चे का शारीरिक रूप से शोषण होने सम्भावना बढ़ाता है, और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने और अपनी इच्छा से यौन आग्रह करने के अवसर से वंचित करती है। मृत्यु और विरासत 28 अगस्त 2012 को उनके अपार्टमेंट के मालिक द्वारा फ़ायरस्टोन को उनके न्यूयॉर्क अपार्टमेंट में मृत पाया गया। उनकी बहन, लेया फ़ायरस्टोन सेगी के अनुसार, उनकी मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई। उनकी मौत की पुष्टि न्यूयॉर्क सिटी मेडिकल एक्जामिनर कार्यालय द्वारा की गई थी; रिपोर्टों के अनुसार, वह एक पुनर्जीवित फैशन में रहती थी और बीमार थी। सुसान फलुदी द्वारा एक सराहनीय निबंध में, जो फायरस्टोन की मृत्यु के कई महीनों बाद प्रकाशित हुआ, द न्यू यॉर्कर पत्रिका ने उनके निधन की परिस्थितियों को और विस्तृत कर दिया, जिसमें उन्होंने सिज़ोफ्रेनिया के साथ फ़ायरस्टोन के दशकों के लंबे संघर्ष का हवाला दिया - जैसे स्व-प्रेरित भुखमरी की अटकलों के साथ (संभावित योगदान कारकों के रूप में)। उनकी स्मृति में एक स्मारक सेवा की व्यवस्था की गई थी। कई महिला-अध्ययन कार्यक्रमों में अभी भी द डायलेक्टिक अव सेक्स का पाठ्यपुस्तक के रूप में का प्रयोग किया जाता है। इसकी सिफारिशें, जैसे कि बच्चों को एक लिंग तटस्थ ढंग में बड़ा करना, फायरस्टोन के आदर्शों को रेखांकित करती हैं। कार्य (1968)। "अमेरिका में महिला अधिकार आंदोलन: एक नया दृश्य" । प्रथम वर्ष से नोट्स । न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क रेडिकल महिलाएं। (1968)। "जीनत रंकिन ब्रिगेड: वुमन पावर?" । प्रथम वर्ष से नोट्स । न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क रेडिकल महिलाएं। (1968)। "गर्भपात पर", प्रथम वर्ष से नोट्स । न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क रेडिकल महिलाएं। (1968)। "जब महिलाएं सेक्स के बारे में रैप करती हैं" । प्रथम वर्ष से नोट्स । न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क रेडिकल महिलाएं। (1968), एड। प्रथम वर्ष से नोट्स । न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क रेडिकल महिलाएं। (1970), एड। दूसरे वर्ष से नोट्स । न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क रेडिकल महिलाएं। (1970)। द डायलेक्टिक ऑफ सेक्स: द केस फॉर फेमिनिस्ट रिवोल्यूशन । न्यूयॉर्क: विलियम मोरो एंड कंपनी। (1971), ऐनी कोएड्ट के साथ, eds। तृतीय वर्ष से नोट्स । न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क रेडिकल महिलाएं। (1998)। वायुहीन रिक्त स्थान । न्यूयॉर्क: सेमीटैक्स (ई) । टिप्पणियाँ संदर्भ बाहरी कड़ियाँ २०१२ में निधन 1945 में जन्मे लोग नारीवादी अमेरिकी नारीवादी यहूदी नारीवादी आमूल नारीवादी नारीवाद अध्ययन विद्वान अमेरिकी नारीवादी लेखक कनाडाई नारीवादी यहूदी समाजवादी २०वीं सदी के अमेरिकी लेखक २०वीं सदी के अमेरिकी नारीवादी लेखक २०वीं सदी की लेखिकाएँ
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चिखलदरा
चिखलदरा (Chikhaldara) भारत के महाराष्ट्र राज्य के अमरावती ज़िले में स्थित एक शहर है। यह एक रमणीय पहाड़ी क्षेत्र है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। समीप ही मेलघाट बाघ अभयारण्य स्थित है। नामोत्पत्ति मान्यता है कि यहाँ महाभारत-काल में भीम ने कीचक से संघर्ष कर उसका वध करा और उसे घाटी में फेंक दिया। इस से स्थान का नाम कीचक-धरा पड़ा, जो समय के साथ-साथ परिवर्तित हो चिखलदरा बन गया। इन्हें भी देखें मेलघाट बाघ अभयारण्य अमरावती ज़िला सन्दर्भ अमरावती ज़िला महाराष्ट्र के शहर अमरावती ज़िले के नगर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
जबलपुर विमानक्षेत्र
जबलपुर विमानक्षेत्र (IATA: JLR, ICAO: VAJB), जिसे डुमना हवाई अड्डा भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से 25 किलोमीटर (16 मील) पूर्व में स्थित एक हवाई अड्डा है। इंदौर विमानक्षेत्र और भोपाल विमानक्षेत्र के बाद यह मध्य प्रदेश का तीसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। यह विमानक्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे पूर्वी मध्य प्रदेश, विशेष रूप से महाकौशल क्षेत्र में कार्य करता है। यह उन पर्यटकों को सेवा प्रदान करता है जो कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, पेंच राष्ट्रीय उद्यान, भेड़ाघाट घूमने जाते हैं। हवाई अड्डा ,960 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। एलायंस एयर, इंडिगो और स्पाइसजेट जबलपुर के लिए अनुसूचित उड़ान सेवाएं संचालित करते हैं। इतिहास हवाई अड्डे का निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान किया गया था। हवाई अड्डे को 1930 के दशक में खोला गया था और द्वितीय विश्व युद्ध से पहले और दौरान रॉयल एयर फोर्स और रॉयल फ्लाइंग कोर द्वारा समय-समय पर उपयोग किया जाता था। यह आमतौर पर जुबुलपोर एरोड्रम के रूप में जाना जाता था, और 1960 तक एक मिट्टी का रनवे था। नया पक्का रनवे उसी संरेखण में मूल मिट्टी के रनवे के ऊपर बनाया गया था। डुमना में एयरोड्रम खुलने से पहले, जबलपुर शहर की सीमा के भीतर रेसकोर्स के भीतर भी 1920 के दशक में विमानों की लैंडिंग हुई थी। मार्ग (रनवे) रनवे एयरबस 320 परिवार/बोइंग 737-800 सहित संकीर्ण विमानों की सेवा करने में सक्षम है और रात्री में उतरने सुविधाओं, डीवीओआर/डीएमई, एनडीबी और सटीक दृष्टिकोण पथ संकेतक से सुसज्जित है। यहां एक A-320/B-737 या 2 ATR-72 विमान के लिए पार्किंग उपलब्ध है। टर्मिनल टर्मिनल में व्यस्ततम समय में 150 यात्रियों को संभालने की क्षमता है। इसमें सीसीटीवी के अलावा 4 चेक-इन डेस्क और सुरक्षा के लिए एक्स-रे मशीन है। हवाई अड्डा रनवे लाइटिंग, कार-कॉलिंग, रात्री में उतरने की सुविधा, एक फूड स्टॉल और एक एटीएम से सुसज्जित है। मध्य प्रदेश सरकार ने पर्यटन सूचना केंद्र और प्राथमिक चिकित्सा, एमआईआर, और डॉक्टरों और नर्स जैसी चिकित्सा सुविधाएं जल्द ही उपलब्ध की जायेगीं। विस्तार एक नया एकीकृत टर्मिनल 9350 एम 2 के क्षेत्र के साथ बनाया जाएगा और व्यस्ततम समय में 500 यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा। परियोजना में वर्तमान 1988 मीटर से 2750 मीटर की दूरी तक रनवे का विस्तार, 14 किमी लंबी सीमा की दीवार, शहर में हवाई अड्डे को जोड़ने वाली 5 किमी लंबी सड़क, एटीसी नियंत्रण टॉवर सह तकनीकी ब्लॉक, एप्रन, टैक्सीवे, आइसोलेशन बे और दमकल केंद्र आदी की योजना शामिल है। 13 अगस्त, 2018 को सुरेश प्रभु, जयंत सिन्हा, राकेश सिंह द्वारा अन्य लोगों ने इस परियोजना के लिए आधारशिला रखी थी। विमान और गंतव्य जेसीटीएसएल डुमना हवाई अड्डे से आईएसबीटी से शुरू होने वाली हवाई अड्डा शटल सेवा प्रदान करता है। प्री-पेड मेट्रो टैक्सी सेवाएं प्री-पेड ऑटो रिक्शा के साथ उपलब्ध हैं। जबलपुर में प्रमुख स्थानों के लिए कोच सेवाएं और निजी कार किराए पर लेने की सेवाएं उपलब्ध हैं। दुर्घटनाएँ 4 दिसंबर 2015 को, एक स्पाइसजेट विमान 2458 उतरते समय 30-40 जंगली सूअरों के झुंड के साथ टकरा गया था। 3 सुअर मारे गए और विमान अपने रनवे से दूर जाकर बाएं गियर के साथ स्टॉप पर आकर रुक गया, जिससे इंजन का नुकसान हुआ, और अन्य अज्ञात क्षति हुई। नुकसान के बावजूद, कोई यात्री गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। सन्दर्भ मध्य प्रदेश के विमानक्षेत्र जबलपुर ज़िला
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खाजेह नासिर तूसी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
प्रौद्योगिकी (KNTU) (के Khajeh नासिर Toosi विश्वविद्यालय ), जिसे केएन तोसी विश्वविद्यालय के रूप में भी जाना जाता है, ईरान के तेहरान में एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है, जिसका नाम मध्यकालीन फ़ारसी विद्वान खाजेह नासिर तोसी के नाम पर रखा गया है। विश्वविद्यालय को ईरान में उच्च शिक्षा के सबसे प्रतिष्ठित, सरकार द्वारा प्रायोजित संस्थानों में से एक माना जाता है। विश्वविद्यालय के लिए स्वीकृति अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है और सभी स्नातक और स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए ईरानी विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा में शीर्ष 1% छात्रों के बीच स्कोरिंग की आवश्यकता होती है, जिसे "कोंकूर" के रूप में भी जाना जाता है, जो एक उपमा फ्रांसीसी शब्द "कॉन्सर्स" से आता है, जिसका अर्थ है प्रतियोगिता। इतिहास विश्वविद्यालय 1928 में स्थापित किया गया था, के शासनकाल के दौरान रजा शाह पहलवी, तेहरान में और "संचार संस्थान" (नामित किया गया था )। इसलिए इसे देश भर में सबसे पुराना जीवित शैक्षणिक संस्थान माना जाता है। (ईरान में the०० से २००० साल पहले के विश्वविद्यालय थे जहाँ से केवल नाम, खंडहर और वैज्ञानिक इतिहास बच गए हैं। ) सिविल इंजीनियरिंग विभाग की स्थापना 1955 में एक सर्वेक्षण संस्थान के रूप में हुई थी। यह संस्थान बाद में हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग संस्थानों से जुड़ गया। मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की स्थापना 1973 में हुई थी। उच्च शिक्षा के इन संस्थानों को औपचारिक रूप से 1980 में एकीकृत किया गया और "तकनीकी और इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय परिसर" नाम दिया गया। राष्ट्र के वैज्ञानिक और विद्वानों के लिए श्रद्धांजलि देने के एक सामान्य अभ्यास के रूप में, विश्वविद्यालय का नाम बदलकर 1984 में "खाजे नासिर-अल-दीन तोसी (केएन टुसी) प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय" रखा गया। यह ईरान के विज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबद्ध है। 2012 के रूप में, विश्वविद्यालय की योजना बना रहा है उच्च तकनीक की परियोजनाओं सहित, उत्पादन के एक नए उपग्रह कहा जाता है 'सार' (सारिका) के रूप में अच्छी तरह के रूप में रडार से बच रहा कोटिंग्स के लिए विमान. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक बोर्ड भी शामिल कर रहे हैं में कई औद्योगिक परियोजनाओं सहित, के निर्माण के उपग्रह वाहक और एक स्वदेशी आठ सीट हेलीकाप्टर. शिक्षा संकाय इस विश्वविद्यालय के संकायों की स्थापना निम्नानुसार की गई थी : इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग संकाय (1928) मैकेनिकल इंजीनियरिंग संकाय (1973) सिविल इंजीनियरिंग संकाय (1955) औद्योगिक इंजीनियरिंग संकाय (1998) जियोडेसी और जियोमैटिक्स इंजीनियरिंग संकाय (1955) एयरोस्पेस इंजीनियरिंग संकाय (2006) कंप्यूटर इंजीनियरिंग के संकाय सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग संकाय रसायन विज्ञान संकाय भौतिकी का संकाय गणित का संकाय ई-लर्निंग सेंटर (2004) कार्यक्रम विश्वविद्यालय 20 से अधिक क्षेत्रों में स्नातक (बीएस) की डिग्री और 50 शैक्षणिक क्षेत्रों में मास्टर (एमएस) की डिग्री प्रदान करता है। इसमें 28 पीएचडी कार्यक्रम भी हैं। यह बीएस और एमएस स्तरों पर पांच से अधिक संयुक्त शैक्षिक कार्यक्रमों की मेजबानी करता है। पाठ्यक्रमों का व्यापक आधार पर औद्योगिक अभिविन्यास है। विश्वविद्यालय में 250 पूर्णकालिक संकाय सदस्य हैं। छात्रों की कुल संख्या लगभग 7,000 है। संयुक्त अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम KNTU दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों के साथ अनुसंधान और शिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग कर रहा है। इस संबंध में, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, साइप्रस, फ्रांस, जर्मनी, रूस और यूनाइटेड किंगडम के केएनटीयू और विश्वविद्यालयों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। पाठ्यक्रम में सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की पेशकश कर रहे हैं अंग्रेजी में. एडमिशन के लिए इन कार्यक्रमों के माध्यम से या तो राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (Konkoor) के माध्यम से या विशेष द्वारा आयोजित परीक्षा KNTU. शिक्षण शुल्क के लिए भिन्न होता है प्रत्येक कार्यक्रम है। निम्नलिखित संयुक्त अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में सक्रिय हैं: इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एयरोस्पेस सर्वे एंड अर्थ साइंसेज (आईटीसी), नीदरलैंड्स के साथ रिमोट सेंसिंग और भौगोलिक सूचना प्रणाली में एमएससी कार्यक्रम। ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में एमएससी कार्यक्रम किंग्स्टन विश्वविद्यालय, लंदन, यूके के साथ। ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के साथ एनर्जी सिस्टम में एमएससी कार्यक्रम। मास्को एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MATI), मास्को, रूस के साथ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीएससी कार्यक्रम। मास्को के साथ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी कार्यक्रम एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MATI), मास्को, रूस। रैंकिंग टाइम्स हायर एजुकेशन सप्लीमेंट द्वारा सितंबर 2016 में घोषित नवीनतम विश्वविद्यालय रैंकिंग में, केएन तोसी विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी ईरान में शीर्ष 5 विश्वविद्यालयों में और दुनिया में 601 से 800 शीर्ष विश्वविद्यालयों में स्थान पर था। संदर्भ विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A5%80
शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी
शम्सुर्रहमान फारुकी सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार और उर्दू ज़बान व अदब के नामवर आलोचक थे। उनको उर्दू आलोचना के टी. एस. एलियट के रूप में माना जाता है और उन्होंने साहित्यिक समीक्षा के नए मॉडल तैयार किए हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना तनक़ीदी अफ़कार के लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया।निधन 25 दिसंबर 2020। प्रारंभिक जीवन शम्सुर्रहमान का जन्म 30 सितंबर 1935 को भारत में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजी में (एमए) की डिग्री 1955 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उनके माता-पिता अलग अलग पृष्ठभूमि के थे - पिता देवबंदी मुसलमान थे जबकि मां का घर काफी उदार था। उनकी परवरिश उदार वातावरण में हुई, वह मुहर्रम और शबे बारात के साथ होली भी मना लिया करता था। सन्दर्भ आज़मगढ़ के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व 1935 में जन्मे लोग २०२० में निधन सरस्वती सम्मान से सम्मानित पद्मश्री प्राप्तकर्ता साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत उर्दू भाषा के साहित्यकार
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फर्स्ट नेशन्स
फ़र्स्ट नेशन्स (), () यानि प्राथमिक देश विभिन्न कनाडा के आदिवासीयों जो कि ना ही ईनुइट और ना ही मेटिस लोग, कनाडा हैं केल इये सामूहिक रूप से उपयोग किया जाने वाला शब्द है। कनाडा में वर्तमान में कुल 634 पंजीकृत फ़र्स्ट नेशन सरकारें या समूह हैं, जिनमें से लगभग आधे ओंटारियो और ब्रिटिश कोलम्बिया में हैं। कनाडा के नौकरी निष्पक्षता कानून के तहत फ़र्स्ट नेशन्स महिलाओं, अल्पसंख्यकों, विकलांगों के साथ-साथ एक मान्यता प्राप्त समूह हैं। स्टैटिसटिक्स कनाडा के नियमानुसार फ़र्स्ट नेशन्स को अल्पसँख्यक नहीं माना जाता है और वो एक मान्य समूह हैं। जैसे भारत में अनुसूचित जनजाति एक अलग मान्यता प्राप्त समूह है। कनाडा में "फ़र्स्ट नेशन्स" शब्द आम बोलचाल में अमेरिका के मूल निवासियों के लिये पहले प्रयुक्त होने वाले शब्द "इंडियन्स" की जगह अस्तित्व में आया। कनाडा से बाहर इस शब्द का उपयोग करने वाले लोगों में पैसिफिक पश्चिमोत्तर में रहने वाले कैसकेडियाई और मूल अमेरिकी आदिवासीयों के समर्थक हैं। आदिवासियों द्वारा स्वयं को संबोधित करने का एक नया चलन है अपने आदिवासी या राष्ट्रीय पहचान का इस्तेमाल। जैसे मैं हूँ हैदा, या "हम हैं क्वानितियाई," जो कि विभिन्न आदिवासी समूहों की पहचान बताती है। उत्तर अमेरिकी मूल निवासियों की संस्कृति हजारों वर्श पुरानी है। उनके कुछ मौखिक परम्पराएँ ऐतिहासिक घटनाओं को सही-सही बतलाती हैं, जैसे कि कासकाडिया का भूकम्प और अट्ठारहवीं सदी का सीक कोन ज्वालामुखी विस्फ़ोट। लिखित दस्तावेजीकरण पंद्रहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में यूरोपीय लोगों के आने और उपनिवेशीकरण के बाद से शुरु हुआ। चरवाहों, पशुपालकों, व्यापारियों, अन्वेषकों, ईसाई पादरियों द्वारा बताये गये यूरोपीय दस्तावेज ऐतिहासिक संस्कृतियों के बारे में बताते हैं। इसके अलावा पुरातात्विक और भाषाई अध्धयनों से शोधकरताओं को कनाडा के आदिवासियों की पुरानी संस्कृति को समझने में बहुत मदद मिली है। संयुक्त राज्य अमेरिका के रेड इंडियन्स आदिवासियों के मुकाबले कनाडियाई आदिवासियों से यूरोपीय संपर्क कम हिंसक रहा है। बाद के आर्थिक विकास के साथ यह कम हिंसक संघर्ष फ़र्स्ट नेशन आदिवासियों को कनाडा की संस्कृति पर अपनी मूल पहचान बचाते हुए प्रभाव डालने में महत्वपूर्ण रहा है। शब्द व्युतपत्ति इस शब्द का इतिहास बहुत पुराना नहीं है और इसका इस्तेमाल १९८० के बाद से होना शुरु हुआ है जब कुछ कनाडियाई लोग यूरूपीय अन्वेष्कों द्वारा दिए गये पहले के शब्द इंडियन्स पर आपत्ति जताने लगे। इतिहास व राष्ट्रीयता भाषायी आधार पर फ़र्स्ट नेशन लोगों की सूची। फ़र्स्ट नेशन लोगों ने पूरे कनाडा में १००० BC से ५०० बीसी के मध्य तक व्यापार मार्ग स्थापित कर लिये थे। इस बीच विभिन्न समूहों का सांस्कृतिक, व्यापारिक और आर्थिक विकास हुआ। पूर्वोत्तर में अथबास्कन बोलने वाले लोग, स्लैवी, त्ली चो, टुटचोनी लोग और त्लिंगित लोग रहते थे। पश्चिम में पैसिफिक तट पर हैदा, सैलिश, क्वाकिउत, नु-चाह-नुल्थ लोग, निस्गा लोग और गित्क्सैन लोग थे। अंदरूनी मैदानों में ब्लैकफूट लोग, कैनाई, सार्की और उत्तरी पीगन लोग रहते थे। उत्तरी जंगलों में क्री लोग और चिपेव्यान लोग रहते थे। महान विशालकाय झीलों के किनारों पर ऐनीशिनैबे लोग, ऐल्गॉनक़ुइन , ईरोक़ुइस और व्यान्डॉट प्रजातियों का बसेरा था। जबकि अटलांटिक महासागर के तट पर बिओथुक, मालिसीत, इन्नु, ऐबेनाकी और मिकमैकों का ठिकाना था। ब्लैकफूट लोग मोंटाना और अन्य कनाडियाई प्रान्तों अल्बर्टा, ब्रिटिश कोलम्बिया और सैस्कैचवेन के विशाल मैदानों में रहते थे। ब्लैकफ़ूट नाम इन्हें इनके चमड़े के जूतों के काले रंग से मिला जिन्हें मोकासीनो कहा जाता था।वो अपने मोकासीनो जूतों की सोल को काले रंगों में रंगते थे। एक कहानी के अनुसार ब्लैकफूट आदिवासी मैदानी घासों और खर पतवार पर लगी आग की राख के उपर चलते थे जिससे उनके सतरंगी जूते भी काले हो जाते थे और जहाँ भी जाते काले पैरों वाले (ब्लैकफ़ूट) कहे जाते थे। वो दक्षिण के अमेरिकी मैदानों से नहीं बल्कि पूर्वोत्तर के क्षेत्रों से नीचे की तरफ़ आए थे। ब्लैकफूट लोग पूर्वी जंगली क्षेत्रों के मूल निवासी थे लेकिन मैदानी क्षेत्रों में आने के बाद वे यहाँ के जीवन के हिसाब से ढल गये। उन्होंने मैदानी क्षेत्रों को बहुत अच्छे से समझा और अट्ठारहवीं सदी तक स्वयं को मैदानी इंडियन्स के तौर पर स्थापित कर लिया था। अब उन्हें लॉर्ड ऑफ़ द प्लेन्स यानि मैदानों का मलिक कहा जाने लगा था। सन्दर्भ इन्हें भी देखें रेड इंडियन आदिवासी भाषाएँ कनाडा के प्रान्त और क्षेत्र रेड इंडियन्स फ़र्स्ट नेशन्स मूल अमरीकन आदिवासी कनाडा के लोग कनाडा का इतिहास
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अफजल खान (सेनापति)
Articles with hCards अफजल खान (निधन 20 नवंबर 1659) भारत में बीजापुर सल्तनत के आदिल शाही वंश का एक सेनापति था। उन्होंने नायक प्रमुखों को हराकर बीजापुर सल्तनत के दक्षिणी विस्तार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्होंने पूर्व विजयनगर क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया था। 1659 में, बीजापुर सल्तनत ने अफजल खान को छत्रपती शिवाजी महाराज से सामना करने के लिए भेजा, जो एक पूर्व जागीरदार थे, जिनहों ने स्वतंत्र रूप से काम करने लगे थे। वह शिवाजी महाराज के साथ एक संघर्ष विराम की बैठक में मारा गया था, और उसकी सेना प्रतापगढ़ की लड़ाई में हार गई थी। नायकस पर विजय शिवाजी के खिलाफ अभियान पृष्ठभूमि मंदिरों का अपमान बीजापुर के शासक की तरह अफजल खान मुसलमान था, जबकि शिवाजी हिंदू थे। शिव-भारत (1674) के अनुसार, शिवाजी के संरक्षण में रचित, अफ़ज़ल खान की सेना ने कई बुरे संकेतों के बीच अपना मार्च शुरू किया, जैसे उल्काओं का गिरना और बादल रहित आकाश में वज्रपात। पाठ में कहा गया है कि अफ़ज़ल खान सबसे पहले तुलजापुर आया था, जहाँ उसने शिवाजी की पारिवारिक देवी भवानी की मूर्ति को नष्ट कर दिया, और उसके मंदिर के सामने एक गाय (हिंदुओं द्वारा पवित्र मानी गई) का वध कर दिया। अफजल खान वध कहते हैं कि अफजल खान ने देवी को कुछ चमत्कार दिखाने की चुनौती दी। उन्होंने पंढरपुर और शिखर शिंगनापुर (शंभू महादेव) में हिंदू मंदिरों को अपवित्र किया। [8] सभासद तुलजापुर और पंढरपुर में अफ़ज़ल खान की बेअदबी का भी समर्थन करता है। चिटनीस बखर और शिव दिग्विजय कहते हैं कि तुलजापुर और पंढरपुर की मूर्तियों को अफ़ज़ल खान के नष्ट करने से पहले ही हटा दिया गया था। [9] ईस्ट इंडिया कंपनी के समकालीन अंग्रेजी पत्र, डच ईस्ट इंडिया कंपनी के दाग-रजिस्टर, और पुर्तगाली अभिलेखों में अफ़ज़ल खान द्वारा मंदिरों के किसी भी अपमान का उल्लेख नहीं है। [12] अफजल खान ने अंततः वाई में डेरा डाला, एक ऐसा शहर जिस पर उसने पहले के वर्षों में शासन किया था। [8] शिवाजी ने नए किलेबंद प्रतापगढ़ में निवास किया था, और अफ़ज़ल खान द्वारा हिंदू स्थलों को अपवित्र करने का उद्देश्य शायद शिवाजी को किले की सुरक्षा छोड़ने के लिए उकसाना था। [14] इन कार्रवाइयों ने स्थानीय हिंदू देशमुखों को अलग-थलग कर दिया, जो अफजल खान को स्थानीय समर्थन प्रदान कर सकते थे। चूँकि अफ़ज़ल खान ने अतीत में वाई क्षेत्र पर शासन किया था, और इसे अच्छी तरह से जानता था, उसने मान लिया कि उसे इस तरह के स्थानीय समर्थन की आवश्यकता नहीं है। [15] वार्ता शिवाजी से मुलाकात और मृत्यु विरासत यह भी देखें संदर्भ बाहरी संबंध जन्म वर्ष अज्ञात कर्नाटक का इतिहास महाराष्ट्र का इतिहास
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उत्पादन फलन
उत्पादन फलन () अर्थशास्त्र में उपादानों (Inputs) एवं उत्पादनों (Outputs) के फलनात्मक सम्बन्ध (Functional Relationship) को दर्शाता है। उत्पादन फलन के द्वारा हमें यह पता चलता है कि समय की एक निश्चित अवधि में दिए गए उपादानों का प्रयोग करके हम कितना उत्पादन कर सकते हैं। उत्पादन फलन मुख्यधारा के नवशास्त्रीय सिद्धांतों की प्रमुख अवधारणाओं में से एक है, जिसका उपयोग सीमांत उत्पाद को परिभाषित करने और आवंटन दक्षता को अलग करने के लिए किया जाता है। यह अर्थशास्त्र के प्रमुख केंद्रों में से एक है। कई उत्पादन और कई उपादान के मामले के प्रतिरूपण के लिए अक्सर तथाकथित शेफर्ड के दूरी फलन या वैकल्पिक रूप से दिशात्मक दूरी फलन का उपयोग करते हैं, जो अर्थशास्त्र में सरल उत्पादन फलन के सामान्यीकरण हैं। मैक्रोइकॉनामिक्स में, कुल उत्पादन कार्यों का अनुमान एक रूपरेखा तैयार करने के लिए लगाया जाता है जिसमें कारक आवंटन (जैसे भौतिक पूंजी का संचय) में बदलाव के लिए कितना आर्थिक विकास होता है और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिए कितना श्रेय दिया जाता है। हालांकि कुछ गैर-मुख्यधारा के अर्थशास्त्री उत्पादन फलन की कुल अवधारणा को अस्वीकार करते हैं। उत्पादन फलन को हम गणितीय फलन के रूप में इस प्रकार दर्शाते हैं : यहां पर उत्पादन की मात्रा है और उपादान कारकों की मात्रा हैं (जैसे पूंजी, श्रम, भूमि या कच्चा माल). यदि हुआ तो होगा क्योंकि बिना आगत के हम कुछ भी उत्पादन नहीं कर सकते। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ उत्पादन फलन का एक और विवरण 3डी में कॉब-डगलस टाइप उत्पादन फलन का एनाटॉमी 3डी में सीइएस टाइप उत्पादन फलन का एनाटॉमी उत्पादन अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%A8%E0%A4%BE
बन्दर का काटना
आमतौर पर लोगों को केवल इस बात की जानकारी होती है कि कुत्ता काटे तो क्या करना है। उन्हें यह पता है कि रेबीज का इन्जेक्शन लगाना जरूरी है, लेकिन रेबीज केवल कुत्तों के ही काटने से नहीं बंदर, बिल्ली के काटने से भी रेबीज हो सकता है। इसके अलावा पालतू पशु जैसे गाय, बैल, घोड़ा, बकरी आदि भी रेबीज का कारण बन सकते हैं। इन जानवरों के काटने या नाखून लगाने के साथ ही इनकी लार या इनके नाखूनों में मौजूद विषाणुओं के जरिए रेबीज बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कुत्तों के बाद बंदरों के काटने के मामले भारत में दूसरे नंबर पर आते हैं। बंदरों के काटने पर केवल चोट ही नहीं लगती बल्कि जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं, जिनमें घाव में संक्रमण, रेबीज के अलावा हर्पीज भी शामिल है। भारत में बढ़्ती संख्या जैसाकि ऊपर स्पष्ट लिया जा चुका है कि विश्वभर में कुत्तों के बाद बंदरों के काटने के मामले भारत में दूसरे नंबर पर आते हैं। यह संख्या विशेष रूप से गाँव और जंगल से सटे स्थानों में ज़्यादा है। हरियाणा राज्य के एक अकेले ज़िले झज्जर की बात करें तो यहाँ के सिविल अस्पताल में जून 2022 माह में बंदर व कुत्ते काटने के दोनों को मिला कर करीब 200 मरीज़ आए थे। जिन्हें इलाज् हेतू रेबीज़ का इंजेक्शन लगाया जा चुका है। इलाज बंदर के काटने से होने वाले घाव का इलाज भी कुत्ते के काटने से बने घाव की तरह ही किया जाता है। साबुन और पानी से इस घाव को कुछ सैकंड नहीं, 5-10 मिनट तक धोएं। इस पर डिटॉल, बीटाडीन जैसे एंटीसेप्टिक लगाए। सिर्फ कुत्ते के काटने से ही रेबीज होता है। बंदर के काटने से नहीं। यह गलत धारणा है। इसके काटने से भी रेबीज हो सकता है। इसलिए घाव धोने के तुरंत बाद डॉक्टर से संपर्क करें। चौबीस घंटे में रेबीज का इंजेक्शन लगवाएं। घाव की गंभीरता के आधार पर इस इंजेक्शन की कम से कम तीन और ज्यादा से ज्यादा पांच डोज देते हैं। दुनियाभर की समस्या पूरे दक्षिण अमेरिका (America) और एशिया (Asia) की तो यहां बंदरों द्वारा लोगों को काटा जाना आम बात है।बंदर ब्राजील (Brazil),भारत और इंडोनेशिया (Indonesia) सहित घनी आबादी वाले क्षेत्रों की एक मुख्य समस्या हैं। यहां बंदरों द्वारा लोगों को काटे जाने की संभावना इतनी अधिक है, कि इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।अपने आकार के कारण बंदर मजबूत होते हैं,इसलिए ये किसी पर भी हमला कर सकते हैं।जब वे किसी पर हमला करते हैं, तो सबसे पहले वे अपने तेज दांतों वाले शक्तिशाली जबड़े से उस व्यक्ति को काटते हैं।एक बंदर के काटने से ऊतक नष्ट हो सकता है, लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण खतरा यह है, कि इसके काटने से अनेकों बैक्टीरिया और विषाणु आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जो कि उसके मुंह में मौजूद होते हैं।अधिकांश स्तनधारियों की तरह,बंदर रेबीज (Rabies) का वाहक हो सकता है और उसे प्रसारित कर सकता है। यदि बंदर के काटने के बाद इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो यह मनुष्य के लिए 100% घातक हो सकता है। सन्दर्भ जानवरों का काटना
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लाहौर ज़िला
लाहौर ज़िला, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक जिला। यह मुख्यतः एक नगरीया जनपद है, और ऐतिहासिक लाहौर शहर तथा उसके उपनगरीय क्षेत्रों को घेरता है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, केवल पंजाब और पाकिस्तान ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यहाँ बोले जाने वाली प्रमुख भाषा पंजाबी है, जबकि उर्दू प्रायः हर जगह समझी जाती है। साथ ही अंग्रेज़ी भी अधिकांश लोगों द्वारा समझी जाती है। प्रभुख प्रशासनिक भाषाएँ उर्दू और अंग्रेज़ी है। यह पूर्णतः एक शहरी इलाका है, अतः प्रशासन हेतु इस ९ "नगरों"(उर्दू:,टाउन) में बाँटा गया है, जिन्हें और भी छोटे यूनियन परिषदों में विभाजित किया गया है। जिनमे से कई इलाके लाहौर शहर में ऐतिहासिक महत्व रखते हैं, जबकि कई आधुनिक क्षेत्र हैं। सन्दर्भ इन्हें भी देखें पाकिस्तान के ज़िले पाकिस्तान में स्थानीय प्रशासन पंजाब (पाकिस्तान) लाहौर (शहर) बाहरी कड़ियाँ www.pakinformation.com-पाकिस्तान के ज़िलों की सूची पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ़ स्टॅटिस्टिक्स की आधिकारिक वेबसाइट-1998 की जनगणना(जिलानुसार आँकड़े) लाहौर ज़िला पाकिस्तानी पंजाब के ज़िले पंजाब (पाकिस्तान) लाहौर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%82%E0%A4%B8%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5
