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बिग बॉस सीजन 12 (Bigg Boss Season 12) की विनर दीपिका कक्कड़ (Dipika Kakar) जीत के बाद बेहद जोश ख़रोश में हैं. उन्होंने 22 फरवरी को पति शोएब इब्राहिम (Shoaib Ibrahim) संग अपनी पहली वेडिंग एनिवर्सरी सेलिब्रेट की. सेलिब्रेशन के बाद वह घूमने के लिए बाहर निकली हैं. अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर दीपिका ने एक वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें वह अपने डॉगी के साथ मस्ती से डांस करती हुई नजर आ रही हैं. कार में बैठी हुईं दीपिका अपने पालतू डॉग का पैर पकड़ी हुई दिखाई दी और फिर बॉलीवुड के पुराने गाने की लिरिक्स पर स्टेप करती दिखीं. उनके इस वीडियो को करीब 2 लाख से ज्यादा बार देखा गया. फिलहाल यह कहा जा सकता है कि दीपिका कक्कड़ (Dipika Kakar) अपनी दुनिया में हमेशा और किसी भी परिस्थिति में खुश रहती हैं.   A post shared by Dipika (@ms.dipika) on Feb 26, 2019 at 6:34am PST   बिग बॉस सीजन 12 (Bigg Boss 12) में सबसे चर्चित जोड़ी टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ (Dipika Kakar) और क्रिकेटर श्रीसंत (Sreesanth) की थी, जो भाई-बहन के रूप में बड़ी मिसाल बने थे. हर सुख-दुख में साथ रहने वाले ये दोनों स्टार्स को देखकर लगता था मानो ये एक-दूसरे को सालों से जानते हों. फिलहाल शो के बाहर आने के बाद दोनों के बीच कुछ खटपट देखने को मिली. पिछले दिनों खबर आई थी कि श्रीसंत ने किसी कारणवश दीपिका कक्कड़ के इंस्टाग्राम अकाउंट पर अनफॉलो कर दिया था.    A post shared by Dipika (@ms.dipika) on Feb 22, 2019 at 7:07am PST   इस बारे में जब भुवनेश्वरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'क्या सच में? मुझे यह भी नहीं पता था कि वह मुझे फॉलो कर रही हैं या नहीं. यह उनकी (श्रीसंत-दीपिका) अपनी जिंदगी का निजी मसला है. जाहिर है कि वे रोजाना पब्लिकली एक साथ नहीं देखे जा सकते और मुझे लगता है कि यह अफवाह फैलाई जा रही हैं. मैंने अभी तक श्रीसंत (Sreesanth) से बात नहीं की क्योंकि वह शहर से बाहर हैं.' श्रीसंत (Sreesanth) और दीपिका कक्कड़ (Dipika Kakar) पहली बार बिग बॉस-12 के घर में ही मिले थे और एक-दूसरे को भाई-बहन मानकर बेहद ही मजबूत रिश्ता बना लिया था.
बीते साल ऑस्ट्रेलिया दौरे मे भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बीच रोटेशन नीति को लेकर जो वाकयुद्ध शुरू हुआ था, उसमें सहवाग ने शुक्रवार को एक नया अध्याय जोड़ते हुए कहा कि भारत ने दो विश्व कप सिर्फ धोनी की कप्तानी नहीं बल्कि सशक्त टीम की वजह से जीता है। सहवाग ने कहा कि इन दो खिताबी जीतों (वर्ष 2007 में ट्वेंटी-20 और 2011 में एकदिवसीय) के दौरान भारत की टीम सशक्त थी और साथ ही साथ उसे महेंद्र सिंह धोनी का कुशल नेतृत्व भी मिला। इन दोनों मिश्रणों के कारण भारत 28 साल बाद दूसरी बार विश्व विजेता बनने में सफल रहा। सहवाग ने शुक्रवार को दिल्ली के करीब नोएडा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "धोनी को एक बेहद मजबूत टीम मिली। जब आपकी टीम मजबूत होती है तो फिर नतीजे पाना आसान हो जाता है। जैसा कि एक समय में ऑस्ट्रेलिया ने किया था।" "हम सिर्फ धोनी की अच्छी कप्तानी से ही विश्व कप नहीं जीते, बल्कि हमारी टीम बहुत मजबूत थी। हमने हाल के वर्षो में दो विश्व कप जीते हैं। दोनों में जीत की वजह मजबूत टीम थी।" सहवाग ने कहा कि किसी भी कप्तान के पास अच्छी टीम होती है तो वह जीतती है। बकौल सहवाग, "वर्ष 1999, 2003 और 2007 में विश्व कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इतने वर्ष तक राज किया है। इसकी वजह कप्तानी नहीं बल्कि उनकी अच्छी टीम थी।" श्रीलंका दौरे के लिए टीम में वापसी करने वाले सहवाग ने कहा कि उस दौरे में टीम को सचिन तेंदुलकर की कमी खलेगी, जिन्होंने आराम का फैसला किया है। सहवाग ने कहा कि 40 साल के होने जा रहे सचिन को अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार है। बकौल सहवाग, "न सिर्फ मैं बल्कि पूरे देश को सचिन की कमी खलेगी। सचिन 39 साल के हो चुके हैं और ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि उन्हें अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार होना चाहिए। हमें यकीन है कि वह न्यूजीलैंड के साथ होने वाली टेस्ट श्रृंखला में जरूर खेलेंगे।"टिप्पणियां सहवाग बोले कि वह पूरी तरह फिट हैं और श्रीलंका के साथ 12 जुलाई से होने वाली श्रृंखला के लिए तैयार भी हैं। बकौल सहवाग, "मेरे लिए फिटनेस की समस्या नहीं है क्योंकि मैंने इंडियन प्रीमियर लीग के लगभग सभी मैच खेले हैं। श्रीलंका दौरा हमें ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए तैयारी करने में मददगार होगा।" उल्लेखनीय है कि बीते साल आस्ट्रेलिया दौरे में दो लगातार टेस्ट मैच हारने के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि सहवाग और धोनी के बीच की तनातनी के कारण भारतीय ड्रेसिंग रूम में दोफाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सहवाग ने टीम के चयन और मैदान में कुछ फैसलों को लेकर धोनी की आलोचना की थी लेकिन सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने पत्रकार सम्मेलन में मनमुटाव सम्बंधी खबरों का खंडन किया था। सहवाग ने कहा कि इन दो खिताबी जीतों (वर्ष 2007 में ट्वेंटी-20 और 2011 में एकदिवसीय) के दौरान भारत की टीम सशक्त थी और साथ ही साथ उसे महेंद्र सिंह धोनी का कुशल नेतृत्व भी मिला। इन दोनों मिश्रणों के कारण भारत 28 साल बाद दूसरी बार विश्व विजेता बनने में सफल रहा। सहवाग ने शुक्रवार को दिल्ली के करीब नोएडा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "धोनी को एक बेहद मजबूत टीम मिली। जब आपकी टीम मजबूत होती है तो फिर नतीजे पाना आसान हो जाता है। जैसा कि एक समय में ऑस्ट्रेलिया ने किया था।" "हम सिर्फ धोनी की अच्छी कप्तानी से ही विश्व कप नहीं जीते, बल्कि हमारी टीम बहुत मजबूत थी। हमने हाल के वर्षो में दो विश्व कप जीते हैं। दोनों में जीत की वजह मजबूत टीम थी।" सहवाग ने कहा कि किसी भी कप्तान के पास अच्छी टीम होती है तो वह जीतती है। बकौल सहवाग, "वर्ष 1999, 2003 और 2007 में विश्व कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इतने वर्ष तक राज किया है। इसकी वजह कप्तानी नहीं बल्कि उनकी अच्छी टीम थी।" श्रीलंका दौरे के लिए टीम में वापसी करने वाले सहवाग ने कहा कि उस दौरे में टीम को सचिन तेंदुलकर की कमी खलेगी, जिन्होंने आराम का फैसला किया है। सहवाग ने कहा कि 40 साल के होने जा रहे सचिन को अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार है। बकौल सहवाग, "न सिर्फ मैं बल्कि पूरे देश को सचिन की कमी खलेगी। सचिन 39 साल के हो चुके हैं और ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि उन्हें अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार होना चाहिए। हमें यकीन है कि वह न्यूजीलैंड के साथ होने वाली टेस्ट श्रृंखला में जरूर खेलेंगे।"टिप्पणियां सहवाग बोले कि वह पूरी तरह फिट हैं और श्रीलंका के साथ 12 जुलाई से होने वाली श्रृंखला के लिए तैयार भी हैं। बकौल सहवाग, "मेरे लिए फिटनेस की समस्या नहीं है क्योंकि मैंने इंडियन प्रीमियर लीग के लगभग सभी मैच खेले हैं। श्रीलंका दौरा हमें ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए तैयारी करने में मददगार होगा।" उल्लेखनीय है कि बीते साल आस्ट्रेलिया दौरे में दो लगातार टेस्ट मैच हारने के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि सहवाग और धोनी के बीच की तनातनी के कारण भारतीय ड्रेसिंग रूम में दोफाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सहवाग ने टीम के चयन और मैदान में कुछ फैसलों को लेकर धोनी की आलोचना की थी लेकिन सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने पत्रकार सम्मेलन में मनमुटाव सम्बंधी खबरों का खंडन किया था। सहवाग ने शुक्रवार को दिल्ली के करीब नोएडा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "धोनी को एक बेहद मजबूत टीम मिली। जब आपकी टीम मजबूत होती है तो फिर नतीजे पाना आसान हो जाता है। जैसा कि एक समय में ऑस्ट्रेलिया ने किया था।" "हम सिर्फ धोनी की अच्छी कप्तानी से ही विश्व कप नहीं जीते, बल्कि हमारी टीम बहुत मजबूत थी। हमने हाल के वर्षो में दो विश्व कप जीते हैं। दोनों में जीत की वजह मजबूत टीम थी।" सहवाग ने कहा कि किसी भी कप्तान के पास अच्छी टीम होती है तो वह जीतती है। बकौल सहवाग, "वर्ष 1999, 2003 और 2007 में विश्व कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इतने वर्ष तक राज किया है। इसकी वजह कप्तानी नहीं बल्कि उनकी अच्छी टीम थी।" श्रीलंका दौरे के लिए टीम में वापसी करने वाले सहवाग ने कहा कि उस दौरे में टीम को सचिन तेंदुलकर की कमी खलेगी, जिन्होंने आराम का फैसला किया है। सहवाग ने कहा कि 40 साल के होने जा रहे सचिन को अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार है। बकौल सहवाग, "न सिर्फ मैं बल्कि पूरे देश को सचिन की कमी खलेगी। सचिन 39 साल के हो चुके हैं और ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि उन्हें अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार होना चाहिए। हमें यकीन है कि वह न्यूजीलैंड के साथ होने वाली टेस्ट श्रृंखला में जरूर खेलेंगे।"टिप्पणियां सहवाग बोले कि वह पूरी तरह फिट हैं और श्रीलंका के साथ 12 जुलाई से होने वाली श्रृंखला के लिए तैयार भी हैं। बकौल सहवाग, "मेरे लिए फिटनेस की समस्या नहीं है क्योंकि मैंने इंडियन प्रीमियर लीग के लगभग सभी मैच खेले हैं। श्रीलंका दौरा हमें ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए तैयारी करने में मददगार होगा।" उल्लेखनीय है कि बीते साल आस्ट्रेलिया दौरे में दो लगातार टेस्ट मैच हारने के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि सहवाग और धोनी के बीच की तनातनी के कारण भारतीय ड्रेसिंग रूम में दोफाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सहवाग ने टीम के चयन और मैदान में कुछ फैसलों को लेकर धोनी की आलोचना की थी लेकिन सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने पत्रकार सम्मेलन में मनमुटाव सम्बंधी खबरों का खंडन किया था। सहवाग ने कहा कि किसी भी कप्तान के पास अच्छी टीम होती है तो वह जीतती है। बकौल सहवाग, "वर्ष 1999, 2003 और 2007 में विश्व कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इतने वर्ष तक राज किया है। इसकी वजह कप्तानी नहीं बल्कि उनकी अच्छी टीम थी।" श्रीलंका दौरे के लिए टीम में वापसी करने वाले सहवाग ने कहा कि उस दौरे में टीम को सचिन तेंदुलकर की कमी खलेगी, जिन्होंने आराम का फैसला किया है। सहवाग ने कहा कि 40 साल के होने जा रहे सचिन को अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार है। बकौल सहवाग, "न सिर्फ मैं बल्कि पूरे देश को सचिन की कमी खलेगी। सचिन 39 साल के हो चुके हैं और ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि उन्हें अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार होना चाहिए। हमें यकीन है कि वह न्यूजीलैंड के साथ होने वाली टेस्ट श्रृंखला में जरूर खेलेंगे।"टिप्पणियां सहवाग बोले कि वह पूरी तरह फिट हैं और श्रीलंका के साथ 12 जुलाई से होने वाली श्रृंखला के लिए तैयार भी हैं। बकौल सहवाग, "मेरे लिए फिटनेस की समस्या नहीं है क्योंकि मैंने इंडियन प्रीमियर लीग के लगभग सभी मैच खेले हैं। श्रीलंका दौरा हमें ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए तैयारी करने में मददगार होगा।" उल्लेखनीय है कि बीते साल आस्ट्रेलिया दौरे में दो लगातार टेस्ट मैच हारने के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि सहवाग और धोनी के बीच की तनातनी के कारण भारतीय ड्रेसिंग रूम में दोफाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सहवाग ने टीम के चयन और मैदान में कुछ फैसलों को लेकर धोनी की आलोचना की थी लेकिन सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने पत्रकार सम्मेलन में मनमुटाव सम्बंधी खबरों का खंडन किया था। श्रीलंका दौरे के लिए टीम में वापसी करने वाले सहवाग ने कहा कि उस दौरे में टीम को सचिन तेंदुलकर की कमी खलेगी, जिन्होंने आराम का फैसला किया है। सहवाग ने कहा कि 40 साल के होने जा रहे सचिन को अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार है। बकौल सहवाग, "न सिर्फ मैं बल्कि पूरे देश को सचिन की कमी खलेगी। सचिन 39 साल के हो चुके हैं और ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि उन्हें अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार होना चाहिए। हमें यकीन है कि वह न्यूजीलैंड के साथ होने वाली टेस्ट श्रृंखला में जरूर खेलेंगे।"टिप्पणियां सहवाग बोले कि वह पूरी तरह फिट हैं और श्रीलंका के साथ 12 जुलाई से होने वाली श्रृंखला के लिए तैयार भी हैं। बकौल सहवाग, "मेरे लिए फिटनेस की समस्या नहीं है क्योंकि मैंने इंडियन प्रीमियर लीग के लगभग सभी मैच खेले हैं। श्रीलंका दौरा हमें ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए तैयारी करने में मददगार होगा।" उल्लेखनीय है कि बीते साल आस्ट्रेलिया दौरे में दो लगातार टेस्ट मैच हारने के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि सहवाग और धोनी के बीच की तनातनी के कारण भारतीय ड्रेसिंग रूम में दोफाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सहवाग ने टीम के चयन और मैदान में कुछ फैसलों को लेकर धोनी की आलोचना की थी लेकिन सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने पत्रकार सम्मेलन में मनमुटाव सम्बंधी खबरों का खंडन किया था। बकौल सहवाग, "न सिर्फ मैं बल्कि पूरे देश को सचिन की कमी खलेगी। सचिन 39 साल के हो चुके हैं और ऐसे में हमें याद रखना चाहिए कि उन्हें अपनी पारियां चुनने का पूरा अधिकार होना चाहिए। हमें यकीन है कि वह न्यूजीलैंड के साथ होने वाली टेस्ट श्रृंखला में जरूर खेलेंगे।"टिप्पणियां सहवाग बोले कि वह पूरी तरह फिट हैं और श्रीलंका के साथ 12 जुलाई से होने वाली श्रृंखला के लिए तैयार भी हैं। बकौल सहवाग, "मेरे लिए फिटनेस की समस्या नहीं है क्योंकि मैंने इंडियन प्रीमियर लीग के लगभग सभी मैच खेले हैं। श्रीलंका दौरा हमें ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए तैयारी करने में मददगार होगा।" उल्लेखनीय है कि बीते साल आस्ट्रेलिया दौरे में दो लगातार टेस्ट मैच हारने के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि सहवाग और धोनी के बीच की तनातनी के कारण भारतीय ड्रेसिंग रूम में दोफाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सहवाग ने टीम के चयन और मैदान में कुछ फैसलों को लेकर धोनी की आलोचना की थी लेकिन सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने पत्रकार सम्मेलन में मनमुटाव सम्बंधी खबरों का खंडन किया था। सहवाग बोले कि वह पूरी तरह फिट हैं और श्रीलंका के साथ 12 जुलाई से होने वाली श्रृंखला के लिए तैयार भी हैं। बकौल सहवाग, "मेरे लिए फिटनेस की समस्या नहीं है क्योंकि मैंने इंडियन प्रीमियर लीग के लगभग सभी मैच खेले हैं। श्रीलंका दौरा हमें ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए तैयारी करने में मददगार होगा।" उल्लेखनीय है कि बीते साल आस्ट्रेलिया दौरे में दो लगातार टेस्ट मैच हारने के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि सहवाग और धोनी के बीच की तनातनी के कारण भारतीय ड्रेसिंग रूम में दोफाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सहवाग ने टीम के चयन और मैदान में कुछ फैसलों को लेकर धोनी की आलोचना की थी लेकिन सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने पत्रकार सम्मेलन में मनमुटाव सम्बंधी खबरों का खंडन किया था। उल्लेखनीय है कि बीते साल आस्ट्रेलिया दौरे में दो लगातार टेस्ट मैच हारने के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि सहवाग और धोनी के बीच की तनातनी के कारण भारतीय ड्रेसिंग रूम में दोफाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सहवाग ने टीम के चयन और मैदान में कुछ फैसलों को लेकर धोनी की आलोचना की थी लेकिन सीनियर बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने पत्रकार सम्मेलन में मनमुटाव सम्बंधी खबरों का खंडन किया था।
यह एक लेख है: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू)से आग्रह किया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीए की डिग्री सार्वजनिक करे। उन्होंने इस संबंध में यूनिवर्सिटी को एक पत्र लिखा है।   केजरीवाल की ओर से दिल्‍ली यूनिवर्सिटी को लिखा गया पत्रटिप्पणियां कुलपति योगेश त्यागी को लिखे पत्र में केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी मोदी के चुनावी हलफनामे का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक (आर्ट ग्रेजुएट) की डिग्री का दावा किया है। दिल्ली के सीएम ने कहा, "प्रधानमंत्री की डिग्री से संबंधित सभी दस्तावेजों को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डालना बेहतर होगा।" उन्होंने कहा कि देश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके प्रधानमंत्री कितने शिक्षित हैं।"   (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) कुलपति योगेश त्यागी को लिखे पत्र में केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी मोदी के चुनावी हलफनामे का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक (आर्ट ग्रेजुएट) की डिग्री का दावा किया है। दिल्ली के सीएम ने कहा, "प्रधानमंत्री की डिग्री से संबंधित सभी दस्तावेजों को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डालना बेहतर होगा।" उन्होंने कहा कि देश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके प्रधानमंत्री कितने शिक्षित हैं।"   (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
बॉलीवुड अभिनेत्री और कांग्रेस नेता कुनिका लाल ने अपनी ही पार्टी के एक विधायक के बेटे पर संगीन आरोप लगाया है। कुनिका लाल का आरोप है कि विधायक बलदेव खोसा के बेटे सिद्धार्थ खोसा ने उनके साथ बदसलूकी की और उन्हें जान से मारने की धमकी दी है। कुनिका ने इस मामले में ओशिवारा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की है। उधर, सिद्धार्थ खोसा ने कुनिका लाल के आरोपों को बेबुनियाद बताया है।टिप्पणियां दरअसल, रविवार शाम पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की शोकसभा में लाल की बलदेव के साथ मामूली कहासुनी हो गई थी, लेकिन ऐसा लगा कि मामला सुलझ गया है। पुलिस ने बताया कि बलदेव का बेटा सिद्धार्थ सुबह लाल के ओशिवारा स्थित आवास पर गया और जान से मारने की धमकी दी। कुनिका ने इस मामले में ओशिवारा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की है। उधर, सिद्धार्थ खोसा ने कुनिका लाल के आरोपों को बेबुनियाद बताया है।टिप्पणियां दरअसल, रविवार शाम पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की शोकसभा में लाल की बलदेव के साथ मामूली कहासुनी हो गई थी, लेकिन ऐसा लगा कि मामला सुलझ गया है। पुलिस ने बताया कि बलदेव का बेटा सिद्धार्थ सुबह लाल के ओशिवारा स्थित आवास पर गया और जान से मारने की धमकी दी। दरअसल, रविवार शाम पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की शोकसभा में लाल की बलदेव के साथ मामूली कहासुनी हो गई थी, लेकिन ऐसा लगा कि मामला सुलझ गया है। पुलिस ने बताया कि बलदेव का बेटा सिद्धार्थ सुबह लाल के ओशिवारा स्थित आवास पर गया और जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने बताया कि बलदेव का बेटा सिद्धार्थ सुबह लाल के ओशिवारा स्थित आवास पर गया और जान से मारने की धमकी दी।
संगतम (Sangtam) भारत के नागालैण्ड राज्य के तुएनसांग और किफाइर ज़िलों में बसने वाला एक समुदाय है। यह नागा समुदाय की एक शाखा है और संगतम भाषा बोलती है। पारम्परिक रूप से यह झूम कृषि से जीविका चलाते थे। अधिकांश संगतम ने 19वीं शताब्दी में ईसाई धर्म अपना लिया लेकिन इनके पूर्वजीय धर्म की कई रीतियाँ आज भी जारी हैं। इन्हें भी देखें संगतम भाषा नागा लोग सन्दर्भ नागा लोग तुएनसांग ज़िला किफाइर ज़िला भारत की मानव जातियाँ
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को कहा कि बैंकों को अपने कारोबार का विस्तार करने की योजना बनाते समय अपनी ताकत और कमजोरी का समुचित आकलन कर लेना चाहिए. वह यहां तमिलनाडु में स्थापित सिटी यूनियन बैंक के 116वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रही थीं. सीतारमण ने कहा, ‘‘बैंक जैसी संस्थाओं को अपनी केंद्रीय शक्ति को समझना चाहिए और आम लोगों के लाभ के लिए मूल्यवर्धी सेवाएं जैसे कि फोन बैंकिंग और चैट बॉट जैसी सेवाएं शुरू करनी चाहिए. उन्हें अनावश्यक रूप से काम का विस्तार नहीं करना चाहिए,'' उन्होंने कहा, ‘‘कारोबार के पैमाने का विस्तार (बैंक जैसी संस्थाओं के लिए) एक बीमारी जैसा है. एक चलन सा हो गया है कि हर किसी को कारोबार का पैमाना बढ़ाना चाहिए और कल को वह बढ़कर तिगुना हो जाना चाहिए. आज मैं (बैंक) तीन राज्यों में काम करता हूं तो कल हमें छह राज्यों में होना चाहिए. मैं (बैंक) तो पूरे देश में कदम बढ़ाना चाहता हूं. लेकिन बैंकों को यह अंदाज होना चाहिए कि इससे मेरी बुनियाद मजबूत होगी या मैं इससे कमजोर होउंगा.'' उन्होंने कहा कि बैंक के विस्तार करने के सामर्थ्य को कसौटी पर रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक जैसी नियामकीय संस्थाओं की भूमिका भी होती है. उल्लेखनीय है कि बैंकों को नयी शाखा खोलने के लिए नियामक से मंजूरी लेनी होती है. उन्होंने कहा कि आजकल देश में ‘बैंक' शब्द के नाम पर संदेह पैदा होने लगे हैं. ऐसे वातावरण में सिटी यूनियन बैंक पिछले 115 सालों से मजबूती के साथ अपना काम कर रहा है. सीतारमण ने कहा कि बैंकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके कर्मचारी की एक छोटी सी गलती भी उनके काम पर सवाल खड़ा कर सकती है, यदि एक सहकारी बैंक में भ्रष्टाचार का कोई आरोप है तो सवाल उठने लगता है कि क्या बैंक में लोगों का पैसा सुरक्षित है? सिटी यूनियन बैंक की स्थापना 1904 में तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुई थी.
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने यहां शुक्रवार को 58वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए। विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति ने फिल्म निर्माता के. बालाचंद्र को वर्ष 2010 के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी की अध्यक्षता में हुए इस समारोह में इस बार चार बाल कलाकारों को विभिन्न फिल्मों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। ये बाल कलाकार हैं दक्षिणपुरी, दिल्ली के हर्ष मायर (फिल्म 'आई एम कलाम'), धरावी, मुम्बई के शांतनु रांगणेकर और मछेन्द्र गाडेकर (फिल्म 'चैंपियन्स), विवेक चाबुकस्वर (फिल्म 'बाबू बैंडबाजा')। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार तमिल फिल्म 'आदुकलाम' के लिए के. धनुष, मलयालम फिल्म 'अदामिन्ते माकन आबु' के लिए सलीम कुमार, मराठी फिल्म 'बाबू बैंड बाजा' के लिए मिताली जगताप वरदकर, तमिल फिल्म 'थेनमेरूकु पारूवक्कात्रु' के लिए सारन्या पोनवान्नन को दिया गया। इन सभी को 50 हजार रुपये नकद के साथ  रजत कमल प्रदान किया गया। सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म पुरस्कार 'अदामिन्ते माकन आबु' (मलयालम) के निर्माता सलीम अहमद और अशरफ बेदी को दिया गया। स्वर्ण कमल के साथ प्रत्येक को 2.50 लाख रुपये प्रदान किए गए। इंदिरा गांधी पुरस्कार फिल्म 'बाबू बैंड बाजा' (मराठी) के लिए निर्देशक राजेश पिनजानी और निर्माता नीता जाधव को दिया गया। उन्हें स्वर्ण कमल के साथ 1.25 लाख रुपये प्रदान किए गए। सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार 'दबंग' (हिंदी) के निर्माता अरबाज खान, मलाइका अरोड़ा और ढिलिन मेहता तथा निर्देशक अभिनव सिंह कश्यप को दिया गया। राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए नरिगस दत्त पुरस्कार फिल्म 'मोनेर' को दिया गया। यह फिल्म भारत-बांग्लादेश की संयुक्त प्रस्तुति है। इसके निर्माता हबीबुर रहमान (बांग्लादेश) हैं। सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार फिल्म 'दो दुनी चार' के लिए निर्माता-अरिन्दम चौधुरी और निर्देशक हबीब फैसल को दिया गया। फिल्म 'इश्किया' को चार पुरस्कार मिले हैं। सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन पुरस्कार विशाल भारद्वाज को और सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार रेखा भारद्वाज को गीत 'ससुराल गेंदा फूल' के लिए दिया गया। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास में उल्लखनीय योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा दिया जाता है। पुरस्कार विजेता का चयन प्रसिद्ध व्यक्तियों की समिति करती है।
उत्तर प्रदेश के रामपुर के रहने वाले जसीम खान ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से स्नातक की पढ़ाई की है. जसीन ने हाल ही में हुई यूपी PCS (J) परीक्षा में 36वीं रैंक हासिल की है.Aajtak.in में उनका इंटरव्यू आने के बाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने उन्हें विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया और उनका स्वागत किया. जसीम खान ने यहां भावी वकील या जज बनने जा रहे स्टूडेंट्स को पीसीएसजे परीक्षा पास करने के ये टिप्स भी दिए. बता दें कि जसीम ने आईएएस परीक्षा के लिए पांच बार कोशिश की. अंत में इंटरव्यू में फेल होने के बाद उन्होंने अपना हौसला खो दिया था. लेकिन, कुछ ऐसा हुआ कि वो दोबारा उठे और जज के लिए तैयारी की. लगातार पांच बार सेलेक्शन न होने के बाद भीतर से परेशान हो गए थे. वो बताते हैं कि मेरे मन में आ गया था कि अब मैं कोई भी प्रतियोगी परीक्षा नहीं दूंगा, लेकिन ये मेरे घरवालों की हौसला आफजाई का नतीजा है कि मैंने जज की परीक्षा दी और पहली बार में ही इतनी अच्छी रैंक हासिल की. मंगलवार को जामिया मिलिया इस्लामिया के फैकल्टी आफ लॉ ने जसीम अहमद के साथ एक संवादात्मक सत्र आयोजित किया. जसीम ने छात्रों को कई सुझाव दिए और उनके सवालों के जवाब दिए. जसीम अहमद ने कहा कि मैंने जामिया से बहुत कुछ सीखा है. मुझे आत्मविश्वास यहीं से मिला है. शायद इसी वजह से मैं पहले प्रयास में UPPCS J निकाला है. उनसे इस सत्र में परिचय और प्रश्नोत्तर भी किए गए. उन्होंने बताया कि इस परीक्षा को क्रैक करने के लिए उन्होंने काई लॉ की कोचिंग नहीं की. (जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी पत्नी आस्मा के साथ पहुंचे जसीम खान, बीच में प्रो नजमा अख्तर) उन्होंने छात्रो को दिए ये टिप्स करंट अफेयर्स पर नजर रखें, इसके लिए द हिंदू और मासिक पत्रिका पढ़ते रहे, इसके अलावा ऑल इंडिया रेडियो सुनें. तैयारी के दौरान होने वाले तनाव को दूर करने के लिए छात्र को स्वयं को प्रेरित करते रहना चाहिए. अगर आप अपने दम पर समझ सकते हैं तो कोचिंग इतनी जरूरी नहीं है, हां कोचिंग से कई बार आपको उचित मार्गदर्शन मिल जाता है. व्यक्तिगत रणनीति को अपनी स्ट्रेंथ और कमजोरियों के आधार पर तैयार करना चाहिए. इसे आप पिछले वर्ष के पेपर और पाठ्यक्रम के विश्लेषण के आधार पर बनाया जाना चाहिए.
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए कांग्रेस ने प्रत्याशियों की चौथी सूची जारी कर दी है. इस सूची में चार राज्यों की 27 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं. इनमें सात सीटें उत्तर प्रदेश की हैं. शशि थरूर को एक बार फिर तिरुवनंतपुरम से उम्मीदवार बनाया गया है. चौथी लिस्ट में पश्चिम उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों पर भी कांग्रेस ने नाम तय कर दिए हैं, जहां पहले चरम के तहत 11 अप्रैल को मतदान होना है. गौतमबुद्धनगर सीट से डॉ. अरविंद सिंह चौहान, मेरठ से डॉ. ओम प्रकाश शर्मा, बिजनौर से इंदिरा भाटी को टिकट दिया है. जबकि अलीगढ़ से चौधरी बिरेंद्र सिंह, घोसी सीट से बालकृष्ण चौहान और हमीरपुर से प्रीतम लोधी को प्रत्याशी बनाया गया है. केरल के 12 प्रत्याशी इस सूची में केरल के 12 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर का नाम भी शामिल है. उन्हें एक बार फिर तिरुवनंतपुरम से प्रत्याशी बनाया गया है. जबकि पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता पीसी चाको को थिरुसर से उम्मीदवार नहीं बनाया गया है. चाको ने इस सीट से 2009 में चुनाव जीता था. फिलहाल, यहां से टीएन प्रतापन को टिकट दिया गया है. दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री केवी थॉमस को एर्नाकुलम से टिकट नहीं मिला है. वो यहां 2014 में जीते थे. The Congress Central Election Committee announces the third list of candidates for the ensuing elections to the Lok Sabha. pic.twitter.com/h65DyWmcZH — Congress (@INCIndia) March 15, 2019 चौथी सूची में ये नाम अरुणाचल पश्चिम (अरुणाचल प्रदेश)- नबाम तुकी अरुणाचल पूर्व (अरुणाचल प्रदेश)- जेम्स वांगलेट सुरगुआ (छत्तीसगढ़)- खेलसाई सिंह रायगढ़ (छत्तीसगढ़)- लालजीत सिंह जांगीर (छत्तीसगढ़)- रवि भारद्वाज बस्तर (छत्तीसगढ़)- दीपक बैज कांकेर (छत्तीसगढ़)- बिरेश ठाकुर कसारागोड़ (केरल)- राजमोहन उन्नीथन कन्नूर (केरल)- के. सुधारकरण कोझिकोड़ (केरल)  - एमके राघवन पलक्कड़ (केरल)- वीके श्रीकांतन अलाथूर (केरल)- रेम्या हरिदास थ्रिसूर (केरल)- टीएन प्रतापन चलाकुड़ी (केरल)- बेनी बहानन एर्नाकुलम (केरल)-  हिबि एडन इडुक्की (केरल)- डीन कुरियाकोस मवेलीकर्रा (केरल)- कोडिकुनील सुरेश पथानमथिता- एंटो एंटोनी त्रिवनंतपुरम- शशि थरूर कैराना (यूपी) - हरेंद्र मलिक बिजनौर (यूपी)- इंदिरा भाटी मेरठ (यूपी)- ओम प्रकाश शर्मा गौतमबुद्धनगर (यूपी)- अरविंद सिंह चौहान अलीगढ़ (यूपी)- ब्रिजेंद्र सिंह हमीरपुर (यूपी)- प्रीतम लोढ़ी घोसी (यूपी)- बालकृष्ण चौहान अंडमान निकोबार- कुलदीप राय शर्मा
गुरमीत राम रहीम बेशक रेप केस में दोषी पाए जाने के बाद जेल में बंद हो, लेकिन उसे लेकर अब भी नये-नये खुलासे सामने आ रहे हैं. अब मॉडल और अभिनेत्री मरीना कुंवर ने राम रहीम पर कई आरोप लगाए हैं. मरीना का कहना है कि राम रहीम ने उसे फिल्म का ऑफर दिया था और उसे गले भी लगाया था. इतना ही नहीं मरीना का यहां तक कहना है कि राम रहीम उसे बेडरूम तक भी ले गया. हनीप्रीत को आजतक ने खोजा, नेपाल से दिल्ली तक क्या कर रही थी पुलिस? मरीना की मानें, तो राम रहीम ने उसे फिल्म से सिलसिले में बात करने के बहाने से कई बार मीटिंग के लिए भी बुलाया और गुफा में जाने के लिए कहा. राम रहीम के बारे में मरीना का यहां तक कहना है कि वह नशे का आदि था और कोकिन इत्यादि ड्रग्स भी लेता था. मरीना और उनके बॉयफ्रेंड ने ये सब बातें कहने का फैसला अब इसलिए किया है कि क्योंकि अब राम रहीम और हनीप्रीत जेल में हैं. देखें वीडियो इन खुलासों को लेकर मॉडल ने ट्वीट भी किया है. Truth always prevail. Watever I hv been speaking frm last 2 days, I m worried but nt scared. I need support of everyone guys in tis journey. pic.twitter.com/eb2bsP475p — Marina kuwar (@marinakuwar) October 4, 2017 हनीप्रीत करती थी नफरत मॉडल मरीना ने हनीप्रीत के बारे में भी कई नये खुलासे किए हैं. मरीना की मानें, तो राम रहीम के उससे बात करने और नजदीकी बढ़ाने की वजह से हनीप्रीत मरीना से नफरत करती थी. मॉडल के बॉयफ्रेंड ने भी हनीप्रीत पर कई आरोप लगाए हैं. उसका कहना है कि हनीप्रीत उसे फोन करती थी और उनके साथ रिलेशनशिप में आना चाहती थी. मॉडल ने किये ये अहम खुलासे -बेटी बताकर बेइज्जत करता था राम रहीम -अब मुझे लगता है कि मैं उस ढोंगी के बाबा के पास गई हूं क्यों. -जब मैं उससे मिलने गई, तो मैंने उसके पैर छुए. तब उसने मुझे उठाते हुए कहा कि बेटी जो होती है, वो पैर नहीं छूती गले लगती है.  मुझे लगा कि बाबा की सोच बहुत महान है. लेकिन जिस तरह उसने मुझे गले लगाया, उससे बहुत असहज हो गई। उसने मुझे कसके जकड़ लिया. - जब भी उसके बाद उससे मिली, तो वो मुझे खूब हंसाने और इंटरटेन करने की कोशिश करता. वो अक्सर मुझे गाना सुनाता था-यू आर माई लव चार्जर. - बाबा कभी भी नॉर्मल तरीके से नहीं मिलता था, वो हमेशा बात करते हुए सिर पर हाथ फिराता था और फिर पूरे शरीर पर हाथ फिराने लगता था. - बाबा की पूरी नजर मुझ पर थी. हालांकि वो कोई भी फैसला हनीप्रीत से पूछे बिना नहीं करता था. वो हनीप्रीत के अलावा किसी की नहीं सुनता था. - एक बार बाबा मुझे कुछ खास बात करने के बहाने बेडरूम तक ले गया था और कहा कि तुम्हें पैसे या किसी भी चीज की चिंता करने की जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि हरियाणा पुलिस ने हनीप्रीत को पंचकुला कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने हनीप्रीत को 6 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. हनीप्रीत को 38 दिन बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
उत्तर कोरिया में तूफान 'लायनरॉक' के कहर के कारण कम से कम 15 लोग लापता हो गए हैं, जबकि हजारों लोगों को किन्हीं सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ा है. समाचार एजेंसी केसीएनए के हवाले से सामाचार एजेंसी 'एफे' की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के दिनों में तूफान के कारण 320 मिलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हुई और तेज हवाएं चलीं. तूफान के कारण हैम्गयोंग प्रांत सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. तुमेन नदी के अपने किनारों से ऊपर बहने के कारण इसके विभिन्न इलाके पूरी तरह या आंशिक रूप से जलमग्न हो गए. होएरियोंग शहर में 15 व्यक्ति लापता हैं, जबकि हैम्गयोंग प्रांत से 44,000 लोगों को बाहर निकाला गया. बारिश के कारण करीब 17,180 घर भी क्षतिग्रस्त हो गए.टिप्पणियां हैम्गयोंग में बारिश के कारण एक पांच मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई. केसीएनए के मुताबिक, अधिकारी तूफान के कारण हुई क्षति का आकलन कर रहे हैं। प्रभावित लोगों की मदद के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) तूफान के कारण हैम्गयोंग प्रांत सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. तुमेन नदी के अपने किनारों से ऊपर बहने के कारण इसके विभिन्न इलाके पूरी तरह या आंशिक रूप से जलमग्न हो गए. होएरियोंग शहर में 15 व्यक्ति लापता हैं, जबकि हैम्गयोंग प्रांत से 44,000 लोगों को बाहर निकाला गया. बारिश के कारण करीब 17,180 घर भी क्षतिग्रस्त हो गए.टिप्पणियां हैम्गयोंग में बारिश के कारण एक पांच मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई. केसीएनए के मुताबिक, अधिकारी तूफान के कारण हुई क्षति का आकलन कर रहे हैं। प्रभावित लोगों की मदद के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) होएरियोंग शहर में 15 व्यक्ति लापता हैं, जबकि हैम्गयोंग प्रांत से 44,000 लोगों को बाहर निकाला गया. बारिश के कारण करीब 17,180 घर भी क्षतिग्रस्त हो गए.टिप्पणियां हैम्गयोंग में बारिश के कारण एक पांच मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई. केसीएनए के मुताबिक, अधिकारी तूफान के कारण हुई क्षति का आकलन कर रहे हैं। प्रभावित लोगों की मदद के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) हैम्गयोंग में बारिश के कारण एक पांच मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई. केसीएनए के मुताबिक, अधिकारी तूफान के कारण हुई क्षति का आकलन कर रहे हैं। प्रभावित लोगों की मदद के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जीटीवी और एंड टीवी के दो शोज को निर्वाचन आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. दोनों धारावाहिकों को नोटिस सरकार की स्कीम्स का प्रमोशन करने के चलते मिला है. कांग्रेस ने शोज पर आरोप लगाया है कि वे आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं. इसके बाद इलेक्शन कमीशन ने धारावाहिकों और टीवी चैनल को यह नोटिस जारी किया है. बता दें कि इन धारावाहिकों में उज्जवला स्कीम और स्वच्छ भारत अभियान जैसी सरकारी स्कीम्स का महिमामंडन किया गया था. दोनों ही धारावाहिकों के प्रोड्यूसर्स को एक दिन के भीतर कारण बताओ नोटिस का जवाब देना है जिसके आधार पर कोई एक्शन लिया जाएगा. भाबीजी घर पर हैं और तुझसे है राब्ता दोनों पर आरोप है कि उन्होंने भारत सरकार की स्कीम्स का विज्ञापन किया है. टीवी शो तुझसे है राब्ता के एक एपिसोड में किरदारों के एक बिजनेस शुरू करने के लिए आपस में मुद्रा लोन के बारे में बातचीत करते दिखाया गया है. कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने मुंबई मिरर से बातचीत में कहा, "पिछले हफ्ते प्रसारित हुए इन धारावाहिकों में मोदी और उनकी सरकार की स्कीम्स की तारीफ की गई थी. यह बिल्कुल किसी पेड न्यूज की तरह है." Yesterday i realized Modi has found another venue to advertise himself. i watch "Bhabhi ji ghar par hain" (that's right, deal with it), this TV serial has started to use some not so subtle Product placement/advertisement recently, but yesterday something else happened ...1/n pic.twitter.com/hClL6PErvF — Victim (Heath Ledger) Goberoi (@VictimGames) April 6, 2019 ''धारावाहिकों को देखते वक्त वोटर्स को इस बात का अंदाजा तक नहीं होता कि यह एक तरह से भाजपा का कैंपेन है. सरकार को इस तरह की तरकीबें लगानी पड़ रही हैं क्योंकि वे लोकसभा चुनाव में हार को लेकर चिंतित हैं. यह बहुत चौंकाने वाली और गुस्सा दिलाने वाली बात है. बीजेपी अपनी कैंपेनिंग के लिए मशहूर टीवी धाराविकों का इस्तेमाल कैसे कर सकती है.'' जीटीवी ने एक बयान में कहा, "एक जिम्मेदार टीवी नेटवर्क होने के नाते जी हमेशा ही अपनी कंटेंट गाइडलाइन्स का पालन करता रहा है. टीवी शो के एपिसोड में कुछ सरकारी स्कीमों का जिक्र किया जाना क्रिएटिव टीम का चुनाव था और ऐसा पूरी तरह से जनता के इंट्रेस्ट को ध्यान में रखते हुए किया गया था. बता दें कि इन वीडियोज को सोशल मीडिया पर भी खूब शेयर किया गया है.
आम आदमी पार्टी ने मौजूदा राजनीतिक माहौल में अपनी रणनीति बदलने का फैसला किया है. पार्टी की मुखर आवाज और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को केंद्र सरकार पर हमला करने का जिम्मा सौंपा है. इससे पहले सीएम अरविंद केजरीवाल सीधे-सीधे केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते आए हैं. सीएम केजरीवाल इस समय थोड़ा शांत बने हुए हैं, वहीं उनकी सरकार में शिक्षा मंत्री ने दिल्ली सरकार की परेशानियों को उठाने और केंद्र पर हमलों की अगुवाई करने का जिम्मा उठा रखा है. वह खासतौर पर एक हफ्ते से काफी ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं. पार्टी के एक नेता ने कहा कि AAP की आवाज के रूप में सिसोदिया का उभार एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है. बैकफुट पर सीएम केजरीवाल पंजाब और गोवा में AAP का सही प्रदर्शन न होने के बाद पार्टी में बहुत से लोग मानने लगे कि केजरीवाल के दांव उल्टे पड़ गए. अब पीएम नरेंद्र मोदी पर केजरीवाल के हमले उतने आक्रामक नहीं रहे जितने हुए करते थे. उपराज्यपाल को तानाशाह करार देने और उन पर समानांतर सरकार चलाने से लेकर दिल्ली सरकार के सलाहकारों को हटाने के मुद्दे पर PM मोदी को तीन पन्नों की चिट्ठी लिखने तक, केजरीवाल की जगह सिसोदिया ही केंद्र पर हमलों का काम कर रहे हैं. सिसोदिया ने एक संवाददाता सम्मेलन भी किया और मोदी सरकार पर आरोप लगाए. लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि दोनों (केजरीवाल और सिसोदिया) कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘जब एक प्रबुद्ध निर्णय किया गया कि केजरीवाल अपने हमलों को धीमा करेंगे तो ऐसे में किसी को वह भूमिका निभानी थी और मनीष सिसोदिया से बेहतर यह कोई और नहीं कर सकता था.’ वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘दोनों के बीच नजदीकी का स्तर यह है कि जब उन्हें कोई कठिन फैसला लेना होता है और वे शब्दों के आदान-प्रदान की स्थिति में नहीं होते तो वे एक-दूसरे को देखते हैं और संदेश चला जाता है.’ फैसले की बड़ी वजह दिल्ली सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है और सिसोदिया दोनों ही मोर्चों पर आगे हैं. शिक्षा मंत्री के रूप में वह सरकारी स्कूलों में सुधार की कवायद कर रहे हैं तो वित्त मंत्री के रूप में वह AAP के मोहल्ला क्लिनिकों के लिए धन दे रहे हैं. अरविंद केजरीवाल के दाएं हाथ माने जाने वाले सिसोदिया को उनके वफादार के रूप में देखा जाता है.
