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पश्चिम बंगाल की बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट पर चौथे चरण में सोमवार को वोट डाले गए. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर कुल 82.57 प्रतिशत वोटिंग हुई, जबकि पूरे प्रदेश में यह आंकड़ा 81.58 फीसदी है. मतदान के दिन शाम 5 बजे तक इस सीट पर 75.31 फीसदी वोटिंग हुई जबकि पूरे प्रदेश में 76.47 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बर्धमान-दुर्गापुर सीट से 6 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं. दुर्गापुर सीट के गठन के बाद पहले चुनाव में ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने अपना झंडा बुलंद कर दिया, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस सीट पर जीत हासिल की. हालांकि इस बार बीजेपी भी आगे बढ़ रही है, ऐसे में 2019 के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार  जताए जा रहे हैं. अपडेट्स... -बर्धमान-दुर्गापुर निर्वाचन क्षेत्र में दिन के 11 बजे तक 33.82 फीसदी मतदान हुआ. पूरे प्रदेश में 11 बजे तक 35.10 प्रतिशत मतदान हुआ है. -इस निर्वाचन क्षेत्र में दिन के 1 बजे तक 45.75 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि पूरे प्रदेश में यह आंकड़ा लगभग 49 प्रतिशत है. -बर्धमान दुर्गापुर संसदीय क्षेत्र में शाम 3 बजे तक 68.57 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. पूरे प्रदेश में 66.29 फीसदी वोटिंग हुई है. 2019 लोकसभा चुनाव में बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर डॉक्टर ममताज संघमिता को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं सीपीएम की ओर से अभास राय चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट से सुरेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया और कांग्रेस की तरफ से रंजीत मुखर्जी चुनाव मैदान में हैं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से रामकृष्ण मलिक उम्मीदवार हैं, जबकि बर्धमान-दुर्गापुर से कोई निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ रहा है. बर्धमान दुर्गापुर सीट का सियासी समीकरण बर्धमान दुर्गापुर संसदीय क्षेत्र का गठन 2009 में हुआ और यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बर्धमान दुर्गापुर सीट पर पहली बार हुए चुनाव में सीपीएम के प्रोफेसर एस. के सैदुल हक ने जीत हासिल की थी, उन्होंने कांग्रेस की नरगिस बेगम को हराया था. 2014 के चुनाव में सियासी समीकरण बदले और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की डॉक्टर ममताज संघमिता ने सीपीएम के एस के सैदुल हक को हराया और सांसद चुनी गईं. बर्धमान दुर्गापुर सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में 86.22 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि 2009 में 87.21 फीसदी मतदान हुआ था. 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को 43.5 फीसदी, सीपीएम को 34.84 फीसदी , बीजेपी को 12.93 फीसदी और कांग्रेस को 5.22 फीसदी वोट मिले थे. वहीं विधानसभाओं की बात करें तो बर्धमान दुर्गापुर में 7 विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें बर्धमान दक्षिण, मोंटेश्वर, बर्धवान उत्तर, भातर, गलसी, दुर्गापुर पूरबा और दुर्गापुर पश्चिम शामिल हैं. इनमें से 5 पर तृणमूल, एक पर सीपीएम का और एक पर कांग्रेस का विधायक है. चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर
मोदी ने जी-20 सदस्य देशों से इस तरह के राष्ट्रों के खिलाफ ऐसा सामूहिक कदम उठाने की मांग की जो 'प्रतिरोधक' बन सके. मोदी ने जी-20 शिखर बैठक को संबोधित करते हुए लश्कर और जैश की तुलना आईएसआईएस और अलकायदा से की और कहा कि इनके नाम भले ही अलग हों, लेकिन इनकी विचारधारा एक है.टिप्पणियां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग जैसे विश्व नेताओं की मौजूदगी में मोदी ने इस बात पर अफसोस जताया कि आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया 'कमजोर' है. उन्होंने कहा कि इस समस्या का मुकाबला करने के लिए और सहयोग की जरूरत है.   अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग जैसे विश्व नेताओं की मौजूदगी में मोदी ने इस बात पर अफसोस जताया कि आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया 'कमजोर' है. उन्होंने कहा कि इस समस्या का मुकाबला करने के लिए और सहयोग की जरूरत है.
देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी और तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) को चौथी तिमाही में 40 फीसदी का मुनाफा हुआ है. मार्च महीने में खत्म हुई तिमाही में कंपनी का मुनाफा 5,218 करोड़ रुपये रहा. एक साल पहले इसी अवध‍ि में यह 3,721 करोड़ रुपये था. इसी बीच, कंपनी ने कहा है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों को वह अपने स्तर पर कम नहीं कर सकती है. जनवरी से मार्च तिमाही के बीच कंपनी की कुल आय में भी 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. कंपनी की तरफ से बीएसई को दी गई जानकारी के मुताबिक इस दौरान उसकी कुल आय 136,980 करोड़ रुपये रही है. कंपनी ने मुनाफा बढ़ने के लिए बेहतर इनवेंटरी गेन, अच्छी रिफाइनिंग मार्जिन को जिम्मेदार बताया है. वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी की कुल आय भी बढ़ी है. इस दौरान कंपनी का मुनाफा 13 फीसदी बढ़ा है. यह 518,961 करोड़ रुपये रहा. नहीं घटा सकते दाम वहीं, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर कंपनी ने कहा कि फिलहाल वह इस हालत में नहीं है कि वह दाम घटा सके. इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि वैश्व‍िक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसकी वजह से हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. दाम में ये जो बढ़ोतरी हो रही है. हमें इसे आगे बढ़ाना ही होगा. उन्होंने कहा कि कंपनी इसे सहने की स्थ‍िति में नहीं है. बता दें कि पिछले कुछ वक्त से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. ब्रेंट क्रूड की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं. यह 70 डॉलर प्रति बैरल का आंकड़ा पार कर चुका है. इसका सीधा असर घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर नजर आ रहा है. दरअसल जब भी कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, तो इससे तेल कंपनियों का वर्क‍िंग कैपिटल बढ़ जाता है.
लेख: Pagalpanti Box Office Collection Day 2: बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम (John Abraham), अनिल कपूर (Anil Kapoor), अरशद वारसी और पुल्कित सम्राट की कॉमेडी फिल्म 'पागलपंती (Pagalpanti)' बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो गई है. मल्ट्री स्टारर फिल्म होने के वाबजूद भी 'पागलपंती' सिनेमाघरों में पहले दिन कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई. दर्शकों को लुभाने में भी यह फिल्म असफल रही. हालांकि दूसरे दिन फिल्म की कमाई में उछाल देखा गया. बॉक्स ऑफिस इंडिया डॉट कॉम के मुताबिक फिल्म 'पागलपंती' ने दूसरे दिन यानी शनिवार को 25% का ही कलेक्शन किया. फिल्म ने दूसरे दिन 6.25 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया.  गालों को छूने पर तैमूर अली खान को आया गुस्सा, फिर शख्स से यूं लिया बदला- देखें Video अनिल कपूर (Anil Kapoor) और जॉन अब्राहम (John Abraham) की फिल्म 'पागलपंती' ने केवल दो दिनों में 8 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया. वहीं, दर्शकों के साथ-साथ जॉन अब्राहम (John Abraham) और अनिल कपूर (Anil Kapoor) की ये फिल्म समीक्षकों को  भी लुभाने में असफल रही है. 'पागलपंती (Pagalpanti)' में कहानी पूरी तरह मिसिंग है. फिल्म को बहुत ज्यादा खींचा भी गया है. 'पागलपंती' के कई जोक्स हंसाते हैं, लेकिन पूरी फिल्म में ऐसे मौके कम ही आते हैं. अनीस बज्मी की 'पागलपंती' पर उनकी सुपरहिट फिल्म 'वेलकम' की छाया हावी रहती है. डायरेक्शन के मामले में अनीस बज्मी ने अपने पुराने स्टाइल को ही अपनाया है. 'पागलपंती' में उन्होंने ढेर सारे सितारों के जरिये भुलभुलैया गढ़ने की कोशिश की है.  बॉलीवुड एक्ट्रेस कियारा आडवाणी ने 'इंदु की जवानी' की शूटिंग पूरी की 'पागलपंती (Pagalpanti)' की कहानी तीनों दोस्त जॉन अब्राहम, अरशद वारसी और पुलकित सम्राट की है. जॉन अब्राहम (John Abraham) के साथ कुछ सही नहीं होता. लेकिन एक दिन ऐसा हादसा होता है कि तीनों दोस्तों की जिंदगी पटरी से उतर जाती है, और तीनों मजबूरी में पहुंचते हैं लंदन के डॉन सौरभ शुक्ला और अनिल कपूर के पास. इन दोनों के भी अपने कुछ दर्द हैं, और सबके दर्द की एक ही वजह  है नीरज मोदी. जो भारत को करोड़ों रुपये का चूना लगा चुका है. नीरज मोदी के पात्र को असल जिंदगी से प्रेरित कर बनाया गया है. फिर शुरू होती है कई तरह की उठा-पटक, और बेकार की एक्शन भरी कॉमेडी. वैसे भी फिल्म के ट्रेलर रिलीज के दौरान ही इशारा कर दिया गया था कि 'दिमाग मत लगाना.' फिल्म देखकर यह बात समझ भी आ जाती है.
इस साल की शुरुआत में सऊदी अरब के नेतृत्व में संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिस्र ने आतंरिक मामलों में दखल देने, आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने और आतंकवादी नेताओं व आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए कतर से राजनयिक संबंध खत्म कर लिए थे. भारत-संयुक्त अरब अमीरात के आर्थिक संबंधों पर अल्बन्ना ने कहा कि उनका देश भारत के 'राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढांचा कोष' में 75 अरब डॉलर का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है और दो महीने पहले एक अरब डॉलर का हस्तांतरण किया गया था.  (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शिकागो अमरीका के इलिनाय प्रांत का पश्चिम-मध्य में सबसे बड़ा शहर है तीस लाख आबादी वाला यह शहर अमरीका का तीसरा सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है। मिशिगन झील के दक्षिणी नोंक पर स्थित शिकागो विश्व का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन है। यहाँ तीस से भी अधिक रेलमार्ग मिलते हैं। मिशिगन झील पर स्थित होने के कारण यह एक उत्तम बन्दरगाह का भी कार्य करता है। यह मक्का पेटी के उत्तरी सिरे पर स्थित है। यह संसार में गल्ला और मांस की सबसे बड़ी मंडी है। यहाँ विश्व के सबसे अधिक पशु काटे जाते हैं। इसी से इसे विश्व का कसाईखाना कहते हैं। यहाँ से मक्का खिलाकर मोटा किये हुए जानवरों को काटकर उनका मांस डिब्बों में भरकर बाहर भेजा जाता है। यहाँ कृषि-यंत्रों, आटा पीसने, कागज, लुग्दी, इस्पात, मोटर गाड़ियों के उपकरण, वायुयान के पुर्जों, वस्त्र एवं जलयान का निर्माण किया जाता है। दक्षिणी शिकागो में तेलशोधक केन्द्र है। शिकागो मेट्रोपालिटिन क्षेत्र जिसे बोलचाल की भाषा में शिकागोलैंड के नाम से भी जाना जाता है अमरीकी परिवहन व्यवस्था, अमरीकी संस्कृति, अमरीकी राजनीति, अमरीकी शिक्षा और अमरीकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा केंद्र है। शिकागो को पश्चिम मध्य अमरीका की व्यवसायिक और सांस्कृतिक राजधानी भी कहते हैं। इस शहर की स्थापना 1833 में लेक मिशिगन एवं मिसिसिपी नदी के बीच की गयी थी। इस क्षेत्र के निकट स्थित गैरी लौह-इस्पात उद्योग का केन्द्र है। बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक जालपृष्ठ कन्वेशन ऐंड विजिटर्स ब्यूरो शिकागो चैंबर ऑफ कामर्स डाउअनटाउन शिकागो का संवादात्मक मानचित्र इलिनॉय के शहर संयुक्त राज्य अमेरिका के नगर
खर्चे में कटौती की अपनी योजनाओं के तहत ब्रिटेन अपने दो अरब पौंड की कीमत वाले विमान वाहक को भारत को बेच सकता है, जिसने इस संबंध में काफी रुचि दिखाई है. मीडिया रिपोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी गयी है. रक्षा मंत्रालय के खर्च में कटौती की योजना वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के हवाले से अखबार ‘द आब्जर्वर’ ने खबर दी है कि व्हाइट हॉल के अधिकारी रक्षा मंत्रालय के खर्चे में कटौती की योजना के तहत इसे भारत को बेचने की व्यावहार्यता पर विचार विमर्श कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 65 हजार टन के जहाज की बिक्री से ब्रिटिश नौसेना के पास एक ही विमानवाहक बच जाएगा और ब्रिटेन को फ्रांसीसी बेड़े की मदद लेनी पड़ सकती है. फ्रांस के पास भी एक ही विमानवाहक है. बीती गर्मियों में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन के समक्ष पेशकश की थी कि दोनों देशों की नौसेनाएं रखरखाव के संबंध में एक दूसरे से तालमेल कर सकते हैं. विमानवाहक कार्यक्रम में पहले ही देर हो चुकी है विमानवाहक कार्यक्रम में पहले ही दो वर्ष की देर हो चुकी है. बीएई सिस्टम्स ने जुलाई में एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ का निर्माण शुरू किया था और इसे 2016 में नौसेना में शामिल किया जाना है. प्रिंस ऑफ वेल्स के निर्माण की भी शुरुआत हो चुकी है और इसे 2018 में नौसेना में शामिल किया जाना है. ये दोनों विमानवाहक पोत पुराने का स्थान लेंगे और आकार में तिगुने होंगे. ऐसी शंका जताई जा रही है कि सरकार इन्हें एक साथ रद्द कर सकती है. लेकिन समझा जाता है कि इसमें वित्तीय बाधाएं सामने आ सकती हैं. इन आदेशों पर पोर्ट्समाउथ, बरो इन फरनेस और ग्लासगो में करीब 10 हजार लोगों की नौकरियां निर्भर करेंगी.
इस टूर्नामेंट का आयोजन स्विस पहाड़ों की खूबसूरत वादियों में होगा. वहां दो दिनों में दो मैच खेले जाएंगे. ठंड के कारण तलाब का ऊपरी हिस्सा बर्फ की मोटी परत से जम जाता है और बर्फबारी से ढक जाता है. बर्फ की ये परत 200 टन से ज्यादा का भार सह सकती है. इस पर यहां पवेलियन और ग्रैंड स्टैंड का निर्माण संभव है. क्रिकेटरों को दो टीमों में बांटा गया है. जिनका नाम बडरुत्त पैलेस डायमंड और रॉयल्स है.
#BulandshahrViolence case: District Police releases pictures of 18 accused absconding in the case and says it will attach their movable properties pic.twitter.com/LxPKZZ3vAL
EPFO के आंकड़ों के मुताबिक मई महीने में कुल 9,86,345 नौकरियों का सृजन हुआ है. यह अप्रैल महीन में दी गई 10,15,286 नौकरियों के मुकाबले कम है. यह आंकड़े मोदी सरकार प्रथम के दौर के ही माने जाएंगे, क्योंकि मौजूदा सरकार का गठन 30 मई यानी महीने के अंत में हुआ है. गौरतलब है कि मोदी प्रथम सरकार को रोजगार के मोर्चे पर लगातार विपक्ष के हमले का सामना करना पड़ा है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के  आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 61,12,223 नौकरियों का सृजन हुआ था, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में 15,52,940 नौक‍रियों का सृजन हुआ था. सितंबर 2017 से मई 2019 के बीच कुल 96.6 लाख नौकरियों का ही सृजन हो सका. आंकड़ों के अनुसार, मई महीने में 18 साल से कम उम्र के लोगों को सिर्फ 11,139 नौकरियां मिली हैं, जबकि 18 से 21 साल के समूह में 2.9 लाख नौकरियों का सृजन हुआ. इसी तरह 22 से 25 साल के लोगों के बीच 2.26 लाख नौकरियों का सृजन हुआ. सितंबर, 2017 से लेकर मई तक के 21 महीनों में सबसे ज्यादा अप्रैल 2019 में ही नौकरियां मिली हैं. अप्रैल में ही पहली बार ईपीएफओ में पंजीकृत यानी औप‍चारिक नौकरियों का सृजन 10 लाख के पार पहुंच गया था.  अप्रैल 2019 में ईपीएफ से 8.78 लाख नए लोग जुड़े, जबकि 3.35 लाख सदस्य ईपीएफ योजना से बाहर हो गए हैं. ईपीएफओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, नौकरियों के सृजन में लगातार हर महीने औसतन 2 हजार की गिरावट आई है. गौरतलब है कि रिटायर फंड का प्रबंधन करने वाला ईपीएफओ अप्रैल 2018 से ही पेरोल के आंकड़े जारी कर रहा है, हालांकि आंकड़े सितंबर, 2017 से लेकर अगले महीनों तक के जारी किए गए. रोजगार जाने वाले आंकड़ों में ऐसे अस्थायी कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं, जिनका शायद पीएफ कटना बंद हो चुका हो. ईपीएफओ से संगठित और असंगठित क्षेत्र के 6 करोड़ से ज्यादा सक्रिय सदस्य जुड़े हुए हैं. मोदी प्रथम सरकार के कार्यकाल में रोजगार के मोर्चे पर संरचनात्मक बदलाव देखा गया है. कई नए सेक्टर में अब ज्यादा नौकरियां मिल रही हैं, लेकिन सरकार का अंत कई परंपरागत सेक्टर में नौकरियों के ठहर जाने या नौकरियों में कटौती के साथ हुआ. साल 2014 के चुनाव अभियान के दौरान बीजेपी ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह हर साल एक करोड़ युवाओं को रोजगार देगी. बीजेपी के घोषणापत्र में यह भी कहा गया कि मैन्युफैक्चरिंग, टूरिज्म, आईटी जैसे सेक्टर को बढ़ावा दिया जाएगा, जिनमें हर साल लाखों रोजगार पैदा करने की गुंजाइश है. नोटबंदी और जीएसटी से हुए थे लाखों बेरोजगार इस बात के अब प्रत्यक्ष प्रमाण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं कि नोटबंदी और जीएसटी के दोहरे झटकों ने अर्थव्यवस्था को बेपटरी पर कर दिया था और इससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए. द सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अध्ययन से पता चलता है कि साल 2017 के पहले चार महीनों में 15 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं. ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स ऑर्गनाइजेशन (AIMO) के मुताबिक इस दोहरे झटके से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) में 35 लाख लोग बेरोजगार हो गए. (/www.businesstoday.in से साभार)
पंजाब में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार भले ही सख्ती करने का दावा करे, लेकिन हकीकत ये है कि किसान यूनियनों के खुलेआम पराली जलाने के ऐलान के बाद सरकारी अफसर असमंजस में है. अफसरों को समझ में नहीं आ रहा है कि वो गांवों में जाकर किसानों पर सख्ती कैसे करें, क्योंकि किसानों ने अल्टीमेटम दे दिया है कि वो कार्रवाई करने के लिए आने वाले सरकारी अधिकारियों को बंधक बना लेंगे. वहीं, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की कोशिश है कि पराली जलाने से रोकने के लिए साल 1981 के द एयर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल एक्ट को सख्ती से लागू किया जाए. सरकार ने चंडीगढ़ में किसान नेताओं और कृषि से जुड़े विशेषज्ञों का सेमिनार भी कराया, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं दिखा. पिछले तीन वर्षों में दर्ज हुए कई केस अगर पिछले 3 साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो साल 2016 में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पराली जलाने पर 2,414 केस दर्ज किए थे और करीब 6 लाख 65 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. वहीं, साल 2017 में 11,005 केस दर्ज किए गए और 61 लाख 47 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था. 2018 में अब तक 363 केस दर्ज किए जा चुके हैं और 3 लाख 62 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है. किसान यूनियनों के दबाव के चलते नहीं हो पाती कार्रवाई साल 1981 में बनाए गए द एयर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल एक्ट में ₹500 से ₹15000 तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है. हालांकि किसान यूनियनों के दबाव के चलते पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी सख्त कार्रवाई नहीं कर पाता है. संगरूर में जिस तरह से आजतक के कैमरे के सामने ही किसानों ने अपनी मजबूरी का हवाला देते हुए कई खेतों में पराली जलाई, उससे लगता नहीं है कि इसको रोक पाना आसान है. हालांकि इस घटना के बाद संगरूर के DC घनश्याम पुरी ने दावा जरूर किया कि हर गांव में पराली जलाने की घटनाओं को ध्यान में रखने के लिए और कार्रवाई करने के लिए नोडल ऑफिसर लगाए गए हैं, लेकिन हकीकत ये है कि जहां-जहां किसान यूनियनों के सैकड़ों कार्यकर्ता और किसान इकट्ठे होकर पराली को आग के हवाले करते हैं, वहां पर कोई भी सरकारी अधिकारी जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. किसानों को समझाने की कोशिश साबित हो रही विफल संगरूर के DC घनश्याम पुरी के मुताबिक किसानों को समझाने की कोशिश लगातार जारी है और किसानों को पराली हटाने की मशीनों के फायदे के बारे में भी बताया जा रहा है. उन्हें समझाया जा रहा है कि पराली जलाने से नुकसान ज्यादा और फायदे बिल्कुल नहीं हैं. पंजाब सरकार भी किसानों के अड़ियल रवैये और किसानों द्वारा पराली जलाने को मजबूरी बताए जाने के चलते बैकफुट पर है. पंजाब सरकार ने खुद पराली न जलाने के लिए किसानों से अपील की है. शायद सरकार को भी पता है कि सख्ती करने से भी किसान मानने वाले नहीं हैं. इसी वजह से राज्य सरकार ने किसानों को पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण और पंजाब की बिगड़ती छवि का हवाला दिया है. पंजाब सरकार ने किसानों से पराली न जलाने की अपील करने के साथ ही किसान यूनियनों, बुद्धिजीवियों और किसानों विशेषज्ञों का सेमिनार आयोजित किया. किसानों की भी है अपनी समस्याएं ऐसा नहीं है कि ऐसा सेमिनार पहली बार हुआ है या किसानों को इसकी जानकारी नहीं हैं. यहां सवाल किसानों के पैसे और समय की बचत का है, जिसका जवाब किसी के पास नहीं है. किसानों की मजबूरी ये है कि अगली फसल की तैयारी के लिए समय कम होता है, तो दूसरी तरफ पराली को इकट्ठा करने में खर्चा भी आता है और इकट्ठा करके इसका क्या किया जाए, ये भी किसानों के लिए समस्या है. हालांकि कृषि से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि जब सरकार धान की खरीद के लिए 40 हजार करोड़ रुपये देती है, तो क्यों न सिर्फ 2000 करोड़ रुपये और बढ़ा कर 200 रुपये प्रति एकड़ सब्सिडी किसान को दे दी जाए. साथ ही इस पर विशेष ध्यान दिया जाए कि ये धनराशि उन किसानों को ही मिले, जो पराली नहीं जलाते हैं.
सुन्दरगंज उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह रंगपुर विभाग के गाइबान्धा ज़िले का एक उपजिला है, जिसमें, ज़िला सदर समेत, कुल 7 उपज़िले हैं, और मुख्यालय गाइबान्धा सदर उपज़िला है। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका से उत्तर की दिशा में अवस्थित है। यह मुख्यतः एक ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है। जनसांख्यिकी यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। राजशाही विभाग में, जनसांख्यिकीक रूप से, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन करीब ८८% है, जबकि शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है। यह मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है। अवस्थिती सुन्दरगंज उपजिला बांग्लादेश के उत्तरी सीमान्तों में स्थित, रंगपुर विभाग के गाइबान्धा जिले में स्थित है। इन्हें भी देखें बांग्लादेश के उपजिले बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल रंगपुर विभाग उपज़िला निर्वाहि अधिकारी सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी) जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश http://hrcbmdfw.org/CS20/Web/files/489/download.aspx (पीडीएफ) श्रेणी:रंगपुर विभाग के उपजिले बांग्लादेश के उपजिले
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर कस्बे में आतंकवादियों द्वारा शनिवार तड़के किए गए ग्रेनेड हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई तथा चार अन्य घायल हो गए। पुलिस प्रवक्ता ने बताया, तड़के करीब ढाई बजे आतंकवादियों ने सोपोर में मुख्य चौक के समीप एक पुलिस दल पर ग्रेनेड फेंका। उस समय शरारती तत्व पुलिस पर पथराव कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हमले में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रवक्ता ने बताया, घायल हुए एक पुलिसकर्मी एम सैयद ने बाद में दम तोड़ दिया। दो घायल पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए श्रीनगर ले जाया गया है, जबकि दो अन्य पुलिसकर्मियों का इलाज सोपोर अस्पताल में चल रहा है। किसी आतंकी संगठन ने अभी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पिछले 24 घंटे में आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में सुरक्षा बलों पर किया गया यह दूसरा हमला है। आतंकवादियों ने बीती शाम दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में गोलीबारी कर एक पुलिसकर्मी को मार दिया था।
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है. जीएसटी पूरे देश में 1 जुलाई से लागू किया जाना है. सरकार ने भरोसा दिलाया है कि जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद शुरआत में उल्लंघनों में जुर्माने लगाने में उदारता बरती जाएगी.टिप्पणियां राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि रिटर्न दाखिल करने में अनजाने में हुई गलतियों और कर अपवंचना के लिए जानबूझकर की गई गलती में भेद किया जाएगा. अधिया ने जीएसटी टाउनहॉल में कहा,  हमारी मंशा जीएसटी को सुगम तरीके से लागू करने की है. हमारा इरादा पहले महीने किसी को परेशान करने का नहीं है. अधिया ने कहा कि हम अनजाने में हुई गलतियों के लिए काफी उदारता दिखाएंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या शुरआती महीनों में सरकार दंड और जुर्माना प्रावधानों में उदारता दिखाएगी. उन्होंने कहा,उदारता दिखाई जाएगी, लेकिन हम इसकी घोषणा नहीं कर सकते हैं. नियमों के तहत यह व्यवस्था है कि जीएसटी परिषद निश्चित समय के लिए कुछ जरूरतों में छूट दे सकती है. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि रिटर्न दाखिल करने में अनजाने में हुई गलतियों और कर अपवंचना के लिए जानबूझकर की गई गलती में भेद किया जाएगा. अधिया ने जीएसटी टाउनहॉल में कहा,  हमारी मंशा जीएसटी को सुगम तरीके से लागू करने की है. हमारा इरादा पहले महीने किसी को परेशान करने का नहीं है. अधिया ने कहा कि हम अनजाने में हुई गलतियों के लिए काफी उदारता दिखाएंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या शुरआती महीनों में सरकार दंड और जुर्माना प्रावधानों में उदारता दिखाएगी. उन्होंने कहा,उदारता दिखाई जाएगी, लेकिन हम इसकी घोषणा नहीं कर सकते हैं. नियमों के तहत यह व्यवस्था है कि जीएसटी परिषद निश्चित समय के लिए कुछ जरूरतों में छूट दे सकती है. अधिया ने कहा कि हम अनजाने में हुई गलतियों के लिए काफी उदारता दिखाएंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या शुरआती महीनों में सरकार दंड और जुर्माना प्रावधानों में उदारता दिखाएगी. उन्होंने कहा,उदारता दिखाई जाएगी, लेकिन हम इसकी घोषणा नहीं कर सकते हैं. नियमों के तहत यह व्यवस्था है कि जीएसटी परिषद निश्चित समय के लिए कुछ जरूरतों में छूट दे सकती है.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पंजाबी सॉन्ग (Latest Punjabi Song) पर मनप्रीत टुर (Manpreet Toor) नाम की लड़की के डांस वीडियो टिकटॉक (TikTok Video) पर जमकर धमाल मचा रहे हैं. टिकटॉक (Viral TikTok Video) पर इनके वीडियो इतने शानदार हैं कि लोग नजरें नहीं हटा पा रहे हैं. पंजाबी सॉन्ग पर डांस वीडियो वैसे भी टिकटॉक (Tiktok) पर खूब धूम मचाते हैं. लेकिन मनप्रीत टुर (Manpreet Toor TikTok Viral Video) के डांस वीडियो की बात ही अलग है. लोग इनके वीडियो को खूब पसंद कर रहे हैं. देखिए मनप्रीत टुर के पांच बेहतरीन डांस वीडियो.... बताया जाता है कि मनप्रीत टुर (Manpreet Toor) को डांस टीचर के तौर पर भी जाना जाता है. वो नए अंदाज में ऑनलाइन वीडियो बनाकर डांस सिखाती हैं. उनके कई टिकटॉक वीडियो (TikTok Video) जमकर वायरल हो रहे हैं. इन वीडियो में वो बॉलीवुड, भांगड़ा और गिद्दा जैसी डांसिंग स्टाइल करती दिख रही है. इन वीडियो में इनके स्टेप्स वाकई बहुत कमाल के हैं. खबरों के मुताबिक, उन्होंने साल 2004 से ही डांस सिखाना शुरू कर दिया था.  मनप्रीत टुर के सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स भी काफी संख्या में हैं.
बच्चों के लिए गाय का दूध संपूर्ण पोषण माना जाता है और ऐसा इसमें मौजूद पोषक तत्‍वों के कारण कहा जाता है. लेकिन बच्चों को किस मात्रा में दूध दिया जाए इस बात पर हमेशा ही संशय बना रहता है. हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार डॉक्टरों को मानना है कि दिन भर में दो कप गाय का दूध बच्‍चों में विटामिन डी और आयरन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्‍त है. बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्‍टर माग्‍यूरे का कहना है कि अधिकतर अभिभावक और डॉक्‍टर इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि बच्‍चों के विकास के लिए उन्‍हें कितना दूध दिया जाना चाहिए. डॉक्‍टर माग्‍यूरे इस शोध के प्रमुख हैं. माग्‍यूरे और उनकी टीम ने देखा कि गाय का दूध कैसे शरीर में आयरन और विटामिन की मात्रा अवशोषित करने की प्रक्रिया पर प्रभाव डालता है. आयरन और विटामिन डी गाय के दूध के दो सबसे प्रमुख पोषक तत्वों में हैं. दो से पांच साल के 1300 से अधिक बच्‍चों पर किए गए इस शोध में पाया गया कि कैसे और कितना दूध शरीर में इन दोनों पोषक तत्वों की सही मात्रा अवशोषित करता है.उन्‍होंने पाया कि अधिक दूध पीने वाले बच्‍चों के शरीर में विटामिन डी की मात्रा तो अधिक पाई गई लेकिन आयरन का स्‍तर कम था.इस नतीजे के बाद शोधकर्ता इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे कि बच्‍चों के लिए दो कप गाय का दूध विटामिन डी और आयरन की सही मात्रा शरीर में संचयित करने के लिए काफी है.
इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने चेतावनी दी है कि यदि इस साल भारत में होने वाले चैंपियन्स लीग ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट का आयोजक बीसीसीआई उसे पहले भागीदारी शुल्क नहीं देता है तो वह काउंटी टीमों को इस टूर्नामेंट में खेलने से रोक देगा। डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार ईसीबी ने साफ किया है कि इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाली दोनों काउंटी टीमों को सितंबर में भारत दौरे के लिये बीसीसीआई से पूर्व में भुगतान मिलना चाहिए। इंग्लैंड से लंकाशर या लीस्टरशर में से तथा हैंपशर और समरसेट में से कोई दो टीमें इस टूर्नामेंट में भाग लेंगी। ईसीबी ने यह बयान पहले दो चैंपियन्स लीग में भाग लेने वाली कई टीमों के इन आरोपों के बाद दिया है जिनमें कहा गया था कि उन्हें या तो समय पर भुगतान नहीं मिला या फिर आधा पैसा ही दिया गया। समरसेट और ससेक्स 2009 में भारत में हुई पहली चैंपियन्स लीग में खेले थे लेकिन इसके बाद 2010 में दक्षिण अफ्रीका में हुई चैंपियनिशप में ईसीबी और भारतीय आयोजकों के बीच कार्यक्रम को लेकर उठे विवाद के कारण इंग्लैंड की किसी भी टीम ने भाग नहीं लिया था। समरसेट ने जब 2009 में इस टूर्नामेंट में भाग लिया था तब उसे मुख्य कार्यकारी रहे रिचर्ड गाउल्ड ने कहा, भुगतान देर से मिला लेकिन पांच महीने के अंदर इसका भुगतान कर दिया गया था। इसमें से केवल भारत सरकार का लगभग 20 प्रतिशत कर काटा गया था।
नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई और उनका परिवार किताब की बिक्री और व्याख्यानों से मिलने वाली राशि को पाकर करोड़पति बन गया है। पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान शासन के बीच अपने जीवन को मलाला ने एक किताब 'आई एम मलाला' में लिपिबद्ध किया है। लड़कियों के लिए शिक्षा की वकालत करने पर तालिबान ने इस 18 वर्षीय पाकिस्तानी किशोरी की सिर में गोली मार दी थी। मलाला ने अपनी इस पूरी कहानी को 'संडे टाइम्स' की पत्रकार क्रिस्टिना लैंब के साथ मिलकर किताब का रूप दिया है। मलाला की इस कहानी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए गठित कंपनी के बैंक खाते में अगस्त 2015 में 22 लाख पाउंड थे और कर चुकाने से पहले उसका कुल लाभ 11 लाख पाउंड था।टिप्पणियां 'द टाइम्स' की खबर के मुताबिक, मलाला, उसके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई और उसकी मां तूर पेकई इस कंपनी 'सालारजई लिमिटेड' के संयुक्त शेयरधारक हैं। पूरा परिवार अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहता है, जहां मलाला एजबैस्टन हाई स्कूल फॉर गर्ल्स में पढ़ाई करती है। मलाला को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया और वह नोबेल पाने वाली सबसे कम उम्र की सख्शियत है। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) लड़कियों के लिए शिक्षा की वकालत करने पर तालिबान ने इस 18 वर्षीय पाकिस्तानी किशोरी की सिर में गोली मार दी थी। मलाला ने अपनी इस पूरी कहानी को 'संडे टाइम्स' की पत्रकार क्रिस्टिना लैंब के साथ मिलकर किताब का रूप दिया है। मलाला की इस कहानी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए गठित कंपनी के बैंक खाते में अगस्त 2015 में 22 लाख पाउंड थे और कर चुकाने से पहले उसका कुल लाभ 11 लाख पाउंड था।टिप्पणियां 'द टाइम्स' की खबर के मुताबिक, मलाला, उसके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई और उसकी मां तूर पेकई इस कंपनी 'सालारजई लिमिटेड' के संयुक्त शेयरधारक हैं। पूरा परिवार अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहता है, जहां मलाला एजबैस्टन हाई स्कूल फॉर गर्ल्स में पढ़ाई करती है। मलाला को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया और वह नोबेल पाने वाली सबसे कम उम्र की सख्शियत है। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) मलाला की इस कहानी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए गठित कंपनी के बैंक खाते में अगस्त 2015 में 22 लाख पाउंड थे और कर चुकाने से पहले उसका कुल लाभ 11 लाख पाउंड था।टिप्पणियां 'द टाइम्स' की खबर के मुताबिक, मलाला, उसके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई और उसकी मां तूर पेकई इस कंपनी 'सालारजई लिमिटेड' के संयुक्त शेयरधारक हैं। पूरा परिवार अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहता है, जहां मलाला एजबैस्टन हाई स्कूल फॉर गर्ल्स में पढ़ाई करती है। मलाला को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया और वह नोबेल पाने वाली सबसे कम उम्र की सख्शियत है। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) 'द टाइम्स' की खबर के मुताबिक, मलाला, उसके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई और उसकी मां तूर पेकई इस कंपनी 'सालारजई लिमिटेड' के संयुक्त शेयरधारक हैं। पूरा परिवार अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहता है, जहां मलाला एजबैस्टन हाई स्कूल फॉर गर्ल्स में पढ़ाई करती है। मलाला को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया और वह नोबेल पाने वाली सबसे कम उम्र की सख्शियत है। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह एक लेख है: हरीश रावत फिलहाल पिथौरागढ़ जिले की धारचूला सीट से विधायक हैं. हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल, 1947 को उत्तराखंड के अलमोड़ा जिले के मोहनारी में हुआ था. इनके पिता का नाम राजेंद्र सिंह रावत और माता का नाम देवकी देवी है. गौरतलब है कि विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फरवरी, 2014 में हरीश रावत उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बने थे. जुलाई, 2014 में उन्होंने धारचूला विधानसभा उपचुनाव 19000 वोटों से जीता था.  उत्तर प्रदेश को 2 राज्‍यों में बांटकर जब उत्तराखंड बना गया, उस समय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रुप में हरीश रावत सामने आए. सन 1980 में वह पहली बार अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1984 व 1989 में भी उन्होंने संसद में इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.टिप्पणियां पिछले चुनावों में हरीश रावत ने हरिद्वार संसदीय सीट सें चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसके बाद हरिद्वार सीट जीतकर वर्चस्‍प स्‍थापित करने वाले हरीश रावत को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री का दायित्व सौंपा था. 15 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में रिकॉर्ड वोटिंग दर्ज की गई थी. इस बार प्रदेश में कुल 68 फीसदी मतदान हुआ. पूरे राज्य में सबसे ज्यादा वोट उत्तरकाशी में पड़े, यहां कुल वोटर्स में से 73 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इसके बाद 70 प्रतिशत मतदान के साथ उधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल दूसरे नंबर पर रहे.   अन्य अपडेट्स के लिए क्लिक   गौरतलब है कि विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फरवरी, 2014 में हरीश रावत उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बने थे. जुलाई, 2014 में उन्होंने धारचूला विधानसभा उपचुनाव 19000 वोटों से जीता था.  उत्तर प्रदेश को 2 राज्‍यों में बांटकर जब उत्तराखंड बना गया, उस समय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रुप में हरीश रावत सामने आए. सन 1980 में वह पहली बार अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1984 व 1989 में भी उन्होंने संसद में इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.टिप्पणियां पिछले चुनावों में हरीश रावत ने हरिद्वार संसदीय सीट सें चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसके बाद हरिद्वार सीट जीतकर वर्चस्‍प स्‍थापित करने वाले हरीश रावत को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री का दायित्व सौंपा था. 15 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में रिकॉर्ड वोटिंग दर्ज की गई थी. इस बार प्रदेश में कुल 68 फीसदी मतदान हुआ. पूरे राज्य में सबसे ज्यादा वोट उत्तरकाशी में पड़े, यहां कुल वोटर्स में से 73 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इसके बाद 70 प्रतिशत मतदान के साथ उधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल दूसरे नंबर पर रहे.   अन्य अपडेट्स के लिए क्लिक   पिछले चुनावों में हरीश रावत ने हरिद्वार संसदीय सीट सें चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसके बाद हरिद्वार सीट जीतकर वर्चस्‍प स्‍थापित करने वाले हरीश रावत को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री का दायित्व सौंपा था. 15 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में रिकॉर्ड वोटिंग दर्ज की गई थी. इस बार प्रदेश में कुल 68 फीसदी मतदान हुआ. पूरे राज्य में सबसे ज्यादा वोट उत्तरकाशी में पड़े, यहां कुल वोटर्स में से 73 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इसके बाद 70 प्रतिशत मतदान के साथ उधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल दूसरे नंबर पर रहे.   अन्य अपडेट्स के लिए क्लिक   15 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में रिकॉर्ड वोटिंग दर्ज की गई थी. इस बार प्रदेश में कुल 68 फीसदी मतदान हुआ. पूरे राज्य में सबसे ज्यादा वोट उत्तरकाशी में पड़े, यहां कुल वोटर्स में से 73 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इसके बाद 70 प्रतिशत मतदान के साथ उधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल दूसरे नंबर पर रहे.   अन्य अपडेट्स के लिए क्लिक
यह एक p - n जंक्शन डायोड होता है। जिसमें धारा सामान्य रूप से इलेक्ट्रॉन्स द्वारा carry की जाती है। उच्च मात्रा में आशुद्धी मिले p-n जंक्शन के आध्ययन के दौरान Esaki ने tunneling की घटना के बारे में बताया। उच्च मात्रा में अशुद्धि मिले p-n जंक्शन में n- type आर्द्ध चालको में फर्मी ऊर्जा level conduction bond के bottom के ऊपर स्थित होता है। एवं सभी donar आयानित आवस्था में होते है। P- टाइप अर्धचालक में फरमी ऊर्जा level , valence bond के top के नीचे स्थित होते है। एवं सभी accepter आयनित अावस्था में होते है । उच्च मात्रा में आशुद्धि मिलने पर लाभ यह है कि आवक्षय परत की चौड़ाई घट जाती है। Unbaised आवास्था में p-n जंक्शन के n- क्षेत्र से इलेक्ट्रॉन एवं p- क्षेत्र से कोटर समान संख्या में जंक्शन को विपरीत दिशा में पर करते है। एवं जंक्शन धारा प्राप्त नहीं होती है। जब forward विभव जंक्शन पर आरोपित किया जाता है। तो n- क्षेत्र में ऊर्जा level ऊपर उठ जाते है। अब आधिकांश conduction bond के इलेक्ट्रॉन p- क्षेत्र के अनुमत (बाहरी ) रिक्त ऊर्जा level में पहुंचते है। एवं उच्च मात्रा में n से p दिशा में tunneling धारा प्राप्त होती है। Tunnel diode कहलाता है। forword विभव बढ़ाने पर n to p tunneling धारा मान बढ़ ता है एवं उच्चतम धारा प्राप्त होने के बाद धारा का मान घटता है। एवं फिर एकाएक धारा का मान बढ़ता जाता है।प्राप्त उच्च धारा को peak धारा (Ip) एवं विभव को peak विभव (Vp) कहते है। Tunnel diode को बनाने में ऐसे अार्ध चालक का प्रयोग करते है। जिनके लिए Ip/IV मान उच्च होता है। जहा Iv valley धारा है। Ge, Si, GeAs के लिए Ip/Iv के मान क्रमशः 8 ,3.5 ,35 होते है। अतः tunnel diode बनाने में मुख्यत GeAs का प्रयोग किया जाता है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
राजनीतिक मार्गदर्शन नहीं मिला राजनीतिक अनुभव रहा खराब महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी गलत तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की भतीजी जे. दीपा ने अपने राजनीतिक सफर को बुरा अनुभव बताते हुए खत्म कर दिया है. मंगलवार को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए राजनीति से संन्यास ले लिया. दीपा ने कहा कि उनकी पार्टी का सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के साथ विलय हो गया है. मीडिया से बातचीत करते हुए दीपा ने कहा कि मैंने राजनीति छोड़ने का फैसला लिया है. दीपा ने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में उनका मार्गदर्शन करने के लिए उनके पास कोई उचित व्यक्ति नहीं है. दीपा के अनुसार मार्च में ही उनकी पार्टी एमजीआर अम्मा दीपा पेरावई का विलय सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के साथ हो गया था. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के सदस्य सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक में शामिल हो सकते हैं. दीपा ने कहा कि पिछले दो साल का उनका राजनीतिक जीवन दर्दनाक था और एक बुरा अनुभव था. उन्होंने कहा कि कई बार वह सोचती थीं कि इन सभी चीजों की क्या आवश्यकता है? दीपा ने कहा कि वह अपनी इच्छाओं को लागू करने में सक्षम नहीं थीं. उन्होंने कहा कि महिलाओं के राजनीति में बने रहने के लिए लोगों को अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकना चाहिए. महिलाओं के लिए अपमानजनक टिप्पणी सुनना संभव नहीं है. दीपा ने कहा कि पार्टी के गठन के बाद ऐसे उदाहरण थे जहां लोगों ने धोखा देने के लिए पार्टी के नाम का इस्तेमाल किया और वह इन सबके लिए तैयार नहीं थी. दीपा ने अनुरोध किया कि उन्हें या उनके पति को अब आगे परेशान न किया जाए. जयललिता की मृत्यु के तुरंत बाद अन्नाद्रमुक पार्टी विभाजित हो गई थी. पार्टी कैडरों की एक बड़ी संख्या ने दीपा का समर्थन किया. दीपा हालांकि अलग बनाई गई पार्टी को संभाल नहीं पाईं. (IANS इनपुट के साथ)
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी एक रैली में कहा था कि दुनिया के दूसरे देशों में परेशान हिंदुओं के लिए भारत को अपने दरवाजे खोल देने चाहिए. दुनिया के किसी भी कोनों में सताए जा रहे हिंदुओं के लिए हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. सरकार में आते ही प्रधानमंत्री मोदी अपने उस वादे को पूरा करने में जुटे हुए हैं. बहुत जल्द सरकार ऐसा प्रावधान लाने जा रही है जिससे अब पाकिस्तान से आ रहे हिंदू शरणार्थियों को भारत में बैंक अकाउंट खुलवाने में कोई परेशानी नहीं होगी. क्या करेगी मोदी सरकार? हिंदू शरणार्थियों की ये शिकायत रही हैं कि उन्हें भारत में भी ढेरों शिकायतों का सामना करना पड़ता हैं. पर अब मोदी सरकार उनकी थोड़ी परेशानी कम करने के मूड में हैं. खबर है कि ऐसे हिंदू शरणार्थी जो भारत में लम्बे दौर का वीजा लेकर रह रहे हैं अब बैंकों में अपना अकाउंट खुलवा सकते हैं, साथ ही यहां प्रॉपर्टी भी खरीद सकते हैं. भारतीय नागरिकता मिलने तक अब उन्हें भारतीय इकनोमिक सिस्टम से अब अलग नहीं रहना पड़ेगा. सरकार ने दी रिकार्ड नागरिकता पिछले एक सालों में मोदी सरकार पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आये हिंदू शरणार्थियों में से 4000 से भी ज्यादा लोगों को नागरिकता दे चुकी है. ये संख्या पिछले 5 सालों में यूपीए सरकार द्वारा दी गयी नागरिकता से चार गुने से भी ज्यादा हैं.
बिहार एक बार फिर बाढ़ की चपेट में है. राज्य की 25 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित है. राज्य के करीब 12 जिलों के 77 प्रखंडों के 546 पंचायत पानी में डूबे हुए हैं. अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है. सालों से चली आ रही इस समस्या पर सरकार के तमाम दावों के बावजूद हालात वैसे ही हैं, जैसे हर साल रहते हैं. पिछले 40 सालों से यानी 1979 से अब तक बिहार लगातार हर साल बाढ़ से जूझ रहा है. बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के मुताबिक राज्य का 68,800 वर्ग किमी हर साल बाढ़ में डूब जाता है. आइए जानते हैं कि बिहार हर साल बाढ़ में क्यों डूब जाता है... बिहार में बाढ़ आने के चार प्रमुख कारण हैं... 1. नेपाल छोड़ता है पानी, तो डूब जाते हैं बिहार के कई इलाके पिछले दो हफ्ते से नेपाल और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र में भारी बारिश होने के कारण नदियों के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है. उत्तर बिहार के अररिया, किशनगंज, फारबिसगंज, पूर्णिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा और कटिहार जिले में बाढ़ का पानी घुस गया है. कोसी, कमला, बागमती, गंडक, महानंदा समेत उत्तर बिहार की तमाम छोटी-बड़ी नदियों के तटबंधों के किनारे बसे सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए हैं. नेपाल में जब भी पानी का स्तर बढ़ता है वह अपने बांधों के दरवाजे खोल देता है. इसकी वजह से नेपाल से सटे बिहार के जिलों में बाढ़ आ जाती है. 2. फरक्का बराज की वजह से आती है बाढ़ फरक्का बराज बनने के बाद बिहार में नदी का कटाव बढ़ा है. सहायक नदियों द्वारा लाई गई गाद और गंगा में घटता जलप्रवाह समस्या को गंभीर बनाते हैं. बिहार में हिमालय से आने वाली गंगा की सहायक नदियां कोसी, गंडक और घाघरा बहुत ज्यादा गाद लाती हैं. इसे वे गंगा में अपने मुहाने पर जमा करती हैं. इसकी वजह से पानी आसपास के इलाकों में फैलने लगता है. नदी में गाद न हो और जलप्रवाह बना रहे तो ऐसी समस्या आए ही नहीं. 3. जरूरत के हिसाब से तटबंधों का कम होना 1954 में बिहार में 160 किमी तटबंध था. तब 25 लाख हेक्टेयर जमीन बाढ़ प्रभावित थी. अभी करीब 3700 किमी तटबंध हैं लेकिन बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र बढ़कर 68.90 लाख हेक्टेयर हो गया. जिस तरीके से बाढ़ में इजाफा हो रहा है, उस हिसाब से तटबंधों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है. 4. जलग्रहण क्षेत्रों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई बिहार में जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) में पेड़ों की लगातार अंधाधुंध कटाई हो रही है. इसकी वजह से कैचमेंट एरिया में पानी रुकता ही नहीं. कोसी नदी का कैचमेंट एरिया 74,030 वर्ग किमी है. इसमें से 62,620 वर्ग किमी नेपाल और तिब्बत में है. सिर्फ 11,410 वर्ग किमी हिस्सा ही बिहार में है. पहाड़ों पर स्थित नेपाल और तिब्बत में ज्यादा बारिश होती है तो पानी वहां के कैचमेंट एरिया से बहकर बिहार में स्थित निचले कैचमेंट एरिया में आता है. पेड़ों के नहीं होने की वजह से पानी कैचमेंट एरिया में न रुककर आबादी वाले क्षेत्रों में फैल जाता है. 1979 से अब तक कितना नुकसान हुआ बिहार में बाढ़ से 8570 लोगों की बाढ़ से संबंधित विभिन्न कारणों की वजह से मौत हुई. 25,776 मवेशी और जानवर मारे गए. 7.70 करोड़ हेक्टेयर जमीन बाढ़ के पानी में डूब गई. 3.74 करोड़ हेक्टेयर जमीन पर लगी फसल खराब हो गई. 7969 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है फसलों के खराब होने से. 1.15 करोड़ मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. 4151 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है सार्वजनिक इमारतों के टूटने से. बिहार में अब तक की सबसे खतरनाक बाढ़ 2016 : 12 ज़िले बुरी तरह बाढ़ की चपेट में रहे. 23 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित. 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. 2013: जुलाई में आई बाढ़ से 200 लोग मारे गए. बाढ़ का असर 20 जिलों में था. करीब 50 लाख लोगों के प्रभावित हुए. 2011: बाढ़ का असर 25 जिलों में था. 71.43 लाख लोगों के जनजीवन पर असर पड़ा. 249 लोगों की जान गई. 2008: 18 जिले बाढ़ की चपेट में. 50 लाख लोग प्रभावित हुए. 258 लोगों की मौत हुई. 34 करोड़ की फसलें खराब हुई. 2007: 22 जिलों में बाढ़ का कहर. 1287 लोगों की जान चली गई. 2.4 करोड़ लोग प्रभावित हुए. संयुक्त राष्ट्र ने इसे बिहार के इतिहास की सबसे खराब बाढ़ कहा था. 2004: 20 जिलों के 9,346 गांवों के 2 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए. 885 लोगों की मौत हुई. 522 करोड़ की फसलों का नुकसान हुआ. 2002: बाढ़ का असर 25 जिलों में था. 489 लोगों की मौत हुई. 511 करोड़ से ज्यादा की फसलें तबाह हुईं. 8,318 गांव जलमग्न रहे. 2000: 33 जिलों में रहा बाढ़ का असर. 12 हजार से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में रहे. 336 लोगों की जान गई. 83 करोड़ की फसलें तबाह हुईं. 1987: बाढ़ का सबसे बुरा असर 1987 में देखने को मिला. 1987 में आई बाढ़ में 30 जिलों के 24518 गांव प्रभावित हुए थे. 1399 लोगों की मौत हुई. 678 करोड़ रुपए की फसलें तबाह हुईं.
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुहास बिस्वास एसी, (९ सितंबर १९२४ - १ सितंबर १९५७) भारतीय वायु सेना में एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे, जिन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार अशोक चक्र (सैन्य अलंकरण) से सम्मानित किया गया। प्रारंभिक जीवन सुहास बिस्वास का जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक बंगाली ईसाई परिवार में हुआ था, जो सैमुअल बिस्वास और डायना बिस्वास के पुत्र थे। शिक्षा पूरी करने के बाद बिस्वास १९४४ में एक पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए और एक कमीशन अधिकारी बने। क्रेडिट १९५२ में बिस्वास लखनऊ में एक संचार उड़ान इकाई में काम कर रहे थे। ३ फरवरी १९५२ को सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारी यात्रा के बाद नई दिल्ली लौट रहे थे। बिस्वास ने अपने विमानों की जिम्मेदारी संभाली। इसे उतारने के बाद, अचानक चालक दल के सदस्य ने इंजन में खराबी देखी; बाद में आग लग गई। बिस्वास ने पहले इसे बुझाने की कोशिश की, लेकिन इसे नियंत्रित करना मुश्किल था। उन्होंने एक मजबूर लैंडिंग का प्रयास करने का फैसला किया, और उत्तर प्रदेश में एक संकरी लैंडिंग संडीला गाँव बनाया और सफलतापूर्वक सभी यात्रियों की जान बचाई। बिस्वास को बहादुरी, बुद्धिमत्ता और तर्कसंगतता के असाधारण उदाहरण के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। मौत १ सितंबर १९५७ को एक दुर्घटना में बिस्वास की मृत्यु हो गई, जब वह एक ऑपरेशनल मिशन पर मैंगलोर के लिए डकोटा विमान उड़ा रहा था। विमान नीलगिरि पर्वत श्रृंखला में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। संदर्भ भारतीय ईसाई भारतीय वायुसेना के अधिकारी अशोक चक्र सम्मानित लोग १९५७ में निधन 1924 में जन्मे लोग
नोएडा सेक्टर-35 स्थित एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान 3 वर्षीय बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर उपचार में लापरवाही का आरोप लगाया. इसके बाद बच्ची के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. पुलिस शुरुआती कार्रवाई के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है.टिप्पणियां थाना सेक्टर-24 के प्रभारी निरीक्षक उमेद यादव ने बताया कि गिझौड़ गांव निवासी मनोज कुमार ने अपनी 3 वर्षीय बच्ची छवि को गुरुवार शाम उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था. उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. यादव ने बताया कि बच्ची के परिजनों ने डॉक्टरों पर उपचार में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) थाना सेक्टर-24 के प्रभारी निरीक्षक उमेद यादव ने बताया कि गिझौड़ गांव निवासी मनोज कुमार ने अपनी 3 वर्षीय बच्ची छवि को गुरुवार शाम उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था. उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. यादव ने बताया कि बच्ची के परिजनों ने डॉक्टरों पर उपचार में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
टर्टल अशोक एच चौधरी द्वारा निर्मित और दिनेश एस यादव द्वारा निर्देशित  एक भारतीय हिंदी भाषा की फिल्म है। फिल्म में संजय मिश्रा, अमोल देशमुख, टीटू वर्मा, यश राजस्थानी, अंकित शर्मा, रामनाथ चौधरी और मोनिका शर्मा मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म विश्व जल संकट के मुद्दे पर आधारित है। इसका 2 जुलाई 2018 को जागरण फिल्म फेस्टिवल में इसका प्रीमियर हुआ था और इसे चाइना फिल्म फेस्टिवल, थर्ड आई एशियन फिल्म फेस्टिवल और राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी चुना गया। 65वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में टर्टल फिल्म को सर्वश्रेष्ठ राजस्थानी फिल्म का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। यह फिल्म राजस्थान के देहलोद गांव के रामकरण चौधरी (बागोद) की वास्तविक कहानी से प्रेरित है। सार इस लोककथा में कछुआ पानी को गहरा करने के लिए धरती को खोदता है। इस फिल्म में कछुए का एक रूपक चित्रण है जहां राजस्थान के एक सूखाग्रस्त गांव में, संजय मिश्रा (रामकरण चौधरी के रूप में), पानी निकालने के लिए, सूरज से पकी हुई धरती को मथ रहे हैं और आम लोग रस्साकशी में लिप्त हैं, घूम रहे हैं अपने खोल पर और अपनी प्यास बुझाने के लिए बेताब हैं। कास्ट फिल्माकंन कछुआ फिल्म को राजस्थान के जयपुर के फागी और कुडली गांव और उसके आसपास की जगह शूट किया गया है। पुरस्कार फिल्म टर्टल ने अगस्त 2019 में 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ राजस्थानी फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता अवॉर्ड जीतने के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने निर्माता अशोक चौधरी को फोन पर बधाई दी. फिल्म ने जनवरी 2019 में राजस्थान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आरआईएफएफ) में हिंदी फीचर फिल्म में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का विशेष आलोचक पुरस्कार जीता यह सभी देखें हिंदी फिल्मों की सूची राजस्थानी भाषा की फिल्मों की सूची संदर्भ बाहरी संबंध
बालिय़ाडांगी उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह रंगपुर विभाग के ठाकुरगाँओ ज़िले का एक उपजिला है, जिसमें, ज़िला सदर समेत, कुल 5 उपज़िले हैं, और मुख्यालय ठाकुरगाँओ सदर उपज़िला है। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका से उत्तर की दिशा में अवस्थित है। यह मुख्यतः एक ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है। जनसांख्यिकी यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। राजशाही विभाग में, जनसांख्यिकीक रूप से, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन करीब ८८% है, जबकि शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है। यह मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है, और अधिकांश आबादी ग्राम्य इलाकों में रहती है। अवस्थिती बालिय़ाडांगी उपजिला बांग्लादेश के उत्तरी सीमान्तों में स्थित, रंगपुर विभाग के ठाकुरगाँओ जिले में स्थित है। इन्हें भी देखें बांग्लादेश के उपजिले बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल रंगपुर विभाग उपज़िला निर्वाहि अधिकारी सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी) जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश http://hrcbmdfw.org/CS20/Web/files/489/download.aspx (पीडीएफ) श्रेणी:रंगपुर विभाग के उपजिले बांग्लादेश के उपजिले
लेख: दोस्ताना में बिंदास किरदार के साथ नजर आईं अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने कहा है कि वह 2008 में हिट हुई फिल्म के सीक्वल का हिस्सा नहीं हैं। प्रियंका ने माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्वीटर पर लिखा, मैं दोस्ताना-2 का हिस्सा नहीं हूं। मैं कभी यह फिल्म नहीं कर रही थी, क्योंकि मेरी कहानी पहली फिल्म के साथ ही खत्म हो गई। लिहाजा, कोई सवाल ही नहीं उठता। यह बात कोई दो साल पहले ही साफ हो चुकी थी। निर्देशक तरुण मनसुखानी की फिल्म दोस्ताना एक रोमांटिक कॉमेडी थी, जिसमें प्रियंका, अभिषेक बच्चन और जॉन अब्राहम मुख्य किरदार में थे। यह बॉलीवुड की ऐसी पहली फिल्म थी जो पूरी तरह से अमेरिका के मियामी में फिल्माई गई। दोस्ताना ने भारत तथा विदेशों में अच्छा कारोबार किया। प्रियंका ने कहा कि अगर दोस्ताना 2 में अतिथि भूमिका की बात होगी, तो इस बारे में वह बाद में फैसला करेंगी। कहा जाता है कि दोस्ताना 2 में प्रियंका के स्थान पर कैटरीना कैफ को लिया गया। इसमें अभिषेक और जॉन भी नजर आएंगे।
ज़ाम्बिया गणराज्य दक्षिणी अफ्रीका में स्थित एक स्थलरुद्ध देश है। इसकी सीमा उत्तर में कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, उत्तर-पूर्व में जिम्बाब्वे और बोत्सवाना, दक्षिण में नामीबिया और पश्चिम में अंगोला से मिलती है। देश की राजधानी लुसाका देश के दक्षिण-मध्य में स्थित है। देश की जनसंख्या दक्षिण में राजधानी लुसाका और उत्तर-पश्चिम के कांसे की खदान के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। समाजवादी विचारधारा वाली सरकार के लंबे समय तक के शासनकाल का नतीजा आज जाम्बिया को भुगतना विकास दर में पिछड़े होने के तौर पर भुगतना पड़ रहा है, इसके अलावा एड्स की समस्या भी देश में विकराल है। एक अनुमान है कि व्यस्क आबादी का 10 प्रतिशत एड्स की चपेट में है। देश की 55 प्रतिशत जनसंख्या 2 डालर प्रतिदिन से कम में जीवनयापन करती है। सन्दर्भ अफ़्रीका देश स्थलरुद्ध देश
लेख: इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों ने अपने उन सभी एलपीजी ग्राहकों को 5 रुपये की अग्रिम छूट देने की पेशकश की है जो अपना एलपीजी सिलेंडर ऑनलाइन बुक कर उसका ऑनलाइन भुगतान करेंगे. ग्राहक सिलिंडर रिफिल की वेब बुकिंग के समय उसका भुगतान मौजूदा ऑनलाइन मोड जैसे- नेट बैंकिग, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के माध्यम से कर सकते हैं.टिप्पणियां बुकिंग के दौरान ग्राहकों को उनको मिलने वाली छूट (5 रुपये) स्क्रीन पर दिखायी देगी और भुगतान के दौरान उन्हें 5 रुपये का कम भुगतान करना होगा. छूट में मिलने वाली राशि का विवरण गैस सिलेंडर की होम डिलीवरी के समय मिलने वाले कैश मेमो में भी दिखाई देगा. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन आने वाली सभी तेल विपणन कंपनियों का लक्ष्य ग्राहकों को तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म की तरफ आकर्षित करना है तांकि नो-कैश या लैस-कैश लेनदेन के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. इस छूट से अधिक से अधिक एलपीजी उपभोक्ताओं को कैशलेस मोड के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. बुकिंग के दौरान ग्राहकों को उनको मिलने वाली छूट (5 रुपये) स्क्रीन पर दिखायी देगी और भुगतान के दौरान उन्हें 5 रुपये का कम भुगतान करना होगा. छूट में मिलने वाली राशि का विवरण गैस सिलेंडर की होम डिलीवरी के समय मिलने वाले कैश मेमो में भी दिखाई देगा. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन आने वाली सभी तेल विपणन कंपनियों का लक्ष्य ग्राहकों को तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म की तरफ आकर्षित करना है तांकि नो-कैश या लैस-कैश लेनदेन के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. इस छूट से अधिक से अधिक एलपीजी उपभोक्ताओं को कैशलेस मोड के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन आने वाली सभी तेल विपणन कंपनियों का लक्ष्य ग्राहकों को तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म की तरफ आकर्षित करना है तांकि नो-कैश या लैस-कैश लेनदेन के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. इस छूट से अधिक से अधिक एलपीजी उपभोक्ताओं को कैशलेस मोड के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
अर्धांगिनी - एक खूबसूरत जीवन साथी एक भारतीय हिंदी भाषा की टेलीविजन श्रृंखला है जो 29 अक्टूबर 2007 से 20 मार्च 2008 तक ज़ी टीवी पर प्रसारित हुई, जो इस अवधारणा पर आधारित थी कि कैसे सुंदरता एक अभिशाप में बदल जाती है। इसका समापन श्रृंखला के अंतिम एपिसोड में मुख्य पात्र, कंगना की मृत्यु के साथ होता है। कथानक यह कहानी कंगना नाम की एक साधारण लड़की के जीवन पर आधारित है, जो एक पारंपरिक बंगाली परिवार से है। कंगना एक असाधारण रूप से खूबसूरत लड़की है जो जानती है कि वह किसी भी पुरुष को आकर्षित कर सकती है, लेकिन फिर भी उसे एक ऐसे जीवनसाथी की उम्मीद है जो उसकी सुंदरता की नहीं बल्कि उसकी प्रशंसा करे, उसका सम्मान करे और उसे वैसा ही चाहे जैसा वह है। हालाँकि, जब उसकी सुंदरता उसके लिए अभिशाप बन जाती है, तो यह उसके जीवन को हमेशा के लिए बदल देती है। कलाकार सुदीपा सिंह - कंगना प्रियम भट्टाचार्य (नी दासगुप्ता): प्रियम की दिवंगत पत्नी (2007-2008) (मृत) प्रियम भट्टाचार्य के रूप में अजय कृष्णमूर्ति: कंगना के विधुर (2007-2008) चंद्र सेन के रूप में चेतन पंडित सुष्मिता सेन के रूप में इंदिरा कृष्णन रोक्तिमा सेन/भट्टाचार्य के रूप में मेलिसा पेस ठाकुर माँ के रूप में रोमा सेनगुप्ता पारोमिता भट्टाचार्य के रूप में सोनाली वर्मा हरीश भट्टाचार्य के रूप में गिरीश सहदेव पलाश भट्टाचार्य के रूप में जय पाठक ओनिर भट्टाचार्य के रूप में हेमन्त चौधरी मुनमुन मासी के रूप में शालिनी कपूर बिपाशा मित्रा के रूप में हिमांशी चौधरी / मोनाज़ मेवावाला निवान बनर्जी के रूप में गौरव खन्ना बिजनेस मैन के रूप में मुकुल देव मौसमी भट्टाचार्य के रूप में सुधा चंद्रन सोनालिका भट्टाचार्य के रूप में रितु विज संदर्भ बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट ज़ी टीवी के कार्यक्रम भारतीय टेलीविजन धारावाहिक
दिल्ली से सटे एनसीआर इलाके में एक औरत की लाश मिलने से सनसनी फैल गई है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के बाहर एक लावारिस बक्से से 25 साल की महिला की लाश बरामद की है. महिला के शादीशुदा होने की संभावना जानकारी के मुताबिक स्टेश के आसपास रहने वाले लोगों की सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने बक्से से औरत की लाश बरामद की. औरत के पांव में पहनी हुई बिछुवा देखकर उसके शादीशुदा होने की संभावना जाहिर की जा रही है. पुलिस के मुताबिक लाश की पहचान छुपाने के लिए उसको जलाने की कोशिश भी की गई है. मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक लाश तीन या चार दिन पुरानी लग रही है. इसे स्टील के नए बक्से से बरामद किया गया है. लोगों ने बताया कि पहचान छुपाने के लिए लाश के चेहरे को जलाकर बिगाड़ने की कोशिश भी की गई है. शिनाख्त की कोशिश जारी पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. पुलिस के मुताबिक लाश की शिनाख्त की कोशिश की जा रही है.
