text
stringlengths
1
1.24M
चेन्नई में एक 58 वर्षीय ऑटो चालक ने ईमानदारी का बेहतरीन उदाहरण पेश करते हुए वह पर्स पुलिस को सौंप दिया, जो गलती से किसी सवारी ने उनके ऑटो में छोड़ दिया था. इस पर्स में दो सोने की चूडि़यां भी थीं. पुलिस को दी पर्स की जानकारी बी चंद्रन नाम के इस ड्राइवर को जब पर्स मिला तो उन्होंने इसके बारे में पुलिस को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्हें यह नहीं पता कि किस सवारी का यह पर्स छूटा क्योंकि इसके मिलने से पहले पांच सवारियों ने उनके ऑटो में सफर किया था. मन में नहीं आया लालच बतौर चंद्रन, जब यह पर्स मिला तो पूरे दिन बसंत नगर टर्मिनस पर इंतजार करता रहा कि कोई इसे वापस लेने आएगा. सभी को पता है कि मैं इसी ऑटो स्टैंड पर रहता हूं. उन्होंने कहा कि उनके दोनों बच्चे पढ़े-लिखें हैं और अच्छा कमाते हैं इसलिए उनके मन में गलत तरीके से पैसा कमाने का लालच नहीं आया. पुलिस को है पर्स के मालिक का इंतजार शास्त्री नगर पुलिस स्टेशन के एक इंस्पेक्टर ने कहा कि इस पर्स के बारे में कंट्रोल रूम को सूचित कर चुके हैं, लेकिन इसे लेने अभी तक कोई नहीं आया. जो भी शख्स पर्याप्त दस्तावेज के साथ इस पर दावा साबित कर देगा, वह सोने की चूडि़यां कभी भी ले जा सकता है.
यह लेख है: जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी और कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों एवं धर्मगुरुओं द्वारा उत्तर प्रदेश में बसपा को समर्थन का ऐलान किए जाने पर कटाक्ष करते हुए भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने कहा कि ‘चुनाव के समय खुलने वाली ऐसी दुकानों’ की सच्चाई मुस्लिम समुदाय जान चुका है और आने वाले समय में ऐसी दुकानों पर ताला लग जाएगा. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के महामंत्री शाकिर हुसैन ने से कहा, ‘‘हर चुनाव में कुछ लोग मुस्लिम वोटों के ठेकेदार बनकर ऐसी दुकानें खोल लेते हैं और किसी न किसी पार्टी के पक्ष में बयान जारी करते हैं. अब मुस्लिम समुदाय इस तरह की दुकानों की सच्चाई जान चुका है. अब लोग इनकी एक भी नहीं सुनने वाले हैं और आने वाले दिनों में ऐसी दुकानों पर ताला लग जाएगा.’’ हाल ही में जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने बसपा को वोट देने के लिए बयान जारी किया. हालांकि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा का समर्थन किया था. बुखारी से पहले राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने बसपा के समर्थन में अपने उम्मीदवार हटा लिये थे. सपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव कमाल फारूकी तथा ‘गरीब नवाज फाउंडेशन’ के मौलाना अंसार रजा ने भी मायावती की पार्टी के पक्ष में बयान जारी किया है. हुसैन ने कहा, ‘‘हमने उत्तर प्रदेश के कई मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा किया और पाया कि इस तरह के बयानों और फतवों का उन पर कोई असर नहीं है. लोग अपने मुद्दों और हित को देखते हुए वोट देते हैं. आज के समय में किसी के कहने पर कोई वोट नहीं देता.’’टिप्पणियां शाकिर हुसैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के वोटों के ‘ठेकेदार’ मुसलमानों को पीछे रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने हमेशा 125 करोड़ भारतीयों की बात की है. केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं और लोग इसका फायदा उठा रहे हैं. मुस्लिम समुदाय भी अब समझने लगा है कि वोटों के ये ठेकेदार उनके हित की बात कभी नहीं करेंगे.’’ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मुसलमानों को डराकर उनका वोट हासिल करने का सिलसिला अब बंद होना चाहिए. इससे सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम समुदाय का होता है. उम्मीद है कि तथाकथित सेकुलर पार्टियों को खुद मुस्लिम समुदाय के लोग ही सबक सिखाएंगे.’’ गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 404 सीटों के लिए प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को संपन्न हो चुका है. हाल ही में जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने बसपा को वोट देने के लिए बयान जारी किया. हालांकि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा का समर्थन किया था. बुखारी से पहले राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने बसपा के समर्थन में अपने उम्मीदवार हटा लिये थे. सपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव कमाल फारूकी तथा ‘गरीब नवाज फाउंडेशन’ के मौलाना अंसार रजा ने भी मायावती की पार्टी के पक्ष में बयान जारी किया है. हुसैन ने कहा, ‘‘हमने उत्तर प्रदेश के कई मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा किया और पाया कि इस तरह के बयानों और फतवों का उन पर कोई असर नहीं है. लोग अपने मुद्दों और हित को देखते हुए वोट देते हैं. आज के समय में किसी के कहने पर कोई वोट नहीं देता.’’टिप्पणियां शाकिर हुसैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के वोटों के ‘ठेकेदार’ मुसलमानों को पीछे रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने हमेशा 125 करोड़ भारतीयों की बात की है. केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं और लोग इसका फायदा उठा रहे हैं. मुस्लिम समुदाय भी अब समझने लगा है कि वोटों के ये ठेकेदार उनके हित की बात कभी नहीं करेंगे.’’ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मुसलमानों को डराकर उनका वोट हासिल करने का सिलसिला अब बंद होना चाहिए. इससे सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम समुदाय का होता है. उम्मीद है कि तथाकथित सेकुलर पार्टियों को खुद मुस्लिम समुदाय के लोग ही सबक सिखाएंगे.’’ गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 404 सीटों के लिए प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को संपन्न हो चुका है. बुखारी से पहले राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने बसपा के समर्थन में अपने उम्मीदवार हटा लिये थे. सपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव कमाल फारूकी तथा ‘गरीब नवाज फाउंडेशन’ के मौलाना अंसार रजा ने भी मायावती की पार्टी के पक्ष में बयान जारी किया है. हुसैन ने कहा, ‘‘हमने उत्तर प्रदेश के कई मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा किया और पाया कि इस तरह के बयानों और फतवों का उन पर कोई असर नहीं है. लोग अपने मुद्दों और हित को देखते हुए वोट देते हैं. आज के समय में किसी के कहने पर कोई वोट नहीं देता.’’टिप्पणियां शाकिर हुसैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के वोटों के ‘ठेकेदार’ मुसलमानों को पीछे रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने हमेशा 125 करोड़ भारतीयों की बात की है. केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं और लोग इसका फायदा उठा रहे हैं. मुस्लिम समुदाय भी अब समझने लगा है कि वोटों के ये ठेकेदार उनके हित की बात कभी नहीं करेंगे.’’ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मुसलमानों को डराकर उनका वोट हासिल करने का सिलसिला अब बंद होना चाहिए. इससे सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम समुदाय का होता है. उम्मीद है कि तथाकथित सेकुलर पार्टियों को खुद मुस्लिम समुदाय के लोग ही सबक सिखाएंगे.’’ गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 404 सीटों के लिए प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को संपन्न हो चुका है. हुसैन ने कहा, ‘‘हमने उत्तर प्रदेश के कई मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा किया और पाया कि इस तरह के बयानों और फतवों का उन पर कोई असर नहीं है. लोग अपने मुद्दों और हित को देखते हुए वोट देते हैं. आज के समय में किसी के कहने पर कोई वोट नहीं देता.’’टिप्पणियां शाकिर हुसैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के वोटों के ‘ठेकेदार’ मुसलमानों को पीछे रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने हमेशा 125 करोड़ भारतीयों की बात की है. केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं और लोग इसका फायदा उठा रहे हैं. मुस्लिम समुदाय भी अब समझने लगा है कि वोटों के ये ठेकेदार उनके हित की बात कभी नहीं करेंगे.’’ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मुसलमानों को डराकर उनका वोट हासिल करने का सिलसिला अब बंद होना चाहिए. इससे सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम समुदाय का होता है. उम्मीद है कि तथाकथित सेकुलर पार्टियों को खुद मुस्लिम समुदाय के लोग ही सबक सिखाएंगे.’’ गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 404 सीटों के लिए प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को संपन्न हो चुका है. शाकिर हुसैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के वोटों के ‘ठेकेदार’ मुसलमानों को पीछे रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने हमेशा 125 करोड़ भारतीयों की बात की है. केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं और लोग इसका फायदा उठा रहे हैं. मुस्लिम समुदाय भी अब समझने लगा है कि वोटों के ये ठेकेदार उनके हित की बात कभी नहीं करेंगे.’’ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मुसलमानों को डराकर उनका वोट हासिल करने का सिलसिला अब बंद होना चाहिए. इससे सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम समुदाय का होता है. उम्मीद है कि तथाकथित सेकुलर पार्टियों को खुद मुस्लिम समुदाय के लोग ही सबक सिखाएंगे.’’ गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 404 सीटों के लिए प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को संपन्न हो चुका है. भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मुसलमानों को डराकर उनका वोट हासिल करने का सिलसिला अब बंद होना चाहिए. इससे सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम समुदाय का होता है. उम्मीद है कि तथाकथित सेकुलर पार्टियों को खुद मुस्लिम समुदाय के लोग ही सबक सिखाएंगे.’’ गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 404 सीटों के लिए प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को संपन्न हो चुका है.
बिपाशा बसु की आने वाली फिल्म ‘प्लेयर्स’ हॉलीवुड की वर्ष 2003 में आयी मूल फिल्म ‘द इटालियन जॉब’ से अलग है. बिपाशु बसु ने कहा कि इस फिल्म के निर्देशक अब्बास-मस्तान ने इसे भारतीय तरीके से बनाया है. ‘द इटालियन जॉब’ फिल्म में अभिनेत्री की भूमिका के मुकाबले प्लेयर्स में मेरी भूमिका काफी बड़ी है. उन्होंने बताया कि हॉलीवुड में जब इस फिल्म की शूटिंग हुयी थी वह पुरानी हो चुकी है और प्लेयर्स में वर्तमान समय को दिखाया गया है. इसमें यह बदलाव दिखता है और इसे स्पष्ट महसूस किया जा सकता है. अपने फिल्म का प्रचार करने कोलकाता पहुंची 32 वर्षीय बंगाली बाला ने कहा कि इस समय मैं अपने पसंदीदा शहर में हूं और क्रिसमस और नये साल समारोह कोलकाता में मना कर खुश हूं. हॉलीवुड की फिल्म ‘सिंगुलरिटी’ में अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए बिपाशा ने कहा कि यह एक पीरियड फिल्म है. इस फिल्म में मैं अपनी भूमिका को लेकर खुश हूं और अब अगले साल मैं इसके रिलीज होने का इंतजार कर रही हूं. रोनाल्ड जोफ्री जैसे निर्देशक के फिल्म में काम करके मैं काफी गौरवान्वित महसूस कर रही हूं.
आम आदमी पार्टी के प्रवक्‍ता दिलीप पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया है. दिलीप पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप है. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने अपने नेता के ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है. दिलीप पांडे को जामिया नगर पुलिस ने आज हिरासत में ले लिया. पांडे के अलावा आप के चार अन्‍य कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया है. पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है. लेकिन पांडे के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए और 295 ए के तहत केस दर्ज किया है. आप नेता पर जामिया नगर इलाके में विवादित पोस्‍टर लगाने के आरोप हैं. आरोप है कि पांडे ने कांग्रेस विधायक आसिफ मोहम्‍मद खान के विवादित पोस्‍टर लगाए हैं. पांडे की गिरफ्तारी की खबर सुन आशुतोष और मनीष सिसोदिया सहित पार्टी के तमाम नेता जामिया नगर थाने पहुंच गए हैं. आप नेता आशुतोष ने कहा है कि पांडे पर पोस्‍टर लगाने के आरोप गलत हैं. पोस्‍टर विवाद का आप से कोई लेना देना नहीं है. पुलिस ने सरकार के कहने पर बदले की कार्रवाई के तहत ऐसा किया है. आप संयोजक और दिल्‍ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया है. Just becoz we foiled BJP's plans to form govt in del by buying MLAs, our volunteers and staff are being framed and arrested in false cases — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 18, 2014 Gaurav n Abid were arrested and kept in police custidy for 2 days, badly beaten and forced to take names of senior party leaders. — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 18, 2014 सिसोदिया ने बीजेपी पर सत्‍ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. हालांकि, विधायक आसिफ ने पांडे के खिलाफ लगे आरोपों को सही ठहराया है. उन्‍होंने कहा कि आप की कथनी और करनी में फर्क है. इस पूरे मसले पर बीजेपी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
नित्यानंद राय ने कहा, पाकिस्तान को नक्शे से मिटा देंगे चुनावी जनसभा में राहुल गांधी पर भी साधा निशाना गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. जितवारपुर डीह में जनसभा को संबोधित करते हुये केंद्रीय मंत्री ने परमाणु हमले की गीदड़भभकी देते आ रहे पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी. वहीं विपक्षी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी जमकर बरसे. गृह राज्य मंत्री राय ने कहा कि पाकिस्तान ने अगर हिंदुस्तान पर परमाणु हमला किया तो हम धरती से नहीं, बल्कि चांद से परमाणु बम गिराकर उसे नेस्तनाबूद कर देंगे. पाकिस्तान को दुनिया के नक्शे से मिटा देंगे. उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कह रहे थे कि लोग रोजगार पूछते हैं तो प्रधानमंत्री चांद दिखाते हैं. राहुलजी आप तो चांद नहीं देखे होंगे. आप तो चांदी के पालने में पले होंगे, लेकिन इस देश के गरीब तो अपने बच्चों को चंदा मामा को दिखा कर ही सुलाते हैं. गृह राज्य मंत्री ने सवालिया लहजे में कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तो भारत चांद पर पहुंचा है, आप 70 वर्षों तक गरीबी मिटाने का नारा दिए. गरीबी मिटाए क्या? अनुछेद 370 इस देश के लिए एक कलंक था नित्यानंद राय ने अनुछेद 370 को देश के लिए कलंक बताते हुए कहा कि आतंकवाद पर लगाम लगी है. आतंकवादी मारे जा रहे हैं. हर तरह से देश आगे बढ़ा है. उन्होंने दावा किया कि सीमा सुरक्षा की गारंटी बढ़ी है. पीएम नरेंद्र मोदी देश के विकास के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. न्याय के साथ तेजी से विकास हो रहा है. गृह राज्यमंत्री ने मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं भी गिनाईं और पांच साल के शासनकाल में महंगाई न बढ़ने देने का दावा किया. 2022 तक सबको पक्का मकान नित्यानंद राय ने 2022 तक सबको पक्का मकान देने की पीएम की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि देश में एक भी व्यक्ति बगैर पक्के मकान के नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के रहते जनता की सेवा में चूक करने वाले अधिकारियों की खैर नहीं है. जनसभा में जदयू के राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्य के आधार पर पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने की अपील की.
अस्पताल परिसर में पर्याप्त सुरक्षा की मांग को लेकर सफदरजंग अस्पताल के लगभग 1200 रेजिडेंट डॉक्टरों ने आज दूसरे दिन अपनी हड़ताल समाप्‍त करने की घोषणा कर दी. अस्पताल में अपने एक साथी को मरीजों के परिजनों द्वारा कथित तौर पर पीटे जाने से नाराज डॉक्टर मंगलवार को हड़ताल पर चले गये थे. हालांकि, अस्पताल के डाक्टरों ने मरीजों की देखभाल के लिए अस्पताल के आपातकालीन विभाग के निकट एक सामानांतर आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) खोला था. विभिन्न राज्यों खास कर बिहार, असम, मध्य प्रदेश और पड़ोसी इलाकों से आए उन मरीजों को जिन्हें आपातकालीन सेवा की जरूरत है उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया था.
हरियाणा सरकार ने शुक्रवार कहा कि उसने 1953 में तैयार किए गए पंजाब सिविल सेवा नियमों को रद्द कर दिया है और हरियाणा सिविल सेवा नियम तैयार किए हैं जो उसके सभी कर्मचारियों पर लागू होंगे। नए नियमों के तहत परिवीक्षा की अवधि संतोषजनक तरीके से पूरा करने पर अब हर कर्मचारी की तैनाती की पहली जगह पर पुष्टि कर दी जाएगी, चाहे स्थायी पद उपलब्ध हो या न हो। साथ ही सभी पुरुष कर्मचारी 15 दिनों का पितृत्व अवकाश हासिल कर सकेंगे।टिप्पणियां वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु सिंह ने यह जानकारी दी। नए नियमों के तहत जनहित में तबादला किए जाने की स्थिति में 2,000 रुपए या उससे अधिक के कॉम्पोजिट ट्रांसफर ग्रांट की मंजूरी दी जा सकती है। निलंबन की स्थिति में हर छह महीने बाद निर्वाह भत्ता अब संशोधित किया जा सकेगा। नए नियमों के तहत और भी कई नए बदलाव किए गए हैं। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) नए नियमों के तहत परिवीक्षा की अवधि संतोषजनक तरीके से पूरा करने पर अब हर कर्मचारी की तैनाती की पहली जगह पर पुष्टि कर दी जाएगी, चाहे स्थायी पद उपलब्ध हो या न हो। साथ ही सभी पुरुष कर्मचारी 15 दिनों का पितृत्व अवकाश हासिल कर सकेंगे।टिप्पणियां वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु सिंह ने यह जानकारी दी। नए नियमों के तहत जनहित में तबादला किए जाने की स्थिति में 2,000 रुपए या उससे अधिक के कॉम्पोजिट ट्रांसफर ग्रांट की मंजूरी दी जा सकती है। निलंबन की स्थिति में हर छह महीने बाद निर्वाह भत्ता अब संशोधित किया जा सकेगा। नए नियमों के तहत और भी कई नए बदलाव किए गए हैं। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु सिंह ने यह जानकारी दी। नए नियमों के तहत जनहित में तबादला किए जाने की स्थिति में 2,000 रुपए या उससे अधिक के कॉम्पोजिट ट्रांसफर ग्रांट की मंजूरी दी जा सकती है। निलंबन की स्थिति में हर छह महीने बाद निर्वाह भत्ता अब संशोधित किया जा सकेगा। नए नियमों के तहत और भी कई नए बदलाव किए गए हैं। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भारतीय अमेरिकी प्रोफेसर राकेश खुराना को प्रतिष्ठित हार्वर्ड कालेज का डीन नियुक्त किया गया है. विश्व के प्रतिष्ठित कॉलेजों में भारतीय मूल के अमेरिकी शिक्षाविदों के योगदान की कड़ी में अब प्रोफेसर खुराना का नाम भी शामिल हो गया है. 46 वर्षीय खुराना इस समय हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर आफ लीडरशिप, फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में सोशोलोजी के प्रोफेसर और हार्वर्ड में ही कैबोट हाउस के सह संयोजक हैं. नए पद पर नियुक्ति के जरिए वह एवलीन हेमोंड्स का स्थान लेंगे. हार्वर्ड कॉलेज, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के भीतर ही है जो अंडरग्रेजुएट स्तर की डिग्रियां प्रदान करता है. हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के भारत में पैदा हुए डीन नितिन नोहरिया ने भी खुराना की नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा कि उनका इस पद के लिए चयन उनकी योग्यता, उनके कौशल, उनकी दूरदृष्टि और एक शिक्षाविद के रूप में उनकी महारत का परिचायक है.
बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) सोशल मीडिया पर अकसर अपनी बेबाक राय रखने के लिए पहचाने जाते हैं और अकसर उनके वे सोशल मीडिया पर सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करते हैं. कई मौकों पर वे ट्रोल भी हो जाते हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) की शानदार जीत के बाद अनुराग कश्यप को सोशल मीडिया पर धमकी भरे मैसेज आने लगे. अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करके पीएम नरेंद्र मोदी को जीत की बधाई देते हुए गुहार लगाई है कि वे उनके इन धमकाने वाले समर्थकों से कैसे निबटें. एक कथित मोदी समर्थक ने अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) की बिटिया को इंस्टाग्राम (Instagram) पर रेप की धमकी दी है.  बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) ने अपनी बेटी के इंस्टाग्राम एकाउंट पर कमेंट का एक स्क्रीन शॉट लिया है, और अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट किया है. अनुराग कश्यप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को संबोधित करते हुए ट्वीट किया हैः 'डियर नरेंद्र मोदी सर. जीत के लिए बधाई और सबको साथ लेकर चलने के संदेश के लिए शुक्रिया. सर प्लीज हमें यह भी बताएं कि आपके इन फॉलोअर्स से कैसे निबटें जो आपकी जीत का जश्न मेरी बेटी को इस तरह धमकाकर दे रहे हैं क्योंकि मेरे विचार आपके विरोध में रहते हैं.' इस तरह बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन कथित फॉलोअर्स से निबटने की सलाह मांगी है. अनुराग कश्यप सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, और अकसर सामाजिक सरोकार के मसलों पर वे अपनी राय रखते रहते हैं.
दक्षिण अफ्रीका के लिए भारतीय टीम का ऐलान कर दिया गया है. बीसीसीआई की सिलेक्शन कमेटी ने इस दौरे के लिए 17 सदस्यीय टीम का ऐलान किया है. इसमें मोहम्मद शमी और शार्दुल ठाकुर को जगह दी गई है. साउथ अफ्रीका दौरे पर भारत को कुल 6 वनडे मैच खेलने हैं, जो 1 से 16 फरवरी के बीच होगा. पहला मैच डरबन में खेला जाएगा. कप्तान विराट कोहली रहेंगे. मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने मुंबई में बैठक के बाद शनिवार को टीम का ऐलान किया. टीम में कैप्टन विराट कोहली के अलावा उप कप्तान रोहित शर्मा, शिखर धवन, अजिंक्य रहाणे, श्रेयस अय्यर, मनीष पांडे, केदार जाधव, दिनेश कार्तिक, एमएस धोनी, हार्दिक पांड्या, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, भुवनेश्वर कुमार, बुमराह, मोहम्मद शमी और शार्दुल ठाकुर हैं. सीनियर स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की एक बार फिर चयनकर्ताओं ने अनदेखी की है जिन्होंने स्पिन गेंदबाजों की युवा तिकड़ी युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव के साथ बायें हाथ के स्पिनर अक्षर पटेल पर भरोसा दिखाया है. मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने कहा कि वे यादव और चहल को ज्यादा मौका देना चाहते हैं. उन्होंने यहां चयन बैठक के बाद कहा कि हम चैम्पियंस ट्राफी के बाद उन्हें बार बार खिलाते रहे, हमने नये लड़कों - चहल और कुलदीप - को आजमाया और हमने अक्षर को भी लगातार मौका दिया. उन्होंने कहा कि बड़े मुकाबलों के साथ वे निश्चित रूप से काफी सुधार कर रहे हैं और हम सभी को यह लगा और यह सर्वसम्मत फैसला भी है कि उन्हें लंबी भूमिका देनी चाहिए, क्योंकि वे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रसाद ने कहा कि हम स्पिन विभाग में बेंच स्ट्रेंथ बढ़ाना चाहते हैं और आज हम सभी स्वीकार करेंगे कि हमारे पास पांच-छह बेहतरीन स्पिनर हैं.  सीनियर तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने वनडे टीम में वापसी की है जबकि शार्दुल ने सिद्धार्थ कौल के स्थान पर वापसी की है जो श्रीलंका के खिलाफ तीन मैच की सीरीज के लिये टीम में थे. प्रसाद ने संकेत दिया कि अगली गर्मियों में इंग्लैंड सीरीज के बाद से वे 2019 विश्व कप टीम के लिये कोर वनडे टीम बना लेंगे. राहुल दुर्भाग्यशाली रहे जो टीम में जगह नहीं बना सके जबकि उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ दो टी20 में दो शानदार पारियां खेलीं. प्रसाद ने कहा कि हम राहुल के बल्लेबाजी स्थान के बारे में चर्चा कर रहे हैं, क्योंकि वह जिस स्तर का बल्लेबाज और वह जिस फार्म में है, उसे देखते हुए उसका टीम में नहीं होना दुर्भाग्यशाली है. ़
१९४७ में सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यों के उग्र विरोध और वीटो के प्रयोग के कारण ऐसा गतिरोध उत्पन्न हो गया कि सुरक्षा परिषद् के द्वारा युद्घ और आक्रमणों कि आशंकाओ से भयभीत विश्व को नवीन परिस्थिति का सामना करने के लिए १३ नवम्बर १९४७ को अंतरिम समिति नामक एक सहायक अंग स्थापित किया। इसे छोटी असेम्बली कहा जाता है। यह महासभा का सामान्य अधिवेशन न होने कि दशा में उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले प्रश्नों पर विचार करती है। महासभा के प्रत्येक सदस्य को इसमें एक सदस्य भेजने का अधिकार है। आरम्भ में यह दो बार एक वर्ष के लिए बने गयी थी। नवम्बर १९४९ में इसे निश्चित अवधि के लिए पुनःस्थापित किया गया। सन् १९५२ के बाद इसकी कोई बैठक नहीं हुई है।
लेख: इंग्लैंड के कप्तान इयोन मोर्गन ने शनिवार को कहा कि भारत को रविवार से शुरू होने वाली तीन एकदिवसीय मैचों की सीरीज में उसकी सरजमीं पर हराना बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन यह बेहद मुश्किल काम भी नहीं है. आयरलैंड में जन्मे मोर्गन ने मैच की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से कहा, ‘‘भारत में जीत करने की चुनौती कड़ी है लेकिन यह असंभव नहीं है. हाल में ऐसा हुआ था. दक्षिण अफ्रीका ने भारत को हराया और न्यूजीलैंड इसके करीब पहुंच गया था.’’ वह दक्षिण अफ्रीका की 2015 में भारत में वनडे सीरीज में 3-2 से जीत और न्यूजीलैंड की 2-3 से हार का जिक्र कर रहे थे. मोर्गन ने कहा, ‘‘यहां सबसे बड़ी चुनौती परिस्थितियों से तालमेल बिठाना है.’’ मोर्गन ने कहा कि दस महीने पहले विश्व टी20 चैंपियनशिप में भारत में खेलने और फाइनल में पहुंचने के अनुभव से उनकी टीम प्रेरणा लेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम इन चीजों से प्रेरणा ले सकते हैं कि हम पहले भी ऐसी परिस्थितियों में खेले हैं.’’ वह भारत के हाथों टेस्ट सीरीज में हार को बहुत अधिक तवज्जो नहीं दे रहे हैं जिसमें रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी की बखिया उधेड़ कर रख दी थी. ये दोनों अब वनडे टीम में हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘स्पिन हमेशा चुनौती रही है. यह इंग्लैंड आकर स्विंग गेंदबाजी का सामना करने जैसा है. किसी के लिये भी उनकी घरेलू परिस्थितियों में खेलना चुनौती है तथा आप उनसे कैसे तालमेल बिठाते हैं इस पर मैच का परिणाम निर्भर करेगा.’’ उन्होंने कहा कि उनकी बल्लेबाजी काफी मजबूत है. मोर्गन ने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों से हमारी बल्लेबाजी काफी मजबूत रही है. पिछले दो वर्षों में हर किसी ने किसी न किसी स्तर पर प्रदर्शन किया है.’’ मोर्गन को नहीं लगता कि डेथ ओवरों की गेंदबाज उनके लिये चिंता का विषय है भले ही भारत ए के खिलाफ दोनों मैचों में उनके गेंदबाजों ने अंतिम ओवरों में काफी रन लुटाये. उन्होंने कहा, ‘‘आप पहले 35 ओवरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हो. अंतिम दस ओवरों में 85 से 115 रन तक जा सकते हैं. उस समय गेंदबाजी करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि आप जिसे गेंदबाजी कर रहे हैं उसका एकमात्र एजेंडा गेंद को हिट करना होता है.’’टिप्पणियां इंग्लैंड की टीम के लिये अच्छी खबर यह है कि तेज गेंदबाज लियाम प्लंकेट पूरी तरह से फिट हो गये हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘लियाम प्लंकेट रविवार को चयन के लिये पूरी तरह फिट है. वह निश्चित तौर पर हल्की चोट के साथ दौरे पर आया था लेकिन इसके बाद उसने पूरी फिटनेस हासिल की. उसे जितनी अधिक गेंदबाजी करनी चाहिए थी उतनी नहीं की लेकिन वह चयन के लिये उपलब्ध रहेगा.’’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) आयरलैंड में जन्मे मोर्गन ने मैच की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से कहा, ‘‘भारत में जीत करने की चुनौती कड़ी है लेकिन यह असंभव नहीं है. हाल में ऐसा हुआ था. दक्षिण अफ्रीका ने भारत को हराया और न्यूजीलैंड इसके करीब पहुंच गया था.’’ वह दक्षिण अफ्रीका की 2015 में भारत में वनडे सीरीज में 3-2 से जीत और न्यूजीलैंड की 2-3 से हार का जिक्र कर रहे थे. मोर्गन ने कहा, ‘‘यहां सबसे बड़ी चुनौती परिस्थितियों से तालमेल बिठाना है.’’ मोर्गन ने कहा कि दस महीने पहले विश्व टी20 चैंपियनशिप में भारत में खेलने और फाइनल में पहुंचने के अनुभव से उनकी टीम प्रेरणा लेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम इन चीजों से प्रेरणा ले सकते हैं कि हम पहले भी ऐसी परिस्थितियों में खेले हैं.’’ वह भारत के हाथों टेस्ट सीरीज में हार को बहुत अधिक तवज्जो नहीं दे रहे हैं जिसमें रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी की बखिया उधेड़ कर रख दी थी. ये दोनों अब वनडे टीम में हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘स्पिन हमेशा चुनौती रही है. यह इंग्लैंड आकर स्विंग गेंदबाजी का सामना करने जैसा है. किसी के लिये भी उनकी घरेलू परिस्थितियों में खेलना चुनौती है तथा आप उनसे कैसे तालमेल बिठाते हैं इस पर मैच का परिणाम निर्भर करेगा.’’ उन्होंने कहा कि उनकी बल्लेबाजी काफी मजबूत है. मोर्गन ने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों से हमारी बल्लेबाजी काफी मजबूत रही है. पिछले दो वर्षों में हर किसी ने किसी न किसी स्तर पर प्रदर्शन किया है.’’ मोर्गन को नहीं लगता कि डेथ ओवरों की गेंदबाज उनके लिये चिंता का विषय है भले ही भारत ए के खिलाफ दोनों मैचों में उनके गेंदबाजों ने अंतिम ओवरों में काफी रन लुटाये. उन्होंने कहा, ‘‘आप पहले 35 ओवरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हो. अंतिम दस ओवरों में 85 से 115 रन तक जा सकते हैं. उस समय गेंदबाजी करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि आप जिसे गेंदबाजी कर रहे हैं उसका एकमात्र एजेंडा गेंद को हिट करना होता है.’’टिप्पणियां इंग्लैंड की टीम के लिये अच्छी खबर यह है कि तेज गेंदबाज लियाम प्लंकेट पूरी तरह से फिट हो गये हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘लियाम प्लंकेट रविवार को चयन के लिये पूरी तरह फिट है. वह निश्चित तौर पर हल्की चोट के साथ दौरे पर आया था लेकिन इसके बाद उसने पूरी फिटनेस हासिल की. उसे जितनी अधिक गेंदबाजी करनी चाहिए थी उतनी नहीं की लेकिन वह चयन के लिये उपलब्ध रहेगा.’’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) मोर्गन ने कहा कि दस महीने पहले विश्व टी20 चैंपियनशिप में भारत में खेलने और फाइनल में पहुंचने के अनुभव से उनकी टीम प्रेरणा लेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम इन चीजों से प्रेरणा ले सकते हैं कि हम पहले भी ऐसी परिस्थितियों में खेले हैं.’’ वह भारत के हाथों टेस्ट सीरीज में हार को बहुत अधिक तवज्जो नहीं दे रहे हैं जिसमें रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी की बखिया उधेड़ कर रख दी थी. ये दोनों अब वनडे टीम में हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘स्पिन हमेशा चुनौती रही है. यह इंग्लैंड आकर स्विंग गेंदबाजी का सामना करने जैसा है. किसी के लिये भी उनकी घरेलू परिस्थितियों में खेलना चुनौती है तथा आप उनसे कैसे तालमेल बिठाते हैं इस पर मैच का परिणाम निर्भर करेगा.’’ उन्होंने कहा कि उनकी बल्लेबाजी काफी मजबूत है. मोर्गन ने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों से हमारी बल्लेबाजी काफी मजबूत रही है. पिछले दो वर्षों में हर किसी ने किसी न किसी स्तर पर प्रदर्शन किया है.’’ मोर्गन को नहीं लगता कि डेथ ओवरों की गेंदबाज उनके लिये चिंता का विषय है भले ही भारत ए के खिलाफ दोनों मैचों में उनके गेंदबाजों ने अंतिम ओवरों में काफी रन लुटाये. उन्होंने कहा, ‘‘आप पहले 35 ओवरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हो. अंतिम दस ओवरों में 85 से 115 रन तक जा सकते हैं. उस समय गेंदबाजी करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि आप जिसे गेंदबाजी कर रहे हैं उसका एकमात्र एजेंडा गेंद को हिट करना होता है.’’टिप्पणियां इंग्लैंड की टीम के लिये अच्छी खबर यह है कि तेज गेंदबाज लियाम प्लंकेट पूरी तरह से फिट हो गये हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘लियाम प्लंकेट रविवार को चयन के लिये पूरी तरह फिट है. वह निश्चित तौर पर हल्की चोट के साथ दौरे पर आया था लेकिन इसके बाद उसने पूरी फिटनेस हासिल की. उसे जितनी अधिक गेंदबाजी करनी चाहिए थी उतनी नहीं की लेकिन वह चयन के लिये उपलब्ध रहेगा.’’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) मोर्गन ने कहा, ‘‘स्पिन हमेशा चुनौती रही है. यह इंग्लैंड आकर स्विंग गेंदबाजी का सामना करने जैसा है. किसी के लिये भी उनकी घरेलू परिस्थितियों में खेलना चुनौती है तथा आप उनसे कैसे तालमेल बिठाते हैं इस पर मैच का परिणाम निर्भर करेगा.’’ उन्होंने कहा कि उनकी बल्लेबाजी काफी मजबूत है. मोर्गन ने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों से हमारी बल्लेबाजी काफी मजबूत रही है. पिछले दो वर्षों में हर किसी ने किसी न किसी स्तर पर प्रदर्शन किया है.’’ मोर्गन को नहीं लगता कि डेथ ओवरों की गेंदबाज उनके लिये चिंता का विषय है भले ही भारत ए के खिलाफ दोनों मैचों में उनके गेंदबाजों ने अंतिम ओवरों में काफी रन लुटाये. उन्होंने कहा, ‘‘आप पहले 35 ओवरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हो. अंतिम दस ओवरों में 85 से 115 रन तक जा सकते हैं. उस समय गेंदबाजी करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि आप जिसे गेंदबाजी कर रहे हैं उसका एकमात्र एजेंडा गेंद को हिट करना होता है.’’टिप्पणियां इंग्लैंड की टीम के लिये अच्छी खबर यह है कि तेज गेंदबाज लियाम प्लंकेट पूरी तरह से फिट हो गये हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘लियाम प्लंकेट रविवार को चयन के लिये पूरी तरह फिट है. वह निश्चित तौर पर हल्की चोट के साथ दौरे पर आया था लेकिन इसके बाद उसने पूरी फिटनेस हासिल की. उसे जितनी अधिक गेंदबाजी करनी चाहिए थी उतनी नहीं की लेकिन वह चयन के लिये उपलब्ध रहेगा.’’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) मोर्गन को नहीं लगता कि डेथ ओवरों की गेंदबाज उनके लिये चिंता का विषय है भले ही भारत ए के खिलाफ दोनों मैचों में उनके गेंदबाजों ने अंतिम ओवरों में काफी रन लुटाये. उन्होंने कहा, ‘‘आप पहले 35 ओवरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हो. अंतिम दस ओवरों में 85 से 115 रन तक जा सकते हैं. उस समय गेंदबाजी करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि आप जिसे गेंदबाजी कर रहे हैं उसका एकमात्र एजेंडा गेंद को हिट करना होता है.’’टिप्पणियां इंग्लैंड की टीम के लिये अच्छी खबर यह है कि तेज गेंदबाज लियाम प्लंकेट पूरी तरह से फिट हो गये हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘लियाम प्लंकेट रविवार को चयन के लिये पूरी तरह फिट है. वह निश्चित तौर पर हल्की चोट के साथ दौरे पर आया था लेकिन इसके बाद उसने पूरी फिटनेस हासिल की. उसे जितनी अधिक गेंदबाजी करनी चाहिए थी उतनी नहीं की लेकिन वह चयन के लिये उपलब्ध रहेगा.’’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) इंग्लैंड की टीम के लिये अच्छी खबर यह है कि तेज गेंदबाज लियाम प्लंकेट पूरी तरह से फिट हो गये हैं. मोर्गन ने कहा, ‘‘लियाम प्लंकेट रविवार को चयन के लिये पूरी तरह फिट है. वह निश्चित तौर पर हल्की चोट के साथ दौरे पर आया था लेकिन इसके बाद उसने पूरी फिटनेस हासिल की. उसे जितनी अधिक गेंदबाजी करनी चाहिए थी उतनी नहीं की लेकिन वह चयन के लिये उपलब्ध रहेगा.’’(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ओलेसा युरिव्ना रुलिन (रूसी: Oлeся Юрьевна Pулина; जन्म 17 मार्च, 1986) एक रूसी-अमेरिकी अभिनेत्री हैं। वह हाई स्कूल म्यूजिकल फ्रेंचाइजी की तीनों फिल्मों में केल्सी नीलसन के रूप में सह-अभिनय करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने प्राइवेट वैलेंटाइन: ब्लोंड एंड डेंजरस (2008), फ्लाइंग बाय (2009), एक्सपेक्टिंग मैरी (2010), और फैमिली वीकेंड (2013) फिल्मों में भी अभिनय किया।
पंजाब नेशनल बैंक के 11 हजार करोड़ से ज्यादा के महाघोटाले में आरोपी नीरव मोदी के ठिकानों पर छापेमारी जारी है. अब तक 35 ठिकानों पर छापेमारी में 5600 करोड़ का माल जब्त किया जा चुका है. वहीं, आरोपियों के पासपोर्ट भी रद्द कर दिए हैं. राहुल गांधी का PM मोदी पर बड़ा हमला इस बीच PNB महाघोटाले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री पर हमला बोला है. राहुल ने कहा कि अलग-अलग मंत्री आकर इस मामले पर सफाई दे रहे हैं. लेकिन अभी तक पीएम मोदी ने एक शब्द नहीं कहा है. राहुल ने मांग की है कि पीएम मोदी बताएं कि नीरव मोदी ने जो बैंकिंग सिस्टम से 22 हजार करोड़ रुपये छीन लिया, उसके लिए कौन जिम्मेदार है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री को बोलना पड़ेगा. प्रधानमंत्री को आकर कहना चाहिए, ये घोटाला क्यों और कैसे हुआ? साथ ही राहुल ने कहा कि अब देश को बताना चाहिए कि ये पैसे कैसे वसूले जाएंगे और अब आगे क्या होगा? दरअसल इस मामले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं. शनिवार को कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पहले घोटाले के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया तो जवाब देने के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोर्चा संभाल लिया. सिब्बल के आरोपों पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि ये घोटाला यूपीए के समय हुआ था. उन्होंने कांग्रेस पर देश को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है. Updates... - ED ने इलाहाबाद बैंक के पूर्व निदेशक दिनेश दुबे का बयान दर्ज किया. उन्होंने इलाहाबाद बैंक के निदेशक रहने के दौरान साल 2013 में गीतांजलि जेम्स को लोन मंजूर करने का विरोध किया था. - CBI ने गिरफ्तार पीएनबी के पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेजने की मांग की. - रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के आरोपों पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की सफाई, मेरे परिवार का गीतांजलि से कोई लेना-देना नहीं है. बीजेपी सस्ती राजनीति कर रही है. - ईडी ने चेन्नई, कोलकाता और पटना में गीतांजलि के आउटलेट्स पर छापे मारे. - फर्जीवाड़े के मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और पंजाब नेशनल बैंक प्रबंधन को तलब कर लिया है. - कांग्रेस के आरोप- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को नीरव मोदी के फर्जीवाड़े की पहले से जानकारी थी. - कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा- हमारे देश के चौकीदार पकौड़ा तलने की सलाह दे रहे. आज हालात ये हैं कि चौकीदार सो रहा और चोर भाग गया. - फर्जी LoU जारी कराने वाला पीएनबी का पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी, पीएनबी का पूर्व कर्मचारी मनोज खराट और नीरव मोदी की कंपनी का कर्मचारी हेमंत भट्ट गिरफ्तार. - खबर आ रही है कि नीरव मोदी अमेरिका में न्यूयॉर्क के सबसे महंगे होटल के सुईट में ठहरा हुआ है. जेडब्ल्यू मैरियट एसेक्स हाउस नाम के इस होटल में दुनिया की हर ऐशोआराम वाली चीजें हैं. -ईडी ने शुक्रवार रात पटना में गीतांजलि ज्वैलरी शॉप पर रेड की. पीएनबी के अधिकारी भी मौजूद रहे. -अमेरिका के होटल पर सीबीआई की नजर है. बताया जा रहा है की सीबीआई इस संबंध अमेरिकी सरकार से जानकारी हासिल करने के लिए भारत सरकार से अपील करेगी. -कोलकाता में गीतांजलि के शोरूम पर छापेमारी की गई. शनिवार रात ईडी अधिकारियों ने दुर्गापुर स्थित शोरूम को सील कर दिया. इसके बाद शोरूम के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई है. अमेरिका में होने का शक आरोपी नीरव मोदी के अमेरिका में होने का शक है. न्यूयॉर्क के एक फाइव स्टार होटल में नीरव मोदी की मौजूदगी का शक है. आजतक इस संभावित ठिकाने तक पहुंच गया है. यहां जेडब्ल्यू मैरिएट होटल के 36वें फ्लोर के एक स्यूट में नीरव मोदी ठहरता है. न्यूयॉर्क में यह उसका ठिकाना माना जाता है. हालांकि, अभी तक नीरव की कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है. वहीं, बेल्जियम में भी नीरव के पिता दीपक मोदी से आजतक संवाददाता ने बात की है. आजतक ने फोन के जरिए नीरव के पिता दीपक मोदी से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने अपने बेटे के बारे में पूछे गए सवालों पर चुप्पी साध ली. ED का एक्शन जारी प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में जांच के लिए एक टीम को हांगकांग भेज सकता है या वहां की एजेंसियों को पत्र लिख सकता है. दरअसल, नीरव मोदी ने फर्जी तरीके से प्राप्त साख पत्र (लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग) को ज्यादातर हांगकांग में भुनाया था. इसीलिए वहां टीम भेजने की तैयारी है. -ईडी ने नीरव मोदी और उसकी कंपनी से जुड़ी 29 जुड़ी अचल संपत्तियों की लिस्ट बनाई है. -ईडी ने नीरव मोदी की कंपनी को आदेश दिया है कि मकाऊ, बीजिंग, न्यूयॉर्क और लंदन के आउटलेट पर बिक्री न करें. -अब तक 20 बैंक अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है. 105 बैंक अकाउंट कुर्क नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और उनकी कंपनियों से जुड़े अब तक 105 बैंक अकाउंट्स बंद किए जा चुके हैं. इसके अलावा विदेश में गैरकानूनी संपत्तियां रखने के लिए नीरव मोदी के खिलाफ नए कालाधन रोधक कानून के तहत मामला भी दर्ज किया गया है. नए कानून के तहत अघोषित विदेशी संपत्ति और आय पर 120 प्रतिशत का भारी भरकम जुर्माना लगाने का प्रावधान है. इसमें दस साल जेल की सजा भी हो सकती है.
कल्याण (Kalyan) भारत के महाराष्ट्र राज्य के ठाणे ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले में तालुक का दर्जा रखता है। यह मुम्बई महानगरीय क्षेत्र का भाग है और कल्याण-डोम्बिवली संयुक्त नगर में सम्मिलित है। इतिहास कल्याण महाराष्ट्र में पश्चिम तट पर प्राचीन काल के प्रायद्वीप भारत के प्रमुख व्यापारिक नगरों में से एक रहा है। इस नगर का उल्लेख 'पेरिप्लस ऑव द एरिथ्रियन सी' नामक ग्रंथ में कैलियाना के नाम से मिलता है। 124 ईसवी के जुन्नार अभिलेख में कल्याण विदेशी व्यापार का महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह एवं नगर था। छठी शताब्दी ईस्वी की एक ग्रीक लेखक के अनुसार कल्याण उस समय के छ: प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्रों में से एक था। कल्याण से काँसा, लकड़ी एवं वस्त्र का व्यापार होता था। 14 वीं शताब्दी में मुसलमानों ने इसका नाम इस्लामाबाद रख दिया। 1536 ई में इस पर पुर्तगालियों ने अधिकार कर लिया। 1674 ई. में छत्रपती शिवाजी महाराज ने अंग्रेज़ों को यहाँ एक फैक्ट्री स्थापित करने की इजाजत दे दी थी। 1780 ई. में कल्याण पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। इन्हें भी देखें कल्याण-डोम्बिवली ठाणे ज़िला सन्दर्भ Kalyan Panel Chart Kalyan Chart महाराष्ट्र के शहर ठाणे ज़िला ठाणे ज़िले के नगर मुम्बई के उपनगर कल्याण-डोम्बिवली
LG has taken decision without knowing field reality. Announcement of doorstep delivery scheme was welcomed by all sections of society. Huge setback in Del govt’s efforts to provide good and corruption free governance.. 3/N — Manish Sisodia (@msisodia) December 26, 2017 Huge setback in Del govt’s efforts to provide good and corruption free governance.. 3/N
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ का समर्थन किया है. ठाकरे ने न्यायपालिका के मसले को जाहिर करने के लिए जजों की प्रशंसा की है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम को चौंकानेवाला बताया है. 'मामले में सरकारी हस्तक्षेप ना हो' उद्धव के मुताबिक सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और जजों के खिलाफ कोई एकतरफा कार्रवाई भी नहीं करनी चाहिए. ठाकरे के मुताबिक शोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले के सीबीआई जज लोया की मौत के मामले में जांच होनी चाहिए. ठाकरे ने कहा कि अगर कुछ गलत नहीं है तो किसी को भी जांच-पड़ताल से क्या दिक्कत हो सकती है. 'सीबीआई जज लोया मामले की  हो जांच' बता दें कि कांग्रेस ने भी जज लोया की मौत की शीर्ष स्तरीय जांच कराने की मांग की है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है, 'सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जो सवाल उठाए हैं, वो बेहद जरूरी हैं. इनको ध्यान से देखा जाना चाहिए और इसको सुलझाया जाना चाहिए. जजों ने सीबीआई जज लोया की मौत का मामला उठाया है, जिसकी शीर्ष स्तरीय जांच होनी चाहिए. जो हमारा लीगल सिस्टम है, उस पर हम सब और पूरा हिंदुस्तान भरोसा करता है.' चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस, SC में सबकुछ ठीक नहीं आपको बता दें कि शुक्रवार सुबह देश में पहली बार न्यायपालिका में असाधारण स्थिति देखी गई. सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने मीडिया को संबोधित किया. चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कभी-कभी होता है कि देश में सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी बदलती है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. चारों जजों ने कहा कि अगर हमने देश के सामने ये बातें नहीं रखी और हम नहीं बोले तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. हमने चीफ जस्टिस से अनियमितताओं पर बात की. उन्होंने बताया कि चार महीने पहले हम सभी चार जजों ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था, जो कि प्रशासन के बारे में थे, हमने कुछ मुद्दे उठाए थे. चीफ जस्टिस पर देश को फैसला करना चाहिए, हम बस देश का कर्ज अदा कर रहे हैं.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि उन्होंने फोटो पत्रकार सामूहिक बलात्कार मामले में सरकारी वकील के रूप में पेश होने के लिए प्रख्यात फौजदारी वकील उज्ज्वल निकम से अनुरोध किया है। चव्हाण ने कहा, ‘इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में की जाएगी ताकि पीड़िता को त्वरित न्याय मिल सके।’ निकम से संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने कुछ मिनट पहले मुझे फोन किया था तथा मैंने मामला लेने पर सहमति जताई थी।’ उन्होंने कहा कि राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल ने भी इस मामले के सिलसिले में उनसे बातचीत की थी तथा उन्होंने राज्य की ओर से पेश होने पर अपनी सहमति जताई थी।टिप्पणियां मुख्यमंत्री ने मीडिया से अनुरोध किया कि पीड़िता की निजता की रक्षा की जानी चाहिए। चव्हाण ने कहा, ‘राज्य इस मामले में सर्वोत्तम कानूनी प्रतिभा को लेना चाहता है तथा यह भी चाहता है कि फोटो पत्रकार के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में दोषियों को अधिकतम सजा मिले।’ एक अंग्रेजी पत्रिका में काम करने वाली 23 वर्षीय पीड़िता के साथ 22 अगस्त को शक्ति मिल्स के सूनसान पड़े परिसर में सामूहिक बलात्कार किया गया था। चव्हाण ने कहा, ‘इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में की जाएगी ताकि पीड़िता को त्वरित न्याय मिल सके।’ निकम से संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने कुछ मिनट पहले मुझे फोन किया था तथा मैंने मामला लेने पर सहमति जताई थी।’ उन्होंने कहा कि राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल ने भी इस मामले के सिलसिले में उनसे बातचीत की थी तथा उन्होंने राज्य की ओर से पेश होने पर अपनी सहमति जताई थी।टिप्पणियां मुख्यमंत्री ने मीडिया से अनुरोध किया कि पीड़िता की निजता की रक्षा की जानी चाहिए। चव्हाण ने कहा, ‘राज्य इस मामले में सर्वोत्तम कानूनी प्रतिभा को लेना चाहता है तथा यह भी चाहता है कि फोटो पत्रकार के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में दोषियों को अधिकतम सजा मिले।’ एक अंग्रेजी पत्रिका में काम करने वाली 23 वर्षीय पीड़िता के साथ 22 अगस्त को शक्ति मिल्स के सूनसान पड़े परिसर में सामूहिक बलात्कार किया गया था। मुख्यमंत्री ने मीडिया से अनुरोध किया कि पीड़िता की निजता की रक्षा की जानी चाहिए। चव्हाण ने कहा, ‘राज्य इस मामले में सर्वोत्तम कानूनी प्रतिभा को लेना चाहता है तथा यह भी चाहता है कि फोटो पत्रकार के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में दोषियों को अधिकतम सजा मिले।’ एक अंग्रेजी पत्रिका में काम करने वाली 23 वर्षीय पीड़िता के साथ 22 अगस्त को शक्ति मिल्स के सूनसान पड़े परिसर में सामूहिक बलात्कार किया गया था। चव्हाण ने कहा, ‘राज्य इस मामले में सर्वोत्तम कानूनी प्रतिभा को लेना चाहता है तथा यह भी चाहता है कि फोटो पत्रकार के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में दोषियों को अधिकतम सजा मिले।’ एक अंग्रेजी पत्रिका में काम करने वाली 23 वर्षीय पीड़िता के साथ 22 अगस्त को शक्ति मिल्स के सूनसान पड़े परिसर में सामूहिक बलात्कार किया गया था।
सहीह इब्न खज़ीमा (अंग्रेज़ी:Sahih Ibn Khuzaymah) इसका पूरा नाम मुख्तसर अल-मुख्तसर मिन अल-मुसनद अल-सहीह है। यह नौवीं सदी के सुन्नी विद्वान इब्न खज़ीमा द्वारा संकलित है। हदीस की प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक है। विवरण इब्न खज़ीमा महान मुहद्दिसीन और कला के प्रसिद्ध इमामों में से एक हैं। इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद के जीवन से संबंधित बातों को इसमें संकलित किया है। इस पुस्तक में 4 खंड हैं। मकतबा शमिला के अनुसार किताब में लगभग तीन हजार (3000) हदीस हैं । इब्न अजर के अनुसार, पुस्तक का वास्तविक शीर्षक पुस्तक अल-सही, प्रामाणिक पुस्तक है। इब्न अजर के अनुसार, इसका गुण यह है कि इसमें हर कथन श्रृंखला में बिना किसी ब्रेक या अविश्वसनीय समझे जाने वाले किसी भी कथाकार के बिना ईमानदार कथाकारों के निरंतर जुड़ाव द्वारा समर्थित है। अन्य भाषाओं में भी इसका अनुवाद हुआ है। सुन्नी इस्लाम की कुतुब अल-सित्ताह -सहाह सत्ता (छह प्रमुख हदीस संग्रह) के साथ इसे भी महत्वपूर्ण माना जाता है। हदीस-संग्रह हदीस के निम्नलिखित छः विश्वसनीय संग्रह हैं जिनमें 29,578 हदीसें संग्रहित हैं : सहीह बुख़ारी : संग्रहकर्ता—अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद-बिन-इस्माईल बुख़ारी, हदीसों की संख्या—7225 सहीह मुस्लिम : संग्रहकर्ता—अबुल-हुसैन मुस्लिम बिन अल-हज्जाज, हदीसों की संख्या—4000 जामी अत-तिर्मिज़ी : संग्रहकर्ता—अबू ईसा मुहम्मद बिन ईसा तिर्मिज़ी, हदीसों की संख्या—3891 सुनन अबू दाऊद : संग्रहकर्ता—अबू दाऊद सुलैमान बिन अशअस सजिस्तानी, हदीसों की संख्या—4800 सुनन अन-नसाई : संग्रहकर्ता—अबू अब्दुर्रहमान बिन शुऐब ख़ुरासानी, हदीसों की संख्या—5662 सुनन इब्ने माजह : संग्रहकर्ता—मुहम्मद बिन यज़ीद बिन माजह, हदीसों की संख्या—4000 यह भी देखें हदीस कुतुब अल-सित्ताह हदीस की शब्दावली संदर्भ हदीस पुस्तकें
परली विधानसभा में पंकजा को चचेरे भाई धनंजय मुंडे से मात मिली धनंजय मुंडे को 121186 वोट, पंकजा मुंडे को 90418 वोट मिले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरकर सामने आई है. वहीं राज्‍य में बीजेपी के कई दिग्‍गजों को हार भी मिली है.सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे अपने गढ़ परली से चुनाव हार गई हैं. पंकजा को उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे से मात मिली है. महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष धनंजय मुंडे ने अपनी बहन को लगभग 30000 वोटों से शिकस्त दे दी. धनंजय मुंडे को 121186 वोट मिले तो वहीं पंकजा मुंडे को मात्र 90418 वोट हासिल हुए. बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान पंकजा मुंडे के समर्थन में प्रचार करने के लिए न सिर्फ गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आए थे बल्कि बीजेपी के फायरब्रांड नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी परली में सभा संबोधित की थी‌. चुनाव प्रचार में 370 से पाकिस्‍तान तक की चर्चा पंकजा मुंडे ने गोपीनाथ मुंडे की विरासत के साथ-साथ इस इलाके में आर्टिकल 370, तीन तलाक और पाकिस्तान को भी बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी. पंकजा मुंडे ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि महाराष्ट्र राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्र से अलग नहीं है. ऐसे में राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव क्यों ना हो. लेकिन शायद परली विधानसभा के लोग स्थानीय मुद्दों को लेकर ज्यादा गंभीर थे. क्‍या कहते हैं स्‍थानीय लोग? स्थानीय स्तर पर पंकजा मुंडे के खिलाफ नाराजगी बहुत ज्यादा थी. परली के रहने वाले गुरु प्रसाद का कहना है कि गोपीनाथ मुंडे की वजह से दो बार पंकजा मुंडे को चुनाव में मौका दिया लेकिन उन्होंने क्षेत्र को अपना नहीं समझा. पंकजा मुंडे के पैतृक गांव की सड़क देखकर यकीन नहीं होता कि यह एक मंत्री का पैतृक गांव है. मराठवाड़ा में पानी की किल्लत से पूरा देश वाकिफ है लेकिन इसे दूर करने के लिए भी पंकजा मुंडे द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. धनंजय मुंडे ने रखा ख्‍याल हालांकि स्थानीय लोग यह मानते हैं कि पिछले साल जब सूखा पड़ा तो नगर परिषद पर कमान रखने वाले धनंजय मुंडे ने टैंकरों के जरिए पानी की व्यवस्था की थी. परली के रहने वाले राजू का कहना है कि चुनाव में आप चाहें जिन मुद्दों पर चर्चा कर लो हमारे काम तो स्थानीय नेता ही आएगा. महाराष्ट्र की चुनावी बिसात पर बीजेपी के राष्ट्रवादी मोहरे उतने कामयाब नहीं हो पाए जितनी बीजेपी ने संभावना जताई थी. स्थानीय मोहरों ने राष्ट्रीय मुद्दों को पटखनी दे दी. यही वजह है कि चुनाव में दो बार की विधायक का रसूख, राज्य सरकार में एक मंत्री का दबदबा और सूबे के एक कद्दावर नेता की विरासत का सहारा भी पंकजा मुंडे को नहीं बचा पाया.