फिलीपींस के वन्यजीव
फिलीपींस के वन्यजीव में काफी संख्या में स्थानिक पौधे और पशु प्रजातियां शामिल हैं। देश के आसपास के जल का कथित तौर पर दुनिया में उच्चतम स्तर की समुद्री जैव विविधता है। फिलीपींस को सत्रह मेगाडेवर्स देशों के साथ-साथ वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक माना जाता है। 2000 में रेड यूनियन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज (IUCN) के संरक्षण के लिए देश की 52,177 प्रजातियों में से 418 को खतरे के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। पिछले दस वर्षों में खोजे गए स्तनधारियों की सोलह नई प्रजातियों के साथ फिलीपींस में दुनिया में खोज की उच्चतम दर है। इस वजह से, फिलीपींस के लिए अतिवाद की दर बढ़ी है और संभावना बढ़ती रहेगी। पक्षी फिलीपींस में पक्षियों की 612 प्रजातियां हैं, जिनमें से 500 स्थानिकमारी वाले हैं, तीन मनुष्यों द्वारा शुरू की गई हैं, और 52 दुर्लभ या आकस्मिक हैं। वैश्विक रूप से खतरे वाली प्रजातियों में 67 हैं। इनमें रूफस हॉर्नबिल और फिलीपींस के गंभीर रूप से लुप्तप्राय राष्ट्रीय पक्षी फिलीपीन ईगल शामिल हैं । फिलीपींस, तवी-तवी की नीली पंखों वाली रैकेट-पूंछ, दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे लुप्तप्राय तोता प्रजाति, और दुनिया में सबसे अधिक लुप्तप्राय रेल प्रजाति, कैलायन बाबूयन समूह के एक छोटे से द्वीप पर पाया जाता है। उभयचर और सरीसृप फिलीपींस में उभयचर की 111 से अधिक प्रजातियां और सरीसृप की 270 प्रजातियां हैं, उभयचरों में से 80% स्थानिक और फिलीपींस के 70% सरीसृप भी स्थानिक हैं। यह माना जाता है कि देश में सांपों की कुल 114 प्रजातियों में से 14 से अधिक नहीं हैं। सरीसृपों और उभयचरों की कई प्रजातियां अनदेखा रह जाती हैं। दुर्भाग्य से, इन प्रजातियों में से कई के बारे में माना जाता था कि वे बिना खोजे गायब हो गईं। द्वीपसमूह में द्वीपसमूह में उभयचरों की अब तक की सबसे विविध प्रजातियों में से 50-60 स्थानिक प्लेटमेन्टिस मेंढक प्रजातियां हैं। स्थानिक मीठे पानी के मगरमच्छ मगरमच्छ दिमाग की बीमारी गंभीर रूप से लुप्तप्राय है और इसे दुनिया में सबसे खतरनाक मगरमच्छ माना जाता है। 1982 में, जंगली आबादी केवल 500-1,000 व्यक्ति होने का अनुमान लगाया गया था; 1995 तक केवल 100 मगरमच्छ जंगली में रह रहे थे। लुजोन के सिएरा माद्रे पहाड़ों में इस प्रजाति की आबादी की हाल की खोज इसके संरक्षण के लिए नई उम्मीद लाती है। मगरमच्छों को बचाने के प्रयास में प्रोजेक्ट बनाए जा रहे थे। ताज़े पानी में रहने वाली मछली फिलीपींस में लगभग 330 मीठे पानी की मछली है, जिसमें नौ स्थानिक जेनेरा और 65 से अधिक स्थानिक प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें से कई एकल झीलों तक ही सीमित हैं। एक उदाहरण है एक मीठे पानी चुन्नी केवल में पाया ताल झील । दुर्भाग्य से, झील लानो, मिंडानाओ में, देश की सबसे भयावह विलुप्त होने की घटना का अनुभव कर रहा है, झील की सभी स्थानिक प्रजातियों के साथ अब लगभग निश्चित रूप से विलुप्त हो रही है, मुख्य रूप से तिलापिया की शुरूआत के कारण, जो कि एक खाद्य मछली है, विस्तार के लिए। मछली पकड़ने के उद्योग की। अन्य विदेशी प्रजातियों को भी झील में पेश किया गया था। सन्दर्भ एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख
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द्विदलीय प्रणाली
द्विदलीय प्रणाली एक दल प्रणाली हैं, जहाँ दो प्रमुख राजनीतिक दल सरकार के भीतर, राजनीति को प्रभावित करते हैं। दो दलों में से आम तौर पर एक के पास विधायिका में बहुमत होता हैं और प्रायः बहुमत या शासक दल कहा जाता हैं, जबकि दूसरा अल्पमत या विपक्ष दल कहा जाता हैं। इतिहास ब्रिटेन में दलों की शुरुआत ब्रिटेन में द्विदलीय प्रणाली का उद्गम अमरीकी राजनीतिक दल कारण उदाहरण संयुक्त राज्य कॉमनवेल्थ देश भारत माल्टा अन्य देश अन्य दल प्रणालियों से तुलना एकदलीय प्रणाली बहुदलीय प्रणाली इन्हें भी देखें सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ सरकार के रूप चुनाव राजनीति दल प्रणालियाँ
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हवाई (द्वीप)
हवाई'ई (उच्चारण: /həˈvɐjʔi/), अंग्रेज़ीकृत हवाई ( ) अमेरिकी राज्य हवाई स्थित सबसे बड़ा द्वीप है। यह हवाई द्वीपसमूह (उत्तरी प्रशांत महासागर में ज्वालामुखी द्वीपों की एक श्रृंखला) का सबसे बड़ा और सबसे दक्षिणपूर्वी द्वीप है। 4,028 वर्ग मील (10,430 वर्ग किमी) के क्षेत्र के साथ, यह हवाई द्वीपसमूह के संयुक्त भूभाग का 63% हिस्सा है, और संयुक्त राज्य में सबसे बड़ा द्वीप है। हालाँकि, इसमें केवल 13% हवाई लोग हैं। हवाई का द्वीप, न्यूजीलैंड के दो मुख्य द्वीपों के बाद पोलिनेशिया में तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है। द्वीप को अक्सर राज्य से अलग बताने के लिये हवाई का द्वीप, बडा द्वीप या हवाई द्वीप के रूप में जाना जाता है ।[4] प्रशासनिक रूप से, पूरा द्वीप में हवाई काउंटी मे शामिल है। 2010 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 185,079 थी। [5] काउंटी सीट और सबसे बड़ा शहर हिलो है। हवाई काउंटी में कोई शामिल शहर नहीं हैं (हवाई में काउंटी की सूची देखें)।
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द्वारकेश्वर नदी
द्वारकेश्वर नदी (Dwarakeswar River), जिसे धालकिशोर नदी (Dhalkisor River) भी कहा जाता है, भारत के पश्चिम बंगाल राज्यों में बहने वाली एक नदी है। यह छोटा नागपुर पठार में पुरुलिया ज़िले में उत्पन्न होती है और बाँकुड़ा ज़िले से गुज़रकर, हुगली ज़िले में घाटाल के समीप सिलाई नदी से संगम करती है, जिसके बाद यह रूपनारायण नदी कहलाती है। इन्हें भी देखें रूपनारायण नदी हुगली ज़िला सन्दर्भ पुरुलिया ज़िला बाँकुड़ा ज़िला हुगली ज़िला पश्चिम बंगाल की नदियाँ
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रामब्राइ ज्यर्नगाम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
भारतीय राज्य मेघालय का एक विधानसभा क्षेत्र है। यहाँ से वर्तमान विधायक किम्फा सिडनी मर्बनियांग हैं। विधायकों की सूची इस निर्वाचन क्षेत्र से विधायकों की सूची निम्नवत है |-style="background:#E9E9E9;" !वर्ष !colspan="2" align="center"|पार्टी !align="center" |विधायक !प्राप्त मत |- |२०१३ |bgcolor="#0000B3"| |align="left"| हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी |align="left"| फ्लास्टिंगवेल पंगनियंग |७६२५ |- |२०१८ |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"| भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"| किम्फा सिडनी मर्बनियांग |१२१३५ |} इन्हें भी देखें तुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र मेघालय के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची सन्दर्भ मेघालय के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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आंवलखेड़ा
आवलखेड़ा उत्तर प्रदेश के आगरा जिले का एक गाँव है जहाँ महान चिंतक एवं गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म हुआ था। यह अब युगतीर्थ बन चुका है। जहाँ संवत १९६८ आश्विन कृष्ण त्र्योदशी बुधवार (२ सितम्बर १९११) को उनका प्राकटय हुआ। यहीं की धूल में खेले, बड़े हुए। यहीं 15 वर्ष की किशोर अवस्था (वसंत पंचमी-सन् १९२६) में हिमालयस्थ ऋषिसत्ता-गुरुसत्ता का साक्षात्कार हुआ। इसी के साथ प्रारंभ हो गया २४-२४ लक्ष के महापुरश्चरण का सिलसिला। यहीं वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप उभरे तथा श्रीराम मत्त (मस्त) या मत्त जी के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके द्वारा खोदा कुआँ और लगाया गया नीम का पेड़ आज भी स्मृतियाँ ताजा करते हैं। यहीं से उनकी सेवा-साधना प्रारंभ हुई। शिक्षा एवं ग्रामीण स्वावलम्बन की कई गतिविधियाँ चलाईं। विरासत में मिली प्रचुर भू-सम्पदा का उपयोग अपने और अपने परिवार के लिये नहीं किया। एक भाग से अपनी माताजी की स्मृति में दान कुँवरि इण्टर कॉलेज की स्थापना कराई, शेष राशि बाद में गायत्री तपोभूमि हेतु समर्पित कर दी। सन् १९७९-८० में गायत्री शक्तिपीठ एवं राजकीय कन्या इण्टर कॉलेज का शुभारंभ हुआ, जो आज कन्या महाविद्यालय (डिग्री कॉलेज) बन चुका है। सन् १९९५ में प्रथम पूर्णाहुति समारोह भी यहाँ सम्पन्न हुआ, जिसमें लगभग पचास लाख लोगों ने भाग लिया। माता भगवती देवी शर्मा राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय की स्थापना भी हो चुकी है, इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री ने एक कीर्ति स्तम्भ का लोकार्पण किया। आँवलखेड़ा आगरा से लगभग २४ किलोमीटर जलेसर रोड पर स्थित है और पुराने बिजलीघर से बसें उपलब्ध रहती हैं। वहाँ पहुँचकर देश-विदेश के भावनाशील साधकगण उसी प्रकार भाव विभोर हो उठते हैं, जैसे चैतन्य महाप्रभु वृन्दावन में पहुँचकर आनंदित हुए थे। आगरा जिले के गाँव
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भारत-सिंगापुर संबंध
भारत गणराज्य और सिंगापुर गणराज्य के बीच द्विपक्षीय संबंध परंपरागत रूप से मजबूत और मैत्रीपूर्ण रहे हैं, दोनों देशों ने व्यापक सांस्कृतिक और व्यावसायिक संबंधों का आनंद लिया है। भारत और सिंगापुर ने व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) और सामरिक संबंध समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, और समुद्री सुरक्षा, प्रशिक्षण बलों, संयुक्त नौसेना अभ्यास, सैन्य प्रौद्योगिकी विकसित करने और आतंकवाद से लड़ने पर द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार किया है। 2010 के गैलप सर्वेक्षण के अनुसार, 40% सिंगापुरियों ने भारत के नेतृत्व को मंजूरी दे दी, 23% अस्वीकार और 37% अनिश्चित है। पृष्ठभूमि भारत और सिंगापुर लंबे समय से सांस्कृतिक, वाणिज्यिक और सामरिक संबंध साझा करते हैं, सिंगापुर "ग्रेटर इंडिया" सांस्कृतिक और वाणिज्यिक क्षेत्र का हिस्सा है। भारतीय मूल के 300,000 से अधिक लोग सिंगापुर में रहते हैं। 1965 में अपनी आजादी के बाद, सिंगापुर चीन के समर्थित कम्युनिस्ट खतरों के साथ-साथ मलेशिया और इंडोनेशिया के प्रभुत्व से चिंतित था और भारत के साथ घनिष्ठ सामरिक संबंध मांगे, जिसे चीनी प्रभाव के प्रति असंतुलन और क्षेत्रीय सुरक्षा प्राप्त करने में भागीदार के रूप में देखा गया। द्विपक्षीय संबंधों का विकास भारत और सिंगापुर के बीच राजनयिक संबंध 24 अगस्त 1965 को स्थापित हुए, पंद्रह दिन बाद में स्वतंत्र हो गए। सिंगापुर की आजादी के बाद से, दोनों देशों ने उच्चस्तरीय संपर्क बनाए रखा है। 1966 और 1971 के बीच सिंगापुर के प्रधान मंत्री ली क्वान यू ने भारत का दौरा तीन बार (1966, 1970 और 1971) किया। भारतीय नेता मोरारजी देसाई के रूप में तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 1968 में सिंगापुर का दौरा किया। सिंगापुर ने यूएन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत की बोली का समर्थन किया और दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों (एशियान) एसोसिएशन में अपनी भूमिका और प्रभाव का विस्तार किया। सिंगापुर ने 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध और कश्मीर संघर्ष के खिलाफ भारत का भी समर्थन किया। 2015 में श्री ली क्वान यू के देहावसान के बाद, भारत ने सिंगापुर के संस्थापक पिता की याद में राष्ट्रीय शोक के सप्ताहांत के साथ पालन किया, और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2015 में सिंगापुर का दौरा किया और द्विपक्षीय संबंधों के पचास वर्षों की पुष्टि की। व्यापार सिंगापुर भारत में निवेश का 8 वां सबसे बड़ा स्रोत है और आसियान सदस्य राष्ट्रों में सबसे बड़ा है। 2005-06 के रूप में यह भारत का 9 वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। भारत में इसका संचयी निवेश 2006 तक 3 अरब अमेरिकी डॉलर है और 2010 तक 5 अरब डॉलर और 2015 तक 10 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत के आर्थिक उदारीकरण और इसकी "लुक ईस्ट" नीति ने द्विपक्षीय व्यापार में एक बड़ा विस्तार किया है। संदर्भ भारत के वैदेशिक सम्बन्ध सिंगापुर के विदेश सम्बंध
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A8%20%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%AC
ग्लेडविन जेब
हुबर्ट माईल्स ग्लेडविन जेब, प्रथम बैरन ग्लेडविन, सेंट माइकल और सेंट जॉर्ज के आदेश और रॉयल विक्टोरियन आदेश (GCVO) के आधार पर नामाकरण, जाने जाते हैं ग्लेडविन जेब के नाम से (जन्म: 25 अप्रैल 1900; मृत्यु : 24 अक्टूबर 1996), एक प्रमुख ब्रिटिश प्रशासनिक अधिकारी, राजनयिक और राजनेता के रूप में विश्वसनीय रहते हुये संयुक्त राष्ट्र के अगले प्रथम महासचिव के चुनाव तक कार्यवाहक। प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक जीवन 'ग्लेडविन जेब' फायरबेक (यार्क शायर) के सिडनी जेब के पुत्र थे। उनकी शिक्षा जेब के इटन कॉलेज में हुयी। उसके बाद माइग्डलेन कॉलेज ऑक्सफोर्ड में उनकी उच्च शिक्षा-दीक्षा हुयी। 1929 में उन्होने सिंथिया नॉवेल से शादी की, जिससे उनकी दो बेटियाँ हुयी माईल्स और वाइनेस, जिनकी शादी क्रमश: ह्यूग थॉमस (इतिहासकार) और जोएल डे रोशने (वैज्ञानिक) से हुयी। राजनयिक कैरियर जेब ने वर्ष-1924 में राजनयिक सेवा में प्रवेश किया, तेहरान में सेवा की, जहां वे हेरोल्ड निकोलसन और रोम में वीटा सैकवैल-पश्चिम के नाम से जाने गए। इसीप्रकार वे लंदन में विदेश कार्यालय में भी जाने गए, वे पहले निजी सचिव और राजनियिक सेवा के प्रमुख बनाए गए। द्वितीय विश्व युद्ध अगस्त 1940 में, जेब को सहायक अवर सचिव के अस्थायी पद के साथ आर्थिक युद्ध मंत्रालय में नियुक्त किया गया। उन्हें 1942 में पुनर्निर्माण विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया और 1943 में उन्हें विदेश कार्यालय के भीतर काउंसलर बनाया गया। इस दौरान उन्होने कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया, जैसे तेहरान सम्मेलन, याल्टा सम्मेलन और पॉट्सडैम सम्मेलन आदि। संयुक्त राष्ट्र के कार्यवाहक महासचिव द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात, अगस्त 1945 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र की प्रीपरेटरी आयोग में शामिल किया गया, जहां उन्होने अक्टूबर 1945 से फरवरी 1946 तक (पहले महासचिव की नियुक्ति होने तक) संयुक्त राष्ट्र के कार्यवाहक सचिव के रूप में अपनी सेवाएँ दी। राजदूत लंदन लौटने के बाद जेब विदेश उप सचिव बनाए गए। वे 1946 से 1947 तक उन्होने विदेश कार्यालय के संयुक्त राष्ट्र सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएँ दी। उन्होने इस दौरान उन्होने ब्रुसेल्स संधि के स्थाई कमीशन पर ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व भी किया। वे 1950 से 1954 तक संयुक्त राष्ट्र के लिए ब्रिटेन के तथा 1954 से 1960 तक पेरिस के राजदूत बनाए गए। राजनीतिक जीवन उन्हें 1949 में नाइट की उपाधि दी गई थी। 1960 में जेब यूनाइटेड किंगडम के लिबरल पार्टी में शामिल हो गए थे। 1965 से 1988 तक वे हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लिबरल पार्टी के उपनेता तथा विदेशी और रक्षा मामलों के प्रवक्ता रहे। एक उत्साही यूरोपीय सदस्य के रूप में अपनी सेवाएँ देते हुये यूरोपीय संसद के सदस्य रहे गेब 1973 से 1976 तक संसद की राजनीतिक समिति के उपाध्यक्ष भी रहे। उन्होने 1979 में यूरोपीय संसद हेतु सफ़ॉक सीट पर चुनाव लड़े, किन्तु असफल रहे। अन्य गतिविधियां वे एक बेहतर कूक थे और ब्रिटिश सरकार की शराब समिति के अध्यक्ष भी रहे। वे एक अच्छे निशानेबाज भी थे, किन्तु उन्होने कभी भी ग्रामीण गतिविधियों से रुचि रखते हुये इसका गलत इस्तेमाल नहीं किया। वे साइरिल कोनोली और नैन्सी मिटफोर्ड के अच्छे दोस्त थे। मृत्यु 1996 में उनकी मृत्यु हो गई और उन्हे सेंट एंड्रयू में दफन किया गया। लेडी ग्लेडविन जेब की पत्नी सिंथिया (1898-1990), लेडी ग्लेडविन, पेरिस में अपने समय की एक प्रख्यात डायरी लेखक, लिबरल और लंदन राजनीति की एक परिचारिका थी, जो कि इसामबार्ड किंगडम ब्रुनेई की महान पोती थी। सम्मान G.C.M.G (जी सी एम जी), सेंट माइकल और सेंट जॉर्ज के पहले 1942 और फिर 1949 के आदेश के आधार पर 1954 में सम्मानित। G.C.V.O. (जी सी वी ओ), 1957 Companion of the Bath (कॅम्पेन ऑफ वाथ), 1947 Legion of Honor(लेजन ऑफ ऑनर), 1957 प्रकाशन और पत्र बैरन ग्लेडविन द्वारा प्रकाशन में सहयोग : Is Tension Necessary? (इज टेंशन नेसेसरी ?), 1959 Peaceful Co-existence (पिसफूल को-एकसीसटेन्स), 1962 The European Idea (दि यूरोपियन आइडिया), 1966 Half-way to 1984 (हाफ वे टू 1984), 1967 De Gaulle's Europe, or, Why the General says No, (व्हाई दि जेनरल से नो)1969 Europe after de Gaulle (यूरोप आफ्टर डे गुले), 1970 The Memoirs of Lord Gladwyn (दि मेमोएर्स ऑफ ग्लेडविन, 1972) ग्रंथ सूची शॉन ग्रीनवुड, विदेश कार्यालय में टाइटन: ग्लेडविन जेब और (लीडेन, ब्रिल, 2008) (अंतरराष्ट्रीय संबंध, कूटनीति और खुफिया, 5 के इतिहास) आधुनिक विश्व के आकार देने के दृष्टिगत। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Cambridge Archives Centre - Gladwyn Papers संयुक्त राष्ट्र महासचिव संयुक्त राष्ट्र १९९६ में निधन 1900 दशक में जन्मे लोग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%AE%E0%A4%B2%20%E0%A4%95%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0
कमल कपूर
कमल कपूर (पंजाबी: ਕਮਲ ਕਪੂਰ) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेता थे जिन्होंने लगभग 600 हिन्दी, पंजाबी और गुजराती फ़िल्मों मे काम किया था। प्रारंभिक जीवन उनका जन्म 1920 में लाहौर, पंजाब में हुआ। उन्होंने लाहौर के ही डीएवी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। वे पृथ्वीराज कपूर के चचेरे भाई और गोल्डी बहल के नाना थे। फ़िल्मी सफ़र उन्होने अपने सफर की शुरुआत 1940-50 के दौर में नायक के रूप में की थी। उनकी पहली फ़िल्म "दूर चलें" थी जो 1946 मे प्रदर्शित हुई। साठ के दशक से उन्होने खलनायक की भूमिका करनी आरंभ की, इनमें से कुछ लोकप्रिय किरदार पाक़ीज़ा (1972) में नवाब जफर अली खान, डॉन (1978) में नारंग और मर्द (1985) में जनरल डायर रहें। प्रमुख फ़िल्में सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ बॉलीवुड अभिनेता हिन्दी अभिनेता 1920 में जन्मे लोग २०१० में निधन
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काष्ठ कला
काष्ठ कला (Wooden Arts) एक हस्तकला है जो भारतीय राज्य राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध है। काष्ठ को आम भाषा में लकड़ी कहा जाता है। इस कला में लोग लकड़ी पर विभिन्न प्रकार के कलाकारी वस्तुएं बनाते हैं। बस्सी चित्तौड़गढ़ ज़िले का बस्सी कस्बा जो प्राचीन समय से काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध रहा है। बस्सी की काष्ठ क्ला के जन्म दाता प्रभात जी सुतार माने जाते हैं। इनके द्वारा सर्वप्रथम एक लकड़ी की गणगौर बनाई गई। जो लगभग आज से ३५५ साल पुरानी है। खराद कला उदयपुर की खराद कला लकड़ी को विभिन्न आकारों में ढ़ालने एवं बारीक गोल किनारियों के कार्य के लिए प्रसिद्ध है। खराद कला का इतिहास लगभग २५० वर्ष पुराना माना जाता है। महाराजा जगत सिंह ने मारवाड़ से इस शिल्प के कुछ कारीगरों को उदयपुर बुलाकर बसाया था। कालांतर में यहाँ बसे परिवारों की संख्या बढ़ती गई और इस खराद कला ने अपना स्थान प्रांत ,राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित कर लिया। खराद कार्य में मुख्यतः खिरनी की लकड़ी का उपयोग किया जाता है। प्रारम्भ में शहरीकरण ,सरकारी प्रोत्साहन एवं बढ़ते बाजार के कारण यह व्यवसाय बहुत फला-फूला। इस लकड़ी के कार्य में उदयपुर ज़िले के लगभग दो हजार परिवार लगे हुए हैं। खिरनी की लकड़ी की कमी ,वांछित प्रशिक्षण एवं उच्च तकनीक के अभाव में यह कला अब धीरे-धीरे लुप्त होने लगी है। लेकिन हस्तकला विकास सहकारी समिति लिमिटेड, उदयपुर द्वारा पिछले वर्षों से इस लुप्त होती कला को फिर से प्रकाश में लाने और इसे पुनः विश्व भर में प्रतिष्ठा दिलाने का काम हाथ में लिया है। उदयपुर हस्तकला विकास सहकारी समिति उदयपुर के अधीन शिल्प संघ परियोजना ,नाई का गठन किया गया है। शिल्प संघ परियोजना महिला शिल्पकारों ने अपने विकास हेतु खुद तैयार की है। नाबार्ड द्वारा इस योजना को गोद लेकर इसे क्रियान्वित किया जा रहा है। उदयपुर से १२ किलोमीटर दूर नाई गाँव में १६ जुलाई १९९६ को शिल्प संघ परियोजना का विधिवत शुभारम्भ हुआ था। अन्य जानकारी प्राचीन तथा मध्यकालीन काष्ठ शिल्प के लिए वर्तमान में राजस्थान के डूंगरपुर ज़िले का जेठाना गाँव विख्यात है। इसके अलावा राज्य के बांसवाड़ा ज़िले का चंदूजी का गढ़ा तथा डूंगरपुरज़िले का बोडीगामा तीर-कमान के लिए काफी अच्छा प्रसिद्ध स्थल है। इन सबके अलावा चुरू ज़िला चन्दन की लकड़ी पर खुदाई के लिए विख्यात है। इसमें स्वर्गीय मालचंद बादाम वाले तथा उनके परिवार के सदस्य चौथमल नवरतनमल (पुत्र) और ओम प्रकाश, (प्रपोत्र) खासे विख्यात है। चित्र दीर्घा सन्दर्भ इन्हें भी देखें काष्ठकारी (बढ़ईगीरी) उत्कीर्णन (wood carving) काष्ठकार्य सम्बन्धी संधियाँ बाहरी कड़ियाँ बनारस की काष्ठ कला Carpenters - from the BLS Occupational Outlook Handbook Carpenters from Europe and beyond Woodworking plans and projects सन्दर्भ हस्तकला काष्ठ कला व्यवसाय
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छोटी आनंदी
छोटी आनंदीएक 2016 की भारतीय हिंदी -भाषा की एनिमेटेड टेलीविजन श्रृंखला है, जो स्फीयर ओरिजिन द्वारा निर्मित है, और हॉपमोशन द्वारा एनिमेटेड है। यह शो कलर्स और रिश्ते पर एक साथ प्रसारित किया गया था। इस सीरीज का प्रीमियर 17 जनवरी 2016 और 10 अप्रैल 2016 को हुआ था। यह शो बालिका वधू टेलीविजन श्रृंखला से आनंदी की शादी से पहले की कहानी को दर्शाता है< सार आनंदी आठ साल की समझदार और शरारती लड़की है। वह अपने 4 दोस्तों नट्टू, चीकू, फुली और चंपा के साथ छोटे सिपाही समूह बनाती है और साहसपूर्वक कठिन परिस्थितियों का सामना करती है और विजयी होती है। पात्र आनंदी : आनंदी एक खूबसूरत, आठ साल की नेक और साहसी लड़की है। वह बहुत समझदार है और सभी की समस्याओं का समाधान करती है। उसकी आवाज देवयानी डागांवकर ने दी है। फुली : फुली आनंदी की सबसे अच्छी दोस्त और उसका दाहिना हाथ है। वह अपनी मासूमियत और क्यूटनेस से सभी को मंत्रमुग्ध कर लेती है और बहुत भोली और भोली है। नट्टू : नट्टू बहुत प्रतिस्पर्धी है। वह आगे बढ़ने की कोशिश करता है और हमेशा आनंदी का विरोध करता है। चंपा : चंपा समूह की सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं। वह कंफर्मिस्ट और बहुत व्यावहारिक है। वह सुंदर रहना पसंद करती है। चीकू : चीकू ग्रुप का सबसे छोटा और सबसे शरारती सदस्य है। वह नट्टू के भाई भी हैं। वह छोटी अन्नंदी और नट्टू के साथ रहना पसंद करता है। गोली : वह लड़का है जो बलरिया में रहता है। वह लंबा और पतला है। वह एक सोने की चेन पहनता है। उसने नारंगी शर्ट और काली पैंट पहन रखी है। उनके पिता बलरिया के "चौधरी" हैं। वह छोटी आनंदी से दुश्मनी रखता है। उसके पास चंगु और मंगू नाम के दो गुंडे हैं। उन्होंने गोली को "गोली सरकार" कहा। वह हरियाणवी बोलते हैं। चंगू और मंगू : चंगू और मंगू दो गुंडे हैं। वे पगड़ी पहनते हैं। वे गोली को 'गोली सरकार' कहते हैं। दोनों की मूंछें हैं। पुरस्कार शो ने 2016 में द न्यू एनिमेशन एंट्रेंस की श्रेणी में FICCI BAF अवार्ड जीता। संदर्भ कलर्स चैनल के कार्यक्रम
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हरफ़र्डशायर
हरफ़र्डशायर (अंग्रेज़ी: Herefordshire) एक इंग्लैंड के काउंटी वेस्ट मिडलैंड्स में एक काउंटी है, जो हरफ़र्डशायर काउंसिल द्वारा शासित है। यह उत्तर में श्रॉपशायर, पूर्व में वोरस्टरशायर, दक्षिण-पूर्व में ग्लूस्टरशायर और पश्चिम में मॉनमाउथशायर और पॉविस की वेल्श काउंटियों से घिरा है। हियरफोर्ड, काउंटी शहर हरफ़र्डशायर की आबादी लगभग 61,000 है, जिससे यह काउंटी में सबसे बड़ा समझौता है। अगला सबसे बड़ा शहर लियोमिनस्टर और फिर रॉस-ऑन-वाई है। काउंटी ऐतिहासिक वेल्श मार्चेस में स्थित है, हरफ़र्डशायर इंग्लैंड में सबसे अधिक ग्रामीण और कम आबादी वाले काउंटियों में से एक है, जिसकी जनसंख्या घनत्व 82 / किमी 2 (212 / वर्ग मील) है, और 2017 की जनसंख्या 191,000 है - चौथा सबसे छोटा इंग्लैंड में किसी भी औपचारिक काउंटी के। भूमि उपयोग ज्यादातर कृषि है और काउंटी अपने फल और साइडर उत्पादन के लिए और हियरफोर्ड मवेशी नस्ल के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। संविधान हरफ़र्डशायर को एक नए जिले के रूप में "हरफ़र्डशायर काउंटी"[4] (19 जुलाई 1996 से प्रभावी) और एक नए काउंटी (उपरोक्त जिले के क्षेत्र के साथ व्यापक) (1 अप्रैल 1998 से प्रभावी) के रूप में परिभाषित किया गया था। द हियरफोर्ड एंड वॉर्सेस्टर (स्ट्रक्चरल, बाउंड्री एंड इलेक्टोरल चेंजेस) ऑर्डर 1996. इस आदेश ने 1 अप्रैल 1998 को हरफ़र्डशायर को एकात्मक प्राधिकरण के रूप में स्थापित किया, जिसमें काउंटी और जिला कार्यों को एक ही परिषद में मिला दिया गया। हरफ़र्डशायर को आमतौर पर एकात्मक जिला भी कहा जाता है, लेकिन यह आधिकारिक नामकरण नहीं है। हरफ़र्डशायर को आधिकारिक तौर पर स्थानीय सरकार के उद्देश्यों के लिए एकात्मक प्राधिकरण के रूप में जाना जाता है। यह हरफ़र्डशायर काउंसिल द्वारा शासित है, जिसे 1998 में नए एकात्मक जिले के साथ बनाया गया था, जो कि हियरफोर्ड सिटी काउंसिल के पिछले प्रशासनिक क्षेत्रों, साउथ हरफ़र्डशायर डिस्ट्रिक्ट काउंसिल, लेमिन्स्टर डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के अधिकांश और माल्वर्न हिल्स डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के हिस्से को अवशोषित करता था। हियरफोर्ड और वॉर्सेस्टर के गैर-महानगरीय काउंटी, जिनके कार्य नए प्राधिकरण को अपने क्षेत्र में विरासत में मिले हैं। माल्वर्न हिल्स जिले के शेष भाग ने लियोमिन्स्टर जिले (टेनबरी वेल्स के आसपास के क्षेत्र) के वॉर्सेस्टरशायर भाग को अवशोषित कर लिया और वॉर्सेस्टरशायर के नए दो-स्तरीय काउंटी के भीतर एक (छोटा) जिला बनाना जारी रखा। लेफ्टिनेंट एक्ट 1997 ने हरफ़र्डशायर को एक औपचारिक काउंटी बना दिया, जो एकात्मक जिले के सटीक क्षेत्र को कवर करता है। यूरोस्टेट उद्देश्यों के लिए यह एक NUTS 3 क्षेत्र है (कोड UKG11) और तीन काउंटी में से एक है जिसमें "हरफ़र्डशायर, वोरस्टरशायर और वार्विकशायर" NUTS 2 क्षेत्र शामिल हैं। भौतिक भूगोल रॉस-ऑन-वाई के पास नदी वाई। वाय नदी, जो 135 मील (217 किमी) की दूरी पर यूनाइटेड किंगडम में पांचवीं सबसे लंबी है, कुछ समय के लिए पॉव्स के साथ इसकी सीमा होने के बाद काउंटी में प्रवेश करती है। वेल्स लौटने से पहले यह हियरफोर्ड और रॉस-ऑन-वाई दोनों से होकर बहती है। लेओमिन्स्टर, लुग नदी पर स्थित है, जो वाई की एक सहायक नदी है। काउंटी में उत्कृष्ट प्राकृतिक सौंदर्य के दो क्षेत्र हैं। वाय वैली, हियरफोर्ड के दक्षिण में नदी की घाटियों में स्थित है, जबकि माल्वर्न हिल्स काउंटी के पूर्व में, वोरस्टरशायर के साथ इसकी सीमा पर स्थित है। इतिहास हरफ़र्डशायर इंग्लैंड की 39 ऐतिहासिक काउंटियों में से एक है। हरफ़र्डशायर काउंटी परिषद 1889 में बनाई गई थी। 1974 में, 1889 में गठित प्रशासनिक काउंटी को हियरफोर्ड और वॉर्सेस्टर बनाने के लिए पड़ोसी वोरस्टरशायर के साथ मिला दिया गया था। इसके भीतर, हरफ़र्डशायर को दक्षिण हरफ़र्डशायर, हियरफोर्ड के स्थानीय सरकारी जिलों और माल्वर्न हिल्स और लियोमिन्स्टर जिलों के हिस्से द्वारा कवर किया गया था। हालांकि, 1998 में काउंटी को भंग कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप काउंटी के रूप में हरफ़र्डशायर और वोरस्टरशायर की वापसी हुई। वर्तमान औपचारिक काउंटी और एकात्मक जिले में मोटे तौर पर ऐतिहासिक काउंटी के समान सीमाएं हैं। जनसांख्यिकी जनसंख्या वृद्धि यह भी देखें: जनसंख्या के आधार पर हरफ़र्डशायर में बस्तियों की सूची हरफ़र्डशायर की विकास दर, हाल के दशकों में, राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है, 1991 और 2011 के बीच जनसंख्या में 14.4% की वृद्धि हुई है; कुल मिलाकर इंग्लैंड की जनसंख्या में केवल 10.0% की वृद्धि हुई। हालांकि, यह निचले आधार से रहा है, केवल नॉर्थम्बरलैंड और कुम्ब्रिया में हरफ़र्डशायर की तुलना में कम जनसंख्या घनत्व है। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में काउंटी की जनसंख्या में लगातार गिरावट आई। जातीयता जनसंख्या श्वेत है 98.2%, एशियाई 0.8%, मिश्रित 0.7%, काला 0.2%, अन्य 0.1%। यात्री जिप्सी एंड ट्रैवलर्स ऐतिहासिक रूप से हरफ़र्डशायर का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक जातीय समूह रहा है। वे तीन मुख्य समूहों से बने होते हैं: रोमानीचल या रोमानी "जिप्सी" आयरिश यात्री नए यात्री या नए जमाने के यात्री रोमानी जिप्सी और आयरिश यात्री नस्ल संबंध संशोधन अधिनियम (2000) के तहत अल्पसंख्यक जातीय समूह की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने काउंटी के विकास में योगदान दिया है, उदाहरण के लिए बागों में मौसमी काम करके। 2011 की जनगणना में काउंटी में इस अल्पसंख्यक समूह में लगभग 400 लोग (0.2%) थे। सन्दर्भ इंग्लैंड की काउंटी