मामले को सुलझाने के बाद गोरखपुर पुलिस ने डीजीपी ऑफिस को इस बारे में बताया और तब जाकर उन्‍हें यह पता चला कि ऐसा कोई ऑर्डर नहीं दिया गया था.  फिर क्‍या था पुलिस ने उस लड़के को हिरासत में ले लिया. जिस लड़के से उसको आइडिया मिला थो उसे भी पकड़ लिया गया. पूछताछ के बाद दोनों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.Video: फर्जीवाड़ा करने वाला गैंग गिरफ्तार फिर क्‍या था पुलिस ने उस लड़के को हिरासत में ले लिया. जिस लड़के से उसको आइडिया मिला थो उसे भी पकड़ लिया गया. पूछताछ के बाद दोनों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.Video: फर्जीवाड़ा करने वाला गैंग गिरफ्तार
दिल्ली में शुक्रवार सुबह से ही गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। राष्ट्रीय राजधानी का तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक 32.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।टिप्पणियां हालांकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार शाम को गरज के साथ छींटे पड़ने से कुछ राहत मिल सकती है। भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया, दिन में आंशिक बादल छाए रह सकते हैं, लेकिन शाम और रात को शहर के कुछ हिस्सों में बारिश की संभावना है। अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है। सबुह 8:30 बजे वातावरण में 44 प्रतिशत आर्द्रता दर्ज की गई। गौरतलब है कि गुरुवार को राजधानी का अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक 43.6 डिग्री और न्यूनतम तापमान सामान्य से छह डिग्री ज्यादा 33.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। हालांकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार शाम को गरज के साथ छींटे पड़ने से कुछ राहत मिल सकती है। भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया, दिन में आंशिक बादल छाए रह सकते हैं, लेकिन शाम और रात को शहर के कुछ हिस्सों में बारिश की संभावना है। अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है। सबुह 8:30 बजे वातावरण में 44 प्रतिशत आर्द्रता दर्ज की गई। गौरतलब है कि गुरुवार को राजधानी का अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक 43.6 डिग्री और न्यूनतम तापमान सामान्य से छह डिग्री ज्यादा 33.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है। सबुह 8:30 बजे वातावरण में 44 प्रतिशत आर्द्रता दर्ज की गई। गौरतलब है कि गुरुवार को राजधानी का अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक 43.6 डिग्री और न्यूनतम तापमान सामान्य से छह डिग्री ज्यादा 33.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
यह एक लेख है: अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी की परोक्ष आलोचना करते हुए इसके निष्कासित नेता प्रशांत भूषण ने कहा कि पार्टी सिद्धांत आधारित राजनीति के रास्ते से हट गई जबकि योगेंद्र यादव ने कहा कि जैसे-जैसे किसी व्यक्ति का कद बढ़ता जाता है, वैस-वैसे वह जनता से कटता जाता है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भूषण ने किसी का नाम लिए बिना उन घटनाओं का जिक्र किया जिनकी वजह से अप्रैल में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। उन्होंने कहा कि उनके आलोचकों ने उनपर कीचड़ फेंक कर खुद को अपमानित किया। कार्यक्रम में 'आप' विधायक पंकज पुष्कर भी मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भूषण ने किसी का नाम लिए बिना उन घटनाओं का जिक्र किया जिनकी वजह से अप्रैल में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। उन्होंने कहा कि उनके आलोचकों ने उनपर कीचड़ फेंक कर खुद को अपमानित किया। कार्यक्रम में 'आप' विधायक पंकज पुष्कर भी मौजूद थे।
यह लेख है: दिल्ली में साकेत कोर्ट के बाहर पुष्प विहार इलाके में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई है। पुलिस घायल को लेकर बत्रा अस्पताल पहुंची जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि एक बाइक पर सवार कुछ बदमाशों ने एक शख्श की गोली मारकर हत्या कर दी है। कहा जा रहा है कि आपसी रंजिश की वजह से शख्स को गोली मारी गई है। मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि चार-पांच गोली चलाई गई है।टिप्पणियां गोली मारकर बदमाश फरार हो गए हैं। पुलिस का कहना है कि जिस शख्य की हत्या की गई है उसका नाम कपिल कुमार है और उस पर पहले ही कई मुकदमे दर्ज है। पुलिस को शक है कि यह गैंगवार का नतीजा हो सकता है। पुलिस का कहना है कि गोली चलाने वाले शख्स की पहचान कर ली गई है। सूचना के अनुसार कपिल कुमार पास ही स्थित संगम विहार इलाके का रहना वाला है। वहीं के थाने में उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। बताया जा रहा है कि एक बाइक पर सवार कुछ बदमाशों ने एक शख्श की गोली मारकर हत्या कर दी है। कहा जा रहा है कि आपसी रंजिश की वजह से शख्स को गोली मारी गई है। मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि चार-पांच गोली चलाई गई है।टिप्पणियां गोली मारकर बदमाश फरार हो गए हैं। पुलिस का कहना है कि जिस शख्य की हत्या की गई है उसका नाम कपिल कुमार है और उस पर पहले ही कई मुकदमे दर्ज है। पुलिस को शक है कि यह गैंगवार का नतीजा हो सकता है। पुलिस का कहना है कि गोली चलाने वाले शख्स की पहचान कर ली गई है। सूचना के अनुसार कपिल कुमार पास ही स्थित संगम विहार इलाके का रहना वाला है। वहीं के थाने में उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। गोली मारकर बदमाश फरार हो गए हैं। पुलिस का कहना है कि जिस शख्य की हत्या की गई है उसका नाम कपिल कुमार है और उस पर पहले ही कई मुकदमे दर्ज है। पुलिस को शक है कि यह गैंगवार का नतीजा हो सकता है। पुलिस का कहना है कि गोली चलाने वाले शख्स की पहचान कर ली गई है। सूचना के अनुसार कपिल कुमार पास ही स्थित संगम विहार इलाके का रहना वाला है। वहीं के थाने में उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। सूचना के अनुसार कपिल कुमार पास ही स्थित संगम विहार इलाके का रहना वाला है। वहीं के थाने में उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
चिली में आए सदी के सबसे बड़े भूकंपों में से एक में मरने वालों की संख्या 708 तक पहुंच गई है. सरकार ने लूटपाट की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगा दिया है. भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित कांसेप्सियन में राहतकर्मियों को मलबे में दबे जिन्दा लोगों को निकालने के काम को उस समय रोकना पड़ा जब लुटेरों को भगाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. अधिकारियों ने रविवार को कहा था कि इस भूकंप में पांच लाख मकान नष्ट हो गए. राष्ट्रपति मिशेल बेशलेट का कहना है कि लापता लोगों की संख्या बढ़ रही है. राष्ट्रपति ने कांसेप्सियन में सुरक्षा सेना के हवाले कर दी है जहां लुटेरे सुपर बाजारों गैस स्टेशनों और बैंकों में लूटपाट करने में लगे हैं.
मध्य प्रदेश की पन्ना सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है और यहां शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री कुसुम सिंह महदेले विधायक हैं. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है लेकिन इस बार चुनावी समीकरण बदल सकते हैं. राज्य में साल 1951 से अस्तित्व में आई पन्ना सीट पर 2.17 लाख मतदाता हैं और यह सीट खुजराहो लोकसभा के अतंर्गत आती है. पन्ना में चुनावी गतिविधियां तेज हो गई हैं क्योंकि यहां से न सिर्फ बीजेपी-कांग्रेस बल्कि समाजवादी पार्टी और बसपा भी ताल ठोकने को तैयार हैं. 2013 चुनाव के नतीजे साल 2013 के विधानसभा चुनाव में पन्ना विधानसभा सीट पर बीजेपी की कुसुम सिंह का मुकाबला बीएसपी के महेंद्र पाल वर्मा से था. लेकिन इस चुनाव में कुसुम सिंह ने एकतरफा जीत दर्ज करते हुए विरोधी प्रत्याशी को 29 हजार वोटों से शिकस्त दी. नतीजों में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही, जिसे 16 फीसद वोट मिले. समाजवादी पार्टी ने भी यहां पर 10 फीसद वोट जुटाए थे. 2008 चुनाव के नतीजे कांग्रेस के श्रीकांत दुबे ने 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कुसुम सिंह को मामूली अंतर से मात दी थी. बीजेपी की कुसुम सिंह सिर्फ 42 वोटों से यह चुनाव हार गईं थी. समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करते हुए करीब 20 हजार (18 फीसदी) वोट हासिल किए थे. कौन ने MLA कुसुम सिंह मध्य प्रदेश में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार कुसुम सिंह महदेले लंबे वक्त से राजनीति में हैं. 75 वर्षीय कुसुम सिंह दो बार मध्य प्रदेश बीजेपी की उपाध्यक्ष और तीन बार कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं. पूर्व की बाबूलाल गौर सरकार में कुसुम सिंह के पास महिला एवं बाल विकास और राजस्व विभाग था. इसके बाद 2005 और फिर 2013 की शिवराज सरकार में मंत्री रही हैं. मध्यप्रदेश में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. 2003 से बीजेपी की सरकार है. इससे पहले 10 साल तक कांग्रेस ने राज किया था. 2013 के विधानसभा चुनाव में कुल 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 165 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. कांग्रेस 58 सीटों तक सिमट गई थी. जबकि बसपा ने 4 और अन्य ने 3 सीटों पर जीत हासिल की थी.
ये वीडियो 9 फरवरी को अपलोड किया गया था. इसे 3 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. 3 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. कमेंट में लोगों ने अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया दी है. एक यूजर ने लिखा- ''मैं इतनी तेज पानी भी नहीं पी सकता. रिकॉर्ड टाइटल जीतने के बाद उन्होंने लिखा- मैं खुद को प्रूव करना चाहता था, मैं चाहता था कि दुनिया में मैं अपना नाम रौशन कर सकूं.'' ये वीडियो 9 फरवरी को अपलोड किया गया था. इसे 3 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. 3 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. कमेंट में लोगों ने अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया दी है. एक यूजर ने लिखा- ''मैं इतनी तेज पानी भी नहीं पी सकता. रिकॉर्ड टाइटल जीतने के बाद उन्होंने लिखा- मैं खुद को प्रूव करना चाहता था, मैं चाहता था कि दुनिया में मैं अपना नाम रौशन कर सकूं.''
मुगल वास्तुकला एक प्रकार की इंडो-इस्लामिक वास्तुकला है जिसे मुगलों द्वारा 16वीं, 17वीं और 18वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप में अपने साम्राज्य की लगातार बदलती सीमा के दौरान विकसित किया गया था। यह भारत में पहले के मुस्लिम राजवंशों की वास्तुकला शैलियों और ईरानी और मध्य एशियाई वास्तुकला परंपराओं, विशेष रूप से तिमुरिड वास्तुकला से विकसित हुआ। इसमें व्यापक भारतीय वास्तुकला के प्रभावों को भी शामिल और समन्वित किया गया, खासकर अकबर के शासनकाल (सन. 1556-1605) के दौरान। मुगल इमारतों में संरचना और चरित्र का एक समान पैटर्न होता है, जिसमें बड़े बल्बनुमा गुंबद, कोनों पर पतली मीनारें, विशाल हॉल, बड़े गुंबददार प्रवेश द्वार और नाजुक अलंकरण शामिल हैं; शैली के उदाहरण आधुनिक अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान में पाए जा सकते हैं। आरंभिक मुगल वास्तुकला मुगल वंश आरंभ हुआ बादशाह बाबर से 1526 में। बाबर ने पानीपत में एक मस्जिद बनवाई, इब्राहिम लोदी पर अपनी विजय के स्मारक रूप में। एक दूसरी मस्जिद, जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं< कुछ प्राथमिक एवं अति विशिष्ट लक्षणिक उदाहरण, जो कि आरम्भिक मुगल वास्तु कला के शेष हैं, (1540–1545) के सम्राट शेरशाह सूरी के छोटे शासन काल के हैं; जो कि मुगल नहीं था। इनमें एक मस्जिद, किला ए कुन्हा (1541) दिल्ली के पास, लाल किला का सामरिक वास्तु दिल्ली में, एवं रोहतास किला, झेलम के किनारे, आज के पाकिस्तान में। उसका मकबरा, जो कि अष्टकोणीय है, एक सरोवर के बीच आधार पर बना है, सासाराम में है, जिसे उसके पुत्र एवं उत्तराधिकारी इस्लाम शाह सूरी (1545-1553). द्वारा बनवाया गया। मुगल वास्तुकला तीन मुख्य वास्तुकला परंपराओं से ली गई थी: स्थानीय इंडो-इस्लामिक वास्तुकला, इस्लामी फारस और मध्य एशिया की वास्तुकला, और हिंदू वास्तुकला। क्योंकि पहले की इंडो-इस्लामिक वास्तुकला पहले से ही हिंदू और इस्लामी दोनों वास्तुकला शैलियों से उधार ली गई थी, मुगल वास्तुकला में कुछ प्रभावों को एक स्रोत या दूसरे से जोड़ना मुश्किल हो सकता है। हिंदू वास्तुकला के संबंध में, स्थानीय राजपूत महलों का संभवतः एक महत्वपूर्ण प्रभाव था। प्रारंभिक मुग़ल वास्तुकला का विकास मौजूदा इंडो-इस्लामिक वास्तुकला से हुआ, जबकि यह मध्य एशिया में स्थित तिमुरिड वास्तुकला के मॉडल का अनुसरण करता था, जो आंशिक रूप से मुग़ल राजवंश के संस्थापक बाबर के तिमुरिड वंश के कारण था। 16वीं शताब्दी के अंत तक, इन दो स्रोतों के संयोजन के आधार पर एक अधिक विशिष्ट मुगल परंपरा उभरी। विशेषताएँ स्मारके बाबर पहले मुगल सम्राट बाबर के स्थापत्य संरक्षण वाला यह शहर मुख्य रूप से अपने सीढ़ीदार बगीचों के लिए जाना जाता है। ये उद्यान, अक्सर महलों और गढ़ों में स्थापित किए जाते थे, फ़ारसी चाहर बाग़ ("चार उद्यान") प्रकार पर बनाए गए थे, जिसमें उद्यानों को ज्यामितीय रूप से अलग-अलग भूखंडों में विभाजित किया जाता है, आमतौर पर चार समान भागों में। इस प्रकार ने तिमुरिड पूर्वजों का अनुसरण किया, हालांकि रैखिक विभाजक के रूप में जल चैनलों का उपयोग मुगल नवाचार हो सकता है। अकबर बादशाह अकबर (1556-1605) ने बहुत निर्माण करवाया, एवं उसके काल में इस शैली ने खूब विकास किया। गुजरात एवं अन्य शैलियों में, मिस्लिम एवं हिंदु लक्षण, उसके निर्माण में दिखाई देते हैं। अकबर ने फतेहपुर सीकरी का शाही नगर 1569 में बसाया, जो कि आगरा से 26 मील (42 कि मी) पश्चिम में है। फतेहपुर सीकरी का अत्यधिक निर्माण, उसकी कार्य शैली को सर्वाधिक दर्शाता है। वहाँ की वृहत मस्जिद, उसकी कार्य शैली को सर्वोत्तम दर्शाती है, जिसका कि कोई दूसरा जोड़ मिलना मुश्किल है। यहाँ का दक्षिण द्वार, अति प्रसिद्ध है, एवं इसका कोई जोड़ पूरे भारत में नहीं है। यह विश्व का सर्वाधिक ऊँचा द्वार है, जिसे बुलंद दरवाजा कहते हैं। मुगलों ने प्रभाचशाली मकबरे बनवाए, जिनमें अकबर के पिता हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली में, एवं अकबर का मकबरा, सिकंदरा, आगरा के पास स्थित है। यह दोनों ही अपने आप में बेजोड़ हैं। आगरा किला आगरा का किला उत्तर प्रदेश के आगरा में एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल है। आगरा किले का प्रमुख भाग अकबर द्वारा 1565 से 1574 तक बनवाया गया था। किले की वास्तुकला स्पष्ट रूप से राजपूत योजना और निर्माण को स्वतंत्र रूप से अपनाने का संकेत देती है। किले की कुछ महत्वपूर्ण इमारतें हैं जहाँगीरी महल जो जहाँगीर और उसके परिवार के लिए बनाई गई थीं, मोती मस्जिद और मेना बाज़ार। जहांगीरी महल में एक आंगन है जो दो मंजिला हॉल और कमरों से घिरा हुआ है। हुमायूँ का मकबरा जहाँगीर Under Jahangir (1605–1627) the Hindu features vanished from the style; his great mosque at Lahore is in the Persian style, covered with enamelled tiles. At Agra, the tomb of Itmad-ud-Daula completed in 1628, built entirely of white marble and covered wholly by pietra dura mosaic, is one of the most splendid examples of that class of ornamentation anywhere to be found. Jahangir also built the Shalimar Gardens and its accompanying pavilions on the shore of Dal Lake in Kashmir. He also built a monument to his pet antelope, Hiran Minar in Sheikhupura, Pakistan and due to his great love for शाहजहाँ अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए अपने पूर्ववर्तियों की तरह विशाल स्मारकों के निर्माण के बजाय, शाहजहाँ ने सुरुचिपूर्ण स्मारकों का निर्माण किया। इस पिछली इमारत शैली की ताकत और मौलिकता ने शाहजहाँ के शासनकाल में एक नाजुक सुंदरता और विस्तार के परिष्कार का मार्ग प्रशस्त किया, जिसका चित्रण आगरा, दिल्ली और लाहौर में उसके शासनकाल के दौरान बनाए गए महलों में किया गया है। कुछ उदाहरणों में आगरा में ताज महल, उनकी पत्नी मुमताज महल की कब्र, मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी, एक पंजाबी मुस्लिम शामिल हैं। आगरा किले में मोती मस्जिद (मोती मस्जिद)र दिल्ली में जामा मस्जिद, जिसे उनके ग्रैंड वज़ीर, सादुल्लाह खान, एक पंजाबी मुस्लिम, की देखरेख में बनाया गया था, अपने युग की भव्य इमारतें हैं, और उनकी स्थिति और वास्तुकला बहुत आकर्षक रही है। सावधानीपूर्वक विचार किया गया ताकि एक सुखद प्रभाव और विशाल लालित्य और भागों के संतुलित अनुपात की भावना उत्पन्न हो सके। शाहजहाँ ने मोती मस्जिद, शीश महल और नौलखा मंडप जैसी इमारतों का भी जीर्णोद्धार कराया, जो सभी लाहौर किले में संलग्न हैं। उन्होंने थट्टा में अपने नाम पर एक मस्जिद भी बनवाई, जिसे शाहजहाँ मस्जिद कहा जाता है (मुगल वास्तुकला में नहीं, बल्कि सफ़ाविद और तिमुरीद वास्तुकला में बनाई गई थी जो फ़ारसी वास्तुकला से प्रभावित थी)। शाहजहाँ ने अपनी नई राजधानी शाहजहाँनाबाद, जो अब पुरानी दिल्ली है, वहा लाल किला भी बनवाया। लाल बलुआ पत्थर से बना लाल किला अपनी विशेष इमारतों-दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास के लिए प्रसिद्ध है। उनके कार्यकाल के दौरान लाहौर में वज़ीर खान मस्जिद नामक एक और मस्जिद शेख इल्म-उद-दीन अंसारी द्वारा बनाई गई थी, जो सम्राट के दरबारी चिकित्सक थे। यह अपने समृद्ध अलंकरण के लिए प्रसिद्ध है जो लगभग हर आंतरिक सतह को कवर करता है। शाहजहाँ के अमीरों के उच्च कुलीनों के समग्र सार्वजनिक कार्यों में अली मर्दन खान, इल्मुद्दीन वज़ीर खान, खान-ए दौरान नासिरी खान और करतलब खान दक्कनी शामिल थे। ताजमहल विश्व धरोहर स्थल, ताज महल का निर्माण 1632 और 1653 के बीच सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। इसके निर्माण में 22 साल लगे और 32 मिलियन रुपये की लागत से 22,000 मजदूरों और 1,000 हाथियों की आवश्यकता हुई। . (2015 में 827 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुरूप) यह एक बड़ी, सफेद संगमरमर की संरचना है जो एक चौकोर चबूतरे पर खड़ी है और इसमें एक इवान (एक मेहराब के आकार का द्वार) के साथ एक सममित इमारत है जिसके शीर्ष पर एक बड़ा गुंबद और पंखुड़ी है। इमारत का समरूपता का सबसे लंबा समतल शाहजहाँ के ताबूत को छोड़कर पूरे परिसर से होकर गुजरता है, जिसे मुख्य मंजिल के नीचे तहखाने के कमरे में केंद्र से बाहर रखा गया है। यह समरूपता मुख्य संरचना के पश्चिम में स्थित मक्का की ओर स्थित मस्जिद के पूरक के लिए, लाल बलुआ पत्थर से बनी एक पूरी दर्पण मस्जिद की इमारत तक विस्तारित है। परचिन कारी, बड़े पैमाने पर सजावट की एक विधि-संरचना को सजाने के लिए गहनों और जाली के काम का उपयोग किया गया है। औरंगजे़ब तथा अंतिम मुगल वास्तुकला In Aurangzeb's reign (1658–1707) squared stone and marble gave way to brick or rubble with stucco ornament. Srirangapatna and Lucknow have examples of later Indo-Muslim architecture. He also added his mark to the Lahore Fort and built one the largest mosques in the city, called Badshahi Mosque. He also built one of the thirteen gates, and it was later named after him, Alamgir. मुगल वास्तुकला के अभिलक्षणिक अवयव झरोखा छतरी छज्जा जाली गुलदस्ता चारबाग इन्हें भी देखें मुगल उद्यान झरोखा एब्बा कोच सफदरजंग का मकबरा सन्दर्भ कीएय, जॉन (2000). इण्डिया ए हिस्ट्री, ग्रोव प्रैस, न्यू यॉर्क बाहरी कड़ियाँ मुगल कालीन कला एवं स्थापत्य मुगल उद्यान (स्मिथसोनियन संस्थान की चित्र दीर्घा) जाली/झरोखा/जाला/जलाका (मुगल वास्तुकला, आगरा, भारत से) भारतीय वास्तुकला भारतीय वास्तुकला इतिहास दक्षिण एशियाई वास्तुकला आगरा
रेडॉक्स (Redox ; 'Reduction and Oxidation' का लघुकृत रूप) वह अभिक्रियाएँ जिसमें ऑक्सीकरण (Oxidation) एवं अपचयन (Redction) दोनों साथ साथ होती हैं रिडॉक्स (रेडॉक्स) अभिक्रिया कहलाती हैं/ रिडॉक्स अभिक्रिया के अन्तर्गत वे सब रासायनिक अभिक्रियाएँ सम्मिलित हैं जिनमें परमाणुओं के आक्सीकरण अवस्थाएँ बदल जातीं हैं। सामान्यतः रेडॉक्स अभिक्रियाओं के अभिकारकों के परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रानों का आदान-प्रदान होता है। कभी भी आक्सीकरण या अपचयन अभिक्रिया अकेले नहीं होती। दोनो साथ-साथ होतीं हैं। एक ही अभिक्रिया में यदि किसी चीज का आक्सीकरण होता है तो किसी दूसरी का अपचयन होता है। इसीलिये इनको अलग-अलग न पढ़के एकसाथ पढ़ा जाये तो दोनों को मिलाकर 'रेडॉक्स' कहते हैं। परिभाषा वह अभिक्रिया जिसमें एक क्रियाकारक का ऑक्सीकरण होता है, एवं दूसरे क्रियाकारक का अपचयन होता है । रेडाॅक्स अभिक्रिया कहलाती है । उदाहरण CuSO4 + Zn → ZnSO4+ Cu (यहाँ Zn तथा ZnSO4 का ऑक्सीकरण तथा CuSO4 तथा Cu का अपचयन हो रहा है ।) उदा. Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2 (यहाँ Fe2O3 तथा 2Fe का अपचयन एवं 3CO तथा 3CO2 का आक्सीकरण हो रहा है।) इन्हें भी देखें ऑक्सीकरण संख्या रसायन शास्त्र रासायनिक अभिक्रियाएँ मृदा रसायनिकी
यह एक लेख है: पाकिस्तान के रेल मंत्री राशिद अहमद ने मीडिया को बताया कि मंत्रिमंडल ने 'शर्तों के साथ' शरीफ को विदेश जाने की अनुमति दी है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख शरीफ शुक्रवार को डॉक्टरों की सलाह और परिवार के आग्रह को मानकर उपचार के लिए ब्रिटेन जाने पर सहमत हो गए थे. उन्हें रविवार को पाकिस्तान इंटरनेशनल एअरलाइंस (पीआईए) की उड़ान से लंदन जाना था, लेकिन वह सूची में अपना नाम होने के कारण ऐसा नहीं कर पाए. अहमद ने कहा, 'मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्यों ने उन्हें शर्तों के साथ इलाज के लिए देश से बाहर जाने देने के निर्णय का समर्थन किया.' शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने सोमवार को ट्वीट किया था कि डॉक्टरों के अनुसार, शरीफ के विदेश जाने की प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है. औरंगजेब ने कहा कि डॉक्टरों ने पूर्व प्रधानमंत्री को विदेश यात्रा के लिए तैयार करने के वास्ते स्टेरॉयड्स की भारी खुराक दी है. उन्होंने कहा कि किसी आपात स्थिति में इलाज के लिए शरीफ को विदेश ले जाना लगभग मुश्किल होगा. उन्होंने बताया था कि डॉक्टर पूर्व प्रधानमंत्री का प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि जब वह यात्रा करें तो उनकी तबीयत न बिगड़े. शनिवार नौ नवंबर को शरीफ का प्लेटेलेट काउंट 20,000 था. शरीफ को बुधवार छह नवंबर को लाहौर में उनके जट्टी उमरा रायविंड स्थित आवास ले जाया गया था. वह दो सप्ताह तक कई बीमारियों के इलाज के लिए पाकिस्तान के एक अस्पताल में भर्ती रहे. शरीफ का प्लेटलेट काउंट अत्यधिक कम हो जाने के बाद उन्हें 22 अक्टूबर को सर्विसेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.
औरैया में इंजीनियर मनोज गुप्ता की हुई हत्‍या के मामले में निलंबित बीएसपी विधायक शेखर तिवारी लखनऊ सेशंस कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने बसपा विधायक सहित 11 लोगों को दोषी करार दिया. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के ओरैया जिले में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर मनोज गुप्ता की 24 दिसंबर, 2008 को पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. बीएसपी के स्थानीय विधायक शेखर तिवारी पर आरोप था कि तिवारी ने मुख्यमंत्री एवं पार्टी प्रमुख मायावती के जन्मदिन के लिए चंदा न देने पर इंजीनियर की हत्या करवा दी थी. मनोज गुप्‍ता हत्‍याकांड मामले में विधायक, उनकी पत्नी समेत, एक थाना प्रभारी सहित 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था. मामले की सुनवाई पहले औरैया अदालत में शुरू हुई थी जिसे बाद में लखनऊ की विशेष अदालत को भेज दिया गया था. दो साल से ज्यादा समय तक चली सुनवाई के बाद शुक्रवार, 6 मई को फैसला सुनाया गया. घटना की जांच के बाद पुलिस ने बसपा विधायक शेखर तिवारी, उनकी पत्नी विभा तिवारी, संतोष तिवारी, गजराज सिंह, पाल सिंह, विनय तिवारी उर्फ त्यागी, राम बाबू उर्फ पूती योगेंद्र दोहरे उर्फ भाटिया, मनोज अवस्थी, देवेंद्र राजपूत, एवं तत्कालीन थानाध्यक्ष दिबियापुर होशियार सिंह के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था.
