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इज़राइल की संस्कृति विविध और गत्यात्मक है जिसमें पश्चिमी सांस्कृतिक प्रभाव के साथ-साथ पूर्वी संजातीय और धार्मिक परंपराओं का संश्लेषण संयोजित है। 1948 में आधुनिक इज़राइल राष्ट्र की स्थापना से बहुत पहले ही इज़राइली संस्कृति की जड़ें विकसित हो चुकि थीं। इसमें प्रवासी यहूदियों के इतिहास, 19वीं सदी के अन्तिम वर्षों में शुरू हुए ज़ियोनिस्ट आंदोलन की विचारधारा के साथ-साथ अरब इज़राइली आबादी व अन्य अल्पसंख्यकों के इतिहास और परंपराओं की झलक दिखती है।
लोकसभा का आख़िरी सत्र गुरुवार को राष्‍ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया. 10 दिनों तक चलने वाले इस सत्र में अंतरिम रेल और अंतरिम बजट पेश किया जाएगा. राष्‍ट्रपति पाटिल ने अपने अभिभाषण में संप्रग सरकार के कार्यों को इंगित किया. उन्‍होंने कहा कि देश में ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य योजना कारगर रही. सरकार द्वारा बनाए गए कानून सूचना के अधिकार से देश के आम लोगों को फायदा हुआ. बीमा योजना से समाज के सभी लोगों का उत्‍थान हुआ. अपने कार्यकाल के दौरान सरकार ने सभी वायदे पूरे किए. केंद्र सरकार ने आम आदमी के हितों के लिए काम किया. इस दौरान किसानों के हितों का पूरा ध्‍यान रखा गया. खाद की कीमत और वितरण पर नियंत्रण रखा गया. बच्‍चों के लिए मिड-डे योजना कारगर रही. गांवों से लोगों का पलायन घटा. विश्‍व आर्थिक संकट से देश मजबूती से उभरा. चुनाव आयोग की देख रेख में कश्‍मीर चुनाव में लोकतंत्र की जीत हुई. राष्‍ट्रपति ने 14वीं लोकसभा के अंतिम सत्र का उद्धाटन करते हुए अपने अभिभाषण में कहा कि देश को ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए अभी और कदम उठाने की जरूरत है. पाटिल ने कहा कि सरकार द्वारा चलाया गया सर्व शिक्षा अभियान कारगर रहा. साथ ही सरकार ने रोजगार मुहैया कराने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की. देश के आम लोगों के लिए लोक कल्‍याण से जुड़े कई कानूनों को मूर्त रूप दिया गया. उन्‍होंने कहा कि कोर्ट प्रणाली को और दुरुस्‍त किया जाना है. गरीबों के लिए घर का निर्माण किया गया. राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली से मेट्रो लाईन को गुड़गांव तक ले जाने की योजना बनाई गई है. साथ ही देश के दूसरे बड़े शहरों में भी मेट्रो की योजना को मंजूरी दे दी गई है. संप्रग सरकार के इस आखिरी संसद सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं. रेल मंत्री लालू यादव 13 फरवरी को अंतरिम रेल बजट पेश करेंगे. जबकि अंतरिम बजट सोमवार को पेश किया जाएगा. इस सत्र में में चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त नवीन चावला पर हंगामा होने के आसार हैं. प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह संसद के संयुक्त अधिवेशन के उद्घाटन सत्र की बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. दिल की बाईपास सर्जरी के बाद डा. सिंह इन दिनों स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं. यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री संयुक्त अधिवेशन की बैठक में सत्र में हिस्सा नहीं लेंगे. सूत्रों ने बताया कि इस सत्र में 27 विधेयक 10 वित्तीय विधेयक और दो गैर विधायी कार्य पारित किए जाएंगे. ऐसे विधयकों में नौ ऐसे विधेयक इस दौरान पारित किए जाएंगे जो पहले पेश किए जा चुके है जबकि चार नए विधेयक इस सत्र में पेश होने के बाद पारित किए जाएंगे. इस दौरान बहुचर्चित महिला आरक्षण विधेयक के पेश होने के आसार नहीं है. हालांकि कुछ महिला संगठन इसके पेश नहीं किए जाने का विरोध कर रहे हैं और ये संगठन आज संसद भवन के बाहर प्रदर्शन की तैयारी में है. इस सत्र में देश के 47 उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों को आरक्षण से वंचित करने वाला विधेयक भी इस सत्र में पारित कराया जाएगा. यह विधेयक राज्यसभा से पहले ही पारित हो चुका है. इसके अलावा केंद्रीय विश्वविद्यालय विधेयक 2008 को वापस कर उसकी जगह केंद्रीय विश्विद्यालय विधेयक 2009 पारित कराया जाएगा.
इंश्योरेंस कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस में ग्रेड-1 अफसरों के 509 पदों पर वैकेंसी है. पे स्केल: 17,240-32,640 रुपये उम्र सीमा : 21 से 30 साल (सरकार के नियमों के अनुसार उम्र सीमा में छूट) योग्यता: किसी भी विषय में स्नातक कैसे करें अप्लाई: न्यू इंडिया अश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर 11 अक्टूबर 2014 से 3 नवंबर 2014 तक ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. ज्यादा जानकारी के लिए http://www.newindia.co.in/recruitment-notice.aspx पर लॉग इन करें.
'तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah)' में जेठालाल (Jethalal) के साथ जब तक कोई मजेदार वाकया न हो, मजा ही नहीं आता है. ऐसा ही कुछ तारक मेहता का उल्टा चश्मा के आगामी एपिसोड में देखने को मिलेगा. 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah)' के आगामी एपिसोड में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा, जब गोकुलधाम के सबसे फेवरिट सदस्य जेठालाल के घर में एक अजीब और अनजान मेहमान की जोरदार एंट्री होगी. वैसे भी दयाबेन (Dayaben) इन दिनों शो में नहीं हैं, और जेठालाल को इस मुसीबत से निकालने के लिए बबीताजी आगे आती हैं.  'तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah)' में जेठालाल (Jethalal) के ऊपर एक और मुसीबत आ पड़ी है. हुआ यह कि एक दिन सुबह सुबह जेठालाल को किसी का फोन आया कि वे लोग उसके घर पर डिनर करने के लिए आ रहे हैं. उनका कहना था कि वे जेठलाल और उसके परिवार को अच्छी तरह से जानते हैं लेकिन जेठालाल उनकी आवाज पहचान नहीं पाता. जेठालाल उनसे पूछ ही नहीं पाता  कि वे कौन लोग हैं. लेकिन वह अब इस परेशानी में है कि उनके लिए खाना कौन बनाएगा. सभी से रिक्वेस्ट करने के बाद बबिता आकर जेठालाल (Jethalal) के इन अनजान मेहमानों के लिए खाना बनाकर जाती है. लेकिन जेठालाल लगातार इस परेशानी में डूबा है कि कौन हैं ये लोग जो खुद को रात के खाने के लिए निमंत्रित करके आ रहे हैं?  'तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah)' में जब ये मेहमान जेठालाल के घर पहुंचे तो इन्होने अपने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था. कौन हैं ये लोग? क्यों कर रहे हैं ये जेठालाल को परेशान? और या ये गोकुलधाम सोसाइटी के सदस्यों का कोई प्रैंक है ?  जेठालाल को इन सभी सवालों के जवाब के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.
रोबिन रिहाना फेंटी एनएच (/riˈænə/ (सुनो) ree-AN-ə;[n 1] जन्म 20 फरवरी, 1988) एक बारबेडियन गायिका, अभिनेत्री और व्यवसायी महिला हैं। सेंट माइकल में जन्मी और ब्रिजटाउन, बारबाडोस में पली-बढ़ी रिहाना ने अमेरिकी रिकॉर्ड निर्माता इवान रोजर्स के लिए ऑडिशन दिया, जिन्होंने उन्हें डेमो टेप रिकॉर्ड करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में आमंत्रित किया। 2005 में डेफ जैम के साथ हस्ताक्षर करने के बाद, उन्हें जल्द ही अपने पहले दो स्टूडियो एल्बम, म्यूजिक ऑफ द सन (2005) और ए गर्ल लाइक मी (2006) की रिलीज के साथ पहचान मिली, जो दोनों कैरेबियन संगीत से प्रभावित थे और चरम पर थे। यूएस बिलबोर्ड 200 चार्ट के शीर्ष दस।
पूर्व जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल ने कहा कि आज हम सरकारी आतंकवाद का मुकाबला कर रहे हैं. नक्सलियों के पैसे से यलगार परिषद हुई, ये गलत है. (इनपुट भाषा से भी)
देश के कई भागों में चल रहे लू के थपेड़े जानलेवा साबित हो रहे हैं. भयंकर गर्मी से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अब तक 223 लोगों की जान जा चुकी है. साथ ही दिल्ली में शनिवार को इस मौसम का सबसे गर्म दिन रहा. अधिकारियों ने बताया कि लू के कारण अभी तक तेलंगाना में 128 लोगों की, जबकि आंध्र प्रदेश में 95 लोगों की मौत हो चुकी है. आंध्र प्रदेश में शनिवार को लू से 15 लोगों की मौत हुई है. अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की कुल संख्या आंध्र प्रदेश में 18 मई से, जबकि तेलंगाना में 15 अप्रैल से शनिवार तक की है. पश्च‍िम बंगाल में एक की मौत पश्चिम बंगाल में गर्मी और लू से एक व्यक्ति की मौत हो गई है. प्रदेश में भी कई स्थानों पर तापमान अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया. दिल्ली में आसमान से बरसी आग राजधानी दिल्ली में शनिवार को मौसम का सबसे गर्म दिन रहा. शहर में अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री सेल्स‍ियम ऊपर 44.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि रविवार को उत्तर भारत में आंधी आने की संभावना है, जिससे गर्मी से कुछ राहत मिल सकती है. सीएम चन्द्रबाबू नायडू ने जताई चिंता आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू ने कहा, ‘हमारे यहां करीब 100 लोगों की मौत हुई है. संख्या और बढ़ रही है. हम हताहतों की संख्या घटाने के लिए हर संभव उपाय कर रहे हैं.’ तेलंगाना के आदिलाबाद, वारंगल, हैदराबाद, खम्माम, महबूबनगर, नालगोंडा और निजामाबाद, करीमनगर जिलों में लू का प्रभाव बहुत ज्यादा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, बृहस्पतिवार को खम्माम, नालगोंडा, निजामाबाद, रामागुंडम में सबसे अधिक 47 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. ओडिशा में भी लू का कहर ओडिशा में भी लू तेज हो गई है और प्रदेश के 19 स्थानों पर शनिवार को अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया. विशेष राहत आयुक्त कार्यालय ने बताया कि प्रदेश में लू के कारण अभी तक 26 लोगों की मौत हुई है. इनपुट: भाषा
स्कूलों में छात्र-छात्राओं के साथ टीचरों का कैसा व्यवहार हो, इसको लेकर सरकार कई सख्त नियम बना चुकी है, लेकिन देश के कई स्कूल टीचरों पर आज भी तालिबानी हुकूमत का रंग चढ़ा हुआ है. उत्तर प्रदेश के कानपुर में बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है. बजरिया इलाके में रहने वाली पुष्पा (बदला हुआ नाम) की बेटी पूर्णा देवी खन्ना इंटर कॉलेज में छठी क्लास में पढ़ती थी. शुक्रवार को वो स्कूल में मोबाइल फोन लेकर चली गई. गेम टीचर रमाकांति ने उसके बैग की तलाशी ली, लेकिन मोबाइल फोन बरामद नहीं हुआ. पुष्पा ने आरोप लगाया है कि तलाशी के दौरान उसकी बेटी को निर्वस्त्र कर दिया गया, जिससे वो इतना शर्मिंदा हो गई कि घर आने के बाद फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. जब मीडिया ने स्कूल की प्रिंसिपल से इस बारे में सवाल किया तो उसने कहा कि आपके कैमरे में उस लड़की की निर्वस्त्र फोटो है क्या? प्रिंसिपल ने कहा कि लड़की को निर्वस्त्र नहीं किया गया था, बस उसका मोबाइल फोन जमा किया गया था. प्रिंसिपल के मुताबिक, 'पता चला था कि एक लड़की मोबाइल लाई थी. बच्चे मोबाइल का गलत इस्तेमाल करते हैं इसलिए कॉलेज की तरफ से नियम बने हैं कि कोई भी लड़की मोबाइल लेकर नहीं आएगी और अगर लाएगी तो उसका मोबाइल जमा कर लिया जाएगा. कल (शुक्रवार) भी यही हुआ. इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ. किसी ने उसकी अभद्र तरीके से तलाशी नहीं ली.' पीड़ित लड़की के परिवारवालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी है. पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: समस्तीपुर जिले के आलमपुर गांव में तलाब में डूबने से रवि किरण और उसकी बहन काजल कुमारी की मौत हो गई. सारण जिले के एकमा थाना क्षेत्र के भरहोपुर गांव में गुरुवार की शाम अघ्र्य दे रहे दो लोगों की एक तालाब में डूबने से मौत हो गई. मृतकों की पहचान कुंदन कुमार और राकेश कुमार के रूप में की गई है.  सहरसा जिले के सुलिंदाबाद गांव तथा मंगवार गांव में एक-एक व्यक्ति की तालाब में डूबने से मौत हो गई है. बेगूसराय जिले के सूजा पंचायत में एक तालाब में डूबने से एक 10 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई, जबकि चिल्हाय रामपुर गांव के निकट बलान नदी में एक व्यक्ति की तथा भगवानपुर में इसी नदी में डूबने से एक किशोर की मौत हो गई. (IANS) सहरसा जिले के सुलिंदाबाद गांव तथा मंगवार गांव में एक-एक व्यक्ति की तालाब में डूबने से मौत हो गई है. बेगूसराय जिले के सूजा पंचायत में एक तालाब में डूबने से एक 10 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई, जबकि चिल्हाय रामपुर गांव के निकट बलान नदी में एक व्यक्ति की तथा भगवानपुर में इसी नदी में डूबने से एक किशोर की मौत हो गई. (IANS)
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के दौरान बॉलीवुड भी कई खेमों में बंटा हुआ नजर आ रहा है. जहां एक तरफ स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar), ऋचा चड्ढा (Richa Chadda) सरीखें कलाकार पीएम मोदी (PM Modi) और बीजेपी (BJP) के खिलाफ दिखाईं दे रहे हैं तो वहीं पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) बीजेपी के समर्थन में खुलकर ट्वीट कर रही हैं. पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) ने एक बार फिर बीजेपी (BJP) के समर्थन में ट्वीट किया तो ट्रोलर्स के निशानें पर आ गईं. बता दें कि पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) ने अमित शाह (Amit Shah) के उस बयान पर सहमति जताई थी जहां उन्होंने कहा था भारत में अवैध रुप से रोहिंग्या घुसपैठियों को रोका जाना चाहिए. पायल रोहतगी (Payal Rohatgi)  जब इस बयान पर सहमति जताने के लिए ट्रोल होने लगीं तो उन्होंने फिर एक बार सवाल दागा.  पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि अमित शाह (Amit Shah) के अवैध मुस्लिम प्रवासियों वाले बयान पर सहमति जताने की वजह से तथाकथित उदारवादी लोग मुझे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने लिखा कि यह अवैध मुस्लिम प्रवासी इस्लामिक देशों से हमारे देश में आ रहे हैं. जहां हिंदुओं, सिख और बौद्ध धर्म के लोगों को भगाया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि है यह मुस्लिम लोग क्यों इस्लामिक देशों से भाग रहे हैं.  Liberals r running me down 4 agreeing with @AmitShah ji 2 remove illegal #Muslimimmigrants from India which come from Muslim neighbouring countries. They oppose keeping Hindu/Sikh/Buddhist illegal immigrants 4rm Muslim countries 😜 Why Muslims running away 4rm Muslim countries 🤔 pic.twitter.com/6WFEDDCe5z यह पहला मौका नहीं है जब पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) इस तरह राष्ट्रवाद के मुद्दे को लेकर आवाज उठा रही हैं. रोहतगी इससे पहले भी कई ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखती रही हैं. हाल ही में उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए उन्होंने अपना एक वीडियो शेयर किया था, जिस पर जमकर बवाल हुआ था. पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) ने कहा था कि भारत में कश्मीरी मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है. बाबर के चमचों द्वारा. उन्होंने कहा था कि वो हिंदु पीएम से नफरत करते हैं जोकि सबका भला चाहता है.
श्रीलंका ने लीबियाई नेता मुअम्मर गद्दाफी के मारे जाने की निंदा करते करते हुए इसकी जांच की मांग की है। श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने कहा, श्रीलंका सरकार का मानना है कि गद्दाफी की मौत किन हालात में हुई, इसकी जांच होनी चाहिए। गद्दाफी शासन से श्रीलंका के बेहद नजदीकी रिश्ते थे। गद्दाफी ने 1976 में कोलंबो का दौरा किया था। यहां उन्होंने गुटनिरपेक्ष देशों के सम्मेलन में शिरकत की थी। श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने 2007 में लीबिया का दौरा किया था। इसके बाद श्रीलंकाई सांसदों का एक समूह त्रिपोली पहुंचा था।
हिंदू धर्मं में माघ महीना पवित्र माना जाता है. इस महीने स्नान, ध्यान और दान का बहुत महत्व है. पूजा उपासना से बहुत लाभ होता है. माघ का महीना भारतीय संवत्सर के हिसाब से 11वां चंद्र मास और दसवां सौर मास है. हिंदू पंचाग को अगर अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक़ देखें तो इस बार 2 जनवरी से 31 जनवरी तक कि अवधि माघ महीना की है. मान्यता है कि माघ में गंगा या नदियों में स्नान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. दान करने से तमाम पापों का नाश होता है. जनवरी में पुण्य स्नान के ऐसे ही सात महासंयोग बन रहे हैं. आइए जानते हैं माघ में पड़ने वाले 7 शुभ संकेतों के बारे में... शुक्रवार, 12 जनवरी- षटतिला एकादशी : इस दिन तिल के जल से स्नान, तिल का हवन, तिल का उबटन और तिल के पानी को पीने का विशेष महत्व है. तिल का दान करने का भी काफी अच्छा फल मिलता है. माना जाता है कि इससे सभी पापों का नाश होता है. रविवार, 14 जनवरी, मकर संक्रांति: इस बार 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने पर कुछ ज्योतिषीय मतभेद हैं. कुछ इलाकों में इस बार 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई जा सकती है. मकर संक्रांति को पवित्र स्नान के बाद तिल का दान करना चाहिए. खाने में तिल से बने पकवान का इस्तेमाल करना चाहिए. मंगलवार, 16 जनवरी, मगही अमावस्या: इसे कृष्ण पक्ष की मौनी अमावस्या भी कहते हैं. ये तिथि अत्यंत पवित्र होती है. इसे पितरों के तर्पण का दिन माना जाता है. इस दिन त्रिवेणी संगम या गंगा में स्नान करने की परंपरा है. स्नान के बाद तिल के लड्डू, तिल का टेल, आंवला और कपड़ों का दान करना चाहिए. सोमवार, 22 जनवरी, बसंत पंचमी : इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन केसरिया चावल के भोग लगाने का विशेष फल मिलता है. बुधवार, 24 जनवरी, अचला सप्तमी: इस दिन सूर्य देवता को जल चढ़ाकर विशेष पूजा की मान्यता है. भगवान कृष्ण ने भी युधिष्ठिर को अचला सप्तमी का महत्व बताया था. मान्यता है कि इस तिथि पर स्नान, ध्यान, पितरों के तर्पण और सूर्य पूजा से पितरों को बैकुंठ मिलता है. इस दिन व्रत रखने से सालभर रविवार को रखे जाने वाले व्रतों के बराबर का पुण्य मिलता है. शनिवार, 27 जनवरी जाया एकादशी : इसे भीष्म एकादशी भी कहते हैं. इस दिन सूर्यास्त के समय तुलसी के पास दीपक जलाना चाहिए और भगवान् विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करणी चाहिए. इस दिन स्नान, ध्यान और पूजा से सारे पाप कट जाते हैं. बुधवार, 31 जनवरी, माघी पूर्णिमा : इस दिन पूर्णिमा है और चंद्र ग्रहण भी रहेगा. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके गरीबों को दान करने का बेहद सुंदर फल मिलता है. माघी पूर्णिमा का महत्व सबसे ज्यादा माना गया है. माना जाता है कि इस दिन चन्द्रमा अमृत की वर्षा करते हैं. इस दिन स्नान दान करने से सूर्य और चन्द्रमा से जुड़े सारे दोषों से मुक्ति मिल जाती है.
दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक का पहला गाना रिलीज हो गया है. गाने में दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैसी के बीच अच्छी बॉन्डिंग देखने को मिली है. गाने के बोल हैं नोक-झोंक. ये प्यारभरी नोंक-झोंक दीपिका और विक्रांत के बीच भी देखने को मिली है. गाने को सिद्धार्थ महादेवन ने गाया है. शंकर एहसान लॉय का म्यूजिक है और गुजार के लिरिक्स हैं. गाने को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. बता दें कि छपाक सच्ची घटनाओं पर आधारित एक फिल्म है. फिल्म में दीपिका पादुकोण एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल का रोल निभा रही हैं. इस रोल के लिए दीपिका ने अपने आप को पूरी तरह ढाल लिया है. इस फिल्म में दीपिका को तैयार करने के लिए प्रोस्थेटिक्स मेकअप का इस्तेमाल किया गया. इस बारे में दीपिका बताती हैं  मैंने पहली बार जब प्रोस्थेटिक्स मेकअप होने के बाद अपने आप को शीशे में देखा, मुझे लगा मैं ये किरदार जी रही हूं. यहां देखें गाना... ट्रेलर लॉन्च पर रोने लगी थी दीपिका फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ट्रेलर में दीपिका को देख लोग शॉक्ड हो गए थे. दीपिका की एक्टिंग को बहुत पसंद किया गया. छपाक को लोगों ने मास्टरपीस बताया. छपाक का ट्रेलर के लॉन्च पर दीपिका भावुक हो गई थीं. जब दीपिका को स्टेज पर बुलाया गया, वो भावुक हो गई थीं. उनकी आंखें नम हो गई थीं. काफी देर तक वो कुछ बोल नहीं पाईं. 10 जनवरी को फिल्म रिलीज हो रही है. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की टक्कर अजय देवगन की मूवी तानाजी: द अनसंग वॉरियर से होगी.
'सिया के राम' में राम का किरदार निभाने वाले आशीष शर्मा की फैन फॉलोईंग पूरी दुनिया भर में है. आशीष ने कल ही अपना बर्थ डे सेलिब्रेट किया है. आशीष को उनके फैन्स और फ्रैंड्स ने बहुत से गिफ्ट्स भेजे हैं. लेकिन आशीष को किसी ने बहुत ही खतरनाक गिफ्ट भेजा है. दरअसल आशीष को उनकी फैन ने खून से लिखा बर्थडे कार्ड भेजा है. आशीष ने टेलीचक्कर से कहा, 'किसी टीनएजर गर्ल ने मुझे कार्ड भेजा है, जिसमें खून से हैप्पी बर्थडे लिखा हुआ है. कार्ड देखकर मैं थोड़ा डर गया क्योंकि मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी. हालांकि मुझे इसकी खुशी है कि लोग मुझसे इतना प्यार करते हैं लेकिन मैं इन सब चीजों को बढ़ावा नहीं देता. मैं अपने फैन्स से गुजारिश करता हूं कि वो खुद को नुकसान ना पहुंचाएं. नॉर्मल इंक से लिखा हुआ कार्ड भी मेरे लिए बहुत है.' खैर फैन्स का अपना-अपना तरीका होता है प्यार दिखाने का. जो भी हो, आशीष ने अपना बर्थडे अच्छे से सेलिब्रेट किया और इंस्टाग्राम पर तस्वीरें भी पोस्ट की. Ate so much cake now feeling weird in stomach 🙄 A photo posted by @ashish30sharma84 on Aug 29, 2016 at 8:55am PDT Now the final cake..#teamskr A photo posted by @ashish30sharma84 on Aug 29, 2016 at 8:53am PDT Thanku guys A photo posted by @ashish30sharma84 on Aug 29, 2016 at 8:50am PDT #directionteam the wonderful associates gave surprise birthday wish A photo posted by @ashish30sharma84 on Aug 29, 2016 at 8:43am PDT
यह लेख है: विशाल भारद्वाज की आने वाली फिल्‍म 'रंगून' के ट्रेलर ने आते ही धूम मचा दी है. इस फिल्‍म में पहली बार कंगना रनौत, सैफ अली खान और शाहिद कपूर की जोड़ी साथ दिखाई दे रही है जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. इसी कड़ी में इस फिल्‍म का पहला गाना रिलीज किया गया है. 'ब्‍लडी हैल' गाने में कंगना रनौत हंटर चलाते, डांस करते हुए नजर आ रही हैं. 'रंगून' विशाल भारद्वाज की एक पीरियड रोमांटिक ड्रामा है जो दूसरे विश्‍वयुद्ध की पृष्‍ठभूमि में बनाई गई है. 'रंगून' का पहला गाना 'ब्लडी हैल' एक ऐसा गाना है जिसमें सिर्फ नाच गाना ही नहीं है बल्कि फिल्‍म की कहानी की काफी झलक भी दिख रही है. बता दें कि कुछ समय पहले फिल्म का पोस्टर और ट्रेलर भी रिलीज किया गया था. सोशल मीडिया पर भी 'रंगून' का यह ट्रेलर खूब पसंद किया गया है. 'ब्लडी हेल' नाम के इस गाने में कंगना, सैफ और शाहिद तीनों के किरदारों की गुत्‍थी काफी सुलझती दिख रही है. यह फिल्‍म एक प्रेम त्रिकोण है और इस गाने में इस त्रिकोण का अच्‍छे से खुलासा हो रहा है. अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में शूट हुई 'रंगून' 24 फरवरी को रिलीज होगी. जानकारी के अनुसार इस फिल्म की रिसर्च के लिए कंगना अमेरिका और मैक्सिको भी गई थीं. टिप्पणियां फिल्‍म में कंगना मिस जूलिया का किरदार निभा रही हैं जबक‍ि शाहिद एक आर्मी ऑफिसर बने हैं. सैफ एक अमीर आदमी की भूमिका में नजर आ रहे हैं. ट्रेलर में दिखाए गए संवाद भी काफी दिलचस्‍प हैं. 'रंगून' विशाल भारद्वाज की एक पीरियड रोमांटिक ड्रामा है जो दूसरे विश्‍वयुद्ध की पृष्‍ठभूमि में बनाई गई है. 'रंगून' का पहला गाना 'ब्लडी हैल' एक ऐसा गाना है जिसमें सिर्फ नाच गाना ही नहीं है बल्कि फिल्‍म की कहानी की काफी झलक भी दिख रही है. बता दें कि कुछ समय पहले फिल्म का पोस्टर और ट्रेलर भी रिलीज किया गया था. सोशल मीडिया पर भी 'रंगून' का यह ट्रेलर खूब पसंद किया गया है. 'ब्लडी हेल' नाम के इस गाने में कंगना, सैफ और शाहिद तीनों के किरदारों की गुत्‍थी काफी सुलझती दिख रही है. यह फिल्‍म एक प्रेम त्रिकोण है और इस गाने में इस त्रिकोण का अच्‍छे से खुलासा हो रहा है. अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में शूट हुई 'रंगून' 24 फरवरी को रिलीज होगी. जानकारी के अनुसार इस फिल्म की रिसर्च के लिए कंगना अमेरिका और मैक्सिको भी गई थीं. टिप्पणियां फिल्‍म में कंगना मिस जूलिया का किरदार निभा रही हैं जबक‍ि शाहिद एक आर्मी ऑफिसर बने हैं. सैफ एक अमीर आदमी की भूमिका में नजर आ रहे हैं. ट्रेलर में दिखाए गए संवाद भी काफी दिलचस्‍प हैं. 'ब्लडी हेल' नाम के इस गाने में कंगना, सैफ और शाहिद तीनों के किरदारों की गुत्‍थी काफी सुलझती दिख रही है. यह फिल्‍म एक प्रेम त्रिकोण है और इस गाने में इस त्रिकोण का अच्‍छे से खुलासा हो रहा है. अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में शूट हुई 'रंगून' 24 फरवरी को रिलीज होगी. जानकारी के अनुसार इस फिल्म की रिसर्च के लिए कंगना अमेरिका और मैक्सिको भी गई थीं. टिप्पणियां फिल्‍म में कंगना मिस जूलिया का किरदार निभा रही हैं जबक‍ि शाहिद एक आर्मी ऑफिसर बने हैं. सैफ एक अमीर आदमी की भूमिका में नजर आ रहे हैं. ट्रेलर में दिखाए गए संवाद भी काफी दिलचस्‍प हैं. फिल्‍म में कंगना मिस जूलिया का किरदार निभा रही हैं जबक‍ि शाहिद एक आर्मी ऑफिसर बने हैं. सैफ एक अमीर आदमी की भूमिका में नजर आ रहे हैं. ट्रेलर में दिखाए गए संवाद भी काफी दिलचस्‍प हैं. फिल्‍म में कंगना मिस जूलिया का किरदार निभा रही हैं जबक‍ि शाहिद एक आर्मी ऑफिसर बने हैं. सैफ एक अमीर आदमी की भूमिका में नजर आ रहे हैं. ट्रेलर में दिखाए गए संवाद भी काफी दिलचस्‍प हैं.
स्टेनली यह नाम तब सामने लाये जब वह, सीमन्स और क्रिस न्यू यार्क शहर में यहा-वहा गाड़ी चला रहे थे। क्रिस ने उल्लेख किया है कि वह लिप्स नामक एक बैंड में थे, अतः स्टेनली ने कहा इसके प्रभाव से कुछ, "किस कैसा रहेगा?" जब फ्रेहले उस क्लब के बाहर जहा वह बजाने वाले थे, वहाँ विकेड लेस्टर के ऊपर एक पोस्टर पर अपने बैंड का नाम लिखने गए तब उन्होंने "एस एस" ("SS") को बिजली बोल्ट का रूप देते हुए वर्तमान-प्रतिरूप लोगो की रचना की। रूनी अक्षर नाज़ी एसएस (SS) के निशान के जैसे प्रतीत हुए, एक ऐसा चिन्ह जो अब जर्मनी में प्रदर्शित करना अवैध है। इसलिए विवाद से बचने के लिए, 1979 के बाद से जर्मनी में बैंड के अधिकांश एलबम कवर तथा वाणिज्य वस्तुओं में लोगो का एक रूपांतरित संस्करण इस्तेमाल किया गया है, जिसमें कि "एस एस" ("SS") एक पीछे की ओर मुड़े "ज़ेड ज़ेड" ("ZZ") के समान प्रतीत होता है। अफवाह है कि बैंड के नाम के कई गुप्त अर्थ हैं, उनमें से एक नाईट इन सैटन'ज़ सर्विस या कीप इट सिंपल स्टुपिड के लिए आदिवर्णिक शब्द है।किस का पहला प्रदर्शन 30 जनवरी 1973 को हुआ, यह क्वीनज़ के पोपकोर्न क्लब (शीघ्र बाद नया नाम कोंवेंट्री रखा) में तीन श्रोतागणों के लिए किया गया था। पहले तीन गिग्ज़, 30 जनवरी - 1 फ़रवरी के लिए उन्होंने बिलकुल कम मेकअप किया, एमिटीविले, न्यू यार्क के द डैज़ी में मार्च 9-10 को हुए शो तक उन्होंने वह मेक अप नहीं किया था जो उनका मशहूर प्रारूप बन गया। उसी वर्ष के 13 मार्च को बैंड ने निर्माता एडी क्रेमर के साथ एक पांच गानों का प्रदर्शन टेप रीकार्ड किया। पूर्व टीवी निर्देशक बिल औकोइन, जिन्होंने 1973 की गर्मियों में ग्रूप को कुछ संगीत-समारोहों में देखा था, मध्य-अक्टूबर में बैंड का प्रबंधक बनने का प्रस्ताव रखा। किस इससे सहमत हो गए, लेकिन इस शर्त पर कि औकोइन दो हफ़्तों के अन्दर उन्हें एक रिकॉर्डिंग अनुबंध साइन करवा के दें। 1 नवम्बर 1973 को, किस ने पूर्व पॉप गायक तथा बुद्दाह रीकार्डज़ प्रबंधक नील बोगार्ट के नए लेवल, एमरल्ड सिटी रिकार्डज़ (जिसके शीघ्र बाद उसका नाम बदल कर कासाब्लांका रीकार्डज़ रख दिया गया) का पहला प्रदर्शन साइन किया।अपने पहले एलबम की रिकॉर्डिंग शुरू करने के लिए 10 अक्टूबर 1973 को बैंड ने न्यू यार्क के बेल साउंडज़ स्टूडियोज़ में प्रवेश किया। 31 दिसम्बर को न्यू यार्क शहर में अकेडमी ऑफ़ म्यूज़िक में ब्लू ओएस्टर कल्ट के लिए उद्घाटन करते हुए, बैंड का प्रामाणिक उद्यम प्रिमिअर हुआ। इसी संगीत-समारोह में ही सीमन्स ने अपना इनाग्रल फायर ब्रीदिंग स्टंट प्रदर्शित करते हुए पहली बार गलती से अपने बालों (जो कि बालों के स्प्रे में लेपित थे) में आग लगा ली थी, उसके बाद ऐसा फिर कई बार हुआ।किस का पहला दौरा 5 फ़रवरी 1974 को एडमंटन, अलबर्टा, कनाडा में उत्तरी अलबर्टा जुबली ऑडिटोरीअम में शुरू हुआ। बैंड की स्वयं-शीर्षक पहली एलबम, किस, 18 फ़रवरी को जारी की गई। कासाब्लांका और किस ने 1974 के पूरे वसंत और गर्मियों के दौरान इस एलबम को बहुत अधिक बढ़ावा दिया। 19 फ़रवरी को बैंड ने "नथिंग' टू लूज़," "फायरहाउस," तथा "ब्लैक डाइमंड" प्रदर्शित किया, जो एबीसी (ABC) के डिक क्लार्क'स इन कांसर्ट (29 मार्च को प्रसारित) पर उनकी पहली राष्ट्रीय टेलीविज़न उपस्थिति बनी। 29 अप्रैल को, बैंड ने द माइक डगलस शो पर "फायरहाउस" प्रदर्शित किया। इस प्रसारण में सीमन्स का दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाने वाला पहला साक्षात्कार शामिल था, यह डगलस के साथ एक वार्तालाप थी जिसमें सीमन्स ने एक कष्टप्रद एंव मुख्य रूप से अस्पष्ट श्रोतागणों से खिल्ली प्राप्त करते हुए खुद को "दुष्टता का अवतार" ("इवल इन्कार्नेट") बताया। साथी अतिथि टोटी फील्ड्स ने टिप्पणी की कि यह हास्यकर होता यदि, सारे मेकअप के नीचे सीमन्स केवल एक अच्छा यहूदी लड़का होता। " यह कहते हुए कि "आपको ही पता होना चाहिए", सीमन्स ने इस टिप्पणी को चतुराई से टाल-मटोल कर दिया, न तो इसकी पुष्टि की और न ही इंकार. जिस पर उन्होंने जवाब दिया, "मैं जानती हूँ. आप हुक छुपा नहीं सकते," सीमन्स के नाक की ओर एक इशारा.प्रचार और निरंतर दौरों के बावजूद, शुरू में किस की केवल 75000 कापियां ही बिकी. इस बीच, ग्रूप और कासाब्लांका रीकार्डज़ तेज़ी से पैसे खो रहे थे। अगस्त 1974 में बैंड (दौरे के दौरान) अपने दूसरे एलबम होटर देन हेल, जो 22 अक्टूबर 1974 को रिलीज़ हुआ था, की रिकॉर्डिंग की शुरुआत करने के लिए लॉस एंजिल्स में रुका. केवल एक मात्र एकल, "लेट मी गो, रॉक 'एन' रोल", चार्ट पर विफल रहा और एलबम नंबर 100 पर रूक गया।होटर देन हेल के शीघ्र ही चार्ट से गिर जाने के परिणामस्वरूप, किस को जल्दी से एक नई एलबम रीकार्ड करने के लिए उनके दौरे से वापस बुला लिया गया। अगला एलबम रीकार्ड करने के लिए कासाब्लांका प्रमुख नील बोगार्ट ने कदम रखा, होटर देन हेल की धुंधली, विकृत ध्वनि से एक ज्यादा साफ़ और थोड़ी सी जोशीली ध्वनि से व्यापार करने के लिए। ड्रेस्ड टू किल, 19 मार्च 1975 को जारी किया गया और वाणिज्यिक तौर पर होटर देन हेल से थोडा बेहतर था। इसमें "रॉक एंड रोल आल नाईट" भी शामिल था, जो बाद में जा के बैंड का ट्रेडमार्क गाना बन गया।हालांकि किस एलबम की अधिक बिक्री नहीं हो पाई, पर बैंड तेज़ी से एक टॉप-फ्लाईट जीवंत एक्ट के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा था। किस के पूरे संगीत-समारोह के दौरान सीमन्स का "खून" थूकना (मुख्यतः दही और खाद्य रंगत) या "आग श्वसन" (मशाल पर ज्वलनशील तरल वस्तुएं फैंकना); फ्रेहले के एकल प्रदर्शन के समय उनके गिटार का अग्नि में चटख जाना (गिटार में रखे गए हलके और धुआं देने वाले बम); क्रिस का उन्नत करने वाला ड्रम खड़ पट्ट जो चिंगारियां छोड़ता था; स्टेनली की टाउनशेन्ड-स्टाइल गिटार तोड़-फोड़; और अग्नि क्रीड़ा विद्या जैसी चीज़ें दिखाई जाती थी।1975 के अतिकाल तक, कासाब्लांका लगभग दिवालिया हो चुका था और किस अपना रीकार्ड कान्ट्रेक्ट खोने के खतरे में थे। दोनों पार्टियों को जीवित रहने के लिए एक व्यावसायिक सफलता की सख्त जरूरत थी। वह सफलता एक अविश्वसनीय रूप में आई - एक डबल जीवंत एलबम.
फासिल घेबी एक किला है जो गोंडर, अम्हारा क्षेत्र, इथियोपिया में स्थित है। इसकी स्थापना 17वीं शताब्दी में सम्राट फासिलिड्स द्वारा की गई थी और यह इथियोपियाई सम्राटों का घर था। इसकी अनूठी वास्तुकला न्युबियन लोग, हिंदू, अरब और बारोक विशेषताओं सहित विविध प्रभाव दिखाती है। अपने ऐतिहासिक महत्व और वास्तुकला के कारण, किले को 1979 में यूनेस्को विश्व विरासत स्थल के रूप में अंकित किया गया था। घेबी एक यौगिक या बाड़े के लिए एक अम्हारिक् शब्द है। इमारतों के परिसर में फ़ासिलाइड्स का महल, इयासु I का महल, डेविट III का हॉल, महारानी मेंटेवाब का महल, एक योहनेस I से, सम्राट बकाफा, स्थिर एस, और तीन चर्चों का एक बैंक्वेटिंग हॉल: असासेम क़ेडडस मिकेल, एल्फिग्न गियोर्गिस और जेमजाबेट मरियम। सन्दर्भ अफ़्रीका इथियोपिया में विश्व धरोहर स्थल
फिलिस्‍तीन के एक हैकर को सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की एक खामी के बारे में पता चला, जिसके जरिए कोई भी किसी भी अजनबी के वॉल पर पोस्‍ट कर सकता है. हैकर ने फेसबुक को इस बारे में कई बार बताया, लेकिन जब उसकी एक नहीं सुनी गई तो उसने फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग के एकाउंट को हैक कर उनकी वॉल पर ही इसको लेकर एक पोस्‍ट डाल दी. खालिल नाम के इस शख्‍स ने सबसे पहले फेसबुक की सिक्‍युरिटी टीम को इस बारे में बताया. यही नहीं उसने जकरबर्ग के एक दोस्‍त गॉडिन की वॉल पर लिखकर यह साबित भी किया. लेकिन उसको धन्‍यवाद देने और इस गलती को सुधारने के बजाए फेसबुक ने साफ तौर पर कह दिया कि यह कोई बग (गड़बड़ी) नहीं है. यही नहीं बाद में फेसबुक ने उसे ईनाम देने से भी इनकार कर दिया. आपको बता दें कि जो प्रोग्रामर्स साइट की सिक्‍युरिटी की खामी के बारे में बताते हैं उन्‍हें फेसबुक की तरफ से कोई ना कोई रिवॉर्ड दिया जाता है. खालिल ने फेसबुक की सिक्‍युरिटी टीम को लिखा था, 'मेरा नाम खालिल है. मेरे पास इनफॉर्मेशन सिस्‍टम्‍स में बीए की डिग्री है. मैं आपका ध्‍यान आपकी मुख्‍य साइट (www.facebook.com) के एक बग की ओर दिलाना चाहता हूं. इस बग की मदद से फेसबुक यूजर्स दूसरे फेसबुक यूजर्स की वॉल पर लिंक शेयर कर सकते हैं. मैंने सारा गॉडिन के वॉल पर इसको टेस्‍ट किया और मुझे इसमें सफलता भी मिली.' हालांकि साइट की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक को सुधारने के बजाए फेसबुक ने खालिल से कहा कि यह कोई बग ही नहीं है. लेकिन खालिल ने हार नहीं मानी और उसने मार्क जकरबर्ग के फेसबुक पेज को हैक कर उसमें एक पोस्‍ट डाल दी, ताकि कंपनी को यह बताया जा सके कि जिसे वो कोई खामी नहीं मान रही है, वह वाकई में कितनी बड़ी चूक है. खालिल ने जकरबर्ग के वॉल पर लिखा, 'आपकी प्राइवेसी तोड़ने के लिए माफी चाहता हूं, लेकिन मेरे पास कोई और तरीका नहीं था.' इसके कुछ देर बाद आखिरकर फेसबुक की टीम ने खालिल से संपर्क किया और पूछा कि उसने कैसे उनके बॉस के पर्सनल पेज को हैक किया. फेसबुक की सिक्‍युरिटी टीम के मैट जोन्‍स के मुताबिक, 'हमने गुरुवार को यह गड़बड़ी ठीक कर ली है.' हालांकि उन्‍होंने खालिल को ईनाम देने से साफ इनकार कर दिया. जोन्‍स ने कहा, 'हैकर को तभी रिवॉर्ड मिलता है जब वह प्राइवेसी का उल्‍लंघन ना करे. जकरबर्ग और गॉडिन्‍स के वॉल पर पोस्‍ट कर खालिल ने नियमों को तोड़ा है इसलिए उसे रिवॉर्ड नहीं मिल सकता.' हालांकि जोन्‍स ने यह भी कहा कि अगर भविष्‍य में खालिल नियमों में रहकर तकीनीकी गड़बड़ियों के बारे में बताएंगे तो उन्‍हें ईनाम जरूर दिया जाएगा.
बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय से प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार और अधिक मजबूत और स्थिर हो जाएगी. कांग्रेस के एक नेता ने कहा, बसपा के सभी छह विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लगातार संपर्क में थे और आज वे कांग्रेस के पाले में आ गए. प्रदेश की 200 सीटों वाली विधानसभा में अभी कांग्रेस के 100 विधायक हैं और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पास एक विधायक है. सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को 13 निर्दलीय विधायकों में से 12 का बाहर से समर्थन प्राप्त है जबकि दो सीटें खाली हैं. राज्य में 2009 में भी अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान, बसपा के सभी छह विधायकों ने कांग्रेस का दामन थामा था और तत्कालीन कांग्रेस सरकार को स्थिर बनाया था. उस समय सरकार स्पष्ट बहुमत से पांच कम थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हिलेरी क्लिंटन की प्रशंसा के पुल बांधते हुए कहा कि उन्हें देश में अब तक के सर्वश्रेष्ठ विदेश मंत्रियों में से एक माना जाएगा और प्रशासन को उनकी कमी खलेगी।टिप्पणियां ‘सीबीएस न्यूज’ पर क्लिंटन के साथ एक संयुक्त साक्षात्कार में ओबामा ने कहा, मेरा मानना है कि हिलेरी सर्वश्रेष्ठ विदेशमंत्री के तौर पर जानी जाएंगी। पिछले चार साल के दौरान उनके साथ जबर्दस्त तालमेल रहा। क्लिंटन कुछ समय के बाद प्रशासन से अलग हो जाएंगी। अगर सिनेट की मुहर लगती है, तो जॉन केरी विदेशमंत्री बन सकते हैं। ओबामा ने कहा, मुझे उनकी कमी खलेगी। मैं चाहूंगा कि देश उनकी असाधारण भूमिका की सराहना करें, जो उन्होंने मेरे प्रशासन में निभाई। उनकी कठिन मेहनत के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमें कई सफलताएं मिली। 'सीबीएस न्यूज' के मुताबिक अपनी पत्नी, प्रथम महिला मिशेल ओबामा के अलावा पहली बार ओबामा ने संयुक्त रूप से कोई साक्षात्कार दिया है। ‘सीबीएस न्यूज’ पर क्लिंटन के साथ एक संयुक्त साक्षात्कार में ओबामा ने कहा, मेरा मानना है कि हिलेरी सर्वश्रेष्ठ विदेशमंत्री के तौर पर जानी जाएंगी। पिछले चार साल के दौरान उनके साथ जबर्दस्त तालमेल रहा। क्लिंटन कुछ समय के बाद प्रशासन से अलग हो जाएंगी। अगर सिनेट की मुहर लगती है, तो जॉन केरी विदेशमंत्री बन सकते हैं। ओबामा ने कहा, मुझे उनकी कमी खलेगी। मैं चाहूंगा कि देश उनकी असाधारण भूमिका की सराहना करें, जो उन्होंने मेरे प्रशासन में निभाई। उनकी कठिन मेहनत के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमें कई सफलताएं मिली। 'सीबीएस न्यूज' के मुताबिक अपनी पत्नी, प्रथम महिला मिशेल ओबामा के अलावा पहली बार ओबामा ने संयुक्त रूप से कोई साक्षात्कार दिया है। ओबामा ने कहा, मुझे उनकी कमी खलेगी। मैं चाहूंगा कि देश उनकी असाधारण भूमिका की सराहना करें, जो उन्होंने मेरे प्रशासन में निभाई। उनकी कठिन मेहनत के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमें कई सफलताएं मिली। 'सीबीएस न्यूज' के मुताबिक अपनी पत्नी, प्रथम महिला मिशेल ओबामा के अलावा पहली बार ओबामा ने संयुक्त रूप से कोई साक्षात्कार दिया है।
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेट कप्तान सलमान बट ने गुरुवार को लंदन कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह बात स्वीकार की कि उन्होंने स्पाट फिक्सिंग के तहत पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के दौरान एक ओवर में एक भी रन नहीं बनाये थे। वकील ने कहा कि 26 वर्षीय बट ने अपने एजेंट से टेलीफोन बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि वह अगस्त 2010 में ओवल में हुए तीसरे टेस्ट के दौरान एक ओवर मेडन जाने देंगे। यह बात अंडरकवर पत्रकार ने रिकार्ड की थी। बट के साथ तेज गेंदबाज मोहम्मद आसिफ की यहां सुनवाई चल रही है। वकील आफताब जाफरजी ने साउथवाक क्राउन कोर्ट को बताया कि बट के एजेंट मजहर मजीद ने पत्रकार को फोन किया जो न्यूज आफ द वर्ल्ड टेब्लाइड में काम करता था जो अब बंद हो चुका है।
राजस्थान ज्यूडिशल सर्विसेज में 21 साल के मयंक बने टॉपर चयन पर कहा कि ज्यादा समय तक दे सकूंगा सेवाएं राजस्थान के 21 वर्षीय मयंक प्रताप सिंह ने इतिहास रचा है. वह 21 साल की उम्र में जज बनने जा रहे हैं. आजतक ने मयंक से जयपुर में खास बातचीत की. मयंक ने बताया कि उन्हें आरजेएस परीक्षा की तैयारी में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपनी रुचि से लेकर अच्छा जज बनने के क्राइटेरिया पर बातचीत की. मयंक ने कहा कि जाहिर है बहुत खुशी हो रही है. मैंने उम्मीद की थी कि सेलेक्शन हो जाएगा पर इतना अच्छा रिजल्ट आएगा इसकी उम्मीद नहीं थी. मेरे और मेरे परिवार के लिए ये बहुत खुशी की बात है. घर में जब से रिजल्ट आया है खुशी का माहौल है. ये मेरे लिए बहुत कठिन था. मैं अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके फाइनल इयर में था. उसके बाद मैंने तैयारी करनी शुरू की, जिससे मुझे ज्यादा पढ़ाई में ध्यान देना पड़ा. मैंने 11-12 घंटे मन लगाकर पढ़ाई की. लक्ष्य ये था कि परीक्षा शुरू होने से पहले मैं अपना सिलेबस खत्म कर सकूं और एग्जाम में अच्छा कर पाऊं. 21 वर्षीय मयंक ने यह भी कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा न्यूनतम आयुसीमा को 23 से घटाकर 21 करना उनके लिए काफी मददगार साबित हुआ. पहली बार जब रिक्त पदों के लिए नोटिफिकेशन आया था, तब मैं परीक्षा देने के लिए योग्य नहीं था. लेकिन बाद में उन्होंने उम्र कम कर दी और मैं योग्य हो गया. मैं अपने आप को किस्मत वाला समझता हूं. बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं मैंने यह रैंक हासिल की. मयंक ने कहा कि उन्होंने इसी साल राजस्थान यूनिवर्सिटी से 5 साल का बीएएलएलबी किया है. अपनी प्रेरणा के बारे में उन्होंने कहा कि जब मैं 12वीं कक्षा में था तब मुझे लगता था कि ज्यूडिशरी का समाज में कितना महत्वपूर्ण रोल है. न्यायालयों में पेंडिंग मामले बहुत ज्यादा हैं. मैं अपना योगदान देना चाहता था जिससे लोगों को न्याय दे सकूं. शायद मेरे लिए वही प्रेरणा बनी जिसकी वजह से ये किया. यह पूछे जाने पर कि उनके हिसाब से एक अच्छा जज बनने के लिए क्या क्राइटेरिया होना चाहिए, मयंक ने कहा कि सबसे पहले तो ईमानदारी जरूरी है. ईमानदारी किसी भी पब्लिक सर्वेंट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ईमानदारी से ही न्यायपालिका में लोगों का विश्वास बना रहता है. मुझे लगता है कि संवेदनशीलता सामाजिक मुद्दों की तरफ बहुत महत्वपूर्ण है. महिलाओं या बच्चों से संबंधित फैसले देने के मामले में मेरा मानना है कि जज के लिए भेदभावरहित होना बहुत जरूरी है क्योंकि फैसले के लिए उन्हें ऑब्जेक्टिवली सारे तथ्यों को देखना पड़ता है, उसके बाद फैसला देना होता है. मुझे लगता है कि ये गुण एक जज में होना बहुत जरूरी है. आज समाज में कई ऐसे फैक्टर्स हैं जो पब्लिक सर्वेंट को प्रभावित कर सकते हैं. बाहुबल और धनबल पर आपकी जिम्मेदारी बनती है कि वो उन सभी प्रभावों से दूर रहें. जजमेंट देते समय ध्यान रखें कि वो सिर्फ जज हैं. वो अपने कोर्टरूम तक सीमित हैं. उसमें जो तथ्य उसके सामने आएंगे उनको देखकर उसे निर्णय देना होगा ना कि दूसरों की बातें सुनकर. ये पूछे जाने पर कि 21 साल की उम्र में जज बनने से वो करियर के बारे में क्या सोचते हैं, मयंक ने कहा कि मुझे लगता है कि मैं राजस्थान ज्यूडिशरी के लिए बेहतर साबित होऊंगा. कम उम्र में चयनित होने का यही फायदा होगा कि मेरे पास सेवाएं देने के लिए लंबा समय होगा. मुझे लगता है कि मुझे लोगों की सेवा करने के लिए ज्यादा टाइम मिलेगा और मैं ज्यादा योगदान दे पाऊंगा. अपने शौक के बारे में वो बताते हैं कि मुझे किताबें पढ़ना बहुत पसंद है. उपन्यास वगैरह मैं बहुत पढ़ता हूं. इसके अलावा सोशल वर्क करना बहुत अच्छा लगता है. जब भी मुझे फ्री टाइम मिलता है तो मैं उसके साथ अटैच होता हूं. जो भी महिलाएं और बच्चे हैं उनके लिए कुछ करने की कोशिश करता हूं.
खूंखार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा भारत को दहलाने की फिराक में हैं. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक लश्कर के 20 से 21 आतंकवादी भारत में घुस चुके हैं. ये आतंकी मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन, मॉल, होटल, पर्यटन स्थल, धार्मिक स्थल और भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों को निशाना बनाने की ताक में हैं. ये आतंकी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर भारत में घुसे हैं और भारत में बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने की फिराक में हैं. खुफिया एजेंसियों की सूचना के बाद दिल्ली, मुंबई, पंजाब और राजस्थान में हाईअलर्ट कर दिया गया है. दिल्ली पुलिस की सभी ईकाइयों को इसको लेकर अलर्ट किया गया है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक लश्कर के 20 से 21 आतंकी दिल्ली, मुंबई, पंजाब और राजस्थान में मौजूद हैं. इस सूचना के बाद एडवाइजरी भी जारी की गई है. इन राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद कर दी गई है. साथ ही लोगों को भी भीड़भाड़ वाले इलाके में सतर्क रहने को कहा गया है. हाल ही में भारत पाकिस्तान सीमा पर बढ़े तनाव के मद्देनजर आतंकियों के भारत में घुसने का मामला सामने आया है. वहीं, पाकिस्तानी सेना लगातार सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन कर रही है. भारतीय सेना की ओर से भी इसका करारा जबाव दिया जा रहा है. आईएसआई पहले से ही भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराती रही है.
मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करिश्माई शख्सियत बताते हुए उनकी तारीफ की है. पीएम मोदी के धुर विरोधी माने जाने वाले गुहा की यह तारीफ धमकी मिलने के बाद सामने आई है. उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी भारत के सबसे ज्यादा सफल प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. गुहा ने कहा कि 66 वर्षीय मोदी के करिश्मा और अपील ने देश में जाति एवं भाषा की सीमाएं तोड़ दी. नई दिल्ली में आयोजित लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स इंडिया समिट-2017 में 58 वर्षीय गुहा ने कहा कि नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा की तरह मोदी का भी आमजन पर खासा असर है. बुधवार को उन्होंने कहा, "भारतीय इतिहास में नरेंद्र मोदी सफल प्रधानमंत्री के रूप में जगह बनाने को तैयार हैं. नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद अब तक कोई भी ऐसा भारतीय प्रधानमंत्री नहीं हुआ था, जिसके प्रभावशाली व्यक्तित्व से देश की जनता इतना ज्यादा प्रभावित हुई हो. जिनकी अपील जाति, भाषा एवं क्षेत्र  से परे हों." धमकी मिलने के दो दिन बाद आया बयान ई-मेल के जरिए धमकी मिलने के दो दिन बाद गुहा का यह बयान सामाने आया है. गुहा ने धमकी मिलने की जानकारी ट्वीट कर दी थी. उन्होंने बताया कि इस ई-मेल में गुहा को पीएम मोदी और सत्तारूढ़ बीजेपी की आलोचना नहीं करने के लिए चेताया गया है. हालांकि गुहा ने कहा था कि ऐसी धमकी उनको अक्सर मिलती रहती हैं, लेकिन इससे उनकी जान को कोई खतरा नहीं है. समिट में अपने संबोधन के दौरान गुहा ने कहा कि भारत में जातिवाद और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव जारी है. उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्म में महिलाओँ के साथ जमकर भेदभाव होता है.
करवा चौथ (Karwa Chauth) का त्योहार सुहागिनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह इस दिन अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Fast) सिर्फ व्रत न होकर बल्‍कि पति-पत्‍नी के रिश्‍ते की पवित्रता, प्रेम, सम्‍मान और समर्पण का भी प्रतीक है. लेकिन इस त्योहार को लेकर को लेकर सोशल मीडिया पर कई मीम्स वायरल हो रहे हैं. इन मीम्स में पतियों का जमकर मजाक बनाया जा रहा है. इन वायरल मीम्स में से कुछ फोटो तो ऐसी है, जिसे देखकर किसी की भी हंसी छूट जाएगी. कहीं बॉलीवुड फिल्मों के डायलॉग के जरिए मीम्स तैयार किया गया है, तो कहीं बनावटी फोटोज के द्वारा मीम्स बनाए गए हैं.  Feeling of Indian men on #KarwaChauthpic.twitter.com/yXIObYlkc0 1: Husband on #KarwaChauth day. 2: Rest of the year. pic.twitter.com/cgkJH0MWIp Dear Husbands please be like #KarwaChauthpic.twitter.com/nHOrWonaID Pic 1: Married men on normal days Pic 2: Married men on Karwachauth#KarwaChauthpic.twitter.com/UVmy5Xpn2F Women today, if husband is acting smart.. #KarwaChauthpic.twitter.com/9XvHO9ged7 #KarwaChauth#KarwaChauth2019 Pic1) Bahu secretly going towards kitchen to get food: Pic2) When she sees her sasu maa coming towards the kitchen: pic.twitter.com/mh6Q0p6j92 Next day after #KarwaChauth Women : pic.twitter.com/kuctdVf6Ob
कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका की ओर से मध्यस्थता से इंकार करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव घटाने के लिए बातचीत सबसे बेहतर उपाय है. पाकिस्तान के डान टीर्वीं को दिए गए साक्षात्कार में ओबामा ने कहा मेरा मानना है कि अवसर है. हो सकता है इसकी शुरूआत कश्मीर की बजाय अन्य मुद्दों से करें और भारत तथा पाकिस्तान एक साथ बातचीत कर तनाव घटाने का प्रयास कर सकते हैं और साझा हितों के क्षेत्र को पा सकते हैं. भारत अमेरिका का गहरा मित्र है ओबामा ने यह जवाब उस सवाल पर दिया जिसमें उनसे पूछा गया था कि उनका प्रशासन कश्मीर मुद्दे पर चुप क्यों है जबकि शुरूआत में उसने उसका उल्लेख किया था. ओबामा ने कहा मेरा मानना है कि हम चुप रहे हैं कि भारत अमेरिका का गहरा मित्र है और पाकिस्तान भी अमेरिका का गहरा मित्र है. मित्रों को लड़ते देखकर हमें दुख होता है. हम पाकिस्तान या भारत को निर्देश नहीं दे सकते कि कैसे उन्हें अपने मतभेद को खत्म करना चाहिए लेकिन हम जानते हैं कि अगर दोनों देश अपने मतभेदों को सुलझा लेते हैं तो दोनों खुशहाल होंगे. भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने से इंकार करते हुए ओबामा ने कहा कि हम प्रगति में मददगार होना चाहते हैं लेकिन मैं नहीं मानता कि उस प्रक्रिया में हमारी तरफ से मध्यस्थता करना होगा उचित होगा. मेरा मानना है कि यह कुछ ऐसा है जिसकी पाकिस्तानी और भारतीय नेतृत्व की जिम्मेदारी है.
अयोध्या के तपस्वी जी की छावनी के प्रमुख महंत सर्वेश्वर दास ने अपने शिष्य परमहंस दास को राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर संगठन से निष्कासित कर दिया है. महंत सर्वेश्वर दास ने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि परमहंस दास, जिनका मूल नाम उदय नारायण दास है वह स्वघोषित महंत और जगतगुरु थे. उन्होंने यह भी कहा कि परमहंस दास ने कभी संत के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया. गुरुवार को एक ऑडियो क्लिप वायरल हुई जिसमें परमहंस दास ने विश्व हिंदू परिषद के नेता रामविलास वेदांती के साथ बातचीत के दौरान न्याय प्रमुख के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. महंत नृत्य गोपाल दास अयोध्या में सबसे अधिक पूज्य संत हैं और टिप्पणियों से अन्य संत नाराज हो गए हैं. ऑडियो क्लिप वायरल होने के बाद, न्यास प्रमुख के नाराज अनुयायियों ने तपस्वी जी की छावनी में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें परमहंस दास की गिरफ्तारी की मांग की गई, जिसके बाद पुलिस एहतियात के तौर पर उन्हें कुछ घंटों के लिए अज्ञात स्थान पर ले गई. परमहंस दास तब से अयोध्या नहीं लौटे हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने रविवार को कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि वह देश का प्रधानमंत्री बनकर दिखाएं। यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में रविशंकर प्रसाद ने कहा, "राहुल गांधी एक बार प्रधानमंत्री बनकर दिखाएं। अभी दो साल का समय बचा है। आखिर देश की जनता देखे तो कि उनके अंदर देश चलाने की कितनी क्षमता और काबिलियत है। साथ ही देश की समस्याओं के बारे में उनकी कितनी समझ है।" रविशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा, "अगर राहुल प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो उनको केवल वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कुर्सी छोड़ने के लिए कहना पड़ेगा।"टिप्पणियां अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को गैर संवैधानिक बताते हुए उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस की गोलबंदी केवल अल्पसंख्यक वोट पाने के लिए हो रही है। उन्होंने कहा, "बटला हाउस मुठभेड़ कांड पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के विरोधाभासी बयानों पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी खामोश क्यों हैं।" वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी के बारे में रविशंकर प्रसाद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भाजपा ने सच्चाई स्वीकार कर ली है। आखिरकार उन्हें (भाजपा नेता) समझ में आ गई है कि कांग्रेस 2012 में उत्तर प्रदेश और 2014 में केंद्र में सरकार बना रही है।" यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में रविशंकर प्रसाद ने कहा, "राहुल गांधी एक बार प्रधानमंत्री बनकर दिखाएं। अभी दो साल का समय बचा है। आखिर देश की जनता देखे तो कि उनके अंदर देश चलाने की कितनी क्षमता और काबिलियत है। साथ ही देश की समस्याओं के बारे में उनकी कितनी समझ है।" रविशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा, "अगर राहुल प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो उनको केवल वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कुर्सी छोड़ने के लिए कहना पड़ेगा।"टिप्पणियां अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को गैर संवैधानिक बताते हुए उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस की गोलबंदी केवल अल्पसंख्यक वोट पाने के लिए हो रही है। उन्होंने कहा, "बटला हाउस मुठभेड़ कांड पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के विरोधाभासी बयानों पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी खामोश क्यों हैं।" वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी के बारे में रविशंकर प्रसाद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भाजपा ने सच्चाई स्वीकार कर ली है। आखिरकार उन्हें (भाजपा नेता) समझ में आ गई है कि कांग्रेस 2012 में उत्तर प्रदेश और 2014 में केंद्र में सरकार बना रही है।" रविशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा, "अगर राहुल प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो उनको केवल वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कुर्सी छोड़ने के लिए कहना पड़ेगा।"टिप्पणियां अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को गैर संवैधानिक बताते हुए उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस की गोलबंदी केवल अल्पसंख्यक वोट पाने के लिए हो रही है। उन्होंने कहा, "बटला हाउस मुठभेड़ कांड पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के विरोधाभासी बयानों पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी खामोश क्यों हैं।" वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी के बारे में रविशंकर प्रसाद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भाजपा ने सच्चाई स्वीकार कर ली है। आखिरकार उन्हें (भाजपा नेता) समझ में आ गई है कि कांग्रेस 2012 में उत्तर प्रदेश और 2014 में केंद्र में सरकार बना रही है।" अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को गैर संवैधानिक बताते हुए उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस की गोलबंदी केवल अल्पसंख्यक वोट पाने के लिए हो रही है। उन्होंने कहा, "बटला हाउस मुठभेड़ कांड पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के विरोधाभासी बयानों पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी खामोश क्यों हैं।" वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी के बारे में रविशंकर प्रसाद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भाजपा ने सच्चाई स्वीकार कर ली है। आखिरकार उन्हें (भाजपा नेता) समझ में आ गई है कि कांग्रेस 2012 में उत्तर प्रदेश और 2014 में केंद्र में सरकार बना रही है।" वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी के बारे में रविशंकर प्रसाद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भाजपा ने सच्चाई स्वीकार कर ली है। आखिरकार उन्हें (भाजपा नेता) समझ में आ गई है कि कांग्रेस 2012 में उत्तर प्रदेश और 2014 में केंद्र में सरकार बना रही है।"
जॉनी आइव इंडस्ट्री के दिग्गज डिजाइनर माने जाते हैं. ऐपल के आइकॉनिक प्रोडक्ट डिजाइन उन्ही की देन है. अब LoveForm नाम की कंपनी पर काम कर रहे हैं Jony Ive iPhone, iPod और iPad के डिजाइनर और Apple के चीफ डिजाइनर Jony Ive ने जून में ऐपल को अलविदा कह दिया था. हालांकि तब ऐपल ने कहा था कि वो इसके बावजूद कंपनी के कुछ प्रोजेक्ट्स के लिए काम करते रहेंगे. नई खबर ये है कि अब उनका नाम ऐपल के लीडरशिप पेज से हटा दिया गया है. गौरतलब है कि Jony Ive साल 1992 से ऐपल के साथ काम कर रहे हैं. हालांकि 1996 में वो ऐपल के डिजाइन टीम में चले गए. Apple के आइकॉनिक प्रोडक्ट्स के डिजाइन के लिए Jony Ive को ही क्रेडिट दिया जाता है. iPhone और iMac के डिजाइन में उन्होंने अहम रोल अदा किया है. इसके अलावा iOS 7 को डिजाइन करने में भी वो शामिल रहे थे. 27 साल ऐपल के साथ काम करने के बाद इसी साल जून में जब Jony Ive ने ऐपल से जाने का फैसला किया. इस ऐलान के बाद ऐपल की तरफ से ये स्टेटमेंट जारी किया गया था, 'कुछ खास प्रोजेक्ट्स के लिए ऐपल लगातार Jony के साथ काम करता रहेगा' वर्ज की एक रिपोर्ट के मुताबिक Jony Ive के ऐपल छोड़ने को लेकर थोड़ा रहस्य बना रहा है. क्योंकि ये भी बताया जाता रहा है कि उन्होंने ऐपल छोड़ने से पहले ही प्रोडक्ट डिजाइन टीम छोड़ दी थी. वजह ये बताई जाती है कि तब वो ऐपल के नए स्पेसशिप हेडक्वॉर्टर बनाने में ज्यादा व्यस्त हो गए थे. ऐपल स्पेसशिप हेडक्वॉर्टर के डिजाइन में भी उनका रोल अहम माना जाता है. Apple से अलग हो कर अब Jony Ive एक नई डिजाइन कंपनी LoveForm पर काम कर रहे हैं. अब ऐपल Jony Ive की इस कंपनी की क्लाइंट होगी.  अब देखना दिलचस्प होगी कि LoveForm के क्लाइंट लिस्ट में और कौन कौन सी कंपनियां शामिल होती हैं.
केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साध रही दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर अब बीजेपी सांसदों ने हमला बोला है. केजरीवाल सरकार पर बीजेपी के 7 सांसदों ने सवाल उठाए हैं. सांसद महेश गिरि ने कहा कि केजरीवाल वायरस हैं, जहां जाते हैं विनाश लाते हैं. मंगलवार को बीजेपी सांसदों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केजरीवाल सरकार के 70 वादों पर सवाल उठाए. बीजेपी सांसदों ने मीडिया से बातचीत के दौरान केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की. 'ध्यान भटकाने के लिए लागू किया ऑड-इवन फॉर्मूला' बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने 70 सूत्रीय एजेंडा में वादा किया था कि राजधानी में स्वास्थ्य और शिक्षा का स्तर सबसे बेहतर होगा, लेकिन आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों और अस्पतालों का हाल बेहाल है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को धोखा दिया है. बिधूड़ी ने कहा, 'दिल्ली के लिए केजरीवाल नटवरलाल पार्ट-2 बन गए हैं. 400 फीसदी सैलरी बढ़ाने के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने को केजरावाल ने ऑड-इवन फॉर्मूला लागू कर दिया.' 'ऑस्ट्रेलिया से मदद मिली लेकिन दिल्ली सरकार से नहीं' सांसद उदित राज ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने जिस गांव को गोद लिया है उसके विकास में दिल्ली सरकार के अधिकारी जरा भी सहयोग नहीं कर रहे. बीजेपी सांसद ने कहा, 'मैंने जिलाधिकारी को 11 बार चिट्ठी लिखी, लेकिन एक बार भी जवाब नहीं मिला. यहां तक कि मुझे ऑस्ट्रेलिया से मदद मिल रही है लेकिन केजरीवाल सरकार से बिल्कुल भी नहीं.' 'केजरीवाल के वादों का क्या हुआ' केजरीवाल के आरोपों के पर पलटवार करते हुए बीजेपी सांसद महेश गिरि ने कहा कि केजरीवाल कार्तिक कॉलिंग कार्तिक के किरदार की तरह हैं. दिल्ली में केजरीवाल कॉलिंग केजरीवाल चल रहा है. उन्होंने कहा, 'AAP को PAAP कहना ज्यादा उचित होगा. केजरीवाल एक वायरस हैं, जहां भी जाते हैं विकास की जगह विनाश लेकर आते हैं.' गिरि ने दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और केजरीवाल सरकार की ओर से सीसीटीवी लगवाए जाने के वादे पर भी सवाल उठाए. उन्होंने सरकार से इस्तीफे की मांग की. 'दिल्ली का दुर्भाग्य जो एक साल में कुछ नहीं मिला' मीनाक्षी लेखी ने कहा कि आम आदमी पार्टी अभी चुनावी प्रक्रिया में ही अटकी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार काम तो नहीं करती है लेकिन क्रेडिट लेने के लिए तुरंत उतर जाती है. वहीं, केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि बीते एक साल में आम आदमी पार्टी के कई विधायक जेल गए हैं. संवैधानिक पद पर बैठने वाले व्यक्ति को अपनी सीमाओं का ज्ञान होने चाहिए. उन्होंने कहा कि यह दिल्ली का दुर्भाग्य है जो अब तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली. हर्षवर्धन ने कहा, 'अगर कोई केजरीवाल सरकार का एजेंडा पढ़े तो हैरानी होगी कि अब तक राजधानी में कुछ भी नहीं हुआ.' अस्पताल के टेंडर में हेरफेर का आरोप सांसद मनोज तिवारी ने भी केजरीवाल सरकार को निशाने पर लिया और कहा कि राजीव गांधी सुपरस्पेश्यलिटी अस्पताल के लिए जो टेंडर पास किया गया था उसमें भी घपला हुआ है. सरकार कंपनी को 14 करोड़ देने जा रही थी, लेकिन जब बीजेपी ने सवाल उठाया तो पहले धनराशि को 9 करोड़ कर दिया गया लेकिन बाद में कंपनी को 14.95 करोड़ का भुगतान ही किया गया. इस संबंध में केजरीवाल सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है. बीजेपी ने केजरीवाल को दी संविधान पढ़ने की नसीहत बीजेपी ने डीडीसीए मामले को लेकर भी केजरीवाल पर निशाना साधा. बीजेपी ने डीडीसीए मामले की जांच के लिए दिल्ली सरकार की ओर से गठित एक सदस्यीय जांच आयोग की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ उस बातचीत को ‘सस्ती लोकप्रियता और दुष्प्रचार’ का कदम करार दिया गया जिसमें उन अधिकारियों के नाम मांगे गए हैं जो इस जांच का हिस्सा होंगे. जांच आयोग की अगुवाई कर रहे पूर्व सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम पर आम आदमी पार्टी सरकार की तरफ से काम करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कहा कि वह संविधान पढ़ें. पार्टी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल के कई फैसले ‘असंवैधानिक’ रहे हैं. 'सरकार के दायरे में नहीं DDCA की जांच' बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा, ‘डीडीसीए की जांच कराना दिल्ली सरकार के कानूनी दायरे में नहीं है. यह संस्था कंपनी अधिनियम के तहत सोसायटी के तौर पर दर्ज है. सुब्रमण्यम दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के इशारे पर इस तरह का नाटक कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह कुछ नहीं बल्कि उसके दुष्प्रचार का हिस्सा है. केजरीवाल को संविधान पढ़ना चाहिए ताकि वह उस ओर ध्यान केंद्रित कर सकें कि उनकी सरकार को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘वास्तव में AAP पाखंडी आम आदमी पार्टी (PAAP) है.’
वरुण धवन (Varun Dhawan) ने अपनी अगली फिल्म 'कुली नं. 1 (Coolie No 1)' का कुछ इस अंदाज में सोशल मीडिया पर ऐलान किया है कि उन्हें बॉलीवुड एक्टर कमाल आर खान (Kamaal R Khan) ने बहुत ही फनी रिएक्शन दिया है. वरुण धवन (Varun Dhawan) ने ट्वीट करते समय सोचा भी नहीं होगा कि कमाल आर खान से उन्हें कुछ इस तरह का जवाब मिलेगा. बॉलीवुड (Bollywood) स्टार वरुण धवन (Varun Dhawan) ने अपने ट्विटर एकाउंट पर 'कुली नं. 1 (Coolie No. 1)' की तारीख को लेकर ऐलान किया था. 'कुली नं. 1' में सारा अली खान (Sara Ali Khan) भी लीड रोल में हैं. Aaj ka Din , Agle Saal Aega Coolie No.1 - Hoga Kamaal !!! Coolie No.1 releases on May 1, 2020 #DavidDhawan#SaraAliKhan@vashubhagnani@poojafilms#1YearForCoolieNo1#LabourDaypic.twitter.com/RzM7SQUA1V वरुण धवन (Varun Dhawan) ने 'कुली नं. 1 (Coolie No. 1)' को लेकर ट्वीट किया हैः 'आज का दिन, अगले साल. आएगा कुली नं. 1- होगा कमाल!!! 1 मई, 2020 को रिलीज होगी 'कुली नं. 1'. कुली नं. 1 के लिए अभी एक साल है. डेविड धवन, सारा अली खान (Sara Ali Khan), वासु भगनानी.' Bro @Varun_dvn how can you use my name to promote ur film #coolieno1 without my permission? https://t.co/QElcamxUMP वरुण धवन (Varun Dhawan) ने अपने इस ट्वीट में ऐसे शब्द का इस्तेमाल कर लिया, जिसपर बॉलीवुड एक्टर और प्रोड्यूसर कमाल आर खान (Kamaal R Khan) ने चुटकी लेने का मन बनाया. कमाल आर खान ने लिखाः 'ब्रो वरुण धवन अपनी फिल्म 'कुली नं. 1' को प्रमोट करने के लिए मेरी इजाजत के बिना मेरे नाम का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?' कई बार इसे कहते मान न मान मैं तेरा मेहमान. वरुण धवन ने कमाल शब्द का इस्तेमाल किया तो कमाल आर खान ने मस्ती करने के लिए वरुण धवन को इस तरह ट्वीट कर दिया.
तमिलनाडु विधानसभा में विधायकों के सदन के भीतर मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. विधानसभाध्यक्ष डी जयकुमार के निर्देश के बाद यह कदम उठाया गया है. अश्लील वीडियो मामलाः कर्नाटक के तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दिया विधानसभाध्यक्ष ने विधानसभा को सूचित किया कि विधानसभा में सभी लोगों के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है जिसमें मंत्री, विधायक और पत्रकार शामिल हैं. 'रेव पार्टी' में तब्दील हुआ सरकारी म्यूजिक फेस्टिवल सदस्यों के लिए अलग लॉकर लगाये गए हैं ताकि वे सदन में प्रवेश करने से पहले अपने मोबाइल फोन वहां रख सकें. उन्होंने कहा कि जलपानगृह और सदस्य लाउंज सहित अलग अलग स्थानों पर पेफोन लगाये गए हैं. विधायकों को स्मार्ट कार्ड मुहैया कराये जाएंगे जिसका टॉकटाइम एक वर्ष के लिए वैध होगा. अश्लील वीडियो देखते पकड़े गए कर्नाटक के मंत्री यह कदम कर्नाटक और गुजरात विधानसभाओं में कार्यवाही के दौरान कुछ विधायकों की ओर से पोर्न सामग्री देखते पकड़े जाने के मद्देनजर महत्वपूर्ण है.
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बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) की पत्नी मीरा कपूर (Mira Rajput Kapoor) सोशल मीडिया पर खासी एक्टिव रहती हैं. मीरा अपने इंस्टाग्राम पर अक्सर तस्वीरें साझा करती हैं. इंस्टाग्राम पर उनके 1 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं. मीरा एक फूड लवर हैं. वे अक्सर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर खाने से जुड़ी तस्वीरें साझा करती हैं. मीरा बहुत अच्छी तरह जानती है कि स्वाद और सेहत के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए. मंगलवार को, उन्होंने एक इंस्टाग्राम स्टोरी पोस्ट की, जिसमें पनीर के साथ फूलगोभी चावल की एक प्लेट दिखाई गई. यहां हैं मीरा राजपूत के इंस्टाग्राम से यह तस्वीर -  दिल्ली में 'दौलत की चाट' खाती दिखीं प्रियंका चोपड़ा, राजकुमार राव ने खींची Photo, देखें स्वाद और सेहत से भरपूर है जुकीनी मेथी पुलाव, रेसिपी पढ़ें मीरा ने जो तस्वीर साझा की है उसमें उन्होंने चावलों के साथ फूलगोभी का इस्तेमाल किया है. चावल स्वास्थ्य और पोषण की दुनिया में सभी ज्यादा खाया जाने वाला अनाज है. बहरहाल अक्सर लोग इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि सेहत के लिए कौन से चावल बेहतर होते हैं. सफेद चावल या ब्राउन राइज. स्वाद और सेहत से भरपूर है जुकीनी मेथी पुलाव, रेसिपी पढ़ें बहरहाल, मीरा राजपूत ने अपनी इस तस्वीर में सफेद चावल, फूलगोभी चावल का एक प्रभावी और कम कार्बोहाइड्रेट वाला ऑप्शन पेश है. यह उन लोगों के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है जो कीटो डाइट पर हैं. असल में केटोजेनिक आहार लो-कार्ब आहार होता है. तो इस तस्वीर को देखकर यह मतलब निकाला जाए कि मीरा कीटा पर हैं!  खैर, इस बात की पुष्टि तो हम नहीं कर सकते. लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि वह हेल्दी डाइट फॉलो करती हैं.  वैसे आपको बताते चलें कि शाहिद और मीरा दोनों ही शाकाहारी हैं. वे अक्सर अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर फूड से जुड़ी तस्वीरें साझा करती रहती हैं. और खबरों के लिए क्लिक करें. डायबिटीज में ये 5 फूड खाना हो सकता है खतरनाक, ब्लड शुगर लेवल पर पडे़गा असर! Hair Fall: झड़ते बालों को रोकने के लिए अपनाएं ये 4 घरेलू नुस्खे... यूरिक एसिड में क्या खाना चाहिए? यूरिक एसिड कम करेंगे यह 4 फूड Diabetes Diet: डायबिटीज में ये 5 फूड खाना हो सकता है खतरनाक, ब्लड शुगर लेवल पर पडे़गा असर! Cough And Cold: सर्दी, खांसी और जाम है गला तो घर पर इन चीजों से बनाएं काढ़ा, सर्दी का रामबाण इलाज
अगर कुछ करने का इरादा हो और हौसले बुलंद हो तो आप वो इबारत लिख सकते हैं, जिसकी किसी ने कल्पना ना की हो. राजस्थान के धौलपुर जिले में भी कुछ इसी तरह कुछ करने की चाह और बुलंद हौसलों की बदौलत डांग इलाके की तीन महिलाओं ने खुद की बीमा कंपनी खड़ी कर 110 ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ हायर क्वालीफाइड युवकों को भी न सिर्फ रोजगार दिया है बल्कि आत्म निर्भर बनकर नारी के अबला से सबला बन जाने का संदेश भी दिया है. बैंक की मनाही पर खोल दिया खुद का राहत कोष... धौलपुर जिले के डांग इलाके के सरमथुरा में पशुपालन ही लोगों की मुख्य आजीविका है लेकिन बीमारी के कारण पशु मरने लगे. बैंक ने बीमा करने से मना कर दिया. इस पर पांचवीं तक पढ़ी लिखी डांग की तीन महिलाओं ने पशुपालकों की पीड़ा दूर करने के लिए वर्ष 2003 में खुद की बीमा कंपनी बना दी. जिसे उन्होंने सहेली राहत कोष का नाम दिया. बात वर्ष 2000 के आसपास की है. पशुओं की बीमारियों की वजह से असमय मृत्यु हो रही थी. पशुपालक बहुत परेशान थे. बैंक ने बीमा करने से मना कर दिया. जिन पशुओं का बीमा किया उनके क्लेम देने में इतनी शर्तें रख दी कि क्लेम के हकदार लोगों में से मुश्किल से दो से चार प्रतिशत ही क्लेम ले पाए. इस पर गरीब पशुपालक किसानों की विपरीत परिस्थिति में सहारा देने के लिए 5वीं तक पढ़ी लिखी डांग की तीन महिलाओं ने 2003 में सहेली राहत कोष नाम की बीमा कंपनी का गठन कर दिया. बिना सरकारी मदद के चल रही है मुहिम... बीमा कंपनी की अध्यक्ष राधा कहार, उपाध्यक्ष बेबी ठाकुर और कोषाध्यक्ष राजवाला हैं. वर्तमान में ये कंपनी धौलपुर जिले बाड़ी, बसेड़ी, सरमथुरा के डांग इलाके के 85 गांवो में बिना किसी सरकारी मदद के कार्य कर रही है. राहत कोष बनाने संचालन करने की पूरी योजना में इनका सहयोग संजय शर्मा कर रहे हैं. कंपनी की संचालक महिलाएं भले ही 5वीं तक पढ़ी लिखी हैंलेकिन इनके हुनर के सामने स्नातक और पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़े लिखे युवा इनके आदेशों का पालन करते हैं. दूसरों को दे रही हैं रोजगार... इन्होंने 60 से अधिक महिलाओं और पुरुषों को रोजगार दे रखा है. पशुओं का बीमा करने के लिए कंपनी ने 50 गांव में एक-एक महिला सखी लगा रखी है. ये अपने मूल गांव में रहकर एक हजार रुपये प्रतिमाह पर कार्य करती हैं. कई महिलाओं को आसपास के एक से अधिक गांव की भी जिम्मेदारी दे रखी है. जिसके बदले उन्हें अतिरिक्त वेतन भी दिया जाता है. साथ ही कंपनी में पूरा लेखाजोखा रखने के लिए स्टाफ भी नियुक्त हैं. विशेष तामझाम के बिना दी जाती है बीमा राशि... यह बीमा कंपनी पशु का एक वर्ष के लिए बीमा करने को अनुमानित कीमत का पशुपालक से कंपनी 5 प्रतिशत राशि प्रीमियम के रूप में लेती है. साथ ही सामान्य जानकारी वाला एक छोटा सा फार्म भरवाती है. पशु पालक का एक फोटो फार्म में लगाया जाता है. पशु के कान में कंपनी का विशेष तरीके का टैग लगाया जाता है. यदि एक वर्ष के दौरान किन्हीं कारणों से पशु की मृत्यु होती है तो कंपनी की ओर से सहायता राशि के रूप में पशुपालक को पशु की कीमत की 75 प्रतिशत राशि 15 दिन में दे दी जाती है. पशु के मरने पर पालक पशु सखी को सूचना देता है. वह मौके पर पहुंच कर मोबाइल से मृत पशु का फोटो खींचकर व्हाट्सऐप से ऑफिस भेज देती है. सामान्य सा फार्म और पशु सखी की रिपोर्ट के आधार पर ही क्लेम दे दिया जाता है. इसमें चिकित्सक आदि की रिपोर्ट की कोई जरूरत नहीं होती.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: कश्मीर में पुलवामा जिले में तलाशी अभियान का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों एवं सुरक्षा बलों के बीच संघर्षों में एक लेक्चरर की मौत हो गई और 18 अन्य लोग घायल हो गए. कश्मीर में आज लगातार 41वें दिन कर्फ्यू और प्रतिबंध लागू रहे. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि संघर्ष के समय मारपीट के दौरान लेक्चरर शबीर अहमद मोंगा की मौत हो गई. वह संविदा पर नियुक्त थे. उन्होंने बताया कि अन्य 18 लोगों को यहां एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिनमें अधिकतर युवा हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार सेना ने उन युवाओं को पकड़ने के लिए घर-घर में तलाशी ली जो देर रात इलाके में प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे जिसका ख्रेव में निवासियों ने विरोध किया था. बाद में हुए संघर्ष में 30 वर्षीय मोंगा की मौत हो गई.टिप्पणियां एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि वे घटना के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे हैं और जल्द ही एक बयान जारी करेंगे. सुरक्षा बलों के साथ आठ जुलाई को हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण घाटी में जनजीवन अस्त-व्यस्त है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि संघर्ष के समय मारपीट के दौरान लेक्चरर शबीर अहमद मोंगा की मौत हो गई. वह संविदा पर नियुक्त थे. उन्होंने बताया कि अन्य 18 लोगों को यहां एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिनमें अधिकतर युवा हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार सेना ने उन युवाओं को पकड़ने के लिए घर-घर में तलाशी ली जो देर रात इलाके में प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे जिसका ख्रेव में निवासियों ने विरोध किया था. बाद में हुए संघर्ष में 30 वर्षीय मोंगा की मौत हो गई.टिप्पणियां एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि वे घटना के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे हैं और जल्द ही एक बयान जारी करेंगे. सुरक्षा बलों के साथ आठ जुलाई को हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण घाटी में जनजीवन अस्त-व्यस्त है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने बताया कि अन्य 18 लोगों को यहां एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिनमें अधिकतर युवा हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार सेना ने उन युवाओं को पकड़ने के लिए घर-घर में तलाशी ली जो देर रात इलाके में प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे जिसका ख्रेव में निवासियों ने विरोध किया था. बाद में हुए संघर्ष में 30 वर्षीय मोंगा की मौत हो गई.टिप्पणियां एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि वे घटना के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे हैं और जल्द ही एक बयान जारी करेंगे. सुरक्षा बलों के साथ आठ जुलाई को हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण घाटी में जनजीवन अस्त-व्यस्त है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) स्थानीय लोगों के अनुसार सेना ने उन युवाओं को पकड़ने के लिए घर-घर में तलाशी ली जो देर रात इलाके में प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे जिसका ख्रेव में निवासियों ने विरोध किया था. बाद में हुए संघर्ष में 30 वर्षीय मोंगा की मौत हो गई.टिप्पणियां एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि वे घटना के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे हैं और जल्द ही एक बयान जारी करेंगे. सुरक्षा बलों के साथ आठ जुलाई को हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण घाटी में जनजीवन अस्त-व्यस्त है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि वे घटना के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे हैं और जल्द ही एक बयान जारी करेंगे. सुरक्षा बलों के साथ आठ जुलाई को हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण घाटी में जनजीवन अस्त-व्यस्त है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पार्टी से मिली झिड़की की परवाह न करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के बारे में दिए गए अपने बयान के ‘एक-एक शब्द’ पर कायम हैं. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ममता के व्यवहार को उन्होंने ‘अपरिपक्व’ और ‘अनिश्चित’ करार दिया था. उनसे पूछा गया कि क्या वह अपनी टिप्पणियों पर कायम हैं, दिग्विजय ने कहा, ‘मैंने जो कुछ भी कहा उसके एक एक शब्द पर मैं कायम हूं.’ हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस के साथ सहनशीलता की सीमा पार कर चुकी है, उनका जवाब ना में था. कांग्रेस नेता ने कहा कि बनर्जी का मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति के अपने पसंद के तौर पर सूझाना निश्चय ही प्रधानमंत्री के लिए शर्मिंदगी की वजह थी और बहुत हद तक यह पार्टी के लिए था. पार्टी के पश्चिम बंगाल के प्रभारी शकील अहमद ने दिग्विजय सिंह के ताजा बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘वह वरिष्ठ नेता हैं. मैं इस पर टिप्पणी करना नहीं चाहता.’
