text
stringlengths
1
1.24M
ऑपरेशन ट्राइडेंट के कारण ही हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है. इस साल भी यही परंपरा कायम है. आज 46वां नौसेना दिवस मनाया जा रहा है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना दिवस के मौके पर नौसेना कर्मियों को बधाई दी. प्रधानमंत्री ने कहा, 'सभी नौसेना कर्मियों और उनके परिवारों को नौसेना दिवस की शुभकामनाएं'. इसके साथ ही उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें भारतीय नौसेना समुद्र तट पर अपनी ताकत दिखाती नजर आ रही है. PHOTOS: यूपी की ये लड़की बनी नेवी की पहली महिला Pilot, बना रिकॉर्ड On Navy Day, greetings to all navy personnel and their families. pic.twitter.com/O36rKhnC4I — Narendra Modi (@narendramodi) December 4, 2017 क्यों मनाया जाता है नौसेना दिवस... भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में भारत की विजय का जश्न मनाने के लिए हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है. इस युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना ने कराची पर हमला किया था, उसी उल्लेखनीय सफलता की याद में नौसेना दिवस मनाया जाता है. इस जंग को ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के नाम से जाना जाता है. #NavyDay जब भारत ने किया था कराची पर हमला, दी थी शिकस्‍त जानें इस ऑपरेशन से जुड़ी खास बातें... यह अभियान पाकिस्‍तानी नौसेना के मुख्‍यालय को निशाने पर लेकर शुरू किया गया, जो कराची में था. हिंदुस्‍तान के इस हमले में 3 विद्युत क्‍लास मिसाइल बोट, 2 एंटी-सबमरीन और एक टैंकर शामिल था. नौसेना होगी मजबूत, मिलेंगे समुद्री सुरंगों का विनाश करने वाले 12 जहाज बता दें, कराची में रात को हमला बोलने की योजना थी, क्‍योंकि पाकिस्‍तान के पास ऐसे विमान नहीं थे, जो रात में बमबारी कर सकें. भारतीय नौसेना विश्व की पांचवी सबसे बड़ी नौसेना मानी जाती है.
खाजा एक प्रकार का पकवान है जो मुख्यतः मैदा, शक्कर, घी से बनाया जाता है। यह पूर्वी भारत के बिहार, ओड़िशा तथा पश्चिम बंगाल में बहुत लोकप्रिय है। ये सभी क्षेत्र एक समय मौर्य साम्राज्य के अंग थे। कहा जाता है कि दो सहस्र वर्ष पूर्व भी इन क्षेत्रों के उपजाऊ क्षेेत्रों में खाजा बनाया जाता था। सिलाव तथा राजगीर दो ऐसे स्थान है, जहाँ का खाजा अन्य के तुुुुलना में बढ़िया समझा जाता है। बिहार तथा पड़ोसी राज्यों से होते हुए खाजा अब अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो गया है। आंध्र प्रदेश के काकिनाड़ा का खाजा, स्थानीय रूप से प्रसिद्ध है। शब्द व्युत्पत्ति खाजा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'खाद्य' से हुई है। खाद्य का अर्थ 'खाने योग्य पदार्थ'। सन्दर्भ भारतीय मिठाइयाँ
पुलिस ने 16 अपराधियों की निकाली शिनाख्त परेड पुलिस ने कहा- इससे अपराधियों को मिलेगा सबक राजस्थान पुलिस ने अपराधियों को अर्धनग्न कर और हथकड़ी लगाकर बीच शहर में उनका जुलूस निकाला. कुछ दिनों पहले अलवर जिले के बहरोड़ में अपराधी थाने पर एके-47 से हमला कर खूंखार अपराधी पपला गुर्जर को छुड़ा ले गए थे. पुलिस तमाम कोशिशों के बावजूद पपला गुर्जर को पकड़ नहीं पाई है जिसके बाद राजस्थान पुलिस ने पकड़े गए पपला के साथियों को अर्धनग्न कर पूरे शहर में जुलूस निकाला. एसपी भिवाड़ी की मौजूदगी में बदमाशों के बहरोड़ क्षेत्र में फैल रहे आतंक और लोगों के मन से डर निकालने के उद्देश्य से शिनाख्त परेड निकाली गई. पुलिस ने 16 अपराधियों की शिनाख्त परेड के नाम पर बदमाशों को फिल्मी स्टाइल में परेड कराई. इसमें उन्हें अर्द्धनग्न कर 2 किलोमीटर तक जुलूस निकाला गया. इसके बाद बहरोड़ थाने पहुंच कर शिनाख्त परेड कराई गई है. बदमाशों को शहर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच घुमाया गया. इस दौरान हथियारबंद जवान मौजूद रहे. जानकारी के मुतबिक बहरोड़ क्षेत्र में आये दिन बदमाशों के आतंक को देखते हुए पुलिस ने बदमाशों का जुलूस निकाला है. इस जुलूस से पुलिस ये संदेश दे रही है कि जो भी बदमाश ऐसा करेगा उसका यही हाल होगा, जो पपला कांड में पकड़े गए बदमाशों का हुआ है. अलवर जिले के बहरोड़ थाने में हरियाणा के इनामी बदमाश विक्रम उर्फ पपला गुर्जर को एके-47 से थाने पर हमला कर भगा ले गए थे. पपला गुर्जर को भगाने में सहयोग करने वाले 16 बदमाशों को पुलिस ने पकड़ लिया है. सभी बदमाशों को बहरोड़ स्कूल ग्राउंड से सड़क के रास्ते बहरोड़ थाने तक ले जाया गया. इसको पुलिस ने शिनाख्त परेड नाम दिया है. भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक अमनदीप कपूर ने कहा,  'इस मामले में पुलिस और जांच एजेंसी एसओजी ने आज शिनाख्त परेड करवाई है. बदमाश जिस तरह बाजार से आए और भागकर गए थे, उसको देखते हुए बाजार में शिनाख्त परेड करवाई गई है, इससे अगर अपराधियों में भय पैदा होता है तो यह अच्छी बात है.'
लेख: टिप्पणियां सिंधु का ओकुहारा के खिलाफ पिछली छह भिड़ंत में फाइनल का रिकार्ड 3-3 से बराबरी का रहा है, लेकिन रियो ओलिंपिक और 2017 सिंगापुर ओपन में पिछले दो मुकाबलों इस भारतीय का पलड़ा भारी रहा है. जब से सिंधु यहां आई हैं तो वह अपने कांस्य पदक (2013 और 2014 में) और रजत पदक (2016 ओलंपिक) का रंग (स्वर्ण पदक में) बदलना चाहती हैं. सेमीफाइनल मैच के बाद जब उनसे पूछा गया कि अगर रंग बदलने की बात है तो क्या रजत पदक, इस पर सिंधू ने कहा, ‘‘अरे नहीं, यह काफी नहीं होगा. आज जीतना अहम था क्योंकि मैं अपने पदकों का रंग बदलना चाहती हूं. मैं जीतना चाहती हूं और मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतने का है और मेरा ध्यान इसी पर लगा है.’(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) सिंधु का ओकुहारा के खिलाफ पिछली छह भिड़ंत में फाइनल का रिकार्ड 3-3 से बराबरी का रहा है, लेकिन रियो ओलिंपिक और 2017 सिंगापुर ओपन में पिछले दो मुकाबलों इस भारतीय का पलड़ा भारी रहा है. जब से सिंधु यहां आई हैं तो वह अपने कांस्य पदक (2013 और 2014 में) और रजत पदक (2016 ओलंपिक) का रंग (स्वर्ण पदक में) बदलना चाहती हैं. सेमीफाइनल मैच के बाद जब उनसे पूछा गया कि अगर रंग बदलने की बात है तो क्या रजत पदक, इस पर सिंधू ने कहा, ‘‘अरे नहीं, यह काफी नहीं होगा. आज जीतना अहम था क्योंकि मैं अपने पदकों का रंग बदलना चाहती हूं. मैं जीतना चाहती हूं और मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतने का है और मेरा ध्यान इसी पर लगा है.’(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया गया है कि बांग्लादेश में एक हिन्दू महिला को जबरदस्ती इस्लाम धर्म कबूल कराया जा रहा है. इंटरनेट यूजर्स इस वीडियो को देखकर हैरानी और गुस्सा जता रहे हैं. हजारों यूजर्स ने इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. साथ ही बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यकों की हालत को लेकर चिंता जताई है. फैक्ट चैक के बाद इंडिया टुडे पुष्टि करता है कि ये वीडियो धर्म परिवर्तन का नहीं बल्कि झाड़-फूंक का है. दरअसल एक मुस्लिम ओझा कथित तौर पर भूत से जकड़ी एक मुस्लिम महिला में से हिन्दू जिन्न को निकालने के लिए अजीब हरकतें कर रहा है. ट्विटर यूजर त्यागराज शेखावत ने आजतक को टैग करते हुए यह वीडियो शनिवार को पोस्ट किया. ट्वीट में हिन्दी में लिखा गया- 'इस बांग्लादेशी हिन्दू महिला के धर्मांतरण का ये वीडियो सिलहट का बताया जा रहा है, जहां सारे हिन्दू परिवारों का सफाया कर दिया गया, औरतों को छोड़कर...'. हालांकि, बाद में इस ट्विटर यूजर ने अपने ट्वीट को हटा दिया. ट्विटर यूजर त्यागराज शेखावत ने इसकी जगह अब नया ट्वीट किया जिसमें माफी मांगते हुए अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी इंडिया टुडे फैक्ट चेक स्टोरी का हवाला दिया. मैं सभी से तह दिल से माफी मांगता हूं आपको आहत हुई ये वीडियो मुझे वाट्सप पर किसी ने वाट्सप किया था देखने के बाद मुझे बहुत बुरा लगा जैसे आप सबको लगा लेकिन इंडिया टुडे पत्रिका ने जाँच कर इसका पर्दाफास किया कि ये कोई झाड़ फूँक जिन्न उतारने के लिए बनाया गया था उसे डिलिट कर दिया गया🙏 pic.twitter.com/ELJrEnL9Do — Tyagraj shekhawat (@TyagrajShekhawt) January 28, 2019 इस पोस्ट को सच मानते हुए कई यूजर्स ने भी फेसबुक पर शेयर किया.. 2.20 मिनट लंबा ये वीडियो विचलित करने वाला है. इसमें एक महिला को एक पुरुष ने पीछे से पकड़ा हुआ है और उसको यातना दी जा रही है. एक और पुरुष महिला को चाकू से धमका रहा है. कमरे में कुछ बुर्काधारी महिलाएं भी मौजूद हैं. पूरी बातचीत बांग्ला में हो रही है. वीडियो में एक जगह मुस्लिम पुरुष उस महिला से अरबी भाषा में कुछ दोहराने के लिए कह रहा है. फिर बंगाली में ये कहने के लिए उस पर दबाव डाला जाता है- 'मैंने हिन्दू से अब इस्लाम में धर्म परिवर्तन कर लिया है.' हमने पाया कि एक यूजर @haivri ने भी ट्विटर पर 25 जनवरी को ये पोस्ट शेयर किया था. कमेंट सेक्शन में कुछ ट्विटर यूजर्स ने संदेह भी जताया कि क्या ये वीडियो असल में धर्म परिवर्तन का है. एक ट्विटर यूजर @moinaksg ने अपने कमेंट में लिखा कि ये वीडियो झाड़-फूंक का लगता है. साथ ही दावा किया कि महिला मुस्लिम है और उस पर कथित तौर पर हिन्दू जिन्न ने हमला किया है. इस ट्विटर यूजर ने इस दावे के साथ एक यूट्यूब का लिंक भी दिया, जिसमें घटना का पूरा वीडियो देखा जा सकता है. हमने बांग्ला में कीवर्ड्स ‘हिन्दू जिन्न झाड़-फूंक’ के साथ सर्च किया और इससे जुड़े कई वीडियो पाए. बांग्लादेशी यूट्यूब चैनल EM Multimedia ने वीडियो के फुल वर्जन को 19 जनवरी 2019 को पोस्ट किया. साथ ही बांग्ला में ये कैप्शन दिया- 'ये झाड़-फूंक का बेहतरीन वीडियो है. देखिए कैसे एक हिन्दू जिन्न का इस्लाम में धर्मांतरण हुआ.' एक और यूट्यूब चैनल “RH Bangla TV” ने भी इस वीडियो को इस कैप्शन के साथ अपलोड किया- 'झाड़-फूंक के नाम पर ग्रामीण महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया जा रहा है.' वीडियो में महिलाओं को मुस्लिम पुरुष को ‘हुजूर’ कहते सुना जा सकता है. बांग्लादेश में स्थानीय भाषा में इसका अर्थ ओझा यानि झाड़-फूंक करने वाला होता है. वीडियो में ओझा को रेत की बाल्टी में एक चाकू डालते देखा जा सकता है और महिला दर्द से चिल्लाते हुए बांग्ला में कहती है- 'हुजूर! मैं इस जगह को हमेशा के लिए छोड़ दूंगा. यहां तक कि धरती को भी.' बांग्लादेश से हमारे स्थानीय संवाददाता शाहिदुल खोखन ने पुष्टि की कि इस तरह का पारम्परिक बांग्ला उच्चारण दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश के चिट्टागोंग डिवीजन में सुनने को मिलता है. हमने पाया कि झाड़-फूंक के ये अंधविश्वास वाले रिवाज, खास तौर पर कथित ‘जिन्न’ उतारने के नाम पर, इस्लाम समेत सभी धर्मों में उपमहाद्वीप में देखने को मिलते हैं. एक और इस्लामी देश पाकिस्तान में भी ‘हिन्दू जिन्न’ उतारने के नाम पर झाड़-फूंक के वीडियो (https://www.youtube.com/watch?v=HlGnSdMu370) पर देखे जा सकते हैं.
मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से मशहूर बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान अपने अंग दान करना चाहते हैं. आमिर खान की बीवी किरण रॉव की माने तो उनके पति अंग दान करने की इच्छा रखते हैं. किरण ने खुद भी अंग दान करने की पहल की है. किरण ने अंग दान शिविर में कहा, 'आमिर भी अंग दान करने के इच्छुक हैं.' किरण को लगता है कि उनकी फिल्म 'शिप ऑफ थीसस' का संदेश लोगों तक फैलने में कामयाब रहा है. मंगलवार को इस शिविर में उनके साथ फिल्म के निर्देशक आनंद गांधी भी मौजूद थे. उन्होंने कहा, 'अगर किसी ने फिल्म 'शिप ऑफ थीसस' देखी है, तो मुझे पूरा यकीन है कि वे अंग दान को एक खूबसूरत और तर्कपूर्ण पहल मानेंगे.' किरण अपने दोस्तों और बॉलीवुड हस्तियों को भी अंगदान के लिए प्रेरित कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'मैं जिससे भी मिलूंगी, अंगदान के विषय में जरूर बात करूंगी.'
का होहे, घूंघट को उठाइबे से? का देखने तु्म्हें? तुम ओरन को कुछ काम नहीं. जब देखो फोटोबाजी करबे को मंडरात राहत. उमा का गुस्सा इतना बढ़ गया था कि उसने आव देखा न ताव कलशा मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा ‘चलो पानी को एक कलशा तुम्हउ उठा लो.’ उमा का यह जवाब अप्रत्याशित था! शायद प्रत्याशित था! चूहडों से पानी भरती औरतों की फोटो खींचने और उनके बारे में लिखने के लिये आय दिन फोटोबाज और कलमबाज यहां आते रहते हैं. मैं भी कहां उमा के लिये कुछ करने गई थी, मैं भी तो फोटोबाजी और कलमबाजी ही करने गई थी. उमा को और रुकना अब गवारा न था. चिलचिलाती धूप में खाली कलशे और रंगबिरंगे डब्बे कमर से सटाये सरपट भागती उमा की फुर्ती किसी हिरनी से कम नहीं लग रही था. माहुर लगे पैरों में गिलट के पायल, पैरों की उंगलियों में बिछिया, हाथों में चूड़ियां और हाथभर का घूंघट. चुपचाप पीछे पीछे हम सब भी चल दिये. हम सब यानी मैं उमा की जेठानी कौशल्या, सास जमनी. करीब एक किलोमीटर तक हम सब यूं ही चुप थे. या यों कहें सूझ ही नहीं रहा था मुझे कि बात कहां से शुरू करें. चंद्रावल नदी के किनारे किनारे बने गड्ढों यानी चूहड़ों पर पहुंचे तो वहां औरतों का हुजूम था. जमनी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, यहीं से पानी भरते हैं हम सब. लगा किसी ने झकझोर कर किसी ख्याल से बाहर निकाल दिया हो. हां, ख्याल ही तो कर रही थी मैं, ख्याल घूंघट के भीतर के चेहरे का. ख्याल कि उमा का यह गुस्सा सूखे की पैदाइश है या कि अपनी किस्मत से उठी खीझ का नतीजा है. औरतों का गुस्सा यूं नहीं छलकता. विरोध की ताकत भी तो यूं नहीं आ जाती. क्या सूखे ने उमा को निडर कर दिया था? शायद निडर नहीं बेपरवाह कर दिया था... बेपरवाह कि भाड़ में जाओ सब. या कि गुस्सा कि हम बस खबर नहीं. हाड़-मांस के इंसान हैं. पानी भरती हो तो कोई एहसान नहीं करती। कौशल्या भी भरती है. मैं भी भरती हूं. रानी भी भरती है. गांव की सब औऱतें भरती हैं. जमनी तड़पकर बोली ‘तीस साल हो गए एसीयई पानी भरत भरत हमें, पै इतनी लंबी जबान कभहूं बाहर नहीं निकरी.’ उमा को चुप कराने की कोशिश के बीच जमनी का दुख भी फूट पड़ा था. तीस साल...यूं हीं चूहड़ों से पानी भरते भरते! गड्ढा खोदते खोदते! खारे मटमैले पानी को पीते-पीते! मगर उमा तो मानों आज किसी का दर्द बांटने के लिये तैयार ही नहीं थी, बस बगावत पर उतारू थी. अपनी सास जमनी के दर्द को नजरअंदाज करते हुए उमा बोली, ‘हां तो काहे नहीं हमाए बाप को सच्ची-सच्ची बता दई हती. तब तो लरका को ब्याहबे खातिर मरीं जाये रहीं हतीं. झूठी बोल दओ की लरका तो दिल्ली में राहत हे, सो बहू कुछ दिना इतैं रहबे के बाद दिल्ली चली जेहे.’ उमा के इस आरोप से जमनी तिलमिला उठी ‘हां, तो काहे नहीं पूछी तुम्हाए बाप ने. हमाए लरकन को का ब्याओ नहीं हो रहो हतो! खूब रिस्ता आ रहे हते. पर का करैं हमाई तो आंखन में माढ़ा चढ़ गओ हतो.’ कौशल्या ने उमा का हाथ दबाते हुए कहा, चल उमा चुप हो जा. जल्दी घर चल. उमा तो मानों आज चुप होने को तैयार ही नहीं थी, हां, हां, जल्दी तो जावे परहे न, घर जायके खसम की मार भी खावने है, न. अब खिसियाई जमनी ने कहा कोई नई बात नहीं है, खसम सबहीं के मारत हैं। हमें तो तीस साल होइगे मार खात-खात. मगर तु्म्हाईं जैसी जबान ....! अइसयई कतरनी जैसी जबान चलती तो कबका निकार दव होतो. उमा ने डरकर चुप होने की जगह उत्तर दिया हां तो निकार दो. रहबे कौन चाहत? इतईं सुखाड़ में. न खाएबो को रोटी औऱ न पीबे को पानी. अब जमनी ने अपना कलशा सिर पर रख लिया. मानों उसे कोई काम याद आ गया हो. बुदबुदाते हुए इतना जरूर कहा, पानी तो हमेशा से औरतें ही भरती आईं हैं. औरत बनके पैदा हुई तो पानी नहीं भरोगी तो क्या करोगी? उमा की जिठानी कौशल्या सबकुछ चुपचाप सुन रही थी. जैसे ही कौशल्या की तरफ मैं घूमी उसने उमा से सहानुभूति जताते हुए कहा साल भर शादी को नहीं हुए हैं. समझ नहीं है, इसलिए झल्ला जाती है. उमर भी तो बहुत हल्की है. सत्रहवीं में अभी लगने वाली है. मैंने कौशल्या से पूछा तुम्हारी शादी कब हुई थी. कौशल्या ने कहा चार-पांच साल हो गए.‘शुरू में खूब लड़े हते हम, सबसे. लेकिन अब तो सब सीख गए. बुंदेलखंड की औरतन की तो किस्मतई खराब है. पानी भरो और आदमियन की गारी सुनौ, मार खाओ.’ पै का करैं? किस्मत तो बदल नहीं सकत! उमा अब गुस्से में आ चुकी थी. तुम्हाई तो आदत पड़ गई है. मार खाइबे की. कल तो चुप रहे हते हम. लेकिन आज जो हाथ उठाओ तो..... आगे उमा कुछ नहीं बोली. जमनी का गुस्सा फूटा पड़ रहा था. बाप से तालाब खुदवा लो या पानी की गाड़ी मंगवा लो. समाजसेवी और बुंदेलखंड को बारीकी से जानने वाले आशीष भाई ने हल्के से मेरा कंधा छुआ. आगे चलें, अभी न जाने कितने किस्से आपको और मिलेंगे. यों तो बुंदेलखंड पूरा सूखा है, मगर महोबा का यह गांव न जाने कितने बरस से यूं ही सूखा है. गर्मियों में गड्ढे खोद-खोदकर पानी खोजते ये लोग लोकतंत्र का भूला हुआ हिस्सा हैं. चंद्रावल नदी के किनारे बसे इस गांव से आधा किलोमीटर पर मेन सड़क है. चिकनी, सरपट, डामर वाली. यहां से निकलो तो सीधे हमीरपुर पहुंचो, नान स्टाप. मेरे मन ने बगैर मुझसे पूछे बुदबुदाया. बिल्कुल वैसे ही नॉन स्टाप जैसे हर अधिकारी और नेता यहां बिना रुके निकल जाते हैं. शायद रुकते तो पता चलता कुछ वोट यहां भी उगते हैं! सूखे ने पूरे बुंदेलखंड को रसहीन कर दिया है. मैं टकटकी लगाये उस जमीन को देख रही थी जहां दरारे ही दरारें थीं. सूखे की दरारें. मानों धरती की छाती फट गई हो. न जाने कब दरार पड़ी धरती उमा के चेहरे में बदल गई. उमा का चेहरा जिसे मैंने देखा भी नहीं था. बस महसूस किया था, घूंघट के भीतर. आशीष भाई ने फिर बात शुरू की. पानी और औरत का रिस्ता तो बहुत पुराना है. जैसे बुंदेलखंड में पानी सूखा वैसे ही रिस्ते भी सूख गये. यहां एक कहावत है...गगरी न फूटै चाहें खसम मरि जाये. दूर बैठे लोग क्या जानें! सूखा क्या-क्या छीनता है? कौशल्या जो शांत लग रही थी, धीरे से बोल पड़ी. चूल्हे से चूहड़ तक सब औरतों की ही जिम्मेदारी है. और अचानक गंभीरता एक हल्की मुस्कान में बदल गई. बुंदेलखंडकी औरतें हड़ताल कर दें तो यहां के मर्द मर जाएं. लग रहा था उमा ने 48 डिग्री का ताप उगल रहे सूरज से शर्त लगाई है कि देखते हैं आज किसका ताप ज्यादा है? ज्यों ज्यों सूरज का पार चढ़ रहा था, उमा गुस्सा बढ़ रहा था. उमा ने कौशल्या को टोंकते हुए कहा, बस तुम तो चुपई रहो. तुम्हाये जैसीं औरतन की वजह से मरदन की चर्बी चढ़ गई है. तुम्हाएं ओरन के जुबान नइया. कौशल्या न गुस्साई न खीझी बस इतना कहा, चल घर चलें. उमा की नाराजगी अभी मुझसे कम नहीं हुई थी. काहे तुम्हायें घर में का मर्द नइया. जो फिर रहीं..फोटो खींचत! लेओ, चुल्लु में पानी भरकर दिखाते हुए कहा, इ फोटो भी अखबार में छाप छाप दियो. फिर अचानक से उसने कहा ‘ओर तुम्हें लिखबे है न, कहानी! तो जे पानी पी के देखो. बोतल को पानी पीके चलीं आईं लिखबे कहानी.’ उमा की चुनौती स्वीकारी थी मैंने. मगर, घूंटभर पानी भी गले के नीचे नहीं उतार पाई. लगा नमक का कीचड़ वाल घोल है. इस उगले हुए पानी के साथ बरबस निकल पड़ा एक सवाल. पीने के लिये भी यही पानी इस्तेमाल करते हैं आप लोग? जवाब कौशल्या ने दिया पीने, नहावे, गोरु सब काम को जेई पानी है.’ अब हर सवाल बेमानी सा लग रहा था. उमा का गुस्सा मेरे हर सवाल का जवाब था. फोटोबाजी और कलमबाजी यह शब्द बार बार सुनाई दे रहे थे. सच ही तो है, सूखे की इस त्रासदी से बुंदेलखंड की धरती का सीना फट गया था. लेकिन इस त्रासदी में भी एक्स्क्लूसिव हथियाने का मोह मैं छोड़ नहीं पाई थी. नहीं थो क्या अब कोई सवाल जरूरी था? क्या कुछ ऐसा बचा था, जिसे मैंने महसूस नहीं किया था? मगर जितने एंगल से बाइट होगी स्टोरी उतनी ही रोचक होगी! मैंने फिर पूछा रोजाना कितने चक्कर आप लोगों को लगाने पड़ते हैं? इसका जवाब तुरंत नहीं कुछ मिनटों बाद मिला.‘कुछ पता नहीं, कभहूं-कभहूं दस तो कभहूं और ज्यादा.’ मेरे दिमाग की गणित तेज हो गई. दस यानी रोजाना बीस किलोमीटर! हम निकल पड़े कुछ और किस्से खोजने. सूख चुकी कुछ और दास्ताने सुनने. आंखे जहां तक जा रहीं थीं वहां तक दरारें ही नजर आ रहीं थीं. दरारें सूखे तालाबों की, खेतों की, और दरारें घूंघट के पीछे छिपे चेहरों की. प्यास बहुत तेज लगी थी, बोतल निकाली तो लगा चूहडों का खारा और मटमैला पानी इस बोतल में भर गया है. आशीष भाई बता रहे थे, अब समझ में आया यहां पर यह कहावत क्यों फेमस है, गगरी न फूटै चाहें खसम मरि जाये. मैं अपना ध्यान हटाना चाहती थी, ड्राईवर से कहा, भाई कोई गाना लगा दो. औऱ गाना बजने लगा, राजा जी बाजा बाजी की न बाजी! (संध्या द्विवेदी इंडिया टुडे में विशेष संवाददाता हैं.) ***
यह लेख है: उत्तर प्रदेश में चंदौली जिले के मुगलसराय इलाके में बाल संरक्षण गृह में रही 14 वर्षीय एक लड़की से कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में संस्था के एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया है। यहां यह भी बता दें कि शनिवार को गुड़गांव के बाल संरक्षण गृह में पांच बच्चियों से बलात्कार का मामला प्रकाश में आया था तो कुछ दिन पूर्व इलाहाबाद में भी बाल संरक्षण गृह में चपरासी द्वारा तीन बच्चियों से रेप का मामला प्रकाश में आया था। चंदौली के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले साल 27 जून को एक लड़की को चंदौली स्थित बाल संरक्षण गृह में लाया गया था। बाद में उसे छह जुलाई को बलिया जिले के राजकीय बालिका निकेतन भेज दिया गया था। उन्होंने बताया कि बलिया में उस लड़की की चिकित्सीय जांच में उसके गर्भवती होने का पता लगा। जिला महिला अस्पताल की डाक्टरों ने भी उसके गर्भवती होने की पुष्टि की थी। इस सिलसिले में गत 17 सितम्बर को फेफना थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। टिप्पणियां सूत्रों के मुताबिक पुलिस की तफ्तीश में उजागर हुआ कि उस लड़की को मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर दो युवक बहला-फुसलाकर भगा ले गये थे। बाद में वह लड़की उनके चंगुल से भाग निकली थी, जिसके बाद राजकीय रेलवे पुलिस ने उसे मुगलसराय स्थित बाल संरक्षण गृह के सुपुर्द कर दिया था। उन्होंने बताया कि तफ्तीश के दौरान पाया गया कि बाल संरक्षण गृह के कर्मचारी टिल्कू राम ने उस लड़की से बलात्कार किया था जिसकी वजह से वह गर्भवती हुई थी। सूत्रों ने बताया कि टिल्कू राम को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि इस मामले में बाल संरक्षण गृह के अन्य कर्मचारियों की भी भूमिका होने का संदेह है। जांच की जा रही है। चंदौली के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले साल 27 जून को एक लड़की को चंदौली स्थित बाल संरक्षण गृह में लाया गया था। बाद में उसे छह जुलाई को बलिया जिले के राजकीय बालिका निकेतन भेज दिया गया था। उन्होंने बताया कि बलिया में उस लड़की की चिकित्सीय जांच में उसके गर्भवती होने का पता लगा। जिला महिला अस्पताल की डाक्टरों ने भी उसके गर्भवती होने की पुष्टि की थी। इस सिलसिले में गत 17 सितम्बर को फेफना थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। टिप्पणियां सूत्रों के मुताबिक पुलिस की तफ्तीश में उजागर हुआ कि उस लड़की को मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर दो युवक बहला-फुसलाकर भगा ले गये थे। बाद में वह लड़की उनके चंगुल से भाग निकली थी, जिसके बाद राजकीय रेलवे पुलिस ने उसे मुगलसराय स्थित बाल संरक्षण गृह के सुपुर्द कर दिया था। उन्होंने बताया कि तफ्तीश के दौरान पाया गया कि बाल संरक्षण गृह के कर्मचारी टिल्कू राम ने उस लड़की से बलात्कार किया था जिसकी वजह से वह गर्भवती हुई थी। सूत्रों ने बताया कि टिल्कू राम को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि इस मामले में बाल संरक्षण गृह के अन्य कर्मचारियों की भी भूमिका होने का संदेह है। जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि बलिया में उस लड़की की चिकित्सीय जांच में उसके गर्भवती होने का पता लगा। जिला महिला अस्पताल की डाक्टरों ने भी उसके गर्भवती होने की पुष्टि की थी। इस सिलसिले में गत 17 सितम्बर को फेफना थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। टिप्पणियां सूत्रों के मुताबिक पुलिस की तफ्तीश में उजागर हुआ कि उस लड़की को मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर दो युवक बहला-फुसलाकर भगा ले गये थे। बाद में वह लड़की उनके चंगुल से भाग निकली थी, जिसके बाद राजकीय रेलवे पुलिस ने उसे मुगलसराय स्थित बाल संरक्षण गृह के सुपुर्द कर दिया था। उन्होंने बताया कि तफ्तीश के दौरान पाया गया कि बाल संरक्षण गृह के कर्मचारी टिल्कू राम ने उस लड़की से बलात्कार किया था जिसकी वजह से वह गर्भवती हुई थी। सूत्रों ने बताया कि टिल्कू राम को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि इस मामले में बाल संरक्षण गृह के अन्य कर्मचारियों की भी भूमिका होने का संदेह है। जांच की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस की तफ्तीश में उजागर हुआ कि उस लड़की को मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर दो युवक बहला-फुसलाकर भगा ले गये थे। बाद में वह लड़की उनके चंगुल से भाग निकली थी, जिसके बाद राजकीय रेलवे पुलिस ने उसे मुगलसराय स्थित बाल संरक्षण गृह के सुपुर्द कर दिया था। उन्होंने बताया कि तफ्तीश के दौरान पाया गया कि बाल संरक्षण गृह के कर्मचारी टिल्कू राम ने उस लड़की से बलात्कार किया था जिसकी वजह से वह गर्भवती हुई थी। सूत्रों ने बताया कि टिल्कू राम को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि इस मामले में बाल संरक्षण गृह के अन्य कर्मचारियों की भी भूमिका होने का संदेह है। जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि तफ्तीश के दौरान पाया गया कि बाल संरक्षण गृह के कर्मचारी टिल्कू राम ने उस लड़की से बलात्कार किया था जिसकी वजह से वह गर्भवती हुई थी। सूत्रों ने बताया कि टिल्कू राम को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि इस मामले में बाल संरक्षण गृह के अन्य कर्मचारियों की भी भूमिका होने का संदेह है। जांच की जा रही है।
जन कृष्णमूर्ति (२४ मई १९२८ - २५ सितंबर २००७) एक भारतीय राजनीतिक नेता थे जो २००१ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष बने। वे अप्रैल २००२ में वे राज्यसभा के सदस्य बने और २००२-२००३ तक केंद्रीय कानून मंत्री भी रहे। जीवन कृष्णमूर्ति का जन्म २४ मई १९२८ को तमिलनाडु राज्य के मदुरई में हुआ। उनके पिता और माता का नाम कृष्णास्वामी और सुब्बलक्ष्मी था। २६ अगस्त १९६४ को उनका विवाह भाग्यलक्ष्मी से हुआ। उन्हे दो बेटे और तीन बेटीयां थी। उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी। सन्दर्भ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भारत के क़ानून एवं न्याय मंत्री 1928 में जन्मे लोग २००७ में निधन
स्वराज एक भारतीय ऐतिहासिक टीवी धारावाहिक है जो १४ अगस्त २०२२ से हर रविवार डीडी नेशनल पर प्रसारित होता है। इस धारावाहिक से दूरदर्शन ने ५५० से भी अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साहस की गाथाओं को एक बार फ‍िर से जीवंत करने का प्रयास किया है। यह भारत सरकार की एक परियोजना और कॉन्टिलो पिक्चर्स द्वारा निर्माण की गई है।धारावाहिक में मनोज जोशी कथाकार के रूप में मुख्य भूमिका निभा रहे है। विवरण 1498 में वास्को-डी-गामा के भारत आने से शुरू होकर ये सीरियल इस धरती के वीर-वीरांगनाओं की समृद्ध गाथा प्रस्तुत करेगा। कलाकार सूत्रधार/कथाकार मनोज जोशी मुख्य किरदार अतुल वर्मा - मगतचन जेसन शाह - वास्को द गामा गजेंद्र चौहान -मानविक्रम विनोद कपूर - आलिया रामा राय बरखा बिष्ट - उल्लाल रानी अब्बक्का श्रुति बिष्ट - रानी अब्बक्का की बेटी अर्पित रांका- शिवप्पा नायक कृष चौहान - शिवाजी महाराज (युवा) सौरव गोखले - शिवाजी महाराज मीर अली - पेशवा बाजीराव गजेंद्र चौहान - समुद्रीपाड अर्षिता भट्ट - रानी लक्ष्मी बाई गणेश वेंकटराम - वेलु थंबी कृप सूरी - मर्थंडा वर्मा अमित पचोरी - पुली थेवर रुद्र सोनी - वजीर अली विनीत कक्कड़ - यू तिरोट सिंह बेनजीर शेख - अजीजन बाई चैतन्य चौधरी - कनोजी अंगरे सुहासी धामी – रानी वेलु नचियार हिमांशु मल्होत्रा- वीरापांड्या कट्टाबोम्मन अंकुर नय्यर- केरल वर्मा मेघा चक्रवर्ती - देवी चौदरानी तबरेज़ खान - भवानी पाठक रणजीत खन्ना – जयी राजगुरु नवनीत मालिक – बक्सि जगबन्धु मुकुल हरीश - तिलका माझी विनीत कक्कड़ - यू तिरोट सिंह अक्षय सेठी- सिद्धू मुर्मू अमित डोलावत-कान्हू मुर्मू जेसन थाम - नरेंद्रजीत कुशल गुरुंग - विभूवनजीत हरीश अग्रवाल - महाराज चंद्रकीर्ति जतिन भाटिया - राज बली खान जसबीर रावत - लीलंबर करन सूचक - मंगल पांडे राम यशवर्धन – बख़्त खान ऋषिराज पवार - उदमी राम उर्वशी परदेशी - रत्नी देवी; उदमी राम की पत्नी ऋशिता भट -रानी लक्ष्मी बाई नवी भंगू - तात्या टोपे कृष्ण सिंह बिष्ट - टिकेंद्रजीत सिंह आशीष दीक्षित - बिरसा मुंडा पुनीत तेजवानी - अजित सिंह संधू असित रेडिज - अजित सिंह फरनाज़ शेट्टी - अवंतीबाई कपिल आर्य - वासुदेव बलवंत फड़के शार्दुल पंडित - धमोधर हरि चापेकर सागर वाही - बालकृष्ण हरि चापेकर नमित शाह - वासुदेव हरि चापेकर तेरिया मगर - युवा रानी गाइदिन्ल्यू (16 वर्ष) पार्शवी गड़िया - बाल रानी गाइदिन्ल्यू (13 वर्ष) हिमांशु कार्की - जादोनांग के रूप में सरेह फर्र सिस्टर निवेदिता के रूप में भूपेन्द्र दत्ता के रूप में रिब्बू मेहरा बारिन घोष के रूप में अंकित बाथला गौरव के बजाज श्याम जी कृष्ण वर्मा के रूप में विनायक दामोदर सावरकर के रूप में गौरव शर्मा भीकाजी कामा के रूप में श्वेता मुंशी मदनलाल डिंगरा के रूप में राहुल शर्मा कनाईलाल दत्ता के रूप में उजिर बसर सतेंद्रनाथ बोस के रूप में पुनीत राज वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय के रूप में अजय चौधरी रासबिहारी बोस के रूप में रणधीर राय अब्दुल गफ्फार खान के रूप में संदीप चटर्जी युवा अब्दुल गफ्फार खान के रूप में अमन गंडोत्रा राघव तिवारी - बैकुण्ठ शुक्ल मनन जोशी - राजा महेन्द्र प्रताप सिंह रोहित चौधरी - मास्टर दा सूर्य सेन सुकीर्ति कांडपाल - प्रीतिलता वाद्देदार श्रेष्ठ कुमार - अल्लूरी सीताराम राजू प्रीति गंधवानी - उषा कीर्तिदा मिस्त्री - पुष्पलता दास नायशा खन्ना - कनकलता बरुआ शगुन पांडे - महावीर सिंह अश्वत कांत शर्मा - भगत सिंह मनीष नागदेव - चन्द्र शेखर आज़ाद वरुण जैन - सुखदेव थापर गौरव अमलानी - शिवराम राजगुरु अन्य किरदार राजीव भारद्वाज -मुफ्ती दीपक टकुर -मैसेंजर सौरव शर्मा -कृष्णदेवराया सौरव ठाकुर - हरी हरा राया विवेक शर्मा - बुक्का राय जामिन लालवानी - दयाराम सिंह ईशान सिंह मन्हास - नाना साहब पेशवा अंकुर नैयर पजहस्सी - राजा अमित पचौरी - पुली थेवर जावेद पठान - वज़ीर अनुराग व्यास - मालिक कपूर अंकुर पांचाल - अल्लावुद्दीन खिलजी विक्रांत कृष्णा -दलपतराया जावेद शेख - निज़ाम शाह चैत्रा शेट्टी - रानी चेन्नाभैरवी चंदन अरोरा - वीरभद्र शक्ति सिंह - वेंकटप्पा राजपूतना ऐश्वर्या - केलादी चेन्नाम्मा दीपाली कामथ - जीजा बाई सतीश जादव - तानाजी कृष्णा चौदरी - मल्हार राव होलकर राकेश कुकरेती – राजा उदय तेवर शालिनी विष्णुदेव – एडाचेना कुंकन भव्या चौहान - राजा मुकुंद देव मनीष त्यागी - युवा राजा मुकुंद देव अखिल ओझा - पिंडिकी बाहुबलेंद्र आनंद नीलकंठन - एट्टप्पा नायकर कमल अदीव - मल्ला मोहम्मद संजय गुरबक्शानी - शेफ अली मनोज जायसवाल - डेविड गणेश वेंकटरमन - वेलु थांबी कुशल सुरेश - पवार भैरव श्रीकांत कामत - EIC अधिकारी गिरीश सोनी -भागी सेठ सिद्धार्थसिंह जडेजा - ब्रिटिश अधिकारी विनीत कक्कड़ - यू तिरोट साहिल सागर - जासूस मोमिन जैदी - ब्रिटिश अधिकारी पंकज अवधेश शुक्ला - लखन दुबे आलोक नरूला - बिंदी तिवारी ईशान मनहम - नाना साहेब कृष्णा शेट्टी - तात्या टोपे प्रणव मिश्रा - अज़ीमुल्ला खान के रूप में भाव्या मिश्रा - युवा अज़ीमुल्ला खान शुभम गोस्वामी - मोहम्मद अली खान के रूप में राम अवाना - सीता राम हरीश अग्रवाल - महाराज चंद्रकीर्ति दिग्विजय पुरोहित - किशन रोहित सिंह राजपूत - सुभाष चंद्र बोस जीत भट्टाचार्य - भगत सिंह जसवीन कौर - हरनाम कौर आनंद गोराडिया - लाला हर दयाल लक्ष्य हांडा - राजा विक्रमादित्य सिंह विकास सालगोत्रा - उमराव सिंह विपुल देशपांडे - दौलतराव नाइक आलोक भारद्वाज - स्वामी विवेकानंद सरेह फार - सिस्टर निवेदिता रजत सिंह - महादेव विनायक रानाडे अजय मेहरा - नेहरू भवनेश्वरी देवी के रूप में शिवानी सक्सेना आलोक भारद्वाज स्वामी विवेकानन्द के रूप में अरबिन्दो घोष के रूप में अनिरुद्ध रॉय जेसी बोस के रूप में संजीव शर्मा नूपुर अवस्थि - शारदा देवी लोकमान्य तिलक के रूप में विशाल जादव/मयूर भावसार लाला लाजपत रे के रूप में अखिल ओझा हेमा चंद्र दास के रूप में राजदीप बेनवाला जय महादिक खुदीराम बोस के रूप में प्रफुल्ल चाकी के रूप में प्रतीक साल्वी लक्ष्य वाही नरेन गोस्वामी के रूप में *मनोज जयसवाल एफसी डेल के रूप में तारिक ज़मील शिवतारा दादाबाई नवरोजी के रूप में रूस्तमजी कामा के रूप में योगेश कुमार इक़बाल आज़ाद सुभाष चंद्र बोस के रूप में विष्णु गणेश पिंगले के रूप में कृष्णा तिवारी महात्मा गांधी के रूप में प्रमोद घोष मुहम्मद अली जिन्ना के रूप में सचिन अशर चंद्रमा सिंह के रूप में विज़िन शर्मा यह भी देखें डीडी नेशनल द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों की सूची संदर्भ भारतीय ऐतिहासिक टेलीविजन श्रृंखला डीडी नेशनल मूल कार्यक्रम भारतीय टीवी कार्यक्रम
कसौटी जिंदगी की 2 के फैंस के लिए बुरी खबर हैं. ऐसी खबरें हैं कि हिना खान के बाद एरिका फर्नांडिस भी शो को बाय कहने वाली हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, कसौटी जिंदगी की 2 में बड़ा ट्विस्ट आने वाला है. शो के मेकर्स फीमेल लीड प्रेरणा का ट्रैक कुछ दिनों में खत्म करने की प्लानिंग कर रहे हैं. मुंबई मिरर ने सोर्स के हवाले से लिखा- ये निर्णय बहुत अचनाक से लिया गया है. अभी राइटर प्रेरणा की एग्जिट को कैसे जस्टिफाई किया जाए ये सोचने में लगे हैं. फिलहाल उन्हें अभी पता नहीं चल पाया है कि एरिका को बदला जाएगा या नहीं. जब एरिका से वेब पोर्टल द्वारा इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बारे में कुछ कहने से मना कर दिया. वहीं शो के मेकर्स की तरफ से भी इसे लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. एरिका खुद शो छोड़कर जा रही हैं, या कोई और वजह है इस बात का भी खुलासा नहीं हो पाया है. तो एरिका हमेशा के लिए शो छोड़ देंगी या फिर स्ट्रॉन्ग ब्रेक के बाद वापस आएंगी देखना दिलचस्प होगा. बता दें कि शो में कोमोलिका का किरदार निभा रही हिना खान ने भी शो से ब्रेक ले लिया है. हाल ही में वो कान्स फिल्म फेस्टिवल 2019 में रेड कारपेट पर चलीं. शो में चल रहे प्लॉट की बात करें तो बता दें कि शो में जल्द ही कोमोलिका राज खुलने वाला है. अनुराग के पापा मोलॉय भी हॉस्पिटल से घर पर आ गए हैं. शो को इन दिनों अच्छी टीआरपी मिल रही है. शो चार्टबीट पर टॉप पे बना हुआ है.