यह लेख है: सऊदी अरब के उत्तराधिकारी शहजादा नैयफ बिन अब्दुलअजीज अल सऊद का लम्बी बीमारी के बाद शनिवार को जेनेवा के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 78 वर्ष  के थे। नैयफ का अंतिम संस्कार रविवार शाम को होगा। वह देश के उप प्रधानमंत्री एवं आंतरिक मंत्री भी थे। सऊदी अरब के राजा अब्दुल्लाह ने सुल्तान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद के निधन के बाद नैयफ को पिछले वर्ष अक्टूबर में उत्तराधिकारी घोषित किया था। युवराज लम्बे समय से बीमार थे और स्विटजरलैंड में अपना इलाज करा रहे थे। जेनेवा के अस्पताल में शनिवार को नैयफ की मौत की पुष्टि की।टिप्पणियां सऊदी अरब के शाही दरबार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, "दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक राजा अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ने गहरे दुख एवं अफसोस के साथ अपने भाई, उत्तराधिकारी और  उप प्रधानमंत्री एवं आतंरिक मंत्री शहजादा नैयफ बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के मौत की घोषणा की है, जिनका निधन शनिवार को हो गया।" बयान के अनुसार, "उनकी आत्मा की शांति के लिए अंतिम प्रार्थना सूर्यास्त के बाद पवित्र मक्का मस्जिद में होगी।" नैयफ का अंतिम संस्कार रविवार शाम को होगा। वह देश के उप प्रधानमंत्री एवं आंतरिक मंत्री भी थे। सऊदी अरब के राजा अब्दुल्लाह ने सुल्तान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद के निधन के बाद नैयफ को पिछले वर्ष अक्टूबर में उत्तराधिकारी घोषित किया था। युवराज लम्बे समय से बीमार थे और स्विटजरलैंड में अपना इलाज करा रहे थे। जेनेवा के अस्पताल में शनिवार को नैयफ की मौत की पुष्टि की।टिप्पणियां सऊदी अरब के शाही दरबार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, "दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक राजा अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ने गहरे दुख एवं अफसोस के साथ अपने भाई, उत्तराधिकारी और  उप प्रधानमंत्री एवं आतंरिक मंत्री शहजादा नैयफ बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के मौत की घोषणा की है, जिनका निधन शनिवार को हो गया।" बयान के अनुसार, "उनकी आत्मा की शांति के लिए अंतिम प्रार्थना सूर्यास्त के बाद पवित्र मक्का मस्जिद में होगी।" युवराज लम्बे समय से बीमार थे और स्विटजरलैंड में अपना इलाज करा रहे थे। जेनेवा के अस्पताल में शनिवार को नैयफ की मौत की पुष्टि की।टिप्पणियां सऊदी अरब के शाही दरबार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, "दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक राजा अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ने गहरे दुख एवं अफसोस के साथ अपने भाई, उत्तराधिकारी और  उप प्रधानमंत्री एवं आतंरिक मंत्री शहजादा नैयफ बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के मौत की घोषणा की है, जिनका निधन शनिवार को हो गया।" बयान के अनुसार, "उनकी आत्मा की शांति के लिए अंतिम प्रार्थना सूर्यास्त के बाद पवित्र मक्का मस्जिद में होगी।" सऊदी अरब के शाही दरबार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, "दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक राजा अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ने गहरे दुख एवं अफसोस के साथ अपने भाई, उत्तराधिकारी और  उप प्रधानमंत्री एवं आतंरिक मंत्री शहजादा नैयफ बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के मौत की घोषणा की है, जिनका निधन शनिवार को हो गया।" बयान के अनुसार, "उनकी आत्मा की शांति के लिए अंतिम प्रार्थना सूर्यास्त के बाद पवित्र मक्का मस्जिद में होगी।" बयान के अनुसार, "उनकी आत्मा की शांति के लिए अंतिम प्रार्थना सूर्यास्त के बाद पवित्र मक्का मस्जिद में होगी।"
'सच कहना अगर बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं...' कुछ इसी अंदाज में दिख रहे हैं आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह. अपने बगावती तेवर के लिए मशहूर सिंह ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है. महागठबंधन की सरकार में शामिल होने के बाबजूद रघुवंश प्रसाद सिंह ने नए उत्पाद अधिनियम को लेकर सीएम पर निशाना साधा है. आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि व्हिप के कारण नया उत्पाद अधिनियम विधानसभा में पारित हो गया, जबकि जेडीयू के ही कई विधायक इस नियम के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी कानून बनाया है, इसलिए बार-बार शराबबंदी को लेकर सफाई दे रहे हैं. नीतीश ने पहले बिहार में शराब की बिक्री को गति दी. जगह-जगह शराब की दुकानें खुलवाई गयीं और अब शराबबंदी का अभियान चला रहे हैं.' 'शराबबंदी पर नीतीश के तर्कों में दम नहीं' उन्होंने नीतीश पर जुबानी प्रहार करते हुए कहा, 'जब शराब की बिक्री बिहार में धड़ल्ले से हो रही थी, तब मुख्यमंत्री का दलील था कि शराब की ज्यादा बिक्री से राजस्व का इजाफा हो रहा है. अब शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार द्वारा दिए जा रहे तर्क में कोई दम नहीं है.' 'शराबबंदी के लिए जनमत संग्रह की जरूरत' सिंह ने बिहार सरकार द्वारा पारित नए उत्पाद अधिनियम की आलोचना करते हुए कहा, ' शराबबंदी के लिए कठोर कानून बनाए जाने की जगह जनमत संग्रह कराने की जरूरत है.' उन्होंने शराबबंदी को लेकर बने नए उत्पाद अधिनियम के तहत ग्यारह थानेदारों के निलंबन को भी गलत करार दिया. आरजेडी नेता ने कहा, 'निलंबन की कार्रवाई करने से पहले सरकार को पुलिस एसोसिएशन को विश्वास में लेना चाहिए था.' 'ऐसे तो खो देंगे जनता का भरोसा' रघुवंश प्रसाद सिंह ने सरकार द्वारा गांव पर किए जा रहे सामूहिक जुर्माना की कार्रवाई को भी गलत ठहराया. उन्होंने इसे वापस लेने की भी मांग की. सिंह ने कहा कि जिस तरह के प्रावधान नए उत्पाद अधिनियम में किए गए हैं, उस तरह के कानून से जनता का भरोसा सरकार पर से उठ जाएगा. राज्य में नए उत्पाद अधिनियम का विरोध होना भी शुरू हो गया है. सिंह ने कहा कि अगर सरकार नए उत्पाद अधिनियमों की समीक्षा नहीं करती है, तो वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखेंगे. जेडीयू ने सिंह के बयान को बताया अप्रासंगिक गौरतलब है‍ कि बिहार में नए उत्पाद अधिनियम को लेकर महागठबंधन के घटक दलों में ही टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह नए उत्पाद अधिनियम का खुलकर विरोध कर रहे हैं, वहीं जेडीयू उनके विचार को कोई अहमियत ही देने को तैयार नहीं दिख रही. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने सिंह के बयान को अप्रासंगिक करार दिया. राजीव रंजन ने कहा, 'उत्पाद अधिनियम के पक्ष में आरजेडी के विधायकों ने भी विधानसभा में पक्ष में वोट किया था. ऐसे में रघुवंश प्रसाद सिंह के बयान की कोई प्रासंगिकता ही नहीं है. शराबबंदी का निर्णय जनादेश की भावनाओं का सम्मान है. इस पर जनमत संग्रह की आवश्यकता ही नहीं है.'
यह ईरान के शहरों की सूची है। अबादान अबादेह अबार्कूह अबदानन अबहार अबयेक अहार अहवाज़ अजबशिर अलश्तर आलियाबाद अलीगुदर्ज़ अलवंद अमीर कला आमोल अन्दिमेश्क अन्दिशेह अक काल-एह अराक अरान वा बिदगोल अर्दाबिल अर्दकान असदाबाद अस्तानेह-ये अश्रफियेह अस्तारा अज़ादशहर अज़ारशहर अज़्ना बाबोल बाबोलसर बाफ्क बाफ्त बाग-ए-मलिक बाग-ए-शहर बागिस्तान बहार बहारिस्तान बाम बंदर-ए-अब्बास बंदर-ए-अंज़ली बंदर-ए-इमाम खुमेयनी बंदर-ए-गनावेह बंदर-ए-लेन्गेह बंदर-ए-कंगान बंदर-ए-मानशहर बंदर-ए-तुर्कमान बानेह बर्देस्कन बर्दसर बेहबहान बेहशहर बेनाब बेदेस्तान बिजार बीरजंद बोजनुर्द बोराज़जान बोरुजेन बोरूजर्द बुकान बम-ए-हैन बूशहर चाबहार चहारदांगेह चालुस चेनारान दमावंद दामघान दाराब दार्चेहप्याज़ दर्रेगज़ देहबारेज़ देह दश्त देह गोलान देहलोरान देलीजान देज़फूल दिवानदर्रेह दो गोनबदान दो रूद दौलताबाद (ईरान) इकबालियाह एक्लिद इस्फाहन एस्फरायेन इस्लामाबाद (ईरान) इस्लामशहर इस्ताहबान फलावर्जान फरीमान फरोखशहर फारसान फसा फरदौस फेरेदूं किनार फीरोजाबाद (ईरान) फोमन फौलादशहर गालीकश गार्मे जाजर्म गर्मी (ईरान) गर्मसार गतवंद गज़ (ईरान) गिराश गुलदश्त गुलेस्तान (सुल्तानाबाद) गोलपाएगां गोनाबाद गुंबद-ए-कबूस गोर्गान हादीशहर हफ्शीजान हाजियाबाद हमादान हमीदिया हमीदिये हर्सीं हसनाबाद (ईरान) हश्तगर्द हश्तपर हेन्दीजान ईलाम ईरानशहर ईवान ईज़ेब जहरोम जवानरूद जीरोफ्त जूयबार कबूदराहंग काहनुज कलालेह कमालशहर कामयारान कंगावर करज काशान काश्मार कवार काज़ेरूं केलीशाद केर्हरुद कर्मान कर्मानशाह (बख्तरान) खल्खाल खाश खेरामेह खोमेन खुमायनीशहर खोंज खोंसर खोरमूज खुर्रमाबाद खुर्रमदर्रा खुर्रमशहर खोरज़ुक ख्वाफ ख्वोरास्गान ख्वोय कीश कोनार्क (ईरान) कोर्दकूय कूहदाश्त लाहीजान लामर्द लंगारऊद लार लोर्देगान महाबाद महालात महदश्त महमूदाबाद (ईरान) माकू मलार्द मलायेर मलेकान मराघे मरंद मरीवान मार्व दश्त मशहद] मस्जिद-ए-सुलेमान मेहदीशहर मेहरीज़ मेश्किन दश्त मेश्कीनशहर मेबूद मियांदोआब मियाने मीनाब मीनूदश्त मुबारके मुहम्मदिये मुहम्मदशहर नहावंद नाईन नजफाबाद नकादेह नसीमशहर नज़राबाद नजरबाद नेका नेरीज़ नेशाबूर नूर (ईरान) नूराबाद नूशहर उमीदिये ओरुमिये ओश्नुये पाकदश्त पारदिस पार्साबाद पावे पीरानशहर पीश्वा पोल-ए-दुखतार काएमिये मायमशहर कायन कादरीजान कार्चाक कारे ज़ियाउद्दीन कज़्वीन केश्म केदार (ईरान) कोद्स कोम कोर्वे कूचान रफसानजान रामहोर्मोज़ रामसर (ईरान) रामशीर रश्त रावर रोबातकरीम रूदसर सब्ज़ेवार सफरशाह साहने सालेहाबाद सालमास सनंदज सक्केज सराब सराख्स सरावान सरदश्त सर्द्रूद सर-ए पोल-ए ज़हाब सारी (ईरान) सावे सौमाये सार सेमीरोम सेमनान शादेगान शाहिन्देज़ शाहीनशहर शहर-ए-बाबक शहर-ए-कुर्द शाहरेज़ा शाहरियार शाहरूद शीबान शीराज़ शीरवान शूश शूश्तार सीरजान सोन्कोर सूसनगर्द तबस तबरेज़ तकाब ताकिस्तान तायेबाद तेहरान तोनेकाबोन तोर्बात-ए-हैदरिया तोर्बत-ए-जाम तूसर्कान वहीदिये वारमीन यासूज यज़्द ज़ाबोल ज़ाहेदान ज़न्जान ज़रांद ज़र्कान ज़र्रीनशहर </div> ईरान के नगर ईरान
सेवरही (Sewarhi) या तमकुही रोड (Tamkuhi Road) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कुशीनगर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह सेवरही नामक प्रशासनिक ब्लॉक का मुख्यालय भी है। यहाँ तमकुही रोड रेलवे स्टेशन स्थित है। विवरण यह कस्बा गोरखपुर से पड़रौना होते हुए बिहार में थावे और सीवान जाने वाले रेलमार्ग पर एक स्टेशन है। यह गंडक नदी, जिसे स्थानीय तौर पर 'नारायणी' के नाम से जाना जाता है, की सहायिका बाँसी नदी के तीर पर स्थित है। पुराने समय में यह एक राजघराना था जिसे 'तमकुही राज' के नाम से जाना जाता था। तमकुही रोड, जिला मुख्यालय पड़रौना से लगभग १५ किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है और यहाँ का पिनकोड 274406 है। शहर का नाम सेवरही है जबकि रेलवे स्टेशन का नाम तमकुही रोड़ है । जब रेलवे लाईन का कार्य चल रहा था तब सेवरही राजा तमकुही राज के अधीन था, लेकिन कोई ट्रैन तमकुही राज जाने के लिए ना होने के कारण स्टेशन का नाम राजघराने के कहने पर तमकुही रोड़ रख दिया गया । जिससे राजा दरबार तमकुही राज जाने वाले रेलवे यात्री यहीं उतरकर जा सके। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सेवरही नगर क्षेत्र को वार्ड नं 13 शास्त्री नगर के तत्कालीन सभासद रकीब आलम एडवोकेट के प्रयास से आदर्श नगर पंचायत घोषित किया गया है। पांच साल सभासद रहने के बाद रकीब आलम नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लडे लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। नगर के सबसे बडे वार्ड नं 9, आजाद नगर के वर्तमान सभासद सबसे युवा सभासद इमरान अंसारी अजमेरी हैं जिन्होने लोकप्रियता के कारण पहले प्रयास में ही सभासद चुने गये । महज 19 वर्ष की उम्र में राजनिति में कदम रखने वाले ईमरान 21 वर्ष की उम्र में सभासद चुने गये। आदर्श नगर पंचायत सेवरही में जल की समस्या को लेकर वार्ड नं 9 के निवासी रुस्तम कुरैशी ने काफी प्रयास किए हैं। उन्होने शहर में हर चौराहे पर प्याऊ, स्वच्छ एवं अतिक्रमण मुक्त सडकों, लेबर चौराहे पर श्रमिकों के लिए टीन शेड़ व चीनी मिल के लिए दिन में गन्ना लदे वाहनों की रोक को लेकर लगातार आंदोलन किया है। आदर्श नगर पंचायत सेवरही में लगातार 10 वर्ष तक चेयरमैन रहे त्रिभुवन प्रसाद जायसवाल के समय सडक, बिजल, जल आपुर्ति, नाली व स्ट्रीट लाईट के लिए बहुत काम हुआ है। जनसंख्या वर्ष 2011 के जनगणना आंकड़ों के अनुसार, तमकुही रोड अथवा सेवरही की कुल जनसँख्या 23,077 थी। सुविधाएँ यह कस्बा, जिला मुख्यालय से सडक और रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यहाँ बहुत पुरानी एक चीनी मिल भी है। आर्थिक क्रियाकलापों से सम्बंधित सुविधाओं के रूप में यहाँ पंजाब नैशनल बैंक, एच एफ डी सी, बैंक ऑफ इंडिया, एस बी आई, केन्द्रीय बैंक ऑफ इंडिया की शाखाएँ हैं। इन्हें भी देखें कुशीनगर ज़िला सन्दर्भ उत्तर प्रदेश के नगर कुशीनगर ज़िला कुशीनगर ज़िले के नगर
यह लेख है: मुंबई की पारिवारिक अदालत में बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर और उद्योगपति संजय कपूर का आधिकारिक रूप से सोमवार को तलाक हो गया। अलग रह रहे संजय और करिश्मा के बीच तलाक और दोनों बच्चों के संरक्षण के मुद्दे पर कड़वाहट खुलकर सामने आई थी। बहरहाल, सहमति बनने पर अभिनेत्री ने संजय के खिलाफ दायर सभी मामलों को वापस ले लिया। अदालत ने उनकी शर्तों को मंजूर कर लिया और उन्हें तलाकशुदा घोषित कर दिया। आर्थिक मामलों और बच्चों के संरक्षण के अधिकार के मुद्दे पर फिलहाल विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है। ये मामले उनकी आपसी सहमति के मुद्दों में शामिल थे। यह जोड़ा 2003 में शादी के बंधन में बंधा था, लेकिन इसके बाद दोनों के रिश्तों में खटास आने लगी और 2010 में करिश्मा संजय का घर छोड़ मुंबई आ गईं। शुरू में इस जोड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जिसने उन्हें आपस में मामला सुलझाने की सलाह दी।टिप्पणियां 2014 में दोनों ने अपनी शादी खत्म करने का फैसला किया और आपसी सहमति से तलाक का मामला दायर किया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) बहरहाल, सहमति बनने पर अभिनेत्री ने संजय के खिलाफ दायर सभी मामलों को वापस ले लिया। अदालत ने उनकी शर्तों को मंजूर कर लिया और उन्हें तलाकशुदा घोषित कर दिया। आर्थिक मामलों और बच्चों के संरक्षण के अधिकार के मुद्दे पर फिलहाल विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है। ये मामले उनकी आपसी सहमति के मुद्दों में शामिल थे। यह जोड़ा 2003 में शादी के बंधन में बंधा था, लेकिन इसके बाद दोनों के रिश्तों में खटास आने लगी और 2010 में करिश्मा संजय का घर छोड़ मुंबई आ गईं। शुरू में इस जोड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जिसने उन्हें आपस में मामला सुलझाने की सलाह दी।टिप्पणियां 2014 में दोनों ने अपनी शादी खत्म करने का फैसला किया और आपसी सहमति से तलाक का मामला दायर किया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) आर्थिक मामलों और बच्चों के संरक्षण के अधिकार के मुद्दे पर फिलहाल विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है। ये मामले उनकी आपसी सहमति के मुद्दों में शामिल थे। यह जोड़ा 2003 में शादी के बंधन में बंधा था, लेकिन इसके बाद दोनों के रिश्तों में खटास आने लगी और 2010 में करिश्मा संजय का घर छोड़ मुंबई आ गईं। शुरू में इस जोड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जिसने उन्हें आपस में मामला सुलझाने की सलाह दी।टिप्पणियां 2014 में दोनों ने अपनी शादी खत्म करने का फैसला किया और आपसी सहमति से तलाक का मामला दायर किया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) यह जोड़ा 2003 में शादी के बंधन में बंधा था, लेकिन इसके बाद दोनों के रिश्तों में खटास आने लगी और 2010 में करिश्मा संजय का घर छोड़ मुंबई आ गईं। शुरू में इस जोड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जिसने उन्हें आपस में मामला सुलझाने की सलाह दी।टिप्पणियां 2014 में दोनों ने अपनी शादी खत्म करने का फैसला किया और आपसी सहमति से तलाक का मामला दायर किया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) 2014 में दोनों ने अपनी शादी खत्म करने का फैसला किया और आपसी सहमति से तलाक का मामला दायर किया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
सौरव गांगुली पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में रहे हैं लेकिन यह क्रिकेट की वजह से नहीं है. पिछले दिनों ये खबरें चर्चा में रहीं कि कैसे पहले वरुण गांधी के जरिए बीजेपी, फिर कांग्रेस के राज्यसभा सासंद प्रदीप भट्टाचार्य अपनी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने का आग्रह लेकर सौरव के पास पहुंचें. हालांकि, सौरव ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की और इसकी वजह से इस पर चर्चा का बाजार गर्म रहा. सौरव के एक करीबी सूत्र ने बताया कि इन दोनों राजनीतिक दलों के ऑफर के बावजूद अभी उनके किसी भी पार्टी में शामिल होने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हां उन्हें दोनों पार्टियों ने ऑफर दिया है, लेकिन अभी वो पॉलिटिक्स में नहीं जाना चाहते हैं. मैं यह नहीं बता सकता कि ऐसा क्यों है. लेकिन, पिछले कुछ सालों में उन्हें देखकर तो लगता है कि अगर वो इस मामले में आगे जाना चाहेंगे और राजनीति में शामिल होते हैं तो उनकी कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी में शामिल होने की संभावना है.’ करीबी सूत्र के मुताबित सौरव अब तक इस पर खामोश हैं क्योंकि वो बीजेपी नेता अरुण जेटली से मिलकर उन्हें स्वयं उन्हें बीजेपी में शामिल होने की बात से अवगत कराना चाहते हैं, वो नहीं चाहते कि ये बात उन्हें मीडिया से मिले. देखा गया है कि गांगुली के परिवार का झुकाव वाम दल सीपीएम की तरफ रहा है लेकिन गांगुली की निष्ठा उनमें नहीं है. सूत्र ने जानकारी दी कि गांगुली का सीपीएम के प्रति नरम रुख है, यह गलत है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा में गौवध के मुद्दे पर राज्य सरकार की कथित असंवेदनशीलता और विभागीय मंत्री के आपत्तिजनक आरोप के खिलाफ बीजेपी सदस्यों ने मंगलवार दिन भर हंगामा किया. इसके चलते प्रश्नकाल नहीं हो पाया और सदन की कार्यवाही हंगामे के बीच कार्यसूची के अनुरूप निर्धारित विधायी कार्यों को निपटाने के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई. प्रश्नकाल के दौरान बीजेपी के सतीश महाना ने यह मुद्दा उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि गौवध और अन्य पशुओं के वध से निपटने के मामले में राज्य सरकार असंवेदनशील है. उन्होंने कहा कि पशु वध के संगठित गिरोह सक्रिय हैं. महाना के प्रश्न का जवाब देते हुए पशुधन मंत्री राजकिशोर सिंह ने आरोप लगाया कि गिरोह के बारे में बीजेपी सदस्य जिस प्रकार बता रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि यह उनका (बीजेपी का) ही गिरोह है, जो पशु वध में शामिल है. उन्होंने कहा कि अवैध पशु वध को लेकर उनकी सरकार गंभीर है. पिछले कुछ महीनों में 2032 एफआईआर दर्ज की गईं, 3512 लोग नामजद हुए और 22514 पशुओं को बचाया गया. उन्होंने कहा, वधशाला का लाइसेंस केन्द्र सरकार देती है. केन्द्र में आपका (बीजेपी का) प्रधानमंत्री है. अगर वह वधशालाओं को बंद करने का आदेश जारी करते हैं तो मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि राज्य में उस आदेश का पालन किया जाएगा. इस जवाब से असंतुष्ट बीजेपी सदस्य आसन के सामने आकर मंत्री से उचित जवाब की मांग करने लगे. इस पर संसदीय कार्य मंत्री मोहम्मद आजम खां ने कहा कि देश से गोश्त के निर्यात पर तत्काल प्रतिबंध लगना चाहिए.
टीवी की फेवरेट बहू दिव्यांक त्रिपाठी ने शरीफ बहू लुक में इंस्टाग्राम पर अपनी एक तस्वीर शेयर की है. इस तस्वीर पर उनके पति विवेक दहिया ने  मजेदार कमेंट किया है. दिव्यांका का पहला प्यार नहीं हैं विवेक, ब्रेकअप से टूट गई थी 'इशिता' अकसर एक दूसरे के लिए प्यार का इजहार करने वाले दिव्यांका और विवेक के वीडियो और तस्वीरें उनके फैन्स को एंटरटेन करते रहते हैं. ये कपल अपने फनी रोमांस के पहले कई फनी वीडियोज भी पोस्ट कर चुका है. अकसर दिव्यांका के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए कई प्रैंक्स करते नजर आने वाले वि‍वेक ने हाल ही में दिव्यांका की एक तस्वीर पर फनी कमेंट पोस्ट किया है. दरअसल दिव्यांका ने अपने सिंपल ट्रेडिशनल लुक में एक तस्वीर पोस्ट करते हुए उसे कैप्शन दिया- 'शरीफ बहू लुक'. दिव्यांका के इस कैप्शन पर उनके पति विवेक ने कमेंट करते हुए लिखा- 'बेहतरीन, चालू बहू तुम पर वैसे भी सूट नहीं करेगा.' #ShareefBahooLook A post shared by Divyanka Tripathi Dahiya (@divyankatripathidahiya) on Nov 25, 2017 at 7:57pm PST दिव्यांका-विवेक ने जीता नच बलिए, इनाम में मिले इतने लाख दिव्यांका के लिए विवेक का प्यार किसी से छिपा नहीं है. यहां तक कि दिव्यांका भी विवेक को उनकी गैरमौजूदगी में बेहद मिस करती हैं. दिव्यांका ने पिछले दिनों विवेक संग एक तस्वीर को पोस्ट करते हुए फैन्स से ये बात शेयर की थी कि वह विवेक को बेहद मिस कर रही हैं. #ShareefBahooLook A post shared by Divyanka Tripathi Dahiya (@divyankatripathidahiya) on Nov 25, 2017 at 7:57pm PST इस तस्वीर से पहले दिव्यांका का विवके को तमाचा जड़ने वाला एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था. ये एक प्रैंक वीडियो था, जिसमें दोनों का शरारती अंदाज दर्शकों को खूब पसंद आया था. Scary movie 36 A post shared by Vivek Dahiya (@vivekdahiya) on Nov 9, 2017 at 8:58am PST
मोबाइल की सुविधा ने जहां लोगों को आपस में जोड़ दिया है और कभी खास लोगों के हाथों में ही दिखने वाले मोबाइल अब हर आम आदमी की जरूरत बन गया है. लेकिन इस मोबाइल के जरिए भेजे जाने वाले SMS की भाषा ने इंग्लिश की टांग तोड़ दी है.दरअसल अब युवा स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई और ग्रामर की दुनिया से अलग अपनी सुविधा के मुताबिक स्पेलिंग की अनदेखी कर शब्दों को छोटा करने के लिए उनका स्वरूप बदल रहे हैं. मौजूदा दौर में इंटरनेट पर चैटरूम और सोशल नेटवर्किंग में युवा अंग्रेजी शब्दों की स्पेलिंग्स में व्यापक बदलाव कर एक नई तरह की डिक्शनरी इजाद कर चुके हैं. ज्यादातर युवा रफ्तार से टाइप करने के चक्कर में या तो शब्दों की स्पेलिंग को छोटा कर लिख रहे हैं, या उनकी स्पेलिंग उच्चारण के आधार पर बदल रहे हैं. आधुनिक समय की तेज जीवनशैली की रफ्तार के अनुसार ढल चुकी इस नई भाषा में 'ओके' को केवल 'k', गुड मॉर्निंग को 'GM', गुड नाइट को 'GN', बीकॉज को 'Bcoz' लिखना आम बात हो चला है. वहीं हिंदी का हां अब अंग्रेजी के 'हम्म..' में तब्दील हो चुका है. प्यार का इजहार करने वाले प्रेमी पहले से ही आई लव यू को 'ILU' लिखते आए हैं. इतना ही नहीं अब अंग्रेजी के वाक्यों को भी एक शब्द में पिरोया जा चुका है. मसलन 'ऐज सून ऐज पॉसिबल' अब 'asap' बन चुका है. अहम बात यह है कि इन शब्दों को युवाओं के बीच मान्यता भी मिलती जा रही है. एक सर्वे के मुताबिक, 18 से 24 साल के 66 फीसदी युवा मानते हैं कि मौजूदा शब्दकोशों में कई शब्दों की अलग-अलग स्पेलिंग भी दिखाई देती है. 22 प्रतिशत का कहना है कि इस चलन से वे शब्दों की सही स्पेलिंग भूल गए हैं और ई-मेल लिखते वक्त स्पेल-चैक ऑप्शन के इस्तेमाल के बिना उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है. खासतौर से भाषा के इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर उन बच्चों पर पड़ रहा है, जिनका जन्म कंप्यूटर के युग में हुआ है और आने वाले समय में अगर इंग्लिश का पूरी तरह से एक नया रूप ही सामने आए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
केंद्र सरकार का दावा है कि सेनेटरी नैपकिन पर जीएसटी के अंतर्गत तय की गई कर की दर पहले से कम है. सरकार का कहना है कि पहले इस उद्योग पर कर का बोझ ज्‍यादा था. अब 12 फीसदी जीएसटी लगने से यह कम हुआ है.टिप्पणियां सरकार ने जानकारी दी है कि अब तक सेनेटरी नैपकिन 9619 हेडिंग के तहत आता था. इस पर जीएसटी के पहले छह फीसदी एक्‍साइज ड्यूटी और पांच फीसदी वैट लगता था.  इस प्रकार जीएसटी के पहले सेनेटरी नैपकिन पर करीब 13.68 प्रतिशत कर लगता था. जबकि अब सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसदी जीएसटी लगाया गया है. एक प्रकार से नए कर निर्धारण में यह घटा है. सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर को लेकर कई कॉलम लेखकों ने कहा है कि जीएसटी से पहले और बाद में इस मद पर कर समान है या कम है.   सैनिटरी नैपकिन और इसके कच्चे माल पर लगने वाला जीएसटीइस प्रकार हैं - सुपर एब्जार्बेंट पॉलीमर, पाली एथिलीन फिल्म, गोंद और  एलएलडीपीई- पैकिंग आवरण पर 18 प्रतिशत जीएसटी दर है. थर्मो बांडेड बगैर बुना हुआ, रिलीज पेपर और वुड पल्प पर जीएसटी दर 12 फीसदी है. सरकार ने जानकारी दी है कि अब तक सेनेटरी नैपकिन 9619 हेडिंग के तहत आता था. इस पर जीएसटी के पहले छह फीसदी एक्‍साइज ड्यूटी और पांच फीसदी वैट लगता था.  इस प्रकार जीएसटी के पहले सेनेटरी नैपकिन पर करीब 13.68 प्रतिशत कर लगता था. जबकि अब सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसदी जीएसटी लगाया गया है. एक प्रकार से नए कर निर्धारण में यह घटा है. सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर को लेकर कई कॉलम लेखकों ने कहा है कि जीएसटी से पहले और बाद में इस मद पर कर समान है या कम है.   सैनिटरी नैपकिन और इसके कच्चे माल पर लगने वाला जीएसटीइस प्रकार हैं - सुपर एब्जार्बेंट पॉलीमर, पाली एथिलीन फिल्म, गोंद और  एलएलडीपीई- पैकिंग आवरण पर 18 प्रतिशत जीएसटी दर है. थर्मो बांडेड बगैर बुना हुआ, रिलीज पेपर और वुड पल्प पर जीएसटी दर 12 फीसदी है. सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर को लेकर कई कॉलम लेखकों ने कहा है कि जीएसटी से पहले और बाद में इस मद पर कर समान है या कम है.   सैनिटरी नैपकिन और इसके कच्चे माल पर लगने वाला जीएसटीइस प्रकार हैं - सुपर एब्जार्बेंट पॉलीमर, पाली एथिलीन फिल्म, गोंद और  एलएलडीपीई- पैकिंग आवरण पर 18 प्रतिशत जीएसटी दर है. थर्मो बांडेड बगैर बुना हुआ, रिलीज पेपर और वुड पल्प पर जीएसटी दर 12 फीसदी है.
