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समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने आज यह कह कर सबको चौंका दिया की कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय हो चुका है. उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह के कहने के बाद यह कदम उठाया गया. उनका बयान हैरान करने वाला इसलिए है क्योंकि पार्टी की तरफ से कभी इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया गया. कौमी एकता दल से हाथ मिलाने को लेकर ही शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के जबरदस्त जंग छिड़ गई थी. शिवपाल यादव ने गुरुवार को लखनऊ के पार्टी दफ्तर में अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा की जिसमें 81 लोग हैं. पुरानी कार्यकारणी के ज्यादातर लोगों को मौका नहीं मिला है. कार्यकारिणी आमतौर पर पार्टी अध्यक्ष बनाता है. इससे पहले अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष थे. शिवपाल यादव की बातों से यह भी साफ हो गया कि उनके और अखिलेश के बीच अभी भी गहरी खाई है. अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमन मणि त्रिपाठी को टिकट देने को लेकर अखिलेश यादव ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी और सार्वजनिक तौर पर यह कहा था कि टिकट कैसे दिया गया यह उन्हें नहीं पता. लेकिन शिवपाल यादव ने दावा किया की टिकट बंटवारे में मुलायम सिंह की ही नहीं बल्कि अखिलेश यादव की भी राय ली गई थी. अमनमणि त्रिपाठी पर अपनी पत्नी सारा के हत्या का आरोप है जिसकी सीबीआई जांच कर रही है. जब से मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश पार्टी अध्यक्ष का पद अखिलेश यादव से छीनकर शिवपाल यादव को दिया तबसे शिवपाल पार्टी पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने में जुटे हुए हैं. अखिलेश यादव के कई करीबी भी लोगों को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया है और कई लोगों को किनारा कर दिया गया है.पार्टी से निकाले गए लोगों को वापस लिए जाने के सवाल पर शिवपाल यादव बचते हुए नजर आए और सिर्फ इतना ही कहा कि इस पर फैसला उनको नहीं बल्कि मुलायम सिंह यादव को लेना है.उधर अमनमणि त्रिपाठी को टिकट दिए जाने के विरोध में सारा की मां सीमा सिंह ने आज समाजवादी पार्टी दफ्तर के बाहर आकर हंगामा किया. उनका कहना था कि अमरमणि त्रिपाठी जैसे अपराधी को टिकट दिए जाने के खिलाफ वह मुलायम सिंह और शिवपाल यादव से मिलना चाहती हैं लेकिन उनकी मुलाकात नहीं कराई जा रही है.
झारखंड सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट में 234 वैकेंसी निकली हैं. इच्छुक आवेदक 27 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं. पदों का विवरण : कंसल्टेंट- न्यूट्रीशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट: 1 कंसल्टेंट- बीसीसी एंड कैपेसिटी बिल्डिंग: 1 कंसल्टेंट- सोशल डेवलपमेंट एंड कम्यूनिटी मोबिलाइजेशन: 1 कंसल्टेंट- एम एंड ई डिसेंट्रलाइज्ड प्लानिंग:1 कंसल्टेंट- फाइनांशियल मैनेजमेंट: 1 कंसल्टेंट- प्रोक्यूरमेंट: 1 प्रोजेक्ट एसोसिएट: 1 एकाउंटेंट: 1 डिस्ट्रिक्ट को- ऑर्डिनेटर: 12 प्रोजेक्ट असिस्टेंट (डिस्ट्रिक्ट): 12 ब्लॉक को- ऑर्डिनेटर: 101 प्रोजेक्ट असिस्टेंट (ब्लॉक) : 101 ज्यादा जानकारी के लिए recruitment.jharkhand.gov.in/HomePage.aspx पर लॉग इन करें.
सलमान खान की फिल्मों में जबरदस्त एक्शन देखने को मिलता है. उनकी फिल्मों में रोमांस तो होता है लेकिन किसिंग सीन नहीं. दरअसल, सलमान खान फिल्मों में किसिंग सीन नहीं देते हैं. अब एक इंटरव्यू में सलमान ने बताया कि वो फिल्मों में किसिंग और न्यूडिटी के लिए नहीं हैं. डीएनए को दिए इंटरव्यू में सलमान ने बताया- अभी भी जब स्क्रीन पर किसिंग सीन आता है, तो हम सभी को अजीब फील होता है. आप जिस भी तरीके से चाहे इसे देख सकते हैं. लेकिन मैं हमेशा अपना ध्यान क्लीन सिनेमा की तरफ रखूंगा. मैं चाहता हूं कि हमारे बैनर में ऐसी फिल्में हों, जिसमें नॉटीनेस, एक्शन, रोमांस हो और सभी साथ बैठ कर देख सकें. मैं इसी चीज को बनाए रखना चाहता हूं. अगर कोई पिक्चर A रेटेड होगी, तो ये एक्शन के कारण होगा. मैं फिल्मों में किसिंग और न्यूडिटी के लिए बिल्कुल भी नहीं बना हूं. इसके अलावा सलमान ने खुद को औसत एक्टर बताया. साथ ही उन्होंने कहा, 'शाहरुख खान और आमिर खान लेजेंड हैं. दोनों की एक-दो बुरी फिल्में हो सकती हैं मगर वे हमेशा शानदार वापसी करते हैं. दरअसल, टेंशन तो मेरी है. मैंने लोगों से अपने बारे में सुना है कि वे मेरे लिए ऐसा नहीं सोचते. मेरे साथ सीन ये है कि मैं औसत दर्जे के टैलेंट और लक की वजह से सर्वाइव कर रहा हूं.' वर्क फ्रंट की बात करें तो बता दें कि सलमान खान फिल्म भारत 5 जून को रिलीज होगी. फिल्म में सलमान खान के अलावा कटरीना कैफ, दिशा पाटनी, तब्बू और सुनील ग्रोवर भी अहम रोल में हैं. अली अब्बाज जफर ने फिल्म को डायरेक्ट किया है. फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी हैं. ये फिल्म साउथ कोरियन फिल्म ओड टू माई फादर का रीमेक है. इसके अलावा सलमान संजय लीला भंसाली की फिल्म इंसाअल्लाह में नजर आने वाले हैं. फिल्म में आलिया भट्ट उनके अपोजिट रोल में होंगी.
मिनियापोलिस डेमोक्रेटिक पार्टी से संबद्ध मिनेसोटा डेमोक्रेटिक-फार्मर-लेबर पार्टी (डीएफएल) का गढ़ है। मिनियापोलिस नगर परिषद सबसे अधिक शक्ति रखती है और शहर के तेरह जिलों का प्रतिनिधित्व करती है जिन्हें वार्ड कहा जाता है। शहर ने 2006 में तत्काल-अपवाह मतदान को अपनाया, पहली बार 2009 के चुनावों में इसका उपयोग किया गया। परिषद में 12 डीएफएल सदस्य हैं और एक ग्रीन पार्टी से है। 2013 में चुनावी मुद्दों में एक नए वाइकिंग्स स्टेडियम के लिए फंडिंग शामिल थी, जिस पर कुछ पदधारियों को अपना पद खोना पड़ा। उस वर्ष, मिनियापोलिस ने क्रमशः आब्दी वारसेम, अलोंद्रा कैनो और ब्लोंग यांग को शहर का पहला सोमाली-अमेरिकी, मैक्सिकन-अमेरिकी और हमोंग-अमेरिकी नगर परिषद का सदस्य चुना। डीएफएल के जैकब फ्रे मिनियापोलिस के वर्तमान मेयर हैं। महापौर का कार्यालय अपेक्षाकृत कमज़ोर है लेकिन उसके पास पुलिस प्रमुख जैसे व्यक्तियों को नियुक्त करने की कुछ शक्तियाँ हैं। पार्क, कराधान और सार्वजनिक आवास अर्ध-स्वतंत्र बोर्ड हैं और अनुमान और कराधान बोर्ड की सीमाओं के अधीन अपने स्वयं के कर और शुल्क लगाते हैं। लिसा बेंडर सिटी काउंसिल की वर्तमान अध्यक्ष हैं। 2018 में, सिटी काउंसिल ने मिनियापोलिस कॉम्प्रिहेंसिव 2040 योजना पारित की और इसे मेट्रोपॉलिटन काउंसिल की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय स्तर पर देखा गया, यह योजना किफायती आवास को बढ़ाने के लिए ट्रिपलएक्स के लिए मुख्य रूप से एकल-परिवार आवासीय पड़ोस को फिर से जोड़ती है, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने का प्रयास करती है, और शहर की कुछ नस्लीय असमानताओं को सुधारने की कोशिश करती है। संघीय स्तर पर, मिनियापोलिस मिनेसोटा के 5 वें स्थान पर है। कांग्रेस जिला, जिसका प्रतिनिधित्व 2018 से डेमोक्रेट इल्हान उमर द्वारा किया गया है, जो कांग्रेस में पहली मुस्लिम महिला और पहली सोमाली-अमेरिकी हैं। मिनेसोटा के दो अमेरिकी सीनेटर, एमी क्लोबुचर और टीना स्मिथ, दोनों मिनियापोलिस में रहते हुए चुने गए या नियुक्त किए गए थे और डेमोक्रेट भी हैं। मिनेसोटा की रिपब्लिकन पार्टी ने जनवरी 2014 में अपने राज्य मुख्यालय को सेंट पॉल से मिनियापोलिस के सीवार्ड पड़ोस में स्थानांतरित कर दिया।
यह लेख है: शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के निवास मातोश्री के एक कर्मचारी से धन वसूली के आरोप में 19 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी ने कर्मचारी से एक पार्सल के बदले पैसे मांगे थे, जिसके बारे में उसका दावा था कि उसका आर्डर आदित्य ठाकरे ने किया था. मातोश्री में दिवंगत शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे रहते थे, वहां सुरक्षा बेहत सख्त रहती है. एक पुलिस अधिकारी ने शनिवार को बताया कि आरोपी धीरज मोरे बंगले में कर्मचारियों को पहले भी इस तरह ठग चुका था. मोरे पहले समान पहुंचाने का काम करता था और सेंट्रल मुंबई के परेल का रहने वाला है. उसे पहले भी ऐसे ही अपराध में गिरफ्तार किया गया है और वह हाल ही में जेल से रिहा हुआ.  इस घटना के बाद मातोश्री में सुरक्षा और बढ़ा दी गई है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मोरे को मातोश्री में सुरक्षाकर्मियों ने गुरुवार को उस समय पकड़ा, जब एक पार्सल देने की कोशिश कर रहा था. उसका कहना था कि ये पार्सल युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने ऑर्डर किया है. जोन आठ के पुलिस उपायुक्त मंजूनाथ सिंगे ने कहा कि मोरे इससे पहले तीन पर स्टाफ को धोखा देकर कम से कम 8500 रुपये हड़प चुका था. मोरे ने पहले हेडफोन, एक कॉपी और एक कम्प्यूटर माइक की डिलीवरी की. उन्होंने बताया कि मोरे ने इन चीजों के बाद बढ़ाकर लिए.  चौथी बार स्टाफ को संदेह हुआ तो उन्होंने बंगले में जाकर आदित्य ठाकरे से इस बारे में पूछा कि क्या उन्होंने कोई ऑनलाइन आर्डर किया है. ठाकरे के इनकार करने पर मोरे का झूठ सामने आया. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत धोखेबाजी का मुकदमा दर्ज कराया गया है.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: अभिनेत्री नरगिस फाकरी अभी भी फर्राटेदार हिन्दी नहीं बोल पा रही हैं और इसके लिए वह काफी मशक्कत कर रही हैं। उन्होंने अपनी आगामी फिल्म 'मैं तेरा हीरो' के लिए अपनी ही आवाज डब की है। वह कहती हैं कि भाषा फिल्म प्रस्ताव मिलने में अब रोड़े नहीं अटका रही है। उन्होंने कहा, मेरी भाषा संबंधी दिक्कत की वजह से प्रस्तावों में कोई कमी नहीं आ रही है। अगर मुझे एक पटकथा मिलती है तो पढ़ते समय वह मुझे समझ में आती है। 'रॉकस्टार' फिल्म से फिल्मोद्योग में कदम रखने वाली नरगिस ने कहा, आपको अपने सह-कलाकारों के साथ बैठने और तैयारी करने का समय मिलता है, लेकिन एकाएक उसको हिन्दी में प्रस्तुत करना दुष्कर है..लेकिन अब मैं समझ सकती हूं और यह एक अच्छी प्रगति है। उनकी पहली फिल्म में उनके खराब हिन्दी लहजे के चलते उनकी आवाज को किसी और से डब कराया गया था, लेकिन नरगिस गर्व से कहती हैं कि 'मैं तेरा हीरो' में उनकी खुद की आवाज है। डेविड धवन निर्देशित 'मैं तेरा हीरो' 4 अप्रैल को प्रदर्शित होनी है।
यह लेख है: करीब 16 मिनट के इस वीडियो के शुरुआत में दिखाया गया है कि एक युवक पर फोटोग्राफी का भूत सवार होता है. कुछ ही दिनों में उसका ऑफिस जाने का मन नहीं करता है. वह सोते जागते हमेशा एसएलआर कैमरा लेकर फोटोग्राफर बनने की सोचता रहता है. इसी बीच उसके ऑफिस में एक दिन उसे रात में रुक कर काम करने को कहा जाता है. उस रात उसे जिस जगह पर बैठने को कहा जाता है, वहां कभी दूसरा युवक बैठा करता था. उस युवक ने भी फोटोग्राफर बनने की चाहत में नौकरी छोड़ दी थी. उसी रात वह युवक नौकरी छोड़ चुके युवकी लिखी हुई कुछ बातें पढ़ता है. इसके बाद उसके मन में फोटोग्राफर बनने की इच्छा और प्रबल हो जाती है. वीडियो में दिखाया गया है कि युवक फोटोग्राफर बनने की चाहत में कई रात ठीक से सो नहीं पाता है. वह जंगल में जाने की बातें करता रहता है. बच्चे के माता-पिता काफी परेशान होते हैं. वे उसका झाड़-फूंक भी कराते हैं. वीडियो के आखिर में दिखाया जाता है कि पहले से ही नौकरी छोड़ चुके युवक के पिता उसे डांटते रहते हैं. वे उसे समझाते हैं कि जीवन में अपने पसंद के काम करना बुरी बात नहीं है, लेकिन इसके साथ आर्थिक पहलू को भी ध्यान में रखना चाहिए. इस वीडियो में कॉमेडी के साथ युवाओं को बेहद जरूरी मैसेज देने की कोशिश की गई है. इसमें फिल्म थ्री इडियट्स के गानों की तर्ज पर गाने भी डाले गए हैं. वीडियो में दिखाया गया है कि युवक फोटोग्राफर बनने की चाहत में कई रात ठीक से सो नहीं पाता है. वह जंगल में जाने की बातें करता रहता है. बच्चे के माता-पिता काफी परेशान होते हैं. वे उसका झाड़-फूंक भी कराते हैं. वीडियो के आखिर में दिखाया जाता है कि पहले से ही नौकरी छोड़ चुके युवक के पिता उसे डांटते रहते हैं. वे उसे समझाते हैं कि जीवन में अपने पसंद के काम करना बुरी बात नहीं है, लेकिन इसके साथ आर्थिक पहलू को भी ध्यान में रखना चाहिए. इस वीडियो में कॉमेडी के साथ युवाओं को बेहद जरूरी मैसेज देने की कोशिश की गई है. इसमें फिल्म थ्री इडियट्स के गानों की तर्ज पर गाने भी डाले गए हैं.
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे और अंतिम दिन गुरुवार को भी बिहार राज्य औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) द्वारा कथित तौर पर जमीन आवंटन में गड़बड़ी और रसूख वालों को जमीन देने को लेकर विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य एकजुट होकर हंगामा करने लगे और सदन के बीचोंबीच आ गए। इस दौरान अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कई बार विपक्षी सदस्यों से अपनी सीट पर जाने का आग्रह किया, लेकिन वे नहीं माने। हंगामे के कारण अंत में सदन को 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा। इसके पूर्व भी सदन के बाहर विपक्षी सदस्यों ने तख्तियों और पोस्टरों के साथ नारेबाजी की। इधर, विधानसभा में विपक्षी दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर पूरा विपक्ष एक है। विपक्षी सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की भी मांग की है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को मुख्य सचिव अनुप मुखर्जी से इस पूरे मामले की जानकारी मांगी। इस मुद्दे पर मंगलवार से ही सदन में विपक्षी दलों के लोग हंगामा कर रहे हैं। आरोप है कि बिहार सरकार की एक इकाई बियाडा द्वारा औद्योगिक क्षेत्र की भूमि की रेवड़ियों की तरह बंदरबांट की गई है। आरोप लगाया गया है कि राज्य के मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही की पुत्री, जनता दल (युनाइटेड) के जगदीश शर्मा के पुत्र, राज्य के समाज कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अफजल अमानुल्लाह की पुत्री को गलत तरीके से जमीन आवंटित की गई है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक अवधेश नारायण सिंह के पुत्र तथा विधान पार्षद अशोक चौधरी के पुत्र सौरभ चौधरी के नाम पर भी नियम के विरुद्ध जमीन आवंटन किया गया।
केट एलेन अब्राहिम (जन्म 11 नवंबर 1991) न्यूजीलैंड के एक क्रिकेटर हैं। अगस्त 2018 में, पिछले महीनों में आयरलैंड और इंग्लैंड के दौरे के बाद, उसे न्यूजीलैंड क्रिकेट द्वारा एक केंद्रीय अनुबंध से सम्मानित किया गया था। अक्टूबर 2018 में, वेस्ट इंडीज में 2018 आईसीसी महिला विश्व ट्वेंटी 20 टूर्नामेंट के लिए उन्हें न्यूजीलैंड के टीम में नामित किया गया था। उन्होंने जिम्बाब्वे के पूर्व टेस्ट खिलाड़ी डायन अब्राहिम से शादी की, जो अब न्यूजीलैंड में कोच हैं। सन्दर्भ 1991 में जन्मे लोग
यह एक लेख है: भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली में पुलिस कार्रवाई के विरोध में आज राज्यसभा में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने गृहमंत्री पी चिदंबरम के इस्तीफे की मांग करते हुए भारी हंगामा किया जिसके कारण सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे सदन की बैठक शुरू हुई तो भाजपा सदस्यों ने फिर राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे भाजयुमो कार्यकर्ताओं पर पुलिस की कार्रवाई का मुद्दा उठाया और गृह मंत्री पी चिदंबरम के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। हंगामे के बीच ही उप सभापति के रहमान खान ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसी बीच, भाजपा और शिवसेना के सदस्य आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी करने लगे। कुछ सदस्यों के हाथों में तस्वीरें भी थीं। उप सभापति ने सदस्यों से तस्वीरें और अखबार नहीं दिखाने को कहा। उन्होंने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने को कहा लेकिन अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
गाज़ियाबाद जिले से लापता दसवीं की छात्रा का शव शनिवार को मेरठ के परतापुर इलाके से बरामद हुआ है. मृतक छात्रा बीती 26 दिसंबर को मोदीनगर से लापता हो गई थी. तभी से पुलिस उसकी तलाश कर रही थी. पुलिस ने उसका शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. गाजियाबाद के मोदीनगर में बीती 26 दिसंबर को कृष्णा नगर निवासी दसवीं की छात्रा नीलम अचानक लापता हो गई थी. तभी से पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी. जिसके चलते पुलिस ने नीलम को मृत अवस्था में मेरठ के परतापुर इलाके से बरामद कर लिया. एस.पी. (रूरल) अरविंद कुमार मौर्य ने कहा कि घटना का खुलासा करने के लिए टीमें गठित की गई हैं. जल्दी ही इस घटना का खुलासा कर दिया जाएगा. लड़की के घर के पास तनाव देखते हुए मोदी नगर के कृष्णा नगर में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. लड़की के शव को कब्जे में लेकर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. लड़की के पिता वहीं एक मंदिर में पुजारी हैं. मूलरूप से उनका परिवार मथुरा का रहने वाला है. लेकिन वे बीते 15 सालों से गाजियाबाद के मोदीनगर में ही रहते हैं. नीलम की मां का कहना है कि पुलिस की लापरवाही से उनकी बेटी की जान गई है. अगर पुलिस शुरुआत में ही कोशिश करती तो आज उनकी बेटी उनके साथ होती. नीलम की मौत से पूरा परिवार सदमे में है. इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में मोदीनगर थाने के प्रभारी निरीक्षक नीरज कुमार सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है. जबकि सीओ राज़ कुमार सिंह का ट्रांसफर किया गया है. आपको बता दें कि कुछ महिनों पहले भी मोदीनगर थाने में तैनात सभी पुलिस कर्मियों को इसी तरह के एक मामले में लापरवाही बरतने पर सस्पेंड कर दिया गया था. अब पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि भारत 48 राष्ट्रों वाले न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप ( (एनएसजी) में प्रवेश के लिए अपनी पूरी कोशिश में है. वो एनएसजी में अपने आवेदन को लेकर पड़ोसी देशों के साथ संपर्क में है. उन्होंने बताया कि, स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में इसके लिए महत्वपूर्ण बैठक चल रही है. उन्होंने कहा कि, एनएसजी को लेकर बैठक चल रही है. इसमें भारत की सदस्यता को लेकर विचार चल रहा है. साथ ही उन्होंने कहा, कि हम एनएसजी में शामिल सभी सदस्य देशों के साथ संपर्क में हैं. बता दें कि एनएसजी की बैठक 19 जून को शुरू हुई थी. चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर विरोध कर रहा है. चीन इस आधार पर विरोध कर रहा है, कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किये हैं. बता दें कि चीन ने कहा था कि गैर-एनपीटी देशों को एनएसजी में शामिल करने के संबंध में उसके रख में कोई बदलाव नहीं आया है. एनएसजी में प्रवेश सभी सदस्यों की सहमति से यह मुद्दा भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में बड़ा विषय बन गया है. परमाणु व्यापार का नियंत्रण करने वाले इस प्रतिष्ठित समूह में प्रवेश के भारत के आवेदन के बाद चीन के सहयोगी देश पाकिस्तान ने भी आवेदन किया था. चीन के विरोध की वजह से समूह में भारत का प्रवेश थोड़ा मुश्किल हो गया है, क्योंकि एनएसजी में प्रवेश सहमति के आधार पर होता है. भारत को एनएसजी से फायदा भारत को इस समूह में शामिल हो जाने पर नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय बाजार से असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी और ईंधनों को ज्यादा आसानी से आयात कर सकेगी और अपनी घरेलू परमाणु सामग्री को सैन्य इस्तेमाल के लिए बचा सकेगी.'
सेलेना कीन्तानीया पेरेज़ (16 अप्रैल 1971 – 31 मार्च 1995) एक मैक्सिकन-अमेरिकी गायिका, गीतकार, मॉडल, अभिनेत्री और फैशन डिजाइनर थी। संगीत और फैशन में उनके योगदान ने उन्हें 20 वीं शताब्दी के अंत का सबसे मशहूर मैक्सिकन-अमेरिकी मनोरंजनकर्ताओं में से एक दिया।बना Quintanilla परिवार के सबसे कम उम्र के बच्चे, 1980 में बैंड Selena y लॉस डायन्स के सदस्य के रूप में, वह संगीत दृश्य पर शुरू हुआ, जिसमें भी उसके बड़े भाई बहन ए बी शामिल है। क्विंटनिला और सुजेट क्विंटिनाला 1 9 82 में सेलेना ने पेशेवर रिकॉर्डिंग शुरू की थी। 1 9 80 के दशक में, उसे अक्सर आलोचना की जाती थी और तेजनो संगीत-एक पुरुष-प्रभुत्व संगीत शैली के प्रदर्शन के लिए टेक्सास के स्थानों पर बुकिंग रद्द कर दी गई थी। हालांकि, 1 9 87 में वर्ष की महिला वोकलिस्ट के लिए तेजानो संगीत पुरस्कार जीता जाने के बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ गई, जिसके लिए उन्होंने लगातार नौ बार जीती। सेलेना ने 1 9 8 9 में ईएमआई लैटिन के साथ हस्ताक्षर किए और उसी वर्ष अपने स्वयं का पहला पहला एल्बम जारी किया, जबकि उसका भाई अपने प्रमुख संगीत निर्माता और गीतकार बन गए।
लेख: एनआईए के पूर्व प्रमुख शरद कुमार को केंद्रीय सतर्कता आयोग में सतर्कता आयुक्त नियुक्त किया गया है. कुमार 1979 बैच के हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. वह आतंकवाद रोधी जांच संगठन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का चार सालों तक नेतृत्व करने के बाद बीते साल सितंबर में सेवानिवृत्त हुए थे. एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक कुमार को केंद्रीय सतर्कता आयोग में चार साल की अवधि या जब तक वह 65 वर्ष के न हो जाएं तब तक के लिये सतर्कता आयुक्त नियुक्त किया गया है.टिप्पणियां यह पद फरवरी से रिक्त था. नियमों के मुताबिक कुमार का कार्यकाल अक्टूबर 2020 को खत्म होगा. आयोग में एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं. केवी चौधरी फिलहाल केंद्रीय सतर्कता आयुक्त हैं और टीएम भसीन दूसरे सतर्कता आयुक्त हैं. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) यह पद फरवरी से रिक्त था. नियमों के मुताबिक कुमार का कार्यकाल अक्टूबर 2020 को खत्म होगा. आयोग में एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं. केवी चौधरी फिलहाल केंद्रीय सतर्कता आयुक्त हैं और टीएम भसीन दूसरे सतर्कता आयुक्त हैं. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अमन के दुश्‍मनों और काला धन पर सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद भगवा पार्टी यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर कुछ इसी मोड में नजर आ रही है. हालांकि वो यह भी कहने से नहीं संकोच करती कि अगर कोई उन्‍हें डैमेज कर सकता है तो वो है समाजवादी पार्टी. पर जो कुनबे में कलह चल रही है वो एकदम बिग बॉस जैसी ही है. कुछ ऐसी ही बातें यूपी बीजेपी के महासचिव स्‍वतंत्र देव सिंह ने कहीं. चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच की लड़ाई को वो किसी फिल्‍मी कहानी की तरह बताने से कतई गुरेज नहीं करते. उनका साफ कहना है कि समाजवादी पार्टी में इस समय जो भी कुछ हो रहा है उसकी कहानी पहले ही लिखी जा चुकी है. जो भी कुछ किया जा रहा है वो सब अखिलेश को मजबूत करने के लिए ही किया जा रहा है. जो भी कुछ ड्रामेबाजी चली, उससे अखिलेश का कद और बढ़ा ही है. धन तंत्र, लाठी तंत्र और डकैत बुंदेलखंड में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए जी जान से जुटे सिंह कहते हैं कि सपा के पास दबंग लीडर हैं. उनके पास धन तंत्र है....और इसके अलावा लाठी तंत्र भी है. हालांकि धन तंत्र को तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर की रात सवा आठ बजे नष्‍ट कर दिया. 500 और 1000 के नोट बंद करके उन्‍होंने धन के बलबूते तंत्र को अपने वश में करने वालों की कमर तोड़ दी है. डकैत तो कम लूट रहे हैं, इनकी पार्टी के लोग ज्‍यादा वसूली करते हैं. धीमी हो गई बीएसपी की स्‍पीड बीजेपी अगर किसी को कमतर आंक रही है या बोले कि गिनती में ले ही नहीं रही है तो वो है बहुजन समाज पार्टी. स्‍वतंत्र देव का साफ कहना है कि जब से बीजेपी का बूथ सम्‍मेलन शुरू हुआ है तब से बसपा की स्‍पीड धीमी हो गई है. बसपा के पास कुछ है ही नहीं. जो थे वो सब हमारे साथ आ गए हैं, इस कसम के साथ कि यूपी में इसबारगी कमल ही खिलाएंगे. और जो बचा खुचा दम था वो आठ नवंबर की रात चला गया.
पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सोमवार को कॉन्सुलर एक्सेस मिला. पाकिस्तान में एक अज्ञात जगह पर भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर गौरव अहलूवालिया ने उनसे मुलाकात की. सुरक्षा कारणों से जगह का खुलासा नहीं किया गया है. खबर लिखे जाने तक जाधव और गौरव अहलूवालिया के बीच मुलाकात जारी है. Pakistan: The meeting between India's Deputy High Commissioner to Pakistan, Gaurav Ahluwalia and #KulbhushanJadhav begins. pic.twitter.com/nSqHGFF0nO — ANI (@ANI) September 2, 2019 इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान सही माहौल में स्वतंत्र, निष्पक्ष, सार्थक और अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस के आदेशों की भावना के अनुरूप कॉन्सुलर एक्सेस में मदद करेगा. मीटिंग वाले स्थान की घोषणा नहीं की गई है लेकिन ऐसी संभवना जताई जा रही है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में बैठक चल रही है. इससे पहले अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के आदेश के बाद पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देने पर राजी हो गया. हालांकि उसकी ओर से कुछ शर्तें रखी गई हैं जिसने भारत ने ठुकरा दिया. बैठक में आखिरकार क्या हुआ, इसका खुलासा बाद में ही हो पाया. पाकिस्तान को अभी हाल में आईसीजे ने निर्देश दिया कि वह तुरंत प्रभाव से अनुच्छेद-36 के तहत जाधव को उनके अधिकारों के बारे में सूचित करे और भारतीय राजनयिक पहुंच प्रदान करे और फिर मामले की समीक्षा भी करे. वियना संधि के अनुच्छेद-36 में कहा गया है कि अगर किसी विदेशी नागरिक को कोई देश अपनी सीमा के अंदर गिरफ्तार करता है तो संबंधित देश के दूतावास को बिना किसी देरी के तुरंत इसकी सूचना देनी पड़ेगी. हिरासत और परीक्षण के दौरान उसे अपने वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों के साथ नियमित परामर्श का अधिकार होना चाहिए.
अहमदाबाद में महात्मा गांधी मेमोरियल और मध्य प्रदेश में विधान भवन को आकार देने वाले भारत में आधुनिक वास्तुकला का चेहरा चार्ल्स कोरिया का संक्षिप्त बीमारी के बाद कल रात यहां निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। कोरिया के पारिवारिक सूत्रों ने को बताया कि उनका अंतिम संस्कार कल यहां किया जाएगा। पदम पुरस्कारों से अलंकृत कोरिया ने स्वतंत्रता के बाद भारत की वास्तुकला को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई और कई बेहद उत्कृष्ट संरचनाएं डिजाइन कीं। अहमदाबाद में महात्मा गांधी मेमोरियल और मध्य प्रदेश में विधान भवन की उत्कृष्ट संरचनाएं कोरिया के हुनर का ही नमूना हैं। वह 1970 के दशक में नवी मुंबई के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें बाद में शहरीकरण पर राष्ट्रीय आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। कोरिया को कम आयवर्ग के लिए आवास निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते और वह शहरी योजना एवं किफायती आवास निर्माण के विशेषज्ञ थे। उन्हें 1972 में पद्मश्री और 2006 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1 सितंबर 1930 को सिकंदराबाद में जन्मे कोरिया ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से शिक्षा ग्रहण की।टिप्पणियां कोरिया ने भारत और विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उन्हें वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार, प्रीमियर इम्पीरियल ऑफ जापान और आरआईबीए के रॉयल गोल्ड मेडल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है। कोरिया के पारिवारिक सूत्रों ने को बताया कि उनका अंतिम संस्कार कल यहां किया जाएगा। पदम पुरस्कारों से अलंकृत कोरिया ने स्वतंत्रता के बाद भारत की वास्तुकला को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई और कई बेहद उत्कृष्ट संरचनाएं डिजाइन कीं। अहमदाबाद में महात्मा गांधी मेमोरियल और मध्य प्रदेश में विधान भवन की उत्कृष्ट संरचनाएं कोरिया के हुनर का ही नमूना हैं। वह 1970 के दशक में नवी मुंबई के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें बाद में शहरीकरण पर राष्ट्रीय आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। कोरिया को कम आयवर्ग के लिए आवास निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते और वह शहरी योजना एवं किफायती आवास निर्माण के विशेषज्ञ थे। उन्हें 1972 में पद्मश्री और 2006 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1 सितंबर 1930 को सिकंदराबाद में जन्मे कोरिया ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से शिक्षा ग्रहण की।टिप्पणियां कोरिया ने भारत और विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उन्हें वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार, प्रीमियर इम्पीरियल ऑफ जापान और आरआईबीए के रॉयल गोल्ड मेडल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है। पदम पुरस्कारों से अलंकृत कोरिया ने स्वतंत्रता के बाद भारत की वास्तुकला को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई और कई बेहद उत्कृष्ट संरचनाएं डिजाइन कीं। अहमदाबाद में महात्मा गांधी मेमोरियल और मध्य प्रदेश में विधान भवन की उत्कृष्ट संरचनाएं कोरिया के हुनर का ही नमूना हैं। वह 1970 के दशक में नवी मुंबई के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें बाद में शहरीकरण पर राष्ट्रीय आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। कोरिया को कम आयवर्ग के लिए आवास निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते और वह शहरी योजना एवं किफायती आवास निर्माण के विशेषज्ञ थे। उन्हें 1972 में पद्मश्री और 2006 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1 सितंबर 1930 को सिकंदराबाद में जन्मे कोरिया ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से शिक्षा ग्रहण की।टिप्पणियां कोरिया ने भारत और विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उन्हें वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार, प्रीमियर इम्पीरियल ऑफ जापान और आरआईबीए के रॉयल गोल्ड मेडल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है। वह 1970 के दशक में नवी मुंबई के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें बाद में शहरीकरण पर राष्ट्रीय आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। कोरिया को कम आयवर्ग के लिए आवास निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते और वह शहरी योजना एवं किफायती आवास निर्माण के विशेषज्ञ थे। उन्हें 1972 में पद्मश्री और 2006 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1 सितंबर 1930 को सिकंदराबाद में जन्मे कोरिया ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से शिक्षा ग्रहण की।टिप्पणियां कोरिया ने भारत और विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उन्हें वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार, प्रीमियर इम्पीरियल ऑफ जापान और आरआईबीए के रॉयल गोल्ड मेडल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है। उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते और वह शहरी योजना एवं किफायती आवास निर्माण के विशेषज्ञ थे। उन्हें 1972 में पद्मश्री और 2006 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1 सितंबर 1930 को सिकंदराबाद में जन्मे कोरिया ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से शिक्षा ग्रहण की।टिप्पणियां कोरिया ने भारत और विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उन्हें वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार, प्रीमियर इम्पीरियल ऑफ जापान और आरआईबीए के रॉयल गोल्ड मेडल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है। 1 सितंबर 1930 को सिकंदराबाद में जन्मे कोरिया ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से शिक्षा ग्रहण की।टिप्पणियां कोरिया ने भारत और विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उन्हें वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार, प्रीमियर इम्पीरियल ऑफ जापान और आरआईबीए के रॉयल गोल्ड मेडल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है। कोरिया ने भारत और विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उन्हें वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार, प्रीमियर इम्पीरियल ऑफ जापान और आरआईबीए के रॉयल गोल्ड मेडल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है।
लीला होटल समूह की संचालक कम्पनी 'होटल लीलावेंचर लिमिटेड'ने सोमवार को कहा कि वह कोष जुटाने के लिए 14.95 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश करेगी। कम्पनी ने शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा कि वह नए शेयर जारी कर अपनी 14.95 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। कम्पनी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक विवेक नैय्यर ने कहा कि इस कदम से कम्पनी को अपने ऊपर कर्ज को कम करने में मदद मिलेगी। कम्पनी ने उदयपुर, दिल्ली और चेन्नई में नए होटल बनाने और आगरा,बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में भूमि खरीदने के लिए कर्ज लिया था। कम्पनी ने कहा कि वह चेन्नई में अपने होटल के निकट स्थित कुछ व्यवसायिक सम्पत्ति बेचेगी और बिल्डरों के साथ मिलकर बेंगलुरू और हैदराबाद में रिहाइशी और कारोबारी परिसरों का निर्माण करेगी। कम्पनी ने कहा कि उसे इस बिक्री और साझे विकास से 950 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
झूठ, फ़रेब और धोखे की यह एक ऐसी कहानी है, जिसका सच जानने के बाद आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल दिल्ली में एक ही जगह से, एक साथ, एक ही वक्त, एक ही कंपनी में काम करने वाले 5 लोगों का अपहरण हो जाता है. पर इसके आगे जो कुछ होता है, वो वाकई चौंकाने वाला है. सौरभ हर रोज़ की तरह उस दिन भी अपनी गर्लफ्रेंड शिविका से मिलने के लिए अपनी कंपनी के रेस्ट हाउस में आया था. लेकिन वो उस वक्त नहीं जानता था कि वह एक मुसीबत में फंसने वाला है. आने वाले खतरे से अनजान वह कमरे का दरवाज़ा खटखटाता है. कमरे का दरवाज़ा उसकी गर्लफ्रेंड शिविका ने ही खोला था. दरअसल शिविका सौरभ की ही कंपनी में काम करती थी. गुज़रते वक्त के साथ-साथ दोनों एक-दूसरे के करीब आ चुके थे. दोनों की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा था. अब दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे थे. शिविका ने सौरभ को एक 'ड्रिंक' पिलाया. पीने के थोड़ी देर बाद सौरभ अपने होश खो बैठा. सौरभ को जब होश आया, तो उसने खुद को एक अनजान कमरे पाया. लेकिन उसके सामने उसकी गर्लफ्रेंड और कंपनी के तीन लोग बैठे हुए थे. सौरभ को इतना समझ में आ चुका था कि वो किसी मुसीबत में फंस चुका है और इस वक्त वह इन लोगों के रहमोकरम पर है. सौरभ को होश में आया देख चारों में से शिविका ने सौरभ को बताया कि कुछ लोगों ने उन सभी का अपहरण कर लिया है और उन चारों ने अपहरणकर्ताओं को 80 लाख रुपये देने का इंतज़ाम भी कर लिया है. अगर सौरभ अपनी जान बचाना चाहता है, तो वो किडनैपर्स को 18 लाख रुपये दे दे. सौरभ फौरन इसके लिए राज़ी हो गया. उसने अपने घर फोन किया और कहा कि वो किडनैपर्स को 18 लाख रुपये दे दें. सौरभ के घरवालों ने भी किडनैपर्स को 18 लाख की फिरौती दे दी. फिरौती की रकम मिलने के बाद अपहरणकर्ताओं ने सौरभ को एक शर्त पर आज़ाद किया कि वह अपनी कंपनी के बाकी कर्मचारियों को वो 80 लाख रुपये लौटा देगा, जो उन्होंने खुद को किडनैपर्स के चंगुल से बचाने के लिए उन्हें दिए हैं. सौरभ इसके लिए तैयार हो गया. उसके बाद उसके अपहरणकर्ता ने सौरभ को 25 दिसंबर 2013 को छोड़ दिया. किडनैपर्स के चंगुल से छूटने के बाद सौऱभ पुलिस के पास पहुंचा. पुलिस भी उसके अपहरण की कहानी सुनकर हैरान रह गई. लेकिन पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल यही था कि आखिर किसने सौरभ का अपहरण किया था और इस साज़िश में कौन-कौन लोग शामिल थे. बस इन्‍हीं सवालों को सामने रख पुलिस ने अपनी तहक़ीक़ात शुरू की. पु‍लिस ने सौरभ के उन कर्मचारियों और उसकी गर्लफ्रेंड से पूछताछ करने का फ़ैसला किया, जिनका उसके साथ अपहरण हुआ था. पूछताछ करने के बाद बाद भी वह किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई. लेकिन जब पुलिस ने उन सभी से सख्ती से पूछताछ की, तो उनमें से एक पुलिस के सामने टूट गया और उसने पुलिस को सौरभ की किडनैपिंग का सच बताया, तो सभी हैरान रह गए. दरअसल इन सभी ने मिलकर सौरभ को किडनैप करने का प्लान बनाया था. किसी को इन पर शक न हो, इसलिए अपहरण करने का काम आउटसोर्स किया गया था. यानी किडनैपिंग किसी और गिरोह ने की थी. इस प्लान का सबसे हैरतअंगेज़ करने वाला पहलू यह था कि किडनैपिंग की इस साज़िश में सौरभ की गर्लफ्रेंड शिविका चौहान भी शरीक थी. इतना ही नहीं, शिविका ही अपहरण की इस साज़िश की मास्टरमाइंड भी है. पुलिस के मुताबिक शिविका चौहान ने सौरभ के यहां काम करने वाले राज वालिया, अरुण बोहरा और सन्नी के साथ मिलकर ही इस अपहरण को अंजाम दिया. प्लान के मुताबिक ही 22 दिसंबर को उसने सौरभ को फोन कर उसी के गेस्ट हाउस बुलाया और वहां पर उन्हें नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर दिया. इसके बाद उसने सौरभ को बाहर से बुलाए प्रोफेशनल किडनैपर्स के हवाले कर दिया. इतना ही नहीं, उन सभी ने मिलकर सौरभ को यह बताया कि कि किडनैपर्स ने उसके अलावा उन चारों का भी अपहरण कर लिया है. इसके बाद करीब 1 करोड़ की फिरौती वसूलने के बाद सौरभ को छोड़ दिया गया. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में उन चारों प्रोफेशनल किडनैपर्स- सुनील राठी, कृष्णा, रवि और संदीप को गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन इस किडनैपिंग की साजिश में शामिल सौरभ आहूजा के चारों कर्मचारी और गर्लफ्रेंड शिविका चौहान अभी फरार हैं.
क्या गंगा एक्सप्रेस वे विश्व का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे बनने जा रहा है?  प्रयागराज में मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट मीटिंग में उपरोक्त प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिली, जिसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी घोषणा में यह दावा किया कि गंगा एक्सप्रेस-वे जब बनेगा तो दुनिया का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे होगा. यहां देखें योगी आदित्यनाथ की इस घोषणा का वीडियो. 'नेशन विद नमो' और 'फिर एक बार मोदी सरकार' जैसे फेसबुक पेज पर ऐसे ही दावे वाली पोस्ट वायरल भी हो रही हैं. इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पड़ताल में पाया कि गंगा एक्सप्रेस-वे को लेकर किया जा रहा यह दावा पूरी तरह से झूठा है. विश्व में ऐसे अन्य कई एक्सप्रेस-वे या फ्री-वेज (अमरीका में इसे इसी नाम से जाना जाता है) हैं, जिनका नाम विश्व की सबसे लंबे एक्सप्रेस-वे की सूची में शुमार होता है. 'फिर एक बार मोदी सरकार' पेज ने मैसेज पोस्ट किया है जिसमें लिखा गया है: “उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनवाएगी दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे” इस मैसेज के साथ गंगा एक्सप्रेस-वे के बारे में अन्य जानकारियां भी हिंदी भाषा में लिखी गई हैं. खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 6000 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका था. वहीं 'नेशन विद नमो' ने यही जानकारी अंग्रेजी में पोस्ट की है और साथ ही मैसेज लिखा है: “भारत के पास जल्द ही एक और विश्व रिकॉर्ड होगा.” इस पोस्ट को भी खबर लिखे जाने तक 1100 से ज्यादा लोग शेयर कर चुके थे. प्रतिष्ठित न्यूज वेबसाइट द इकोनॉमिक टाइम्स ने भी इस खबर को हेडलाइन “यूपी टू बिल्ड वर्ल्ड्स लॉन्गेस्ट एक्सप्रेस-वे : योगी आदित्यनाथ” के साथ प्रकाशित किया है. सीएम योगी के दावे के अनुसार गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ, अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, कन्नौज, उन्नाव, रायबरेली और प्रतापगढ़ जिलों से होते हुए प्रयागराज तक पहुंचेगा. शुरुआत में इसे एक्सेस कंट्रोल के साथ चार लेन रोड वाला बनाया जाएगा, बाद में इसका विस्तार छह लेन तक किया जा सकेगा. कंट्रोल्ड—एक्सेस हाइवेज का अर्थ है जहां ट्रैफिक की गति में अवरोध उत्पन्न करने के लिए कोई ट्रैफिक सिग्नल या चौराहे न हों. इस तरह के रोड को विश्व भर में कई नामों से जाना जाता है जैसे फ्री-वे, मोटर-वे, एक्सप्रेस-वे, हाई-वे, इंटरस्टेट या पार्क-वे. हमने पड़ताल में पाया कि विश्व में ऐसे कई एक्सप्रेस-वे या फ्रीवेज हैं जिनकी लंबाई योगी सरकार के 600 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे से ज्यादा है. वर्ष 2017 में चीन ने विश्व के सबसे लम्बे एक्सप्रेस-वे में से एक का उद्घाटन किया था. यह एक्सप्रेस-वे चीन की राजधानी बीजिंग को शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी से जोड़ता है. इसकी लंबाई 2540 किलोमीटर है. इस एक्सप्रेस-वे के बारे में कई विदेशी मीडिया हाउस जैसे कि मिरर रिपोर्ट कर चुके हैं. विदेश ही नहीं, भारत में भी गंगा एक्सप्रेस-वे से लंबा नागपुर मुंबई सुपर कम्यूनिकेशन एक्सप्रेस-वे प्रस्तावित है. इसे समृद्धि कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है. इंडिया टुडे में प्रकाशित ताजा रिपोर्ट के अनुसार समृद्धि एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट की लंबाई 701 किलोमीटर होगी. 600 किलोमीटर तक का इसका निर्माण कार्य दिसंबर 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा.