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के हर्ष विहार में एक नाबालिग छात्र की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. यह छात्र एक दिन पहले घर से निकला था. तब से उसकी कोई खबर नहीं थी. छात्र की लाश देखकर लगता है कि उसकी बेरहमी से हत्या की गई है. जानकारी के मुताबिक, 14 साल का राजा चौथी में पढ़ता था और संदर नगरी में रहता था. रविवार रात करीब 8 बजे वह घर से निकला था. सोमवार को हर्ष विहार इलाके के जेल रोड के पास किसी ने पुलिस को खबर दी कि एक लाश पड़ी हुई है. मौके पर पुलिस को खून से लथपथ एक लाश मिली, जिसके सिर पर चोट के निशान थे. जांच में पता चला कि ये लाश राजा की ही थी. घरवालों का कहना है कि रविवार रात राजा के नहीं लौटने पर पुलिस को खबर दी गयी थी, लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया. मृतक राजा के फूफा अजमेरी ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि लापता होने की जानकारी देने का बाद भी पुलिस ने लेटलतफी कर दी. यदि समय रहते उसकी तलाश की गई होती तो शायद वह जिंदा बच गया होता. पुलिस ने बताया कि लाश के बारे में सूचना मिलने पर उसको कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. मृतक के परिजनों द्वारा शव की पहचान राजा के रूप में की गई है. इस मामले की जांच शरू कर दी गई है.
गोविंद विनायक करंदीकर (२३ अगस्त १९१८ - १४ मार्च २०१०) मराठी के प्रसिद्ध लेखक थे। वे 'विंदा करंदीकर' के नाम से भी जाने जाते थे। मराठी भाषा के महान कवि करंदीकर को भारत के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ज्ञानपीठ से नवाजा गया था। वे कवि के साथ-साथ निबंधकार और आलोचक भी थे। उन्होंने महान यूनानी विद्वान अरस्तू की कविताओं को मराठी में अनुवाद किया था। करंदीकर को आधुनिक मराठी कवियों में सबसे प्रयोगधर्मी कवि माना जाता है। बाहरी कड़ियाँ मराठी साहित्य के पुरोधा गोविंद विनायक करंदीकर नहीं रहे मराठी साहित्यकार करंदीकर नहीं रहे (खास खबर) मराठी कवि विंदा करंदीकर की कविता विदा हुए विंदा मराठी साहित्यकार ज्ञानपीठ सम्मानित साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप से सम्मानित‎
अक्षय कुमार और निम्रत कौर स्टारर 'एयरलिफ्ट' बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर रही है. इसी के साथ यह 100 करोड़ क्लब में शामिल होने वाली इस साल की पहली फिल्म भी बन गई. फिल्म की कमाई के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह 5 हफ्तों में 127.80 करोड़ देश भर में कमा चुकी है. देशभक्ति का भाव जगाने वाली यह फिल्म गणतंत्र दिवस के पास रिलीज हुई थी और इसका इसे फायदा भी मिला. बता दें कि यह फिल्म सत्य घटना पर आधारित थी. इसमें एक ऐसे इंसान की कहानी दिखाई थी जो खाड़ी युद्ध के दौरान डेढ़ लाख से भी ज्यादा भारतीयों को सुरक्षित निकाल लाता है. हालांकि फिल्म में दिखाई गई घटनाओं पर सवाल उठाए गए हैं लेकिन अच्छे निर्देशन, सधी कहानी और दमदार अभिनय के दम पर यह फिल्म सफल साबित हुई है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बीएमडब्ल्यू हिट ऐंड रन मामले में संजीव नंदा को एक सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी, ताकि वह अपने बीमार दादा से मुलाकात कर सकें. जस्टिस कैलाश गंभीर ने नंदा को एक सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी, ताकि वह अपने 90 साल के अपने दादा पूर्व नौसेना प्रमुख एस.एम.नंदा से मुलाकात कर सकें. नंदा का नौसेना में करियर विशिष्ट रहा है और उन्होंने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी. बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन मामले में संजीव नंदा को 5 साल की सजा सुनाई गई है. गौरतलब है कि लोधी कॉलोनी इलाके में 10 जनवरी 1999 को अपनी बीएमडब्ल्यू कार से 3 पुलिसकर्मियों सहित 6 लोगों को संजीव नंदा ने कुचल दिया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पीरज़ादा पीरज़ादा शब्द उपनाम के तौर पर प्रयोग किया जाता है यह भारतीय उपमहाद्वीप , भारत , बाग्लादेश , पाकिस्तान , अफगानिस्तान आदि देशों में प्रचलित है, पीरज़ादा शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है पीरों (अल्लाह के वालियों) के वंशज उदाहरनार्थ ख्वाजा मोईनुद्दीन अजमेरी के वंशज, सूफी हमीदुद्दीन नागौरी के वंशज, ख्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के परिवार के लोग ख्वाजा फरीदुद्दीन ,ख्वाजा क़ाज़ी हमीदुद्दीन नागौरी, ख्वाजा निज़ामुद्दीन, ख्वाजा नसीरुद्दीन चिराग देहलवि के परिवार के लोगों को पीरज़ादा कहा जाता है, हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के वंशज अजमेर के पीरज़ादे कहलाते हैं ।
दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद में लूट की वारदात को अंजाम देकर भाग रहे बदमाशों की पुलिस के साथ मुठभेड़ हो गई. इस दौरान पुलिस की गोली लगने से एक बदमाश घायल हो गया. जिसे पुलिस ने इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है. जबकि दूसरे बदमाश को पुलिस तलाश कर रही है. वारदात इंदिरापुरम थाना क्षेत्र के वैशाली मेट्रो स्टेशन की है. जहां शुक्रवार की देर शाम सतीश कुमार नामक एक युवक से बाइक सवार बदमाशों ने लैपटॉप और नकदी लूट ली और मौके से भागने लगे. पीड़ित ने मामले की सूचना फौरन पुलिस को दी. लूट की खबर मिलते ही पुलिस हरकत में आ गई. पुलिस ने देर किए बिना बदमाशों को घेराबंदी कर ली और बदमाशों को वैशाली सेक्टर 5 और 6 की पुलिया के पास घेर लिया. इस दौरान पुलिस की बदमाशों से मुठभेड़ हो गई. पुलिस की गोली लगने से एक बदमाश मौके पर ही घायल होकर गिर पड़ा. जबकि उसका अन्य साथी मौके से फरार हो गया. पुलिस के मुताबिक बदमाशों की संख्या दो थी. पुलिस ने घायल बदमाश को फौरन अस्पताल में भर्ती कराया. गाजियबाद पुलिस के अनुसार घायल बदमाश की शिनाख्त 22 वर्षीय चांद पुत्र आस मोहम्मद निवासी इस्लामनगर, गाजियाबाद के रूप में हुई है. जबकि उसका साथी शाहरुख निवासी हिंडन बिहार, साहिबाबाद अभी फरार है. पुलिस फरार बदमाश की तलाश कर रही है.
कान्तो क्षेत्र या कांटो क्षेत्र (関東地方; Kantō region) जापान का सबसे बड़े द्वीप होन्शू का भौगोलिक क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र में ग्रेटर टोक्यो क्षेत्र शामिल हैं, और इसमें सात प्रांत शामिल हैं: गुनमा प्रांत, टोचिगी प्रांत, इबाराकी प्रांत, सैतमा प्रांत, टोक्यो प्रांत, चिबा प्रांत, और कानागावा प्रांत। इसकी सीमाओं के भीतर, भूमि क्षेत्र का 45% से अधिक हिस्सा कान्तो मैदान हैं। शेष क्षेत्र पहाड़ियों और पर्वतों के हैं, जो क्षेत्र की सीमाएं बनाती हैं। जापान सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 1 अक्टूबर, 2010 को एक आधिकारिक जनगणना के अधार पर, यहाँ की जनसंख्या 42,607,376 थी। जोकि जापान की कुल आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा थी। इतिहास सामंत काल में कामकुरा अवधि और फिर ईची अवधि के दौरान, कान्तो आधुनिक विकास का केंद्र बन गया। ग्रेटर टोक्यो क्षेत्र और विशेषकर टोक्यो-योकोहामा महानगरीय क्षेत्र के भीतर, कान्तो न केवल जापान की सरकार की सीट हैं, बल्कि देश के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों और सांस्कृतिक संस्थानों, सबसे बड़ी आबादी और एक बड़े औद्योगिक क्षेत्र का भी हिस्सा हैं। हालांकि अधिकांश कांतो मैदान आवासीय, वाणिज्यिक या औद्योगिक निर्माण के लिए उपयोग किया गया हैं, फिर भी यहाँ अभी भी खेती की जाती हैं। यहाँ चावल मुख्य फसल हैं, हालांकि टोक्यो और योकोहामा के आसपास के क्षेत्र को महानगरीय बाजार के लिए प्राकृतिक उद्यान उत्पाद पैदा करने कि लिये विकसित किया गया हैं। शहर कान्तो क्षेत्र जापान का सबसे उच्च विकसित, शहरीकृत और औद्योगिक हिस्सा हैं। टोक्यो और योकोहामा में प्रकाश और भारी उद्योग केन्द्रित एक एकल औद्योगिक परिसर टोक्यो खाड़ी के पास निर्मित हैं। इस क्षेत्र के अन्य प्रमुख शहरों में कावासाकी (कानागावा प्रांत में); सैतामा (सैतामा प्रांत में); और चिबा (चिबा प्रांत में) हैं। 1991 में औसत जनसंख्या घनत्व 1,192 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गया था। उप-विभाजन उत्तर और दक्षिण क्षेत्र को सबसे अधिक उप-विभाजित किया जाता हैं तो वो है: "उत्तरी कान्तो" (北関東 किता-कांटो) जिसमें इबारकी, टोचिगी, और गुनमा प्रांत शामिल हैं, और "दक्षिणी कान्तो" (南関東 मिनमी-कान्तो), जिसमें सैतामा (कभी-कभी उत्तर में वर्गीकृत ), चिबा, टोक्यो महानगर (कभी-कभी अकेले), और कानागावा प्रांत शामिल हैं। पूर्व और पश्चिम यह विभाजन अक्सर उपयोग नहीं होता हैं, लेकिन कभी-कभी इस्तेमाल भी होता हैं: पूर्वी कान्तो (東関東 हाशिशी-कांटो): इबाराकी, टोचिगी और चिबा प्रांत। पश्चिमी कान्तो (西 関 東 निशी-कांटो): गुनमा, सैटामा, टोक्यो, कानागावा (और कभी कभी यमानाशी) प्रांत। इन्हें भी देखें जापान के क्षेत्र जापान का भूगोल सन्दर्भ Nussbaum, Louis-Frédéric and Käthe Roth. (2005). Japan encyclopedia. Cambridge: Harvard University Press. ; OCLC 58053128 जापान के क्षेत्र
यह एक लेख है: वेलिंग्टन के बेसिन रिजर्व स्टेडियम में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया दूसरा टेस्ट सोमवार को बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गया। बारिश के कारण मैच के पांचवें दिन एक भी ओवर नहीं फैंका जा सका, जिसके बाद मैच ड्रॉ घोषित कर दिया गया।   फॉलोआन खेलने उतरी किवी टीम ने अपनी दूसरी पारी में 2 विकेट खोकर 162 रन बना लिए थे। अभी भी वह इंग्लिश टीम की पहली पारी के स्कोर 49 रन पीछे थे और उसके आठ विकेट अभी बाकी थे।   इससे पहले, बारिश के कारण चौथे दिन भी केवल 35 ओवर ही फैंके जा सके थे। रविवार को चौथे दिन का खेल खत्म होने तक न्यूजीलैंड ने अपनी दूसरी पारी में 2 विकेट खोकर 162 रन बनाए। केन विलियम्सन 55 और रोस टेलर 41 रन बनाकर क्रीज पर मौजूद थे। विलियम्सन और टेलर तीसरे विकेट के लिए अब तक 61 रनों की साझेदारी कर चुके थे।   चौथे दिन न्यूजीलैंड ने अपने तीसरे दिन के स्कोर 1 विकेट पर 77 रनों से आगे खेलना शुरु किया था। लंच तक न्यूजीलैंड ने 2 विकेट खोकर 162 बनाए, जिसके बाद अंतिम दो सत्रों का खेल भारी बारिश के कारण धुल गया।   इससे पहले, तीसरे दिन तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड (6/51) की घातक गेंदबाजी ने न्यूजीलैंड को फालोऑन खेलने पर मजबूर कर दिया था। न्यूजीलैंड की पहली पारी 254 रनों पर सिमट गई थी। जिसके बाद फालोऑन खेलने उतरी मेजबान टीम ने तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक अपनी दूसरी पारी में 1 विकेट खोकर 71 रन बनाए थे।।   शनिवार को तीसरे दिन इंग्लिश गेंदबाजों ने न्यूजीलैंड को दिन के खेल की शुरुआत में ही बेकफुट पर धकेल दिया था। न्यूजीलैंड के लिए सबसे ज्यादा कप्तान ब्रेंडन मैक्लम ने 94 गेंदों का सामना करते हुए 9 चौकों और 1 छक्के की मदद से 69 रनों की पारी खेली।   वहीं, ब्रेडली वाल्टिंग ने 60 रनों का योगदान दिया। मैक्लम और वाल्टिंग ने अपनी टीम की पारी को संभालते हुए छठे विकेट के लिए 100 रनों की अहम साझेदारी की। इन दोनों के अलावा विलियम्सन ने 42, हामिश रदरफोर्ड ने 23 रन बनाए थे।   इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 465 रन बनाए थे। जॉनथन ट्रॉट 121, निक कॉम्पटन 100, प्रायर 82, पीटरसन ने 73 रनों की पारियां खेलीं थीं।   सीरीज़ का तीसरा और आखिरी मैच 22 मार्च से ऑकलैंड में खेला जाएगा।
अपनी सुमधुर धुनों के बल पर विश्व संगीत में एक अलग छाप छोड़ने वाले ऑस्कर पुरस्कार विजेता संगीतकार एआर रहमान के चाहने वालों की संख्या फेसबुक पर एक करोड़ को पार कर गई है और वह इस जादूई आंकड़े को छूने वाले पहले भारतीय हैं। दुनियाभर के एक अरब से अधिक लोगों के दिलों पर राज करने वाली सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर रहमान के आधिकारिक पेज को ‘लाइक’ करने वालों की संख्या एक करोड़ को पार कर गई है। वर्तमान समय में रहमान के पेज को 10,138,509 लोगों ने लाइक किया है और 81,159 लोग उनके बारे में चर्चा कर रहे हैं। रहमान ने इस उपलब्धि पर अपने चाहने वालों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा, ‘एक करोड़ धन्यवाद’। प्रशंसकों की इस दौड़ में रिकार्डों के शहंशाह सचिन तेंदुलकर दूसरे नंबर पर हैं जिनके आधिकारिक पेज को 9,109,898 लोगों ने ‘लाइक’ किया है। प्रशंसकों के मामले में बालीवुड के ‘दबंग’ सलमान खान 7,534,959 प्रशंसकों के साथ तीसरे नंबर पर हैं। हिंदी फिल्मों के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान 6,367,036 के साथ चौथे नंबर पर हैं जबकि महानायक अमिताभ बच्चन के 3,600,477 लाख फालोवर हैं और वे पांचवें नंबर पर हैं।टिप्पणियां ‘पीसी’ यानी प्रियंका चोपड़ा फेसबुक पर 3,552,699 दीवानों के साथ छठवें नंबर पर हैं। अभिनेता रितिक रोशन सातवें (3,425,783 प्रशंसक), बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान आठवें (3,353,299 प्रशंसक), खिलाड़ियों के खिलाड़ी अक्षय कुमार नौंवें (3,320,904 प्रशंसक) और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर 2,820,017 प्रशंसकों के साथ 10 नंबर पर हैं। उल्लेखनीय है कि प्रशंसकों के मामले में पहले नंबर पर चल रहे रहमान, अमिताभ और सचिन तेंदुलकर के फेसबुक पर आने के बाद पिछड़ गए थे लेकिन अब उन्होंने फिर से अपना खोया हुआ स्थान हासिल कर लिया है। एआर रहमान के माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी 18 लाख से अधिक फालोवर हैं। दुनियाभर के एक अरब से अधिक लोगों के दिलों पर राज करने वाली सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर रहमान के आधिकारिक पेज को ‘लाइक’ करने वालों की संख्या एक करोड़ को पार कर गई है। वर्तमान समय में रहमान के पेज को 10,138,509 लोगों ने लाइक किया है और 81,159 लोग उनके बारे में चर्चा कर रहे हैं। रहमान ने इस उपलब्धि पर अपने चाहने वालों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा, ‘एक करोड़ धन्यवाद’। प्रशंसकों की इस दौड़ में रिकार्डों के शहंशाह सचिन तेंदुलकर दूसरे नंबर पर हैं जिनके आधिकारिक पेज को 9,109,898 लोगों ने ‘लाइक’ किया है। प्रशंसकों के मामले में बालीवुड के ‘दबंग’ सलमान खान 7,534,959 प्रशंसकों के साथ तीसरे नंबर पर हैं। हिंदी फिल्मों के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान 6,367,036 के साथ चौथे नंबर पर हैं जबकि महानायक अमिताभ बच्चन के 3,600,477 लाख फालोवर हैं और वे पांचवें नंबर पर हैं।टिप्पणियां ‘पीसी’ यानी प्रियंका चोपड़ा फेसबुक पर 3,552,699 दीवानों के साथ छठवें नंबर पर हैं। अभिनेता रितिक रोशन सातवें (3,425,783 प्रशंसक), बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान आठवें (3,353,299 प्रशंसक), खिलाड़ियों के खिलाड़ी अक्षय कुमार नौंवें (3,320,904 प्रशंसक) और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर 2,820,017 प्रशंसकों के साथ 10 नंबर पर हैं। उल्लेखनीय है कि प्रशंसकों के मामले में पहले नंबर पर चल रहे रहमान, अमिताभ और सचिन तेंदुलकर के फेसबुक पर आने के बाद पिछड़ गए थे लेकिन अब उन्होंने फिर से अपना खोया हुआ स्थान हासिल कर लिया है। एआर रहमान के माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी 18 लाख से अधिक फालोवर हैं। वर्तमान समय में रहमान के पेज को 10,138,509 लोगों ने लाइक किया है और 81,159 लोग उनके बारे में चर्चा कर रहे हैं। रहमान ने इस उपलब्धि पर अपने चाहने वालों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा, ‘एक करोड़ धन्यवाद’। प्रशंसकों की इस दौड़ में रिकार्डों के शहंशाह सचिन तेंदुलकर दूसरे नंबर पर हैं जिनके आधिकारिक पेज को 9,109,898 लोगों ने ‘लाइक’ किया है। प्रशंसकों के मामले में बालीवुड के ‘दबंग’ सलमान खान 7,534,959 प्रशंसकों के साथ तीसरे नंबर पर हैं। हिंदी फिल्मों के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान 6,367,036 के साथ चौथे नंबर पर हैं जबकि महानायक अमिताभ बच्चन के 3,600,477 लाख फालोवर हैं और वे पांचवें नंबर पर हैं।टिप्पणियां ‘पीसी’ यानी प्रियंका चोपड़ा फेसबुक पर 3,552,699 दीवानों के साथ छठवें नंबर पर हैं। अभिनेता रितिक रोशन सातवें (3,425,783 प्रशंसक), बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान आठवें (3,353,299 प्रशंसक), खिलाड़ियों के खिलाड़ी अक्षय कुमार नौंवें (3,320,904 प्रशंसक) और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर 2,820,017 प्रशंसकों के साथ 10 नंबर पर हैं। उल्लेखनीय है कि प्रशंसकों के मामले में पहले नंबर पर चल रहे रहमान, अमिताभ और सचिन तेंदुलकर के फेसबुक पर आने के बाद पिछड़ गए थे लेकिन अब उन्होंने फिर से अपना खोया हुआ स्थान हासिल कर लिया है। एआर रहमान के माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी 18 लाख से अधिक फालोवर हैं। प्रशंसकों की इस दौड़ में रिकार्डों के शहंशाह सचिन तेंदुलकर दूसरे नंबर पर हैं जिनके आधिकारिक पेज को 9,109,898 लोगों ने ‘लाइक’ किया है। प्रशंसकों के मामले में बालीवुड के ‘दबंग’ सलमान खान 7,534,959 प्रशंसकों के साथ तीसरे नंबर पर हैं। हिंदी फिल्मों के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान 6,367,036 के साथ चौथे नंबर पर हैं जबकि महानायक अमिताभ बच्चन के 3,600,477 लाख फालोवर हैं और वे पांचवें नंबर पर हैं।टिप्पणियां ‘पीसी’ यानी प्रियंका चोपड़ा फेसबुक पर 3,552,699 दीवानों के साथ छठवें नंबर पर हैं। अभिनेता रितिक रोशन सातवें (3,425,783 प्रशंसक), बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान आठवें (3,353,299 प्रशंसक), खिलाड़ियों के खिलाड़ी अक्षय कुमार नौंवें (3,320,904 प्रशंसक) और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर 2,820,017 प्रशंसकों के साथ 10 नंबर पर हैं। उल्लेखनीय है कि प्रशंसकों के मामले में पहले नंबर पर चल रहे रहमान, अमिताभ और सचिन तेंदुलकर के फेसबुक पर आने के बाद पिछड़ गए थे लेकिन अब उन्होंने फिर से अपना खोया हुआ स्थान हासिल कर लिया है। एआर रहमान के माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी 18 लाख से अधिक फालोवर हैं। हिंदी फिल्मों के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान 6,367,036 के साथ चौथे नंबर पर हैं जबकि महानायक अमिताभ बच्चन के 3,600,477 लाख फालोवर हैं और वे पांचवें नंबर पर हैं।टिप्पणियां ‘पीसी’ यानी प्रियंका चोपड़ा फेसबुक पर 3,552,699 दीवानों के साथ छठवें नंबर पर हैं। अभिनेता रितिक रोशन सातवें (3,425,783 प्रशंसक), बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान आठवें (3,353,299 प्रशंसक), खिलाड़ियों के खिलाड़ी अक्षय कुमार नौंवें (3,320,904 प्रशंसक) और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर 2,820,017 प्रशंसकों के साथ 10 नंबर पर हैं। उल्लेखनीय है कि प्रशंसकों के मामले में पहले नंबर पर चल रहे रहमान, अमिताभ और सचिन तेंदुलकर के फेसबुक पर आने के बाद पिछड़ गए थे लेकिन अब उन्होंने फिर से अपना खोया हुआ स्थान हासिल कर लिया है। एआर रहमान के माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी 18 लाख से अधिक फालोवर हैं। ‘पीसी’ यानी प्रियंका चोपड़ा फेसबुक पर 3,552,699 दीवानों के साथ छठवें नंबर पर हैं। अभिनेता रितिक रोशन सातवें (3,425,783 प्रशंसक), बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान आठवें (3,353,299 प्रशंसक), खिलाड़ियों के खिलाड़ी अक्षय कुमार नौंवें (3,320,904 प्रशंसक) और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर 2,820,017 प्रशंसकों के साथ 10 नंबर पर हैं। उल्लेखनीय है कि प्रशंसकों के मामले में पहले नंबर पर चल रहे रहमान, अमिताभ और सचिन तेंदुलकर के फेसबुक पर आने के बाद पिछड़ गए थे लेकिन अब उन्होंने फिर से अपना खोया हुआ स्थान हासिल कर लिया है। एआर रहमान के माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी 18 लाख से अधिक फालोवर हैं। उल्लेखनीय है कि प्रशंसकों के मामले में पहले नंबर पर चल रहे रहमान, अमिताभ और सचिन तेंदुलकर के फेसबुक पर आने के बाद पिछड़ गए थे लेकिन अब उन्होंने फिर से अपना खोया हुआ स्थान हासिल कर लिया है। एआर रहमान के माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी 18 लाख से अधिक फालोवर हैं।
लेख: पाकिस्तान ने आतंकवाद और उसके वित्तीय पोषण पर रोक लगाने के लिए एक वैश्विक निगरानी संस्था समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के देश पर बढ़ते दबाव के बीच हाफिज सईद के आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा के एक नए नए छद्म संगठन 'तहरीक-ए-आजादी जम्मू कश्मीर' पर गुपचुप तरीके से प्रतिबंध लगा दिया है. तहरीक ने लाहौर में सईद को 90 दिन के लिए 'नजरबंद ' किए जाने के बाद पांच फरवरी को 'कश्मीर दिवस ' पर पाकिस्तान भर में बैनर लहराने और कश्मीर की आजादी के समर्थन में रैलियां करने पर जमात-उद-दावा के एक नए नए छद्म संगठन के तौर पर पहचान हासिल की थी. वर्ष 2008 के मुंबई हमले के सरगना ने अपनी नजरबंदी से एक सप्ताह पहले ऐसे संकेत दिए थे कि वह 'कश्मीर की आजादी के अभियान को तेज करने के लिए ' तहरीक की स्थापना कर सकता है. मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे. जमात-उद-दावा को नए सिरे से तहरीक के रूप में शुरू करना दिखाता है कि सईद ने इस बात पर काम किया है कि जमात उद दावा और उससे जुड़े फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर कार्वाई के बाद कैसे उसे फिर से खड़ा किया जा सकता है. पाकिस्तान के राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी प्राधिकरण की वेबसाइट पर उपलब्ध सूची के अनुसार, स्पेन में वित्तीय कार्रवाई बल (एफएटीएफ) की बैठक से पहले आठ जून को जमात उद दावा को 'प्रतिबंधित संगठनों ' की सूची में डाल दिया गया था. द नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक जमात-उद-दावा ने अपने नए मोर्चे पर प्रतिबंध पर चर्चा करने के लिए सोमवर को एक बैठक बुलाई. प्रतिबंधित संगठनों की सूची में भारत में 26/11 हमले और कई अन्य हमले करने के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान और जमात-उद-दावा की सशस्त्र इकाई लश्कर-ए-तैयबा समेत 64 अन्य संगठन भी शामिल है. पाकिस्तानी अखबार डॉन में आज प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान इस बात को लेकर एफएटीएफ के रडार पर है कि वह संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध संगठनों के खिलाफ प्रतिबंधों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहा है. भारत ने इस वर्ष फरवरी ने एफएटीएफ में आतंकवाद के वित्तीय पोषण का मुद्दा उठाया था. पाकिस्तान सरकार पर आतंकवादी नेटवर्को और उनके मोर्चो पर कार्रवाई करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. बहरहाल, खबर के मुताबिक, पाकिस्तान अधिकारियों को उम्मीद है कि पाकिस्तान इन परेशानियों से बाहर निकल आएगा. संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा और एफआईएफ दोनों को क्रमश: 2008 और 2012 में अपनी निगरानी सूची में रखा था. टीएजेके पर कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन से एक दिन पहले आठ जून को प्रतिबंध लगाया गया. भारत ने इस सम्मेलन में आतंकवादी संगठनों और उनके मोर्चो के वित्तीय पोषण पर लगाम लगाने के लिए एससीओ के सदस्यों पर दबाव डाला था.टिप्पणियां गत सप्ताह अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. यह घोषणा तब की गई जब कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात होनी थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) जमात-उद-दावा को नए सिरे से तहरीक के रूप में शुरू करना दिखाता है कि सईद ने इस बात पर काम किया है कि जमात उद दावा और उससे जुड़े फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर कार्वाई के बाद कैसे उसे फिर से खड़ा किया जा सकता है. पाकिस्तान के राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी प्राधिकरण की वेबसाइट पर उपलब्ध सूची के अनुसार, स्पेन में वित्तीय कार्रवाई बल (एफएटीएफ) की बैठक से पहले आठ जून को जमात उद दावा को 'प्रतिबंधित संगठनों ' की सूची में डाल दिया गया था. द नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक जमात-उद-दावा ने अपने नए मोर्चे पर प्रतिबंध पर चर्चा करने के लिए सोमवर को एक बैठक बुलाई. प्रतिबंधित संगठनों की सूची में भारत में 26/11 हमले और कई अन्य हमले करने के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान और जमात-उद-दावा की सशस्त्र इकाई लश्कर-ए-तैयबा समेत 64 अन्य संगठन भी शामिल है. पाकिस्तानी अखबार डॉन में आज प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान इस बात को लेकर एफएटीएफ के रडार पर है कि वह संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध संगठनों के खिलाफ प्रतिबंधों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहा है. भारत ने इस वर्ष फरवरी ने एफएटीएफ में आतंकवाद के वित्तीय पोषण का मुद्दा उठाया था. पाकिस्तान सरकार पर आतंकवादी नेटवर्को और उनके मोर्चो पर कार्रवाई करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. बहरहाल, खबर के मुताबिक, पाकिस्तान अधिकारियों को उम्मीद है कि पाकिस्तान इन परेशानियों से बाहर निकल आएगा. संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा और एफआईएफ दोनों को क्रमश: 2008 और 2012 में अपनी निगरानी सूची में रखा था. टीएजेके पर कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन से एक दिन पहले आठ जून को प्रतिबंध लगाया गया. भारत ने इस सम्मेलन में आतंकवादी संगठनों और उनके मोर्चो के वित्तीय पोषण पर लगाम लगाने के लिए एससीओ के सदस्यों पर दबाव डाला था.टिप्पणियां गत सप्ताह अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. यह घोषणा तब की गई जब कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात होनी थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) पाकिस्तान के राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी प्राधिकरण की वेबसाइट पर उपलब्ध सूची के अनुसार, स्पेन में वित्तीय कार्रवाई बल (एफएटीएफ) की बैठक से पहले आठ जून को जमात उद दावा को 'प्रतिबंधित संगठनों ' की सूची में डाल दिया गया था. द नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक जमात-उद-दावा ने अपने नए मोर्चे पर प्रतिबंध पर चर्चा करने के लिए सोमवर को एक बैठक बुलाई. प्रतिबंधित संगठनों की सूची में भारत में 26/11 हमले और कई अन्य हमले करने के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान और जमात-उद-दावा की सशस्त्र इकाई लश्कर-ए-तैयबा समेत 64 अन्य संगठन भी शामिल है. पाकिस्तानी अखबार डॉन में आज प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान इस बात को लेकर एफएटीएफ के रडार पर है कि वह संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध संगठनों के खिलाफ प्रतिबंधों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहा है. भारत ने इस वर्ष फरवरी ने एफएटीएफ में आतंकवाद के वित्तीय पोषण का मुद्दा उठाया था. पाकिस्तान सरकार पर आतंकवादी नेटवर्को और उनके मोर्चो पर कार्रवाई करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. बहरहाल, खबर के मुताबिक, पाकिस्तान अधिकारियों को उम्मीद है कि पाकिस्तान इन परेशानियों से बाहर निकल आएगा. संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा और एफआईएफ दोनों को क्रमश: 2008 और 2012 में अपनी निगरानी सूची में रखा था. टीएजेके पर कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन से एक दिन पहले आठ जून को प्रतिबंध लगाया गया. भारत ने इस सम्मेलन में आतंकवादी संगठनों और उनके मोर्चो के वित्तीय पोषण पर लगाम लगाने के लिए एससीओ के सदस्यों पर दबाव डाला था.टिप्पणियां गत सप्ताह अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. यह घोषणा तब की गई जब कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात होनी थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) द नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक जमात-उद-दावा ने अपने नए मोर्चे पर प्रतिबंध पर चर्चा करने के लिए सोमवर को एक बैठक बुलाई. प्रतिबंधित संगठनों की सूची में भारत में 26/11 हमले और कई अन्य हमले करने के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान और जमात-उद-दावा की सशस्त्र इकाई लश्कर-ए-तैयबा समेत 64 अन्य संगठन भी शामिल है. पाकिस्तानी अखबार डॉन में आज प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान इस बात को लेकर एफएटीएफ के रडार पर है कि वह संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध संगठनों के खिलाफ प्रतिबंधों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहा है. भारत ने इस वर्ष फरवरी ने एफएटीएफ में आतंकवाद के वित्तीय पोषण का मुद्दा उठाया था. पाकिस्तान सरकार पर आतंकवादी नेटवर्को और उनके मोर्चो पर कार्रवाई करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. बहरहाल, खबर के मुताबिक, पाकिस्तान अधिकारियों को उम्मीद है कि पाकिस्तान इन परेशानियों से बाहर निकल आएगा. संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा और एफआईएफ दोनों को क्रमश: 2008 और 2012 में अपनी निगरानी सूची में रखा था. टीएजेके पर कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन से एक दिन पहले आठ जून को प्रतिबंध लगाया गया. भारत ने इस सम्मेलन में आतंकवादी संगठनों और उनके मोर्चो के वित्तीय पोषण पर लगाम लगाने के लिए एससीओ के सदस्यों पर दबाव डाला था.टिप्पणियां गत सप्ताह अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. यह घोषणा तब की गई जब कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात होनी थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) पाकिस्तानी अखबार डॉन में आज प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान इस बात को लेकर एफएटीएफ के रडार पर है कि वह संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध संगठनों के खिलाफ प्रतिबंधों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहा है. भारत ने इस वर्ष फरवरी ने एफएटीएफ में आतंकवाद के वित्तीय पोषण का मुद्दा उठाया था. पाकिस्तान सरकार पर आतंकवादी नेटवर्को और उनके मोर्चो पर कार्रवाई करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. बहरहाल, खबर के मुताबिक, पाकिस्तान अधिकारियों को उम्मीद है कि पाकिस्तान इन परेशानियों से बाहर निकल आएगा. संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा और एफआईएफ दोनों को क्रमश: 2008 और 2012 में अपनी निगरानी सूची में रखा था. टीएजेके पर कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन से एक दिन पहले आठ जून को प्रतिबंध लगाया गया. भारत ने इस सम्मेलन में आतंकवादी संगठनों और उनके मोर्चो के वित्तीय पोषण पर लगाम लगाने के लिए एससीओ के सदस्यों पर दबाव डाला था.टिप्पणियां गत सप्ताह अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. यह घोषणा तब की गई जब कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात होनी थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) भारत ने इस वर्ष फरवरी ने एफएटीएफ में आतंकवाद के वित्तीय पोषण का मुद्दा उठाया था. पाकिस्तान सरकार पर आतंकवादी नेटवर्को और उनके मोर्चो पर कार्रवाई करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. बहरहाल, खबर के मुताबिक, पाकिस्तान अधिकारियों को उम्मीद है कि पाकिस्तान इन परेशानियों से बाहर निकल आएगा. संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा और एफआईएफ दोनों को क्रमश: 2008 और 2012 में अपनी निगरानी सूची में रखा था. टीएजेके पर कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन से एक दिन पहले आठ जून को प्रतिबंध लगाया गया. भारत ने इस सम्मेलन में आतंकवादी संगठनों और उनके मोर्चो के वित्तीय पोषण पर लगाम लगाने के लिए एससीओ के सदस्यों पर दबाव डाला था.टिप्पणियां गत सप्ताह अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. यह घोषणा तब की गई जब कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात होनी थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) टीएजेके पर कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन से एक दिन पहले आठ जून को प्रतिबंध लगाया गया. भारत ने इस सम्मेलन में आतंकवादी संगठनों और उनके मोर्चो के वित्तीय पोषण पर लगाम लगाने के लिए एससीओ के सदस्यों पर दबाव डाला था.टिप्पणियां गत सप्ताह अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. यह घोषणा तब की गई जब कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात होनी थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) गत सप्ताह अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. यह घोषणा तब की गई जब कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात होनी थी.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ट्विस्टर 1996 में प्रदर्शित एक आपदा/रोमांच फिल्म है। इसमें अभिनेत्री हेलन हंट व अभिनेता बिल पैक्सटन बवंडर-अनुसंधान में रत तूफान का पीछा करने वालों की भूमिका में हैं। इसे यान डि बौंट ने निर्देशित किया है। यह फिल्म माइकल क्राइटन व एन- मैरी मार्टिन द्वारा लिखित कथानक पर आधारित थी व इसके कार्यकारी निर्माताओं में स्टीवन स्पीलबर्ग, वाल्टर पार्क्स, लौरी मैक्डोनल्ड व जेराल्ड आर. मौलेन शामिल थे। 1996 में गृह व्यापार में फिल्म ट्विस्टर दूसरी सबसे बड़ी सफल फिल्म थी, तथा अमेरिका भर में इसके 5.5 करोड़ टिकट बिके. फिल्म में तूफान अनुसरण करने वालों की टीम एक ऐसा तथ्य एकत्रण यंत्र तैयार करने में जुटी है जो कि बवंडर (ट्विस्टर) की कीप के मध्य में लगाया जा सके. इस कार्य में उनकी प्रतिद्वंद्वी एक अन्य टीम भी है जिनके पास अधिक धन उपलब्ध है और वो ओकलाहोमा में आए बवंडर के दौरान वैसा ही यंत्र बनाकर लगाने में प्रयासरत हैं। फिल्म की पटकथा एन. ओ. ए. ए. के अनुसंधान प्रोजेक्ट 'वोरटेक्स' का नाट्य रूपांतर है, तथा इसमें प्रयोग किया गया यंत्र डोरोथी 80 के दशक में एन. एस. एस. एल. द्वारा प्रयोग किए गए यंत्र टोटो की नकल थी। ट्विस्टर पहली ऐसी हॉलीवुड फीचर फिल्म बनी जिसे डीवीडी फॉर्मेट में रिलीज किया गया। साथ ही एचडीडीवीडी में रिलीज होने वाली यह आखिरी फिल्म भी थी। बाद में ट्विस्टर को ब्लू रे डिस्क के रूप में भी उतारा गया। 1997 के अकादमी पुरस्कारों में इसे सर्वश्रेष्ठ ध्वनि व सर्वश्रेष्ठ विजुअल इफेक्ट्स के लिए नामांकित किया गया। मूलकथा जून 1969 में एक परिवार बवंडर से बचता हुआ आश्रम में आता है। पिता अपने परिवार को बचाने के लिए तहखाने का द्वार दबा कर पकड़ लेता है परंतु बवंडर में खींचा जाता है और प्राणों से हाथ धो बैठता है। इस भयावह दृश्य को उसकी पत्नी व बेटी जो देख लेते हैं, जो हालांकि इस दृश्य व पिता की मौत से भयभीत हैं परंतु फिर भी उसे बवंडर की शक्ति आकर्षित करती है। इसके तुरंत बाद फिल्म में दृश्य आधुनिक काल में आ जाते हैं तथा 'गोज 8' उपग्रह पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। एन. एस. एस. एल. (राष्ट्रीय गहन तूफान लैब) के मौसमविद यह मंत्रणा कर रहे हैं कि कैसे ओकलाहोमा के ऊपर एक तूफानों का चक्र इकट्ठा हो रहा है, जिस बवंडरों का एक रिकॉर्ड समूह राज्य पर बरपा हो सकता है। इसके बाद फिल्म में बिल हार्डिंग (बिल पैक्सटन) उनकी मंगेतर डॉक्टर मेलिसा रीव्स (जामी गर्ट्ज) तथा बिल की तलाक की कगार पर खड़ी पत्नी डॉक्टर जो हार्डिंग (हेलन हंट) का पदार्पण होता है। बिल व मेलिसा जो हार्डिंग से तलाक के कागज लेने जा रहे हैं। बिल अब सेवा निवृत हो चुके हैं व जो उनकी पुरानी तूफान अनुसरण टीम की सदस्य हैं। बवंडर में हुई पिता की मृत्यु के बाद जो यह प्रण कर चुकी हैं कि वह अधिकाधिक बवंडरों का पीछा करेंगी ताकि जो उनके पिता के साथ हुआ वह किसी और के साथ न हो. जो के अलावा टीम के अन्य सदस्य हैं सनकी डस्टी डेविस (फिलिप सेमर हॉफमन), रॉबर्ट 'रैबिट' न्यूरिक (एलन रक), पथ प्रदर्शक फोटोग्राफर लॉरेंस (जरमी डेविस), जोई (जोई स्लोटनिक), एलन सांडर्स (शॉन वेलन) (रैबिट का वाहन चालक), टिम 'बेल्टजर लुइस' (टाड फील्ड), हेनूस (वेंडल जासपेहर) (बेल्टजर का साथी) तथा जेसन 'प्रीचर' रोव (स्कॉट थाम्पसन). जो अभी भी बिल से प्रेम करती है तथा तलाक रोकने की कोशिश करती हैं, वह इस शादी को खत्म नहीं होने देना चाहती. वह बताती हैं कि उन्होंने बिल को इसलिए बुलाया क्योंकि उसका तूफान अनुसरण यंत्र डेरोथी तैयार हो चुका है। वह बवंडर के मार्ग के बीचों बीच इसे रख कर उसके तथ्य मापेंगे. ऐसे चार यंत्र तैयार किए जा चुके हैं। हेन्स उन्हें तूफान की प्रगति के बारे में बताता है और वे चल निकलते हैं। इतने में बिल की प्रतिद्वंद्वी टीम डॉक्टर जोनस मिलर (केरी एल्वस) व उनके सहयोगी एड्डी (जैक ग्रेनियर) भी आ पहुंचते हैं। बिल के अनुसार जोनस इस काम में विज्ञान के लिए नहीं बल्कि धन के लिए लगे हैं। जोनस को एक समाचार पत्र में साक्षात्कार देते हुए देख लेते हैं जहां वे पाते हैं कि जोनस ने उनकी 'डोरोथी' मौसम मशीन का आइडिया चुरा लिया है तथा उसे अपनी मशीन डी. ओ. टी. 3 या डिजिटल ऑर्फाग्रापिक टेलीमीटर (Digital Orphagraphic Telemeter) का नाम दे रहे हैं। बिल उन पर अपना आइडिया चोरी का आरोप लगाते हैं परंतु जोनस कहते हैं कि यह केवल एक विचार था तथा सारा काम उन्होंने ने ही किया है। जो की टीम को प्रोत्साहित करने के लिए बिल एक दिन उनके साथ रहने का फैसला करते हैं। बिल व जो की टीम निकल पड़ती है तथा इसी बीच वे दोनों अपनी शादी के विषय में उन्मुक्त चर्चा करते हैं। बेल्टजर एफ 1 ग्रेड का एक छोटा बवंडर पास के खेत में देखते हैं तथा टीम को आगाह करते हैं। बिल व जो उसे देखने के लिए गाड़ी को एक गड्ढे में ले जाते हैं परंतु बाहर नहीं निकल पाते. इतने में बवंडर पास आ जाता है। वे एक छोटे पुल से टकरा जाते हैं तथा इसके नीचे आश्रय लेते हैं। जो बवंडर के निकट परंतु बिल उन्हें रोकते हैं, इतने में बवंडर उनका ट्रक उड़ा ले जाता है। यह ट्रक पीछे बिल का ट्रक चला कर आ रही मेलिसा के आगे जा गिरता है। वे बमुश्किल टक्कर बचा पाती हैं। जो नुकसान का जायजा लेती हैं व बिल उन्हें दिलासा देते हैं, तब जो खराब हुई डोरोथी मशीन से कुछ सेंसर उठाती हैं। जोनस की टीम भी आ पहुंचती है, परंतु तब तक बवंडर निकल चुका है व वे आगे चल पड़ते हैं। अपना ट्रक बर्बाद होने के बाद जो बिल को उनका ट्रक डोरोथी मशीन ले जाने के लिए इस्तेमाल करने को मना लेती हैं। बिल की टीम पुन: चल निकलती है तथा अब बिल मेलिसा व जो एक ही ट्रक में सवार होते हैं। उन्हें एक अन्य बवंडर (ग्रेड एफ 2) नजर आता है, तथा बिल व जोनस दोनों की टीमें उस ओर चल पड़तीं हैं। बिल संज्ञान करते हैं कि यह बवंडर रास्ता बदलेगा तथा वे पिछली सड़क लेने का फैसला करते हैं। जल्दी ही बिल एक पुल पर पहुंचते हैं जहां उनका सामना जल स्तंभों से होता है जो ट्रक हिला देते हैं। तभी उनकी टीम भी वहां आ पहुंचती है, तथा जो उनके साथ खुशी मनाती हैं। मेलिसा बिल की पुरानी जीवन शैली पर प्रश्न चिन्ह लगाती है व भावुक हो रो पड़ती हैं। टीम जो की आंटी मेग ग्रीन (लोआ स्मिथ) के ओकलाहोमा स्थित वाकिटा शहर में स्थित घर में भोजन व आराम के लिए रोकती है। मेग जो को चुपके से बताती है कि शादी टूटने का कारण बिल है "क्योंकि बिल ने अपना दायित्व नहीं निभाया". टीम को टीवी देखते हुए पता चलता है कि ग्रेड एफ 3 का एक बवंडर आ रहा है तथा वे उसे देखने निकल पड़ते हैं। बिल व जो ट्रक में जाते हैं व मेलिसा डस्टी के साथ उसकी परिवर्तित स्कूल बस में जाती हैं। वे जोनस की टीम को हराने की कोशिश में उससे टकराते-टकराते बचे। बिल की टीम बवंडर का मार्ग ज्ञात करने का प्रयास करती है क्योंकि उनसे कंप्यूटर बता रहे हैं कि वह उनके पीछे उसी सड़क पर आ रहा है। बिल और जो समझ जाते हैं कि बवंडर एक पहाड़ी के पीछे है, तथा उसे पाने के लिए वे ओलों का सामना करते हैं। बवंडर देखते ही वे डोरोथी 2 मशीन लगाने की कोशिश करते हैं परंतु समय नहीं मिल पाता. ट्रक पर बिजली का एक खंबा गिर जाता है और मशीन खराब हो जाती है। बवंडर वापिस बादलों में छिप जाता है। जो सेंसर उठाने की कोशिश करती हैं परंतु बिल देखते हैं कि बवंडर लुप्त नहीं हुआ है बल्कि घूम कर पीछे से फिर आ रहा है। अत: वे जो को सुरक्षित ट्रक में खींच लेते हैं। बवंडर फिर लौट आता है। वे दूर सुरक्षित स्थान पर पहुंचते तथा जो बिखरे सेंसर फिर इकट्ठा करने की कोशिश करती हैं। वे बिल के रोकने पर गुस्सा होती हैं। बिल उन्हें बताते हैं कि वे डोरोथी की सफलता के पीछे इसलिए दीवानी हैं ताकि उनके परिवार वाला हाल किसी और का न हो. बिल जो को यह भी कहते हैं कि उनके मन में अभी भी उसके प्रति प्रेम भावनाएं हैं। मेलिसा व टीम के अन्य सदस्य सी बी रेडियो पर उनकी सारी वार्ता सुन लेते हैं। बिल की टीम एक 'ड्राइव-इन' थिएटर पर आती है जहां जो तलाक के कागजों पर हस्ताक्षर करती हैं। मेलिसा सड़क पार होटल में टीवी पर बवंडरों की खबरें सुन रही हैं। डस्टी राडार देख रहे हैं। मेलिसा का व कंसेशन स्टैंड का, दोनों टीवी सेटों में सिग्नल खराब हो जाता है। डस्टी बिल को आगाह करता है कि एक ग्रेड एफ 4 बवंडर ठीक उनकी ओर बढ़ रहा है। सभी एक कार मैकेनिक के गैराज में आश्रय लेते हैं जहां जो मंत्रमुग्ध होकर बवंडर को देखती हैं, ठीक वैसे जैसे उन्होंने अपने पिता की मृत्यु वाली रात को देखा था। बिल ऊंची आवाज कर उनकी तंद्रा भंग करते हैं, जो पिर थिएटर कर्मचारियों को सुरक्षित करने का प्रयास करती हैं। बवंडर थियेटर को तबाह कर देता है, साथ ही टीम के कई वाहन भी. प्रीचर को एक हबकैप आ लगती है व वे घायल हो जाते हैं। बवंडर चला जाता है व टीम नुकसान का जायजा लेने को बाहर आती है। डस्टी राडार देख कर बताता है कि वही बवंडर अब वाकिटा की तरफ जा रहा है जिसे सुन जो घबरा जाती हैं। बिल मेलिसा से कहते हैं कि वे आंटी मेग को देखने जा रहे हैं। इस पर मेलिसा शांत रहते हुए उनस नाता तोड़ लेती हैं। वे कहती हैं कि वि बिल के तूफान अनुसरण से कोई मुकाबला नहीं करना चाहतीं. साथ ही वे कहती हैं कि वे दुखी नहीं हैं क्योंकि वे जानती थीं ऐसा कभी न कभी होगा ही, इसके साथ ही उसने आश्वस्त किया कि जो को उनकी अधिक जरूरत है। वाकिटा पहुंचने पर वे पाते हैं कि कोई चेतावनी जारी नहीं की गई थी, व शहर तबाह हो चुका है। बिल और जो ने पाया कि मेग का घर तबाह होने के कगार पर है। घर में प्रवेश करने पर पता चलता है कि आंटी मेग एक किताब शेल्फ के नीचे दबी हैं। वे आंटी व कुत्ते मोजेज को बचाते हैं, इससे पहले कि घर गिर जाए. मेग को केवल एक टूटी हुई कलाई व सिर पर हल्की चोट है व उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है। जाने से पहले वे जो से कहती हैं कि कृपया कोशिश करो जो कुछ भी हुआ, वाकिटा में दोबारा न हो. डस्टी रेडियो में सुनता है कि विरल एफ 5 किस्म के बवंडर आने वाले हैं। कुछ हवा चालित घंटियों से प्रेरणा लेकर जो डोरोथी मशीनों को कारगर करने का तरीका सोचती हैं। टीम के साथ मिल कर एल्यूमिनियम के बीयर कैन से पिन चक्कियां बनाती हैं, फिर उन्हें सेंसरों क साथ पेंच लगा कर कस देती हैं, ताकि सेंसर उड़ सकें. बिल व जो को गांव में लगभग एक मील चौड़े बवंडर का पता चलता है। वे डोरोथी 3 को उसके मार्ग में लगा देत हैं, परंतु पहले हवा, फिर एक पेड़ उसे उखाड़ फेंकते हैं। सारे सेंसर बिखर जाते हैं। फिर तूफान बिल व जो की तरफ बढ़ने लगता है जिससे दोनों वहां से भागने की कोशिश करते हैं। एक पेड़ ट्रक के पीछे आ गिरता है व वे फंस जाते हैं। एक तेल टैंकर हवा से घिसटता उनके ट्रक से आ टकराता है, उन्हें उन्मुक्त करता है तथा फिर विस्फोट हो जाता है। बिल विध्वंस व आग के बीच से ट्रक निकाल लेते हैं तथा इस आपदा से सुरक्षित निकल आते हैं। बिल बवंडर से आगे आगे भागते हैं। हवा से कई वाहन उड़ कर सड़क पर आते हैं, परंतु बिल उनसे बचने में सफल रहते हैं। उनकी गाड़ी सड़क पर आ गए एक टूटे हुए मकान के बीच से गुजर जाती है। जैसे ही बिल व जो दूर भागते हैं, जोनस व एड्डी अपनी डी ओ टी 3 मशीन बवंडर के ठीक बीच रखने का प्रयास करते हैं। बिल व जो यह देखते हुए उसे वहां न जाने की चेतावनी देते हैं, परंतु वह नहीं सुनता. एड्डी को बिल की बात समझ आ जाती है, परंतु जोनस उसे आगे बढ़ते रहने का आदेश देता है। बवंडर से एक टीवी टावर उनकी विंड शील्ड से आ टकराता है जिससे एड्डी भयभीत हो जाता है। दोनों टीमें भयाक्रांत होकर देखती रह जाती हैं जब हवा जोनस व एड्डी क ट्रक को दूर ले जाकर पटक देती है, व उसमें भयंकर विस्फोट होता है। जोनस व एड्डी दोनों मारे जाते हैं। बिल व जो जानते हैं कि अब एक ही रास्ता बचा है। नए बिंदू पर डोरोथी 4 को नियत करने के लिए जरूर है कि इसे ट्रक में ही लगे रहने दिया जाए और ट्रक बवंडर के बीचों बीच ड्राइव कर ले जाया जाए. ट्रक को क्रूज कंट्रोल विधि में डाल कर वे उससे बाहर कूद जाते हैं और उसे बवंडर के बीचों बीच स्वत: जाने देते हैं। इस तरह डोरोथी 4 बवंडर के ठीक बीच स्थापित हो जाता है। टीम खुशी मनाने लगती है क्योंकि डोरोथी के सेंसर काम कर रहे हैं। वे बवंडर को भीतर से जांच रहे हैं। तभी उन्हें पता चलता है कि बवंडर जगह बदल रहा है। बिल व जो भी इसे देखते हैं और वे साथ के फार्म हाउस में जा छिपते हैं। पहले वे एक खलिहान में शरण लेते हैं परंतु वह तीखे लोहे के यंत्रों से भरा है। हवा उसे तबाह कर देती है तथा मलबे से बचत हुए वे एक छोटी बिल्डिंग में शरण लेते हैं। इस जगह उन्हें लोहे के पाइप मिलते हैं व वे स्वयं को बेल्टों से इनसे बांध लेते हैं। हवा बिल्डिंग को बर्बाद कर देती है, तथा वे पाइपों से बंदे उल्टे बाहर आ गिरते हैं। ऊपर से गुजरे एफ 5 बवंडर को वे भीतर से देखने में सफल हो जाते हैं। इसमें बिजली व सुदूर अंदर एक छोटा बवंडर मिलता है। कुछ क्षणों के बाद ही बवंडर समाप्त हो जाता है। उस फार्म का मालिक परिवार अपने तूफान रक्षा आश्रम से बाहर आता है व हानि का जायजा लेता है। बिल व जो बहस करते हैं कि मशीन के तथ्यों का आकलन कौन करेगा और लैब कौन संभालेगा, इतने मं टीम आ पहुंचती है। फिल्म का अंत बिल व जो के चुंबन द्वारा होता है। उनके रिश्त की नई शुरुआत होती है तथा टीम उनकी उपलब्धियों का उल्लास मनाती हैं। अभिनेता सूची डॉक्टर जो हार्डिंग के रूप में हेलन हंट : तूफान अनुसरण टीम की मुखिया बिल हार्डिंग के रोल में बिल पैक्स्टन (अन्य नाम 'द एक्स्टीम': जो के बिगड़े पति तथा तूफान अनुसरण सहयोगी) डॉक्टर मेलिसा रीव्ज के रूप में जामी गर्ट्ज : बिल की नई मंगेतर : फिल्म के दौरान दोनों के रिश्ते में खटास आ जाती है। डस्टिन 'डस्टी डेविस' के रूप में फिलिप सेमर हॉफमैन : जो की टीम के एक 'स्वप्रशंसक' सदस्य रॉबर्ट 'रैबिट' न्यूरिक के रोल में एलन रक : जो की टीम के पथ प्रदर्शक लॉरेंस के रोल में जरमी डेविस, शांत स्वबाव के फोटोग्राफर. जोई के रूप में जोई स्लॉटनिक : डॉप्लर राडार व हवा यंत्रों के इंचार्ज एलन सैंडर्न के रूप में शॉन वेलन : रैबिट का वाहन चालक, नक्शों को रोल करने की बजाय फोल्ड कर देता है, जिससे रैबिट क्रोधित होता है। टिम 'बेल्ट्जर' लुईस के रूप में टॉड फील्ड : डॉप्लर राडार वाली वैन के चालक, एक उत्साही व समर्पित सदस्य. हेंस की भूमिका में वेंडल जोसेफर : जो के अलावा एकमात्र महिला सदस्य, सबसे युवा, बेल्ट्जर की साथी जेसन 'प्रीचर' रोव के रूप में स्कॉट थॉमसन : जो की टीम के सदस्य, धार्मिक उल्लेखों के कारण प्रीचर उपनाम पड़ा. आंटी मेग ग्रीन के रूप में लोआ स्मिथ : जो की आंटी, टीम के लिए मां स्वरूप डॉक्टर जोनस मिलर के रूप में कैरी एल्विस : बिल की प्रतिद्वंद्वी टीम के मुखिया, बिल के डोरोथी वाले विचार को चुरा कर धन व प्रसिद्धि पाने में रत एड्डी के रूप में जैक ग्रेनियर : जोनस के अनिच्छुक सहयोगी युवा जो के रूप में एलेक्सा वेगा : युवा कन्या जो बवंडर में पिता की मृत्यु देखती है। निर्माण ट्विस्टर वार्नर बंधु व यूनिवर्सल स्टूडियो के बीच एक संयुक्त निर्माण प्रयास था। ड्राइव इन थिएटर का प्रयोग इसको साफ तरह से दर्शाता है जैसे इन फिल्मों में द शाइनिंग, वार्नर बंधु रिलीज व साइको : एक यूनिवर्सल स्टूडियो निर्माण. इस फिल्म के निर्माताओं का एक अन्य निर्माण सहयोगी कंपनी एंबलिन एंटरटेनमेंट के साथ पहले ही व्यावसायिक संबंध था। तूफान अनुसरण की मूल पटकथा को 1992 में चलचित्र व्यवसाय सलाहकार व पुरस्कार प्राप्त लेखक जैफ्री हिल्टन ने एंबलिन के सामने रखा था। लेखन माइकल क्राईटन को यह विचार स्पीलर्ग ने पेश किया। गाड़जिला के निर्माण पूर्व कार्य में छः महीने काम करने के बाद जाँ डि बौंट का उनसे कुछ बजट विषय पर विवाद हो गया और तुरंत ही उन्होंने ट्विस्टर साइन कर ली. निर्माण में कई बाधाएँ आईं. लेखक माइकल क्राईटन व उनकी पत्नी एन-मेरी मार्टिन को पटकथा लिखने को 25 लाख डालर दिये गये। 