लेख: मध्यप्रदेश के इंदौर में सोशल मीडिया पर एक नाबालिग के साथ मारपीट और टॉर्चर का बेहद खौफनाक वीडियो वायरल हुआ है. आरोप है कि भूमाफिया मुख्त्यार ने अपने के बेटे के पक्ष में एक मामले में गवाही के लिये नाबालिग पर दबाव बनाया लेकिन उसके इनकार करने पर उसका अपहरण कर उसे बंधक बनाया और फिर बेरहमी से उसकी पिटाई की. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के बाद पुलिस ने तत्काल फरियादी की तलाश कर मामले में अपहरण सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर आरोपी मुख्तियार को गिरफ्तार किया.  वहीं, अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है. बताया जा रहा है भू माफिया मुख्तियार पर एक दर्जन से भी अधिक मामले दर्ज हैं लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस उसके गिरेबान नहीं पहुंच पा रही थी. अब सोशल मीडिया पर मुख्त्यार की कुछ तस्वीरें गृहमंत्री बाला बच्चन के साथ भी वायरल हो रही हैं. इससे पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक खबर आई थी. लखनऊ पुलिस ने एक 14 वर्षीय लड़के को उठा लिया था और नाबालिग द्वारा ई-रिक्शा चुराने का आरोप स्वीकार नहीं करने पर उसे थर्ड डिग्री टार्चर दिया था. रिपोर्टों के मुताबिक, अमरेश गौतम का ई-रिक्शा चोरी होने के बाद नाबालिग को तेलीबाग पुलिस ने पकड़ लिया था. नाबालिग कभी-कभार अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए रिक्शा चलाता था. अमरेश गौतम द्वारा उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद नाबालिग को तेलीबाग चौकी ले जाया गया था, जहां उसे पीटा गया था.
पाकिस्तान में आतंकवादी शिविर पर हमले के केंद्र के दावे पर विपक्ष द्वारा सबूत मांगे जाने के बीच केंद्रीय मंत्री एस एस अहलुवालिया ने कहा है कि इस हमले का उद्देश्य मानवीय क्षति पहुंचाना नहीं बल्कि एक संदेश देना था कि भारत दुश्मन के क्षेत्र में अंदर दूर तक घुसकर प्रहार कर सकता है. अहलुवालिया ने कहा कि न तो प्रधानमंत्री और न ही किसी सरकारी प्रवक्ता ने हवाई हमले के हताहतों पर कोई आंकड़ा दिया है. बल्कि यह तो भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया ही था जहां मारे गए आतंकवादियों की अपुष्ट संख्या की चर्चा हो रही थी. उन्होंने शनिवार को सिलीगुड़ी में संवाददाताओं से सवाल किया कि हमने भारतीय मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में खबरें देखी हैं और यह भी देखा कि मोदीजी ने क्या कहा था. हवाई हमले के बाद मोदीजी की रैली हुई और उन्होंने हताहतों की संख्या के बारे में कुछ नहीं कहा. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या मोदी  या किसी सरकारी प्रवक्ता या हमारे पार्टी अध्यक्ष ने कोई आंकड़ा दिया है? इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री ने कहा कि इस हमले का इरादा एक संदेश देना था कि भारत जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान की नाक के नीचे तबाही मचाने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि हम कोई मानवीय क्षति नहीं चाहते थे. अहलुवालिया की टिप्पणी वाले वीडियो को माकपा ने अपने ट्विटर हैंडल पर डालकर सवाल किया है कि क्या सरकार अपने इस दावे से पीछे हट रही है कि उसने पाकिस्तान में आतंकवादी शिविर को निशाना बनाया?   जब अहलुवालिया से संपर्क किया गया तो उन्होंने यह दोहराया कि न तो सरकारी अधिकारियों ने और न ही किसी मंत्री ने हताहतों का कोई आंकड़ा दिया है. उन्होंने कहा कि मुझसे पूछा गया कि क्या आप सरकार के बयान के साथ हैं या भारतीय मीडिया की खबरों के साथ है जिसने कहा कि 300-350 आतंकवादी मारे गये. मैं सरकार के बयान के साथ हूं. मैं कैसे मीडिया के बयान का समर्थन कर सकता हूं. दार्जिलिंग के सांसद की टिप्पणी ऐसे वक्त में आयी है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने हवाई हमले को लेकर मोदी सरकार पर सवाल दागा है. ममता बनर्जी ने भारतीय वायुसेना द्वारा जैश ए मोहम्मद के प्रशिक्षिण शिविरों पर हमला करने का सबूत मांगा था. उन्होंने यह भी कहा था कि विपक्षी दल अभियान का ब्योरा जानना चाहते हैं. (इनपुट भाषा से)
इंग्लैंड के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज जेसन रॉय को 24 जुलाई को आयरलैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में होने वाले टेस्ट मैच के लिए टीम में चुना गया है. रॉय को पहली बार देश की टेस्ट टीम में शामिल किया गया है. उन्होंने हाल में हुए विश्व कप की सात पारियों में कुल 443 रन बनाए थे और टीम ऑफ द टूर्नामेंट में भी चुने गए थे. बेन स्टोक्स ओर जोस बटलर को चार दिनों तक चलने वाले इस मैच के लिए आराम दिया गया है, जबकि मार्क वुड चोट के कारण इस मुकाबले के लिए टीम का हिस्सा नहीं होंगे. समरसेट के ऑलराउंडर लेविस ग्रेगोरी को भी पहली बार टेस्ट टीम में शामिल किया गया है. 27 साल के इस गेंदबाज ने इंग्लैंड लॉयन्स के लिए 13.88 की औसत से कुल 44 विकेट चटकाए थे. श्रीलंका में अपना वनडे डेब्यू करने वाले तेज गेंदबाज ओली स्टोन को भी टेस्ट टीम में शामिल किया गया है. प्रतिष्ठित एशेज टेस्ट सीरीज से पहले लगने वाले ट्रेनिंग कैम्प के लिए भी 16 खिलाड़ियों के नामों की घोषणा की गई है. टीम : आयरलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के लिए : जो रूट (कप्तान), मोईन अली, जिमी एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, स्टुअर्ट ब्रॉड, रोरी बर्न्‍स, सैम कुरेन, जो डेनली, लुईस ग्रेगोरी, जैक लीच, जेसन रॉय, ऑली स्टोन, क्रिस वोक्स. प्री-सीजन ट्रेनिंग कैम्प के लिए : मोईन अली, जिमी एंडरसन, जॉनी बेयरस्टो, स्टुअर्ट ब्रॉड, रोरी बर्न्‍स, जोस बटलर, सैम कुरेन, जो डेनली, लुईस ग्रेगरी, जैक लीच, जो रूट, जेसन रॉय, बेन स्टोक्स, ऑली स्टोन, क्रिस वोक्स, मार्क वुड.
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने एक बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि दिल्ली में 10 आतंकवादियों के घुसने की जानकारी मिली है। उनके अनुसार दिल्ली में जगह−जगह घेराबंदी और पुलिस बल की तैनाती इसी वजह से की गई है क्योंकि ऐसी जानकारी मिली है कि आतंकवादी भीड़ का फ़ायदा उठा सकते हैं। उनके अनुसार दिल्ली में जगह−जगह घेराबंदी और पुलिस बल की तैनाती इसी वजह से की गई है क्योंकि ऐसी जानकारी मिली है कि आतंकवादी भीड़ का फ़ायदा उठा सकते हैं।
पाकिस्तान में फिलहाल भारत का कोई पत्रकार नहीं है. जिन दो भारतीय पत्रकारों की यहां तैनाती की गई थी उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया है. पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने दोनों पत्रकारों को निष्कासित करने का आदेश दिया था. 20 मई तक देश छोड़कर चले जाने की मोहलत दी गई थी. भारत की प्रमुख समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संवाददाता स्नेहेश एलेक्स फिलिप और प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार दि हिंदू की संवाददाता मीना मेनन सोमवार सुबह भारत के लिए रवाना हुए. स्नेहेश और मीना पिछले नौ महीने से पाकिस्तान में तैनात थे. स्नेहेश से पहले प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के के.जे.एम. वर्मा और रेजाउल एच लश्कर ने इस्लामाबाद में छह-छह साल बिताए थे. स्नेहेश की पत्नी निजी समारोह में हिस्सा लेने के लिए जनवरी में भारत आई थीं पर उन्हें वापस पाकिस्तान जाने का वीजा नहीं दिया गया. इस बीच, इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने पाकिस्तान सरकार के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की. दोनों भारतीय पत्रकारों को निकाले जाने का कोई कारण नहीं बताया गया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि मई की शुरूआत में 500 पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों को अजमेर के हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जाने के लिए वीजा देने से भारत ने मना कर दिया था. इससे पाकिस्तान खफा हुआ था. पाकिस्तान की नाराजगी इस बात से भी मानी जा रही है कि भारत ने उसकी राष्ट्रीय विमानन कंपनी पीआईए के एक आला अधिकारी के बेटे को वीजा नहीं दिया. 1970 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के यहां अपने दो-दो पत्रकारों को तैनात करने पर सहमत हुए थे. इस समझौते के बाद से पीटीआई ने हमेशा पाकिस्तान में अपने संवाददाताओं को तैनात किया है जबकि समय-समय पर कुछ पाकिस्तानी पत्रकार भारत में तैनात रहे हैं. हालांकि, अभी भारत में पाकिस्तान का कोई पत्रकार नहीं है. पिछले साल पाकिस्तान ने मशूहर अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के संवाददाता डेक्लेन वाल्श को भी बिना किसी नोटिस के अपने देश से बाहर कर दिया था.
प्रदेश से बदमाशों के सफाए के अभियान में लगी UP पुलिस को एक और सफलता हाथ लगी है. मुजफ्फरनगर में सोमवार को हुए मुठभेड़ में पुलिस ने 50 हजारे के इनामी बदमाश को मार गिराया. हालांकि मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी भी जख्मी हुआ है. मुजफ्फरपुर के SP ओमबीर सिंह ने बताया कि सोमवार की सुबह पुरकाजी थाना क्षेत्र में फलवादा गांव के पास कुख्यात वांटेड बदमाश रमेश उर्फ नानू उर्फ ऋषिपाल से पुलिस की मुठभेड़ हो गई. हालांकि बदमाश द्वारा चलाई गई गोली से थाना प्रभारी (SHO) विजय सिंह जख्मी हो गए हैं. ओमबीर सिंह ने बताया कि कुख्यात बदमाश रमेश जमशेद गैंग का सक्रिय सदस्य एवं शूटर था. उस पर 50 हजार का इनाम घोषित था. उसकी लाश के पास से एक बाइक और एक पिस्तौल बरामद की गई है. रमेश मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों में लूट और हत्या के दर्जन भर से ज्यादा मामलों में वांछित था. योगीराज में अब तक 57 ढेर योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से उत्तर प्रदेश की पुलिस अब तक कुल 57 कुख्यात बदमाशों को ढेर कर चुकी है, जिसमें सोमवार को मुजफ्फरपुर में मारा गया बदमाश  रमेश भी शामिल है. बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले 11 महीने में करीब 1350 एनकाउंटर किए हैं. यानी हर महीने सौ से भी ज़्यादा एनकाउंटर. इस दौरान 3091 वॉन्टेड अपराधी गिरफ्तार किए गए. जबकि 43 अपराधियों को मार गिराया गया. यूपी पुलिस का दावा है कि मरने वालों बदमाशों में 50 फीसदी इनामी अपराधी थे. जिन्हें पुलिस शिद्दत से तलाश रही थी. यूपी पुलिस के इन आंकड़ों ने अपराधियों में इस कदर खौफ भर दिया कि पुलिस एक्शन के डर से पिछले 10 महीने में 5409 अपराधियों ने बाकायदा अदालत से अपनी ज़मानत ही रद्द कराई है. ताकि ना वो बाहर आएं और ना गोली खाएं. यूपी पुलिस द्वारा लगातार किए जा रहे एनकाउंटर सवालों के घेरे में भी आ गए हैं. पिछले दिनों मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन ने दावा किया था कि हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश में न्यायेतर हत्याएं हुई हैं. इनमें मरने वालों में ज्यादातर दलित और मुसलमान थे. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्वतंत्र टीमों द्वारा जांच की मांग की गई है.
लेख: होली के दिन काफी मौज मस्ती करने के बाद इंदिरापुरम में एक दंपती का शव संदिग्ध हालात में मिला है. बताया जा रहा है कि घंटो तक परिवार और पड़ोसियों के साथ होली खेलने के बाद इंदिरापुरम में रहने वाले एक दंपती का शव संदिग्ध हालत में उनके फ्लैट के बाथरूम से मिला है. टिप्पणियां पुलिस को घरवालों ने सूचना दी. दोनों को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत करार दिया गया. बताया यह भी जा रहा है कि पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी कुछ नहीं पता चला है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों की मौत को अनिश्चित बताया गया है. पुलिस ने बताया कि नीरज और रुचि का शव बाथरूम में पाया गया था और उनके शव के पास से ब्लड प्रेशर की गोलियों के स्ट्रिप भी मिले थे. इस घटना की जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि फिलहाल शवों के आंत को संरक्षित करके रखा गया है, जिन्हें आगरा फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा. पुलिस को इस मामले में लिखित में कोई शिकायत नहीं मिली है. इंदिरापुरम के ज्ञान खंड 1 में नीरज अपनी पत्नी रुचि, माता-पिता, छोटे बहन-भाई के साथ 3बीएचके फ्लैट में रहते थे. नीरज और रुचि की पांच साल की एक बेटी भी है. पुलिस के अनुसार, दोनों ने जमकर अपने फ्लैट की छत पर सबके साथ होली खेली और वे शाम छह बजे अपने घर वापस आए. जब रात साढे नौ बजे तक दोनों अपने कमरे से बाहर नहीं आए तो परिजनों ने उनका दरवाजा खटखटाया. पुलिस को घरवालों ने सूचना दी. दोनों को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत करार दिया गया. बताया यह भी जा रहा है कि पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी कुछ नहीं पता चला है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों की मौत को अनिश्चित बताया गया है. पुलिस ने बताया कि नीरज और रुचि का शव बाथरूम में पाया गया था और उनके शव के पास से ब्लड प्रेशर की गोलियों के स्ट्रिप भी मिले थे. इस घटना की जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि फिलहाल शवों के आंत को संरक्षित करके रखा गया है, जिन्हें आगरा फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा. पुलिस को इस मामले में लिखित में कोई शिकायत नहीं मिली है. इंदिरापुरम के ज्ञान खंड 1 में नीरज अपनी पत्नी रुचि, माता-पिता, छोटे बहन-भाई के साथ 3बीएचके फ्लैट में रहते थे. नीरज और रुचि की पांच साल की एक बेटी भी है. पुलिस के अनुसार, दोनों ने जमकर अपने फ्लैट की छत पर सबके साथ होली खेली और वे शाम छह बजे अपने घर वापस आए. जब रात साढे नौ बजे तक दोनों अपने कमरे से बाहर नहीं आए तो परिजनों ने उनका दरवाजा खटखटाया. इस घटना की जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि फिलहाल शवों के आंत को संरक्षित करके रखा गया है, जिन्हें आगरा फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा. पुलिस को इस मामले में लिखित में कोई शिकायत नहीं मिली है. इंदिरापुरम के ज्ञान खंड 1 में नीरज अपनी पत्नी रुचि, माता-पिता, छोटे बहन-भाई के साथ 3बीएचके फ्लैट में रहते थे. नीरज और रुचि की पांच साल की एक बेटी भी है. पुलिस के अनुसार, दोनों ने जमकर अपने फ्लैट की छत पर सबके साथ होली खेली और वे शाम छह बजे अपने घर वापस आए. जब रात साढे नौ बजे तक दोनों अपने कमरे से बाहर नहीं आए तो परिजनों ने उनका दरवाजा खटखटाया.
सीबीआई ने यादव सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 466, 467, 469, 481 के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है. सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और कानून के उल्लंघन के संबंध में केस दर्ज किया गया है. इस मामले में अब तक 80 बिल्डरों से पूछताछ हो चुकी है.
एक सैन्य न्यायाधिकरण ने सुकना भूमि घोटाले में 33वीं कोर के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ के कोर्ट मार्शल को शुक्रवार को रद्द कर दिया. इस मामले में हुई ‘मान हानि’ के लिए सेना पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस मामले में रथ अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने वाले तीन स्टार स्तर के पहले अधिकारी थे. 2011 में एक कोर्ट मार्शल ने उन्हें उस कथित घोटाले का दोषी पाया था, जिसमें एक निजी बिल्डर को पश्चिम बंगाल के सुकना स्थित एक सैन्य कैंटोंमेंट से सटे 70 एकड़ के जमीन के प्लॉट पर एक शिक्षण संस्थान का निर्माण करने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ जारी किया गया था. रथ और लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश को इस मामले में कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा था, लेकिन रथ इस मामले में सजा पाने वाले पहले अधिकारी थे. न्यायमूर्ति सुनील हाली के नेतृत्व वाले एक सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) ने अपने फैसले में कहा, ‘याचिकाकर्ता को सभी आरोपों से बरी किया जाता है. वह सभी लाभ 12 प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने के हकदार हैं.’ पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को प्रतिवादियों के कृत्य के चलते अनुचित प्रताड़ना के साथ ही बदनामी झेलनी पड़ी और यदि इसकी क्षतिपूर्ति नहीं की गई तो यह न्याय का मजाक होगा. पीठ ने कहा, ‘इसलिए याचिकाकर्ता को प्रताड़ना और बदनामी के लिए एक सांकेतिक मुआवजे के तौर पर प्रतिवादी उन्हें एक लाख रुपये हर्जाना का भुगतान करें.’ लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के साथ अधिकारियों वाले सैन्य अदालत द्वारा कोर्ट मार्शल किए जाने के बाद रथ ने एएफटी में एक याचिका दायर करके अपना जनरल कोर्ट मार्शल रद्द करने और बदनामी के लिए हर्जाना मुहैया कराने का अनुरोध किया था. जनवरी 2011 में जनरल कोर्ट मार्शल ने उन्हें पद की वरिष्ठता में 18 महीने घटाने, पेंशन के उद्देश्य के लिए पूर्व की सेवा के 15 वर्ष जब्त करने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति हाली ने भगवत गीता को उद्धृत करते हुए कहा, ‘लोग हमेशा आपके कलंक की बात करते हैं और एक सम्मानित व्यक्ति के लिए बदनामी मौत से बदतर है.’ जमीन घोटाला 2008 में उस समय सार्वजनिक हो गया था जब पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह सेना की पूर्वी कमान के कमांडर थे और कथित भूमि घोटाले में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी शुरू की थी.
पूर्णिया ज़िला भारत के बिहार राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय पूर्णिया है। विवरण ज़िले के उत्तर में अररिया तथा किशनगंज जिला, पूर्व में पश्चिम बंगाल का दिनाजपुर, पश्चिम में मधेपुरा जिला, दक्षिण में भागलपुर तथा कटिहार जिला सीमा बनाती है। उत्तर की ओर धरातल पथरीला तथा पूर्व की ओर नदियों एवं प्राकृतिक स्रोतों से बने कभी न सूखनेवाले दलदल एवं पश्चिम की ओर रेतीले घास के मैदान मिलते हैं। गंगा के अलावा कोसी, महानंदा तथा पनार नदियाँ बहती हैं। पूर्व की ओर कहीं-कहीं उत्तम जलोढ़ मिट्टी मिलती है। वर्षा शीघ्र प्रारंभ होती तथा जोरों के साथ होती है। वार्षिक वर्षा का औसत ७१ इंच रहता है। कृषि में धान के अतिरिक्त दालें, तिलहन और तंबाकू भी पैदा हाता है। पशु छोटे तथा कमजोर होते हैं। उद्योगों में मोटे रंगीन कपड़े, बैलगाड़ियों के पहिए, चटाइयाँ तथा जूट के सामान बनाए जाते हैं। इन्हें भी देखें पूर्णिया बिहार बिहार के जिले सन्दर्भ बिहार के जिले
अप्सरासस कांगरी (Apsarasas Kangri) काराकोरम की सियाचिन मुज़ताग़ उपश्रेणी में एक पर्वत है। यह विश्व का ९६वाँ सर्वोच्च पर्वत भी है। यह भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित है और इसका एक अंग चीन के क़ब्ज़े वाली शक्सगाम घाटी में स्थित है जिसे चीन शिंजियांग प्रान्त के अधीन प्रशासित करता है। नामकरण अप्सराओं का नामकरण 1908 के वर्कमैन अभियान के ग्रांट पीटरकिन द्वारा अप्सरा ("परियों") और सास ("स्थान") से लिया गया था, इस प्रकार "परियों का स्थान"। यहां लगभग एक ही ऊंचाई के तीन मुख्य शिखर हैं, जो कि पश्चिम से पूर्व तक 5 किमी में फैला हुआ है जिन्हें अप्सरा I से III के नाम से जाना जाता है। पूर्वी शिखर (35°31′14″N 77°11′56″E) 6800 मीटर से कुछ अधिक ऊंचे काॅल द्वारा अन्य दो शिखरों से अलग किया गया है। आरोहण अब तक केवल पश्चिमी शिखर (अप्सरासस I) पर ही चढ़ाई की गई है। इसपर पहली चढ़ाई 7 अगस्त, 1976 को जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी माउंटेनियरिंग क्लब के योशियो इनागाकी, कात्सुहिसा याबुता और ताकामासा मियोमोटो द्वारा पश्चिमी रिज पर की गई थी। दूसरी चढ़ाई 18 सितंबर, 1980 को भारतीय सेना के एक अभियान द्वारा की गई थी, और भारतीय सेना की एक अन्य टीम ने 1988 में तीसरी चढ़ाई हासिल की थी। अप्सरासस II और अप्सरासस III को भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन द्वारा "अनछुई चोटियों" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, और पूर्वी शिखर सबसे ऊंची अनछुई चोटियों में गिना जाता है। इन्हें भी देखें सियाचिन मुज़ताग़ शक्सगाम घाटी सन्दर्भ सात हज़ारी भारत के पर्वत शिंजियांग के पर्वत
पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर पंजाब के दो आप सांसदों को पार्टी से निलंबित किए जाने के दो दिन के बाद असंतुष्ट आप विधायक पंकज पुष्कर ने आज अनधिकृत कॉलोनियों में सुविधाओं की कमी को लेकर दिल्ली सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के अपने निर्णय की घोषणा की. तिमारपुर के विधायक पुष्कर ने कहा कि कल संगम विहार में शुरू हो रहे सत्याग्रह के जरिए वह सत्तारूढ़ पार्टी को इस सिलसिले में किये गए वादों को उन्हें फिर से याद दिलाना चाहते हैं. उन्होंने पूर्व में संगम विहार, वजरीराबाद अनधिकृत कॉलोनियों में उपेक्षा और अवमानक उपचार को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को पत्र लिखा. एक बयान में उन्होंने कहा है, इस पत्र के अलावा, उन्होंने दो बार दिल्ली विधानसभा में और जिला विकास समिति में तीन बार यह मुद्दा उठाया लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला. -इनपुट भाषा
सरकार की निगाहें अपने प्रदर्शन को सुधारने से अधिक दिखने वाले आंकड़ों को दुरुस्त करने में होता है. ऐसा ही जन धन खाते के जमा के आंकड़ों में हुआ है. असल में, खाते के आंकड़ों के बारे में एक कमी देखी गई. और इस बारे में मंगलवार की सुबह एक ट्वीट होते ही घंटे भर के भीतर इसके आंकड़े फौरन बदल दिए गए. इसके पीछे की कहानी शायद आंकड़ों से कहीं अधिक दिलचस्प हो. जनधन खातों में इस साल अप्रैल के महीने तक जमा की राशि 80,000 करोड़ को पार कर गई थी. लेकिन 4 जुलाई, 2018 को यह राशि घटकर महज 62,919.08 करोड़ रह गई. यह पिछले 19 महीने में सबसे कम जमा थी. लेकिन खास बात यह कि मई के बाद से इस जमा में 20,000 करोड़ रु. की कमी हुई है. यानी, लोगों ने खातों से पैसे निकालना शुरू किया. संदेह की बात यह रही कि इसमें भी 27 जून से 4 जुलाई के सप्ताह में ही सात दिनों के भीतर 16,000 करोड़ रु. की निकासी हुई है. इस बारे में इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी ने जैसे ही ट्वीट किया, आंकड़ेबाज फौरन हरकत में आए और उन्होंने कुल जमा रकम की संख्या बदल दी. गजब यह कि वे शायद बाकी के आंकड़े बदलना भूल गए. मसलन, मूल आंकड़े में, ग्रामीण और कस्बाई बैंकों की शाखाओं में लाभार्थियों की संख्या 18.82 करोड़ थी. शहरी और मेट्रो शाखाओं में खाताधारकों की संख्या 13.12 करोड़ थी. कुल संख्या करीब 31.95 करोड़ लाभार्थियों की थी. नए आंकड़ो में इनमें से कुछ नहीं बदला है. खाते में जमा की रकम 62,919.08 करोड़ रु. थी. इनमें सार्वजनिक बैंको में 48888.36 करोड़ रु., क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में 13788.70 करोड़ रु. और निजी बैंकों में 2242.02 करोड़ रु. जमा दिखाया गया था. ट्वीट के बाद अद्य़तन किए गए आंकड़ों में सिर्फ जमा की रकम ही बदली जा सकी है. इसमें सभी बैंकों के खाताधारकों की संख्या समान है. कुल लाभार्थियों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है. जबकि जमा की रकम बढ़ाकर दिखाई गई है. इनमें सार्वजनिक बैंको में 62921.37 करोड़ रु., क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में 13788.70 करोड़ रु. और निजी बैंकों में 2242.02 करोड़ रु. जमा दिखाया गया था. यानी सिर्फ सार्वजनिक बैंकों में इस जमा की रकम बढ़ाकर दिखा दी गई है. अब यह कैसा हिसाब है और ट्वीट के तुरंत बाद आंकड़े कैसे रिफ्रेश किए गए यह तो सिर्फ वित्त मंत्रालय ही बता सकता है. ***
4 सीटों पर सोमवार को कराई गई वोटिंग बंगाल में 3, उत्तराखंड में 1 सीट पर उपचुनाव पश्चिम बंगाल की तीन और उत्तराखंड की एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के लिए सुबह 8 बजे से मतगणना जारी है. बंगाल की खड़गपुर सदर विधानसभा और कालियागंज सीट से सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) उम्मीदवार ने जीत हासिल कर ली है. वहीं करीमपुर सीट से भी टीएमसी प्रत्याशी को बढ़त मिल रही है. West Bengal: Trinamool Congress (TMC) candidate Pradip Sarkar wins Kharagpur sadar assembly by-election by 20,811 votes. — ANI (@ANI) November 28, 2019 West Bengal: Trinamool Congress (TMC) candidate Tapan Deb Singha wins Kaliaganj assembly by-election by 2,304 votes. https://t.co/JDfF9RSeeo — ANI (@ANI) November 28, 2019 वहीं उत्तराखंड की पिथौरागढ़ सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखने को मिली. हालांकि बीजेपी उम्मीदवार चंद्रा पंत ने कांग्रेस की अंजू लुंठी को 3267 वोटों से हरा दिया है. किन पार्टियों में मुकाबला? पश्चिम बंगाल की करीमपुर, खड़गपुर सदर और कालियागंज सीट पर सोमवार को वोट डाले गए थे. इन तीनों सीटों पर तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर रही. उत्तराखंड की पिथौरागढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर देखने को मिली. बंगाल की तीन सीटों पर कुल 18 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे. तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी, माकपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई. वहीं निर्दलीय भी चुनाव मैदान में चुनौती पेश की. बंगाल की 3 सीटों पर क्यों हुए उपचुनाव? कालियागंज सीट कांग्रेस विधायक प्रमथनाथ राय के निधन के बाद खाली हुई थी जबकि खड़गपुर सीट से पिछली बार विधायक चुने गए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने लोकसभा चुनाव जीतने की वजह से इस्तीफा दे दिया था. वहीं करीमपुर की तृणमूल विधायक महुआ मित्रा ने भी कृष्णनगर संसदीय सीट से जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद से यह सीटें खाली थीं. वहीं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ विधानसभा सीट त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल के कद्दावर मंत्री प्रकाश पंत के निधन से खाली हुई थी. इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उनकी पत्नी चंद्रा पंत पर दांव खेला है, तो वहीं उनके मुकाबले के लिए कांग्रेस ने अंजू लुंठी को मैदान में उतारा. चंद्रा और अंजू के बीच सीधी टक्कर रही.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में मचे भूचाल के पीछे जिन दो शख्स-मोईन कुरैशी और सतीश साना का नाम है, उनमें एक सतीश साना लापता बताया जा रहा है. सतीश साना ही वह व्यक्ति है जिसने कुरैशी से जुड़ा अपना केस रफादफा कराने के लिए राकेश अस्थाना को 3 करोड़ रुपए रिश्वत देने का आरोप लगाया है. साना का नाम सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को रिश्वत देने के आरोप में सामने आया है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीन दिन पहले सीबीआई का मामला जैसे ही सामने आया, सतीश साना अपने घरवालों के साथ कहीं फरार हो गया. हैदराबाद में गचीबावली स्थित हिल रिज विला-72 में फिलहाल उसके परिवार को कोई पता ठिकाना नहीं है.  आलोक वर्मा ने अस्थाना पर 3 करोड़ रिश्वतखोरी का जो मामला दर्ज कराया है, वह सतीश साना की ओर से दी गई रिश्वत के आधार पर है. अस्थाना ने भी वर्मा पर सतीश साना से 2 करोड़ रुपए घूस लेने का आरोप मढ़ा है. इन विवादों के बीच एक तरफ वर्मा और अस्थाना छुट्टी पर भेज दिए गए हैं, तो दूसरी ओर सतीश साना कहां है, इसकी किसी को जानकारी नहीं है. साना अपने परिजनों के साथ कहां गया है, इसकी सूचना किसी जांच एजेंसी को नहीं है. मीडिया से जुड़े सूत्रों का कहना है कि साना इस मामले में मीडिया से बात नहीं करना चाहता, इसलिए कहीं गुमनामी में खो गया है. पूर्व में उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी हो चुका है, जिससे वह बचने की फिराक में है. अस्थाना के खिलाफ केस सतीश साना से जुड़े एक मामले में दर्ज किया गया है. साना से रिश्वत की मांग की गई थी. एफआईआर में जिन अन्य लोगों के नाम हैं, वे हैं-डीएसपी रैंक के सीबीआई अधिकारी देवेंद्र कुमार, बिचौलिया मनोज प्रसाद, उसका भाई सोमेश प्रसाद और अन्य सरकारी कर्मचारी. एफआईआर के मुताबिक, मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद सतीश साना से दुबई में मिले और उसका मामला रफा-दफा कराने का आश्वासन दिलाया. साना दुबई का कारोबारी है. सीबीआई उसके खिलाफ मीट कारोबारी से संबंध को लेकर जांच कर रही है. कुरैशी साल 2014 के बाद से भ्रष्टाचार के केस में कई एजेंसियों के निशाने पर है. सतीश ने आरोप में कहा है कि सोमेश ने एक अधिकारी को फोन किया, जिसने 5 करोड़ रुपए लेकर मामला निपटाने की बात हुई. 3 करोड़ रुपए एडवांस और 2 करोड़ रुपए काम होने के बाद देने की डील पक्की हुई. सोमेश ने सतीश से कहा कि जिस अधिकारी से बात हुई वह राकेश अस्थाना है. सोमेश ने अपनी बात पुष्ट करने के लिए अस्थाना के व्हाट्सअप की डिसप्ले पिक्चर (डीपी) भी दिखलाई. सतीश साना ने सीबीआई को दिए अपनी शिकायत में कहा, 'उन लोगों (बिचौलिए) पर भरोसा करते हुए और मानसिक पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए मैंने 1 करोड़ रुपए का बंदोबस्त किया और मनोज प्रसाद को दुबई में दिए. इसके बाद प्रसाद के कहे पर मैंने सुनील मित्तल नाम के शख्स को 1.95 करोड़ रुपये दिए. 13 दिसंबर 2017 को यह पेमेंट दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अहाते में मेरे आदमी पुनीत की ओर से की गई.' सतीश ने सीबीआई में अपनी शिकायत इसलिए दर्ज कराई है क्योंकि एजेंसी ने सीआरपीसी की धारा 160 के तहत उसके खिलाफ 2.95 करोड़ रुपए घूस देने का नोटिस सुपुर्द किया है. साना ने नोटिस के बारे में मनोज प्रसाद को जानकारी दी. तब मनोज प्रसाद ने नोटिस के पचड़े से बचने के लिए 2 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी. साना ने यह भी आरोप लगाया है कि राकेश अस्थाना ने कई वर्षों में दुबई और लंदन में भारी भरकम पैसा लगाया है. सतीश के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी हो चुका है इसलिए उसे हैदराबाद एयरपोर्ट पर विदेश भागने से पहले रोक लिया गया. साना 1 अक्टूबर को दिल्ली में सीबीआई के समक्ष पूछताछ के लिए हाजिर हुआ था. साना के मुताबिक, 'मैंने सारा वाकया मनोज को बताया, तो उसने कहा कि सारी परेशानी इसलिए है क्योंकि उसने 2 करोड़ रुपये जमा नहीं कराए हैं. हालांकि मैंने जल्द यह राशि जमा कराने की बात कही. मनोज ने यह भी कहा कि उसकी सीबीआई के संबंधित अधिकारी से बात हो गई है और वे अब प्रताड़ित नहीं करेंगे. 9 अक्टूबर तक 2 करोड़ रुपये चुकाए जाने की बात हुई. मैंने खराब सेहत का हवाला देते हुए सीबीआई के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया.' सीबीआई का कहना है कि 2 करोड़ रुपये की ताजा घूस सतीश ने खुद को 25 अक्टूबर तक बचाए रखने के लिए दिए. 10 अक्टूबर को 25 लाख रुपये चुकाए गए और बाकी के पैसे 16 अक्टूबर तक चुकाने की बात हुई. सीबीआई ने 16 अक्टूबर को बिचौलिए मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया, जब वह बाकी के पौने दो करोड़ रुपए लेने भारत आया. इन आरोपों के आधार पर राकेश अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. जिसके खिलाफ अस्थाना ने भी सीवीसी में शिकायत दर्ज कराई है और एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के 10 मामले गिनाए हैं. इनमें एक केस सतीश साना से जुड़ा है. अस्थाना ने अपनी शिकायत में कहा है कि सतीश साना ने 24 अगस्त को आलोक वर्मा को 2 करोड़ रुपये घूस दी. हालांकि सीबीआई ने वर्मा पर लगे आरोपों को 'गलत और बेबुनियाद' बताया है.