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव द्वारा केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा पर अफीम की तस्करी और चरस का सेवन करने के आरोप को गंभीर बताते हुए इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा, ‘शिवपाल सिंह यादव सरकार के वरिष्ठ मंत्री हैं. उनके कथन की गंभीरता है. यदि उन्होंने कोई आरोप लगाया है तो जिम्मेदारी से लगाया होगा इसलिये इस मामले की जांच होनी चाहिये.’ पाठक ने कहा कि केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पर आतंकवादियों से रिश्ते होने का आरोप लगाया, बदले में समाजवादियों ने सड़क से लेकर संसद तक हंगामा किया और केंद्रीय मंत्रिपरिषद से बेनी को हटाने की मांग की , मगर बाद में पलट गये. बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस और सपा नेताओं ने पर गरिमा से नीचे जा कर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा कर राजनीतिक मर्यादा को तार-तार कर दिया है जिससे पूरी राजनीति शर्मसार हो रही है. पाठक ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप के इस क्रम में लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने अभी रविवार को ही वाराणसी में कहा कि बेनी चरस पीते हैं और अफीम की तस्करी भी करवाते हैं. उन्होंने कहा कि शिवपाल सिंह यादव सरकार के वरिष्ठ मंत्री हैं और यदि वह इस तरह का गंभीर आरोप लगा रहे हैं तो सरकार को उसकी जांच करानी चाहिये.
भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का सुरक्षा कारणों से श्रीनगर से ट्रांसफर कर दिया गया है. उन्हें फिलहाल एक पीस स्टेशन भेज दिया गया है. वायुसेना से जुड़े हुए सूत्रों के मुताबिक विंग कमांडर अभिनंदन के ट्रांसफर का ऑर्डर अधिकारियों ने भेज दिया है. उन्हें अब श्रीनगर से बाहर कहीं तैनात किया जाएगा. कहा जा रहा है कि अभिनंदन की नई पोस्टिंग वेस्टर्न सेक्टर में की जा रही है. अभिनंदन मेडिकल टेस्ट से गुजर रहे थे. मेडिकल टेस्ट के बाद ही उन्हें फाइटर प्लेन उड़ाने की अनुमति दी जाएगी. विंग कमांडर अभिनंदन को जैश-ए-मोहम्मद से धमकियां मिल रही थीं. वायुसेना ने की वीर चक्र की सिफारिश भारतीय वायुसेना ने विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को वीर चक्र से सम्मानित करने की सिफारिश की है. सैन्यबलों को मिलने वाला यह देश का तीसरा सबसे बड़ा पुरस्कार है. विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर लक्षित हमले को नाकाम करते हुए एफ-16 विमान को मार गिराया था. 27 फरवरी को भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को खदेड़ने के दौरान हवा में हुई लड़ाई के दौरान उनका मिग 21 बाइसन गिर गया था जिसके बाद पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया था. पाकिस्तान में इजेक्ट होने से पहले विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया था. वैश्विक दबाव के बाद पाकिस्तान ने विंग कमांडर को 1 मार्च की रात को रिहा किया था. इसके बाद से ही अभिनंदन वर्तमान जैश के निशाने पर हैं. Indian Air Force transfers Wing Commander Abhinandan Varthaman out of the Srinagar airbase amid concerns over his security in Kashmir valley. Officer posted to an important airbase in the Western sector. (File pic) pic.twitter.com/RWnlPfR4jV — ANI (@ANI) April 20, 2019 गौरतलब है कि अभिनंदन ने अवकाश अवधि के दौरान चेन्नई स्थित अपने घर जाने की बजाय श्रीनगर में अपने स्क्वाड्रन में रुकने का फैसला किया था. विंग कमांडर अभिनंदन उस वक्त अवकाश पर गए थे जब सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान से उनकी वापसी के बाद उनसे पूरे वाकये की जानकारी लेने (डीब्रीफिंग) की दो हफ्ते लंबी कवायद पूरी की थी. अभिनंदन के बारे में पहले मीडिया में ऐसी रिपोट्स आई थीं कि वे एक बार फिर फाइटर जेट उड़ाने के लिए तैयार हैं लेकिन इसके लिए उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन की अनुमति लेनी होगी. इससे पहले अभिनंदन वर्तमान अपने परिवार के साथ श्रीनगर स्कवाड्रन में रह रहे थे. पाकिस्तान से आने के बाद उनकी कई स्टेप में सिलेसिलेवार मेडिकल और मनोवैज्ञानिक चेकअप किया गया था. उन्हें पूरी तरह ठीक होने के लिए मेडिकल लीव पर जाने को कहा गया था जिससे उड़ान भरने के लिए बुलाए जाने से पहले वह स्वस्थ हो सकें.
रुद्रकाल एक भारतीय अपराध थ्रिलर टेलीविजन श्रृंखला है जिसका प्रीमियर 7 मार्च 2021 को स्टार प्लस और डिज्नी+ हॉटस्टार पर हुआ। दशमी क्रिएशन्स द्वारा निर्मित, इसमें भानु उदय और दीपानिता शर्मा हैं। महाराष्ट्र में कोविड-19 कर्फ्यू के कारण 10 मई 2021 को यह अचानक ऑफ-एयर हो गया। सारांश डीसीपी अधिकारी, रंजन चित्तौड़ा अपने गुरु के हत्यारे को खोजने के मिशन पर हैं। अपने निजी और व्यावसायिक जीवन में संतुलन बनाते हुए, जब हत्यारे का खुलासा हो जाता है तो उसे झटका लगता है और वह उसे सबक सिखाने की कसम खाता है। कलाकार मुख्य डीसीपी रंजन चित्तौड़ा के रूप में भानु उदय : गायत्री के पति; अंशुमन के पिता दीपानिता शर्मा गायत्री चित्तौड़ा के रूप में: रंजन की पत्नी; अंशुमन की माँ रुद्राक्ष जयसवाल - अंशुमान रंजन चित्तौड़ा: गायत्री और रंजन का बेटा बलदेव सिंह के रूप में रजित कपूर : रंजन के गुरु और पुलिस आयुक्त, मुंबई पुनरावर्ती स्मिता ठाकुर के रूप में श्रुति मराठे किशोर कदम जगदीश अहिरे के रूप में मलिक रज़ा के रूप में बिजय आनंद मोनिका चौधरी मीरा बसु के रूप में पामेला सिंह भूतोरिया सूरज सिंह संदीप श्रीधर ढाबले फूलचंद मिश्रा के रूप में स्वानंद किरकिरे चित्रा अग्निहोत्री के रूप में फ्लोरा सैनी कनुप्रिया शंकर पंडित: बलदेव की पत्नी उत्पादन सीरीज़ का निर्माण नवंबर 2020 में शुरू हुआ और सीरीज़ को दिसंबर 2020 में लॉन्च करने की योजना थी हालाँकि, इसके लॉन्च में देरी हुई और इसे मार्च 2021 में लॉन्च किया गया। इसके टेलीविज़न प्रीमियर से पहले, पहला एपिसोड एक सप्ताह पहले 28 फरवरी 2021 को हॉटस्टार पर रिलीज़ किया गया था 13 अप्रैल 2021 को, जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने 15 अप्रैल से कर्फ्यू की घोषणा की, तो सरकार की अगली सुनवाई तक रुद्रकाल की शूटिंग रुक गई। जल्द ही शो के रद्द होने की पुष्टि हो गई. संदर्भ स्टार प्लस के धारावाहिक भारतीय अपराध धारावाहिक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक
My statement on the Supreme Court @BCCI verdict. pic.twitter.com/cXvEx6eIU4
सूरा अस-साफ़्फ़ात (इंग्लिश: As-Saaffat) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 37 वां सूरा या अध्याय है। इसमें 182 आयतें हैं। नाम सूरा अस-साफ़्फ़ात या अस्-साफ़्फ़ात<ref>{{cite web |title=''सूरा अस्-साफ़्फ़ात |url=https://quranenc.com/en/browse/hindi_omari/37 |website=https://quranenc.com |access-date=1 जुलाई 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20200623095739/https://quranenc.com/en/browse/hindi_omari/37 |archive-date=23 जून 2020 |url-status=dead }}</ref> नाम पहली ही आयत के शब्द “अस-साफ़्फ़ात (पैर जमाकर पंक्तिबद्ध होनेवालों की सौगन्ध) " से उद्धृत है। अवतरणकाल मक्कन सूरा अर्थात् पैग़म्बर मुहम्मद के मक्का के निवास के समय, हिजरत से पहले अवतरित हुई। वार्ताओं और वर्णन-शैली से प्रतीत होता है कि यह सूरा सम्भवतः मक्की काल के मध्य में, बल्कि शायद इस मध्यकाल के भी अन्तिम समय में अवतरित हुई है। (जब विरोध पूर्णतः उग्र रूप धारण कर चुका था।) विषय और वार्ता मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि उस समय नबी (सल्ल.) के एकेश्वरवाद और परलोकवाद के आह्वान का उत्तर जिस उपहास और हँसी-मज़ाक़ के साथ दिया जा रहा था और आपके रिसालत के दावे को स्वीकार करने से जिस ज़ोर के साथ इनकार किया जा रहा था , उस पर मक्का के काफ़िरों को अत्यन्त ज़ोरदार तरीके से चेतावनी दी गई है। और अन्त में उसे स्पष्ट रूप से सावधान कर दिया गया है कि शीघ्र ही यही पैग़म्बर जिसका तुम मज़ाक़ उड़ा रहे हो , तुम्हारे देखते-देखते तुमपर विजय प्राप्त कर लेगा और तुम अल्लाह की सेना को स्वयं अपने घर के परांगण में उतरी हुई पाओगे (आयत 171 से 179 तक)। यह नोटिस उस समय दिया गया था जब नबी (सल्ल.) की सफलता के लक्षण दूर-दूर तक कहीं दिखाई नहीं देते थे। बल्कि देखनेवाले तो यह समझ रहे थे कि यह आन्दोलन मक्का की घाटियों ही में दफ़न होकर रह जाएगा। लेकिन 15-16 वर्ष से अधिक समय नहीं बीता था कि मक्का की विजय के अवसर पर ठीक वहीं कुछ सामने आ गया , जिससे काफ़िरों को सावधान किया गया था। चेतावनी के साथ-साथ अल्लाह ने इस सूरा में समझाने बुझाने और प्रेरित करने का हक़ भी पूर्ण सन्तुलन के साथ अदा किया है। एकेश्वरवाद और परलोकवाद की धारणा के सत्य होने पर संक्षिप्त , दिल में घर करनेवाले प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं । बहुदेववादियों की ( धारणाओं पर आलोचना करके बताया गया कि वे कैसी-कैसी निरर्थक बातों पर ईमान लाए बैठे हैं, इन गुमराहियों के बुरे परिणामों से अवगत कराया गया है और यह भी बताया है कि ईमान और अच्छे कर्म के परिणाम कितने प्रतिष्ठापूर्ण हैं। फिर (इसी सिलसिले में पिछले इतिहास के उदाहरण दिये हैं।) इस उद्देश्य से जो ऐतिहासिक किस्से इस सूरा में बयान किया गए हैं, उनमें सबसे अधिक शिक्षाप्रद हज़रत इबराहीम (अलै.) के पवित्र जीवन की यह महत्त्वपूर्ण घटना है कि वे अल्लाह का एक संकेत पाते ही अपने इकलौते बेटे को कुरबान करने पर तैयार हो गए थे। इसमें केवल कुरैश के उन काफ़िरों ही के लिए शिक्षा न थी जो हज़रत इबराहीम (अलै.) के साथ अपने वंशगत सम्बन्ध पर गर्व करते फिरते थे, बल्कि उन मुसलमानों के लिए भी शिक्षा थी जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए थे। इस घटना का वर्णन करके उन्हें बता दिया गया कि इस्लाम की वास्तविकता और उसकी वास्तविक आत्मा क्या है। सूरा की अन्तिम आयतें केवल काफ़िरों के लिए चेतावनी ही न थीं , बल्कि उन ईमानवालों के लिए भी विजयी और प्रभावी होने की शुभ-सूचना थी जो नबी (सल्ल.) के समर्थन और आपकी सहायता में अत्यन्त हतोत्साहित करनेवाली परिस्थितियों का मुक़ाबला कर रहे थे। सुरह अस-साफ़्फ़ात का अनुवादअल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है।''' 37|1|गवाह है पैर जमाकर पंक्तिबद्ध होने वाले; 37|2|फिर डाँटनेवाले; 37|3|फिर यह ज़िक्र करनेवाले 37|4|कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला है। 37|5|वह आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है और पूर्व दिशाओं का भी रब है 37|6|हमने दुनिया के आकाश को सजावट अर्थात् तारों से सुसज्जित किया, (रात में मुसाफ़िरों को मार्ग दिखाने के लिए) 37|7|और प्रत्येक सरकश शैतान से सुरक्षित रखने के लिए 37|8|वे (शैतान) "मलए आला" की ओर कान नहीं लगा पाते और हर ओर से फेंक मारे जाते हैं भगाने-धुतकारने के लिए। 37|9|और उनके लिए अनवरत यातना है 37|10|किन्तु यह और बात है कि कोई कुछ उचक ले, इस दशा में एक तेज़ दहकती उल्का उसका पीछा करती है 37|11|अब उनके पूछो कि उनके पैदा करने का काम अधिक कठिन है या उन चीज़ों का, जो हमने पैदा कर रखी है। निस्संदेह हमने उनको लेसकर मिट्टी से पैदा किया। 37|12|बल्कि तुम तो आश्चर्य में हो और वे है कि परिहास कर रहे हैं 37|13|और जब उन्हें याद दिलाया जाता है, तो वे याद नहीं करते, 37|14|और जब कोई निशानी देखते है तो हँसी उड़ाते है 37|15|और कहते हैं, "यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है 37|16|क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या फिर हम उठाए जाएँगे? 37|17|क्या और हमारे पहले के बाप-दादा भी?" 37|18|कह दो, "हाँ! और तुम अपमानित भी होंगे।" 37|19|वह तो बस एक झिड़की होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे ताकने लगे है 37|20|और वे कहेंगे, "ऐ अफ़सोस हमपर! यह तो बदले का दिन है।" 37|21|यह वही फ़ैसले का दिन है जिसे तुम झुठलाते रहे हो 37|22|(कहा जाएगा) "एकत्र करो उन लोगों को जिन्होंने ज़ुल्म किया और उनके जोड़ीदारों को भी और उनको भी जिनकी अल्लाह से हटकर वे बन्दगी करते रहे हैं। 37|23|फिर उन सबको भड़कती हुई आग की राह दिखाओ!" 37|24|और तनिक उन्हें ठहराओ, उनसे पूछना है, 37|25|"तुम्हें क्या हो गया, जो तुम एक-दूसरे की सहायता नहीं कर रहे हो?" 37|26|बल्कि वे तो आज बड़े आज्ञाकारी हो गए है 37|27|वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके पूछते हुए कहेंगे, 37|28|"तुम तो हमारे पास आते थे दाहिने से (और बाएँ से)" 37|29|वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम स्वयं ही ईमानवाले न थे 37|30|और हमारा तो तुमपर कोई ज़ोर न था, बल्कि तुम स्वयं ही सरकश लोग थे 37|31|अन्ततः हमपर हमारे रब की बात सत्यापित होकर रही। निस्संदेह हमें (अपनी करतूत का) मजा़ चखना ही होगा 37|32|सो हमने तुम्हे बहकाया। निश्चय ही हम स्वयं बहके हुए थे।" 37|33|अतः वे सब उस दिन यातना में एक-दूसरे के सह-भागी होंगे 37|34|हम अपराधियों के साथ ऐसा ही किया करते हैं 37|35|उनका हाल यह था कि जब उनसे कहा जाता कि "अल्लाह के सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं हैं।" तो वे घमंड में आ जाते थे 37|36|और कहते थे, "क्या हम एक उन्मादी कवि के लिए अपने उपास्यों को छोड़ दें?" 37|37|"नहीं, बल्कि वह सत्य लेकर आया है और वह (पिछले) रसूलों की पुष्टि॥ में है। 37|38|निश्चय ही तुम दुखद यातना का मज़ा चखोगे। - 37|39|"तुम बदला वही तो पाओगे जो तुम करते हो।" 37|40|अलबत्ता अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है 37|41|वही लोग हैं जिनके लिए जानी-बूझी रोज़ी है, 37|42|स्वादिष्ट फल। 37|43|और वे नेमत भरी जन्नतों 37|44|में सम्मानपूर्वक होंगे, तख़्तों पर आमने-सामने विराजमान होंगे; 37|45|उनके बीच विशुद्ध पेय का पात्र फिराया जाएगा, 37|46|बिलकुल साफ़, उज्ज्वल, पीनेवालों के लिए सर्वथा सुस्वादु 37|47|न उसमें कोई ख़ुमार होगा और न वे उससे निढाल और मदहोश होंगे। 37|48|और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली, सुन्दर आँखोंवाली स्त्रियाँ होंगी, 37|49|मानो वे सुरक्षित अंडे है 37|50|फिर वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके आपस में पूछेंगे 37|51|उनमें से एक कहनेवाला कहेगा, "मेरा एक साथी था; 37|52|जो कहा करता था क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो? 37|53|क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे?" 37|54|वह कहेगा, "क्या तुम झाँककर देखोगे?" 37|55|फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा 37|56|कहेगा, "अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे 37|57|यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता 37|58|है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं। 37|59|हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और हमें कोई यातना ही दी जाएगी!" 37|60|निश्चय ही यही बड़ी सफलता है 37|61|ऐसी की चीज़ के लिए कर्म करनेवालों को कर्म करना चाहिए 37|62|क्या वह आतिथ्य अच्छा है या 'ज़क़्क़ूम' का वृक्ष? 37|63|निश्चय ही हमने उस (वृक्ष) को ज़ालिमों के लिए परीक्षा बना दिया है 37|64|वह एक वृक्ष है जो भड़कती हुई आग की तह से निकलता है 37|65|उसके गाभे मानो शैतानों के सिर (साँपों के फन) है 37|66|तो वे उसे खाएँगे और उसी से पेट भरेंगे 37|67|फिर उनके लिए उसपर खौलते हुए पानी का मिश्रण होगा 37|68|फिर उनकी वापसी भड़कती हुई आग की ओर होगी 37|69|निश्चय ही उन्होंने अपने बाप-दादा को पथभ्रष्ट॥ पाया। 37|70|फिर वे उन्हीं के पद-चिन्हों पर दौड़ते रहे 37|71|और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके हैं, 37|72|हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे। 37|73|तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हे सचेत किया गया था 37|74|अलबत्ता अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है 37|75|नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे हैं निवेदन स्वीकार करनेवाले! 37|76|हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया 37|77|और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा 37|78|और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा 37|79|कि "सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!" 37|80|निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते हैं 37|81|निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था 37|82|फिर हमने दूसरो को डूबो दिया। 37|83|और इबराहीम भी उसी के सहधर्मियों में से था। 37|84|याद करो, जब वह अपने रब के समक्ष भला-चंगा हृदय लेकर आया; 37|85|जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "तुम किस चीज़ की पूजा करते हो? 37|86|क्या अल्लाह से हटकर मनघड़ंत उपास्यों को चाह रहे हो? 37|87|आख़िर सारे संसार के रब के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?" 37|88|फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली 37|89|और कहा, "मैं तो निढाल हूँ।" 37|90|अतएव वे उसे छोड़कर चले गए पीठ फेरकर 37|91|फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, "क्या तुम खाते नहीं? 37|92|तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?" 37|93|फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा 37|94|फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए 37|95|उसने कहा, "क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो, 37|96|जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?" 37|97|वे बोले, "उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!" 37|98|अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया 37|99|उसने कहा, "मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा 37|100|ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।" 37|101|तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी 37|102|फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, "ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?" उसने कहा, "ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।" 37|103|अन्ततः जब दोनों ने अपने आपको (अल्लाह के आगे) झुका दिया और उसने (इबाराहीम ने) उसे कनपटी के बल लिटा दिया (तो उस समय क्या दृश्य रहा होगा, सोचो!) 37|104|और हमने उसे पुकारा, "ऐ इबराहीम! 37|105|तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। निस्संदेह हम उत्तमकारों को इसी प्रकार बदला देते हैं।" 37|106|निस्संदेह यह तो एक खुली हुई परीक्षा थी 37|107|और हमने उसे (बेटे को) एक बड़ी क़ुरबानी के बदले में छुड़ा लिया 37|108|और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका ज़िक्र छोड़ा, 37|109|कि "सलाम है इबराहीम पर।" 37|110|उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते हैं 37|111|निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था 37|112|और हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, अच्छों में से एक नबी 37|113|और हमने उसे और इसहाक़ को बरकत दी। और उन दोनों की संतति में कोई तो उत्तमकार है और कोई अपने आप पर खुला ज़ुल्म करनेवाला 37|114|और हम मूसा और हारून पर भी उपकार कर चुके हैं 37|115|और हमने उन्हें और उनकी क़ौम को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया 37|116|हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभावी रहे 37|117|हमने उनको अत्यन्त स्पष्टा किताब प्रदान की। 37|118|और उन्हें सीधा मार्ग दिखाया 37|119|और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा 37|120|कि "सलाम है मूसा और हारून पर!" 37|121|निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते हैं 37|122|निश्चय ही वे दोनों हमारे ईमानवाले बन्दों में से थे 37|123|और निस्संदेह इलयास भी रसूलों में से था। 37|124|याद करो, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? 37|125|क्या तुम 'बअत' (देवता) को पुकारते हो और सर्वोत्तम सृष्टा। को छोड़ देते हो; 37|126|अपने रब और अपने अगले बाप-दादा के रब, अल्लाह को!" 37|127|किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे 37|128|अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है 37|129|और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा 37|130|कि "सलाम है इलयास पर!" 37|131|निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते हैं 37|132|निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था 37|133|और निश्चय ही लूत भी रसूलों में से था 37|134|याद करो, जब हमने उसे और उसके सभी लोगों को बचा लिया, 37|135|सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रह जानेवालों में से थी 37|136|फिर दूसरों को हमने तहस-नहस करके रख दिया 37|137|और निस्संदेह तुम उनपर (उनके क्षेत्र) से गुज़रते हो कभी प्रातः करते हुए 37|138|और रात में भी। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते? 37|139|और निस्संदेह यूनुस भी रसूलो में से था 37|140|याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकला, 37|141|फिर पर्ची डालने में शामिल हुआ और उसमें मात खाई 37|142|फिर उसे मछली ने निगल लिया और वह निन्दनीय दशा में ग्रस्त हो गया था। 37|143|अब यदि वह तसबीह करनेवाला न होता 37|144|तो उसी के भीतर उस दिन तक पड़ा रह जाता, जबकि लोग उठाए जाएँगे। 37|145|अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया। 37|146|हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया था 37|147|और हमने उसे एक लाख या उससे अधिक (लोगों) की ओर भेजा 37|148|फिर वे ईमान लाए तो हमने उन्हें एक अवधि कर सुख भोगने का अवसर दिया। 37|149|अब उनसे पूछो, "क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे? 37|150|क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?" 37|151|सुन लो, निश्चय ही वे अपनी मनघड़ंत कहते हैं 37|152|कि "अल्लाह के औलाद हुई है!" निश्चय ही वे झूठे है। 37|153|क्या उसने बेटों की अपेक्षा बेटियाँ चुन ली है? 37|154|तुम्हें क्या हो गया है? तुम कैसा फ़ैसला करते हो? 37|155|तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते? 37|156|क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण है? 37|157|तो लाओ अपनी किताब, यदि तुम सच्चे हो 37|158|उन्होंने अल्लाह और जिन्नों के बीच नाता जोड़ रखा है, हालाँकि जिन्नों को भली-भाँति मालूम है कि वे अवश्य पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे- 37|159|महान और उच्च है अल्लाह उससे, जो वे बयान करते हैं। - 37|160|अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिन्हें उसने चुन लिया 37|161|अतः तुम और जिनको तुम पूजते हो वे, 37|162|तुम सब अल्लाह के विरुद्ध किसी को बहका नहीं सकते, 37|163|सिवाय उसके जो जहन्नम की भड़कती आग में पड़ने ही वाला हो 37|164|और हमारी ओर से उसके लिए अनिवार्यतः एक ज्ञात और नियत स्थान है 37|165|और हम ही पंक्तिबद्ध करते हैं। 37|166|और हम ही महानता बयान करते हैं 37|167|वे तो कहा करते थे, 37|168|"यदि हमारे पास पिछलों की कोई शिक्षा होती 37|169|तो हम अल्लाह के चुने हुए बन्दे होते।" 37|170|किन्तु उन्होंने इनकार कर दिया, तो अब जल्द ही वे जान लेंगे 37|171|और हमारे अपने उन बन्दों के हक़ में, जो रसूल बनाकर भेजे गए, हमारी बात पहले ही निश्चित हो चुकी है 37|172|कि निश्चय ही उन्हीं की सहायता की जाएगी। 37|173|और निश्चय ही हमारी सेना ही प्रभावी रहेगी 37|174|अतः एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो 37|175|और उन्हें देखते रहो। वे भी जल्द ही (अपना परिणाम) देख लेंगे 37|176|क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं? 37|177|तो जब वह उनके आँगन में उतरेगी तो बड़ी ही बुरी सुबह होगी उन लोगों की, जिन्हें सचेत किया जा चुका है! 37|178|एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो 37|179|और देखते रहो, वे जल्द ही देख लेंगे 37|180|महान और उच्च है तुम्हारा रब, प्रताप का स्वामी, उन बातों से जो वे बताते है! 37|181|और सलाम है रसूलों पर; 37|182|औऱ सब प्रशंसा अल्लाह, सारे संसार के रब के लिए है इन्हें भी देखें इस्लामी शब्दावली सूरा क़ुरआन सन्दर्भ: सूरा
यह एक लेख है: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी नगर में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की वजह से एक घर पूरी तरह जलकर राख में बदल गया. आग की यह घटना इतनी भीषण थी कि एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई. इंदिरानगर के थाना प्रभारी अमरनाथ विश्कर्मा ने कहा, "इंदिरानगर के मायावती कॉलोनी के पास राम विहार फेज-2 में एक घर में बनाए गए गैस चूल्हे के गोदाम में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई जिसमें एक बच्चे समेत पांच लोगों की मौत हो गई है." उन्होंने बताया कि कालोनी में टीएन सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उनके घर के एसी में रात करीब डेढ़ बजे शॉर्ट सर्किट से आग लग गई. बताया जा रहा है कि सभी की मौत दम घुटने से हुई है.  मृतकों की पहचान सुमित सिंह (31), सुमित की पत्नी जूली सिंह (48) उनकी छह माह की बेटी बेबी, डब्लू सिंह (50) और वंदना सिंह के रूप में हुई है.  इससे पहले मंगलवार को उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के एक गांव में एक गैस सिलेंडर फटने से एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई. क्षेत्राधिकारी राम मोहन शर्मा ने बताया कि खुशीनगर गांव में शशिकला अपने घर में खाना बना रही थी, तभी यह हादसा हुआ. उन्होंने बताया कि गैस सिलेंडर फटने से लगी आग में एक भैंस जल कर मर गई. इसके अलावा 45 हजार रुपए के नोट जल कर खाक हो गए.
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के शांतिपुर इलाके में कालना घाट के पास गुस्साई भीड़ ने कई नावों को आग लगा दी. दरअसल एक ट्रोलर नाव बर्दवान जिले में जो 100 से अधिक लोगों को लेकर जा रही थी, गंगा नदी में पलट गई. प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार हादसे के बाद तुरंत बचाव कार्य शुरू नहीं हो पाया, जिसके बाद लोगों को गुस्सा फूट गया. नावों में लाग लगाने के अलावा गुस्साई भीड़ ने कई दुकानों में तोड़फोड़ भी कर दी. एक पीड़ित के परिजन ने कहा कि प्रशासन की निष्क्रियता इस भयानक दुर्घटना का कारण है. प्रशासन ने अधिक यात्रियों को ले जाने की अनुमति दी, जो इस दुर्घटना का कारण बनी. ज्यादातर श्रद्धालु थे नाव में हादसे में 7 लोगों के लापता होने की खबर है, जिसमें तीन बच्चे भी हैं. ज्यादातर इसमें श्रद्धालु थे, जो कि बर्दवान में कालना के भाभा पगला आश्रम में आयोजित कार्यक्रम से घर लौट रहे थे. घटना के बाद इलाके में अशांति का माहौल पैदा हो गया है. पुलिस ने चलाईं रबड़ की गोलियां स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने दुर्घटना स्थल तक पहुंचने में बहुत देर लगाई और बचाव कार्य के लिए उन्होंने गंभीरता भी नहीं दिखाई. पुलिस ने स्थिति पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और रबड़ की गोलियां चलाईं. इस आंदोलन के दौरान पुलिस उप निरीक्षक मोहम्मद इलियास के सिर में चोट भी लगी. NDRF तैनात एनडीआरएफ के ऑफिसर ने कहा कि एनडीआरएफ की एक बड़ी टीम को इस जगह में तैनात किया गया है. हम काम कर रहे हैं.
आस्था गिल (अंग्रेजी :Aastha Gill) एक भारतीय पार्श्वगायिका है। उन्होंने फुगली फ़िल्म के "धुप चिक" गाने से बॉलीवुड में शुरुआत की। उसके बाद खूबसूरत फ़िल्म का उनका गीत "अभी तो पार्टी शुरू हुई है" भी प्रसिद्ध हुआ। वे अपने एकल गीतों जैसे डीजे वाले बाबू, बज्ज़, नागिन के लिए भी जानी जाती हैं। गीत सूची फिल्मों में गैर फिल्मी गीत सन्दर्भ भारतीय महिला गायक दिल्ली के लोग बॉलीवुड 1993 में जन्मे लोग जीवित लोग बाहरी कड़ियां
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: गोरक्षक मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. कांग्रेस के नेता तहसीन पूनावाला की याचिका पर 7 नवंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. जिसमें उन्होंने मांग की है कि गोरक्षा दलों पर सलवा जुड़ूम की तर्ज पर पाबंदी लगाई जाए.टिप्पणियां शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और 6 राज्य सरकारों को अगली सुनवाई में अदालत में पक्ष रखने को कहा है. याचिका में गोरक्षकों को दिए लाइसेंस भी रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार ने गोरक्षकों को ट्रकों की चेकिंग के लिए लाइसेंस दिए हुए हैं. गोहत्या के नाम पर गोरक्षक दलों की हिंसा को लेकर देश में बहस का दौर चल रहा है. ऊना में दलितों की पिटाई के बाद इस मामले ने सियासी रूप ले लिया. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और 6 राज्य सरकारों को अगली सुनवाई में अदालत में पक्ष रखने को कहा है. याचिका में गोरक्षकों को दिए लाइसेंस भी रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार ने गोरक्षकों को ट्रकों की चेकिंग के लिए लाइसेंस दिए हुए हैं. गोहत्या के नाम पर गोरक्षक दलों की हिंसा को लेकर देश में बहस का दौर चल रहा है. ऊना में दलितों की पिटाई के बाद इस मामले ने सियासी रूप ले लिया. याचिका में गोरक्षकों को दिए लाइसेंस भी रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार ने गोरक्षकों को ट्रकों की चेकिंग के लिए लाइसेंस दिए हुए हैं. गोहत्या के नाम पर गोरक्षक दलों की हिंसा को लेकर देश में बहस का दौर चल रहा है. ऊना में दलितों की पिटाई के बाद इस मामले ने सियासी रूप ले लिया.
डेविड जे जूलियस (जन्म 4 नवंबर, 1955) एक अमेरिकी फिजियोलॉजिस्ट और नोबेल पुरस्कार विजेता हैं, जो दर्द संवेदना और गर्मी के आणविक तंत्र पर अपने काम के लिए जाने जाते हैं, जिसमें टीआरपीवी 1 और टीआरपीएम 8 रिसेप्टर्स के लक्षण वर्णन शामिल हैं जो कैप्साइसिन, मेन्थॉल और तापमान का पता लगाते हैं। वह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को में प्रोफेसर हैं। जूलियस ने जीवन विज्ञान और चिकित्सा में 2010 शॉ पुरस्कार और जीवन विज्ञान में 2020 का निर्णायक पुरस्कार जीता। उन्हें आर्डेम पैटापूटियन के साथ संयुक्त रूप से फिजियोलॉजी या चिकित्सा में 2021 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा जूलियस का जन्म ब्राइटन बीच, ब्रुकलीन, न्यूयॉर्क में एक अशकेनाज़ी यहूदी परिवार में हुआ था। उन्होंने 1977 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने जेरेमी थॉर्नर और रैंडी शेकमैन की संयुक्त देखरेख में 1984 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, जहां उन्होंने केएक्स2 को फ्यूरिन जैसे प्रोप्रोटीन कन्वर्टेस के संस्थापक सदस्य के रूप में पहचाना। 1989 में, उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में रिचर्ड एक्सल के साथ अपना पोस्ट-डॉक्टरेट प्रशिक्षण पूरा किया, जहाँ उन्होंने सेरोटोनिन 1c रिसेप्टर का क्लोन बनाया और उसकी विशेषता बताई। बर्कले और कोलंबिया में रहते हुए, जूलियस को इस बात में दिलचस्पी हो गई कि साइलोसाइबिन मशरूम और एलएसडी कैसे काम करते हैं, जिससे उन्हें और अधिक व्यापक रूप से देखने का मौका मिला कि प्रकृति की चीजें मानव रिसेप्टर्स के साथ कैसे परस्पर संवाद करती हैं। पुरस्कार 2021 में, उन्हें तापमान और स्पर्श के लिए रिसेप्टर्स की उनकी खोजों के लिए आर्डेम पैटापूटियन के साथ संयुक्त रूप से फिजियोलॉजी या चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सन्दर्भ
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने उन लोगों के लिए भविष्य निधि निकासी जैसे दावों के निपटान के लिए सार्वभौमिक खाता संख्या (यूएएन) देने की जरूरत के प्रावधान में ढील दी है जिन्होंने 1 जनवरी 2014 से पहले सदस्यता छोड़ दी थी। ईपीएफओ ने पिछले वर्ष दिसंबर में दावे के लिए आवेदनों पर यूएएन उपलब्ध कराने को अनिवार्य कर दिया। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जिन सदस्यों को यूएएन आबंटित नहीं किए गए, उन्हें दावे के निपटान के लिए होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए नियमों में ढील देने का फैसला किया गया है।’’ उसने कहा, ‘‘यूएएन शुरू में उन सभी सदस्यों को आबंटित किए गए जो जनवरी से जून 2014 तक अंशधारक थे। यह उन सदस्यों को राहत देने के लिए किया गया है जिनकी नौकरी 1 जनवरी 2014 से पहले समाप्त हो गई।’’टिप्पणियां दावा फार्म पर यूएएन का उल्लेख अनिवार्य करने का मकसद किसी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है। चूंकि यूएएन, आधार, बैंक खाता आदि से जुड़ा है, अत: यह वैध दावाकर्ता को बिना किसी बाधा के राशि प्राप्त करने में मदद करता है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) ईपीएफओ ने पिछले वर्ष दिसंबर में दावे के लिए आवेदनों पर यूएएन उपलब्ध कराने को अनिवार्य कर दिया। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जिन सदस्यों को यूएएन आबंटित नहीं किए गए, उन्हें दावे के निपटान के लिए होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए नियमों में ढील देने का फैसला किया गया है।’’ उसने कहा, ‘‘यूएएन शुरू में उन सभी सदस्यों को आबंटित किए गए जो जनवरी से जून 2014 तक अंशधारक थे। यह उन सदस्यों को राहत देने के लिए किया गया है जिनकी नौकरी 1 जनवरी 2014 से पहले समाप्त हो गई।’’टिप्पणियां दावा फार्म पर यूएएन का उल्लेख अनिवार्य करने का मकसद किसी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है। चूंकि यूएएन, आधार, बैंक खाता आदि से जुड़ा है, अत: यह वैध दावाकर्ता को बिना किसी बाधा के राशि प्राप्त करने में मदद करता है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जिन सदस्यों को यूएएन आबंटित नहीं किए गए, उन्हें दावे के निपटान के लिए होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए नियमों में ढील देने का फैसला किया गया है।’’ उसने कहा, ‘‘यूएएन शुरू में उन सभी सदस्यों को आबंटित किए गए जो जनवरी से जून 2014 तक अंशधारक थे। यह उन सदस्यों को राहत देने के लिए किया गया है जिनकी नौकरी 1 जनवरी 2014 से पहले समाप्त हो गई।’’टिप्पणियां दावा फार्म पर यूएएन का उल्लेख अनिवार्य करने का मकसद किसी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है। चूंकि यूएएन, आधार, बैंक खाता आदि से जुड़ा है, अत: यह वैध दावाकर्ता को बिना किसी बाधा के राशि प्राप्त करने में मदद करता है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) दावा फार्म पर यूएएन का उल्लेख अनिवार्य करने का मकसद किसी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है। चूंकि यूएएन, आधार, बैंक खाता आदि से जुड़ा है, अत: यह वैध दावाकर्ता को बिना किसी बाधा के राशि प्राप्त करने में मदद करता है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शाह ने कहा, लाखों-करोड़ों शरणार्थियों के लिए है यह बिल नागरिकता बिल को लेकर भ्रांति फैलाई जा रही है: शाह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को भारत को धर्म के आधार पर विभाजित करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला किया. उन्होंने बताया कि कैसे 70 साल में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक लगातार घटते गए, जबकि भारत में इनकी संख्या बढ़ती गई. गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए पेश किए गए विधेयक पर हो रही बहस के दौरान यह टिप्पणी की. बता दें कि लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है. इस बिल के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े. बहस के दौरान अमित शाह ने कहा, लाखों-करोड़ों शरणार्थियों के लिए यह बिल है जो नरक का जीवन जी रहे हैं. मुझे बहुत आनंद है कि लाखों-करोड़ों शरणार्थी जो भारत के प्रति श्रद्धा रखते हैं, बिल के माध्यम से उनको सुरक्षा मिलेगी. बिल के बारे में भ्रांति फैलाई जा रही है उसको दूर करना चाहूंगा. अमित शाह ने कहा, मनीष तिवारी और शशि थरूर और बाकी लोगों ने आर्टिकल 14 का हवाला देते हुए इस बिल को गैर संवैधानिक करार दिया है. रीज़नेबल क्लासिफिकेशन के आधार पर कानून बनाने से कोई रोक नहीं है. अच्छा तो यह था कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता. अगर ऐसा नहीं होता तो मुझे बिल लाने की जरूरत ही नहीं थी. बांग्लादेश अलग से बना. नेहरू लियाकत समझौता हुआ कि दोनों देश अपने अल्पसंख्यकों का ध्यान रखेंगे. मगर यह समझौता धरा का धरा रह गया. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, पाकिस्तान के अनुच्छेदों में पाकिस्तान राज्य का धर्म इस्लाम है. बांग्लादेश का राज धर्म इस्लाम है. इसको मान्यता वहां के देश ने दी है. पाकिस्तान में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसदी थी, जो 2011 में घटकर कुछ 3 फीसदी हो गई. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 फीसदी थी जो 2011 में घटकर7 प्रतिशत हो गई. या तो उनका धर्म परिवर्तन हो गया या भारत में आए या प्रताड़ित कर उन्हें भगा दिया गया.