पटना में लालू फैमिली में बड़े दिनों बाद मंगलवार को रौनक देखने को मिली. मौका था लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के जन्मदिन का. इस मौके पर लालू यादव के दोनों बेटों तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच गर्मजोशी से मुलाकात हुई. बता दें कि दोनों भाइयों के बीच काफी दिनों से मनमुटाव की खबरें आ रही थी. मामला यहां तक बिगड़ा कि तेज प्रताप यादव ने पार्टी से इतर एक अलग मोर्चा बना लिया. अब दोनों भाइयों ने दावा किया है कि परिवार में सबकुछ ठीक है. तेज प्रताप के जन्मदिन पर उनके बंगले को सजाया गया था. कई लोग बधाई देने पहुंच रहे थे. बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और तेज प्रताप यादव की मां राबड़ी देवी भी बेटे के सरकारी आवास पर पहुंचीं और उन्हें आशीर्वाद दिया. लेकिन सबकी निगाहें बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को ढूंढ़ रही थीं. तेज प्रताप मेरे गार्जियन, लेकिन मानूंगा बॉस की तेजस्वी दरभंगा समेत कई इलाकों में दिनभर चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे, लेकिन शाम को पटना लौटते ही एयरपोर्ट से सीधे तेज प्रताप के घर का रूख कर तमाम अटकलों को विराम लगा दिया. तेजस्वी ने कहा कि दोनों भाइयों के बीच कोई विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि तेजप्रताप उनके बड़े भाई हैं, गार्जियन हैं, लेकिन वे अपने बॉस लालू यादव की सुनेंगे. दोनों भाइयों के बीच विवाद की जड़ रहे शिवहर सीट पर तेजस्वी ने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों भाइयों के बीच बातचीत हो गई है. करीब घंटे भर साथ रहने के बाद तेज और तेजस्वी कैमरे और सवालों का सामना करने घर से बाहर आए. तेजस्वी ने पत्रकारों से कहा, "कोई विवाद नही था, जन्मदिन का अवसर है, इस मौके पर बड़े भाई को बधाई देने और आशीर्वाद लेने आए हैं, क्योंकि मनुवादियों से लड़ना है, विचारधारा की लड़ाई में हमारे पिता को साजिश के तहत जेल भेजा गया, इसलिए हमलोग मिल जुलकर संविधान बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं." तेजस्वी ने 'कृष्ण' को दी बधाई बाद में तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, "कृष्णा मेरे बड़े भाई तेज प्रताप यादव को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं. वह बेहद ही प्यारे व्यक्ति हैं. उनके जीवन, प्रेम और खुशियों के लिए भरपूर कामना करता हूं.'' बता दें कि पत्नी एश्वर्या राय से तलाक की अर्जी देने के बाद तेज प्रताप परिवार से अलग अपने सरकारी बंगले में रह रहे हैं. Wishing a very Happy Birthday to my “Krishna” elder brother @TejYadav14 Bhai, one of the sweetest person I’ve ever known.” Wishing abundant happiness, love and life! pic.twitter.com/jC5HKuF4Ib — Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 16, 2019 चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर
लेख: सेना में मानद पद धारक भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि वह खेल को अलविदा कहने के बाद निश्चित तौर पर सक्रिय रूप से सेना के लिए काम करना चाहते हैं। पिछले साल एलीट पैराशूट रेजिमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर शामिल किए गए धोनी जम्मू क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के समीप सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा करने आए हैं। वह सियाचिन में आधार शिविर में भी जाएंगे। सियाचिन दुनिया की सबसे ऊंची युद्धभूमि है। धोनी ने संवाददाताओं से कहा, मैं क्रिकेट के कारण यहां पहुंचा हूं। मैं क्रिकेट के बाद ही सक्रिय रूप से काम करना चाहता हूं। मैं नहीं चाहता कि मेरी क्रिकेट को नुकसान हो, क्योंकि उसमें मैं अच्छा हूं। क्रिकेट करियर खत्म होने के बाद मैं निश्चित तौर पर सेना के लिए काम करना पसंद करूंगा।टिप्पणियां विश्व कप विजेता टीम के कप्तान धोनी उधमपुर में उत्तरी कमान के मुख्यालय का भी दौरा करेंगे, जिसके बाद वह 15 कोर के दौरे पर श्रीनगर जाएंगे। धोनी वहां से लेह में 14 कोर क्षेत्र और सियाचिन में आधार शिविर में भी जाएंगे। धोनी शौकत अली स्टेडियम में कश्मीर प्रीमियर लीग के पहले चरण का फाइनल देखने के लिए रविवार को कश्मीर के बारामूला जिला भी जाएंगे। भारतीय कप्तान ने कहा, मैं सीमा रेखा के समीप जाने का प्रयास करूंगा। यह काफी रोमांचक है, क्योंकि मुझे वह चुनौतियां देखने को मिलेंगी जिनका सामना अधिकारी करते हैं। मैं सेना को दूर से जानता हूं, लेकिन अब मुझे सेना को करीब से जानने का मौका मिलेगा। यह पहला मौका है जब मैं सीमावर्ती चौकी पर आया हूं। धोनी यहां सेना के अधिकारियों के परिवार वालों के साथ भी बातचीत करेंगे। पिछले साल एलीट पैराशूट रेजिमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर शामिल किए गए धोनी जम्मू क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के समीप सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा करने आए हैं। वह सियाचिन में आधार शिविर में भी जाएंगे। सियाचिन दुनिया की सबसे ऊंची युद्धभूमि है। धोनी ने संवाददाताओं से कहा, मैं क्रिकेट के कारण यहां पहुंचा हूं। मैं क्रिकेट के बाद ही सक्रिय रूप से काम करना चाहता हूं। मैं नहीं चाहता कि मेरी क्रिकेट को नुकसान हो, क्योंकि उसमें मैं अच्छा हूं। क्रिकेट करियर खत्म होने के बाद मैं निश्चित तौर पर सेना के लिए काम करना पसंद करूंगा।टिप्पणियां विश्व कप विजेता टीम के कप्तान धोनी उधमपुर में उत्तरी कमान के मुख्यालय का भी दौरा करेंगे, जिसके बाद वह 15 कोर के दौरे पर श्रीनगर जाएंगे। धोनी वहां से लेह में 14 कोर क्षेत्र और सियाचिन में आधार शिविर में भी जाएंगे। धोनी शौकत अली स्टेडियम में कश्मीर प्रीमियर लीग के पहले चरण का फाइनल देखने के लिए रविवार को कश्मीर के बारामूला जिला भी जाएंगे। भारतीय कप्तान ने कहा, मैं सीमा रेखा के समीप जाने का प्रयास करूंगा। यह काफी रोमांचक है, क्योंकि मुझे वह चुनौतियां देखने को मिलेंगी जिनका सामना अधिकारी करते हैं। मैं सेना को दूर से जानता हूं, लेकिन अब मुझे सेना को करीब से जानने का मौका मिलेगा। यह पहला मौका है जब मैं सीमावर्ती चौकी पर आया हूं। धोनी यहां सेना के अधिकारियों के परिवार वालों के साथ भी बातचीत करेंगे। धोनी ने संवाददाताओं से कहा, मैं क्रिकेट के कारण यहां पहुंचा हूं। मैं क्रिकेट के बाद ही सक्रिय रूप से काम करना चाहता हूं। मैं नहीं चाहता कि मेरी क्रिकेट को नुकसान हो, क्योंकि उसमें मैं अच्छा हूं। क्रिकेट करियर खत्म होने के बाद मैं निश्चित तौर पर सेना के लिए काम करना पसंद करूंगा।टिप्पणियां विश्व कप विजेता टीम के कप्तान धोनी उधमपुर में उत्तरी कमान के मुख्यालय का भी दौरा करेंगे, जिसके बाद वह 15 कोर के दौरे पर श्रीनगर जाएंगे। धोनी वहां से लेह में 14 कोर क्षेत्र और सियाचिन में आधार शिविर में भी जाएंगे। धोनी शौकत अली स्टेडियम में कश्मीर प्रीमियर लीग के पहले चरण का फाइनल देखने के लिए रविवार को कश्मीर के बारामूला जिला भी जाएंगे। भारतीय कप्तान ने कहा, मैं सीमा रेखा के समीप जाने का प्रयास करूंगा। यह काफी रोमांचक है, क्योंकि मुझे वह चुनौतियां देखने को मिलेंगी जिनका सामना अधिकारी करते हैं। मैं सेना को दूर से जानता हूं, लेकिन अब मुझे सेना को करीब से जानने का मौका मिलेगा। यह पहला मौका है जब मैं सीमावर्ती चौकी पर आया हूं। धोनी यहां सेना के अधिकारियों के परिवार वालों के साथ भी बातचीत करेंगे। विश्व कप विजेता टीम के कप्तान धोनी उधमपुर में उत्तरी कमान के मुख्यालय का भी दौरा करेंगे, जिसके बाद वह 15 कोर के दौरे पर श्रीनगर जाएंगे। धोनी वहां से लेह में 14 कोर क्षेत्र और सियाचिन में आधार शिविर में भी जाएंगे। धोनी शौकत अली स्टेडियम में कश्मीर प्रीमियर लीग के पहले चरण का फाइनल देखने के लिए रविवार को कश्मीर के बारामूला जिला भी जाएंगे। भारतीय कप्तान ने कहा, मैं सीमा रेखा के समीप जाने का प्रयास करूंगा। यह काफी रोमांचक है, क्योंकि मुझे वह चुनौतियां देखने को मिलेंगी जिनका सामना अधिकारी करते हैं। मैं सेना को दूर से जानता हूं, लेकिन अब मुझे सेना को करीब से जानने का मौका मिलेगा। यह पहला मौका है जब मैं सीमावर्ती चौकी पर आया हूं। धोनी यहां सेना के अधिकारियों के परिवार वालों के साथ भी बातचीत करेंगे। भारतीय कप्तान ने कहा, मैं सीमा रेखा के समीप जाने का प्रयास करूंगा। यह काफी रोमांचक है, क्योंकि मुझे वह चुनौतियां देखने को मिलेंगी जिनका सामना अधिकारी करते हैं। मैं सेना को दूर से जानता हूं, लेकिन अब मुझे सेना को करीब से जानने का मौका मिलेगा। यह पहला मौका है जब मैं सीमावर्ती चौकी पर आया हूं। धोनी यहां सेना के अधिकारियों के परिवार वालों के साथ भी बातचीत करेंगे।
महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन करने के बाद भी बहुमत से दूर हो गई बीजेपी को एनसीपी के तौर पर नया सहयोगी मिला है. धुर विरोधी दल का अचानक समर्थन में आ जाना सबको हैरान कर रहा है. वह भी तब, जब चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी एनसीपी को 'नैचुरली करप्ट पार्टी' बता चुके हैं. अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी एक खबर के मुताबिक, इसके पीछे एनसीपी नेता अजित पवार और सुनील तटकरे की जांच वाली फाइल हो सकती है. अखबार के मुताबिक एनसीपी नेता अजित पवार और सुनील तटकरे के खिलाफ जांच की एक  फाइल पिछले 40 दिनों से महाराष्ट्र में अधिकारियों की टेबल पर धूल फांक रही है. कहीं समर्थन के पीछे इस  फाइल की भूमिका तो नहीं? राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक राज्य के भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी के महानिदेशक प्रवीण दीक्षित ने 22 अगस्त को राज्य के गृह मंत्रालय में इन दोनों नेताओं के खिलाफ खुली जांच की अनुमति मांगी थी. गौरतलब है कि समाजसेवी प्रवीण वाटेगांवनकर ने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष सुनील टटकरे ने राज्य की कई सिंचाई परियोजनाएं एक खास कंपनी को  नियमों की अनदेखी करते हुए दे दी. राज्य में हुए चुनावों में एनसीपी 42 सीटें ही जीत पाई. इसके बाद आश्चर्यजनक घटनाक्रम के तहत एनसीपी ने अपने धुर विरोधी बीजेपी को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा कर दी. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में एनसीपी ने 26 सितंबर को कांग्रेस के साथ गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी. इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था. ऐसे में जांच के लिए राज्यपाल से अनुमति लेना जरूरी हो गया था. राज्यपाल विद्यासागर राव के सलाहकार अनिल बजाज के मुताबिक उनके पास ऐसी कोई फाइल नहीं आई है. सूत्रों के अनुसार एनसीपी ने बीजेपी नेताओं से मिलकर समर्थन देने की बात कही थी. अंग्रजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के अनुसार कहा तो ये भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , शरद पवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते हैं. कहा जा रहा है कि उनके लिए खाली पड़ा रक्षा मंत्रालय तय किया गया है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एनसीपी ने बीजेपी के साथ गुपचुप समझौता कर लिया है.
डोकलाम विवाद पर चीन के साथ पिछले दो महीने से चल रही रस्साकशी के बीच भारत ने सिक्किम, अरुणाचल से लगी चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है. शुक्रवार को वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि सीमा पर तैनात सैनिकों को सावधान रहने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि डोकलाम पर चीन के आक्रामक रूख को देखते हुए स्थिति के गहन विश्लेषण के बाद यह फैसला लिया गया है. 1400 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा पर सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक तैनात सैनिकों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि सरकार को सीमा से संवेदनशील जानकारियां मिली हैं. इसके बाद जवानों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया गया है. भारत-चीन सीमा की ईस्टर्न थियेटर की सुरक्षा के लिए अरुणाचल और असम में तैनात 3 और 4 कॉर्प्स के जवानों के साथ सेना की सुकना स्थित 33 कॉर्प्स को भी चीन सीमा पर भेजा गया है. हालांकि अधिकारी ने जवानों की संख्या बताने से इंकार कर दिया. अधिकारी का कहना था कि वे ऑपरेशनल जानकारियां नहीं साझा कर सकते. 45 हजार जवानों की ट्रेनिंग रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक अनुमानित रूप से 45 हजार जवानों ने वेदर एक्लीमेटाइजेशन प्रोसेस (इसके तहत जवानों को अलग-अलग तापमान में ट्रेनिंग कराया जाता है) को पूरा किया है. इसका मतलब जवानों को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए होता है. लेकिन कोई जरूरी नहीं है सभी जवानों को सीमा पर तैनात ही किया जाए. 9 हजार फीट की ऊंचाई पर जवानों की ट्रेनिंग सैनिकों को 9 हजार फीट ऊंचाई पर तैनात किया गया और नौ दिनों तक एक्लीमेटाइजेशन की प्रक्रिया चली. हालांकि अधिकारियों ने कहा कि भारत-चीन-भूटान के त्रिकोण पर डोकलाम में तैनात सैनिकों की संख्या में कोई इजाफा नहीं किया गया है. डोकलाम में तैनात हैं भारत के 350 जवान भारत के 350 जवान डोकलाम में अपनी पोजिशन संभाले हुए हैं. गौरतलब है कि 16 जून को चीन की ओर से कराए जा रहे सड़क निर्माण के कार्य को भारतीय सैनिकों ने रोक दिया था. और तब से लगातार आठ हफ्ते से भारतीय सैनिक अपनी भूमिका निभा रहे हैं. डोकलाम पर आग उगल रहा है ड्रैगन भूटान और चीन डोकलाम पर दावा करते रहे हैं और अब दोनों के बीच इस मुद्दे पर बात चल रही है. चीन इस मुद्दे पर पिछले कुछ हफ्ते से भारत के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहा है. चीन की मांग है कि भारत डोकलाम से तुरंत अपने सैनिक वापस बुलाए. चीनी मीडिया डोकलाम मुद्दे भारत की आलोचना करते हुए लगातार लेख छाप रही है. सुषमा ने कहा- सेना वापस बुलाए चीन विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा था कि दोनों देश अपनी सेनाएं वापस बुलाएं और सीमा विवाद का शांतिपूर्ण हल निकालें. भारत ने चीन के साथ इस बात को जाहिर कर चुका है कि डोकलाम में सड़क निर्माण से यथास्थिति में बदलाव आएगा और इससे भारत की सुरक्षा चिंताएं प्रभावित होंगी. दोनों देशों के बीच बातचीत रही बेनतीजा सूत्रों के मुताबिक भारत और चीन की सेनाओं के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत बेनतीजा रही है. चीन अपनी जिद पर अड़ा रहा कि भारत पहले अपनी सेना को वापस बुलाए. वहीं सूत्रों को कहना है कि भारत ने जोर देकर कहा कि जब तक चीन सड़क निर्माण के औजार नहीं हटाता, तब तक सेना के वापस हटने का सवाल नहीं उठता. दोनों देशों की सेनाओं ने मामले को अपनी सरकारों के सामने उठाने की बात कही.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में देर तक चली एक पुलिस मुठभेड़ के दौरान तीन नक्सलियों की मौत हो गई. मारे गए नक्सलियों के कब्जे से हथियार भी बरामद किये गए. बीजापुर जिले के पुलिस अधीक्षक के.एल. ध्रुव ने बताया कि फरसेगढ़ थाना क्षेत्र में नक्सली गधिविधियों की सूचना मिलने पर पुलिस टीम को गश्त के लिए रवाना किया गया था. दल जब सेंड्रा गांव के जंगल में पहुंचा, तो नक्सलियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी. पुलिस ने जवाबी कार्रवाई शुरू करते हुए नक्सलियों पर गोलियां चलाई. काफी देर तक दोनों ओर से रुक रुक कर गोलीबारी होती रही. उसके बाद नक्सली वहां से फरार हो गए. जब पुलिस दल ने घटनास्थल की तलाशी ली, तो वहां से तीन नक्सलियों का शव बरामद हुए. पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुठभेड़ वाली जगह से पुलिस ने एक 303 रायफल, चार भरमार बंदूक और अन्य सामान भी बरामद किया है. पुलिस ने मृत नक्सलियों के शवों को बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू कर दी है. इलाके में खोजी अभियान तेज कर दिया गया है. पुलिस अब मारे गए नक्सलियों के बारे में छानबीन कर रही है. पुलिस का मानना है कि नक्सलियों की मंशा की बड़ी वारदात को अंजाम देने की थी. इसलिए वे यहां छिपे हुए थे.
मोहाली टेस्ट के तीसरे दिन रवींद्र जडेजा का बल्ला खूब चला. जडेजा ने इंग्लिश गेंदबाजों की खूब खबर ली और बेहतीन 90 रनों की पारी खेली. जडेजा अनलकी रहे वो नर्वस नाइनटीज का शिकार बने. अपने पहले टेस्ट शतक से चूक जाने का मलाल उन्हें हमेशा रहेगा. लेकिन जडेजा की इस पारी ने टीम इंडिया को मजबूत स्थिति में पहुंचाया. देखिए जडेजा का खास अंदाज टीम इंडिया के इस हरफनमौला खिलाड़ी का अंदाज बेहद जुदा है. जडेजा ने जब अपने टेस्ट करियर की तीसरी फिफ्टी पूरी की तो उन्होंने बेहद खास अंदाज में इसका जशन मनाया. स्टेडियम में बैठे लोग और खिलाड़ियों ने खूब मजा लिया. देखिए इस वीडियो में जडेजा का तलवार बाजी वाला जशन. Watch @imjadeja do the traditional sword dance with his bat as he brings up his FIFTY!!! @Paytm Test Cricket #INDvENG pic.twitter.com/z1EWOUC8ZC — BCCI (@BCCI) November 28, 2016 जडेजा ने की महत्वपूर्ण साझेदारी इस मुकाबले में टीम इंडिया मुश्किल में दिखाई दे रही थी. जडेजा ने पहले अश्विन के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 97 रनों की साझेदारी की और टीम इंडिया के स्कोर को इंग्लैंड के स्कोर 283 रन के पार पहुंचाया. इसके बाद युवा खिलाड़ी जयंत यदाव के साथ लंच से पहले 50 से ज्यादा रन जोड़े.
फेसबुक के जन्म की कहानी ‘सोशल नेटवर्क’ ने 68वें गोल्डन ग्लोब पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ सिनेमटोग्राफी और सर्वश्रेष्ठ निर्देशन सहित चार ट्रॉफियों पर कब्जा जमाकर अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा है. डेविड फिंचर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक चुने गए वहीं एरोन सोरकिन को सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक का पुरस्कार मिला. ‘बेस्ट स्कोर’ श्रेणी में ऑस्कर विजेता भारतीय संगीतकार एआर रहमान ट्रेंट रेजनर और एटिकस रॉस से हार गए. गुलाबी रंग का गाउन पहनकर आईं नताली पोर्टमैन ने ‘ब्लैक स्वान’ में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ नाटकीय अदाकारा का खिताब स्वीकार किया. मां बनने जा रही नताली ने इस अवसर पर फिल्म के निर्देशक डैरन एरोनोफ्स्की का धन्यवाद व्यक्त किया. ब्रिटिश अभिनेता कोलिन फर्थ को फिल्म ‘द किंग्स स्पीच’ में किंग जॉर्ज छठे की भूमिका निभाने के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला. सर्वश्रेष्ठ हास्य फिल्म का पुरस्कार ‘द किड्स आर ऑलराइट’ के खाते में गया और इसकी नायिका एनेट बेनिंग को समलैंगिक मां की भूमिका निभाने के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अदाकारा का पुरस्कार मिला. यह उनकी दूसरी गोल्डन ग्लोब ट्रॉफी है. बेनिंग ने इस मौके पर कहा, ‘मुझे इस विशेष फिल्म का हिस्सा होने का काफी गर्व है जो एक-दूसरे के गहरे प्रेम में डूबी दो महिलाओं की कहानी है और जो अपने परिवार को साथ रखना चाहती हैं.’ फिल्म ‘द फाइटर’ में भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ सह कलाकार का पुरस्कार क्रिश्चियन बेल को मिला. अभिनेत्री मेलिसा लीओ को इसी फिल्म में भूमिका निभाने के लिए सर्वश्रेष्ठ सह अदाकारा का पुरस्कार मिला. टॉय स्टोरी 3’ को एनीमेशन श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला. सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म का पुरस्कार डैनिश फिल्म ‘इन ए बेटर वर्ल्ड’ की झोली में गया. टेलीविजन श्रेणी में मार्टिन स्कार्सेस के ‘बोर्डवाक एम्पाइर’ को सर्वश्रेष्ठ नाटक का पुरस्कार मिला जबकि केटी सागल को ‘संस ऑफ अनार्की’ कार्यक्रम में भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अदाकारा का खिताब मिला. ‘बोर्डवाक एम्पाइर’ में भूमिका के लिए स्टीव बुसेमी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के खिताब से नवाजे गए. हास्य या संगीतमय श्रेणी में ‘ग्ली’ को सर्वश्रेष्ठ का पुरस्कार मिला. इस श्रेणी में लौरा लिने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में नवाजी गईं जबकि जिम पर्संस को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला. टेली फिल्म श्रेणी में अल पैसिनो सर्वश्रेष्ठ कलाकार चुने गए. उन्हें यह पुरस्कार ‘यू डोन्ट नो जैक’ में भूमिका निभाने के लिए मिला. इसी श्रेणी में ‘कालरेस’ में भूमिका निभाने के लिए क्लैरी डेन्स सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में चुनी गईं. इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का खिताब ‘ग्ली’ के कलाकारों जेन लिंच और क्रिस कोल्फर की झोली में गया.
अपने जमाने के दिग्गज सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने कहा है कि वह बीसीसीआई का कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार पाकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। गावस्कर ने मीडिया विज्ञप्ति में कहा, यह भारतीय क्रिकेट का सर्वोच्च पुरस्कार है और मैं पिछले विजेताओं की सूची में शामिल होकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। गावस्कर ने मीडिया विज्ञप्ति में कहा, यह भारतीय क्रिकेट का सर्वोच्च पुरस्कार है और मैं पिछले विजेताओं की सूची में शामिल होकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
खान और खनिज पदार्थों को राष्ट्रीय संपदा बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने झारखंड में छह निजी कंपनियों की खानों के पट्टे निरस्त करने की राज्य सरकार की सिफारिश को सही ठहराया है। न्यायमूर्ति आरएम लोढा और न्यायमूर्ति एचएल गोखले की खंडपीठ ने इन कंपनियों की इस दलील को ठुकरा दिया कि एक बार राज्य द्वारा खान को पट्टे पर देने की सिफारिश केन्द्र से करने के बाद उसे वापस लेना गैरकानूनी है। न्यायाधीशों ने कहा कि खान और खनिज पदार्थ राष्ट्रीय संपदा का हिस्सा हैं और ये समूचे समुदाय के संसाधन का हिस्सा हैं। न्यायालय ने कहा कि उन्हें खान के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने संबंधी राज्य सरकार के 13 सितंबर, 2005 के पत्र और पट्टा देने की अनुमति अस्वीकार करने संबंधी केन्द्र सरकार के छह मार्च 2003 के पत्र में लिखे कारणों के बाद इसमें कोई त्रुटि नजर नहीं आती है। न्यायालय ने कहा कि उसकी राय में निजी क्षेत्र के लोगों को खान के पट्टे देने से इंकार करने और 1962, 1969 और 2006 की अधिसूचनाओं के अनुरूप इन खानों को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रखने का झारखण्ड सरकार का निर्णय पूरी तरह न्यायोचित हैं। शीर्ष अदालत ने झारखण्ड में खानों के पट्टे निरस्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लि तथा कई अन्य कंपनियों की याचिका खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।टिप्पणियां न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की कार्यवाही न तो अनुचित है और न ही इसे मनमाना कहा जा सकता है। इस कार्यवाही से न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत का भी हनन नहीं होता। झारखण्ड सरकार ने 13 सिंतबर 2005 को पश्चिम सिंहभूमि जिले के मौजा घाटकुरी इलाके सहित कुछ इलाकों में लौह अयस्क की खदानों के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने का पत्र केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय को लिखा था। इससे पहले केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय ने राज्य सरकार की सिफारिश लौटा दी थी। केन्द्र सरकार ने यह सिफारिश इसलिए लौटा दी थी क्योंकि यह इलाके सुरक्षित थे और निजी क्षेत्र के दोहन के लिए उपलब्ध नहीं थे। खान और खनिज पदार्थ (विकास और नियमन) कानून के तहत आरक्षित क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों या राज्य की संयुक्त परियोजना के अलावा किसी अन्य को खनन कार्य के लिए पट्टा नहीं दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति आरएम लोढा और न्यायमूर्ति एचएल गोखले की खंडपीठ ने इन कंपनियों की इस दलील को ठुकरा दिया कि एक बार राज्य द्वारा खान को पट्टे पर देने की सिफारिश केन्द्र से करने के बाद उसे वापस लेना गैरकानूनी है। न्यायाधीशों ने कहा कि खान और खनिज पदार्थ राष्ट्रीय संपदा का हिस्सा हैं और ये समूचे समुदाय के संसाधन का हिस्सा हैं। न्यायालय ने कहा कि उन्हें खान के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने संबंधी राज्य सरकार के 13 सितंबर, 2005 के पत्र और पट्टा देने की अनुमति अस्वीकार करने संबंधी केन्द्र सरकार के छह मार्च 2003 के पत्र में लिखे कारणों के बाद इसमें कोई त्रुटि नजर नहीं आती है। न्यायालय ने कहा कि उसकी राय में निजी क्षेत्र के लोगों को खान के पट्टे देने से इंकार करने और 1962, 1969 और 2006 की अधिसूचनाओं के अनुरूप इन खानों को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रखने का झारखण्ड सरकार का निर्णय पूरी तरह न्यायोचित हैं। शीर्ष अदालत ने झारखण्ड में खानों के पट्टे निरस्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लि तथा कई अन्य कंपनियों की याचिका खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।टिप्पणियां न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की कार्यवाही न तो अनुचित है और न ही इसे मनमाना कहा जा सकता है। इस कार्यवाही से न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत का भी हनन नहीं होता। झारखण्ड सरकार ने 13 सिंतबर 2005 को पश्चिम सिंहभूमि जिले के मौजा घाटकुरी इलाके सहित कुछ इलाकों में लौह अयस्क की खदानों के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने का पत्र केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय को लिखा था। इससे पहले केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय ने राज्य सरकार की सिफारिश लौटा दी थी। केन्द्र सरकार ने यह सिफारिश इसलिए लौटा दी थी क्योंकि यह इलाके सुरक्षित थे और निजी क्षेत्र के दोहन के लिए उपलब्ध नहीं थे। खान और खनिज पदार्थ (विकास और नियमन) कानून के तहत आरक्षित क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों या राज्य की संयुक्त परियोजना के अलावा किसी अन्य को खनन कार्य के लिए पट्टा नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि उन्हें खान के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने संबंधी राज्य सरकार के 13 सितंबर, 2005 के पत्र और पट्टा देने की अनुमति अस्वीकार करने संबंधी केन्द्र सरकार के छह मार्च 2003 के पत्र में लिखे कारणों के बाद इसमें कोई त्रुटि नजर नहीं आती है। न्यायालय ने कहा कि उसकी राय में निजी क्षेत्र के लोगों को खान के पट्टे देने से इंकार करने और 1962, 1969 और 2006 की अधिसूचनाओं के अनुरूप इन खानों को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रखने का झारखण्ड सरकार का निर्णय पूरी तरह न्यायोचित हैं। शीर्ष अदालत ने झारखण्ड में खानों के पट्टे निरस्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लि तथा कई अन्य कंपनियों की याचिका खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।टिप्पणियां न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की कार्यवाही न तो अनुचित है और न ही इसे मनमाना कहा जा सकता है। इस कार्यवाही से न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत का भी हनन नहीं होता। झारखण्ड सरकार ने 13 सिंतबर 2005 को पश्चिम सिंहभूमि जिले के मौजा घाटकुरी इलाके सहित कुछ इलाकों में लौह अयस्क की खदानों के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने का पत्र केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय को लिखा था। इससे पहले केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय ने राज्य सरकार की सिफारिश लौटा दी थी। केन्द्र सरकार ने यह सिफारिश इसलिए लौटा दी थी क्योंकि यह इलाके सुरक्षित थे और निजी क्षेत्र के दोहन के लिए उपलब्ध नहीं थे। खान और खनिज पदार्थ (विकास और नियमन) कानून के तहत आरक्षित क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों या राज्य की संयुक्त परियोजना के अलावा किसी अन्य को खनन कार्य के लिए पट्टा नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि उसकी राय में निजी क्षेत्र के लोगों को खान के पट्टे देने से इंकार करने और 1962, 1969 और 2006 की अधिसूचनाओं के अनुरूप इन खानों को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रखने का झारखण्ड सरकार का निर्णय पूरी तरह न्यायोचित हैं। शीर्ष अदालत ने झारखण्ड में खानों के पट्टे निरस्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लि तथा कई अन्य कंपनियों की याचिका खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।टिप्पणियां न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की कार्यवाही न तो अनुचित है और न ही इसे मनमाना कहा जा सकता है। इस कार्यवाही से न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत का भी हनन नहीं होता। झारखण्ड सरकार ने 13 सिंतबर 2005 को पश्चिम सिंहभूमि जिले के मौजा घाटकुरी इलाके सहित कुछ इलाकों में लौह अयस्क की खदानों के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने का पत्र केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय को लिखा था। इससे पहले केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय ने राज्य सरकार की सिफारिश लौटा दी थी। केन्द्र सरकार ने यह सिफारिश इसलिए लौटा दी थी क्योंकि यह इलाके सुरक्षित थे और निजी क्षेत्र के दोहन के लिए उपलब्ध नहीं थे। खान और खनिज पदार्थ (विकास और नियमन) कानून के तहत आरक्षित क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों या राज्य की संयुक्त परियोजना के अलावा किसी अन्य को खनन कार्य के लिए पट्टा नहीं दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने झारखण्ड में खानों के पट्टे निरस्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लि तथा कई अन्य कंपनियों की याचिका खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।टिप्पणियां न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की कार्यवाही न तो अनुचित है और न ही इसे मनमाना कहा जा सकता है। इस कार्यवाही से न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत का भी हनन नहीं होता। झारखण्ड सरकार ने 13 सिंतबर 2005 को पश्चिम सिंहभूमि जिले के मौजा घाटकुरी इलाके सहित कुछ इलाकों में लौह अयस्क की खदानों के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने का पत्र केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय को लिखा था। इससे पहले केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय ने राज्य सरकार की सिफारिश लौटा दी थी। केन्द्र सरकार ने यह सिफारिश इसलिए लौटा दी थी क्योंकि यह इलाके सुरक्षित थे और निजी क्षेत्र के दोहन के लिए उपलब्ध नहीं थे। खान और खनिज पदार्थ (विकास और नियमन) कानून के तहत आरक्षित क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों या राज्य की संयुक्त परियोजना के अलावा किसी अन्य को खनन कार्य के लिए पट्टा नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की कार्यवाही न तो अनुचित है और न ही इसे मनमाना कहा जा सकता है। इस कार्यवाही से न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत का भी हनन नहीं होता। झारखण्ड सरकार ने 13 सिंतबर 2005 को पश्चिम सिंहभूमि जिले के मौजा घाटकुरी इलाके सहित कुछ इलाकों में लौह अयस्क की खदानों के पट्टे देने की सिफारिश वापस लेने का पत्र केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय को लिखा था। इससे पहले केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय ने राज्य सरकार की सिफारिश लौटा दी थी। केन्द्र सरकार ने यह सिफारिश इसलिए लौटा दी थी क्योंकि यह इलाके सुरक्षित थे और निजी क्षेत्र के दोहन के लिए उपलब्ध नहीं थे। खान और खनिज पदार्थ (विकास और नियमन) कानून के तहत आरक्षित क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों या राज्य की संयुक्त परियोजना के अलावा किसी अन्य को खनन कार्य के लिए पट्टा नहीं दिया जा सकता है। केन्द्र सरकार ने यह सिफारिश इसलिए लौटा दी थी क्योंकि यह इलाके सुरक्षित थे और निजी क्षेत्र के दोहन के लिए उपलब्ध नहीं थे। खान और खनिज पदार्थ (विकास और नियमन) कानून के तहत आरक्षित क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों या राज्य की संयुक्त परियोजना के अलावा किसी अन्य को खनन कार्य के लिए पट्टा नहीं दिया जा सकता है।
Indian Airforce ने एयरमैन परीक्षा का रिजल्ट (Indian Airforce Airmen Result) जारी कर दिया है. परीक्षा का रिजल्ट (Indian Airmen Result) केंद्रीय वायुसैनिक चयन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट airmenselection.cdac.in पर जारी किया गया है. उम्मीदवार इस वेबसाइट से ही अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं. वायुसेना बोर्ड ने ग्रुप एक्स (एजुकेशन इंस्ट्रक्टर को छोड़कर) और ग्रुप वाई (Auto Tech, IAF/P, IAF/S And MUSICIAN TRADES को छोड़कर) के परिणाम जारी किए हैं. बोर्ड ने अगले चरण के लिए एडमिट कार्ड भी जारी कर दिए हैं. जिन उम्मीदवारों को सफलता मिली है, वे अगले चरण के लिए अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं. उम्मीदवार नीचे दिए गए डायरेक्ट लिंक पर क्लिक कर अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं.Indian Airmen Result उम्मीदवार नीचे दिए गए स्टेप्स से भी अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं.
बैंक तथा तेल एवं गैस शेयरों की बिकवाली से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स मंगलवार को 180 अंक लुढ़क गया। कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी के बाद आज बाजार में गिरावट आ गई। साथ ही निवेशकों को यह लगा कि ईरान समझौते के कारण बाजार में सोमवार को आई तेजी कुछ ज्यादा है। कारोबारियों के अनुसार किसी सकारात्मक संकेत का अभाव तथा डेरिवेटिव सौदों के मासिक निपटान गुरुवार को समाप्त होने तथा शुक्रवार को जीडीपी के आंकड़े जारी होने से पहले निवेशकों के सतर्क रुख का असर बाजार पर रहा। तीस प्रमुख शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 180.06 अंक यानी 0.87 प्रतिशत की गिरावट के साथ 20,425.02 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में इससे पहले कल 387.69 अंक की तेजी दर्ज की गई थी। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी, एचडीएफसी तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि टाटा मोटर्स, एचयूएल तथा भेल के शेयरों में तेजी से गिरावट पर कुछ विराम लगा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 56.25 अंक या 0.92 प्रतिशत की गिरावट के साथ 6,059.10 अंक पर बंद हुआ। एमसीएक्स-एसएक्स का एसएक्स 40 सूचकांक 106.90 अंक कम होकर 12,124.35 अंक पर बंद हुआ। अमेरिका में तेल आपूर्ति रिपोर्ट में मांग में सुधार के संकेत से तेल के दाम में तेजी आई। जनवरी डिलीवरी के लिए अमेरिकी कच्चे तेल का दाम तेज होकर 95.5 डॉलर प्रति बैरल रहा।
फिल्म 'बाहुबली- 2' को लेकर कर्नाटक में विरोध जारी है और अब इस मामले को बढ़ता देख अभिनेता सत्यराज ने माफी मांगते हुए एक विडियो जारी किया है जिसमें वह कर्नाटक के लोगों से माफी मांग रहे हैं. फिल्म 'बाहुबली- 2' का दर्शकों लंबे समय से इंतजार था और अब जब फिल्म रिलीज के तैयार है तो विवादों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. बात दें कि फिल्म में कट्प्पा का किरदार निभाने वाले अभिनेता सत्यराज को लेकर फिल्म अधर में लटक गई है. 24 घंटे से कम वक्त में बाहुबली 2 के ट्रेलर को मिले 2 करोड़ 30 लाख व्यूज ट्विटर पर इस वीडियो को एक्टर राजा सेकर ने शेयर किया है जिसमें सत्यराज अपने दिए हुए बयान पर कर्नाटक के लोगों से माफी मांग रहे हैं. Proud to die as a Tamilian - #Sathyaraj 's bold and matured statement on #Baahubali2 issue https://t.co/Dg7sjhWDQG — Rajasekar (@sekartweets) April 21, 2017 दरअसल लगभग नौ साल पहले तमिलनाडु और कर्नाटक से जुड़े कावेरी नदी विवाद के दौरान कन्नड़ विरोधी बयान दिया था और उसी को लेकर अब कनार्टक में फिल्म की रिलीज को लेकर कोहराम मचा है. फिल्म के डायरेक्टर एस एस राजामौली की इस मच अवेटेडेड फिल्म का कर्नाटक में विरोध किया जा रहा है और फिल्म को रिलीज नहीं करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. वहां के कुछ स्थानीय संगठनों ने अब तक 'बाहुबली- 2' को लेकर अपना रुख साफ किया और फिल्म को दो राज्यों में रिलीज नहीं होने देने की बात कही. 'कटप्पा' से क्यों नाराज है कर्नाटक? 'बाहुबली 2' की रिलीज का विरोध इसी बीच निर्देशक राजामौली ने एक विडियो जारी करते हुये कर्नाटक के लोगों से गुजारिश की थी कि वो फिल्म को रिलीज होने दें. अब देखना ये है कि फिल्म 28 अप्रैल को कर्नाटक में रिलीज हो पाती है या नहीं. An appeal to all the Kannada friends... pic.twitter.com/5rJWMixnZF — rajamouli ss (@ssrajamouli) April 20, 2017
तारक मेहता का उल्टा चश्मा में दिशा वकानी की वापसी की खबर से फैंस का एक्साइटमेंट लेवल दोगुना हो चुका है. लेकिन दिशा शो में एंट्री कैसे करेंगी, इसे लेकर सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. शो में कैसे एंट्री लेंगी दयाबेन? स्पॉटबॉय ने सोर्स के हवाले से लिखा- दिशा वकानी जल्द ही शो की शूटिंग शुरू करने वाली हैं. दिशा की एंट्री काफी ग्रैंड होने वाली है. वो नवरात्रि फंक्शन के बीच में शो में एंट्री लेंगी. दरअसल, गोकुलधाम सोसायटी नवरात्रि में गरबा के दौरान दयाबेन को काफी मिस कर रही है. जेठालाल ने दया की याद में उठाया ये कदम उनके पति जेठालाल को दया की सबसे ज्यादा याद आ रही है. और वो देवी मां के सामने वचन लेते हैं कि जब तक दया वापस नहीं आ जाती वो शो में गरबा नहीं खेलेंगे. इसी कारण से सभी दयाबेन को वापस लाने की तैयारी में जुट जाते हैं. लेकिन उनके सभी प्रयास बेकार हो जाते हैं. जब सभी उम्मीदें खोने लगते हैं तो दयाबेन ग्रैंड एंट्री लेंगी. शो के मेकर्स दयाबेन की एंट्री स्पेशल बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. शो के प्रोड्यूसर ने लगाई थी दिशा की एंट्री पर मुहर शो के प्रोड्यूसर असित मोदी ने इस खबर पर अपनी मुहर लगाई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान शो के प्रोड्यूसर असित मोदी ने बताया कि दिशा जल्द ही शो में नजर आएंगी. इसमें एक महीने का समय लग सकता है. दो साल से मैटरनिटी लीव पर थीं दिशा बता दें दयाबेन का किरदार निभाने वाली दिशा वकानी सितंबर 2017 से शो में नहीं दिखी हैं.  मैटरनिटी लीव पर जाने के बाद वे शो में वापस नहीं आईं. दयाबेन की वापसी फैंस के लिए किसी ट्रीट से कम नहीं है. फैंस पलके बिछाए उनकी वापसी का इंतजार कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में भी जब लोगों को नदी पार करने का रास्ता न दिखा, तो जुगाड़ ढूंढ लिया. बनाया एक देसी टाइटेनिक और उसी से अब हर रोज सैकड़ों लोगों के साथ बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी नदी पार कराई जाती हैं. टाइटेनिक का देसी अवतार है खालिस मेड इन इंडिया. 60 फुट लंबी औऱ 10 फुट चौड़ी ये नाव इतनी बड़ी है कि इस पर ट्रैक्टर और हार्वेस्टर जैसी बड़ी मशीनें भी आसानी से नदी के पार ले जाई जा सकती हैं. इतना ही नहीं ये नाव एक बार में 30 टन वजन ढो सकती है औऱ इस पर हजारों लोग रोजाना सफर करते हैं. अब इसको बनाने की वजह भी जान लीजिए. दरअसल नर्मदा नदी के अबलीघाट पर सरकारी पुल आजतक नहीं बना. पुल ना होने से आसपास के 50 से भी ज्यादा गांवों के हजारों लोग रोजाना 70 किलोमीटर चलकर शहर जाते थे जिसके बाद गांववालों ने दस लाख रुपये चंदा जुटाया औऱ बना डाला ये देसी टाइटेनिक. इलाके के नाव ठेकेदार लखनलाल ने बताया कि नदी में पहले छोटी छोटी नाव चलाई जाती थी. इस घाट से लगभग 50 गांव के लोग रोजाना सफर करते है. दर्जनों गाड़ियां नाव से नदी पार करती हैं. देसी टाइटेनिक के चर्चे भी कम नहीं हैं. दूरदराज से लोग इस टाइटेनिक पर सवारी का मजा लेने पहुंच रहे हैं. सरकार ने नहीं सुनी तो गांववालों ने अपनी मुश्किल खुद हल कर ली. लेकिन लाख टके का सवाल ये है कि बिना सुरक्षा इंतजामों के चल रही इस नाव के साथ अगर कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा?
सिरसा के विवादास्पद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर विवाद में घिर गए हैं. इस बार विवाद उन पर बनी फिल्म को लेकर उठा है. अनेक सिख संगठनों ने फिल्म पर पाबंदी की मांग की है. यह फिल्म अगले महीने रिलीज होने वाली है. डेरा प्रमुख अगले महीने आ रही फिल्म ‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ (एमएसजी) में खुद शीर्ष किरदार अदा कर रहे हैं और अपने डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में उन्होंने फिल्म के गीत भी गाए हैं. हालांकि अकाल तख्त ने पंजाब सरकार से फिल्म पर पाबंदी की मांग की है. अकाल तख्त के प्रमुख गुरबचन सिंह ने कहा कि डेरा प्रमुख पर हत्या और बलात्कार के आरोप हैं और उनकी फिल्म से लोग गुमराह हो सकते हैं. पंजाब सरकार से फिल्म पर रोक लगाने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘फिल्म हिंदू, सिख और मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को आहत करेगी.’ ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएसएफ) के प्रमुख करनैल सिंह पीर मोहम्मद ने भी केंद्र और राज्य सरकार से फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने को कहा है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों अकाल तख्त ने लोगों से डेरा प्रमुख के धार्मिक समागमों में नहीं जाने को कहा था और सिख संगठनों का कर्तव्य है कि इस फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाए. इनपुट-भाषा
२१ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २१वाँ दिन है। वर्ष में अभी और ३४४ दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में ३४५)। प्रमुख घटनाएँ 1924- व्लादिमीर लेनिन की मृत्यु। इसके साथ ही स्तालिन ने अपने विरोधियों और नेतृत्व के मार्ग की बाधाओं को दूर करने का काम शुरु कर दिया। 2008- भारत ने इस्त्रायल का एक जासूसी सैटेलाइट का प्रक्षेपण कर उसे सफलतापूर्वक पोलर आर्बिट में स्थापित किया। 2009- कर्नाटक के बीदर में वायुसेना का एक प्रशिक्षण विमान सूर्यकिरण दुर्घटनाग्रस्त हुआ। जन्म 1922- पॉल स्कोफील्ड, अंग्रेजी अभिनेता (मृ. 2008) 1950 - बिली ओशन, पश्चिम भारतीय संगीतकार निधन 2005- - परवीन बॉबी, भारतीय अभिनेत्री 1950 - जॉर्ज ऑरवेल - अंग्रेजी के मशहूर लेखक। 1959 - ज्ञान चंद्र घोष - भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा अनुसंधानकर्ता थे। 1945 - क्रांतिकारी रासबिहारी बोस बाहरी कडियाँ बीबीसी पे यह दिन माँ भारती पर यह दिन जनवरी
निजी स्कूलों में बढ़ती फीस को देखते हुए सरकार लगातार सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने में लगी हुई है. स्कूलों में पढ़ाई की लचर व्यवस्था और टीसर्च के गैरजिम्मेदाराना रवैये को आड़े हाथ लेते हुए कुछ राज्य सरकारें टीचर्स के रंग-बिरंगे कपड़ों से लेकर उनके मोबाइल इस्तेमाल तक पर पाबंदी लगा रही हैं. कुछ राज्यों में तो यह भी दावा किया जा रहा है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई और कैंपस की साफ-सफाई पर काफी काम किया गया है और अब पहले जैसी स्थ‍िति नहीं है. अंग्रेज भी मानते थे जिनकी शिक्षा का लोहा... पर हालिया अध्ययन की रिपोर्ट कुछ और ही हाल बयां करती है. अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2010 से 2016 तक भारत के 20 राज्यों के सरकारी स्कूलों में होने वाले एडमिशन में 1.3 करोड़ की गिरावट आई है. जबकि निजी स्कूलों में इसी दौरान 1.75 करोड़ नये छात्रों ने एडमिशन लिया है. रिपोर्ट की मानें तो पिछले 5 वर्षों के दौरान लाख कोशिशों और बड़े स्तर पर खर्च करने के बावजूद सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में हर साल गिरावट दर्ज की जा रही है. जबकि अक्सर विवादों में फंसे रहने के बावजूद निजी स्कूलों में औसत दाखिले में हर साल इजाफा हो रहा है. शाबाश: 11 साल के बच्चे ने पास की 12वीं की परीक्षा, जानें कैसे यह अध्ययन लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में एजुकेशन एंड इंटरनेशनल डेवेलपमेंट की प्रोफेसर गीता गांधी किंगडन ने किया है. गीता गांधी के मार्च 2017 रिसर्च पेपर के अनुसार भारत में सरकारी स्कूल के शिक्षकों को चीन के शिक्षकों के मुकाबले 4 गुणा ज्यादा सैलरी मिलती है. बावजूद इसके सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं दिख रहा है. इसके कारण औसत दाखिला पिछले 5 साल में प्रति स्कूल 122 से 108 घटा है. वहीं दूसरी ओर गैर सरकारी स्कूलों या निजी स्कूलों में इस दौरान दाखिले में प्रति स्कूल औसतन 202 से 208 की बढ़ोतरी हुई है. 12वीं तक ही पढ़े हैं विराट, रैना-रोहित के बारे में जान रह जाएंगे हैरान हालांकि डिस्ट्र‍िक इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (DISE) और शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो स्कूल जाने वाले भारतीय बच्चों में 65 फीसदी सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. यानी देश के 20 राज्यों के 11.3 करोड़ बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ते हैं. फिर क्या वजह है कि भारत के सरकारी स्कूलों, जहां गरीब बच्चों को 14 साल की उम्र तक नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है, फिर भी छात्र महंगे निजी स्कूलों का रुख कर रहे हैं. DISE के आंकड़ों को आधार मानकर अध्ययन में उन बच्चों के माता-पिता से जब इसका कारण पूछा गया तो उनका जवाब था कि निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों के मुकाबले शिक्षा का स्तर ठीक है. रिपोर्ट में प्रोफेसर गीता गांधी ने कहा है कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के सीखने समझने का स्तर सरकारी स्कूलों के मुकाबले बेहतर पाया गया. 12वीं में नहीं आए अच्छे मार्क्स तो भी हैं करियर के कई विकल्प सर्व शिक्षा अभि‍यान पर 1.16 लाख करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद साल 2009 से 2014 के बीच quality of learning में गिरावट देखी गई है. 5 में 1 से भी कम प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को ट्रेन्ड पाया गया. यहां तक कि देश की राजधानी और पर कैपिटा इनकम के अनुसार देश के सबसे धनी राज्य दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आधे से ज्यादा शिक्षक अस्थाई अनुबंध पर रखे गए हैं. ऐसे में अस्थाई शिक्षक पढ़ाई को लेकर फुल-टाइम टीचर्स की तरह गंभीरता नहीं दिखाते.