1995 की बसंत के आस पास जॉस वेडन को पुनर्लेखन के लिए बुलाया गया। उन्हें जब ब्रांकाइटिस हुआ तो स्टीव जेलियन को लाना पड़ा. वेडन लौटकर आये व मई 1995 में शूटिंग शुरू होने तक काम करते रहे. विवाद होने के बाद वे चले गये, निर्माणरंभ के दो सप्ताह बाद जैफ नेथनसन को बुलाया गया, तथा उन्होंने मुख्य फोटोग्राफी समाप्त होने तक पटकथा पर काम किया। फिल्म का आधा कार्य ही हुआ था कि बिल व हेलन दोनों ही इलैक्ट्रानिक लैंपों की वजह से अंधता का शिकार हो गये। इन लैंपों का प्रयोग सीधे नीचे रौशनी करने के लिए किया जाता था ताकि दोनों के पीछे आकाश काला व तूफानी नजर आये. बाहर अत्यधिक रोशनी थी। बिल याद करते हैं, "इन लैंपों ने आँखों को बड़ा नुक्सान किया व कमरे में घुसने पर कुछ दिखाई नहीं दिया. समस्या को दूर करने के लिए रोशनी के आगे एक प्लेक्सीग्लास की शीट रख दी गई। बिल व जो को आई ड्राप्स व कुछ दिन आराम के लिए खास चश्मे का प्रयोग करना पड़ा'. एक बैक्टीरिया युक्त खड्डे में शूटिंग के बाद बिल व हेलन को हेपेटाइटिस के इंजेक्शन भी लेने पड़े. इसी सीन के दौरान थकान के कारण हेलन का सर बार-बार लकड़ी से टकराता रहा. वे भूल जातीं थीं कि उन्हें तीव्रता से नहीं उठना है। एक सीन में तो ऐसा हुआ, एक मक्की के खेत में चलती गाड़ी में हेलन को बाहर की ओर (पेसंजर (विलियन) पक्ष पर) खड़े होकर शाट देना था। उन्होंने हाथ से गाड़ी का द्वार पकड़ना था जो छूट गया तथा द्वार उनके सर से जा टकराया. इससे उन्हें थोड़ा कष्ट हुआ। डि बौंट ने हंसते हुए कहा मैं हेलन से बेहद प्रेम करता हूँ परंतु वे कभी कभी काम में थोड़ी अव्यवस्थित हो जाती हैं। हेलन ने जबाव में कहा : अव्यवस्थित? उसने मेरे रेटिनर जला दिए और मैं अव्यवस्थित हूँ? मैं हमेशा खेल भावना से कार्य करती हूँ. पता नहीं डि बौंट यह समझेंगे कि नहीं, परंतु मैं आशा करती हूँ. कुछ क्रू सदस्य मानने लगे कि डि बौंट नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं, तथा पाँच हफ्तों की शूटिंग के बाद छोड़ गये। डान बर्गेस की कैमरा टीम यह कहते हुए छोड़ गई कि डि बौंट को देखे बिना पता नहीं चलता कि उन्हें क्या चाहिए. वे एक दिशा में शूट करवायेंगे, कैमरे उधर लगवाकर. फिर चाहेंगे कि सारे कैमरे दूसरी दिशा में ले जाकर पुनः शूट किया जाये और फिर चिल्लायेंगे कि देरी हो रही है। हमेशा दूसरे की ही गल्ती होती, कभी उनकी नहीं. डि बौंट कहते हैं कि उन्हें हमेशा तीन सीन की तैयारी करनी पड़ती क्योंकि मौसम का कोई भरोसा नहीं रहता था। डान को इससे तालमैल बिठाने में बड़ी समस्या होती थी। जब डि बौंट ने बात न समझने पर एक कैमरा क्रू सदस्य पर हाथ उठाया, डान बर्गेस त्याग पत्र देकर चले गये। सभी अभिनेताओं को इससे भारी झटका लगा. बर्गेस व उनकी टीम एक हफ्ते तक रूके रहे, जब जैक एन.ग्रीन ने काम संभाल लिया। शूटिंग के अंतिम भाग में ग्रीन तब घायल हो गये जब एक हाइड्रालिक सेट, जिसे इशारे पर गिरना था, उनके भीतर रहते हुए ही गिर गया। एक विशेष रिंग वाली छत उन पर आ गिरी. उनकी पीठ पर चोट आई और उन्हें अस्पताल जाना पड़ा. आखरी दो दिन ग्रीन न आ सके, तथा डि बौंट ने फोटोग्राफर का कार्य भी संभाला. काले घने बादल न मिलने के कारण डि बौंट को काफी सीन उजाले में शूट करने पड़े. इसके लिए उन्होंने इटस्ट्रियल लाईट मैजिक (ILM) से डिजिटल लाइट रिप्लेसमैंट तस्वीरें 150 से बढ़ाकर 300 से भी अधिक करने को कहा. मुख्य फोटोग्राफी के लिए समय कम था क्योंकि हेलन को पॉल रीजर के धारावाहिक मैड अबाउट यू ' के सीजन की शूट के लिए जाना था। परंतु रीजर अपनी शूटिंग पीछे हटाने के लिए मान गये जब उनको पता चला कि ट्रविस्टर की शूटिंग को और वक्त लगेगा. डि बौंट ने कई कैमरे प्रयोग किये जिससे 3 लाख फीट कच्ची फिल्म रोल की जगह लगभग 13 लाख फीट प्रयोग करनी पड़ी. डि बौंट कहते हैं कि ट्विस्टर फिल्म पर लगभग 7 करोड़ डालर का खर्च आया, जिसमें करीब 20-30 लाख डालर निर्देशक के लिए. ऐसा माना जाता है कि जो के बचपन के दिनों के सीन दोबारा शूट करने (मार्च व अप्रैल 1996) तथा ओवरटाइम से बजट 1 करोड़ डालर तक चला गया। वार्नर बंधुओं ने इसे 17 मई की जगह 10 मई को रिलीज करना उचित समझा ताकि मिशन इंपॉसिबल ' की रिलीज से पहले इसे दो सप्ताहांत मिल जाये. फिल्म को न्यूजीलैंड में पीजी व अमरीका में पीजी 13 रेटिंग प्राप्त है "भयावह तरीके से बुरे मौसम को दर्शाने के लिए." ध्वनि ट्विस्टर में परंपरागत अर्केस्ट्रा वाला संगीत (रचयिता मार्क मंचीना) व कई रॉक गीत, दोनों सम्मिलित थे। एक केवल वाघों पर बना थीम गीत भी था जिसे वान हेलन ने बनाया व पेश किया। दोनों संगीत मालाओं को एक सी.डी. के रूप में भी उतारा गया। रॉक ध्वनि वान हेलन - "ह्यूमन बीइंग" रस्टेड रूट - "वर्च्युअल रिएलिटी" टोरी एमोस - "तालुला (बीटी टोर्नाडो मिक्स)" एलिसन क्रॉस - "मूमेंट्स लाइक दिस" मार्क नोफ्लेयर - "डार्लिंग प्रेट्टी" सोल एसिलम - "मिस दिस" बेली - "ब्रोकेन" के.डी. लेंग - "लव अफेयर" नाइन स्टोरीज़ फिट. लिसा लोएब - "हाउ" रेड हॉट चिली पेपर्स - "मेल्नकाली मैकेनिक" गू गू डॉल्स - "लॉन्ग वे डाउन" शानिया ट्विन - "नो वन नीड्स टू नो" स्टीव निक्स फिट. लिंडसे बकिंघम - "ट्विस्टेड" एडवर्ड एंड एलेक्स वान हेलन - "रेस्पेक्ट दी वाइंड" आर्केस्ट्रा स्कोर ओकलाहोमा: व्हिटफिल्ड ओकलाहोमा: वेयर्स माय ट्रक? ओकलाहोमा: फ्यूटीलिटी ओकलाहोमा: डाउनड्राफ्ट इट्स कमिंग: ड्राइव इन इट्स कमिंग: दी बिग सक दी हंट: गोइंग ग्रीन (गिटार पर ट्रेवर राबिन प्रमुख) दी हंट: स्कल्प्चर दी हंट: काउ दी हंट: डिच दी डेमेज: वाकिटा हेलस्ट्रोम हिल: बॉब रोड हेलस्टोर्म हिल: वी आर ऑलमोस्ट देयर एफ5: डोरोथी IV एफ5: मोबाइल होम एफ5: गोड्स फिंगर अन्य: विलियम टेल ओवरचर / ओकलाहोमा मेडले अन्य: एंड टाईटल/रेस्पेक्ट दी वाइंड - एडवर्ड और एलेक्स वान हेलन द्वारा लिखित कुछ ऐसे आर्केस्ट्रा ट्रैक भी थे जिन्हें बाद में फिल्म की सीडी से निकाल दिया गया, जैसे कि जब जो की टीम ओलावृष्टि वाला पहाड़ी बवंडर देखने वाकिटा से निकलते हैं, तो उस समय बजने वाला 'इंट्रो टू हृयूमन बीग्स' ट्रैक. अन्य भाग जो काट दिये गये उनमें थे, गोइंग ग्रीन का लंबा प्रारूप, जो जोनस के आगमन पर बजता है और पहले बवंडर के दिखने पर एक छोटा ट्रैक. अजीब रूप से, कई ऐसे संगीत भाग भी थे जो फिल्म में नहीं थे परंतु आडियो सीडी में थे। इनमें से कुछ हैं: 'वेयर्ज माई ट्रक', 'डिच' का दूसरा भाग, 'वी आर आलमोस्ट देयर' का दूसरा भाग, तथा 'मोबाइल होम' का पहला भाग. फिल्म का सीक्वेल, एक संभावना: एचबीओ के 'बिग लव ' के प्रचार के दौरान 'बुल्ज आई' को दिए एक साक्षात्कार में बिल पैक्सटन ने बताया कि ट्विस्टर 2 ' बनाने के विषय में उनकी निर्मात्री कैथलीन केन्नडी से बात हुई है। ट्विस्टर 1996 की फिल्म हेलन हंट, बिल पैक्स्टन, कैरी एल्वस व जग्गी गर्ट्ज की फिल्म का सीक्वेल होगा. पैक्सट्न ने यह भी कहा कि अगर यह बनती है तो वे इसका निर्देशन करना चाहेंगे. स्वीकार्यता फिल्म को साधारण रिस्पांस मिला 'राटन टोमेरीज' ने इसे 58% व मेटाक्रिटिक ने 68 अंक का 'वेटिड मीन स्कोर' दिया. राजर एबर्ट ने इसे चार में से 2.5 अंक दिये. क्या आप शोर युक्त, मूर्खतापूर्ण परंतु दक्ष व सच्चाई से दूर मनोरंजन चाहते हैं? ट्विस्टर इस पर खरी उतरेगी. अगर आप सोचने वाले व्यक्ति हैं, इसे देखने से पहले दो बार सोचें. न्यूयार्क टाइम्स की जैनेट मास्लिन ने लिखा 'ट्विस्टर एक 'रोलर कोस्टर' की तरह उत्साह बनाये रखती है, खतरों से दक्षता से बचती हुई. एंटरटेनमैंट वीकली ' ने इसे 'बी' रेटिंग दी, तथा लीजा श्वार्जबॉम ने लिखा सबसे अधिक चित्र जो इस फिल्म के बाद दिमाग में ठहरता है वह है उड़ते हुए जानवर. और यही बात संक्षेप में इसकी अच्छाई व बुराई दोनों बयान कर देती है। यह इस गर्मी का पहला प्यारा सा, परंतु शोरगुल वाला शाकाहार है। अपनी लास एंजलीस टाइम्स की समीक्षा में कैनथ ट्यूरैन ने लिखा इस सर्कस के रिंगमास्टर तो असल में डि बौंट ही हैं, जिनके बिना कुछ संभव नहीं था, तथा जिन्हें अब हालीवुड का सर्वोच्च सृंट निर्देशक कहना चाहिए. दर्शकों व अभिनेताओं दोनों को एक्शन का रोमांच देने वाले डि बौंट इस दक्षता से एक्शन व सस्पेंस का ताना बाना बुनते कि किसी को पता ही नहीं चलता. टाइम ' के रिचर्ड शीकेल ने लिखा जब एक्शन में खून खराबा नहीं होता तो आप उसे भूल जाते हैं। शीघ्र ही आप बवंडर भूल कर 'स्पेशल इफैक्ट्स की ओर केद्रिंत हो जायेंगे. वाशिंगटन पोस्ट के डेसन हाव ने लिखा "कहानी कहने की कला व अभिनय कला को पीछे छोड़कर यह तकनीक की जीत है। सभी चरित्र लगभग कुछ चुटकुलों भय दिखाने व समय व्यतीत करने तक सीमित हैं। जन-किंवदंती ठीक फिल्म की तरह ही मई 24, 1996 को नियाग्रा फाल्स ओंटरियो के एक 'ड्राइव-इन थियेटर' को बवंडर ने बरवाद कर दिया. यहाँ फिल्म द शाइनिंग का शो होना था। बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहने के लिए लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया कि यहाँ 'ट्विस्टर ' का शो नियत था। मई 10, 2010 को फेमफैक्स, ओक्लाहोमा में पूर्व राज्य सेनेटर जे.बेरी हैरीसन के फार्म को बवंडर ने तबाह कर दिया. आश्चर्यजनक रूप से यह वही फार्म था जहाँ फिल्म की शूटिंग हुई थी तथा सारा वाक्या लगभग फिल्म जैसा ही घटित हुआ। हैरीसन यहाँ 1978 से निवासी थे। थीम पार्क आकर्षण इस फिल्म का प्रयोग एक आकर्षण ट्विस्ट र ........ राइड इट आउट के लिए यूनीवर्सल स्टूडियो, फ्लोरिडा ने किया। इसमें हेलन हंट व बिल पैक्सट्न की परिचयात्मक टिप्पणियाँ थीं। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Official site for the film ट्विस्टर म्यूज़ियम वाकिटा, ओकलाहोमा हियर दी थीम सोंग 1996 की फिल्में अमेरिकी आपदा फिल्में 1990 दशक की आपदा फिल्में ओकलाहोमा में बनी फिल्में ओकलाहोमा में बनाई गई फिल्में आयोवा में बनाई गई फिल्में केन्सास में बने गई फिल्में ऐनामॉर्फिक पद्धति से बनी फिल्में माइकल कृष्टोन की पटकथा तूफान अनसरणविद स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्मित फिल्में जेन डे बोनट द्वारा निर्देशित फिल्में वार्नर ब्रोस.फिल्में यूनिवर्सल पिक्चर्स फिल्म एम्ब्लिन इंटरटेनमेंट की फिल्में
यह लेख है: भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) की पूर्व अध्यक्ष अलका लांबा ने कांग्रेस छोड़ दिया और वह आम आदमी पार्टी से जुड़ सकती हैं। कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को तवज्जो नहीं देने का प्रयास करते हुए कहा कि पार्टी में किसी पद पर रहे या किसी चुनाव में उतरे उन्हें लंबा अर्सा हो गया है। कांग्रेस नेता केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने संवाददाताओं से कहा, मैंने पहली बार उनका नाम सुना है। कौन हैं वह? उन्होंने कहा कि जहां कांग्रेस में टिकट के लिए रस्साकसी चल रही है, पार्टी (आप) जिसका आप नाम ले रहे हैं, उसने अपने सारे दरवाजे-खिड़कियां (टिकटार्थियों के लिए) खोल दिए हैं। उनका कहने का आशय था कि हो सकता है लांबा वहां इसलिए जा रही हों कि उन्हें कांग्रेस में टिकट नहीं मिला हो। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष अलका लांबा को वर्ष 2002 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया था। वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की पूर्व सचिव और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महासचिव भी रही हैं। आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, अलका लांबा और भाजपा सहित कुछ अन्य दलों के कुछ सदस्य आज 'आप' नेताओं से मिलने आए थे। उन्हें यह स्पष्ट रूप से बता दिया गया कि एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी में किसी का भी स्वागत है। अलका लांबा 1994 में एनएसयूआई में शामिल हुई थीं और 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष का चुनाव जीता था। लांबा ने 2003 में दिल्ली में मोती नगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के दिग्गज नेता मदनलाल खुराना के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। पार्टी के एक नेता ने बताया कि उसके बाद से किसी चुनाव में पार्टी ने उन्हें नहीं उतारा। काफी लंबे समय से वह पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं।
स्‍टार बल्‍लेबाज एबी डिविलियर्स की चोट के कारण गैरमौजूदगी के बावजूद ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे मैच में दक्षिण अफ्रीका ने धमाकेदार प्रदर्शन किया है. यहां खेले जा रहे सीरीज के प्रारंभिक मैच में दक्षिण अफ्रीका के ओपनर क्विंटन डिकॉक ने 178 रन (113 गेंद, 16 चौके, 11 छक्‍के) की जबर्दस्‍त पारी की बदौलत मेजबान टीम ने ऑस्‍ट्रेलिया को करीब 14 ओवर पहले ही छह विकेट से हरा दिया. इस जीत से दक्षिण अफ्रीका पांच मैचों की सीरीज में 1-0 से आगे हो गया है. दक्षिण अफ्रीका के आमंत्रण पर पहले बल्‍लेबाजी करते हुए ऑस्‍ट्रेलियाई टीम ने निर्धारित 50 ओवर्स में 9 विकेट पर 294 रन का सम्‍मानजनक स्‍कोर खड़ा किया. जवाब में डिकॉक और रोसोउ(63रन, 45गेंद, 10 चौके व एक छक्‍का) के प्रारंभिक विकेट के लिए महज 17 ओवर में हुए 145 रन की साझेदारी की बदौलत दक्षिण अफ्रीका को लक्ष्‍य तक पहुंचने में जरा भी दिक्‍कत नहीं आई. ऑस्‍ट्रेलिया के 294 रन के स्‍कोर के चलते मैच संघर्षपूर्ण होने की पूरी उम्‍मीद थी, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी ओपनर्स ने ताबड़तोड़ बल्‍लेबाजी कर अपने इरादे शुरुआत से जता दिए. किसी  ऑस्‍ट्रेलियाई गेंदबाज को इन्‍होंने नहीं बख्‍शा. इन दोनों बिल्‍कुल टी20 की शैली में बल्‍लेबाजी की और ऑस्‍ट्रेलियाई बॉलर्स को सेट होने का मौका नहीं दिया. अपने 178 रन में से 130 रन तो बाएं हाथ के बल्‍लेबाज डिकॉक ने चौकों और छक्‍कों की ही मदद से बनाए. द.अफ्रीका का पहला विकेट रोसोउ के रूप में गिरा लेकिन इसके बाद भी मेहमान टीम को राहत नहीं मिली और डिकॉक ने कप्‍तान फॉफ डुप्‍लेसिस के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 123 रन की साझेदारी कर दक्षिण अफ्रीका को जीत के करीब ही पहुंचा दिया. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका को लक्ष्‍य तक पहुंचते-पहुंचते तीन विकेट और गंवाने पड़े. डिकॉक के बोलैंड का शिकार बनने के बाद डुप्‍लेसिस (26) और डुमिनी (9)भी आउट हो गए. मिलर और बेहारदीन ने नाबाद रहते हुए 36.2 ओवर में टीम को जीत तक पहुंचा दिया.टिप्पणियां इससे पहले, जार्ज बेली और जान हेस्टिंग्स के अर्धशतकों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने नौ विकेट पर 294 रन बनाये. बेली ने 90 गेंदों पर सात चौकों और दो छक्कों की मदद से 74 रन बनाये जबकि हेस्टिंग्स ने 56 गेंदों पर 51 रन की पारी खेली जिसमें छह चौके और दो छक्के शामिल रहे. इन दोनों ने तब सातवें विकेट के लिये 79 रन की साझेदारी की जबकि ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 29वें ओवर में छह विकेट पर 192 रन था. आलराउंडर आंदिल फेलेकवयो ने अपने दूसरे वनडे में शानदार गेंदबाजी का नजारा पेश किया और 44 रन देकर चार विकेट लिये. इनमें सलामी बल्लेबाज आरोन फिंच ( 33) कप्तान स्टीवन स्मिथ ( 8)  और आलराउंड मिशेल मार्श ( 31)के विकेट भी शामिल थे. मध्यम गति के इस गेंदबाज ने बाद में हेस्टिंग्स के रूप में अपना चौथा विकेट लिया और ऑस्ट्रेलिया की 300 रन की संख्या पार करने की मंशा पूरी नहीं होने दी. उनके अलावा डेल स्टेन ने दो जबकि इमरान ताहिर और वायने पर्नेल ने एक एक विकेट लिया. डेविड वार्नर ने 36 गेंदों पर 40 रन बनाए. दक्षिण अफ्रीका के आमंत्रण पर पहले बल्‍लेबाजी करते हुए ऑस्‍ट्रेलियाई टीम ने निर्धारित 50 ओवर्स में 9 विकेट पर 294 रन का सम्‍मानजनक स्‍कोर खड़ा किया. जवाब में डिकॉक और रोसोउ(63रन, 45गेंद, 10 चौके व एक छक्‍का) के प्रारंभिक विकेट के लिए महज 17 ओवर में हुए 145 रन की साझेदारी की बदौलत दक्षिण अफ्रीका को लक्ष्‍य तक पहुंचने में जरा भी दिक्‍कत नहीं आई. ऑस्‍ट्रेलिया के 294 रन के स्‍कोर के चलते मैच संघर्षपूर्ण होने की पूरी उम्‍मीद थी, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी ओपनर्स ने ताबड़तोड़ बल्‍लेबाजी कर अपने इरादे शुरुआत से जता दिए. किसी  ऑस्‍ट्रेलियाई गेंदबाज को इन्‍होंने नहीं बख्‍शा. इन दोनों बिल्‍कुल टी20 की शैली में बल्‍लेबाजी की और ऑस्‍ट्रेलियाई बॉलर्स को सेट होने का मौका नहीं दिया. अपने 178 रन में से 130 रन तो बाएं हाथ के बल्‍लेबाज डिकॉक ने चौकों और छक्‍कों की ही मदद से बनाए. द.अफ्रीका का पहला विकेट रोसोउ के रूप में गिरा लेकिन इसके बाद भी मेहमान टीम को राहत नहीं मिली और डिकॉक ने कप्‍तान फॉफ डुप्‍लेसिस के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 123 रन की साझेदारी कर दक्षिण अफ्रीका को जीत के करीब ही पहुंचा दिया. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका को लक्ष्‍य तक पहुंचते-पहुंचते तीन विकेट और गंवाने पड़े. डिकॉक के बोलैंड का शिकार बनने के बाद डुप्‍लेसिस (26) और डुमिनी (9)भी आउट हो गए. मिलर और बेहारदीन ने नाबाद रहते हुए 36.2 ओवर में टीम को जीत तक पहुंचा दिया.टिप्पणियां इससे पहले, जार्ज बेली और जान हेस्टिंग्स के अर्धशतकों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने नौ विकेट पर 294 रन बनाये. बेली ने 90 गेंदों पर सात चौकों और दो छक्कों की मदद से 74 रन बनाये जबकि हेस्टिंग्स ने 56 गेंदों पर 51 रन की पारी खेली जिसमें छह चौके और दो छक्के शामिल रहे. इन दोनों ने तब सातवें विकेट के लिये 79 रन की साझेदारी की जबकि ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 29वें ओवर में छह विकेट पर 192 रन था. आलराउंडर आंदिल फेलेकवयो ने अपने दूसरे वनडे में शानदार गेंदबाजी का नजारा पेश किया और 44 रन देकर चार विकेट लिये. इनमें सलामी बल्लेबाज आरोन फिंच ( 33) कप्तान स्टीवन स्मिथ ( 8)  और आलराउंड मिशेल मार्श ( 31)के विकेट भी शामिल थे. मध्यम गति के इस गेंदबाज ने बाद में हेस्टिंग्स के रूप में अपना चौथा विकेट लिया और ऑस्ट्रेलिया की 300 रन की संख्या पार करने की मंशा पूरी नहीं होने दी. उनके अलावा डेल स्टेन ने दो जबकि इमरान ताहिर और वायने पर्नेल ने एक एक विकेट लिया. डेविड वार्नर ने 36 गेंदों पर 40 रन बनाए. ऑस्‍ट्रेलिया के 294 रन के स्‍कोर के चलते मैच संघर्षपूर्ण होने की पूरी उम्‍मीद थी, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी ओपनर्स ने ताबड़तोड़ बल्‍लेबाजी कर अपने इरादे शुरुआत से जता दिए. किसी  ऑस्‍ट्रेलियाई गेंदबाज को इन्‍होंने नहीं बख्‍शा. इन दोनों बिल्‍कुल टी20 की शैली में बल्‍लेबाजी की और ऑस्‍ट्रेलियाई बॉलर्स को सेट होने का मौका नहीं दिया. अपने 178 रन में से 130 रन तो बाएं हाथ के बल्‍लेबाज डिकॉक ने चौकों और छक्‍कों की ही मदद से बनाए. द.अफ्रीका का पहला विकेट रोसोउ के रूप में गिरा लेकिन इसके बाद भी मेहमान टीम को राहत नहीं मिली और डिकॉक ने कप्‍तान फॉफ डुप्‍लेसिस के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 123 रन की साझेदारी कर दक्षिण अफ्रीका को जीत के करीब ही पहुंचा दिया. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका को लक्ष्‍य तक पहुंचते-पहुंचते तीन विकेट और गंवाने पड़े. डिकॉक के बोलैंड का शिकार बनने के बाद डुप्‍लेसिस (26) और डुमिनी (9)भी आउट हो गए. मिलर और बेहारदीन ने नाबाद रहते हुए 36.2 ओवर में टीम को जीत तक पहुंचा दिया.टिप्पणियां इससे पहले, जार्ज बेली और जान हेस्टिंग्स के अर्धशतकों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने नौ विकेट पर 294 रन बनाये. बेली ने 90 गेंदों पर सात चौकों और दो छक्कों की मदद से 74 रन बनाये जबकि हेस्टिंग्स ने 56 गेंदों पर 51 रन की पारी खेली जिसमें छह चौके और दो छक्के शामिल रहे. इन दोनों ने तब सातवें विकेट के लिये 79 रन की साझेदारी की जबकि ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 29वें ओवर में छह विकेट पर 192 रन था. आलराउंडर आंदिल फेलेकवयो ने अपने दूसरे वनडे में शानदार गेंदबाजी का नजारा पेश किया और 44 रन देकर चार विकेट लिये. इनमें सलामी बल्लेबाज आरोन फिंच ( 33) कप्तान स्टीवन स्मिथ ( 8)  और आलराउंड मिशेल मार्श ( 31)के विकेट भी शामिल थे. मध्यम गति के इस गेंदबाज ने बाद में हेस्टिंग्स के रूप में अपना चौथा विकेट लिया और ऑस्ट्रेलिया की 300 रन की संख्या पार करने की मंशा पूरी नहीं होने दी. उनके अलावा डेल स्टेन ने दो जबकि इमरान ताहिर और वायने पर्नेल ने एक एक विकेट लिया. डेविड वार्नर ने 36 गेंदों पर 40 रन बनाए. द.अफ्रीका का पहला विकेट रोसोउ के रूप में गिरा लेकिन इसके बाद भी मेहमान टीम को राहत नहीं मिली और डिकॉक ने कप्‍तान फॉफ डुप्‍लेसिस के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 123 रन की साझेदारी कर दक्षिण अफ्रीका को जीत के करीब ही पहुंचा दिया. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका को लक्ष्‍य तक पहुंचते-पहुंचते तीन विकेट और गंवाने पड़े. डिकॉक के बोलैंड का शिकार बनने के बाद डुप्‍लेसिस (26) और डुमिनी (9)भी आउट हो गए. मिलर और बेहारदीन ने नाबाद रहते हुए 36.2 ओवर में टीम को जीत तक पहुंचा दिया.टिप्पणियां इससे पहले, जार्ज बेली और जान हेस्टिंग्स के अर्धशतकों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने नौ विकेट पर 294 रन बनाये. बेली ने 90 गेंदों पर सात चौकों और दो छक्कों की मदद से 74 रन बनाये जबकि हेस्टिंग्स ने 56 गेंदों पर 51 रन की पारी खेली जिसमें छह चौके और दो छक्के शामिल रहे. इन दोनों ने तब सातवें विकेट के लिये 79 रन की साझेदारी की जबकि ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 29वें ओवर में छह विकेट पर 192 रन था. आलराउंडर आंदिल फेलेकवयो ने अपने दूसरे वनडे में शानदार गेंदबाजी का नजारा पेश किया और 44 रन देकर चार विकेट लिये. इनमें सलामी बल्लेबाज आरोन फिंच ( 33) कप्तान स्टीवन स्मिथ ( 8)  और आलराउंड मिशेल मार्श ( 31)के विकेट भी शामिल थे. मध्यम गति के इस गेंदबाज ने बाद में हेस्टिंग्स के रूप में अपना चौथा विकेट लिया और ऑस्ट्रेलिया की 300 रन की संख्या पार करने की मंशा पूरी नहीं होने दी. उनके अलावा डेल स्टेन ने दो जबकि इमरान ताहिर और वायने पर्नेल ने एक एक विकेट लिया. डेविड वार्नर ने 36 गेंदों पर 40 रन बनाए. इससे पहले, जार्ज बेली और जान हेस्टिंग्स के अर्धशतकों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने नौ विकेट पर 294 रन बनाये. बेली ने 90 गेंदों पर सात चौकों और दो छक्कों की मदद से 74 रन बनाये जबकि हेस्टिंग्स ने 56 गेंदों पर 51 रन की पारी खेली जिसमें छह चौके और दो छक्के शामिल रहे. इन दोनों ने तब सातवें विकेट के लिये 79 रन की साझेदारी की जबकि ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 29वें ओवर में छह विकेट पर 192 रन था. आलराउंडर आंदिल फेलेकवयो ने अपने दूसरे वनडे में शानदार गेंदबाजी का नजारा पेश किया और 44 रन देकर चार विकेट लिये. इनमें सलामी बल्लेबाज आरोन फिंच ( 33) कप्तान स्टीवन स्मिथ ( 8)  और आलराउंड मिशेल मार्श ( 31)के विकेट भी शामिल थे. मध्यम गति के इस गेंदबाज ने बाद में हेस्टिंग्स के रूप में अपना चौथा विकेट लिया और ऑस्ट्रेलिया की 300 रन की संख्या पार करने की मंशा पूरी नहीं होने दी. उनके अलावा डेल स्टेन ने दो जबकि इमरान ताहिर और वायने पर्नेल ने एक एक विकेट लिया. डेविड वार्नर ने 36 गेंदों पर 40 रन बनाए. आलराउंडर आंदिल फेलेकवयो ने अपने दूसरे वनडे में शानदार गेंदबाजी का नजारा पेश किया और 44 रन देकर चार विकेट लिये. इनमें सलामी बल्लेबाज आरोन फिंच ( 33) कप्तान स्टीवन स्मिथ ( 8)  और आलराउंड मिशेल मार्श ( 31)के विकेट भी शामिल थे. मध्यम गति के इस गेंदबाज ने बाद में हेस्टिंग्स के रूप में अपना चौथा विकेट लिया और ऑस्ट्रेलिया की 300 रन की संख्या पार करने की मंशा पूरी नहीं होने दी. उनके अलावा डेल स्टेन ने दो जबकि इमरान ताहिर और वायने पर्नेल ने एक एक विकेट लिया. डेविड वार्नर ने 36 गेंदों पर 40 रन बनाए.
लेख: पूर्वी दिल्ली के शाहदरा में भाइयों ने प्रॉपर्टी के लिए अपने सगे भाई को मौत के घाट उतार दिया. बुजुर्ग की इतनी पिटाई की कि आखिरकार उसने अस्पताल में इलाज के दौरान अपना दम तोड़ दिया. जानकारी के मुताबिक शाहदरा के गोरख पार्क में वीरेंद्र नाम का शख्स अपने परिवार के साथ रहता था और इलेक्ट्रॉनिक शोरूम चलाता था. उसकी सगे भाइयों अजय और राज शर्मा से आये दिन प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चलता रहता था.  भाइयों से संबंध खराब होने का यही एक कारण नही था. मृतक के बेटे राहुल का कहना है कि बैंक से भी उनके चाचाओं ने फ्रॉड तरीके से लगभग 200 करोड़ का लोन ले रखा है. जिसे वे चुकाने में असमर्थ थे और जिस कारण उनके निगाहें हमेशा अपने बड़े भाई की प्रॉपर्टी पर ही बनी रहती थी. इसी के चलते 21 अप्रैल को भाइयों ने अपने बड़े भाई वीरेंद्र पर डंडों सरियों से ताबड़तोड़ वार कर दिए. जिसमें बुजुर्ग व्यक्ति बुरी तरह से घायल हो गया. जिसके बाद उसे जीटीबी अस्पताल पहुँचाया गया और गंभीर हालत को देखते हुए मैक्स हॉस्पिटल ले गए, लेकिन 2 दिन के इलाज के बाद आखिरकार उन्होंने अपना दम तोड़ दिया. 5 पीड़ित परिवार ने पुलिस की कार्रवाई पर कई गंभीर सवाल खड़े किये हैं. परिवार का कहना है कि भाइयों की धमकी के चलते उन्होंने पहले भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है लेकिन पुलिस ने कभी इसको गंभीरता से नही लिया. वहीं मारपीट के बाद हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन अब पीड़ित की मौत के बाद पुलिस ने हत्या का मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
लेख: जिस सदन को राजनीति में उच्च आदर्शों वाला माना गया और उसके गठन की मंशा यही थी कि यह चुन कर आए लोगों के सदन से अलग जनदबाव से ऊपर उठ कर नीतियों पर विचार करेगा, उस सदन का चुनाव आम चुनावों की तरह ही अनैतिक और लूट पाट के क़िस्सों से भरा हुआ है। आज से नहीं बल्कि ज़माने से राज्यसभा के चुनाव में यही होता आ रहा है। चूंकि पहले से होता रहा है और सब यही करते हैं, इस दलील ने हर दौर में हर ग़लत को जायज़ ठहराया है। अनैतिकता ही राजनीति की नैतिकता है। जो लोग नैतिकता के प्लेटफॉर्म से राजनीति को देखते हैं, वो हर दौर में और हर पार्टी से ठगे जाने के लिए अभिशप्त हैं। राज्यसभा का चुनाव फिर से याद दिला गया कि वैचारिक और संवैधानिक नैतिकता कुछ नहीं होती। हर बार याद दिलाता है और हर बार जनता भूल जाती है। जनता को सब पता होता है इसलिए वो भूल जाती है क्योंकि जनता हमेशा नैतिकता को व्यावहारिक नज़र से देखती है। उसके पास आदर्शवादी मानक नहीं है। वो नेता से पैसे लेती है, शराब लेती है और वैचारिक अफीम लेती है ताकि वो किसी न किसी से नफरत का नशा पाल सके। बदले में वो भी उस व्यवस्था से लूटती है जिसे नेता लूटता है। नौकरशाही का तंत्र निर्जीवों से नहीं बना होता। भारत की जनता भोली नहीं है। सयानी है। उसे सब मालूम है इसलिए वो भी इस भ्रष्ट राजनीति की लाभार्थी बन जाती है। वो रोज़ देखती है कि उसका एक हिस्सा बिन पानी के मर रहा है, एक हिस्से के पास अच्छा स्कूल नहीं है, बाज़ार की सड़कों पर चलने की जगह नहीं है, अस्पताल इलाज करने में सक्षम नहीं हैं, फिर भी वो राजनीतिक दलों से मिलने वाले रिश्वत को छोड़ नहीं पाती। उसके पास नफरत की राजनीति में घुस कर बहस करने का अथाह धीरज है मगर अनैतिकता की परतों को हटाकर देखने की बेक़रारी नहीं है। राज्यसभा का चुनाव बताता है कि हमारा लोकतंत्र राजनीतिक दलों के गिरोह में फंस गया है। सांप्रदायिकता की लड़ाई सिर्फ गरीब हिन्दू-मुसलमान के लिए है। वही इसके ख़िलाफ़ लड़ता है और वही मारा जाता है। सियासतदान लड़ने के नाम पर सौदा करता है और मलाई खा लेता है। राजनीति एक धंधा है और इस धंधे में सब व्यापारी हैं। मुनाफ़ा जिसका धर्म है। कांग्रेस के विधायकों ने साबित कर दिया कि वे विचारधारा से ज़्यादा बिकना पसंद करते हैं। हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने क़लम का जो बहाना पेश किया है, उस पर ध्यान देने से कोई लाभ नहीं। इन्हें नटराज पेंसिल तोहफ़े में भिजवा देनी चाहिए। पेंसिल से तो लिखनी आती होगी! अजीत जोगी को हंसी आ रही होगी कि वे बग़ावत कर कांग्रेस से बाहर हैं और ये बग़ावत कर कांग्रेस के भीतर हैं। बग़ावत का टू इन वन रेडियो कांग्रेस की खोज है। जात बिरादरी के नाम पर नेता बने लोगों को पता है कि विचारधारा दो कौड़ी की चीज है। हुड्डा के खिलाफ जांच चल रही है, फिर भी उनसे वोट लेते समय विरोधी उम्मीदवारों को संकोच न हुआ। हुड्डा ने इस वोट के बदले क्या सौदा किया होगा। कांग्रेस ने समर्थन किसे दिया? आरके आनंद को। आनंद इनेलो का समर्थन होने का दावा कर रहे थे जिसके नेता को हुड्डा ने ही जेल भिजवाया। वो आदमी कांग्रेस दफ्तर में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दे रहा था। हुड्डा ने अपनी निरपेक्षता का धर्म साबित कर दिया! कांग्रेस ने कर्नाटक में क्या किया? जेडीएस के विधायकों के अपनी पार्टी छोड़ कांग्रेस के प्रति अनुराग के क्या नैतिक कारण रहे होंगे? पैसा नहीं तो और क्या? बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारकर कौन सा खेल खेला सबको पता है। निर्दलीय उम्मीदवार पैसे वाले ही क्यों उतारे गए? झारखंड में विधायकों के खिलाफ वारंट निकलवा कर मतदान करने से रोका गया। कांग्रेस बीजेपी की तरह बाकी दलों में उनके कार्यकर्ता पसीना बहाते रहे, लेकिन उनके नेताओं को बचाने के नाम पर दिल्ली के वकीलों के गिरोह ने राज्यसभा की सीट ले ली। भारतीय राजनीति में नया नहीं घट रहा है। नया के नाम पर एकाध जगह नए नेता आ जाते हैं, मगर अब ये दल जंग खा चुके हैं। नए-नए दलों की पैदाइश हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है। अखबार उठा कर देखिये। नेतृत्व के वही चेहरे पिछले चालीस-पचास साल से भारतीय राजनीति पर क़ाबिज़ हैं। वो इतनी बार से आ जा रहे हैं, सब एक-दूसरे के मुलाक़ाती हैं। सब एक जैसे हो गए हैं। राज्यसभा के चुनाव ने थोड़ी देर के लिए याद दिलाने की कोशिश की है कि भारतीय राजनीति में झंडे के रंग अलग हैं, मगर उनको लेकर चलने वाले सब एक जैसे हैं।टिप्पणियां ये सारा संकट उनके लिए बोझ है, जो आदर्श और नैतिकता के पैमाने से तमाम दलों को देखते हैं। समर्थन करते हैं। किसी भी दल को इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि ये लोग सभी दलों के लिए नैतिक संकट है। इसलिए इनके खिलाफ सब हो जाते हैं। जनता बग़ैर नैतिक संकट के जीती है। कब से लोकपाल का कानून पास है। क्या लोकपाल लाने के लिए कोई संघर्ष है? भ्रष्टाचार मिट गया है ये सर्टिफ़िकेट बांट देने के बाद राज्यसभा का चुनाव क्या भ्रष्टाचार मुक्त था? मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट। अनैतिकता ही राजनीति की नैतिकता है। जो लोग नैतिकता के प्लेटफॉर्म से राजनीति को देखते हैं, वो हर दौर में और हर पार्टी से ठगे जाने के लिए अभिशप्त हैं। राज्यसभा का चुनाव फिर से याद दिला गया कि वैचारिक और संवैधानिक नैतिकता कुछ नहीं होती। हर बार याद दिलाता है और हर बार जनता भूल जाती है। जनता को सब पता होता है इसलिए वो भूल जाती है क्योंकि जनता हमेशा नैतिकता को व्यावहारिक नज़र से देखती है। उसके पास आदर्शवादी मानक नहीं है। वो नेता से पैसे लेती है, शराब लेती है और वैचारिक अफीम लेती है ताकि वो किसी न किसी से नफरत का नशा पाल सके। बदले में वो भी उस व्यवस्था से लूटती है जिसे नेता लूटता है। नौकरशाही का तंत्र निर्जीवों से नहीं बना होता। भारत की जनता भोली नहीं है। सयानी है। उसे सब मालूम है इसलिए वो भी इस भ्रष्ट राजनीति की लाभार्थी बन जाती है। वो रोज़ देखती है कि उसका एक हिस्सा बिन पानी के मर रहा है, एक हिस्से के पास अच्छा स्कूल नहीं है, बाज़ार की सड़कों पर चलने की जगह नहीं है, अस्पताल इलाज करने में सक्षम नहीं हैं, फिर भी वो राजनीतिक दलों से मिलने वाले रिश्वत को छोड़ नहीं पाती। उसके पास नफरत की राजनीति में घुस कर बहस करने का अथाह धीरज है मगर अनैतिकता की परतों को हटाकर देखने की बेक़रारी नहीं है। राज्यसभा का चुनाव बताता है कि हमारा लोकतंत्र राजनीतिक दलों के गिरोह में फंस गया है। सांप्रदायिकता की लड़ाई सिर्फ गरीब हिन्दू-मुसलमान के लिए है। वही इसके ख़िलाफ़ लड़ता है और वही मारा जाता है। सियासतदान लड़ने के नाम पर सौदा करता है और मलाई खा लेता है। राजनीति एक धंधा है और इस धंधे में सब व्यापारी हैं। मुनाफ़ा जिसका धर्म है। कांग्रेस के विधायकों ने साबित कर दिया कि वे विचारधारा से ज़्यादा बिकना पसंद करते हैं। हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने क़लम का जो बहाना पेश किया है, उस पर ध्यान देने से कोई लाभ नहीं। इन्हें नटराज पेंसिल तोहफ़े में भिजवा देनी चाहिए। पेंसिल से तो लिखनी आती होगी! अजीत जोगी को हंसी आ रही होगी कि वे बग़ावत कर कांग्रेस से बाहर हैं और ये बग़ावत कर कांग्रेस के भीतर हैं। बग़ावत का टू इन वन रेडियो कांग्रेस की खोज है। जात बिरादरी के नाम पर नेता बने लोगों को पता है कि विचारधारा दो कौड़ी की चीज है। हुड्डा के खिलाफ जांच चल रही है, फिर भी उनसे वोट लेते समय विरोधी उम्मीदवारों को संकोच न हुआ। हुड्डा ने इस वोट के बदले क्या सौदा किया होगा। कांग्रेस ने समर्थन किसे दिया? आरके आनंद को। आनंद इनेलो का समर्थन होने का दावा कर रहे थे जिसके नेता को हुड्डा ने ही जेल भिजवाया। वो आदमी कांग्रेस दफ्तर में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दे रहा था। हुड्डा ने अपनी निरपेक्षता का धर्म साबित कर दिया! कांग्रेस ने कर्नाटक में क्या किया? जेडीएस के विधायकों के अपनी पार्टी छोड़ कांग्रेस के प्रति अनुराग के क्या नैतिक कारण रहे होंगे? पैसा नहीं तो और क्या? बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारकर कौन सा खेल खेला सबको पता है। निर्दलीय उम्मीदवार पैसे वाले ही क्यों उतारे गए? झारखंड में विधायकों के खिलाफ वारंट निकलवा कर मतदान करने से रोका गया। कांग्रेस बीजेपी की तरह बाकी दलों में उनके कार्यकर्ता पसीना बहाते रहे, लेकिन उनके नेताओं को बचाने के नाम पर दिल्ली के वकीलों के गिरोह ने राज्यसभा की सीट ले ली। भारतीय राजनीति में नया नहीं घट रहा है। नया के नाम पर एकाध जगह नए नेता आ जाते हैं, मगर अब ये दल जंग खा चुके हैं। नए-नए दलों की पैदाइश हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है। अखबार उठा कर देखिये। नेतृत्व के वही चेहरे पिछले चालीस-पचास साल से भारतीय राजनीति पर क़ाबिज़ हैं। वो इतनी बार से आ जा रहे हैं, सब एक-दूसरे के मुलाक़ाती हैं। सब एक जैसे हो गए हैं। राज्यसभा के चुनाव ने थोड़ी देर के लिए याद दिलाने की कोशिश की है कि भारतीय राजनीति में झंडे के रंग अलग हैं, मगर उनको लेकर चलने वाले सब एक जैसे हैं।टिप्पणियां ये सारा संकट उनके लिए बोझ है, जो आदर्श और नैतिकता के पैमाने से तमाम दलों को देखते हैं। समर्थन करते हैं। किसी भी दल को इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि ये लोग सभी दलों के लिए नैतिक संकट है। इसलिए इनके खिलाफ सब हो जाते हैं। जनता बग़ैर नैतिक संकट के जीती है। कब से लोकपाल का कानून पास है। क्या लोकपाल लाने के लिए कोई संघर्ष है? भ्रष्टाचार मिट गया है ये सर्टिफ़िकेट बांट देने के बाद राज्यसभा का चुनाव क्या भ्रष्टाचार मुक्त था? मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट। भारत की जनता भोली नहीं है। सयानी है। उसे सब मालूम है इसलिए वो भी इस भ्रष्ट राजनीति की लाभार्थी बन जाती है। वो रोज़ देखती है कि उसका एक हिस्सा बिन पानी के मर रहा है, एक हिस्से के पास अच्छा स्कूल नहीं है, बाज़ार की सड़कों पर चलने की जगह नहीं है, अस्पताल इलाज करने में सक्षम नहीं हैं, फिर भी वो राजनीतिक दलों से मिलने वाले रिश्वत को छोड़ नहीं पाती। उसके पास नफरत की राजनीति में घुस कर बहस करने का अथाह धीरज है मगर अनैतिकता की परतों को हटाकर देखने की बेक़रारी नहीं है। राज्यसभा का चुनाव बताता है कि हमारा लोकतंत्र राजनीतिक दलों के गिरोह में फंस गया है। सांप्रदायिकता की लड़ाई सिर्फ गरीब हिन्दू-मुसलमान के लिए है। वही इसके ख़िलाफ़ लड़ता है और वही मारा जाता है। सियासतदान लड़ने के नाम पर सौदा करता है और मलाई खा लेता है। राजनीति एक धंधा है और इस धंधे में सब व्यापारी हैं। मुनाफ़ा जिसका धर्म है। कांग्रेस के विधायकों ने साबित कर दिया कि वे विचारधारा से ज़्यादा बिकना पसंद करते हैं। हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने क़लम का जो बहाना पेश किया है, उस पर ध्यान देने से कोई लाभ नहीं। इन्हें नटराज पेंसिल तोहफ़े में भिजवा देनी चाहिए। पेंसिल से तो लिखनी आती होगी! अजीत जोगी को हंसी आ रही होगी कि वे बग़ावत कर कांग्रेस से बाहर हैं और ये बग़ावत कर कांग्रेस के भीतर हैं। बग़ावत का टू इन वन रेडियो कांग्रेस की खोज है। जात बिरादरी के नाम पर नेता बने लोगों को पता है कि विचारधारा दो कौड़ी की चीज है। हुड्डा के खिलाफ जांच चल रही है, फिर भी उनसे वोट लेते समय विरोधी उम्मीदवारों को संकोच न हुआ। हुड्डा ने इस वोट के बदले क्या सौदा किया होगा। कांग्रेस ने समर्थन किसे दिया? आरके आनंद को। आनंद इनेलो का समर्थन होने का दावा कर रहे थे जिसके नेता को हुड्डा ने ही जेल भिजवाया। वो आदमी कांग्रेस दफ्तर में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दे रहा था। हुड्डा ने अपनी निरपेक्षता का धर्म साबित कर दिया! कांग्रेस ने कर्नाटक में क्या किया? जेडीएस के विधायकों के अपनी पार्टी छोड़ कांग्रेस के प्रति अनुराग के क्या नैतिक कारण रहे होंगे? पैसा नहीं तो और क्या? बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारकर कौन सा खेल खेला सबको पता है। निर्दलीय उम्मीदवार पैसे वाले ही क्यों उतारे गए? झारखंड में विधायकों के खिलाफ वारंट निकलवा कर मतदान करने से रोका गया। कांग्रेस बीजेपी की तरह बाकी दलों में उनके कार्यकर्ता पसीना बहाते रहे, लेकिन उनके नेताओं को बचाने के नाम पर दिल्ली के वकीलों के गिरोह ने राज्यसभा की सीट ले ली। भारतीय राजनीति में नया नहीं घट रहा है। नया के नाम पर एकाध जगह नए नेता आ जाते हैं, मगर अब ये दल जंग खा चुके हैं। नए-नए दलों की पैदाइश हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है। अखबार उठा कर देखिये। नेतृत्व के वही चेहरे पिछले चालीस-पचास साल से भारतीय राजनीति पर क़ाबिज़ हैं। वो इतनी बार से आ जा रहे हैं, सब एक-दूसरे के मुलाक़ाती हैं। सब एक जैसे हो गए हैं। राज्यसभा के चुनाव ने थोड़ी देर के लिए याद दिलाने की कोशिश की है कि भारतीय राजनीति में झंडे के रंग अलग हैं, मगर उनको लेकर चलने वाले सब एक जैसे हैं।टिप्पणियां ये सारा संकट उनके लिए बोझ है, जो आदर्श और नैतिकता के पैमाने से तमाम दलों को देखते हैं। समर्थन करते हैं। किसी भी दल को इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि ये लोग सभी दलों के लिए नैतिक संकट है। इसलिए इनके खिलाफ सब हो जाते हैं। जनता बग़ैर नैतिक संकट के जीती है। कब से लोकपाल का कानून पास है। क्या लोकपाल लाने के लिए कोई संघर्ष है? भ्रष्टाचार मिट गया है ये सर्टिफ़िकेट बांट देने के बाद राज्यसभा का चुनाव क्या भ्रष्टाचार मुक्त था? मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट। राज्यसभा का चुनाव बताता है कि हमारा लोकतंत्र राजनीतिक दलों के गिरोह में फंस गया है। सांप्रदायिकता की लड़ाई सिर्फ गरीब हिन्दू-मुसलमान के लिए है। वही इसके ख़िलाफ़ लड़ता है और वही मारा जाता है। सियासतदान लड़ने के नाम पर सौदा करता है और मलाई खा लेता है। राजनीति एक धंधा है और इस धंधे में सब व्यापारी हैं। मुनाफ़ा जिसका धर्म है। कांग्रेस के विधायकों ने साबित कर दिया कि वे विचारधारा से ज़्यादा बिकना पसंद करते हैं। हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने क़लम का जो बहाना पेश किया है, उस पर ध्यान देने से कोई लाभ नहीं। इन्हें नटराज पेंसिल तोहफ़े में भिजवा देनी चाहिए। पेंसिल से तो लिखनी आती होगी! अजीत जोगी को हंसी आ रही होगी कि वे बग़ावत कर कांग्रेस से बाहर हैं और ये बग़ावत कर कांग्रेस के भीतर हैं। बग़ावत का टू इन वन रेडियो कांग्रेस की खोज है। जात बिरादरी के नाम पर नेता बने लोगों को पता है कि विचारधारा दो कौड़ी की चीज है। हुड्डा के खिलाफ जांच चल रही है, फिर भी उनसे वोट लेते समय विरोधी उम्मीदवारों को संकोच न हुआ। हुड्डा ने इस वोट के बदले क्या सौदा किया होगा। कांग्रेस ने समर्थन किसे दिया? आरके आनंद को। आनंद इनेलो का समर्थन होने का दावा कर रहे थे जिसके नेता को हुड्डा ने ही जेल भिजवाया। वो आदमी कांग्रेस दफ्तर में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दे रहा था। हुड्डा ने अपनी निरपेक्षता का धर्म साबित कर दिया! कांग्रेस ने कर्नाटक में क्या किया? जेडीएस के विधायकों के अपनी पार्टी छोड़ कांग्रेस के प्रति अनुराग के क्या नैतिक कारण रहे होंगे? पैसा नहीं तो और क्या? बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारकर कौन सा खेल खेला सबको पता है। निर्दलीय उम्मीदवार पैसे वाले ही क्यों उतारे गए? झारखंड में विधायकों के खिलाफ वारंट निकलवा कर मतदान करने से रोका गया। कांग्रेस बीजेपी की तरह बाकी दलों में उनके कार्यकर्ता पसीना बहाते रहे, लेकिन उनके नेताओं को बचाने के नाम पर दिल्ली के वकीलों के गिरोह ने राज्यसभा की सीट ले ली। भारतीय राजनीति में नया नहीं घट रहा है। नया के नाम पर एकाध जगह नए नेता आ जाते हैं, मगर अब ये दल जंग खा चुके हैं। नए-नए दलों की पैदाइश हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है। अखबार उठा कर देखिये। नेतृत्व के वही चेहरे पिछले चालीस-पचास साल से भारतीय राजनीति पर क़ाबिज़ हैं। वो इतनी बार से आ जा रहे हैं, सब एक-दूसरे के मुलाक़ाती हैं। सब एक जैसे हो गए हैं। राज्यसभा के चुनाव ने थोड़ी देर के लिए याद दिलाने की कोशिश की है कि भारतीय राजनीति में झंडे के रंग अलग हैं, मगर उनको लेकर चलने वाले सब एक जैसे हैं।टिप्पणियां ये सारा संकट उनके लिए बोझ है, जो आदर्श और नैतिकता के पैमाने से तमाम दलों को देखते हैं। समर्थन करते हैं। किसी भी दल को इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि ये लोग सभी दलों के लिए नैतिक संकट है। इसलिए इनके खिलाफ सब हो जाते हैं। जनता बग़ैर नैतिक संकट के जीती है। कब से लोकपाल का कानून पास है। क्या लोकपाल लाने के लिए कोई संघर्ष है? भ्रष्टाचार मिट गया है ये सर्टिफ़िकेट बांट देने के बाद राज्यसभा का चुनाव क्या भ्रष्टाचार मुक्त था? मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट। कांग्रेस के विधायकों ने साबित कर दिया कि वे विचारधारा से ज़्यादा बिकना पसंद करते हैं। हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने क़लम का जो बहाना पेश किया है, उस पर ध्यान देने से कोई लाभ नहीं। इन्हें नटराज पेंसिल तोहफ़े में भिजवा देनी चाहिए। पेंसिल से तो लिखनी आती होगी! अजीत जोगी को हंसी आ रही होगी कि वे बग़ावत कर कांग्रेस से बाहर हैं और ये बग़ावत कर कांग्रेस के भीतर हैं। बग़ावत का टू इन वन रेडियो कांग्रेस की खोज है। जात बिरादरी के नाम पर नेता बने लोगों को पता है कि विचारधारा दो कौड़ी की चीज है। हुड्डा के खिलाफ जांच चल रही है, फिर भी उनसे वोट लेते समय विरोधी उम्मीदवारों को संकोच न हुआ। हुड्डा ने इस वोट के बदले क्या सौदा किया होगा। कांग्रेस ने समर्थन किसे दिया? आरके आनंद को। आनंद इनेलो का समर्थन होने का दावा कर रहे थे जिसके नेता को हुड्डा ने ही जेल भिजवाया। वो आदमी कांग्रेस दफ्तर में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दे रहा था। हुड्डा ने अपनी निरपेक्षता का धर्म साबित कर दिया! कांग्रेस ने कर्नाटक में क्या किया? जेडीएस के विधायकों के अपनी पार्टी छोड़ कांग्रेस के प्रति अनुराग के क्या नैतिक कारण रहे होंगे? पैसा नहीं तो और क्या? बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारकर कौन सा खेल खेला सबको पता है। निर्दलीय उम्मीदवार पैसे वाले ही क्यों उतारे गए? झारखंड में विधायकों के खिलाफ वारंट निकलवा कर मतदान करने से रोका गया। कांग्रेस बीजेपी की तरह बाकी दलों में उनके कार्यकर्ता पसीना बहाते रहे, लेकिन उनके नेताओं को बचाने के नाम पर दिल्ली के वकीलों के गिरोह ने राज्यसभा की सीट ले ली। भारतीय राजनीति में नया नहीं घट रहा है। नया के नाम पर एकाध जगह नए नेता आ जाते हैं, मगर अब ये दल जंग खा चुके हैं। नए-नए दलों की पैदाइश हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है। अखबार उठा कर देखिये। नेतृत्व के वही चेहरे पिछले चालीस-पचास साल से भारतीय राजनीति पर क़ाबिज़ हैं। वो इतनी बार से आ जा रहे हैं, सब एक-दूसरे के मुलाक़ाती हैं। सब एक जैसे हो गए हैं। राज्यसभा के चुनाव ने थोड़ी देर के लिए याद दिलाने की कोशिश की है कि भारतीय राजनीति में झंडे के रंग अलग हैं, मगर उनको लेकर चलने वाले सब एक जैसे हैं।टिप्पणियां ये सारा संकट उनके लिए बोझ है, जो आदर्श और नैतिकता के पैमाने से तमाम दलों को देखते हैं। समर्थन करते हैं। किसी भी दल को इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि ये लोग सभी दलों के लिए नैतिक संकट है। इसलिए इनके खिलाफ सब हो जाते हैं। जनता बग़ैर नैतिक संकट के जीती है। कब से लोकपाल का कानून पास है। क्या लोकपाल लाने के लिए कोई संघर्ष है? भ्रष्टाचार मिट गया है ये सर्टिफ़िकेट बांट देने के बाद राज्यसभा का चुनाव क्या भ्रष्टाचार मुक्त था? मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट। कांग्रेस ने कर्नाटक में क्या किया? जेडीएस के विधायकों के अपनी पार्टी छोड़ कांग्रेस के प्रति अनुराग के क्या नैतिक कारण रहे होंगे? पैसा नहीं तो और क्या? बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारकर कौन सा खेल खेला सबको पता है। निर्दलीय उम्मीदवार पैसे वाले ही क्यों उतारे गए? झारखंड में विधायकों के खिलाफ वारंट निकलवा कर मतदान करने से रोका गया। कांग्रेस बीजेपी की तरह बाकी दलों में उनके कार्यकर्ता पसीना बहाते रहे, लेकिन उनके नेताओं को बचाने के नाम पर दिल्ली के वकीलों के गिरोह ने राज्यसभा की सीट ले ली। भारतीय राजनीति में नया नहीं घट रहा है। नया के नाम पर एकाध जगह नए नेता आ जाते हैं, मगर अब ये दल जंग खा चुके हैं। नए-नए दलों की पैदाइश हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है। अखबार उठा कर देखिये। नेतृत्व के वही चेहरे पिछले चालीस-पचास साल से भारतीय राजनीति पर क़ाबिज़ हैं। वो इतनी बार से आ जा रहे हैं, सब एक-दूसरे के मुलाक़ाती हैं। सब एक जैसे हो गए हैं। राज्यसभा के चुनाव ने थोड़ी देर के लिए याद दिलाने की कोशिश की है कि भारतीय राजनीति में झंडे के रंग अलग हैं, मगर उनको लेकर चलने वाले सब एक जैसे हैं।टिप्पणियां ये सारा संकट उनके लिए बोझ है, जो आदर्श और नैतिकता के पैमाने से तमाम दलों को देखते हैं। समर्थन करते हैं। किसी भी दल को इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि ये लोग सभी दलों के लिए नैतिक संकट है। इसलिए इनके खिलाफ सब हो जाते हैं। जनता बग़ैर नैतिक संकट के जीती है। कब से लोकपाल का कानून पास है। क्या लोकपाल लाने के लिए कोई संघर्ष है? भ्रष्टाचार मिट गया है ये सर्टिफ़िकेट बांट देने के बाद राज्यसभा का चुनाव क्या भ्रष्टाचार मुक्त था? मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट। भारतीय राजनीति में नया नहीं घट रहा है। नया के नाम पर एकाध जगह नए नेता आ जाते हैं, मगर अब ये दल जंग खा चुके हैं। नए-नए दलों की पैदाइश हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत ज़रूरी है। अखबार उठा कर देखिये। नेतृत्व के वही चेहरे पिछले चालीस-पचास साल से भारतीय राजनीति पर क़ाबिज़ हैं। वो इतनी बार से आ जा रहे हैं, सब एक-दूसरे के मुलाक़ाती हैं। सब एक जैसे हो गए हैं। राज्यसभा के चुनाव ने थोड़ी देर के लिए याद दिलाने की कोशिश की है कि भारतीय राजनीति में झंडे के रंग अलग हैं, मगर उनको लेकर चलने वाले सब एक जैसे हैं।टिप्पणियां ये सारा संकट उनके लिए बोझ है, जो आदर्श और नैतिकता के पैमाने से तमाम दलों को देखते हैं। समर्थन करते हैं। किसी भी दल को इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि ये लोग सभी दलों के लिए नैतिक संकट है। इसलिए इनके खिलाफ सब हो जाते हैं। जनता बग़ैर नैतिक संकट के जीती है। कब से लोकपाल का कानून पास है। क्या लोकपाल लाने के लिए कोई संघर्ष है? भ्रष्टाचार मिट गया है ये सर्टिफ़िकेट बांट देने के बाद राज्यसभा का चुनाव क्या भ्रष्टाचार मुक्त था? मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट। ये सारा संकट उनके लिए बोझ है, जो आदर्श और नैतिकता के पैमाने से तमाम दलों को देखते हैं। समर्थन करते हैं। किसी भी दल को इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, बल्कि ये लोग सभी दलों के लिए नैतिक संकट है। इसलिए इनके खिलाफ सब हो जाते हैं। जनता बग़ैर नैतिक संकट के जीती है। कब से लोकपाल का कानून पास है। क्या लोकपाल लाने के लिए कोई संघर्ष है? भ्रष्टाचार मिट गया है ये सर्टिफ़िकेट बांट देने के बाद राज्यसभा का चुनाव क्या भ्रष्टाचार मुक्त था? मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट। मुझे पता है विधायक पढ़कर हंसेंगे कि ये अभी भी जनता के सहारे नैतिकता का आह्वान कर रहा है। हा हा, बिल्कुल नहीं। मुझे पता है जिस गिरोह के सरदार ये खेल रचते हैं, वो गिरोह पहले जनता से ही बनता है। जिन्हें नैतिकता का दर्द हो रहा है उन्हें एक सुझाव है। किसी न किसी के अंध समर्थक हो जाएं। इससे उन्हें न नैतिक संकट होगा, न वैचारिक। राज्यसभा के चुनाव को भूल जाना बेहतर है। यही राजनीतिक दलों का सभी को संदेश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस मंत्र का दिन-रात जाप करने से मन का संताप मिटेगा और नींद अच्छी आएगी। जो नैतिक नहीं हैं, वो लोकतंत्र में मंत्र का जाप न करें, नोट गिनें नोट।