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि दूरसंचार मंत्री ए राजा का इस्तीफा काफी नहीं है और मांग की कि 2-जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन घोटाले में शामिल सभी लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जाये. गडकरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘राजा का इस्तीफा देना भर काफी नहीं है. इस सौदे में जो भी शामिल थे, उन्हें न्याय के कठघरे में लाना चाहिए.’ भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि करीब 1.76 लाख करोड़ रुपये के 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में केवल राजा ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि अन्य लोगों को बचाने के लिए द्रमुक नेता को बलि का बकरा बनाया गया है. उन्होंने कहा कि 1.76 लाख करोड़ रुपये देश के सकल घरेलू उत्पाद का करीब तीन फीसदी हिस्सा है. गडकरी ने कहा, ‘अब राजा संप्रग का बजायेगा बाजा. इस घोटाले में कई अन्य लोगों के भी हाथ हैं और उन्हें कार्रवाई का सामना करना होगा.’ उन्होंने मांग की कि इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. न केवल मंत्री, मंत्रालय बल्कि मंत्रियों का समूह और प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में निर्णय लिया होगा. भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए राष्ट्र के समक्ष इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए. बहरहाल, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने राजा के इस्तीफे को लोकतंत्र की जीत बताया और कहा कि सरकार पर संयुक्त संसदीय समिति की जांच का दबाव बनाने के लिए राजग के नेताओं ने सोमवार को बैठक में निर्णय किया है.
बंदर उत्‍पात मचाते हैं, यह सभी को पता है लेकिन यूपी के मुरादाबाद में एक बंदर ने ऐसा करनामा किया, जिसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे. दरअसल, एक बंदर ने एक शख्‍स से करीब 50 हजार रुपये लूट लिए और नोटों की गड्डी तोड़कर नोटों की बरसात कर दी. घंटों की मशक्‍कत के बाद 46 हजार रुपये वापस मिल सके. हरिसिंहपुर स्थित प्राइमरी स्‍कूल के टीचर मुहम्‍मद उमर मंगलवार को बैंक से 50 हजार रुपये लेकर घर लौट रहे थे. खासपुर गांव में जैसे ही उन्‍होंने अपने घर के निकट बाइक रोकी, वहां एक बंदर ने उनकी जेब पर हमला बोल दिया और 50 हजार रुपये लेकर भाग गया. उमर ने बंदर का पीछा करना शुरू किया. उमर के घरवाले और गांव के अन्‍य लोग भी बंदर के पीछे भागने लगे. कुछ देर बाद बंदर ने नोटों की गड्डी तोड़ा और 500-500 के नोट उड़ाने शुरू कर किए. लोग दौड़-दौड़ कर नोट बीनते रहे. करीब दो घंटे तक गांव में अफरातफरी का माहौल रहा. लोगों ने उमर के रुपये वापस तो कर दिए लेकिन कुछ 46 हजार रुपये ही मिले. इस तरह टीचर को चार हजार रुपये का नुकसान हो गया.
फिल्म को कसावट देने और रनिंग पीरियड को कम करने के लिए विक्रमादित्य मोटवाणी ने 'लुटेरा' की लंबाई कुछ कम कर दी है. सूत्रों ने बताया है, “फिल्म के फाइनल वर्जन को 20 मिनट छोटा कर दिया है. फिल्म का पहला कट 2 घंटे 35 मिनट का था. डायरेक्टर इस बात को लेकर असमंजस में थे कि क्या रखें और क्या हटाएं. हर सीन बेहतरीन था और वह कुछ भी नहीं छोड़ना चाहते थे. हालांकि व्यावहारिक होने के नाते प्रोड्यूसर फिल्म में गति बनाए रखना चाहते थे और उन्होंने डायरेक्टर को इस कट के लिए राजी करवा लिया. फिल्म की अवधि कम होने से फिल्म को ज्यादा शो मिल सकेंगे, ज्यादा लोग आएंगे और कमाई भी ज्यादा ही होगी.” बताया जा रहा है कि फिल्म अब 135 मिनट की होगी. फिल्म को बिना किसी कट के यू/ए सर्टिफिकेट भी मिल गया है. कमाई के साथ-साथ फिल्म का प्रभावी बनाने की कवायद है सारी.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सोमवार को लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी करते हुए राम मंदिर के निर्माण का भी जिक्र किया है. इस बार भी बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा शामिल किया है और मंदिर निर्माण को लेकर संकल्प जाहिर किया है. वहीं कवि व आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने बीजेपी के मैनिफेस्टो में राम मंदिर निर्माण का एजेंडा शामिल करने पर तंज कसा है. कन्हैया कुमार का कहना है कि राम मंदिर लगातार 32वें साल भी एजेंडे में शामिल किया है. कुमार ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर ट्वीट करके लिखा, ''भगवान राम और हम जैसै उनके चरण-अनुरागियों को बधाई कि उनका मंदिर लगातार 32वें वर्ष भी एजेंडे में जगह पा गया है! बोलिए जय सियाराम'' भगवान राम और हम जैसै उनके चरण-अनुरागियों को बधाई कि उनका मंदिर लगातार 32 वें वर्ष भी एजेंडे में जगह पा गया है ! बोलिए जय सियाराम बता दें, पार्टी हर चुनाव में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण मुद्दे को उठाती रही है. 2014 में भी मंदिर निर्माण का वादा किया था, हालांकि सरकार के स्तर पर कोई खास कदम नहीं उठाया गया और मामले के सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने का हवाला दिया गया. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के जरिये अयोध्या जमीन विवाद के निपटारे का आदेश दिया है, लेकिन बीजेपी ने आज फिर साफ कर दिया है कि मंदिर निर्माण उसके एजेंडे में शामिल है. घोषणापत्र (BJP Manifesto) जारी करने के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सौहार्दपूर्ण माहौल में मंदिर का निर्माण हो.   बीजेपी ने अपने घोषणापत्र ((BJP Manifesto) 2019) में छोटे और सीमांत किसानों को पेंशन देने वादा किया है. 60 वर्ष से उपर के किसानों को पेंशन मिलेगा. पार्टी का यह वादा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है.छोटे और सीमांत किसानों के अलावा बीजेपी ने छोटे व्यापारियों को भी पेंशन देने का वादा किया है. पार्टी की इस घोषणा को एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है. पार्टी ने अलग से जल शक्ति मंत्रालय भी बनाने का वादा किया है. इसके अलावा बीजेपी ने वादा किया है कि किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर एक लाख तक का  जो लोन मिलता था, उस पर अगले पांच साल के लिए कोई ब्याज नहीं देना होगा. उद्योग-धंधों की सुगमता के लिए राष्ट्रीय व्यापार आयोग के गठन का भी वादा किया गया.
हमें नंगा करके मुर्गा बना के बांस के डंडे से मारते थे.'' 6 जून को पांच साल के दो बहुत डरे-सहमे हुए बच्चों ने लड़खड़ाती आवाज में पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट द्वारा नियुक्त जांच कमेटी के सामने यह बातें कही. इन बच्चों ने दिल दहला देने वाली यातनाओं की अपनी दास्तान सुनाई, जिसमें जबरन मुख मैथुन करवाने जैसा कृत्य भी शामिल था. अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाने वाले ये नन्हे बच्चे उन 103 महिलाओं और बच्चों में से हैं, जिन्हें हरियाणा के रोहतक जिले में चलने वाले अपना घर नाम के एक निजी शेल्टर होम से आजाद कराया गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के सदस्य 58 वर्षीय विनोद कुमार टिक्कू ने जब 9 मई को शेल्टर होम पर छापा मारा तो जो नजारा उन्होंने वहां देखा उसे देखकर उनकी प्रतिक्रिया कुछ इस तरह थी, ''वीभत्स और शर्मनाक.'' टिक्कू और फिर बाद में 5-6 जून को चंडीगढ़ के वकील अनिल मल्होत्रा और सुदीप्ति शर्मा द्वारा रिकॉर्ड किए गए बयान और भी ज्यादा खौफनाक थे. आरोप है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के घर से महज तीन किमी की दूरी पर जसवंती देवी और उसके साथी वास्तव में एक ''दहशतभरा घर'' चला रहे थे. मल्होत्रा और शर्मा द्वारा 12 जून को हाइकोर्ट को सौंपी गई 28 पन्नों की रिपोर्ट में लिखा है, ''बच्चों का शारीरिक शोषण किया जाता था, बेरहमी से पीटा जाता था,  अकसर उन्हें नंगा रखा जाता था, शराब पीने के लिए मजबूर करते थे और उनसे नियमित तौर पर खेतिहर और निर्माण मजदूर की तरह काम करवाया जाता था.'' वे लिखते हैं, ''पांच से दस साल के कुछ बच्चों ने उन लोगों पर मुख मैथुन करवाने का आरोप लगाया.'' रिपोर्ट में लिखा है कि जसवंती का दामाद जय भगवान और ड्राइवर सतीश वहां रहने वालों के साथ और भी कई ज्यादतियां करते थे. बड़ी उम्र की लड़कियां और जवान औरतों को नियमित तौर पर नशे की दवाइयां खिलाई जातीं, उन्हें जबरदस्ती समलैंगिक संबंध बनाने  और 'पुलिसवालों और बाहरी मर्दों' के साथ हमबिस्तर होने के लिए मजबूर किया जाता था. कई पीड़िताओं ने तो स्थानीय गेस्ट हाउस और होटलों में 'विदेशियों' के साथ यौन संबंधों का खुलासा किया. अब पानीपत के मदर टेरेसा चैरिटी मिशन में भेज दी गई एक युवती ने बताया, ''जब भी लड़कियों को जय भगवान और सतीश के साथ शेल्टर होम से बाहर भेजा जाता तो जसवंती कहती थी, गेंहू काटने गई है.'' उसने यह भी बताया कि हर तरह की यौन गतिविधियों और यहां तक कि छोटे बच्चों के साथ होने वाली हर हरकत को कैमरे में रिकॉर्ड किया जाता था. 30 जून को जारी हुई एनसीपीसीआर की रिपोर्ट कहती है कि अपना घर से छुड़ाई गई लड़कियों में से कम से कम चार एचआइवी पॉजिटिव पाई गई हैं. शेल्टर होम में रहने वाली महिलाओं से जन्म लेने वाले बच्चों को गैरकानूनी ढंग से बेचा जाता था. एनसीपीसीआर का अनुमान है कि पिछले तीन साल में अपना घर से तकरीबन 41 लोग लापता हुए हैं. 29 लोगों का अब भी कुछ पता नहीं है. शेल्टर होम की कारगुजारियों से बिलकुल बेखबर हरियाणा सरकार ने जसंवती को 23 मार्च को इंदिरा गांधी महिला शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था. उसे प्रमाण पत्र के साथ-साथ एक लाख रु. का पुरस्कार भी दिया गया. लेकिन उससे भी ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि महिला एवं बाल विकास मंत्री गीता भुक्कल को इन खौफनाक बातों का खुलासा होने के बाद भी 11 जून को यह पुरस्कार वापस लेने में एक महीना लग गया. 16 जून को रोहतक जिला कोर्ट में पेश किए जाने  पर जसवंती ने शेखी बघारते हुए कहा, ''कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता. मैं किसी से नहीं डरती.'' उसने राज्य पुलिस को चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो उसके खिलाफ आरोप साबित करके दिखाए. संभवतः 'अपना घर' के अंदर की भयावह घटनाओं से ज्यादा भयानक है हरियाणा सरकार का ढीला-ढाला और सुस्त रवैया. जसवंती, जय भगवान, सतीश और चार अन्य लोगों को गिरफ्तार करने की बजाए रोहतक के पुलिस उपाधीक्षक तुला राम के अधीन बनी शुरुआती जांच टीम इन रिपोर्टों के कारण कि लड़कियों के यौन उत्पीड़न में कुछ स्थानीय पुलिस वाले भी शामिल हैं, अपने हाथ पीछे खींचने में लगी थी. 6 जून को पुलिस महानिदेशक आर.एस.  दलाल ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एम.एस.  मान के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया और इस घटना में शामिल किसी भी पुलिस वाले को 'कठोर से कठोर' सजा दिलवाने का आश्वासन दिया. यह विशेष जांच दल भी निहायत फिसड्डी साबित हुआ. वे आरोपियों का मोबाइल फोन या उनके कंप्यूटर या अन्य किसी रिकॉर्डिंग डिवाइस भी हासिल करने में सफल नहीं रहे. सिर्फ इतना ही नहीं, हरियाणा प्रशासन ने एनसीपीसीआर के निर्देशों को धता बताने की कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने 'अपना घर' से बचाए गए 103 पीड़ितों को हरियाणा के सात शहरों में 12 अलग-अलग शेल्टर होम में भेज दिया. एक वकील जोर देकर कहते हैं, ''साफ जाहिर है कि यह कदम जांच को कमजोर करने की एक चाल थी.'' फिर राज्य सरकार ने यह जांच सीबीआइ के सुपुर्द करने का फैसला किया. लेकिन एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी सीबीआइ को जांच सौंपने की प्रक्रिया अफसरशाही के कागजी झ्मेलों में ही उलझी हुई है. यह चौंकाने वाले खुलासे इस बात का उदाहरण हैं कि निजी शेल्टर होम में कारगुजारियां किस हद तक जा सकती हैं. देश भर में बाल संरक्षण संस्थानों में बढ़ रहा शोषण यह बताता है कि पूरी व्यवस्था ही भ्रष्ट हो चुकी है. सिर्फ 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग हैं. इन राज्यों की सूची में हरियाणा का नाम नहीं है.
सांसदों और संसद पर टिप्पणी करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल को लोकसभा द्वारा विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी किए जाने पर इंदौर में अन्ना समर्थकों ने लोकसभा सदस्य सज्जन सिंह वर्मा के आवास के बाहर रविवार को प्रदर्शन किया। वर्मा ने फोन पर धमकियां मिलने का आरोप लगाया है। पिछले दिनों अन्ना टीम के सदस्य केजरीवाल ने संसद सदस्यों व संसद पर टिप्पणी की थी। देवास से कांग्रेस सांसद वर्मा ने इस टिप्पणी को संसद की अवमानना मानते हुए लोकसभाध्यक्ष से इस बयान को विशेषाधिकार हनन की श्रेणी में रखने और केजरीवाल पर कार्रवाई करने की मांग की। वर्मा की मांग पर लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने केजरीवाल को नोटिस जारी किया है। सांसद द्वारा विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई करने की मांग को लेकर अन्ना समर्थक गुस्से में है। इसी के चलते अन्ना टीम के सदस्य मयंक गांधी के नेतृत्व में अन्ना समर्थकों ने सांसद वर्मा के आवास के सामने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान वर्मा व गांधी के बीच बहस भी हुई। दोनों ने अपनी-अपनी बात रखी। वर्मा ने जहां केजरीवाल के बयान पर गांधी से सवाल किए तो गांधी ने संसद में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के पहुंचने का मुद्दा उठाया। इस मौके पर वर्मा ने अपने आवास के बाहर अन्ना समर्थकों के लिए पहले से ही पंडाल लगा रखा था और चाय-पानी का इंतजाम कर रखा था। उनका कहना है कि मालवा की संस्कृति है कि अगर दुश्मन भी घर आए तो उसका स्वागत करें। वहीं अन्ना समर्थकों ने वर्मा को फूल भेंट किए।टिप्पणियां वर्मा का कहना है कि शनिवार शाम से उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं। उनका कहना है कि फोन करने वाले अपने को इंडिया अगेंस्ट करप्शन का सदस्य बताते हैं। धमकी देने वालों का कहना है कि वे लोकसभा में दिया गया विशेषाधिकार हनन का अपना नोटिस वापस ले लें। दूसरी ओर मयंक गांधी का कहना है कि वर्मा द्वारा उठाए गए कदम से लोगों में गुस्सा है, वे किसी को धमकाने के पक्ष में नहीं है। पिछले दिनों अन्ना टीम के सदस्य केजरीवाल ने संसद सदस्यों व संसद पर टिप्पणी की थी। देवास से कांग्रेस सांसद वर्मा ने इस टिप्पणी को संसद की अवमानना मानते हुए लोकसभाध्यक्ष से इस बयान को विशेषाधिकार हनन की श्रेणी में रखने और केजरीवाल पर कार्रवाई करने की मांग की। वर्मा की मांग पर लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने केजरीवाल को नोटिस जारी किया है। सांसद द्वारा विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई करने की मांग को लेकर अन्ना समर्थक गुस्से में है। इसी के चलते अन्ना टीम के सदस्य मयंक गांधी के नेतृत्व में अन्ना समर्थकों ने सांसद वर्मा के आवास के सामने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान वर्मा व गांधी के बीच बहस भी हुई। दोनों ने अपनी-अपनी बात रखी। वर्मा ने जहां केजरीवाल के बयान पर गांधी से सवाल किए तो गांधी ने संसद में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के पहुंचने का मुद्दा उठाया। इस मौके पर वर्मा ने अपने आवास के बाहर अन्ना समर्थकों के लिए पहले से ही पंडाल लगा रखा था और चाय-पानी का इंतजाम कर रखा था। उनका कहना है कि मालवा की संस्कृति है कि अगर दुश्मन भी घर आए तो उसका स्वागत करें। वहीं अन्ना समर्थकों ने वर्मा को फूल भेंट किए।टिप्पणियां वर्मा का कहना है कि शनिवार शाम से उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं। उनका कहना है कि फोन करने वाले अपने को इंडिया अगेंस्ट करप्शन का सदस्य बताते हैं। धमकी देने वालों का कहना है कि वे लोकसभा में दिया गया विशेषाधिकार हनन का अपना नोटिस वापस ले लें। दूसरी ओर मयंक गांधी का कहना है कि वर्मा द्वारा उठाए गए कदम से लोगों में गुस्सा है, वे किसी को धमकाने के पक्ष में नहीं है। सांसद द्वारा विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई करने की मांग को लेकर अन्ना समर्थक गुस्से में है। इसी के चलते अन्ना टीम के सदस्य मयंक गांधी के नेतृत्व में अन्ना समर्थकों ने सांसद वर्मा के आवास के सामने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान वर्मा व गांधी के बीच बहस भी हुई। दोनों ने अपनी-अपनी बात रखी। वर्मा ने जहां केजरीवाल के बयान पर गांधी से सवाल किए तो गांधी ने संसद में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के पहुंचने का मुद्दा उठाया। इस मौके पर वर्मा ने अपने आवास के बाहर अन्ना समर्थकों के लिए पहले से ही पंडाल लगा रखा था और चाय-पानी का इंतजाम कर रखा था। उनका कहना है कि मालवा की संस्कृति है कि अगर दुश्मन भी घर आए तो उसका स्वागत करें। वहीं अन्ना समर्थकों ने वर्मा को फूल भेंट किए।टिप्पणियां वर्मा का कहना है कि शनिवार शाम से उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं। उनका कहना है कि फोन करने वाले अपने को इंडिया अगेंस्ट करप्शन का सदस्य बताते हैं। धमकी देने वालों का कहना है कि वे लोकसभा में दिया गया विशेषाधिकार हनन का अपना नोटिस वापस ले लें। दूसरी ओर मयंक गांधी का कहना है कि वर्मा द्वारा उठाए गए कदम से लोगों में गुस्सा है, वे किसी को धमकाने के पक्ष में नहीं है। प्रदर्शन के दौरान वर्मा व गांधी के बीच बहस भी हुई। दोनों ने अपनी-अपनी बात रखी। वर्मा ने जहां केजरीवाल के बयान पर गांधी से सवाल किए तो गांधी ने संसद में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के पहुंचने का मुद्दा उठाया। इस मौके पर वर्मा ने अपने आवास के बाहर अन्ना समर्थकों के लिए पहले से ही पंडाल लगा रखा था और चाय-पानी का इंतजाम कर रखा था। उनका कहना है कि मालवा की संस्कृति है कि अगर दुश्मन भी घर आए तो उसका स्वागत करें। वहीं अन्ना समर्थकों ने वर्मा को फूल भेंट किए।टिप्पणियां वर्मा का कहना है कि शनिवार शाम से उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं। उनका कहना है कि फोन करने वाले अपने को इंडिया अगेंस्ट करप्शन का सदस्य बताते हैं। धमकी देने वालों का कहना है कि वे लोकसभा में दिया गया विशेषाधिकार हनन का अपना नोटिस वापस ले लें। दूसरी ओर मयंक गांधी का कहना है कि वर्मा द्वारा उठाए गए कदम से लोगों में गुस्सा है, वे किसी को धमकाने के पक्ष में नहीं है। इस मौके पर वर्मा ने अपने आवास के बाहर अन्ना समर्थकों के लिए पहले से ही पंडाल लगा रखा था और चाय-पानी का इंतजाम कर रखा था। उनका कहना है कि मालवा की संस्कृति है कि अगर दुश्मन भी घर आए तो उसका स्वागत करें। वहीं अन्ना समर्थकों ने वर्मा को फूल भेंट किए।टिप्पणियां वर्मा का कहना है कि शनिवार शाम से उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं। उनका कहना है कि फोन करने वाले अपने को इंडिया अगेंस्ट करप्शन का सदस्य बताते हैं। धमकी देने वालों का कहना है कि वे लोकसभा में दिया गया विशेषाधिकार हनन का अपना नोटिस वापस ले लें। दूसरी ओर मयंक गांधी का कहना है कि वर्मा द्वारा उठाए गए कदम से लोगों में गुस्सा है, वे किसी को धमकाने के पक्ष में नहीं है। वर्मा का कहना है कि शनिवार शाम से उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं। उनका कहना है कि फोन करने वाले अपने को इंडिया अगेंस्ट करप्शन का सदस्य बताते हैं। धमकी देने वालों का कहना है कि वे लोकसभा में दिया गया विशेषाधिकार हनन का अपना नोटिस वापस ले लें। दूसरी ओर मयंक गांधी का कहना है कि वर्मा द्वारा उठाए गए कदम से लोगों में गुस्सा है, वे किसी को धमकाने के पक्ष में नहीं है। दूसरी ओर मयंक गांधी का कहना है कि वर्मा द्वारा उठाए गए कदम से लोगों में गुस्सा है, वे किसी को धमकाने के पक्ष में नहीं है।
यह लेख है: आंध्र प्रदेश में एक अदालत ने सोमवार को तेलंगाना मुद्दे पर धोखाधड़ी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम के खिलाफ मामला दर्ज करने का पुलिस को निर्देश दिया। रंगारेड्डी जिला अदालत ने एलबी नगर पुलिस थाने को निर्देश दिया कि दोनों मंत्रियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। एक वकील ने अपनी याचिका में अदालत से शिकायत की थी कि दोनों मंत्रियों ने पृथक राज्य के गठन की अपनी घोषणा से पीछे हटकर तेलंगाना के लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि गृह मंत्री शिंदे ने सर्वदलीय बैठक के बाद 28 दिसम्बर को वादा किया था कि एक महीने के भीतर मुद्दे का हल निकाल लिया जाएगा।टिप्पणियां इसी तरह तत्कालीन गृह मंत्री चिदम्बरम ने नौ दिसम्बर 2009 को घोषणा की थी कि तेलंगाना राज्य गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बाद में चिदम्बरम अपनी बात से पलट गए और इस तरह उन्होंने लोगों के साथ धोखा किया। रंगारेड्डी जिला अदालत ने एलबी नगर पुलिस थाने को निर्देश दिया कि दोनों मंत्रियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। एक वकील ने अपनी याचिका में अदालत से शिकायत की थी कि दोनों मंत्रियों ने पृथक राज्य के गठन की अपनी घोषणा से पीछे हटकर तेलंगाना के लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि गृह मंत्री शिंदे ने सर्वदलीय बैठक के बाद 28 दिसम्बर को वादा किया था कि एक महीने के भीतर मुद्दे का हल निकाल लिया जाएगा।टिप्पणियां इसी तरह तत्कालीन गृह मंत्री चिदम्बरम ने नौ दिसम्बर 2009 को घोषणा की थी कि तेलंगाना राज्य गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बाद में चिदम्बरम अपनी बात से पलट गए और इस तरह उन्होंने लोगों के साथ धोखा किया। एक वकील ने अपनी याचिका में अदालत से शिकायत की थी कि दोनों मंत्रियों ने पृथक राज्य के गठन की अपनी घोषणा से पीछे हटकर तेलंगाना के लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि गृह मंत्री शिंदे ने सर्वदलीय बैठक के बाद 28 दिसम्बर को वादा किया था कि एक महीने के भीतर मुद्दे का हल निकाल लिया जाएगा।टिप्पणियां इसी तरह तत्कालीन गृह मंत्री चिदम्बरम ने नौ दिसम्बर 2009 को घोषणा की थी कि तेलंगाना राज्य गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बाद में चिदम्बरम अपनी बात से पलट गए और इस तरह उन्होंने लोगों के साथ धोखा किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि गृह मंत्री शिंदे ने सर्वदलीय बैठक के बाद 28 दिसम्बर को वादा किया था कि एक महीने के भीतर मुद्दे का हल निकाल लिया जाएगा।टिप्पणियां इसी तरह तत्कालीन गृह मंत्री चिदम्बरम ने नौ दिसम्बर 2009 को घोषणा की थी कि तेलंगाना राज्य गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बाद में चिदम्बरम अपनी बात से पलट गए और इस तरह उन्होंने लोगों के साथ धोखा किया। इसी तरह तत्कालीन गृह मंत्री चिदम्बरम ने नौ दिसम्बर 2009 को घोषणा की थी कि तेलंगाना राज्य गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बाद में चिदम्बरम अपनी बात से पलट गए और इस तरह उन्होंने लोगों के साथ धोखा किया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बाद में चिदम्बरम अपनी बात से पलट गए और इस तरह उन्होंने लोगों के साथ धोखा किया।
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: फिल्म 'चमेली' में यौनकर्मी की भूमिका में नजर आई करीना कपूर अपनी आने वाली फिल्म 'तलाश' में एक बार फिर ऐसी ही भूमिका में नजर आएंगी। उनका कहना है कि इस फिल्म में उनका किरदार अब तक का सबसे संवेदनशील और दमदार है। करीना ने बताया, मैं एक वेश्या की भूमिका निभा रही हूं। फिल्म में मेरा किरदार बहुत गहराई वाला है। मुझे उम्मीद है कि मैंने फिल्म में संवेदनशील किरदार निभाया है। मैं समझती हूं कि यह मेरे द्वारा निभाया गया अब तक का सबसे संवेदनशील किरदार है।टिप्पणियां करीना का कहना है कि उनकी 'चमेली' की भूमिका की तुलना 'तलाश' की भूमिका से नहीं की जा सकती। इस फिल्म में वह आमिर खान और रानी मुखर्जी के साथ नजर आएंगी। उन्होंने कहा, 'चमेली' में मेरा किरदार पूरी तरह अलग था, मेरी भाषा, हाव-भाव और पोशाक बिल्कुल अलग थी, लेकिन इस बार सिर से लेकर पांव तक केवल प्रदर्शन है और हर चीज अलग है। करीना ने बताया, मैं एक वेश्या की भूमिका निभा रही हूं। फिल्म में मेरा किरदार बहुत गहराई वाला है। मुझे उम्मीद है कि मैंने फिल्म में संवेदनशील किरदार निभाया है। मैं समझती हूं कि यह मेरे द्वारा निभाया गया अब तक का सबसे संवेदनशील किरदार है।टिप्पणियां करीना का कहना है कि उनकी 'चमेली' की भूमिका की तुलना 'तलाश' की भूमिका से नहीं की जा सकती। इस फिल्म में वह आमिर खान और रानी मुखर्जी के साथ नजर आएंगी। उन्होंने कहा, 'चमेली' में मेरा किरदार पूरी तरह अलग था, मेरी भाषा, हाव-भाव और पोशाक बिल्कुल अलग थी, लेकिन इस बार सिर से लेकर पांव तक केवल प्रदर्शन है और हर चीज अलग है। करीना का कहना है कि उनकी 'चमेली' की भूमिका की तुलना 'तलाश' की भूमिका से नहीं की जा सकती। इस फिल्म में वह आमिर खान और रानी मुखर्जी के साथ नजर आएंगी। उन्होंने कहा, 'चमेली' में मेरा किरदार पूरी तरह अलग था, मेरी भाषा, हाव-भाव और पोशाक बिल्कुल अलग थी, लेकिन इस बार सिर से लेकर पांव तक केवल प्रदर्शन है और हर चीज अलग है। उन्होंने कहा, 'चमेली' में मेरा किरदार पूरी तरह अलग था, मेरी भाषा, हाव-भाव और पोशाक बिल्कुल अलग थी, लेकिन इस बार सिर से लेकर पांव तक केवल प्रदर्शन है और हर चीज अलग है।
मैच का नतीजा चाहे जो होता लेकिन इतिहास लिखा जाना तय था. सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर इतना बड़ा स्कोर सिर्फ एक ही बार हासिल किया गया था इसलिए दबाव टीम इंडिया पर था. शिखर धवन और रोहित शर्मा पर इसी दबाव को कम करने की ज़िम्मेदारी थी और दोनों ने शुरूआत टीम इंडिया के हक़ में ही की. शिखर-रोहित की धमाकेदार शुरूआत टीम इंडिया के ओपनर्स कुछ सोचकर मैदान में आए थे. विकेट पर टिकना ज़रूरी था और तेज़ रन बनाना बेहद ज़रूरी. शुरूआत हुई भी कुछ ऐसी ही. पहले तीन ओवर तक दोनों ने संभल-संभल कर ही बल्लेबाज़ी की. पारी के चौथे ओवर में हेज़लवुड की गेंद पर विकेटकीपर ब्रेड हैडिन ने शिखर धवन का कैच छोड़ दिया. शिखर उस समय 5 पर खेल रहे थे. टीम इंडिया के लिए ये एक बड़ा जीवनदान था जिसका फायदा शिखर धवन ने खूब उठाया. शिखर और रोहित ने करीब 6 की औसत से दमदार बल्लेबाज़ी की. शिखर धवन ने 10वें ओवर में दो चौके और एक छक्का जड़कर टीम इंडिया के 50 रन पूरे किए. इसके बाद रन रेट और बढ़ा, 13वें ओवर तक भारत 76 रन बना चुका था लेकिन इसी स्कोर पर शिखर धवन गलती कर गए. मैच में लौटा ऑस्ट्रेलिया हेज़लवुड के 13वें ओवर की पांचवीं गेंद को शिखर धवन ने एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से ड्राइव करने की कोशिश की लेकिन डीप एक्स्ट्रा कवर पर मैक्सवेल को शायद इसी शॉट के लिए खड़ा किया गया था. 41 गेंदों पर 45 रन बनाने के बाद शिखर की ये गलती टीम इंडिया को भारी पड़ गई. 2 रन बाद ही विराट कोहली को मिशेल जॉन्सन ने विदा कर दिया. जॉन्सन की बाउंसर को पुल करने की कोशिश कर रहे विराट के बल्ले का ऊपरी किनारा लेकर गेंद विकेटकीपर हेडिन के पास गई और विराट की पारी का अंत हो गया. इतने बड़े मैच में विराट जैसे बल्लेबाज़ से 13 गेंदों पर 1 रन बनाने की उम्मीद किसी ने नहीं की थी. जॉनसन के इस शानदार स्पेल का शिकार रोहित शर्मा भी हो गए. 34 रन पर जमकर खेल रहे रोहित के बल्ले का अंदरूनी किनारा लेकर जॉनसन की गेंद उनकी गिल्लियां ले उड़ीं. इसके बाद सुरेश रैना भी आए और सिर्फ 7 रन बनाकर जेम्स फॉकनर की गेंद पर विकेटकीपर हेडिन को कैच थमा बैठे. 108 पर 4 विकेट गंवाकर टीम इंडिया गंभीर संकट में फंस चुकी थी. धोनी-रहाणे पर आई बड़ी ज़िम्मेदारी कप्तान के सिर पर अब बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी थी और अजिंक्य रहाणे के पास एक बहुत बड़ा मौका था. रन रेट का दबाव आसमान छू रहा था और तेज़ रन बनाना बड़ी चुनौती थी. ऐसे में दोनों ने करीब 5.30 की औसत से रन बनाने शुरू किए. 13.2 ओवर में दोनों ने 70 रन की साझेदारी कर डाली. इस दौरान भारत ने 150 रन का आंकड़ा भी पार कर लिया. 37वें ओवर में 44 रन बनाने के बाद रहाणे मिचेल स्टार्क की एक गेंद पर बीट हुए लेकिन विकेटकीपर ब्रैड हेडिन ने कैच की अपील की और माइकल क्लार्क ने रिव्यू ले लिया. टीवी रीप्ले से कुछ खास पता नहीं चला लेकिन स्निकोमीटर बता रहा था कि गेंद रहाणे के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर विकेटकीपर के पास गई थी. थर्ड अंपायर ने रहाणे को आउट करार दिया. 178 पर भारत को लगा ये पांचवां  झटका था. धोनी की कोशिश नाकाम जडेजा भी 42वें ओवर में 17 गेंदों पर 18 रन बनाकर रन आउट हो गए. मुसीबत की घड़ी में कप्तान धोनी ने एक छोर थामा हुआ था. 40 ओवर के बाद टीम इंडिया को करीब 12 के औसत से रन बनाने थे. 41वें ओवर में भारत के 200 रन पूरे हुए. धोनी बीच-बीच में बड़े शॉट भी लगाते लेकिन ये सब भारत के लिए नाकाफ़ी साबित हो रहा था. धोनी ने 55 गेंदों पर 3 चौकों और 1 छक्के की मदद से अपनी हाफ सेंचुरी भी पूरी कर ली. आखिरकार धोनी का संघर्ष 45वें ओवर में जाकर खत्म हुआ. 93 गेंदों पर 65 रन की पारी खेलने के बाद धोनी मैक्सवेल एक शानदार थ्रो पर रनआउट हो गए. स्टार्क की गेंद को उन्होंने मिडविकेट पर खेला और सिंगल लेने के लिए दौड़ पड़े लेकिन उनसे पहले गेंद विकेट तक जा पहुंची. नहीं बचा भारत का ताज धोनी के जाने के बाद टीम इंडिया की हार बस एक औपचारकिता मात्र ही बची थी. धोनी का विकेट 231 के स्कोर पर गिरा था और अगले 2 रनों में बाकी तीन बल्लेबाज़ भी आउट हो गए. अश्विन ने 5 रन बनाए तो मोहित शर्मा और उमेश यादव खाता तक नहीं खोल पाए. मोहम्मद शमी 1 रन बनाकर नाबाद रहे. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों ने भारत पर जमकर कहर बरपाया. फॉकनर ने 3 विकेट लिए तो जॉनसन और स्टार्क ने 2-2, हेज़लवुड को एक विकेट मिला. 95 रनों की हार के साथ ही भारत ने फाइनल में खेलने का मौका भी खो दिया और विश्वविजेता का ताज भी
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 24 फरवरी से शुरू हो रही सीमित ओवरों की घरेलू सीरीज से पहले टीम इंडिया को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, भारत के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या कमर के निचले हिस्से में अकड़न की वजह से कंगारुओं के खिलाफ सीरीज में नहीं खेल पाएंगे. BCCI ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी है. हार्दिक पंड्या की जगह रवींद्र जडेजा को 5 वनडे मैचों की सीरीज के लिए भारतीय टीम में चुना गया है. हालांकि टी-20 टीम के लिए पंड्या के विकल्प के नाम का ऐलान नहीं किया गया है. बीसीसीआई की मेडिकल टीम ने कहा, 'हार्दिक पंड्या की कमर के निचले हिस्से में समस्या के उपचार के लिए बेंगलुरु में नेशनल क्रिकेट अकेडमी में जाने को कहा गया है. पंड्या अगले हफ्ते NCA जाएंगे' बीसीसीआई की मेडिकल टीम ने पंड्या को आराम देने का फैसला किया है. वह एनसीए में मेडिकल टीम की देखरेख में रहेंगे. पंड्या अगले सप्ताह से अपनी चोट पर काम करेंगे. NEWS: Hardik Pandya ruled out of Paytm Australia’s tour of India due to lower back stiffness. @imjadeja has been named replacement for Hardik Pandya for the 5 ODIs #AUSvIND pic.twitter.com/l8DUOuDlU3 — BCCI (@BCCI) February 21, 2019 इससे पहले पिछले साल सितंबर में भी कमर में चोट के कारण यह भारतीय ऑलराउंडर एशिया कप से बाहर हो गया था. यह घटना पाकिस्तान की पारी के 18वें ओवर में हुई थी, जब पंड्या अपना पांचवां ओवर फेंक रहे थे. पांचवीं गेंद फेंकने के बाद उन्होंने अपनी कमर पकड़ ली और काफी दर्द के साथ मैदान पर लेट गए थे. Injury update - @hardikpandya7 has an acute lower back injury. He is able to stand at the moment and the medical team is assessing him now. Manish Pandey is on the field as his substitute #TeamIndia #AsiaCup pic.twitter.com/lLpfEbxykj — BCCI (@BCCI) September 19, 2018 भारत- ODI स्क्वॉड (पहले दो वनडे मैचों के लिए) विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा (उप-कप्तान), शिखर धवन, अंबति रायडू, केदार जाधव, एमएस धोनी (विकेटकीपर), रवींद्र जडेजा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, विजय शंकर, ऋषभ पंत, सिद्धार्थ कौल, केएल राहुल. भारत- ODI स्क्वॉड (आखिरी तीन वनडे के लिए) विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा (उप-कप्तान), शिखर धवन, अंबति रायडू, केदार जाधव, एमएस धोनी (विकेटकीपर), रवींद्र जडेजा, जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, मोहम्मद शमी, विजय शंकर, केएल राहुल, ऋषभ पंत. भारत- T-20I स्क्वॉड विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा (उप-कप्तान), केएल राहुल, शिखर धवन, ऋषभ पंत, दिनेश कार्तिक, एमएस धोनी (विकेटकीपर), क्रुणाल पंड्या, विजय शंकर, युजवेंद्र चहल, जसप्रीत बुमराह, उमेश यादव, सिद्धार्थ कौल, मयंक मार्कंडेय. दौरे का कार्यक्रम पहला टी-20: 24 फरवरी, विशाखापत्तनम दूसरा टी-20: 27 फरवरी, बेंगलुरु पहला वनडे: 2 मार्च, हैदराबाद दूसरा वनडे: 5 मार्च, नागपुर तीसरा वनडे: 8 मार्च, रांची चौथा वनडे: 10 मार्च, मोहाली पांचवां वनडे: 13 मार्च, दिल्ली उल्लेखनीय है कि हाल में खत्म हुए ऑस्ट्रेलिया दौरै में भारत ने कंगारू टीम को वनडे सीरीज में 2-1 से मात दी थी, जबकि टी-20 सीरीज 1-1 से बराबर रही थी. भारत की मेजबानी में ऑस्ट्रेलिया को दो मैचों की टी-20 और 5 मैचों की वनडे सीरीज खेलनी है. इंग्लैंड और वेल्स  में होने वाले क्रिकेट वर्ल्ड कप-2019 में अब कुछ ही महीने बाकी हैं. क्रिकेट के इस महाकुंभ से पहले टीम इंडिया के पास सिर्फ 7 इंटरनेशनल मैच हैं.
दिल्ली के त्रिलोकपुरी के राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय में मंगलवार को 13 वर्षीय हर्ष के सिर पर पंखा गिर गया. इसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गया. हर्ष कक्षा सात का छात्र है. यह घटना मंगलवार दोपहर को उस समय हुई, जब हर्ष दूसरे बच्चों के साथ बैठकर कक्षा में पढ़ाई कर रहा था. जब हर्ष के सिर पर पंखा गिरा, उस समय अध्यापक फैयाज अहमद छात्रों को हैंड राइटिंग को छोटा बड़ा करना सिखा रहे थे. फैयाज अहमद ने बताया कि इस घटना के बाद हर्ष को स्कूल में फौरन प्राथमिक उपचार दिया गया. इसके बाद उसको अस्पताल पहुंचाया गया. हर्ष सातवीं कक्षा के डी सेक्शन में पढ़ता है. फैयाज अहमद ने बताया कि पंखा अचानक गिरा. गिरने से पहले पंखा से किसी तरह की कोई आवाज भी नहीं आई. उन्होंने बताया कि स्कूल में ऐसी घटना पहली बार हुई है. इससे पहले स्कूल में कभी ऐसी घटना नहीं हुई. इस संबंध में हर्ष के सहपाठियों का कहना है कि वो हर्ष के सिर पर पंखा गिरने की घटना से हैरान हैं. जब यह घटना हुई, उस समय क्लास में सन्नाटा छा गया. वहीं, हर्ष के चाचा अशोक ने बताया कि हर्ष के साथ स्कूल के प्रिंसिपल और टीचर में से कोई नहीं पहुंचा. हर्ष को स्कूल के दो गार्ड अस्पताल लेकर पहुंचे. हर्ष को पहले लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे GTB अस्पताल रेफर कर दिया गया. अशोक ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि वो बेहद गरीब परिवार से आते हैं. उनकी महीने की तनख्वाह सिर्फ 9 हजार रुपये है. इसके अलावा उनकी एक बेटी को कैंसर है. ऐसे में उनके पास हर्ष के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. उन्होंने बताया कि हर्ष को गंभीर चोट आई है. उसके सिर का सीटी स्कैन किया गया है. हालांकि अच्छी बात यह है कि अब हर्ष को होश आ गया है. एक सवाल के जवाब में अशोक ने आरोप लगाया कि उनको कभी स्कूल के अंदर जाने की इजाजत ही नहीं मिली. लिहाजा उनको पता नहीं चल पाया कि स्कूल में बच्चे किस हालत में और कहां बैठकर पढ़ते हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि अभी तक हर्ष के स्कूल के प्रिंसिपल या किसी टीचर ने परिजनों से मुलाकात तक नहीं की. वहीं, इसी घटना के सामने आने के बाद दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने एक बार फिर आम आदमी पार्टी पर सरकारी स्कूलों के क्लास रूम बनवाने में करोड़ों रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया. हालांकि सरकारी स्कूल में खराब व्यवस्था के आरोप पर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने सफाई दी है और बीजेपी पर पलटवार किया है. उन्होंने बीजेपी शासित राज्यों के स्कूलों और दिल्ली सरकार के स्कूलों का दौरा करने और व्यवस्था की तुलना करने की चुनौती भी दी.