'ट्विटर मतलब चोंच लड़ाना...' कुछ दिन पहले इन्हीं शब्दों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश सरकार ने केंद्र सरकार पर चुटकी ली थी. अब उनके ही दफ्तर में सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए रणनीति बनाई जा रही है. पढ़ें: अखिलेश  ने बनाए तीन ट्विटर हैंडल, मंत्रियों को सोशल मीडिया से दूर रहने को कहा पिछले महीने सीएम साहब ने अलग-अलग नाम से तीन-तीन ट्विटर हैंडल्स बनवाए थे. अब उनके हर विभाग में सोशल मीडिया के लिए एक नोडल अधिकारी चुना जाएगा. नोडल अधिकारी अपने प्रमुख सचिव के जरिए सूचनाओं को उसी दिन हिंदी व अंग्रेजी में सूचना और जनसंपर्क विभाग के ई-मेल पर भेजेंगे. विभागों को जनहित से जुड़े फैसलों, योजनाओं व उपलब्धियों के बारे में 15 दिनों में कम से कम एक बार ट्वीट या पोस्ट भेजना अनिवार्य होगा. उन सूचनाओं को पोस्ट कराने की जिम्मेदारी सूचना निदेशक की होगी. शुक्रवार को मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिवों, सचिवों और सभी विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की. उन्हें सरकार के फैसलों और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक सीधे पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं. पढ़ें: ट्विटर पर लोकप्रियता में मोदी तीसरे नंबर पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के दिवंगत पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) का नाम लिये बगैर कहा 'आपके पिताजी को आपके राज दरबारियों ने गाजे-बाजे के साथ मिस्टर क्लीन बना दिया था. लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नम्बर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया. नामदार यह अहंकार आपको खा जाएगा. ये देश गलतियां माफ करता है, मगर धोखेबाजी को कभी माफ नहीं करता.' इस बयान के बाद प्रधानमंत्री की काफी आलोचना हुई और राहुल गांधी ने इसका बहुत ही शालीनता के साथ जवाब भी दिया. सोशल मीडिया पर इसे लेकर रिएक्शन आने अब भी जारी हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस और बिग बॉस (Bigg Boss) विनर गौहर खान (Gauahar Khan) ने राहुल गांधी के ट्वीट की तारीफ की है और अपनी रिएक्शन भी दिया है.  Huge respect for u !!! Your father late #RajivGandhiji was a dignified n loved prime minister!! It's easy to be complexed by his stature !!the way you look past , is evidence of you knowing that fact !! Your grace is what shines through !! #morePower to you !! @RahulGandhihttps://t.co/qDKyiv6HCQ बॉलीवुड और टीवी एक्ट्रेस गौहर खान (Gauahar Khan) ने ट्वीट कर लिखा हैः 'आपके लिए ढेर सारा सम्मान!! आपके स्वर्गीय पिता राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) एक बहुत ही सम्माननीय और प्यारे प्रधानमंत्री थे!! उनके कद (स्टेचर) से जलन होना आसान है...आपने अपने सम्मान को कायम रखा. आप और मजबूत हों राहुल गांधी (Rahul Gandhi).' Modi Ji, The battle is over. Your Karma awaits you. Projecting your inner beliefs about yourself onto my father won't protect you. All my love and a huge hug. Rahul कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपने दिवंगत पिता राजीव गांधी के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा ‘भ्रष्टाचारी नंबर 1' का तंज कसे जाने पर रविवार को ‘प्यार और झप्पी के साथ' उन्हें जवाब देते हुए कहा कि आपके कर्म आपका इंतजार कर रहे हैं. गांधी ने कहा कि मोदी खुद के बारे में अपनी धारणा मेरे पिता पर थोप रहे हैं लेकिन वह अपने आप को बचा नहीं पायेंगे क्योंकि उनके लिए लड़ाई खत्म हो गई है. राहुल गांधी के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया में खूब रिएक्शन आ रहे हैं.
जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी ने बताया, 'जनपद में ऐहतियाती तौर पर शनिवार से 15 सितंबर तक धारा 144 लगा दी गई है.’ उन्होंने सभी नागरिकों से शांति-व्यवस्था कायम रखने में प्रशासन का सहयोग करने की अपील की. (इनपुट भाषा से)
यह एक लेख है: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनकी पत्नी पायल अपने निकाह के 17 साल बाद अब अलग हो चुके हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में 41 वर्षीय उमर ने कहा, यह सच है कि मैं और मेरी पत्नी अलग हो चुके हैं, लेकिन इसके पीछे के कारण और मेरे भविष्य को लेकर लगाई जा रहीं अटकलें बेबुनियाद, असत्य और हर तरह से गहरा दुख देने वाली हैं। उमर ने कहा कि उनकी निजी जिंदगी और खासतौर पर उनके विवाह की स्थिति को लेकर मीडिया में लगातार बढ़ रहीं अटकलों से वह निराश और दुखी हैं। उन्होंने कहा, मेरे पुनर्विवाह के बारे में कहानियां पूरी तरह से झूठी हैं और इन्हें गढ़ा गया है। यह बहुत दुख की बात है कि इस झूठ को बार-बार दोहराते समय, मुझसे यह पूछने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए कि इसमें से कुछ सच है या नहीं। इस प्रक्रिया में कई लोगों को नुकसान पहुंचा है। उमर ने कहा, मेरा विश्वास है कि मेरा परिवार और मैं निजता का हकदार हूं। इस बिन्दु पर मेरी चिंता मेरे युवा बेटे को लेकर है और रहेगी जो खुद को समाचार चैनलों और अखबारों के पन्नों पर इस तरह से देखने की उम्मीद नहीं करते। उन्होंने आशा जताई कि मीडिया उनकी और उनके परिवार की निजता का सम्मान करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा, मुझे विश्वास है कि आप सभी इस बात की प्रशंसा करेंगे कि मेरी निजी जिंदगी अभूतपूर्व उठापटक के दौर से गुजरी है, लेकिन मैंने किसी भी तरह इसका असर अपने काम पर नहीं पड़ने दिया। उन्होंने कहा, मेरा परिवार और मैं इस बारे में आगे किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा और ना ही कोई और बयान जारी करूंगा।
यह लेख है: पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के चेयरमैन शहरयार खान ने टेस्ट कप्तान मिस्बाह उल हक से कहा है कि बोर्ड चाहता है कि वह मार्च-अप्रैल में होने वाले वेस्टइंडीज दौरे के बाद संन्यास की घोषणा कर दें. शहरयार को वेस्टइंडीज दौरे के तीन टेस्ट मैचों के लिये कप्तान बनाए रखा गया है.टिप्पणियां इस सीनियर बल्लेबाज ने इससे पहले पीसीबी को सूचित किया था कि वह पाकिस्तान की तरफ से खेलना जारी रखना चाहते हैं. शहरयार ने कहा, ‘‘मैंने मिस्बाह से उनके भविष्य को लेकर बात की. मैंने उनसे कहा कि उन्हें अपने भविष्य पर फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा था कि वह पीएसएल में अपने प्रदर्शन और फॉर्म को देखकर मुझे जवाब देंगे. मिस्बाह ने पिछले सप्ताह मुझसे संपर्क किया और बताया कि वह उपलब्ध है और इसलिए मैंने उन्हें कप्तान बरकरार रखा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह भी सचाई है कि दौरे के दौरान वह 43 साल के हो जाएंगे और मुझे नहीं लगता कि वह इस दौरे के बाद आगे भी खेलना जारी रखेंगे.’’ (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) इस सीनियर बल्लेबाज ने इससे पहले पीसीबी को सूचित किया था कि वह पाकिस्तान की तरफ से खेलना जारी रखना चाहते हैं. शहरयार ने कहा, ‘‘मैंने मिस्बाह से उनके भविष्य को लेकर बात की. मैंने उनसे कहा कि उन्हें अपने भविष्य पर फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा था कि वह पीएसएल में अपने प्रदर्शन और फॉर्म को देखकर मुझे जवाब देंगे. मिस्बाह ने पिछले सप्ताह मुझसे संपर्क किया और बताया कि वह उपलब्ध है और इसलिए मैंने उन्हें कप्तान बरकरार रखा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह भी सचाई है कि दौरे के दौरान वह 43 साल के हो जाएंगे और मुझे नहीं लगता कि वह इस दौरे के बाद आगे भी खेलना जारी रखेंगे.’’ (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हाल ही में एक्टर जैकी भगनानी ने जानी मानी शख्सियत मलाला यूसुफजई से लंदन में मुलाकात की और इस खास मुलाकाता के दौरान मलाला ने अपनी जिंदगी से जुड़ी कई बातें शेयर कीं. 18 साल की मलाला यूसुफजई अपने पिता जियाउद्दीन यूसुफजई और मां टूर पकाई के साथ एक्टर जैकी भगनानी से कॉफी पर मिले. मलाला ने इस मुलाकात के दौरान कहा, 'मेरी चाहत है कि‍ भारत और पाकिस्तान में लड़कियों के लिए जमकर काम करूं. उनकी आवाज सुनी जाए, वो काम करें और समाज की सेवा में योगदान दें. इसलिए मैं भारत आने के लिए उत्साहित हूं.' जैकी भगनानी जिन्होंने मलाला को भारत आने का निमंत्रण दिया है. 'वेलकम टू कराची' , 'फालतू' जैसी फिल्मों में काम कर चुके जैकी ने मलाला को हीरो बताया और उनके हुई इस मुलाकात को उनके एक सपने का सच होना कहा. मलाला ने इस मुलाकात के दौरान भारत के नाम ए‍क वीडियो मैसेज भी दिया. इस मैसेज वीडियो को जैकी भगनानी ने ट्विटर पर भी शेयर किया. The proud messenger is back with a really heartfelt message from #Malala herself. @PMOIndia @narendramodi https://t.co/Ivj6qt5iqq — Jackky Bhagnani (@jackkybhagnani) September 10, 2015 No family upholds the message of #BetiBachaoBetiPadhao better than @ZiauddinY & #Malala @PMOIndia @narendramodi pic.twitter.com/wIQpRQza5a — Jackky Bhagnani (@jackkybhagnani) September 10, 2015
इजराइली डायरेक्टर मजीद मजीदी की इंटरनेशनल फिल्म बियॉन्ड द क्लाउड्स से अपना फिल्मी डेब्यू करने वाले एक्टर ईशान खट्टर धीरे-धीरे बॉलीवुड में अपनी जगह बना रहे हैं. करण जौहर की फिल्म धड़क में जाह्नवी कपूर के साथ अपनी बढ़िया केमिस्ट्री दिखाने के बाद ईशान को अब अपना नया प्रोजेक्ट मिल गया है. विक्रम सेठ की किताब ‘अ सूटेबल ब्वॉय’ पर आधारित डायरेक्टर मीरा नायर के शो में एक्टर ईशान खट्टर भी नजर आएंगे. ‘अ सूटेबल ब्वॉय’ भारत-पाक बंटवारे के बाद चार परिवारों की कहानी बताती है. लुकआउट पॉइंट द्वारा प्रोड्यूस किए जा रहे इस शो में ईशान के साथ एक्ट्रेस तब्बू और तान्या मानिकतला होंगी. तान्या इस शो में लता का किरदार निभा रही हैं जबकि ईशान खट्टर इसमें मान कपूर के किरदार में होंगे. इसके अलावा तब्बू शो ‘अ सूटेबल ब्वॉय’ में सईदा बाई का  किरदार निभाती नजर आएंगी. ये ड्रामा शो बीबीसी पर छह हिस्सों में दिखाया जाएगा. ईशान से जब मीरा नायर के साथ काम करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मीरा के साथ काम करना उनके लिए सम्मान की बात है. ईशान ने इस खबर का खुलासा करते हुए इंस्टाग्राम पर पोस्ट भी किया. देखिए पोस्ट यहां- View this post on Instagram Elated to announce that I’ll be playing Maan Kapoor in @pagliji ’s and @bbcone ‘s official adaptation of Vikram Seth’s ‘A Suitable Boy’. It’s not only my pleasure but an honour to be working on this illustrious material alongside such distinguished artists and technicians led by the indomitable Mira Nair. I hope I can satisfy her vision and give the global audience the character they deserve in Maan. A post shared by Ishaan (@ishaankhatter) on Aug 12, 2019 at 5:55am PDT बीबीसी के लिए इस शो को ब्रिटिश स्क्रीनराइटर एंड्रू डेविस ने लिखा है. मीरा नायर के मुताबिक उन्होंने ‘अ सूटेबल ब्वॉय’ पर काम करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह मानती हैं कि यह एक सदाबहार कहानी है. ये शो जून 2020 में आएगा.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: उन्होंने कहा, 'राफेल विवाद के कारण यह नाम केवल नकारात्मक ध्यान आकर्षित करता है, लेकिन हमारे गांव की कोई परवाह नहीं करता. राज्य के बाहर तो अधिकतर लोगों को गांव के बारे में पता भी नहीं है.' सिंह ने बताया कि गांव में पेयजल और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं. खेती बारिश पर आधारित है, क्योंकि यहां सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है. सिंह को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि गांव का नाम राफेल क्यों रखा गया और इसका क्या अर्थ है. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता, लेकिन गांव का दशकों से यह नाम है. वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन से भी पहले यह नाम है. मुझे इस नाम के पीछे का तर्क नहीं पता.' बता दें कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार को फ्रांस के साथ हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर निशाना बना रहे हैं. उनका आरोप है कि हर विमान की कीमत तेजी से बढ़ी है और इस सौदे से उद्योगपति अनिल अंबानी को लाभ होगा. सरकार और अंबानी ने इन आरोपों से इनकार किया है. उधर, राफेल डील (Rafale Deal) मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से बड़ा झटका भी लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उन प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने याचिका के साथ लगाए दस्तावेजों पर विशेषाधिकार बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल मामले में रक्षा मंत्रालय से फोटोकॉपी किए गोपनीय दस्तावेजों का परीक्षण करेगा
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की पाटन विधानसभा सीट पर प्रदेश भर की निगाहें टिकी हुई है. कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल की वजह से सबसे हॉट मानी जा रही है. पिछले तीन चुनाव से चाचा-भतीजे भूपेश बघेल और विजय बघेल के बीच यहां मुकाबला है. पाटन सीट पर दो बार भूपेश बघेल को और एक बार विजय बघेल को जीत हासिल हुई है. मौजूदा समय में कांग्रेस का कब्जा है. जबकि इससे पहले बीजेपी ने जीत हासिल की थी. इस बार कांग्रेस भाजपा के अलावा जोगी कांग्रेस की भी पुख्ता दावेदारी यहां सामने आ रही है. कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल बीजेपी के राडार पर हैं. सभी पार्टियां उन्हें चारो तरफ से घेराबंदी करने में जुटी है. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी से छत्तीस का आंकड़ा होने की वजह से जोगी कांग्रेस भी बघेल के खिलाफ कोई अवसर नहीं गंवाना चाहती. 2013 के नतीजे कांग्रेस के भूपेश बघेल को 68185 वोट मिले थे. बीजेपी के विजय बघेल को 58442 वोट मिले थे. 2008 के नतीजे बीजेपी के विजय बघेल को 59000 वोट मिले थे. कांग्रेस के भूपेश बघेल  को 51158 वोट मिले थे. 2003 के परिणाम कांग्रेस के भूपेश बघेल को 44217 वोट मिले थे. एनसीपी के विजय बघेल को 37308 वोट मिले थे. पाटन विधानसभा हमेशा से जिले में राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के इस इलाके में प्रारंभ से ही राजनीतिक चेतना रही है, जिसका असर चुनाव में देखने को मिलता रहा है. यही वजह है कि यहां के मतदाताओं ने हमेशा अपने विवेक से मतदान किया और परिणाम में हरबार उलट फेर होते रहे हैं. इस क्षेत्र में खास बात यह भी है कि जब भी यहां त्रिकोणीय मुकाबले हुए है तब-तब कांग्रेस में फायदे में रही है. जबकि सीधे मुकाबले में कांग्रेस के विरोधियों ने जीत दर्ज की है. पिछले तीन चुनाव से चाचा-भतीजे भूपेश बघेल व विजय बघेल के बीच यहां मुकाबला हुआ है. छत्तीसगढ़ के समीकरण बता दें कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. राज्य में अभी कुल 11 लोकसभा और 5 राज्यसभा की सीटें हैं. छत्तीसगढ़ में कुल 27 जिले हैं. राज्य में कुल 51 सीटें सामान्य, 10 सीटें एससी और 29 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. रमन की हैट्रिक 2013 में विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए गए थे. इनमें भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में लगातार तीसरी बार कांग्रेस को मात देकर सरकार बनाई थी. रमन सिंह की अगुवाई में बीजेपी को 2013 में कुल 49 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. जबकि कांग्रेस सिर्फ 39 सीटें ही जीत पाई थी. जबकि 2 सीटें अन्य के नाम गई थीं. 2008 के मुकाबले बीजेपी को तीन सीटें कम मिली थीं, इसके बावजूद उन्होंने पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाई. रमन सिंह 2003 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
राष्ट्रमंडल खेलों में शुक्रवार को भारत के बैडमिंटन खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप और पीवी सिंधु अपने-अपने वर्ग में सेमीफाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहे. नंबर दो वरीय सिंधु ने महिलाओं के एकल वर्ग के क्वार्टर फाइनल में न्यूजीलैंड की अन्ना रांकिन को 24 मिनट में 21-10, 21-9 से हराया. सिंधु पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा ले रही हैं. विश्व की नंबर-11 खिलाड़ी सिंधु सेमीफाइनल में कनाडा की मिशेल ली के खिलाफ खेलेंगी. इससे पहले पुरुष एकल में दूसरे वरीय कश्यप ने मलेशिया के डारेन लिव को 21-13, 21-14 से हराया. कश्यप ने चार साल पहले दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता था.
ये दिल मांगे मोर एक भारतीय रोमांस ड्रामा टेलीविज़न सीरीज़ है, जो बालाजी टेलीफिल्म्स के तहत एकता कपूर और शोभा कपूर द्वारा निर्मित है, जिसमें अक्षय म्हात्रे और ट्विंकल पटेल ने अभिनय किया है। इसका प्रीमियर 15 अगस्त 2022 को डीडी नेशनल पर हुआ। सीरीज एक आर्मी ऑफिसर और एक डॉक्टर के इर्द-गिर्द घूमती है। श्रृंखला इस बात की पड़ताल करती है कि कैसे वे अपने पेशे के तहत बंधे हुए हैं, वे एक-दूसरे से लड़ते हैं, अंततः प्यार में पड़ जाते हैं। '' कलाकार मेजर आर्यन सिंह के रूप में अक्षय म्हात्रे डॉ ज्योति के रूप में ट्विंकल पटेल किरण मेहरा के रूप में शेफाली राणा यह सभी देखें डीडी नेशनल द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों की सूची संदर्भ बाहरी संबंध भारतीय टेलीविजन धारावाहिक डीडी नेशनल मूल कार्यक्रम भारतीय टीवी कार्यक्रम बालाजी टेलीफिल्म्स के धारावाहिक दूरदर्शन धारावाहिक
यह एक लेख है: देश के शेयर बाजारों में मंगलवार को आई गिरावट के बाद आज शुरुआत तेजी में हुई. लिवाली समर्थन मिलने से बैंकिंग, पेट्रोलियम और रोजमर्रा के उपभोग के सामान बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में तेजी का रुख रहा. बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 193 अंक चढ़ गया तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 9,800 अंक से ऊपर निकल गया. बाजार सूत्रों के अनुसार अगस्त के वायदा एवं विकल्प सौदों के निपटान का दिन नजदीक आने से सटोरिये कारोबारी अपने बकाया सौदों को समेटने लगे हैं. अगस्त डेरिवेटिव सौदों का कल निपटान होना है. बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का 30-शेयरों पर आधारित सेंसेक्स आज शुरुआती दौर में 193.39 अंक यानी 0.61 प्रतिशत बढ़कर 31,581.78 अंक पर पहुंच गया. मंगलवार को सेंसेक्स में भारी गिरावट आई थी. उत्तरी कोरिया के जापान के ऊपर से मिसाइल दागने से बढ़े भू-राजनीतिक तनाव के चलते कल वैश्विक बाजारों में गिरावट का रुख था. पढ़ें: सेंसेक्स की टॉप-10 कंपनियों में से आठ का मार्केट कैप 54,968 करोड़ रुपये बढ़ाटिप्पणियां बहरहाल, आज कारोबार के शुरुआती दौर में रीयल्टी, धातु, अवसंरचना और बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में 1.23 प्रतिशत तक तेजी रही. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी शुरुआती दौर में 75.20 अंक यानी 0.76 प्रतिशत चढ़कर 9,871.25 अंक पर पहुंच गया. एशियाई बाजारों में भी मंगलवार की गिरावट के बाद आज सुधार का रुख रहा. जापान का निक्केई सूचकांक 0.55 प्रतिशत ऊंचा रहा. हांग कांग का हेंग सेंग सूचकांक 0.79 प्रतिशत बढ़ गया जबकि शंघाई का कंपोजिट सूचकांक भी 0.05 प्रतिशत बढ़ गया. अमेरिका का डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज भी कल कारोबार की समाप्ति पर 0.26 प्रतिशत बढ़कर बंद हुआ था.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) बाजार सूत्रों के अनुसार अगस्त के वायदा एवं विकल्प सौदों के निपटान का दिन नजदीक आने से सटोरिये कारोबारी अपने बकाया सौदों को समेटने लगे हैं. अगस्त डेरिवेटिव सौदों का कल निपटान होना है. बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का 30-शेयरों पर आधारित सेंसेक्स आज शुरुआती दौर में 193.39 अंक यानी 0.61 प्रतिशत बढ़कर 31,581.78 अंक पर पहुंच गया. मंगलवार को सेंसेक्स में भारी गिरावट आई थी. उत्तरी कोरिया के जापान के ऊपर से मिसाइल दागने से बढ़े भू-राजनीतिक तनाव के चलते कल वैश्विक बाजारों में गिरावट का रुख था. पढ़ें: सेंसेक्स की टॉप-10 कंपनियों में से आठ का मार्केट कैप 54,968 करोड़ रुपये बढ़ाटिप्पणियां बहरहाल, आज कारोबार के शुरुआती दौर में रीयल्टी, धातु, अवसंरचना और बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में 1.23 प्रतिशत तक तेजी रही. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी शुरुआती दौर में 75.20 अंक यानी 0.76 प्रतिशत चढ़कर 9,871.25 अंक पर पहुंच गया. एशियाई बाजारों में भी मंगलवार की गिरावट के बाद आज सुधार का रुख रहा. जापान का निक्केई सूचकांक 0.55 प्रतिशत ऊंचा रहा. हांग कांग का हेंग सेंग सूचकांक 0.79 प्रतिशत बढ़ गया जबकि शंघाई का कंपोजिट सूचकांक भी 0.05 प्रतिशत बढ़ गया. अमेरिका का डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज भी कल कारोबार की समाप्ति पर 0.26 प्रतिशत बढ़कर बंद हुआ था.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) पढ़ें: सेंसेक्स की टॉप-10 कंपनियों में से आठ का मार्केट कैप 54,968 करोड़ रुपये बढ़ाटिप्पणियां बहरहाल, आज कारोबार के शुरुआती दौर में रीयल्टी, धातु, अवसंरचना और बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में 1.23 प्रतिशत तक तेजी रही. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी शुरुआती दौर में 75.20 अंक यानी 0.76 प्रतिशत चढ़कर 9,871.25 अंक पर पहुंच गया. एशियाई बाजारों में भी मंगलवार की गिरावट के बाद आज सुधार का रुख रहा. जापान का निक्केई सूचकांक 0.55 प्रतिशत ऊंचा रहा. हांग कांग का हेंग सेंग सूचकांक 0.79 प्रतिशत बढ़ गया जबकि शंघाई का कंपोजिट सूचकांक भी 0.05 प्रतिशत बढ़ गया. अमेरिका का डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज भी कल कारोबार की समाप्ति पर 0.26 प्रतिशत बढ़कर बंद हुआ था.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) बहरहाल, आज कारोबार के शुरुआती दौर में रीयल्टी, धातु, अवसंरचना और बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में 1.23 प्रतिशत तक तेजी रही. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी शुरुआती दौर में 75.20 अंक यानी 0.76 प्रतिशत चढ़कर 9,871.25 अंक पर पहुंच गया. एशियाई बाजारों में भी मंगलवार की गिरावट के बाद आज सुधार का रुख रहा. जापान का निक्केई सूचकांक 0.55 प्रतिशत ऊंचा रहा. हांग कांग का हेंग सेंग सूचकांक 0.79 प्रतिशत बढ़ गया जबकि शंघाई का कंपोजिट सूचकांक भी 0.05 प्रतिशत बढ़ गया. अमेरिका का डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज भी कल कारोबार की समाप्ति पर 0.26 प्रतिशत बढ़कर बंद हुआ था.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह लेख है: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार सुबह कोहरा छाया रहा। कोहरे का सर्वाधिक असर रेलगाड़ियों के परिचालन पर पड़ा है। करीब 30 रेलगाड़ियों का परिचालन प्रभावित हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि भागलपुर से दिल्ली आने वाली गरीबरथ एक्सप्रेस रेलगाड़ी 22 घंटे और अलीपुर दौर से दिल्ली आने वाली महानंदा एक्स्प्रेस 18 घंटों की देरी से चल रही है। वहीं सीमांचल एक्सप्रेस भी 18 घंटों की देरी से चल रही है। राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 7.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया, सुबह के समय राजधानी में घना कोहरा रहा और आंशिक तौर पर बादल छाए रहे। हालांकि दिन में आसमान साफ रहेगा। सुबह 8.30 बजे वातावरण में 89 प्रतिशत आर्द्रता दर्ज की गई। इससे पहले, शुक्रवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान सामान्य से छह डिग्री कम 16.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 7.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
सीरियल ऐटा (या सैटा) (अंग्रेज़ी: SATA) हार्ड ड्राइव को कम्प्यूटर से जोड़ने का एक तरीका होता है। यह पैटा (PATA) का प्रतिस्थापन है। सैटा के आने से पहले पैटा को ऐटा (ATA) या आई॰डी॰ई (ATA) ही कहते थे। सैटा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता जो इसे पैटा से भिन्न करती है वो है इसके केबल। सैटा हार्ड ड्राइव को कम्प्यूटर से जोड़ने के लिए पतले केबल का उपयोग करता है। पैटा अभी भी सैटा से अधिक उपयोग में लाया जाता है, किन्तु अब नए कम्प्यूटरों में सैटा लगा हुआ मिलता है। २००५ के बाद के कम्प्यूटरों में सैटा इंटरफ़ेस लग कर आ रहा है। पैटा में 'P' का अर्थ है पैरेलल (यानि समानांतर) और इसे कम्प्यूटरों में कई तारों के रूप में देखा जा सकता है जो रिबन केबल में एक ही दिशा की ओर समानांतर जाती हैं और हार्ड ड्राइव से जुड़ती हैं। सैटा और पैटा में बहुत सी भिन्नताएं होती हैं। सैद्धांतिक रूप से सैटा पैटा से तीव्र होता है। यद्यपि जिन अतितीव्र गतियों (१५० एमबी/सै, ३०० एमबी/सै) के बारे में कंपनियां दावे करतीं है, उनकी आवश्यकता प्रायः कम ही पड़ती है। अन्य लाभों में हैं नई केबल का सरल रख-रखाव। कुछ ड्राइव को कम्प्यूटर के चलते रहते हुए ही कम्प्यूटर से जोड़ा या अलग किया जा सकता है, यानि कंप्यूटर को शट-डाउन करने की आवश्यकता नहीं होती। इसे हॉट स्वैपिंग (hot swapping) कहा जाता है। अंततः, कुछ ड्राइवें "नेटिव कमांड क्यूइंग" (Native Command Queueing) समर्थित हैं। इसका अर्थ है कि ड्राइव किसी कार्य के क्रम को पुनर्व्यवस्थित कर सकती है जिससे की वह कार्य तीव्र गति से हो। इन दोनों के अलग जोड़ और भिन्न मदरबोर्ड प्रकार भी होते हैं। पुराने पैटा वाले मदरबोर्ड में सैटा की ड्राइव नहीं लग सकती है, न ही इसका उलटा संभव है। हां ऐसे मदरबोर्ड मिलते हैं, जो पाटा व साटा दोनों प्रकार की हार्डडिस्क को सपोर्ट करते हैं। विशेष तौर पर डिजायन किया गया पी7पी55डी प्रीमीयम अपनी तरह का ऐसा पहला मदरबोर्ड है जो साटा (एसएटीए) के इंटरफेस के साथ ६ गीगाबाइड प्रति सैकेंड की रफ्तार से डाटा अंतरण कराता है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ सीरियल ATA अंतर्राष्ट्रीय संगठन (SATA-IO) साटा मदरबोर्ड कनेक्टर पिन-आउट सीरियल ATA कनेक्टर आरेख एवं पिन-आउट साटा हार्ड ड्राइव कैसे स्थापित करें व ट्रबलशूटिंग कंप्यूटर हार्डवेयर हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना
लेख: देश के शेयर बाजारों में सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को तेजी दर्ज की गई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 467.51 अंकों की तेजी के साथ 24,684.85 पर और निफ्टी 132.55 अंकों की तेजी के साथ 7,362.50 पर बंद हुआ।                            बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 151.62 अंकों की तेजी के साथ 24,368.96 पर खुला और 467.51 अंकों यानी 1.93 फीसदी की तेजी के साथ 24,684.85 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 24,709.09 के ऊपरी और 24,270.20 के निचले स्तर को छुआ।                                  नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 34.10 अंकों की तेजी के साथ 7,264.05 पर खुला और 132.55 अंकों यानी 1.83 फीसदी की तेजी के साथ 7,362.50 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 7,368.60 के ऊपरी और 7,239.50 के निचले स्तर को छुआ।   बीएसई के मिडकैप सूचकांक और स्मॉलकैप सूचकांक में भी तेजी दर्ज की गई। मिडकैप सूचकांक 183.30 अंकों की तेजी के साथ 8,650.52 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 181.19 अंकों की तेजी के साथ 9,196.92 पर बंद हुआ।                  बीएसई के 12 में से 10 सेक्टरों में तेजी दर्ज की गई। पूंजीगत वस्तुएं (4.93 फीसदी), बैंकिंग (3.28 फीसदी), तेल एवं गैस (2.85 फीसदी), बिजली (2.38 फीसदी) और धातु (1.86 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी दर्ज की गई।   बीएसई के स्वास्थ्य सेवाएं (0.92 फीसदी) और तेज खपत उपभोक्ता वस्तुएं (0.82 फीसदी) में गिरावट दर्ज की गई।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबरों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास स्थान पर सुबह से हलचल तेज़ है। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कुछ केन्द्रीय मंत्रियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श किया। सोनिया के 10 जनपथ स्थित निवास पर उनसे मुलाकात करने वालों में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री सीपी जोशी शामिल थे। तृणमूल कांग्रेस के संप्रग से नाता तोड़ने और मुकुल रॉय सहित उसके मंत्रियों के इस्तीफा देने के बाद जोशी को रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जोशी ने आज ही रेल मंत्रालय का कामकाज संभाला है। सोनिया ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से भी मुलाकात की। चव्हाण का नाम भी कैबिनेट में शामिल होने वाले नए मंत्रियों के रूप में लिया जा रहा है। कांग्रेस के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी मोहन प्रकाश भी सोनिया गांधी से मिले। कांग्रेस अध्यक्ष ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद, पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और अपने राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से भी चर्चा की।टिप्पणियां तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्रियों के इस्तीफा दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के दो-तीन कांग्रेस नेताओं को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है। मंत्रिमंडल में कई ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जो दो-दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं इनमें कपिल सिब्बल, बेनी प्रसाद वर्मा, सीपी जोशी, व्यालार रवि और वीरप्पा मोइली शामिल हैं। संभावित फेरबदल में इन मंत्रियों की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कुछ केन्द्रीय मंत्रियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श किया। सोनिया के 10 जनपथ स्थित निवास पर उनसे मुलाकात करने वालों में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री सीपी जोशी शामिल थे। तृणमूल कांग्रेस के संप्रग से नाता तोड़ने और मुकुल रॉय सहित उसके मंत्रियों के इस्तीफा देने के बाद जोशी को रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जोशी ने आज ही रेल मंत्रालय का कामकाज संभाला है। सोनिया ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से भी मुलाकात की। चव्हाण का नाम भी कैबिनेट में शामिल होने वाले नए मंत्रियों के रूप में लिया जा रहा है। कांग्रेस के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी मोहन प्रकाश भी सोनिया गांधी से मिले। कांग्रेस अध्यक्ष ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद, पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और अपने राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से भी चर्चा की।टिप्पणियां तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्रियों के इस्तीफा दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के दो-तीन कांग्रेस नेताओं को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है। मंत्रिमंडल में कई ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जो दो-दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं इनमें कपिल सिब्बल, बेनी प्रसाद वर्मा, सीपी जोशी, व्यालार रवि और वीरप्पा मोइली शामिल हैं। संभावित फेरबदल में इन मंत्रियों की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है। सोनिया के 10 जनपथ स्थित निवास पर उनसे मुलाकात करने वालों में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री सीपी जोशी शामिल थे। तृणमूल कांग्रेस के संप्रग से नाता तोड़ने और मुकुल रॉय सहित उसके मंत्रियों के इस्तीफा देने के बाद जोशी को रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जोशी ने आज ही रेल मंत्रालय का कामकाज संभाला है। सोनिया ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से भी मुलाकात की। चव्हाण का नाम भी कैबिनेट में शामिल होने वाले नए मंत्रियों के रूप में लिया जा रहा है। कांग्रेस के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी मोहन प्रकाश भी सोनिया गांधी से मिले। कांग्रेस अध्यक्ष ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद, पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और अपने राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से भी चर्चा की।टिप्पणियां तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्रियों के इस्तीफा दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के दो-तीन कांग्रेस नेताओं को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है। मंत्रिमंडल में कई ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जो दो-दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं इनमें कपिल सिब्बल, बेनी प्रसाद वर्मा, सीपी जोशी, व्यालार रवि और वीरप्पा मोइली शामिल हैं। संभावित फेरबदल में इन मंत्रियों की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है। सोनिया ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से भी मुलाकात की। चव्हाण का नाम भी कैबिनेट में शामिल होने वाले नए मंत्रियों के रूप में लिया जा रहा है। कांग्रेस के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी मोहन प्रकाश भी सोनिया गांधी से मिले। कांग्रेस अध्यक्ष ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद, पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और अपने राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से भी चर्चा की।टिप्पणियां तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्रियों के इस्तीफा दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के दो-तीन कांग्रेस नेताओं को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है। मंत्रिमंडल में कई ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जो दो-दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं इनमें कपिल सिब्बल, बेनी प्रसाद वर्मा, सीपी जोशी, व्यालार रवि और वीरप्पा मोइली शामिल हैं। संभावित फेरबदल में इन मंत्रियों की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद, पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा और अपने राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से भी चर्चा की।टिप्पणियां तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्रियों के इस्तीफा दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के दो-तीन कांग्रेस नेताओं को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है। मंत्रिमंडल में कई ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जो दो-दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं इनमें कपिल सिब्बल, बेनी प्रसाद वर्मा, सीपी जोशी, व्यालार रवि और वीरप्पा मोइली शामिल हैं। संभावित फेरबदल में इन मंत्रियों की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है। तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्रियों के इस्तीफा दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के दो-तीन कांग्रेस नेताओं को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है। मंत्रिमंडल में कई ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जो दो-दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं इनमें कपिल सिब्बल, बेनी प्रसाद वर्मा, सीपी जोशी, व्यालार रवि और वीरप्पा मोइली शामिल हैं। संभावित फेरबदल में इन मंत्रियों की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है। मंत्रिमंडल में कई ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जो दो-दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं इनमें कपिल सिब्बल, बेनी प्रसाद वर्मा, सीपी जोशी, व्यालार रवि और वीरप्पा मोइली शामिल हैं। संभावित फेरबदल में इन मंत्रियों की जिम्मेदारियों को कम किया जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर के सोपोर में बुधवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया. आतंकियों के साथ ये मुठभेड़ उत्तरी कश्मीर के सोपोर के मारवाल के जंगलों में हुआ. सुरक्षाकर्मियों ने पूरे इलाके को घेर लिया है. आतंकियों की तलाश जारी है. शहीद पुलिसकर्मी एसओजी के कॉन्स्टेबल मोहम्मद शफी थे. सुरक्षाकर्मी पूरे इलाके में तलाशी कर रहे हैं. कई आतंकियों के जंगल के इस इलाके में छुपे होने की आशंका है. जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों आतंकी हमलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है. पाकिस्तान के अंदर घुसकर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आतंकी हमलों के जरिए बदला लेने की तैयारी में है. इसके मद्देनजर तमाम सुरक्षाबलों ने मुस्तैदी बढ़ा दी है. आतंकी तत्वों के खिलाफ जगह-जगह छापेमारी की जा रही है.