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दिक्सूचक
दिक्सूचक (Compass) या कुतुबनुमा दिशा का ज्ञान कराता है। चुम्बकीय दिक्सूचक उत्तरी ध्रुव की दिशा की ओर संकेत करता है। (ठीक-ठीक कहें तो चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव)। दिक्सूचक महासागरों और मरुस्थलों में दिशानिर्देशन के बहुत काम आता है, या उन स्थानो पर भी जहाँ स्थानसूचकों की कमी है। सबसे पहले दिक्सूचक का आविष्कार चीन के हान राजवंश ने किया था। यह एक बड़ी चम्मच-जैसी चुम्बकीय वस्तु थी जो काँसे की तस्तरी पर मैग्नेटाइट अयस्क को बिठा कर बनाई गई थी। दिक्सूचक का प्राथमिक कार्य एक निर्देश दिशा की ओर संकेत करना है, जिससे अन्य दिशाएँ ज्ञात की जाती हैं। ज्योतिर्विदों और पर्यवेक्षकों के लिए सामान्य निर्देश दिशा दक्षिण है एवं अन्य व्यक्तियों के लिए निर्देश दिशा उत्तर है। उपयोग यदि भू-समान्वेषकों के पथप्रदर्शन के लिए दिक्सूचक न होता तो उनकी जल एवं स्थल यात्राएँ असंभव ही हो जातीं। विमानचालकों, नाविकों, गवेषकों, मार्गदर्शकों, पर्यवेक्षकों, बालचरों एवं अन्य व्यक्तियों को दिक्सूचक की आवश्यकता होती है। इसका उपयोग जल या स्थल पर यात्रा की दिशा, किसी वस्तु की दिशा एवं दिं‌मान ज्ञात करने और विभिन्न अन्य कार्यों के लिए किया जाता है। इतिहास यह अब तक विदित नहीं है कि दिक्सूचक का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया। अति प्राचीन काल में चीनियों द्वारा दिक्सूचक का प्रयोग किए जाने की कथा कदाचित्‌ एक कल्पित आख्यान ही है। ऐसा कहा जाता है कि २,६३४ ईसवी पूर्व में चीन देश के सम्राट् "ह्वां‌गटी' के रथ पर दक्षिण दिशा प्रदर्शित करने के लिए एक यंत्र की व्यवस्था रहती थी। इसकी भी संभावना है कि अरबवासियों ने दिक्सूचक का उपयोग चीनियों से ही सीखा हो और उन्होंने इसको यूरोप में प्रचलित किया हो। यूरोपीय साहित्य में दिक्सूचक का प्रथम परिचय १२०० ईसवी में अथवा इसके उपरांत ही मिलता है। सन्‌ १४०० ईसवी के उपरांत से इस यंत्र का उपयोग नौचालन, विमानचालन एवं समन्वेषण में अत्यधिक बढ़ गया है। नाविक दिक्सूचक अत्यधिक समय तक बड़े ही अपरिष्कृत यंत्र थे१ १८२० ईसवी में बार्लो ने चार पाँच समांतर चुंबकों से युक्त एक पत्रक (card) का सूत्रपात किया। सन्‌ १८७६ में सर विलियम टॉमसन (लार्ड केल्विन) ने अपने शुष्क पत्रक दिक्सूचक (Dry card compass) का निर्माण किया। सन्‌ १८८२ में द्रवदिक्सूचक का निर्माण हुआ। प्रकार दिक्सूचक मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं : (१) चुंबकीय दिक्सूचक (Magnetic Compass) - यह निदेशक बल प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर निर्भर करता है। (२) घूर्णदर्शीय दिक्सूचक (Gyroscopic compass) - यह पृथ्वी के घूर्णन से अपना निदेशक बल प्राप्त करता है। (३) रेडियो दिक्सूचक (Radio compass) - इसकी कार्यप्रणाली बेतार सिद्धांत पर आधारित है। (४) सूर्य अथवा तारा दिक्सूचक (Solar or Astral compass) - इसका उपयोग सूर्य अथवा किसी तारे के दृष्टिगोचर होने पर निर्भर करता है। चुंबकीय दिक्सूचक चुंबकीय दिक्सूचक क्षैतिज दिशा ज्ञात करने का यंत्र है। इस यंत्र के साधारण रूप में एक चुंबकीय सुई होती है, जो एक चूल के ऊपर ऐसे संतुलित रहती है कि वह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की क्षैतिज दिशा में घूमने के लिए स्वतंत्र हो। "समान ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण और असमान ध्रुवों में परस्पर आकर्षण होता है', यही चुंबकीय दिक्सूचक का सिद्धांत है। तदनुसार, अपने गुरुत्वकेंद्र से स्वतंत्रतार्पूक लटकाई हुई चुंबकीय सुई, क्षेतिज समतल में उत्तर और दक्षिण की ओर संकेत करती है, क्योंकि उसपर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज संघटक कार्य करता है। इसमें निम्नलिखित त्रुटियाँ पाई जाती हैं : 1. विचरण (Variation) - यह भौगोलिक याम्योत्तर और चुंबकीय याम्योत्तर के मध्य बननेवाला कोण है, जो दिक्सूचक की स्थिति पर निर्भर करता है। वास्तव में, दिक्सूचक की सुई ठीक उत्तर की ओर संकेत नहीं करती। परिणामत: दिक्सूचक के पाठ्यांक में त्रुटि आ जाती है, जिसे नाविकगण विचरण और वैज्ञानिकगण दिक्पात (declination) कहते हैं। यह चुंबकीय पर्यवेक्षणों द्वारा ज्ञात किया जाता है और सारणियों के रूप में प्रकाशित कर दिया जाता है। 2. विचलन (Deviation) - चुंबकीय याम्योत्तर और दिक्सूचक के पाठ्यांक में यह दूसरे प्रकार की त्रुटि, जिसे विचलन कहते हैं, स्थानीय चुँबकीय प्रभावों (जैसे जलयान, वायुयान एव मोटरकार के इस्पात के प्रभाव) द्वारा उत्पन्न होती है। दिक्सूचकधानी (Binnacle or compass stand) में लोहे के टुकड़े और त्रुटिपूरक चुंबक लगाने से, यह त्रुटि यथासंभव दूर कर दी जाती है। अवशिष्ट विचलन को प्रदर्शित करती हुई एक सारणी बना ली जाती है। प्रत्येक विचलनसारणी एक विशेष दिक्सूचक संस्थापन के लिए ही प्रयुक्त होती है। नाविक दिक्सूचक (Mariner's Compass) यह चुंबकीय दिक्सूचक साधारण यंत्र की अपेक्षा अधिक जटिल एवं यथार्थ होता है। इस यंत्र के पाँच मुख्य भाग होते हैं : पत्रक, चुंबकीय सुइयाँ, रत्नित टोपी (jewelled cap), कीलक (द्रत्ध्दृद्य) तथा कटोरा। पत्रक के केंद्र पर रत्नित टोपी संलग्न रहती है तथा पत्रक के नीचे विभिन्न चुंबकीय सुइयाँ संलग्न रहती है। पत्रक और सुइयों की यह संपूर्ण व्यवस्था, कटोरे के अंदर एक केंद्रीय कीलक पर आरोपि इस प्रकार संतुलित रहती है कि चाहे पोत की स्थिति में कितना भी परिवर्तन हो जाए, दिक्सूचक पत्रक सदैव क्षैतिज अवस्था में रहता है। दिक्सूचक पत्रक कागज अथवा अभ्रक की एक क्षैतिज वृत्ताकार चकती होती है। यह पत्रक, स्पष्ट रूप से प्रधान दिग्बिंदुओं (cardinal points), उत्तर, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम, में चिन्हित रहता है। इन विंदुओं के मध्य में अंत: प्रधान दिग्विंदु उत्तर पूर्व, उत्तर पश्चिम, दक्षिण पूर्व और दक्षिण पश्चिम, अंकित होते हैं। इनके मध्य में भी अर्धबिंदु और चतुर्थ बिंदु अंकित होते हैं। इस प्रकार पुराने दिक्सूचक पत्रक के किनारे पर दिशा में ३२ बिंदु अंकित होते हैं और उनके बीच का अंतर के तुल्य होता है। आधुनिक दिक्सूचक पत्रक पर, उत्तर से आरंभ करके, दक्षिणावर्त दिशा में ०रू से लेकर ३६०रू तक के चिन्ह अंकित होते हैं। दिकमान (Bearing) दिक्सूचक द्वारा उत्तरी दिशा ज्ञात करने के पश्चात्‌ यानचालक का उत्तरी दिशा एवं उसके अभीष्ट मार्ग की दिशा के मध्य बननेवाले कोण को ज्ञात करने की आवश्यकता होती है। दिक्सूचक द्वारा ज्ञात की हुई किसी लक्ष्य की दिशा उसका दिक्मान कहलाती है। दिक्मान उसी प्रकार अंशों में प्रदर्शित किया जाता है, जिस प्रकार रेखागणित में कोण। द्रव दिक्सूचक यह चुंबकीय दिक्सूचक का ही एक प्रकार है और विश्व उपयोग की वस्तु हो गया है। इसमें चुंबक ताम्रप्लव कोष्ठ, नीलम (sapphire) टोपी तथा अभ्रकपत्रक की सरलता से घूमनेवाली व्यवस्था होती है। कटोरा आसुत जल और ३५ प्रतिशत ऐलकोहल के मिश्रण से भरा होता है। यह उपकरण द्रव में ठीक डूब जाता है। कीलक पर घर्षण न्यूनतम होता है और चुंबकीय सुई अवमंदित (damped) दोलन करने लगती है, जिससे दिक्सूचनपठन अविलंब और सुविधापूर्ण हो जाता है। शुष्कपत्रक अथवा टॉमसन दिक्सूचक यह अंग्रेजी व्यापारी बेड़े में प्रयुक्त होता है तथा द्रवदिक्सूचक से पत्रक के हल्केपन और सुइयों की दुर्बलता में भिन्न होता है। ऐसे दिक्सूचक कंपन और अघात द्वारा अत्यधिक विक्षेपित हो जाते हैं और एक बार विक्षेपित होने पर पर्याप्त समय के उपरांत संतुलित अवस्था में आते हैं। इसीलिए द्रवदिक्सूचक शुष्कपत्रक दिक्सूचक की अपेक्षा अत्यधिक उपयोगी है। घूर्ण चुंबकीय दिक्सूचक यह विशेष प्रकार का चुंबकीय दिक्सूचक है। इसमें आवर्तन त्रुटियाँ नहीं होतीं और इसलिए द्रुत आवर्तन (rapid turns) को यह यथार्थतापूर्वक निर्देशित कर सकता है। घूर्णंचुंबकीय दिक्सूचक में एक स्वत:चालित घूर्णदर्शी चुंबकीय व्यवस्था के संरेखण (alignment) में रखा रहता है। इस प्रकार घूर्णाक्ष दिक्सूचक और चुंबकीय दिक्सूचक एक यंत्र में संयोजित कर दिए जाते हैं, जिससे बाह्य समंजन की कोई आवश्यकता नहीं रहती। भूप्रेरण दिक्सूचक (Earth Induction Compass) - यह भी चुंबकीय दिक्सूचक है, जिसकी कार्यप्रणाली पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा प्रेरित विद्युद्वाहक बल (induced e.m.f,) की माप पर आधारित है। इसमें एक कुंडली होती है, जो ऊर्ध्वाधर अक्ष पर घूर्णन करती है। इसका उपयोग मुख्यत: विमानचालक करते हैं। दस्ती दिक्सूचक (Hand compass), समपार्श्वीय दिक्सूचक (Prismatic compass), वायुयान दिक्सूचक (Air-craft compass), सर्वेक्षण दिक्सूचक (Surveyor's compass), टैंक दिक्सूचक (Tank compass) प्रभृति, चुंबकीय दिक्सूचक के ही विभिन्न प्रकार है। घूर्णाक्ष दिक्सूचक यह अचुंबकीय दिक्सूचक है, जो भ्रममान चकती (disc) के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसका उपयोग नौबेड़े के पोतों में किया जाता है। इसमें एक घूर्णदर्शी होता है, जो ८,६०० घूर्णन प्रति मिनट की चाल से प्रत्यावर्ती धारा द्वारा चालित होता है। इसका कार्यसिद्धांत पृथ्वी के घूर्णन पर आधारित है। इस यंत्र के लिए विचरण और विचलन के किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं होती। यह यथार्थ उत्तर दिशा को सूचित करता है। पोतों में चुंबकीय दिक्सूचकों के स्थान पर इसका उपयोग अत्यधिक हो रहा है। रेडियो दिक्सूचक यह भी अचुंबकीय दिक्सूचक है। यह जिस रेडियो स्टेशन से समस्वरित (tuned) किया जाता है, उससे संबधित दिशा सूचित करता है। इसका रूप साधारणतया पाश एरियल (loop aerial) सदृश होता है, जैसा उन घरेलू रेडियो सेटों में प्रयुक्त होता है जिनमें बाह्य एरियल नहीं होते। रेडियो दिक्सूचक द्वारा बहुतेरे व्यक्तियों का जीवन समुद्र पर बचाया जा सका है। सूर्य अथवा तारा दिक्सूचक यह सूर्य दिशा की सहायता से यथार्थ की उपसन्न दिशा ज्ञात करन का यंत्र है। सूर्य दिक्सूचक विशेषत: ध्रुवीय उड़ान (polar flights) के लिए लाभप्रद होते हैं। यहाँ चुंबकीय विचरण और निदेशक बल के परिवर्तन के कारण चुंबकीय दिक्सूचक का प्रयोग अत्यधिक कठिन होता है। नौवहन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%80.%20%E0%A4%8F%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%AE%20%E0%A4%9A%E0%A5%87%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0
टी. ए रामलिंगम चेट्टियार
रामलिंगम चेट्टियार (1881 - 1952) एक भारतीय वकील, भारतीय संविधान में चुने जाने वाले सदस्य तथा प्रथम लोकसभा के सदस्य और एक प्रमुख व्यापारी थे। जीवन परिचय रामलिंगम का जन्म तिरुप्पुर अंगप्पा चेट्टियार 18 मई 1881 को एक अमीर परिवार में हुआ था। अंगप्पा चेट्टियार कपास के सोदागर और बैंकर थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कोयंबटूर के स्थानीय स्कूल से हुई फिर आगे की शिक्षा के लिये मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश किया, जहां उन्होंने अपने मैट्रिकुलेशन को डिस्टिंक्शन के साथ पास किया और 1904 में कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जल्द ही उनके स्नातक होने के बाद, रामलिंगम अभ्यास करने लगे मद्रास उच्च न्यायालय और बार काउंसिल के अध्यक्ष चुने गए। बार काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में रामलिंगम ने अपने कार्यकाल के दौरान राजनीति में गहरी रुचि विकसित की। 1913 मे कोयम्बटूर के जिला बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। और फिर बाद में कोयम्बटूर नगरपालिका के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। 1921 में, वह मद्रास विधान परिषद के सदस्य चुने गए। 1946 में, उन्हें भारत की संविधान सभा के सदस्य के रूप चुना गया। सभा में उन्होंने संघवाद, भाषा नीति पर बहस में भाग लिया। 1952 में, वह कोयंबटूर संसदीय सीट से निर्विरोध सांसद चुने गए । सहकारी आंदोलन रामलिंगम चेट्टियार सहकारी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक थे मद्रास प्रेसीडेंसी और 1911 से आंदोलन से जुड़ा था। उन्होंने तमिलनाडु कोऑपरेटिव फेडरेशन शुरू किया। उन्होंने कोयंबटूर में रामलिंगम सहकारी प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की। उन्होंने केंद्रीय सहकारी बैंक, शहरी बैंक, भूमि विकास बैंक, सहकारी दुग्ध संघ और कोयम्बटूर में सहकारी प्रिंटिंग प्रेस के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विरासत चुनाव के कुछ दिन बाद 1952 में रामलिंगम जी की एक सांसद के रूप में मृत्यु हो गई। उन्होंने जिस सहकारी संस्थान की स्थापना की, वह अभी भी कोयंबटूर में कार्य कर रहा है। उनकी मृत्यु के बाद, उनके उत्तराधिकारियों ने टी.ए. उनकी याद में रामलिंगम चेट्टियार ट्रस्ट स्थापित किया। ट्रस्ट उनके नाम पर एक हायर सेकेंडरी स्कूल चलाता है। यह ट्रस्ट कोयम्बटूर में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में कई छात्रवृत्ति और बंदोबस्तों को प्रायोजित करता है।
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शंकर नेत्रालय
शंकर नेत्रालय चेन्नै का लाभ-निरपेक्ष नेत्र चिकित्सालय है। इसके नाम में 'शंकर' शब्द आदि शंकराचार्य को सूचित करता है। इस चिकित्सालय में पूरे भारत से तथा विश्व भर से लोग आंखों से सम्बन्धित समस्याओं की चिकित्सा के लिये आते हैं। इस नेत्रालय में १००० कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें प्रतिदिन १२०० रोगियों का इलाज होता है और १०० शल्यकर्म (सर्जरी) प्रतिदिन होती है। इसका वार्षिक राजस्व लगभग १०० मिलियन अमेरिकी डॉलर है। शंकर नेत्रालय ने अनेकों प्रसिद्ध नेत्र-चिकित्सक पैदा किये हैं जिनमें मुम्बई के आदित्य ज्योति नेत्र अस्पताल के संस्थापक डॉ एस नटराजन भी शामिल हैं। बाहरी कड़ियाँ Official website शंकर नेत्रालय : कुशल चिकित्सा के प्रति आश्वस्त करता हुआ एक अनोखा अस्पताल (इनसाइट न्यूज) Sankara Nethralaya Ophthalmic Mission Trust, USA Elite School of Optometry, Sankara Nethralaya The Sankara Nethralaya Academy भारत के चिकित्सालय चेन्नै
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https://hi.wikipedia.org/wiki/1991%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%AD%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%20%E0%A4%AB%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6
1991 में भद्रक फसाद
1991 की भद्रक सांप्रदायिक हिंसा एक सांप्रदायिक घटना थी जो 20 मार्च 1991 को राम नवमी के दिन भद्रक, ओडिशा में घटित हुई। एक हिंदू जुलूस भद्रक टाउन के मुस्लिम बहुल क्षेत्र से गुजर रहा था, जब जुलूस में एक हिंदू जनूनी ने हिंदी में एक विवादास्पद टिप्पणी "जब भारत में रहना होगा राम नाम कहना होगा" पारित कर दिया। इस से मुसलमानों और हिंदुओं के बीच एक सांप्रदायिक दंगा हो गया। सांप्रदायिक हिंसा के बाद यह फसाद के दौरान पत्थर फेंकने, लूटपाट, और सार्वजनिक संपत्तियों की व्यापक रूप से आगजनी की घटनाएँ घटी। इस सांप्रदायिक दंगा में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र भद्रक शहर के पुराण बाजार और चंदन बाजार इलाके थे। दो समुदायों में शांति और सामंजस्य बहाल करने के लिए मोहम्मद अब्दुल बारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में उन्हें भद्रक दंगों और भारत में कई अन्य दंगे के बाद के उनके महत्वपूर्ण प्रयासों के लिए 2011 में प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्रीय सद्भाव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88%E0%A4%9A%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%97%20%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE
बाईचेंग ज़िला
बाईचेंग ज़िला (चीनी: 拜城县, अंग्रेज़ी: Baicheng County) या बाई ज़िला (उइग़ुर: ) जनवादी गणतंत्र चीन के शिंजियांग राज्य के आक़्सू विभाग का एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल १५,८८९ वर्ग किमी है और सन् २००२ की जनगणना में इसकी आबादी लगभग २ लाख थी। यह ज़िला आक्सू विभाग के उत्तरी क्षेत्र में मुज़ात नदी की घाटी में तियाँ शान पर्वतों से बिलकुल दक्षिण में स्थित है। बौद्ध गुफाएँ यह ज़िला तुषारी संस्कृति और बौद्ध धर्म से सम्बंधित पाई गई गुफ़ाओं के लिए मशहूर है, जो मुज़ात नदी के किनारे स्थित हैं। इन्हें भी देखें आक़्सू विभाग शिंजियांग तुषारी लोग सन्दर्भ शिंजियांग शिंजियांग के ज़िले चीन के ज़िले
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नगरोटा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश
नगरोटा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा के 68 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। काँगड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 74,574 मतदाता थे। विधायक चुनावी आंकड़े 2012 के विधानसभा चुनाव में जी एस बाली इस क्षेत्र के विधायक चुने गए। कालक्रम इन्हें भी देखें कांगड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची बाहरी कड़ियाँ हिमाचल प्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट सन्दर्भ हिमाचल प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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अहमद शाह बहादुर
अहमद शाह बहादुर (१७२५-१७७५) मुहम्मद शाह (मुगल) का पुत्र था और अपने पिता के बाद १७४८ में २३ वर्ष की आयु में १५वां मुगल सम्राट बना। इसकी माता उधमबाई थी, जो कुदसिया बेगम के नाम से प्रसिद्ध थीं।अहमद शाह बहादुर बचपन से ही काफी लाड प्यार में बड़े हुए। 1725 में उनका जन्म हुआ उनके बड़े होते होते मुगल साम्राज्य अपने आप में कमजोर होता जा रहा था जब 14 साल के थे तब नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर दिल्ली में भयानक लूटपाट मचाई थी 1748 में अपने पिता मोहम्मद शाह की मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठे और उन्होंने अपनी सेना का संचालन अपने ढंग से करना शुरू किया उनके शासन में कम नेतृत्व क्षमता साफ तौर पर नज़र आती है जिसके कारण फिरोज जंग तृतीय नामक एक वजीर का उदय हुआ और बाद में 1754 इसी में उसने अहमद शाह बहादुर को अपनी ताकत के दम पर कैद कर लिया और आलमगीर को सम्राट बनाया अहमदशाह बचपन से ही आलसी थे उनको तलवारबाजी चलाना नहीं आता था अपनी माता कोदिया बेगम के और अपने पिता मोहम्मदशाह के बलबूते के दम पर उन्हें सम्राट की प्राप्त हुई थी सम्राट बनने के बाद ये हमेशा हरम में लिप्त रहते थे जिसके कारण उनका ध्यान शासन की ओर नहीं जाता था उन्होंने सफदरजंग को अवध का नवाब घोषित किया और अपनी सारी शक्तियां अपने वजीर के हाथ में दे दी जिसके कारण बाद में फिरोजजंग ने सदाशिव राव भाऊ जो कि मराठा सरदार थे उनकी सहायता से अहमद शाह बहादुर को कैद कर लिया और वहां उनको और उनकी माता कुदसिया बेगम को अंधा कर दिया गया जहां जनवरी 1775 में सामान्य तौर पर उनकी मृत्यु हो गई।{cn}} मुग़ल सम्राटों का कालक्रम सन्दर्भ बहादुर, अहमद शाह बहादुर, अहमद शाह बहादुर, अहमद शाह
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7-%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B7
त्रिस्कन्ध-ज्योतिष
त्रिस्कन्ध-ज्योतिष त्रिस्कन्ध ज्योतिष का व्याख्यान नारद संहिता में मिलता है, जिसके अन्तर्गत गणित, जातक (होरा) और संहिता का नाम जाना जाता है। गणित स्कन्ध में परिकर्म (योग, अन्तर, गुणन, भजन, वर्ग, वर्गमूल, धन और धनमूल) ग्रहों के मध्यम और स्पष्ट करने की रीतियां बताई गई है, इसके अलावा अनुयोग (देश, दिशा और काल का ज्ञान), चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, उदय, अस्त, छायाधिकार, चन्द्रश्रंगोन्नति, गहयुति (ग्रहों का योग) और पात (महापात को सूर्य चन्द्र के क्रान्तिसाम्य को कहते हैं) का ज्ञान करवाया गया है। जातक स्कन्ध में राशिभेद, ग्रहयोनि (ग्रहों की जाति, रूप और गुण आदि), वियोनिज (मानवेतर-जन्मफ़ल), गर्भाधान, जन्म, अरिष्ट, आयुर्दाय, दशाक्रम, कर्माजीव (आजीविका), अष्टकवर्ग, राजयोग, नाभस योग, चन्द्रयोग, प्रव्रज्य योग, राशिशील, ग्रहद्रिष्टिफ़ल, ग्रहों के भाव फ़ल, आश्रययोग, प्रकीर्ण, अनिष्टयोग, स्त्रीजातकफ़ल, निर्याण (मृत्यु समय का विचार), नष्ट जन्मविधान (अज्ञात जन्म समय जानने का प्रकार), तथा द्रेष्काणों (राशि के तृतीय भाग दस अंश) आदि विषयों का वर्णन किया गया है। संहिता स्कन्ध में ग्रहचार (ग्रहों की गति), वर्ष के लक्षण, तिथि, दिन, नक्षत्र, योग, करण, मुहूर्त, उपग्रह, सूर्य संक्रान्ति, ग्रहगोचर, चन्द्रमा और तारा बल, सम्पूर्ण लग्नो और ऋतुदर्शन का विचार, गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोनयन, जातकर्म, नामकरण, अन्नप्रासन, चूडाकरण, कर्णवेध, उपनयन, मौन्जीबन्धन (वेदारम्भ) क्षुरिकाबन्धन, समावर्तन, विवाह, प्रतिष्ठा, गृहलक्षण, यात्रा, गृहप्रवेश, तत्कालवृष्टि ज्ञान, कर्मवैल्क्षण्य और उत्पत्ति का लक्षण, इन सबका विवरण दिया गया है। ज्योतिष
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%95
अन्वयव्यतिरेक
अन्वयव्यतिरेक न्याय के अन्तर्गत सत्य को जानने का एक साधन है। अनुमान में हेतु (धुआँ) और साध्य (आग) के संबंध का ज्ञान (व्याप्ति) आवश्यक है। जब तक धुएँ और आग के साहचर्य का ज्ञान नहीं है तब तक धुएँ से आग का अनुमान नहीं हो सकता। अनेक उदाहरणों में दोनों के एक साथ रहने से तथा दूसरे उदाहरणों में दोनों का एक साथ अभाव होने से ही हेतुसाध्य का संबंध स्थिर होता है। हेतु और साध्य का एक साथ किसी उदाहरण (रसोईघर) में मिलना अन्वय तथा दोनों का एक साथ अभाव (तालाब) व्यतिरेक कहलाता है। जिन दो वस्तुओं को एक साथ नहीं देखा गया है उनमें से एक को देखकर दूसरे का अनुमान नहीं किया जा सकता, अत: अन्वय ज्ञान की आवश्यकता है। किंतु धुएँ और आग के अन्वय ज्ञान के बाद यदि आग को देखकर धुएँ का अनुमान किया जाए तो वह गलत होगा क्योंकि आग बिना धुएँ के भी हो सकती है। इस दोष को दूर करने के लिए यह भी आवश्यक है कि हेतुसाध्य के एक साथ अभाव का ज्ञान हो। धुआँ जहाँ नहीं रहता वहाँ भी आग रह सकती है, अत: आग से धुएँ का ज्ञान करना गलत होगा। किंतु जहाँ आग नहीं होती वहाँ धुआँ भी नहीं होता। चूँकि धुआँ आग के साथ रहता है (अन्वय) और जहाँ आग नहीं रहती वहाँ धुआँ भी नहीं रहता (व्यतिरेक), इसलिए धुएँ को देखकर आग का निर्दोष अनुमान किया जा सकता है। अन्वयव्यतिरेक
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राजस्थान की समय रेखा
यह राजस्थान के इतिहास की समय रेखा है। ५००० ई॰पू॰ : वैदिक सभ्यता ३५०० ई॰पू॰ : आहड़ सभ्यता १००० ई॰पू॰ – ६०० ई॰पू॰ : आर्य सभ्यता ३०० ई॰पू॰ – ६०० ई॰ : जनपद युग ३५० – ६०० : गुप्त वंश का हस्तक्षेप ६वीं शताब्दी व ७वीं शताब्दी हूणों के आक्रमण प्रतिहार राजपूत साम्राज्य की स्थापना,हर्षवर्धन का हस्तक्षेप ७२८ : बाप्पा रावल द्वारा चितौड़ में मेवाड़ राज्य की स्थापना ३वी सदी : मत्स्य वंशी मीनाओ द्वारा आमेर राज्य की स्थापना १०१८ महमूद गजनवी द्वारा प्रतिहार राज्य पर आक्रमण तथा विजय १०३१ दिलवाड़ा में विंमल शाह द्वारा आदिनाथ मंदिर का निर्माण १११३ अजयराज द्वारा अजमेर (अजयमेरु) की स्थापना ११३७ कछवाहा वंश के दुलहराय द्वारा अपने पालकपिता मीना राजाओ के साथ धौखा करके उनको धौखे से पितृ तर्पण के समय निहत्थो को मारकर ढूँढ़ार राज्य पर कब्जा किया ११५६ महारावल जैसलसिंह द्वारा जैसलमेर की स्थापना ११९१ मुहम्मद गोरी व पृथ्वीराज चौहान के मध्य तराइन का प्रथम युद्ध - मुहम्मद गोरी की पराजय ११९२ मुहम्मद गोरी व पृथ्वीराज चौहान के मध्य तराइन का द्वितीय युद्ध -- पृथ्वीराज की पराजय ११९५ मुहम्मद गौरी द्वारा बयाना पर आक्रमण १२१३ मेवाड़ के सिंहासन पर जैत्रसिहं का बैठना १२३० दिलवाड़ में तेजपाल व वस्तुपाल द्वारा नेमिनाथ मंदिर का निर्माण १२३४ रावल जैत्रसिंह द्वारा इल्तुतमिश पर विजय १२३७ रावल जैत्रसिंह द्वारा सुल्तान बलवन पर विजय १२४२ बूँदी राज्य के ऊषारा गौत्रीय मीनाओ को हराकर हाड़ा राजा का बून्दी पर कब्जा १२९० हम्मीर द्वारा जलालुद्दीन का आक्रमण विफल करना १३०१ हम्मीर द्वारा अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण को विफल करना, षड़यन्त्र द्वारा पराजित रणथम्मौर के किले पर ११ जुलाई को तुर्की का आधिकार स्थापित १३०२ रत्नसिंह गुहिलों के सिहासन पर आरुढ़ १३०३ अलाउद्दीन खिलजी द्वारा राणा रत्नसिंह पराजित, पद्मिनी का जौहर, चितौड़ पर खिलजी का अधिकार, चितौड़ का नाम बदलकर खिज्राबाद १३०८ कान्हडदेव चौहान खिलजी से पराजित, जालौर का खिलजी पर अधिकार १३२६ राणा हमीर द्वारा चितौड़ पर पुन: अधिकार १४३३ कुम्भा मेवाड़ के सिंहासन पर आरुढ़ १४४० महाराणा कुम्भा द्वारा चितौड़ में विजय स्तम्भ का निर्माण १४५६ महाराणा कुम्मा द्वारा मालवा के शासन महमूद खिलजी को परास्त करना, कुम्भा का शम्स खाँ को हराकर नागौर पर कब्जा १४५७ गुजरात व मालवा का मेवाड़ के विरुद्ध संयुक्त अभियान करना १४५९ राव जोधा द्वारा जोधपुर की स्थापना १४६५ राव बीका द्वारा बीकानेर राज्य की स्थापना १४८८ बीकानेर नगर का निर्माण पूर्ण १५०९ राणा संग्रामसिंह मेवाड़ के शासक बने १५१८ महाराणा जगमल सिंह द्वारा बाँसवाड़ राज्य की स्थापना १५२७ राणा संग्राम सिंह का बयाना पर अधिकार तथा बाबर के हाथों पराजय १५२८ राणा सांगा का निधन १५३२ राजा मालदेव द्वारा अपने पिता राव गंगा की हत्या पर मारवाड़ की सत्ता पर कब्जा १५३८ मालदेव का सिवाना व जालौर पर अधिपत्य १५४१ राजा मालदेव द्वारा हुमायू को निमंत्रण देना १५४२ राजा मालदेव का बीकानेर नरेश जैत्रसिंह को परास्त करना, जैत्रसिंह की मृत्यु, हुमायूँ का मारवाड़ सीमा में प्रवेश १५४४ राजा मालदेव व शेरशह के मध्य जैतारण (सामेल) का युद्ध, मालदेव की पराजय १५४७ भारमल आमेर का शासक बना १५७४ मे मीनाओ के राज्य का नहन को जीतकर अन्त किया १५५९ राजा उदयसिंह द्वारा उदयपुर नगर की स्थापना १५६२ राजा मालदेव का निधन, मालदेव का तृतीय पुत्र राव चन्द्रसेन मारवाड़ के सिंहासन पर आरुढ १५६२ आमेर के राजा भारमल ने अपनी पुत्री का विवाह सांभर से सम्पन्न कराया १५६४ राव चन्द्रसेन की पराजय, जोधपुर मुगलों के अधीन १५६९ रणथम्भौर नरेश सुर्जन हाडा की राजा मानसिंह से सन्धि, हाड़ पराजित १५७२ राणा उदयसिंह की मृत्यु, महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक १५७२ अकबर द्वारा रामसिंह को जोधपुर का शासक नियुक्त १५७३ राजा मानसिंह की महाराणा प्रताप से मुलाकात १५७४ बीकानेर नरेश कल्याणमल का निधन, रायसिंह का सिंहासनरुढ़ होना। १५७६ हल्दीघाटी का युद्ध, मुगल सेना महाराणा प्रताप की सेना से पराजित १५७८ मुगल सेना द्वारा कुम्भलगढ़ पर अधिकार, प्रताप का छप्पन की पहाड़ियों में प्रवेश। चावड़ को राजधानी बनाना १५८० अकबर के दरबार के नवरत्नों में एक अब्दुल रहीम खानखाना को अकबर द्वारा राजस्थान का सूबेदार नियुक्त करना। १५८९ आमेर के राजा भारमल की मृत्यु, मानसिंह को सिंहासन मिला १५९६ राजा किशन सिंह द्वारा किशनगढ़ (अजमेर) की नीवं १५९७ महाराणा प्रताप की चांवड में मृत्यु १६०५ सम्राट अकबर ने राजा मानसिंह को ७००० मनसव प्रदान किये। १६१४ राजा मानसिंह की दक्षिण भारत में मृत्यु १६१५ राणा अमरसिंह द्वारा मुगलों से सन्धि १६२१ राजा मिर्जा जयसिंह आमेर का शासक नियुक्त १६२५ माधोसिंह द्वारा कोटा जीतना कोटा राज्य की स्थापना कोट्या भील द्वारा की गई थी १६६० राजा राजसिंह द्वारा राजसमन्द का निर्माण प्रारम्भ १६६७ जयसिंह की दक्षिण भारत में मृत्यु १६९१ राजा राजसिंह द्वारा नाथद्वारा मंदिर का निर्माण १७२७ सवाई जयसिंह द्वारा जयपुर नगर का स्थापना १७३३ जयपुर नरेश सवाई जयसिंह का मराठों से पराजित होना १७७१ कछवाहा वंश के राव प्रतापसिंह ने अलवा राज्य की नींव डाली १८१८ झाला वंशजों द्वारा झालावाड़ राज्य की स्थापना १८१८ मेवाड़ के राजपूतों द्वारा ईस्ट इंडिया कम्पनी से संधि १८३८ माधव सिंह द्वारा झालावाड़ की स्थापना १८५७ २८ मई को नसीरा बाद में सैनिक विद्रोह १८८७ राजकीय महाविद्यालय, अजमेर के छात्रों द्वारा कांग्रेस कमिटी का गठन १९०३ लार्ड कर्जन ने एडवर्ड - सप्तम के राज्यारोहण समारोह में उदयपुर के महाराणा फतेहसिंह को आमंत्रण और महाराणा द्वारा दिल्ली प्रस्थान १९१८ बिजोलिया किसान आन्दोलन १९२२ भील आन्दोलन प्रारम्भ १९३८ मेवाड़, अलवर, भरतपुर, प्रजामंडल गठित, सुभाषचन्द्र बोस की जोधपुर यात्रा १९४५ ३१ दिसम्बर को अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के अन्तर्गत राजपूताना प्रान्तीय सभा का गठन १९४७ २७ जून को रियासती विभाग की स्थापना १९४७ शाहपुरा में गोकुल लाल असावा के नेतृत्व में लोकप्रिय सरकार बनी जो १९४८ में संयुक्त राजस्थान संघ में विलीन हो गई। बाहरी कड़ियाँ राजस्थान का इतिहास (हिन्दी चिट्ठा) राजस्थान में राजा के देवत्व की अवधारणा राजस्थान का इतिहास राजस्थान
