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सोमालिया की राजधानी मोगादिशू में शुक्रवार दोपहर हुए ग्रेनेड हमले में दो लोगों की मौत हो गई. बेनादीर क्षेत्र के पुलिस आयुक्त बशीर अबशीर गेदी ने बताया कि विस्फोट हेलिवा जिले के सुका-होलाहा में उस वक्त हुआ, जब पुलिसकर्मी और अग्निशमन सेवा के सदस्य क्षेत्र में फैली आग को बुझाने में जुटे थे.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, आग बिजली की एक दुकान में लगी थी और जल्द ही आसपास में फैल गई.
गेदी ने बताया, 'स्थानीय सरकार की पुलिस तथा अग्निशमन सेवा के कर्मचारियों ने आग पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया, जिसने सुका-होलाहा क्षेत्र में सात दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया था. इसी बीच, अल-शबाब के आतंकवादियों ने घटनास्थल पर बम फेंक दिया, जिसमें दो नागरिकों की जान चली गई'. गेदी ने बताया कि हमले व आग की जांच की जा रही है.
फिलहाल किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, पर माना जा रहा है कि इसे अल-शबाब के आतंकवादियों ने अंजाम दिया है, जो सोमालिया में सरकार के खिलाफ इस तरह की गतिविधियों में संलग्न हैं. टिप्पणियां
इससे पहले गुरुवार शाम अल-शबाब के आतंकवादियों ने मोगादिशू में एक रेस्तरां पर हमला कर दिया था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, आग बिजली की एक दुकान में लगी थी और जल्द ही आसपास में फैल गई.
गेदी ने बताया, 'स्थानीय सरकार की पुलिस तथा अग्निशमन सेवा के कर्मचारियों ने आग पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया, जिसने सुका-होलाहा क्षेत्र में सात दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया था. इसी बीच, अल-शबाब के आतंकवादियों ने घटनास्थल पर बम फेंक दिया, जिसमें दो नागरिकों की जान चली गई'. गेदी ने बताया कि हमले व आग की जांच की जा रही है.
फिलहाल किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, पर माना जा रहा है कि इसे अल-शबाब के आतंकवादियों ने अंजाम दिया है, जो सोमालिया में सरकार के खिलाफ इस तरह की गतिविधियों में संलग्न हैं. टिप्पणियां
इससे पहले गुरुवार शाम अल-शबाब के आतंकवादियों ने मोगादिशू में एक रेस्तरां पर हमला कर दिया था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
गेदी ने बताया, 'स्थानीय सरकार की पुलिस तथा अग्निशमन सेवा के कर्मचारियों ने आग पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया, जिसने सुका-होलाहा क्षेत्र में सात दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया था. इसी बीच, अल-शबाब के आतंकवादियों ने घटनास्थल पर बम फेंक दिया, जिसमें दो नागरिकों की जान चली गई'. गेदी ने बताया कि हमले व आग की जांच की जा रही है.
फिलहाल किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, पर माना जा रहा है कि इसे अल-शबाब के आतंकवादियों ने अंजाम दिया है, जो सोमालिया में सरकार के खिलाफ इस तरह की गतिविधियों में संलग्न हैं. टिप्पणियां
इससे पहले गुरुवार शाम अल-शबाब के आतंकवादियों ने मोगादिशू में एक रेस्तरां पर हमला कर दिया था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फिलहाल किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, पर माना जा रहा है कि इसे अल-शबाब के आतंकवादियों ने अंजाम दिया है, जो सोमालिया में सरकार के खिलाफ इस तरह की गतिविधियों में संलग्न हैं. टिप्पणियां
इससे पहले गुरुवार शाम अल-शबाब के आतंकवादियों ने मोगादिशू में एक रेस्तरां पर हमला कर दिया था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इससे पहले गुरुवार शाम अल-शबाब के आतंकवादियों ने मोगादिशू में एक रेस्तरां पर हमला कर दिया था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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भारत ने शनिवार को मध्यम दूरी के बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-2 का सफल परीक्षण किया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक ओडिशा के बालासोर से इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया.
(Balasore, Odisha) Government Sources: India carries out successful night-time test-firing of the 2,000 km strike range Agni-2 ballistic missile. The test-firing was done by the Strategic Forces Command off the coast of Odisha.
pic.twitter.com/GfYvO5sifA
— ANI (@ANI)
November 16, 2019
यह परीक्षण इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत ने पहली बार इस मिसाइल का रात में परीक्षण किया है. यह मिसाइल 2000 किलोमीटर तक मार कर सकती है. स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड द्वारा ओडिशा के तट से अग्नि-2 मिसाइल का परीक्षण किया गया.
अग्नि 2 बैलिस्टिक मिसाइल 20 मीटर लंबी होती है और यह 1000 किलो तक का वजन ले जाने में सक्षम है. आपको बता दें कि अग्नि-2 मिसाइल को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है.
इसे डीआरडीओ की एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी ने तैयार किया है. इस मिसाइल को इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत बनाया गया है.
अत्याधुनिक नैविगेशन सिस्टम से युक्त इस मिसाइल में बेहतरीन कमांड और कंट्रोल सिस्टम है. यह मिसाइल अग्नि सीरीज मिसाइल का हिस्सा है. इस सीरीज में 700 किमी तक जाने वाली अग्नि-1 और 3000 किमी तक जाने वाली अग्नि-3 मिसाइल भी शामिल हैं. इनके अलावा लंबी दूरी तक मार करने वाली अग्नि-4 और अग्नि-5 भी इस सीरीज का हिस्सा हैं.
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दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए शातिर लुटेरों ने लोगों के साथ पुलिस का भी जीना मुहाल कर दिया था. इन लुटेरों का दो गैंग का काम करता था, जो मोबाइल फोन, सोने की चेन, कैश और कीमती चीजें लूट और झपट कर भाग जाया करते थे. इन दोनों गैंग्स के बीच एक अजीब बात कॉमन थी. दोनों गर्लफ्रेंड के साथ मस्ती के लिए लूट करते थे.
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में ये गैंग अपनी गर्लफ्रेंड के शौक पूरे करने और मौज मस्ती के लिए लूटपाट करता था. इसमें पहले गैंग के दो लड़कों को साउथ ईस्ट दिल्ली की पुलिस ने पकड़ा है. इनके पास से लूट के 10 मंहगे मोबाइल फोन बरामद करने के साथ-साथ पुलिस ने डेढ़ दर्जन मामलों के खुलासों का दावा किया है.
बताया जा रहा है कि शहजान और उस्मान नाम दोनों लड़के अच्छे घरों से हैं. एक पिता मेट्रो में कांट्रैक्टर है, तो दूसरे का मार्बल शो रूम का मालिक. लेकिन गर्लफ्रेंड के शौक ने इन्हें गुनहगार बना दिया. दूसरा गैंग नोएडा से पकड़ा गया है. यहां गिरफ्तार ये दो लड़के भी मोबाइल और दूसरी कीमती चीजे
लूट
कर गर्लफ्रेंड को खुश किया करते थे.
इन लुटेरों को अपनी गर्लफ्रेंड को मॉल में घूमना और फिल्में दिखाना शौक था. एक बार लूट के बाद जब ये सड़क किनारे खड़े होकर अपनी शर्ट बदल रहे थे, तो
पुलिस
को इन पर शक हो गया. पुलिस ने इन्हें धर दबोचा. इनके पास से सोने की चेन, चोरी की बाइक और दूसरी कई चीजें बरामद हुई हैं. इन गैंग के पकड़े जाने पर पुलिस ने राहत की सांस ली है.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: वैश्विक ऑनलाइन डेटिंग एप टिंडर ने गुरुवार को अपने समलैंगिक (एलजीबीटीक्यू) समुदाय के यूजर्स के लिए एक नए सेफ्टी फीचर को लॉन्च करने की घोषणा की. टिंडर के अनुसार, इस सेफ्टी फीचर का उद्देश्य उन 70 देशों (लगभग) में डेटिंग ऐप का उपयोग करने के जोखिम से बचाना है, जहां अभी भी समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
ऑनलाइन डेटिंग एप टिंडर ने इसे 'ट्रैवलर अलर्ट' नाम दिया है. जब कोई समलैंगिक यूजर इन देशों में एप का प्रयोग करने के लिए इसे खोलेगा, तो क्षेत्र में समलैंगिक समुदाय के लोग किस प्रकार के खतरे का सामना कर रहे हैं, इस फीचर के जरिए यूजर को इस बाबत चेतावनी मिल जाएगी.
टिंडर एंड मैच ग्रुप, जीएम-इंडिया तारू कपूर ने कहा, "टिंडर ट्रैवलर अलर्ट यह सुनिश्चित करता है कि हमारे समलैंगिक यूजर्स उन सावधानियों के बारे में जाने जो कुछ देशों में बरतनी जरूरी होती है. कुछ देशों में समान लिंग के यौन झुकाव को गलत समझा जाता है और इसे वहां गैर-कानूनी घोषित किया गया है."
यह फीचर एंड्रॉइड और आईओएस यूजर्स दोने के लिए शुरू किया गया है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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अब तक आपने ऑटो की पीठ पर सवार मुस्कुराते सिर्फ अरविंद केजरीवाल को ही देखा होगा. लेकिन अब ऑटोवालों को भी समझ आ गया है कि अगर वो केजरीवाल को राजनीति पर सवार कर सकते हैं तो खुद राजनीति की सवारी भला क्यूं नहीं कर सकते. और इसीलिए दिल्ली के न्यू अशोक नगर मे रहने वाले भूपेंद्र कुमार राय ईस्ट दिल्ली से चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
भूपेद्र कुमार राय का आत्मविश्वास इतना गजब का है कि उन्हें लगता है कांग्रेस के संदीप दीक्षित हों या आम आदमी पार्टी के राजमोहन गांधी, उनके मुकाबले में कोई है ही नहीं.मूलत: बिहार के रहने वाले भूपेंद्र 23 सालों से दिल्ली मे रह रहे हैं. भूपेंद्र को लगता है कि केजरीवाल ने जो वादे ऑटोवालों और जनता से किए थे, वो उन्हें पूरा कर पाने में नाकाम रहे. सो अब भूपेंद्र खुद ही बीड़ा उठा रहे हैं इलाके और ऑटोवालों की परेशानी हल करने का.
हमने भी लगे हाथ जनता से राय ले ली कि अगर भूपेंद्र या कोई और ऑटोचालक निर्दलीय चुनाव लड़ता हैं तो वोट देने के बारे में जनता की राय क्या है. सुपण का कहना है जो खुद भूखा हो पहले अपना पेट भरेगा. बाद मे जनता की सोचेगा लेकिन नितिन को लगा कि लोकतंत्र की यही खासियत है कि हर किसी को हक है चुनाव लड़ने का. भूपेंद्र कहते हैं सुबह 8 से पांच खुद का प्रचार करेंगें और 5 से रात 12 बजे तक ऑटो चलाएंगे.
अब तक तो ऑटोवाले नाराज होकर अरविंद केजरीवाल का विरोध कर रहे थे लेकिन अब तैयारी है केजरीवाल को उन्हें के अंदाज में चुनौती देने की.
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उत्तराखंड में एक बड़ा सड़क हादसा हुआ है. इस हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि हादसा चंपावत जिले में लोहाघाट क्षेत्र के पास हुआ. चंपावत पुलिस ने बताया कि एक पिकअप वैन खाई में गिर गई है. वैन बाराकोट से एक शव को लेकर घाट क्षेत्र स्थित एक शमशानघाट जा रही थी. इसमें डेढ़ दर्जन लोग सवार थे. फिलहाल, 8 लोगों की मौत हो गई है और करीब 12 लोग घायल बताए जा रहे हैं. घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
Uttarakhand: 8 persons dead, 11 injured after a pickup van fell into a deep gorge near Pithoragarh road in Champawat earlier today. Rescue operations over. (File pic)
pic.twitter.com/Htop39VBOU
— ANI (@ANI)
January 27, 2019
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दुर्घटनाग्रस्त हुई पिकअप वैन में कम से कम 20 लोग सवार थे. हादसा रविवार की दोपहर करीब 12 बजे हुआ है. घायलों को नजदीकी अस्पताल में भेज दिया गया है. बताया जा रहा है कि पिक-अप वैन के चालक ने लिसा डिपो के पास वाहन से नियंत्रण खो दिया, जिसके बाद वैन खाई में गिर गई.
Uttarakhand: 5 people died, multiple injuries reported after a pickup van fell into a deep gorge near Pithoragarh road in Champawat. More details awaited.
pic.twitter.com/SkSKU7mZnB
— ANI (@ANI)
January 27, 2019
मौके पर पुलिस की एक टीम पहुंच गई है और वैन को खाई से निकालने की कोशिश की जा रही है. चंपावत के पुलिस अधीक्षक धीरेंद्र गुंज्याल ने बताया कि रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है. अभी 8 लोगों की मौत की खबर है. यह आंकड़ा बढ़ सकता है.
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अम्मा ने कहा, ‘‘मैं विधायक रहने के दौरान रात 10 बजे भी घर लौटा करती थी. लेकिन आज स्थिति बदल गई है. महिलाओं को जो समस्याएं हो रही हैं उसे तभी जान पाएंगे, जब आप सड़क पर जाएंगे. ’’ गौरतलब है कि गौरी अम्मा 1957 में ईएमएस नंबूदरीपाद के नेतृत्व वाली केरल की प्रथम कम्युनिस्ट सरकार की सदस्य थीं. वह कम्युनिस्ट सरकारों में 1967, 1980 और 1987 में मंत्री भी रह चुकी हैं.
(इनपुट भाषा से)
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उत्तर प्रदेश में गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े मेधावी बच्चे भी अब पटना में सुपर-30 संस्थान में कोचिंग ले सकेंगे। पटना में आईआईटी-जेईई की तैयारी के लिए यूपी के 30 बच्चों का चयन किया जाएगा। इसके लिए यहां के 10 जिलों में प्रवेश परीक्षा का जल्द ही आयोजन किया जाएगा। ज्ञात हो कि आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी पटना की जानी-मानी 'सुपर-30' संस्था कराती है।
सुपर-30 के व्यवस्थापक आनंद कुमार के मुताबिक, उत्तर प्रदेश से चयनित आर्थिक रूप से कमजोर और प्रतिभाशाली 30 बच्चों की आईआईटी की प्रवेश परीक्षा (आईआईटी-जेईई) की तैयारी पटना में कराई जाएगी। इनमें 10 बच्चे हाई स्कूल और 20 बच्चे इंटरमीडिएट पास होंगे।
आईआईटी-जेईई की कोचिंग के लिए प्रवेश परीक्षा इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली, झांसी, कानपुर , आगरा, मेरठ और मुरादाबाद में आयोजित की जाएगी। टिप्पणियां
प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जारी निर्देश में कहा है कि प्रवेश परीक्षा के लिए सुपर-30 संस्था को पूरा सहयोग दिया जाए, ताकि गरीब मेधावी छात्रों को मौका मिल सके।
प्रवेश परीक्षा के आयोजन में जिला और मंडल स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
सुपर-30 के व्यवस्थापक आनंद कुमार के मुताबिक, उत्तर प्रदेश से चयनित आर्थिक रूप से कमजोर और प्रतिभाशाली 30 बच्चों की आईआईटी की प्रवेश परीक्षा (आईआईटी-जेईई) की तैयारी पटना में कराई जाएगी। इनमें 10 बच्चे हाई स्कूल और 20 बच्चे इंटरमीडिएट पास होंगे।
आईआईटी-जेईई की कोचिंग के लिए प्रवेश परीक्षा इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली, झांसी, कानपुर , आगरा, मेरठ और मुरादाबाद में आयोजित की जाएगी। टिप्पणियां
प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जारी निर्देश में कहा है कि प्रवेश परीक्षा के लिए सुपर-30 संस्था को पूरा सहयोग दिया जाए, ताकि गरीब मेधावी छात्रों को मौका मिल सके।
प्रवेश परीक्षा के आयोजन में जिला और मंडल स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
आईआईटी-जेईई की कोचिंग के लिए प्रवेश परीक्षा इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली, झांसी, कानपुर , आगरा, मेरठ और मुरादाबाद में आयोजित की जाएगी। टिप्पणियां
प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जारी निर्देश में कहा है कि प्रवेश परीक्षा के लिए सुपर-30 संस्था को पूरा सहयोग दिया जाए, ताकि गरीब मेधावी छात्रों को मौका मिल सके।
प्रवेश परीक्षा के आयोजन में जिला और मंडल स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जारी निर्देश में कहा है कि प्रवेश परीक्षा के लिए सुपर-30 संस्था को पूरा सहयोग दिया जाए, ताकि गरीब मेधावी छात्रों को मौका मिल सके।
प्रवेश परीक्षा के आयोजन में जिला और मंडल स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
प्रवेश परीक्षा के आयोजन में जिला और मंडल स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
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हिमाचल प्रदेश पुलिस ने कई पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. पुलिस ने जिन पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं, उन पदों में कांस्टेबल के पद शामिल है. भर्ती में कुल 1063 उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा और आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल है. अगर आप भी इस भर्ती में आवेदन करना चाहते हैं और इन पदों के योग्य हैं तो आप आवेदन करने की आखिरी तारीख से पहले अप्लाई कर सकते हैं. इस भर्ती से जुड़ी जानकारी इस प्रकार है-
पदों का विवरण
भर्ती में 1063 उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा, जिसमें कांस्टेबल (पुरुष) के लिए 720, कांस्टेबल (महिला) के लिए 213 और कांस्टेबल (ड्राइवर) के लिए 130 पद आरक्षित है. वहीं इन पदों पर चयनित होने वाले उम्मीदवारों को 10,300 से 34800 रुपये पे-स्केल दी जाएगी.
योग्यता
भर्ती में आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवारों को किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं पास होना आवश्यक है. साथ ही उम्मीदवारों के लिए फिजिकल योग्यता भी तय की गई है, जिसकी जानकारी आप आधिकारिक नोटिफिकेशन से ले सकते हैं.
आयु सीमा
भर्ती में 18 साल से 23 साल तक के उम्मीदवार अप्लाई कर सकते हैं. उम्मीदवारों की उम्र 1 जनवरी 2019 के आधार पर तय की जाएगी.
आवेदन फीस
आवेदन करने के लिए जनरल वर्ग के उम्मीदवारों को 140 रुपये और एससी-एसटी-ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को 35 रुपये फीस का भुगतान करना होगा. अभी इन पदों पर आवेदन प्रक्रिया शुरू नहीं है और उम्मीदवार 30 मार्च से इन पदों के लिए अप्लाई कर सकेंगे और वो 30 अप्रैल 2019 तक इन पदों के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
सेलेक्शन प्रोसेस
उम्मीदवारों का चयन फिजिकल टेस्ट और लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाएगा.
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लेख: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने अकेले चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने मुंबई में चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए उम्मीद जताई की 'जनता उन्हें चौथी बार सरकार बनाने का मौका देगी।'
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है, लेकिन कांग्रेस एनसीपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर तालमेल नहीं हो पाया है। सीट बंटवारे के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी के शरद पवार के बीच बैठकें हुई थीं, लेकिन बात अबतक बनी नहीं है।
चुनावी समर में कूदने से पहले एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, 'हम गठबंधन चाहते हैं, लेकिन अपने सम्मान से समझौता नहीं करेंगे।' वहीं एनसीपी प्रवक्त नवाब मलिक ने कहा कि 15 दिन से कांग्रेस ने हमसे बात नहीं की है, हम साथ लड़ना चाहते हैं, लेकिन अकेले भी चुनाव लड़ना पड़ा तो हमारी तैयारी पूरी है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनसीपी राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से आधी यानि की 144 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। साल 2009 में NCP 114 और कांग्रेस 174 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। वही कांग्रेस अपने 2009 के सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर अड़ी है। 174 सीटों पर लड़ी कांग्रेस ने 82 सीटें जीती थीं, जबकि 114 सीटों पर चुनाव लड़के एनसीपी को 62 सीटों पर जीत मिली थी।
लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी दोनों का सफाया हो गया, लेकिन ज्यादा सीटों पर लड़ने के बावजूद कांग्रेस को एनसीपी से भी 2 सीटें कम मिलीं इसी वजह से एनसीपी कांग्रेस पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बना रही है।
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: लेकिन गजरा राजा मेडिकल कॉलेज प्रशासन के अनुसार उन्हें इन छात्रों से किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। कॉलेज के एकज़्यूकेटिव डीन डॉ. जे एस सिकरवार कहते हैं, 'हमारे यहां किसी भी छात्र से भेदभाव करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।'
व्यापमं शब्द हिंदी में राज्य के एक्ज़ाम बोर्ड का शॉर्ट फॉर्म है। ऐसा माना जा रहा है कि इस घोटाले के तार न सिर्फ़ राज्य के आम लोगों बल्कि मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों, जजों, अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों से जुड़े हुए हैं और इसको लेकर देशभर में राजनीति गरमा गई है।
व्यापमं शब्द हिंदी में राज्य के एक्ज़ाम बोर्ड का शॉर्ट फॉर्म है। ऐसा माना जा रहा है कि इस घोटाले के तार न सिर्फ़ राज्य के आम लोगों बल्कि मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों, जजों, अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों से जुड़े हुए हैं और इसको लेकर देशभर में राजनीति गरमा गई है।
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने मोदी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. प्रियंका गांधी ने बुधवार को कहा कि अब निवेशक भी मोदी सरकार से दूर होने लगे हैं. उन्होंने इसे लेकर दो ट्वीट भी किया है. उन्होंने अपने पहले ट्वीट में लिखा की चकाचौंध दिखा कर रोज 5 ट्रिलियन-5 ट्रिलियन बोलते रहने या मीडिया की हेडलाइन मैनेज करने से आर्थिक सुधार नहीं होता. विदेशों में प्रायोजित इवेंट करने से निवेशक नहीं आते. निवेशकों का भरोसा डगमगा चुका है. आर्थिक निवेश की जमीन दरक गई है.
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि मगर भाजपा सरकार इस सच्चाई को स्वीकर नहीं कर रही है. आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में मंदी स्पीड ब्रेकर है, इसको सुधारे बिना सब रंग-रोगन बेकार है.
मगर भाजपा सरकार इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर रही। आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में ये मंदी ‘स्पीड ब्रेकर' है, इसको सुधारे बिना सब रंग-रोगन बेकार है। #मंदीकीमार
गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार को उन्होंने (Priyanka Gandhi) कहा था कि भाजपा सरकार सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहती है. प्रियंका गांधी ने इसे लेकर एक ट्वीट भी किया था. उन्होंने (Priyanka Gandhi) ट्वीट में लिखा था कि भाजपा सरकार से बस इतना ही कहना है कि आप जो इधर उधर की बात करके कारवां लुट जाने देने की जिम्मेदारी से बचना चाहते हो, यह मुश्किल होगा. लोग देख रहे हैं. एक और कम्पनी पर पड़ी मंदी की मार और लोग होंगे बेरोजगार. प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट के साथ एक खबर की साझा की थी, जिसमें महिंद्रा एंड महिंद्रा के संयंत्र में 17 दिनों तक किसी भी तरह का विनिर्माण नहीं होगा. ऐसे में कई और लोगों की छटनी होने की बात कही गई जा रही थी.
बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर सुस्त अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी को लेकर हमला बोला हो. इससे पहले केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार (Santosh Gangwar) के बेरोजगार युवाओं को लेकर दिए गए बयान पर प्रियंका गांधी ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि मंत्रीजी, 5 साल से ज्यादा आपकी सरकार है. नौकरियां पैदा नहीं हुईं. जो नौकरियां थीं वो सरकार द्वारा लाई आर्थिक मंदी के चलते छिन रही हैं. नौजवान रास्ता देख रहे हैं कि सरकार कुछ अच्छा करे. आप उत्तर भारतीयों का अपमान करके बच निकलना चाहते हैं. ये नहीं चलेगा.हालांकि बयान पर फजीहत के बाद संतोष गंगवार ने सफाई दी है. संतोष गंगवार ने कहा, मैंने जो कहा था उसका अलग संदर्भ था. देश में योग्यता (स्किल) की कमी है और सरकार ने इसके लिए कौशल विकास मंत्रालय भी खोला है. इस मंत्रालय का काम नौकरी के हिसाब से बच्चों को शिक्षित करना है.
बता दें कि संतोष गंगवार ने शनिवार को बरेली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा था, 'देश में रोजगार की कमी नहीं है लेकिन उत्तर भारत में जो रिक्रूटमेंट करने आते हैं, इस बात का सवाल करते हैं कि जिस पद के लिए हम (कर्मचारी) रख रहे हैं उसकी क्वालिटी का व्यक्ति हमें कम मिलता है.' उन्होंने कहा था कि आजकल अखबारों में रोजगार की बात आ रही है. हम इसी मंत्रालय को देखने का काम करते हैं और रोज ही इसी का मंथन करने का काम करते हैं. बात हमारे समझ में आ गई है. रोजगार दफ्तर के अलावा भी हमारा मंत्रालय इसको मॉनिटर कर रहा है.'
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मौजूदा विंबलडन विजेता और दुनिया के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी सर्बिया के नोवाक जोकोविच और स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर ने साल के तीसरे ग्रैंड स्लैम विंबलडन (पुरुष वर्ग) के फाइनल में जगह बना ली है. दोनों खिलाड़ियों ने शुक्रवार को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबलों में स्पेनिश खिलाड़ियों को मात देकर खिताबी मुकाबले में जगह बनाई.
रोजर फेडरर ने राफेल नडाल को 7-6(7-3), 1-6, 6-3, 6-4 से मात दी. यह मैच तीन घंटे दो मिनट तक चला. फेडरर ने नडाल को हराकर 12वीं बार विंबलडन के फाइनल में जगह बनाई. फेडरर ने आठ बार इस टूर्नामेंट का फाइनल जीता है, जबकि तीन बार उप-विजेता रहे हैं.
One of the great
@rogerfederer
performances at
#Wimbledon
The Swiss will contest at 12th singles final at The Championships after defeating Rafael Nadal 7-6(3), 1-6, 6-3, 6-4
pic.twitter.com/yfFsEyUWND
— Wimbledon (@Wimbledon)
July 12, 2019
वहीं, जोकोविच ने रोबटरे बॉतिस्ता अगुट को मात दे छठी बार इस टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया. जोकोविच ने सेंटर कोर्ट पर खेले गए पहले सेमीफाइनल में अपने स्पेनिश प्रतिद्वंदी को दो घंटे 48 मिनट तक चले मुकाबले में 6-2, 4-6, 6-3, 6-2 से मात दी.
जोकोविक इससे पहले पांच बार-2011, 2013, 2014, 2015 और 2018 में इस प्रतियोगिता का फाइनल खेल चुके हैं, जिसमें सिर्फ एक बार 2013 में उन्हें हार मिली थी. मैच के बाद जोकोविच ने कहा, 'मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी. यह सेमीफाइनल था और बॉतिस्ता अपना पहला ग्रैंड स्लैम फाइनल खेल रहे थे. वह काफी खुश थे. वह शानदार खेले. पहले सेट में उन्होंने धैर्य बनाए रखा, लेकिन बाद में वह और बेहतर खेलने लगे. मैं थोड़ा फंस गया था. तीसरे सेट के पहले चार और पांच गेम काफी करीबी थे. वहां मैच कहीं भी जा सकता था. मुझे खुशी है कि वह मेरी तरफ आया.'
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सलमान खान (Salman Khan) की 'दबंग 3' (Dabangg 3) रिलीज होने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. उनकी इस फिल्म को लेकर लोगों में काफी एक्साइटमेंट देखने को मिल रही है. खासकर ट्रेलर रिलीज होने के बाद से फैंस में सलमान खान की फिल्म को लेकर उत्साह और भी बढ़ गया है. लेकिन इससे इतर सलमान खान अपने एक वीडियो को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं. इस वीडियो में सलमान खान कह रहे हैं, "जिसके आगे हो अली और पीछे हो बजरंग बली, उसका क्या उखाड़ेगा बाली." दरअसल, सलमान खान ने 'दबंग 3'के विलेन किच्चा सुदीप (Kiccha Sudeep) का एक नया वीडियो शेयर किया है, जिसमें दोनों ही कलाकार आमने-सामने नजर आ रहे हैं.
Bali Singh jaise villain se bhidne ka alag hi mazaa hai, takkar is baar zabardast hogi! #BeingChulbulhttps://t.co/VU8xXmEeAA@arbaazSkhan@sonakshisinha@saieemmanjrekar@PDdancing@KicchaSudeep@nikhil_dwivedi@SKFilmsOfficial@saffronbrdmedia
दबंग 3 के इस वीडियो में सलमान खान (Salman Khan) और किच्चा सुदीप (Kiccha Sudeep) की लड़ाई और उनकी दुश्मनी दिखाई गई है. वीडियो को शेयर करते हुए एक्टर ने लिखा, "बाली जैसे विलेन से भिड़ने का अलग ही मजा है, टक्कर इस बार जबरदस्त होगी." किच्चा सुदीप और सलमान खान के इस वीडियो में दोनों ही कलाकारों का अंदाज देखने लायक है. खास बात तो यह है कि इस वीडियो के आते ही यह सोशल मीडिया पर छा गया, साथ ही इसके डायलॉग को भी लोगों ने खूब पसंद किया.
बता दें कि सलमान खान (Salman Khan) और किच्चा सुदीप (Kiccha Sudeep) स्टारर 'दबंग 3' (Dabangg 3) इसी महीने 20 तारीख को रिलीज हो रही है. ऐसे में फिल्म की रिलीज में ज्यादा वक्त नहीं बचा है. इसमें सलमान खान और किच्चा सुदीप के साथ सोनाक्षी सिन्हा और साईं मांजरेकर भी अहम भूमिका में नजर आएंगी. सलमान खान फिल्म्स के बैनर तले तैयार हुई इस फिल्म का निर्देशन प्रभू देवा ने किया है. वहीं, इसकी कहानी खुद सलमान खान ने लिखी है. इस फिल्म के अलावा सलमान खान जल्द ही राधे: मोस्ट वॉन्टेड हीरो में भी नजर आएंगे. उनकी यह मूवी साल 2020 में ईद के मौके पर रिलीज होगी.
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यह लेख है: तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर दिल्ली में भी कई जगहों पर योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. राजधानी के कनॉट प्लेस में आयोजित योग कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप राज्यपाल अनिल बैजल, केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू, एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद, विजय गोयल सहित कई नेताओं ने हिस्सा लिया. हालांकि बारिश की वजह से कुछ परेशानियों का भी सामना करना पड़ा.
आयुष मंत्रालय और एनडीएमसी की ओर से कनॉट प्लेस में योग कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसके अलावा राजधानी के कई इलाकों में ये कार्यक्रम आयोजित किए गए. पार्कों में लोग सुबह से ही योग दिवस में हिस्सा लेने पहुंच गए थे और जगह-जगह एलईडी स्क्रीन लगाए गए थे. दिल्ली के चाणक्यपुरी में नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने भी लोगों के साथ योग किया. गौरतलब है कि 21 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है. इस बार योग दिवस के मौके पर देशभर में करीब 5000 जगहों पर कार्यक्रम का अयोजन किया गया है. जिसमें केंद्र सरकार के कई मंत्री भी अलग-अलग जगहों पर योग कार्यक्रम में शिरकत किया.
आयुष मंत्रालय और एनडीएमसी की ओर से कनॉट प्लेस में योग कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसके अलावा राजधानी के कई इलाकों में ये कार्यक्रम आयोजित किए गए. पार्कों में लोग सुबह से ही योग दिवस में हिस्सा लेने पहुंच गए थे और जगह-जगह एलईडी स्क्रीन लगाए गए थे. दिल्ली के चाणक्यपुरी में नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने भी लोगों के साथ योग किया. गौरतलब है कि 21 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है. इस बार योग दिवस के मौके पर देशभर में करीब 5000 जगहों पर कार्यक्रम का अयोजन किया गया है. जिसमें केंद्र सरकार के कई मंत्री भी अलग-अलग जगहों पर योग कार्यक्रम में शिरकत किया.
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रोजा लुईस मैककौली पार्क्स (4 फरवरी, 1913 - 24 अक्टूबर, 2005) नागरिक अधिकार आंदोलन की एक अमेरिकी कार्यकर्ता थीं, जिन्हें मोंटगोमरी बस बहिष्कार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने उन्हें "नागरिक अधिकारों की प्रथम महिला" और "स्वतंत्रता आंदोलन की जननी" के रूप में सम्मानित किया है। पार्क्स 1943 में NAACP कार्यकर्ता बन गए और उन्होंने कई उच्च प्रोफ़ाइल नागरिक अधिकार अभियानों में भाग लिया। 1 दिसंबर, 1955 को, मोंटगोमरी, अलबामा में, पार्क्स ने बस चालक जेम्स एफ. ब्लेक के "रंगीन" खंड में चार सीटों की एक पंक्ति को एक श्वेत यात्री के पक्ष में खाली करने के आदेश को अस्वीकार कर दिया, जब एक बार "श्वेत" खंड भर गया था। पार्क्स बस अलगाव का विरोध करने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे, लेकिन नेशनल एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ कलर्ड पीपल (एनएएसीपी) का मानना था कि वह अलबामा अलगाव कानूनों का उल्लंघन करने में सविनय अवज्ञा के लिए गिरफ्तारी के बाद अदालती चुनौती से निपटने के लिए सबसे अच्छी उम्मीदवार थीं, और उन्होंने एक वर्ष से अधिक समय तक अश्वेत समुदाय को मोंटगोमरी बसों का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित करने में मदद की। मामला राज्य की अदालतों में उलझ गया, लेकिन संघीय मोंटगोमरी बस मुकदमा ब्राउनर बनाम गेल के परिणामस्वरूप नवंबर 1956 में फैसला आया कि अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के समान सुरक्षा खंड के तहत बस अलगाव असंवैधानिक है।
पार्क्स की अवज्ञा की कार्रवाई और मोंटगोमरी बस बहिष्कार आंदोलन के महत्वपूर्ण प्रतीक बन गए। वह नस्लीय अलगाव के प्रतिरोध की एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक बन गईं, और एडगर निक्सन और मार्टिन लूथर किंग जूनियर सहित नागरिक अधिकार नेताओं के साथ संगठित और सहयोग किया। उस समय, पार्क्स एक स्थानीय डिपार्टमेंट स्टोर में एक दर्जी के रूप में कार्यरत थीं और मोंटगोमरी की सचिव थीं। NAACP का अध्याय। वह हाल ही में श्रमिकों के अधिकारों और नस्लीय समानता के लिए कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने वाले टेनेसी केंद्र हाईलैंडर फोक स्कूल में गई थीं। हालाँकि बाद के वर्षों में व्यापक रूप से सम्मानित किया गया, लेकिन उसे अपने कृत्य के लिए कष्ट भी सहना पड़ा; उसे नौकरी से निकाल दिया गया, और उसके बाद कई वर्षों तक उसे जान से मारने की धमकियाँ मिलती रहीं। बहिष्कार के तुरंत बाद, वह डेट्रॉइट चली गईं, जहां उन्हें कुछ समय के लिए इसी तरह का काम मिला। 1965 से 1988 तक, उन्होंने अफ्रीकी-अमेरिकी अमेरिकी प्रतिनिधि जॉन कॉनयर्स के सचिव और रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्य किया। वह ब्लैक पावर आंदोलन और अमेरिका में राजनीतिक कैदियों के समर्थन में भी सक्रिय थीं।
सेवानिवृत्ति के बाद, पार्क्स ने अपनी आत्मकथा लिखी और इस बात पर जोर देती रहीं कि न्याय के संघर्ष में अभी और काम किया जाना बाकी है। पार्कों को राष्ट्रीय मान्यता मिली, जिसमें NAACP का 1979 का स्पिंगार्न मेडल, प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ़ फ़्रीडम, कांग्रेसनल गोल्ड मेडल और यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल के नेशनल स्टैचुअरी हॉल में एक मरणोपरांत प्रतिमा शामिल है। 2005 में उनकी मृत्यु के बाद, वह कैपिटल रोटुंडा में सम्मान के साथ लेटने वाली पहली महिला थीं। कैलिफ़ोर्निया और मिसौरी रोज़ा पार्क्स डे को उसके जन्मदिन, 4 फरवरी को मनाते हैं, जबकि ओहियो, ओरेगॉन और टेक्सास उसकी गिरफ्तारी की सालगिरह, 1 दिसंबर को मनाते हैं।
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दिल्ली के गोविंदपुरी में एक युवक ने अपने पिता के साथ संपत्ति को लेकर हुए विवाद के बाद अपनी पत्नी और नाबालिग बेटी के साथ जहर खाकर आत्महत्या कर ली. मृतक के पिता किशोरी लाल ने शनिवार को स्थानीय पुलिस को अपने घर में झगड़ा होने की सूचना दी थी. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है.
पुलिस ने बताया कि मृतकों के नाम विक्की (35), उसकी पत्नी ललिता (30) और उसकी बेटी रांची (6) है. विक्की और ललिता की मौत अस्पताल ले जाते समय हुई, जबकि रांची ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. खुदकुशी से पहले विक्की का पिता से झगड़ा हुआ था.
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि विक्की अपने पिता के तीन मंजिला मकान की पहली मंजिल पर अपनी पत्नी ललिता, बेटी रांची तथा तीन वर्षीय बेटे के साथ रहता था. वह चाहता था कि उसके पिता घर की पहली और दूसरी मंजिल उसे दे दें, जिसे किशोरी लाल ने मना कर दिया.
उन्होंने कहा कि शनिवार को इसी संबंध में कुछ पड़ोसियों के सामने विक्की का उसके पिता और भाइयों के साथ विवाद बढ़ गया. इसके बाद वह अपने कमरे में गया. ललिता और रांची को जहर देने के बाद खुद भी खा लिया. बहुत देर तक उसके पिता और अन्य परिजनों ने उसे नहीं देखा तो वे उन्हें देखने गए.
वहां पति-पत्नी बेहोश पड़े थे और उनकी बेटी दर्द से कराह रही थी. इसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी. जिस वक्त विक्की ने ये कदम उठाया उस वक्त उसका चार साल का बेटा अपनी दादी के साथ कीतर्न में गया था. इसलिए उसकी जान बच गई. पिता का कहना है कि विक्की अक्सर झगड़ा करता रहता था.
पुलिस का कहना है कि इस मामले में जांच की जा रही है. लगभग एक साल पहले भी विक्की अपने पिता को धमकी दे चुका था कि वह खुद को और अपने परिवार को जहर दे देगा. इसके बाद किशोरी लाल ने
दिल्ली पुलिस
मुख्यालय में 2 जनवरी, 2017 को लिखित शिकायत दी थी.
वहां पर परामर्श के बाद मामला सुलझ गया था. विक्की अंडे की एक दुकान चलाता था, जबकि ललिता गृहिणी थी. विक्की का बेटा घटना के समय पड़ोसी के घर पर था. डीसीपी ने कहा कि किशोरी लाल अपने घर की तीसरी मंजिल पर रह रहे किराएदारों को टिफिन देता है.
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रिकी पोंटिंग के आस्ट्रेलियाई टीम में स्थान पर सवाल उठाये जा रहे थे लेकिन उन्होंने भारत के खिलाफ पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों में अर्धशतक जड़कर आलोचकों को करारा जवाब दिया हालांकि यह पूर्व कप्तान इन्हें शतक में तब्दील नहीं कर पाने के कारण निराश है.
पोंटिंग ने दो पारियों में 62 और 60 रन बनाये. उन्होंने तीसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा, ‘कुछ रन बनाकर अच्छा लग रहा है लेकिन जब आप 50 रन के पार चले जाते हो तो शीर्ष क्रम का बल्लेबाज होने के कारण बड़ा स्कोर खड़ा करना आपका काम हो जाता है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं निराश हूं कि मैं दोनों परियों में ऐसा नहीं कर पाया. विशेषकर दूसरी पारी में जबकि हमने टीम को संकट से उबारकर अच्छी स्थिति में पहुंचाया. जब मैं आउट हुआ तो हमने दो विकेट और गंवा दिये. चौथे दिन सुबह वास्तव में हमारे लिये बेहद महत्वपूर्ण होगी. हमें माइक हस्सी (नाबाद 79) से बड़ी पारी की दरकार है.’
पोंटिंग ने स्वीकार किया कि भारत को हराने के लिये उनकी टीम को कुछ और रन की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा, ‘हम अभी 230 रन आगे हैं और मुझे लगता है कि भारत इतने लक्ष्य को हासिल कर लेगा. हम इसमें और रन जोड़ना पसंद करेंगे.’ गेंदबाजों के इस दिन में भारत ने अपने आखिरी सात विकेट 68 रन के अंदर गंवाये जबकि आस्ट्रेलिया ने आठ विकेट पर 179 रन बनाये हैं.
उन्होंने अपने तेज गेंदबाजों की जमकर तारीफ की. पोंटिंग ने कहा, ‘आस्ट्रेलिया ने दूसरे दिन की तुलना में तीसरे दिन बेहतर लाइन और लेंथ से गेंदबाजी की. हमने आज सुबह बहुत अच्छी गेंदबाजी की. चौथे दिन यदि हम नयी गेंद से फिर से इसी तरह की शुरुआत करते हैं तो फिर से हमारे लिये मौका बन जाएगा.’
यह पूर्व कप्तान नहीं मानता कि मीडिया में आलोचना के कारण उन्हें इस टेस्ट मैच में अच्छा प्रदर्शन करने के लिये उकसाया. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि ड्रेसिंग रूम के बाहर लोग क्या कह रहे हैं. यदि मुझे लगता है कि मुझे ड्रेसिंग रूम के भीतर थोड़ा समर्थन मिल रहा है तो वह वास्तव में मेरे लिये काफी मायने रखता है.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे लिये प्रेरणा की कमी नहीं थी लेकिन मेरे लिये एक सफल टीम का सफल खिलाड़ी होना ज्यादा महत्वपूर्ण है. पिछले कुछ महीनों से जब सब कुछ मेरे अनुरूप नहीं चल रहा था तब मुझे लोगों का अपार समर्थन मिला. जहां तक नकारात्मकता से भागने का सवाल है तो मुझे नहीं लगता कि मैंने ऐसा किया. यदि किसी लेख से मुझे बेहतर खिलाड़ी बनने में मदद मिलती है तो मैं उसे पढ़ने के लिये तैयार हूं.’