साल (Sal) अटलांटिक महासागर में स्थित केप वर्दे द्वीपसमूह के उत्तरी बारलावेन्तो (Barlavento) उपसमूह में स्थित एक द्वीप है। इसका नाम पुर्तगाली भाषा के 'साल' शब्द से आया है जिसका अर्थ नमक है। साल द्वीप के पूर्वी तट के समीप पेदरा दे लूमे (Pedra de Lume) कई सौ वर्षों से एक नमक की खान चल रही है जिसपर द्वीप का नाम पड़ा है। साल द्वीप के मध्य में अमिलकार काबराल अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र (Amílcar Cabral International Airport) है जो केप वर्दे का मुख्य हवाई अड्डा है। चित्रदीर्घा इन्हें भी देखें केप वर्दे सन्दर्भ केप वर्दे के द्वीप
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: पाकिस्तान समेत तीन पड़ोसी देशों में रहने वाले हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए पंजीयन शुल्क में भारी कमी करते हुए इसे 15,000 रुपये से घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से ताल्लुक रखने वाले और भारत में लंबी अवधि के वीजा पर रहने वाले हिन्दू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों पर यह नया नियम लागू होगा.टिप्पणियां हालांकि इन तीन देशों के अलावा किसी और देश के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत में पंजीयन के लिए 10,000 रुपये देना होगा और अगर किसी दूसरे स्थान से वह पंजीयन कराते हैं तो उन्हें 15,000 रुपये देना होगा. नागरिकता नियम 2009 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन के जरिये ये परिवर्तन किये गये हैं. नये नियमों के अनुसार पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य कलेक्टर, उपायुक्त या जिला मजिस्ट्रेट की गैर-मौजूदगी में उप प्रभागीय मजिस्ट्रेट के समक्ष भी भारतीय नागरिक के रूप में सत्य निष्ठा की शपथ ले सकेंगे. गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से ताल्लुक रखने वाले और भारत में लंबी अवधि के वीजा पर रहने वाले हिन्दू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों पर यह नया नियम लागू होगा.टिप्पणियां हालांकि इन तीन देशों के अलावा किसी और देश के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत में पंजीयन के लिए 10,000 रुपये देना होगा और अगर किसी दूसरे स्थान से वह पंजीयन कराते हैं तो उन्हें 15,000 रुपये देना होगा. नागरिकता नियम 2009 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन के जरिये ये परिवर्तन किये गये हैं. नये नियमों के अनुसार पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य कलेक्टर, उपायुक्त या जिला मजिस्ट्रेट की गैर-मौजूदगी में उप प्रभागीय मजिस्ट्रेट के समक्ष भी भारतीय नागरिक के रूप में सत्य निष्ठा की शपथ ले सकेंगे. हालांकि इन तीन देशों के अलावा किसी और देश के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत में पंजीयन के लिए 10,000 रुपये देना होगा और अगर किसी दूसरे स्थान से वह पंजीयन कराते हैं तो उन्हें 15,000 रुपये देना होगा. नागरिकता नियम 2009 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन के जरिये ये परिवर्तन किये गये हैं. नये नियमों के अनुसार पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य कलेक्टर, उपायुक्त या जिला मजिस्ट्रेट की गैर-मौजूदगी में उप प्रभागीय मजिस्ट्रेट के समक्ष भी भारतीय नागरिक के रूप में सत्य निष्ठा की शपथ ले सकेंगे. नागरिकता नियम 2009 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन के जरिये ये परिवर्तन किये गये हैं. नये नियमों के अनुसार पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य कलेक्टर, उपायुक्त या जिला मजिस्ट्रेट की गैर-मौजूदगी में उप प्रभागीय मजिस्ट्रेट के समक्ष भी भारतीय नागरिक के रूप में सत्य निष्ठा की शपथ ले सकेंगे.
तेल का दाम बढ़ गया, इसका मतलब यह नहीं कि पंजाब के मुख्यमंत्री अपनी कंपनी की बस को पुलिस की सुरक्षा नहीं देंगे। उनकी कंपनी की बस से जब एक महिला और बच्ची को फेंका गया तो प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। ज़ाहिर है राजनीतिक प्रतिक्रिया भी होगी। लेकिन जब आप उनकी कंपनी की बस को आगे-पीछे पुलिस सुरक्षा में चलते हुए देख रहे हैं तो क्या वाकई आप इस बात की चिन्ता कर रहे हैं कि पेट्रोल और डीज़ल के दाम फिर से तीन रुपये और चार रुपये प्रति लीटर बढ़ने लगे हैं। क्या पंजाब सरकार के लिए पेट्रोल महंगा नहीं हुआ है कि एक प्राइवेट कंपनी की गाड़ी को पुलिस की दो-दो गाड़ियां एस्कोर्ट कर रही हैं। क्या किसी भी प्राइवेट कंपनी की बस को राज्य सरकार ऐसी सुरक्षा देती है या बादल परिवार की कंपनी की बस को ऐसी सुरक्षा दी जाएगी? क्या इतनी सुरक्षा उस मां को दी जाएगी जो अस्पताल में संघर्ष कर रही है और उसकी एक बेटी की जान जा चुकी है? मर्सिडिज की बसें हैं तो क्या एक बस पर दो दो पुलिस की गाड़ी? ये आप तय कीजिए कि ये स्मार्टनेस है या नहीं। आगरा के फतेहपुर सिकरी की इस घटना से आपको खुद के स्मार्ट होने पर शर्म आएगी। कसूर किसी का नहीं मगर उस हालात का है जिसे हम स्मार्ट नीतियों से बदलने का दावा करते हैं। 6 से 12 साल के चार बच्चे थाने पहुंचे और कहा कि हमारा कोई नहीं है। इनके मां बाप ने खेती के कर्जे से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी। मौसी अपने साथ ले गई लेकिन वो परिवार भी मौसम की मार से बर्बाद हो गया और इन बच्चों को चले जाने के लिए कह दिया। ये बच्चे चार दिनों से भूखे थे। ऐसे भारत में सौ स्मार्ट सिटी का सपना क्या इन बच्चों जैसों की हालत बदल देगा? केंद्रीय शहरी मंत्रालय की वेबसाइट moud.gov.in पर स्मार्ट सिटी के बारे में कंसेप्ट नोट मिला। वैसे हिन्दी और संस्कृत में मंत्री पद या सांसद की सदस्यता की शपथ लेना आसान है लेकिन जब आप स्मार्ट सिटी पर कंसेप्ट नोट लिखने चलेंगे तो पहले अंग्रेज़ी में ही मिलेगा। अंग्रेजी में ही मिला। नंवबर 2014 में अपलोड किए गए कंस्पेट नोट में कुछ बातों को कई बार घुमाफिराकर कहा गया है, जिसे हम कॉलेज में पन्ना भरना कहते हैं। जैसे 2050 तक शहरी आबादी दुगनी हो जाएगी। अभी भारत में शहरी आबादी 31 प्रतिशत ही है लेकिन जीडीपी में उसका योगदान 60 प्रतिशत है। मगर इसे 'एतना एतना' साल के बाद बढ़ाकर 75 प्रतिशत होना है। इसलिए शहरों को स्मार्ट बनाने की ज़रूरत है। शहर आर्थिक विकास के ईंजन हैं। इसमें बताया गया है कि स्मार्ट सिटी में बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, पानी सफाई की बेहतर सेवाएं होंगी, पारदर्शी प्रक्रिया होगी, निवेश आएगा और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए मंज़ूरी की प्रकिया आसान की जाएगी ताकि आसान हो सके। सूचना टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से स्मार्ट सिटी की कुशलता को बढ़ाया जाएगा। रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। गूगल करेंगे तो ठीक इसी भाषा में कई एजेंसियों के लेख स्मार्ट सिटी की वकालत करते मिल जाएंगे। कांसेप्ट पेपर में एक प्रश्न है स्मार्ट सिटी क्या है। इसका जवाब सुनिये, शहर में अलग-अलग लोगों के लिए स्मार्टनेस का मतलब अलग होता है। यह स्मार्ट डिज़ाइन हो सकता है, स्मार्ट हाउसिंग हो सकती है, स्मार्ट मोबिलिटी हो सकती है, स्मार्ट टेक्नोलॉजी इत्यादि हो सकती है। स्मार्ट सिटी की परिभाषा देना मुश्किल है। अगर परिभाषा मुश्किल है तो क्या यह बताया जा सकता है कि डिज़ाइन और स्मार्ट डिज़ाइन में क्या अंतर है। स्मार्ट सिटी की खूबियों को टेक्नोलॉजी से बताया जा सकता है। सरकार इसे रोज़गार, आर्थिक विकास और बेहतर जीवन के मॉडल के रूप में पेश कर रही है। 44 पेज के कंसेप्ट नोट में एक पैरा ये मिला कि यह भी ज़रूरी है कि शहर समावेशी हों और ऐसे ढांचे बनें जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक, औरतों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। लेकिन जब आप उनकी कंपनी की बस को आगे-पीछे पुलिस सुरक्षा में चलते हुए देख रहे हैं तो क्या वाकई आप इस बात की चिन्ता कर रहे हैं कि पेट्रोल और डीज़ल के दाम फिर से तीन रुपये और चार रुपये प्रति लीटर बढ़ने लगे हैं। क्या पंजाब सरकार के लिए पेट्रोल महंगा नहीं हुआ है कि एक प्राइवेट कंपनी की गाड़ी को पुलिस की दो-दो गाड़ियां एस्कोर्ट कर रही हैं। क्या किसी भी प्राइवेट कंपनी की बस को राज्य सरकार ऐसी सुरक्षा देती है या बादल परिवार की कंपनी की बस को ऐसी सुरक्षा दी जाएगी? क्या इतनी सुरक्षा उस मां को दी जाएगी जो अस्पताल में संघर्ष कर रही है और उसकी एक बेटी की जान जा चुकी है? मर्सिडिज की बसें हैं तो क्या एक बस पर दो दो पुलिस की गाड़ी? ये आप तय कीजिए कि ये स्मार्टनेस है या नहीं। आगरा के फतेहपुर सिकरी की इस घटना से आपको खुद के स्मार्ट होने पर शर्म आएगी। कसूर किसी का नहीं मगर उस हालात का है जिसे हम स्मार्ट नीतियों से बदलने का दावा करते हैं। 6 से 12 साल के चार बच्चे थाने पहुंचे और कहा कि हमारा कोई नहीं है। इनके मां बाप ने खेती के कर्जे से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी। मौसी अपने साथ ले गई लेकिन वो परिवार भी मौसम की मार से बर्बाद हो गया और इन बच्चों को चले जाने के लिए कह दिया। ये बच्चे चार दिनों से भूखे थे। ऐसे भारत में सौ स्मार्ट सिटी का सपना क्या इन बच्चों जैसों की हालत बदल देगा? केंद्रीय शहरी मंत्रालय की वेबसाइट moud.gov.in पर स्मार्ट सिटी के बारे में कंसेप्ट नोट मिला। वैसे हिन्दी और संस्कृत में मंत्री पद या सांसद की सदस्यता की शपथ लेना आसान है लेकिन जब आप स्मार्ट सिटी पर कंसेप्ट नोट लिखने चलेंगे तो पहले अंग्रेज़ी में ही मिलेगा। अंग्रेजी में ही मिला। नंवबर 2014 में अपलोड किए गए कंस्पेट नोट में कुछ बातों को कई बार घुमाफिराकर कहा गया है, जिसे हम कॉलेज में पन्ना भरना कहते हैं। जैसे 2050 तक शहरी आबादी दुगनी हो जाएगी। अभी भारत में शहरी आबादी 31 प्रतिशत ही है लेकिन जीडीपी में उसका योगदान 60 प्रतिशत है। मगर इसे 'एतना एतना' साल के बाद बढ़ाकर 75 प्रतिशत होना है। इसलिए शहरों को स्मार्ट बनाने की ज़रूरत है। शहर आर्थिक विकास के ईंजन हैं। इसमें बताया गया है कि स्मार्ट सिटी में बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, पानी सफाई की बेहतर सेवाएं होंगी, पारदर्शी प्रक्रिया होगी, निवेश आएगा और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए मंज़ूरी की प्रकिया आसान की जाएगी ताकि आसान हो सके। सूचना टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से स्मार्ट सिटी की कुशलता को बढ़ाया जाएगा। रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। गूगल करेंगे तो ठीक इसी भाषा में कई एजेंसियों के लेख स्मार्ट सिटी की वकालत करते मिल जाएंगे। कांसेप्ट पेपर में एक प्रश्न है स्मार्ट सिटी क्या है। इसका जवाब सुनिये, शहर में अलग-अलग लोगों के लिए स्मार्टनेस का मतलब अलग होता है। यह स्मार्ट डिज़ाइन हो सकता है, स्मार्ट हाउसिंग हो सकती है, स्मार्ट मोबिलिटी हो सकती है, स्मार्ट टेक्नोलॉजी इत्यादि हो सकती है। स्मार्ट सिटी की परिभाषा देना मुश्किल है। अगर परिभाषा मुश्किल है तो क्या यह बताया जा सकता है कि डिज़ाइन और स्मार्ट डिज़ाइन में क्या अंतर है। स्मार्ट सिटी की खूबियों को टेक्नोलॉजी से बताया जा सकता है। सरकार इसे रोज़गार, आर्थिक विकास और बेहतर जीवन के मॉडल के रूप में पेश कर रही है। 44 पेज के कंसेप्ट नोट में एक पैरा ये मिला कि यह भी ज़रूरी है कि शहर समावेशी हों और ऐसे ढांचे बनें जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक, औरतों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। क्या किसी भी प्राइवेट कंपनी की बस को राज्य सरकार ऐसी सुरक्षा देती है या बादल परिवार की कंपनी की बस को ऐसी सुरक्षा दी जाएगी? क्या इतनी सुरक्षा उस मां को दी जाएगी जो अस्पताल में संघर्ष कर रही है और उसकी एक बेटी की जान जा चुकी है? मर्सिडिज की बसें हैं तो क्या एक बस पर दो दो पुलिस की गाड़ी? ये आप तय कीजिए कि ये स्मार्टनेस है या नहीं। आगरा के फतेहपुर सिकरी की इस घटना से आपको खुद के स्मार्ट होने पर शर्म आएगी। कसूर किसी का नहीं मगर उस हालात का है जिसे हम स्मार्ट नीतियों से बदलने का दावा करते हैं। 6 से 12 साल के चार बच्चे थाने पहुंचे और कहा कि हमारा कोई नहीं है। इनके मां बाप ने खेती के कर्जे से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी। मौसी अपने साथ ले गई लेकिन वो परिवार भी मौसम की मार से बर्बाद हो गया और इन बच्चों को चले जाने के लिए कह दिया। ये बच्चे चार दिनों से भूखे थे। ऐसे भारत में सौ स्मार्ट सिटी का सपना क्या इन बच्चों जैसों की हालत बदल देगा? केंद्रीय शहरी मंत्रालय की वेबसाइट moud.gov.in पर स्मार्ट सिटी के बारे में कंसेप्ट नोट मिला। वैसे हिन्दी और संस्कृत में मंत्री पद या सांसद की सदस्यता की शपथ लेना आसान है लेकिन जब आप स्मार्ट सिटी पर कंसेप्ट नोट लिखने चलेंगे तो पहले अंग्रेज़ी में ही मिलेगा। अंग्रेजी में ही मिला। नंवबर 2014 में अपलोड किए गए कंस्पेट नोट में कुछ बातों को कई बार घुमाफिराकर कहा गया है, जिसे हम कॉलेज में पन्ना भरना कहते हैं। जैसे 2050 तक शहरी आबादी दुगनी हो जाएगी। अभी भारत में शहरी आबादी 31 प्रतिशत ही है लेकिन जीडीपी में उसका योगदान 60 प्रतिशत है। मगर इसे 'एतना एतना' साल के बाद बढ़ाकर 75 प्रतिशत होना है। इसलिए शहरों को स्मार्ट बनाने की ज़रूरत है। शहर आर्थिक विकास के ईंजन हैं। इसमें बताया गया है कि स्मार्ट सिटी में बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, पानी सफाई की बेहतर सेवाएं होंगी, पारदर्शी प्रक्रिया होगी, निवेश आएगा और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए मंज़ूरी की प्रकिया आसान की जाएगी ताकि आसान हो सके। सूचना टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से स्मार्ट सिटी की कुशलता को बढ़ाया जाएगा। रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। गूगल करेंगे तो ठीक इसी भाषा में कई एजेंसियों के लेख स्मार्ट सिटी की वकालत करते मिल जाएंगे। कांसेप्ट पेपर में एक प्रश्न है स्मार्ट सिटी क्या है। इसका जवाब सुनिये, शहर में अलग-अलग लोगों के लिए स्मार्टनेस का मतलब अलग होता है। यह स्मार्ट डिज़ाइन हो सकता है, स्मार्ट हाउसिंग हो सकती है, स्मार्ट मोबिलिटी हो सकती है, स्मार्ट टेक्नोलॉजी इत्यादि हो सकती है। स्मार्ट सिटी की परिभाषा देना मुश्किल है। अगर परिभाषा मुश्किल है तो क्या यह बताया जा सकता है कि डिज़ाइन और स्मार्ट डिज़ाइन में क्या अंतर है। स्मार्ट सिटी की खूबियों को टेक्नोलॉजी से बताया जा सकता है। सरकार इसे रोज़गार, आर्थिक विकास और बेहतर जीवन के मॉडल के रूप में पेश कर रही है। 44 पेज के कंसेप्ट नोट में एक पैरा ये मिला कि यह भी ज़रूरी है कि शहर समावेशी हों और ऐसे ढांचे बनें जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक, औरतों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। आगरा के फतेहपुर सिकरी की इस घटना से आपको खुद के स्मार्ट होने पर शर्म आएगी। कसूर किसी का नहीं मगर उस हालात का है जिसे हम स्मार्ट नीतियों से बदलने का दावा करते हैं। 6 से 12 साल के चार बच्चे थाने पहुंचे और कहा कि हमारा कोई नहीं है। इनके मां बाप ने खेती के कर्जे से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी। मौसी अपने साथ ले गई लेकिन वो परिवार भी मौसम की मार से बर्बाद हो गया और इन बच्चों को चले जाने के लिए कह दिया। ये बच्चे चार दिनों से भूखे थे। ऐसे भारत में सौ स्मार्ट सिटी का सपना क्या इन बच्चों जैसों की हालत बदल देगा? केंद्रीय शहरी मंत्रालय की वेबसाइट moud.gov.in पर स्मार्ट सिटी के बारे में कंसेप्ट नोट मिला। वैसे हिन्दी और संस्कृत में मंत्री पद या सांसद की सदस्यता की शपथ लेना आसान है लेकिन जब आप स्मार्ट सिटी पर कंसेप्ट नोट लिखने चलेंगे तो पहले अंग्रेज़ी में ही मिलेगा। अंग्रेजी में ही मिला। नंवबर 2014 में अपलोड किए गए कंस्पेट नोट में कुछ बातों को कई बार घुमाफिराकर कहा गया है, जिसे हम कॉलेज में पन्ना भरना कहते हैं। जैसे 2050 तक शहरी आबादी दुगनी हो जाएगी। अभी भारत में शहरी आबादी 31 प्रतिशत ही है लेकिन जीडीपी में उसका योगदान 60 प्रतिशत है। मगर इसे 'एतना एतना' साल के बाद बढ़ाकर 75 प्रतिशत होना है। इसलिए शहरों को स्मार्ट बनाने की ज़रूरत है। शहर आर्थिक विकास के ईंजन हैं। इसमें बताया गया है कि स्मार्ट सिटी में बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, पानी सफाई की बेहतर सेवाएं होंगी, पारदर्शी प्रक्रिया होगी, निवेश आएगा और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए मंज़ूरी की प्रकिया आसान की जाएगी ताकि आसान हो सके। सूचना टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से स्मार्ट सिटी की कुशलता को बढ़ाया जाएगा। रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। गूगल करेंगे तो ठीक इसी भाषा में कई एजेंसियों के लेख स्मार्ट सिटी की वकालत करते मिल जाएंगे। कांसेप्ट पेपर में एक प्रश्न है स्मार्ट सिटी क्या है। इसका जवाब सुनिये, शहर में अलग-अलग लोगों के लिए स्मार्टनेस का मतलब अलग होता है। यह स्मार्ट डिज़ाइन हो सकता है, स्मार्ट हाउसिंग हो सकती है, स्मार्ट मोबिलिटी हो सकती है, स्मार्ट टेक्नोलॉजी इत्यादि हो सकती है। स्मार्ट सिटी की परिभाषा देना मुश्किल है। अगर परिभाषा मुश्किल है तो क्या यह बताया जा सकता है कि डिज़ाइन और स्मार्ट डिज़ाइन में क्या अंतर है। स्मार्ट सिटी की खूबियों को टेक्नोलॉजी से बताया जा सकता है। सरकार इसे रोज़गार, आर्थिक विकास और बेहतर जीवन के मॉडल के रूप में पेश कर रही है। 44 पेज के कंसेप्ट नोट में एक पैरा ये मिला कि यह भी ज़रूरी है कि शहर समावेशी हों और ऐसे ढांचे बनें जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक, औरतों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। केंद्रीय शहरी मंत्रालय की वेबसाइट moud.gov.in पर स्मार्ट सिटी के बारे में कंसेप्ट नोट मिला। वैसे हिन्दी और संस्कृत में मंत्री पद या सांसद की सदस्यता की शपथ लेना आसान है लेकिन जब आप स्मार्ट सिटी पर कंसेप्ट नोट लिखने चलेंगे तो पहले अंग्रेज़ी में ही मिलेगा। अंग्रेजी में ही मिला। नंवबर 2014 में अपलोड किए गए कंस्पेट नोट में कुछ बातों को कई बार घुमाफिराकर कहा गया है, जिसे हम कॉलेज में पन्ना भरना कहते हैं। जैसे 2050 तक शहरी आबादी दुगनी हो जाएगी। अभी भारत में शहरी आबादी 31 प्रतिशत ही है लेकिन जीडीपी में उसका योगदान 60 प्रतिशत है। मगर इसे 'एतना एतना' साल के बाद बढ़ाकर 75 प्रतिशत होना है। इसलिए शहरों को स्मार्ट बनाने की ज़रूरत है। शहर आर्थिक विकास के ईंजन हैं। इसमें बताया गया है कि स्मार्ट सिटी में बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, पानी सफाई की बेहतर सेवाएं होंगी, पारदर्शी प्रक्रिया होगी, निवेश आएगा और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए मंज़ूरी की प्रकिया आसान की जाएगी ताकि आसान हो सके। सूचना टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से स्मार्ट सिटी की कुशलता को बढ़ाया जाएगा। रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। गूगल करेंगे तो ठीक इसी भाषा में कई एजेंसियों के लेख स्मार्ट सिटी की वकालत करते मिल जाएंगे। कांसेप्ट पेपर में एक प्रश्न है स्मार्ट सिटी क्या है। इसका जवाब सुनिये, शहर में अलग-अलग लोगों के लिए स्मार्टनेस का मतलब अलग होता है। यह स्मार्ट डिज़ाइन हो सकता है, स्मार्ट हाउसिंग हो सकती है, स्मार्ट मोबिलिटी हो सकती है, स्मार्ट टेक्नोलॉजी इत्यादि हो सकती है। स्मार्ट सिटी की परिभाषा देना मुश्किल है। अगर परिभाषा मुश्किल है तो क्या यह बताया जा सकता है कि डिज़ाइन और स्मार्ट डिज़ाइन में क्या अंतर है। स्मार्ट सिटी की खूबियों को टेक्नोलॉजी से बताया जा सकता है। सरकार इसे रोज़गार, आर्थिक विकास और बेहतर जीवन के मॉडल के रूप में पेश कर रही है। 44 पेज के कंसेप्ट नोट में एक पैरा ये मिला कि यह भी ज़रूरी है कि शहर समावेशी हों और ऐसे ढांचे बनें जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक, औरतों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। मगर इसे 'एतना एतना' साल के बाद बढ़ाकर 75 प्रतिशत होना है। इसलिए शहरों को स्मार्ट बनाने की ज़रूरत है। शहर आर्थिक विकास के ईंजन हैं। इसमें बताया गया है कि स्मार्ट सिटी में बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, पानी सफाई की बेहतर सेवाएं होंगी, पारदर्शी प्रक्रिया होगी, निवेश आएगा और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए मंज़ूरी की प्रकिया आसान की जाएगी ताकि आसान हो सके। सूचना टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से स्मार्ट सिटी की कुशलता को बढ़ाया जाएगा। रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। गूगल करेंगे तो ठीक इसी भाषा में कई एजेंसियों के लेख स्मार्ट सिटी की वकालत करते मिल जाएंगे। कांसेप्ट पेपर में एक प्रश्न है स्मार्ट सिटी क्या है। इसका जवाब सुनिये, शहर में अलग-अलग लोगों के लिए स्मार्टनेस का मतलब अलग होता है। यह स्मार्ट डिज़ाइन हो सकता है, स्मार्ट हाउसिंग हो सकती है, स्मार्ट मोबिलिटी हो सकती है, स्मार्ट टेक्नोलॉजी इत्यादि हो सकती है। स्मार्ट सिटी की परिभाषा देना मुश्किल है। अगर परिभाषा मुश्किल है तो क्या यह बताया जा सकता है कि डिज़ाइन और स्मार्ट डिज़ाइन में क्या अंतर है। स्मार्ट सिटी की खूबियों को टेक्नोलॉजी से बताया जा सकता है। सरकार इसे रोज़गार, आर्थिक विकास और बेहतर जीवन के मॉडल के रूप में पेश कर रही है। 44 पेज के कंसेप्ट नोट में एक पैरा ये मिला कि यह भी ज़रूरी है कि शहर समावेशी हों और ऐसे ढांचे बनें जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक, औरतों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। गूगल करेंगे तो ठीक इसी भाषा में कई एजेंसियों के लेख स्मार्ट सिटी की वकालत करते मिल जाएंगे। कांसेप्ट पेपर में एक प्रश्न है स्मार्ट सिटी क्या है। इसका जवाब सुनिये, शहर में अलग-अलग लोगों के लिए स्मार्टनेस का मतलब अलग होता है। यह स्मार्ट डिज़ाइन हो सकता है, स्मार्ट हाउसिंग हो सकती है, स्मार्ट मोबिलिटी हो सकती है, स्मार्ट टेक्नोलॉजी इत्यादि हो सकती है। स्मार्ट सिटी की परिभाषा देना मुश्किल है। अगर परिभाषा मुश्किल है तो क्या यह बताया जा सकता है कि डिज़ाइन और स्मार्ट डिज़ाइन में क्या अंतर है। स्मार्ट सिटी की खूबियों को टेक्नोलॉजी से बताया जा सकता है। सरकार इसे रोज़गार, आर्थिक विकास और बेहतर जीवन के मॉडल के रूप में पेश कर रही है। 44 पेज के कंसेप्ट नोट में एक पैरा ये मिला कि यह भी ज़रूरी है कि शहर समावेशी हों और ऐसे ढांचे बनें जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक, औरतों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। अगर परिभाषा मुश्किल है तो क्या यह बताया जा सकता है कि डिज़ाइन और स्मार्ट डिज़ाइन में क्या अंतर है। स्मार्ट सिटी की खूबियों को टेक्नोलॉजी से बताया जा सकता है। सरकार इसे रोज़गार, आर्थिक विकास और बेहतर जीवन के मॉडल के रूप में पेश कर रही है। 44 पेज के कंसेप्ट नोट में एक पैरा ये मिला कि यह भी ज़रूरी है कि शहर समावेशी हों और ऐसे ढांचे बनें जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक, औरतों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट नोट के अनुसार राज्यों की राजधानी को भी स्मार्ट बनाया जाएगा। दस से चालीस लाख के 35 शहर भी स्मार्ट बनेंगे। एक से दो लाख के 25 शहर बसाए जाएंगे। एक से दो लाख के शहर तो प्राइवेट बिल्डर बसाते ही रहते हैं तो क्या वे आर्थिक गतिविधि नहीं बढ़ा रहे हैं। अब मेरा एक सवाल है। मैंने जितने भी लेख पढ़े उनमें भारत के मौजूदा शहरों को औसत बताया गया है। लेकिन उन्हीं लेखों में जब बार-बार ये पढ़ा कि भारत की 31 फीसदी आबादी शहरी है और जीडीपी में शहरों का योगदान 60 प्रतिशत है तो सवाल उठा कि इस औसत हालत में अगर शहरों का योगदान इतना है तो क्या वे स्मार्ट नहीं हैं। अगर हमारे शहर आर्थिक रूप से इतने बेकार हैं तो 60 प्रतिशत तक कैसे पहुंच सके हैं। स्मार्ट सिटी की जिज्ञासा को सवाल और संभावना दोनों से शांत किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। इसमें कोई शक नहीं कि नए शहरों की ज़रूरत है लेकिन क्या स्मार्ट सिटी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है कि इससे बिजनेस बढ़ेगा। शहर बनाने से बिजनेस बढ़ेगा या उद्योग बढ़ाने से। क्या स्मार्ट सिटी के बहाने कंस्ट्रक्शन उद्योग को बढ़ावा देना जो बनते वक्त तो जीडीपी में गिना जाएगा मगर बनने के बाद चीन के कई शहरों की तरह भुतहा हो जाएगा।टिप्पणियां गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। गिफ्ट जैसे फाइनेंस सिटी की बात तो समझ आती है लेकिन एक देश में आप ऐसे कितने शहर बना सकते हैं। जिस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्‍तेमाल स्मार्ट सिटी को बेहतर और कम खर्चे वाला बनाने में किया जा सकता है तो वही टेक्नोलॉजी पुराने शहरों में क्यों नहीं लाई जा सकती जिससे वहां का जीवन स्तर बेहतर हो सके। क्या स्मार्ट सिटी नया सेज़(SEZ) है। दावा किया गया है कि बिजनेस के लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया आसान की जाएगी तो यही छूट दिल्ली के सदर बाज़ार, मुंबई के झावेरी बाज़ार और कोलकाता के बड़ा बाज़ार के कारोबारियों को क्यों न मिले। मौजूदा मझोले शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलने की बात है लेकिन क्या वाकई हमें 100 स्मार्ट सिटी की ज़रूरत है। गुड़गांव, नोएडा, नवी मुंबई जैसे सेटैलाइट शहर भी चुनौतियों से गुज़र रहे हैं। कई प्रोजेक्ट लॉन्‍च होते रहते हैं मगर उनका हाल सब जानते हैं। सेज़ के लिए ली गईं ज़मीनों का बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा हुआ है। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। एक http://smartcitiescouncil.com/ है जो इसकी वकालत करती है। हमारे यहां भी उद्योगों की जमात सीआईआई ने नेशनल मिशन फॉर स्मार्ट सिटी बनाया है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्टर और आईटी की बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के प्रगति मैदान में 20-22 मई को स्मार्ट सिटी पर सम्मेलन हो रहा है। इसकी जानकारी आपको http://smartcitiescouncil.com/ से मिलेगी। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि ये अब एक नया कारोबार है और हकीकत है। अभी तक राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, लोगों ने अतिक्रमण कर शहर बसाये, अब कंपनियां शहर बसायेंगी।
दिल्ली पुलिस के रवैये से नाराज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शुक्रवार को उपराज्यपाल से मिले। जिस वक्त केजरीवाल उप राज्यपाल से मिलने पहुंचे दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी वहां मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल ने तीन एसएचओ और एक एसीपी को निलंबित करने की मांग रखी, जिसे दिल्ली पुलिस ने ठुकरा दिया है। अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मामले को लेकर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से मिलेंगे। वहीं उप राज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के आरोपों की जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच रिटायर्ड जज करेंगे और उन्हें 30 दिन में अपनी रिपोर्ट देनी होगी। उधर, दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि राज्य सरकार दिल्ली पुलिस को ठीक करके रहेगी। उन्होंने कहा कि उप राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की शिकायत पर जांच का आश्वासन दिया है और हम चाहते हैं जांच चलती रहेगी, लेकिन पुलिसकर्मियों का तत्काल निलंबन हो। उधर, दिल्ली पुलिस भी दिल्ली सरकार के मंत्रियों के रवैये को लेकर नाराज है। उनकी शिकायत है कि मंत्री उनके कामकाज में दखलअंदाजी कर रहे हैं। गौरतलब है कि 15 जनवरी की रात को सेक्स रैकेट और ड्रग रैकेट की जानकारी मिलने पर छापेमारी करने गए दिल्ली के कानूनमंत्री सोमनाथ भारती और पुलिस के बीच तनातनी हो गई थी, जिसकी शिकायत आज उपराज्यपाल से की गई।
एमसीआई के एमबीबीएस और स्नातकोत्तर चिकित्सा के लिए एकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने पर उच्चतम न्यायालय की हरी झंडी का स्वागत करते हुए मानव संसाधान विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने आज कहा कि यह छात्रों के हित में महत्वपूर्ण कदम हैं. उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘एमबीबीएस और स्नातकोत्तर स्तर पर पूरे देश में एकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के वह समर्थक रहे हैं और उन्होंने इसके लिए पहल भी की थी. यह छात्रों के हित में हैं.’ यह पूछे जाने पर कि एकल प्रवेश परीक्षा एमसीआई आयोजित करेगी या मानव संसाधान विकास मंत्रालय, उन्होंने कहा कि यह कोई विषय नहीं है और उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह किसी मंत्रालय से जुड़ा प्रश्न नहीं बल्कि छात्रों के हित से जुड़ा विषय है. उच्चतम न्यायालय ने कल अपने निर्णय में स्पष्ट किया था कि एमसीआई, एमबीबीएस तथा स्नातकोत्तर स्तर पर चिकित्सा परीक्षा आयोजित करने की योजना पर अमल कर सकती है. इस स्पष्टीकरण के बाद सभी सरकारी और निजी चिकित्सा संस्थानों के लिए अगले सत्र (2011/12) से एकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की राष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा परीक्षा का आयोजन करता है और चिकित्सा क्षेत्र में एकल प्रवेश परीक्षा पर अमल के बाद सीबीएसई के तहत आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के दायरे में आ सकती है. सीबीएसई द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के एमसीआई के दायरे में आने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर बोर्ड के अध्यक्ष विनीत जोशी ने कहा, ‘मुझे इस बारे में अभी कोई पत्र नहीं मिला है.’ शीर्ष अदालत के स्पष्टीकरण के बाद एमसीआई की ओर से अधिसूचना जारी किये जाने के बाद देश में चिकित्सा संस्थानों के लिए एकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा. यह 271 चिकित्सा संस्थाओं की ओर से पेश किये जाने वाले एमबीबीएस और एमडी पाठ्यक्रमों के लिए लागू होंगे. इनमें 138 सरकारी चिकित्सा संस्थान और 133 निजी प्रबंधन के तहत संचालित संस्थान शामिल हैं. इन कालेजों के माध्यम से एमबीबीएस के लिए करीब 31 हजार सीट और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए करीब 11 हजार सीट की पेश की जाती है.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: दिवालियेपन की कगार पर खड़े किंगफिशर एयरलाइंस के पायलटों का एक वर्ग पिछले पांच महीनों से वेतन ना मिलने के विरोध में हड़ताल पर चला गया जिसकी वजह से एयरलाइन को अपने एटीआर संचालित उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।टिप्पणियां एयरलाइन के सूत्रों ने बताया कि हड़ताल को देखते हुए प्रबंधन ने उड़ानों को बहाल करने के लिए कार्यकारी पायलटों को तैनात किया है। एयरलाइन के एक अधिकारी ने बताया, ‘कर्मचारियों को वेतन देने में एक बार फिर असफल रहने के बाद एयरलाइन के 200 से ज्यादा पायलट हड़ताल पर चले गए। इनमें कैप्टन भी शामिल हैं। कर्मचारियों ने एयरलाइन के अध्यक्ष विजय माल्या के साथ बैठक की। लेकिन माल्या उनके वेतन को लेकर किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं जता सके जिसके बाद पायलटों ने काम बंद कर दिया।’ उन्होंने बताया कि आगे की कार्रवाई तय करने को लेकर सोमवार को मुंबई में एयरलाइन के सभी कर्मचारियों जिनमें पायलट, इंजीनियर और कैबिन क्रू शामिल हैं, की बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि धन की कमी का सामना कर रही एयरलाइन ने कर्मचारियों को फरवरी से वेतन नहीं दिया है। एयरलाइन के सूत्रों ने बताया कि हड़ताल को देखते हुए प्रबंधन ने उड़ानों को बहाल करने के लिए कार्यकारी पायलटों को तैनात किया है। एयरलाइन के एक अधिकारी ने बताया, ‘कर्मचारियों को वेतन देने में एक बार फिर असफल रहने के बाद एयरलाइन के 200 से ज्यादा पायलट हड़ताल पर चले गए। इनमें कैप्टन भी शामिल हैं। कर्मचारियों ने एयरलाइन के अध्यक्ष विजय माल्या के साथ बैठक की। लेकिन माल्या उनके वेतन को लेकर किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं जता सके जिसके बाद पायलटों ने काम बंद कर दिया।’ उन्होंने बताया कि आगे की कार्रवाई तय करने को लेकर सोमवार को मुंबई में एयरलाइन के सभी कर्मचारियों जिनमें पायलट, इंजीनियर और कैबिन क्रू शामिल हैं, की बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि धन की कमी का सामना कर रही एयरलाइन ने कर्मचारियों को फरवरी से वेतन नहीं दिया है। एयरलाइन के एक अधिकारी ने बताया, ‘कर्मचारियों को वेतन देने में एक बार फिर असफल रहने के बाद एयरलाइन के 200 से ज्यादा पायलट हड़ताल पर चले गए। इनमें कैप्टन भी शामिल हैं। कर्मचारियों ने एयरलाइन के अध्यक्ष विजय माल्या के साथ बैठक की। लेकिन माल्या उनके वेतन को लेकर किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं जता सके जिसके बाद पायलटों ने काम बंद कर दिया।’ उन्होंने बताया कि आगे की कार्रवाई तय करने को लेकर सोमवार को मुंबई में एयरलाइन के सभी कर्मचारियों जिनमें पायलट, इंजीनियर और कैबिन क्रू शामिल हैं, की बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि धन की कमी का सामना कर रही एयरलाइन ने कर्मचारियों को फरवरी से वेतन नहीं दिया है।
Wishing you all, hope, health & happiness. #HappyEasterpic.twitter.com/AMX4O3QeN8 Good food, friends and family is a superb combination to make your day special. Thank you, @OPedroMumbai, for serving us delicious food!! pic.twitter.com/ED6kuLUpEJ
यह एक लेख है: यही नहीं, एलेन ने अपने माइक्रोवेव अवन में लगा इलेक्ट्रोमैगनेट निकाला, कुछ बैटरी लीं, कुछ टच सेंसर इस्तेमाल किए, और इस हथौड़े में असली हथौड़े वाली खासियत भी पैदा कर दी... बस, अंतर यही है कि असली हथौड़े को थॉर के अलावा कोई नहीं उठा सकता, और इस नकली हथौड़े को एलेन के अलावा कोई नहीं उठा सकता... थॉर भी नहीं, जब तक एलेन उसकी अंगुलियों के निशान इस नकली हथौड़े में लगे फिंगरप्रिंट स्कैनर में फीड नहीं कर देता...टिप्पणियां इसके बाद एलेन ने वही किया, जो 'थॉर का हथौड़ा' हाथ में आ जाने पर आप या मैं करते... सो, एलेन भी सड़क पर आ गया, और लोगों को चुनौती देने लगा कि वे उसे उठाने की कोशिश करें... इसके बाद क्या-क्या हुआ, और लोगों की प्रतिक्रिया कैसी रही, यह सब आप खुद ही इस वीडियो में देखिए, जिसे यूट्यूब पर Sufficiently Advanced द्वारा अपलोड किए जाने के बाद से एक ही हफ्ते में एक करोड़ 15 लाख से ज़्यादा लोग देख चुके हैं... इसके बाद एलेन ने वही किया, जो 'थॉर का हथौड़ा' हाथ में आ जाने पर आप या मैं करते... सो, एलेन भी सड़क पर आ गया, और लोगों को चुनौती देने लगा कि वे उसे उठाने की कोशिश करें... इसके बाद क्या-क्या हुआ, और लोगों की प्रतिक्रिया कैसी रही, यह सब आप खुद ही इस वीडियो में देखिए, जिसे यूट्यूब पर Sufficiently Advanced द्वारा अपलोड किए जाने के बाद से एक ही हफ्ते में एक करोड़ 15 लाख से ज़्यादा लोग देख चुके हैं...