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%93%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A1%20%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B0
लेओपोल्ड सदर सेंघोर
लेओपोल्ड सदर सेंघोर (९ अक्टूबर १९०६ - २० दिसम्बर २००१) एक सेनेगलिस कवि, राजनेता और सांस्कृतिक सिद्धांतवादी थे, जिन्होंने सेनेगल के पहले राष्ट्रपति के रूप में बीस वर्षों तक सेवा दी। सेंघोर एकेडमिक फ्रांकाइस (Académie française) के पहले अफ्रीका सदस्य थे। वे राजनीतिक दल सेनेगालिस डेमोक्रेटिक ब्लॉक के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्हें २० वीं सदी के महत्वपूर्ण अफ्रीकी बुद्धिजीवियों में से एक गिना जाता है। वर्ष 1982 में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से नवाजा गया। राजनीतिज्ञ
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कहो ना प्यार है
कहो ना प्यार है 2000 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक और लेखक राकेश रोशन हैं। इस फिल्म के द्वारा ऋतिक रोशन और अमीषा पटेल ने फिल्मों में अपने अभिनय के सफर को शुरू किया था। इसमें ऋतिक रोशन रोहित और राज की दोहरी भूमिका निभाएँ हैं। यह फिल्म 2000 की सबसे सफल फिल्म थी। इसे बहुत अधिक पुरस्कार भी मिले। इस फिल्म के लिए राकेश रोशन को पहली बार निर्माता और निर्देशक के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता के लिए ऋतिक रोशन को एक ही फिल्म में यह दोनों पुरस्कार भी मिल गया। संक्षेप रोहित (ऋतिक रोशन) और उसका छोटा भाई अमित अनाथ हैं, जो लिली (फरीदा ज़लाल) और एंथोनि (सतीश शाह) के यहाँ रहते हैं। रोहित एक बहुत अच्छा गायक बनना चाहता है और कार बेचने वाले दुकान में काम करता है। सक्सेना (अनुपम खेर) एक दिन अपनी बेटी सोनिया सक्सेना (अमीषा पटेल) के लिए कार लेते हैं। जब रोहित कार को उनके घर में देने जाता है तो उसे पता चलता है कि यह उसके जन्मदिन का तोहफा है। किसी को इस बात का पता नहीं होता है कि उस कार के दुकान का मालिक और सक्सेना मिल कर नशीली दवाइयों का गिरोह चला रहे हैं। इसमें दो पुलिस अफसर (मोहनीश बहल और आशीष विद्यार्थी) भी शामिल हैं। सोनिया और उसके दोस्त पार्टी करते रहते हैं और उसी के पास रोहित गाना गाते रहता है। उसके गाने को सुन कर अतुल (राजेश टंडन) उसे अपने पार्टी में बुला लेता है। गलती से रोहित और सोनिया दोनों शराब पी लेते हैं और जीवन रक्षा नौका पर गिर जाते हैं। नाव धीरे धीरे चलने लगती है और बहुत दूर चले जाती है। दोनों एक द्वीप में कुछ समय साथ रहते हैं। इसी दौरान उन्हें प्यार हो जाता है। थोड़ी देर बाद सक्सेना उन्हें बचा लेता है। जब सक्सेना को दोनों के प्यार का पता चलता है तो वह अपने दोस्त को कहता है कि रोहित को काम से हटा दे। इसके बाद भी सोनिया का रोहित के प्रति प्यार कम नहीं होता है। वह रोहित से बात करता है कि यदि वो कुछ बहुत बड़ा काम कर लेता है तो वह उसकी शादी करा देगा। इसके बात रोहित और उसके दोस्त कोन्सेर्ट का आयोजन करते हैं। कोन्सेर्ट की शाम जब रोहित अमित को उसके विद्यालय से लाता है तो बीच में वो दोनों देखते हैं कि एक भ्रष्टाचारी पुलिसकर्मी और मलिक (दलीप ताहिल) मिल कर कमिश्नर (राम मोहन) को मारते रहे हैं। क्योंकि उसे नशीली दवाइयों के बारे में पता चल चुका रहता है। उसके बाद उन दोनों को रोहित के होने का पता चल जाता है। रोहित वहाँ से भाग जाता है और पुलिया से होते हुए नदी में गिर जाता है। उसे तैरना नहीं आता है। सोनिया और बाकी सब यही सोचते हैं कि उसकी मौत हो गई है। सोनिया को उसके पिता न्यूजीलैंड में उसके भाई के पास भेज देते हैं। वहाँ नीता (तनाज़ ईरानी) उसे रोहित को भूलने में मदद करती है। वह उसे अपने दोस्त राज चोपड़ा (ऋतिक रोशन) से मिलाती है। उसका चेहरा बिल्कुल रोहित की तरह होता है और वह अच्छा गायक भी होता है। राज के चेहरे के कारण सोनिया और दुःखी हो जाती है। पूरी कहानी जानने के बाद राज भारत आ जाता है। वहाँ आते साथ एक पुलिस वाला उसे मारने की कोशिश करता है। इसके बाद राज को लगता है कि कोई रोहित को मारना चाहता था। इससे राज और सोनिया को पता चल जाता है कि रोहित की हत्या हुई है। राज, रोहित के घर जाता है जहाँ उसे पता चलता है कि अमित को रोहित के हत्यारों के बारे में पता है। राज उन हत्यारों को पकड़ने के लिए जाल बनाने के बारे में सोचता है। उसके राज होने की सच्चाई केवल उसे और सोनिया को ही पता थी। वह फिर से कोन्सेर्ट करने की घोषणा करता है ताकि वहाँ हत्यारे भी आयें और अमित उन्हें पहचान ले। वह ये भी बोलता है कि उसे जो मारने की कोशिश कर रहे थे, वह उनका भी नाम लेगा। रोहित को जीवित देख कर उसके हत्यारे डर जाते हैं। सक्सेना को यह सच्चाई सोनिया बता देती है कि वो रोहित नहीं राज है। इसके बाद सक्सेना उसी समय मलिक और उस भ्रष्ट अफसर को सच्चाई बता देता है। मलिक को लगता है कि सक्सेना उन लोगों को फंसा रहा है, क्योंकि रोहित ने सक्सेना को नहीं देखा इसलिए वह उसका नाम नहीं लेगा लेकिन उन दोनों का ले लेगा। इस कारण वह रोहित को गोली मार देता है। लेकिन वह सुरक्षा का इंतजाम पहले से किए रहता है। इस कारण वह बच जाता है। उसके बाद भ्रष्ट अफसर सोनिया का अपहरण कर लेता है। लेकिन राज उसे बचाने में सफल हो जाता है। मलिक वहाँ आ जाता है और वो सक्सेना के बारे में सोनिया और राज को बताने वाला रहता है कि सक्सेना उसे गोली मार देता है। अमित बताता है कि मलिक किसी सरजी से फोन पर बात कर रहा था। राज मलिक के फोन से सरजी को फोन करता है। उसी समय सक्सेना का मोबाइल बजने लगता है। इसके बाद राज को सब कुछ समझ में आ जाता है। सक्सेना सबसे सामने अपना गुनाह काबुल कर लेता है। सोनिया और राज, अमित को लेकर न्यूज़ीलैंड चले जाते हैं और वहीं उनकी सगाई भी हो जाती है। मुख्य कलाकार ऋतिक रोशन - रोहित/राज चोपड़ा अमीशा पटेल - सोनिया सक्सेना अनुपम खेर - सक्सेना दलीप ताहिल - शक्ति मलिक मोहनीश बहल - इंस्पेक्टर कदम आशीष विद्यार्थी - इंस्पेक्टर शिंडे सतीश शाह - रोहित के मकानमालिक फरीदा ज़लाल - लिली राजेश टंडन - अतुल मलिक तनाज़ ईरानी - नीता सक्सेना व्रजेश हीरजी - रोहित का दोस्त जॉनी लीवर - इंस्पेक्टर राम मोहन - पुलिस कमिश्नर संगीत संगीत राजेश रोशन द्वारा दिया गया है और गानों में नृत्य संयोजन फराह खान द्वारा किया गया है। यह एल्बम वर्ष की सबसे ज्यादा बिकने वाली एल्बम थी। रोचक तथ्य कहो ना प्यार है फिल्म में पहले करीना कपूर खान को कास्ट किया गया था। करीना की माँ बबीता का राकेश रोशन से कोई मतभेद हुआ और करीना ने वो फिल्म छोड़ दी। फिर राकेश जी ने एक नयी लड़की को कास्ट कर शुटिँग शुरू की। इस प्रकार ये फिल्म करीना की डेब्यु फिल्म न होकर अमीषा की डेब्यु फिल्म हुई। नामांकन और पुरस्कार 2001 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार - राकेश रोशन 2001 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार - राकेश रोशन 2001 - फ़िल्मफ़ेयर पुरुष प्रथम अभिनय पुरस्कार - ऋतिक रोशन 2001 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - ऋतिक रोशन 2001 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार - लकी अली बाहरी कड़ियाँ है, कहो ना प्यार फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार विजेता राजेश रोशन द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%87%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9A%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%9A%E0%A5%82%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%81
हरे कांच की चूड़ियाँ
हरे कांच की चूड़ियां एक हिंदी भाषा की टेलीविजन श्रृंखला है जो सहारा वन पर 25 जुलाई 2005 से 20 अक्टूबर 2006 तक प्रसारित हुई। श्रृंखला का निर्माण परसेप्ट पिक्चर कंपनी द्वारा किया गया था, और इसमें स्निग्धा अकोलकर ने अपनी पहली टेलीविजन भूमिका निभाई थी, और स्वप्निल जोशी और मिहिर मिश्रा ने अभिनय किया था। सार यह मध्यवर्गीय लड़की श्यामली की कहानी बताती है, जिसका किरदार स्निग्धा अकोलकर ने निभाया है और धीरे-धीरे वह एक बड़ी ताकत वाली महिला में बदल जाती है। जीवन की अपनी यात्रा में, श्यामली को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिन्हें वह जबरदस्त धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ पार करती है। वह अक्सर परिस्थितियों का शिकार होती है, लेकिन हर बार वह चुनौती का सामना करती है और अंततः विजेता बनकर उभरती है। कलाकार स्निग्धा अकोलकर श्यामली के रूप में स्वप्निल जोशी सनी जोशी के रूप में विक्रम के रूप में मिहिर मिश्रा रघुवीर शर्मा के रूप में धर्मेश व्यास राजसिंह वर्मा मिस्टर सिंघानिया के रूप में शिशिर शर्मा कोमल के रूप में अदिति शिरवाइकर (रवि (शारदा का बेटा) की प्रेमिका, एक अभिनेत्री बनना चाहती थी, लेकिन बाद में उससे शादी हो गई) राजलक्ष्मी सोलंकी रश्मि (श्यामली की बड़ी बहन) के रूप में सोनिया सानिया के रूप में गुंजन विजया (रवि की बहन, शारदा की बेटी) अपूर्व (मोहिनी का बेटा) के रूप में राज लोगानी संदर्भ सहारा वन के धारावाहिक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%AE
अंगम
अंगम शास्त्र या अंगमपोरा, हेला की प्राचीन मार्शल आर्ट, अंगम, इलंगम और माया अंगम के मूल सिद्धांत हैं, जो अंगम या अंगन के मूल सिद्धांत हैं, जिसका अर्थ है निहत्थे लड़ाई के तरीके। इस मार्शल आर्ट में कई निहत्थे चालें हैं। गतक्रम, गुटी हरम्बा, मल्लयुद्ध या मल्लयुद्ध, नीला शास्त्र, पीनम करणम्, कूदना आदि इसी वर्ग के माने जाते हैं। अंगम शास्त्र से संबंधित 108 मारूनिल हैं और 20 पीनम और 7 छलाँग हैं। एक विशेषज्ञ अंगम कलाकार के लिए एक पंच से भी एक आदमी को मारना एक साधारण मामला है। लेकिन अंगम कला का अभ्यास करते समय मनुष्यों की हत्या सख्त वर्जित है। अंगम शास्त्र में पढ़ाए गए निहत्थे हरम्बा आग्नेयास्त्र छोड़कर लड़ने के लिए आने वाले किसी भी जगत को आसानी से नीचे गिरा सकते हैं और एक अंगम कलाकार जिसे 'पोरहरम्बा' नामक अंगम शास्त्र के भाग में महारत हासिल है, वह एक ही समय में कई लोगों के साथ अकेले भी लड़ सकता है। अंगम शास्त्र का पहला तत्व, अंगम अंगमपोरा, शब्द की उत्पत्ति का मूल सिद्धांत भी माना जा सकता है । इसके अलावा, अंगम या अंगम शब्द का प्रयोग अंगम को उड़ाने के लिए भी किया जाता है, जो माया अंगम से एक मंत्र मार्शल तकनीक है। हमारे समाज में जनचेतना आज भी इस बात की गवाही देती है कि इस घातक और अजीब प्रकार के जादू के कारण अतीत में कई लोगों को बीमारी या मौत का सामना करना पड़ा है ।
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विवाह और स्वास्थ्य
विवाह और स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हैं। वैवाहित लोग कम ही रोग और मृत्यु को न्यौता देने वाली परिथितियों को झेलते हैं जैसे कि कैंसर, हृदय रोग और शल्यचिकित्सा। इस बात में लैंगिक भिन्नता है कि यह परिवर्तन कैसे संभव हो रहे हैं, जिसके कारण पुरुषों और महिलाओं के परस्पर संबंधित स्थान हो सकते हैं। विवाह और स्वास्थ्य पर अधिकांश शोध इतरलैंगिक जोड़ों पर आधारित हैं और इस बात के लिए अधिक कार्य की आवश्यकता है कि उभयलिंगी विवाह पर स्वास्थ्य प्रभाव कैसा होता है। केवल वैवाहित होना और किसी व्यक्ति के विवाह की गुणवत्ता स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं से जोड़कर देखी गई है। शोध के दौरान सामाजिक-संज्ञानात्मक, भावनात्मक, स्वभावजन्य और जीव-विज्ञान संबंधी प्रक्रियाओं का अध्ययन किया गया है। अन्य सम्बंधों की तुलना में विवाह के अलावा सामाजिक सम्बंध विस्तृत रूप से स्वास्थ्य पर शक्तिशाली प्रभाव डालते हैं। १४८ अध्ययनों के विस्तृत विश्लेषण से पता चला है कि ऐसे लोग जिनके सामाजिक सम्बंध शक्तिशाली हैं किसी मृत्यु के कारण पीड़ित होने की सम्भावना ५० प्रतिशत कम रखते हैं। इसके विपरीत अकेलापन ह्रदवाहिनी रोग और अन्य सभी मृत्यु के कारणों से जुड़ा है। इस बात पर शायद ही कोई प्रयास किया गया है कि विवाह के स्वास्थ्य प्रभाव को ग़ैर-रूमानी सम्बंधो के साथ तुलनात्मक अध्ययन किए जाएँ जैसे कि मित्रों और सहकर्मियों के सम्बंधों का अध्ययन किया जाए। फिर भी ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से विवाह अन्य सम्बंधों की तुलना में अधिक प्रभाव डाल सकता है, जिनमें लिव-इन सम्बन्ध भी शामिल हैं: वैवाहित जोड़े विविध गतिविधियों के दौरान अधिक समय बिताते हैं, जैसे कि साथ खाना, घूमना, घर का प्रबंधन, बच्चों की देख-रेख और नींद। जीवन-साथी संसाधनों और निवेश को भी साझा करते हैं जैसे कि साझा वित्तीय प्रबंधन या घर पर मालिकाना अधिकार। अन्य सम्बंधों की तुलना में विवाह की अत्याधिक अंतरनिर्भरता और गहरे समर्थन के साधन के तौर पर काम करता है। सन्दर्भ महिला स्वास्थ्यविषयक लेख प्रतियोगिता २०१८ के अन्तर्गत बनाये गये लेख महिला स्वस्थ्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BE%20%E0%A4%93%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A4%BE
जेना ओर्टेगा
जेना मैरी ओर्टेगा (जन्म 27 सितंबर 2002) एक अमेरिकी अभिनेत्री हैं। उन्होंने एक अपने करियर की शुरुआत एक बाल अभिनेत्री के रूप में की। उन्होंने हास्य श्रृंखला जेन द वर्जिन (2014-2019) में युवा जेन के रूप में अपनी भूमिका के साथ पहचान प्राप्त की। उन्हें सफलता डिज़्नी चैनल की श्रृंखला स्टक इन द मिडल (2016-2018) में हार्ले डियाज़ की भूमिका निभाकर मिली, जिसके लिए उन्होंने एक इमेज पुरस्कार जीता। ओर्टेगा ने 2019 में यू श्रृंखला की दुसरी कड़ी में ऐली अल्वेस की भूमिका निभाई और नेटफ्लिक्स की पारिवारिक फिल्म यस डे (2021) में भी अभिनय किया। प्रारंभिक जीवन जेना ओर्टेगा का जन्म 27 सितंबर 2002 को कोचेला वैली, कैलिफ़ोर्निया में हुआ था। उनके पिता मैक्सिकन वंश के हैं और उसकी माँ मैक्सिकन और प्यूर्टो रिकान वंश की है। ओर्टेगा अपने करियर के कारण एक सामान्य जीवन शैली का आनन्द लेने से वंचित रह गई। करियर ओर्टेगा ने 2018 में फिल्म सेविंग फ्लोरा में डॉन नाम की मुख्य भूमिका निभाई, जो एक सर्कस मालिक की बेटी है। इस फिल्म को आलोचकों से सकारात्मक समीक्षा मिली और उनके अभिनय की प्रशंसा की गई। ओर्टेगा ने नेटफ्लिक्स टीवी श्रृंखला वेंस्डे में वेंस्डे एडम्स की भूमिका निभाई, जिसे उन्होंने अपने जीवन का "नया अध्याय" कहा। श्रृंखला में ओर्टेगा के प्रदर्शन की व्यापक रूप से प्रशंसा की गई और उनको सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए नामांकन प्राप्त हुआ। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ
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टाइटेनिआ (उपग्रह)
टाइटेनिआ अरुण (युरेनस) ग्रह का सब से बड़ा उपग्रह है। माना जाता है के यह चन्द्रमा बर्फ़ और पत्थर की लगभग बराबर मात्राओं से रचा हुआ है - इसकी सतह बर्फ़ीली है और अन्दर का हिस्सा पत्थरीला है। कुछ वैज्ञानिको की सोच है के बाहरी बर्फ़ और अंदरूनी पत्थर के बीच में एक पानी की तह होने की सम्भावना है, लेकिन इस बात का अभी कोई पक्का सबूत नहीं मिला है। सतही बर्फ़ में कुछ पदार्थों के मिले होने के कारण इस उपग्रह का रंग थोड़ा लाल प्रतीत होता है। इसकी सतह पर अंतरिक्ष से गिरे हुए उल्कापिंडों की वजह से बहुत से बड़े गढ्ढे भी हैं, जिनमें से एक भयंकर गढ्ढे का व्यास ३२६ किमी है। फिर भी देखा गया है के अरुण के एक अन्य उपग्रह ओबेरॉन पर इस से भी ज़्यादा गढ्ढे हैं। वैज्ञानिक अनुमान लगते हैं की टाइटेनिआ पर शायद काफ़ी भूकम्पों के आने से बहुत से गढ्ढे भरे जा चुके हैं और अब नज़र नहीं आते। वॉयेजर द्वितीय यान के जनवरी १९८६ में अरुण के पास से गुज़रने पर टाइटेनिआ की बहुत से तस्वीरें ली गयी जिनके ज़रिये इसकी सतह के लगभग ४०% हिस्से के नक्शे बनाए जा चुके हैं। अकार टाइटेनिआ का अकार गोल है। इसका औसत व्यास लगभग १५७७ किमी है। इसके मुक़ाबले में पृथ्वी के चन्द्रमा का व्यास लगभग ३,४७४ किमी है, यानि की टाइटेनिआ का अकार हमारे चन्द्रमा के आधे से ज़रा छोटा है। इन्हें भी देखें अरुण के प्राकृतिक उपग्रह अरुण (ग्रह) प्राकृतिक उपग्रह अरुण के प्राकृतिक उपग्रह सौर मंडल हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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ट्रैक्टर
ट्रैक्टर (कर्षित्र) आधुनिक कृषि के उपयोग में आने वाला प्रमुख उपकरण है। यह एक ऐसी गाड़ी है जो कम चाल पर अधिक कर्षण बल (ट्रैक्टिव इफर्ट) प्रदान करने के लिये डिजाइन की गयी होती है। यह अपने पीछे जुडी हुई कृषि उपकरण, सामान लदी ट्रैलर, ट्राली आदि खींचने का कार्य भी करता है। इसके ऊपर कुछ ऐसे कृषि उपकरण भी लगाये जाते हैं जिन्हें ट्रैक्टर से प्राप्त शक्ति से चलाया जाता है। एशिया महादेश का सबसे ज्यादा ट्रेक्टर घनत्व राजस्थान के गंगानगर जिले में है। परिचय कर्षित्र (Tractor) वह स्वयंचालित (self-propelled) यंत्र है। इसका व्यवहार मुख्यत: 1. कर्षण (tractive) कार्य, जैसे चल यंत्रों के खींचने और 2. स्थिर कार्य (stationary work), जैसे पट्टक घिरनी आदि उपकरणों की सहायता से स्थिर या चल यंत्रों के यंत्रविन्यास (mechanism) को चलने के लिये होता है। साधारणत: कर्षण कार्य ये हैं: (क) जमीन को जोतकर तैयार करना, (ख) बीज डालना, (ग) पौध लगाना, (घ) फसल लगाना, (ड) फसल काटना, आदि। स्थिर कार्य ये हैं: (क) जल को पंप करना, (ख) गाहना (threshing), (ग) भरण पेषण (Feed Grinding), (घ) लकड़ी चीरना, आदि। विभिन्न प्रकर के कार्यों के लिये पाँच प्रकार मुख्य मूल चालक (prime movers) निम्नलिखित हैं: 1. घरेलू जानवर, 2. वायुचालित यंत्र, 3. जलचालित यंत्र, 4. विद्युच्चालित यंत्र, 5. उष्माइंजन (heat engines) इन मूल चालकों में से केवल घरेलू जानवरों एवं उष्माइंजन का ही कर्षण कार्य के लिए सफलतापूर्वक व्यवहार किया जाता है। वायु, जल एवं बिजली द्वारा प्राप्त शक्ति का उपयोग सिर्फ स्थिर कार्यों के लिय ही हो सकते है। युनाइटेड किंगडम, अमरीका आदि देशों में 1920 ई0 तक कृषि संबंधी कार्यों के लिये घोड़ों एवं खच्चरों का उपयोग किया जाता था; किंतु उसके बाद पशुओं का व्यवहार कम होत गया। आजकल वहाँ इन कार्यों के लिये प्राय: ट्रैक्टर का ही व्यवहार किया जाता हैं। लाभ घरेलू पशुओं की तुलना में ट्रैक्टर के मुख्य लाभ ये हैं: 1. इससे कठिन कार्य लगातार किया जा सकता है, 2. प्रतिकूल जलवायु का इसपर प्रभाव नहीं पड़ता, 3. यह विभिन्न गतियों से कार्य कर सकता है, 4. जब इसका व्यवहार नहीं होता तब इसपर कम ध्यान देने की आवश्यकता होती है एवं ईंधन की आवश्यकता बिलकुल नहीं होती। ट्रैक्टर का इतिहास सबसे पहले शक्ति-चालित कृषि उपकरण उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ में आये। इनमें पहियों पर जड़ा एक वाष्प-इंजिन हुआ करता था। एक बेल्ट की सहायता से यह सम्बन्धित कृषि उपकरण को चलाता था। इन्हीं मशीनों में तकनीकी सुधार और विकास के परिणामस्वरूप सन १८५० के आसपास पहला ट्रैक्टर का अविर्भाव हुआ। इसके बाद इनका कृषि कार्यों में जमकर प्रयोग हुआ। ट्रैक्टरों में वाष्प-चालित इंजन बीसवीं शताब्दी में भी बहुत वर्षों तक आते रहे। जब आन्तरिक ज्वलन इन्जन (इन्टर्नल कम्बश्शन इंजिन) पर्याप्त रूप से विश्वसनीय बनने लगे तब इस नयी प्रौद्योगिकी पर आधारित ट्रैक्टरों ने पुरानी प्रौद्योगिकी का स्थान ले लिया। सन १८९२ में जान फ्रोलिक ने पहला पेट्रोल चालित ट्रैक्टर बनाया। इसके केवल दो ही ट्रैक्टर बिके। इसके बाद सन १९११ में ट्विन सिटी ट्रैक्टर इंजन कम्पनी ने एक डिजाइन विकसित की जो सफल रही। भाप इंजन का आविष्कार एवं विकास अंतर्दहन इंजन से एक सौ वर्ष पहले हुआ था। उस समय ट्रैक्टर का व्यवहार केवल गाहने की मशीन (thresher) के चलाने में किया जाता था। भाप ट्रैक्टर में कुछ विकास होने के बाद इसका व्यवहार खेत को तैयार करने, बीज बोने और फसल काटने के लिए किया जाने लगा। कृषि के लिए भाप ट्रैक्टर उपयोगी सिद्ध नहीं हुआ, क्योंकि यह अत्यंत भारी एवं मंदगतिगामी (slow moving) था। इसके अतिरिक्त इसके लिय प्रचुर मात्रा में ईंधन एवं वाष्पित्र जल की अवश्यकता होती थी जिसकी देखभाल के लिए दूसरे आदमी की आवश्यता पड़ती थी। भाप-ट्रैक्टर की इन त्रुटियों के कारण अन्वेषकों का ध्यान अंतर्दहन इंजन की ओर आकर्षित हुआ। 19वीं शताब्दी के अंत में प्रथम गैस ट्रैक्टर का निर्माण किया गया। 1905 ई. तक गैस ट्रैक्टर का व्यवहार खेतों में होने लगा। इसमें चार पहियों पर स्थित भारी पंजर (frame) पर एक बड़ा सिलिंडर गैस ईजंन लगा हुआ था। भाप ट्रैक्टर की तरह यह भी भारी भरकम था। इसमें ईंधन, जल आदि कम मात्रा में लगता था और एक ही आदमी पूरे यंत्र को नियंत्रित और संचालित कर सकता था। 1910 ईं. के लगभग अभिकल्पियों का ध्यान हल्के गैस ट्रैक्टर के निर्माण की ओर गया। 1913 ई. से दो एवं चार सिलिंडरोंवाले इंजन के हल्के गैस ट्रैक्टरों का निर्माण किया जाने लगा। उसके बाद विभिन्न प्रकर के गैस ट्रैक्टर का निर्माण किया जाने लगा, तब विभिन्न प्रकार के गैस ट्रैक्टर बनाए गए। प्रथम डीजल इंजन युक्त ट्रैक्टर का निर्माण 1931 ई. में किया गया। यद्यपि इस तरह के ट्रैक्टर का दाम अधिक था। फिर भी अनेक गुणों के कारण इसकी माँग अधिक थी। ट्रैक्टर में निम्नदाब वायवीय टायर का व्यवहार सर्वप्रथम 1932 ई. में हुआ था। आजकल भी ट्रैक्टर के विकास के लिये अन्वेषण कार्य हो रहे हैं। ट्रैक्टर के प्रकार कर्षण एवं स्वयंचालन के तरीकों के अनुसार कर्षण एवं स्वयंचालन (self-propulsion) के तरीकों के अनुसार ट्रैक्टर के दो भेद हैं: 1. चक्र टैक्टर (Wheel tractor)- यह ट्रैक्टर बड़े महत्व का और कृषि संबंधी कार्यों के लिये अत्यंत उपयोगी है। चक्र ट्रैक्टर या तो तीन पहिएवाला होता है या चार पहिएवाला। 2. लीक प्रकार के ट्रैक्टर (Track-type tractor) ऐसे ट्रैक्टर के कर्षण यंत्र विन्यास में दो भारी पटरियाँ (Tracks) लगी रहती हैं। इसमें लोहे के दो पहियों का व्यवहार होता है जिनमें से एक चालक (driver) का कार्य करता है दूसरा मंदक (idler) की तरह होता है। यह ट्रैक्टर भारी कार्य, जैसे बाँध के निर्माण और अन्य औद्योगिक कार्यों के लिये बड़े पैमाने पर व्यवहृत होता है। कृषि में इसका व्यवहार कम है। उपयोगिता के अनुसार उपयोगिता के अनुसार कर्षित्र के निम्नलिखित पाँच भेद हैं: 1. सामान्य कार्य कर्षित्र (General purpose tractor) - ये कर्षित्र मानक अभिकल्प के होते हैं, जैसे चार चक्रवाले या लीक प्रकार के कर्षित्र। 2. सर्वकार्य कर्षित्र (All purpose tractor) - ऐसे कर्षित्र से प्राय: सभी तरह के कर्षित्र कार्य लिए जा सकते हैं। 3. फलोद्यान कर्षित्र (Orchard tractor) - ये छोटे या मध्यम आकारवाले यंत्र हैं। इनकी बनावट ऐसी होती है कि इनसे फलोद्यान में सुचारु रूप से कार्य लिया जा सकत है। इस प्रकार के कर्षित्र बहुत कम ऊँचाई वाले होते हैं एवं इनमें बहुत कम प्रक्षेपी (projecting) पुर्जे होते हैं। 4. औद्यागिक कर्षित्र (Industrial tractor) - इन प्रकार के यंत्र किसी भी आकार या प्रकार के हो सकते हैं। इनका व्यवहार कारखानों और हवाई पत्तन (airports) इत्यादि स्थानों में होता है। ये रबर के पहिए तथा उच्च चाल पारेषण (High speed transmission) उपकरणों से युक्त होते हैं। 