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यह लेख है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद ने केंद्र की बीजेपी नीत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरी है और लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकी है।
प्रह्लाद ने ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप फेडरेशन द्वारा अपनी मांगों को लेकर जंतर मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। प्रह्लाद संघ के अध्यक्ष हैं और उन्होंने इसमें बीजेपी और उसकी सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, 'आपने बीजेपी को लोकसभा में बहुमत दिलाने के लिए मेहनत की, लेकिन फिर भी आपको धरना देने जंतर मंतर आना पड़ता है। मुझे लगता है कि यह एनडीए सरकार की नाकामी है।'
नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए प्रह्लाद ने कहा, 'मैं जो कर रहा हूं वह भाई के खिलाफ भाई का विद्रोह नहीं है। मेरे लिए मेरे भाई पूज्यनीय हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन मैं एक व्यवसाय में हूं और मुझे मेरे भाई के समक्ष अपनी आवाज उठाने के लिए इस मंच पर आना पड़ा।'
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी सरकार पर परोक्ष हमला बोलते हुए प्रह्लाद ने आरोप लगाया कि लगभग सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दल रिश्वत लेते हैं। उन्होंने कहा, 'अब जब नरेंद्र मोदी सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने के संदेश के साथ सत्ता में आई है तो हमें सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ा है।' उन्होंने बीजेपी को चेतावनी दी कि अगर पार्टी नीत सरकार जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं देती तो उत्तर प्रदेश और बिहार विधानसभा चुनावों में चुनावी सफलता नहीं मिलेगी।
प्रह्लाद ने कहा कि बीजेपी सरकार में पीडीएस दुकानदारों की समस्याओं का समाधान निकालने की दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम ये नहीं कहते ये सरकार निकम्मी है, नरेंद्र मोदी निकम्मे हैं, हम ऐसा नहीं कहते। लेकिन इस सरकार में हमारी समस्याओं पर ध्यान देने की मजबूत इच्छाशक्ति नहीं है।'
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साउथ कोरियन कंपनी सैमसंग भारत में मेक फॉर इंडिया सेलिब्रेट कर रही है. इसके कस्टमर्स को कई आकर्षक डील भी मिल रही है. इनमें से सबसे दिलचस्प 1 रुपये वाली डील है. इसके तहत आप महज 1 रुपये देकर Galaxy Note 5 या Galaxy S6 जैसे हाई एंड स्मार्टफोन खरीद सकते हैं.
1 रुपये दे कर स्मार्टफोन खरीदने के बाद
आपको सारे पैसे
10 EMI के जरिए देने होंगे. ये उन लोगों के लिए ही है जो फर्स्ट पेमेंट ऑप्शन में बजाज फाइनसर्व या कैपिटल फर्स्ट को सेलेक्ट करेंगे. इस डील की शुरुआत 29 अप्रैल से हुई है और 15 मई तक चलेगी.
आपको बता दें कि यहां आपको 33,900 रुपये में Galaxy S6 मिलेगा और Galaxy Note 5 42,500 रुपये में मिलेगा. कंपनी इनके साथ सभी डेबिट/क्रेडिट कार्ड्स पर 10
फीसदी तक का कैशबैक भी
दे रही है.
इस डील में Galaxy S6, Galaxy Note 5, Galaxy A7, Galaxy A5 और Galaxy Grand Prime 4G स्मार्टफोन्स शामिल हैं. इसके अलावा कंपनी टीवी, एसी और फ्रिज पर भी ऑफर्स दे रही है. डील्स के बारे में ज्यादा जानकारी कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध है.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी की करारी हार के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने आज ऐलान किया कि वह और उनकी पार्टी इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और अगर जनादेश मिला तो वह मुख्यमंत्री पद भी संभालेंगे।
गौरतलब है कि ठाकरे परिवार में अब तक किसी भी व्यक्ति ने न तो कभी चुनाव लड़ा है और न ही कोई सरकारी पद संभाला है।
राज ने आज एक कदम और बढ़ाते हुए साफ किया कि अगर एमएनएस को विधानसभा चुनावों में जीत मिली तो वह राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे। उन्होंने कहा, 'हमारी पार्टी के लिए लोगों के मन में बहुत प्यार और बहुत अपेक्षाएं हैं। अगर एमएनएस को जनादेश मिला तो मैं इसकी अगुवाई करने में नहीं हिचकूंगा।'
प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के समर्थन की घोषणा करने वाली एमएनएस ने लोकसभा चुनावों में महज नौ उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें ज्यादातर शिवसेना के खिलाफ थे। लेकिन लोकसभा चुनावों में मनसे का खाता भी नहीं खुल सका था। पार्टी के कई उम्मीदवारों की तो जमानत जब्त हो गई थी।
एमएनएस ने पहले एलान किया था कि राज ठाकरे पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। लोकसभा चुनावों में हार के बाद अपनी पहली रैली को संबोधित करते हुए राज ने कहा कि विधानसभा चुनावों में पार्टी जबर्दस्त वापसी करेगी। उन्होंने कहा, 'राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मेरा सफाया हो गया..पर यहां आई भीड़ को देखिए..क्या यह रैली किसी हारी हुई पार्टी की लग रही है?'
राज ने कहा कि जब वह शिवसेना में थे, उसी वक्त से उन्होंने हार देखी है। राज ने कहा, 'मुझे पता है कि हार से कैसे सीखना है और वापसी कैसे करनी है।' अपनी पार्टी के अब तक के प्रदर्शन की आलोचना पर राज ने कहा, 'अगर आपको मुझसे अपेक्षाएं हैं तो मुझे वक्त दीजिए।'
राज के चाचा बाल ठाकरे ने 1960 के दशक में शिवसेना की स्थापना की थी और बीजेपी के साथ गठबंधन कर 1995 में पार्टी को राज्य विधानसभा चुनावों में सत्ता दिलाई थी। हालांकि, बाल ठाकरे ने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा और न ही सरकार में कोई पद हासिल किया।
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रूसी टेनिस स्टार मारिया शारापोवा ने शनिवार को अपने करियर का पांचवां ग्रैंड स्लैम जीता. रोमानिया की सिमोना हालेप को हराकर शारापोवा ने दूसरी फ्रेंच ओपन का खिताब अपने नाम किया. इस रूसी बाला ने 6- 4, 6-7 (5-7), 6-4 से जीत दर्ज की.
यह फाइनल तीन घंटे दो मिनट तक चला जो 1996 में स्टेफी ग्राफ और अरांत्जा सांचेज के बीच चले फाइनल से केवल दो मिनट पीछे रह गया. यह 2001 के बाद तीन सेट तक चला पहला महिला फाइनल भी रहा.
सातवीं वरीयता प्राप्त शारापोवा ने अपना पहला रोलां गैरो खिताब 2012 में जीतकर अपना करियर ग्रैंडस्लैम पूरा किया था और वह पिछले साल सेरेना विलियम्स से हारकर उप विजेता रही थीं.
चौथी वरीय हालेप ग्रैंडस्लैम में अपना पहला फाइनल खेल रहीं थी और वह 1978 में वर्जिनिया रूजिकी के बाद चैम्पियन बनने वाली पहली रोमानियाई खिलाड़ी बनने की उम्मीद लगाए थीं जो अब उनकी मैनेजर हैं. लेकिन उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी.
27 वर्षीय शारापोवा इस तरह पांच ग्रैंडस्लैम जीतकर मार्टिना हिंगिस के बराबर पहुंच गई हैं. शारापोवा इस हफ्ते अपनी सर्विस में जूझती रही हैं और उन्होंने फाइनल में 12 डबल फाल्ट किए. शारापोवा को हालांकि यहां तक पहुंचने में 10 साल लगे, उन्होंने अपना पहला ग्रैंडस्लैम 2004 में विम्बलडन में जीता था.
इस जीत से वह सर्वकालिक ईनामी राशि कमाई में दूसरे नंबर पर पहुंच गईं, जिसमें अमेरिकी खिलाड़ी सेरेना विलियम्स उनसे आगे हैं. शारापोवा ने जीत के बाद कहा, ‘मैंने अभी तक जो भी ग्रैंडस्लैम फाइनल खेलें हैं, यह उनमें सबसे कठिन था.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे भरोसा नहीं हो रहा है कि 27 साल की उम्र में मैंने किसी अन्य ग्रैंडस्लैम से ज्यादा फ्रेंच ओपन जीत लिए हैं.’ हालांकि हालेप के लिए यह सांत्वना भरी बात यह है कि वह विश्व रैंकिंग में करियर की सर्वश्रेष्ठ तीसरी रैंकिंग पर पहुंच जाएंगी.
दोनों खिलाड़ी फाइनल में बिल्कुल अलग तरीके से जीत दर्ज करके पहुंची. चौथी वरीय हालेप ने जहां अपने छह मैचों में एक भी सेट नहीं गंवाया तो वहीं सातवीं वरीय शारापोवा को पिछले तीन मुकाबलों में एक सेट से पिछड़ने के बाद वापसी के लिए जूझना पड़ा. लेकिन रूसी खिलाड़ी को अनुभव होने का लाभ मिला, यह पिछले 10 साल में उनका नौंवा ग्रैंडस्लैम फाइनल है, जबकि हालेप 22 वर्ष की उम्र में अपना पहला ग्रैंडस्लैम खेल रही थीं.
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जेएनयू में देशद्रोही नारेबाजी के आरोपी छात्रों के मौजूद होने की बात पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर बी एस बस्सी ने कहा कि हमारे पास इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और कार्रवाई के सारे विकल्प खुले हैं. जरूरत पड़ने पर हम कानून के मुताबिक कार्रवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि जेएनयू कैंपस की आड़ में आरोपी छात्र बैठे हैं.
प्रेस क्लब मामले में भी कड़ी कार्रवाई
आजतक को दिए
इंटरव्यू में बस्सी
ने कहा कि हम घटनाओं में फर्क नहीं करते. जेएनयू की तरह ही हमने प्रेस क्लब में हुई नारेबाजी पर भी कार्रवाई की. गिलानी और अली जावेद से पूछताछ की, मामले दर्ज किए. गिरफ्तारी भी की. उन्होंने कहा कि इस मामले में हम आगे भी कार्रवाई करेंगे.
स्टिंग में वकीलों ने किए बढ़ा-चढ़ाकर दावे
ऑपरेशन पटियाला हाउस स्टिंग देखने के बावजूद दिल्ली
पुलिस कमिश्नर
बी एस बस्सी ने पुलिस कार्रवाई पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि स्टिंग में वकीलों ने बढ़ा-चढ़ाकर हवाई बातें की है. उसको नजरअंदाज करिए. पुलिस घटना की मेरिट पर कार्रवाई करती है. इसलिए घटना को अधिक तूल नहीं दिया जाना चाहिए. हम जांच कर रहे हैं.
वकीलों ने गुस्से में की थी झड़प
वकीलों पर नरम धारा लगाने जैसे सवाल पर बस्सी ने कहा कि हमारे मंशा पर सवाल का कोई मतलब नहीं है. जो उचित धाराएं थीं हमने उसके मुताबिक मामले दर्ज किए. उन्हें समन भेजा गया है. बस्सी ने बताया कि
वकीलों में गुस्सा था
और उनकी संख्या ज्यादा थी. उन्होंने पत्रकारों से झड़प की और कन्हैया पर हाथ उठाए. उन्हीं पत्रकारों ने फिर पूरी रिपोर्टिंग की. किसी को कई बड़ी चोट नहीं आई.
जरूरत हुई तो करेंगे गिरफ्तारी
बस्सी ने बताया कि आम आदमी पार्टी नेताओं पर भी कानून के दायरे में ही कार्रवाई की गई थी. हम वकीलों पर भी कार्रवाई करेंगे. जरूरत पड़ी तो वारंट लेकर उन्हें
गिरफ्तार भी करेंगे
. जेएनयू के कई छात्रों का कहना था कि नारे लगाने वाले लोग बाहर से आए थे.
उच्च स्तरीय जांच समिति ने दी जानकारी
इस बीच जेएनयू में देशद्रोही नारेबाजी मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए गठित आंतरिक समिति ने 9 फरवरी को हुए विवादित समारोह को लेकर कुछ जानकारियों को जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर और दिल्ली पुलिस के साथ साझा किए हैं. इसमें समिति ने दस्तावेजों के साथ उन 8 लोगों की तस्वीरें भी दी हैं, जिनके बारे में समारोह में देश विरोधी नारेबाजी करने में सक्रिय होने की बात कही गई है. समिति 25 फरवरी को अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपेंगी.
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
अमरिंदर सिंह
शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिले. मुलाकात के बाद अमरिंदर ने पार्टी से नाराज होने संबंधी खबरों को खारिज करते हुए कहा, 'मैं सांसद हूं, लोकसभा स्पीकर डिप्टी लीडर हूं, मैं क्यों पार्टी छोड़ने लगा? मैं पार्टी समर्थक हूं. मैंने सोनिया जी से मुलाकात की और बताया कि मेरी मां की तबीयत बहुत खराब है. उन्होंने मुझे मां के पास रहने को कहा है.'
इससे पहले खबर आई थी कि अमरिंदर पार्टी से नाराज हैं और जल्द ही नई पार्टी बना सकते हैं. अमरिंदर सिंह काफी समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं. इसी के चलते वह पिछले सत्र में संसद भी नहीं आए थे.
गौरतलब है कि अमरिंदर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप बाजवा को हटाने पर अड़े हैं, लेकिन पार्टी ऐसा करने को तैयार नहीं है.कांग्रेस में चल रही इस कलह पर बीजेपी नेता भी पैनी नजर बनाए हुए हैं. सूत्रों का यह भी कहना है कि अमरिंदर सिंह पर बीजेपी भी डोरे डाल रही है.
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अक्षय कुमार को फिल्म 'रुस्तम' के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है. बहुत कम लोगों को पता होगा कि अक्षय जब इंडस्ट्री में आए थे, तब उनके इतने लंबे करियर के बारे में कम ही लोगों ने उम्मीद की थी. लेकिन कुछ खास टिप्स उनकी समझ में आ गए, जिसके दम पर आज वह अपने बूते इंडस्ट्री में टॉप पर जमे हुए हैं.
अगर आपकी नजरें भी ऐसी ही सफलता पर टिकी हैं तो आज से ही
अक्षय कुमार
की इन 10 नियमों की राह पर चलना शुरू कर दें -
1. मेहनत, मेहनत और मेहनत
अक्षय ने इंडस्ट्री में मुकाम बिना किसी गॉडफादर के बनाया है. चांदनी चौक की गलियों से निकल कर बैंकॉक में खाना बनाने की नौकरी करने के बाद बॉलीवुड के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले एक्टर्स में शामिल होना, वाकई कड़ी मेहनत के बिना मुमकिन नहीं था.
जानें कौन है अक्षय कुमार का गुरु
2. हारने पर भी नहीं हारी हिम्मत
अक्षय कुमार ने अपने करियर में बुरा दौर भी देखा है. एक समय पर आलोचक उनको इंडस्ट्री से आउट मान चुके थे लेकिन उन्होंने अपने जज्बे को बनाए रखा. और इसका नतीजा आज हमारे सामने है.
3. परिवार से प्यार
परिवार को टाइम कैसे देना है और इसे प्राथमिकता पर कैसे रखना है, इस बात को
खिलाड़ी बाबू
बखूबी जानते हैं. ट्विंकल से उनकी शादी को 10 साल से ज्यादा हो गए. लेकिन कभी किसी अनबन की बात सामने नहीं आई. अपने पिता के भी वह काफी करीब रहे. यही वजह है कि उनके पैर कभी गलत रास्ते नहीं गए.
4. कुछ नया ट्राई करो
अक्षय का करियर ग्राफ दिखाता है कि कुछ नया आजमाने से वे कभी भी झिझके नहीं. फिर भले ही इसके लिए उनको अपना कंफर्ट जोन छोड़ना पड़ा हो. और इसका अच्छा नतीजा भी उनको मिला. आखिर अब
वह हर चीज के मास्टर
जो माने जाते हैं.
5. जमीन से जुड़े रहे
कितनी भी सफलता मिल जाए, उसे कभी खुद पर सवार न होने दो. हर सूरत में विनम्र बने रहने की उनकी खूबी ने उनको आज इंडस्ट्री में एक खास मुकाम दिलवाया है.
6. फिटनेस पर फोकस
अगर सेहत अच्छी नहीं होगी तो जिंदगी में किसी भी चीज का मजा नहीं ले पाएंगे. इसलिए अक्षय कुमार ने हमेशा से फिटनेस पर ध्यान दिया है. अब जिंदगी को भरपूर जीने के लिए 'खिलाड़ी कुमार' से यह सबक तो लेना बनता है.
7. विवादों से बचो
बॉलीवुड के कई सितारों का नाम अक्सर किसी न किसी विवाद में उठता रहता है. लेकिन
अक्षय का फंडा
यही रहा कि काम पर पूरा फोकस रखना है तो ऐसी बातों से बचना ही बेहतर है.
8. जिम्मेदार नागरिक
अक्षय कुमार का नाम उन एक्टर्स में शामिल है, जो खुलकर टैक्स देते हैं. यही नहीं, ट्रैफिक नियमों और जिम्मेदार नागरिक के दूसरे कर्तव्यों का भी वह पूरी तरह पालन करते हैं. एक बार तो उन्होंने कार से उतर कर किसी को सड़क पर कचरा फेंकने से रोका था. जान लें कि आगे बढ़ने के लिए इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना भी जरूरी है.
9. समय के साथ चलो
वक्त के साथ अक्षय ने न सिर्फ फिल्मों की अपनी चॉइस बदली है, बल्कि इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ दोस्ती भी गांठी है. ये भी सक्सेस पाने का एक बड़ा राज है.
10. नए लोगों का साथ
अक्षय
ने अपनी जमी हुई टीम से हटकर नए लोगों के साथ काम किया. उनका काम एक लीक में नहीं बंधा और उनको पसंद करने वालों का दायरा भी बढ़ता गया.
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अर्जुन पुरस्कार विजेता ड्राइवर गौरव गिल (Gaurav Gill) की कार शनिवार को राष्ट्रीय रैली चैम्पियनशिप की रेस के दौरान ट्रैक पर आयी एक मोटरसाइकिल से टकरा गयी जिसमें एक बच्चे समेत तीन लोगों की मौत हो गयी. गिल हाल ही में अर्जुन पुरस्कार पाने वाले पहले रैली चालक बने. दुर्घटना में उन्हें भी चोट आयी है और वह अस्पताल में है. यह दुर्घटना एफएमएससीआई इंडियन रैली चैम्पियनशिप 2019 के तीसरे दौर के दौरान हुआ. इसका नाम मैक्सपीरिएंस रैली रखा गया था. अधिकारियों के अनुसार यह दुर्घटना उस समय हुई जब रेसिंग प्रतियोगिता में शामिल एक कार ने होतरड़ा गांव के पास ट्रैक पर सामने से आ रही बाइक को टक्कर मार दी जो प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस गयी थी.
तहसीलदार राकेश जैन ने बताया कि हादसे में नरेंद्र (पुत्र नेमराम), उसकी पत्नी पुष्पा व उनके बेटे जितेंद्र की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. उन्होंने बताया, ‘यह कार एक कार रेसिंग काफिले का हिस्सा थी. इस प्रतियोगिता का आयोजन हरियाणा की एक कंपनी मैक्सपीरियंस कर रही थी.' रेसिंग ट्रैक पर हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद शनिवार को इस रैली को रद्द कर दिया गया. रैली के स्थानीय आयोजक अरविंद बालन ने कहा, ‘रैली में शामिल एक कार द्वारा मोटरसाइकिल पर सवार तीन लोगों को टक्कर मारे जाने की दुखद: घटना के बाद आईएनआरसी इंडियन रैली चैम्पियनशिप के तीसरे दौर को रद्द कर दिया गया. मोटरसाइकिल गलती से प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस गई थी. कार काफी तेज रफ्तार में थी और चालक तीखे मोड़ के कारण मोटरसाइकिल को देख भी नहीं सका.'
आईएनआरसी के प्रमोटर वाम्सी मेरला ने पीटीआई से कहा, ‘स्टेज एक में गौरव की कार सबसे आगे थी. वह लगभग 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी. वह एक तीखे मोड़ पर मुड़ते ही मोटरसाइकिल से टकरा गयी. गौरव ने ब्रेक लगाकर कार रोकने की कोशिश की लेकिन रफ्तार के कारण वह कुछ नहीं कर सके.' एफएफएससीआई के अध्यक्ष और प्रतियोगिता के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जे. पृथ्वीराज ने कहा, ‘सभी तरह के सुरक्षा मानकों का पालन करने के बावजूद ट्रैक पर यह दुखद: घटना हुई. हम इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं. दुख के इस पल में समूचा मोटरस्पोटर्स परिवार उनके साथ खड़ा है.'
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डार्क स्पॉट्स पर एक समान रोशनी सुनिश्चित करने के निर्देश
बसों में CCTV व पैनिक बटन लगाने की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राज निवास में महिला सुरक्षा मुद्दों पर गठित टास्क फोर्स की 10वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में एनजीओ 'सेफ्टीपिन' ने दिल्ली में महिला सुरक्षा में सुधार के लिए विभिन्न मानक जैसे कि डार्क स्पॉट, दृश्यता, वॉक-पाथ और सार्वजनिक परिवहन पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत किया.
सेफ्टीपिन ने उन क्षेत्रों के बारे में बताया जहां उन्होंने सर्वेक्षण किया है. इसमें उन्होंने लगभग 3077 किलोमीटर एरिया को कवर किया. इन क्षेत्रों की एक लाख से अधिक फोटो ली. सर्वे में वर्ष 2016 में जहां 7438 डार्क स्पॉट्स की पहचान की गई थी. वर्ष 2019 के सर्वे में केवल 2780 डार्क स्पॉट की पहचान की गई.
उपराज्यपाल को दिल्ली पुलिस द्वारा महिला सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कई कदमों के बारे में सूचित किया. जैसे, 15 पीसीआर केवल महिलाओं द्वारा चालित की जा रही हैं. संवेदनशील क्षेत्रों में 30 पराक्रम वैन संचालित हैं. 259 महिला बीट पुलिसकर्मी साइकिल एवं मोटरसाइकिल से गश्त कर रही हैं.
केवल महिलाओं से बनी SWAT टीम को शामिल किया गया है. 312 महिला पुलिस अधिकारियों को 196 पीसीआर वैन में (दिन-रात शिफ्ट) तैनात किया गया है. 500 पीसीआर वैन लड़कियों के स्कूलों एवं कालेजों के समीप तैनात किया है. विशेष पुलिस आयुक्त (महिला सुरक्षा) की अध्यक्षता में गैर सरकारी संगठनों एवं अन्य हितधारकों, जो कि महिला सुरक्षा के कार्यों में संलग्न हैं, के साथ नियमित बैठक की जा रही है.
वर्ष 2018 में 3,25,086 लड़कियों/महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया, इस उपलब्धि को लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में अंकित किया गया. दिल्ली पुलिस ने यह भी बताया है कि उन्होंने पुलिस में महिलाओं की भर्ती के लिए विशेष अभियान चलाया है.
परिवहन विभाग ने यह बताया कि सीसीटीवी व पैनिक बटन वाली 1000 बसों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. 3 सीसीटीवी एवं 14 पैनिक बटन वाले 25 बसों को 20 अगस्त 2019 को क्लस्टर बेड़े में शामिल किया जा चुका है. यह भी बताया गया कि सीसीटीवी एवं पैनिक बटन के लिए निविदा अंतिम चरण में है एवं वर्तमान में संचालित बसों में भी सीसीटीवी अप्रैल 2020 तक लगा दिए जाएंगे.
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक ने उपराज्यपाल को बताया कि 892 सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी लगा दिए गए हैं. अब तक 63 स्कूल भवनों के बाहर सीसीटीवी कवरेज सुनिश्चित की गई है एवं शेष स्कूलों को दिसम्बर 2019 तक कवर कर लिया जाएगा.
उपराज्यपाल ने लोक निर्माण विभाग, एमसीडी और अन्य संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया कि सभी चिन्हित डार्क स्पॉट पर स्ट्रीटलाईट लगाई जाए. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को डार्क स्पॉट्स पर एक समान और अबाध्य रोशनी सुनिश्चित करने के लिए नियमित जांच करने को कहा.
उपराज्यपाल ने परिवहन विभाग को बसों में सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा और यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि सभी डीटीसी एवं क्लस्टर बसों में महिला हेल्पलाईन नम्बर ठीक ढंग से प्रदर्शित हों.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने शहर में उपज रहे ऐसे स्पा, जिसमें अवैध गतिविधियां हो रही हैं, का भी मुद्दा उठाया. उपराज्यपाल ने पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वह इस मामले में कठोर कार्रवाई करे.
अंततः उपराज्यपाल ने कहा कि सभी हितधारक दिल्ली को महिलाओं के लिए एक सुरक्षित शहर बनाने के लिए एक केंद्रित और समन्वित रणनीति पर कार्य करें. मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि विभागों को जागरूकता और संवेदीकरण पैदा करने के लिए अपने प्रयास जारी रखने चाहिए.
इस बैठक में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष, पुलिस आयुक्त, दिल्ली प्रधान सचिव (कानून व न्याय), दिल्ली सरकार, आयुक्त, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली पुलिस के विशेष सचिव (महिला सुरक्षा), मुख्य कार्यकारी अधिकारी (डूसिब), सचिव (टीटीई), दिल्ली सरकार, सचिव, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, सचिव (समाज कल्याण), दिल्ली सरकार, निदेशक ( शिक्षा), दिल्ली सरकार, विशेष सचिव (गृह) दिल्ली सरकार, सदस्य सचिव (डीएसएलएसए) और सेफ्टीपीन के सदस्य शामिल हुए.
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समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता मोहन सिंह को गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने एक बयान जारी कर कहा, "सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के निर्देशानुसार मोहन सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से हटाया जाता है। उनके स्थान पर महासचिव राम गोपाल यादव को राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया है।"टिप्पणियां
मोहन सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से क्यों हटाया गया, इसका बयान में जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि बाहुबली नेता डीपी यादव को सपा में नहीं लिए जाने के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के फैसले पर सवाल उठाए जाने के कारण पार्टी नेतृत्व की नाराजगी झेलनी पड़ी।
अखिलेश यादव के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए मोहन सिंह ने कहा था कि इस बारे में अंतिम फैसला सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह लेंगे। उन्होंने डीपी यादव की तारीफ करते हुए उन्हें सम्मानजनक नेता भी बताया था।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने एक बयान जारी कर कहा, "सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के निर्देशानुसार मोहन सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से हटाया जाता है। उनके स्थान पर महासचिव राम गोपाल यादव को राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया है।"टिप्पणियां
मोहन सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से क्यों हटाया गया, इसका बयान में जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि बाहुबली नेता डीपी यादव को सपा में नहीं लिए जाने के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के फैसले पर सवाल उठाए जाने के कारण पार्टी नेतृत्व की नाराजगी झेलनी पड़ी।
अखिलेश यादव के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए मोहन सिंह ने कहा था कि इस बारे में अंतिम फैसला सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह लेंगे। उन्होंने डीपी यादव की तारीफ करते हुए उन्हें सम्मानजनक नेता भी बताया था।
मोहन सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से क्यों हटाया गया, इसका बयान में जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि बाहुबली नेता डीपी यादव को सपा में नहीं लिए जाने के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के फैसले पर सवाल उठाए जाने के कारण पार्टी नेतृत्व की नाराजगी झेलनी पड़ी।
अखिलेश यादव के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए मोहन सिंह ने कहा था कि इस बारे में अंतिम फैसला सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह लेंगे। उन्होंने डीपी यादव की तारीफ करते हुए उन्हें सम्मानजनक नेता भी बताया था।
अखिलेश यादव के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए मोहन सिंह ने कहा था कि इस बारे में अंतिम फैसला सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह लेंगे। उन्होंने डीपी यादव की तारीफ करते हुए उन्हें सम्मानजनक नेता भी बताया था।
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अभिनेत्री नीतू चंद्रा तमिल फिल्मों में अपने काम से संतुष्ट हैं. नीतू ने '13 बी' 'ओए लकी! लकी ओए!' और 'रन' जैसी हिंदी फिल्मों में काम किया है.
नीतू ने ट्विटर पर लिखा, 'तमिल सिनेमा ने मुझे बेहतरीन मौके दिए हैं. मुझे तमिल फिल्मों में काम करने का गर्व है. मैंने तमिल भाषा की तीन फिल्मों में काम किया और उनसे संतुष्ट हूं.' 'यवारूम नालम' 'थिराधा विलाइयात्तु पिल्लई' और 'युद्धम सेई' के बाद 'आधी भगवान' उनकी चौथी तमिल फिल्म है.
नीतू अपने आलोचकों का शुक्रिया करते हुए कहती हैं कि उनके वास्तविक आलोचक ही उनकी प्रेरणा हैं.
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मेट्रो परियोजनाओं का किया उद्घाटन
मोदी ने विले पार्ले में लोकमान्य सेवा संघ तिलक मंदिर में गणपति की पूजा की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मुंबई में कई मेट्रो परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. इससे पहले उन्होंने गणपति की पूजा अर्चना की. मुंबई पहुंचने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एयरपोर्ट पर पीएम मोदी की अगवानी की. पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम को भी संबोधित किया
-प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब देश 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है, तब हमें अपने शहरों को भी 21वीं सदी की दुनिया के मुताबिक बनाना ही होगा. इसी सोच के साथ हमारी सरकार अगले पांच साल में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. इस सरकार को 100 दिन हो रहे हैं और इन 100 दिनों में ही ऐसे-ऐसे कार्य हुए हैं, जो अभूतपूर्व हैं, ऐतिहासिक हैं.
-उन्होंने कहा कि बीते पांच वर्षों में ‘आमची मुंबई’ के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए हमने बहुत ईमानदारी से प्रयास किया है. यहां फडनवीस जी की सरकार ने मुंबई और महाराष्ट्र के एक एक प्रोजेक्ट के लिए कितनी मेहनत की है, मैं जानता हूं.
-बांद्रा-कुर्ला को एक्सप्रेस हाईवे से जोड़ने वाला प्रोजेक्ट तो लाखों प्रोफेशनल्स के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आएगा. BKC तो बिजनेस एक्टिविटी का बहुत बड़ा सेंटर है. अब यहां आना-जाना और आसान होगा, कम समय में हो पाएगा. इन सारी परियोजनाओं के लिए मैं आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
-पीएम मोदी ने कहा ये सभी परियोजनाएं मुंबई के इंफ्रास्ट्रक्चर को नया आयाम तो देंगी हीं, यहां के लोगों के जीवन को आसान बनाने में भी मदद करेंगी.
-प्रधानमंत्री ने मुंबई में मेट्रो परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बादे लोगों को संबोधित किया और इसरो के वैज्ञानिकों की सराहना की. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों की सादगी और स्नेह मुझे हमेशा अभिभूत कर देता है. चुनाव प्रचार के दौरान महाराष्ट्र के अनेक शहरों में गया, आप लोगों से बात की. मुंबई में तो, जो रात में सभा हुई थी, उसकी चर्चा कई दिनों तक की गई थी. इस स्नेह के लिए, इस आशीर्वाद के लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं.
-उन्होंने कहा कि सबसे ऊंचे स्तर पर वो लोग पहुंचते हैं जो लगातार रुकावट के बावजूद, बड़ी से बड़ी चुनौतियों के बावजूद, निरंतर प्रयास करते रहते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करके ही दम लेते हैं.
Addressing a public meeting in the dynamic city of Mumbai.
https://t.co/gd8zDtfGRD
— Narendra Modi (@narendramodi)
September 7, 2019
बता दें कि आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को यहां लगभग 19 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले तीन और मेट्रो कॉरिडोर की आधारशिला रखी. लेकिन इससे पहले मोदी ने विले पार्ले में लोकमान्य सेवा संघ तिलक मंदिर में गणपति की पूजा-अर्चना की.
महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. मोदी आरे कॉलोनी क्षेत्र में मेट्रो भवन के लिए भूमिपूजन किया. हालांकि पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने आरे कॉलोनी में मेट्रो परियोजना का मुख्य कारशेड बनाए जाने संबंधी महाराष्ट्र सरकार के निर्णय की आलोचना की थी. इस काम के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों को काटे जाने की जरूरत होगी.
तीन मेट्रो परियोजनाएं जिनकी प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की उनमें 9.2-किलोमीटर गैमुख-शिवाजी चौक (मीरा रोड) मेट्रो -10 कॉरिडोर हैं, 12.8 किलोमीटर वाला वडाला-सीएसटी मेट्रो -11 कॉरिडोर और 20.7 किलोमीटर कल्याण-तलोजा मेट्रो -12 कॉरिडोर शामिल हैं.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह को गुरुवार को भीड़ ने बंधक बना लिया। दरअसल, वैशाली जिले के लालगंज में लोगों ने एक योजना में गड़बड़ियों को लेकर जाम लगा रखा था। इसमें काफी संख्या में बच्चे भी मौजूद थे। इसके बाद जब मंत्री जी वहां पहुंचे तो लोगों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया और हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान उग्र भीड़ ने मंत्री की गाड़ी के शीशे भी फोड़ दिए।
किसी तरह से मंत्री रामाधार सिंह अपनी गाड़ी से बाहर निकलकर एक घर में पहुंचे। यहां भी भीड़ ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। करीब चार घंटे तक यहां भी हंगामा होता रहा और तब जाकर प्रशासन ने रामाधार सिंह के लिए सुरक्षा का इंतजाम किया और किसी तरह से भीड़ को तितरबितर कर मंत्री रामाधार सिंह को वहां से ले जाया गया।
किसी तरह से मंत्री रामाधार सिंह अपनी गाड़ी से बाहर निकलकर एक घर में पहुंचे। यहां भी भीड़ ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। करीब चार घंटे तक यहां भी हंगामा होता रहा और तब जाकर प्रशासन ने रामाधार सिंह के लिए सुरक्षा का इंतजाम किया और किसी तरह से भीड़ को तितरबितर कर मंत्री रामाधार सिंह को वहां से ले जाया गया।
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यह एक लेख है: 9 जनवरी को प्रकाशित हिन्दी के तमाम प्रमुख अख़बार 'मुलायम-अखिलेश की रार' और कालेधन पर केंद्र सरकार की नोटबंदी की बाद खातों की जांच के 'नए वार' की ख़बरों से रंगे हुए हैं.
बकौल 'नई दुनिया,' नोटबंदी से नकेल का नया चरण शुरू, बैंकों से मांगी 9 नवंबर से पहले खातों में जमा राशि की जानकारी. अख़बार ने बेंगलुरु में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री के उस बयान को भी सुर्खी बनाया है जिसमें उन्होंने कहा है- 'कालेधन के राजनीतिक पुजारी नोटबंदी का कर रहे हैं विरोध'.
कालेधन की ख़बरों को ही आगे बढ़ाते हुए बेनामी सम्पत्ति पर 'दैनिक जागरण' ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, 'सत्येंद्र जैन हो सकते हैं बेनामी संपत्ति कानून के पहले शिकार.' अख़बार लिखता है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ बेनामी संपत्ति के आयकर विभाग ने तमाम सबूत इकट्ठा कर लिए हैं.
'दैनिक भास्कर' ने समाजवादी में चल रही रार पर बड़ा ही सुंदर कार्टून देते हुए 'द ग्रेट पॉलिटिकल फैमली ड्रामा' शीर्षक से लिखा है- 'मुलायम या सिंह, पहले कहा-सब कुछ बेटे का, फिर बोले- मैं ही सबकुछ'.
'दैनिक भास्कर' ने रायपुर की महिलाओं की कामयाबी से जुड़ी एक ख़बर को भी अपने पहले पन्ने पर जगह दी है.
भास्कर ने शीर्षक दिया है- 'कोयला खदानों में पुरुषों को मिलता था विस्फोट का काम, पहली बार इन पांच महिलाओं ने ताड़ी यह परंपरा'. बकौल भास्कर, साउथ ईस्ट कोल फील्ड लिमिटेड के चिरमिरी माइंस में ब्लास्टिंग का काम कर रही हैं महिलाएं.
'अमर उजाला' ने पहाड़ों पर बर्फबारी की तस्वीरों के साथ ख़बर दी है- 'दिल्ली में 2 दिनों में पड़ेगी कड़ाके की ठंड'.
मौसम विभाग के हवाले से अख़बार लिखता है कि दिल्ली के तापमान में 5 डिग्री की और गिरावट दर्ज होगी.
'हिन्दुस्तान' ने दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले की ख़बर को 'किताबगिरी' शीर्षक से लिखा है- 'इस बार नई सोच की लेखिकाओं का दबदबा.'टिप्पणियां
'नवभारत टाइम्स' ने खेल के पन्ने पर ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के उप कप्तान की अपने खिलाड़ियों को भारत के प्रति दी चेतावनी को प्रमुख ख़बर बनाया है- अख़बार लिखता है- 'वार्नर की वार्निंग, कहा-भारत में नहीं चलेगा कोई बहाना.'
बकौल 'नई दुनिया,' नोटबंदी से नकेल का नया चरण शुरू, बैंकों से मांगी 9 नवंबर से पहले खातों में जमा राशि की जानकारी. अख़बार ने बेंगलुरु में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री के उस बयान को भी सुर्खी बनाया है जिसमें उन्होंने कहा है- 'कालेधन के राजनीतिक पुजारी नोटबंदी का कर रहे हैं विरोध'.
कालेधन की ख़बरों को ही आगे बढ़ाते हुए बेनामी सम्पत्ति पर 'दैनिक जागरण' ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, 'सत्येंद्र जैन हो सकते हैं बेनामी संपत्ति कानून के पहले शिकार.' अख़बार लिखता है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ बेनामी संपत्ति के आयकर विभाग ने तमाम सबूत इकट्ठा कर लिए हैं.
'दैनिक भास्कर' ने समाजवादी में चल रही रार पर बड़ा ही सुंदर कार्टून देते हुए 'द ग्रेट पॉलिटिकल फैमली ड्रामा' शीर्षक से लिखा है- 'मुलायम या सिंह, पहले कहा-सब कुछ बेटे का, फिर बोले- मैं ही सबकुछ'.
'दैनिक भास्कर' ने रायपुर की महिलाओं की कामयाबी से जुड़ी एक ख़बर को भी अपने पहले पन्ने पर जगह दी है.
भास्कर ने शीर्षक दिया है- 'कोयला खदानों में पुरुषों को मिलता था विस्फोट का काम, पहली बार इन पांच महिलाओं ने ताड़ी यह परंपरा'. बकौल भास्कर, साउथ ईस्ट कोल फील्ड लिमिटेड के चिरमिरी माइंस में ब्लास्टिंग का काम कर रही हैं महिलाएं.
'अमर उजाला' ने पहाड़ों पर बर्फबारी की तस्वीरों के साथ ख़बर दी है- 'दिल्ली में 2 दिनों में पड़ेगी कड़ाके की ठंड'.
मौसम विभाग के हवाले से अख़बार लिखता है कि दिल्ली के तापमान में 5 डिग्री की और गिरावट दर्ज होगी.
'हिन्दुस्तान' ने दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले की ख़बर को 'किताबगिरी' शीर्षक से लिखा है- 'इस बार नई सोच की लेखिकाओं का दबदबा.'टिप्पणियां
'नवभारत टाइम्स' ने खेल के पन्ने पर ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के उप कप्तान की अपने खिलाड़ियों को भारत के प्रति दी चेतावनी को प्रमुख ख़बर बनाया है- अख़बार लिखता है- 'वार्नर की वार्निंग, कहा-भारत में नहीं चलेगा कोई बहाना.'
'दैनिक भास्कर' ने रायपुर की महिलाओं की कामयाबी से जुड़ी एक ख़बर को भी अपने पहले पन्ने पर जगह दी है.
भास्कर ने शीर्षक दिया है- 'कोयला खदानों में पुरुषों को मिलता था विस्फोट का काम, पहली बार इन पांच महिलाओं ने ताड़ी यह परंपरा'. बकौल भास्कर, साउथ ईस्ट कोल फील्ड लिमिटेड के चिरमिरी माइंस में ब्लास्टिंग का काम कर रही हैं महिलाएं.
'अमर उजाला' ने पहाड़ों पर बर्फबारी की तस्वीरों के साथ ख़बर दी है- 'दिल्ली में 2 दिनों में पड़ेगी कड़ाके की ठंड'.
मौसम विभाग के हवाले से अख़बार लिखता है कि दिल्ली के तापमान में 5 डिग्री की और गिरावट दर्ज होगी.
'हिन्दुस्तान' ने दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले की ख़बर को 'किताबगिरी' शीर्षक से लिखा है- 'इस बार नई सोच की लेखिकाओं का दबदबा.'टिप्पणियां
'नवभारत टाइम्स' ने खेल के पन्ने पर ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के उप कप्तान की अपने खिलाड़ियों को भारत के प्रति दी चेतावनी को प्रमुख ख़बर बनाया है- अख़बार लिखता है- 'वार्नर की वार्निंग, कहा-भारत में नहीं चलेगा कोई बहाना.'
'अमर उजाला' ने पहाड़ों पर बर्फबारी की तस्वीरों के साथ ख़बर दी है- 'दिल्ली में 2 दिनों में पड़ेगी कड़ाके की ठंड'.
मौसम विभाग के हवाले से अख़बार लिखता है कि दिल्ली के तापमान में 5 डिग्री की और गिरावट दर्ज होगी.