देश के शेयर बाजारों में सोमवार को गिरावट का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 229.48 अंकों की गिरावट के साथ 18,708.98 पर और निफ्टी 70.95 अंकों की गिरावट के साथ 5,676.00 पर बंद हुआ। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 30.73 अंकों की तेजी के साथ 18,969.19 पर खुला और 229.48 अंकों या 1.21 फीसदी गिरावट के साथ 18,708.98 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18,969.19 के ऊपरी और 18,684.40 के निचले स्तर को छुआ। सेंसेक्स के 30 में से आठ शेयरों में तेजी रही। सन फार्मा (3.67 फीसदी), भारती एयरटेल (1.62 फीसदी), सिप्ला (0.87 फीसदी), जिंदल स्टील (0.79 फीसदी) और आईटीसी (0.65 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे आरआईएल (4.51 फीसदी), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (3.52 फीसदी), भेल (3.44 फीसदी), एलएंडटी (3.09 फीसदी) और एसबीआई (2.97 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी सुबह 4.90 अंकों की तेजी के साथ 5,751.85 पर खुला और 70.95 अंकों या 1.23 फीसदी गिरावट के साथ 5,676.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी ने 5,751.85 के ऊपरी और 5,666.20 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट देखी गई। मिडकैप सूचकांक 29.39 अंकों की गिरावट के साथ 6,649.38 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 11.64 अंकों की गिरावट के साथ 7,134.07 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। एकमात्र सेक्टर स्वास्थ्य सेवा (1.20 फीसदी) में तेजी देखी गई।टिप्पणियां रियल्टी (3.50 फीसदी), तेल एवं गैस (2.77 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.70 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (1.56 फीसदी) और सूचना प्रौद्योगिकी (1.40 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 30.73 अंकों की तेजी के साथ 18,969.19 पर खुला और 229.48 अंकों या 1.21 फीसदी गिरावट के साथ 18,708.98 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18,969.19 के ऊपरी और 18,684.40 के निचले स्तर को छुआ। सेंसेक्स के 30 में से आठ शेयरों में तेजी रही। सन फार्मा (3.67 फीसदी), भारती एयरटेल (1.62 फीसदी), सिप्ला (0.87 फीसदी), जिंदल स्टील (0.79 फीसदी) और आईटीसी (0.65 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे आरआईएल (4.51 फीसदी), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (3.52 फीसदी), भेल (3.44 फीसदी), एलएंडटी (3.09 फीसदी) और एसबीआई (2.97 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी सुबह 4.90 अंकों की तेजी के साथ 5,751.85 पर खुला और 70.95 अंकों या 1.23 फीसदी गिरावट के साथ 5,676.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी ने 5,751.85 के ऊपरी और 5,666.20 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट देखी गई। मिडकैप सूचकांक 29.39 अंकों की गिरावट के साथ 6,649.38 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 11.64 अंकों की गिरावट के साथ 7,134.07 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। एकमात्र सेक्टर स्वास्थ्य सेवा (1.20 फीसदी) में तेजी देखी गई।टिप्पणियां रियल्टी (3.50 फीसदी), तेल एवं गैस (2.77 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.70 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (1.56 फीसदी) और सूचना प्रौद्योगिकी (1.40 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ। सेंसेक्स के 30 में से आठ शेयरों में तेजी रही। सन फार्मा (3.67 फीसदी), भारती एयरटेल (1.62 फीसदी), सिप्ला (0.87 फीसदी), जिंदल स्टील (0.79 फीसदी) और आईटीसी (0.65 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे आरआईएल (4.51 फीसदी), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (3.52 फीसदी), भेल (3.44 फीसदी), एलएंडटी (3.09 फीसदी) और एसबीआई (2.97 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी सुबह 4.90 अंकों की तेजी के साथ 5,751.85 पर खुला और 70.95 अंकों या 1.23 फीसदी गिरावट के साथ 5,676.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी ने 5,751.85 के ऊपरी और 5,666.20 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट देखी गई। मिडकैप सूचकांक 29.39 अंकों की गिरावट के साथ 6,649.38 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 11.64 अंकों की गिरावट के साथ 7,134.07 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। एकमात्र सेक्टर स्वास्थ्य सेवा (1.20 फीसदी) में तेजी देखी गई।टिप्पणियां रियल्टी (3.50 फीसदी), तेल एवं गैस (2.77 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.70 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (1.56 फीसदी) और सूचना प्रौद्योगिकी (1.40 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे आरआईएल (4.51 फीसदी), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (3.52 फीसदी), भेल (3.44 फीसदी), एलएंडटी (3.09 फीसदी) और एसबीआई (2.97 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी सुबह 4.90 अंकों की तेजी के साथ 5,751.85 पर खुला और 70.95 अंकों या 1.23 फीसदी गिरावट के साथ 5,676.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी ने 5,751.85 के ऊपरी और 5,666.20 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट देखी गई। मिडकैप सूचकांक 29.39 अंकों की गिरावट के साथ 6,649.38 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 11.64 अंकों की गिरावट के साथ 7,134.07 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। एकमात्र सेक्टर स्वास्थ्य सेवा (1.20 फीसदी) में तेजी देखी गई।टिप्पणियां रियल्टी (3.50 फीसदी), तेल एवं गैस (2.77 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.70 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (1.56 फीसदी) और सूचना प्रौद्योगिकी (1.40 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी सुबह 4.90 अंकों की तेजी के साथ 5,751.85 पर खुला और 70.95 अंकों या 1.23 फीसदी गिरावट के साथ 5,676.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी ने 5,751.85 के ऊपरी और 5,666.20 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट देखी गई। मिडकैप सूचकांक 29.39 अंकों की गिरावट के साथ 6,649.38 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 11.64 अंकों की गिरावट के साथ 7,134.07 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। एकमात्र सेक्टर स्वास्थ्य सेवा (1.20 फीसदी) में तेजी देखी गई।टिप्पणियां रियल्टी (3.50 फीसदी), तेल एवं गैस (2.77 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.70 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (1.56 फीसदी) और सूचना प्रौद्योगिकी (1.40 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट देखी गई। मिडकैप सूचकांक 29.39 अंकों की गिरावट के साथ 6,649.38 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 11.64 अंकों की गिरावट के साथ 7,134.07 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। एकमात्र सेक्टर स्वास्थ्य सेवा (1.20 फीसदी) में तेजी देखी गई।टिप्पणियां रियल्टी (3.50 फीसदी), तेल एवं गैस (2.77 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.70 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (1.56 फीसदी) और सूचना प्रौद्योगिकी (1.40 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ। बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। एकमात्र सेक्टर स्वास्थ्य सेवा (1.20 फीसदी) में तेजी देखी गई।टिप्पणियां रियल्टी (3.50 फीसदी), तेल एवं गैस (2.77 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.70 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (1.56 फीसदी) और सूचना प्रौद्योगिकी (1.40 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ। रियल्टी (3.50 फीसदी), तेल एवं गैस (2.77 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.70 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (1.56 फीसदी) और सूचना प्रौद्योगिकी (1.40 फीसदी) में सर्वाधिक गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 1383 शेयरों में तेजी और 1515 में गिरावट रही, जबकि 115 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ।
फोनी बाओबाब (Fony baobab), जिसका वैज्ञानिक नाम ऐडनसोनिया रुब्रोस्टीपा (Adansonia rubrostipa) है, माडागास्कर की छह बाओबाब जातियों में से एक है। यह माडागास्कर में तत्रस्थ है, यानि केवल उसी द्वीप पर पाया जाता है। शारीरिक विवरण ऐडनसोनिया रुब्रोस्टीपा वृक्ष आकार में बाओबाब की सबसे छोटी जाति है, और यह 5–20 मीटर (16–66 फुट) की ऊँचाई रखता है। तना बोतल के आकार का होता है और इसे अपनी लाल छाल के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है। पेड़ पर नवम्बर से अप्रैल तक चलने वाली वर्षा ऋतु में पत्ते होते हैं लेकिन अन्य शुष्क महीनों में पेड़ से पत्ते झड़े हुए होते हैं। पत्तों का अंत 3-5 अंशों में बंटा होता है। इसके फूल की कलियाँ 16–28 सेमी (6.3–11.0 इंच) लम्बी और 1–2.5 सेमी (0.39–0.98 इंच) की हरी टहनियों के अंत पर होती हैं। फूलों की प्रजनन क्षमता केवल 15 घंटों तक रहती है। यह एक दिन संध्या के समय खिलते हैं और सुबह तक मुरझा जाते हैं। यह इतनी तेज़ी से खिलते हैं कि इन्हें मानव आँखों द्वारा खिलते हुए देखा जा सकता है। इनका परागण मुख्य रूप से लम्बी जिह्वा वाली कुछ स्थानीय पतंगा जातियों द्वारा करा जाता है। फल अक्तूबर-नवम्बर में पकने वाला होता है। इसका बाहरी खोल 4–5 मिमी मोटा और अंदरूनी गूदा शुष्क होता है, जिसमें राजमा के आकार बीज होते हैं। फल के बाहर लाल-भूरे रंग के घने बाल होते हैं। इन्हें भी देखें बाओबाब तत्रस्थता माडागास्कर सन्दर्भ ऐडनसोनिया माडागास्कर के तत्रस्थ वनस्पति
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: भ्रष्टाचार को लेकर चिंतित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय ने शनिवार को आगाह किया कि भारत पारदर्शिता और जवाबदेही के बगैर सतत ऊंची वृद्धि दर नहीं हासिल कर सकता। दिल्ली में 11वें अखिल भारतीय लोकायुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि तब तक टिकाऊ और समावेशी नहीं हो सकती जब तक यह पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर आधारित न हो।’ उन्होंने कहा कि भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा कोई नया नहीं है। देश को सतत रूप से आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने के लिए इससे (भ्रष्टाचार) प्रभावी तरीके से निपटने की जरूरत है ‘क्योंकि इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है।’ सरकारी अंकेक्षक कैग ने 2-जी स्पेक्ट्रम, कोयला ब्लॉक आबंटन पर अपनी रिपोर्टों में सरकार की ऐसी विभिन्न व्यवस्था का जिक्र किया है जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। इन रिपोर्टों पर सरकार को कड़ी प्रतिक्रिया देनी पड़ी। भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक मंदी से पहले तक नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर से बढ़ रही थी, लेकिन 2008-09 में यह 6.7 प्रतिशत पर आ गई।टिप्पणियां कैग की कार्यप्रणाली के संबंध में राय ने कहा कि सरकारी अंकेक्षक ने दैनिक मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए पुस्तिका पेश करना शुरू किया है। उन्होंने कहा, ‘अब हमने अपनी जटिल अंकेक्षण रिपोर्टों को छोटी पुस्तिका में तब्दील करना शुरू किया है। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े सभी मुद्दों पर हम 14.15 पृष्ठों की पुस्तिका लेकर आए हैं।' दिल्ली में 11वें अखिल भारतीय लोकायुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि तब तक टिकाऊ और समावेशी नहीं हो सकती जब तक यह पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर आधारित न हो।’ उन्होंने कहा कि भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा कोई नया नहीं है। देश को सतत रूप से आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने के लिए इससे (भ्रष्टाचार) प्रभावी तरीके से निपटने की जरूरत है ‘क्योंकि इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है।’ सरकारी अंकेक्षक कैग ने 2-जी स्पेक्ट्रम, कोयला ब्लॉक आबंटन पर अपनी रिपोर्टों में सरकार की ऐसी विभिन्न व्यवस्था का जिक्र किया है जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। इन रिपोर्टों पर सरकार को कड़ी प्रतिक्रिया देनी पड़ी। भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक मंदी से पहले तक नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर से बढ़ रही थी, लेकिन 2008-09 में यह 6.7 प्रतिशत पर आ गई।टिप्पणियां कैग की कार्यप्रणाली के संबंध में राय ने कहा कि सरकारी अंकेक्षक ने दैनिक मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए पुस्तिका पेश करना शुरू किया है। उन्होंने कहा, ‘अब हमने अपनी जटिल अंकेक्षण रिपोर्टों को छोटी पुस्तिका में तब्दील करना शुरू किया है। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े सभी मुद्दों पर हम 14.15 पृष्ठों की पुस्तिका लेकर आए हैं।' सरकारी अंकेक्षक कैग ने 2-जी स्पेक्ट्रम, कोयला ब्लॉक आबंटन पर अपनी रिपोर्टों में सरकार की ऐसी विभिन्न व्यवस्था का जिक्र किया है जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। इन रिपोर्टों पर सरकार को कड़ी प्रतिक्रिया देनी पड़ी। भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक मंदी से पहले तक नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर से बढ़ रही थी, लेकिन 2008-09 में यह 6.7 प्रतिशत पर आ गई।टिप्पणियां कैग की कार्यप्रणाली के संबंध में राय ने कहा कि सरकारी अंकेक्षक ने दैनिक मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए पुस्तिका पेश करना शुरू किया है। उन्होंने कहा, ‘अब हमने अपनी जटिल अंकेक्षण रिपोर्टों को छोटी पुस्तिका में तब्दील करना शुरू किया है। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े सभी मुद्दों पर हम 14.15 पृष्ठों की पुस्तिका लेकर आए हैं।' भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक मंदी से पहले तक नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर से बढ़ रही थी, लेकिन 2008-09 में यह 6.7 प्रतिशत पर आ गई।टिप्पणियां कैग की कार्यप्रणाली के संबंध में राय ने कहा कि सरकारी अंकेक्षक ने दैनिक मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए पुस्तिका पेश करना शुरू किया है। उन्होंने कहा, ‘अब हमने अपनी जटिल अंकेक्षण रिपोर्टों को छोटी पुस्तिका में तब्दील करना शुरू किया है। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े सभी मुद्दों पर हम 14.15 पृष्ठों की पुस्तिका लेकर आए हैं।' कैग की कार्यप्रणाली के संबंध में राय ने कहा कि सरकारी अंकेक्षक ने दैनिक मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए पुस्तिका पेश करना शुरू किया है। उन्होंने कहा, ‘अब हमने अपनी जटिल अंकेक्षण रिपोर्टों को छोटी पुस्तिका में तब्दील करना शुरू किया है। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े सभी मुद्दों पर हम 14.15 पृष्ठों की पुस्तिका लेकर आए हैं।' उन्होंने कहा, ‘अब हमने अपनी जटिल अंकेक्षण रिपोर्टों को छोटी पुस्तिका में तब्दील करना शुरू किया है। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े सभी मुद्दों पर हम 14.15 पृष्ठों की पुस्तिका लेकर आए हैं।'
टॉमी थॉमस (जन्म: १९५२) एक मलेशियाई संविधान कानून विशेषज्ञ, सिविल लीजिगेटर और भारतीय मूल के मलेशिया के अटॉर्नी जनरल है। 4 जून, 2018 को मलेशिया के सुल्तान मुहम्मद पंचम ने उन्हें मलेशिया का नया अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया। वे 55 वर्षों में इस पर पद नियुक्त पहले अल्पसंख्यक व्यक्ति हैं। इस पद पर उन्होने मोहम्मद अपांडी अली का स्थान लिया है। सुल्तान ने इस्लामिक समूहों के विरोध के बावजूद इस पद पर थॉमस की नियुक्ति को मंजूरी दी। संदर्भ 1952 में जन्मे लोग मलेशिया के लोग मलेशियाई भारतीय
यह एक लेख है: इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की करारी हार के बाद बीसीसीआई हरकत में आई है। बीसीसीआई ने वन-डे के मैचों के लिए सपोर्ट स्टाफ में बदलाव किया है। वहीं, बीसीसीआई ने इस बात को सिरे से खारिज़ कर दिया है कि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को हटाया जाएगा। बीसीसीआई ने कहा कि धोनी को कप्तानी से हटाने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता है। पूर्व क्रिकेटर और कप्तान रवि शास्त्री को टीम का निदेशक बनाया गया है। कहा जा रहा है कि रवि शास्त्री टीम इंडिया के क्रिकेट से जुड़े सभी कामों का कार्यभार देखेंगे और यह भी कहा जा रहा है कि मुख्य कोच डंकन फ्लेचर अब शास्त्री को रिपोर्ट करेंगे। फिलहाल गेंदबाजी और फील्डिंग के कोचों को छुट्टी दे दी गई है। साथ ही पूर्व क्रिकेटर संजय बांगर को टीम का सहायक कोच का पदभार दिया गया है। बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने मंगलवार को कहा कि इंग्लैंड के खिलाफ वन-डे शृंखला के लिए टीम निदेशक बनाए गए रवि शास्त्री के मार्गदर्शन में खिलाड़ियों में नई ऊर्जा का संचार होगा। बोर्ड सचिव पटेल ने कहा, 'हमें यकीन है कि शास्त्री के मार्गदर्शन में खिलाड़ी तरोताजा होकर खेलेंगे। मैदान के भीतर और बाहर उनकी जानकारी टीम को खेल में लौटाने के लिए काफी उपयोगी साबित होगी।' उन्होंने कहा, 'दो सप्ताह से बीसीसीआई पूरे मसले पर बात कर रहा है। काफी बातचीत के बाद कल यह फैसला लिया गया कि शास्त्री की नियुक्ति की जाए।' बोर्ड ने गेंदबाजी कोच जो डावेस और फील्डिंग कोच ट्रेवर पेनी को ब्रेक देने और पूर्व भारतीय हरफनमौला संजय बांगड तथा पूर्व तेज गेंदबाज भरत अरुण को सहायक कोच बनाने का फैसला किया। पटेल ने कहा, 'फिलहाल दो अन्य कोचों की जगह तीन भारतीय कोचों को नियुक्त किया गया है जो टीम में ताजगी लेकर आएंगे।'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकार में जहां हर साल 1 जनवरी को मुख्यमंत्री सहित उनके कैबिनेट के तमाम मंत्री अपने संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक तौर पर घोषित करते हैं वहीं बिहार सरकार के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा 31 जनवरी तक सार्वजनिक करना होता है. मगर इस साल तकरीबन 70 आईपीएस अधिकारियों ने अब तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया है. इस बात को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है. बिहार सरकार के गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक पी.के. ठाकुर को एक पत्र लिखा है और बताया है कि अब तक जिन 70 आईपीएस अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा ऑनलाइन जमा नहीं किया है और अगर 31 जनवरी तक यानि अगले 6 दिन में ऐसा नहीं करते हैं तो ऐसे पदाधिकारियों की निगरानी स्वच्छता पूरे वर्ष के लिए बाधित रहेगी. गौरतलब है कि अब तक मात्र 72 आईपीएस अधिकारियों ने ही अपने वार्षिक अचल संपत्ति की घोषणा ऑनलाइन की है. राज्य के शेष 70 आईपीएस अधिकारियों ने ऐसा अब तक नहीं किया है. यहां यह जानना भी जरूरी है कि 27 दिसंबर 2016 और 20 जनवरी 2017 को ही बिहार कैडर के सभी आईपीएस पदाधिकारियों को यह जानकारी दी गई थी कि उन्हें 31 जनवरी तक अपने अचल संपत्ति की घोषणा करनी है.
मीडिया ब्लैकआउट किसी विशेष विषय से संबंधित समाचारों की सेंसरशिप है, विशेष रूप से मास मीडिया में किसी भी कारण से। एक मीडिया ब्लैकआउट स्वैच्छिक हो सकता है, या कुछ देशों में सरकार या राज्य द्वारा लागू किया जा सकता है। बाद वाला मामला शांतिपूर्ण समय में विवादास्पद है, क्योंकि कुछ लोग इसे मानव अधिकारों के उल्लंघन और मुक्त भाषण के दमन के रूप में मानते हैं। प्रेस ब्लैकआउट एक समान वाक्यांश है, लेकिन विशेष रूप से मुद्रित मीडिया को संदर्भित करता है। मीडिया ब्लैकआउट का उपयोग, विशेष रूप से घोषित युद्ध के समय में दुश्मन से उपयोगी खुफिया जानकारी रखने के लिए किया जाता है। कुछ मामलों में औपचारिक सेंसरशिप का उपयोग किया जाता है, दूसरों में समाचार मीडिया सहयोग कर सकता है जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध में यूके डी- (बाद में डीए-) नोटिस सिस्टम में है। उदाहरण ऐतिहासिक मीडिया ब्लैकआउट के कुछ उदाहरणों में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए जाने के दौरान दक्षिणी जापान के मीडिया पर प्रतिबंध, और फारस की खाड़ी युद्ध के दौरान इराक से स्वतंत्र मीडिया पत्राचार की कमी शामिल है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सेंसरशिप के अमेरिकी कार्यालय ने समाचार पत्रों और रेडियो स्टेशनों को संदेश भेजे जिन पर प्राप्तकर्ताओं ने कार्रवाई की, उन्हें आग के गुब्बारों के किसी भी दृश्य या विस्फोट की रिपोर्ट नहीं करने के लिए कहा, इसलिए जापानियों को गुब्बारों की प्रभावशीलता के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी भविष्य के कार्यों की योजना बनाते समय। नतीजतन जापानियों ने अपने बमों में से केवल एक के भाग्य को सीखा जो व्योमिंग में उतरा, लेकिन विस्फोट करने में विफल रहा। जापानियों ने छह महीने से भी कम समय के बाद सभी लॉन्च बंद कर दिए। आग के गुब्बारों से पहली मौतों के बाद अमेरिका में प्रेस ब्लैकआउट को हटा लिया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनता को चेतावनी दी गई थी, हालांकि खतरे की सार्वजनिक जानकारी से संभवतः मौतों को रोका जा सकता था। युद्ध के दौरान ब्रिटेन के जहाज आरएमएस <i id="mwNw">लंकेस्ट्रिया</i> के डूबने से ४,००० से अधिक लोगों की मौत की खबर को नागरिकों के मनोबल को प्रभावित करने से रोकने के लिए स्वेच्छा से दबा दिया गया था, लेकिन इसे विदेशों में ज्ञात होने के बाद प्रकाशित किया गया था। जापान में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कब्जा जापान के आत्मसमर्पण के बाद सात वर्षों तक मित्र देशों की शक्तियों के लिए सर्वोच्च कमांडर के राजनीतिक और आर्थिक नियंत्रण के ऊपर, मित्र देशों की शक्तियों के लिए सर्वोच्च कमांडर के सिविल सेंसरशिप डिटैचमेंट के गठन के तहत, मित्र देशों की शक्तियों के लिए सर्वोच्च कमांडर का सभी जापानी मीडिया पर भी सख्त नियंत्रण था। सिविल सेंसरशिप डिटैचमेंट ने अंततः मीडिया के सभी रूपों से कुल ३१ विषयों पर प्रतिबंध लगा दिया। इन विषयों में शामिल थे: मित्र देशों की शक्तियों के लिए सर्वोच्च कमांडर (व्यक्तियों और संगठन) की आलोचना। पूर्व और युद्ध के बाद मित्र देशों की नीति की आलोचना। शाही प्रचार का कोई भी रूप। युद्ध अपराधियों का बचाव। सरकार के "अलोकतांत्रिक" रूपों की प्रशंसा, हालांकि स्वयं मित्र देशों की शक्तियों के लिए सर्वोच्च कमांडर की प्रशंसा की अनुमति थी। हिरोशिमा और नागासाकी की परमाणु बमबारी। काला बाजार गतिविधियों। संबद्ध राजनयिक संबंधों की खुली चर्चा (सोवियत संघ-संयुक्त राज्य संबंध)। हालांकि कुछ सिविल सेंसरशिप डिटैचमेंट सेंसरशिप कानूनों में मित्र देशों की शक्तियों के लिए सर्वोच्च कमांडर के अंत में काफी ढील दी गई थी, कुछ विषय जैसे हिरोशिमा और नागासाकी की परमाणु बमबारी, कब्जे के अंत में १९५२ तक वर्जित थे। समकालीन नासाउ काउंटी, न्यूयॉर्क में ४ जुलाई, १९५६ को पीटर वेनबर्गर नाम के एक ३२-दिन के बच्चे का अपहरण कर लिया गया और उसे $२,००० की फिरौती के लिए पकड़ लिया गया; अपहरणकर्ता ने वेनबर्गर को उसकी मांग पूरी होने पर "सुरक्षित और खुश" लौटाने का वादा किया। पुलिस ने अपहरणकर्ता के लिए वेनबर्गर के घर के पास एक कोने में पैसे निकालने की व्यवस्था की और एक्सचेंज से पहले पीटर को अपहरणकर्ता को नुकसान पहुंचाने के जोखिम को कम करने के लिए मीडिया ब्लैकआउट का अनुरोध किया। न्यूयॉर्क डेली न्यूज ने वैसे भी अपहरण की सूचना दी, वेनबर्गर के घर पर भारी प्रेस का ध्यान आकर्षित किया और अपहरणकर्ता को फिरौती की रकम वापस लेने से डरा दिया। अपहरणकर्ता ने वेनबर्गर को एक राजमार्ग निकास से कुछ भारी ब्रश में छोड़ दिया। वेनबर्गर एक महीने बाद मृत पाया गया था, शिशु जोखिम से मर गया था। विवाद के दोनों पक्षों के बीच अधिक प्रभावी अनुबंध वार्ता की अनुमति देने के लिए २००५ के न्यूयॉर्क सिटी ट्रांजिट स्ट्राइक के दौरान एक मीडिया ब्लैकआउट का उपयोग किया गया था। कनाडाई पत्रकार मेलिसा फंग के २००८ के अपहरण को उसकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए मीडिया ब्लैकआउट दिया गया था। सभी मीडिया स्रोतों ने कनाडाई जनता को फंग के भाग्य से अनजान बनाने के लिए बाध्य किया। २००८ में तथ्य यह है कि प्रिंस हैरी जो उस समय ब्रिटिश सिंहासन के लिए तीसरे स्थान पर थे, अफगानिस्तान में सक्रिय कर्तव्य पर सेवा कर रहे थे, अपनी सुरक्षा के लिए ब्रिटिश मीडिया में ब्लैकआउट के अधीन थे। विदेशी मीडिया द्वारा ब्लैकआउट किए जाने के बाद उन्हें जल्दी घर लाया गया। २२ जून २००९ को जब खबर आई कि न्यूयॉर्क टाइम्स के रिपोर्टर डेविड रोहडे अपने तालिबान बंधकों से बच गए हैं, तो कम ही लोग जानते थे कि उनका अपहरण भी कर लिया गया था, क्योंकि सात महीने तक वह और दो अफगान सहयोगी तालिबान के हाथों में थे, द टाइम्स ने कहा कि लपेटे में जानकारी। रिपोर्टर की सुरक्षा की चिंता को देखते हुए, द टाइम्स ने अन्य प्रमुख समाचार संगठनों से भी ऐसा ही करने को कहा; एनपीआर दर्जनों समाचार आउटलेट्स में से एक था जिसने रोहडे के सहयोगियों के आग्रह पर अपहरण की सूचना नहीं दी। केली मैकब्राइड जो पॉयन्टर इंस्टीट्यूट में पत्रकारों को नैतिकता सिखाती हैं, का कहना है कि मीडिया ब्लैकआउट से वह "वास्तव में चकित" थीं। "मुझे यह थोड़ा परेशान करने वाला लगता है, क्योंकि इससे मुझे आश्चर्य होता है कि ४० अंतर्राष्ट्रीय समाचार संगठन जनता को न बताने के लिए और क्या सहमत हुए हैं," वह एनपीआर के मेलिसा ब्लॉक को बताती हैं। मैकब्राइड का कहना है कि ब्लैकआउट से समाचार संगठनों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच सकता है। "मुझे नहीं लगता कि हम अपनी विश्वसनीयता के लिए लंबे समय तक कोई एहसान करते हैं जब हमारे पास जनता के लिए स्पष्ट रूप से रुचि रखने वाली किसी चीज़ पर कुल समाचार ब्लैकआउट होता है," वह कहती हैं। यूरोपीय संघ २०२२ में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के प्रतिबंधों के हिस्से के रूप में रूसी सार्वजनिक रूप से स्वामित्व वाली वैश्विक मीडिया आरटी और रूसी सरकार के स्वामित्व वाली मीडिया स्पुतनिक को यूरोपीय संघ के भीतर प्रसारण और वितरण से प्रतिबंधित कर दिया गया है। मीडिया के ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट भी अब देखने योग्य नहीं हैं। एसोसिएशन फुटबॉल में एसोसिएशन फ़ुटबॉल में एक प्रेस या मीडिया ब्लैकआउट को इसी इतालवी वाक्यांश से सिलेंज़ियो स्टाम्पा (शाब्दिक रूप से प्रेस चुप्पी ) के रूप में भी जाना जाता है। यह विशेष रूप से संदर्भित करता है जब एक फुटबॉल क्लब या राष्ट्रीय टीम और खिलाड़ी साक्षात्कार देने से इनकार करते हैं या किसी अन्य तरीके से प्रेस के साथ सहयोग करते हैं, अक्सर महत्वपूर्ण टूर्नामेंट के दौरान, या जब क्लब को लगता है कि मीडिया क्लब और उनकी गतिविधियों को चित्रित नहीं करता है एक वस्तुनिष्ठ तरीका। वाक्यांश सिलेंज़ियो स्टैम्पा का जन्म १९८२ फीफा विश्व कप के दौरान हुआ था जब इतालवी टीम ने अफवाहों और असत्य के कारण एक समाचार ब्लैकआउट बनाया था।  प्रेस में प्रसारित कहानियां। यह सभी देखें पत्रकारिता की स्वतंत्रता संदर्भ जन संचार माध्यम अभिवेचन Pages with unreviewed translations
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया, लेकिन अपने भाषण में उन्होंने नरेंद्र मोदी को पार्टी की प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने की बात का उल्लेख नहीं किया. आडवाणी ने खराब स्वास्थ्य के बारे में चुप्पी तोड़ी और कहा कि इसी की वजह से वे पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने गोवा नहीं जा सके. तस्वीरें: आडवाणी की रथ यात्रा मोदी को इस समिति के अध्यक्ष बनाए जाने के विरुद्ध बताये जा रहे आडवाणी ने राजनीतिक मामले या मुद्दे पर एक शब्द तक नहीं कहा, जो गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हुआ. समझा जाता है कि मोदी प्रचार समिति के अध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में सामने होंगे. अपने 11 मिनट के रिकॉर्डेड भाषण में आडवाणी ने पंडित श्रीराम दवे के साथ अपनी मित्रता याद की, जिनकी स्मृति में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया था. बीजेपी की ओर से अहम भूमिका मिलने के तुरंत बाद मोदी ने नाराज आडवाणी से बातचीत की और दावा किया कि पार्टी के इस वृद्ध नेता ने उन्हें आशीर्वाद दिया है. मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘आडवाणीजी से फोन पर बातचीत हुई. उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया. उनका आशीर्वाद पाकर सम्मानित और आभारी महसूस करता हूं.’ आडवाणी ने अपने भाषण में कहा, ‘आज सुबह, मैंने फोन पर जयपुर में साध्वी प्रियंवदा से बातचीत की और कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाने के लिए माफी मांगी. पिछले लगातार तीन दिन से पेट खराब है, बार-बार दस्त हो रहे हैं, स्वास्थ्य खराब है, यही वजह है कि मैं गोवा में अपनी अति महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नहीं जा सका.’
देश के शेयर बाजारों में गुरुवार को तेजी का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 78.04 अंकों की तेजी के साथ 18,542.31 पर और निफ्टी 32.35 अंकों की तेजी के साथ 5,610.00 पर बंद हुआ। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज(बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 155.63 अंकों की तेजी के साथ 18,619.90 पर खुला और 78.04 अंकों या 0.42 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,542.31 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स 18,715.03 के ऊपरी और 18,480.54 के निचले स्तर पर पहुंचा। सेंसेक्स के 30 में 18 शेयरों में तेजी रही। जिंदल स्टील (5.99 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (5.39 फीसदी), एसबीआई (5.36 फीसदी), एलएंडटी (4.35 फीसदी) और भेल (4.30 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स में गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे आईटीसी (5.48 फीसदी), टीसीएस (5.03 फीसदी), डॉ. रेड्डीज लैब (4.30 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलीवर (2.76 फीसदी) और इंफोसिस (2.67 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 54.10 अंकों की तेजी के साथ 5,631.75 पर खुला और 32.35 अंकों या 0.58 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,610.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी 5,652.20 के ऊपरी और 5,585.15 के निचले स्तर पर पहुंचा। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी तेजी देखी गई। मिडकैप सूचकांक 71.12 अंकों की तेजी के साथ 6,316.02 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 74.54 अंकों की तेजी के साथ 6,697.66 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 सेक्टरों में से नौ सेक्टरों में तेजी देखी गई। रियल्टी (6.21 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (3.74 फीसदी), बैंकिंग (3.24 फीसदी), बिजली (2.19 फीसदी) और तेल और गैस (1.95 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।टिप्पणियां बीएसई के चार सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा (1.81 फीसदी), प्रौद्योगिकी (1.86 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.18 फीसदी) और तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु ( 3.66 फसीदी) में गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज(बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 155.63 अंकों की तेजी के साथ 18,619.90 पर खुला और 78.04 अंकों या 0.42 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,542.31 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स 18,715.03 के ऊपरी और 18,480.54 के निचले स्तर पर पहुंचा। सेंसेक्स के 30 में 18 शेयरों में तेजी रही। जिंदल स्टील (5.99 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (5.39 फीसदी), एसबीआई (5.36 फीसदी), एलएंडटी (4.35 फीसदी) और भेल (4.30 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स में गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे आईटीसी (5.48 फीसदी), टीसीएस (5.03 फीसदी), डॉ. रेड्डीज लैब (4.30 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलीवर (2.76 फीसदी) और इंफोसिस (2.67 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 54.10 अंकों की तेजी के साथ 5,631.75 पर खुला और 32.35 अंकों या 0.58 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,610.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी 5,652.20 के ऊपरी और 5,585.15 के निचले स्तर पर पहुंचा। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी तेजी देखी गई। मिडकैप सूचकांक 71.12 अंकों की तेजी के साथ 6,316.02 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 74.54 अंकों की तेजी के साथ 6,697.66 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 सेक्टरों में से नौ सेक्टरों में तेजी देखी गई। रियल्टी (6.21 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (3.74 फीसदी), बैंकिंग (3.24 फीसदी), बिजली (2.19 फीसदी) और तेल और गैस (1.95 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।टिप्पणियां बीएसई के चार सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा (1.81 फीसदी), प्रौद्योगिकी (1.86 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.18 फीसदी) और तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु ( 3.66 फसीदी) में गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया। सेंसेक्स के 30 में 18 शेयरों में तेजी रही। जिंदल स्टील (5.99 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (5.39 फीसदी), एसबीआई (5.36 फीसदी), एलएंडटी (4.35 फीसदी) और भेल (4.30 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स में गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे आईटीसी (5.48 फीसदी), टीसीएस (5.03 फीसदी), डॉ. रेड्डीज लैब (4.30 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलीवर (2.76 फीसदी) और इंफोसिस (2.67 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 54.10 अंकों की तेजी के साथ 5,631.75 पर खुला और 32.35 अंकों या 0.58 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,610.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी 5,652.20 के ऊपरी और 5,585.15 के निचले स्तर पर पहुंचा। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी तेजी देखी गई। मिडकैप सूचकांक 71.12 अंकों की तेजी के साथ 6,316.02 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 74.54 अंकों की तेजी के साथ 6,697.66 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 सेक्टरों में से नौ सेक्टरों में तेजी देखी गई। रियल्टी (6.21 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (3.74 फीसदी), बैंकिंग (3.24 फीसदी), बिजली (2.19 फीसदी) और तेल और गैस (1.95 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।टिप्पणियां बीएसई के चार सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा (1.81 फीसदी), प्रौद्योगिकी (1.86 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.18 फीसदी) और तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु ( 3.66 फसीदी) में गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया। सेंसेक्स में गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे आईटीसी (5.48 फीसदी), टीसीएस (5.03 फीसदी), डॉ. रेड्डीज लैब (4.30 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलीवर (2.76 फीसदी) और इंफोसिस (2.67 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 54.10 अंकों की तेजी के साथ 5,631.75 पर खुला और 32.35 अंकों या 0.58 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,610.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी 5,652.20 के ऊपरी और 5,585.15 के निचले स्तर पर पहुंचा। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी तेजी देखी गई। मिडकैप सूचकांक 71.12 अंकों की तेजी के साथ 6,316.02 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 74.54 अंकों की तेजी के साथ 6,697.66 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 सेक्टरों में से नौ सेक्टरों में तेजी देखी गई। रियल्टी (6.21 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (3.74 फीसदी), बैंकिंग (3.24 फीसदी), बिजली (2.19 फीसदी) और तेल और गैस (1.95 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।टिप्पणियां बीएसई के चार सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा (1.81 फीसदी), प्रौद्योगिकी (1.86 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.18 फीसदी) और तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु ( 3.66 फसीदी) में गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 54.10 अंकों की तेजी के साथ 5,631.75 पर खुला और 32.35 अंकों या 0.58 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,610.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी 5,652.20 के ऊपरी और 5,585.15 के निचले स्तर पर पहुंचा। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी तेजी देखी गई। मिडकैप सूचकांक 71.12 अंकों की तेजी के साथ 6,316.02 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 74.54 अंकों की तेजी के साथ 6,697.66 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 सेक्टरों में से नौ सेक्टरों में तेजी देखी गई। रियल्टी (6.21 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (3.74 फीसदी), बैंकिंग (3.24 फीसदी), बिजली (2.19 फीसदी) और तेल और गैस (1.95 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।टिप्पणियां बीएसई के चार सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा (1.81 फीसदी), प्रौद्योगिकी (1.86 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.18 फीसदी) और तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु ( 3.66 फसीदी) में गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी तेजी देखी गई। मिडकैप सूचकांक 71.12 अंकों की तेजी के साथ 6,316.02 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 74.54 अंकों की तेजी के साथ 6,697.66 पर बंद हुआ। बीएसई के 13 सेक्टरों में से नौ सेक्टरों में तेजी देखी गई। रियल्टी (6.21 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (3.74 फीसदी), बैंकिंग (3.24 फीसदी), बिजली (2.19 फीसदी) और तेल और गैस (1.95 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।टिप्पणियां बीएसई के चार सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा (1.81 फीसदी), प्रौद्योगिकी (1.86 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.18 फीसदी) और तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु ( 3.66 फसीदी) में गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया। बीएसई के 13 सेक्टरों में से नौ सेक्टरों में तेजी देखी गई। रियल्टी (6.21 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (3.74 फीसदी), बैंकिंग (3.24 फीसदी), बिजली (2.19 फीसदी) और तेल और गैस (1.95 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।टिप्पणियां बीएसई के चार सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा (1.81 फीसदी), प्रौद्योगिकी (1.86 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.18 फीसदी) और तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु ( 3.66 फसीदी) में गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया। बीएसई के चार सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा (1.81 फीसदी), प्रौद्योगिकी (1.86 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.18 फीसदी) और तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु ( 3.66 फसीदी) में गिरावट रही। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया। बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1628 शेयरों में तेजी और 1262 में गिरावट रही, जबकि 117 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं आया।
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की ओर से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दाखिल मानहानि मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल के वकीलों से जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल न करने के लिए कहा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आगे से केजरीवाल के वकील आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल न करें. साथ की इस मामले में केजरीवाल पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए उनके ही वकील राम जेठमलानी ने खुद को इस केस से अलग कर लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल के वकीलों को कहा कि आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल से कोर्ट का माहौल ख़राब होता है. हाइ कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि अरुण जेटली से  क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान कोई भी गलत शब्द का प्रयोग न किया जाए साथ ही कानून के तहत जो सवाल हों वही पूछे जाएं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने ऑब्जरवेशन मे कहा कि अरविंद केजरीवाल जैसा संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. अगर इस तरह के पद पर बैठे हुए लोगों के वकीलों की ओर से भी ऐसी बातें कही जाती हैं तो हम आम जनता को क्या जवाब देंगे. इससे कोर्ट की गरिमा भंग होती है. कोर्ट ने केजरीवाल के वकीलों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कोर्ट मे इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल दोबारा किया गया तो मामले को रजिस्ट्रार के पास भेज दिया जाएगा. दरअसल जेटली मानहानि के मामले में सुनवाई के दौरान राम जेठमलानी ने जेटली को लेकर क्रूक शब्द का प्रयोग किया था. जिसके बाद जेटली ने दूसरा मानहानि का केस केजरीवाल पर कर दिया था. फिलहाल केजरीवाल के वकील रहे राम जेठमलानी ने प्रेस कांफ्रेंस करके साफ कर दिया है कि क्रूक शब्द का इस्तेमाल उन्होंने केजरीवाल के कहने पर ही किया था, जबकि कुछ दिन पहले हाई कोर्ट में केजरीवाल ने हलफ़नामा दिया था कि राम जेठमलानी को अरुण जेटली के ख़िलाफ़ क्रूक शब्द का इस्तेमाल करने को नहीं कहा था.
पठान ने कहा, ‘अभी तक जिस तरह का क्रिकेट मैंने खेला है, मेरा लक्ष्य भारतीय टीम में फिर जगह पाना है. आईपीएल ऐसा मंच है जिसमें मैं खुद को साबित कर सकता हूं.’ वनडे क्रिकेट में अपने पदार्पण को याद करते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान रॉयल्स के लिए 2008 में आईपीएल जीतने से उन्हें चयनकर्ताओं का ध्यान खींचने में मदद मिली . उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना करियर आईपीएल के पहले सत्र में शुरू किया. इसमें अच्छा प्रदर्शन करके मैं वापसी कर सकता हूं. मुझे यकीन है कि हम सभी के लिए इसमें कुछ नया होगा. कुछ नए खिलाड़ी भी टीम में आए हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना करियर आईपीएल के पहले सत्र में शुरू किया. इसमें अच्छा प्रदर्शन करके मैं वापसी कर सकता हूं. मुझे यकीन है कि हम सभी के लिए इसमें कुछ नया होगा. कुछ नए खिलाड़ी भी टीम में आए हैं.’