{{Infobox official post | post =वायसराय और भारत के गवर्नर-जनरल English :Viceroy andGovernor-General | body = India | insignia = | insigniacaption = ब्रिटिश राज के दौरान मानक (1858-1947) | flag = | flagcaption = भारतीय अधिराज्य में झंडा (1947-1950) | image = Admiral of the Fleet Earl Mountbatten of Burma TR1228.jpg | imagesize = 150px | imagecaption = | style = His Excellency (मान्यवर) | residence = | appointer = | appointer_qualified = | precursor = | superseded_by = Governor-General of Pakistan | formation = 22 अप्रैल 1834 (इंडिया) 20 अक्टूबर 1773 (फोर्ट विलियम) | first = लॉर्ड विलियम बैन्टिक (इंडिया) वारेन हेस्टिंग्स (फोर्ट विलियम) | last = {{plainlist| लॉर्ड माउंटबेटन (21 फरवरी 1947 — 15 अगस्त 1947; भारत के वायसराय के रूप में) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (21 जून 1948 — 26 जनवरी 1950; डोमिनियन ऑफ इंडिया के गवर्नर-जनरल के रूप में)}} | abolished = 26 जनवरी 1950 }} भारत के महाराज्यपाल या गवर्नर-जनरल (1858 - 1947) वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल अर्थात राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल) भारत में ब्रिटिश राज का अध्यक्ष और भारतीय स्वतंत्रता उपरांत भारत में, ब्रिटिश सम्प्रभु का प्रतिनिधि होता था। इनका कार्यालय सन १७७३ में बनाया गया था, जिसे फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी का गवर्नर-जनरल के अधीन रखा गया था। इस कार्यालय का फोर्ट विलियम पर सीधा नियंत्रण था, एवं अन्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता था। सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत पर पूर्ण अधिकार १८३३ में दिये गये और तब से यह भारत के गवर्नर-जनरल बन गये। १८५८ में भारत ब्रिटिश शासन की अधीन आ गया था। गवर्नर-जनरल की उपाधि उसके भारतीय ब्रिटिश प्रांत (पंजाब, बंगाल, बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, इत्यादि) और ब्रिटिष भारत, शब्द स्वतंत्रता पूर्व काल के अविभाजित भारत के इन्हीं ब्रिटिश नियंत्रण के प्रांतों के लिये प्रयोग होता है। वैसे अधिकांश ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे शासित ना होकर, उसके अधीन रहे शासकों द्वारा ही शासित होता था। भारत में सामंतों और रजवाड़ों को गवर्नर-जनरल के ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि होने की भूमिका को दर्शित करने हेतु, सन 1858 से वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया (जिसे लघुरूप में वाइसरॉय कहा जाता था) प्रयोग हुई। वाइसरॊय उपाधि 1947 में स्वतंत्रता उपरांत लुप्त हो गयी, लेकिन गवर्नर-जनरल का कार्यालय सन 1950 में, भारतीय गणतंत्रता तक अस्तित्व में रहा। 1858 तक, गवर्नर-जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित किया जाता था और वह उन्हीं को जवाबदेह होता था। बाद में वह महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार, भारत राज्य सचिव, ब्रिटिश कैबिनेट; इन सभी की राय से चयन होने लगा। १९४७ के बाद, सम्राट ने उसकी नियुक्ति जारी रखी, लेकिन भारतीय मंत्रियों की राय से, ना कि ब्रिटिश मंत्रियों की सलाह से। गवर्नर-जनरल पांच वर्ष के कार्यकाल के लिये होता था। उसे पहले भी हटाया जा सकता था। इस काल के पूर्ण होने पर, एक अस्थायी गवर्नर-जनरल बनाया जाता था। जब तक कि नया गवर्नर-जनरल पदभार ग्रहण ना कर ले। अस्थायी गवर्नर-जनरल को प्रायः प्रान्तीय गवर्नरों में से चुना जाता था। इतिहास वार्रन हास्टिंग्स, भारत के प्रथम गवर्नर-जनरल फोर्ट विलियम के( 1774-1785) भारत के कई भागों पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था, जो नाममात्र को मुगल बादशाह के प्रतिनिधि के तौर पर राज करती थी।1773 में, कंपनी में भ्रष्टाचार के चलते, ब्रिटिश सरकार ने, रेगुलेशन एक्ट अधिनियम के तहत, भारत का प्रशासन आंशिक रूप से अपने नियंत्रण में ले लिया था। बंगाल में फोर्ट विलियम की प्रेसेडेंसी के शासन हेतु एक गवर्नर-जनरल, तथा एक परिषद का गठन किया गया। प्रथम गवर्नर-जनरल एवं परिषद का नाम अधिनियम में लिखित है। उनके उत्तराधिकारी ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित होना तय हुआ था। इस अधिनियक्म के अनुसार गवर्नर-जनरल तथा परिषद का पांच वर्षीय कार्यकाल निश्चित किया गया था। परंतु शासन को उन्हें मध्यावधि में हटाने का पूर्णाधिकार था। १८३३ के चार्टर एक्ट अधिनियम ने फोर्ट विलियम के गवर्नर-जनरल एवं परिषद को बदल कर भारत का गवर्नर-जनरल एवं परिषद बना दिया। लेकिन उन्हें चयन करने की सामर्थ्य निदेशकों को ही रखी, केवल उसको शासन के अनुमोदन का विषय बना दिया। १८५७ के संग्राम के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी समाप्त कर दी गयी और भारत ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। गवर्न्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट १८५८ अधिनियम के द्वारा, गवर्नर-जनरल को नियुक्त करने का धिकार दिया गया। भारत और पाकिस्तान को १९४७ में स्वतंत्रता मिली, परन्तु गवर्नर-जनरल फिर भी जारी रहे, जब तक कि दोनों देशों के संविधान नहीं बन गये। माउंटबैटन कुछ समय भारत का गवर्नर-जनरल बना रहा। लेकिन दोनों देशों के अपने गवर्नर-जनरल बने। बाद में भारत १९५० में धर्म-निरपेक्ष गणतंत्र बना और १९५६ में पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य बना। गवर्नर-जनरल के प्रकार्य गवर्नर-जनरल को पहले पहल, केवल बंगाल प्रेसीडेंसी पर ही अधिकार था। रेगुलेटिंग अधिनियम द्वारा, उन्हें विदेश संबंध एवं रक्षा संबंधी कई अतिरिक्त अधिकार दिये गये। ईस्ट इंडिया कंपनी की अन्य प्रेसीडेंसियों जैसे मद्रास प्रेसीडेंसी, बंबई प्रेसीडेंसी, एवं बेंगकुलु प्रेसीडेंसी (बैनकूलन) को, बिना फोर्ट विलियम के गवर्नर-जनरल एवं परिषद की अग्रिम अनुमोदन के; ना तो कोई युद्ध की घोषणा के अधिकार थे, ना ही किसी भारतीय रजवाड़ॊं से शांति संबंध बनाने के अधिकार दिये गये थे। गवर्नर-जनरल की विदेश मामलों के अधिकार इंडिया एक्ट १७८४ के द्वारा बढ़ाये गये। इस अधिनियम के तहत, कंपनी के अन्य गवर्नर नातो कोई युद्ध घोषित कर सकते थे, ना ही शांति प्रक्रिया, ना ही कोई संधि प्रस्ताव या अनुमति किसी भी भारतीय राजाओं से, जब तक कि गवर्नर-जनरल या कम्पनी के निदेशकों से अनुमति या आदेश ना मिला हो। हालांकि गवर्नर-जनरल विदेश नीतियों का संचालक बन गया, परन्तु वह भारत का पूर्ण अध्यक्ष नहीं था। यह स्थिति केवल चार्टर एक्ट १८३३ के तहत आयी, जिसने उसे पूरे ब्रिटिश भारत पर नागरिक एवं सैन्य शासन के पूर्ण अधीक्षण, निर्देशन, एवं नियंत्रण के अधिकार दिये। इस अधिनियम से उसे वैधानिक अधिकार भी मिले। १८५८ उपरांत, गवर्नर-जनरल भारत का मुख्य प्रशासक और ब्रिटिश शासन का प्रतिनिधि बन गया। भारत को कई प्रांतों में बांटा गया, प्रत्येक के एक गवर्नर या प्रशासक नियुक्त हुए। गवर्नर ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त हुए थे, जिनके वे सीधे जवाबदेही थे। लेफ्टिनेंट गवर्नर, चीफ कमिश्नर (मुख्य आयुक्त) एवं प्रशासक (एदमिनिस्ट्रेटर) नियुक्त हुए, जो कि गवर्नर के अधीन कार्यरत थे। गवर्नर-जनरल सबसे शक्तिशाली राज्य भी स्वयं देखता था, जैसे:-हैदराबाद के निजाम, मैसूर के महाराजा, ग्वालियर के सिंधिया महाराजा, बड़ौदा के गायक्वाड महाराजा, जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा, इत्यादि। शेशः रजवाड़े या तो राजपूताना एजेंसी]] एवं सेंट्रल इंडिया एजेंसी देखती थी (जो कि गवर्नर-जनरल के प्रतिनिधि की अध्यक्षता में होता था), या प्रान्तीय शासन। एक बार भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के उपरांत, भारतीय मंत्रीमण्डल (कैबिनेट) के दिन पर दिन अधिकार प्राप्त करते रहने पर, गवर्नर-जनरल की भूमिका केवल औपचारिक रह गयी थी। राष्ट्र के गणतंत्र बनने पर, गैर-कर्यपालक भारत के राष्ट्रपति ने वही प्रकार्य जारी रखे। परिषद गवर्नर-जनरल को अपने वैधानिक एवं कार्यपालक अधिकारों के प्रयोग हेतु, सर्वदा ही परिषद की सलाह मिली। गवर्नर-जनरल को, कईप्रकार्यों के दौरान, गवर्नर-जनरल इन कॉन्सिल कहा जाता था। रेगुलेटिंग एक्ट १७७३ अधिनियम ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के निदेशकों को चुनावों द्वारा, चार सलाहकार नियुक्त कराये। गवर्नर-जनरल के पास इन सलाहकारों सहित, एक मत (वोट) का अधिकार था, जिसके साथ ही उसे समान मत संख्या की स्थिति में उठे विवाद को सुलझाने हेतु, एक अतिरिक्त मत दिया गया था। परिषद का निर्णय गवर्नर-जनरल को मान्य होना था। १७८४ में, परिषद को तीन सदस्य तक सीमित कर दिया गया, जबकि गवर्नर-जनरल के पास अभी भी दो वोट थे। १७८६ में, गवर्नर-जनरल के अधिकार और बढ़ाये गये, औइर परिषद के निर्णय अब उसके लिये बाध्य नहीं थे। चार्टर एक्ट १८३३ से परिषद के ढांचे में और बदलाव आये। यह प्रथम अधिनियम था, जिसके तहत गवर्नर-जनरल की कार्यपलक एवं वैधानिक उत्तरदायित्वों में अन्तर बताया गया। इसके तहत परिषद में चार सदस्य होने चाहिये थे, जो कि निदेशकगण चुनते थे। प्रथम तीन सदस्य प्रत्येक अवसर पर भाग लेते थे, परन्तु चौथे सदस्य को केवल विधान के बहस के दौरान ही बैठने की अनुमति थी। १८५८ में निदेशकगण के अधिकार घटा दिये गये। उनका परिषद के सदस्य चुनने का अधिकार बंद हो गय। इसके स्थान पर, चौथे सदस्य, जिसे केवल वैधानिक बैठक में मत देने का अधिकार था, उसे शासक ही चुनते थे और अन्य तीन सदस्य भारत के राज्य सचिव चुनते थे। इंडियन काउंसिल एक्ट १८६१ अधिनियम द्वारा परिषद के संयोजन में कई बदलाव किये गये। तीन सदस्य भारत के राज्य सचिव द्वारा नियुक्त होना तय हुआ और दो सदस्य मुख्य शासक द्वारा (१८६९ में पांचों सदस्यों के चुनाव का अधिकार ब्रिटिश सम्राट के पास चला गया)। गवर्नर-जनरल को अतिरिक्त छः से बारह सदस्य (१८९२ में छः से दर हुए और १९०९ में दस से बारह)। भारतीय सचिव द्वारा चुने गये पांच लोग कार्यपालक विभाग के मुख्य होते थे, जबकि गवर्नर-जनरल द्वारा चयनित सदस्य बहस में और विधान में मत देने का कार्य करते थे। १९१९ में, राज्य परिषद एवं वैधानिक सभा के संयोजन से बना भारतीय विधान अस्तित्व में आया, जिसने गवर्नर-जनरल की परिषद के वैधानिक प्रकार्यों का कार्य संभाला। गवर्नर-जनरल को विधान के ऊपर महत्वपूर्ण अधिकार था। वह विधान की सहमति के बिना भी आर्थिक व्यय को अधिकृत कर सकता था। यह केवल भूमि (राजनैतिक), रक्षा आदि उद्देश्यों हेतु, एवं आपातकाल में सभी निर्णयों में, सीमित था। यदि उसने संस्तुति की है, लेकिन केवल एक ही चैम्बर ने कोई बिल पास किया है, तो भी वह दूसरे चैमब्र के आपत्ति करने पर भी उस बिल को अध्यादेश बना कर जारी कर सकता था। विधान को विदेश मामलों एवं रक्षा में कोई अधिकार नहीं था। राज्य परिषद का अध्यक्ष, गवर्नर-जनरल द्वारा नियुक्त किया जाता था। विधान सभा अपना अध्यक्ष चुनती थी, लेकिन इसका चुनाव, गवर्नर-जनरल की सहमति से ही होता था। शैली एवं उपाधि गवर्नर-जनरल (जब वे वाइसरॉय थे १८५८ से १९४७ तक के समय समेत) एक्सीलेंसी की शैली प्रयोग किया करते थे, एवं भारत में, अन्य सभी सरकारी अधिकारियों पर वर्चस्व रखते थे। उन्हें योर एक्सीलेंसी से सम्बोधित किया जाता था, तथा उनके लिये हिज़ एक्सीलेंसी प्रयोग किया जाता था। १८५८-१९४७ के काल में, गवर्नर-जनरल को फ्रेंच भाषा से रॉय यानि राजा और वाइस अंग्रेज़ी से, यानि उप, मिलाकर वाइसरॉय कहा जाता था। यह उपाधी सर्वप्रथम रानी विक्टोरिया ने विस्कस कैनिंग के नियुक्ति के समय की थी। इनकी पत्नियों को वाइसराइन कहा जाता था। उनके लिये हर एक्सीलेंसी, एवं उन्हें योर एक्सीलेंसी कहकर सम्बोधित किया जाता था। परन्तु ब्रिटेन के महाराजा के भारत में होने पर, यह उपाधियां प्रयोग नहीं होती थीं। सन १८६१ में, जब ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया, वाइसरॉय को ग्रैंड मास्टर एक्स ऑफीशियो (पदेन या पदानुसार) घोषित किया गया। गवर्नर-जनरल को १८७७ में, पदेन ग्रैंड मास्टर ऑफ ऑर्डर ऑफ इंडियन एम्पायर भी घोषित किया गया। अधिकांश गवर्नर-जनरल एवं वाइसरॉय पीयर थे। जो नहीं थे, उनमें सर जॉन शोर बैरोनत, एवं कॉर्ड विलियम बैंटिक लॉर्ड थे, क्योंकि वे एक ड्यूक के पुत्र थे। केवल प्रथम और अंतिम गवर्नर-जनरल वार्रन हास्टिंग्स तथा चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य और कुछ अस्थायी गवर्नर-जनरल, को कोई विशेष उपाधि नहीं थी। ध्वज १८८५ के लगभग, गवर्नर-जनरल को संघीय ध्वज फहराने की अनुमति दे दी गयी जिसमें बीच में स्टार ऑफ इंडिया के ऊपर एक मुकुट लगा हुआ था। यह ध्वज, गवर्नर-जनरल का निजी ध्वज नहीं था, यह गवर्नर, लेफ्टिनेंट गवर्नर, चीफ कमिश्नर (मुख्य आयुक्त) एवं भारत में अन्य ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा भी प्रयोग किया जाता था। समुद्री यात्रा के दौरान, केवल गवर्नर-जनरल ही इस ध्वज कि मुख्य ध्वज स्तंभ पर फहराता था, अन्य उसे गौण स्तंभों से ही फहराते थे। १९४७ से १९५० तक, भारत के गवर्नर-जनरल, एक शाही ढाल (एक मुकुट पर सिंह आसीन) सहित एक नीला ध्वज प्रयोग किया करते थे। इस चिन्ह के नीचे शब्द “भारत” सुनहरे अक्षरों में अंकित होता था। यही नमूना कई अन्य गवर्नर-जनरल द्वारा भी प्रयोग किया गया। यह किसी गवर्नर-जनरल का अंतिम निजी ध्वज था। आवास फोर्ट विलियम के गवर्नर-जनरल बैल्वेडेर हाउस, कलकत्ता में आरम्भिक उन्नीसवीं शताब्दी तक रहा करते थे। फिर गवर्न्मेंट हाउस का निर्माण हुआ। १८५४ में, बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने वहां अपना आवास बनाया। अब बेलवेडेर हाउस में भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय है। लॉर्ड वैलेस्ली, जिन्होंने कहा था, कि भारत को एक महल से शासित होना चाहिये, ना कि एक डाक बंगले से; ने एक एक वृहत हवेली बनवायी, जिसे गवर्न्मेंट हाउस कहा गया। यह १७९९-१८०३ के बीच निर्मित हुआ। यह हवेली सन १९१२ तक प्रयोग में रही, जब तक की राजधानी कलकत्ता में रही। फिर राजधानी दिल्ली स्थानांतरित की गयी। तब बंगाल के लेफ्टि. गवर्नर को गवर्नर का पूर्णाधिकार दिया गया और गवर्न्मेंट हाउस में आवास दिया गया। अब यही भवन, वर्तमान पश्चिम बंगाल का राज्यपाल आवास है। इसे अब इसी नाम के हिन्दी रूपान्तर, राज भवन कहा जाता है। जब राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया, वाइसरॉय ने नव-निर्मित सर एड्विन लूट्यन्स द्वारा अभिकल्पित, वाइसरॉय हाउस में आवास किया। हालांकि निर्मान १९१२ में आरम्भ हुआ, परन्तु वह १९२९ तक भी पूर्ण ना हो सका; और १९३१ तक भी उसका औपचारिक उद्घाटन नहीं सम्पन्न हो पाया। इसाखी अंतिम लागत पाउण्ड ८,७७,००० (आज के अनुसार साढ़े तीन करोड़ पाउण्ड) थी। वर्तमान में, यह आवास, अपने वर्तमान हिन्दी नाम “राष्ट्रपति भवन” से प्रसिद्ध है। पूरे ब्रिटिश प्रशासन के दौरान, गवर्नर-जनरल शिमला स्थित वाइसरीगल लॉज (देखें “राष्ट्रपति निवास”) में ग्रीष्म ऋतु बिताते थे। पूरी सरकार ग्रीष ऋतु की गर्मी से बचने हेतु, हर वर्ष शिमला जाते थे। गवर्नर-जनरल की सूची फोर्ट विलियम प्रेसीडेंसी भारत के गवर्नर-जनरलों की सूची, 1774 – 1833 गवर्नर-जनरल वार्रन हास्टिंग्स, 20 अक्टूबर 1773–1 फरवरी 1785 सर जॉन मैक्फर्सन, 1 फरवरी 1785–12 सितंबर 1786, अस्थायी कॉर्नवालिस, 12 सितंबर 1786–28 अक्टूबर 1793, पहली बार (1792 से) जॉन शोर, 28 अक्टूबर 1793–मार्च 1798 एल्यूरेड क्लार्क, मार्च 1798–18 मई 1798, अस्थायी वैलेस्ली, 18 मई 1798–30 जुलाई 1805 (1799 से, लॉर्ड वैलेस्ली) कॉर्नवालिस, 30 जुलाई 1805–5 अक्टूबर 1805, दूसरी बार जॉर्ज हिलेरियो बार्लो, 10 अक्टूबर 1805–31 जुलाई 1807, अस्थायी मिंटो, 31 जुलाई 1807–4 अक्टूबर 1813 फ्रांसिस रॉडन हास्टिंग्स, 4 अक्टूबर 1813–9 जनवरी 1823 जॉन ऐडम, 9 जनवरी 1823–1 अगस्त 1823, अस्थायी एम्हर्स्ट, 1 अगस्त 1823–13 मार्च 1828 विलियम बटर्वर्थ बेले, 13 मार्च 1828–4 जुलाई 1828, अस्थायी विलियम बैंटिक 4 जुलाई 1828–22 अप्रैल 1834 भारत के गवर्नर-जनरल 1834–1858 विलियम बैन्टिक 22 अप्रैल 1833–20 मार्च 1835, continued चार्ल्स मैटकाफ, 20 मार्च 1835–4 मार्च 1836, अस्थायी ऑकलैंड, 4 मार्च 1836–28 फरवरी 1842 ऐलनबरो, 28 फरवरी 1842–जून 1844 विलियम विबरफोर्स बर्ड, जून 1844–23 जुलाई 1844, अस्थायी हैनरी हार्डिंग, 23 जुलाई 1844–12 जनवरी 1848 डलहौज़ी, 12 जनवरी 1848–28 फरवरी 1856 कैनिंग, 28 फरवरी 1856–1 नवंबर 1858 भारत के वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल 1858–1947 कैनिंग, 1 नवंबर 1858–21 मार्च 1862, एल्गिन, 21 मार्च 1862–20 नवंबर 1863 रॉबर्ट नैपियर, 21 नवंबर 1863–2 दिसम्बर 1863, अस्थायी विलियम डैनिसन, 2 दिसम्बर 1863–12 जनवरी 1864, अस्थायी जॉन लॉरेंस, 12 जनवरी 1864–12 जनवरी 1869 मेयो, 12 जनवरी 1869–8 फरवरी 1872 जॉन स्ट्रैचे, 9 फरवरी 1872–23 फरवरी 1872, अस्थायी नैपियर, 24 फरवरी 1872–3 मई 1872, अस्थायी नॉर्थब्रूक, 3 मई 1872–12 अप्रैल 1876 लिट्टन, 12 अप्रैल 1876–8 जून 1880 राइपन, 8 जून 1880–13 दिसम्बर 1884 डफरिन, 13 दिसम्बर 1884–10 दिसम्बर 1888 लैंस्डाउन, 10 दिसम्बर 1888–11 अक्टूबर 1894 विक्टर ब्रूस, 11 अक्टूबर 1894–6 जनवरी 1899 कर्जन, 6 जनवरी 1899–18 नवंबर 1905 ऐम्प्थिल, 1904, मिंटो, 18 नवंबर 1905–23 नवंबर 1910 हार्डिंग, 23 नवंबर 1910–4 अप्रैल 1916 चेम्स्फोर्ड, 4 अप्रैल 1916–2 अप्रैल 1921 रीडिंग 2 अप्रैल 1921–3 अप्रैल 1926 इर्विन, 3 अप्रैल 1926–18 अप्रैल 1931 विलिंग्डन, 18 अप्रैल 1931–18 अप्रैल 1936 विक्टर होप, 18 अप्रैल 1936–1 अक्टूबर 1943 वेवैल, 1 अक्टूबर 1943–21 फरवरी 1947 माउंटबैटन, 21 फरवरी 1947–15 अगस्त 1947 भारत के गवर्नर-जनरल 1947–1950 माउंटबैटन, 15 अगस्त 1947–जून 1948 चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य, जून 1948–25 जनवरी 1950 पाकिस्तान के गवर्नर-जनरल 1947–1958 मोहम्मद अली जिन्नाह, 15 अगस्त 1947–11 सितंबर 1948 ख्वाजा नजीमुद्दीन, 14 सितंबर 1948–17 अक्टूबर 1951 गुलाम मोहम्मद, 17 अक्टूबर 1951–6 अक्टूबर 1955 इस्कंदर मिर्जा, 6 अक्टूबर 1955–23 मार्च 1956 अधिचिह्न इन्हें भी देखें ब्रिटिश साम्राज्य भारत के सम्राट गवर्नर जनरल पाकिस्तान के गवर्नर जनरल भारत के राष्ट्रपति वाइसरॉय भारत का विभाजन सन्दर्भ Association of Commonwealth Archivists and Record Managers, (1999). "Government Buildings - India" Forrest, G.W., CIE, (editor), Selections from The State Papers of the Governors-General of India - Warren Hastings (2 vols), Blackwell's, Oxford, 1910. Encyclopædia Britannica ("British Empire" and "Viceroy"), London, 1911, 11th edition, Cambridge University Press. James, Lawrence, Raj: The Making and Unmaking of British India London: Little, Brown & Company, 1997, ISBN 0-316-64072-7 Keith, A. B. (editor), Speeches and Documents on Indian Policy, 1750–1921'',ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1922. Oldenburg, P. (2004). "India." Microsoft Encarta Online Encyclopedia. भारत में ब्रिटिश राज भारत सरकार भारत का इतिहास
फ्लोरिडा हाईस्कूल गोलीबारी की घटना के पीड़ितों ने देश में बंदूक कानूनों को सख्त करने की मांग की है और साथ ही मतदाताओं से इस कदम का विरोध करने वाले सांसदों को पद से हटाने का भी आग्रह किया है. 'सीएनएन' के अनुसार, फोर्ट लॉडरडेल में शनिवार को एक भावनात्मक रैली में पार्कलैंड के मार्जरी स्टोनमैन डगलस हाईस्कूल (जहां 14 फरवरी को नरसंहार हुआ था) की वरिष्ठ छात्रा एमा गोंजालेज ने मांग की कि देश के सांसदों को स्कूलों में गोलीबारी को रोकने के लिए कुछ करना चाहिए. इस घटना के दौरान एमा ऑडिटोरियम में छुप गई थीं. फेडरल कोर्टहाउस के बाहर एक रैली में एमा ने कहा, "हम यह समझ नहीं पाते हैं कि दोस्तों के साथ सप्ताहांत की योजनाओं को बनाना एक स्वचालित या अर्धआधुनिक हथियार खरीदने की तुलना में क्यों कठिन है." उन्होंने नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) से चुनाव अभियान में चंदा लेने वाले राजनीतिज्ञों को संबोधित करते हुए कहा, "आपको शर्म आनी चाहिए." इसके बाद रैली में मौजूद सैकड़ों लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया, "शर्म करो, शर्म करो." एमा ने कहा, "एनआरए द्वारा वित्तपोषित अपने सोने के महलों में रहने वाले और सीनेट सीटों पर बैठे राजनेता हमसे कहते हैं कि वे कुछ भी नहीं कर सकते. यह बकवास है. वे कहते हैं कि बंदूकों पर सख्त कानून हिंसा को बंद नहीं कर सकता। हम इसे बकवास मानते हैं." टिप्पणियां फ्लोरिडा के हाईस्कूल में 19 वर्षीय पूर्व छात्र निकोलस क्रूज द्वारा की गई गोलीबारी में 17 लोगों की मौत हो गई थी. क्रूज की सोमवार को सुनवाई होगी.   इस घटना के दौरान एमा ऑडिटोरियम में छुप गई थीं. फेडरल कोर्टहाउस के बाहर एक रैली में एमा ने कहा, "हम यह समझ नहीं पाते हैं कि दोस्तों के साथ सप्ताहांत की योजनाओं को बनाना एक स्वचालित या अर्धआधुनिक हथियार खरीदने की तुलना में क्यों कठिन है." उन्होंने नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) से चुनाव अभियान में चंदा लेने वाले राजनीतिज्ञों को संबोधित करते हुए कहा, "आपको शर्म आनी चाहिए." इसके बाद रैली में मौजूद सैकड़ों लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया, "शर्म करो, शर्म करो." एमा ने कहा, "एनआरए द्वारा वित्तपोषित अपने सोने के महलों में रहने वाले और सीनेट सीटों पर बैठे राजनेता हमसे कहते हैं कि वे कुछ भी नहीं कर सकते. यह बकवास है. वे कहते हैं कि बंदूकों पर सख्त कानून हिंसा को बंद नहीं कर सकता। हम इसे बकवास मानते हैं." टिप्पणियां फ्लोरिडा के हाईस्कूल में 19 वर्षीय पूर्व छात्र निकोलस क्रूज द्वारा की गई गोलीबारी में 17 लोगों की मौत हो गई थी. क्रूज की सोमवार को सुनवाई होगी.   उन्होंने नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) से चुनाव अभियान में चंदा लेने वाले राजनीतिज्ञों को संबोधित करते हुए कहा, "आपको शर्म आनी चाहिए." इसके बाद रैली में मौजूद सैकड़ों लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया, "शर्म करो, शर्म करो." एमा ने कहा, "एनआरए द्वारा वित्तपोषित अपने सोने के महलों में रहने वाले और सीनेट सीटों पर बैठे राजनेता हमसे कहते हैं कि वे कुछ भी नहीं कर सकते. यह बकवास है. वे कहते हैं कि बंदूकों पर सख्त कानून हिंसा को बंद नहीं कर सकता। हम इसे बकवास मानते हैं." टिप्पणियां फ्लोरिडा के हाईस्कूल में 19 वर्षीय पूर्व छात्र निकोलस क्रूज द्वारा की गई गोलीबारी में 17 लोगों की मौत हो गई थी. क्रूज की सोमवार को सुनवाई होगी.   फ्लोरिडा के हाईस्कूल में 19 वर्षीय पूर्व छात्र निकोलस क्रूज द्वारा की गई गोलीबारी में 17 लोगों की मौत हो गई थी. क्रूज की सोमवार को सुनवाई होगी.
जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल ने अपनी नई ब्रांच सरिता विहार के लिए जॉब नोटिफिकेशन जारी किया है. यहां कई पदों के लिए वैकेंसी निकली हैं. इच्छुक उम्मीदवार 21 अक्टूबर तक आवेदन कर सकते हैं. पदों का विवरण: प्राइमरी इंचार्ज (फीमेल) नर्सरी टीचर (फीमेल) टीजीटी कंप्यूटर टीचर लैंग्वेज टीचर क्वालिफाइड लाइब्रेरियन काउंसलर स्पेशल एजुकेटर आर्ट एंड क्राफ्ट टीचर डांस टीचर वोकल/इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक टीचर थियेटर इंस्ट्रक्टर योगा एंड एयरोबिक्स टीचर फिजिकल एजुकेशन टीचर्स/स्‍पोर्ट्स कोच फ्रंट डेस्क एग्जीक्यूटिव (फीमेल) पीआरओ/एडमिशन को-ऑर्डिनेटर (फीमेल) एकाउंटेंट/एकाउंट्स असिस्टेंट ऑफिस असिस्टेंट आईटी इंजीनियर/असिस्टेंट एचवीएसी- इलेक्ट्रिकल इंजीनियर/सुपरवाइजर ट्रांस्पोर्ट इंचार्ज डॉक्टर एंड नर्स आवेदन करने के लिए www.gdgoenka-gurgaon.com पर लॉग इन करें.
नसरीन सोतौदेह ( ) ईरान की एक मानवाधिकार वकील है। इन्होंने जून 2009 के ईरानी राष्ट्रपति चुनावों के बाद कैद किए गए ईरानी विपक्षी कार्यकर्ताओं और राजनेताओं का प्रतिनिधित्व किया है जिन्हें अपराध के लिए मौत की सजा दी गई। जिसमे ईसा सरखिज़ , नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी और प्रतिबंधित विरोधी समूह नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (ईरान) के प्रमुख हशमत तबरज़ादी शामिल हैं । इन्होंने हिजाब के बिना सार्वजनिक रूप से पेश होने के लिए गिरफ्तार महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व किया है, जो ईरान में दंडनीय अपराध है। सोतौदेह को सितंबर 2010 में प्रचार प्रसार करने और राज्य की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें एविन जेल में एकांत कारावास में कैद किया गया था । जनवरी 2011 में, ईरानी अधिकारियों ने सोतौदे को 11 साल की जेल की सजा सुनाई, साथ ही उन्हें कानून का अभ्यास करने और 20 साल के लिए देश छोड़ने से रोक दिया। बाद में, एक अपील अदालत ने बाद में उसकी सजा को छह साल तक कम कर दिया, और इनकी कानून प्रैक्टिस को दस साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया। जून 2018 में इन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया, और 12 मार्च 2019 को तेहरान में कई राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अपराधों के आरोप में जेल की सजा सुनाई गई। जबकि एक तेहरान न्यायाधीश ने इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी को बताया कि उन्हें सात साल की कैद हुई थी, यह अन्य स्रोतों द्वारा बताया गया कि अधिकतम सजा में 10 साल की जेल और 148 कोड़ो के साथ छह अन्य फैसले और कुल 38 साल की सजा एक साथ शामिल थी। परिवार और शिक्षा नसरीन सोतौदेह का जन्म 1963 में एक "धार्मिक, मध्यम वर्गीय" ईरानी परिवार में हुआ था। इन्होंने कॉलेज में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई करने की उम्मीद की थी और ईरानी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में 53 वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन स्थान पाने के लिए पर्याप्त उच्च अंकों की कमी थी और तेहरान में शहीद बेहेशती विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई समाप्त कर दी। विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय कानून में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, सोतौदेह ने 1995 में बार परीक्षा सफलतापूर्वक ली और उत्तीर्ण की, लेकिन उन्हें कानून का अभ्यास करने के लिए और आठ साल इंतजार करना पड़ा। सोतौदेह की शादी रजा खंदन से हुई है। उनके दो बच्चे हैं। सोतौडेह ने इस बात पर जोर दिया है कि रेजा "अपने संघर्ष के दौरान उसके और उसके काम के साथ-साथ खड़े है।" काम और गतिविधि सोतौदेह ने ईरानी गृह मंत्रालय के कानूनी कार्यालय में अपने करियर की शुरुआत की और दो साल बाद राज्य के स्वामित्व वाले बैंक तेहरत के कानूनी अनुभाग में शामिल हो गई। बैंक में अपने कार्यकाल के दौरान वह "कानूनी रूप से कानूनी मामले को तैयार करने और ईरान में हेगिया अदालत के सम्मन के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने विवाद में" हेग में पेश किए गए मामलों में से कई के लिए कानूनी तर्क तैयार करने के साथ भारी रूप से शामिल थी। सोतौदेह का "महिलाओं के अधिकारों के क्षेत्र में पहला काम", दरियाच पत्रिका के लिए साक्षात्कार, रिपोर्ट और लेखों का एक विविध संग्रह था। प्रकाशन के प्रधान संपादक ने संग्रह को अस्वीकार कर दिया, जिसने "महिलाओं के अधिकारों के लिए अपने काम में सोतौदे को और अधिक निर्धारित किया"। 1995 में 32 वर्ष की आयु में उसने बार (कानूनगो वोकला) परीक्षा दी और अपने वकीलों की साख अर्जित की, और कानून समाज के सबसे सक्रिय सदस्यों में से एक बन गई। सोतौदेह के काम में दुर्व्यवहार करने वाले बच्चों और माताओं का बचाव करना और दुर्व्यवहार करने वाले बच्चों को उनके अपमानजनक पिता की ओर लौटने से बचाने के लिए काम करना शामिल है। वह मानती है कि बहुत से नशेड़ी बीमार हैं या खुद बदसलूकी के शिकार हैं, और पेशेवर देखभाल और दवा की जरूरत है। वह उम्मीद करती है कि अदालतें मासूम बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए दुर्व्यवहार के मामलों को सत्यापित करने में बाल विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों का बेहतर इस्तेमाल करेंगी। गिरफ्तारी से पहले सोतौदेह कार्यकर्ताओं और जैसे पत्रकारों का प्रतिनिधित्व किया कोरोश ज़िम, ईसा सहारखीज , हेशमाट टबरजाडी , नाहिद, परविन आर्डलान , और ओमिड मेमेरियन, साथ ही बच्चे के दुरुपयोग और आपराधिक मामलों। उन्होंने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी और उनके मानवाधिकार केंद्र के रक्षकों के साथ मिलकर काम किया। सोतौदेह की गिरफ्तारी के बाद, इबादी ने उसे रिहा करने के लिए बुलाया और उसके स्वास्थ्य के बारे में चिंता व्यक्त की। एबादी ने बयान में कहा, सोतौदेह अंतिम शेष साहसी मानवाधिकार वकीलों में से एक हैं जिन्होंने ईरान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के पीड़ितों के बचाव के लिए सभी जोखिमों को स्वीकार किया है"। पूर्व चेक राष्ट्रपति व्हास्लाव हावेल और ज़हरा रहनावार्ड , विपक्ष के नेता की पत्नी मीर हुसैन मौउसवी , यह भी सोतौदेह की रिहाई का आह्वान किया। पहली गिरफ्तारी और सुनवाई 28 अगस्त 2010 को, ईरानी अधिकारियों ने सोतौदेह के कार्यालय पर छापा मारा। उस समय, सोतोहेद ज़ाहरा बहरामि का प्रतिनिधित्व कर रही थी, जो एक डच-ईरानी दोहरी नागरिक सुरक्षा अपराधों के आरोप में थी; यह स्पष्ट नहीं था कि छापे बहराम से संबंधित थे या नहीं। 4 सितंबर 2010 को ईरानी अधिकारियों ने सोतौदे को प्रचार प्रसार करने और राज्य की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया। वाशिंगटन पोस्ट ने गिरफ्तारी का वर्णन "प्रभावशाली विपक्षी राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों का बचाव करने वाले वकीलों पर तीखी प्रतिक्रिया को उजागर करते हुए किया।" एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उनकी रिहाई के लिए एक तत्काल कॉल शुरू किया, उन्हें अंतरात्मा का कैदी नियुक्त किया और ध्यान दिया कि वह "यातना या अन्य अशुभ उपचार का खतरा था। सोतौदेह, जिसे एविन जेल में कैद किया गया था , कथित तौर पर एकांत कारावास में रखा गया था। 9 जनवरी 2011 को, ईरानी अधिकारियों ने सोतौदे को 11 साल की जेल की सजा सुनाई जिसमें "राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ गतिविधियाँ" और "शासन के खिलाफ प्रचार" शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें कानून का अभ्यास करने और 20 साल के लिए देश छोड़ने से रोक दिया गया है। सितंबर 2011 के मध्य में, एक अपील अदालत ने नसरीन सोतौदेह की जेल की सजा को घटाकर छह साल कर दिया; एक वकील के रूप में काम करने से उसके प्रतिबंध को घटाकर दस साल कर दिया गया। 13 जून 2018 को, नसरीन सोतौदेह ने जेल में दूसरा कार्यकाल शुरू किया। उन्हें "राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करने" के लिए पाँच साल का कारावास दिया गया। भूख हड़ताल 25 सितंबर 2010 को, उन्होंने अपने परिवार से यात्राओं और फोन कॉल से इनकार किए जाने के विरोध में भूख हड़ताल शुरू की। उनके पति के मुताबिक, 23 अक्टूबर को सोतौदेह ने चार हफ्ते बाद अपनी भूख हड़ताल खत्म की। 17 अक्टूबर 2012 को, सोतौदेह ने अपनी पारिवारिक यात्राओं पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के विरोध में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। हड़ताल के 47 वें दिन, उनके पति ने उसकी स्थिति का वर्णन किया: अब उसकी स्वास्थ्य स्थिति इतनी कठोर हो चुकी है कि मुझे हमारी अगली बैठक तक उसकी उम्मीद नहीं है। चक्कर आना, बिगड़ा हुआ दृष्टि, चलने में अस्थिरता और कम दबाव चरम पतलेपन के अलावा, बिगड़ने के खतरनाक संकेत हैं। 4 दिसंबर 2012 को सोतोडेह ने 49 दिनों के बाद एविन जेल में कुछ संसद सदस्यों की एक छोटी यात्रा के बाद अपनी भूख हड़ताल बंद कर दी, जहां उन्होंने स्वीकार किया और अपनी बेटी की यात्रा प्रतिबंध को हटाने के लिए उनके अनुरोधों को लागू किया। 29 अगस्त 2018 को, अपने परिवार और दोस्तों के उत्पीड़न और सरकारी उत्पीड़न के विरोध में, सोतौदे ने भूख हड़ताल शुरू की। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सोतौदेह की कारावास की व्यापक रूप से निंदा की गई। अक्टूबर 2010 में, ईरान में मानव अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान, ह्यूमन राइट्स वॉच , इंटरनेशनल कमीशन ऑफ़ ज्यूरिस्ट्स , इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स , द ईरानी लीग फॉर द डिफेंस ऑफ़ ह्यूमन राइट्स , द यूनियन इंटरनेशनेल देस एवोकैट्स एंड द वर्ल्ड ऑर्गनाइज़ेशन अगेंस्ट सोरौडेह की गिरफ्तारी और उसे तत्काल रिहा करने का आह्वान करते हुए एक संयुक्त बयान में टॉर्चर एमनेस्टी इंटरनेशनल में शामिल हो गया। अमेरिका ने इस बात की निंदा की कि उसने सोतौदेह के खिलाफ "अन्यायपूर्ण और कठोर फैसला" क्या कहा, और उसे "ईरान में कानून और न्याय के शासन के लिए एक मजबूत आवाज" कहा। 20 दिसंबर 2010 को, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने कारावास के विरोध में लंदन में ईरानी दूतावास पर एक दिन का विरोध प्रदर्शन किया। जनवरी 2011 में, इंग्लैंड और वेल्स की लॉ सोसायटी ने भी उनकी रिहाई के लिए एक कॉल जारी किया। 26 अक्टूबर 2012 को, सोतौदेह को यूरोपीय संसद के सखारोव पुरस्कार के सह-विजेता के रूप में घोषित किया गया था। उन्होंने ईरानी फिल्म निर्देशक जफर पनाही के साथ पुरस्कार साझा किया। यूरोपीय संसद के अध्यक्ष मार्टिन शुल्ज़ ने इस जोड़ी को "एक महिला और एक पुरुष कहा जाता है, जो डर और डर के मारे नहीं झुके हैं और जिन्होंने अपने देश का भाग्य उनके सामने रखने का फैसला किया है"। यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के केंद्रीय प्रतिनिधि और सुरक्षा नीति कैथरीन एश्टन ने पुरस्कार के बारे में कहा, "मैं नसरीन सोतौडेह और अन्य मानवाधिकार रक्षकों के मामले का बड़ी चिंता के साथ पालन कर रहा हूं।। हम उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए मुहिम जारी रखेंगे। हम ईरान को उन मानवाधिकारों के दायित्वों का सम्मान करने के लिए देखते हैं, जिन पर उसने हस्ताक्षर किए हैं। मानवाधिकार रक्षक और स्वतंत्र पत्रकार विलियम निकोलस गोम्स ने अगस्त 2018 में सोतौदेह की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की। 22 अगस्त 2018 को, यूरोपीय संसद के 60 सदस्यों ने ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी से कहा कि वह जबरदस्ती सोतौदे की "बिना शर्त रिहाई" के लिए काम करें। रिहाई संयुक्त राष्ट्र में ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी के एक संबोधन के कुछ दिन पहले 18 सितंबर 2013 को विपक्षी नेता मोहसिन अमिनजादे सहित दस अन्य राजनीतिक कैदियों के साथ सोतौदेह को रिहा किया गया था। उनकी जल्द रिहाई के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था। दूसरी गिरफ्तारी सोतौदेह को जून 2018 में फिर से गिरफ्तार किया गया था। उनके वकील के अनुसार, उन पर जासूसी, प्रचार प्रसार और ईरान के सुप्रीम लीडर अली खमैनी पर आरोप लगाया गया था। 6 मार्च 2019 को, तेहरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी कोर्ट के सामने मुकदमे में उपस्थित होने से इनकार करने के बाद, उन्हें अनुपस्थित में दोषी ठहराया गया था क्योंकि वह अपने स्वयं के वकील का चयन करने में असमर्थ थी। उस पर एक मानवाधिकार संगठन का सदस्य होने और "भ्रष्टाचार और वेश्यावृत्ति" का प्रहार करने सहित कई अपराधों का आरोप लगाया गया था। 11 मार्च को, न्यायाधीश मोहम्मद मोइसिन ने इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी को बताया कि उन्हें असेंबली के माध्यम से देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए पांच साल और खमेनी का अपमान करने के लिए दो साल की सजा सुनाई गई थी। 12 मार्च को, सोतौदेह के पति, रेजा खानदान ने कहा कि वर्तमान परीक्षण के फैसले की केवल सबसे लंबी सजा दी जाएगी, जो कि कुल 33 में से 10 साल का कारावास ("भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और साधन प्रदान करने के लिए") है। एक साथ बंडल किए गए सात शुल्कों के लिए वर्ष; यह एक और मामले के लिए पांच साल के अलावा था, कुल 38 साल तक लाया, साथ ही 148 कोड़े भी। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया फैसले की घोषणा होने से पहले, मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के उप-उच्चायुक्त केट गिलमोर को पिछले सप्ताह की यात्रा की अनुमति दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार जांचकर्ताओं द्वारा यह यात्रा कई वर्षों में पहली थी। ईरान में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के अन्वेषक जावेद रहमान ने 11 मार्च को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में सोतौदेह का मामला उठाया, जिसमें कहा गया था कि उन्हें "अपने काम से संबंधित आरोपों के लिए दोषी ठहराया गया था और एक लंबी जेल की सजा का सामना कर सकता था"। ईरान में सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स ने उनकी सजा की आलोचना की और कहा कि यह साबित हुआ कि ईरानी सरकार किसी भी शांतिपूर्ण आलोचना के प्रति संवेदनशील थी। हादी गमी, कार्यकारी निदेशक, ने कहा कि मानवाधिकार समूह की सदस्यता से लेकर "भ्रष्टाचार और वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने" तक के आरोपों से पता चलता है कि उनकी नजरबंदी उन महिलाओं की रक्षा से संबंधित है, जिन्होंने अनिवार्य हिजाब का विरोध किया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उसकी सजा की निंदा की है और उसे दोषी ठहराए जाने की मंशा के बारे में कहा है कि इसमें हिजाब कानून का विरोध करने वाली महिलाओं का समर्थन शामिल है। 2011 पेन बारबरा गोल्डस्मिथ स्वतंत्रता पुरस्कार लिखने के लिए 2011 दक्षिणी इलिनोइस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ नियम ऑफ लॉ प्रशस्ति पत्र 2012 सखारोव पुरस्कार सन्दर्भ जीवित लोग 1963 में जन्मे लोग
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के अंतरिम अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा ने मंगलवार को कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल गए आईओए अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को दोषी ठहराने का अब भी कोई कारण नहीं है। कलमाड़ी को पिछले महीने सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद आईओए कार्यकारिणी की यह पहली बैठक थी। मल्होत्रा ने कहा कि आईओए राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ कोई कदम उठाने के लिए संविधान के हिसाब से चलेगा। मल्होत्रा से जब पूछा गया कि क्या आईओए इस दौर में कलमाड़ी के साथ है, उन्होंने कहा, यह कलमाड़ी का साथ देने या नहीं देने का सवाल नहीं है। कानून अपना काम करेगा। आईओए का इससे कोई लेना देना नहीं है। इस पर फैसला करने के लिए संविधान है और हम उसका अनुसरण करेंगे। उन्होंने कहा, कुछ सदस्यों ने आज उनका नाम लिए बिना उनकी बात की और कहा कि इससे खेल संघों की गलत छवि पेश होती है। मल्होत्रा ने कहा, अगले साल चुनाव होने हैं। अभी उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की जरूरत नहीं है। हम संविधान के अनुसार काम करेंगे। कलमाड़ी को राष्ट्रमंडल खेलों की टाइमिंग और स्कोरिंग मशीनों के अनुबंध बढ़ी हुई दरों पर मुहैया कराने के आरोप में 25 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था।
A post shared by Nora Fatehi (@norafatehi) on Apr 27, 2019 at 8:01am PDT नोरा फतेही (Nora Fatehi) के इस डांस वीडियो में देखा जा सकता है कि स्टेज पर ताजमहल का क्रोमा बना हुआ है, जिसके बाद मशहूर डांसर नोरा फतेही की एंट्री होती है. स्टेज पर एंट्री मारते ही उन्होंने अपने धमाकेदार डांस स्टेप्स से सबको हैरान कर दिया. अपनी बैली डांस (Belly Dance) के लिए मशहूर नोरा फतेही ने इस दौरान जमकर अपनी अदाओं का जादू बिखेरा. उन्होंने यह वीडियो अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है. इस वीडियो को शेयर किए हुए अभी एक दिन ही हुए हैं, लेकिन इसे लाखों व्यूज मिल चुके हैं नोरा फतेही के डांस परफॉर्मेंस को देखने लाखों लोगों की भीड़ जुटी हुई थी. लोग उनके एक झलक के लिए बेताब हो रहे थे. A post shared by Nora Fatehi (@norafatehi) on Mar 22, 2019 at 9:04am PDT बता दें कि नोरा फतेही (Nora Fatehi) वैसे भी अपने डांस के लिए ही पहचानी जाती हैं और उन्होंने 'बाहुबली' और 'सत्यमेव जयते' के 'दिलबर' सॉन्ग से जमकर सुर्खियां लूटी हैं. नोरा फतेही बिग बॉस में भी आ चुकी हैं. लेकिन नोरा फतेही  के हाथ बॉलीवुड में दो बड़े प्रोजेक्ट लगे हैं. नोरा फतेही सलमान खान (Salman Khan) और कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) की फिल्म 'भारत (Bharat)' में नजर आएंगी जिसे अली अब्बास जफर डायरेक्ट कर रहे हैं. नोरा फतेही वरुण धवन (Varun Dhawan) और श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor) की डांस आधारित फिल्म 'स्ट्रीट डांसर (Street Dancer)' में भी नजर आएंगी.
राजेश जोशी (जन्म १९४६) साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी साहित्यकार हैं। परिचय उनका जन्म मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ। उन्होंने शिक्षा पूरी करने के बाद पत्रकारिता शुरू की और कुछ सालों तक अध्यापन किया। राजेश जोशी ने कविताओं के अलावा कहानियाँ, नाटक, लेख और टिप्पणियाँ भी लिखीं। उन्होंने कुछ नाट्य रूपांतर तथा कुछ लघु फिल्मों के लिए पटकथा लेखन का कार्य भी किया। उनके द्वारा भतृहरि की कविताओं की अनुरचना भूमिका "कल्पतरू यह भी" एवं मायकोवस्की की कविता का अनुवाद "पतलून पहिना बादल" नाम से किए गए है। कई भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अँग्रेजी, रूसी और जर्मन में भी उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। रचना राजेश जोशी की कविताएँ गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली होती हैं। वे जीवन के संकट में भी गहरी आस्था को उभारती हैं। उनकी कविताओं में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज़ और मौसम सभी कुछ व्याप्त है। उनके काव्यलोक में आत्मीयता और लयात्मकता है तथा मनुष्यता को बचाए रखने का एक निरंतर संघर्ष भी। दुनिया के नष्ट होने का खतरा राजेश जोशी को जितना प्रबल दिखाई देता है, उतना ही वे जीवन की संभावनाओं की खोज के लिए बेचैन दिखाई देते हैं। कविता-संग्रह 'एक दिन बोलेंगे पेड़', 'मिट्टी का चेहरा', 'नेपथ्य में हँसी', 'दो पंक्तियों के बीच' कहानी संग्रह सोमवार और अन्य कहानियाँ, कपिल का पेड़, नाटक 'जादू जंगल', 'अच्छे आदमी', 'टंकारा का गाना'। उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों की पुस्तक- 'एक कवि की नोटबुक' प्रकाशित हुई है। पुरस्कार उन्हें शमशेर सम्मान, पहल सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान और माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार के साथ केन्द्र साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है। सन्दर्भ हिन्दी कवि हिन्दी साहित्यकार हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी भाषा के साहित्यकार
तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के सामने महिलाओं को गुजारा भत्ता देने की शर्त रख कर पीएम नरेंद्र मोदी के दांव पर पानी फेर दिया है. दरअसल, पीएम मोदी लगातार तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा समर्थन नहीं दिए जाने को लेकर निशाना साधते रहे हैं. हाल ही में राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर संसद के मॉनसून सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पर समर्थन व्यक्त करते हुए इसे पारित कराने का आग्रह किया था. उनके पत्र पर पलटवार करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी उन्हें एक पत्र लिखा और तीन तलाक व निकाह हलाला संबंधी विधेयकों को पारित कराने में सहयोग की मांग की थी. अब कांग्रेस ने उनकी ये बात भी मान ली है और शर्त के साथ तीन तलाक बिल पर समर्थन देने का ऐलान किया है. अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा कि अगर सरकार तीन तलाक विरोधी विधेयक में महिला के लिए गुजारा भत्ता का प्रावधान करती है तो कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन जरूर करेगी. ' सरकार तीन तलाक के मुद्दे पर कर रही है सौदेबाजी' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक के लिए तीन तलाक़ विधेयक की शर्त रखकर 'सौदेबाजी' कर रही है. सुष्मिता देव ने कहा, 'हम तीन तलाक विरोधी विधेयक के खिलाफ में कभी नहीं थे. लेकिन विधेयक का मौजूदा स्वरूप मुस्लिम महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वाला है. इसमें पीड़ित महिला के लिए गुजारा भत्ता का प्रावधान होना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'महिला के गुजारा भत्ता के लिए मैंने लोकसभा में संशोधन पेश किया था लेकिन वह पारित नहीं हो सका. अगर यह संशोधन स्वीकार कर लिया जाता है तो हम इस विधेयक का बिल्कुल समर्थन करेंगे.' कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'विधेयक का मकसद यही है कि मुस्लिम महिला को न्याय मिले और तीन तलाक पर अंकुश लगे. लेकिन पति जेल चला जायेगा तो महिला की जीविका का क्या होगा. इस पहलू पर हमें ध्यान देना होगा.' गौरतलब है कि एक बार में तीन तलाक के खिलाफ लाया गया 'मुस्लिम महिला विवाह संरक्षण विधेयक' लोकसभा में पारित हो चुका है और फिलहाल राज्यसभा में लंबित है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गत 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पारित किए जाने के लिए सहयोग करने को कहा था. उसके बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस महिला आरक्षण ही नहीं, बल्कि तीन तलाक, हलाला और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग संबन्धी विधेयकों पर भी सरकार का साथ दें. इस पर महिला कांग्रेस की प्रमुख ने कहा, 'सरकार की ओर से सौदेबाजी की जा रही है. क्या उन्होंने अपने घोषणापत्र में कहा था कि महिला आरक्षण विधेयक के साथ तीन तलाक विधेयक को पारित करेंगे? हमारे पास बहुमत नहीं था, लेकिन इनके पास स्पष्ट बहुमत है. अगर कांग्रेस और भाजपा दोनों समर्थन करें तो महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जा सकता है.'