5. बाग-कर्षित्र (Garden tractor) - यह बगीचों या छोटे छोटे खेतों में व्यवहार किया जानेवाला सबसे छोटे आकार का ट्रैक्टर होता है। यह तीन आकार का बनाया जाता है: छोटा आकार, मध्यम आकार और बड़ा आकार। छोटे आकारवाले यंत्र से बगीचों में पौधा लगाने का एवं खेती का कार्य लिया जाता है। मध्यम और बड़े आकारवाले बाग कर्षित्र का व्यवहार हल चलाने आदि के कार्य के लिये लिया जाता है। इस यंत्र को चालक चलाता है ओर उत्तोलक (Lever) की सहायता से इसे नियंत्रित करता है। ट्रैक्टर की बनावट सभी ट्रैक्टरों में निम्नलिखित तीन भाग होते हैं: 1. इंजन और उसके साधन, 2. शक्ति पारेषण प्रणाली (power transmitting system), 3. चेजिस (chassis) इंजन और उसके साधन इंजन प्राचीन समय के ट्रैक्टरों में मन्दगामी विशाल क्षैतिज इंजन लगाए जाते थे जिनमें केवल एक या दो सिलिंडर होते थे। इस तरह के भारी भरकम इंजनों को संभालने के लिये मजबूत पंजर, बड़े पहिए आदि की आवश्यकता होती थी जिसके फलस्वरूप स्वयं ट्रैक्टर ही बहुत भारी हो जाता था और इसमें कार्य लेने में कठिनाई होती थी। आजकल उच्च गतिवाले हल्के इंजनों का प्रयोग अधिक हो रहा है जिनमें मुख्यत: दो सिलिंडर क्षैतिज इंजन और चार या छ: सिलिंडर वाले ऊर्ध्वाधर इंजन हाते हैं। टैक्टर इंजन के मुख्य पुर्जे, जैसे पिस्टन, क्रैक शाफ्ट (crank shaft) बेयरिंग (bearing), वाल्व (valve) आदि मोटर गाड़ी इंजन के पुर्जो की अपेक्षा अधिक बड़े और भारी होते हैं। सभी सिलिंडर एक ही ढलाई (casting) में बनाए जाते हैं। ट्रैक्टर इंजन के सिलिंडर शीघ्र ही नष्ट होने लगते हैं। इस कठिनाई को सुलझाने के लिये ये दो विधियाँ काम में लाई जाती हैं। (अ) सिलिंडर का प्रतिस्थापन (replacement) तथा (ब) पुराने सिलिंडरों को पुनर्वेधन (reboring) द्वारा ठीक करके बड़े आकार के पिस्टन का व्यवहार। ये विधियाँ मँहगी एवं अधिक समय लेनेवाली होती हैं। इसीलिये आधुनिक अभिकल्प के इंजन में अपनेय सिलिंडर दीवारें (removable cylinder walls) या स्लीव (sleeves) लगाए जाते हैं, जो इंजन को ट्रैक्टर से बिना बाहर निकाले सुगमता से पुन: प्रतिस्थापित किए जा सकते हैं। स्लीव की कीमत नए सिलिंडर या अच्छा पुनर्वेधन कराने की कीमत से बहुत कम होती है। ट्रैक्टर इंजन के लिये सिलिंडर शीर्ष अलग से ढलाई द्वारा बनाए जाते हैं। ऐसा करने से दहनकक्ष में जमे कार्बन को साथ करने में सुगमता होती है। बाल्व को सिलिंडर शीर्ष में लगाया जाता है जिससे वाल्व के समंजन (valve adjustment) में आसानी होती है। ट्रैक्टर पिस्टन प्राय: ढलाई लोहे का बना होता है एवं इसमें तीन से लेकर सात तक वलय लगे रहते हैं। सभी ट्रैक्टरों के क्रैंक शाफ्ट पात गढ़ाई (Drop Forging) द्वारा एक ही टुकड़े में बनाए जाते हैं। साधारणत: बड़े आकारवाले दो और चार सिलिंडरवाले इंजन 900 से 1,200 और छोटे आकारवाले चार और छ: सिलिंडरवाले इंजन 1500 से 2000 परिक्रमण प्रति मिनट पर चलते हैं। ईंधन अंतर्दहन इंजन में व्यवहृत ईंधन गैसीय ईंधन या (तरल ईंधन होते हैं। गैसीय इंधन भी प्राकृतिक गैस या कृत्रिम गैस - वातभ्रष्ट गैस, कोक चूल्हा गैस या उत्पादक गैस - हो सकता है। तरल ईंधन में पेट्रोल, किरासन, डीजल] तेल, एल्कोहल आदि आते हैं। ईंधन को जलाने के साधन के अनुसार ट्रैक्टर ईंजन दो प्रकार के होते हैं: प्रथम, संपीडन प्रज्वलन इंजन (Compression Ignition engine) और द्वितीय, स्फुलिंग प्रज्वलन इंर्जन (Spark Ignition engine)। प्रथम प्रकार के इंजन में चूषण स्ट्रोक (suction stroke) में केवल वायु सिलिंडर में प्रवेश करती है और वहाँ पर यह संपीडन स्ट्रोक (compression stroke) में संपीडित होती है। इस स्ट्रोक के पूर्ण होने के लगभग अंत:क्षेपक (injector) द्वारा ईंधन सूक्ष्मकणों के रूप में गर्म संपीडित वायु में अंत:क्षेपित (inject) किया जाता है जिससे दहन (combustion) होता है। इस तरह के ईंजन में डीजल तेल का व्यवहार किया जाता है। द्वितीय प्रकार के स्फुलिंग प्रज्वलन इंजन में ईंधन और वायु का संमिश्रण कार्बूरेटर (carburettor) नामक भाग में होता है और वहाँ से चूषण स्ट्रोक द्वारा यह मिश्रण सिलिंडर में प्रवेश करता है। सिलिंडर में संपीडन स्ट्रोक द्वारा मिश्रण के संपीडित होते ही स्फुलिंग प्लग द्वारा दहन संपन्न होता है। इस तरह के ईंधन में पेट्रोल और गैस का व्यवहार किया जाता है। दहन के बाद उपर्युक्त दोनों प्रकार के इंजन में प्रसार स्ट्रोक होता है जिसमें शक्ति प्राप्त होती है। प्रसार के अंत में जली हुई गैस निम्न दाब पर रह जाती है जिसे निकास (exhaust) स्ट्रोक द्वारा बाहर निकालकर चक्र की पुनरावृत्ति होती है। शीतनप्रणाली (Cooling system) इंजन में गरम गैसों के कारण एवं पिस्टन के सिलिंडर में पश्चाग्र (reciprocating) चाल के कारण घर्षण द्वारा उष्मा की उत्पत्ति होती है जिससे ईंजन के पुर्जे शीघ्र ही खराब हो जाते हैं। इससे बचने के लिये इंजन के पुर्जों को वायुशीतन या तरलशीतन द्वारा ठंडा कर उष्मा कम की जाती है। ट्रैक्टर गतिनियंत्रण (Tractor Governing) ट्रैक्टर पर पड़नेवाले परिवर्तित भार के साथ बदलती हुई गति में एकरूपता लाने के लिये ट्रैक्टर इंजन पर गतिनियंत्रक का रहना आवश्यक है। प्राय: सभी ट्रैक्टर गतिनियंत्रण की अवरुद्ध प्रणाली (throttle system) से युक्त होते हैं। इसमें परिभ्रामी (rotating) भार द्वारा होनेवाले अपकेंद्री बल की सहायता से गति नियंत्रित की जाती है। शक्तिपारेषण प्रणाली ट्रैक्टर के इंजन की शक्ति को इसके पहियों या लीकों में पारेषित करनेवाले यंत्रविन्यास के तीन भाग हैं: (क) गतिपरिवर्तक गियर (speed changing gear) (ख) भिन्नक (differential), (ग) अंतिम चालन यंत्रविन्यास (final drive mechanism)। विभिन्न ट्रैक्टरों में ये पुर्जे विभिन्न अभिकल्प के बने होते हैं। यह प्रणाली स्वयंप्रणोदन का एक साधन है। इसकी सहायता से इंजन के क्रैंक शाफ्ट की गति कम या अधिक की जा सकती है एवं इच्छानुसार ट्रैक्टर की गति प्राप्त की जाती है। इस प्रणाली द्वारा गतिदिशा (direction of motion) को भी प्रतिवर्तित (reverse) किया जाता है। स्वयंचालित वाहिनियों के शक्ति एकक (power unit) को इसके पारेषण गियर और चालन पहिए से पृथक्‌ करने के साधन की आवश्यकता होती है क्योंकि (क) अंतर्दहन इंजन को हाथ से या किसी विशेष आरंभ यंत्रविन्यास (starting mechanism) से क्रैंक किया जाता है, (ख) इस तरह के इंजन निश्चित गति प्राप्त करने के बाद ही कुछ शक्ति पैदा कर सकते हैं। विभिन्न गतियों को प्राप्त करने के लिए पारेषण गियर (ट्रांसमिशन गीयर) को हटाना पड़ता है। इन सारी क्रियाओं के लिए इंजन और पारेषण गियर तथा पट्टक घिरनी के बीच ग्राभ (clutch) का प्रयोग किया जाता है। इन ग्राभों में संकुचन ग्राभ (contracting clutch), शंकु ग्राभ (cone clutch) और विस्तारण ग्राभ (expanding clutch) प्रमुख हैं। आजकल प्राय: सभी ट्रैक्टरो के ग्राभ चकती प्रकार के होते हैं। आधुनिक ग्राभ अभिकल्प में बहुचकती प्रकार के ग्राभ के बदले द्विचकती और एकपट्ट ग्राभ का व्यवहार अधिक होता है। आधुनिकतम अभिकल्प में शक्ति पारेषण के लिये तरल पदार्थ की गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) या दाब ऊर्जा (Presure Energy) का उपयोग किया जाता है। इसमें तरल युग्मन और बलघूर्ण परिवर्तक (torque converter) आदि प्रमुख हैं। ट्रैक्टर चेजिस ट्रैक्टर चेजिस के अंतर्गत ढाँचा, पहिए या कर्षण के अन्य साधन और मोड़न यंत्रविन्यास (steering mechanism) आते हैं ढाँचे पर यंत्र के अन्य एकक लगे रहते हैं, इसलिये इसका मजबूत होना आवश्यक है। पहले यह संधान (welding) रिवट जोड़ (rivetted joint) द्वारा बनाया जाता था किंतु आजकल ट्रैक्टर को हल्का, छोटा एवं संहत (compact) बनाने के लिये यह दो भागों में ढलाई द्वारा तैयार किया जाता है जिसमें से एक इंजन क्रैंक खोल (crank case) एवं दूसरा पारेषण कोष्ठ (transmission housing) का कार्य करता है। आजकल प्राय: सभी ट्रैक्टरों के पहिए निम्न दाब बायवीय रबर के बने होते हैं किंतु धान की खेती इत्यादि के लिए व्यवहार में लाए जानेवाले ट्रैक्टरों में आजकल भी इस्पात के पहिए लगाए जाते हैं। मोड़न यंत्रविन्यास का सबसे प्रमुख भाग गियर है जो मोड़न चक्र से मोड़न दंड को गति पारेषित करता है। ये गियर हमेशा एक कोष्ठ में बंद रहते हैं ताकि इनमें धूलिकण आदि का प्रवेश न हो सके। ट्रैक्टर की देखभाल किसी भी ट्रैक्टर की आयु और इसके द्वारा किया गया कार्य इस यंत्र की देखरेख पर निर्भर करता है। इस यंत्र को जितनी ही अधिक सावधानी से रखा जायगा उतना ही अच्छा कार्य वह देगा और उसी के अनुसार यह टिकाऊ होगा। यदि अच्छी देखरेख की जाय तो यह शायद ही कभी कठिनाई उपस्थित करेगा। प्राय: सभी ट्रैक्टरों में कठिनाइयाँ इंजनों में ही होती है। कठिनाइयों के कारण मुख्यत: निम्नलिखित चार प्रकार के हो सकते हैं: संपीडन कठिनाई किसी भी इंजन को सुगमतापूर्वक आरंभ (start) करने एवं दक्षतापूर्वक कार्य देने के लिए उचित संपीडन न होने का करण पिस्टन, पिस्टन वलय सिलिंडर, सिलिंडर, दीवारों आदि का घिसना, सिलिंडर शीर्ष या स्फुलिंग प्लग के चारों ओर चूना तथा बाल्व के नीचे कार्बन का जमा होना है। ईंधन एवं कार्बूरेशन कठिनाई वाल्व के कुछ बंद हो जाने, ईंधनपथ में कोई बाहरी बस्तु आ जाने, कार्बूरेटर प्लव (float) के कहीं अटक जाने के कारण ईंधन के प्रवाह में अवरोध होता है जिससे कम ईंधन ही आ पाता है। कभी कभी वाल्व के नीचे मल जमा होने अथवा प्लव में छेद हो जाने के कारण ईंधन अधिक मात्रा में आने लगता है। कार्बूरेटर का उचित रूप से न बैठाने पर ईंधन मिश्रण दुर्बल या आवश्यकता से अधिक शक्तिशाली (weak of strong) हो जाता है। प्रज्वलन कठिनाई दहनकक्ष में उचित समय पर बिजली के अच्छे स्फुलिंग का होना बहुत से नाजुक पुर्जों पर निर्भर करता है। धातु का एक कण, जल की एक बूंद या बिजली का कोई ढीला संयोजन पूरी प्रज्वलन प्रणाली में बाधा डाल सकत है। इसका अर्थ होगा विलंब और समय की क्षति। क्रैंक करते समय इंजन का प्रारंभण न होना या चलते चलते हठात्‌ रुक जाना प्रज्वलन की कठिनाई का सूचक है। अवधि कठिनाई वाल्व को उचित समय पर खुलना या बंद होना चाहिए एवं पिस्टन की गति के साथ उचित समय पर स्फुलिंग का निर्माण होना चाहिए। इए समय में जरा सा भी परिवर्तन होने से 'अवधि संबंधी कठिनाई' होती है। इससे चलते इंजन का प्रारंभण होने या सुचारु रूप से चलने में बाधा नहीं होती है, बल्कि इससे इंजन की शक्ति कम हो जाती है, इंजन अत्यंत गरम हो जाता है एवं ईंधन की खपत बढ़ जाती है। इन सारी कठिनाइयों के कारणों की ओर सदा ध्यान देते रहने से ट्रैक्टर हमेशा अच्छी अवस्था में रहता है। इन्हें भी देखें जोतन यंत्र भारत में ट्रैक्टर बाहरी कड़ियाँ एच एम टी ट्रैक्टर Database covering all makes and models of farm tractors A History of Tractors at the Canada Agriculture Museum कृषि कृषि यंत्र मशीने
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कोटकासिम
कोटकासिम (Kotkasim) भारत के राजस्थान राज्य के अलवर ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। विवरण इसका मूल नाम कोट क़ासिम (क़ासिम का किला) है लेकिन वर्तमान में इसे कोट कासिम उच्चारित किया जाता है। कोटकासिम अहिरवाल में आता है और यहाँ पर अधिकतर अहिर हैं। भूगोल कोट कासिम उत्तरी अक्षांश 28° 01' 45" एवं पूर्वी देशान्तर 76° 43' 15" पर स्थित है और राजस्थान के अलवर जिले में उन्नयन पर स्थित है। कोट कासिम के नजदीकी गाँव कतोपुर 6km, लाडपुर 7 km, खैरी खानपुर अहिरान (5 km), घीकका (1.8 किमी), कनहाड़का (2.3 किमी), श्रीचन्दपुरा (4.4 किमी), पुर (4.4 किमी), बघाणा (6.0 किमी), गुनसर (7.4 किमी) हैं। समान पिन कोड (301702) वाले अन्य गाँव लालपुर, उजोली, लाडपुर, इक्रोतिया, पालपुर हैं। स्थिति कोट कासिम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित है जो दिल्ली के दक्षिण में, राज्य की राजधानी जयपुर से उत्तर में, अलवर नगर से उत्तर में, रेवाड़ी नगर से पूर्व में, धारुहेड़ा दक्षिण में, भिवाडी से दक्षिण में और अलवर के ही अन्य नगर तिजारा से उत्तर में है। यहाँ से गढ़ीबोलनी गाँव से होते हुए सुगमता से राष्ट्रीय राजमार्ग 48 (दिल्ली-जयपुर-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग) तक पहुँचा जा सकता है। कोट कासिम नियमित बसों द्वारा रेवाड़ी, धारुहेड़ा, भिवाड़ी, तिजारा और अलवर से जुड़ा हुआ है। जनसांख्यिकी कोटकासिम 2001 की जनगणना के अनुसार एक गाँव की श्रेणी में था जिसकी जनसंख्या 1,000 से कम थी। वर्तमान में गाँव में कुछ सौ की आबादी है जिसमें मुख्यतः अहिर, जाट ईत्यादि शामिल हैं। इन्हें भी देखें खैरथल ज़िला सन्दर्भ राजस्थान के गाँव अलवर ज़िला अलवर ज़िले के गाँव
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त्रिस्तरीय नियम
त्रिस्तरीय नियम (law of three stages), आगस्त कॉम्त द्वारा विकसित एक विचार है जो कहता है कि प्रत्येक विज्ञान ही क्या, पूरा समाज, तीन अवस्थाओं से होकर विकसित होता है। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन उन्होने १८२२ में प्रकाशित अपनी कृति 'सकारात्मक दर्शन का पाठ्यक्रम' (Cours de Philosophie Positive) में किया है। उनके द्वारा बताए गये तीन चरण ये हैं- (१) धर्मशास्त्रीय चरण (theological stage) (२) तत्वमीमांसीय चरण ( metaphysical stage) (३) सकारात्मक चरण ( positive stage) सामजिक-सांस्कृतिक क्रमविकास
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%A8%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A5%8D%E0%A4%AF
यमन में स्वास्थ्य
यमन मध्यपूर्व एशिया का एक देश है, जो अरब प्रायद्वीप में दक्षिण पश्चिम में स्थित है। 2 करोड़ वाली आबादी वाले देश यमन की सीमा उत्तर में सऊदी अरब, पश्चिम में लाल सागर, दक्षिण में अरब सागर और अदन की खाड़ी और पूर्व में ओमान से मिलती है। यमन की भौगोलिक सीमा में लगभग 200 से ज्यादा द्वीप भी शामिल हैं, जिनमें सोकोत्रा द्वीप सबसे बड़ा है। पिछले एक दशक में यमन ने अपनी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का विस्तार और सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, सिस्टम गंभीर रूप से अविकसित बना हुआ है। 2002 में स्वास्थ्य देखभाल पर कुल व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 3.7 प्रतिशत था। उसी वर्ष, स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रति व्यक्ति व्यय बहुत कम था, जैसा कि अन्य मध्य पूर्वी देशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार यूएस $ 58 और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यूएस $ 23 है। विश्व बैंक के अनुसार, यमन में डॉक्टरों की संख्या 1995 से 2000 के बीच औसतन 7 प्रतिशत से अधिक बढ़ी, लेकिन 2004 तक प्रति 10,000 व्यक्तियों में केवल तीन डॉक्टर थे। 2003 में यमन में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर केवल 0.6 अस्पताल बिस्तर उपलब्ध थे। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं विशेष रूप से दुर्लभ हैं। 80 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों की तुलना में केवल 25 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं से आच्छादित हैं। आपातकालीन सेवाएं, जैसे एम्बुलेंस सेवा और ब्लड बैंक, अस्तित्वहीन हैं। स्वास्थ्य की स्थिति संयुक्त राष्ट्र के एचआईवी / एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम के अनुसार, 2003 में यमन में अनुमानित 12,000 लोग मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस / अधिग्रहित प्रतिरक्षा कमी सिंड्रोम (एचआईवी / एड्स) के साथ रह रहे थे। यमन के लिए प्रति 100,000 जन्म पर 2010 की मातृ मृत्यु दर 210 है। इसकी तुलना 2008 में 268.7 और 1990 में 582.4 के साथ की गई है। 5 मृत्यु दर, प्रति 1,000 जन्म पर 70 और नवजात मृत्यु दर 5 प्रतिशत से कम है। यमन में प्रति 1,000 जीवित जन्मों में दाइयों की संख्या 5 है और गर्भवती महिलाओं की मृत्यु का आजीवन जोखिम 91 में 1 है। अधिकांश बचपन की मृत्यु बीमारियों के कारण होती है जिसके लिए टीके मौजूद होते हैं या जो अन्यथा रोके जाते हैं। सन्दर्भ यमन एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख
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ओबेरॉन (उपग्रह)
ओबेरॉन अरुण (युरेनस) ग्रह का एक उपग्रह है। अकार में यह अरुण का दूसरा सब से बड़ा उपग्रह है (पहला स्थान टाइटेनिआ को जाता है)। टाइटेनिआ की तरह, ओबेरॉन भी बर्फ़ और पत्थर की लगभग बराबर मात्राओं से बना हुआ है। इसकी सतह बर्फ़ीली और अन्दर का केंद्रीय भाग पत्थरीला है। संभव है के बाहरी बर्फ़ और अंदरूनी पत्थर के बीच में एक पानी की मोटी परत हो, लेकिन इसका पूरा प्रमाण अभी नहीं मिल पाया है। सतही बर्फ़ में अन्य पदार्थों के मिले होने के कारण इस उपग्रह का रंग थोड़ा लाल है। इसकी सतह पर अंतरिक्ष से गिरे हुए उल्कापिंडों की वजह से बहुत से बड़े गढ्ढे भी हैं, जिनमें से सब से बड़े गढ्ढे का व्यास २१० किमी है। वॉयेजर द्वितीय यान के जनवरी १९८६ में अरुण के पास से गुज़रने पर ओबेरॉन की सतह के लगभग ४०% हिस्से के नक्शे बनाए जा चुके हैं। अरुण के पांच बड़े चंद्रमाओं में से ओबेरॉन सब से अधिक दूरी पर अरुण की परिक्रमा करता है। अकार ओबेरॉन का अकार गोल है। इसका औसत व्यास लगभग १५२३ किमी है। इसके मुक़ाबले में पृथ्वी के चन्द्रमा का व्यास लगभग ३,४७४ किमी है, यानि की ओबेरॉन का अकार हमारे चन्द्रमा के आधे से ज़रा छोटा है। ओबेरॉन के पत्थरीले केंद्र का व्यास ९६० किमी है जिसके ऊपर बर्फ़ और संभवतः एक पानी की परत है। इन्हें भी देखें अरुण के प्राकृतिक उपग्रह अरुण (ग्रह) प्राकृतिक उपग्रह अरुण के प्राकृतिक उपग्रह सौर मंडल हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%20%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80
पाकिस्तान के विदेश मन्त्री
विदेश कार्य मन्त्री (या विदेश मन्त्री) पाकिस्तान सरकार के विदेश मामलों के मन्त्रालय के प्रमुख हैं। मन्त्री सन्धानीय सरकार की विदेश नीति और अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों की देखरेख के लिए उत्तरदायी है। विदेश मन्त्री का दायित्व अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान और उसकी सरकार का प्रतिनिधित्व करना है। मन्त्री पाकिस्तान के मन्त्रिमण्डल में सबसे वरिष्ठ कार्यालयों में से एक हैं। विदेश मन्त्री का कार्यालय सबसे पहले लियाकत अली खान के पास था, जिन्होंने देश के पहले प्रधानमन्त्री के रूप में भी काम किया था। कई अन्य प्रधानमन्त्रियों ने विदेश मन्त्री के कार्यालय का अतिरिक्त प्रभार सम्हाला है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की सूची विदेश मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान के अब तक के सभी पिछले विदेश मंत्रियों की सूची निम्नलिखित है। इन्हें भी देखें पाकिस्तान का संविधान पाकिस्तान के राष्ट्रपति पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बाहरी कड़ियाँ पाकिस्तान के विदेश मंत्री (1947 से 2009) विदेश मंत्रालय पाकिस्तान की संसदीय कैबिनेट सन्दर्भ पाकिस्तान की सरकार पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ विदेश मंत्रालय (पाकिस्तान)
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B8%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%9D%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%BE
पेरिस समझौता
पेरिस समझौता (, ), या पेरिस जलवायु समझौता जलवायु परिवर्तन पर बना एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इसे ड्राफ्ट के रूप में 2015 में तैयार गया था, जिसमें मुख्य मुद्दा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन शमन, अनुकूलन और इस कार्य में लगने वाले वित्तीय खर्च शामिल था। इस पर पेरिस में हुए 21वें सम्मेलन में 196 पार्टियों ने 12 दिसम्बर 2015 आम सहमति से अपनाया था। 195 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किए और 148 ने इसकी पुष्टि भी की है। सामग्री लक्ष्य समझौतों के लक्ष्य वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना और तापमान वृद्धि को 1.5 °C तक सीमित रखना। जिससे जलवायु परिवर्तन के जोखिम और प्रभाव को कम किया जा सके। जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को बढ़ावा देना और ग्रीनहाउस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता का विकास करना, इस तरह कि इससे खाद्य उत्पादन को कोई खतरा न हो। ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने और जलवायु को ठीक करने की दिशा में संगत वित्त प्रवाह करना। पेरिस समझौता दुनिया का पहला व्यापक जलवायु समझौता है। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ पेरिस समझौता
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%A3%E0%A5%8D%20%E0%A4%86%E0%A4%88%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%A1%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8
पीजियण् आईलैंड राष्ट्रीय उद्यान
पीजियण् आईलैंड राष्ट्रीय उद्यान श्रीलंका के दो समुद्री राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। निलवेली के तट से 1 किमी दूर स्थित इस उद्यान का क्षेत्रफल 471.429 हेक्टेयर है। उद्यान को 1963 में एक अभयारण्य के रूप में नामित किया गया था। 2003 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में नया स्वरूप दिया गया। द्वीप का नाम रॉक कबूतर से निकला है जिसने इसे उपनिवेशित किया है। राष्ट्रीय उद्यान में श्रीलंका की सबसे अच्छी शेष मूंगा चट्टानें हैं। 2004 में हिंद महासागर सूनामी से प्रभावित कई संरक्षित क्षेत्रों में से एक है पीजियण् आईलैंड। सन्दर्भ श्रीलंका के राष्ट्रीय उद्यान
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE%20%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%9F
कलाम सैट
कलाम सेट एक विश्व का सबसे हल्का और लघु कृत्रिम उपग्रह है, जिसका नामांकरण भारतीय पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है. यह विश्व का पहला ३ डी प्रिंटर से तैयार उपग्रह भी है। इस उपग्रह का वजन 64 ग्राम है। अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था द्वारा वालोप्स अंतरिक्ष केंद्र से एसआर-4 रॉकेट के माध्यम से कलाम सैट का प्रक्षेपण किया गया। इस उपग्रह को मूलतः तमिलनाडु के करूर जिले में पल्लापट्टी के मोहम्मद रफीक शाहरुख एवं उनकी टीम ने बनाया है। नासा और आई डूडल लर्निंग ने अंतरिक्ष से संबंधित एक  'क्यूब इन स्पेस' नामक प्रतियोगिता करवाई थी,  जिसमें 57 देशों से 86 हजार डिजाइनें प्राप्त हुई। इन डिजाइनों में से शाहरुख के उपग्रह का चयन हुआ था।  इस उपग्रह में स्वदेशी आठ सेंसर लगाए गए है, जो पृथ्वी के वेग, आवर्तन, चुम्बकीय क्षेत्र का मापन करेंगे। सन्दर्भ कलाम सैट: नासा आज छोड़ेगा दुनिया का सबसे छोटा उपग्रह, भारतीय छात्र ने बनाई है ये सैटेलाइट बाहरी कड़ियाँ Cubes in Space™ program idoodlelearning.com उपग्रह
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%9A%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9A%20%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A6%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80
क्राइस्टचर्च मस्जिद में गोलीबारी
क्राइस्टचर्च मस्जिद में गोलीबारी, न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च के अल नूर मस्जिद और लिनवुड इस्लामिक सेंटर में 15 मार्च 2019 को 13:40 बजे (00:40 UTC ) हुई। गोलीबारी में कम से कम 49 लोग मारे गए हैं और कम से कम 20 लोग घायल हुए हैं। पुलिस को दो कार बम मिली, जिन्हें अधिकारियों द्वारा नाकाम कर दिया गया है। पुलिस ने एक महिला समेत चार संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस हमले को प्रधानमंत्री जैकिंडा अर्डर्न और कई सरकारों द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी हमला बताया गया है। घटना हमला क्राइस्टचर्च के दो मस्जिदों में हुआ है। कुल 49 लोगों के मारे जाने की खबर है। 1997 के राउरिमु नरसंहार, के बाद से न्यूज़ीलैंड में यह पहला सामूहिक गोलीबारी है और 1943 के युद्ध शिविर दंगा के बाद से न्यूजीलैंड में सबसे घातक हमला है। गोलीबारी को प्रधान मंत्री जैकिंडा अर्डर्न और कई सरकारों द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी हमले के रूप में वर्णित किया गया है। पुलिस ने वहीं दो वाहनों पर लगे तात्कालिक विस्फोटक उपकरण (IED) की खोज की। इनमें एक अज्ञात डिवाइस से जुड़े कई पेट्रोल कंटेनर शामिल थे।न्यूजीलैंड की रक्षा सेना ने बिना किसी दुर्घटना के उन्हें नाकाम कर दिया है। संदिग्ध पुलिस आयुक्त माइक बुश ने कहा कि दो मस्जिदों में हमलों के सिलसिले में तीन पुरुषों और एक महिला को गिरफ्तार किया गया हैं। जिसमें एक 28 वर्षीय व्यक्ति, ऑस्ट्रेलियाई है। इन चारों को चरमपंथी विचार रखने वाला कहा गया है। संदिग्धों में से एक की पहचान हमले में शामिल नहीं होने के बाद छोड़ दिया गया है। घटना के बाद घटना से घायल लोगों को क्राइस्टचर्च अस्पताल सहित आसपास के अस्पतालों में पहुंचाया गया। घटना के परिणामस्वरूप, कैंटरबरी जिला स्वास्थ्य बोर्ड (सीडीएचबी) ने अपनी सामूहिक दुर्घटना योजना को सक्रिय कर दिया है। घटना के मद्देनजर कई स्कूलों को बंद कर दिया गया। अधिकारियों ने देश के सभी मस्जिदों को अगली सूचना तक बंद करने की सलाह दी और सभी स्थानों को सुरक्षित करने के लिए पुलिस को भेजा है। क्राइस्टचर्च हवाई अड्डे से प्रस्थान करने वाली सभी एयर न्यूजीलैंड लिंक उड़ानों को एहतियात के तौर पर सुरक्षा जांच के अभाव में रद्द कर दिया गया है। 16 मार्च से क्राइस्टचर्च में हेगले ओवल में खेला जाने वाला न्यूजीलैंड और बांग्लादेश के बीच तीसरा टेस्ट क्रिकेट मैच सुरक्षा चिंताओं के कारण रद्द कर दिया गया। बांग्लादेशी टीम के कुछ सदस्य अल नूर मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिये अन्दर जाने ही वाली थे कि यह घटना शुरू हो गई। इसके बाद खिलाड़ी पैदल ही हेगली ओवल की ओर भाग गए और उन्हें स्टेडियम के ड्रेसिंग रूम में सुरक्षित रखा गया और पूरी टीम घटना में सुरक्षित है। प्रतिक्रियाँ प्रधान मंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने इस घटना को "अत्यधिक और अभूतपूर्व हिंसा का कार्य" कहा। उन्होंने कहा, "यह न्यूजीलैंड के सबसे काले दिनों में से एक है"; "यह एक आतंकवादी हमला है"; और "हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए"। पहले संदिग्धों में से एक के विस्फोटक पहनने की सूचना दी गई थी लेकिन अर्डर्न ने इसे नकार दिया। उन्होंने क्राइस्टचर्च अस्पताल में गोलीबारी की प्रारंभिक रिपोर्टों से भी इनकार किया। सन्दर्भ विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक 2019 में आतंकवादी घटना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97%20%E0%A5%A9%E0%A5%A6%E0%A4%AC%E0%A5%80%20%28%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%29
राज्य राजमार्ग ३०बी (उत्तर प्रदेश)
राज्य राजमार्ग 30बी (अंग्रेज़ी: State highway 30B) भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के शहर बहराइच को सीतापुर शहर से जोड़ती हुई एक लम्बी सड़क मार्ग (हाईवे) है।इसी मार्ग पर स्थित चहलारी घाट पुल है जोकि उत्तर प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा नदी को पार करने वाला पुल है। राज्य राजमार्ग 30बी उत्तर प्रदेश के जिला बहराइच से सीतापुर जिले तक सड़क मार्ग है। इस सड़क पर बेड़नापुर, थाना रेउसा, जहांगीराबाद, बिसवां, खैराबाद, शहर मजूद हैं। इतिहास अन्य मार्गों से जुड़ाव लखनऊ से बाराबंकी के रास्ते चल कर बहराइच होते हुए रुपईडीहा को जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 927 (भारत) टिकोरा मोड़ के पास इस मार्ग से जुड़ता है। दूसरा मार्ग तम्बौर अहमदाबाद के रास्ते से चल कर महमूदाबाद को जाने वाली रोड मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड 79-सी(MDR-79C) कस्बा रेउसा में इस राज्यमार्ग को क्रास करता है। और तीसरी रोड बिसवां से महमुदाबाद को जाने वाली रोड इस मार्ग से बिसवां शहर में जुड़ती है बिसवां से ही सिधौली जाने वाली रोड मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड 23-सी(MDR-23C) भी बिसवां शहर में इस मार्ग से जुड़ता है। और चौथा रोड लहरपुर से बिसवां को जोड़ने वाली रोड मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड 19-सी (MDR-19C) भी बिसवां में इस स्टेट हाईवे से जुड़ी हुई है। इन्हें भी देखें उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची सन्दर्भ उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्ग
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ब्लुटूथ हेतु जावा एपीआई
ब्लुटूथ हेतु जावा एपीआई कुछ उपकरण जैसे मोबाइल फोन आदि में जावा मिडलेट द्वारा कुछ छोटी दूरी पर ब्लुटूथ द्वारा संचार स्थापित करता है, जिससे मोबाइल या अन्य जावा उपकरणों द्वारा किसी भी ब्लुटूथ आधारित उपकरण को ब्लुटूथ द्वारा एक दूसरे से जोड़ सकते हैं। ब्लुटूथ तकनीक हेतु जावा एपीआई का निर्माण जेएसआर-82 (JSR-82) के रूप में किया गया था। इतिहास जावा का वास्तविक विशेषता अनुरोध (JSR-82) को मोटोरोला और सन माइक्रोसिस्टम्स ने भेजा था। सितम्बर 2000 में इसे जे2एमई (J2ME) हेतु समिति ने स्वीकार कर लिया। जेएसआर-82 (JSR-82) ने पहली बार ब्लूटूथ प्रोटोकॉल हेतु मानक जावा एपीआई उपलब्ध कराया। इसके द्वारा कोई भी डेवलपर उस एपीआई का उपयोग कर बताए गए सुविधा वाले किसी भी उपकरण हेतु ब्लूटूथ के एप्लिकेशन का निर्माण कर सकता था। इसका पहला संस्करण मार्च 2002 में जारी किया गया था। इसके रखरखाव हेतु सबसे हाल ही में बनाया गया संस्करण को मार्च 2010 में जारी किया गया था। बाद में इसके रखरखाव का कार्य मोटोरोला द्वारा दिये मुक्त स्रोत वाले स्थान में होता है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ जावा प्रोग्रामन भाषा
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%28%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%80%29
वाँकीया (अमरेली)
वाँकीया () भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। वाँकीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। बाहरी कड़ियाँ अमरेली तहसील की माहिती अमरेली जिला पंचायत का जालस्थल गुजरात सरकार के पोर्टल पर अमरेली अमरेली पोलीस जालस्थल इन्हें भी देखें गुजराती विकिपीडिया पर लेख
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जनकपुर अंचल
जनकपुर अंचल मध्य नेपाल में पड़ता हे, इस अंचल के पुर्व में सगरमाथा अंचल, दक्षिणमे भारतीय राज्य विहार पस्चिम में नारायणी अंचल व बागमती अंचल उत्तरमे चिनके स्वसासीत क्षेत्र तिब्बत पड़ता है। इस अंचल में पडने वाला हिम शिखर गौरी शंकर के रेफरेन्स में नेपाल का राष्ट्रीय समय निर्धारण कियागया है। रामायण की पात्र सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था इस अंचलका नाम इस ही "जनकपुर" नामक स्थान के नाम से रखा गया है। इस अन्चल में दोलखा जिला, रामेछाप जिला, सिन्धुली जिला, धनुषा जिला, मोहोत्तरी जिला व सर्लाही जिला कर के छ:ह जिले पडते हैं। मुख्य स्थान जनकपुर कमलामाइ (सिन्धुली) चरीकोट जिरी जलेश्वर मलंगवा मन्थली रामेछाप ढल्केवर महेन्द्रनगर लालबन्दी नवलपुर भिमान ये सभी नेपाल के जिले है जो पुरातत्व से सम्बंधित है बाहरी कड़ियाँ https://web.archive.org/web/20150405160018/http://www.nepalpicturegallery.com/janakpur/janakpur.html https://web.archive.org/web/20141103163755/http://www.citypopulation.de/php/nepal-admin.php?adm1id=Z04 https://web.archive.org/web/20150402141640/http://www.tripadvisor.com/Tourism-g3475453-Janakpur_Zone_Central_Region-Vacations.html नेपाल के पूर्व शासन प्रणाली मध्यमांचल विकास क्षेत्र
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%20%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AC
वाष्प दाब