दागी तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर को पाकिस्तान की तरफ से खेलने की अनुमति देनी चाहिए या नहीं, इस विषय को लेकर पाकिस्तान क्रिकेट दो धड़ों में बंट गया है तथा पूर्व क्रिकेटरों मोहम्मद यूसुफ और रमीज राजा में टीवी कार्यक्रम के दौरान शाब्दिक जंग देखने को मिली। इन दोनों ने जियो सुपर चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान एक-दूसरे के खिलाफ कुछ निजी टिप्पणियां की और गलत शब्दों का उपयोग किया। आमिर के मामले में यूसुफ ने कहा कि रमीज क्रिकेट नहीं जानते और वह सिफारिशी खिलाड़ी थे और वह केवल एक शिक्षक ही अच्छे रहते।टिप्पणियां यूसुफ यहीं पर नहीं रुके और उन्होंने इस पूर्व टेस्ट कप्तान के खिलाफ कुछ निजी टिप्पणियां भी कर दीं, जिससे रमीज भी अपना आपा खो बैठे। रमीज ने दाढ़ी रखने वाले यूसुफ को फर्जी मुल्ला कहा जो झूठ बोलता है और जिसने पाकिस्तान क्रिकेट के लिए परेशानियां खड़ी कीं। यह क्लिप जल्द ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। पूर्व खिलाड़ियों, प्रशंसकों और आलोचकों ने इन दोनों खिलाड़ियों द्वारा उपयोग में लाई गई भाषा पर निराशा जताई। इन दोनों ने जियो सुपर चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान एक-दूसरे के खिलाफ कुछ निजी टिप्पणियां की और गलत शब्दों का उपयोग किया। आमिर के मामले में यूसुफ ने कहा कि रमीज क्रिकेट नहीं जानते और वह सिफारिशी खिलाड़ी थे और वह केवल एक शिक्षक ही अच्छे रहते।टिप्पणियां यूसुफ यहीं पर नहीं रुके और उन्होंने इस पूर्व टेस्ट कप्तान के खिलाफ कुछ निजी टिप्पणियां भी कर दीं, जिससे रमीज भी अपना आपा खो बैठे। रमीज ने दाढ़ी रखने वाले यूसुफ को फर्जी मुल्ला कहा जो झूठ बोलता है और जिसने पाकिस्तान क्रिकेट के लिए परेशानियां खड़ी कीं। यह क्लिप जल्द ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। पूर्व खिलाड़ियों, प्रशंसकों और आलोचकों ने इन दोनों खिलाड़ियों द्वारा उपयोग में लाई गई भाषा पर निराशा जताई। यूसुफ यहीं पर नहीं रुके और उन्होंने इस पूर्व टेस्ट कप्तान के खिलाफ कुछ निजी टिप्पणियां भी कर दीं, जिससे रमीज भी अपना आपा खो बैठे। रमीज ने दाढ़ी रखने वाले यूसुफ को फर्जी मुल्ला कहा जो झूठ बोलता है और जिसने पाकिस्तान क्रिकेट के लिए परेशानियां खड़ी कीं। यह क्लिप जल्द ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। पूर्व खिलाड़ियों, प्रशंसकों और आलोचकों ने इन दोनों खिलाड़ियों द्वारा उपयोग में लाई गई भाषा पर निराशा जताई। यह क्लिप जल्द ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। पूर्व खिलाड़ियों, प्रशंसकों और आलोचकों ने इन दोनों खिलाड़ियों द्वारा उपयोग में लाई गई भाषा पर निराशा जताई।
ब्लैक फॉरेस्ट (), दक्षिण-पश्चिम जर्मनी के बादेन-वुर्टेमबर्ग में स्थित एक वनाच्छादित पर्वत श्रृंखला है। इसकी दक्षिणी और पश्चिमी सीमाओं पर राइन घाटी स्थित है। 1493 मीटर (4898 फीट) की ऊंचाई के साथ फेल्डबर्ग इसका सबसे उंचा शिखर है। लंबाई तथा चौड़ाई के साथ यह क्षेत्र लगभग पूरी तरह से आयताकार है। इसलिए इसका क्षेत्रफल लगभग है। श्वार्जवाल्ड नाम (अर्थात ब्लैक फॉरेस्ट) रोमनों द्वारा दिया गया है जो वहां स्थित घने जंगलों वाले पर्वत को सिल्वा निग्रा अर्थात "ब्लैक फॉरेस्ट" कहते थे क्योंकि उसके अंदर के घने शंकुवृक्षों के कारण वन में प्रकाश प्रवेश नहीं कर पाता था। भूविज्ञान ब्लैक फॉरेस्ट में नीस तथा ग्रेनाईट से निर्मित कोर के ऊपर सैंडस्टोन का एक कवर मौजूद है। पूर्व में इसका टेक्टोनिक (विवर्तनिक) विकास निकट स्थित वोसगेस पर्वत के समान था। बाद में मध्य इओसीन युग के दौरान एक रिफ्टिंग (दरारीकरण) अवधि ने इस क्षेत्र को प्रभावित किया जिससे राइन ग्राबेन की उत्पत्ति हुई। वुर्म हिमाच्छादन (Würm glaciation) की अंतिम हिमाच्छादन अवधि के दौरान ब्लैक फॉरेस्ट बर्फ से ढंक गया था; मुम्मेलसी जैसी अनेक छोटी पहाड़ी झीलें इस अवधि के अवशेष के रूप में आज भी मौजूद हैं। नदियां ब्लैक फॉरेस्ट की नदियों में शामिल हैं डैन्यूबे (जो ब्लैक फॉरेस्ट में ब्रिगाच तथा ब्रेग नदियों के संगम के रूप में प्रकट होती है), एन्ज, किन्जिग, मुर्ग, नागोल्ड, नेकार, रेंच, तथा वीज़. ब्लैक फॉरेस्ट अटलांटिक महासागर ड्रेनेज बेसिन (राइन द्वारा ड्रेन किया गया) तथा ब्लैक सी ड्रेनेज बेसिन (डैन्यूबे द्वारा ड्रेन किया गया) के बीच के महाद्वीपीय विभाजन का हिस्सा है। सबसे ऊंचे पहाड़ों की सूची फेल्ड्बर्ग () हेर्जोगेनहोर्न () बेल्चेन () स्पीसहोर्न () शाउइन्सलैंड () कंडेल () होशब्लौएन () होर्निसग्रिंड () रजनीतिक प्रशासनिक रूप से ब्लैक फॉरेस्ट पूर्ण रूप से बादेन-वुर्टेमबर्ग राज्य का हिस्सा है और इसमें फोर्ज्हीम शहर के साथ-साथ निम्न जिले (क्राईस) भी शामिल हैं। उत्तर में: एन्ज, रास्टाट तथा कॉल; मध्य में: फ्रियूडेनस्टाट, ओर्टेनोक्राईस तथा रौट्वील; दक्षिण में: एमेनडिन्जेन, श्वार्ज़वाल्ड-बार, ब्रेगो-होशवार्ज़वाल्ड, लोराच तथा वाल्डशट. पारिस्थितिक और अर्थव्यवस्था वन में ज्यादातर चीड़ और देवदार के वृक्ष होते हैं जिनमें से कुछ को वाणिज्यिक मोनोकल्चर (एकल उपज) में उगाया जाता है। अन्य वनाच्छादित क्षेत्रों के समान ही ब्लैक फॉरेस्ट के कुछ क्षेत्र भी लकड़ी की अत्यधिक कटाई के कारण नष्ट हो चुके हैं। लकड़ी कटाई और भूमि उपयोग में परिवर्तनों के कारण यह वन अपने मूल आकार का एक अंश मात्र बचा है। स्टॉर्म लोथार ने 1999 में पहाड़ों की चोटियों के सैकड़ों एकड़ क्षेत्र से वृक्षों की कटाई की थी। इसके कारण कुछ उंची चोटियाँ और मनोरम पहाड़ लगभग नग्न हो चुके हैं जहाँ केवल कुछ घास-फूस और छोटे देवदार वृक्ष ही बचे हैं। पर्यटन यहां का मुख्य उद्योग है। नीचे वर्णित स्मारकों और शहरों के अलावा लंबी दूरी के कई पैदल रास्ते भी ब्लैक फॉरेस्ट से हो कर गुजरते हैं, जिनमें से कई को पहली बार बनाया गया है। यूरोपीय लंबी दूरी का मार्ग ई1, लंबी दूरी के कुछ स्थानीय मार्गों का अनुसरण करते हुए ब्लैक फॉरेस्ट से गुजरता है। दिन में चलने के लिए उपयुक्त कई छोटे रास्तों के अतिरिक वहां माउंटेन बाइकिंग तथा क्रॉस-कंट्री स्कीइंग के रास्ते भी मौजूद हैं। इन मार्गों की कुल लंबाई लगभग है जिनकी देखरेख श्वार्ज़वाल्डवेरीन (ब्लैक फॉरेस्ट सोसाइटी) नामक एक स्वैच्छिक संस्था द्वारा की जाती है; इस संस्था में लगभग 90,000 सदस्य हैं (ब्रेम्के, 1999 के आंकड़े, पृष्ठ 9)। दिलचस्प स्थान ब्लैक फॉरेस्ट में कई पुराने शहर मौजूद हैं। लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में शामिल हैं फ्राईबर्ग, कॉल (हरमन हेस का जन्म स्थान), गेंगेनबाक, स्टॉफेन, शिल्टाक, हासलाक, तथा एल्टनस्टीक. अन्य लोकप्रिय स्थलों में शामिल हैं फेल्डबर्ग, बेल्चेन, कंडेल, तथा शाउइन्सलैंड जैसे पर्वत; टिटीसी तथा श्लुकसी झीलें; ऑल सेंट्स झरना; ट्राईबर्ग झरना जो सबसे उंचा तो नहीं है पर जर्मनी का सबसे प्रसिद्ध झरना है; और वूटाच नदी की तंग घाटी. Schwarzwälder Freilichtmuseum Vogtsbauernhof एक ओपन-एयर संग्रहालय है जहां ब्लैक फॉरेस्ट के कई कृत्रिम रूप से निर्मित खेतों की सहायता से इस क्षेत्र के सोलहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी के किसानों के जीवन को दर्शाया जाता है। फूर्टवान्गेन स्थित जर्मन घड़ी संग्रहालय घड़ी उद्योग तथा घड़ी निर्माताओं के इतिहास को दर्शाता है। चालकों के लिए इस क्षेत्र का प्रमुख मार्ग रैपिड A5 (E35) मोटरवे है, लेकिन श्वार्ज़वाल्ड-होक्सट्रासे (, बादेन-बादेन से फ्रियूडेंस्टाट), श्वार्ज़वाल्ड टालेरस्ट्रास (, मुर्ग तथा किन्जिग घाटियाँ) या बाडीश वीनस्ट्रास (बादेन वाइन स्ट्रीट, ), बादेन-बादेन से वील एम राइन के बीच का वाइन रूट) जैसे कई मनोरम और सुविधाजनक रास्ते भी मौजूद हैं। एक सुरम्य यात्रा मार्ग भी है जो ब्लैक फॉरेस्ट के दक्षिण से शुरू होकर पूर्व की तरफ जाता है और इसमें कई पुरानी वाइनरियों तथा छोटे-छोटे गांवों को देखा जा सकता है। एक अन्य अधिक विशिष्ट मार्ग है 'ड्यूश युरेंसट्राब' ("जर्मन क्लॉक रोड"), एक गोलाकार जिसपर इस क्षेत्र के सामयिक इतिहास को देखा जा सकता है। मध्ययुगीन काल में यहां काफी सारी खदानें थीं जिनमे में कई को जनता के लिए खोल दिया गया है (ब्लैक फॉरेस्ट सन 1100 से यूरोप के सबसे महत्त्वपूर्ण खनन क्षेत्रों में से एक था)। इस प्रकार की खदानों को किन्जिग घाटी, सुगेंटाल, म्युएन्स्टर घाटी और टौटमूस के आसपास देखा जा सकता है। काउंट ऑटो वॉन बिस्मार्क द्वारा पाने शासनकाल (1873-1890) के दौरान कई अवसरों पर ब्लैक फॉरेस्ट का दौरा किया था। कथित तौर पर, वह विशेष रूप से ट्राईबर्ग झरने को देखने में दिलचस्पी रखता था। आज ट्राईबर्ग में एक स्मारक है जो बिस्मार्क को समर्पित है; बिस्मार्क को संभवतः इस क्षेत्र के शांत वातावरण में काफी आनंद आता था क्योंकि उसके बर्लिन स्थित निवास पर इसका अभाव था। जीव-जंतु यूरोपीय वन क्षेत्र के सामान्य वन्य जीवन के अतिरिक्त ब्लैक फॉरेस्ट में निम्न प्रकार के पशुओं को देखा जा सकता है। पशु: ब्लैक फॉरेस्ट के पशु "हिंटरवाल्डरबर्ग" पशुओं की दुर्लभ नस्ल के होते हैं विशाल केंचुआ Lumbricus badensis, केवल ब्लैक फॉरेस्ट क्षेत्र में ही पाया जाता है ब्लैक फॉरेस्ट लोमड़ी, घोड़ों की एक प्रजाति की होती हैं; पूर्व में इनके बिना भारी काम के बारे में सोचना भी मुश्किल था चील और उल्लू को काफी करीब से देखा जा सकता है संस्कृति ब्लैक फॉरेस्ट क्षेत्र में एलेमानिक तथा स्वाबियन बोलियों को बोला जाता है। फासनेट (Fasnet) जर्मन फास्टनाट छुट्टी (जिसे ब्लैक फॉरेस्ट क्षेत्र में फासनेट नाम से जाना जाता है), लेंट के समय से कुछ पहले पड़ती है। रोजेनमोंटाग या ऐश बुधवार के पहले आने वाले सोमवार को सड़कों पर मुखौटा पहने लोगों की भीड़ को देखा जा सकता है। मुखौटे की एक प्रमुख शैली को ब्लैक फॉरेस्ट मुखौटा कहा जाता है जिसकी शुरुआत ब्लैक फॉरेस्ट क्षेत्र से हुई थी। शिल्प लकड़ी पर नक्काशी इस क्षेत्र का एक पारंपरिक कुटीर उद्योग है और आज की तारीख में नक़्क़ाशीदार आभूषणों को पर्यटकों के लिए स्मृति-चिन्हों के रूप में पर्याप्त संख्या में उत्पादित किया जाता है। कुक्कू घड़ी इसका एक लोकप्रिय उदाहरण है; इसे इस क्षेत्र में अठारहवीं सदी की शुरुआत से ही बनाया जाता रहा है और इसका अधिकतर विकास भी यहीं हुआ है। खान-पान ब्लैक फॉरेस्ट हैम तथा ब्लैक फॉरेस्ट केक (कम से कम नाम और प्रतिष्ठा के अनुसार) की उत्पत्ति इसी क्षेत्र से हुई थी। यह "ब्लैक फॉरेस्ट चेरी केक" के नाम से भी जाना जाता है और चॉकलेट केक, क्रीम, खट्टी चेरी तथा किर्श (चेरी की शराब) से बना होता है। फ्लामक्यूशेन की ब्लैक फॉरेस्ट किस्म, एक बाडिश विशेषता है जिसे हैम, चीज़, तथा क्रीम से बनाया जाता है। फानक्यूशेन, क्रेप या क्रेप जैसी (एरक्यूशेन या पालाशिंकेन) एक पेस्ट्री भी काफी आम है। गैलरी इन्हें भी देखें हेर्सीनियन वन डॉयेशेज यूह्रेनम्यूज़ियम टिप्पणियां सन्दर्भ ब्रेम्क, एन. (1999)। श्वार्जवाल्ड क्वेर . कार्लश्रुहे: ब्राउन. आईएसबीएन 3-7650-8228-7 लाम्पर्सकी, एफ. (1985)। Der Einfluß der Regenwurmart Lumbricus badensis auf Waldböden im Südschwarzwald. Schriftenreihe des Institut für Bodenkunde und Waldernährungslehre der Albert-Ludwigs-Universität Freiburg i. ब्र., 15 . आईएसएसएन 0344-2691. इंग्लिश समरी जर्मन विकिपीडिया "फानक्यूशेन" डिसेम्बिग्यूएशन बार्न्स, के। जे. (2007)। ए रफ पासेज: मैमोरिज़ ऑफ एन एम्पायर बाहरी कड़ियाँ ट्यूरिस्ट इन्फो जर्मनी की पर्वतमालाएँ बादेन-वुर्टेमबर्ग का भूगोल जर्मनी के वन ब्लैक फॉरेस्ट
वरिष्ठ गांधीवादी अन्ना हजारे ने मंगलवार को कहा कि सशक्त लोकपाल विधेयक के लिए 16 अगस्त से प्रस्तावित अनशन से पहले वह सभी दलों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे जो बुधवार से शुरू होगी। पुणे यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट द्वारा आयोजित 'प्रेस से मिलिए' कार्यक्रम में यहां मंगलवार शाम अन्ना हजारे ने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि अगले कुछ दिनों में मेरी सोनिया गांधी (कांग्रेस अध्यक्ष) तथा अन्य दलों के नेताओं से मुलाकात होगी।" उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में हमें हर किसी से बात करनी चाहिए, उनकी विचारधारा का ध्यान किए बिना।" अन्ना हजारे ने कहा कि वह और उनकी टीम के सदस्यों ने विभिन्न धार्मिक समूहों सहित अन्य संगठनों के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी संदेश भेजा है। प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे में लाने की उनकी मांग पर प्रधानमंत्री की ओर से कोई जवाब न आने का जिक्र करने पर अन्ना हजारे ने कहा, "मनमोहन सिंह भयभीत नहीं हैं। वह रिमोट कंट्रोल के अधीन हैं, इसलिए उन्होंने हमारे अनुरोध का जवाब नहीं दिया।" अन्ना हजारे ने हालांकि दोहराया कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह राष्ट्रीय राजधानी में 16 अगस्त से प्रस्तावित अनशन से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने जोर देते हुए कहा, "सरकार लाठी चलवाए या गोली, मुझे कोई भय नहीं है। यदि वे जंतर मंतर या राजघाट पर बैठने की अनुमति नहीं देंगे तो मैं जेल में अपना अनशन जारी रखूंगा। मैं देश की खातिर बलिदान देने को तैयार हूं। देश के लिए शहीद होने पर मुझे गर्व होगा।" इससे पहले नई दिल्ली में कहा गया कि अन्ना हजारे की टीम लोकपाल विधेयक के मसौदे पर समर्थन जुटाने के लिए एक जुलाई को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं से मुलाकात करेगी। समाजिक संगठन की सदस्य किरण बेदी ने एक समाचार चैनल को बताया कि उन्हें भाजपा नेता आडवाणी ने बुलाया है और वह अन्ना हजारे के साथी एक जुलाई को उनसे मुलाकात करेंगी। ज्ञात हो कि अन्ना हजारे के नेतृत्व में समाजिक संगठनों के पांच सदस्य और केंद्र सरकार के पांच मंत्री संयुक्त रूप से पिछले दो महीने से लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में जुटे हुए थे लेकिन मसौदे को लेकर में एक राय नहीं बन सकी। बेदी ने कहा, "टीम आडवाणी ने टीम अन्ना को एक जुलाई को अपना जन लोकपाल विधेयक का मसौदा प्रस्तुत करने के लिए बुलाया है। हम उनसे मिलेंगे।" उन्होंने कहा कि हम जन लोकपाल विधेयक का अपना मसौदा और सरकार का मसौदा उनके सामने रखेंगे और उनकी राय जानने की कोशिश करेंगे। मसौदा समिति के सदस्य संतोष हेगड़े ने कहा कि सामाजिक संगठन के सदस्य राजनीतिक पार्टियों से मिलकर अपना पक्ष रखने का प्रयास कर रहे हैं।
विकीलीक्स ने भारत के संदर्भ में एक बड़ा खुलासा किया है। समाचारपत्र 'द हिन्दू' की वेबसाइट में प्रकाशित आलेख के मुताबिक राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने से पहले स्वीडिश कंपनी साब स्कैनिया से जुड़े हुए थे और कंपनी में उद्यमी की तरह काम कर रहे थे। ये कंपनी भारत को युद्धक विमान बेचने की कोशिश कर रही थी। हालांकि, भारत से स्वीडिश कंपनी की यह डील फाइनल नहीं हो पाई थी और भारत ने ब्रिटिश फाइटर प्लेन जगुआर को खरीदने का फैसला किया था, उस वक्त राजीव गांधी इंडियन एयरलाइंस में पायलट थे। विकीलीक्स ने ये ख़बर किसिंजर केबल के हवाले से दी है। विकीलीक्स के इस खुलासे पर कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा है कि मुझे सबसे ज्यादा यह अफसोस है कि मीडिया के वे अंग जिनके विवेक पर देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा भरोसा करता रहा है, वह भी सनसनीखेज खबरों पर भरोसा करने लगे हैं। अगर यह मान लिया जाए कि इस संदेह में कोई सच्चाई है तो उसके नीचे एक और खबर है, जिसमें एनडीए के एक बड़े नेता का नाम है। टिप्पणियां गौरतलब है कि विकीलीक्स ने 1974 से लेकर 1976 के बीच के 41 केबल का हवाला दिया है। विकीलीक्स के मुताबिक, इस तरह के सौदे में गांधी परिवार की अहमियत को स्वीडिश कंपनी के साथ-साथ फ्रेंच कंपनी ने भी भांप लिया था और इसका इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही थी। खुलासे के मुताबिक, उस वक्त एयरक्राफ्ट सौदे के लिए फ्रांस के मिराज की तरफ से उस वक्त के एयर चीफ मार्शल ओपी मेहरा के दामाद मिडिलमैन की भूमिका निभा रहे थे। जबकि राजीव गांधी स्वीडिश कंपनी के लिए काम कर रहे थे। इस सौदे के दौरान स्वीडिश राजदूत द्वारा अपने देश लिखे गए गोपनीय केबल में कई बार राजीव गांधी और उनके परिवार की अहमियत के बारे में चर्चा की गई है। हालांकि, भारत से स्वीडिश कंपनी की यह डील फाइनल नहीं हो पाई थी और भारत ने ब्रिटिश फाइटर प्लेन जगुआर को खरीदने का फैसला किया था, उस वक्त राजीव गांधी इंडियन एयरलाइंस में पायलट थे। विकीलीक्स ने ये ख़बर किसिंजर केबल के हवाले से दी है। विकीलीक्स के इस खुलासे पर कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा है कि मुझे सबसे ज्यादा यह अफसोस है कि मीडिया के वे अंग जिनके विवेक पर देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा भरोसा करता रहा है, वह भी सनसनीखेज खबरों पर भरोसा करने लगे हैं। अगर यह मान लिया जाए कि इस संदेह में कोई सच्चाई है तो उसके नीचे एक और खबर है, जिसमें एनडीए के एक बड़े नेता का नाम है। टिप्पणियां गौरतलब है कि विकीलीक्स ने 1974 से लेकर 1976 के बीच के 41 केबल का हवाला दिया है। विकीलीक्स के मुताबिक, इस तरह के सौदे में गांधी परिवार की अहमियत को स्वीडिश कंपनी के साथ-साथ फ्रेंच कंपनी ने भी भांप लिया था और इसका इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही थी। खुलासे के मुताबिक, उस वक्त एयरक्राफ्ट सौदे के लिए फ्रांस के मिराज की तरफ से उस वक्त के एयर चीफ मार्शल ओपी मेहरा के दामाद मिडिलमैन की भूमिका निभा रहे थे। जबकि राजीव गांधी स्वीडिश कंपनी के लिए काम कर रहे थे। इस सौदे के दौरान स्वीडिश राजदूत द्वारा अपने देश लिखे गए गोपनीय केबल में कई बार राजीव गांधी और उनके परिवार की अहमियत के बारे में चर्चा की गई है। विकीलीक्स के इस खुलासे पर कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा है कि मुझे सबसे ज्यादा यह अफसोस है कि मीडिया के वे अंग जिनके विवेक पर देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा भरोसा करता रहा है, वह भी सनसनीखेज खबरों पर भरोसा करने लगे हैं। अगर यह मान लिया जाए कि इस संदेह में कोई सच्चाई है तो उसके नीचे एक और खबर है, जिसमें एनडीए के एक बड़े नेता का नाम है। टिप्पणियां गौरतलब है कि विकीलीक्स ने 1974 से लेकर 1976 के बीच के 41 केबल का हवाला दिया है। विकीलीक्स के मुताबिक, इस तरह के सौदे में गांधी परिवार की अहमियत को स्वीडिश कंपनी के साथ-साथ फ्रेंच कंपनी ने भी भांप लिया था और इसका इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही थी। खुलासे के मुताबिक, उस वक्त एयरक्राफ्ट सौदे के लिए फ्रांस के मिराज की तरफ से उस वक्त के एयर चीफ मार्शल ओपी मेहरा के दामाद मिडिलमैन की भूमिका निभा रहे थे। जबकि राजीव गांधी स्वीडिश कंपनी के लिए काम कर रहे थे। इस सौदे के दौरान स्वीडिश राजदूत द्वारा अपने देश लिखे गए गोपनीय केबल में कई बार राजीव गांधी और उनके परिवार की अहमियत के बारे में चर्चा की गई है। गौरतलब है कि विकीलीक्स ने 1974 से लेकर 1976 के बीच के 41 केबल का हवाला दिया है। विकीलीक्स के मुताबिक, इस तरह के सौदे में गांधी परिवार की अहमियत को स्वीडिश कंपनी के साथ-साथ फ्रेंच कंपनी ने भी भांप लिया था और इसका इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही थी। खुलासे के मुताबिक, उस वक्त एयरक्राफ्ट सौदे के लिए फ्रांस के मिराज की तरफ से उस वक्त के एयर चीफ मार्शल ओपी मेहरा के दामाद मिडिलमैन की भूमिका निभा रहे थे। जबकि राजीव गांधी स्वीडिश कंपनी के लिए काम कर रहे थे। इस सौदे के दौरान स्वीडिश राजदूत द्वारा अपने देश लिखे गए गोपनीय केबल में कई बार राजीव गांधी और उनके परिवार की अहमियत के बारे में चर्चा की गई है। खुलासे के मुताबिक, उस वक्त एयरक्राफ्ट सौदे के लिए फ्रांस के मिराज की तरफ से उस वक्त के एयर चीफ मार्शल ओपी मेहरा के दामाद मिडिलमैन की भूमिका निभा रहे थे। जबकि राजीव गांधी स्वीडिश कंपनी के लिए काम कर रहे थे। इस सौदे के दौरान स्वीडिश राजदूत द्वारा अपने देश लिखे गए गोपनीय केबल में कई बार राजीव गांधी और उनके परिवार की अहमियत के बारे में चर्चा की गई है।
महिमा चौधरी बॉलीवुड में जाना-पहचाना नाम हैं. फिल्म 'परदेस' से डेब्यू करने वालीं महिमा 13 सितंबर 1973 को दार्जलिंग में जन्मी थीं.  महिमा आखिरी बार 2016 में फिल्म 'डार्क चॉकलेट' में नजर आई थीं. इससे पहले उनका नाम तब मीडिया में आया, तब उन्हें काले धन के मामले से जुड़ा बताया गया. महिमा ने इसका पूरी तरह खंडन किया. दरअसल, तीन साल पहले विदेशों में जमा काले धन मामले में जिन भारतीय खाताधारकों की लिस्ट सामने आई थी, उसमें एक्ट्रेस महि‍मा चौधरी का नाम भी शामिल था. सूत्रों के मुताबिक 'एचएसबीसी' की स्विस शाखा में जिन भारतीय खाताधारकों की सूची सामने आई थी, उसमें एक्ट्रेस महिमा चौधरी का नाम था. इस बात का खुलासा नहीं हुआ था कि उनके अकाउंट में कितनी रकम है. लेकिन बताया गया कि यह अकाउंट उनके असली नाम यानी कि रितु चौधरी के नाम से खोला गया है और अकांउट की जानकारी में उन्हें मॉडल और एक्ट्रेस बताया गया. हालांकि एक अंग्रेजी वेबसाइट की खबर के मुताबिक, महिमा ने ऐसा कोई  बैंक अकाउंट होने से इंकार किया था. लेकिन इस खबर के बाद महिमा पर ट्विटर पर जैसे जोक्स की भरमार शुरू हो गई थी. महिमा अपनी पर्सनल लाइफ के कारण भी चर्चा में रहीं. महिमा का नाम टेनिस प्लेयर लिएंडर पेस के साथ जुड़ा था. बताया जाता है कि वे करीब 6 साल तक पेस के साथ रिलेशनशिप में रहीं, लेकिन बाद में दोनों का ब्रेकअप हो गया.
यह लेख है: सब्जी, प्याज, आलू और गेहूं जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमत में कमी के साथ खाद्य मुद्रास्फीति 17 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान गिर कर 0.42 फीसद पर आ गई। यह छह साल में खाद्य मुद्रास्फीति का न्यूनतम स्तर है। खाद्यमुद्रास्फीति में दिख रही तीव्र गिरावट में तुलनात्मक आधार का भी प्रभाव है क्योंकि पिछले साल इसी समय खाने पीने की चीजों के दामों में काफी बड़ा उछाल आया था। थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति इससे पिछले सप्ताह 1.81 फीसद और पिछले साल इसी दौरान 15.48 फीसद पर थी। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक प्याज सालाना स्तर पर 59.04 फीसद सस्ता हुआ जबकि आलू की कीमत 33.76 फीसद कम हुई। गेहूं की कीमत भी 3.30 फीसद कम हुई। कुल मिलाकर 17 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान सब्जियां 36.02 फीसद सस्ती हुईं। विशेषज्ञों का मानना है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक दहाई अंक पर बरकरार खाद्य मुद्रास्फीति के आंकड़ों में भारी गिरावट हुई जिससे सरकार और रिजर्व बैंक दोनों को नीतिगत मोर्चे पर काफी राहत मिली। खाद्य मुद्रास्फीति पिछले दो साल से कफी ऊंचे चल रही थी। कीमतों के मौजूदा रुझान को देखते हुए आरबीआई जनवरी में मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा के समय मुख्य ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार कर सकता है। हालांकि इस दौरान अन्य खाद्य उत्पाद सालाना स्तर पर मंहगे हुए। इनमें दूध, मांस और दाल जैसे प्रोटीन के स्रोत वाले खाद्यपदार्थों की कीमतों में उल्लेखनीय तेजी आई है। समीक्षाधीन अवधि में दालें एक साल पहले की तुलना में 14.07 फीसद मंहगी हुई हैं जबकि दूध 11.30 फीसद और अंडे, मांस और मछली 11.56 फीसद मंहगे हुए। फल सालाना स्तर पर 8.46 फीसद मंहगा हुआ जबकि अनाज की कीमत 2.15 फीसद बढ़ी। समीक्षाधीन अवधि में प्राथमिक उत्पाद खंड की मुद्रास्फीति 2.70 फीसद रही जो पिछले सप्ताह 3.78 फीसद पर थी। थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक उत्पादों का योगदान 20 फीसद है। प्राथमिक वस्तुओं में गैर खाद्य वस्तुवर्ग की मुद्रास्फीति 17 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 0.28 फीसद रही जबकि 10 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 1.37 फीसद थी। ईंधन और बिजली वर्ग की मुद्रास्फीति 17 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 14.37 फीसद पर थी जबकि इसके पिछले सप्ताह 15.24 फीसद पर थी। सकल मुद्रास्फीति दिसंबर 2010 से नौ फीसद के उपर बरकार थी। इस साल नवंबर में सकल मुद्रास्फीति 9.11 फीसद पर थी। आरबीआई ने मांग पर नियंत्रण और मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए मार्च 2010 से ब्याज दरों में 13 बार बढ़ोतरी की। मौद्रिक नीति की पिछले महीने हुई दूसरी तिमाही समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने कहा था कि उसे दिसंबर तक मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने की उम्मीद है लेकिन मार्च 2012 तक यह गिरकर सात फीसद पर पहुंच जाएगी।
ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स (एनएसडब्ल्यू) टीम ने एमए चिदम्बरम स्टेडियम में बुधवार को खेले गए चैम्पियंस लीग ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट के ग्रुप-ए मुकाबले में वेस्टइंडीज की त्रिनिदाद एंड टोबैगो टीम को हरा दिया। मैच का फैसला सुपर ओवर के जरिए हुआ। त्रिनिदाद द्वारा दिए गए 140 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए न्यू साउथ वेल्स टीम ने 20 ओवरों की समाप्ति तक आठ विकेट पर 139 रन बनाए। इसके बाद मैच का फैसला सुपर ओवर के जरिए करना पड़ा। सुपर ओवर में बाजी न्यू साउथ वेल्स के हाथों लगी। न्यू साउथ वेल्स ने पहले खेलते हुए 18 रन बनाए जबकि त्रिनिदाद की टीम इसके जवाब में 15 रन बना सकी। न्यू साउथ वेल्स की ओर से सुपर ओवर में मोएजिज हेनरिक्स ने 18 रन जुटाए। मैच के मुख्य ह्स्सिे में न्यू साउथ वेल्स की ओर से डेविड वॉर्नर ने सर्वाधिक 38 रन बनाए जबकि शेन वॉटसन ने 14, डेनियल स्मिथ ने 11, स्टीवन स्मिथ ने 11 और कप्तान साइमन कैटिच ने 23 रनों का योगदान दिया। हेनरिक्स 20 ओवरों की समाप्ति के बाद 18 रन पर नाबाद लौटे जबकि पैट कुमिंग्स सात रन पर नाबाद रहे। त्रिनिदाद की ओर से कप्तान गंगा ने तीन विकेट झटके जबकि सुनील नारायन ने दो विकेट लिए। इससे पहले, टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने उतरी त्रिनिदाद की टीम ने निर्धारित 20 ओवरों की समाप्ति के बाद छह विकेट के नुकसान पर 139 रन बनाए। इसमें सलामी बल्लेबाज लेंडल सिमंस के 41 रन शामिल हैं। सिमंस ने अपनी 39 गेंदों की पारी में पांच चौके लगाए। इसके अलावा कप्तान डेरेन गंगा ने 21 और विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश रामदीन ने 19 रन बनाए जबकि एड्रियन बाराथ तथा रवि रामपॉल ने 15-15 रनों का योगदान दिया। रामपॉल और केविन कूपर (12) ने छठे विकेट के लिए 25 रन जोड़े। न्यू साउथ वेल्स की ओर से मोजेज हेनरिक्स ने दो विकेट लिए। चैम्पियंस लीग के इस संस्करण में न्यू साउथ वेल्स की यह पहली जीत है जबकि त्रिनिदाद को लगातार दूसरी हार मिली है। चैम्पियंस लीग के पहले संस्करण का खिताब जीतने वाली न्यू साउथ वेल्स टीम को अपने पहले मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका की केप कोबराज टीम के हाथों सात विकेट से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। दूसरी ओर, वर्ष 2009 की उपविजेता रही त्रिनिदाद को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की फ्रेंचाइजी टीम मुम्बई इंडियंस ने एक रोमांचक मुकाबले में एक विकेट से हराया था।
चतरा  के पूर्व में 35 किमी और जीटी  रोड से जुड़े चौपारण से 16 किमी पश्चिम में है।यह पहाड़ो  और जंगलो  से घिरा एवं  महानद नदी (महाने) नदी के तट पर स्थित इटखोरी ब्लॉक मुख्यालय के भद्रकाली परिसर से केवल आधा किलोमीटर दूर है। यह स्थल तीन धर्मों का अनूठा संगम स्थल शुरू से रहा है। सनातन धर्मावलंबियों की मां भद्रकाली व भगवान बुद्ध की आराध्य देवी मां तारा एवं जैन धर्मावलंबियों के दसवें तीर्थंकर स्वामी शीतलनाथ जी का जन्म स्थल भदलपुर भी यही है। जैन धर्मावलंबी इस मंदिर को भदुली माता का मंदिर भी कहते है। 200 ईसा पूर्व और 1200 ईस्वी के बीच के विभिन्न बौद्ध अवशेष यहां पाए गए हैं। इटखोरी में सबसे लोकप्रिय आकर्षण 9वीं शताब्दी का शानदार मां भद्रकाली मंदिर परिसर है। इसकी मूर्तियां क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के तौर पर एक साक्ष्य के रूप में उपस्थित हैं। मां भद्रकाली मंदिर से लगा हुआ मंदिर अपने भव्य शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है जिसमें 1,008 शिवलिंग नक्काशी के साथ सुशोभित हैं। एक और महत्वपूर्ण आकर्षण प्राचीन स्तूप है, जिसमें बोधिसत्वों की 104 छवियां हैं और इसके दोनों ओर बुद्ध के चार उपदेशों के शीलालेख हैं। वहां एक पत्थर का बड़ा टुकड़ा भी है जिसके बारे में मान्याताएं हैं कि इस पर जैन धर्म के 10 वें तीर्थंकर शीतलनाथ के पैर के निशान हैं। सन्दर्भ official website of Jharkhand Government Dist. Charta https://www.bhaskar.com/news/bhadrakali-is-the-unique-confluence-of-three-religions-025513-3056230.html मन्दिर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले समाजवादी पार्टी ने अपने 325 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. सपा की इस सूची के जरिए पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपने पुत्र मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को तो झटका दिया ही है, राज्य की चौथी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को भी हैरान कर दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन तय माना जा रहा था और सीटों के बंटवारे पर मामला अटका हुआ था. मुलायम ने 325 उम्मीदवारों की सूची जारी कर संदेश दे दिया है कि जो भी बातचीत होगी वो बाकी बची हुई 78 सीटों के आसपास ही होगी. सवाल ये है कि क्या कांग्रेस को मुलायम द्वारा खींची गई ये लकीर मंजूर होगी? चुनावों को लेकर सबसे पहले एक्टिव हुई थी कांग्रेस यूपी चुनावों की बात करें तो कांग्रेस पहली पार्टी थी जिसने जोरशोर से इसकी तैयारियां शुरू कीं. रणनीतिकार प्रशांत किशोर को यूपी में जीत दिलाने का जिम्मा दिया गया. 15 साल तक दिल्ली पर राज करने वाली शीला दीक्षित को पूरे गाजे-बाजे के साथ सीएम कैंडीडेट घोषित किया गया. इससे पहले संगठन में फेरबदल कर रीता बहुगुणा जोशी की छुट्टी की गई और राजबब्बर जैसे चर्चित चेहरे को प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य सुधारने का जिम्मा दिया गया. राजाराम पाल, राजेश मिश्रा, भगवती प्रसाद और इमरान मसूद को उपाध्यक्ष बनाकर क्रमशः ओबीसी, ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश की. राहुल गांधी किसान यात्रा के जरिए जिले-जिले घूमे. 27 साल-यूपी बेहाल का नारा दिया गया और खाट सभाओं जैसे नए प्रयोग किए गए. एक बारगी ऐसा लगा कि कांग्रेस यूपी के चुनावों में पूरा दमखम दिखाने के लिए तैयार है लेकिन इन सबके बीच नवंबर के पहले हफ्ते में प्रशांत किशोर और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की मुलाकात की खबर आई तो सबको हैरान कर गई. तब से कांग्रेस और सपा के गठबंधन की अटकलें जारी थीं और इन्हीं अटकलों के बीच मुलायम ने 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. प्रशांत किशोर और मुलायम की मुलाकात से शुरू हुए कयास प्रशांत किशोर की मुलायम सिंह के साथ बैठक के बाद जब कांग्रेस और सपा के गठबंधन की अटकलें लगीं तो सबसे पहला खंडन कांग्रेस की ओर से आया. कांग्रेस के तमाम नेता ये तर्क देते रहे कि प्रशांत किशोर के किसी नेता से मिलने का अर्थ ये नहीं है कि उस पार्टी से कांग्रेस गठबंधन करेगी लेकिन ऐसी सफाई से इतर घटनाक्रम ऐसा चलता रहा जो गठबंधन के कयासों में दम भरता रहा. दिल्ली में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ये कहकर सबको हैरान कर दिया कि सपा अपने दम पर सरकार बनाएगी लेकिन अगर कांग्रेस के साथ उसका गठबंधन होता है तो वे मिलकर 300 से ज्यादा सीटें जीत लेंगे. इसके बाद पिछले दिन ही खबर आई कि कांग्रेस, अजित सिंह की राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी में महाबंधन तकरीबन फाइनल हो गया है और सपा इन दोनों पार्टियों के लिए तकरीबन सौ सीटें छोड़ देगी. लेकिन इन खबरों के अगले ही दिन खुद अखिलेश यादव ने सभी 403 सीटों पर अपने पसंदीदा उम्मीदवारों की लिस्ट मुलायम को सौंप दी और मुलायम ने अब 325 प्रत्य़ाशियों के टिकट भी फाइनल कर दिए हैं. एक-दूसरे की तारीफ करते नजर आए अखिलेश-राहुल बताया जाता है कि मुलायम कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए तैयार तो हैं लेकिन इसके लिए खुद पहल करने का उनका कोई इरादा नहीं है. साथ ही मुलायम गठबंधन अपनी शर्तों पर चाहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसा कोई भी गठबंधन समाजवादी पार्टी से ज्यादा कांग्रेस की मजबूरी है. उधर, कांग्रेस भी जानती है कि पिछले कुछ समय से उसे चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा है. अगर इस समय की बात करें तो कांग्रेस के पास एकमात्र बड़ा राज्य कर्नाटक ही हैं. उत्तराखंड में भी यूपी के साथ चुनाव होने हैं जबकि हिमाचल में इस साल के अंत में चुनाव होंगे. ऐसे में वो बिहार की तरह बीजेपी के खिलाफ किसी गठबंधन में शामिल होना चाहती है ताकि किसी तरह सत्ता में उसकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके. राहुल गांधी भी यूपी की अपनी रैलियों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की बजाय मोदी सरकार और बीजेपी को निशाने पर ले रहे हैं. ये 2012 के उनके चुनाव प्रचार के बिल्कुल उलट है जब वे अपनी हर सभा में सत्तारूढ़ बीएसपी पर हमला बोलते हुए 'हाथी नोट खाता है' वाली बात दोहराते थे. तब अखिलेश यादव भी राहुल का मजाक उड़ाते नजर आते थे. राहुल के भरी सभा में बहुचर्चित लिस्ट फाड़ने वाली घटना के बाद उन्होंने चुटकी ली थी कि राहुल जोश में कहीं मंच से न कूद जाएं. उसके मुकाबले इस बार अखिलेश यादव और राहुल गांधी एक-दूसरे को अच्छा लड़का करार देते हैं. कांग्रेस की मजबूरी है, गठबंधन जरूरी है राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस अखिलेश की साफ छवि और विकास के उनके एजेंडे पर दांव खेलना चाहती है. वो खुद को समाजवादी पार्टी की बजाय अखिलेश यादव की सहयोगी बनकर खड़ी दिखना चाहती है ताकि उनकी इमेज का फायदा उठाया जा सके. यूपी में कांग्रेस ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में क्रमशः 22 और 28 सीटें हासिल कीं. लोकसभा चुनाव में तो सोनिया-राहुल के अलावा पार्टी का कोई प्रत्याशी नहीं जीत सका. ऐसे में इस बार वो मौका नहीं खोना चाहती. अखिलेश यादव सरकार के खिलाफ प्रदेश में कोई बड़ा एंटी इंकमबैंसी फैक्टर नजर नहीं आ रहा. ऐसे में अगर पार्टी सपा के साथ गठबंधन करती भी है तो वो उसके लिए सिद्धांतों के साथ समझौते जैसे स्थिति नहीं कही जाएगी. उधर अखिलेश भी सपा में जिस तरह अंदरूनी घमासान से जूझ रहे हैं उन्हें कांग्रेस का बाहर से मिल रहा समर्थन थोड़ी मजबूती देता है. ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि मुलायम की इस लिस्ट में संशोधन हों और विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस एक ही मंच पर नजर आएं.
रिओ तिन्तो (स्पैनिश: Rio Tinto, "लाल नदी") दक्षिण-पश्चिमी स्पेन की एक नदी है जो अन्दलूसीया क्षेत्र में स्थित सिएर्रा मोरेना पहाड़ शृंखला से आरम्भ होकर कादीज़ की खाड़ी पहुंचकर अन्ध महासागर में जा मिलती है। यह नदी अपने लाल-नारंगी पानी के लिए दुनिया भर में मशहूर है। खाने प्राचीनकाल से इस नदी के साथ के इलाक़े में ताम्बे, सोने, चाँदी और अन्य पदार्थों की खाने चल रही हैं। ३,००० ई॰पू॰ में शुरू हुई यह खाने आइबीरियाई, तार्तेसियाई, फ़ोनीकियाई, यूनानी, रोमन, विसिगॉथ़ और मूर सभ्यताओं ने लगातार हज़ारों साल चलाई। फिर कुछ समय तक इनमें काम बंद हो गया, लेकिन १७२४ ई॰ में स्पेन की सरकार द्वारा फिर आरम्भ हो गया। इतने लम्बे अरसे की खनन से इस नदी का पानी बहुत तेज़ाब-ग्रस्त हो चुका है (कई जगहों पर इसका पी॰एच॰ २ के आसपास रहता है)। इसके पानी में इतना लोहा मिला हुआ है के इसका रंग लाल-नारंगी सा ही रहता है, जिसकी वजह से इसका नाम भी "रिओ तिन्तो" यानि "लाल" (तिन्तो) रंग की "नदी" (रिओ) पड़ा। इसमें कुछ चरमपसंदी सूक्ष्मजीव (माइक्रोब) रहते हैं जिन्हें इसका तेज़ाबीय पानी पसंद है। नदी की लालिमा बढ़ाने में कुछ हाथ इन जीवों का भी है। रिओ तिन्तो कंपनी सन् १८७३ में इस नदी के साथ की धातुओं की खानों को चलने के लिए एक "रिओ तिन्तो कंपनी" नाम का उद्योग शुरू किया गया। तब से यह कंपनी दुनिया भर में फैल गयी और बहुत सी अन्य खानें भी चलने लगी। हालांकि अब यह रिओ तिन्तो की खाने नहीं चलती, लेकिन फिर भी अब यह विश्व की सब से बड़ी खनन कंपनियों में गिनी जाती है। भारत में भी यह कंपनी सक्रीय है और २००९ में इसे मध्य प्रदेश राज्य में ज़मीन के नीचे एक ३.७ करोड़ टन का हीरे का जमावड़ा मिला जिसके लिए इसने भारत सरकार से वहाँ एक खान शुरू करने की अनुमति मांगी। इन्हें भी देखें सिएर्रा मोरेना पहाड़ शृंखला चरमपसंदी जीव खनिकर्म सन्दर्भ स्पेन की नदियाँ यूरोप की नदियाँ हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
लेख: ओसामा बिन लादेन के इस्लामाबाद के बाहर मिलने को चिंता का विषय बताते हुए अमेरिका ने कहा कि वह इस मुद्दे की तह में जाएगा। अमेरिका ने कहा कि वह सुनिश्चित करेगा कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा को निशाना बनाने में हो। भारत में अमेरिका के राजदूत टिमोथी जे रोमर ने कहा कि आतंकवाद का सूत्रधार लादेन इस्लामाबाद के उत्तर में स्थित ऐबटाबाद में कैसे रह रहा था, अमेरिकी कांग्रेस इस बारे में कड़ा रुख अपनाएगी और कठोर सवाल करेगी। रोमर ने संवाददाताओं से कहा, हम निश्चित तौर पर देखेंगे कि कैपिटल हिल (अमेरिकी कांग्रेस) पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए हमारे द्वारा दी जाने वाली मदद पर कड़ा रुख रखेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कांग्रेस आने वाले सप्ताहों में बुनियादी तौर पर बहुत अहम दो कार्यों को अंजाम देने वाली है। रोमर के मुताबिक, अमेरिकी सांसद पाकिस्तान को बेचे जाने वाले सैन्य उपकरणों और ऐबटाबाद में लादेन की मौजूदगी के मुद्दे की जांच करेंगे। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, एक होगा, पाकिस्तान को कुछ सैन्य उपकरण बेचने का मुद्दा। क्या इनका आतंकवाद निरोधक अभियान में उचित इस्तेमाल हो रहा है। हमने पिछले 18 महीने में देखा है कि पाकिस्तान ने अल-कायदा के नेतृत्व को निशाना बनाने के लिए प्रयास बढ़ाए हैं और उस नेतृत्व को नष्ट भी किया है। ये एक सकारात्मक परिणाम है। रोमर ने कहा, क्या वे लश्कर के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई कर रहे हैं? क्या वे मुंबई हमलों के मुकदमे में पर्याप्त आगे बढ़ रहे हैं? क्या वे हाफिज सईद और लखवी के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई कर रहे हैं ? नहीं, उन्हें और प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दूसरा सवाल, जो अमेरिकी कांग्रेस उठाएगी, वह लादेन के इस्लामाबाद के बाहर मिलने के बारे में होगा। उन्होंने कहा, हमें याद है कि 2003 में खालिद शेख मोहम्मद रावलपिंडी के भीतर मिला था। रोमर के मुताबिक, यह चिंता का विषय है। कांग्रेस कठोर सवाल पूछेगी और हम इसकी तह में जाएंगे। कैसे हम उस सहायता को और प्रभावी तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो कि पाकिस्तान न केवल अल-कायदा, बल्कि लश्कर जैसे गुटों के खिलाफ कार्रवाई में भी हमारी मदद करे। रोमर ने कहा कि लादेन की मौत ने इस बात को साबित कर दिया है कि अमेरिका अपराधियों को कानून के दायरे में लाने के प्रति अडिग है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को और प्रयास करने की जरूरत है। इस बात के सबूत इससे मिलते हैं कि इस्लामाबाद जाने वाले अमेरिका के आला अधिकारी बहुत स्पष्टता से पाकिस्तान से यह कहते हैं। रोमर के मुताबिक, हम लगातार पाकिस्तान को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि वह मुंबई हमलों के मुकदमे में परिणाम प्रदर्शित करे, लश्कर पर कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि लखवी जैसे लोग जेल में रहे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को मुंबई हमलों के मुकदमे के मामले में प्रगति और परिणाम दिखाने की जरूरत है और अमेरिका इस मामले में प्रगति, परिणाम और न्याय चाहता है।
स्पेन के स्टार टेनिस खिलाड़ी राफेल नडाल और स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर ने शंघाई मास्टर्स टेनिस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया है. नडाल ने पुरुष एकल वर्ग के क्वॉर्टर फाइनल में ग्रिगोर दिमित्रोव को मात देते हुए अंतिम-4 में जगह बनाई. फेडरर ने फ्रांस के रिचार्ड गासक्वेट को मात दी. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, स्पेनिश खिलाड़ी नडाल ने दिमित्रोव को दो घंटे 35 मिनट तक चले मुकाबले में 6-4, 6-7 (4-7), 6-4 से मात देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई. यह उनकी लगातार 15वीं जीत है. नडाल ने अपने करियर में अब तक शंघाई मास्टर्स का खिताब नहीं जीता है. सेमीफाइनल में उनका सामना मारिन सिलिक से होगा. इसके अलावा, ब्रिटेन के खिलाड़ी जेमी मरे और ब्राजील के खिलाड़ी ब्रूनो सोआरेस की जोड़ी ने पुरुष युगल वर्ग के सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया है. उन्होंने रावेन क्लासेन और राजीव राम की जोड़ी को क्वॉर्टर फाइनल में 6-1, 7-6 (8-6) से मात दी. मैच के बाद नडाल ने कहा, 'यह काफी मुश्किल मैच था. हम दोनों ने उच्च स्तर का खेल खेला. कोर्ट की स्थिति आज पिछले दो मैचों से अलग थी.' वहीं विश्व की दूसरी वरीयता प्राप्त फेडरर ने इस सप्ताह लगातार सेटों में अपनी तीसरी जीत दर्ज की. उन्हें फ्रांस के खिलाड़ी को 7-5, 6-4 से मात देते हुए सेमीफाइनल में प्रवेश किया. सेमीफाइनल में उनका सामना जुआन मार्टिर डेल पोट्रो से होगा.