पैंटानल (पुर्तगाली उच्चारण: [pɐ̃taˈnaw]) दुनिया के सबसे बड़े उष्णकटिबंधीय आर्द्रभूमि क्षेत्र को शामिल करने वाला एक प्राकृतिक क्षेत्र है। यह ज्यादातर ब्राज़ीलियाई राज्य माटो ग्रोसो डो सुल के भीतर स्थित है, लेकिन यह माटो ग्रोसो और बोलीविया और पैराग्वे के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ है। यह 140,000 और 195,000 वर्ग किलोमीटर (54,000 और 75,000 वर्ग मील) के बीच अनुमानित क्षेत्र में फैला हुआ है। विभिन्न उपक्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद हैं, जिनमें से प्रत्येक की विशिष्ट जल विज्ञान, भूवैज्ञानिक और पारिस्थितिक विशेषताएं हैं; उनमें से 12 को परिभाषित किया गया है (रैडम्ब्रासिल 1982)। पैंटानल बाढ़ के मैदानों का लगभग 80% बरसात के मौसम के दौरान जलमग्न हो जाता है, जो जलीय पौधों के जैविक रूप से विविध संग्रह का पोषण करता है और पशु प्रजातियों की घनी श्रृंखला का समर्थन करने में मदद करता है।
मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2019 में बीजेपी से टकराने के लिए विपक्ष के बीच महागठबंधन की आवाज़ें यूपी चुनाव के बाद तेज़ हो चली हैं. हालांकि उसमें कई अड़चनें दिख रही हैं. आखिर जहां दो विपक्षी दल अरसे से आमने-सामने रहे हों, वो एक पाले में आकर चुनाव लड़ने पर कैसे तैयार होंगे. फिर चाहे बंगाल में ममता-लेफ्ट हों, तमिलनाडु में द्रमुक-अन्नाद्रमुक हों, यूपी में सपा-बसपा हों या फिर ओडिसा में बीजेडी-कांग्रेस. दरअसल, सभी मानते हैं कि ऐसे में चुनाव लड़ना भले ही टेढ़ी खीर हो, लेकिन जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के सामने इकट्ठा होकर किसी एक उम्मीदवार पर सहमति बनाना तुलनात्मक रूप से आसान है. इसे भविष्य में महागठबंधन बनने की संभावना से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. गौरतलब है कि इसी सिलसिले में अब बैठकों के दौर शुरू हो चुके हैं. लेफ्ट ने कांग्रेस के साथ बात करके इसकी पहल शुरू भी कर दी है. लेकिन सबको साथ लाने के लिए एक ऐसे नाम की तलाश है, जिस पर सभी की सहमति बन जाए. खासकर उन दलों की जो अपने-अपने राज्यों में आमने-सामने हैं. नाम ऐसा हो जिसका समर्थन करने पर परस्पर विरोधी सियासी दलों को एक साथ वोट करने में सियासी खतरा ना महसूस हो. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, शरद पवार, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, करुणानिधि, नवीन पटनायक जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों से राय मशविरा का दौर जल्दी शुरू होने वाला है, जिससे बाद में कोई बिखराव ना होने पाए. विवाद ना हो इसलिए कोई नाम हवा में नहीं उछाला जा रहा, कोशिश है कि, ऐसा नाम सामने आए जिस पर सभी सहमत हों. हालांकि, विपक्षी सूत्रों का कहना है कि, डर इस बात का जरूर है कि, सीबीआई, ईडी सरीखी तमाम केंद्रीय एजेंसियों के ज़रिए जरूर विपक्षी एकता को पिछले दरवाजे से तोड़ने की भरसक कोशिश होगी, जिससे निपटना भी एक बड़ी चुनौती होगा. आपको बता दें विपक्ष पहले बीजेपी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जान लेने के मूड में है, जिससे वो खुद ऐसा उम्मीदवार लाये, जिसका इस्तेमाल वो एनडीए में फ़ूट डालने में कर सके. याद होगा सरकार में रहते कैसे यूपीए ने शिवसेना और जेडीयू को राष्ट्रपति चुनाव में अपने पाले में किया था. लेकिन विपक्ष को याद रखना होगा कि, अब सत्ता में एनडीए है और विपक्ष बिखरा हुआ है, इसलिए सेंधमारी विपक्ष में ज़्यादा संभव है. ऐसे सबसे पहले तो राष्ट्रपति पद के लिए उस नाम का सामने आना जरूरी है, जिसके पीछे सभी विपक्षी मज़बूती से खड़े हो जाएं. अगर ऐसा हुआ तो उसके बाद तैयार रहिए एक और दिलचस्प राष्ट्रपति चुनाव के लिए.
महाराष्ट्र में बुधवार को हुए विधानसभा चुनाव में 64 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। इस दौरान 8.35 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहली बार यहां अकेले चुनाव लड़ा। महाराष्ट्र विधानसभा के लिए भी आज ही चुनाव हुए जिसमें शाम छह बजे तक करीब 64 फीसदी मतदान की खबर है । उप निर्वाचन आयुक्त सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि अंतिम सूचना मिलने तक महाराष्ट्र में 64 फीसदी मतदान की सूचना है । उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों में छिटपुट हिंसा की घटनाओं को छोड़कर मतदान कमोबेश शांतिपूर्ण रहा । हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें, तो मतदान शांतिपूर्ण रहा। जून में केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत के बाद रिक्त हुए बीड लोकसभा सीट पर भी मतदान संपन्न हुआ। गढ़चिरौली जिले में नक्सलियों ने गोलीबारी कर मतदान को प्रभावित करने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा बलों ने जवाबी गोलीबारी कर उसे नाकाम कर दिया। यवतमाल में एक महिला नेत्री ने एक निर्वाचन अधिकारी से मारपीट की, लेकिन मतदान पर इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ा। मुंबई में उद्योगपति, बॉलीवुड के सितारे, टेलीविजन कलाकार और क्रिकेटर मतदान के लिए पंक्ति में लगे दिखे। इस दौरान उद्योगपति अनिल अंबानी, फिल्म कलाकार रेखा, सलमान खान, सोहेल खान, अभिषेक बच्चन, जावेद अख्तर, गुलजार, सोनाली बेंद्रे, अनुपम खेर, जया बच्चन, हेमा मालिनी, अमोल पालेकर, किरन राव-खान, ईशा देओल और नाना पाटेकर ने मतदान किया। मुंबई में 50 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। इस चुनाव में राज्य के करीब 8.35 करोड़ मतदाता 4,119 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। प्रदेश के 91,376 मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। 9,900 मतदान केंद्रों को अतिसंवेदनशील, जबकि 62 केंद्रों को संवेदनशील घोषित किया गया था। यवतमाल में पुलिस और ग्रामीणों के बीच संघर्ष में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। ठाणे जिले के भिवंडी के निकट औंजूर-दाइव गांव में संघर्ष के दौरान कम से कम तीन राजनीतिक कार्यकर्ता घायल हो गए। मुंबई में अखिल भारतीय सेना की उम्मीदवार गीता गवली के वाहन पर अज्ञात लोगों ने हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। नागपुर के दो, नासिक के एक तथा मुंबई के एक मतदान केंद्र पर वोटिंग मशीन में खराबी आने के कारण कुछ समय के लिए मतदान रोकना पड़ा। नागपुर तथा अमरावती में भारी बारिश के कारण  मतदान प्रभावित हुआ। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतार लगनी शुरू हो गई थी और तेजी से मतदान हुआ। शाम छह बजे मतदान खत्म हुआ। सबसे पहले मतदान करने वालों में बारामती से पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार और उनका परिवार, मुंबई में विधान परिषद में विपक्ष के नेता विनोद तावडे और उनका परिवार, बीड में पंकजा मुंडे और मुंबई में अभिनेत्री रेखा रहीं।
नोटबंदी का असर सबसे ज़्यादा ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. नकदी की कमी ने फसल से लेकर उनके छोटे-छोटे कारोबार को भी चौपट कर डाला है. सरकार की नजर भी इन हालात पर है. राज्यों में नोटबंदी के असर का जायज़ा लेने के लिए केंद्र की ओर से गए करीब 50 अफ़सरों की टीम ने माना है कि हालात गांवों में कहीं ज़्यादा बुरे हैं. गौतम बुद्ध नगर के सोरखा की रहने वाली निर्मला का परिवार सब्ज़ियां उगाकर गुजारा करता है, लेकिन इस साल उनकी फ़सल बरबाद हो गई. वजह है नोटबंदी. निर्मला ने एनडीटीवी को बताया कि कैश की कमी की वजह से गोभी और दूसरी सब्जियों की फसलों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी कीटनाशक नहीं खरीद पाईं. नतीजा ये हुआ कि कीड़ों ने फसल बर्बाद कर दी. जो गोभी की फसल थोड़ी-बहुत बची भी उसे मंडी के व्यापारियों ने दो रुपये किलो में खरीदने की पेशकश की, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. निर्मला ने कहा, 'अब इन खराब फसलों को जानवरों को ही खिला पाएंगे. बची हुई गोभी को मंडी तक ले जाने पर जो खर्च आता वो कमाई से ज़्यादा होता इसलिए हमने इन्हें नहीं बेचने का फैसला किया.' मां-बेटों को अभी तक नए नोट देखने को भी नहीं मिले हैं.' निर्मला के खेत से बाहर आते ही हमें दो भाई प्रेम पाल और विजय पाल मिले. दोनों माल ढुलाई का काम करते हैं. कहते हैं, नोटबंदी के बाद पेमेंट नहीं मिला. प्रेम पाल ने बताया, 'मालिक कहता है कि कैश नहीं है, क्योंकि बैंकों में आठ-आठ घंटे लाइन लगने पर भी कैश नहीं मिल पा रहा है.' हालत ये है कि यहां से क़रीब 5 किलोमीटर दूर मामुरा का ज़िला सहकारी बैंक बुधवार को ख़ाली पड़ा रहा. आरबीआई ने जनधन खाते से महीने में 10,000 की सीमा बांधी है, लेकिन ये पैसा भी तब मिलेगा जब बैंक में कैश हो.टिप्पणियां बैंक मैनेजर सुरेश तिवारी कहते हैं, 'नोटबंदी के बाद कैश पेमेंट तेज़ी से घट गई है. नोटबंदी के ऐलान से पहले 8 नवंबर को बैंक से 10.31 लाख कैश पेमेंट लोगों को की गई, जबकि 29 नवंबर को ये घटकर 3.75 लाख रह गई. बुधवार को कैश आया नहीं और इस वजह से एक रुपया भी हम खाता धारकों को नहीं बांट पाए.' केंद्र से राज्यों में भेजी गई करीब 50 अफ़सरों की एक टीम की राय है कि बुवाई के इस मौसम में नोटबंदी ने खेती पर बुरा असर डाला है और गुज़ारे के मौके ख़त्म हो रहे हैं. लोग अपनी उपज काफ़ी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. इस संकट के बीच ये सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नोटबंदी अर्थव्यवस्था को मंदी को ओर धकेल रहा है. गौतम बुद्ध नगर के सोरखा की रहने वाली निर्मला का परिवार सब्ज़ियां उगाकर गुजारा करता है, लेकिन इस साल उनकी फ़सल बरबाद हो गई. वजह है नोटबंदी. निर्मला ने एनडीटीवी को बताया कि कैश की कमी की वजह से गोभी और दूसरी सब्जियों की फसलों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी कीटनाशक नहीं खरीद पाईं. नतीजा ये हुआ कि कीड़ों ने फसल बर्बाद कर दी. जो गोभी की फसल थोड़ी-बहुत बची भी उसे मंडी के व्यापारियों ने दो रुपये किलो में खरीदने की पेशकश की, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. निर्मला ने कहा, 'अब इन खराब फसलों को जानवरों को ही खिला पाएंगे. बची हुई गोभी को मंडी तक ले जाने पर जो खर्च आता वो कमाई से ज़्यादा होता इसलिए हमने इन्हें नहीं बेचने का फैसला किया.' मां-बेटों को अभी तक नए नोट देखने को भी नहीं मिले हैं.' निर्मला के खेत से बाहर आते ही हमें दो भाई प्रेम पाल और विजय पाल मिले. दोनों माल ढुलाई का काम करते हैं. कहते हैं, नोटबंदी के बाद पेमेंट नहीं मिला. प्रेम पाल ने बताया, 'मालिक कहता है कि कैश नहीं है, क्योंकि बैंकों में आठ-आठ घंटे लाइन लगने पर भी कैश नहीं मिल पा रहा है.' हालत ये है कि यहां से क़रीब 5 किलोमीटर दूर मामुरा का ज़िला सहकारी बैंक बुधवार को ख़ाली पड़ा रहा. आरबीआई ने जनधन खाते से महीने में 10,000 की सीमा बांधी है, लेकिन ये पैसा भी तब मिलेगा जब बैंक में कैश हो.टिप्पणियां बैंक मैनेजर सुरेश तिवारी कहते हैं, 'नोटबंदी के बाद कैश पेमेंट तेज़ी से घट गई है. नोटबंदी के ऐलान से पहले 8 नवंबर को बैंक से 10.31 लाख कैश पेमेंट लोगों को की गई, जबकि 29 नवंबर को ये घटकर 3.75 लाख रह गई. बुधवार को कैश आया नहीं और इस वजह से एक रुपया भी हम खाता धारकों को नहीं बांट पाए.' केंद्र से राज्यों में भेजी गई करीब 50 अफ़सरों की एक टीम की राय है कि बुवाई के इस मौसम में नोटबंदी ने खेती पर बुरा असर डाला है और गुज़ारे के मौके ख़त्म हो रहे हैं. लोग अपनी उपज काफ़ी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. इस संकट के बीच ये सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नोटबंदी अर्थव्यवस्था को मंदी को ओर धकेल रहा है. निर्मला ने कहा, 'अब इन खराब फसलों को जानवरों को ही खिला पाएंगे. बची हुई गोभी को मंडी तक ले जाने पर जो खर्च आता वो कमाई से ज़्यादा होता इसलिए हमने इन्हें नहीं बेचने का फैसला किया.' मां-बेटों को अभी तक नए नोट देखने को भी नहीं मिले हैं.' निर्मला के खेत से बाहर आते ही हमें दो भाई प्रेम पाल और विजय पाल मिले. दोनों माल ढुलाई का काम करते हैं. कहते हैं, नोटबंदी के बाद पेमेंट नहीं मिला. प्रेम पाल ने बताया, 'मालिक कहता है कि कैश नहीं है, क्योंकि बैंकों में आठ-आठ घंटे लाइन लगने पर भी कैश नहीं मिल पा रहा है.' हालत ये है कि यहां से क़रीब 5 किलोमीटर दूर मामुरा का ज़िला सहकारी बैंक बुधवार को ख़ाली पड़ा रहा. आरबीआई ने जनधन खाते से महीने में 10,000 की सीमा बांधी है, लेकिन ये पैसा भी तब मिलेगा जब बैंक में कैश हो.टिप्पणियां बैंक मैनेजर सुरेश तिवारी कहते हैं, 'नोटबंदी के बाद कैश पेमेंट तेज़ी से घट गई है. नोटबंदी के ऐलान से पहले 8 नवंबर को बैंक से 10.31 लाख कैश पेमेंट लोगों को की गई, जबकि 29 नवंबर को ये घटकर 3.75 लाख रह गई. बुधवार को कैश आया नहीं और इस वजह से एक रुपया भी हम खाता धारकों को नहीं बांट पाए.' केंद्र से राज्यों में भेजी गई करीब 50 अफ़सरों की एक टीम की राय है कि बुवाई के इस मौसम में नोटबंदी ने खेती पर बुरा असर डाला है और गुज़ारे के मौके ख़त्म हो रहे हैं. लोग अपनी उपज काफ़ी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. इस संकट के बीच ये सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नोटबंदी अर्थव्यवस्था को मंदी को ओर धकेल रहा है. निर्मला के खेत से बाहर आते ही हमें दो भाई प्रेम पाल और विजय पाल मिले. दोनों माल ढुलाई का काम करते हैं. कहते हैं, नोटबंदी के बाद पेमेंट नहीं मिला. प्रेम पाल ने बताया, 'मालिक कहता है कि कैश नहीं है, क्योंकि बैंकों में आठ-आठ घंटे लाइन लगने पर भी कैश नहीं मिल पा रहा है.' हालत ये है कि यहां से क़रीब 5 किलोमीटर दूर मामुरा का ज़िला सहकारी बैंक बुधवार को ख़ाली पड़ा रहा. आरबीआई ने जनधन खाते से महीने में 10,000 की सीमा बांधी है, लेकिन ये पैसा भी तब मिलेगा जब बैंक में कैश हो.टिप्पणियां बैंक मैनेजर सुरेश तिवारी कहते हैं, 'नोटबंदी के बाद कैश पेमेंट तेज़ी से घट गई है. नोटबंदी के ऐलान से पहले 8 नवंबर को बैंक से 10.31 लाख कैश पेमेंट लोगों को की गई, जबकि 29 नवंबर को ये घटकर 3.75 लाख रह गई. बुधवार को कैश आया नहीं और इस वजह से एक रुपया भी हम खाता धारकों को नहीं बांट पाए.' केंद्र से राज्यों में भेजी गई करीब 50 अफ़सरों की एक टीम की राय है कि बुवाई के इस मौसम में नोटबंदी ने खेती पर बुरा असर डाला है और गुज़ारे के मौके ख़त्म हो रहे हैं. लोग अपनी उपज काफ़ी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. इस संकट के बीच ये सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नोटबंदी अर्थव्यवस्था को मंदी को ओर धकेल रहा है. हालत ये है कि यहां से क़रीब 5 किलोमीटर दूर मामुरा का ज़िला सहकारी बैंक बुधवार को ख़ाली पड़ा रहा. आरबीआई ने जनधन खाते से महीने में 10,000 की सीमा बांधी है, लेकिन ये पैसा भी तब मिलेगा जब बैंक में कैश हो.टिप्पणियां बैंक मैनेजर सुरेश तिवारी कहते हैं, 'नोटबंदी के बाद कैश पेमेंट तेज़ी से घट गई है. नोटबंदी के ऐलान से पहले 8 नवंबर को बैंक से 10.31 लाख कैश पेमेंट लोगों को की गई, जबकि 29 नवंबर को ये घटकर 3.75 लाख रह गई. बुधवार को कैश आया नहीं और इस वजह से एक रुपया भी हम खाता धारकों को नहीं बांट पाए.' केंद्र से राज्यों में भेजी गई करीब 50 अफ़सरों की एक टीम की राय है कि बुवाई के इस मौसम में नोटबंदी ने खेती पर बुरा असर डाला है और गुज़ारे के मौके ख़त्म हो रहे हैं. लोग अपनी उपज काफ़ी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. इस संकट के बीच ये सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नोटबंदी अर्थव्यवस्था को मंदी को ओर धकेल रहा है. बैंक मैनेजर सुरेश तिवारी कहते हैं, 'नोटबंदी के बाद कैश पेमेंट तेज़ी से घट गई है. नोटबंदी के ऐलान से पहले 8 नवंबर को बैंक से 10.31 लाख कैश पेमेंट लोगों को की गई, जबकि 29 नवंबर को ये घटकर 3.75 लाख रह गई. बुधवार को कैश आया नहीं और इस वजह से एक रुपया भी हम खाता धारकों को नहीं बांट पाए.' केंद्र से राज्यों में भेजी गई करीब 50 अफ़सरों की एक टीम की राय है कि बुवाई के इस मौसम में नोटबंदी ने खेती पर बुरा असर डाला है और गुज़ारे के मौके ख़त्म हो रहे हैं. लोग अपनी उपज काफ़ी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. इस संकट के बीच ये सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नोटबंदी अर्थव्यवस्था को मंदी को ओर धकेल रहा है. केंद्र से राज्यों में भेजी गई करीब 50 अफ़सरों की एक टीम की राय है कि बुवाई के इस मौसम में नोटबंदी ने खेती पर बुरा असर डाला है और गुज़ारे के मौके ख़त्म हो रहे हैं. लोग अपनी उपज काफ़ी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. इस संकट के बीच ये सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नोटबंदी अर्थव्यवस्था को मंदी को ओर धकेल रहा है.
बीजेपी समर्थित महाराष्ट्र के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) प्रशांत परिचारक जवानों की पत्नियों पर दिए विवादास्पद बयान पर घिरते नजर आ रहे हैं. महाराष्ट्र महिला आयोग ने उन्हें नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा है. परिचारक को मंगलवार को 11 बजे आयोग के समक्ष प्रस्तुत होना होगा. महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर के मुताबिक एक चुनाव प्रचार रैली में परिचारक ने विवादित बयान दिया था. परिचारक ने कहा था कि सैनिक को उसकी पत्नी से टेलीग्राम मिलता है कि उसने एक बच्चे को जन्म दिया है. जब वह खुशी में सीमा पर अपने सहयोगियों को मिठाई बांटता है, उसके सहयोगी इसका कारण पूछते हैं. वह खुशी से बताता है कि उसकी पत्नी ने एक लड़के को जन्म दिया है, जबकि वह पूरे साल अपने घर नहीं गया है. हालांकि अपने इस बयान के बाद परिचारक ने माफी भी मांगी थी. विपक्षी दलों ने इस तरह के नेता के समर्थन के लिए सत्तारूढ़ भाजपा को निशाना बनाया और कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. बयान के बाद परिचारक की राजनीतिक दलों के साथ-साथ पूर्व सैनिकों और सेना के परिवारों ने आलोचना की थी.
लेख: एक शोधार्थी के यौन उत्पीड़न मामले को दबाने की कोशिश का आरोप झेल रहे सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल वॉल्सन थंपू मीडिया से मुखातिब हुए। थंपू ने इस दौरान अपना बचाव किया और आरोप लगाया कि कुछ लोग लड़की को हथियार बनाकर उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। साजिशकर्ताओं की संख्या तीन है।टिप्पणियां थंपू ने सवाल उठाते हुए कहा कि जिस ऑडियो क्लिप का हवाला दिया जा रहा है वो किसी के कहने पर साजिश के तहत स्टिंग किया गया, जबकि उसका जिक्र पुलिस और कॉलेज की शिकायत में क्यों नहीं था? उन्‍होंने कहा, लड़की ने समझौते का प्रस्ताव खुद रखा था, क्योंकि वो पीएचडी अपनी शर्तों पर करना चाहती है। मेरे साथ जानवरों जैसा वर्ताव किया जा रहा है। इतना ही नहीं उनका कहना है कि उन्हे फंसाने की यह तीसरी कोशिश है। थंपू चाहते हैं कि इस मामले की सीबीआई जांच हो, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। थंपू का कहना है कि हालांकि उनके कार्यकाल के 7 महीने और बचे हैं, ऐसे में वो गलत आरोपों के आधार पर इस्तीफा नहीं देंगे। इस दौरान उनके साथ अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष कमल फारूखी और स्वामी अग्निवेश भी थे। थंपू ने सवाल उठाते हुए कहा कि जिस ऑडियो क्लिप का हवाला दिया जा रहा है वो किसी के कहने पर साजिश के तहत स्टिंग किया गया, जबकि उसका जिक्र पुलिस और कॉलेज की शिकायत में क्यों नहीं था? उन्‍होंने कहा, लड़की ने समझौते का प्रस्ताव खुद रखा था, क्योंकि वो पीएचडी अपनी शर्तों पर करना चाहती है। मेरे साथ जानवरों जैसा वर्ताव किया जा रहा है। इतना ही नहीं उनका कहना है कि उन्हे फंसाने की यह तीसरी कोशिश है। थंपू चाहते हैं कि इस मामले की सीबीआई जांच हो, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। थंपू का कहना है कि हालांकि उनके कार्यकाल के 7 महीने और बचे हैं, ऐसे में वो गलत आरोपों के आधार पर इस्तीफा नहीं देंगे। इस दौरान उनके साथ अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष कमल फारूखी और स्वामी अग्निवेश भी थे। थंपू का कहना है कि हालांकि उनके कार्यकाल के 7 महीने और बचे हैं, ऐसे में वो गलत आरोपों के आधार पर इस्तीफा नहीं देंगे। इस दौरान उनके साथ अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष कमल फारूखी और स्वामी अग्निवेश भी थे।
दिल्ली में एक बड़े स्कूल के गंदे पानी के टैंक में गिर जाने से चार साल की मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई. इस टैंक में पहले कई मवेशी भी गिर चुके हैं. हादसा उस वक्त हुआ जब किसी अन्य स्कूल में पढने वाली बच्ची अपने घर लौट रही थी. मामला दिल्ली के स्वरुप नगर इलाके का है. जहां सन्त सुजान सिंह इंटरनेशनल स्कूल और एक गुरुद्वारे से निकलने वाला गंदा पानी एक टैंक में जाता है. जो ऊपर से है अनकवर्ड है. स्कूल और गुरुद्वारे की चारदीवारी के बाहर बने इस गन्दे पानी के टैंक में एक स्कूल से लौट रही चार साल की मासूम बच्ची जा गिरी और उसकी मौत हो गई. बच्ची की पहचान नंदनी के तौर पर हुई है. उसके पिता ऑटो चलाते हैं. पीड़िता परिवार स्वरूप नगर थाना एरिया के कुशक गांव का रहने वाला है. जो कि सन्त सुजान सिंह इंटरनेशनल स्कूल के पास ही है. स्कूल की चारदीवारी में ही गुरुद्वारा बना हुआ है. स्कूल के बगल में खाली जमीन है. उसी में स्कूल और गुरुद्वारे के गन्दे पानी का टैंक बनाया गया है. जहां ये हादसा हुआ. गन्दे पानी का टैंक करीब बीस फ़ीट गहरा और पचास फ़ीट लम्बा है. टैंक की कोई चारदीवारी भी नहीं है और न ही वहां कोई तार की बाड़ है. यह ऊपर से भी पूरी तरह खुला हुआ है. हादसे के बाद गांव के लोग बड़े बांस लेकर आए तब इसकी गहराई पता चली. नंदनी कुशक गांव के ही एक निजी स्कूल में नर्सरी की छात्रा थी. बच्ची को बचाने के लिए मां ने भी कोशिश की. वो टैंक में कूद गई लेकिन उसे तुरन्त बचा लिया गया. लेकिन बच्ची को निकालने में करीब पन्द्रह मिनट लग गए. तब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी. स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्कूल और गुरुद्वारे को इसके बारे में कई बार शिकायत की गई लेकिन कई साल से यह टैंक ऐसे ही खुला पड़ा है. आसपास बड़ी घास उग आने से टैंक दिखाई भी नहीं देता है. इसमें कई बार मवेशी भी गिर चुके हैं. पुलिस ने बच्ची के शव को कब्जे में लेकर पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया है. पूरे मामले की जांच की जा रही है.
स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (SSC) ने कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (CGL) परीक्षा की 'आंसर- की' जारी कर दी है. यह परीक्षा 9 और 16 अगस्त को आयोजित हुई थी. जिन उम्मीदवारों ने इस परीक्षा में हिस्सा लिया था, वे SSC की वेबसाइट पर 'आंसर-की' देख सकते हैं. 'आंसर-की' देखने के लिए परीक्षा की तारीख, सेशन, उम्मीदवार का नाम और टेस्ट फॉर्म नंबर की जरूरत होगी. इस से संबंधित किसी भी तरह की समस्या उम्मीदवार SSC की वेबसाइट पर ऑनलाइन 8 सितंबर तक भेज सकते हैं. इस परीक्षा में जनरल इंटेलिजेंस, रीजनिंग, जनरल अवेयरनेस, क्वांटिटिव एप्टीट्यूड और अंग्रेजी कंप्रिहेंशन से सवाल पूछे गए थे. कुल 200 सवाल पूछे गए थे और दो घंटे का समय दिया गया था. वहीं फिजिकली हैंडिकैप्‍ड उम्मीदवारों को दो घंटे 40 मिनट का समय दिया गया था. टायर-I में जिन उम्मीदवारों को सफलता मिलेगी, उन्हें टायर-II में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा. आंसर-की देखने के लिए लिंक: http://ssc.nic.in/
दिल्ली के न्यू सीलमपुर इलाके में सलीम नामक शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई. मामला बुधवार रात 9 बजे का है. रात के वक्त चार बदमाश सलीम के घर पहुंचे और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. जिससे सलीम की मौके पर ही मौत हो गई. सलीम न्यू सीलमपुर इलाके के पूर्व निगम पार्षद रजिया सुल्ताना का भाई था. सलीम पर पहले से ही कई केस दर्ज थे और वो हाल में ही जेल से छूट कर आया था. पुलिस के मुताबिक ये आपसी रंजिश का मामला हो सकता है. फिलहाल पुलिस इसकी तफ्तीश कर रही है. पुलिस ने मौके से कई जिंदा कारतूस के अलावा गोलियों के खोखे बरामद किए हैं.
सदमे का शिकार अवसादग्रस्त व्यक्ति की असमय मौत का खतरा सदमे या अवसाद का सामना नहीं करने वालों की तुलना में तीन गुना होता है. यह जानकारी एक अध्ययन में दी गई है. अध्ययन के लेखक एमितिस तोवफिघी ने कहा है कि तीन में से एक व्यक्ति सदमे के कारण अवसादग्रस्त होते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें परिवार के सदस्य अपने प्रियजन की जान बचाने में मददगार हो सकते हैं. तोवफिघी दक्षिणी कैलिफोर्निया की केक स्कूल ऑफ मेडिसीन यूनिवर्सिटी और लास एंजेलिस के रैंको लास एमिंगोस राष्ट्रीय पुनर्वास केंद्र से संबद्ध हैं. तोवफिघी ने पाया कि अवसाद और दिल के दौरे के बीच समान कड़ी है लेकिन कम ही लोगों को सदमा, अवसाद और मौत के इस जुड़ाव बारे में जानकारी है. अध्ययनकर्ताओं ने 25 से 74 वर्ष की उम्र के 10,550 लोगों पर यह अध्ययन किया.
पेंटागन ने एक ऐतिहासिक फैसले के तहत अमेरिका की सेना में ट्रांसजेंडरों की सेवा पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने पेंटागन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अमेरिकी सेना में ट्रांसजेंडर अमेरिकी नागरिकों की सेवा पर लगा प्रतिबंध हटाया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तत्काल प्रभाव से अब ट्रांसजेंडर अमेरिकी खुले तौर पर सेवा दे सकते हैं और अब उन्हें महज ट्रांसजेंडर होने की वजह से सेना से न तो हटाया जाएगा और न ही अलग किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि अब योग्यता प्राप्त किसी भी व्यक्ति की लैंगिक पहचान उसके लिए सेना में सेवा या किसी प्रवेश कार्यक्रम के लिए बाधक नहीं होगी। कार्टर ने कहा, ‘‘यह कदम उठाते हुए अब उन नीतियों को हटाया जा रहा है, जिनकी वजह से किसी ट्रांसजेंडर सदस्य के साथ सेवा की उसकी क्षमता के बजाय लैंगिक पहचान के आधार पर अलग बर्ताव किया जाता था और अब इसमें आगे बढ़ते हुए यह पुष्टि की जाती है कि सभी सेवारत कर्मियों के समान ट्रांसजेंडर सेवा सदस्यों के लिए भी समान सिद्धांत, मानक और प्रक्रियाएं लागू होंगी।’’ डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नैंसी पेलोसी ने बताया कि ट्रांसजेंडर अमेरिकी नागरिकों के वर्दी में सेवा देने पर लगा प्रतिबंध एक मौलिक निष्पक्षता का मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘अब वर्दीधारी ट्रांसजेंडर अन्याय नहीं झेलेंगे और उन्हें अपनी लैंगिक पहचान के कारण मजबूरन सेवा नहीं छोड़नी होगी।’’ हालांकि रिपब्लिकन पार्टी ने इस फैसले की आलोचना करते हुए दावा किया कि ओबामा प्रशासन अपने ‘‘सामाजिक एजेंडे’’ को लागू करने कोशिश कर रहा है।टिप्पणियां बहरहाल, ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने अपने सम्पादकीय में इस फैसले का स्वागत किया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने पेंटागन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अमेरिकी सेना में ट्रांसजेंडर अमेरिकी नागरिकों की सेवा पर लगा प्रतिबंध हटाया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तत्काल प्रभाव से अब ट्रांसजेंडर अमेरिकी खुले तौर पर सेवा दे सकते हैं और अब उन्हें महज ट्रांसजेंडर होने की वजह से सेना से न तो हटाया जाएगा और न ही अलग किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि अब योग्यता प्राप्त किसी भी व्यक्ति की लैंगिक पहचान उसके लिए सेना में सेवा या किसी प्रवेश कार्यक्रम के लिए बाधक नहीं होगी। कार्टर ने कहा, ‘‘यह कदम उठाते हुए अब उन नीतियों को हटाया जा रहा है, जिनकी वजह से किसी ट्रांसजेंडर सदस्य के साथ सेवा की उसकी क्षमता के बजाय लैंगिक पहचान के आधार पर अलग बर्ताव किया जाता था और अब इसमें आगे बढ़ते हुए यह पुष्टि की जाती है कि सभी सेवारत कर्मियों के समान ट्रांसजेंडर सेवा सदस्यों के लिए भी समान सिद्धांत, मानक और प्रक्रियाएं लागू होंगी।’’ डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नैंसी पेलोसी ने बताया कि ट्रांसजेंडर अमेरिकी नागरिकों के वर्दी में सेवा देने पर लगा प्रतिबंध एक मौलिक निष्पक्षता का मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘अब वर्दीधारी ट्रांसजेंडर अन्याय नहीं झेलेंगे और उन्हें अपनी लैंगिक पहचान के कारण मजबूरन सेवा नहीं छोड़नी होगी।’’ हालांकि रिपब्लिकन पार्टी ने इस फैसले की आलोचना करते हुए दावा किया कि ओबामा प्रशासन अपने ‘‘सामाजिक एजेंडे’’ को लागू करने कोशिश कर रहा है।टिप्पणियां बहरहाल, ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने अपने सम्पादकीय में इस फैसले का स्वागत किया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) कार्टर ने कहा, ‘‘यह कदम उठाते हुए अब उन नीतियों को हटाया जा रहा है, जिनकी वजह से किसी ट्रांसजेंडर सदस्य के साथ सेवा की उसकी क्षमता के बजाय लैंगिक पहचान के आधार पर अलग बर्ताव किया जाता था और अब इसमें आगे बढ़ते हुए यह पुष्टि की जाती है कि सभी सेवारत कर्मियों के समान ट्रांसजेंडर सेवा सदस्यों के लिए भी समान सिद्धांत, मानक और प्रक्रियाएं लागू होंगी।’’ डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नैंसी पेलोसी ने बताया कि ट्रांसजेंडर अमेरिकी नागरिकों के वर्दी में सेवा देने पर लगा प्रतिबंध एक मौलिक निष्पक्षता का मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘अब वर्दीधारी ट्रांसजेंडर अन्याय नहीं झेलेंगे और उन्हें अपनी लैंगिक पहचान के कारण मजबूरन सेवा नहीं छोड़नी होगी।’’ हालांकि रिपब्लिकन पार्टी ने इस फैसले की आलोचना करते हुए दावा किया कि ओबामा प्रशासन अपने ‘‘सामाजिक एजेंडे’’ को लागू करने कोशिश कर रहा है।टिप्पणियां बहरहाल, ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने अपने सम्पादकीय में इस फैसले का स्वागत किया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने कहा, ‘‘अब वर्दीधारी ट्रांसजेंडर अन्याय नहीं झेलेंगे और उन्हें अपनी लैंगिक पहचान के कारण मजबूरन सेवा नहीं छोड़नी होगी।’’ हालांकि रिपब्लिकन पार्टी ने इस फैसले की आलोचना करते हुए दावा किया कि ओबामा प्रशासन अपने ‘‘सामाजिक एजेंडे’’ को लागू करने कोशिश कर रहा है।टिप्पणियां बहरहाल, ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने अपने सम्पादकीय में इस फैसले का स्वागत किया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) बहरहाल, ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने अपने सम्पादकीय में इस फैसले का स्वागत किया है।(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लेख: आपने चोरों या आरोपियों की तलाश में लगाए जाने वाले वॉन्टेड (Wanted) पोस्टर तो देखे होंगे. इन पोस्टर में पुलिस दोषी की ऐसी तस्वीर लगाती है जिससे वो आसानी से पकड़ा जा सके. लेकिन चीन की पुलिस ने एक क्रिमिनल का ऐसा वॉन्टेड पोस्टर लगाया, जिसने भी देखा वो अपनी हंसी रोक नहीं पाया. जी हां, इस पोस्टर पर चाइना पुलिस ने Ji Qinghai नाम के आरोपी के बचपन की तस्वीर लगा दी. ये मामला चीन के Zhenxiong शहर का है. जहां भीड़ में उपद्रव मचाने के आरोप में एक शख्स के खिलाफ वॉन्टेड पोस्टर निकाला.  मौके पर इस शख्स की साफ तस्वीर नहीं मिल पाई. इस वजह से  Zhenxiong ने उसकी बचपन की तस्वीर लगा दी. इस तस्वीर में प्राइमरी स्कूल की उम्र वाले बच्चे ने नीली रंग की शर्ट पहनी हुई है. इस पोस्टर में बच्चे की तस्वीर के साथ आरोपी का ID नंबर भी लिखा गया.  Johann Sebastian Bach Google Doodle: गूगल का पहला AI-powered डूडल, अब आप अपनी पसंद की बना सकते हैं धुन Zhenxiong पुलिस के एक अधिकारी मिस्टर लुई का इस मामले पर कहना है कि इस पोस्टर के लिए हालिया तस्वीर मौजूद नहीं थी, इसी वजह से चोर की बचपन की फोटो लगा दी गई. उन्होंने आगे कहा कि इस आरोपी के फीचर बिल्कुल नहीं बदले हैं, आज भी इसकी नाक, आंख, कान, मुंह और आईब्रोज़ बचपन जैसी ही है. आज भी वो ऐसा ही दिखता है.  हालांकि, सोशल मीडिया पर मज़ाक उड़ने के बाद Zhenxiong पुलिस ने तस्वीर हटाई और माफी भी मांगी.
जम्मू कश्मीर के रामबन जिले में  बनिहाल के पास सशस्त्र सीमा बल (SSB) के कैंप में हुई संदिग्ध फायरिंग में एक जवान की मौत हो गई, जबकि एक अन्य जवान घायल हो गया. शुरुआत में कैंप पर आतंकी हमले की खबर आई थी, हालांकि अब पुलिस का कहना है कि वह यह पता लगा रही है कि यह आतंकी हमला था या फिर यह साथी की हत्या का मामला है. बताया जा रहा है कि यह गोलीबारी जम्मू से सटे बनिहाल के पास सुरंग निर्माण का काम चल रहा था. SSB की यह 14वीं बटालियन यहां उनकी सुरक्षा में तैनात थी. खबरों के मुताबिक, कैंप में अचानक ही गोलीबारी शुरू हुई और फिर थोड़े ही समय में रुक भी गई. गौरतलब है कि हाल के दिनों में सुरक्षाबलों ने मौत के घाट उतारा है और कई आतंकी हमलों को नाकाम किया है. तभी से माना जा रहा था कि आतंकी बौखलाहट में किसी हमले की अंजाम दे सकते हैं.
तमिलनाडु के ट्रेन में चलती ट्रेन में फिल्मी स्टाइल में डकैती का मामले सामने आया है. डकैतों ने इस वारदात को ट्रेन की छत काटकर अंजाम दिया. इस ट्रेन के कोच से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 340 करोड़ रुपये कैश भेजे जा रहे थे. डकैताें ने इसमें से 5 करोड़ रुपये चुरा लिए. आरबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि ट्रेन से 340 करोड़ रुपये फटी पुरानी नकदी 226 पेटी में सलेम से चेन्नई भेजी जा रही थी. ट्रेन के यहां पहुंचने के बाद 226 पेटी में नकदी से भरी चार पेटी से छेड़छाड़ की घटना सामने आने के कुछ घंटे बाद आईजीपी एम रामसुब्रमणि ने बताया कि पांच करोड़ रुपये की चोरी हुई है. अधिकारी ने कहा, ‘सलेम से चेन्नई पहुंचने के बाद लकड़ी की 226 पेटी में से चार पेटी में छेड़छाड़ पाई गई.’ पुलिस ने बताया कि नकदी पेटी से भरे तीन मालवाहक डिब्बों में एक का एयरवेंट टूटा हुआ पाया गया जिससे संदेह है कि कोई ऊपर से घुसा. पुलिस को संदेह है कि अपराधी सलेम-वृद्धाचलम खंड पर कोच में घुसे होंगे जहां पर ट्रेन बिजली पर नहीं बल्कि डीजल इंजनों पर चलती है जिससे लुटेरों के लिए उपर से रास्ता बनाना आसान हो गया होगा. पुलिस ने बताया कि वे कई एंगल से जांच कर रहे हैं कि नकदी के लिए मुहैया करायी गयी पुलिस सुरक्षा के बावजूद चोरी कैसे हुई. पेटी में 2005 से पहले की नकदी के साथ ही कटे-फटे नोट भी थे.
एशियाई बाजारों में तेजी के बीच कोषों और खुदरा निवेशकों द्वारा की गई लिवाली से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स गुरुवार को 66 अंक की बढ़त के साथ खुला. तीस शेयरों वाला सेंसेक्स 66.46 अंक ऊपर 19,421.72 अंक पर खुला. पिछले दो सत्र में यह करीब 132 अंक टूटा है. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 19.45 अंक चढ़कर 5,907.45 अंक पर खुला. ब्रोकरों ने कहा कि अमेरिका के फेडरल बैंक द्वारा आर्थिक सुधारों के लिए किए गए नए प्रोत्साहन उपायों के बाद एशियाई शेयर बाजरों में तेजी आयी है. इससे उत्साहित निवेशकों की शेयरों की लिवाली से बाजार की धारणा मजबूत हुई. इस बीच हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 0.22 प्रतिशत चढ़ा और जापान का निक्की 1.90 प्रतिशत मजबूत खुला.