खबर है कि अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा खान फिल्मों में कदम रखने की योजना बना रही हैं. हालांकि, करीना कपूर का कहना है कि सारा की फिल्मों में कोई दिलचस्पी नहीं है. अमृता, सैफ की पहली पत्नी हैं. दोनों को इस शादी से बेटी सारा और बेटा इब्राहिम है. सैफ ने वर्ष 2012 में करीना से शादी कर ली. करीना ने बताया, 'सारा की फिल्मों में कोई दिलचस्पी नहीं है. वह कोलंबिया में पढ़ाई कर रही हैं. उनकी अभी पांच साल की पढ़ाई बाकी है. ऐसी कोई योजना नहीं है. मुझे नहीं पता कि ये सब अफवाहें कहां से आ रही हैं.' करीना अपनी अगली फिल्म 'सिंघम रिटनर्स' को लेकर बहुत उत्साहित हैं और वह यकीन दिलाती हैं कि फिल्म का सीक्वल कहीं ज्यादा बड़ा और बेहतर है. रोहित शेट्टी निर्देशित 'सिंघम रिटनर्स' 15 अगस्त को रिलीज हो रही है.
पूर्व तेज गेंदबाज क्रेग मैकडर्मोट को ऑस्ट्रेलिया का नया गेंदबाजी प्रशिक्षक बनाया गया है। वह पूर्व गेंदबाजी प्रशिक्षक ट्रॉय कूले का स्थान लेंगे। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) के प्रमुख माइकल ब्राउन ने गुरुवार को उम्मीदवारों के अंतिम चरण के साक्षात्कार के बाद ब्रिसबेन में यह घोषणा की। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज एलन डोनाल्ड भी इस दौड़ में शामिल थे। क्रिकेट वेबसाइट क्रिकइंफो के मुताबिक इस घोषण के बाद मैकडर्मोट ने कहा, फिर से ऑस्ट्रेलियन टीम का हिस्सा बनना अहम है। गेंदबाजों और टीम के साथ जुड़ने के लिए अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता। आने वाले महीनों में हमें कुछ चुनौतीपूर्ण दौरों पर जाना है। ऑस्ट्रेलिया को क्रिकेट के सभी प्रारूपों में नम्बर वन पर पहुंचाना मेरा लक्ष्य होगा। मैकडर्मोट ने 1996 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा था। उन्होंने 71 टेस्ट मैचों में खेलते हुए 291 विकेट हासिल किए हैं।
INX मीडिया केस में पी. चिदंबरम पर कानूनी शिकंजा दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली अग्रिम जमानत सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रमन्ना ने केस सुनने से किया इनकार चीफ जस्टिस रंजन गोगोई लेंगे अंतिम फैसला INX मीडिया केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की कार्रवाई का सामना कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं. दिल्ली हाईकोर्ट से तो उन्हें अंतरिम जमानत नहीं मिल सकी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में भी उनकी राह आसान नहीं दिख रही है. बुधवार को जब सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने पी. चिदंबरम के मामले को जस्टिस रमन्ना की बेंच के सामने आगे बढ़ाया तो उन्होंने कहा कि इस पर किसी तरह का फैसला नहीं ले सकते हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में चिदंबरम की तरफ से अंतरिम जमानत को लेकर याचिका दायर की गई थी, लेकिन उनकी याचिका में खामी निकली. और ये मामला लिस्टिंग के पेच में फंस गया, जस्टिस रमन्ना ने बताया कि लिस्टिंग पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ही अंतिम फैसला लेंगे. लेकिन चीफ जस्टिस गोगोई अभी रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें बीच में नहीं टोका जा सकता है. दोपहर को जब जस्टिस रमन्ना की बेंच के सामने ये मामला सुना गया तो सुप्रीम कोर्ट में पी. चिदंबरम की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी तक ये मामला लिस्ट नहीं हो पाया है. इस पर जस्टिस रमन्ना ने जवाब दिया कि अक्सर किसी भी मामले की फाइल को शाम के वक्त आगे बढ़ाया जाता है, लेकिन इस मामले की फाइल को हमने सुबह ही आगे बढ़ा दिया है. कपिल सिब्बल ने बताया कि हमने याचिका की कमियों को दूर कर दिया है, ऐसे में अब मामले को सुना जाए. कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि चिदंबरम के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है, लेकिन वो कहीं भाग थोड़ी रहे हैं. इस पर जस्टिस रमन्ना की तरफ से जवाब दिया गया कि ये बेंच सिर्फ मामले की लिस्टिंग पर सुनवाई कर रही है, ऐसे में वो किसी भी तरह का फैसला नहीं देंगे. फैसला सिर्फ और सिर्फ चीफ जस्टिस ही देंगे. हालांकि, जस्टिस रमन्ना की तरफ से कहा गया कि अगर चीफ जस्टिस उन्हें आदेश देते हैं तो वह इस मामले को सुन सकते हैं लेकिन अभी वह अयोध्या मसले को सुन रहे हैं इसलिए वह कोई आदेश पारित नहीं कर सकते हैं. अब पी. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, विवेक तन्खा सभी अदालत में रुके हुए हैं और चीफ जस्टिस का इंतजार कर रहे हैं.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) परिसर में छेड़खानी के खिलाफ सुरक्षा की मांग कर रही छात्राओं पर लाठीचार्ज के मामले पर शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने मामले की जांच रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी है, जिसमें बवाल बढ़ने के लिए बीएचयू प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया गया है. वहीं, यूपी सरकार ने बीएचयू में हिंसा मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. उधर, मामले को लेकर आजतक के सवाल पर भड़के बीएचयू के वीसी गिरीशचंद्र त्रिपाठी ने कहा, 'मैं इस मामले में अपनी गलती क्यों स्वीकार करूं? हमने भी अपनी कमेटी रिपोर्ट तैयार की है, जिसको पेश किया जाएगा. फिलहाल मैं कार्यकारी बैठक के लिए दिल्ली आया हूं.' इस दौरान उन्होंने मीडिया को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि मीडिया एजेंडा चला रही है और अन्याय कर रही है. मामले को लेकर वाराणसी कमिश्नर की रिपोर्ट के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने BHU के वीसी को दिल्ली तलब किया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीएचयू हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. सूत्रो की माने तो अब BHU VC को छुट्टी पर भेजा जा सकता है. इसके अलावा बीएचयू ने मेसर्स शिव शक्ति सिक्युरिटी सर्विसेज को पत्र लिखकर तुरंत 20 महिला सुरक्षाकर्मियों की मांग की है. इसमें प्राथमिकता के आधार पर 20 महिला सुरक्षाकर्मियों विश्वविद्यालय की छात्राओं की सुरक्षा में तैनात करने का निर्देश दिया गया है. वाराणसी कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने चीफ सेकेट्ररी राजीव कुमार को दी गई अपनी रिपोर्ट में बताया कि बीएचयू के प्रशासन ने पीड़ित की शिकायत पर ढंग से कार्रवाई नहीं की और ना ही हालात को सही तरीके से संभाला गया. बता दें कि BHU में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ के बाद किए जा रहे धरना प्रदर्शन और विरोध से माहौल काफी बिगड़ गया था.
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) का 10वीं, 12वीं कक्षा का रिजल्ट आज जारी हो जाएगा. छात्र आधिकारिक वेबसाइट www.upmsp.edu.in पर जाकर रिजल्ट देख सकते हैं. रिपोर्ट्स का अनुसार 12वीं कक्षा का रिजल्ट  करीब 12:30 जारी किया जाएगा, वहीं 10वीं कक्षा का रिजल्ट 1.30 बजे जारी कर दिया जाएगा. आपको बता दें, परीक्षा का रिजल्ट यूपी बोर्ड के मुख्यालय इलाहाबाद से घोषित किया जाएगा... ऐसे देख सकते हैं रिजल्ट - सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट www.upmsp.edu.in पर जाएं. - होम पेज ओपन होने पर आपको दो लिंक दिखेंगे. पहला कक्षा 10वीं के लिए और दूसरा कक्षा 12वीं के लिए. जिस कक्षा का रिजल्ट देखना है उस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं. UP Board Result: बिना इंटरनेट ऐसे देखें अपना रिजल्ट - लिंक क्लिक करने के बाद जरूरी डिटेल्स भरें. - आपका रिजल्ट स्क्रीन पर दिखने लगेगा. - प्रिंटआउट लेना न भूलें. गोवा 12वीं बोर्ड के नतीजे घोषित, gbshse.gov.in पर देखें परिणाम SMS के जरिए करें रिजल्ट चेक आपको बता दें, रिजल्ट जारी होने के बाद लाखों छात्र वेबसाइट पर अपना देखेंगे. ऐसे में वेबसाइट में सर्वर डाउन होने की संभावना रहेगी. बता दें, यूपी बोर्ड की 10वीं, 12वीं कक्षा की परीक्षा 6 फरवरी से 10 मार्च 2018 तक चली थी. इस परीक्षा में  66 लाख 30 हजार 18 से छात्र शामिल हुए थे. 10वीं कक्षा में 36,55,691 छात्र और 12वीं में 29,81,327 छात्र शामिल हुए थे. बोर्ड परीक्षा के लिए 8549 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे.
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा (Jagannath Puri Rath Yatra) में हर साल लाखों लोगों का जमावड़ा जुटता है. मान्‍यता है कि भगवान जगन्नाथ (Jagannath) का रथ खींचने से पुण्‍य मिलता है. यही वजह है कि भगवान के रथ को खींचने के लिए श्रद्धालु देश-विदेश से लाखों की तादाद में यहां पहुंचते हैं. ऐसे में स्‍वाभाविक है कि इस भीड़ में लोगों का एक जगह से दूसरी जगह जाना मुमकिन नहीं है. लेकिन इसके बावजूद भीड़ ने जिस तरह एक एम्‍बुलेंस को जाने का रास्‍ता दिया वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है.  खबर के मुताबिक 4 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान करीब 1200 स्‍वयंसेवकों और लाखों भक्‍तों ने एम्‍बुलेंस के जाने के लिए रास्‍ता बनाया. घटना का वीडियो खुद पुरी के एसपी ने ट्वीट किया है, जो जल्‍द ही वायरल हो गया: 1200 volunteers, 10 organizations and hours of practice made this human corridor for free ambulance movement possible during Puri Rath Yatra 2019. pic.twitter.com/zVKzqhzYCw ट्विटर यूजर्स ने इस वाकए की जमकर तारीफ की है: Commendable Best thing on twitter today. Wow so pleasing to see Incrediable ... Emergency for humanity vs. faith, a great example. This is great work.Only possible through proper planning amd coordination. Kuddos to @AMITABHTHAKUR21 Sir who lead the traffic movment during ratha yatra.Thank you Sir. कुछ दिन पहले ही इसी तरह का एक वाकया हॉन्‍गकॉन्‍ग में हुआ था जब प्रदर्शनकारियों ने एम्‍बुलेंस को जाने का रास्‍ता दिया था. जाहिर है कि इस तरह की खबरें इंसानियत पर भरोसा कायम करती हैं.
दिल्ली पुलिस ने एक अफगानी नागरिक के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. उसके पेट से सर्जरी के बाद 2 करोड़ की हेरोइन बरामद की गयी है. डीसीपी एयरपोर्ट के मुताबिक 3 नबंवर को दो अफगानी नागरिक आईजीआईए एयरपोर्ट से अफगानिस्तान जाने वाले थे, उसी बीच 43 साल के एक अफगानी नागरिक गुलाम राबानी की तबियत अचानक खराब हो गयी. इसकी सूचना एयरलाइन्स ने आईजीआई पुलिस और दूसरी एजेंसियों को दी.टिप्पणियां पुलिस को राबानी हालत देखकर उस पर संदेह हुआ और उसे एम्स में भर्ती कराया गया. गुलाम ने वहां पेट दर्द की शिकायत की. पुलिस को भी शक यही था कि उसके पेट में कुछ है इसलिए पुलिस ने उस पर पहरा भी बिठा दिया. डॉक्टरों  ने जब उसका इलाज शुरू किया तो वो भी हैरान रह गए. जांच में पता चला की उसने अपने पेट में एक बड़ा पैकेट छिपाया हुआ है. उसकी सर्जरी हुई तो गुलाम के पेट से 525 ग्राम की एक थैली निकली जिसके अंदर हेरोइन के 57 बड़े कैप्सूल थे. पुलिस के मुताबिक बरामद ड्रग्स की कीमत करीब 2 करोड़ रुपये है. फिलहाल पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा दर्ज किया है. गुलाम का अभी भी एम्स में इलाज चल रहा है. गुलाम के ठीक होने के बाद उसकी गिरफ्तारी की जाएगी.   डीसीपी एयरपोर्ट के मुताबिक 3 नबंवर को दो अफगानी नागरिक आईजीआईए एयरपोर्ट से अफगानिस्तान जाने वाले थे, उसी बीच 43 साल के एक अफगानी नागरिक गुलाम राबानी की तबियत अचानक खराब हो गयी. इसकी सूचना एयरलाइन्स ने आईजीआई पुलिस और दूसरी एजेंसियों को दी.टिप्पणियां पुलिस को राबानी हालत देखकर उस पर संदेह हुआ और उसे एम्स में भर्ती कराया गया. गुलाम ने वहां पेट दर्द की शिकायत की. पुलिस को भी शक यही था कि उसके पेट में कुछ है इसलिए पुलिस ने उस पर पहरा भी बिठा दिया. डॉक्टरों  ने जब उसका इलाज शुरू किया तो वो भी हैरान रह गए. जांच में पता चला की उसने अपने पेट में एक बड़ा पैकेट छिपाया हुआ है. उसकी सर्जरी हुई तो गुलाम के पेट से 525 ग्राम की एक थैली निकली जिसके अंदर हेरोइन के 57 बड़े कैप्सूल थे. पुलिस के मुताबिक बरामद ड्रग्स की कीमत करीब 2 करोड़ रुपये है. फिलहाल पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा दर्ज किया है. गुलाम का अभी भी एम्स में इलाज चल रहा है. गुलाम के ठीक होने के बाद उसकी गिरफ्तारी की जाएगी.   पुलिस को राबानी हालत देखकर उस पर संदेह हुआ और उसे एम्स में भर्ती कराया गया. गुलाम ने वहां पेट दर्द की शिकायत की. पुलिस को भी शक यही था कि उसके पेट में कुछ है इसलिए पुलिस ने उस पर पहरा भी बिठा दिया. डॉक्टरों  ने जब उसका इलाज शुरू किया तो वो भी हैरान रह गए. जांच में पता चला की उसने अपने पेट में एक बड़ा पैकेट छिपाया हुआ है. उसकी सर्जरी हुई तो गुलाम के पेट से 525 ग्राम की एक थैली निकली जिसके अंदर हेरोइन के 57 बड़े कैप्सूल थे. पुलिस के मुताबिक बरामद ड्रग्स की कीमत करीब 2 करोड़ रुपये है. फिलहाल पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा दर्ज किया है. गुलाम का अभी भी एम्स में इलाज चल रहा है. गुलाम के ठीक होने के बाद उसकी गिरफ्तारी की जाएगी.   डॉक्टरों  ने जब उसका इलाज शुरू किया तो वो भी हैरान रह गए. जांच में पता चला की उसने अपने पेट में एक बड़ा पैकेट छिपाया हुआ है. उसकी सर्जरी हुई तो गुलाम के पेट से 525 ग्राम की एक थैली निकली जिसके अंदर हेरोइन के 57 बड़े कैप्सूल थे. पुलिस के मुताबिक बरामद ड्रग्स की कीमत करीब 2 करोड़ रुपये है. फिलहाल पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा दर्ज किया है. गुलाम का अभी भी एम्स में इलाज चल रहा है. गुलाम के ठीक होने के बाद उसकी गिरफ्तारी की जाएगी.