इस शुक्रवार बॉक्स ऑफिस पर सलमान खान के प्रोडक्शन में बनी फिल्म नोटबुक रिलीज हो गई है. रोमांटिक ड्रामा बेस्ड मूवी में जहीर इकबाल और प्रनूतन बहल लीड रोल में हैं. दोनों की ही ये पहली फिल्म है. नोटबुक का निर्देशन नितिन कक्कड़ ने किया है. जहीर-प्रनूतन की फ्रेश पेयरिंग और कश्मीर के बैकड्राप पर बेस्ड ये रोमांटिक स्टोरी की ठीक-ठाक चर्चा है. फिल्म को लेकर बॉलीवुड सेलेब्स और पब्लिक के रिएक्शन सामने आए हैं, जो कि नोटबुक की तारीफ कर रहे हैं. लोग प्रनूतन बहल और जहीर इकबाल की एक्टिंग की तारीफ कर रहे हैं. ट्रेड एक्सपर्ट तरण आदर्श ने फिल्म रिव्यू में लिखा- कॉन्फिडेंट और कमांडिंग. सलमान खान ने नोटबुक में जिन दो न्यूकमर्स को लॉन्च किया है, उनके लिए ये दो शब्द परफेक्ट बैठते हैं. फिल्म में खूबसूरती से कश्मीर को शूट किया गया है. नोटबुक अपने सिंपल प्लॉट और सेंसिटिव डायरेक्शन से आकर्षित करती है. Confident and commanding... These words are apt for the two newcomers Salman Khan launches in #Notebook : Zaheer Iqbal and Pranutan Bahl... Filmed in the stunningly beautiful #Kashmir , #Notebook charms you with its simplistic plot and sensitive direction. pic.twitter.com/Quks20Xrwq — taran adarsh (@taran_adarsh) March 28, 2019 Watched #Notebook last night. Loved it 👌🏻👏🏻👏🏻 My advice to everyone "GO N WATCH IT" #FamikyFilm #FullOnEntertainment 2 fine actors hv arrived @PranutanBahl @iamzahero 👏🏻 @nitinrkakkar @BeingSalmanKhan @SKFilmsOfficial . @Cine1Studios @MuradKhetani @ashwinvarde @VishalMMishra pic.twitter.com/dXl9J5c21J — Kamaal Khan (@imKamaalKhan) March 28, 2019 तनीषा मुखर्जी ने लिखा- ''नोटबुक की टीम को बधाई, शानदार काम. प्रनूतन ऐसी ही चमकते रहो. तुम अमेजिंग थी. ऑल द बेस्ट टीम.'' Congrats team #notebook superb job! @PranutanBahl keep shining darling! You were amazing! All the best team 👍 @SKFilmsOfficial @iamzahero pic.twitter.com/ZHZN7CM6ad — Tanishaa Mukerji (@TanishaaMukerji) March 28, 2019 वरीना हुसैन ने फिल्म देखने के बाद लिखा- ''एक बड़े दिल के साथ बनाई गई खूबसूरत फिल्म. नितिन कक्कड़ कमाल हैं. इससे पहले कश्मीर को इतनी खूबसूरती से कभी शूट नहीं किया गया. एक मिनट के लिए भी नहीं लगा कि प्रनूनत और जहीर डेब्यू एक्टर्स हैं.'' A petite film with a large heart #Notebook @nitinrkakkar simply awesome ! Kashmir was never shot so beautifully, not for a minute did I thought these two @iamzahero & @PranutanBahl were debutants. @ashwinvarde @MuradKhetani @SKFilmsOfficial pic.twitter.com/8YePAu4Q7A pic.twitter.com/6pJkPex9WV — Warina Hussain (@WarinaHussain6) March 27, 2019 जैकी भगनानी ने लिखा- ''नोटबुक देखी. क्या खूबसूरत फिल्म है. बहुत पसंद आई. नितिन कक्कड़ ने हमेशा की तरह शानदार काम किया है. जहीर, प्रनूतन का फिल्मों में स्वागत.'' Just saw #notebook , what a beautiful film!! Totally loved it. @nitinrkakkar as always you have killed it. @iamzahero @PranutanBahl welcome to the movies 😁😁 @SKFilmsOfficial @BeingSalmanKhan @ashwinvarde @MuradKhetani — Jackky Bhagnani (@jackkybhagnani) March 28, 2019 A warm welcome to these two young & dynamic actors @iamzahero and @PranutanBahl to this beautiful world of cinema. My best wishes to you both for #Notebook & everything you do hereafter. Zaheer, you are a rockstar! See you both at the movies!😊🤗 @beingsalmankhan @SKFilmsOfficial — Amit Sadh (@TheAmitSadh) March 28, 2019 डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने फिल्म देखने के हाद लिखा- ''नोटबुक देखना आनंददायी है. फिल्म की मासूमियत और सादगी को कश्मीर की घाटी में एक सुंदर प्रेम कहानी के माध्यम से बुना गया है.  नितिन कक्कड़ ने शानदार काम किया है. जहीर और प्रनूतन का स्वागत है.'' #Notebook is an absolute delight to watch.The innocence n simplicity of d film that weaves through a beautiful love story in the Valley of Kashmir,so well executed by Nitin Kakkar.Let's welcome these two gems @iamzahero , @PranutanBahl to Bollywood. @MuradKhetani @BeingSalmanKhan — Mukesh Chhabra CSA (@CastingChhabra) March 28, 2019 Romance is in the air...exotic locales...scenic beauty 💕💐👍🏻... lovely music... do watch #Notebook at a cinema near you ... @iamzahero @PranutanBahl @ashwinvarde @MuradKhetani — Girish Johar (@girishjohar) March 28, 2019 यूलिया वंतूर ने लिखा- ''भगवान के पास परफेक्ट टाइमिंग है. जहीर वो दिन आ गया. मुझे तुम पर गर्व है. प्रनूतन तुम टैलेंटेड हो. नितिन कक्कड़ ने खूबसूरत काम किया है.'' God has it’s perfect timing. @iamzahero the day has come! I’m proud of u. U and @PranutanBahl are very talented and those sweet kids!😍 @nitinkakkar beautiful work, @VishalMMishra has filled up the #notebook with touching music. goose bumps ❤️ @skfilmsofficial @cine1studios pic.twitter.com/Ixu4qoyTtx — Iulia Vantur (@IuliaVantur) March 28, 2019 एक यूजर ने फिल्म देखने के बाद लिखा- ''नोटबुक अच्छी बनी है. नितिन कक्कड़ ने इसे खूबसूरत तरीके से कश्मीर में शूट किया है. प्रनूतन और जहीर का डेब्यू कॉन्फिडेंट है. फिल्म देखने के बाद आप स्माइल के साथ सिनेमाहॉल से निकलेंगे.'' #Notebook seems to have 5 protagonists ...the 2 very promising newcomers @PranutanBahl and @iamzahero , director Nitin Kakkar, the state of Jammu and Kashmir and above all @BeingSalmanKhan who has backed this refreshing project — SubhashKJha (@SubhashK_Jha) March 27, 2019 #Notebook is a well made film, shot beautifully by @nitinrkakkar in Kashmir, with @PranutanBahl and @iamzahero making a confident debut in this slice of life film. I promise that you will leave the cinema hall with a smile on your face. 3.5 Stars! — Himesh (@HimeshMankad) March 28, 2019 #Notebook is a poignant tale shot beautifully. Welcome @iamzahero and @PranutanBahl to the movies on your sincere & confident debut. Congratulations @nitinrkakkar @ashwinvarde @MuradKhetani @SKFilmsOfficial ! @CastingChhabra you are truly blessed in what you do!Winner yet again! — Lada Guruden Singh (@ladasingh) March 29, 2019 दूसरे एक यूजर ने लिखा- ''नोटबुक में 5 हीरो हैं. 2 प्रॉमिसिंग न्यूकमर, डायरेक्टर नितिन कक्कड़, जम्मू-कश्मीर और सबसे खास सलमान खान, जिन्होंने इस रिफ्रेशिंग प्रोजेक्ट को सपोर्ट किया.'' लोग नोटबुक की यूनीक लव स्टोरी को काफी पसंद कर रहे हैं. लोग नोटबुक को परफेक्ट मूवी, पावरफुल और स्वीट फिल्म बताया है. फिल्म के पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर 1 करोड़ कमाने का अनुमान है. बाकी वर्ड ऑफ माउथ नोटबुक के कलेक्शन को रफ्तार दे सकते हैं.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: जम्मू-कश्मीर के रीसेटलमेंट एक्ट 1982 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टालने की बात पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू- कश्मीर सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ये कैसे कह सकते हैं कि राज्य में कोई सरकार नहीं है. क्या संविधान में ऐसे हालात का जिक्र है? चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि ऐसा आग्रह क्या इस आधार पर किया जा सकता है कि सरकार के गठन तक सुनवाई टाल दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टालने की अर्जी ठुकराते हुए कहा कि वह सुनवाई की तारीख तय करेगा. जम्मू-कश्मीर के रीसेटलमेंट एक्ट 1982 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. हालांकि जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टालने के लिए लैटर सर्कुलेट किया है. राज्य सरकार ने कहा है कि अभी राज्य में कोई चुनी हुई सरकार नहीं है. हालांकि  राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि यह एक्ट कभी प्रभाव में नहीं आया है और इस संबंध में कोई आवेदन सरकार को नहीं मिला है. पैंथर्स पार्टी व अन्य ने यह याचिका दाखिल की है. रीसेटलमेंट एक्ट को साल 1981 में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के समय में बनाया गया था. इसे कांग्रेस ने भी समर्थन दिया था. एक्ट में पाकिस्तान के उन सभी नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में वापस आकर जम्मू-कश्मीर के रीसेटलमेंट एक्ट के तहत संपत्ति पर हक जमाने का अधिकार दिया गया था जो कि राज्य के स्थायी नागरिक थे और 1947 में पाकिस्तान चले गए थे. इस कानून को प्रोफेसर भीम सिंह ने 1982 में कोर्ट में चुनौती दी थी.
पहले की परंपराओं, चुनाव निशान आदेश 1968 और जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए अखिलेश खेमे ने तर्क दिया कि संख्या बल चूंकि मुख्यमंत्री के पास है, इसलिए साइकिल चुनाव निशान उन्हें ही मिलना चाहिए.टिप्पणियां मुलायम खेमे का कहना है कि सपा (मुलायम) और सपा (अखिलेश) जैसा कोई विभाजन नहीं है, इसलिए किसी एक खेमे को चुनाव निशान देने का आयोग का अधिकारक्षेत्र नहीं है. मुलायम खेमे की यह दलील भी है कि अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव द्वारा 1 जनवरी को बुलाए गए अधिवेशन में चूंकि मुलायम को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने का कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ और पार्टी एक है तो चुनाव निशान (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 का पैरा-15 इस मामले में लागू नहीं होता.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) मुलायम खेमे का कहना है कि सपा (मुलायम) और सपा (अखिलेश) जैसा कोई विभाजन नहीं है, इसलिए किसी एक खेमे को चुनाव निशान देने का आयोग का अधिकारक्षेत्र नहीं है. मुलायम खेमे की यह दलील भी है कि अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव द्वारा 1 जनवरी को बुलाए गए अधिवेशन में चूंकि मुलायम को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने का कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ और पार्टी एक है तो चुनाव निशान (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 का पैरा-15 इस मामले में लागू नहीं होता.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हिंदी सिनेमा की कई महानतम अभिनेत्रियों के लिए गायन कर चुकीं स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को आज भी इस बात की कसक है कि वह ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार के लिए नहीं गा सकीं। इस बात का खुलासा एक नयी पुस्तक में किया गया है. विगत छह दशकों से अधिक समय में अपनी सुनहरी आवाज से लोगों को दीवाना बनाने वाली लता मंगेशकर के अभिनेता दिलीप कुमार से बेहद मधुर संबंध है और एक कलाकार के तौर पर दोनों के मन में एक दूसरे के प्रति अगाध सम्मान है. उन्होंने कहा निश्चित तौर पर मैं किसी पुरूष के लिए नहीं गा सकती लेकिन जब मैं दिलीप कुमार को कोहिनूर में मधुबन में राधिका नाचे रे गाते देखती हूं तो लगता है कि उनके ही गले से यह आवाज निकल रही हो. उन्होंने कहा लगता है कि रफी साहब नहीं बल्कि खुद दिलीप कुमार गा रहे हों. अगर मुझे मौका मिलता तो मैं खुशी खुशी उनके लिए गाना गाती. लता जी ने ये बातें नसरीन मुन्नी कबीर की नयी पुस्तक लता मंगेशकर इन हर ओन वाइर्सं में कहीं हैं. पुस्तक में लता और कबीर के बीच हुई कई बातचीत को दोबारा पेश किया गया है. इस पुस्तक का कल मुंबई में विमोचन किया जाएगा. इस पुस्तक का प्रकाशन नियोगी बुक्स ने किया है. यद्यपि लता दिलीप कुमार के लिए गायन नहीं कर सकीं लेकिन उनकी यह इच्छा आंशिक तौर पर उस समय पूरी हुई जब उन्होंने ट्रेजेडी किंग के साथ मुसाफिर्रं फिल्म के लिए 1957 में एक युगल गीत रिकार्ड किया. दिलीप कुमार और लता मंगेशकर ने ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म के लिए लागी नहीं छूटे गीत गाया था. यह एकमात्र फिल्म है जहां दिलीप कुमार ने आन एंड आफ स्क्रीन गाया है.
महेंद्र सिंह धोनी की नेतृत्व की शैली में बदलाव से प्रभावित पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि झारखंड के इस आक्रामक बल्लेबाज को 2019 क्रिकेट विश्व कप तक भारत का कप्तान बनाए रखना चाहिए। गावस्कर का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के हाथों शिकस्त के बाद धोनी ने कप्तानी के अपने रवैये में बदलाव किया है और अब वह मैदान पर अधिक दबदबे वाले कप्तान हैं। इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज हारने के बाद एक महीने का समय उसे आत्मविश्लेषण के लिए मिला। कप्तान के रूप में उसमें सकारात्मक बदलाव आया है। अब अगर कोई खिलाड़ी ध्यान नहीं दे रहा या उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर रहा तो धोनी उसे बता रहा है। वह काफी इशारे नहीं कर रहा, लेकिन खिलाड़ी को बता रहा है कि वह (धोनी) खुश नहीं है।टिप्पणियां गावस्कर ने ‘एनडीटीवी’ से कहा, वह काफी फिट है और बेहतरीन बल्लेबाजी फार्म में है। नेतृत्व रवैये में बदलाव के बाद मुझे लगता है कि 2019 विश्व कप तक उसे नहीं छेड़ना चाहिए। हमें इस बारे (कप्तानी में बदलाव) में बात भी नहीं करनी चाहिए। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के बाद धोनी को कप्तानी से ब्रेक का सुझाव देने वाले गावस्कर ने हालांकि कहा कि यह फैसला भारतीय कप्तान को करना है कि वह 2019 तक खेलेंगे या नहीं। उन्होंने कहा, उस समय उसकी उम्र को देखते हुए मुझे नहीं पता कि वह 2019 तक खेलेगा या नहीं। मैं कह रहा हूं कि वह 2019 तक खेल सकता है, लेकिन यह फैसला उसे करना है। गावस्कर का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के हाथों शिकस्त के बाद धोनी ने कप्तानी के अपने रवैये में बदलाव किया है और अब वह मैदान पर अधिक दबदबे वाले कप्तान हैं। इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज हारने के बाद एक महीने का समय उसे आत्मविश्लेषण के लिए मिला। कप्तान के रूप में उसमें सकारात्मक बदलाव आया है। अब अगर कोई खिलाड़ी ध्यान नहीं दे रहा या उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर रहा तो धोनी उसे बता रहा है। वह काफी इशारे नहीं कर रहा, लेकिन खिलाड़ी को बता रहा है कि वह (धोनी) खुश नहीं है।टिप्पणियां गावस्कर ने ‘एनडीटीवी’ से कहा, वह काफी फिट है और बेहतरीन बल्लेबाजी फार्म में है। नेतृत्व रवैये में बदलाव के बाद मुझे लगता है कि 2019 विश्व कप तक उसे नहीं छेड़ना चाहिए। हमें इस बारे (कप्तानी में बदलाव) में बात भी नहीं करनी चाहिए। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के बाद धोनी को कप्तानी से ब्रेक का सुझाव देने वाले गावस्कर ने हालांकि कहा कि यह फैसला भारतीय कप्तान को करना है कि वह 2019 तक खेलेंगे या नहीं। उन्होंने कहा, उस समय उसकी उम्र को देखते हुए मुझे नहीं पता कि वह 2019 तक खेलेगा या नहीं। मैं कह रहा हूं कि वह 2019 तक खेल सकता है, लेकिन यह फैसला उसे करना है। इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज हारने के बाद एक महीने का समय उसे आत्मविश्लेषण के लिए मिला। कप्तान के रूप में उसमें सकारात्मक बदलाव आया है। अब अगर कोई खिलाड़ी ध्यान नहीं दे रहा या उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर रहा तो धोनी उसे बता रहा है। वह काफी इशारे नहीं कर रहा, लेकिन खिलाड़ी को बता रहा है कि वह (धोनी) खुश नहीं है।टिप्पणियां गावस्कर ने ‘एनडीटीवी’ से कहा, वह काफी फिट है और बेहतरीन बल्लेबाजी फार्म में है। नेतृत्व रवैये में बदलाव के बाद मुझे लगता है कि 2019 विश्व कप तक उसे नहीं छेड़ना चाहिए। हमें इस बारे (कप्तानी में बदलाव) में बात भी नहीं करनी चाहिए। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के बाद धोनी को कप्तानी से ब्रेक का सुझाव देने वाले गावस्कर ने हालांकि कहा कि यह फैसला भारतीय कप्तान को करना है कि वह 2019 तक खेलेंगे या नहीं। उन्होंने कहा, उस समय उसकी उम्र को देखते हुए मुझे नहीं पता कि वह 2019 तक खेलेगा या नहीं। मैं कह रहा हूं कि वह 2019 तक खेल सकता है, लेकिन यह फैसला उसे करना है। गावस्कर ने ‘एनडीटीवी’ से कहा, वह काफी फिट है और बेहतरीन बल्लेबाजी फार्म में है। नेतृत्व रवैये में बदलाव के बाद मुझे लगता है कि 2019 विश्व कप तक उसे नहीं छेड़ना चाहिए। हमें इस बारे (कप्तानी में बदलाव) में बात भी नहीं करनी चाहिए। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के बाद धोनी को कप्तानी से ब्रेक का सुझाव देने वाले गावस्कर ने हालांकि कहा कि यह फैसला भारतीय कप्तान को करना है कि वह 2019 तक खेलेंगे या नहीं। उन्होंने कहा, उस समय उसकी उम्र को देखते हुए मुझे नहीं पता कि वह 2019 तक खेलेगा या नहीं। मैं कह रहा हूं कि वह 2019 तक खेल सकता है, लेकिन यह फैसला उसे करना है। उन्होंने कहा, उस समय उसकी उम्र को देखते हुए मुझे नहीं पता कि वह 2019 तक खेलेगा या नहीं। मैं कह रहा हूं कि वह 2019 तक खेल सकता है, लेकिन यह फैसला उसे करना है।
दिल्ली आबकारी विभाग के एक निरीक्षक ने खुलासा किया है कि सीबीआई के अधिकारियों ने उनसे आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा था. जबकि उनके खिलाफ मामला नहीं बन रहा था. दिल्ली सरकार और सीबीआई के बीच अब एक जंग छिड़ गई है. आबकारी विभाग के निरीक्षक का कहना है कि राजेंद्र कुमार के खिलाफ तयसीमा से ज्यादा शराब रखने का मामला बन ही नहीं रहा था. यह सब सीबीआई अधिकारियों के दबाव में किया गया. इस खुलासे के बाद दिल्ली सरकार ने सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने का फैसला लिया है. दिल्ली सरकार की तरफ से सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो कराई जाएगी. प्राथमिकी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज होगी. गौरतलब है कि सीबीआई की टीम ने मंगलवार को केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेन्द्र कुमार के दफ्तर और घर पर छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया था. इसी दौरान उनके घर पर तय सीमा से ज्यादा शराब रखने का मामला दर्ज कराया गया था.
जम्मू और कश्मीर के शोपियां जिले में सुरक्षाबलों ने सोमवार को हिज्बुल मुजाहिद्दीन के तीन आतंकियों को ढेर कर दिया. पुलिस ने यह जानकारी दी. सुरक्षाबलों ने शोपियां जिले के गतिपोरा गांव में आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना के बाद इलाके को चारों ओर से घेर लिया था. आतंकवादी जिस घर में छिपे थे सुरक्षाबल जब उसके नजदीक आए तो आतंकवादियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी . पुलिस अधिकारी ने कहा कि सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच गोलीबारी में तीन आतंकी मारे गए. सुरक्षा बलों की ओर से तलाशी अभियान जारी है. मारे गए तीनों आतंकी स्थानीय थे और उनकी पहचान जाहिद, आसिफ और इरफान के रूप में हुई है. बता दें कि शोपियां के केल्लर इलाके में मुठभेड़ की शुरुआत हुई, जब सुरक्षा बलों को 2 से तीन आतंकियों के छिपे होने सूचना मिली. आर्मी, पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त अभियान शुरू किया. इसके जवाब में आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सराहना करते हुए भाजपा ने साल 1980 में उनके भाषण को ‘प्रेरणादायक’ और ‘चाहतपूर्ण’ बताया जबकि राहुल गांधी के जयपुर भाषण को ‘विपक्षी नेता’ का व्याख्यान करार देते हुए खारिज कर दिया। भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘वह (राहुल गांधी) सत्तारूढ़ पार्टी के बजाय निश्चित तौर विपक्षी नेता के तरह बोले।’टिप्पणियां राजीव के भाषण का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं याद कर सकती हूं कि जब राजीव गांधी ने अपनी पार्टी में बड़ी भूमिका संभाली थी तो वह इस बारे में बेहद चाहतपूर्ण ढंग से बोले थे कि पार्टी को कैसे सत्ता के दलालों के चंगुल से मुक्त किया जाए। वह बेहद, बेहद प्रेरणादायक भाषण था।’ कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल के संबोधन का जिक्र करते हुए भाजपा नेता ने कहा, ‘राहुल गांधी आदर्शवाद के बारे में काफी बोले। मुझे उम्मीद है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसमें से वह अधिकतर बातें पहले अपनी खुद की पार्टी में लागू करेंगे। यदि उन्हें कभी प्रधानमंत्री बनना है तो उन्हें देश के सामने यह साबित करना चाहिए कि वह इन बातों को अपनी पार्टी में लागू करने में कामयाब हुए हैं। इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं।’ भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘वह (राहुल गांधी) सत्तारूढ़ पार्टी के बजाय निश्चित तौर विपक्षी नेता के तरह बोले।’टिप्पणियां राजीव के भाषण का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं याद कर सकती हूं कि जब राजीव गांधी ने अपनी पार्टी में बड़ी भूमिका संभाली थी तो वह इस बारे में बेहद चाहतपूर्ण ढंग से बोले थे कि पार्टी को कैसे सत्ता के दलालों के चंगुल से मुक्त किया जाए। वह बेहद, बेहद प्रेरणादायक भाषण था।’ कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल के संबोधन का जिक्र करते हुए भाजपा नेता ने कहा, ‘राहुल गांधी आदर्शवाद के बारे में काफी बोले। मुझे उम्मीद है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसमें से वह अधिकतर बातें पहले अपनी खुद की पार्टी में लागू करेंगे। यदि उन्हें कभी प्रधानमंत्री बनना है तो उन्हें देश के सामने यह साबित करना चाहिए कि वह इन बातों को अपनी पार्टी में लागू करने में कामयाब हुए हैं। इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं।’ राजीव के भाषण का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं याद कर सकती हूं कि जब राजीव गांधी ने अपनी पार्टी में बड़ी भूमिका संभाली थी तो वह इस बारे में बेहद चाहतपूर्ण ढंग से बोले थे कि पार्टी को कैसे सत्ता के दलालों के चंगुल से मुक्त किया जाए। वह बेहद, बेहद प्रेरणादायक भाषण था।’ कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल के संबोधन का जिक्र करते हुए भाजपा नेता ने कहा, ‘राहुल गांधी आदर्शवाद के बारे में काफी बोले। मुझे उम्मीद है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसमें से वह अधिकतर बातें पहले अपनी खुद की पार्टी में लागू करेंगे। यदि उन्हें कभी प्रधानमंत्री बनना है तो उन्हें देश के सामने यह साबित करना चाहिए कि वह इन बातों को अपनी पार्टी में लागू करने में कामयाब हुए हैं। इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं।’ कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल के संबोधन का जिक्र करते हुए भाजपा नेता ने कहा, ‘राहुल गांधी आदर्शवाद के बारे में काफी बोले। मुझे उम्मीद है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसमें से वह अधिकतर बातें पहले अपनी खुद की पार्टी में लागू करेंगे। यदि उन्हें कभी प्रधानमंत्री बनना है तो उन्हें देश के सामने यह साबित करना चाहिए कि वह इन बातों को अपनी पार्टी में लागू करने में कामयाब हुए हैं। इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं।’
भितरवार (Bhitarwar) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर ज़िले में स्थित एक नगर है। भूगोल भितरवार पर स्थित है। यह शहर पार्वती नदी के तट पर स्थित है। जनसांख्यिकी 2011 की जनगणना के अनुसार भितरवार की आबादी 25,670 थी। पुरुषों की आबादी का 54% और महिलाओं का 46% है। भितरवार की औसत साक्षरता दर 74% है, जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से अधिक है; पुरुष साक्षरता 82% और महिला साक्षरता 64% है। 17% जनसंख्या 6 वर्ष से कम आयु की है। इन्हें भी देखें ग्वालियर ज़िला सन्दर्भ ग्वालियर ज़िला मध्य प्रदेश के शहर ग्वालियर ज़िले के नगर
संजय टंडन (जन्म १० सितंबर १९६३ ) भारतीय जनता पार्टी में एक भारतीय राजनेता है। वह वर्तमान में चंडीगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष हैं। उनके पिता बलराम दास टंडन हैं, जो पंजाब के एक वरिष्ठ सम्मानित भाजपा नेता थे। उन्होंने १४ वर्षों तक पंजाब में नगर सलाहकार के रूप में कार्य किया और पंजाब में ६ विधानसभा चुनाव जीते। ४ अलग-अलग मौकों पर उन्होंने पंजाब के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के पद का पदभार संभाला। संजय ने अपने पिता की जीवनी "बलरामजी दास टंडन: एक प्रेरक चरित्र" लिखी है, जिसे सरदार प्रकाश सिंह बादल के साथ चंडीगढ़ के टैगोर थियेटर में लालकृष्ण आडवाणी द्वारा रिलीज की गयी थी। उनके दामाद न्यायमूर्ति मदन मोहन पुंछी हैं जो १९९८ में भारत के मुख्य न्यायधीश के रूप से सेवानिवृत्त हुए थे। शिक्षा संजय टंडन ने चंडीगढ़ में दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज, से अपनी उच्च विद्यालयी शिक्षा पूरी की। जिसके बाद, संजय ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अपने बीकॉम (एकाउंटेंसी में ऑनर्स) किया। यह भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के एक साथी सदस्य हैंऔर भारत के आईसीडब्लूएआई के एक सहयोगी सदस्य भी हैं। व्यावसायिक करियर संजीव टंडन एक चार्टर्ड एकाउंटिंग फर्म (एस टंडन एंड एसोसिएट्स) के प्रबंध भागीदार, लेखा परीक्षा और परामर्श सेवाओं के लिए जाने जाते हैं। उनकी कंपनी कॉम्पिटेंट सिनर्जीज कॉल सेंटर और बीपीओ चलाती है जो ५००० से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करती है। यह वर्तमान में एडमिनिस्ट्रेटिव एडवाइजरी काउंसिल, चंडीगढ़ प्रशासन के सदस्य। स्थायी समिति, कानून और व्यवस्था, गृह विभाग, चंडीगढ़ प्रशासन के सदस्य। दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज में प्रबंधन समिति में एक सदस्य। भारत विकास परिषद, चंडीगढ़। मॉडल जेल बुरेल के एक गैर-आधिकारिक आगंतुक। इन्होंने निदेशक के रूप में कार्य किया स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद राष्ट्रीय जलविद्युत निगम लिमिटेड (भारत सरकार का एक उद्यम) इन्होंने एक सदस्य के रूप में कार्य किया आईटी/आईटीईएस में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी निगम, पंजाब में मानव संसाधन। पीएचडी चेम्बर ऑफ कॉमर्स के वित्त, बैंकिंग, बीमा और पूंजी बाजार की समिति के सदस्य। भारत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान। मानवाधिकार और कर्तव्य, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में अध्ययन बोर्ड के कार्यों को निर्वहन करने वाली समिति के सदस्य। यह एक नियमित वक्ता रहे कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान राजनीतिक करियर १९९१ में भाजपा के अमृतसर में लोकसभा चुनाव के प्रभारी बने। १९९३ में, उन्होंने भाजपा के लिए जालंधर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के प्रभारी की भूमिका निभाई। १९९५ में संजय चंडीगढ़ में भाजपा के एक्सिक्यूटिव बने। १९९७ में, उन्हें राजपुरा चुनाव क्षेत्र (पंजाब) से भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया था। संजय टंडन चंडीगढ़ से भाजपा के चार्टर्ड अकाउंटेंट सेल के संयोजक बने। २००२ में, उन्हें राजपुरा निर्वाचन क्षेत्र (पंजाब) में भाजपा के लिए विधानसभा चुनावों का प्रभारी बनाया गया था। २००७ में, टंडन ने चंडीगढ़ भाजपा के महासचिव के रूप में पदभार संभाला। संजय टंडन ने २००९ में "चंडीगढ़ कमल समाचार" मासिक पत्रिका लॉन्च की। वर्ष २००९ में, उन्हें लोकसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया जब सत्य पाल जैन ने चंडीगढ़ सीट से भाजपा के लिए चुनाव लड़ा था। जनवरी २०१०, संजय टंडन को चंडीगढ़ राज्य का भाजपा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था। जनवरी २०१३ में टंडन को चंडीगढ़ राज्य का भाजपा के अध्यक्ष के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था। लेखन संजय टंडन ने अपनी पत्नी के साथ पांच पुस्तके लिखी है जिसमें प्रेरणादायक छोटी कहानियां हैं जो निन्म नामों से है- इन्होंने "बलरामजी दास टंडन - एक प्रेरक चरित्र" नामक अपने पिता की जीवनी भी लिखी। सामाजिक कार्य संजय टंडन ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को "सक्षम फाउंडेशन" के नाम से पदोन्नत किया है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ भारतीय राजनीतिज्ञ 1963 में जन्मे लोग जीवित लोग भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष चंडीगढ़ के लोग
Praseodymium प्रतीक जनसंपर्क और परमाणु संख्या 59 praseodymium के साथ एक रासायनिक तत्व है एक नरम, चांदी, निंदनीय और नमनीय lanthanide समूह में धातु है। यह अपने चुंबकीय, विद्युत, रसायन, और ऑप्टिकल गुण के लिए महत्वपूर्ण है। [4] यह बहुत प्रतिक्रियाशील मूल रूप में पाया जा सकता है, और जब कृत्रिम रूप से तैयार है, यह धीरे धीरे एक हरे रंग की ऑक्साइड कोटिंग विकसित करता है। तत्व इसका प्राथमिक ऑक्साइड के रंग के लिए नामित किया गया था। 1841 में, स्वीडिश रसायनज्ञ कार्ल गुस्ताव Mosander एक दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड अवशेषों वह एक अवशेषों उन्होंने कहा, "lanthana" कहा जाता है से "डाइडीमियम" कहा जाता है, बदले में सैरियम लवण से अलग निकाली गई। 1885 में, ऑस्ट्रिया के रसायनज्ञ बैरन कार्ल वॉन Auer Welsbach अलग अलग रंग के दो लवण, जिसमें उन्होंने praseodymium और neodymium नामित में डाइडीमियम अलग कर दिया। नाम प्रेसियोडीमियम ग्रीक prasinos (πράσινος), जिसका अर्थ है "हरी", और didymos (δίδυμος), "जुड़वां" से आता है। सबसे दुर्लभ पृथ्वी तत्व की तरह, प्रेसियोडीमियम सबसे आसानी से त्रिसंयोजक पीआर (तृतीय) आयनों रूपों। ये पानी के घोल में पीले, हरे, पीले, हरे और के विभिन्न रंगों जब गिलास में शामिल कर रहे हैं। प्रेसियोडीमियम के औद्योगिक उपयोग करता है कि कई प्रकाश स्रोतों से पीली रोशनी फिल्टर करने के लिए इसके उपयोग को शामिल करना। विषय वस्तु [छिपाएं] 1 के लक्षण 1.1 भौतिक गुण 1.2 रासायनिक गुण 1.3 यौगिकों 1.4 आइसोटोप 2 इतिहास 3 घटना 4 अनुप्रयोगों 5 सावधानियां 6 संदर्भ 7 आगे पढ़ने 8 बाहरी लिंक लक्षण [संपादित स्रोत] भौतिक गुण [संपादित स्रोत] Praseodymium lanthanide समूह में एक नरम, चांदी, निंदनीय और तन्य धातु है। यह कुछ हद तक अधिक युरोपियम, लेण्टेनियुम, सैरियम, या Neodymium से हवा में जंग के लिए प्रतिरोधी है, लेकिन यह पीआर के ऑक्सीकरण-एक सेंटीमीटर आकार नमूना पूरी तरह से ऑक्सीकरण के लिए और अधिक धातु उजागर एक हरे रंग की ऑक्साइड कोटिंग है कि बंद spalls जब हवा के संपर्क में विकसित करता है, एक वर्ष के भीतर। [5] इस कारण से, प्रेसियोडीमियम आमतौर पर एक प्रकाश खनिज तेल के तहत संग्रहीत या गिलास में बंद है। अन्य दुर्लभ पृथ्वी धातुओं, जो कम तापमान पर antiferromagnetic या / और ferromagnetic आदेश देने दिखाने के विपरीत, पीआर 1 लालकृष्ण ऊपर किसी भी तापमान पर समचुंबक है [3] रासायनिक गुण [संपादित स्रोत] Praseodymium धातु हवा और 150 डिग्री सेल्सियस पर आसानी से जल में धीरे-धीरे खराब प्रेसियोडीमियम के लिए फार्म (तृतीय, चतुर्थ) ऑक्साइड: 12 पीआर + 11 O2 → 2 Pr6O11 Praseodymium काफी विद्युत धन है और फार्म के लिए प्रेसियोडीमियम (तृतीय) हाइड्रॉक्साइड गर्म पानी के साथ ठंडे पानी के साथ धीरे-धीरे प्रतिक्रिया करता है और काफी तेजी से: 2 पीआर (एस) + 6 H2O (एल) → 2 पीआर (OH) 3 (aq) + 3 एच 2 (G) Praseodymium धातु सभी हैलोजन के साथ प्रतिक्रिया करता है: 2 पीआर (एस) + 3 F2 (G) → 2 PrF3 (ओं) [ग्रीन] 2 पीआर (एस) + 3 CL2 (G) → 2 PrCl3 (ओं) [ग्रीन] 2 पीआर (एस) + 3 Br2 (G) → 2 PrBr3 (ओं) [ग्रीन] 2 पीआर (एस) + 3 I2 (G) → 2 PrI3 (ओं) [ग्रीन] Praseodymium तनु सल्फ्यूरिक एसिड हरी पीआर (तृतीय) आयनों युक्त समाधान है, जो के रूप में एक ही मौजूद [पीआर (OH2) 9] 3 + परिसरों के लिए फार्म में आसानी से घुल: [6] 2 पीआर (एस) + 3 H2SO4 (AQ) → 2 PR3 + (aq) + 3 SO2- 4 (aq) + 3 एच 2 (G) यौगिकों [संपादित स्रोत] यह भी देखें: श्रेणी: praseodymium यौगिकों इसकी यौगिकों में, प्रेसियोडीमियम ऑक्सीकरण राज्यों 2, 3, 4, और विशिष्ट lanthanides बीच, 5 में होता है। Praseodymium (चतुर्थ) एक मजबूत ऑक्सीडेंट, तुरन्त मौलिक ऑक्सीजन (O2), या हाइड्रोक्लोरिक एसिड मौलिक क्लोरीन (CL2) के लिए पानी ऑक्सीकरण है। इस प्रकार, जलीय घोल में, केवल 3 ऑक्सीकरण राज्य का सामना करना पड़ा है। Praseodymium (तृतीय) लवण पीले, हरे और, समाधान में, एक काफी सरल अवशोषण स्पेक्ट्रम दिखाई क्षेत्र में, पीला, नारंगी में एक बैंड के साथ 589-590 एनएम (जो सोडियम उत्सर्जन नक़ल साथ मेल खाता है) पर मौजूद है, और तीन हैं नीले / बैंगनी क्षेत्र में बैंड, 444, 468, और 482 एनएम, लगभग पर। इन पदों पर जवाबी आयन के साथ थोड़ा भिन्न हो। Praseodymium ऑक्साइड, के रूप में इस तरह के oxalate या हवा में कार्बोनेट के रूप में लवण की प्रज्वलन के द्वारा प्राप्त की, रंग में अनिवार्य रूप से काला (भूरे या हरे रंग का एक संकेत के साथ) है और एक हद तक चर अनुपात में 3 और 4 प्रेसियोडीमियम होता है पर निर्भर करता है गठन की शर्तों। अपने सूत्र पारंपरिक Pr6O11 के रूप में प्रदान की गई है। हालांकि प्रेसियोडीमियम (वी) थोक राज्य में अज्ञात है, इसकी +5 ऑक्सीकरण राज्य में प्रेसियोडीमियम के अस्तित्व को नोबल गैस मैट्रिक्स अलगाव की स्थिति 2016 में सूचित किया गया था को सौंपा प्रजातियों के तहत ([Xe] 4f05d0 विन्यास के लिए इसी) + 5 राज्य [Pro2], इसके O2 और Ar adducts, और Pro2 (η2-ओ 2) के रूप में पहचान की गई। [7] अन्य प्रेसियोडीमियम यौगिकों में शामिल हैं: फ्लोराइड: PrF2, PrF3, PrF4 क्लोराइड: PrCl3 समन्वय से युक्त: PrBr3, Pr2Br5 Iodides: PrI2, PrI3, Pr2I5 आक्साइड: Pro2, Pr2O3, Pr6O11 Sulfides: पीआरएस, Pr2S3 Sulfates: PR2 (SO4) 3 Selenides: PrSe Tellurides: PrTe, Pr2Te3 Nitrides: PRN कार्बोनेट: PR2 (CO3) 3 [8] आइसोटोप [संपादित स्रोत] मुख्य लेख: praseodymium के आइसोटोप स्वाभाविक रूप से होने वाली प्रेसियोडीमियम एक स्थिर आइसोटोप से बना है, प्रेसियोडीमियम -141, [9] एनएमआर और EPR स्पेक्ट्रोस्कोपी में उपयोग की है। [10] 38 radioisotopes सबसे अधिक स्थिर 13.57 दिनों की एक आधा जीवन और प्रेसियोडीमियम-142 19.12 घंटे की एक आधा जीवन के साथ साथ किया जा रहा प्रेसियोडीमियम-143 के साथ, विशेषता किया गया है। [9] शेष रेडियोधर्मी आइसोटोप के सभी आधा जीवन है कि कम से कम छह घंटे कर रहे हैं, और इनमें से अधिकांश आधा जीवन है कि कम से कम 10 मिनट कर रहे हैं। [9] यह तत्व भी सबसे लंबे समय तक रहते थे जा रहा है प्रेसियोडीमियम-138m, प्रेसियोडीमियम-134m, और प्रेसियोडीमियम-142m के साथ 15 परमाणु isomers है। [9] परमाणु के नाभिक isomers के कारण कम से कम एक nucleon एक उत्साहित ऊर्जा राज्य होने के लिए एक नाजुक संतुलन या metastability में मौजूद हैं। 121 से 159 के लिए जन संख्या में प्रेसियोडीमियम रेंज के आइसोटोप [9] सबसे प्रचुर मात्रा में स्थिर आइसोटोप से कम जन संख्या के साथ 20 आइसोटोप का सबसे आम क्षय मोड, प्रेसियोडीमियम -141 β + क्षय, मुख्य रूप से गठन सैरियम आइसोटोप (58 प्रोटॉन) क्षय उत्पादों के रूप में है। [9] प्रेसियोडीमियम-141 से अधिक जन संख्या के साथ 18 आइसोटोप के लिए सबसे आम क्षय मोड β- क्षय, मुख्य रूप से क्षय उत्पादों के रूप में Neodymium आइसोटोप (60 प्रोटॉन) के गठन है। [9] इतिहास [संपादित स्रोत] कार्ल वॉन Auer Welsbach (1858-1929), 1885 में प्रेसियोडीमियम के आविष्कारक। 1839 में कच्चे तेल की Mosander सैरियम नाइट्रेट के मिश्रण से एक ऑक्साइड उन्होंने कहा, "लैंटाना" (lanthana देखें) कहा जाता है, जो हाल में पता चला तत्व लेण्टेनियुम की ऑक्साइड था निकाले। 1841 में, Mosander दिखाने के लिए कि "लैंटाना" था सबसे जोरदार दुर्लभ पृथ्वी तत्व आक्साइड का एक मिश्रण के मूल पर चला गया और पिछले एसिड समाधान से उपजी हो सकता है जब आधार जोड़ दिया गया, या पहले भंग हो गया था जब मिश्रित आक्साइड तनु अम्ल के साथ leached थे। शेष कम बुनियादी दुर्लभ पृथ्वी (s) गुलाबी रंग बनाए रखा, और Mosander इस शेष अंश "डाइडीमियम" कहा जाता है। 1874 में, प्रति Teodor क्लीव निष्कर्ष निकाला है कि तथ्य यह है डाइडीमियम दो तत्वों में था, और 1879 में, Lecoq डी Boisbaudran नई पृथ्वी पृथक, समैरियम, "डाइडीमियम" खनिज samarskite से प्राप्त से। कच्चे डाइडीमियम वास्तव में तीन तत्व निहित है, और 1885 में ऑस्ट्रिया के रसायनज्ञ बैरन कार्ल वॉन Auer Welsbach दो तत्वों, praseodymium और neodymium, जो अलग अलग रंग के लवण दिया डाइडीमियम में अलग कर दिया। नाम प्रेसियोडीमियम ग्रीक prasinos (πράσινος), जिसका अर्थ है "हरी", और didymos (δίδυμος), "जुड़वां" से आता है। Praseodymium अक्सर praseodynium के रूप में गलत वर्तनी है। सिंह मोजर (लुडविग मोजर का बेटा, क्या है अब प्राग में मोजर कांच के संस्थापक, बोहेमिया, चेक गणराज्य में, सिंह मोजर, एक गणितज्ञ के साथ भ्रमित होने की नहीं) देर से 1920 के दशक में कांच रंगाई में प्रेसियोडीमियम के उपयोग की जांच की। परिणाम एक पीले, हरे कांच का नाम "Prasemit" दिया गया था। हालांकि, एक समान रंग क्या देर से 1920 के दशक में प्रेसियोडीमियम लागत, कि इस तरह के रंग लोकप्रिय नहीं था, कुछ टुकड़े किए गए थे के केवल एक मिनट के अंश लागत colorants के साथ प्राप्त किया जा सकता है, और उदाहरण अब बहुत दुर्लभ हैं। मोजर भी neodymium साथ प्रेसियोडीमियम मिश्रित उपज "Heliolite" गिलास ( "Heliolit" जर्मन में), गया, जिसमें अधिक व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया। जो आज भी जारी है, शुद्ध प्रेसियोडीमियम के पहले स्थायी वाणिज्यिक उपयोग, मिट्टी के पात्र के लिए एक पीला, नारंगी दाग ​​के रूप में है, "praseodymium पीले", जो zirconium सिलिकेट (जिक्रोन) जाली में प्रेसियोडीमियम का एक ठोस समाधान है। यह दाग़ उस में हरे रंग का कोई संकेत है। इसके विपरीत, पर्याप्त उच्च लोडिंग पर, प्रेसियोडीमियम कांच साफ़ तौर पर हरे रंग की बजाय शुद्ध पीला से है। [11] शास्त्रीय जुदाई विधियों का प्रयोग, प्रेसियोडीमियम हमेशा शुद्ध करने के लिए मुश्किल था। बहुत कम लेण्टेनियुम और neodymium, जहां से इसे अलग किया जा रहा था (सैरियम लंबे समय के बाद redox रसायन विज्ञान के द्वारा हटा दिया गया हो रही है) की तुलना में प्रचुर मात्रा में, प्रेसियोडीमियम को समाप्त हो गया अंशों की एक बड़ी संख्या के बीच फैलाया जा रहा है, और शुद्ध सामग्री के परिणामस्वरूप पैदावार कम थे। Praseodymium ऐतिहासिक दृष्टि से एक दुर्लभ पृथ्वी जिनकी आपूर्ति मांग से अधिक है किया गया है। यह कभी कभी अपनी किया जा रहा है कहीं अधिक प्रचुर मात्रा में Neodymium से अधिक सस्ते में देने की पेशकश करने के लिए प्रेरित किया है। इस तरह, बहुत प्रेसियोडीमियम के रूप में अवांछित लेण्टेनियुम और सैरियम, या घटकों में से प्रत्येक के पहले अक्षर के लिए "LCP" के साथ एक मिश्रण के रूप में विपणन किया गया है, पारंपरिक lanthanide मिश्रण है कि सस्ते में monazite या bastnasite से किए गए थे की जगह में इस्तेमाल के लिए। LCP क्या, इस तरह के मिश्रण की बनी हुई है वांछनीय Neodymium के बाद, और सभी भारी दुर्लभ और अधिक मूल्यवान lanthanides, हटा दिया गया है सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन के द्वारा होता है। हालांकि, प्रौद्योगिकी की प्रगति के रूप में, यह है कि प्रेसियोडीमियम neodymium लोहा-बोरान मैग्नेट में शामिल किया जा सकता है, जिससे मांग Neodymium में ज्यादा की आपूर्ति का विस्तार पाया गया है [प्रशस्ति पत्र की जरूरत]। तो नियंत्रण रेखा LCP एक परिणाम के रूप में बदलने के लिए शुरू कर रहा है। 1930 के दशक में यह पाया गया था (बेक) में प्रेसियोडीमियम डाइऑक्साइड सोडियम क्लोरेट द्वारा electrochemistry द्वारा, KOH / NaOH गलनक्रांतिक पिघलने से उपजी किया जा सकता है ऑक्सीकरण द्वारा, या। यह एक छोटे पैमाने पर प्रयोगशाला शोधन विधि का आधार बनाया। अपेक्षाकृत शुद्ध मुक्त धातु ही 1931 तक तैयार नहीं था। घटना [संपादित स्रोत] मोनाजाइट Praseodymium पृथ्वी की पपड़ी (9.5 पीपीएम) में कम मात्रा में होता है। यह काउंटर चालू सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी खनिजों monazite और bastnasite में पाया जाता है, आम तौर पर lanthanides के 5% के बारे में शामिल उसमें निहित है, और एक आयन एक्सचेंज प्रक्रिया द्वारा इन खनिजों से बरामद किया जा सकता है, या। Mischmetal, सिगरेट लाइटर बनाने में इस्तेमाल किया, ऐतिहासिक बारे में 5% प्रेसियोडीमियम धातु निहित है। [12] Praseodymium हालांकि तत्व की एकाग्रता लाख प्रति हिस्सा या दस लाख प्रति 15 भागों के रूप में उच्च के रूप में कम के रूप में 1 हो सकता है, मिट्टी की सूखी वजन के प्रति दस लाख 8 भागों के एक औसत बनाता है। Praseodymium समुद्री जल के ट्रिलियन प्रति 1 हिस्सा बना देता है। वहाँ के वातावरण में लगभग कोई प्रेसियोडीमियम है। [13] एप्लीकेशन [संपादित स्रोत] Praseodymium-रंगीन कांच प्रेसियोडीमियम का उपयोग करता है: Neodymium के साथ संयोजन में, एक और दुर्लभ पृथ्वी तत्व, प्रेसियोडीमियम उनकी ताकत और स्थायित्व के लिए उल्लेखनीय उच्च शक्ति मैग्नेट बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। [4] उच्च शक्ति धातुओं कि विमान के इंजन में इस्तेमाल कर रहे हैं बनाने के लिए मैग्नीशियम के साथ एक alloying एजेंट के रूप में। [14] [15] Praseodymium mischmetal के पारंपरिक संस्करण का 5 प्रतिशत है। Praseodymium दुर्लभ पृथ्वी मिश्रण जिसका फ्लोराइड कार्बन आर्क रोशनी जो स्टूडियो प्रकाश और प्रोजेक्टर रोशनी के लिए फिल्म उद्योग में उपयोग किया जाता है के मुख्य रूपों में मौजूद है। Praseodymium यौगिकों चश्मा देने के लिए और एक पीले रंग इनैमल। [16] Praseodymium रंग करने के लिए घन zirconia पीले, हरे, खनिज Peridot अनुकरण करने के लिए प्रयोग किया जाता है। Praseodymium डाइडीमियम गिलास, जो वेल्डर और कांच बनाने वाला के काले चश्मे के कुछ प्रकार बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है का एक घटक है। [16] सिलिकेट प्रेसियोडीमियम आयनों के साथ डाल दिया गया क्रिस्टल एक प्रकाश नाड़ी प्रति सेकंड कुछ सौ मीटर की दूरी पर धीमा करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। [17] Praseodymium निकल (PrNi5) के साथ alloyed तरह के एक मजबूत प्रभाव magnetocaloric कि यह वैज्ञानिकों निरपेक्ष शून्य से एक डिग्री के एक हज़ारवां के भीतर दृष्टिकोण करने के लिए अनुमति दी गई है। [18] फ्लोराइड गिलास में डोपिंग प्रेसियोडीमियम यह एक एकल मोड फाइबर ऑप्टिकल एम्पलीफायर के रूप में इस्तेमाल किया जा करने की अनुमति देता है। [19] Ceria, या, साथ Ceria-zirconia के साथ ठोस समाधान में praseodymium ऑक्साइड ऑक्सीकरण उत्प्रेरक के रूप में इस्तेमाल किया गया है। [20] आधुनिक ferrocerium firesteel उत्पादों, सामान्यतः "चकमक" कहा जाता है, चकमक पत्थर चट्टानों, लाइटर, मशाल स्ट्राइकर, "चकमक पत्थर और इस्पात" आग शुरुआत, आदि में इस्तेमाल प्राकृतिक रूप से पाए, हालांकि एक पूरी तरह से अलग रासायनिक संरचना होने, लगभग 4% प्रेसियोडीमियम शामिल। [16] सावधानियां। रासायनिक तत्व लैन्थनाइड
अलगाववादी नेता मसरत आलम की गिरफ्तारी के विरोध में हुर्रियत ने आज कश्मीर बंद की अपील की है. तनाव को देखते हुए सुरक्षा बल अलर्ट हैं और भारी तादाद में पुलिस बल तैनात किया गया है. इन सबके बीच CRPF की फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई. पुलवामा के मगाम इलाके में भारी तनाव की खबर है. सुरक्षाकर्मी और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प लगातार जारी है. इस दौरान CRPF द्वारा की गई फायरिंग में एक छात्र घायल हो गया. सुहैल अहमद नाम के इस युवक की मौत अस्पताल ले जाने के क्रम में हो गई, वहीं दो अन्य के घायल होने की खबर है. वहीं दूसरी तरफ घाटी में बढ़ते तनाव के लिए कांग्रेस ने पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार को दोषी ठहराया है. दूसरी विपक्षी पार्टियां भी बीजेपी पर निशाना साध रही हैं. बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हाराव ने कहा है कि कश्मीर के हालात पर केंद्र और सरकार दोनों की नजर है. गौरतलब है कि अलगाववादी नेता मसरत आलम पर शुक्रवार देर रात देर रात देशद्रोह और देश के खिलाफ जंग छेड़ने का केस दर्ज कर लिया गया था. जिसके बादमसरत आलम को 7 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा दिया गया है. बीती रात मसर्रत को बडगाम के कोर्ट में पेश किया गया. मसरत आलम ने 15 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित नारे लगाए थे. हुर्रियत नेता गिलानी भी फिलहाल अपने घर में नजरबंद हैं.