ब्रेज़र्ज़ एक कनाडा के अश्लील उत्पादन कंपनी हेैं। मुख्यालय मॉन्ट्रियल, क्यूबेक कनाडा और कानूनी निवास-स्थान लिमासोल साइप्रस में है। इकतीस हार्डकोर पोर्नोग्राफ़ी वेबसाइटों से युक्त एक ऑनलाइन नेटवर्क के साथ, कंपनी का नारा है "वर्ल्ड्स बेस्ट एचडी पोर्न साइट!"। साइट में 9729 वीडियो हैं, जो 33 विभिन्न साइटों (दिसंबर 2019) द्वारा प्रकाशित किए गए थे। इतिहास मॉन्ट्रियल निवेशकों के एक समूह द्वारा 2005 में स्थापित, ब्रेज़र मैनसेफ़ के कॉर्पोरेट नाम के तहत अश्लील साइटों के एक बड़े समूह का हिस्सा बन गया। 2010 में मैनसेफ को फैबियन थिलमैन को बेच दिया गया और मैनविन इंक रूप में फिर से लिखा गया। दिसंबर 2012 में टैक्स चोरी के संदेह में थिल्मन को बेल्जियम से जर्मनी ले जाया गया था। अक्टूबर 2013 में Thylmann एक आंतरिक प्रबंधन समूह, Mindgeek, सीईओ की अध्यक्षता करने के लिए Brazzers सहित Manwin की संपत्ति, बेचा, Feras Antoon और शेयरधारक डेविड Tassilo। 2014 में ब्रेज़र्स ने न्यूयॉर्क शहर में टाइम्स स्क्वायर में एक बिलबोर्ड के साथ अपनी 10 वीं वर्षगांठ मनाई। डिजिटल होर्डिंग 47 वें और 7 वें कोने में स्थित था और अगस्त के पूरे महीने के लिए देखा जा सकता था। 2010 में ब्रेज़्ज़र्स ने अपने सुरक्षित यौन अभियान को बढ़ावा देने और "गेट रबर!" की घोषणा करने के लिए टाइम्स स्क्वायर बिलबोर्ड का उपयोग किया था। नारा और वेबसाइट। सितंबर 2016 में विजिलेंट ने ब्रेज़र द्वारा सामना किए गए एक डेटाबेस के उल्लंघन की खबर को तोड़ दिया, जो अप्रैल 2013 में साइट के हैक होने के बाद लगभग 1 मिलियन उपयोगकर्ताओं को प्रभावित किया था। संचालन Brazzers वर्तमान में सीईओ के नेतृत्व में है Feras Antoon, और स्वामित्व और संचालित Mindgeek, एक बहुराष्ट्रीय आधिकारिक तौर पर लक्ज़मबर्ग में पंजीकृत द्वारा। Brazzers के साथ जोड़ के लिए उद्योग आलोचना हुई थी मीडिया स्ट्रीमिंग जैसी साइटों Pornhub । जवाब में, 2009 में कंपनी ने एंटी-पायरेसी अभियान शुरू किया। मुकदमेबाज़ी 2008 में, निकाल दिए जाने के बाद, निर्माता बॉबी मनीला ने ब्रेज़र्स को धोखाधड़ी और अपने अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन के लिए मुकदमा चलाया। मुकदमा अंततः अदालत से बाहर हो गया था। फरवरी 2010 में पिंक विज़ुअल स्टूडियो द्वारा ब्रेज़र्स की मूल कंपनी, मैनविन पर कॉपीराइट मुक्त सामग्री का उल्लंघन करके, उसके मुफ्त वीडियो-साझाकरण साइटों पर बिना लाइसेंस के वीडियो सामग्री वितरित करके मुकदमा दायर किया गया था। ब्रेज़र्स नेटवर्क पर साझा साइटों से ट्रैफ़िक से अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त करके बिना लाइसेंस की सामग्री से लाभ उठाने का आरोप लगाया गया है, लेकिन यह पहली बार था जब एक प्रसिद्ध स्टूडियो ने मुकदमा दायर किया था। एक क्लास एक्शन मुकदमा अन्य स्टूडियो द्वारा माना जाता था। पुरस्कार 2009 एवीएन अवार्ड्स   - सर्वश्रेष्ठ वयस्क वेबसाइट 2009 एवीएन अवार्ड   - बेस्ट न्यू वीडियो प्रोडक्शन कंपनी   [ उद्धरण वांछित ][ उद्धरण वांछित ] 2009 एवीएन अवार्ड   - बेस्ट बिग बस्ट रिलीज़ ( स्कूल में बड़े स्तन )   [ उद्धरण वांछित ][ उद्धरण वांछित ] 2009 एक्सबीआईजेड अवार्ड   - वर्ष का संबद्ध कार्यक्रम 2010 एवीएन अवार्ड   - बेस्ट बिग बस्ट सीरीज़ ( स्कूल में बड़े स्तन ) 2011 एवीएन अवार्ड   - सर्वश्रेष्ठ सदस्यता साइट नेटवर्क 2011 एवीएन अवार्ड   - बेस्ट बिग बस्ट सीरीज़ ( स्कूल में बड़े स्तन ) 2011 एवीएन अवार्ड   - बेस्ट विगनेट रिलीज़ ( पोर्नस्टार सज़ा ) 2012 एवीएन अवार्ड   - बेस्ट बिग बस्ट सीरीज़ 2012 एवीएन अवार्ड   - सर्वश्रेष्ठ सदस्यता वेबसाइट 2013 XBIZ अवार्ड के लिए नामित   - वर्ष की विगनेट रिलीज़ ( स्पोर्ट्स वॉल्यूम 9 में बड़े स्तन और एक एच 3 आर के साथ दिन ); वर्ष की विगनेट श्रृंखला ( खेल में बड़े स्तन और इसे बड़े जैसे स्तन ); ऑल-गर्ल सीरीज़ ऑफ़ द इयर ( हॉट एंड मीन ) 2014 XBIZ अवार्ड   - स्टूडियो साइट ऑफ द ईयर (Brazzers.com) 2015 एक्सबीआईजेड अवार्ड   - वर्ष की वयस्क साइट   - मल्टी-शैली (Brazzers.com) 2016 एक्सबीआईजेड अवार्ड   - वर्ष की वयस्क साइट   - वीडियो (Brazzers.com) 2016 एवीएन अवार्ड   - सर्वश्रेष्ठ विदेशी सुविधा - डॉक्टर 2016 एवीएन अवार्ड   - सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (विदेशी फीचर) - डिक बुश, द डॉक्टर 2016 एवीएन अवार्ड   - विदेशी शॉट प्रोडक्शन में सर्वश्रेष्ठ सेक्स सीन - विक्टोरिया समर्स एंड डैनी डी ।, द डॉक्टर 2017 एक्सबीआईजेड अवार्ड   - किंग्स के तूफान के लिए सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन 2018 एवीएन अवार्ड   - सर्वश्रेष्ठ सदस्यता साइट नेटवर्क 2019 एक्सबीआईजेड अवार्ड - ब्रेज़र्स हाउस के लिए वर्ष का विपणन अभियान श्रेणी जून 2020 तक, Brazzers.com की ट्रैफिक रैंकिंग 2,551 है। संदर्भ बाहरी कड़ियाँ कम्पनी
637 में, यरूशलेम पर मुस्लिम सेनाओं द्वारा कब्जा करने के तुरंत बाद, दूसरे खलीफा उमर इब्न अल-खत्ताब ने वादा किया कि चर्च ऑफ द नेटिविटी को ईसाई उपयोग के लिए संरक्षित किया जाएगा। उमर को समर्पित एक मस्जिद शहर में उस स्थान पर बनाई गई थी जहाँ उन्होंने प्रार्थना की थी, चर्च के बगल में। बेथलहम 8वीं शताब्दी में उमय्यदों के इस्लामी ख़लीफ़ाओं के नियंत्रण से गुज़रा, फिर 9वीं शताब्दी में अब्बासियों के नियंत्रण से गुज़रा। 9वीं शताब्दी के मध्य में एक फ़ारसी भूगोलवेत्ता ने दर्ज किया था कि शहर में एक अच्छी तरह से संरक्षित और बहुत प्रतिष्ठित चर्च मौजूद था। 985 में, अरब भूगोलवेत्ता अल-मुकद्दसी ने बेथलेहम का दौरा किया, और इसके चर्च को "बेसिलिका ऑफ कॉन्स्टेंटाइन" कहा, जिसके बराबर देश भर में कहीं भी मौजूद नहीं है। 1009 में, छठे फातिमिद खलीफा, अल-हकीम द्वि-अम्र अल्लाह के शासनकाल के दौरान, चर्च ऑफ द नैटिविटी को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था, लेकिन स्थानीय मुसलमानों ने इसे छोड़ दिया, क्योंकि उन्हें संरचना के दक्षिणी ट्रांसेप्ट में पूजा करने की अनुमति दी गई थी। .1099 में, बेथलहम पर क्रुसेडर्स ने कब्जा कर लिया, जिन्होंने इसे मजबूत किया और चर्च ऑफ द नैटिविटी के उत्तर की ओर एक नया मठ और मठ बनाया। ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पादरियों को उनके पद से हटा दिया गया और उनकी जगह लैटिन पादरियों को नियुक्त किया गया। उस समय तक इस क्षेत्र में आधिकारिक ईसाई उपस्थिति ग्रीक ऑर्थोडॉक्स थी। क्रिसमस दिवस 1100 पर, जेरूसलम के फ्रैंकिश साम्राज्य के पहले राजा बाल्डविन प्रथम को बेथलहम में ताज पहनाया गया था, और उस वर्ष शहर में एक लैटिन एपिस्कोपेट भी स्थापित किया गया था। 1187 में, मिस्र और सीरिया के सुल्तान सलादीन, जिन्होंने मुस्लिमों का नेतृत्व किया था अय्यूबिड्स ने क्रुसेडर्स से बेथलहम पर कब्ज़ा कर लिया। लैटिन मौलवियों को जाने के लिए मजबूर किया गया, जिससे ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पादरी वापस लौट सके। सलादीन 1192 में दो लैटिन पुजारियों और दो डेकन की वापसी पर सहमत हुए। हालांकि, बेथलहम को तीर्थयात्रियों के व्यापार के नुकसान का सामना करना पड़ा, क्योंकि यूरोपीय तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी कमी आई थी। विलियम चतुर्थ, काउंट ऑफ नेवर्स ने बेथलहम के ईसाई बिशपों से वादा किया था कि यदि बेथलहम मुस्लिम नियंत्रण में आता है, तो वह वर्तमान बरगंडी, फ्रांस के छोटे से शहर क्लेमेसी में उनका स्वागत करेंगे। परिणामस्वरूप, बेथलेहम के बिशप ने 1223 में पैन्थेनोर, क्लेमेसी के अस्पताल में विधिवत निवास किया। 1789 में फ्रांसीसी क्रांति तक, क्लेमेसी लगभग 600 वर्षों तक बेथलेहम के बिशप्रिक की 'इन पार्टिबस इनफिडेलियम' सीट पर लगातार बने रहे। 1229 में पवित्र रोमन सम्राट फ्रेडरिक द्वितीय और अय्यूबिद सुल्तान अल-कामिल के बीच एक संधि द्वारा बेथलहम, जेरूसलम, नाज़रेथ और सिडोन के साथ, कुछ समय के लिए जेरूसलम के क्रूसेडर साम्राज्य को सौंप दिया गया था, जिसके बदले में अय्यूबिड्स और के बीच दस साल का युद्धविराम हुआ था। क्रुसेडर्स. संधि 1239 में समाप्त हो गई, और 1244 में बेथलहम को मुसलमानों द्वारा पुनः कब्जा कर लिया गया। 1250 में, रुक्न अल-दीन बैबर्स के तहत मामलुकों के सत्ता में आने के साथ, ईसाई धर्म की सहिष्णुता में गिरावट आई। पादरी वर्ग के सदस्यों ने शहर छोड़ दिया, और 1263 में शहर की दीवारों को ध्वस्त कर दिया गया। अगली सदी में लैटिन पादरी बेथलहम लौट आए और उन्होंने खुद को बेसिलिका ऑफ द नेटिविटी से सटे मठ में स्थापित कर लिया। ग्रीक ऑर्थोडॉक्स को बेसिलिका का नियंत्रण दिया गया और मिल्क ग्रोटो का नियंत्रण लैटिन और अर्मेनियाई लोगों के साथ साझा किया गया।
यह लेख है: हैदराबाद के एक निजी स्कूल में 19 छात्रों को दो घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया. इन छात्रों का बस इतना कसूर था कि इन्होंने तय समय पर फीस नहीं चुका पाए थे. इतना ही नहीं, इन छात्रों को शनिवार से शुरू हुई वार्षिक परीक्षा में भी नहीं बैठने दिया गया. हालांकि बाद में मामले के तूल पकड़ने पर बच्चों को परीक्षा देने दी गई. स्कूल की ओर से इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी नहीं दी गई थी. हयातनगर स्थित सरिता विद्या निकेतन स्कूल की इस करतूत का पर्दाफाश तब हुआ जब एक पीड़ित छात्र के अभिभावक ने स्थानीय थाने में इसकी शिकायत की. पुलिस ने जुवेनाइल एक्स के तहत स्कूल प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक एक पीड़ित बच्चे की मां ने बताया, 'स्कूल में किसी बच्चे के अभिभावक फीस जमा करने पहुंचे थे, मेरी बेटी ने उनसे मोबाइल फोन मांगकर मुझे पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया.'टिप्पणियां बच्ची के पिता के अनुसार, 'बेटी ने फोन कर अपनी मम्मी को सजा के बारे में बताया।' इसके बाद वे पुलिस को लेकर स्कूल में पहुंचे, जिसके बाद बच्चों को रिहा कराया जा सका.  वहीं एक अन्य छात्र के पिता ने बताया कि वे स्कूल की ओर से दिए गए इस तरह की सजा से काफी घबराए हुए हैं. उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को कमरे में बंद किया गया उनमें एक पांच साल का बच्चा भी था. अभिभावकों ने स्कूल से खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक एक पीड़ित बच्चे की मां ने बताया, 'स्कूल में किसी बच्चे के अभिभावक फीस जमा करने पहुंचे थे, मेरी बेटी ने उनसे मोबाइल फोन मांगकर मुझे पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया.'टिप्पणियां बच्ची के पिता के अनुसार, 'बेटी ने फोन कर अपनी मम्मी को सजा के बारे में बताया।' इसके बाद वे पुलिस को लेकर स्कूल में पहुंचे, जिसके बाद बच्चों को रिहा कराया जा सका.  वहीं एक अन्य छात्र के पिता ने बताया कि वे स्कूल की ओर से दिए गए इस तरह की सजा से काफी घबराए हुए हैं. उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को कमरे में बंद किया गया उनमें एक पांच साल का बच्चा भी था. अभिभावकों ने स्कूल से खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. बच्ची के पिता के अनुसार, 'बेटी ने फोन कर अपनी मम्मी को सजा के बारे में बताया।' इसके बाद वे पुलिस को लेकर स्कूल में पहुंचे, जिसके बाद बच्चों को रिहा कराया जा सका.  वहीं एक अन्य छात्र के पिता ने बताया कि वे स्कूल की ओर से दिए गए इस तरह की सजा से काफी घबराए हुए हैं. उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को कमरे में बंद किया गया उनमें एक पांच साल का बच्चा भी था. अभिभावकों ने स्कूल से खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. वहीं एक अन्य छात्र के पिता ने बताया कि वे स्कूल की ओर से दिए गए इस तरह की सजा से काफी घबराए हुए हैं. उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को कमरे में बंद किया गया उनमें एक पांच साल का बच्चा भी था. अभिभावकों ने स्कूल से खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
पूर्वी यूक्रेन के ऊपर करीब दो वर्ष पहले एमएच17 विमान को गिराने वाले मिसाइल को रूस से उस इलाके में ले जाया गया था. डच पुलिस जांच के प्रमुख विल्बर्ट पुआलिस्सेन ने बताया, 'आपराधिक जांच के आधार पर हमने पाया है कि एमएच17 विमान को 9एम83 सिरीज के बीयूके मिसाइल के जरिये गिराया गया था, जो रूसी संघ के क्षेत्र से आया था.' उन्होंने साथ ही बताया कि इसके बाद मिसाइल लॉन्चर प्रणाली को वापस रूस ले जाया गया था उड़ान एमएच 17 को मार गिराने की घटना की एक आपराधिक जांच में बुधवार को कहा गया कि दो साल पहले विमान पर हुए एक मिसाइल हमले को लेकर 100 लोगों से पूछताछ की जा रही है. वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय ने इस जांच को पक्षपातपूर्ण बताया है. पूर्वी यूक्रेन में हुई इस घटना में विमान में सवार सभी 298 लोग मारे गए थे. जांच में कहा गया कि हमले के लिए जिस प्रणाली का इस्तेमाल किया गया, उसे रूस से ले जाया गया था.टिप्पणियां जांचकर्ताओं ने इस बात की भी पुष्टि की कि मलेशिया एयरलाइंस विमान पर हमला करने वाली बीयूके मिसाइल पूर्वी यूक्रेन के एक मैदान से दागी गई थी, जो रूस समर्थक अलगावादियों के नियंत्रण में थी. बोइंग 777 पैसेंजर जेट को विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी यूक्रेन में जुलाई, 2014 में मार गिराया गया था. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उड़ान एमएच 17 को मार गिराने की घटना की एक आपराधिक जांच में बुधवार को कहा गया कि दो साल पहले विमान पर हुए एक मिसाइल हमले को लेकर 100 लोगों से पूछताछ की जा रही है. वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय ने इस जांच को पक्षपातपूर्ण बताया है. पूर्वी यूक्रेन में हुई इस घटना में विमान में सवार सभी 298 लोग मारे गए थे. जांच में कहा गया कि हमले के लिए जिस प्रणाली का इस्तेमाल किया गया, उसे रूस से ले जाया गया था.टिप्पणियां जांचकर्ताओं ने इस बात की भी पुष्टि की कि मलेशिया एयरलाइंस विमान पर हमला करने वाली बीयूके मिसाइल पूर्वी यूक्रेन के एक मैदान से दागी गई थी, जो रूस समर्थक अलगावादियों के नियंत्रण में थी. बोइंग 777 पैसेंजर जेट को विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी यूक्रेन में जुलाई, 2014 में मार गिराया गया था. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) जांचकर्ताओं ने इस बात की भी पुष्टि की कि मलेशिया एयरलाइंस विमान पर हमला करने वाली बीयूके मिसाइल पूर्वी यूक्रेन के एक मैदान से दागी गई थी, जो रूस समर्थक अलगावादियों के नियंत्रण में थी. बोइंग 777 पैसेंजर जेट को विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी यूक्रेन में जुलाई, 2014 में मार गिराया गया था. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसी बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा है कि अगले साल अगर कांग्रेस सत्ता में लौटती है तो तय करती है कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद पर काबिज होने से कोई गुरेज न हो. 'पार्टी को जिताने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं राहुल' दिल्ली में विधानसभा चुनावों में चौथी बार जीत की उम्मीद कर रहीं शीला ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और वह चाहेंगी कि अगले लोकसभा चुनाव में अगर कांग्रेस जीतती है तो राहुल ही प्रधानमंत्री बनें. दीक्षित ने कहा, ‘राहुल गांधी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और पार्टी उनके साथ है. अगर पार्टी जीतती है तो पार्टी देखेगी कि वह अनिच्छुक नहीं हैं. वह लगभग हर रोज या हर दूसरे दिन दौरा कर रहे हैं. देशभर में घूम रहे हैं.’ 'अगली पीढ़ी के नेता हैं राहुल' राहुल की तारीफ करते हुए 75 वर्षीय शीला दीक्षित ने कहा कि वह पार्टी के लिए कड़ी मेहनत प्रयास कर रहे हैं और कांग्रेस में चुनावों से पहले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की परंपरा नहीं है. उन्होंने कहा, ‘उन्हें छह महीने पहले पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है. वह इस भूमिका को निभा रहे हैं. अभी इस बारे में बात नहीं करनी चाहिए कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा.’ शीला ने कहा, ‘हम अगले आम चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे. मैं चाहूंगी कि वह प्रधानमंत्री बनें क्योंकि वह हमारी अगली पीढ़ी के नेता हैं.’ 'कभी पीएम बनने के बारे में नहीं सोचा नहीं बनना चाहती हूं पीएम' जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या उनके मन में कभी प्रधानमंत्री बनने की बात आई तो उन्होंने ‘नहीं’ में जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘नहीं, वाकई ऐसा नहीं हुआ. इस तरह की अटकलें हो सकती हैं. मैं सभी नेताओं की तरह अपना काम करती हूं.’
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि जो लोग उन्हें पागल’ कहते हैं, पहले उन्हें उनके द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि उनको पागल कहने से कोई बात नहीं बनती है और उनको पागल कहना उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों से बचने का सबसे आसान तरीका है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि हाल ही में शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने भी उनको सिर्फ इसलिए पागल कहा, क्योंकि उन्होंने उनके दादा की किताब का हवाला देते हुए यह बताया था कि ठाकरे परिवार 400 साल पहले बिहार से ही महाराष्ट्र गया था। उन्होंने कहा कि जो भी उनको पागल कहता है, वह कुंठा से ग्रस्त है और उनकी बातों का जवाब देने से बचना चाहता है, इसलिए उन्हें पागल कहकर बात खत्म करने की कोशिश करता है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि उद्धव द्वारा उनको पागल कहने से उनको कोई फर्क इसलिए नहीं पड़ता, क्योंकि इससे पहले भी कुछ और लोग उन्हें पागल कह चुके हैं।टिप्पणियां सिंह ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा था कि टीम अन्ना की राजनैतिक महात्वाकांक्षाएं हैं, तो अन्ना हजारे ने उन्हें पागल कहा था पर बाद में उनकी बात सच साबित हुई। उन्होंने कहा कि इसी तरह बाबा रामदेव के बारे में जब उन्होंने धन के हेरफेर की बात की, तो बाबा ने उन्हें पागल कहकर दामन बचाने का प्रयास किया, लेकिन अंतत: वह (दिग्विजय) सही साबित हुए। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा कि संघ के लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है, तब भी उन्हें बीजेपी और संघ ने पागल कहा था, लेकिन बाद में वह फिर सही साबित हुए। सिंह ने कहा, मुझे पागल कहने से अच्छा यह होगा कि लोग ढंग से मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब दें। दिग्विजय सिंह ने कहा कि हाल ही में शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने भी उनको सिर्फ इसलिए पागल कहा, क्योंकि उन्होंने उनके दादा की किताब का हवाला देते हुए यह बताया था कि ठाकरे परिवार 400 साल पहले बिहार से ही महाराष्ट्र गया था। उन्होंने कहा कि जो भी उनको पागल कहता है, वह कुंठा से ग्रस्त है और उनकी बातों का जवाब देने से बचना चाहता है, इसलिए उन्हें पागल कहकर बात खत्म करने की कोशिश करता है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि उद्धव द्वारा उनको पागल कहने से उनको कोई फर्क इसलिए नहीं पड़ता, क्योंकि इससे पहले भी कुछ और लोग उन्हें पागल कह चुके हैं।टिप्पणियां सिंह ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा था कि टीम अन्ना की राजनैतिक महात्वाकांक्षाएं हैं, तो अन्ना हजारे ने उन्हें पागल कहा था पर बाद में उनकी बात सच साबित हुई। उन्होंने कहा कि इसी तरह बाबा रामदेव के बारे में जब उन्होंने धन के हेरफेर की बात की, तो बाबा ने उन्हें पागल कहकर दामन बचाने का प्रयास किया, लेकिन अंतत: वह (दिग्विजय) सही साबित हुए। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा कि संघ के लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है, तब भी उन्हें बीजेपी और संघ ने पागल कहा था, लेकिन बाद में वह फिर सही साबित हुए। सिंह ने कहा, मुझे पागल कहने से अच्छा यह होगा कि लोग ढंग से मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब दें। उन्होंने कहा कि जो भी उनको पागल कहता है, वह कुंठा से ग्रस्त है और उनकी बातों का जवाब देने से बचना चाहता है, इसलिए उन्हें पागल कहकर बात खत्म करने की कोशिश करता है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि उद्धव द्वारा उनको पागल कहने से उनको कोई फर्क इसलिए नहीं पड़ता, क्योंकि इससे पहले भी कुछ और लोग उन्हें पागल कह चुके हैं।टिप्पणियां सिंह ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा था कि टीम अन्ना की राजनैतिक महात्वाकांक्षाएं हैं, तो अन्ना हजारे ने उन्हें पागल कहा था पर बाद में उनकी बात सच साबित हुई। उन्होंने कहा कि इसी तरह बाबा रामदेव के बारे में जब उन्होंने धन के हेरफेर की बात की, तो बाबा ने उन्हें पागल कहकर दामन बचाने का प्रयास किया, लेकिन अंतत: वह (दिग्विजय) सही साबित हुए। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा कि संघ के लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है, तब भी उन्हें बीजेपी और संघ ने पागल कहा था, लेकिन बाद में वह फिर सही साबित हुए। सिंह ने कहा, मुझे पागल कहने से अच्छा यह होगा कि लोग ढंग से मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब दें। सिंह ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा था कि टीम अन्ना की राजनैतिक महात्वाकांक्षाएं हैं, तो अन्ना हजारे ने उन्हें पागल कहा था पर बाद में उनकी बात सच साबित हुई। उन्होंने कहा कि इसी तरह बाबा रामदेव के बारे में जब उन्होंने धन के हेरफेर की बात की, तो बाबा ने उन्हें पागल कहकर दामन बचाने का प्रयास किया, लेकिन अंतत: वह (दिग्विजय) सही साबित हुए। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा कि संघ के लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है, तब भी उन्हें बीजेपी और संघ ने पागल कहा था, लेकिन बाद में वह फिर सही साबित हुए। सिंह ने कहा, मुझे पागल कहने से अच्छा यह होगा कि लोग ढंग से मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब दें। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा कि संघ के लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है, तब भी उन्हें बीजेपी और संघ ने पागल कहा था, लेकिन बाद में वह फिर सही साबित हुए। सिंह ने कहा, मुझे पागल कहने से अच्छा यह होगा कि लोग ढंग से मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब दें।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि सहारा समूह ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को एक मुखौटा कंपनी के जरिये टाटा समूह से एक महंगी (पॉश) संपत्ति खरीदने में मदद की थी. राष्ट्रीय जनता दल ने इस आरोप को खारिज किया है. इस बारे में संपर्क करने पर सहारा समूह ने कहा कि उसका इस सौदे से कोई लेना-देना नहीं है. जबकि टाटा समूह ने इस पर टिप्पणी से इनकार किया. मोदी ने इससे कुछ दिन पहले दावा किया था कि लालू के पुत्र तेजस्वी यादव समेत उन के परिवार ने टाटा स्टील एंड कंपनी से पटना के महंगे इलाके में दो मंजिला इमारत खरीदी है. करोड़ों रुपये का यह सौदा मुखौटा कंपनी फेयरग्रो होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के जरिये किया गया.  उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आयकर विभाग ने फरवरी में पटना में 5, राइडिंग रोड पर 7,105 वर्ग फुट के दो मंजिला घर को कुर्क किया है. यह मकान फेयरग्रो होल्डिंग के नाम पर पंजीकृत है.  मोदी ने भाजपा कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राजेश कुमार जिसने पटना में फेयरग्रो की ओर से टाटा समूह से यह संपत्ति खरीदने के लिए 65 लाख रुपये का भुगतान किया है वह न तो कंपनी में निदेशक है न ही शेयरधारक, न ही कर्मचारी है. सुब्रत राय के भाई जयब्रत राय के निजी सचिव राजेश कुमार ने फेयरग्रो की ओर से 65 लाख रुपये का भुगतान किया था. इस कंपनी के मालिक राजद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद्र गुप्ता और उनके भाई हैं. टिप्पणियां सहारा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सहारा इंडिया परिवार या उसके किसी सदस्य का इस मामले में एक रुपये का भी लेना-देना नहीं है. समूह ने कहा कि राजेश कुमार सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं. फेयरग्रो में भागीदारी की शिकायतों के संदर्भ में समूह ने पहले ही एक उच्चस्तरीय आंतरिक जांच समिति गठित की है. यह समिति 15 दिन में अपनी रपट देगी.  इन आरोपों पर राजद प्रवक्ता एवं विधायक शक्ति सिंह यादव ने कहा कि सुशील मोदी तेजस्वी यादव की पंजीकृत संपत्तियों को बेनामी साबित करने में लगे हैं. ये आरोप आधारहीन हैं और सच्चाई से परे हैं. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आयकर विभाग ने फरवरी में पटना में 5, राइडिंग रोड पर 7,105 वर्ग फुट के दो मंजिला घर को कुर्क किया है. यह मकान फेयरग्रो होल्डिंग के नाम पर पंजीकृत है.  मोदी ने भाजपा कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राजेश कुमार जिसने पटना में फेयरग्रो की ओर से टाटा समूह से यह संपत्ति खरीदने के लिए 65 लाख रुपये का भुगतान किया है वह न तो कंपनी में निदेशक है न ही शेयरधारक, न ही कर्मचारी है. सुब्रत राय के भाई जयब्रत राय के निजी सचिव राजेश कुमार ने फेयरग्रो की ओर से 65 लाख रुपये का भुगतान किया था. इस कंपनी के मालिक राजद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद्र गुप्ता और उनके भाई हैं. टिप्पणियां सहारा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सहारा इंडिया परिवार या उसके किसी सदस्य का इस मामले में एक रुपये का भी लेना-देना नहीं है. समूह ने कहा कि राजेश कुमार सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं. फेयरग्रो में भागीदारी की शिकायतों के संदर्भ में समूह ने पहले ही एक उच्चस्तरीय आंतरिक जांच समिति गठित की है. यह समिति 15 दिन में अपनी रपट देगी.  इन आरोपों पर राजद प्रवक्ता एवं विधायक शक्ति सिंह यादव ने कहा कि सुशील मोदी तेजस्वी यादव की पंजीकृत संपत्तियों को बेनामी साबित करने में लगे हैं. ये आरोप आधारहीन हैं और सच्चाई से परे हैं. मोदी ने भाजपा कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राजेश कुमार जिसने पटना में फेयरग्रो की ओर से टाटा समूह से यह संपत्ति खरीदने के लिए 65 लाख रुपये का भुगतान किया है वह न तो कंपनी में निदेशक है न ही शेयरधारक, न ही कर्मचारी है. सुब्रत राय के भाई जयब्रत राय के निजी सचिव राजेश कुमार ने फेयरग्रो की ओर से 65 लाख रुपये का भुगतान किया था. इस कंपनी के मालिक राजद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद्र गुप्ता और उनके भाई हैं. टिप्पणियां सहारा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सहारा इंडिया परिवार या उसके किसी सदस्य का इस मामले में एक रुपये का भी लेना-देना नहीं है. समूह ने कहा कि राजेश कुमार सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं. फेयरग्रो में भागीदारी की शिकायतों के संदर्भ में समूह ने पहले ही एक उच्चस्तरीय आंतरिक जांच समिति गठित की है. यह समिति 15 दिन में अपनी रपट देगी.  इन आरोपों पर राजद प्रवक्ता एवं विधायक शक्ति सिंह यादव ने कहा कि सुशील मोदी तेजस्वी यादव की पंजीकृत संपत्तियों को बेनामी साबित करने में लगे हैं. ये आरोप आधारहीन हैं और सच्चाई से परे हैं. सहारा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सहारा इंडिया परिवार या उसके किसी सदस्य का इस मामले में एक रुपये का भी लेना-देना नहीं है. समूह ने कहा कि राजेश कुमार सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं. फेयरग्रो में भागीदारी की शिकायतों के संदर्भ में समूह ने पहले ही एक उच्चस्तरीय आंतरिक जांच समिति गठित की है. यह समिति 15 दिन में अपनी रपट देगी.  इन आरोपों पर राजद प्रवक्ता एवं विधायक शक्ति सिंह यादव ने कहा कि सुशील मोदी तेजस्वी यादव की पंजीकृत संपत्तियों को बेनामी साबित करने में लगे हैं. ये आरोप आधारहीन हैं और सच्चाई से परे हैं. इन आरोपों पर राजद प्रवक्ता एवं विधायक शक्ति सिंह यादव ने कहा कि सुशील मोदी तेजस्वी यादव की पंजीकृत संपत्तियों को बेनामी साबित करने में लगे हैं. ये आरोप आधारहीन हैं और सच्चाई से परे हैं.
अंबानी बंधुओं की कंपनियों में गैस विवाद पर उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई होगी. यह मामला मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वार केजी डी-6 ब्लॉक की गैस की आपूर्ति अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड (आरएनआरएल) को एक द्विपक्षीय समझौते के तहत तय कीमत पर किए जाने की मांग से जुड़ा है. दोनों पक्षों ने बंबई उच्च न्यायालय के 15 जून की व्यवस्था को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने आरआईएल से कहा था कि आरआइएल 2005 में हुए पारिवारिक समझौते का पालन करते हुए आरएनआरएल को गैस की आपूर्ति करे. अदालत ने इसके लिए दोनों पक्षों को एक नया समझौता करने के लिए कहा था. उच्चतम न्यायालय में इन दोनों कंपनियों की एक दूसरे के खिलाफ दायर याचिकाओं के साथ साथ केंद्र सरकार की सम्बद्ध याचिका पर भी सुनवाई होगी. सरकार ने इस मामले में एक पक्ष बनने की अनुमति मांगी और कहा है कि देश के प्राकृतिक संसाधनों का विपणन निजी कंपनियों के बीच हुए आपसी करार के आधार पर नहीं किया जा सकता. सरकार ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में अंबानी समूह के बंटवारे के समय हुए समझौते के उस हिस्से को गैर कानूनी करार दिए जाने का आग्रह किया है जिसका संबंध केजी बेसिन गैस परियोजना की गैस के वितरण से है. उल्लेखनीय है कि अनिल अंबानी ने पिछले रविवार को अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी से इस विवाद को सौहाद्रपूर्वक निपटाने की अपील की निपटाने की आश्चर्यजनक पेशकश की. मुकेश अंबानी खेमे ने उनके इस प्रस्ताव की गंभीरता पर सवालिया निशान लगाया है.
जिस कीमत पर आजकल एक अच्छा मोबाइल कवर नहीं मिलता, उसमें देश का सबसे सस्ता स्मार्टफोन लॉन्च हो गया है. हम बात कर रहे हैं फ्रीडम 251 स्मार्टफोन की जिसकी कीमत के चलते इस पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं. बता दें कि इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन ने स्मार्टफोन की कीमत पर कई तरह के सवाल उठाए. आईसीए ने कहा कि जब प्रोडक्ट कॉस्ट में ड्यूटी, टैक्स, डिस्ट्रीब्यूशन और रिटेल मार्जिन जुड़ने के बाद इस फोन की कीमत 4,100 रुपये हो जाती है, तो भला कैसे फोन 251 रुपये में बिक सकता है? सैमसंग, एप्पल, सोनी, लावा, माइक्रोमैक्स और मोटोरेला जैसी कई कंपनियां आईसीए की मेंबर हैं. सबके मन में एक ही सवाल है कि जब प्रोडक्ट को सीधे तौर पर कोई सब्सिडी नहीं मिल रही है तो आखिर कैसे इतनी कम कीमत पर यह मोबाइल देने का दावा किया जा रहा है. ई-कॉमर्स या किसी तरह की सब्सिडाइज्ड सेल पर अगर इसे बेचा जाता है, तो इसकी कीमत 3,500-3,800 रुपये पड़ेगी. ऐसे में महज 251 रुपये स्मार्टफोन उपलब्ध कराना वाकई कई शंकाएं और सवाल खड़े करता है. आइए जानते हैं कि आखिर किन वजहों से इस स्मार्टफोन की कीमत इतनी कम है- इस मोबाइल की कम कीमत के पीछे सबसे बड़ी वजह ऑनलाइन बुकिंग के जरिए मिलने वाले पैसे पर जबरदस्त ब्याज की रकम है. गौरतलब है कि इस फोन को प्रति सेकंड 6 लाख लोगों ने विजिट किया है और अगर इसमें से कुछ लाख लोग भी मोबाइल बुक करके ऑनलाइन पेंमेट करते हैं तो आने वाले 4 महीने में इस रकम पर अच्छा खासा ब्याज मिलेगा. बता दें कि इस फोन की डिलिवर होने में अभी 4 महीने का समय लगेगा. कंपनी के अध्यक्ष अशोक चड्ढा के मुताबिक, साल के अंत तक इस स्मार्टफोन के 75 प्रतिशत हार्डवेयर भारत में ही बनाने का लक्ष्य है. उसके बाद इस फोन के हार्डवेयर को पूरी तरह भारत में ही बनाया जाएगा जिससे लागत कम होगी. साथ ही सबसे पहले यह बात स्पष्ट की कि इस फोन को सरकार की तरफ से कोई भी सब्सिडी नहीं मिल रही है, लेकिन कंपनी की योजना इकोनॉमीज ऑफ स्केल से मुनाफा कमाने का है. भारतीय बाजार में एक महीने में 2 करोड़ मोबाइल यूनिट तैयार की जाती हैं. अगर हम इसका 30 फीसदी कवर कर लेते हैं तो इकोनॉमीज ऑफ स्केल के लक्ष्य को पा लेंगे. कंपनी का दावा है कि साल के अंत तक वह 30 फीसदी स्मार्टफोन बाजार को कवर कर लेगी. जिसके लिए कंपनी फिलहाल उत्तराखंड और नोएडा में दो मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में 230-250 करोड़ रुपये इन्वेस्ट करेगी. हर महीने फ्रीडम 251 की पांच लाख यूनिट बनाने पर जोर होगा. कम कीमत के पीछे एक तर्क यह भी है कि इसे ऑनलाइन माध्यम से बेचा जा रहा है जिससे डिस्ट्रीब्यूटर्स पर होने वाले खर्चों की लागत बच रही है. कंपनी का दावा है कि मेड इन इंडिया पार्ट्स के जरिए 13.8 फीसदी की बचत होगी. यह भी कहा है कि कंपनी दूसरे कंपनियों को अपनी वेबसाइट, एक सेलिंग प्लेटफॉर्म के रूप में उपलब्ध कराएगी. इससे भी उसे फायदा होगा.
तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव में एक नाटकीय मोड़ ला दिया है, जिसके चलते तीन लाख से अधिक मतों का मूल्य रखने वाला भाजपा नीत राजग का रूख निर्वाचक मंडल में काफी मायने रखता है और केंद्र में सरकार पर इसका असर पड़ सकता है. निर्वाचक मंडल में 10,98,882 वोट हैं. कांग्रेस और तृणमूल सहित इसके सहयोगियों के पास 4.60 लाख मतों का मूल्य है. भाजपा नीत राजग के पास 3.04 लाख मतों का मूल्य है. समाजवादी पार्टी, बसपा और वाम सहित अन्य पार्टियों के पास 2.62 लाख से अधिक मतों का मूल्य है. यदि तृणमूल और सपा संप्रग से अलग हो जाती है तो संप्रग को अपना खुद का उम्मीदवार उतारना होगा और राजग एवं अन्नाद्रमुक, बीजद एवं तेदेपा जैसी कांग्रेस विरोधी पार्टियों का समर्थन हासिल करना होगा. तृणमूल और सपा के पास कुल 1.16 लाख मतों का मूल्य है. अन्नाद्रमुक, बीजद एवं तेदेपा के पास कुल 87,000 से अधिक मतों का मूल्य है.
यह एक लेख है: राहुल गांधी के एक प्रमुख सहयोगी ने अगस्तावेस्टलैंड डील के बारे में अपने खिलाफ टिप्पणियों को लेकर बीजेपी सांसद किरीट सोमैया को चेतावनी दी है। 37 वर्षीय कनिष्क सिंह ने कहा है कि यदि सोमैया ने इन टिप्पणियों को लेकर माफी नहीं मांगी तो वे उन पर केस करेंगे।टिप्पणियां सौमैया ने पिछले सप्ताह संसद और संसद के बाहर कनिष्क का उनके परिवार के जरिये अगस्ता मामले से संबंध बताया था। कनिष्क को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। सोमैया ने कहा था कि 2009 में कनिष्क के रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली रियल एस्टेट कंपनी एम्मार-एमजीएफ ने अगस्ता के लिए प्रमुख बिचौलिये को अपने निदेशक मंडल में स्‍थान दिया था।सिंह ने इससे पहले कहा था कि एम्मार को संचालित करने वाले इन रिश्तेदारों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। कंपनी ने अपने विस्तृत बयान में यह भी कहा है कि इटली के गुइडयो हश्के ने दो माह तक निदेशक के रूप में दो माह सेवाएं दी, वे बोर्ड की बैठकों में हिस्‍सा लेने के लिए कभी उसके ऑफिस नहीं आए। गौरतलब है कि अगस्ता एंग्लो-इतालवी रक्षा निर्माता कंपनी है। हश्‍के को पिछले माह मिलान के कोर्ट ने वर्ष 2010 में भारत में 3600 करोड़ रुपये की 12 हेलीकॉप्टर की डील में अगस्ता की ओर से घूस देने का दोषी करार दिया था। इटली में  जांच के गति पकड़ने के बाद इस डील को वर्ष 2014 में रद्द कर दिया गया था। इटली के जिस जज ने हश्के सहित अगस्ता के अधिकारियों को दोषी करार दिया था, उसने हश्के के पत्र को भी पढ़ा था जिसमें राहुल गांधी की मां, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का भी जिक्र था। सत्तारूढ़ बीजेपी ने कहा है कि मिलान के फैसले ने साबित किया है कि इन पत्रों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। सोमैया ने यह भी कहा था कि राहुल गांधी ने एम्मार-एमजीएफ के स्‍वामित्व वाले दिल्‍ली के एक मॉल में शॉप खरीदीं। इसकी पुष्ट‍ि चुनावों के पहले राहुल की ओर से दिए गए संपत्ति के विवरण में हुई। सोमैया का आरोप था कि ये शॉप वापस रियल एस्टेट कंपनी को अप्रत्याशित लाभ पर बेची गईं और एम्मार की ओर से सिंह ने इसमें मदद की। सौमैया ने पिछले सप्ताह संसद और संसद के बाहर कनिष्क का उनके परिवार के जरिये अगस्ता मामले से संबंध बताया था। कनिष्क को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। सोमैया ने कहा था कि 2009 में कनिष्क के रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली रियल एस्टेट कंपनी एम्मार-एमजीएफ ने अगस्ता के लिए प्रमुख बिचौलिये को अपने निदेशक मंडल में स्‍थान दिया था।सिंह ने इससे पहले कहा था कि एम्मार को संचालित करने वाले इन रिश्तेदारों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। कंपनी ने अपने विस्तृत बयान में यह भी कहा है कि इटली के गुइडयो हश्के ने दो माह तक निदेशक के रूप में दो माह सेवाएं दी, वे बोर्ड की बैठकों में हिस्‍सा लेने के लिए कभी उसके ऑफिस नहीं आए। गौरतलब है कि अगस्ता एंग्लो-इतालवी रक्षा निर्माता कंपनी है। हश्‍के को पिछले माह मिलान के कोर्ट ने वर्ष 2010 में भारत में 3600 करोड़ रुपये की 12 हेलीकॉप्टर की डील में अगस्ता की ओर से घूस देने का दोषी करार दिया था। इटली में  जांच के गति पकड़ने के बाद इस डील को वर्ष 2014 में रद्द कर दिया गया था। इटली के जिस जज ने हश्के सहित अगस्ता के अधिकारियों को दोषी करार दिया था, उसने हश्के के पत्र को भी पढ़ा था जिसमें राहुल गांधी की मां, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का भी जिक्र था। सत्तारूढ़ बीजेपी ने कहा है कि मिलान के फैसले ने साबित किया है कि इन पत्रों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। सोमैया ने यह भी कहा था कि राहुल गांधी ने एम्मार-एमजीएफ के स्‍वामित्व वाले दिल्‍ली के एक मॉल में शॉप खरीदीं। इसकी पुष्ट‍ि चुनावों के पहले राहुल की ओर से दिए गए संपत्ति के विवरण में हुई। सोमैया का आरोप था कि ये शॉप वापस रियल एस्टेट कंपनी को अप्रत्याशित लाभ पर बेची गईं और एम्मार की ओर से सिंह ने इसमें मदद की। हश्‍के को पिछले माह मिलान के कोर्ट ने वर्ष 2010 में भारत में 3600 करोड़ रुपये की 12 हेलीकॉप्टर की डील में अगस्ता की ओर से घूस देने का दोषी करार दिया था। इटली में  जांच के गति पकड़ने के बाद इस डील को वर्ष 2014 में रद्द कर दिया गया था। इटली के जिस जज ने हश्के सहित अगस्ता के अधिकारियों को दोषी करार दिया था, उसने हश्के के पत्र को भी पढ़ा था जिसमें राहुल गांधी की मां, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का भी जिक्र था। सत्तारूढ़ बीजेपी ने कहा है कि मिलान के फैसले ने साबित किया है कि इन पत्रों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। सोमैया ने यह भी कहा था कि राहुल गांधी ने एम्मार-एमजीएफ के स्‍वामित्व वाले दिल्‍ली के एक मॉल में शॉप खरीदीं। इसकी पुष्ट‍ि चुनावों के पहले राहुल की ओर से दिए गए संपत्ति के विवरण में हुई। सोमैया का आरोप था कि ये शॉप वापस रियल एस्टेट कंपनी को अप्रत्याशित लाभ पर बेची गईं और एम्मार की ओर से सिंह ने इसमें मदद की।
फिल्मकार महेश भट्ट भारतीय मूल की कनाडाई अभिनेत्री सनी लियोन की प्रतिभा की तारीफों के पुल बांध रहे हैं. सनी ने फिल्म ‘जिस्म 2’ से बॉलीवुड में कदम रखा है. 63 वर्षीय निर्देशक ने कहा कि फिल्म में लियोन ने एक पोर्न स्टार के किरदार के साथ न्याय किया है और दर्शक भी इस चरित्र के साथ खुद को जोड़ पाएंगे. भट्ट ने कहा, ‘फिल्म के केंद्र में एक लड़की है जिसे अपनी कामुकता का प्रचार करना है. यह लड़की पोर्न इंडस्ट्री में काम करती है. हम शुरू में ही तय कर चुके थे कि फिल्म में यह लड़की इस बात को कहने में कोई झिझक महसूस नहीं करेगी कि ‘मैं एक पोर्न स्टार हूं.’ निर्माता का कहना है कि वह ऐसी अभिनेत्री को लेना चाहते थे जिसे बोल्ड किरदार करने में झिझक न हो. उन्होंने कहा कि फिल्म में बॉलीवुड की किसी अभिनेत्री को लेने पर केवल दर्शकों को खुश करने के लिए दो तीन अंतरंग दृश्यों तक सीमित रहना पड़ता और ऐसे में इस विषय के साथ न्याय नहीं होता. फिल्म ‘अर्थ’ के इस निर्देशक ने हमेशा ही युवा कलाकारों पर विश्वास जताया है और अपनी फिल्मों में उन्हें काम करने का मौका भी दिया है. वह कहते हैं, ‘आखिर सनी इस जगह के लायक क्यों नहीं हो सकतीं? वह भी एक अच्छी अभिनेत्री हो सकती हैं. किसी के काम को देखे बिना उसके बारे में राय बनाया ठीक नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारी कंपनी ने हमेशा ही नए कलाकारों में विश्वास जताया है. यहां तक कि जॉन अब्राहम और संजय दत्त भी जब नए थे तब उन्हें ‘जिस्म’ और ‘नाम’ से पहचान मिली थी.’ ‘जिस्म 2’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है और इसमें अरुणोदय सिंह और रणदीप हुडा भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं.