यह एक लेख है: गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खुद के नाम लिखे सूट ने कांग्रेस को एक बड़ा मौका दे दिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ये किसान विरोधी और सूट-बूट की सरकार है। बीजेपी बचाव की मुद्रा में आ गई और समूचा विपक्ष आक्रामक हो गया। बीजेपी को दिक्कतें घऱ के अंदर से भी थीं। यूपी-बिहार के कई सांसदों ने पार्टी आलाकमान तक बात पहुंचाई कि भूमि-अधिग्रहण बिल को लेकर सरकार पर किसान विरोधी होने का ठप्पा लग रहा है। उनका कहना था कि इससे विधानसभा चुनावों में पार्टी को दिक्कत आ सकती है। वहीं संघ परिवार के भीतर भी आवाज़ें उठने लगीं। भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ और स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठनों ने भी एनडीए के बिल का विरोध करना शुरू कर दिया। अकाली दल और शिवसेना जैसी सहयोगी पार्टियां भी खिलाफ हो गईं। शुरुआत में तो बीजेपी अड़ी रही। तमाम सांसदों को लैंड बिल के फायदे गिनाए गए। बैंगलुरु में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बाकायदा प्रजेंटेशन दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मासिक रेडियो प्रसारण 'मन की बात' में बिल का भरपूर बचाव किया। मगर धीरे-धीरे सरकार ने कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए। सरकार सबसे पहले संयुक्त समिति के गठन के लिए तैयार हुई। ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह बार-बार किसानों के हितों में संशोधन लाने की बात कहने लगे और ऐसा किया भी गया। इसके बावजूद कांग्रेस टस से मस नहीं हुई। वो अड़ गई कि यूपीए के कानून को बहाल किया जाए। उसे ये समझ में आ गया कि सरकार दबाव में आ रही है। राज्य सभा में अपनी भारी संख्या का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस कई अन्य पार्टियों को भी साथ लेने में कामयाब रही। सबसे नाटकीय घटनाक्रम तीन अगस्त को हुआ जब संयुक्त समिति की बैठक में सरकार ने खुद ही विवादास्पद संशोधनों को वापस लेने का फैसला किया। ये ऊपरी तौर पर चाहे सरकार की हार नजर आए मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत चतुराई से एक बड़ा राजनीतिक फैसला कर लिया है। उन्होंने अध्यादेश दोबारा जारी न करने का फैसला कर बेहद महत्वपूर्ण बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी को भूमि अधिग्रहण के खुद के बनाए जाल से बाहर निकालने की कोशिश की है। इस कदम से विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा तो छिन ही गया है बीजेपी भी अब ये कह रही है कि सरकार किसानों के हितों में फैसले करती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि सरकार ने अधिग्रहण के लिए राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार देने का फैसला किया है। चूंकि भूमि-अधिग्रहण समवर्ती सूची में है इसलिए राज्यों के कानूनों पर केंद्र का कानून हावी होता। मगर सरकार का फैसला है कि जो भी राज्य कानून बना कर भेजेंगे, केंद्र उन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी दिलवाएगी। इसके पीछे सोच ये है कि बीजेपी शासित राज्य एनडीए के प्रस्तावित कानून के आधार पर ही आगे बढें और अगले तीन साल में जमीन पर कुछ करके दिखाया जाए, ताकि वो कांग्रेस शासित राज्य जो यूपीए के पेचीदा भूमि अधिग्रहण कानून के रास्ते पर चलना चाहते हैं उनसे उनकी तुलना की जा सके।टिप्पणियां तीसरी बात ये भी है कि सरकार ने तेरह कानूनों को शामिल करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का रास्ता अपनाया है। इससे एक नई बहस छिड़ जाएगी कि क्या सरकार संसद को दरकिनार करना चाहती है। मगर ये औद्योगिक जगत को एक संदेश भी है कि संसद में गतिरोध के चलते बिल पास न होने पर सरकार के पास आर्थिक सुधारों और विकास को रफ्तार देने के लिए और भी संवैधानिक रास्ते मौजूद हैं। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा। बीजेपी को दिक्कतें घऱ के अंदर से भी थीं। यूपी-बिहार के कई सांसदों ने पार्टी आलाकमान तक बात पहुंचाई कि भूमि-अधिग्रहण बिल को लेकर सरकार पर किसान विरोधी होने का ठप्पा लग रहा है। उनका कहना था कि इससे विधानसभा चुनावों में पार्टी को दिक्कत आ सकती है। वहीं संघ परिवार के भीतर भी आवाज़ें उठने लगीं। भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ और स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठनों ने भी एनडीए के बिल का विरोध करना शुरू कर दिया। अकाली दल और शिवसेना जैसी सहयोगी पार्टियां भी खिलाफ हो गईं। शुरुआत में तो बीजेपी अड़ी रही। तमाम सांसदों को लैंड बिल के फायदे गिनाए गए। बैंगलुरु में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बाकायदा प्रजेंटेशन दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मासिक रेडियो प्रसारण 'मन की बात' में बिल का भरपूर बचाव किया। मगर धीरे-धीरे सरकार ने कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए। सरकार सबसे पहले संयुक्त समिति के गठन के लिए तैयार हुई। ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह बार-बार किसानों के हितों में संशोधन लाने की बात कहने लगे और ऐसा किया भी गया। इसके बावजूद कांग्रेस टस से मस नहीं हुई। वो अड़ गई कि यूपीए के कानून को बहाल किया जाए। उसे ये समझ में आ गया कि सरकार दबाव में आ रही है। राज्य सभा में अपनी भारी संख्या का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस कई अन्य पार्टियों को भी साथ लेने में कामयाब रही। सबसे नाटकीय घटनाक्रम तीन अगस्त को हुआ जब संयुक्त समिति की बैठक में सरकार ने खुद ही विवादास्पद संशोधनों को वापस लेने का फैसला किया। ये ऊपरी तौर पर चाहे सरकार की हार नजर आए मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत चतुराई से एक बड़ा राजनीतिक फैसला कर लिया है। उन्होंने अध्यादेश दोबारा जारी न करने का फैसला कर बेहद महत्वपूर्ण बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी को भूमि अधिग्रहण के खुद के बनाए जाल से बाहर निकालने की कोशिश की है। इस कदम से विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा तो छिन ही गया है बीजेपी भी अब ये कह रही है कि सरकार किसानों के हितों में फैसले करती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि सरकार ने अधिग्रहण के लिए राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार देने का फैसला किया है। चूंकि भूमि-अधिग्रहण समवर्ती सूची में है इसलिए राज्यों के कानूनों पर केंद्र का कानून हावी होता। मगर सरकार का फैसला है कि जो भी राज्य कानून बना कर भेजेंगे, केंद्र उन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी दिलवाएगी। इसके पीछे सोच ये है कि बीजेपी शासित राज्य एनडीए के प्रस्तावित कानून के आधार पर ही आगे बढें और अगले तीन साल में जमीन पर कुछ करके दिखाया जाए, ताकि वो कांग्रेस शासित राज्य जो यूपीए के पेचीदा भूमि अधिग्रहण कानून के रास्ते पर चलना चाहते हैं उनसे उनकी तुलना की जा सके।टिप्पणियां तीसरी बात ये भी है कि सरकार ने तेरह कानूनों को शामिल करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का रास्ता अपनाया है। इससे एक नई बहस छिड़ जाएगी कि क्या सरकार संसद को दरकिनार करना चाहती है। मगर ये औद्योगिक जगत को एक संदेश भी है कि संसद में गतिरोध के चलते बिल पास न होने पर सरकार के पास आर्थिक सुधारों और विकास को रफ्तार देने के लिए और भी संवैधानिक रास्ते मौजूद हैं। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा। शुरुआत में तो बीजेपी अड़ी रही। तमाम सांसदों को लैंड बिल के फायदे गिनाए गए। बैंगलुरु में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बाकायदा प्रजेंटेशन दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मासिक रेडियो प्रसारण 'मन की बात' में बिल का भरपूर बचाव किया। मगर धीरे-धीरे सरकार ने कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए। सरकार सबसे पहले संयुक्त समिति के गठन के लिए तैयार हुई। ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह बार-बार किसानों के हितों में संशोधन लाने की बात कहने लगे और ऐसा किया भी गया। इसके बावजूद कांग्रेस टस से मस नहीं हुई। वो अड़ गई कि यूपीए के कानून को बहाल किया जाए। उसे ये समझ में आ गया कि सरकार दबाव में आ रही है। राज्य सभा में अपनी भारी संख्या का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस कई अन्य पार्टियों को भी साथ लेने में कामयाब रही। सबसे नाटकीय घटनाक्रम तीन अगस्त को हुआ जब संयुक्त समिति की बैठक में सरकार ने खुद ही विवादास्पद संशोधनों को वापस लेने का फैसला किया। ये ऊपरी तौर पर चाहे सरकार की हार नजर आए मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत चतुराई से एक बड़ा राजनीतिक फैसला कर लिया है। उन्होंने अध्यादेश दोबारा जारी न करने का फैसला कर बेहद महत्वपूर्ण बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी को भूमि अधिग्रहण के खुद के बनाए जाल से बाहर निकालने की कोशिश की है। इस कदम से विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा तो छिन ही गया है बीजेपी भी अब ये कह रही है कि सरकार किसानों के हितों में फैसले करती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि सरकार ने अधिग्रहण के लिए राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार देने का फैसला किया है। चूंकि भूमि-अधिग्रहण समवर्ती सूची में है इसलिए राज्यों के कानूनों पर केंद्र का कानून हावी होता। मगर सरकार का फैसला है कि जो भी राज्य कानून बना कर भेजेंगे, केंद्र उन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी दिलवाएगी। इसके पीछे सोच ये है कि बीजेपी शासित राज्य एनडीए के प्रस्तावित कानून के आधार पर ही आगे बढें और अगले तीन साल में जमीन पर कुछ करके दिखाया जाए, ताकि वो कांग्रेस शासित राज्य जो यूपीए के पेचीदा भूमि अधिग्रहण कानून के रास्ते पर चलना चाहते हैं उनसे उनकी तुलना की जा सके।टिप्पणियां तीसरी बात ये भी है कि सरकार ने तेरह कानूनों को शामिल करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का रास्ता अपनाया है। इससे एक नई बहस छिड़ जाएगी कि क्या सरकार संसद को दरकिनार करना चाहती है। मगर ये औद्योगिक जगत को एक संदेश भी है कि संसद में गतिरोध के चलते बिल पास न होने पर सरकार के पास आर्थिक सुधारों और विकास को रफ्तार देने के लिए और भी संवैधानिक रास्ते मौजूद हैं। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा। सरकार सबसे पहले संयुक्त समिति के गठन के लिए तैयार हुई। ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह बार-बार किसानों के हितों में संशोधन लाने की बात कहने लगे और ऐसा किया भी गया। इसके बावजूद कांग्रेस टस से मस नहीं हुई। वो अड़ गई कि यूपीए के कानून को बहाल किया जाए। उसे ये समझ में आ गया कि सरकार दबाव में आ रही है। राज्य सभा में अपनी भारी संख्या का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस कई अन्य पार्टियों को भी साथ लेने में कामयाब रही। सबसे नाटकीय घटनाक्रम तीन अगस्त को हुआ जब संयुक्त समिति की बैठक में सरकार ने खुद ही विवादास्पद संशोधनों को वापस लेने का फैसला किया। ये ऊपरी तौर पर चाहे सरकार की हार नजर आए मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत चतुराई से एक बड़ा राजनीतिक फैसला कर लिया है। उन्होंने अध्यादेश दोबारा जारी न करने का फैसला कर बेहद महत्वपूर्ण बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी को भूमि अधिग्रहण के खुद के बनाए जाल से बाहर निकालने की कोशिश की है। इस कदम से विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा तो छिन ही गया है बीजेपी भी अब ये कह रही है कि सरकार किसानों के हितों में फैसले करती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि सरकार ने अधिग्रहण के लिए राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार देने का फैसला किया है। चूंकि भूमि-अधिग्रहण समवर्ती सूची में है इसलिए राज्यों के कानूनों पर केंद्र का कानून हावी होता। मगर सरकार का फैसला है कि जो भी राज्य कानून बना कर भेजेंगे, केंद्र उन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी दिलवाएगी। इसके पीछे सोच ये है कि बीजेपी शासित राज्य एनडीए के प्रस्तावित कानून के आधार पर ही आगे बढें और अगले तीन साल में जमीन पर कुछ करके दिखाया जाए, ताकि वो कांग्रेस शासित राज्य जो यूपीए के पेचीदा भूमि अधिग्रहण कानून के रास्ते पर चलना चाहते हैं उनसे उनकी तुलना की जा सके।टिप्पणियां तीसरी बात ये भी है कि सरकार ने तेरह कानूनों को शामिल करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का रास्ता अपनाया है। इससे एक नई बहस छिड़ जाएगी कि क्या सरकार संसद को दरकिनार करना चाहती है। मगर ये औद्योगिक जगत को एक संदेश भी है कि संसद में गतिरोध के चलते बिल पास न होने पर सरकार के पास आर्थिक सुधारों और विकास को रफ्तार देने के लिए और भी संवैधानिक रास्ते मौजूद हैं। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा। राज्य सभा में अपनी भारी संख्या का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस कई अन्य पार्टियों को भी साथ लेने में कामयाब रही। सबसे नाटकीय घटनाक्रम तीन अगस्त को हुआ जब संयुक्त समिति की बैठक में सरकार ने खुद ही विवादास्पद संशोधनों को वापस लेने का फैसला किया। ये ऊपरी तौर पर चाहे सरकार की हार नजर आए मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत चतुराई से एक बड़ा राजनीतिक फैसला कर लिया है। उन्होंने अध्यादेश दोबारा जारी न करने का फैसला कर बेहद महत्वपूर्ण बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी को भूमि अधिग्रहण के खुद के बनाए जाल से बाहर निकालने की कोशिश की है। इस कदम से विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा तो छिन ही गया है बीजेपी भी अब ये कह रही है कि सरकार किसानों के हितों में फैसले करती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि सरकार ने अधिग्रहण के लिए राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार देने का फैसला किया है। चूंकि भूमि-अधिग्रहण समवर्ती सूची में है इसलिए राज्यों के कानूनों पर केंद्र का कानून हावी होता। मगर सरकार का फैसला है कि जो भी राज्य कानून बना कर भेजेंगे, केंद्र उन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी दिलवाएगी। इसके पीछे सोच ये है कि बीजेपी शासित राज्य एनडीए के प्रस्तावित कानून के आधार पर ही आगे बढें और अगले तीन साल में जमीन पर कुछ करके दिखाया जाए, ताकि वो कांग्रेस शासित राज्य जो यूपीए के पेचीदा भूमि अधिग्रहण कानून के रास्ते पर चलना चाहते हैं उनसे उनकी तुलना की जा सके।टिप्पणियां तीसरी बात ये भी है कि सरकार ने तेरह कानूनों को शामिल करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का रास्ता अपनाया है। इससे एक नई बहस छिड़ जाएगी कि क्या सरकार संसद को दरकिनार करना चाहती है। मगर ये औद्योगिक जगत को एक संदेश भी है कि संसद में गतिरोध के चलते बिल पास न होने पर सरकार के पास आर्थिक सुधारों और विकास को रफ्तार देने के लिए और भी संवैधानिक रास्ते मौजूद हैं। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा। ये ऊपरी तौर पर चाहे सरकार की हार नजर आए मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत चतुराई से एक बड़ा राजनीतिक फैसला कर लिया है। उन्होंने अध्यादेश दोबारा जारी न करने का फैसला कर बेहद महत्वपूर्ण बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी को भूमि अधिग्रहण के खुद के बनाए जाल से बाहर निकालने की कोशिश की है। इस कदम से विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा तो छिन ही गया है बीजेपी भी अब ये कह रही है कि सरकार किसानों के हितों में फैसले करती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि सरकार ने अधिग्रहण के लिए राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार देने का फैसला किया है। चूंकि भूमि-अधिग्रहण समवर्ती सूची में है इसलिए राज्यों के कानूनों पर केंद्र का कानून हावी होता। मगर सरकार का फैसला है कि जो भी राज्य कानून बना कर भेजेंगे, केंद्र उन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी दिलवाएगी। इसके पीछे सोच ये है कि बीजेपी शासित राज्य एनडीए के प्रस्तावित कानून के आधार पर ही आगे बढें और अगले तीन साल में जमीन पर कुछ करके दिखाया जाए, ताकि वो कांग्रेस शासित राज्य जो यूपीए के पेचीदा भूमि अधिग्रहण कानून के रास्ते पर चलना चाहते हैं उनसे उनकी तुलना की जा सके।टिप्पणियां तीसरी बात ये भी है कि सरकार ने तेरह कानूनों को शामिल करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का रास्ता अपनाया है। इससे एक नई बहस छिड़ जाएगी कि क्या सरकार संसद को दरकिनार करना चाहती है। मगर ये औद्योगिक जगत को एक संदेश भी है कि संसद में गतिरोध के चलते बिल पास न होने पर सरकार के पास आर्थिक सुधारों और विकास को रफ्तार देने के लिए और भी संवैधानिक रास्ते मौजूद हैं। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि सरकार ने अधिग्रहण के लिए राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार देने का फैसला किया है। चूंकि भूमि-अधिग्रहण समवर्ती सूची में है इसलिए राज्यों के कानूनों पर केंद्र का कानून हावी होता। मगर सरकार का फैसला है कि जो भी राज्य कानून बना कर भेजेंगे, केंद्र उन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी दिलवाएगी। इसके पीछे सोच ये है कि बीजेपी शासित राज्य एनडीए के प्रस्तावित कानून के आधार पर ही आगे बढें और अगले तीन साल में जमीन पर कुछ करके दिखाया जाए, ताकि वो कांग्रेस शासित राज्य जो यूपीए के पेचीदा भूमि अधिग्रहण कानून के रास्ते पर चलना चाहते हैं उनसे उनकी तुलना की जा सके।टिप्पणियां तीसरी बात ये भी है कि सरकार ने तेरह कानूनों को शामिल करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का रास्ता अपनाया है। इससे एक नई बहस छिड़ जाएगी कि क्या सरकार संसद को दरकिनार करना चाहती है। मगर ये औद्योगिक जगत को एक संदेश भी है कि संसद में गतिरोध के चलते बिल पास न होने पर सरकार के पास आर्थिक सुधारों और विकास को रफ्तार देने के लिए और भी संवैधानिक रास्ते मौजूद हैं। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा। तीसरी बात ये भी है कि सरकार ने तेरह कानूनों को शामिल करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करने का रास्ता अपनाया है। इससे एक नई बहस छिड़ जाएगी कि क्या सरकार संसद को दरकिनार करना चाहती है। मगर ये औद्योगिक जगत को एक संदेश भी है कि संसद में गतिरोध के चलते बिल पास न होने पर सरकार के पास आर्थिक सुधारों और विकास को रफ्तार देने के लिए और भी संवैधानिक रास्ते मौजूद हैं। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा। आखिर में यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाते हुए एक लचीले रुख का परिचय दिया है। ये उनके आलोचकों को भी संदेश है जो कहते हैं कि मोदी किसी की नहीं सुनते। भूमि अधिग्रहण बिल पर उन्होंने सबकी सुन कर ही ऐसा फैसला किया जो चाहे फौरी तौर पर सरकार की छवि को ठेस पहुंचाता हो मगर राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद ही रहेगा।
बंगलुरु दुर्ग का निर्माण १५३७ में मिट्टी के दुर्ग के रूप में आरम्भ हुआ। और इसके निर्माता केम्पेगोडा प्रथम थे जो बंगलुरु के संस्थापक और विजयनगर साम्राज्य के एक सामन्त थे। हैदर अली ने १७६१ में मिट्टी की दीवार के स्थान पर पत्थर की दीवार बनवायी जिसे १८वीं शताब्दी के अन्तिम काल में उसके बेटे टीपू सुल्तान ने और सुधार कराए। १७९१ के आंग्ल-मैसूर युद्ध में यह क्षतिग्रस्त हो गया। आज भी यह १८वीं शताब्दी के किलेबन्दी का अच्छा उदाहरण है। सन्दर्भ इन्हें भी देखें बाहरी कड़ियाँ एक किला जो 650 साल पहले मिट्टी से बना था भारत के दुर्ग
A nation that doesn’t have enough electricity, food or water resources but it debates about what a woman should and shouldn’t wear. #Malala Malala wears basic Western attire & moral police come out. Let a girl breatheee. How many tell a guy to stick to cultural wear? Btw its Fall pic.twitter.com/TpqPqnWHNx
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भाजपा को पराजित करने के लिए रविवार को मायावती और मुलायम सिंह यादव समेत सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों से एकसाथ आने का आग्रह किया. अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक के बाद लालू ने संवाददाताओं से कहा, "भाजपा को हराने के लिए मायावती और मुलायम सिंह यादव समेत सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को एकसाथ आना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो भाजपा की रणनीति धाराशाई हो जाएगी." लालू ने दावा किया केंद्र सरकार आरक्षण के फायदों को खत्म करना चाहती है. लालू यादव ने संवादाता सम्मलेन में कहा कि उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय के वोट के बंटवारा होने के कारण बीजेपी के जीत हुई है. वहीं, पंजाब , बिहार में वोट का बंटवारा नहीं होने के कारण बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष दलों को एक होना होगा और इसके लिए वो पहल करेंगे लेकिन ये पूछे जाने पर कि क्या नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सभी दलों को अपना नेता मानना चाहिए. उस पर लालू यादव ने कहा कि जब सब लोग इकट्ठे होंगे तब ये तय होगा लेकिन फिलहाल बोल-बोलकर नीतीश कुमार का अपमान किया जा रहा है.टिप्पणियां उन्होंने साथ ही कहा कि जातियों की जनसंख्या के अनुरूप बजट निर्धारण के अलावा जातिगत जनगणना को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव डालने के लिए राजद एक आंदोलन छेड़ेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी ने बोधगया में दो, तीन और चार मई को तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन का निर्णय किया है, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं को भाजपा की राजनीति के बारे में अवगत कराया जाएगा. इसके बाद लालू ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पर निशाना साधा, "योगी ने मुख्यमंत्री आवास का शुद्धिकरण इसलिए कराया क्योंकि विगत में वहां दलित-पिछड़ा और बहुजन वर्गों के मुख्यमंत्री रहे थे." लालू यादव ने संवादाता सम्मलेन में कहा कि उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय के वोट के बंटवारा होने के कारण बीजेपी के जीत हुई है. वहीं, पंजाब , बिहार में वोट का बंटवारा नहीं होने के कारण बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष दलों को एक होना होगा और इसके लिए वो पहल करेंगे लेकिन ये पूछे जाने पर कि क्या नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सभी दलों को अपना नेता मानना चाहिए. उस पर लालू यादव ने कहा कि जब सब लोग इकट्ठे होंगे तब ये तय होगा लेकिन फिलहाल बोल-बोलकर नीतीश कुमार का अपमान किया जा रहा है.टिप्पणियां उन्होंने साथ ही कहा कि जातियों की जनसंख्या के अनुरूप बजट निर्धारण के अलावा जातिगत जनगणना को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव डालने के लिए राजद एक आंदोलन छेड़ेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी ने बोधगया में दो, तीन और चार मई को तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन का निर्णय किया है, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं को भाजपा की राजनीति के बारे में अवगत कराया जाएगा. इसके बाद लालू ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पर निशाना साधा, "योगी ने मुख्यमंत्री आवास का शुद्धिकरण इसलिए कराया क्योंकि विगत में वहां दलित-पिछड़ा और बहुजन वर्गों के मुख्यमंत्री रहे थे." उन्होंने साथ ही कहा कि जातियों की जनसंख्या के अनुरूप बजट निर्धारण के अलावा जातिगत जनगणना को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव डालने के लिए राजद एक आंदोलन छेड़ेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी ने बोधगया में दो, तीन और चार मई को तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन का निर्णय किया है, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं को भाजपा की राजनीति के बारे में अवगत कराया जाएगा. इसके बाद लालू ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पर निशाना साधा, "योगी ने मुख्यमंत्री आवास का शुद्धिकरण इसलिए कराया क्योंकि विगत में वहां दलित-पिछड़ा और बहुजन वर्गों के मुख्यमंत्री रहे थे." इसके बाद लालू ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पर निशाना साधा, "योगी ने मुख्यमंत्री आवास का शुद्धिकरण इसलिए कराया क्योंकि विगत में वहां दलित-पिछड़ा और बहुजन वर्गों के मुख्यमंत्री रहे थे."
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लगे झटके से नाराज उत्तर प्रदेश के हजारों शिक्षामित्र दिल्ली के जंतर-मंतर पर पिछले तीन दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. भीड़ को देखते हुए पुलिस बल को प्रदर्शन स्थल पर तैनात कर दिया गया है. दस हजार रुपये मानदेय से असंतुष्‍ट शिक्षामित्रों का जंतर-मंतर पर 11 से 14 सितंबर तक धरना-प्रदर्शन चलेगा. भारी संख्या में शिक्षामित्र ट्रेनों और बसों से दिल्‍ली पहुंचे हैं. शिक्षामित्रों ने अपने धरने को आमरण अनशन में बदलने की चेतावनी भी दी है. उन्होंने कहा है कि अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी, तो वे इसे अनिश्चितकालीन अनशन में तब्दील करेंगे. समान कार्य, समान वेतन की मांग शिक्षामित्रों का समायोजन 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया गया था. वहीं उन्हें टीईटी पास करने के बाद ही भर्ती में मौका देने की बात फैसले में कही गई. लेकिन शिक्षामित्र लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि केंद्र सरकार कानून में संशोधन कर उन्हें समायोजित कर सकती है. वहीं वे शिक्षक बनने तक समान कार्य, समान वेतन की मांग पर अड़े हैं. ये है सुप्रीम कोर्ट का फैसला उत्‍तर प्रदेश के 1.72 लाख शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजित करने के बारे में अहम व्‍यवस्‍था देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को राहत देने से इंकार कर दिया है. लेकिन साथ ही कोर्ट ने कहा है कि एक लाख 38 हजार शिक्षा मित्र बने रहेंगे. इसके साथ ही जो 72 हजार सहायक शिक्षक, जो शिक्षक बन गए हैं यानी BA और TET करके वो अपने पद पर रहेंगे. शिक्षामित्रों को उम्र के नियमों में छूट सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे शिक्षामित्रों को TET पास करने के लिए दो मौके मिलेंगे, जिनका सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन हुआ था. इसके साथ ही शिक्षामित्रों को उम्र के नियमों में छूट मिलेगी.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: केजरीवाल के वकील द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 'राजनीतिक विरोधी' होने के नाते कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने संसद में मुद्दा उठाया और मैंने इसका तुरंत खंडन किया. उन्होंने कहा था कि जानबूझकर झूठ के आधार पर प्रतिवादी (केजरीवाल और अन्य) मेरे खिलाफ मीडिया में झूठा विवाद पैदा करने में सफल रहे. बाद में राजनीतिक विरोधी केसी वेणुगोपाल ने 21 दिसंबर, 2015 को लोकसभा में मुद्दा उठाया और मैंने इसका तुरंत खंडन किया. जेटली ने कहा कि उन्हें लगता है कि संसद में कांग्रेसी सांसद द्वारा लगाए गए आरोप निष्पक्ष प्रकृति के नहीं थे, क्योंकि सामग्री आप नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों के समान थे. जेटली डीडीसीए में 1999 से 2013 तक अध्यक्ष रहते उनके द्वारा वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाने वाले केजरीवाल और पांच आप नेताओं के खिलाफ उनके द्वारा दायर 10 करोड़ रुपये के दीवानी मानहानि वाद में जिरह के छठवें दौर के लिए अदालत में उपस्थित हुए थे.
West Bengal 12th Result 2019: पश्चिम बंगाल काउंसिल ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन (WBCHSE) 27 मई को 12वीं बोर्ड के रिजल्ट घोषित करेगा. बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि यह रिजल्ट्स 27 मई को सुबह 10 बजे जारी किए जाएंगे. परीक्षा में शामिल स्टूडेंट्स बंगाल बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट wbbse.org या फिर wbresults.nic.in पर जाकर अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं. इस साल 12वीं की परीक्षा में कुल 8,16,243 छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे. ऐसे चेक करें रिजल्ट स्टेप 1 - सबसे पहले बंगाल बोर्ड के आधिकारिक वेबसाइट wbbse.org या फिर wbresults.nic.in पर जाएं. स्टेप 2 - होमपेज पर 'WBCHSE West Bengal 12th Result 2019' लिंक पर क्ल‍िक करें. स्टेप 3 - अपना रोल नंबर और अन्य जानकारियां भरें. स्टेप 4 - सबमिट करें. स्टेप 5 - स्क्रीन पर आपका रिजल्ट प्रदर्श‍ित होगा. स्टेप 6 - रिजल्ट डाउनलोड करें और इसका प्रिंटआउट निकाल लें. इन वेबसाइट्स पर चेक करें रिजल्ट results.shiksha westbengal.shiksha westbengalonline.in knowyourresult.com school.gradeup.com school9.com exametc.com Indiaresults.com SMS के जरिए ऐसे चेक करें रिजल्ट - WB12<space>ROLLNUMBER लिखें और इसे 567650 पर या 58888 पर भेज दें. पिछले साल 8 जून को 12वीं के रिजल्ट घोषित किए गए थे. परीक्षा में कुल 83.75 फीसदी छात्र पास हुए थे. पश्च‍िम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (WBBSE) ने 21 मई को 10वीं बोर्ड के रिजल्ट जारी किए थे. परीक्षा में ईस्ट मिदनापुर जिला के छात्रों ने 96.01 परसेंट के साथ सर्वाधिक स्कोर हासिल किया.
उमा भारती, नई जल संसाधन मंत्री संसद के गलियारों में खोई-खोई सी घूम रही थीं. उन्हें उम्मीद थी कि उनके स्टाफ का कोई अधिकारी लेने आएगा, लेकिन कुछ गड़बड़झाला हो गया था. उधर उन्हें यूं अकेला घूमते देख कुछ सांसदों और उनके साथ मंडराने वालों को राम-राम करने का मौका मिल गया. भारती इस भीड़ से पिंड छुड़ाने की जुगत में थीं तभी उनका रास्ता रोकने के लिए शायर और फिल्म  पटकथा लेखक जावेद अख्तर सामने आ गए. हाथ जोड़कर बोले, “आप तो हमें भूल गईं.”  उमा भारती ने विजेता की गर्वीली मुस्कान के साथ जबाव दिया, “आपको कोई भूल सकता है?” अख्तर हटने को तैयार नहीं थे, मुलाकात का वक्त चाहते थे और पूरी बातचीत के दौरान कंधे पर अपना झोला ऐसे थामे रहे, मानो उसके गिरने के खतरे से आशंकित हों. लेकिन उमा भारती को जल्दी थी, वे शालीनता से जल्द ही मिलने का वादा कर निकल गईं. निजाम बदलने के साथ ही बीजेपी के 282 लोकसभा सांसद सत्ता के इंद्रधनुषी रंगों का मजा ले रहे हैं. लेकिन असल में संसद में बहार तो राज्यसभा में कांग्रेस के मनोनीत सांसद ला रहे हैं. जावेद अख्तर को जहां अपनी वामपंथी विचारधारा की नुमाइश लगाने का शौक है, वहीं एक अखबार के पूर्व संपादक एच.के. दुआ और सुप्रीम कोर्ट के वकील के.टी.एस तुलसी को संसद में वित्त मंत्री अरुण जेटली के कक्ष में अंदर-बाहर होते देखा जाता है. हाल ही में नीतीश कुमार का जनता दल (यूनाइटेड) छोड़कर बीजेपी में आए एन.के. सिंह भी गाहे-बगाहे वहां पहुंच जाते हैं. कभी-कभी रिपब्लिक ऑफ चिकन रेस्तरां के मालिक और तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा में पहुंचे के.डी. सिंह के सौजन्य से लंच आ जाता है. यूपीए सरकार में संसदीय कार्य राज्यमंत्री रहे राजीव शुक्ल भी जेटली की तरह क्रिकेट के शौकीन हैं. दोनों क्रिकेट प्रबंधकों की टोली में भी हुआ करते हैं. वे भी अकसर वहां टपक पड़ते हैं. शायद उनके बीच उस दिन की राजनीति पर चर्चा होती है. अपनी पसंद की समितियों की सदस्यता या लुटियंस की दिल्ली में सामने बड़े-से लॉन और पीछे नौकरों के कमरों वाले आलीशान बंगलों के जुगाड़ में आवास समितियों के अध्यक्षों, किरीट सोमैया और वी.पी. सिंह बडनोर और संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू अकसर तारीफ के पुल बांधने वालों से घिरे रहते हैं. एआइएडीएमके के वरिष्ठ सांसद एम. तंबीदुरै अच्छी तरह जानते हैं कि मोदी सरकार को उनकी पार्टी का अनौपचारिक समर्थन उन्हें लोकसभा के उपाध्यक्ष या किसी शक्तिशाली समिति का अध्यक्ष पद दिला सकता है. यूपीए सरकार में पर्यटन मंत्री रहने के दौरान राजधानी में अपने बंगले को सजाने पर मोटी रकम खर्चने के आरोपों से घिरे तेलुगू फिल्मों के सुपरस्टार के. चिरंजीवी अपना वही बंगला बनाए रखने की जुगत में मंडराते दिखते हैं. मोदी के चार पक्के सिपहसालार झाग और दूध को बिलोने से पहले यह समझ लेना जरूरी है कि 10 साल के लंबे अंतराल के बाद देश के सबसे ताकतवर पते पर एक बार फिर ऐसा नाम लिखा गया है जो वाकई उसका हकदार है. राजधानी में 7, रेसकोर्स रोड में हर कुछ दिन के अंतराल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पांच व्यक्तियों का दल देश में और आसपास की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियों का जायजा लेता है. मोदी के अलावा इस दल में उनके सबसे भरोसेमंद साथी अरुण जेटली, बीजेपी अध्यक्ष तथा मोदी के अनन्य साथी अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और परिवहन मंत्री तथा आरएसएस के साथ मुख्य संपर्क सूत्र नितिन गडकरी शामिल होते हैं. ढोकले और चाय के साथ यह मंडली भारत के नए विचार का खाका खींचती है और 1947 में नए देश की शक्ल-सूरत तय करने वाले कोनों को नई शक्ले देती है. अगर जवाहरलाल नेहरू ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था तो 67 साल बाद उस कलंक को मिटाने का मौका मिला है. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद अपने नए अध्यक्ष वाइ. सुदर्शन राव के माध्यम से इस प्राचीन देश की कथाओं को नई जबान देने में मदद कर रही है. राव महाभारत और रामायण का युग तय करने में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. मोदी ने संसद के केंद्रीय कक्ष में बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में पद स्वीकार करने के समय दिए गए अपने भाषण में दीनदयाल उपाध्याय जैसे जिन पुराने वैचारिक मसीहाओं का उल्लेख किया था, उन्हें जल्द पुनर्जीवित किया जा सकता है. साथ में नेहरू-गांधी परिवार द्वारा भुलाए गए सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे प्रतिमान भी हो सकते हैं. इसके अलावा नए राज्यपालों की नियुक्ति पर भी चर्चा हो सकती है. मसलन, क्या अरुण जेटली राम नाइक से बात करेंगे? क्या नितिन गडकरी इस बारे में कल्याण सिंह का मन टटोल सकते हैं? और हां, सारी बातचीत हिंदी में होती है. एक पूरे दशक तक अंतरंग और परिवार के दायरे के भीतर रहने के बाद एक नया मुद्दा चर्चा में है. सोनिया गांधी की उन हैंडलूम साडिय़ों की चर्चा अब नहीं होती जो उन्हें इंदिरा गांधी से विरासत में मिली थीं और जिन्हें बेहद नफीस पुपुल जयकर चुन-चुनकर लाया करती थीं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भले ही मोदी के अंतरंग दायरे में न हों पर अपनी साडिय़ों पर जैकेट जरूर पहनती हैं. मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पावरलूम की साडिय़ां पहनती हैं और वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन को तब तक साडिय़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक उनकी कोरी टिप्पणियां रात में टेलीविजन समाचारों की सुर्खियां बनती रहती हैं. सच तो यह है कि प्रधानमंत्री के आसपास की इस मंडली में अपनी पोशाक के बारे में अगर कोई सजग है तो वे स्वयं मोदी हैं. कलफ लगे कुर्ते और उनसे मैच करती सैंडिल मोदी की पहचान बन चुके हैं. पिछले दिनों ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नीले बंद गले के सूट में सबसे अलग दिख रहे थे. ऐसे बंद गले के सूट राजीव गांधी की शान हुआ करते थे. नई किफायतसारी पूरे एक दशक तक मानसून के दिनों में रसीले आमों की दावतें होती रहीं. लेकिन बीजेपी का मिजाज एकदम अलग दिखता है. सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पिछले दिनों एक डिनर जरूर दिया जिसमें महाराष्ट्र के ही पत्रकारों की भरमार थी. जेटली शायद अकेले सबके चहेते ऐसे मंत्री हैं जिनकी दावतों में सिर्फ रूह अफ्जा ही नहीं  परोसा जाता है. फिर भी यूपीए और उससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी के एनडीए के सुनहरे दिनों की तरह अब दिल्ली के पांच सितारा होटलों के गलियारों में सफेद मलमल और डिजाइनर खादी के कलफ लगे कुर्तों में सत्ता की शेखियां बघारते नए सामंत नहीं दिखाई देते. इसके विपरीत, ऐसी अफवाहें भी हैं कि इन गलियारों पर नजर रखी जाती है ताकि कहीं बीजेपी का कोई नया चुना गया सांसद शहर की रंगीनियों को ताकता हुआ वहां न पहुंच जाए. जो भी हो, इन सांसदों का मन विरुदनगर या सीकर या खरगौन में ज्यादा लगता है और सप्ताहांत में इन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में लौट जाना ही पसंद है. रुपिका चावला या सुनिता कोहली जैसी सोनिया गांधी की सहेलियों और दरबारियों को कला और संस्कृति या वास्तुकला का शौक हुआ करता था लेकिन बीजेपी के नफासत पसंद लोग अभी सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं देते. सचिन पायलट या जतिन प्रसाद या प्रफुल्ल पटेल या सलमान खुर्शीद जैसे नेता जहां दिल्ली के मुलाकात के कमरों में चैन के पल बिताया करते हैं वहीं 16वीं लोकसभा के नए चेहरे अभी अपने इलाकों यानी गांव-देहात की धूल-मिट्टी और तपिश में ही लिपटे लगते हैं. यूपीए के जमाने में सत्ता का समानांतर केंद्र बन चुकी सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का अब कोई वजूद नहीं है, क्योंकि मोदी अपने मंत्रिमंडल से बाहर किसी और सत्ता केंद्र में कतई यकीन नहीं रखते. अटल जी को साहित्य और संगीत का शौक था. उन्होंने दीनानाथ मिश्र और विद्यानिवास मिश्र जैसे पत्रकारों और लेखकों को राज्यसभा में भेजा और जगजीत सिंह तथा लता मंगेशकर जैसे कलाकार उनके लिए गाया करते थे. इसके विपरीत मोदी इस मामले में पहेली बने हुए हैं. उनकी इस तरह की पसंद अभी सबके सामने नहीं आई है. वैसे, चुनाव से पहले उनकी कविताओं का एक अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हो चुका है. चुनाव से पहले अभिनेता सलमान खान उन्हें शुभकामना भी दे चुके थे, लेकिन प्रधानमंत्री से सबसे पहले मिलकर आमिर खान ने हिंदी फिल्म उद्योग में सबको मात दे दी. फिर भी ऐसा लगता है कि मोदी को भरतनाट्यम पसंद है. आम चुनाव से पहले उन्होंने राजधानी में मैथिली प्रकाश का नृत्य देखने का समय निकाल लिया था. वाजपेयी युग में दुनियाभर में प्रधानमंत्री की विशेष उड़ानों में शैंपेन और कैवियर उपलब्ध हुआ करती थी. मनमोहन सिंह की विदेश यात्राओं में भी शैंपेन और कैवियर तो मिला करती थी लेकिन पत्रकार मंत्रियों के साथ बैठकर नहीं पी सकते थे. मोदी के राज में विदेश यात्राओं में पत्रकारों का प्रवेश ही वर्जित है. दो महीने बाद भी प्रधानमंत्री कार्यालय में कोई मीडिया सलाहकार नहीं है. वक्त आने पर मीडिया को बता दिया जाएगा, जो वह जानना चाहता है. मोदी सरकार के कार्यकाल में जल्दी ही एक नया मुहावरा हर मौसम में प्रचलित होने वाला है, “जिनको जानना जरूरी है (यानी नीड टू नो).” मिसाल के तौर पर मोदी के करीबी साथियों की नियमित मुलाकातों में मंत्रिमंडल के सदस्यों को ‘नीड टू नो’ के हिसाब से बुलाया जाता है. पिछले दिनों दिल्ली के भविष्य पर चर्चा का न्यौता सुषमा स्वराज को भेजा गया था. राजधानी में उपराज्यपाल के शासन की छह महीने की सीमा अगस्त के अंत में पूरी हो जाएगी. देश के भाग्य विधाताओं ने नई सरकार बनाने का दावा ठोकने या नए चुनाव करवाने के तमाम नफे-नुकसान का जायजा लिया. यहीं पर सरकार बनाने का दावा ठोकने का फैसला हुआ और बीजेपी के सभी विधायकों की उपराज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात कराने की रणनीति बनी. दिल्ली में फिर से चुनाव न कराने के सुझाव पर यहीं चर्चा हुई और उसे खारिज कर दिया गया. अंतरंग घेरा इसमें कोई शक नहीं कि जेटली सरकार में, संसद में, न्यायपालिका में और हर जगह मोदी के आंख और कान हैं और प्रशासन में वहीं नंबर दो हैं. यह बात और है कि औपचारिक क्रम में प्रधानमंत्री के बाद राजनाथ सिंह का नाम आता है. मोदी के दरबार में जेटली अकेले ऐसे नेता हैं जो अपना दायरा दूर-दूर तक फैला पाए हैं. उनके कानून की दुनिया के कई पक्के दोस्त अब न्यायपालिका के प्रमुख पदों पर हैं. मुकुल रोहतगी अटॉर्नी जनरल हैं तो रंजीत कुमार सॉलिसिटर जनरल. पिंकी आनंद, मनिंदर सिंह, नीरज किशन कौल और पी.एस. नरसिंह को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की कुर्सी मिली है. सरकार में भी जेटली के चहेतों को खास मंत्रालय मिले हैं. बड़बोली सीतारमन के पास वाणिज्य मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार है. वे उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ चीन का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री के साथ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्राजील भी हो आईं हैं. बीजेपी के पूर्व कोषाध्यक्ष और बिजली कोयला, अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री धर्मेंद्र प्रधान दोनों जेटली के चहेते हैं और बीजेपी की सलेट पर अपना नाम चिपकाने में जुटे हैं. गोयल ने अपने आका से सबक लेकर स्थानीय राजनैतिक मुद्दे सुलझने के लिए संसद में दूसरी तरफ  बैठे बीजेडी के सांसदों से संपर्क साधा और ओडिसा में महानदी कोयला क्षेत्र से 1500 मेगावॉट बिजली हासिल कर ली. शह और संतुलन लेकिन मोदी ने जेटली से अपनी निकटता में संतुलन साधने के लिए राजनाथ को मंत्रिमंडल की शक्तिशाली नियुक्ति समिति का एकमात्र अन्य सदस्य मनोनीत कर लिया. फिर भी राजनाथ ने मोदी के सबसे विश्वासपात्र अमित शाह के लिए कुर्सी छोड़ दी. कहते हैं कि अमित शाह नींबू निचोड़कर पोहा खाने के शौकीन के रूप में चर्चित होना चाहते हैं. पोहा मध्य भारत का सबसे मन पसंद नाश्ता है. बीजेपी अध्यक्ष बनते ही अमित शाह नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत सहित बड़े नेताओं से मिले और अनुरोध किया कि संघ के कार्यकर्ता विशेष रूप से महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का साथ देते रहें. संघ के संयुक्त महासचिव सुरेश सोनी अब भी बीजेपी और संघ के बीच असरदार संपर्क सूत्र हैं. संघ ने अपने दो नए नेताओं राम माधव और शिव प्रकाश को बीजेपी को सौंप दिया है. राम माधव चुनाव वाले राज्यों के नेताओं की बैठक में शामिल भी हो चुके हैं. लोकसभा चुनाव में मदद देने के लिए उतरे संघ के बड़े नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले अब फिर से संघ के काम में जुट गए हैं, लेकिन इस त्रिमूर्ति के अंग रहे संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल शायद पार्टी के साथ तालमेल का काम करते रहेंगे. विनय सहस्रबुद्धे भले ही संघ के पदाधिकारी न हों, पर वे संघ से प्रेरित बीजेपी कार्यकर्ता प्रशिक्षण संस्थान रामभाऊ महालगी प्रबोधिनी के महानिदेशक हैं. नितिन गडकरी के स्टाफ  के सलाहकार के तौर पर अपना दायित्व निभाते हुए नीतियां तय करने में उनका असर दिखाई देगा. लेकिन चुनाव के बाद से आरएसएस का सबसे ज्यादा असर उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रियता में दिखाई दिया. इस संगठन ने मई में मंगलूर में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के चार वर्षीय पाठ्यक्रम के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया. विद्यार्थी परिषद की नेता सुनील आंबेकर और रोहित चहल ने यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री को सौंपा और कुछ ही दिन बाद यह पाठ्यक्रम रद्द कर दिया गया. कभी टेलीविजन पर सास-बहू धारावाहिकों की मशहूर बहू 38 वर्षीया स्मृति ईरानी के कथित प्रभाव को लेकर भी काना-फूसी चलती रहती है. सत्ता के गलियारों में उनका ग्राफ बहुत तेजी से चढ़ा है. सवाल ये उठ रहे हैं कि स्मृति ईरानी पर अमित शाह का हाथ है या स्वयं प्रधानमंत्री का? कहा जाता है कि उन्हें अधिकतर नेताओं से जल्दी प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय मिल जाता है. संयोगवश राजनाथ सिंह की तरह ही उन्होंने भी अपना निजी सचिव ऐसी अधिकारी को चुना जो यूपीए के दौर के मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी स्टाफ में रह चुकी हैं. एक ओर जहां राजनाथ सिंह ने अपनी पसंद के निजी सचिव को छोड़ दिया, वहीं स्मृति ईरानी अपनी पसंद पर कायम हैं, हालांकि अभी औपचारिक आदेश नहीं मिले हैं. राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में 26 मई को मोदी सरकार के शपथ-ग्रहण समारोह में स्मृति ईरानी का नाम वरिष्ठ बीजेपी नेता हर्षवर्धन से पहले पुकारा गया. यहां तक कि उन्हें सात बार की सांसद मेनका गांधी, महिला एवं बाल विकास मंत्री (कहते हैं, उन्हें अपना मंत्रालय पसंद नहीं है) या वरिष्ठ बीजेपी नेता नजमा हेपतुल्ला के मुकाबले अहम मानव संसाधन मंत्रालय दिया गया. नजमा ने शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी को पछाड़कर मोदी मंत्रिमंडल के मुस्लिम चेहरे की जगह हथियाई और अल्पसंख्यक कार्यमंत्री बन गईं. मोदी मंत्रिमंडल में सुषमा स्वराज के सितारे दिलचस्प मोड़ पर हैं. जापान हो या श्रीलंका या फिर चीन का मसला. वे स्वयं मोदी से बात करती हैं. लेकिन इस बात से कुछ नाराज भी हैं कि उन्हें बताए जाने से पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने मीडिया को बता दिया कि मोदी की जापान यात्रा रद्द हो गई है. मोदी सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर से इस बात से नाराज थे कि वे इस खबर को ठीक से और उतनी जल्दी प्रचारित नहीं कर पाए, जितनी जल्दी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कर दिखाया. जब जावडेकर ने अपनी सफाई में कहा कि सूचना-प्रसारण मंत्रालय के वेबपेज के भी हजारों फॉलोवर हैं तो मोदी का तीखा जवाब था, श्श्मैं जानता हूं, ये फॉलोवर कैसे बनते हैं. कुछ हजार फॉलोवर होने से कुछ नहीं होता.” अब सवाल यह है कि मोदी की नजर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की तुलना में सुषमा स्वराज कहां हैं? खुफिया ब्यूरो के कड़क प्रमुख रह चुके डोवाल की मुसीबत यह है कि 2005 में सेवानिवृत्त होने के बाद करीब एक दशक से वे सत्ता प्रतिष्ठान से बाहर रहे. लगता है कि इराक से 46 भारतीय नर्सों को सकुशल स्वदेश लाकर उन्होंने 1999 में कंधार ले जाए गए एयर इंडिया के विमान आइसी 814 के अपहरणकर्ताओं को पकडऩे में नाकामी के कारण अपनी साख पर लगे धब्बे को धोने में कुछ हद तक कामयाबी पा ली है. पर बहुत कम लोग जानते हैं कि इराक संकट में कमान डोवाल के हाथ में नहीं, सुषमा स्वराज के हाथ में थी. डोवाल भले ही बगदाद गए थे लेकिन असल में सुषमा स्वराज ने दिल्ली में बैठे-बैठे पश्चिम एशिया की नामी हस्तियों से बात कर सारी व्यवस्था की थी. शायद यह विदेश मंत्रालय बनाम प्रधानमंत्री कार्यालय का सनातन टकराव का ही एक और प्रकरण है और इसके लिए वही पुराना जुमला सटीक रहेगा कि ये टकराव कैसे दूर होगा, वक्त ही बताएगा. ताकतवर हाथ मोदी की अपनी पसंद से चुने हुए सरकारी अफसर प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्र से लेकर कैबिनेट सचिव अजित सेठ तक ही शायद वे माध्यम हैं जिनके सहारे मोदी देश को नई शक्ल देना चाहते हैं. मनमोहन सिंह द्वारा नियुक्त किए गए अजित सेठ को सेवा विस्तार दिया गया है, लेकिन ऐसा लगता है कि अब उनकी ताकत बढ़ेगी. वित्तीय सेवा सचिव गुरदयाल सिंह संधू को शहरी विकास सचिव का पद देने की कोशिश में सेठ ने रोड़ा अटकाया और शंकर अग्रवाल को वहां नियुक्त करा दिया. उन्होंने ही किसी मंत्री के निजी सचिव के पद पर रहने के लिए पांच वर्ष की सीमा वाला आदेश ढुंढवाया. इसके सहारे यूपीए मंत्रियों के निजी स्टाफ में रह चुके कई अधिकारियों का सफाया किया गया. इसीलिए राजनाथ सिंह जैसे ताकतवर मंत्री को अपना निजी सचिव छोडऩा पड़ा. कहते हैं, अजित सेठ ने गृह मंत्री से इस बात का बदला चुकाया कि उनकी स्वीकृति के बावजूद राजनाथ सिंह ने नेटग्रिड के पूर्व अध्यक्ष रघुरामन को सेवा विस्तार नहीं दिया. अतिरिक्त प्रमुख सचिव पी.के. मिश्र गुजरात काडर के अधिकारी हैं जिन्होंने मोदी को पहली बार गुजरात का मुख्यमंत्री बनने पर सत्ता के गुर सिखाए थे. गुजरात काडर के ही एक और अधिकारी ए.के. शर्मा को इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के अधिकतर मामलों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने ट्रैक्टर्स इंडिया लिमिटेड के एमडी और उपाध्यक्ष सुमित मजूमदार, और हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी के सीएमडी अजित गुलाबचंद तथा फीडबैक इन्फ्रा के सीएमडी विनायक चटर्जी जैसे उद्योगपतियों को सरकार का एजेंडा समझाया और उनके साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की. शर्मा की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जावडेकर की आपत्ति के बावजूद वे यूपीए के दौर में मंत्री रह चुकीं अंबिका सोनी के निजी सचिव रहे रंजन ठाकुर को दूरदर्शन का नया महानिदेशक बनवाना चाहते हैं. मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में है और शर्मा सबको दोबारा सोचने पर मजबूर कर रहे हैं. फेसबुक की सीईओ शेरिल सैंडबर्ग से मोदी की मुलाकात हिरेन जोशी ने तय कराई. वे और प्रतीक दोषी अब प्रधानमंत्री कार्यालय में हैं और सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति का काम संभालते हैं. सरकार को नतीजे चाहिए मोदी सरकार का सामाजिक मेल-जोल 13 जुलाई को गांधीनगर में अमित शाह के बेटे जय की सगाई के समारोह तक सीमित रहा. मोदी खुद उसमें नहीं पहुंच सके क्योंकि उन्हें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में जाना था, लेकिन उनके मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्य चार्टर्ड विमान से वहां पहुंचे थे. इनमें स्वपन दासगुप्ता जैसे पत्रकार, मुकेश अंबानी के करीबी कहलाने वाले राज्यसभा सांसद परिमल नाथवाणी (अंबानी खुद नहीं थे) और अहमदाबाद में पुराने-नए दोस्त गौतम अडानी शामिल थे. अडानी कोयले के व्यापार, कोयला खनन, तेल और गैस की खोज से लेकर बंदरगाहों और बिजली तक फैले 9.3 अरब डॉलर के कारोबार के मालिक अडानी ग्रुप के मुखिया हैं. इसमें कोई शक नहीं कि अडानी मोदी युग में सबसे ताकतवर कारोबारी हैं. पिछले साल सितंबर में मोदी को बीजेपी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाते ही अडानी पावर के शेयर 170 प्रतिशत चढ़ गए. मोदी काल में अडानी एक ही समय में हर जगह दिखते हैं. 16 मई को चुनाव नतीजों के दिन ही अडानी ने ओडिसा में धामरा बंदरगाह को एलऐंडटी और टाटा स्टील से खरीदा था. 16 जुलाई को अडानी के विवादित मुंदड़ा एसईजेड को पर्यावरण मंजूरी मिल गई. उससे पिछले सप्ताह में ही वित्त मंत्री ने अपने बजट में कई टैक्स रियायतों की घोषणा की थी और कहा था कि, “एसईजेड को चालू करने और बेहतर बुनियादी सुविधाएं विकसित करने में निवेशकों की दिलचस्पी फिर जगाने के लिए असरदार कदम उठाए जाएंगे.” इन दिनों अडानी के सितारे चढऩे का मतलब क्या यह निकाला जाए कि अंबानी के सितारे कुछ गर्दिश में हैं? यह सच अपने आप में बहुत बड़ा है कि अंबानी ने अभी तक प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं की है. सरकार ने रंगराजन समिति की सिफारिशों के मुताबिक गैस के दाम 4.2 डॉलर से बढ़ाकर 8.4 डॉलर प्रति मिलियन मीट्रिक बीटीयू करने से इनकार कर दिया है. अगर सरकार इसे मंजूरी दे देती तो अंबानी समूह को यकीनन बहुत लाभ होता. प्रधानमंत्री से 97 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप के साइरस मिस्त्री की मुलाकात हुई है और यह उस जमाने के रिश्तों का सबूत है जब मिस्त्री शापूरजी पालोनजी कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रमुख हुआ करते थे जिसे गुजरात में उस समय कई प्रोजेक्ट के ठेके मिले थे. इनके अलावा 12,700 करोड़ रुपए के कुल कर्ज में फं सी पवन ऊर्जा कंपनी सुजलॉन के अध्यक्ष और स्वच्छ ऊर्जा के पैरोकार तुलसी तांती को तो प्रधानमंत्री के साथ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में जाने और ब्रिक्स बिजनेस फोरम में बोलने का भी न्यौता दिया गया. प्रतीक्षारत कई कुछ लोग ऐसे भी हैं जो राज्यसभा की सदस्यता (अब से सिर्फ डेढ़ साल के लिए) या किसी सांस्कृतिक संस्था की अध्यक्षता अथवा विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री के फोन की प्रतीक्षा कर रहे हैं. चुनाव के दौरान ब्रांड मोदी के प्रचारक, न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद पानगडिय़ा, मोदी जैसी सोच वाले सुधारक पूर्व मंत्री अरुण शौरी, पत्रकार स्वपन दासगुप्ता और एन.के. सिंह इस कतार में हैं. बिहार में आरा से चुनकर आए पूर्व गृह सचिव आर.के. सिंह की नजर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर है. मगर अब लगता है कि कैबिनेट स्तर के इस पद को पाने के लिए उनका इंतजार पीड़ादायक हद तक लंबा होने वाला है क्योंकि अब प्रधानमंत्री कार्यालय में नियुक्त पी.के. मिश्र की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश पर गृह मंत्रालय एनडीएमए का ढांचा बदलने की सोच रहा है. बीजेपी के सांसदों में बिहार में सारण से लालू प्रसाद यादव की पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हराकर पहुंचे राजीव प्रताप रूडी बढ़-चढ़कर वफादारी का डंका पीट रहे हैं. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करनी हो या मोदी के प्रमुख सचिव की नियुक्ति को वैध ठहराने के लिए ट्राई संशोधन विधेयक के पक्ष में बीजेपी का पहला वक्ता बनना हो, रूडी पूरी जुगत लगा रहे हैं कि किसी भी तरह मोदी के दरबार में दाखिल हो जाएं. —साथ में रवीश तिवारी, राहुल त्रिपाठी, कुमार अंशुमन, एम.जी. अरुण और जतिन गांधी
संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति ने सरकार की नोटबंदी के बाद देश के हालात की समीक्षा के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर तथा वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी को बुलाने का गुरुवार को फैसला किया. एक सूत्र के मुताबिक, "नोटबंदी के बाद के हालात की समीक्षा करने के लिए आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल तथा आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास को 15 दिसंबर को बुलाया जा सकता है." सूत्र ने कहा, "अगर 15 दिसंबर को वे नहीं आ पाए, तो समिति के समक्ष उनकी उपस्थिति उनकी उपलब्धता पर निर्भर करती है." वित्तीय मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली हैं.टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते आठ नवंबर की आधी रात से 500 तथा 1,000 रुपये के नोटों को लीगल टेंडर से बाहर कर दिया था. इसके बाद पूरे देश में नकदी की भारी समस्या पैदा हो गई है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) एक सूत्र के मुताबिक, "नोटबंदी के बाद के हालात की समीक्षा करने के लिए आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल तथा आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास को 15 दिसंबर को बुलाया जा सकता है." सूत्र ने कहा, "अगर 15 दिसंबर को वे नहीं आ पाए, तो समिति के समक्ष उनकी उपस्थिति उनकी उपलब्धता पर निर्भर करती है." वित्तीय मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली हैं.टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते आठ नवंबर की आधी रात से 500 तथा 1,000 रुपये के नोटों को लीगल टेंडर से बाहर कर दिया था. इसके बाद पूरे देश में नकदी की भारी समस्या पैदा हो गई है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) सूत्र ने कहा, "अगर 15 दिसंबर को वे नहीं आ पाए, तो समिति के समक्ष उनकी उपस्थिति उनकी उपलब्धता पर निर्भर करती है." वित्तीय मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली हैं.टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते आठ नवंबर की आधी रात से 500 तथा 1,000 रुपये के नोटों को लीगल टेंडर से बाहर कर दिया था. इसके बाद पूरे देश में नकदी की भारी समस्या पैदा हो गई है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते आठ नवंबर की आधी रात से 500 तथा 1,000 रुपये के नोटों को लीगल टेंडर से बाहर कर दिया था. इसके बाद पूरे देश में नकदी की भारी समस्या पैदा हो गई है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पुणे की पुलिस ने सोमवार की रात केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर जूता उछालने वाले शख्स को हिरासत में ले लिया. आरोपी शख्स ने चुनावी रैली में बीजेपी नेता पर जूता फेंकने का प्रयास किया था. आयोजन स्थल पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने युवक को पकड़ लिया और उसके साथ मारपीट करने के बाद पुलिस को सौंप दिया. इस बीच गडकरी ने कोठरूद की सभा में अपना भाषण पूरा किया. घटना उस समय हुई जब गडकरी बीजेपी उम्मीदवार मेधा कुलकर्णी के पक्ष में रैली के लिए पहुंचे. पुलिस ने बताया कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति नशे की हालत में लग रहा था और उससे पूछताछ की जा रही है. अभी तक शख्स की पहचान नहीं हो पाई है.