'हिन्दुस्तान' ने दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले की ख़बर को 'किताबगिरी' शीर्षक से लिखा है- 'इस बार नई सोच की लेखिकाओं का दबदबा.'टिप्पणियां
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'हिन्दुस्तान' ने दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले की ख़बर को 'किताबगिरी' शीर्षक से लिखा है- 'इस बार नई सोच की लेखिकाओं का दबदबा.'टिप्पणियां
'नवभारत टाइम्स' ने खेल के पन्ने पर ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के उप कप्तान की अपने खिलाड़ियों को भारत के प्रति दी चेतावनी को प्रमुख ख़बर बनाया है- अख़बार लिखता है- 'वार्नर की वार्निंग, कहा-भारत में नहीं चलेगा कोई बहाना.'
'नवभारत टाइम्स' ने खेल के पन्ने पर ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के उप कप्तान की अपने खिलाड़ियों को भारत के प्रति दी चेतावनी को प्रमुख ख़बर बनाया है- अख़बार लिखता है- 'वार्नर की वार्निंग, कहा-भारत में नहीं चलेगा कोई बहाना.'
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सिक्किम में भूकंप में मची तबाही की असली तस्वीर सामने आ रही है। सेना की ओर से किए गए एक हवाई सर्वे से पता चला है कि उत्तरी सिक्किम के कम से कम पांच गांव मटियामेट हो गए हैं। सर्वे के दौरान इन गांवों के आसपास कोई दिखाई भी नहीं दिया है। ऐसे में जान−माल के भारी नुकसान की आशंका बढ़ गई है। साथ ही तीस्ता ऊर्जा हाइडेल प्रोजेक्ट में काम करने वाले 40 मजदूरों में से 11 के शव बरामद हुए हैं। जैसे-जैसे बचाव और राहत की टीमें दूरदराज के इलाकों में पहुंच रही हैं वैसे-वैसे मरने वालों की गिनती बढ़ती ही जा रही है। सिक्किम की सरकार ने अब तक मरने वालों की संख्या 69 बताई है। इस भूकंप में कम से कम एक लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। अभी भी कई रास्ते बंद होने से राहत और बचाव अभियान में मुश्किलें आ रही हैं। सेना और राष्ट्रीय आपदा राहत और प्रबंधन के राहतकर्मियों ने 30 से 40 किलोग्राम का राशन और दवाईयां लेकर उन इलाकों की तरफ पैदल ही निकल पड़े हैं जहां तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। इन इलाकों तक पहुंचने में इन्हें 3 से 4 दिन लगेंगे।
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भारत में स्वतंत्रता दिवस के जश्न के बीच पाकिस्तानी सैनिकों ने एक बार फिर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए जम्मू क्षेत्र के कुछ अग्रिम इलाकों में दो स्थानों पर भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल के ठिकानों पर मोर्टार और राकेट दागे.
सेना सूत्रों के अनुसार जम्मू सेक्टर के आरएस पुरा में अंतरराष्ट्रीय सीमा के इर्द गिर्द एक घंटे के अंदर दो बार गोलाबारी की गई. इन दो घटनाओं के साथ यह 24वां मौका है जब पाकिस्तानी सेना ने नवंबर 2003 में भारत के साथ हुए संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन किया है.
बीएसएफ के उपमहानिरीक्षक जे बी सांगवान ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से बल की संगरूर अब्दुलियान चौकी पर रात करीब ढाई बजे चार पांच राकेट दागे गए, हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया कि बीएसएफ चौकी पर किसने राकेट दागे.
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एक दौर था जब एक्टर सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान को नवाब कहा जाता था. लेकिन भारत की आजादी के बाद रियासत व्यवस्था को खत्म कर दिया गया. सैफ अली खान, अरबाज खान के चैट शो क्विक हील पिंच में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने बताया कि पांच दशक पहले कैसे उनके पिता को अपना नाम बदलना पड़ा?
सैफ अली खान ने बताया, ''भारत में 1971 में सभी रियासतों को खत्म कर दिया गया था. मुझे लगता है कि उसी साल पिता ने इंडियन क्रिकेट टीम की कैप्टेंसी के साथ ही पटौदी पद को खोया था. बाद में उन्होंने अपना नाम भी बदल लिया था. उनके सिग्नेचर में भी पटौदी हुआ करता था. इस नाम से उन्हें पूरी लाइफ पुकारा गया, लेकिन उस समय भारत सरकार ने ऐसी पदवी को गैरकानूनी घोषित कर दिया."
सैफ ने बताया, "इसके बाद पिता ने अपने नाम से पटौदी हटाकर खान कर लिया और इसी नाम से वे खुद को बुलाने लगे. इसके साथ ही उन्होंने चेक और अन्य चीजों में अपना हस्ताक्षर भी बदल दिया."
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Nov 10, 2017 at 7:14am PST
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happy father's day
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saif ali khan
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Jun 21, 2015 at 5:44am PDT
सैफ ने कहा, ''जब मैं 5 साल का था तो मैंने पिता से पूछा कि आपके दो नाम क्यों हैं? इस पर उन्होंने कहा, ''मैं पटौदी पैदा हुआ था, लेकिन 1971 के बाद इसे खान में बदल दिया. इसलिए अब मेरा यह नाम है और साथ ही तुम्हारा भी तुम खान हो. इस तरह हम बड़े हुए और मुझे लगता है कि लोगों को इस बारे में जानना चाहिए. नवाब बनने में मेरी कभी भी कोई रुचि नहीं रही है.''
वर्क फ्रंट की बात करें तो सैफ अली खान की पॉपुलर वेब सीरीज सैक्रेड गेम्स 2 का टीजर जारी कर दिया गया है. इसके अलावा वे तानाजी: द अनसंग वॉरियर में अजय देवगन के साथ नजर आएंगे.
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यह एक लेख है: ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में पिछले दो दिनों में बिजली गिरने से कम से कम 41 लोगों की मौत हो गई। ओडिशा आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष ने कहा कि शनिवार से अभी तक इस राज्य के 10 जिलों में बिजली गिरने से 41 लोगों ने अपनी जानें गंवा दी।टिप्पणियां
सबसे अधिक आठ लोग भद्रक जिले में मारे गए, जबकि सात लोगों की मौत बालेश्वर जिले में, पांच की खुरदा और तीन की मौत मयूरभंज में हुई। बाकी लोगों की मौत अन्य जिलों में हुई है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विशेष राहत आयुक्त को पीड़ितों के परिजनों को सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सबसे अधिक आठ लोग भद्रक जिले में मारे गए, जबकि सात लोगों की मौत बालेश्वर जिले में, पांच की खुरदा और तीन की मौत मयूरभंज में हुई। बाकी लोगों की मौत अन्य जिलों में हुई है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विशेष राहत आयुक्त को पीड़ितों के परिजनों को सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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यह लेख है: अमेरिका के शीर्ष सैन्य कमांडर माइक मुलेन के मुताबिक पाकिस्तान में अशरफ परवेज कयानी सबसे शक्तिशाली शख्स हैं और उनका कहना है कि सेना प्रमुख आईएसआई को नियंत्रित करते हैं जो हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तय्यबा को समर्थन देती है और उनका मुखौटे के तौर पर इस्तेमाल करती है। हक्कानी नेटवर्क को आईएसआई का वास्तविक हिस्सा बताए जाने की अपनी बेबाक टिप्पणी पर कायम रहते हुए मुलेन ने कहा कि पाकिस्तानी सेना अपने सुरक्षा हितों के लिए हक्कानी नेटवर्क और लश्कर ए तय्यबा का इस्तेमाल करती है। ज्वांयट चीफ ऑफ स्टॉफ ने जहां अपने रूख को बरकरार रखा है, वहीं व्हाइट हाउस और विदेश विभाग ने उनके इस बयान से दूरी बनाई है। लोकप्रिय नेशनल पब्लिक रेडियो को दिए साक्षात्कार में लंबे समय तक पाकिस्तान के सबसे करीबी मित्र माने जाने वाले मुलेन ने कयानी को पाकिस्तान का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति करार दिया। पिछले ढाई साल में मुलेन और कयानी के बीच करीब 30 बार मुलाकात हो चुकी है। इस महीने के आखिर में पद से विदाई लेने वाले मुलेन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कयानी पाकिस्तान के दोनों तरफ सुरक्षित सीमा चाहते हैं। उनसे पूछा गया था कि क्या सेना प्रमुख भारत के साथ शांति चाहते हैं। माइक मुलेन ने कहा, आपने मुझसे पूछा कि वह क्या महसूस करते हैं, वह किसमें विश्वास करते हैं और हम क्या बात करते हैं। मेरा मानना है कि यह दीर्घकालिक नजरिया है, दोनों सीमाओं पर शांति और सुरक्षा जिससे बढ़ती अर्थव्यवस्था और निवेश के मौके मिलेंगे और एक स्थिर देश सही दिशा में आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा, उस देश में सेना एक अति महत्वपूर्ण संगठन है लेकिन हमें केवल उन्हें से संपर्क नहीं रखना चाहिए। अमेरिकी कमांडर ने कहा, राजनीतिक नेताओं से संपर्क, अर्थ जगत के नेताओं से संपर्क, क्षेत्र से संपर्क। मुलेन ने कहा, मैं काफी समय से कह रहा हूं : कश्मीर को सुलझाना जोकि भारत पाक सीमा पर बहुत मुश्किल मुद्दा है। मेरा मानना है कि हमें एक रास्ता निकालने के लिए कोशिश जारी रखनी चाहिए।
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एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के दलित शोधछात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले को लेकर सोमवार को छात्रों की रैली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कार्यालय की ओर बढ़ने पर दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों पर लाठीचार्ज किए जाने की सोशल मीडिया में जबर्दस्त निंदा हो रही है.
अभिनेत्री स्वरा भास्कर
ने भी दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई को 'क्रूर' और 'अकारण' बताया. मीडिया को भेजे एक ईमेल में
स्वरा ने कहा
, 'दिवंगत शोधछात्र रोहित वेमुला के लिए इंसाफ की मांग करते हुए दिल्ली के छात्र शांतिपूर्ण मार्च निकाल रहे थे, जिस पर दिल्ली पुलिस ने बेहद क्रूर तरीके से कार्रवाई की. पुलिस की यह कार्रवाई अकारण थी.'
स्वरा ने ट्विटर और फेसबुक पर एक वीडियो
भी शेयर किया है, जिसमें पुलिसकर्मी छात्रों पर लाठीचार्ज करते दिखाई दे रहे हैं. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
Shame on
#DelhiPolice
for beating peaceful protestors @ March 4
#JusticeForRohithVemula
!
#DalitLivesMatter
#shame
https://t.co/tathRHXI0Q
— Swara Bhaskar (@ReallySwara)
January 31, 2016
वीडियो के बारे में बात करते हुए
स्वरा ने कहा,
'सबसे निंदनीय बात यह है कि पुलिस के अलावा कुछ गुंडे भी पुरुषों और महिलाओं को मार रहे थे. अतिरिक्त उपायुक्त कलसी की मौजूदगी में यह सब हुआ.'
मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली
स्वरा
नामचीन सामरिक विश्लेषक सी. उदय की बेटी हैं और वह उन जागरूक और शिक्षित कलाकारों में से एक हैं जो सामाजिक बुराइयों और सामुदायिक अन्यायों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाते हैं और सोशल मीडिया पर निडरता से अपने विचारों को जाहिर करते हैं.
हालांकि पुलिस उपायुक्त परमादित्य ने कहा, 'प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत दी गई थी, लेकिन उन्होंने पुलिस द्वारा लगाया गया बैरिकेड तोड़ दिया और उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट भी की गई.'
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डी कंपनी के अंदर से एक बड़ी खबर आ रही है. और वो खबर ये है कि कंपनी में दरार पड़ गई है. दाऊद इब्राहिम का सबसे पुराना और भरोसेमंद सिपहसालार और एक तरह से कंपनी का प्रवक्ता छोटा शकील ना सिर्फ डी कंपनी बल्कि दाऊद इब्राहिम से भी अलग हो गया है. और इसकी वजह है दाऊद का भाई अनीस इब्राहिम. खबरों के मुताबिक छोटा शकील कंपनी के कामकामज में अनीस इब्राहिम को उससे ज्यादा तरजीह देने की वजह से नाराज था और इसीलिए डी कंपनी से अलग हो गया है. हालांकि आजतक से बातचीत में छोटा शकील ने
दाऊद इब्राहिम
से अलग होने की खबर को गलत बताया है.
अंडरवर्ल्ड की सबसे बड़ी खबर. डी गैंग के अंदर आ गई 'दरार'. अलग हुए दाऊद और छोटा शकील. अनीस इब्राहीम ने डाली दाऊद-शकील में फूट. छोटा शकील ने 'D' कंपनी से तोड़ा नाता. जिस छोटा शकील के साथ की वजह से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने अपना काला साम्राज्य खड़ा किया अब वही उससे अलग हो चुका है. ये सबसे बडी ख़बर लगातार जुर्म की दुनिया में आम हो रही है. इस खबर में इसलिए दम मालूम पड़ रहा है क्योंकि ये खुलासा भारत की खुफिया एजेंसी की तरफ से हुआ है.
मगर सवाल ये कि सालों से जुर्म की दुनिया में काला साम्राज्य चलाने वाली 'डी' कंपनी में आखिर ये दो फाड़ हुई कैसे. सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर आ रही है कि दाऊद और शकील के अलग होने की वजह हाल ही में दोनों के बीच हुई झड़प है. जिसकी वजह कोई और नहीं बल्कि दाऊद का भाई अनीस इब्राहीम है. दरअसल दाऊद का सबसे करीबी है छोटा शकील मगर पिछले कुछ दिनों से दाऊद के कारोबार में उसके छोटे भाई अनीस इब्राहीम ने कुछ ज़्यादा ही दखल देना शुरू कर दिया था. बस यही बात छोटा शकील को खटक रही थी. जिसे लेकर
छोटा शकील
दाऊद से भिड़ गया. ख़बर है कि ये बहस इतनी तगड़ी हुई कि शकील ने फौरन ही डी कंपनी से अलग होने का फैसला ले लिया.
आपको बता दें कि दाऊद के सबसे खास और करीबी लोगों में से था छोटा शकील. खुद उसके भाई अनीस इब्राहीम से भी ज़्यादा करीबी. पिछले 3 दशक से छोटा शकील दाऊद के साथ साए कि तरह था. और अब तक दोनों ने एक साथ मिलकर गैंग को चला रहे थे. शकील 1980 के आसपास मुंबई छोड़ने के बाद से ही दाऊद के पास कराची के रेडक्लिफटन एरिया में रह रहा था. ख़बर है कि अब उसने अपना ठिकाना भी बदल लिया है. मगर फिलहाल कहां है ये किसी को पता नहीं है.
सूत्रों का कहना है कि अनीस पाकिस्तान में दाऊद के साथ ही रहता है और पहले भी कई बार उसने गैंग के काम में हाथ बंटाने के बहाने दाऊद का करीबी बनने की कोशिश की थी. लेकिन दाऊद ने हमेशा ही अपने भाइयों को गैंग में बहुत ज्यादा दखल देने से रोका है, लेकिन हाल के दिनों में अनीस इब्राहीम ने दाऊद के काम में कुछ ज़्यादा ही दखल देना शुरू कर दिया था. जिसका एक मीटिंग में शकील ने दाऊद के सामने विरोध किया. और ये विरोध कहा-सुनी में तब्दील हो गया. बात इतनी बढ़ गई कि दाऊद ने शकील को गैंग से दूर रहने की हिदायत दी और दुबई में कुछ खास लोगों के साथ मीटिंग की. खबर है कि शकील ने भी किसी दूसरे ईस्टर्न एशियाई देश में अपने खास गुर्गों के साथ मीटिंग की है.
सूत्रों की मानें तो मुंबई, दुबई और पाकिस्तान में अभी गैंग के कुछ बेहद खास लोगों को ही इस बारे में जानकारी है. मुंबई में मौजूद डी कंपनी के गैंगस्टरर्स में अब ये कश्मकश है कि वो किसे अपना बॉस मानें क्योंकि पिछले कई सालों से दाऊद ने अपना सारा काम छोटा शकील के भरोसे छोड़ रखा था और मुंबई में कंपनी के गैंग मेंबर छोटा शकील के आदेश को ही दाऊद का आदेश मानते थे और उसी के मुताबिक अब तक काम चल रहा था मगर सवाल ये है कि अब क्या.
दाऊद और छोटा शकील में दरार पड़ने की खबर ने अंडरवर्ल्ड में तो भूचाल ला ही दिया है. मगर अब सवाल डी कंपनी के कई देशों में फैले धंधे पर भी खड़ा हो गया है. ये काले कारोबार हैं तो दाऊद के मगर इन्हें चलाता छोटा शकील था. लिहाज़ा अब दाऊद को अपने धंधे के डूब जाने का भी डर सता रहा होगा. क्योंकि ज़ाहिर है छोटा शकील डी कंपनी के हर कारोबार का राज़दार रहा है.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: मैं एक राष्ट्रीय रैली आयोग का प्रस्ताव करना चाहता हूं। विधि द्वारा स्थापित न होने के बाद भी मैं राष्ट्रीय रैली आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने पर रैलियों में आने वाले लोगों की गिनती का कोई न कोई विश्वसनीय पैमाना ज़रूर बनाऊंगा। राष्ट्रीय रैली आयोग से प्रमाणित हुए बिना किसी भी रैली को सफल या असफल घोषित नहीं किया जा सकेगा। बॉक्स ऑफिस पर जैसे फिल्मों की कमाई का पता चलता है वैसे ही रैली ऑफिस से पता चलेगा कि किस रैली में किस किस की कितनी कमाई खप गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भागलपुर की रैली को स्वयं ही रिकॉर्डतोड़ घोषित कर दिया। उन्होंने कह दिया कि जितनी भी रैली हुई हो, उसके सारे रिकॉर्ड भागलपुर ने तोड़ डाले। उसी तरह पटना की रैली को नीतीश कुमार और लालू यादव स्वंय ही रिकॉर्डतोड़ बता कर चले गए। मीडिया में भी कोई एक लाख लिखेगा तो कोई पांच लाख। सोशल मीडिया वाले कहीं से टॉप एंगल शॉट का जुगाड़ कर रैली को फ्लॉप बताने में जुट जाते हैं। इज़ इक्वल टू की तरह मैंने एक और फॉर्मूला निकाला है। अपनी रैली हमेशा हिट होगी और विरोधी की फ्लॉप। कभी वक्त मिले तो इन रैलियों की प्रांसगिकता का अध्ययन कीजिएगा। भाड़े पर या स्वंय चल कर आए लोग शामियाने में ठेला जाने के बाद मन से सुनते हैं या वहां की गर्मी में इतने भुन जाते हैं कि सुनने लायक ही नहीं रहते। अब तो रैली उस मैदान के लिए कम होती है चैनलों के लिए ज़्यादा। राष्ट्रीय रैली आयोग का अध्यक्ष बनाये जाते ही मैं एक सर्वे कराऊंगा। पता करूंगा कि रैलियों में मतदाता स्वंय चल कर जाता है या पेमेंट के बाद जाता है। स्वंय से जाने वाला मतदाता दो तीन रैलियों में जाता है या अपनी पसंद की पार्टी की रैली में ही जाता है। पेमेंट से जाने वाला मतदाता सबकी रैलियों में जाता है तो वोट देने में किस रैली का रोल होता है। खंभे पर आराम से बैठे ये लोग कौन हैं। पहले से बिठाए गए हैं या इन्हें वाकई ज़मीन पर जगह नहीं मिली। जिस रैली में लाखों लोग आराम से ज़मीन पर आ गए उसमें क्या वाकई इन दस बीस लोगों के लिए जगह नहीं बची होगी कि इन्हें खंभे के ऊपर घोसला बनाना पड़ा।
राष्ट्रीय रैली आयोग के अभाव में मैं मान लेता हूं कि भागलपुर की रैली ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। पटना की रैली ने सारे टूटे हुए रिकॉर्ड जोड़ दिए। अब आइये इस सवाल पर कि बिहार में हो क्या रहा है। एक पक्ष कहता है कि दे दे कर निहाल किये जा रहे हैं तो दूसरा पक्ष कह रहा है कि दिये कुछ नहीं खाली कह कह के बेहाल किये जा रहे हैं।
1984 में दूरदर्शन पर एक सीरीयल आया था। ये जो है ज़िंदगी। स्वरूप संपत, राकेश बेदी, शफी इनामदार। इस सीरीयल में टीकू तलसानिया के किरदार का एक तकियाकलाम बेहद मशहूर हुआ था। हैरान परेशान टीकू कंफ्यूजियाने के बाद अक्सर कहता रहता था कि ये क्या हो रहा है। कहते कहते रोने लगता था कि ये क्या हो रहा है।
तीन बजे से पहले प्रधानंत्री रैली खत्म कर दिल्ली चले जाते हैं। तीन बजे से छह बजे के बीच नीतीश कुमार पटना से प्रेस कांफ्रेंस करते हैं। बिहार का एक वोटर अगर इस पैकेज के आधार पर फैसला करने चला तो वो मतदान केंद्र की जगह आईआईटी की कोचिंग करने चला जाएगा। दोनों नेताओं ने चुनाव को बहुत टफ कर दिया है।
भागलपुर में प्रधानमंत्री ने कहा कि गया में एक लाख 25 करोड़ का पैकेज घोषित किया, 40 हज़ार करोड़ मिलाकर एक लाख 65 हज़ार का पैकेज दिया। वैसे प्रधानमंत्री ने ये ऐलान गया में नहीं आरा में किया था। रैली में स्लिप ऑफ टंग हो जाता है। 14वें वित्त आयोग ने बिहार को पांच साल में तीन लाख 76 हज़ार करोड़ देना तय किया है। मेरा एक लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज अलग है। नीतीश कुमार का 2 लाख 76 हज़ार करोड़ का पैकेज तो कुछ नहीं है। दिल्ली से जो मिलेगा उसमें से भी कम दे रहे हैं। बाकी पैसा कहां जाएंगा। एक लाख 8 हज़ार करोड़ कहां जाएगा। गज़ब।
जो पैसा अभी मिला नहीं है, जो दिया जाने वाला है, जिसके दिये जाने की कई शर्तें हैं, प्रधानमंत्री ने मान लिया कि दिया गया है और नीतीश कुमार ने उसमें से एक करोड़ आठ हज़ार का चारा खिलाने के लिए गायब कर दिया है। बिहार का मतदाता जिस दिन पैकेज की पॉलटिक्स समझ जाएगा वो अपनी जाति भूल जाएगा। पीएम पॉलिटिकल हो जाते हैं तो नीतीश कुमार टेक्निकल। कहने लगे कि नीतीश ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है। इसमें 40 फीसदी राज्य का पैसा लगेगा। प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि केंद्र से पैसा देंगे तो वे 40 फीसदी भी दे ही दें। निभाएं अपना वचन। अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट के तहत प्राइवेट कंपनियों को पैसा लगाना है मगर प्रधानमंत्री उस पैसे को भी केंद्र के पैसे में जोड़ रहे हैं। तो फिर आप प्राइवेट सेक्टर का इंतज़ार ही क्यों कर रहे हैं। सरकारी खजाने से दे दीजिए। नीतीश का कहना है कि संघीय व्यवस्था में जो हमारा तय हिस्सा है वो तो मिलेगा ही। तो वैसी परिस्थिति में इस बात का उल्लेख करना कि 5 साल में पौने चार लाख करोड़ हम देंगे और उसी में उन्होंने जोड़ लिया कि 2 लाख 70 हज़ार करोड़ तो इनका ये हो गया। अब बचा 1 लाख 8 हज़ार करोड़, वो कहां जाएगा...हिसाब पूछ रहे हैं। वो चारा बन जाएगा क्या। भाई आप देश के प्रधानमंत्री हैं। ऐसी हल्की बात अगर मुल्क के प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी तो मुल्क का क्या होगा। ये सब नीतीश के ही बोल हैं।
प्रधानमंत्री ने 25 साल का हिसाब नीतीश कुमार से मांगा है। अगर नीतीश ने ये स्वीकार कर लिया तो उनकी हर रैली बजट सत्र में बदल जाएगी। वैसे यह किसी भी राजनीति के लिए अच्छा है। बात हो तो काम पर हो। सिर्फ गठबंधन और टिकट जात के आधार पर हो। इस बीच 18 अगस्त को एक खबर आई कि केंद्र ने बिहार के 21 पिछड़े ज़िलों के लिए टैक्स में छूट की अधिसूचना जारी की है। इसमें स्मार्ट सिटी की सूची में न आ सकने वाला बेचारा पटना भी है। बनने वाला था पेरिस बन गया पिछड़ा। बोलिये तो अइसनों कहीं होता है जी। तो हज़रात हमने गूगल किया। गूगल करते ही लघु एवं उद्योग मंत्रालय की साइट पर पहुंचे जहां कई राज्यों के पिछड़े ज़िलों की सूची मिली।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भागलपुर की रैली को स्वयं ही रिकॉर्डतोड़ घोषित कर दिया। उन्होंने कह दिया कि जितनी भी रैली हुई हो, उसके सारे रिकॉर्ड भागलपुर ने तोड़ डाले। उसी तरह पटना की रैली को नीतीश कुमार और लालू यादव स्वंय ही रिकॉर्डतोड़ बता कर चले गए। मीडिया में भी कोई एक लाख लिखेगा तो कोई पांच लाख। सोशल मीडिया वाले कहीं से टॉप एंगल शॉट का जुगाड़ कर रैली को फ्लॉप बताने में जुट जाते हैं। इज़ इक्वल टू की तरह मैंने एक और फॉर्मूला निकाला है। अपनी रैली हमेशा हिट होगी और विरोधी की फ्लॉप। कभी वक्त मिले तो इन रैलियों की प्रांसगिकता का अध्ययन कीजिएगा। भाड़े पर या स्वंय चल कर आए लोग शामियाने में ठेला जाने के बाद मन से सुनते हैं या वहां की गर्मी में इतने भुन जाते हैं कि सुनने लायक ही नहीं रहते। अब तो रैली उस मैदान के लिए कम होती है चैनलों के लिए ज़्यादा। राष्ट्रीय रैली आयोग का अध्यक्ष बनाये जाते ही मैं एक सर्वे कराऊंगा। पता करूंगा कि रैलियों में मतदाता स्वंय चल कर जाता है या पेमेंट के बाद जाता है। स्वंय से जाने वाला मतदाता दो तीन रैलियों में जाता है या अपनी पसंद की पार्टी की रैली में ही जाता है। पेमेंट से जाने वाला मतदाता सबकी रैलियों में जाता है तो वोट देने में किस रैली का रोल होता है। खंभे पर आराम से बैठे ये लोग कौन हैं। पहले से बिठाए गए हैं या इन्हें वाकई ज़मीन पर जगह नहीं मिली। जिस रैली में लाखों लोग आराम से ज़मीन पर आ गए उसमें क्या वाकई इन दस बीस लोगों के लिए जगह नहीं बची होगी कि इन्हें खंभे के ऊपर घोसला बनाना पड़ा।
राष्ट्रीय रैली आयोग के अभाव में मैं मान लेता हूं कि भागलपुर की रैली ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। पटना की रैली ने सारे टूटे हुए रिकॉर्ड जोड़ दिए। अब आइये इस सवाल पर कि बिहार में हो क्या रहा है। एक पक्ष कहता है कि दे दे कर निहाल किये जा रहे हैं तो दूसरा पक्ष कह रहा है कि दिये कुछ नहीं खाली कह कह के बेहाल किये जा रहे हैं।
1984 में दूरदर्शन पर एक सीरीयल आया था। ये जो है ज़िंदगी। स्वरूप संपत, राकेश बेदी, शफी इनामदार। इस सीरीयल में टीकू तलसानिया के किरदार का एक तकियाकलाम बेहद मशहूर हुआ था। हैरान परेशान टीकू कंफ्यूजियाने के बाद अक्सर कहता रहता था कि ये क्या हो रहा है। कहते कहते रोने लगता था कि ये क्या हो रहा है।
तीन बजे से पहले प्रधानंत्री रैली खत्म कर दिल्ली चले जाते हैं। तीन बजे से छह बजे के बीच नीतीश कुमार पटना से प्रेस कांफ्रेंस करते हैं। बिहार का एक वोटर अगर इस पैकेज के आधार पर फैसला करने चला तो वो मतदान केंद्र की जगह आईआईटी की कोचिंग करने चला जाएगा। दोनों नेताओं ने चुनाव को बहुत टफ कर दिया है।
भागलपुर में प्रधानमंत्री ने कहा कि गया में एक लाख 25 करोड़ का पैकेज घोषित किया, 40 हज़ार करोड़ मिलाकर एक लाख 65 हज़ार का पैकेज दिया। वैसे प्रधानमंत्री ने ये ऐलान गया में नहीं आरा में किया था। रैली में स्लिप ऑफ टंग हो जाता है। 14वें वित्त आयोग ने बिहार को पांच साल में तीन लाख 76 हज़ार करोड़ देना तय किया है। मेरा एक लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज अलग है। नीतीश कुमार का 2 लाख 76 हज़ार करोड़ का पैकेज तो कुछ नहीं है। दिल्ली से जो मिलेगा उसमें से भी कम दे रहे हैं। बाकी पैसा कहां जाएंगा। एक लाख 8 हज़ार करोड़ कहां जाएगा। गज़ब।
जो पैसा अभी मिला नहीं है, जो दिया जाने वाला है, जिसके दिये जाने की कई शर्तें हैं, प्रधानमंत्री ने मान लिया कि दिया गया है और नीतीश कुमार ने उसमें से एक करोड़ आठ हज़ार का चारा खिलाने के लिए गायब कर दिया है। बिहार का मतदाता जिस दिन पैकेज की पॉलटिक्स समझ जाएगा वो अपनी जाति भूल जाएगा। पीएम पॉलिटिकल हो जाते हैं तो नीतीश कुमार टेक्निकल। कहने लगे कि नीतीश ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है। इसमें 40 फीसदी राज्य का पैसा लगेगा। प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि केंद्र से पैसा देंगे तो वे 40 फीसदी भी दे ही दें। निभाएं अपना वचन। अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट के तहत प्राइवेट कंपनियों को पैसा लगाना है मगर प्रधानमंत्री उस पैसे को भी केंद्र के पैसे में जोड़ रहे हैं। तो फिर आप प्राइवेट सेक्टर का इंतज़ार ही क्यों कर रहे हैं। सरकारी खजाने से दे दीजिए। नीतीश का कहना है कि संघीय व्यवस्था में जो हमारा तय हिस्सा है वो तो मिलेगा ही। तो वैसी परिस्थिति में इस बात का उल्लेख करना कि 5 साल में पौने चार लाख करोड़ हम देंगे और उसी में उन्होंने जोड़ लिया कि 2 लाख 70 हज़ार करोड़ तो इनका ये हो गया। अब बचा 1 लाख 8 हज़ार करोड़, वो कहां जाएगा...हिसाब पूछ रहे हैं। वो चारा बन जाएगा क्या। भाई आप देश के प्रधानमंत्री हैं। ऐसी हल्की बात अगर मुल्क के प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी तो मुल्क का क्या होगा। ये सब नीतीश के ही बोल हैं।
प्रधानमंत्री ने 25 साल का हिसाब नीतीश कुमार से मांगा है। अगर नीतीश ने ये स्वीकार कर लिया तो उनकी हर रैली बजट सत्र में बदल जाएगी। वैसे यह किसी भी राजनीति के लिए अच्छा है। बात हो तो काम पर हो। सिर्फ गठबंधन और टिकट जात के आधार पर हो। इस बीच 18 अगस्त को एक खबर आई कि केंद्र ने बिहार के 21 पिछड़े ज़िलों के लिए टैक्स में छूट की अधिसूचना जारी की है। इसमें स्मार्ट सिटी की सूची में न आ सकने वाला बेचारा पटना भी है। बनने वाला था पेरिस बन गया पिछड़ा। बोलिये तो अइसनों कहीं होता है जी। तो हज़रात हमने गूगल किया। गूगल करते ही लघु एवं उद्योग मंत्रालय की साइट पर पहुंचे जहां कई राज्यों के पिछड़े ज़िलों की सूची मिली।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
राष्ट्रीय रैली आयोग के अभाव में मैं मान लेता हूं कि भागलपुर की रैली ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। पटना की रैली ने सारे टूटे हुए रिकॉर्ड जोड़ दिए। अब आइये इस सवाल पर कि बिहार में हो क्या रहा है। एक पक्ष कहता है कि दे दे कर निहाल किये जा रहे हैं तो दूसरा पक्ष कह रहा है कि दिये कुछ नहीं खाली कह कह के बेहाल किये जा रहे हैं।
1984 में दूरदर्शन पर एक सीरीयल आया था। ये जो है ज़िंदगी। स्वरूप संपत, राकेश बेदी, शफी इनामदार। इस सीरीयल में टीकू तलसानिया के किरदार का एक तकियाकलाम बेहद मशहूर हुआ था। हैरान परेशान टीकू कंफ्यूजियाने के बाद अक्सर कहता रहता था कि ये क्या हो रहा है। कहते कहते रोने लगता था कि ये क्या हो रहा है।
तीन बजे से पहले प्रधानंत्री रैली खत्म कर दिल्ली चले जाते हैं। तीन बजे से छह बजे के बीच नीतीश कुमार पटना से प्रेस कांफ्रेंस करते हैं। बिहार का एक वोटर अगर इस पैकेज के आधार पर फैसला करने चला तो वो मतदान केंद्र की जगह आईआईटी की कोचिंग करने चला जाएगा। दोनों नेताओं ने चुनाव को बहुत टफ कर दिया है।
भागलपुर में प्रधानमंत्री ने कहा कि गया में एक लाख 25 करोड़ का पैकेज घोषित किया, 40 हज़ार करोड़ मिलाकर एक लाख 65 हज़ार का पैकेज दिया। वैसे प्रधानमंत्री ने ये ऐलान गया में नहीं आरा में किया था। रैली में स्लिप ऑफ टंग हो जाता है। 14वें वित्त आयोग ने बिहार को पांच साल में तीन लाख 76 हज़ार करोड़ देना तय किया है। मेरा एक लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज अलग है। नीतीश कुमार का 2 लाख 76 हज़ार करोड़ का पैकेज तो कुछ नहीं है। दिल्ली से जो मिलेगा उसमें से भी कम दे रहे हैं। बाकी पैसा कहां जाएंगा। एक लाख 8 हज़ार करोड़ कहां जाएगा। गज़ब।
जो पैसा अभी मिला नहीं है, जो दिया जाने वाला है, जिसके दिये जाने की कई शर्तें हैं, प्रधानमंत्री ने मान लिया कि दिया गया है और नीतीश कुमार ने उसमें से एक करोड़ आठ हज़ार का चारा खिलाने के लिए गायब कर दिया है। बिहार का मतदाता जिस दिन पैकेज की पॉलटिक्स समझ जाएगा वो अपनी जाति भूल जाएगा। पीएम पॉलिटिकल हो जाते हैं तो नीतीश कुमार टेक्निकल। कहने लगे कि नीतीश ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है। इसमें 40 फीसदी राज्य का पैसा लगेगा। प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि केंद्र से पैसा देंगे तो वे 40 फीसदी भी दे ही दें। निभाएं अपना वचन। अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट के तहत प्राइवेट कंपनियों को पैसा लगाना है मगर प्रधानमंत्री उस पैसे को भी केंद्र के पैसे में जोड़ रहे हैं। तो फिर आप प्राइवेट सेक्टर का इंतज़ार ही क्यों कर रहे हैं। सरकारी खजाने से दे दीजिए। नीतीश का कहना है कि संघीय व्यवस्था में जो हमारा तय हिस्सा है वो तो मिलेगा ही। तो वैसी परिस्थिति में इस बात का उल्लेख करना कि 5 साल में पौने चार लाख करोड़ हम देंगे और उसी में उन्होंने जोड़ लिया कि 2 लाख 70 हज़ार करोड़ तो इनका ये हो गया। अब बचा 1 लाख 8 हज़ार करोड़, वो कहां जाएगा...हिसाब पूछ रहे हैं। वो चारा बन जाएगा क्या। भाई आप देश के प्रधानमंत्री हैं। ऐसी हल्की बात अगर मुल्क के प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी तो मुल्क का क्या होगा। ये सब नीतीश के ही बोल हैं।
प्रधानमंत्री ने 25 साल का हिसाब नीतीश कुमार से मांगा है। अगर नीतीश ने ये स्वीकार कर लिया तो उनकी हर रैली बजट सत्र में बदल जाएगी। वैसे यह किसी भी राजनीति के लिए अच्छा है। बात हो तो काम पर हो। सिर्फ गठबंधन और टिकट जात के आधार पर हो। इस बीच 18 अगस्त को एक खबर आई कि केंद्र ने बिहार के 21 पिछड़े ज़िलों के लिए टैक्स में छूट की अधिसूचना जारी की है। इसमें स्मार्ट सिटी की सूची में न आ सकने वाला बेचारा पटना भी है। बनने वाला था पेरिस बन गया पिछड़ा। बोलिये तो अइसनों कहीं होता है जी। तो हज़रात हमने गूगल किया। गूगल करते ही लघु एवं उद्योग मंत्रालय की साइट पर पहुंचे जहां कई राज्यों के पिछड़े ज़िलों की सूची मिली।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
1984 में दूरदर्शन पर एक सीरीयल आया था। ये जो है ज़िंदगी। स्वरूप संपत, राकेश बेदी, शफी इनामदार। इस सीरीयल में टीकू तलसानिया के किरदार का एक तकियाकलाम बेहद मशहूर हुआ था। हैरान परेशान टीकू कंफ्यूजियाने के बाद अक्सर कहता रहता था कि ये क्या हो रहा है। कहते कहते रोने लगता था कि ये क्या हो रहा है।
तीन बजे से पहले प्रधानंत्री रैली खत्म कर दिल्ली चले जाते हैं। तीन बजे से छह बजे के बीच नीतीश कुमार पटना से प्रेस कांफ्रेंस करते हैं। बिहार का एक वोटर अगर इस पैकेज के आधार पर फैसला करने चला तो वो मतदान केंद्र की जगह आईआईटी की कोचिंग करने चला जाएगा। दोनों नेताओं ने चुनाव को बहुत टफ कर दिया है।
भागलपुर में प्रधानमंत्री ने कहा कि गया में एक लाख 25 करोड़ का पैकेज घोषित किया, 40 हज़ार करोड़ मिलाकर एक लाख 65 हज़ार का पैकेज दिया। वैसे प्रधानमंत्री ने ये ऐलान गया में नहीं आरा में किया था। रैली में स्लिप ऑफ टंग हो जाता है। 14वें वित्त आयोग ने बिहार को पांच साल में तीन लाख 76 हज़ार करोड़ देना तय किया है। मेरा एक लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज अलग है। नीतीश कुमार का 2 लाख 76 हज़ार करोड़ का पैकेज तो कुछ नहीं है। दिल्ली से जो मिलेगा उसमें से भी कम दे रहे हैं। बाकी पैसा कहां जाएंगा। एक लाख 8 हज़ार करोड़ कहां जाएगा। गज़ब।
जो पैसा अभी मिला नहीं है, जो दिया जाने वाला है, जिसके दिये जाने की कई शर्तें हैं, प्रधानमंत्री ने मान लिया कि दिया गया है और नीतीश कुमार ने उसमें से एक करोड़ आठ हज़ार का चारा खिलाने के लिए गायब कर दिया है। बिहार का मतदाता जिस दिन पैकेज की पॉलटिक्स समझ जाएगा वो अपनी जाति भूल जाएगा। पीएम पॉलिटिकल हो जाते हैं तो नीतीश कुमार टेक्निकल। कहने लगे कि नीतीश ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है। इसमें 40 फीसदी राज्य का पैसा लगेगा। प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि केंद्र से पैसा देंगे तो वे 40 फीसदी भी दे ही दें। निभाएं अपना वचन। अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट के तहत प्राइवेट कंपनियों को पैसा लगाना है मगर प्रधानमंत्री उस पैसे को भी केंद्र के पैसे में जोड़ रहे हैं। तो फिर आप प्राइवेट सेक्टर का इंतज़ार ही क्यों कर रहे हैं। सरकारी खजाने से दे दीजिए। नीतीश का कहना है कि संघीय व्यवस्था में जो हमारा तय हिस्सा है वो तो मिलेगा ही। तो वैसी परिस्थिति में इस बात का उल्लेख करना कि 5 साल में पौने चार लाख करोड़ हम देंगे और उसी में उन्होंने जोड़ लिया कि 2 लाख 70 हज़ार करोड़ तो इनका ये हो गया। अब बचा 1 लाख 8 हज़ार करोड़, वो कहां जाएगा...हिसाब पूछ रहे हैं। वो चारा बन जाएगा क्या। भाई आप देश के प्रधानमंत्री हैं। ऐसी हल्की बात अगर मुल्क के प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी तो मुल्क का क्या होगा। ये सब नीतीश के ही बोल हैं।
प्रधानमंत्री ने 25 साल का हिसाब नीतीश कुमार से मांगा है। अगर नीतीश ने ये स्वीकार कर लिया तो उनकी हर रैली बजट सत्र में बदल जाएगी। वैसे यह किसी भी राजनीति के लिए अच्छा है। बात हो तो काम पर हो। सिर्फ गठबंधन और टिकट जात के आधार पर हो। इस बीच 18 अगस्त को एक खबर आई कि केंद्र ने बिहार के 21 पिछड़े ज़िलों के लिए टैक्स में छूट की अधिसूचना जारी की है। इसमें स्मार्ट सिटी की सूची में न आ सकने वाला बेचारा पटना भी है। बनने वाला था पेरिस बन गया पिछड़ा। बोलिये तो अइसनों कहीं होता है जी। तो हज़रात हमने गूगल किया। गूगल करते ही लघु एवं उद्योग मंत्रालय की साइट पर पहुंचे जहां कई राज्यों के पिछड़े ज़िलों की सूची मिली।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
तीन बजे से पहले प्रधानंत्री रैली खत्म कर दिल्ली चले जाते हैं। तीन बजे से छह बजे के बीच नीतीश कुमार पटना से प्रेस कांफ्रेंस करते हैं। बिहार का एक वोटर अगर इस पैकेज के आधार पर फैसला करने चला तो वो मतदान केंद्र की जगह आईआईटी की कोचिंग करने चला जाएगा। दोनों नेताओं ने चुनाव को बहुत टफ कर दिया है।
भागलपुर में प्रधानमंत्री ने कहा कि गया में एक लाख 25 करोड़ का पैकेज घोषित किया, 40 हज़ार करोड़ मिलाकर एक लाख 65 हज़ार का पैकेज दिया। वैसे प्रधानमंत्री ने ये ऐलान गया में नहीं आरा में किया था। रैली में स्लिप ऑफ टंग हो जाता है। 14वें वित्त आयोग ने बिहार को पांच साल में तीन लाख 76 हज़ार करोड़ देना तय किया है। मेरा एक लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज अलग है। नीतीश कुमार का 2 लाख 76 हज़ार करोड़ का पैकेज तो कुछ नहीं है। दिल्ली से जो मिलेगा उसमें से भी कम दे रहे हैं। बाकी पैसा कहां जाएंगा। एक लाख 8 हज़ार करोड़ कहां जाएगा। गज़ब।
जो पैसा अभी मिला नहीं है, जो दिया जाने वाला है, जिसके दिये जाने की कई शर्तें हैं, प्रधानमंत्री ने मान लिया कि दिया गया है और नीतीश कुमार ने उसमें से एक करोड़ आठ हज़ार का चारा खिलाने के लिए गायब कर दिया है। बिहार का मतदाता जिस दिन पैकेज की पॉलटिक्स समझ जाएगा वो अपनी जाति भूल जाएगा। पीएम पॉलिटिकल हो जाते हैं तो नीतीश कुमार टेक्निकल। कहने लगे कि नीतीश ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है। इसमें 40 फीसदी राज्य का पैसा लगेगा। प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि केंद्र से पैसा देंगे तो वे 40 फीसदी भी दे ही दें। निभाएं अपना वचन। अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट के तहत प्राइवेट कंपनियों को पैसा लगाना है मगर प्रधानमंत्री उस पैसे को भी केंद्र के पैसे में जोड़ रहे हैं। तो फिर आप प्राइवेट सेक्टर का इंतज़ार ही क्यों कर रहे हैं। सरकारी खजाने से दे दीजिए। नीतीश का कहना है कि संघीय व्यवस्था में जो हमारा तय हिस्सा है वो तो मिलेगा ही। तो वैसी परिस्थिति में इस बात का उल्लेख करना कि 5 साल में पौने चार लाख करोड़ हम देंगे और उसी में उन्होंने जोड़ लिया कि 2 लाख 70 हज़ार करोड़ तो इनका ये हो गया। अब बचा 1 लाख 8 हज़ार करोड़, वो कहां जाएगा...हिसाब पूछ रहे हैं। वो चारा बन जाएगा क्या। भाई आप देश के प्रधानमंत्री हैं। ऐसी हल्की बात अगर मुल्क के प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी तो मुल्क का क्या होगा। ये सब नीतीश के ही बोल हैं।