पुलवामा आतंकी हमले के बाद आतंक के खिलाफ जंग में भारत के साथ अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस भी आ गए हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने बुधवार को प्रस्ताव दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करें. Reuters: The United States, Britain and France proposed on Wednesday that the United Nations Security Council blacklist the head of Pakistan-based militant group Jaish-e-Mohammad, which said it attacked an Indian paramilitary convoy in Kashmir. — ANI (@ANI) February 28, 2019 हालांकि, इस कदम का चीन द्वारा विरोध किए जाने की संभावना है, जिसने पहले सुरक्षा परिषद की इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति को 2016 और 2017 में JeM नेता मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने से रोक दिया था. चीन की ओर से नए प्रस्ताव पर फिलहाल कोई बयान नहीं है. Reuters: US, UK & France have asked the 15-member United Nations Security Council sanctions committee to subject Maulana Masood Azhar, the head of Pakistan-based militant group Jaish-e-Mohammad, to an arms embargo, global travel ban and asset freeze. https://t.co/lvQYJMI1BW — ANI (@ANI) February 28, 2019 संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति से अज़हर की वैश्विक यात्रा पर प्रतिबंध और संपत्ति को जब्त करने के लिए कहा है. रायटर्स द्वारा देखे गए प्रस्ताव के अनुसार, समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है. बता दें, भारत 2009 में ही संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव पेश कर चुका है. इसके बाद भारत ने 2016 और 2017 में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव दिया. हर बार चीन अड़ंगा लगा देता है. बीते दिनों फ्रांस ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव भेजने का फैसला किया था. इस मामले में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों के कूटनीतिक सलाहकार से बातचीत भी की थी. फ्रांस के साथ ही अमेरिका ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करने का ऐलान किया था. अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अंबेसडर जॉन बोल्टन ने अजित डोभाल से बातचीत में कहा था कि हम इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे. बुधवार को यूएन के सामने प्रस्ताव पेश हो गया. अब सबकी नजर चीन के रुख पर है. हालांकि, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात करके आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में सहयोग मांगा है.
सीएम गहलोत ने सरकारी शिशु गृह में बच्चों संग मनाया धनतेरस स्थानीय निकाय के चुनाव पर सीएम बोले- बेवजह हुआ विवाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार को धनतेरस के मौके पर समाज कल्याण विभाग के शिशु गृह में पहुंचे और अपनी पत्नी सुनीता गहलोत के साथ बच्चों को उपहार बांटे. सीएम गहलोत ने इस मौके पर शिशु गृह के बच्चों के साथ आतिशबाजी भी की. इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए गहलोत ने उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का नाम लिए बिना कहा कि स्थानीय निकाय के चुनाव में बिना चुनाव लड़े मेयर और सभापति बनाने पर विवाद लोगों की समझदारी की कमी की वजह से हुआ है. साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोगों में भ्रम फैलाया है, जिसकी वजह से बेवजह का विवाद पैदा हो गया. आगे सीएम गहलोत ने कहा, 'स्थानीय निकाय के मंत्री शांति धारीवाल ने अब सबकुछ साफ कर दिया है कि चुने हुए पार्षद ही अपना मेयर और सभापति चुनेंगे. यह तो समझ की बात है कि अगर चुने हुए पार्षदों में से मेयर और सभापति नहीं चुना गया, तो क्या पार्षद इसका विरोध नहीं करेंगे.' सचिन पायल ने दी दिवाली की बधाई इससे पहले उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अलवर में मीडिया से बातचीत करते हुए सरकार को धन्यवाद दिया कि उनकी बात को तवज्जो दी गई और बिना चुनाव लड़े मेयर और सभापति बनाए जाने के हाइब्रिड फार्मूले को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया. इसे लेकर कुछ दिनों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच ठनी हुई थी. सचिन पायलट ने दिवाली की शुभकामना देते हुए कहा कि इस त्योहार के मौके पर हमें आपस में राजनीतिक दुश्मनी भूलकर नई शुरुआत करनी चाहिए. अगड़ों को आरक्षण मामले पर बोले सीएम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आर्थिक रूप से कमजोर अगड़ों के आरक्षण मामले में कहा, 'हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है कि आर्थिक रूप से गरीब अगड़ी जाति के आरक्षण मामले में नियमों में बदलाव किया जाए और केवल आय की ही कैटेगरी रखी जाए. आरक्षण के लिए जमीन और मकान की कैटेगरी हटा दी जाए. इसके पीछे की मंशा यह है कि अगड़ी जातियों के लोगों के पास पुश्तैनी मकान है मगर वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं. ऐसे लोगों को आरक्षण से वंचित नहीं करना चाहिए.' मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के जोरदार प्रदर्शन करने की बात कही. उन्होंने कहा कि जिस तरह से हरियाणा में कांग्रेस ने प्रदर्शन किया है उसकी वजह से राजस्थान के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है.
लेख: अपने पूर्व प्रेमी और उद्योगपति नेस वाडिया पर दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा रविवार को अमेरिका से मुंबई लौट आईं और अगले दो दिन में पुलिस उनका बयान दर्ज कर सकती है। 12 जून को वाडिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के कुछ ही समय बाद भारत छोड़ देने वाली प्रीति रविवार दोपहर छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचीं और उन्होंने यहां इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों से बात करने से इनकार कर दिया। पुलिस ने कहा कि इस मामले में वह सोमवार या मंगलवार को प्रीति का बयान दर्ज कर सकते हैं। चूंकि वह भारत में नहीं थीं, इसलिए पुलिस इस मामले में उनका बयान दर्ज नहीं कर सकी थी। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, चूंकि वह यहां आ चुकी हैं, उनका बयान सोमवार या उसके एक दिन बाद दर्ज किया जा सकता है। प्रीति ने 12 जून की रात को यह कहते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि वाडिया (44) ने 30 मई को वानखेड़े स्टेडियम में उस समय उनके साथ दुर्व्यवहार किया था, जब किंग्स इलेवन पंजाब और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच आईपीएल मैच खेला जा रहा था। नेस वाडिया ने इन आरोपों को 'झूठा और आधारहीन' बताते हुए खारिज किया है। मुंबई पुलिस ने इस मामले में शनिवार को बीसीसीआई के सचिव संजय पटेल का बयान दर्ज किया था। इसी बीच, पुलिस नेस के पिता नुस्ली वाडिया को कथित तौर पर भगोड़े गैंगस्टर रवि पुजारी की ओर से आए धमकी भरे फोन की भी जांच कर रही है।
भारत और फ्रांस ने कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली साथ मिलकर विकसित करने के लिए संभवत: करीब 30,000 करोड़ रूपए के रक्षा सौदे पर गुरुवार को वार्ता पूरी की जबकि फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रैंकोइस होलांदे ने भारत के लिए राफेल लड़ाकू जेट की बिक्री पर फिर जोर दिया. भारत और फ्रांस ने यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा,‘दोनों पक्षों ने मध्यम बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान (एम-एमआरसीए) कार्यक्रम पर वार्ता की प्रगति पर गौर किया और वे उसके समापन पर आशान्वित हैं. सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल (एसआर-एसएएम) परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं.’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘एम-एमआरसीए अनुबंध पर चर्चा आगे बढ़ रही है. हमने एसआर-एसएएम पर भी वार्ता पूरी की है. सरकार से इस पर मुहर लगाने के बाद इसे भारत में साथ मिलकर तैयार किया जाएगा.’ एम-एमआरसीए अनुबंध के तहत भारत ने सौदे के लिए फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमान को चुना है और यह सौदा 50,000 करोड़ का होने की आशा है. दोनों पक्ष वाणिज्यिक मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं. रक्षा सहयोग की प्रगति पर संतोष जताते हुए सिंह ने कहा कि एमएमआरसीए अनुबंध पर विचार विमर्श सही दिशा में बढ़ रहा है. हमने सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल पर वार्ता भी पूरी की. सरकार से मंजूरी पा चुकी यह मिसाइल भारत में फ्रांस के सहयोग से विकसित और निर्मित होनी है. सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध नये स्तर पर पहुंचने की तैयारी में हैं. तीस हजार करोड़ रूपये की एसआर-एसएएम परियोजना भारत और फ्रांस का सह विकसित संयुक्त उपक्रम है और इसे भारत के डीआरडीओ तथा फ्रांस के एमबीडीए द्वारा विकसित किया जाएगा. सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली को भारतीय वायुसेना और नौसेना द्वारा तैनात किया जाएगा. होलांदे के साथ फ्रांस के बड़े व्यापारियों का समूह भी आया है जिसमें ‘डासाल्ट’ कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इरिक ट्रेपियर शामिल हैं जिनकी कंपनी भारत को 126 राफेल लड़ाकू विमान बेचने का समझौता करने की आशा कर रही है. इस समझौते पर फिलहाल चर्चा जारी है. उधर, होलांदे ने कहा कि वह भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी को ‘और नये स्तर’ पर ले जाने के लिए आए हैं. उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग फ्रेंच तकनीक को लेकर भारत के भरोसे और भारत द्वारा तकनीक के उपयोग को लेकर फ्रांस के विश्वास को दर्शाता है. दोनों पक्षों ने रेलवे क्षेत्र के एक समझौते सहित कुल चार समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए. एक संयुक्त बयान में कहा गया कि सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक क्षेत्रों में भारत और फ्रांस एक दूसरे का सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने माना कि आतंकवाद अफगानिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इससे असरदार तरीके से निबटने के लिए क्षेत्र के देशों द्वारा संयुक्त प्रयासों और मदद की जरूरत है जिसमें आतंकवाद के सुरक्षित पनाहों का खात्मा सहित अन्य कदम शामिल हैं. बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि पाकिस्तान को मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं को शीघ्रता से न्याय के कटघरे में खड़ा करने की प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए. दोनों नेताओं ने माली में आतंकवाद को पछाड़ने के उददेश्य वाले प्रयासों को अपना समर्थन दोहराया. भारत और फ्रांस के बीच हस्ताक्षरित चार दस्तावेजों में लंबी अवधि का अंतरिक्ष सहयोग और सांस्कृतिक आदान प्रदान शामिल है.
भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल गुलाम ई वाहनवती का आज यहां दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 65 साल के थे. वाहनवती के परिवार में पत्नी और एक पुत्र है. वाहनवती पिछले कुछ समय से फेफड़ों के संक्रमण से पीडि़त थे और उन्हें शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वाहनवती 13वें अटॉर्नी जनरल थे. वाहनवती को यूपीए सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने पर जून 2009 में तीन साल के लिए अटार्नी जनरल नियुक्त किया गया था. बाद में उनका कार्यकाल दो और साल के लिए बढ़ा दिया गया था. वाहनवती देश के टॉप लॉ ऑफिसर बनने वाले पहले मुस्लिम थे. केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद वाहनवती ने 27 मई को इस्तीफा दे दिया था. इस शीर्ष पद पर नियुक्ति से पहले वाहनवती ने 20 जून 2004 से 7 जून 2009 तक भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था. 2 जी केस में सीबीआई ने वाहनवती की भूमिका की जांच की थी. हालांकि, जांच एजेंसी ने बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. 7 मई 1949 को पैदा हुए वाहनवती ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. फिर गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली थी.
इससे पहले नौ मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने टी.टी.वी.दिनाकरण के नेतृत्व वाले अन्नाद्रमुक (अम्मा) धड़े को समान चुनाव चिन्ह, संभवत: प्रेशर कुकर, और उनकी पसंद का एक उचित नाम आवंटित करने का निर्देश दिया था. दिल्‍ली हाईकोर्ट में दिनाकरन ने प्रेशर कुकर चिन्ह मांगा था, जिसके तहत पार्टी ने पिछले वर्ष दिसंबर में राधा कृष्ण्न नगर विधानसभा सीट पर हुआ उपचुनाव 40 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीता था. आवेदन पर सुनवाई के दौरान दिनाकरन ने अपने धड़े के लिए तीन नाम भी सुझाए थे -आल इंडिया अम्मा अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम , एमजीआर अम्मा द्रविड़ मुनेत्र कझगम और एमजीआर अम्मा द्रविड कझगम. पलानीस्वामी -पनीरसेल्वम समूह ने कई आधार पर दिनाकरन की याचिका का विरोध किया था. यह भी कहा गया था कि दिनाकरन के धड़े को नाम और चिन्ह हासिल करने के लिए खुद को एक अलग पार्टी के रूप में पंजीकृत कराना होगा.टिप्पणियां इन सभी बातों को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि दिनाकरन धड़े को एक नए राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता क्योंकि उस सूरत में दो पत्ती चिन्ह पर उनका दावा खत्म हो जाएगा.   आवेदन पर सुनवाई के दौरान दिनाकरन ने अपने धड़े के लिए तीन नाम भी सुझाए थे -आल इंडिया अम्मा अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम , एमजीआर अम्मा द्रविड़ मुनेत्र कझगम और एमजीआर अम्मा द्रविड कझगम. पलानीस्वामी -पनीरसेल्वम समूह ने कई आधार पर दिनाकरन की याचिका का विरोध किया था. यह भी कहा गया था कि दिनाकरन के धड़े को नाम और चिन्ह हासिल करने के लिए खुद को एक अलग पार्टी के रूप में पंजीकृत कराना होगा.टिप्पणियां इन सभी बातों को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि दिनाकरन धड़े को एक नए राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता क्योंकि उस सूरत में दो पत्ती चिन्ह पर उनका दावा खत्म हो जाएगा.   इन सभी बातों को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि दिनाकरन धड़े को एक नए राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता क्योंकि उस सूरत में दो पत्ती चिन्ह पर उनका दावा खत्म हो जाएगा.
आम आदमी पार्टी में आंतरिक खींचतान की कहानी अब बयानबाजी और एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने के अगले स्तर पर पहुंच गई है. बुधवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है, जिसमें योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की किस्मत पर फैसला होगा, वहीं मंगलवार को पार्टी नेता आशीष खेतान ने ट्वीट कर प्रशांत भूषण और उनके परिवार पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. खेतान ने ट्विटर पर लिखा कि जो लोग पार्टी को एक आदमी की पार्टी की थ्योरी बता रहे हैं, असल में वह इसे एक परिवार की पार्टी बनाना चाहते हैं. खेतान ने भूषण परिवार को निशाने पर लेते हुए ट्वीट किया, 'शांति भूषण और शालिनी के पिता, बेटे और बेटी की तिकड़ी पार्टी के सभी विंग पर अपनी पकड़ बनाना चाहती है. वह पीएसी से लेकर पॉलिसी कमिटी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी तक में अपनी पैठ बनाना चाहते हैं.' Those who are floating the ridiculous one man party theory wanted to make AAP one family party. — Ashish Khetan (@AashishKhetan) March 3, 2015 Father son daughter trio of Shanti Prashant & Shalini wanted to have a vice-like grip on all party wings, from PAC to policy committee to NE — Ashish Khetan (@AashishKhetan) March 3, 2015 आशुतोष ने भी किया ट्वीट इस बीच पार्टी नेता आशुतोष ने भी ट्वीट कर कहा कि प्रशांत भूषण को मीडिया के बजाय नेशनल एग्जीक्यूटिव से अपनी नाराजगी जाहिर करनी चाहिए थी. उनको एनई में ही मुद्दा उठाना चाहिए. आशुतोष ने लिखा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी का निर्णय सबसे ऊपर है. Prashant ji should have raised issue of personality cult in NE, to be held tomorrow instead in media.NE should have discussed/taken a call. — ashutosh (@ashutosh83B) March 3, 2015 NE is highest decision making body/is empowered to decide on any issue/can direct anyone http://t.co/F7CQnGLimX forum to discuss/decide. — ashutosh (@ashutosh83B) March 3, 2015 जनता का भरोसा टूटने नहीं दूंगा: केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर पार्टी के अंदर घमासान पर चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने लिखा है कि वह आंतरिक कलह से दुखी हैं और यह दिल्लीवासियों के भरोसे के साथ धोखा है. केजरीवाल ने आगे लिखा कि वह किसी भी हालत में जनता के भरोसे को टूटने नहीं देंगे. I am deeply hurt and pained by what is going on in the party. This is betrayal of trust that Delhi posed in us(1/2) — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 3, 2015 I refuse to be drawn in this ugly battle.Will concentrate only on Delhi's governance.जनता के भरोसे को किसी भी हालत में टूटने नहीं दूंगा(2/2) — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 3, 2015 केजरीवाल का साथ दें प्रशांत और योगेंद्र: शांति भूषण आशीष खेतान के आरोपों के बीच वरिष्ठ वकील और प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बने रहना चाहिए. साथ ही योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को केजरीवाल का साथ देना चाहिए. AAP में ये तो होना ही था: बेदी भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन के दौरान केजरीवाल की साथी रहीं किरण बेदी ने भी 'आप' के घर में घमासान पर टिप्पणी की है. बीजेपी नेता ने ट्विटर पर लिखा कि 'आप' के घमासान पर उन्हें हैरानी नहीं हुई है. बेदी ने लिखा, 'यह तो होना ही था. बस समय और मुद्दे का सवाल था.' (It ought not to be a surprise. It was inevitable. Only issue was of,when?) @mmdvv : your comments on rift in AAP ?" — Kiran Bedi (@thekiranbedi) March 3, 2015 एचएस फुलका ने भी खोला मोर्चा AAP नेता एचएस फुलका ने भी योगेंद्र यादव के खि‍लाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने कहा, 'जब मैंने पार्टी ज्वॉइन की उसके बाद योगेंद्र यादव पंजाब के इंचार्ज बने. मुझे प्रशांत भूषण और सभी बड़े नेताओं ने कहा कि पंजाब में प्रचार कीजिए, लेकिन योगेंद्र ने कहा कि इंतजार करो. जब मैं कहूंगा तब जाओ. मुझे हर हफ्ते कहा वेट करो, मीडिया से बात करने से भी मना किया.' फुलका ने आगे कहा कि एक महीने के बाद उन्होंने अरविंद केजरीवाल को एसएमएस किया कि अगर जरूरत नहीं है तो फिर पार्टी में उन्हें रखा ही क्यों गया है. फुलका ने बताया, 'केजरीवाल ने फौरन एसएमएस किया और कहा कि आपकी बहुत जरूरत है. मैं मामले को देखता हूं. मुझे पता नहीं था मामले के बारे में. फिर केजरीवाल ने मुझे कहा कि 15 फरवरी 2014 से पंजाब की यात्रा को लीड करो. तब योगेंद्र ने पंजाब की कैंपेन कमिटी बना दी. कमिटी के ज्यादातर लोग मेरे खिलाफ काम कर रहे थे. चुनाव में इनका यही उद्देश्य था कि मुझे कैसे चुनाव हरवाया जाए.'
आम जनता और वीवीआईपी लोगों में कितना फर्क होता है यह गुरुवार को नोएडा में होने वाली भारी बारिश ने दिखा दिया. गुरुवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में जबरदस्त बारिश हुई. उसके बाद जगह-जगह भारी जलभराव हो गया और नोएडा के कई सेक्टर पानी में डूब गए. लोगों को पानी में निकलते वक्त अच्छी-खासी मशक्कत करनी पड़ रही थी, कई लोगों की गाड़ियां पानी में खराब हो गईं, ऑफिस जाने वाले लोग भयंकर जाम में फस गए, लेकिन कहीं भी पानी निकालने के लिए नोएडा अथॉरिटी की गाड़ियां नजर नहीं आई. वीवीआईपी की सेवा नोएडा की सड़कें पानी में डूबी रहीं, पर नोएडा अथॉरिटी का अमला जिला मजिस्ट्रेट के घर में बने बगीचे मे पानी निकालने में लगी रही. खुद अथॉरिटी के सीनियर अधिकारी खड़े होकर इसकी देखभाल में लगे रहे. जलभराव से लोग घरों में कैद नोएडा के कई पॉश सेक्टर में भी जबरदस्त जलभराव हो गया, जिससे लोग अपने घरों में ही कैद हो गए. गौरतलब है कि गुरुवार तड़के 5 बजे के करीब बारिश शुरू हुई. जब बारिश शुरू हुई तो रफ्तार इतनी तेज़ नहीं थी, लेकिन दिन निकलने के साथ ही बारिश ने रफ्तार पकड़ी और पूरा दिल्ली-एनसीआर झमाझम बारिश से तरबतर हो गया. बारिश की वजह से कई जगह पर जाम की स्थिति पैदा हो गई. तेज़ बारिश ने नोएडा की सिविक एजेंसियों के दावे की पोल खोल कर रख दी. तेज़ बारिश के बाद नोएडा के सेक्टर 16 में दो फीट तक पानी भर गया. यहां खड़ी कई कारों के साइलेंसर में पानी घुस गया तो वहीं बाइकों के पहिए भी आधे डूब गए. आपको बता दें कि जुलाई में दिल्ली में जितनी बारिश होनी चाहिए उससे लगभग आधी ही बारिश दिल्ली को मिली है लेकिन मौसम विभाग की मानें तो जुलाई खत्म होते होते दिल्ली सामान्य बारिश के अपने कोटे को पूरा कर लेगी. अभी और होगी बारिश मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में अभी और बारिश होने से गर्मी से राहत मिलेगी. मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक गुरुवार के अलावा शुक्रवार, शनिवार और रविवार को भी दिल्ली में बारिश के आसार हैं. सोमवार को भले ही धूप निकल सकती है लेकिन उसके बाद एक बार फिर से दिल्ली में तेज़ बारिश के आसार मौसम विभाग ने जताए हैं. इस दौरान न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रह सकता है.
गौरतलब है कि टी20 सीरीज का पहला मैच भारतीय टीम ने 5 विकेट से जीता था. इस मैच में रोहित बल्‍लेबाजी में अच्‍छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे. ऐसे में फैंस को दूसरे मैच में टीम इंडिया के मौजूदा कप्‍तान से धमाकेदार पारी की उम्‍मीद होगी. कोलकाता में खेले गए सीरीज के शुरुआती टी20 मैच में वेस्‍टइंडीज की टीम 20 ओवर में 8 विकेट खोकर 109 रन ही बना पाई थी. भारत के लिए कुलदीप यादव ने तीन विकेट लिए थे. जवाब में भारतीय टीम ने जीत के लिए जरूरी 110 रन का लक्ष्‍य 17.5ओवर में पांच विकेट खोकर हासिल कर लिया था. दिनेश कार्तिक 31 और हरफनमौला क्रुणाल पंड्या 21 रन बनाकर नाबाद रहे थे.
यह लेख है: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सह आरोपी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद कनिमोई की जमानत याचिका पर फैसला शनिवार को 14 मई तक के लिए सुरक्षित रख लिया। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी।इससे पहले, सीबीआई ने विशेष अदालत में कनिमोई की जमानत याचिका को चुनौती देते हुए कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कनिमोई पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा के साथ सक्रिय रूप से संलिप्त थीं। अभियोजन पक्ष के वकील यूयू ललित ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी की अदालत में कहा, "यह बात पूरी तरह गलत है कि उन्हें कलैगनार टीवी में 200 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित किए जाने की जानकारी नहीं थी, क्योंकि उस समय वह समूह की निदेशक थीं। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के इस पूरे मामले में कनिमोई सक्रिय रूप से संलिप्त थीं।" सीबीआई ने शुक्रवार को अदालत में कनिमोई और राजा के बीच इस मामले में सम्बंध का उल्लेख किया। ललित ने कहा, "यह कहना पूरी तरह से निराधार है कि कनिमोई ने राजा का साथ नहीं दिया। वह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए शुरुआत से लेकर अंत तक राजा के साथ मिलकर काम कर रही थीं।" कनिमोई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने दलील दी थी कि राजा के साथ कनिमोई का सम्बंध नहीं है। कनिमोई ने अपनी जमानत याचिका में कहा, "यदि हम यह मान भी लें कि राजा ने कलैगनार टीवी के जरिए डायनेमिक्स समूह से 200 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की थी तब भी मेरे खिलाफ अपराध सिद्ध नहीं होता, क्योंकि इस बारे में मैंने किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए।" सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि कनिमोई राजा को दोबारा दूरसंचार मंत्री बनाने के लिए सक्रिय रूप से मध्यस्थ की भूमिका निभा रही थीं।
शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह मराठी भाईचारे में फूट डालने का काम कर रही है. साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि लोकसभा में हुई हार की टीस अभी गयी नही. शिवसेना के प्रचार अभियान की शुरुआत ठाकरे ने विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना के प्रचार अभियान की शुरूआत की. लोकसभा में उनके मराठी वोटबैंक को तोड़ने वाले दल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) पर उन्होंने चुप्पी साधी रखी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने महाराष्ट्र के लोगों के भाईचारे में फूट डालने की सुपारी दे रखी है. मराठियों को तोड़ रही है कांग्रेस उद्धव ने कहा कि कांग्रेस ने पहले उन्होंने हिन्दुओं को तोड़ा और अब वे मराठियों को तोड़ रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के वक्त सारे कांग्रेसी एक हो जाते हैं जबकि बाद में वे बिखर जाते हैं. उन्होंने मनसे छोड़कर शिव सेना में आए नेताओं को साफ कर दिया कि उन्हें टिकट की उम्मीद नही करनी चाहिए.
बिहार के औरंगाबाद जिले में एक मुखिया के हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी की मांग और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की कथित बर्बर कार्रवाई के विरोध में भाकपा माले द्वारा 10 मई को बिहार बंद किया जाएगा. पार्टी सूत्रों ने बताया कि औरंगाबाद के हसपुरा प्रखंड के सोनहत्थू ग्राम पंचायत के मुखिया देवेंद्र सिंह उर्फ छोटू के हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी की मांग को लेकर दो मई को औरंगाबाद शहर में प्रदर्शनकारियों पर कथित बर्बर कार्रवाई, पूर्व विधायक राजाराम सिंह सहित हिरासत में लिये गये 29 लोगों को मुक्त करने और हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग को लेकर 10 मई को भाकपा माले लिबरेशन का बिहार बंद का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य बंद का नेतृत्व करेंगे. बंद के तहत राज्य भर में धरना प्रदर्शन और रैलियां निकाली जायेगी. पंचायत के मुखिया की हत्या 29 मार्च को कर दी गयी थी.इस कांड और विरोध में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई ने राज्य में सियासत का बाजार गर्म कर दिया है.
मेहर एक भारतीय हिंदी टेलीविजन सोप ओपेरा है जो डीडी नेशनल पर 3 जनवरी 2004 से 27 जनवरी 2006 तक प्रसारित हुआ था। कास्ट पायल नायर दोहरी भूमिकाओं में मेहर: शबाना की जुड़वां बहन शबाना: मेहर की जुड़वां बहन- की जगह शिल्पा शिंदे ने मेहर/नाज़ उज्ज्वल राणा --जायद खान बुद्धादित्य मोहंती-- इरफ़ान इंद्रनील भट्टाचार्य --अमन नीना चीमा --शाहीन बेगम शहाब खान--- इरफ़ान के मामू चेतन्य अदीब ----एजाज अंजलि मुखी ----बिलकिस भाभी सुमीत पाठक-- महफ़ूज़ विनीता ठाकुर --सादिया सोनिका हांडा-- नसीम रिशिना कंधारी डॉ. ---निगार राजीव पॉल-- शहजाद संदर्भ दूरदर्शन धारावाहिक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक
महात्मा गांधी की हत्या के बाद पारिवारिक मित्र द्वारा संरक्षित कर रखी गयी उनकी अस्थियों को 62 वर्ष बाद आज अंतत:दक्षिण अफ्रीका के तट पर हिन्द महासागर में विसर्जित कर दिया गया. विसर्जन के कार्यक्रम की अगुवाई करने वाली महत्मा गांधी की पौत्री इला गांधी ने कहा, ‘‘ इस कार्यक्रम में 200 से अधिक लोगों ने भाग लिया.’’ उन्होंने कहा कि हिन्द महासागर को पवित्र कार्यक्रम के लिए चुना गया, क्योंकि यह दोनों देशों को जोड़ता है. गांधीजी ने दोनों देशों पर व्यापक प्रभाव डाला था. इला ने कहा कि 30 जनवरी का दिन इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए इसलिए चुना गया कि यह महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है. महात्मा गांधी की 1948 में हत्या के बाद उनकी अस्थियों को परिजनों, मित्रों एवं अनुयायियों को वितरित किया गया था. मौजूदा अस्थियों को महात्मा गांधी के एक पारिवारिक मित्र को सौंपा गया था, जो उनके अंतिम संस्कार के बाद इसे दक्षिण अफ्रीका ले आया था और तब से वह उसके पास सुरक्षित रखी थीं. स्थानीय कारोबारी और गांधीवादी छगन छोटू ठाकुर भोला, 85 ने स्मरण करते हुए बताया कि वे गांधी की अस्थिकलश को किस तरह मुंबई से दक्षिण अफ्रीका लाये थे. डरबन के प्रमुख भारतीय व्यापारी भोला ने याद करते हुए बताया कि वे 1948 में मणि से शादी करने और गांधी के अंतिम संस्कार में भाग लेने भारत गये थे. भोला ने कहा, ‘‘ मेरे नजदीकी मित्र सोराबजी रुस्तमजी मेरे साथ भारत गये. गांधी के अंतिम संस्कारण के कुछ ही समय बात भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उनका (गांधी का) अस्थिकलश हमें सौंपा था.’’ प्राय: अस्थियों को नदियों या सागर में विसर्जित कर दिया जाता है लेकिन गांधी की अस्थियों को कई कलशों में रखा गया और भारत एवं दुनिया में बसे उनके विभिन्न अनुयायियों को सौंप दिया गया ताकि वे उनके स्मृति अवशेष रख सकें. भोला ने बताया कि वे लोग आठ जून 1948 को नौका से रवाना हुए और उन्होंने मोम्बासा तक की यात्रा की जहां राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम हुआ था. उन्होंने कहा, ‘‘हमने उसके बाद नैरोबी सहित विभिन्न अफ्रीकी देशों का दौरा किया जहां कुछ स्थानों में नदियों और झीलों में गांधी की अस्थियां विसर्जित की गयी.’’ भोला ने बताया कि 28 दिन बाद वे डरबन लौट आये और कलश को इनाडा में फोनिस्क बस्ती के सर्वोदय में रख दिया गया.
सोनिया गांधी ने देश के सबसे पुराने और व्यापक आधार वाले राजनीतिक दल कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर सबसे अधिक समय तक बने रहने के मामले में जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी सहित नेहरू-गांधी परिवार के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं. इस पार्टी के 125 वर्षों के इतिहास में करीब 32 साल नेहरू गांधी परिवार के लोग अध्यक्ष रहे. सोनिया लगातार बारह साल इस पद पर रहने के बाद अब चार साल के लिए और चुन ली गई हैं. नेहरू परिवार से सबसे पहले प्रख्यात वकील और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू अमृतसर में वर्ष 1919 में अध्यक्ष चुने गये. वह 1920 तक अध्यक्ष रहे. मोतीलाल वर्ष 1929 में दोबारा अध्यक्ष चुने गये और करीब एक साल तक अपने पद पर रहे. मोतीलाल के बाद उनके बेटे जवाहरलाल नेहरू ने ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभाला. पंडित नेहरू करीब छह बार 1930, 1936, 1937, 1951, 1953 और 1954 में कांग्रेस अध्यक्ष बने. पंडित नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने दो कार्यकालों में इस बेहद महत्वपूर्ण पद को संभाला. इंदिरा वर्ष 1959 में पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और 1960 तक रहीं. वह दोबारा वर्ष 1978 में कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गईं और अगले छह साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं. इंदिरा के बाद उनके बेटे राजीव गांधी 1984 के मुंबई अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये और वह 1991 तक इस पद पर रहे. राजीव गांधी के असामयिक निधन के बाद नेहरू-गांधी परिवार ने काफी समय तक कांग्रेस से दूरी बनाये रखी. लेकिन पार्टी को संभालने के लिये वर्ष 1998 में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने राजनीति में कदम रखा. वह पार्टी की निर्विरोध अध्यक्ष चुनीं गई. तब से लेकर आज तक वह अध्यक्ष बनीं हुई हैं. आजादी के बाद के समयकाल पर नजर डालें तो नेहरू परिवार ने करीब 28 साल तक इस महत्वपूर्ण पद पर अपनी पकड़ बनाये रखी है. सोनिया गांधी कांग्रेस की पांचवीं महिला अध्यक्ष हैं. वह गांधी नेहरू परिवार से इस पद को संभालने वाली पांचवीं सदस्य हैं. वर्ष 1917 में एनी बेसेंट कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं. ‘भारत कोकिला’ सरोजनी नायडू पहली ऐसी भारतीय महिला थी जिन्होंने इस महत्वपूर्ण पद को संभाला था.