यह लेख है: कांग्रेस की धुरी के बिना विपक्ष की एकता संभव नहीं होने का दावा करते हुए कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि उत्तर प्रदेश उपचुनाव में भाजपा की उसके मजबूत विकेट पर हार से साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी हराया जा सकता है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने वर्तमान भारतीय राजनीति में तीसरा मोर्चा उभरने की संभावना के बारे में पूछने पर ‘भाषा’ से कहा, ‘‘कांग्रेस के बिना विपक्ष हो ही नहीं सकता. कांग्रेस जहां एक आधार है वहीं दूसरा आधार भाजपा है. अब ऐसा नहीं हो सकता कि कांग्रेस को हटा कर विपक्ष बनाया जाये.’’  उन्होंने माना कि देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस अपने साथ कितने विपक्षी दलों को ला पाती है. चव्हाण ने हाल में संपन्न महाधिवेशन में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इसका साफ संदेश था कि जो काम शिमला सम्मेलन के बाद हो सकता है, वह 2019 में भी हो सकता है. महाधिवेशन में सोनिया ने ध्यान दिलाया था कि पार्टी ने पचमढ़ी में अन्य दलों के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया जबकि शिमला सम्मेलन में कांग्रेस ने गठबंधन करने पर सहमति जतायी थी. संसद में तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने और विपक्ष की एकजुटता को लेकर कांग्रेस द्वारा अभी तक अग्रणी भूमिका निभाते दिखायी नहीं देने के बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘अभी ऐसा लग सकता है.’’  उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अभी अपनी टीम बनानी है. समय के साथ यह सब भी होगा, कार्यसमिति होगी, कोर टीम होगी, भीतरी टीम होगी. पहले से यह सब था पर राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद यह अस्थायी हो गया जिसे उन्हें स्थायित्व देना होगा. हर राज्य के लिए महासचिव बनेंगे और वे गठबंधन के लिए वहां के दलों से बातचीत करेंगे. शिवसेना और तेदेपा सहित राजग के कुछ घटक दलों के अपनी सरकार के रवैये के खिलाफ हाल में आये बयानों के बारे में पूछने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देखिए, उत्तर प्रदेश उपचुनाव के बाद सब हिल गये हैं. यह स्पष्ट संदेश गया है कि मोदी को उनके ही क्षेत्र में हराया जा सकता है. देखने वाली बात है कि मोदी के लिए गोरखपुर और फूलपुर से ज्यादा कोई मजबूत विकेट नहीं हो सकता. वर्तमान मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री द्वारा खाली की गयी सीटें... इससे ज्यादा मजबूत विकेट क्या हो सकता है? उसको यदि मजबूती से हरा दिया गया तो इसका मतलब है कि मोदी को भी हराया जा सकता है. गणित तो पहले ही बता रहा था कि उनके पास केवल 31 प्रतिशत वोट हैं. अब यह बात साबित भी हो गयी (उपचुनाव के नतीजों से). अब सवाल यही है कि मोदी अपने गठबंधन को कैसे एकजुट रख पायेंगे और हमें गठबंधन बनाने से क्या रोक पाएंगे?’’  उप्र चुनावों को लेकर यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि भाजपा ने जानबूझ कर ढंग से चुनाव नहीं लड़ा ताकि ईवीएम विवाद पर विराम लग सके. इस बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं इसे नहीं मानता. लोग तो यह भी कहते हैं कि योगी अपने को भावी प्रधानमंत्री की तरह पेश करने लगे थे, इसलिए उन्हें यह सबक सिखाया गया... पर यह सब गलत बात है.’’  उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के जीत वाले गठबंधन में कांग्रेस का साथ नहीं होने के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि यह दोनों दल साथ आयेंगे, क्या इस बात को पहले कभी सोचा जा सकता था. किंतु दोनों साथ आये और यह एक जीत का फार्मूला बन गया. हर राज्य के लिए जीत का अपना अलग फार्मूला होता है. हमारे राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का साथ आना जीतने का फार्मूला है. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. उन्होंने माना कि देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस अपने साथ कितने विपक्षी दलों को ला पाती है. चव्हाण ने हाल में संपन्न महाधिवेशन में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इसका साफ संदेश था कि जो काम शिमला सम्मेलन के बाद हो सकता है, वह 2019 में भी हो सकता है. महाधिवेशन में सोनिया ने ध्यान दिलाया था कि पार्टी ने पचमढ़ी में अन्य दलों के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया जबकि शिमला सम्मेलन में कांग्रेस ने गठबंधन करने पर सहमति जतायी थी. संसद में तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने और विपक्ष की एकजुटता को लेकर कांग्रेस द्वारा अभी तक अग्रणी भूमिका निभाते दिखायी नहीं देने के बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘अभी ऐसा लग सकता है.’’  उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अभी अपनी टीम बनानी है. समय के साथ यह सब भी होगा, कार्यसमिति होगी, कोर टीम होगी, भीतरी टीम होगी. पहले से यह सब था पर राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद यह अस्थायी हो गया जिसे उन्हें स्थायित्व देना होगा. हर राज्य के लिए महासचिव बनेंगे और वे गठबंधन के लिए वहां के दलों से बातचीत करेंगे. शिवसेना और तेदेपा सहित राजग के कुछ घटक दलों के अपनी सरकार के रवैये के खिलाफ हाल में आये बयानों के बारे में पूछने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देखिए, उत्तर प्रदेश उपचुनाव के बाद सब हिल गये हैं. यह स्पष्ट संदेश गया है कि मोदी को उनके ही क्षेत्र में हराया जा सकता है. देखने वाली बात है कि मोदी के लिए गोरखपुर और फूलपुर से ज्यादा कोई मजबूत विकेट नहीं हो सकता. वर्तमान मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री द्वारा खाली की गयी सीटें... इससे ज्यादा मजबूत विकेट क्या हो सकता है? उसको यदि मजबूती से हरा दिया गया तो इसका मतलब है कि मोदी को भी हराया जा सकता है. गणित तो पहले ही बता रहा था कि उनके पास केवल 31 प्रतिशत वोट हैं. अब यह बात साबित भी हो गयी (उपचुनाव के नतीजों से). अब सवाल यही है कि मोदी अपने गठबंधन को कैसे एकजुट रख पायेंगे और हमें गठबंधन बनाने से क्या रोक पाएंगे?’’  उप्र चुनावों को लेकर यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि भाजपा ने जानबूझ कर ढंग से चुनाव नहीं लड़ा ताकि ईवीएम विवाद पर विराम लग सके. इस बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं इसे नहीं मानता. लोग तो यह भी कहते हैं कि योगी अपने को भावी प्रधानमंत्री की तरह पेश करने लगे थे, इसलिए उन्हें यह सबक सिखाया गया... पर यह सब गलत बात है.’’  उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के जीत वाले गठबंधन में कांग्रेस का साथ नहीं होने के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि यह दोनों दल साथ आयेंगे, क्या इस बात को पहले कभी सोचा जा सकता था. किंतु दोनों साथ आये और यह एक जीत का फार्मूला बन गया. हर राज्य के लिए जीत का अपना अलग फार्मूला होता है. हमारे राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का साथ आना जीतने का फार्मूला है. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. चव्हाण ने हाल में संपन्न महाधिवेशन में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इसका साफ संदेश था कि जो काम शिमला सम्मेलन के बाद हो सकता है, वह 2019 में भी हो सकता है. महाधिवेशन में सोनिया ने ध्यान दिलाया था कि पार्टी ने पचमढ़ी में अन्य दलों के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया जबकि शिमला सम्मेलन में कांग्रेस ने गठबंधन करने पर सहमति जतायी थी. संसद में तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने और विपक्ष की एकजुटता को लेकर कांग्रेस द्वारा अभी तक अग्रणी भूमिका निभाते दिखायी नहीं देने के बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘अभी ऐसा लग सकता है.’’  उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अभी अपनी टीम बनानी है. समय के साथ यह सब भी होगा, कार्यसमिति होगी, कोर टीम होगी, भीतरी टीम होगी. पहले से यह सब था पर राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद यह अस्थायी हो गया जिसे उन्हें स्थायित्व देना होगा. हर राज्य के लिए महासचिव बनेंगे और वे गठबंधन के लिए वहां के दलों से बातचीत करेंगे. शिवसेना और तेदेपा सहित राजग के कुछ घटक दलों के अपनी सरकार के रवैये के खिलाफ हाल में आये बयानों के बारे में पूछने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देखिए, उत्तर प्रदेश उपचुनाव के बाद सब हिल गये हैं. यह स्पष्ट संदेश गया है कि मोदी को उनके ही क्षेत्र में हराया जा सकता है. देखने वाली बात है कि मोदी के लिए गोरखपुर और फूलपुर से ज्यादा कोई मजबूत विकेट नहीं हो सकता. वर्तमान मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री द्वारा खाली की गयी सीटें... इससे ज्यादा मजबूत विकेट क्या हो सकता है? उसको यदि मजबूती से हरा दिया गया तो इसका मतलब है कि मोदी को भी हराया जा सकता है. गणित तो पहले ही बता रहा था कि उनके पास केवल 31 प्रतिशत वोट हैं. अब यह बात साबित भी हो गयी (उपचुनाव के नतीजों से). अब सवाल यही है कि मोदी अपने गठबंधन को कैसे एकजुट रख पायेंगे और हमें गठबंधन बनाने से क्या रोक पाएंगे?’’  उप्र चुनावों को लेकर यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि भाजपा ने जानबूझ कर ढंग से चुनाव नहीं लड़ा ताकि ईवीएम विवाद पर विराम लग सके. इस बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं इसे नहीं मानता. लोग तो यह भी कहते हैं कि योगी अपने को भावी प्रधानमंत्री की तरह पेश करने लगे थे, इसलिए उन्हें यह सबक सिखाया गया... पर यह सब गलत बात है.’’  उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के जीत वाले गठबंधन में कांग्रेस का साथ नहीं होने के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि यह दोनों दल साथ आयेंगे, क्या इस बात को पहले कभी सोचा जा सकता था. किंतु दोनों साथ आये और यह एक जीत का फार्मूला बन गया. हर राज्य के लिए जीत का अपना अलग फार्मूला होता है. हमारे राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का साथ आना जीतने का फार्मूला है. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. संसद में तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने और विपक्ष की एकजुटता को लेकर कांग्रेस द्वारा अभी तक अग्रणी भूमिका निभाते दिखायी नहीं देने के बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘अभी ऐसा लग सकता है.’’  उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अभी अपनी टीम बनानी है. समय के साथ यह सब भी होगा, कार्यसमिति होगी, कोर टीम होगी, भीतरी टीम होगी. पहले से यह सब था पर राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद यह अस्थायी हो गया जिसे उन्हें स्थायित्व देना होगा. हर राज्य के लिए महासचिव बनेंगे और वे गठबंधन के लिए वहां के दलों से बातचीत करेंगे. शिवसेना और तेदेपा सहित राजग के कुछ घटक दलों के अपनी सरकार के रवैये के खिलाफ हाल में आये बयानों के बारे में पूछने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देखिए, उत्तर प्रदेश उपचुनाव के बाद सब हिल गये हैं. यह स्पष्ट संदेश गया है कि मोदी को उनके ही क्षेत्र में हराया जा सकता है. देखने वाली बात है कि मोदी के लिए गोरखपुर और फूलपुर से ज्यादा कोई मजबूत विकेट नहीं हो सकता. वर्तमान मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री द्वारा खाली की गयी सीटें... इससे ज्यादा मजबूत विकेट क्या हो सकता है? उसको यदि मजबूती से हरा दिया गया तो इसका मतलब है कि मोदी को भी हराया जा सकता है. गणित तो पहले ही बता रहा था कि उनके पास केवल 31 प्रतिशत वोट हैं. अब यह बात साबित भी हो गयी (उपचुनाव के नतीजों से). अब सवाल यही है कि मोदी अपने गठबंधन को कैसे एकजुट रख पायेंगे और हमें गठबंधन बनाने से क्या रोक पाएंगे?’’  उप्र चुनावों को लेकर यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि भाजपा ने जानबूझ कर ढंग से चुनाव नहीं लड़ा ताकि ईवीएम विवाद पर विराम लग सके. इस बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं इसे नहीं मानता. लोग तो यह भी कहते हैं कि योगी अपने को भावी प्रधानमंत्री की तरह पेश करने लगे थे, इसलिए उन्हें यह सबक सिखाया गया... पर यह सब गलत बात है.’’  उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के जीत वाले गठबंधन में कांग्रेस का साथ नहीं होने के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि यह दोनों दल साथ आयेंगे, क्या इस बात को पहले कभी सोचा जा सकता था. किंतु दोनों साथ आये और यह एक जीत का फार्मूला बन गया. हर राज्य के लिए जीत का अपना अलग फार्मूला होता है. हमारे राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का साथ आना जीतने का फार्मूला है. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अभी अपनी टीम बनानी है. समय के साथ यह सब भी होगा, कार्यसमिति होगी, कोर टीम होगी, भीतरी टीम होगी. पहले से यह सब था पर राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद यह अस्थायी हो गया जिसे उन्हें स्थायित्व देना होगा. हर राज्य के लिए महासचिव बनेंगे और वे गठबंधन के लिए वहां के दलों से बातचीत करेंगे. शिवसेना और तेदेपा सहित राजग के कुछ घटक दलों के अपनी सरकार के रवैये के खिलाफ हाल में आये बयानों के बारे में पूछने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देखिए, उत्तर प्रदेश उपचुनाव के बाद सब हिल गये हैं. यह स्पष्ट संदेश गया है कि मोदी को उनके ही क्षेत्र में हराया जा सकता है. देखने वाली बात है कि मोदी के लिए गोरखपुर और फूलपुर से ज्यादा कोई मजबूत विकेट नहीं हो सकता. वर्तमान मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री द्वारा खाली की गयी सीटें... इससे ज्यादा मजबूत विकेट क्या हो सकता है? उसको यदि मजबूती से हरा दिया गया तो इसका मतलब है कि मोदी को भी हराया जा सकता है. गणित तो पहले ही बता रहा था कि उनके पास केवल 31 प्रतिशत वोट हैं. अब यह बात साबित भी हो गयी (उपचुनाव के नतीजों से). अब सवाल यही है कि मोदी अपने गठबंधन को कैसे एकजुट रख पायेंगे और हमें गठबंधन बनाने से क्या रोक पाएंगे?’’  उप्र चुनावों को लेकर यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि भाजपा ने जानबूझ कर ढंग से चुनाव नहीं लड़ा ताकि ईवीएम विवाद पर विराम लग सके. इस बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं इसे नहीं मानता. लोग तो यह भी कहते हैं कि योगी अपने को भावी प्रधानमंत्री की तरह पेश करने लगे थे, इसलिए उन्हें यह सबक सिखाया गया... पर यह सब गलत बात है.’’  उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के जीत वाले गठबंधन में कांग्रेस का साथ नहीं होने के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि यह दोनों दल साथ आयेंगे, क्या इस बात को पहले कभी सोचा जा सकता था. किंतु दोनों साथ आये और यह एक जीत का फार्मूला बन गया. हर राज्य के लिए जीत का अपना अलग फार्मूला होता है. हमारे राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का साथ आना जीतने का फार्मूला है. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. शिवसेना और तेदेपा सहित राजग के कुछ घटक दलों के अपनी सरकार के रवैये के खिलाफ हाल में आये बयानों के बारे में पूछने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देखिए, उत्तर प्रदेश उपचुनाव के बाद सब हिल गये हैं. यह स्पष्ट संदेश गया है कि मोदी को उनके ही क्षेत्र में हराया जा सकता है. देखने वाली बात है कि मोदी के लिए गोरखपुर और फूलपुर से ज्यादा कोई मजबूत विकेट नहीं हो सकता. वर्तमान मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री द्वारा खाली की गयी सीटें... इससे ज्यादा मजबूत विकेट क्या हो सकता है? उसको यदि मजबूती से हरा दिया गया तो इसका मतलब है कि मोदी को भी हराया जा सकता है. गणित तो पहले ही बता रहा था कि उनके पास केवल 31 प्रतिशत वोट हैं. अब यह बात साबित भी हो गयी (उपचुनाव के नतीजों से). अब सवाल यही है कि मोदी अपने गठबंधन को कैसे एकजुट रख पायेंगे और हमें गठबंधन बनाने से क्या रोक पाएंगे?’’  उप्र चुनावों को लेकर यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि भाजपा ने जानबूझ कर ढंग से चुनाव नहीं लड़ा ताकि ईवीएम विवाद पर विराम लग सके. इस बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं इसे नहीं मानता. लोग तो यह भी कहते हैं कि योगी अपने को भावी प्रधानमंत्री की तरह पेश करने लगे थे, इसलिए उन्हें यह सबक सिखाया गया... पर यह सब गलत बात है.’’  उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के जीत वाले गठबंधन में कांग्रेस का साथ नहीं होने के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि यह दोनों दल साथ आयेंगे, क्या इस बात को पहले कभी सोचा जा सकता था. किंतु दोनों साथ आये और यह एक जीत का फार्मूला बन गया. हर राज्य के लिए जीत का अपना अलग फार्मूला होता है. हमारे राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का साथ आना जीतने का फार्मूला है. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. उप्र चुनावों को लेकर यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि भाजपा ने जानबूझ कर ढंग से चुनाव नहीं लड़ा ताकि ईवीएम विवाद पर विराम लग सके. इस बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं इसे नहीं मानता. लोग तो यह भी कहते हैं कि योगी अपने को भावी प्रधानमंत्री की तरह पेश करने लगे थे, इसलिए उन्हें यह सबक सिखाया गया... पर यह सब गलत बात है.’’  उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के जीत वाले गठबंधन में कांग्रेस का साथ नहीं होने के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि यह दोनों दल साथ आयेंगे, क्या इस बात को पहले कभी सोचा जा सकता था. किंतु दोनों साथ आये और यह एक जीत का फार्मूला बन गया. हर राज्य के लिए जीत का अपना अलग फार्मूला होता है. हमारे राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का साथ आना जीतने का फार्मूला है. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के जीत वाले गठबंधन में कांग्रेस का साथ नहीं होने के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि यह दोनों दल साथ आयेंगे, क्या इस बात को पहले कभी सोचा जा सकता था. किंतु दोनों साथ आये और यह एक जीत का फार्मूला बन गया. हर राज्य के लिए जीत का अपना अलग फार्मूला होता है. हमारे राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा का साथ आना जीतने का फार्मूला है. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि विपक्ष में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है, भले ही वह कम-ज्यादा हो सकती है. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. चव्हाण ने माना कि जिस किसी राज्य में तीसरी शक्ति मजबूत है वहां कांग्रेस हाशिये पर चली गयी है जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार या पश्चिम बंगाल. लेकिन यदि आप पूरे देश को मिला कर देंखेंगे तो हम ही सबसे बड़ा विपक्षी दल हैं. आप अभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते कि कांग्रेस की अनेदखी की जा सकती है या कांग्रेस अप्रासंगिक हो गयी है. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. टीआरएस द्वारा विपक्ष की एकता के प्रयास के पीछे क्या कोई ‘अदृश्य हाथ ’ हो सकता है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, पर ऐसा हो भी सकता है. केसीआर की क्या भूमिका है, कोई नहीं बता सकता.’’ यदि वे कांग्रेस को कमजोर करते हैं तो इससे भाजपा को ही फायदा मिलेगा. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. कर्नाटक चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सिद्धारमैया को स्पष्ट तौर पर अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है. उनके नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे और राहुल गांधी भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि यदि राज्य विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया तो उस हालात में जदएस महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा. ‘‘मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि यदि स्पष्ट फैसला नहीं आया तो यह लोग (भाजपा) चुनाव के बाद की जाने वाली जोड़तोड़ में काफी माहिर हैं.’’  कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. कर्नाटक में क्या जदएस भाजपा से हाथ मिला सकती है, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘देवगौड़ा तो इसके बहुत खिलाफ हैं. किंतु कुमारस्वामी का पता नहीं.’’  यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने उदयमान (रिसर्जेंट) कांग्रेस बनाने की बात है, उसमें चव्हाण की क्या भूमिका होगी और क्या वह केन्द्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं, उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से नेतृत्व का होगा. अभी राज्यसभा की सीट का मामला था जो कुमार केतकर को दी गयी... मैं अभी राज्य के मुद्दों में काफी व्यस्त हूं. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. भाजपा एवं शिवसेना के रिश्तों के बारे में पूछने पर चव्हाण ने कहा कि एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर उनका मानना है कि भाजपा कभी शिवसेना को अपने साथ से अलग नहीं होने देगी. यदि लोकसभा चुनाव में हिन्दुत्व वाले वोट बंट गये तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. भाजपा को बहुत नुकसान होगा. अभी उन दोनों के पास कुल 48 सीटों में से 42 सीटें हैं. ‘‘वे लोकसभा चुनाव में यह कर ही नहीं सकते. वह किसी तरह हाथ पैर जोड़कर, फाइल दिखाकर, दबाव डालकर, जेल का डर दिखाकर यानी साम, दाम, दंड भेद से वह उन्हें अलग नहीं होने देंगे.’’  चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. चव्हाण ने यह भी आशंका जतायी कि कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन तोड़ने के लिए किसी भी तरह की चाल चल सकती है. उन्होंने शिवसेना के कांग्रेस एवं राकांपा के साथ आने की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना अलग अलग लड़े तो हमें काफी फायदा हो सकता है. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में इन दो गठबंधनों के अलावा दलित पार्टियों की भी महत्वपूर्ण स्थिति हो सकती है. बहुत बंट चुके हैं. एक तरफ प्रकाश अंबेडकर हैं. दूसरी तरफ रामदास अठावले हैं, जो भाजपा के साथ हैं. भीमा-कोरेगांव घटना के बाद बहुत तनाव हो गया है. इसलिए इसके कई आयाम हैं. महाराष्ट्र में दलित राजनीति की बहुत बड़ी भूमिका है.टिप्पणियां शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से गठबंधन के बारे में चव्हाण ने कहा कि दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की यह सोच है कि इनके बीच गठबंधन अपरिहार्य है. अभी कम्युनिस्टों द्वारा किसानों का जो मार्च निकाला गया, उसे सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. इसलिए समान विचारों वाली पार्टियों का समझौता हो सकता है. सीट बंटवारे के बारे में सहमति बन सकती है. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता. उन्होंने इस तरह के गठबंधन में शिवसेना को साथ लेने की संभावना को नकारते हुए कहा कि जब तक शिवेसना धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर नहीं कसी जाती है तब उसका साथ नहीं दिया जा सकता.
सात होशियार (जिसे सात ऋषि या सात बुद्धिमान पुरुष भी कहा जाता है) संस्कृत, फ़ारसी या हिब्रू मूल की कहानियों का एक घटनाचक्र है। कथानक सुल्तान अपने युवा राजकुमार को सात बुद्धिमान मास्टर के साथ उनकी सात कलाओं की शिक्षा अर्जित करने के लिए दरबार से दूर भेजता है। दरबार में वापस लौटकर आने पर उसकी सौतेली माँ, महारानी उसे बहकाने का प्रयास करती है। विपत्ति को दूर करने के लिए सात होशियारों के नायक सिंदीबाद के कहने पर राजकुमार एक सप्ताह के मौन के लिए प्रतिबद्ध होता है। इस दौरान महारानी अपने पति से उसकी शिकायत करती है। वह सात कहानियाँ पूरी करके महाराज को मार देना चाहती है; लेकिन उसकी कहानियाँ नायक सिंदीबाद सहित सात होशियारों द्वारा भ्रामक बना दी जाती हैं। अंततः राजकुमार के होंठ खुल जाते हैं, सच्चाई उजागर हो जाती है और दुष्ट महारानी को मार डाला जाता है। इतिहास सैकड़ों जीवंत यूरोपीय ग्रंथ विदित हैं। आमतौर पर इनमें पंद्रह कहानियाँ होती हैं, प्रत्येक ऋषि संबंधी एक, सौतेली माँ संबंधी सात तथा राजकुमार से संबंधित एक कहानी; हालाँकि इनकी संरचना को संरक्षित किया गया है। पूर्वी संस्करण में मात्र चार सबसे सामान्य यूरोपीय कहानियाँ पाई गई हैं। संदर्भ लोककथा मध्यकालीन साहित्य
ऑस्ट्रेलिया के दोनों रेडियो जॉकी पर भारतीय मूल की नर्स की आत्महत्या का मामला दर्ज नहीं होने की सम्भावना है। दोनों रेडियो जॉकी द्वारा फर्जी फोन कर जानकारी लेने के बाद ब्रिटेन के शाही परिवार की गर्भवती बहू केट मिडिलटन की देखभाल कर रही जेसिंथा सलदान्हा ने आत्महत्या कर ली थी। दो बच्चों की मां जेसिंथा सलदान्हा (46 वर्ष) 7 दिसम्बर को अपने आवास में मृत पाई गई थीं। सलदान्हा लंदन के मेरीलोन स्थित किंग एडवर्ड सप्तम अस्पताल में काम करती थीं, जहां केट भर्ती हैं। उल्लेखनीय है कि सलदान्हा उस वक्त अस्पताल में रिसेप्शन डेस्क पर कार्यरत थी, जिस वक्त सिडनी स्थित 2डे एफएम के प्रस्तोता मेल ग्रेग और माइकल क्रिस्टियन ने खुद को क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस चार्ल्स बताकर मिडिलटन के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मांगी थी। उसके बाद सलदान्हा ने फोन मिडलटन के वार्ड में दूसरे नर्स को स्थानांतरित कर दिया था। समाचार पत्र 'द सन' के अनुसार सिडनी पुलिस ने गुरुवार को बताया कि मेल ग्रेग एवं माइकल क्रिस्टीयन से पूछताछ के लिए उन्हें स्कॉटलैंड यार्ड से कोई निवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। टिप्पणियां पत्र ने सिडनी पुलिस प्रमुख निक कल्डास के हवाले से बताया, "न ही हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसा कोई निवेदन किया जाएगा।" ब्रिटिश पुलिस ने पिछले हफ्ते क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस को एक फाइल पेश की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई पुलिस का मानना है कि रेडियो जॉकी के खिलाफ आरोप तलाशना मुश्किल होगा। दो बच्चों की मां जेसिंथा सलदान्हा (46 वर्ष) 7 दिसम्बर को अपने आवास में मृत पाई गई थीं। सलदान्हा लंदन के मेरीलोन स्थित किंग एडवर्ड सप्तम अस्पताल में काम करती थीं, जहां केट भर्ती हैं। उल्लेखनीय है कि सलदान्हा उस वक्त अस्पताल में रिसेप्शन डेस्क पर कार्यरत थी, जिस वक्त सिडनी स्थित 2डे एफएम के प्रस्तोता मेल ग्रेग और माइकल क्रिस्टियन ने खुद को क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस चार्ल्स बताकर मिडिलटन के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मांगी थी। उसके बाद सलदान्हा ने फोन मिडलटन के वार्ड में दूसरे नर्स को स्थानांतरित कर दिया था। समाचार पत्र 'द सन' के अनुसार सिडनी पुलिस ने गुरुवार को बताया कि मेल ग्रेग एवं माइकल क्रिस्टीयन से पूछताछ के लिए उन्हें स्कॉटलैंड यार्ड से कोई निवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। टिप्पणियां पत्र ने सिडनी पुलिस प्रमुख निक कल्डास के हवाले से बताया, "न ही हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसा कोई निवेदन किया जाएगा।" ब्रिटिश पुलिस ने पिछले हफ्ते क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस को एक फाइल पेश की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई पुलिस का मानना है कि रेडियो जॉकी के खिलाफ आरोप तलाशना मुश्किल होगा। सलदान्हा लंदन के मेरीलोन स्थित किंग एडवर्ड सप्तम अस्पताल में काम करती थीं, जहां केट भर्ती हैं। उल्लेखनीय है कि सलदान्हा उस वक्त अस्पताल में रिसेप्शन डेस्क पर कार्यरत थी, जिस वक्त सिडनी स्थित 2डे एफएम के प्रस्तोता मेल ग्रेग और माइकल क्रिस्टियन ने खुद को क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस चार्ल्स बताकर मिडिलटन के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मांगी थी। उसके बाद सलदान्हा ने फोन मिडलटन के वार्ड में दूसरे नर्स को स्थानांतरित कर दिया था। समाचार पत्र 'द सन' के अनुसार सिडनी पुलिस ने गुरुवार को बताया कि मेल ग्रेग एवं माइकल क्रिस्टीयन से पूछताछ के लिए उन्हें स्कॉटलैंड यार्ड से कोई निवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। टिप्पणियां पत्र ने सिडनी पुलिस प्रमुख निक कल्डास के हवाले से बताया, "न ही हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसा कोई निवेदन किया जाएगा।" ब्रिटिश पुलिस ने पिछले हफ्ते क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस को एक फाइल पेश की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई पुलिस का मानना है कि रेडियो जॉकी के खिलाफ आरोप तलाशना मुश्किल होगा। उल्लेखनीय है कि सलदान्हा उस वक्त अस्पताल में रिसेप्शन डेस्क पर कार्यरत थी, जिस वक्त सिडनी स्थित 2डे एफएम के प्रस्तोता मेल ग्रेग और माइकल क्रिस्टियन ने खुद को क्वीन एलिजाबेथ और प्रिंस चार्ल्स बताकर मिडिलटन के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मांगी थी। उसके बाद सलदान्हा ने फोन मिडलटन के वार्ड में दूसरे नर्स को स्थानांतरित कर दिया था। समाचार पत्र 'द सन' के अनुसार सिडनी पुलिस ने गुरुवार को बताया कि मेल ग्रेग एवं माइकल क्रिस्टीयन से पूछताछ के लिए उन्हें स्कॉटलैंड यार्ड से कोई निवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। टिप्पणियां पत्र ने सिडनी पुलिस प्रमुख निक कल्डास के हवाले से बताया, "न ही हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसा कोई निवेदन किया जाएगा।" ब्रिटिश पुलिस ने पिछले हफ्ते क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस को एक फाइल पेश की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई पुलिस का मानना है कि रेडियो जॉकी के खिलाफ आरोप तलाशना मुश्किल होगा। समाचार पत्र 'द सन' के अनुसार सिडनी पुलिस ने गुरुवार को बताया कि मेल ग्रेग एवं माइकल क्रिस्टीयन से पूछताछ के लिए उन्हें स्कॉटलैंड यार्ड से कोई निवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। टिप्पणियां पत्र ने सिडनी पुलिस प्रमुख निक कल्डास के हवाले से बताया, "न ही हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसा कोई निवेदन किया जाएगा।" ब्रिटिश पुलिस ने पिछले हफ्ते क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस को एक फाइल पेश की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई पुलिस का मानना है कि रेडियो जॉकी के खिलाफ आरोप तलाशना मुश्किल होगा। पत्र ने सिडनी पुलिस प्रमुख निक कल्डास के हवाले से बताया, "न ही हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसा कोई निवेदन किया जाएगा।" ब्रिटिश पुलिस ने पिछले हफ्ते क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस को एक फाइल पेश की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई पुलिस का मानना है कि रेडियो जॉकी के खिलाफ आरोप तलाशना मुश्किल होगा। ब्रिटिश पुलिस ने पिछले हफ्ते क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस को एक फाइल पेश की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई पुलिस का मानना है कि रेडियो जॉकी के खिलाफ आरोप तलाशना मुश्किल होगा।
चुनाव आयोग की टेक्निकल एक्सपर्ट टीम ने कैराना और भंडारा गोंदिया सहित दस सीटों पर हुए उपचुनाव में EVM और VVPAT मशीनों की बड़ी तादाद में खराबी की वजह ढूंढ निकाली है. टीम ने अपनी पड़ताल की रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप दी है. रिपोर्ट के मुताबिक अधिक गर्मी और उमस में ज़्यादा समय तक बगैर समुचित देखभाल के बाहर रहने की वजह से मशीनों में खराबी आई. 28 मई को हुए उपचुनाव में भीषण गर्मी के दौरान उत्तर प्रदेश के कैराना और महाराष्ट्र के भंडारा गोंदिया लोकसभा क्षेत्र में मतदान मशीनें बड़ी तादाद में खराब हुई थीं. चुनाव आयोग ने फौरन टेक्निकल एक्सपर्ट की दो टीमों को पड़ताल के काम में लगाया. दोनों टीम इस नतीजे पर पहुंची है कि कड़ी धूप और वातावरण में नमी की वजह से EVM और VVPAT में लगे कॉन्ट्रास्ट सेंसर और लेंथ सेंसर का मिजाज बिगड़ गया. साथ ही ये भी पता चला कि जो कागज़ VVPAT यानी वोटर वेरिफिकेशन पेपर ऑडिट ट्रेल वाली मशीन में इस्तेमाल होता है वो नमी ज़्यादा सोखता है. लिहाजा उसकी नमी मशीन में अंदर पहुंच कर गड़बड़ करती है. कागज़ का रोल भी भारी हो जाता है. टीम ने अपनी रिपोर्ट मशीनें बनाने वाली दोनों अधिकृत कम्पनियों BEL और ECIL को भी भेज दी है. रिपोर्ट में कहां-कैसी दुरुस्तगी की जा सकती है, उसका भी ज़िक्र है. साथ ही भविष्य में विपरीत मौसमी परिस्थितियों में एहतियात बरतते हुए क्या करें क्या नहीं, इस बाबत एक सूची यानी SOP भी तैयार की है. आयोग का कहना है कि मतदान के बाद 45 दिनों की अवधि तक इलेक्शन पेटिशन के लिहाज से कैराना गोंदिया की मशीनें स्ट्रांग रूम में रखी हैं. इसके बाद जुलाई में इनको भी कम्पनी में अतिरिक्त प्रयोजन के लिए भेजा जाएगा.
पहली बार भारत दौरे पर आए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बुधवार को गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे. यहां वो अपनी पत्नी सारा नेतन्याहू और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ रोड शो करते हुए साबरमती आश्रम गए और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को स्मरण किया. इस दौरान नेतन्याहू ने महात्मा गांधी की तस्वीर पर सूत की माला चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. साथ ही उन्होंने गांधी जी का चरखा भी चलाया. पीएम मोदी की मौजूदगी में नेतन्याहू की तरफ से ये गर्मजोशी दिखी. लेकिन अतीत में जाने पर इजरायल और यहूदियों के प्रति महात्मा गांधी के विचार थोड़ा अलग नजर आते हैं. फिलिस्तीन को लेकर यहूदी समाज महात्मा गांधी के निशाने पर रहा है. हालांकि, यहूदियों पर हुए अत्याचार और उत्पीड़न की भी महात्मा गांधी ने आलोचना की है. 'हरिजन' में महात्मा गांधी का इस संबंध में लिखा गया लेख फिलीस्तीन के समर्थन में खड़ा नजर आता है. उन्होंने लिखा, 'अपने देश के लिए यहूदियों का विलाप मुझे ज्यादा प्रभावित नहीं करता है. क्योंकि फिलीस्तीन और अरब का ताल्लुक वैसा ही है, जैसा इंग्लैंड का इंग्लिश और फ्रांस का फ्रैंच से. इसलिए यहूदियों को अरबियों पर थोपना गलत और अमानवीय है.' महात्मा गांधी ने कहा है कि फिलिस्तीनी क्षेत्र में यहूदियों का दखल एक धार्मिक कृत्य के समान है जो ताकत का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं देता है. उन्होंने लिखा, 'बाइबिल की अवधारणा वाला फिलिस्तीन भौगोलिक रूप से अलग है. वो उनके दिलों में है. इसलिए ब्रिटिश बंदूक के साथ वहां प्रवेश करना गलत है. एक धार्मिक कृत्य को हथियारों के आधार पर नहीं किया जा सकता.' हालांकि, महात्मा गांधी ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों पर हुए जुल्म को भी गलत ठहराया है और वो उनके समर्थन में खड़े आए हैं. लेकिन फिलीस्तीन के मुद्दे पर महात्मा गांधी ने हमेशा इजरायल की आलोचना की है. गांधी को बताया मानवता का दूत वहीं बुधवार को जब बेंजामिन नेतन्याहू साबरमती आश्रम पहुंचे तो उन्होंने महात्मा गांधी को मानवता के महान दूतों में से एक बताया. आश्रम की विजिटर बुक में नेतन्याहू और उनकी पत्नी सारा ने चार पंक्तियों का संदेश लिखा. उस पर दोनों ने हस्ताक्षर किए हैं. संदेश में अतिथि दंपति ने लिखा कि 'उनका यह दौरा प्ररेणादायक रहा.'
मेघालय के बाघमारा शहर से गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) के दो संदिग्ध सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने दक्षिण गारो हिल्स के एसपी की हत्या की साजिश को नाकाम करने का दावा किया है. एसपी को धमकाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद कर लिया गया. पुलिस के मुताबिक, 20 अक्तूबर से एसपी आनंद मिश्रा के उनके निजी और कार्यालय के फोन नंबर पर धमकी भरे संदेश आते थे. जीएनएलए के गिरफ्तार किए गये दो सदस्यों की पहचान बाघमारा में बुल अवे के निवासी बोरेश संगमा (38) और बोलसाल अडिंग के निवासी रानखू मोमीन (49) के रूप में की गई है. पुलिस ने बताया कि दोनों ने एसपी से 50 लाख रुपये की मांग भी की थी. वे केवल एक नंबर का इस्तेमाल करता थे और विशेष रूप से इसका इस्तेमाल धमकी भरे संदेश देने के लिए किया जाता था. इसे हल करना एक कठिन मामला था, लेकिन आईटी टीम के सफल ऑपरेशन से यह संभव हो सका है.
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में शुक्रवार सुबह बड़ा हादसा हो गया. यहां डोडा के पास यात्रियों से भरी एक बस पलट गई. इस दौरान वहां से गुजर रहे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने यात्रियों को बचाया. इस हादसे में 12 यात्रियों को चोटें आईं हैं, जिनमें दो गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. दोनों की हालत गंभीर बताई जा रही है. हादसे का शिकार बस 42 सीट की मनप्रीत ट्रैवल की बस थी, जो गंडोह से जम्मू जा रही थी. इसी दौरान बस डोडा पुल के पास पलट गई. Jammu & Kashmir: Indo-Tibetan Border Police (ITBP) troops rescued passengers from a bus that turned turtle in Doda, 30 km short of Kishtwar, today. 12 people suffered injuries, including 2 that were critically injured. pic.twitter.com/sUEN6GATNJ — ANI (@ANI) June 14, 2019 ये हादसा सुबह 9.30 बजे बस के ब्रेक फेल होने के कारण हुआ. उसी दौरान पास से गुजर रही भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने यात्रियों की जान बचाई. बता दें कि इससे पहले पश्चिमी लद्दाख की मश्कोह घाटी में सेना ने हिमस्खलन के कारण बर्फ में फंसे चरवाहों की जान भी बचाई थी. 12 जून को जैसे ही सेना को द्रास सेक्टर में लोगों के फंसे होने की खबर मिली थी वैसे ही त्वरित कार्रवाई कर सेना ने लोगों को जिंदा निकाला. बुधवार सुबह को द्रास सेक्टर में चरवाहा परिवार के फंसे होने की खबर मिली. इसके बाद एक युवा अधिकारी ने कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) का नेतृत्व किया और तुरंत मौके पर पहुंच कर बचाव कार्य शुरू किया.