परेशानियों से घिरी हॉलीवुड एक्‍ट्रेस लिंडसे लोहान न्यूयॉर्क के एक आलीशान पेंटहाउस में बिना किराया दिए मुफ्त में रह रही हैं. उनके एक करीबी दोस्‍त ने उन्हें रहने का यह ठौर दिया है. तस्‍वीरों में देखें हॉट अदिति राव का फोटोशूट
यह एक लेख है: दिल्ली में किसी भी समय विधानसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है। देश में सत्ताधारी बीजेपी विज्ञापन और प्रचार के जरिए सब्जियों के दाम कम और महंगाई पर लगाम लग जाने का दावा कर रही है लेकिन सब्जियों के पिछले दो हफ्तों में बढ़े दाम बीजेपी की मुश्किल बढ़ा रहे हैं। हालत यह हो गई है कि इस मौसम में आने वाली सब्जियों के दाम आसमान छूते दिख रहे हैं। मटर दो हफ्ते पहले से करीब 30 रुपये किलो के आसपास बिक रही थी लेकिन अब दाम 50 रुपये किलो हो गए हैं। टमाटर 40 रुपये किलो हो गए है पहले 20 रुपये किलो थे। फूलगोभी पहले जहां 20-30 रुपये किलो थी अब 40 रुपये किलो पर आ गई है और प्याज भी 20-30 रुपये किलो थी जो अब 30-40 रुपये किलो तक पहुंच गई। रीटेल बाजार में गाजर के दाम करीब 40 रुपये के आसपास है। गाजर के दाम को दो हफ्ते पहले से तुलना करने की जरूरत नहीं क्योंकि सर्दी के इस मौसम में ही तो गाजर की बंपर आवक होती है और लोग उसका हलवा बनाते हैं।   दिल्ली की ओखला मंडी में सब्जियों के आढ़ती विजय आहुजा ने बताया कि खराब मौसम की वजह से कुछ फसल खराब होने, सप्लाई बाधित होने और एक्सपोर्ट होने से दाम बढ़े। विजय आहुजा के मुताबिक, सर्दियों के मौसम में पहली बार इतने दाम बढ़े आमतौर पर नहीं बढ़ते दिल्ली में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सब्जियों के दाम बढ़ने से बीजेपी मुश्किल में फंस सकती है। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा, 'किसी एकाध सब्जी के बारे में मैं कह नहीं सकता कि  रेट बढ़ने का क्या कारण है लेकिन कुल मिलाकर महंगाई कम हुई है और महंगाई का आंकडा भी ये ही दिखाता है।' जबकि, आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक आशुतोष ने कहा, 'चुनाव से पहले यही बीजेपी सरकार थी जो कहा करती थी 'बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार'। क्या हुआ उस दावे का महंगाई कम हुई क्या? और सब्जियां तो सबसे ज्यादा महंगी हुई है पिछले दिनो में।'
यह लेख है: वित्त मंत्रालय ने एचएसबीसी बैंक से भारतीय नागरिकों के खातों के बारे में लीक हुई जानकारी की जांच कराने का फैसला किया है। सोमवार को इंडियन एक्सप्रेस ने फ्रांस के एक अखबार और पत्रकारों की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की मदद से एचएसबीसी बैंक से लीक हुई जानकारी के आधार पर विदेशी ब्रांचों में भारतीय खाताधारकों की नई लिस्ट जारी की जिसमें 1195 लोगों के नाम हैं। इनके खातों में कुल 25 हज़ार 420 करोड़ रुपये जमा हैं। ये खाते नेता से लेकर उद्योगपतियों तक के हैं। हालांकि अखबार ने ये साफ किया है कि इन बैंक खातों की जांच किए बगैर ये कहना गलत होगी कि ये पैसा भारत में गलत तरीके से कमाया गया और फिर चोरी-छिपे विदेश ले जाया गया। इस खुलासे पर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा, "इसमें कुछ अतिरिक्त नाम भी हैं। अगर ये एडिशनल नाम रेसिडेन्ट इंडियन्स के हों और उनका एकाउंट वहां हो तो उनके खिलाफ केस बनता है"। इनकम टैक्स विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा कि 2011 में भारत को फ्रांसिसी सरकार की तरफ से दी गई 628 बैंक खातों की जिस तरह जांच की गई थी...इस नई लिस्ट की जांच भी उसी तर्ज़ पर की जाएगी। फ्रांस सरकार की तरफ से दी गई बैंक खातों की तहकीकात कर चुके इस अधिकारी ने कहा कि नई लिस्ट में कई पुराने नाम भी हैं। पहले चरण की जांच में प्राथमिकता नए नामों की सूची तैयार करने पर होगी। जैंसे ही इन्कम टैक्स विभाग के साथ ये नई लिस्ट शेयर की जाएगी विभाग जांच की प्रक्रिया शुरू कर देगा। वित्त मंत्रालय के मुताबिक पिछले करीब चार साल में फ्रांस सरकार की तरफ से दिए गए 628 बैंक खातों की जांच के दौरान 200 खाते ऐसे मिले थे जो एनआरआई के थे या फिर उनका कुछ पता नहीं चल सका। बांकि के 428 विदेशी बैंक खातों में 4500 करोड़ रुपये जमा पाए गए। इनमें 3150 करोड़ रुपये बेनामी थे जिसपर कार्रवाई की गई। इनमें से 60 मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। साथ ही, तैयारी अब व्हिसलब्लोअर फैलसियानी से जानकारी लेने की भी है जो इस मामले से संबंधित जानकारियां साझा करने को तैयार हैं। टैक्स डिपार्टमेन्ट ने एचएसबीसी की स्विस शाखा में अघोषित बैंक खातों की जानकारी लीक करने वाले विसल-ब्लोअर फैलसियानी से संपर्क साधा है और उससे एचएसबीसी बैंक एकाउंटों के बारे में सारी जानकारी मांगी है। फिलहाल विभाग को उसके जवाब का इंतज़ार है। एनडीटीवी से खास बातचीत में फैलसियानी ने कहा कि वह भारत के साथ सारी जानकारी शेयर करेंगे। इसके एवज में भारत सरकार ने उन्हें रिवार्ड देने का भी फैसला किया है। फैलसियानी ने कहा कि जो भी रकम उन्हें रिवार्ड के तौर पर मिलेगी उसका इस्तेमाल वह भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम छेड़ने पर खर्च करेंगे। उधर वित्त मंत्रालय ने विदेशों में भारतीय नागरिकों के अघोषित बैंक खातों से जुड़ी जो भी पुख्ता जानकारी मिली है....ऐसे 600 मामलों में विदेशी सरकारों से मदद मांगी गई है।
महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले से जुड़े 9 केस बंद करने के खिलाफ Congress-NCP और शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.  इसके साथ ही फडणवीस सरकार के किसी भी पॉलिसी निर्णय के लेने पर रोक की मांग की है. हालांकि महाराष्‍ट्र के भ्रष्‍टाचार निरोधक ब्‍यूरो (एसीबी) के सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी ANI ने कहा है कि बंद किए गए 9 मामलों में से कोई भी मामला अजित पवार से नहीं जुड़ा है. जिन्‍होंने शनिवार की सुबह बड़े ही नाटकीय घटनाक्रम में मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ उप मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली थी. ब्‍यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि यह एक रुटीन प्रक्रिया है. आपको बता दें कि  महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक हंगामे के बीच एक ख़बर आई थी कि एसीबी ने सिंचाई घोटाले (Irrigation scam) से जुड़े नौ केस बंद कर दिए हैं. सिंचाई घोटाले (Irrigation scam) में अजित पवार (Ajit Pawar) भी आरोपी हैं जो फिलहाल फडणवीस (Devendra Fadnavis) की सरकार में उपमुख्यमंत्री बना दिए गए हैं.  इस पर विवाद बढ़ता देख बाद में ACB के वरिष्‍ठ अधिकारी परमबीर सिंह ने ANI से कहा, 'सिंचाई से जुड़ी शिकायतों के मामले में करीब 3000 टेंडरों की जांच हम कर रहे हैं. ये नियमित जांच है जो बंद हुई है और बाकी मामलों में जांच पहले की तरह ही जारी है.' उन्‍होंने कहा कि आज जिन मामलों को बंद किया गया है उनमें से कोई भी अजित पवार से जुड़े नहीं हैं. एंटी करप्‍शन ब्‍यूरो के नोटिफिकेशन के अनुसार जिन 9 मामलों को बंद किया गया है वो विदर्भ क्षेत्र के वाशिम, यवतमाल, अमरावति और बुलढाणा की सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी सिंचाई घोटाले को लेकर हमेशा अजित पवार पर निशाना साधते रहे हैं. 2014 में मुख्‍यमंत्री बनने के बाद जो पहली कार्रवाई उन्‍होंने की थी वो थी सिंचाई घोटाले में अजित पवार की कथित भूमिका की जांच के आदेश देना. आरोपों में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार के वक्‍त जब अजित पवार उप मुख्‍यमंत्री थे तब करीब 70000 करोड़ रुपये के हेराफेरी के भी आरोप हैं. सिंचाई घोटाले में महाराष्‍ट्र में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार के दौरान कई सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने और उनके क्रियान्‍वयन में अनियमितताएं शामिल हैं. पिछले महीने महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, शरद पवार और अजित पवार दोनों पर प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन का आरोप लगाया था जो एक कोऑपरेटिव बैंक से जुड़ा था.
एक ओर जहां भारत में विमान यात्रा को लेकर जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही बवाल खड़ा कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर टर्की में एयरलाइन्स के स्टाफ ने एक कमाल कर दिखाया. ज़मीन से 42,000 फीट की ऊंचाई पर हवा में टर्कीश एयरलाइंस के स्टाफ ने एक महिला की डिलिवरी करने में सहायता की, और सफलता पूर्वक डिलिवरी करवाई. महिला को बेटी पैदा हुई है. नफी डायबी नामक गर्भवती महिला कोनार्की से हवाई यात्रा कर रही थी, इस दौरान उन्हें दर्द हुआ. जिसके बाद फ्लाइट की क्रू ने महिला की मदद की. फ्लाइट मौजूद पैसेंजर के अनुसार, महिला ने खड़े होकर बच्ची को जन्म दिया. इस दौरान सभी पैसेंजर ने क्रू की इस काम में मदद की. इस घटना के बारे में एयरलांइस ने अपने ट्विटर से जानकारी दी. Welcome on board Princess! Applause goes to our cabin crew! 👏🏻👶🏽 pic.twitter.com/FFPI16Jqgt — Turkish Airlines (@TurkishAirlines) April 7, 2017 बेटी का नाम कादिजू रखा गया, फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग होने के बाद महिला को अस्पताल ले जाया गया. गौरतलब है कि ऐसी घटना कम ही देखने को मिलती हैं.
फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'भूत रिटर्न' की शूटिंग करने के बाद मनीषा कोइराला बॉलीवुड में अपने कैरियर को तेज रफ्तार देने के लिए इन दिनों अच्छी फिल्म का इंतजार कर रही हैं।टिप्पणियां 42 वर्षीय मनीषा ने ट्विटर पर लिखा, इन दिनों मैं कुछ फिल्मों की कहानियां पढ़ रही हूं। लेकिन अब तक कोई अच्छी नहीं लगी। हां, मैं यह कह सकती हूं कि अभी इंतजार करना मेरे लिए बेहतर है।" मनीषा इन दिनों अपना वक्त जिम जाने, खरीरददारी करने और फिल्में देखकर बिता रही हैं। फिलहाल वह 'भूत रिटर्न' के प्रदर्शन का इंतजार कर रही हैं जो 12 अक्टूबर को सिनमाघरों में प्रदर्शित होगी। 42 वर्षीय मनीषा ने ट्विटर पर लिखा, इन दिनों मैं कुछ फिल्मों की कहानियां पढ़ रही हूं। लेकिन अब तक कोई अच्छी नहीं लगी। हां, मैं यह कह सकती हूं कि अभी इंतजार करना मेरे लिए बेहतर है।" मनीषा इन दिनों अपना वक्त जिम जाने, खरीरददारी करने और फिल्में देखकर बिता रही हैं। फिलहाल वह 'भूत रिटर्न' के प्रदर्शन का इंतजार कर रही हैं जो 12 अक्टूबर को सिनमाघरों में प्रदर्शित होगी। मनीषा इन दिनों अपना वक्त जिम जाने, खरीरददारी करने और फिल्में देखकर बिता रही हैं। फिलहाल वह 'भूत रिटर्न' के प्रदर्शन का इंतजार कर रही हैं जो 12 अक्टूबर को सिनमाघरों में प्रदर्शित होगी।
यह एक लेख है: लोकसभा चुनाव के छठे चरण में रविवार को मध्यप्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर कुल 64.24 प्रतिशत मतदान हुआ, जो वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर हुए कुल मतदान की तुलना में 7.43 प्रतिशत अधिक है. यह रात नौ बजे का आंकड़ा है और अंतिम आंकड़ा देर रात या कल सुबह तक मिलने की उम्मीद है. राज्य में सभी जगह पर मतदान शांतिपूर्ण रहा. कहीं से भी कोई अप्रिय घटना होने की खबर नहीं है. निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश की आठ लोकसभा सीटों मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ के लिये के लिए आज कुल 64.24 प्रतिशत मतदान हुआ है. यह रात नौ बजे का आंकड़ा है.'' उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के पिछले लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर कुल 56.81 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस प्रकार इस चुनाव में इन सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव से 7.43 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है. सबसे अधिक मतदान राजगढ़ लोकसभा सीट पर 73.45 प्रतिशत रहा, जबकि सबसे कम मतदान भिण्ड लोकसभा सीट में 53.09 प्रतिशत हुआ. अधिकारी ने कहा कि रात नौ बजे तक मिली जानकारी के अनुसार मुरैना में 60.67 प्रतिशत, भिण्ड में 53.09 प्रतिशत, ग्वालियर में 59.60 प्रतिशत, गुना में 67.69 प्रतिशत, सागर में 65.41 प्रतिशत, विदिशा में 70.80 प्रतिशत, भोपाल में 65.33 प्रतिशत और राजगढ़ में 73.45 प्रतिशत मतदान हुआ है. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) वी एल कांता राव ने यहां संवाददाताओं को बताया कि मतदान आज सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक हुआ. मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. उन्होंने कहा कि इस चरण में करीब एक करोड़ 44 लाख मतदाता थे. उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग करके 14 महिलाओं सहित 138 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला ईवीएम मशीनों में कैद कर दिया है. राव ने बताया कि मतदान शांतिपूर्ण रहा. किसी प्रकार की हिंसक घटनायें नहीं घटी. वर्ष 2014 में इनमें से सात सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था, जबकि गुना सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. मध्य प्रदेश में कुल 29 लोकसभा सीटें है. छह सीटों के लिए मतदान 29 अप्रैल को और सात सीटों के लिए मतदान 6 मई को हो गया है, जिनमें क्रमश: 74.88 प्रतिशत एवं 69.14 प्रतिशत मतदान हुआ. वहीं, आठ सीटों के लिए आज मतदान हुआ है. बाकी आठ सीटों के लिए 19 मई को मतदान होना है. इनकी मतगणना 23 मई को होगी. इन आठ सीटों पर मुख्य तौर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्वियज सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा भाजपा के नेता एवं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और मालेगांव बम ब्लास्ट की आरोपी और भोपाल से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह का राजनीतिक भविष्य ईवीएम मशीनों में बंद हो गया है. (इनपुट भाषा से)
अमेरिका, ब्रि‍टेन और फ्रांस ने संयुक्त रूप से सीरिया की राजधानी दमिश्क पर हमला किया. हमले से आज सुबह सीरिया की राजधानी दमिश्क तेज विस्फोटों से दहल उठी और आसमान में घना धुआं छा गया. इसी हमले पर रूस और चीन की विशेष मांग पर संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक हो रही है. हालांकि इस बैठक में भी अमेरिका के तेवर में कोई बदलाव नहीं आया है. संयुक्त राष्ट्र ने सीरिया हमले की निंदा करने के लिए रूस के वोटिंग करवाने की मांग को खारिज कर दिया है. #BREAKING UN rejects Russian bid to condemn military strikes on Syria — AFP news agency (@AFP) April 14, 2018 रक्षा परिषद की बैठक की शुरुआत रूस द्वारा सीरिया पर अमेरिका , ब्रि‍टेन और फ्रांस संयुक्त हमले की आलोचना से हुई. हालांकि अमेरिका ने इस बैठक में अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं जताया और साफ कर दिया कि वह सीरिया पर दोबारा हमले को भी तैयार है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने साफ कर दिया कि सीरिया में फिर से रासायनिक हमले का जवाब देने के लिए अमेरिका तैयार है. नया रासायनिक हमला होने पर अमेरिका सीरिया पर दोबारा हमला कर सकता है. वहीं, इससे पहले रूस ने सीरिया पर हमले की निंदा प्रस्ताव के लिए वोटिंग कराने की मांग की. आपको बता दें कि अमेरिका, ब्रि‍टेन और फ्रांस ने संयुक्त रूप से सीरिया की राजधानी दमिश्क पर हमला किया. अमेरिका के इस हमले पर बशर अल असद की सरकार और उनके सहयोगी देशों रूस और चीन ने कड़ी प्रतिक्र‍िया दी है. वहीं, फ्रांस ने हमले को सफल बताते हुए कहा कि इस हमले में असद सरकार के केमिकल हथियार के सारे ठिकाने नष्ट किए गए हैं. #BREAKING US 'locked and loaded' to strike Syria again in response to any new chemical attack, says US Ambassador to the UN Nikki Haley — AFP news agency (@AFP) April 14, 2018 अमेरिका के साथ साथ ब्र‍िटेन और फ्रांस ने भी जरूरत पड़ने पर सीरिया पर दोबारा हमला करने की चेतावनी दी है. वहीं, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनी ने इस स्ट्राइक पर नाराजगी जाहिर की है और इस हमले को सैन्य अपराध बताया है. साथ ही खामेनी ने अमेरिका, फ्रांस और ब्र‍िटेन के लीडरों को अपराधी भी कहा. वहीं अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा कि सीरिया पर उसका हमला सफल रहा और अमेरिकी मिसाइलों ने सारे निशानों को सफलतापूर्वक साधा है. #BREAKING Russia demands UN Security Council vote on condemning Syria air strikes — AFP news agency (@AFP) April 14, 2018 रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हमले पर कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों ने सीरिया में मानवीय आपदा लाने की कोशिश की है. पुतिन ने बताया था कि सीरिया पर हुए एयरस्ट्राइक को लेकर रूस यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की आपात बैठक बुलाने जा रहा है. वहीं, चीन ने कहा है कि अमेरिका की यह सैन्य कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र रक्षा परिषद के अंतराष्ट्र‍ीय कानूनों का उल्लंघन है.
अदबी दुनिया को हैरत हुई जब माया मृग ने फेसबुक पर लिखने वाले कई लोगों को मिला कर एक स्त्री विषयक किताब 'स्त्री होकर सवाल करती है' छाप दी. शुद्धतावादियों ने इस फैसले का मखौल भी उड़ाया लेकिन यह किताब खूब मकबूल हुई. 'माया मृग' बेहतरीन कवि हैं और जयपुर में अपना बोधि प्रकाशन चलाते हैं. उनका प्रकाशन गृह लगातार नए तौर-तरीकों से किताबें छापता है. वह स्वयं शानदार कवि हैं. पेश है उनसे बातचीत. आप शानदार कविताएं लिखते हैं, प्रकाशक हैं, ढेरों आयोजनों में शिरकत करते हैं. इतनी सक्रियता की ऊर्जा कहां से मिलती है? कविता लिखने के लिए अलग से समय कहां चाहिए होता है, वह तो हर काम करते हुए आपके साथ ही जीती है, रहती है. कार्यक्रमों में भागीदारी, कविता और प्रकाशन दरअसल तीनों एक जैसे ही काम हैं. एक दूसरे के पूरक, एक दूसरे को मदद करते हुए. लिखना पढ़ना प्रकाशन में मदद करता है अौर प्रकाशन आपको कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए भी प्रेरित करता है. इसलिए इन सब कामों को एक ही मानता हूं तो इतना तो कोई कर ही सकता है कि एक काम करता रहे. रही बात ऊर्जा की तो काम अपने आप में ऊर्जादायी होता है अगर आपके मन का हो. पत्रकार से लेखक और प्रकाशक की यात्रा के बारे में बताएं. साथ ही यह भी बताएं कि हिंदी का प्रकाशक किन चुनौतियों का सामना करता है? इसे और बढ़ाकर कह सकते हैं अध्‍यापक से पत्रकार, पत्रकार से प्रकाशक. ये सब एक ही मूल संवेदना के विस्‍तार से जुड़े क्षेत्र हैं. कुछ साल स्‍कूल-कॉलेज में पढ़ाया तब भी लिखने और यदा कदा अखबारों में कॉलम आदि लिखने छपवाने का शौक रहा. कुछ समय बाद सरकारी बन्‍धनों के बीच पढ़ा सकना ऊब पैदा करने लगा. लगा कि समय ज्‍यादा खराब होता है अौर काम के नाम पर एक दिन में कुल जमा दो-तीन पीरियड पढ़ाना, उसमें भी बार-बार छुट्टियां या छात्रों की अनुपस्थिती या गैर शैक्षणिक कामों में लगे रहना. लगा कि इसी तरह चलता रहा तो निकम्मा हो जाऊंगा. मैं उस व्‍यवस्‍था में फिट नहीं था, हालांकि पढ़ाना मुझे अाज भी अच्‍छा लगता है और शिक्षक के काम को बेहद पसंद करता हूं पर मैं उन बन्‍धनों के बीच पढ़ाने का काम नहीं कर सकता था, अब भी नहीं कर सकता. तो नौकरी छोड़कर एक अखबार में आ गया. अखबार के बारे में हमेशा लगता था कि इस माध्‍यम से कुछ अच्‍छा किया जा सकता है पर यह भ्रम भी लंबे समय तक नहीं बना रह सका. हालांकि बहुत कुछ सीखा इस बीच, पर कर कुछ खास नहीं पाया. यहां तक तो कहानी फिर भी समझ में आती है लेकिन प्रकाशक बनने का कैसे तय किया ? किताबों से लगाव बचपन से था, इसलिए प्रकाशन का काम अच्‍छा लगा. अभी तक अच्‍छा लग रहा है, कर रहा हूं. जिस दिन लगा अनुपयोगी हो गया हूं इस क्षेत्र के लिए तो बाहर हो जाऊंगा, कुछ और देखूंगा. प्रकाशन के काम में फैलाव बहुत है. बहुत स्‍तरों पर लोगों से काम कराना होता है. एक तरफ लेखक जैसे बुद्धिजीवी के साथ संवाद में रहना होता है तो दूसरी तरफ, कंपोजिटर से लेकर बाइंडर तक हर तरह के व्‍यक्ति से वास्‍ता पड़ता है. किसी भी स्‍तर पर कोई एक गलती पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है. यह तो हुई प्रोडक्‍शन की बात. किताबों की बिक्री को लेकर व्‍यवस्‍थाएं कुछ छिपी हुई नहीं हैं. सरकारी खरीद का अजीब गडबड़झाला अपनी जगह और हिन्‍दी मे पाठकों की तलाश  अपनी जगह. चुनौतियां तो हर काम में हैं, इसलिए इनसे डर नहीं लगता अब. हिंदी वाले रोना रोते हैं कि हिंदी की किताबें अब लोग नहीं पढ़ते और आप एक के बाद एक किताबें छाप रहे हैं. क्या वाकई पाठक कम हो गए हैं या हम उन तक पहुंच नहीं पा रहे? हां यह सही है कि हिन्‍दी में किताब पढ़ने वालों मे कमी आई है या कि कहें अभी उतनी संख्‍या विक‍सित ही नहीं हुई है जितनी कि संभावनाएं हैं. लेकिन यह कमी नगरों और महानगरों में ही अधिक है. छोटे कस्‍बों और गांवों में अब भी अपार संभावनाएं हैं. हमने कस्‍बों और गांवों में पुस्‍तक प्रदर्शनी की शृंखला शुरु की हुई है, लगभग हर जगह शानदार रिस्‍पांस मिला है, यह काम अब भी जारी है. महानगरों का मोह छोड़कर पाठकों की तलाश सही जगह करने की जरुरत है. हमें अाश्‍वस्‍त रहना चाहिए कि हिन्‍दी में पाठक खत्‍म नहीं हुए, महानगरों में तलाशने की बजाय उन्‍हें कस्‍बों और गांवों में तलाशा जाना चाहिए्र, जहां कि वे हैं. सोशल मीडिया ने लोगों को अभिव्यक्ति का नया माध्यम दिया है लेकिन अभी भी इसको गंभीरता से कम ही लिया जाता है. लेकिन आपने तो फेसबुक पर लिखी कतरनों पर कविता छाप दी? सोशल मीडिया हमारे समय का नया माध्‍यम है. इसने एक बड़ा एक्‍सपोजर दिया है. वे सब जो चुपचाप लिखते रहे, इधर उधर छिपाते रहे या कि डायरियों और कॉपियों में बंद करके रखते गए, जिन्‍हें ना तो प्रकाशन संबंधी अधिक जानकारी थी ना ही ऐसा कोई प्रयास करने की मंशा जिनमें थी, उन सबको घर बैठे एक मंच मिल गया. यही वजह रही कि इस मंच पर बड़ी संख्‍या में गृहिणियां, युवा और खासकर वे जिन्‍हें सामान्‍यत: हिन्‍दी साहित्‍य की मुख्‍यधारा में कभी पहचाना नहीं गया, वे सब अचानक नजर आने लगे. भले ही इनकी अभिव्‍यक्ति मेंं उतनी परिपक्‍वता नहीं है लेकिन स्‍वाभाविकता अौर कहने के लिए मन की बात इनके पास जरुर है. वह सिलसिला बताइए जब आपने फेसबुक लेखन को किताबी शक्ल देने की ठानी. फेसबुक की दीवार से कविताएं किताब तक कैसे पहुंची? तीन साल पहले हमने फेसबुक पर लिखने वाले रचनाकारों से स्‍त्री विषयों पर केन्द्रित कविताएं मांगकर पुस्‍तक प्रकाशित की. 'स्‍त्री होकर सवाल करती है' एक प्रयोग था, जिसे फेसबुक पर अौर इतर पाठकों में भी जबरदस्‍त सराहना मिली. अब तक इसके तीन प्रिंट आ चुके हैं. स्‍वतंत्र पुस्‍तक के रूप में सालिम शुजाअ अन्‍सारी की 'फेसबुक के अब्‍बाजान' और एक अन्‍य कवि की 'लालित्‍य ललित की फेसबुक कविताएं' शीर्षक से किताबें हमने छापी जिन्‍हें पाठकों ने खूब पसन्‍द किया. अभी फेसबुक के 100 रचनाकारों का एक संकलन प्रकाशनाधीन है, जो संभवत विश्‍व पुस्‍तक मेला 2015 में दिल्‍ली में जारी किया जाएगा. साहित्यिक बिरादरी से इस मसले पर कैसी प्रतिक्रिया मिली. लोग सोशल मीडिया की कविता को गंभीरता से लेते हैं ? गंभीरता से इस माध्‍यम को वे लोग नहीं लेंगे जिनको इस माध्‍यम से आने वाली बड़ी संख्‍या डराती है. जिनको लगता है कि इतनी बड़ी संख्‍या में लिखने वाले आ जाने से उनकी विशिष्‍टता खतरे में पड़ जाएगी. वे अपने आपको इस भीड़ के साथ आइडेंटिफाई नहीं करना चाहते.  ऐसे मठाधीशों के मठ टूटेंगे, इसी से वे परेशान हैं. जो लोग जेनुअन हैं वे इन नए रचनाकारों की कमजोर अभिव्‍यक्ति में आगे के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं. बहुत सारे नए रचनाकार फेसबुक से सफर शुरू करके साहित्‍य में अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं और बहुत अच्‍छा लेखन कर रहे हैं. फेसबुक पर बिखरी कविताओं को किताब में ढालने का ख्याल किस तरह आया? फेसबुक से लेकर रचनाएं छापने का विचार इसी वजह से बना कि यह धारणा टूटे कि यह कोई समय खराब करने का या व्‍यर्थ बहसबाजी का या केवल अाभासी मंच है. आभासी और वास्‍तविक दुनिया में दरअसल कोई फर्क नहीं हैं अगर आप यहां फेक आईडी के साथ मौजूद नहीं हैं तो. माध्‍यम कोई भी अच्‍छा या बुरा उपयोग करने वालों से बनता है यह आप पर है कि यहां पॉर्न पिक्‍स देखें या कविताएं. क्या कविता का यह मंच मठाधीशों को स्वीकार्य होगा? किसी किस्म का तंज जो आपको इस प्रयोग पर झेलना पड़ा हो ? फेसबुक के रचनाकारों की किताब छापने के कारण बहुत से मठाधीशों ने पिछले पुस्‍तक मेले के समय बोधि प्रकाशन को फेकबुकिया प्रकाशक कहकर बहुत मजाक उड़ाया, झूठे सर्वे परिणाम जारी करे कराए और फेसबुक रचनाकारों को फेक रचनाकार बताकर हवा में उड़ाने की कोशिश की.  हमें लगा इसे और गंभीर प्रयासों से ही जवाब दिया जा सकता है, इस साल 100 रचनाकारों की किताब आने वाली है इसी कड़ी में. यहां यह खास बात जरुर कि फेसबुक रचनाकारों का मजाक उड़ाने वाले खुद फेसबुक पर ही अपने समस्‍त क्रिया कलाप चलाते हैं महत्‍व भी पाते हैं. निकट भविष्य की क्या योजनाएं हैं, क्या फेसबुक कविताओं पर कोई और भी किताब लाने का विचार है? जी हां, फेसबुक 100 कवियों के बाद इस मंच पर मौजूद नवगीतकारों, ग़ज़लकारों और गद्य की विधाओं के लिए भी इसी तरह के संकलन पर विचार चल रहा है. इसके अलावा फेसबुक पर मौजूद प्रतिभाशाली रचनाकारों पर प्रकाशन की दृष्टि सतत् बनी रहती है,उनके स्‍वतंत्र संकलन के लिए आग्रह किया जा सकता है. इसके अलावा पुस्‍तक पर्व शृंखला (सौ रुपये में दस किताबें) के चौथे सेट की तैयारी है. कुछ विषयों पर केन्द्रित पुस्‍तकों भी विचाराधीन हैं अथवा प्रकाशनाधीन हैं. माया मृग से इस पते पर संपर्क कर सकते हैं [email protected]
अपने एक साथी की गिरफ्तारी के विरोध में बिहार के जमुई जिले के सोनो थाने के तहत तेतरिया गांव में बीती रात प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी के सशस्त्र दस्ते ने दो मोबाइल फोन टावर, एक ट्रैक्टर और एक जेसीबी मशीन में आग लगा दी. सोनो थानाध्यक्ष आर ए पासवान ने बताया कि बीती रात करीब साढ़े दस बजे 70 से अधिक की संख्या में तेतरिया गांव पहुंचे माओवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया. उन्होंने बताया ‘माओवादियों ने पिछले दिनों झारखंड के गिरीडीह जिले में गिरफ्तार किए गए अपने एक एरिया कमांडर की गिरफ्तारी के विरोध में बंदी का आह्वान कर रखा है. उन्होंने गिरफ्तारी के विरोध स्वरूप ही इस घटना को अंजाम दिया है.’ थानाध्यक्ष ने बताया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से और अंधेरा होने के कारण पुलिस घटनास्थल तक तत्काल नहीं पहुंच पायी है. इस बीच, माओवादियों की ओर से नारगंजो रेलवे स्टेशन के प्रबंधक को भी बंधक बना लिए जाने की सूचना मिली है. हालांकि, कुछ देर के बाद प्रबंधक को छोड़ दिया गया. माओवादियों ने एक रेल कथित तौर पर एक रेल केबिन को भी उड़ा दिया. जमुई से गुजरने वाले रेलमार्ग पर परिचालन बाधित है.
किज़ाज़ी मोटो: जेनरेशन फ़ायर एक अफ़्रीकी भविष्यवादी एनिमेटेड संकलन लघु फ़िल्म श्रृंखला है जिसे ट्रिगरफ़िश द्वारा निर्मित किया गया हैं। शृंखला का प्रसारण 5 जुलाई, 2023 को डिज़्नी+ पर हुआ। कहानी प्रत्येक फिल्म में सोशल मीडिया, द्वंद्व, विकलांगता, आत्म-प्रतिबिंब, साझा मानवता और अन्य विषयों जैसे विषयों पर एक या एक से अधिक निर्देशकों का अफ्रीकी दृष्टिकोण होता है, जिसमें समय यात्रा, अलौकिक और वैकल्पिक ब्रह्मांड जैसी कहानियां शामिल होती हैं। संदर्भ काल्पनिक विज्ञान विज्ञान कथा
मोथा (वैज्ञानिक नाम : साइप्रस रोटडंस / Cyperus rotundus L.) एक बहुवर्षीय सेज़ वर्गीय पौधा है, जो ७५ सें.मी. तक ऊँचा हो जाता है। भूमि से ऊपर सीधा, तिकोना, बिना, शाखा वाला तना होता है। नीचे फूला हुआ कंद होता है, जिससे सूत्र द्वारा प्रकंद जुड़े होते हैं, ये गूद्देदार सफेद और बाद में रेशेदार भूरे रंग के तथा अंत में पुराने होने पर लकड़ी की तरह सख्त हो जाते हैं। पत्तियाँ लम्बी, प्रायः तने पर एक दूसरे को ढके रहती हैं। तने के भाग पर पुष्पगुच्छ बनते हैं, जो पकने पर लाल-भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। मुख्यरूप से कंद द्वारा संचरण होता है, इसमें बीज भी कुछ सहयोग देते हैं। नमी वाली भूमि में भी अच्छी बड़वार होती है, पर सामान्यतः उच्च भूमियों में उगाए जाने वाली धान की फसल के लिए प्रमुख खरपतवारों की सूची में आता है। इसका नियंत्रण कठिन होता है, क्योंकि प्रचुर मात्रा में कंद बनते हैं, जो पर्याप्त समय सुषुप्त रह सकते हैं। विपरीत वातावरण में ये लम्बे समय तक सुरक्षित रह जाते है। भूपरिष्करण क्रियाओं से इन कंदों में जागृति आ जाती हैं एवं ओजपूर्ण-वृद्धि के साथ बढ़वार होने लगती है। इससे कभी-कभी ५०% तक धान की उपज में गिरावट पाई गई है। चित्रदीर्घा इन्हें भी देखें नागरमोथा बाहरी कड़ियाँ खरपतवार प्रबंधन (उत्तरा कृषि प्रभा) मोथा (विस्तृत जानकारी) Flora Europaea: Cyperus rotundus Germplasm Resources Information Network: Cyperus rotundus USDA Plants Profile: Cyperus rotundus USDA Natural Resources Conservation Service: Cyperus rotundus (pdf file) Use in Chinese and Ayurvedic medicine A Tel-Aviv University study mentioning its nutritional importance for migrating birds (in Hebrew) खर-पतवार औषधीय पौधे
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरजेडी पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि संवैधानिक संस्थानों पर हमला करना और उसके फैसलों पर सवाल खड़े करना आरजेडी की विघटनकारी राजनीति का हिस्सा है. विघटनकारी राजनीति कर रही RJD: सुशील मोदी जिस तरीके से पिछले हफ्ते बक्सर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर जानलेवा हमला किया गया और उसके बाद इस पूरे मामले की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया, उस पर आरजेडी ने अविश्वास जताया है. पार्टी का मानना है कि पटना के कमिश्नर आनंद किशोर और जोनल आईजी नैयर हसनैन की दो सदस्यीय जांच टीम इस पूरे मामले को लेकर निष्पक्ष रिपोर्ट पेश नहीं करेगी. इसी को लेकर सुशील मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार के काफिले पर जांच की जो प्रशासनिक प्रक्रिया चल रही है उस पर अविश्वास करना आरजेडी की विघटनकारी राजनीति का एक हिस्सा है. संवैधानिक संस्थानों पर RJD को भरोसा नहीं सुशील मोदी ने कहा कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को रांची के विशेष सीबीआई अदालत द्वारा पिछले महीने चारा घोटाले के एक मामले में दोषी करार दिया गया था और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को बरी कर दिया गया था. उस वक्त आरजेडी ने न्यायिक फैसले को जाति से जोड़ते हुए आरोप लगाया कि जगन्नाथ मिश्र ब्राह्मण होने की वजह से बरी हो गए और लालू प्रसाद पिछड़ी जाति से आते हैं इसीलिए उन्हें दोषी करार दिया गया. मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में फंसे लालू और उनके परिवार समेत आरजेडी लोकतंत्र के हर खंबे को तोड़ने पर आमादा है. लालू के दामाद को ED की ओर से नोटिस लालू के दूसरे दामाद राहुल यादव को प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाए जाने को लेकर भी सुशील मोदी ने कहा है कि ऐसा लगता है कि लालू परिवार में भ्रष्टाचार अनुवांशिक बीमारी है. गौरतलब है, मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय ने राहुल यादव को समन जारी किया था. राहुल यादव पर आरोप है कि उन्होंने एक करोड़ रुपए अपनी सास राबड़ी देवी को लोन में दिया था और काला धन को सफेद करने की कोशिश की थी. लालू परिवार पर सुशील मोदी का तंज लालू परिवार पर तंज कसते हुए मोदी ने कहा कि दामाद राहुल यादव को प्रवर्तन निदेशालय के नोटिस जारी होने के बाद तेजस्वी यादव को शोध करना चाहिए कि आखिर उनके परिवार को राजनीतिक रसूख का गलत इस्तेमाल कर पैसा बनाने की लत किसने लगाई हैं?
"They played better cricket than us and they deserved to win" – Virat Kohli after India lost the second #AUSvIND Test to Australia in Perth. REACTION https://t.co/CS9k0KgqYApic.twitter.com/AutvPMPJok — ICC (@ICC) December 18, 2018 REACTION https://t.co/CS9k0KgqYApic.twitter.com/AutvPMPJok don't back Kohli, he was unnecessarily exchanging the words. even legend Sunil Gavaskar said this "virat is wasting his energy on verbal exchange while his team is struggling". गावस्कर का यह बयान टीम इंडिया की हार के बाद आया है. अब देखने की बात यह होगी कि मेलबर्न टेस्ट में टीम इंडिया और कप्तान विराट कोहली कैसा रवैया अख्तियार करते हैं.
रैपिडो एक भारतीय बाइक टैक्सी संग्राहक और लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता कम्पनी हैं। इसका मुख्यालय बैंगलोर में स्थित हैं। कंपनी की स्थापना 2015 में हुई जो वर्तमान में देश के 100 से अधिक शहरों में काम करती है, लेकिन कई शहरो पर इसे कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जहाँ पर बाइक टैक्सी को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इतिहास कंपनी की स्थापना 2015 में द केरियर नाम से आईआईटी के दो पूर्व छात्रों और पीईएस विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र क्रमश: अरविंद सनका, पवन गुंटुपल्ली और एसआर ऋषिकेश ने की थी कंपनी की सितंबर 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें 15,000 से अधिक पंजीकृत ग्राहक हैं, जिनकी औसत सवारी 30,000 रुपये प्रतिदिन है। इसके बाद हीरो मोटोकॉर्प के अध्यक्ष पवन मुंजाल और गूगल के पूर्व भारत प्रमुख राजन आनंदन ने कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी। रैपिडो के सह-संस्थापक अरविंद सांका ने 2019 में दावा किया कि कंपनी ने भारत में 500,000 से अधिक नौकरियां पैदा की हैं। कंपनी ने नवंबर 2019 में 1 करोड़ पंजीकृत ग्राहक होने का दावा किया था। कानूनी मुद्दे रैपिडो विभिन्न शहरों में कानूनी परेशानियों में चली गई थीं। अक्टूबर 2018 में कोयंबटूर में कंपनी की कई बाइक जब्त की गई, क्योकिं यह परिवहन विभाग से बिना परमिट लिए ही काम कर रही थीं। जुलाई 2019 में, मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में रैपिडो के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके एप को आईओएस स्टोर से स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करने के कारण हटवा दिया गया था। सन्दर्भ
शिवसेना ने बुधवार को राज्यसभा में आरोप लगाया कि विवादित उपदेशक जाकिर नाईक का इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन देश में आतंकवाद को प्रोत्साहन देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. शिवसेना के संजय राउत ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि गृह मंत्रालय ने बार-बार कहा है कि भारत में आईएसआईएस का प्रभाव बहुत ही सीमित है लेकिन सामने आए तथ्यों से पता चलता है कि युवाओं के दिमाग में जहर भरा जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि केरल से पांच महिलाओं और तीन बच्चों सहित लापता हुए 21 लोग अफगानिस्तान गए और आईएसआईएस में शामिल हो गए. चिंता की बात यह है कि अफगानिस्तान गए इन लोगों में से पांच ने अपना धर्म बदला और आईएसआईएस में शामिल हुए. राउत ने कहा, ‘‘धर्म बदलने के बाद वह लोग आईएसआईएस में शामिल हो गए और आतंकवादी बन गए. यह आखिर कौन कर रहा है ..जाकिर नाईक का नाम बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले में सामने आया था. उसका संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन देश में आतंकवाद को प्रोत्साहन देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.’’ टिप्पणियां शिवसेना नेता ने यह भी कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से हाल ही में हुई गिरफ्तारियां बताती हैं कि आईएसआईएस अपना नेटवर्क फैला रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जमात उल मुजाहिदीन पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती हिस्सों में अपना जाल फैला रहा है और बेरोजगार युवकों को संगठन में शामिल होने के लिए उकसा रहा है. राउत ने कहा कि गृह मंत्रालय को ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए समय रहते कदम उठाना चाहिए.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) शिवसेना के संजय राउत ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि गृह मंत्रालय ने बार-बार कहा है कि भारत में आईएसआईएस का प्रभाव बहुत ही सीमित है लेकिन सामने आए तथ्यों से पता चलता है कि युवाओं के दिमाग में जहर भरा जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि केरल से पांच महिलाओं और तीन बच्चों सहित लापता हुए 21 लोग अफगानिस्तान गए और आईएसआईएस में शामिल हो गए. चिंता की बात यह है कि अफगानिस्तान गए इन लोगों में से पांच ने अपना धर्म बदला और आईएसआईएस में शामिल हुए. राउत ने कहा, ‘‘धर्म बदलने के बाद वह लोग आईएसआईएस में शामिल हो गए और आतंकवादी बन गए. यह आखिर कौन कर रहा है ..जाकिर नाईक का नाम बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले में सामने आया था. उसका संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन देश में आतंकवाद को प्रोत्साहन देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.’’ टिप्पणियां शिवसेना नेता ने यह भी कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से हाल ही में हुई गिरफ्तारियां बताती हैं कि आईएसआईएस अपना नेटवर्क फैला रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जमात उल मुजाहिदीन पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती हिस्सों में अपना जाल फैला रहा है और बेरोजगार युवकों को संगठन में शामिल होने के लिए उकसा रहा है. राउत ने कहा कि गृह मंत्रालय को ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए समय रहते कदम उठाना चाहिए.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) उन्होंने दावा किया कि केरल से पांच महिलाओं और तीन बच्चों सहित लापता हुए 21 लोग अफगानिस्तान गए और आईएसआईएस में शामिल हो गए. चिंता की बात यह है कि अफगानिस्तान गए इन लोगों में से पांच ने अपना धर्म बदला और आईएसआईएस में शामिल हुए. राउत ने कहा, ‘‘धर्म बदलने के बाद वह लोग आईएसआईएस में शामिल हो गए और आतंकवादी बन गए. यह आखिर कौन कर रहा है ..जाकिर नाईक का नाम बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले में सामने आया था. उसका संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन देश में आतंकवाद को प्रोत्साहन देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.’’ टिप्पणियां शिवसेना नेता ने यह भी कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से हाल ही में हुई गिरफ्तारियां बताती हैं कि आईएसआईएस अपना नेटवर्क फैला रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जमात उल मुजाहिदीन पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती हिस्सों में अपना जाल फैला रहा है और बेरोजगार युवकों को संगठन में शामिल होने के लिए उकसा रहा है. राउत ने कहा कि गृह मंत्रालय को ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए समय रहते कदम उठाना चाहिए.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) राउत ने कहा, ‘‘धर्म बदलने के बाद वह लोग आईएसआईएस में शामिल हो गए और आतंकवादी बन गए. यह आखिर कौन कर रहा है ..जाकिर नाईक का नाम बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले में सामने आया था. उसका संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन देश में आतंकवाद को प्रोत्साहन देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.’’ टिप्पणियां शिवसेना नेता ने यह भी कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से हाल ही में हुई गिरफ्तारियां बताती हैं कि आईएसआईएस अपना नेटवर्क फैला रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जमात उल मुजाहिदीन पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती हिस्सों में अपना जाल फैला रहा है और बेरोजगार युवकों को संगठन में शामिल होने के लिए उकसा रहा है. राउत ने कहा कि गृह मंत्रालय को ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए समय रहते कदम उठाना चाहिए.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) शिवसेना नेता ने यह भी कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से हाल ही में हुई गिरफ्तारियां बताती हैं कि आईएसआईएस अपना नेटवर्क फैला रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जमात उल मुजाहिदीन पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती हिस्सों में अपना जाल फैला रहा है और बेरोजगार युवकों को संगठन में शामिल होने के लिए उकसा रहा है. राउत ने कहा कि गृह मंत्रालय को ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए समय रहते कदम उठाना चाहिए.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) अपनी बेहतरीन फिल्मों के अलावा शानदार व्यक्तित्व के लिए भी जाने जाते हैं. शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) ने अपनी पर्सनेलिटी से न सिर्फ फैन्स का दिल जीता है, बल्कि दूसरे बॉलीवुड कलाकारों पर भी अपनी छाप छोड़ी है. इस बात का सबूत खुद 'दबंग' गर्ल सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने अपने एक इंटरव्यू में दिया. सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने 'डेकन क्रॉनिकल' को दिए इंटरव्यू में कहा कि बॉलीवुड इंडस्ट्री में मेरी जिस किसी से भी अभी तक मुलाकात हुई है, शाहरुख  (Shah Rukh Khan) उन सब में से सबसे अच्छे और बेहतरीन इंसान हैं. सोनाक्षी सिन्हा  (Sonakshi Sinha) ने अपने इंटरव्यू में शाहरुख खान  (Shah Rukh Khan) से अपनी मुलाकात के बारे में भी कई बातें साझा कीं. Money Shot @deepikapadukone @iamsrk @filmfare #glamourandstyleawards #aboutlastnight A post shared by Sonakshi Sinha (@aslisona) on Feb 12, 2019 at 10:59pm PST मीडिया को दिए इंटरव्यू में सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने कहा, 'मैं बॉलीवुड में अब तक जिस किसी से भी मिली हूं, उनमें शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) मुझे बेहतरीन इंसान लगे. एक्ट्रेस बनने के बाद उनसे मेरी पहली मुलाकात एयरपोर्ट पर हुई थी. एक सुपरस्टार होने के नाते उन्हें ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं थी, लेकिन वह फिर भी मेरे पास आए और उन्होंने मुझसे कहा, 'फिल्म में मुझे आपका काम काफी पसंद आया.' इसके साथ ही उन्होंने मुझे मेरी कार तक भी छोड़ा. वह एक जेंटलमैन हैं. यह ऐसी मेमोरी है, जिसे मैं हमेशा संजोकर रखना पसंद करूंगी. मैंने उनके साथ 'इत्तेफाक' फिल्म में काम किया है. शाहरुख उस फिल्म में प्रोड्यूसर थे.' बता दें कि 'दबंग' गर्ल सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) अभी तक किंग खान के साथ किसी भी फिल्म में नजर नहीं आई हैं और दोनों की मुलाकात भी अकसर किसी फंक्शन के दौरान ही होती है. सोनाक्षी सिन्हा 2 अगस्त को अपकमिंग फिल्म 'खानदानी शफाखाना' के जरिए पर्दे पर दस्तक देने वाली हैं. इस फिल्म में उनके साथ मशहूर सिंगर बादशाह और एक्टर वरुण शर्मा भी अहम भूमिका में दिखाई देंगे. सोनाक्षी सिन्हा जल्द ही अक्षय कुमार के साथ ही 'मिशन मंगल' में भी नजर आने वाली हैं. हालांकि, सोनाक्षी सिन्हा, विद्या बालन और अक्षय कुमार स्टारर फिल्म 'मिशन मंगल' का लोग काफी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
भारतीय के लिएंडर पेस और जिंबाब्वे की सारा ब्लैक की जोड़ी ने अमेरिकी ओपन का मिश्रित युगल खिताब जीत लिया है. फाइनल में उन्होंने अमेरिका की लिजेल ह्यूबर और ब्रिटेन के जैमी मरे की जोड़ी को 7-6, 6-4 से पराजित किया. इस जीत के साथ ही पेस ने आठवीं बार ग्रैंड स्लैम जीतने में कामयाब हुए हैं. पेस के पास अमेरिकी ओपन में इस बार दोहरा खिताब जीतने का मौका है. पेस पुरुष युगल के भी फाइनल में पहुंच चुके हैं. यहां वह अपने जोड़ीदार चेक गणराज्‍य के लुकास ड्लोही के साथ दूसरी वरीयता प्राप्‍त ब्रायन बंधुओं बाब और माइक से टक्कर लेंगे. यदि पेस यह मुकाबला भी जीत जाते हैं तो ऐसा पहली बार नहीं होगा कि वह एक ही ग्रैंडस्‍लैम के दोनों युगल मुकाबलों को जीता हो. इससे पहले भी पेस 1999 में यह कारनामा कर चुके हैं जब उन्होंने विंबल्‍डन में दोनों ही युगल प्रतिस्पर्धा जीता था. तब उन्‍होंने अपने भारतीय जोड़ीदार महेश भूपति के साथ पुरूष युगल का और लिसा रेमंड के साथ मिश्रित युगल के खिताब पर कब्‍जा जमाया था.