स्टार प्लस के पॉपुलर शो ये रिश्ता क्या कहलाता है के कई फेमस चेहरे इस शो को अलविदा कह चुके हैं. इस लिस्ट में अब अक्षरा की देवरानी का रोल प्ले कर रही एक्ट्रेस प्रियंका उधवानी ने भी अपना नाम जोड़ लिया है. प्रियंका ने शो को अलविदा बोल दिया है. शो में प्रियंका सिंघानिया फैमिली की बहू का किरदार निभा रही थीं. नैतिक के स्टेप ब्रदर की वाइफ के रोल में प्रियंका ने फैंस के बीच अपनी अलग पहचान बनाई थी. प्रियंका से पहले हिना खान, करण मेहरा, रोहन मेहरा और कांची सिंह भी शो को छोड़ चुके हैं. 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' सीरियल ने बनाया रिकॉर्ड, छोड़ा बाकी सीरियलों को पीछे प्रियंका ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि शो को अलविदा कहने का समय आ गया है. शो के प्रतिभावान लोगों से मैंने बहुत कुछ सीखा. शो छोड़ने की वजह बताते हुए प्रियंका का कहना था कि कलाकार होने के नाते मैं परफार्म करना चाहती हूं. मैं सिर्फ भीड़ में शामिल होकर खड़े रहना नहीं चाहती. मुझे लगता है कि शो में मेरे लिए कुछ बचा नहीं है. कपिल शर्मा के शो का होगा मेकओवर, टीम से जुड़ा ये फिल्मी नाम सीरियल 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' की शुरुआत 12 जनवरी, 2009 को हुई थी और अब यह सबसे ज्यादा दिन चलने वाला भारतीय शो बन गया है. शो ने हाल ही में 2500 एपिसोड पूरे किए हैं. शो की शुरुआत में हिना खान (अक्षरा) और करण मेहरा (नैतिक) लीड रोल में दिखे थे, लेकिन लीप लेने के बाद हिना ने शो छोड़ दिया और उनकी बेटी नायरा और कार्तिक शो के लीड बन गए.
धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की बड़ी बेटी ईशा देओल ने रविवार को व्यवसायी भरत तख्तानी से सगाई कर ली। बॉलीवुड की 'ड्रीम गर्ल' हेमा का कहना है कि उनका दामाद बहुत सुंदर है।टिप्पणियां हेमा ने पत्रकारों को बताया, "शादी की तारीख अभी पक्की नहीं हुई है। हालांकि 'टेल मी ओ खुदा' के बाद हमने ईशा की शादी का फैसला कर लिया था। एक बार शादी की तारीख पक्की होने के बाद हम इसकी अधिकारिक घोषणा करेंगे। मेरा दामाद बहुत सुंदर है।" सगाई के समारोह का आयोजन हेमा के जुहू स्थित बंगले पर किया गया। समारोह में परिवार के कुछ करीबी सदस्यों और दोस्तों को आमंत्रित किया गया था। जया बच्चन ही सिर्फ बॉलीवुड की एक ऐसी हस्ती थी, जो सगाई समारोह में उपस्थित थी। इस मौके पर ईशा सुंदर गुलाबी रंग की साड़ी पहने नजर आईं। वहीं उनके होने वाले पति सफेद रंग की कमीज, सफेद कोट और काले रंग की पैंट पहने नजर आए। ईशा ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज मैं बहुत खुश हूं। आप सबका शुक्रिया, यह आपका आशीर्वाद ही हैं, जिस वजह से मेरी और भरत की सगाई हुई है।" हेमा ने पत्रकारों को बताया, "शादी की तारीख अभी पक्की नहीं हुई है। हालांकि 'टेल मी ओ खुदा' के बाद हमने ईशा की शादी का फैसला कर लिया था। एक बार शादी की तारीख पक्की होने के बाद हम इसकी अधिकारिक घोषणा करेंगे। मेरा दामाद बहुत सुंदर है।" सगाई के समारोह का आयोजन हेमा के जुहू स्थित बंगले पर किया गया। समारोह में परिवार के कुछ करीबी सदस्यों और दोस्तों को आमंत्रित किया गया था। जया बच्चन ही सिर्फ बॉलीवुड की एक ऐसी हस्ती थी, जो सगाई समारोह में उपस्थित थी। इस मौके पर ईशा सुंदर गुलाबी रंग की साड़ी पहने नजर आईं। वहीं उनके होने वाले पति सफेद रंग की कमीज, सफेद कोट और काले रंग की पैंट पहने नजर आए। ईशा ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज मैं बहुत खुश हूं। आप सबका शुक्रिया, यह आपका आशीर्वाद ही हैं, जिस वजह से मेरी और भरत की सगाई हुई है।" सगाई के समारोह का आयोजन हेमा के जुहू स्थित बंगले पर किया गया। समारोह में परिवार के कुछ करीबी सदस्यों और दोस्तों को आमंत्रित किया गया था। जया बच्चन ही सिर्फ बॉलीवुड की एक ऐसी हस्ती थी, जो सगाई समारोह में उपस्थित थी। इस मौके पर ईशा सुंदर गुलाबी रंग की साड़ी पहने नजर आईं। वहीं उनके होने वाले पति सफेद रंग की कमीज, सफेद कोट और काले रंग की पैंट पहने नजर आए। ईशा ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज मैं बहुत खुश हूं। आप सबका शुक्रिया, यह आपका आशीर्वाद ही हैं, जिस वजह से मेरी और भरत की सगाई हुई है।"
स्वर कोकिला लता मंगेशकर को धीमा जहर दिया गया था. लता ने बताया कि इसकी वजह से वह बीमार हो गईं थी और तीन महीने तक कोई गाना नहीं गा पाई थीं. एक वेबसाइट के मुताबिक लता से जब पूछा गया कि क्या यह सही है कि उन्हें साल 1962 में जहर दिया गया था तो उन्होंने बताया, 'ऐसा कुछ हुआ तो था या पता नहीं कुछ और हुआ था. भगवान जाने. पर मैं बहुत बीमार हुई थी और तीन महीने तक गा नहीं पाई थी.' लता जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा कि वह अपने देश से प्यार करते हैं और देश का अच्छा जरूर करना चाहेंगे. आगे इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्हें क्रिकेट बहुत पसंद है.
पूर्वी स्लाव (East Slavs) उन स्लाव लोगों को कहा जाता है जो पूर्वी स्लावी भाषाएँ बोलते हैं। यह शुरू में कीवियाई रूस (Kievan Rus') नामक मध्यकालीन राज्य के निवासी हुआ करते थे लेकिन १७वीं सदी तक रूसी, यूक्रेनी और बेलारूसी उपजातियों में बंट चुके थे।
लौकैश लडपचा लडपचा (Ladpcha; Ladpcha; Ladpcha;) एक छोटा-सा गाँव है जो कि रेलमगरा-फतहनगर मुख्यमार्ग से 3 कि.मी. अंदर बसा हुआ है। यह गाँव भारत के राज्य राजस्थान में जिला राजसमन्द, तहसील रेलमगरा के अन्तर्गत आता है। रेलमगरा से इसकी दूरी 10 कि॰मी॰, राजसमन्द से 30 कि॰मी॰ तथा नाथद्वारा से 28 कि॰मी॰ है। गाँव में अधिकतर किसान लोग निवास करते हैं। गाँव में एक राजकीय माध्यमिक विधालय और एक प्राथमिक चिकित्सालय भी है। "ग्राम पँचायत गवारडी" का कार्यालय है। तथा इस गाँव में ^लौकेश^🔫 भाई निवास करते हे। पड़ोसी गाँव चराणा सासेरा छंडगा खेड़ी गवारडी दरीबा ((etc)) अन्य नजदीकी गाँव आंजना,शिवपूरा,. etc अन्य जानकारी लडपचा गाँव की डाक सूचक संख्या (PIN) 313211 है तथा यहाँ का एस॰टी॰डी॰ कोड +912952 (02952) है। सन्दर्भ https://web.archive.org/web/20160305075450/http://wikiedit.org/India/Lapsya/37266/%26hl%3Den%26ei%3DzLHvUo-SMMnKkgXUg4GoCA%26wsc%3Dtb%26ct%3Dpg1%26whp%3D30 http://liko.in/schools-in-india/school-id-1024602/&hl=en&ei=ZLTvUrqlBIX-mAXV_YC4Bg&wsc=tf&ct=pg1&whp=30 बाहरी कड़ियाँ www.railmagra.in
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: महेंद्र सिंह धोनी के वनडे से इस्तीफे के बाद तीनों फॉर्मेट की कप्तानी संभाल रहे विराट कोहली ने कहा कि इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुना जाना और टीम की अगुवाई की जिम्मेदारी दिया जाना सम्मानजनक है. कप्तानी के दबाव के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "मैं इसे तनावपूर्ण नहीं मानता बल्कि यह मजेदार है." दाएं हाथ के इस शानदार बल्लेबाज ने कहा, "यह काफी विशेष है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसा दिन आयेगा. जब मैं टीम में आया था तो मैं हमेशा ही प्रदर्शन करने, ज्यादा मौके हासिल करने, मजबूत कैरियर बनाने और टीम के लिये जीत में योगदान करने के बारे में सोचता था."   कोहली टेस्ट टीम की कप्तानी कर रहे थे, उन्हें पिछले हफ्ते वनडे और टी20 का कप्तान नियुक्त किया गया क्योंकि देश के सबसे सफल कप्तान महेंद्रसिंह धोनी ने पद से हटने का फैसला किया. दिल्ली के इस बल्लेबाज ने यहां 'नीतेश हब मॉल' का उद्घाटन करने के बाद एक 'टॉक शो' के दौरान मंदिरा बेदी से बात की. जब उनसे पूछा गया कि सभी तीनों प्रारूपों में कप्तानी करने के बाद के कैसा लग रहा है तो इस स्टार खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह यहां तक पहुंचेंगे. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सब कुछ भगवान द्वारा ही किया हुआ है. जो कुछ भी आपके साथ होता है, किसी कारण से होता है और आपकी जिंदगी में सही समय पर होता है." कोहली की कप्तानी में भारत की अंडर-19 टीम ने 2008 में विश्व कप खिताब जीता था. उन्होंने कहा कि जब वह जूनियर स्तर पर खेलते तो टीम की कप्तानी करते थे. उन्होंने कहा, "लेकिन भारत की कप्तानी करना बिलकुल ही अलग तरह की बात है. यह पूरी तरह से 'हॉट सीट' है क्योंकि इसके साथ ध्यान, प्रशंसा, आलोचना, सभी चीजें आती हैं."   टिप्पणियां कोहली ने कहा, "लेकिन एक चीज इसके साथ आती है और वह है जिम्मेदारी. यही चीज मुझे एक बेहतर क्रिकेटर और बेहतर व्यक्ति बनाती है क्योंकि मैं इसके अनुभवों से ही जिंदगी के बारे में सीख रहा हूं इसलिए मैं इसे मौके के पर लेता हूं." यह पूछने पर कि क्या कप्तानी हैरानी की तरह रही तो कोहली ने कहा कि वह इसे हैरानी नहीं कहेंगे और कहा कि बतौर खिलाड़ी वह मैदान पर अपने सुझाव देना चाहते थे और लगातार खेल के बारे में सोचते रहते थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) दाएं हाथ के इस शानदार बल्लेबाज ने कहा, "यह काफी विशेष है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसा दिन आयेगा. जब मैं टीम में आया था तो मैं हमेशा ही प्रदर्शन करने, ज्यादा मौके हासिल करने, मजबूत कैरियर बनाने और टीम के लिये जीत में योगदान करने के बारे में सोचता था."   कोहली टेस्ट टीम की कप्तानी कर रहे थे, उन्हें पिछले हफ्ते वनडे और टी20 का कप्तान नियुक्त किया गया क्योंकि देश के सबसे सफल कप्तान महेंद्रसिंह धोनी ने पद से हटने का फैसला किया. दिल्ली के इस बल्लेबाज ने यहां 'नीतेश हब मॉल' का उद्घाटन करने के बाद एक 'टॉक शो' के दौरान मंदिरा बेदी से बात की. जब उनसे पूछा गया कि सभी तीनों प्रारूपों में कप्तानी करने के बाद के कैसा लग रहा है तो इस स्टार खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह यहां तक पहुंचेंगे. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सब कुछ भगवान द्वारा ही किया हुआ है. जो कुछ भी आपके साथ होता है, किसी कारण से होता है और आपकी जिंदगी में सही समय पर होता है." कोहली की कप्तानी में भारत की अंडर-19 टीम ने 2008 में विश्व कप खिताब जीता था. उन्होंने कहा कि जब वह जूनियर स्तर पर खेलते तो टीम की कप्तानी करते थे. उन्होंने कहा, "लेकिन भारत की कप्तानी करना बिलकुल ही अलग तरह की बात है. यह पूरी तरह से 'हॉट सीट' है क्योंकि इसके साथ ध्यान, प्रशंसा, आलोचना, सभी चीजें आती हैं."   टिप्पणियां कोहली ने कहा, "लेकिन एक चीज इसके साथ आती है और वह है जिम्मेदारी. यही चीज मुझे एक बेहतर क्रिकेटर और बेहतर व्यक्ति बनाती है क्योंकि मैं इसके अनुभवों से ही जिंदगी के बारे में सीख रहा हूं इसलिए मैं इसे मौके के पर लेता हूं." यह पूछने पर कि क्या कप्तानी हैरानी की तरह रही तो कोहली ने कहा कि वह इसे हैरानी नहीं कहेंगे और कहा कि बतौर खिलाड़ी वह मैदान पर अपने सुझाव देना चाहते थे और लगातार खेल के बारे में सोचते रहते थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) जब उनसे पूछा गया कि सभी तीनों प्रारूपों में कप्तानी करने के बाद के कैसा लग रहा है तो इस स्टार खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह यहां तक पहुंचेंगे. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सब कुछ भगवान द्वारा ही किया हुआ है. जो कुछ भी आपके साथ होता है, किसी कारण से होता है और आपकी जिंदगी में सही समय पर होता है." कोहली की कप्तानी में भारत की अंडर-19 टीम ने 2008 में विश्व कप खिताब जीता था. उन्होंने कहा कि जब वह जूनियर स्तर पर खेलते तो टीम की कप्तानी करते थे. उन्होंने कहा, "लेकिन भारत की कप्तानी करना बिलकुल ही अलग तरह की बात है. यह पूरी तरह से 'हॉट सीट' है क्योंकि इसके साथ ध्यान, प्रशंसा, आलोचना, सभी चीजें आती हैं."   टिप्पणियां कोहली ने कहा, "लेकिन एक चीज इसके साथ आती है और वह है जिम्मेदारी. यही चीज मुझे एक बेहतर क्रिकेटर और बेहतर व्यक्ति बनाती है क्योंकि मैं इसके अनुभवों से ही जिंदगी के बारे में सीख रहा हूं इसलिए मैं इसे मौके के पर लेता हूं." यह पूछने पर कि क्या कप्तानी हैरानी की तरह रही तो कोहली ने कहा कि वह इसे हैरानी नहीं कहेंगे और कहा कि बतौर खिलाड़ी वह मैदान पर अपने सुझाव देना चाहते थे और लगातार खेल के बारे में सोचते रहते थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सब कुछ भगवान द्वारा ही किया हुआ है. जो कुछ भी आपके साथ होता है, किसी कारण से होता है और आपकी जिंदगी में सही समय पर होता है." कोहली की कप्तानी में भारत की अंडर-19 टीम ने 2008 में विश्व कप खिताब जीता था. उन्होंने कहा कि जब वह जूनियर स्तर पर खेलते तो टीम की कप्तानी करते थे. उन्होंने कहा, "लेकिन भारत की कप्तानी करना बिलकुल ही अलग तरह की बात है. यह पूरी तरह से 'हॉट सीट' है क्योंकि इसके साथ ध्यान, प्रशंसा, आलोचना, सभी चीजें आती हैं."   टिप्पणियां कोहली ने कहा, "लेकिन एक चीज इसके साथ आती है और वह है जिम्मेदारी. यही चीज मुझे एक बेहतर क्रिकेटर और बेहतर व्यक्ति बनाती है क्योंकि मैं इसके अनुभवों से ही जिंदगी के बारे में सीख रहा हूं इसलिए मैं इसे मौके के पर लेता हूं." यह पूछने पर कि क्या कप्तानी हैरानी की तरह रही तो कोहली ने कहा कि वह इसे हैरानी नहीं कहेंगे और कहा कि बतौर खिलाड़ी वह मैदान पर अपने सुझाव देना चाहते थे और लगातार खेल के बारे में सोचते रहते थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) कोहली ने कहा, "लेकिन एक चीज इसके साथ आती है और वह है जिम्मेदारी. यही चीज मुझे एक बेहतर क्रिकेटर और बेहतर व्यक्ति बनाती है क्योंकि मैं इसके अनुभवों से ही जिंदगी के बारे में सीख रहा हूं इसलिए मैं इसे मौके के पर लेता हूं." यह पूछने पर कि क्या कप्तानी हैरानी की तरह रही तो कोहली ने कहा कि वह इसे हैरानी नहीं कहेंगे और कहा कि बतौर खिलाड़ी वह मैदान पर अपने सुझाव देना चाहते थे और लगातार खेल के बारे में सोचते रहते थे.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दिल्ली के महिपालपुर इलाके में गुरुवार शाम को एक 40 साल की महिला रेखा की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई.वजह  थी कि महिला के घर के बाहर पानी बिखरा हुआ था, जिसकी वजह से पड़ोस में रहने वाले 22 साल के युवक को गुस्सा आ गया. उसने महिला पर चाकू से कई वार कर बुरी तरह जख्मी कर दिया. महिला को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वसंतकुंज के रंगपुरी पहाड़ी इलाके में मामूली कहासुनी में बात क़त्ल तक पहुंच गई. रेखा और गोपाल अगल बगल मकान में रहते थे. गुरुवार शाम को 40 साल की रेखा ने बर्तन धोये थे,  जिसका पानी वहां पर बिखरा हुआ था और उसी पानी के विवाद को लेकर पड़ोस में रहने वाले युवक ने चाकू से गोदकर रेखा नाम की 40 साल की महिला की हत्या कर दी. इससे पहले भी पानी को लेकर कई बार रेखा और गोपाल का झगड़ा हो चुका है. वहीं इस पूरे मामले की सूचना वसंत कुंज थाने को मिली तो आनन-फानन में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार किया और यह पता लगाया कि आखिरकार हत्या की असल वजह क्या थी. जब आरोपी गोपाल को पकड़ा गया तो आरोपी ने खुद बताया कि पानी को लेकर ही उसकी महिला से तू तू मैं मैं हुई और जिसके बाद उसने घर में रखे हुए चाकू से ही महिला के ऊपर कई वार किए जिसमें की महिला की मौत हो गई. फिलहाल पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. शव को पोस्टमोर्टम के लिए भेज दिया है.सवाल उठता है कि कैसे दिल्ली के लोग मामूली सी बात पर इस क़दर गुस्सा हो जाते हैं कि किसी की भी जा ले लेते हैं. आरोपी और महिला एक ही प्लॉट में अलग-अलग कमरों में रहते थे. दिल्ली में कहासुनी को लेकर हत्या की कई घटनाएं हो चुकी हैं. हाल में पश्चिमी दिल्ली के मोतीनगर इलाके में छेड़खानी का विरोध करने पर एक कारोबारी ध्रुव त्यागी की हत्या कर दी गई. जिसमें पुलिस ने आधे दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक 52 वर्षीय कारोबारी ध्रुव त्यागी की रविवार को उस वक्त चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपनी बेटी के साथ घर लौट रहे थे. ध्रुव के 19 वर्षीय बेटे को भी बदमाशों ने चाकू मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था. वह आईसीयू में जीवन और मौत से जूझ रहा है. पुलिस ने इस हत्या के मामले में 45 वर्षीय मुख्य आरोपी और उसके बेटे सहित कुल आधे दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. हत्या के दौरान आरोपी के परिवार की महिलाओं पर भी सहयोग करने का आरोप है. आरोपी महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया है.
बीते माह संपन्न हुए दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव में बीजेपी ने तीनों नगर निगम पर जीत हासिल की थी. बीजेपी ने 10 साल की सत्ताविरोधी लहर को धता बताते हुए भी जीत हासिल की थी. इसे जहां पीएम मोदी के बरकरार जादू का असर कहा गया. वहीं इसे राष्ट्रीय राजधानी से आम आदमी पार्टी का उतरता बुखार भी कहा गया. हालांकि इस बीच राजधानी के दो वार्ड मौजपुर और सराय पीपल थला में उपचुनाव संपन्न हुए. इन वार्डों में क्रमश: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने जीत हासिल की है. इन दोनों वार्ड पर वोट 14 और 21 मई को पड़े थे. आज वोटों की गिनती संपन्न हुई. AAP ने जीती मौजपुर सीट दिल्ली प्रदेश में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने मौजपुर सीट जीत ली है. AAP प्रत्याशी रेशमा ने यहां जीत हासिल की है. उन्हें कुल 9374 वोट मिले हैं. वह अपने निकटतम प्रत्याशी (कांग्रेस) से 699 वोट आगे रही हैं. कांग्रेस की रेखा शर्मा को यहां 8374 वोट मिले हैं. बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर रही है. इसे बीजेपी के गिरते ग्राफ के तौर पर देखा जा रहा है. यहां बीजेपी प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई है. इससे पहले यह सीट बीजेपी के खाते में थी. कांग्रेस ने जीती सराय पीपल थला सीट देश और प्रदेश की सत्ता से दूर कांग्रेस के लिए भी ये उपचुनाव राहत की खबर लाए हैं. इसके अलावा ये कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के लिए भी यह अच्छी खबर है. कांग्रेस ने बीजेपी के प्रत्याशी को बुरी तरह हराया है. कांग्रेस के मुकेश गोयल को यहां 10946 वोट मिले हैं. बीजेपी को यहां 8203 वोट मिले हैं. वहीं AAP प्रत्याशी को यहां सिर्फ 2903 वोट मिले हैं. AAP प्रत्याशी की यहां जमानत जब्त हो गई है. इससे एक चीज पता चलती है कि झुग्गी-झोपड़ियों में अब भी कांग्रेस अपेक्षाकृत लोकप्रिय है.
अमेरिकी विदेश नीति के लिए चीन को एक बड़ी चुनौती मानते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी ने कहा है कि अगर वे राष्ट्रपति बनतें हैं तो चीनी प्रभाव को कम करने के लिए भारत से अपने संबंध मजबूत करेंगे. विदेशी युद्धों के शहीदों की स्मृति में नवाडा में आयोजित अधिवेशन को संबोधित करते हुए रोमनी ने माना कि एक सुरक्षित और स्थायी विश्व के लिए चीन के साथ साझेदारी जरूरी है, लेकिन उन्होंने बीजिंग पर यह आरोप भी लगाया कि वह कई मसलों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धोखा दे रहा है. साथ ही रोमनी ने ओबामा पर इस मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने का आरोप लगाया. रोमनी ने कहा, ‘इस मसले पर ओबामा ने न कुछ किया है न ही वे करेंगे. मैं इस दिशा में काम करूंगा.’ चीन के बारे में रोमनी ने कहा, ‘उभरते चीन को लेकर कई चुनौतियां हैं. वह अपनी सरकार के हितों का तो ध्यान रखता है लेकिन चीनी जनता के अधिकारों की अवहेलना करता है. इसके अलावा अमेरिका के साथ व्यापार करते हुए वह पेटेंट नियमों और कॉपीराइट कानूनों का भी उल्लंघन करता है. गलत फायदा उठाने के लिए वह अपनी मुद्रा का भी अवमूल्यन करता रहा है.’ अपने चुनावी अभियान के घोषणा पत्र में रोमनी ने वादा किया कि चुने जाने पर वह ऐसे कदम उठाएंगे ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में चीन एक जिम्मेदार प्रतिभागी बने. साथ ही उन्होंने वादा किया कि वे चीन में लोकतांत्रिक सुधारों की मांग करने वाले नागरिक समाज समूहों को समर्थन देंगे.
यह एक लेख है: भारत के बेरोज़गारों के लिए एक अलग से न्यूज़ चैनल होना चाहिए. उनकी समस्याएं बहुत हैं और जटिल भी हैं. कोई ठोस संख्या तो नहीं है मगर कोई बहाली निकलती है तो दस से बीस लाख छात्र फार्म भरने लगते हैं. इस अंदाज़ से आप देखेंगे तो पाएंगे कि देश भर में करोड़ों की संख्या में छात्र भांति भांति की सरकारी नौकरियों की तैयारी में पसीना बहा रहे हैं. फिर भी इनकी सुनवाई क्यों नहीं है. बेरोज़गारी से किसी को डर क्यों नहीं लगता है. इसका एक छोटा सा जवाब है. जब किसान आंदोलन करते हैं तो बाकी समाज उन्हें छोड़ देता है. जब बेरोज़गार प्रदर्शन करते हैं तो बाकी समाज उन्हें भी छोड़ देता है. न किसान बेरोज़गारों का साथ देते हैं और न बेरोज़गार किसानों का. इसलिए किसी की आवाज़ की कोई ताक़त नहीं रह जाती है. कई बेरोज़गारों ने बताया कि उनके परिवार के लोग भी उनका साथ नहीं देते हैं. छात्रों से बातचीत के बाद लगता है कि कई राज्यों के चयन आयोग नौजवानों को उल्लू बनाने का सरकारी कारखाना भर हैं. इनका काम नौकरी देना नहीं बल्कि नौकरी के नाम पर झांसा देना है. ये फार्म निकालते हैं, फिर नकल होने देते हैं, फिर तीन चार बार इसके नाम पर और पांच छह बार कोर्ट केस के नाम पर परीक्षा लटका देते हैं. किसी की नौकरी हो भी जाती है तो ज्वाइनिंग लेटर नहीं देते हैं. 22 जनवरी को कोई डेढ़ दो सौ छात्रों ने दिल्ली के सीजीओ कांप्लेक्स में मार्च निकाला. आस-पास के राज्यों से आए ये छात्र स्टाफ सलेक्शन कमिशन की परीक्षा में पास हो चुके हैं. इनकी ज्वाइनिंग की चिट्ठी नहीं आ रही है. पहले परीक्षा के लिए इंतज़ार करो, फिर पास होकर ज्वाइन करने की चिट्ठी का इंतज़ार करो. तो एसएससी के पास हुए छात्र अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन करते रहते हैं. इनका मामला कोर्ट में भी लटका रहता है. दूसरी तरफ जिनका नहीं हुआ है वो इसकी शिकायत करते रहते हैं कि एक ही परीक्षा में अलग-अलग दिन अलग-अलग स्तर के सवाल पूछे जाते हैं. किसी दिन पेपर हल्का होता है किसी दिन बहुत भारी होता है. कई तरह की जटिलताओं का बहाना बनाकर जो पास हुए हैं उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो रही है. हमारे सहयोगी मुन्ने भारती 22 जनवरी के मार्च के समय दिल्ली के सीजीओ कांप्लेक्स गए थे जहां ये छात्र तख्ती बैनर लेकर आए थे. 18 जनवरी को पटना में भी एसएससी के पास हुए छात्रों ने रैली निकाली थी. आप छात्रों की बातें सुनिये फिर आराम से सोचिए कि इस वक्त क्या करने की ज़रूरत है. छात्रों को पुलिस ने हटाने का प्रयास किया तो फूल देकर समझाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. इन छात्रों का कहना है कि वे जब कोर्ट में गए कि उनकी ज्वाइनिंग जल्दी हो जाए तो इस मामले की सुनवाई की तारीख 21 सितंबर मिली है जिससे वे काफी परेशान हो गए हैं. ऐसे तो पास होने के बाद ज्वाइनिंग होने में भी एक साल बीत जाएगा. शुक्रवार को स्टाफ सलेक्शन कमिशन के चेयरमैन ने अपनी संस्था की वेबसाइट पर देरी के कारणों और समाधान पर एक लंबा पत्र डाला था. छात्रों को अभी भी आशंका है कि ये सिर्फ आश्वासन देकर मामले को लटकाने का तरीका हो सकता है. पत्र के प्वाइंट नंबर 9 में कहा गया है, 'कमिशन ने दिसंबर 2017 को भारत सरकार के कार्मिक विभाग और कानूनी मामलों के विभाग से संपर्क किया. अनुमति मांगी कि इस मामले में कैट के आदेश के खिलाफ अपील की जाए. कानूनी समीक्षा के बाद सरकार ने पाया कि इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चैलेंज करना चाहिए. अगर ज़रूरत पड़ी तो आयोग सुप्रीम कोर्ट भी जाएगा. आयोग जनवरी के आखिरी सप्ताह में अपील फाइल करेगा. फरवरी महीने के आख़िर में जिन विभागों के लिए छात्र सफल हुए हैं, उनके यहां से ज्वाइनिंग की चिट्ठी आने लगेगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असफल उम्मीदवारों के केस करने की वजह से अवांछित देरी हुई है.' चेयरमैन ने अपने पत्र में कहा है कि जिनका हो गया है, अभी सफल लोगों को ज्वाइनिंग की चिट्ठी दी जाएगी. अगर रिजल्ट की समीक्षा होती है और किसी की उम्मीदवारी रद्द होती है तो उसकी नौकरी चली जाएगी. इस व्यवस्था के साथ पास हुए छात्रों को ज्वाइन कराया जा सकता है. 22 जनवरी को चेयरमैन ने दो छात्रों को भी बुलाया. उनसे बात की लेकिन छात्र संतुष्ट नहीं हुए. भारत के नौजवान व्यवस्था के आगे मजबूर हैं. बिहार के मुज़फ्फरपुर से एक छात्र ने हमें बताया, आप भी हैरान रह जाएंगे. प्राइम टाइम में इस वक्त जनसुनवाई का मॉडल चल रहा है. हम ध्यान रखेंगे लेकिन पहले लोगों की बात रखेंगे, उसके बाद अगर चयन आयोग के अध्यक्ष को लगता है कि हमारी बात सही नहीं है, प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो वे हमसे संपर्क कर सकते हैं, हम उनका जवाब भी दिखा देंगे. फिलहाल छात्रों ने जो बताया है वो किसी भी मानसिक अवस्था में यकीन करने लायक नहीं है. आप सुनकर ख़ुद से यकीन खो देंगे. 2014 में बिहार ssc chsl के लिए 13,500 वेकैंसी आई. एक फार्म की कीमत 350 रुपये थी, 27 लाख फार्म भरे गए. इस हिसाब से आयोग ने 80 से 90 करोड़ छात्रों से कमा लिए. 2014 से 2018 आ गया, इस वैकेंसी से जुड़ी एक भी परीक्षा नहीं हुई है. 22 जनवरी यानी सोमवार के दैनिक जागरण में भी यह ख़बर है कि बिहार सरकार ने इंटर स्तरीय पदों की भर्ती के लिए साल 2014 में आवेदन निकाला, सरकार के अलग-अलग विभागों में 11,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार ने वैकेंसी निकाली. 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने फार्म भरे. बहुत इंतज़ार के बाद 2017 में परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन धांधली होने के कारण परीक्षा रद्द हो गई. उसके बाद छात्र दोबारा परीक्षा का ही इंतज़ार कर रहे हैं. स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए भी 2014 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था. 2015 में परीक्षा हुई, पीटी हुई, मेन्स की परीक्षा हुई, परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट आ गया है मगर नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुआ है. पास कर के भी छात्र घर बैठे हैं. एक और अखबार के कतरन से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन चयन आयोगों को भर्ती का कैलेंडर बनाने को कहा है. हिन्दुस्तान अखबार के अभिषेक कुमार की इस रिपोर्ट में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष संजीव सिन्हा ने कहा है कि परीक्षा का कैलेंडर बन रहा है. कर्मियों की कमी है. बताइये जिसका काम कर्मचारियों की भर्ती करना है, उसके पास भी कर्मचारियों की कमी है. तो पहले उसे अपने लिए ही बहाली कर लेनी चाहिए. 15-16 हज़ार पद ख़ाली हैं, उन पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. इस बीच बहुत से छात्रों की उम्र सीमा भी निकल जाती है, वे अंशकालिक बेरोज़गार से आजीवन बेरोज़गार हो जाते हैं. नौजवानों के साथ होने वाला यह सबसे बड़ा घोटाला है. आयोगों के पास बहाने बहुत हैं. हमें रेलवे के परीक्षार्थी और राजस्थान से बड़ी संख्या में नौजवान पत्र लिख रहे हैं, आप धीरज रखिए, हम आपकी भी परेशानी दिखा देंगे, झारखंड से हमारी रिपोर्ट तैयार थी मगर 19 जनवरी को दिल्ली के 20 विधायकों का मामला आ गया इसलिए हम नहीं दिखा सके. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. छात्रों से बातचीत के बाद लगता है कि कई राज्यों के चयन आयोग नौजवानों को उल्लू बनाने का सरकारी कारखाना भर हैं. इनका काम नौकरी देना नहीं बल्कि नौकरी के नाम पर झांसा देना है. ये फार्म निकालते हैं, फिर नकल होने देते हैं, फिर तीन चार बार इसके नाम पर और पांच छह बार कोर्ट केस के नाम पर परीक्षा लटका देते हैं. किसी की नौकरी हो भी जाती है तो ज्वाइनिंग लेटर नहीं देते हैं. 22 जनवरी को कोई डेढ़ दो सौ छात्रों ने दिल्ली के सीजीओ कांप्लेक्स में मार्च निकाला. आस-पास के राज्यों से आए ये छात्र स्टाफ सलेक्शन कमिशन की परीक्षा में पास हो चुके हैं. इनकी ज्वाइनिंग की चिट्ठी नहीं आ रही है. पहले परीक्षा के लिए इंतज़ार करो, फिर पास होकर ज्वाइन करने की चिट्ठी का इंतज़ार करो. तो एसएससी के पास हुए छात्र अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन करते रहते हैं. इनका मामला कोर्ट में भी लटका रहता है. दूसरी तरफ जिनका नहीं हुआ है वो इसकी शिकायत करते रहते हैं कि एक ही परीक्षा में अलग-अलग दिन अलग-अलग स्तर के सवाल पूछे जाते हैं. किसी दिन पेपर हल्का होता है किसी दिन बहुत भारी होता है. कई तरह की जटिलताओं का बहाना बनाकर जो पास हुए हैं उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो रही है. हमारे सहयोगी मुन्ने भारती 22 जनवरी के मार्च के समय दिल्ली के सीजीओ कांप्लेक्स गए थे जहां ये छात्र तख्ती बैनर लेकर आए थे. 18 जनवरी को पटना में भी एसएससी के पास हुए छात्रों ने रैली निकाली थी. आप छात्रों की बातें सुनिये फिर आराम से सोचिए कि इस वक्त क्या करने की ज़रूरत है. छात्रों को पुलिस ने हटाने का प्रयास किया तो फूल देकर समझाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. इन छात्रों का कहना है कि वे जब कोर्ट में गए कि उनकी ज्वाइनिंग जल्दी हो जाए तो इस मामले की सुनवाई की तारीख 21 सितंबर मिली है जिससे वे काफी परेशान हो गए हैं. ऐसे तो पास होने के बाद ज्वाइनिंग होने में भी एक साल बीत जाएगा. शुक्रवार को स्टाफ सलेक्शन कमिशन के चेयरमैन ने अपनी संस्था की वेबसाइट पर देरी के कारणों और समाधान पर एक लंबा पत्र डाला था. छात्रों को अभी भी आशंका है कि ये सिर्फ आश्वासन देकर मामले को लटकाने का तरीका हो सकता है. पत्र के प्वाइंट नंबर 9 में कहा गया है, 'कमिशन ने दिसंबर 2017 को भारत सरकार के कार्मिक विभाग और कानूनी मामलों के विभाग से संपर्क किया. अनुमति मांगी कि इस मामले में कैट के आदेश के खिलाफ अपील की जाए. कानूनी समीक्षा के बाद सरकार ने पाया कि इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चैलेंज करना चाहिए. अगर ज़रूरत पड़ी तो आयोग सुप्रीम कोर्ट भी जाएगा. आयोग जनवरी के आखिरी सप्ताह में अपील फाइल करेगा. फरवरी महीने के आख़िर में जिन विभागों के लिए छात्र सफल हुए हैं, उनके यहां से ज्वाइनिंग की चिट्ठी आने लगेगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असफल उम्मीदवारों के केस करने की वजह से अवांछित देरी हुई है.' चेयरमैन ने अपने पत्र में कहा है कि जिनका हो गया है, अभी सफल लोगों को ज्वाइनिंग की चिट्ठी दी जाएगी. अगर रिजल्ट की समीक्षा होती है और किसी की उम्मीदवारी रद्द होती है तो उसकी नौकरी चली जाएगी. इस व्यवस्था के साथ पास हुए छात्रों को ज्वाइन कराया जा सकता है. 22 जनवरी को चेयरमैन ने दो छात्रों को भी बुलाया. उनसे बात की लेकिन छात्र संतुष्ट नहीं हुए. भारत के नौजवान व्यवस्था के आगे मजबूर हैं. बिहार के मुज़फ्फरपुर से एक छात्र ने हमें बताया, आप भी हैरान रह जाएंगे. प्राइम टाइम में इस वक्त जनसुनवाई का मॉडल चल रहा है. हम ध्यान रखेंगे लेकिन पहले लोगों की बात रखेंगे, उसके बाद अगर चयन आयोग के अध्यक्ष को लगता है कि हमारी बात सही नहीं है, प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो वे हमसे संपर्क कर सकते हैं, हम उनका जवाब भी दिखा देंगे. फिलहाल छात्रों ने जो बताया है वो किसी भी मानसिक अवस्था में यकीन करने लायक नहीं है. आप सुनकर ख़ुद से यकीन खो देंगे. 2014 में बिहार ssc chsl के लिए 13,500 वेकैंसी आई. एक फार्म की कीमत 350 रुपये थी, 27 लाख फार्म भरे गए. इस हिसाब से आयोग ने 80 से 90 करोड़ छात्रों से कमा लिए. 2014 से 2018 आ गया, इस वैकेंसी से जुड़ी एक भी परीक्षा नहीं हुई है. 22 जनवरी यानी सोमवार के दैनिक जागरण में भी यह ख़बर है कि बिहार सरकार ने इंटर स्तरीय पदों की भर्ती के लिए साल 2014 में आवेदन निकाला, सरकार के अलग-अलग विभागों में 11,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार ने वैकेंसी निकाली. 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने फार्म भरे. बहुत इंतज़ार के बाद 2017 में परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन धांधली होने के कारण परीक्षा रद्द हो गई. उसके बाद छात्र दोबारा परीक्षा का ही इंतज़ार कर रहे हैं. स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए भी 2014 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था. 2015 में परीक्षा हुई, पीटी हुई, मेन्स की परीक्षा हुई, परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट आ गया है मगर नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुआ है. पास कर के भी छात्र घर बैठे हैं. एक और अखबार के कतरन से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन चयन आयोगों को भर्ती का कैलेंडर बनाने को कहा है. हिन्दुस्तान अखबार के अभिषेक कुमार की इस रिपोर्ट में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष संजीव सिन्हा ने कहा है कि परीक्षा का कैलेंडर बन रहा है. कर्मियों की कमी है. बताइये जिसका काम कर्मचारियों की भर्ती करना है, उसके पास भी कर्मचारियों की कमी है. तो पहले उसे अपने लिए ही बहाली कर लेनी चाहिए. 15-16 हज़ार पद ख़ाली हैं, उन पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. इस बीच बहुत से छात्रों की उम्र सीमा भी निकल जाती है, वे अंशकालिक बेरोज़गार से आजीवन बेरोज़गार हो जाते हैं. नौजवानों के साथ होने वाला यह सबसे बड़ा घोटाला है. आयोगों के पास बहाने बहुत हैं. हमें रेलवे के परीक्षार्थी और राजस्थान से बड़ी संख्या में नौजवान पत्र लिख रहे हैं, आप धीरज रखिए, हम आपकी भी परेशानी दिखा देंगे, झारखंड से हमारी रिपोर्ट तैयार थी मगर 19 जनवरी को दिल्ली के 20 विधायकों का मामला आ गया इसलिए हम नहीं दिखा सके. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. 22 जनवरी को कोई डेढ़ दो सौ छात्रों ने दिल्ली के सीजीओ कांप्लेक्स में मार्च निकाला. आस-पास के राज्यों से आए ये छात्र स्टाफ सलेक्शन कमिशन की परीक्षा में पास हो चुके हैं. इनकी ज्वाइनिंग की चिट्ठी नहीं आ रही है. पहले परीक्षा के लिए इंतज़ार करो, फिर पास होकर ज्वाइन करने की चिट्ठी का इंतज़ार करो. तो एसएससी के पास हुए छात्र अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन करते रहते हैं. इनका मामला कोर्ट में भी लटका रहता है. दूसरी तरफ जिनका नहीं हुआ है वो इसकी शिकायत करते रहते हैं कि एक ही परीक्षा में अलग-अलग दिन अलग-अलग स्तर के सवाल पूछे जाते हैं. किसी दिन पेपर हल्का होता है किसी दिन बहुत भारी होता है. कई तरह की जटिलताओं का बहाना बनाकर जो पास हुए हैं उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो रही है. हमारे सहयोगी मुन्ने भारती 22 जनवरी के मार्च के समय दिल्ली के सीजीओ कांप्लेक्स गए थे जहां ये छात्र तख्ती बैनर लेकर आए थे. 18 जनवरी को पटना में भी एसएससी के पास हुए छात्रों ने रैली निकाली थी. आप छात्रों की बातें सुनिये फिर आराम से सोचिए कि इस वक्त क्या करने की ज़रूरत है. छात्रों को पुलिस ने हटाने का प्रयास किया तो फूल देकर समझाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. इन छात्रों का कहना है कि वे जब कोर्ट में गए कि उनकी ज्वाइनिंग जल्दी हो जाए तो इस मामले की सुनवाई की तारीख 21 सितंबर मिली है जिससे वे काफी परेशान हो गए हैं. ऐसे तो पास होने के बाद ज्वाइनिंग होने में भी एक साल बीत जाएगा. शुक्रवार को स्टाफ सलेक्शन कमिशन के चेयरमैन ने अपनी संस्था की वेबसाइट पर देरी के कारणों और समाधान पर एक लंबा पत्र डाला था. छात्रों को अभी भी आशंका है कि ये सिर्फ आश्वासन देकर मामले को लटकाने का तरीका हो सकता है. पत्र के प्वाइंट नंबर 9 में कहा गया है, 'कमिशन ने दिसंबर 2017 को भारत सरकार के कार्मिक विभाग और कानूनी मामलों के विभाग से संपर्क किया. अनुमति मांगी कि इस मामले में कैट के आदेश के खिलाफ अपील की जाए. कानूनी समीक्षा के बाद सरकार ने पाया कि इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चैलेंज करना चाहिए. अगर ज़रूरत पड़ी तो आयोग सुप्रीम कोर्ट भी जाएगा. आयोग जनवरी के आखिरी सप्ताह में अपील फाइल करेगा. फरवरी महीने के आख़िर में जिन विभागों के लिए छात्र सफल हुए हैं, उनके यहां से ज्वाइनिंग की चिट्ठी आने लगेगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असफल उम्मीदवारों के केस करने की वजह से अवांछित देरी हुई है.' चेयरमैन ने अपने पत्र में कहा है कि जिनका हो गया है, अभी सफल लोगों को ज्वाइनिंग की चिट्ठी दी जाएगी. अगर रिजल्ट की समीक्षा होती है और किसी की उम्मीदवारी रद्द होती है तो उसकी नौकरी चली जाएगी. इस व्यवस्था के साथ पास हुए छात्रों को ज्वाइन कराया जा सकता है. 22 जनवरी को चेयरमैन ने दो छात्रों को भी बुलाया. उनसे बात की लेकिन छात्र संतुष्ट नहीं हुए. भारत के नौजवान व्यवस्था के आगे मजबूर हैं. बिहार के मुज़फ्फरपुर से एक छात्र ने हमें बताया, आप भी हैरान रह जाएंगे. प्राइम टाइम में इस वक्त जनसुनवाई का मॉडल चल रहा है. हम ध्यान रखेंगे लेकिन पहले लोगों की बात रखेंगे, उसके बाद अगर चयन आयोग के अध्यक्ष को लगता है कि हमारी बात सही नहीं है, प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो वे हमसे संपर्क कर सकते हैं, हम उनका जवाब भी दिखा देंगे. फिलहाल छात्रों ने जो बताया है वो किसी भी मानसिक अवस्था में यकीन करने लायक नहीं है. आप सुनकर ख़ुद से यकीन खो देंगे. 