प्रधानमंत्री ने 25 साल का हिसाब नीतीश कुमार से मांगा है। अगर नीतीश ने ये स्वीकार कर लिया तो उनकी हर रैली बजट सत्र में बदल जाएगी। वैसे यह किसी भी राजनीति के लिए अच्छा है। बात हो तो काम पर हो। सिर्फ गठबंधन और टिकट जात के आधार पर हो। इस बीच 18 अगस्त को एक खबर आई कि केंद्र ने बिहार के 21 पिछड़े ज़िलों के लिए टैक्स में छूट की अधिसूचना जारी की है। इसमें स्मार्ट सिटी की सूची में न आ सकने वाला बेचारा पटना भी है। बनने वाला था पेरिस बन गया पिछड़ा। बोलिये तो अइसनों कहीं होता है जी। तो हज़रात हमने गूगल किया। गूगल करते ही लघु एवं उद्योग मंत्रालय की साइट पर पहुंचे जहां कई राज्यों के पिछड़े ज़िलों की सूची मिली।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
भागलपुर में प्रधानमंत्री ने कहा कि गया में एक लाख 25 करोड़ का पैकेज घोषित किया, 40 हज़ार करोड़ मिलाकर एक लाख 65 हज़ार का पैकेज दिया। वैसे प्रधानमंत्री ने ये ऐलान गया में नहीं आरा में किया था। रैली में स्लिप ऑफ टंग हो जाता है। 14वें वित्त आयोग ने बिहार को पांच साल में तीन लाख 76 हज़ार करोड़ देना तय किया है। मेरा एक लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज अलग है। नीतीश कुमार का 2 लाख 76 हज़ार करोड़ का पैकेज तो कुछ नहीं है। दिल्ली से जो मिलेगा उसमें से भी कम दे रहे हैं। बाकी पैसा कहां जाएंगा। एक लाख 8 हज़ार करोड़ कहां जाएगा। गज़ब।
जो पैसा अभी मिला नहीं है, जो दिया जाने वाला है, जिसके दिये जाने की कई शर्तें हैं, प्रधानमंत्री ने मान लिया कि दिया गया है और नीतीश कुमार ने उसमें से एक करोड़ आठ हज़ार का चारा खिलाने के लिए गायब कर दिया है। बिहार का मतदाता जिस दिन पैकेज की पॉलटिक्स समझ जाएगा वो अपनी जाति भूल जाएगा। पीएम पॉलिटिकल हो जाते हैं तो नीतीश कुमार टेक्निकल। कहने लगे कि नीतीश ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है। इसमें 40 फीसदी राज्य का पैसा लगेगा। प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि केंद्र से पैसा देंगे तो वे 40 फीसदी भी दे ही दें। निभाएं अपना वचन। अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट के तहत प्राइवेट कंपनियों को पैसा लगाना है मगर प्रधानमंत्री उस पैसे को भी केंद्र के पैसे में जोड़ रहे हैं। तो फिर आप प्राइवेट सेक्टर का इंतज़ार ही क्यों कर रहे हैं। सरकारी खजाने से दे दीजिए। नीतीश का कहना है कि संघीय व्यवस्था में जो हमारा तय हिस्सा है वो तो मिलेगा ही। तो वैसी परिस्थिति में इस बात का उल्लेख करना कि 5 साल में पौने चार लाख करोड़ हम देंगे और उसी में उन्होंने जोड़ लिया कि 2 लाख 70 हज़ार करोड़ तो इनका ये हो गया। अब बचा 1 लाख 8 हज़ार करोड़, वो कहां जाएगा...हिसाब पूछ रहे हैं। वो चारा बन जाएगा क्या। भाई आप देश के प्रधानमंत्री हैं। ऐसी हल्की बात अगर मुल्क के प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी तो मुल्क का क्या होगा। ये सब नीतीश के ही बोल हैं।
प्रधानमंत्री ने 25 साल का हिसाब नीतीश कुमार से मांगा है। अगर नीतीश ने ये स्वीकार कर लिया तो उनकी हर रैली बजट सत्र में बदल जाएगी। वैसे यह किसी भी राजनीति के लिए अच्छा है। बात हो तो काम पर हो। सिर्फ गठबंधन और टिकट जात के आधार पर हो। इस बीच 18 अगस्त को एक खबर आई कि केंद्र ने बिहार के 21 पिछड़े ज़िलों के लिए टैक्स में छूट की अधिसूचना जारी की है। इसमें स्मार्ट सिटी की सूची में न आ सकने वाला बेचारा पटना भी है। बनने वाला था पेरिस बन गया पिछड़ा। बोलिये तो अइसनों कहीं होता है जी। तो हज़रात हमने गूगल किया। गूगल करते ही लघु एवं उद्योग मंत्रालय की साइट पर पहुंचे जहां कई राज्यों के पिछड़े ज़िलों की सूची मिली।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
जो पैसा अभी मिला नहीं है, जो दिया जाने वाला है, जिसके दिये जाने की कई शर्तें हैं, प्रधानमंत्री ने मान लिया कि दिया गया है और नीतीश कुमार ने उसमें से एक करोड़ आठ हज़ार का चारा खिलाने के लिए गायब कर दिया है। बिहार का मतदाता जिस दिन पैकेज की पॉलटिक्स समझ जाएगा वो अपनी जाति भूल जाएगा। पीएम पॉलिटिकल हो जाते हैं तो नीतीश कुमार टेक्निकल। कहने लगे कि नीतीश ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना है। इसमें 40 फीसदी राज्य का पैसा लगेगा। प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि केंद्र से पैसा देंगे तो वे 40 फीसदी भी दे ही दें। निभाएं अपना वचन। अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट के तहत प्राइवेट कंपनियों को पैसा लगाना है मगर प्रधानमंत्री उस पैसे को भी केंद्र के पैसे में जोड़ रहे हैं। तो फिर आप प्राइवेट सेक्टर का इंतज़ार ही क्यों कर रहे हैं। सरकारी खजाने से दे दीजिए। नीतीश का कहना है कि संघीय व्यवस्था में जो हमारा तय हिस्सा है वो तो मिलेगा ही। तो वैसी परिस्थिति में इस बात का उल्लेख करना कि 5 साल में पौने चार लाख करोड़ हम देंगे और उसी में उन्होंने जोड़ लिया कि 2 लाख 70 हज़ार करोड़ तो इनका ये हो गया। अब बचा 1 लाख 8 हज़ार करोड़, वो कहां जाएगा...हिसाब पूछ रहे हैं। वो चारा बन जाएगा क्या। भाई आप देश के प्रधानमंत्री हैं। ऐसी हल्की बात अगर मुल्क के प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी तो मुल्क का क्या होगा। ये सब नीतीश के ही बोल हैं।
प्रधानमंत्री ने 25 साल का हिसाब नीतीश कुमार से मांगा है। अगर नीतीश ने ये स्वीकार कर लिया तो उनकी हर रैली बजट सत्र में बदल जाएगी। वैसे यह किसी भी राजनीति के लिए अच्छा है। बात हो तो काम पर हो। सिर्फ गठबंधन और टिकट जात के आधार पर हो। इस बीच 18 अगस्त को एक खबर आई कि केंद्र ने बिहार के 21 पिछड़े ज़िलों के लिए टैक्स में छूट की अधिसूचना जारी की है। इसमें स्मार्ट सिटी की सूची में न आ सकने वाला बेचारा पटना भी है। बनने वाला था पेरिस बन गया पिछड़ा। बोलिये तो अइसनों कहीं होता है जी। तो हज़रात हमने गूगल किया। गूगल करते ही लघु एवं उद्योग मंत्रालय की साइट पर पहुंचे जहां कई राज्यों के पिछड़े ज़िलों की सूची मिली।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
प्रधानमंत्री ने 25 साल का हिसाब नीतीश कुमार से मांगा है। अगर नीतीश ने ये स्वीकार कर लिया तो उनकी हर रैली बजट सत्र में बदल जाएगी। वैसे यह किसी भी राजनीति के लिए अच्छा है। बात हो तो काम पर हो। सिर्फ गठबंधन और टिकट जात के आधार पर हो। इस बीच 18 अगस्त को एक खबर आई कि केंद्र ने बिहार के 21 पिछड़े ज़िलों के लिए टैक्स में छूट की अधिसूचना जारी की है। इसमें स्मार्ट सिटी की सूची में न आ सकने वाला बेचारा पटना भी है। बनने वाला था पेरिस बन गया पिछड़ा। बोलिये तो अइसनों कहीं होता है जी। तो हज़रात हमने गूगल किया। गूगल करते ही लघु एवं उद्योग मंत्रालय की साइट पर पहुंचे जहां कई राज्यों के पिछड़े ज़िलों की सूची मिली।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
- आंध्र प्रदेश के 14, बिहार के 18, गुजरात के 11, कर्नाटक के 11, मध्यप्रदेश के 36 ज़िलों के नाम ओद्योगिक रूप से पिछड़े ज़िलों की सूची में मिले।
- 1997 से पिछड़े ज़िले घोषित किये जा रहे हैं। जिसके तहत उद्योगों को तीन साल के लिए टैक्स छूट दी जाती है।
- बिहार के कुछ ज़िलों के नाम तो 1997 से ही पिछड़े ज़िलों की सूची में चले आ रहे हैं। यानी टैक्स में रियायत देने से इलाके का औद्योगिक विकास नहीं होता होगा। रिसर्च से पता चला कि गुजरात के कई ज़िले आज भी पिछड़े ज़िलों में आते हैं जो 1997 की सूची में थे। जैसे बनासकांठा और साबरकांठा। वैसे 26 ज़िलों के विकसित गुजरात के 11 ज़िले पिछड़े ज़िले में आते हैं।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
बिहार के लिए जिन 21 ज़िलों के नाम जारी हुए हैं उनमें से कई ज़िले पिछले सत्रह अठारह साल से बैकवर्ड जिलों में ही हैं। जैसे इस बार की सूची में वैशाली, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, मुज़फ्फरपुर, अररिया, जहानाबाद, नालंदा और गया का भी नाम है। यही नाम 1997 में जारी हुए 123 वैकवर्ड ज़िलों की सूची में भी हैं।टिप्पणियां
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
1997 से ही टैक्स छूट के ज़रिये इन ज़िलों में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन खबरों से लगा कि कोई नया फैसला हुआ है। पीटीआई की खबर में कहा गया है कि पिछड़े ज़िलों में नई कंपनी या इमारत बनाने पर 15 प्रतिशत आयकर छूट मिलेगी। प्रस्तावना लंबी हो गई है मगर एक और ग्राफिक्स का लोड ले ही लीजिए। इस शर्त के साथ कि वित्त मंत्रालय की जटिल रिपोर्ट को पढ़ने में मुझसे चूक हो सकती है। हमने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट छान मारी तो पता चला कि 2015-16 के लिए केंद्र से राज्यों को दिया जाने वाला कुल ग्रांट है वो 6 लाख 68 हज़ार 146 करोड़ का है। ये आंकड़ा भारत के सभी राज्यों ज़िलों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। अगर बिहार के लिए लाखों करोड़ हैं तो बाकी को क्या मिलने वाला है।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
2020 तक का कुल संभावित ग्रांट है करीब 44 लाख 86 हजार करोड़। हो सकता है कि मिल भी जाए लेकिन क्या ये तय राशि नहीं है। वैसे इस तरह से विकास के नाम पर अगर बिहार का चुनाव हुआ तो यकीनन मतदाता का हार्ट फेल कर जाएगा। पर इसे ही तो समझना है। डेराइये मत, टेराई कीजिए।
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बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर ने कहा है कि फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो' के लिए अभिनेता सलमान खान के साथ फिर से काम करने का मौका एक अद्भुत अनुभव रहा.
सोनम ने बॉलीवुड
में 2007 में अपनी फिल्म 'सावंरिया' से कदम रखा था. उन्होंने कहा, अपनी फिल्म 'सावंरिया' के छह वर्ष बाद फिर से सलमान के साथ काम करना एक अद्भुत और बहुत अच्छा अनुभव रहा.
बॉलीवुड अभिनेत्री चौथे भारतीय
फिल्म फेस्टिवल आफ मेलबर्न
(आईएफएफएम) में हिस्सा लेने के लिए मेलबर्न आई हुई हैं जिसकी शुरूआत पिछले हफ्ते हुई थी.
इनपुट: भाषा
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पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने कहा है कि उनका देश बिना किसी पूर्व शर्त के भारत के साथ बातचीत करने को तैयार है. उन्होंने कहा कि स्थाई शांति के लिए पाकिस्तान वार्ता को राजी है. पाकिस्तान के टीवी चैनल जिओ न्यूज ने ऐसा दावा किया है.
पड़ोसी देशों से दोस्ती का रिश्ता
नवाज शरीफ
ने ब्रिटेन के पीएम डेविड कैमरन के साथ बातचीत के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत और अफगानिस्तान समेत सभी पड़ोसी देशों से दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखना चाहता है.
'पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार'
नवाज शरीफ और डेविड कैमरन ने आतंकवाद के खतरे का मिल-जुलकर सामने करने का संकल्प जताया. नवाज शरीफ ने हर तरह के आतंकवाद की निंदा करते हुए हालिया पेरिस हमले पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार रहा है.
नवाज का बयान हवा में नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस बारे में आज तक से कहा, 'नवाज शरीफ का बयान हवा में नहीं आया है. भारत सरकार पर्दे के पीछे पाक से क्या बात कर रही है, इसका खुलासा पीएम को करना चाहिए, क्योंकि कभी पीएम मोदी कभी नवाज से गले मिलते हैं, कभी दिल मिलाते हैं.' कांग्रेस ने इसे देश की सुरक्षा से जुड़ा गम्भीर मसला बताया है.
CHOGM मीटिंग से इतर बातचीत
गौरतलब है कि नवाज शरीफ और डेविड कैमरन कॉमनवेल्थ देशों के प्रधानमंत्रियों की मीटिंग (CHOGM) से अलग बातचीत कर रहे थे. पाकिस्तान और ब्रिटेन ने व्यापार, निवेश और सुरक्षा के मसले पर एक-दूसरे के साथ मजबूत रिश्ता बरकरार रखने पर सहमति जताई.
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मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सोमवार को एलपीजी गैस से भरा टैंकर पलट गया और गैस का रिसाव होने से अफरा-तफरी मच गई। सुरक्षा के मद्देनजर यातायात रोकना पड़ा।
पुलिस नियंत्रण कक्ष के अनुसाार, जबलपुर से नागपुर की ओर जा रहा गैस से भरा टैंकर बडौल थाना क्षेत्र में अनियंत्रित हेाकर पलट गया। इस टैंकर से गैस का रिसाव हुआ, जिसके चलते मार्ग के दोनों ओर से आने वाले वाहनों को रोक दिया गया। वहीं मौके पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है। पुलिस के अनुसार टैंकर से हो रहे गैस रिसाव को रोकने के प्रयास जारी हैं, मगर किसी तरह के नुकसान की आशंका नहीं है।
पुलिस नियंत्रण कक्ष के अनुसाार, जबलपुर से नागपुर की ओर जा रहा गैस से भरा टैंकर बडौल थाना क्षेत्र में अनियंत्रित हेाकर पलट गया। इस टैंकर से गैस का रिसाव हुआ, जिसके चलते मार्ग के दोनों ओर से आने वाले वाहनों को रोक दिया गया। वहीं मौके पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है। पुलिस के अनुसार टैंकर से हो रहे गैस रिसाव को रोकने के प्रयास जारी हैं, मगर किसी तरह के नुकसान की आशंका नहीं है।
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दिल्ली के कनॉट प्लेस में गोपाल दास बिल्डिंग में आग लग गई है. आग बिल्डिंग के 16वें फ्लोर पर लगी है. आग पर काबू पाने के लिए दमकल की 12 गाड़ियां मौके पर हैं.
शुरुआती जानकारी के अनुसार आग में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. आग सुबह सात बजे के करीब लगी है. हालांकि 7:30 बजे तक आग पर काबू पा लिया गया.
आग ARDEE कंपनी के दफ्तर
शॉर्ट सर्किट
की वजह से लगी थी. फूड वॉर्मर मशीन के स्विच में स्पार्किंग हुई और देखते ही देखते फूड वॉर्मिंग मशीन के साथ पास रखे वाटर डिस्पेंसर को भी आग ने अपनी चपेट में ले लिया. ये हादसा सुबह करीब सात बजे हुआ जिस समय दफ्तर में कोई मौजूद नहीं था, लेकिन इसके पहले कि आग विकराल रूप लेती गोपालदास टॉवर के सामने स्थित दमकल हेड ऑफिस से 12 दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं.
दमकलकर्मियों
ने सोलहवीं फ्लोर पर शीशा तोड़कर आग को काबू कर लिया. लिहाजा एक बड़ा हादसा टल गया.
UPDATE: Fire broke out on the 16th floor of a building in Delhi's Barakhamba road, fire now doused.
pic.twitter.com/p6WAO1sRJF
— ANI (@ANI_news)
October 26, 2016
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मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से एक हैरान कर देने वाला वाकया सामने आई है, जिसमें एक महिला को कथित तौर पर किसी दूसरी जाति के पुरुष से प्रेम संबंधों के कारण सार्वजनिक तौर पर सजा दी गई. सजा के तौर पर गांव के कुछ लोगों ने उसे उसके प्रेमी को कंधे पर बैठाकर चलने को मजबूर किया. हालांकि, इससे पहले कथित तौर पर महिला के प्रेमी को उसका पति भी बताया जा रहा था. घटना का वीडियो वायरल हो चुका है.
मामला राजधानी भोपाल से लगभग 340 किलोमीटर दूर झाबुआ जिले के देवीगढ़ गांव का है. वायरल हो रहे 33 सेकेंड लंबे वीडियो में महिला अपने प्रेमी को अपने कंधे पर ले जाती हुई दिखाई दे रही है. उसके आसपास कई पुरुष चल रहे हैं, जो करीब सभी आयु वर्ग से हैं.
आसपास देखकर आसानी से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे खेतों और पगडंडियों से होकर गुजर रहे हैं. वे चिल्ला रहे हैं, कुछ नाच रहे हैं और महिला की हालत पर हंस रहे हैं. इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो अपने मोबाइल फोन पर इस शर्मनाक घटना को रिकॉर्ड कर रहे हैं. इनमें से कुछ लोग लाठी से लैस हैं और एक शख्स छोटे से खंबे पर चढ़ा हुआ है, और एक झंडा भी फहराता है.
#WATCH
Madhya Pradesh: Villagers force a woman to carry her husband on her shoulders as a punishment in Devigarh, Jhabua allegedly for marrying a man from a different caste. (12.4.19)
pic.twitter.com/aNUKG4qX7p
— ANI (@ANI)
April 13, 2019
जैसे-जैसे वह आगे चलती है, उसके पैर कांपने लगते हैं. कुछ वक्त बाद ऐसा महसूस होता है कि महिला कंधे पर वजन के कारण गिरने वाली है. धूप में जब वह आराम करने के लिए रुकती है तो भीड़ झूमती है. महिला कांपते पैरों के साथ अपने पति को कंधे पर लादे चलना जारी रखती है.
स्थानीय पुलिस ने मामले में संज्ञान लिया है. झाबुआ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विनीत जैन ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि मामले में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. साथ ही अन्य आरोपियों को पकड़ने की कोशिश जारी है.
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हरियाणा के नए खेल मंत्री अनिल विज शनिवार को सरकार द्वारा संचालित एक स्पोर्ट्स स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे, लेकिन वहां फैली अव्यवस्था का नजारा देखकर वह हैरत में पड़ गए. विज अंबाला से नई दिल्ली जा रहे थे. रास्ते में उन्होंने सोनीपत जिले के राई स्थित प्रतिष्ठित मोतीलाल नेहरू स्पोर्ट्स स्कूल के निरीक्षण का अचानक कार्यक्रम बनाया.
बताया जाता है कि स्पोर्ट्स क्लब में फैली अव्यवस्था देखकर विज को बहुत आश्चर्य हुआ. उन्होंने अनुमंडलाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर मामले में रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है. एक प्रवक्ता ने कहा, 'छात्रावास में गद्दे बेहद पुराने और बुरी स्थिति में थे और उनपर चादर भी नहीं थीं. शौचालय भी बेहद गंदे तथा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थे.
उन्होंने कहा, 'स्विमिंग पुल की स्थिति भी बेहद खराब थी. पानी में कुकुरमुत्ते उगे हुए थे. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि पीने वाले पानी की टंकी बिना ढक्कन के थी.
50 बॉक्सिंग प्रशिक्षुओं में से केवल 17 वहां मौजूद थे, उनकी अनुपस्थिति का रिकॉर्ड भी नहीं रखा गया था. गौरतलब है कि बच्चों में खेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हरियाणा सरकार ने 1973 में राई में स्पोर्ट्स स्कूल की स्थापना की थी.
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कांग्रेस ने यूपी सरकार पर उठाए सवाल
रेप पीड़ितों को मिले न्याय-सुप्रिया सुले
चिराग ने कानून में सुधार की मांग की
उत्तर प्रदेश के उन्नाव की रेप पीड़िता की शुक्रवार देर रात 11.40 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई. इस घटना को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी लोग अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. रेप पीड़िता की मौत के बाद कांग्रेस पार्टी के साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले और लोजपा के नेता चिराग पासवान ने दुख जाहिर किया.
कांग्रेस पार्टी की महिला विंग ने ट्वीट कर कहा, 'यूपी सरकार सो गई है. 'भारत की एक और बेटी' ने दम तोड़ दिया क्योंकि सिस्टम उसकी सुरक्षा करने में नाकाम रहा. रेप पीड़िता को उन्नाव में जला दिया गया था, जिसे एयरलिफ्ट कर सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पीड़िता की शुक्रवार रात 11.40 बजे मौत हो गई. बहादुर लड़की की आत्मा को शांति मिले. आपने कड़ा संघर्ष किया.'
As the UP govt goes to sleep another of 'India's daughter' succumbs to a system that failed to protect her
#Unnao
rape victim who was set ablaze in Unnao and airlifted to Safdarjung Hospital yesterday, died at 11:40 pm.
RIP you brave girl. You fought hard.
— All India Mahila Congress (@MahilaCongress)
December 6, 2019
सुप्रिया सुले ने ट्वीट किया, 'एक और रेप पीड़ित मासूम की जिंदगी खत्म हो गई. उन्नाव रेप पीड़िता की मौत के बारे में सुनकर बेहद दुख हुआ. मेरी हार्दिक संवेदना. उसकी आत्मा को शांति मिले. लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अन्य रेप पीड़ितों के साथ ही उसे भी न्याय मिले....अब बहुत हुआ.'
Another innnocent life lost to rape. Extremely Saddened to hear about the demise of the Unnao Rape Victim. My heartfelt condolences. May she rest in Peace. We need to ensure she gets justice as well as all other rape victims...enough is enough....
— Supriya Sule (@supriya_sule)
December 6, 2019
वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता चिराग पासवान ने भी ट्वीट कर अपना दुख जाहिर किया. उन्नाव की पीड़िता के निधन से दुखी हूं. अगर न्याय प्रणाली में जल्द न्याय देने का कानून होता तो आरोपी इनके साथ जघन्य अपराध नहीं कर पाता. प्रधानमंत्री से यह आग्रह करता हूं कि कानून में सुधार कर कड़े और जल्द न्याय दिलाने के प्रावधान किए जाएं ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी अप्रिय घटना न घटे.
उन्नाव की पीड़िता के निधन से दुखी हूँ।अगर न्याय प्रणाली में जल्द न्याय देना का क़ानून होता तो आरोपी इनके साथ जघन्य अपराध नहीं कर पाता।
@PMOIndia
से यह आग्रह करता हूँ की क़ानून में सुधार कर कड़े और जल्द न्याय दिलाने का प्रावधान किये जाए ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी अप्रिय घटना ना घटे
pic.twitter.com/KmSHI7ACDG
— Chirag Paswan (@ichiragpaswan)
December 6, 2019
जिंदगी की जंग हार गई भारत की बेटी
बता दें कि उन्नाव गैंगरेप पीड़िता को एयरलिफ्ट करके लखनऊ से दिल्ली लाया गया था. पीड़िता का शरीर 95 फीसदी जल चुका था. सफदरजंग अस्पताल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. शलभ कुमार ने बताया, ‘हमारे बड़े प्रयासों के बावजूद पीड़िता को बचाया नहीं जा सका. शाम में ही उसकी हालत खराब होनी शुरू हो गई थी. रात 11.10 बजे उसे कार्डियक अरेस्ट आया. हमने इलाज शुरू किया और उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन रात में 11.40 बजे उसकी मौत हो गई.'
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हिना खान के बाद रमजान के दिनों में स्मॉल स्क्रीन की एक और एक्ट्रेस को ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ रहा है. शमा सिकंदर को अपनी बोल्ड तस्वीर शेयर करने के लिए सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है.
एक्ट्रेस ने बिकिनी में इंस्टा पर एक तस्वीर शेयर की है. कैप्शन में उन्होंने मोटिवेशनल लाइन्स लिखते हुए कहा कि हमेशा अपने दिल की सुनो. शमा की ये तस्वीर कई फैंस को बेहद पसंद आई. लेकिन इसे ट्रोल करने वालों की भी कमी नहीं रही.
Be bold enough to use your voice, brave enough to listen to your heart, and strong enough to live the life you've always imagined... #abdilkisunn
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Shama Sikander
(@shamasikander) on
May 27, 2018 at 9:13pm PDT
सिडनी में मना शमा सिकंदर का न्यू ईयर, ट्रेंड हुआ BIKINI अवतार
एक यूजर ने लिखा, कम से कम रमजान में तो मान जाओ. बेशर्म, वहीं दूसरे ने लिखा- थोड़ा सा रमजान का एहतराम कर लो. मुस्लिम हो अपनी कौम का ही कुछ ख्याल रख लो. कई लोग ऐसे भी थे जो शमा सिकंदर को डिफेंड करते नजर आए. उन्होंने आलोचकों की जमकर क्लास लगाई और रमजान के नाम पर ट्रोल करने वालों को लताड़ा.
बता दें, शमा 2003 में सोनी टीवी के सीरियल ''ये मेरी लाइफ है'' से फेमस हुई थीं. इसके बाद उन्होंने सीरियल 'बालवीर' में 'भयंकर परी' का किरदार निभाया था. शमा ने शार्ट फिल्म ''सेक्सोहॉलिक'' से वापसी की थी. इस शॉर्ट फिल्म में शमा ने अपने को-स्टार के साथ कई किसिंग और बोल्ड सीन दिए थे. वे विक्रम भट्ट की वेब सीरीज ''माया'' में भी नजर आई हैं.
हिना ने पोस्ट किया वीडियो, यूजर ने लिखा- रमजान का लिहाज करो
वहीं रमजान में ट्रोलिंग की बात करें तो हिना खान ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वो डांस कर रही थीं. उनका यह वीडियो कई लोगों को पसंद नहीं आया. कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें रमजान में डांस नहीं करना चाहिए.
❤️
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Hina Khan
(@realhinakhan) on
May 27, 2018 at 12:07pm PDT
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आपको जानकर हैरत होगी कि हमारे सरकारी दफ्तरों में इतना सामान पड़ा है कि अगर उसकी वैल्यू जोड़ दी जाए तो वह मेघालय जैसे दो राज्यों की जीडीपी के बराबर होगी. जी हां, देश के सरकारी दफ्तरों में 40,731 करोड़ रुपये का सामान है जो दो मेघालयों की जीडीपी के बराबर है.
इस सामान की कीमत सरकार की अपनी सड़कों, पुल, सिंचाई और बिजली परियोजनाओं से भी ज्यादा है.
केंद्रीय बजट में सामने रखे गए एसेट रजिस्टर के मुताबिक, सरकार के पास 368 करोड़ रुपये के बिजली प्रोजेक्ट 1416 करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजनाएं हैं. सड़क प्रोजेक्ट्स की वैल्यू 10,256 करोड़ है जो अंडमान निकोबार द्वीप की नॉमिनल जीडीपी के करीब है. सरकार के पास 11,717 करोड़ रुपये के पुल हैं जो सिक्किम की जीडीपी के बराबर है.
सरकार के पास 43,554 करोड़ रुपये के वाहन हैं, जो दो पुडुचेरी के बराबर है.
आवास और दफ्तरों की कीमत है 44,283 करोड़ रुपये. यह जम्मू-कश्मीर की आधी जीडीपी के बराबर है. जमीन की बात करें तो उसकी वैल्यू 2,19,404 करोड़ रुपये है जो मध्य प्रदेश की आधी जीडीपी के बराबर है.
सरकार के पास 2,19,404 करोड़ रुपये के फिजिकल एसेट हैं. इतने में एक दिल्ली का काम चल सकता है. वहीं फाइनेंशियल एसेट की वैल्यू 6,25,010 करोड़ है जो दो पंजाब की नॉमिनल जीडीपी के बराबर है.
सरकार की कुल एसेट की वैल्यू है 10,31,139 करोड़. यह आंकड़ा सभी राज्यों की जीडीपी के कुल भाग का दसवां हिस्सा है.
हैरान मत होइए. सरकारी दफ्तरों के फोटोकॉपियर, कंप्यूटर और अन्य सामान की कीमत 4,07,631 करोड़ रुपये है जो पुल, सिंचाई, बिजली और सड़क प्रोजेक्ट्स की कीमत के योग से भी कहीं ज्यादा है.
सरकारी वाहनों की वैल्यू 43,554 करोड़ रुपये है जो सरकारी सड़कों की वैल्यू (10,256 करोड़) से चार गुना है.
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दिल्ली के तुर्कमान गेट के पास हुए
रोड रेज हादसे में
दिल्ली पुलिस की भूमिका पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सवाल उठाए हैं. AAP ने कहा कि उसका हत्यारों से कोई लेना-देना नहीं है और बीजेपी
इस बारे में झूठ
फैला रही है.
प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके BJP और दिल्ली पुलिस को निशाने पर लिया. AAP नेता संजय सिंह ने बीजेपी पर लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि हत्यारों का AAP से संबंध होने के बारे में बीजेपी झूठ फैला रही है. उन्होंने बताया कि पार्टी
इस दुष्प्रचार पर बीजेपी के खिलाफ
कानूनी कार्रवाई करने पर भी विचार कर रही है.
BJP's allegation that accused (Turkman case) were AAP members absolutely baseless,we are also thinking of taking legal course: Sanjay Singh
— ANI (@ANI_news)
April 8, 2015
AAP नेता आशुतोष ने याद दिलाया कि दिल्ली में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की है. दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है और इस पर मंत्रालय को दखल देना चाहिए.
Delhi Police comes under Home Ministry, if situation of law & order in Delhi is affected, Home Ministry is answerable: Ashutosh, AAP
— ANI (@ANI_news)
April 8, 2015
AAP नेता कुमार विश्वास ने केंद्र सरकार से अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और दिल्ली पुलिस को सक्षम बनाने की अपील की.
We appeal Centre to book the culprits and take strict action against them: Kumar Vishwas, AAP on Turkman Gate cae
pic.twitter.com/gSl7QHa6oA
— ANI (@ANI_news)
April 8, 2015
We also appeal Centre to ensure active participation and efficiency of Delhi police which is working under their leadership: Kumar Vishwas
— ANI (@ANI_news)
April 8, 2015
संजय सिंह ने यह भी कहा कि 14 तारीख को प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने जो बैठक बुलाई है वह पार्टी की आधिकारिक बैठक नहीं है और इसमें शामिल होने वालों पर नजर रखी जाएगी.
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गुजरात के उना में गौरक्षकों के अत्याचार के शिकार दलित परिवार 29 अप्रैल को बौद्ध धर्म अपनाएंगे. देशभर में दलित समाज पर हो रहे अत्याचार के चलते उना के मोटा समढियाना गांव के ये दलित परिवार बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने जा रहे हैं. बौद्ध धर्म अपनाने के पीछे का संदेश साफ है कि वह अब अपने समुदाय पर और ज्यादा अत्याचार सहने के लिए तैयार नहीं हैं.
रमेश सरवैया, उनके भाई वासराम, अशोक और चचेरे भाई बेचर को अर्धनग्न हालत में कार से बांधकर मारते-पीटते हुए 15 किमी तक घसीटा गया था. उन्हें पुलिस स्टेशन के बाहर भी मारा-पीटा गया था. यह घटना 11 जुलाई 2016 को हुई थी. मरी हुई गाय की खाल निकालने के चलते इन दलित युवकों को अत्याचार का शिकार होना पड़ा था. इस घटना के बाद पूरे
देश में गुस्सा
देखने को मिला था और धरना प्रदर्शन हुए थे.
उना में दलितों
पर हुए अत्याचार को लेकर बड़ी राजनीतिक प्रतिक्रिया भी हुई थी. इस घटना की गूंज संसद में सुनी गई और गुजरात की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बाद के दिनों में कई बड़े राजनीतिक नेता समढियाना गांव पहुंचे थे.
उना के पीड़ित रमेश सरवैया का कहना है कि जिस तरह से देशभर में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं, उसे देखते हुए हमने यह अंतिम फैसला लिया है. वहीं दूसरे पीड़ित जीतू सरवैया ने कहा कि उन्हें जिस तरह से पीटा गया था उसकी टीस आज भी उनके मन में बनी हुई है. इस तरह का बर्ताव जानवर के साथ भी नहीं किया जाता है.
उना के इन पीड़ित दलितों की ओर से कलेक्टर गीर सोमनाथ को धर्म परिवर्तन के लिए किसी भी तरह की याचिका नहीं दी गई है. हालांकि सरकार ने एसडीएम ओऱ डिस्ट्रिक एसएसपी को कानून व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया है.
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सीवान में मारे गए पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने शक जताया है कि शहाबुद्दीन उन पर भी हमला करा सकते हैं और उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं. आशा रंजन और उनका परिवार राजदेव रंजन की हत्या के पीछे शहाबुद्दीन का हाथ होने का शक जताता रहा है. कई संगीन मामलों में पिछले 11 सालों से जेल में बंद शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद आशा रंजन की यह आशंका और बढ़ गई है कि उनकी आवाज को बंद करने की कोशिश हो सकती है.
आशा रंजन ने एक निजी चैनल पर दिए शहाबुद्दीन के उस बयान को भी आड़े हाथों लिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि सीबीआई ने मामला देखने के बाद इसे अपने हाथ में लेने लायक नहीं समझा और वापस कर दिया. आशा देवी का सवाल है कि जो बात केन्द्र सरकार और उसका मंत्रालय नहीं बता पा रहा आखिर उसकी जानकारी जेल में बंद रहने के दौरान शहाबुद्दीन को कैसे हो गई. अगर इस मामले में उनका कोई लेना-देना नहीं है तो फिर इस मामले में जानकारी एकत्रित करने की उनको जरूरत क्या है?
आशा रंजन के आरोपों पर शहाबुद्दीन की सफाई है कि इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. एनडीटीवी से बातचीत में शहाबुद्दीन ने कहा कि न तो वे इस मामले में नामजद हैं और न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट हुई है. उल्टा वे आशा रंजन पर बीजेपी की मदद से राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. जबकि आशा रंजन का साफ कहना है कि न्याय की खातिर लड़ाई में जो भी मदद को आगे आएगा वे उसकी मदद लेंगी.
आशा रंजन का कहना है कि शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद उनकी चुनौती बढ़ गई है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगी. आशा रंजन मामले की सीबीआई जांच के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. इस मांग को लेकर वे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुकी हैं. लेकिन फिलहाल उनके हाथ मायूसी ही हाथ लगी है. आशा रंजन के मुताबिक गृह मंत्री ने उन्हें कोई ठोस भरोसा नहीं दिया. कहा कि सीबीआई जांच होगी लेकिन इसमें वक्त लगेगा. बकौल आशा रंजन इसके पीछे कारण यह बताया गया कि सीबीआई के पास बहुत काम है और उसकी व्यस्तता अधिक है.टिप्पणियां
राजदेव की हत्या इसी साल 13 मई को हुई थी. तीन दिन बाद राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी इसे सीबीआई को नहीं सौंपा है. आशा रंजन पिछले कई दिनों से दिल्ली में रहकर सरकार से गुहार लगा रही हैं. गृहमंत्री से मुलाकात के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया है कि मामला कहां अटका है. अब उनकी कोशिश प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने की है.
आशा रंजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि सिर्फ अनुशंसा कर देने से बिहार सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. उसे चाहिए था कि केन्द्र पर दबाव डालती कि मामला जल्द सीबीआई को सौंपा जाए. फैसला जल्द नहीं हुआ तो आशा रंजन इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर लड़ेंगी.
आशा रंजन ने एक निजी चैनल पर दिए शहाबुद्दीन के उस बयान को भी आड़े हाथों लिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि सीबीआई ने मामला देखने के बाद इसे अपने हाथ में लेने लायक नहीं समझा और वापस कर दिया. आशा देवी का सवाल है कि जो बात केन्द्र सरकार और उसका मंत्रालय नहीं बता पा रहा आखिर उसकी जानकारी जेल में बंद रहने के दौरान शहाबुद्दीन को कैसे हो गई. अगर इस मामले में उनका कोई लेना-देना नहीं है तो फिर इस मामले में जानकारी एकत्रित करने की उनको जरूरत क्या है?
आशा रंजन के आरोपों पर शहाबुद्दीन की सफाई है कि इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. एनडीटीवी से बातचीत में शहाबुद्दीन ने कहा कि न तो वे इस मामले में नामजद हैं और न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट हुई है. उल्टा वे आशा रंजन पर बीजेपी की मदद से राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. जबकि आशा रंजन का साफ कहना है कि न्याय की खातिर लड़ाई में जो भी मदद को आगे आएगा वे उसकी मदद लेंगी.
आशा रंजन का कहना है कि शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद उनकी चुनौती बढ़ गई है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगी. आशा रंजन मामले की सीबीआई जांच के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. इस मांग को लेकर वे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुकी हैं. लेकिन फिलहाल उनके हाथ मायूसी ही हाथ लगी है. आशा रंजन के मुताबिक गृह मंत्री ने उन्हें कोई ठोस भरोसा नहीं दिया. कहा कि सीबीआई जांच होगी लेकिन इसमें वक्त लगेगा. बकौल आशा रंजन इसके पीछे कारण यह बताया गया कि सीबीआई के पास बहुत काम है और उसकी व्यस्तता अधिक है.टिप्पणियां
राजदेव की हत्या इसी साल 13 मई को हुई थी. तीन दिन बाद राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी इसे सीबीआई को नहीं सौंपा है. आशा रंजन पिछले कई दिनों से दिल्ली में रहकर सरकार से गुहार लगा रही हैं. गृहमंत्री से मुलाकात के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया है कि मामला कहां अटका है. अब उनकी कोशिश प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने की है.
आशा रंजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि सिर्फ अनुशंसा कर देने से बिहार सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. उसे चाहिए था कि केन्द्र पर दबाव डालती कि मामला जल्द सीबीआई को सौंपा जाए. फैसला जल्द नहीं हुआ तो आशा रंजन इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर लड़ेंगी.
आशा रंजन के आरोपों पर शहाबुद्दीन की सफाई है कि इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. एनडीटीवी से बातचीत में शहाबुद्दीन ने कहा कि न तो वे इस मामले में नामजद हैं और न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट हुई है. उल्टा वे आशा रंजन पर बीजेपी की मदद से राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. जबकि आशा रंजन का साफ कहना है कि न्याय की खातिर लड़ाई में जो भी मदद को आगे आएगा वे उसकी मदद लेंगी.