मुंबई में शुक्रवार को पांच मंजिला इमारत के ढहने से 2 लोगों की मौत हो गई जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बचाव और राहत कार्य जारी है. शाम को करीब 5 बजकर 15 मिनट पर यह हादसा हुआ. खतीजा नाम की ये बिल्डिंग अंडर कंस्ट्रक्शन थी. बताया जा रहा है तीसरा और चौथा माला गिरने से ये हादसा हुआ है. मुंबईः निर्माणाधीन पुल गिरने से 3 की मौत, कई घायल... करीब छह लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है. रेस्क्यू के दौरान चार लोगों को बाहर निकाला गया जिसमें से दो लोग मृत पाए गए.
25 सितम्बर 2016 को हत्तर को एक बन्दूकधारी ने राजधानी अम्मान के न्याय महल के पास गोली मार दी जब वह न्यायिक सुनवाई के लिए जा रहे थे। बन्दूकधारी को वारदात की जगह ही दबोच लिया गया। सुरक्षादलों के एक सूत्र के अनुसार संदिग्ध व्यक्ति की पहचान राइद इस्माईल अब्दुल्लाह के तौर पर की गई है जो पश्चिमी उर्दुन का निवासी है। अब्दुल्लाह अम्मान की एक मस्जिद में प्रचारक है। and an extremist. यह व्यक्ति अभी हिरासत में है और आतंगवाद के आरोपों का सामना कर रहा है।
फार्मूला वन के ग्रुप सीईओ बर्नी एक्लेस्टोन ने स्वीकार किया कि भारत में कोई भी क्रिकेट का स्थान नहीं ले सकता लेकिन उन्होंने साथ ही उम्मीद जताई कि 30 अक्तूबर को होने वाली पहली इंडियन ग्रां प्री इस देश में रेसिंग को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। एक्लेस्टोन ने संवाददाताओं से कहा, भारत में एफवन नया है और हम कभी क्रिकेट की बराबरी नहीं कर सकते लेकिन इसके करीब पहुंच सकते हैं। हमें अपनी तरफ से इस खेल को भारत में लोकप्रिय बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने होंगे। मुझे उम्मीद है कि समय के साथ एफवन भी भारत में लोकप्रियता हासिल करेगा। उन्होंने इसके साथ ही 30 अक्तूबर को ग्रेटर नोएडा के बुद्ध अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में होने वाली पहली फार्मूला वन रेस की तैयारियों पर संतोष भी जताया। एक्लेस्टोन ने दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल को इंडियन ग्रां प्री का टाइटिल प्रायोजक घोषित करते हुए कहा, ट्रैक की प्रगति संतोषजनक है। हम रोज इसका आकलन करते हैं और इसका काम तय कार्यक्रम के अनुसार चल रहा है। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह रेस से पहले पूरी तरह तैयार हो जाएगा। एक्लेस्टोन से जब पूछा गया कि क्या भारत को एफवन या एफवन को भारत की जरूरत थी, उन्होंने कहा, भारत चोटी के पांच देशों में शामिल है और दुनिया का अहम हिस्सा है। हम यहां चैंपियनशिप आयोजित करना चाहते थे। यहां मैंने जो कुछ देखा उससे काफी खुश हुआ। आखिर हम भारत के लिये ही अच्छा काम कर रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका के जीन पाल डुमिनी मंगलवार को आयरलैंड के खिलाफ 99 रन पर आउट हो गये. यह विश्व कप में दूसरा और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 22वां अवसर है जबकि कोई बल्लेबाज केवल एक रन से शतक पूरा नहीं कर पाया. डुमिनी पारी के अंतिम ओवर में आउट होकर पवेलियन लौटे. वह आस्ट्रेलियाई एडम गिलक्रिस्ट के बाद विश्व कप में 99 रन पर आउट होने वाले दूसरे बल्लेबाज भी बन गये हैं. गिलक्रिस्ट 2003 में श्रीलंका के खिलाफ सेंचुरियन में एक रन से शतक से चूक गये थे. एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वैसे अब तक 19 खिलाड़ी 99 रन पर आउट हुए हैं. इसके अलावा वन डे में दस बल्लेबाज 99 रन पर नाबाद भी रहे हैं. भारतीय स्टार बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर तीन जबकि श्रीलंका के सनथ जयसूर्या दो बार 99 रन पर आउट हुए हैं. संयोग से तेंदुलकर 2007 में तीन अवसरों पर 99 रन पर आउट हुए थे. उनके बाद इस संख्या पर आउट होने वाले डुमिनी पहले बल्लेबाज हैं. डुमिनी दक्षिण अफ्रीका के तीसरे बल्लेबाज हैं जो वन डे में 99 रन पर आउट हुए. उनसे पहले लांस क्लूसनर (बनाम श्रीलंका लाहौर, 1997) और वर्तमान कप्तान ग्रीम स्मिथ (बनाम श्रीलंका सेंचुरियन, 2002) एक रन से शतक बनाने से रह गये थे.
उन्नाव और कठुआ गैंगरेप की घटनाओं के कारण भारतीय जनता पार्टी इस समय बैकफुट पर है. देश भर में दोनों मामलों में इंसाफ को लेकर लगातार आवाज़ उठ रही है. लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है. इन मुद्दों को लेकर कर्नाटक दौरे पर पहुंचे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से आजतक ने सवाल पूछा तो उन्होंने चुप्पी साध ली. अमित शाह ने सिर्फ इतना कहा कि रोड पर बात नहीं. आपको बता दें कि अमित शाह कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र दो दिवसीय कर्नाटक के दौरे पर थे. इस दौरान हुबली में उन्होंने मोदी सरकार के विपक्ष के खिलाफ किए जा रहे उपवास और धरने में भी हिस्सा लिया. लेकिन इन सवालों पर उन्होंने कुछ नहीं किया. हालांकि, शाह ने यहां पर राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला. योगी ने भी टाल दिया सवाल अमित शाह के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मुद्दे पूछे गए सवाल को टाल दिया है. यूपी सीएम योगी आज ललितपुर दौरे पर पहुंचे हैं. इस दौरान वहां पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब नहीं दिया. योगी यहां पर कलेक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों के साथ विकास कार्यों और कानून व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक भी की. राहुल पर हमला करने से नहीं चूके हुबली में अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी के पास इस समय सिर्फ कर्नाटक की बड़ा राज्य बचा है अगर वो यहां पर भी हार जाते हैं तो सिर्फ पुड्डुचेरी ही बचेगा. कर्नाटक कांग्रेस के लिए भ्रष्टाचार का एटीएम है. अगर वे यहां हारे तो उनका एटीएम भी बंद हो जाएगा. सही दिशा में काम कर रही राज्य सरकार- नकवी वहीं उन्नाव रेप केस पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कानून अपना काम कर रही है. पुलिस पर कोई दबाव नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि राज्य सरकार सही दिशा में काम कर रही है. गुनहगार कोई भी हो बख्शा नहीं जाएगा. उन्नाव केस से उठे कई तरह के सवाल गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में हुई गैंगरेप की घटना और उसके बाद पीड़िता के पिता की मौत ने हर किसी को झंकझोर दिया है. इस मामले में बीजेपी के ही विधायक कुलदीप सिंह सेंगर आरोपी हैं लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है. लगातार उठ रहे सवालों और दबाव के बाद पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज की लेकिन अभी भी वो आज़ाद घूम रहे हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर लगातार आरोपी विधायक को बचाने के आरोप लग रहे हैं. जब आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर से सरेंडर के बारे में पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था कि पार्टी उन्हें जो भी आदेश देगी वह उसका ही पालन करेंगे. कठुआ मामले पर भी बवाल दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 वर्षीय बच्ची आसिफा के साथ गैंगरेप और हत्या के मामले में भी लगातार सवाल उठ रहे हैं. इस मामले में इंसाफ को लेकर कई सेलेब्रिटी भी ट्वीट कर रहे हैं. इस मामले में पुलिस ने जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड 60 साल के सांझी राम का नाम है. इसके अलावा जिन आरोपियों के नाम शामिल हैं उनमें कुछ हिंदू एकता मंच से जुड़े हैं.
भारतीय पुरुषों की कंपाउंड तीरंदाजी टीम विश्व विश्वविद्यालय खेलों में कांस्य पदक मुकाबले के लिये नहीं पहुंची. इस मामले में भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) को जांच के आदेश देने पड़े. वर्ल्ड तीरंदाजी संघ के मैनेजर क्रिस वेल्स के अनुसार गुरविंदर सिंह, कंवलप्रीत सिंह और अमन की कंपाउंड टीम दक्षिण कोरिया के ग्वांग्जू में स्थानीय समयानुसार दस बजे इटली के खिलाफ मैच के लिए नहीं पहुंची. वर्ल्ड तीरंदाजी के नियमों के अनुसार यदि टीम फाइनल मैच के दौरान उपस्थित नहीं रहती तो फिर यह मान लिया जाता है कि टीम ने मैच गंवा दिया है. इस घटना पर हैरानी व्यक्त करते हुए एएआई महासचिव अनिल कामिनेनी ने कहा कि वह टीम के साथ आयोजकों को भी इस मामले में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए लिख रहे हैं. कामिनेनी ने कहा, 'यह एएआई से जुड़ा मसला नहीं है क्योंकि टीम भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने भेजी है लेकिन कई भारतीय तीरंदाज टीम का हिस्सा हैं इसलिए हम जांच कर रहे हैं.' हालांकि भारतीय कोच जीवनजोत सिंह ने कहा कि उपकरणों की खराबी के कारण टीम मुकाबले के लिए नहीं पहुंची. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जीवनजोत ने कहा, 'गुरविंदर के धनुष की रस्सी टूट गयी थी और कोई तीरंदाज भी अतिरिक्त धनुष लेकर नहीं गया था. इसलिए हमने टीम होटल में भेजकर लड़कियों का घनुष लेकर आने को कहा. हम रिपोर्टिंग समय से सिर्फ दो मिनट बाद प्रतियोगिता स्थल पर पहुंचे थे लेकिन अधिकारियों ने हमारे आग्रह को अनदेखा कर दिया.' - इनपुट भाषा
टॉक्सिकोडेंड्रोन रेडिकंस (पॉइज़न आइवी ; पुराने समानार्थक शब्द रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन, रुस रेडिकंस), ऐनाकार्डियासी परिवार का एक पौधा है। यह एक जंगली लता है जो युरुशियोल नामक एक त्वचा प्रदाहक उत्पन्न करने की अपनी क्षमता के लिए काफी मशहूर है जो अधिकांश लोगों में होने वाली एक खुजली वाली फुंसी का कारण है जिसे तकनीकी तौर पर युरुशियोल-प्रेरित संपर्क त्वचादाह के रूप में जाना जाता है लेकिन यह एक वास्तविक आइवी (हेडेरा) नहीं है। प्राप्ति-स्थल और सीमा पॉइज़न आइवी उत्तर अमेरिका के अधिकांश भाग में चारों तरफ पनपता है जिसमें कनाडा के समुद्री प्रान्त, क्यूबेक और ओंटारियो और संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्तर डकोटा को छोड़कर रॉकीज़ के सभी पूर्वी भाग के साथ-साथ मैक्सिको के पहाड़ी क्षेत्रों (कैक्विसल या कैक्स्विसल—नाहूआट्ल शब्द देखें) तक का क्षेत्र भी शामिल हैं और यह आम तौर पर जंगली क्षेत्रों, खास तौर पर किनारे के क्षेत्रों में पाया जाता है। यह अनावृत चट्टानी क्षेत्रों और खुले क्षेत्रों और अशांत क्षेत्रों में भी उगता है। यह जंगल के एक अंडरस्टोरी पौधे के रूप में भी पनपता है, हालांकि यह कुछ हद तक ही छाया सहिष्णु है। यह पौधा न्यू इंग्लैंड, मध्य अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका के उपनगरीय और बाह्यनगरीय क्षेत्रों में बहुत आम है। इसी प्रकार की प्रजातियां, पॉइज़न-ओक और टॉक्सिकोडेंड्रोन राइडबर्गी पश्चिमी उत्तर अमेरिका में पाई जाती हैं। पॉइज़न आइवी शायद ही कभी से अधिक ऊंचाई पर बढ़ता है, हालांकि विभिन्न स्थानों में ऊंचाई सीमा में अंतर होता है। ये पौधे एक झाड़ी के रूप में लगभग लम्बे सकते हैं, एक ग्राउंडकवर के रूप में ऊंचे हो सकते हैं, या आरोही लता के रूप में अलग-अलग तरह की वस्तुओं का सहारा लेकर बढ़ सकते हैं। पर्याप्त सहारा मिलने पर पुरानी लताओं से कई पार्श्व शाखाएं निकलने लगती हैं जिन्हें शुरू में वृक्ष के अंग समझने की भूल हो सकती है। यह विशेष रूप से मिट्टी की नमी के प्रति संवेदनशील नहीं है, लेकिन यह रेगिस्तान या शुष्क परिस्थितियों में नहीं बढ़ता है। यह विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में पनपता है और इसके लिए मिट्टी में pH की मात्रा 6.0 (अम्लीय) से 7.9 (सामान्य क्षारीय) तक होती है। यह उन क्षेत्रों में पनप सकता है जो मौसमी बाढ़ या खारे पानी के अधीन है। यह उस समय की तुलना में अब अधिक आम है जब यूरोपीय लोगों ने पहली बार उत्तर अमेरिका में प्रवेश किया था। जंगली और अविकसित भूमि के निकट अचल संपत्ति के विकास ने "बढ़त प्रभाव" को जन्म दिया है और ऐसे स्थानों में विशाल और सघन उपनिवेशों के निर्माण में पॉइज़न आइवी को सक्षम बना दिया है। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के मिनेसोटा और मिशिगन राज्यों तथा कनाडा के ओंटारियो प्रांत में हानिकारक खरपतवार के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। पॉइज़न आइवी और इससे संबंधित लताएं यूरोप में लगभग अनजान हैं। कई यूरोपीय अमेरिका और कनाडा की यात्रा के दौरान यह देखकर काफी हैरान हो जाते हैं कि इस तरह का एक खतरनाक पौधा इस महाद्वीप पर इतने आमतौर पर मौजूद है। वर्णन पॉइज़न आइवी के पर्णपाती पत्ते, बादाम के आकार के तीन पत्रक युक्त त्रिपत्रधारी होते हैं। पत्ते का रंग हल्का हरा (आम तौर पर युवा या नई पत्तियां) से लेकर गाढ़ा हरा (परिपक्व पत्तियां) होता है, जो पतझड़ में चमकीले लाल रंग में बदल जाते हैं; हालांकि अन्य सूत्रों का कहना है कि पत्तियां लालनुमा होती हैं जब ये बढ़ रही होती हैं, परिपक्व या परिपूर्ण रूप से बढ़ जाने पर हरे रंग की हो जाती हैं और उसके बाद पतझड़ में या इनके झड़ने के दौरान ये फिर से लाल, नारंगी, या पीले रंग में बदल जाती हैं। परिपक्व पत्तियों के पत्रक कुछ-कुछ चमकीले होते हैं। इनके पत्रक 3 से 12 सेमी. तक लम्बे होते हैं और शायद ही कभी ये 30 सेमी. तक लम्बे होते हैं। प्रत्येक पत्रक के किनारों पर दांतों की संख्या बहुत कम संख्या में या बिलकुल ही नहीं होती है। लताओं पर स्थित पत्रक समूह एकांतर क्रम में होते हैं और इस पौधे में कांटे बिलकुल ही नहीं होते हैं। पेड़ के तने पर बढ़नेवाली लताएं कई हवाई लाघुमूलों के माध्यम से काफी मजबूती से जुड़ जाती हैं। लताएं अपस्थानिक जड़ों को विकसित करती हैं, या पौधे प्रकंदों या मूल शिखरों से फ़ैल सकते हैं। पॉइज़न आइवी का दूधिया रस हवा के संपर्क में आने के बाद काला हो जाता है। पॉइज़न आइवी वानस्पतिक या लैंगिक दोनों रूप से फैलता है। पॉइज़न आइवी डाइऑइसियस होते हैं; इस पौधे में मई से जुलाई तक फूल लगते हैं। पीलानुमा- या हरानुमा-सफ़ेद फूल आम तौर पर अस्पष्ट होते हैं जो पतियों के ऊपर 8 सेमी. तक स्थित समूहों में अवस्थित होते हैं। इसका फल बेर जैसा और गुठलीदार होता है जो अगस्त से नवम्बर तक पक जाता हैं और पकने के बाद भूरापन लिए हुए सफ़ेद रंग का होता है। इसका फल कुछ पक्षियों और अन्य पशुओं के लिए सर्दियों के मौसम का एक पसंदीदा भोजन है। इनके बीज मुख्य रूप से पशुओं द्वारा फैलते हैं और पाचक नली से होकर गुजरने के बाद भी इनमें जीवन की क्षमता होती है। पहचान में सहायक अधिकांश स्थितियों में पॉइज़न आइवी की पहचान के लिए निम्नलिखित तीन विशेषताएं पर्याप्त हैं: (a) तीन पत्रकों का समूह, (b) एकांतर पत्र व्यवस्था और (c) कांटों का अभाव. हालांकि असंख्य अन्य पौधे इस सरलीकृत वर्णन के अनुरूप होते हैं, लेकिन फिर भी इन मानदंडों वाले किसी भी पौधे से उन लोगों को अपने सहज ज्ञान का इस्तेमाल करके बचना चाहिए जो पॉइज़न आइवी की पहचान से अपरिचित हैं। पत्तियों के क्षतिग्रस्त होने, सर्दियों के मौसम में पत्तीरहित होने और पर्यावरण/या आनुवंशिक कारकों के कारण आसामान्य वृद्धि के दौरान अनुभवी लोगों द्वारा इसकी पहचान कर पाना अक्सर मुश्किल हो जाता है। विभिन्न स्मरक काव्यात्मक पंक्तियां, पॉइज़न आइवी के अभिलाक्षणिक रूप का वर्णन करती हैं: "लीव्स ऑफ़ थ्री, लेट इट बी." (तीन पत्रकों वाली पत्तियां, इसे छोड़ दो) "हेयरी वाइन, नो फ्रेंड ऑफ़ माइन." (मैं रोमदार लता हूं, मेरा कोई दोस्त नहीं है) पॉइज़न आइवी की लताएं बहुत ज़हरीली होती हैं। "रैगी रोप, डोंट बी ए डोप!" (मेरी चिथड़ेदार रस्सी हैं, लेकिन मूर्ख मत बनो) !" पेड़ों पर पनपने वाली पॉइज़न आइवी की लताएं देखने में रोएंदार "चिथड़ेदार" होती हैं। यह काव्यपंक्ति पेड़ पर चढ़ने वालों को सावधान रहने की चेतावनी देता हैं। "वन, टू, थ्री? डोंट टच मी." (एक, दो, तीन? मुझे मत स्पर्श करो) "बेरीज़ ह्वाइट, रन इन फ्राईट" (बेर सफ़ेद रंग के हैं, लेकिन डरकर भाग जाओ) और "बेरीज़ ह्वाइट, डेंजर इन साईट." (बेर सफ़ेद रंग के हैं, लेकिन सामने खतरा है) "लोंगर मिडिल स्टेम, स्टे अवे फ्रॉम देम." (बीच वाला तना काफी लम्बा है, लेकिन उनसे दूर रहो) यह मध्य पत्रक को सन्दर्भित करता है जिसका तना जो दोनों तरफ के पत्रकों के डंठलों की तुलना में विशेष रूप से अधिक लम्बा है और जो इसे इसी तरह की दिखने वाली रुस एरोमेटिका - फ्रैग्रंट स्यूमक से अलग सिद्ध करने का एक मुख्य साधन है। "रेड लीफलेट्स इन द स्प्रिंग, इट्स ए डेंजरस थिंग." (वसंत के मौसम में इसके पत्रकों का रंग लाल हो जाता है, लेकिन यह एक खतरनाक चीज़ है) यह इसके लाल रूप को सन्दर्भित करता है जिसे नए पत्रक कभी-कभी वसंत के मौसम में धारण करते हैं। (ध्यान दें कि बाद में, गर्मियों के मौसम में, पत्रक हरे रंग के हो जाते हैं जो इसे अन्य पौधों से अलग दिखने में काफी मुश्किल बना देता है, जबकि पतझड़ के मौसम में ये लालनुमा-नारंगी रंग के हो सकते हैं।) "साइड लीफलेट्स लाइक मिटेंस, विल इच लाइक द डिकेंस." (किनारे के पत्रक दस्तानों की तरह लगते हैं, जो डिकेंस की तरह खुजली पैदा करेगा) यह पॉइज़न आइवी की कुछ, न कि सभी, पत्तियों की आकृति को सन्दर्भित करता है, जहां दोनों तरफ के प्रत्येक पत्रक में एक छोटा सा निशान होता है जिससे पत्रक दिखने में एक "अंगूठे" वाले एक दस्ताने की तरह लगता है। (ध्यान दें कि इस काव्यपंक्ति का गलती से इस यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि केवल किनारे वाले पत्रक ही खुजली पैदा करते हैं, क्योंकि वास्तव में पौधे का सम्पूर्ण भाग खुजली पैदा कर सकता है।) "इफ बटरफ्लाईज़ लैंड देयर, डोंट पुट योर हैण्ड देयर." (अगर तितलियां वहां बैठती हैं, तो आप अपना हाथ वहां न रखें) यह इस बात को सन्दर्भित करता है कि कुछ तितलियां पॉइज़न आइवी पर बैठती हैं, क्योंकि उन पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है, जो उन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं क्योंकि उनके शिकारी पौधे के भक्षण से दूर ही रहते हैं। शरीर पर प्रभाव पॉइज़न आइवी नामक इस युरुशियोल-प्रेरित संपर्क त्वचादाह के कारण होने वाली प्रतिक्रिया एक एलर्जी सम्बन्धी प्रतिक्रिया है। लगभग 15% से 30% लोगों में एलर्जी सम्बन्धी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है, लेकिन ज्यादातर लोग युरुशियोल के बार-बार या अत्यधिक संकेंद्रित अनावरण से सुग्राही बन जाएंगे. इन प्रतिक्रियाओं की प्रगति तीव्रग्राहिता तक हो सकती है। युरुशियोल संपर्क स्थापित होने पर त्वचा को गर्म कर देता है जिससे भयंकर खुजली होने लगती है जो बढ़कर लाल रंग की तरह दिखने वाले सूजन या गैर-रंगीन फुंसियों का रूप धारण कर लेता है और उसके बाद छाला बन जाता है। कैलामाइन लोशन से इन घावों का इलाज़ किया जा सकता है, बेचैनी से राहत दिलाने के लिए बुरो के घोल से सेंकना या नहाना लाभप्रद हो सकता है, हालांकि हाल के अध्ययनों से कुछ परंपरागत दवाइयां अप्रभावी साबित हुई हैं। पॉइज़न आइवी के इलाज के लिए त्वचाविशेषज्ञों द्वारा अब खुजली से राहत दिलाने वाले ओवर-द-काउंटर (डॉ के परामर्श के बिना ख़रीदे या बेचे जाने वाले) उत्पादों—या सिर्फ दलिया स्नान और बेकिंग सोडा—के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। गंभीर मामलों में, खुले छालेदार घावों और कॉर्टिकॉस्टेरॉयड से मवाद के रिसाव की समाप्ति आवश्यक इलाज़ है। खुजलीदार छालों से निकाले गए रिसने वाले मवाद ज़हर नहीं फैलाते हैं। बढ़ रहे दाने की आकृति यह दर्शाती है कि कुछ क्षेत्रों में ज़हर की अधिक मात्रा मौजूद थी जहां अन्य क्षेत्रों की तुलना में जल्दी प्रतिक्रिया हुई या यह भी दर्शाती है कि उन वस्तुओं के संपर्क से होने वाला संक्रमण अभी भी जारी है जिससे शुरू में ज़हर फैला था। छाले और रिसाव, रक्त वाहिकाओं का ही नतीजा है जो रिक्त स्थान में वृद्धि कर देते हैं और त्वचा के माध्यम से तरल पदार्थ या मवाद को बहाने लगते हैं; यदि त्वचा को ठंडा कर दिया जाता है तो वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और बहाव कम हो जाता है। अगर पॉइज़न आइवी को जला दिया जाए और इसके धुंए को सांस के माध्यम से अन्दर खींच लिया जाए तो ये दाने फेफड़ों की भीतरी सतह पर दिखाई देंगे, बेहद दर्द होने लगेगा और शायद घातक सांस की तकलीफ का कारण बनेगा. अगर पॉइज़न आइवी को खा लिया जाए तो पाचक नली, वायुमार्ग, गुर्दा या अन्य अंग क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। शारीर के किसी भी हिस्से में होने वाले पॉइज़न आइवी के दाने गंभीरता और इलाज़ के आधार पर एक से चार सप्ताह तक रह सकते हैं। शायद ही कभी किसी मामले में पॉइज़न आइवी की प्रतिक्रिया के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। युरुशियोल तेल कई वर्षों तक सक्रिय रह सकता है इसलिए मृत पत्तियों या लताओं को हाथ लगाने से भी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, पौधे से अन्य वस्तुओं (जैसे - पालतू फ़र) में हस्तांतरित तेल यदि त्वचा के संपर्क में आ जाए तो इससे भी दाने हो सकते हैं। आगे के संचरण की रोकथाम करने के लिए तेल के संपर्क में आए कपड़ों, औज़ारों और अन्य वस्तुओं को धो लेना चाहिए. पॉइज़न आइवी के प्रति संवेदनशील लोगों को आमों से भी एक इसी तरह के दाने का सामना करना पड़ सकता है। पॉइज़न आइवी की तरह आम भी उसी परिवार (ऐनाकार्डियासी) का सदस्य है; आम के पेड़ का रस और आम की छाल का रासायनिक मिश्रण युरुशियोल की तरह ही होता है। कभी-कभार संबंधित फ्रैग्रंट स्यूमक (रुस एरोमेटिका) या जापानी लाख के पेड़ के संपर्क से होने वाली इसी तरह की प्रतिक्रियाओं की खबर मिलती रही है। एक जैसे दिखने वाले पौधे वर्जिंस बोवर (क्लेमाटिस वर्जीनियाना) (डेविल्स डार्निंग नीडल्स, डेविल्स हेयर, लव वाइन, ट्रैवलर्स जॉय, वर्जिंस बोवर, वर्जीनिया वर्जिंस बोवर, वाइल्ड हॉप्स और वूडबाइन के नाम से भी जाना जाता है; समानार्थक शब्द - क्लेमाटिस वर्जीनियाना एल. वर. मिसौरिएन्सिस (Rydb.) पामर और स्टेयरमार्क [1]) संयुक्त राज्य अमेरिका के मूल के रैनुन्कुलेसी परिवार की एक लता है। यह पौधा एक ऐसी लता है जो 10 से 20 फुट तक की लम्बाई तक ऊपर चढ़ सकती है। यह जंगल के किनारों पर, नम ढलानों पर, बाड़े की पंक्तियों पर, झाड़ियों में और धारा-तटों पर पनपते हैं। यह जुलाई और सितंबर के बीच लगभग एक इंच व्यास वाले सफेद, सुगंधित फूल उत्पन्न करता है। बॉक्स-एल्डर (एसर नेगुन्डो) के नवजात पौधों के पत्ते ऐसे होते हैं जो देखने में बिलकुल पॉइज़न आइवी की पत्तियों की तरह लग सकते हैं, हालांकि पौधे की समरूपता खुद ही बहुत अलग है। हालांकि बॉक्स एल्डरों में अक्सर पांच या सात पत्रक होते हैं, जिनमें से तीन पत्रक, ख़ास तौर पर छोटे-छोटे नवजात पौधों में, आम होते हैं। पत्तियों के स्थान को देखने के तरीके से दोनों में फर्क किया जा सकता है जहां पत्ते का डंठल मुख्य शाखा से मिलता है (जहां तीनों पत्रक जुड़े होते हैं). पॉइज़न आइवी की पत्तियां एकांतर क्रम में होती हैं, जिसका मतलब है कि तीन-पत्रक वाली पत्तियां मुख्य शाखा के साथ एकांतर क्रम में होती हैं। मेपल (बॉक्स-एल्डर इसी का एक प्रकार है) की पत्तियां विपरीत क्रम में होती हैं; एकदम से विपरीत दिशा में पत्तियों के दूसरे डंठल का होना बॉक्स-एल्डर की विशेषता है। वर्जीनिया क्रीपर (पार्थेनोसिसस क्विनक्यूफोलिया) की लताएं देखने में पॉइज़न आइवी की तरह लग सकती हैं। तरुण पत्तों में तीन पत्रक हो सकते हैं लेकिन पत्ते के किनारों पर कुछ क्रकच या दांत होते हैं और पत्ते का सतह कुछ-कुछ झुर्रीदार होता है। 0 हालांकि, वर्जीनिया क्रीपर के अधिकांश पत्तों में पांच पत्रक होते हैं। वर्जीनिया क्रीपर और पॉइज़न आइवी संभवतः एक साथ, यहां तक कि एक ही पेड़ पर, पनपते हैं। ध्यान रखें कि यहां तक कि जिन लोगों में पॉइज़न आइवी के प्रति कोई एलर्जी सम्बन्धी प्रतिक्रिया नहीं होती हैं, उन्हें वर्जीनिया क्रीपर के रस में पाए जाने वाले ऑक्सालेट क्रिस्टल से एलर्जी हो सकती है। वेस्टर्न पॉइज़न-ओक (टॉक्सिकोडेंड्रोन डाइवरसिलोबम) के पत्रक भी तना के सिरे पर तीन की संख्या में होते हैं, लेकिन प्रत्येक पत्रक का आकार कुछ हद तक ओक के पत्ते की तरह होता है। वेस्टर्न पॉइज़न-ओक केवल पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में पनपता है, बहुत से लोग पॉइज़न आइवी को पॉइज़न ओक के रूप में सन्दर्भित करेंगे. इसका कारण यह है कि पॉइज़न आइवी अपने पर्यावरण की नमी और चमक के आधार पर या तो आइवी-जैसे रूप में या झाड़ीनुमा ओक-जैसे रूप में पनपेंगे. आइवी का यह रूप छायादार क्षेत्र पसंद करता है और जहां बहुत कम धूप निकलती हो, पेड़ों के तनों की ओर चढ़ने के लिए बढ़ता है और जमीन पर चारों तरफ बड़ी तेज़ी से फ़ैल सकता है। पॉइज़न स्यूमक (टॉक्सिकोडेंड्रोन वर्निक्स) के पत्ते 7 से 15 पत्रकों वाले यौगिक पत्ते होते हैं। पॉइज़न स्यूमक में कभी भी केवल तीन पत्रक नहीं होते हैं। कुड्ज़ू (प्यूरेरिया लोबाटा) एक गैर-विषैली खाद्य लता है जो बड़े पैमाने पर छोटे वनस्पतियों पर चढ़ता है या पेड़ों में ऊंचाई पर पनपता है। कुड्ज़ू दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में पाई जाने वाली आक्रामक प्रजाति है। पॉइज़न आइवी की तरह इसके तीन पत्रक होते हैं, लेकिन पत्रक पॉइज़न आइवी के पत्रकों की तुलना में बड़े होते हैं और रोमदार किनारों के साथ नीचे की तरफ भी रोमिल होते हैं। जामुन और रसभरी (रूबस spp.) पॉइज़न आइवी के समान हो सकते हैं, जिसके साथ वे क्षेत्र का साझा कर सकते हैं। एक तरफ, जामुन और रसभरी और दूसरी तरफ, पॉइज़न आइवी, के बीच का मुख्य अंतर यही है कि जामुन और रसभरी के तनों पर प्रायः हमेशा ही कांटे दिखाई देते हैं, जबकि पॉइज़न आइवी का तना चिकना होता है। इसके अलावा, जामुन और रसभरी के कुछ पत्तों के तीन-पत्रक वाली पद्धति में पौधे के बढ़ने के दौरान बदलाव आता है: मौसम में बाद में उत्पन्न होने वाले पत्तों में तीन के बजाय पांच पत्रक होते हैं। जामुन और रसभरी के पत्तों के किनारे-किनारे कई सुन्दर-सुन्दर दांत होते हैं और उनके पत्तों के सबसे ऊपरी सतह बहुत झुर्रीदार होते हैं जहां धारियां होती हैं और पत्तों का निचला हिस्सा पुदीने की तरह हल्का हरापन लिए हुए सफ़ेद रंग का होता है। पॉइज़न आइवी पूरी तरह से हरे रंग की होती है। पॉइज़न आइवी का तना भूरे रंग का और बेलनाकार होता है, जबकि जामुन और रसभरी हरे रंग के हो सकते हैं, अनुप्रस्थ-काट की तरफ वर्गाकार हो सकते हैं और इन पर कांटे हो सकते हैं। रसभरी और जामुन वास्तव में लताएं नहीं हैं; अर्थात्, वे अपने तनों को सहारा देने के लिए पेड़ों से जुड़ते नहीं हैं। रिवरबैंक ग्रेप (वाइटिस राइपेरिया) की मोटी-मोटी लताएं, जिसकी छोटी-छोटी जड़े दिखाई नहीं देती हैं, पॉइज़न आइवी की लताओं से अलग है, जिसकी इतनी सारी छोटी-छोटी जड़े होती हैं कि पेड़ तक पहुंचने वाला उसका तना रोमदर लगता है। रिवरबैंक ग्रेप की लताओं का रंग कुछ-कुछ बैंगनी रंग की तरह होता है, इनकी लताएं अपने सहायक पेड़ों से दूर लटकी रहती हैं और इनके छाल चिथड़ेदार होते हैं; पॉइज़न आइवी की लताएं भूरे रंग की होती हैं जो अपने सहायक पेड़ों से जुड़ी रहती हैं और इनके छाल चिथड़ेदार नहीं होते हैं। फ्रैग्रंट स्यूमक (रुस एरोमेटिका) की आकृति बहुत कुछ पॉइज़न आइवी की तरह ही होती है। हालांकि दोनों प्रजातियों में तीन-तीन पत्रक होते हैं, लेकिन पॉइज़न आइवी का केन्द्रीय पत्रक एक लम्बे डंठल पर स्थित होता है, जबकि फ्रैग्रंट स्यूमक के केन्द्रीय पत्रक का डंठल स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता है। फ्रैग्रंट स्यूमक में वसंत के मौसम में पत्तियों से पहले फूल लगते हैं, जबकि पॉइज़न आइवी में पत्तियों के आगमन के बाद ही फूल लगते हैं। फ्रैग्रंट स्यूमक के फूल और फल तने के सिरे पर होते हैं, लेकिन पॉइज़न आइवी में तने के मध्य भाग के किनारों पर होते हैं। इन्हें भी देखें पॉइज़न ओक पॉइज़न स्यूमक युरुशियोल सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ हाउ स्टफ वर्क्स: पॉइज़न आइवी विश्व के ज़हरीले पौधों से संपर्क पॉइज़न आइवी, पॉइज़न-ओक, या पॉइज़न स्यूमक का प्रबंध तस्वीरों की कड़ियां (हार्डिन MD/आयोवा विश्वविद्यालय) bioimages.vanderbilt.edu पर टॉक्सिकोडेंड्रोन रेडिकंस की छवियां वेन्स वर्ड पर पॉइज़न ओक पॉइज़न आइवी के पौधे और फुंसियों की छवियां, सलाह, पौधे की पहचान पॉइज़न आइवी, ओंटारियो कृषि, खाद्य और ग्रामीण मामला मंत्रालय पॉइज़न आइवी की सभी किस्मों की तस्वीरें टॉक्सिकोडेंड्रोन औषधीय पौधे ज़हरीले पौधें श्रेष्ठ लेख योग्य लेख गूगल परियोजना
काफी समय से प्रतीक्षित केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार बुधवार शाम पांच बजे होगा. संकेत हैं कि सलमान खुर्शीद, जयराम रमेश और प्रफुल्ल पटेल को कैबिनेट मत्री का दर्जा मिल सकता है. मई 2009 में दोबारा सत्ता में आने के बाद संप्रग-2 सरकार में मंत्रिपरिषद का यह पहला फेरबदल होगा. ऐसे संकेत हैं कि वित्त, गृह, रक्षा और विदेश जैसे चार बड़े मंत्रालयों में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से करीब दो घंटे चर्चा की और बुधवार को होने वाले फेरबदल की कवायद को अंतिम रूप दिया. सिंह से चर्चा के दौरान सोनिया के साथ उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल भी मौजूद थे. शाम में पार्टी के वरिष्ठ नेता ओर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सोनिया से मुलाकात की. पिछले कुछ दिनों से मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर अटकलें चल रही थी. प्रधानमंत्री की सोमवार शाम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात के बाद इन अटकलों ने और जोर पकड़ा. इस फेरबदल में एक से अधिक मंत्रालय देख रहे शरद पवार और कपिल सिब्बल जैसे मंत्रियों के विभाग कम हो सकते हैं. कृषि मंत्री शरद पवार से उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय लिया जा सकता है, जबकि कपिल सिब्बल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की जिम्मेवारी से मुक्त हो सकते हैं.