दमदम लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र''' भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। विधानसभा क्षेत्र पश्चिम बंगाल में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के संबंध में परिसीमन आयोग के आदेश के अनुसार, संसदीय निर्वाचन क्षेत्र संख्या 16 दम दम 2009 से निम्नलिखित खंडों से बना है: खरदाह (विधानसभा क्षेत्र संख्या 109)। दम दम उत्तर (विधानसभा क्षेत्र संख्या 110) पनिहाटी (विधानसभा क्षेत्र संख्या 111) कमरहटी (विधानसभा क्षेत्र संख्या 112) बरानगर (विधानसभा क्षेत्र संख्या 113। दम दम (विधानसभा क्षेत्र संख्या 114) राजरहाट गोपालपुर (विधानसभा क्षेत्र संख्या 117)। 2004 में दम दम लोकसभा क्षेत्र निम्नलिखित विधानसभा क्षेत्रों से बना था: राजरहाट (एससी) (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र संख्या 91), खरदाह (विधानसभा) निर्वाचन क्षेत्र संख्या 134), पनहटी (विधानसभा क्षेत्र संख्या 135), कमरहटी (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र संख्या 136), बरानगर (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र संख्या 137), दम दम (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र संख्या 138), बेलगछिया पूर्व (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) - बेलगछिया पूर्व (विधानसभा क्षेत्र संख्या 139) संसद के सदस्य पश्चिम बंगाल के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
यह लेख है: श्रीनगर में एक सरकारी स्कूल के सभी 18 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। एक औचक निरीक्षण के दौरान वे अपनी-अपनी कक्षाओं के बदले स्टाफरूम में बैठे मिले थे। कश्मीर में स्कूली शिक्षा निदेशक शाह फैसल ने कल बेमिना में राजकीय उच्च विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि कक्षा चार और पांच के छात्र गणित में काफी कमजोर थे। फैसल ने आज यहां कहा कि स्कूल में 18 शिक्षक और 110 छात्र हैं। उन्होंने कहा कि कक्षा चार और पांच के छात्र गणित के मूलभूत सवालों को लिख भी नहीं सके। उन सवालों को हल करना तो दूर की बात थी। उन्होंने कहा कि स्कूल के सभी 18 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।टिप्पणियां निदेशक ने यह भी कहा कि उन्होंने स्कूल में काफी गंदगी देखी। उन्होंने इस स्थान को कश्मीर के 'सबसे ज्यादा गंदा' स्थानों में से एक बताया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) कश्मीर में स्कूली शिक्षा निदेशक शाह फैसल ने कल बेमिना में राजकीय उच्च विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि कक्षा चार और पांच के छात्र गणित में काफी कमजोर थे। फैसल ने आज यहां कहा कि स्कूल में 18 शिक्षक और 110 छात्र हैं। उन्होंने कहा कि कक्षा चार और पांच के छात्र गणित के मूलभूत सवालों को लिख भी नहीं सके। उन सवालों को हल करना तो दूर की बात थी। उन्होंने कहा कि स्कूल के सभी 18 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।टिप्पणियां निदेशक ने यह भी कहा कि उन्होंने स्कूल में काफी गंदगी देखी। उन्होंने इस स्थान को कश्मीर के 'सबसे ज्यादा गंदा' स्थानों में से एक बताया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) फैसल ने आज यहां कहा कि स्कूल में 18 शिक्षक और 110 छात्र हैं। उन्होंने कहा कि कक्षा चार और पांच के छात्र गणित के मूलभूत सवालों को लिख भी नहीं सके। उन सवालों को हल करना तो दूर की बात थी। उन्होंने कहा कि स्कूल के सभी 18 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।टिप्पणियां निदेशक ने यह भी कहा कि उन्होंने स्कूल में काफी गंदगी देखी। उन्होंने इस स्थान को कश्मीर के 'सबसे ज्यादा गंदा' स्थानों में से एक बताया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) निदेशक ने यह भी कहा कि उन्होंने स्कूल में काफी गंदगी देखी। उन्होंने इस स्थान को कश्मीर के 'सबसे ज्यादा गंदा' स्थानों में से एक बताया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
लेख: दक्षिण भारतीय सुपरस्टार रजनीकांत की नई तमिल एक्शन फिल्म 'कबाली' हिन्दुस्तान में ही नहीं, उत्तरी अमेरिका में भी ताबड़तोड़ कमाई कर रही है, और फिल्म ने प्रीमियर सहित रिलीज़ के शुरुआती दो दिनों में 35 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 23 करोड़ 52 लाख) की कमाई कर ली है। उत्तरी अमेरिका में सिनेगैलेक्सी इंक के ज़रिये 'कबाली' का वितरण किया जा रहा है, और इसमें अमेरिका के साथ-साथ कनाडा भी शामिल है।टिप्पणियां सिनेगैलेक्सी इंक के सहसंस्थापक संजय ने बताया, "कबाली 35 लाख डॉलर के साथ पहली तमिल फिल्म और 'बाहुबली' के बाद दूसरी सर्वाधिक कमाई करने वाली दक्षिण भारतीय फिल्म बन गई है... मिली-जुली समीक्षा के बावजूद फिल्म पूरे उत्तरी अमेरिका में जबरदस्त कमाई कर रही है..." पा. रंजीत द्वारा निर्देशित 'कबाली' एक गैंगस्टर की कहानी है, जो मलेशिया में तमिलों के समान हक के लिए लड़ता है। फिल्म ने रिलीज़ के शुरुआती सप्ताहांत में दुनियाभर में 150 करोड़ रुपये की कमाई की। सिनेगैलेक्सी इंक के सहसंस्थापक संजय ने बताया, "कबाली 35 लाख डॉलर के साथ पहली तमिल फिल्म और 'बाहुबली' के बाद दूसरी सर्वाधिक कमाई करने वाली दक्षिण भारतीय फिल्म बन गई है... मिली-जुली समीक्षा के बावजूद फिल्म पूरे उत्तरी अमेरिका में जबरदस्त कमाई कर रही है..." पा. रंजीत द्वारा निर्देशित 'कबाली' एक गैंगस्टर की कहानी है, जो मलेशिया में तमिलों के समान हक के लिए लड़ता है। फिल्म ने रिलीज़ के शुरुआती सप्ताहांत में दुनियाभर में 150 करोड़ रुपये की कमाई की। पा. रंजीत द्वारा निर्देशित 'कबाली' एक गैंगस्टर की कहानी है, जो मलेशिया में तमिलों के समान हक के लिए लड़ता है। फिल्म ने रिलीज़ के शुरुआती सप्ताहांत में दुनियाभर में 150 करोड़ रुपये की कमाई की।
मुंबई आतंकी हमलों के मामले में गिरफ्तार एकमात्र जीवित आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब की जेल में अखबार मुहैया कराने की याचिका को यहां की एक विशेष अदालत ने आज खारिज कर दिया. न्यायाधीश एम.एल. टाहिलियानी ने कसाब से कहा यह संभव नहीं है, ये हम नहीं दे सकते हैं. कसाब ने अदालत के समक्ष उर्दू अखबारों एक परफ्यूम और कोठरी के बाहर बरामदे में घूमने की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया था. अदालत ने इससे पहले भी कहा था कि उसके आवेदन को नहीं माना जा सकता है लेकिन उसने फिर भी अखबारों के लिए याचिका दायर की. संदिग्ध लश्कर सदस्य कसाब ने अपने वकील अब्बास काजमी से भी जेल में अखबार खरीदने के लिए उसे धन देने की गुहार की थी. काजमी ने यह कहते हुए उसे धन देने से इंकार कर दिया था कि ऐसा करना ठीक नहीं होगा क्योंकि उन्हें सरकार की तरफ से उसके पक्ष में लड़ने के लिए नियुक्त किया गया है. जेल मैनुअल के अनुसार किसी भी कैदी को अपने खुद के पैसे से अखबार खरीदना होता है.
18 मार्च को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र को लिंगायत समाज को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने की सिफारिश की है. इसे आने वाले विधानसभा चुनाव में लिंगायत वोटों को हासिल करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है. लिंगायतों की संख्या पर राजनीति के जानकार एकमत नहीं है. अब से 87 साल पहले हुई जातीय जनगणना के मुताबिक, उनकी तादाद 17 प्रतिशत है, लेकिन तब भारत आजाद नहीं हुआ था और न ही राज्यों का पुनर्गठन हुआ था. 2013 में मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने कथित सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराया था, जिसमें राज्य में लिगायतों की संख्या मात्र 9.8 प्रतिशत बताई गई थी. यह शिव के उपासक हैं. लिंगायत की स्थापना 12 वीं सदी समाज सुधारक और दर्शनशास्त्री बासवन्ना के द्वारा हुई थी. हालांकि यह बहस का विषय है कि उन्होंने इस समाज की नींव रखी या केवल उनके मार्गदर्शन में यह एक जन आंदोलन बना. कर्नाटक में राजा बिजल 2 के शासनकाल के दौरान ब्राह्मण हिन्दू मूल्यों का खासा प्रभाव था. उसी दौरान लिंगायत समाज का उद्गम हुआ जो जाति व्यवस्था और वेदों को नहीं मानते. 8 वीं शताब्दी में दक्षिण भारत में जो अनेक भक्ति आंदोलन हुए वही से इसका उद्भव माना जाता है. यह आंदोलन वर्तमान ब्राह्मणीय हिन्दू व्यवस्था का आलोचक था जबकि लिंगायत ने इसकी जड़ों को चुनौती दी. लिंगायत खुद को हिन्दू धर्म से अलग धर्म की मान्यता देने की मांग करते आये हैं. उनकी अपनी अलग पहचान को परिभाषित करना मुश्किल बनाता है उनमें और वीरशैव में समानता. माना जाता है कि लिंगायत और वीरशैव एक हैं लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण इस तथ्य को नकारते हैं. वीरशैव भी एक शैव समाज है जो हिन्दू धर्म का हिस्सा है. यह 16 वीं शताब्दी में प्रारम्भ हुआ था और इसके अनुयायियों का मानना है कि बासवन्ना लिंगायत समाज के संथापक नहीं थे बल्कि वे एक समाज सुधारक थे जो वीरशैव का हिस्सा थे. हालांकि तथ्यों के अनुसार लिंगायत और वीरशैव में पर्याप्त असमानताएं हैं. वीरशैव जहाँ वेद और जाति व्यवस्था में मानते थे वहीं लिंगायतों ने शुरू से ही वेदों और जाती व्यवस्था को केवल चुनौती दी, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा, दिवंगत पत्रकार गौरी लंकेश और एम एम कुलबर्गी लिंगायत में ही मानने वाले हैं, लिंगायत समुदाय राजनितिक पार्टियों के लिए एक बड़ा वोट बैंक है. पिछले कुछ दशकों से लिंगायत समाज भाजपा का साथ देते आया है. 2008 में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 71 लिंगायत उम्मीदवार उतारे थे. क्योंकि भाजपा के सीएम उम्मीदवार येदियुरप्पा लिंगायत समाज से ही थे, यही कारण रहा कि लिंगायत उम्मीदवार राज्य में बड़े अंतर से जीते और राज्य में भाजपा की सरकार बनी. 2013 में जब येदियुरप्पा भाजपा से अलग हुए और उन्होंने अपनी अलग पार्टी के साथ चुनाव लड़ा तो लिंगायत के प्रभाव वाली सीटों में पार्टी को 20 सीटों का नुकसान हुआ. कांग्रेस ने इन लिंगायत प्रभाव वाली 56 सीटों में से 34 सीटें जीतीं. यह 2008 की तुलना में 20 सीटें ज़्यादा थीं जिसने उसकी जीत में महत्व्पूर्ण भूमिका निभायी. 2011 की जनगणना में कुछ लिंगायत सामाजिक संस्थाओं ने अपने को हिन्दू धर्म में दर्ज न करने के लिए प्रचार किया था. यह मांग लिंगायत समाज काफी समय से करता आया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या  ने 2017 कहा कि अगर लिंगायत समाज में इसे लेकर कोई असमंजस न हो तो वे केंद्र सरकार को इसके लिये प्रस्ताव भेजने को तैयार हैं.  येदियुरप्पा ने पलटवार करते हुए इसे  समाज को बांटने की कोशिश बताया. उन्होंने कहा कि लिंगायत और वीरशैव एक ही हैं और लिंगायत हिन्दू धर्म का ही हिस्सा हैं. राहुल गांधी भी अपने कर्नाटक दौरे के दौरान लिंगायत समाज के मठ में गए थे. प्रधानमंत्री ने भी आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए संसद के बजट सत्र के अपने भाषण में बसावन्ना को लोकतंत्र का असली वास्तुकार कहा. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही कर्नाटक सरकार के 7 सदस्यीय पैनल ने कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग को अपनी रिपोर्ट दी है जिसमें सुझाव दिया गया है कि लिंगायतों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए. यह बात ध्यान देने वाली है कि जनवरी में समिति ने सरकार के 4 सप्ताह का समय देने पर 6 महीने का समय माँगा था. समिति के सदस्यों का कहना था कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है और समिति के पास यह ज़िमेददारी है कि वह कानून और वैज्ञानिक तरीके से इस पर काम करे. समिति ने समय से पहले अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसे निश्चित रूप से सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, चूंकि राज्य में चुनाव की घोषणा अगले महीने हो सकती है, लिहाजा लिंगायतों की मांग पूरी करके सियासी फसल काटी जा सकती है. राघव वधवा इंडिया टुडे मीडिया इंस्टीट्यूट के छात्र हैं और इंडिया टुडे में प्रशिक्षु हैं. ***
आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण की जांच से यह बात सामने आयी है कि सट्टेबाजों ने वादे को पूरा करने को लेकर खिलाड़ियों को धमकी दी थी. एक सट्टेबाज ने वादा पूरा करने में असफल रहे एक खिलाड़ी से कहा था, ‘जब तुम मुंबई पहुंचोगे तो हम तुम्हें सबक सिखाएंगे.’ पुलिस ने दावा किया कि सट्टेबाज खिलाड़ियों को अपने दिशानिर्देश के तहत कार्य करने के लिए ‘बाध्य करते थे, मजबूर करते थे और धमकाते थे.’ दिल्ली पुलिस क्रिकेटर एस श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजीत चंदीला से पहले ही पूछताछ कर चुकी है. ऐसे आरोप हैं कि जब श्रीसंत को इस प्रकरण को लेकर गत 16 मई को मुंबई के कार्टर रोड से गिरफ्तार किया गया तब वह एक महिला के साथ था.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पदचिन्हों पर चलने वाली भाजपा ऐसे हिंदू राजाओं को सामने लाने जा रही है, जो इतिहास की गुमनामी में हैं. कुछ दर्ज हैं भी तो उन्हें उतना महत्व नहीं दिया गया है. ऐसे राजाओं को खोजकर भाजपा उन्हें राष्ट्र नायक के रूप में पेश करेगी. RSS की तरह भाजपा का भी मनाना है कि कई ऐसे कई हिंदू शासक हुए हैं, जो राष्ट्र के हित में जुटे रहे, लेकिन इतिहासकारों की उपेक्षा की वजह से वे गुमनाम रहे. उनके पराक्रम के कारण हिंदू संस्कृति और सभ्यता को बचाया गया था. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में दो दिन की संगोष्ठी का आयोजन किया गया, तो हर किसी को स्कंदगुप्त का नाम सुनने को मिला. संगोष्ठी में पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्कंदगुप्त विक्रमादित्य के बारे में कहा कि इनके साथ इतिहास में बहुत अन्याय हुआ है. उन्हें इतनी प्रसिद्धि नहीं मिली, जिनके वह हकदार थे. इस संगोष्ठी के बाद लोगों के मन में उत्सुकता जगी कि आखिर स्कंदगुप्त कौन थे, जिनके जीवन पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. एक RSS प्रचारक ने बताया कि स्कंदगुप्त, सुहेलदेव, हेमचंद्र विक्रमादित्य, दक्षिण के आंध्र प्रदेश में विजयनगर के कृष्णदेव राय जैसे प्राचीन शासकों को लोग कम जानते हैं. पुरु (पोरस) ने तो सिकंदर को परास्त किया था. बावजूद इसके उन्हें वह सम्मान नहीं प्राप्त हुआ, जिसके वे हकदार थे. इसी तरह असम के लाक्षित बड़फुकन का उल्लेख इतिहास में कहीं नहीं है. इन सभी राजाओं ने आर्य संस्कृति की रक्षा की थी. वीर बंदा बैरागी जैसे लोगों ने धर्म और संस्कृति के लिए लड़ाइयां लड़ीं, लेकिन आज ये गुमनाम हैं. इतिहास संकलन समिति से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि वर्तमान में इतिहास में बहुत सारी विसंगतियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है. मुगलों और अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास से बहुत ज्यादा छेड़छाड़ की है. इस कारण इतिहास के बारे में नई पीढ़ी को ज्यादा जानकारी नहीं है. स्कंदगुप्त जैसे कई नायक अभी छिपे हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के भारतीय प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के अस्टिेंट प्रोफेसर डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव का कहना है कि स्कंदगुप्त का इतिहास बहुत उम्दा है. गुप्तकाल के दौरान स्कंदगुप्त ने 455 से 467 ईस्वी शासन किया था. 12 वर्षों में इनके शासन में प्रजा बहुत सुखी थी. इन्होंने अपनी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए मध्य एशिया के बर्बर आक्रांता हूणों से भीषण संग्राम किया और विजय हासिल की थी. स्कंदगुप्त ने न केवल हूणों को पराजित किया था, बल्कि गुप्त सम्राज्य की रक्षा के अलावा आर्य की संस्कृति को भी नष्ट होने से बचाया था. लखनऊ विवि के पूर्व विभागाध्यक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के प्रो. निशीथ राय ने बताया कि विदेशी आततायी हूण मध्य एशिया में निवास करने वाले बर्बर कबीलाई लोग थे. हिंदुकुश पार कर गंधार पर अधिकार कर लिया था. फिर गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया, लेकिन स्कंदगुप्त ने उन्हें खदेड़ा. स्कंदगुप्त शूरवीर और पराक्रमी थे. इन्हें राष्ट्र नायक कहा जा सकता है. इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राजा सुहेलदेव की प्रतिमा का उद्घाटन कर चुके हैं. सुहेलदेव आज से करीब हजार वर्ष पूर्व के ऐसे महानायक हैं, जिनका इतिहास में स्थान खोजना दुष्कर ही नहीं लगभग असाध्य है. उनके नाम की भी भाजपा में खूब चर्चा हुई. इसके बाद गुप्त राजवंश के आठवें राजा स्कंदगुप्त को भाजपा राष्ट्र के नायक के तौर पर पेश करने की तैयारी में है. पार्टी का मानना है कि यह संगोष्ठी राष्ट्र नायकों को इतिहास में उचित स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण स्थान निभाएगी.
दिल्ली में आए दिन होने वाली चेन स्नेचिंग की वारदातों से पुलिस परेशान है. ऐसे में एक चेन स्नैचर और उसके साथी को पकड़ना एक कांस्टेबल को भारी पड़ गया. हालांकि पुलिसकर्मी ने बहादुरी दिखाते हुए एक स्नैचर को स्थानीय लोगों की मदद धरदबोचा. पकड़े गए बदमाश ने खुलेआम पुलिसवाले को हत्या की धमकी भी दे डाली. दिल्ली के मियांवाली पुलिस स्टेशन का एक सिपाही नवीन कुमार सोमवार की शाम पीरा गढ़ी चौक से पहले अपनी बाइक पर गश्त कर रहा था. तभी उसने दो लड़कों को महिलाओं के साथ लूटपाट करने की कोशिश करते देखा. फौरन वहां पहुंचकर सिपाही ने दोनों आरोपियों को पकड़ लिया. नतीजा ये हुआ कि दोनों आरोपी बदमाश पुलिसवाले को अकेला देखकर उससे भिड़ गए और उसे मारने लगे. बदमाशों ने पुलिसकर्मी का वायरलेस सेट भी तोड़ दिया. बावजूद इसके पुलिसवाले ने दोनों को पकड़े रखा. इसके बाद एक आरोपी पुलिसवाले की गिरफ्त से छुटकर भाग गया. मगर पुलिस वाले ने दूसरे बदमाश को पकड़ लिया. मगर दूसरा बदमाश भी उसके साथ हाथापाई करता रहा. मगर पुलिस के जवान ने भी हार नहीं मानी और आरोपी को जैसे तैसे पकड़कर पास की सोसायटी के गेट पर बने सुरक्षा गार्ड के कमरे में ले गया और उसे वहां बंद कर दिया. पुलिसकर्मी ने फोन करके थाने को घटना की सूचना दी. इसी बीच गार्ड के कमरे में बंद आरोपी ने वहां लगे सभी शीशे अपने हाथों से तोड़ दिए और फिर भागने की कोशिश की लेकिन तभी पुलिसकर्मी ने पब्लिक की मदद से आरोपी को फिर पकड़ लिया और उसके पैर बांध दिए. मगर आरोपी फिर भी नहीं माना. वह टूटे हुए शीशे से अपना गला काटने लगा. कांस्टेबल नवीन कुमार ने उससे कांच छीन लिया. आरोपी ने उसी कांच से पुलिसकर्मी पर हमला कर दिया. जिससे उसका हाथ कट गया. फिर वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने पुलिसकर्मी के साथ मिलकर बदमाश के हाथ और पैर दोनों बांध दिए. इस बात से खफा होकर आरोपी खुलेआम पुलिस वाले को जान से मारने की धमकी देने लगा. आरोपी ने सबके सामने पुलिसकर्मी को धमकी देते हुए कहा कि वह अब नहीं बचेगा. वो जेल से बाहर आकर पुलिसकर्मी का मर्डर करेगा. आरोपी कहा कि मेरे साथी सबसे पहले तेरी हत्या कर देंगे. तुझे नहीं पता तूने किसे पकड़ा है. मगर पुलिसकर्मी के आगे उसकी एक नहीं चली. बाद में पुलिस आरोपी बदमाश को पकड़ कर थाने ले गई और उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. घटना के बाद पुलिसकर्मी की बहादुरी को लेकर सब तरफ चर्चा हो रही है.
लेख: भविष्य के प्रति अनजान 119 पाकिस्तानी हिदुओं ने अधिकारियों से तीर्थयात्रा पूरी कर वापस लौटने का वादा करने के बाद शुक्रवार को भारत में प्रवेश किया। 250 हिंदू तीर्थयात्रियों के समूह का पहला जत्था 119 लोगों के साथ शाम चार बजे वाघा-अटारी सीमा के रास्ते भारत में प्रवेश किया। अटारी सीमा पर एक तीर्थयात्री ने कहा, "हम यहां तीर्थयात्रा के लिए आए हैं। यद्यपि पाकिस्तान में हमारे लिए स्थितियां आसान नहीं हैं। हम यात्रा के बाद पाकिस्तान लौटेंगे।" भारत पहुंचे अनेक तीर्थयात्रियों ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान में वे समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनमें से बहुत पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में रहने की इजाजत मिले तो यहीं रह जाएं। पाकिस्तान वापस लौटने का वादा करने के बाद ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को भारत में प्रवेश करने की इजाजत दी। समाचार पत्र डॉन के मुताबिक आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक ने कहा है कि इतनी संख्या में हिंदू परिवारों को भारतीय उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया जाना एक साजिश है। मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। 250 हिंदू तीर्थयात्रियों के समूह का पहला जत्था 119 लोगों के साथ शाम चार बजे वाघा-अटारी सीमा के रास्ते भारत में प्रवेश किया। अटारी सीमा पर एक तीर्थयात्री ने कहा, "हम यहां तीर्थयात्रा के लिए आए हैं। यद्यपि पाकिस्तान में हमारे लिए स्थितियां आसान नहीं हैं। हम यात्रा के बाद पाकिस्तान लौटेंगे।" भारत पहुंचे अनेक तीर्थयात्रियों ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान में वे समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनमें से बहुत पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में रहने की इजाजत मिले तो यहीं रह जाएं। पाकिस्तान वापस लौटने का वादा करने के बाद ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को भारत में प्रवेश करने की इजाजत दी। समाचार पत्र डॉन के मुताबिक आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक ने कहा है कि इतनी संख्या में हिंदू परिवारों को भारतीय उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया जाना एक साजिश है। मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। अटारी सीमा पर एक तीर्थयात्री ने कहा, "हम यहां तीर्थयात्रा के लिए आए हैं। यद्यपि पाकिस्तान में हमारे लिए स्थितियां आसान नहीं हैं। हम यात्रा के बाद पाकिस्तान लौटेंगे।" भारत पहुंचे अनेक तीर्थयात्रियों ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान में वे समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनमें से बहुत पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में रहने की इजाजत मिले तो यहीं रह जाएं। पाकिस्तान वापस लौटने का वादा करने के बाद ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को भारत में प्रवेश करने की इजाजत दी। समाचार पत्र डॉन के मुताबिक आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक ने कहा है कि इतनी संख्या में हिंदू परिवारों को भारतीय उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया जाना एक साजिश है। मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। भारत पहुंचे अनेक तीर्थयात्रियों ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान में वे समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनमें से बहुत पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में रहने की इजाजत मिले तो यहीं रह जाएं। पाकिस्तान वापस लौटने का वादा करने के बाद ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को भारत में प्रवेश करने की इजाजत दी। समाचार पत्र डॉन के मुताबिक आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक ने कहा है कि इतनी संख्या में हिंदू परिवारों को भारतीय उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया जाना एक साजिश है। मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। पाकिस्तान वापस लौटने का वादा करने के बाद ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को भारत में प्रवेश करने की इजाजत दी। समाचार पत्र डॉन के मुताबिक आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक ने कहा है कि इतनी संख्या में हिंदू परिवारों को भारतीय उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया जाना एक साजिश है। मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। समाचार पत्र डॉन के मुताबिक आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक ने कहा है कि इतनी संख्या में हिंदू परिवारों को भारतीय उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया जाना एक साजिश है। मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।" इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।टिप्पणियां यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं। जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और हार्वर्ड स्टेडियम सहित विश्वविद्यालय के कई एथलेटिक्स सुविधाएं, ऑलस्टन में कैंब्रिज परिसर के सामने एक 358-एकड़ (145 हेक्टेयर) के परिसर में स्थित हैं। जॉन डब्ल्यू वीक्स पुल दोनों परिसरों को जोड़ने वाली चार्ल्स नदी पर बना एक पैदल यात्री पुल है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, हार्वर्ड स्कूल ऑफ़ डेंटल मेडिसिन, और हार्वर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ, लॉन्गवुड मेडिकल और अकादमिक क्षेत्र में 21 एकड़ (8.5 हेक्टेयर) के परिसर में स्थित है, जो बोस्टन डाउनटाउन से लगभग 3.3 मील (5.3 किमी) दक्षिण-पश्चिम बोस्टन में और कैम्ब्रिज परिसर के दक्षिण में 3.3 मील (5.3 किमी) दूरी पर स्थित है ।
यह एक लेख है: कई बार हमारे सामने ऐसे हालात भी आ जाते हैं जब हमें मोबाइल से कॉल करने की जरूरत होती है लेकिन बैलेंस नहीं होता और आसपास कोई रिचार्ज करने की दुकान भी नहीं होती है. लेकिन अब चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक मिस्ड कॉल से आपके मोबाइल में 500 रुपए तक का बैलेंस आ सकता है. इसके लिए किसी तरह का ऐप भी डाउन लोड करने के जरूरत नहीं पड़ेगी.  लेकिन इस सेवा के लिए एक शर्त यह है कि यूजर को एचडीएफसी बैंक का उपभोक्ता हो. अगर आप इस बैंक के खाताधारक हैं तो आप  7308080808 नंबर पर मिस्ड कॉल देकर मोबाइल को रिचार्ज कर सकते हैं. 1- सबसे पहले यूजर को अपना नंबर ऐक्टिवेट करने के लिए एक मैसेज भेजना होगा और यह भी बताना होगा कि कितने रुपए का रिचार्ज कराना है. इसके लिए  7308080808 नंबर पर ACT <Operator Name> <Last 5 digits of Account Number> मैसेज भेजें.  2-  मैसेज भेजते ही सेवा एक्टिवेट कर दी जाएगी. इतना ही नहीं अपने नंबर के अलावा यहां पर 5 और नंबर भी जोड़े जा सकते हैं.  इन नंबरों को एक्टिवेट करने के लिए Mobile Number> <Operator Name> <Last 5 digits of Account Number> मैसेज 7308080808 नंबर पर भेजें. 3-  इसके बाद जब भी आप अपने नंबर को रिचार्ज करना चाहें बस 7308080808 एक मिस्ड कॉल कर दें.  4- 10 से 500 रुपए तक का रिचार्ज किया जा सकता है. हालांकि डिफाल्ट 50 रुपए तक रिचार्ज होता है. टिप्पणियां 5- खास बात यह है कि इसके लिए यूजर को अपना डाटा खर्च करने की जरूरत नहीं मतलब किसी को भी  इंटरनेट, एप और वॉलेट की जरूरत नहीं पड़ेगी. 6- जैसे ही यूजर मिस्ड कॉल करेगा उसका मोबाइल रिचार्ज कर दिया जाएगा और उसके एचडीएफसी अकाउंट से पैसा काट लिया जाएगा.    2-  मैसेज भेजते ही सेवा एक्टिवेट कर दी जाएगी. इतना ही नहीं अपने नंबर के अलावा यहां पर 5 और नंबर भी जोड़े जा सकते हैं.  इन नंबरों को एक्टिवेट करने के लिए Mobile Number> <Operator Name> <Last 5 digits of Account Number> मैसेज 7308080808 नंबर पर भेजें. 3-  इसके बाद जब भी आप अपने नंबर को रिचार्ज करना चाहें बस 7308080808 एक मिस्ड कॉल कर दें.  4- 10 से 500 रुपए तक का रिचार्ज किया जा सकता है. हालांकि डिफाल्ट 50 रुपए तक रिचार्ज होता है. टिप्पणियां 5- खास बात यह है कि इसके लिए यूजर को अपना डाटा खर्च करने की जरूरत नहीं मतलब किसी को भी  इंटरनेट, एप और वॉलेट की जरूरत नहीं पड़ेगी. 6- जैसे ही यूजर मिस्ड कॉल करेगा उसका मोबाइल रिचार्ज कर दिया जाएगा और उसके एचडीएफसी अकाउंट से पैसा काट लिया जाएगा.    3-  इसके बाद जब भी आप अपने नंबर को रिचार्ज करना चाहें बस 7308080808 एक मिस्ड कॉल कर दें.  4- 10 से 500 रुपए तक का रिचार्ज किया जा सकता है. हालांकि डिफाल्ट 50 रुपए तक रिचार्ज होता है. टिप्पणियां 5- खास बात यह है कि इसके लिए यूजर को अपना डाटा खर्च करने की जरूरत नहीं मतलब किसी को भी  इंटरनेट, एप और वॉलेट की जरूरत नहीं पड़ेगी. 6- जैसे ही यूजर मिस्ड कॉल करेगा उसका मोबाइल रिचार्ज कर दिया जाएगा और उसके एचडीएफसी अकाउंट से पैसा काट लिया जाएगा.    4- 10 से 500 रुपए तक का रिचार्ज किया जा सकता है. हालांकि डिफाल्ट 50 रुपए तक रिचार्ज होता है. टिप्पणियां 5- खास बात यह है कि इसके लिए यूजर को अपना डाटा खर्च करने की जरूरत नहीं मतलब किसी को भी  इंटरनेट, एप और वॉलेट की जरूरत नहीं पड़ेगी. 6- जैसे ही यूजर मिस्ड कॉल करेगा उसका मोबाइल रिचार्ज कर दिया जाएगा और उसके एचडीएफसी अकाउंट से पैसा काट लिया जाएगा.    5- खास बात यह है कि इसके लिए यूजर को अपना डाटा खर्च करने की जरूरत नहीं मतलब किसी को भी  इंटरनेट, एप और वॉलेट की जरूरत नहीं पड़ेगी. 6- जैसे ही यूजर मिस्ड कॉल करेगा उसका मोबाइल रिचार्ज कर दिया जाएगा और उसके एचडीएफसी अकाउंट से पैसा काट लिया जाएगा.    6- जैसे ही यूजर मिस्ड कॉल करेगा उसका मोबाइल रिचार्ज कर दिया जाएगा और उसके एचडीएफसी अकाउंट से पैसा काट लिया जाएगा.
इमैक्युलेट नकिसुयि (जन्म 26 जनवरी 1996) युगांडा के एक क्रिकेटर हैं। जुलाई 2018 में, उन्हें 2018 आईसीसी महिला विश्व ट्वेंटी 20 क्वालीफायर टूर्नामेंट के लिए युगांडा की टीम में नामित किया गया था। उन्होंने 7 जुलाई 2018 को विश्व ट्वेंटी 20 क्वालीफायर में स्कॉटलैंड के खिलाफ युगांडा के लिए महिला ट्वेंटी 20 अंतर्राष्ट्रीय (मटी20आई) डेब्यू किया। वह टूर्नामेंट में युगांडा के लिए पांच मैचों में चार आउट होने के साथ संयुक्त रूप से अग्रणी विकेट लेने वाली गेंदबाज थीं। अप्रैल 2019 में, उन्हें जिम्बाब्वे में 2019 आईसीसी महिला क्वालीफायर अफ्रीका टूर्नामेंट के लिए युगांडा की टीम में नामित किया गया था। सन्दर्भ 1996 में जन्मे लोग जीवित लोग
नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने पहले ही साफ कर दिया है कि जनता परिवार का विलय समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में होगा. अब खबर आ रही है कि जो नई पार्टी बनेगी उसे 'समाजवादी जनता पार्टी' के नाम से जाना जाएगा और सपा की 'साइकिल' ही इस पार्टी का चुनाव चिन्ह होगा. नई पार्टी के अध्यक्ष की भूमिका में नजर आएंगे मुलायम सिंह यादव. यह खबर अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने दी है. क्या नहीं होगा जनता परिवार का विलय? हालांकि, पार्टी का झंडा क्या होगा, यह अभी तय नहीं हो सका है. खबर है कि विलय को लेकर आने वाले रविवार को नीतीश कुमार दिल्ली आने वाले हैं. इससे पहले महागठबंधन को लेकर पिछले हफ्ते नीतीश कुमार, मुलायम सिंह और लालू प्रसाद की बैठक हुई थी. इसमें जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव और केसी त्यागी ने भी हिस्सा लिया था. इस मीटिंग में ही गतिरोध के कुछ मुद्दों का समाधान निकाला जा सका. 'जनता परिवार' में मुलायम को नहीं फायदा! सपा का गेमप्लान दरअसल, समाजवादी पार्टी के नेताओं को इस विलय से चुनावी तौर पर ज्यादा फायदा होता नहीं दिख रहा है. उन्हें लगता है कि जेडीयू और आरजेडी की ताकत बिहार तक सीमित है. इसलिए पार्टी विलय को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं रही है, पर पार्टी चिन्ह और नाम को लेकर आरजेडी व जेडीयू के समझौतावादी रवैये ने विलय के लिए राह आसान कर दी है. शायद यही वजह है कि मुलायम सिंह भी पार्टी की पहचान बरकरार रहने की दलील देकर सपा नेताओं को विलय पर मनाने में कामयाब रहे हैं. आरजेडी-जेडीयू गठबंधन की नजर बिहार चुनाव पर विलय का सबसे बड़ा सियासी फायदा राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड को होगा. अब तक चुनाव में दोनों ही पार्टियों आपस में भिड़ती रहीं, कई बार एक दूसरे के वोट बैंक को नुकसान भी पहुंचाया. अगर विलय हो जाता है तो दोनों पार्टियों के वोटबैंक का साथ आना तय माना जा रहा है. ऐसे में यह गठबंधन राज्य में बीजेपी को मजबूत चुनौती देने की स्थिति रहेगा. और बीजेपी विधानसभा चुनाव में हार जाती है तो इसका असर उत्तर प्रदेश चुनावों में भी दिखेगा.
बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर ने टीचर्स डे के मौके पर अपने स्‍कूल के दिनों को याद किया. उन दिनों को याद करते हुए करीना ने बताया कि उन्‍हें स्‍कूल जाना बिल्‍कुल पसंद नहीं था. करीना कहती हैं कि स्कूल के दिनों में वह बहुत प्रतिभाशाली छात्रा नहीं थी और शिक्षकों से उन्हें ज्यादा तव्वजो नहीं मिलती थी. करीना यूनिसेफ की सेलिब्रिटी एडवोकेट हैं. वह गुरुवार को बाल-हितैषी स्कूलों और सिस्टम पैकेज के लांच के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में थीं. करीना ने शिक्षक दिवस के मौके पर अपने स्कूली दिनों को याद किया और कहा, 'मेरी मां मुझे सुबह छह बजे स्कूल के लिए उठाया करती थीं. मैं उनसे मुझे एक और घंटा सोने देने के लिए कहती. लगता कि मुझे भारी-भरकम बस्ते का बोझ ढोना पड़ेगा.' उन्होंने कहा, 'यहां तक कि मैं कक्षा में भी थोड़ी देर सो जाती. शिक्षक मुझ पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे, क्योंकि मैं एक औसत छात्रा थी. इसलिए मैं घर पर पढ़ना या फिल्में देखना चाहती थी.' हालांकि, करीना ने कहा कि शिक्षक, मां की तरह ही महत्वपूर्ण हैं, यही वजह है कि शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच परस्पर बातचीत जरूरी है.
यह लेख है: निर्माता, निर्देशक, लेखक, गायक और अभिनय, ये सब गुण मिलाकर बनते हैं फ़रहान अख़्तर। फ़रहान ने 2001 की फ़िल्म 'दिल चाहता है' के साथ बतौर लेखक और निर्देशक बॉलीवुड में कदम रखा था। मगर अब वह निर्देशन को दरकिनार कर केवल अभिनय में लगे हुए हैं। सिर्फ़ अभिनय पर फ़रहान की नज़र होने का कारण बताते हुए वह कहते हैं कि उनके पास अलग अलग तरह के किरदार और फिल्मों का ऑफर आता रहा है। फ़रहान ने कहा कि इन दिनों मेरे पास अलग अलग तरह के किरदार आ रहे हैं और बेहतरीन भूमिकाएं निभाने का मौक़ा मिल रहा है इसलिए मैं अभिनय में लगा हूं और निर्देशन की तरफ़ ध्यान नहीं दे पा रहा हूं।"टिप्पणियां फ़रहान ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं है की मैं फ़िल्म डायरेक्ट नहीं करूंगा या छोड़ चुका हूं मगर अभिनय से समय नहीं मिल पा रहा है। भविष्य में जैसे कुछ अच्छा नज़र आएगा मैं फ़िल्म का निर्देशन करूंगा। आपको बता दें कि फ़रहान ने बतौर निर्देशक फ़िल्म 'दिल चाहता है' से बॉलीवुड में क़दम रखा। बाद में फ़िल्म 'लक्ष्य' बनाई। 'डॉन' का रीमेक बनाया मगर फ़िल्म रॉकऑन से अभिनय में गायकी में कदम रखने के बाद फ़रहान लगातार अभिनय करने लगे। फ़रहान की आख़री निर्देशित फ़िल्म थी 'डॉन 2'। सिर्फ़ अभिनय पर फ़रहान की नज़र होने का कारण बताते हुए वह कहते हैं कि उनके पास अलग अलग तरह के किरदार और फिल्मों का ऑफर आता रहा है। फ़रहान ने कहा कि इन दिनों मेरे पास अलग अलग तरह के किरदार आ रहे हैं और बेहतरीन भूमिकाएं निभाने का मौक़ा मिल रहा है इसलिए मैं अभिनय में लगा हूं और निर्देशन की तरफ़ ध्यान नहीं दे पा रहा हूं।"टिप्पणियां फ़रहान ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं है की मैं फ़िल्म डायरेक्ट नहीं करूंगा या छोड़ चुका हूं मगर अभिनय से समय नहीं मिल पा रहा है। भविष्य में जैसे कुछ अच्छा नज़र आएगा मैं फ़िल्म का निर्देशन करूंगा। आपको बता दें कि फ़रहान ने बतौर निर्देशक फ़िल्म 'दिल चाहता है' से बॉलीवुड में क़दम रखा। बाद में फ़िल्म 'लक्ष्य' बनाई। 'डॉन' का रीमेक बनाया मगर फ़िल्म रॉकऑन से अभिनय में गायकी में कदम रखने के बाद फ़रहान लगातार अभिनय करने लगे। फ़रहान की आख़री निर्देशित फ़िल्म थी 'डॉन 2'। फ़रहान ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं है की मैं फ़िल्म डायरेक्ट नहीं करूंगा या छोड़ चुका हूं मगर अभिनय से समय नहीं मिल पा रहा है। भविष्य में जैसे कुछ अच्छा नज़र आएगा मैं फ़िल्म का निर्देशन करूंगा। आपको बता दें कि फ़रहान ने बतौर निर्देशक फ़िल्म 'दिल चाहता है' से बॉलीवुड में क़दम रखा। बाद में फ़िल्म 'लक्ष्य' बनाई। 'डॉन' का रीमेक बनाया मगर फ़िल्म रॉकऑन से अभिनय में गायकी में कदम रखने के बाद फ़रहान लगातार अभिनय करने लगे। फ़रहान की आख़री निर्देशित फ़िल्म थी 'डॉन 2'। आपको बता दें कि फ़रहान ने बतौर निर्देशक फ़िल्म 'दिल चाहता है' से बॉलीवुड में क़दम रखा। बाद में फ़िल्म 'लक्ष्य' बनाई। 'डॉन' का रीमेक बनाया मगर फ़िल्म रॉकऑन से अभिनय में गायकी में कदम रखने के बाद फ़रहान लगातार अभिनय करने लगे। फ़रहान की आख़री निर्देशित फ़िल्म थी 'डॉन 2'।
यह एक लेख है: अभिनेत्री कंगना रानावत और आर. माधवन अभिनीत फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटर्न' 2015 की बॉलीवुड की पहली ऐसी फिल्म बन गई है जिसने 150 करोड़ रुपये की कमाई की है। यह जानकारी ट्रेड गुरुओं ने दी। व्यापार विश्लेषक तरण आदर्श ने ट्वीट करते हुए लिखा कि फिल्म रिलीज के छह सप्ताह बाद भी सिनेमाघरों में लगी हुई है। इस रूमानी-हास्य फिल्म ने 150.03 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। बाजार के अन्य सूत्रों ने भी यह पुष्टि की कि आनंद एल. राय के निर्देशन में बनी यह फिल्म 2015 की पहली ऐसी फिल्म है जिसने 150 करोड़ से अधिक की कमाई की है।टिप्पणियां यह फिल्म 2011 में आई 'तनु वेड्स मनु' का सीक्वल थी। फिल्म 22 मई को रिलीज हुई थी। कंगना रनौत इस फिल्म में दोहरी भूमिका में नजर आई थीं। फिल्म को आलोचकों और दर्शकों दोनों ने ही सराहा था। व्यापार विश्लेषक तरण आदर्श ने ट्वीट करते हुए लिखा कि फिल्म रिलीज के छह सप्ताह बाद भी सिनेमाघरों में लगी हुई है। इस रूमानी-हास्य फिल्म ने 150.03 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। बाजार के अन्य सूत्रों ने भी यह पुष्टि की कि आनंद एल. राय के निर्देशन में बनी यह फिल्म 2015 की पहली ऐसी फिल्म है जिसने 150 करोड़ से अधिक की कमाई की है।टिप्पणियां यह फिल्म 2011 में आई 'तनु वेड्स मनु' का सीक्वल थी। फिल्म 22 मई को रिलीज हुई थी। कंगना रनौत इस फिल्म में दोहरी भूमिका में नजर आई थीं। फिल्म को आलोचकों और दर्शकों दोनों ने ही सराहा था। बाजार के अन्य सूत्रों ने भी यह पुष्टि की कि आनंद एल. राय के निर्देशन में बनी यह फिल्म 2015 की पहली ऐसी फिल्म है जिसने 150 करोड़ से अधिक की कमाई की है।टिप्पणियां यह फिल्म 2011 में आई 'तनु वेड्स मनु' का सीक्वल थी। फिल्म 22 मई को रिलीज हुई थी। कंगना रनौत इस फिल्म में दोहरी भूमिका में नजर आई थीं। फिल्म को आलोचकों और दर्शकों दोनों ने ही सराहा था। यह फिल्म 2011 में आई 'तनु वेड्स मनु' का सीक्वल थी। फिल्म 22 मई को रिलीज हुई थी। कंगना रनौत इस फिल्म में दोहरी भूमिका में नजर आई थीं। फिल्म को आलोचकों और दर्शकों दोनों ने ही सराहा था। कंगना रनौत इस फिल्म में दोहरी भूमिका में नजर आई थीं। फिल्म को आलोचकों और दर्शकों दोनों ने ही सराहा था।
"बिहार में किसी डॉन के लिए जगह नहीं, और जो भी बाहर दिखेगा, उसे अंदर जाना पड़ेगा..." यह वादा किया है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने, जो बिहार इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन की बैठक में कारोबारियों को तसल्ली देते हुए बोल रहे थे. नीतीश कुमार ने साफ किया कि कारोबारियों को डरना नहीं चाहिए, निवेश करना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों (डॉन) पर कानून अपना काम करेगा, और कोई भी डॉन बाहर नहीं रहेगा. मुख्यमंत्री के इस वादे के बाद माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने फैसला कर लिया है कि किसी भी दल का कितना भी प्रभावशाली नेता क्यों न हो, अपराधी होने पर उसे जेल में ही रहना पड़ेगा. कुछ लोग इसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं.टिप्पणियां सोमवार को मोहम्मद शहाबुद्दीन की ज़मानत रद्द करने की बिहार सरकार की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट से इस बात पर राज्य सरकार को फटकार लगाई गई थी, और कहा गया कि जब पटना हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को ज़मानत दी थी, तब राज्य सरकार ने उसके खिलाफ अपील दायर करने में जल्दी क्यों नहीं दिखाई. और अब नीतीश कुमार के इस बयान को इसी फटकार से जोड़कर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि नीतीश अपने बयान से यह साबित करने की कोशिश में लगे हैं कि राज्य सरकार आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों के प्रति कोई नरमी नहीं बरतने वाली. उधर, सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार तथा चंदा बाबू की याचिका पर सुनवाई बुधवार को होगी, जिसमें यह फैसला होगा कि शहाबुद्दीन जेल के बाहर रहेंगे या फिर सलाखों के पीछे जाएंगे. लेकिन नीतीश कुमार के तेवरों से साफ है कि फिलहाल वह इस मुद्दे पर आरजेडी के दबाव में नहीं आने वाले. दूसरी ओर, आरजेडी के नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार की असली परीक्षा यही होगी कि जिस तरह के कड़े तेवर वह उनकी पार्टी के पूर्व सांसद के लिए दिखा रहे हैं, क्या अन्य बाहुबलियों के प्रति भी उनका रुख इतना ही गर्म और कड़ा होगा. मुख्यमंत्री के इस वादे के बाद माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने फैसला कर लिया है कि किसी भी दल का कितना भी प्रभावशाली नेता क्यों न हो, अपराधी होने पर उसे जेल में ही रहना पड़ेगा. कुछ लोग इसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं.टिप्पणियां सोमवार को मोहम्मद शहाबुद्दीन की ज़मानत रद्द करने की बिहार सरकार की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट से इस बात पर राज्य सरकार को फटकार लगाई गई थी, और कहा गया कि जब पटना हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को ज़मानत दी थी, तब राज्य सरकार ने उसके खिलाफ अपील दायर करने में जल्दी क्यों नहीं दिखाई. और अब नीतीश कुमार के इस बयान को इसी फटकार से जोड़कर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि नीतीश अपने बयान से यह साबित करने की कोशिश में लगे हैं कि राज्य सरकार आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों के प्रति कोई नरमी नहीं बरतने वाली. उधर, सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार तथा चंदा बाबू की याचिका पर सुनवाई बुधवार को होगी, जिसमें यह फैसला होगा कि शहाबुद्दीन जेल के बाहर रहेंगे या फिर सलाखों के पीछे जाएंगे. लेकिन नीतीश कुमार के तेवरों से साफ है कि फिलहाल वह इस मुद्दे पर आरजेडी के दबाव में नहीं आने वाले. दूसरी ओर, आरजेडी के नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार की असली परीक्षा यही होगी कि जिस तरह के कड़े तेवर वह उनकी पार्टी के पूर्व सांसद के लिए दिखा रहे हैं, क्या अन्य बाहुबलियों के प्रति भी उनका रुख इतना ही गर्म और कड़ा होगा. सोमवार को मोहम्मद शहाबुद्दीन की ज़मानत रद्द करने की बिहार सरकार की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट से इस बात पर राज्य सरकार को फटकार लगाई गई थी, और कहा गया कि जब पटना हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को ज़मानत दी थी, तब राज्य सरकार ने उसके खिलाफ अपील दायर करने में जल्दी क्यों नहीं दिखाई. और अब नीतीश कुमार के इस बयान को इसी फटकार से जोड़कर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि नीतीश अपने बयान से यह साबित करने की कोशिश में लगे हैं कि राज्य सरकार आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों के प्रति कोई नरमी नहीं बरतने वाली. उधर, सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार तथा चंदा बाबू की याचिका पर सुनवाई बुधवार को होगी, जिसमें यह फैसला होगा कि शहाबुद्दीन जेल के बाहर रहेंगे या फिर सलाखों के पीछे जाएंगे. लेकिन नीतीश कुमार के तेवरों से साफ है कि फिलहाल वह इस मुद्दे पर आरजेडी के दबाव में नहीं आने वाले. दूसरी ओर, आरजेडी के नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार की असली परीक्षा यही होगी कि जिस तरह के कड़े तेवर वह उनकी पार्टी के पूर्व सांसद के लिए दिखा रहे हैं, क्या अन्य बाहुबलियों के प्रति भी उनका रुख इतना ही गर्म और कड़ा होगा. उधर, सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार तथा चंदा बाबू की याचिका पर सुनवाई बुधवार को होगी, जिसमें यह फैसला होगा कि शहाबुद्दीन जेल के बाहर रहेंगे या फिर सलाखों के पीछे जाएंगे. लेकिन नीतीश कुमार के तेवरों से साफ है कि फिलहाल वह इस मुद्दे पर आरजेडी के दबाव में नहीं आने वाले. दूसरी ओर, आरजेडी के नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार की असली परीक्षा यही होगी कि जिस तरह के कड़े तेवर वह उनकी पार्टी के पूर्व सांसद के लिए दिखा रहे हैं, क्या अन्य बाहुबलियों के प्रति भी उनका रुख इतना ही गर्म और कड़ा होगा.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: संजय कुमार ने बताया कि नदी तट वाले इलाकों में घुड़सवार और नाव से भी गश्ती की जाएगी एवं मतदान के दौरान कुल 20,000 गाड़ियों को प्रयोग में लाया जाएगा. उन्होंने बताया कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान के लिए 2,073 माइक्रो ऑब्जर्वर तथा 81,000 कार्मिक चुनावी ड्यूटी में तैनात रहेंगे, वहीं 273 जगहों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था रहेगी. इन संसदीय क्षेत्रों में कुल 157 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं जिनमें 20 महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं. रविवार को इन क्षेत्रों के 1,51,92,432 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. इसमें 60,176 सेवा मतदाता हैं. इन क्षेत्रों में 80,38,007 पुरूष जबकि 71,53,924 महिला मतदाता एवं 501 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. इन संसदीय क्षेत्रों में कुल 15,811 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जिनमें से 4,462 संवेदनशील हैं. उन्होंने बताया कि सुचारू रूप से मतदान संपन्न कराए जाने के लिए 15,811 कंट्रोल यूनिट, 15,811 वीवीपैट एवं 26,233 बैलेट यूनिट की व्यवस्था की गयी है.  संजय ने बताया कि नालंदा, पटना साहिब, आरा, बक्सर, जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा पर पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के मसौढ़ी एवं पालीगंज विधानसभा क्षेत्र, सासाराम लोकसभा क्षेत्र के भभुआ, चैनपुर, चेनारी एवं सासाराम विधानसभा क्षेत्र तथा काराकाट लोकसभा क्षेत्र के डिहरी, काराकाट, गोह और नवीनगर विधानसभा क्षेत्रों में सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान संपन्न होगा. उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त पाटलिपुत्र, सासाराम और काराकाट के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में सामान्य समयानुसार सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान संपन्न होगा. बक्सर में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी उम्मीदवार अश्विनी चौबे का सीधा मुकाबला विपक्षी महागठबंधन में शामिल राजद प्रत्याशी जगदानंद सिंह के के साथ है. काराकाट से रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का मुकाबला राजग में शामिल जदयू प्रत्याशी महाबली सिंह से है. सासाराम में सीधा मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार वहां के निवर्तमान सांसद और बीजेपी उम्मीदवार छेदी पासवान से है.