आशा रंजन का कहना है कि शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद उनकी चुनौती बढ़ गई है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगी. आशा रंजन मामले की सीबीआई जांच के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. इस मांग को लेकर वे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुकी हैं. लेकिन फिलहाल उनके हाथ मायूसी ही हाथ लगी है. आशा रंजन के मुताबिक गृह मंत्री ने उन्हें कोई ठोस भरोसा नहीं दिया. कहा कि सीबीआई जांच होगी लेकिन इसमें वक्त लगेगा. बकौल आशा रंजन इसके पीछे कारण यह बताया गया कि सीबीआई के पास बहुत काम है और उसकी व्यस्तता अधिक है.टिप्पणियां
राजदेव की हत्या इसी साल 13 मई को हुई थी. तीन दिन बाद राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी इसे सीबीआई को नहीं सौंपा है. आशा रंजन पिछले कई दिनों से दिल्ली में रहकर सरकार से गुहार लगा रही हैं. गृहमंत्री से मुलाकात के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया है कि मामला कहां अटका है. अब उनकी कोशिश प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने की है.
आशा रंजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि सिर्फ अनुशंसा कर देने से बिहार सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. उसे चाहिए था कि केन्द्र पर दबाव डालती कि मामला जल्द सीबीआई को सौंपा जाए. फैसला जल्द नहीं हुआ तो आशा रंजन इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर लड़ेंगी.
आशा रंजन का कहना है कि शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद उनकी चुनौती बढ़ गई है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगी. आशा रंजन मामले की सीबीआई जांच के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. इस मांग को लेकर वे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुकी हैं. लेकिन फिलहाल उनके हाथ मायूसी ही हाथ लगी है. आशा रंजन के मुताबिक गृह मंत्री ने उन्हें कोई ठोस भरोसा नहीं दिया. कहा कि सीबीआई जांच होगी लेकिन इसमें वक्त लगेगा. बकौल आशा रंजन इसके पीछे कारण यह बताया गया कि सीबीआई के पास बहुत काम है और उसकी व्यस्तता अधिक है.टिप्पणियां
राजदेव की हत्या इसी साल 13 मई को हुई थी. तीन दिन बाद राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी इसे सीबीआई को नहीं सौंपा है. आशा रंजन पिछले कई दिनों से दिल्ली में रहकर सरकार से गुहार लगा रही हैं. गृहमंत्री से मुलाकात के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया है कि मामला कहां अटका है. अब उनकी कोशिश प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने की है.
आशा रंजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि सिर्फ अनुशंसा कर देने से बिहार सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. उसे चाहिए था कि केन्द्र पर दबाव डालती कि मामला जल्द सीबीआई को सौंपा जाए. फैसला जल्द नहीं हुआ तो आशा रंजन इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर लड़ेंगी.
राजदेव की हत्या इसी साल 13 मई को हुई थी. तीन दिन बाद राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी इसे सीबीआई को नहीं सौंपा है. आशा रंजन पिछले कई दिनों से दिल्ली में रहकर सरकार से गुहार लगा रही हैं. गृहमंत्री से मुलाकात के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया है कि मामला कहां अटका है. अब उनकी कोशिश प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने की है.
आशा रंजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि सिर्फ अनुशंसा कर देने से बिहार सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. उसे चाहिए था कि केन्द्र पर दबाव डालती कि मामला जल्द सीबीआई को सौंपा जाए. फैसला जल्द नहीं हुआ तो आशा रंजन इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर लड़ेंगी.
आशा रंजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि सिर्फ अनुशंसा कर देने से बिहार सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. उसे चाहिए था कि केन्द्र पर दबाव डालती कि मामला जल्द सीबीआई को सौंपा जाए. फैसला जल्द नहीं हुआ तो आशा रंजन इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर लड़ेंगी.
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यह एक लेख है: श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संसद को भंग कर दिया, जिससे देश में निर्धारित समय से आठ माह पहले अगस्त के मध्य में ताजा संसदीय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया।
राष्ट्रपति भवन के एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रपति सिरिसेना ने संबद्ध राजपत्र अधिसूचना पर हस्ताक्षर किए और उसे सरकारी मुद्रक के पास भेज दिया। सरकारी मुद्रण कार्यालय ने राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाला नोटिस मिलने की पुष्टि की है।
225 सदस्यीय सदन को भंग किए जाने की घोषणा का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति के इस कदम के बाद अगस्त के मध्य में ताजा संसदीय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा।
चुनाव का निर्धारित समय अप्रैल 2016 है, लेकिन राष्ट्रपति ने इस साल 23 अप्रैल को अपनी नई सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर संसद को भंग करने का वादा किया था। उन्होंने संवैधानिक और चुनावी सुधारों को लागू करने के अपने फैसले पर अमल रोक लिया। टिप्पणियां
हालांकि अप्रैल में 19वें संशोधन के जरिए संवैधानिक सुधार को मंजूरी दी गई, लेकिन चुनावी सुधार अथवा 20 ए का कार्यान्वयन नहीं हो पाया क्योंकि राजनीतिक दल मौजूदा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के स्थान पर चुनाव की आदर्श प्रणाली को लेकर कोई सहमति नहीं बना पाए।
सिरिसेना ने अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि देश में सितंबर तक नई सरकार कार्यभार संभाल लेगी।
राष्ट्रपति भवन के एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रपति सिरिसेना ने संबद्ध राजपत्र अधिसूचना पर हस्ताक्षर किए और उसे सरकारी मुद्रक के पास भेज दिया। सरकारी मुद्रण कार्यालय ने राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाला नोटिस मिलने की पुष्टि की है।
225 सदस्यीय सदन को भंग किए जाने की घोषणा का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति के इस कदम के बाद अगस्त के मध्य में ताजा संसदीय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा।
चुनाव का निर्धारित समय अप्रैल 2016 है, लेकिन राष्ट्रपति ने इस साल 23 अप्रैल को अपनी नई सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर संसद को भंग करने का वादा किया था। उन्होंने संवैधानिक और चुनावी सुधारों को लागू करने के अपने फैसले पर अमल रोक लिया। टिप्पणियां
हालांकि अप्रैल में 19वें संशोधन के जरिए संवैधानिक सुधार को मंजूरी दी गई, लेकिन चुनावी सुधार अथवा 20 ए का कार्यान्वयन नहीं हो पाया क्योंकि राजनीतिक दल मौजूदा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के स्थान पर चुनाव की आदर्श प्रणाली को लेकर कोई सहमति नहीं बना पाए।
सिरिसेना ने अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि देश में सितंबर तक नई सरकार कार्यभार संभाल लेगी।
225 सदस्यीय सदन को भंग किए जाने की घोषणा का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति के इस कदम के बाद अगस्त के मध्य में ताजा संसदीय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा।
चुनाव का निर्धारित समय अप्रैल 2016 है, लेकिन राष्ट्रपति ने इस साल 23 अप्रैल को अपनी नई सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर संसद को भंग करने का वादा किया था। उन्होंने संवैधानिक और चुनावी सुधारों को लागू करने के अपने फैसले पर अमल रोक लिया। टिप्पणियां
हालांकि अप्रैल में 19वें संशोधन के जरिए संवैधानिक सुधार को मंजूरी दी गई, लेकिन चुनावी सुधार अथवा 20 ए का कार्यान्वयन नहीं हो पाया क्योंकि राजनीतिक दल मौजूदा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के स्थान पर चुनाव की आदर्श प्रणाली को लेकर कोई सहमति नहीं बना पाए।
सिरिसेना ने अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि देश में सितंबर तक नई सरकार कार्यभार संभाल लेगी।
चुनाव का निर्धारित समय अप्रैल 2016 है, लेकिन राष्ट्रपति ने इस साल 23 अप्रैल को अपनी नई सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर संसद को भंग करने का वादा किया था। उन्होंने संवैधानिक और चुनावी सुधारों को लागू करने के अपने फैसले पर अमल रोक लिया। टिप्पणियां
हालांकि अप्रैल में 19वें संशोधन के जरिए संवैधानिक सुधार को मंजूरी दी गई, लेकिन चुनावी सुधार अथवा 20 ए का कार्यान्वयन नहीं हो पाया क्योंकि राजनीतिक दल मौजूदा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के स्थान पर चुनाव की आदर्श प्रणाली को लेकर कोई सहमति नहीं बना पाए।
सिरिसेना ने अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि देश में सितंबर तक नई सरकार कार्यभार संभाल लेगी।
हालांकि अप्रैल में 19वें संशोधन के जरिए संवैधानिक सुधार को मंजूरी दी गई, लेकिन चुनावी सुधार अथवा 20 ए का कार्यान्वयन नहीं हो पाया क्योंकि राजनीतिक दल मौजूदा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के स्थान पर चुनाव की आदर्श प्रणाली को लेकर कोई सहमति नहीं बना पाए।
सिरिसेना ने अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि देश में सितंबर तक नई सरकार कार्यभार संभाल लेगी।
सिरिसेना ने अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि देश में सितंबर तक नई सरकार कार्यभार संभाल लेगी।
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने शनिवार को कहा कि बरेली से भाजपा विधायक पप्पू भरतौल की पुत्री द्वारा दलित युवक से विवाह को लेकर चल रहे प्रकरण में आयोग ने स्वत: संज्ञान लेकर जनपद के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की है. बृजलाल ने कहा कि पीड़ित लड़की को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करा दी गयी है और लड़की के पिता से भी बात की गयी है. उन्होंने बताया कि लड़की और उसके पति को किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है. उन्होंने मुरादाबाद में दलित समाज के बाल काटने पर नाइयों द्वारा इनकार करने की खबर पर कहा कि जिला प्रशासन से मामले की रिपोर्ट तलब की जाएगी.
उन्होंने कहा कि यदि यह बात सही पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि समाज में विद्वेष पैदा करने वाली किसी भी हरकत को सरकार तथा आयोग बर्दाश्त नहीं करेगा. बृजलाल ने पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि एससी/एसटी वर्गों के उत्पीड़न के मामले में दो महीने के अंदर जांच पूरी कर ली जाए. उन्होंने कहा कि इस मामले में पीड़ित पक्ष और उसके परिजनों को मिलने वाली आर्थिक सहायता राशि निर्धारित समयावधि में ही निर्गत की जाए और इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
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यह लेख है: कर्नाटक में महादेई नदी के पानी विवाद पर किसानों और कई संगठनों ने बंद बुलाया है। राजभवन के पास प्रदर्शन कर रहे कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। ये बंद इसी हफ़्ते के बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के महादेई नदी ट्राइब्यूनल के फ़ैसले के विरोध में है।टिप्पणियां
इस फ़ैले के बाद महादेई नदी का पानी कर्नाटक के पांच ज़िलों को नहीं मिल पाएगा। ये ज़िले हैं- गदक, हुबली, धारवाड़, दलगाम और बागलकोट। बंद के दौरान सुबह से ही राज्य के कई इलाकों में प्रदर्शन जारी है। आज राज्य में दुकानें, व्यापार, प्राइवेट स्कूल पेट्रोल पंप और फ़िल्म इंडस्ट्री के क़ारोबार बंद हैं।
ये पूरा विवाद महादेई नदी के पानी पर कर्नाटक और गोवा के बीच है। विवाद उस वक़्त गहराया जब 2010 में महादेई नदी ट्राइब्यूनल बना जिसके तहत कर्नाटक की 7.5 TMC पानी की मांग को ठुकरा दिया गया। इस पानी का ज़्यादातर इस्तेमाल पीने के लिए उत्तर कर्नाटक में होता है। ट्राइब्यूनल के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर फ़ैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ट्राइब्यूनल के फ़ैसले को सही ठहराया।
फ़ैसले के बाद इन पांच ज़िलों के किसान और स्थानीय लोग भड़क गए। वजह थी इस नदी से यहां सिंचाई के साथ साथ पीने का पानी भी मिलता है जो अब नहीं मिल पाएगा। गुस्साए लोगों ने धारवाड़ की एक कोर्ट में तोड़फोड़ की। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने कई इमारतों में तोड़फोड़ मचाई। पुलिस ने कार्रवाई की और 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया, वहीं मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों को आदेश दिया है कि इस मामले में सभी क़ानूनी पहलूओं की जांच कर ये तय किया जाए कि क्या सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील की जा सकती है? सिद्धारमैय्या इन दिनों अपने बेटे के इलाज़ के सिलसिले में बेल्जियम में हैं।
इस फ़ैले के बाद महादेई नदी का पानी कर्नाटक के पांच ज़िलों को नहीं मिल पाएगा। ये ज़िले हैं- गदक, हुबली, धारवाड़, दलगाम और बागलकोट। बंद के दौरान सुबह से ही राज्य के कई इलाकों में प्रदर्शन जारी है। आज राज्य में दुकानें, व्यापार, प्राइवेट स्कूल पेट्रोल पंप और फ़िल्म इंडस्ट्री के क़ारोबार बंद हैं।
ये पूरा विवाद महादेई नदी के पानी पर कर्नाटक और गोवा के बीच है। विवाद उस वक़्त गहराया जब 2010 में महादेई नदी ट्राइब्यूनल बना जिसके तहत कर्नाटक की 7.5 TMC पानी की मांग को ठुकरा दिया गया। इस पानी का ज़्यादातर इस्तेमाल पीने के लिए उत्तर कर्नाटक में होता है। ट्राइब्यूनल के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर फ़ैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ट्राइब्यूनल के फ़ैसले को सही ठहराया।
फ़ैसले के बाद इन पांच ज़िलों के किसान और स्थानीय लोग भड़क गए। वजह थी इस नदी से यहां सिंचाई के साथ साथ पीने का पानी भी मिलता है जो अब नहीं मिल पाएगा। गुस्साए लोगों ने धारवाड़ की एक कोर्ट में तोड़फोड़ की। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने कई इमारतों में तोड़फोड़ मचाई। पुलिस ने कार्रवाई की और 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया, वहीं मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों को आदेश दिया है कि इस मामले में सभी क़ानूनी पहलूओं की जांच कर ये तय किया जाए कि क्या सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील की जा सकती है? सिद्धारमैय्या इन दिनों अपने बेटे के इलाज़ के सिलसिले में बेल्जियम में हैं।
फ़ैसले के बाद इन पांच ज़िलों के किसान और स्थानीय लोग भड़क गए। वजह थी इस नदी से यहां सिंचाई के साथ साथ पीने का पानी भी मिलता है जो अब नहीं मिल पाएगा। गुस्साए लोगों ने धारवाड़ की एक कोर्ट में तोड़फोड़ की। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने कई इमारतों में तोड़फोड़ मचाई। पुलिस ने कार्रवाई की और 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया, वहीं मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों को आदेश दिया है कि इस मामले में सभी क़ानूनी पहलूओं की जांच कर ये तय किया जाए कि क्या सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील की जा सकती है? सिद्धारमैय्या इन दिनों अपने बेटे के इलाज़ के सिलसिले में बेल्जियम में हैं।
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पंचसायर, पूर्वी कोलकाता का एक इलाका है।
भूगोल
पुलिस जिला
पंचसायर पुलिस थाना, कोलकाता पुलिस के पूर्वी मंडल का हिस्सा है। यह श्रीनगर मुख्य मार्ग, न्यू गड़िया सुपरमार्केट, कोलकाता -700 094 पर स्थित है।
शिक्षा
पंचसायर शिक्षा निकेतन नामक, एक बांग्ला माध्यम सहशिक्षा संस्थान 1988 में स्थापित किया गया था।
स्वास्थ्य सेवा
यहाँ पीयरलेस ग्रुप से संबंधित पीयरलेस हॉस्पिटल और बी के राय रिसर्च सेंटर नाम से एक 400 बिस्तरों वाला मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल है।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
– इसमें पंचशायरों में गेस्ट हाउसों की सूची शामिल है
Neighbourhoods in Kolkata
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Sushmita sen and Rohman Shawl viral video सुष्मिता सेन अपनी पर्सनल लाइफ एंजॉय कर रही हैं. वे रोहमन शॉल को डेट कर रही हैं. दोनों का प्यार किसी से छिपा नहीं हैं. आए दिन वे एक-दूसरे के साथ रोमांटिक तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. एक्ट्रेस ने कई बार रोहमन के प्रति अपने प्यार का इजहारकिया है. सुष्मिता का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें वे रोहमन को बंगाली में आई लव यू बोलना सिखा रही हैं.
वायरल हो रहे इस वीडियो में सुष्मिता सेन की कथक डांस गुरु भी नजर आ रही हैं. तीनों ने कश्मीरी, बंगाली और मराठी में I Love You बोला. रोहमन ने जब बंगाली में आई लव यू बोला तो एक्ट्रेस को पसंद नहीं आया. इसके बाद रोहमन ने दोबारा से बोला. दोनों की बॉन्डिंग कोदिखाता ये क्यूट वीडियो फैंस को काफी पसंद आ रहा है.
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Happpyyyyy Birthday My Rooh!!!❤️😍💃🏻😁🎉May all the happiness in the world curl up in your arms & you always embrace it with both hands!!😉😄💋’two souls as one’ What a beautiful year awaits!!!💃🏻🎵❤️🥰 I love you!!! To your health & happiness 😇❤️#duggadugga @rohmanshawl 💋♾❤️😍
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Sushmita Sen
(@sushmitasen47) on
Jan 3, 2019 at 5:05pm PST
इंस्टा पर एक्ट्रेस ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा- ''मैं ये पोस्ट करना भूल गई थी लेकिन मैं कभी ये कहना नहीं भूल सकती कि आई लव यू गायज. अक्सर ये कहो और हर वक्त उस वाइब को महसूस करो.'' मालूम हो सुष्मिता सेन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं.
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😄I almost forgot to post this but I never forget to say it!!! ❤️I love you guys!!!😁😍love begets love...say it more often & feel the vibe transform every single time!!!👏💃🏻😁 @pritam_shikhare @rohmanshawl & #yourstruly wish you love & a beautiful Monday!!!😉💋 #sharing #languageoflove #sayit #feelit #beit ❤️💃🏻😁
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Sushmita Sen
(@sushmitasen47) on
Jan 13, 2019 at 6:02pm PST
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#12345 🎵😁💃🏻 A simple count that can lead to such happiness, poise, awareness, balance, rhythm & grace😍❤️👏😀 This beautiful soul @pritam_shikhare who I consider as both my Maa & Guru, always takes me back to basics, a source that is pure & divinely childlike!!😇😍💃🏻 A place where I twirl & laugh, dancing with abandonment to the sound of 12345!!!😄💃🏻🎵❤️ I love you Pritam Maa, keep spreading your infectious positive energies, the world needs it!!!🙏😍😇 #sharing #happiness #love #ayearofcelebrations #25years #missuniverse1994 #india🇮🇳 ❤️I love you guys!!!!😍
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Sushmita Sen
(@sushmitasen47) on
Jan 8, 2019 at 11:36am PST
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Faithfully balanced & gracefully synchronised, Life is #poetry with you #birthdayboy ❤️😍🎵💃🏻 ‘WE’ for Victory!!!😉♾😄❤️keep smiling always!!! I love you @rohmanshawl ❤️💋#duggadugga #happybirthday mmuuuaaah 😁💃🏻🎵
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Sushmita Sen
(@sushmitasen47) on
Jan 3, 2019 at 5:37pm PST
कुछ समय पहले एक्ट्रेस ने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें वे बॉयफ्रेंड संग योगा का टफ पोज करती नजर आईं. इस बैंलेंसिंग योगा में नजर आया कि दोनों के बीच कितना अच्छा तालमेल है. एक्ट्रेस के वर्कफ्रंट की बात करें तो वे लंबे समय से फिल्मों से दूर हैं. लेकिन वेइवेंट्स और पार्टियों में अक्सर नजर आती हैं.
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कुलोत्तुंग चोल द्वितीय (११३३-११५० इ.) कुलोत्तुंग (प्रथम) का पौत्र और विक्रम चोल का पुत्र। इसका शासनकाल राजनीतिक दृष्टि से पूर्णत: शांति का था। इसकी ऐतिहासिक ख्याति अन्य कारण से है। इसके पिता विक्रम चोल ने चिदंबरम् के सुविख्यात मंदिर के नवीनीकरण और विस्तार का कार्य आरंभ किया था। उसे इसने पूरा किया। इस क्रम में नटराज के मंदिर के आँगन में गोविंदराज की जो मूर्ति प्रतिष्ठित थी, उसे निकलवा कर समुद्र में फेंकवा दिया। कहा जाता है कि रामानुज ने इस मूर्ति को समुद्र में से निकलवाकर तिरुपति में प्रतिष्ठित किया था। बहुत दिनों बाद विजयनगर के रामराय ने उस मूर्ति को अपने मूल स्थान पर पुन: प्रतिष्ठित किया।
भारतीय शासक
भारत का इतिहास
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1951 से 1968 तक, 1961 को छोड़कर, इसने हर साल काम किया। 1953 पानी की आपूर्ति की कमी के कारण एक विशेष रूप से कठिन वर्ष था, जिसका मतलब था कि तेजो पावर स्टेशन को लगभग पूरे वर्ष काम करना पड़ता था, मांग को पूरा करने के लिए अक्सर अत्यधिक बोझ होता था। न केवल अपने स्वयं के वितरण नेटवर्क से, बल्कि राष्ट्रीय ग्रिड का समर्थन करने के लिए भी। 1960 के दशक के दौरान ही सभी कम दबाव वाले उपकरण बंद कर दिए गए और नष्ट कर दिए गए।
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यह एक लेख है: सैमसंग गैलेक्सी ए70 (Samsung Galaxy A70) की बिक्री भारत में शुरू हो गई है। याद करा दें कि Samsung ने Galaxy A70 स्मार्टफोन को पिछले महीने भारत में लॉन्च किया था। ग्राहक सैमसंग गैलेक्सी ए70 (Samsung Galaxy A70) को ई-कॉमर्स साइट फ्लिपकार्ट (Flipkart) से खरीद सकते हैं। इसके अलावा Galaxy A70 को सैमसंग के ऑनलाइन स्टोर, सैमसंग ओपेरा हाउस और रिटेल स्टोर से भी खरीदा जा सकेगा। भारत में सैमसंग गैलेक्सी ए70 की प्री-बुकिंग 20 अप्रैल से शुरू हुई और 30 अप्रैल तक चली थी। अहम खासियतों की बात करें तो Galaxy A70 ऑक्टा-कोर क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 675 प्रोसेसर, इन-स्क्रीन फिंगरप्रिंट सेंसर, 4,500 एमएएच बैटरी, 20:9 डिस्प्ले के साथ आता है। आइए अब आपको Samsung Galaxy A70 की भारत में कीमत, लॉन्च ऑफर्स और स्पेसिफिकेशन के बारे में बताते हैं।
सैमसंग गैलेक्सी ए70 को 28,990 रुपये में बेचा जा रहा है। फोन का एक मात्र वेरिएंट उपलब्ध कराया गया है जो 6 जीबी रैम + 128 जीबी स्टोरेज से लैस है। फोन ब्लैक, ब्लू और व्हाइट रंग में मिलेगा। याद करा दें कि सैमसंग गैलेक्सी ए70 को इस साल मार्च में ग्लोबल मार्केट में उतारा गया था। Galaxy A70 के साथ मिलने वाले लॉन्च ऑफर्स की बात करें तो आईसीआईसीआई बैंक क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर 2,000 रुपये का कैशबैक मिल रहा है। सैमसंग के ऑनलाइन स्टोर पर फिलहाल किसी भी ऑफर को लिस्ट नहीं किया गया है।
सैमसंग गैलेक्सी ए70 (Samsung Galaxy A70) एंड्रॉयड पाई (Android Pie) पर आधारित सैमसंग वन यूआई (Samsung One UI) पर चलता है। डुअल-सिम वाले इस फोन में 6.7 इंच का फुल-एचडी+ (1080x2400 पिक्सल) सुपर एमोलेड इनफिनिटी-यू डिस्प्ले है, इसका आस्पेक्ट रेशियो 20:9 है। स्पीड और मल्टीटास्किंग के लिए ऑक्टा-कोर स्नैपड्रैगन 675 प्रोसेसर के साथ 6 जीबी है।
फोटो, वीडियो और अन्य चीजों को सेव करने के लिए 128 जीबी की स्टोरेज है, माइक्रोएसडी कार्ड की मदद से स्टोरेज को 512 जीबी तक बढ़ाना संभव है। अब बात कैमरा सेटअप की। सैमसंग गैलेक्सी ए70 (Samsung Galaxy A70) में 32 मेगापिक्सल का प्राइमरी सेंसर है, इसका अपर्चर एफ/1.7 है, 8 मेगापिक्सल का अल्ट्रा-वाइड सेंसर है, इसका अपर्चर एफ/ 2.2 है। तीसरा सेंसर 5 मेगापिक्सल का है, इसका अपर्चर एफ/ 2.2 है। सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए 32 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है, जिसका अपर्चर एफ/2.0 है।
Galaxy A70 में जान फूंकने के लिए 4,500 एमएच की बैटरी दी गई है जो 25 वाट सुपर-फास्ट चार्जिंग के साथ आता है। फोन इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर से लैस है। यह फोन फेस रिकग्निशन सपोर्ट के साथ आता है। फोन की लंबाई-चौड़ाई 164.3x76.7x7.9 मिलीमीटर है।
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हटा दिया जाए या बचा लिया जाए, कुछ इसी अंदाज में चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को लगे आरोपों पर जवाब देने को कहा है. संसदीय सचिव बनाए गए AAP के 21 विधायकों की सीट बचेगी या जाएगी इस पर 14 जुलाई को चुनाव आयोग सुनवाई करेगा.
लाभ का पद है संसदीय सचिव
संविधान के मुताबिक संसदीय सचिव लाभ का पद है. लाभ के पद पर विधायकों का बैठना, उन्हें विधायिका से अलग करता है. साथ ही संविधान मंत्रियों के लिए संसदीय सचिव नियुक्त करने की इजाजत नहीं देता. विधायिका के कुल सदस्यों के 10 फीसद को ही मंत्री या संसदीय सचिव बनाया जा सकता है.
पिछले दरवाजे से बनाया कार्यपालिका का हिस्सा
केजरीवाल ने
अपने अलावा छह मंत्री बनाए यहां तक तो ठीक रहा. एक विधायक को अपना संसदीय सचिव बनाया वो भी ठीक था, लेकिन
21 विधायकों को
अन्य छह मंत्रियों के लिए संसदीय सचिव बना दिया. संवैधानिक प्रश्न यहीं से शुरू हुआ क्योंकि विधायिका का हिस्सा रहे विधायकों को पिछले दरवाजे से कार्यपालिका का हिस्सा बना दिया गया. संसदीय सचिवों को विधानसभा में कमरे और अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं.
राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग से मांगी राय
संविधान का यह मामला राष्ट्रपति तक पहुंचा. राष्ट्रपति ने
चुनाव आयोग
से राय मांगी. आयोग ने इन विधायकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा, विधायकों ने उल्टे चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र पर ही सवाल उठा दिए. ये कहा कि आयोग को राष्ट्रपति को सलाह देने का संवैधानिक अधिकार नहीं है.
राष्ट्रपति को सलाह देना चुनाव आयोग का अधिकार
आयोग ने याचिकाकर्ता से विधायकों के जवाब पर प्रत्युत्तर दायर करने को कहा. याचिकाकर्ता
प्रशांत पटेल
ने आयोग को बताया कि राष्ट्रपति को आयोग से सलाह लेने और आयोग को मामले की पड़ताल कर राष्ट्रपति को सलाह देने का संवैधानिक अधिकार और प्रावधान दोनों है.
सवाल लाभ लेने का नहीं, बल्कि पद का है
विधायकों ने अपने जवाब में ये भी कहा था कि वे सरकार से वेतन भत्ते, वाहन, आवास नहीं लेते, लिहाजा उनका लाभ का पद नहीं है. लेकिन संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक सवाल लाभ लेने का नहीं बल्कि पद का है, जिसके जरिए वो लाभ लेने के अधिकारी हैं. फिलहाल चुनाव आयोग ने 14 जुलाई को दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव बनाए गए सभी 21 विधायकों को सुनवाई के लिए नोटिस भेजा है.
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प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, महल, जो उस समय किंग जॉर्ज पंचम और रानी मैरी का घर था, सुरक्षित बच गया। इसकी अधिक मूल्यवान सामग्री को विंडसर ले जाया गया लेकिन शाही परिवार यथावत रहा। राजा ने महल में राशन लगा दिया, जिससे उसके मेहमान और परिवार बहुत निराश हुए। बाद में राजा को पछतावा हुआ, डेविड लॉयड जॉर्ज ने कथित तौर पर नशे में धुत्त श्रमिक वर्ग के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थापित करने के लिए, शराब के तहखानों को दिखावटी रूप से बंद करके और शराब से परहेज करके उसे आगे बढ़ने के लिए राजी किया। कार्यकर्ताओं ने नशा करना जारी रखा और राजा अपने जबरन संयम से नाखुश रह गए। 1938 में, नैश द्वारा कंजर्वेटरी के रूप में डिजाइन किए गए उत्तर-पश्चिम मंडप को एक स्विमिंग पूल में बदल दिया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, महल पर नौ बार बमबारी की गई थी, जिसमें से सबसे गंभीर और प्रचारित परिणाम महल चैपल के विनाश के रूप में सामने आया था। 1940 में। अमीर और गरीब की आम पीड़ा को दिखाने के लिए इस घटना का कवरेज पूरे ब्रिटेन के सिनेमाघरों में चलाया गया। एक बम महल के चतुर्भुज में गिरा, जब किंग जॉर्ज VI और रानी एलिजाबेथ निवास में थे, और कई खिड़कियां उड़ गईं और चैपल नष्ट हो गया। हालाँकि, युद्ध के समय ऐसी घटनाओं का कवरेज गंभीर रूप से प्रतिबंधित था। राजा और रानी को अपने बमबारी वाले घर का निरीक्षण करते हुए फिल्माया गया था, मुस्कुराती हुई रानी, हमेशा की तरह, बेदाग टोपी और मैचिंग कोट पहने हुए थी और अपने आस-पास की क्षति से बेपरवाह लग रही थी। यही वह समय था जब रानी ने प्रसिद्ध रूप से घोषणा की थी: "मुझे खुशी है कि हम पर बमबारी की गई। अब मैं पूर्वी छोर का चेहरा देख सकती हूं"। द संडे ग्राफिक की रिपोर्ट के अनुसार, शाही परिवार को अपनी प्रजा की कठिनाइयों को साझा करते हुए देखा गया:
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यह लेख है: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के समक्ष कोयला ब्लॉक आवंटन में हुई कथित अनियमितताओं के मामले में भंड़ाफोड़ करने वालों (विसलब्लोअर) और आम नागरिकों की ओर से कई ताजा शिकायतें आई हैं। इनमें से कुछ को सीबीआई के साथ साझा किया गया है।
सीवीसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में कई शिकायतें मिली हैं और इनमें कुछ सरकारी अधिकारियों और निजी कंपनियों पर आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है।टिप्पणियां
सूत्रों के अनुसार इन शिकायतों में कुछ के साथ सरकारी दस्तावेज भी भेजे गए हैं और दावा किया गया है कि कोयला ब्लॉक आवंटन की प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती गईं।
सीवीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आयोग को कुछ शिकायतें मिली हैं और इन पर गौर किया जा रहा है। इनमें से कुछ को सीबीआई के साथ साझा किया गया है।’’ इस अधिकारी ने कहा, ‘‘जांच के दौरान सीबीआई इन दावों की पड़ताल करेगी।’’ कोयला मामले की जांच में सीबीआई अब तक निजी कंपनियों और अनजान सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सात प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है।
सीवीसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में कई शिकायतें मिली हैं और इनमें कुछ सरकारी अधिकारियों और निजी कंपनियों पर आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है।टिप्पणियां
सूत्रों के अनुसार इन शिकायतों में कुछ के साथ सरकारी दस्तावेज भी भेजे गए हैं और दावा किया गया है कि कोयला ब्लॉक आवंटन की प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती गईं।
सीवीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आयोग को कुछ शिकायतें मिली हैं और इन पर गौर किया जा रहा है। इनमें से कुछ को सीबीआई के साथ साझा किया गया है।’’ इस अधिकारी ने कहा, ‘‘जांच के दौरान सीबीआई इन दावों की पड़ताल करेगी।’’ कोयला मामले की जांच में सीबीआई अब तक निजी कंपनियों और अनजान सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सात प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है।
सूत्रों के अनुसार इन शिकायतों में कुछ के साथ सरकारी दस्तावेज भी भेजे गए हैं और दावा किया गया है कि कोयला ब्लॉक आवंटन की प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती गईं।
सीवीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आयोग को कुछ शिकायतें मिली हैं और इन पर गौर किया जा रहा है। इनमें से कुछ को सीबीआई के साथ साझा किया गया है।’’ इस अधिकारी ने कहा, ‘‘जांच के दौरान सीबीआई इन दावों की पड़ताल करेगी।’’ कोयला मामले की जांच में सीबीआई अब तक निजी कंपनियों और अनजान सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सात प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है।
सीवीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आयोग को कुछ शिकायतें मिली हैं और इन पर गौर किया जा रहा है। इनमें से कुछ को सीबीआई के साथ साझा किया गया है।’’ इस अधिकारी ने कहा, ‘‘जांच के दौरान सीबीआई इन दावों की पड़ताल करेगी।’’ कोयला मामले की जांच में सीबीआई अब तक निजी कंपनियों और अनजान सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सात प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है।
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दीपा मेहता के समलैंगिक प्रेम पर आधारित फिल्म 'फायर' की कहानी से सभी परिचित हैं। कुछ इसी तरह की घटना बिहार की राजधानी पटना में हुई, जहां दो सहेलियों ने पूरी जिंदगी साथ रहने का फैसला किया और विवाह के बंधन में बंध गईं।
दोनों सहेलियां घर से भागकर न केवल पति-पत्नी की तरह जी रही हैं, बल्कि पत्नी बनी सहेली अपने कथित पति की लंबी आयु के लिए प्रतिदिन मांग में सिंदूर भी लगा रही है।
यह मामला तब प्रकाश में आया, जब दोनों सहेलियां रीमा और सीमा (बदला हुआ नाम) अपने घर से लापता हो गईं और मामला पुलिस के सामने पहुंच गया। पुलिस ने दोनों सहेलियों को रोहतास जिले के सासाराम के एक धर्मशाला से पकड़ लिया, जहां एक के मांग में सिंदूर था और एक पुरुष की पोशाक में थी।
पटना के एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को बताया कि फुलवारी शरीफ थाना में सीमा के पिता ने 6 अक्टूबर को एक मामला दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी पुत्री को उसकी दोस्त रीमा और उसके परिजन भगाकर ले गए। इस मामले में छानबीन के बाद पुलिस ने दोनों को सासाराम के एक धर्मशाला से पकड़ा।
फुलवारीशरीफ के थाना प्रभारी एनके रजक ने बताया कि दोनों को मोबाइल टावर लोकेशन द्वारा पकड़ा जा सका। दोनों ने नर्सरी से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई साथ में की थी और इसी दौरान उनमें गहरी दोस्ती हो गई। सीमा शुरू से ही पुरुषों के लिबास पहनती थी। बाद में दोनों के परिजनों को यह दोस्ती खटकने लगी और दोनों पर परिजनों ने मिलने पर पाबंदी लगा दी।
इस बीच, दोनों सहेलियां 4 अक्टूबर को घर से भाग गईं और सासाराम में विवाह कर एक साथ रहने लगीं। रजक के मुताबिक, दोनों का कहना है कि वे एक-दूसरे के बगैर नहीं रह सकतीं।
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यह लेख है: बिना लाग-लपेट के बोला जाए तो यह योजना प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ग़रीबों के लिए शुरू की गई योजनाओं में सबसे प्रभावी-कारगर योजनाओं में से एक है, जो एक तरफ़ गरीबों के चेहरे पर विश्वास और उम्मीद लौटा रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा को इस योजना से वोट भी ठीक-ठाक (ख़ूब) मिल रहा है। मैंने व्यक्तिगत रूप से स्वयं कई लाभार्थियों से बात की, उनसे मिले जवाब के आधार पर ही यह लिख रहा हूँ. किताब के लेखकों के शब्दों में कहा जाए तो यह Out Of Pocket System से बेहतर है, जिसमें अधिकतर सेवाएं नकदी देकर खरीदी जाती हैं, लेकिन फिर दिक्कत क्या है? क्यों यह कहानी आज याद आ गई? दरअसल, कुछ दिन पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश किसानों से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हए इस योजना की तारीफ़ करते हुए कह दिया कि यह योजना महात्मा गांधी और डॉ अंबेडकर के सपनों को पूरा करने वाली है. सपनों से याद आया है कि सपने तो बड़े दूरदर्शी होते हैं। वे सिर्फ आज के बारे में नहीं देखे जाते बल्कि और भी लंबे समय के लिए देखे जाते हैं.
आयुष्मान भारत या PM-JAY को ओबामा केअर की तर्ज़ पर कुछ लोगों द्वारा मोदी केयर भी कहा जाता है. ऐसा कहने वाले अधिकांश बीजेपी/मोदी समर्थक हैं. स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना बताकर वोट मांगने में कोई कसर नहीं छोड़ते. ठीक यही बात 2010 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा पारित स्वास्थ्य बीमा योजना के बारे कही जा सकती है, लेकिन मोदी के विपरीत उनके समर्थक भारत में भी थे. ये वही लोग थे जो समाजवाद में गहरी आस्था रखते हैं और मानते थे कि पूंजीवादी अमेरिका में ऐसी 'कल्याणकारी योजनाएं' होनी चाहिए. ओबामा केअर की चर्चा के बाद भारत में भी उसी तरह की चिकित्सीय बीमा योजना की सुगबुगाहट चल पड़ी थी. सुगबुगाहट करने वाले वही समाजवादी लोग थे. हालांकि साल 2008 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना लेकर UPA आई थी, जिसमें BPL परिवार को 30,000/- का चिकित्सीय लाभ का प्रावधान था. चूंकि उसका क्षेत्र बहुत व्यापक नहीं था लेकिन फिर भी योजना तो थी ही.
अगस्त 2013 में प्रकाशित इस किताब की टाइमिंग देखकर लगता है कि जब लेखकगण ने किताब लिखी होगी तो ओबामा केयर से प्रभावित होकर ही उन्होंने भारत में स्वास्थ्य के अंतर्गत इसकी विस्तृत चर्चा की है. हालांकि ऐसा नहीं है कि लेखकों के निष्कर्ष हमेशा सही हों. उदाहरण के लिए लेखकों ने एक जगह स्वास्थ्य नीति को लेकर लिखा है कि "स्वास्थ्य नीति आज कुछ भ्रमित अवस्था में है. एक ओर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सकारात्मक कदम (राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से लेकर जनता को जेनरिक दवाएँ उपलब्ध कराने तक) उठाए जा रहे हैं तो दूसरी ओर निजी स्वास्थ्य बीमा पर निर्भरता बढ़ाने की दिशा में तेजी से प्रगति हो रही है (जिसे स्वास्थ्य उद्योग सक्रियता से प्रोत्साहन दे रहा है). यही नहीं, भविष्य में भारत की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था किन सिद्धान्तों पर आधारित होगी, इस बारे में कुछ विशेष स्पष्टता नहीं दिखती है"
अब अगर हम इसे वर्तमान परिदृश्य में देखें तो एक तो सरकार ने जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए हैं, जिनसे गरीबों के लिए इलाज सस्ता करने की दिशा में उल्लेखनीय कदम माना जा सकता है तो दूसरी ओर बीमा के जरिए गरीबों को मुफ्त इलाज देने के दावे भी हैं, तो ऐसे में स्पष्टता क्यों नहीं दिखती? क्या सार्वजनिक और निजी, दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते? खैर...लेकिन हमें अपने आपको जज साहब की टिप्पणी के संदर्भ में PM-JAY तक सीमित रखना है.
जैसा कि ऊपर ही बताया जा चुका है कि ये योजना ग़रीबों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रही है, उन्हें जरूरत का इलाज भी उपलब्ध हो रहा है लेकिन लंबे काल खंड को लेकर देखें तो यह योजना मूल समस्या का समाधान करती हुई नहीं दिखती. जैसे रोटी-कपड़ा-मकान के बाद (या कहें साथ-साथ) चिकित्सा/स्वास्थ्य का नंबर आता है. लोग छोटी-2 बीमारियों के लिए अपने आसपास अस्पतालों के रुख़ करते हैं, जहाँ सरकारों की कोशिश रहनी चाहिए कि वह सार्वजनिक चिकित्सालयों की व्यवस्था करे. लेकिन निजी बीमा और निजी क्षेत्र को मिले प्रोत्साहन के बाद ऐसा होता नहीं है. क्योंकि अब बीमाधारक की कोशिश रहेगी कि वह जुकाम-बुख़ार जैसी रोजमर्रा बीमारियों का इलाज भी मुफ़्त में कराए, इसलिए वह अनावश्यक रूप से निजी अस्पताल का रुख़ करेगा और निजी अस्पताल तो इसीलिए बैठे हैं. जिस बीमारी का इलाज 50 रुपये में हो सकता है, बीमा के कारण निजी अस्पताल उसके बदले 500 बसूलेंगे. निजी अस्पतालों में डर दिखाकर लूट होती है, इससे कोई इनकार नहीं करता, फिर जब मरीज़ बिना किसी खर्च के चिंता के इलाज के लिए जाएगा, तो कितना अनावश्यक लूट होगी, यह सहज ही कल्पना की जा सकती है.