क्‍या किसी को देखकर आपको भी 'कुछ-कुछ होता है'? अगर हां, तो जान लीजिए कि इसके लिए आपके भीतर मौजूद 'लव हॉर्मोन' जिम्‍मेदार है. यही हॉर्मोन प्‍यार से जुड़ी आपकी भावनाओं को उभारने में मददगार होता है. जिसे आप चाहते हैं, उसे देखने के बाद 'लव हॉर्मोन' केवल आपकी भावनाओं को ही सक्रिय नहीं करता, बल्कि यह पुरानी मांसपेशियों को नए की तरह काम करने में भी सहायता करता है. एक नए शोध के मुताबिक, ऑक्सिटोसिन हॉर्मोन केवल सेक्स ही नहीं, बल्कि मांसपेशियों के स्वास्थ्य, रख-रखाव और मरम्मत से भी जुड़ा है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बार्कली के बायोइंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर और मुख्य अनुसंधानकर्ता इरिना कानबॉय ने कहा, 'हमारा अनुसंधान एक ऐसे अणु का पता लगाना था, जो बिना कैंसर के खतरे के पुरानी मांसपेशियों और अन्य उत्तकों में स्थायी रूप से नई जान फूंक दे.' कानबॉय और उनके अनुसंधान दल ने पाया कि ऑक्सिटोसिन एक बढ़िया उम्मीदवार है, क्योंकि यह एक व्यापक स्तर का हॉर्मोन है, जो हर अंगों तक पहुंचता है और इसका संबंध किसी भी प्रकार के ट्यूमर या प्रतिरक्षा प्रणाली में हस्तक्षेप से नहीं है. कानबॉय ने कहा, 'इसी हॉर्मोन के कारण बिल्ली के बच्चे, पिल्लों और मानव शिशुओं को देखकर आपका दिल पिघल जाता है.' एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि उम्र बढ़ने के साथ चूहों के रक्त में ऑक्सिटोसिन का स्तर घटता जाता है. मांसपेशियों की मरम्मत में ऑक्सिटोसिन की भूमिका का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने एक वृद्ध चूहे की घायल मांसपेशियों की त्वचा के नीचे इस हॉर्मोन का इंजेक्शन पहले चार दिन के लिए फिर पांच दिन के लिए दिया गया. नौ दिनों के इलाज के बाद पाया गया कि वैसे चूहे जिन्हें ऑक्सिटोसिन का इंजेक्शन दिया गया था, उनकी घायल मांसपेशियां उनकी तुलना में ज्यादा स्वस्थ थे, जिन्हें इंजेक्शन नहीं दिया गया था. कानबॉय ने कहा, 'ऑक्सिटोसिन की कार्रवाई तेज थी. वृद्ध चूहों की मांसपेशियों की मरम्मत करने की क्षमता उन युवा चूहों की लगभग 80 फीसदी थी.' शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि युवा चूहों में ऑक्सिटोसिन के प्रभाव को अवरुद्ध करने पर उनकी मांसपेशियों की तेजी से मरम्मत करने की क्षमता जोखिम में पड़ जाती है, जैसा कि पुराने घायल उत्तकों में देखा गया है. उन्होंने उल्लेख किया कि हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के लिए ऑक्सिटोसिन एक जीवनदायी विकल्प हो सकता है. नेचर जर्नल कम्यूनिकेशन में प्रकाशित इस अध्ययन में यह भविष्यवाणी की गई है कि स्वस्थ मांसपेशियों के अतिरिक्त ऑक्सिटोसिन हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार और मोटापे से मुकाबले में भी मददगार साबित होगा.
नेपाल पुलिस के स्पेशल ब्यूरो ने एक ऑपरेशन के तहत भारत और काठमांडू में आतंकी हमले की साजिश रच रहे 20 आतंकियों को गिरफ्तार किया है. सभी आतंकी अलकायदा से जुड़े हुए हैं और एक धार्मिक संगठन की आड़ में आतंकी योजना बना रहे थे. खास बात यह है कि गिरफ्तार आतंकियों में 12 भारतीय, 6 पाकिस्तानी और दो नेपाली नागरिक शामिल हैं. काठमांडू महानगरीय पुलिस आयुक्त विज्ञानराज शर्मा ने फोन पर खबर की पुष्ट‍ि करते हुए बताया कि पुलिस को आतंकियों के बारे में भारतीय एजेंसी से खुफिया जानकारी मिली थी. पकड़े गए सभी आरोपी किसी बड़े आतंकी हमले की फिराक में थे. जबकि नेपाल की जेलों में बंद कुछ आतंकवादी इनकी मदद कर रहे थे. गौरतलब है कि भारतीय खुफिया एजेंसी से मिली हमले की साजिश संबंधी इनपुट के बाद नेपाल पुलिस के स्पेशल ब्यूरो ने शुक्रवा रात एक ऑपरेशन के तहत करीब आतंकियों को गिरफ्तार किया. यह ऑपरेशन 24 घंटे तक चला. नेपाल पुलिस के उच्च अधिकारी ने बताया कि कल्की अवतार फाउंडेशनशन नामक धार्मिक संस्था की आड़ में ये सभी आतंकी हमले का तानाबाना रच रहे थे. इसी बीच खबर यह भी है कि नेपाल पुलिस के द्वारा चलाए गए इस स्पेशल ऑपरेशन की मदद के लिए भारतीय खुफिया विभाग की एक टीम बीते शुक्रवार से ही नेपाल में मौजूद है. पकड़े गए आतंकियों से भारतीय खुफिया विभाग के अधिकारियों ने भी पूछताछ की है. सुरक्षा अधिकारी कुछ आतंकियों को रविवार को ही भारत लाने पर विचार कर रहे हैं.
यह एक लेख है: इस रेस में आगे चल रहे एक और नाम मनोज सिन्हा ने एनडीटीवी से कहा कि 'मैं सीएम पद की रेस में नहीं हूं. विधायक दल और संसदीय बोर्ड सीएम तय करेगा. मैंने सीएम पद के लिए कोई दावा नहीं किया. मीडिया का कुछ धड़ा बेवजह मेरा नाम उछाल रहा है.'  हालांकि आज सुबह वह वाराणसी के काल भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे, जिसके बाद इन कयासों को और बल मिला है. उधर, लखनऊ में बीजेपी दफ़्तर के बाहर यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के समर्थक इकट्ठा हो गए. वे लोग पीएम से केशव प्रसाद मौर्य को सीएम बनाने की मांग कर रहे थे. वहीं लखनऊ में बीजेपी दफ्तर के बाहर योगी आदित्यनाथ के समर्थक भी उन्हें सीएम बनाने की मांग कर रहे थे. उनका कहना है कि योगी आदित्यनाथ ही सीएम के योग्य उम्मीदवार हैं. वहीं योगी खुद चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे और अब लखनऊ भी लौट गए हैं. उधर, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के मौजूदा राज्यपाल कल्याण सिंह के समर्थक भी उन्हें सीएम बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे हैं. वहीं लखनऊ में बीजेपी दफ्तर के बाहर योगी आदित्यनाथ के समर्थक भी उन्हें सीएम बनाने की मांग कर रहे थे. उनका कहना है कि योगी आदित्यनाथ ही सीएम के योग्य उम्मीदवार हैं. वहीं योगी खुद चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे और अब लखनऊ भी लौट गए हैं. उधर, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के मौजूदा राज्यपाल कल्याण सिंह के समर्थक भी उन्हें सीएम बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे हैं.
यह एक लेख है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के ट्वीट के साथ-साथ कुछ सरकारी विभागों के ट्विटर पर जारी संदेश अब एसएमएस के जरिये मोबाइल उपभोक्ताओं को मुफ्त में मिलेंगे। यह काम आज शुरू हुई नई सेवा 'ट्विटर संवाद' के शुरू होने से संभव हो सका है। यह पहल सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान के तहत की गई है। ट्विटर के वैश्विक सीईओ डिक कॉस्टोलो ने आज इस सेवा की शुरुआत की। कॉस्टोलो इस समय भारत की अपनी पहली यात्रा पर यहां हैं और आज उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिसमें उन्होंने आपसी सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में चर्चा की। ट्विटर संवाद सेवा के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'आओ अपना संपर्क और मजबूत करें। 011-30063006 पर मिस्ड कॉल करें और मेरे ट्वीट एसएमएस के जरिये अपने मोबाइल पर पाए।' इस माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ने कहा है कि यह नई सेवा पहले ही 16-ट्विटर हैंडल में आ गई है। इसमें मोदी के अलावा विदेश मंत्रालय, बेंगलुरु सिटी पुलिस और गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और बिहार के मुख्यमंत्रियों के ट्वीट शामिल हैं।
भारत में पोर्न सर्च को लेकर गूगल सर्च का जो आंकड़ा सामने आया है वह काफी चौंकाने वाला है. बैन हो या न हो लेकिन भारतीय शहर पोर्न सर्च करने में अव्वल हैं. गूगल ट्रेंड के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में पोर्न सर्च करने वाले छह प्रमुख शहर भारत के हैं. देश की राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा गूगल पर पोर्न सर्च किया गया. इसके बाद पुणे, मुंबई, हावड़ा, उन्नाव, कुआलालंपुर और बेंगलुरु हैं. आंकड़ों के मुताबिक, लोगों ने कामोत्तेजक चीजें सर्च करने के साथ ही अन्य सामग्री भी सर्च की. हालांकि समाजशास्त्री ऑनलाइन एक्टिविटी को ऑफलाइन गतिविधियों से जोड़ने से बिल्कुल इनकार करते हैं. तो इंटरनेट पर ये सब सर्च किया जाता है... वर्ष 2008 से अब तक 'एनिमल पोर्न' सर्च करने में पुणे के लोग आगे हैं. उनके बाद क्रमश: दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के लोगों ने भी इसे खूब सर्च किया. जबकि रेप के वीडियो सर्च करने में कोलकाता के लोग सबसे आगे हैं. इसके बाद हावड़ा, दिल्ली, अहमदाबाद और पुणे के लोगों ने भी इस कैटेगरी में मौजूदगी दर्ज कराई. हैरान करने वाली बात ये सामने आई है कि उत्तर प्रदेश के एक छोटा सा शहर उन्नाव में सबसे ज्यादा चाइल्ड पोर्न सर्च किया गया. ये भी है एक वजह... हालांकि गूगल ट्रेंड के ये आंकड़े एक खास यूजर ग्रुप के आधार पर लिए गए हैं. साथ ही दुनिया के तमाम शहरों के आंकड़े इसमें शामिल नहीं है, जिसके चलते भारत के शहर सबसे ऊपर हैं. क्रिप्टोग्राफी के एक्सपर्ट अजित हट्टी ने कहा कि ये आंकड़े सही हैं, लेकिन पूरे नहीं. क्योंकि चीन, रूस और उत्तरी कोरिया जैसे देशों में गूगल का इस्तेमाल नहीं होता, अगर होता भी है तो बहुत कम. इसके अलावा अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में लोग अलग-अलग सर्च इंजन इस्तेमाल करते हैं.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: आमतौर पर जब किसी नए हीरो की पहली फ़िल्म हिट हो जाती है तब उसके पास 4 से 6 फिल्मों की लाइन लगती है। तब उस हीरो की साल में 2 से 3 फिल्में रिलीज़ होती हैं मगर जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ के मामले में ऐसा नहीं हुआ। पहली फ़िल्म 'हीरोपंती' की सफ़लता और टाइगर को मिली ढेर सारी सराहना के बाद भी टाइगर की दूसरी फ़िल्म बाग़ी दो सालों बाद आरही है। हीरोपंती की सफलता के बाद टाइगर के पास भी कई ऑफर आए मगर टाइगर ने फैसला जल्दबाज़ी में न लेकर सोच समझकर निर्णय लिया और हिट एक्टर होने के बाद भी उनके पास केवल 2 फिल्में हैं । दरअसल टाइगर समझ चुके हैं कि कम काम करो लेकिन अच्छा काम करो और यही वजह है कि उनके पास अभी सिर्फ़ 2 फिल्में हैं जिनमें से एक फ़िल्म है बाग़ी और दूसरी फ़िल्म है फ्लाइंग जट्ट।टिप्पणियां टाइगर कहते हैं- मैं जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता। मुझे जल्दी सफलता मिल गई। हीरोपंती जी सफ़लता के बाद इंडस्ट्री हो या दर्शक सबकी उम्मीदें मुझसे बढ़ गईं इसलिए मैंने सोच समझकर कदम रखना बेहतर समझा। मैं नहीं चाहता कि जल्दबाज़ी में कुछ ऐसा वैसा काम करूं। मैंने सोच समझकर निर्णय लिया है और अच्छी फ़िल्म और कहानी का इंतज़ार किया है। यही वजह है कि दूसरी फ़िल्म 2 साल बाद आ रही है। मैं शुक्रगुज़ार हूं मेरी फ़िल्म बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला और निर्देशक साबिर ख़ान का जिन्होंने एक और अच्छी फ़िल्म का मुझे हिस्सा बनाया। आपको बता दें कि आजकल बॉलीवुड में कहानी किरदार के साथ साथ सबसे ज़्यादा ज़रूरी है एक ऐसा बड़ा निर्माता जो फ़िल्म को अच्छी तरह से मार्केट करे और अच्छी तरह से रिलीज़ करे। इस मामले में टाइगर ने सही राह चुनी है। बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला हैं तो फ्लाइंग जट्ट की निर्माता हैं एकता कपूर। हीरोपंती की सफलता के बाद टाइगर के पास भी कई ऑफर आए मगर टाइगर ने फैसला जल्दबाज़ी में न लेकर सोच समझकर निर्णय लिया और हिट एक्टर होने के बाद भी उनके पास केवल 2 फिल्में हैं । दरअसल टाइगर समझ चुके हैं कि कम काम करो लेकिन अच्छा काम करो और यही वजह है कि उनके पास अभी सिर्फ़ 2 फिल्में हैं जिनमें से एक फ़िल्म है बाग़ी और दूसरी फ़िल्म है फ्लाइंग जट्ट।टिप्पणियां टाइगर कहते हैं- मैं जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता। मुझे जल्दी सफलता मिल गई। हीरोपंती जी सफ़लता के बाद इंडस्ट्री हो या दर्शक सबकी उम्मीदें मुझसे बढ़ गईं इसलिए मैंने सोच समझकर कदम रखना बेहतर समझा। मैं नहीं चाहता कि जल्दबाज़ी में कुछ ऐसा वैसा काम करूं। मैंने सोच समझकर निर्णय लिया है और अच्छी फ़िल्म और कहानी का इंतज़ार किया है। यही वजह है कि दूसरी फ़िल्म 2 साल बाद आ रही है। मैं शुक्रगुज़ार हूं मेरी फ़िल्म बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला और निर्देशक साबिर ख़ान का जिन्होंने एक और अच्छी फ़िल्म का मुझे हिस्सा बनाया। आपको बता दें कि आजकल बॉलीवुड में कहानी किरदार के साथ साथ सबसे ज़्यादा ज़रूरी है एक ऐसा बड़ा निर्माता जो फ़िल्म को अच्छी तरह से मार्केट करे और अच्छी तरह से रिलीज़ करे। इस मामले में टाइगर ने सही राह चुनी है। बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला हैं तो फ्लाइंग जट्ट की निर्माता हैं एकता कपूर। दरअसल टाइगर समझ चुके हैं कि कम काम करो लेकिन अच्छा काम करो और यही वजह है कि उनके पास अभी सिर्फ़ 2 फिल्में हैं जिनमें से एक फ़िल्म है बाग़ी और दूसरी फ़िल्म है फ्लाइंग जट्ट।टिप्पणियां टाइगर कहते हैं- मैं जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता। मुझे जल्दी सफलता मिल गई। हीरोपंती जी सफ़लता के बाद इंडस्ट्री हो या दर्शक सबकी उम्मीदें मुझसे बढ़ गईं इसलिए मैंने सोच समझकर कदम रखना बेहतर समझा। मैं नहीं चाहता कि जल्दबाज़ी में कुछ ऐसा वैसा काम करूं। मैंने सोच समझकर निर्णय लिया है और अच्छी फ़िल्म और कहानी का इंतज़ार किया है। यही वजह है कि दूसरी फ़िल्म 2 साल बाद आ रही है। मैं शुक्रगुज़ार हूं मेरी फ़िल्म बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला और निर्देशक साबिर ख़ान का जिन्होंने एक और अच्छी फ़िल्म का मुझे हिस्सा बनाया। आपको बता दें कि आजकल बॉलीवुड में कहानी किरदार के साथ साथ सबसे ज़्यादा ज़रूरी है एक ऐसा बड़ा निर्माता जो फ़िल्म को अच्छी तरह से मार्केट करे और अच्छी तरह से रिलीज़ करे। इस मामले में टाइगर ने सही राह चुनी है। बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला हैं तो फ्लाइंग जट्ट की निर्माता हैं एकता कपूर। टाइगर कहते हैं- मैं जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता। मुझे जल्दी सफलता मिल गई। हीरोपंती जी सफ़लता के बाद इंडस्ट्री हो या दर्शक सबकी उम्मीदें मुझसे बढ़ गईं इसलिए मैंने सोच समझकर कदम रखना बेहतर समझा। मैं नहीं चाहता कि जल्दबाज़ी में कुछ ऐसा वैसा काम करूं। मैंने सोच समझकर निर्णय लिया है और अच्छी फ़िल्म और कहानी का इंतज़ार किया है। यही वजह है कि दूसरी फ़िल्म 2 साल बाद आ रही है। मैं शुक्रगुज़ार हूं मेरी फ़िल्म बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला और निर्देशक साबिर ख़ान का जिन्होंने एक और अच्छी फ़िल्म का मुझे हिस्सा बनाया। आपको बता दें कि आजकल बॉलीवुड में कहानी किरदार के साथ साथ सबसे ज़्यादा ज़रूरी है एक ऐसा बड़ा निर्माता जो फ़िल्म को अच्छी तरह से मार्केट करे और अच्छी तरह से रिलीज़ करे। इस मामले में टाइगर ने सही राह चुनी है। बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला हैं तो फ्लाइंग जट्ट की निर्माता हैं एकता कपूर। आपको बता दें कि आजकल बॉलीवुड में कहानी किरदार के साथ साथ सबसे ज़्यादा ज़रूरी है एक ऐसा बड़ा निर्माता जो फ़िल्म को अच्छी तरह से मार्केट करे और अच्छी तरह से रिलीज़ करे। इस मामले में टाइगर ने सही राह चुनी है। बाग़ी के निर्माता साजिद नाडियाडवाला हैं तो फ्लाइंग जट्ट की निर्माता हैं एकता कपूर।
व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन यात्रा प्रतिबंध पर सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है जिसमें सुप्रीम कोर्ट जाने या नया शासकीय आदेश जारी करना भी शामिल है. व्हाइट हाउस ने आरोप लगाया है कि संघीय अदालत ने राष्ट्रपति के पहले के शासकीय आदेश पर रोक लगाकर न्यायिक अधिकारों का दुरूपयोग किया है. व्हाइट हाउस के नीति सलाहकार ने क्या कहा? व्हाइट हाउस के नीति सलाहकार स्टीफन मिलर ने एबीसी न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा कि हमारे पास कई विकल्प हैं और उन पर सभी पर विचार कर रहे हैं. हम सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन स्थगन के लिए अपील कर सकते हैं या हम जिला अदालत में वापस जा कर गुण दोष के आधार पर सुनवाई का सामना कर सकते हैं. हम अगली शासकीय कार्रवाई कर सकते हैं, सभी विकल्प मेज पर हैं. बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले के शासकीय आदेश में शरणार्थियों और सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर अस्थायी रोक लगा दी गई थी. कहां अटका है वीजा बैन? इस शासकीय आदेश पर एक संघीय अदालत ने रोक लगा दी, मिलर ने कहा, न्यायपालिका सर्वोच्च नहीं है. सीएटल के एक न्यायाधीश अपने निजी विचारों की वजह से अमेरिका के राष्ट्रपति को हमारा कानून और संविधान बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं. राष्ट्रपति के पास दूसरे देशों से आने वाले लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने का अधिकार है जब यह राष्ट्र हित में हो.
पतंजलि फूडपार्क में बुधवार को हुए खूनी संघर्ष मामले में बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. पुलिस ने मामले में रामदेव के भाई रामभरत समेत अभी तक आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि योग गुरु से भी पूछताछ हो सकती है. बुधवार को हरिद्वार स्थि‍त फूडपार्क में ट्रक यूनियन के चालकों और रामदेव के कर्मचारियों के बीच जमकर बवाल मचा था. इस दौरान फायरिंग भी हुई थी, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई थी. गांव वालों ने फूडपार्क परिसर में लगी करीब एक दर्जन गाड़ि‍यों में तोड़फोड़ भी की थी. पुलिस का कहना है कि जिस समय यह सब हो रहा था योग गुरु रामदेव भी फूडपार्क में ही मौजूद थे. पुलिस ने गुरुवार को रामदेव की सुरक्षा में लगे 7 बाउंसरों को भी गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने फूडपार्क में लगे सीसीटीवी फुटेज को जब्त कर लिया है. पुलिस का कहना है की फुटेज में खूनी संघर्ष और घटनाक्रम कैप्चर है. फुटेज देखने के बाद ही पुलिस ने पार्क के 7 और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है की गिरफ्तार किए गए सभी लोग हत्या में शामिल पाए गए हैं. सीसीटीवी फुटेज में क्या है गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने बताया कि आश्रम में हर दिन VVIP लोगों का मूवमेंट रहता है. इसलिए पुलिस बाबा के आश्रम सहित सभी संस्थानों में रह रहे लोगों का सत्यापन भी कराएगी. पुलिस ने जो फुटेज हासिल किए हैं उसमें रामदेव के भाई रामभरत सहित 12 लोग मृतक की लाठी-डंडों से पिटाई कर रहे हैं. पुलिस रामभरत को बुधवार को ही जेल भेज चुकी है. फूडपार्क से मिले हथ‍ियार पुलिस की काम्बिंग के दौरान फूडपार्क में हथियार के साथ-साथ भारी मात्रा में लाठी-डंडे भी बरामद किए गए हैं. हालांकि रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण उत्तराखंड पुलिस पर अपना गुस्सा जता रहे हैं. उनका कहना है कि पुलिस राज्य सरकार के कहने पर साजिश के तहत यह सब कर रही है.
सरकार वृद्धि तेज करने के प्रयास कर रही है, लेकिन इसका चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की वृद्धि दर पर अनुकूल असर पड़ा है। यह बात योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कही। अहलूवालिया ने कहा, हम बहुत कुछ कर रहे हैं। असर दूसरी छमाही में दिखेगा। हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर में सुधार आएगा। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर करीब छह फीसदी के आसपास रहेगी जो पहली छमाही के 5.4 फीसदी के स्तर से बेहतर होगी। अहलूवालिया ने कहा, हम बहुत कुछ कर रहे हैं। असर दूसरी छमाही में दिखेगा। हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर में सुधार आएगा। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर करीब छह फीसदी के आसपास रहेगी जो पहली छमाही के 5.4 फीसदी के स्तर से बेहतर होगी।
पंजाबी मूवीज़ का बड़ा नाम नीरू बाजवा एक बार फिर अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाने जा रही हैं. वे शाडा फिल्म में दिलजीत दोसांझ के अपोजिट नजर आएंगीं. इन दिनों वे फिल्म के प्रमोशन में बिजी हैं. उन्होंने साल 1998 में देव आनंद की फिल्म मैं सोलह बरस की से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. मगर बॉलीवुड में उनका सफर ज्यादा लंबा नहीं खिच सका. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इसकी वजह का खुलासा किया है. IANS से बातचीत के दौरान नीरू ने बताया-  ''मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती. मैं ये जरूर कहना चाहूंगी कि एक हिंदी फिल्म में काम करने के लिए रखी गई मीटिंग के दौरान मुझे दुर्व्यवहारपूर्ण अनुभव का सामना करना पड़ा था. मेरे सामने शर्त रखते हुए कहा गया था कि आपको बॉलीवुड इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए ये करना पड़ेगा. इस बात ने मुझे हिला कर रख दिया था. मैं काफी असहज हो गया था.'' View this post on Instagram Just a few hours left ... 😊😊😊 Shadaa 💃🏽💃🏽💃🏽 A post shared by Neeru Bajwa (@neerubajwa) on Jun 20, 2019 at 12:53pm PDT ''मैं ये नहीं कह रही कि बॉलीवुड इंडस्ट्री ऐसे काम करती है. मैं ये कहना चाहूंगी कि मैं एक ऐसी दुर्भाग्यशाली एक्ट्रेस थी जिसे इन सबका सामना करना पड़ा. इसके बाद से मैंने बॉलीवुड में काम करने के लिए कभी कोशिश नहीं की. मैं आगे भी ऐसा कभी नहीं करूंगी. मैं पंजाबी सिनेमा में काम कर काफी खुश हूं. बता दें कि पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में नीरू बाजवा एक बड़ा नाम हैं और वे कई सारे अवॉर्ड जीत चुकी हैं. फिल्म Shadaa के बारे में बात करते हुए नीरू ने कहा- ''फिल्म को कैसे रिलीज करना है इसका अंदाजा कभी-कभी एक्टर कौन है इससे भी लगाया जाता है. शाडा की बात करें तो ये फिल्म हम खास तौर से मुंबई की ऑडिएंस के लिए बना रहे हैं और इसकी वजह दिलजीत दोसांझ हैं. हिंदी ऑडिएंस के बीच दिलजीत की तगड़ी फैन फॉलोइंग है.  इससे फिल्म की पहुंच ज्यादा लोगों तक होगी. बता दें कि फिल्म का निर्देशन जगदीप सिद्धू  ने किया है. फिल्म 20 जून को रिलीज की जाएगी.
लॉस ऐं‍जेलिस में शुरू हुए 89वें ऑस्‍कर समारोह में रेड कारपेट पर यूं तो कई हस्तियां पहुंचे लेकिन इस सारे समारोह पर सबसे ज्‍यादा नजरे किसी पर थीं तो वह है 8 साल का सनी पवार. हॉलीवुड फिल्‍म 'लॉयन' में देव पटेल की बचपन की भूमिका निभाने वाले सनी पवार के लिए भले ही यह पहला मौका हो जब वह किसी इतने बड़े समारोह का हिस्‍सा बन रहे हों लेकिन इस नन्‍हें से भारतीय बच्‍चे ने साबित कर दिया है कि हुनर की कोई उम्र नहीं होती. रेडकारपेट पर उतरे सनी की तरफ सारे कैमरे एक साथ मुड़ गए. सनी से जब रेड कारपेट पर मीडिया ने बात की तो यह 8 साल का कलाकार काफी कॉन्फिडेंट नजर आया. सनी से जब पूछा गया कि उन्‍हें यहां शामिल होकर कैसा लग रहा है तो उन्‍होंने जवाब दिया कि वह काफी खुश हैं. कुछ दिन पहले गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स में उसने अपने को-स्टार देव पटेल (भारतीय मूल के अभिनेता) के साथ रेड कार्पेट पर रैंप वॉक किया. महज 8 साल का सनी ऑस्कर्स में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए सारी नजर अपनी तरफ ले गया. सनी पवार से जब पूछा गया कि उसे कौनसी  बॉलीवुड फिल्‍म पसंद है तो उसने पीपल को बताया कि ऋतिक रोशन कि फिल्‍म 'कृष' को अपना फेवरिट बताया. सनी से जब पूछा गया कि वह ग्रैमी अवॉर्ड्स में क्‍या कर रहे थे तो उसने बड़ी मासूमियत से हिंदी में जवाब दिया 'गाना इंजॉय किया.'      #SunnyPawar's first step on the #Oscars red carpetA post shared by The Academy (@theacademy) on Feb 26, 2017 at 3:13pm PST जैसे ही सनी रेड कारपेट पर पहुंचे हर बड़े-बड़े सितारे भी इस नन्‍हें स्‍टार के चार्म से बच नहीं सके.   chrissy teigen hugging sunny pawar awwww :') #oscarspic.twitter.com/AOvDGqAstS — may (@kingsgoId) February 27, 2017Sunny Pawar meeting a fan tonight on the red carpet! #Oscarspic.twitter.com/glo0Zs7kcg — 🐘 (@VancityReynIds) February 27, 2017 हाल ही में जब बाफ्टा अवार्ड में 'लायन' फिल्म के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्‍टर का अवॉर्ड ब्रिटिश-भारतीय एक्‍टर देव पटेल को दिया गया तो उन्‍होंने इस स्‍पीच में भी इस नन्‍हें स्‍टार का नाम लिया. देव पटेल ने जब भारत के अपने लिटिल को-स्टार सनी पवार का नाम लिया और अपनी सफलता के लिए उसे भी शुक्रिया कहा तो सभी ने तालियां बजा कर उनका स्‍वागत किया.   googletag.cmd.push(function() { googletag.display('adslotNativeVideo'); }); कुछ दिन पहले गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स में उसने अपने को-स्टार देव पटेल (भारतीय मूल के अभिनेता) के साथ रेड कार्पेट पर रैंप वॉक किया. महज 8 साल का सनी ऑस्कर्स में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए सारी नजर अपनी तरफ ले गया. सनी पवार से जब पूछा गया कि उसे कौनसी  बॉलीवुड फिल्‍म पसंद है तो उसने पीपल को बताया कि ऋतिक रोशन कि फिल्‍म 'कृष' को अपना फेवरिट बताया. सनी से जब पूछा गया कि वह ग्रैमी अवॉर्ड्स में क्‍या कर रहे थे तो उसने बड़ी मासूमियत से हिंदी में जवाब दिया 'गाना इंजॉय किया.'      #SunnyPawar's first step on the #Oscars red carpetA post shared by The Academy (@theacademy) on Feb 26, 2017 at 3:13pm PST जैसे ही सनी रेड कारपेट पर पहुंचे हर बड़े-बड़े सितारे भी इस नन्‍हें स्‍टार के चार्म से बच नहीं सके.   chrissy teigen hugging sunny pawar awwww :') #oscarspic.twitter.com/AOvDGqAstS — may (@kingsgoId) February 27, 2017Sunny Pawar meeting a fan tonight on the red carpet! #Oscarspic.twitter.com/glo0Zs7kcg — 🐘 (@VancityReynIds) February 27, 2017 हाल ही में जब बाफ्टा अवार्ड में 'लायन' फिल्म के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्‍टर का अवॉर्ड ब्रिटिश-भारतीय एक्‍टर देव पटेल को दिया गया तो उन्‍होंने इस स्‍पीच में भी इस नन्‍हें स्‍टार का नाम लिया. देव पटेल ने जब भारत के अपने लिटिल को-स्टार सनी पवार का नाम लिया और अपनी सफलता के लिए उसे भी शुक्रिया कहा तो सभी ने तालियां बजा कर उनका स्‍वागत किया.   googletag.cmd.push(function() { googletag.display('adslotNativeVideo'); }); #SunnyPawar's first step on the #Oscars red carpet A post shared by The Academy (@theacademy) on Feb 26, 2017 at 3:13pm PST chrissy teigen hugging sunny pawar awwww :') #oscarspic.twitter.com/AOvDGqAstS Sunny Pawar meeting a fan tonight on the red carpet! #Oscarspic.twitter.com/glo0Zs7kcg
इस समस्या के समाधान के लिए हमने हर स्कूल को एक-एक एस्टेट मैनेजर दे दिया है, जिनकी नियुक्ति और हटाने का अधिकार प्रधानाचार्यों के पास है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि बतौर शिक्षा मंत्री मैं देखना चाहता हूं कि कितने स्कूल के कितने क्लासरूम में ट्यूबलाइट्स खराब हैं, कितने स्कूलों में पीने का साफ पानी नहीं आ रहा है। इस मोबाइल ऐप से मुझे ये भी जानकारी मिल सकेगी कि इन समस्याओं को लेकर कहां-कहां एक्शन नहीं हो रहा है। मान लीजिए अगर दिल्ली जल बोर्ड, पीडब्ल्यूडी इत्यादि किसी समस्या पर एक्शन लेने में देरी करेंगे तो उन पर हम एक्शन ले सकेंगे। मनीष सिसोदिया ने कहा कि बतौर शिक्षा मंत्री मैं देखना चाहता हूं कि कितने स्कूल के कितने क्लासरूम में ट्यूबलाइट्स खराब हैं, कितने स्कूलों में पीने का साफ पानी नहीं आ रहा है। इस मोबाइल ऐप से मुझे ये भी जानकारी मिल सकेगी कि इन समस्याओं को लेकर कहां-कहां एक्शन नहीं हो रहा है। मान लीजिए अगर दिल्ली जल बोर्ड, पीडब्ल्यूडी इत्यादि किसी समस्या पर एक्शन लेने में देरी करेंगे तो उन पर हम एक्शन ले सकेंगे।
फ़िनिश और स्वीडिश फ़िनलैंड की आधिकारिक भाषाएँ हैं। फ़िनिश देश भर में बोली जाती है जबकि स्वीडिश पश्चिम और दक्षिण के कुछ तटीय क्षेत्रों और ऑलैंड के स्वायत्त क्षेत्र में बोली जाती है। 89% आबादी की मूल भाषा फ़िनिश है, जो यूरालिक भाषाओं के फ़िनिक उपसमूह का हिस्सा है। यह भाषा यूरोपीय संघ की केवल चार आधिकारिक भाषाओं में से एक है जो इंडो-यूरोपीय मूल की नहीं है। फ़िनिश का करेलियन और एस्टोनियाई से और सामी भाषाओं और हंगेरियन से अधिक दूर का संबंध है। स्वीडिश 5.3% आबादी (स्वीडिश भाषी फिन्स) की मूल भाषा है। नॉर्डिक भाषाओं और करेलियन को भी कुछ संदर्भों में विशेष रूप से व्यवहार किया जाता है।
बैरियर गर्भनिरोधक ऐसे उपकरण हैं जो शुक्राणु को गर्भाशय में प्रवेश करने से शारीरिक रूप से रोककर गर्भावस्था को रोकने का प्रयास करते हैं। इनमें पुरुष कंडोम, महिला कंडोम, सर्वाइकल कैप, डायाफ्राम और शुक्राणुनाशक के साथ गर्भनिरोधक स्पंज शामिल हैं। विश्व स्तर पर, कंडोम जन्म नियंत्रण का सबसे आम तरीका है। पुरुष कंडोम को पुरुष के खड़े लिंग पर लगाया जाता है और स्खलनित शुक्राणु को यौन साथी के शरीर में प्रवेश करने से रोकता है। आधुनिक कंडोम अक्सर लेटेक्स से बनाए जाते हैं, लेकिन कुछ अन्य सामग्रियों जैसे पॉलीयूरेथेन, या मेमने की आंत से भी बनाए जाते हैं। महिला कंडोम भी उपलब्ध हैं, जो अक्सर नाइट्राइल, लेटेक्स या पॉलीयुरेथेन से बने होते हैं। पुरुष कंडोम का लाभ यह है कि यह सस्ता है, उपयोग में आसान है और इसके कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी होते हैं। किशोरों को कंडोम उपलब्ध कराने से यौन गतिविधि की शुरुआत की उम्र या इसकी आवृत्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जापान में, जन्म नियंत्रण का उपयोग करने वाले लगभग 80% जोड़े कंडोम का उपयोग करते हैं, जबकि जर्मनी में यह संख्या लगभग 25% है, और संयुक्त राज्य अमेरिका में यह 18% है। पुरुष कंडोम और शुक्राणुनाशक वाले डायाफ्राम का सामान्य उपयोग प्रथम वर्ष में विफल रहता है। क्रमशः 18% और 12% की दरें। सही उपयोग के साथ कंडोम अधिक प्रभावी होते हैं, जिसमें प्रथम वर्ष की विफलता दर 2% होती है, जबकि डायाफ्राम के साथ प्रथम वर्ष की विफलता दर 6% होती है। एचआईवी/एड्स जैसे कुछ यौन संचारित संक्रमणों के प्रसार को रोकने में कंडोम का अतिरिक्त लाभ होता है, हालांकि, जानवरों की आंत से बने कंडोम ऐसा नहीं करते हैं। गर्भनिरोधक स्पंज एक शुक्राणुनाशक के साथ एक बाधा को जोड़ते हैं। डायाफ्राम की तरह, उन्हें संभोग से पहले योनि में डाला जाता है और प्रभावी होने के लिए उन्हें गर्भाशय ग्रीवा के ऊपर रखा जाना चाहिए। पहले वर्ष के दौरान सामान्य विफलता दर इस बात पर निर्भर करती है कि महिला ने पहले बच्चे को जन्म दिया है या नहीं, जिनके पास यह 24% है और जिनके पास नहीं है उनमें यह 12% है। स्पंज को संभोग से 24 घंटे पहले तक डाला जा सकता है और उसके बाद कम से कम छह घंटे तक उसे उसी जगह पर छोड़ देना चाहिए। एलर्जी प्रतिक्रियाएं और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम जैसे अधिक गंभीर प्रतिकूल प्रभाव बताए गए हैं।
अनशन में विघ्न डालने से क्षुब्ध बाबा रामदेव ने सरकार की जमकर खिंचाई की और अपने समर्थकों पर पुलिसिया बर्बरता को लेकर सोनिया गांधी को निशाना बनाया। रामदेव ने देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। रामलीला मैदान में महिलाओं और बच्चों पर पुलिस कार्रवाई को लोकतंत्र पर कलंक बताते हुए उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार ने उन्हें जान से मारने का षड्यंत्र रचा और वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक के दौरान ही उन्हें धमकी दी गई थी। दिल्ली से यहां भेजने के पहले रैली में नाटकीय घटनाक्रम में हिरासत में लिए गए रामदेव काफी विचलित नजर आ रहे थे। अपने समर्थकों पर आधी रात को हुई कार्रवाई को लेकर ऐसा लग रहा था कि वह रो पड़ेंगे। उन्होंने थ्येनमान चौक नरसंहार का जिक्र करते हुए कहा, एक लाख लोगों पर बर्बरता और अत्याचार ने सारी हदें पार कर दीं। इस तरह का अत्याचार चीन के अलावा कहीं और नहीं देखा गया जहां हजारों लोग मारे गए थे। रामदेव ने कहा, सत्याग्रह खत्म नहीं हुआ है। सरकार को अवश्य जवाब देना चाहिए। हम देशभर के गांवों में हर दरवाजे पर जाएंगे और लोगों को इस सरकार की बर्बरता के बारे में बताएंगे। हम फिर दिल्ली जाएंगे या अगर मुझे दबाने का षड्यंत्र किया जाता है तो हम दिल्ली के नजदीक किसी जगह पर सत्याग्रह पर बैठेंगे।
सर फ़िलोमी टेलीटो ( Sir Filoimea Telito ) (1945-2011) तुवालू के एक राजनेता हैं। उन्हें 15 अप्रैल 2005 से 19 मार्च 2010 के बीच, तुवालू की रानी, एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा, तुवालू के गवर्नर-जनरल यानि महाराज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था। इस काल के दौरान वे महारानी के प्रतिनिधि के रूप में, उनकी अनुपस्थिति के दौरान शासक के कर्तव्यों का निर्वाह करते थे। इन्हें भी देखें तुवालू तुवालू का राजतंत्र तुवालू के गवर्नर-जनरल तुवालू के महाराज्यपालगण की सूची सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ तुवालू के गवर्नर-जनरल तुवालू के लोग 1945 में जन्मे लोग २०११ में निधन
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन (; उच्चारण : इंटर्नैशनल् सोसाईटी फ़ॉर क्रिश्ना कॉनशियस्नेस् -इस्कॉन), को "हरे कृष्ण आन्दोलन" के नाम से भी जाना जाता है। इसे १९६६ में न्यूयॉर्क नगर में भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद ने प्रारम्भ किया था। देश-विदेश में इसके अनेक मंदिर और विद्यालय है। स्थापना एवं प्रसार कृष्ण भक्ति में लीन इस अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना श्रीकृष्णकृपा श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपादजी ने सन् १९६६ में न्यू यॉर्क सिटी में की थी। गुरु भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी ने प्रभुपाद महाराज से कहा तुम युवा हो, तेजस्वी हो, कृष्ण भक्ति का विदेश में प्रचार-प्रसार करों। आदेश का पालन करने के लिए उन्होंने ५९ वर्ष की आयु में संन्यास ले लिया और गुरु आज्ञा पूर्ण करने का प्रयास करने लगे। अथक प्रयासों के बाद सत्तर वर्ष की आयु में न्यूयॉर्क में कृष्णभवनामृत संघ की स्थापना की। न्यूयॉर्क से प्रारंभ हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल धारा शीघ्र ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। कई देश हरे रामा-हरे कृष्णा के पावन भजन से गुंजायमान होने लगे। अपने साधारण नियम और सभी जाति-धर्म के प्रति समभाव के चलते इस मंदिर के अनुयायीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर वह व्यक्ति जो कृष्ण में लीन होना चाहता है, उनका यह मंदिर स्वागत करता है। स्वामी प्रभुपादजी के अथक प्रयासों के कारण दस वर्ष के अल्प समय में ही समूचे विश्व में १०८ मंदिरों का निर्माण हो चुका था। इस समय इस्कॉन समूह के लगभग ४०० से अधिक मंदिरों की स्थापना हो चुकी है। महामन्त्र नियम एवं सिद्धान्त पूरी दुनिया में इतने अधिक अनुयायी होने का कारण यहाँ मिलने वाली असीम शांति है। इसी शांति की तलाश में पूरब की गीता पश्चिम के लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगी। यहाँ के मतावलंबियों को चार सरल नियमों का पालन करना होता है- धर्म के चार स्तम्भ - तप, शौच, दया तथा सत्य हैं। इसी का व्यावहारिक पालन करने हेतु इस्कॉन के कुछ मूलभूत नियम हैं। तप : किसी भी प्रकार का नशा नहीं। चाय, कॉफ़ी भी नहीं। शौच : अवैध स्त्री/पुरुष गमन नहीं। दया : माँसाहार/ अभक्ष्य भक्षण नहीं। (लहसुन, प्याज़ भी नहीं) सत्य : जुआ नहीं। (शेयर बाज़ारी भी नहीं) उन्हें तामसिक भोजन त्यागना होगा (तामसिक भोजन के तहत उन्हें प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा आदि से दूर रहना होगा) अनैतिक आचरण से दूर रहना (इसके तहत जुआ, पब, वेश्यालय जैसे स्थानों पर जाना वर्जित है) एक घंटा शास्त्राध्ययन (इसमें गीता और भारतीय धर्म-इतिहास से जुड़े शास्त्रों का अध्ययन करना होता है) 'हरे कृष्णा-हरे कृष्णा' नाम की १६ बार माला करना होती है। योगदान भारत से बाहर विदेशों में हजारों महिलाओं को साड़ी पहने चंदन की बिंदी लगाए व पुरुषों को धोती कुर्ता और गले में तुलसी की माला पहने देखा जा सकता है। लाखों ने मांसाहार तो क्या चाय, कॉफी, प्याज, लहसुन जैसे तामसी पदार्थों का सेवन छोड़कर शाकाहार शुरू कर दिया है। वे लगातार ‘हरे राम-हरे कृष्ण’ का कीर्तन भी करते रहते हैं। इस्कॉन ने पश्चिमी देशों में अनेक भव्य मन्दिर व विद्यालय बनवाये हैं। इस्कॉन के अनुयायी विश्व में गीता एवं हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं। चित्रावली इन्हें भी देखें इस्कॉन मंदिर, दिल्ली कृष्ण बलराम मंदिर, वृन्दावन श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म बाहरी कड़ियाँ ISKCON Worldwide Krishna.com धर्म
आने वाले दिनों में मैसेजिंग ऐप को लेकर कानून में बड़े बदलाव हो सकते हैं. आगे उसी की एक रूपरेखा पेश की गई है... साभार: NewsFlicks
टेस्ट क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी की विकेटकीपिंग की आलोचना करते हुए न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान मार्टिन क्रो ने कहा है कि भारतीय कप्तान थकान और लगातार खेलने के कारण सिर्फ 'स्टॉपर' बन गए हैं। क्रो ने ईएसपीएन क्रिक इंफो पर अपने कॉलम में लिखा, एमएस धोनी की विकेटकीपिंग के स्तर में गिरावट के बारे में काफी कुछ कहा और लिखा जा चुका है। अति व्यस्त कार्यक्रम के कारण वह सिर्फ स्टॉपर बनकर रह गए हैं। उन्होंने कहा, भारत और इंग्लैंड के बीच ताजा टेस्ट शृंखला में हमने दोनों टीमों का पासा बार-बार पलटते देखा और उसमें विकेटकीपरों की भूमिका अहम हो गई थी। स्टम्प के पीछे ऊर्जा के अभाव का असर गेंदबाजी और फील्डिंग पर पड़ता है और भारत ने इसका खामियाजा भुगता। क्रो ने कहा कि धोनी को टेस्ट में ब्रेक दिया जाना चाहिए, क्योंकि वह सबसे ज्यादा क्रिकेट खेल रहे हैं। उन्होंने कहा, अब उस पर इसका असर पड़ रहा है और थके हुए दिमाग और ढलते शरीर के साथ भारत टेस्ट क्रिकेट में फील्ड पर लंबे समय नहीं टिक सकता।
यह एक लेख है: सीबीएसई पेपर लीक मामले ने एक बार फिर से देश की परीक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिये हैं. सीबीएसई ने बुधवार को घोषणा की थी कि पेपर लीक के मद्देनजर 10वीं की गणित की परीक्षा और कक्षा 12वीं की अर्थशास्त्र की परीक्षा दोबारा ली जाएगी. इस बीच पहली बार इस मामले पर सीबीएसई अध्यक्ष अनीता करवाल ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है. सीबीएसई अध्यक्ष अनीता करवाल ने कहा है कि हमने यह फैसला छात्रों के पक्ष में लिया है. हम उनकी बेहतरी के लिए लगातार काम कर रहे हैं. परीक्षा के तारीखों की जल्द ही घोषणा की जाएगी.  इससे पहले इसी मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं अभिभावकों और विधार्थियों के दर्द को समझ सकता हूं. मैं भी नहीं सो सका, मैं भी एक अभिभावक हूं. इस पेपर लीक मामले में जो भी दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पुलिस जल्द ही दोषियों को अपनी गिरफ्त में लेगी. जिस तरह से पुलिस ने एसएससी के मामले में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया है, वैसे ही इसमें भी गिरफ्तारी होगी.  उन्होंने आगे कहा कि सीबीएसई की तारीफ सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है. हम इसकी तह तक जाएंगे. हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि आगे से ऐसी कोई धोखाधड़ी नहीं होगी. हम सिस्टम में सुधार करेंगे. उन्होंने कहा कि सीबीएसई जल्द ही सोमवार या मंगलवार को नई तारीखों की घोषणा करेगा. इससे पहले प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि 'ऐसी कोई लीक नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक नयी व्यवस्था सोमवार से लागू हो जायेगी. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अन्याय नहीं हो. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पेपर लीक होने की खबरों से उन्हें काफी दुख हुआ है, साथ ही जोर दिया कि उन्हें भरोसा है कि पुलिस जांच करेगी और दोषियों को पकड़ लेगी.' टिप्पणियां हालांकि, इसे लेकर अब सीबीएसई और प्रशासन हरकत में दिख रहा है. सीबीएसई की 12वीं कक्षा की अर्थशास्त्र का पेपर तथा 10वीं कक्षा की गणित का पर्चा कथित रूप से लीक होने के मामले में अब ज्वाइंट कमिश्नर के नेतृत्व में एसआईटी जांच करेगी. इससे पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू की थी और कई जगहों पर छापे मारी भी की थी. दिल्ली में बुधवार की देर रात 8 जगहों पर छापेमारी की गई थी. बता दें कि सूत्रों के अनुसार खबर थी कि CBSE पर्चा लीक पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की बात कर इस पूरे प्रकरण पर नाखुशी जताई है. प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ऐसी कोई लीक नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिये एक नयी व्यवस्था सोमवार से लागू हो जायेगी. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अन्याय नहीं हो. इससे पहले इसी मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं अभिभावकों और विधार्थियों के दर्द को समझ सकता हूं. मैं भी नहीं सो सका, मैं भी एक अभिभावक हूं. इस पेपर लीक मामले में जो भी दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पुलिस जल्द ही दोषियों को अपनी गिरफ्त में लेगी. जिस तरह से पुलिस ने एसएससी के मामले में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया है, वैसे ही इसमें भी गिरफ्तारी होगी.  उन्होंने आगे कहा कि सीबीएसई की तारीफ सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है. हम इसकी तह तक जाएंगे. हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि आगे से ऐसी कोई धोखाधड़ी नहीं होगी. हम सिस्टम में सुधार करेंगे. उन्होंने कहा कि सीबीएसई जल्द ही सोमवार या मंगलवार को नई तारीखों की घोषणा करेगा. इससे पहले प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि 'ऐसी कोई लीक नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक नयी व्यवस्था सोमवार से लागू हो जायेगी. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अन्याय नहीं हो. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पेपर लीक होने की खबरों से उन्हें काफी दुख हुआ है, साथ ही जोर दिया कि उन्हें भरोसा है कि पुलिस जांच करेगी और दोषियों को पकड़ लेगी.' टिप्पणियां हालांकि, इसे लेकर अब सीबीएसई और प्रशासन हरकत में दिख रहा है. सीबीएसई की 12वीं कक्षा की अर्थशास्त्र का पेपर तथा 10वीं कक्षा की गणित का पर्चा कथित रूप से लीक होने के मामले में अब ज्वाइंट कमिश्नर के नेतृत्व में एसआईटी जांच करेगी. इससे पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू की थी और कई जगहों पर छापे मारी भी की थी. दिल्ली में बुधवार की देर रात 8 जगहों पर छापेमारी की गई थी. बता दें कि सूत्रों के अनुसार खबर थी कि CBSE पर्चा लीक पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की बात कर इस पूरे प्रकरण पर नाखुशी जताई है. प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ऐसी कोई लीक नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिये एक नयी व्यवस्था सोमवार से लागू हो जायेगी. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अन्याय नहीं हो. उन्होंने आगे कहा कि सीबीएसई की तारीफ सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है. हम इसकी तह तक जाएंगे. हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि आगे से ऐसी कोई धोखाधड़ी नहीं होगी. हम सिस्टम में सुधार करेंगे. उन्होंने कहा कि सीबीएसई जल्द ही सोमवार या मंगलवार को नई तारीखों की घोषणा करेगा. इससे पहले प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि 'ऐसी कोई लीक नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक नयी व्यवस्था सोमवार से लागू हो जायेगी. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अन्याय नहीं हो. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पेपर लीक होने की खबरों से उन्हें काफी दुख हुआ है, साथ ही जोर दिया कि उन्हें भरोसा है कि पुलिस जांच करेगी और दोषियों को पकड़ लेगी.' टिप्पणियां हालांकि, इसे लेकर अब सीबीएसई और प्रशासन हरकत में दिख रहा है. सीबीएसई की 12वीं कक्षा की अर्थशास्त्र का पेपर तथा 10वीं कक्षा की गणित का पर्चा कथित रूप से लीक होने के मामले में अब ज्वाइंट कमिश्नर के नेतृत्व में एसआईटी जांच करेगी. इससे पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू की थी और कई जगहों पर छापे मारी भी की थी. दिल्ली में बुधवार की देर रात 8 जगहों पर छापेमारी की गई थी. बता दें कि सूत्रों के अनुसार खबर थी कि CBSE पर्चा लीक पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की बात कर इस पूरे प्रकरण पर नाखुशी जताई है. प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ऐसी कोई लीक नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिये एक नयी व्यवस्था सोमवार से लागू हो जायेगी. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अन्याय नहीं हो. हालांकि, इसे लेकर अब सीबीएसई और प्रशासन हरकत में दिख रहा है. सीबीएसई की 12वीं कक्षा की अर्थशास्त्र का पेपर तथा 10वीं कक्षा की गणित का पर्चा कथित रूप से लीक होने के मामले में अब ज्वाइंट कमिश्नर के नेतृत्व में एसआईटी जांच करेगी. इससे पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू की थी और कई जगहों पर छापे मारी भी की थी. दिल्ली में बुधवार की देर रात 8 जगहों पर छापेमारी की गई थी. बता दें कि सूत्रों के अनुसार खबर थी कि CBSE पर्चा लीक पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की बात कर इस पूरे प्रकरण पर नाखुशी जताई है. प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ऐसी कोई लीक नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिये एक नयी व्यवस्था सोमवार से लागू हो जायेगी. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अन्याय नहीं हो. बता दें कि सूत्रों के अनुसार खबर थी कि CBSE पर्चा लीक पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की बात कर इस पूरे प्रकरण पर नाखुशी जताई है. प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ऐसी कोई लीक नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिये एक नयी व्यवस्था सोमवार से लागू हो जायेगी. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अन्याय नहीं हो.