2014 में बिहार ssc chsl के लिए 13,500 वेकैंसी आई. एक फार्म की कीमत 350 रुपये थी, 27 लाख फार्म भरे गए. इस हिसाब से आयोग ने 80 से 90 करोड़ छात्रों से कमा लिए. 2014 से 2018 आ गया, इस वैकेंसी से जुड़ी एक भी परीक्षा नहीं हुई है. 22 जनवरी यानी सोमवार के दैनिक जागरण में भी यह ख़बर है कि बिहार सरकार ने इंटर स्तरीय पदों की भर्ती के लिए साल 2014 में आवेदन निकाला, सरकार के अलग-अलग विभागों में 11,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार ने वैकेंसी निकाली. 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने फार्म भरे. बहुत इंतज़ार के बाद 2017 में परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन धांधली होने के कारण परीक्षा रद्द हो गई. उसके बाद छात्र दोबारा परीक्षा का ही इंतज़ार कर रहे हैं. स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए भी 2014 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था. 2015 में परीक्षा हुई, पीटी हुई, मेन्स की परीक्षा हुई, परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट आ गया है मगर नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुआ है. पास कर के भी छात्र घर बैठे हैं. एक और अखबार के कतरन से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन चयन आयोगों को भर्ती का कैलेंडर बनाने को कहा है. हिन्दुस्तान अखबार के अभिषेक कुमार की इस रिपोर्ट में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष संजीव सिन्हा ने कहा है कि परीक्षा का कैलेंडर बन रहा है. कर्मियों की कमी है. बताइये जिसका काम कर्मचारियों की भर्ती करना है, उसके पास भी कर्मचारियों की कमी है. तो पहले उसे अपने लिए ही बहाली कर लेनी चाहिए. 15-16 हज़ार पद ख़ाली हैं, उन पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. इस बीच बहुत से छात्रों की उम्र सीमा भी निकल जाती है, वे अंशकालिक बेरोज़गार से आजीवन बेरोज़गार हो जाते हैं. नौजवानों के साथ होने वाला यह सबसे बड़ा घोटाला है. आयोगों के पास बहाने बहुत हैं. हमें रेलवे के परीक्षार्थी और राजस्थान से बड़ी संख्या में नौजवान पत्र लिख रहे हैं, आप धीरज रखिए, हम आपकी भी परेशानी दिखा देंगे, झारखंड से हमारी रिपोर्ट तैयार थी मगर 19 जनवरी को दिल्ली के 20 विधायकों का मामला आ गया इसलिए हम नहीं दिखा सके. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. शुक्रवार को स्टाफ सलेक्शन कमिशन के चेयरमैन ने अपनी संस्था की वेबसाइट पर देरी के कारणों और समाधान पर एक लंबा पत्र डाला था. छात्रों को अभी भी आशंका है कि ये सिर्फ आश्वासन देकर मामले को लटकाने का तरीका हो सकता है. पत्र के प्वाइंट नंबर 9 में कहा गया है, 'कमिशन ने दिसंबर 2017 को भारत सरकार के कार्मिक विभाग और कानूनी मामलों के विभाग से संपर्क किया. अनुमति मांगी कि इस मामले में कैट के आदेश के खिलाफ अपील की जाए. कानूनी समीक्षा के बाद सरकार ने पाया कि इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चैलेंज करना चाहिए. अगर ज़रूरत पड़ी तो आयोग सुप्रीम कोर्ट भी जाएगा. आयोग जनवरी के आखिरी सप्ताह में अपील फाइल करेगा. फरवरी महीने के आख़िर में जिन विभागों के लिए छात्र सफल हुए हैं, उनके यहां से ज्वाइनिंग की चिट्ठी आने लगेगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असफल उम्मीदवारों के केस करने की वजह से अवांछित देरी हुई है.' चेयरमैन ने अपने पत्र में कहा है कि जिनका हो गया है, अभी सफल लोगों को ज्वाइनिंग की चिट्ठी दी जाएगी. अगर रिजल्ट की समीक्षा होती है और किसी की उम्मीदवारी रद्द होती है तो उसकी नौकरी चली जाएगी. इस व्यवस्था के साथ पास हुए छात्रों को ज्वाइन कराया जा सकता है. 22 जनवरी को चेयरमैन ने दो छात्रों को भी बुलाया. उनसे बात की लेकिन छात्र संतुष्ट नहीं हुए. भारत के नौजवान व्यवस्था के आगे मजबूर हैं. बिहार के मुज़फ्फरपुर से एक छात्र ने हमें बताया, आप भी हैरान रह जाएंगे. प्राइम टाइम में इस वक्त जनसुनवाई का मॉडल चल रहा है. हम ध्यान रखेंगे लेकिन पहले लोगों की बात रखेंगे, उसके बाद अगर चयन आयोग के अध्यक्ष को लगता है कि हमारी बात सही नहीं है, प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो वे हमसे संपर्क कर सकते हैं, हम उनका जवाब भी दिखा देंगे. फिलहाल छात्रों ने जो बताया है वो किसी भी मानसिक अवस्था में यकीन करने लायक नहीं है. आप सुनकर ख़ुद से यकीन खो देंगे. 2014 में बिहार ssc chsl के लिए 13,500 वेकैंसी आई. एक फार्म की कीमत 350 रुपये थी, 27 लाख फार्म भरे गए. इस हिसाब से आयोग ने 80 से 90 करोड़ छात्रों से कमा लिए. 2014 से 2018 आ गया, इस वैकेंसी से जुड़ी एक भी परीक्षा नहीं हुई है. 22 जनवरी यानी सोमवार के दैनिक जागरण में भी यह ख़बर है कि बिहार सरकार ने इंटर स्तरीय पदों की भर्ती के लिए साल 2014 में आवेदन निकाला, सरकार के अलग-अलग विभागों में 11,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार ने वैकेंसी निकाली. 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने फार्म भरे. बहुत इंतज़ार के बाद 2017 में परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन धांधली होने के कारण परीक्षा रद्द हो गई. उसके बाद छात्र दोबारा परीक्षा का ही इंतज़ार कर रहे हैं. स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए भी 2014 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था. 2015 में परीक्षा हुई, पीटी हुई, मेन्स की परीक्षा हुई, परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट आ गया है मगर नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुआ है. पास कर के भी छात्र घर बैठे हैं. एक और अखबार के कतरन से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन चयन आयोगों को भर्ती का कैलेंडर बनाने को कहा है. हिन्दुस्तान अखबार के अभिषेक कुमार की इस रिपोर्ट में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष संजीव सिन्हा ने कहा है कि परीक्षा का कैलेंडर बन रहा है. कर्मियों की कमी है. बताइये जिसका काम कर्मचारियों की भर्ती करना है, उसके पास भी कर्मचारियों की कमी है. तो पहले उसे अपने लिए ही बहाली कर लेनी चाहिए. 15-16 हज़ार पद ख़ाली हैं, उन पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. इस बीच बहुत से छात्रों की उम्र सीमा भी निकल जाती है, वे अंशकालिक बेरोज़गार से आजीवन बेरोज़गार हो जाते हैं. नौजवानों के साथ होने वाला यह सबसे बड़ा घोटाला है. आयोगों के पास बहाने बहुत हैं. हमें रेलवे के परीक्षार्थी और राजस्थान से बड़ी संख्या में नौजवान पत्र लिख रहे हैं, आप धीरज रखिए, हम आपकी भी परेशानी दिखा देंगे, झारखंड से हमारी रिपोर्ट तैयार थी मगर 19 जनवरी को दिल्ली के 20 विधायकों का मामला आ गया इसलिए हम नहीं दिखा सके. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. चेयरमैन ने अपने पत्र में कहा है कि जिनका हो गया है, अभी सफल लोगों को ज्वाइनिंग की चिट्ठी दी जाएगी. अगर रिजल्ट की समीक्षा होती है और किसी की उम्मीदवारी रद्द होती है तो उसकी नौकरी चली जाएगी. इस व्यवस्था के साथ पास हुए छात्रों को ज्वाइन कराया जा सकता है. 22 जनवरी को चेयरमैन ने दो छात्रों को भी बुलाया. उनसे बात की लेकिन छात्र संतुष्ट नहीं हुए. भारत के नौजवान व्यवस्था के आगे मजबूर हैं. बिहार के मुज़फ्फरपुर से एक छात्र ने हमें बताया, आप भी हैरान रह जाएंगे. प्राइम टाइम में इस वक्त जनसुनवाई का मॉडल चल रहा है. हम ध्यान रखेंगे लेकिन पहले लोगों की बात रखेंगे, उसके बाद अगर चयन आयोग के अध्यक्ष को लगता है कि हमारी बात सही नहीं है, प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो वे हमसे संपर्क कर सकते हैं, हम उनका जवाब भी दिखा देंगे. फिलहाल छात्रों ने जो बताया है वो किसी भी मानसिक अवस्था में यकीन करने लायक नहीं है. आप सुनकर ख़ुद से यकीन खो देंगे. 2014 में बिहार ssc chsl के लिए 13,500 वेकैंसी आई. एक फार्म की कीमत 350 रुपये थी, 27 लाख फार्म भरे गए. इस हिसाब से आयोग ने 80 से 90 करोड़ छात्रों से कमा लिए. 2014 से 2018 आ गया, इस वैकेंसी से जुड़ी एक भी परीक्षा नहीं हुई है. 22 जनवरी यानी सोमवार के दैनिक जागरण में भी यह ख़बर है कि बिहार सरकार ने इंटर स्तरीय पदों की भर्ती के लिए साल 2014 में आवेदन निकाला, सरकार के अलग-अलग विभागों में 11,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार ने वैकेंसी निकाली. 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने फार्म भरे. बहुत इंतज़ार के बाद 2017 में परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन धांधली होने के कारण परीक्षा रद्द हो गई. उसके बाद छात्र दोबारा परीक्षा का ही इंतज़ार कर रहे हैं. स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए भी 2014 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था. 2015 में परीक्षा हुई, पीटी हुई, मेन्स की परीक्षा हुई, परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट आ गया है मगर नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुआ है. पास कर के भी छात्र घर बैठे हैं. एक और अखबार के कतरन से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन चयन आयोगों को भर्ती का कैलेंडर बनाने को कहा है. हिन्दुस्तान अखबार के अभिषेक कुमार की इस रिपोर्ट में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष संजीव सिन्हा ने कहा है कि परीक्षा का कैलेंडर बन रहा है. कर्मियों की कमी है. बताइये जिसका काम कर्मचारियों की भर्ती करना है, उसके पास भी कर्मचारियों की कमी है. तो पहले उसे अपने लिए ही बहाली कर लेनी चाहिए. 15-16 हज़ार पद ख़ाली हैं, उन पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. इस बीच बहुत से छात्रों की उम्र सीमा भी निकल जाती है, वे अंशकालिक बेरोज़गार से आजीवन बेरोज़गार हो जाते हैं. नौजवानों के साथ होने वाला यह सबसे बड़ा घोटाला है. आयोगों के पास बहाने बहुत हैं. हमें रेलवे के परीक्षार्थी और राजस्थान से बड़ी संख्या में नौजवान पत्र लिख रहे हैं, आप धीरज रखिए, हम आपकी भी परेशानी दिखा देंगे, झारखंड से हमारी रिपोर्ट तैयार थी मगर 19 जनवरी को दिल्ली के 20 विधायकों का मामला आ गया इसलिए हम नहीं दिखा सके. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. भारत के नौजवान व्यवस्था के आगे मजबूर हैं. बिहार के मुज़फ्फरपुर से एक छात्र ने हमें बताया, आप भी हैरान रह जाएंगे. प्राइम टाइम में इस वक्त जनसुनवाई का मॉडल चल रहा है. हम ध्यान रखेंगे लेकिन पहले लोगों की बात रखेंगे, उसके बाद अगर चयन आयोग के अध्यक्ष को लगता है कि हमारी बात सही नहीं है, प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो वे हमसे संपर्क कर सकते हैं, हम उनका जवाब भी दिखा देंगे. फिलहाल छात्रों ने जो बताया है वो किसी भी मानसिक अवस्था में यकीन करने लायक नहीं है. आप सुनकर ख़ुद से यकीन खो देंगे. 2014 में बिहार ssc chsl के लिए 13,500 वेकैंसी आई. एक फार्म की कीमत 350 रुपये थी, 27 लाख फार्म भरे गए. इस हिसाब से आयोग ने 80 से 90 करोड़ छात्रों से कमा लिए. 2014 से 2018 आ गया, इस वैकेंसी से जुड़ी एक भी परीक्षा नहीं हुई है. 22 जनवरी यानी सोमवार के दैनिक जागरण में भी यह ख़बर है कि बिहार सरकार ने इंटर स्तरीय पदों की भर्ती के लिए साल 2014 में आवेदन निकाला, सरकार के अलग-अलग विभागों में 11,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार ने वैकेंसी निकाली. 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने फार्म भरे. बहुत इंतज़ार के बाद 2017 में परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन धांधली होने के कारण परीक्षा रद्द हो गई. उसके बाद छात्र दोबारा परीक्षा का ही इंतज़ार कर रहे हैं. स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए भी 2014 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था. 2015 में परीक्षा हुई, पीटी हुई, मेन्स की परीक्षा हुई, परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट आ गया है मगर नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुआ है. पास कर के भी छात्र घर बैठे हैं. एक और अखबार के कतरन से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन चयन आयोगों को भर्ती का कैलेंडर बनाने को कहा है. हिन्दुस्तान अखबार के अभिषेक कुमार की इस रिपोर्ट में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष संजीव सिन्हा ने कहा है कि परीक्षा का कैलेंडर बन रहा है. कर्मियों की कमी है. बताइये जिसका काम कर्मचारियों की भर्ती करना है, उसके पास भी कर्मचारियों की कमी है. तो पहले उसे अपने लिए ही बहाली कर लेनी चाहिए. 15-16 हज़ार पद ख़ाली हैं, उन पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. इस बीच बहुत से छात्रों की उम्र सीमा भी निकल जाती है, वे अंशकालिक बेरोज़गार से आजीवन बेरोज़गार हो जाते हैं. नौजवानों के साथ होने वाला यह सबसे बड़ा घोटाला है. आयोगों के पास बहाने बहुत हैं. हमें रेलवे के परीक्षार्थी और राजस्थान से बड़ी संख्या में नौजवान पत्र लिख रहे हैं, आप धीरज रखिए, हम आपकी भी परेशानी दिखा देंगे, झारखंड से हमारी रिपोर्ट तैयार थी मगर 19 जनवरी को दिल्ली के 20 विधायकों का मामला आ गया इसलिए हम नहीं दिखा सके. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. 22 जनवरी यानी सोमवार के दैनिक जागरण में भी यह ख़बर है कि बिहार सरकार ने इंटर स्तरीय पदों की भर्ती के लिए साल 2014 में आवेदन निकाला, सरकार के अलग-अलग विभागों में 11,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार ने वैकेंसी निकाली. 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने फार्म भरे. बहुत इंतज़ार के बाद 2017 में परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन धांधली होने के कारण परीक्षा रद्द हो गई. उसके बाद छात्र दोबारा परीक्षा का ही इंतज़ार कर रहे हैं. स्नातक स्तरीय परीक्षा के लिए भी 2014 में नोटिफिकेशन जारी हुआ था. 2015 में परीक्षा हुई, पीटी हुई, मेन्स की परीक्षा हुई, परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट आ गया है मगर नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुआ है. पास कर के भी छात्र घर बैठे हैं. एक और अखबार के कतरन से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन चयन आयोगों को भर्ती का कैलेंडर बनाने को कहा है. हिन्दुस्तान अखबार के अभिषेक कुमार की इस रिपोर्ट में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष संजीव सिन्हा ने कहा है कि परीक्षा का कैलेंडर बन रहा है. कर्मियों की कमी है. बताइये जिसका काम कर्मचारियों की भर्ती करना है, उसके पास भी कर्मचारियों की कमी है. तो पहले उसे अपने लिए ही बहाली कर लेनी चाहिए. 15-16 हज़ार पद ख़ाली हैं, उन पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. इस बीच बहुत से छात्रों की उम्र सीमा भी निकल जाती है, वे अंशकालिक बेरोज़गार से आजीवन बेरोज़गार हो जाते हैं. नौजवानों के साथ होने वाला यह सबसे बड़ा घोटाला है. आयोगों के पास बहाने बहुत हैं. हमें रेलवे के परीक्षार्थी और राजस्थान से बड़ी संख्या में नौजवान पत्र लिख रहे हैं, आप धीरज रखिए, हम आपकी भी परेशानी दिखा देंगे, झारखंड से हमारी रिपोर्ट तैयार थी मगर 19 जनवरी को दिल्ली के 20 विधायकों का मामला आ गया इसलिए हम नहीं दिखा सके. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. 15-16 हज़ार पद ख़ाली हैं, उन पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. इस बीच बहुत से छात्रों की उम्र सीमा भी निकल जाती है, वे अंशकालिक बेरोज़गार से आजीवन बेरोज़गार हो जाते हैं. नौजवानों के साथ होने वाला यह सबसे बड़ा घोटाला है. आयोगों के पास बहाने बहुत हैं. हमें रेलवे के परीक्षार्थी और राजस्थान से बड़ी संख्या में नौजवान पत्र लिख रहे हैं, आप धीरज रखिए, हम आपकी भी परेशानी दिखा देंगे, झारखंड से हमारी रिपोर्ट तैयार थी मगर 19 जनवरी को दिल्ली के 20 विधायकों का मामला आ गया इसलिए हम नहीं दिखा सके. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. झारखंड लोक सेवा आयोग. इसकी इमारत तो काफी ठीक ठाक है, मगर इसका रिकॉर्ड बहुत ख़राब है. 17 साल हो गए झारखंड को बने हुए मगर एक भी परीक्षा का आयोग बग़ैर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बग़ैर नहीं हो सका है. यह आयोग राज्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करता है जैसे डिप्टि कलक्टर, डिएसपी, दारोगा, तहसीलदार एटसेट्रा, एटसेट्रा, आदि आदि. आयोग के बाहर फार्म भरने की दुकान है. जब हमारे सहयोगी हरबंस वहां पहुंचे तो एक भी फार्म इस आयोग का नहीं बिक रहा था. जेपीएससी ने बैच नंबर एक और दो के लिए जो बहाली की थी, उसकी कुछ साल बाद जांच हुई तो पाया गया कि परीक्षा की जगह धांधली हुई है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. अब हम जो कहानी बताएंगे उसे ध्यान से सुनिएगा, यह सिर्फ आपके बच्चे का सवाल नहीं है, आपका भी है, क्योंकि हो सकता है कि इन्हीं सब सरकारी चतुराइयों के कारण आप भी अच्छी नौकरी न पा सके हों. तो आप प्राइम टाइम के इस शो को बैक डेट से फील कर सकते हैं. यह एक ऐसे इम्तहान की कहानी जिसका फार्म भरा जाता है जनवरी 2015 में लेकिन जनवरी 2018 तक कोई अता पता नहीं है. यह कथा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की है. छठी जेपीएससी परीक्षा की है. डीएसपी, बीडीओ, सीओ, रजिस्ट्रार, एडीएम के 326 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला. जनवरी 2015 में इसका विज्ञापन निकलता है. आठ महीने बाद अगस्त 2015 में फार्म भराया जाता है. छह महीने बाद बताया जाता है कि सिलेबस चेंज हो गया है, दोबारा फार्म भरें. दोबारा छात्र 500-500 रुपये देकर फार्म भरते हैं. जनवरी 2016 तक यही चला. एक साल तक फार्म ही भराया जाता रहा. 18 नवंबर 2016 को पीटी की परीक्षा होती है, फरवीर 2017 में रिज़ल्ट आता है. पीटी में 5024 छात्र पास हुए मगर रिज़ल्ट में गड़बड़ी पाई गई. 206 नंबर वाला पास था, उससे अधिक 260 नंबर वाला फेल था. इसके बाद आंदोलन हुआ, मामला राज्य कैबिनेट में गया. वहां फैसला हुआ कि 206 से ऊपर के सभी छात्रों को पास किया जाए. फिर जून 2017 में कोर्ट से भी यही फैसला आया, 965 छात्र और पास हुए. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. कहीं आपने सुना है कि कैबिनेट की मीटिंग में कटऑफ तय होता हो, छात्रों के पास होने का निर्णय होता हो. बहरहाल जनवरी 2015 से जून 2017 आ गया. दो साल से ज़्यादा समय लग गया पीटी का रिजल्ट निकल आने में. अब सुनिये इसकी मेन्स की परीक्षा का किस्सा. नवंबर 2017 में मेन्स की परीक्षा का डेट निकलता है, लेकिन वह अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के बारे में किसी को पता नहीं है. छात्रों ने जो धांधली के किस्से बताए हैं उनकी पुष्टि नहीं कर सका हूं मगर आम बात हो गई है कि वहां सीट बिक जाती है. छठी जेपीएससी की समस्या को लेकर छात्र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से भी मिले थे. एक नई तारीख निकली है कि 29 जनवरी 2018 से मेन्स की परीक्षा होगी मगर छात्रों को भरोसा नहीं हो रहा है. कई छात्रों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई. आप उनसे बात कीजिए, रो देंगे. कइयों के माता-पिता दुनिया से चल बसे इस इंतज़ार में बेटा कंपटिशन में पास कर अफसर बनेगा. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. अब हम झारखंड की एक और परीक्षा का हाल बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भरोसा होगा कि भारत के युवाओं को क्यों वही वाला टॉपिक दिखाया जाता है. ताकि वे धार्मिक उन्माद में फंसे रहें और संस्थाओं की गिरावट को अपनी आंखों से न देख सकें. आपने अभी झारखंड लोक सेवा आयोग की दुर्दशा देखी, अब आप झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की दशा देखिए. 28 दिसंबर 2015 को 551 पदों के लिए विज्ञापन निकलता है. सयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का विज्ञापन. आवेदन की अंतिम तिथि 28 जनवरी 2016 रखी जाती है. क्या ये वाकई आख़िरी तारीख थी, नहीं. फरवरी 2016 में इसी परीक्षा के सिलसिले में एक और विज्ञापन निकलता है. इसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान अधिकारी जैसे चार नए पद जोड़े गए. अब फार्म भरने की अंतिम तिथि हो जाती है 15 मार्च 2016. फार्म की कीमत 460, 380 और 115 रुपये रखी गई. तीसरी बार फिर से विज्ञापन निकलता है, जून जुलाई 2016 में. इस बार 6 और पद इसमें जोड़ दिए गए. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. आप कुछ खेल समझ पाए. इसका मकसद लगता है नौकरी देना नहीं है बल्कि नौकरी के नाम पर युवाओं को टहलाते रहो. तुम फार्म भरते रहो, हम भारत को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं. बहरहाल तीसरे विज्ञापन तक आते आते पदों की संख्या 551 से बढ़कर 1080 हो गई. अब बताइये उम्मीद किसे नहीं होगी. 28 दिसंबर 2015 को जिस परीक्षा का विज्ञापन निकला था, उसकी प्रारंभिक परीक्षा होती है 21 अगस्त 2016 को. दो लाख पैंतीस हज़ार छात्रों ने फार्म भरा था. 21 अक्टूबर को प्रीलिम्स का परीणाम आया, तय हुआ कि 27 नवंबर 2016 को मेन्स की परीक्षा होगी. 13 नवंबर को अख़बारों से पता चलता है कि परीक्षा रद्द हो गई है. नई तारीख की घोषणा बाद में होगी. 4 फरवरी 2017 को अपरिहार्य कारणों से पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी जाती है. अपरिहार्य कारणों से. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. ऐसा लगता है कि परीक्षाएं एलियन लेकर भाग जाते हैं. 28 दिसंबर 2015 से शुरू हुई परीक्षा की प्रक्रिया 4 फरवरी 2017 को रद्द होने पर खत्म होती है. दो साल स्वाहा. जवानी स्वाहा. सपने स्वाहा. उम्मीद स्वाहा. इसीलिए टीवी पर वही वाला मुद्दा लाया गया ताकि इन्हें लगे कि कुछ हो रहा है. स्वाहा हो रहा है मगर पता नहीं चले कि स्वाहा हो रहा है. 3 फरवरी 2017 को झारखंड के कार्मिक विभाग ने रद्द करने के कारणों को बताते हुए एक पत्र जारी किया था, जिसका एक हिस्सा पढ़ कर हम आपको सुनाना चाहते हैं. अगर आप इसे सुनते ही समझ जाएंगे तो मैं जनवरी में आपको आम खिलाऊंगा. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. "पहले कहा गया कि 6 पदसमूहों के कुल पदों के 15 गुणा अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित हुआ, कृषि पदाधिकारी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी के 250 पदों पर केवल 1731 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया इसलिए 15 गुना जो 3750 होता की बजाए सभी 1731 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित किया गया. 3336 अभ्यर्थियों को रोल नंबर पद समूह 1 के अलावा दूसरे पद समूह में भी शामिल हो गए हैं इसलिए वास्तविक रूप से 15 गुना परिणाम नहीं है और 3336 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिव, अध्यक्ष झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के साथ बैठक हुई. इसमें यह भी विचार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का विषय एक ही रखा गया है जिसके कारण विशिष्ट पदों के लिए विशिष्ट योग्यता से संबंधित ज्ञान की जांच नहीं हो पाती है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. समझ आया हो तो बता दीजिए. दो साल बाद परीक्षा रद्द होने के ऐसे कारण भी नसीब से मिलते हैं. हम यही समझे कि जितने आवेदन आए थे उससे कम लोगों ने आवेदन किया, इसलिए सभी को पास कर दिया गया था. इसलिए रद्द कर दिया गया. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. ये उन पांच हज़ार पत्रों की तस्वीर है जो छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए थे. इसी 19 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला है. जवाब इनके सवालों से संबंधित कम है मगर जो दावा किया गया है वो कमाल का है. पहले आप पढ़ि‍ए.टिप्पणियां झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. झारखंड सरकार राज्य सरकार में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. सरकार के द्वारा वर्ष 2016 को नियुक्ति वर्ष 2016 घोषित किया गया. अब तक 62,896 पदों पर नियुक्ति की चुकी है. 36,661 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है. हमने पत्र का पूरा हिस्सा नहीं पढ़ा है. लेकिन सोचिए. जिस झारखंड सरकार के दो विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग 1000-500 पदों की बहाली दो से चार साल में पूरी नहीं कर पाते हैं, वो झारखंड सरकार एक साल में 62 हज़ार से अधिक बहाली कर देती है. ये बहालियां किसने की, क्या लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने की, या किसी और ने की, हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है. बस यही जानकारी है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद हो रही है. अब तो भगवान का भी नहीं, पकौड़े का ही सहारा है.
किसी वस्तु (जैसे - संख्या, बहुपद या मैट्रिक्स) को अन्य वस्तुओं के गुणनफल (product) के रूप में तोडने की क्रिया को गणित में गुणनखण्ड (factorization या factorisation) कहते हैं। किसी वस्तु के गुणनखण्डों को परस्पर गुणा करने पर वह मूल वस्तु पुनः प्राप्त हो जाती है। उदाहरण के लिये x2 − 4 = (x − गुणनखण्ड की विपरीत क्रिया को विस्तार (expansion) कहते हैं जिसमें गुणखण्डों का आपस में गुणा करके मूल संख्या या मूल बहुपद प्राप्त किया जाता है गुणखण्डन का उद्देश्य एवं उपयोग किसी बड़ी या जटिल वस्तु को सरल अवयवों में तोड़ना गुणनखण्ड करने का मुख्य उद्देश्य है। जैसे कि संख्याओं का गुणनखण्डन करने से अविभाज्य संख्याएं प्राप्त होती हैं; बहुपदों का गुणनखण्ड करने से ऐसे पद प्राप्त होते हैं जिनका पुनः गुणनखण्ड नहीं किया जा सकता। गुणनखण्ड का उपयोग संख्याओं या व्यंजकों (expressions) के वर्गमूल, घनमूल आदि निकालने, उनके लघुत्तम समापवर्त्य और महत्तम समापवर्तक निकालने आदि में होता है। उभयनिष्ट गुणक की पहचान जब कोई संख्या या बीजीय वर्ण किसी योग के कम से कम दो पदों में मौजूद हो तो इन पदों को निम्नलिखित प्रकार से एक गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जो गुणन की योग के उपर वितरण (distributivity of multiplication over the addition) पर निर्भर करती है- कुछ उदाहरण- उल्लेखनीय सर्वसमिकाएँ बाहरी कड़ियाँ A page about factorization, Algebra, Factoring WIMS Factoris is an online factorization tool. Polynomial Factoring is a comprehensive tutorial resource on basic factoring of polynomials. अंकगणित बीजगणित
लेख: बेंगलुरु के नजदीक एक फिल्म की शूटिंग के दौरान स्टंटमैन के रूप में काम करने वाले दो कन्नड़ अभिनेताओं की मौत हो गई. बताया जाता है कि दोनों अभिनेता हेलीकॉप्टर से बांध में कूदे थे. हालांकि, मस्तीगुड़ी फिल्म में मुख्य निभाने वाले लोकप्रिय अभिनेता दुनिया विजय को बचा लिया गया. खबरों के मुताबिक, तीनों एक्टर हेलीकॉप्टर से बेंगलुरु से 35 किमी दूर स्थित थिप्पागोंडानाहल्ली डैम में कूदे थे. कैमरे ने तीनों को पानी में कूदते हुए कैद‍ किया लेकिन पानी के बाहर तैरते हुए सिर्फ विजय ही बाहर दिखे. हालांकि उदय और अनिल की तलाश अभी जारी है.   वहीं घटना को लापरवाही सामने आ रही है क्योंकि शूटिंग स्थल पर पर्याप्त सुराक्षा व्यवस्था नहीं की गई थी. फिल्म निर्माता के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किए जाने की संभावना है. खबरों के मुताबिक, तीनों एक्टर हेलीकॉप्टर से बेंगलुरु से 35 किमी दूर स्थित थिप्पागोंडानाहल्ली डैम में कूदे थे. कैमरे ने तीनों को पानी में कूदते हुए कैद‍ किया लेकिन पानी के बाहर तैरते हुए सिर्फ विजय ही बाहर दिखे. हालांकि उदय और अनिल की तलाश अभी जारी है.   वहीं घटना को लापरवाही सामने आ रही है क्योंकि शूटिंग स्थल पर पर्याप्त सुराक्षा व्यवस्था नहीं की गई थी. फिल्म निर्माता के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किए जाने की संभावना है.
आठ नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मीडिया को संबोधित करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पहले नेता थे. वे चुनाव के गढ़ पटना से दूर दिल्ली में पत्रकारों से रू-ब-रू हुए. अमूमन राहुल मीडिया से नजरें चुराने के लिए जाने जाते हैं लेकिन इस बार उन्होंने विजेता जोड़ी नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को जीत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर को उतारने का श्रेय लेने का मौका नहीं दिया. उनके सहयोगी तो पहले ही यह घोषणा कर चुके थे कि असंभव को संभव कर दिखाने का काम, यानी धुर विरोधियों नीतीश और लालू को साथ लाने और मोदी तथा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी को धूल चटा देने के “असली सूत्रधार” कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ही हैं, उन्होंने ही “इस महागठबंधन के विचार को आगे बढ़ाया.” हालांकि आम चुनाव में मोदी के हाथों बुरी तरह पछाड़ खाने के बाद कांग्रेस के बुरे दिन शुरू हो गए थे लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में उल्लेखनीय प्रदर्शन के बाद पार्टी में नया जोश आ गया है. इसमें कांग्रेस को 27 सीटें मिली हैं जो 2010 चुनाव में मिले 4 सीटों से काफी ज्यादा हैं. इस जीत का पहला असर यह हुआ कि बहुप्रतीक्षित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) में अगले साल जनवरी तक फेरबदल हो जाएगा. इसी के साथ राहुल को पार्टी अध्यक्ष भी चुन लिया जाएगा. अफवाहों के ठीक उलट दूसरे कई वरिष्ठ कांग्रेसी अपने-अपने पदों पर बने रहेंगे लेकिन अपनी टीम राहुल खुद चुनेंगे. कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का दावा है कि बिहार चुनाव की सफल रही रणनीति इस बात का सबूत है कि अब राहुल एक “आदर्शवादी और एकांत में अपनी धुन में रहने वाले नेता से्य्य ऐसे नेता में बदल चुके हैं जो आदर्शवाद और यर्थाथवाद का मेल करने की कला में पारंगत है. कांग्रेस के एक महासचिव कहते हैं, “उन्हें समझ आ गया है कि वरिष्ठ नेताओं का अनुभव पार्टी के लिए बहुमूल्य चुनावी संपदा हो सकता है. देखिए, कैसे उन्होंने लालू के साथ हाथ मिला लिए.” इसका सटीक उदाहरण सामने है. उन्होंने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ सुलह कर ली है. अमरिंदर सिंह ने एक समय राहुल की नेतृत्व क्षमता की सरेआम आलोचना की थी. 2011 में असम में बीजेपी को पछाड़कर कांग्रेस को जबरदस्त जीत दिलाने वाले प्रमुख रणनीतिकार और दिग्गज नेता हेमंत बिस्वा सरमा की मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के खिलाफ शिकायतों को जब राहुल ने तवज्जो नहीं दी तो उन्होंने निराश होकर पार्टी छोड़ दी. यह झटका खाकर चौकन्ने हो चुके कांग्रेस उपाध्यक्ष ने तुरंत ही अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस प्रमुख प्रताप सिंह बाजवा के बीच विवाद के निबटारे के लिए प्रयास शुरू कर दिए. अब पार्टी जल्द ही पंजाब इकाई के संगठनात्मक ढांचे के पुनर्गठन की घोषणा करेगी लेकिन इससे पहले राहुल विवाद के बादलों को हटाने में कामयाब होते दिख रहे हैं जिसका सबूत है 16 नवंबर को अमरिंदर सिंह का वह बयान, जिसमें उन्होंने राहुल की खुले मन से प्रशंसा की है. उन्होंने न सिर्फ बिहार में सफलता का श्रेय राहुल को दिया, बल्कि यह भी कहा कि यह उपयुक्त समय है कि अब पार्टी उपाध्यक्ष को सोनिया गांधी की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लेनी चाहिए. पंजाब के अलावा, उत्तर प्रदेश समेत उन सभी राज्यों में भी राज्य समितियों में बड़ी संक्चया में युवाओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जहां 2017 में चुनाव होने हैं. पिछले कुछ महीनों में राहुल ने देशभर में 300 से ज्यादा कांग्रेसियों से मुलाकात की है. उनका लक्ष्य ऐसे “युवा, ऊर्जावान और जोश से भरपूर नेताओं” को चुनना है जिन्हें एआइसीसी और प्रदेश कांग्रेस समितियों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जा सकें. राहुल का इरादा पार्टी की जमीनी स्तर की इकाइयों को और सशक्त बनाने का भी है ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सके. राहुल के प्रमुख राजनैतिक सलाहकार के रूप में उभरकर आए कांग्रेस एससी सेल के प्रमुख के. राजू कहते हैं, “जिम्मेदारी तय करने के नए उपाय किए जाएंगे और निर्णय लेने की प्रक्रिया को और भी ज्यादा पारदर्शी तथा लोकतांत्रिक बनाया जाएगा.” अगले साल शुरुआती छह महीनों में चुनावी प्रक्रिया में जा रहे सभी पांच राज्यों-असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुदुच्चेरी में कांग्रेस समान सोच वाली पार्टियों को एकजुट कर मोदी विरोधी गठबंधन बनाने की रणनीति पर विचार कर रही है. पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला कहते हैं, “हम दूसरे राज्यों में भी बिहार जैसे गठबंधन बनाने की कोशिश में हैं. हमारी रणनीति स्पष्ट है&सामाजिक न्याय और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने की रक्षा के लिए हमें मोदी विरोधी धुरी बनानी है. बिहार के मतदाताओं ने साबित कर दिया है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं.” हालांकि राजू चेतावनी भरे अंदाज में कहते हैं, “हम छोटे-छोटे फायदों के लिए किसी भी ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं बनाएंगे जिसकी सोच कांग्रेस की विचारधारा के साथ मेल नहीं खाती हो.” आंध्र प्रदेश कैडर के आइएएस अधिकारी और अब नेता बन चुके राजू इस बात पर जोर देते हैं कि कांग्रेस की विचारधारा का आधार यानी सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता आज के भारत में भी प्रासंगिक बने हुए हैं और बिहार में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 38 सीटों में से 29 पर महागठबंधन की जीत होना उसी का सबूत है. दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टी कमर कस चुकी है और इसी क्रम में अक्तूबर में राहुल ने हफ्ते भर के भीतर दलित वर्ग से संबंधित पांच आयोजनों में हिस्सा लिया था. उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी मायावती की दलित आधार वाली बहुजन समाज पार्टी को संभावित सहयोगी के तौर पर देख रही है. सुरजेवाला स्पष्ट संकेत देते हैं, “बिहार चुनाव के बाद यह साफ है कि हमारी लड़ाई (उत्तर प्रदेश में) सपा के खिलाफ होगी और कांग्रेस इस राज्य में भी बिहार सरीखी जीत दोहराने में महत्वपूर्ण भूमिका में रहेगी.” मूल विचारधारा में बदलाव का उदाहरण सहयोगी पार्टियों के भीतर धर्मनिरपेक्षता को फिर से परिभाषित करने के रूप में भी देखने को मिला है. पिछले साल राहुल ने करीब 400 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से बात-मुलाकात की थी तो पार्टी की छवि को लेकर जो प्रमुख मुद्दा सामने आया था, वह था पार्टी को “अल्पसंख्यकों का पक्ष लेने वाली” और “हिंदू विरोधी” के रूप में देखा जाना. हालांकि पार्टी के दिग्गज इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि कांग्रेस अपनी समावेशी विचारधारा और हाशिए पर पड़े अल्पसंख्यकों से दूरी नहीं बनाएगी. लेकिन पार्टी यह समझ चुकी है कि उसे अपनी “हिंदू विरोधी” छवि जरूर सुधारनी होगी. इस आशय की कोशिशें दिख भी रही हैं. अप्रैल में केदारनाथ मंदिर के पट खुलने पर राहुल के 16 किमी पैदल चलकर वहां पहुंचने से लेकर रामलीला के दौरान चाट खाते हुए फोटो ट्ड्ढिवटर पर शेयर करने तक राहुल ने अपने धार्मिक रुझान का प्रदर्शन करने से संकोच नहीं किया. 13 नवंबर को भाईदूज के दिन कांग्रेस के ट्ड्ढिवटर हैंडल पर राहुल और उनकी बहन प्रियंका की तस्वीर पोस्ट की गई थी. राजू कहते हैं, “हमारा लक्ष्य ज्यादा हिंदू या फिर कम मुस्लिम दिखने का कतई नहीं है. राहुल गांधी किसी भी धर्म से ऊपर उठकर समाज के वंचित तबकों के पक्ष में खड़े रहते हैं.” कांग्रेस के उत्साह के बावजूद उसके संभावित गठबंधन सहयोगियों में उसके साथ हाथ मिलाने के लिए ज्यादा उत्साह नजर नहीं आता. असम में मुख्यमंत्री गोगोई बीजेपी के खिलाफ महाबुजाबुजी यानी ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, असम गण परिषद, बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के महामेल का विचार लेकर आए थे लेकिन वे अब तक खाली हाथ हैं. पार्टी के एक महासचिव का कहना है कि पार्टी नेतृत्व अभी तक इस पर एक राय नहीं हो पाया है कि अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उसे तृणमूल कांग्रेस के साथ हाथ मिलाना चाहिए या फिर वामदलों के साथ. इधर तृणमूल के नेता डेरेक ओ्यब्रायन यह याद दिलाना नहीं भूलते कि 2014 में लोकसभा चुनाव में “मोदी लहर” के बावजूद 294 विधानसभा क्षेत्रों में से 216 पर उनकी पार्टी आगे थी. वे कहते हैं, “पिछले चार साल में ममता बनर्जी ने जो बढिय़ा काम किया है पार्टी उसी के बल पर 2016 का चुनाव लड़ेगी. हम अकेले और वाम, बीजेपी तथा कांग्रेस के खिलाफ लड़ेंगे.” बिहार चुनाव की सफलता को राहुल भले दूसरे राज्यों में दोहरा पाएं या नहीं लेकिन पार्टी 18 महीने में यह समझ चुकी है कि उसे पार्टी में आई इस नई जान और जोश को बनाए रखना होगा. लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं, “पिछले 18 महीनों में भारतीय राजनीति का समीकरण नाटकीय रूप से बदला है. पार्टी में फेरबदल की बड़ी जरूरत है.”