और जब हर कोई निजी चिकित्सा का लाभ लेना चाहेगा तो सरकार भला क्यों सार्वजनिक स्वास्थ्य/चिकित्सा पर खर्च करेगी? और अगर कर भी दिया तो कोई क्यों उन अस्पतालों का रुख़ करेगा? अब जब निजी अस्पतालों में मांग बढ़ेगी तो वे बाज़ार के नियमानुसार अपनी सुविधा शुल्क भी बढ़ाएंगे। यानी अभी जो इलाज 3-4 लाख में हो जाता है, हो सकता है कि वह 5-6 लाख में होने लगे...? ऐसा ही होगा, क्योंकि यह नियम है. अब महंगी चिकित्सा सेवाओं की मार उस वर्ग पर पड़ेगी, जो PM-JAY से बाहर है, अभी अपने खर्च से स्वास्थ्य बीमा लेता है या स्वयं के खर्च पर इलाज कराता है. लेखकों ने बताया है कि बात चाहे अमेरिका की हो, ब्रिटेन की हो, जापान हो, चीन, दक्षिण कोरिया से लेकर कोस्टा रिका की... दुनिया के इतिहास में जहाँ भी स्वास्थ्य सेवा में परिवर्तन को सफलता पूर्वक लागू किया गया है तो वहाँ का आधार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की मजबूती रही है, लेकिन भारत के संदर्भ में ऐसा नहीं दिखता. स्वास्थ्य बीमा जैसे कदम एक छलांग लगाने की कोशिश करते हैं और सीधे निजी क्षेत्र से अपेक्षा रखते हैं.
यह व्यवस्था अस्पताल सेवा से जुड़ा होती है. अब ऐसे में संभावना यही है कि व्यावसायिक स्वास्थ्य व्यवस्था बीमारी की रोकथाम और अस्पताल मुक्त उपचार के खिलाफ ही होगी. यह तो बीमा आधारित स्वास्थ्य सेवाओं के विपरीत है। उदाहरण के तौर पर भारत में ज्यादातर बीमारियां संक्रामक रोगों के कारण होती हैं. मधुमेह, रक्तचाप संबंधी समस्याओं और कैंसर सरीखे कई असंक्रामक रोगों का बेहतर इलाज अस्पताल में भर्ती से पहले ही हो सकता है. एम्स मंगलगिरी के अध्यक्ष डॉ टीएस रविकुमार और पॉन्डिचेरी इंट्टीट्यूट ऑफ मेडीकल साइंस में प्रोफेसर डॉ जॉर्ज अब्राहम द-हिंदू में लिखे एक लेख में बताते हैं कि कैसे रोकथाम की कमी के कारण 70 फीसदी कैंसर मरीजों का इलाज तीसरी या चौथी स्टेज पर हो पाता है. इससे एक तो मृत्यु दर अधिक रहती है, उपचार की दर बहुत कम और अगर अर्थ की दृष्टि से देखा जाए तो यहां तक आते-2 इलाज का खर्च पहले स्टेज के मुकाबले तीन-चार गुणा बढ़ जाता है. इतना ही नहीं, स्वास्थ्य बीमा योजनाएं संपूर्ण कैंसर की बीमारी को कवर नहीं करती, परिणाम स्वरूप एक तो आउट ऑफ पॉकेट खर्च बढ़ता है या फिर मरीज इलाज बीच में ही छोड़ देता है.
इसे कुछ यूं समझिए कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की कोशिश रहती है कि व्यक्ति अपनी दिनचर्या में परिवर्तन लाकर स्वस्थ रहे, इसीलिए लोगों को जागरूक करने पर जोर देती हैं. जागरूकता के इन संदेशों को आप उनके पर्चे पर, गाँव-शहर की दीवारों पर या उनसे जुड़ी चीजों पर देख-पढ़ सकते हैं. और यदि इसके बाद भी बीमार पड़ो तो उनके पास जाओ. लेकिन बीमा आधारित निजी स्वास्थ्य उद्योग में ऐसा नहीं है। वे तो आपके बीमार होने के इंतजार में ही बैठे हैं. मतलब यह मॉडल कारकों पर बल न देकर सीधे परिणामों के उपचार पर जोर देता है। आप बीमार नहीं पड़ेंगे तो धंधा कैसे चलेगा? यह तथ्य बहुत पुराना है कि भारत में स्वास्थ पर खर्च जीडीपी की तुलना में बहुत कम है. फिलहाल यह 1.15 से लेकर 1.5 फीसदी तक है. सरकार इसे 2.5 फीसदी करना चाहती है। इस साल सरकार ने पिछले के मुकाबले 7000 करोड़ रुपये का आवंटन बढ़ाया है. 2.5 फीसदी के हिसाब से इसे करीब 60-65,000 करोड़ रुपये से बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन हमें यहां जो बात गौर करनी है, वह है कि इसी साल बजट में 6400 करोड़ PMJAY के लिए रखे गए हैं. यानी बढ़ा हुआ बजट लगभग पूरा का पूरा इसी बीमा योजना में जा रहा है. यानी सरकार भी शायद इसी रास्ते के जरिए चिकित्सीय सेवाओं को आगे बढ़ाना चाहती है?
ऐसा नहीं है कि लेखक निजी चिकित्सा सेवा के एकदम विरोधी हों. वे केरल का उदाहरण देते हैं, जहाँ निजी क्षेत्र को उस समय मैदान दिया गया जब सार्वजनिक स्वास्थ्य ने पूरी ताक़त से अपनी जड़ें जमा लीं. यानी निजी ने सार्वजनिक क्षेत्र के सहयोगी की भूमिका निभाई. जबकि उत्तर भारत में सार्वजनिक सेवाएं पनप ही नहीं पाईं कि निजी क्षेत्र ने कब्जा जमा लिया। इसी मिसमैनजेमेंट ने ग़रीबों को हांसिए पर धकेल दिया. लेखक बताते हैं कि बीमा आधारित चिकित्सा सेवा का यह मॉडल अमेरिकी है, जहाँ उच्च स्तरीय मेडिकल सेवा की अच्छी गुणवत्ता के बावजूद इस देश ने यह रास्ता अपनाकर बड़ी क़ीमत चुकाई है. इसकी तुलना में लेखकों ने कनाडा के मॉडल से सीख लेने की सलाह दी है, जहाँ कथित समाजवादी स्वास्थ्य मॉडल ने अमेरिका की तुलना में कहीं ज्यादा असर दिखाया है, वह भी अमेरिका से हुए कम खर्च में.
संभव है कि समाजवाद या सरकार स्वामित्व वाले सिस्टम से आपको परहेज हो और आप अपने तर्क के समर्थन में सार्वजनिक सेवाओं की विफलता के एक दर्जन नमूने भी सामने रख दें, लेकिन ऐसा करते हुए हमें सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि स्वास्थ्य या चिकित्सा ऐसे मामले नहीं हैं, जिन्हें आप अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के समकक्ष रख सकें. BSNL की जगह एयरटेल या जिओ फल-फूल रही तो चल सकता है, ONGC की जगह रिलाएंस केजी बेसिन में गैस निकाल सकती है, NHAI की जगह जेपी इंफ्रास्ट्रक यमुना एक्सप्रेसवे बना सकता है लेकिन स्वास्थ्य मूल आवश्यकताओं में आएगा, इसकी जिम्मेदारी सरकार को ही लेनी पड़ेगी. इसीलिए कहा है कि यह योजना आज तो अच्छी दिखती है लेकिन लंबे समय के लिए ठीक नहीं जान पड़ती.
An Uncertain Glory: India and its Contradictions हिंदी में भारत और उसके विरोधाभाष नाम से उपलब्ध है.
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कतर में, संविधान, साथ ही कुछ कानून, सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता की आवश्यकताओं के अनुसार संघ, सार्वजनिक सभा, और पूजा की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। इसके बावजूद, कानून गैर-मुस्लिमों द्वारा मुकदमा चलाने पर प्रतिबंध लगाता है और सार्वजनिक पूजा पर कुछ प्रतिबंध लगाता है। इस्लाम राजकीय धर्म है।
पान्थिक जनसांख्यिकी
धार्मिक संबद्धता के बारे में जनसांख्यिकीय आँकड़े जारी नहीं करती है, कुछ सदस्यता आँकड़े ईसाई समुदाय समूहों से उपलब्ध हैं। तदनुसार, ईसाई समुदाय में रोमन कैथोलिक (80,000), पूर्वी और ग्रीक रूढ़िवादी, एंग्लिकन (10,000), कॉप्स (3,000), और अन्य प्रोटेस्टेंट शामिल हैं । हिंदू समुदाय लगभग विशेष रूप से भारतीय है, जबकि बौद्धों में दक्षिण, दक्षिणपूर्व और पूर्वी एशियाई शामिल हैं। अधिकांश बहाई ईरान से आते हैं। राष्ट्रीयता कानून के अनुसार, धर्म नागरिकता का मापदण्ड नहीं है। हालाँकि, लगभग सभी क़तरी नागरिक या तो शिया या सुन्नी मुसलमान हैं, सिवाय कम से कम एक ईसाई और एक नास्तिक, कुछ बहाइयों और उनके सम्बन्धित परिवारों के लिए जिन्हें नागरिकता प्रदान की गई थी।
धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति
संविधान, साथ ही कुछ कानून, सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता की आवश्यकताओं के अनुसार संघ, सार्वजनिक सभा, और पूजा की स्वतंत्रता के लिए प्रदान करते हैं। हालाँकि, कानून गैर-मुसलमानों द्वारा मुकदमा चलाने पर प्रतिबंध लगाता है और सार्वजनिक पूजा पर कुछ प्रतिबंध लगाता है। राज्य धर्म इस्लाम है। जबकि ज्यादातर कतर सुन्नी हैं, शिया मुसलमान स्वतंत्र रूप से अपने विश्वास का अभ्यास करते हैं। राष्ट्रीयता कानून धार्मिक पहचान पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाता है।
कानूनी मान्यता के लिए धार्मिक समूहों को सरकार के साथ पंजीकृत होना चाहिए। सरकार ने कैथोलिक, एंग्लिकन, ग्रीक और अन्य पूर्वी रूढ़िवादी, कॉप्टिक और भारतीय ईसाई चर्चों को कानूनी दर्जा दिया है। यह अनुमोदित धार्मिक समूहों का एक आधिकारिक रजिस्टर रखता है। पहचाने जाने के लिए, देश में प्रत्येक समूह में कम से कम 1,500 सदस्य होने चाहिए। जबकि इंजील मण्डली कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं हैं क्योंकि उन्हें व्यक्तिगत रूप से आवश्यक सदस्यता की कमी है, वे स्वतंत्र रूप से पूजा करते हैं और आवश्यक होने पर आंतरिक मंत्रालय द्वारा उनके समारोहों के लिए शारीरिक सुरक्षा प्रदान की जाती है।
सन्दर्भ
United States Bureau of Democracy, Human Rights and Labor. Qatar: International Religious Freedom Report 2007. This article incorporates text from this source, which is in the public domain.
कतर
एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख
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आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान ने अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद लेने के विकल्प पर काम करना शुरू कर दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
इमरान खान
ने दावा किया है कि वह कुछ मित्र देशों से संपर्क में हैं जिससे उन्हें बढ़ते कर्ज के चलते बैलेंस ऑफ पेमेंट की समस्या में मदद मिल सके.
गौरतलब है कि इससे पहले पाकिस्तान ने आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की मांग की थी. पाकिस्तान की इस मांग के बाद आईएमएफ ने उसकी बैलेंस ऑफ पेमेंट समस्या को देखते हुए चीन से वन बेल्ट बन रोड परियोजना के लिए मिले कर्ज की समीक्षा करने की बात कही थी.
आईएमएफ की इस शर्त के चलते पाकिस्तान को बीते कुछ वर्षों के दौरान चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में बड़ा कर्ज मिला था. आईएमएफ का मानना है कि चीन से पाकिस्तान को दिया गया यह कर्ज उसकी परेशानी का कारण हो सकता है लिहाजा किसी तरह का बेलआउट पैकेज देने से पहले वह चीन से मिले कर्ज की पूरी समीक्षा करेगा.
IMF की मदद के लिए इमरान खोलेंगे चीन से मिले CPEC कर्ज का राज़
अब मित्र देशों से मदद की बात करते हुए इमरान खान संकेत दे रहे हैं कि वह चीन के साथ हुए
सीपीईसी
करार का ब्यौरा आईएमएफ को देते से कतरा रहे हैं. वहीं सूत्रों का दावा है कि पाकिस्तान आईएमएप की इस शर्त से बचने और आर्थिक संकट को काबू करने के लिए पाकिस्तान ने चीन और साउदी अरब से मदद की गुहार लगाई है.
वहीं जानकार मान रहे हैं कि जहां बीते हफ्ते तक पाकिस्तान आईएमएफ से बेलआउट की कोशिश कर रहा था वहीं अब इमरान खान का यह बयान साफ संकेत दे रहा है कि उसे चीन अथवा साउदी अरब से किसी तरह की मदद का भरोसा दिया गया है.
गौरतलब है कि बीते हफ्ते आईएमएफ से मदद की गुहार लगाने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टीना लेगार्ड से पाकस्तान को बेलआउट पैकेज देने का रास्ता कठिन करने के लिए कहा था.
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इंडिया के पहले व्हीलचेयर बॉडी बिल्डर आनंद आर्नोल्ड का शरीर 15 साल की उम्र में ही कैंसर की वजह से पैरेलाइज्ड हो गया था. लेकिन आनंद ने हार नहीं मानी. पैरालाइज्ड होने के बाद लोगों के अलावा उन्हें खुद भी लगने लगा था कि वह जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे लेकिन अपनी मेहनत के दम मिस्टर इंडिया और मिस्टर वर्ल्ड का अवॉर्ड का खिताब जीत लोगों को गलत साबित कर दिखाया.
पहले छोड़ा घर फिर मांगी भीख, अब बनीं देश की पहली ट्रांसजेंडर जज
3 साल तक रहे बेड पर
इंडिया के पहले व्हीलचेयर बॉडी बिल्डर आनंद ने बताया कि मैनें कभी हार नहीं मानी. पैरालाइज्ड होने के बाद भी बॉडी बिल्डिंग में कई मेडल जीते. आनंद हमेशा से ही बॉडीबिल्डर बनना चाहते थे, उन्होंने अपने करियर की पहली ट्रॉफी 13 साल की उम्र में जीती थी.
उन्हें बॉडी बिल्डिंग में करियर शुरू करने के दो साल बाद पता चला कि वह लोअर स्पिनल कॉर्ड में कैंसर से पीड़ित है. वहीं जब उनका इलाज किया गया तो वह पैरालाइज्ड हो गए. वह कम से कम 3 साल तक बिस्तर पर रहे.
फैमिली ने किया सपोर्ट
आनंद ने बताया कि तीन साल तक बेड पर पड़े रहने के दौरान उनकी फैमिली ने काफी सपोर्ट किया था. पैरालाइज्ड होने के बाद जिम और मेरी गली के ढेरों लोग नेगेटिव कमेंट्स करते थे. कहते थे- अब ये बर्बाद हो गया है.
ये शख्स लाखों दृष्टिहीनों को दिखाता है जीने की राह...
जीता मिस्टर वर्ल्ड का खिताब
बता दें, आनंद अब तक तीन बार मिस्टर इंडिया के अलावा 12 बार मिस्टर पंजाब का खिताब जीत चुके हैं. उन्होंने यूरोप में हुए मिस्टर वर्ल्ड का खताब भी उन्होंने अपने नाम किया. अगर उनके करियर पर निगाह डाली जाए तो उनके नाम 40 अन्य छोटे-बड़े खिताब भी दर्ज हैं.
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अलास्का भूकंप सूचना केंद्र ने कहा कि अलास्का के ल्यूटियान द्वीप से दूर प्रशांत महासागर में 7.2 की तीव्रता वाले भूकंप के झटकों के बाद अलास्का के कुछ समुद्र तटीय इलाकों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। केंद्र के अनुसार गुरुवार शाम को भूकंप के झटके मध्य ल्यूटियान के अलावा सुदूर पूर्वी डच हार्बर और उनालास्का में महसूस किए गए। हालांकि, इस कारण किसी प्रकार की क्षति की सूचना नहीं है। पश्चिमी तटीय और अलास्का सुनामी चेतावनी केंद्र के मुताबिक भूकंप के मद्देनजर अलास्का के कुछ समुद्र तटीय क्षेत्रों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। इस चेतावनी के अंतर्गत डच हार्बर के पूर्वोत्तर भाग के 128 किलोमीटर क्षेत्र के अलावा अदाक के पश्चिम में 201 किलोमीटर क्षेत्र को शामिल किया गया है। अलास्का गृह सुरक्षा विभाग के प्रवक्ता जेरेमी जिदेक ने कहा कि राज्य ने आपातकालीन समन्वय केंद्रों को सक्रिय कर दिया है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि क्षेत्र के सभी समुदायों को इस चेतावनी के बारे में जानकारी मिले।
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कनाडा के राकस्टार ब्रायन एडम्स ने कहा है कि पुराने गानों से प्रेरणा मिलती है जो नये गानों को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. ब्रायन अगले माह अपने गायन से भारतीय दर्शकों का मनोरंजन करेंगे.
एडम्स अपने भारत दौरा 12 फरवरी को मुंबई से शुरू करेंगे और बाद में वह बैंगलोर, नई दिल्ली और हैदराबाद में भी प्रस्तुति देंगे. उन्होंने एक बयान में कहा कि यदि उनके ऊपर कोई दबाव है तो वह अपने से थोपा गया दबाव है और वह इसे स्वाभाविक तौर पर लेते हैं.
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आज के समय में बहुत कम ही ऐसी फिल्में हैं, जो आपको अपने से बांधकर रखने में सफल होती हैं. जब कंगना रनौत और राजकुमार राव स्टारर फिल्म जजमेंटल है क्या के आने की बात हुई थी तब सभी ने सोचा था कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या ख़ास होता कि दर्शक इसे देखने के लिए जाएंगे? कंगना रनौत की फिल्म है तो इसके साथ विवाद जुड़ना तो बनता था.
ढेर सारे प्रचार और विवाद के बाद ये फिल्म रिलीज होने जा रही है और हमें इसे देखने का मौका मिला. अब फिल्म देखने के बाद ये कहना जरूरी हो गया है कि यार इस फिल्म को जज मत करो क्योंकि आपको काफी मजा आने वाला है.
सबसे पहले बात फिल्म की कहानी की. ये साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म है बॉबी और केशव के बारे में जो एक बार मिलते हैं और फिर शुरू होता है मिस्ट्री गेम. केशव के घर में हुई है मौत और इस मौत का जिम्मेदार कौन है बचपन से ही दिमाग से हिली हुई बॉबी या फिर सीधा-सादा केशव? यही और बहुत कुछ आपको इस फिल्म में देखने को मिलेगा.
इस फिल्म की कहानी बढ़िया है, जो बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स से भरी हुई है. एक डार्क कहानी जो जैसे-जैसे आगे बढ़ती है आपको अपने साथ और ज्यादा जोड़ती चली जाती है. बॉबी (कंगना रनौत) अपने बचपन के ट्रॉमा से गुजरने के बाद एक्यूट साइकोसिस नाम की दिमागी बीमारी से जूझ रही है. उसका बॉयफ्रेंड कम मैनेजर वरुण (हुसैन दलाल) उनके साथ है और कुछ ‘पाने’ के बजाए उसके साथ सब्जियां खरीदने में समय बिता रहा है.
बॉबी के घर आते हैं नए किराएदार केशव और रीमा, जिनकी जिंदगी बॉबी के लिए काफी अलग है. बॉबी, केशव और रीमा की इस अलग जिंदगी की ओर आकर्षित होती है लेकिन एक मर्डर के चलते उसका भ्रम टूटता है और वो केशव को शक की निगाह से देखने लगती है. अब बॉबी के दिमाग में जो चल रहा है वो सही है या नहीं? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
परफॉर्मेंस की बात करें तो कंगना रनौत और राजकुमार राव ने कमाल कर दिखाया है. एक लड़की, जो बचपन से ही परेशान है और अपना दिमागी संतुलन खो चुकी है लेकिन फिर भी अपनी जिंदगी को अपने अलग अंदाज में जीती है और अपनी असलियत को छुपाने की कोशिश नहीं करती, के रोल में कंगना ने अलग ऊंचाई को छुआ है. कंगना की परफॉर्मेंस बेमिसाल है और उनका किरदार आपको अपने से ऐसा जोड़ता है कि अंत तक नहीं छोड़ता. वहीं राजकुमार राव ने कंगना को परफॉर्मेंस के मामले में जबरदस्त टक्कर दी है. इस बात में कोई दो राय नहीं है राजकुमार बॉलीवुड के सबसे टैलेंटेड एक्टर्स में से एक हैं और ऐसा अलग-अलग लेयर्स वाला किरदार उन्होंने इतने बढ़िया तरीके से निभाया है कि आप उनकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं सकते. राजकुमार अपने रोल में बखूबी फिट हुए हैं और उसके साथ पूरा-पूरा न्याय भी किया है.
सपोर्टिंग कास्ट में एक्टर हुसैन दलाल, सतीश कौशिक, अमायरा दस्तूर, अमृता पुरी और जिमी शेरगिल ने बढ़िया काम किया है. हुसैन दलाल के किरदार को देखकर आपका दिल पक्का खुश हो जाएगा, जो बहुत मजेदार है.
डायरेक्टर प्रकाश कोवेलामुड़ी ने इस फिल्म के साथ कोशिश बहुत अच्छी की है. फिल्म की कहानी बढ़िया है, उसका एक्सीक्यूशन शानदार है, सारे जोक्स और पंचलाइन एकदम सही टाइमिंग के साथ हैं और फिल्म ने पूरा समय दर्शकों को साथ में जोड़े रखा. हालांकि फिल्म की कमी ये थी कि सीन्स को बहुत खींचा गया. कुछ नहीं तो सेकंड हाफ में एक बार आपको जरूर लगेगा कि बहुत देर हो गई है और फिल्म का क्लाइमेक्स क्यों नहीं आ रहा है! कुछ चीजें थोड़ी सी ओवर थीं, हालांकि हो सकता है कि अपने मैसेज को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें ऐसा बनाया गया हो. लेकिन ये फिल्म उम्मीद से बेहतर बनी है. एक डार्क फिल्म, जिसमें आप दिमागी रुप से परेशान इन्सान की नजरों से ये दुनिया देखेंगे, जो अपने अन्दर की शांति बाहर की दुनिया में ढूंढ रही है.
डायरेक्टर प्रकाश ने इस फिल्म को बहुत बढ़िया तरीके से बनाया है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग दोनों बढ़िया है. कंगना और राजकुमार के किरदार को जिस तरह से एक्सप्लोर किया गया है, वो लाजवाब है. फिल्म का म्यूजिक काफी अच्छा है. वखरा स्वाग के अलावा फिल्म के बाकी सभी गाने हर सीक्वेंस के साथ फिट बैठते हैं. इसके अलावा फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बहुत बढ़िया है.
लाइट्स और म्यूजिक के साथ खेलकर जो डायरेक्टर प्रकाश ने कमाल किया है वो तारीफ के काबिल है. इसके अलावा फिल्म के डायलॉग भी बढ़िया हैं. इस फिल्म के डायलॉग ना केवल आपको हंसाते हैं बल्कि आपको फिल्म ख़त्म होने के बाद भी याद रहते हैं. फिल्म के अपने इमोशनल सीन्स हैं, जो आपके दिल में कुछ हरकत जरूर पैदा करते हैं. ऐसी फिल्में बॉलीवुड में कम ही बनती हैं, तो कुल-मिलाकर इस फिल्म को आपको वीकेंड पर जरूर देखना चाहिए. सच मानिए कंगना और राजकुमार का पागलपन आपको जरूर पसंद आएगा.
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द्रमुक नेता एमके स्टालिन के यहां सीबीआई छापे को लेकर उपजे राजनीतिक विवाद के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है और वह इस घटना से खिन्न हैं।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि हम सभी इस घटनाक्रम से खिन्न हैं। सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है। हम ब्यौरे का पता लगाएंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए था। छापे का समय काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी द्रमुक नेता स्टालिन के चेन्नई स्थित आवास पर सीबीआई के छापे का कड़ा विरोध किया और कहा कि इस कार्रवाई को गलत समझा जाना तय है।
उन्होंने बताया, मैं सीबीआई कार्रवाई का कड़ा विरोध करता हूं। इसका गलत समझा जाना तय है। तमिलनाडु के शिवगंगा से लोकसभा सदस्य चिदंबरम ने कहा कि सामान्य तौर पर वह अन्य विभाग के कामकाज पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन इस मामले में उन्हें प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
वित्तमंत्री ने कहा कि सीबीआई कार्रवाई के बारे में उन्हें सुबह 8:30 में जानकारी मिली और उन्होंने सीबीआई के प्रभारी मंत्री को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया। टिप्पणियां
उन्होंने कहा, वजह चाहे जो हो। मुझे डर है कि इसे गलत समझा जाएगा। मैंने प्रभारी मंत्री को अपने विचारों से अवगत करा दिया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी सीबीआई के प्रभारी मंत्री हैं।
उनके द्वारा रखे गए विचारों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहने पर चिदंबरम ने कहा, मेरी सलाह है कि आप आगे के सवाल प्रभारी मंत्री या सीबीआई प्रमुख से कीजिए।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि हम सभी इस घटनाक्रम से खिन्न हैं। सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है। हम ब्यौरे का पता लगाएंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए था। छापे का समय काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी द्रमुक नेता स्टालिन के चेन्नई स्थित आवास पर सीबीआई के छापे का कड़ा विरोध किया और कहा कि इस कार्रवाई को गलत समझा जाना तय है।
उन्होंने बताया, मैं सीबीआई कार्रवाई का कड़ा विरोध करता हूं। इसका गलत समझा जाना तय है। तमिलनाडु के शिवगंगा से लोकसभा सदस्य चिदंबरम ने कहा कि सामान्य तौर पर वह अन्य विभाग के कामकाज पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन इस मामले में उन्हें प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
वित्तमंत्री ने कहा कि सीबीआई कार्रवाई के बारे में उन्हें सुबह 8:30 में जानकारी मिली और उन्होंने सीबीआई के प्रभारी मंत्री को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया। टिप्पणियां
उन्होंने कहा, वजह चाहे जो हो। मुझे डर है कि इसे गलत समझा जाएगा। मैंने प्रभारी मंत्री को अपने विचारों से अवगत करा दिया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी सीबीआई के प्रभारी मंत्री हैं।
उनके द्वारा रखे गए विचारों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहने पर चिदंबरम ने कहा, मेरी सलाह है कि आप आगे के सवाल प्रभारी मंत्री या सीबीआई प्रमुख से कीजिए।
वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी द्रमुक नेता स्टालिन के चेन्नई स्थित आवास पर सीबीआई के छापे का कड़ा विरोध किया और कहा कि इस कार्रवाई को गलत समझा जाना तय है।
उन्होंने बताया, मैं सीबीआई कार्रवाई का कड़ा विरोध करता हूं। इसका गलत समझा जाना तय है। तमिलनाडु के शिवगंगा से लोकसभा सदस्य चिदंबरम ने कहा कि सामान्य तौर पर वह अन्य विभाग के कामकाज पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन इस मामले में उन्हें प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
वित्तमंत्री ने कहा कि सीबीआई कार्रवाई के बारे में उन्हें सुबह 8:30 में जानकारी मिली और उन्होंने सीबीआई के प्रभारी मंत्री को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया। टिप्पणियां
उन्होंने कहा, वजह चाहे जो हो। मुझे डर है कि इसे गलत समझा जाएगा। मैंने प्रभारी मंत्री को अपने विचारों से अवगत करा दिया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी सीबीआई के प्रभारी मंत्री हैं।
उनके द्वारा रखे गए विचारों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहने पर चिदंबरम ने कहा, मेरी सलाह है कि आप आगे के सवाल प्रभारी मंत्री या सीबीआई प्रमुख से कीजिए।
उन्होंने बताया, मैं सीबीआई कार्रवाई का कड़ा विरोध करता हूं। इसका गलत समझा जाना तय है। तमिलनाडु के शिवगंगा से लोकसभा सदस्य चिदंबरम ने कहा कि सामान्य तौर पर वह अन्य विभाग के कामकाज पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन इस मामले में उन्हें प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
वित्तमंत्री ने कहा कि सीबीआई कार्रवाई के बारे में उन्हें सुबह 8:30 में जानकारी मिली और उन्होंने सीबीआई के प्रभारी मंत्री को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया। टिप्पणियां
उन्होंने कहा, वजह चाहे जो हो। मुझे डर है कि इसे गलत समझा जाएगा। मैंने प्रभारी मंत्री को अपने विचारों से अवगत करा दिया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी सीबीआई के प्रभारी मंत्री हैं।
उनके द्वारा रखे गए विचारों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहने पर चिदंबरम ने कहा, मेरी सलाह है कि आप आगे के सवाल प्रभारी मंत्री या सीबीआई प्रमुख से कीजिए।
वित्तमंत्री ने कहा कि सीबीआई कार्रवाई के बारे में उन्हें सुबह 8:30 में जानकारी मिली और उन्होंने सीबीआई के प्रभारी मंत्री को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया। टिप्पणियां
उन्होंने कहा, वजह चाहे जो हो। मुझे डर है कि इसे गलत समझा जाएगा। मैंने प्रभारी मंत्री को अपने विचारों से अवगत करा दिया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी सीबीआई के प्रभारी मंत्री हैं।
उनके द्वारा रखे गए विचारों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहने पर चिदंबरम ने कहा, मेरी सलाह है कि आप आगे के सवाल प्रभारी मंत्री या सीबीआई प्रमुख से कीजिए।
उन्होंने कहा, वजह चाहे जो हो। मुझे डर है कि इसे गलत समझा जाएगा। मैंने प्रभारी मंत्री को अपने विचारों से अवगत करा दिया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी सीबीआई के प्रभारी मंत्री हैं।
उनके द्वारा रखे गए विचारों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहने पर चिदंबरम ने कहा, मेरी सलाह है कि आप आगे के सवाल प्रभारी मंत्री या सीबीआई प्रमुख से कीजिए।
उनके द्वारा रखे गए विचारों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहने पर चिदंबरम ने कहा, मेरी सलाह है कि आप आगे के सवाल प्रभारी मंत्री या सीबीआई प्रमुख से कीजिए।
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तेल कंपनियां पेट्रोल की कीमतों में दो रुपये तक की कटौती कर सकती हैं लेकिन इसका फ़ैसला कच्चे तेल की कीमतों और रुपये की स्थिरता को देखकर ही लिया जाएगा।
तेल कंपनियों का कहना है कि अगर रुपये की कीमत में स्थिरता आती है तो इसका फायदा ग्राहकों तक जरूर पहुंचाया जाएगा। फिलहाल कच्चे तेल की कीमत तो कम है लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है। रुपया कमजोर होने से तेल का आयात महंगा होता जा रहा है।
तेल कंपनियों का कहना है कि अगर रुपये की कीमत में स्थिरता आती है तो इसका फायदा ग्राहकों तक जरूर पहुंचाया जाएगा। फिलहाल कच्चे तेल की कीमत तो कम है लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है। रुपया कमजोर होने से तेल का आयात महंगा होता जा रहा है।
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बिहार की राजधानी
पटना
में बेखौफ बदमाशों ने एक बार फिर से बड़ी वारदात को अंजाम दे डाला. बदमाशों ने पटना हाई कोर्ट के एक
वकील
की गोली मारकर
हत्या
कर दी. इस घटना के बाद शहर के वकीलों में रोष बना हुआ है.
मृतक वकील का नाम जितेंद्र कुमार था. घटना शास्त्री नगर थाना अंतर्गत राजवंशी नगर इलाके में हुई. घटना के तुरंत बाद जितेंद्र कुमार को आईजीआईएमएस अस्पताल ले जाया गया. जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
घटना तकरीबन बुधवार की सुबह करीब 9:30 बजे की है. जब जितेंद्र कुमार अपने बड़े भाई के क्लीनिक में बैठे थे. उन्हें वहां से हाई कोर्ट जाना था. उसी दौरान क्लीनिक के बाहर मोटरसाइकिल सवार
बदमाश
पहुंचे और जितेंद्र कुमार पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं.
हाई कोर्ट के अधिवक्ता पर हमले की ख़बर जैसे ही पुलिस को मिली. पुलिस हरकत में आ गई. आनन-फानन में मामले की जांच शुरू की गई. मृतक के भाई का कहना है कि उनके परिवार का जमीनी विवाद चल रहा था और इसी क्रम में जितेंद्र कुमार की हत्या की गई है.
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. मृतक के भाई ने पुलिस को बताया कि जितेंद्र कुमार का उनकी पत्नी के साथ भी विवाद चल रहा था. वो उनके साथ नहीं रहती थी. पुलिस मामला दर्ज कर हर एंगल से केस की छानबीन कर रही है.
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अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के मुख्यालय के बाहर गोलीबारी की घटना सामने आई है. पुलिस मेरीलैंड स्थित फोर्ट मीडे के बाहर आज हुई गोलीबारी की जांच कर रही है. यह अमेरिकी खुफिया सेवा राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) का मुख्यालय है. स्थानीय मीडिया में आई खबर में यह बताया गया है. टिप्पणियां
एनबीसी न्यूज ने जो तस्वीरें जारी की हैं, उसके मुताबिक पुलिस हथकड़ियों में दिख रहे एक व्यक्ति को चारों ओर से घेरे हुए हैं. हालांकि, एनएसए ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है.
स्थानीय एबीसी ने बताया है कि इस घटना में तीन लोग घायल हो गये हैं और एक संदिग्ध को पुलिस ने हिरासत में लिया है. राष्ट्रपति को इस गोलीबारी के बारे में बता दिया गया है. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि हमारी संवेदनाएं उन सभी के साथ है, जो इस गोलीबारी से प्रभावित हुआ है.
एनबीसी न्यूज ने जो तस्वीरें जारी की हैं, उसके मुताबिक पुलिस हथकड़ियों में दिख रहे एक व्यक्ति को चारों ओर से घेरे हुए हैं. हालांकि, एनएसए ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है.
स्थानीय एबीसी ने बताया है कि इस घटना में तीन लोग घायल हो गये हैं और एक संदिग्ध को पुलिस ने हिरासत में लिया है. राष्ट्रपति को इस गोलीबारी के बारे में बता दिया गया है. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि हमारी संवेदनाएं उन सभी के साथ है, जो इस गोलीबारी से प्रभावित हुआ है.
स्थानीय एबीसी ने बताया है कि इस घटना में तीन लोग घायल हो गये हैं और एक संदिग्ध को पुलिस ने हिरासत में लिया है. राष्ट्रपति को इस गोलीबारी के बारे में बता दिया गया है. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि हमारी संवेदनाएं उन सभी के साथ है, जो इस गोलीबारी से प्रभावित हुआ है.
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यह एक लेख है: मुकेश अंबानी ने मुंबई के एंटिलिया स्थित अपने घर में अपनी भांजी इशिता के लिए प्री-वेडिंग पार्टी रखी. इशिता मुकेश और अनिल अंबानी की बहन दीप्ति और राज सालगांवकर की बेटी हैं. उनकी शादी हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भाई नीशल से अगले महीने होगी. फिल्म इंडस्ट्री के सितारों से सजी इस पार्टी में आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहे दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह. दोनों पार्टी में साथ पहुंचे और एक-दूसरे का हाथ थामकर वहां से निकलते दिखे.
पार्टी में दीपिका और रणवीर के अलावा अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय, अभिषेक बच्चन, आमिर खान, आलिया भट्ट्, जॉन अब्राहम, सोनाक्षी सिन्हा जैसे फिल्मी सितारे शामिल हुए. वहीं खेल जगत से टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर अपनी पत्नी अंजली के साथ पहुंचे.
कुछ महीने पहले खबरें आई थीं कि दीपिका और रणवीर अलग हो गए हैं, लेकिन पार्टी में हाथ थामकर चलते हुए दोनों ने इस तरह की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है. हालांकि दोनों ने कभी भी अपने रिश्ते को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है.टिप्पणियां
दोनों संजल लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' पर काम कर रहे हैं, यह साथ में दोनों की तीसरी फिल्म है. दीपिका अपनी पहली हॉलीवुड फिल्म 'xXx: द रिटर्न ऑफ द ज़ैंडर केज' की रिलीज का इंतजार कर रही हैं जो अगले साल जनवरी में रिलीज होने वाली है. वहीं रणवीर अपनी फिल्म 'बेफिक्रे' के प्रमोशन में व्यस्त हैं जो अगले महीने रिलीज होगी.
'डियर जिंदगी' के कलाकार शाहरुख खान और आलिया भट्ट भी पार्टी में मौजूद रहे. शाहरुख ने जहां नीता अंबानी, रणवीर और दीपिका के साथ फोटो क्लिक करवाई वहीं आलिया मनीष मल्होत्रा साड़ी में बेहद खूबसूरत नजर आईं.
महानायक अमिताभ बच्चन भी अपने बेटे अभिषेक और बहू ऐश्वर्या राय के साथ पार्टी में पहुंचे.
आमिर खान जो जल्द ही खेल पर आधारित फिल्म 'दंगल' में नजर आने वाले हैं, अपनी पत्नी किरण राव के साथ पहुंचे. वहीं सचिन तेंदुलकर पत्नी अंजली के साथ पार्टी में पहुंचे.
अनिल अंबानी और उनकी पत्नी टीना भी अपनी भांजी की प्री-वेडिंग पार्टी में पहुंचे.
लारा दत्ता ने टेनिस स्टार सानिया मिर्जा के साथ पोज़ किया.
इस बीच, आज शाहरुख खान और आलिया भट्ट की 'डियर जिंदगी' रिलीज हो गई है जिसमें कुणाल कपूर, आदित्य रॉय कपूर, अंगद बेदी और अली जफर भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.
पार्टी में दीपिका और रणवीर के अलावा अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय, अभिषेक बच्चन, आमिर खान, आलिया भट्ट्, जॉन अब्राहम, सोनाक्षी सिन्हा जैसे फिल्मी सितारे शामिल हुए. वहीं खेल जगत से टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर अपनी पत्नी अंजली के साथ पहुंचे.
कुछ महीने पहले खबरें आई थीं कि दीपिका और रणवीर अलग हो गए हैं, लेकिन पार्टी में हाथ थामकर चलते हुए दोनों ने इस तरह की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है. हालांकि दोनों ने कभी भी अपने रिश्ते को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है.टिप्पणियां
दोनों संजल लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' पर काम कर रहे हैं, यह साथ में दोनों की तीसरी फिल्म है. दीपिका अपनी पहली हॉलीवुड फिल्म 'xXx: द रिटर्न ऑफ द ज़ैंडर केज' की रिलीज का इंतजार कर रही हैं जो अगले साल जनवरी में रिलीज होने वाली है. वहीं रणवीर अपनी फिल्म 'बेफिक्रे' के प्रमोशन में व्यस्त हैं जो अगले महीने रिलीज होगी.
'डियर जिंदगी' के कलाकार शाहरुख खान और आलिया भट्ट भी पार्टी में मौजूद रहे. शाहरुख ने जहां नीता अंबानी, रणवीर और दीपिका के साथ फोटो क्लिक करवाई वहीं आलिया मनीष मल्होत्रा साड़ी में बेहद खूबसूरत नजर आईं.
महानायक अमिताभ बच्चन भी अपने बेटे अभिषेक और बहू ऐश्वर्या राय के साथ पार्टी में पहुंचे.
आमिर खान जो जल्द ही खेल पर आधारित फिल्म 'दंगल' में नजर आने वाले हैं, अपनी पत्नी किरण राव के साथ पहुंचे. वहीं सचिन तेंदुलकर पत्नी अंजली के साथ पार्टी में पहुंचे.
अनिल अंबानी और उनकी पत्नी टीना भी अपनी भांजी की प्री-वेडिंग पार्टी में पहुंचे.
लारा दत्ता ने टेनिस स्टार सानिया मिर्जा के साथ पोज़ किया.
इस बीच, आज शाहरुख खान और आलिया भट्ट की 'डियर जिंदगी' रिलीज हो गई है जिसमें कुणाल कपूर, आदित्य रॉय कपूर, अंगद बेदी और अली जफर भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.
दोनों संजल लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' पर काम कर रहे हैं, यह साथ में दोनों की तीसरी फिल्म है. दीपिका अपनी पहली हॉलीवुड फिल्म 'xXx: द रिटर्न ऑफ द ज़ैंडर केज' की रिलीज का इंतजार कर रही हैं जो अगले साल जनवरी में रिलीज होने वाली है. वहीं रणवीर अपनी फिल्म 'बेफिक्रे' के प्रमोशन में व्यस्त हैं जो अगले महीने रिलीज होगी.
'डियर जिंदगी' के कलाकार शाहरुख खान और आलिया भट्ट भी पार्टी में मौजूद रहे. शाहरुख ने जहां नीता अंबानी, रणवीर और दीपिका के साथ फोटो क्लिक करवाई वहीं आलिया मनीष मल्होत्रा साड़ी में बेहद खूबसूरत नजर आईं.
महानायक अमिताभ बच्चन भी अपने बेटे अभिषेक और बहू ऐश्वर्या राय के साथ पार्टी में पहुंचे.
आमिर खान जो जल्द ही खेल पर आधारित फिल्म 'दंगल' में नजर आने वाले हैं, अपनी पत्नी किरण राव के साथ पहुंचे. वहीं सचिन तेंदुलकर पत्नी अंजली के साथ पार्टी में पहुंचे.
अनिल अंबानी और उनकी पत्नी टीना भी अपनी भांजी की प्री-वेडिंग पार्टी में पहुंचे.
लारा दत्ता ने टेनिस स्टार सानिया मिर्जा के साथ पोज़ किया.
इस बीच, आज शाहरुख खान और आलिया भट्ट की 'डियर जिंदगी' रिलीज हो गई है जिसमें कुणाल कपूर, आदित्य रॉय कपूर, अंगद बेदी और अली जफर भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.
इस बीच, आज शाहरुख खान और आलिया भट्ट की 'डियर जिंदगी' रिलीज हो गई है जिसमें कुणाल कपूर, आदित्य रॉय कपूर, अंगद बेदी और अली जफर भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.