यह लेख है: जेडीयू अध्यक्ष और एनडीए के संयोजक शरद यादव ने बीजेपी पर अपने नेताओं के ताजा हमलों को लेकर कहा है कि पार्टी नेता अनर्गल बयानबाजी से परहेज करें और बिहार के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछकर ही बयान जारी करें। शरद यादव ने यह भी कहा कि कुछ मतभेदों के बावजूद एनडीए के अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जहां जेडीयू ने यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया है, वहीं बीजेपी ने पीए संगमा को समर्थन देने का ऐलान किया है।टिप्पणियां गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी लगातार बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं और महंगाई के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र की यूपीए सरकार के बचाव तक में तर्क दे डाला। शिवानंद ने कल महंगाई के खिलाफ बीजेपी के देशव्यापी प्रदर्शन के बारे में कहा कि मौजूदा हालत में कोई भी वित्तमंत्री होता, तो स्थिति ऐसी ही होती। उन्होंने साफ तौर पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर रविशंकर ही वित्तमंत्री होते तो हालात इससे अलग नहीं होते। खुद नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमले करते रहे हैं। शरद यादव ने यह भी कहा कि कुछ मतभेदों के बावजूद एनडीए के अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जहां जेडीयू ने यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया है, वहीं बीजेपी ने पीए संगमा को समर्थन देने का ऐलान किया है।टिप्पणियां गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी लगातार बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं और महंगाई के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र की यूपीए सरकार के बचाव तक में तर्क दे डाला। शिवानंद ने कल महंगाई के खिलाफ बीजेपी के देशव्यापी प्रदर्शन के बारे में कहा कि मौजूदा हालत में कोई भी वित्तमंत्री होता, तो स्थिति ऐसी ही होती। उन्होंने साफ तौर पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर रविशंकर ही वित्तमंत्री होते तो हालात इससे अलग नहीं होते। खुद नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमले करते रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी लगातार बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं और महंगाई के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र की यूपीए सरकार के बचाव तक में तर्क दे डाला। शिवानंद ने कल महंगाई के खिलाफ बीजेपी के देशव्यापी प्रदर्शन के बारे में कहा कि मौजूदा हालत में कोई भी वित्तमंत्री होता, तो स्थिति ऐसी ही होती। उन्होंने साफ तौर पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर रविशंकर ही वित्तमंत्री होते तो हालात इससे अलग नहीं होते। खुद नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमले करते रहे हैं। शिवानंद ने कल महंगाई के खिलाफ बीजेपी के देशव्यापी प्रदर्शन के बारे में कहा कि मौजूदा हालत में कोई भी वित्तमंत्री होता, तो स्थिति ऐसी ही होती। उन्होंने साफ तौर पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर रविशंकर ही वित्तमंत्री होते तो हालात इससे अलग नहीं होते। खुद नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमले करते रहे हैं।
यह लेख है: हम सब 'बाई' में है। बचपन में सुना था ये शब्द। मतलब अंधाधुंध रफ़्तार से भागे जा रहे हैं। तब ज़िंदगी रफ़्तार को अलग से देख लेती थी, अब रफ़्तार ही ज़िंदगी है। ऐसे में कोई फ़िल्म हमारे ज़हन में ठहर जाए तो आदमी के पास भागने के लिए कोई दूसरा शहर नहीं बचता। अलीगढ़ ने रफ़्तार का साथ दिया, मगर अब वो ठहरने लगा है। शहर और विश्वविद्यालय दोनों। मुझे उम्मीद थी कि जहां-जहां अलीगढ़ के पढ़े छात्रों का समूह है, वहां ये फ़िल्म दिखायी जाएगी और देखी जाएगी। अलीगढ़ एक स्टेशन का नाम भर नहीं है कि वो खड़ा रह जाए और बदलते ज़माने की रफ़्तार वाली गाड़ियां वहां से गुज़र जाए। अलीगढ़ धारणाओं के बोझ से दबा एक शहर और तालीम का इदारा है। इसके गलियारे में चलता हुआ कोई प्रोफेसर विरासत के साये में ही चलता होगा, मगर क्या उसके क़दम मुस्तक़बिल की तरफ़ बढ़ते होंगे या वो माज़ी की तरफ़ मुड़ जाते होंगे। प्रोफेसर सिरस की कहानी को अगर तब के छात्र नहीं समझ पाये तो क्या अब समझ सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि होस्टलों से जत्था निकले और अलीगढ़ देखने जाए। विश्वविद्यालयों के भीतर विविधता को लेकर ईमानदार बहस हो तभी हम अभिव्यक्ति की विविधताओं पर हो रहे बाहरी हमले का सामना कर पायेंगे। भीड़ हमेशा बाहर से नहीं आती है। भीड़ हमेशा बाहर की भीड़ के मुक़ाबले में नहीं बनती है। भीड़ 'अपनों' से भी बनती है और कोई भीतर का भी अपनों के ख़िलाफ़ हम सबको भीड़ में बदल देता है। हम सबको देखना होगा कि हम बाहर की भीड़ के ख़िलाफ़ हैं या भीड़ बनने की प्रवृति के ख़िलाफ़ भी। इस समय में जब हम सब तरह-तरह की भीड़ से घिरे हैं, अलीगढ़ फ़िल्म उससे निकलने का रास्ता बताती है। प्रोफेसर सिरस के घर में पहले छोटी भीड़ घुसती है। बाद में बड़ी भीड़ आती है और फिर वो सवाल खड़े देती है, जिसका कोई तुक नहीं होता। अलीगढ़ एक ऐसी फ़िल्म है जिसे देखते समय फ़िल्म देखने के अनुभव को भी चुनौती मिलती है। इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ूबी है कि फ़िल्म की तरह होने का दावा नहीं करती। अलीगढ़ की कहानी जेएनयू की घटना से कितनी मिलती है। फ़िल्म कई स्तरों पर चलती है। प्रोफेसर सिरस शब्दों के बीच बची हुई किसी अज्ञात जगह में रहना चाहते हैं। शब्द से इतने घिर जाते हैं कि नए अनजान शब्दों के मुल्क अमरीका जाना चाहते हैं। उनके लिए हर अहसास शब्द नहीं है जैसे कि हर अच्छा काम ज़रूरी नहीं कि अद्भुत, अद्वितीय और शानदार ही हो। पर इस दुनिया में हम सब शब्दों के शिकंजे में बंधे हुए हैं। इससे मुक्ति का रास्ता किसी को मालूम नहीं।टिप्पणियां उस किरदार को मनोज वाजपेयी ने शब्दों के बिना जीने का प्रयास किया है। कम बोलते हुए भी वे ज़्यादा बोलते हैं। हर वक्त एक निर्मम उदासी को लादे चले आ रहे हैं, मगर किरदार भीतर से कितना भरा-पूरा है। जो बाहर से भरा-पूरा है वो अंदर से कितना ख़ाली है, जो बाहर से ख़ाली है वो अंदर से कितना भरा है। एक ऐसे समय में जब पत्रकारों के बारे में क्या-क्या कहा जा रहा है, अलीगढ़ फ़िल्म का पत्रकार बुनियादी सवालों के जवाब खोजने जाता है। अच्छा ही लगा। मीडिया समाज की रचनाएं कमज़ोर शख्स के लिए बेहद क्रूर होती है। अदालत से जीत कर भी प्रोफेसर हार जाते हैं या उन्हें उसी साज़िश के तहत हरा दिया जाता है, जिसके कारण वे पहली बार अपराधी करार दिये जाते हैं। अच्छा लगा कि नौजवानों के साथ देख रहा था। यक़ीन हुआ कि कुछ लोग हैं जो दुनिया को समझना चाहते हैं। ज़िंदगी को खोजना चाहते हैं। अलीगढ़ देख आया हूं। शब्दों की तरह पसंद-नापसंद के दायरे से निकलने का असर हुआ है तभी तो ये नहीं लिख पा रहा कि फ़िल्म कैसी है। उल्टा है। यह फ़िल्म हमीं से पूछती है आप कैसे हैं? ऐसे क्यों हैं? अलीगढ़ धारणाओं के बोझ से दबा एक शहर और तालीम का इदारा है। इसके गलियारे में चलता हुआ कोई प्रोफेसर विरासत के साये में ही चलता होगा, मगर क्या उसके क़दम मुस्तक़बिल की तरफ़ बढ़ते होंगे या वो माज़ी की तरफ़ मुड़ जाते होंगे। प्रोफेसर सिरस की कहानी को अगर तब के छात्र नहीं समझ पाये तो क्या अब समझ सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि होस्टलों से जत्था निकले और अलीगढ़ देखने जाए। विश्वविद्यालयों के भीतर विविधता को लेकर ईमानदार बहस हो तभी हम अभिव्यक्ति की विविधताओं पर हो रहे बाहरी हमले का सामना कर पायेंगे। भीड़ हमेशा बाहर से नहीं आती है। भीड़ हमेशा बाहर की भीड़ के मुक़ाबले में नहीं बनती है। भीड़ 'अपनों' से भी बनती है और कोई भीतर का भी अपनों के ख़िलाफ़ हम सबको भीड़ में बदल देता है। हम सबको देखना होगा कि हम बाहर की भीड़ के ख़िलाफ़ हैं या भीड़ बनने की प्रवृति के ख़िलाफ़ भी। इस समय में जब हम सब तरह-तरह की भीड़ से घिरे हैं, अलीगढ़ फ़िल्म उससे निकलने का रास्ता बताती है। प्रोफेसर सिरस के घर में पहले छोटी भीड़ घुसती है। बाद में बड़ी भीड़ आती है और फिर वो सवाल खड़े देती है, जिसका कोई तुक नहीं होता। अलीगढ़ एक ऐसी फ़िल्म है जिसे देखते समय फ़िल्म देखने के अनुभव को भी चुनौती मिलती है। इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ूबी है कि फ़िल्म की तरह होने का दावा नहीं करती। अलीगढ़ की कहानी जेएनयू की घटना से कितनी मिलती है। फ़िल्म कई स्तरों पर चलती है। प्रोफेसर सिरस शब्दों के बीच बची हुई किसी अज्ञात जगह में रहना चाहते हैं। शब्द से इतने घिर जाते हैं कि नए अनजान शब्दों के मुल्क अमरीका जाना चाहते हैं। उनके लिए हर अहसास शब्द नहीं है जैसे कि हर अच्छा काम ज़रूरी नहीं कि अद्भुत, अद्वितीय और शानदार ही हो। पर इस दुनिया में हम सब शब्दों के शिकंजे में बंधे हुए हैं। इससे मुक्ति का रास्ता किसी को मालूम नहीं।टिप्पणियां उस किरदार को मनोज वाजपेयी ने शब्दों के बिना जीने का प्रयास किया है। कम बोलते हुए भी वे ज़्यादा बोलते हैं। हर वक्त एक निर्मम उदासी को लादे चले आ रहे हैं, मगर किरदार भीतर से कितना भरा-पूरा है। जो बाहर से भरा-पूरा है वो अंदर से कितना ख़ाली है, जो बाहर से ख़ाली है वो अंदर से कितना भरा है। एक ऐसे समय में जब पत्रकारों के बारे में क्या-क्या कहा जा रहा है, अलीगढ़ फ़िल्म का पत्रकार बुनियादी सवालों के जवाब खोजने जाता है। अच्छा ही लगा। मीडिया समाज की रचनाएं कमज़ोर शख्स के लिए बेहद क्रूर होती है। अदालत से जीत कर भी प्रोफेसर हार जाते हैं या उन्हें उसी साज़िश के तहत हरा दिया जाता है, जिसके कारण वे पहली बार अपराधी करार दिये जाते हैं। अच्छा लगा कि नौजवानों के साथ देख रहा था। यक़ीन हुआ कि कुछ लोग हैं जो दुनिया को समझना चाहते हैं। ज़िंदगी को खोजना चाहते हैं। अलीगढ़ देख आया हूं। शब्दों की तरह पसंद-नापसंद के दायरे से निकलने का असर हुआ है तभी तो ये नहीं लिख पा रहा कि फ़िल्म कैसी है। उल्टा है। यह फ़िल्म हमीं से पूछती है आप कैसे हैं? ऐसे क्यों हैं? भीड़ हमेशा बाहर से नहीं आती है। भीड़ हमेशा बाहर की भीड़ के मुक़ाबले में नहीं बनती है। भीड़ 'अपनों' से भी बनती है और कोई भीतर का भी अपनों के ख़िलाफ़ हम सबको भीड़ में बदल देता है। हम सबको देखना होगा कि हम बाहर की भीड़ के ख़िलाफ़ हैं या भीड़ बनने की प्रवृति के ख़िलाफ़ भी। इस समय में जब हम सब तरह-तरह की भीड़ से घिरे हैं, अलीगढ़ फ़िल्म उससे निकलने का रास्ता बताती है। प्रोफेसर सिरस के घर में पहले छोटी भीड़ घुसती है। बाद में बड़ी भीड़ आती है और फिर वो सवाल खड़े देती है, जिसका कोई तुक नहीं होता। अलीगढ़ एक ऐसी फ़िल्म है जिसे देखते समय फ़िल्म देखने के अनुभव को भी चुनौती मिलती है। इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ूबी है कि फ़िल्म की तरह होने का दावा नहीं करती। अलीगढ़ की कहानी जेएनयू की घटना से कितनी मिलती है। फ़िल्म कई स्तरों पर चलती है। प्रोफेसर सिरस शब्दों के बीच बची हुई किसी अज्ञात जगह में रहना चाहते हैं। शब्द से इतने घिर जाते हैं कि नए अनजान शब्दों के मुल्क अमरीका जाना चाहते हैं। उनके लिए हर अहसास शब्द नहीं है जैसे कि हर अच्छा काम ज़रूरी नहीं कि अद्भुत, अद्वितीय और शानदार ही हो। पर इस दुनिया में हम सब शब्दों के शिकंजे में बंधे हुए हैं। इससे मुक्ति का रास्ता किसी को मालूम नहीं।टिप्पणियां उस किरदार को मनोज वाजपेयी ने शब्दों के बिना जीने का प्रयास किया है। कम बोलते हुए भी वे ज़्यादा बोलते हैं। हर वक्त एक निर्मम उदासी को लादे चले आ रहे हैं, मगर किरदार भीतर से कितना भरा-पूरा है। जो बाहर से भरा-पूरा है वो अंदर से कितना ख़ाली है, जो बाहर से ख़ाली है वो अंदर से कितना भरा है। एक ऐसे समय में जब पत्रकारों के बारे में क्या-क्या कहा जा रहा है, अलीगढ़ फ़िल्म का पत्रकार बुनियादी सवालों के जवाब खोजने जाता है। अच्छा ही लगा। मीडिया समाज की रचनाएं कमज़ोर शख्स के लिए बेहद क्रूर होती है। अदालत से जीत कर भी प्रोफेसर हार जाते हैं या उन्हें उसी साज़िश के तहत हरा दिया जाता है, जिसके कारण वे पहली बार अपराधी करार दिये जाते हैं। अच्छा लगा कि नौजवानों के साथ देख रहा था। यक़ीन हुआ कि कुछ लोग हैं जो दुनिया को समझना चाहते हैं। ज़िंदगी को खोजना चाहते हैं। अलीगढ़ देख आया हूं। शब्दों की तरह पसंद-नापसंद के दायरे से निकलने का असर हुआ है तभी तो ये नहीं लिख पा रहा कि फ़िल्म कैसी है। उल्टा है। यह फ़िल्म हमीं से पूछती है आप कैसे हैं? ऐसे क्यों हैं? अलीगढ़ एक ऐसी फ़िल्म है जिसे देखते समय फ़िल्म देखने के अनुभव को भी चुनौती मिलती है। इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ूबी है कि फ़िल्म की तरह होने का दावा नहीं करती। अलीगढ़ की कहानी जेएनयू की घटना से कितनी मिलती है। फ़िल्म कई स्तरों पर चलती है। प्रोफेसर सिरस शब्दों के बीच बची हुई किसी अज्ञात जगह में रहना चाहते हैं। शब्द से इतने घिर जाते हैं कि नए अनजान शब्दों के मुल्क अमरीका जाना चाहते हैं। उनके लिए हर अहसास शब्द नहीं है जैसे कि हर अच्छा काम ज़रूरी नहीं कि अद्भुत, अद्वितीय और शानदार ही हो। पर इस दुनिया में हम सब शब्दों के शिकंजे में बंधे हुए हैं। इससे मुक्ति का रास्ता किसी को मालूम नहीं।टिप्पणियां उस किरदार को मनोज वाजपेयी ने शब्दों के बिना जीने का प्रयास किया है। कम बोलते हुए भी वे ज़्यादा बोलते हैं। हर वक्त एक निर्मम उदासी को लादे चले आ रहे हैं, मगर किरदार भीतर से कितना भरा-पूरा है। जो बाहर से भरा-पूरा है वो अंदर से कितना ख़ाली है, जो बाहर से ख़ाली है वो अंदर से कितना भरा है। एक ऐसे समय में जब पत्रकारों के बारे में क्या-क्या कहा जा रहा है, अलीगढ़ फ़िल्म का पत्रकार बुनियादी सवालों के जवाब खोजने जाता है। अच्छा ही लगा। मीडिया समाज की रचनाएं कमज़ोर शख्स के लिए बेहद क्रूर होती है। अदालत से जीत कर भी प्रोफेसर हार जाते हैं या उन्हें उसी साज़िश के तहत हरा दिया जाता है, जिसके कारण वे पहली बार अपराधी करार दिये जाते हैं। अच्छा लगा कि नौजवानों के साथ देख रहा था। यक़ीन हुआ कि कुछ लोग हैं जो दुनिया को समझना चाहते हैं। ज़िंदगी को खोजना चाहते हैं। अलीगढ़ देख आया हूं। शब्दों की तरह पसंद-नापसंद के दायरे से निकलने का असर हुआ है तभी तो ये नहीं लिख पा रहा कि फ़िल्म कैसी है। उल्टा है। यह फ़िल्म हमीं से पूछती है आप कैसे हैं? ऐसे क्यों हैं? उस किरदार को मनोज वाजपेयी ने शब्दों के बिना जीने का प्रयास किया है। कम बोलते हुए भी वे ज़्यादा बोलते हैं। हर वक्त एक निर्मम उदासी को लादे चले आ रहे हैं, मगर किरदार भीतर से कितना भरा-पूरा है। जो बाहर से भरा-पूरा है वो अंदर से कितना ख़ाली है, जो बाहर से ख़ाली है वो अंदर से कितना भरा है। एक ऐसे समय में जब पत्रकारों के बारे में क्या-क्या कहा जा रहा है, अलीगढ़ फ़िल्म का पत्रकार बुनियादी सवालों के जवाब खोजने जाता है। अच्छा ही लगा। मीडिया समाज की रचनाएं कमज़ोर शख्स के लिए बेहद क्रूर होती है। अदालत से जीत कर भी प्रोफेसर हार जाते हैं या उन्हें उसी साज़िश के तहत हरा दिया जाता है, जिसके कारण वे पहली बार अपराधी करार दिये जाते हैं। अच्छा लगा कि नौजवानों के साथ देख रहा था। यक़ीन हुआ कि कुछ लोग हैं जो दुनिया को समझना चाहते हैं। ज़िंदगी को खोजना चाहते हैं। अलीगढ़ देख आया हूं। शब्दों की तरह पसंद-नापसंद के दायरे से निकलने का असर हुआ है तभी तो ये नहीं लिख पा रहा कि फ़िल्म कैसी है। उल्टा है। यह फ़िल्म हमीं से पूछती है आप कैसे हैं? ऐसे क्यों हैं? अच्छा लगा कि नौजवानों के साथ देख रहा था। यक़ीन हुआ कि कुछ लोग हैं जो दुनिया को समझना चाहते हैं। ज़िंदगी को खोजना चाहते हैं। अलीगढ़ देख आया हूं। शब्दों की तरह पसंद-नापसंद के दायरे से निकलने का असर हुआ है तभी तो ये नहीं लिख पा रहा कि फ़िल्म कैसी है। उल्टा है। यह फ़िल्म हमीं से पूछती है आप कैसे हैं? ऐसे क्यों हैं?
देश के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 में उस वक्‍़त कर दी गई, जब वो एक चुनावी रैली में हिस्सा ले रहे थे. हमने इतिहास के कुछ ऐसे पन्ने खंगालने की कोशिश की, जिनमें दिग्गज नेताओं को मौत के घाट ‌उतार दिया गया. देश का सबसे युवा प्रधानमंत्री: श्रीपुरुमबदूर में राजीव गांधी की हत्या की लिट्टे की थेनमोझी राजारत्नम उर्फ धनु ने. लिट्टे ने दावा किया कि इस हत्या से 1987 में राजीव के श्रीलंका में भातरीय शांति सेना भेजने का बदला लिया गया. धनु ने धमाका करने से पहले राजीव के पैर भी छुए थे. इस विस्फोट में 14 अन्य लोग भी मारे गए. देश की आयरन लेडी: 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के दो सिख बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने की. ऐसा ऑपरेशन ब्लू स्‍टार का बदला लेने के लिए किया गया. जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके साथियों को स्वर्ण मंदिर से बाहर निकालने के‌ लिए सेना ने बड़ा हमला किया, जिसमें कई लोग मारे गए. इंदिरा की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए, जिनमें करीब 8000 सिख कत्ल कर दिए गए थे. हे राम, राष्ट्रपिता की हत्या: 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी के सीने में एक चरमपंथी हिंदू नाथूराम गोडसे ने गोली उतार दी, जो उनके मुस्लिमों की तरफ कथित झुकाव से चिढ़ा हुआ था. गांधी बिड़ला हाउस में प्रार्थना के‌ लिए जा रहे थे, जब यह घटना हुई. इस घटना के बाद मुंबई में दंगे भड़के, जिनमें ब्राह्मणों को निशाना बनाया गया, क्योंकि गोडसे ब्राह्मण था. पाकिस्तान की इकलौती महिला PM: पाकिस्तान की 11वीं प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो को 27 दिसंबर, 2007 में इस्लामी आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया. अपनी मौत से पहले बेनज़ीर ने कहा था कि परवेज़ मुशर्रफ के करीबी पूर्व आईएसआई महानिदेशक हामिद गुल, इंटेलीजेंस ब्यूरो प्रमुख एजाज़ ख़ान और पंजाब के मुख्यमंत्री अरबाब परवेज़ इलाही उनकी जान के लिए ख़तरा बन सकते हैं. इससे पहले अक्टूबर 2007 में उनकी जान लेने की कोशिश की गई थी. सबसे युवा अमेरिकी राष्ट्रपति की हत्या: अमेरिका के सबसे नौजवान राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की डलास में 22 नवंबर 1963 को हत्या कर दी गई थी, जब वो अपने काफिले के सा‌थ जा रहे थे. उन्हें दो गोली मारी गईं. हत्या के आरोप में ली हार्वे ओस्वाल्ड को गिरफ्तार किया गया, जिसकी बाद में जैक रूबी ने हत्या कर दी. जेएफके की मौत से जुड़ी कई रहस्यमयी कहानियां हैं. जब अब्राहम लिंकन पर हुआ हमला: अमेरिका में नस्लभेद ख़त्म करने में अहम भूमिका अदा करने वाले अब्राहम लिंकन की हत्या 14 अप्रैल, 1865 को की गई थी. यह अमेरिकी सिविल वॉर खत्म होने के सिर्फ पांच दिन बाद हुई. उन्हें जॉन विल्‍क्स बू‌थ ने गोली मारी, जो एक एक्टर था. जब मार्टिन लूथर किंग नहीं रहे: नागरिक अधिकारों के हक़ में आवाज़ उठाने वाले अफ्रीकी-अमेरिकी नेता मार्टिन लूथर किंग की हत्या 4 अप्रैल 1968 में हुई, जब वो बालकनी में खड़े थे. उन्हें जेम्स अर्ल रे ने गोली मारी. इसके बाद अमेरिका के कई शहरों में दंगे भड़क गए थे. आधुनिक पाकिस्तान के संस्‍थापक: पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान की हत्या 16 अक्टूबर 1951 को की गई. उन्हें साद अकबर बबराक ने दो बार गोली मारी, जब वो रावलपिंडी में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. नेपाली शाही परिवार की हत्या: ऐसा माना जाता है कि राजकुमार दीपेंद्र ने अपनी जान लेने से पहले नारायणहिति रॉयल पैलेस में शाही परिवार के 9 सदस्यों की हत्या भी की. ऐसा कहा गया कि दीपेंद्र शराब के नशे में थे और मेहमानों के साथ बदतमीज़ी कर रहे थे. पिता के डांटने पर वो पार्टी से चले गए, लेकिन बाद में बंदूक लेकर लौटे. इनपुट: NEWSFLICKS
संसद में आज अनाज की बर्बादी पर जोरदार बहस हुई. विपक्ष ने इस मसले पर लापरवाही और बदइंतजामी की वजह से बर्बाद हो रहे गेहूं का मुद्दा उठाया. विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बताया कि बोरियों की कमी के कारण रख रखाव में हो रही है दिक्कत. सुषमा के इल्जाम थे कि मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र को बोरियों के पैसे भी दे दिए हैं, फिर भी अब तक बोरियां नहीं मिलीं. मुद्दा उठाया था जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव ने. उन्होंने ये आरोप लगाया कि एक तरफ तो अनाज सड़ रहे हैं, दूसरी तरफ सरकार गरीबों और भूखे मरते लोगों को अनाज नहीं देती. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज का आरोप है कि राज्यों के पास फसल रखने के लिए बोरियां ही नहीं हैं. सुषमा ने इल्जाम लगाया कि केंद्र को पैसा देने के बाद भी बोरियां नहीं मिल रही हैं.
मध्य प्रदेश बोर्ड की परीक्षाओं का रिजल्ट (MP Board Result) मई में जारी कर दिया जाएगा. मध्य प्रदेश बोर्ड (Madhya Pradesh Board) की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं का रिजल्ट (MP Board Result 2019) मई के दूसरे सप्ताह में जारी किया जा सकता है. हालांकि मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से रिजल्ट जारी करने की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है. स्टूडेंट्स का रिजल्ट mpbse.nic.in और mpresults.nic.in पर जारी किया जाएगा. स्टूडेंट्स इन वेबसाइट्स से ही अपना रिजल्ट (MP Board Results) चेक कर पाएंगे. स्टूडेंट्स को अपना रिजल्ट चेक करने के लिए रोल नंबर की जरूरत होगी.  मध्य प्रदेश बोर्ड की 10वीं की परीक्षाएं 1 मार्च से शुरू होकर 27 मार्च तक चली थी. जबकि 12वीं की परीक्षाएं  2 मार्च से  2 अप्रैल तक आयोजित की गई थी. बोर्ड की परीक्षाओं में 18 लाख से ज्यादा  छात्रों ने भाग लिया था. हाईस्कूल परीक्षा के लिए 3,864 और इंटर की परीक्षा के लिए 3,554 केंद्र बनाए गए थे. स्टूडेट्स नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलों कर अपना रिजल्ट चेक कर पाएंगे.
टेस्ट क्रिकेट क्रिकेट के खेल का सबसे लंबा संस्करण है। टेस्ट मैच चार पारियों में प्रत्येक ग्यारह खिलाड़ियों की अंतरराष्ट्रीय टीमों के बीच खेले जाते हैं; प्रत्येक टीम दो बार बल्लेबाजी करती है। महिलाओं के संस्करण में, खेल चार दिनों तक चलने वाला है। 1926 में इंग्लैंड में महिला क्रिकेट संघ का गठन किया गया था, और पहला महिला टेस्ट 1934 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था। इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे पर थी, जिसकी व्यवस्था डब्ल्यूसीए ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट परिषद का गठन 1958 में महिला क्रिकेट की शासी निकाय के रूप में किया गया था। 2005 में, महिला क्रिकेट को पुरुष क्रिकेट के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अंतर्गत लाया गया; उस समय परिषद के 104 सदस्यों में से 89 ने महिला क्रिकेट को विकसित करना शुरू कर दिया था। जुलाई 2019 तक, कुल दस टीमों ने कुल 140 महिला टेस्ट मैच खेले हैं और 2 मैच रद्द कर दिए गए थे। इंग्लैंड ने सबसे अधिक मैच (95) खेले हैं जबकि श्रीलंका, आयरलैंड और नीदरलैंड ने केवल एक-एक टेस्ट खेला है। सन्दर्भ क्रिकेट में शतकों की सूची
दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) के छात्रों के द्वारा एक बार फिर हंगामेदार प्रदर्शन किया जा रहा है. जेएनयू में 9 छात्राओं से यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर अतुल जौहरी के खिलाफ छात्रों और शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को लगातार हंगामे-प्रदर्शन के बाद पुलिस ने प्रोफेसर पर 8 FIR दर्ज की हैं, जिसके बाद छात्रों ने हंगामा रोका. आरोपी प्रोफेसर से आज पूछताछ हो सकती है. वसंत कुंज थाने के आस-पास सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है. थाने के गेट पर पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की गई, करीब डेढ़ सौ जवान तैनात किए गए हैं. साथ ही दिल्ली पुलिस के अधिकारी और महिला पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गई. सोमवार को जेएनयू के स्टूडेंट्स ने वसंत कुंज थाने के बाहर जमकर प्रदर्शन किया था और पुलिस के साथ झड़प हुई थी, पुलिस के बैरिकेड भी तोड़ दिए गए थे. मंगलवार की शाम करीब 5:00 बजे प्रोफेसर अतुल जौहरी को वसंत कुंज थाने पर जांच के लिए बुलाया गया है. हालांकि, इस मामले में कुछ महिला संगठन आज फिर दोपहर 12 बजे वसंत कुंज पुलिस स्टेशन पर प्रदर्शन कर सकते हैं. सोमवार शाम को भी जेएनयू के छात्रों ने यूनिवर्सिटी से मोर्चा निकाला था और वसंतकुंज पहुंचे थे. छात्रों ने वसंतकुंज पुलिस थाने पर लगी बैरिकेडिंग गिरा दी थी और छात्रों को रोकने के लिए लगाई गईं रस्सियां भी खींच लीं. छात्रों ने हाईवे भी जाम कर दिया था. छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष गीता कुमारी, उपाध्यक्ष जोया खान और अन्य छात्रों के खिलाफ डीन के ऑफिस में हंगामा मचाने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है. ये एफआईआर प्रोफेसर उमेश अशोक कदम ने दर्ज करवाई है, उनका कहना है कि छात्र ज़बरदस्ती उनके दफ्तर में घुस आए थे. उन्होंने बताया कि छात्रों ने डीन को बंधक बना लिया था. इस एफआईआर में गीता समेत कुल 17 छात्रों के नाम हैं. क्या है मांग? जेएनयू के छात्र और शिक्षक चाहते हैं कि जौहरी के खिलाफ कार्रवाई हो. उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाए. आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ सोमवार शाम को जेएनयू के छात्र वसंत कुंज थाने के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में पीड़ित छात्राओं का बयान दर्ज किया है. शिक्षकों ने प्रोफेसर जौहरी के खिलाफ दिल्ली पुलिस से भी शिकायत की है. कुछ लड़कियों का बयान दर्ज इस मामले में अब तक पीड़ित कुछ लड़कियों के 164 के तहत बयान कोर्ट में दर्ज हुए हैं. सोमवार को प्रोफेसर अतुल जौहरी को जांच में शामिल होने के लिए थाने बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आए. सोमवार को इस मामले में दो लड़कियों के बयान दर्ज हुए. दोनों लड़कियों ने सिलसिलेवार तरीके से घटना की जानकारी पुलिस को दी. इसके साथ ही इन दोनों छात्राओं के बयान मजिस्ट्रेट के सामने भी दर्ज कराए गए. अब बाकी लड़कियों के बयान मंगलवार को दर्ज होंगे. अतुल जौहरी को भी पूछताछ के लिए मंगलवार को पुलिस ने बुलाया है. पुलिस इस मामले में लड़कियों के बयान दर्ज करने के बाद सीसीटीवी फुटेज लेने के बाद अतुल जौहरी से पूछताछ का मन बना रही है ताकि पुख्ता रूप से इस केस में आगे बढ़ सके. साथ ही पुलिस इस मामले में गवाहों के बयान भी दर्ज कर रही है. क्यों हो रहा प्रदर्शन? आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ जेएनयू परिसर में पिछले कुछ दिनों से छात्राएं प्रदर्शन भी कर रही हैं. प्रोफेसर अतुल जौहरी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लाइफ साइंस पढ़ाते हैं. आरोप है कि प्रोफेसर अतुल क्लास के दौरान छात्राओं के साथ अश्लील बातें और छेड़खानी करते थे. इसी के चलते उनके खिलाफ जेएनयू के कई छात्राएं पिछले 4 दिनों से कैंपस में प्रदर्शन कर रही थीं. क्या बोले प्रोफेसर जौहरी? इसके बाद जेएनयू की करीब 7 छात्राओं की शिकायत के आधार पर वसंत कुंज नार्थ पुलिस स्टेशन में धारा 354 और 509 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. उधर, आरोपी प्रोफेसर अतुल का कहना है कि उनके खिलाफ शिकायत करने वाली छात्राओं की अटेंडेंस क्लास में कम है. इसलिए वे कार्रवाई से बचने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही हैं. फिलहाल, पुलिस की जांच जारी है.