उनका जन्म जम्मू में गायिका उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था और उनकी मातृभाषा डोगरी है। जब वह मात्र पांच वर्ष के थे तब उनके पिता ने उन्हें गायन और तबला सिखाना शुरू कर दिया था। शिवकुमार ने तेरह साल की उम्र में संतूर सीखना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन 1955 में बॉम्बे में दिया।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे बिहार की सारण संसदीय सीट पर मुकाबला दिलचस्प नजर आने लगा है। सारण से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की प्रत्याशी राबड़ी देवी ने बुधवार को अपने भाई साधु के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने की बात कही, वहीं सारण से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके साधु ने बुधवार को अपनी दीदी (राबड़ी) और जीजा (लालू) पर एक बार फिर निशाना साधा। पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए राबड़ी ने कहा कि साधु से उनका कोई मुकाबला नहीं है। उन्होंने कहा, साधु आगे क्षेत्र में तो जाएं, तब उनको हकीकत का पता चलेगा। छपरा की जनता उन्हें सबक सिखाएगी। साधु के मानने के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे किसी को मनाने नहीं जाएंगी। इधर, आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद के साले साधु ने बुधवार को कहा, उन्हें बहन और जीजा ने पांच वर्ष से अलग कर दिया, हमको अछूत मान रहे हैं। मेरे लिए कोई परिवार नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मैं तो किसी से कुछ नहीं पूछ रहा। उन्होंने कहा कि वे सारण जा रहे हैं और वहां के लोगों से राय लेकर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। लालू ने मंगलवार को कहा था कि साधु के सारण से चुनाव लड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। साधु के चुनाव लड़ने से राजद का एक भी वोट नहीं कटेगा। कहा जाता है कि साधु भाजपा से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे, जिसके लिए उन्होंने मोदी का गुणगान भी किया था इौर उनका दरवाजा भी खटखटाया था। साधु की छवि बिहार में लालू-राबड़ी के शासनकाल में एक दबंग नेता की रही है। भाजपा ने सारण से वरिष्ठ नेता राजीव प्रताप रूडी को उम्मीदवार बनाया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में राजद से टिकट नहीं मिलने के कारण साधु ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था परंतु वह जीत नहीं सके थे। इसके बाद वे कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आने की जुगत भिड़ा रहे थे।
इंजीनियरी में स्नातक अभिरुचि परीक्षा (गेट) एक अखिल भारतीय परीक्षा है जिसका आयोजन और संचालन गेट-समिति द्वारा भारत भर में स्थित आठ अंचलों में किया जाता है। समिति में भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर तथा सात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के संकाय सम्मिलित होते हैं और यह राष्ट्रीय समन्वयबोर्ड-गेट, शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से इस परीक्षा का आयोजन करती है। गेट परीक्षा में सफल होने वालों के लिए देश में विभिन्न इंजीनियरी कॉलेजों/संस्थानों में इंजीनियरी/प्रौद्योगिकी /वास्तुकला/फार्मेसी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए आकर्षक छात्रवृत्ति/सहायता-वृत्ति उपलब्ध होती है। कुछेक इंजीनियरी कॉलेज/संस्थानों में तो गेट को, यहां तक कि स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए भी एक अनिवार्य योग्यता के रूप में विनिर्दिष्ट किया जाता है। उम्मीदावर को उस संबंधित संस्थान से अंतिम चयन तथा छात्रवृत्ति/सहायतावृत्ति प्रदान किए जाने की प्रक्रिया का पता लगाना अपेक्षित होता है जिसमें वह प्रवेश चाह रहा है। इंजीनियरी विषयो में गेट क्वालीफाइड उम्मीदवार सीएसआईआर प्रयोगशलाओं में कनिष्ठ अनुसंधान अध्येतावृत्ति प्रदान किए जाने के लिए भी पात्र होंगे। उद्देश्य इस परीक्षा का उद्देश्य देश में स्नातकपूर्ण इंजीनियरी शिक्षा (Post graduate) के सामान्यीकरण के लिए आधार तय करने के वास्ते राष्ट्रीय स्तर पर इंजीनियरी, प्रौद्योगिकी, वास्तुकला तथा फार्मेसी में स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश हेत उत्कृष्ट तथा प्रेरक उम्मीदवारों की पहचान करना है। उच्च शिक्षा
लेख: शीर्ष भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत बुधवार को 350,000 डॉलर इनामी राशि वाले हॉन्गकॉन्ग ओपन सुपरसीरीज के पुरुष एकल वर्ग के पहले दौर में हारकर बाहर हो गए। इस साल श्रीकांत पांचवीं बार किसी टूर्नामेंट के पहले दौर से बाहर हुए हैं। चीन के तियान हुवेई ने उन्हें एक घंटा 13 मिनट तक चले संर्घपूर्ण मुकाबले में 21-16, 15-21, 24-22 से हराया। भारत की सर्वोच्च महिला खिलाड़ी सायना नेहवाल चोटिल होने के चलते टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले रही हैं और उनकी अनुपस्थिति में श्रीकांत से ही पदक की सर्वाधिक उम्मीद थी। 10वीं विश्व वरीयता प्राप्त हुवेई ने श्रीकांत को पांचवें मुकाबले में पांचवीं बार मात दी। भारत की सर्वोच्च महिला खिलाड़ी सायना नेहवाल चोटिल होने के चलते टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले रही हैं और उनकी अनुपस्थिति में श्रीकांत से ही पदक की सर्वाधिक उम्मीद थी। 10वीं विश्व वरीयता प्राप्त हुवेई ने श्रीकांत को पांचवें मुकाबले में पांचवीं बार मात दी।
वेब विश्लेषिकी या वेब विश्लेषण वेब उपयोग को समझने और अनुकूलित करने के लिए वेब डेटा का मापन, संग्रह, विश्लेषण और रिपोर्टिंग है। वेब एनालिटिक्स केवल वेब ट्रैफिक को मापने की एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसे व्यवसाय और बाज़ार अनुसंधान के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और वेबसाइट की प्रभावशीलता का आकलन और सुधार किया जा सकता है। वेब एनालिटिक्स एप्लिकेशन कंपनियों को पारंपरिक प्रिंट या प्रसारण विज्ञापन अभियानों के परिणामों को मापने में भी मदद कर सकते हैं। इसका उपयोग यह अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है कि एक नया विज्ञापन अभियान शुरू करने के बाद वेबसाइट का ट्रैफ़िक कैसे बदलता है। वेब एनेलिटिक्स किसी वेबसाइट पर विज़िटर्स की संख्या और पेज व्यू की संख्या के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह यातायात और लोकप्रियता के रुझान को मापने में मदद करता है, जो बाजार अनुसंधान के लिए उपयोगी है। सन्दर्भ विपणन अनुसंधान वेब विश्लेषिकी
लेख: भारतीय निशानेबाजों ने रविवार को आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहले दिन तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीते। भारतीय खिलाड़ियों ने पुरुषों की 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल और महिलाओं की 50 मीटर राइफल प्रोन दोनों स्पर्धाओं में टीम वर्ग का स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा पुरुषों की 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल में रितुराज सिंह ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी हासिल किया। गायत्री नित्यानंदम ने महिलाओं की 50 मीटर राइफल प्रोन में कांस्य पदक जीता। रितुराज सिंह (569), शिवम शुक्ला (550) और अर्जुन दास (542) की टीम ने पुरुषों की 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल में कुल 1661 स्कोर बनाकर टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक हासिल किया। फ्रांस ने रजत और ऑस्ट्रेलिया ने कांस्य पदक जीता।टिप्पणियां भारतीय महिलाओं ने 50 मीटर राइफल प्रोन में प्रभावशाली प्रदर्शन किया। गायत्री (618.4), सोनिका (616.9) और आयुशी पोद्दार (611.3) ने कुल 1846.6 अंक बनाकर सोने का तमगा जीता। फ्रांस ने रजत और पोलैंड ने कांस्य पदक हासिल किया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) इसके अलावा पुरुषों की 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल में रितुराज सिंह ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी हासिल किया। गायत्री नित्यानंदम ने महिलाओं की 50 मीटर राइफल प्रोन में कांस्य पदक जीता। रितुराज सिंह (569), शिवम शुक्ला (550) और अर्जुन दास (542) की टीम ने पुरुषों की 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल में कुल 1661 स्कोर बनाकर टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक हासिल किया। फ्रांस ने रजत और ऑस्ट्रेलिया ने कांस्य पदक जीता।टिप्पणियां भारतीय महिलाओं ने 50 मीटर राइफल प्रोन में प्रभावशाली प्रदर्शन किया। गायत्री (618.4), सोनिका (616.9) और आयुशी पोद्दार (611.3) ने कुल 1846.6 अंक बनाकर सोने का तमगा जीता। फ्रांस ने रजत और पोलैंड ने कांस्य पदक हासिल किया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) भारतीय महिलाओं ने 50 मीटर राइफल प्रोन में प्रभावशाली प्रदर्शन किया। गायत्री (618.4), सोनिका (616.9) और आयुशी पोद्दार (611.3) ने कुल 1846.6 अंक बनाकर सोने का तमगा जीता। फ्रांस ने रजत और पोलैंड ने कांस्य पदक हासिल किया। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
टेस्ट क्रिकेट में हाल ही में 500 से ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले इंग्लैंड क्रिकेट टीम के स्टार तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने कहा कि वह निलंबित खिलाड़ी बेन स्टोक्स की जगह एशेज सीरीज में इंग्लैंड टीम के उपकप्तान बनने के लिए तैयार है. जो रूट की कप्तानी में इंग्लैंड टीम स्टोक्स के बिना ऑस्ट्रेलिया दौर पर आई है. स्टोक्स पर ब्रिस्टल में नाइट क्लब के बाहर झगड़े में शामिल होने का आरोप है जिसकी पुलिस जांच के नतीजे का अभी इंतजार है. इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने 23 नवंबर से शुरू होने वाली सीरीज से हालांकि अभी उन्हें बाहर नहीं किया है. एंडरसन ने कहा, ‘सच कहूं तो उप कप्तान बनने के बारे में मैंने सोचा नहीं है.’ एंडरसन से जब पूछा गया कि अगर उन्हें टीम का उप कप्तान बनाया गया तो क्या वह मना करेंगे, इस पर उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल नहीं, मैं मना नहीं करूंगा.’ इंग्लैंड के लिए 129 टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 506 विकेट लेने वाले एंडरसन ने कहा, ‘ पिछले कुछ साल से मैंने टीम में एक लीडरशिप वाली भूमिका निभाई है, खासकर युवा गेंदबाजों के साथ. मेरी कोशिश होती है जहां मदद कर सकता हूं, वहां करूं.’
दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने सिख विरोधी दंगा मामलों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के साथ एक सह अभियुक्त के उस आग्रह पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें मामलों को विशेष अदालत से स्थानीय अधिकार क्षेत्र वाले किसी न्यायाधीश को स्थानांतरति करने की मांग की गई थी. जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीपी मित्तल ने मामले में सीबीआई के वकील और सज्जन कुमार के साथ सह अभियुक्त खुशहाल सिंह के तर्क सुने तथा अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. मामले में जिरह के दौरान खुशहाल के वकील वीके मलिक ने कहा कि एक ऐसी अदालत में मामला चलाना अवैध है जो मामले में अधिकार क्षेत्र नहीं रखती. उन्होंने तर्क दिया कि दिल्ली नौ न्यायिक जिलों में बंटी है और इसलिए दंगों के दौरान हत्याओं से संबंधित मामले उचित अधिकार क्षेत्र रखने वाली अदालतों में चलाए जाने चाहिए. मलिक ने कहा कि क्योंकि अपराध सुल्तानपुरी और दिल्ली कैंटोनमेंट क्षेत्र में हुआ इसलिए मामले क्रमश: रोहिणी तथा द्वारका अदालतों में चलाए जाने चाहिए. हालांकि सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने कहा कि आरोपी का आग्रह कड़कड़डूमा में विशेष सीबीआई न्यायाधीश द्वारा पहले ही निपटाया जा चुका है. सीबीआई के वकील डी पी सिंह ने कहा कि फाइलों को केवल प्रशासनिक उद्देश्यों से मामलों के उपयुक्त आवंटन को लेकर प्रस्तुत किया गया है. सीबीआई ने दावा किया कि दो मामलों से संबंधित फाइलों को अतिरिक्त चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) ने कड़कड़डूमा के विशेष न्यायाधीश को भेजा है. सीबीआई को कुछ कड़े सवालों का भी सामना करना पड़ा. जिला न्यायाधीश ने कहा, ‘एसीएमएम को यह ताकत किसने दी. क्या एसीएमएम को यह ताकत है कि वह किसी फाइल को विशेष अदालत में भेजे.’ शिकायतकर्ता की ओर से उपस्थित होते हुए वरिष्ठ वकील एच एस फुलका ने स्वीकार किया कि अभियुक्त ने कड़कड़डूमा अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत की याचिका दायर कर इसके न्याय क्षेत्र को स्वीकार किया है. फुलका के बयान के बाद अभियुक्त की याचिका का विरोध करने वाले वकील के साथ उनकी गरमागरम बहस हुई. विरोध करने वाले वकील ने कहा कि उन्हें इस मामले में बोलने का अधिकार नहीं है जिस पर फुलका ने कहा कि मामला लोगों की भावना से जुड़ा है और इसमें समुदाय का व्यापक हित निहित है. कड़कड़डूमा की विशेष सीबीआई अदालत ने 27 मार्च को खुशहाल की याचिका को खारिज कर दिया था जिन्होंने न्याय क्षेत्र पर आपत्ति जताते हुए मामलों के स्थानांतरण की मांग की थी लेकिन उसने सुनवाई के उपयुक्त आवंटन को लेकर केस फाइल को जिला न्यायाधीश को भेज दिया था. 20 मार्च को एसीएमएम ने सज्जन कुमार की याचिका को रिकार्ड में लेने से इनकार कर दिया और दंगा मामले में उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र से संबंधित कुछ दस्तावेजों की मांग की और उन्हें सीबीआई की अदालत के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया. सीबीआई ने न्यायाधीश जी टी नानावती आयोग की अनुशंसा पर दंगा मामले में 13 जनवरी को दो आरोप पत्र दायर किया था. आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिलसिलेवार दंगों की जांच की थी.
आधुनिक भारत का तमिलनाडु नामक क्षेत्र में १५,००० ई॰ पूर्व से १०,००० ई॰ पूर्व के प्रागैतिहासिक काल से मानव सभ्यता के प्रमाण मिलते हैं। नामकरण ब्रिटिश शासनकाल में यह प्रदेश मद्रास प्रेसिडेंसी का भाग था। स्वतन्त्रता के बाद मद्रास प्रेसिडेंसी को विभिन्न भागों में बाँट दिया गया, जिसका परिणति मद्रास तथा अन्य राज्यों में हुई। 1968 ई. में मद्रास का नाम बदलकर तमिल नाडु रखा गया था. तमिलनाडु शब्द तमिल भाषा के तमिल तथा नाडु {देश या वासस्थान} से मिलकर बना है जिसका अर्थ तमिलों का घर या तमिलों का देश होता है। इतिहास तमिलनाडु का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। यह तीन प्रसिद्ध राजवंशों की कर्मभूमि रही है - चेर, चोल तथा पांड्य। तमिल नाडु के प्राचीन संगम साहित्य में, यहाँ के तत्कालीन राजाओं, राजकुमारों तथा उनके प्रशन्शक कवियों का बार-बार वर्णन प्राप्त होता है। विशेषज्ञ और विद्वान ऐसा मानते हैं कि, यह संगम साहित्य इसा-पश्चात की आरम्भिक कुछ शताब्दियों का है। आरम्भिक चोल, पहली सदी से लेकर चौथी सदी तक सत्ता के मुख्य अधिपति रहे। इनमें सर्वप्रमुख नाम करिकाल चोल है. इसने अपने राज्य को कांचीपुरम् तक पहुँचाया। चोलों ने वर्तमान तंजावुर तथा तिरुचिरापल्ली तक अपना साम्राज्य विस्तार किया व सैन्य कार्यों में महारत हांसिल की. अपने यौवन काल में चोलों ने दक्षिण में श्रीलंका तथा उत्तर में कई 100 किमी तक अपना राज्य स्थापित किया था. तीसरी सदी तक कालभ्रों के आक्रमण से चोलों का पतन आरम्भ हो गया। कालभ्रों को छठी सदी तक, उत्तर में पल्लवों तथा दक्षिण में पांड्यों ने हराकर बाहर खदेड़ दिया था. सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ तमिलनाडू का सामान्य परिचय तमिलनाडु का इतिहास
मुकेश अंबानी के आगुवाई वाले रिलायंस जियो ने बुधवार को इरोज इंटरनेशनल के साथ अपने साझेदारी को रिन्यू किया है. इस साझेदारी के बाद से इरोज के डिजिटल कंटेट देश के सभी जियो ग्राहकों को उपलब्ध होंगे. इस कंटेट में फुल लेंथ मूवी, थीम बेस्ड प्लेलिस्ट और मूवी के लिए मल्टी लैंग्वेज सबटाइटल, म्यूजिक वीडियो प्लेलिस्ट, रिजनल लैंग्वेज फिल्टर्स, वीडियो प्रोग्रेशन जैसे फीचर्स शामिल होंगे. जियो ने कदम भारती एयरटेल के मुकाबले में उठाया है. एयरटेल ने हाल ही में अमेजन के साथ प्राइम वीडियो सेवाओं के लिए डील किया था. इसके अलावा एयरटेल की साझेदारी पहले से ही Eros Now, SonyLIV और HOOQ से है. साथ ही एयरटेल ने अपने TV ऐप को सभी ग्राहकों के लिए देश में फ्री कर दिया है. इस कंटेट डील के जरिए दोनों ही बड़ी टेली कंपनियां ग्राहकों को कड़े मुकाबले के बीच आकर्षित करना चाह रही हैं. इसी तरह वोडाफोन और आइडिया भी अपने कंटेट को विभिन्न साझेदारियों के जरिए ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं. इसके अलावा रिलायंस जियो ने हाल ही में जियोफोन के लिए अपने प्रीपेड टैरिफ पैक को अपग्रेड किया है. 153 रुपये वाले प्रीपेड पैक में अब प्रतिदिन 1GB 4G हाई स्पीड डेटा, अनलिमिटेड वॉयस कॉल (लोकल, एसटीडी, रोमिंग) और प्रतिदिन 100SMS दिया जाएगा. इसके साथ ग्राहकों को जियो ऐप्स के लिए फ्री सब्सक्रिप्शन भी मिलेगा. इस प्लान की वैलिडिटी 28 दिनों की ही रहेगी. 153 रुपये वाले प्लान में प्रतिदिन 1GB की लिमिट समाप्त होने के बाद इसकी स्पीड 64 Kbps हो जाएगी. पहले 153 रुपये वाले प्लान में प्रतिदिन 500MB डेटा 28 दिनों की वैलिडिटी के लिए दिया जाता था. जो कुल 14GB डेटा होता था. अब प्लान अपग्रेड होने के बाद ये डेटा बढ़कर कुल 28GB हो गया है.
विजया बैंक में क्लेरिकल कैडर (स्पोर्ट्स पर्सन) के लिए कई वैकेंसी निकली हैं. इच्छुक उम्मीदवार 24 जनवरी तक आवेदन कर सकते हैं. पदों के नाम क्लर्क (स्पोर्ट्स पर्सन) पदों की संख्या: 08 उम्र सीमा: 18-28 साल ज्यादा जानकारी के लिए क्लिक करें
#Padmaavat begins Week 2 with a BANG... Collects in double digits... Eyes ₹ 35 cr+ in Weekend 2... Will cross *lifetime biz* of #BajiraoMastani today [Sat]… Will cross ₹ 200 cr tomorrow [Sun]... [Week 2] Fri 10 cr. Total: ₹ 176.50 cr. India biz.
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत फिल्म इंडस्ट्री में आज बड़ा नाम बन चुकी हैं. जितना उन्होंने अपनी एक्टिंग स्किल्स से नाम कमाया है उतना ही वे कॉन्ट्रोवर्सीज को लेकर भी चर्चा में रही हैं. कंगना की फिल्म जजमेंटल है क्या रिलीज होने जा रही है. कंगना ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में अपनी अपकमिंग फिल्म समेत कई मुद्दों पर अपनी राय दी. कंगना ने बताया कि अपनी समकालीन एक्ट्रेसस में वे किसे बेस्ट मानती हैं. इंडिया टुडे के जर्नलिस्ट सुशांत मेहता ने करीना कपूर, दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा और कटरीना कैफ जैसी एक्ट्रेसेस का नाम लेते हुए पूछा कि इन सभी का अपना एक दौर रहा है जब इनकी फिल्मों ने शानदार काम किया. आपको कौनन सी एक्ट्रेस इंडस्ट्री में बेस्ट लगती है? जवाब में कंगना ने कहा, "मुझे ऐसा लगता है कि मौजूदा समय में जो मेरी कंटेम्प्रेरी एक्ट्रेसेस हैं वो मॉडल से एक्ट्रेस बनी हैं. कई सारी ऐसी अच्छी एक्ट्रेसेस हैं जो स्टार नहीं कहलाती हैं." It's Kangana VS Rajkummar! Think you can pick a side already? Think again. Watch the #JudgeMentallHaiKyaTrailer now! @KanganaTeam @RajkummarRao @ektaravikapoor @RuchikaaKapoor @ShaaileshRSingh @pkovelamudi @KanikaDhillon @ZeeMusicCompany @Karmamediaent https://t.co/HBYFMoLlMm — Team Kangana Ranaut (@KanganaTeam) July 2, 2019 कंगना ने कहा, "कई एक्ट्रेसेस की एक यूएसपी होती है जो उन्हें स्टार बनाती है. इनके साथ ऐसा होता है कि कहीं चुल्लू भर एक्टिंग दिख जाती है 1-2 सेकेंड की (फिल्मों में), तो लोग ताली बजाते हैं और खुश हो जाते हैं. जबकी इससे अलग दुनियाभर में कई एक्ट्रेसेस मौजूद हैं जो काफी बढ़िया एक्टिंग जानती हैं." कंगना ने अपनी हालिया कॉन्ट्रोवर्सीज पर भी बात की. एक्ट्रेस ने कहा कि मुंबई में मीडिया पर कुछ मूवी माफियाओं का कंट्रोल है. ये सभी जानते हैं. कंगना ने अपने रिलेशनशिप के बारे में भी बातें कीं. एक्ट्रेस ने कहा कि मेरे पास रिलेशनशिप के लिए अभी वक्त नहीं है. मैं काफी व्यस्त हूं. मेरे पास कंपनी देने के लिए कई सारे कलाकार मौजूद हैं. भले ही उनके साथ मेरी लड़ाई रहती है. हालांकि एक्ट्रेस ने अंत में ये भी कहा कि वे चाहती हैं कि उनकी लाइफ में भी कोई चार्मिंग पर्सन हो.
भारत के खिलाफ अपने व्यवहार को और उदार बनाते हुए पाकिस्तान ने अगले महीने अंकारा में अफगानिस्तान की सुरक्षा और पुनर्निर्माण पर होने वाली शुरुआती वार्ता में नई दिल्ली की भागीदारी के विरोध को वापस ले लिया है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से कहा, प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने विदेश मंत्रालय को सलाह दी है कि सम्मेलन में भारत की भागीदारी का विरोध नहीं किया जाए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने पहले तुर्की से कहा था कि अगर भारत को आमंत्रित किया जाता है तो इस्लामाबाद इसमें भाग नहीं लेगा। एक उच्चपदस्थ सूत्र ने बताया, हमारा नागरिक प्रतिष्ठान क्षेत्रीय मुद्दों पर भारत से सलाह करने पर विचार कर रहा है। बॉन में दिसम्बर में अफगानिस्तान पर विदेश मंत्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में अंकारा सम्मेलन में रूपरेखा तय की जाएगी। सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान सहित 90 देशों के एक हजार से ज्यादा प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। जो लोग भाग लेने वाले हैं उनमें अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून शामिल हैं। विदेश नीति विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि सरकारी की नीति में बदलाव भारत के प्रति सरकारी नीति का हिस्सा है।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था 'ह्यूमन राइट्स वॉच' ने 'वर्ल्ड रिपोर्ट 2018' जारी करते हुए मौजूदा केंद्र सरकार के बारे में कड़ी टिप्पणी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सरकार देश में अल्पसंख्यकों पर हमलों को नहीं रोक सकी. रिपोर्ट के पहले पैरा में लिखा गया है, ' साल 2017 में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों , हाशिए के समुदायों और सरकार के आलोचकों को निशाना बनाते हुए की गई नियोजित हिंसा एक बढ़ते खतरे के रूप में सामने आई जिन्हें अक्सर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के समर्थन का दावा करने वाले समूहों द्वारा अंजाम दिया गया.' रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार त्वरित या विश्वसनीय जांच करने में असफल रही जबकि कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने हिंदू प्रभुत्व और कट्टर-राष्ट्रवाद को सार्वजनिक रूप से बढ़ावा दिया, जिसने हिंसा को और बढ़ाया. रिपोर्ट में केंद्र की मोदी सरकार को देश में अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लमानों पर होने वाले हमलों को न रोकने और उन मामलों की सही से जांच न करवाने के लिए आड़े हाथों लिया गया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़े चरमपंथी हिंदू समूहों की भीड़ के हमले पूरे साल इन अफवाहों के बीच जारी रहे कि उन्होंने बीफ के लिए गायों की खरीद-फ़रोख्त की या इनका क़त्ल किया. हमलावरों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई करने के बजाय, पुलिस ने अक्सर गौ-हत्या पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों के तहत पीड़ितों के खिलाफ शिकायत दर्ज की. नवंबर तक, 38 ऐसे हमले हुए और इनमें इस साल 10 लोग मारे गए.’ 'ह्यूमन राइट्स वॉच' की इस रिपोर्ट में आरएसएस का भी जिक्र है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'जुलाई में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आखिरकार इस तरह की हिंसा की निंदा किए जाने के बाद भी भाजपा के एक संबद्ध संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ’गौ-तस्करी और लव-जिहाद रोकने’ के लिए पांच हज़ार ’धार्मिक सेनानियों’ की भर्ती की घोषणा की. हिंदू समूहों के मुताबिक कथित लव-जिहाद हिंदू महिलाओं से शादी कर उन्हें इस्लाम धर्म में शामिल करने का मुसलमान पुरुषों का षडयंत्र है.' रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया डायरेक्टर मीनाक्षी गांगुली ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि भारत में अधिकारियों ने खुद ही ये साबित किया है कि वे धार्मिक अल्पसंख्यकों और ख़तरे का सामना कर रहे अन्य समूहों पर लगातार हो रहे हमलों से उन्हें बचाने में अनिच्छुक है. इस रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के अलावे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के हनन और कानून व्यवस्था के नाम पर इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के मामले का भी जिक्र किया गया है. वर्ल्ड रिपोर्ट के 28वें संस्करण ह्यूमन राइट्स वॉच ने दुनिया के 90 से ज़्यादा देशों में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में रिपोर्ट दी है.
वे देवताओं के संजाल को तोड़कर एक ऐसे मुक्त मनुष्य की कल्पना कर रहे थे जो धार्मिक तो हो लेकिन ग़ैर-बराबरी को जीवन मूल्य न माने। हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक किया जा सके इसलिए आम्बेडकर ने अपने बौद्ध अनुयायियों के लिए बाइस प्रतिज्ञाएँ स्वयं निर्धारित कीं जो बौद्ध धर्म के दर्शन का ही एक सार है। यह प्रतिज्ञाएं हिंदू धर्म की त्रिमूर्ति में अविश्वास, अवतारवाद के खंडन, श्राद्ध-तर्पण, पिंडदान के परित्याग, बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों में विश्वास, ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह न भाग लेने, मनुष्य की समानता में विश्वास, बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग के अनुसरण, प्राणियों के प्रति दयालुता, चोरी न करने, झूठ न बोलने, शराब के सेवन न करने, असमानता पर आधारित हिंदू धर्म का त्याग करने और बौद्ध धर्म को अपनाने से संबंधित थीं। नवयान लेकर आम्बेडकर और उनके समर्थकों ने विषमतावादी हिन्दू धर्म और हिन्दू दर्शन की स्पष्ट निंदा की और उसे त्याग दिया। आम्बेडकर ने दुसरे दिन 15 अक्टूबर को फीर वहाँ अपने 2 से 3 लाख अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी, यह वह अनुयायि थे जो 14 अक्तुबर के समारोह में नहीं पहुच पाये थे या देर से पहुचे थे। आम्बेडकर ने नागपूर में करीब 8 लाख लोगों बौद्ध धर्म की दीक्षा दी, इसलिए यह भूमी दीक्षाभूमि नाम से प्रसिद्ध हुई। तिसरे दिन 16 अक्टूबर को आम्बेडकर चंद्रपुर गये और वहां भी उन्होंने करीब 3,00,000 समर्थकों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी। इस तरह केवल तीन दिन में आम्बेडकर ने स्वयं 11 लाख से अधिक लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर विश्व के बौद्धों की संख्या 11 लाख बढा दी और भारत में बौद्ध धर्म को पुनर्जिवीत किया। इस घटना से कई लोगों एवं बौद्ध देशों में से अभिनंदन प्राप्त हुए। इसके बाद वे नेपाल में चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन मे भाग लेने के लिए काठमांडू गये।
उत्खनक या उत्खनित्र (excavators) निर्माण के काम में आने वाली उन भारी मशीनों को कहते हैं जो भूमि की खुदाई आदि के काम आतीं हैं। इसमें एक घूर्णन करने वाले प्लेटफॉर्म पर 'बूम', डिपर (या स्टिक), बकेट,और कैब लगे होते हैं। घूर्णन करने वाले प्लेटफॉर्म को 'हाउस' कहा जाता है और यह उसके नीचे स्थित 'गाड़ी' पर लगी होती है। गाड़ी में ट्रैक या पहिए लगे होते हैं। आजकल के हाइड्रॉलिक उनखनक के सभी गतियाँ और कार्य हाइडरॉलिक द्रव के माध्यम से किया जाता है जो हाइड्रॉलिक सिलिण्डर और हाइड्रॉलिक मोटरों के द्वारा कार्य पूरा करता है। इनके कार्य करने का ढंग, केबल से चलने वाले उत्खनित्रों से बिल्कुल भिन्न होता है। भारी उपकरण उत्खनक
राजधानी में रोड रेज जैसे रोज की बात हो गई है. शुक्रवार की रात एक प्राइवेट न्यूज चैनल में काम करने वाला पत्रकार इसका शिकार हो गया. आशीष नाम का ये पत्रकार ग्रेटर कैलाश के अपने ऑफ़िस से बाइक पर घर के लिए रवाना हुआ था. लेकिन पंजाबी बाग क्लब रोड पर ग़लत साइड से आ रही एक फ़ोर्ड आइकन उनकी बाइक से टकरा गई. जब आशीष ने कार सवार से ठीक से चलाने को कहा तो कार में मौजूद दोनों लोग गाड़ी से उतर आए. उन्होंने आशीष को उसके हैलमेट से ही मारना शुरू कर दिया. आशीष की बाइक भी तोड़ दी. पुलिस को सूचना दी गई लेकिन पीसीआर भी मौक़े पर देरी से पहुंची. कार का नंबर पुलिस को दे दिया गया है लेकिन अभी तक इस मामले में कोई पकड़ा नहीं जा सका है.
किसी भी वस्तु या जगह पर यंत्रो द्वारा छेद करने की क्रिया को वेधन (Boring) कहते हैं। कारखानों की यंत्रशाला (machine shop) में यंत्र के कलपुर्जों के निर्माण के लिए लोहा, पीतल आदि में छेद करने की कभी कभी आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए वेधन अपनाया जाता है। वेधन का उपयोग भूविज्ञानियों द्वारा अधिक होता है। वे लोग इस क्रिया का प्रयोग भू वैज्ञानिक एवं अन्य वैज्ञानिक खोजों के लिए करते हैं। किसी नई जगह में जमीन के नीचे खनिज पदार्थ के भंडार का पता वेधन द्वारा चल सकता है। सिविल इंजीनियरों को भी वेधन का प्रोग करना पड़ता है। किसी विशाल मकान को बनाने के पहले यह जानना आवश्यक हो जाता है कि जिस जमीन पर मकान बनाना है उसकी सतह के नीचे कितनी दूरी पर पत्थर का स्तर है। यही नहीं, ऊपरी जमीन की सतह और नीचे पत्थर के स्तर के बीच की मिट्टी का विश्लेषण करना भी आवश्यक हो जाता है। अत: यह देखा जाता है कि वेधन यांत्रिक इंजीनियर, सिविल इंजीनियर, खनिइंजीनियर एव भूविज्ञानियों के लिए उपयोगी ही नहीं, आवश्यक भी है। कोयला, लोहा आदि की खानों में भी, जिनसे खनिज पदार्थ निकाला जा रहा हो, वेधन उपयोगी है, क्योंकि यह जानना आवश्य होता है कि जिस जगह से खनिज निकल रहे हैं, उसके आगे भी खनिज का भंडार है, या नहीं। खानों में कभी-कभी संकटप्रद स्थान भी सामने आ जाता है, जिससे उन खानों में कार्य करनेवाले श्रमिकों की मृत्यु तक हो सकती है। इस तरह के स्थानों का पता वेधन द्वारा पहले ही कर लिया जाता है, ताकि दु:खद घटनाएँ न घटें। पेट्रोलियम आदि खनिज तेलों के भंडार का पता वेधन द्वारा किया जाता है एवं इसी क्रिया की सहायता से खनिज तेल खान से बाहर निकाला जा सकता है। इसके बाद परिष्करण इत्यादि के लिए वह दूसरी जगह भेद दिया जाता है। कभी कभी जमीन की सतह के नीचे सेंधा नमक मिलता है। इसको निकालने के लिए वेधन द्वारा छेद बना लिया जाता है। उन छेदों के द्वारा ऊपर से पानी डाला जाता है। उसके बाद लवणजल (brine) को पंप द्वारा ऊपर निकाला जाता है। वेधन के साधन चट्टानों में वेधन करने के लिए बहुत से साधन अपनाए जाते हैं, जिनमें ये मुख्य हैं : हीरा ड्रिल (Diamond Drill) सभी तरीकों में यह सर्वोत्कृष्ट है। इसकी सहायता से किसी भी कोण पर छेद किया जा सकता है। प्राय: तिरछे छेदों के लिए इसका उपयोग किया जाता है, क्योंकि अन्य तरीकों से सिर्फ सीधा छेद ही हो सकता है। इसके द्वारा वलयाकार (annular) छेद बनता है, जिसके क्रोड (core) से छेद की गई जमीन के नीचे की सारी बनावटें मालूम हो जाती हैं। इससे प्रत्येक स्तर (stratum) की मोटाई, सतह से उसकी दूरी एवं और अन्य बातें जानी जा सकती हैं। इस उपकरण में पेंच द्वारा जुड़ी हुई बहुत सी खोखली छड़ों की एक पंक्ति सी होती है। इसके निचले हिस्से में वलयाकार मुलायम इस्पात का एक बरमा (bit) लगा रहता है, जिसमें आकार के अनुसार आठ या अधिक, 1 से 3 कैरट (carat) के, हीरे सावधानी से लगाए जाते हैं। ये हीरे कुछ बाहर निकले रते हैं। कार्य करते समय बीच बीच में बरमे की जाँच कर ली जाती है, ताकि जैसे ही हीरा कुछ घिस जाए, उसे पूर्ववत् कर दिया जाए। जमीन की सतह पर एक छोटे इंजन की सहायता से छड़ों को जोर से घुमाया जाता है। ज्यों-ज्यों छेद गहरा होता जाता है, त्यों-त्यों छड़ें नीचे चलती जाती हैं। इंजन की गति सतह के नीचेवाली चट्टान और बरमे के व्यास पर निर्भर करती है। वेधन के समय एक पंप की सहायता से जल इन खोखली छड़ों में डाला जाता है, जो छेद की दीवारों और छड़ों के बीच की सतह द्वारा वापस लौट आता है। इससे कटी हुई वस्तुएँ सतह पर लाई जाती हैं। छड़ द्वारा बँधा हुआ पात ड्रिल (Drop Drill) यह उकरण बहुत दिनों से वेधन के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है। पहले यह बहुत गहरे वेधन के काम में लाया जाता था, किंतु आजकल यह 300 फुट से अधिक की गहराई के लिए शायद ही व्यवहृत होता है। कम गहरे छेद के लिए इस उपकरण को हाथ से ही चलाया जाता है। श्रमिक लोग बरमे को घुमाने के लिए उसके चारों ओर चलते हैं और ड्रिल का कभी ऊपर उठाते हैं, तो कभी नीचे की ओर ले जाते हैं। इसी प्रकर वेधन संपन्न होता है। रस्सी द्वारा बँधा हुआ पात उपकरण (Drop tool) छड़ द्वारा बँधे हुए उपकरण और इसमें सिर्फ यही अंतर है कि इसमें छड़ के बदले रस्सी बँधी रहती है। इस तरीके से समय की बचत होती है, क्योंकि इसमें छड़ को ऊपर नीचे नहीं करना पड़ता है और इसमें छेद करते समय रस्सी की सहायता से उपकरण को बहुत तीव्र गति से ऊपर नीचे किया जाता है। मुलायम मिट्टी में वेधन निम्नलिखित साधनों द्वारा किया जाता है : चालक नल (Drive Pipes) इसका व्यवहार चट्टानों के ऊपर लगी हुई मुलायम मिट्टी की गहराई एवं गुण जाँचने के लिए होता है। साधारणत: यह दोनों सिरे पर खुला हुआ पिटवे लोहे का नल है। छोटे आकार के वेधन के लिए नल हथौड़े की सहायता से मिट्टी में गाड़ा जाता है। बड़े एवं गहरे छेद के लिए एक हलके स्थूणा चालक (pile driver) की आवश्यकता पड़ती है। नल का निचला हिस्सा वलयाकार होता है और ऊपर का हिस्सा कुछ चिपटा होता है, ताकि उसपर हथौड़े की चोट पड़ सके। भूमि बरमा (Earth Auger) यह उपकरण एक छड़ के एक सिरे र लगाया रहता है। छेद की गहराई के साथ ही साथ छड़ की लंबाई भी बढ़ानी पड़ती है। छड़ के दूसरे सिरे पर कुछ क्षैतिज उत्तोलक (levers) लगे होते हैं, जिनकी सहायता से बरमे को घुमाया जाता है। छोटे आकार के छेद के लिए इसे हाथ से ही घुमा लिया जाता है, किंतु बड़े आकार के छिद के लिए कुछ यांत्रिक साधन व्यवहार में लाए जाते हैं। इस उपकरण के द्वारा वेधन लगातार नहीं हो पाता है, क्योंकि बरमें को कुछ घुमाने के बाद ऊपर किया जाता है और उसमें अटकी हुई मिट्टी साफ कर दी जाती है। आज के युग में वेधन अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी प्रक्रिया है। बाहरी कड़ियाँ Outokumpu Deep Drilling भूविज्ञान
शीना के भाई और इंद्राणी मुखर्जी के बेटे मिखाइल बोरा से पुलिस ने पहले घर पूछताछ की और बाद में उसे थाने आने पर हिरासत में ले लिया. इससे पहले मिखाइल ने कहा था कि उसके पास शीना मर्डर केस के कुछ अहम सबूत हैं. मुंबई पुलिस की दो सदस्यों वाली टीम ने गोवाहटी में मिखाइल से पहले पूछताछ की थी. उसके कुछ देर बाद वो एक लिफाफा लेकर थाने जाने के लिए निकले थे. मिखाइल ने मीडिया से कहा था कि उसके पास इस मामले से जुड़े कुछ अहम सुराग हैं. जैसे ही मिखाइल बोरा दस्तावेज लेकर दिसपुर थाने पहुंचे. उन्हें हिरासत में ले लिया गया. उससे अभी और भी पूछताछ की जा सकती है. उधर, मुंबई में इंद्राणी के वकील ने कस्टडी के दौरान उससे मिलने के लिए अदालत में अर्जी लगाई है. पुलिस ने इंद्राणी को वकील को उनसे मिलने नहीं दिया था. अदालत इस अर्जी पर कल सुनवाई कर सकती है.