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अधिकतर लोग फल और सब्जियों को ताजा बनाएं रखने के लिए उन्हें फ्रिज में रख देते हैं. लेकिन कई चीजें ऐसी होती है जिन्हें फ्रिज में रखने से उनका स्वाद तो कम होता ही है साथ ही सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकती है. आइए जानें वो कौन सी चीजें हैं जिन्हें फ्रिज में नहीं रखना चाहिए.
टमाटर:
फ्रिज में टमाटर रखने से इसका स्वाद तो बदलता ही है साथ ही इसका रंग भी बदल जाता है. फ्रिज में टमाटर रखने से इसके अंदर की झिल्ली टूट जाती है. जिस वजह से टमाटर जल्दी गलने लगता है.
ब्रेड:
ब्रेड को कभी भी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए. फ्रिज में रखने से ब्रेड सूख जाती है. साथ ही इसका स्वाद भी खराब हो जाता है. फ्रिज में रखी ब्रेड सेहत को भी नुकसान पहुंचाती है.
आलू:
ज्यादा ठंडे तापमान में आलू रखने से इसमें मौजूद स्टार्च शुगर में बदल जाता है. जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. खासकर
डायबिटीज के मरीजों
को फ्रिज में रखें आलू खाने से बचना चाहिए.
शहद:
शहद को फ्रिज में रखने से इसमें क्रिस्टल बनने लगते हैं और ये जम जाता है. जिसे खाने में शहद का सही स्वाद नहीं आता. इसको रूम टेंपरेचर पर रखना ही बेहतर होता है.
तरबूज:
तरबूज को भी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए. फ्रिज में तरबूज रखने से इसमें मौजूद
पौष्टिक गुण
खत्म हो जाते हैं.
कॉफी:
फ्रिज में कॉफी रखने से इसकी फ्रेशनेस खत्म हो जाती है. साथ ही ये फ्रिज में रखी बाकी चीजों की महक को सोख लेती है. जिस कारण फ्रिज में रखी कॉफी पीने लायक नहीं रहती है.
केला:
केले को हमेशा नॉर्मल टेंपरेचर पर रखना चाहिए. फ्रिज में केला रखने से केला बहुत जल्दी काला पड़ने लगता है और इसके स्वाद में भी बदलाव आ जाता है. केले को सड़ने से बचाने के लिए इसकी डंडी को हमेशा प्लास्टिक की पोली बैग से ढक कर रखें.
अचार:
फ्रिज में अचार रखने से ये जल्दी खराब हो जाता है. क्योंकि अचार में विनेगर होता है जो ज्यादा टेंपरेचर पर अचार को जल्दी खराब कर देता है. अचार को फ्रेश रखने के लिए इसे रूम टेंपरेचर पर ही रखें.
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करण जौहर निर्देशित फिल्म 'तख्त' का लोगो रिलीज किया जा चुका है. फिल्म की स्टार कास्ट की भी घोणणा कर दी गई है. इसी के साथ फिल्म के बारे में बज बनना शुरू हो गया है. सोशल मीडिया हो या रियल लाइफ, लोगों ने करण जौहर की इस मेगाबजट फिल्म के बारे में बातचीत शुरू कर दी है. यह फिल्म कई मायनों में खास होगी. तो चलिए बताते हैं उन बातों के बारे में जो इस फिल्म को अपने आप में बेहद खास बनाती हैं.
खिलजी के बाद अब औरंगजेब का किरदार निभाएंगे रणवीर?
ऐसा पहली बार होगा कि रणवीर सिंह और करीना कपूर खान किसी फिल्म में साथ काम करेंगे. इसके अलावा अनिल कपूर और जाह्नवी कपूर जो कि रिश्तेदार हैं, पहली बार किसी फिल्म में साथ में काम करेंगे. इतना ही नहीं करण जौहर पहली बार किसी पीरियड ड्रामा फिल्म का निर्देशन करेंगे. करण अब तक ज्यादातर रोमांटिक या पारिवारिक फिल्में ही डायरेक्ट करते रहे हैं.
करण जौहर की मल्टीस्टारर फिल्म का नाम रिवील, दिखेंगे ये 7 स्टार
तख्त पहली ऐसी फिल्म होगी जिसमें जाह्नवी कपूर, रणवीर सिंह, अनिल कपूर और भूमि पेडनेकर साथ में काम करते नजर आएंगे. इन चीजों के अलावा तख्त में कई ऐसी चीजें भी हैं जो दूसरी बार होंगी. जैसे कि यह रणवीर की दूसरी फिल्म है जो वह धर्मा प्रोडक्शन के साथ कर रहे हैं. जाह्नवी की भी धर्मा प्रोडक्शन के साथ यह दूसरी फिल्म होगी. धड़क उनकी पहली फिल्म थी जो बॉक्स ऑफिस पर हिट रही.
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असम में बीजेपी की पहली बार सरकार बन गई है. सर्बानंद सोनोवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के विकास में नॉर्थ ईस्ट राज्यों की भूमिका को अहम बताया, साथ ही उन्होंने कहा कि असम को कोई कमी महसूस नहीं होगा. जानिए पीएम मोदी के भाषण की दस खास बातें.
ये भी पढ़ें: असम के CM बनें सोनोवाल
1.
मैं असम के लोगों को नमन करता हूं, जिन्होंने विकास का सपना देखा.
2.
आदिवासी समाज सर्बानंद पर गर्व कर सकता है.
3.
जुझारू नेता असम का नेतृत्व करने जा रहा है.
4.
असम का भाग्य बदलने के लिए सर्बानंद पूरी कोशिश करेंगे.
5.
हम तरक्की करने वाले सभी राज्यों का सहयोग करेंगे.
6.
पूर्वी राज्य देश के विकास का भाग्य बदल सकते हैं.
7.
भारत का विकास संतुलित होना चाहिए.
8.
असम को हम कभी कोई कमी महसूस नहीं होने देंगे.
9.
असम सरकार जितना दौड़ेगी, केंद्र सरकार उससे एक कदम आगे रहेगा.
10.
नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए असम केंद्र बिंदु है.
|
इन्का साम्राज्य इसका अन्तिम प्रभुसत्ताक सम्राट अटाहुआल्पा था, जिसके स्पेनी पिज़्ज़ारो ने बन्दी बनाया और फिर उसे प्राणदण्ड दिया।
बाह्य
Conquest of Peru, Prescott, 1847 Full text, free to read and search, a definitive history of the Incas. One of the most readable and engaging history books of all time. Humankind lost a civilization of impressive societal value.
Inca Land by Hiram Bingham (published 1912-1922 CE)
Inca Artifacts, Peru, and Machu Picchu 360 degree movies of inca artifacts and Peruvian landscapes.
Inca civilization and other ancient civilizations by Genry Joil.
Inca stone cutting techniques: theory on how the Inca walls fit so perfectly.
Ancient Civilizations - Inca Great research site for kids.
"Ice Treasures of the Inca" National Geographic site.
Incan Ice Mummies NOVA site based on their series about the 1996 expedition that discovered Incan ice mummies.
साम्राज्य
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हरियाणवी छोरी सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का डांस वीडियो फिर से सोशल मीडिया पर तहलका मचा रहा है. वैसे भी उनके डांस वीडियो छाए रहते हैं और इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है. इस डांस वीडियो में सपना चौधरी (Sapna Choudhary ) कमाल का डांस करती नजर आ रही हैं. सपना चौधरी का यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है. भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri), पंजाबी (Punjabi) और हरियाणवी (Haryanvi) फिल्मों में धूम मचाने वाली सपना चौधरी के इस डांस वीडियो ने भी धूम मचा दी है. सपना चौधरी के इस वीडियो को एक दिन पहले ही शेयर किया गया है. इस वीडियो को उनके फैन पेज से इंस्टाग्राम पर शेयर किया है.
A post shared by Sapna choudhary (@itsapna_choudhary) on Nov 8, 2019 at 1:34am PST
सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का कोई भी डांस वीडियो धमाल मचा देता है. सपना चौधरी के डांस को देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ी हुई थी. उनके डांस को लोग अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद करने की कोशिश कर रहे थे. सपना चौधरी इस वीडियो में हरियाणवी सॉन्ग पर धमाकेदार डांस कर रही हैं. इस वीडियो में उनके डांस स्टेप्स और उनकी अदाएं देखते ही बन रही हैं. सपना चौधरी अपने इवेंट्स के अलावा टिकटॉक पर भी खूब तहलका मचाती हैं. इस वीडियो में सपना चौधरी पर्पल कलर के ड्रेस में नजर आ रही हैं.
A post shared by Sapna choudhary (@itsapna_choudhary) on Oct 17, 2019 at 12:57pm PDT
सपना चौधरी (Sapna Choudhary) ने अपने करियर की शुरुआत बेशक से हरियाणा से की हो, लेकिन अब उनका जलवा पंजाबी, भोजपुरी सिनेमा के साथ बॉलीवुड जगत में भी है. उन्होंने बॉलीवुड में 'हठ जा ताऊ' गाने से अपना कदम रखा था, जिसमें उनका डांस लोगों ने काफी पसंद किया था. डांस से इतर सपना चौधरी ने बिग बॉस 11 से भी खूब सुर्खियां बटोरीं. शो में रहते हुए सपना चौधरी ने बाकी कंटेस्टेंट को कड़ी टक्कर देने के साथ ही अपनी अलग पहचान भी बनाई. कुल मिलाकर इनके डांस वीडियो ने धूम मचा दी है.
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दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: देह व्यापार के एक मामले में थाना सेक्टर-20 की पुलिस ने एक महिला समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है. नगर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि रविवार सुबह पुलिस को सूचना मिली थी कि सेक्टर- 15ए के पास एक महिला बेहोशी की हालत में पड़ी है. मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया. महिला ने पुलिस से शिकायत की कि सेक्टर-15ए में स्थित ड्रेगन रेस्त्रा के बाहर एक कार में तीन लोगों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. महिला की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की. एसपी ने बताया कि जांच में यह तथ्य सामने आया कि महिला देह व्यापार में लिप्त है. पुलिस को यह भी पता चला कि देवेंद्र शर्मा नाम का दलाल गोपाल और जसप्रीत नामक सप्लायरों से महिलाएं लाता है और ग्राहकों को मुहैया कराता है.
एसपी ने बताया कि मामले की जांच के दौरान पता चला कि महिला को जितेंद्र उर्फ जीतू, शुभम गुप्ता और स्वप्न नंदन उर्फ सोपन शनिवार की रात को लाए थे. बाद में पैसे को लेकर महिला का तीनों ग्राहकों से विवाद हो गया. टिप्पणियां
एसपी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में देह व्यापार का मामला दर्ज कर ग्राहक जितेंद्र, शुभम गुप्ता और स्वप्न नंदन, सप्लायर देवेंद्र शर्मा, गोपाल और जसप्रीत तथा एक महिला को गिरफ्तार किया है. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि वह लोग राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में संगठित रूप से देह व्यापार का धंधा चलाते हैं.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एसपी ने बताया कि मामले की जांच के दौरान पता चला कि महिला को जितेंद्र उर्फ जीतू, शुभम गुप्ता और स्वप्न नंदन उर्फ सोपन शनिवार की रात को लाए थे. बाद में पैसे को लेकर महिला का तीनों ग्राहकों से विवाद हो गया. टिप्पणियां
एसपी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में देह व्यापार का मामला दर्ज कर ग्राहक जितेंद्र, शुभम गुप्ता और स्वप्न नंदन, सप्लायर देवेंद्र शर्मा, गोपाल और जसप्रीत तथा एक महिला को गिरफ्तार किया है. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि वह लोग राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में संगठित रूप से देह व्यापार का धंधा चलाते हैं.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एसपी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में देह व्यापार का मामला दर्ज कर ग्राहक जितेंद्र, शुभम गुप्ता और स्वप्न नंदन, सप्लायर देवेंद्र शर्मा, गोपाल और जसप्रीत तथा एक महिला को गिरफ्तार किया है. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि वह लोग राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में संगठित रूप से देह व्यापार का धंधा चलाते हैं.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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सफारी एप्पल कंपनी का वेब ब्राउज़र है। एप्पल ने हाल ही में सफारी का नया संस्करण सफारी ४ लाँच किया है। इस ब्राउजर में नया नाइट्रो इंजिन लगाया गया है। एप्पल के अनुसार यह ब्राउज़र सबसे तेज़ है। वैसे इसमें सुरक्षा की दृष्टि से कोई नया फीचर जोड़ा नहीं गया है। लेकिन फिशिंग और मेलावेयर सुरक्षा संबंधित पुराने सभी फीचर इसमें पहले ही उपलब्ध है। सफारी का टेब सिस्टम अब सबसे ऊपर लगा दिया गया है। इसके अलावा टोप साइट सुविधा मनवांछित साइटें सरलतम तरीक़े से खोलने देती है। सफारी की एक नई सुविधा है कवर फ्लो। यह सुविधा पिछली बार सर्फ की गई साइटों की जानकारियाँ और प्रिव्यू प्रदान करता है। कवर फ्लो साइटों को उसी क्रम में समायोजित करता है जिस क्रम में वे सर्फ की गई थी।
सन्दर्भ
बाहरी सूत्र
सफ़ारी जालघर
वेब ब्राउज़र
एप्पल इंक॰ के उत्पाद
mr:ॲपल सफारी#मोबाइल
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छात्रों ने की फीस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग
वीसी से मुलाकात पर अड़े छात्र, कर रहे हैं नारेबाजी
हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी को लेकर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के स्टूडेंट का प्रदर्शन जारी है. इस बीच प्रदर्शन कर रहे छात्र प्रशासनिक भवन में घुस गए हैं और अंदर बैठकर नारेबाजी कर रहे हैं. प्रशासनिक भवन में ही वाइस चांसलर समेत जेएनयू प्रशासन के सभी अधिकारियों के दफ्तर हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक वाइस चांसलर छात्रों से नहीं मिलेंगे, तब तक हम बिल्डिंग से बाहर नहीं आएंगे.
Students in JNU occupying the administration building as the VC remains silent on where and when the Executive Council meeting will happen which will decide the fees hike matter and was scheduled for today. Students now in occupation of the admin building.
#FeesMustFall
pic.twitter.com/XSepZWzhbS
— JNU Voice (@jnu_voice)
November 13, 2019
इस बीच आजतक की टीम जेएनयू के माही हॉस्टल में पहुंची. माही होस्टल के कमरों में रहने वालों से फीस बढ़ोतरी को लेकर बातचीत की. कोई पीएचडी कर रहा है, कोई मास्टर्स. सभी का कहना है कि नामी प्राइवेट यूनिवर्सिटी छोड़कर हम यहां पढ़ने आए, क्योंकि ये सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, सस्ता है और अच्छी शिक्षा मिलती है, लेकिन अब हमें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर जाना पड़ेगा. कमरा देखिये कुछ खास भी नहीं है, अब तक सर्विस चार्ज सरकार देती थी, वो भी हमें देना होगा.
हॉस्टल फीस में 400 फीसदी की वृद्धि
इससे पहले छात्रों ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया. उनका कहना है कि जेएनयू प्रशासन ने छात्रावास, मेस और सुरक्षा फीस में 400 प्रतिशत की वृद्धि की है. वहीं, जेएनयू प्रशासन का दावा है कि हॉस्टल के चार्ज में 19 साल के बाद इजाफा किया गया है. जेएनयू के नए मैनुअल के मुताबिक अब विजिटर्स को रात 10:30 के बाद हॉस्टल से निकलना होगा. हॉस्टल के नियमों का पालन न करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा.
#उत्तिष्ठ_भारत
@ABVPVoice
की पुरजोर मांग है कि JNU में छात्रों की जायज मांगो को मानना चाहिए।
आज abvp का प्रतिनिधिमंडल
#UGC
के अधिकारियों से मिलेगा
साथ ही JNU EC को भी ज्ञापन दिया है कि BPL छात्रो सहित सभी छात्रों के जायज मुद्दों का समाधान करे।
#SaveJNU
— Shri Niwas (@shriniwas_hr)
November 13, 2019
UGC भवन तक मार्च निकालेगा ABVP
जेएनयू प्रशासन के खिलाफ सभी संगठनों के छात्र एकजुट हैं. बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) जेएनयू से यूजीसी भवन तक मार्च निकालेगा. दूसरी ओर, तमाम छात्र संगठन आने वाले दिनों में मंडी हाउस पर बड़ा प्रदर्शन करेंगे. छात्रों का आरोप है कि प्रशासन उनकी बातें सुनने को तैयार नहीं है.
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देशभर की 59 लोकसभा सीटों पर आज (19 मई) सातवें चरण के तहत मतदान हो रहा है. आखिरी चरण में बिहार की बची हुई आठ लोकसभा सीटों पर वोटिंग चल रही है. इनमें नालंदा, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, जहानाबाद, सासाराम, काराकाट और पटना साहिब की सीट शामिल है. इस दौरान पटना साहिब में एक हैरान करने वाला वाकया सामने आया.
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में ही राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव का भी वोट है. लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि वोटर लिस्ट में तेजस्वी यादव का वोट तो है, मगर उनके नाम के आगे फोटो तेजस्वी की नहीं, बल्कि किसी और की है.
हालांकि, इस घटना के बाद निर्वाचन अधिकारी ने सफाई दी और कहा कि अगर तेजस्वी यादव मतदान करने आते हैं तो उन्हें रोका नहीं जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि तेजस्वी अपनी जिस आईडी के साथ भी वोट करने आते हैं तो उन्हें अनुमति दी जाएगी.
वोटर लिस्ट से तेजस्वी यादव की तस्वीर गायब
बहरहाल, वोटिंग के बीच तेजस्वी के फोटो का मसला चर्चा के केंद्र में आ गया है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार के आठ लोकसभा क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह सात बजे से मतदान चल रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ने पटना शहर स्थित एक मदतान केंद्र में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद पहले मतदान और फिर जलपान की अपील की. उन्होंने कहा कि चुनाव एक या दो चरणों में होने चाहिए. इतनी गर्मी में इतना लंबा चुनाव नहीं होना चाहिए. नीतीश ने आह्वान किया कि वे सर्वदलीय बैठक की पहल करेंगे और इस मसले को उठाएंगे.
फिलहाल, तेजस्वी यादव पर नजर है कि वो जब वोट डालने आते हैं तो लिस्ट से अपना फोटो गायब होने पर क्या कहते हैं. बता दें कि इस सीट से गठबंधन उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा मैदान में हैं, जबकि उनके सामने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद हैं.
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कान्हा बाघ अभयारण्य (Kanha Tiger Reserve) भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक बाघ अभयारण्य है। यह मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। कान्हा को राष्ट्रीय उद्यान 1 जून 1955 को और बाघ अभयारण्य सन् 1973 में धोषित करा गया। यह राज्य के बालाधाट और मंडला ज़िले में 940 वर्ग किमी पर विस्तारित है। यहाँ बंगाल बाघ, भारतीय तेन्दुआ, स्लोथ रीछ, बारहसिंगा और सोनकुत्ता मिलते हैं। वन विभाग ने इस अभयारण्य के लिए एक काल्पनिक शुभंकर बनाया है, जिसका नाम "भूरसिंह बारहसिंगा" है।
विवरण
मध्य प्रदेश अपने राष्ट्रीय उद्यानों और वनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की प्राकृतिक सुन्दरता और वास्तुकला के लिए विख्यात कान्हा पर्यटकों के बीच हमेशा ही आकर्षण का केन्द्र रहा है। कान्हा शब्द कनहार से बना है जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ चिकनी मिट्टी है। यहां पाई जाने वाली मिट्टी के नाम से ही इस स्थान का नाम कान्हा पड़ा। इसके अलावा एक स्थानीय मान्यता यह रही है कि जंगल के समीप गांव में एक सिद्ध पुरुष रहते थे। जिनका नाम कान्वा था। कहा जाता है कि उन्हीं के नाम पर कान्हा नाम पड़ा।
कान्हा जीव जन्तुओं के संरक्षण के लिए विख्यात है। यह अलग-अलग प्रजातियों के पशुओं का घर है। जीव जन्तुओं का यह पार्क 940वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। रूडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध किताब और धारावाहिक जंगल बुक की भी प्रेरणा इसी स्थान से ली गई थी। सन् १९६८ में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत इस उद्यान का ९१७.४३ वर्ग कि. मी. का क्षेत्र कान्हा व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया।
यहाँ के वन्य प्राणियों को देखने और कुछ अच्छा समय व्यतीत करने के लिए सोनाक्षी सिन्हा और महेंद्र सिंह धोनी जैसे बड़े सितारे भी आ चुके हैं।
स्थिति
यह राष्ट्रीय पार्क 940 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र घोड़े के पैरों के आकार का है और यह हरित क्षेत्र सतपुड़ा की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इन पहाड़ियों की ऊंचाई 450 से 900 मीटर तक है। इसके अन्तर्गत बंजर और हेलन की घाटियां आती हैं जिन्हें पहले मध्य भारत का प्रिन्सेस क्षेत्र कहा जाता था। 1879-1910 ईसवी तक यह क्षेत्र अंग्रजों के शिकार का स्थल था। कान्हा को 1933 में अभयारण्य के तौर पर स्थापित कर दिया गया और इसे 1955 में राष्ट्रीय उद्यान् घोषित कर दिया गया। यहां अनेक पशु पक्षियों को संरक्षित किया गया है। लगभग विलुप्त हो चुकी बारहसिंहा की प्रजातियां यहां के वातावरण में देखने को मिल जाती है।
कान्हा एशिया के सबसे सुरम्य और खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वो में एक है। बाघ का यह देश परभक्षी और शिकार दोनों के लिए आदर्श जगह है। यहां की सबसे बड़ी विशेषता खुले घास के मैदान हैं जहां काला हिरन, बारहसिंहा, सांभर और चीतल को एक साथ देखा जा सकता है। इस उद्यान मे बन्दर और चीतल का साथ मे दिखना बहुत आम बात है। बांस और टीक के वृक्ष इसकी सुन्दरता को और बढा देते हैं।
आकर्षण
बारहसिंगा
यह प्रजाति कान्हा का प्रतिनिधित्व करती है और यहां बहुत प्रसिद्ध है। कठिन ज़मीनी परिस्थितियों में रहने वाला यह अद्वितीय जानवर टीक और बांसों से घिरे हुए विशाल घास के मैदानों के बीच बसे हुए हैं। बीस साल पहल से बारहसिंगा विलुप्त होने की कगार पर थे। लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर उन्हें विलुप्त होने से बचा लिया गया। दिसम्बर माह के अंत से जनवरी के मध्य तक बारहसिंगों का प्रजनन काल रहता है। इस अवधि में इन्हें बेहतर और नज़दीक से देखा जा सकता है। बारहसिंगा पाए जाने वाला यह भारत का एकमात्र स्थान है।
जीप सफारी
जीप सफारी सुबह और दोपहर को प्रदान की जाती है। जीप मध्य प्रदेश पर्यटन विकास कार्यालय से किराए पर ली जा सकती है। कैम्प में रूकने वालों को अपना वाहन और गाइड ले जाने की अनुमति है। सफारी का समय सुबह ६ बजे से दोपहर के १२ बजने तक और दोपहर मे ही ३ बजे से शाम के ५:३० बजने तक निर्धारित किया गया है।
बाघ दृश्य
बाघों को नजदीक से देखने के लिए पर्यटकों को हाथी की सवारी की सुविधा दी गई है। इसके लिए सीट की बुकिंग करनी होती है। इनकी सेवाएं सुबह के समय प्राप्त की जा सकती हैं। इसके लिए भारतीयों से 100 रूपये और विदेशियों से 600 रूपये का शुल्क लिया जाता है।
पक्षी
यहां पर पक्षियों के मिलन स्थल का विहंगम दुश्य भी देख सकते है। यहां लगभग 300 पक्षियों की प्रजातियां हैं। पक्षियों की इन प्रजातियों में स्थानीय पक्षियों के अतिरिक्त सर्दियों में आने प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। यहां पाए जाने वाले प्रमुख पक्षियों में सारस, छोटी बत्तख, पिन्टेल, तालाबी बगुला, मोर-मोरनी, मुर्गा-मुर्गी, तीतर, बटेर, हर कबूतर, पहाड़ी कबूतर, पपीहा, उल्लू, पीलक, किंगफिशर, कठफोडवा, धब्बेदार पेराकीट्स आदि हैं।
कान्हा संग्रहालय
इस संग्रहालय में कान्हा का प्राकृतिक इतिहास संचित है। यह संग्रहालय यहां के शानदार टाइगर रिजर्व का दृश्य प्रस्तुत करता है। इसके अलावा यह संग्रहालय कान्हा की रूपरेखा, क्षेत्र का वर्णन और यहां के वन्यजीवों में पाई जाने वाली विविधताओं के विषय में जानकारी प्रदान करता है।
बामनी दादर
यह पार्क का सबसे खूबसूरत स्थान है। यहां का मनमोहक सूर्यास्त पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। घने और चारों तरफ फैले कान्हा के जंगल का विहंगम नजारा यहां से देखा जा सकता है। इस स्थान के चारों ओर हिरण, गौर, सांभर और चौसिंहा को देखा जा सकता है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में सर्वप्रथम हवाई पट्टी का निर्माण किया गया था। लेकिन इतने साल बाद भी इस पर हवाई सेवाएं शुरू नहीं की जा सकी हैं।
दुर्लभ जन्तु
कान्हा में ऐसे अनेक जीव जन्तु मिल जाएंगे जो दुर्लभ हैं। उद्यान् के पूर्व कोने में पाए जाने वाला भेड़िया, चिन्कारा, भारतीय पेंगोलिन, समतल मैदानों में रहने वाला भारतीय ऊदबिलाव और भारत में पाई जाने वाली लघु बिल्ली जैसी दुर्लभ पशुओं की प्रजातियों को यहां देखा जा सकता है।
राजा और रानी
आगन्तुकों के केन्द्र के नजदीक साल के पेड़ों के दो विशाल ठूठों को देखा जा सकता है। इन ठूठों की प्रतिदिन जंगल में पूजा की जाती है। इन्हें राजा-रानी नाम से जाना जाता है। राजा रानी नाम का यह पेड़ 2000 के बाद ठूठ में तब्दील हो गया Bahoran
मौसम
पार्क 1 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है। मॉनसून के दौरान यह पार्क बन्द रहता है। यहां का अधिकतम तापमान लगभग 39 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 2 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। सर्दियों में यह इलाका बेहद ठंडा रहता है। सर्दियों में गर्म और ऊनी कपड़ों की आवश्यकता होगी। नवम्बर से मार्च की अवधि सबसे सुविधाजनक मानी जाती है। दिसम्बर और जनवरी में बारहसिंहा को नजदीक से देखा जा सकता है।
आवागमन
कान्हा राष्ट्रीय पार्क वायु, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। अपनी सुविधा के अनुसार आप कान्हा पहुंचने के लिए इन मार्गो का प्रयोग कर सकते है।
वायु मार्ग
कान्हा से 175 किलोमीटर दूर स्थित jabalpur में निकटतम डुमना हवाई अड्डा है। यह विभिन्न प्राइवेट एयरलाइन्स की नियमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी के माध्यम से कान्हा पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
जबलपुर रेलवे स्टेशन कान्हा पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी स्टेशन है। जबलपुर कान्हा से 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से राज्य परिवहन निगम की बसों या टैक्सी से कान्हा पहुंचा जा सकता है।
यदि जबलपुर पहुँचने के बाद पुनः आप रेल द्वारा यात्रा करना चाहें तो नैनपुर या चिरईडोंगरी तक आना एक अच्छा विकल्प होगा नैनपुर से कान्हा 55 व चिरईडोंगरी से मात्र 35 किलोमीटर दूर है जहाँ से लोकल बस के द्वारा असानी से पहुँच सकते हैं ।
सड़क मार्ग
कान्हा राष्ट्रीय पार्क जबलपुर, खजुराहो, नागपुर, मुक्की और रायपुर से सड़क के माध्यम से सीधा जुड़ा हुआ है। दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से आगरा, राष्ट्रीय राजमार्ग 3 से बियवरा, राष्ट्रीय राजमार्ग 12 से भोपाल के रास्ते जबलपुर पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 12 से मांडला जिला रोड़ से कान्हा पहुंचा जा सकता है।
इन्हें भी देखें
बंगाल बाघ
बालाघाट ज़िला
मंडला ज़िला
बाह्य जोड़
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान चित्रदीर्घा
फ्लिकर पर कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के चित्र
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का यात्रा वृतांत
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की छवियाँ
संरक्षण केन्द्र
मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की छवियाँ
यात्रा ब्योरा
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
सन्दर्भ
सामान्य संदर्भ
K. K. Gurung & Raj Singh: Field Guide to the Mammals of the Indian Subcontinent, Academic Press, San Diego, ISBN 0-12-309350-3
A. P. Dwivendi: Protected Areas of Madhya Pradesh,Government printing Press, Bhopal 2003
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय उद्यान
भारत के बाघ अभयारण्य
मंडला ज़िला
बालाघाट ज़िला
भारत में वन्यजीवन संरक्षण
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यह एक लेख है: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) कथित रूप से देश विरोधी नारे लगाए जाने के करीब साढ़े तीन साल बाद भी इस मामले में अभी तक चार्जशीट फाइल नहीं हो पाई है. दरअसल, दिल्ली पुलिस द्वारा तैयार की गई चार्जशीट पर दिल्ली सरकार विचार कर रही है. आठ महीने पहले ही दिल्ली पुलिस इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने जा रही थी, लेकिन ऐन वक्त पर दिल्ली सरकार ने इसे देखने की बात कही और कहा कि इस चार्जशीट में कई ऐसे आरोप लगाए गए हैं जिनपर विचार होना जरूरी है. और हमें इसे पढ़ने के लिए समय चाहिए. अब इस मामले में बुधवार को दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में हुई सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि गृह मंत्री सत्येंद्र जैन के पास फ़ाइल है और इस मामले पर अभी विचार चल रहा है'.
दिल्ली सरकार के इस जवाब के बाद अदालत ने इस बात पर नाराजगी जताई कि इतने महीने हो गए हैं और दिल्ली सरकार ने अभी तक इस पर अपना जवाब दायर नहीं किया है. गौरतलब है कि 9 फरवरी 2016 को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कथित रूप से देश विरोधी नारे लगाए गए थे. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 3 साल का समय लगाने के बाद 14 जनवरी 2019 को चार्जशीट दाखिल की थी. इस पूरे मामले में उस समय के जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 छात्रों पर देशद्रोह का आरोप है.
बता दें कि सुनवाई के दौरान अदालत ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए देशद्रोह के आरोप पर दिल्ली सरकार की मंजूरी लेने के लिए कहा था. दिल्ली पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि 14 जनवरी 2019 को ही दिल्ली सरकार से देशद्रोह मामले में इजाजत मांगी गई थी. इस मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट बुधवार दोपहर 3 बजे अपना आदेश जारी करेगी. आपको बता दें कि किसी व्यक्ति पर देशद्रोह का केस चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत होती है. अगर दिल्ली सरकार ने इस मामले में मंजूरी नहीं दी तो आरोपियों पर देशद्रोह के आरोप में केस नहीं चल सकता. हालांकि पुलिस चाहे तो अदालत में सरकार के फ़ैसले को चुनौती दे सकती है.
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महिला आरक्षण विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे सपा, राजद और जद यू जैसे दलों को कुछ नरमी का संकेत देते हुए सरकार ने गुरुवार को आश्वासन दिया कि लोकसभा में इस विधेयक को चर्चा के लिए रखे जाने के समय मतभेदों को कम करने के लिए विभिन्न संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं.
महिला आरक्षण विधेयक के वर्तमान स्वरूप के विरोध में आज लगातार चौथे दिन उक्त दलों द्वारा लोकसभा की कार्यवाही में विघ्न डाले जाने पर अध्यक्ष मीरा कुमार ने इनके नेताओं को अपनी बात रखने का अवसर दिया.
लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव द्वारा अपना पक्ष रखे जाने के बाद सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने आश्वासन दिया ‘‘ लोकसभा में इस विधेयक को लाने से पहले हम आपसे बात करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि यूं तो इस विधेयक पर राजग , संप्रग के पिछले और वर्तमान शासन के समय से ही राजनीतिक दलों के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन कोई हल नहीं निकला. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद लोकसभा में यह विधेयक लाए जाने से पहले ‘‘सर्वदलीय बैठक’’ बुलाए जाने में कोई हर्ज नहीं है.
मुखर्जी ने कहा, ‘‘ लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विभिन्न संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं जिनसे मतभेद कम हो सकें.’’ महिला विधेयक पर आ रही अड़चनों की ओर संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जब एक सदन द्वारा किसी संविधान संशोधन विधेयक को मंजूर किए जाने पर दूसरा सदन उसे नामंजूर कर देता है और वह कानून नहीं बन पाता.’’
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प्राची शाह भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। यह आकाश वाणी, स्टूडेंट ऑफ दी इयर, हौंटेड, इसी लाइफ में, राजा नटवरलाल और एबीसीडी 2 आदि फिल्मों में कार्य कर चुकी हैं।
फ़िल्में
आकाश वाणी - वाणी की मामी
स्टूडेंट ऑफ द इयर
हौंटेड
इसी लाइफ में
राजा नटवरलाल
एबीसीडी 2
मुल्क
धारावाहिक
कुंडली - विधि विराज अगरवाल
कहीं दिया जले कहीं जिया - पायल
पिया का घर - यशोदा
क्योंकि सास भी कभी बहू थी - पूजा हेमंत वीरानी
केसर - केसर रुद्र माल्या
कयामत - प्रेमलता शाह
यह प्यार न होगा कम - श्रीमती ब्रिजभूषण माथुर
इस प्यार को क्या नाम दूँ? एक बार फिर - कालिंदी अवधूत किर्लोसकर
रंगोली - प्रस्तोता
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
जीवित लोग
भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री
भारतीय टेलीविज़न अभिनेत्री
भारतीय अभिनेत्री
हिन्दी अभिनेत्री
मुंबई के लोग
1979 में जन्मे लोग
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भारत की आजादी में अमूल्य योगदान देने वाले महात्मा गांधी सिनेमा को लेकर काफी उदासीन रवैया रखते थे. उन्होंने अपने जीवन में केवल दो फिल्में देखी थीं. इनमें एक इंग्लिश फिल्म थी और एक हिंदी फिल्म. इसके अलावा वे सिनेमा के कल्चर को खास पसंद नहीं करते थे और अखबारों में ग्लैमरस स्टार्स की तस्वीरों को वे नापसंद करते थे. उन्होंने उस दौर के मशहूर सितारे के एल सहगल हो या फिर कोई स्टार, किसी से कभी कोई मुलाकात नहीं की. हालांकि, एक बॉलीवुड स्टार था जिनसे गांधी की कई बार मुलाकातें हुई थीं.
भीष्म साहनी की किताब बलराज माई ब्रदर के मुताबिक, गांधी सिर्फ एक एक्टर के करीब थे और वो थे बलराज साहनी. बलराज इंडियन पीपल थियेटर के सदस्य थे. उन्होंने नई तालीम नाम के अखबार में एडिटोरियल स्टाफ के तौर पर जॉइन किया था. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री जॉइन करने से दस पहले तक गांधी के सेवाग्राम आश्रम में अपना जीवन बिताया है. यही कारण है कि गांधी और बलराज साहनी की कई बार मुलाकात हुई थी. अमिताभ बच्चन भी बलराज साहनी को अपने से बड़ा एक्टर बता चुके हैं. इसके अलावा साल 1931 में गांधी मशहूर इंटरनेशनल एक्टर चार्ली चैपलिन से भी मिल चुके हैं लेकिन इसके अलावा गांधी ने फिल्मी सितारों से दूरी ही बनाए रखी क्योंकि उस दौर में गांधी भी सिनेमा के कॉन्सेप्ट को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे.
गांधी से मिलने के लिए सिंगर ने दिए थे पैसे पर फिर भी मायूसी हाथ लगी
इसके अलावा मशहूर सिंगर गौहर जान ने महात्मा गांधी को 12 हजार की राशि का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने एक शर्त भी रखी थी. गांधी ने इस घटना के बारे में अपने एसोसिएट ब्रजकृष्णा चांदीवाला को लिखा था. उन्होंने लिखा था - मैंने गौहर खान से 12000 की राशि लेने से मना कर दिया था क्योंकि उन्होंने मेरे सामने एक शर्त रखी थी कि मैं जाकर उनका म्यूजिक सुनूं लेकिन मैं वहां नहीं गया था बल्कि अली भाई वहां गए थे और उन्होंने वहां से पैसे ले लिए थे. ये वाक्या कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी में लिखा गया है.
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भक्तदर्शन : ऐसे केन्द्रीय मंत्री जो जीवनपर्यन्त किराये के मकान में रहे ।
हम जब छोटे थे, तब एक नाम सुनते थे- डाॅ. भक्तदर्शन । तब हमें यह पहाड़ी नाम नहीं लगता था, पिताजी बहुत टुकड़ों में कई विभूतियों के बारे में बताते । उन्होंने बताया भी होगा कि वे कौन हैं, लेकिन तब सिर्फ नाम ही याद रहा, वह भी इसलिए कि उन दिनों किसी विश्वविद्यालय के कुलपति हमारे लिए आज के प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री या मंत्रियों से कई ज्यादा सम्मानित होता था,एक तरह से ये लोग युग निर्माताओं की भूमिका में होते थे,उनके पास समाज को देखने की दृष्टि होती थी । भक्तदर्शन जी तब कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति थे ।
यह 1977 की बात है । बस इतना ही याद था उनके बारे में । जब कुछ पढ़ने-लिखने लगे तो
डाॅ. भक्तदर्शन ने पहाड़ से निकलकर अपनी आभा से जिस तरह पूरे देश को प्रभावित किया उसके बीज बचपन में ही उनमें पड़ गये थे । उनका जन्म 12 फरवरी 1912 को पौड़ी गढ़वाल के गांव भौराड़, पट्टी सांवली में हुआ । उनके पिता का नाम गोपाल सिंह रावत था । पिता ने उनका नाम रखा- राज दर्शन । बताते हैं कि उनका यह नाम सम्राट जॉर्ज पंचम के राज्यारोहण वर्ष में पैदा होने के कारण रखा । उनकी राजनीतिक चेतना का विकास बहुत छोटी उम्र में हो गया । यही वजह थी कि उन्हें अपने इस नाम से गुलामी का आभास होता । उन्होंने सबसे पहले इससे निजात पाने लिए अपना नाम बदला- भक्तदर्शन । यही वह पड़ाव था जो आगे चलकर उन्हें हमेशा मूल्यों के साथ खड़े होने का साहस देता रहा । उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा गांव में पूरी की । इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिये देहरादून चले गये । यहां डी.ए.वी. कॉलेज से इंटरमीडिएट किया । उनके जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित विश्व भारती,शांति निकेतन रहा । यहां से उन्होंने कला वर्ग से स्नातक किया । शांति निकेतन ने उनकी प्रतिभा को नया रूप दिया । इसके बाद वे इलाहाबाद चले गये । इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1937 में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर परीक्षा पास की । उन दिनों इलाहाबाद आजादी के आंदोलन का मुख्य केन्द्र था । यहां देश भर के आंदोलनकारी इकट्ठा होते थे । जब वे विश्वविद्यालय में पढ़ रहे थे, उनका संपर्क गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर, पं हजारी प्रसाद द्विवेदी आदि से हुआ । इलाहाबाद से वे राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय होने लगे । पहली बार वे 1929 में लाहौर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुये । पहली बार 1930 में नमक आंदोलन के दौरान जेल यात्रा की । इसके बाद तो आंदोलन और जेल जाने का सिलसिला जारी रहा । वे 1941, 1942 व 1944, 1947 तक कई बार जेल गये ।
उन्होंने सामाजिक जीवन में मनसा-वाचा-कर्मणा कोई अंतर नहीं रखा, इसका सबसे बड़ा उदाहरण उनकी शादी है । उनका विवाह 18 फरवरी 1931 को सावित्री जी से हुआ। उनकी शादी में सभी बारातियों ने खादी वस्त्र पहने । कई परंपराओं को दरकिनार करते हुये उन्होंने समाज को नई दिशा देने का काम किया । मुकुट धारण किया और न शादी में किसी प्रकार का दहेज स्वीकार किया । शादी के अगले दिन ही वे आजादी के आंदोलन के लिये विभिन्न जगहों पर हो रहे प्रतिकार में शामिल होने के लिए चले गये । पौड़ी के वर्तमान पोखडा विकास खंड के अंतर्गत संगलाकोटी में आंदोलनकारियों के बीच ओजस्वी भाषण देने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया ।
राष्ट्रीय आंदोलन को गति देने के लिये उन्होंने एक पत्रकार और संपादक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उस समय राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत ‘गढ़देश’ के सम्पादकीय विभाग में काम करते हुये कई विचारोत्तेजक लेख लिखे । बाद में गढ़वाल के लैंसडाउन से आजादी की अलख जगाने का मुखपत्र माने जाने वाले ‘कर्मभूमि’ का 1939 से 1949 तक दस वर्ष तक संपादन किया । प्रयाग से प्रकाशित ‘दैनिक भारत’ में काम करते हुये उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान मिली । वे एक प्रतिबद्ध पत्रकार और सुलझे हुये लेखक थे । उनके लेखन में गंभीरता और आम लोगों तक अपनी बात सरलता के साथ पहुंचाने की शैली थी । पाठकों को उनके लेखन और संपादन ने बहुत प्रभावित किया । एक लेखक के रूप में भक्तदर्शन जी ने बहुत महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं और कई पुस्तकों का अनुवाद किया । उनके संपादन में प्रकाशित 'सुमन स्मृति ग्रंथ' अमर शहीद श्रीदेव सुमन के व्यक्तित्व और कृतित्व को समझने के लिए बहुत उपयोगी है । दो खंडों में प्रकाशित 'गढ़वाल की दिवंगत विभूतियां' गढ़वाल की अपने समय की विभूतियों को जानने का अद्भुत ग्रंथ है । 'कलाविद मुकुन्दीलाल बैरिस्टर','अमर सिंह रावत एवं उनके आविष्कार' और 'स्वामी रामतीर्थ' पर उन्होंने लिखा । उनके साहित्यिक अवदान को देखते हुये उन्हें डाक्टरेट की उपाधि मिली ।
अपनी पत्रकारिता और लेखन के साथ ही वे तमाम सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर हस्तक्षेप करने लगे । इसी दौरान वे 1945 में गढ़वाल में कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक निधि तथा आजाद हिन्द फौज के सैनिकों हेतु निर्मित कोष के संयोजक रहे । उनके प्रयासों से आजाद हिन्द फौज के सैनिकों को भी स्वतंत्रता सेनानियों की तरह पेंशन व अन्य सुविधायें मिलीं । देश में हुये पहले लोकसभा चुनाव, 1952 में उन्होंने पहली बार गढ़वाल का प्रतिनिधित्व किया ।
उनकी लोकप्रियता को इस बात से समझा जा सकता है कि वे लगातार चार बार इस सीट से सांसद रहे । सन् 1963 से 1971 तक वे जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री व इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडलों में 1963 से 1971 तक सदस्य रहे । अपने मंत्रिमंडल काल में उन्होंने बहुत ऐतिहासिक काम किये । शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम को हमेशा याद रखा जायेगा । केन्द्रीय शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने केन्द्रीय विद्यालयों की स्थापना करवायी । केन्द्रीय विद्यालय संगठन के पहले अध्यक्ष रहे । त्रिभाषी फार्मूला को महत्व देकर उन्होंने संगठन को प्रभावशाली बनाया । उनका हिन्दी के विकास के लिये केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की स्थापना की । वे हिन्दी के अनन्य सेवी थे । दक्षिण भारत व पूर्वोत्तर में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में उनका अद्वितीय योगदान रहा । वे संसद में हमेशा हिन्दी में बोलते थे । प्रश्नों का उत्तर भी हिन्दी में ही देते थे । एक बार नेहरू जी ने उन्हें टोका तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक कह दिया,'मैं आपके आदेश का जरूर पालन करता, परन्तु मुझे हिन्दी में बोलना उतना ही अच्छा लगता है जितना अन्य विद्वानों को अंग्रेजी में ।'
डाॅ. भक्तदर्शन के समाज के प्रति समर्पण को इस बात से समझा जा सकता है कि जब वे राजनीति के अपने सबसे सफल दौर में थे, उन्हें देश के योग्य नेताओं में गिना जाता था । उनके पास राजनीति के लिये बहुत समय था । इंदिरा गांधी के लाख मना करने पर भी मात्र 59 वर्ष की उम्र में 1971 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया । उनके लिये राजनीति जनता की सेवा का साधन था, उसे उन्होंने कभी अपने साध्य के लिये प्रयोग नहीं होने दिया, वे मूल्यों पर आधारित राजनीति पर विश्वास करते थे, उन्होंने यह कहकर राजनीति से संन्यास लिया कि नये लोगों को आने का मौका मिलना चाहिए, इस तरह की उच्च नैतिकता राजनीति में दुर्लभ है ।
जहां आज राजनीति में किसी भी स्तर पर जाकर सत्ता पाने की दुष्प्रवृत्तियां हावी हैं, ऐसे में भक्तदर्शन हमें एक विराट व्यक्तित्व के रूप में इससे बहुत ऊपर उठकर राजनीतिक शुचिता के आदर्श रूप हैं । जिस सादगी, समर्पण, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से उन्होंने राजनीति की वह आज भी प्रेरणादायक है । भक्तदर्शन बहुत लोकप्रिय जनप्रतिनिधि थे । उन्होने कभी भी अपने पद को अपने कामों पर हावी नहीं होने दिया । बहुत सादगी और ईमानदारी से वे अपना काम करते रहे । वे एक कुशल एवं ओजस्वी वक्ता थे । उनकी ईमानदारी और सरलता को इस बात से समझा जा सकता है कि वे जीवनपर्यन्त किराये के मकान में रहे ।
राजनीति से संन्यास लेने के बाद वे पूरी तरह शिक्षा और साहित्य के लिए समर्पित हो गये । भक्तदर्शन जी का एक दूसरा दौर शिक्षाविद का रहा । वे 1972 से 1977 तक कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति । कुलपति के रूप में उनके काम को लोग आज भी याद करते हैं । हिन्दी के लिये उन्होंने बहुत काम किया । जब वे 1988-90 तक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष रहे तो दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार के लिए वहां के हिन्दी के विद्वानों को उन्होंने सम्मानित करवाया । हिन्दी और भारतीय भाषाओं के लेखकों की पुस्तकों का अनुवाद करवाया और उनके प्रकाशन में सहायता की । समाज को समर्पित मनीषि का उन्यासी वर्ष की उम्र में 30 अप्रैल 1991 को देहरादून में निधन हो गया । प्रखर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, ईमानदार राजनीतिज्ञ,शिक्षाविद, पत्रकार भक्तदर्शन जी की प्रेरणा हमेशा हमारा मार्गदर्शन करेगी । ऐसे महामनीषी को हमारा शत-शत नमन ।
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भारतीय टीम आज हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज का आखिरी मैच खेलने उतरेगी. अभी सीरीज 1-1 की बराबरी पर है, टीम इंडिया का टारगेट सीरीज जीत पर होगा. भारत अगर ये सीरीज जीतता है तो यह इस साल की 10वीं सीरीज जीत होगी.