सूर्यप्रभ (शाब्दिक अर्थ : "सूर्य के समान दीप्तिमान्", चीनी :日光菩薩; पिनयिन : Rìguāng पूसा; Romanji : निक्को Bosatsu) एक बोधिसत्त्व हैं जिनकी विशेषता सूरज जैसी चमक तथा अच्छा स्वास्थ्य है। सूर्यप्रभ प्रायः चन्द्रप्रभ के साथ देखने को मिलते हैं क्योंकि दोनो भाई-बहन भैषज्यगुरु सेवा करते हैं। दोनों की मूर्तियाँ एक-दूसरे से मिलती-जुलती हैं और आमतौर पर एक साथ पाई जाती हैं, कभी-कभी मंदिर के द्वार पर। एशिया में उन्हें देवों के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। चीनी लोक धर्म में, सौर देवता ताइयांग जिंगजुन को सूर्यप्रभ के अवतार के रूप में दर्शाया गया है। चीनी कैलेंडर में दूसरे चंद्र महीने का पहला दिन उनका पवित्र दिन है। संदर्भ बोधिसत्व
आ गया हीरो (जिसे पहले अभिनय चक्र के नाम से रिलीज़ किया जाना था) एक भारतीय बॉलीवुड फ़िल्म है। इसके निर्देशक दीपांकर सेनापति और निर्माता गोविंदा है। इसमें मुख्य भूमिका में गोविंदा, आशुतोष राणा, मुरली शर्मा, मकरंद देशपांडे आदि हैं। यह फ़िल्म २९ अगस्त २०१४ को प्रदर्शित होनी थी। परंतु कुछ कारणों से यह फिल्म १७ मार्च २०१७े स पर्दर्शित हे। कलाकार गोविंदा आशुतोष राणा मुरली शर्मा मकरंद देशपांडे हरिश कुमार रिचा शर्मा निर्माण इसका निर्माण मंगल तारा निर्माता कंपनी ने किया है। इसका निर्माण २०१३ में प्रारंभ किया गया था। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 2015 में बनी हिन्दी फ़िल्म
फिलीपींस के एक डिपार्टमेंट स्टोर में आज तड़के सुबह लगी आग के कारण दुकान में काम करने वाले 17 कर्मचारियों की मौत हो गई। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक ये सभी डिपार्टमेंट स्टोर में सो रहे थे तभी वहां आग लग गई जिससे उनकी मौत हो गई। प्रांतीय अग्निशमन विभाग ने बताया कि आग में 21 महिला कर्मचारी फंस गई थीं हालांकि एक व्यक्ति अब भी लापता बताया जा रहा है जबकि तीन ने इमारत से कूदकर अपनी जान बचाई।टिप्पणियां मुख्य इंस्पेक्टर मारियो पालार्का ने बताया कि आग बुझने के बाद 11 शवों को तुरंत ही बाहर निकाला गया जबकि बाद में छह और शव निकाले गए। पालार्का ने बताया, ‘‘आग जब निचले तल पर लगी उस दौरान दूसरे तल पर 21 लोग सो रहे थे। धुंए के कारण उन्हें आपातकालीन द्वार का पता नहीं चल पाया।’’ सेल्सवुमन विकी ब्लेज ने बताया कि वह इसलिए बच पाई क्योंकि वह बाथरूम में थी। स्टोर की सहायक सुपरवाइजर बर्लिता बालेस्तेरो कहती हैं कि कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर से केवल एक आपातकालीन द्वार जुड़ा है। केवल एक द्वार होने के कारण निश्चित ही उन्हें निकलने में दिक्कत आई होगी। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक ये सभी डिपार्टमेंट स्टोर में सो रहे थे तभी वहां आग लग गई जिससे उनकी मौत हो गई। प्रांतीय अग्निशमन विभाग ने बताया कि आग में 21 महिला कर्मचारी फंस गई थीं हालांकि एक व्यक्ति अब भी लापता बताया जा रहा है जबकि तीन ने इमारत से कूदकर अपनी जान बचाई।टिप्पणियां मुख्य इंस्पेक्टर मारियो पालार्का ने बताया कि आग बुझने के बाद 11 शवों को तुरंत ही बाहर निकाला गया जबकि बाद में छह और शव निकाले गए। पालार्का ने बताया, ‘‘आग जब निचले तल पर लगी उस दौरान दूसरे तल पर 21 लोग सो रहे थे। धुंए के कारण उन्हें आपातकालीन द्वार का पता नहीं चल पाया।’’ सेल्सवुमन विकी ब्लेज ने बताया कि वह इसलिए बच पाई क्योंकि वह बाथरूम में थी। स्टोर की सहायक सुपरवाइजर बर्लिता बालेस्तेरो कहती हैं कि कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर से केवल एक आपातकालीन द्वार जुड़ा है। केवल एक द्वार होने के कारण निश्चित ही उन्हें निकलने में दिक्कत आई होगी। प्रांतीय अग्निशमन विभाग ने बताया कि आग में 21 महिला कर्मचारी फंस गई थीं हालांकि एक व्यक्ति अब भी लापता बताया जा रहा है जबकि तीन ने इमारत से कूदकर अपनी जान बचाई।टिप्पणियां मुख्य इंस्पेक्टर मारियो पालार्का ने बताया कि आग बुझने के बाद 11 शवों को तुरंत ही बाहर निकाला गया जबकि बाद में छह और शव निकाले गए। पालार्का ने बताया, ‘‘आग जब निचले तल पर लगी उस दौरान दूसरे तल पर 21 लोग सो रहे थे। धुंए के कारण उन्हें आपातकालीन द्वार का पता नहीं चल पाया।’’ सेल्सवुमन विकी ब्लेज ने बताया कि वह इसलिए बच पाई क्योंकि वह बाथरूम में थी। स्टोर की सहायक सुपरवाइजर बर्लिता बालेस्तेरो कहती हैं कि कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर से केवल एक आपातकालीन द्वार जुड़ा है। केवल एक द्वार होने के कारण निश्चित ही उन्हें निकलने में दिक्कत आई होगी। मुख्य इंस्पेक्टर मारियो पालार्का ने बताया कि आग बुझने के बाद 11 शवों को तुरंत ही बाहर निकाला गया जबकि बाद में छह और शव निकाले गए। पालार्का ने बताया, ‘‘आग जब निचले तल पर लगी उस दौरान दूसरे तल पर 21 लोग सो रहे थे। धुंए के कारण उन्हें आपातकालीन द्वार का पता नहीं चल पाया।’’ सेल्सवुमन विकी ब्लेज ने बताया कि वह इसलिए बच पाई क्योंकि वह बाथरूम में थी। स्टोर की सहायक सुपरवाइजर बर्लिता बालेस्तेरो कहती हैं कि कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर से केवल एक आपातकालीन द्वार जुड़ा है। केवल एक द्वार होने के कारण निश्चित ही उन्हें निकलने में दिक्कत आई होगी। पालार्का ने बताया, ‘‘आग जब निचले तल पर लगी उस दौरान दूसरे तल पर 21 लोग सो रहे थे। धुंए के कारण उन्हें आपातकालीन द्वार का पता नहीं चल पाया।’’ सेल्सवुमन विकी ब्लेज ने बताया कि वह इसलिए बच पाई क्योंकि वह बाथरूम में थी। स्टोर की सहायक सुपरवाइजर बर्लिता बालेस्तेरो कहती हैं कि कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर से केवल एक आपातकालीन द्वार जुड़ा है। केवल एक द्वार होने के कारण निश्चित ही उन्हें निकलने में दिक्कत आई होगी।
{{Infobox Indian Political Party | party_name = बहुजन समाज पार्टी | party_logo = | chairman = मायावती | secretary = सतीश चन्द्र मिश्र आर. श्रीधर अशोक सिद्धार्थ आर.ए. मित्तल मेवालाल गौतम मुनकाद अली मानवेंद्र आजाद मौर्य | ppchairman = | loksabha_leader = दानिश अली | rajyasabha_leader = राम जी गौतम | founder = कांशीराम | state_seats = उत्तर प्रदेश विधानसभा राजस्थान विधानसभा मध्य प्रदेश विधानसभा छत्तीसगढ़ विधानसभा उत्तराखंड विधानसभा पंजाब विधानसभा हरियाणा विधानसभा बिहार विधानसभा | loksabha_seats = | rajyasabha_seats = | alliance = |colours = नीला |eci = राष्ट्रीय पार्टी|symbol = हाथी|ideology = आंबेडकरवाद | headquarters = 4, गुरुद्वारा रकाबगंज रोड, नई दिल्ली - 110001 | publication = | website = }}बहुजन समाज पार्टी (अंग्रेजी: Majority Society Party) (: बसपा) भारत का एक राष्ट्रीय राजनैतिक दल है। इसका गठन 1984 में मान्यवर कांशीराम जी के द्वारा किया गया था। इस पार्टी की वर्तमान अध्यक्षा सुश्री मायावती जी हैं। संक्षिप्त इतिहास बसपा का गठन उच्च प्रोफ़ाइल वाले करिश्माई लोकप्रिय नेता कांशीराम द्वारा 14 अप्रैल 1984 में किया गया था। इस पार्टी का राजनीतिक प्रतीक (चुनाव चिन्ह) एक हाथी है। 13 वीं लोकसभा (1999-2004) में पार्टी के 14 सदस्य थे। 14 वीं लोक सभा में यह संख्या 17 और 15 वीं लोक सभा में यह संख्या 21 थी। वर्तमान अर्थात 16वीं लोकसभा में बसपा का कोई प्रतिनिधि नहीं था। 17वीं लोकसभा में बसपा ने फिर से वापसी की और 10 सांसद उसके लोकसभा में पहुँचे। बसपा का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश है और पार्टी ने इस प्रदेश में कई बार अन्य पार्टियों के समर्थन से सरकार भी बनाई है। मायावती कई वर्षों से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। बहुजन शब्द का इतिहास बहुजन शब्द तथागत बुद्ध के धर्मोपदेशों (त्रिपिटक) से लिया गया है, तथागत बुद्ध ने कहा था बहुजन हिताय बहुजन सुखाय उनका धर्म बहुत बड़े जन-समुदाय के हित और सुख के लिए हैं। नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष- मायावती '''प्रदेशाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश- भीम राजभर राज्यसभा सत्रहवीं लोकसभा चुनावी प्रदर्शन लोकसभा उत्तर प्रदेश विधानसभा मध्यप्रदेश विधानसभा राजस्थान विधानसभा छत्तीसगढ़ विधानसभा बिहार विधानसभा पंजाब विधानसभा उत्तराखंड विधानसभा उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत 11 मई 2007 को घोषित विधान सभा चुनाव परिणामों के पश्चात् उत्तर प्रदेश राज्य में 1991 से 15 वर्षों तक त्रिशंकु विधान सभा का परिणाम भुगतने के बाद भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य में स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर सत्ता में आयी। बसपा अध्यक्ष मायावती ने मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश में अपने चौथा कार्यकाल शुरू करते हुए 13 मई 2007 को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 50 अन्य मन्त्रियों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। बहुजन शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल गौतम बुद्ध ने किया था। सन्दर्भ भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक दल आंबेडकरवादी राजनीतिक दल
यह लेख है: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि अमेरिका मानता है कि मलेशियाई विमान पर यूक्रेन में उस क्षेत्र में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल दागी गई, जो रूस समर्थित अलगाववादियों के कब्जे में है। उन्होंने इस वैश्विक विपदा की विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की, जिसमें 298 लोगों की जान चली गई। ओबामा ने कहा, ये वही बातें हैं, जो हमें अबतक मालूम हैं। प्रमाण से संकेत मिलता है कि विमान को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से गिराया गया। यह उस क्षेत्र से दागी गई थी, जो यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादियों के नियंत्रण में है। ओबामा ने कहा, यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि जिन्होंने ये मिसाइलें दागीं, उनके इरादे क्या थे। फिलहाल हमें जो मालूम है, वह यह है कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल दागी गई। यह उस क्षेत्र में दागी गई, जो अलगाववादियों के नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि अमेरिका इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के संपर्क में है। अपने रूसी समकक्ष ब्लादिमीर पुतिन से बातचीत करने वाले ओबामा ने यह कहते हुए इस हादसे के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया कि रूस ने यूक्रेन के अलगाववादियों को सतह से हवा में मार करने वाली अत्याधुनिक मिसाइलें उपलब्ध कराईं। उन्होंने कहा, स्थिति पर पुतिन का सबसे अधिक नियंत्रण है। निश्चित ही उन्होंने (उसका) इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा, हमें यह भी मालूम है कि यह पहली बार नहीं हुआ है कि पूर्वी यूक्रेन में विमान को मार गिराया गया। पिछले कुछ सप्ताहों में रूस समर्थित अलगाववादियों ने एक यूक्रेनी मालवाहक विमान और एक हेलीकॉप्टर को मार गिराया तथा उन्होंनें यूक्रेनी लड़ाकू जेट केा मार गिराने की जिम्मेदारी ली। इसके अलावा, हमें यह पता है कि इन अलगाववादियों को रूस से सतत सहयोग मिला है। ओबामा ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए भयंकर खतरे का संकेत है और चेतावनी दी कि इस आपदा के परिणाम गंभीर होंगे। विमान में सवार करीब 300 लोगों की मौत पर दुख प्रकट करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, हमारी संवेदना इस भयंकर को क्षति झेलने वाले परिवारों के साथ है। उन्होंने कहा, यह एक वैश्विक आपदा है, इसलिए, जो कुछ हुआ, उसकी विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय जांच हो। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस जांच पर मुहर लगा दी है, हम रूस समेत सभी सदस्यों से इस पर चर्चा करेंगे। उन्होंने यूक्रेन के रूस समर्थित अलगाववादियों और सरकार के बीच तत्काल संघर्षविराम का आह्वान किया।
एजेंडा आज तक-2013 की शुरुआत हुई मखमली आवाज के मालिक सोनू निगम की सरगम के साथ. नई दिल्ली के ली मेरिडियन होटल में शुरू हुए आज तक के सालाना कार्यक्रम का यह पहला सेशन था. माला सेकरी के साथ बातचीत में सोनू ने कोलावेरी डी का चाइल्ड वर्जन गाने वाले अपने बेटे पर भी बात की और पुराने दौर के संगीत पर भी. उन्होंने फरमाइशी गीत सुनाए और तो पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से भी फिल्मी गीत गवा लिया. बीच-बीच में वह मिमिक्री और हास्य बोध का तड़का लगाते हुए बीते दिनों की यादें भी ताजा करते रहे. पढ़िए सोनू से पूरी बातचीत. स्क्रीन पर तोतली आवाज में कोलावेरी डी गाते सोनू के बेटे विवान का वीडियो चलता है. यह वीडियो यूट्यूब पर वायरल हिट हुआ था. इसके बाद माला सेकरी करती हैं सोनू से पहला सवाल: क्या आपका बेटा भी आपके लिए सुपर बंपर लॉटरी है? सोनू: हम एक टिपिकल लोअर मिडल क्लास फैमिली से थे. हमने कभी जिंदगी में पैसा या कामयाबी नहीं देखी थी. सहसा ही हम कायस्थों के परिवार में एक सिंगर पैदा हो गए, मेरे पिता जी अगम कुमार निगम जी. मगर मुश्किल था बिना बैकिंग के फरीदाबाद से उठकर मुंबई में जगह बनाना. लोगों के सामने रिरियाना कि मुझे काम दो. वह नहीं कर पाए. तो मुझे देखकर उन्हें लगा कि जो मैं नहीं कर पाया. जो कामयाबी नहीं पाया, वो ये कर पाएगा. मुझे बस इतना पता है कि जब मैं 18-19 का था तो जितना इनसिक्योर था, उतना वह नहीं रहेगा. बस यही खुशी है मेरे लिए विवान की जिंदगी के आने वाले कल को लेकर... अपने बेटे के बारे में कुछ और बताएं सोनू? सोनू: मैं अभी ऑस्ट्रेलिया में था, अग्निपथ का एक गाना गा रहा था, तो देखा वह किनारे बैठा कुछ लिख रहा है. फिर मुझे बचपन याद आ गया कि जब पापा गाते थे, तो मैं किनारे बैठा रोता था कि मुझे भी गाना है, तो अग्निपथ का गाना गाते हुए मुझे अपना बचपन याद आ गया. सवाल के बीच आया सुरीला ब्रेक और सोनू गाने लगे क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा. सोनू आप इतने बड़े सिंगर बने, मगर एक्टिंग में कुछ नहीं कर पाए? सोनू: एक्टिंग फिल्मों की तरह होती है. ये मापदंड नहीं है अच्छे या बुरे होने का. शाहरुख और अमिताभ की फिल्में भी पिट जाती हैं. घटिया फिल्में चल जाती हैं. कई बार चीजें इन प्लेस नहीं होतीं. मुझे नहीं लगता कि सिंगिग के साथ एक्टिंग नहीं की जा सकती. मैंने पहली कोशिश के बाद सिर्फ फिल्में ही नहीं गानें भी कम कर दिए. पहले एक दिन में 12-18 गाने गाता था. अब हफ्ते में चार गाने गाता हूं. आप इतने शोज करते हैं. हजारों फैंस होते हैं. गर्ल्स चीखती हैं सोनू सोनू... सोनू: मैं जब स्कूल में था. बॉम्बे में. चार साल के लिए. बाकी पढ़ाई दिल्ली की. 1988 में आमिर की फिल्म आई थी कयामत से कयामत तक. मैं उनका बहुत कायल था. प्यार करता था उनसे. अभी भी बहुत करता हूं. तो मैं देखता था कि लड़कियां लाइब्रेरी में आ रही हैं. उसकी फोटो देख रही हैं. वाऊ वाऊ कर रही हैं. छह महीने बाद मैंने प्यार किया आई. वही लड़कियां सलमान पर गिरने लगीं. तो फैंस की सोचकर आप आगे नहीं बढ़ सकते. फोकस मैटर करता है. ये एक मायाजाल है, जिसमें मैं नहीं पड़ता. अभी भी मेरी लाइफ वही है. मैं ग्राउंडेंड हूं क्योंकि मेरे पैरंट्स देसी हैं. हम बंबई आ गए. मगर कुछ अंदर नहीं बदला. घर में ब्रैंड्स की, पैसों की ज्यादा बात नहीं होती. आपका सारेगामा से स्टारडम शुरू हुआ 1995 में. आपने एंकरिंग की. तो क्या आप रिएलिटी शो के प्रॉडक्ट हैं? सारेगामा खालिस संगीत का शो था, जिसमें प्रपंच और ड्रामा नहीं था. नौशाद साहब, प्यारेलाल बाबू, जाकिर हुसैन साहब थे. वे आकर जज करते थे. वो प्रॉपर म्यूजिक कंटेस्ट था, रिएलिटी शो नहीं था. उसमें मैं भी था और एंकरिंग नहीं वो एक परफॉर्मेंस होती थी. क्या आज रिएलिटी शो बच्चों पर बोझ नहीं बन गए हैं? सोनू: मैं नहीं मानता ये. जिसे आगे आना है, वो तीर की तरह फाड़कर आगे आ जाएगा. रिएलिटी शो मिले या नहीं. इन शोज का फायदा ये है कि जब हम लोग मुंबई आए थे तो चिंता होती थी कि इस महीने पैसा कहां से आएगा. हम बडे बाप की औलाद तो थे नहीं. हम कंपोजर के घर के बाहर सात आठ घंटे खड़े रहते, कम से कम आज के जो शोज हैं, उसकी वजह से स्ट्रगलिंग सिंगर को तड़पना नहीं पड़ता. इससे वे खुश और व्यस्त रहते हैं. इनमें से जीतने वाले और हारने वाले माद्दा है तो आगे आ जाते हैं. कुणाल गांजावाला एक शो में हार गए थे. श्रेया घोषाल जीती थीं. तो इस पर बेवजह का शोर नहीं होना चाहिए... वक्त आया फिर एक सुरीले ब्रेक का और आकाश शर्मा सोनू निगम के साथ गाने स्टेज पर पहुंचे, फर्क करना मुश्किल था कि कौन सा सुर किसका है. गाना था अभी मुझमें कहीं... शुरुआत में आपकी पहचान बनी ये दिल दीवाना से. क्या था उस गाने के बारे में? दरअसल इसके पहले मुझसे रोने वाले गाने गवाए जा रहे थे, कब्रिस्तान में बैठाकर अच्छा सिला दिया तूने गवा रहे थे. फिर सुभाष घई साहब ने परदेस में मौका दिया. ये दिल दीवाना में. तो मैं स्टूडियो में गया और रेकॉर्डिंग के पहले ही फ्लाइंग किक मारने लगा. मैंने सोच लिया कि अब तो यंग इंप्रैसन बनाना ही है, वर्ना बूढ़ों के गाने गाता रहूंगा. बताइए आप पापा कहते हैं मैं मुझसे अनुपम खेर का गाना गवा रहे थे. तो ये सब बदलना था और उसकी शुरुआत ये दिल दीवाना से हुई. ये जवाब देने के बाद सोनू ने गाना गाया और सब हो गए दीवाने आजकल के गानों पर क्या ख्याल है आपका? सोनू: देखिए सिर्फ बदमाशी वाले गाने ही नहीं आ रहे. अच्छे भी आ रेह हैं. इंगलिश शब्दों का प्रयोग बढ़ गया है, क्योंकि लोगों को ज्यादा आ गई है ये जबान. कला तो समाज का आइना है. आज तक की एंकर श्वेता सिंह ने पूछा सवाल. चुनाव के दिन नेता नर्वस रहते हैं, मगर नितिन गडकरी अपने सेशन से पहले आ गए ताकि सोनू का गाना सुन सकें .नितिन गडकरी बोले कि मैं आपका फैन हूं, अगर आप अपनी पसंद का एक गाना सुना दें, तो आना सार्थक हो जाएगा. सोनू ने फरमाइश पूरी की और बताया कि संदेश आते हैं गाने से मुझे पहली बार मेनस्ट्रीम कामयाबी मिली थी सो ये गाना मेरे दिल के बहुत करीब है. क्या तकनीक के आने के बाद सिंगिग बदली है? सोनू: मैं कितना भी कोशिश कर लूं, खालिस गजल नहीं गा सकता. पंकज जी या तलत जी की तरह. एक जमाना था, जब लता जी या रफी साहब वन टेक में गाना गाते थे बिना किसी गलती. मगर अब मशीनें आ गई हैं. जो हजार टेक से टुकडे निकालकर पूरा गाना बना लेती हैं. मगर जो वाकई में गाना गा लेते हैं. उनकी इज्जत हमेशा रहती है. सुरेश वाडेकर आज भले ही फिल्मों में न गाते हों.मगर जब आते हैं, तो हम खड़े हो जाते हैं. यही बात हरिहरन जी के साथ है. टेक्नॉलजी कभी सुर की जगह नहीं ले सकती. ऑडियंस में बैठे सिंगर तलत अजीज ने बताया सोनू निगम का एक राज. तलत बोले कि सोनू के वोकल कॉर्ड्स गजब के हैं. मेरे ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने इनको चेक किया, दवा बताई और मुझे फोन कर बताया कि आज तक ऐसा गला किसी का एग्जामिन नहीं किया. जिसमें क्रिक थायराइड इतना ज्याद हो. ये बिल्कुल सही बात है. इनकी एक और खासियत है कि ये बुजुर्गों की दिल से इज्जत करते हैं. एक बार मैंने और जगजीत सिंह जी ने इनके स्टूडियो में एक शाम गुजारी थी. ये तारीफ सुन सोनू मुस्कुराकर शर्मा जाते हैं और बोलते हैं, सर आई लव यू इस मौके पर पंकज उधास भी मौजूद थे. वह बोले कि मैंने बहुत वर्सेटाइल लोग देखे, मगर सोनू जैसा कोई नहीं. सोनू मुझे किशोर दा की याद दिलाते हैं. इस सेशन के आखिरी में सोनू ने कहा कि मैं जब भी ये गाना गाता हूं, मां याद आ जाती हैं. हाल ही में उनको खोया है. तो ये गाना उनके लिए है. हर घड़ी बदल रही है खूब जिंदगी... 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गुजरात की बनासकांठा लोकसभा सीट सामान्य श्रेणी के लिए है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. बनासकांठा गुजरात के 33 जिलों में से एक है और यह इलाका देशभर में मार्बल, ग्रेनाइट के लिए मशहूर है. बनासकांठा लोकसभा क्षेत्र की आबादी उद्योगों के अलावा खेती पर भी आश्रित है. खनिज उत्पादन होने के बावजूद बनासकांठा क्षेत्र को गुजरात के सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार किया गया है. 2017 में आई बाढ़ ने यहां की अर्थव्यवस्था को और भी नुकसान पहुंचाया. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यह इलाका बाढ़ और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की गाड़ी पर पथराव के लिए चर्चित रहा. राजनीतिक पृष्ठभूमि 2014 के लोकसभा चुनाव में बनासकांठा लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के हरिभाई पारथीभाई चौधरी ने बाजी मारी. उन्होंने कांग्रेस के ज्योतिभाई कासनाभाई पटेल को हराया था. इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मुकेशकुमार गढ़वी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2013 की शुरुआत में उनका देहांत होने से यहां उपचुनाव कराए गए, जिसमें बीजेपी के हरिभाई चौधरी जीते. इसके बाद हरिभाई चौधरी ने दूसरी बार यानी अगले ही साल 2014 के आम चुनाव में फिर से यहां जीत दर्ज की. ठीस इसी तरह हरिभाई चौधरी ने 1998 और 1999 में लगातार हुए लोकसभा चुनाव में बाजी मारी थी. इन दोनों चुनाव में उन्होंने कांग्रेस बीके गढ़वी को हराया था. सामाजिक ताना-बाना 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 24,22,063 है. इसमें 84.73% ग्रामीण और 15.27% आबादी शहरी है. अनुसूचित जाति की संख्या 10.33 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति 11.21 प्रतिशत है. 2018 की वोटर लिस्ट के अनुसार, यहां 16,51,666 मतदाता हैं. कांग्रेस के लिए इस इलाके से एक झटका देने वाली खबर ये है कि गुजरात के बड़े राजपूत नेता शंकर सिंह वाघेला के बेटे महेंद्र सिंह वाघेला ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. महेंद्र सिंह बनासकांठा की बायड सीट से विधायक भी रह चुके हैं और उनकी इलाके में अच्छी पकड़ मानी जाती है. बनासकांठा लोकसभा क्षेत्र के अंतरग्त सात विधानसभा सीट आती हैं. इनमें वाव, थराद, धानेरा, दांता, पालनपुर, डीसा और दियोदर हैं. वाव, धानेरा, दांता, पालनपुर और दियोदर सीट पर 2017 चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. जबकि थराद और डीसा सीट पर बीजेपी ने बाजी मारी थी. यानी इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से अच्छा प्रदर्शन किया था. 2014 लोकसभा चुनाव का जनादेश हरिभाई चौधरी, बीजेपी- 507,856 वोट (57.3%) ज्योतिभाई कासनाभाई पटेल, कांग्रेस- 305,522 (34.5%) 2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न कुल मतदाता- 15,15,711 पुरुष मतदाता- 7,96,124 महिला मतदाता-  7,19,587 मतदान-  8,86,634 (58.5%) सांसद का रिपोर्ट कार्ड 64 साल के हरिभाई चौधरी कुल चार बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने पहला चुनाव 1998 में जीता था. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता बी.के गढ़वी को मात दी थी. इसके बाद अगले ही साल 1999 में आम चुनाव हुए और इसमें भी हरिभाई ने बाजी मारी और एक बार फिर बी.के गढ़वी को शिकस्त दी. इसके बाद 2004 व 2009 के आम चुनाव में उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी. लगातार दो चुनाव हारने के बाद हरिभाई चौधरी ने फिर कमबैक किया और 2013 में हुए उपचुनाव में इसी सीट से संसद में वापसी की. 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भी वह बाजी मार गए. लगातार सांसद बनने का ही उन्हें इनाम मिला और मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. हरिभाई चौधरी ने अपने कार्यकाल के दौरान जारी कुल धनराशि का लगभग 81.75 फीसदी खर्च किया है. उनकी निधि से अलग-अलग मद में कुल 18.18 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई है, जिसमें 14.61 करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया. यानी करीब 3.57 करोड़ रुपये उनकी निधि से खर्च नहीं हो सके. हरिभाई चौधरी की संपत्ति की बात की जाए तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास कुल 1 करोड़ 57 लाख के करीब संपत्ति की है. इसमें 71 लाख 90 हजार रुपये के करीब चल संपत्ति और 85 लाख 83 हजार की अचल संपत्ति शामिल है. हरिभाई चौधरी का संसद में प्रदर्शन औसत से बेहतर रहा है. संसद में उपस्थिति की बात की जाए तो उनकी मौजूदगी 97 फीसदी रही. जबकि गुजरात के सांसदों की औसत उपस्थिति 84 फीसदी है और देशभर के सांसदों का औसत 80 फीसदी है. वहीं, बहस में उन्होंने सात बार हिस्सा लिया. जबकि इस मामले में गुजरात के सांसदों का औसत 4.1 है और राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 5.2 है. सवाल पूछने के मामले में वह औसत से कम रहे हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान महज 12 सवाल पूछे. जबकि सवाल पूछने के मामले में गुजरात के सांसदों का औसत 18 है और देशभर के सांसदों का औसत 18 है. वह एक बार भी प्राइवेट मेंबर बिल नहीं लाए हैं. हरिभाई चौधरी फेसबुक और ट्विटर दोनों ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद हैं. हालांकि, वो फेसबुक से ज्यादा ट्विटर पर एक्टिव रहते हैं. ट्विटर पर उनके करीब सात हजार फॉलोअर्स हैं. साथ ही वह 11 हजार से ज्यादा ट्वीट कर चुके हैं. फेसबुक पर भी उन्हें फॉलो करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है. फ्रेंड लिस्ट के अलावा 18 हजार से ज्यादा लोग फेसबुक पर हरिभाई चौधरी को फॉलो करते हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के मंदिर में प्रवेश के बाद इसे धोए जाने के आरोप ने बिहार में नया विवाद खड़ा कर दिया है. मुख्यमंत्री के साथ मंदिर में जाने वाले विधायक ने मांझी के दावों को गलत बताया तो मंदिर के पुजारी और गांववालों ने भी मुख्यमंत्री के दावे पर सवाल उठाए हैं. सीएम के बयान से सूबे की सियासत भी गरमा गई है. रविवार को मांझी ने दलितों के एक कार्यक्रम यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि मधुबनी के जिस मंदिर में उपचुनाव के दौरान उन्होंने पूजा-अर्चना की, उस मंदिर को बाद में न सिर्फ मंदिर बल्कि मूर्ति को भी धोया गया. हालांकि, मुख्यमंत्री के इस दावे पर सबसे पहला सवाल उन्हीं की पार्टी जेडी(यू) के उस विधायक ने उठा दिया जो मंदिर में मांझी के साथ थे. विधान परिषद सदस्य विनोद सिंह ने कहा, 'वहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. मुख्यमंत्री उपचुनाव के दौरान पहली बार मधुबनी गए थे और मिथिला के लोगों उन्हें काफी सम्मान दिया और उनका स्वागत किया. सीएम ने मंदिर में पूजा अर्चना भी की.' विधायक के मुताबिक जब सीएम मंदिर परिसर पहुंचे तो स्थानीय लोगों बैंड बाजे से उनका स्वागत किया. मंदिर के मुख्य पुजारी ने मंत्रोच्चार के साथ विधि‍-विधान से पूजा कराई. पुजारी ने सीएम को प्रसाद दिया और फिर वो सभा में चले गए. विनोद सिंह का कहना है, 'मुख्यमंत्री को किसी ने गलत जानकारी दी है. मैं पटना जाकर उनसे मिलकर सही जानकारी दूंगा.' सीएम के दावे की सच्चाई जानने के लिए 'आज तक' की टीम भी मौके पर पहुंची. वहां मौजूद गांववालों और मंदिर के पुजारी ने मुख्यमंत्री के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने सीएम पर राजनीति करने का आरोप भी लगा दिया. इनका कहना था कि मुख्यमंत्री के दौरे के बाद मंदिर तो जरूर धोया गया लेकिन मंदिर धोने की जो परिभाषा मुख्यमंत्री दे रहे हैं वे सही नहीं हैं. दरअसल मंदिर रोज सुबह-शाम धोया जाता रहा है. किसी भी मंदिर की यही परंपरा रही है. यहां भी यही हुआ जिसे मुख्यमंत्री गलत तरीके से पेश कर रहे हैं. सीएम के इस रवैये गांववाले नाराज हैं. मंदिर के पुजारी अशोक झा कहते हैं, 'मुख्यमंत्री ने जैसा कहा है कि उनके जाने के बाद मंदिर को गंगा जल से धोया गया, यह गलत है. मंदिर में कोई पत्थर की मूर्ति नहीं है बल्क‍ि मिट्टी का एक पिंड है जिसे धोया ही नहीं जा सकता. वैसे भी सुबह चार बजे और शाम पांच बजे रोज मंदिर धोया जाता है लेकिन मुख्यमंत्री ने पूजा की इसलिए मंदिर धोया गया, ऐसा नहीं है.' सीएम के बयान पर सियासत भी गरमाने लगी है. लोजपा सांसद चिराग पासवान ने पहले तो मुख्यमंत्री के साथ हुई इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. साथ ही कहा है कि अगर ऐसी कोई घटना नहीं घटी है तो मुख्यमंत्री को सस्ती राजनीति का सहारा नहीं लेना चाहिए.
यह एक लेख है: पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान शाहिद अफरीदी ने विपक्षी टीमों को चेताते हुए कहा है कि विपक्षी टीमें भारतीय उपमहाद्वीप में 19 फरवरी से 2 अप्रैल तक आयोजित होने वाले विश्व कप में उनकी टीम को कम आंकने की भूल न करें, क्योंकि उनकी टीम टूर्नामेंट की सबसे खतरनाक टीम है। अफरीदी का कहना है कि उनकी टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का मिश्रण है और उनकी टीम वैसी ही है, जैसे लगभग 20 वर्ष पहले पाकिस्तान की विश्व कप विजेता टीम थी। अफरीदी ने विश्व कप से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, हम यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि यह टूर्नामेंट हमारे देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है। मैं दूसरी टीमों को यह सन्देश देना चाहता हूं कि वह हमें कम आंकने की भूल नहीं करें। हमारी टीम टूर्नामेंट में सबसे खतरनाक है। हमारी टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ी हैं। हमारे लिए यह अच्छी बात है कि कामरान अकमल टीम में वापस आ गए हैं। मिस्बाह उल हक और यूनिस खान बेहतरीन फॉर्म में हैं। हमारे पास दो अच्छे स्पिन गेंदबाज हैं, जबकि तेज आक्रमण में शोएब अख्तर हैं। पाकिस्तान ने हाल में न्यूजीलैंड को एकदिवसीय शृंखला में 3-2 से मात दी थी। पाकिस्तान ने अफरीदी की कप्तानी में 17 वर्ष बाद न्यूजीलैंड में एकदिवसीय शृंखला जीता था। अफरीदी ने कहा, हम हाल में कठिन परिस्थितियों से गुजरे हैं। बतौर कप्तान मैं बहुत खुश हूं और मैं चाहूंगा कि टीम का मनोबल काफी ऊंचा रहे। हमारी टीम अच्छी है। हम हाल के विवादास्पद मुद्दों को बाहर छोड़ खेल पर ध्यान लगाएंगे। हमने न्यूजीलैंड में बेहतरीन क्रिकेट खेली और टीम के सभी खिलाड़ी जीत के लिए भूखे हैं। विश्व कप में पाकिस्तान को ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, जिम्बाब्वे, कनाडा और केन्या के साथ ग्रुप 'ए' में रखा गया है।
यह लेख है: भारत को सेमीफाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले विराट कोहली ने रविवार को मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आईसीसी वर्ल्ड टी20 में नाबाद 82 रन की पारी को अपनी सर्वश्रेष्ठ तीन पारियों में एक करार दिया। कोहली ने ऐसे समय में 51 गेंदों पर नौ चौकों और दो छक्कों की मदद से यह पारी खेलकर भारत को लक्ष्य तक पहुंचाया, जब उसने शुरू में तीन विकेट गंवा दिए थे। कोहली को इस शानदार पारी के लिए 'मैन ऑफ द मैच' भी चुना गया। इस सदाबहार बल्लेबाज ने मैच के बाद कहा, 'युवी के साथ साझेदारी अच्छी रही और बाद में धोनी ने मुझे शांत बनाए रखा। हम हमेशा तेजी से रन चुराते हैं। हमारे बीच अच्छी समझ है। इसलिए आप जिम जाते हो, फिटनेस पर ध्यान देते हो। उसका आज फायदा मिला। यह मेरी चोटी की तीन पारियों में से एक थी। अभी शायद सर्वश्रेष्ठ क्योंकि मैं थोड़ा भावुक हूं।' कोहली ने इसके साथ ही दर्शकों का भी आभार व्यक्त किया जो बड़ी संख्या में पीसीए स्टेडियम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, 'मैं दर्शकों का आभार व्यक्त करना चाहूंगा। यह अविश्वसनीय था। उनके समर्थन से मुश्किल दौर से आगे बढ़ने में मदद मिली। आपको हर मैच में चुनौती चाहिए इससे एक क्रिकेटर के रूप में आप में सुधार होता है। मैं जीत से बहुत खुश हूं और समझ में नहीं आ रहा है क्या कहूं।' भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी कोहली की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, 'यह पहला अवसर नहीं था, जबकि मैंने उसकी पारी का लुत्फ उठाया। वह पिछले कुछ सालों से बेहतरीन बल्लेबाजी कर रहा है और अपने खेल में लगातार सुधार कर रहा है। वह टीम के लिए रन बनाने के लिए बहुत भूखा है।' धोनी ने इसके साथ ही कहा कि अन्य बल्लेबाजों को भी अब कोहली के भरोसे पर ही नहीं रहना चाहिए और उन्हें भी अपना योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'अन्य बल्लेबाजों को अब अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्हें कोहली पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अन्य भी योगदान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें आगे बढ़कर चुनौती का सामना करना होगा।' धोनी ने कहा कि लक्ष्य मुश्किल था। उन्होंने कहा, 'यह मुश्किल स्कोर था। उन्होंने पहले छह ओवरों में 60 रन बनाए। बीच के ओवर मुश्किल थे। विशेषकर स्पिनरों की बैक लेंथ की गेंद को हिट करना आसान नहीं था। हमें लगा कि यदि हम बीच के ओवरों में अच्छे रन बनाते हैं तो सफल रहेंगे।'टिप्पणियां ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ ने भी माना कि कोहली ने उनसे मैच छीना। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में दबाव में खेली गई बेहतरीन पारी थी। उसने बेहतरीन शॉट लगाए और वह लंबे समय से ऐसा कर रहा है। विराट ने अविश्वसनीय पारी खेली। मेरा मानना है कि 160 रन अच्छा स्कोर था, लेकिन एक अविश्वसनीय पारी से भारत लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) इस सदाबहार बल्लेबाज ने मैच के बाद कहा, 'युवी के साथ साझेदारी अच्छी रही और बाद में धोनी ने मुझे शांत बनाए रखा। हम हमेशा तेजी से रन चुराते हैं। हमारे बीच अच्छी समझ है। इसलिए आप जिम जाते हो, फिटनेस पर ध्यान देते हो। उसका आज फायदा मिला। यह मेरी चोटी की तीन पारियों में से एक थी। अभी शायद सर्वश्रेष्ठ क्योंकि मैं थोड़ा भावुक हूं।' कोहली ने इसके साथ ही दर्शकों का भी आभार व्यक्त किया जो बड़ी संख्या में पीसीए स्टेडियम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, 'मैं दर्शकों का आभार व्यक्त करना चाहूंगा। यह अविश्वसनीय था। उनके समर्थन से मुश्किल दौर से आगे बढ़ने में मदद मिली। आपको हर मैच में चुनौती चाहिए इससे एक क्रिकेटर के रूप में आप में सुधार होता है। मैं जीत से बहुत खुश हूं और समझ में नहीं आ रहा है क्या कहूं।' भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी कोहली की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, 'यह पहला अवसर नहीं था, जबकि मैंने उसकी पारी का लुत्फ उठाया। वह पिछले कुछ सालों से बेहतरीन बल्लेबाजी कर रहा है और अपने खेल में लगातार सुधार कर रहा है। वह टीम के लिए रन बनाने के लिए बहुत भूखा है।' धोनी ने इसके साथ ही कहा कि अन्य बल्लेबाजों को भी अब कोहली के भरोसे पर ही नहीं रहना चाहिए और उन्हें भी अपना योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'अन्य बल्लेबाजों को अब अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्हें कोहली पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अन्य भी योगदान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें आगे बढ़कर चुनौती का सामना करना होगा।' धोनी ने कहा कि लक्ष्य मुश्किल था। उन्होंने कहा, 'यह मुश्किल स्कोर था। उन्होंने पहले छह ओवरों में 60 रन बनाए। बीच के ओवर मुश्किल थे। विशेषकर स्पिनरों की बैक लेंथ की गेंद को हिट करना आसान नहीं था। हमें लगा कि यदि हम बीच के ओवरों में अच्छे रन बनाते हैं तो सफल रहेंगे।'टिप्पणियां ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ ने भी माना कि कोहली ने उनसे मैच छीना। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में दबाव में खेली गई बेहतरीन पारी थी। उसने बेहतरीन शॉट लगाए और वह लंबे समय से ऐसा कर रहा है। विराट ने अविश्वसनीय पारी खेली। मेरा मानना है कि 160 रन अच्छा स्कोर था, लेकिन एक अविश्वसनीय पारी से भारत लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) कोहली ने इसके साथ ही दर्शकों का भी आभार व्यक्त किया जो बड़ी संख्या में पीसीए स्टेडियम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, 'मैं दर्शकों का आभार व्यक्त करना चाहूंगा। यह अविश्वसनीय था। उनके समर्थन से मुश्किल दौर से आगे बढ़ने में मदद मिली। आपको हर मैच में चुनौती चाहिए इससे एक क्रिकेटर के रूप में आप में सुधार होता है। मैं जीत से बहुत खुश हूं और समझ में नहीं आ रहा है क्या कहूं।' भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी कोहली की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, 'यह पहला अवसर नहीं था, जबकि मैंने उसकी पारी का लुत्फ उठाया। वह पिछले कुछ सालों से बेहतरीन बल्लेबाजी कर रहा है और अपने खेल में लगातार सुधार कर रहा है। वह टीम के लिए रन बनाने के लिए बहुत भूखा है।' धोनी ने इसके साथ ही कहा कि अन्य बल्लेबाजों को भी अब कोहली के भरोसे पर ही नहीं रहना चाहिए और उन्हें भी अपना योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'अन्य बल्लेबाजों को अब अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्हें कोहली पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अन्य भी योगदान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें आगे बढ़कर चुनौती का सामना करना होगा।' धोनी ने कहा कि लक्ष्य मुश्किल था। उन्होंने कहा, 'यह मुश्किल स्कोर था। उन्होंने पहले छह ओवरों में 60 रन बनाए। बीच के ओवर मुश्किल थे। विशेषकर स्पिनरों की बैक लेंथ की गेंद को हिट करना आसान नहीं था। हमें लगा कि यदि हम बीच के ओवरों में अच्छे रन बनाते हैं तो सफल रहेंगे।'टिप्पणियां ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ ने भी माना कि कोहली ने उनसे मैच छीना। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में दबाव में खेली गई बेहतरीन पारी थी। उसने बेहतरीन शॉट लगाए और वह लंबे समय से ऐसा कर रहा है। विराट ने अविश्वसनीय पारी खेली। मेरा मानना है कि 160 रन अच्छा स्कोर था, लेकिन एक अविश्वसनीय पारी से भारत लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी कोहली की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, 'यह पहला अवसर नहीं था, जबकि मैंने उसकी पारी का लुत्फ उठाया। वह पिछले कुछ सालों से बेहतरीन बल्लेबाजी कर रहा है और अपने खेल में लगातार सुधार कर रहा है। वह टीम के लिए रन बनाने के लिए बहुत भूखा है।' धोनी ने इसके साथ ही कहा कि अन्य बल्लेबाजों को भी अब कोहली के भरोसे पर ही नहीं रहना चाहिए और उन्हें भी अपना योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'अन्य बल्लेबाजों को अब अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्हें कोहली पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अन्य भी योगदान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें आगे बढ़कर चुनौती का सामना करना होगा।' धोनी ने कहा कि लक्ष्य मुश्किल था। उन्होंने कहा, 'यह मुश्किल स्कोर था। उन्होंने पहले छह ओवरों में 60 रन बनाए। बीच के ओवर मुश्किल थे। विशेषकर स्पिनरों की बैक लेंथ की गेंद को हिट करना आसान नहीं था। हमें लगा कि यदि हम बीच के ओवरों में अच्छे रन बनाते हैं तो सफल रहेंगे।'टिप्पणियां ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ ने भी माना कि कोहली ने उनसे मैच छीना। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में दबाव में खेली गई बेहतरीन पारी थी। उसने बेहतरीन शॉट लगाए और वह लंबे समय से ऐसा कर रहा है। विराट ने अविश्वसनीय पारी खेली। मेरा मानना है कि 160 रन अच्छा स्कोर था, लेकिन एक अविश्वसनीय पारी से भारत लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) धोनी ने इसके साथ ही कहा कि अन्य बल्लेबाजों को भी अब कोहली के भरोसे पर ही नहीं रहना चाहिए और उन्हें भी अपना योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'अन्य बल्लेबाजों को अब अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्हें कोहली पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अन्य भी योगदान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें आगे बढ़कर चुनौती का सामना करना होगा।' धोनी ने कहा कि लक्ष्य मुश्किल था। उन्होंने कहा, 'यह मुश्किल स्कोर था। उन्होंने पहले छह ओवरों में 60 रन बनाए। बीच के ओवर मुश्किल थे। विशेषकर स्पिनरों की बैक लेंथ की गेंद को हिट करना आसान नहीं था। हमें लगा कि यदि हम बीच के ओवरों में अच्छे रन बनाते हैं तो सफल रहेंगे।'टिप्पणियां ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ ने भी माना कि कोहली ने उनसे मैच छीना। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में दबाव में खेली गई बेहतरीन पारी थी। उसने बेहतरीन शॉट लगाए और वह लंबे समय से ऐसा कर रहा है। विराट ने अविश्वसनीय पारी खेली। मेरा मानना है कि 160 रन अच्छा स्कोर था, लेकिन एक अविश्वसनीय पारी से भारत लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) धोनी ने कहा कि लक्ष्य मुश्किल था। उन्होंने कहा, 'यह मुश्किल स्कोर था। उन्होंने पहले छह ओवरों में 60 रन बनाए। बीच के ओवर मुश्किल थे। विशेषकर स्पिनरों की बैक लेंथ की गेंद को हिट करना आसान नहीं था। हमें लगा कि यदि हम बीच के ओवरों में अच्छे रन बनाते हैं तो सफल रहेंगे।'टिप्पणियां ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ ने भी माना कि कोहली ने उनसे मैच छीना। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में दबाव में खेली गई बेहतरीन पारी थी। उसने बेहतरीन शॉट लगाए और वह लंबे समय से ऐसा कर रहा है। विराट ने अविश्वसनीय पारी खेली। मेरा मानना है कि 160 रन अच्छा स्कोर था, लेकिन एक अविश्वसनीय पारी से भारत लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ ने भी माना कि कोहली ने उनसे मैच छीना। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में दबाव में खेली गई बेहतरीन पारी थी। उसने बेहतरीन शॉट लगाए और वह लंबे समय से ऐसा कर रहा है। विराट ने अविश्वसनीय पारी खेली। मेरा मानना है कि 160 रन अच्छा स्कोर था, लेकिन एक अविश्वसनीय पारी से भारत लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा।'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री कपिल सिब्बल आजकल बिलकुल बदल गए हैं. उनका जाना-पहचाना अक्खड़पन गायब हो गया है. वे बड़े प्यार से मिलते हैं. हर शनिवार, रविवार चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर विभिन्न हिस्सों में मतदाताओं की बैठकें करते हैं. कांग्रेस को फरवरी अंत तक की अपनी समयसीमा में उम्मीदवारों के नामों के ऐलान को लेकर खासी मशक्कत करनी पड़ रही है, लेकिन कानून मंत्री ने अपनी उम्मीदवारी का ऐलान खुद ही कर दिया है. ऑटो रिक्शे पर 'आपका अपना सिब्बल’ लिखे पोस्टर दिखाई देने लगे हैं. पार्टी के जानकार बताते हैं कि सिब्बल लोकसभा चुनाव हारने की संभावना से डरे हुए हैं. इस मनोदशा से गुजरने वाले वे अकेले कांग्रेसी नहीं हैं, खासकर जब से आम आदमी पार्टी (आप) ने भ्रष्टाचार विरोधी के नारे के साथ विधानसभा चुनाव जीता है. पिछले एक साल के दौरान तीन भीतरी सर्वेक्षणों ने कांग्रेस के लिए संभावित सीटों की संख्या 145 से घटाकर 75 कर दी है. आखिरी सर्वे दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में पार्टी के हार के बाद हुआ है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की टीम का अनुमान है कि उन्हें करीब 110 सीटें मिलेंगी, जो गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए जरूरी आंकड़ों से कोसों दूर हैं, जो खानदान कभी सत्ता की चाभी लगता था, आज उसकी बेचैनी जगजाहिर है. गांधी परिवार के सदस्यों की हत्याओं या परिवार के आत्मनिर्वासन के दौर में साथ रहे पुराने और नए वफादार भ्रम और ऊहापोह की स्थिति में हैं. राहुल के दौर में इस एक सदी पुरानी पार्टी ने कई बार हार का मुंह देखा है. अब भी जीत की गारंटी नहीं नजर आती क्योंकि राहुल ने जो भी चुनावी फैसला किया है, उसका उल्टा असर दिखाई देता है. पहले 2009 में बिहार में उन्होंने वफादार साथी लालू प्रसाद यादव से पीछा छुड़ाने का फैसला किया, फिर 2012 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कांग्रेस को अकेले लड़ाने का फैसला किया. 8 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आए, उनमें चार राज्यों में कांग्रेस के सफाए के डर से ऐसी लहर फैली है कि पार्टी हारे हुए दाव आजमा रही है. 2014 में सत्ता के लिए यह शायद आखिरी दाव है. गांधी परिवार की कमजोर होती पकड़ बेचैनी के स्वर मुखर होने के साथ अभेद्य माने जाने वाले खानदान को भी चोट लगने लगी है. पुरानी बेफिक्रियां कमजोर होने से निराशा हर तरफ है. अभी पिछले दिनों तक नेहरू-गांधी खानदान की धुरी पर पार्टी की किस्मत घूमा करती थी. सोनिया गांधी ने अपने दम पर 2004 और 2009 में लगातार दो लोकसभा चुनाव जितवाए. लेकिन अब पार्टी की डूबती नैया पार लगाने की राहुल की क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं. बाहरी आलोचक ही नहीं, भीतरी वफादार भी उंगलियां उठाने लगे हैं. पार्टी में अनुशासन नहीं रह गया है, जबकि एक जमाने में सोनिया की नरम दिखने वाली फौलादी मुट्ठी में पार्टी सिमटी रहती थी. हाल ही में जब कांग्रेस ने लोकसभा के 15 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार तय करने के लिए कार्यकर्ताओं से वोट लेने की उपाध्यक्ष की अनूठी सोच पर अमल करने का फैसला किया, तो उस सूची में चांदनी चौक और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली का भी नाम था. फिर क्या था मनमोहन सिंह सरकार में शामिल दोनों मंत्री और इन सीटों से सांसद सिब्बल और कृष्णा तीरथ भड़क उठे. उन्होंने शिकायत की कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. राहुल गांधी ने जिस तरह युवक कांग्रेस में भीतरी लोकतंत्र लाने की कोशिश की, उसी तर्ज पर उम्मीदवार चुनने के लिए वोट लेने का प्रयोग कर रहे हैं. इस पर उंगली उठाने को कभी 'धर्मविरुद्ध’ कार्य माना जाता. इस दफा बगावत करने वाले सिब्बल और तीरथ अकेले नहीं थे. अगली पीढ़ी के भी कुछ प्रमुख सदस्यों ने बिना किसी तैयारी के जंग में कूदने का निमंत्रण ठुकरा दिया. कुशीनगर से सांसद, गृहराज्य मंत्री आर.पी.एन. सिंह से उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बनने को कहा गया, तो उन्होंने मना कर दिया. मानव संसाधन राज्यमंत्री, धौरहरा के सांसद जितिन प्रसाद भी तैयार नहीं हुए. बिजली राज्यमंत्री और गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विधानसभा चुनावों में बुरी हार का जिक्र करते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष पद ठुकरा दिया. पार्टी में असंतोष के स्वर तेज होने लगे हैं. आने वाले चुनाव के मद्देनजर ये बेसब्री का संकेत दे रहे हैं. पार्टी के हाथ से लंबी लड़ाई में कोई मुकाम पाने का मौका निकलता जा रहा है. पुराने वफादारों और नए खिलाडिय़ों की पट नहीं रही है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि कांग्रेस सत्ता से बाहर रहने की तैयारी कर रही है. उन्होंने सावधान किया कि ''हम पहले भी सत्ता से बाहर रह चुके हैं और फिर बाहर हो सकते हैं लेकिन चुनाव तो जीतने के लिए ही लडऩा होगा.” राहुल के करीबी सलाहकार ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने अपनी हताशा कुछ महीने पहले यह कहकर जाहिर कर दी थी कि कांग्रेस उपाध्यक्ष व्यवस्था बदलना चाहते हैं, लेकिन पार्टी के सामने तात्कालिक समस्या एक अदद चुनाव जीतने की है. आम तौर पर फूंक-फूंक कर कदम रखने वाले जनार्दन द्विवेदी भी पार्टी के निर्देशों पर सवाल उठाने लगे हैं. उन्होंने कांग्रेस के 2009 में यूपीए-2 का नेतृत्व करने के फैसले की आलोचना की है. द्विवेदी ने पिछले दिनों कहा था कि ''यूपीए-1 जितना काम किसी और गठबंधन ने नहीं किया.” उनका कहना था कि 2009 में पार्टी को अपने अकेले के दम पर बहुमत न मिलने पर सरकार नहीं बनानी चाहिए थी. पिछले महीने वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यह कहकर आलोचना की थी कि वे सरकार की उपलब्धियों के बारे में खुलकर नहीं बोलते. सहमे हुए कांग्रेसी नाकामी के बढ़ते अंदेशों के मद्देनजर अब अपनी खाल बचाना ही मुख्य मकसद बनता दिख रहा है. फिक्र के इस दौर में उन कांग्रेसी नेताओं की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है, जो चुनाव लडऩे से डरते हैं. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री कुमारी शैलजा जैसे नेताओं ने संसद में सीट पक्की करने के लिए राज्यसभा का रुख कर लिया. राजनीति से दस साल का स्वघोषित वनवास समाप्त करने के लिए दिग्विजय लोकसभा चुनाव लडऩे की बात कहते आए थे. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि व्यापक जनाधार के बावजूद दिग्विजय के पीछे हटने से पार्टी के मौजूदा सांसदों में हड़कंप मच गया है. जब 1993 से 2003 तक राज्य की कमान संभालने वाला नेता चुनाव लडऩे की हिम्मत नहीं दिखा रहा, तो बाकी नेता तो मैदान में कूदने से पहले सौ बार सोचेंगे. लोकसभा में अंबाला सीट की प्रतिनिधि शैलजा के हटने से हरियाणा में कांग्रेस को दो स्तरों पर सत्ता विरोधी हवा का डर सताने लगा है. 