उसके बाद तीसरे मिनट के अंतिम क्षण में एक और शानदार मूव के जरिये साक्षी ने दो प्‍वाइंट बनाए और मैच समाप्‍त होने पर 7-5 से जीत हासिल की लेकिन किर्गिस्‍तान के कोचिंग स्‍टाफ ने उस अंतिम मूव पर आपत्ति जताते हुए समीक्षा की अपील की. जजों ने रीप्‍ले देखने के बाद फैसला साक्षी के हक में दिया और विरोधी की विफल समीक्षा के चलते एक अतिरिक्‍त प्‍वाइंट साक्षी को दिया. नतीजतन साक्षी के पक्ष में अंतिम स्‍कोर 8-5 रहा. (रियो ओलिंपिक: ...वे निर्णायक लम्‍हे जब साक्षी ने मैच पलटकर बाज़ी अपने नाम की) इससे पहले क्‍वार्टर फाइनल में हार के बाद कांस्‍य की दौड़ के लिए रेपचेज मुकाबले में उतरी साक्षी मलिक ने अपना मुकाबला जीत लिया था. मंगोलिया की खिलाड़ी ओरखोन पूरेबदोर्ज को 12-3 से हराकर उन्‍होंने जीत हासिल की. पहला पीरियड 2-2 से बराबरी पर छूटा पर दूसरे पीरियड में साक्षी पूरी तरह से खेल में हावी दिखीं और उन्‍होंने मंगोलियाई खिलाड़ी को कई बार पटखनी देते हुए 10 अंक हासिल किए, जबकि इस दौरान पूरेबदोर्ज महज एक अंक हासिल कर सकीं. (आखिरी समय तक जीत का भरोसा था : NDTV से बोलीं साक्षी) साक्षी को दरअसल क्वार्टर फाइनल में हराने वाली रूस की पहलवान कोबलोवा झोलोबोवा वालेरिया ने फाइनल में प्रवेश कर लिया, जिससे साक्षी को यह मौका मिला. हालांकि साक्षी को कांस्य पदक हासिल करने के लिए दो मुकाबले जीतने जरूरी थे और दोनों में जीतने पर उनको कांस्‍य मिला. (मेडल जीतने के बाद जब साक्षी ने पिता से कहा, 'पापा मैंने आपका सपना पूरा किया')टिप्पणियां गौरतलब है कि साक्षी मलिक ने माल्‍दोवा की मारियाना इसानू को तकनीकी आधार पर हराकर क्‍वार्टर फाइनल में स्‍थान बनाया था. दोनों रेसलर के बीच मुकाबला निर्धारित समय तक 5-5 की बराबरी पर रहा था, लेकिन चार अंक एक साथ लेने का फायदा साक्षी को मिला. (रियो ओलिंपिक : पदक हासिल कर भारत का गौरव बढ़ाने वाली साक्षी से जुड़ी कुछ अहम बातें...) साक्षी ने अपने पहले मुकाबले में स्वीडन की मैलिन जोहन्ना मैटसन को 5-4 से हराकर प्री.क्‍वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी. मैच का परिणाम टेक्निकल प्वाइंट्स के आधार पर दिया गया, जिसमें साक्षी ने बाजी मारी थी. इससे पहले क्‍वार्टर फाइनल में हार के बाद कांस्‍य की दौड़ के लिए रेपचेज मुकाबले में उतरी साक्षी मलिक ने अपना मुकाबला जीत लिया था. मंगोलिया की खिलाड़ी ओरखोन पूरेबदोर्ज को 12-3 से हराकर उन्‍होंने जीत हासिल की. पहला पीरियड 2-2 से बराबरी पर छूटा पर दूसरे पीरियड में साक्षी पूरी तरह से खेल में हावी दिखीं और उन्‍होंने मंगोलियाई खिलाड़ी को कई बार पटखनी देते हुए 10 अंक हासिल किए, जबकि इस दौरान पूरेबदोर्ज महज एक अंक हासिल कर सकीं. (आखिरी समय तक जीत का भरोसा था : NDTV से बोलीं साक्षी) साक्षी को दरअसल क्वार्टर फाइनल में हराने वाली रूस की पहलवान कोबलोवा झोलोबोवा वालेरिया ने फाइनल में प्रवेश कर लिया, जिससे साक्षी को यह मौका मिला. हालांकि साक्षी को कांस्य पदक हासिल करने के लिए दो मुकाबले जीतने जरूरी थे और दोनों में जीतने पर उनको कांस्‍य मिला. (मेडल जीतने के बाद जब साक्षी ने पिता से कहा, 'पापा मैंने आपका सपना पूरा किया')टिप्पणियां गौरतलब है कि साक्षी मलिक ने माल्‍दोवा की मारियाना इसानू को तकनीकी आधार पर हराकर क्‍वार्टर फाइनल में स्‍थान बनाया था. दोनों रेसलर के बीच मुकाबला निर्धारित समय तक 5-5 की बराबरी पर रहा था, लेकिन चार अंक एक साथ लेने का फायदा साक्षी को मिला. (रियो ओलिंपिक : पदक हासिल कर भारत का गौरव बढ़ाने वाली साक्षी से जुड़ी कुछ अहम बातें...) साक्षी ने अपने पहले मुकाबले में स्वीडन की मैलिन जोहन्ना मैटसन को 5-4 से हराकर प्री.क्‍वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी. मैच का परिणाम टेक्निकल प्वाइंट्स के आधार पर दिया गया, जिसमें साक्षी ने बाजी मारी थी. साक्षी को दरअसल क्वार्टर फाइनल में हराने वाली रूस की पहलवान कोबलोवा झोलोबोवा वालेरिया ने फाइनल में प्रवेश कर लिया, जिससे साक्षी को यह मौका मिला. हालांकि साक्षी को कांस्य पदक हासिल करने के लिए दो मुकाबले जीतने जरूरी थे और दोनों में जीतने पर उनको कांस्‍य मिला. (मेडल जीतने के बाद जब साक्षी ने पिता से कहा, 'पापा मैंने आपका सपना पूरा किया')टिप्पणियां गौरतलब है कि साक्षी मलिक ने माल्‍दोवा की मारियाना इसानू को तकनीकी आधार पर हराकर क्‍वार्टर फाइनल में स्‍थान बनाया था. दोनों रेसलर के बीच मुकाबला निर्धारित समय तक 5-5 की बराबरी पर रहा था, लेकिन चार अंक एक साथ लेने का फायदा साक्षी को मिला. (रियो ओलिंपिक : पदक हासिल कर भारत का गौरव बढ़ाने वाली साक्षी से जुड़ी कुछ अहम बातें...) साक्षी ने अपने पहले मुकाबले में स्वीडन की मैलिन जोहन्ना मैटसन को 5-4 से हराकर प्री.क्‍वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी. मैच का परिणाम टेक्निकल प्वाइंट्स के आधार पर दिया गया, जिसमें साक्षी ने बाजी मारी थी. गौरतलब है कि साक्षी मलिक ने माल्‍दोवा की मारियाना इसानू को तकनीकी आधार पर हराकर क्‍वार्टर फाइनल में स्‍थान बनाया था. दोनों रेसलर के बीच मुकाबला निर्धारित समय तक 5-5 की बराबरी पर रहा था, लेकिन चार अंक एक साथ लेने का फायदा साक्षी को मिला. (रियो ओलिंपिक : पदक हासिल कर भारत का गौरव बढ़ाने वाली साक्षी से जुड़ी कुछ अहम बातें...) साक्षी ने अपने पहले मुकाबले में स्वीडन की मैलिन जोहन्ना मैटसन को 5-4 से हराकर प्री.क्‍वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी. मैच का परिणाम टेक्निकल प्वाइंट्स के आधार पर दिया गया, जिसमें साक्षी ने बाजी मारी थी. साक्षी ने अपने पहले मुकाबले में स्वीडन की मैलिन जोहन्ना मैटसन को 5-4 से हराकर प्री.क्‍वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी. मैच का परिणाम टेक्निकल प्वाइंट्स के आधार पर दिया गया, जिसमें साक्षी ने बाजी मारी थी.
अक्षय कुमार इन दिनों फिल्म केसरी की शूटिंग कर रहे हैं. फिल्म में वे मिलेट्री कमान्डर का रोल प्ले कर रहे हैं. फिल्म की शूटिंग महाराष्ट्र के वाई डिस्ट्रिक्ट में हो रही है. मगर वैनिटी वैन की स्ट्राइक की वजह से एक्टर को शौचालय जाने में समस्या हो रही है. सूत्रों के मुताबिक, अक्षय को टॉयलेट जाने के लिए लंबे वक्त का इंतजार करना पड़ रहा है. महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी किए गए नए टेक्स रेगुलेशन के विरोध में वैनिटी वैन वालों की स्ट्राइक चल रही है. इस वजह से शूटिंग करने में कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर को टॉयलेट करने के लिए पास के स्टूडियो में जाना पड़ता है. इस स्ट्राइक का सामना सिर्फ अक्षय ही नहीं, बल्कि पूरी कास्ट और क्रू को करना पड़ रहा है. स्क्वायर मीटर की दर से 5000 रुपए और साल के हिसाब से हर एक वैनिटी वैन पर 1.25 लाख का टैक्स लगाया गया है. जबकी दूसरे राज्यों में साल भर का टैक्स 12 हजार रुपए के करीब होता है. इस फासले को कम करने के क्रम में वैनिटी वैन एसोसिएशन स्ट्राइक पर है. ये स्ट्राइक 10 दिसंबर से चल रही है. ये कब तक चलेगी इस बारे में अभी कुछ भी साफ तौर पर सामने नहीं आया है. केसरी फिल्म के प्रोड्यूसर ने 2.50 लाख रुपए खर्च करके मेकअप रूम का इंतजाम किया है. मगर टॉयलेट की व्यवस्था नहीं हो सकी है. कुछ समय पहले ही केसरी के सेट पर आग लग गई थी. अक्षय कुमार एक बड़े हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बचे थे. फिल्म के बारे में बात करते हुए अक्षय ने कहा था- ऐसा नहीं है कि मैं एक तरह की फिल्में ही करूंगा. मैं केसरी नामक एक वॉर फिल्म कर रहा हूं. अपने करियर में मैं इस तरह की फिल्म पहली दफा कर रहा हूं. ये मेरे लिए नया है. इसलिए मैं फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित हूं.
वह सच आखिर सामने आ गया, जिसे छिपाने की कोशिश में जॉन अब्राहम कतई कोशिश नहीं कर रहे थे और जिसे सात तालों में कैद रखने में बिपाशा बसु कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थीं. एक टीवी शो में जान के कबूलनामे ने बिपाशा-जॉन की दस साल पुरानी रिश्तेदारी पर अलगाव की वह मुहर लगा दी, जो अब तक महज चर्चाओं के गलियारों तक सीमित थी. जॉन एक ही बात कहे जा रहे थे कि वे कुछ नहीं कहेंगे और बिपाशा बसु संकेत दे रही थीं कि ऐसी (अलगाव की) बातें सुनने की वे आदी हो चुकी हैं और मीडिया में अब वे इसे लेकर कोई सफाई नहीं देना चाहतीं. किसी को उम्मीद नहीं थी कि जॉन एक टीवी शो में इस अलगाव पर मुहर लगाकर बिपाशा की आखिरी उम्मीद को भी तोड़ डालेंगे. बिपाशा के दोस्तों के मुताबिक, जान ने रही-सही कसर भी अब खत्म कर दी. इन दोनों के कॉमन दोस्त बता रहे हैं कि पिछले डेढ़ साल से रिश्तों में समस्याएं चल रही थीं और बिपाशा लगातार इस रिश्ते को बचाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन जॉन कतई दिलचस्पी नहीं ले रहे थे. अब सवाल एक ही रह जाता है कि इस रिश्ते से आजादी के बाद दोनों का भविष्य क्या होगा? एक दोस्त की मानें, तो अभी दोनों को इस सदमे से उबरने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार 40 साल में पहली बार यह बढ़ोत्तरी की गई है. अधिकारियों का कहना है कि जेएनयू में छात्रों को न्यूनतम 2400 रुपये प्रति वर्ष से अधिकतम 564000 रुपये प्रति वर्ष तक आर्थिक सहायता मिलती है. ऐसे में बढ़ी हुई फ़ीस को वहन करना उनके लिए बड़ी परेशानी का कारण नहीं हो सकता. जेएनयू में होस्टल में रहने वाले छात्रों की संख्या 6600 है जबकि 5371 छात्रों को आर्थिक मदद दी जा रही है. इनमें 674 छात्रों को 31000-47000  रुपये तक की छात्रवृत्ति है. 182 छात्रों को 12000-22000 रुपये, 3080 छात्रों को 5000-8000 रुपये और 1435 छात्रों को 2000-3500 रुपये प्रति महीने की छात्रवृत्ति है. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जेएनयू के आंदोलनकारी छात्रों के साथ बातचीत चल रही है. उन्हें उम्मीद है कि मामला सुलझ जाएगा.
Ye kiska haath hai ??? pic.twitter.com/fNseruBGzd
टेरर फंडिंग मामले में आरोपियों पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है. फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार जहूर वताली ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए हैं. जहूर वताली ने एनआईए की पूछताछ में दिल्ली, पंजाब, यूके और दुबई में करोड़ों की प्रॉपर्टी होने का खुलासा किया है. जिसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जहूर वताली की इन संपत्तियों के हवाला कनेक्शन की जांच कर रही है. फंडिंग के मिले सबूत जहूर वताली के खिलाफ एनआईए को कई अहम सबूत मिले हैं. इनमें कश्मीर में अलगाववादियों को फंड करने के भी सबूत शामिल हैं. बताया गया है कि अलगाववादियों तक पैसा पहुंचाने में भी जहूर वताली मदद करता था. पाक उच्चायुक्त के अधिकारियों का हाथ इतना ही नहीं ये भी बात सामने आई है कि जहूर वताली को दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायुक्त के अधिकारियों से मदद मिलती थी. एनआईए ने ऐसे पाकिस्तानी अधिकारियों की पहचान की है, जिनसे वताली मुलाकात करता था. अगस्त में हुई गिरफ्तारी जहूर वताली को पिछले महीने श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था. वताली अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का बेहद करीबी माना जाता है. फिलहाल, जहूर एनआईए की गिरफ्त में है. बता दें आजतक ने 'ऑपरेशन हुर्रियत' नाम से एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाया था. जिसमें अलगाववादी नेता खुफिया कैमरे पर कश्मीर में टेरर फैलाने के लिए फंडिंग की बात कबूलते नजर आए थे. इसके बाद इस मामले की जांच एनआईए कर रही है. इस संबंध में नईम खान समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जैसे-जैसे इस मामले की जांच आगे बढ़ रही है, इसमें नए-नए खुलासे हो रहे हैं.
कोपेनहेगेन में ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने की बैठक में अमीर और ग़रीब देशों की राय एक नहीं हो पा रही है. बैठक में विकसित और विकासशील देशों के बीच बंटवारे की लाइन साफ दिख रही है. समझौते के ड्राफ्ट को लेकर तनातनी जारी है. हर कोई यही कह रहा है कि मैं ज़्यादा कर रहा हूं और वो कम. उधर, समिट में नेताओं पर दबाव बने, बाहर इसकी पूरी कोशिश हो रही है. कई एनजीओ और पर्यावरण संगठन नए-नए तरीक़ों से ध्यान खींच रहे हैं. शनिवार को ऐसे ही लोगों ने कांफ्रेंस के पास ही एक रैली निकाली. इसमें तमाम जाने माने लोगों ने हिस्सा लिया. दूसरी ओर क्लाइमेट चेंज पर बैठक के दौरान हज़ारों लोग प्रदर्शन के लिए जमा हो गए. यह लोग, दुनिया भर के नेताओं पर दबाव बनाना चाहते थे. क्लाइमेट चेंज पर सम्मेलन को लेकर चल रहे सम्मेलन स्थल पर हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान ही इन्होंने पत्थरों को हथियार बनाया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए करीब छह सौ लोगों को गिरफ्तार किया है.
इस सूची में ओडिया साहित्य के प्रमुख लेखकों के नाम सम्मिलित है । केवल उन लेखकों के नाम जोड़े गए हैं, जिनके नाम पर अंग्रेज़ी या ओडिया विकिपीडिया पर लेख उपलब्ध हैं । हर युग में लेखकों का क्रम उनके नाम के अनुसार है :- आदि युग चर्या युग लुईपा कान्हुपा प्राक् शारला युग अवधूत नारायण स्वामी राजा वलभद्र भंज मार्कण्ड दास वच्छ दास शारला युग आदि कवि शारला दास अर्जुन दास पंच सखा युग वलराम दास जगन्नाथ दास अनन्त दास अच्युतानन्द दास यशोवन्त दास भंज युग रामचन्द्र पट्टनायक शिशु शंकर दास राधानाथ युग फ़क़ीर मोहन सेनापति गौरीशंकर राय चिन्तामणि महांति सत्यवादी युग गोपबंधु दास नीलकंठ दास हरित युग ओर प्रगति युग कालिंदी चरण पाणिग्राही वैकुण्ठ पट्टनायक अन्नदा शंकर राय अनन्त पट्टनायक आधुनिक युग गोपालचंद्र प्रहराज (१८७४-१९४५) :- महान भाषाविद्, वकील तथा “ओडिया पूर्ण चन्द्र भाषा-कोष” व “ओडिया ढग ढमालि” (ओडिया मुहावरे) के रचनाकार गोपीनाथ महान्ति (१९१४-१९९१) :- भारत के सर्वप्रथम साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, ज्ञानपीठ विजेता, तथा “परजा”, “दादी बूढ़ा” व “अमृतर संतान” (अमृत के संतान) जैसे प्रसिद्ध उपन्यास के लेखक सुरेन्द्र महान्ति (१९२२-१९९२) :- केन्द्रीय साहित्य अकादमी तथा शारला पुरस्कार से सम्मानित; “नील शैल”, “नीलाद्री बिजे” तथा “कृष्णा वेणी रे सन्ध्या” आदि उपन्यासों के रचयिता मनोज दास (१९३४-२०२१) :- अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ओडिया व अंग्रेज़ी उभय भाषा में लेखक; पद्म विभूषण, सरस्वती सम्मान तथा साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप से सम्मानित; उपन्यासकार तथा क्षुद्र कहानी रचयिता महापात्र नीलमणि साहू (१९२६-२०१६) :- केंद्रीय साहित्य अकादमी व शारला पुरस्कार से सम्मानित; “आकाश पाताल” और “अभिशप्त गन्धर्व” जैसे उपन्यासों के रचयिता; श्री अरविंद, रामकृष्ण परमहंस व स्वामी विवेकानंद के लेखों का भाषांतर कर्ता अखिलमोहन पट्टनायक ( ) :- विभूति पट्टनायक (१९३७- ) :- उपन्यासकार, स्तम्भ लेखक व अध्यापक; केंद्रीय साहित्य अकादमी, शारला पुरस्कार, अतिबड़ी जगन्नाथ सम्मान से सम्मानित; “अभिमान”, “आकाश कुसुम”, “प्रिय पुरुष” जैसे उपन्यासों के लेखक प्रतिभा राय (१९४४- ) :- पद्म विभूषण, ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी तथा मूर्ति देवी पुरस्कार से सम्मानित; “याज्ञसेनी”, “अरण्य”, “परिचय”, “शिला पद्म” जैसे प्रख्यात उपन्यासों के लेखक सरोजिनी साहू (१९५६- ) :- ओड़िसा के अग्रणी नारीवादी (feminist) लेखिका; यौन विषय आधारित “गम्भिरी घर” उपन्यास के लिए चर्चित; साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित इन्हें भी देखें ओडिया साहित्य ओडिया भाषा संदर्भ
मदर डेयरी ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध के दाम में तीन रुपये प्रति लिटर की वृद्धि किए जाने की घोषणा की। दूध की नई दरें रविवार से लागू होंगी। मदर डेयरी ने बयान में कहा कि फुल क्रीम दूध तीन रुपये प्रति लिटर जबकि टोंड समेत अन्य दूध के दाम में दो रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की गई है। इस वृद्धि के बाद एक लिटर फूल क्रीम दूध (पॉली पैक) की कीमत अब 42 रुपये होगी। टोंड दूध (पॉली पैक) का दाम 32 रुपये, टोकन दूध 30 रुपये लिटर और डबल टोंड 28 रुपये प्रति लीटर होगा। हालांकि, स्किम्ड दूध के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पूर्व की तरह 22 रुपये प्रति लिटर मिलता रहेगा। दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनी मदर डेयरी क्षेत्र में 30 लाख लिटर प्रतिदिन से अधिक दूध बेचती है। कंपनी ने कहा, ‘किसानों को मिलने वाले दाम में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही बिजली शुल्क, पेट्रोलियम कीमत तथा अन्य खर्चें बढ़े हैं। इसके कारण दूध के दाम में वृद्धि जरूरी हो गई थी।’ बयान के अनुसार परिचालन को व्यवहारिक बनाए रखने तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए कीमतों में वृद्धि की गई है।टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में अमूल ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की थी। कंपनी के अनुसार वह उपभोक्ता से लिए गए दाम का 75 से 76 प्रतिशत हिस्सा किसानों को देती है। यह संभवत: समावेशी वृद्धि का बेहतर और प्रभावी तरीका हो सकता है। मदर डेयरी ने बयान में कहा कि फुल क्रीम दूध तीन रुपये प्रति लिटर जबकि टोंड समेत अन्य दूध के दाम में दो रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की गई है। इस वृद्धि के बाद एक लिटर फूल क्रीम दूध (पॉली पैक) की कीमत अब 42 रुपये होगी। टोंड दूध (पॉली पैक) का दाम 32 रुपये, टोकन दूध 30 रुपये लिटर और डबल टोंड 28 रुपये प्रति लीटर होगा। हालांकि, स्किम्ड दूध के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पूर्व की तरह 22 रुपये प्रति लिटर मिलता रहेगा। दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनी मदर डेयरी क्षेत्र में 30 लाख लिटर प्रतिदिन से अधिक दूध बेचती है। कंपनी ने कहा, ‘किसानों को मिलने वाले दाम में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही बिजली शुल्क, पेट्रोलियम कीमत तथा अन्य खर्चें बढ़े हैं। इसके कारण दूध के दाम में वृद्धि जरूरी हो गई थी।’ बयान के अनुसार परिचालन को व्यवहारिक बनाए रखने तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए कीमतों में वृद्धि की गई है।टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में अमूल ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की थी। कंपनी के अनुसार वह उपभोक्ता से लिए गए दाम का 75 से 76 प्रतिशत हिस्सा किसानों को देती है। यह संभवत: समावेशी वृद्धि का बेहतर और प्रभावी तरीका हो सकता है। इस वृद्धि के बाद एक लिटर फूल क्रीम दूध (पॉली पैक) की कीमत अब 42 रुपये होगी। टोंड दूध (पॉली पैक) का दाम 32 रुपये, टोकन दूध 30 रुपये लिटर और डबल टोंड 28 रुपये प्रति लीटर होगा। हालांकि, स्किम्ड दूध के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पूर्व की तरह 22 रुपये प्रति लिटर मिलता रहेगा। दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनी मदर डेयरी क्षेत्र में 30 लाख लिटर प्रतिदिन से अधिक दूध बेचती है। कंपनी ने कहा, ‘किसानों को मिलने वाले दाम में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही बिजली शुल्क, पेट्रोलियम कीमत तथा अन्य खर्चें बढ़े हैं। इसके कारण दूध के दाम में वृद्धि जरूरी हो गई थी।’ बयान के अनुसार परिचालन को व्यवहारिक बनाए रखने तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए कीमतों में वृद्धि की गई है।टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में अमूल ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की थी। कंपनी के अनुसार वह उपभोक्ता से लिए गए दाम का 75 से 76 प्रतिशत हिस्सा किसानों को देती है। यह संभवत: समावेशी वृद्धि का बेहतर और प्रभावी तरीका हो सकता है। हालांकि, स्किम्ड दूध के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पूर्व की तरह 22 रुपये प्रति लिटर मिलता रहेगा। दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनी मदर डेयरी क्षेत्र में 30 लाख लिटर प्रतिदिन से अधिक दूध बेचती है। कंपनी ने कहा, ‘किसानों को मिलने वाले दाम में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही बिजली शुल्क, पेट्रोलियम कीमत तथा अन्य खर्चें बढ़े हैं। इसके कारण दूध के दाम में वृद्धि जरूरी हो गई थी।’ बयान के अनुसार परिचालन को व्यवहारिक बनाए रखने तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए कीमतों में वृद्धि की गई है।टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में अमूल ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की थी। कंपनी के अनुसार वह उपभोक्ता से लिए गए दाम का 75 से 76 प्रतिशत हिस्सा किसानों को देती है। यह संभवत: समावेशी वृद्धि का बेहतर और प्रभावी तरीका हो सकता है। कंपनी ने कहा, ‘किसानों को मिलने वाले दाम में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही बिजली शुल्क, पेट्रोलियम कीमत तथा अन्य खर्चें बढ़े हैं। इसके कारण दूध के दाम में वृद्धि जरूरी हो गई थी।’ बयान के अनुसार परिचालन को व्यवहारिक बनाए रखने तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए कीमतों में वृद्धि की गई है।टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में अमूल ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की थी। कंपनी के अनुसार वह उपभोक्ता से लिए गए दाम का 75 से 76 प्रतिशत हिस्सा किसानों को देती है। यह संभवत: समावेशी वृद्धि का बेहतर और प्रभावी तरीका हो सकता है। बयान के अनुसार परिचालन को व्यवहारिक बनाए रखने तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए कीमतों में वृद्धि की गई है।टिप्पणियां उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में अमूल ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की थी। कंपनी के अनुसार वह उपभोक्ता से लिए गए दाम का 75 से 76 प्रतिशत हिस्सा किसानों को देती है। यह संभवत: समावेशी वृद्धि का बेहतर और प्रभावी तरीका हो सकता है। उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में अमूल ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की थी। कंपनी के अनुसार वह उपभोक्ता से लिए गए दाम का 75 से 76 प्रतिशत हिस्सा किसानों को देती है। यह संभवत: समावेशी वृद्धि का बेहतर और प्रभावी तरीका हो सकता है। कंपनी के अनुसार वह उपभोक्ता से लिए गए दाम का 75 से 76 प्रतिशत हिस्सा किसानों को देती है। यह संभवत: समावेशी वृद्धि का बेहतर और प्रभावी तरीका हो सकता है।
शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) की बेटी सुहाना खान (Suhana Khan) स्टार किड्स की चर्चा में हमेशा आगे रहती हैं. सुहाना खान  (Suhana Khan) की फोटो हो या वीडियो, सोशल मीडिया पर आने के बाद सुर्खियों में छा जाते हैं. सुहाना खान (Suhana Khan) हमेशा से अपने ग्लैमरस लुक्स और फैशन सेंस के लिए भी खूब जानी जाती हैं. हालांकि कई बार अपने लुक्स को लेकर सुहाना खान सोशल मीडिया पर ट्रोल भी हो जाती हैं. हाल ही में सुहाना खान अपने दोस्तों के साथ आई फोटो के कारण चर्चा का विषय बन गई हैं. इतना ही नहीं अपने शर्टलेस दोस्तों के साथ फोटो के वजह से वह खूब ट्रोल भी हो रही हैं. लंदन में पढ़ाई कर रही सुहाना खान की इन फोटो पर कोई उन्हें संस्कृति की नसीहत दे रहा है तो कोई उनकी पढ़ाई को लेकर सवाल कर रहा है.  Babe with buddies #Suhanakhan A post shared by suhana khan ( READ BIO PLS) (@suhanakha2) on Jun 23, 2019 at 5:16am PDT सोशल मीडिया पर वायरल हुई फोटो में सुहाना खान (Suhana Khan) अपने कुछ दोस्तों के साथ नजर आ रही हैं. इस फोटो में उनके कई दोस्त शर्टलेस दिखाई दिए, जिनके साथ सुहाना खान की फोटो सामने आने पर उन्हें सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया जा रहा है. सुहाना खान की फोटो पर एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा 'सुहाना, यह पश्चिमी कल्चर है, आप हमारी संस्कृति को न भूलें. यह न तो भारतीय संस्कृति है और न ही इस्लामिक.' वहीं दूसरे यूजर ने सुहाना खान की फोटो पर सवाल पूछते हुए लिखा 'तुम वहां पढ़ाई करने गई हो या केवल पार्टी करने.'  जहां एक तरफ सोशल मीडिया यूजर्स सुहाना खान (Suhana Khan) को उनकी फोटो के वजह से ट्रोल कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ उनके फैंस ने उनकी खूब तारीफ भी की है. सुहाना खान के फैंस में से किसी ने उन्हें सुंदर तो किसी ने रॉकस्टार कहते हुए उनकी तारीफ की. सुहाना खान के एक फैंस ने उनकी फोटो पर कमेंट करते हुए कहा 'आप बहुत प्यारे लग रहे हैं.' बता दें कि बॉलीवुड के किंग खान की बेटी सुहाना खान (Suhana Khan) इन दिनों लंदन में अपनी पढ़ाई कर रही हैं. फिल्मों से दूर रहने के बाद भी सुहाना खान हमेशा खबरों में छाई रहती हैं. दूसरे स्टार किड्स की तरह सुहाना खान भी बॉलीवुड में अपना कदम रखना चाहती हैं लेकिन उनके पिता शाहरुख खान ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ही फिल्मों में नजर आएंगी. इसके साथ ही सुहाना खान अपने डांस वीडियो और फोटो के वजह से काफी चर्चित और जाना-माना चेहरा बन चुकी हैं.
महाराष्ट्र में जहां एक ओर किसान कर्ज माफी की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं तो दूसरी ओर एक मंत्री का कर्ज माफ कर देने की खबर से देवेंद्र फडणवीस सरकार नए विवाद में फंस गई है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र के मजदूर कल्याणा मंत्री संभाजी निलंगेकर पाटिल के कर्ज को बैंक ने बड़ी ही आसानी से माफ कर दिया है. हालांकि मंत्री ने इस आरोप का खंडन किया है.  साल 2015 में ही इस कर्ज को लेकर सीबीआई ने संभाजी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक ब्याज सहित कर्ज के कुल राशि 76 करोड़ रुपये थी. मिली जानकारी के मुताबिक इसमें 25 करोड़ रुपया जमा कर दिया गया था. लेकिन बचे 51 करोड़ रुपये को जमा नहीं किया जा रहा था. इसको बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया था. सीबीआई ने इस मामले में आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. इस मामले की सुनवाई लातूर कोर्ट में चल रही है. वहीं आरोप पर मंत्री संभा जी ने सफाई दी है कि सारा मामला बैंक के नियमों के मुताबिक निपटाया गया है और सारे आरोप निराधार हैं. टिप्पणियां वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से सवाल उठाया गया है कि जब मंत्री के खिलाफ आरोप दाखिल किए जा चुके हैं और मामला कोर्ट में है तो बैंक ने इसका सेटलमेंट कैसे कर दिया है. आप की प्रवक्ता प्रीती शर्मा ने कहा, मुख्यमंत्री का कहना है कि मंत्री संभाजी सिर्फ बैंक गांरटर हैं, लेकिन सीएम राज्य के गृहमंत्री भी हैं उनको जरूर पता होगा कि चार्जशीट में क्या लिखा है. प्रीती ने कहा कि चार्जशीट में साफ लिखा है कि संभाजी ने फर्जी पेपर दिखाकर लोन लिया है और सब कुछ जानते हुए भी उनको मंत्री पद का इनाम कैसे दे दिया गया.  वहीं मुख्यमंत्री फडणवीस का कहना है कि लोन का सारा निपटारा आरबीआई के नियमों के मुताबिक हुआ है. संभाजी निंगलेकर सिर्फ एक गारंटर थे. फिलहाल मुख्यमंत्री की इस दलील को कोई भी मानने के लिए तैयार नहीं है और ये मामला अब धीरे-धीरे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.   साल 2015 में ही इस कर्ज को लेकर सीबीआई ने संभाजी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक ब्याज सहित कर्ज के कुल राशि 76 करोड़ रुपये थी. मिली जानकारी के मुताबिक इसमें 25 करोड़ रुपया जमा कर दिया गया था. लेकिन बचे 51 करोड़ रुपये को जमा नहीं किया जा रहा था. इसको बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया था. सीबीआई ने इस मामले में आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. इस मामले की सुनवाई लातूर कोर्ट में चल रही है. वहीं आरोप पर मंत्री संभा जी ने सफाई दी है कि सारा मामला बैंक के नियमों के मुताबिक निपटाया गया है और सारे आरोप निराधार हैं. टिप्पणियां वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से सवाल उठाया गया है कि जब मंत्री के खिलाफ आरोप दाखिल किए जा चुके हैं और मामला कोर्ट में है तो बैंक ने इसका सेटलमेंट कैसे कर दिया है. आप की प्रवक्ता प्रीती शर्मा ने कहा, मुख्यमंत्री का कहना है कि मंत्री संभाजी सिर्फ बैंक गांरटर हैं, लेकिन सीएम राज्य के गृहमंत्री भी हैं उनको जरूर पता होगा कि चार्जशीट में क्या लिखा है. प्रीती ने कहा कि चार्जशीट में साफ लिखा है कि संभाजी ने फर्जी पेपर दिखाकर लोन लिया है और सब कुछ जानते हुए भी उनको मंत्री पद का इनाम कैसे दे दिया गया.  वहीं मुख्यमंत्री फडणवीस का कहना है कि लोन का सारा निपटारा आरबीआई के नियमों के मुताबिक हुआ है. संभाजी निंगलेकर सिर्फ एक गारंटर थे. फिलहाल मुख्यमंत्री की इस दलील को कोई भी मानने के लिए तैयार नहीं है और ये मामला अब धीरे-धीरे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.   वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से सवाल उठाया गया है कि जब मंत्री के खिलाफ आरोप दाखिल किए जा चुके हैं और मामला कोर्ट में है तो बैंक ने इसका सेटलमेंट कैसे कर दिया है. आप की प्रवक्ता प्रीती शर्मा ने कहा, मुख्यमंत्री का कहना है कि मंत्री संभाजी सिर्फ बैंक गांरटर हैं, लेकिन सीएम राज्य के गृहमंत्री भी हैं उनको जरूर पता होगा कि चार्जशीट में क्या लिखा है. प्रीती ने कहा कि चार्जशीट में साफ लिखा है कि संभाजी ने फर्जी पेपर दिखाकर लोन लिया है और सब कुछ जानते हुए भी उनको मंत्री पद का इनाम कैसे दे दिया गया.  वहीं मुख्यमंत्री फडणवीस का कहना है कि लोन का सारा निपटारा आरबीआई के नियमों के मुताबिक हुआ है. संभाजी निंगलेकर सिर्फ एक गारंटर थे. फिलहाल मुख्यमंत्री की इस दलील को कोई भी मानने के लिए तैयार नहीं है और ये मामला अब धीरे-धीरे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.   वहीं मुख्यमंत्री फडणवीस का कहना है कि लोन का सारा निपटारा आरबीआई के नियमों के मुताबिक हुआ है. संभाजी निंगलेकर सिर्फ एक गारंटर थे. फिलहाल मुख्यमंत्री की इस दलील को कोई भी मानने के लिए तैयार नहीं है और ये मामला अब धीरे-धीरे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.
पश्चिम बंगाल के उर्जा मंत्री मृणाल बनर्जी का आज यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। 72 वर्षीय बनर्जी कैंसर से पीड़ित थे. बनर्जी के पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि उनका निधन दोपहर 12:55 पर हो गया. उनके परिवार में उनकी पत्नी हैं. बनर्जी पिछले साल तक श्रम मंत्रालय का प्रभार भी देख रहे थे. पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर दुर्गापुर इस्पात संयंत्र में काम कर चुके हैं और इस दौरान वह ट्रेड यूनियन की गतिविधियों में भी सक्रिय रहे. बनर्जी को राज्य की दुर्गापुर द्वितीय विधानसभा सीट से विधायक चुना गया था.
लेख: अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के निकट ईस्ट हारलेम में बुधवार को शक्तिशाली विस्फोट के बाद दो इमारतें ढह गईं, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। विस्फोट के बाद आसपास के इलाकों में धुआं भर गया। दमकल विभाग ने बताया कि धमाका स्थानीय समयानुसार करीब नौ बजे हुआ। यह इमारत पार्क एवेन्यू में स्थित है। अधिकारियों ने बताया कि तीन लोगों की मौत हो गई और 20 घायल हो गए। विस्फोट के बाद कई लोग लापता भी हैं। राष्ट्रपति बराक ओबामा को इस धमाके के बारे में सूचित किया गया है और वह स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, इमारतों में रहने वालों ने विस्फोट के पहले गैस लीक होने के बारे में शिकायत की थी। समाचार चैनल सीएनएन ने खबर दी है कि विस्फोट गैस लीक होने के कारण हुआ होगा। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इस विस्फोट को आतंकवाद से जोड़ने से खारिज कर दिया है। न्यूयॉर्क शहर के अधिकारियों का कहना है कि धमाके में दो इमारतें पूरी तरह ढह गईं। विस्फोट की वजह का पता नहीं चल पाया है। इससे पहले खबर आई थी कि विस्फोट में 11 लोगों को मामूली चोटें आई हैं। घटनास्थल के निकट एक रेल लाइन है, जो न्यूयॉर्क शहर को उपनगरीय इलाकों से जोड़ती है।
गौरतलब है कि पुलिस ने 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी स्थित पंढेर के घर से 19 कंकाल बरामद किए गए थे. पंढेर और कोली के खिलाफ 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए थे, जबकि साक्ष्य के अभाव में तीन मामलों को बंद कर दिया गया था.टिप्पणियां इससे पहले गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने चर्चित निठारी कांड से जुड़े नंदा देवी हत्या मामले में शुक्रवार को सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई. विशेष अदालत ने कोली पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. निठारी नरसंहार मामले से जुड़े पांच मामले में दोषी करार दिए जा चुके सुरेंद्र कोली को इस छठे मामले में अपहरण, हत्या, बलात्कार और सबूत नष्ट करने का दोषी ठहराया गया था. पिछले पांच मामलों में दोषी ठहराए जा चुके कोली को इन मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी. इस तरह उसे छठे मामले में भी अधिकतम सजा सुनाई गई. VIDEO: पहले भी मिल चुकी है फांसी की सजा इससे पहले गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने चर्चित निठारी कांड से जुड़े नंदा देवी हत्या मामले में शुक्रवार को सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई. विशेष अदालत ने कोली पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. निठारी नरसंहार मामले से जुड़े पांच मामले में दोषी करार दिए जा चुके सुरेंद्र कोली को इस छठे मामले में अपहरण, हत्या, बलात्कार और सबूत नष्ट करने का दोषी ठहराया गया था. पिछले पांच मामलों में दोषी ठहराए जा चुके कोली को इन मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी. इस तरह उसे छठे मामले में भी अधिकतम सजा सुनाई गई. VIDEO: पहले भी मिल चुकी है फांसी की सजा VIDEO: पहले भी मिल चुकी है फांसी की सजा
फ्रांसीसी क्रांति फ्रांस के इतिहास में राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल और आमूल परिवर्तन की अवधि थी, जिसके दौरान फ्रांस की सरकारी सरंचना जो पहले कुलीन और कैथोलिक पादरियों के लिए सामंती विशेषाधिकारों के साथ पूर्णतया राजशाही पद्धति पर आधारित थी, अब उसमें आमूल परिवर्तन हुए और यह नागरिकता और अविच्छेद्य अधिकारों के प्रबोधन सिद्धांतों पर आधारित हो गयी. इस परिवर्तनों के साथ ही हिंसक उथल पुथल हुई जिसमें राजा का परीक्षण और निष्पादन, आतंक के युग में विशाल रक्तपात और दमन शामिल था. (1) फ्रांस की राज्यक्रांति 1789 ई. में लूई सोलहवां के शासनकाल में हुई. (2) फ्रांस की राज्यक्रांति के समय फ्रांस में सामंती व्यूवस्था थी. (3) 14 जुलाई, 1789 ई. को क्रांतिकारियों ने बास्तील के कारागृह फाटक को तोड़कर बंदियों को मुक्त कर दिया. तब से 14 जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है. (4) समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे का नारा फ्रांस की राज्याक्रांति की देन है. (5) मैं ही राज्य हूं और मेरे ही शब्द कानून हैं-ये कथन लुई चौदहवां का है. (6) वर्साय के शीश महल का निमार्ण लुई चौदहवां ने करवाया. (7) लुई चौदहवां ने वर्साय को फ्रांस की राजधानी घोषित किया. (8) लुई सोलहवां फ्रांस की गद्दी पर 1774 ई. में बैठा. (9) लुई सोलहवां की पत्नी मेरी एंत्वा नेता अस्ट्रिया की राजकुमारी थी. (10) लुई सोलहवां को देशद्रोह के अपराध फांसी की गई. (11) टैले एक प्रकार का भूमिकर था. (12) फ्रांसीसी क्रांति में सबसे अहम योगदान वाल्टे‍यर, मौटेस्यू एवं रूसो का था. (13) आल्टेयर चर्च का विरोधी था. (14) रूसो फ्रांस में लोकतंत्र शासन पद्धति का समर्थक था. (15) सौ चूहों की अपेक्षा एक सिंह का शासन उत्तम है-ये कथन वालटेयर के थे. (16) सोशल कांट्रेक्ट रूसो की रचना है. (17) लेटर्स ऑन इंगलिश वालटेयर की रचना है. (18) कानून की आत्मा की रचना मौटेस्यू ने की. (19) स्टेट्स जनरल के अधिवेशन की शुरुआत 5 मई 1789 ई. को हुई. (20) मापतौल की दशमलव प्रणाली फ्रांस की देन है. (21) सांस्कृतिक राष्ट्रियता का जनक हर्डर को कहा जाता है. (22) नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त 1769 ई. में हुआ. (23) नेपोलियन का जन्म कोर्सिका द्वीप की राजधानी अजासियो में हुआ. (24) नेपोलियन के पिता का नाम कार्लो बोनापार्ट था. (25) नेपोलियन ने ब्रिटेन की सैनिक अकादमी में शिक्षा प्राप्ता की. (26) नेपोलियन ने इटली में ऑस्ट्रिया (1796 ई.) के प्रमुख को समाप्त किया. (27) फ्रांस में डायरेक्टरी के शासन का अंत 1799 ई. में हुआ. (28) पहली बार नेपोलियन 1799 ई. में कॉन्सयल बना. (29) जीवनभर के लिए नेपोलियन 1802 ई. में कॉन्सल बना. (30) नेपोलियन फ्रांस का सम्राट 1804 ई. में बना. (31) आधुनिक फ्रांस का निमार्ता नेपोलियन को माना गया है. (32) इंग्लैंड को बनियों का देश सबसे पहले नेपोलियन ने कहा था. (33) नेपोलियन की पहली पत्नी का नाम जोजे फाइन था. (34) स्ट्राल्फकगर का युद्ध 21 अक्टूबर 1805 ई. में इंगलैंड और नेपोलियन के बीच हुआ. (35) बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना 1800 ई. में नेपोलियन ने की. (36) नेपोलियन का कोड नेपोलियन द्वारा तैयार कानूनों का संग्रह कहा गया. (37) एल्बा के टापू पर नेपोलियन को बंदी बनाकर रखा गया था. (38) मित्र राष्ट्रों की सेना ने नेपोलियन को वॉटर लू युद्ध में (18 जून 1815 ई.) में पराजित किया. (39) नेपोलियन की मृत्यु 1821 ई. में हुई. (40) नेपोलियन को लिट्ल कारपोरल के नाम से जाना जाता था. (41) नेपोलियन के पतन का कारण रूस पर आक्रमण करना था. (42) इंगलैंड के कारोबार का बहिष्कार करने के लिए नेपोलियन ने महाद्विपीय व्योवस्था का सुत्रपात किया. (43) विएना समझौते के तहत यूरोप के देशों ने फ्रांस के प्रभुत्व को 1815 ई. में खत्म किया. (44) नेपोलियन को नील नदी के युद्ध में अंग्रेजी जहाजी बेड़े के नायक नेल्सन के हाथों बुरी तरह पराजित होना पड़ा.