2007 के बाद ऐसा पहली बार होगा कि टीम इंडिया एक साल में 10 सीरीज जीतेगी. इससे पहले 2007 में टीम इंडिया ने 12 सीरीज अपने नाम की थी.
2017 में अब तक ये सीरीज जीती...
1.
इंग्लैंड को वनडे सीरीज में 2-1 से हराया.
2.
इंग्लैंड को टी-20 सीरीज में 2-1 से हराया.
3.
बांग्लादेश को 1-0 से पीटा.
4.
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 2-1 से ऑस्ट्रेलिया को मात.
5.
वनडे सीरीज में वेस्टइंडीज़ को 3-1 से हराया.
6.
श्रीलंका को 3-0 से टेस्ट में रौंदा.
7.
वनडे सीरीज में भी श्रीलंका 5-0 से हराया.
8
. टी-20 सीरीज में 1-0 से श्रीलंका को पीटा.
9.
ऑस्ट्रेलिया को 4-1 से वनडे सीरीज में हराया.
70 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया से लगातार 4 सीरीज जीतने का मौका
टीम इंडिया अगर हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया को हराकर टी-20 सीरीज अपने नाम करने में कामयाब रहती है तो 70 साल में यह पहला मौका होगा, जब वह ऑस्ट्रेलिया को लगातार चार बाईलैटरल इंटरनेशनल सीरीज में हराएगी. भारत ने इससे पहले कंगारुओं को लगातार 3 सीरीज में हराया है. इसमें साल 2016 में ऑस्ट्रेलिया में टी-20 सीरीज में 3-0 से, भारत में टेस्ट सीरीज में 2-1 और मौजूदा वनडे सीरीज में 4-1 से मिली जीत शामिल है.
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यह एक लेख है: फाइनैंशल प्लानर कहते हैं कि किसी भी नौकरीशुदा व्यक्ति अपने पास कम से कम 6 से 12 महीने के खर्चों जितना बचत के तौर पर रखना चाहिए. यह किसी भी प्रकार की इमर्जेंसी सिचुएशन या फिर महीनेवार सैलरी के आने में बाधा पहुंचने की दिशा में काम आते हैं. जॉब मार्केट में छंटनी की घटनाओं और खबरों के बीच यह बहुत जरूरी हो गया है कि व्यक्ति अपने लिए कुछ बचत इस परिदृश्य को ध्यान में रखकर भी करे.
कुछ इंश्योरेंस प्रोवाइडर जॉब लॉस कवर भी प्रदान करते हैं. यह आपको जॉब लॉस की दशा में इनकम रिप्लेसमेंट यानी प्रति माह की आय सुनिश्चित करता है. पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस के हेड ध्रुव सरीन कहते हैं- ये आम तौर पर होमलोन के साथ आते हैं, यदि भारत के हिसाब से बात करें तो. जॉब लॉस की दिशा में इंश्योरेंस कंपनी आपकी तीन महीने की ईएमआई चुकाएगी. इसके साथ कुछ शर्तें और नियम लागू हैं. इनकम रिप्लेसमेंट का विकल्प देने वाले ये कवर इसलिए ज्यादा काम के नहीं लग सकते हैं क्योंकि ये केवल उसी दशा में काम आते हैं जब आपको नौकरी से निकाला जाता है और ऐसे में हम जानते हैं कि भारत में नौकरी जाना इतना भी आम नहीं है. टिप्पणियां
ध्रुव कहते हैं कि आमतौर पर नौकरी से निकाला कम ही जाता है और व्यक्ति को जबरदस्ती रिजाइन करवाया जाता है. मर्जर और अधिग्रहण जैसे इसके अपवाद होते हैं. हालांकि बावजूद इसके कुछ खास मामलों में यह रिस्क कवर काम का तो है ही. और, यहां ध्यान दें कि जॉब से रिजाइन करना, छंटनी नहीं है. बेहतर होगा कि यदि यह इंश्योरेंस कवर लेने जा रहे हैं तो बीमा देने वाले से सभी शर्तें व नियम अच्छी तरह से बारीकी से जान लें.
सरीन से मिली जानकारी के मुताबिक, इस कवर को अवेल करने या प्राप्त करने या पूरा इस्तेमाल करने के लिए नौकरी जाने की दशा में किसी प्रकार से क्लेम का रिजेक्शन न हो, जरूरी होगा कि आपके पास संबंधित दस्तावेज हों. नौकरी से निकाले जाने यानी छंटनी का लिखित सबूत सबसे जरूरी डॉक्युमेंट्स में से एक है जिससे यह भी पता चलता है कि जॉब जाने का कारण क्या था. इस दस्तावेज के बाद ही इस बाबत क्लेम किया जा सकता है.
कुछ इंश्योरेंस प्रोवाइडर जॉब लॉस कवर भी प्रदान करते हैं. यह आपको जॉब लॉस की दशा में इनकम रिप्लेसमेंट यानी प्रति माह की आय सुनिश्चित करता है. पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस के हेड ध्रुव सरीन कहते हैं- ये आम तौर पर होमलोन के साथ आते हैं, यदि भारत के हिसाब से बात करें तो. जॉब लॉस की दिशा में इंश्योरेंस कंपनी आपकी तीन महीने की ईएमआई चुकाएगी. इसके साथ कुछ शर्तें और नियम लागू हैं. इनकम रिप्लेसमेंट का विकल्प देने वाले ये कवर इसलिए ज्यादा काम के नहीं लग सकते हैं क्योंकि ये केवल उसी दशा में काम आते हैं जब आपको नौकरी से निकाला जाता है और ऐसे में हम जानते हैं कि भारत में नौकरी जाना इतना भी आम नहीं है. टिप्पणियां
ध्रुव कहते हैं कि आमतौर पर नौकरी से निकाला कम ही जाता है और व्यक्ति को जबरदस्ती रिजाइन करवाया जाता है. मर्जर और अधिग्रहण जैसे इसके अपवाद होते हैं. हालांकि बावजूद इसके कुछ खास मामलों में यह रिस्क कवर काम का तो है ही. और, यहां ध्यान दें कि जॉब से रिजाइन करना, छंटनी नहीं है. बेहतर होगा कि यदि यह इंश्योरेंस कवर लेने जा रहे हैं तो बीमा देने वाले से सभी शर्तें व नियम अच्छी तरह से बारीकी से जान लें.
सरीन से मिली जानकारी के मुताबिक, इस कवर को अवेल करने या प्राप्त करने या पूरा इस्तेमाल करने के लिए नौकरी जाने की दशा में किसी प्रकार से क्लेम का रिजेक्शन न हो, जरूरी होगा कि आपके पास संबंधित दस्तावेज हों. नौकरी से निकाले जाने यानी छंटनी का लिखित सबूत सबसे जरूरी डॉक्युमेंट्स में से एक है जिससे यह भी पता चलता है कि जॉब जाने का कारण क्या था. इस दस्तावेज के बाद ही इस बाबत क्लेम किया जा सकता है.
ध्रुव कहते हैं कि आमतौर पर नौकरी से निकाला कम ही जाता है और व्यक्ति को जबरदस्ती रिजाइन करवाया जाता है. मर्जर और अधिग्रहण जैसे इसके अपवाद होते हैं. हालांकि बावजूद इसके कुछ खास मामलों में यह रिस्क कवर काम का तो है ही. और, यहां ध्यान दें कि जॉब से रिजाइन करना, छंटनी नहीं है. बेहतर होगा कि यदि यह इंश्योरेंस कवर लेने जा रहे हैं तो बीमा देने वाले से सभी शर्तें व नियम अच्छी तरह से बारीकी से जान लें.
सरीन से मिली जानकारी के मुताबिक, इस कवर को अवेल करने या प्राप्त करने या पूरा इस्तेमाल करने के लिए नौकरी जाने की दशा में किसी प्रकार से क्लेम का रिजेक्शन न हो, जरूरी होगा कि आपके पास संबंधित दस्तावेज हों. नौकरी से निकाले जाने यानी छंटनी का लिखित सबूत सबसे जरूरी डॉक्युमेंट्स में से एक है जिससे यह भी पता चलता है कि जॉब जाने का कारण क्या था. इस दस्तावेज के बाद ही इस बाबत क्लेम किया जा सकता है.
सरीन से मिली जानकारी के मुताबिक, इस कवर को अवेल करने या प्राप्त करने या पूरा इस्तेमाल करने के लिए नौकरी जाने की दशा में किसी प्रकार से क्लेम का रिजेक्शन न हो, जरूरी होगा कि आपके पास संबंधित दस्तावेज हों. नौकरी से निकाले जाने यानी छंटनी का लिखित सबूत सबसे जरूरी डॉक्युमेंट्स में से एक है जिससे यह भी पता चलता है कि जॉब जाने का कारण क्या था. इस दस्तावेज के बाद ही इस बाबत क्लेम किया जा सकता है.
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लेख: रुपहले पर्दे के राजा बाबू यानी गोविंदा का असल जीवन में राजा बनने यानी राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है. फिल्म अभिनेता और पूर्व सांसद गोविन्दा ने फिर से राजनीति में आने से साफ इंकार करते हुए कहा कि वे बड़ी मुश्किल से राजनीतिक जीवन के दिनों को भूल पाए हैं.
नाहरगढ़ किले में जयपुर वैक्स म्यूजियम का लोकार्पण करने के बाद गोविन्दा ने कहा कि राजनीति के दिनों से बाहर आने में उन्हें 9-10 साल लग गए है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "बड़ी मुश्किल से मैं उस समय को भूला पाया हूं. मेरा आपसे आग्रह है कि राजनीतिक प्रश्न नहीं करें.’
एक अन्य प्रश्न के जवाब उन्होंने में कहा कि वे हर कार्य गुरुजी की इजाजत लेकर करते हैं. गुरुजी ने उन्हें अपनी मोम की मूर्ति बनाने की इजाजत देने से मना कर दिया था इसलिए वे किसी को भी अपना मोम का पुतला बनाने की अनुमति नहीं देते.
अमिताभ बच्चन की आदमकद मोम के पुतले का अनावरण करते हुए गोवंदा ने कहा कि हर महान काम के पीछे कलाकार की कल्पना होती है. यह संग्रहालय भी उसका एक उदाहरण है.
जयपुर मोम संग्रहालय के निदेशक और निर्माता अनूप श्रीवास्तव ने दावा किया कि दुनिया के किसी भी पुरातत्व स्थल में स्थापित होने वाला यह मोम संग्रहालय पहला है. इसमें देश-दुनिया की 32 जानी जानी-मानी हस्तियों के मोम के पुतले स्थापित किए गए हैं. इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, मदर टेरेसा, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद, कल्पना चावला, दलाई लामा, अभिनेता अमिताभ बच्चन, वीर महाराणा प्रताप और जयपुर पूर्व राजघराने के सदस्यों के पुतले शामिल हैं.टिप्पणियां
यहां बता दें कि गोविंदा वर्ष 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी के निशान पर मुंबई से संसद सदस्य थे.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नाहरगढ़ किले में जयपुर वैक्स म्यूजियम का लोकार्पण करने के बाद गोविन्दा ने कहा कि राजनीति के दिनों से बाहर आने में उन्हें 9-10 साल लग गए है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "बड़ी मुश्किल से मैं उस समय को भूला पाया हूं. मेरा आपसे आग्रह है कि राजनीतिक प्रश्न नहीं करें.’
एक अन्य प्रश्न के जवाब उन्होंने में कहा कि वे हर कार्य गुरुजी की इजाजत लेकर करते हैं. गुरुजी ने उन्हें अपनी मोम की मूर्ति बनाने की इजाजत देने से मना कर दिया था इसलिए वे किसी को भी अपना मोम का पुतला बनाने की अनुमति नहीं देते.
अमिताभ बच्चन की आदमकद मोम के पुतले का अनावरण करते हुए गोवंदा ने कहा कि हर महान काम के पीछे कलाकार की कल्पना होती है. यह संग्रहालय भी उसका एक उदाहरण है.
जयपुर मोम संग्रहालय के निदेशक और निर्माता अनूप श्रीवास्तव ने दावा किया कि दुनिया के किसी भी पुरातत्व स्थल में स्थापित होने वाला यह मोम संग्रहालय पहला है. इसमें देश-दुनिया की 32 जानी जानी-मानी हस्तियों के मोम के पुतले स्थापित किए गए हैं. इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, मदर टेरेसा, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद, कल्पना चावला, दलाई लामा, अभिनेता अमिताभ बच्चन, वीर महाराणा प्रताप और जयपुर पूर्व राजघराने के सदस्यों के पुतले शामिल हैं.टिप्पणियां
यहां बता दें कि गोविंदा वर्ष 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी के निशान पर मुंबई से संसद सदस्य थे.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एक अन्य प्रश्न के जवाब उन्होंने में कहा कि वे हर कार्य गुरुजी की इजाजत लेकर करते हैं. गुरुजी ने उन्हें अपनी मोम की मूर्ति बनाने की इजाजत देने से मना कर दिया था इसलिए वे किसी को भी अपना मोम का पुतला बनाने की अनुमति नहीं देते.
अमिताभ बच्चन की आदमकद मोम के पुतले का अनावरण करते हुए गोवंदा ने कहा कि हर महान काम के पीछे कलाकार की कल्पना होती है. यह संग्रहालय भी उसका एक उदाहरण है.
जयपुर मोम संग्रहालय के निदेशक और निर्माता अनूप श्रीवास्तव ने दावा किया कि दुनिया के किसी भी पुरातत्व स्थल में स्थापित होने वाला यह मोम संग्रहालय पहला है. इसमें देश-दुनिया की 32 जानी जानी-मानी हस्तियों के मोम के पुतले स्थापित किए गए हैं. इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, मदर टेरेसा, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद, कल्पना चावला, दलाई लामा, अभिनेता अमिताभ बच्चन, वीर महाराणा प्रताप और जयपुर पूर्व राजघराने के सदस्यों के पुतले शामिल हैं.टिप्पणियां
यहां बता दें कि गोविंदा वर्ष 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी के निशान पर मुंबई से संसद सदस्य थे.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अमिताभ बच्चन की आदमकद मोम के पुतले का अनावरण करते हुए गोवंदा ने कहा कि हर महान काम के पीछे कलाकार की कल्पना होती है. यह संग्रहालय भी उसका एक उदाहरण है.
जयपुर मोम संग्रहालय के निदेशक और निर्माता अनूप श्रीवास्तव ने दावा किया कि दुनिया के किसी भी पुरातत्व स्थल में स्थापित होने वाला यह मोम संग्रहालय पहला है. इसमें देश-दुनिया की 32 जानी जानी-मानी हस्तियों के मोम के पुतले स्थापित किए गए हैं. इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, मदर टेरेसा, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद, कल्पना चावला, दलाई लामा, अभिनेता अमिताभ बच्चन, वीर महाराणा प्रताप और जयपुर पूर्व राजघराने के सदस्यों के पुतले शामिल हैं.टिप्पणियां
यहां बता दें कि गोविंदा वर्ष 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी के निशान पर मुंबई से संसद सदस्य थे.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जयपुर मोम संग्रहालय के निदेशक और निर्माता अनूप श्रीवास्तव ने दावा किया कि दुनिया के किसी भी पुरातत्व स्थल में स्थापित होने वाला यह मोम संग्रहालय पहला है. इसमें देश-दुनिया की 32 जानी जानी-मानी हस्तियों के मोम के पुतले स्थापित किए गए हैं. इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, मदर टेरेसा, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद, कल्पना चावला, दलाई लामा, अभिनेता अमिताभ बच्चन, वीर महाराणा प्रताप और जयपुर पूर्व राजघराने के सदस्यों के पुतले शामिल हैं.टिप्पणियां
यहां बता दें कि गोविंदा वर्ष 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी के निशान पर मुंबई से संसद सदस्य थे.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यहां बता दें कि गोविंदा वर्ष 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी के निशान पर मुंबई से संसद सदस्य थे.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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देश, दुनिया, महानगर खेल, आर्थिक और बॉलीवुड में क्या कुछ हुआ. जानने के लिए यहां पढ़ें समय के साथ साथ खबरों का लाइव अपडेशन.....
11.38 PM:
मुंबई में सचिन तेंदुलकर ने दी पार्टी, पार्टी में पहुंची जानी-मानी हस्तियां
10.28 PM:
आतंकी तहसीन के पिता से NIA ने की पूछताछ, समस्तीपुर में तहसीन के घर की तलाशी
06.23 PM:
दोषी पाया गया तो चुनाव नहीं लडूंगा: केजरीवाल
06.01 PM:
अरविंद पर स्याही फेंकने वाले ने खुद को बीजेपी का कार्यकर्ता बताया
05.55 PM:
बीजेपी कार्यकर्ता नचिकेता ने किया हंगामा, मुंबई से आया है नचिकेता
05.50 PM:
कांफ्रेंस में केजरीवाल पर स्याही फेंकी गई, अन्ना समर्थकों ने किया हंगमा
05.48 PM:
अरविंद केजरीवाल की प्रेस कांफ्रेंस में हंगामा, अन्ना हजारे जिंदाबाद के नारे लगे
05.48 PM:
हमारी जांच तो सरकार कर रही है: प्रशांत भूषण
03.14 PM:
इंदिरा, नेहरू को भारत रत्न मिला है तो अटल बिहारी वाजपेयी को क्यों नहीं, लेकिन शिवानंद तिवारी ने सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिए जाने पर सवाल उठाया है. तो मैं पूछता हूं कि अगर सचिन को नहीं मिलना चाहिए तो क्या लालू यादव को मिलना चाहिएः संजय राउत
02.04 PM:
बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री मंत्री पल्लम राजू ने कहा- अटल जी को मिलना चाहिए भारत रत्न. राजू आंध्र प्रदेश से कांग्रेस के नेता हैं.
01.34 PM:
नीतीश ने अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न देने का समर्थन करते हुए कहा कि अटल जी को भारत रत्न क्यों नहीं दिया जाना चाहिए.
01.32 PM:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, रिसर्च पर ज्यादा खर्च करने की जरूरत है.
01.28 PM:
नीतीश कुमार का शिवानंद तिवारी के बयान पर टिप्पणी से इनकार. शिवानंद ने सचिन को भारत रत्न पर दिए जाने का विरोध करते हुए कहा था कि फ्री में नहीं खेले हैं सचिन, भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए था.
01.27 PM:
सचिन को भारत रत्न दिया जाना स्वागत योग्य: नीतीश कुमार
01.22 PM:
नारायण साई के खिलाफ FIR रद्द करने से गुजरात हाईकोर्ट का इनकार.
01.14 PM:
सेना ने राजस्थान के पोखरण में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के नए संस्करण का सफल परीक्षण किया.
01.05 PM:
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के गठन के विरोध की याचिका ठुकराई, कहा- अभी दखल देना अपरिपक्व, बाद में आ सकते हैं याचिकाकर्ता
12.38 PM:
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश को नीचा दिखाने का षड़यंत्र रचा: मोदी
12.37 PM:
देश का पेट भरने का काम मध्य प्रदेश के किसानों ने किया है: मोदी
12.37 PM:
शहजादे जी विकास के मुद्दों पर मुकाबला करो: मोदी
12.36 PM:
जुल्म करने वालों के खिलाफ आवाज उठाऊंगा: मोदी
12.36 PM:
2014 में दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनेगी: मोदी
12.35 PM:
मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार चुनिए, क्योंकि 2014 में दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन रही है: मोदी
12.32 PM:
अगर शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र में विपरीत सरकार होने के बावजूद प्रदेश की इतनी तरक्की की है तो अनूकूल सरकार होने पर क्या कुछ नहीं कर देंगे.
12.28 PM:
अगर हम चोर हैं, तो मुझे यह आरोप मंजूर है, क्योंकि हमने कांग्रेस की नींद चुरा ली है: मोदी.
12.25 PM:
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला करते हुए कहा कि अगर आप अपनी पार्टी के नेताओं को कुछ नहीं कह सकते तो आपका अपमान करने का इल्जाम बीजेपी पर न लगाएं.
12.24 PM:
प्रधानमंत्री जी आपकी ही पार्टी आपका सम्मान नहीं करती: मोदी.
12.20 PM:
मोदी ने बिना नाम लिए दिग्विजय सिंह पर हमला करते हुए कहा कि वो बड़बोले नेता आजकल झूठ मैनिफेक्चरिंग के चेयरमैन हैं.
10.37 AM:
जासूसी कांड पर केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मोदी पर हमला बोला है. मनीष तिवारी ने कहा है कि बीजेपी दावा कर रही है कि लड़की के पिता के कहने पर सुरक्षा दी गई, तो क्या लड़की पर जो खतरा था उसका आकलन किया गया. मनीष तिवारी के मुताबिक लड़की को निजी सुरक्षा क्यों नहीं दी गई.
10.35 AM:
हम बीजेपी और जेडीयू दोनों के खिलाफ लड़ेंगेः राबड़ी देवी.
10.21 AM:
कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव आयोग से मोदी की शिकायत की है. इस बार शिकायत पीएम, सोनिया और राहुल पर दिए गए उनके बयान पर की गयी है. मोदी ने सोनिया को बीमार कहा था और पीएम को इनडोर बताया था. राहुल गांधी के बारे में मोदी ने कहा था कि क्या पैसा उनके मामा के पास से आता है.
10.12 AM:
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोनिया गांधी को मानहानि का नोटिस भेजा. कांग्रेस के विज्ञापन पर शिवराज ने भेजा नोटिस.
09.31 AM:
आज शाम साढ़े 6 बजे दिल्ली के कस्तूरबा नगर में होंगी सुषमा स्वराज. वे अमर कॉलोनी के ब्लाइंड स्कूल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को करेंगी संबोधित.
09.04 AM:
एस श्रीसंत की शादी 12 दिसंबर को केरल के गुरुवयूर मंदिर में.
08.50 AM:
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोनिया गांधी को भेजा मानहानि का नोटिस, 10 करोड़ का है ये नोटिस. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद कांतिलाल भूरिया को भी भेजा नोटिस.
07.05 AM:
तेलंगाना को लेकर आज दोपहर 12.30 बजे आंध्र प्रदेश के सीएम से मिलेंगे गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे.
07.01 AM:
अलग तेलंगाना को लेकर आज GoM की बैठक.
06.33 AM:
तेजाब की तपिश में झुलसी दिल्ली, 2 सहेलियों पर एसिड अटैक, सरेराह तेजाब फेंककर आरोपी फरार, एक लड़की से छेड़छाड़ करने वाले शख्स पर आरोप.
06.32 AM:
दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर पवन कुमार की संदिग्ध हालत में मौत, घर के भीतर मिली लाश, मायके गई पत्नी ने पड़ोसियों को दी फोन ना उठाने की खबर.
06.30 AM:
एक एनआरआई की संदिग्ध मौत से मुंबई में सनसनी, लोखंडवाला इलाके की बहुमंजिला इमारत से गिरा ओमान से आया शख्स, कई एंगल से पुलिस कर रही जांच.
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छऊ नृत्य, जिसे छौ नाच भी कहा जाता है, मार्शल और लोक परंपराओं वाला एक अर्ध शास्त्रीय भारतीय नृत्य है। यह तीन शैलियों में पाया जाता है जिनका नाम उस स्थान के नाम पर रखा गया है जहां उनका प्रदर्शन किया जाता है, यानी पश्चिम बंगाल का पुरुलिया छऊ, झारखण्ड का सरायकेला छऊ और ओडिशा का मयूरभंज छऊ।
2010 में, छाऊ नृत्य को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था।
छऊ नृत्य के विशेषताएं
छऊ नृत्य मुख्य तरीके से क्षेत्रिय त्योहारों में प्रदर्शित किया जाता है। ज्यादातर वसंत त्योहार के चैत्र पर्व पर होता हैं जो तेरह दिन तक चलता है और इसमेें पूरा सम्प्रदाय भाग लेता हैं। इस नृत्य में सम्प्रिक प्रथा तथा नृत्य का मिश्रण हैं और इसमें लड़ाई की तकनीक एवं पशु कि गति और चाल को प्रदर्शित करता हैं। गांव ग्रह्णि के काम-काज पर भी नृत्य प्रस्तुत किय जाता है। इस नृत्य को पुरुष नर्तकी करते हैं जो परम्परागत कलाकार हैं या स्थानीय समुदाय के लोग हैं। ये नृत्य ज्यादातर रात को एक अनाव्रित्य क्षेत्र में किया जाता है जिसे अखंड या असार भी कहा जाता है। परम्परागत एवं लोक संगीत के धुन में यह नृत्य प्रस्तुत किया जाता हैं। इसमें मोहुरि एवं शहनाई का भी इस्तेमाल होता है। इसके अतिरिक्त तरह-तरह के ढोल, धुम्सा और खर्का आदि लोक वाद्यों का भी प्रयोग होता है। नृत्य के विषय में कभी-कभी रामायण और महाभारत की घटना का भी चित्रण होता है। छऊ नृत्य मूल रूप से मुंडा, भूमिज, महतो, कलिन्दि, पत्तानिक, समल, दरोगा, मोहन्ती, भोल, आचार्या, कर, दुबे और साहू सम्प्रदाय के लोगों द्वारा किया जाता हैं। छऊ नाच के संगीत मुखी, कलिन्दि, धदा के द्वारा दिया जाता है। छऊ नृत्य में एक विशेष तरह का मुखौटा का इस्तेमाल होता हैं जो बंगाल के पुरुलिया और सरायकेला के आदिवासी महापात्र, महारानी और सूत्रधर के द्वारा बनाया जाता है। नृत्य संगीत और मुखौटा बनाने की कला और शिल्प मौखिक रूप से प्रेषित किया जाता है।
जातीय संबद्धता
छऊ नृत्य मूल रूप से भूमिज, मुण्डा, कुम्हार, कुड़मी महतो, डोम, खंडायत, तेली, पत्तानिक, समल, दरोगा, मोहन्ती, भोल, आचार्या, कर, दुबे और साहू सम्प्रदाय के लोगो के द्वारा किया जाता है। छऊ नाच के संगीत मुखि, कलिन्दि, धदा के द्वारा दिया जाता हैं। छऊ नृत्य में एक विशेष तरह का मुखौटा का इस्तेमाल होता है, जो पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और सरायकेला के सम्प्रदायिक महापात्र, महारानी और सूत्रधर के द्वारा बनाया जाता है। नृत्य संगीत और मुखौटा बनाने की कला और शिल्प मौखिक रूप से प्रेषित किय जाता है। यह मुख्यत: क्षेत्रीय त्योहारों में प्रदर्शित किया जाता है। वसंत त्योहार के चैत्र पर्व पर तेरह दिन तक छऊ नृत्य का समारोह चलता है। हर वर्ग के लोग इस नृत्य में भाग लेते हैं।
शैलियाँ
छऊ नृत्य की तीन शैलियां हैं। सरायकेला छऊ सरायकेला में विकसित हुआ, जब यह कलिंग के गजपति शासन के अधीन था, जो वर्तमान में झारखण्ड के सरायकेला खरसावाँ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है, पुरुलिया छऊ पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में बाघमुंडी के राजा द्वारा विकसित किया गया और मयूरभंज छाऊ ओडिशा के मयूरभंज जिले में प्रदर्शित किया जाता है। तीनों उप-शैलियों में सबसे प्रमुख अंतर मुखौटे के उपयोग है। छऊ की सरायकेला और पुरुलिया शैलियों में नृत्य के दौरान मुखौटों का उपयोग होता है, जबकि मयूरभंज छऊ किसी भी मुखौटे का उपयोग नहीं होता।
झारखण्ड की सेरायकेला छऊ की तकनीक और प्रदर्शनों की सूची इस क्षेत्र के पूर्ववर्ती कुलीनों द्वारा विकसित की गई थी, जो इसके कलाकार और गुरु दोनों थे, और आधुनिक युग में सभी पृष्ठभूमि के लोग इसे नृत्य करते हैं। सरायकेला छऊ को प्रतीकात्मक मुखौटों के साथ प्रदर्शित किया जाता है, और अभिनय उस भूमिका को स्थापित करता है जिसे अभिनेता निभा रहा है। पुरुलिया छऊ में निभाए जा रहे चरित्र के आकार के व्यापक मुखौटों का उपयोग किया जाता है; उदाहरण के लिए, एक शेर के पात्र के चेहरे पर शेर का मुखौटा होता है और शारीरिक वेशभूषा भी होती है और अभिनेता चारों पैरों पर चलता है। ये मुखौटे कुम्हारों द्वारा तैयार किए जाते हैं और इन्हें मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले से प्राप्त किया जाता है। मयूरभंज में छऊ का प्रदर्शन बिना मुखौटे के किया जाता है और तकनीकी रूप से यह सरायकेला छऊ के समान है।
उल्लेखनीय लोग
सुधेन्द्र नारायण सिंह देव - पद्म श्री
केदारनाथ साहू - पद्म श्री
मकरध्वज दरोगा - पद्म श्री
गंभीर सिंह मुड़ा - पद्म श्री
शशधर आचार्य - पद्म श्री
श्याम चरण पति - पद्म श्री
इलियाना सिटारिस्टी - पद्म श्री
गोपाल प्रसाद दुबे - पद्म श्री
बिजोय प्रताप सिंह देव
सुभेन्द्र नारायण सिंह देव
अनंतचरण साईबाबू
ईशा शरवानी
तुषार कालिया
शेरोन लोवेन
लोकप्रिय माध्यमों में
छऊ नृत्य को 2012 कि हिन्दी फिल्म बर्फी मे शामिल किया गया है, जिसमें पुरुलिया छऊ प्रदर्शित किया गया है। अनेकों बंगाली फिल्मों मे भी इस नृत्य को दिखाया गया है।
चित्र दीर्धा
बाहरी कड़ियां
Chhau dance of Purulia, by Asutosh Bhattacharya. Pub. Rabindra Bharati University, 1972.
Barba, Eugenio; Nicola Savarese (1991). A dictionary of theatre anthropology: the secret art of the performer. Routledge. ISBN 0-415-05308-0.
Claus, Peter J.; Sarah Diamond, Margaret Ann Mills (2003). South Asian folklore: an encyclopedia. Taylor & Francis. ISBN 0-415-93919-4.
पुरुलिया छऊ (पुस्तिका)
सन्दर्भ
आदिवासी नृत्य
झारखंड की संस्कृति
उड़िया संस्कृति
पश्चिम बंगाल की संस्कृति
बिहार के लोक नृत्य
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मॉडल से अभिनेत्री बनी शिखा जोशी की लाश शनिवार को उनके मुम्बई के वर्सोवा स्थित घर के बाथरूम से मिली है. उनके गले में चाकू मारे जाने के निशान थे और वह खून से लथपथ थीं. अभी तक साफ नहीं है की शिखा ने
आत्महत्या की है या उसकी हत्या की गई
है.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक शिखा एमएचएडीए के राजयोग सोसायटी में अपने एक दोस्त के साथ फ्लैट में रहती थीं. पुलिस को दिए बयान में शिखा की रूममेट ने कहा है फ्लैट में पहुंचकर जब उसने दरवाजा खटखटाया तो उस वक्त अंदर मौजूद जोशी ने उसे कुछ देर इंतजार करने को कहा. जोशी ने कहा कि वह कुछ देर में दरवाजा खोल रही है. लेकिन जब कुछ देर बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो अभिनेत्री की रूममेट ने उसे अपनी चाबी से खोला और पाया कि शिखा के गले से काफी खून निकल रहा था. वो शिखा को लेकर कोकिलाबेन अस्पताल पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
'इंडस्ट्री में फ्रस्टेशन बहुत ज्यादा है'
मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘रात में पड़ोसियों ने पुलिस टीम को सूचना दी जिसके बाद हमने शव को पोस्टमार्टम के लिए कूपर अस्पताल भेज दिया. प्राथमिक जांच से हमें पता चला है कि वह डिप्रेशन में थीं.' उन्होंने कहा, 'हमने फिलहाल
एक्सीडेंटल डेथ
का मामला दर्ज किया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद तस्वीर साफ होगी कि यह हत्या है या आत्महत्या.'
शिखा तीन महीने पहले ही मुंबई आई थी. वो फिल्म 'बीए पास' समेत कई टीवी सीरियल में काम कर चुकी हैं. फिल्म 'बीए पास' में लीड रोल निभा चुकी शिल्पा शुक्ला ने कहा, 'मैं इस खबर को सुनकर काफी हैरान हूं.' फिल्म इंडस्ट्री में फ्रस्टेशन बहुत ज्यादा है. डिप्रेशन एक गंभीर समस्या है और इसे समझने की रूरत है.' उन्होंने कहा, 'शिखा बहुत खुशमिजाज और हिम्मत वाली इंसान थीं.'
अभिनेत्री की 19 साल की बेटी दिल्ली में रहती है और उसे घटना की सूचना दे दी गई है.
भाषा से इनपुट
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वाम-हस्त ऑर्थोडॉक्स स्पिन क्रिकेट के खेल में गेंदबाज़ी का एक प्रकार है।
वाम-हस्त ऑर्थोडॉक्स स्पिन क्रिकेट की पिच पर वाम हस्त गेंदबाज़ द्वारा अंगुलियों का उपयोग करते हुए गेंद को दायीं से बायीं ओर (गेंदबाज़ के सापेक्ष) स्पिन करवाने की गेंदबाज़ी है।
वाम-हस्त ऑर्थोडॉक्स स्पिन गेंदबाज़ सामान्यतः दक्षिण हस्त (दाएं हाथ के) बल्लेबाज़ के लिए हवा में अपवाह करती हुई गेंद डालते हैं और टपा खाने के बाद यह गेंद बल्लेबाज़ के पिछले स्टंप की ओर (ऑफ स्टंप की ओर) जा लगे। हवा में अपवाह और घुमाव आक्रमण तकनीक हैं।
सन्दर्भ
गेंदबाज़ी
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फिलिपींस की सुंदरी ने मिस वर्ल्ड 2013 के चमचमाते ताज पर कब्जा जमा लिया है. इंडोनेशिया में आयोजित हुए इस मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में फ्रांस की मैरिन लोर्फलिन पहली और घाना की सुंदरी क्रैंजर ना ओकैले शूटर दूसरी रनर अप रहीं.
भारत को एक बार फिर इस प्रतियोगिता में निराशा हाथ लगी और मिस इंडिया नवनीत कौर ढिल्लन टॉप 10 में भी जगह नहीं बना पायीं. हालांकि इंडोनेशिया में पहली बार यह प्रतियोगिता आयोजित की गई, लेकिन मुस्लिम कट्टरपंथियों के भारी विरोध और आतंकी हमले के खतरे के बावजूद इंडोनेशिया के बाली द्वीप में यह विश्व प्रतियोगिता बड़े ही धूम-धाम से आयोजित की गई.
दुनियाभर के 129 देशों से आयी प्रतियोगियों ने मिस वर्ल्ड के चमचमाते ताज के लिए खूब जंग लड़ी. पिछली बार की विजेता चीनी सुंदरी यू वेंक्सिया ने फिलिपींस की सुंदरी मेगन यंग को ताज पहनाया.
टॉप 10 सुंदरियां इस प्रकार रहीं: देशों के नाम
10वें नंबर पर घाना, 9वें नंबर पर जमैका, 8वें नंबर पर स्पेन, 7वां स्थान इंडोनेशिया, 6ठे नंबर पर इंग्लैंड, 5वें नंबर पर नेपाल, चौथे नंबर पर फ्रांस, तीसरे नंबर पर ऑस्ट्रलिया, दूसरा स्थान मिला ब्राजील को और पहले नंबर पर फिलिपींस की सुंदरी रही.
स्पेशल इवेंट विनर इस प्रकार रहीं:
ब्यूटी विद ए परपज
: मिस नेपाल,
इशानी श्रेष्ठा
बीच फैशन
: मिस ब्राजील,
सैंक्लेयर फ्रैंट्ज
टॉप मॉडल
: मिस फिलिपींस,
टैलेंट
: मिस इंडोनेशिया,
वानिया लैरिसा
स्पोर्ट्स
: मिस नीदरलैंड,
जैक्लीन स्टीनबीक
मल्टीमीडिया अवॉर्ड
: मिस इंडिया,
नवनीत ढिल्लन
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सेती नेपाल के चौदह अंचलों में से एक था, जो सुदूर-पश्चिमाञ्चल विकास क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। तराई में स्थित धनगढ़ी सेती अंचल का प्रमुख नगर था, जबकि इसका मुख्यालय सिलगढ़ी में स्थित था। २०१५ में हुए प्रशासनिक पुनर्गठन में नेपाल के विकास क्षेत्रों और अंचलों को विछिन्न कर समस्त जिलों को प्रदेशों में पुनर्गठित कर दिया गया, जिसके बाद से सेती अंचल के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र सुदूरपश्चिम प्रदेश का हिस्सा है।
जिले
सेती पाँच जिलों में विभाजित था; २०१५ के बाद से ये सभी जिले सुदूरपश्चिम प्रदेश का हिस्सा हैं।
सन्दर्भ
नेपाल के पूर्व शासन प्रणाली
सुदूर-पश्चिमांचल विकास क्षेत्र
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