वाष्प दाब या साम्यावस्था वाष्प दाब, एक वाष्प जो उसके गैर वाष्प चरण के साथ साम्यावस्था मे हो, का दाब होता है। सभी द्रवों और ठोसों की अपनी अवस्था से गैस अवस्था और हर गैस की अपनी अवस्था से वापस मूल अवस्था (द्रव या ठोस अवस्था) में संधनित होने की प्रवृति होती है। किसी विशेष वस्तु के लिए, किसी दिए गये ताप पर एक नियत दाब होता है जिस पर उस वस्तु की गैस अवस्था उसकी द्रव या ठोस अवस्था के साथ गतिज साम्यावस्था मे होती है, यह दाब उस वस्तु का उस ताप पर वाष्प दाब होता है। साम्यावस्था वाष्प दाब, किसी द्रव की वाष्पीकरण की दर को इंगित करता है। यह कणों किसी द्रव (या एक ठोस) से पलायन करने की प्रवृत्ति से संबंधित है। सामान्य तापमान पर एक उच्च वाष्प दाब वाले पदार्थ को अक्सर वाष्पशील पदार्थ कहा जाता है। कुछ पदार्थों के वाष्प दाब नीचे की सारणी में बहुत से पदार्हों के वाष्प दाब दिये गये हैं जो बढ़ते हुए क्रम में हैं। जल का वाष्पदाब सन्दर्भ मौसम विज्ञान जलवायु विज्ञान
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%9C%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%2C%20%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%96%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1
सितारगंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड
सितारगंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। उधमसिंहनगर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 91,480 मतदाता थे। विधायक 2012 के विधानसभा चुनाव में किरण चंद मंडल इस क्षेत्र के विधायक चुने गए। जुलाई 2012 में किरण चंद मंडल के इस्तीफे के कारण हुए उप-चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विजय बहुगुणा जीते। |-style="background:#E9E9E9;" !वर्ष !colspan="2" align="center"|पार्टी !align="center" |विधायक !पंजीकृत मतदाता !मतदान % !बढ़त से जीत !स्रोत |- |2002 |bgcolor="#3300cc"| |align="left"|बहुजन समाज पार्टी |align="left"|नारायण पाल |90,916 |61.20% |5,662 | |- |2007 |bgcolor="#3300cc"| |align="left"|बहुजन समाज पार्टी |align="left"|नारायण पाल |109,870 |73.50% |8,437 | |- |2012 |bgcolor="#FF9933"| |align="left"|भारतीय जनता पार्टी |align="left"|किरण चंद मंडल |91,480 |80.60% |12,612 | |- |2012 (उपचुनाव) |bgcolor="#00FFFF"| |align="left"|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |align="left"|विजय बहुगुणा |91,443 |76.2 % |39,954 | |} कालक्रम इन्हें भी देखें नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी में) सन्दर्भ टिपण्णी तब राज्य का नाम उत्तरांचल था। उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%20%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF
राजाराम तृतीय
राजाराम तृतीय (31 जुलाई, 1897 - 26 नवंबर, 1940), भोसले वंश के कोल्हापुर के महाराज थे। वे अपने पिता महाराज शाहू के बाद वे पद पर आये और 1922 से 1940 तक राजगद्दी पर विराजमान रहे। एक उदार शासक, वह अपने राज्य में दलितों और शोषित जातियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। उन्होंने कोल्हापुर उच्च न्यायालय, आधुनिक आवास विकास, एक अद्यतन जल-आपूर्ति प्रणाली, मुफ्त प्राथमिक शिक्षा और उच्चतर स्तर की महिला शिक्षा की स्थापना की। उन्हें एक बेटी थी। वह एक दूर के रिश्ते, शिवाजी सातवीं द्वारा सफल हुए थे। मराठा साम्राज्य 1897 में जन्मे लोग १९४० में निधन
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क्षितिश चंद्र नियोगी
क्षितिश चंद्र नियोगी (1888–1970) एक भारतीय राजनेता थे। वे भारत की बंगाल से संविधान सभा के सदस्य थे तथा स्वतन्त्र भारत की पहले मंत्रिमण्डल में भारत के पहले राहत, पुनर्वास मंत्री के रूप में शामिल थे। वे भारत के पहले वित्त आयोग के अध्यक्ष थे। राजनैतिक सफर नियोगी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और 1920, 1923, 1926, 1930 में भारतीय ब्रिटिश संसद के चुनावों में बंगाल का प्रतिनिधित्व करने वाले (केंद्रीय विधानसभा) के सदस्य के रूप में सांसद चुने गए थे। उन्होंने भारत सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया जिसमें योजना सलाहकार बोर्ड और भारतीय रेलवे जांच समिति के अध्यक्ष शामिल थे। वे मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के सदस्य भी थे। नियोगी को 1946 में भारत की संविधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया था और स्वतंत्रता के बाद जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार में 15 अगस्त 1947 को पुनर्वास मंत्री के रूप में स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल के सदस्य बने। 22 नवंबर 1951 को, नियोगी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के पहले वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। 1974 में उनकी मृत्यु हो गई, नेयोगी की पत्नी लीला के साथ तीन बच्चे थे। उनके सबसे बड़े बेटे पृथ्वी नियोगी (1918–91), संयुक्त राज्य अमेरिका के मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय में कला के इतिहास के प्रोफेसर थे। सन्दर्भ 1888 में जन्मे लोग १९७० में निधन भारत के वित्त मंत्री भारतीय संविधान सभा के सदस्य पश्चिम बंगाल के लोग
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कैलासगिरि
कैलासगिरि भारत के आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम शहर में एक पहाड़ी पर स्थित पार्क है। यह पार्क विशाखापत्तनम मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (वीएमआरडीए) द्वारा विकसित किया गया था और इसमें 380 एकड़ (150 हेक्टेयर) भूमि शामिल है जो वनस्पतियों और उष्णकटिबंधीय पेड़ों से भरी है। 173 मीटर (568 फीट) की दूरी पर स्थित इस पहाड़ी से विशाखापत्तनम शहर दिखता है। आंध्र प्रदेश सरकार ने 2003 में कैलाशगिरी को "सर्वश्रेष्ठ पर्यटक स्थल" के रूप में सम्मानित किया था। औसतन हर साल लगभग तीन लाख भारतीय और विदेशी पर्यटक पार्क में आते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए, वीएमआरडीए ने पहाड़ी को प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित किया है। एक केबल कार पहाड़ी की चोटी से जुड़ती है जो आंध्र प्रदेश में अपनी तरह की पहली है। चित्र-दीर्घा सन्दर्भ विशाखपटनम ज़िला आन्ध्र प्रदेश में पर्यटन आकर्षण
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एजिंकोर्ट स्क्वायर
एजिंकोर्ट स्क्वायर () वेल्स की काउंटी मॉनमाउथशायर के मॉनमाउथ नगर में स्थित शायर हॉल के सामने का एक खुला इलाका है। क्षेत्र सदियों से सार्वजनिक कार्यों और बाजारों के लिए इस्तेमाल किया गया है। भूतकाल में स्थान का क्षेत्रफल वर्तमान की तुलना में अधिक विशाल था। स्थानीय प्रकाशक चार्ल्स हीथ के अनुसार स्थान का पहले नाम मार्केट प्लेस था व उन्नीसवीं शताब्दी के शुरूआती भाग में इसको इसका निवर्तमान नाम मिला। विभिन्न स्रोत इस तथ्य पर बटे हुए हैं कि आखिर किस वर्ष में स्थान का नाम एजिंकोर्ट स्क्वायर पड़ा। स्क्वायर में शायर हॉल की मेहराबों के नीचे शुक्रवार और शनिवार के दिन बाजार लगता है। हर महीने के दूसरे बुधवार को इसी जगह किसानों का बाजार लगता है और वर्ष में कभी-कभी शिल्प बाजार भी यहाँ लगता है। इतिहास मध्यकालीन बाजार स्थल मॉनमाउथ किले के बैले से विकसित किया गया था और मूल रूप से वर्तमान स्क्वायर की तुलना में अधिक विशाल स्थान को घेरे हुए था। शायर हॉल के 1724 में बनने से पहले व उसके बाद भी स्क्वायर नगर के बाजार लगाने का स्थल था। स्थानीय प्रकाशक चार्ल्स हीथ के अनुसार 1804 में यह स्थान मार्केट प्लेस के नाम से जाना जाता था। उन्नीसवीं शताब्दी के शुरूआती भाग में मार्केट प्लेस का नाम एजिंकोर्ट स्क्वायर कर दिया गया। स्क्वायर को अपना यह नाम मॉनमाउथ शहर में पैदा हुए हेनरी पंचम की फ़्रांस पर एजिंकोर्ट की लड़ाई में हुई जीत के पुण्यस्मरण के उपलक्ष्य में मिला। ऐसा करने के पीछे स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने का उद्देश्य भी था जो "वेया टूर" के विकास के माध्यम से समृद्ध हो चुका था। विभिन्न स्रोत इस मत पर बटे हुए हैं कि स्थान का नाम कब बदला गया था। कुछ स्रोत का मानना है कि नया नाम 1817 में मिला था, मतलब वॉटरलू की लड़ाई और नेपोलियन बोनापार्ट की हार के पश्चात या वर्ष 1830 में। निवर्तमान गतिविधियाँ एजिंकोर्ट स्क्वायर में शायर हॉल की मेहराबों के नीचे शुक्रवार और शनिवार के दिन बाजार लगता है। हर महीने के दूसरे बुधवार को इसी जगह किसानों का बाजार लगता है और वर्ष में कभी-कभी शिल्प बाजार भी यहाँ लगता है। 1982 से 2008 के बीच मॉनमाउथ महोत्सव यहीं पर आयोजित होता था। 2008 से आयोजन स्थल बदल के ब्लॅस्टियम स्ट्रीट पर स्थित पुराने पशु बाजार पर स्थान्तरित कर दिया था। सन्दर्भ मॉनमाउथ मॉनमाउथ की सड़कें
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%85%E0%A4%95%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE
चॅक भाषा
चॅक एक पश्चिम स्लोवियाई भाषा है, यह चेक गणराज्य में बहुमत भाषा और चेक द्वारा बोली जाने वाली विश्वव्यापी भाषा है। चॅक भाषा यूरोपीय संघ में 23 आधिकारिक भाषाओं में से एक है। चॅक पश्चिमी स्लावोनिक समुदाय की हैं और एक दूसरे से अत्यंत मिलती जुलती हैं। चॆक भाषा बोहीमिया और मोराविया प्रांतों में और स्लोवाक भाषा स्लोवाकिया नामक प्रांत में बोली जाती है। चेक साहित्य बाहरी कड़ियाँ चेक-हिन्दी कोश (केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय) Ústav pro jazyk český – Czech Language Institute, the regulatory body for the Czech language Reference Grammar of Czech, written by Laura Janda and Charles Townsend Czech National Corpus Czech Monolingual Online Dictionary Czech Translation Dictionaries (Lexilogos) Czech Swadesh list of basic vocabulary words (from Wiktionary's Swadesh-list appendix) USA Foreign Service Institute (FSI) Czech basic course English Czech dictionary online, Czech English dictionary online विश्व की प्रमुख भाषाएं चेक भाषा स्लावी भाषाएँ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एक संगठन / प्राधिकरण है, जो कि भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है। निगमित मुख्यालय राजीव गाँधी भवन सफदरजंग विमानक्षेत्र, नई दिल्ली में स्थित है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (ए ए आई) कुल 125 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं। सुरक्षित विमान प्रचालन हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सभी विमानपत्तनों एवं 25 अन्य‍ स्थानों पर जमीनी अधिष्ठापनों के साथ संपूर्ण भारतीय वायु क्षेत्र एवं समीपवर्ती महासागरीय क्षेत्रों में वायु ट्रैफिक प्रबंधन सेवाएं (ए टी एम एस) भी प्रदान करता है। अमृतसर, कालीकट, गुवाहाटी, जयपुर, त्रिवेंद्रम, कोलकाता एवं चेन्नई के विमानपत्तन, जो आज अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन के रूप में स्थापित हैं, विदेशी अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों द्धारा भी प्रचालन के लिए खुले हैं। कोयबंटूर, त्रिचुरापल्ली , वाराणसी एवं गया के हवाई अड्डों से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के अलावा राष्ट्रीय ध्‍वज वाहक भी प्रचालन करते हैं। केवल इतना ही नहीं अपितु आज आगरा, कोयबंटूर, जयपुर, लखनऊ, पटना आदि के विमानपत्तनों तक टूरिस्‍ट चार्टर भी जाते हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने मुम्ब्ई, दिल्ली, हैदराबाद, बंगलौर एवं नागपुर के विमानपत्त्नों के उन्नयन के लिए तथा विश्वस्तरीय मानकों से बराबरी करने के लिए पर एक संयुक्त उद्यम भी स्थापित किया है। भारतीय भू क्षेत्र के ऊपर सभी प्रमुख वायुमार्ग वीओआर / डीवीओआर कवरेज (89 अधिष्ठापन) के साथ रडार द्धारा कवर्ड हैं (11 स्थानों पर 29 रडार अधिष्ठापन) जो दूरी मापन उपकरण के साथ सह-स्थित हैं (90 अधिष्ठापन)। 52 रनवे पर आईएलएस अधिष्ठापन की सुविधा है तथा इनमें से अधिकांश विमानपत्तनों पर नाइट लैंडिंग की सुविधाएं हैं और 15 विमानपत्तनों पर आटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्ट‍म लगा है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्धारा कोलकाता एवं चेन्नई के वायु यातायात नियंत्रण केंद्रों पर देशज प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके आटोमेटिक डिपेंडेंस सर्विलांस सिस्टम (ए डी एस एस) के सफल कार्यान्‍वयन ने भारत को दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में इस उन्‍नत प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने वाला पहला देश होने का गौरव प्रदान किया जिससे उपग्रह आधारित संचार प्रणाली का प्रयोग करके महासागरीय क्षेत्रों के ऊपर वायु ट्रैफिक का प्रभावी नियंत्रण संभव हुआ है। उपग्रह संचार लिंक के साथ रिमोट कंट्रोल्ड वी एच एफ कवरेज के प्रयोग ने हमारे ए टी एम एस को और मजबूती प्रदान की है। वी-सैट अधिष्‍ठापनों द्धारा 80 स्थाननों को जोड़ने से बड़े पैमाने पर वायु ट्रैफिक प्रबंधन में वृद्धि होगी और बदले में एयरक्राफ्ट के प्रचालन की सुरक्षा में वृद्धि होगी। इसके अलावा, हमारे वृहद एयरपोर्ट नेटवर्क पर प्रशासनिक एवं प्रचालनात्मक नियंत्रण संभव होगा। मुम्‍बई, दिल्‍ली एवं इलाहाबाद के विमानपत्तनों पर निष्पादन आधारित नेविगेशन (पीएनबी) प्रक्रिया पहले ही कार्यान्वित की जा चुकी है तथा अन्य विमानपत्तनों पर चरणबद्ध ढंग से इसको लागू करने की संभावना है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान केंद्र (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकीय सहयोग से गगन परियोजना शुरू की है जहां नेविगेशन के लिए उपग्रह आधारित प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रकार जीपीएस से प्राप्‍त नेविगेशन के संकेतों को हवाई जहाजों की नेविगेशन संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उन्नत किया जाएगा। प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रणाली का पहला चरण फरवरी 2008 में पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। प्रचालनात्मक चरण में इस प्रणाली को स्‍तरोन्‍नत करने के लिए विकास टीम को सक्षम बनाया गया है। भारतीय विमानपत्त‍न प्राधिकरण ने दिल्ली एवं मुम्‍बई के विमानपत्‍तनों पर ग्राउंड बेस्ड ऑगमेंटेशन सिस्टम (जी बी ए एस) उपलब्ध् कराने की भी योजना बनाई है। यह जीबीएएस उपकरण हवाई जहाजों को श्रेणी-2 (वक्र एप्रोच) लैंडिंग सिगनल उपलब्ध कराने और इस प्रकार आगे चलकर लैंडिंग सिस्टम के विद्यमान उपकरण को प्रतिस्थापित करने में समर्थ होगा, जिसकी रनवे के प्रत्येक छोर पर जरूरत होती है। दिल्ली में अधिष्ठापित एडवांस्ड सर्फेस मूवमेंट गाइडेंस एंड कंट्रोल सिस्टम (ए एस एम जी सी एस) ने रनवे 28 के प्रचालन को कैट-3 ए स्तर से कैट-3 बी स्तर तक स्‍तरोन्‍नत किया है। कैट-3 ए सिस्‍टम 200 मीटर की विजिबिलिटी तक हवाई जहाजों की लैंडिंग को अनुमत करता है। तथापि, कैट-3 बी 200 मीटर से कम किंतु 50 मीटर से अधिक की विजिबिलिटी पर हवाई जहाजों की सुरक्षित लैंडिंग को अनुमत करेगा। ‘ग्राहकों की अपेक्षाएं’ पर अधिक बल के साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के प्रयास को उस स्वतंत्र एजेंसी से उत्‍साहवर्धक प्रत्युत्तर मिला है जिसने 30 व्‍यस्‍त विमानपत्तनों पर ग्राहक संतुष्टि सर्वेक्षण संचालित किया है। इन सर्वेक्षणों ने हमें विमानपत्तनों के प्रयोक्‍ताओं द्धारा सुझाए गए पहलुओं पर सुधार करने में समर्थ बनाया है। विमानपत्तनों पर हमारे ‘व्यवसाय उत्तर पत्र’ के लिए रिसेप्टुकल लोकप्रिय हुए हैं; इन प्रत्‍युत्‍तरों ने हमें विमानपत्तनों के प्रयोक्ताओं की बदलती महत्‍वाकांक्षाओं को समझने में समर्थ बनाया है। सहस्राब्दि के पहले वर्ष के दौरान, भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण अपने प्रचालन को अधिक पारदर्शी बनाने तथा अधुनातन सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ग्राहकों को तत्काल सूचना उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रहा है। विशिष्ट प्रशिक्षण, कर्मचारी प्रत्‍युत्‍तर में सुधार तथा व्यावसायिक कौशल के उन्नयन पर फोकस स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई दे रहा है। भारतीय विमानपत्त‍न प्राधिकरण के चार प्रशिक्षण स्थापनाओं अर्थात् नागरिक विमानन प्रशिक्षण कॉलेज (सी ए टी सी), इलाहाबाद; राष्ट्रीय विमानन प्रबंधन एवं अनुसंधान संस्‍थान (एन आई ए एम ए आर), दिल्ली और दिल्ली एवं कोलकाता स्थि‍त अग्नि प्रशिक्षण केंद्र (एफ टी सी) के बारे में ऐसी अपेक्षा है कि वे पहले से अधिक व्‍यस्‍त रहेंगे। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने सीएटीसी, इलाहाबाद एवं हैदराबाद एयरपोर्ट पर प्रशिक्षण सुविधाओं को स्तरोन्नत करने की भी पहल की है। हाल ही में सीएटीसी पर एयरपोर्ट विजुअल सिमुलेटर (ए वी एस) उपलब्ध कराया गया है तथा सीएटीसी, इलाहाबाद एवं हैदराबाद एयरपोर्ट को गैर रडार प्रक्रियात्‍मक एटीसी सिमुलेटर उपकरण की आपूर्ति की जा रही है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की एक समर्पित उड़ान निरीक्षण यूनिट (एफ आई यू) है तथा इसके बेड़े में तीन हवाई जहाज हैं जो निरीक्षण में समर्थ अधुनातन एवं पूर्णत: स्‍वचालित उड़ान निरीक्षण प्रणाली से सुसज्जित हैं। कैट-3 तक आई एल एस वी ओ आर (सी वी ओ आर / डी वी ओ आर) डी एम ई एन डी बी वी जी एस आई (पी ए पी आई, वी ए एस आई) रडार (ए एस आर / एम एस एस आर) उड़ान अंभभोधन के लिए अपने यहां मौजूद नेविगेशन एड्स के अलावा, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एयर फोर्स, नेवी, कोस्टव गार्ड एवं भारत में अन्य निजी हवाई क्षेत्रों के लिए नेविगेशन एड्स का उड़ान अंभभोधन भी करता है। बाहरी कड़ियाँ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का जालघर सन्दर्भ दिल्ली विमानन प्राधिकरण हवाई अड्डा संचालक
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सुखोई सुपरजेट 130
सुखोई सुपरजेट 130 (Sukhoi Superjet 130) सुपरजेट एनजी के रूप में भी जाना जाता है एक योजनाबद्ध आधुनिक, फ्लाई-बाय-वायर संकीर्ण माध्यम श्रेणी वाला जेट एयरलाइनर है जिसे सुखोई और यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कारपोरेशन द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह सुखोई सुपरजेट 100 पर आधारित है, जिसमें 130-145 सीटों की बैठने की क्षमता है और सुपरजेट स्ट्रेच और इरकुट एमसी-21 जेट के बीच की खाई को भरने के लिए बनाया गया है। हवाई जहाज बोम्बार्डियर सी सीरीज, एयरबस ए319 और बोइंग 737एनजी के छोटे मॉडल के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेगा। विशेष विवरण इन्हें भी देखें सन्दर्भ सुखोई विमान रूस के विमान जेट एयरलाइनर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%8F
प्रोटियेसीए
प्रोटियेसीए (Proteaceae) पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिस्फ़ीयर) में मिलने वाले पुष्पधारी पौधों का एक कुल है। इस कुल में ८० वंशों में विस्तृत १७०० जातियाँ शामिल हैं। दक्षिण अफ़्रीका में मिलने वाले प्रोटिया और ऑस्ट्रेलिया में मिलने वाले बैन्कसिया दोनों इसी कुल में आते हैं। यह कुल प्रोटियेलीज़ गण का हिस्सा है, जिसमें कमल और अन्य पुष्पधारी भी सम्मिलित हैं। प्रोटियेसीए की जातियाँ आमतौर पर छोटे पेड़ों या झाड़ियों के रूप में दिखती हैं। इन्हें भी देखें प्रोटियेलीज़ सन्दर्भ प्रोटियेसीए
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अंग्रेजी हटाओ आंदोलन
स्वतंत्र भारत में साठ के दशक में अंग्रेजी हटाओं-हिन्दी लाओ के आंदोलन का सूत्रपात राममनोहर लोहिया ने किया था। इस आन्दोलन की गणना अब तक के कुछ इने गिने आंदोलनों में की जा सकती है। लोहिया का मानना था की लोकभाषा के बिना लोकतंत्र सम्भव नहीं है। १९५७ से छेड़ी गयी इस मुहीम में १९६२-६३ में जनसंघ भी शामिल हो गया। लेकिन लोहिया जी के निधन, दक्षिण में हिन्दी-विरोधी आन्दोलन, राजनेताओं की राजनैतिक लालसाओं के कारण यह आन्दोलन सफल न हो सका। समाजवादी राजनीति के पुरोधा डॉ॰ राममनोहर लोहिया के भाषा संबंधी समस्त चिंतन और आंदोलन का लक्ष्य भारतीय सार्वजनिक जीवन से अंगरेजी के वर्चस्व को हटाना था। लोहिया को अंगरेजी भाषा मात्र से कोई आपत्ति नहीं थी। अंगरेजी के विपुल साहित्य के भी वह विरोधी नहीं थे, बल्कि विचार और शोध की भाषा के रूप में वह अंगरेजी का सम्मान करते थे। हिन्दी के प्रचार-प्रसार में महात्मा गांधी के बाद सबसे ज्यादा काम राममनोहर लोहिया ने किया। वे सगुण समाजवाद के पक्षधर थे। उन्होंने लोकसभा में कहा था- अंग्रेजी को खत्म कर दिया जाए। मैं चाहता हूं कि अंग्रेजी का सार्वजनिक प्रयोग बंद हो, लोकभाषा के बिना लोकराज्य असंभव है। कुछ भी हो अंग्रेजी हटनी ही चाहिये, उसकी जगह कौन सी भाषाएं आती है, यह प्रश्न नहीं है। इस वक्त खाली यह सवाल है, अंग्रजी खत्म हो और उसकी जगह देश की दूसरी भाषाएं आएं। हिन्दी और किसी भाषा के साथ आपके मन में जो आए सो करें, लेकिन अंग्रेजी तो हटना ही चाहिए और वह भी जल्दी। अंग्रेज गये तो अंग्रेजी चली जानी चाहिये। १९५० में जब भारतीय संविधान लागू हुआ तब उसमें भी यह व्यवस्था दी गई थी कि 1965 तक सुविधा के हिसाब से अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन उसके बाद हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया जाएगा। इससे पहले कि संवैधानिक समयसीमा पूरी होती, डॉ राममनोहर लोहिया ने 1957 में अंग्रेजी हटाओ मुहिम को सक्रिय आंदोलन में बदल दिया। वे पूरे भारत में इस आंदोलन का प्रचार करने लगे। 1962-63 में जनसंघ भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गया। लेकिन इस दौरान दक्षिण भारत के राज्यों (विशेषकर तमिलनाडु में) आंदोलन का विरोध होने लगा। तमिलनाडु में अन्नादुरई के नेतृत्व में डीएमके पार्टी ने हिंदी विरोधी आंदोलन को और तेज कर दिया। इसके बाद कुछ शहरों में आंदोलन का हिंसक रूप भी देखने को मिला। कई जगह दुकानों के ऊपर लिखे अंग्रेजी के साइनबोर्ड तोड़े जाने लगे। उधर 1965 की समयसीमा नजदीक होने की वजह से तमिलनाडु में भी हिंदी विरोधी आंदोलन काफी आक्रामक हो गया। यहां दर्जनों छात्रों ने आत्मदाह कर ली। इस आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने 1963 में संसद में राजभाषा कानून पारित करवाया। इसमें प्रावधान किया गया कि 1965 के बाद भी हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी का इस्तेमाल राजकाज में किया जा सकता है। ‘अंग्रेजी हटाओ’ आंदोलन को उन दिनों यह कहकर खारिज करने की कोशिश की गई कि अगर अंग्रेजी की जगह हिंदी आयेगी तो हिन्दी का वर्चस्ववाद कायम होगा और तटीय भाषाएँ हाशिए पर चली जायेंगी। सत्ताधारियों ने हिन्दी को साम्राज्यवादी भाषा के के रूप में पेश कर हिन्दी बनाम अन्य भारतीय भाषाओं (बांग्ला, तेलुगू , तमिल, गुजराती, मलयालम) का विवाद छेड़ इसे राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता के लिए खतरा बता दिया। इसे देश जोड़क भाषा नहीं, देश तोड़क भाषा बना दिया। लोहिया ने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में हिन्दी ने देश जोड़क भाषा का काम किया है। देश में एकता स्थापित की है, आगे भी इस भाषा में संभावना है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि हिंदी को राजकाज, प्रशासन, कोर्ट-कचहरी की भाषा नहीं बनाना चाहते तो इसकी जगह अन्य किसी भी भारतीय भाषा को बना दिया जाए। जरूरी हो तो हिन्दी को भी शामिल कर लिया जाए। लेकिन भारत की मातृभाषा की जगह अंग्रेजी का वर्चस्ववाद नहीं चलना चाहिए। लोहिया जब 'अंगरेजी हटाने' की बात करते थे, तो उसका मतलब 'हिंदी लाना' नहीं था। बल्कि अंगरेजी हटाने के नारे के पीछे लोहिया की एक खास समझदारी थी। लोहिया भारतीय जनता पर थोपी गई अंगरेजी के स्थान पर भारतीय भाषाओं को प्रतिष्ठा दिलाने के पक्षधर थे। 19 सितंबर 1962 को हैदराबाद में लोहिया ने कहा था, अंगरेजी हटाओ का मतलब हिंदी लाओ नहीं होता। अंगरेजी हटाओ का मतलब होता है, तमिल या बांग्ला और इसी तरह अपनी-अपनी भाषाओं की प्रतिष्ठा।उनके लिए स्वभाषा राजनीति का मुद्दा नहीं बल्कि अपने स्वाभिमान का प्रश्न और लाखों–करोडों को हीन ग्रंथि से उबरकर आत्मविश्वास से भर देने का स्वप्न था– मैं चाहूंगा कि हिंदुस्तान के साधारण लोग अपने अंग्रेजी के अज्ञान पर लजाएं नहीं, बल्कि गर्व करें। इस सामंती भाषा को उन्हीं के लिए छोड़ दें जिनके मां बाप अगर शरीर से नहीं तो आत्मा से अंग्रेज रहे हैं।'' दक्षिण (मुख्यत: तमिलनाडु) के हिंदी-विरोधी उग्र आंदोलनों के दौर में लोहिया पूरे दक्षिण भारत में अंगरेजी के खिलाफ तथा हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के पक्ष में आंदोलन कर रहे थे। हिंदी के प्रति झुकाव की वजह से दुर्भाग्य से दक्षिण भारत के कुछ लोगों को लोहिया उत्तर और ब्राह्मण संस्कृति के प्रतिनिधि के रूप में दिखाई देते थे। दक्षिण भारत में उनके ‘अंगरेजी हटाओ’ के नारे का मतलब ‘हिंदी लाओ’ लिया जाता था। इस वजह से लोहिया को दक्षिण भारत में सभाएं करने में कई बार काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। सन १९६१ में मद्रास और कोयंबटूर में सभाओं के दौरान उन पर पत्थर तक फेंके गए। ऐसी घटनाओं के बीच हैदाराबाद लोहिया और सोशलिस्ट पार्टी की गतिविधियों का केंद्र बना रहा। ‘अंगरेजी हटाओ’ आंदोलन की कई महत्त्वपूर्ण बैठकें हैदराबाद में हुई। तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम पार्टी ने इस आन्दोलन के विरुद्ध 'हिन्दी हटाओ' का आन्दोलन चलाया जो एक सीमा तक अलगाववादी आन्दोलन का रूप ले लिया। नेहरू ने सन १९६३ में संविधान संशोधन करके हिन्दी के साथ अंग्रेजी को भी अनिश्चित काल तक भारत की सह-राजभाषा का दर्जा दे दिया। सन १९६५ में अंग्रेजी पूरी तरह हटने वाली थी वह 'स्थायी' बना दी गयी। १९६७ के नवम्बर माह में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रनेता देवव्रत मजूमदार के नेतृत्व में 'अंग्रेजी हटाओ आन्दोलन' किया गया था जिसका असर पूरे देश पर पड़ा। उस समय इंजीनियरिंग के छात्र देवव्रत मजूमदार बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। २८ नवम्बर १९६७ को मजूमदार के आह्वान पर बनारस में राजभाषा संशोधन विधेयक के विरोध में पूर्ण हड़ताल हुई। सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान और बाजार बंद रहे और गलियों-चौराहों पर मशाल जुलूस निकले। सन्दर्भ इन्हें भी देखें हिन्दी आन्दोलन नागरी आन्दोलन बाहरी कड़ियाँ अंग्रेजी हटाओ आंदोलन मजूमदार थे अंग्रेजी हटाओ आंदोलन के अगुआ, इंदिरा ने सदन में दिया था बयान (भास्कर) लोहिया का अंगरेजी विरोध (गंगा सहाय मीणा) भारत के आन्दोलन हिन्दी
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A4%20%28%E0%A4%8B%E0%A4%A4%E0%A5%81%29
बसंत (ऋतु)
वसंत भारतीय वसंत को दर्शाता है, और ऋतु का मौसम है। वसंत ऋतु के मुख्य त्योहारों में से एक वसंत पंचमी (संस्कृत: वसन्त पञ्चमी) को मनाया जाता है, जो भारतीय समाज में एक सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार है, जिसे वसंत के पहले दिन, हिंदू महीने के पांचवें दिन (पंचमी) को मनाया जाता है। माघ (जनवरी-फरवरी)। उत्पत्ति संस्कृत में वसंत का अर्थ वसंत होता है। पंचमी शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन है, माघ के हिंदू महीने में वैक्सिंग चंद्रमा का पखवाड़ा, (जनवरी - फरवरी)। वसंत पंचमी, जो वसंत में सर्दियों और झुंडों के अंत का प्रतीक है, देवी सरस्वती को समर्पित है। वह पानी की देवी है और उसके नाम की नदी है। उसका जल हिमालय में निकलता है, दक्षिण-पूर्व में बहता है और प्रयाग में यमुना (त्रिवेणी) के साथ उसके संगम पर गंगा से मिलता है। सरस्वती भी वाणी और विद्या की देवी हैं, जो संसार को वच (शब्द), भजन, संस्कृत और ज्ञान के धन से आशीर्वाद देती हैं। बच्चों के लिए स्कूल शुरू करना और इस दिन अपना पहला शब्द सीखना शुभ होता है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में, वेद, सरस्वती के लिए प्रार्थना एक सफेद कपड़े और सफेद मोती के साथ अलंकृत एक सफेद पोशाक में एक प्राचीन महिला के रूप में दर्शाया गया है। वह पानी (नेलुहिनी) के एक विस्तृत खंड में खिलते हुए एक सफेद कमल पर बैठती है। वह वीणा रखती है, एक सितार के समान एक तार वाद्य। कोई भी जानवर बलिदान नहीं करता है और भारतीयों के पास शाकाहारी भोजन है। सरस्वती की प्रार्थना समाप्त, "ओह, माँ सरस्वती, मेरे मन के अंधकार (अज्ञान) को दूर करें और मुझे अनन्त ज्ञान प्रदान करें।" भारत भारत में, वसंत राष्ट्रीय अवकाश नहीं है। हालाँकि, यह उत्तर और पूर्वी भारत में मनाया जाता है। छात्र अपने पूजा स्थल की सजावट और तैयारी में भाग लेते हैं। उत्सव से कुछ हफ्ते पहले, स्कूल संगीत, वाद-विवाद, खेल और अन्य गतिविधियों की विभिन्न वार्षिक प्रतियोगिताओं के आयोजन में सक्रिय हो जाते हैं। वसंत पंचमी के दिन पुरस्कार वितरित किए जाते हैं। कई स्कूल सरस्वती पूजा के दिन शाम को सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं जब माता-पिता और अन्य समुदाय के सदस्य बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए समारोह में भाग लेते हैं। मौसमी त्योहार पंजाब क्षेत्र में, वसंत पंचमी को बसंत पंचमी के रूप में जाना जाता है। उत्तर भारत के कस्बों और गांवों में, वसंत पचंमी को सभी समुदायों द्वारा पतंगों के धर्मनिरपेक्ष बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सरसों के खेत पूरे ग्रामीण पंजाब में एक रंगीन दृश्य प्रस्तुत करते हैं। वाक्यांश आयी बसंत पाला उदंत, जिसका अर्थ है, "वसंत की शुरुआत के साथ, सर्दियों की बोली adieu" का उपयोग किया जाता है। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%A1%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A4%BF