2009 में राज्य में पार्टी ने दस में से नौ सीटें जीती थीं. जो छुटभैए नेता दिग्विजय, मधुसूदन मिस्त्री और शैलजा की तरह गांधी खानदान के इतने निकट नहीं रहे, उन्हें अपने खुद के बूते पर मैदान में छोड़ दिया गया है. फिर भी खानदान को तो हर कीमत पर बचाना ही है. कांग्रेस के सुल्तानपुर से सांसद संजय सिंह ने जैसे ही बीजेपी से पींगें बढ़ाने के संकेत दिए और लगा कि वे अमेठी में राहुल को चुनौती देने वाले हैं, उन्हें असम से राज्यसभा की पर्ची थमा दी गई और राज्य इकाई के विरोध को अनसुना कर दिया गया. पार्टी ने परिवार के किले को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक महासचिव दीपक सिंह को भारतीय रेल यात्री सेवा समिति के अध्यक्ष की कुर्सी दी गई है, जबकि राजीव गांधी के वफादार रहे जगदीश पीयूष को पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कार्यसमिति में जगह मिली है. ये दोनों गांधी परिवार से उपेक्षा के कारण नाराज थे. उत्तर प्रदेश में पार्टी का सफाया होने का अंदेशा है. जनवरी के मध्य में इंडिया टुडे ग्रुप-सी वोटर देश का मिजाज सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को राज्य में सिर्फ चार सीटें मिलने का अनुमान है. प्रदेश में कई नेता अपने निर्वाचन क्षेत्र बदलने की फिराक में हैं. यह खौफ उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं. कांग्रेस की अगली पीढ़ी के उभरते सितारों को उनके अपने खेमों में हमले का डर सता रहा है. नवंबर, 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अजमेर में आठों सीटें गंवा दीं. पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट अजमेर से ही सांसद हैं. मध्य प्रदेश में मंदसौर में राहुल की विश्वस्त मीनाक्षी नटराजन के निर्वाचन क्षेत्र में आठ में से सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की हार हुई. सिर्फ सुवारसा सीट ही बच सकी. सिंधिया के निर्वाचन क्षेत्र गुना में आठ में से पांच सीटें पार्टी ने जीतीं, फिर भी राज्य में पार्टी की हार की जिम्मेदारी उन्हें लेनी पड़ी, जबकि चुनाव से सिर्फ तीन महीने पहले उन्हें प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. दो टीमों की दास्तान पार्टी का थिंक टैंक सिर्फ लंबी अवधि की योजनाएं बनाता है पार्टी के युवा नेताओं में भी सत्ता के नए केंद्र राहुल के निवास और कार्यालय 12 तुगलक लेन, नई दिल्ली के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है. पार्टी के कई सदस्यों का कहना है कि यहां राहुल के चुने हुए सलाहकारों का दबदबा है, जिनकी अगुआई राजीव गांधी समकालीन अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष जी. मोहन गोपाल करते हैं. पार्टी जनों का कहना है कि ''ये खास तरह के लोग हैं.” पार्टी के एक सदस्य कहते हैं कि ''ये अंग्रेजीदां, विदेश में पढ़े-लिखे लोग राजनीति से सीधे जुड़े हुए नहीं हैं. इससे ऐसा लगता है कि अजय माकन, राहुल की सोशल मीडिया टीम के मुखिया और रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा और दिग्विजय सिंह इनमें फिट नहीं होते क्योंकि उनका जनाधार है और उनमें राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं भी हैं. राहुल की टीम जो करना चाहती है, उससे इन लोगों की संगत बैठना लाजमी नहीं दिखता.” सुनने में तो आता रहा है कि हुड्डा और संदीप दीक्षित जैसे नेता राहुल की करीबी टीम में शामिल हैं, लेकिन सच यह है कि वे अंदर बाहर होते रहते हैं. उन्हें अपनी भूमिकाएं मालूम नहीं हैं. बुद्धिजीवियों की एक कोर टीम राहुल का भाषण लिखती है और तय करती है कि वे किन मुद्दों की वकालत करेंगे. पार्टी के एक युवा सांसद ने माना कि असंतोष तो है. असंतोष इस बात का है कि जिन लोगों का कोई जनाधार नहीं है और जो किसी के लिए जवाबदेह नहीं हैं वही पार्टी की दिशा तय कर रहे हैं. ये लोग राहुल गांधी के लिए ऐसी ख्याली आदर्श दुनिया बनाते रहते हैं, जो है तो बहुत अच्छी लेकिन तात्कालिक राजनैतिक जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से माकूल नहीं है. इधर 12, तुगलक लेन नई दिशा और नई राजनीति का खाका बना रहा है और उधर, प्रतीक्षा में खड़ी नई पीढ़ी, पार्टी के युवा नेता खुद को पीछे छूटा हुआ, उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि वे 2019 का इंतजार नहीं कर सकते और अगले चुनाव में उन्हें अपना वजूद बचाना होगा. राहुल की टीम के साथ काम करने वाले एक युवा सांसद को अकसर दौरे करने पड़ते हैं. उनकी शिकायत है कि उपाध्यक्ष जैसी स्प्रेडशीट स्टाइल की राजनीति कर रहे हैं, उससे निर्वाचन क्षेत्र और मतदाताओं की रोजमर्रा की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए बहुत कम समय बचता है. इस सांसद के मुताबिक, ''वोटर चाहता है कि हम दूर कहीं बैठकर पार्टी मजबूत करने की बजाए इलाके में रहकर उसकी छोटी-बड़ी समस्याएं सुलझाएं.” चुनाव सिर्फ 10 हफ्ते दूर है. ऐसे में पार्टी हड़बड़ी में कदम उठा रही है. सरकार 2009 की तरह एक के बाद एक सौगात लुटा रही है (देखें बॉक्स). उस समय कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की जीत का दारोमदार किसानों के लिए 74,000 करोड़ रु. की कर्ज माफी या ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पर था. इन सौगातों की कीमत आर्थिक सुधारों को चुकानी पड़ी. इस बार भी रियायती एलपीजी सिलेंडर का कोटा बढ़ाने की राहुल की मांग पूरी करने के लिए सरकार दंडवत हुई और 5,000 करोड़ रु. का अतिरिक्त बोझ उठाया. सब्सिडी से मुक्ति पाने की कोशिश टल गई. एलपीजी सब्सिडी को सीधे नकदी देने की योजना से अलग करने का असर एक महत्वपूर्ण पहल पर पड़ा. पिछले दिनों सरकार ने जाटों के लिए आरक्षण को मंजूरी दे दी. जैनियों को अल्पसंख्यक मान लिया क्योंकि कांग्रेस को नया वोट बैंक बनाना है. पिछले हफ्ते सरकार ने ऐलान किया कि अधिसूची से बाहर की गई और घुमंतू जनजातियों के लिए कल्याण बोर्ड बनाया जाएगा. इससे 15 करोड़ लोगों को फायदा होने जा रहा है. राज्यों में लाचारी बिहार और उत्तर प्रदेश की जंग में खाली हाथ सोनिया की ताकत यह थी कि उन्होंने 2004 के खंडित जनादेश को गैर-धर्मनिरपेक्ष ताकतों को दूर रखने के हरकिशन सिंह सुरजीत के सूत्र से गठबंधन को बांध दिया था. 2009 में लगातार प्रचार करके कांग्रेस को 206 सीटें दिला दी थीं. इनमें से आधी सीटें पांच राज्यों—आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और केरल—से आई थीं. इस बार इन राज्यों में उससे एक-तिहाई सीटें मिलने का अनुमान है. आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 42 में से 33 सीटों पर विजय मिली थी, लेकिन इस बार दक्षिणी गढ़ में सबसे करारी हार मंडरा रही है. तेलंगाना बनने के बाद उसकी 17 सीटों में से अधिकांश तेलंगाना राष्ट्र समिति के बूते पर जीत लेने का अनुमान था. लेकिन तेलंगाना के गठन में बेहिसाब देरी और संसद में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित कराने में बीजेपी की नई आपत्तियों ने कांग्रेस के मनसूबों पर पानी फेर दिया है. अगर विभाजन न हुआ तो कांग्रेस उन सीटों को भी न जीत पाएगी, जो तेलंगाना में मिलने की उम्मीद है. वर्तमान अनुमान सिर्फ सात सीटें जीतने का भरोसा दे रहे हैं. मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी के नेतृत्व में विभाजन विरोधी सीमांध्र क्षेत्र के नेता पार्टी की नाफरमानी कर नई मुसीबत खड़ी कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार से 120 सांसद लोकसभा में जाते हैं. यहां बीजेपी का सितारा बुलंद हो रहा है. राहुल जानते हैं कि नई दिल्ली का रास्ता लखनऊ होकर जाता है, फिर भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत बेहद खस्ता है. 2009 में 80 में से 21 सीटें और 18.25 फीसदी वोट मिले थे. पार्टी कैसे भी मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का हाथ पकडऩे को बेताब दिख रही है. बीएसपी ने पिछले चुनाव में 20 सीटें जीती थीं. उसे 27.42 फीसदी वोट मिले थे. 47 सीटों पर वह दूसरे स्थान पर रही थी. बीएसपी और कांग्रेस का गठबंधन 80 में से दो-तिहाई सीटों पर निर्णायक हो सकता है, क्योंकि उसे मुस्लिम वोट भी मिल सकते हैं, लेकिन अब तक बीएसपी मानने को तैयार नहीं है और गठबंधन कांग्रेस का ख्याली पुलाव ही लगता है. कांग्रेस और बीएसपी के संभावित गठबंधन में एक दिक्कत यह भी है कि पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 64 सीटों पर पहले या दूसरे नंबर पर रहे होने के कारण बीएसपी ज्यादातर सीटों पर खुद को संभावित विजेता के तौर पर देखती है. यही नहीं कांग्रेस के मौजूदा सांसदों को हार का सबसे ज्यादा खतरा फिलहाल बीएसपी प्रत्याशियों से लग रहा है. ऐसे में अगर दोनों दलों में गठबंधन हुआ तो या तो कांग्रेस को मौजूदा सांसदों को मैदान से हटाना पड़ेगा या फिर बीएसपी अपनी जीत की उम्मीद वाली सीटों को कांग्रेस को सौंप देगी. अगर उत्तर प्रदेश का यह हाल है तो बिहार में तो कांग्रेस का हाल और खराब है. राहुल ने बिहार में कांग्रेस को फिर खड़ा करने का वादा किया था, लेकिन 2010 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के सफाए के बाद राज्य में उनकी दिलचस्पी खत्म हो गई. पार्टी ने 243 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सिर्फ  चार पर जीत मिली. बिहार के चुनावी इतिहास में यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन था. राहुल जुलाई, 2011 में आखिरी बार बिहार गए थे और उनकी बेरुखी ने पार्टी को अनाथ कर दिया. बिहार में सभी गठबंधनों की पेशकश ठुकराकर अकेले चुनाव लडऩे का फैसला इसलिए किया था क्योंकि वे जानते थे कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) हो या लोक जनशक्ति पार्टी, सब कांग्रेस की कीमत पर बड़े हुए हैं. एक वरिष्ठ नेता ने इंडिया टुडे को बताया कि कई बड़े नेता लोकसभा में अपनी जीत की खातिर आरजेडी के साथ जाना चाहते हैं. आज अगर राहुल आरजेडी के साथ जाने को तैयार दिखते हैं, तो वजह सिर्फ यह है कि कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें समझ दिया है कि लालू के समर्थन के बिना उनकी नैया पार नहीं होगी. लेकिन इस राज्य में राजनीति अब पहले जैसी नहीं रह गई है. बिहार में अब नीतीश कुमार की जनता दल-यूनाइटेड (जेडी-यू) और बीजेपी में तलाक हो चुका है. ऐसे में मुकाबला एक बार फिर त्रिकोणीय होगा. लेकिन इस त्रिकोण में कांग्रेस और आरजेडी वाला गठबंधन और जेडीयू दोनों ही मुसलमान और दलित वोटरों की आस लगाएंगे, वहीं अगड़ी जाति के वोटों पर बीजेपी अब तक अपनी बढ़त बनाए हुए है. गठबंधन में दरार क्षेत्रीय साथियों के नखरे और खुले विकल्प जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 28 जनवरी को इस्तीफे और कांग्रेस के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन तोडऩे की धमकी इसलिए दी क्योंकि नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन पर मतभेद थे. महाराष्ट्र्र में भी सत्तारूढ़ गठबंधन में हालात अच्छे नहीं हैं. जनवरी के शुरू में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की अहम बैठक में शरद पवार ने पार्टी नेताओं से कह दिया था कि प्रधानमंत्री पद के लिए बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र्र मोदी को अदालतें पाक साफ बता चुकी हैं, इसलिए अब 2002 के गुजरात दंगों पर बहस की जरूरत नहीं है. कहते हैं पवार ने ये भी बताया था कि लोकसभा चुनाव अकेले लडऩे का विकल्प खुला रखना चाहिए. जानकार तो यह भी कहते हैं कि वे चुनाव के बाद बीजेपी से गठजोड़ की तैयारी में हैं. अगर पुराने वफादार साथी बीजेपी की तरफ  करवट लेने लगे हैं, तो सत्ता की तरफ बीजेपी के बढ़ते कदम रोकने की कांग्रेस की तमन्ना कैसे पूरी होगी. पार्टी ने हमेशा खानदान का साथ दिया है और उसका फायदा उठाया है. 1969 में इंदिरा गांधी ने पार्टी में विभाजन कराया और 1984 में राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद मिला. तब तक हमेशा पार्टी ने परिवार का साथ दिया. 1998 में जब सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभालने की इच्छा दिखाई तो कांग्रेस ने उनका स्वागत किया. फिर राजनीति में राहुल के कदम बढ़ाने का धैर्य से इंतजार किया. लेकिन यह संबंध हमेशा लाभ-हानि का रहा है, जब कमाई घटने लगती है तो पार्टी में परिवार के खैरख्वाह भी कम हो जाते हैं. —साथ में कौशिक डेका, जयंत श्री राम, आशीष मिश्र, अमिताभ श्रीवास्तव, अमरनाथ के. मेनन और लेमुअल लालफोटो: शेखर यादव
देश के शेयर बाजारों में कारोबारी सप्ताह के शुरुआती दिन सोमवार को भारी गिरावट देखी गई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 233.35 अंकों की गिरावट के साथ 18,540.89 पर और निफ्टी 77.40 अंकों की गिरावट के साथ 5,590.25 पर बंद हुआ। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स  60.18 अंकों की गिरावट के साथ 18,714.06 पर खुला और 233.35 अंकों या 1.24 फीसदी की गिरावट के साथ 18,540.89 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 18,714.06 के ऊपरी और 18,467.16 के निचले स्तर को छुआ। सेंसेक्स के 30 में से छह शेयरों में तेजी दर्ज की गई। जिंदल स्टील (1.44 फीसदी), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (0.64 फीसदी), टाटा पॉवर (0.61 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (0.60 फीसदी) और एचडीएफसी (0.46 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (3.91 फीसदी), भारती एयरटेल (3.23 फीसदी), भेल (3.02 फीसदी), ओएनजीसी (2.97 फीसदी) और एलएंडटी (2.80 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 29.60 अंकों की गिरावट के साथ 5,638.05 पर खुला और 77.40 अंकों या 1.37 फीसदी की गिरावट के साथ 5,590.25 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 5,640.00 के ऊपरी और 5,566.25 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप सूचकांक 154.41 अंकों की गिरावट के साथ 5,883.19 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 123.67 अंकों की गिरावट के साथ 5,593.63 पर बंद हुआ।टिप्पणियां बीएसई के सभी 13 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। रियल्टी (4.79 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (3.38 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.91 फीसदी), सार्वजनिक क्षेत्र (2.42 फीसदी) और तेज खपत उपभोक्ता वस्तु (2.10 फीसदी) सर्वाधिक गिरावट वाले सेक्टर रहे। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 651 शेयरों में तेजी और 1,635 में गिरावट दर्ज की गई। जबकि 114 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स  60.18 अंकों की गिरावट के साथ 18,714.06 पर खुला और 233.35 अंकों या 1.24 फीसदी की गिरावट के साथ 18,540.89 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 18,714.06 के ऊपरी और 18,467.16 के निचले स्तर को छुआ। सेंसेक्स के 30 में से छह शेयरों में तेजी दर्ज की गई। जिंदल स्टील (1.44 फीसदी), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (0.64 फीसदी), टाटा पॉवर (0.61 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (0.60 फीसदी) और एचडीएफसी (0.46 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (3.91 फीसदी), भारती एयरटेल (3.23 फीसदी), भेल (3.02 फीसदी), ओएनजीसी (2.97 फीसदी) और एलएंडटी (2.80 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 29.60 अंकों की गिरावट के साथ 5,638.05 पर खुला और 77.40 अंकों या 1.37 फीसदी की गिरावट के साथ 5,590.25 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 5,640.00 के ऊपरी और 5,566.25 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप सूचकांक 154.41 अंकों की गिरावट के साथ 5,883.19 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 123.67 अंकों की गिरावट के साथ 5,593.63 पर बंद हुआ।टिप्पणियां बीएसई के सभी 13 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। रियल्टी (4.79 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (3.38 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.91 फीसदी), सार्वजनिक क्षेत्र (2.42 फीसदी) और तेज खपत उपभोक्ता वस्तु (2.10 फीसदी) सर्वाधिक गिरावट वाले सेक्टर रहे। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 651 शेयरों में तेजी और 1,635 में गिरावट दर्ज की गई। जबकि 114 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। सेंसेक्स के 30 में से छह शेयरों में तेजी दर्ज की गई। जिंदल स्टील (1.44 फीसदी), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (0.64 फीसदी), टाटा पॉवर (0.61 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (0.60 फीसदी) और एचडीएफसी (0.46 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (3.91 फीसदी), भारती एयरटेल (3.23 फीसदी), भेल (3.02 फीसदी), ओएनजीसी (2.97 फीसदी) और एलएंडटी (2.80 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 29.60 अंकों की गिरावट के साथ 5,638.05 पर खुला और 77.40 अंकों या 1.37 फीसदी की गिरावट के साथ 5,590.25 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 5,640.00 के ऊपरी और 5,566.25 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप सूचकांक 154.41 अंकों की गिरावट के साथ 5,883.19 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 123.67 अंकों की गिरावट के साथ 5,593.63 पर बंद हुआ।टिप्पणियां बीएसई के सभी 13 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। रियल्टी (4.79 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (3.38 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.91 फीसदी), सार्वजनिक क्षेत्र (2.42 फीसदी) और तेज खपत उपभोक्ता वस्तु (2.10 फीसदी) सर्वाधिक गिरावट वाले सेक्टर रहे। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 651 शेयरों में तेजी और 1,635 में गिरावट दर्ज की गई। जबकि 114 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (3.91 फीसदी), भारती एयरटेल (3.23 फीसदी), भेल (3.02 फीसदी), ओएनजीसी (2.97 फीसदी) और एलएंडटी (2.80 फीसदी)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 29.60 अंकों की गिरावट के साथ 5,638.05 पर खुला और 77.40 अंकों या 1.37 फीसदी की गिरावट के साथ 5,590.25 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 5,640.00 के ऊपरी और 5,566.25 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप सूचकांक 154.41 अंकों की गिरावट के साथ 5,883.19 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 123.67 अंकों की गिरावट के साथ 5,593.63 पर बंद हुआ।टिप्पणियां बीएसई के सभी 13 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। रियल्टी (4.79 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (3.38 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.91 फीसदी), सार्वजनिक क्षेत्र (2.42 फीसदी) और तेज खपत उपभोक्ता वस्तु (2.10 फीसदी) सर्वाधिक गिरावट वाले सेक्टर रहे। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 651 शेयरों में तेजी और 1,635 में गिरावट दर्ज की गई। जबकि 114 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 29.60 अंकों की गिरावट के साथ 5,638.05 पर खुला और 77.40 अंकों या 1.37 फीसदी की गिरावट के साथ 5,590.25 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 5,640.00 के ऊपरी और 5,566.25 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप सूचकांक 154.41 अंकों की गिरावट के साथ 5,883.19 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 123.67 अंकों की गिरावट के साथ 5,593.63 पर बंद हुआ।टिप्पणियां बीएसई के सभी 13 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। रियल्टी (4.79 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (3.38 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.91 फीसदी), सार्वजनिक क्षेत्र (2.42 फीसदी) और तेज खपत उपभोक्ता वस्तु (2.10 फीसदी) सर्वाधिक गिरावट वाले सेक्टर रहे। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 651 शेयरों में तेजी और 1,635 में गिरावट दर्ज की गई। जबकि 114 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई। मिडकैप सूचकांक 154.41 अंकों की गिरावट के साथ 5,883.19 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 123.67 अंकों की गिरावट के साथ 5,593.63 पर बंद हुआ।टिप्पणियां बीएसई के सभी 13 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। रियल्टी (4.79 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (3.38 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.91 फीसदी), सार्वजनिक क्षेत्र (2.42 फीसदी) और तेज खपत उपभोक्ता वस्तु (2.10 फीसदी) सर्वाधिक गिरावट वाले सेक्टर रहे। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 651 शेयरों में तेजी और 1,635 में गिरावट दर्ज की गई। जबकि 114 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। बीएसई के सभी 13 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। रियल्टी (4.79 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (3.38 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.91 फीसदी), सार्वजनिक क्षेत्र (2.42 फीसदी) और तेज खपत उपभोक्ता वस्तु (2.10 फीसदी) सर्वाधिक गिरावट वाले सेक्टर रहे। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 651 शेयरों में तेजी और 1,635 में गिरावट दर्ज की गई। जबकि 114 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 651 शेयरों में तेजी और 1,635 में गिरावट दर्ज की गई। जबकि 114 शेयरों के भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाये जाने के बाद राज्य में धारा 144 लागू है. फ़ैसले के बाद से ही श्रीनगर में भारी संख्या में सुरक्षाबल नजर आ रहे हैं. उमर अब्‍दुल्‍ला और महबूबा मुफ्ती और सज्‍जाद लोन सहित राज्‍य की मुख्‍यधारा के कई नेताओं सहित करीब 500 लोग अब तक हिरासत में हैं. इसके पहले बुधवार को राज्य में तैनात सुरक्षाबलों की संख्या में और इज़ाफा कर दिया गया था. कश्मीर घाटी में रविवार देर शाम से निषेधाज्ञा लागू है. लोगों को घरों से न निकलने को कहा गया है. कश्मीर विश्वविद्यालय की परीक्षाएं स्थगित कर दी गयी हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार राज्य के हालात का लगातार रिव्यू कर रही है. राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल खुद जम्मू-कश्मीर में बने हुए हैं. बुधवार को शोपिंया में वो लोगों के बीच घूमते नज़र आए. इन सब के बीच कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आज़ाद आज राज्य कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक करने के लिए श्रीनगर जाने वाले हैं. लेकिन, ख़बरों के मुताबिक प्रशासन उन्हें वहां से वापस भेज सकता है. 15 अगस्‍त यानी स्‍वतंत्रता दिवस भी करीब ही है. ऐसे में यह जानने की उत्‍सुकता सभी के मन में होगी कि स्‍वतंत्रता दिवस से पहले का हफ्ता कश्‍मीर में कैसा बीतेगा. कश्मीर में लोगों के साथ बात करते NSA डोभाल की तस्वीर पर बोले गुलाम नबी आजाद ने कही यह बात...
यह एक लेख है: जानी-मानी अभिनेत्री और ड्रीम गर्ल के नाम से मशहूर हेमा मालिनी के पास करीब पांच किलो सोना है और 35 करोड़ रुपये मूल्य के चार घर हैं। हेमा ने कर्नाटक से राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते वक्त अपनी संपत्ति की जानकारी दी, जिसके मुताबिक 62 वर्षीय हेमा के पास 3,799 ग्राम 22 कैरेट सोना और 969.86 ग्राम 18 कैरेट सोना है। इसके अलावा उनकी संपत्ति में 25.51 किलोग्राम चांदी तथा 116.85 कैरेट हीरा है, जिसका गत 31 दिसंबर के अनुसार बाजार मूल्य 1.39 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसके अलावा हेमा के नाम पर चार घर हैं जिनमें मुंबई के जुहू में 800 वर्ग गज का एक घर भी है, जिनकी कीमत 35.8 करोड़ रुपये है। उन्होंने केवल 10वीं तक पढ़ाई की है और उनके पास मर्सडीज बेंज समेत चार कारें हैं। हेमा के पास इन सबके अलावा 23 करोड़ रुपये मूल्य की अन्य संपत्तियां हैं। हेमा मालिनी पर करीब 17 करोड़ रुपये की देनदारी भी है जो उन्हें आईडीबीआई बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को चुकानी है।
यह लेख है: बॉलीवुड अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित प्रशंसकों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि वह 'सही हाथों' में हैं। मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि मनीषा गर्भाशय के कैंसर से पीड़ित हैं। 42-वर्षीय अभिनेत्री इस समय अपने इलाज के लिए अमेरिका में हैं। एक फेसबुक संदेश में मनीषा ने उम्मीद जताई कि वह ठीक हो जाएंगी, लेकिन उन्होंने अपनी बीमारी का खुलासा नहीं किया। मनीषा ने लिखा, प्रिय मित्रों आपकी शुभकामनाओं के लिए आपका शुक्रिया...मैं सही जगह पर सही हाथों में हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि आपके प्यार और दुआओं से मैं ठीक हो जाऊंगी..मैं यह जानकर स्तब्ध हूं, लेकिन जीवन ऐसी चौंकाने वाली घटनाओं से भरा हुआ है...हमें इसका सामना करना चाहिए और विश्वास एवं गरिमा के साथ आगे बढ़ना चाहिए।टिप्पणियां मनीषा ने आगे लिखा, जो भी होगा, वह अच्छे के लिए होगा...मुझे यह पता है...इसलिए कृपया चिंता न करें...मेरी जिंदगी अब तक खूबसूरत रही है और मुझे पता है कि जो भी होगा, वह अच्छे के लिए होगा...आपकी दुआओं के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया। नेपाल में जन्मी मनीषा ने 1991 में आई सुभाष घई की फिल्म 'सौदागर' से बॉलीवुड में पर्दापण किया था। उन्होंने '1942: अ लव स्टोरी', 'अग्निसाक्षी', 'बॉम्बे', 'खामोशी: द म्यूजिकल' और 'कंपनी' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया है। मनीषा की नवीनतम फिल्म इस साल आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'भूत रिटर्न्‍स' थी। 42-वर्षीय अभिनेत्री इस समय अपने इलाज के लिए अमेरिका में हैं। एक फेसबुक संदेश में मनीषा ने उम्मीद जताई कि वह ठीक हो जाएंगी, लेकिन उन्होंने अपनी बीमारी का खुलासा नहीं किया। मनीषा ने लिखा, प्रिय मित्रों आपकी शुभकामनाओं के लिए आपका शुक्रिया...मैं सही जगह पर सही हाथों में हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि आपके प्यार और दुआओं से मैं ठीक हो जाऊंगी..मैं यह जानकर स्तब्ध हूं, लेकिन जीवन ऐसी चौंकाने वाली घटनाओं से भरा हुआ है...हमें इसका सामना करना चाहिए और विश्वास एवं गरिमा के साथ आगे बढ़ना चाहिए।टिप्पणियां मनीषा ने आगे लिखा, जो भी होगा, वह अच्छे के लिए होगा...मुझे यह पता है...इसलिए कृपया चिंता न करें...मेरी जिंदगी अब तक खूबसूरत रही है और मुझे पता है कि जो भी होगा, वह अच्छे के लिए होगा...आपकी दुआओं के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया। नेपाल में जन्मी मनीषा ने 1991 में आई सुभाष घई की फिल्म 'सौदागर' से बॉलीवुड में पर्दापण किया था। उन्होंने '1942: अ लव स्टोरी', 'अग्निसाक्षी', 'बॉम्बे', 'खामोशी: द म्यूजिकल' और 'कंपनी' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया है। मनीषा की नवीनतम फिल्म इस साल आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'भूत रिटर्न्‍स' थी। मनीषा ने आगे लिखा, जो भी होगा, वह अच्छे के लिए होगा...मुझे यह पता है...इसलिए कृपया चिंता न करें...मेरी जिंदगी अब तक खूबसूरत रही है और मुझे पता है कि जो भी होगा, वह अच्छे के लिए होगा...आपकी दुआओं के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया। नेपाल में जन्मी मनीषा ने 1991 में आई सुभाष घई की फिल्म 'सौदागर' से बॉलीवुड में पर्दापण किया था। उन्होंने '1942: अ लव स्टोरी', 'अग्निसाक्षी', 'बॉम्बे', 'खामोशी: द म्यूजिकल' और 'कंपनी' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया है। मनीषा की नवीनतम फिल्म इस साल आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'भूत रिटर्न्‍स' थी। नेपाल में जन्मी मनीषा ने 1991 में आई सुभाष घई की फिल्म 'सौदागर' से बॉलीवुड में पर्दापण किया था। उन्होंने '1942: अ लव स्टोरी', 'अग्निसाक्षी', 'बॉम्बे', 'खामोशी: द म्यूजिकल' और 'कंपनी' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया है। मनीषा की नवीनतम फिल्म इस साल आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'भूत रिटर्न्‍स' थी।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में एक परिवार ने मानवता की मिसाल कायम की है. एक ऐसा हिंदू परिवार जिसने ताजिंदगी एक ऐसे बुजुर्ग को अपने परिवार का हिस्सा बनाया जो की एक मुस्लिम था. जब अपनों ने उनको अपने से अलग कर दिया तब हंसा देवी और उनके परिवार ने वसीर को अपनाया और फिर पूरी जिंदगी न सिर्फ अपने घर में आसरा दिया, बल्कि एक पिता को जो सम्मान मिलता है, वही सम्मान वसीर अहमद को इस परिवार ने दिया. 95 वर्ष के वसीर अहमद अपनी पूरी जिंदगी अल्मोड़ा निवासी हंसा देवी और शिला दैवी के साथ रहे और जब उनकी मौत हुई तो ना सिर्फ इस हिंदू परिवार ने उनका अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाज से करवाकर कब्रिस्तान में उन्हें दफन करवाया. हंसा देवी के अनुसार कभी उनको लगा ही नहीं की जो इंसान इतने समय उनके साथ रहा, वो उनके धर्म का नहीं. बस एक ही धर्म निभाया जो इंसानियत का था, जिसके आगे कोई भी इंसान सर झुकाता है.
श्रीलंकाई सेना लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के मजबूत गढ़ किलिनोच्चि से तमिल विद्रोहियों को खदेड़ने के बाद वहां अपने पैर मजबूत करने में जुट गई है. दूसरी ओर वहां अभी भी गोलीबारी की आवाज अभी सुनी जा सकती है. शुक्रवार को सेना ने लिट्टे की राजनीतिक राजधानी कहे जाने वाले किलिनोच्चि इलाके पर कब्‍जा कर लिया था. सेना के अधिकारी ने बताया कि अब सैनिक लिट्टे के अंतिम ठिकाने मुल्‍लेतिवु जिले की ओर बढ़ चुके हैं. दूसरी ओर कोलंबो से पत्रकारों का एक दल किलिनोच्चि पहुंचा और उसने वहा देखा कि सैनिक पूरे इलाके को खाली करा रहे थे. किलिनोच्चि का दौरा करने वाले पत्रकारों का कहना है कि वहां आम नागरिक नहीं दिखे. पत्रकारों ने इलाके में गोलीबारी की आवाजें भी सुनी.
राजधानी दिल्‍ली में एक मासूम बच्ची से फिर दरिंदगी का मामला सामने आया है. बदरपुर इलाके के सुलभ शौचालय के अंदर पांच साल की एक लड़की जख्मी हालत में मिली है. फिलहाल बच्ची को एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है. बच्ची के गले पर किसी धारदार चीज से कटे के निशान हैं. बच्ची की हालत देखकर आशंका जताई जा रही है कि उसके साथ दरिंदिगी हुई है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ये सारा मामला साफ हो पाएगा. पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगों को हिरासत में लिया है. बच्‍ची की मां ने बताया कि बच्ची के गले पर चाकू से कटे के निशान हैं, बच्ची के शरीर पर कपडे नहीं थे और बाथरूम में पडी हुई थी.' वहीं बच्‍ची के चाचा ने बाताया, 'साढ़े तीन बजे के आसपास की घटना है. हमें पता लगा हम यहां पर आये तो बच्ची के खून बह रहा था.' बच्ची की हालत देखकर आशंका जताई जा रही है कि उसके साथ दरिंदिगी हुई है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ये सारा मामला साफ हो पाएगा. एडिशनल पुलिस कमिश्नर अजय चौधरी ने बताया, 'सुलभ शौचालय में बच्ची मिली थी. उसके गले पर निशान है, हमने 20-22 लोगों को हिरासत में लिया है, जल्दी ही दरिन्दगी करने वाले को पकड़ लिया जाएगा.' पुलिस का दावा है कि बच्ची के साथ दरिन्दगी करने वाले लोगों को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा लेकिन इस घटना से फिर साफ़ हो गया है कि राजधानी में मासूम सुरक्षित नहीं हैं.
छठे आम महोत्सव में भले ही आम की 700 से अधिक प्रजातियों को सजाया गया लेकिन 'योगी आम' सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज दो दिवसीय आम महोत्सव का उद्घाटन किया. लखनऊ के इंद‍िरा गांधी प्रत‍िष्‍ठान में हो रहे इस 'मैंगो फेस्टिवल' में योगी आम के अलावा गुलाब जामुन, मक्खन, शुक्लापसंद, सेन्सेशन और अफीम जैसे आकर्षक नामों के भी आम हैं. मुख्यमंत्री योगी ने कहा, ‘‘आम की पैदावार में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है . यहां आम की सबसे अधिक प्रजात‍ियां पाई जाती हैं.’’ उन्होंने कहा कि आम उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय को दोगुना करने और उनके चेहरे पर खुशहाली लाने का जो प्रयास आम महोत्सव के माध्यम से किया जा रहा है, वह सराहनीय है. आम का पना सेहत के लिए होता है बहुत फायदेमंद योगी ने कहा कि मार्केटिंग के अभाव में हम चीजों की ब्रांडिंग नहीं कर पाते हैं. उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाली आम की सर्वाधिक प्रजातियों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है. सावधान! भारत में तेजी से बढ़ रहा स्ट्रोक का खतरा मुख्यमंत्री ने कहा, 'आम का वृक्ष लगाने से पुण्‍य की प्राप्‍त‍ि होती है. वहीं इसके वृक्ष को लगाने पर पूर्वजों को श्रद्धांजलि म‍िलती है.' महोत्सव में उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात के आम उत्पादक भी भाग ले रहे हैं. राज्यपाल राम नाईक रविवार को महोत्सव का समापन करेंगे. योगी ने आम महोत्‍सव के दौरान पांच आम व‍िक्रेताओं को सम्‍मान‍ित भी क‍िया.
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती आज अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं और इस मौके पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस मौके पर देशभर के नेता उन्हें बधाई संदेश भी दे रहे हैं लेकिन सबसे खास संदेश उन्हें बीएसपी प्रवक्ता सुधींद्र भदोरिया की ओर से मिला है जिसमें उन्होंने मायावती को देश का भावी प्रधानमंत्री बताया है. सुधींद्र भदोरिया ने बीएसी सुप्रीमो के जन्मदिन पर ट्वीट करते हुए उन्हें बधाई दी और लिखा, 'भारत की भावी प्रधानमंत्री बहन मायावती जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं'. यह ट्वीट एक पोस्टर के तौर पर किया गया है जिसमें मायावती के फोटो के साथ मैसेज लिखा हुआ है. #dalitlivematter ⁦ @BSPLive_ ⁩ @BehanMayawatiK ⁩ ⁦ @BSP4India ⁩ ⁦ @dalitsamajindia ⁩ ⁦ @ManuAnand17 ⁩ ⁦ @Buddha22vows ⁩ pic.twitter.com/Q7m1OZW8wS — Sudhindra Bhadoria (@SudhinBhadoria) January 14, 2019 जन्मदिन पर गठबंधन के सहयोगी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मायावती से मिलकर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी. इससे पहले सोमवार को आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी मायावती से मिलकर उन्हें जन्मदिन की अग्रिम बधाई दी थी. इसके अलावा देश के तमाम दलों के नेता निजी संदेशों और ट्वीट के जरिए बीएसपी सुप्रीमो को जन्मदिन पर शुभकामनाएं दे रहे हैं. मायावती का जन्मदिन को बीएसपी 'जन कल्याणकारी दिवस' के रूप में मनाती है. इस मौके पर मायावती ने 63 किलो का केट काटा और बीएसपी आंदोलन पर अपनी लिखी हुई एक किताब का विमोचन भी किया. मायावती की पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है और दोनों दल उत्तर प्रदेश की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी की नींद उड़ा दी... जन्मदिन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं और जन्मदिन पर बधाई देने वाले लोगों को आभार जताया. उन्होंने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव से पहले मेरा जन्मदिन मनाया जा रहा है. इसके लिए हमारी पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सपा के साथ हमारे गठबंधन ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है. मायावती ने कहा कि सपा और बीएसपी के लोग अपने गिले-शिकवे और स्वार्थ भुलाकर गठबंधन के सभी उम्मीदवारों को भारी बहुमत से जीत दिलाएं और यही मेरे जन्मदिन का तोहफा होगा. इसके अलावा उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस पर भी जमकर हमला बोला. मायावती ने कहा कि आजादी के बाद से ज्यादातर वक्त कांग्रेस और बीजेपी ने ही राज किया है लेकिन इन सरकारों में अल्पसंख्यकों और दलितों का विकास नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि किसान, अल्पसंख्यकों और दलित समाज ने बीजेपी को तीन राज्यों में हराकर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है, साथ ही कांग्रेस पार्टी एंड कंपनी को भी इससे सबक लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जुमनेबाजी करने वाली किसी भी पार्टी की दाल ज्यादा दिन तक गलने वाली नहीं है.
यह एक लेख है: सरदार पटेल समूह (एसपीजी) के अध्यक्ष लालजी पटेल ने सोमवार को घोषणा की कि पटेल समुदाय के लिए आरक्षण को लेकर आंदोलन का अगला चरण 17 अप्रैल से शुरू होगा। क्योंकि गुजरात सरकार सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया नहीं दे रही है। लालजी ने जेल में बंद आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के साथ काम किया है। हार्दिक ने पिछले साल अगस्त में आंदोलन के प्रथम चरण का नेतृत्व किया था। यहां पत्रकारों से बात करते हुए लालजी ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी हैं और साथ ही हार्दिक एवं पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के अन्य संयोजकों की रिहाई भी नहीं की है, जो देशद्रोह के मामलों का सामना कर रहे हैं।टिप्पणियां लालजी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को मांगों का एक ज्ञापन 11 मार्च को सौंपा था और एक महीने समयसीमा दी थी, लेकिन उन्हें अब तक सरकार से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। इसलिए एसपीजी ने अगले महीने से सविनय अवज्ञा आंदोलन करने का निर्णय किया है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) लालजी ने जेल में बंद आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के साथ काम किया है। हार्दिक ने पिछले साल अगस्त में आंदोलन के प्रथम चरण का नेतृत्व किया था। यहां पत्रकारों से बात करते हुए लालजी ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी हैं और साथ ही हार्दिक एवं पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के अन्य संयोजकों की रिहाई भी नहीं की है, जो देशद्रोह के मामलों का सामना कर रहे हैं।टिप्पणियां लालजी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को मांगों का एक ज्ञापन 11 मार्च को सौंपा था और एक महीने समयसीमा दी थी, लेकिन उन्हें अब तक सरकार से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। इसलिए एसपीजी ने अगले महीने से सविनय अवज्ञा आंदोलन करने का निर्णय किया है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) यहां पत्रकारों से बात करते हुए लालजी ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी हैं और साथ ही हार्दिक एवं पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के अन्य संयोजकों की रिहाई भी नहीं की है, जो देशद्रोह के मामलों का सामना कर रहे हैं।टिप्पणियां लालजी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को मांगों का एक ज्ञापन 11 मार्च को सौंपा था और एक महीने समयसीमा दी थी, लेकिन उन्हें अब तक सरकार से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। इसलिए एसपीजी ने अगले महीने से सविनय अवज्ञा आंदोलन करने का निर्णय किया है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) लालजी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को मांगों का एक ज्ञापन 11 मार्च को सौंपा था और एक महीने समयसीमा दी थी, लेकिन उन्हें अब तक सरकार से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। इसलिए एसपीजी ने अगले महीने से सविनय अवज्ञा आंदोलन करने का निर्णय किया है। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश करने से जुड़े सवाल को टाल गए और कहा कि अपने प्रदेश से जुड़े कामों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। जापानी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आए मोदी ने संप्रग सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उसमें ढेर सारी आंतरिक समस्याएं हैं और लोकसभा चुनावों के 2014 से पहले होने की संभावना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले चुनाव में राजग की जीत होगी और ‘‘अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रीत्व काल का सुशासन’’ दोहराया जाएगा। उनसे जब सीधा पूछा गया कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो जनता के लिए क्या करेंगे, मोदी ने कहा, ‘‘राजनीति में अगर, मगर की कोई जगह नहीं है।’’ इस मुद्दे पर बार बार पूछे जाने पर भी उन्होंने यही जवाब देना जारी रखा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत के प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं गुजरात के लिए प्रतिबद्व हूं। मैं गुजरात के छह करोड़ लोगों के लिए प्रतिबद्ध हूं। उन्होंने मुझे जो जिम्मेदारी दी है, उसे मुझे पूरा करना है।’’ टिप्पणियां गुजरात में सत्ता की बागडोर एक दशक से भी ज्यादा समय तक संभालने वाले मोदी को उम्मीद है कि अगली बार भी वह सत्ता में वापसी करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर में, गुजरात चुनाव होने जा रहे हैं। मेरी प्राथमिकता उन चुनावों को जीतने की है। मुझे पूरा विश्वास है कि गुजरात की जनता फिर से हमारी सरकार को चुनेगी।’’ जापानी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आए मोदी ने संप्रग सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उसमें ढेर सारी आंतरिक समस्याएं हैं और लोकसभा चुनावों के 2014 से पहले होने की संभावना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले चुनाव में राजग की जीत होगी और ‘‘अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रीत्व काल का सुशासन’’ दोहराया जाएगा। उनसे जब सीधा पूछा गया कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो जनता के लिए क्या करेंगे, मोदी ने कहा, ‘‘राजनीति में अगर, मगर की कोई जगह नहीं है।’’ इस मुद्दे पर बार बार पूछे जाने पर भी उन्होंने यही जवाब देना जारी रखा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत के प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं गुजरात के लिए प्रतिबद्व हूं। मैं गुजरात के छह करोड़ लोगों के लिए प्रतिबद्ध हूं। उन्होंने मुझे जो जिम्मेदारी दी है, उसे मुझे पूरा करना है।’’ टिप्पणियां गुजरात में सत्ता की बागडोर एक दशक से भी ज्यादा समय तक संभालने वाले मोदी को उम्मीद है कि अगली बार भी वह सत्ता में वापसी करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर में, गुजरात चुनाव होने जा रहे हैं। मेरी प्राथमिकता उन चुनावों को जीतने की है। मुझे पूरा विश्वास है कि गुजरात की जनता फिर से हमारी सरकार को चुनेगी।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले चुनाव में राजग की जीत होगी और ‘‘अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रीत्व काल का सुशासन’’ दोहराया जाएगा। उनसे जब सीधा पूछा गया कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो जनता के लिए क्या करेंगे, मोदी ने कहा, ‘‘राजनीति में अगर, मगर की कोई जगह नहीं है।’’ इस मुद्दे पर बार बार पूछे जाने पर भी उन्होंने यही जवाब देना जारी रखा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत के प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं गुजरात के लिए प्रतिबद्व हूं। मैं गुजरात के छह करोड़ लोगों के लिए प्रतिबद्ध हूं। उन्होंने मुझे जो जिम्मेदारी दी है, उसे मुझे पूरा करना है।’’ टिप्पणियां गुजरात में सत्ता की बागडोर एक दशक से भी ज्यादा समय तक संभालने वाले मोदी को उम्मीद है कि अगली बार भी वह सत्ता में वापसी करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर में, गुजरात चुनाव होने जा रहे हैं। मेरी प्राथमिकता उन चुनावों को जीतने की है। मुझे पूरा विश्वास है कि गुजरात की जनता फिर से हमारी सरकार को चुनेगी।’’ उनसे जब सीधा पूछा गया कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो जनता के लिए क्या करेंगे, मोदी ने कहा, ‘‘राजनीति में अगर, मगर की कोई जगह नहीं है।’’ इस मुद्दे पर बार बार पूछे जाने पर भी उन्होंने यही जवाब देना जारी रखा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत के प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं गुजरात के लिए प्रतिबद्व हूं। मैं गुजरात के छह करोड़ लोगों के लिए प्रतिबद्ध हूं। उन्होंने मुझे जो जिम्मेदारी दी है, उसे मुझे पूरा करना है।’’ टिप्पणियां गुजरात में सत्ता की बागडोर एक दशक से भी ज्यादा समय तक संभालने वाले मोदी को उम्मीद है कि अगली बार भी वह सत्ता में वापसी करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर में, गुजरात चुनाव होने जा रहे हैं। मेरी प्राथमिकता उन चुनावों को जीतने की है। मुझे पूरा विश्वास है कि गुजरात की जनता फिर से हमारी सरकार को चुनेगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत के प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं गुजरात के लिए प्रतिबद्व हूं। मैं गुजरात के छह करोड़ लोगों के लिए प्रतिबद्ध हूं। उन्होंने मुझे जो जिम्मेदारी दी है, उसे मुझे पूरा करना है।’’ टिप्पणियां गुजरात में सत्ता की बागडोर एक दशक से भी ज्यादा समय तक संभालने वाले मोदी को उम्मीद है कि अगली बार भी वह सत्ता में वापसी करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर में, गुजरात चुनाव होने जा रहे हैं। मेरी प्राथमिकता उन चुनावों को जीतने की है। मुझे पूरा विश्वास है कि गुजरात की जनता फिर से हमारी सरकार को चुनेगी।’’ गुजरात में सत्ता की बागडोर एक दशक से भी ज्यादा समय तक संभालने वाले मोदी को उम्मीद है कि अगली बार भी वह सत्ता में वापसी करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर में, गुजरात चुनाव होने जा रहे हैं। मेरी प्राथमिकता उन चुनावों को जीतने की है। मुझे पूरा विश्वास है कि गुजरात की जनता फिर से हमारी सरकार को चुनेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर में, गुजरात चुनाव होने जा रहे हैं। मेरी प्राथमिकता उन चुनावों को जीतने की है। मुझे पूरा विश्वास है कि गुजरात की जनता फिर से हमारी सरकार को चुनेगी।’’
राउलकेला के झिरपाणी क्षेत्र में एक निर्माण कंपनी से धन देने की मांग वाले माओवादियों के पोस्टरों से व्यापारी समुदाय में तनाव पैदा हो गया. पुलिस ने कहा कि पोस्टरों में कटक की निर्माण कंपनी से कोयल नदी पर बन रही दो करोड़ की पुल परियोजना का 15 प्रतिशत धन देने की मांग की गई. पुलिस ने कहा कि पिछले साल माओवादियों ने इस कंपनी के एक कर्मचारी का अपहरण कर लिया था और फिरौती दिये जाने के बाद उसे छोडा गया.
कोंकणी की कहानी पुर्तगालियों के गोवा आने से पहले शुरू हुई थी। कथा साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है। एक कहानी एक गद्दीदार साहित्यिक शैली है जो एक विशेष समग्र प्रभाव को प्राप्त करने के लिए एक छोटी साजिश, सीमित पात्रों और चयनित घटनाओं से बना है। आधुनिक कहानी के बड़े आकार के कारण इसे लघुकथा भी कहा जाता है। कहानी लिखने के पीछे कारण कथावाचक मनुष्य में मानवता पर प्रकाश डालने और शाश्वत सत्य को पकड़ने के लिए, समाज में क्या हो रहा है, इस पर प्रकाश डालने के लिए, पाठकों को फफूंद परंपरा के खिलाफ सोचने के लिए कहानियां लिखता है। कहानी की उत्पत्ति कहानी का मूल कहानी में है। अतीत में, लोक कथाएँ लोगों के मन को संतुष्ट करने के साथ-साथ लोगों की चेतना को जगाने का काम करती थीं। इसके बाद ग्रीक पुराण, बौद्ध जातक कथाएँ और रामायण और महाभारत की कहानियाँ आईं। पहले के जमाने में जब साहित्य लेखन की परंपरा नहीं थी तब कहानियाँ कही और सुनी जाती थीं। कथावाचक जितना कुशल होता है, कहानी उतनी ही फलती-फूलती है। बाद में छपाई के आविष्कार ने कहानी को पुस्तक के रूप में पाठकों तक पहुँचाया। कहने-सुनने का रिश्ता खत्म हो गया और लेखक-पाठक का नया रिश्ता बन गया। इस बदलाव के कारण कहानी कहने का तरीका और कहानी लिखने का तरीका बदल गया। प्रत्येक बताने वाले ने इसे अलग-अलग अंदाज में बताया लेकिन लोग एक ही कहानी को बार-बार पढ़कर ऊब गए और लोगों को कुछ नया पढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए नए-नए प्रयोग होने लगे। कहानी की शुरुआत पहले के समय में, महाभारत और महाभारत की कहानियाँ कृष्णदास शामा और उनके साथियों द्वारा लिखी गई थीं। 1889 में, एडुआर्डो जोस ब्रून डी सूजा ने 'ईस्टर्न साल्क' नामक एक पत्रिका शुरू की। कुछ लेखकों की कहानियाँ प्रकाशित हुईं। और कोंकणी में वे प्रारंभिक कहानियाँ लोककथाओं की तरह थीं। हालाँकि, शनै गोम्बाब को कोंकणी भाषा का पहला कहानीकार माना जाता है। 1933 में उन्होंने गोमन्तो पनिषद की रचना की। पुस्तक में कुल पाँच कहानियाँ हैं। फिर 1935 में, उन्होंने वोनवलन नामक कहानियों का एक संग्रह प्रकाशित किया। संग्रह में चौदह लेखकों की कहानियाँ हैं। 1955 में चंद्रकांत केनी ने 'भुयांचाफी' नामक कहानियों का संग्रह प्रकाशित किया। इनमें से कुछ पूर्व कथाकारों की कहानियाँ हम देख सकते हैं। गोवा के स्वतंत्र होने के बाद अन्य साहित्य के साथ-साथ कोंकणी कहानियों को भी गति मिली।चंद्रकांत केनी को स्वतंत्र युग का पहला कथाकार माना जाता है। उनकी अधिकांश कहानियाँ बड़े आकार की हैं वे अपनी कहानियाँ सरल और आसान शब्दों में लिखते हैं। द अर्थ वाज़ स्टिल अलाइव (1964), आषाढ़ पावली (1973), आलमी (1975), वंकल पावनी (1975)। और कहानी संग्रह, वंकल पावनी ने साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता। उनके बाद कहानीकार दामोदर मावजो हैं जिनकी कहानियों का संग्रह गाठन, जागरण, भुर्गी महगेलिन टी, रुमदफुल प्रकाशित हुए हैं। उनके कहानी संग्रह 'गठन' को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने एक सामान्य व्यक्ति के जीवन को कुशलता से चित्रित किया है जो उसने समाज में देखा और अनुभव किया है। उनकी कुछ कहानियाँ लोकप्रिय और प्रसिद्ध हुई हैं। पुंडलिक नाइक कोंकणी में एक और महान कथाकार हैं, उन्होंने कई कहानियाँ लिखी हैं, उनकी कहानियों के तीन संग्रह पिशांतर (1977), मुथय (1966) और अर्दुक (1989) हैं, उनकी कहानियाँ गाँवों और ग्रामीणों के ज्वलंत चित्रों को चित्रित करती हैं। गजानन जोग अपनी कहानियों के माध्यम से गोवा के ग्रामीण परिवेश का बेसब्री से चित्रण कर रहे हैं। उनके कहानी संग्रह रुद्र और सोद प्रकाशित हो चुके हैं। कोंकणी में अधिक विनोदी कहानीकार नहीं हैं। विनोदी कथाकारों में दत्ताराम सुखतंकर और ए.के. नहीं। म्हाबरो लेखक में शामिल हैं। दत्ताराम सुखतंकर ने मन्नी पुनव नामक पुस्तक लिखी और इसे (1978) में प्रकाशित किया। एक। नहीं। म्हाब्रो ने पणजी आटा म्हातारी जल्या लिखकर कोंकणी कहानी में योगदान दिया। ओल्विन गोमिस ने साहित्य की अन्य विधाओं के साथ-साथ कहानियाँ भी लिखी हैं, उनका कहानियों का संग्रह मैन ओड्ट ओडना में प्रकाशित हुआ था। कहानियों का यह संग्रह गोवा के लोगों और गोवा के रीति-रिवाजों को दर्शाता है। उन्होंने मानव स्वभाव की कमजोरियों को कुशलता से चित्रित किया है। एन.एस. शिवदास ने अपनी कहानियों के माध्यम से गोवा के ग्रामीण इलाकों में एक व्यक्ति की तस्वीर उकेरी है। उसके बाद, हम महिला कहानीकारों को कोंकणी कथा साहित्य के क्षेत्र में देखते हैं।