बत्तीसवीं पुतली रानी रुपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि राजा भोज में आज पहले वाली व्यग्रता क्यों नहीं है। राजा भोज ने कहा कि राजा विक्रमादित्य के देवताओं वाले गुणों की कथाएँ सुनकर उन्हें ऐसा लगा कि इतनी विशेषताएँ एक मनुष्य में असम्भव हैं और मानते हैं कि उनमें बहुत सारी कमियाँ है। अत: उन्होंने सोचा है कि सिंहासन को फिर वैसे ही उस स्थान पर गड़वा देंगे जहाँ से इसे निकाला गया है। राजा भोज का इतना बोलना था कि सारी पुतलियाँ अपनी रानी के पास आ गईं। उन्होंने हर्षित होकर राजा भोज को उनके निर्णय के लिए धन्यवाद दिया। पुतलियों ने उन्हें बताया कि आज से वे भी मुक्त हो गईं। आज से यह सिंहासन बिना पुतलियों का हो जाएगा। उन्होंने राजा भोज को विक्रमादित्य के गुणों का आंशिक स्वामी होना बतलाया तथा कहा कि इसी योग्यता के चलते उन्हें इस सिंहासन के दर्शन हो पाये। उन्होंने यह भी बताया कि आज से इस सिंहासन की आभा कम पड़ जाएगी और धरती की सारी चीजों की तरह इसे भी पुराना पड़कर नष्ट होने की प्रक्रिया से गुज़रना होगा। इतना कहकर उन पुतलियों ने राजा से विदा ली और आकाश की ओर उड़ गईं। पलक झपकते ही सारी की सारी पुतलियाँ आकाश में विलीन हो गई। पुतलियों के जाने के बाद राजा भोज ने कर्मचारियों को बुलवाया तथा गड्ढा खुदवाने का निर्देश दिया। जब मजदूर बुलवाकर गड़ढा खोद डाला गया तो वेद मन्त्रों का पाठ करवाकर पूरी प्रजा की उपस्थिति में सिंहासन को गड्ढे में दबवा दिया। मिट्टी डालकर फिर वैसा ही टीला निर्मित करवाया गया जिस पर बैठकर चरवाहा अपने फैसले देता था। लेकिन नया टीला वह चमत्कार नहीं दिखा सका जो पुराने वाले टीले में था। उपसंहार- कुछ भिन्नताओं के साथ हर लोकप्रिय संस्करण में उपसंहार के रूप में एक कथा और मिलती है। उसमें सिंहासन के साथ पुन: दबवाने के बाद क्या गुज़रा- यह वर्णित है। आधिकारिक संस्कृत संस्करण में यह उपसंहार रुपी कथा नहीं भी मिल सकती है, मगर जन साधारण में काफी प्रचलित है। कई साल बीत गए। वह टीला इतना प्रसिद्ध हो चुका था कि सुदूर जगहों से लोग उसे देखने आते थे। सभी को पता था कि इस टीले के नीचे अलौकिक गुणों वाला सिंहासन दबा पड़ा है। एक दिन चोरों के एक गिरोह ने फैसला किया कि उस सिंहासन को निकालकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर बेच देना चाहते थे। उन्होंने टीले से मीलों पहले एक गड्ढा खोदा और कई महीनों की मेहनत के बाद सुरंग खोदकर उस सिंहासन तक पहुँचे। सिंहासन को सुरंग से बाहर लाकर एक निर्जन स्थान पर उन्होंने हथौड़ों के प्रहार से उसे तोड़ना चाहा। चोट पड़ते ही ऐसी भयानक चिंगारी निकलती थी कि तोड़ने वाले को जलाने लगती थी। सिंहासन में इतने सारे बहुमूल्य रत्न-माणिक्य जड़े हुए थे कि चोर उन्हें सिंहासन से अलग करने का मोह नहीं त्याग रहे थे। सिंहासन पूरी तरह सोने से निर्मित था, इसलिए चोरों को लगता था कि सारा सोना बेच देने पर भी कई हज़ार स्वर्ण मुद्राएँ मिल जाएगीं और उनके पास इतना अधिक धन जमा हो जाएगा कि उनके परिवार में कई पुरखों तक किसी को कुछ करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी। वे सारा दिन प्रयास करते रहे मगर उनके प्रहारों से सिंहासन को रत्ती भर भी क्षति नहीं पहुँची। उल्टे उनके हाथ चिंगारियों से झुलस गए और चिंगारियों को बार-बार देखने से उनकी आँखें दुखने लगीं। वे थककर बैठ गए और सोचते-सोचते इस नतीजे पर पहुँचे कि सिंहासन भुतहा है। भुतहा होने के कारण ही राजा भोज ने इसे अपने उपयोग के लिए नहीं रखा। महल में इसे रखकर ज़रुर ही उन्हें कुछ परेशानी हुई होगी, तभी उन्होंने ऐसे मूल्यवान सिंहासन को दुबारा ज़मीन में दबवा दिया। वे इसका मोह राजा भोज की तरह ही त्यागने की सोच रहे थे। तभी उनका मुखिया बोला कि सिंहासन को तोड़ा नहीं जा सकता, पर उसे इसी अवस्था में उठाकर दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। चोरों ने उस सिंहासन को अच्छी तरह कपड़े में लपेट दिया और उस स्थान से बहुत दूर किसी अन्य राज्य में उसे उसी रूप में ले जाने का फैसला कर लिया। वे सिंहासन को लेकर कुछ महीनों की यात्रा के बाद दक्षिण के एक राज्य में पहुँचे। वहाँ किसी को उस सिंहासन के बारे में कुछ पता नहीं था। उन्होंने जौहरियों का वेश धरकर उस राज्य के राजा से मिलने की तैयारी की। उन्होंने राजा को वह रत्न जड़ित स्वर्ण सिंहासन दिखाते हुए कहा कि वे बहुत दूर के रहने वाले हैं तथा उन्होंने अपना सारा धन लगाकर यह सिंहासन तैयार करवाया है। राजा ने उस सिंहासन की शुद्धता की जाँच अपने राज्य के बड़े-बड़े सुनारों और जौहरियों से करवाई। सबने उस सिंहासन की सुन्दरता और शुद्धता की तारीफ करते हुए राजा को वह सिंहासन खरीद लेने की सलाह दी। राजा ने चोरों को उसका मुँहमाँगा मूल्य दिया और सिंहासन अपने बैठने के लिए ले लिया। जब वह सिंहासन दरबार में लगाया गया तो सारा दरबार अलौकिक रोशनी से जगमगाने लगा। उसमें जड़े हीरों और माणिक्यों से बड़ी मनमोहक आभा निकल रहीं थी। राजा का मन भी ऐसे सिंहासन को देखकर अत्यधिक प्रसन्न हुआ। शुभ मुहू देखकर राजा ने सिंहासन की पूजा विद्वान पंडितों से करवाई और उस सिंहासन पर नित्य बैठने लगा। सिंहासन की चर्चा दूर-दूर तक फैलने लगी। बहुत दूर-दूर से राजा उस सिंहासन को देखने के लिए आने लगे। सभी आने वाले उस राजा के भाग्य को धन्य कहते, क्योंकि उसे ऐसा अद्भुत सिंहासन पर बैठने का अवसर मिला था। धीरे-धीरे यह प्रसिद्धि राजा भोज के राज्य तक भी पहुँची। सिंहासन का वर्णन सुनकर उनको लगा कि कहीं विक्रमादित्य का सिंहासन न हो। उन्होंने तत्काल अपने कर्मचारियों को बुलाकर विचार-विमर्श किया और मज़दूर बुलवाकर टीले को फिर से खुदवाया। खुदवाने पर उनकी शंका सत्य निकली और सुरंग देखकर उन्हें पता चल गया कि चोरों ने वह सिंहासन चुरा लिया। अब उन्हें यह आश्चर्य हुआ कि वह राजा विक्रमादित्य के सिंहासन पर आरुढ़ कैसे हो गया। क्या वह राजा सचमुच विक्रमादित्य के समकक्ष गुणों वाला है? उन्होंने कुछ कर्मचारियों को लेकर उस राज्य जाकर सब कुछ देखने का फैसला किया। काफी दिनों की यात्रा के बाद वहाँ पहुँचे तो उस राजा से मिलने उसके दरबार पहुँचे। उस राजा ने उनका पूरा सत्कार किया तथा उनके आने का प्रयोजन पूछा। राजा भोज ने उस सिंहासन के बारे में राजा को सब कुछ बताया। उस राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने कहा कि उसे सिंहासन पर बैठने में कभी कोई परेशानी नहीं हुई। राजा भोज ने ज्योतिषियों और पंडितों से विमर्श किया तो वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि हो सकता है कि सिंहासन अब अपना सारा चमत्कार खो चुका हो। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि सिंहासन अब सोने का न हो तथा रत्न और माणिक्य काँच के टुकड़े मात्र हों। उस राजा ने जब ऐसा सुना तो कहा कि यह असम्भव है। चोरों से उसने उसे खरीदने से पहले पूरी जाँच करवाई थी। लेकिन जब जौहरियों ने फिर से उसकी जाँच की तो उन्हें घोर आश्चर्य हुआ। सिंहासन की चमक फीकी पड़ गई थी तथा वह एकदम पीतल का हो गया था। रत्न-माणिक्य की जगह काँच के रंगीन टुकड़े थे। सिंहासन पर बैठने वाले राजा को भी बहुत आश्चर्य हुआ। उसने अपने ज्योतिषियों और पण्डितों से सलाह की तथा उन्हें गणना करने को कहा। उन्होंने काफी अध्ययन करने के बाद कहा कि यह चमत्कारी सिंहासन अब मृत हो गया है। इसे अपवित्र कर दिया गया और इसका प्रभाव जाता रहा। उन्होंने कहा- "अब इस मृत सिंहासन का शास्रोक्त विधि से अंतिम संस्कार कर दिया जाना चाहिए। इसे जल में प्रवाहित कर दिया जाना चाहिए।" उस राजा ने तत्काल अपने कर्मचारियों को बुलाया तथा मज़दूर बुलवा कर मंत्रोच्चार के बीच उस सिंहासन को कावेरी नदी में प्रवाहित कर दिया। समय बीतता रहा। वह सिंहासन इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह गया। लोक कथाओं और जन-श्रुतियों में उसकी चर्चा होती रही। अनेक राजाओं ने विक्रमादित्य का सिंहासन प्राप्त करने के लिए कालान्तर में एक से बढ़कर एक गोता खोरो को तैनात किया और कावेरी नदी को छान मारा गया। मगर आज तक उसकी झलक किसी को नहीं मिल पाई है। लोगों का विश्वास है कि आज भी विक्रमादित्य की सी खूबियों वाला अगर कोई शासक हो तो वह सिंहासन अपनी सारी विशेषताओं और चमक के साथ बाहर आ जाएगा। सिंहासन बत्तीसी की अन्य पुतलियाँ
यूपी के गोंडा की एक महिला ने एक लेखपाल पर रेप का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए एसडीएम को प्रार्थनापत्र देकर कार्रवाई की मांग की है. पीड़िता ने कोतवाली में भी मामले की तहरीर दी है, लेकिन दो माह बाद भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की है. एसडीएम के संज्ञान में यह मामला आने के बाद कार्रवाई की बात कही जा रही है. पीड़िता का आरोप है कि बीते 14 अप्रैल को उसकी गेहूं की फसल में आग लग गई थी, जिसकी जांच करने हल्का लेखपाल गया था. उसने रिपोर्ट पर पति-पत्नी दोनों को अंगूठा लगाने के लिए अपने आवास पर बुलाया. वह और उसके पति सुबह 8 बजे लेखपाल के आवास पर पहुंच गए. उसने अपने निजी कार्यालय में दोनों को बैठाया. उसके पति को सादा कागज लाने के लिए बाहर भेज दिया. पति के जाते ही लेखपाल कार्यालय का दरवाजा बंद करने लगा. महिला ने रोका तो रेप करने की नीयत से उसका हाथ पकड़ कर छेड़छाड़ किया. उसने विरोध करते हुए शोर मचाना चाहा तो उसका मुंह बंद करके दरवाजा खोल दिया. इसके बारे में किसी को नहीं बताने की धमकी दी. महिला ने घटना की तहरीर कोतवाली में दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. पीड़ित महिला का आरोप है कि स्थानीय पुलिस मामले को रफादफा करने में जुटी है. ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम अर्चना वर्मा ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है. इस मामले की जांच सीओ करनैलगंज को सौंपी गई है. जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.
टीवी शो कुल्फी कुमार बाजेवाला को लेटेस्ट ट्रैक की वजह से सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया जा रहा है. पिछले एपिसोड में दिखाया गया कि लवलीना (अंजलि आनंद) ने खुद की बेटी अमायरा (मायरा सिंह) को जहर पिलाया. जिसके बाद अमायरा की तबीयत बेहद बिगड़ गई. वे अस्पताल में भर्ती हैं. ये ट्रैक दर्शकों को अखर रहा है. उन्होंने मेकर्स पर सवाल उठा दिया है. शो को लेकर लोगों का गुस्सा किस कदर भड़का हुआ है ये उनके कमेंट्स से पता चलता है. ऑडियंस ये मानने को तैयार नहीं है कि कैसे एक मां अपनी ही बेटी को मौत के कुएं में धकेल सकती है. फैंस मेकर्स से निराश हैं. उनका मानना है कि ये एक बेहूदा ट्रैक है. इस सीन को यूजर्स घटिया, इडियट, बेहूदा और वाहियात बता रहे हैं. लोगों की मेकर्स से अपील है कि वे इस तरह के ट्रैक पर रोक लगाए. What a crap they are showing in #kulfikumarbajewala like seriously @StarPlus are you in your sense What kind of example you want to set that mother are giving the possion to her own child with her own hand how can you think that type of shit😠😠 Kindly monitor before telecast — Ritambhara (@RitambharaChot3) February 12, 2019 View this post on Instagram Kulfi Kumar Bajewala 11th February 2019 Full Episode 😘😘😘 . . . Follow 👉🏻 @kullfikumarrbajewalaa . . . . . #mysmile #mohitmalik #love #swag #style #aakritisharma #ssg #sikandersinghgill #mohkriti #sikander #ssg #kulfi #love #additemalik #sikulfi #kulfi #kullfi #kulfikumarbajewala #kullfikumarbajewala #kullfikumarbaajewala #kulfikumarbaajewala #kullfikumarrbajewala A post shared by Kullfi Kumarr Bajewala (@kullfikumarrbajewalaa) on Feb 11, 2019 at 11:19am PST Totally insane & stupidity. #Mom feeding poision to Daughter, it's the ugliest serial ever. Who is monitoring the content. Should be violated & sued for such nonsense. This needs to be stopped #kulfikumarbajewala — Rakesh Ramola (@ramola_rakesh) February 11, 2019 क्या है कहानी जिस पर उठा बवाल कहानी के मुताबिक, लवलीना अपने पति सिकंदर (मोहित मलिक) की जिंदगी में लौटने की हर संभव कोशिश कर रही है. इसके लिए वे अपनी बेटी का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकी. लवलीना ने अमायरा को हथियार की तरह इस्तेमाल किया. इसी बीच लवलीना को पता चलता है कि कुल्फी सिकंदर की बेटी है. सिकंदर का कुल्फी से ध्यान खींचने के लिए लवलीना अपनी बेटी अमायरा को जहर पिलाती है. अस्पताल में अमायरा की हालत नाजुक बनी हुई है. लवलीना की रिएलिटी से अंजान सिकंदर और कुल्फी, अमायरा के लिए दुआ मांग रहे हैं. View this post on Instagram Kulfi Kumar Bajewala 11th February 2019 Full Episode 😘😘😘 . . . Follow 👉🏻 @kullfikumarrbajewalaa . . . . . #mysmile #mohitmalik #love #swag #style #aakritisharma #ssg #sikandersinghgill #mohkriti #sikander #ssg #kulfi #love #additemalik #sikulfi #kulfi #kullfi #kulfikumarbajewala #kullfikumarbajewala #kullfikumarbaajewala #kulfikumarbaajewala #kullfikumarrbajewala A post shared by Kullfi Kumarr Bajewala (@kullfikumarrbajewalaa) on Feb 11, 2019 at 11:20am PST View this post on Instagram How ??? Can Anyone Risk's Her Daughter's Life for Her Own Needs 🤔 UnBelievable 😯 . . @MohitMalik1113 @AakritiSharma.Official @MyraSinghOfficial #Soulmate #LifeLine #Happiness #MohitMalik #MyraSingh #Amayra #Love #AakritiSharma #Mohkriti #FatherAndDaughter #FatherDaughter #SikanderSinghGill #Sikander #SSG #Kulfi #LoveGoals #MohitMalikLover #Sikulfi #KulfiKumarBajewala #KullfiKumarBajewala #KullfiKumarBaajewala #KulfiKumarBaajewala #KullfiKumarrBajewala A post shared by MohitMalik 💘 Lover (@mohitmaliklover) on Feb 11, 2019 at 7:21am PST View this post on Instagram This Moment . . . Follow 👉🏻 @kullfikumarrbajewalaa . . . #mysmile #mohitmalik #love #swag #style #aakritisharma #ssg #sikandersinghgill #mohkriti #sikander #ssg #kulfi #love #additemalik #sikulfi #kulfi #kullfi #kulfikumarbajewala #kullfikumarbajewala #kullfikumarbaajewala #kulfikumarbaajewala #kullfikumarrbajewala A post shared by Kullfi Kumarr Bajewala (@kullfikumarrbajewalaa) on Feb 9, 2019 at 11:04am PST It’s utter rubbish that a mom can ask her 7 year old daughter to drink poison if she wants her Dad which was shown in Friday’s episode of #KulfiKumarBajewala highly disturbing. This kind of content should not be aired. The producer must stop this nonsense. — Phutarmal Jain (@pppjain) February 9, 2019 I want to ask the makers of #kulfikumarbajewala that how is it ok to show that mature adults are constantly traumatising a child? The content of the serial is extremely disturbing. And people actually watch the show! God! 🙄 — June (@JunieLovesBTS) February 5, 2019 What are u trying to show us @StarPlus with Ur current track in #Kulfikumarbajewala shame on u to such negative track where a mom is teaching such Rong things to her daughter and doesn't mind playing with her own daughter's life #STOPGIVINGWRONGMESSAGE — Mamta Sehgal (@sehgl_mamta) February 11, 2019 बता दें कि कुल्फी कुमार बाजेवाला में बाप-बेटी का अनोखा रिश्ता दिखाया गया है. शो जबसे ऑनएयर हुआ है टीआरपी चार्ट में अच्छी रैंकिंग पर बना हुआ है. शो में सिकंदर संग कुल्फी और अमायरा का रिश्ता दिल छूने वाला है.
न्यूयॉर्क में एक 25 वर्षीय आदमी ने स्पाइडरमैन जैसे कपड़े पहनकर पहले तो एक महिला टूरिस्ट को तंग किया और फिर एक पुलिसवाले को घूंसा भी जड़ दिया. इस आदमी को गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपी का नाम जूनियर बिशप है. बिशप स्पाइडरमैन जैसे कपड़े पहनकर वहां मौजूद टूरिस्ट के साथ फोटो क्लिक करवा रहा था. एक महिला ने बिशप को 1 डॉलर की टिप दी तो उसने टिप लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद बिशप ने महिला से कहा कि वो सिर्फ 5, 10 या 20 डॉलर रुपये लेता है. वहां मौजूद पुलिसवाले ने ये देखा तो महिला से जाकर कहा कि वो अपनी इच्छा से जितने चाहे पैसे दे सकती है. ये देखकर बिशप ने पुलिसवाले से कहा कि वो अपना काम करे और उसके मामले में टांग न अड़ाए. इसके बाद बिशप पुलिसवाले से लड़ता रहा और बहस करता रहा. पुलिसवाले ने जब बिशप को गिरफ्तार करना चाहा तो वो उसे को घूंसा मारकर वहां से भागने लगा. इसके बाद वहां और पुलिसवाले पहुंचे और बिशप को गिरफ्तार किया.
बलात्कार के आरोपी आसाराम बापू के बेटे नारायण साईं को रेप केस में सूरत की सेशंस कोर्ट ने शुक्रवार को दोषी करार दिया है. नारायण साईं की सजा का ऐलान 30 अप्रैल को होगा. सूरत की रहने वाली दो बहनों की ओर से लगाए गए बलात्कार के आरोप में कोर्ट ने नारायण साईं को दोषी करार दिया है. पुलिस ने पीड़ित बहनों के बयान और लोकेशन से मिले सबूतों के आधार पर नारायम साईं और आसाराम के खिलाफ केस दर्ज किया था. नारायण साईं और आसाराम के खिलाफ रेप का केस करीब 11 साल पुराना है. पीड़िता छोटी बहन ने अपने बयान में नारायण साईं के खिलाफ ठोस सबूत देते हुए हर लोकेशन की पहचान की है. जबकि बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था. आसाराम के खिलाफ गांधीनगर के कोर्ट में मामला चल रहा है. नारायण साईं के खिलाफ कोर्ट अब तक 53 गवाहों के बयान दर्ज कर चुकी है, जिसमें कई अहम गवाह भी हैं, जिन्होंने नारायण साईं को लड़कियों को अपने हवस का शिकार बनाते हुए देखा था या फिर इस कृत्य में आरोपियों की मदद की थी, लेकिन बाद में वो गवाह बन गए. नारायण साईं पर जैसे ही रेप के मामले में एफआईआर दर्ज हुई, वैसे ही वह अंडरग्राउंड हो गया था. वह पुलिस से बचकर लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा था. तत्कालीन सूरत पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने नारायण साईं को गिरफ्तार करने के लिए 58 अलग-अलग टीमें बनाई और तलाशी शुरू कर दी थी. एफआईआर दर्ज होने के करीब दो महीने बाद दिसंबर, 2013 में नारायण साईं हरियाणा-दिल्ली सीमा के पास से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के वक्त नारायण साईं ने सिख व्यक्ति का भेष धर रखा था. खुद को कृष्ण का रूप बाताने वाले नारायण साईं की गिरफ्तारी के बाद उसके कृष्ण की तरह महिलाओं के बीच बांसुरी बजाने के कई वीडियो भी सामने आए थे. नारायण साईं पर जेल में रहते हुए पुलिस कर्मचारी को 13 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का भी आरोप लगा था, लेकिन इस मामले में नारायण साईं को जमानत तो मिल चुकी है लेकिन रेप के मामले में अभी भी कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
किसी शिक्षण संस्थान में जो भाषा शिक्षण के लिये प्रयोग की जाती है, उसे उस संस्थान की शिक्षा का माध्यम ( medium of instruction) कहते हैं। अधिकांश विकसित देशों में मातृभाषा ही प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक का माध्यम है। किन्तु ब्रिटेन और फ्रांस के उपनिवेश रहे देशों में अभी भी मातृभाषा के बजाय अंग्रेजी या फ्रेंच शिक्षा के माध्यम हैं। इन्हें भी देखें भाषाई साम्राज्यवाद सांस्कृतिक साम्राज्यवाद उपनिवेश बाहरी कड़ियाँ शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रादान, और विदेशी भाषा शिक्षण : मातृभाषा बनाम अँग्रेज़ी माध्यम में पढ़ाई (डॉ जोगा सिंह) क्या हो शिक्षा का माध्यम ? शिक्षा
म्यांमार सरकार ने तटीय राखिने राज्य में रविवार रात भड़की हिंसा के बाद वहां आपातकाल की घोषणा कर दी है. राष्ट्रपति यू थेन सेन द्वारा हस्ताक्षरित आपातकाल की यह घोषणा सरकारी रेडियो और टेलीविजन पर की गई. थेन सेन ने राष्ट्र को सम्बोधित भी किया, जिसका सीधा प्रसारण हुआ. आपातकाल की यह घोषणा तब की गई, जब देश के राखिने राज्य के छह क्षेत्रों में कर्फ्यू के बावजूद अशांति और हिंसा बढ़ गई. इसके कारण सरकार को इस क्षेत्र में अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी निभा पाना कठिन हो गया. म्यांमार के राखिने राज्य में अभूतपूर्व अशांति और हिंसा की घटनाएं घट रही हैं, जिसके कारण छह क्षेत्रों में शुक्रवार रात से ही कर्फ्यू लागू है. जिन छह क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया है, उनमें मौंगता, बुथिदौंग, सितावे, थांदवे, क्यौकफियु और रामरी शामिल हैं.
अंग्रेजी में लिखते या बोलते समय ज्यादातर कंफ्यूजन Prepostion को लेकर होता है. Preposition का उपयोग करने के लिए कोई तय नियम नहीं है. कई ऐसे प्रिपोजिशन हैं जो दिखने में तो एक जैसे लगते हैं लेकिन इनका मतलब अलग-अलग होता है. Preposition: यह एक ऐसा शब्द है जो noun या pronoun से पहले लगता है और दूसरे शब्दों के साथ संबंध बताता है, Preposition कहलाता है. 1. In: इस Prepostion का प्रयोग पोजिशन बताने के लिए किया जाता है. वहीं, इसका उपयोग बड़े एरिया को बताने के लिए भी किया जाता है. Example: (i) I am living in Delhi ( ii) You are in the house 2. Into: इसका प्रयोग मूवमेंट बताने के लिए होता है. खास कर के उस verb के साथ जिसका उपयोग हम वाक्‍य में मूवमेंट दिखाने के लिए करते हैं. Example: (i) She walked into the room. (ii) He is jumping into the well. जैसा फर्क In और Into में होता है कुछ ऐसा ही फर्क on और onto में भी होता है: 3. On: वस्तु और व्यक्ति की पोजिशन को दिखाने के इसका उपयोग किया जाता है. Example: (i) Your books are on the table (ii) He is standing on the roof 4. Onto: इसका उपयोग हम मूवमेंट बताने के लिए करते हैं. Onto का प्रयोग तेज या झटके से किए गए मूवमेंट के लिए भी होता है. Example: (i) He Put the bag onto the table. (ii) The Path leads onto the park.
भारतवर्ष के प्राचीन ग्रन्थ मे अनेक युद्द का वर्णन आय है। वेदिक काल, उपनिशद काल रामायण तथा महाभारत काल मे भीषण युद्ध लडे गये। उन लोगों के युद्द मे विस्फोट हुवे इन सब को द्यान मे रख ते सुए आधुनिक इतिहास्कारों ने बारूद का ज्ञान चीन और भारत ईसा पूर्व बना दिया। आधुनिक युद्द में प्रयोग होने वाले विभिन्न पदार्थों मे, विस्फोटक सर्वाधिक महत्वपूर्ण पदार्थ है। राइफल की साधारण गोली से लेकर हथ-गोला, सुरंग, बम, राकेट और मिसाइल सभी में विस्फोट्क पधर्थों का प्रयोग होता है। आज सिविल इंजीनियरी के क्षेत्र में विस्फोटकों का चमत्कारिक योगदान है। इस बांद के निर्मण से न केवल २० लाख एकड मरुस्थल हरे भरे मैदान में बदल गया, बल्कि इससे उत्प्पन होने वाली २० अरब किलोवट विद्युत उत्पादन से देश के औद्योगिक विकास को भी एक नइ दिशा मिली। विस्फोतकों का उप्योग धातु रचना, धतु वेल्डन, दुर्लब धतुवों के उत्पादन तथा अग्निशिल्प में व्यापक रूप से होता। विस्फोट प्रक्रुती के अनुसार तीन वर्गों मे रख सकते है। यांत्रिक विस्फोट इस प्रकार के विस्फोट न केवल सामान्य जीवन में अपितु प्रकर्ती में भी घटित होते है। २७ अगस्त १८८३ को क्राकाटोवा ज्वालामुखी विस्फोट इतिहास का सम्भव्ता: सब से बडा यांत्रिक वाष्पीय विस्फोट था। इसमें ताप अवयव एवं विस्फोटी चकती युक्त एक भारी कोल होता है। इस खोल मे उच्च दाब पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस भरी होती है। ताप अवयव की लिबलिबी दबाने पर कार्बन डइआक्सैइड का दबाव एक दम बहुत बड जाता है जिससे चकतीम्फट जाती है और विस्फोट हो जाता है। नाभिकीय विस्फोट यह विस्फोट शक्तिशाली और विनाशकारी होता है। यह न केवल उच्च ताप तथा दाब उत्पन्न कर्त है अपितु वायुमण्ड्ल में रेडियोधर्मी प्रभाव भी छोडता है जिस्का हानिकार प्रभाव बहुत समय तक बना रह्ता है। नाभिकिय विस्फोट दो दो प्रकार से उत्पन होसक्ता है - नाभिकीय विखन्डन द्वारा परमाणु नाभिकों का विख्ण्डन केवल भारी तत्वों में ही होता है जो कि अस्थिर या रेदियो सक्र्य होते है। विखण्डन में पदार्थ की कुछ मात्रा उर्जा में परिवर्तित हो जाती है और हलके तत्व प्राप्त होते है। उदाहर्ण: पर्र्माणु बम। नाभिकीय संलयन द्वारा नाबिकिया संलयन की क्रीया में भारी तत्व प्रप्त होते है। इस्मे प्दार्थ की मात्रा का लगभग 0.7 प्रतिशत ऊर्जा में बदल्ता है। उदाहरण : हाइद्रोजन बम। रासायनिक विस्फोट इस प्रकार के विस्फोट में रासायनिक क्रियायें होति है। रासायनिक विस्फोट की निम्न विशेषताएँ हैं - तीव्र अभिक्रिया विस्फोट के समय रासायनिक क्रिया बहुत तेज़ी के सात होती है। ऊषमा उन्मोचन रासयनिक विस्फोट में ऊष्मा क उत्पन्न होन एक अनिवार्य लक्षण है। विस्फोट के समय ताप ३००० दिग्री सेल्सियस से ४००० दिग्री सेल्सिय्स तक पहुंच जाता है। गैंसों का उत्त्पन्न होना कुछ उप्दौदों (जैसे कापरऐसिटीलाइड का विस्फोटी विघटन) को छोडकर शेष सभी रासयनिक विफोतों मे बडी मात्रा में जैसे उत्पन्न होती है। विस्फोती पाधर्त के मूल आयतन में १०००० से १५०००० गुन तक व्रुद्दि होती है। ये गैसें बहुत ते.ई के साथ फैलती है। इन की प्रसार गति ७००० से ८००० मीटर प्रति सेकिण्ड तक होती है। प्रेरण विधी रासायनियक विस्फोटी प्रक्रिया, यांत्रिक क्रियाओं जैसे - आघात, घर्ष्ण, उच्च्ताप या सीधी लौ द्वारा प्रारम्भ की जा सकती है। सम्पूर्ण विस्फोट प्रक्रिया सेकेण्ड के एक अंश में पूरी हो जाती है। विस्फोट के साथ उच्च प्रगात, ताप तथा तीव्र द्वनि उत्पन्न होते है। पर्माणविक विस्फोटों को छोडकर शेष सभी मानव निर्मित विस्फोटक, रासयनिक विस्फोटकों की ही स्रेणी में आते है। युद्द तथा शाँति में रासायनिक विफोटकों का ही प्रयोग होता है। एक आदर्श प्राथमिक विस्फोटक में उपरोक्त उद्दिपकों के प्रति उच्च्कोटी की संवेदनशीलता होनी चाहिए लेकिन इतनी नही की यह हस्त्न या परिवहन में असुरक्षित हो। अन्य विस्फोटकों की तुलना में निम्न विलक्षणताएँ होती है। प्रेरण संवेदनशीलता : यह अन्य विस्फोटकों की अपेक्षा कम उर्जा/संघात (इम्पल्स) से अधिस्फोटित हो जाते है। शीघ्र अधिविस्फोटन : प्रेरक संघात लगने के बाद यह अत्यंत शीघ्र्ता से अधिविस्फोटन अवस्ता प्राप्त कर लेते है। निर्वात मेम भी इनका अधिस्फोटन होजाता है जबकि अन्य उच्च्विस्फोटक निर्वात में अधिविस्फोटित नही होते। विस्फोटक तकनीक में प्राथमिक विस्फोट्कों का बहुत अधिक महत्व है। उच्चगौड विस्फोटक तथा नोदक, समान्य संघात या ऊष्मा के प्रभव से अधिविस्फोटित नहीं होते। अत: इन्हे अधिविस्फोटित करने के लिए प्राथामिक विस्फोटकों का प्रयोग किया जाता है। प्राथमिक विस्फोतटक सामान्य संघात से प्ररित होकर अन्य विस्फोट्कों को अधिविस्फोटित होनि के लिए पर्याप्त ऊजा प्रदान कर्ते है। मरकरीफल्मीनेट, लेड ऐजाइड, लेड स्टिफनेट, लेड डाइनाट्रोरेसार्सिनेट, फोतैशियम डाइनाइट्रोबेफ्युराक्सेन, बैरियम स्टिफनेट, ज़िरकोनियम पोटिशियम परक्लोरेट आदि महत्वपूर्ण है। मरकरी फल्मीनेट Hg(ONC)2 यह फल्मीनिक अम्ल (HONC) का एक ऊष्माशोषी लवण है। इसे सर्वप्रथम कुन्केल ने १७०० में बनाया था। १८०० में एडवर्ड ने इसे बनाने की एक संतोषजनक विधि विकसित की। आज भी हावर्ड की विधि के आधार पर ही मरकरी फल्मीनेट तैयार किया जाता है। मरकरी फल्मीनेट को व्यावसाइक स्तर पर बनाने के लिए प्रत्येक बैच के लिए ५००-६०० ग्राम पारा लेते है तथा एक साथ कई बैच लगाते है। बनाने की विधि : ४ ग्राम पारा एक १०० मिली लीटर आयतन के फ्लास्क में रखे हुए २६.५ मिलीलीटर नाईट्रिक अम्ल में बिना हिलाये घोलते है। इस अमलिय द्रव को एक ५०० मिलीलीटर फ्लास्क में रखे हुए ४० मिलीलीटर ऐल्कोहाँल (९०%) में उंडेल देते है। एक तीव्र प्रतिक्रिया होती है तथा मिश्रण का ताप ८० डिग्री सेल्सियस तक बढ जाता है। इस में से सफिद धूम निकल्ते है तथा मरकरी फ्ल्मीनेट के क्रिस्टल अवक्षएपित होना प्रारंभ हो जाते है। इस के बाद लाल धूम निकल्ते है और मरकरी फल्मीनेत तेज़ी के साथ अवक्षेपित होने लगता है। अंत में पुन: सफेद धूम निकलते है तथा अभिक्रिया की गति मंद हो जाति है। २० मिनट में अभिक्रिया पूरी हो जाती है। फ्लास्क को ठंडा करकें इस्में पानी मिलाते है तथा निथार्ने की विधि से अवक्षेप को कई बार धोकराम्ल रहित कर देते है। मरकरी फ्ल्मीनेट के छोटे पिराहिड आकार के भूरे धूसर रंग के क्रिस्तल प्राप्त होते है। क्रिस्टलों का रंग कोलायडी पारे के कारण होता है। शुद्ध सफेद क्रिसटल प्राप्त करने के लिए उतपाद को सान्द्र अमोनिया घोल में घोलकर ३०% ऐसिटिक अम्ल से पुन: अवक्षेपित कर्ते है। यदी अभिक्रिया मिस्रण में थोडी मात्रा में ताँबा और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मिला दिया जाय तो भी शुद्ध सफेद अवक्षेप प्रप्त होता है। क्रिस्टलों को जल में ही संग्रह करते है तथा प्रयोग करने के पहले ४० दिग्री सेल्सियस पर इन्हें सुखा लेते है। गुण भौतिक अवसथा : मरकरि फल्मीनेट सामान्यता भूरे-धूसर ठोस क्रिस्टलिय रूप में प्राप्त होता है। इसके सफेद क्रिस्टल भी प्राप्त किए जा सकते है। अणुभार : २८४.६ घनत्व : ४.४२ ग्राम/सेंटीमीटर स्थूल घनत्व : १.७५ ग्राम उद्धनांक : १६५ दिग्री सेल्सियस विस्फोटी ऊष्मा : ३५५ कि. कैलोरी आक्सिजन संतुलन : -११.२ प्रतिशत विस्फोटी-विघटन : यह उप्युक्त परिरोदिक अवस्था में संघट्ट, घर्षण अथवा ऊष्मा के प्रभाव से अधिविस्फोटित होता है। विघटन को निम्न समीकरण से व्यक्त कर सकते है- Hg(ONC)2 --> Hg + 2CO + N2 + 118.5 कि.कैलोरी लेड स्टिफनेट लेड स्टिफोनेट (या ट्राइनाइट्रोरेसासिर्नेट), स्टिफ्निक अम्ल का सामान्य लवण है। इसमें जल का एक क्रिसस्टलीय अणु (मालीक्यूल ऑफ क्रिस्टलाइज़ेशन) होत है। बनाने की विधि : लेडस्टिफनेट बनाने के लिए मैग्नीशियम स्टिफनेट घोल को लेड नाइट्रेट घोल में निशिचय ताप, pH तथा सान्द्रता पर विलोडन के साथ मिलाते है। अभिक्रिया पात्र में लेड स्टिफोनेट के क्रिस्टल अव्क्षेपित हो जाते है। हैग्नीशीयम स्टिफ्नेट को ७० दिग्री सेल्सियस पर अच्छीतरह विलोडित लेड ऐसिटेट में मिलाने से बेसिक लेड स्टिफनेट प्राप्त होत है। मिश्रण को १०-१५ मिनट विलोडित कर इसमें तनु नाइत्रिक अम्ल मिलाने से लेडस्टिफनेट अवक्षीपित होता है। इसे रेशम की छन्नी से छानकर शुष्कन कक्ष में ले जाते है जहँ इस्में कार्बन-डैआक्साइड रहित शुष्क वायु गुजार कर इसे सुखा लेते है। अवांछित लेड स्टिफनेट नष्ट करने के लिए इसे २०% नाइतट्रिक अम्ल में मिलाते है। छानकर निस्पंद (फिल्टेट) में सोडियम सल्फेट मिलाते है जिससे लेड अवक्षेपित हो जाता है। गुण भौतिक अवस्था : लेड स्टिफनेट के क्रिस्टल नारण्गी पीले से गहरे भूरे रंग तक के होते है। इनका आकार छोटा, तुल्यचतुर्भुजी (राम्बिक) होता है। अणुभार : ४६८.३ घनत्व : ३.० ग्राम उद्दहनांक : २७५-२८० दिग्री सेल्सियस विसफोटि ऊष्मा : ३७० कि. ग्राम संभवनपूर्ण ऊष्मा : -४३६.१ कि. ग्राम संभवन ऊजा : ४२६.१ कि. ग्रानम आक्सीजन संतुलन : -२२.२ प्रतिशत अधिस्फोटी वेग :२.९ ग्राम/सेंटीमीटर घन्त्व पर इस्का अधिस्फोटी वेग ५२०० मीटर/सेकेण्ड होता है। उपयोग : इसे अधिस्फोटक तथा अन्य प्रेरकों में पहली (प्राइमरी) पर्त के अवयव के रूप में प्रयोग करते है। लेड स्टिफोट की एक पर्त लेड ऐज़ाइड के ऊपर रखने से यह शीघ्र ही प्रेरिट होकर लौ द्वारा लेड ऐज़ाइड को विफोतटित कर देता है। ए.एस.ए. मिश्रण (लेड स्टिफनेट+लेड ऐज़ाइड+ऐलुमिनियम चूर्ण), लौ तथा स्फुलिंग दोनों के द्वारा प्रेरित किया जा सकता है। लेड ऐज़ोटेट्रोज़ोल टेट्राज़ोल तथा इसके कई व्युत्पन्न विस्फोटि गुणों वाले पदार्थ होते हैं। ऐज़ोटेट्राज़ोल जो इसका एक व्युत्पन्न है, एक सामान्य तथा एक मोनोबेशिक लेड लवण देता है। यह दोनों लवण दो रूपों में प्राप्त होते है। मोनोबेसिक लेड लवण के दोनों ही रूपों में क्रिस्टलीकरण जल नही होता तथा इनकी ऊष्मीय स्थिरता अधिक होति है। मोनोबेसिक लेड लवण के दोनों रूप, अमोनिया युक्त लेड एसिटेट घोल को डाइसोडियम ऐज़ाटेट्राज़ोल के गर्म घोल में मिलाने से प्राप्त होते हैं। 'डी' टाइप बेसिक लेड लवण ही अधीक उपयोगी है। यह ९० दिग्री सेल्सियस पर अमोनिया युक्त लेड एसिटेट को डाइसोडियम लवण में धीरे-धिरे मिलाने से अवक्षेपित होता है। इसके क्रिस्टल पीले प्रिज्म आकार के होते है। डी मोनो बेसिक लेड लवण अनार्द्र्ताग्राही होता है तथा ६० दिग्री सेल्सियस पर ६ महीने तक भण्डार करने से इस मे परिवर्तन नही होता। मरकरी5-नाइतट्रोटेज़ोल यह एक संवेदनशील और शक्तिशाली विस्फोटक है। इसे ऐज़ोटेट्राज़ोल से निम्न क्रिया विधि के अनुसार बनाते है। Cu(NT)2HNT 4H2O+CuSO4+6HN2CH2CH2 NH2 ---> 3Cu(NH2CH2CH2NH2)2 (NT)2 CU (NH2 CH2 CH2 NH2)2+HNO3---> CuNT2HNT CU NT2 HNT+Hg (NO3)2+cristal modifier---->Hg (NO)2 इस्में AT, एजोटेट्राज़ोल तथा NT, नाइट्रोटेट्राज़ोल के लिए प्रयोग किया गया है। सोडियम नाइट्राइट तथा सल्फ्यूरिक अम्ल को सैंद्धांतिक मात्रा से क्रमस: १० और १५ प्रतिशत अधीक लेते है। तथा कापर सल्फेट का ५०% घोल प्रयोग करते है। इस विधि से ६०-६५% मरकरी ५-नाइट्रोटेट्राज़ोल की प्राप्ती होती है। डाइज़ोनियम लावण : बर्तलो और वीले ने १८८३ के लगभग डाइज़ोनियम लवण, बेञीन डाइज़ोनियम नाइट्रेट बनाया तथा इसके गिणों का अध्ययन किया। यह लवण शुष्क अवस्था में घर्षण और आघात के प्रती अधिक संवेदनशील होते हैं। बाहरी कड़ियाँ http://www.britannaica.com/EBchecked/topic/375915/mercury-fulminate ‎* https://web.archive.org/web/20140302173338/http://www.dtic.mil/dtic/tr/fulltext/u2/124607.pdf