टाइगर श्रॉफ ने हीरोपंती में भारतीय सिनेमा के सबसे लंबे पारकोर सीक्वेंस को अंजाम दिया है. यह सीन 6 मिनट 30 सेकंड का है. खास यह कि इसको एक ही सीक्वेंस में और बिना किसी कट के शूट किया गया है. इस सीक्वेंस को उनकी ट्रेनिंग को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था. पारकोर में दौड़ना, चढ़ना, उतरना, छलांग लगाना, बाधाएं पार करना और भी कई चीजें शामिल होती हैं. इसे एक्शन की फील्ड में काफी मुश्किल टेक्नीक माना जाता है. बेशक टाइगर बचपन से मार्शल आर्ट सीखते आ रहे हैं लेकिन इस सीन के लिए उन्हें तीन महीने तक विशेष ट्रेनिंग लेनी पड़ी है. सभी एंगल से ऐक्शन कवर करने के लिए अलग-अलग जगहों पर कैमरे लगाए गए थे. इस सीक्वेंस को थोड़ा मुश्किल और चैलेंजिंग बनाया गया था क्योंकि उन्हें टाइगर की कैपेसिटी पर पूरा भरोसा था. हीरोपंती 23 मई को रिलीज हो रही है.
यह लेख है: पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह  ने कहा है कि यह बिलकुल गलत है कि सिख दंगों से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जोड़ा जाए. कैप्टन अमरिंदर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'क्या हो अगर आपका नाम अगर गोधरा से जोड़ा जाए? गौरतलब है कि बीजेपी ने ट्वीटर पर राजीव गांधी के भाषण का एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह कह रहे हैं कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है. उनके इस बयान को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख दंगों से जोड़कर देखा जाता रहा है. इस दंगे में तीन हजार सिखों की मौत हो गई थी. हालांकि कैप्टन अमरिंदर ने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के उस बयान पर भी असहमति जताई है जिसमें वह सिख दंगों को लेकर कह रहे हैं जो हुआ वह हुआ. कैप्टन अमरिंदर ने कहा, ' 1984 का दंगा एक बड़ी दुखद घटना थी, इसके पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला है. अगर कोई नेता इसमें शामिल रहा है तो उसे सजा मिलनी चाहिए. कैप्टन अमरिंदर का यह बयान एक प्रेस रिलीज में जारी किया गया है. कैप्टन अमरिंदर ने कहा, 'कुछ नेताओं इसमें शामिल हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पीएम मोदी इसमें वह राजीव गांधी या कांग्रेस के ऊपर दोष मढ़ने लगें.' उन्होंने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री को यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि कई बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं का नाम भी एफआईआर में दर्ज है.' रतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिख दंगा भड़क गया था जिसमें 3000 सिखों की मौत हो गई थी. कांग्रेस के ऊपर आरोप लगता है इसने अपनी पार्टी को नेताओं को बचाया जो दंगा भड़काने के आरोपी हैं. वहीं पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह गोधरा कांड का जिक्र किया है जिसमें साबरमती एक्सप्रेस में सवार 59 कारसेवकों को जलाकर मार दिया जाता है जिसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क जाते हैं और तीन दिन में 1 हजार लोगों की मौत हो जाती है. मृतकों में ज्यादातर मुस्लिम थे. पीएम मोदी उस समय गुजरात के सीएम थे.
भारत और दक्षिण कोरिया ने अपने रक्षा संबंधों को बढ़ाने का संकल्प लिया है. इसके साथ ही दोनों देशों ने वीजा नियमों को आसान बनाने के लिए रविवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार और लोगों के आवागमन को बढ़ावा मिलेगा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वीजा नियमों से सम्बंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'भारत इस वर्ष के अंत से पहले सियोल में एक रक्षा प्रतिनिधि नियुक्त करेगा.' मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह, मिसाइल प्रौद्योगिकी, नियंत्रण व्यवस्था, ऑस्ट्रेलिया समूह और वासमार करार जैसी संस्थाओं से जुड़ने में दक्षिण अफ्रीका की भी मदद मांगी है. वीजा समझौते पर विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) संजय सिंह ने तथा दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्रालय के किम सुंग-हान ने हस्ताक्षर किए.
प्रधानमंत्री इमरान खान का गिलगित-बाल्टिस्तान का दौरा रद्द स्कर्दू पहुंचे इमरान, खराब मौसम के कारण नहीं हुई जनसभा प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान का पहला गिलगित दौरा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का गिलगित-बाल्टिस्तान का दौरा रद्द कर दिया गया है. वह कुछ देर पहले ही स्कर्दू पहुंचे थे और वहां वह एक जनसभा को संबोधित करने वाले थे. लेकिन सत्तारुढ़ पीटीआई से जुड़े सूत्रों के अनुसार खराब मौसम के कारण यह जनसभा रद्द कर दी गई है. प्रधानमंत्री इमरान खान को आज स्कर्दू के नगर निगम ग्राउंड में जनसभा को संबोधित करना था जहां वह क्षेत्र के विकास के लिए एक बड़े पैकेज का ऐलान करने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के कारण इमरान को यह जनसभा रद्द करनी पड़ी. गिलगित-बाल्टिस्तान का पहला दौरा इमरान खान का प्रधानमंत्री बनने के बाद यह गिलगित-बाल्टिस्तान का पहला दौरा था. कश्मीर मामलों और गिलगिट-बाल्टिस्तान के संघीय मंत्री अली अमीन गंडापुर, गिलगिट-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री हफीजुर रहमान, गवर्नर राजा जलाल हुसैन मकपून, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के गिलगिट-बाल्टिस्तान शाखा के अध्यक्ष सैयद जाफर शाह और कई केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य स्कर्दू में मौजूद थे. इनकी कोशिश प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यक्रम को सफल बनाना था, लेकिन खराब मौसम के कारण यह नहीं हो सका. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने और विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद से ही इमरान खान लगातार पाक अधिकृत कश्मीर का दौरा कर रहे हैं. पिछले महीने 'कश्मीर ऑवर' के बाद इमरान खान ने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) की राजधानी मुजफ्फराबाद में 13 सितंबर को एक बड़े जलसे में कहा था कि UNGA में कश्मीर का मसला फिर से उठाएंगे. आर्थिक हितों के कारण मुस्लिम देशों ने भी इस मसले पर हमारा साथ नहीं दिया. तब प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था, 'मैं जानता हूं कि आप में से कई लोगों ने लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने की कोशिश की है, लेकिन मैं आज आपसे कहता हूं कि अभी लाइन ऑफ कंट्रोल पर जाने की जरूरत नहीं है. आप लोग तब लाइन ऑफ कंट्रोल जाना जब मैं आपसे जाने को कहूं. ' पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन गिलगित-बाल्टिस्तान का क्षेत्र पाकिस्तान के विवादित इलाकों में गिना जाता है और वहां पर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन होते रहते हैं. विवाद तब बढ़ गया जब महज एक साल पहले उसने गिलगित-बाल्टिस्तान के निवासियों के सभी अधिकार अवैध रूप से रद्द कर दिए थे. गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश 2018 ने गिलगित बाल्टिस्तान परिषद के सभी अधिकार समाप्त कर दिए और क्षेत्र के संबंध में पूरा अधिकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को सौंप दिया. इस आदेश के तहत, स्थानीय निकायों के सभी अधिकार छीन लिए गए और यहां तक कि कर लगाने का अधिकार भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को सौंप दिया गया, जिसे कोर्ट तक में चुनौती नहीं दी जा सकती. पाक ने कब किया बलपूर्वक कब्जा? गिलगित-बाल्टिस्तान के न्यायिक तंत्र में भी दखल कर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने न्यायपालिका के अधिकारियों को चुनने का अपना रास्ता साफ कर लिया. स्थानीय लोगों ने इस कदम को क्षेत्र के लोगों का भविष्य में दमन करने वाला बताया. पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर बलपूर्वक 1947 में कब्जा कर लिया था और तबसे इस पर अवैध कब्ज किए हुए है. पिछले साल भारत ने पाकिस्तान सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया था. विदेश मंत्रालय ने 27 मई 2018 को दिल्ली में पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त को समन भेजा था और उन्हें स्पष्ट रूप से बता दिया था कि 1947 में बंटवारे के आधार पर गिलगित-बाल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का आंतरिक हिस्सा है. भारत की ओर से पाकिस्तानी राजनयिक को जानकारी दी गई कि पाकिस्तान द्वारा क्षेत्र के किसी हिस्से की स्थिति को जबरन बदलने के लिए की गई कोई भी कार्रवाई वैध नहीं मानी जाएगी और ना स्वीकार की जाएगी. कब्जे वाले क्षेत्रों की सीमाओं को बदलने की मांग करने की अपेक्षा पाकिस्तान को अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्र को तत्काल खाली कर देना चाहिए.
जम्मू क्षेत्र के आठ जिलों में मंगलवार को भी कर्फ्यू जारी है और यहां तीन दिन से रुकी हुई वार्षिक अमरनाथ यात्रा फिर शुरू हो गई है। इस बीच किश्तवाड़ में हुए सांप्रदायिक संघर्ष के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "अमरनाथ यात्रा मंगलवार सुबह शुरू कर दी गई। तड़के 4.30 बजे 225 तीर्थयात्रियों को यहां से घाटी जाने की इजाजत दी गई।" उन्होंने कहा, "तीर्थयात्री छह बसों और एक छोटे वाहन से निकले। उनकी सलामती के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।" जम्मू एवं श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात सामान्य नहीं हुआ है। किश्तवाड़ में शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद पठानकोट-जम्मू और जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात ठप्प रहा। जम्मू इलाके के आठ जिलों-जम्मू, कठुआ, सांबा, रीसी, ऊधमपुर, राजौरी, डोडा और किश्तवाड़ में कर्फ्यू लागू है। सुबह लाउडस्पीकर लगे पुलिस वाहनों से कर्फ्यू के जारी रहने की घोषणा की गई और लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई। किश्तवाड़ में लगातार पांचवे दिन कर्फ्यू जारी है, जबकि अन्य जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू के चार दिन हो गए हैं। रामबन और पुंछ जिलों में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। डोडा जिले में जिलाधिकारी ने कहा है कि यहां कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, लेकिन एहतियातन जिले के गंदोह, थात्री, प्रेम नगर, भदरवाह इलाके में कर्फ्यू घोषित है। अधिकारियों ने सांबा जिले में सोमवार शाम तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढिलाई दी थी। कठुआ के मुख्य शहर को छोड़कर शेष जगहों पर सोमवार शाम दो घंटे के लिए ढील दी गई थी। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "अमरनाथ यात्रा मंगलवार सुबह शुरू कर दी गई। तड़के 4.30 बजे 225 तीर्थयात्रियों को यहां से घाटी जाने की इजाजत दी गई।" उन्होंने कहा, "तीर्थयात्री छह बसों और एक छोटे वाहन से निकले। उनकी सलामती के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।" जम्मू एवं श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात सामान्य नहीं हुआ है। किश्तवाड़ में शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद पठानकोट-जम्मू और जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात ठप्प रहा। जम्मू इलाके के आठ जिलों-जम्मू, कठुआ, सांबा, रीसी, ऊधमपुर, राजौरी, डोडा और किश्तवाड़ में कर्फ्यू लागू है। सुबह लाउडस्पीकर लगे पुलिस वाहनों से कर्फ्यू के जारी रहने की घोषणा की गई और लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई। किश्तवाड़ में लगातार पांचवे दिन कर्फ्यू जारी है, जबकि अन्य जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू के चार दिन हो गए हैं। रामबन और पुंछ जिलों में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। डोडा जिले में जिलाधिकारी ने कहा है कि यहां कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, लेकिन एहतियातन जिले के गंदोह, थात्री, प्रेम नगर, भदरवाह इलाके में कर्फ्यू घोषित है। अधिकारियों ने सांबा जिले में सोमवार शाम तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढिलाई दी थी। कठुआ के मुख्य शहर को छोड़कर शेष जगहों पर सोमवार शाम दो घंटे के लिए ढील दी गई थी। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। उन्होंने कहा, "तीर्थयात्री छह बसों और एक छोटे वाहन से निकले। उनकी सलामती के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।" जम्मू एवं श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात सामान्य नहीं हुआ है। किश्तवाड़ में शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद पठानकोट-जम्मू और जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात ठप्प रहा। जम्मू इलाके के आठ जिलों-जम्मू, कठुआ, सांबा, रीसी, ऊधमपुर, राजौरी, डोडा और किश्तवाड़ में कर्फ्यू लागू है। सुबह लाउडस्पीकर लगे पुलिस वाहनों से कर्फ्यू के जारी रहने की घोषणा की गई और लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई। किश्तवाड़ में लगातार पांचवे दिन कर्फ्यू जारी है, जबकि अन्य जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू के चार दिन हो गए हैं। रामबन और पुंछ जिलों में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। डोडा जिले में जिलाधिकारी ने कहा है कि यहां कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, लेकिन एहतियातन जिले के गंदोह, थात्री, प्रेम नगर, भदरवाह इलाके में कर्फ्यू घोषित है। अधिकारियों ने सांबा जिले में सोमवार शाम तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढिलाई दी थी। कठुआ के मुख्य शहर को छोड़कर शेष जगहों पर सोमवार शाम दो घंटे के लिए ढील दी गई थी। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। जम्मू एवं श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात सामान्य नहीं हुआ है। किश्तवाड़ में शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद पठानकोट-जम्मू और जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात ठप्प रहा। जम्मू इलाके के आठ जिलों-जम्मू, कठुआ, सांबा, रीसी, ऊधमपुर, राजौरी, डोडा और किश्तवाड़ में कर्फ्यू लागू है। सुबह लाउडस्पीकर लगे पुलिस वाहनों से कर्फ्यू के जारी रहने की घोषणा की गई और लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई। किश्तवाड़ में लगातार पांचवे दिन कर्फ्यू जारी है, जबकि अन्य जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू के चार दिन हो गए हैं। रामबन और पुंछ जिलों में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। डोडा जिले में जिलाधिकारी ने कहा है कि यहां कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, लेकिन एहतियातन जिले के गंदोह, थात्री, प्रेम नगर, भदरवाह इलाके में कर्फ्यू घोषित है। अधिकारियों ने सांबा जिले में सोमवार शाम तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढिलाई दी थी। कठुआ के मुख्य शहर को छोड़कर शेष जगहों पर सोमवार शाम दो घंटे के लिए ढील दी गई थी। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। जम्मू इलाके के आठ जिलों-जम्मू, कठुआ, सांबा, रीसी, ऊधमपुर, राजौरी, डोडा और किश्तवाड़ में कर्फ्यू लागू है। सुबह लाउडस्पीकर लगे पुलिस वाहनों से कर्फ्यू के जारी रहने की घोषणा की गई और लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई। किश्तवाड़ में लगातार पांचवे दिन कर्फ्यू जारी है, जबकि अन्य जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू के चार दिन हो गए हैं। रामबन और पुंछ जिलों में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। डोडा जिले में जिलाधिकारी ने कहा है कि यहां कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, लेकिन एहतियातन जिले के गंदोह, थात्री, प्रेम नगर, भदरवाह इलाके में कर्फ्यू घोषित है। अधिकारियों ने सांबा जिले में सोमवार शाम तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढिलाई दी थी। कठुआ के मुख्य शहर को छोड़कर शेष जगहों पर सोमवार शाम दो घंटे के लिए ढील दी गई थी। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। किश्तवाड़ में लगातार पांचवे दिन कर्फ्यू जारी है, जबकि अन्य जिलों में मंगलवार को कर्फ्यू के चार दिन हो गए हैं। रामबन और पुंछ जिलों में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। डोडा जिले में जिलाधिकारी ने कहा है कि यहां कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, लेकिन एहतियातन जिले के गंदोह, थात्री, प्रेम नगर, भदरवाह इलाके में कर्फ्यू घोषित है। अधिकारियों ने सांबा जिले में सोमवार शाम तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढिलाई दी थी। कठुआ के मुख्य शहर को छोड़कर शेष जगहों पर सोमवार शाम दो घंटे के लिए ढील दी गई थी। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। रामबन और पुंछ जिलों में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। डोडा जिले में जिलाधिकारी ने कहा है कि यहां कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, लेकिन एहतियातन जिले के गंदोह, थात्री, प्रेम नगर, भदरवाह इलाके में कर्फ्यू घोषित है। अधिकारियों ने सांबा जिले में सोमवार शाम तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढिलाई दी थी। कठुआ के मुख्य शहर को छोड़कर शेष जगहों पर सोमवार शाम दो घंटे के लिए ढील दी गई थी। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। अधिकारियों ने सांबा जिले में सोमवार शाम तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढिलाई दी थी। कठुआ के मुख्य शहर को छोड़कर शेष जगहों पर सोमवार शाम दो घंटे के लिए ढील दी गई थी। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। रीसी जिले में कर्फ्यू में तीन घंटे, ऊधमपुर में सुबह दो और शाम में तीन घंटे के लिए ढिलाई दी गई थी। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "किश्तवाड़ और जम्मू जिले के रायपुर इलाके में छिट-पुट घटनाओं के अलावा सभी जगह सोमवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।" पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। पुलिस ने किश्तवाड़ हिंसा के संबंध में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें अलगाववादी नेता अब्दुल कयूम मट्टू भी शामिल हैं जिन पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है।टिप्पणियां इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। इस बीच, मंगलवार को लगातार तीसरे दिन राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप्प हैं। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अफवाहें फैलने से रोकने के लिए रोक दी गई हैं जबकि पेशेवर लोगों, शिक्षकों, छात्रों और पत्रकारों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह राज्य को एक और पाषाण युग की तरफ ले जा रहा है।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के नौवें संस्करण में सोमवार को पंजाब क्रिकेट संघ स्टेडियम में खेले गए लीग के 21वें मैच में किंग्स इलेवन पंजाब को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा. पंजाब की इस सीजन में अब तक खेले गए 6 मैचों में पांचवीं हार थी. इस बार मुंबई ने पंजाब का उसके घरेलू मैदान पर 25 रन से हरा दिया. 190 रनों का पीछा करने उतरी पंजाब की टीम शुरू से दबाव में नजर आई. ग्लेन मैक्सवेल 56 और शॉन मार्श 45 के अलावा कोई भी बल्लेबाज टिक नहीं पाया. पंजाब की पूरी टीम 20 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 164 रन ही बना पाई. स्कोरकार्ड पार्थिव पटेल ने बनाए 81 रन पहले बल्लेबाजी करते हुए मुंबई इंडियंस की शुरुआत बेदह खराब रही. कप्तान रोहित शर्मा बिना खाता खोले पवेलियन चलते बने. रोहित को मैच की दूसरी ही गेंद पर संदीप शर्मा ने आउट किया. इसके बाद पार्थ‍ि‍व पटेल और अंबाती रायडु ने 137 रनों की साझेदारी करते हुए टीम की स्थिति मजबूत की. रायडु 65 रन बनाकर अक्षर पटेल की गेंद पर आउट हुए जबकि पार्थिव पटेल 81 रन बनाकर आउट हुए. मुंबई ने 20 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 189 रन बनाए. IPL 2016 का कार्यक्रम देखें टीमें: मुंबई इंडियंस: रोहित शर्मा (कप्तान), पार्थिव पटेल, हार्दिक पंड्या, जोस बटलर, अंबाती रायडू, केरन पोलार्ड, हरभजन सिंह, क्रुनाल पंड्या, टिम साउदी, मिशेल मैकक्लानेघन और जसप्रीत बुमराह. किंग्स इलेवन पंजाब: डेविड मिलर (कप्तान), मनन वोहरा, मुरली विजय, निखिल नाइक, अक्षर पटेल, शॉन मार्श, मिशेल जॉनसन, प्रदीप साहू, मोहित शर्मा, संदीप शर्मा और ग्लेन मैक्सवेल.
सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिनमें हीरे, जवाहरात, सोने की ईंटें आदि देखी जा सकती हैं. इसके साथ ही एक ताबूत में सोने के जेवरों से लदे व्यक्ति की भी तस्वीर वायरल हो रही है. दावा किया जा रहा है कि यह व्यक्ति कुवैत का सबसे अमीर व्यक्ति था और तस्वीरें उसकी अंतिम यात्रा की हैं. फेसबुक यूजर "Suraj Kiran Travels” ने नौ तस्वीरें पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा, जिसका हिंदी अनुवाद है:"कुवैत के सबसे अमीर व्यक्ति नस्सी अल खरकी का निधन हो गया है. उनकी दौलत देखें...वो अपने साथ इनमें से कुछ भी नहीं ले जा सके..यह सबसे याद दिलाने के लिए था." इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीरों के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. ताबूत में दिख रहा व्यक्ति त्रिनिदाद एंड ​टोबागो में रियल एस्टेट का बादशाह था और काफी पैसे वाला भी था. वहीं नस्सी अल खरकी कुवैत का सबसे अमीर व्यक्ति नहीं है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. वायरल हो रही तस्वीरों में से एक तस्वीर में हीरों से भरा एक बक्सा नजर आता है, जबकि अन्य तस्वीरों में सोने के सिक्के और ईंटें, सोने का बेड, सोने का जेट, सोने का याट व कार और डॉलर्स की गड्डियां देख सकते हैं. फेसबुक पर बहुत से लोगों ने यह तस्वीरें मिलते जुलते दावों के साथ पोस्ट की हैं. कौन है यह व्यक्ति पोस्ट में नजर आ रही तस्वीरों को रिवर्स सर्च करने पर AFWA ने पाया — कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों जैसे कि "Mail Online” और “Metro” ने इस व्यक्ति की अंतिम यात्रा को रिपोर्ट किया था. 4 अप्रैल 2018 को छपी इन रिपोर्ट्स के अनुसार, 33 वर्षीय मिलेनियर शेरॉन सुखेडो की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. सुखेडो के शव को दफनाने से पहले उसे शैम्पेन से नहलाया गया था और फिर उसे एक लाख डॉलर की कीमत के सोने के आभूषण पहनाए गए थे. कौन है कुवैत का सबसे अमीर व्यक्ति फोर्ब्स मैगजीन की ओर से 2019 में किए गए सर्वे के अनुसार कुवैत के सबसे अमीर व्यक्ति कुतायबा अल्घनिम हैं. वे अ​ल्घनिम इंडस्ट्रीज के चेयरमैन हैं. हमें फोर्ब्स की सूची में नस्सी अल खरकी नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिला. हालांकि कुवैती व्यापारी नस्सी अल खरफी का नाम साल 2011 में जारी हुई फोर्ब्स के सबसे अमीर लोगों की सूची में जरूर मिला. खरफी की मौत साल 2011 में ही हो गई थी. हमें वायरल पोस्ट में इस्तेमाल हुई हीरे जवाहरात और सोने की तस्वीरें कई वेबसाइट्स की स्टॉक तस्वीरों में मिलीं. आलीशान कार तस्वीर में नजर आ रही कार लग्जरी क्रिस्टल बेंज है. इस पर तीन लाख स्वरोवस्की क्रिस्टल ग्लास जड़े हुए हैं. इसे 9 जनवरी 2009 को टोक्यो में गार्सन/D.A.D ने डिस्पले किया था. सोने का जेट तस्वीर में नजर आ रहा गोल्डन जेट असल में डेसो फैल्कन 900बी है. जेट की असली तस्वीर यहां देखी जा सकती है. सोने की कार की तस्वीर इससे पहले एक ऑस्ट्रलियाई वेबसाइट पर भी प्रकाशित हो चुकी है. वायरल पोस्ट की अन्य तस्वीरों में से सोने के सिक्कों वाली तस्वीर पहले यहां प्रकाशित हो चुकी है. वहीं बक्से में हीरों वाली तस्वीर यहां प्रकाशित हो चुकी है. सोने की ईंटों वाली तस्वीर हमें तेलगु वेबसाइट के स्ट्रॉक फोटोज में मिली. सोने की सीढ़ियों की तस्वीर एक ब्लॉगसाइट पर छप चुकी है. वहीं डॉलर्स की गड्डियों की तस्वीर "द मनी म्यूजियम ऑफ फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ शिकागो" की वेबसाइट पर इस्तेमाल हो चुकी है. टिनआई की मदद से रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि आलीशान बेड की तस्वीर भी इससे पहले कई ब्लॉगसाइट्स पर इस्तेमाल की जा चुकी है. लिहाजा पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल हो रही पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. ताबूत में नजर आ रहा व्यक्ति कुवैत से नहीं बल्कि त्रिनिदाद एंड टोबागो से है. वहीं पोस्ट में कुवैत के सबसे अमीर व्यक्ति का नाम भी गलत दिया गया है.
चिदंबरम ने कहा, 'मुझे अर्थव्यवस्था की बहुत चिंता है. गरीब लोग सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं. कम आय, कम नौकरियां, कम व्यापार और कम निवेश से गरीब एवं मध्यम वर्ग प्रभावित होता है.' उन्होंने सवाल किया, 'इस मुश्किल और निराशा से देश को बाहर निकलने की सरकार के पास क्या क्या योजना है?' बता दें कि चिदंबरम को सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार किया है. फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं और तिहाड़ जेल में बंद हैं. इसके अलावा चिदंबरम ने यह भी आरोप लगाया कि आईएनएक्स मीडिया मामला राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है और जांच एजेंसी केंद्र के इशारे पर काम कर रही है. चिदंबरम ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दायर अपने आवेदनों में कहा, 'इस मामले में तत्काल आपराधिक कार्रवाई एक दुर्भावनापूर्ण मामला है, जोकि राजनीतिक प्रतिशोध से पैदा हुआ है. जांच एजेंसी केंद्र के इशारे पर काम कर रही है, जो कि याचिकाकर्ता की बेदाग छवि को धूमिल करना चाहती है.' चिदंबरम ने हाईकोर्ट के समक्ष दो आवेदन पेश किए, जिनमें से एक जमानत के लिए था. इसके अलावा दूसरा आवेदन पांच सितंबर को निचली अदालत द्वारा पारित उस आदेश के खिलाफ है, जिसमें उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. चिदंबरम ने अपनी दलीलों में आगे कहा कि वह सरकार के राजनीतिक विरोधी हैं और यह राजनीतिक प्रतिशोध का एक स्पष्ट मामला है. पूर्व केंद्रीय मंत्री को पिछले गुरुवार को अदालत में पेश किए जाने के बाद विशेष सीबीआई न्यायाधीश अजय कुमार कुहर ने चिदंबरम को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. अदालत ने चिदंबरम द्वारा दायर किए गए आवेदनों को भी स्वीकार कर लिया था. इनमें जेड-श्रेणी की सुरक्षा के साथ एक खाट, बाथरूम के साथ एक अलग सेल और दवाओं की अनुमति मांगी गई थी. उन्होंने जेल में पश्चिमी शैली के शौचालय (इंग्लिश टॉयलेट) की भी मांग की थी.
दिल्‍ली सरकार ने एक अहम फैसले में सभी अध्‍यापकों को टैब बांटने का फैसला लिया है. दिल्‍ली के उप- मुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को एजुकेशन डिपार्टमेंट से कहा है कि वे आईटी डिपार्टमेंट को इसका खाका तैयार करने को कहें. एजुकेशन डिपार्टमेंट में सलाहकार अतिशि मारलीना ने कहा, 'स्‍कूल अध्‍यापकों पर से क्‍लेरिकल बोझ कम करने की मांग लंबे समय से आ रही थी. उन्‍हें अध्‍यापन के अलावा कई सारे नॉन एकेडमिक काम भी करने पड़ते हैं. इसलिए हमने यह निर्णय लिया कि सभी अध्‍यापकों को टैबलेट दिए जाएं. इसमें 15,000 गेस्‍ट टीचर्स हैं और 1,000 प्रिंसिपल्‍स और एजुकेशन डिपार्टमेंट से 100 अधिकारी शामिल हैं.' उन्‍होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अगर कोई बच्‍चा उपस्थित नहीं है तो उसका एबसेंट मार्क लगते ही वह मैसेज सीधा अभि‍भावक के पास पहुंच जाएगा. धीरे-धीरे इसमें और एप्‍स जोड़े जाएंगे. दिल्ली: स्कूलों में 25 हजार शिक्षकों की कमी, 30 के बजाय 80 छात्रों पर एक टीचर डिपार्टमेंट यह उम्‍मीद कर रहा है कि मार्च के अंत तक टीचर्स टैब पर अंक देने और रिपोर्ट कार्ड बनाने लगेंगे. मारलीना ने बताया, 'अभी कई रिकॉर्ड्स को हाथ से तैयार किया जाता है. नए सिस्‍टम में अध्‍यापक टैब पर मार्क्‍स देने लगेगा और रिपोर्ट कार्ड कंप्‍यूटर जेनरेटिड होगी. यह सिस्‍टम कई प्राइवेट स्‍कूल्‍स में है. हम अध्‍यापकों को टैब पर ट्रेनिंग मटीरियल भी देंगे. सरकार डाटा पैकेज भी निश्‍चित करेगी और देखेगी कि ऑफिशियल काम के लिए कितना डाटा आवश्‍यक है.' बता दें कि इसके लिए दिल्‍ली सरकार ने 50 करोड़ रुपए का बजट रखा है.
लेख: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है. बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों को अपराधी निशाना बना रहे हैं. इसके अलावा सायबर क्राइम से जुड़े अपराध 50 फीसदी बढ़े हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं. अपराधों में राजधानी दिल्ली जहां पहले नंबर पर है वहीं दूसरे नंबर पर मुंबई है.     नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक मुंबई में साल 2015 में बच्चों के साथ अपराध के कुल 13,921 मामले दर्ज हुए जबकि 2014 में यह आंकड़ा 8,115 था. पूरे देश में बच्चों के साथ अपराध का यह सबसे बड़ा आंकड़ा था. बुजुर्गों के साथ अपराध की वारदातों में 14.6 फीसदी की बढ़त के साथ, इस मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर रहा. अपहरण के मामले 158.7 फीसदी बढ़े, जबकि छेड़खानी की वारदातों में 23.5 फीसदी इजाफा हुआ. अपराध के सारे मामलों को मिला दें, तो 1,73,947 मामलों के साथ दिल्ली पहले नंबर पर रहा, जबकि 40,000 मामलों के साथ मुंबई दूसरे नंबर पर. आईटी शहर बेंगलुरु में भी 35,576 मामले दर्ज किए गए.टिप्पणियां मुंबई पुलिस का कहना है कि इन आंकड़ों में सुधार के लिए वह कोशिश कर रही है. मुंबई पुलिस के प्रवक्ता अशोक दुधे ने कहा " हम स्कूल-कॉलेजों और झुग्गी बस्तियों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं. स्थानीय पुलिस कर्मियों के नंबर भी सबको दिए गए हैं ताकि वे किसी भी संदेहास्पद या आपात स्थिति की सूचना दे पाएं." हालांकि कई लोगों की यह भी दलील है कि मुंबई में पुलिस फौरन मामले दर्ज करती है इसलिये यह आंकड़े बढ़े हैं. मुंबई में दस साल तक के बच्चों की गुमशुदगी के मामलों को भी अपहरण के तहत ही दर्ज किया जाता है. आईपीसी में सेक्शन 166 ए के जुड़ने से अगर कोई अफसर छेड़छाड़ या बलात्कार के मामले को दर्ज करने में ढिलाई बरतता है तो उसे दो साल की सजा हो सकती है. ऐसे प्रावधानों की वजह से भी महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध को लेकर पुलिस ज्यादा सजग हुई है. मुंबई पुलिस का कहना है कि इन आंकड़ों में सुधार के लिए वह कोशिश कर रही है. मुंबई पुलिस के प्रवक्ता अशोक दुधे ने कहा " हम स्कूल-कॉलेजों और झुग्गी बस्तियों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं. स्थानीय पुलिस कर्मियों के नंबर भी सबको दिए गए हैं ताकि वे किसी भी संदेहास्पद या आपात स्थिति की सूचना दे पाएं." हालांकि कई लोगों की यह भी दलील है कि मुंबई में पुलिस फौरन मामले दर्ज करती है इसलिये यह आंकड़े बढ़े हैं. मुंबई में दस साल तक के बच्चों की गुमशुदगी के मामलों को भी अपहरण के तहत ही दर्ज किया जाता है. आईपीसी में सेक्शन 166 ए के जुड़ने से अगर कोई अफसर छेड़छाड़ या बलात्कार के मामले को दर्ज करने में ढिलाई बरतता है तो उसे दो साल की सजा हो सकती है. ऐसे प्रावधानों की वजह से भी महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध को लेकर पुलिस ज्यादा सजग हुई है. हालांकि कई लोगों की यह भी दलील है कि मुंबई में पुलिस फौरन मामले दर्ज करती है इसलिये यह आंकड़े बढ़े हैं. मुंबई में दस साल तक के बच्चों की गुमशुदगी के मामलों को भी अपहरण के तहत ही दर्ज किया जाता है. आईपीसी में सेक्शन 166 ए के जुड़ने से अगर कोई अफसर छेड़छाड़ या बलात्कार के मामले को दर्ज करने में ढिलाई बरतता है तो उसे दो साल की सजा हो सकती है. ऐसे प्रावधानों की वजह से भी महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध को लेकर पुलिस ज्यादा सजग हुई है.
राजधानी की सभी छह जिला अदालतों में हिंदी भाषा में काम करने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिककर्ता का कहना है कि हिंदी दिल्ली की आधिकारिक भाषा है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को अंग्रेजी में याचिका दायर करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने इस मामले में अपने रजिस्ट्री विभाग से अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है. भारतीय भाषा अभियान संस्था से जुड़े वकील उमेश शर्मा ने ये याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता का दावा है कि नियमों में साफ कहा गया है कि कोर्ट में हिंदी भाषा में काम किया जाए, लेकिन किसी भी याचिका को कोर्ट मे डालने के लिए दोनों पक्षों को अंग्रेजी में अपनी अर्जी या बाकी के दस्तावेज कोर्ट मे देने के लिए कहा जाता है. याचिकाकर्ता का तर्क है कि जब इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद यूपी की जिला अदालतों मे हो सकता है तो फिर दिल्ली मे क्यों नहीं? ट्रांसलेटेड बयान पर साइन लेना सही नहीं याचिका में सवाल उठाया गया है कि अगर किसी गवाह को अंग्रेजी नहीं आती, तो फिर उसके बयान को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करना और उस पर उसका साइन लेना सही नहीं है. ऐसे मे हाई कोर्ट याचिका बनाने, डेली ऑर्डरशीट और बाकी के अपने फैसले जैसे काम हिंदी में करने का आदेश जारी करे.
बिहार के कटिहार जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक अय्याश पति अपनी अय्याशी के लिए पत्नी को ही गैर मर्दों के हाथों बेचता था. पीड़ित महिला जब इसका विरोध करती तो उसके साथ मारपीट की जाती थी. एसपी से शिकायत के बाद पुलिस आरोपी पति के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है. पीड़िता के मुताबिक, उसकी शादी को करीब चार साल हो गए हैं. चिकनी टोला गांव के रहने वाले सनोबर (बदला हुआ नाम) से उसकी शादी हुई थी. शादी के कुछ वक्त बाद तक तो सब कुछ ठीक था लेकिन एकाएक उसके पति को शराब की लत लग गई. अय्याशी के चलते सनोबर पर लाखों रुपये का कर्ज हो गया. पीड़ित महिला ने एसपी सिद्धार्थ मोहन जैन को बताया, 'कर्ज चुकाने के लिए सनोबर मेरी ही अस्मत का सौदा करने लगा. जो लोग भी कर्ज मांगने के लिए घर पर आते हैं, सनोबर उनको मुझे सौंप देता है. मुझे गैर मर्दों के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता है.' पीड़िता के आरोप सुनकर एक बार के लिए एसपी सिद्धार्थ मोहन जैन भी सन्न रह गए. पीड़िता ने एसपी को बताया कि एक बार पहले भी उसने पति की शिकायत करने का मन बनाया लेकिन थाने में शिकायत लिखने के एवज में उससे पैसों की मांग की गई. पीड़ित महिला की शिकायत सुनने के बाद एसपी ने महिला थाने को आरोपी पति के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
महात्मा गांधी से मुलाकात चैप्लिन की जिंदगी के अहम पड़ावों में से एक है. लंदन में महात्मा गांधी से मुलाकात के पहले चैप्लिन ने अपनी डायरी में लिखा था कि वो इस सोच में पड़ गए थे कि राजनीति के ऐसे माहिर खिलाड़ी से किस मुद्दे पर बात की जाए. मुलाकात के वक्त चैप्लिन ने महात्मा गांधी से पूछा कि आधुनिक समय में उनका मशीनों के प्रति विरोधी व्यवहार कितना जायज है. इसके जवाब में गांधी जी ने कहा था वो मशीनों के नहीं, बल्कि इस बात के विरोधी हैं कि मशीनों की मदद से इंसान ही इंसान का शोषण कर रहा है. इससे चैप्लिन इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस मुद्दे पर 'टाइम मशीन' नाम की एक फिल्म बना डाली.
नोएडा की रहने वाली सृष्टि कौर को मिस टीन यूनिवर्स 2017 से नवाजा गया है. उन्‍होंने इस प्रतियोगिता में दुनिया भर से आई 25 प्रतिभागियों को पिछाड़ते हुए क्राउन हासिल किया. बिटिया ने निभाया बेटे का फर्ज, मां को दिया कंधा-किया अंतिम संस्कार ये प्रतियोगिता अमेरिका के मेनेगुआ में आयोजित की गई थी. सृष्टि के साथ टॉप 3 में जगह बनाने वाले अन्‍य कंटेंस्‍टेंट मेक्सिको की एरि ट्रावा और कनाडा की समांथा पियरे रहीं. इस मौके पर सृष्‍टि को बेस्‍ट नेशनल कॉस्‍ट्यूम का अवॉर्ड भी मिला. उन्‍होंने प्रतियोगिता पर भारतीय राष्‍ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर ड्रेस पहनी थी. रिकॉर्ड तोड़ इन्होंने किया साबित, अच्छे फ्यूचर के लिए जरूरी है PASSION हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के मुताबिक, सृष्टि लोटस वैली इंटरनेशनल स्‍कूल नोएडा की पूर्व छात्रा हैं. वे अभी लंदन स्‍कूल ऑफ फैशन में पढ़ रही हैं. मिस टीन यूनिवर्स का खिताब 15 से 19 साल तक की लड़कियों को एक प्रतिस्‍पर्धा के माध्‍यम से प्रदान किया जाता है. गौरतलब है कि इससे पहले सृष्टि को मिस टीन टियारा इंटरनेशनल का खिताब भी मिल चुका है.
PM मोदी जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर चेनानी और नाशिरी के बीच देश की सबसे लंबी सड़क सुरंग का उद्घाटन करने के बाद उधमपुर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे हैं. जनसभा को संबोधित करने से पहले पीएम ने खुली जीप में जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के साथ सुरंग का का जायजा लिया. Live Update -पीएम मोदी ने बोलना शुरू किया. -प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां जो भी लोग उपस्थित हैं वो सबलोग मिलकर इसका उद्घाटन कीजिए. सबलोग अपना मोबाईल निकालिए. फ्लैश करिए. लोगों ने अपने फ्लैश से रौशनी की. -हिमालय की कोख में यह सुरंग बिछाकर हमने हिमालय की रक्षा की है. -मैं कश्मीर के नौजवानों को कहता हूं. पत्थर की ताकत क्या होती है. एक तरफ कुछ नौजवान पत्थर मारने में लगे हैं और कुछ ने पत्थर काट कर यह सुरंग बना दी. -यह सुरंग कश्मीर के लिए नए रोजगार के मार्ग खोलेगा. - कश्मीर के युवाओं को आतंकवाद और पर्यटन में एक रास्ता चुनना होगा - कश्मीर में ऐसी नौ सुरंग बनाने की योजना है. -हिंदुस्तान से कश्मीर का जुड़ाव केवल रास्तों का नहीं होगा, दिलों का नेटवर्क बनने वाला है. - इसी के साथ पीएम ने अपना भाषण समाप्त किया. सबसे बड़ी और स्मार्ट सुरंग चेनानी से नाशिरी के बीच बनी सुरंग देश की सबसे बड़ी सुरंग तो है ही सबसे स्मार्ट सुरंग भी है. इसमें विश्वस्तरीय खूबियां हैं. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं. सुरंग के भीतर ऐसे कैमरे लगे हैं जो 360 डिग्री व्यू देते हैं. साथ ही सुरंग में मोबाइल नेटवर्क से लेकर इंटरनेट तक चलता है. यह सुरंग 9.2 किलोमीटर की है, जो जम्मू के उधमपुर जिले के चिनैनी इलाके से शुरू होकर रामबन जिले के नाशरी नाला तक बनाई गई है. करीब तीन सौ किलोमीटर जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर 3720 करोड़ रुपयों की लागत से चिनैनी-नाशरी सुरंग बन कर तैयार हो गई है.
यूं तो कैबिनेट फेरबदल में प्रकाश जावड़ेकर को प्रमोशन मिला है. लेकिन HRD मंत्रालय स्मृति ईरानी से छिनना सबसे ज्यादा चर्चा में रही. इसीलिए फेरबदल के कुछ देर बाद ही स्मृति ईरानी सोशल मीडिया साइट्स पर ट्रोल होने लगीं. Smriti Irani is no more minister for education.This might be the closest we'll get to Acche Din. #ByeByeSmriti @Haryana_YC @IYC @Vishesh4 — Chitra Sarwara (@chitra_sarwara) July 6, 2016 The next generation will be now much relaxed that their future isn't as bleak #ByeByeSmriti — Youth Congress (@IYC) July 6, 2016 The biggest reform in Education System of India since 2014. #ByeByeSmriti @smritiirani — Er Azhar Quraishi (@iamazharq) July 6, 2016 Ministers ke bhi portfolio badalte hai. Naye Naye sache main dhalte hai Thank you Modi for saving the HRD ministry #ByeByeSmriti — Shubhangni Jain (@ShubhangniJain) July 6, 2016 #SmritiIrani Irani आज फिर एक बेटी के हाथ से किताब छीन कर सिलाई मशीन थमा दी गई है। — TheMurMur (@uradoofus) July 6, 2016 Finally modi govt corrected some of its mistake committed in 2014 #ByeByeSmriti — NITIN AGRAWAL (@nitinagrawall) July 6, 2016 "बहुत हुई पढ़ाई-लिखाई" "अब सीख सिलाई-कढ़ाई" (अनुकृति) #SmritiIrani https://t.co/Vf27yEkLjV — The Warrior (@VikramYodha) July 6, 2016 देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़ इक बरहमन ने कहा है के ये साल अच्छा है pic.twitter.com/P1nc3pSY4Z — Banaa de Chambal (@kamleshksingh) July 6, 2016 Smriti Irani removed from HRD ministry ? Damn ,she was the inspiration for many 10 fail students #UddGayiSmriti #smritiirani — malik kherani (@malik_kherani88) July 5, 2016 किसी ने स्मृति से HRD मंत्रालय के छिनने को शिक्षा के लिए अच्छे दिन बताया तो किसी ने यह कह दिया कि अब कपड़ों का भगवाकरण होगा. स्थिति यह रही कि गुरुवार को भी #SmritiIrani और #ByeByeSmriti जैसे हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करते रहे.
दिल्ली महिला आयोग ने एक 14 साल की किशोरी से छेड़छाड़ करने वाले दो लड़कों को गिरफ्तार करवाया है. आरोपियों ने लड़की का पीछा भी किया था. लड़की ने मदद के लिए 100 नंबर पर कॉल किया था लेकिन पीसीआर नहीं पहुंची. फिर लड़की ने 181 नंबर पर मदद के लिए कॉल की और डीसीडब्ल्यू की मदद से दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. घटना दो दिन पहले की है. पालम पुलिस स्टेशन एरिया में रहने वाली कविता (नाम परिवर्तित) शाम के समय सब्जी मंडी से घर जा रही थी. तभी दो लड़कों ने उसका पीछा करना शुरु कर दिया. सुनसान जगह पर दोनों लड़कों ने लड़की के साथ छेड़छाड़ करनी शुरु कर दी. परेशान होकर लड़की ने इस घटना के बारे में फोन करके अपनी बहन को बताया. जब उसकी बहन मौके पर पहुंची तो दोनों आरोपी लड़कों ने उसकी बहन पर हमला कर दिया और उसके साथ मारपीट की. किशोरी ने सहायता के लिए 100 नंबर पर पुलिस को कॉल की. लेकिन चार घंटे बाद भी पुलिस नहीं पहुंची. परेशान होकर किशोरी ने दिल्ली महिला आयोग की हेल्पलाइन 181 पर फोन करके मदद मांगी. इसके बाद दिल्ली महिला आयोग की मोबाइल हेल्पलाइन (एमएचएल) की काउंसलर ने पुलिस स्टेशन जाकर इस लड़की की एफआईआर दर्ज कराई. पुलिस ने पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर दोनों आरोपी लड़कों को गिरफ्तार कर लिया.
सेक्स सीडी केस में फंसे दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री संदीप कुमार को तीस हजारी कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है. संदीप कुमार को एक लाख के निजी मुचलके पर कई शर्तों के साथ जमानत दी गई है. वह पिछले दो महीने से जेल में बंद थे. जानकारी के मुताबिक, कोर्ट ने संदीप को इस शर्त पर जमानत दी है कि वो दिल्ली पुलिस को जांच मे सहयोग करेंगे. इसके अलावा पुलिस जब भी उनको पूछताछ के लिए बुलाएगी वो हाजिर हो जाएंगे. उनको गवाहों को प्रभावित नहीं करने की हिदायत मिली है. कोर्ट ने संदीप कुमार को अपना पासपोर्ट भी कोर्ट मे जमा कराने का आदेश किया है. बताते चलें कि संदीप की एक सेक्स सीडी आने के बाद पुलिस ने एक महिला की शिकायत पर उनको 3 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया था. वह तिहाड़ जेल मे बंद थे.
पूर्वी दिल्ली में 11 अक्टूबर से चल रही सफ़ाई कर्मचारियों की हड़ताल आखिरकार खत्म हो गई. बुधवार को हड़ताल के 15 वें दिन पूर्वी निगम के कर्मचारियों की मांगें पूरी होने पर काम बंद हड़ताल समाप्ति की घोषणा की गई. पूर्वी दिल्ली नगर निगम मुख्यालय में आयोजित निगम द्वारा बुलाई गई बैठक में स्थाई समिति अध्यक्ष प्रवेश शर्मा, कमिश्नर रणबीर सिंह, और निगम के उच्चाधिकारियों के साथ एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी यूनियन की विशेष बैठक रखी गयी थी, जिसमें यूनियन द्वारा रखी गई प्रमुख मांगों को निगम द्वारा मानने के उपरांत यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय गहलोत ने 11 अक्टूबर से चल रही निगम कर्मचारियों की काम बंद हड़ताल को समाप्त करने की घोषणा की. मीटिंग के दौरान यूनियन द्वारा जो मांगें रखी गई थीं, उनमें मुख्य रूप से साल 2017 तक के सभी सफाई कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, यूनियन के चुनाव जल्द कराए जाएंगे. नॉर्थ एमसीडी द्वारा बनाई गई कमेटी में एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधि को शामिल किया जाएगा और साल 2006 से हटाए गए कर्मचारियों को फिर से ड्यूटी पर बहाल किया जाएगा. यूनियन के अध्यक्ष संजय गहलोत ने बताया कि EDMCD कमिश्नर द्वारा सभी जायज़ मांगों को मान लिया गया है, वहीं दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट से दरख्वास्त की है निगम को बकाया देने हेतु दिल्ली वित्त आयोग की जो बैठक हुई है, उसकी समीक्षा के उपरांत एक सप्ताह के भीतर कोर्ट को बताया जाएगा, जिसमें कोर्ट ने आगामी सुनवाई की तारीख 3 नवंबर दी है. संजय गहलोत के मुताबिक फंड के अलावा लगभग सभी मांगों को मान लिया गया है, लिहाजा, जनता के स्वास्थ्य को देखते हुए हड़ताल वापस ली जाती है. हालांकि यूनियन ने साफ कर दिया है कि एरियर मिलने तक निगम मुख्यालय पर 286 दिनों से चल रहा अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा.
यह एक लेख है: World AIDS Day: क्या वाकई एड्स से बचाता है खतना, यहां जाने पूरा सच, क्या होता है खतना   समय के साथ-साथ हाई ब्लड शुगर (High Blood Sugar) किसी भी व्यक्ति को ह्रदय रोग (Heart Disease) और स्ट्रोक (Strock) जैसे घातक बीमारियों का शिकार बना सकता है. स्नैकिंग टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) को और मुश्किल बना देता है इसलिए स्नैकिंग से बचना ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है और ऐसा करना आसान भी है. यहां जानिए कुछ ऐसे असरदार तरीके जिनसे डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है... World AIDS Day: इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो कभी नहीं होगा एड्स! जानें एड्स के लक्षण, कारण और बचाव के तरीके दिन के अंत में भोजन करने के बाद अपने दांत जरूर साफ करें. यह आपको स्नैक्स से दूर रखने में मदद करेगा. इतना ही नहीं ये आपको ऐसा सोचने के लिए भी मजबूत करता है कि दिन का अंत हो गया है और आपकी भूख शांत रहेगी. Immunity: बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए असरदार हैं 4 टिप्स, बार-बार नहीं होंगे बीमार! कई अध्ययनों से सामने आया है कि फुल फैट वाले दूध पीने वाले लोग न केवल कम फैट वालों की तुलना में पतले होते हैं, बल्कि उनमें मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम का जोखिम भी कम होता है. इतना ही नहीं फुल फैट दूध पीने वालों लोगों में ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और फैट का स्तर बढ़ने का जोखिम कम होता है. यह सभी कारक किसी भी व्यक्ति में  हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकते हैं. Benefits Of Walking: वजन घटाने के लिए एक दिन में इतने कदम चलें... तेजी से घटेगा मोटापा! रहेंगे हेल्दी भूख को शांत रखने के लिए खूब सारा पानी पीएं. आप गुनगुने पानी में ताजी अदरक या ताजे नींबू का एक टुकड़ा भी डाल सकते हैं, जो आपको तरोंताजा रखने के साथ-साथ हाइड्रेट भी रखेगा. अगर आप को भूख लग रही है तो आप ब्लैक कॉफी और चाय भी पी सकते हैं. इससे आपका ब्लड शुगर प्रभावित नहीं होगा. Blood Sugar: बादाम है डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए रामबाण! जानें इस सुपरफूड के कमाल के फायदे भूख को अपने ऊपर हावी होने से बचाने के लिए फिटनेस प्रोग्राम बहुत ज्यादा जरूरी है. हालांकि जिस वक्त आपको भूख लग रही हो तो हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने से बचें. और खबरों के लिए क्लिक करें Blood Pressure: सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर, ऐसे पहचानें लक्षण, जानें कैसे करें कंट्रोल Diabetes: डायबिटीज को करना है कंट्रोल तो अपनाएं ये नुस्खे, असर देख रह जाएंगे हैरान! Skin Care: सर्दियों में खो न जाए स्किन का ग्लो, आजमाएं ये टिप्स पाएं, दमकती स्किन! साइनस के दर्द से मिलेगी तुरंत राहत, अपनाएं ये 6 घरेलू उपचार प्रीमेच्योर बेबी के लिए बहुत जरूरी है मां का दूध, बचाता है इस खतरनाक बीमारी से... Vitamin B12 Deficiency: क्या और क्यों होती है विटामिन बी 12 की कमी, विटामिन बी12 के स्रोत
पोण्डा की घेराबंदी 8 अप्रैल से 6 मई 1675 तक मराठा राजा शिवाजी की सेनाओं द्वारा पोण्डा के किले की घेराबंदी थी, जिसमें मराठा साम्राज्य ने बीजापुर सल्तनत को हरा कर किले पर कब्जा कर लिया। भारत के पश्चिमी तट पर उसके हमले में, मराठा राजा शिवाजी की सेनाओं ने बीजापुरी सैनिकों के कब्जे वाले पोण्डा के किले को घेर लिया। मुगल सेनापति बहलोल खान द्वारा सेना नहीं भेजे जाने के बाद शिवाजी के सैनिकों ने किले पर धावा बोल दिया। किले के कमांडर, मुहम्मद खान, गैरीसन के नरसंहार से बचने वाले कुछ लोगों में से एक था। पोंडा पर कब्जा करने के परिणामस्वरूप मराठा साम्राज्य ने कर्नाटक क्षेत्र के अधिकांश पश्चिमी भाग पर कब्जा कर लिया। References मराठा साम्राज्य भारत के युद्ध मराठों से जुड़ी लड़ाई
यह एक लेख है: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों (Maharashtra Assembly Election Results 2019) में सत्तारूढ़ बीजेपी और शिवसेना (BJP-Shiv Sena) बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है. बीजेपी और शिवसेना राज्य की कुल 288 सीटों में से 161 पर जीत दर्ज करने में सफल रही. चुनाव आयोग के मुताबिक बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की. इसी तरह शिवसेना के खाते में 56 सीटें गई हैं. कांग्रेस की बात करें तो पार्टी को 44 सीटों पर जीत मिली है. इसी तरह एनसीपी ने 53 सीटों पर जीत हासिल की है और 01 सीट पर पार्टी के उम्मीदवार आगे है. इसी तरह, निर्दलीय प्रत्याशियों के खाते में 13 सीटें गई हैं. वहीं, राज ठाकरे की पार्टी मनसे (महाराष्ट्र नव निर्माण सेना) भी एक सीट जीतने में सफल रही है.  दूसरी तरफ, हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों (Haryana Assembly Elections 2019) की बात करें तो सत्तारूढ़ बीजेपी को कुल 40 सीटें मिली हैं. हालांकि पार्टी बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटों के आंकड़े से पीछे रह गई है. इसी तरह मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को 31 सीटें मिली हैं. इन चुनावों में पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस को 16 सीटों का फायदा हुआ है. पिछली बार कांग्रेस को सिर्फ 15 सीटें ही मिली थीं.  हरियाणा में सत्ता की चाबी जेजेपी (JJP) के हाथों में जाती दिखाई दे रही है. पार्टी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसी तरह राज्य में 7 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई हैं.