विशेष रूप से कुरूप व्यक्तियों के लिए तैयार की गई डेटिंग साइट के जरिये सम्पर्क करने के बाद ब्रिटेन के एक युवक और युवती ने विवाह करने का फैसला किया है. समाचार पत्र ‘द सन’ के मुताबिक टाम क्लिफोर्ड और जैनी वाकर ने साइट के जरिये रोमांस के बाद मात्र एक महीने पहले पहली बार मुलाकात की और दोनों ने इस वर्ष दिसम्बर में शादी करने का निर्णय किया है. कालीन लगाने का काम करने वाले 36 वर्षीय टाम ने स्वीकार किया कि उनका चेहरा ऐसा है जिसे देखकर बच्चे भयभीत होकर रोने लगते हैं. उन्होंने कहा, ‘अपनी सूरत के कारण मैं कई वर्षों तक महिलाओं के लिए मजाक का पात्र था. मैं हमेशा यही सोचता था कि मैं इतना कुरूप हूं कि मुझसे कोई भी लड़की शादी नहीं करना चाहेगी लेकिन जैनी से मिलने के बाद मेरा जीवन ही बदल गया. वह बहुत खूबसूरत है और मैं उसे बहुत प्यार करता हूं. मुझे अभी भी विश्वास नहीं होता कि वास्तव में ऐसा हो रहा है.’ टाम का 31 वर्षीय जैनी से डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडाटदअगलीबगगालडाटकाम के जरिये इस वर्ष अगस्त में सम्पर्क हुआ. इस डेटिंग साइट को एक वर्ष पहले ही बनाया गया था. इसे विशेष रूप से कुरूप व्यक्तियों के लिए बनाया गया था.
चीन में अभी कुछ दिन पहले ही एक नवजात बच्‍चे को टॉयलेट के पाइप से बरामद किया गया था और अब ऐसा ही एक और मामला स्‍पेन में सामने आया है. इस खबर को पढ़कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. यहां एक मां ने अपने दो दिन के बच्‍चे को सिर्फ इसलिए नाले में फेंक दिया क्‍योंकि उसके पास अबॉर्शन कराने के लिए पैसे नहीं थे. पुलिस ने आरोपी मां को हत्‍या की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. डेली मेल के मुताबिक घटना का पता उस वक्‍त चला जब एक पड़ोसी को बच्‍चे के रोने की आवाज सुनाई दी. उसे लगा कि कोई बिल्‍ली फंस गई है और उसने पुलिस को इस बारे में जानकारी दी. जब नाले की सफाई की गई तो पता चला कि वह कोई जानवर नहीं बल्कि एक नवजात बच्‍चा है. बच्‍चे को एक प्‍लास्टिक बैग में लपेटकर नाले में फेंका गया था. प्‍लास्टिक बैग में एक सुराग किया गया था ताकि वह सांस ले सके. स्‍पेन की पुलिस का कहना है कि उन्‍हें लगा था कि बच्‍चा लावारिस है. बच्‍चे को गंभीर हालत में अस्‍पताल ले जाया गया. उसकी एक बांह भी टूट गई थी. उधर, बच्‍चे की मां को भी अस्‍पताल से गिरफ्तार कर लिया गया है. दरअसल, वह अस्‍पताल में ही भर्ती थी और उसने डॉक्‍टरों को बताया था कि उसका मिसकैरिज हो गया है. बाद में जब पुलिस ने पूछताछ की तो उसने कबूल कर लिया कि उसी ने अपने बच्‍चे को नाले में फेंका था. आरोपी मां का कहना है कि उसके पास अबॉर्शन कराने के पैसे नहीं थे, इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया. गौरतलब है कि ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों चीन में भी सामने आया था, जहां एक बिन ब्‍याही मां ने अपने घर के बाथरूम में बच्‍चे को जन्‍म दिया जो कमोड में जा गिरा. इसके बाद बच्‍चा नाले में फंस गया. डॉक्‍टर बड़ी मुश्किल से बच्‍चे को बचा पाए थे.
यह लेख है: उत्तरी चीन में मीथेन से भरे टैंकर से एक बस के टकरा जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई।टिप्पणियां दुर्घटना शांक्सी प्रांत में यान एक्सप्रेसवे पर रविवार की सुबह घटी। सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने कहा कि दुर्घटना के बाद दोनों वाहनों में आग लग गई। इसने कहा कि दुर्घटना के वक्त दोनों वाहनों में 39 लोग सवार थे और उनमें से केवल तीन ही बचे। घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है। दुर्घटना शांक्सी प्रांत में यान एक्सप्रेसवे पर रविवार की सुबह घटी। सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने कहा कि दुर्घटना के बाद दोनों वाहनों में आग लग गई। इसने कहा कि दुर्घटना के वक्त दोनों वाहनों में 39 लोग सवार थे और उनमें से केवल तीन ही बचे। घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है। इसने कहा कि दुर्घटना के वक्त दोनों वाहनों में 39 लोग सवार थे और उनमें से केवल तीन ही बचे। घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने पशुओं और पक्षियों के लिए एक पॉलिसी बनाई है. बुधवार को दिल्ली सचिवालय में पॉलिसी बनाने में पशु-पक्षियों से जुड़े संगठन, डॉक्टर और एक्सपर्ट के साथ बैठक हुई. बैठक में एनिमल हस्बेंडरी विभाग का नाम बदलकर 'एनिमल हेल्थ एन्ड वेलफेयर' रखने का प्रस्ताव रखा गया है. आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पॉलिसी में दिल्ली में पशु-पक्षियों के लिए 24×7 अस्पताल बनाये जाने के सुझाव पर चर्चा हुई है. इसके तहत 16 जनवरी को पहला पशु-पक्षी अस्पताल पॉयलेट प्रोजेक्ट के तौर पर तीस हजारी के नज़दीक लांच किया जाएगा. पॉलिसी में दिल्ली के घुम्मनहेड़ा गांव में सबसे आधुनिक गौशाला और वृद्धाश्रम को एक साथ बनाने का प्लान है. इसके तहत देश की तमाम गौशालाओं की स्टडी की जाएगी. मंत्री गोपाल राय का दावा है को देश मे पहली बार घुम्मनहेड़ा गांव में गौशाला के साथ वृद्धाश्रम भी होगा. इसका मकसद वृद्ध लोगों का अकेलापन दूर करना और बेहतर जीवन देना होगा. मंत्री गोपाल राय के मुताबिक दिल्ली के 272 वार्ड में पशु-पक्षियों के लिए अस्पताल खोलने का सुझाव पॉलिसी में शामिल किया गया है. साथ ही पॉलिसी में दिल्ली को रेबीज़ फ्री बनाने का टारगेट तय किया गया है. इसके अलावा नई पॉलिसी में आवारा पशुओं की संख्या को कंट्रोल करने के लिए पालतू पशुओं में माइक्रो चिप लगाने का भी सुझाव भी है. बैठक में पशुओं के लिए हॉस्टल या PG का इंतजाम भी किए जाने पर चर्चा हुई. दिल्ली सरकार का विभाग पॉलिसी के हर पहलू पर स्टडी कर एक रिपोर्ट तैयार करेगा. हालांकि पॉलिसी में चर्चा के दौरान शामिल किए गए इनसुझाव को लेकर कोई टाइमलाइन फिलहाल तय नही हुआ है.
27 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 239वॉ (लीप वर्ष मे 240 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 126 दिन बाकी है। प्रमुख घटनाएँ 1604- अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आदि गुरू ग्रंथ साहिब की प्रतिष्ठारपना की गई। 1870- भारत के पहले मजदूर संगठन के रूप में श्रमजीवी संघ की स्थापना की गई। 1939- जेट इंधन वाले विश्व के पहले विमान ने जर्मनी से पहली उड़ान भरी।। 1976- भारतीय सेना की प्रथम महिला जनरल मेजर जनरल जी अली राम मिलिट्री नर्सिंग सेवा की निदेशक नियुक्त हुई। 1990- वॉशिंगटन स्थित इराकी दूतावास के 55 में से 36 कर्मचारियों को अमरीका ने निष्कासित कर दिया। 1991- मलदोवा ने सोवियत संघ से आजाद होने की घोषणा की 1999- सोनाली बनर्जी भारत की प्रथम महिला मैरिन इंजीनियर बनीं। जन्म १९२२- सॉसुक ऊनो, जापानी प्रधानमंत्री (मृ. 1998) निधन बहारी कडियाँ बीबीसी पे यह दिन अगस्त
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: कारोबारियों एवं निवेशकों की ओर से बिजली एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कंपनियों के शेयरों में मौजूदा उच्चस्तर पर मुनाफावसूली किए जाने से बंबई शेयर बाजार का सूचकांक आज के शुरुआती कारोबार में रिकॉर्ड स्तर से 160 अंक कमजोर होकर 24,556 अंक पर आ गया। बंबई शेयर बाजार का सूचकांक बीएससी-30 में पिछले तीन सत्रों के दौरान 418.86 अंकों की कमजोरी दर्ज की गई है, जो आज के शुरुआती कारोबार में 160.88 अंक अथवा 0.65 प्रतिशत कमजोर होकर 24,556 अंक पर आ गया। कल के उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में सूचकांक 24,716.88 अंक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ था। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 भी 22.35 अंक अथवा 0.30 फीसदी कमजोर होकर 7,336.70 अंक पर आ गया। बाजार विश्लेषकों ने बताया कि कारोबारियों एवं निवेशकों की ओर से बिजली एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कंपनियों के शेयरों में मौजूदा उच्चस्तर पर मुनाफावसूली किए जाने से सूचकांक में गिरावट आई।
भगवान बुद्ध जब महापरिनिर्वाण ग्रहण करने कुशीनगर जा रहे थे तो वह एक दिन के लिए केसरिया में ठहरें थे। जिस स्‍थान पर पर वह ठहरें थे उसी जगह पर कुछ समय बाद सम्राट अशोक ने स्‍मरण के रूप में स्‍तूप का निर्माण करवाया था। इसे विश्‍व का सबसे बड़ा स्‍तूप माना जाता है। वर्तमान में यह स्‍तूप 1400 फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई 51 फीट है। अलेक्‍जेंडर कनिंघम के अनुसार मूल स्‍तूप 70 फीट ऊंचा था। यह बिहार के चंपारण जिला में केसरिया नामक स्थान पर स्थित है। स्तूप, केसरिया स्तूप, केसरिया स्तूप, केसरिया
अगर आप मेकअप का सामान उधार लेकर इस्तेमाल करती हैं तो यह खबर आपके लिए है. एक महिला ने अपनी बेस्ट फ्रेंड का मेकअप ब्रश लेकर एक पिंपल छिपाने की कोशिश की. अब वह सारी जिंदगी व्हीलचेयर पर बिताने को मजबूर है. ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन की रहने वाली 27 साल की जो गिलक्रिस्ट ने अपनी दोस्त का मेकअप ब्रश इस्तेमाल किया था. बीती 14 फरवरी को उन्हें 'स्टाफ इनफेक्शन' हो गया और बाद में इस इनफेक्शन ने उनकी रीढ़ की हड्डी पर हमला कर दिया. डेली मेल वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, तब से वह अस्पताल में हैं और डॉक्टर उनके शरीर से इस वायरस को अलग करने में लगे हुए हैं. एक बच्चे की मां गिलक्रिस्ट ने बताया, 'यह पीठ में मामूली दर्द से शुरू हुआ. मुझे लगा गलत तरीके से बैठने की वजह से दर्द हो रहा होगा. लेकिन फिर यह बढ़ता ही गया. यह भयावह दर्द था और किसी चीज का फायदा नहीं हो रहा था. मुझे लगा कि मैं मर ही जाऊंगा. यह दर्द बच्चे को जन्म देने से भी भयंकर था.' डॉक्टरों को गिलक्रिस्ट की समस्या समझने में काफी वक्त लग गया. तब तक उनका पैर सुन्न पड़ चुका था और वह खड़ी नहीं हो पा रही थीं. गिलक्रिस्ट को आज भी मेकअप ब्रश उधार लेने का अफसोस है. स्टाफ आम तौर पर हानिकारक बैक्टीरिया नहीं होते और कई स्वस्थ लोगों की नाक और त्वचा पर यह बैक्टीरिया पाए जाते हैं. लेकिन कई बार यह स्किन और दूसरे तरह के इनफेक्शन का कारण बन जाता है. गिलक्रिस्ट बताती हैं, 'घटना के बाद से मेरी दोस्त डरी हुई है, लेकिन यह उसकी गलती नहीं है. मेरा ही इम्यून सिस्टम कमजोर है और इसी वजह से बैक्टीरिया तेजी से फैला और खतरनाक हो गया.'
यह लेख है: भारत की पहली महिला मर्चेंट नेवी कैप्टन पिछले साल अशांत बंगाल की खाड़ी में मछली पकड़ने वाली एक नौका से सात मछुआरों को नाटकीय ढंग से बचाने में अपनी असाधारण बहादुरी दिखाने को लेकर आईएमओ के पुरस्कार से पुरस्कृत होने वाली पहली महिला बन गयी हैं. कैप्टन राधिका मेनन ने यहां अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) के मुख्यालय में पुरस्कार समारोह में अपना पदक और प्रमाणपत्र ग्रहण किया. पुरस्कार ग्रहण करने के बाद मेनन ने कहा, ''अपने और अपनी टीम के लिए इस सम्मान से मैं गौरवान्वित और विनीत महूसस करती हूं. मुश्किल में फंसे लोगों की मदद करना नाविक का कर्तव्य है और मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया. नाविक का काम एक महान पेशा है जो विश्व व्यापार एवं अर्थव्यवस्था एवं सांस्कृतिक एकीकरण में भारी योगदान देता है . यह पहचान का हकदार है लेकिन उसे हमेशा यह मिल नहीं पाता.'' मेनन आईएमओ समुद्र असाधारण बहादुरी पुरस्कार ग्रहण करने वाली पहली महिला हैं जिन्हें भारत सरकार ने नामित किया था. यह पुरस्कार उन लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर प्रदान किया जाता है जो अपनी जान की बाजी लगाकर असाधारण बहादुरी दिखाते हैं. टिप्पणियां उनका पुरस्कार जून, 2015 में दुर्गम्मा नौका के सात मछुआरों को सफलतापूर्वक बचाने से संबंधित है . खराब मौसम में इंजन खराब होने जाने नौका भटक गई थी. यह नौका ओड़िशा में गोपालपुर के तट से करीब ढाई किलोमीटर दूर शिपिंग कोरपोरेशन ऑफ इंडिया के जहाज संपूर्ण स्वराज को दिखी थी जिसकी प्रभारी मेनन थी. मेनन ने बचाव अभियान का आदेश दिया था.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) पुरस्कार ग्रहण करने के बाद मेनन ने कहा, ''अपने और अपनी टीम के लिए इस सम्मान से मैं गौरवान्वित और विनीत महूसस करती हूं. मुश्किल में फंसे लोगों की मदद करना नाविक का कर्तव्य है और मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया. नाविक का काम एक महान पेशा है जो विश्व व्यापार एवं अर्थव्यवस्था एवं सांस्कृतिक एकीकरण में भारी योगदान देता है . यह पहचान का हकदार है लेकिन उसे हमेशा यह मिल नहीं पाता.'' मेनन आईएमओ समुद्र असाधारण बहादुरी पुरस्कार ग्रहण करने वाली पहली महिला हैं जिन्हें भारत सरकार ने नामित किया था. यह पुरस्कार उन लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर प्रदान किया जाता है जो अपनी जान की बाजी लगाकर असाधारण बहादुरी दिखाते हैं. टिप्पणियां उनका पुरस्कार जून, 2015 में दुर्गम्मा नौका के सात मछुआरों को सफलतापूर्वक बचाने से संबंधित है . खराब मौसम में इंजन खराब होने जाने नौका भटक गई थी. यह नौका ओड़िशा में गोपालपुर के तट से करीब ढाई किलोमीटर दूर शिपिंग कोरपोरेशन ऑफ इंडिया के जहाज संपूर्ण स्वराज को दिखी थी जिसकी प्रभारी मेनन थी. मेनन ने बचाव अभियान का आदेश दिया था.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) मेनन आईएमओ समुद्र असाधारण बहादुरी पुरस्कार ग्रहण करने वाली पहली महिला हैं जिन्हें भारत सरकार ने नामित किया था. यह पुरस्कार उन लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर प्रदान किया जाता है जो अपनी जान की बाजी लगाकर असाधारण बहादुरी दिखाते हैं. टिप्पणियां उनका पुरस्कार जून, 2015 में दुर्गम्मा नौका के सात मछुआरों को सफलतापूर्वक बचाने से संबंधित है . खराब मौसम में इंजन खराब होने जाने नौका भटक गई थी. यह नौका ओड़िशा में गोपालपुर के तट से करीब ढाई किलोमीटर दूर शिपिंग कोरपोरेशन ऑफ इंडिया के जहाज संपूर्ण स्वराज को दिखी थी जिसकी प्रभारी मेनन थी. मेनन ने बचाव अभियान का आदेश दिया था.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उनका पुरस्कार जून, 2015 में दुर्गम्मा नौका के सात मछुआरों को सफलतापूर्वक बचाने से संबंधित है . खराब मौसम में इंजन खराब होने जाने नौका भटक गई थी. यह नौका ओड़िशा में गोपालपुर के तट से करीब ढाई किलोमीटर दूर शिपिंग कोरपोरेशन ऑफ इंडिया के जहाज संपूर्ण स्वराज को दिखी थी जिसकी प्रभारी मेनन थी. मेनन ने बचाव अभियान का आदेश दिया था.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दलाई लामा के खिलाफ कड़ी आलोचना जारी रखते हुए चीन की एक आधिकारिक वेबसाइट ने आरोप लगाया है कि वह बीजिंग विरोधी गतिविधियों में तिब्बतियों को शामिल करने की ‘चाल’ के लिए अमेरिका द्वारा प्रायोजित हैं।टिप्पणियां डब्लूडब्लूडब्लू डॉट तिब्बत डॉट सीएन ने अपनी टिप्पणी में कहा कि निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने 22 नवंबर, 2009 को दावा किया था कि वह ‘भारत पु़त्र हैं’ तथा ‘तिब्बत की संप्रभुता के लिये दावा करने का भारत ज्यादा हक रखता है ।’ इस टिप्पणी में दलाई लामा के बारे में सात सवाल और उनका जवाब दिया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘दलाई लामा अपने ‘संरक्षक’ की भाषा बोल रहे हैं। दलाई लामा चिल्ला चिल्लाकर कहते रहते हैं कि लहोका प्रांत (अरूणाचल प्रदेश के नजदीक) का भारत से ताल्लुक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत तिब्बत की संप्रभुता के लिये दावा करने का ज्यादा हक रखता है।’’ उसने यह भी आरोप लगाया कि 76 वर्षीय दलाई लामा के संबंधी सीआईए के लिये काम कर रहे हैं। उसने कहा, ‘वह हमेशा तिब्बती लोगों के लिये अच्छा करने के नाम पर छल कपट कर रहे हैं। यह संदेहजनक है कि दलाई लामा तिब्बती लोगों की तरफ से बोलेंगे क्योंकि वह अमेरिका प्रायोजित हैं और उनके संबंधी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के लिये काम करते हैं।’ डब्लूडब्लूडब्लू डॉट तिब्बत डॉट सीएन ने अपनी टिप्पणी में कहा कि निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने 22 नवंबर, 2009 को दावा किया था कि वह ‘भारत पु़त्र हैं’ तथा ‘तिब्बत की संप्रभुता के लिये दावा करने का भारत ज्यादा हक रखता है ।’ इस टिप्पणी में दलाई लामा के बारे में सात सवाल और उनका जवाब दिया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘दलाई लामा अपने ‘संरक्षक’ की भाषा बोल रहे हैं। दलाई लामा चिल्ला चिल्लाकर कहते रहते हैं कि लहोका प्रांत (अरूणाचल प्रदेश के नजदीक) का भारत से ताल्लुक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत तिब्बत की संप्रभुता के लिये दावा करने का ज्यादा हक रखता है।’’ उसने यह भी आरोप लगाया कि 76 वर्षीय दलाई लामा के संबंधी सीआईए के लिये काम कर रहे हैं। उसने कहा, ‘वह हमेशा तिब्बती लोगों के लिये अच्छा करने के नाम पर छल कपट कर रहे हैं। यह संदेहजनक है कि दलाई लामा तिब्बती लोगों की तरफ से बोलेंगे क्योंकि वह अमेरिका प्रायोजित हैं और उनके संबंधी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के लिये काम करते हैं।’ उसने कहा, ‘वह हमेशा तिब्बती लोगों के लिये अच्छा करने के नाम पर छल कपट कर रहे हैं। यह संदेहजनक है कि दलाई लामा तिब्बती लोगों की तरफ से बोलेंगे क्योंकि वह अमेरिका प्रायोजित हैं और उनके संबंधी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के लिये काम करते हैं।’
अपना आकाश सूर्यपाल सिंह पूर्वापर प्रकाशन, सिविल लाइंस, गोंडा, उत्तर प्रदेश कीमतः 100 रु. मजलूमों से सहानुभूतिः सूर्यपाल सिंह फणीश्वरनाथ 'रेणु' की रचनाओं में जैसे पूर्णिया का मानव-भूगोल विन्यस्त है वैसे गोंडा का सूर्यपाल सिंह की कृतियों में. सिंह वैसे तो कई विधाओं में सक्रिय हैं लेकिन उनकी पहचान उपन्यास लेखन से बनी है. कोई चार बरस पहले उनका उपन्यास कोमल की डायरी पढ़ते हुए ख्याल आया था कि गोंडा जनपद को समग्रता में समझ्ना हो तो सूर्यपाल की रचनाओं का सहारा लेना ही पड़ेगा. पर एक अंचल विशेष को अपनी कृतियों में मूर्तिमान करने वाले सूर्यपाल आंचलिक लेखक नहीं कहे जा सकते. यह सही है कि वे एक प्रतिबद्ध रचनाकार हैं लेकिन उनकी प्रतिबद्धता का दायरा अंचल विशेष तक महदूद न होकर व्यापक है. वे असल में, लोकरंग के कथाशिल्पी नहीं, जनपक्षधरता और उससे उपजी विचारशीलता के कथाकार हैं. उनका नया उपन्यास अपना आकाश इसी बात की पुष्टि करता है. लेखक की अब तक की सभी कृतियों में कई स्तरों पर प्रभावशाली लगी है यह. मेरा आशय तैयारी, प्रस्तुति, संतुलन और अंतर्दृष्टि की विशिष्ट गुंथान से है. अपना आकाश एक पुरवे की कथा है. पुरवा यानी गांव का लघु संस्करण. उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बहुतायत है इनकी. दो से लेकर 50 घरों का समूह. पुरवों की कहानी पर हिंदी के कथाकारों का ध्यान कम गया है. भूमंडलीकरण की आंधी में पुरवे किस स्थिति का सामना कर रहे हैं, किन सपनों को जी रहे हैं, अपने ढंग से इसी की कथा है इसमें. स्थानीयता के प्रश्न को यहां नए संदर्भ में उठाया गया है. उपन्यास स्थानीयता को लेकर आग्रही नहीं दिखता. उसका लगाव उन आकांक्षाओं से जरूर है, जो हठी पुरवा के निवासियों ने संजो रखी हैं. तन्नी और तरंती उपन्यास की केंद्रीय पात्र हैं. हठी पुरवा की बारहवीं पास करने वाली पहली लड़कियां. वे आगे पढ़ना चाहती हैं. उनका संघर्ष उस पूरी पीढ़ी के ख्वाबों का रूपक है. उच्च शिक्षा के लिए गांव से निकलने वाली लड़कियों की यह पीढ़ी संकीर्ण अर्थ में 'करियर कांशस' नहीं है. वह मुक्ति के लिए शिक्षा का वरण कर रही है. पिछली पीढ़ी की वत्सलाधर जैसी स्त्रियां तन्नी और तरंती के  लिए आदर्श हैं. उच्च शिक्षा प्राप्त, अपने पैरों पर खड़ी, सलीके की एकल जिंदगी, सामाजिक प्रश्नों से बाखबर, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय... अपना आकाश का एक सिरा निजी शिक्षा संस्थाओं की भीतरी दुनिया का खुलासा करता है तो दूसरा सिरा किसान जीवन में आई तब्दीलियों को फोकस करता है. मुनाफाखोरों के शिकंजे में फंसी सरकारी मशीनरी किस तरह आम जनता, विशेषकर किसानों के प्रति क्रूरतर होती गई है, यह भंवरी और मंगल की जिंदगी के जरिए उपस्थित किया गया है. बेटी को पढ़ाने के लिए यह परिवार लहसुन की खेती करता है. मंडी में ठगा गया मंगल प्रतिरोध की राह चलने की सोचता है. आढ़ती, बिचौलिया और पुलिस का तंत्र ऐसे को क्यों बख्शे? उसकी हत्या का केस आत्महत्या का बनाया जाता है. सूबे के  मुख्यमंत्री का बयान है कि उनके राज्‍य में किसान आत्महत्या नहीं करते. हठी पुरवा का सपना मंगल की हत्या के साथ चकनाचूर. भीतर गहरी बेचैनी. गांव की दो पीढ़ियों के बीच टकराहट से एक समाधान निकलता दिखता है. एक टीम तैयार होती दिखती है. वही मंगल के हत्यारों को सजा दिलाएगी. संगठन और जागरूकता की जरूरत और सामुदायिक उन्नयन की चिंता इस टीम की पहचान है. लेखक ने माओवाद का भी यथा प्रसंग चित्र खींचा है. पुराने तंत्र से जूझ्ना जितना आसान दिखता है, नए तंत्र से उतना ही मुश्किल. दोनों शोषण तंत्रों का गठबंधन हो जाए तो मुश्किलों का पारावार नहीं. संकट की विराटता को उपन्यासकार ने ब्यौरों से उकेरा है. अवधी शब्दों से रची किसान कथा की यह दुनिया विचारोत्तेजक, दिलचस्प और मूल्यवान पाठ के रूप में याद की जाएगी.
षट्कोणीय तारा यह एक ज्यामितीय आकृति है। परिभाषा दो समबाहु त्रिभुजों के परस्पर काटने पर षट्कोणीय आकृति को हेक्साग्राम कहते हैं। उपयोग इस आकृति का उपयोग हिन्दू (शिव शक्ति ) ,बौद्ध और जैन धर्मो में किया जाता है। इसमें ॐ और हेक्साग्राम (षटकोण तारा ) का मिश्रित आकार है। अनहत या ह्रदय चक्र अनहत या ह्रदय चक्र में हेक्साग्राम का प्रयोग होता है। अन्य प्रयोग उत्तरी आयरलैंड के झंडे ( अल्स्टर बैनर) में (१९५३-१९७२ ) तक प्रयोग किया गया। सन्दर्भ ज्यामिति क्षेत्रमिति प्राथमिक आकार श्रेणी :बहुभुज
लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिशें जारी- इसरो चीफ ऑर्बिटर से लगातार मिल रहा है डाटा पीएम ने वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया शनिवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय पहुंचे तो ये बेहद भावुक मौका था. पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को अथक मेहनत के लिए बधाई दी और कहा कि देश को इस प्रयास और इस सफर दोनों पर गर्व है. हालांकि ये बेहद भावुक पल था, सालों की मेहनत का मनमाफिक फल न मिलने पर वैज्ञानिक निराश नजर आए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणादायक भाषण भी उन्हें ढांढस न बंधा सकी. शनिवार सुबह पीएम मोदी जब वहां से बाहर निकल रहे थे तो इसरो के अध्यक्ष के. सिवन अपने आंसू नहीं रोक सके और उनकी आंखें छलक पड़ी. पीएम मोदी तुरंत उन्हें गले लगाया और उन्हें ढाढ़स बंधाया. आजतक के संवाददाता नागार्जुन ने इसरो चीफ के सिवन से बात की और जानना चाहा कि पीएम मोदी ने उन्हें क्या कहा और कैसे उनका हौसला बढ़ाया. इसके जवाब में के सिवन ने कहा कि पीएम मोदी के शब्द वैज्ञानिकों के लिए हौसला अफजाई के थे. के सिवन ने पीएम से हुई बातचीत का ब्यौरा देते हुए कहा, "पीएम के शब्द हौसला बढ़ाने वाले थे, उन्होंने हमें हौसला रखने को कहा और उम्मीद न खत्म करने को कहा." आजतक से बातचीत में के सिवन ने कहा कि लैंडर विक्रम से संपर्क की कोशिश अभी भी जारी है. उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिक डाटा का अध्ययन कर रहे हैं और निष्कर्ष निकालने की कोशिश कर रहे हैं. अच्छी बात ये है कि चंद्रयान के साथ गया ऑर्बिटर पूरी तरह से काम कर रहा है और लगातार डाटा भेज रहा है. के सिवन से जब ये पूछा गया कि आखिर कितने दिनों में लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित हो सकता है, तो उन्होंने कहा कि इस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि लैंडर विक्रम से दो तरह से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. एक तो ऑर्बिटर वहां सीधा लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, दूसरा इसरो मुख्यालय से वैज्ञानिक विक्रम से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.
अभिषेक कुर्मी (मोकला) देवरी विधानसभा क्षेत्र नेतृत्व (leadership) की व्याख्या इस प्रकार दी गयी है" अभिषेक कुर्मी एक बहुत अच्छे लीडर के रूप में उभर का आए । इनकी राजनैतिक कार्यों में जनभागीदारी देखने को मिली इनके द्वारा अनेक सामाजिक कार्य किए गए । (9301641845) नेतृत्व एक प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति सामाजिक प्रभाव के द्वारा अन्य लोगों की सहायता लेते हुए एक सर्वनिष्ट (कॉमन) कार्य सिद्ध करता है। एक और परिभाषा एलन कीथ गेनेंटेक ने दी जिसके अधिक अनुयायी थे "नेतृत्व वह है जो अंततः लोगों के लिए एक ऐसा मार्ग बनाना जिसमें लोग अपना योगदान दे कर कुछ असाधारण कर सकें. ओसवाल्ड स्पैगलर ने अपनी पुस्तक 'मैन ऐण्ड टेक्निक्स' (Man and Techniques) में लिखा है कि ‘‘इस युग में केवल दो प्रकार की तकनीक ही नहीं है वरन् दो प्रकार के आदमी भी हैं। जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति में कार्य करने तथा निर्देशन देने की प्रवृति है उसी प्रकार कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी प्रकृति आज्ञा मानने की है। यही मनुष्य जीवन का स्वाभाविक रूप है। यह रूप युग परिवर्तन के साथ कितना ही बदलता रहे किन्तु इसका अस्तित्व तब तक रहेगा जब तक यह संसार रहेगा।’’ शासन करना, निर्णय लेना, निर्देशन करना आज्ञा देना आदि सब एक कला है, एक कठिन तकनीक है। परन्तु अन्य कलाओं की तरह यह भी एक नैसर्गिक गुण है। प्रत्येक व्यक्ति में यह गुण या कला समान नहीं होती है। उद्योग में व्यक्ति के समायोजन के लिए पर्यवेक्षण (supervision), प्रबंध तथा शासन का बहुत महत्व होता है। उद्योग में असंतुलन बहुधा कर्मचारियों के स्वभाव दोष से ही नहीं होता बल्कि गलत और बुद्धिहीन नेतृत्व के कारण भी होता है। प्रबंधक अपने नीचे काम करने वाले कर्मचारियों से अपने निर्देशानुसार ही कार्य करवाता है। जैसा प्रबंधक का व्यवहार होता है, जैसे उसके आदर्श होते हो, कर्मचारी भी वैसा ही व्यवहार निर्धारित करते हैं। इसलिए प्रबंधक का नेतृत्व जैसा होगा, कर्मचारी भी उसी के अनुरूप कार्य करेंगे। स्मिथ ने कहा है- यदि किसी व्यक्ति के पास सुन्दर बहुमूल्य घड़ी है और वह सही तरह से काम नही करती है तो वह उसे मामूली घड़ीसाज को सही करने के लिए नहीं देगा। घड़ी की जितनी बारीक कारीगरी होगी, उसे ठीक करने के लिए भी उतना ही चतुर कारीगर होना चाहिए। कारखाने या फैक्ट्री के विषय में भी यही बात है। कोई भी मशीन इतनी जटिल और नाजुक नहीं और न ही इतना चातुर्यपूर्ण संचालन चाहती है, जितना प्रगतिशील प्रबंध नीति। यह आवश्यक नहीं कि प्रबंध नीति प्रगतिशील हो। आवश्यकता इस बात की होती है कि प्रबंध नीति सुचारू रूप से हो, यदि सुचारू रूप से प्रबंध नीति चलेगी तो प्रगति अपने आप होने लगेगी। नेतृत्व संगठनात्मक संदर्भों के सबसे प्रमुख पहलुओं में से एक है। हालांकि, नेतृत्व को परिभाषित करना चुनौतीपूर्ण रहा है। प्रबंध जगत में नेतृत्व का अपना एक विशिष्ट स्थान है एक संस्था की सफलता या असफलता हेतु काफी हद तक नेतृत्व जिम्मेदार होता है कुशल नेतृत्व के अभाव में कोई भी संस्था सफलता के सोपान ओ को पार नहीं कर सकती है यहां तक भी माना जाता है कि कोई भी संस्था तभी सफल हो सकती है जब उसका प्रबंधन ने नेतृत्व भूमिका का सही निर्वहन करता है फिटर एक ट्रकर के शब्दों में प्रबंधक किसी व्यवसायिक उपक्रम का प्रमुख एवं दुर्लभ प्रसाधन है अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के सफल होने का प्रमुख कारण कुशल नेतृत्व ही है नेतृत्व का अर्थ विद्वानों ने नेतृत्व को भिन्न-भिन्न प्रकार से स्पष्ट किया है। कभी-कभी इसका अर्थ प्रसिद्धि से समझा जाता है। लोकतांत्रिक दृष्टि से इसका अर्थ उस स्थिति से समझा जाता है जिसमें कुछ व्यक्ति स्वेच्छा से दूसरे व्यक्तियों के आदेशों का पालन कर रहे हों। कभी-कभी यदि कोई व्यक्ति शक्ति के आधार पर दूसरों से मनचाहा व्यवहार करवा लेने की क्षमता रखते हो तो उसे भी नेतृत्व के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है। वास्तविकता यह है कि नेतृत्व का तात्पर्य इनमें से किसी एक व्यवहार से नहीं है बल्कि नेतृत्व व्यवहार का वह ढंग होता है जिसमें एक व्यक्ति दूसरों के व्यवहार से प्रभावित न होकर अपने व्यवहार से दूसरों को अधिक प्रभावित करता है। भले ही यह कार्य दबाव द्वारा किया गया है अथवा व्यक्तिगत सम्बंधी गुणों को प्रदर्शित करके किया गया हो।संस्कृत भाषा में नेता शब्द का अर्थ नीयते यः अनेन अर्थात जो दूसरों का नेतृत्व करने की क्षमता रखता हो। इसका अर्थ यह हुआ कि जो व्यक्ति स्वयं को आदर्श रूप में प्रस्तुत करें तथा दूसरे उसका अनुसरण करें वही ने पिंजर (Pingor) ने नेतृत्व को इस प्रकार परिभाषित किया है- ‘‘नेतृत्व व्यक्ति और पर्यावरण के संबंध को स्पष्ट रखने वाली एक धारणा है, यह उस स्थिति का वर्णन करती है जिसमें एक व्यक्ति ने एक विशेष पर्यावरण में इस प्रकार स्थान ग्रहण कर लिया हो कि उसकी इच्छा भावना और अन्तर्दृष्टि किसी सामान्य लक्ष्य को पाने के लिए दूसरे व्यक्तियों को निर्देशित करती है तथा उन पर नियंत्रण रखती है।’’ इस परिभाषा के आधार समीकरण के रूप में इस प्रकार रखा जा सकता है- विशिष्ट पर्यावरण, व्यक्ति की स्थिति, निर्देश, नेतृत्व अर्थात् व्यक्ति एक विशेष पर्यावरण (आर्थिक, धार्मिक आदि) में एक विशेष स्थिति को प्राप्त कर लेता है जो वह अपनी क्षमताओं अथवा गुणों के द्वारा दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करने लगता है। यही नेतृत्व की स्थिति है। लेपियर और फार्न्सवर्थ (Lapiere and Farnisworth) के अनुसार- ‘‘नेतृत्व वह व्यवहार है जो दूसरों के व्यवहार को उससे अधिक प्रभावित करता है जितना कि दूसरे व्यक्तियों के व्यवहार नेता को प्रभावित करते हैं।’’ सीमेन तथा मौरिस (Seemen and Morris) के अनुसार- ‘‘नेतृत्व व्यक्तियों द्वारा दी जाने वाली उन क्रियाओं में है जो दूसरे व्यक्तियों को एक विशेष दिशा में प्रभावित करती हो।’’ किंवाल यंग के अनुसार- ‘‘नेतृत्व की विवेचना प्रभुत्त्व के रूप में की जानी चाहिए।’’ नेतृत्व की विशेषताएं नेतृत्व की विशेषताएं इस प्रकार हैं- 1. नेतृत्व वह विशेष व्यवहार है जिसमें प्रभुत्व, सुझाव तथा आग्रह sabका सम्मिश्रण होता है। 2. नेतृत्व के लिए दो पक्ष नेता और अनुयायी का होना अनिवार्य है। नेता अनुयायियों के व्यवहार को अधिक सीमा तक प्रभावित करता है। 3. नेतृत्व सम्बंधित प्रभाव दबाव युक्त नहीं होता। इसे साधारण तथा स्वेच्छापूर्वक ग्रहण किया जाता है। दबाव केवल नेता के नैतिक प्रभाव का होता है। 4. नेतृत्व अनियोजित न होकर विचारपूर्वक अनुयायियों के व्यवहारों को निश्चित दिशा में मोड़ दिया जाता है। 5. पीगर्स के अनुसार- नेतृत्व पारस्परिक उत्तेजना की प्रक्रिया (Process of mutual stimulation) है। इससे यह स्पष्ट होता है कि नेतृत्व के द्वारा व्यवहारों में किया जाने वाला परिवर्तन उत्तेजना से प्रभावित होता है। 6. नेतृत्व की एक विशेष परिस्थिति (क्षेत्र) होती है। इस प्रकार एक ही व्यक्ति विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से नेतृत्व से प्रभावित हो सकता है। नेतृत्व का महत्त्व प्रत्येक समूह के लिए नेतृत्व की आवश्यकता होती है। चाहे वह राजनैतिक हो या सामाजिक, धार्मिक हो या औद्योगिक। कोई भी समूह बिना नेतृत्व के आस्तित्वहीन होता है। औद्योगिक क्षेत्र में मालिक या कर्मचारी ही नेता का चयन करते है। होना यह चाहिए कि मालिक और कर्मचारी दोनों मिलकर नेता का चुनाव करें। इस प्रकार की आदर्श चयन प्रणाली के द्वारा मालिक और कर्मचारी के बीच के छोटे-छोटे झगड़ों को रोका जा सकता है। इससे समस्याओं का समाधान भी जल्दी हो सकता है। मालिकों तथा प्रबंधकों द्वारा चुना व्यक्ति अधिक स्वामि-भक्ति रखता है और कर्मचारियों के हितों को उपेक्षित कर सकता है। इसके विपरीत कर्मचारियों द्वारा चुना व्यक्ति कर्मचारियों के प्रति उत्तरदायी होता है। इस प्रकार नीति संघर्ष बढ़ने लगता है। इसलिए प्रभावशाली नेतृत्व के लिए आवश्यक है कि मालिक और कर्मचारी दोनों मिलकर योग्य, अनुभवी और व्यवहार कुशल व्यक्ति को नेता चुनें। नेतृत्व को तीन स्तर पर तीन वर्गो में बांटा गया है- (१) उच्चतम स्तर का प्रबंध (Top management), (२) मध्यम स्तर का प्रबंध (Middle management), (३) सम्मुख व्यक्ति का प्रबंध (Front line management)। प्रथम स्तर के प्रबंध में उच्च श्रेणी के बिग बॉस (Big Boss), मध्यम स्तर में केवल बॉस (Boss) तथा तीसरी श्रेणी में फोरमैन या सुपरवाइजर आते है। ये तीनों प्रकार के नेता भिन्न-भिन्न स्तरों पर कार्य करते है। इनके उत्तरदायित्व व कर्त्तव्य भी भिन्न होते है। नेता को अपने पद पर बने रहने के लिए आवश्यक होता है कि वह अपने समूह के प्रत्येक पक्ष पर संबंध बनाए रखने में समर्थ हो। इसलिए सुचारू कार्य के लिए यह आवश्यक होता है कि नेता अपने समूह के कर्मचारियों से हमेशा निकट के संबंध बनाए रखें, इससे नेता और कर्मचारियों के बीच तनाव की स्थिति नहीं आएगी और न ही कोई अन्य समस्याएं उत्पादन को प्रभावित करेंगी। नेता के कार्य समुदाय अनेक प्रकार के होते हैं यथा -- स्थायी , अस्थायी , संगठित , असंगठित आदि । इन समुदायों के अपने - अपने नेता तथा लक्ष्य होते है । इसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समुदाय के सदस्य गण क्रियाशील रहते हैं । इस हेतु वे नेता से आदेश प्राप्त करते हैं व लक्ष्य - प्राप्ति हेतु गतिशील हो जाते हैं । इस प्रकार नेता का प्रमुख कार्य अपने समुदाय के उद्देश्य को प्राप्त करना होता है । नेता समुदाय तथा उसकी नैतिक शक्ति को दृढ़ बनाता है । लेकिन सर्वाधिकारी नेता का कार्य प्रजातांत्रिक नेता से भिन्न होता है । फिर भी नेता का प्रमुख कार्य समुदाय की रचना करना , उसे सुदृढ़ बनाना तथा उसके उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये नीति व योजना आदि का निर्माण करना होता है । नेता के प्रमुख कार्य अधोलिखित हैं ( 1 ) कार्यपालिका का कार्य करना - नेता का प्रमुख कार्य अपने समुदाय का प्रबन्ध करना होता है । समुदाय की क्रियाओं को उचित रूप देने का कार्यभार नेता पर ही रहता है । प्रत्यक्ष रूप से घाहे नेता का हाथ नीति - निर्माण में न हो , परन्तु उस नीति का सही सम्पादन करना नेता का ही कार्य होता है । नेता कार्य को अपने अनुयायियों के बीच बांट देता है और स्वयं उनकी क्रियाओं का निरीक्षण करता है । कभी - कभी समूह के उद्देश्यों को शीघ्र प्राप्त करने के लिये वह उपसमिति का निर्माण भी करता है । इस उपसमिति को वह विशिष्ट कार्य - भार सौंपता है और स्वयं उसकी देखभाल करता है । ( 2 ) योजना तैयार करने का कार्य — नेता समुदाय के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु योजना का निर्माण करता है । इस योजना में वह उद्देश्य - प्राप्ति का उचित मार्ग तथा साधनों को निर्धारित करता है । तत्पश्चात् वह अन्य सदस्यों को बताता है कि किस प्रकार उद्देश्य की प्राप्ति की जाये । भविष्य की सारी बातों को ध्यान में रख कर ही योजना का निर्माण किया जाता है । नेता को इस योजना का रक्षक माना जाता है क्योंकि वह योजना के प्रत्येक अंग को अच्छी तरह समझता है । नेता का उत्थान अथवा पतन इस योजना की सफलता पर निर्भर करता है । ( 3 ) नीति - निर्माण का कार्य करना -योजना - निर्माण के पश्चात् नेता के । समक्ष योजना को कार्यान्वित कराने हेतु समूह की नीति पर दृष्टिपात करना होता है , क्योंकि बिना प्रभावी नीति के योजना की सफलता की सम्भावना संदिग्ध होती है । इसे ध्यान में रखते हुए नेता समुदाय की नीति का निर्माण करता है । यह नीति उद्देश्य तथा योजना को दृष्टिगत रखते हुये ही तैयार की जाती है । ( 4 ) विशेषज्ञ के रूप में कार्य करना - प्रायः यह देखा जाता है कि जो व्यक्ति समुदाय का नेता होता है , उसके उद्देश्यों को अच्छी तरह समझता है । अतः योग्य तथा गुणवान व्यक्ति ही समुदाय का नेता चुना जाता है । योग्य नेता अपने अनुयायियों को उचित परामर्श देने में सक्षम होते हैं । इस प्रकार नेता विशेषज्ञ का कार्य भी करता है । अधिकारियों की भूमिका कारखाने के प्रत्येक कार्य में प्रधान कार्य कर्मचारियों पर ही निर्भर रहता है। कर्मचारी ही कार्य संचालन की महत्वपूर्ण इकाई होता है। भले ही तकनीकी ढंग से प्रशिक्षण प्राप्त हो या नहीं, फिर भी उसी के द्वारा उत्पादन का प्रथम चरण आरंभ होता है। कर्मचारी के बाद सुपरवाइजर फिर कार्य की प्रवृत्ति के अनुरूप विभिन्न प्रकार के एक ऊपर एक अधिकारी होते हैं। अधिकारी के अनेक कार्य होते है। अधिकारी कार्य का सुचारू रूप से संचालन, कर्मचारी की जिम्मेदारियां, उत्पादन की मात्रा, उसका गुण आदि पक्षों को देखता है। दूसरी ओर वह कर्मचारियों को समय-समय पर निर्देश देना, उन पर नियत्रंण रखना, उनके आपसी झगड़ों का निपटारा, उनकी उचित-अनुचित मांगों को ध्यान से सुनना तथा उनका निवारण करना आदि कार्य अधिकारी के कार्य क्षेत्र में आते हो जिन पर अधिकारी को हर समय तत्पर रहना होता है। यदि ऐसा न हुआ तो व्यवस्था में भंग हो जाती हैं। जिससे उत्पादन, कर्मचारी तथा प्रंबधक इससे प्रभावित होते हैं। नेता के रूप में अधिकारी कर्मचारियों के कार्य के निरीक्षण हेतु सुपरवाइजर नेता होते हैं। उत्पादन के लिए यह आवश्यक होता हैं कि कर्मचारी अपने कार्य के साथ समायोजन करें। कर्मचारियों का यह समायोजन अधिकारियों और उनकी शासन प्रणाली पर निर्भर करता है। उद्योगों में अव्यवस्था जैसे हड़ताल, तालाबंदी, कर्मचारी एवं प्रबंधकों के बीच आपसी संबंध आदि ऐसे पक्ष हैं जिनका संबंध कर्मचारी और प्रबंधकों की गलत फहमी से होता हैं। लेकिन जो प्रमुख कारण है वह है बुद्धिहीन नेतृत्व। नेतृत्व ही ऐसा विकल्प है जो कार्य-प्रणाली में संतुलन बनाये रखता है। इस प्रकार का नेतृत्व अधिकारी वर्ग करता है इसलिए अधिकारी या प्रबंधक को नेता की संज्ञा दी जाती है। उद्योग में वेतन तथा अन्य सुविधाएं प्राप्त करने वाले कर्मचारियों में कई कर्मचारी ऐसे होते जो मन लगाकर सम्पूर्ण शक्ति से कार्य करते हैं। जबकि कई कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जो कार्य में बाधा डालते हैं। इसी प्रकार के कर्मचारी नेता के लिए समस्या पैदा करते हैं। ऐसे कर्मचारियों से व्यावहारिक तारतम्य बना लेना ही नेतृत्व की विशेषताएं और शीलगुण हैं। अधिकारियों की मनोवैज्ञानिक भूमिका अधिकारियों को कर्मचारियों के सम्पर्क में रहना चाहिए, उन्हें उद्योग में एक इकाई के रूप में मानना चाहिए। इससे आपसी मतभेद, घृणा, द्वेष आदि को कम किया जा सकता है। कर्मचारी भी अधिकारियों की तरह एक सम्भ्रांत व्यक्ति होता है, उसकी भी अपनी मान-प्रतिष्ठा होती है। अधिकारी ऐसा व्यवहार न करे जिससे कर्मचारी यह महसूस करे कि उसे अलग समझा जा रहा है या उससे दबाब पूर्वक कार्य लिया जा रहा है। अधिकारी को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि कर्मचारी की भी अपनी इच्छाएं होती हैं। वे उद्योग में एक महान शक्ति के रूप में हैं। यह संगठन ही उद्योग की भलाई और उन्नति में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसलिए अधिकारियों व मालिकों को इस संगठन के लिए अच्छे विचार रखने चाहिए जिससे संगठन के अंदर बुरी भावनाएं पैदा न हों। विपरीत जा रहे कर्मचारियों को सही मार्ग-दर्शन देना चाहिए, उनके बीच में विचार गोष्ठी का आयोजन करना चाहिए तथा उनके विचारों को सही दिशा देनी चाहिए। कर्मचारियों के हित की बात अधिकारियों को सोचनी चाहिए तथा उनकी उचित मांगों को ध्यान में रखना चाहिए। कर्मचारियों की मांग वेतन, लाभांश आदि से सम्बंधित होती हैं। अपनी चिकित्सा और निवास सम्बंधी मांगों को भी वे महत्व देते हैं। वे समाजोत्थान की बात भी करते हैं लेकिन उद्योग में अव्यवस्था उत्पन्न करते हैं। तोड़-फोड़, अनशन, हड़ताल आदि सिलसिला चलता रहता है। ऐसी विषम परिस्थितियों में ही प्रबंधकों, मालिकों तथा अधिकारियों को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ती है। कर्मचारी की वृत्तियों तथा मांगों को गम्भीरता से लेना चाहिए। यह याद रहे कि मूल्यवृद्धि के साथ मंहगाई भत्ते की मांग भी उचित है। ऐसी परिस्थितियों में अधिकारियों को चाहिए कि वे कर्मचारियों के साथ विचार गोष्ठी रखें और आपसी विचार-विमर्श द्वारा एक-दूसरे को समझें तथा समझौते के द्वारा समस्या का हल निकालें। हमेशा सही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अधिकारियों की योग्यता एवं गुण इसी बात का परिचालक है कि वे नजदीक से एक-दूसरे को समझें। नेतृत्व की प्रकृति एवं प्रारूप उद्योग में कर्मचारी के कार्य की देखभाल हेतु सुपरवाईजर या निरीक्षक होते है, ये निरीक्षक ही नेता कहलाते हैं। निरीक्षकों की विशेषताएं और सौम्य व्यवहार इस बात पर निर्भर करता है कि कारखाने की नीतियां किस तरह की हैं। इन नीतियों का निर्माण प्रबंधकगण द्वारा किया जाता है। नीतियां इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे कर्मचारियों में विश्वास की भावना जागे। इन नीतियों को कार्य रूप देने वाला निरीक्षक होता है इसलिए यह आवश्यक है कि कारखाने में निरीक्षकों के चुनाव में उनकी ईमानदारी, सहानुभूति, कार्य के प्रति लगन तथा सभी अच्छे गुणों को महत्व दिया जाए। योग्य निरीक्षक ही कर्मचारियों और कार्य के बीच संतुलन स्थापित कर सकता है। व्यवहारकुशल और सहनशील निरीक्षक कर्मचारियों पर विशिष्ठ छाप छोड़ते हैं। वे इच्छानुसार कर्मचारियों से कार्य करवाने में सफल होते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि निरीक्षक अधिक बुद्धिमान हो लेकिन यह आवश्यक है कि निरीक्षक को व्यवहारकुशल होना चाहिए, निरीक्षक को प्रशिक्षित होना चाहिए। नेतृत्व-प्रशिक्षण यदि निरीक्षक प्रशिक्षित होता है तो कर्मचारियों से समायोजन स्थापित करने में आसानी होती है। इसलिए नियुक्ति पद निरीक्षक को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। प्रशिक्षित और अनुभवी निरीक्षक एक कुशल नेता ही नहीं वरन् वह कठिन परिस्थितियों में भी समस्या का समाधान किर सकता है। ऐसा कुशल जनतांत्रिक नेता कर्मचारियों के साथ समझौते या मन-मुटाव के समय अपनी प्रतिष्ठा को आगे नहीं आने देता। वह अपने संवेगों पर नियंत्रण करता है और निष्पक्ष व्यवहार करता है। सज्जन, ईमानदार व मेहनती कर्मचारियों को महत्व देता है, उन कर्मचारियों को उत्पीड़न से बचाता है। कर्मचारियों को अधिक से अधिक सुविधाएं प्रदान करता है तथा उसे आवश्यकता से अधिक भावुक, संवेदनशील और संवेगात्मक नहीं होना चाहिए। विचार-विमर्श में निपुणता तथा तर्कपूर्ण ढंग से कर्मचारियों से अपने विचारों को स्वीकार करा लेने की क्षमता हो। कर्मचारी और मालिक के बीच तनाव की स्थिति पैदा होने पर उसे दोनों की मध्यस्थता करते हुए समस्याओं के समाधान हेतु पर्याप्त योग्यता होनी चाहिए। कर्मचारियों के विचारों में तालमेल बिठाने की योग्यता हो। अधीनस्थ कर्मचारियों को यह महसूस कराने में सक्षम हो कि कर्मचारी उसे अपना ही एक भाग समझे। उद्योग में सफल नेता के गुण क्रेग एवं चार्ट्स ने एक सफल नेता ने निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक माना है- 1. समर्थता (Forcefulness) अर्थात् नेता में यह कौशल हो कि वह कर्मचारी से काम ले सके। 