इंग्लैंड में भारतीय फुटबॉल को नई पहचान दिलाने वाली अदिति चौहान की वीजा की समस्या जल्द हल हो सकती है. सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने विदेश मंत्रालय से मामले में तुरंत संज्ञान लेने को कहा है. एक ट्वीट के जरिये राठौड़ का ध्यान इस ओर खींचा गया था कि अदिति बीते चार महीने से विदेश मंत्रालय से अपना वीजा बढ़वाने की अपील कर रही हैं, पर अब तक कुछ नहीं हुआ. उनका वीजा 29 जनवरी को खत्म हो रहा है. अब राठौड़ ने इस मामले में पहल की है. मदद के लिए आगे आए राज्यवर्द्धन अदिति की वीजा प्रॉब्लम के सिलसिले में राठौड़ से ट्विटर पर मदद मांगी गई थी. Sir @Ra_THORe Thanks for the reply of Our Query about #IIMC_DG . Sir can you please help @aditi03chauhan she is facing some visa issue. — Suraj Pandey (@Uploding) January 6, 2016 कर्नल राठौड़ ने तुरंत इनबॉक्स में मैसेज कर मामले की पूरी जानकारी मांगी. फिर उस ट्वीट के जरिए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से मामले को संज्ञान में लेने की अपील करने के साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी मामले से अवगत कराया. मंत्री के इस कदम से अदिति को उम्मीद है कि अब उनकी वीजा संबंधी परेशानी का समाधान हो जाएगा और वह इंग्लैंड में खेलकर तिरंगे की शान को और बढ़ा सकेंगी. Welcome. Dear @MEAIndia please help with Visa for @aditi03chauhan , she is an internat'l footballer . @SushmaSwaraj https://t.co/eolcymgcmq — Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) January 6, 2016 इतिहास रचा था फुटबॉलर अदिति ने दरअसल, इंग्लिश क्लब वेस्ट हैम यूनाइटेड लेडीज के लिए खेलने वाली पहली भारतीय फुटबॉलर बनी अदिति चौहान जो कि साल 2015 की एशियन फुटबॉलर ऑफ द ईयर भी हैं, का स्टूडेंट वीजा 29 जनवरी को समाप्त हो रहा है. यानी कि इस अवॉर्ड को जीतने के बाद भी वेस्ट हैम यूनाइटेड की इस गोलकीपर के सामने खड़ा संकट कम नहीं हुआ है. पढ़ाई के लिए स्टूडेंट वीजा पर यूके गई अदिति का वीजा एक्सपायर होने के बाद वेस्ट हैम लेडीज के लिए खेलना तो दूर यूके में रह भी नहीं पाएंगी. अधर में दिख रहा था अदिति का भविष्य अपने प्रदर्शन से अक्सर सुर्खियों में रहने वाली इस गोलकीपर को पिछले कुछ महीनों से अपना भविष्य अधर में दिखाई दे रहा था. अदिति को ये भी नहीं पता था कि वो यूके में अपना पहला सीजन पूरा कर पाएगी या नहीं लेकिन अब अदिति को उम्मीद की एक किरण दिखाई दे रही है. दरअसल अदिति का क्लब वेस्ट हैम ना तो उसे वीजा के संबंध में कोई मदद दे सकता है और ना ही उसके खेल के बदले में उसे किसी तरह का कोई भुगतान कर सकता है. FA के नियमों के मुताबिक थर्ड टियर का इंग्लिश वीमेंस क्लब अपने प्लेयर्स को किसी भी तरह से पेमेंट नहीं कर सकता. अदिति के परिवार ने अदिति के वीजा के लिए विदेश मंत्रालय को लिखा था लेकिन मंत्रालय की तरफ से इस मामले पर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. इस बारे में केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी ट्विटर के जरिए संपर्क करने की कोशिश की गई थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला था. Mam, Please Help @aditi03chauhan to get her work visa. @SushmaSwaraj @MEAIndia #HelpAditi https://t.co/dEw7SgSQQ6 — Suraj Pandey (@Uploding) November 23, 2015 हालांकि अदिति के पापा अभय वीर चौहान अदिति का वीजा स्पॉन्सर करने के लिए भी तैयार हैं लेकिन FA के नियम उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं देते. लोगों ने की थी अदिति की मदद की कोशिश अदिति की परेशानियां देखकर उसके भाई आदित्य ने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की संस्थापक कंपनी की मालकिन नीता अंबानी से उसकी मदद मांगने के लिए ऑनलाइन कैंपेन चलाया था . इस कैंपेन के समर्थन में अब तक 11 हजार से भी ज्यादा लोग आ चुके हैं. इन लोगों की मांग है कि भारतीय सरकार अदिति को वर्क वीजा दिलाने में मदद करे जिससे वो वेस्ट हैम यूनाइटेड लेडीज के लिए अपना सीजन खत्म कर सके. इसके साथ ही वो अदिति के लिए आर्थिक मदद भी चाहते हैं. हमने सबसे पहले इस सिलसिले में खबर भी प्रकाशित की थी. अब कर्नल राठौड़ द्वारा इस मामले का संज्ञान लिए जाने के बाद अदिति की ये समस्या जल्द ही दूर होती दिख रही है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को 2015-16 की चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की है. जानिए मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें : - अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन के लिए मुख्य नीतिगत ब्याज दर (रेपो) में 0.5 प्रतिशत की कटौती. - रेपो दर चार वर्ष में इसका न्यूनतम स्तर पहुंच कर 6.75 प्रतिशत पर आ गई. - आरबीआई को उम्मीद, वाणिज्यिक बैंक कटौती का पूरा लाभ कर्जदारों तक पहुंचाएंगे. - सीआरआर 4 प्रतिशत पर बरकरार. - रिवर्स रेपो रेट 5.75 प्रतिशत पर आ गई. - वर्ष 2015-16 के लिये GDP ग्रोथ अनुमान घटाकर 7.4 प्रतिशत किया. - आर्थिक वृद्धि में हल्का-फुल्का सुधार हो रहा है, मजबूत सुधार अभी नहीं दिखता. - वैश्विक परिदृश्य कमजोर लगता है, यह भारत के लिए अच्छा नहीं. - वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के आखिरी दौर में गति पकड़ सकती है. - खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2016 में 5.8 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. - सितंबर से मुद्रास्फीति के आंकड़े ऊंचे रह सकते हैं. - बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश की सीमा रपए के हिसाब से तय होगी. - सरकारी बांडों में एफपीआई निवेश की सीमा 2018 तक बढ़ाकर पांच प्रतिशत की जाएगी. - आधार-दर (रिण की न्यूनतम दर) की गणना संबंधी आरबीआई के दिशानिर्देश नवंबर अंत तक. - मौद्रिक नीति की पांचवीं द्वैमासिक समीक्षा एक दिसंबर को. इनपुट : भाषा
लेख: मुंबई के अखबारों में जल्द ही पारसी समाज को संबोधित करते दिलचस्प पोस्टर झलकेंगे। पोस्टरों का लक्ष्य ऐसे पारसी हैं, जो शादी की उम्र पार करने के बावजूद अविवाहित हैं, या ऐसे पारसी जोड़े, जो किन्हीं कारणों से अभी तक संतान पैदा नहीं कर सके हैं। पोस्टरों की तस्वीरें और संदेश काफी दिलचस्प हैं। मसलन, एक काली फिएट गाड़ी पर टिके एक अधेड़ पारसी से पूछा जा रहा है, 'दादा की फिएट, पापा की रोलेक्स घड़ी किसके नाम छोड़ जाएंगे?' दूसरे पोस्टर में जहां एक पारसी मां अपने बेटे को नाश्ता परोस रही है, वहां सवाल लिखा है, 'कब तक मां के पल्लू से बंधे रहोगे?' इन तस्वीरों ने जहां कई पारसियों को गुदगुदाया है, वहीं कुछ इसे हैरानी से देख रहे हैं। भारत में पारसी समाज की गिरती तादाद से चिंतित पारसी संस्थाओं ने ही यह पोस्टर बनवाकर पारसी समाज से अपनी लोकसंख्या बढ़ाने की सीधी अपील की है। इन पोस्टरों के पीछे की कल्पना भी पारसी कलाकारों की है। मशहूर विज्ञापन निर्माता सैम बलसारा की कंपनी मैडिसन इंडिया के बनाए इन बेबाक़ पोस्टरों पर बलसारा ने एनडीटीवी से कहा, "विज्ञापन तभी कारगर होता है, जब वह किसी दुखती रग को छेड़ता है। हमारे पोस्टरों पर चर्चा और विवाद भले ही छिड़े, लेकिन शायद यही सही तरीक़ा हो।" पोस्टरों के किरदारों में परीज़ाद ज़ोराबियन और बोमन ईरानी जैसे पारसी कलाकार भी झलकेंगे। यह पोस्टर कुछ चिंताजनक आंकड़ों को मसखरे संदेश में तब्दील करते हैं। देश के इतिहास, अर्थव्यवस्था समेत कई क्षेत्रों में छाप छोड़ते पारसियों की तादाद आजादी के वक्त करीब 1.15 लाख थी, आज 69,000 के आसपास है। यह आंकड़े भी 2001 की जनगणना के हैं, ताजा आंकड़े और भी गिरने का अंदेशा है। पारसी समाज की कुल संख्या के नौ फीसदी लोग साठ की उम्र के पार हैं, ऐसे में इन पोस्टरों के बचाव में ज्यादा सुर सामने आए। अंधेरी की पारसी कॉलोनी में हम 30 साल के देलजाद और 27 साल की उनकी मंगेतर बेनाज से मिले। अचरज और सहमति के सुर में देलजाद ने इसे 'एक अच्छी मुहिम और वाजिब संदेश' बताया। बेनाज और मुखर थीं, वह बोलीं, "मुझमें पारसी संस्कार कूट-कूट कर भरे हैं, और किसी गैर-पारसी से शादी करने का सवाल ही नहीं था। हालांकि बच्चे कब और कितने हों, ऐसा कोई दबाव हमारे परिवारों से नहीं है।" लेकिन 29 साल के संगीतकार कैजाद घरदा इस मुहिम से पूरी तरह आश्वस्त नहीं लगते। उनका कहना है कि समाज को इस बात से ज्यादा आपत्ति है कि कई युवा गैर-पारसियों से भी शादियां रचा रहे हैं। पारसी होने के मायने महज आस्था से जुड़े नहीं हैं, यहां वंश और खून को लेकर कड़े विचार भी हैं। इसी समाज की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने भी 10 करोड़ रुपये की 'जियो पारसी' जैसी योजना भी बनाई है, जिसमें जरूरतमंद पारसी जोड़ों को संतान-प्राप्ति के लिए चिकित्सा सहायता दिलवाई जाती है, और यह हालिया मुहिम इसी योजना की ओर इशारा भी करती है। अफसानों में है कि भारत आए पहले पारसी नुमाइंदों ने तब के शासकों से वादा किया था, कि पारसी समाज भारतीय संस्कृति में ऐसे घुल-मिल जाएगा, जैसे दूध में चीनी, और अब महज हजारों में सिमटा यह समाज इस डर से जूझ रहा है, कि कहीं भारतीय संस्कृति से पारसी मिठास गायब न हो जाए।
एक संभावना को 0 और 1 के बीच एक संख्यात्मक मान के रूप में व्यक्त किया जाता है। 0.5 संभावना को आमतौर पर कुछ घटित होने की "50% संभावना" के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसलिए, 0.5 के पेजरैंक का मतलब है कि 50% संभावना है कि यादृच्छिक लिंक पर क्लिक करने वाला व्यक्ति 0.5 पेजरैंक वाले दस्तावेज़ पर निर्देशित किया जाएगा।
अर्जेंटीना में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे समेत विश्व के कई देशों के राष्ट्रध्यक्षों के साथ वैश्विक और बहुपक्षीय हितों के बड़े मुद्दों पर चर्चा की. इस दौरान पीएम मोदी ने वित्तीय अपराध को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया और इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 9 सुत्रिए एजेंडा दुनिया के सामने रखा. साथ ही पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के आतंकरोधी नेटवर्क को और ज्यादा मजबूत करने का सुझाव दिया. बैठक में कालेधन के मुद्दे को प्रमुखता से रखते हुए पीएम मोदी ने कालेधन के खिलाफ सभी देशों को एकजुट होने की बात कही. इस दौरान उन्होंने भगोड़े आर्थिक घोटालेबाजों का भी जिक्र किया. पीएम मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस समय आतंकवाद के खतरे का सामना पूरी दुनिया कर रही है. ब्यूनो आयर्स में जी 20 शिखर सम्मेलन से इतर हुई राजनेताओं की बैठक में मोदी ने कहा, 'दुनिया भर के देशों को आतंकवाद और आर्थिक अपराधों से निपटने के लिए एकजुट होना चाहिए. यह आज की जरूरत है. हमें आतंकवाद, कट्टरवाद और वित्तीय अपराधों के खिलाफ मिलकर कदम उठाना होगा.' जी 20 शिखर सम्मेलन से इतर मोदी, ट्रंप, आबे ने वैश्विक हित के मुद्दों पर चर्चा की बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली त्रिपक्षीय बैठक को लेकर जी 20 शिखर सम्मेलन से इतर शुक्रवार को मुलाकात की. रणनीतिक महत्व के हिंद - प्रशांत क्षेत्र में चीन के अपनी शक्ति प्रदर्शित करने के मद्देनजर यह बैठक काफी मायने रखती है. मोदी ने साझा मूल्यों पर साथ मिलकर काम जारी रखने पर जोर देते हुए कहा , 'जेएआई (जापान, अमेरिका, भारत) की बैठक लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित है... JAI का अर्थ जीत शब्द से है.' प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह बैठक तीन राष्ट्रों की दूरदृष्टि का समन्वय है. साइबर सुरक्षा पर भी हुई बात जापानी प्रधानमंत्री ने कहा कि वह प्रथम 'जेएआई त्रिपक्षीय' में भाग लेकर खुश हैं. ट्रंप ने बैठक में भारत के आर्थिक विकास की सराहना की.  तीनों नेताओं ने संपर्क, सतत विकास, आतंकवाद निरोध और समुद्री एवं साइबर सुरक्षा जैसे वैश्विक एवं बहुपक्षीय हितों के सभी बड़े मुद्दों पर तीनों देशों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून एवं सभी मतभेदों के शांतिपूर्ण हल पर आधारित मुक्त, खुला, समग्र और नियम आधारित व्यवस्था की ओर आगे बढ़ने पर अपने विचार साझा किए. मोदी, ट्रंप और आबे बहुपक्षीय सम्मेलनों में त्रिपक्षीय प्रारूप में बैठक करने के महत्व पर भी सहमत हुए.
पश्चिम बंगाल में तीसरे दौरे के मतदान के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने हावड़ा में चुनावी रैली की और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर एक बार फिर वार किए. पीएम ने कहा कि दीदी तो पहले ही अपनी हार स्वीकार कर चुकी हैं. मोदी ने कहा, 'जहां कहीं भी चुनाव होते हैं, हम सुनते हैं कि शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न हुए. लेकिन पश्चिम बंगाल में अब तक हुए तीन चरणों में चुनाव में मारपीट की खबरें आती हैं. क्या है ये? इससे पता चलता है कि दीदी अपनी हार पहले ही स्वीकार कर चुकी हैं. प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी के साथ कांग्रेस पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा, 'इतिहास कहता है कि हिंदुस्तान में जिस कोने से कांग्रेस गई, 20-20, 25-25 साल तक कभी वापस नहीं आई. मोदी ने कहा कि बीजेपी सरकार ने देशभर में लोगों की सेवा शानदार तरीके से की है. उन्होंने कहा कि बंगाल के लोग तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और लेफ्ट दलों नकार दें और बीजेपी को मौका दें.
टेरेसा ने कहा, "खून से, मैं अल्बानियाई हूं। नागरिकता से, एक भारतीय। आस्था से, मैं एक कैथोलिक नन हूं। जहां तक ​​मेरी बुलाहट है, मैं दुनिया से संबंधित हूं। जहां तक ​​मेरे दिल की बात है, मैं पूरी तरह से यीशु के दिल से संबंधित हूं।" ।" पांच भाषाओं - बंगाली, अल्बानियाई, सर्बियाई, अंग्रेजी और हिंदी में पारंगत - उन्होंने मानवीय कारणों से कभी-कभी भारत के बाहर यात्राएं कीं। 1982 में बेरूत की घेराबंदी के चरम पर, टेरेसा ने एक फ्रंट-लाइन अस्पताल में फंसे 37 बच्चों को बचाया। इज़रायली सेना और फ़िलिस्तीनी गुरिल्लाओं के बीच अस्थायी संघर्ष विराम। रेड क्रॉस कार्यकर्ताओं के साथ, उन्होंने युवा रोगियों को निकालने के लिए युद्ध क्षेत्र से होते हुए अस्पताल तक की यात्रा की। जब 1980 के दशक के अंत में पूर्वी यूरोप में खुलेपन में वृद्धि का अनुभव हुआ, तो टेरेसा ने कम्युनिस्ट देशों में अपने प्रयासों का विस्तार किया, जिन्होंने मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी को अस्वीकार कर दिया था। गर्भपात और तलाक के खिलाफ अपने रुख की आलोचना से प्रभावित हुए बिना, उन्होंने दर्जनों परियोजनाएं शुरू कीं: "कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है, आपको इसे मुस्कुराहट के साथ स्वीकार करना चाहिए और अपना काम करना चाहिए।" 1988 के भूकंप के बाद उन्होंने आर्मेनिया का दौरा किया और मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष निकोलाई रियाज़कोव से मुलाकात की। टेरेसा ने इथियोपिया में भूखों, चेरनोबिल में विकिरण पीड़ितों और आर्मेनिया में भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए यात्रा की। 1991 में वह पहली बार अल्बानिया लौटीं और तिराना में मिशनरीज ऑफ चैरिटी ब्रदर्स का घर खोला। 1996 तक, टेरेसा ने 100 से अधिक देशों में 517 मिशन संचालित किए। उनकी मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी की संख्या बारह से बढ़कर हजारों हो गई, और उन्होंने दुनिया भर के 450 केंद्रों में "गरीबों में से सबसे गरीब" लोगों की सेवा की। संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी होम न्यूयॉर्क शहर के साउथ ब्रोंक्स क्षेत्र में स्थापित किया गया था, और 1984 तक मण्डली ने पूरे देश में 19 प्रतिष्ठान संचालित किए।
संवैधानिक आधार के बजाय उत्तर प्रदेश को आबादी के लिहाज से धन आवंटित किया जाना चाहिए. 1971 की जनगणना को आधार मानना प्रासंगिक नहीं है, 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाना चाहिए. इन्हीं तर्कों के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 14वें वित्त आयोग से सूबे के लिए धन मांगा. मुख्यमंत्री ने आयोग से प्रदेश को 2,55,669 करोड़ की धनराशि आवंटित करने की मांग की. मुख्यमंत्री ने कहा कि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के विकास के बिना देश का विकास का संभव नहीं है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि केंद्रीय संसाधनों का उपयोग कर पिछड़े राज्यों को सबसे पहले राष्ट्रीय औसत के स्तर पर लाने का प्रयास होना चाहिए. प्रदेश की मौजूदा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए राज्य के पिछड़ेपन को दूर करने एवं प्रदेश के समग्र विकास के लिए वित्त आयोग से और अधिक धन दिए जाने की मांग की है. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को योजना भवन में 14वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. वाईवी रेड्डी के नेतृत्व में आए आयोग के सदस्यों, अभिजीत सेन, सुषमा नाथ, डॉ. एम.गोविंदा राव और सचिव एएन झ के साथ विचार-विमर्श किया. इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव, स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन, पंचायती राज मंत्री बलराम यादव, बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी के अलावा राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष एनसी बाजपेयी ने भी आयोग के समक्ष प्रदेश सरकार का पक्ष रखा. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय अन्तरण के अतिरिक्त प्रदेश को सहायता अनुदान तथा राज्य विशिष्ट अनुदान के तहत 72526 करोड़ रुपये की सहायता की मांग की.
दिए गए शीर्षक के अनुरूप एक पाठ यह हो सकता है: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर अभिनेता इरफान खान की नई फिल्म 'मदारी' की सराहना की। केजरीवाल ने शुक्रवार को 'मदारी' देखी और सभी से इसे देखने का अनुरोध किया। केजरीवाल ने शनिवार रात ट्वीट कर बताया, "इरफान खान की 'मदारी' अद्भुत फिल्म है। सभी को यह देखनी चाहिए।" इरफान ने इससे पहले 'मदारी' के प्रचार के तहत केजरीवाल से मुलाकात भी की थी।टिप्पणियां इरफान और निशिकांत कामत ने मदारी में एक बार फिर साथ काम किया। इससे पहले दोनों ने फिल्म 'मुंबई मेरी जान' में साथ काम किया था। यह एक आदमी की कहानी है, जिसमें पिता और बेटे के बीच के रिश्ते को दिखाया गया है। 'मदारी' में जिमी शेरगिल, विशेष बंसल, तुषार दलवी, नितीश पांडेय और आएशा रजा प्रमुख भूमिका में हैं। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) केजरीवाल ने शनिवार रात ट्वीट कर बताया, "इरफान खान की 'मदारी' अद्भुत फिल्म है। सभी को यह देखनी चाहिए।" इरफान ने इससे पहले 'मदारी' के प्रचार के तहत केजरीवाल से मुलाकात भी की थी।टिप्पणियां इरफान और निशिकांत कामत ने मदारी में एक बार फिर साथ काम किया। इससे पहले दोनों ने फिल्म 'मुंबई मेरी जान' में साथ काम किया था। यह एक आदमी की कहानी है, जिसमें पिता और बेटे के बीच के रिश्ते को दिखाया गया है। 'मदारी' में जिमी शेरगिल, विशेष बंसल, तुषार दलवी, नितीश पांडेय और आएशा रजा प्रमुख भूमिका में हैं। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) इरफान और निशिकांत कामत ने मदारी में एक बार फिर साथ काम किया। इससे पहले दोनों ने फिल्म 'मुंबई मेरी जान' में साथ काम किया था। यह एक आदमी की कहानी है, जिसमें पिता और बेटे के बीच के रिश्ते को दिखाया गया है। 'मदारी' में जिमी शेरगिल, विशेष बंसल, तुषार दलवी, नितीश पांडेय और आएशा रजा प्रमुख भूमिका में हैं। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक के मुताबिक, ईरानियों के लगभग 90-95% इस्लाम के शिया शाखा, आधिकारिक राज्य धर्म और इस्लाम की सुन्नी और सूफी शाखाओं के साथ लगभग 5-10% के साथ खुद को जोड़ते हैं। शेष 0.6% गैर-इस्लामी धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ स्वयं को सहयोग करते हैं, जिनमें बहाई, मंडेन्स, यार्सानिस, ज़ोरास्ट्रियन (पारसी), यहूदी और ईसाई शामिल हैं। उत्तरार्द्ध तीन अल्पसंख्यक धर्म आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त और संरक्षित हैं, और ईरान संसद में सीटें आरक्षित हैं। ज़ोरास्ट्रियनवाद एक बार बहुमत वाला धर्म था, हालांकि आज ज़ोरास्ट्रियन संख्या केवल हजारों में ही रह गई है। ईरान मुस्लिम दुनिया और मध्य पूर्व में दूसरे सबसे बड़े यहूदी समुदाय का घर है। ईरान में दो सबसे बड़े गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यक बहाई विश्वास और ईसाई धर्म हैं। ईसाई धर्म, ईरानी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सबसे बड़ा गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक धर्म, ईरान में सभी धर्मों की सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि दर है| इस्लाम धर्म 640 ईस्वी के आसपास ईरान की अरब विजय के बाद से इस्लाम आधिकारिक धर्म और ईरान की सरकारों का हिस्सा रहा है। शिया इस्लाम को इकट्ठा करने और ईरान में धार्मिक और राजनीतिक शक्ति बनने में कुछ सौ साल लग गए। शिया इस्लाम के इतिहास में पहला शिया राज्य मैगरेब में इडिसिड राजवंश (780-974) था, उत्तर के एक क्षेत्र पश्चिमी अफ्रीका। फिर उत्तरी ईरान में मज़ांदरन (ताबरिस्तान) में अलाविड्स राजवंश (864 - 928 एडी) की स्थापना हुई। अलाविद जैदिय्याह शिया (कभी-कभी "फिवर" कहा जाता था।) ये राजवंश स्थानीय थे। लेकिन उनके बाद दो महान और शक्तिशाली राजवंशों का पालन किया गया: फातिमिद खलीफाट जो 909 ईस्वी में इफिरियाया में बना था और 930 ईस्वी के उत्तर मध्य ईरान में डेयलामन में खरीदार राजवंश उभरा और फिर 1048 तक मध्य और पश्चिमी ईरान और इराक में शासन बढ़ाया। हालांकि, पिछली फारसी सभ्यताओं की उपलब्धियां खो गईं, लेकिन नई इस्लामी राजनीति द्वारा काफी हद तक अवशोषित हुईं। तब से इस्लाम ईरान का आधिकारिक धर्म रहा है, मंगोल छापे और इल्खानाट की स्थापना के बाद थोड़ी अवधि के अलावा। 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान इस्लामी गणराज्य बन गया। इस्लामी विजय से पहले, फारसी मुख्य रूप से ज़ोरोस्ट्रियन पारसी थे; हालांकि, बड़े पैमाने पर ईसाई और यहूदी समुदायों भी थे, खासतौर पर उस समय के उत्तर-पश्चिमी, पश्चिमी और दक्षिणी ईरान, मुख्य रूप से कोकेशियान अल्बानिया, असोस्टान, फारसी आर्मेनिया और कोकेशियान इबेरिया के क्षेत्रों में। पूर्वी सासैनियन ईरान, जो अब पूरी तरह से अफगानिस्तान और मध्य एशिया बना है, मुख्य रूप से बौद्ध धर्म था। इस्लाम की ओर आबादी का धीमी लेकिन स्थिर आंदोलन था। जब इस्लाम को ईरानियों के साथ पेश किया गया था, तो कुलीनता और शहरवासियों को बदलने वाला पहला मौका था, इस्लाम किसानों और देहकानों या भूमिगत सज्जनों के बीच धीरे-धीरे फैल गया। सुन्नी मुसलमान ईरान में सुन्नी मुसलमान दूसरे सबसे बड़े धार्मिक समूह हैं। विशेष रूप से, सुन्नी इस्लाम ईरान में शासन करने के बाद 975 ईस्वी से गजनाविद के माध्यम से शिया से शिया से प्रतिष्ठित थे, इसके बाद महान सेल्जूक साम्राज्य और खारजाज-शाह राजवंश ने ईरान पर मंगोल पर हमला किया। गजान परिवर्तित होने पर सुन्नी इस्लाम शासन पर लौट आया। ईरान में पारसी पारसी (ज़ोरोस्ट्रियन) ईरान का सबसे पुराना धार्मिक समुदाय हैं। फारस की मुस्लिम विजय से पहले, पारसी राष्ट्र का प्राथमिक धर्म था। यह ईरान के पूर्व पारसी धर्म से पैदा हुआ था। यानी प्राचीन ईरान के वैदिक धर्म से। देश की आधिकारिक जनगणना के अनुसार, 2011 में देश के भीतर 25,271 पारसी थे। संदर्भ ईरान की संस्कृति
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की ओर से जारी एक-दिवसीय चैंपियनशिप रैंकिंग में भारत का स्थान इंग्लैंड तथा दक्षिण अफ्रीका के बाद तीसरे क्रम पर बना हुआ है। भारत के 120 प्वाइंट हैं, जबकि इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के 121-121 प्वाइंट हैं। इस बीच, आईसीसी एक-दिवसीय खिलाड़ी रैंकिंग में युवा भारतीय बल्लेबाज विराट कोहली ने दूसरे क्रम पर अपनी जगह को बरकरार रखा है, वहीं महेंद्र सिंह धोनी छठे तथा गौतम गंभीर नौवें स्थान पर हैं। इस बीच, आईसीसी एक-दिवसीय खिलाड़ी रैंकिंग में युवा भारतीय बल्लेबाज विराट कोहली ने दूसरे क्रम पर अपनी जगह को बरकरार रखा है, वहीं महेंद्र सिंह धोनी छठे तथा गौतम गंभीर नौवें स्थान पर हैं।
तेजस्वी प्रसाद यादव को गांधी प्रतिमा के सामने नतमस्तक होकर माफी अवश्य मांगनी चाहिए, लेकिन 26 साल की उम्र में 26 बेनामी सम्पत्ति अपने नाम... pic.twitter.com/lAHAWxFW9l काम करो काम उपमुख्यमंत्री हो अब।अपने" विपक्षी मोड" से बाहर आइये अब तो मोदी जी क्या बोल रहे है कभी जनता के बीच चुनाव लड़ लीजिये तब आपका मुह बंद हो जायेगा आप से बेहतर नेता है तेजस्वी आप तो नितीश के स्टेपनी है
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने मुलायम सिंह पर के उस बयान सवाल उठाए जिसमें सपा सुप्रीमो ने कहा कि राम भक्तों पर गोली चलने का उन्हें अफसोस है. कल्याण सिंह ने कहा, 'मुलायम सिंह को 23 साल बाद इस बात का दुख हुआ कि राम भक्तों पर गोलियां बरसाई गई थीं. मेरे ऊपर दबाव था लेकिन इसके बावजूद मैंने फायरिंग का आदेश नहीं दिया था. मैंने ये पाप नहीं किया था.' कल्याण सिंह ने मुलायम पर आरोप लगाते हुए कहा, 'उन्होंने ही मुझे कहा था कि फायरिंग करवाना बहुत जरूरी है. आम लोग भी जानते हैं कि उन्होंने ही राम भक्तों पर गोली चलाने का आदेश दिया था.' कल्याण सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह की छवि प्रो-मुस्लिम छवि है. मुलायम सिंह ने कब्र की चार दीवार बनवाने के लिए 400 करोड़ रुपये दे चुके हैं. नरेंद्र मोदी की तारीफों का पुल बांधते हुए कल्याण सिंह ने कहा, 'आज हर कोई मोदी से डरा हुआ है. मुझे लगता है अब मुस्लिम वोट बंट जाएंगे. मोदी सही कहते हैं कि जब कांग्रेस अपनी असफलताओं से घिरा होता है तो 'सेक्युलरिज्म' का राग अलापने लगता है. मैं भी एक हिंदू हूं और मुझे अपने हिंदू होने पर गर्व है.' मोदी भी हिंदू हैं और उन्होंने खुद को 'हिंदू नैशनलिस्ट' कहकर कुछ गलत नहीं किया है. मोदी को लेकर लोगों में उत्साह है. और यह उत्साह शहरों और कस्बों तक ही सीमित नहीं है बल्कि गांवों तक पहुंच चुका है. कल्याण सिंह ने सवाल किया, 'अगर कोई 85 प्रतिशत हिंदुओं को एकजुट करना चाहता है तो क्या ऐसा करना कोई अपराध है. मोदी अब रुकेंगे नहीं. अगर मोदी उत्तर प्रदेश से जीतते हैं तभी इस प्रदेश का भला हो सकता है.' कल्याण सिंह ने मुलायम सिंह के लिए कहा कि उन्होंने अपने वादों को पूरा नहीं किया है. यूपी के इस पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'मुझे ब्यूरोक्रेसी से कोई शिकायत नहीं है. आम आदमी आज सुरक्षित नहीं है.' कल्याण सिंह ने कहा, 'हिंदू एक चींटी को भी खाना खिलाते हैं, यहां तक की सांप को भी दूध पिलाते हैं. तो ऐसे में मोदी का ये कहना कि उनकी कार के नीचे कुत्ता आ जाने से भी उन्हें दुख होता है इसमें क्या गलत है. उन्होंने बस अपनी भावनाएं व्यक्त की थीं. आज हर पार्टी पर मोदी... मोदी... मोदी... कर रही है.'
भारतीय राजनीतिक पत्रकारिता के हालिया शब्दावलियों में एक शब्द ने आजकल आया राम, गया राम जैसे पद का स्थान ले लिया है और वह हैः मौसम वैज्ञानिक. जाहिरा तौर पर इस शब्द का इस्तेमाल रामविलास पासवान के लिए किया जाता है क्योंकि हवा के रुख को जितनी चतुराई से पासवान भांप जाते और इसी के मुताबिक आले पर दिया रख देते हैं, वैसी मिसाल कम ही है. बिहार में कुशवाहा (पढ़ें, कोयरी, एक खेतिहर जाति) के स्वयंभू नेता उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने इस बार एनडीए का दामन छोड़कर महागठबंधन का पल्लू थाम लिया और उन्हें पांच सीटें मिल भी गईं. रालोसपा को इतनी अधिक सीटें मिलना एक तरह से साबित करता है कि कुशवाहा ने तेजस्वी से कड़ा मोलभाव किया होगा और तेजस्वी विपक्षी दलों के गठजोड़ को लेकर इतने बेचैन थे कि उन्होंने शर्तें मान भी लीं. पर सियासी तौर पर शायद कुशवाहा ने थोड़ी अपरिपक्वता दिखा दी है. खासतौर पर तब, जब सीटें जीतना भी उतना ही महत्वपूर्ण हो. ज्यादा वक्त नहीं बीता जब समता पार्टी में नीतीश कुमार के बाद कुशवाहा नंबर दो की कुरसी पर काबिज थे. 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद जब बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड, भाजपा से बड़ी पार्टी बनी थी तो नीतीश ने कुशवाहा को विपक्षी दल का नेता बनवा दिया था. उस वक्त कुशवाहा की राजनीतिक जमीन उतनी पुख्ता नहीं थी. कुशवाहा पहली बार साल 2000 में विधायक बने थे और पहली बार में ही वह विपक्षी दल के नेता बन बैठे. तब नीतीश कुमार ने कुशवाहा में शायद कोई सियासी समीकरण देख लिया था. लेकिन, 2005 में राजद के खिलाफ बिहार में नीतीश की लहर चली तो उस लहर में भी एनडीए के उम्मीदवार रहे कुशवाहा चुनाव में खेत रहे. इस घटना ने नीतीश को कुशवाहा से दूर कर दिया. उपेंद्र कुशवाहा मत्री बनना चाहते थे पर जदयू ने उनकी जगह संगठन में तय कर दिया. पर शायद यह कुशवाहा को अधिक भाया नहीं और 2006 में वह राकांपा में शामिल हो गए. हाल में, एनडीए से अलग होने पर बंगला खाली करने पर कुशवाहा ने विरोध प्रदर्शन किया था और लाठी चार्ज में कुशवाहा को चोट भी आई थी. उनकी जख्मी हालत में तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब देखी-दिखाई गई. पर कुशवाहा का यह पैंतरा पुराना है. 2005 में चुनाव हारने के बावूजद, कुशवाहा विरोधी दल के नेता के तौर पर मिले बंगले में तीन साल तक काबिज रहे थे और 2008 में उनसे जबरिया यह बंगला खाली करवाना पड़ा था. उस वक्त भी उनकी तब की पार्टी राकांपा ने बिहार में धरना-प्रदर्शन किया था. तब भी बंगला खाली करने को इन्होंने कोयरी समाज के अपमान से जोड़ दिया था. पर, कुशवाहा के कामकाज से राकांपा प्रमुख शरद पवार कत्तई संतुष्ट नहीं थे और 2008 में पवार ने न सिर्फ कुशवाहार को पार्टी से बर्खास्त कर दिया बल्कि पार्टी की बिहार इकाई को ही भंग कर दिया. तब कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी गठित की थी. नई पार्टी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई और कुशवाहा राजनीतिक बियाबान में चले गए. 2010 के विधानसभा चुनावों में जद-यू के तब के अध्यक्ष और कभी नीतीश के प्रिय पात्र ललन सिंह और नीतीश में खटपट हुई और ललन सिंह ने पार्टी छोड़ दी. मौका भांपकर कुशवाहा नीतीश की छत्रछाया में लौट आए. पर 2012 में ललन सिंह की पार्टी में वापसी के साथ ही कुशवाहा ने न सिर्फ पार्टी छोड़ी और राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया. फिर अस्तित्व में आई राष्ट्रीय लोक समता पार्टी यानी रालोसपा. 2014 में जब नीतीश की भाजपा के साथ कुट्टी हो गई थी तब कुशवाहा ने एनडीए में जुड़ जाना बेहतर समझा. नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर में एनडीए ने रालोसपा को तीन सीटें दी और पार्टी तीनों जीत गई. हैरतअंगेज तौर पर सीतामढ़ी सीट से कुशवाहा ने अज्ञातकुलशील  राम कुमार शर्मा को टिकट दिया जो एक गांव के मुखिया भर थे. आज भी यह रहस्य ही है कि कुशवाहा ने एक मुखिया को सीधे सांसदी का टिकट कैसे दे दिया. 2015 में विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे में काफी कलह के बाद कुशवाहा की पार्टी महज 2 सीटें ही जीत पाई. खुद अपने कुशवाहा समाज का वोट भी वे एनडीए में ट्रांसफर करा पाने में नाकाम रहे. अब जबकि, कुशवाहा को पांच सीटें मिल चुकी हैं और उन पर उनकी ही पार्टी के नेता टिकट बेचने तक का आरोप लगा चुके हैं...यह देखना वाकई दिलचस्प होगा कि क्या उपेंद्र कुशवाहा ने सीटों की संख्या बढ़ाने के लालच में जीतने लायक सीटें छोड़ दी हैं? सियासी हवा का रुख भांपने में माहिर पासवान एनडीए में ही बने हुए हैं और ओपिनियन पोल भी जो आंकड़े दे रहे हैं वह बिहार में महागठबंधन के लिए बहुत उत्साहजनक तस्वीर पेश नहीं कर रही. खुद रालोसपा तीनेक सीटें जीत भी जाए और खुदा न खास्ता केंद्र में एनडीए सरकार ही बनी तो फिर उपेंद्र कुशवाहा 23 मई के बाद क्या करेंगे?
यह एक लेख है: नोएडा में सेक्टर-76 की सिलीकॉन सिटी सोसाइटी की 12वीं मंजिल पर दो टावरों के बीच में फंसी हुई एक महिला की लाश मिली है. घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद शव को बाहर निकाला. पुलिस उपाधीक्षक नगर विमल कुमार सिंह ने बताया कि सुबह में पुलिस को सूचना मिली कि सेक्टर-76 की आम्रपाली सिलिकॉन सोसाइटी के टावर सी और डी के बीच 12वीं मंजिल पर एक महिला का शव फंसा हुआ है. तकरीबन 5 घंटे की मशक्कत के बाद शव को बाहर निकाला गया. महिला की उम्र 19 साल बताई जा रही है और वह बिहार के कटिहार की रहने वाली थी. वह इसी सोसाइटी में एक विवाहित जोड़े के घर में काम करती थी और पिछले 28 जून से नदारद थी. पुलिस अधिकारी के मुताबिक, "पति-पत्‍नी अपने किसी निजी काम से गुड़गांव गए हुए थे और उन्‍हें वारदात के बारे में तब पता चला जब लाश की बदबू आने पर पर सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने पुलिस को इस बारे में जानकारी दी. पति-पत्‍नी ने लौटकर लाश की पहचान कर ली है." अधिकारी के मुताबिक, लाश क्षत-विक्षत और सूजी हुई थी. साथ ही उसमें दागने के निशान भी थे. लाश को नीचे लाने वाली 35 सदस्‍यीय टीम की अगुवाई कर रहे एनडीआरएफ के अधिकारी जीतेंद्र कुमार यादव ने कहा कि ऑपरेशन दोपहर 12:35 पर शुरू होकर 2:55 पर खत्‍म हुआ.  यादव ने बताया, "एनडीआरएफ के अधिकारी 16 मंजिला इमारत की छत से रस्‍सी की मदद लेकर लाश तक पहुंचे. बिल्‍डिंग के सी और डी टॉवर के बीच डेढ़ फुट जगह पर लाश बुरी तरह फंसी हुई थी. हमने दीवर को हल्‍का सा कट करने के लिए मशीन का इस्‍तेमाल किया और फिर लाश को 120 फीट नीचे लेकर आए." पीटीआई के मुताबिक पुलिस स्‍टेशन के अधिकरियों का कहना है कि लाश वहां तक कैसे पहुंची इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है और जांच जारी है. अधिकारियों ने बताया कि लाश को पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और रिपोर्ट के बाद आगे की जांच की जाएगी.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि मोदी सरकार आने के बाद भारत और मजबूत हुआ है. उन्होंने कहा कि भारत किसी को पहले छेड़ता नहीं है. अगर भारत को कोई छेड़ेगा, तो भारत उसको छोड़ता नहीं है. दुनिया को भारत की ताकत का एहसास हुआ है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को उत्तर प्रदेश चुनाव का प्रचार करते हुए दादरी विधानसभा के विसाहडा गांव पहुंचे. ये गांव वही है जहां पर अखलाक की मौत हुई थी. राजनाथ सिंह ने अखलाक की मौत की कोई चर्चा नहीं की, सिर्फ विकास की बात की. राजनाथ सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने देश हित मे बड़े निर्णय लिए हैं, जिससे आम आदमी को फायदा पहुंचा है. नोटबंदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नोट बंदी एक ऐसा फैसला है, जिससे अमीर-गरीब की खाई खत्म हो गई. राजनाथ सिंह का कहना कि नोटबंदी का विरोध उन लोगों ने किया, जिनकी नियत में खोट था, जिनको डर था. राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए राजनाथ सिंह का कहना है कि राहुल गांधी भी 4000 रुपए निकालने के लिए लाइन में लगे, लेकिन उसके बाद विदेश चले गए. उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को सरकार ने मजबूत किया है. दुनिया में भारत का नाम ऊंचा हुआ है. राजनाथ सिंह का कहना है कि मोदी के ढाई साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार को लेकर कोई उंगली नहीं उठा सकता. सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसको कड़ा जवाब दिया है. राजनाथ सिंह का दावा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगी, क्योंकि यूपी में हालत खराब है, समाजवादी पार्टी ने कोई विकास नहीं किया. उनके विकास के सभी दावे झूठे हैं. समाजवादी पार्टी ने लूट का माल इकट्ठा किया है और उसी का नतीजा था कि चाचा-भतीजे में लूट की कमाई को लेकर झगड़ा हुआ. राजनाथ सिंह का कहना है कि मायावती ने भी इस प्रदेश के हितों के साथ खिलवाड़ ही किया है. गृह मंत्री का कहना कि यूपी में बीजेपी की सरकार बनते ही किसानों के फसलों लोन माफ कर दिए जाएंगे.
इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए एक प्रवेश परीक्षा के मसले पर मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने आज सख्ती से कहा कि यह फैसला लेते वक्त सभी को विश्वास में लिया गया था। सिब्बल ने कहा कि जब फैसला लिया गया तो आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी की काउंसिल की बैठक हुई थी और किसी ने विरोध नहीं जताया था।टिप्पणियां सिब्बल ने कहा कि एक देश, एक प्रवेश परीक्षा का फैसला केंद्र से फंड होने वाली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी पर लागू होता है और यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वह इसमें शामिल हों या न हों। वहीं आईआईटी कानपुर के फैकल्टी फोरम और एकेडमी सीनेट के सदस्यों ने ऐलान किया है कि अगर पैटर्न में बदलाव को वापस नहीं लिया गया तो हो सकता है कि अगले साल आईआईटी कानपुर अलग से प्रवेश परीक्षा करा सकता है। इस मामले में 8 जून को कानपुर आईआईटी में विशेष बैठक होने जा रही है। सिब्बल ने कहा कि एक देश, एक प्रवेश परीक्षा का फैसला केंद्र से फंड होने वाली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी पर लागू होता है और यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वह इसमें शामिल हों या न हों। वहीं आईआईटी कानपुर के फैकल्टी फोरम और एकेडमी सीनेट के सदस्यों ने ऐलान किया है कि अगर पैटर्न में बदलाव को वापस नहीं लिया गया तो हो सकता है कि अगले साल आईआईटी कानपुर अलग से प्रवेश परीक्षा करा सकता है। इस मामले में 8 जून को कानपुर आईआईटी में विशेष बैठक होने जा रही है। वहीं आईआईटी कानपुर के फैकल्टी फोरम और एकेडमी सीनेट के सदस्यों ने ऐलान किया है कि अगर पैटर्न में बदलाव को वापस नहीं लिया गया तो हो सकता है कि अगले साल आईआईटी कानपुर अलग से प्रवेश परीक्षा करा सकता है। इस मामले में 8 जून को कानपुर आईआईटी में विशेष बैठक होने जा रही है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रिटायर हो रहे हैं. रिटायरमेंट के बाद उनके रहने के लिए तैयार किए जा रहे नए बंगले का काम भी करीब पूरा हो गया है. इस बीच, उनकी विदाई की तैयारी भी जोर-शोर से चल रही है. 13 मई को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने स्‍टॉफ को डिनर देंगे. अगले दिन यानी 14 मई को यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी मनमोहन सिंह के सम्‍मान में पीएम के साथ-साथ कांग्रेस के सांसदों और पार्टी पदाधिकारियों को डिनर देंगी. विदाई के साथ पीएम को स्‍मृति चिन्‍ह भेंट किया जाएगा. 17 मई को पीएम कैबिनेट की मीटिंग लेंगे. इसके बाद पीएम आवास पर चाय पार्टी का आयोजन किया गया है. चाय पार्टी के बाद मनमोहन सिंह राष्‍ट्रपति भवन जाएंगे और प्रणब मुखर्जी को अपना इस्‍तीफा सौंप देंगे. इसके बाद राष्‍ट्रपति केंद्रीय मंत्रिपरिषद को डिनर देंगे. नए बंगले की तैयारी 10 वर्षों तक पीएम रहने के बाद मनमोहन सिंह अब 7, रेस कोर्स रोड से शिफ्ट होकर 3, मोतीलाल नेहरू मार्ग पर बने भव्‍य बंगले में रहेंगे. पीएम आवास से नई जगह पर सामान ले जाने का काम जारी है. काफी सामान नए बंगले में ले जाया भी जा चुका है. 81 साल के मनमोहन सिंह पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि अगर 16 मई को चुनावी नतीजों के बाद फिर यूपीए की सरकार बनती है, तब भी वह प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे. इस घोषणा के बाद से ही 7 रेसकोर्स रोड से उनकी विदाई और नए ठिकाने की तलाश शुरू हो गई थी. कभी छुट्टी पर नहीं गए मनमोहन इस बीच, मनमोहन सिंह सरकारी कामकाज निपटाने में भी व्‍यस्‍त हैं. फाइलें निपटाने के साथ ही वह रोज कम से कम 12 लोगों से मुलाकात भी कर रहे हैं. पीएम अपने 10 वर्ष के कार्यकाल में कभी छुट्टी पर नहीं गए. वह विदेश यात्रओं पर भी कभी राजनयिक दौरे की निर्धारित अवधि से ज्यादा नहीं ठहरे. उनके एक सहयोगी के मुताबिक पद छोड़ने के बाद छुट्टियां मनाने की मनमोहन सिंह की कोई योजना नहीं है.
आने वाले रेल बजट में केंद्र सरकार शताब्दी ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे और राजधानी में डिस्पोजेबल चादरों का तोहफा दे सकती है. खबर है कि सरकार शताब्दी और राजधानी ट्रेनों के लिए कुछ नए प्रस्ताव लेकर आ रही है. बताया जा रहा है कि यात्री डिब्बों में आग पर काबू पाने वाली प्रणाली स्थापित करने का ऐलान भी किया जा सकता है. एनडीए सरकार 8 जुलाई को अपना पहला रेल बजट पेश करने वाली है. इस रेल बजट में उच्च क्षमता वाले दुग्ध वैन और नमक ढुलाई के हल्के डब्बों के निर्माण का भी जिक्र हो सकता है. विनिर्माण क्षेत्र की मांग के मद्देनजर रेलवे ज्यादा इस्पात के परिवहन के लिए और अधिक क्षमता के वैगनों के विनिर्माण की बजटीय योजना को अंतिम स्वरूप दे रही है. इन वैगनों में 3,994 टन भार तक की इस्पात (कॉयल) की ढुलाई की जा सकती है. फिलहाल ऐसे वैगनों की ढुलाई क्षमता 2346 टन है. पार्सल गतिविधियों से ज्यादा रेवेन्यू प्राप्त करने के लिए रेल बजट में उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन के विकास के प्रावधान का जिक्र हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक रेल मंत्री सदानंद गौड़ा अपने पहले रेल बजट में सवारियों को बेहतर सुविधाएं पहुंचाने और रेलगाड़ी में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने पर ध्यान दे सकते हैं.
नोटबंदी के फैसले के 1 महीने से ज्यादा हो गए हैं. इस बीच, शुक्रवार आधी रात से 500 के पुराने नोट रेलवे, मेट्रो और सरकारी बसों में भी चलनी बंद हो गई. पहले इस जगहों पर 500 के पुराने नोट 15 दिसंबर तक चलने थे लेकिन सरकार ने फिर इसे घटाकर 9 दिसंबर कर दिया गया था. अब ये नोट केवल बैंकों में जमा कराए जा सकें. हालांकि, कई जगहों पर 15 दिसंबर तक 500 के पुराने नोट चलते रहेंगे. इन जगहों पर 15 दिसंबर तक चलेंगे 500 के पुराने नोट- -सरकारी अस्पताल, फार्मेसी -सहकारी भंडार से 5 हजार रु. तक का सामान -मिल्क बूथ, श्मशान घाट/कब्रिस्तान -एलपीजी सिलेंडर, स्मारकों के टिकट -स्थानीय निकायों के बिल-जुर्माना -घर का बिजली/पानी का बिल -कोर्ट फीस, सरकारी दुकानों से बीज -सरकारी स्कूलों की दो हजार रु. तक की फीस -सरकारी कॉलेजों की फीस, 500 रु. तक का प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज -टोल प्लाजा पर पुराने 500 के नोट स्वीकार किए जाएंगे. -3 दिसंबर को पेट्रोल पंप पर बंद हो गए थे 500 के पुराने नोट 8 नवंबर को पीएम मोदी ने 500 और 1000 के नोट को बंद करने का ऐलान किया था. इसके बाद 2000 के और 500 के नए नोट लाए गए. इसके अलावा सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने डिजिटल पेमेंट पर कई तरह की रियायतों का ऐलान किया था.
कभी अमिताभ बच्चन को आपने टीवी पर रीड एंड टेलर के शूट पहने हुए इसका प्रचार करते देखा होगा, लेक‍िन आज यही कंपनी दिवालिया होने के कगार पर खड़ी हो गई है. रीड एंड टेलर ब्रांड की पैरेंट कंपनी एस. कुमार्स नेशनवाइड (SKNL) ने बैंकरप्टसी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कंपनी के प्रमोटर नितिन कसलीवाल ने 5 हजार करोड़ रुपये का एक लोन न चुका पाने के बाद यह कदम उठाया है. रीड एंड टेलर वही ब्रांड है, जिसका जेम्स बॉन्ड की भूमिका निभाने वाले पियर्स ब्रॉन्सन एड करते थे. भारत में ब्रॉन्सन की जगह अमिताभ बच्चन ने ली थी. वह इसके विज्ञापन किया करते थे. कंपनी के प्रमोटर नितिन कसलीवाल को ज्यादातर कर्जदारों ने विलफुल डिफॉल्टर घो‍षित कर दिया है. इस वजह से वह रेजोल्यूशन प्लान में शामिल नहीं हो पाएंगे.  आईडीबीआई बैंक ने एस. कुमार्स नेशनवाइड के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है. दूसरी तरफ, एडेलवाइज एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी ने रीड एंड टेलर (इंडिया) को दिवालिया अदालत में घसीटा है. इकोनॉमिक टाइम्स ने एक वरिष्ठ अध‍िकारी के हवाले से लिखा है कि लेंडर रीड एंड टेलर और एस.कुमार्स दोनों के लिए व्यापक डेट रिस्क्ट्रक्चरिंग पैकेज तैयार करना चाहते हैं. क्योंकि रीड एंड टेलर एस. कुमार्स से जुड़ी है. अध‍िकारी ने बताया कि इसी वजह से दोनों कंपनी के लिए एक समान रेजोल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त करने का फैसला लिया गया है. बता दें कि देश के सरकारी बैंक पहले ही घोटालों की मार से जूझ रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक में सामने आए 12700 करोड़ रुपये के घोटाले से बैंक‍िंग व्यवस्था में हड़बड़ी मची हुई है.  इस घोटाले के केंद्र में ज्वैलर नीरव मोदी और गीतांजलि के मेहुल चौकसी हैं. दूसरी तरफ, फिलहाल इन मामलों में जांच जारी है.
IBPS RRB Result Date 2019:  इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड पर्सनल जल्द ही PO रिजल्ट जारी कर सकता है. उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट ibps.in पर जाकर रिजल्ट चेक कर सकते हैं. IBPS के नोटिफिकेशन के मुताबिक प्रीपरीक्षा का रिजल्ट अगस्त 2019 में जारी किया जाना था, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि नतीजे जल्द जारी हो सकते हैं. वैसे अभी IBPS की तरफ से रिजल्ट की किसी तय तिथि की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. आपको बता दें कि IBPS RRB PO Pre की परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा. ये मुख्य परीक्षा इसी साल 22 सितंबर को आयोजित होगी. इसके अलावा ऑफिसर स्केल 1 और ऑफिसर स्केल 2 के लिए सिंगल एग्जाम का आयोजन भी किया जाएगा. प्री- परीक्षा को पास करने वाले उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा. मुख्य परीक्षा का आयोजन 22 सितंबर को किया जा रहा है. इसके अलावा ऑफिसर स्केल 1 और ऑफिसर स्केल 2 के लिए सिंगल एग्जाम का आयोजन भी किया जाएगा. ये मुख्य एग्जाम कुल 200 अंकों का होगा इसमें रीजनिंग, कंप्यूटर नॉलेज, इंगलिंश और हिंदी भाषा के साथ जनरल अवेयरनेस के सवाल पूछे जाएंगे. ध्यान रखें कि प्री एग्जाम के अंकों को फाइनल सेलेक्शन में शामिल नहीं किया जाएगा. IBPS ने ऑफिसर पोस्ट के लिए प्री परीक्षा का आयोजन 3, 4 और 11 अगस्त को किया गया था. आईबीपीएस की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार इसी सप्ताह में ये रिजल्ट घोषित किया जाना था.
मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष शाखा ने जारी किए आदेश सभी जिलों के अधिकारियों को भेजी गई आदेश की कॉपी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शन को देखते हुए मध्य प्रदेश पुलिस हाई अलर्ट पर है. यही नहीं बुधवार 18 दिसम्बर से आगामी आदेश तक मध्य प्रदेश पुलिस के सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. विशेष शाखा ने दिए आदेश मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष शाखा ने आदेश जारी करते हुए लिखा है कि 'नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 के मद्देनजर प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए दिनांक 18/12/19 से आगामी आदेश तक समस्त पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के अवकाश पर प्रतिबंध लगाया जाता है. आदेश की कॉपी सभी जिलों के आला पुलिस अधिकारियों को भेजी गई है. अभी तक मध्य प्रदेश में कहीं भी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर लॉ एंड आर्डर नहीं बिगड़ा है लेकिन छिटपुट प्रदर्शन हुए हैं. पुलिस हुई अलर्ट इसके अलावा इंटेलिजेंस से मिली जानकारी के आधार पर जिन जिलों में पुलिस को खास तौर से अलर्ट पर रहने को कहा गया है, उनमें उज्जैन, इंदौर, भोपाल, देवास, जबलपुर, खंडवा, बुरहानपुर, दमोह, सिवनी और अशोक नगर जिले शामिल हैं. इसके अलावा इन सभी जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल को भेजकर तैयार रहने को कहा गया है. वहीं जरूरत पड़ने पर पर अतिरिक्त सुरक्षाबल भी तैयार रखने को कहा गया है. बता दें कि डेढ़ महीने में ये दूसरी बार है जब मध्य प्रदेश पुलिस के पुलिसकर्मियों की छुट्टियों रद्द की गई है. इससे पहले नवंबर में अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश पुलिस ने पूरे राज्य के पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी थीं.
मध्य प्रदेश के मंदसौर में वरिष्ठ बीजेपी नेता और नगर पालिका अध्यक्ष की बीती शाम अज्ञात बदमाश ने गोली मार कर हत्या कर दी. हमलावर बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार होकर आया था. उसने पालिका अध्यक्ष को बहुत करीब से गोली मारी और मौके फरार हो गया. गोली लगने से भाजपा नेता की मौके पर ही मौत हो गई. हत्या की यह वारदात मंदसौर के बीपीएल चौराहे की है. जहां गुरुवार की शाम करीब सात बजे नगर पालिका अध्यक्ष प्रहलाद बंदवार जिला सहकारी बैंक के सामने खड़े थे. तभी बुलेट बाइक पर सवार एक शख्स उनके पास पहुंचा और उनके सिर में गोली मार कर वहां से फरार हो गया. सबकुछ इतनी तेजी से हुआ कि कोई कुछ समझ नहीं पाया. गोली लगते ही प्रहलाद जमीन पर गिर पड़े और मौके पर ही उनकी मौत हो गई. गोली की आवाज़ सुनकर लोग प्रहलाद की तरफ दौड़े. पुलिस को सूचना दी गई. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. उनके शव को पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. प्रहलाद बंदवार की मौत की ख़बर शहर में आग की तरह से फैल गई. मौका-ए-वारदात और उनके आवास भीड़ जमा हो गई. पुलिस ने लोगों को समझाकर घटनास्थल से हटाया. अब पुलिस आरोपी की तलाश में जुट गई है. पुलिस आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाल रही है. ताकि आरोपी की पहचान की जा सके. आला पुलिस अधिकारियों के मुताबिक कई टीम बनाकर आरोपी को तलाश किया जा रहा है. बीजेपी नेता की हत्या से उनके समर्थकों में रोष है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.
चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे का आज डेब्यू होने जा रहा है. स्टूडेंट ऑफ दि इयर 2 आज रिलीज़ हो चुकी है और जाहिर है अनन्या इस समय उत्साह और नर्वसनेस के मिक्सड इमोशन्स से गुज़र रही होंगी. फिल्म को दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है लेकिन बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन के कलेक्शन के बाद ही जाहिर होगा कि लोग इस फिल्म को किस तरह से ले रहे हैं. हालांकि रियलिस्टक सिनेमा के दौर के बीच स्टूडेंट ऑफ दि इयर 2 को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इस फिल्म के ट्रेलर सामने आने पर कई लोगों ने कहा था कि उन्होंने अपने जीवन में इस तरह के स्कूल या कॉलेज नहीं देखे हैं और फिल्म में दिखाया गया स्कूल वास्तविकता से काफी दूर है. अनन्या ने भी इस सिलसिले में बात की. View this post on Instagram Hotie!!! Yes or no?😘❤️ . . Follow @ananya_pandey_fc Follow @ananya_pandey_fc Follow @ananya_pandey_fc Follow @ananya_pandey_fc . #ananyapanday #deepikapadukone #aliabhatt #shraddhakapoor #jacquelinefernandez #katreenakaif #kiaraaliaadvani #anushkasharma #varundhawan #ranveersingh #tigershroff #siddharthmalhotra #priyankachopra #janhvikapoor #sonamkapoor #parinitichopra #bhumipednekar #tarasutaria #ranbirkapoor #shahrukhkhan #salmankhan #viratkohli #kareenakapoor #kritisanon #shahidkapoor #kritikharbanda #akshaykumar #bollywood ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ A post shared by ANANYA PANDAY💙 (@ananya_pandey_fc) on Apr 14, 2019 at 10:40pm PDT View this post on Instagram Brother Brother Brother wish you a super birthday and an even more super year!! Continue being the way you are cause that’s your super power..Much Love PS - We need better pictures A post shared by Aditya Seal (@adityaseal) on Mar 1, 2019 at 11:15pm PST एक इंटरव्यू में बातचीत करते हुए अनन्या ने कहा कि 'जाहिर है मैं ऐसा ही स्कूल चाहती थी लेकिन ऐसा कुछ था नहीं. मुझे तो स्कूल में नेल पॉलिश लगाने तक की इजाजत भी नहीं थी और इस स्कूल में तो मैं शॉर्ट ड्रेसेस में घूम रही थी. ऐसा कुछ भी मेरे स्कूल में नहीं था.' अनन्या से जब पूछा गया कि इतने बड़ी फिल्म का हिस्सा होना कैसा था. इस पर अनन्या ने कहा कि ये मेरे लिए बेहद उत्साहजनक था. ऐसा लग रहा था मानो मैं सपना जी रही हूं. View this post on Instagram One point source of crazy funny mad but everything heart..Happy Birthday Alia lots of love..never grow up @aliaabhatt A post shared by Aditya Seal (@adityaseal) on Mar 15, 2019 at 1:02am PDT View this post on Instagram Beautiful, yes or no?😘❤️ . . Follow @ananya_pandey_fc Follow @ananya_pandey_fc Follow @ananya_pandey_fc Follow @ananya_pandey_fc . #ananyapanday #deepikapadukone #aliabhatt #shraddhakapoor #jacquelinefernandez #katreenakaif #kiaraaliaadvani #anushkasharma #varundhawan #ranveersingh #tigershroff #siddharthmalhotra #priyankachopra #janhvikapoor #sonamkapoor #parinitichopra #bhumipednekar #tarasutaria #ranbeerkapoor #shahrukhkhan #salmankhan #viratkohli #kareenakapoor #kritisanon #shahidkapoor #kritikharbanda #akshaykumar #bollywood ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ A post shared by ANANYA PANDAY💙 (@ananya_pandey_fc) on Apr 6, 2019 at 2:48am PDT गौरतलब है कि फिल्म में अहम भूमिका निभा रहे आदित्य सील ने भी अपनी फिल्म का बचाव किया था और कहा था,  'ये फिल्म एक तरह से फैंटेसी है. आखिर कौन ऐसे स्कूल का हिस्सा नहीं होना चाहेगा? जहां ऐसे शानदार स्टूडेंट्स हों और इतना अच्छा स्कूल हो? हम एक ऐसा माहौल क्रिएट करना चाहते हैं कि जिसे देखकर लोग कहें कि काश हम इसका हिस्सा होते. जब मैं एवेंजर्स जैसी फिल्में देखता हूं तो मुझे लगता है कि काश मैं इस फिल्म का हिस्सा होता. काश मैं आयरन मैन बन सकता. इसी तरीके से हम भी एक ऐसी फिल्म को तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं.'
प्रौद्योगिकी क्षेत्र की वैश्विक कम्पनी एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टिम कुक ने कहा है कि कम्पनी अपनी कुछ मौजूदा मैक कम्प्यूटर शृंखला का उत्पादन अगले साल से खास तौर से अमेरिका में करेगी। कम्पनी बड़े पैमाने पर अपने कम्प्यूटरों, आईफोन और आईपैड का उत्पादन देश से बाहर करती है। कुक ने नेशनल ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन (एनबीसी) की साप्ताहिक समाचार पत्रिका 'रॉक सेंटर' पर एक साक्षात्कार में कहा, "हम अमेरिका में गतिविधि अधिक से अधिक करने पर कई साल से काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि अमेरिका में अतिरिक्त नौकरी पैदा करना जरूरी है, क्योंकि यहां बेरोजगारी दर काफी अधिक हो गई है और यह कमजोर आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है। कुक ने यह संकेत दिया कि कम्पनी ने पिछले कुछ सालों से नौकरी का सृजन करने में मदद की है। उन्होंने एनबीसी पर कहा, "जब आप अमेरिका में नौकरी सृजन पर एप्पल के प्रभाव को देखते हैं, तो हमारा अनुमान है कि हमने 6,00,000 नौकरियों का सृजन किया है।" समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक कुक ने यह नहीं बताया कि किस शृंखला के कम्प्यूटरों का उत्पादन किया जाएगा और अमेरिका में कहां उत्पादन होगा। लेकिन उन्होंने कहा कि कम्पनी इस परियोजना पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेगी। कुक ने कहा, "हम कुछ ठोस करना चाहते हैं। इसलिए हम 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेंगे।"टिप्पणियां रॉक सेंटर के प्रस्तोता ब्रायन विलियम्स ने कुक से पूछा कि एप्पल अपने सभी कम्प्यूटरों का निर्माण अमेरिका में क्यों नहीं करती है। इस पर कुक का जवाब था, "इसका सम्बंध मूल्य से नहीं है। इसका सम्बंध कुशलता से है।" कुक ने कहा कि आधुनिक विनिर्माण उद्योग में जैसे कुशल लोगों की जरूरत है, वैसे लोग अमेरिका की शिक्षा पद्धति में पैदा नहीं हो रहे हैं। कुक ने नेशनल ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन (एनबीसी) की साप्ताहिक समाचार पत्रिका 'रॉक सेंटर' पर एक साक्षात्कार में कहा, "हम अमेरिका में गतिविधि अधिक से अधिक करने पर कई साल से काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि अमेरिका में अतिरिक्त नौकरी पैदा करना जरूरी है, क्योंकि यहां बेरोजगारी दर काफी अधिक हो गई है और यह कमजोर आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है। कुक ने यह संकेत दिया कि कम्पनी ने पिछले कुछ सालों से नौकरी का सृजन करने में मदद की है। उन्होंने एनबीसी पर कहा, "जब आप अमेरिका में नौकरी सृजन पर एप्पल के प्रभाव को देखते हैं, तो हमारा अनुमान है कि हमने 6,00,000 नौकरियों का सृजन किया है।" समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक कुक ने यह नहीं बताया कि किस शृंखला के कम्प्यूटरों का उत्पादन किया जाएगा और अमेरिका में कहां उत्पादन होगा। लेकिन उन्होंने कहा कि कम्पनी इस परियोजना पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेगी। कुक ने कहा, "हम कुछ ठोस करना चाहते हैं। इसलिए हम 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेंगे।"टिप्पणियां रॉक सेंटर के प्रस्तोता ब्रायन विलियम्स ने कुक से पूछा कि एप्पल अपने सभी कम्प्यूटरों का निर्माण अमेरिका में क्यों नहीं करती है। इस पर कुक का जवाब था, "इसका सम्बंध मूल्य से नहीं है। इसका सम्बंध कुशलता से है।" कुक ने कहा कि आधुनिक विनिर्माण उद्योग में जैसे कुशल लोगों की जरूरत है, वैसे लोग अमेरिका की शिक्षा पद्धति में पैदा नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अतिरिक्त नौकरी पैदा करना जरूरी है, क्योंकि यहां बेरोजगारी दर काफी अधिक हो गई है और यह कमजोर आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है। कुक ने यह संकेत दिया कि कम्पनी ने पिछले कुछ सालों से नौकरी का सृजन करने में मदद की है। उन्होंने एनबीसी पर कहा, "जब आप अमेरिका में नौकरी सृजन पर एप्पल के प्रभाव को देखते हैं, तो हमारा अनुमान है कि हमने 6,00,000 नौकरियों का सृजन किया है।" समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक कुक ने यह नहीं बताया कि किस शृंखला के कम्प्यूटरों का उत्पादन किया जाएगा और अमेरिका में कहां उत्पादन होगा। लेकिन उन्होंने कहा कि कम्पनी इस परियोजना पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेगी। कुक ने कहा, "हम कुछ ठोस करना चाहते हैं। इसलिए हम 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेंगे।"टिप्पणियां रॉक सेंटर के प्रस्तोता ब्रायन विलियम्स ने कुक से पूछा कि एप्पल अपने सभी कम्प्यूटरों का निर्माण अमेरिका में क्यों नहीं करती है। इस पर कुक का जवाब था, "इसका सम्बंध मूल्य से नहीं है। इसका सम्बंध कुशलता से है।" कुक ने कहा कि आधुनिक विनिर्माण उद्योग में जैसे कुशल लोगों की जरूरत है, वैसे लोग अमेरिका की शिक्षा पद्धति में पैदा नहीं हो रहे हैं। कुक ने यह संकेत दिया कि कम्पनी ने पिछले कुछ सालों से नौकरी का सृजन करने में मदद की है। उन्होंने एनबीसी पर कहा, "जब आप अमेरिका में नौकरी सृजन पर एप्पल के प्रभाव को देखते हैं, तो हमारा अनुमान है कि हमने 6,00,000 नौकरियों का सृजन किया है।" समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक कुक ने यह नहीं बताया कि किस शृंखला के कम्प्यूटरों का उत्पादन किया जाएगा और अमेरिका में कहां उत्पादन होगा। लेकिन उन्होंने कहा कि कम्पनी इस परियोजना पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेगी। कुक ने कहा, "हम कुछ ठोस करना चाहते हैं। इसलिए हम 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेंगे।"टिप्पणियां रॉक सेंटर के प्रस्तोता ब्रायन विलियम्स ने कुक से पूछा कि एप्पल अपने सभी कम्प्यूटरों का निर्माण अमेरिका में क्यों नहीं करती है। इस पर कुक का जवाब था, "इसका सम्बंध मूल्य से नहीं है। इसका सम्बंध कुशलता से है।" कुक ने कहा कि आधुनिक विनिर्माण उद्योग में जैसे कुशल लोगों की जरूरत है, वैसे लोग अमेरिका की शिक्षा पद्धति में पैदा नहीं हो रहे हैं। समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक कुक ने यह नहीं बताया कि किस शृंखला के कम्प्यूटरों का उत्पादन किया जाएगा और अमेरिका में कहां उत्पादन होगा। लेकिन उन्होंने कहा कि कम्पनी इस परियोजना पर 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेगी। कुक ने कहा, "हम कुछ ठोस करना चाहते हैं। इसलिए हम 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेंगे।"टिप्पणियां रॉक सेंटर के प्रस्तोता ब्रायन विलियम्स ने कुक से पूछा कि एप्पल अपने सभी कम्प्यूटरों का निर्माण अमेरिका में क्यों नहीं करती है। इस पर कुक का जवाब था, "इसका सम्बंध मूल्य से नहीं है। इसका सम्बंध कुशलता से है।" कुक ने कहा कि आधुनिक विनिर्माण उद्योग में जैसे कुशल लोगों की जरूरत है, वैसे लोग अमेरिका की शिक्षा पद्धति में पैदा नहीं हो रहे हैं। कुक ने कहा, "हम कुछ ठोस करना चाहते हैं। इसलिए हम 10 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च करेंगे।"टिप्पणियां रॉक सेंटर के प्रस्तोता ब्रायन विलियम्स ने कुक से पूछा कि एप्पल अपने सभी कम्प्यूटरों का निर्माण अमेरिका में क्यों नहीं करती है। इस पर कुक का जवाब था, "इसका सम्बंध मूल्य से नहीं है। इसका सम्बंध कुशलता से है।" कुक ने कहा कि आधुनिक विनिर्माण उद्योग में जैसे कुशल लोगों की जरूरत है, वैसे लोग अमेरिका की शिक्षा पद्धति में पैदा नहीं हो रहे हैं। रॉक सेंटर के प्रस्तोता ब्रायन विलियम्स ने कुक से पूछा कि एप्पल अपने सभी कम्प्यूटरों का निर्माण अमेरिका में क्यों नहीं करती है। इस पर कुक का जवाब था, "इसका सम्बंध मूल्य से नहीं है। इसका सम्बंध कुशलता से है।" कुक ने कहा कि आधुनिक विनिर्माण उद्योग में जैसे कुशल लोगों की जरूरत है, वैसे लोग अमेरिका की शिक्षा पद्धति में पैदा नहीं हो रहे हैं। कुक ने कहा कि आधुनिक विनिर्माण उद्योग में जैसे कुशल लोगों की जरूरत है, वैसे लोग अमेरिका की शिक्षा पद्धति में पैदा नहीं हो रहे हैं।
शीतला माता का व्रत चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी-अष्टमी को होता है. शास्‍त्रों के अनुसार इस पूजा का बहुत महत्‍व होता है और इसे करने से घर रोगों से दूर रहता है. स्कन्दपुराण के अनुसार इस व्रत को चार महीनों में करने का विधान है. इस व्रत पर एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन किया जाता है. इसलिए इसे बसौड़ा, लसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं. क्यों मनाते हैं बसौड़ा पर्व? बसौड़ा, शीतलता का पर्व भारतीय सनातन परंपरा के अनुसार महिलाएं अपने बच्चों की सलामती, आरोग्यता व घर में सुख-शांति के लिए रंगपंचमी से अष्टमी तक मां शीतला को बसौड़ा बनाकर पूजती हैं. बसौड़ा में मीठे चावल, कढ़ी, चने की दाल, हलवा, रबड़ी, बिना नमक की पूड़ी, पूए आदि एक दिन पहले ही रात में बनाकर रख लिए जाते हैं. सुबह घर व मंदिर में माता की पूजा-अर्चना कर महिलाएं शीतला माता को बसौड़ा का प्रसाद चढ़ाती हैं. पूजा करने के बाद घर की महिलाएं बसौड़ा का प्रसाद अपने परिवार में बांट कर सभी के साथ मिलजुल कर बासी भोजन ग्रहण करके माता का आशीर्वाद लेती हैं. बसौड़ा पर्व की पौराणिक कथा किंवदंतियों के अनुसार बसौड़ा की पूजा माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए की जाती है. कहते हैं कि एक बार किसी गांव में गांववासी शीतला माता की पूजा-अर्चना कर रहे थे और गांववासियों ने गरिष्ठ भोजन माता को प्रसादस्वरूप चढ़ा दिया. शीतलता की प्रतिमूर्ति मां भवानी का मुंह गर्म भोजन से जल गया और वे नाराज हो गईं. उन्होंने कोपदृष्टि से संपूर्ण गांव में आग लगा दी. बस केवल एक बुढ़िया का घर सुरक्षित बचा हुआ था. गांव वालों ने जाकर उस बुढ़िया से घर न जलने के बारे में पूछा तो बुढ़िया ने मां शीतला को गरिष्ठ भोजन खिलाने वाली बात कही और कहा कि उन्होंने रात को ही भोजन बनाकर मां को भोग में ठंडा-बासी भोजन खिलाया. जिससे मां ने प्रसन्न होकर बुढ़िया का घर जलने से बचा लिया. बुढ़िया की बात सुनकर गांव वालों ने मां से क्षमा मांगी और रंगपंचमी के बाद आने वाली सप्तमी के दिन उन्हें बासी भोजन खिलाकर मां का बसौड़ा पूजन किया. शीतला माता का व्रत कैसे करें? - व्रती को इस दिन प्रातःकालीन नित्‍य कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए. - स्नान के बाद 'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये' मंत्र से संकल्प लेना चाहिए. - संकल्प के बाद विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें. - इसके बाद एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाना, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी आदि का भोग लगाएं. - यदि आप चतुर्मासी व्रत कर रहे हो तो भोग में माह के अनुसार भोग लगाएं, जैसे- चैत्र में शीतल पदार्थ, वैशाख में घी और मीठा सत्तू, ज्येष्ठ में एक दिन पूर्व बनाए गए पूए तथा आषाढ़ में घी और शक्कर मिली हुई खीर. - भोग लगाने के बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें और यदि यह उपलब्ध न हो तो शीतला अष्टमी की कथा सुनें. - रात्रि में जगराता करें और दीपमालाएं प्रज्ज्वलित करें. विशेष: इस दिन व्रती को चाहिए कि वह स्वयं तथा परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार के गरम पदार्थ का सेवन न करें. इस व्रत के लिए एक दिन पूर्व ही भोजन बनाकर रख लें तथा उसे ही ग्रहण करें.
यह लेख है: अब तक 150 से ज्यादा नाटकों में विविध भूमिकाएं निभा चुके और 25 नाटकों का निर्देशन करने वाले ओडिशा और दिल्ली के जाने-माने रंगकर्मी चितरंजन सतपथि ने नाटक 'घर और बाहर' का मंचन किया. 1916 में गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के द्वारा लिखे गये प्रसिद्ध उपन्यास 'घरे-बाइरे' पर आधारित इस नाटक को रंगकर्मी डॉ. प्रतिभा अग्रवाल ने लिखा है.   गुरुदेव ने अपने इस उपन्यास के माध्यम से स्वदेशी आंदोलन के नाम पर चल रहे राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थ के खेल में लिप्त देश सेवकों के चरित्र का न केवल अत्यंत बारीकी से चित्रण किया है, बल्कि राष्ट्रवाद को भी नैतिकता की कसौटी पर आंकने का हौसला दिखाया है. इस नाटक का मंचन दिल्ली के गोलमार्केट स्थित मुक्तधारा ऑडिटोरियम में किया गया.   घर और बाहर के निर्देशक चितरंजन सतपथि का कहना है, 'स्वदेशी आंदोलन के जरिये राष्ट्रवाद और मानवीय संबंधों को केंद्र में रखकर लिखे गए उपन्यास घरे-बाइरे का मंचन पहाड़ जैसी चुनौती थी. बंगाल का अतिवादी राष्ट्रवाद, स्वदेशी आंदोलन की आड़ में स्वार्थ की पूर्ति और इसके लिए अनेक परिवारों की आहुति दर्शकों को राष्ट्रवाद जैसे विषय पर गंभीरता पर विचार करने के लिए मजबूर करता है.'(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बंबई उच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में आईपीएल मैचों के दौरान मुहैया कराई गई पुलिस सुरक्षा का 10 करोड़ रुपये से भी अधिक बकाया नहीं वसूल पाने के लिए महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथ लिया है। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एपी भंगाले की खंडपीठ ने कहा, ‘‘दो साल हो गये और राज्य सरकार ने बकाया लेने की चिंता नहीं की। हमारे हिसाब से यह बहुत बड़ी रकम है। शायद राज्य सरकार के लिए यह छोटी रकम हो। बकाया नहीं मिलने के बावजूद राज्य सरकार निष्ठापूर्वक सुरक्षा एवं अन्य सुविधायें मुहैया कराती रही।’’ खंडपीठ इस मामले में को लेकर पिछले साल दायर की गई संतोष पचलाग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में सरकार को तुरंत बीसीसीआई से बकाया वसूलने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा, ‘‘बीसीसीआई वाणिज्यिक उद्यम है, जिसे काफी आमदनी हो रही है और सभी खिलाड़ियों को काफी रकम अदा कर रही है। वे इस रकम (10 करोड़ रुपये) को अदा नहीं कर पा रहे हैं।’’ यह सूचित किए जाने पर कि आईपीएल का अगला सत्र इस साल अप्रैल से शुरू होने की संभावना है, न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘तब आपके (सरकार) पास बकाया वसूलने का पर्याप्त वक्त है। इस मुद्दे पर उच्चतर स्तर पर गौर करने की जरूरत है। अभी तक जो सरकार को करना चाहिये था, उसका निर्देश न्यायालय दे रहा है।’’ न्यायालय ने गृहमंत्रालय के सचिव को बीसीसीआई के उस अनुरोध पर फैसला करने का निर्देश दिया जिसमें उसने अन्य राज्यों की ओर से पूर्व में ली गई दरों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत दर तय करने का आग्रह किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।टिप्पणियां बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’ इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एपी भंगाले की खंडपीठ ने कहा, ‘‘दो साल हो गये और राज्य सरकार ने बकाया लेने की चिंता नहीं की। हमारे हिसाब से यह बहुत बड़ी रकम है। शायद राज्य सरकार के लिए यह छोटी रकम हो। बकाया नहीं मिलने के बावजूद राज्य सरकार निष्ठापूर्वक सुरक्षा एवं अन्य सुविधायें मुहैया कराती रही।’’ खंडपीठ इस मामले में को लेकर पिछले साल दायर की गई संतोष पचलाग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में सरकार को तुरंत बीसीसीआई से बकाया वसूलने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा, ‘‘बीसीसीआई वाणिज्यिक उद्यम है, जिसे काफी आमदनी हो रही है और सभी खिलाड़ियों को काफी रकम अदा कर रही है। वे इस रकम (10 करोड़ रुपये) को अदा नहीं कर पा रहे हैं।’’ यह सूचित किए जाने पर कि आईपीएल का अगला सत्र इस साल अप्रैल से शुरू होने की संभावना है, न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘तब आपके (सरकार) पास बकाया वसूलने का पर्याप्त वक्त है। इस मुद्दे पर उच्चतर स्तर पर गौर करने की जरूरत है। अभी तक जो सरकार को करना चाहिये था, उसका निर्देश न्यायालय दे रहा है।’’ न्यायालय ने गृहमंत्रालय के सचिव को बीसीसीआई के उस अनुरोध पर फैसला करने का निर्देश दिया जिसमें उसने अन्य राज्यों की ओर से पूर्व में ली गई दरों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत दर तय करने का आग्रह किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।टिप्पणियां बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’ इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए। खंडपीठ इस मामले में को लेकर पिछले साल दायर की गई संतोष पचलाग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में सरकार को तुरंत बीसीसीआई से बकाया वसूलने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा, ‘‘बीसीसीआई वाणिज्यिक उद्यम है, जिसे काफी आमदनी हो रही है और सभी खिलाड़ियों को काफी रकम अदा कर रही है। वे इस रकम (10 करोड़ रुपये) को अदा नहीं कर पा रहे हैं।’’ यह सूचित किए जाने पर कि आईपीएल का अगला सत्र इस साल अप्रैल से शुरू होने की संभावना है, न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘तब आपके (सरकार) पास बकाया वसूलने का पर्याप्त वक्त है। इस मुद्दे पर उच्चतर स्तर पर गौर करने की जरूरत है। अभी तक जो सरकार को करना चाहिये था, उसका निर्देश न्यायालय दे रहा है।’’ न्यायालय ने गृहमंत्रालय के सचिव को बीसीसीआई के उस अनुरोध पर फैसला करने का निर्देश दिया जिसमें उसने अन्य राज्यों की ओर से पूर्व में ली गई दरों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत दर तय करने का आग्रह किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।टिप्पणियां बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’ इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए। न्यायालय ने कहा, ‘‘बीसीसीआई वाणिज्यिक उद्यम है, जिसे काफी आमदनी हो रही है और सभी खिलाड़ियों को काफी रकम अदा कर रही है। वे इस रकम (10 करोड़ रुपये) को अदा नहीं कर पा रहे हैं।’’ यह सूचित किए जाने पर कि आईपीएल का अगला सत्र इस साल अप्रैल से शुरू होने की संभावना है, न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘तब आपके (सरकार) पास बकाया वसूलने का पर्याप्त वक्त है। इस मुद्दे पर उच्चतर स्तर पर गौर करने की जरूरत है। अभी तक जो सरकार को करना चाहिये था, उसका निर्देश न्यायालय दे रहा है।’’ न्यायालय ने गृहमंत्रालय के सचिव को बीसीसीआई के उस अनुरोध पर फैसला करने का निर्देश दिया जिसमें उसने अन्य राज्यों की ओर से पूर्व में ली गई दरों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत दर तय करने का आग्रह किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।टिप्पणियां बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’ इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए। यह सूचित किए जाने पर कि आईपीएल का अगला सत्र इस साल अप्रैल से शुरू होने की संभावना है, न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘तब आपके (सरकार) पास बकाया वसूलने का पर्याप्त वक्त है। इस मुद्दे पर उच्चतर स्तर पर गौर करने की जरूरत है। अभी तक जो सरकार को करना चाहिये था, उसका निर्देश न्यायालय दे रहा है।’’ न्यायालय ने गृहमंत्रालय के सचिव को बीसीसीआई के उस अनुरोध पर फैसला करने का निर्देश दिया जिसमें उसने अन्य राज्यों की ओर से पूर्व में ली गई दरों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत दर तय करने का आग्रह किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।टिप्पणियां बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’ इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए। न्यायालय ने गृहमंत्रालय के सचिव को बीसीसीआई के उस अनुरोध पर फैसला करने का निर्देश दिया जिसमें उसने अन्य राज्यों की ओर से पूर्व में ली गई दरों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत दर तय करने का आग्रह किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।टिप्पणियां बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’ इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए। बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’ इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए। इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शुक्रवार को चंडीगढ़ दौरे के मद्देनजर पूरे शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. स्कूलों में एक दिन की छुट्टी की भी घोषणा कर दी गई है. वहीं हिमालय की ओर से आने वाले ट्रैफिक के लिए नो एंट्री रहेगी. एम्बुलेंस के लिए अलग रूट भी तैयार किया गया है. दो दिन पहले से ही मुस्तैद हैं सुरक्षाबल अधिकारियों ने बताया कि कमांडो और स्वात टीम सहित कम से कम 4,500 पुलिसकर्मियों को निगरानी के लिए तैनात किया गया है.आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मोदी की सुरक्षा योजना तैयार करने के लिए मंगलवार को विशेष सुरक्षा समूह (SPG) के 30 से ज्यादा सदस्यों का दल शहर आ गया था. दीक्षांत समारोह, रैली को संबोधित करेंगे पीएम मोदी पीएम मोदी मोहाली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करने के बाद मुख्य अतिथि के रूप में PGIMIR में एक दीक्षांत समारोह में भाग लेंगे. बाद में वह किफायती आवास योजना के लाभार्थियों को चाभी सौंपेंगे और यहां के सेक्टर 25 के रैली मैदान में एक जनसभा को संबोधित करेंगे. 484 करोड़ रुपये में बना है मोहाली इंटरनेशनल एयरपोर्ट 485 करोड़ रुपये की लागत से हवाई अड्डा का निर्माण किया गया है और चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड इसका संचालन और देखभाल करेगी. यह एयरपोर्ट ऑथिरिटी ऑफ इंडिया और पंजाब एवं हरियाणा सरकारों का संयुक्त उपक्रम है. इसमें संयुक्त उपक्रम में एएआई का 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि पंजाब और और हरियाणा की 24.5-24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है.