प्रोटीन, जैविक स्थूलअणुओं के एक महत्वपूर्ण वर्ग हैं जो सभी जैविक अवयवों में मौजूद होते हैं और मुख्य रूप से कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन और सल्फर तत्वों से बने होते हैं। सभी प्रोटीन, अमीनो एसिड के बहुलक हैं। अपने भौतिक आकार द्वारा वर्गीकृत किए जाने वाले प्रोटीन, नैनोकण हैं (परिभाषा: 1-100 nm). प्रत्येक प्रोटीन बहुलक - जिसे पॉलीपेप्टाइड के रूप में भी जाना जाता है - 20 अलग-अलग L-α अमीनो एसिड के अनुक्रम से बने होते हैं, जिन्हें अवशेष के रूप में भी उद्धृत किया जाता है। 40 अवशेषों के अंतर्गत श्रृंखला के लिए प्रोटीन के बजाय अक्सर पेप्टाइड शब्द का प्रयोग किया जाता है। अपने जैविक कार्यों को संपादित करने में सक्षम होने के लिए, प्रोटीन, ek या एक से अधिक विशिष्ट स्थानिक रचना में बिखर जाते हैं, जो कई गैर-सहसंयोजक अंतर्क्रिया द्वारा संचालित होते हैं जैसे हाइड्रोजन बॉन्डिंग, आयनिक अंतर्क्रिया, वान डेर वाल्स बल और जलभीतिक पैकिंग. एक आणविक स्तर पर प्रोटीन के कार्यों को समझने के लिए, उनकी त्रि-आयामी संरचना को निर्धारित करना अक्सर आवश्यक होता है। यह संरचनात्मक जीव-विज्ञान के वैज्ञानिक क्षेत्र का विषय है, जो प्रोटीन की संरचना को निर्धारित करने के लिए एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी, NMR स्पेक्ट्रोस्कोपी और दोहरा ध्रुवीकरण व्यतिकरण-मापी जैसी तकनीकों को लागू करता है। एक विशेष जैव रासायनिक क्रिया संपादित करने के लिए अवशेष की कुछ विशिष्ट संख्या की आवश्यक होती है और करीब 40-50 अवशेष, कार्यात्मक डोमेन आकार के लिए निचली सीमा प्रतीत होते हैं। प्रोटीन आकार, इस निम्न सीमा से लेकर बहु-कार्यात्मक या संरचनात्मक प्रोटीन में कई हजार अवशेष तक होते हैं। हालांकि, प्रोटीन की औसत लंबाई का वर्तमान आकलन 300 अवशेष के आस-पास है। प्रोटीन उपइकाई से बहुत बड़ा समुच्चय गठित किया जा सकता है: उदाहरण के लिए, एक माइक्रोफिलामेंट में इकठ्ठा कई हजार एक्टिन अणु.g प्रोटीन संरचना के स्तर जीव रसायन-विज्ञान, एक प्रोटीन संरचना के चार अलग पहलुओं को दर्शाता है: प्राथमिक संरचना पेप्टाइड श्रृंखला का अमीनो एसिड अनुक्रम. माध्यमिक संरचना अत्यधिक नियमित उप-संरचनाएं (अल्फ़ा हेलिक्स और बीटा प्लीटेड शीट के स्ट्रैंड), जो स्थानीय रूप से परिभाषित हैं, अर्थात् एक एकल प्रोटीन अणु में कई विभिन्न माध्यमिक रूपांकन उपस्थित हो सकते हैं। तृतीयक संरचना एक एकल प्रोटीन अणु की तीन-आयामी संरचना; माध्यमिक संरचनाओं की एक स्थानिक व्यवस्था। यह, पूरी तरह से मुड़े और ठोस पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का भी वर्णन करता है। चतुर्धातुक संरचना प्रोटीन के कई अणुओं या पॉली पेप्टाइड श्रृंखला के संकुल, जिन्हें आम तौर पर इस संदर्भ में प्रोटीन उप-इकाई कहा जाता है, जो एक बड़े जमाव या प्रोटीन संकुल के हिस्से के रूप में कार्य करते हैं। संरचना के इन स्तरों के अलावा, एक प्रोटीन अपनी जैविक क्रियाओं को संपादित करते हुए कई समान संरचनाओं के बीच बदलाव कर सकता है। यह प्रक्रिया पलट भी सकती है। इन कार्यात्मक पुनर्व्यवस्था के संदर्भ में ये तृतीयक या चतुर्धातुक संरचना को आम तौर पर रासायनिक रचना के रूप में संदर्भित किया जाता है और उनके बीच संक्रमण को रचनात्मक परिवर्तन कहा जाता है। प्राथमिक संरचना, कोवैलेन्ट या पेप्टाइड बॉन्ड द्वारा बंधी रहती है, जिनका निर्माण प्रोटीन बायोसिन्थेसिस या उद्ग्रहण की प्रक्रिया के दौरान होता है। ये पेप्टाइड बॉन्ड, प्रोटीन को कठोरता प्रदान करते हैं। अमीनो एसिड श्रृंखला के दो छोर को C-टर्मिनल छोर या कार्बोज़ाइल टर्मिनस (C-टर्मिनस) कहा जाता है और N-टर्मिनल छोर या अमीनो टर्मिनस (N-टर्मिनस), प्रत्येक छोर पर मुक्त समूह की प्रकृति के आधार पर. माध्यमिक संरचना के विभिन्न प्रकार, मुख्य श्रृंखला के पेप्टाइड समूहों के बीच हाइड्रोजन बॉन्ड की पद्धति द्वारा परिभाषित होते हैं। हालांकि, ये हाइड्रोजन बॉन्ड आम तौर पर खुद में स्थिर नहीं होते हैं, क्योंकि जल-तिक्तेय हाइड्रोजन बॉन्ड, आम तौर पर तिक्तेय-तिक्तेय हाइड्रोजन बॉन्ड की तुलना में अधिक अनुकूल होते हैं। इस प्रकार, माध्यमिक संरचना सिर्फ तभी स्थिर होती है जब जल की स्थानीय संकेंद्रता पर्याप्त रूप से न्यून होती है, जैसे, पिघली हुई गोलिका में या पूरी तरह दोहरी स्थिति में. इसी तरह, पिघली हुई गोलिका का गठन और तृतीयक संरचना, मुख्य रूप से संरचनात्मक आधार पर गैर-विशिष्ट अंतर्क्रिया द्वारा प्रेरित होती है, जैसे अमीनो एसिड और जलभीतिक अंतर्क्रिया की रूखी प्रवृत्ति. हालांकि, तृतीयक संरचना सिर्फ तभी निश्चित होती है जब एक प्रोटीन डोमेन के हिस्से संरचनात्मक आधार पर विशिष्ट अंतर्क्रिया द्वारा जगह पर बंद कर दिए जाते हैं, जैसे आयनिक अंतर्क्रिया (लवण सेतु), हाइड्रोजन बॉन्ड और पक्ष श्रृंखला की तंग पैकिंग. बाह्य-कोशीय प्रोटीन की तृतीयक संरचना को भी डीसल्फाइड बॉन्ड द्वारा स्थिर किया जा सकता है, जो बिना दोहराव की स्थिति की एन्ट्रोपी को कम कर देता है; डीसल्फाइड बॉन्ड, साइटोसोलिक प्रोटीन में अत्यंत दुर्लभ हैं, क्योंकि साइटोसोल, आम तौर पर एक न्यूनीकरण माहौल है। प्राथमिक संरचना भिन्न अमीनो एसिड का अनुक्रम, प्रोटीन या पेप्टाइड की प्राथमिक संरचना कहलाता है। अवशेषों की गिनती हमेशा N-टर्मिनल छोर पर शुरू होती है (NH2 समूह), वह छोर, जहां अमीनो समूह, पेप्टाइड बॉन्ड में शामिल है। एक प्रोटीन की प्राथमिक संरचना, उस जीन से निर्धारित होती है जो उस प्रोटीन के साथ मेल खाता है। DNA में न्युक्लियोटाइड का एक विशिष्ट अनुक्रम mRNA में प्रतिरूपित होता है, जिसे रूपांतरण कही जाने वाली एक प्रक्रिया में राइबोज़ोम द्वारा पढ़ा जाता है। एक प्रोटीन का अनुक्रम उस प्रोटीन के लिए अनोखा होता है और उस प्रोटीन की संरचना और क्रिया को परिभाषित करता है। एक प्रोटीन के अनुक्रम को एडमन डीग्रडेशन या टेन्डम मास स्पेक्ट्रोमेट्री जैसे तरीकों द्वारा निर्धारित किया जा सकता है। लेकिन अक्सर, इसे उस जीन के अनुक्रम से सीधे पढ़ा जाता है जो आनुवंशिक कोड का उपयोग करता है। रूपांतरण-पश्चात के संशोधन, जैसे डीसल्फाइड निर्माण, फोस्फोरिलेशन और ग्लाइकोजाईलेशन को भी आम तौर पर प्राथमिक संरचना का एक हिस्सा माना जाता है और उसे जीन से नहीं पढ़ा जा सकता है। माध्यमिक संरचना बॉन्ड की लंबाई और कोण जैसी ज्ञात जानकारी का उपयोग करते हुए पेप्टाइड्स के मॉडल के निर्माण द्वारा, माध्यमिक संरचना के प्रथम तत्वों, अल्फा हेलिक्स और बीटा शीट को लिनस पौलिंग और सहकर्मियों द्वारा 1951 में सुझाया गया था। इन दो माध्यमिक संरचना तत्वों में प्रत्येक के पास एक नियमित ज्यामिति है, जिसका अर्थ है कि वे डीहाइड्रल कोण ψ और φ के विशिष्ट मूल्य से बंधे हैं। इस प्रकार, उन्हें रामचंद्रन प्लॉट के एक विशेष क्षेत्र में पाया जा सकता है। अल्फा हेलिक्स और बीटा शीट, दोनों ही पेप्टाइड रीढ़ में सभी हाइड्रोजन बॉन्ड दाताओं और स्वीकारकर्ताओं को तृप्त करने का एक तरीका प्रदर्शित करते हैं। ये माध्यमिक संरचना तत्व, केवल पॉलीपेप्टाइड मुख्य श्रृंखला के गुणों पर निर्भर करते हैं, यह समझाते हुए कि क्यों वे सभी प्रोटीन में मौजूद होते हैं। प्रोटीन का वह हिस्सा जो नियमित माध्यमिक संरचना में नहीं है, उसे एक "गैर-नियमित संरचना" कहा जाता है (यादृच्छिक कॉयल के साथ मिश्रित नहीं किया जाना चाहिए, एक खुली पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला जिसमें किसी भी त्रि-आयामी संरचना की कमी है). उसी हेलिक्स के कुछ और निरूपण को दाईं तरफ दिखाया गया है। सुपरमाध्यमिक संरचना माध्यमिक संरचना के तत्वों को आम तौर पर, विभिन्न किस्मों की गांठ और मोड़ों का उपयोग करते हुए एक ठोस आकार में मोड़ा जाता है। माध्यमिक संरचनाएं, सुपरमाध्यमिक संरचनाओं के गठन के लिए हाइड्रोजन बॉन्ड द्वारा बंध जाते हैं जैसे ग्रीक की. एक विस्तृत उदाहरण के लिए देखें सुपरमाध्यमिक संरचना. यह भी कई वैज्ञानिकों द्वारा सुझाया गया है कि माध्यमिक संरचना केवल अमीनो एसिड अनुक्रम के द्वारा ही निर्धारित होती है। तृतीयक संरचना माध्यमिक संरचना के तत्वों को आम तौर पर, विभिन्न किस्मों की गांठ और मोड़ों का उपयोग करते हुए एक ठोस आकार में मोड़ा जाता है। तृतीयक संरचना का निर्माण आम तौर पर जलभीतिक अवशेष के दफन द्वारा प्रेरित होता है, लेकिन अन्य अंतर्क्रिया जैसे हाइड्रोजन बॉन्डिंग, आयनिक अंतर्क्रिया और डीसल्फाइड बॉन्ड भी तृतीयक संरचना को स्थिर कर सकते हैं। तृतीयक संरचना में ऐसी सभी गैर-सहसंयोजक अंतर्क्रिया शामिल हैं जिन्हें माध्यमिक संरचना नहीं माना जाता है और जो प्रोटीन के समग्र तह को परिभाषित करता है और आम तौर पर प्रोटीन की क्रियाओं के लिए अपरिहार्य है। चतुर्धातुक संरचना चतुर्धातुक संरचना, पेप्टाइड बॉन्ड की कई श्रृंखलाओं के बीच अंतर्क्रिया है। व्यक्तिगत श्रृंखला, उपइकाई कहलाती हैं। व्यक्तिगत उप-इकाई आम तौर पर सहसंयोजक तरीके से नहीं जुड़ी होती है, लेकिन एक डीसल्फाइड बॉन्ड से जुड़ी हो सकती है। सभी प्रोटीन में चतुर्धातुक संरचना नहीं होती है, क्योंकि वे मोनोमर्स की तरह कार्यात्मक हो सकते हैं। चतुर्धातुक संरचना को उसी श्रेणी की अंतर्क्रिया द्वारा स्थिर किया जाता है जिससे तृतीयक संरचना को किया जाता है। दो या दो से अधिक पॉलीपेप्टाइड के संकुल (यानी कई उपइकाई) को मल्टीमर कहा जाता है। विशेष रूप से यदि इसमें दो उपइकाई है तो इसे एक डाईमर कहा जाएगा, अगर तीन उपइकाई शामिल है तो ट्राईमर और चार उपइकाई के शामिल होने पर टेट्रामर कहा जाएगा. ये उपइकाईयां एक-दूसरे से आम तौर पर समरूपता धुरी द्वारा संबंधित हैं, जैसे डाईमर में एक 2-फोल्ड धुरी. समान उपइकाइयों से बने मल्टीमर को एक "होमो-" उपसर्ग के साथ संदर्भित किया जा सकता है (उदाहरण एक होमोटेट्रामर) और जो अलग-अलग उपइकाइयों से बने होते हैं उन्हें एक "हेट्रो-" उपसर्ग के साथ संदर्भित किया जा सकता है (जैसे एक हेट्रोटेट्रामर, जैसे हीमोग्लोबिन की दो अल्फा और दो बीटा श्रृंखला). ''''''''== अमीनो एसिड की संरचना == एक α-एमिनो एसिड, एक ऐसे हिस्से से बना होता है जो सभी प्रकार के एमिनो एसिड में मौजूद होता है और एक पक्ष श्रृंखला से जो अवशेषों के प्रत्येक प्रकार के लिए अद्वितीय होता है। Cα परमाणु, 4 भिन्न परमाणुओं से बंधे होते हैं: एक हाइड्रोजन परमाणु (चित्र में H को छोड़ा गया है), एक एमिनो समूह नाइट्रोजन, एक कार्बोज़ाइल समूह कार्बन और इस प्रकार के अमीनो एसिड के लिए विशेष एक साइड चेन कार्बन. इस नियम का अपवाद है प्रोलाइन, जहां हाइड्रोजन परमाणु, पक्ष की श्रृंखला पर एक बॉन्ड द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। क्योंकि कार्बन परमाणु चार अलग-अलग समूहों के साथ बंधा होता है जिसके साथ वह काइरल है, लेकिन समावयव में से केवल एक ही जैविक प्रोटीन में मौजूद होता है। ग्लाईसीन हालांकि, काइरल नहीं है क्योंकि इसकी पक्ष श्रृंखला एक हाइड्रोजन परमाणु है। सही L-फॉर्म के लिए एक सरल स्मरक है "CORN": जब Cα परमाणु को सामने H के साथ देखा जाता है, तो अवशेष पर दक्षिणावर्त दिशा में लिखा होता है "CO-R-N". पक्ष श्रृंखला, α-एमिनो एसिड के रासायनिक गुण को निर्धारित करता है और 20 विभिन्न पक्ष श्रृंखला के किसी भी एक को: स्वाभाविक रूप से मौजूद होने वाले 20 अमीनो एसिड को उनके रासायनिक गुणों के आधार पर कई समूहों में विभाजित किया जा सकता है। महत्वपूर्ण कारकों में है चार्ज, हाइड्रोफोबिसिटी/हाइड्रोफिलीसिटी, आकार और कार्यात्मक समूह. जलीय पर्यावरण के साथ विभिन्न पक्ष श्रृंखला की अंतर्क्रिया की प्रकृति, प्रोटीन संरचना को ढालने में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। हाइड्रोफोबिक पक्ष श्रृंखला, प्रोटीन के बीच में दबी होती है, जबकि हाइड्रोफिलिक पक्ष श्रृंखला विलायक के संपर्क में रहती है। हाइड्रोफोबिक अवशेषों के उदाहरण हैं: ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन, फेनिलएलनिन और वालीन और एक हद तक टाइरोसीन, एलानीन और ट्रिपटोफैन. पक्ष श्रृंखला का चार्ज प्रोटीन संरचनाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि आयन बॉन्डिंग प्रोटीन संरचनाओं को स्थिर कर सकता है और प्रोटीन के बीच में एक गैर-युग्मित चार्ज संरचना को बाधित कर सकता है। चार्ज अवशेष, बहुत अधिक हाइड्रोफिलिक होते हैं और आम तौर पर प्रोटीन के बाहर की ओर पाए जाते हैं। धनात्मक रूप से चार्ज पक्ष श्रृंखला, लाइसीन और आर्गीनीन में पाई जाती है और कुछ मामलों में हिस्टीडीन में. ऋणात्मक चार्ज ग्लुटामेट और एस्परटेट में पाए जाते हैं। शेष अमीनो एसिड में आम तौर पर विभिन्न कार्यात्मक समूहों वाली छोटी हाइड्रोफिलिक पक्ष श्रृंखला होती है। सेरीन और थ्रेओनीन में हाइड्रोक्सील समूह होता है और एस्परगिन और ग्लुटामिन में अमाइड समूह होता है। कुछ अमीनो एसिड में विशेष गुण होते हैं, जैसे सिसटाइन, जो अन्य सिसटाइन, प्रोलाइन के साथ जो चक्रीय हैं कोवैलेन्ट डिसल्फाइड बॉन्ड बना सकता है और ग्लिसीन जो छोटा और अन्य एमिनो एसिड की तुलना में अधिक लचीला है। पेप्टाइड बॉन्ड (अमाइड बॉन्ड) दो अमीनो एसिड को संक्षेपण अभिक्रिया में संयुक्त किया जा सकता है। इस अभिक्रिया को दोहराकर, अवशेषों की लंबी श्रृंखला (पेप्टाइड बॉन्ड में अमीनो एसिड) को उत्पन्न किया जा सकता है। यह अभिक्रिया राइबोजोम द्वारा उत्प्रेरित होती है और उस प्रक्रिया को रूपांतरण के रूप में जाना जाता है। पेप्टाइड बॉन्ड, डबल बॉन्ड से इलेक्ट्रॉन के गैर-स्थानीयकरण के कारण वास्तव में प्लानर हैं। कठोर पेप्टाइड डिहेड्राल कोण, ω (N और C1 के बीच बॉन्ड) हमेशा 180 डिग्री के नज़दीक होता है। डिहेड्राल कोण phi φ (Cα और N के बीच बॉन्ड) और psi ψ (Cα और C1 के बीच बॉन्ड) में संभावित मान की एक निश्चित श्रेणी हो सकती है। ये कोण एक प्रोटीन की स्वतंत्रता के स्तर हैं, वे प्रोटीन की तीन आयामी संरचना का नियंत्रण करते हैं। वे ज्यामिति द्वारा सीमित होते हैं ताकि विशिष्ट माध्यमिक संरचना तत्वों के लिए विशिष्ट श्रेणियों को अनुमति दे सकें और रामचंद्रन प्लॉट में प्रदर्शित होते हैं। कुछ महत्वपूर्ण बॉन्ड लंबाई नीचे तालिका में दी गई है। पक्ष-श्रृंखला रचना और रोटामर्स पक्ष श्रृंखला के साथ लगे हुए परमाणुओं को ग्रीक वर्णमाला क्रम में ग्रीक अक्षरों द्वारा नाम दिया जाता है: α, β, γ, δ, є और इसी तरह. Cα रीढ़ के उस कार्बन परमाणु को संदर्भित करता है जो उस अमीनो एसिड, Cβ के कार्बोनिल समूह के निकटतम है, दूसरा सबसे निकटतम और इसी तरह आगे. Cα रीढ़ का एक हिस्सा है, जबकि Cβ और बाहर के परमाणु, पक्ष श्रृंखला का निर्माण करते हैं। इन परमाणुओं के बीच बॉन्ड के आसपास के डिहेड्रल कोण को χ1, χ2, χ3 आदि नाम दिया गया है। पक्ष श्रृंखला के प्रथम गतिशील परमाणु का डिहेड्रल कोण, , जिसे परिभाषित किया गया है N-C-C- के रूप में, उसे नाम दिया है χ1. अधिकांश पक्ष श्रृंखला, भिन्न रचना में हो सकते हैं जिसे गौश (-), ट्रांस और गौश (+) कहा जाता है। पक्ष श्रृंखला, आम तौर पर कंपित रचना में χ2 के आसपास आने का एक प्रयास करती हैं, जो प्रतिस्थापन परमाणुओं के इलेक्ट्रॉन कक्षीय के बीच ओवरलैप के न्यूनीकरण द्वारा प्रेरित होती है। पक्ष-श्रृंखला की रचना की विविधता अक्सर रोटामर लाइब्रेरी में व्यक्त की जाती है। एक रोटामर लाइब्रेरी, पक्ष-श्रृंखला स्वतंत्रता के स्तर वाले प्रोटीन में प्रत्येक प्रकार के अवशेष के लिए रोटामर्स का संग्रह है। रोटामर लाइब्रेरीयों में आम तौर पर रचना और एक निश्चित रचना की आवृत्ति, दोनों के बारे में जानकारी होती है। लाइब्रेरियों में अक्सर डिहेड्रल कोण तरीके या पद्धति के बारे में विचरण के बारे में जानकारी शामिल होती है, जिसे नमूनों में इस्तेमाल किया जा सकता है। पक्ष-श्रृंखला डिहेड्रल कोण, समान रूप से वितरित नहीं हैं, लेकिन अधिकांश पक्ष-श्रृंखला प्रकार के लिए, कोण, किसी निश्चित मूल्यों के आसपास और तंग समूहों में मौजूद होते हैं। रोटामर लाइब्रेरियों को इसलिए आम तौर पर प्रोटीन की ज्ञात संरचनाओं में पक्ष-श्रृंखला रचना के सांख्यिकीय विश्लेषण से निकाला जाता है जिसके लिए पाई गई रचना को इकठ्ठा किया जाता है या डिहेड्रल कोण स्थान को बिन में विभाजित करके और फिर प्रत्येक बिन में एक औसत रचना का निर्धारण करके. यह विभाजन आम तौर पर भौतिक, रासायनिक आधार पर होता है, जैसा कि SP3-SP3 बॉन्ड के रोटेशन का 120° बिन में विभाजन जो प्रत्येक कम्पित रचना पर केन्द्रित होता है (60°, 180°,-60°). रोटामर लाइब्रेरियां रीढ़-स्वतंत्र, माध्यमिक-संरचना पर निर्भर, या रीढ़-निर्भर हो सकती हैं। भेद को इस आधार पर किया जाता है कि क्या रोटामर के लिए डिहेड्रल कोण और/या उनकी आवृत्तियां स्थानीय रीढ़ रचना पर निर्भर करती हैं या नहीं। रीढ़-स्वतंत्र रोटामर लाइब्रेरियां, रीढ़ रचना को संदर्भित नहीं करती हैं और इनकी गणना एक निश्चित प्रकार की उपलब्ध पक्ष-श्रृंखला से की जाती है। माध्यमिक-संरचना पर निर्भर लाइब्रेरियां, भिन्न डिहेड्रल कोण और/या -हेलिक्स, -शीट के लिए रोटामर आवृत्तियां या कॉयल माध्यमिक संरचनाओं को प्रस्तुत करती हैं। रीढ़-निर्भर रोटामर लाइब्रेरियां रचना और/या स्थानीय आवृत्तियों पर निर्भर रीढ़ रचना जैसा कि रीढ़ डिहेड्रल कोण और द्वारा परिभाषित है, माध्यमिक संरचना पर ध्यान दिए बिना. अंत में, रीढ़-निर्भर रोटामर लाइब्रेरी का भिन्न रूप, स्थिति विशेष रोटामर के रूप में मौजूद है, जो आम तौर पर 5 अमीनो एसिड की लंबाई वाले टुकड़े से परिभाषित होता है, जहां केंद्रीय अवशेष की पक्ष श्रृंखला रचना की जांच होती है। प्रोटीन संरचना में डोमेन, रूपांकन और परत कई प्रोटीन, कई इकाइयों में व्यवस्थित होते हैं। एक संरचनात्मक डोमेन, प्रोटीन की समग्र संरचना का तत्त्व है जो स्वयं-स्थिर है और शेष प्रोटीन श्रृंखला से अक्सर स्वतन्त्र रूप से मुड़ता है। कई डोमेन, एक जीन या जीन परिवार के प्रोटीन उत्पादों के लिए अनोखे नहीं होते हैं बल्कि विभिन्न प्रोटीन में दिखाई देते हैं। डोमेन को अक्सर नाम दिया जाता है और उन्हें बाहर किया जाता है क्योंकि वे उस प्रोटीन की जैविक क्रियाओं में प्रमुख रूप से उपस्थित होते हैं जिसके अंतर्गत वे आते हैं; उदाहरण के लिए "काल्मोडुलिन का कैल्शियम-बाइंडिंग डोमेन". क्योंकि वे स्वयं-स्थिर हैं, डोमेन को आनुवांशिक इंजीनियरिंग द्वारा, काइमेरा बनाने के लिए एक प्रोटीन से दूसरे प्रोटीन में "बदला" जा सकता है। इस अर्थ में एक रूपांकन, संरचनात्मक माध्यमिक तत्वों के एक छोटे विशिष्ट संयोजन को दर्शाता है (जैसे हेलिक्स-टर्न-हेलिक्स). इन तत्वों को अक्सर सुपरमाध्यमिक संरचना कहा जाता है। फोल्ड का तात्पर्य एक वैश्विक प्रकार की व्यवस्था से होता है, जैसे हेलिक्स बंडल या बीटा-बैरल. संरचना रूपांकन आम तौर पर, केवल कुछ तत्वों से मिलकर बने होते हैं, जैसे 'हेलिक्स-टर्न-हेलिक्स' में सिर्फ तीन हैं। ध्यान दें कि जबकि एक रूपांकन के सभी उदाहरणों में तत्वों के स्थानिक अनुक्रम समान हैं, अंतर्निहित जीन के भीतर उन्हें किसी भी क्रम में कूटित किया जा सकता है। संरचनात्मक प्रोटीन रूपांकनों में अक्सर चर लंबाई और अनिर्दिष्ट संरचना के लूप शामिल होते हैं, जो प्रभावस्वरूप "स्लैक" का निर्माण करता है जो उन दो तत्वों को स्थान में लाने के लिए आवश्यक है जो सबसे निकटवर्ती DNA अनुक्रम द्वारा कूटित नहीं होते हैं। यह भी ध्यान दें है कि यहां तक कि, जब दो जीन, एक ही क्रम में एक रूपांकन के माध्यमिक संरचनात्मक तत्वों को कूटित करते हैं, तब पर भी वे अमीनो एसिड के, कुछ हद तक भिन्न कनुक्रम को निर्दिष्ट कर सकते हैं। यह न केवल तृतीयक और प्राथमिक संरचना के बीच जटिल संबंधों की वजह से सच है, बल्कि इसलिए क्योंकि तत्वों का आकार एक प्रोटीन से दूसरे प्रोटीन में बदलता है। इस तथ्य के बावजूद कि युकैरीओटिक सिस्टम में करीब 100,000 प्रोटीन व्यक्त किए गए हैं, वहां अपेक्षाकृत कम भिन्न डोमेन, संरचनात्मक रूपांकन और मोड़ हैं। यह आंशिक रूप से विकास का एक परिणाम है, क्योंकि जीन और जीन के हिस्से दोगुने किए जा सकते हैं या जीनोम के भीतर चलाए जा सकते हैं। इसका मतलब है कि, उदाहरण के लिए, एक प्रोटीन डोमेन को एक प्रोटीन से दूसरे में ले जाया जा सकता है और इस प्रकार प्रोटीन को एक नया कार्य सौंपा जा सकता है। इन तंत्रों वजह से मार्गों और तंत्रों का कई अलग-अलग प्रोटीन में पुनः उपयोग किया जा सकता है। प्रोटीन तह एक बिना तह किया हुआ पॉलीपेप्टाइड, यादृच्छिक कॉयल से तीन-आयामी संरचना की अपनी विशेषता में फोल्ड होता है। प्रोटीन संरचना का निर्धारण प्रोटीन डाटा बैंक में उपलब्ध लगभग 90% प्रोटीन संरचनाओं का एक्स रे क्रिस्टलोग्राफी द्वारा निर्धारण किया गया है। यह विधि प्रोटीन (क्रिस्टल रूप में) में इलेक्ट्रॉन के 3D घनत्व वितरण को मापने की अनुमति देती है और जिससे किसी विशिष्ट रिजोल्यूशन में निर्धारित किये जाने वाले सभी परमाणुओं का 3D निर्देशांक का अनुमान लगाया जा सकता है। मोटे तौर पर, ज्ञात प्रोटीन संरचनाओं में 9% को परमाणु चुंबकीय अनुनाद तकनीक द्वारा प्राप्त किया जाता है, जिसका इस्तेमाल माध्यमिक संरचना को निर्धारित करने के लिए भी किया जा सकता है। ध्यान दें कि समग्र रूप से माध्यमिक संरचना के पहलुओं को अन्य जैव रासायनिक तकनीकों के माध्यम से निर्धारित किया जा सकता है, जैसे कि सर्कुलर डाईक्रोइज़म या डुअल पोलराईज़ेशन इंटरफेरोमेट्री. एक उच्च सटीकता के साथ माध्यमिक संरचना को पूर्वानुमानित भी किया जा सकता है (अगला अनुभाग देखें). क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, हाल के समय में उच्च रेजोल्यूशन में प्रोटीन संरचनाओं का निर्धारण करने का साधन बन गई है (5 आंग्सस्टोर्म से कम या 0.5 नैनोमीटर) और अगले दशक में एक उच्च रेजोल्यूशन के लिए एक उपकरण के रूप में इसके अधिक शक्तिशाली होने की अपेक्षा की जाती है। यह तकनीक उन शोधकर्ताओं के लिए अभी भी एक बहुमूल्य संसाधन है जो बहुत बड़े प्रोटीन संकुल के साथ काम करते हैं जैसे वायरस कोट प्रोटीन और एमीलोयड फाइबर. संरचना वर्गीकरण प्रोटीन संरचनाओं को उनकी समानता या आम विकासवादी मूल के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। SCOP और CATH डेटाबेस, दो भिन्न संरचनात्मक वर्गीकरण प्रदान करते हैं। प्रोटीन संरचना का अभिकलनात्मक पूर्वानुमान प्रोटीन अनुक्रम का निर्माण प्रोटीन संरचना के निर्माण की तुलना में बहुत सरल है। हालांकि, प्रोटीन की संरचना, उसके अनुक्रम की तुलना में प्रोटीन की क्रियाओं की अधिक जानकारी देती है। इसलिए, प्रोटीन संरचना के उसके अनुक्रम से अभिकलनात्मक पूर्वानुमान के लिए कई तरीकों को प्रस्तावित किया गया है। प्रारंभिक'' पूर्वानुमान तरीके प्रोटीन के बस अनुक्रम का उपयोग करते हैं। थ्रेडिंग मौजूदा प्रोटीन संरचनाओं का उपयोग करता है। ज्ञात संरचना के एक या एक से अधिक प्रोटीन से अज्ञात संरचना के एक प्रोटीन के एक विश्वसनीय 3D मॉडल बनाने के लिए अनुरूपता मॉडलिंग. प्रोटीन संरचना पूर्वानुमान में हाल की प्रगति और चुनौतियों की जांग द्वारा समीक्षा की गई. प्रोटीन संरचना से संबंधित सॉफ्टवेयर प्रोटीन संरचना के विभिन्न पहलुओं पर, अक्सर अतिव्यापी, काम कर रहे शोधकर्ताओं की सहायता के लिए सॉफ्टवेयर मौजूद हैं। सबसे बुनियादी कार्यशीलता, संरचना कल्पना प्रदान करती है। प्रोटीन संरचना के विश्लेषण को ऐसे सॉफ्टवेयर द्वारा सरल किया जा सकता जो संरचना को पंक्तिबद्ध करता है। दिए गए प्रोटीन अनुक्रम के लिए एक मौजूदा संरचनाओं के अभाव में, ऐसे तरीके मौजूद हैं जिनसे ज्ञात प्रोटीन संरचना पर आधारित ऐसे अनुक्रम की संरचना को पूर्वानुमानित या स्वरूपित किया जा सकता है। और ज्ञात या पूर्वानुमानित संरचनाओं के दिए गए मॉडल से कोई व्यक्ति सॉफ्टवेयर का उपयोग त्रुटियों के लिए उनको सत्यापित करने हेतु, प्रोटीन रचना परिवर्तन के पूर्वानुमान के लिए, या अधःस्तरीय बाध्यकारी साइटों के पूर्वानुमान के लिए कर सकता है। इन्हें भी देखें प्रोटीन गतिशीलता सन्दर्भ अतिरिक्त पठन (NMR डाटा से संरचना निर्धारण के लिए बायेसियन अभिकलनात्मक पद्धति) बाहरी कड़ियाँ SSS Database - सुपर-माध्यमिक प्रोटीन संरचना डेटाबेस SPROUTS (स्ट्रक्चरल प्रेडिक्शन फॉर प्रोटीन फोल्डिंग यूटिलिटी सिस्टम) ProSA-web - प्रयोगात्मक या सिद्धांततः निर्धारित प्रोटीन संरचनाओं में त्रुटियों की पहचान के लिए एक वेब सेवा NQ-Flipper - प्रोटीन संरचनाओं में Asn और Gln अवशेष के प्रतिकूल रोटामर के लिए जांच WHAT IF servers - प्रोटीन संरचना के करीब 200 पहलुओं की जांच करता है, जैसे पेकिंग, ज्यामिति, Asn, Gln के लिए सामान्य रूप से प्रतिकूल रोटामर की, विशेष रूप से, अजीब पानी अणु, रीढ़ रचना, एटम नामकरण, समरूपता मानक, आदि Bioinformatics course - एक इंटरैक्टिव, पूरी तरह से स्वतंत्र, पाठ्यक्रम जो wiki की इस प्रविष्टि में चर्चा किए गए पहलुओं की व्याख्या करता है। गूगल परियोजना
1. AAP का 'लोगो' बनाने वाले ने वापस मांगा अपना डिजाइन आम आदमी पार्टी (AAP) का 'लोगो' डिजाइन करने वाले सुनील कुमार ने अपना 'लोगो' वापस मांगा है. AAP संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर उन्होंने यह मांग की है. पढ़ें पूरी खबर 2. किसानों के लिए पीएम का बड़ा एलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली में 'मुद्रा बैंक' योजना का उद्घाटन किया. इसके साथ ही 50 फीसदी की जगह अब 33 फीसदी फसल के नुकसान पर ही मिलेगा डेढ़ गुना बढ़ा हुआ मुआवजा. पढ़ें पूरी खबर 3. राज्यपाल से UP सरकार गिराने में मदद चाहती थी BJP? मिजोरम से हटाये गए पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने एक 'रहस्यमयी' बीजेपी नेता पर सनसनीखेज आरोप लगाया है. भोपाल में उन्होंने कहा है कि बीजेपी के एक बड़े नेता ने उनसे उत्तराखंड की हरीश रावत और उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को हटाने में मदद करने को कहा था. पढ़ें पूरी खबर 4. जूदेव के भाई विक्रमादित्य की तलाश तेज, पुलिस पर उठे सवाल गाड़ी से प्रिंसिपल को कुचलने के मामले में BJP सांसद रणविजय सिंह जूदेव के भाई विक्रमादित्य की तलाश तेज कर दी गई है. छत्तीसगढ़ पुलिस उसे तीन राज्यों में तलाश रही है. पढ़ें पूरी खबर 5. रोड रेज केस में झूठ फैला रही BJP: AAP दिल्ली के तुर्कमान गेट के पास हुए रोड रेज हादसे में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सवाल उठाए हैं. AAP ने कहा कि उसका हत्यारों से कोई लेना-देना नहीं है और बीजेपी इस बारे में झूठ फैला रही है. पढ़ें पूरी खबर 6. AAP का 'लोगो' बनाने वाले ने वापस मांगा अपना डिजाइन आम आदमी पार्टी (AAP) का 'लोगो' डिजाइन करने वाले सुनील कुमार ने अपना 'लोगो' वापस मांगा है. AAP संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर उन्होंने यह मांग की है. पढ़ें पूरी खबर 7. अमिताभ को पद्म सम्मान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में कई हस्तियों को पद्म सम्मान से नवाजा. मेगास्टार अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार को पद्म विभूषण अवॉर्ड दिया गया. अमिताभ का परिवार भी यहां मौजूद था. पढ़ें पूरी खबर 8. HTC ने लॉन्च किया Duo रीयर कैमरे वाला OneM9+ ताइवान की मशहूर कंपनी HTC ने आखि‍रकार अपने बहुप्रतिक्षि‍त स्‍मार्टफोन One M9+ को लॉन्‍च कर दिया है. हालांकि कंपनी ने अभी इसे सिर्फ चीन के बाजार में उतारा है, लेकिन मोबाइल वर्ल्‍ड कांग्रेस 2015 के समय से ही फोन के फीचर्स खासकर कैमरे को लेकर लगाए जा रहे कयासों को पर अब विराम लग गया है. पढ़ें पूरी खबर 9. बैंकों में 5 साल में डूबे 27 हजार करोड़ बीते 5 सालों में बैंकों में रुपये जमा कराने वाले कुल मिलाकर 27,000 करोड़ रुपये गंवा चुके हैं. जमाकर्ताओं को 24,000 करोड़ रुपये का नुकसान सरकारी बैंकों से, जबकि बाकी 3000 करोड़ रुपये का नुकसान प्राइवेट बैंकों से हुआ. पढ़ें पूरी खबर 10. सलमान खान के खिलाफ एक और FIR 'हिट एंड रन' केस में बचने के लिए तमाम दांव-पेच चल रहे सलमान खान की मुसीबतें कम नहीं हो रहीं. मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे सलमान के खिलाफ अब एक अन्य मामले में एफआईआर दर्ज होगी. पढ़ें पूरी खबर 11 . IPL का पहला मुकाबला आज आईपीएल के पहले मुकाबलें में आज रात 8 बजे ईडन गार्डन पर केकेआर और मुंबई इंडियंस की भिड़ंत होगी. क्रिकेट लीग के आठवें संस्करण का मंगलवार शाम कोलकाता में उद्घाटन हो गया. पढ़ें पूरी खबर
एप्पल ने 4इंच के iPhone SE के भारत में लॉन्च का ऐलान किया है. यहां यह स्मार्टफोन अप्रैल से 39,999 रुपये की शुरुआती कीमत के साथ मिलेगा. इस लॉन्च के साथ एप्पल ने 4 इंच का iPhone 5S अपनी वेबसाइट से हटा लिया है. इससे लग रहा है कि कंपनी  ने इसे बंद करने का फैसला किया है. बता दें कि iPhone 5S 2013 में लॉन्च हुआ था और यह कंपनी का पहला फोन था जिसमें फिंगरप्रिंट सेंसर दिया गया. हाल ही में iPhone 5S की कीमतों में भारी कटौती की गई थी और 53,500 रुपये में लॉन्च हुए iPhone 5S की बिक्री 22,500 रुपये में होनी शुरू हो गई. अब जब कंपनी ने 4 इंच का नया फोन लॉन्च किया है तो कई ई-कॉमर्स वेबसाइट पर iPhone 5S का 16GB मॉडल महज 17,700 रुपये में मिल रहा है. iPhone SE की भारतीय कीमत पर संदेह Apple ने iPhone SE लॉन्च के बाद प्रेस रि‍लीज में बताया कि इसकी भारत में कीमत 30,000 रुपये से शुरू होगी. हालांकि बाद में एक अपडेट के लिए प्रेस रि‍लीज जारी की गई जिसमें इसकी शुरुआती कीमत 39,999 रुपये बताई गई है. दो वैरिएंट में आएगा iPhone SE (स्पेशल एडिशन) 4 इंच डिस्प्ले वाला यह स्मार्टफोन 16GB और 64GB वैरिएंट में आएगा . इसके स्पेसिफिकेशन्स लगभग iPhone 6S जैसे ही हैं. कंपनी ने इसके साथ कुछ एक्सेसरीज भी लॉन्च किए हैं जिनमें लेदर केस और लाइटिंग डॉक शामिल हैं. ब्लैक और मिडनाइट ब्लू लेदर केस 2,900 रुपये में मिलेगा और लाइटिंग डॉक की कीमत 3,700 रुपये रखी गई है. iPhone 6S की तरह ही इसका एक खास कलर वैरिएंट रोज गोल्ड दिया गया है.
जब यूरेनस गैया से मिला, तो क्रोनस ने यूरेनस पर हमला किया और दरांती से उसके गुप्तांगों को काटकर समुद्र में फेंक दिया। ऐसा करने पर, वह टाइटन्स का राजा बन गया। लेकिन यूरेनस ने भविष्यवाणी की कि क्रोनस के अपने बच्चे उसके शासन के खिलाफ विद्रोह करेंगे, जैसे क्रोनस ने अपने पिता के खिलाफ विद्रोह किया था। यूरेनस का खून जो पृथ्वी पर फैल गया था, उसने गिगेंटेस, एरिनीज़ और मेलिया को जन्म दिया। उसके वीर्य या उसके कटे हुए जननांग के रक्त से, एफ़्रोडाइट समुद्र से उत्पन्न हुआ:
वह "घायलों को राहत देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समिति" के सह-संस्थापक थे, जो 1876 के बाद रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति बन गई। 1864 में उन्होंने गिलाउम-हेनरी डुफोर से समिति के अध्यक्ष का पद संभाला और उन्होंने संस्थापक हेनरी ड्यूनेंट के भी एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी थे। राष्ट्रपति के रूप में अपने 46 वर्षों के रिकॉर्ड लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने समिति के निर्माण के बाद पहले दशकों में इसके विकास में सहायता के लिए बहुत कुछ किया।
मजबूत वैश्विक रुख के बीच आरआईएल और एसबीआई जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में लिवाली की बदौलत घरेलू शेयर बाजारों में सोमवार को दूसरे दिन तेजी जारी रही और बॉम्‍बे स्टाक एक्सचेंज का सेंसेक्स 72 अंक चढ़कर 32 माह की नयी ऊंचाई पर बंद हुआ. कुल मिला कर सेंसेक्स 72.20 अंक बढ़त के साथ 20,117.38 अंक पर बंद हुआ. इससे पहले सेंसेक्स ने यह स्तर 15 जनवरी, 2008 को देखा था जब यह 20,251.09 अंक पर बंद हुआ था. नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 17.35 अंक की तेजी के साथ 6,035.65 अंक पर बंद हुआ. लंदन मेटल एक्सचेंज में धातुओं में तेजी के रुख से घरेलू शेयर बाजारों में तेजी की अगुवाई मेटल शेयरों ने की. इसके अलावा, अन्य एशियाई बाजारों में मजबूती से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई. बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, एफआईआई की ओर से भारी निवेश किए जाने से स्थानीय शेयर बाजारों में तेजी का रुख बना हुआ है. एफआईआई इस साल अभी तक बाजार में 80,819 करोड़ रुपये झोंक चुके हैं. आईडीबीआई फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य निवेश अधिकारी अनीश श्रीवास्तव ने कहा, ‘विदेशी निवेशकों की सहयोग से बाजार में तेजी का रुख बना हुआ है. हालांकि समय समय पर मुनाफा वसूली की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.’ मेटल शेयरों में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज 3.33 प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ. वहीं जिंदल स्टील में एक प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई. रिफाइनिंग क्षमता पर भारी निवेश करने की योजना संबंधी रिपोर्टों से रिलायंस इंडस्ट्रीज 0.79 प्रतिशत मजबूत होकर 1,009.55 रुपये पर बंद हुआ. वहीं ओएनजीसी के शेयरों की भी मांग रहने से यह 1.4 प्रतिशत, जबकि एनटीपीसी 2.51 प्रतिशत चढ़ गया. वित्तीय क्षेत्र में एसबीआई 1.13 प्रतिशत और आईसीआईसीआई बैंक 0.23 प्रतिशत मजबूत हुआ. वहीं भारती एयरटेल 1.39 प्रतिशत, सिप्ला 1.34 प्रतिशत, टाटा मोटर्स 1.25 प्रतिशत और डीएलएफ करीब दो प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ. सेंसेक्स में शामिल 30 में से 19 कंपनियों के शेयर बढ़त लेकर बंद हुए, जबकि 10 कंपनियों के शेयर भाव में गिरावट दर्ज की गई. वहीं आरकाम पिछले स्तर पर बंद हुआ. टूटने वाले शेयरों में एचडीएफसी बैंक 2.11 प्रतिशत, हिंदुस्तान युनिलीवर 1.94 प्रतिशत और एचडीएफसी 0.57 प्रतिशत कमजोर हुआ. सोमवार को आईटी शेयरों पर दबाव रहा जिससे इनफोसिस 0.5 प्रतिशत, टीसीएस 0.45 प्रतिशत और विप्रो 0.34 प्रतिशत कमजोर हुआ.
प्रधानमंत्री 4 नवंबर को मंडी के सुंदरनगर, शाहपुर के रैत और कांगड़ा जिले के पालमपुर में जनसभा को संबोधित करेंगे, जबकि 5 नवंबर को उनका कुल्लू और उना में जनसभा को संबोधित करने का कार्यक्रम है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 5 नवंबर को उना और कांगड़ा की रैलियों को संबोधित करेंगे. शाह अभी तक यहां 6 चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं. हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को चुनाव होने हैं (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सुपरस्टार रजनीकांत अपनी फिल्म पेट्टा से एक बार फिर बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने को तैयार हैं, लेकिन इस बार राह आसान नहीं. इसका कारण है एक ही डेट को रिलीज हो रही दूसरी फिल्म. अजीत भी साउथ के बड़े स्टार हैं. उनकी फिल्म विस्वासम भी 19 जनवरी को ही रिलीज हो रही है. ऐसा 13 साल में पहली बार हुआ है, तो इन दोनों की फिल्में एक ही दिन रिलीज हो रही हैं. ये दोनों ही एक्शन फिल्में हैं. विस्वासम एक हजार से ज्यादा स्क्रीन्स पर विदेश में रिलीज होगी. दूसरी ओर पेट्टा भी तीन भाषाओं में देशभर में रिलीज होगी. ये तमिल, तेलुगु और हिंदी में आएगी. फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी अहम रोल में हैं. पेट्टा के डायरेक्टर ने नवाज के काम की तारीफ की है. 2.0 के हिंदी वर्जन की सफलता के बाद सभी की नजरें पेट्टा के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर भी टिकी हैं. Less than 24 hours to go, the trending topic is #PettaversusViswasam battle at the box-office. Due to the hype surrounding the films, the advance booking has been terrific for the #PongalWeekend . It has kicked up curiosity that most people want to have a “look” at both of them. pic.twitter.com/pqgNdkBwhw — Sreedhar Pillai (@sri50) January 9, 2019 Official: #Viswasam overseas distributor @AandPgroups confirms 1000+ screen release in Overseas.. Biggest release for a #Thala #Ajith movie in Overseas.. Considering the competition, this is really good.. pic.twitter.com/7H4Tr4FhXa — Ramesh Bala (@rameshlaus) January 9, 2019 Here is #PettaPromo3 #PettaFromTomorrow Mass Action Seqs Promo.. https://t.co/5YfBDt1BoF — Ramesh Bala (@rameshlaus) January 9, 2019 डायरेक्टर ने फिल्म को लेकर अपनी अपेक्षाओं के बारे में कहा, "मैं बेचैन और आतुर हूं. ये बहुत मिले-जुले भाव हैं. लेकिन मेरे लिए इस समय सबसे बड़ी बात दर्शकों के साथ जाकर फिल्म देखना है. मैं थिएटर में रजनी सर के प्रशंसकों के साथ जा रहा हूं, क्योंकि मैं 'पेट्टा' फिल्म निर्माता के तौर पर नहीं बल्कि एक प्रशंसक के तौर पर देखूंगा."
अनुभवी विकेट कीपर बल्लेबाज तातेंदा ताएबू (98) और क्रेग इर्विन (85) की शानदार पारी की बदौलत जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम ने आईसीसी विश्व कप-2011 के ग्रुप- 'ए' के मुकाबले में कनाडा को 175 रनों से हरा दिया। जामथा के विदर्भ क्रिकेट स्टेडियम में सोमवार को खेले गए इस मुकाबले में जिम्बाब्वे की टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में नौ विकेट के नुकसान पर 298 रन बनाए थे। 299 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी कनाडा की पूरी टीम 42.1 ओवर में 123 रनों पर सिमट गई। जिम्बाब्वे की शुरुआत अच्छी नहीं रही और उसके सलामी बल्लेबाज ब्रेंडन टेलर बिना खाता खोले मैच के पहले ओवर में खुर्रम चौहान की पहली गेंद पर पगबाधा करार दिए गए। चार्ल्स कोवेन्ट्री 10 गेंदों पर चार रन बनाकर पेवेलियन लौट गए। कोवेन्ट्री को हरवीर बैदवान ने पगबाधा आउट किया। इसके बाद इर्विन ने ताएबू के साथ मिलकर पारी को सम्भाला। इर्विन ने 81 गेंदों पर छह चौकों और दो छक्कों की मदद से 85 रन बनाए। ताएबू और इर्विन ने तीसरे विकेट लिए रिकॉर्ड 181 रन जोड़े। कप्तान एल्टन चिगुम्बुरा पांच रन बनाकर चीमा की गेंद पर बगाई के हाथों लपके गए। ताएबू ने 99 गेंदों पर नौ चौकों की मदद से 98 रनों की शानदार पारी खेली। क्रेग लैम्ब ने 11 रन बनाए। मध्यक्रम में सीन विलियम्स ने 25 गेंदों पर तीन चौकों की मदद से 30 रनों की पारी खेली। उत्सेया ने 29 गेंदों पर दो चौकों की मदद से 22 रनों का  योगदान दिया। ग्रीम क्रेमर 23 गेंदों पर दो चौकों की मदद से 26 रन बनाए। क्रेमर ने उत्सेया के साथ मिलकर आठवें विकेट के लिए 41 रन जोड़े। प्राइस ने 10 रन जबकि क्रिस मोफू तीन रन बनाकर नाबाद लौटे। कनाडा की ओर से बालाजी ने सर्वाधिक चार विकेट झटके जबकि चौहान और बैदवान ने दो-दो विकेट चटकाए वहीं चीमा के खाते में एक विकेट गया। लक्ष्य का पीछा करने उतरी कनाडा की शुरुआत बेहद खराब रही और उसके सलामी बल्लेबाज जॉन डेविसन बिना खाता खोले रे प्राइस की गेंद पर बोल्ड होकर पेवेलियन लौट गए।  विश्व कप में अपना पहला मैच खेलने उतरे नीतीश कुमार भी ज्यादा देर तक विकेट पर नहीं टिक सके और वह भी एक रन बनाकर चलते बने। कुमार को प्राइस ने अपनी ही गेंद पर कैच आउट किया। कप्तान अशीष बगाई बिना खाता खोले प्राइस की गेंद पर विलियम्स को कैच थमा बैठे जबकि जिम्मी हंसरा 41 गेंदों पर एक चौके और एक छक्के की मदद से 20 रन बनाकर चलते बने।  रुविन्दू गुणासेकरा ने विकेट पर जमने की कोशिश की लेकिन वह भी 64 गेंदों पर दो चौकों की मदद से 24 रन बनाकर पेवेलियन लौट गए।  रिजवान चीमा ने 14 रनों का योगदान दिया। टायसन गोर्डन ने सात रन बनाए। चौहान ने आठ रन बनाए। जुबिन सरकारी ने 26 रनों का योगदान दिया जबकि बालाजी ने एक रन बनाए वहीं बैदवान 13 रन पर नाबाद लौटे। जिम्बाब्वे की ओर से प्राइस और क्रेमर ने सर्वाधिक तीन-तीन विकेट चटकाए जबकि लैम्ब और उत्सेया के खाते में दो-दो विकेट गए।