2. नेता में ऐसे गुण होने चाहिए जिससे कर्मचारी उसको सम्मान दे सके। 3. नेता का कर्मचारियों से पक्षपात रहित व्यवहार होना चाहिए। 4. नेता को प्रशिक्षित होना चाहिए, अनुभवी होना चाहिए जिससे वह कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित कर सके। 5. कर्मचारियों के साथ वादिता रखने वाला हो तथा किसी भी कर्मचारी से दूसरे कर्मचारी की बुराई न करें। 6. उसमें सरल आत्मविश्वास होना चाहिए, ताकि विषय प्रतिस्थितियों में भी वह अपने को कमजोर न समझे। 7. नेता में अपने क्र्रोध को नियंत्रित करने की क्षमता होनी चाहिए। 8. उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कर्मचारी उसके आदेशों का पालन कर रहे है या नहीं। 9. अथीनस्थ कर्मचारियों के उचित को भी मानने वाला तथा अपनी योग्यता और सुझावों द्वारा कर्मचारियों से कार्य लेने की क्षमता हो। 10. बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से कर्मचारियों को डांटने की क्षमता तथा समय आने पर उनकी प्रशंसा करने की योग्यता हो। 11. परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता हो। ब्लम (Blum) ने पांच सिद्धातों का वर्णन किया है। उनके अनुसार सफल नेता को निम्न पाँच सिद्धातों अन्तर्गत कार्य करना चाहिए- 1. कार्य का उचित मूल्याकंन 2. अधिकारियों का पर्याप्त मात्रा में प्रतिनिधित्व। 3. समस्त कर्मचारियों के साथ समान व उचित व्यवहार। 4. जब कभी कर्मचारी मिलना चाहे तो उसे अपना समय देना। 5. कर्मचारियों की समस्याओं का प्रबंधकों और मालिकों से विस्तार में विचार-विमर्श करना। इस संदर्भ में ब्लम एक सफल नेता के लिए ऐसे कार्य न करने के लिए निर्देश देते हैं जिससे कर्मचारी और नेता के बीच दूरी बनी रहे। वे कार्य है- 1. कर्मचारियों की इज्जत करना- नेता को चाहिए कि वह कर्मचारियों पर अपनी श्रेष्ठता का प्रभाव न डाले। उनके सामने ऐसा प्रदर्शन न करे कि वह सबसे योग्य, अधिक वेतन भोगी और अनुभवी है। नेता को चाहिए कि वह अपनी तकनीकी योग्यता द्वारा कर्मचारियों की जटिलताओं का निवारण करे। जिससे कर्मचारी स्वयं यह अनुभव करे कि उनका नेता वास्तव में एक योग्य तकनीकी व्यक्ति है। 2. नेता को चाहिए कि वह कर्मचारी के किसी भी कार्य मे बाधा न डाले। अकारण बाधा से वह हतोत्साहित हो जाता है और कार्य में रूचि नहीं ले पाता है। इससे मशीन को नुकसान हो सकता है या किसी दुर्घटना की संभावना बढ़ सकती है। कर्मचारियों को उचित तरीके से समझाना चाहिए ताकि कर्मचारी को यह विश्वास न हो कि नेता उनके कार्य में कमी निकाल रहा है। 3. कर्मचरियों में अनुशासन को बनाए रखने के लिए पक्षपात रहित व्यवहार करना चाहिए। जो नेता कुछ कर्मचारियों को अपना कृपापात्र बना लेते हैं, उससे न तो उद्योग में सफल होते हो न ही संतुलन व अनुशासन बन पाता है। 4. कर्मचारियों को ऐसे आदेश न दें जो अस्पष्ट हों या जो मानसिक तनाव पैदा करने वाले हों। यदि नेता ऐसा करता है तो उसके तथा कर्मचारियों के बीच द्वन्द्वात्मक स्थिति पैदा हो जाती है और संघर्ष की स्थिति चालू हो जाती है। गलती से कभी कोई त्रुटिपूर्ण सुझाव या आदेश दिए जाने पर उसे स्वीकार करना अधिक लाभदायक रहता है। उसे मुद्दे पर बहस नहीं करनी चाहिए तथा न ही कर्मचारियों पर दोष लगाना चाहिए। एक सफल नेता के लिए आवश्यक है कि वह न ही जल्दी में आदेश दे और न ही जल्दी में अकारण अपने सुझावों को ध्यान करे। 5. नेता को चाहिए कि वह कर्मचारियों की आलोचना न करे, उसे एकान्त में समझाए। किसी के सामने डांट फटकार न करे। इससे कर्मचारी का अहं सुरक्षित रहता है तथा वह अपमान महसूस नहीं करता है। जनतांत्रिक नेता के कार्य एक जनतांत्रिक नेता के निम्न कार्य हैं- समस्याओं की ओर ध्यान देना- नेता को चाहिए कि वह कर्मचारी की समस्याओं पर ध्यान दे, इससे कर्मचारी में निराशा की स्थिति पैदा नहीं होती। यदि उनकी समस्याओं को नजरअन्दाज किया जाता है या उन्हें दबाने का प्रयास किया जाता है तो कर्मचारी पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए उनकी समस्याओं पर उचित विचार-विमर्श करना चाहिए। सामूहिक बैठक - नेता को कर्मचारियों के साथ में सामूहिक बैठक का आयोजन करना चाहिए। जिसमें कर्मचारियों के विचारों को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए तथा अपने सुझाव देने चाहिए। कर्मचारियों को सामूहिक कार्य करने की प्रेरणा देनी चाहिए। समूह में बैठकर कर्मचारियों की समस्याओं पर विचार-विमर्श का आदान-प्रदान करना चाहिए। निश्चित उद्देश्य की जानकारी देना - कर्मचारियों को उनके समूह के उद्देश्य की भलीभांति जानकारी देनी चाहिए। साथ में यह भी आवश्यक है कि उद्देश्य तक पहुंचने वाले साधनों में किसे, किस तरह अपनाया जाय आदि कार्य जन तांत्रिक नेता को करने चाहिए। इससे कर्मचारी को लक्ष्य प्राप्ति के लिए उचित कार्यों की जानकारी हो जाती है। कार्यक्षमता के मापदण्ड निश्चित करना - जनतांत्रिक नेता को चाहिए कि वह कर्मचारियों की कार्यक्षमता के मापदण्ड निश्चित कर दे और उससे परिचित करा दे। उचित निर्णय - नेता को चाहिए कि वह उचित निर्णय ले और कर्मचारियों को भी वे निर्णय मान्य हों। कर्मचारी वर्ग यदि निर्णयों में शंका व्यक्त करे तो उसे यह भी बताना चाहिए कि वे अपनी शंका का समाधान सामूहिक बैठक में कर सकते हैं। प्रेरणा देना - कर्मचारी को इस बात का आभास करना चाहिए कि उसकी कठिन मेहनत, ईमानदारी आदि से उत्पादन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इससे संस्था की प्रगति होती है। जिसमें कर्मचारियों की ही प्रगति है। इस प्रगति के लिए कर्मचारियों को विशेष पारितोषिक, आर्थिक लाभांश, पदोन्नति आदि दिए जाने की चर्चा करना, जनतांत्रिक नेता का कार्य है। इससे कर्मचारी को एक प्रकार की राहत मिलती है, वह कार्य के प्रति उत्साहित होता है। नेतृत्व के नियम उद्योग में नेता की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने व्यवहार में कुछ मूलभूत नियमों को भी शामिल करे। इससे कर्मचारी और नेता के बीच सन्तुलन बना रहता है। कुछ नियम इस प्रकार हैं- समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनना- कर्मचारियों की अपनी समस्याएं होती हैं जिन्हें नेता के सम्मुख रखते हैं। ऐसे में यदि नेता उत्तेजित हो जाता है तो कर्मचारी अपनी बात को पूरा नहीं बता पाता है। इससे कर्मचारी हतोत्साहित हो जाता है। इसलिए कर्मचारी को बात करते समय बीच में भी नहीं टोकना चाहिए या उसे रोकना नहीं चाहिए। इससे कर्मचारी के मन में उपेक्षा का भाव पैदा होता है। इसके विपरीत कर्मचारी की बातों को शांतिपूर्वक एवं धैर्यता से सुनना चाहिए। इससे कर्मचारी का विश्वास अपने नेता के प्रति बना रहता है। वे नेता की अवहेलना भी नहीं करते हैं। सोच समझकर निर्णय लेना - नेता को चाहिए कि वह कोई भी निर्णय लेने में जल्दबाजी न करे। सोच-समझकर लिया हुआ निर्णय बाधक नहीं बनता है। इससे कई समस्याओं को उचित तरीके से सुलझाया जा सकता है। कर्मचारियों को हतोत्साहित न करना - यदि नेता कर्मचारियों को हतोत्साहित करेगा तो निश्चित ही उसका प्रभाव उद्योग में पड़ेगा। कर्मचारियों को समय-समय पर उत्साहित करना चाहिए ताकि कर्मचारी अपने कार्य के प्रति जागरूक रह सकें। यदि कर्मचारी अपनी समस्या लेकर आता है तो भी उसे डांट-फटकार नहीं देनी चाहिए। वरन् उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए। नेता कम से कम संवेदनशील व संवेगशील हो - उद्योग में प्रायः नेता के सामने सम तथा विषम परिस्थिति आती रहती है। यदि नेता इन परिस्थितियों में ही अपने को समाहित कर ले तो वह उद्योग के लिए अच्छा नहीं होगा। नेता की शिकायत अधिकतर संवेगपूर्ण होती है। ऐसे में यदि नेता स्वयं पर नियंत्रण न रखकर कर्मचारियों के साथ संवेगपूर्ण ढंग से व्यवहार करे तो समस्या और भी उलझ सकती है। इसके विपरीत यदि कर्मचारी पर आवश्यकता से अधिक संवेदना करता है तो भी कर्मचारी इसका लाभ उठा सकते हैं। इसलिए नेता को विवेकपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। नेता स्वयं वाद-विवाद से बचा रहे - प्रायः देखा जाता है कि वाद-विवाद वैमनस्यता पैदा करता है। इसलिए नेता को कर्मचारियों के साथ वाद-विवाद से बचना चाहिए। अधिक वाद-विवाद से कर्मचारी भी अपने को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। कर्मचारियों को आज्ञाएं दी जा सकती हैं। उन्हें थोपने का प्रयास नहीं करना चाहिए, इससे कर्मचारी एक अतिरिक्त बोझ समझने लगता है। कर्मचारियों की प्रशंसा करना- कर्मचारी उद्योग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। नेता को चाहिए कि वह समय आने पर उसकी प्रशंसा करे। प्रशंसा सबके सामने हो। इससे कर्मचारी प्रसन्नता का अनुभव करता है। उसका मनोबल इससे बढ़ता है। वह अपने कार्य को मेहनत तथा लगन से करने लगता है। इसके विपरीत यदि कर्मचारी की बुराइयों को सबके सामने कहा जाय तो कर्मचारी की स्थिति तनावपूर्ण होगी। उसका प्रभाव उद्योग पर पड़ेगा। इसलिए नेता कर्मचारी की बुराइयों को एकान्त में कहे इससे कर्मचारी का अहम सुरक्षित रहता है। अधिकारियों से संबंधित अनुसंधान हाउजर (J. D. Houser) नामक मनोवैज्ञानिक ने अधिकारियों के मनोविज्ञान को समझने के लिए प्रश्नावली तैयार की। इससे यह जानने का प्रयास किया गया कि अधिकारी जो कि औद्योगिक वातावरण से घिरे रहते हैं और जिनका कर्मचारियों से सीधा संपर्क रहता है तो उनकी मनोदशा क्या होगी? यह प्रश्नावली इस प्रकार है- 1. औद्योगिक क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं क्या है? 2. एक अधिकारी के रूप में कर्मचारियों के प्रति क्या दायित्व होने चाहिए? इसी प्रकार के कई प्रश्न बनाए गए। इन प्रश्नों से जो उत्तर सामने आए उनका विश्लेषण करने पर निम्न जानकारी प्राप्त हुई- 1. आशंका तथा भय की स्थिति - अधिकारी वर्ग, नेता आदि को एक विशेष प्रकार का भय बना रहता है। अधिकारी हमेशा इसलिए आशंकित रहता है कि कर्मचारियों की संख्या ज्यादा होती है। यदि वे संगठित हो जाएंगे तो वे मालिकों को किसी प्रकार का कष्ट पहुंचा सकते हैं। अधिकारी वर्ग इसलिए भी भयभीत रहता है कि यदि कर्मचारियों पर कार्य के लिए दबाब डाला जाए तो भी कर्मचारी उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। 2. अधिकार से संबंन्धित आत्मसंतोष की भावना- उद्योग में असंतोष का कारण होता है अधिकारी का तानाशाहपूर्ण व्यवहार। वह अधिकारी अधिक संतुष्ट रहता है तो तानाशाही पर अधिक विश्वास करता है। जबकि वे अनायास रूप से दबाव और कुंठा की स्थिति में रहते हैं। तानाशाही का मूल होता है- अधिकार लिप्सा। इससे आए दिन हड़ताल होती रहती है, जिससे उत्पादन का स्तर गिर जाता है। 3. आत्म-अभिव्यक्ति- अधिकारी प्रायः अन्य अधिकारियों की परवाह के बिना अपनी तथा प्रबंधकों की नीति के विरुद्ध अपनी आत्माभिव्यक्ति के लिए अनुचित कदम उठा लेते हैं। इस कारण अन्य प्रबन्धकों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। 4. सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति उदासीनता- अधिकारियों को चाहिए कि वह कर्मचारियों की समस्याओं का विश्लेषण सामाजिक पर्यावरण को दृष्टि में रखते हुए करें। कर्मचारियों की सामाजिक परेशानियों को कार्यदक्षता और उत्पादन से जोड़ना चाहिए, अधिकारी को सदैव इस बात के प्रति जागरूक रहना चाहिए जिससे कर्मचारी का सामाजिक समायोजन और पारिवारिक संतुलन बना रहे। नेतृत्व के सिद्धांत नेतृत्व की शैलियाँ नेतृत्व प्रदर्शन अतीत में, कुछ शोधकर्ताओं ने तर्क दिया है कि संगठनात्मक परिणामों पर नेताओं का वास्तविक प्रभाव अहंकारी है और नेताओं की पक्षपाती विशेषताओं के परिणामस्वरूप वह औपन्यासिक हो गया है (मिंडिल और एहरलिच, 1987). इन दावों के बावजूद, यह काफी हद तक मान्यता प्राप्त है और अभ्यासकर्ता और शोधकर्ताओं द्वारा स्वीकार किये जाते हैं। उनका मानना है कि नेतृत्व महत्वपूर्ण है और अनुसंधान की धारणा है कि नेता महत्वपूर्ण संगठनात्मक परिणामों में योगदान कर समर्थन करते हैं (डे और लार्ड, 1988, कैसर, होगन और क्रेग, 2008). सफल प्रदर्शन को सुगम बनाने के लिए नेतृत्व प्रदर्शन को समझना और मापना जरूरी है। कार्य प्रदर्शन आमतौर पर उस व्यवहार को दर्शाता है जो संगठनात्मक सफलता (कैम्पबेल, 1990) में योगदान देता है। (कैम्पबेल,1990) कैम्पबेल ने विशिष्ट प्रकार के प्रदर्शन आयामों को पहचाना, इनमें से नेतृत्व आयाम एक है। नेतृत्व प्रदर्शन की कोई निश्चित और समग्र परिभाषा नहीं है। (युक्ल, 2006) नेतृत्वप्रदर्शन की ओट में कई विशिष्ट धारणाएं आ जाती हैं, जैसे - नेता की प्रभावशीलता, नेता की उन्नति, नेता का उद्भव (कैसर एट अल, 2008). उदाहरण के लिए, नेतृत्व प्रदर्शन का प्रयोग, व्यक्तिगत नेता की सफलता, समूह या संगठन के प्रदर्शन या नेता के उद्भव के लिए होता है। इनमें से प्रत्येक उपाय की धारणा अलग है। हालांकि ये पहलु एक दूसरे से संबंधित हो सकते हैं, उनके परिणाम अलग हो सकते हैं और उनका समावेश आवेदन / अनुसंधान केंद्रीभूत होने पर निर्भर होता हैं। नेतृत्व के संदर्भ संगठनों में नेतृत्व एक संगठन जो साधन के रूप में स्थापित है या परिभाषित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए गठित है तो उसे औपचारिक संगठन कहा जा सकता है। इसका नमूना इस बात को निर्दिषित करता है कि किस तरह एक संगठन में लक्ष्यों को वर्गीकृत और निर्दिष्ट करते हैं जो संगठन के उपविभागों में परिलक्षित होता है। प्रभागों, विभागों, वर्गों, स्थिति, रोजगार और कार्य, कामसंरचना बनाते है। इस प्रकार, औपचारिक संगठन को ग्राहकों या अपने सदस्यों के साथ अव्यक्तिगत रूप से पेश आना चाहिए.वेबर की परिभाषा के अनुसार, प्रवेश और बाद की प्रगति योग्यता या वरिष्ठता के द्वारा होती है। प्रत्येक कर्मचारी एक वेतन प्राप्त करता है और कार्यकाल का एक डिग्री हासिल करता है जो वरिष्ठों या शक्तिशाली ग्राहकों का मनमाने प्रभाव से निगरानी करता है। पदानुक्रम में जैसे उसकी स्थिति होगी वैसी ही संगठन के निम्न स्तर के कार्य को सम्पन्न करने में उसकी अनुमानित विशेषज्ञता समस्याओं को सुलझाते समय उत्पन्न हो सकती है। यह एक नौकरशाही संरचना है जो संगठन में प्रशासनिक प्रभागों के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए आधार होता है और अपने प्राधिकारों से जुडा रहता है। एक इकाई के नियत प्रशासनिक अध्यक्ष या प्रमुख के विपरीत एक नेता औपचारिक संगठन के अधीन स्थित अनौपचारिक संगठन से उभर कर आता हैं। अनौपचारिक संगठन व्यक्तिगत सदस्यता के निजी उद्देश्य औरलक्ष्य को व्यक्त करता है। उनके उद्देश्य और लक्ष्य औपचारिक संगठन के साथ मेल खा भी सकते हैं या नहीं भी खा सकते हैं। अनौपचारिक संगठन एक विकसित सामाजिक ढांचों का प्रतिनिधित्व करता है जो प्रायः मानव जीवन में अचानक उद्भूत होने वाले समूहों और संगठनों के समान उद्भव होते हैं और अपने आप में ही समाप्त हो जाते हैं। प्रागैतिहासिक काल में, आदमी अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा, रखरखाव, सुरक्षा और जीवन निर्वाह करने में व्यस्त था। अब आदमी अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा संगठनों के लिए काम करने में बिताता है। उसको सुरक्षा, संरक्षण, अनुरक्षण प्रदान करने वाले एक समुदाय को पहचानने की उसकी चाह और अपनेपन की भावना प्रागैतिहासिक काल से अपरिवर्तित ही बनी हुई है। यह जरूरत अनौपचारिक संगठन और इसकी, आकस्मिक या अनधिकृत, नेताओं के द्वारा पूरी होती है। अनौपचारिक संगठन के ढांचे के भीतर से ही नेता उभरते हैं। उनके व्यक्तिगत गुण, स्थिति की मांग, या इन दोनों का संयोजन और अन्य पहलू अनुयायियों को आकर्षित करते हैं जो एक या कई उपरिशायी संरचनाओं में उनके नेतृत्व को स्वीकार करते हैं। एक प्रधान या अध्यक्ष द्वारा नियुक्त होकर एक आकस्मिक नेता अपने अधिकारों के बजाय, प्रभाव और शक्ति को संभालता है। प्रभाव एक व्यक्ति की क्षमता है जो दूसरों के सहयोग, अनुनय और पुरस्कार पर नियंत्रण के माध्यम से हासिल किया जाता है। अधिकार प्रभाव का एक मजबूत विधान है क्योंकि यह एक व्यक्ति की क्षमता, उसके कार्यों से सज़ा को नियंत्रण करता है। नेता एक ऐसा आदमी है जो एक विशिष्ट परिणाम के प्रति लोगों के एक समूह को प्रभावित करता है। यह अधिकार या औपचारिक अधिकार पर निर्भर नहीं है। (एलिवोस, नेताओं के रूपांतरण, बेन्निस और नेतृत्व की उपस्थिति, हल्पेर्ण और लुबर). नेताओं की पहचान, अन्य लोगों की देखभाल के लिए उनकी क्षमता, स्पष्ट संचार और एक प्रतिबद्धता से होती है। एक व्यक्ति जो एक प्रबंधकीय स्थिति के लिए नियुक्त किया जाता है उसके पास अधिकार होता है कि वह आज्ञा दे सकें और वह अपने अधिकार की स्थिति को लागू करता है। उसके अधिकारों से मेल खाती हुईं उसकी पर्याप्त व्यक्तिगत विशेषताएँ होनी चाहिए, क्योंकि अधिकार से ही उसमे सक्रियता होती है। पर्याप्त व्यक्तिगत योग्यता के अभाव में एक प्रबंधक जो एक आपात नेता द्वारा जिस भूमिका को चुनौती दे सकता है उस संगठन में उसकी भूमिका को उसके कल्पित सरदार से कम सामना किया होता है। बहरहाल, पद का अधिकार औपचारिक प्रतिबंधों का समर्थन करता है। ऐसा लगता है कि जो कोई भी व्यक्तिगत पद या अधिकार संभालता है, वह न्यायसंगत रूप से केवल पदानुक्रम में औपचारिक स्थिति, अनुरूप प्राधिकारी रूप से, प्राप्त करता है। नेतृत्व की परिभाषा दूसरे लोगों की इच्छानुसार चलाने की क्षमता है। हर संगठन को हर स्तर पर नेताओं की जरूरत है। नेतृत्व बनाम प्रबंधन अनेक वर्षों से प्रबंधन और नेतृत्व का सम्बन्ध इतने निकट का रहा है कि आम तौर पर लोग उन को एक दूसरे का पर्याय मानने लगे हैं। हालांकि, यह मामला विचारणीय नहीं है कि अच्छे प्रबंधकों में नेतृत्व कौशल और अच्छे नेताओं में अच्छे प्रबंधक गुण होते हैं। मन में इस विचार के साथ, नेतृत्व को इस रूप में देखा जा सकता है: केंद्रीकृत या विकेन्द्रीकृत विस्तृत या केंद्रित निर्णय उन्मुख या मनोबल केंद्रित आंतरिक या किसी प्राधिकारी से प्राप्त कोई भी द्विध्रुवी नाम की परंपरागत शैली जो प्रबंधन के लिए लागू होती है वह नेतृत्व शैली के लिए भी लागू होती है। हेर्सेय और बलानचार्ड इस दृष्टिकोण का उपयोग करते हैं : उनका दावा है कि प्रबंधन नेतृत्व व्यापार की स्थितियों से पूर्ण होता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो प्रबंधन व्यापक नेतृत्व प्रक्रिया का ही एक भिन्न रूप है। वे कहते हैं कि : "नेतृत्व तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी भी समय या असमय, बिना किसी कारण के किसी एक व्यक्ति या समूह के व्यवहार को प्रभावित करने का प्रयास करता है। प्रबंधन एक प्रकार का नेतृत्व है जिसमें संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति सर्वोपरि होता है।" वॉरेन बेन्निस और दान गोल्डस्मिथ के अनुसार एक अच्छा प्रबंधक सब कार्य ठीक करता है . एक नेता सही कार्य करता है। हालांकि, प्रबंधन और नेतृत्व के बीच स्पष्ट अंतर भी उपयोगी साबित हो सकता है। यह नेतृत्व और प्रबंधन के बीच पारस्परिक संबंधों की अनुमति देता है, एक प्रभावी प्रबंधक में नेतृत्व कौशल होने चाहिए और एक प्रभावी नेता में प्रबंधन कौशल होने चाहिए. एक स्पष्ट अंतर निम्नलिखित परिभाषा प्रदान कर सकता है: पद के अनुसार प्रबंधन की स्थिति में अधिकार प्राप्त है। नेतृत्व में प्रभाव से अधिकार आते है। इब्राहीम ज़लेज्निक (1977), ने नेतृत्व और प्रबंधन के बीच मतभेदों को चित्रित किया है। उसने नेताओं को प्रेरणादायी दूरदर्शी कहा है जो त्तत्व के बारे में चिंतित रहते हैं जबकि प्रबंधक अच्छे नियोजक हैं जो प्रक्रियाओं को लेकर चिंतित रहते है। वॉरेन बेन्निस (1989) ने प्रबंधकों और नेताओं के बीच निर्देशों का विस्तार किया है। उन्होंने दोनों के बीच बारह भेद बताए हैं : प्रबंधक प्रशासन चलाते है; नेता नवीनताएँ लाते है। प्रबंधक पूछते हैं - कैसे और कब; नेता पूछते हैं - क्या और क्यों. प्रबंधक प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं ; नेता लोगों पर ध्यान केंद्रित करते है। प्रबंधक काम सही करते हैं, नेता सही काम करते हैं। प्रबंधक बनाये रखते हैं ; नेता विकास करते हैं। प्रबंधक नियंत्रण पर निर्भर करते हैं ; नेता भरोसा प्रेरित करते हैं। प्रबंधक के पास अल्पकालिक परिप्रेक्ष्य होते हैं ; नेता के पास दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य होते हैं। प्रबंधक एक स्तर को बनाए रखते हैं, नेता स्तर को चुनौती देते हैं। प्रबंधक की नजर निम्न पंक्ति पर होती हैं, नेता की नजर क्षितिज पर होती है। प्रबंधक नकल करते हैं ; नेता नया कर दिखाते हैं। प्रबंधक एक अच्छे सिपाही का अनुकरण करते हैं ; नेता अपने आप में निराले होते हैं। प्रबंधक अनुकरण करते हैं; नेता मौलिकता दिखाते हैं। पॉल बिर्च (1999) भी नेतृत्व और प्रबंधन के बीच अंतर को स्पष्ट करते है। वे कहते हैं कि एक व्यापक सामान्यकरण के रूप में प्रबंधक कार्यों के साथ सम्बन्ध रखते हैं जबकि नेता लोगों के साथ संबंध रखते हैं। बिर्च ने नेता कार्य "पर ध्यान केंद्रित नहीं करते, ऐसा सुझाव नहीं दिया. वास्तव में वे चीजें जिससे एक नेता महान बनते हैं इस तथ्य को उजागर करते हैं कि वे उन्हें प्राप्त करते हैं। प्रभावी नेता रचना करते हैं, उसे कायम रखते हैं, लागत नेतृत्व की प्राप्ति, राजस्व नेतृत्व, समय नेतृत्व, बाजार मूल्य नेतृत्व के माध्यम से प्रतियोगी लाभ को बनाए रखते हैं। प्रबंधक आम तौर पर नेता की दूरदृष्टि का एहसास कर उसका पालन करते हैं। अंतर इतना ही है कि नेता कार्य की उपलब्धि, सद्भावना और दूसरों के समर्थन (प्रभाव) के माध्यम से प्राप्त करते हैं जबकि प्रबंधक ऐसे नहीं करते है। यह सद्भावना और समर्थन नेता में लोगों के रूप में लोगों को देख कर पैदा होती है, ना कि उसे एक संसाधन के रूप में देख कर नहीं.प्रबंधक अक्सर कुछ करवाने के लिए संसाधनों का आयोजन करता है। इन संसाधनों में लोग प्रमुख है और खराब प्रबंधक लोगों को एक और विनिमय वस्तु के रूप में देखते है। एक नेता दूसरों को राह दिखाने की भूमिका अदा करते हैं ताकि वे एक दृष्टि को केन्द्रित कर एक कार्य को संपन्न करें.अक्सर लोग कार्य को दर्शन के अधीनस्थ देखते हैं। उदाहरण के लिए, एक संगठन समग्र कार्य को पूर्ण कर लाभ देखता है पर एक अच्छा नेता लाभ को एक उप-उत्पादन के रूप में देखता हैं जो उसके उत्पाद की दृष्टि से प्रवाहित होते हैं, ताकि उनकी कंपनी प्रतियोगिता से अलग रहे. नेतृत्व न केवल स्वयं को प्रकट करता है परन्तु पूरी तरह एक व्यावसायिक घटना के रूप में प्रकट होता है। बहुत से लोग एक प्रेरणादायक नेता के बारे में सोच सकते हैं जिनका कारोबार से कोई लेना देना नहीं है : एक राजनीतिज्ञ, सशस्त्र बलों का अधिकारी, एक स्काउट गाइड या नेता, एक शिक्षक, आदि. इसी प्रकार प्रबंधन केवल विशुद्ध कारोबार घटना नहीं है। फिर हम यहाँ उन लोगों के कुछ उदाहरण देख सकते हैं जो प्रबंधन को अव्यापारिक संगठनों के आला को पूर्ण करता है। अव्यापारिक संगठन बिना पैसों के प्रेरणा देने वाली दृष्टी को समर्थन देता है। हालांकि, कई बार यह घटित नहीं होता है। पेट्रीसिया पिचर (1994) ने नेताओं और प्रबंधकों के वर्गीकरण को चुनौती दी है। उन्होंने एक कारक विश्लेषण (विपणन में) तकनीक का प्रयोग 8 वर्षों से एकत्रित आंकड़े पर किया। वे इस तथ्य पर पहुँचीं कि नेता तीन प्रकार के होते हैं : हरेक नेता अलग मनोवैज्ञानिक रूपरेखा लिए हुए होते हैं : कलाकार (कल्पनाशील, प्रेरक, दूरदर्शी, उद्यमशील, निडर, सहज ज्ञान युक्त और भावनात्मक) संपन्न होते हैं, शिल्पकार (संतुलित, स्थिर, उचित, समझदार, पूर्वानुमानित और विश्वसनीय) होते हैं, तकनीकज्ञ (प्रमस्तिष्क, विस्त्रित्केंद्रिय, दुराराध्य, असम्मत और हठी) होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति की रूपरेखा नेतृत्व शैली के लिए पर्याप्त नहीं है। अगर हम एक नेता बनाना चाहते हैं तो एक 'कलाकार नेता' को बनाना चाहिए, अगर हम स्थिति को मजबूत करना चाहते है तो एक 'शिल्पकार नेता' को बनाना चाहिए, अगर हमारे पास एक बदसूरत नौकरी है जिसे हमे जकड़ी के द्वारा जल्दी करना है तो एक 'तकनीकज्ञ नेता' को खोजना होगा.पिचर ने यह भी कहा है कि एक संतुलित नेता बहुत मुश्किल से मिलते है, किसी भी नेता में ये सभी तीन आभास है, उनके अपने अध्ययन काल में उन्हें कोई भी ऐसा नहीं मिला. ब्रूस लिन्न 'नेतृत्व' और 'प्रबंधन' के बीच तथ्यों को उजागर करते हैं। विशेष रूप से, "एक नेता अवसर को उभार कर लेते हैं, एक प्रबंधक नकारात्मक जोखिमों को कम करता चलता है।" उन्होंने कहा कि एक सफल कार्यशाली को उद्यम और उसके संदर्भ में पूरी तरह से संतुलन बनाये रखनी है। बिना प्रबंधन के नेतृत्व के कदम आगे नहीं बढ़ते हैं, लेकिन बिना प्रबंधन के नेतृत्व को कुछ कदम पीछे ले जाती है। प्रबंधन के बिना नेतृत्व पीछे जाता है, लेकिन आगे नहीं बढ़ता. एक समूह द्वारा नेतृत्व व्यक्तिगत नेतृत्व के बजाय, कुछ संगठनों ने समूह नेतृत्व को अपनाया है। इस स्थिति में, एक से अधिक व्यक्ति समूह के लिए दिशा प्रदान करते है। कुछ संगठनों ने इसे इस उम्मीद से अपनाया है, ताकि वे रचनात्मकता में बाधा कर सकें, लागत को कम कर सकें और आकार को कम कर सकें.कुछ लोग पारंपरिक नेतृत्व को देखते हैं जिसमें एक समूह प्रदर्शन के समय मालिक पर बहुत अधिक लागात आती है। कुछ स्थितियों में, मालिक का रखरखाव भी महंगा हो जाता है - या तो समूह के रूप में सारे संसाधन ख़त्म हो जाते हैं या अनजाने में पूरे दल की रचनात्मकता को ख़त्म कर देता है।[52] उदाहरण के लिए एक समूह के नेतृत्व में कई कार्य संलग्न होते हैं। विविध कौशल से पूर्ण एक दल संगठन के सभी हिस्सों से एकत्रित होकर एक परियोजना का नेतृत्व करते हैं। एक दल की संरचना समान रूप से अधिकारों को सभी मुद्दों पर साझेदार के रूप में देती है, आमतौर पर यह नेतृत्व बदलते हुए चलता है .इस दल के सदस्य (ओं) परियोजना के किसी भी चरण को संभाल सकते हैं। ओग्बोंनिया (2007) के अनुसार, "प्रभावी नेतृत्व की इतनी क्षमता होती है कि वे सफलतापूर्वक एकीकृत होकर उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हैं और संगठनात्मक या सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति करते हैं। ओग्बोंनिया के अनुसार एक प्रभावी नेता वह व्यक्ति है जो अपनी क्षमता से लगातार सफलता हासिल करते हुए किसी भी परिस्थिति में एक बैठक और संगठन की अपेक्षाओं को पूर्ण करता है। इसके अतिरिक्त क्योंकि हर एक दल के हर आदमी को अवसर दिए जाते हैं इसलिए वे उच्च स्तर पर सशक्तिकरण का अनुभव करते हैं और उनके कर्मचारी को सफलता प्रदान करने में शक्ति प्रदान करते हैं। जिस नेता में लगन, दृढ़ता, दृढ़ संकल्प और अच्छे संचार कौशल हैं वह अपने समूह में भी इन्हीं गुणों को उभर कर ले आते हैं। अच्छे नेता अपने आतंरिक गुणों का प्रयोग करते हुए अपने दल और संगठनों को सफलता प्रदान कराते हैं। मनुष्य-सदृश जानवरों में नेतृत्व रिचर्ड व्रंग्हम औरडेल पीटरसन, नेराक्षसी नर में : वानर और मूल मानव में हिंसा मौजूद होने का सबूत देते हैं, वे कहते हैं किपृथ्वी पर रहने वाले अन्यजानवरों की तुलना में केवल मनुष्य और चिम्पान्जीयों के बीच सामान व्यवहार होते हैं, हिंसा, प्रादेशिकता और देश के लिए एक प्रमुख के रूप में सिद्ध करने के लिए प्रतियोगिता होती रहती है।यह स्थिति विवादास्पद है। http://www.washingtonpost.com/wp-srv/style/longterm/books/chap1/देमोनिच्मालेस.htm. वानर से परे कई पशु प्रादेशिक होते हैं, प्रतिस्पर्धा दिखाते हैं, हिंसा दिखाते हैं और प्रमुख पुरुष प्रधान (शेर, भेडिए, आदि) द्वारा नियंत्रित एक सामाजिक संरचना भी उजागर करते हैं। व्रंग्हम और पीटरसन के सबूत अनुभवजन्य नहीं है। हालांकि, हमें, हाथी जैसे अन्य प्रजातियों जैसे - मातृसत्तात्मक (जो बेशक मादाओं द्वारा पालन किया जाता है), मीर्काट्स (जो मातृसत्तात्मक जैसे ही होते हैं) और कई अन्य की जांच करनी चाहिए. यह लाभप्रद होगा यदि हम पिछले कुछ सहस्राब्दियों से नेतृत्व के सभी खातों (ईसाई धर्म की रचना के बाद) की जांच करें जो एक पितृसत्तात्मक समाज के परिप्रेक्ष्य में क्रिश्चियन साहित्य की स्थापना के माध्यम से कर रहे हैं। अगर हम इससे पहले के समय को देखेगें तो यह पता चलता है कि बुतपरस्त और पृथ्वी-जनजातियों में महिला नेता ही होती थीं। एक बात यह भी महत्वपूर्ण है कि एक जनजाति की विशिष्टताएं दूसरों के लिए उल्लेखनीय नहीं है, जैसे हमारे आधुनिक समय के रीति-रिवाज भी बदलते हैं। वर्तमान समय के हमारे पितृवंशीय रिवाज हाल ही के आविष्कार हैं और पारिवारिक प्रथाओं के बारे में हमारी मूल विधि मातृविधि है जो अभी पितृविधि हैं। (डॉ॰ क्रिस्टोफर शेले और बिआनका रस, यूबीसी). एक मौलिक धारणा यह है कि दुनिया के 90% देशों में प्राकृतिक जैविक समलिंगी पितृसत्ता से बनते हैं। दुर्भाग्य से, इस विश्वास ने महिलाओं को विभिन्न स्तरों में व्यापक उत्पीड़न का कारण बनाया.(होल अर्थ रिव्यू, विंटर 1995 थॉमस लेयर्ड, माइकल विक्टर द्वारा कृत). इस ईरोक़ुओइअन, पहले राष्ट्र के जनजाति मातृविधि जनजाति का उदाहरण है। इनके साथ-साथ मायन जनजाति को भी ले सकते हैं जो मेघालय, भारत का समाज है। (लेयर्ड और विक्टर, 1995). बोनोबो, देश की दूसरी प्रमुख पुरुष की करीबी जनजाति है जो कभी उनका काठ नहीं देती.यह बोनोबोस एक अल्फा या सर्वोच्च पद पर आसीन महिला है जो दूसरी महिलाओं के साथ मिलकर अपने आप को वैसे ही ताकतवर सिद्ध करती है जैसे एक पुरुष के प्रति श्रद्धा दिखाते हैं। इस प्रकार, यदि नेतृत्व सबसे ज्यादा मात्रा में अनुयायिओं को बनाना है तो बोनोबोस में, एक महिला हमेशा प्राभावी और मजबूत नेतृत्व बनाती है। लेकिन, सभी वैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं हैं कि बोनोबो की शांतिपूर्ण प्रकृति या उसकी प्रतिष्ठा एक "हिप्पी चिम्प के रूप में है।Http://www.newyorker.com/reporting/2007/07/30/070730fa_fact_parker नेतृत्व पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण संस्कृत साहित्य में दस प्रकार के नेता बताये जाते हैं। नेताओं के दस प्रकार की विशेषताओं की परिभाषा देते हुए इतिहास और पौराणिक कथाओं से उदाहरण ले कर इस बात को समझाया गया है। अभिजातीय विचारकों का मानना है कि नेतृत्व किसी भी व्यक्ति के खून में याजींस पर निर्भर करता है : राजशाही इसी विचार का एक अतिवादी दृष्टिकोण लेता है और अभिजात वर्गीय दिव्य मंजूरी को उद्दीप्त करता है। राजा के दिव्य अधिकारों को देखिये. इसके विपरीत लोकतंत्र की ओर झुके योग्य नेता, जैसे -नपालियान मार्शल ने अपनी प्रतिभा से अपनी जीवनचर्या की शुरूआत की. निरंकुश / पितृपरक विचार में, परम्परा का पालन करने वाले रोमन पातर फमिलिअस के नेतृत्व की भूमिका को याद कर सकते हैं। दूसरी ओर यदि हम नारीवादिता पर सोचें, तो ऐसे नमूने जो पितृसत्तात्मक हैं और जो भावनात्मक स्थिति के विरूद्व उत्तरदायी हैं, एक ही ढंग में चलते हैं और सहमति से ह्रदयस्पर्शी होकर मार्गदर्शन करते हैं और मातृसत्तात्मक होते हैं। कंफ्युशिअसवाद की तुलना यदि हम रोमन परम्परा से करते हैं तो हम कह सकते हैं कि इसे एक विद्वान-नेता एक आदर्श (पुरुष) के उदार नियमों के साथ सम्बन्ध जोड़ता हैं जो नेता अपनी संतान के प्रति पुश्ता है। नेतृत्व खुफिया, विश्वसनीयता, मानवता, साहस और अनुशासन का मामला है। मात्र विश्वास पर निर्भर करना विद्रोह को जनम देता है। सिर्फ मानवता दिखाना कमजोरी का परिचय देना होता है। मूर्खता में विश्वास करना अज्ञानता को जनम देता है। साहस के बल पर निर्भर रहने से हिंसा को जनम होता है। अत्याधिक अनुशासन और आज्ञा में कठोरता क्रूरता को जनम देता है। जब ये सभी गुण उपयुक्त समय में कार्य आते हैं तब कोई भी व्यक्ति नेता कहलाता है। सुन तजु 19 वीं सदी में, अराजकतावादी विचार ने नेतृत्व की पूरी अवधारणा पर सवाल किया था। (ध्यान दें कि ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश में 'नेतृत्व' शब्द को 19 वीं सदी से ही शुरू हुआ बताता है।ईलैत्वादी प्रतिक्रया के इनकार के फलस्वरूप लेनिनवादिता का जनम हुआ। वे सर्वहारा वर्ग की तानाशाहीलाना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक अनुशासित विशिष्ट समूह को एकअग्र-सेना के रूप में सामाजिक आन्दोलन चलाने की मांग की. नेतृत्व के अन्य ऐतिहासिक विचारों पर नजर डालने से पता चलता है कि धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक नेताओं के बीच स्पष्ट विभेद हैं।केसरों पपिस्म सिद्धांतों ने दुबारा आकर सदियों से आलोचकों की मात्रा घटा दी है। नेतृत्व पर क्रिश्चियन सोच ने अक्सर गृह्प्रबंधक देव्य-प्रदत्त संसाधनों के प्रबन्ध - मानव और सामग्री - और उनके अनुसार उनकी तैनात होने पर जोर दिया है। दास नेतृत्व की तुलना करें. और अधिक सामान्य जानकारी के लिए राजनीति में नेतृत्व को लेकर राजनेता की अवधारणा की तुलना कीजिए. दल के कार्य प्रधान नेतृत्व कौशल यह एक निराला तरीका है जहां दल नेतृत्व कार्य प्रधान वातावरण पर जोर देता है, जहां प्रभावी कार्यात्मक नेतृत्व छोटे दलों को क्षेत्रों में तैनात कर उनके द्वारा महत्वपूर्ण या प्रतिक्रियाशील कार्य करवाते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, छोटे दलों का नेतृत्व जो अक्सर एक स्थिति या महत्वपूर्ण घटना की प्रतिक्रिया के लिए बनायी जाती है। अधिकांश मामलों में ये दल दूरस्थ और विकार्य वातावरण में भी सीमित समर्थन और सहारे के साथ कार्य कर सकें.(कार्रवाई वातावरण) इस वातावरण में लोगों के नेतृत्व के लिए अग्रगामी प्रबंधन की एक विशेष कौशल की आवश्यकता है। इन नेताओं को कारगर ढंग से दूर संचालित होना चाहिए और एक अस्थिर परिवेश में भी व्यक्ति, समूह और कार्य के बीच सम्बन्ध स्थापित करते हुए कार्य करना चाहिए.इसे कार्य प्रधान नेतृत्व कौशल कहा गया है। कार्य प्रधान नेतृत्व के कुछ उदाहरण दिए गए है : एक ग्रामीण आग बुझाना, एक लापता व्यक्ति को दूंढ़ निकालना, एक दल को अभियान पर ले जाना या एक संभावित खतरनाक माहौल में से एक व्यक्ति को बचाना. प्राधिकार पर बल देने वाले शीर्षक कुछ अवस्थाओं में उनके विकास, पद्सोपान के अनुसार सामाजिक श्रेणी, विभिन्न डिग्री या समाज में नेतृत्व के विभिन्न पदों में दिखाई देती है। इस प्रकार एक योद्धा ने राजा से ज्यादा सामान्य या कुछ पुरुषों का नेतृत्व किया। एक बैर्रोनेट (बैरन से नीचे दर्जे के व्यक्ति) ने अर्ल(इंग्लैंड के सामंतो की एक विशिष्ट पदवी) से ज्यादा भूमि का नियंत्रण किया है। इस पद्सोपान पदानुक्रम के लिए और क्रम से चलने वाली विभिन्न प्रणालियों के लिए सामंती देखें. 18 वीं और 20 वीं शताब्दी के दौरान, कई राजनीतिक चालकों ने अपने समाजों को प्रभावी बनने के लिए गैर पारंपरिक रास्तों को अपनाया.उन्होंने और उनकी प्रणालियों ने अक्सर मजबूत व्यक्तिगत नेतृत्व में विशवास जताया. लेकिन मौजूदा शीर्षक और पद ("राजा", "सम्राट", "राष्ट्रपति" आदि) कुछ परिस्थितियों में अक्सर अनुचित, अपर्याप्त लगते थे। ये औपचारिक या अनौपचारिक शीर्षक या विवरण जो उन्हें उनके वर्दीदार चपरासी देते थे, वे एक नियोजित, प्रेरित और निरंकुश किस्म के नेतृत्व के लिए एक सामान्य पूजा पालक के सामान थे। यह निश्चित लेख जब एक निश्चित शीर्षक के रूप में उपयोग में आता है (भाषाओं में जहां निश्चित कारकों का प्रयोग किया जाता है) एक एकमात्र "सच्चे" नेता के अस्तित्व पर जोर देती है। नेतृत्व की अवधारणा की आलोचना नोअम चोमस्की ने नेतृत्व की अवधारणा की आलोचना की और कहा कि यह लोगों को अपने अधीनस्थ आवश्यकताओं से अलग किसी और को शामिल करना है। जबकि नेतृत्व का परंपरागत दृष्टिकोण यह है कि लोग चाहते है कि 'उनको यह बताया जाए कि उन्हें क्या करना है। व्यक्ति को यह सवाल करना चाहिए कि वे क्यों कार्यों के अधीन हैं जो तर्कसंगत और वांछनीय है। जब 'नेता', 'मुझ पर विशवास कीजिए', 'विशवास रखिए' कहते हैं तो उसमें प्रमुख तत्व - तर्कशक्ति की कमी होती है। यदि तर्कशक्ति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है तो लोगों को 'नेता' का अनुसरण चुपचाप करना पड़ता है। [60] नेतृत्व की अवधारणा की एक और चुनौती यह है कि यह दलों और संगठनों के 'अनुसरण की भावना' को बनाता है। कर्मचारिता की अवधारणा हालाँकि, एक नयी विकसित जिम्मेदारी है जो उसके कार्य क्षेत्र में उसके कौशल और नजरिये को उजागर करते हैं, जो सभी लोगों में आम होते हैं और नेतृत्व को एक अस्तित्व रूप में अलग रखता है। यह भी देखिये नेतृत्व और अन्य प्रकार के सिद्धांत अभिकर्ता नेतृत्व कोचिंग सांप्रदायिक नेतृत्व मैक्स वेबर का करिश्माई अधिकार एंटोनियो ग्राम्स्कीसांस्कृतिक नायकत्व का सिद्धांत नैतिक नेतृत्व इस्लामी नेतृत्व आदर्श नेतृत्व नेता-सदस्य एक्सचेंज थ्योरी (LMX) नेतृत्व वर्ण मॉडल नेतृत्व विकास दास नेतृत्व विषाक्त नेतृत्व युवा नेतृत्व सहयोगात्मक नेतृत्व उत्कृष्ट नेतृत्व सिद्धांत नेतृत्व के संदर्भ मुखिया हीरो मंत्री पुजारी स्काउट नेता सुप्रीम / सर्वोच्च नेता संबंधित लेख क्रावुद फिलोसोफी निकोमेशियन एथिक्स प्रोफेशनल डेवेलोपमेंट थ्री थीओलोजीकल वर्चूस लीडरशिप स्कूल लीडरशिप स्टडीस सन्दर्भ नोट्स किताबें जर्नल लेख बाहरी कड़ियाँ लीडरशिप स्किल्स से बनें एक अच्छे लीडर आपातकालीन कानून रणनीतिक प्रबंधन प्रबंधन व्यवसाय सिद्धांत संगठनात्मक अध्ययन और मानव संसाधन प्रबंधन राजनीतिक दर्शन राजनीति विज्ञान संदर्भ प्राधिकरण की स्थितियां 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NRC में कथित रूप से गलत नाम जोड़े और हटाए जाने को लेकर BJP द्वारा की गई समीक्षा की मांग के बीच सरकार ने हाल ही में संकेत दिए थे कि वह इस पर कानून बनाने का रास्ता अख्तियार कर सकती है, लेकिन अब मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने साफ कहा कि राज्य के लोगों को NRC मुद्दे पर घबराने की कतई ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि 31 अगस्त को प्रकाशित होने जा रही अंतिम NRC में जिनके नाम नहीं हैं, उन्हें घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है. ड्राफ्ट NRC में लगभग 41 लाख लोगों के नाम दर्ज नहीं हैं. VIDEO: जीप को धक्का मारकर ले जा रहे थे पुलिसकर्मी, तेजस्वी यादव ने वीडियो शेयर कर नीतीश पर यूं किया हमला गुवाहाटी में गुरुवार रात एक कार्यक्रम में शिरकत के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, "राज्य तथा केंद्र सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है, ताकि गलतियों के बिना NRC का प्रकाशन सुनिश्चित हो सके... हम सुप्रीम कोर्ट का पूरा आदर करते हुए समूची प्रक्रिया में सहयोग कर रहे हैं... सुप्रीम कोर्ट स्वयं वर्ष 2013 से NRC अपडेशन के काम की निगरानी कर रहा है... मुझे भरोसा है कि राज्य के लोग अंतिम NRC के प्रकाशन के बाद भी उसी तरह सहयोग देते रहेंगे, जिस तरह उन्होंने ड्राफ्ट NRC के प्रकाशन के बाद दिया था... अंतिम NRC के प्रकाशन के बाद भी सभी समुदायों के बीच एकता, भाईचारा और शांति इसी तरह बनी रहेगी..." इससे पहले इसी सप्ताह सर्बानंद सोनोवाल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से NRC के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली आए थे, और संकेत दिया था कि केंद्र और राज्य की BJP-नीत सरकारें अंतिम NRC के री-वेरिफिकेशन के विकल्पों पर विचार कर रही हैं, क्योंकि पहले सरकार ने दावा किया था कि इसमें गलत नाम जोड़े और हटाए गए हैं. अब मुख्यमंत्री के इस बयान को अहम माना जा रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने री-वेरिफिकेशन योजना के आग्रह को खारिज करते हुए अंतिम NRC का प्रकाशन 31 अगस्त तक करने का निर्देश दिया था. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा- कंपनियों को 'पापा बचाओ' की मानसिकता बदलने की जरूरत, सरकार के सामने ना रोएं रोना एक अहम घटनाक्रम में गृह मंत्रालय ने भी NRC से हटा दिए गए लोगों को इसके खिलाफ अपील करने देने की डेडलाइन को बढ़ाने का फैसला किया. मौजूदा समय में यह डेडलाइन 60 दिन की है, जिसे 120 दिन तक बढ़ा दिया गया है. असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, "अगर किसी का नाम हट गया है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है... उनकी शिकायतों को सुनने के लिए पंचाट के ज़रिये व्यवस्था मौजूद है, और गृह मंत्रालय ने भी अपील के लिए 120 दिन की मोहलत दे दी है... गृह मंत्रालय ने पहले ही उन कदमों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट कर चुकी है, जो अंतिम NRC से नाम हटा दिए जाने की सूरत में उठाए जाने हैं..."