आइसलैंड के राष्ट्रपति
आइसलैंड के अध्यक्ष ( आइसलैंड का : Forseti द्वीप ) है राज्य के सिर के आइसलैंड । अवलंबी है Guðni Thorlacius Jóhannesson , जो राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल, में है 2016 में निर्वाचित और 2020 में फिर से निर्वाचित । राष्ट्रपति को लोकप्रिय वोट द्वारा चार साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है, यह शब्द सीमित नहीं है, और इसमें सीमित शक्तियां हैं। राष्ट्रपति निवास में स्थित है Bessastaðir में Garðabær राजधानी के पास, रेकजाविक ।
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कृष्णा पूनिया
कृष्णा पूनिया (अंग्रेजी :Krishna Poonia) (जन्म ०५ मई १९७७) एक भारतीय डिस्कस थ्रोअर है। इन्होंने ११ अक्टूबर २०१० में दिल्ली में आयोजित किये राष्ट्रमंडल खेलों में फाइनल मैच में क्लीन स्वीप कर ६१.५१ मीटर में स्वर्ण पदक जीता था। इसके पश्चात २०११ में भारत सरकार ने नागरिक सम्मान में इन्हें पद्मश्री का पुरस्कार दिया गया था। व्यक्तिगत जीवन कृष्णा पूनिया एक जाट परिवार से अग्रोहा हिसार हरियाणा से है। इन्होंने सन २००० में राजस्थान के चुरू ज़िले के गागर्वास गांव के रहने वाले वीरेन्द्र सिंह पूनिया से की थी। इनके पति जयपुर में भारतीय रेलवे में कार्यरत है। कृष्णाने अपनी पढ़ाई साइकोलॉजी में कनोडिया गर्ल्स कॉलेज जयपुर से की थी। खेल जीवन पूनिया ने २००६ में दोहा एशियन खेलों में कांस्य पदक जीता था। उस वक़्त इन्होंने चीन के ऐमीन सिंग को और मा झंउंजन को हराया था। कृष्णा पूनिया ने ४६वें ओपन नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था उस वक़्त इनकी (६०.१० मीटर की दूरी) थी इनका यह सबसे अच्छा प्रदर्शन था। 2008 बीजिंग ओलंपिक खेलों में भी पूनिया ने हिस्सा लिया था लेकिन फाइनल तक नहीं पहुंच पाई थीं। ०८ मई २०१२ में इन्होंने अपने कैरियर का सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए ६४.७६ मीटर में हवाई ,संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व रिकॉर्ड बनाया था। जो कि विश्व रिकॉर्ड रहा था। २०१० राष्ट्रमंडल खेल डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया भारत की पहली महिला एथलीट है जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता हो , जो कि २०१० में दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसमें पूनिया ने क्लीन स्वीप किया था। २०१२ लन्दन ओलंपिक २०१२ में लन्दन में हुए ओलंपिक खेलों भी कृष्णा पूनिया ने शानदार प्रदर्शन किया था , जिसमें उनका सबसे अच्छा प्रयास ६३.६२ रहा था। राजनैतिक जीवन पूनिया ने चुरू में एक चुनाव रैली में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुई थी। कृष्णा पूनिया ने अपने पति जो भारतीय रेलवे में कार्यरत थे उन्हें अपनी नौकरी छोड़ने को बोली और मे कांग्रेस पार्टी में शामिल होने को कहा। इसके पश्चात उसने कांग्रेस पार्टी को स्वीकार लिया था। पूनिया के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सदस्य बनने के बाद विधानसभा के कई गांवों का दौरा भी किया था तथा इसमें बालिकाओं को शिक्षा देने की भी बातें कही थीं। वर्तमान में कृष्णा पूनिया सादुलपुर(चूरू) से विधायक है। यह भी देखें सादुलपुर विधानसभा क्षेत्र विष्णुदत्त बिश्नोई सन्दर्भ जीवित लोग 1977 में जन्मे लोग
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भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी
भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी भारतीय पंचांग के अनुसार छठवें माह की उनतीसवी तिथि है, वर्षान्त में अभी १८१ तिथियाँ अवशिष्ट हैं। पर्व एवं उत्सव प्रमुख घटनाएँ जन्म निधन इन्हें भी देखें हिन्दू काल गणना तिथियाँ हिन्दू पंचांग विक्रम संवत बाह्य कड़ीयाँ हिन्दू पंचांग १००० वर्षों के लिए (सन १५८३ से २५८२ तक) आनलाइन पंचाग विश्व के सभी नगरों के लिये मायपंचांग डोट कोम विष्णु पुराण भाग एक, अध्याय तॄतीय का काल-गणना अनुभाग सॄष्टिकर्ता ब्रह्मा का एक ब्रह्माण्डीय दिवस महायुग सन्दर्भ चतुर्दशी भाद्रपद
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विश्व मानवतावादी दिवस
विश्व मानवतावादी दिवस   विश्व मानवतावादी दिवस प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को  मनाया जाता है  । यह दिन उन लोगों की स्मृति में मनाया जाता है जिन्होंने विश्व स्तर पर मानवतावादी संकट में अपनी जान गंवाई या मानवीय उद्देश्यों के कारण दूसरों की सहायता हेतु अपने प्राणों को आहूत कर दिया कर दिया। वर्ष 2008 में  एक  प्रस्ताव पारित  कर विश्व मानवता दिवस पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मनाया गया था। इस प्रस्ताव को स्वीडन ने प्रायोजित किया था। दरअसल, आज से 17 साल पहले इराक की राजधानी बगदाद में आज के दिन यानी 19 अगस्त, 2003 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हमला किया गया था। इस हमले में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के 22 सहकर्मी मारे गए थे, जिनमें इराक में UNO महासचिव के विशेष प्रतिनिधि सर्जियो विएरा डी मेलो की भी बम विस्फोट के कारण मृत्यु हो गयी। इसके बाद से  19 अगस्त को विश्व मानवता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था ।   बगदाद की त्रासदी के बाद अब तक 4,000 से अधिक राहतकर्मियों को निशाना बनाया गया है। अनेक मृत्यु का शिकार हुए हैं, कितने ही घायल हुए हैं, कइयों को गिरफ्तार और अपह्रत किया गया है। इस प्रकार हर साल औसत 300 राहतकर्मियों को निशाना बनाया गया है। संघर्षरत क्षेत्रों में नागरिक भी मृत्यु का शिकार होते हैं, या घायल हो जाते हैं। यहां विशेष रूप से लोगों को निशाना बनाकर मारा जाता है, या अंधाधुंध हमले किए जाते हैं। पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने केवल छह देशों अफगानिस्तान, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इराक, सोमालिया और यमन में हुए हमलों में 26,000 से अधिक नागरिकों की मौत या उनके घायल होने की घटनाएं दर्ज की थीं। विश्व भर में फैली अशांति और संघर्ष में लाखों लोग अपनी सरजमीं से विस्थापित हुए हैं। ऐसे लोगों की संख्या साढ़े 6 करोड़ से अधिक है। बच्चों को सशस्त्र समूहों में भर्ती किया जाता है और उन्हें लड़ाइयों में झोंक दिया जाता है। महिलाओं का उत्पीड़न और अपमान किया जाता है। चूंकि राहतकर्मी मदद करते हैं और चिकित्साकर्मी जरूरतमंदों को राहत पहुंचाते हैं, इसलिए अक्सर उन्हें भी निशाना बनाया जाता है और धमकियां दी जाती हैं। विश्व मानवता दिवस पर मैं विश्वस्तरीय नेताओं से अपील की  जाती है  कि  वे अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके इन संघर्षों से प्रभावित होने वाले लोगों की हर संभव मदद करें। सन्दर्भ :UN.ORG
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भूल भुलैया 2
भूल भुलैया 2 , 2022 की भारतीय हिन्दी की कॉमेडी हॉरर फिल्म है , जो अनीस बज्मी द्वारा निर्देशित है , जिसे आकाश कौशिक और फरहाद सामजी द्वारा लिखा गया है, और टी-सीरीज़ फिल्म्स और मुराद खेतानी और अंजुम खेतानी के बैनर तले भूषण कुमार और कृष्ण कुमार द्वारा निर्मित है सिने 1 स्टूडियोज के बैनर तले बनाया गया है। भूल भुलैया (2007) के लिए एक स्टैंडअलोन सीक्वल , फिल्म में Ujjwal , Kartik Aaryan और Srishti Mishra हैं , फिल्म में कार्तिक रूहान रंधावा का अनुसरण करते हैं, जो एक धोखेबाज मनोचिकित्सक हैं जिसे ठाकुर महल में एक द्वेषी आत्मा मंजुलिका की स्पष्ट वापसी से निपटने के लिए लाया जाता है, लेकिन अनजाने में समस्याओं को बढ़ा देता है। प्रिंसिपल फोटोग्राफी अक्टूबर 2019 में शुरू हुई और फिल्मांकन फरवरी 2022 में पूरा हुआ। मुख्य रूप से लखनऊ में एक वास्तविक हवेली में फिल्माया गया , अन्य शूटिंग स्थानों में मुंबई और मनाली शामिल थे आर्यन ने फिल्म के क्लाइमेक्स सीक्वेंस के लिए परफॉर्म करते हुए पल भर में अपनी आवाज खो दी। भूल भुलैया 2 का साउंडट्रैक प्रीतम और तनिष्क बागची द्वारा रचित था , जिसके बोल अमिताभ भट्टाचार्य , समीर , यो यो हनी सिंह और मैंडी गिल द्वारा लिखे गए थे। इसमें नीरज श्रीधर द्वारा 2007 की फिल्म के टाइटल ट्रैक का रीमिक्स सिंगल है। कलाकर तबु - अंजुलिका चटर्जी और मंजुलिका चटर्जी( दोहरी भूमिकाओं में हैं) कार्तिक आर्यन - रुहान रंधावा उर्फ ​​रूह बाबा कियारा आडवाणी - रीत ठाकुर राजपाल यादव - छोटे पंडित उदय ठाकुर के रूप में अमर उपाध्याय संजय मिश्रा - बड़े पंडित पंडितैन सुनंदा के रूप में अश्विनी कालसेकर मेहक मनवानी - तृषा ठाकुर व्योम नंदी - रज्जो मिलिंद गुनाजी के रूप में बलवंत ठाकुर कर्मवीर चौधरी मुखियाजी के रूप में राजेश शर्मा कुलवंत ठाकुर के रूप में समर्थ चौहान पोटलू के रूप में तांत्रिक बाबा के रूप में गोविंद नामदेव देबांशु चटर्जी के रूप में काली प्रसाद मुखर्जी रिलीज़ यह फिल्म मूल रूप से 31 जुलाई, 2020 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई। लेकिन अब इसे सिनेमाघरों में 20 मई 2022 को रिलीज किया जाएगा. भूल भुलैया 2, 20 मई 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इस हॉरर कॉमेडी फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया है. फिल्म अपने पहले दिन से बढ़िया कमाई कर रही है | अपनी रिलीज के 17 दिनों में इसने 154.82 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है | सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ बॉलीवुड हंगामा पर भूल भुलैया 2 टी-सीरीज़ की फ़िल्में भारतीय सीक्वल फ़िल्में भारतीय फ़िल्में हिन्दी फ़िल्में आगामी फ़िल्में डरावनी फिल्में डरावनी हिंदी फ़िल्में हिन्दी फ़िल्में वर्णक्रमानुसार
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पसीना
पसीना या स्वेद (perspiration) स्तनधारियों की त्वचा में स्थित ग्रंथियों से निकलने वाला एक तरल पदार्थ है, जिसमें पानी मुख्य रूप से शामिल हैं और साथ ही विभिन्न क्लोराइड 2-मेथिलफिनोल (ओ-cresol), 4 मेथिलफिनोल (पी cresol), तथा यूरिया की थोडी सी मात्रा होती है। मनुष्यों में, मुख्य रूप से पसीना तापमान नियंत्रक का कार्य करता है। अत्यंत गर्मी में त्वचा की सतह से पसीने के वाष्पीकरण के कारण ठंडा प्रभाव पड़ता है; इसलिए, गर्म मौसम में, या व्यक्ति की मांसपेशियों को मेहनत के काम करने के कारण, शरीर द्वारा और अधिक पसीने का उत्पादन किया जाता है। पसीना hypothalamus के preoptic और anterior क्षेत्रों के एक केंद्र से नियंत्रित होता है, जहां तापमान संवेदी न्यूरॉन्स स्थित हैं। Hypothalamus की गर्मी विनियामक क्रिया त्वचा में तापमान रिसेप्टर्स से प्राप्त सूचनाओं से भी प्रभावित होती है। इन्हें भी देखें हाइपरहाइड्रोसिस बाहरी कड़ियाँ पसीना आना, पसीने से दुर्गन्ध आना शरीर के द्रव रोग लक्षण निदान
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विलासराव देशमुख
विलासराव दगड़ोजीराव देशमुख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य भी हैं। ये महाराष्ट्र के लातूर जिला के हैं। श्री विलासराव देशमुख को भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में बड़े उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम में मंत्री बनाया गया था। जीवन इनका जन्म २६ मई १९४५ को हुआ था एवं मृत्यु अगस्त १४, २०१२ को चेन्नई के अस्पताल में हुयी. पुत्र इनका पुत्र रितेश देशमुख बॉलीवुड (हिन्दी सिनेमा जगत) का एक प्रसिद्ध अभिनेता है। इस्तीफा २६ नवम्बर २००८ मुंबई में श्रेणीबद्ध गोलीबारी के बाद इन्होंने धमाकों में अपनी व सरकार की कमियों को मानते हुए अपने पद पर ३ दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसे श्रीमती सोनिया गाँधी ने स्वीकार भि कर लिया है। इसके साथ ही सोनिया ने देशमुख को निर्देश दिया है कि वे राज्‍यपाल को इस्‍तीफा सौंप दें. मुंबई में आतंकी हमलों के बाद जनता की हिफाजत में अक्षम साबित होने का आरोप झेल रहे विलासराव देशमुख की कुर्सी आखिरकार छिन ही गई। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को इस्‍तीफा सौंपने के बाद वे पार्टी के निर्देश का इंतजार कर रहे थे। अब राज्‍यपाल को इस्‍तीफा सौंपा जाना महज औपचारिकता ही रह गई है। गौरतलब है कि मुंबई में आतंकी हमलों के बाद विलासराव देशमुख जब होटल ताज का जायजा ले रहे थे, तो साथ में उनके अभिनेता पुत्र रीतेश देशमुख और फिल्‍म निर्देशक रामगोपाल वर्मा भी थे। इस घटनाक्रम के बाद उन पर यह आरोप लगा कि आतंकी हमले जैसे गंभीर मसले को भी उन्‍होंने बेहद हल्‍के तरीके से लिया। सन्दर्भ 1945 में जन्मे लोग २०१२ में निधन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भारत सरकार के मंत्री महाराष्ट्र के राजनेता राज्यसभा सदस्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ
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सिंदूर की कीमत
सिंदूर की कीमत हिन्दी भाषा का भारतीय सोप ओपेरा (धारावाहिक) है जिसमें मुख्य अभिनय वैभवी हंकारे एवं शेहज़ाद शैख का है। इसका प्रदर्शन १४ अक्टूबर २०२१ को ४ लॉयन्स फ़िल्म्स के बैनर तले दंगल टीवी पर आरम्भ हुआ। यह धारावाहिक सन टीवी के तमिल भाषा के धारावाहिक रोजा का पुनर्निमाण है।इसका दूसरा सत्र सिंदूर की कीमत २ धारावाहिक १ मई २०२३ को दंगल टीवी पर प्रसारित हुआ जिसमें वैभवी हंकारे एवं मोहित हीरानंदानी मुख्य भूमिका में है। श्रृंखला अवलोकन सारांश सत्र 1 मिश्री, एक मासूम महिला, जो एक अनाथालय में रहती है, जो स्वामीजी के स्वामित्व में थी, जब वह छोटी थी। जबकि दूसरी तरफ, एक प्रसिद्ध आपराधिक वकील अर्जुन अवस्थी, जो प्रताप अमद कल्पना अवस्थी के पुत्र हैं, उनका एक छोटा भाई है जिसका नाम अश्विन अवस्थी है और अन्नपूर्णा अवस्थी, उनकी दादी भी हैं और वे भी खुशी-खुशी उनके साथ रहते हैं। अर्जुन और मिश्री गलतफहमी में एक दूसरे से मिलते हैं और इस तरह वे एक साथ नफरत करते हैं। प्रिया, जो एक मनी-माइंडेड भ्रष्ट लड़की है और मिश्री की दोस्त है जो साक्षी नाम की एक महिला के अधीन काम करती है। प्रिया बचपन तक मिश्री को पसंद नहीं करती थी और इस तरह प्रिया साक्षी को अपने प्रेमी को मारते हुए देखती थी। साक्षी ने उसे थाने में शिकायत न करने की धमकी दी। इसलिए, प्रिया ने स्वामी पर एक हत्या के मामले में आरोप लगाया जिसके कारण पुलिस ने स्वामी को गिरफ्तार कर लिया और उन्होंने उसके अनाथालय को सील कर दिया और उन्होंने अपने बच्चों को दूसरे अनाथालय में भेज दिया। एक दिन, मिश्री अपने जैविक पिता बृज अवस्थी से मंदिर में मिलती है और वह उसे बताता है कि वह अपनी लंबी खोई हुई बेटी अनु को खोजने आया था, लेकिन मिश्री को यह पता नहीं था कि मिश्री अनु के अलावा कोई और नहीं है और वे एक-दूसरे से मिलते हैं और वे एक-दूसरे को नहीं पहचानते थे, लेकिन जब प्रिया को इस बारे में पता चलता है और वह उसकी पहचान चुरा लेती है और अवस्थी के घर नकली अनु के रूप में रहती है। सच्चाई का पता लगाने के लिए, मिश्री अर्जुन से मिलती है जब उसे पता चलता है कि अर्जुन एक आपराधिक वकील है और वह केस लेने के लिए सहमत है, लेकिन उनकी एक शर्त है, मिश्री 1 साल के अनुबंध विवाह में अर्जुन से शादी करना चाहती है ताकि वह उसका केस ले सके। परिवार में अर्जुन और प्रिया/अनु की शादी भी आयोजित की गई थी, लेकिन मिश्री उसकी बातों से सहमत हो जाती है और वे शादी कर लेते हैं। अर्जुन को मिश्री से शादी करते देख परिवार को झटका लगता है, जिसके कारण उसकी दादी अन्नपूर्णा मिश्री को नापसंद करती है और उसे अपनी बेटी के जीवन को बर्बाद करने के लिए दोषी ठहराती है और वह अर्जुन और उसकी शादी को स्वीकार नहीं करती है और साथ ही वह उसे दादी के रूप में बुलाना पसंद नहीं करती है, लेकिन उसकी माँ कल्पना, उनके भाई अश्विन को उनकी शादी पसंद है और उनका समर्थन करते हैं। लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों में यशोदा भी शामिल थी और उसका पति बल्लू हमेशा उसे नापसंद करता था। प्रिया, यशोदा और बल्लू उनके बीच गलतफहमी से ज्यादा पैदा करते हैं लेकिन असफल हो जाते हैं और साथ ही वह कई बार मिश्री को मारने की कोशिश करती हैं लेकिन असफल भी हो जाती हैं। हालाँकि, मिश्री का पूर्व प्रेमी उनके घर के अंदर आता है और वे इस घर के अंदर और अधिक समस्याएँ पैदा करते हैं और वह मिश्री का अपहरण भी करता है और वह उससे जबरदस्ती शादी करना चाहता है और वह उनके प्यार को जबरदस्ती स्वीकार करना चाहता है लेकिन अर्जुन आता है और उसे बचाता है और वह उसे गिरफ्तार भी कर लेता है। एक दिन, प्रिया मिश्री पर उसका हाथ तोड़ने और अपनी कार को नष्ट करने का आरोप लगाती है, इसलिए दादी मिश्री के खिलाफ मामला दर्ज करती है और उसे पुलिस गिरफ्तार कर लेती है। लेकिन, अर्जुन को इसका पता चल जाता है और वह वीडियो दिखाकर प्रिया को ब्लैकमेल करता है। और फिर, प्रिया अदालत को बताती है कि मिश्री ने उसका हाथ नहीं तोड़ा है इसलिए अदालत मिश्री को जमानत देती है। अन्नपूर्णा, प्रिया / अनु और यशोदा मिश्री को जबरदस्ती पार्टी में नौकर के रूप में बदल देती हैं, जब अर्जुन को इस बारे में पता चलता है और वह उसे डांट से बचाता है। प्रिया को पता चलता है कि अर्जुन और मिश्री की शादी नहीं हुई है और वह उन्हें बेनकाब करने का फैसला करती है। एक दिन, उसके पिता बृज अवस्थी का एक्सीडेंट हो जाता है, उसे बचाने के लिए मिश्री अस्पताल आती है लेकिन उसे रोक दिया गया और उसे प्रिया ने बंद कर दिया। मिश्री हालांकि कमरे से भाग जाती है और वह अपने पिता की जान बचाती है। और साथ ही, प्रिया अपनी दादी के जन्मदिन की पार्टी को बर्बाद कर देती है और वह मिश्री पर आरोप लगाती है कि उसने उसकी दादी के जन्मदिन को बर्बाद कर दिया था, लेकिन मिश्री ने प्रिया की सच्चाई को उजागर कर दिया और उसे भी दादी ने ही थप्पड़ मार दिया। कल्पना, मिश्री और अर्जुन की शादी के बारे में जानती है और एक पागल कल्पना ने उसे यह घर छोड़ने का आदेश दिया और एक दिल टूटने वाली मिश्री इस घर को छोड़ देती है। अर्जुन उसे घर छोड़ने से रोकने की कोशिश करता है लेकिन वह केस न लेने के लिए अर्जुन की ओर सिर हिलाती है और साथ ही वह उसकी बातों पर विश्वास नहीं करती है। इसलिए वह मोहन नामक एक अन्य अदालत के वकील से मिलती है, जो एक ही दरबार में काम करते थे, वे थे अर्जुन के काम। मोहन के मन में मिश्री के लिए भावनाएं थीं और वह केस लेने के लिए तैयार हो जाता है। इस बीच, उसकी दादी अर्जुन और प्रिया / अनु की शादी का आयोजन करती है, और उसने उन्हें बताया कि "यदि आप मिश्री को अपने घर के अंदर 3 दिनों में नहीं लाए, तो अर्जुन की शादी प्रिया / अनु से होगी", जिससे मिश्री के बाद प्रिया खुश हो जाती है। मकान छोड़ा। दूसरी तरफ, मोहन मिश्री को पानी की टंकी में मारने की कोशिश करता है, मोहन को अर्जुन का दुश्मन माना जाता है, इसलिए अर्जुन उनके पास आता है और उससे लड़ता है और वह मिश्री को घर के अंदर लाता है। प्रिया, यशोदा और बल्लू परिवार के अंदर कई समस्याएं पैदा करती हैं और वह अपने पालक पिता से मिलती है और बताती है कि आश्रम में एक संदूक (एक बॉक्स जिसमें सामान की तरह सामान होता है) प्राप्त करके वह केवल अपने असली परिवार को ढूंढ सकती है। लेकिन प्रिया के संदूक को चुरा लेने के बाद असफल हो जाती है और मिश्री के संदूक को खोजने के बाद भाग जाती है। प्रिया अपनी चीजें खुद लेती है और उनका इस्तेमाल करती है। बाद में, होली समारोह में, अर्जुन ने मिश्री को अपने प्यार का बदला दिया, लेकिन हालांकि, प्रिया अनुबंध विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करके उनकी शादी के बारे में सच्चाई का खुलासा करने का फैसला करती है और वह जाती है और वह उनके होली उत्सव को खराब कर देती है और वह इस सच्चाई का खुलासा करती है कि अर्जुन और मिश्री की शादी थी सिर्फ नकली और वह उनका अनुबंध विवाह प्रमाण पत्र लाती है और उन्हें बाद में दिखाती है कि दादी ने अर्जुन और प्रताप को थप्पड़ मारा और दादी ने उन्हें धोखा देने के लिए मिश्री को दोषी ठहराया और प्रिया प्रदर्शनकारियों को उसके खिलाफ लाने के लिए लाती है और वे मिश्री को घर से बाहर निकाल देते हैं। एक दिन, मिश्री का कुछ वेश्याओं द्वारा अपहरण कर लिया जाता है और एक घर में रख दिया जाता है। मिश्री जाल से भागने की कोशिश करती है लेकिन वेश्याओं द्वारा उसे पकड़ने के बाद भी भागने में असफल हो जाती है। दलाल मिश्री की शादी एक बूढ़े व्यापारी से जबरदस्ती कराने की कोशिश करता है। जब अर्जुन को पता चलता है कि मिश्री जाल में है और मिश्री को जाल से मुक्त करता है और वह मिश्री को फिर से घर के अंदर लाता है। लेकिन दादी मिश्री को घर के अंदर नहीं रहने देना चाहती और प्रिया, यशोदा और बल्लू मिश्री को ताना मारते हैं और वे परिवार के अंदर और अधिक समस्याएं पैदा करने की कोशिश करते हैं और दादी हर समय प्रिया को बचाती है और वह हमेशा मिश्री को हर चीज के लिए अपमानित करती है। मिश्री एक महिला को लाती है और उन्हें बताती है कि वह असली अनु है और यह साबित करती है कि लड़की असली अनु है, लेकिन यह असफल हो जाता है कि लड़की भी प्रिया के साथ काम करती है। यह बात दादी को भी पता चल जाती है और वह मिश्री को फिर घर से निकाल देती है। मिश्री कुछ लोगों को दुर्घटना से बचाती है और अर्जुन मिश्री को फिर से घर के अंदर लाता है। हालाँकि, प्रिया अर्जुन और मिश्री के बीच एक गलतफहमी पैदा करती है जिसके कारण उनका तलाक हो जाता है और अर्जुन अपने परिवार को घोषणा करता है कि वह मिश्री को तलाक देता है और वह अब प्रिया से शादी करेगा। जिससे परिवार के अंदर सदमे का माहौल है। लेकिन दादी इस बारे में जानकर खुश हो जाती है और वह प्रिया से शादी करने के लिए तैयार हो जाती है और वह उनकी शादी की तैयारी करती है और अर्जुन अपमान करता है और मिश्री पर उसकी शादी को बर्बाद करने का आरोप लगाता है। बाद में, बृज को पता चलता है कि प्रिया अनु के नाम से उसे और उसके परिवार को धोखा देने की कोशिश करती है और वह जानता है कि मिश्री कोई और नहीं बल्कि उसकी असली बेटी अनु है। वह प्रिया से उसकी बेटी का नाम नकली होने के बारे में पूछता है जो प्रिया को चौंका देता है। बृज मिश्री को एक पत्र लिखता है कि वह लंबे समय से खोई हुई बेटी अनु के अलावा कोई और नहीं है। मिश्री को उसका पत्र मिलता है और उसे पता चलता है कि वह अनु के अलावा कोई और नहीं है। अर्जुन और प्रिया की शादी में मिश्री उनकी शादी रोक देती है और वह उन्हें बताती है कि वह अनु के अलावा कोई और नहीं है और वह बृज के कमरे में आती है। लेकिन बृज बेहोश हो जाता है और उसने सच्चाई का खुलासा नहीं किया, अर्जुन ने अलग होने की कोशिश करने का आरोप लगाया और साथ ही दादी ने उसे फिर से घर से बाहर निकाल दिया और उनकी शादी को रद्द कर दिया गया। अर्जुन को बाद में पता चलता है कि मिश्री उसकी चचेरी बहन अनु के अलावा कोई और नहीं है और वे एक साथ फिर से जुड़ जाते हैं, जबकि प्रिया मिश्री को पहाड़ की चट्टान से गिरकर मारने की कोशिश करती है, जब अर्जुन को यह पता चलता है और कारण वह नहीं बचाता है मिश्री लेकिन वह मिश्री को धक्का देकर चट्टान में गिर जाता है जो प्रिया को चौंका देता है और वह खुश हो जाती है और सोचती है कि अर्जुन अब उसकी तरफ है और वह अपने परिवार को सूचित करता है कि मिश्री मर चुकी है और उन्होंने उसका शोक मनाने का फैसला किया, लेकिन वास्तव में वह बच गई है गिर गया और वह अभी भी जीवित है। मिश्री घर के अंदर आती है और वह एक व्यवसायी महिला का वेश धारण करती है और वह घर बेचने की कोशिश करती है और साथ ही वह अर्जुन और प्रिया से बदला लेने की कोशिश करती है। प्रिया अपनी पहचान खोजने की कोशिश करती है लेकिन असफल हो जाती है और फिर परिवार एक-एक करके संपत्ति के कागजात देता है और कागजात पर हस्ताक्षर करता है और उसे अपने नाम पर घर मिल जाता है। प्रिया को पता चलता है कि व्यवसायी महिला मिश्री के अलावा कोई और नहीं है और वह जानती है कि मिश्री उसे चट्टान पर धकेलने के लिए उससे बदला लेने की कोशिश कर रही थी। वह इस बारे में अपने परिवार को बताती है और उसकी दादी उसे फिर से घर से बाहर निकालने की कोशिश करती है। इस बीच, अर्जुन एक दुर्घटना का शिकार हो जाता है जो प्रिया द्वारा किया गया था और उसकी याददाश्त चली गई और वह मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति में बदल गया। अन्नपूर्णा मिश्री को दुर्घटना और अर्जुन की स्मृति हानि के लिए दोषी ठहराती है। और बाद में, प्रिया कमरे के अंदर आग लगाकर उसे मिश्री से अलग करने की कोशिश करती है और मिश्री द्वारा उसे आग से बचाने के बाद असफल हो जाती है। दादी ने उस पर अपने बेटे को मारने की कोशिश करने का आरोप लगाया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसे उसके पिता बृज ने बचा लिया और उसे जमानत दे दी और वह अपने परिवार को सूचित करता है कि मिश्री असली अनु है, और प्रिया नकली अनु है और उनकी संपत्ति चोरी करने की कोशिश करती है। परिवार उसे स्वीकार कर लेता है और प्रिया अर्जुन को मानसिक अस्पताल भेजकर मिश्री से बदला लेने की कोशिश करती है लेकिन मिश्री द्वारा उसे वहां से बचाने के बाद असफल हो जाती है। इस बीच, अर्जुन एक रहस्यमय व्यक्ति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हो जाता है जो उसे मारने की कोशिश कर रहा था और फिर उसे मौत की सजा मिलती है लेकिन मिश्री ने उसे अदालत की पोशाक पहनकर सजा से बचा लिया।आखिर में मिश्री और अर्जुन किसी से रहेने लगे। सत्र 2 राकेश, एक गरीब पृष्ठभूमि का एक व्यक्ति जन्म के समय दो बच्चों की अदला-बदली करता है, ताकि उसका बेटा (राणा) त्रिपाठियों के बीच रहे, जो सबसे धनी लोग हैं, जबकि वह त्रिपाठी परिवार का असली वारिस लेता है, जो एक महिला है। पालक (मीठी)। आज, राणा एक पुरुषवादी है जो मानता है कि हर लड़की का भविष्य रसोई में होता है, हालांकि, बाद में वह आश्चर्य में पड़ जाता है जब उसकी मुलाकात मीठी से होती है, जो एक बैरिस्टर बनने के अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने अकादमिक अध्ययन में कर्तव्यनिष्ठा से काम कर रही है। कलाकार सत्र 1 मुख्य वैभवी हंकारे - अनु "मिश्री" अवस्थी; बृज और विद्या की लंबे समय से खोई हुई बेटी; स्वामी की पालक बेटी; अर्जुन की पत्नी शहजाद शेख - अर्जुन अवस्थी; एक फौजदारी वकील; प्रताप और कल्पना के बड़े बेटे; अश्विन का भाई; अनु का पति पुनरावर्ती प्रेरणा शर्मा - प्रिया नकली अनु; अनु की प्रतिद्वंद्वी (2021–2022) चाँदनी भगवानानी - कामिनी; अर्जुन का एक तरफा जुनूनी प्रेमी (2022) ज्योत्सना चंदोला - प्रिया / अनामिका; (प्लास्टिक सर्जरी के बाद); अश्विन की पत्नी (2022-वर्तमान) प्रतीक चौधरी - अश्विन अवस्थी; प्रताप और कल्पना के छोटे बेटे; अर्जुन का भाई; अनु का चचेरा भाई शाहब खान - स्वामी; अनु के पालक पिता; अनाथालय के संस्थापक (2021) अशिता धवन - यशोदा अवस्थी; अन्नपूर्णा की छोटी बेटी; विद्या और प्रताप की बहन; अर्जुन, अश्विन और अनु की मौसी अमित कौशिक - प्रताप अवस्थी; अन्नपूर्णा के पुत्र; विद्या और यशोदा के भाई; कल्पना का पति; अर्जुन और अश्विन के पिता (2021–2022) जसविंदर गार्डनर - कल्पना अवस्थी;प्रताप की पत्नी; अर्जुन और अश्विन की मां राजश्री रानी / डॉली सोही - विद्या अवस्थी; अन्नपूर्णा की बड़ी बेटी; प्रताप और यशोदा की बहन; बृज की पत्नी; अनु की मां (2021) / (2022) (मृत मान लिया गया) मुस्तफा खान - बृज अवस्थी; सिराज एक वकील और व्यवसायी; विद्या के पति; अनु के पिता (2021–2022) माधवी गोगटे - अन्नपूर्णा अवस्थी;अवस्थियों की कुलमाता; भगवती की बहन; विद्या, प्रताप और यशोदा की माँ; अर्जुन, अश्विन और अनु की दादी (2021) किरण भार्गव ने माधवी गोगटे की जगह अन्नपूर्णा अवस्थी की भूमिका निभाई। (2021- 2023) माधुरी संजीव ने अन्नपूर्णा अवस्थी के रूप में किरण भार्गव की जगह ली। (2023- वर्तमान) विजय सिंह परमार - बल्लू के रूप में; यशोदा और प्रिया के साथी निशा नागपाल - साक्षी के रूप में; प्रिया की सहयोगी (2021) मीना नैथानी - भगवती के रूप में; अन्नपूर्णा की बहन; विद्या, यशोदा और प्रताप की मौसी राज लोगानी - डॉ. अभिमन्यु; प्रिया के साथी(2023–वर्तमान) कृष्णकांत सिंह बुंदेला - पंडित जी (2021) विशेष दिखावे रानी चटर्जी कैमियो दिखावे इश्क की दास्तान - नागमणि (2022) से पारो शंकर राणा के रूप में आलिया घोष मनसुंदर (2023) से रुचिता निहार गोयल के रूप में श्रुति आनंद सत्र 2 वैभवी हनकारे - मीठी त्रिपाठी के रूप में : संजय और सुमन की लंबे समय से खोई हुई बेटी; राकेश की गोद ली हुई बेटी (2023) मोहित हीरानंदानी - राणा शर्मा के रूप में: राकेश का बेटा; संजय और सुमन का दत्तक पुत्र (2023) हर्ष वशिष्ठ - राकेश शर्मा के रूप में : राणा के पिता; मीठी के दत्तक पिता (2023) श्वेता गौतम - श्रीमती शर्मा के रूप में : राकेश की पत्नी; राणा की माँ; मीठी की गोद ली हुई मां (2023) टिया गंडवानी - सुमन संजय त्रिपाठी के रूप में: संजय की पत्नी; दिव्या, मीठी और बच्चे की माँ; राणा की गोद ली हुई माँ; कैलाश की बड़ी बहन (2023) रूपा दिवेतिया - दादी के रूप में (2023) अश्विन कौशल - कैलाश के रूप में : सुमन का छोटा भाई; मधु का पति; लक्ष्मण के पिता (2023) शेफाली राणा - मधु के रूप में : कैलाश की पत्नी; लक्ष्मण की मां (2023) करण छाबड़ा (2023) राजीव कुमार - संजय त्रिपाठी के रूप में : सुमन के पति; दिव्या, मीठी और बेबी के पिता; राणा के दत्तक पिता; प्रिंसी के दादा (2023) मैंडिल सिंह (2023) निशिता बजाज (2023) मनीष खन्ना (2023) शहजाद शेख - प्रताप सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक जालस्थल भारतीय टेलीविजन धारावाहिक दंगल टीवी के धारावाहिक दंगल टीवी मूल धारावाहिक