इंटरनेट निगरानी को लेकर बढ़ते विवादों के बीच सरकार ने गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी अग्रणी सोशल नेटवर्किंग फर्मों के साथ गुरुवार को बातचीत की पहल की और इन वेबसाइटों के प्रभावी इस्तेमाल पर उनसे सुझाव मांगे। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट चलाने वाली इन फर्मों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात के बाद दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने सोशल मीडिया फर्मों के साथ खुली बातचीत का आह्वान किया है और उनसे सोशल मीडिया और ई-प्रशासन के जरिए नागरिकों को सशक्त बनाने के सुझाव मांगे हैं। सिब्बल ने कहा, यह चर्चा एवं बातचीत इस बारे में है कि कैसे सोशल मीडिया सरकार के हाथ मजबूत कर सकता है क्योंकि सरकार की सामान्य प्रक्रिया के तहत समाज के प्रतिनिधियों के साथ हमेशा ही बातचीत सीमित दायरे में होती है। लेकिन, सोशल मीडिया प्लेटफार्म के मौजूदा स्वरुप में विचार विमर्श और बातचीत का व्यापक दायरा है और इसका काफी विस्तार हुआ है। इसलिए, इस विस्तार का इस्तेमाल नागरिकों के जरिए सरकार को मजबूत बनाने के लिए एक सेतु की तरह किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की पहुंच बहुत व्यापक है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या अभी काफी सीमित है, इसलिए ऐसा नहीं लगना चाहिए कि सरकार समाज के एक वर्ग के विचारों का ही प्रतिनिधित्व करती है। सिब्बल ने कहा हम ऐसा रचनात्मक विचार विमर्श चाहते हैं जिससे सरकार जब भी कोई निर्णय लेकर आगे बढ़े तो उसको मजबूती मिले। सिब्बल ने पिछले सप्ताह भी गूगल, माइक्रोसाफ्ट, फेसबुक और याहू के अधिकारियों से मुलाकात की थी। इनकी वेबसाइट पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ अपमानजनक मैटीरियल पाये जाने के बाद उन्होंने यह मुलाकात की थी। उन्होंने इन नेटवर्कों से इस तरह के मैटीरियल को अपलोड करने से रोकने को कहा था।
मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने के छह महीने बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने कश्मीर में चुनावी राजनीति छोड़ने की बुधवार को घोषणा की और जम्मू कश्मीर में  खंड विकास परिषद (BDC) चुनाव कराने के कदम का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वह लोगों के ‘दमन' को वैध ठहराने वाला एक पक्ष नहीं बन सकतीं. बता दें कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 2016 में कथित राष्ट्रविरोधी नारों से उत्पन्न विवाद के बाद सुर्खियों में आईं रशीद इस साल के शुरू में पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल द्वारा गठित पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट में शामिल हुई थीं. JNU छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि वह इस महीने के अंत में जम्मू कश्मीर में BDC के चुनाव कराने के केंद्र सरकार के कदम की वजह से ‘कश्मीर में चुनावी मुख्य धारा से' खुद को अलग करने को विवश हैं. रशीद ने BDC चुनावों को ‘दिखावे की चुनावी कवायद' करार दिया. उन्होंने एक बयान में कहा, ‘मैं अपने लोगों के बर्बर दमन को वैध ठहराने की कवायद में पक्ष नहीं बन सकती. इसलिए मैं कश्मीर में चुनावी मुख्यधारा से अलग होना चाहूंगी.' रशीद ने कहा, ‘मैं कार्यकर्ता बनी रहूंगी और सभी मोर्चों पर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखूंगी, जिसमें किसी समझौते की जरूरत न हो. मैं राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के फैसले को पलटने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में अपने प्रयास जारी रखूंगी.'  अपने राजनीति में आने के बारे में बताते हुए शेहला रशीद ने कहा कि वह राजनीति में इसलिए आई थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे ‘न्याय और सुशासन उपलब्ध कराना तथा जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के अनुरूप कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए काम करना संभव होगा.' रशीद ने दावा किया कि राज्य में राजनीतिक नेताओं को केवल राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर चुनाव लड़ने को विवश किया जा रहा है और अनुच्छेद 370 को हटाने तथा राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट देने के मुद्दे पर चुप रहने को कहा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि कश्मीर में किसी राजनीतिक गतिविधि में भागीदारी के लिए समझौते की जरूरत है.' बता दें कि रशीद ने मुख्यधारा की राजनीति छोड़ने की घोषणा उस दिन की है जब कांग्रेस ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में BDC चुनाव नहीं लड़ेगी. वहीं कश्मीर घाटी में तैनात सशस्त्र बलों के खिलाफ ट्वीट करने पर रशीद के खिलाफ पिछले महीने राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
दिग्विजय सिंह के भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद उनके बेटे जयवर्धन सिंह द्वारा किए गए ट्वीट के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. बता दें कि जयवर्धन सिंह मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री भी हैं. एक दिन पहले ही कमलनाथ ने भोपाल लोकसभा सीट से दिग्विजय सिंह के चुनाव लड़ने की घोषणा की थी जिसके बाद रात को कांग्रेस द्वारा जारी सूची में दिग्विजय सिंह का नाम आधिकारिक रूप से मुकर्रर किया गया. दिग्विजय का नाम भोपाल से तय होने के बाद रविवार को उनके बेटे जयवर्धन ने ट्वीट किया 'अगर फलक को जिद है ,बिजलियां गिराने की तो हमें भी जिद है, वहीं पर आशियां बनाने की... सर्वत्र दिग्विजय सर्वदा दिग्विजय.' बेटे के अपने पिता के लिए किए गए ट्वीट के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई. अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की तो हमें भी ज़िद है ,वहि पर आशियाँ बनाने की सर्वत्र दिग्विजय सर्वदा दिग्विजय। pic.twitter.com/CN5QEE2cQp — Jaivardhan Singh (@JVSinghINC) March 24, 2019 यह माना जा रहा है कि जयवर्धन ने यह ट्वीट पिता दिग्विजय सिंह के विरोधियों को निशाने पर लेते हुए किया. ट्वीट के आखिरी लाइन से जयवर्धन ने यह बताने की कोशिश भी की है कि उनके पिता ही मध्य प्रदेश की राजनीति के सबसे बड़े नेता हैं और उनके खिलाफ कितनी ही साजिश कर ली जाए उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा. जयवर्धन के ट्वीट से चर्चाओं का दौर शुरू जयवर्धन का ट्वीट सामने आने के बाद यह माना गया कि जयवर्धन ने कांग्रेस के अंदर ही उनके पिता के विरोधियों पर निशाना साधा है. कांग्रेस में भी जयवर्धन के ट्वीट को लेकर चर्चाओं का दौर गरम हो गया क्योंकि भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी की सबसे मजबूत सीट मानी जाती है और यहां से दिग्विजय सिंह को लोकसभा का टिकट देकर कांग्रेस ने बहुत बड़ा दांव खेला है.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) की इंटर (12वीं) परीक्षा कल से पूरे राज्य में शुरू होने जा रही है. इस परीक्षा में 12.61 लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे, जिनके लिए 1,274 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. इस वर्ष कदाचारमुक्त परीक्षा को लेकर खास इंतजाम किए गए हैं. परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने कहा कि 25 फरवरी तक चलने वाली इस परीक्षा के सभी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे के अलावा वीडियोग्राफी का भी इंतजाम किया गया है. सभी केंद्रों और उसके आसपास धारा 144 लगा दी गई है. इंटर में कदाचारमुक्त परीक्षा में गड़बड़ी पाए जाने पर परीक्षा केंद्रों पर तैनात वीक्षकों के साथ पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी. अगर किसी परीक्षा केंद्र पर कोई भी पदाधिकारी, कर्मी, केंद्र अधीक्षक, दंडाधिकारी, पुलिसकर्मी या कोई अन्य व्यक्ति परीक्षा के दौरान कदाचार में लिप्त पाए गए तो उन पर न केवल प्राथमिकी दर्ज की जाएगी, बल्कि सेवा से भी बर्खास्त कर दिया जाएगा.टिप्पणियां एक अधिकारी के मुताबिक, राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को 25 परीक्षार्थियों पर एक वीक्षक, एक परीक्षा कक्ष में न्यूनतम दो वीक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने के साथ-साथ आवश्यकतानुसार प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों के शिक्षकों को भी वीक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त करने का निर्देश दिया गया है. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इंटर की परीक्षा में टॉपर्स घोटाला का मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार की किरकिरी हो चुकी है.   परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने कहा कि 25 फरवरी तक चलने वाली इस परीक्षा के सभी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे के अलावा वीडियोग्राफी का भी इंतजाम किया गया है. सभी केंद्रों और उसके आसपास धारा 144 लगा दी गई है. इंटर में कदाचारमुक्त परीक्षा में गड़बड़ी पाए जाने पर परीक्षा केंद्रों पर तैनात वीक्षकों के साथ पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी. अगर किसी परीक्षा केंद्र पर कोई भी पदाधिकारी, कर्मी, केंद्र अधीक्षक, दंडाधिकारी, पुलिसकर्मी या कोई अन्य व्यक्ति परीक्षा के दौरान कदाचार में लिप्त पाए गए तो उन पर न केवल प्राथमिकी दर्ज की जाएगी, बल्कि सेवा से भी बर्खास्त कर दिया जाएगा.टिप्पणियां एक अधिकारी के मुताबिक, राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को 25 परीक्षार्थियों पर एक वीक्षक, एक परीक्षा कक्ष में न्यूनतम दो वीक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने के साथ-साथ आवश्यकतानुसार प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों के शिक्षकों को भी वीक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त करने का निर्देश दिया गया है. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इंटर की परीक्षा में टॉपर्स घोटाला का मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार की किरकिरी हो चुकी है.   इंटर में कदाचारमुक्त परीक्षा में गड़बड़ी पाए जाने पर परीक्षा केंद्रों पर तैनात वीक्षकों के साथ पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी. अगर किसी परीक्षा केंद्र पर कोई भी पदाधिकारी, कर्मी, केंद्र अधीक्षक, दंडाधिकारी, पुलिसकर्मी या कोई अन्य व्यक्ति परीक्षा के दौरान कदाचार में लिप्त पाए गए तो उन पर न केवल प्राथमिकी दर्ज की जाएगी, बल्कि सेवा से भी बर्खास्त कर दिया जाएगा.टिप्पणियां एक अधिकारी के मुताबिक, राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को 25 परीक्षार्थियों पर एक वीक्षक, एक परीक्षा कक्ष में न्यूनतम दो वीक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने के साथ-साथ आवश्यकतानुसार प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों के शिक्षकों को भी वीक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त करने का निर्देश दिया गया है. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इंटर की परीक्षा में टॉपर्स घोटाला का मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार की किरकिरी हो चुकी है.   एक अधिकारी के मुताबिक, राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को 25 परीक्षार्थियों पर एक वीक्षक, एक परीक्षा कक्ष में न्यूनतम दो वीक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने के साथ-साथ आवश्यकतानुसार प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों के शिक्षकों को भी वीक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त करने का निर्देश दिया गया है. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इंटर की परीक्षा में टॉपर्स घोटाला का मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार की किरकिरी हो चुकी है.   उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इंटर की परीक्षा में टॉपर्स घोटाला का मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार की किरकिरी हो चुकी है.
भोजन के अंत में परोसा जाने वाला मिष्ठान्न, केक सेंककर तैयार किया हुआ भोज्य पदार्थ है। आमतौर पर कई किस्मों वाला केक का आटा, चीनी, अंडे, मक्खन या तेल का मिश्रण है जिसे घोलने के लिए तरल (आम तौर पर दूध या पानी) और खमीर उठाने वाले पदार्थ (जैसे कि खमीर या बेकिंग पाउडर) की ज़रूरत होती है। स्वाद व महक के लिए अक्सर फलों का गाढ़ा गूदा, मेवे या अर्क मिला दिए जाते हैं और मुख्य सामग्री के अनेक विकल्प सुलभ हैं। अक्सर केक में फलों का मुरब्बा या मिष्ठान्न वाली सॉस (जैसे पेस्ट्री क्रीम) भर दी जाती है, उसके ऊपर मक्खन वाली क्रीम या अन्य आइसिंग लगाकर बादाम और अंडे के सफ़ेद हिस्से का मिश्रण, किनारों पर बिंदियां और चाशनी में डूबे फल लगाकर सजाया जाता है। विशेष रूप से शादी, वर्षगाँठ और जन्मदिन जैसे औपचारिक अवसरों पर अक्सर खाने के बाद मिठाई के तौर पर केक का चुनाव किया जाता है। केक बनाने की अनगिनत पाक विधियां हैं, कुछ रोटी की तरह, कुछ गरिष्ठ और बड़े परिश्रम से तैयार की जाने वाली और अनेक पारम्परिक हैं। किसी ज़माने में केक बनाने (विशेष रूप से अंडे की झाग उठाने में) में काफ़ी मेहनत लगा करती थी लेकिन अब केक बनाना कोई जटिल प्रक्रिया नहीं रही, सेंकने वाले उपकरण और विधियां इतनी सरल हो गई हैं कि कोई भी नौसिखिया केक सेंक सकता है। भिन्न प्रकार मुख्य रूप से सामग्री और पकाने की तकनीक के आधार पर केक को मोटे तौर पर कई श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। खमीर केक सबसे पुराने हैं और काफ़ी हद तक खमीरी रोटी जैसे होते हैं। ऐसे केक अक्सर रूप में पारंपरिक होते हैं और स्टोलन और बब्का जैसी पेस्ट्रियां इनमें शामिल हैं। नाम के बावजूद चीज़केक वास्तव में केक नहीं हैं। चीज़केक वास्तव में कस्टर्ड पाई हैं जिसमें ज़्यादातर किसी न किसी प्रकार की चीज़ (प्रायः क्रीम चीज़, मैस्करपन, रिकोटा इत्यादि जैसी) का भराव होता है और मैदा न के बराबर होता है हालांकि मैदे की परत का इस्तेमाल किया जा सकता है। चीज़केक भी बहुत पुराने हैं, प्राचीन ग्रीस में शहद से मीठे किए गए केक के सबूत मिलते हैं। स्पंज केक को सबसे पुराना खमीर रहित केक माना जाता है, इसे उठाने के लिए प्रोटीन के मैट्रिक्स में फंसी हवा पर (आम तौर पर फेंटे हुए अंडे की) निर्भर करना पड़ता है, कई बार उठान सुनिश्चित करने के लिए चुटकी भर बेकिंग पाउडर या अन्य रसायन डाल दिया जाता है। ऐसे केकों में इतालवी / यहूदी पान डी स्पागना और फ्रेंच जिनोइस होता है। भव्य ऊपरी परत वाले अत्याधिक सजाए हुए स्पंज केक को कभी कभीगैटू कहा जाता है जो कि केक शब्द का फ्रेंच पर्याय है। बटर केक, पाउंड केक और डेविल्स फ़ूड केक उठान और नरम बनावट दोनों के लिए अंडे, मक्खन के संयोजन और कभी कभी बेकिंग पाउडर पर निर्भर करते हैं। इस वर्गीकरण के अलावा केक को उनके उपयुक्त संलग्नक (जैसे कॉफ़ी केक) और सामग्री (जैसे फ़्रूटकेक या मैदे रहित चॉकलेट केक) के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं। केक की कुछ किस्में व्यापक रूप से केक मिश्रण के रूप में उपलब्ध हैं जिनमें कुछ सामग्री (आमतौर पर मैदै, चीनी, अर्क, बेकिंग पाउडर और कभी कभी किसी रूप में वसा) पहले से ही मिले रहते हैं और पकाने वाले को केवल कुछ अतिरिक्त सामग्री आमतौर पर अंडे, पानी और कभी कभी वनस्पति तेल या मक्खन मिलानी होती है। जबकि प्रतिनिधित्व शैलियों की विविधता सीमित है, केक मिश्रण ऐसे लोगों को घर पर पकाने का आसान और सहज उपलब्ध विकल्प प्रदान करते हैं जो बेकिंग में माहिर नहीं हैं। विशेष प्रयोजन के केक केक को अवसर के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है। उदाहरण के लिए शादी के केक, जन्मदिन का केक और पासओवर प्लावा (एक प्रकार का यहूदी स्पंज केक जिसे कभी कभी माट्ज़ो भोजन के साथ बनाया जाता है) को उनके उत्सव के अनुसार पहचाना जा सकता है। कुछ संस्कृतियों में शादी का केक काटना एक सामाजिक रस्म है। प्राचीन रोमन वैवाहिक अनुष्ठान की कॉनफ़ेरेशो रस्म से केक बांटने की उत्पत्ति हुई। केक का प्रकार अवसर विशेष जैसे स्टोलन (क्रिसमस पर), बब्का और सिम्नेल केक (ईस्टर पर) या मूनकेक से सम्बद्ध होता है। आकार केक को अक्सर उनके भौतिक रूप के अनुसार वर्णित किया जाता है। केक छोटे और व्यक्तिगत उपभोग के लिए हो सकते हैं। बड़े केक काटने और भोजन या सामाजिक समारोह के हिस्से के रूप में परोसे जाने के लिए बनाये जा सकते हैं। सामान्य आकारों में शामिल हैं: बंट केक केक बॉल्स शंकु वाले जैसे क्रॉकएनबॉश कपकेक और मैडिलीन दोनों ही एक व्यक्ति के लिए होते हैं तह वाला केक जो अक्सर स्प्रिंगफ़ॉर्म पैन में पकाया और सजा हुआ होता है शीट केक, शीट पैन में पका हुआ सरल, समतल, आयताकार केक स्विस रोल केक केक का मैदा उच्च स्टार्च-से-लस-अनुपात वाला विशेष केक आटा बारीक, मुलायम, कम-प्रोटीन वाले गेहूं से बनाया जाता है। यह बहुत ज़्यादा प्रक्षालित होता है और आम आटे की तुलना में केक के आटे से केक ज़्यादा हल्का-फुल्का बनता है। इसलिए नरम, हल्के और या ऐंजल फ़ूड केक जैसे चमकदार सफ़ेद केक के लिए इसकी सिफ़ारिश की जाती है। हालांकि, आम तौर पर केक के आटे को अच्छे परिणाम के लिए अनिवार्य नहीं माना जाता और साधारण आटे में कॉर्न स्टार्च और / या बेकिंग सोडा डालकर वैसा ही केक तैयार किया जा सकता है। यदि सख्त और सघन केक चाहिए हो तो कुछ पाक विधियों में स्पष्ट रूप से सर्व-उद्देश्य पूरा करने वाले आटे को निर्दिष्ट या स्वीकार किया जाता है। केक सजाना एक तैयार केक को आइसिंग या फ़्रॉस्टिंग और बुरकने जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ और युनाइटेड किंगडम के "सैकड़ों और हज़ारों" भागों में "जिमीज़" के रूप में भी जाना जाता है, के साथ सजाया जाता है। फ़्रॉस्टिंग आमतौर से चीनी के चूर्ण (आइसिंग), कभी कभी दूध या मलाई जैसी वसा से बनाई जाती है और इसमें अक्सर वेनिला तत्व या कोको पाउडर की सुगंध मिलाई जाती है। कुछ सज्जाकार बेली हुई जेलेटिन की आइसिंग का उपयोग करते हैं। व्यावसायिक बेकरियां वसा के लिए और हवा के बुलबुले उठाने के लिए अक्सर चर्बी का इस्तेमाल करती हैं। इससे आइसिंग हल्की बनती है और आसानी से फैलती है। घरों में पकाने वाले या तो चर्बी, मक्खन, मार्जरीन या इसके कुछ संयोजन का उपयोग करते हैं। बुरकना खाने वाले रंग से रंगे हुए चीनी और तेल के सख्त छोटे टुकड़े होते हैं। 20 वीं सदी के अंत में, नए केक सज्जा उत्पाद जनता को उपलब्ध होने लगे। इनमें कई विशेष बुरकने और यहां तक कि मुद्रित चित्र की छवि को केक पर उतारने की विधियां भी शामिल हैं। अधिक जटिल केक सज्जा के लिए विशेष उपकरण आवश्यक हैं जैसे कि पाइपिंग बैग या सीरिंज और पाइपिंग की विभिन्न नोकें. एक पाइपिंग बैग या सीरिंज का उपयोग करने के लिए पाइपिंग नोक को युग्मक द्वारा बैग या सीरिंज से जोड़ा जाता है। बैग या सीरिंज को आंशिक रूप से आइसिंग से भर लिया जाता है जो कभी कभी रंगीन होती है। विभिन्न पाइपिंग नोकों और कई तकनीकों के प्रयोग से एक केक सज्जाकार बहुत से अलग अलग डिज़ाइन बना सकता है। सज्जा के बुनियादी सुझावों में शामिल हैं, खुला हुआ सितारा, बंद सितारा, बुनी हुई टोकरी, गोल, ड्रॉप फूल, पत्ता, बहुपंखुड़ी और विशेषता सुझाव. शाही आइसिंग, बादाम और अंडे का पेस्ट (या बादाम पेस्ट के रूप में विख्यात एक कम मीठा रूप), जिलेटिन आइसिंग (चीनी के पेस्ट रूप में भी विख्यात) और बटरक्रीम को ऊपरी आइसिंग और सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। पुष्प शक्कर कला या चीनी के धारीदार फूल केक सज्जा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। विशेष मौकों के केक जैसे शादी के केक पारंपरिक फ़्रूट केक या कभी कभी मदाइरा केक (फेंटे हुए वसा रहित स्पंज के रूप में भी विख्यात) होते हैं जो मार्ज़पैन और या तो शाही आइसिंग या शक्कर के पेस्ट की आइसिंग से सुसज्जित होते हैं। उनके किनारों पर पाइप वाले बॉर्डर (शाही आइसिंग से बने) होते हैं और वे पाइप वाले संदेश, धारीदार चीनी के फूल, हाथ से बने जिलेटिन के फूल, बादाम और अंडे के पेस्ट से बने फल, पाइप वाले फूल या रवेदार फल या फूल जैसे कि अंगूर या बनफशा से सजे होते हैं। इतिहास हालांकि केक और रोटी के बीच अंतर के स्पष्ट उदाहरण आसानी से मिल जाते हैं लेकिन सटीक वर्गीकरण ने हमेशा भ्रमित किया है। उदाहरण के लिए, केला रोटी त्वरित रोटी या केक कुछ भी हो सकती है। प्राचीन रोम में, रोटी के बुनियादी आटे में कभी कभी मक्खन, अंडे और शहद मिला दिए जाते थे जिससे केक जैसी मीठी, सिंकी हुई रोटी बनती थी। लैटिन कवि ओविड ने निर्वासन की अपनी पहली पुस्तक ट्रिस्टिया में अपने और अपने भाई के जन्मदिन में पार्टी और केक का हवाला दिया है। प्रारंभ में इंग्लैंड में भी केक अनिवार्य रूप से रोटी ही थे: एक "केक" और "रोटी" के बीच सबसे स्पष्ट अंतर था, केक का गोल, समतल आकार और पकाने की विधि जिसमें केक को एक बार बीच में पलटा जाता था जबकि रोटी को सिंकने की पूरी प्रक्रिया के दौरान बिना पलटे ही रहने दिया जाता था। केक की सूची सन्दर्भ केक मीठा (भोजन)
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: 1934 : सोवियत पायलट और अंतरिक्ष यात्री यूरी गैगरिन का जन्‍म. 1951 : मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का जन्म. 1956 : भारत के प्रसिद्ध राजनयिक शशि थरूर का इंग्लैंड के लंदन में जन्म. 1959 : दुनियाभर में बच्चियों की पसंदीदा बार्बी डॉल को न्यूयार्क के अमेरिकन टॉय फेयर में पहली बार पेश किया गया. 1967: सोवियत तानाशाह जोसेफ स्तालिन की पुत्री स्वेतलाना ने देश छोड़ा और नयी दिल्ली में अमेरिकी दूतावास पहुंचकर राजनीतिक शरण मांगी. 1973 : उत्तरी आयरलैंड की जनता ने देश में हुए एक जनमत संग्रह में ब्रिटेन के साथ रहने के पक्ष में वोट डाला था. लगभग 57 प्रतिशत मतदाताओं ने ब्रिटेन के साथ रहने का समर्थन किया. 1986 : सेटेलाइट आधारित पहला टेलीफोन संपर्क नेटवर्क औपचारिक रूप से शुरू किया गया. 1999 : ब्रिटेन में भारतीय मूल के दिग्गज उद्योगपति स्वराज पॉल को सेंट्रल बर्मिंघम विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की. 2004 : पाकिस्तान ने 2000 किमी. की मारक क्षमता वाले सतह तक मार करने वाले 'शाहीन-2' (हत्फ-6) प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण किया.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: सवाई मानसिंह स्टेडियम में सोमवार को हुए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के छठे संस्करण के 40वें मुकाबले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु पर जीत दर्ज करने के साथ ही राजस्थान रॉयल्स ने अंकतालिका में तीसरे स्थान पर कब्जा जमा लिया। जैसे-जैसे लीग आगे बढ़ रहा है राजस्थान की टीम और निखरती जा रही है। राजस्थान ने बेंगलुरु द्वारा मिले 172 रन के लक्ष्य को आखिरी ओवर तक चले रोमांचक मुकाबले में एक गेंद शेष रहते छह विकेट पर हासिल कर लिया। शानदार अर्द्धशतक लगाने वाले संजू सैम्सन (63) को प्लेअर ऑफ द मैच चुना गया। उन्होंने 41 गेंदों में सात चौकों तथा दो छक्कों की मदद से आईपीएल का अपना पहला अर्द्धशतक लगाया। राजस्थान रॉयल्स की पारी की पहली ही गेंद पर विराट कोहली ने स्लिप पर राहुल द्रविड़ का कैच टपका दिया। हालांकि राजस्थान इसका ज्यादा देर लाभ नहीं उठा पाया और तीसरे ओवर की पांचवीं गेंद पर अजिंक्य रहाणे का विकेट गंवा बैठा। रहाणे दो रन के निजी स्कोर पर रुद्रप्रताप सिंह के हाथों लपके गए। द्रविड़ (22) भी अपने जीवनदान का पूरा फायदा नहीं उठा सके और 48 रनों के कुल योग पर मोएसिस हेनरिक्स की गेंद पर बोल्ड हो गए। इसके बाद तीसरे विकेट के लिए शेन वाटसन के साथ संजू सैम्सन ने 68 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की। वह रवि रामपॉल की गेंद पर मुरली कार्तिक के हाथों कैच आउट हुए। चौथे विकेट के लिए शेन वाटसन (41) के साथ ब्रैड हॉग (32) ने तेज 46 रनों की साझेदारी की और ऐसा लग रहा था कि यह जोड़ी ही राजस्थान रॉयल्स को मैच जिता देगी। तभी आरपी सिह की गेंद पर वाटसन अब्राहम डिविलियर्स को कैच थमाकर चलते बने। राजस्थान रॉयल्स को आखिरी ओवर में जीत के लिए छह रनों की दरकार थी और इतने ही विकेट उसके हाथ में थे। आखिरी ओवर की पहली गेंद पर बिन्नी ने एक रन देकर टिके हुए बल्लेबाज हॉग को रन बनाने का अवसर दिया, लेकिन अगली दो गेंदों पर हॉग और ओवैश शाह के आउट होने पर मैच काफी रोमांचक हो गया। आखिरी दो गेंदों में राजस्थान को तीन रन बनाने थे जिसे बिन्नी ने चौका जड़कर पूरा किया। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। राजस्थान ने बेंगलुरु द्वारा मिले 172 रन के लक्ष्य को आखिरी ओवर तक चले रोमांचक मुकाबले में एक गेंद शेष रहते छह विकेट पर हासिल कर लिया। शानदार अर्द्धशतक लगाने वाले संजू सैम्सन (63) को प्लेअर ऑफ द मैच चुना गया। उन्होंने 41 गेंदों में सात चौकों तथा दो छक्कों की मदद से आईपीएल का अपना पहला अर्द्धशतक लगाया। राजस्थान रॉयल्स की पारी की पहली ही गेंद पर विराट कोहली ने स्लिप पर राहुल द्रविड़ का कैच टपका दिया। हालांकि राजस्थान इसका ज्यादा देर लाभ नहीं उठा पाया और तीसरे ओवर की पांचवीं गेंद पर अजिंक्य रहाणे का विकेट गंवा बैठा। रहाणे दो रन के निजी स्कोर पर रुद्रप्रताप सिंह के हाथों लपके गए। द्रविड़ (22) भी अपने जीवनदान का पूरा फायदा नहीं उठा सके और 48 रनों के कुल योग पर मोएसिस हेनरिक्स की गेंद पर बोल्ड हो गए। इसके बाद तीसरे विकेट के लिए शेन वाटसन के साथ संजू सैम्सन ने 68 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की। वह रवि रामपॉल की गेंद पर मुरली कार्तिक के हाथों कैच आउट हुए। चौथे विकेट के लिए शेन वाटसन (41) के साथ ब्रैड हॉग (32) ने तेज 46 रनों की साझेदारी की और ऐसा लग रहा था कि यह जोड़ी ही राजस्थान रॉयल्स को मैच जिता देगी। तभी आरपी सिह की गेंद पर वाटसन अब्राहम डिविलियर्स को कैच थमाकर चलते बने। राजस्थान रॉयल्स को आखिरी ओवर में जीत के लिए छह रनों की दरकार थी और इतने ही विकेट उसके हाथ में थे। आखिरी ओवर की पहली गेंद पर बिन्नी ने एक रन देकर टिके हुए बल्लेबाज हॉग को रन बनाने का अवसर दिया, लेकिन अगली दो गेंदों पर हॉग और ओवैश शाह के आउट होने पर मैच काफी रोमांचक हो गया। आखिरी दो गेंदों में राजस्थान को तीन रन बनाने थे जिसे बिन्नी ने चौका जड़कर पूरा किया। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। राजस्थान रॉयल्स की पारी की पहली ही गेंद पर विराट कोहली ने स्लिप पर राहुल द्रविड़ का कैच टपका दिया। हालांकि राजस्थान इसका ज्यादा देर लाभ नहीं उठा पाया और तीसरे ओवर की पांचवीं गेंद पर अजिंक्य रहाणे का विकेट गंवा बैठा। रहाणे दो रन के निजी स्कोर पर रुद्रप्रताप सिंह के हाथों लपके गए। द्रविड़ (22) भी अपने जीवनदान का पूरा फायदा नहीं उठा सके और 48 रनों के कुल योग पर मोएसिस हेनरिक्स की गेंद पर बोल्ड हो गए। इसके बाद तीसरे विकेट के लिए शेन वाटसन के साथ संजू सैम्सन ने 68 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की। वह रवि रामपॉल की गेंद पर मुरली कार्तिक के हाथों कैच आउट हुए। चौथे विकेट के लिए शेन वाटसन (41) के साथ ब्रैड हॉग (32) ने तेज 46 रनों की साझेदारी की और ऐसा लग रहा था कि यह जोड़ी ही राजस्थान रॉयल्स को मैच जिता देगी। तभी आरपी सिह की गेंद पर वाटसन अब्राहम डिविलियर्स को कैच थमाकर चलते बने। राजस्थान रॉयल्स को आखिरी ओवर में जीत के लिए छह रनों की दरकार थी और इतने ही विकेट उसके हाथ में थे। आखिरी ओवर की पहली गेंद पर बिन्नी ने एक रन देकर टिके हुए बल्लेबाज हॉग को रन बनाने का अवसर दिया, लेकिन अगली दो गेंदों पर हॉग और ओवैश शाह के आउट होने पर मैच काफी रोमांचक हो गया। आखिरी दो गेंदों में राजस्थान को तीन रन बनाने थे जिसे बिन्नी ने चौका जड़कर पूरा किया। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। द्रविड़ (22) भी अपने जीवनदान का पूरा फायदा नहीं उठा सके और 48 रनों के कुल योग पर मोएसिस हेनरिक्स की गेंद पर बोल्ड हो गए। इसके बाद तीसरे विकेट के लिए शेन वाटसन के साथ संजू सैम्सन ने 68 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की। वह रवि रामपॉल की गेंद पर मुरली कार्तिक के हाथों कैच आउट हुए। चौथे विकेट के लिए शेन वाटसन (41) के साथ ब्रैड हॉग (32) ने तेज 46 रनों की साझेदारी की और ऐसा लग रहा था कि यह जोड़ी ही राजस्थान रॉयल्स को मैच जिता देगी। तभी आरपी सिह की गेंद पर वाटसन अब्राहम डिविलियर्स को कैच थमाकर चलते बने। राजस्थान रॉयल्स को आखिरी ओवर में जीत के लिए छह रनों की दरकार थी और इतने ही विकेट उसके हाथ में थे। आखिरी ओवर की पहली गेंद पर बिन्नी ने एक रन देकर टिके हुए बल्लेबाज हॉग को रन बनाने का अवसर दिया, लेकिन अगली दो गेंदों पर हॉग और ओवैश शाह के आउट होने पर मैच काफी रोमांचक हो गया। आखिरी दो गेंदों में राजस्थान को तीन रन बनाने थे जिसे बिन्नी ने चौका जड़कर पूरा किया। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। इसके बाद तीसरे विकेट के लिए शेन वाटसन के साथ संजू सैम्सन ने 68 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की। वह रवि रामपॉल की गेंद पर मुरली कार्तिक के हाथों कैच आउट हुए। चौथे विकेट के लिए शेन वाटसन (41) के साथ ब्रैड हॉग (32) ने तेज 46 रनों की साझेदारी की और ऐसा लग रहा था कि यह जोड़ी ही राजस्थान रॉयल्स को मैच जिता देगी। तभी आरपी सिह की गेंद पर वाटसन अब्राहम डिविलियर्स को कैच थमाकर चलते बने। राजस्थान रॉयल्स को आखिरी ओवर में जीत के लिए छह रनों की दरकार थी और इतने ही विकेट उसके हाथ में थे। आखिरी ओवर की पहली गेंद पर बिन्नी ने एक रन देकर टिके हुए बल्लेबाज हॉग को रन बनाने का अवसर दिया, लेकिन अगली दो गेंदों पर हॉग और ओवैश शाह के आउट होने पर मैच काफी रोमांचक हो गया। आखिरी दो गेंदों में राजस्थान को तीन रन बनाने थे जिसे बिन्नी ने चौका जड़कर पूरा किया। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। चौथे विकेट के लिए शेन वाटसन (41) के साथ ब्रैड हॉग (32) ने तेज 46 रनों की साझेदारी की और ऐसा लग रहा था कि यह जोड़ी ही राजस्थान रॉयल्स को मैच जिता देगी। तभी आरपी सिह की गेंद पर वाटसन अब्राहम डिविलियर्स को कैच थमाकर चलते बने। राजस्थान रॉयल्स को आखिरी ओवर में जीत के लिए छह रनों की दरकार थी और इतने ही विकेट उसके हाथ में थे। आखिरी ओवर की पहली गेंद पर बिन्नी ने एक रन देकर टिके हुए बल्लेबाज हॉग को रन बनाने का अवसर दिया, लेकिन अगली दो गेंदों पर हॉग और ओवैश शाह के आउट होने पर मैच काफी रोमांचक हो गया। आखिरी दो गेंदों में राजस्थान को तीन रन बनाने थे जिसे बिन्नी ने चौका जड़कर पूरा किया। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। राजस्थान रॉयल्स को आखिरी ओवर में जीत के लिए छह रनों की दरकार थी और इतने ही विकेट उसके हाथ में थे। आखिरी ओवर की पहली गेंद पर बिन्नी ने एक रन देकर टिके हुए बल्लेबाज हॉग को रन बनाने का अवसर दिया, लेकिन अगली दो गेंदों पर हॉग और ओवैश शाह के आउट होने पर मैच काफी रोमांचक हो गया। आखिरी दो गेंदों में राजस्थान को तीन रन बनाने थे जिसे बिन्नी ने चौका जड़कर पूरा किया। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। आखिरी दो गेंदों में राजस्थान को तीन रन बनाने थे जिसे बिन्नी ने चौका जड़कर पूरा किया। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। बेंगलुरु की तरफ से रामपॉल को दो विकेट मिले तथा आरपी सिंह, विनय कुमार और हेनरिक्स को एक-एक विकेट मिले। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। इससे पहले, बेंगलुरु ने शुरुआत तो तेज की लेकिन मध्यक्रम के औसत प्रदर्शन की वजह से एक समय कम स्कोर पर सिमटती दिख रही थी, लेकिन आखिरी ओवरों में तेज गति से रन जुटाते हुए बेंगलुरु छह विकेट पर 171 रन का ठीक-ठाक स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल ने 16 गेंदों में 34 रन बनाए। गेल ने छह चौके और एक छक्का लगाया। लेकिन वह बेंगलुरु को और ज्यादा योगदान नहीं दे सके तथा चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर सैम्सन के हाथों कैच आउट हुए। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। बेंगलुरु का दूसरा विकेट अभिनव मुकुंद (19) के रूप में गिरा। उन्हें सिद्धार्थ त्रिवेदी ने बोल्ड किया। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। अब्राहम डिविलियर्स (21) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 33 रन जोड़कर कप्तान विराट कोहली (32) ने संघर्ष करने की भरपूर कोशिश की। 13वें ओवर की पहली गेंद पर डिविलियर्स एस श्रीसंत की गेंद पर जेम्स फॉकनर के हाथों कैच आउट हुए। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। कोहली भी 16वें ओवर की पांचवीं गेंद पर फॉकनर के हाथों लपके गए। कोहली तथा डिविलियर्स दोनों ने तीन-तीन चौके लगाए। मोएसिस हेनरिक्स ने 22 रनों का योगदान दिया और वह रन आउट हुए।टिप्पणियां आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। आखिरी ओवरों में छह गेंद पर नाबाद 22 रन बनाकर विनय कुमार ने बेंगलुरु को 171 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से शेन वाटसन ने तीन विकेट चटकाए। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है। नौ टीमों की तालिका में रॉयल चैलेंजर्स के 10 मैचों में 12 अंक हैं और वह दूसरे क्रम पर कायम है। राजस्थान रॉयल्स के भी नौ मैचों में इतने ही अंक हैं, लेकिन नेट रन रेट कम होने की वजह से वह बेगलुरु से एक स्थान पीछे तीसरे क्रम पर पहुंच गई है।
यह एक लेख है: झारखंड में बीजेपी की पूर्व सहयोगी आजसू पार्टी ने रविवार को संकेत दिया कि वह ऐसी किसी भी पार्टी के साथ चुनाव बाद गठबंधन के लिए तैयार है जो उसके बेहतर एवं समावेशी शासन के एजेंडे को पूरा करती हो. आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि पार्टी के लिए उसका मिशन ‘अबकी बार गांव की सरकार' सर्वेपरि है जो गांवों को शासन प्रणाली का मूलभूत हिस्सा बनाने के लिए है. उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियां एक जैसी हैं और दोनों ने राज्य को नजरंदाज किया.  यह पूछे जाने पर कि राज्य में खंडित जनादेश आने पर उनकी पार्टी किसका समर्थन करेगी, उन्होंने पीटीआई से फोन पर कहा, ‘‘मैं किसी पार्टी या व्यक्ति की सरकार नहीं बनाना चाहता. मैं झारखंड के लोगों की सरकार चाहता हूं जो लोगों के समग्र विकास के लिए काम करे..मेरे लिए कांग्रेस और भाजपा एक जैसी हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए हमारा एजेंडा ‘अबकी बार, गांव की सरकार' सबसे महत्वपूर्ण है. यह शासन, वितरण प्रणाली और गांवों को इसका मूलभूत हिस्सा बनाने पर जोर देता है. हम महात्मा गांधी के स्वराज के सपने को साकार करना चाहते हैं.''  महतो ने अपनी पार्टी की पूर्ववर्ती सहयोगी बीजेपी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पार्टी स्थानीय मुद्दों को महत्व दिये बिना चुनाव जीतना चाहती है. उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी का ‘अबकी बार 65 पार' का नारा कहां है? पार्टी ने इसे अब उठाना बंद कर दिया है और इसके बजाय राम मंदिर के बारे में बातें कर रही है. वह स्थानीय मुद्दों को नजरंदाज करके चुनाव नहीं जीत सकती.'' उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया था कि अयोध्या मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर कोई राजनीति नहीं होगी लेकिन अब वह राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान मंदिर मुद्दा उठा रहे हैं.
अगले कुछ दिनों तक आप चाहें कोई भी न्यूज चैनल देखें, कोई सा भी अखबार उठाएं या भारत की कोई भी न्यूज वेबसाइट पर नजर दौड़ाए, आपको नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियां सुनने-देखने-पढ़ने को मिलेंगी. केंद्र ने बंदोबस्त ही कुछ ऐसा कर रखा है. जब तक इनके 200 रैलियों और जनसभाओं का टारगेट पूरा नहीं होगा, आपको ये सब 'झेलना' होगा. फिर चाहे हर मंत्री, हर रैली में एक ही बात क्यों ना रट्टा लगाता रहे. खैर, भले ही 56 इंच सीने की इस सरकार #SaalEkShuruaatAnek के नाम पर अपनी कामयाबियां गिनाए. हम आपको उन्हीं योजनाओं और फैसलों का दूसरा पहलू दिखाते हैं, जो बेशक सरकार की इस सेलिब्रेशन ड्रिल में आपको नहीं दिखेंगी. सौजन्य: newsflicks
विस्तारा एयरलाइन की फ्लाइट में छेड़छाड़ का शि‍कार हुईं दंगल फेम एक्ट्रेस जायरा वसीम ने आखि‍रकार आरोपी के खि‍लाफ FIR दर्ज करवा दी है. जायरा ने ये FIR मुंबई के सहर पुलिस थाने में दर्ज करवाई है. मुंबई पुलिस ने धारा 354 (छेड़छाड़) और POCSO अधिनियम के तहत शि‍कायत दर्ज कर ली है. क्योंकि जायरा माइनर हैं इसलिए ये मामला POCSO अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है. जायरा वसीम के सपोर्ट में उतरे नेता से लेकर अभि‍नेता इस मामले में पुलिस के पास एक्ट्रेस के साथ छेड़छाड़ करने वाले यात्री की जानकारी पहुंच चुकी है.जानकारी के मुताबिक, विस्तारा एयरलाइन की ओर से जायरा के साथ छेड़खानी करने वाले यात्री के बारे में सारी जानकारी मुंबई पुलिस और मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन और DGCA को दे दी गई है. मिली जानकारी के मुताबिक, ये यात्री भारतीय ही है. पुलिस जल्द से जल्द इस यात्री तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. इस मामले में एयरलाइन कंपनी ने क्रू मेंबर्स के बयान भी ले लिए हैं. ये सारी जानकारी भी पुलिस तक पहुंचाई जा रही है. फ्लाइट में छेड़खानी केस के बाद इवेंट में पहुंची जायरा बोलीं- 'मेरा पीछा बंद करो' विस्तारा के चीफ स्ट्रेटजी और कर्मशि‍यल ऑफिसर संजीव कपूर की आज तक के साथ हुई बातचीत में उन्होंने कहा, अगर पुलिस की जांच में आरोपी दोषी पाया गया तो एयरलाइन दोषी के खि‍लाफ नो फ्लाई निसम की प्रक्रि‍या पर काम शुरू कर देगी. संजीव ने आगे कहा, हमारे क्रू मेंबर्स ने जायरा और उनकी मां से पूछा था लेकिन उन्होंने शि‍कायत दर्ज करवाने से इंकार कर दिया. जायरा के साथ जो भी हुआ हम उसके लिए माफी मांगते हैं. हमारा जायरा, पुलिस और DGCA , Moca (नागरिक उड्डयन मंत्रालय) के लिए पूरा सपोर्ट है. दिल्ली से मुंबई फ्लाइट से सफर कर रहीं एक्ट्रेस जायरा वसीम के साथ हुई छेड़खानी की घटना के बाद अब मुंबई पुलिस खुद इस मामले में जायरा का बयान लेने होटल पहुंची थी. जानकारी के मुताबिक जायरा ने कुछ समय मांगा उसके बाद अब मुंबई पुलिस की महिला ऑफिसर ने जायरा का बयान दर्ज कर इस मामले की छानबीन शुरू कर दी है. मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए फ्लाइट में जायरा के साथ बैठे बाकी यात्रि‍यों की लिस्ट भी तैयार कर ली है. बाकी यात्रि‍यों के बयानों को गवाह के रूप में दर्ज किया जाएगा. मेरे साथ होता तो रोना उसको पड़ता वहीं देश की जानी मानी महिला रेस्लर गीता फोगाट ने जायरा के साथ हुई इस घटना को शर्मसार बताया है. उन्होंने ट्वीट किया है, ZairaWasim के साथ जो हुआ वो बहुत ही शर्मनाक है....लेकिन अगर मैं उसकी जगह होती तो रोना उसको पड़ता जिसने ऐसी हरकत की है !! #ZairaWasim — geeta phogat (@geeta_phogat) December 10, 2017 इसके अलावा DCW (दिल्ली कमिशन फॉर विमेन) की चीफ स्वाती मालीवाल ने ट्वीट कर इस घटना को अत्यधिक निंदनीय बताया. उन्होंने जायरा वसीम को पुलिस शिकायत दर्ज करवाने की गुजारिश की ताकी आरोनी को हिरासत में लिया जा सके. चूंकि जायरा दिल्ली से मुंबई जा रहीं भी इसलिए DCW (दिल्ली कमिशन फॉर विमेन) की और से विस्तारा एयरलाइंस को इस मामले में नॉटिस जारी किया गया है. इस नोटिस में आरोपी शख्स की जानकारी देने की मांग की गई है और इसके खि‍लाफ कार्रवाई करने को कहा है. महबूबा मुफ्ती ने भी किया ट्वीट जम्मू-कश्मीर में की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी जायरा वसीम के साथ हुई घटना को लेकर ट्वीट किया है. महबूबा मुफ्ती ने लिखा-'महिलाओं के साथ होने वाले किसी भी तरह के उत्पीड़न/अपराध के खि‍लाफ तेजी से और सही ढ़ंग से पेश आना चाहिए. मैं 2 दो बेटियों की मां होने के नाते महसूस कर सकती हूं जो कुछ भी जायरा वसीम के साथ हैं. आशा है कि संबंधित अधिकारियों इस मामले में सख्त कार्रवाई करेंगे.' Any harassment/crime against women shld be dealt with swiftly & effectively. As a mother of 2 daughters I am appalled at what happened with @zairawasimz . Hope the relevant authorities take strict action @airvistara @Ashok_Gajapathi @jayantsinha — Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 10, 2017 Mam, we have recorded statement of @zairawasimz and registering an offence accordingly. — Mumbai Police (@MumbaiPolice) December 10, 2017 एयरलाइन दे रही है ये दलील फ्लाइट में एक्ट्रेस के साथ हुई इस छेड़खानी की घटना को लेकर विस्तारा एयरलाइन्स और जायरा की टीम के अपने अपने वजर्न सामने आ रहे हैं. एयरलाइन्स का कहना है कि लैंडिंग के दौरान इस घटना की शि‍कायत करने की बात कही लेकिन  ऐसा करने के लिए जायरा और उनकी मां ने मना कर दिया. वहीं जायरा की मैनेजर ने एयरलाइन के इस दावे का खंडन किया है. क्या है मामला दंगल गर्ल जायरा वसीम ने फ्लाइट में शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक वीडियो अपलोड किया है. उनका आरोप है कि विस्तारा एयरलाइंस की फ्लाइट में उनके ठीक पीछे बैठे शख्स ने उनके साथ गलत हरकत की. उनका ये भी आरोप है कि शि‍कायत के बाद भी फ्लाइट क्रू ने उनकी कोई मदद नहीं की. जायरा दिल्ली से मुंबई जा रही थीं. जायरा ने फ्लाइट से ही इंस्टाग्राम पर लिखा, 'मेरे पीछे बैठा एक अधेड़ उम्र का शख्स कम लाइट का फायदा उठा रहा है. वो अपने पैरों से मेरी गर्दन और पीठ को रगड़ रहा है. पहले जब मैंने इसका विरोध किया तो उसने फ्लाइट टर्बुलेंस की बात कही, लेकिन बाद में फिर वो इस तरह की हरकत कर रहा है. मैंने कोशिश की कि इस बात का एक वीडियो बना लूं, लेकिन लाइट कम होने की वजह से ये हो न सका.' मुंबई पहुंचने पर किया लाइव वीडियो जायरा जब मुंबई पहुंची तो उन्होंने एक लाइव वीडियो भी किया. इस लाइव वीडियो में वो रोते हुए अपने साथ हुई घटना को बता रही थीं. उन्होंने कहा, वहां सभी लोग मौजूद थे, लेकिन किसी ने मेरी मदद नहीं की. ये सही नहीं है. इस पूरे मामले में अब तक एयरलाइंस की ओर से कोई सफाई नहीं आई है. विस्तारा एयरलाइंस ने दी सफाई मामले को संज्ञान में लेते हुए विस्तारा एयरलाइंस ने एक ट्वीट कर कहा है कि, वे ज़ायरा वसीम के साथ हैं. इस तरह के व्यवहार के लिए वे जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हैं. मामले की जांच चल रही है. We @airvistara have seen the reports regarding @ZairaWasimmm experience with another customer on board last night. We are carrying out detailed investigation and will support Zaira in every way required. We have zero tolerance for such behaviour. — Vistara (@airvistara) December 10, 2017 आरोपी का नाम हो जाहिर, विस्तारा के खिलाफ भी नोटिस: NCW राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया है. आयोग के चेयरपर्सन का अतिरिक्त कार्याभार संभाल रहीं रेखा शर्मा ने कहा है कि वह एयरलाइन से मामले की पूरी जानकारी लेंगी और पूछेंगी कि आरोपी के खिलाफ क्या ऐक्शन लिया गया है. 'आरोपी का नाम ना बताने के लिए और फ्लाइट से उतरने के तुरंत बाद गिरफ्तार ना करने के लिए हम एयरलाइन को नोटिस भी भेजेंगे.' क्रू मेंबर्स से पूछताछ एयर विस्तार की तरफ से ये जानकारी भी आ रही है कि फ्लाइट में मौजूद क्रू को पूछताछ के लिए बुलाया गया है. इस संबंध में सभी से गहन पूछताछ की जाएगी. बता दें कि जायरा एयर विस्तारा की फ्लाइट में दिल्ली से मुंबई जा रही थीं. फ्लाइट में उनकी सीट के पीछे बैठे एक शख्स ने उनसे छेड़छाड़ की. जायरा ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया और रोते हुए अपनी आपबीती सुनाई. यहां तक कि जायरा ने फ्लाइट क्रू पर मदद न करने का आरोप भी लगाया है.
सौंदर्य या लालित्य के आशय से व्यक्त होने वाली कलाएँ ललित कला (Fine arts) कहलाती हैं। अर्थात् वह कला जिसके अभिव्यंजन में सुकुमारता और सौंदर्य की अपेक्षा हो और जिसकी सृष्टि मुख्यतः मनोविनोद के लिए हो। जैसे गीत, संगीत, नृत्य, नाट्य, तथा विभिन्न प्रकार की चित्रकला या ललित कला वह कला है जो कलाकार एवं दर्शक के अन्तर्मन को स्पर्श कर मन को मुग्ध करती है। नृत्य कला (दक्षिण भारतीय) भरत नाट्यम तमिलनाडु में प्रसिद्ध यह नृत्य पहले पहल आडल, कूलू, दासियाट्टम, चिन्नमेलम आदि नामों से जाना जाता था। इस नृत्य में भरतमुनि कृत नाट्यशास्त्र में वर्णित प्रणालियों का शुद्ध अनुकरण होने के कारण इसे 'भरतनाट्यम्‌' कहने लगे। भरत शब्द ही भाव, राग और ताल के संयोग को सूचित करता है। यह नाट्य तांडव, लास्य दो प्रकार के हैं। शिवजी द्वारा तंडु नामक भूतगण को प्रदत्त तांडव तथा पार्वती देवी से प्रदत्त लास्य है। अलग अलग रहनेवाली तथा शृंगार के आधार धरकर विकसित होनेवाली भावभूमिकाओं का अभिनय ही लास्य के रूप में वर्णित है। यह नृत्य अत्यंत प्राचीन माना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष रूप में मिली हुई वस्तुओं में एक नर्तकी की प्रतिमा है। तमिल के पंचमहाकाव्यों में श्रेष्ठ शिप्पधिकारम में भी हम इस नाट्यप्रणाली का उल्लेख पाते हैं। यह प्रणाली केवल दक्षिण भारत में ही प्रचलित नहीं थी, अपितु उत्तर भारत में भी एक काल में यह प्रचलित थी। प्रमाणस्वरूप हम उत्तर भारत के अनेक भग्न शिलाखंडों में इस नृत्यप्रणाली का प्रतिपादन पाते हैं। आज सांस्कृतिक नवजागरण के इस युग में पाश्चात्य देशों का ध्यान भरतनाट्यम की ओर आकृष्ट हुआ है। भरतनाट्यम में एक ही नर्तकी के अश्रुप्रवाह, नयनमार्जन, हस्ताभिनय आदि से भावों का प्रतिपादन करने के कारण इसमें कलात्मकता अधिक विकासशील हो पाई है। भरत के द्वारा वर्णित गतिविधि, ग्रीवा-चालन-विधि आज भी व्यापक रूप से भरतनाट्यम में प्रचलित हैं। उनके द्वारा वर्णित हस्ताभिनय ही आज के हस्ताभिनय का आधार है। भरतनाट्यम के संबंध में प्राप्त होनेवाला प्राचीन ग्रंथ अभिनयदर्पण ही, जो नदिकेश्वर रचित माना जाता है, आज के नर्तनाचार्यों का आधारग्रंथ है। इन नृत्यप्रणाली में पहले पुष्पांजलि, फिर मुखशाली, फिर शुद्ध यति नृत्य, शब्दशाली, सूडादि शब्द नृत्त, शब्दसूड, फिर अनेक प्रकार के गीतों का अभिनय, फिर प्रबंध नर्तन तथा अंत में सिंधुतरु ध्रुवपद आदि का क्रम रखा गया है। यह नाट्य कविता, अभिनय, रस, राग आदि का सम्मिश्रित रूप है जो क्रमश: यजु:, साम, अथर्वण वेदों का सार तथा धर्म, अर्थ काम, मोक्ष को प्रदान करनेवाला माना जाता है। आजकल इस नृत्यप्रणाली का प्रचलन व्यापक हो गया है। राग, ताल, अभिनय, नृत्त, चित्रकारी, शिल्पकला आदि से युक्त इस कला का संपोषण इसकी वारीकियों की ओर विशेष ध्यान देते हुए बड़ी श्रद्धा के साथ हो रहा है। भागवत नाट्य नाटक या भागवत्‌ मेल नाट्य नाटक नाट्य नाटकों में यह एक प्रकार का है जो बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है। इन नाटकों का अभिनय प्राय: पुरुषों के द्वारा ही होता है। गणपति, नरसिंह इत्यादि देवों की मुखाकृतियाँ होती है जिनकी पूजा नट नित्य किया करते हैं और नाट्य काल में व्रत धारण करते हैं। ये नाटक बहुधा मंदिरों में ही खेले जाते हैं, अन्यत्र नहीं। नाटक के प्रारंभ में मंगलाचरण गाया जाता है। बाद में कोणाँगीदा सर नामक विदूषक रंगमंच में प्रवेश करता है। नाटककार की विशेषताएँ और नाटक का लक्ष्य ओरडिसिंधु (एकाक्षर छंद) में गाए जाते हैं। इसके बाद पात्रप्रवेश होता है, प्रवेश तरु गाए जाते हैं। तंचावूर जिला के मेरटूर, उल्लुक्काडु, शूलमंगलम्‌ शालियमंगलम्‌ आदि जगहों में यह नृत्यपद्धति प्रचलित है। आंध्रप्रदेश के कूचिपुडी नामक गाँव में भी नरसिंह जयंती महोत्सव के समय यह नृत्य होता है। सदिर इसका नर्तन प्राय: एक अथवा दो स्त्री पात्रों द्वारा होता है। यह नर्तन पहले प्राय: देवदासियों से ही कराया जाता था। पल्लु स्त्री और पुरुष सम्मिलित रूप से यह नृत्य करते है। इसमें बहुधा ग्रामीण गीतों की ही प्रधानता होती है। कथकली इसका अर्थ ही कथाप्रधान है। यह नृत्य प्राचीन कालीन नाट्य सम्प्रदायों एवं देवी देवताओं की पूजनपद्धति से जनित माना जाता है। मुडियेट्टु, भगवती पाट्टु, काली आट्टम, तूकुआदि - ये नृत्य आर्यों के आगमन के पूर्व स्थित अनार्यों के आचारविचार को प्रतिबिंबित करनेवाले हैं। मूक अभिनय, धार्मिकता, तंत्र मंत्र, विचित्र भूषा, युद्ध, रक्तप्रवाह, आदि रूढ़िबद्ध होकर रंगमंच में प्रदर्शित किए जाते हैं। ये इस नृत्य की विशेषताएँ हैं। यह नाटक केरल के शाक्य लोगों से ही अधिक प्रचलित हुआ। तमिल महाकाव्यों में श्रेष्ठ शिलप्पधिकारम्‌ में भी इस नृत्य का उल्लेख है। संस्कृत नाटकों का अंश कूडियाट्टम से अभिनयादि विशेष अंग कथकली में लिया गया है। शाक्यों के आंगिक अभिनय, उनकी मुद्राएँ, भावाभिनय, रंगमंच की रूढ़ियाँ इत्यादि कथानुसार अपनाई गई हैं। कथकली में जो रंग काम में लाए जाते हैं उन रंगों का विशेष अर्थ होता है। इस नृत्य में प्रयुक्त होनेवाली हर चीज विशेष अर्थसूचक होती है, जैसे हरा रंग दैवी गुणों का सूचक, काला रंग राक्षसी प्रवृत्तियों का सूचक माना जाता है। केरल में ज्यों ज्यों इस नृत्य का प्रचलन होने लगा त्यों त्यों केरल साहित्य का विकास हुआ। कृष्णाट्टम कथकली का ही अंश माना जाता है। इस नृत्यपद्धति के स्रष्टा थे राजा सामुद्रि। इसमें कृष्ण जीवन सबंधी कहानियों की प्रधानता होती है। इसके अलावा केरल में मोहिनीयाट्टम नामक नृत्य भी प्रचलित है। यह प्राय: स्त्रियों द्वारा ही किया जाता है। कूच्चुप्पुडी आंध्र प्रदेश में प्रचलित नृत्यपद्धति है। विजयवाड़ा के समीप का कूच्चुप्पुडी गाँव इस नृत्य का जन्मस्थान है। इसके स्रष्टा है सिद्धेंद्र योगी। इस नृत्य-प्रणाली में अभिनय, पद चालन और हस्तचालन अधिक है। इस नृत्य में पौराणिक कथांश ही अधिक होता है। यक्षगानम्‌ यह कर्णाटक में प्रचलित एक पुरातन नृत्य प्रणाली है। धातु एवं काष्ठ कला प्रत्येक देश में तथा प्रत्येक युग में धातु एवं काष्ठ कला मानव सभ्यता के जीवन के अभिन्न उपकरण रहे हैं, जिनके प्रयोग द्वारा मनुष्य ने अपने जीवन को सहज, सुखी और संपन्न बनाने की चेष्टा की है। प्रागैतिहासिक काल से ही प्रकृति को विजयी अथवा प्रमोहित करने के लिए और जीवन में एक नियमित नियंत्रण लाने के लिए, भय से हो अथवा श्रद्धा से, जब मनुष्य ने अपने चारों ओर के वातावरण की ताल से अपने जीवन को संयोजित किया तो उसका यह प्रयत्न कला को केवल सुंदरता के लिए वरण करना न था बल्कि उसमें उसके जीवननिर्वाह और दैनिक क्रिया का लक्ष्य केंद्रित था। हम देखते है कि प्रस्तर युग, ताम्र युग और उसके बाद के युगों की कला इसी आदर्श और लक्ष्य पर आधारित है, न कि एक किसी अनुपयोगी वस्तु का केवल सौंदर्यपान करने के लिए। यही कारण है कि जहाँ एक ओर उनके द्वारा बने हुए दैनिक कार्यों में काम आनेवाली इन धातु और काष्ठ की वस्तुओं में भी उनके जीवन, धर्म और सामाजिक व्यवस्था की छाप स्पष्ट है, वहाँ दूसरी ओर इन्हीं वस्तुओं द्वारा हम उनमें निहित सुप्त सौंदर्य बोध की झाँकी भी पाते हैं। धातु की अपेक्षा लकड़ी का प्रयोग बाद में हुआ होगा, ऐसा कहना ठीक नहीं जंचता। हाँ, यह अवश्य है कि लकड़ी कम टिकाऊ माध्यम होने के कारण उसमें उदाहरण हमें इतने प्राचीन नहीं प्राप्त होते, जितने धातु, हड्डी अथवा पत्थर में मिलते हैं। ऐतिहासिक युग की वास्तुकला, चाहे वह रहने का आवास हो, मंदिर, चैतन्य अथवा विहार हो इस बात की पुष्टि करती है कि इसके पूर्व यही सब चीजें लकड़ी में बनाई जाती रही होंगी। लोमस की कुटी, साँची के द्वार और खिड़की, अजंता की गुफाओं की बनावट इसका ज्वलंत प्रमाण हैं जो पत्थर में बनी होकर भी उनकी कल्पना और योजना लकड़ी के माध्यम पर ही आधारित है। दैनिक जीवन की इन उपयोगी वस्तुओं का निर्माण यद्यपि ललित कला के लक्ष्य से नहीं हुआ, तथापि सामूहिक जीवन की कलाप्रियता का अंश इनमें हमें अवश्य दृष्टिगोचर होता है और यदि इन्हें कलात्मक वस्तुएँ कहा जाए तो भूल न होगी। सभ्यता के विकास के साथ साथ मानव ने यद्यपि अपनी निर्मित वस्तुओं में उपयोगी धारणा को नहीं छोड़ा पर हम देखते है कि उसकी कलाप्रियता ने अपनी प्रवाहशीलता द्वारा कुछ मात्रा में उन्हें ललित कला के सुंदर उपादान बना दिया है। यह केवल आधुनिक युग की ही देन है कि जहाँ कला एक ओर सामूहिक न होकर व्यक्तिगत हुई, दूसरी ओर उसकी उपयोगिता कला, कला के लिए हो, इस उद्देश्य को लेकर चली, यह दूसरी बात है कि इसी अनुपयोगी कला का प्रभाव भी हमारी उपयोगी वस्तुओं पर पड़ा और एक प्रकार से उसने सामूहिक रूप लिया। आज के वैज्ञानिक युग में यातायात के विकसित साधनों द्वारा कला का एक नवीन रूप अंतरराष्ट्रीयता भी सामने आ रहा है जहाँ किसी राष्ट्र की राजनीतिक, सामाजिक अथवा धार्मिक परिधियाँ टूट चुकी है और मानवता एक संयुक्त दृष्टिकोण में आबद्ध होकर भी, कला व्यक्तिगत मौलिकता को नहीं छोड़ पाई है क्योंकि मनोवैज्ञानिक विचारों से भी अभिभूत होकर व्यक्तिविशेष के अंतराल में सुप्त लालसाओं, कामनाओं और प्रतिरोधी आशंकाओं को भी अब कला के उपादानों की उचित सामग्री मान लिया गया है। मोहनजोदाड़ो की नर्तकी की धातु की मूर्ति से उस काल की कला का स्तर, दृष्टिकोण एवं आवश्यक गुण हमें स्पष्ट परिलक्षित होते हैं और यदि हम बाद की धातु की मूर्तियों में देखें, जो दसवीं शताब्दी से प्रचुर मात्रा में बननी प्रारंभ हो गई थीं, तो नर्तकी उन सब गुणों से परिपूर्ण है जो एक उच्च कोटि की मूर्ति में होने चाहिए। नटराज की काँसे की मूर्ति की भावपूर्ण गतिशीलता में हम परंपरागत कला सौंदर्य के सब लक्षणों के साथ साथ आधुनिक मापदंडों द्वारा भी उसे सर्वगुण सम्पन्न पाते हैं। नैपाली तारा की मूर्ति की शात अर्धनयन निमीलित सौम्यता, उसके चारों ओर का अनावश्यक अलंकरण, जो धीरे धीरे बाद की मूर्तियों में और भी बढ़ गया, किसी से छिप नहीं पाती। यद्यपि इस प्रकार की यह सभी मूर्तियाँ धार्मिक भावनाओं को लेकर बनीं तथापि उनके कलासौंदर्य के कारण वह सर्वप्रिय धर्मनिरपेक्ष हो सकीं। धातु की मूर्तियाँ तीन प्रकार की होती थीं, ढली हुई, पीटी हुई और ढली पीटी हुई। ढाली हुई मूर्तियाँ प्रारंभ में मोम द्वारा बना ली जाती थीं। और फिर पतली महीन चिकनी मिट्टी के घोल में मूर्ति को डुबाकर एक मोटा आवरण बना लिया जाता था। नीचे लगी हुई मोम की नली द्वारा जो प्रत्येक मूर्ति के आवश्यकतानुसार स्थानों पर लगा ली जाती है गर्मी देकर मोम बाहर निकाल दिया जाता और उसी रिक्त स्थान को उन्हीं नलीवाले मार्ग से धातु द्वारा भर दिया जाता है। चाँदी, सोना, काँसा, पीतल और अष्टधातु की सभी मूर्तियाँ इसी प्रकार ढाली जाती हैं। दूसरी प्रकार की मूर्तियों में धातु की चादर को पीछे की ओर से पीट पीटकर उभार लिया जाता है और इसे उभरे हुए विभिन्न अंग के खोलों को जोड़ दिया जाता है। कभी कभी ढली हुई मूर्तियों के अलंकरण पीटकर बनाते और बाद में जोड़ देते हैं या पीटी हुई मूर्तियों के सिंहासन अथवाअलंकरण ढले हुए रहते हैं। दक्षिण भारत, नेपाल और गुजरात ऐसी मूर्तियों का केंद्र रहा है और अब भी वहाँ परंपरागत शैली और विधि से इन मूर्तियों का निर्माण होता है, यद्यपि अब इनका लक्ष्य धार्मिक कम और अद्भुत वस्तुओं की रचना कर विदेशी मुद्रा अर्जन करना अधिक है। मूर्तियों के अतिरिक्त आराधना कार्य मंदिर और दैनिक जीवन में कार्य आनेवाली वस्तुएँ परंपरागत शैली में अब भी बनती है जैस कलश, धरती, प्रदीप, पूर्ण कुंभ घंटे, छीप लक्ष्मी, सरौते, चाकू इत्यादि जो अब र्निजीव और रुढ़िगत होने पर भी एक अपनी स्थानीय शैली का आकर्षण रचते हैं। काष्ठ कला के अधिकतर प्राप्त नमूने हमें मध्ययुग से पूर्व के नहीं मिलते पर उनकी कलानिपुणता और कौशलपराकष्ठा देखकर सहज में ही मान लिया जा सकता है कि उस उच्च कोटि के स्तर तक पहुँचने के लिए इस प्रकार की कला की परंपरा बहुत पुरानी रही होगी। चंदन, अखरोट, शीशम, आवनूस, कटहल, शील, नीम, की काष्ठकला के सर्वोत्तम उदाहरण हमें काठमांडू (नेपाल), अहमदाबाद (गुजरात) के भवनों में और केरल की रथयात्रा के समय कार्य आनेवाले बड़े आकार के रथों में मिलते हैं। स्वतंत्र मूर्तियों की अपेक्षा इन सभी का ध्येय काष्ठ वस्तु कला का एक अलंकृत अंग होना था पर कलाकारों को अपनी अपनी शिल्प चतुरता और प्रौढ़ता दिखाने का काफी अवसर मिला है और ये लकड़ी के मकान, आराधना अथवा वासस्थान होने के कारण, धार्मिक विषय पर ही अधिक प्रोत्साहन होने पर भी हम पाते हैं कि धर्मनिरपेक्ष विषय जैसे शिकारी, पशुपक्षी, दैनिक जीवन में तल्लीन नरनारियों से इन भवनों की खुदाई ओत-प्रोत है। खुदाई करने के बाद इन भवनों को वार्षिक समारोह के समय परिष्कृत करने के लिए तेल का प्रयोग अवश्य किया गया जिसके कारण काष्ठ जैसा माध्यम पक्का होकर समय और जलवायु के क्रूर प्रघातों को सह पाया है। कुछ भवन तो अब भी कल के बने हुए से नए दिखते हैं। चंदन और अखरोट की लकड़ी जिसका मैसूर और कश्मीर केंद्र है कलात्मक प्रकार की छोटी और बड़ी दैनिक जीवन की वस्तुएँ और पशुपक्षी, कंधे, डब्बे इत्यादि बनाने के कार्य में लाई गई है। उसका विशेष कारण इस प्रकार की लकड़ी की दुर्लभता और बड़ी परिधि के पेड़ न होना ही है। मुगल काल में भी यह कला पनपी और आवनूस के कार्य के लिए, जिसके अलंकृत कंघे, कंघियाँ, कलमदान डब्बे इत्यादि बनाए जाते रहे। उत्तर प्रदेश के नगर नगीना और सहारनपुर विख्यात हुए। उसी काल से लकड़ी के ऊपर पीतल का तार, सीप अथवा विभिन्न प्रकार की लकड़ियों के मेल से फूल बूटे का जड़ाऊ काम (inlay work) भी प्रारंभ हुआ। सभी कलाओं की भाँति धातु और काष्ठ की मूर्तियाँ भी विदेशी राज्य के भिन्न दृष्टिकोण के कारण और उचित संरक्षण तथा प्रोत्साहन के अभाव में निर्जीव एवं रूढ़िग्रस्त हो गईं। कहीं उनका लोप हुआ तो कहीं उनके कुशल कारीगरों ने जीवननिर्वाह के लिए अन्य काम धंधे सम्हाल लिए। धनी शिक्षित वर्ग विदेशी वस्तुओं की सभ्यता और कला की चकाचौंध में अपनी परिष्कृत रुचि गवाँ बैठे। शिक्षित कलाकारों ने भी विदेशी कला का अनुसरण किया किंतु कालांतर से अब फिर इन खोई हुई वैभवशील कलाओं की ओर ध्यान जा रहा है और अनेक उदीयमान कलाकारों ने काष्ठ मूर्तिकला को अपना माध्यम बनाया है जिसमें भारतीय परंपरागत शैली के साथ हम आज अंतरराष्ट्रीय कलादृष्टि का सुंदर समन्वय पाते हैं। प्रत्येक माध्यम का अपना स्वतंत्र गुण और चरित्र है जो दूसरे माध्यम में हमें नहीं मिलता। धातु की मूर्ति काष्ठ जैसी न लगे और काष्ठ की मूर्ति पत्थर, सीमेंट अथवा धातु जैसी न लगे और उसके अंर्तहित गुणों को परखकर माध्यम के अनुकूल, नस, रंग, रूप को ध्यान में रख कलाकार अपनी कृति की कल्पना करे और उसके गोपनीय सौंदर्य को उन्मीलित कर दे जिससे उतार चढ़ाव, रेखा इत्यादि के सम्मिश्रण से एक मौलिक रचना प्रस्तुत हो, यही आधुनिक कलाकार का ध्येय और उद्देश्य है। बाह्यरूप कुछ भी हो पर हमारी कला के मूल सिद्धांत, जो षडंग के अंतर्गत आते हैं, अब भी किसी भी माप दंड से खरे उतरते हैं चाहे दृष्टिकोण कितना ही अति आधुनिक हो। इन्हें भी देखें मूर्तिकला सौन्दर्यशास्त्र वास्तुकला बाहरी कडियाँ art/kala3.aspx ललित कला (परिचय) कला साहित्य
छोटा भीम: जर्नी टू पेट्रा एक भारतीय एनिमेटेड फिल्म भीम की विशेषता है, स्टार भारतीय टेलीविजन की कार्टून श्रृंखला कार्टून कार्यक्रम छोटा भीम है। यह छोटा भीम फिल्म श्रृंखला की पांचवीं फिल्म है। प्लॉट ढोलकपुर में भीम को राजा इंद्रवर्मा और राजकुमारी इंद्रमती की चिंता महसूस होती है, जो पेट्रा में फंसे हुए हैं। एक संदेशवाहक आता है और भीम उसे झूठा समझकर सीधे ढोलकपुर जेल भेज देता है। भीम को लगता है कि राजा मुश्किल में है और कमांडर से उसे तुरंत पेट्रा के सबसे छोटे मार्ग का नक्शा देने को कहता है। टीम अपने राजा को खोजने के लिए यात्रा पर निकलती है। वे रास्ते में खतरों का सामना करते हैं और रेगिस्तान में फँस जाते हैं। वे स्टेपहार्ड लायंस के कब्जे में आ जाते हैं और उनकी तरह उग्र डाकू बनना सीखते हैं। एक दिन, एक मासूम लड़की के पीछे एक शेर दौड़ता है और भीम अपने इलाके से हमेशा के लिए उसका पीछा करता है। नेता को भीम और दोस्तों की दासता पर पछतावा होता है और वे सभी को रिहा कर देते हैं। वे पेट्रा के लिए मुखिया हैं और राजा को ढूंढते हैं। वे इंदुमती और पेट्रा की राजकुमारी के लापता होने की जांच शुरू करते हैं। भीम को बताया जाता है कि दोनों राज्यों की राजकुमारियों को काला हाथ (डार्क हैंड्स) नामक एक डाकू ने पकड़ लिया है। भीम वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेता है और हमेशा के लिए डार्क हैंड्स को हरा देता है। वह राजकुमारियों को पकड़ लेता है और अखाड़े में लौट आता है। पेत्रा के राजा का दुष्ट मंत्री कालिया से पिट गया। राजा को अपने बुरे मंत्री का एहसास होता है और उसे जेल में डाल देता है। राजा अपनी बेटियों को वापस पाकर खुश हैं। फिल्म खत्म होते ही हर कोई ढोलकपुर लौट आता है। वर्ण भीम छुटकी राजू जग्गू कालिया ढोलू-भोलू राजा इंद्रवर्मा राजकुमारी इंदुमती पेट्रा के राजा और राजकुमारी काला हाथ पेट्रा का वज़ीर समूह के नेता रागिस्तानी शेर रिसेप्शन छोटा भीम के जन्मदिन पर रिलीज़ हुई फिल्म को अच्छी तरह से प्राप्त किया गया; लेकिन एक शक्तिशाली स्क्रिप्ट और कभी विकसित होने वाले भूखंडों के साथ समर्थित होने के बावजूद, यह पहली फिल्म की सफलता से मेल खाने में विफल रही। छोटा भीम और कृष्णा। कुछ कारण थे: अच्छे का अभाव शीर्षक गीत, घटिया और जल्दबाजी एनीमेशन और पिछली चार फिल्मों से जुड़ी असफल प्रचार हुआ। प्राचार्य फिल्म राज विश्वनाधा ने लिखी थी और निर्देशित राजीव चिलका द्वारा। यह बनाया गया था और रिलीज़ हैदराबाद, भारत के ग्रेन्गोल्ड एनिमेशन द्वार बनाया गया यह भी देखें छोटा भीम छोटा भीम और कृष्णा छोटा भीम और गणेश छोटा भीम: भीम बनाम एलियंस छोटा भीम और कृष्ण: पाटलिपुत्र- मृतकों का शहर छोटा भीम: शाओलिन के मास्टर छोटा भीम: ढोलकपुर से काठमांडू सन्दर्भ भारतीय एनिमेटेड फिल्में भारतीय फिल्में २०११ की टेलीविजन फिल्में छोटा भीम पोगो टेलीविजन फिल्में