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गोल्डीलॉक्स
गोल्डीलॉक्स और तीन भालू (अंग्रेज़ी: Goldilocks and the Three Bears, गोल्डीलॉक्स ऐण्ड द थ़्री बेअर्ज़) एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी परी कथा है। कथन के रूप में यह कहानी लम्बे अरसे से ब्रिटेन में चली आ रही थी, लेकिन लिखित रूप में इसे सबसे पहले ब्रिटिश लेखक रॉबर्ट साउदी (Robert Southey) ने गुमनाम रूप से सन् 1837 में अपने एक लेख-संग्रह में छपवाया। अंग्रेज़ी भाषा की यह सब से लोकप्रिय कथाओं में से है और पश्चिमी संस्कृति में इसके तत्वों का कई सन्दर्भों में प्रयोग होता है। कथानक इस कहानी के मूल ढाँचे में किसी वन में तीन भालू मनुष्यों की तरह एक घर में रहते हैं। उनमें से एक भालू बहुत बड़ा है, एक भालू बहुत छोटा है और एक भालू बीच के आकार का है। वे अपने घर को बहुत स्वच्छ और साफ़ रखते हैं। एक गोल्डीलॉक्स नाम की छोटी-सी लड़की उस वन में घूमती हुई भूखी और थकी-हारी उस घर पर पहुँचती है। उस समय तीनों भालू घर पर नहीं हैं। अन्दर आकर उसे रसोई में मेज़ के इर्दगिर्द तीन कुर्सियाँ और ताज़े-बने दलिये से भरी तीन बड़ी कटोरियाँ मिलती हैं। जब वह बैठने लगती है तो पहली कुर्सी बहुत बड़ी होती है, दूसरी बहुत छोटी होती है, लेकिन तीसरी मध्यम आकार की और उसके लिए बिलकुल ठीक होती है। जब वह दलिया खाने लगती है तो एक कटोरी का दलिया अधिक गरम होता है, दूसरी का अधिक ठंडा होता है, लेकिन तीसरे का बिलकुल ठीक तापमान का होता है। वह दलिया खा लेती है। घर में घूमती वह भालुओं के शयनकक्ष में दाख़िल होती है, जिसमें तीन बिस्तर हैं। एक बिस्तर उसके लिए बहुत बड़ा होता है, दूसरा बहुत छोटा होता है, लेकिन तीसरा बिलकुल ठीक आकार का होता है। वह उसपर सो जाती है। इतने में तीनों भालू घर आ जाते हैं। पहले तो वह अपने मेज़ की तितर-बितर हालत देखकर हैरान होते हैं। फिर मध्य-आकार का भालू देखता है कि कोई उसका सारा दलिया खा चुका है और शोर मचाता है। फिर कमरे में आकर वे देखतें हैं कि बिस्तर सब गड़बड़ किए गए हैं। बीच का भालू गोल्डीलॉक्स को अपने बिस्तर में सोता पाता है और फिर शोर मचाता है। गोल्डीलॉक्स शोर सुनकर घबराकर उठती है और भालुओं को देखकर एक खिड़की से बाहर कूदकर भाग जाती है। अन्य वर्णनों में गोल्डीलॉक्स सब से छोटे भालू की कुर्सी और बिस्तर पर बैठते और लेटते हुए उन्हें तोड़ देती है, जिस से चिल्लाने वाला भालू सब से छोटा वाला होता है। कभी-कभी इन तीन भालुओं को पिता भालू (पापा बेअर), माता भालू (मामा बेअर) और बच्चा भालू (बेबी बेअर) के पात्रों में दर्शाया जाता है। कुछ रूपों में गोल्डीलॉक्स भागने की बजाए कुछ दिनों तक भालुओं का मेहमान बनकर रहती है। संस्कृति में इस कहानी में गोल्डीलॉक्स कई दफ़ा दो चरम की चीज़ों को आज़माने के बाद उनके बीच की चीज़ को उचित पाती है - बीच के आकार की कुर्सी, बीच के तापमान का दलिया और बीच के आकार का बिस्तर। इस तत्व की ओर पश्चिमी कलाओं, लेखों और वैज्ञानिक रचनाओं में बहुत से उल्लेख मिलते हैं और "गोल्डीलॉक्स" एक प्रकार का सूत्रवाक्य बन चुका है: गोल्डीलॉक्स अर्थव्यवस्था (Goldilocks economy, गोल्डीलॉक्स इकॉनॉमी) - अर्थशास्त्र में किसी देश की ऐसी आर्थिक स्थिति को बोलते हैं जहाँ अच्छी गति की आर्थिक वृद्धि हो रही हो लेकिन इतनी भी तेज़ी से नहीं के महंगाई बढ़ जाए। गोल्डीलॉक्स क्षेत्र (Goldilocks zone, गोल्डीलॉक्स ज़ोन) - खगोलशास्त्र में किसी तारे से ऐसी दूरी वाले वासयोग्य क्षेत्र को बोलते हैं जो न तारे के अधिक पास होने से बहुत गरम हो और न अधिक दूर होने से बहुत ठंडा हो। इन्हें भी देखें परी कथा वासयोग्य क्षेत्र सन्दर्भ अंग्रेज़ी की परी कथाएँ अंग्रेज़ी कथाएँ सूत्रवाक्य हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
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हनुमान मंदिर मुसवाली इटावा उत्तर प्रदेश
- हनुमान मंदिर मुसवाली इटावा उत्तर प्रदेश भारत -: यह प्रसिद्ध मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है, यहाँ से १ किलो मीटर की दूरी पर पावन यमुना जी बहती हैं, कहा जाता है की बहुत समय पहले यमुनाजी में भयंकर बाड़ आई थी जिसमें जल की धारा के साथ बह कर आया हुआ एक बड़ा पत्थर मुसवाली गाँव के किनारे आ कर अटक गया था, और और जब यमुनाजी ने अपना बहाव सांत किया तो गाँव वालों को एक पत्थर गाँव के किनारे पड़ा दिखा, दुर्भाग्य वस् किसी ने इस पत्थर की ओर कोई ध्यान नहीं दिया.तभी गाँव के एक बुजुर्ब ब्यक्ति को रात में स्वप्न में हनुमान जी ने अबगत कराया की आपके गाँव में मैं चल कर आया हूँ पर किसी ने मेरे तरफ ध्यान नहीं दिया i यह बात सुबह सभी लोगों को बताई गयी तो कुछ लोगों ने इस बात का पता लगाने के लिए इधर उधर देखना सुरु किया i तब देखा की इतना वडा पत्थर अचानक पानी में बह कर कैसे आ सकता है, जो कि कुछ दिन पहले यहाँ पर था ही नहीं i और उस पत्थर के एक तरफ छोटी सी हनुमानजी कि प्रतिमा का उभार दिख रहा था, तभी सबको यकीन हो गया, कि हो न हो ये हनुमानजी ही हैं जो स्वयं ही चल कर हमारे गाँव में आये हैं i तभी गाँव के एक किनारे पर उच्च स्थान पर इनकी स्थापना कि गयी i यहाँ पर एक चमत्कार आज भी देखने को मिलता है कि, इस विशाल पत्थर के ऊपर जो हनुमानजी कि प्रतिमा है ये प्रति ३ वर्ष बाद अपना स्थान बदलती रहती है और दुसरे स्थान पर नए प्रतिरूप में उभर आती है i यहाँ पर जो भी ब्यक्ति सच्चे मन से कामना करते हैं उनकी वो मनोकामना जरूर पूर्ण होती है i यह पवित्र स्थल इटावा स्टेशन से ९ km की दूरी पर कानपूर रोड होते हुए मानिकपुर मोड़ से दक्सिन दिसा में यमुनाजी के किनारे स्थित है I यहाँ पर हर वर्ष चैत्र माह में नवदुर्गा के दिनों में प्रथम मंगलवार के दिन भव्य मेला का आयोजन किया जाता है I इसी दिन यहाँ पर बहुत दूर दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं I रेगार्ड्स :- सुनील कुमार यादव टेच सुप्पोर्ट लाइव फीड अवन्कार सिक्यूरिटी & एक्सेस सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ (उ .प .) - २२६०२५
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%95%20%E0%A4%AF%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
अग्निशामक यंत्र
अग्नि-शामक यन्त्र या अग्नि-निर्वापक यन्त्र एक हस्तसक्रिय अग्नि सुरक्षा उपकरण है जो सामान्यतः आपातकालीन स्थितियों में अक्सर छोटी अग्नियों के शमन या नियन्त्रण के लिए शुष्क या आर्द्र रसायन से भरा होता ह। यह नियन्त्रण-से-बाहर अग्नि पर प्रयोग के लिए अभिप्रेत नहीं है, (जैसे कि जो छत तक पहुंच गया है, प्रयोगकर्ता लिए विपज्जनक हो सकती ता ही, बचने का कोई रास्ता नहीं धूम्र, विस्फोट का संकट, आदि), या अन्यथा उपकरण, कर्मियों की आवश्यकता होती है , संसाधन, और/या दमकल कर्मियों की विशेषज्ञता। साधारणतः, एक अग्निशामक में एक हस्तसक्रिय बेलनाकार दाब पात्र होता है जिसमें एक घटक होता है जिसे अग्निशमन के लिए छोड़ा जा सकता है। गैर-बेलनाकार दाब पात्रों के साथ निर्मित अग्निशामक भी मौजूद हैं, किन्तु कम सामान्य हैं। प्रकार मुख्य रूप से अग्निशमन यंत्र दो तरह के होते हैं - भण्डारित दाब (stored pressure) वाले तथा उत्पादित दाब (generated pressure) वाले। अग्निशमन यंत्र के प्रकार- 1- वाटर टाईप - इसका उपयोग ठोस प्रकार की आग बुझाने के लिए किया जाता है जैसे की लकड़ी, कागज, गत्ता आदि। 2- मैकेनिकल फोम टाईप - इसका उपयोग तेल से लगने वाली आग बुझाने के लिए किया जाता है जैसे की पेट्रोल, डीज़ल, थिनर ,पेंट आदि से लगने वाली आग। 3- ए. बी. सी. टाईप - इसका उपयोग ABC तीनों प्रकार की आग के लिए किया जाता है। (SOLID , LIQUID , GAS) 4- कार्बन डाई ऑक्साइड टाईप - इसका उपयोग बिजली की आग के लिए किया जाता है और गैस एवं तेल से लगने आग के लिए किया जाता है। 5- क्लीन एजेंट टाईप - इसका उपयोग कंप्यूटर, सर्वर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की आग बुझाने के लिए किया जाता है। 6- वाटर मिस्ट टाईप - इसका उपयोग खाद्य पदार्थ एवं ठोस प्रकार की आग बुझाने के लिए किया जाता है जैसे की खाद्य सामग्री, लकड़ी, कागज आदि। इन्हें भी देखें अग्निशमन दमकलकर्मी बाहरी कड़ियाँ Underwriters Laboratories tips MSDS Sheets for hand held portable fire extinguishers OSHA requirements -Extinguisher-museum.com > Online museum about antique fire extinguishers and their history Fire Extinguisher Advice Fire Extinguisher Information Site National Fire Help How to use a fire extinguisher Aviation requirements for fire extinguishers Fire extinguisher inspection and maintenance requirements Fire extinguisher training video Fire extinguisher training Web site Fire Equipment Manufacturers' Association Advise and guidance on extinguisher locations/types and legislation अग्निशमन सुरक्षा उपकरण अग्निशमन उपकरण
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अबोहर
अबोहर (Abohar) भारत के पंजाब राज्य के फाज़िल्का ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का सबसे बड़ा नगर है, लेकिन उसका मुख्यालय नहीं है। विवरण अबोहर राजस्थान के श्रीगंगानगर शहर से लगभग 50 कि०मी० उत्तरपूर्व में है। यह फाज़िल्का से दक्षिणपूर्व में है। इसकी जनसंख्या 2001 में 1,24,303 थी। यह शहर अपने अमीर मिट्टी, अच्छी सिंचाई साधन के लिए और विशेष रूप से नारंगी फल के परिवार के एक फल किन्नू के उत्पादन, के लिए "पंजाब का कैलिफोर्निया" भी कहा जाता है। अबोहर कपास के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है और पूरे उत्तर भारत में सबसे बड़े कपास-उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। इन्हें भी देखें फाज़िल्का ज़िला फाज़िल्का सन्दर्भ पंजाब के शहर फाज़िल्का ज़िला फाज़िल्का ज़िले के नगर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%88%E0%A4%B8%20%28%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%29
रईस (फ़िल्म)
रईस अपराध पर आधारित हिन्दी भाषा में बनी एक भारतीय एक्शन थ्रिलर बॉलीवुड फ़िल्म है। इसका निर्देशन राहुल ढोलकिया ने किया है। इसका निर्माण फरहान अख्तर, रितेश सिधवानी और गौरी खान ने किया है। इसका निर्माण अप्रैल 2015 में शुरू हुआ। इसमें शाहरुख खान, माहिरा खान और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी मुख्य किरदार में हैं। फिल्म में अभिनेत्री सन्नी लियोन एक विशेष गाने में शाहरुख खान के साथ हैं। फ़िल्म को गुजरात के अपराधी अब्दुल लतीफ़ पर आधारित बताया जा रहा था पर फ़िल्म निर्माताओं ने यह स्पष्ट किया कि, "फ़िल्म की कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है जिसका किसी भी व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है"। फ़िल्म २५ जनवरी २०१७ को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। चलचित्र कथावस्तु फिल्म 1960 के दशक के मध्य में शुरू होती है और 1991 में समाप्त होती है (जैसा कि फिल्म में एक अखबार की तारीख के साथ स्पष्ट है)। रईस (शाहरुख खान) गुजरात के फतेहपुर में रहता है, एक ऐसा राज्य जहां शराबबंदी लागू है, और बहुत कम उम्र में कानूनी शराब के धंधे में शामिल हो जाता है। सादिक (मोहम्मद जीशान अय्यूब) के साथ, वह एक गैंगस्टर जयराज (अतुल कुलकर्णी) के लिए काम करता है, जो पुलिस को रिश्वत देकर अवैध रूप से शराब की तस्करी करता है। रईस अपनी मां (शीबा चड्ढा) के दर्शन से जीता है: हर व्यवसाय अच्छा है, और कोई भी धर्म किसी भी व्यवसाय से बड़ा नहीं है क्योंकि यह किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। रईस जयराज के साथ भाग लेने का फैसला करता है और खुद ही काम करना शुरू कर देता है। वह मुंबई में मुसाभाई (नरेंद्र झा) से मिलता है, और उसकी मदद से, वह अपना बूटलेगिंग व्यवसाय शुरू करता है। इस बीच, एक ईमानदार पुलिस अधिकारी, इंस्पेक्टर जे। ए। मजमुदार (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) फतेहपुर में स्थानांतरित हो जाता है और शराब डीलरों पर बड़ी कार्रवाई शुरू करता है। कलाकार शाहरुख खान - रईस माहिरा खान - आसिया नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी - आईपीएस जयदीप अम्बालाल मजमूदार मुहम्मद जीशान अयूब - सादिक़ शीबा चड्ढा - रईस की माँ शुभम चिंतामणि - युवा रईस शुभम तुकाराम - युवा सादिक़ अतुल कुलकर्णी - जयराज नरेन्द्र झा - मूसाभाई जयदीप अहलावत - मूसाभाई का सहायक उदय टिकेकर - पाशाभाई सन्नी लियोन - विशेष उपस्थिति "लैला मैं लैला" निर्माण फिल्म की शूटिंग अप्रैल 2015 में शुरू हुई। []] फिल्म की शूटिंग मुम्बई में की गई है, और सेट को अहमदाबाद की मलिन बस्तियों को चित्रित करने के लिए फिर से तैयार किया गया। फ़िल्म का आखिरी शेड्यूल जनवरी 2016 में गुजरात में शूट किया गया था। विरोध के बावजूद, फ़िल्म को जनवरी और फरवरी 2016 के बीच बिना किसी व्यवधान के भुज में शूट किया गया। प्राचीन मस्जिद और मकबरे परिसर, सरखेज रोजा में अहमदाबाद में शूटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मंजूरी जारी की गई थी। संगीत रईस के लिए संगीत राम सम्पत ने दिया है। जावेद अख्तर ने फिल्म के गाने लिखे हैं। फिल्म के संगीत अधिकारों का अधिग्रहण ज़ी म्यूजिक कंपनी ने किया है। फिल्म का गाना "लैला मैं लैला" १९८० की फिल्म कुर्बानी से लिया गया है और पुनर्निर्मित किया है। सम्पूर्ण एलबम २४ जनवरी २०१७ को रिलीज़ की गयी। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%A4%20%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%B5
सत्यजीत बच्चव
सत्यजीत बच्चव (जन्म 28 नवंबर 1992) एक भारतीय क्रिकेटर हैं। उन्होंने 3 जनवरी 2016 को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2015-16 में महाराष्ट्र के लिए ट्वेंटी 20 की शुरुआत की। उन्होंने 4 मार्च 2017 को विजय हजारे ट्रॉफी 2016-17 में महाराष्ट्र के लिए अपनी लिस्ट ए की शुरुआत की। वह 2018-19 में विजय हजारे ट्रॉफी में महाराष्ट्र के लिए संयुक्त रूप से सबसे अधिक विकेट लेने वाले थे, आठ मैचों में पंद्रह रन बनाए। वह 2018-19 के रणजी ट्रॉफी में महाराष्ट्र के लिए प्रमुख विकेट लेने वाले भी थे, सात मैचों में 28 आउट। उन्होंने 2018-19 के सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी को टूर्नामेंट में अग्रणी विकेट लेने वाले के रूप में समाप्त किया, बारह मैचों में बीस आउट के साथ। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%88%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%9F
पैट्रिक व्हाइट
पैट्रिक विक्टर मार्टिनडेल व्हाइट () (28 मई 1912 – 30 सितम्बर 1990) इंग्लैंड में जन्मे ऑस्ट्रेलियाई लेखक थे, जिन्हें व्यापक रूप से 20वी सदी के अंग्रेजी भाषा के सबसे महत्वपूर्ण उपन्यासकारों में से एक माना जाता है। 1935 से लेकर अपनी मृत्यु तक इन्होंने कुल 12 उपन्यास, दो छोटी कहानी संग्रह और आठ नाटको को प्रकाशित किया था। वर्ष 1973 में अपने कार्य के लिए इन्हें साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान प्राप्त करने वाले व्हाइट एकमात्र ऑस्ट्रेलियाई नागरिक थे। सन्दर्भ नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार 1912 में जन्मे लोग १९९० में निधन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%8F%E0%A4%B5%E0%A4%82%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8C%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8
भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान
भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST / आई॰ आई॰ एस॰ टी॰) भारत एवं एशिया का प्रथम अंतरिक्ष विश्वविद्यालय है। यह तिरुवनंतपुरम शहर के वलियमला क्षेत्र में स्थित है। इसकी स्थापना 14 सितम्बर 2007 को गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर हुई थी। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं महान वैज्ञानिक डॉ॰ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम यहाँ के कुलपति रह चुके हैं। यह संस्थान इसरो एवं भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग द्वारा प्रायोजित है। संस्थान को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से समविश्वविद्यालय की मान्यता प्राप्त है। इतिहास अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में कुशल लोगों की कमी को पूरा करने के लिए इस संस्थान की स्थापना की गई है। तत्कालीन इसरो सभापति डॉ॰ माधवन नायर ने इस संस्थान का उद्घाटन 14 सितम्बर 2007 को किया था। अधिक से अधिक छात्रों को आकर्षित करने के लिए यहाँ छात्रों का समस्त शैक्षिक, आवास एवं भोजन शुल्क भारत सरकार वहन करती है। इसके साथ-साथ छात्रों को प्रति सेमेस्टर 3,000 रुपए पुस्तक अनुदान के रूप में मिलते हैं। कोर्स पूरा हो जाने के पश्चात हर छात्र को इसरो में पाँच वर्ष तक सेवा करना जरूरी है। ऐसा न कर पाने की स्थिति में छात्र को दंड स्वरुप 1000000/-रुपए देने का प्रावधान है। यह भारत का एकमात्र संस्थान है जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बी॰ टेक॰ कोर्स उपलब्ध कराता है। प्रवेश आई॰ आई॰ एस॰ टी॰ के स्नातक पाठ्यक्रम में उपलब्ध कुल १५६ सीटों में प्रवेश के लिए वर्ष २०१७ में आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे. ई. ई. - Adv) की क्रमांक सूचि का प्रयोग किया जाएगा। पूर्व काल में वर्ष २००७ से २००९ तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे. ई. ई.) की क्रमांक सूचि का प्रयोग किया गया और वर्ष २०१० से २०१२ तक आईसैट परीक्षा का आयोजन किया गया। यह परीक्षा देश के सभी प्रमुख शहरों में आयोजित की जाती थी। सन् २०११ में लगभग ९६,००० प्रतिभागी इस परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। सुदूर दक्षिण भारत में स्थित होने के बावजूद भी संस्थान में हर प्रदेश के विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। कैंपस इस संस्थान का आरंभ तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र के ए॰ टी॰ एफ़॰ कैम्पस से हुआ था। संस्थान का स्थायी कैम्पस तिरुवनंतपुरम के निकट स्थित वलियमला में निर्माणाधीन है। शैक्षाणिक इमारतों एवं क्षात्रावासों का निर्माण २०१३ तक पूरा हो जाने की संभावना है। इस कैम्पस का उद्घाटन प्रधान मंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने २५ अगस्त २००९ को दिल्ली से विडियो कॉन्फरेंस द्वारा किया था। १५ अगस्त २०१० से संस्थान इसी कैम्पस से काम कर रहा है। अन्तरिक्ष वेधशाला के लिए इसका एक विस्तार कैम्पस तिरुवनंतपुरम की सुरम्य पोन्मुडी पहाड़ियों में बन रहा है। शैक्षणिक यह संस्थान स्नातक, परास्नातक एवं पी. एच. डी. की डिग्री प्रदान करता है। संस्थान निम्नलिखित शैक्षिक कार्यक्रम प्रदान करता है: स्नातक कार्यक्रम (4 वर्ष): बी. टेक. (भौतिक विज्ञान) के क्षेत्र में अंतरिक्ष अनुप्रयोग के साथ खगोल विज्ञान, पृथ्वी प्रणाली विज्ञान, रासायनिक प्रणाली, ताराभौतिकी, ग्रह विज्ञान और सुदूर संवेदन बी. टेक. (ऐविओनिकी) बी. टेक. (वांतरिक्ष अभियांत्रिकी) स्नातकोत्तर कार्यक्रम (2 वर्ष): ऍम. टेक. (सॉफ्ट कम्प्यूटिंग) ऍम. टेक. (आर. एफ़. और माइक्रोवेव संचार) ऍम. टेक. (प्रयुक्त प्रकाशिकी और अनुकूली प्रकाशिकी) ऍम. टेक. (रासायनिक प्रणाली) विभाग विज्ञान गणित विभाग भौतिकी विभाग रसायन विज्ञान विभाग पृथ्वी एवं अन्तरिक्ष विज्ञान विभाग प्रौद्योगिकी वांतरिक्ष अभियांत्रिकी विभाग एवियोनिकी विभाग अन्य विज्ञानेतर विषय विभाग छात्र क्लब संस्थान में छात्रों के संपूर्ण विकास के लिए निम्नलिखित क्लब उपस्थित हैं: वी द स्टारगेज़र्ज़ (खगोल विज्ञान क्लब) यह क्लब छात्रों को खगोल विज्ञान के अनेक पहलुओं से अवगत कराता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान वर्ष २००९ में इस क्लब के छात्रों ने अपरिमित नामक खगोल पर्व का आयोजन किया। साथ ही, इस क्लब के छात्रों ने दो बार टेलेस्कोप बनाने की कार्यशाला और रात्रि-आकाश दर्शन सत्रों का भी आयोजन किया है। भौतिकी क्लब वर्ष २०१० में बना यह क्लब उन छात्रों के लिए है जो विज्ञान के गुह्य रहस्यों को टटोलना चाहते हैं। यहाँ साप्ताहिक सेमिनार द्वारा अनेक प्रकार के विषयों पर चर्चा की जाती है। क्यू. सी. (प्रश्नोत्तरी क्लब) यह क्लब हर सप्ताह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है जिनमें कला, साहित्य, खेल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, चलचित्र, राजनीति, आदि विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं। वॉक्स मटीरिया (पदार्थ विज्ञान क्लब) रसायन विज्ञान विभाग के सौजन्य से शुरु हुए इस क्लब में छात्र नए पदार्थों की खोज एवं निर्माण पर ध्यान देते हैं। क्रीडा क्लब छात्रों द्वारा क्रिकेट, चिड़ी-छिक्का, बास्केटबॉल एवं फ़ुटबॉल के क्लब शुरु किए गए हैं। अन्य दृष्टिकोण संस्थान की वार्षिक पत्रिका है और द साउंडिंग रॉकेट छात्रों द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित समाचार पत्र है। उत्सव आई. आई. एस. टी. में निम्नलिखित उत्सव आयोजित किए जाते हैं: कॉन्सेन्शिया कॉन्सेन्शिया संस्थान का वार्षिक तकनीकी पर्व है। इस पर्व में समस्त भारत से कई प्रतिभागी आते हैं। इसमें विज्ञान एवं प्रौद्योकगिकी की विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। वर्ष २०१० में इस उत्सव का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने किया था। उसी वर्ष से अपरिमित की गतिविधियाँ भी इसी पर्व में सम्मिलित कर ली गई हैं। यह उत्सव हर साल मार्च के महीने में आयोजित किया जाता है। धनक यह संस्थान का सांस्कृतिक पर्व है। 'इन्द्रधनुष' को उर्दू में 'धनक' कहते हैं और इसी पर इस पर्व का नाम रखा गया है। इसमें आयोजित प्रतियोगिताओं में नाट्य, हस्तकला, साहित्य, प्रश्नोत्तरी, संगीत, नृत्य, चलचित्र बनाने, एवं चित्र खींचने की प्रतियोगिताएँ प्रमुख हैं। कॉन्कॉर्ड्ज़ कॉन्कॉर्ड्ज़ आई. आई. एस. टी. का पाक्षिक पर्व है जिसमें संस्थान के छात्र-छात्राएं अपनी विविध कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय गठबंधन संस्थान के अमरीकी संयुक्त राज्य स्थित उस्रा (USRA) एवं विश्व प्रसिद्ध कैलटेक विश्वविद्यालय के साथ गठबंधन है, जिनके अंतर्गत प्रति वर्ष छात्रों का आदान प्रदान किया जाता है। जल्द ही इ. ए. डी. एस.(EADS) से भी इसी तरह के गठबंधन की संभावना है| सन्दर्भ इन्हें भी देखें मौलिक विज्ञान प्रकर्ष केन्द्र, मुम्बई (परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा प्रायोजित) राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (NISER भुवनेश्वर) (परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा प्रायोजित) बाहरी कड़ियाँ संस्थान का आधिकारिक जालस्थल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अंतरिक्ष विज्ञान तिरुवनंतपुरम
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विश्व हिन्दी दिवस
विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1974 को नागपुर में आयोजित हुआ तब से ही इस दिन को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाता है। विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरिशस में स्थित है। विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना, करना, हिन्दी के प्रति अनुराग पैदा करना, हिन्दी की दशा के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है। इतिहास साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया था। 1975 से भारत, मॉरीशस, यूनाइटेड किंगडम, त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विभिन्न देशों में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया। विश्व हिंदी दिवस पहली बार 10 जनवरी, 2006 को मनाया गया था। तब से यह हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था। हिन्दी के प्रचार-प्रसार में संलग्न प्रमुख संस्थाएँ इन्हें भी देखें हिन्दी हिन्दी दिवस विश्व हिन्दी सम्मेलन विश्व हिन्दी सचिवालय विदेशों से प्रकाशित हिन्दी की पत्र-पत्रिकायें भाषाभाषियों की संख्या के अनुसार भाषाओं की सूची सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ हिन्दी की महानता के प्रचार-प्रसार का अवसर है विश्व हिन्दी दिवस (प्रभासाक्षी) विश्व हिंदी दिवस : विश्व भाषा बनती जन भाषा (डॉ वेदप्रताप वैदिक ; जनवरी २०२२) अंतराष्ट्रीय हिन्दी दिवस विश्व में हिन्दी की लोकप्रियता (मधुमती) हिंदी, संयुक्त राष्ट्रसंघ की भाषा बन कर रहेगी विदेशों में हिन्दी अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा उत्सव हिन्दी भारत के प्रमुख दिवस
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%AE%E0%A5%80%20%28%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%29
कमी (धारी)
कमी () भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। कमी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक जालस्थल पर धारी तहसील के गाँव की सूची अमरेली ज़िला पंचायत का जालस्थल गुजरात सरकार के पाॅर्टल अमरेली अमरेली ज़िला पोलीस जालस्थल इन्हें भी देखें
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अधिकारों का विधेयक
अधिकारों का विधेयक या अधिकारों का घोषणापत्र अथवा डिक्लेरेशन/बिल ऑफ़ राइट्स का बोध इनमें से किन्ही एक ऐतिहासिक दस्तावेसों से हो सकता है: अधिकारों का घोषणापत्र (डिक्लेरेशन ऑफ़ राइट्स) १६८९ का एक दस्तावेज, जिसे एक भाषण के तौरपर दिया गया, जिसने इंग्लैंड के नागरिकों के अधिकारों की घोषणा की अधिकार विधेयक (बिल ऑफ़ राइट्स), इंग्लैंड की संसद द्वारा पारित अधिकारों का बिल, कई बार संशोधित किया गया अमेरिकी अधिकार विधेयक १७८९ (यूनाइटेड स्टेट्स बिल ऑफ़ राइट्स), 1789 में लिखा गया, 1791 की पुष्टि की गई पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र 1789 का फ्रांसीसी दस्तावेज दूसरा बिल ऑफ राइट्स, 1944 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट द्वारा प्रस्ताव मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 संयुक्त राष्ट्र दस्तावेज़ कनाडाई बिल ऑफ राइट्स, 1960 में कनाडाई संसद का एक अधिनियम अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधेयक, 1976 संयुक्त राष्ट्र दस्तावेज़ 1982 के कनाडाई संविधान में कनाडाई चार्टर ऑफ राइट्स एंड फ्रीडम न्यूजीलैंड बिल ऑफ राइट्स एक्ट 1990 बहुविकल्पी शब्द
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